मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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पंचदश विधान सभा तृतीय सत्र
जुलाई, 2019 सत्र
रविवार, दिनांक 21 जुलाई, 2019
(30 आषाढ़, शक संवत् 1941 )
[खण्ड- 3 ] [अंक- 10 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
रविवार, दिनांक 21 जुलाई, 2019
(30 आषाढ़, शक संवत् 1941 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.05 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) पीठासीन हुए.}
अध्यक्ष महोदय - (डॉ. नरोत्तम मिश्र की ओर देखकर) आपको पूरा देख रहा हूँ.
श्री सोहनलाल बाल्मीक - सदन के अभिताभ बच्चन को ही देखोगे, हमको नहीं देखोगे.
अध्यक्ष महोदय - मुझे डेढ़ दिन से नूरानी चेहरा नहीं दिखा. (हंसी) मैं परेशान था.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, गुस्ताखी माफी हो, पर मैं आपको लिखकर दे गया था.
अध्यक्ष महोदय - न चिट्ठी, न कोई संदेश, न जाने कहां चले गए थे विदेश.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, मैंने भिजवाया था, पर संवाद स्थापित करना भी चाहा था चूँकि आप हाउस देर तक चलाते हैं.
अध्यक्ष महोदय - आप ही ने तो कहा था.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - और आप जैमर लगा देते हैं. उस कारण से संवाद स्थापित नहीं हो पाया.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - अध्यक्ष जी, आपने डॉ. नरोत्तम मिश्र जी को तो कह दिया, मगर के.पी.सिंह जी के बारे में कोई टिप्पणी नहीं की.
अध्यक्ष महोदय - वाह, वाह, हमें क्या मालूम था कि के.पी.सिंह जी भी आज आ गए हैं.
श्री के.पी.सिंह - नमस्कार. (हंसी)
अध्यक्ष महोदय - यह भी विेदेश कुछ देखने गए थे. जैसे गेंद और बल्ला होता है, वैसा कुछ देखने गए थे.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - हुजूर आते-आते बहुत देर कर दी.
श्री के.पी.सिंह - आपकी परमीशन से गए थे.
अध्यक्ष महोदय - वह तो है लेकिन मुझे प्रसन्नता हुई.
प्रश्नकाल में उल्लेख एवं अध्यक्षीय व्यवस्था
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, मैं थोड़ा सा ध्यान आकर्षित करना चाह रहा था. आज आपने जो कार्यसूची जारी की है. इसमें आज आठवें नम्बर पर विनियोग विधेयक के बारे में है. आप शासकीय विधि विषयक कार्य देखेंगे तो...
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ.गोविन्द सिंह) - माननीय अध्यक्ष जी, प्रश्न हो जाने दें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - संवैधानिक स्थिति है.
डॉ. गोविन्द सिंह - वैधानिक ?
डॉ. नरोत्तम मिश्र - वैधानिक नहीं असंवैधानिक स्थिति है.
डॉ. गोविन्द सिंह - कोई संवैधानिक नहीं है.
डॉ. सीतासरन शर्मा - आज आप सारे विषय पूरे करना चाहते हैं. आज आप गुलेटिन करेंगे.
डॉ. गोविन्द सिंह - अध्यक्ष महोदय के पास सब अधिकार सुरक्षित हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय जी, मैं खड़ा होता हूँ तो गोविन्द सिंह जी को क्या हो जाता है. एक कहावत है कि 'इनके हुस्न का हुक्का तो बुझ गया कब से, वो एक हमारी वफा है कि जो अब तक गुड़गुड़ाये जाते हैं'. (हंसी) मैं आपकी कृपा चाहूँगा् मध्यप्रदेश विधान सभा के प्रक्रिया तथा कार्य-संचालन संबंधी नियम की पुस्तक की ओर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहूँगा. इसमें पेज क्र.74 पर 'ग' विनियोग विधेयक जो है, आप आज्ञा देंगे तो पूरा पढ़ दूँगा या जिस लाइन पर आप कहेंगे, मैं उस लाइन को पढ़ दूँगा. जिस ओर मैं आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ.
अध्यक्ष जी, जैसी आप आज्ञा दें. मैं पैरा पूरा पढ़ दूँ, आखिरी लाइन पढ़ दूँ. यह भी उन्हीं में से हैं हुस्न के हुक्के वाले, एक हमारी वफा है कि गुड़गुड़ाये जा रहे हैं.
भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास मंत्री (श्री आरिफ अकील) - अध्यक्ष जी, 'हमको उनसे है वफा की उम्मीद, जो नहीं जानते कि वफा क्या है.' (हंसी)
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, 'हम बावफा थे इसलिए नजरों से गिर गए, शायद इन्हें तलाश किसी बेवफा की थी.(हंसी)
अध्यक्ष महोदय, मैं पेज नं. 74 पर जो विनियोग विधेयक है, "सभा में विनियोग विधेयक के पुर:स्थापित होने के बाद किसी भी समय अध्यक्ष सभा द्वारा विधेयक के कारण में अन्तर्ग्रस्त सभी या किसी प्रक्रम को पूरा करने के लिए संयुक्त रूप से अलग-अलग एक या कई दिन नियत कर सकेगा और जब ऐसा नियतन किया जा चुका हो तो अध्यक्ष, यथास्थिति, नियत दिन या नियत दिनों के अंतिम दिन पांच बजे उस प्रक्रम या प्रक्रमों के संबंध में, जिनके लिये वह या वे दिन नियत किये गये हों, सभी अवशिष्ट विषयों को निपटाने के लिये प्रत्येक आवश्यक प्रश्न तुरन्त रखेगा.'' देखिये, हमारी आशंका सिर्फ इतनी सी है कि हम आपसे यह निवेदन चाहते हैं कि यह पुर:स्थापित होगा तो कोई बात नहीं थी, इस पर आपत्ति नहीं थी, पारित किया जाये आया. यह बजट पारित होने के बाद विनियोग आता है, आज आ गया तो हमें आशंका यह है कि क्या आप इन मांगों को गुलेटिन करके बजट पास करके सत्रावसान कर रहे हैं. हमारी सिर्फ आपसे प्रार्थना है और मैं मानता हूँ कि आप पूरी ताकत, मेहनत, शिद्दत, लगन के साथ हाउस चला रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - आज जिस दिशा में सोच रहे हैं, वैसा नहीं है. इसको पारित करवाने का मतलब अभी मेरे विधेयक भी हैं, अभी 139 की चर्चा भी है. मुझे वह सब ग्राह्य करनी हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - आप तो यह कह दो कि सत्र पूरा चलेगा.
अध्यक्ष महोदय - चलेगा. यह बात कल भी आई थी कि (डॉ. सीतासरन शर्मा के खड़े होकर बोलने पर) शर्मा जी एक मिनट सुनें. मेरे साथी मित्र को अभी भी पुरानी कल्पना की इतनी याद आती है, वह कल्पनाओं में बहने लगते हैं.
डॉ. गोविन्द सिंह -माननीय अध्यक्ष जी, सत्र अभी चलेगा. आज खत्म नहीं होगा.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न क्रमांक 1.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) - चूँकि कार्यसूची में इतना ज्यादा बिजनेस ले लिया है कि यदि हम दो दिन, दो रात बैठे रहें तो तब भी यह पूरा नहीं होगा.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - 16 घण्टे का बिजनेस है.
अध्यक्ष महोदय - दिन में चौबीस घण्टे होते हैं. कभी-कभी हम कहते हैं कि हमारा वह नेता ऐसा है जो 18 घण्टे काम करता है, जो 22 घण्टे काम करता है. एक बार हम विधानसभा में भी तो देखें.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष जी, हम लोग तैयार हैं. आप तो खटिया, पलंग की व्यवस्था भी यहीं करवा दें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, एक मैंने व्यक्तिगत संवाद में आपसे प्रार्थना की थी, मैं उसे सार्वजनिक करना चाहता था. एक तो जो आपकी स्थायी व्यवस्थाएं आ रही हैं, पूर्व में अध्यक्ष की स्थायी व्यवस्थाओं की पुस्तक और सदन के हास-परिहास की एक पुस्तक छपती थी. जो लम्बे समय से बन्द है. मेरी प्रार्थना थी कि आप करवा दें.
अध्यक्ष महोदय -- निश्चित रूप से यह अच्छा सुझाव है. स्थायी व्यवस्था और हास परिहास जो चलता है, उसकी पहले किताब छपती थी, वह अब फिर से प्रारंभ होना चाहिये.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपसे कृपा करके अनुरोध है कि हमारे प्रश्न लगे हैं.
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
शास. जिला चिकित्सालय बुरहानपुर में स्वीकृत पद
[लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण]
1. ( *क्र. 1699 ) ठाकुर सुरेन्द्र नवल सिंह : क्या लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) शासकीय जिला चिकित्सालय बुरहानपुर में कुल कितने पद स्वीकृत हैं एवं उन स्वीकृत पदों के विरूद्ध कितने पदों की पूर्ति हो चुकी है एवं कितने पद रिक्त हैं? उक्त पदों पर नियमित एवं संविदा के कितने पदों की पूर्ति हो चुकी है? (ख) शासकीय जिला चिकित्सालय बुरहानपुर में डॉक्टर के कितने पद स्वीकृत हैं और वर्तमान में कितने पद रिक्त हैं? रिक्त पदों की पूर्ति कब तक होगी? (ग) वर्तमान में पदस्थ डॉक्टर किस-किस विभाग में कार्यरत हैं एवं उनका कार्य का समय क्या है?
लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) जिला चिकित्सालय बुरहानपुर में विशेषज्ञों के 22 पद स्वीकृत एवं 14 पद रिक्त हैं, चिकित्सा अधिकारी के 15 पद स्वीकृत एवं 01 पद रिक्त है। निश्चित समयावधि बताना संभव नहीं है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' पर है।
ठाकुर सुरेन्द्र नवल सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आज आपने मुझे अपने विचार रखने का मौका दिया है, मैं इसके लिये आपको बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं. मैं आपके पूर्ण आशीष के साथ अपनी बात रखना चाहता हूं.
जिंदगी दी है तो जीने का हुनर भी देना,
जिंदगी दी है तो जीने का हुनर भी देना,
पांव बख्शे हैं तो तोहफे के सफर भी देना,
गुफ्तगु तूने सिखायी, मैं तो गूंगा था,
गुफ्तगु तूने सिखायी, मैं तो गूंगा था,
अब जो बात बोलूं, तो उसमें असर भी देना. (मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय -- शेरा, शेर भी पढ़ता है(हंसी)
ठाकुर सुरेन्द्र नवल सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह जरूरी है, नहीं तो लोग मेरी पहचान भूल जायेंगे. मैं आपके माध्यम से आदरणीय स्वास्थ्य मंत्री जी से मेरे क्षेत्र की बातें कुछ पूछना चाहता हूं कि क्या लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि शासकीय जिला चिकित्सालय बुरहानपुर में कुल कितने पद स्वीकृत हैं ? एवं उन स्वीकृत पदों के विरूद्ध कितने पदों की पूर्ति हो चुकी है एवं कितने पद रिक्त हैं? उक्त पदों पर नियमित एवं संविदा के कितने पदों की पूर्ति हो चुकी है? क्या शासकीय जिला चिकित्सालय बुरहानपुर में डॉक्टर के कितने पद स्वीकृत हैं और वर्तमान में कितने पद रिक्त हैं? रिक्त पदों की पूर्ति कब तक होगी? वर्तमान में पदस्थ डॉक्टर किस-किस विभाग में कार्यरत हैं एवं उनका कार्य का समय क्या है? माननीय मंत्री महोदय बताने की कृपा करें.
श्री तुलसीराम सिलावट -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जब नाम शेरा हो तो इनका काम भी शेर जैसा ही है. जिला चिकित्सालय बुरहानपुर में विशेषज्ञों के 22 पद स्वीकृत एवं 14 पद रिक्त हैं, चिकित्सा अधिकारी के 15 पद स्वीकृत एवं 01 पद रिक्त है।
अध्यक्ष महोदय -- यह प्रश्न तो आपने लिखे हुये हैं.
ठाकुर सुरेन्द्र नवल सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री महोदय से आपके आर्शीवाद से और आपके संरक्षण में पूछना चाहता हूं कि इतना बड़ा अस्पताल आपने बुरहानपुर में बनाया है और वहां पर पिछले पंद्रह साल से पद रिक्त पड़े हुये हैं और हमारी सरकार के आने के बाद आपके मंत्री बनने के बाद हमें या हमारी जनता को क्या फायदा मिला है ? क्या कोई उपयुक्त फायदा मिला है ?
श्री तुलसीराम सिलावट -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इनकी पीड़ा से इनके कष्ट से मुझे भी पीड़ा होती है, इनकी भावना बहुत अच्छी है. जब एक जनप्रतिनिधि यह बात करे कि उनके अस्पताल में डॉक्टर नहीं है और आपने मेरे संज्ञान में लाये हैं. मैं बताना चाहता हूं कि पंद्रह वर्षों से एक डॉक्टर नहीं, बल्कि मध्यप्रदेश में 70 प्रतिशत डॉक्टरों की कमी है. मैं आपके माध्यम से बताना चाहता हूं कि जिला चिकित्सालय बुरहानपुर में 234 नियमित पद स्वीकृत हैं और 82 पद रिक्त हैं इन पदों पर कुल 152 कार्यरत हैं, संविदा के जो 69 अधिकारी और कर्मचारी कार्यरत हैं और मैं आपको बताना चाहता हूं कि पद रिक्तों की पूर्ति के लिये निरंतर प्रक्रिया जारी है और जो आपकी कल्पना और भावना है, उसके अनुसार अतिशीघ्र मैं डॉक्टरों की पूर्ति करने जा रहा हूं.
ठाकुर सुरेन्द्र नवल सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं हमारे माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि कृपया आप अपनी समय सीमा हमको बतायें कि कब तक आप यह नियुक्ति करेंगे ? क्योंकि बुरहानपुर जिले में कोई एडवांस एम्बुलेंस नहीं है, जिससे बुरहानपुर से मरीजों को अच्छे अस्पताल में इंदौर शिफ्ट किया जा सके, वहां पर डॉक्टर्स नहीं है, इसलिये हमारी जनता हाय मचा रही है. बुरहानपुर में हाहाकार हो रहा है, इसलिये मेहरबानी करके ज्यादा से ज्यादा ध्यान देकर इस कार्य को पूरा करें और कम से कम एडवांस एम्बुलेंस की व्यवस्था शीघ्र कर दें.
श्री तुलसीराम सिलावट -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपकी बात से सहमत हूं. मैं आपको बताना चाहता हूं कि हमें बुरहानपुर के साथ-साथ पूरे मध्यप्रदेश की चिंता है. मध्यप्रदेश में जहां भी डॉक्टरों की कमी होगी, वहां पर डॉक्टरों के पद अतिशीघ्र भरे जायेंगे. हमने डॉक्टर कैलाश खिसनार, नेत्र विशेषज्ञ बुरहानपुर, डॉक्टर मुमताज अंसारी, शल्य क्रिया विशेषज्ञों को शाहपुर में पदस्थ किया है और वह भी सम्माननीय सदस्य के अनुरोध पर पदस्थ किया है.
ठाकुर सुरेन्द्र नवल सिंह-- माफ करना मंत्री महोदय, इस जवाब से हमारे बुरहानपुर की चिकित्सा सुविधा का काम पूरा नहीं हो पायेगा, आपको पूरा ध्यान देना होगा, क्योंकि आप खुद भी बोल रहे हैं कि विशेषज्ञ के 14 पद खाली पड़े हुये हैं और बुरहानपुर से जो हमारी कमिश्नरी इंदौर डिवीजन है वह 180 किलोमीटर पड़ती है, कम से कम कोई अच्छी एम्बूलेंस की व्यवस्था हो जो कि हार्ट, लंग्स मशीन इक्यूप्ड, फुल इक्यूप्ड एम्बूलेंस होती है, एडवांस एम्बूलेंस की व्यवस्था तो करें तब तक.
श्री तुलसीराम सिलावट-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सम्मानीय सदस्य को यह आश्वस्त करना चाहता हूं कि जहां तक डॉक्टरों की भरती या पूर्ति की कमी है उसे अतिशीघ्र हम करने वाले हैं और दूसरी पीड़ा जो उन्होंने व्यक्त की है, आधुनिक सुविधाओं से लेस, आधुनिक लाइफ सपोर्ट ए.एल.एस. एम्बूलेंस की बात की है, साथ में संजीवनी 108 आपके जिले में अतिशीघ्र देने का प्रयास करूंगा.
ठाकुर सुरेन्द्र नवल सिंह-- अध्यक्ष महोदय, आपके संरक्षण में मंत्री महोदय से यही तो पूछना चाहता हूं कि शीघ्र की परिभाषा क्या है. मैं चाहता हूं कि माननीय मंत्री महोदय शीघ्र की परिभाषा करें.
अध्यक्ष महोदय-- शेरा जी की बात ठीक है, शेरा जी आपकी बात से मैं सहमत हूं, आप समय सीमा बांध रहे हैं और यह शीघ्र बोल रहे हैं, जरा इसमें अब संशोधन होना चाहिये क्योंकि समय रहते हुये शब्द सुनते-सुनते बहुत हो गया. समय-सीमा का मतलब समय, सीमा, टाइम.
ठाकुर सुरेन्द्र नवल सिंह-- अध्यक्ष महोदय, बुरहानपुर को आपका पूर्ण आशीष चाहिये.
श्री तुलसीराम सिलावट-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जब कोई भी निर्णय आसंदी से होता है तो मैं सम्माननीय सदस्य को आश्वस्त करता हूं कि इस आसंदी का स-शब्द पालन किया जायेगा.
ठाकुर सुरेन्द्र नवल सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे निवेदन करना चाह रहा हूं, आप मेरे इंचार्ज मिनिस्टर भी हैं, आप स्वास्थ्य मंत्री भी हैं.
अध्यक्ष महोदय-- अरे सुन तो लो, शेरा जी सुन तो लो, कभी कभी सुनना भी तो चाहिये.
श्री तुलसीराम सिलावट-- माननीय अध्यक्ष महोदय, इनकी भावनाओं के अनुरूप 30 दिन के अंदर काम पूरा कर दिया जायेगा.
अध्यक्ष महोदय-- ठीक है, शेरा जी, धन्यवाद शेरा जी विराजिये.
ठाकुर सुरेन्द्र नवल सिंह-- जी, धन्यवाद.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)-- माननीय अध्यक्ष जी, माननीय सदस्य की जो पीड़ा है और इनके क्षेत्र की जो समस्या है, मैं मानकर चलता हूं कि मध्यप्रदेश के सभी जो हमारे प्राइमरी हेल्थ सेंटर, कम्युनिटी हेल्थ सेंटर हैं.
अध्यक्ष महोदय-- यह बुरहानुपर तक है.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष जी, इससे एक प्रश्न उद्भूत होता है.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, प्रदेश स्तर पर नहीं.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, अधिकांश पद स्वीकृत हैं, लेकिन कहीं-कहीं तो शून्य प्रतिशत भरे गये, कहीं आपने बताया कि 70 प्रतिशत पद खाली हैं, मैं माननीय मंत्री महोदय से यह जानना चाहता हूं कि उन्होंने कहा है जल्दी से जल्दी तो आप क्या व्यवस्था करेंगे जिससे विशेषज्ञों की व्यवस्था हो जाये.
अध्यक्ष महोदय-- एम्बूलेंस तो इन्होंने दे दिया. 30 दिन में एम्बूलेंस का बोला दिया है, दे देंगे.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, एक स्थान के लिये तो हो सकता है. मेरा एक सुझाव है, माननीय मंत्री महोदय, आपके अधिकांश डॉक्टर भोपाल या इंदौर में पोस्टेड हैं या जबलपुर, ग्वालियर के अस्पतालों में होंगे, बाकी आपके जिला अस्पताल और छोटे जिलों के अस्पताल, कम्युनिटी हेल्थ सेंटर, प्रायमरी हेल्थ सेंटर खाली हैं. यहां पर बहुत बड़े-बड़े नर्सिंग होम हैं, बहुत बड़े सुपर स्पेस्लिटी हास्पिटल हैं, यहां पर मरीजों के लिये...
अध्यक्ष महोदय-- आप चाहते क्या है ?
श्री गोपाल भार्गव-- मैं चाहता हूं कि इन डॉक्टरों के लिये, विशेषज्ञों के लिये जो जिला अस्पताल हैं या जो कम्युनिटी हेल्थ सेंटर हैं या प्राइमरी हेल्थ सेंटर हैं, जहां प्रथम श्रेणी के या विशेषज्ञों के पद स्वीकृत हैं तो यहां से पूरे नहीं लेकिन 50 प्रतिशत पद यहां से हटाकर वहां कर दें, यहां पर तो सारी मेडीकल फेसलिटीज प्राइवेट सेक्टर में हैं, लेकिन जहां नहीं हैं वहां पर यदि यह व्यवस्था हो जायेगी तो बहुत कुछ संतुलन बन जायेगा. मेरा सुझाव है.
अध्यक्ष महोदय-- सुझाव अच्छा है.
श्री तुलसीराम सिलावट-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे सबसे वरिष्ठ सदस्य हैं, प्रतिपक्ष के नेता हैं, इनके सुझाव के अनुरूप हम पूरा काम करने का प्रयास करेंगे और मैं आपको यह आश्वस्त करता हूं कि जो 15 वर्षों से जिस दशा में, जिस दिशा में यह स्थिति मुझे मिली है, मेरे से बेहतर आप जानते हैं, इसका समाधान अतिशीघ्र किया जायेगा.
जिला चिकित्सालय मुरैना में सामग्री क्रय में अनियमितता
[लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण]
2. ( *क्र. 2161 ) श्री रघुराज सिंह कंषाना : क्या लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला चिकित्सालय मुरैना में विगत तीन वर्षों में मशीनरी, वाटर कूलर, आर.ओ. तथा कूलर पंखों की मरम्मत पर कितना व्यय किया गया है? (ख) कितने नवीन कूलर, पंखे, वाटर कूलर, आर.ओ. मशीनों को क्रय किया गया है? इन पर किस मद से कितनी राशि व्यय की गई है? (ग) क्या प्रतिवर्ष मरम्मत के नाम पर हजारों रूपये व्यय किया जाता है फिर भी वार्डों में मरीजों के लिये कोई सुविधा नहीं है? (घ) क्या अनियमितता पूर्वक किये गये व्यय की समिति बनाई जाकर जाँच कराई जाकर दोषियों से राशि की वसूली की जायेगी? यदि हाँ, तो कब तक?
लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (ग) जी नहीं। (घ) जी नहीं, उत्तरांश (क) एवं (ख) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री रघुराज सिंह कंषाना - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न स्वास्थ्य मंत्री जी से यह है कि मुरैना जिला चिकित्सालय में विगत तीन वर्षों में मशीनरी, वाटर कूलर, आर.ओ. तथा कूलर पंपों की मरम्मत पर कितना पैसा व्यय किया गया ?
अध्यक्ष महोदय - विधायक जी, एक मिनट रुक जाईये मंत्री जी. विधायक जी, जो आपने लिखकर प्रश्न पूछा है वह आप पढ़ रहे हैं अच्छी बात यह होती है कि इससे कौन सा प्रश्न उद्भूत हो रहा है वह प्रश्न करिये आप. आप नये हैं मैं आपको पूरा मौका दूंगा. आप प्रश्न करिये.
श्री रघुराज सिंह कंषाना - अध्यक्ष महोदय, उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया है. मैं जवाब से संतुष्ट नहीं हूं. इसमें जो जवाब दिया है आपने.
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी, संतुष्ट करिये विधायक जी को.
श्री तुलसीराम सिलावट - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं विधायक जी को संतुष्ट करना चाहता हूं कि विगत वर्षों में मशीनरी, वाटर कूलर, पंखे एवं आर.ओ. की मशीन के क्रय-विक्रय में मरम्मत की जो बात आप मेरी जानकारी में लाये हैं. इससे प्रथम दृष्टया अनियमितताएं प्रतीत होने से हम क्षेत्रीय संचालक से प्रकरण की गहन जांच कराएंगे तथा आगामी 15 दिन में गुणदोष के आधार पर दोषियों पर कार्यवाही की जायेगी.
श्री रघुराज सिंह कंषाना - अध्यक्ष महोदय, मेरा दूसरा प्रश्न है
श्री तुलसीराम सिलावट - जो आप उत्तर चाहते थे वह मैं आपको दे चुका हूं. गुणदोष के आधार पर किसी भी दोषियों को माफ नहीं किया जायेगा.
श्री रघुराज सिंह कंषाना - क्षेत्रीय संचालक और प्रदेश से भेजी गई जो टीम जाती है वह वहां के स्थानीय कर्मचारियों के साथ मिलकर काम करती है तो इसमें जनप्रतिनिधियों को सम्मिलित करके इसकी जांच कराई जाये.
श्री तुलसीराम सिलावट - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सम्मानित सदस्य की भावना से सहमत हूं. उस जांच में मैं आपको भी सम्मिलित करूंगा.
अवैधानिक कार्यों की शिकायत पर कार्यवाही
[सामान्य प्रशासन]
3. ( *क्र. 1382 ) श्री मनोहर ऊंटवाल : क्या सामान्य प्रशासन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रश्नकर्ता द्वारा नगर परिषद कानड़ जिला आगर मालवा में अध्यक्ष एवं मुख्य नगर पालिका अधिकारी नगर परिषद कानड़ के द्वारा किये गये भ्रष्टाचार एवं अवैधानिक कार्यों की शिकायत मय साक्ष्य एवं बिन्दुवार दिनांक 07.05.2019 को माननीय पुलिस महानिदेशक आर्थिक अपराध एवं अन्वेषण ब्यूरो भोपाल को की गई है? क्या उसमें प्रकरण पंजीबद्ध किया गया है? (ख) यदि प्रकरण पंजीबद्ध किया गया है तो क्या कार्यवाही की जा रही है और यदि नहीं, किया गया है तो क्यों नहीं किया गया है?
सामान्य प्रशासन मंत्री ( डॉ. गोविन्द सिंह ) : (क) जी हाँ। प्रश्न में उल्लेखित शिकायत आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ मुख्यालय भोपाल में दिनांक 13.05.2019 को प्राप्त हुई है, जिसे आवक क्रमांक आर 01- एम/19 पर दर्ज कर पत्र दिनांक 10.06.2019 द्वारा नगरीय विकास एवं आवास विभाग को तथ्यात्मक प्रतिवेदन हेतु भेजा गया है। शिकायत में वर्णित आक्षेपों का सत्यापन किया जा रहा है। प्रकरण पंजीबद्ध नहीं किया गया है। (ख) आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ को विभाग द्वारा तथ्यात्मक प्रतिवेदन प्राप्त होने के पश्चात परीक्षणोंपरांत तथ्यों के आधार पर विधि सम्मत कार्यवाही की जावेगी।
श्री मनोहर ऊंटवाल - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से यह जानना चाहता हूं कि जो शिकायतें हुई हैं उसमें आपने हां कहा है और आपने प्रतिवेदन भी नगरीय प्रशासन को भेजा है तथ्यात्मक जानकारी के लिये, मेरा भी वही प्रश्न है कि इसका जो प्रतिवेदन है आप उसका उत्तर आप कितने समय में प्राप्त करेंगे ?
डॉ.गोविन्द सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपकी शिकायत मिली है 13.5.2019 को, आवक क्रमांक पर दि.10.6.2019 बताया गया है. आपकी शिकायत बहुत लंबी-चौड़ी है और शिकायत आपके कद के हिसाब से उचित नहीं है. पहले आपको देना था नगरीय प्रशासन विभाग में, ताकि कोई गड़बड़ी, अनियमितता हुई है तो वह जांच करती. आर्थिक अपराध ब्यूरो जब जांच करेगा जब प्रकरण पंजीबद्ध हो जाये. जब मामला सिद्ध हो जाये. आप मंत्री रहे, सांसद रहे हैं, तो आप विश्वास रखें अगर जांच के बाद चूंकि पूरा रिकार्ड आर्थिक अपराध ब्यूरो पर है नहीं तो पूरी जानकारी, क्या रिकार्ड है, क्या-क्या कार्यवाही हुई, इसके बारे में उनको पत्र लिखा गया है. जांच का उत्तर नहीं आया तो अतिशीघ्र उसका रिमाइंडर करेंगे और फिर जो वैधानिक कार्यवाही हो सकेगी रिकार्ड लेने की वह करेंगे क्योंकि प्रकरण पंजीबद्ध हो जाये तो जब्त भी कर सकते हैं. अब तथ्य कुछ हों आपने लिखा है कि अपने भाई को ठेका दे दिया. प्रमाण दे दो, गड़बड़ी हुई है तो जो तथ्य आपके ध्यान में आये हों या सी.टी.से जांच की है, किसी ऐजेंसी द्वारा जांच में पाया गया कि गुणवत्ता में कमी पाई गई. आपका मौखिक कहना है तो मौखिक आधार पर आपने इतनी लंबी-चौड़ी शिकायत कर दी. आप थोड़ा देख लेते. इसमें हमारी तरफ से कोई कार्यवाही रुकेगी नहीं अगर तथ्य मालुम हुए, अपराध मालुम हुआ तो अपराध पंजीबद्ध भी होगा और कार्यवाही भी होगी. हमें जो पढ़ने से मालूम पड़ा है कि आपकी शिकायत पर पहले जांच नगरीय प्रशासन विभाग को करनी चाहिये. तो हमारा आपसे अनुरोध है कि आप पहले माननीय मंत्री जी को चिट्ठी लिख दें और हम भी लिख देंगे, उनको व्यक्तिगत चिट्ठी लिख देंगे कि इसमें जांच करके थोड़ी जल्दी करें.
श्री मनोहर ऊंटवाल - अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी की गंभीरता इसमें काफी नजर आती है परन्तु मैं उनके संज्ञान में लाना चाहता हूं कि यह मैंने पगरीय प्रशासन में भी प्रश्न लगाया था परन्तु वह अतारांकित हो गया है. ऐसा नहीं है कि मैंने वहां प्रश्न नहीं लगाया था और दूसरा, अगर शिकायत हुई है तो उसके प्रमाण दिये हैं इसी के आधार पर तो उनको जांच के लिए नगरीय प्रशासन को भेजा है. मेरा तो छोटा-सा निवेदन है कि अगर आपको प्रश्न इतना बड़ा लगता है तो टाइम उतना बड़ा कर दें मुझे कोई तकलीफ नहीं है. चूंकि अध्यक्ष महोदय, मैं दूसरा प्रश्न भी पूछ लूं आपसे कि जांच आप किस स्तर के अधिकारी से करा रहे हैं? अगर आपने वहां भेजा है तो उनसे यह भी पूछ लें कि वह किस स्तर के अधिकारी से जांच कराएंगे और अगर संभव हो तो, जांच मैं क्या आप मुझे सम्मिलित कर लेंगे? मैं आपकी जांच में विश्वास करता हूं, मुझे विश्वास है. बस, आपसे मेरा यह सीधा-सा प्रश्न है?
डॉ. गोविन्द सिंह - अध्यक्ष महोदय, सवाल इस बात का है कि पहले प्रकरण बनता है कि नहीं बनता है? यह प्रकरण बनेगा तो फिर आपकी बात को हम वजनदारी से गंभीरता से लेंगे और कोई भ्रष्टाचार या व्यक्ति की मैं मदद नहीं करूंगा, यह मैं वचन देता हूं. लेकिन सवाल इस बात का है कि पहले यह नगरीय प्रशासन विभाग इसकी जांच करें. इसमें ऐसे कोई हमारे पास में पाइंटेड बात दे देते कि इसमें इतना घोटाला हुआ है, यह प्रमाण है तो केस भी रजिस्टर्ड हो जाता. अभी केवल आपका पत्र मिला है, उसको भेजा है हम कल ही दोबारा रिमाइंडर लिख देंगे, मैं लिखवा दूंगा और अगर ऐसा आ गया कहीं कि केस बनता है तो केस भी बनेगा, कार्यवाही भी होगी और आपको भी अवगत कराएंगे.
श्री मनोहर ऊंटवाल - अध्यक्ष महोदय, ठीक है. मैं माननीय मंत्री के जवाब से संतुष्ट हूं.
कन्नौद/खातेगांव में चिकित्सकों के रिक्त पदों की पूर्ति
[लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण]
4. ( *क्र. 2238 ) श्री आशीष गोविंद शर्मा : क्या लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र खातेगांव में डॉक्टरों के कितने पद स्वीकृत हैं एवं वर्तमान में वहां कितने चिकित्सक कार्यरत हैं? क्या PHC कन्नौद में वर्तमान में कोई महिला चिकित्सक पदस्थ है? यदि हाँ, तो नाम बताएं। (ख) खातेगांव नगर की लगभग 30000 आबादी एवं आस-पास के लगभग 100 गावों की जनता के ईलाज के लिये क्या मात्र 2 डॉक्टर अस्पताल में वर्तमान में पदस्थ हैं? (ग) क्या मात्र 2 डॉक्टरों के कारण BMO एवं OPD का कार्य खातेगांव में लगातार प्रभावित हो रहा है? क्या दुर्घटनाग्रस्त मरीजों को समय पर ईलाज नहीं मिल पा रहा है? यदि हाँ, तो क्या इस अव्यवस्था की जानकारी विभाग के आला अधिकारियों को है? (घ) यदि हाँ, तो खातेगांव में अन्य चिकित्सकों की पोस्टिंग एवं कन्नौद में महिला चिकित्सक की नियुक्ति कब तक संभव हो सकेगी?
लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) विशेषज्ञों के 03 तथा चिकित्सा अधिकारी के 02 पद स्वीकृत हैं, 02 नियमित चिकित्सा अधिकारी पदस्थ होकर कार्यरत हैं। जी नहीं। (ख) जी हाँ। पदस्थ चिकित्सक एवं पदस्थ सहायक स्टॉफ द्वारा आमजन को स्वास्थ्य सेवायें प्रदान की जा रहीं हैं। (ग) जी नहीं, खातेगांव में पदस्थ 02 चिकित्सकों एवं पदस्थ स्टॉफ के माध्यम से आमजन को स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। (घ) रिक्त पदों की पूर्ति की कार्यवाही निरंतर जारी है। शीघ्र ही बंधपत्र के अनुक्रम में पी.जी. डिग्री/डिप्लोमाधारी बंधपत्र चिकित्सकों की काउंसलिंग प्रक्रिया आयोजित की जा रही है जिसमें विशेषज्ञ संवर्ग की रिक्ति प्रदर्शित की जावेगी, चिकित्सक द्वारा चयन किए जाने पर पदस्थापना आदेश जारी किए जावेंगे। निश्चित समयावधि बताई जाना संभव नहीं है।
श्री आशीष गोविन्द शर्मा - अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न के उत्तर में माननीय स्वास्थ्य मंत्री जी का जो रिप्लाई आया है उसमें मैं पूछना चाहता हूं कि मेरे विधानसभा क्षेत्र में दो ब्लॉक हैं कन्नौद और खातेगांव. नेमावर पर्यटन की दृष्टि से मां नर्मदा का नाभी स्थल होने के कारण प्रतिदिन हजारों की संख्या में वहां श्रद्धालु भी आते हैं. जैन आचार्य परमपूज्य विद्यासागर जी का भी चातुर्मास इस समय वहां पर चल रहा है.
अध्यक्ष महोदय - आप प्रश्न करिए.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा - अध्यक्ष महोदय, मेरा कहना है कि पीएचसी में वहां पर डॉक्टर की व्यवस्था नहीं है, एक जो डॉक्टर था उसको अन्यत्र पदस्थ कर दिया गया है. साथ ही साथ कन्नौद का जो शासकीय चिकित्सालय है वहां पर महिला चिकित्सक नहीं होने से जिन महिलाओं की डिलीवरी होना है उनको इंदौर रेफर किया जा रहा है. वहां पर उनकी प्रसूती नहीं हो पा रही है. इस कारण बड़ी दिक्कत है. खाते गांव जो कि नेशनल हाईवे पर स्थित है वहां पर दो डॉक्टर हैं..
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी..
श्री तुलसीराम सिलावट - अध्यक्ष महोदय, डॉक्टर की कमी की बात सम्मानीय सदस्य ने कही है. खातेगांव में वर्तमान में हमने आपके अनुरोध पर ही चिकित्सक डॉ. अरविन्द परमार, शिशु रोग विशेषज्ञ तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में बंध पत्र महिला चिकित्सक डॉ. सना अली को पदस्थ किया है.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा - अध्यक्ष महोदय,क्या ये लोग वहां पर ज्वाइन हो गये हैं कि अभी आदेश हुए हैं?
श्री तुलसीराम सिलावट - अध्यक्ष महोदय, हम और आप जब तक पहुंचेंगे, ज्वाइन हो जाएंगे.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा - माननीय मंत्री महोदय, धन्यवाद.
सीधी भर्ती में प्रतिभागियों की आयु सीमा में परिवर्तन
[सामान्य प्रशासन]
5. ( *क्र. 1905 ) श्री प्रणय प्रभात पाण्डेय : क्या सामान्य प्रशासन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रदेश सरकार द्वारा राज्य शासन की सेवाओं में सीधी भर्ती से भरे जाने वाले पदों पर नियुक्ति के लिये पूर्व में निर्धारित अधिकतम आयु सीमा में हाल ही में परिवर्तन किया है? (ख) प्रश्नांश (क) यदि हाँ, तो यह परिवर्तन क्यों किया गया? इस परिवर्तन उपरांत अब प्रतियोगियों की अधिकतम आयु कितनी होगी एवं परिवर्तन के पूर्व प्रदेश के बाहर के एवं प्रदेश में निवासरत प्रतियोगियों की आयु कितनी थी? क्या प्रदेश सरकार द्वारा प्रश्नांश (क) में उल्लेखित परिवर्तन के पूर्व प्रदेश के पड़ोसी राज्यों छत्तीसगढ़, राजस्थान एवं उत्तर प्रदेश में भर्ती हेतु लागू आयु सीमा फार्मूले का अध्ययन किया गया था? (ग) क्या प्रश्नांश (ख) में उल्लेखित प्रदेश के युवाओं को भर्ती हेतु आयु में किये गये इस परिवर्तन का प्रदेश के युवाओं पर पड़ने वाले दुष्परिणाम का अध्ययन प्रदेश सरकार द्वारा नहीं किया गया था? क्या सरकार के संज्ञान में यह है कि सीधी भर्ती में आयु संबंधी इस परिवर्तन के लागू होने से प्रदेश के लगभग 4.50 लाख प्रतियोगी भर्ती परीक्षा में भाग लेने से वंचित हो जावेंगे? (घ) क्या शासन प्रश्नांश (ग) में उल्लेखित प्रदेश के युवाओं के साथ होने जा रहे इस अन्याय को रोकने हेतु प्रदेश के सीमावर्ती राज्यों छत्तीसगढ़, राजस्थान, उत्तर प्रदेश की तरह म.प्र. में लागू कर भर्ती कानूनों का अध्ययन कर इस निर्धारित अधिकतम आयु सीमा बंधन में परिवर्तन करेगा, जिससे प्रदेश के लगभग 4.50 लाख युवा इससे वंचित न हो पायें? यदि हाँ, तो किस प्रकार से कब तक यदि नहीं, तो क्यों नहीं?
सामान्य प्रशासन मंत्री ( डॉ. गोविन्द सिंह ) : (क) जी हाँ। (ख) मान. उच्च न्यायालय, जबलपुर द्वारा दिनांक 7.3.2018 को पारित आदेश के अनुपालन में आयु सीमा के संशोधित निर्देश दिनांक 4 जुलाई, 2019 द्वारा जारी कर दिए गए हैं जिसके अनुसार खुली प्रतियोगिता से भरे जाने वाले पदों के लिए अधिकतम आयु सीमा 40 वर्ष तथा अ.जा./अ.ज.जा./अ.पि.व./शासकीय/निगम/मण्डल/ स्वशासी संस्था के कर्मचारियों/नगर सैनिक/नि:शक्तजन/महिलाओं (अनारक्षित/आरक्षित) आदि के लिए 45 वर्ष निर्धारित की गई है। परिवर्तन के पूर्व प्रदेश के बाहर के प्रतियोगियों के लिए 28 वर्ष एवं प्रदेश के मूल निवासियों के लिए लिए 40 वर्ष थी। छत्तीसगढ़ एवं गुजरात से प्राप्त जानकारी का अध्ययन किया गया। (ग) एवं (घ) प्रश्नांश (ख) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री प्रणय प्रभात पाण्डेय - अध्यक्ष महोदय, यह प्रश्न तब उद्भूत हुआ था जब प्रदेश की कैबिनेट में हाईकोर्ट के आदेश के परिपालन में मध्यप्रदेश के बाहर के लोगों की आयु 28 से बढ़कर 35 वर्ष और प्रदेश के मूल निवासी अभ्यार्थियों की आयु..
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न करें. यह इतिहास में मत पढ़ो.
श्री प्रणय प्रभात पाण्डेय - उसी में जवाब भी है.
अध्यक्ष महोदय - आपने प्रश्न कर लिये हैं उनसे कौन-सा प्रश्न उद्भूत हो रहा है वह करो.
राजस्व मंत्री (श्री गोविन्द सिंह राजपूत) - अध्यक्ष महोदय, आप इतिहास रच रहे हैं रविवार को विधानसभा शायद ही कभी हुई हो. अध्यक्ष महोदय, आप धन्य हैं! (मेजों की थपथपाहट)..
श्री प्रणय प्रभात पाण्डेय - अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी का धन्यवाद करना था इसलिए उसको मैं पढ़ रहा था चूंकि उन्होंने अपने इस निर्णय पर पुनर्विचार किया और वापस से उम्र उन्होंने घटाई, मध्यप्रदेश के युवाओं की उम्र बढ़ाई, उसके लिए उनका धन्यवाद करना था. इसके लिए मैं ऐसा बोलना चाह रहा था. माननीय मंत्री जी को धन्यवाद करता हूं और सरकार का भी धन्यवाद करता हूं. मेरा पहला प्रश्न इन पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़, गुजरात, उत्तरप्रदेश बाहरी एवं मूल निवासियों की भर्ती में कितनी- कितनी आयु सीमा तय है?
डॉ गोविन्द सिंह -- मध्यप्रदेश का आपने प्रश्न किया है. छत्तीसगढ़ और गुजरात के बारे में जवाब देने की जवाबदारी हमारी नहीं है कि हम जवाब दें.
श्री प्रणय प्रभाद पाण्डेय -- आपने उत्तर में लिखा है कि आपने गुजरात और छत्तीसगढ़ का अध्ययन किया है.
डॉ गोविन्द सिंह -- वह बात अलग है, सवाल इस बात का है कि अपने यहां से ज्यादा कहीं पर नहीं है, छत्तीसगढ़ में भी 40 ही है, लेकिन वहां पर उन्होंने एक कारण डाल दिया है कि अपनी भाषा का, एक भाषा को अनिवार्य किया है, गुजरात में गुजराती और छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ी को अनिवार्य किया है तो बाहर के जो लोग आते हैं वह छत्तीसगढ़ी न पढ़ पाते हैं और न लिख पाते हैं, इसलिए वहां पर बाहर के लोगों को इतनी सफलता नहीं मिल पाती है. लेकिन हमने उससे भी एक बड़ा प्रावधान उसमें कर दिया है. मध्यप्रेदश की सरकार की इच्छा है, मंशा है कि मध्यप्रदेश के युवाओं को ज्यादा से ज्यादा रोजगार मिले. इसी कारण हमने प्रदेश के बाहर के लोगों की उम्र 21 से 28 की थी लेकिन जब उच्च न्यायालय ने इस बात का आदेश दिया कि भेदभाव नहीं कर सकते हैं, संविधान के अनुच्छेद के अनुसार तो उसमें दुबारा संशोधन करना पड़ा है, लेकिन जब फिर से मांग आयी है तो फिर 35 न करके सीधा 40 जो कि पूर्व में थी वह कर दी गई है. अब हमने इसमें एक व्यवस्था और की है ताकि बाहर के लोग यहां ना आ पायें. मध्यप्रदेश के निवासी के लिए रोजगार कार्यालय में पंजीयन कराना अनिवार्य है और यह पंजीयन मध्यप्रदेश के बाहर के लोगों के लिए एलाऊ नहीं है. अब ऐसा नियम नहीं है कि प्रदेश के बाहर के युवा प्रदेश के रोजगार कार्यालय में अपना नाम दर्ज करा सकें. इसलिए यह प्रतिबंध छत्तीसगढ़ और गुजरात से ज्यादा लागू हो गया है. वहां पर तो कोई छत्तीसगढ़ी पढ़कर बोल भी लेगा लेकिन यहां पर तो कोई नहीं आ पायेगा, इसलिए उससे भी कड़ा प्रतिबंध लगाया है. लेकिन इस बात में भी सच्चाई है कि उत्तर प्रदेश में कोई ऐसा आदेश सर्वोच्च न्यायालय का नहीं है तो वहां पर चल रहा है बाहर के लोगों को प्रतिबंधित है, यहां पर न्यायालय में चले गये थे इसलिए संशोधन करना पड़ा है. लेकिन उसके बाद में भी दूसरा संशोधन कर दिया है.
अध्यक्ष महोदय वैसे भी हमारे मुख्यमंत्री कमलनाथ जी की चिंता है उन्होंने कहा है कि निजी क्षेत्र में भी जो उद्योग लगेंगे उनमें भी 70 प्रतिशत आरक्षण मध्यप्रदेश के निवासियों के लिए अनिवार्य करेंगे. प्रदेश के प्रति आपकी और हमारी चिंता बराबर है. हमारा और आपका दायित्व है कि प्रदेश के विकास में और युवाओं के रोजगार के लिए हम सब मिलकर काम करें.
नेता प्रतिपक्ष( श्री गोपाल भार्गव )-- अध्यक्ष महोदय जहां तक मुझे जानारी है कि न्यायालय का आदेश केवल उच्च शिक्षा विभाग के परिदृश्य में था. लेकिन इसको समुचे विभागों में एक साथ लागू कर दिया गयाहै. मैं यह जानना चाहता हूं कि एक तो क्या इसकी फिर से समीक्षा हो सकती है. यदि क्षेत्रीय भाषाओं का प्रश्न है तो हमारी भी बुंदेलखंडी में भी करने लगें, जैसा दूसरे राज्यो ने क्या अपन यहां पर अनुसरण करें क्या दिक्कत है.
डॉ गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष महोदय हमारा कहना है कि बुंदेलखंडी और बघेलखंडी में ज्यादा अंतर नहीं है. हमारा ग्वालियर सब डिवीजन बुंदेलखंड में नहीं आता है. हमारा क्षेत्र आधा उसमें आता है लेकिन बुंदेलखंडी और ग्वालियर डिवीजन की भाषा में कोई बहुत ज्यादा अंतर नहीं है. आप चाहेंगे तो हम आपको उसकी प्रति दे देंगे आप उसको पढ़ लेना और हमारे विद्वान डॉक्टर साहब बैठे हैं, वह भी पढ़ लें अगर उसमें कोई रास्ता निकालते हैं, वैसे हमने इसके लिए विधि विभाग से राय ली गई, सभी ने कहा कि उच्च न्यायालय का आदेश है यह सभी पर लागू होगा. अगर कोई रास्ता निकलता है तो हम और आप देख लें हम एकदम तैयार हैं, आप बतायें हम अतिशीघ्र एक सप्ताह के अंदर संशोधन कर देंगे.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय उसके लिए रास्ता निकाल लेंगे. कर्नाटक में देखें आप उच्चतम न्यायालय का जो आदेश है और गवर्नर का जो आदेश है उसमें स्पीकर ने रास्ता निकाल लिया है, तो स्पीकर साहब आप रास्ता निकाल लें.
श्री प्रणय प्रभात पाण्डेय -- माननीय स्पीकर साहब और मंत्री जी का धन्यवाद्.
हटा नगर में संचालित चिकित्सालयों में पदपूर्ति
[लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण]
6. ( *क्र. 172 ) श्री पुरुषोत्तम लाल तंतुवाय : क्या लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला दमोह के हटा नगर में स्वास्थ्य केन्द्र हटा को सिविल अस्पताल का दर्जा कब मिला था? आदेश की छायाप्रति व साथ ही पद संरचना की रिक्त व भरे पद संबंधी जानकारी उपलब्ध करायें। (ख) जनता व जनप्रतिनिधियों की विशेष मांग के आधार पर महिला व शिशु रोग विशेषज्ञ की पदस्थापना कब तक की जावेगी तथा सिविल अस्पताल भवन निर्माण व सिविल अस्पताल की समस्त सुविधायें कब तक हटा नगर व क्षेत्रीय जनता को प्राप्त हो सकेंगी?
लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) सामुदायिक स्वास्थ्य हटा का 60 बिस्तरीय सिविल अस्पताल हटा में उन्नयन आदेश क्रमांक एफ 1-15/07/सत्रह/मेडि-3 दिनांक 9.9.2008 के द्वारा किया गया तत्पश्चात विशेषज्ञों/चिकित्सकों के पदों के iquvkZoaVu आदेश दिनांक 8 अप्रैल, 2011 द्वारा स्वीकृति संशोधित की गई है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है एवं वर्तमान में पद स्वीकृति व भरे पदों संबंधी जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (ख) रिक्त पदों की पूर्ति हेतु विभाग निरंतर प्रयासरत है, परंतु प्रदेश में विशेषज्ञों की अत्यधिक कमी होने से विशेषज्ञ संवर्ग के रिक्त पदों की पूर्ति में कठिनाई हो रही है। शीघ्र ही स्नातकोत्तर पी.जी. डिग्री/डिप्लोमा चिकित्सकों की पदस्थापना हेतु काउंसलिंग का आयोजन किया जावेगा एवं सिविल अस्पताल हटा में पद रिक्तता प्रदर्शित की जावेगी। हाल ही में एक स्नातक बंधपत्र चिकित्सक डॉ. खुशबू जैन, की पदस्थापना आदेश दिनांक 22.6.2019 के द्वारा की गई है। भवन निर्माण के संदर्भ में दिनांक 16.4.2018 द्वारा प्रशासकीय स्वीकृति जारी की जा चुकी है एवं भवन निर्माण हेतु परियोजना संचालक, पी.आई.यू. लोक निर्माण विभाग के माध्यम से कार्यवाही प्रक्रियाधीन है, मापदण्ड अनुसार समस्त सुविधाएं प्रदान किए जाने संबंधी कार्यवाही निरंतर जारी है। निश्चित समयावधि बताई जाना संभव नहीं है।
श्री पुरुषोत्तम लाल तंतुवाय -- धन्यवाद, अध्यक्ष महोदय, हम आपका संक्षण चाहते हुए यह कहना चाहते हैं कि मंत्री जी का जो जवाब आया है, उसके संबंध में थोड़ी जानकारी चाहते हैं. हमारा प्रश्न सिविल अस्पताल में स्टाफ की कमी से संबंधित था. तो उन्होंने उत्तर में बताया है कि 51 पद स्वीकृत हैं, जिसमें से 14 पद भरे हैं. तो हमारी मांग है कि कम से क्षेत्र की जनता को देखते हुए तत्काल वहां स्त्री रोग विशेषज्ञ और शिशु रोग विशेषज्ञ की स्थापना की जाए एवं एक्सरे मशीन चालू की जाये तथा जो भवन की प्रशानिक स्वीकृति मिल गई है, उसका निर्माण कार्य शीघ्र चालू किया जाए.
श्री तुलसीराम सिलावट -- अध्यक्ष महोदय, सम्मानीय सदस्य ने जो प्रश्न किया है, वाकेही में मैं इनकी गंभीरता को मानता हूं कि सिविल अस्पताल हटा में एक स्नातक बंधपत्र चिकित्सक डॉ. खुशबू जैन तथा डॉ. हरिराम तिवारी पीजीओ को शिशु रोग विशेषज्ञ की स्थापना की गई है. इन्होंने कहा है कि जो भवन स्वीकृत किया गया है, वर्तमान में हटा में सिविल अस्पताल का निर्माण कार्य 4 करोड़ 84 लाख रुपये की लागत से बनायें, जिसकी निविदा दिनांक 15.7.2019 को दैनिक समाचार में प्रकाशित कर दी गई है.
श्री पुरुषोत्तम लाल तंतुवाय -- अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद. लेकिन हम आपके माध्यम से यह कहना चाहते हैं इतने बड़े क्षेत्र में एक्सरे करने के लिये जनता को दमोह तक जाना पड़ता है, जो लगभग हमारे यहां से 40 किलोमीटर दूर है. मशीन हमारे यहां है, तो हमारी अपेक्षा है कि कम से कम वह शीघ्र चालू करवाई जाये.
श्री तुलसीराम सिलावट -- अध्यक्ष महोदय, मैं सम्मानीय सदस्य की भावनाओं से सहमत हूं कि अतिशीघ्र मशीन प्रारंभ की जायेगी
श्री पुरुषोत्तम लाल तंतुवाय -- मंत्री जी, धन्यवाद.
श्री शैलेन्द्र जैन -- अध्यक्ष महोदय, आउट सोर्स की व्यवस्था है. अगर आउट सोर्स हो जायेगा, तो सुविधा हो जायेगी. एक महत्वपूर्ण विषय और है कि जो रिटायर्ड शिक्षक हैं, वे अपनी सेवाएं देने के लिये तैयार हैं, अगर शासन स्तर पर कोई लुकरेटिव्ह रेम्युनरेशन का कोई पैकेज बनता है, तो यह जो डॉक्टरों की समस्या है, काफी हद तक पूरे प्रदेश में समाप्त हो जायेगी. इस दिशा में अगर सरकार चिंतन और मनन करेगी, तो उसका एक अच्छा परिणाम निकल आयेगा.
श्री तुलसीराम सिलावट -- अध्यक्ष महोदय, इस पर विचार कर लिया जायेगा.
श्री शैलेन्द्र जैन -- बहुत बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय -- शैलेन्द्र जी, आपका सुझाव अच्छा है. प्रश्न संख्या 7. सम्मान सहित डॉ. सीतासरन शर्मा.
कर्मचारियों की पदोन्नति
[सामान्य प्रशासन]
7. ( *क्र. 12 ) डॉ. सीतासरन शर्मा : क्या सामान्य प्रशासन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रदेश सरकार के कर्मचारियों की पदोन्नति पर रोक लगायी गयी है? यदि हाँ, तो उक्त आदेश की प्रति उपलब्ध करावें। (ख) क्या यह रोक सिर्फ आरक्षित श्रेणी के पदों पर पदोन्नति पर ही लगायी गयी है? (ग) क्या शासन तृतीय/चतुर्थ कर्मचारियों के ऐसे पद जिन्हें सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों की पदोन्नति से ही भरे जाना है एवं जहां सिर्फ सामान्य श्रेणी के ही उम्मीदवार हैं, की पदोन्नति के संबंध में आदेश जारी करेगा? यदि नहीं, तो क्यों? यदि हाँ, तो कब तक?
सामान्य प्रशासन मंत्री ( डॉ. गोविन्द सिंह ) : (क) जी नहीं तथापि मान. उच्च न्यायालय म.प्र. जबलपुर द्वारा दिनांक 30.4.2016 को पारित आदेश अनुसार म.प्र. लोक सेवा (पदोन्नति) नियम, 2002 के कतिपय प्रावधानों को अवैधानिक घोषित किए जाने के विरूद्ध राज्य शासन द्वारा मान. सर्वोच्च न्यायालय में एस.एल.पी. दायर किए जाने पर दिनांक 12.5.2016 द्वारा मान. सर्वोच्च न्यायालय से यथास्थिति के आदेश दिए जाने के कारण पदोन्नति की प्रक्रिया बाधित है। (ख) एवं (ग) उत्तरांश (क) अनुसार। शेषांश प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
डॉ. सीतासरन शर्मा -- धन्यवाद अध्यक्ष जी. मंत्री जी, यह कृपया मेरे प्रश्नांश (ग) पर अपना ध्यान दें. यह जो प्रश्नांश (ग) में मैंने पूछा है कि सुप्रीम कोर्ट की पिटीशन में यह मेटर ही नहीं है. यह रिट में मेटर ही नहीं है. मेटर है, प्रमोशन में आरक्षण का. सामान्य से सामान्य का तो है नहीं. तो सुप्रीम कोर्ट का इसमें स्टे कैसे है.
डॉ. गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष महोदय, इस बात की चिंता आपकी और मेरी भी है. मैंने इस बारे में चर्चा भी की है अधिकारियों से. उन्होंने कहा कि यह सर्वोच्च न्यायालय का आदेश सभी के लिये लागू है और इसके लिये हम आपसे करीब एक-डेढ़ महीने पहले से ही लगातार प्रयास कर रहे हैं. हमने निर्देश भी दिये हैं कि इतने लम्बे 4 साल हो गये हैं, पूरे विभाग, अकेला एक नहीं पूरे मध्यप्रदेश के सभी विभाग इससे त्रस्त हैं. न प्रमोशन हो पा रहे हैं, पद खाली पड़े हैं, प्रदेश का विकास रुक रहा है. इसलिये पुनः आप जाकर दिल्ली के उच्चतम न्यायालय में जो उत्कृष्ट एवं सीनियर एडवोकेट हैं, उनसे राय लें तथा अतिशीघ्र सुनवाई के लिये कोर्ट में निवेदन करें और जल्दी से जल्दी आदेश हो, अगर नहीं हो ते टेम्परेरी जैसे कर्नाटक ने किया है और कहीं किया है कि जब तक आदेश होता है, न्यायालय का जो निर्ण्य आयेगा, हम मानेंगे, तब तक के लिये हम कर रहे हैं. तो यह भी हमने कहा है, तो जाकर पहले इसमें एक बार प्रयास कर लेने दें. अगर सफलता नहीं मिलेगी, और अभी इसमें हमने, जो आप बात बता रहे हैं, हमने इसके संबंध में विधि विशेषज्ञों से राय ली है, उनका कहना है कि नहीं वह सभी पर लागू है. यह सवाल मैंने भी उठाया था और मैं भी चाहता हूं कि बहुत पद खाली पड़े हैं, अपने यहां के नौजवान बेकार घूम रहे हैं, पढ़े लिखे, इसमें हम पूरे चिंतित हैं. हम और आप बैठेंगे, अगर कोई रास्ता निकल सकता है, आप बताओ, आपकी आज्ञा का पालन होगा.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- धन्यवाद, आपने सभी बातों का उत्तर दे दिया, पर अध्यक्ष जी, एक विषय रह गया.
अध्यक्ष महोदय -- जी बताएं.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- अध्यक्ष जी, बात क्लास-वन के अधिकारियों की प्रमोशंस की है. अब प्रश्न यह है कि क्या क्लास-वन के प्रमोशन में आरक्षण है कि नहीं ? और यह स्टे क्या क्लास-थ्री और क्लास-फोर के लिए ही है ? यह स्टे की कॉपी है - Until further orders, Status Quo, obtaining as on today, shall be maintained. पहली बात, यदि हम क्लास-वन के प्रमोशंस कर सकते हैं तो नीचे के भी कर सकते हैं. दूसरी बात, मंत्री जी ने बहुत सद्इच्छा से उत्तर दिया, इसलिए मैं ज्यादा इस पर प्रश्न नहीं करूंगा. किंतु बात यह है कि एडवोकेट से आप यह भी राय ले लें कि Status Quo की व्याख्या क्या है ? Status Quo as on today यदि इसकी व्याख्या ठीक हो जाएगी तो हम प्रमोशंस कर सकते हैं. Conditional Promotions की आपने खुद ने बात की है तो Conditional Promotions के लिए परमिशन की कोई जरूरत नहीं है, Subject to the decision of the Court हम Conditional Promotions कर सकते हैं तो मेरा आपसे अनुरोध है कि इस पर भी विचार कर लें क्योंकि बहुत से लोग रिटायर हो रहे हैं. बहुत से नीचे के पद खाली हो रहे हैं तो कम से कम एक जो अनरेस्ट है, अच्छा पिटिशनर के खिलाफ स्टे हो गया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें जो विसंगति है, वह यह है कि जिसने बेचारे ने अपने लिए न्याय मांगा, उसके लिए और अन्याय का ऑर्डर हो गया. पिटिशनर के खिलाफ स्टे है, स्टे होता है रिस्पोन्डेन्ट के खिलाफ कि वह आगे कुछ न करे. पर यहां पिटिशनर के खिलाफ स्टे हो गया है. आपकी सद्इच्छा है ऐसा लग रहा है, कृपा करके इसका जल्दी निराकरण कराएं.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) -- अध्यक्ष जी, माननीय डॉक्टर साहब ने जो कहा है, ये Status Quo के बारे में वास्तव में इसका इंटरप्रिटेशन मुझे लग रहा है कि गलत हुआ है. ये Status Quo जो है, Is it applicable for all the categories ? मैं ये सोचता हूँ कि शायद ऐसा नहीं है क्योंकि जनरल कैटेगरी के लिए तो, जिनकी एलीजीबिलिटी है, मुझे लगता है कि जो रिजर्व कैटेगरी है, ओबीसी, एससीएसटी, उसके लिए तो ठीक है, लेकिन जनरल कैटेगरी में क्या प्रॉब्लम है. अब जो रिटायर्ड हो जाएंगे, क्या राज्य शासन द्वारा उनको रिटायरमेंट के बाद भी पदोन्नति की पात्रता होगी, क्या वेतनमान वगैरह देंगे ? मेरे ख्याल से यह तो संभव नहीं है. इस कारण से मैं यह कहना चाहता हूँ कि उनका हक क्यों मारा जा रहा है ? इसके बारे में आप फिर से एक बार विधि विशेषज्ञों से जानकारी ले लें कि सामान्य वर्ग के जो लोग हैं, यदि पात्रता रखते हैं तो उनको उनका अधिकार मिलना चाहिए. इसे आप देख लें, विधि विशेषज्ञों राय लेकर, इसमें यदि कोई रोक नहीं है तो उस प्रोसिजर को आगे बढ़ा दें.
डॉ. गोविन्द सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि नेता प्रतिपक्ष जी ने और आदरणीय डॉक्टर साहब ने...
डॉ. सीतासरन शर्मा -- क्लास-वन के प्रमोशंस के बारे में आप बता दें. आपने क्लास-वन के प्रमोशन किये हैं.
डॉ. गोविन्द सिंह -- आपने पूछ लिया है, मैं बता रहा हूँ. आपने पूछा जो है तो जहां तक चर्चा के दौरान हमें यही बताया गया है कि उनके लिए अलग से कोई याचिका नहीं थी. ये बात हमारे भी समझ में नहीं आ रही है कि जब उनके लिए नहीं थी तो तृतीय वर्ग के लिए क्यों है ? यह बात हमें भी अस्पष्ट है. डॉक्टर साहब, हम आपसे निवेदन करेंगे कि सत्र खत्म हो जाता है, एक-दो दिन बाद, जब भी खत्म होता है, चाहे 26 तक चले, तो आप थोड़ा समय दें. हम, आप बैठ लेंगे, अपने विभागीय अधिकारियों को बुला लेंगे, विधि विभाग के अधिकारियों को बुला लेंगे, ताकि कुछ रिजल्ट निकले.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष जी, एक मिनट, मेरा सिर्फ इतना कहना है कि सारा सदन और सारा प्रदेश ...
डॉ. गोविन्द सिंह -- आप क्या डॉक्टर साहब से भी ज्यादा विद्वान हैं ?
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- मैं आपसे भी नहीं हूँ, उनसे भी नहीं हूँ, आप दो डॉक्टर हैं, वैसे तो एक ही काफी होता है.
डॉ. गोविन्द सिंह -- पहले डॉक्टर साहब का जवाब हो जाए. हम आपको बुला लेंगे और आपको सूचना देंगे.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष जी, मैं आसंदी से निवेदन कर रहा हूँ, मंत्री जी से नहीं. मैं आपसे प्रार्थना कर रहा हूँ कि जब इस तरह के मामले आते हैं, सदन चल रहा होता है, सदन में इस तरह का पक्ष आ जाता है, अध्यक्ष जी, आसंदी की रूलिंग का भी अपना एक प्रभाव होता है. सरकार जब अधिकारियों से राय लेगी तो उनकी राय सुप्रीम-कोर्ट के बारे में हमेशा ऐसी आएगी जो कोई निर्णय पर नहीं आएगी. मेरी प्रार्थना है पक्ष, विपक्ष, निष्पक्ष, सबके सब और पूरा प्रदेश इससे प्रभावित है. आसंदी से कोई व्यवस्था आज आनी चाहिए, ऐसी मेरी प्रार्थना है.
डॉ. गोविन्द सिंह -- माननीय अध्यक्ष जी, आपको ये फंसवाने के चक्कर में हैं..(हंसी).
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष जी, अभी-अभी हमारे नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सुप्रीम-कोर्ट, हाई-कोर्ट, गर्वनर ...
डॉ. सीतासरन शर्मा -- हाई-कोर्ट ने भी की है, वे ऑर्डर्स भी बुलवाए जा सकते हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष जी, बिल्कुल फंसवाने के चक्कर में नहीं हैं, डॉ. गोविन्द सिंह कोई अज्ञात आशंका से ग्रसित हैं.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- अध्यक्ष जी, मेरी ओर से धन्यवाद आपको.
अध्यक्ष महोदय -- चलिए धन्यवाद. डॉ. विजयलक्ष्मी जी.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, हम लोगों के लिए तो आप ही हैं, आप ही सुप्रीम-कोर्ट हैं, आप ही गर्वनर हैं. आप देख तो रहे हैं, कर्नाटक में आप देख रहे हैं, इस कारण से प्रिवेल कर नहीं सकता, आपके आदेश का कोई. अध्यक्ष महोदय, आप तो कर लें, जो कुछ करना है.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं विधि की इतनी ज्ञाता नहीं हूं, लेकिन मैं यह जानना चाहती हूं कि जैसे पूर्व अध्यक्ष महोदय ने कहा कि सामान्य कैटेगरी के इन्वॉल्मेंट के कोई मायने नहीं हैं, रिजर्व कैटेगरी से इसमें प्रमोशन में रिजर्वेशन की बात है. किन्हीं परिस्थितियों में अगर एकल पद होता है, तो उसमें रोस्टर की व्यवस्था में तो यह आयेगा, ऐसे में सामान्य को कैसे देंगे ? एससी,एसटी को कैसे देंगे ? ओबीसी को कैसे देंगे ?
डॉ. सीतासरन शर्मा - अध्यक्ष महोदय, एकल वाले तो पड़े रहें, लेकिन बिना रोस्टर वाले पद हैं, उनमें तो प्रमोशन करें.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ - अध्यक्ष महोदय, मेरी इसमें जानने की थोड़ी सी जिज्ञासा है कि यह कैसे इसको बायफरकेट करेंगे ? उसमें रेश्यो रहता है कि इतने रेश्यो के उसमें जनरल का, एससी, एसटी, ओबीसी का रहेगा. अगर इस कैटेगरी से अलग हटकर जनरल से करेंगे, तो प्रमोशन में उसके रेश्यो का पालन कैसे होगा ? मैं यह जानना चाहती हूं.
अध्यक्षीय व्यवस्था
कर्मचारियों की पदोन्नति के संबंध में
अध्यक्ष महोदय - विराजिये. माननीय मंत्री जी, जितने प्रश्न आ रहे हैं, चाहे विजय लक्ष्मी जी ने किये हों, क्या यही रोस्टर प्रथम श्रेणियों के लिये लागू नहीं है ? और अगर है, तो उनके प्रमोशन कैसे हो रहे हैं ? प्रश्न यह पैदा होता है. ठहर जाइये जरा, गृह मंत्री जी. अगर नियम लागू हो, तो फर्स्ट ग्रेड से लेकर लोअर लेवल तक सबके लिये एक सा लागू हो, अन्यथा प्रथम श्रेणी वाले तो लगातार पदोन्नति पाते जा रहे हैं और उनको इस मसले को सुलझाने की कोई चिंता नहीं है, जबकि उन्हीं की चिंता होनी चाहिये कि इस मसले को सुलझायें. मैं ऐसा सोचता हूं मंत्री जी कि जरा इन पर दबाव दीजिये, प्रथम श्रेणी वालों पर कि ऐसा न हो कि किसी दिन विधान सभा अध्यक्ष यह कह दें कि अगर नीचे वालों का नहीं हो रहा है, तो आप लोगों का भी नहीं होगा. क्योंकि जो रिटायर हो रहे हैं, 15 साल हो गये, घर पिता जी आते हैं, पिता जी अभी तक आप ए.ई. हो ? पिता जी, अभी तक आप लिपिक ही हो ? आपकी पदोन्नति क्यों नहीं हुई ? यह जो घर के अंदर दबाव आता है, एक मानसिक पीड़ा बच्चे झेलते हैं और दूसरी जगह जो कार्य कर रहे हैं उनकी पदोन्नति देखते हैं, तो कहीं न कहीं यह प्रश्नचिह्न उनके स्वाभाविक मानवीय चित्त पर जाता है. उस चित्त को दूर करने के लिये मैं चाहता हूं कि पक्ष-विपक्ष के दोनों नुमाइन्दे, माननीय मुख्यमंत्री के साथ इसी विधान सभा में किसी दिन, मैं निर्धारित करूंगा कि हम, मुख्यमंत्री जी, पक्ष और विपक्ष के 4-4 साथी बैठेंगे और इस बारे में चर्चा करेंगे.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष जी, बहुत-बहुत धन्यवाद. एक बड़े वर्ग के हित के लिये आपने यह व्यवस्था जारी की.
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर (क्रमश:)
स्वत्वों का अनियमित भुगतान
[सहकारिता]
8. ( *क्र. 1929 ) श्री हर्ष विजय गेहलोत : क्या सामान्य प्रशासन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सेवानिवृत्त संयुक्त पंजीयक श्री वी.पी. मारण के विरूद्ध चालान प्रस्तुत करने की शासन के द्वारा अनुमति दी गई थी? आदेश क्रमांक व दिनांक बतावें। (ख) शासन द्वारा चालान प्रस्तुत करने की अनुमति दी जाने एवं माननीय न्यायालय में चालान प्रस्तुत हो जाने के कारण क्या इन्हें निलंबित किया गया था? यदि नहीं, किया गया तो क्यों एवं इसके लिये कौन उत्तरदायी है? (ग) क्या श्री वी.पी. मारण के विरूद्ध माननीय न्यायालय के समक्ष लोकायुक्त के द्वारा प्रस्तुत प्रकरण सेवानिवृत्ति के समय विचाराधीन था? यदि हाँ, तो ऐसी दशा में उनके सभी सेवानिवृत्ति लाभ यथा पेंशन ग्रेच्युटी लीव इनकैशमेंट आदि का भुगतान किस प्रकार कर दिया गया है? जबकि अनेकों अधिकारियों एवं कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति का स्वत्वों का लाभ इस कारण नहीं दिया गया है कि उनके विरूद्ध विभागीय जाँच अथवा न्यायालय प्रकरण विचाराधीन है? (घ) यदि हाँ, तो इसके लिये कौन अधिकारी दोषी है एवं उनके विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई? यदि नहीं, की गई तो क्यों तथा क्या कार्यवाही कब तक की जावेगी?
सामान्य प्रशासन मंत्री ( डॉ. गोविन्द सिंह ) -
श्री हर्ष विजय गेहलोत - अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद. मेरे प्रश्न के उत्तर में स्पष्ट है कि श्री मारण के विरुद्ध जो चालान प्रस्तुत करने की अनुमति शासन द्वारा दी गई थी, इस अनुमति के आधार पर उनके विरुद्ध 28.03.2012 को चालान प्रस्तुत हुआ जिस पर कोई स्थगन नहीं था, लेकिन मध्यप्रदेश सिविल सेवा नियम 1966 के नियम 09(01) परंतुक के तहत उन्हें निलंबित क्यों नहीं किया गया ? उन्हें निलंबित नहीं करने वाले अधिकारियों के विरुद्ध क्या कार्यवाही की जावेगी ? जब रिवीजन 2013 में खारिज हो गया, उसके बाद निलंबित क्यों नहीं किया गया था ?
अध्यक्ष महोदय - आज तो डॉक्टर साहब और सिलावट जी दोनों बल्लेबाजी इस छोर और उस छोर से कर रहे हैं.
डॉ. गोविंद सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बात सच है कि निलंबन का प्रावधान है. अब पता नहीं, किन कारणों से हमारी तत्कालीन सरकार ने ऐसा कदम नहीं उठाया. अब हम अगर ऐसा कदम उठाते, तो वह निलंबन के पहले ही रिटायर हो गया. अब निलंबित भी नहीं कर सकते. लेकिन जब आप कह रहे हैं, तो हम इसके प्रकरण को दिखवाते हैं और अगर वह दोषी पाये जायेंगे, तो कुछ न कुछ हम कार्यवाही करेंगे.
श्री हर्ष विजय गेहलोत - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्नांश (ग) में माननीय मंत्री जी से मेरा प्रश्न है कि मारण के सेवा निवृत्ति के समय न्यायालयीन प्रकरण होने की जानकारी विभाग को थी तथा आयुक्त कार्यालय को भी थी फिर भी उनके सभी भुगतान कर दिए गए. अध्यक्ष महोदय, विभाग के उत्तर में विभागीय जाँच प्रकरण का उल्लेख भी किया गया किन्तु न्यायालयीन प्रकरण को छुपा लिया गया और उनकी सेवा निवृत्ति के बाद भी वह प्रकरण आज भी प्रचलित है. सेवा निवृत्ति लाभ देने में आयुक्त, सहकारिता के कार्यालय के अधिकारी तथा सहकारिता विभाग के मंत्रालय के जो अधिकारी दोषी हैं क्या माननीय मंत्री जी उन्हें निलंबित कर अनुशासनात्मक कार्यवाही करेंगे?
डॉ.गोविन्द सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अब ये पूरे जो आपके प्रश्न हैं, विधान सभा के मामले में इस प्रश्न के परिप्रेक्ष्य में मैं अपर मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी से जाँच करा लूंगा और जाँच रिपोर्ट जो आएगी तो कार्यवाही करेंगे.
अध्यक्ष महोदय-- ठीक है.
श्री हर्ष विजय गेहलोत-- अध्यक्ष महोदय,...
डॉ.गोविन्द सिंह-- अब बैठ जाओ. (हँसी)
श्री हर्ष विजय गेहलोत-- डॉक्टर साहब, आखरी.... अध्यक्ष महोदय, आपका संरक्षण चाहता हूँ पहली बार का विधायक हूँ और हजारों कर्मचारी, अधिकारियों का, इसमें भविष्य अटका हुआ है, उनकी ग्रेच्युटी, पेंशन, रुकी हुई है.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत-- डॉक्टर साहब, आप अध्यक्ष का काम भी कर रहे हैं क्या?
डॉ.गोविन्द सिंह-- एडिशनल चीफ सेक्रेट्री के स्तर के किसी भी अधिकारी से जाँच हो जाएगी. उसमें दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा.
श्री हर्ष विजय गेहलोत-- अध्यक्ष महोदय, बाकी सुप्रीम कोर्ट का....
अध्यक्ष महोदय-- डॉक्टर साहब संसदीय मंत्री भी हैं. गोविन्द जी, ध्यान रखिए.
डॉ.गोविन्द सिंह-- अध्यक्ष महोदय, अब सुप्रीम कोर्ट का आदेश तो इस पर लागू नहीं होता है. आप सुनिए, यह आपका सुप्रीम कोर्ट का आदेश है, 14.8.2013, उच्चतम न्यायालय के निर्णय की कंडिका 3(4), 3(5) में पेंशन, ग्रेच्युटी, को शासकीय कर्मचारियों की संपत्ति माना है. विभागीय जाँच के उपरान्त शासन विभाग के नियमों के अनुसार पेंशन और ग्रेच्युटी को रोका नहीं जाना चाहिए. सेवा निवृत्ति के उपरान्त नियम अनुसार भुगतान किया जाना चाहिए. विभागीय जाँच के लिए अलग से अगर कुछ दण्ड पाया जाता है तो दण्डित किया जाए.
श्री हर्ष विजय गेहलोत-- लेकिन अध्यक्ष महोदय, वह मारन जी को सारा पैसा मिल गया. ग्रेच्युटी मिल गई, पेंशन मिल गई, लेकिन जो बाकी अधिकारी हैं तथा एक और प्रश्न के उत्तर में करीब 48 लोगों की ग्रेच्युटी और पेंशन रोकी गई है. बाकी मारन जी को दे दी गई है. सुप्रीम कोर्ट की रुलिंग है उसको मध्यप्रदेश पुलिस ने भी फॉलो किया है. पुलिस में अधिकारियों पर अगर कोई जाँच है तो उनको पेंशन और ग्रेच्युटी का लाभ दिया जा रहा है, यह आदेश है, तो जो हजारों कर्मचारी हैं, ऐसे मामलों में कहीं अटके हुए हैं, तो उनको पेंशन और ग्रेच्युटी दी जानी चाहिए. माननीय अध्यक्ष महोदय, आप तो बहुत न्याय प्रिय हैं, तो ऐसे हजारों कर्मचारियों को उस बात का लाभ मिलना चाहिए, सुप्रीम कोर्ट की रुलिंग का लाभ मिलना चाहिए.
डॉ.गोविन्द सिंह-- अध्यक्ष महोदय, जिसकी आप जानकारी बता रहे हैं आप कृपा कर, जो जो आप से संबंधित हैं, जिनका आपने बताया कि विभाग में मिल रहा है, तो उस विभाग में आप बता दें कि किन-किन को और दिलाना है, अगर इस नियम में आएंगे तो हम उनका भी भुगतान कराएँगे.
श्री हर्ष विजय गेहलोत-- धन्यवाद.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष जी, ये हमारे स्वास्थ्य मंत्री हैं तुलसी सिलावट, अभी गोविन्द सिंह जी बोल रहे थे तो कह रहे थे कि वे हमारे भीष्म पितामह हैं, ऐसे ही कह रहे थे ना? आपने उन्हें बाणों की शैय्या पर लिटा तो रखा है, सबसे खराब विभाग दे रखे हैं, उसमें भी अपेक्स बैंक का, सिंधिया जी आए थे तो अध्यक्ष बनवा दिया. कितने बाण लगाओगे एक भीष्म पितामह पर?
श्री तुलसीराम सिलावट-- गोविन्द सिंह जी हमारे परिवार के मुखिया हैं.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- एक व्यक्ति को आप कितने बाण लगाओगे?
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, एक तकिया भी लगा है. आप भी संसदीय मंत्री थे ये भी संसदीय मंत्री हैं.
डॉ.गोविन्द सिंह-- अध्यक्ष महोदय, सामान्य प्रशासन विभाग सब पर अंकुश रखने वाला विभाग है.
अध्यक्ष महोदय-- बहुत बड़ी चाबी है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष महोदय, एक भी लिस्ट आप से पूछ कर निकली हो तो, अखबार से पता चलती है. (हँसी)
श्री गोपाल भार्गव-- लेकिन हम कामना करेंगे सूर्यास्त कभी न हो. (हँसी)
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, विषय से संदर्भित है. मेरा भी प्रश्न था. अध्यक्ष महोदय, एक ही सरकार...
श्री सुनील सराफ-- माननीय अध्यक्ष महोदय, इस चर्चा में समय चला जाएगा तो हम लोगों के प्रश्नों का क्या होगा 12 बजने वाले हैं. हमारे प्रश्न लगे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- विराजिए. एक तो ये दो नये विधायक एक सुनील और एक ये डागा, देखो तो क्या रंग बिरंगी टी शर्ट पहन कर आए हैं.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- अध्यक्ष महोदय, हर्ष जी ने जो प्रश्न किया है मैंने भी यही प्रश्न तारांकित प्रश्न के रुप में किया है. मैं सिर्फ मंत्री जी से यह जानना चाहता हूँ कि शासन के नियम, नियमावली, प्रक्रिया समान होती है उसमें असमानता नहीं होती है. अगर पुलिस विभाग ने सेम नेचर के प्रश्न पर अपने अधिकारियों, कर्मचारियों के इस प्रकार से सुविधाएं दी हैं तो सहकारिता विभाग में क्यों रोक-टोक हो रही है. यह सुप्रीम कोर्ट का डायरेक्शन है. दोनों का अध्ययन करते हुए मंत्री जी इसमें सहयोग करने की कृपा करें.
श्री निलय विनोद डागा-- अध्यक्ष महोदय, सन्डे को भी क्लास लगाएंगे तो ऐसे ही कपड़े पहनकर आना पड़ेगा.
अध्यक्ष महोदय-- अभी शून्यकाल आने दो फिर आपको सुनुंगा.
डॉ. गोविन्द सिंह-- अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय सिसौदिया जी के प्रश्न का उत्तर बता रहा हूँ. सहकारिता विभाग में जो पात्र होंगे उनके लिए तो इसे तत्काल लागू कर देंगे. नेता जी आप हमारी बात सुन लीजिए.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)-- अध्यक्ष महोदय, आपने जिन दो सदस्यों के बारे में उल्लेख किया है. मैं चाहता हूँ कि इस बार या फिर विधान सभा के अगले सत्र से आप ड्रेस कोड लागू कर दें तो हम सभी अपनी ड्रेस में आएंगे. हमें मेन गेट पर भी दिक्कत नहीं होगी सब लोग समझ लेंगे कि यह विधायक हैं चाहें तो मंत्रियों के लिए कोई अलग से ड्रेस कोड कर दें (हँसी)
डॉ. गोविन्द सिंह-- अध्यक्ष महोदय, जैसा कि सिसौदिया जी ने कहा तो मैं उन्हें बताना चाहता हूँ कि गेहलोत साहब बता दें कि कौन-कौन से पीड़ित रह गए हैं उनका हम शीघ्र निराकरण कराएंगे. यदि वहां नियम है तो पूरे विभाग में यहां पर भी नियम लागू करेंगे. दूसरा सवाल यह था कि क्या सभी विभागों में इसे लागू करेंगे तो इस संबंध में मैं सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों से चर्चा करुंगा और नियमों में यह संभव होगा तो पूरे प्रदेश के लिए एक नीति बनाकर आदेश जारी करेंगे.
प्रश्न क्र. (9)--अनुपस्थित.
अलीराजपुर/जोबट में दीपक फाउंडेशन को दिये गये कार्य
[लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण]
10. ( *क्र. 2350 ) श्री सुनील सराफ : क्या लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्न क्र. 215, दि. 18-07-2016 के (क) उत्तर में वर्णित निश्चेतना, स्त्री रोग तथा शिशु रोग विशेषज्ञों, सोनोग्राफी के लिये दीपक फाउंडेशन वडोदरा गुजरात को कितनी राशि का भुगतान किया जाना है? कितनी राशि लंबित है? अलीराजपुर एवं जोबट में इन पदों पर पदस्थ चिकित्सकों के नाम, पदनाम, डिग्री, पदस्थ अवधि, वेतन प्रदाय की माहवार जानकारी देवें। (ख) सोनोग्राफी की माहवार जानकारी सोनोग्राफीकर्ता के नाम डिग्री सहित अलीराजपुर एवं जोबट के संदर्भ में पृथक-पृथक देवें। क्या सोनोग्राफीकर्ता विभाग के थे या दीपक फाउंडेशन के? इस मद में कितना भुगतान हुआ/लंबित है? (ग) प्र.क्र. 215, दि. 18-07-2016 के परिशिष्ट में वर्णित नियम एवं शर्तों के क्रमांक-4 में दर्शाये गये फायनेंशियल ऑडिट की वर्षवार प्रमाणित प्रतियां देवें। इन ऑडिट को कराने के लिये विभाग ने किन-किन को कितनी-कितनी राशि का भुगतान किया? (घ) इस संस्था को चयनित करने की संपूर्ण प्रक्रिया की प्रमाणित प्रति देवें। इसका विज्ञापन कब निकाला गया? अखबारों की छायप्रतियां देवें।
लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) दीपक फाउंडेशन वडोदरा गुजरात को कोई भुगतान नहीं किया जाना है। कोई राशि लंबित नहीं है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''एक'' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''दो'' अनुसार है। सोनोग्राफीकर्ता विभाग के थे। उक्त मद में कोई भुगतान नहीं हुआ एवं न ही कोई राशि लंबित है। (ग) राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन अंतर्गत जिला स्तर पर समस्त भुगतानों का ऑडिट करवाया जाता है, जिसमें दीपक फाउंडेशन को भुगतान की गई राशि का ऑडिट भी सम्मिलित है। दीपक फाउंडेशन का अलग से ऑडिट नहीं करवाया गया है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) अलीराजपुर जिले की सीमॉक संस्थाओं को क्रियाशील करने के उद्देश्य से दीपक फाउंडेशन संस्था वडोदरा गुजरात द्वारा प्रस्ताव प्रेषित किया गया था, जिसे राज्य स्वास्थ्य समिति की स्वीकृति उपरांत राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा दीपक फाउंडेशन वडोदरा, गुजरात के साथ अनुबंध किया गया था। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''तीन'' अनुसार है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री सुनील सराफ--माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत-बहुत धन्यवाद. मैं आपका संरक्षण चाहता हूँ. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करुंगा कि मैंने मेरे प्रश्न में अलीराजपुर और जोबट दो स्थानों की जानकारी मांगी थी. इसमें मैंने चिकित्सकों के नाम, पदनाम और डिग्री की जानकारी मांगी थी उत्तर में सिर्फ जोबट की जानकारी दी गई है. जानकारी अधूरी है. दूसरी बात अलीराजपुर प्रदेश में सबसे कम साक्षर जिला है यहां केवल 37 प्रतिशत साक्षरता है. केवल 50 रुपए के स्टाम्प पर यहां की स्वास्थ्य सेवाएं दीपक फाउन्डेशन, गुजरात को सौंप दी गईं थीं. इसमें मुझे आपत्ति है. यहां पर निश्चेतना विशेषज्ञ जिसका एग्रीमेंट जून, 2016 से मार्च 2018 तक था जो कुल तीन माह रहा था. मेरा सवाल यह है कि सितम्बर 2016 से मार्च 2018 तक जो ऑपरेशन हुए वे बिना निश्चेतना विशेषज्ञ के कैसे हुए.
श्री तुलसीराम सिलावट--माननीय अध्यक्ष महोदय, सम्मानित सदस्य ने यह बात हमारे संज्ञान में लाई है ऐसी कोई भी इन्हें जानकारी होगी तो उसकी जाँच करा लूंगा.
श्री सुनील सराफ--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने यह प्रश्न भी पूछा था दीपक फाउन्डेशन गुजरात को कितना भुगतान कर दिया गया है उसकी मदवार जानकारी चाही थी. उत्तर में वह जानकारी नहीं दी गई है. अलीराजपुर के चिकित्सकों के वेतन की जानकारी नहीं दी गई है. मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करुंगा कि अपने अधिकारियों को निर्देशित करें कि विधायकों के प्रश्नों के उत्तर पूरे दें जिससे हमारी जिज्ञासा शांत हो सके. यदि जवाब ही नहीं आएगा तो हम क्या पूरक प्रश्न करेंगे.
श्री तुलसीराम सिलावट--माननीय अध्यक्ष महोदय, सम्मानित सदस्य ने जो प्रश्न पूछा था उसका उत्तर देना चाहूँगा. दीपक फाऊंडेशन को वर्ष 2016-17 में 13 लाख 86 हजार रुपए तथा वर्ष 2017-18 में 12 लाख 36 हजार रुपए इस प्रकार कुल 26 लाख 22 हजार रुपए का भुगतान किया गया है.
श्री सुनील सराफ--माननीय मंत्री जी धन्यवाद. माननीय अध्यक्ष महोदय, एक सवाल और है कि केवल 50 रुपए के स्टाम्प के एग्रीमेंट पर अलीराजपुर और जोबट के स्वास्थ्य विभाग का ठेका, स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी, हजारों लोगों की जिम्मेदारी दीपक फाऊंडेशन, गुजरात को दे दी गई. यदि यह सही नहीं है तो क्या इस पर कोई कार्यवाही होगी.
श्री तुलसीराम सिलावट-- अध्यक्ष महोदय, दीपक फाऊंडेशन बडौदा द्वारा नवंबर 2015 से मार्च 2018 तक कार्य किया गया है इसका अनुबंध मार्च 2018 को समाप्त हो चुका है.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्नकाल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त)
12.01 बजे शून्यकाल में मौखिक उल्लेख एवं अध्यक्षीय व्यवस्था
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष महोदय, श्री गौरी शंकर बिसेन जी जो पूर्व मंत्री हैं, विधायक हैं आपने देखा होगा पहले भी सभी सम्मानित सदस्यों के लिए अच्छे आम उनके बगीचे के आए थे इस बार उनके बगीचे के चावलों का एक-एक कट्टा पूरे प्रदेश के सभी विधायकों के लिए आया है. सभी लोग प्राप्त कर लें. चिन्नौर ब्रांड का बहुत ही खुशबूदार चावल है. मंत्रियों से अनुरोध है कि वह भी कभी कृपा करें.
(1) एस.डी.एम. इटारसी के खिलाफ प्रिविलेज के संबंध में
डॉ. सीतासरन शर्मा-- अध्यक्ष महोदय, मैंने एस.डी.एम. इटारसी के खिलाफ प्रिविलेज दिया है. आप उस पर विचार कर लीजिए.
अध्यक्ष महोदय-- जी हां, मैं उसे देख रहा हूं.
(2) होशंगाबाद रोड पर रेत का अवैध भण्डारण किया जाना.
श्री रामेश्वर शर्मा (हुजूर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, होशंगाबाद रोड़ और मिसरोद के बीच कलियासोत पुल तक रेत के डम्पर, ट्रक एवं अवैध भण्डारण है. जिसके कारण वहां के कॉलोनी के निवासियों का जनजीवन अस्त व्यस्त है वह वहां से निकलने पर विवश हैं. मेरा निवेदन है कि सारा स्टेट, कृष्णा स्टेट, निर्मल स्टेट, झरनेश्वर कॉलोनी, इण्डस टाऊन, अनुजा विलेज, लिबर्टी कॉलोनी. रेत माफियाओं द्वारा सड़क पर सारा स्टेट से लेकर टोल टैक्स प्लाजा तक ट्रकों के द्वारा जाम और सड़क पर रेत के भण्डारण करने से आम नागरिकों का जनजीवन संकट में है अत: इन पर कार्यवाही करवाने की कृपा करें.
अध्यक्ष महोदय-- मेरे अधिकारी इस बात का ध्यान रखें जिनको मैं शून्यकाल में बुलवा रहा हूं संबंधित विभाग के पास यह सूचना जाएगी और लिखित उत्तर आएगा.
श्री आरिफ अकील (भोपाल उत्तर)-- अध्यक्ष महोदय, जो रेत के ट्रक सड़कों पर खडे़ रहते हैं और जो रेत का ढेर लगा रहता है, भण्डारण किया जाता है उन्हें शीघ्र हटाया जाए.
अध्यक्ष महोदय-- आप सहमत हैं, सहमति दे दें.
श्री आरिफ अकील-- हां मैं सहमत हूं और आपका आभारी रहूंगा.
अध्यक्ष महोदय-- ठीक है. यह जो प्रश्न उठा है और माननीय मंत्री आरिफ अकील जी बोल रहे हैं जो ट्रक रात में खडे़ रहते हैं यह व्यवस्था बंद होना चाहिए. यहां जो लोकल में भण्डारण होता है वह भी बंद होना चाहिए और इसकी विशेष व्यवस्था पुलिस विभाग को देखनी पडे़गी क्योंकि वह ही भण्डारण करवाते हैं.
(3) नरयावली विधान सभा क्षेत्र में अज्ञात बीमारी से गाय, भैंसों की मृत्यु होना.
इंजी प्रदीप लारिया (नरयावली)-- अध्यक्ष महोदय, नरयावली विधान सभा क्षेत्र के विकासखण्ड राहतगढ़ में 15, 20 गांव में अज्ञात बीमारी से लगभग 100 गाय, भैंसों की मृत्यु हो गई है. मेरा आपसे निवेदन है कि वहां कोई भी डॉक्टर की टीम नहीं पहुंची है. वहां पर परीक्षण हो जाए जिससे बाकी जानवर बच सकें और उनको मुआवजा मिल सके. धन्यवाद.
(4) एडव्होकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू किया जाना.
श्री दिलीप सिंह परिहार (नीमच) -- अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि एडव्होकेट बंधु सभी प्रकार से केस लड़ते हैं. प्रोटेक्शन एक्ट लागू किया जाए या फिर उनको शस्त्र लायसेंस दिए जाएं.
(5) पबजी खेल पर प्रतिबंध लगाया जाना.
श्री शैलेन्द्र जैन (सागर) --अध्यक्ष महोदय, इस समय पूरे प्रदेश में यह जो पबजी खेल चल रहा है जो कि कम्प्यूटर पर खेला जाता है. उस खेल की वजह से नौजवानों में, किशोरों में एक लत लग गई है उसमें अनेक लोगों ने आत्महत्याएं की हैं. कुछ प्रदेशों में पबजी खेल पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है. मैं आपके माध्यम से आग्रह करना चाहता हूं पबजी खेल पर मध्यप्रदेश में पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय-- यह गंभीर विषय है.
श्री आरिफ अकील-- अध्यक्ष महोदय मेरा अनुरोध है कि आप हम और पूरा सदन माननीय बाबूलाल जी के स्वस्थ्य होने की कामना करें ऐसी ईश्वर से प्रार्थना करें कि वह जल्दी स्वस्थ्य होकर वापस आएं.
अध्यक्ष महोदय-- बिलकुल ठीक बात है. हम इससे सहमत हैं.
श्री हरदीप सिंह डंग-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
अध्यक्ष महोदय-- मैंने आपको अनुमति दी है क्या. मैं खड़ा हूं.. डंग जी आप बोलिए मैं बैठ जाता हूं, एक तो यह समय की चाल है.
(6) सुवासरा के व्यापारी की हत्या की जांच तत्काल की जाना
श्री हरदीपसिंह डंग (सुवासरा)- माननीय अध्यक्ष महोदय, सुवासरा का एक व्यापारी है, जिसकी उम्र 40 वर्ष है. 5 दिन पूर्व मध्यप्रदेश और राजस्थान के बॉर्डर पर उसका मर्डर कर दिया गया है. इस घटना को 6 दिन बीत चुके हैं. पूरे मंदसौर जिले से उसके समाज वाले लगातार ज्ञापन दे रहे हैं लेकिन अभी तक इस प्रकरण में कोई सुराग नहीं मिला है. इसकी जांच तुरंत करवाई जाये.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया- माननीय अध्यक्ष महोदय, उस व्यापारी का नाम अशोक गुप्ता है.
अध्यक्ष महोदय- बिल्कुल ठीक है.
12.06 बजे
नियम 267 (क) के अधीन विषय
अध्यक्ष महोदय- निम्न माननीय सदस्यों की सूचनायें सदन में पढ़ी हुई मानी जायेंगी-
1. श्री शरद जुगलाल कोल
2. श्री पुरूषोत्तम लाल तंतुवाय
3. श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया
4. श्री जयसिंह मरावी
5. श्री रामेश्वर शर्मा
6. श्री जालम सिंह पटेल
7. श्री जसमंत जाटव
8. श्री सुभाष राम चरित्र
9. श्री फुन्देलाल मार्को
10. श्री संजय सत्येन्द्र पाठक
12.07 बजे
ध्यान आकर्षण
सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.
(1) आदिम जाति क्षेत्रीय विकास योजना की किसान कल्याण विभाग को स्थानांतरित राशि का दुरूपयोग किया जाना
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को (पुष्पराजगढ़)- माननीय अध्यक्ष महोदय,
किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री (श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव)- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को:- माननीय अध्यक्ष जी, यह राशि जनजाति समुदाय के लिये थी और उन पिछड़ी जनजातियों के लिये थी, जो राष्ट्रपति से पोषित जनजाति बैगा, भारिया और सहरिया हैं. जिस तरीके से इस राशि का बंदर-बांट हुआ, कागजों में पूरी तरह से लीपा-पोती की गयी और एक रणनीति के तहत, षड़यंत्रपूर्वक यह चाहते ही नहीं थे कि आदिवासी समाज के लोग भर-पेट भोजन कर सकें. एक ऐसा समाज जो लंगोटी लगा रहा है और उनकी लंगौटी पर भी इन लोगों ने निगाह लगा ली और यदि इनको समय मिलता तो उनकी लंगौटी भी उतरवा लेते. उनका आपने पैसा तो खाया ही.
अध्यक्ष्ा जी, मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि यह बहुत आदिवासियों की बात करते रहे, लेकिन इनकी मंशा क्या थी, यह आज जागृत हो गयी है.
अध्यक्ष महोदय:- मार्को जी, प्रश्न करिये अभी 5-6 लोगों को और प्रश्न करना है.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को--मेरा आपसे निवेदन है तथा मंत्री महोदय से चाहता हूं कि क्या इसमें कमेटी बनाकर के जांच करायेंगे ?
श्री सचिन यादव--अध्यक्ष महोदय, मैं आदरणीय मार्को जी को काफी लंबे समय से जानता हूं. पिछली बार विपक्ष में रहकर इनके साथ मुझे काम करने का अवसर मिला. उनका स्वभाव बड़ी धीर-गंभीर का है. वह किसी अनावश्यक चर्चाओं में हिस्सा नहीं लेते हैं. हमेशा काम की बात करते हैं तथा उसकी ही चर्चा करते हैं. निश्चित रूप से जो विषय माननीय विधायक जी ने उठाया है, वह बहुत ही गंभीर विषय है. मैं उसके लिये उनको साधुवाद देना चाहता हूं तथा उनको विश्वास दिलाना चाहता हूं कि आपकी जो भावना है जिस प्रकार से आपने हमारी जो पिछड़ी जातियां हैं, अनुसूचित जातियां हैं उनके लिये आपने जो चिंता व्यक्त की है और पूर्व की सरकार में जो योजनाएं उन तक पहुंचनी चाहिये थी वह सिर्फ कागजों तक सीमित रह गई है. इस भावना से मैं अपने आपको भी जोड़ता हूं. मैं उनकी भावना के अनुसार एक कमेटी गठित करके उसमें आदरणीय मार्को जी को भी शामिल किया जायेगा. उसमें तमाम अधिकारियों को शामिल करके उसकी विस्तृत जांच करके हम आपको सूचित करने का काम करेंगे.
अध्यक्ष महोदय--एक मिनट मार्को जी आप बैठेंगे. इस ध्यानाकर्षण को पूछने वाले 6 सदस्य हैं सर्व श्री नीलांशु चतुर्वेदी, संजय उइके, योगेन्द्र सिंह बाबा, प्रताप ग्रेवाल, सुनील सराफ, विजय राघवेन्द्र सिंह. अब मार्को जी आप भी इसमें समाहित हैं. यह पूरा विषय मैं देख रहा हूं. आपने उसमें कमेटी की बात कर दी है. मेरे ख्याल से यह पूरा का पूरा विषय इसी में आ जाता है. जब कमेटी जांच कर लेगी उसमें जो प्रश्न आने वाले हैं वह कमेटी स्वयं उत्तर ढूंढेगी. जिन 7 सदस्यों ने प्रश्न लगाये हैं इन सातों को इस कमेटी में रखा जाता है.
(2) प्रदेश के शॉपिंग मालों में एक्सपायरी डेट के खाद्य पदार्थों की बिक्री से उत्पन्न स्थिति.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया(मंदसौर)--अध्यक्ष महोदय,
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री (श्री तुलसीराम सिलावट) - माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश की 8 करोड़ जनता के, स्वास्थ्य को लेकर के, खाद्य पदार्थों की जांच को लेकर के, सदन में बैठे सभी सदस्यों की चिन्ता स्वाभाविक है और इसको अनदेखी नहीं किया जा सकता है. माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन करना चाहूंगा कि शॉपिंग मॉल के जो संचालकगण हैं वे जूता, चप्पल, सेंडल, बैग आदि-आदि वस्तुएं जिनमें एक्सपायरी डेट का कहीं भी प्रश्न नहीं उठाता है. लेकिन फूड से संबंधित, कोल्डड्रिंक से संबंधित, बच्चों के दूध के पाऊडर के पैकेटे से संबंधित, टीन डिब्बों से संबंधित, जो खाद्य पदार्थ हैं, उनमें वे ऑफर देते हैं, और ऑफर उस समय देने की ओर अग्रसर होते हैं, जब ग्राहक के पास वह वस्तु पहुंचती है, महीने, दो महीने, तीन महीने तक में वह इस्तेमाल करने की स्थिति में आता है, तब तक वह एक्सपायरी डेट के नजदीक आ जाती है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न यह है कि क्या मंत्री महोदय, इन तमाम शॉपिंग मॉल्स के उन संचालकों को इस बात के लिए ताकीद करेंगे, प्रतिबंधित करेंग कि वे खाद्य पदार्थों से संबंधित कोई भी ऑफर चाहे वह 10 प्रतिशत रिलेक्शन का हो चाहे, 40 प्रतिशत तक का हो वह जब उसको इन्ट्रोड्यूज करें, उसका परिचय कराये तब. उस मॉल में उस जगह पर जहां पर यह बिक्री के लिए होगा, एक्सपायरी डेट के नजदीक आने वाली वस्तुओं के बारे में इंगित करे और वहां एक रजिस्टर भी माननीय मंत्री जी रखवाएं ताकि कोई शिकायत कर सके. माननीय अध्यक्ष महोदय,मैं आपको बता रहा हूँ कि रतलाम के डी मार्ट में 30 शिकायतें विभिन्न प्रकार की प्राप्त हुई थीं और उसमें खाद्य की भी थीं और वहां पर रजिस्टर ही नहीं है. यह रतलाम का सवाल नहीं है, ऐसा कहीं भी नहीं है, डी मॉल भोपाल में भी नहीं है. अगर आप देखेंगे तो कहीं ग्राहक की समस्या के लिए ...
अध्यक्ष महोदय - यह प्रश्न हो गया है.
श्री तुलसीराम सिलावट - माननीय अध्यक्ष महोदय, सजग, जागरूक सिसौदिया जी को, मैं विश्वास दिलाता हूँ कि आपने गंभीर और संवेदनशील जो आम व्यक्ति से जुड़ा हुआ मामला उठाया है. विधायक जी, जो आपने आग्रह किया है कि मॉल द्वारा जिन सामग्रियों को विशेष ऑफर देकर बेचा जाता है, उनकी एक्सपायरी डेट के बारे में सूचना ग्राहक को नहीं होती है. इस संबंध में हम निर्देश जारी कर रहे हैं, आपकी भावनाओं के अनुसार ग्राहकों को ऐसा ऑफर, एक्सपायरी डेट की सूचना दिया जाना सुनिश्चित करेंगे. आपके द्वारा अवगत कराया गया है कि मार्ट की शिकायत रजिस्टर की भी जांच कराई जायेगी और वहां रजिस्टर भी रखवाया जायेगा. आप निश्चिंत रहें.
अध्यक्ष महोदय - आप दूसरा प्रश्न पूछें.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - अध्यक्ष महोदय, जहां टेक्नोलॉजी इतनी एडवांस चल रही है. मुंबई के बड़े-बड़े मॉल में और विदेशों में, जब हमारी वस्तु उसके पास जाती है तो वह वह टैग करता है तो जब बिल बनता है तो बिल के साथ मैन्युफैक्चरिंग डेट और एक्सपायरी डेट भी बिलों पर आने लगी हैं. अगर सरकार चाहे, आपका आशीर्वाद हो, आपका संरक्षण हो और मंत्री जी तथा विभाग चाहे तो यह चीज हमारे मध्यप्रदेश के उन मॉलों में भी जारी हो सकती है, जिससे ग्राहकों को यह बात मालूम चल जाये कि कब एक्सपायरी डेट होने वाली है ?
श्री तुलसीराम सिलावट - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सजग और जागरूक विधायक महोदय की भावना से अवगत हूँ. उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए इस पर कार्यवाही की जायेगी और माननीय अध्यक्ष महोदय, आपसे अनुरोध करता हूँ कि आपको ऐसे किसी भी मॉल की शिकायत हो, जिसकी जानकारी आपके संज्ञान में हो तो बताएं, मैं उसकी भी जांच करवाने के लिए तत्पर हूँ.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - अध्यक्ष महोदय, मेरा आखिरी प्रश्न है.
अध्यक्ष महोदय - यह आपका आखिरी प्रश्न है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - अध्यक्ष महोदय, मुझे मध्यप्रदेश के ग्राहक पंचायत के पदाधिकारियों ने और मंदसौर जिले के ग्राहक पंचायत के पदाधिकारियों ने इस संबंध में अनेकों बार शिकायतें की हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मॉल का तो सवाल नहीं है, लेकिन 18 मार्च, 2019 को दैनिक भास्कर के अंक में लव कुश नगर, चंदला रोड, छतरपुर का समाचार पढ़ने को मिला. दूध का पावडर जो एक्सपायरी डेट का था, टीन में बिकने जा रहा था, बिक गया था. जब ग्राहक ने उसका विरोध किया तो उसकी उस समय तो नहीं सुनी गई, वह मॉल नहीं था, एक साधारण सी दुकान होगी. लेकिन तब मीडिया ने आकर उसमें हस्तक्षेप किया. माननीय अध्यक्ष महोदय, उस ग्राहक को उस दुकानदार ने जो लव कुश नगर, चंदला रोड, छतरपुर की है, उसको उस दुकानदार ने पूरे पैसे भी वापस किए और टीन का डिब्बा भी वापस किया. मैं इसलिए कह रहा हूँ कि एक छोटी सी दुकान से लेकर, हम बड़े मॉलों तक जाएंगे तो आपको नकली फूड से संबंधित सामग्रियां प्राप्त होंगी. आपने मेरी अनेक बातों को स्वीकृति दी है. अध्यक्ष महोदय, आपका संरक्षण चाहते हुए 8 करोड़ जनता की चिंता करने का इस सदन के सदस्यों का कर्तव्य है इसीलिए आपने इस महत्वपूर्ण ध्यान आकर्षण को स्वीकार किया है. हम सस्ते के चक्कर में जहर ग्राहकों के घर तक नहीं पहुँचा सकते हैं
अध्यक्ष महोदय - धन्यवाद.
(3) राजमार्ग-12 के निर्माण कार्य में शर्तों का पालन न किया जाना
सर्व श्री देवेन्द्र सिंह पटेल (उदयपुरा), (कुंवर सिंह टेकाम) -- माननीय अध्यक्ष महोदय,
अध्यक्ष महोदय -- श्री देवेन्द्र सिंह पटेल जी आप अभी रूक जाईये, माननीय मंत्री जी का उत्तर आ जाने दें, उसके बाद आप अपने प्रश्न पूछें. सज्जन भाई यह बात सही है कि आपके मैं रोज ध्यानाकर्षण ले रहा हूं, लेकिन आपकी स्मार्टनेस जिस हिसाब से उनको उत्तर देती है, उसके कारण आपके विभाग से काफी विधायकों को संतोष मिल रहा है.
लोक निर्माण एवं पर्यावरण मंत्री(श्री सज्जन सिंह वर्मा)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह सब आपकी आपकी कृपा है और आपके सानिध्य में ही हम यह लेसन लेते रहते हैं (हंसी)... माननीय अध्यक्ष महोदय,
माननीय अध्यक्ष महोदय, एक अनुरोध आपसे कर रहा हूं. इस मार्ग की जानकारी आपको भी ज्यादा है. यदि आसंदी से ही आप कोई व्यवस्था कर दें तो सारी कार्यवाही हम कर लेंगे.
अध्यक्ष महोदय‑ एक प्रश्न जरा कर लें फिर मैं व्यवस्था दे दूंगा.
श्री देवेन्द्र सिंह पटेल (उदयपुरा) - माननीय अध्यक्ष महोदय, निवेदन करना चाहता हूं कि मेरी तरफ से यह मार्ग तो आपका है. रायसेन जिले से मिसरौद से लगाकर 345 कि.मी. का यह रोड है. इसमें 200 कि.मी. का क्षेत्र सिर्फ मेरे विधान सभा क्षेत्र और मेरे जिले में आता है. मेरा आपसे निवेदन है कि आप भी इस मार्ग से सही ढंग से पहुंच सकेंगे, जितनी जल्दी यह मार्ग पूर्ण होगा. इसकी पूर्ण होने की समय-सीमा 2020 बताई गई है पहले 2019 थी, और बढ़ा दी गई है, लेकिन जो परसेंटेज के हिसाब से बताया कि 50 परसेंट और 20 परसेंट काम हुआ है तो मेरी जानकारी में 15 परसेंट भी काम नहीं हुआ है, अगर समय-सीमा में कार्य पूर्ण नहीं किया गया तो 2020 तक यह रोड किसी भी हालत में पूर्ण नहीं होगा, अगर आपके संज्ञान में रहेगा और आप इसको देखेंगे तो निश्चित ही इस रोड की गुणवत्ता बहुत अच्छी होगी, क्योंकि मुझे पता है इस रोड का जो बेस बनता है, नेशनल हाईवे का बेस, यह रोड पूरा पहाड़ी के ऊपर से जबलपुर तक गया है. पत्थर की वहां कमी नहीं है. रेत की वहां कमी नहीं है. मॉं नर्मदा की रेत वहीं की वहीं है. पत्थर वहीं का वहीं है. सिर्फ सीमेंट और लोहा लेकर ठेकेदार को जाना है.पेटियों से ठेके हो रहे हैं. मछली दूसरी हैं. अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे यह निवेदन है कि खास तौर पर आप इस रोड के लिए देखें और इसमें महत्वपूर्ण भूमिका आपकी होगी. अध्यक्ष महोदय, यह हमारा नहीं, आपका रोड है. दूसरा मेरा एक प्रश्न है एमपीआरडीसी द्वारा अनुबंधित ठेकेदार द्वारा गैरतगंज, सिलवानी, गाडरवारा मार्ग पर अनुबंध अनुसार मरम्मत कार्य नहीं कराया जा रहा है तथा वाहनों से टोल वसूल किया जा रहा है. उक्त मार्ग पर जगह-जगह गड्ढे हो गये हैं उसमें पानी भरने से वाहनों का आना-जाना मुश्किल हो गया है. ठेकेदार द्वारा अनुबंध अनुसार उक्त मार्ग की मरम्मत नहीं कराए जाने से नागरिक शासन के प्रति अधिक असंतुष्ट है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - अध्यक्ष महोदय, मूल प्रश्न से अलग एक और प्रश्न उन्होंने पता नहीं कहां की सड़क का कर लिया है? परन्तु चूंकि माननीय विधायक का क्षेत्र है इसलिए मध्यप्रदेश सरकार की प्रतिबद्धता भी है कि विधायक यदि कोई बात कहते हैं कोई कार्य बताते हैं जहां जनता को कष्ट है. उन कष्टों का निवारण होना चाहिए . इस मूल प्रश्न में जिस सड़क का उन्होंने जिक्र किया है मैंने अपने जवाब में सारी की सारी बातें बता दी है. 1 जुलाई 2019 को अभी इसी वर्ष हम लोग माननीय मुख्यमंत्री और मैं, भूतल परिवहन केन्द्रीय मंत्री माननीय श्री नितिन गडकरी जी से मिले थे. इस रोड के साथ साथ हमने मंडला बरेला मार्ग, सीधी सिंगरौली मार्ग क्योंकि ये नेशनल हाईवे हैं, इसका अधिकतम काम पेमेंट से लेकर सारी व्यवस्थाओं का संचालन केन्द्र से होता है. अध्यक्ष महोदय, उसके बाद भी हम सतत् मॉनिटरिंग कर रहे हैं जैसा विधायक बोलेंगे वैसा हम निश्चित रूप से हमारे अधिकारियों को निर्देशित कर देंगे. अब एक उन्होंने पुल का कहा है, बड़ा गलत प्रश्न था कि 12-15 पुलियाएं टूट गई हैं, वहां पर यह बनी ही नहीं हैं. 3 पुल बहुत पुराने बने हुए थे, वह जर्जर हुए थे उनको भी रिपेयर कर दिया है, उसके साइड में दूसरे पुल बनाना है जो नये पुल अब बन रहे हैं जब वह पुल बन जाएंगे तो इन पुराने पुलों को तोड़कर फिर से निर्माण करा लेंगे. वैसे जैसा आदेश आसंदी की तरफ से होगा, वैसा किया जाएगा.
अध्यक्ष महोदय - जो उन्होंने दूसरी सड़क की बात की है असल में वह दूसरा ध्यानाकर्षण था. दो ध्यानाकर्षण आए थे एक ध्यानाकर्षण आया, उस ध्यानाकर्षण के बारे में जो माननीय विधायक जी चर्चा कर रहे हैं वह इसी से सम्बद्ध है तो उसमें जो टोल नाका चल रहा है, वह चले, लेकिन उस शर्त पर चले कि वह ठेकेदार गड्ढे तो ठीक कर दे. सड़क चलने लायक तो कर दे, तब वह टोल नाके का उपयोग है, अन्यथा नहीं है तो उसको दिखवा लीजिए, जांच करवा लीजिए.
दूसरा, आपने जो इन तीन पुलों की बात की है ठेकेदार ने बाजू की रास्ता तो चालू कर दी है लेकिन मूल जो रास्ता है यहां विधायक तेंदूखेड़ा भी बैठे हैं हम भी अभी एक महीने पहले वहां कार्यक्रम में गये थे. वह ठेकेदार रिपेयर ही नहीं कर रहा है. वहां पर जो पूरा आपका एनएच 12 बन रहा है. केन्द्र शासन के निर्देश हैं कि डायवर्शन के बोर्ड, कार्य प्रगति पर है, कहीं पर कोठी लगाकर और फीता बांधे जाते हैं यह चारों, पांचों पैकेज में ठेकेदार ऐसा कर ही नहीं रहे हैं. अब तो बरसात शुरू हो गई है काली मिट्टी है, बहुत एक्सीडेंट होंगे. हमारा जो पैकेट नम्बर टू है, इसमें तो ठेकेदार ने यह स्थिति बना रखी है कि मुझे नहीं लगता कि जो समय-सीमा बढ़ाई गई है, मेरे ख्याल से ठेकेदार ऐसा काम कर रहा है कि उसको सिर्फ एसक्लेशन ही दो तीन साल चाहिए. मेरा अनुरोध है कि आपके अधीनस्थ इस विभाग के अधिकारी भी यहां पर बैठे होंगे. कृपया बरसात में वह स्वयं नीचे के अधिकारी को न पहुंचाएं. वह स्वयं भी जरा हमारे यहां नर्मदा किनारे आएं. जरा एक दो रेस्ट हाऊस में बैठें, हमारे साथ में भी कुछ चर्चा कर लें, ताकि सड़क की भी देखरेख हो जायेगी, गड्डे भी भर जायेंगे जो पहले की सड़क है वह चलने के योग्य हो जायेगी और जो उसकी गुणवत्ता है, माननीय मंत्री जी जब से आये हैं इनका विशेष ध्यान गुणवत्ता पर जा रहा है.
कुंवर विजय शाह -- अध्यक्ष महोदय आपको भी इतना बोलना पड़ेगा तो बहुत मुश्किल है.
अध्यक्ष महोदय -- अरे भई मेरा रास्ता है, बोलना नहीं पड़ रहा है विधायक जी ने और मंत्री जी ने अनुरोध किया है कि मैं भी सुझाव दूं तो मैं कह रहा हूं, नहीं तो, विजय शाह जी मैं चुप हो जाता हूं. आपको आपत्ति है तो मैं चुप हो जाता हूं. मंत्री जी यह दो तीन बातें थी उनको देख लीजियेगा.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- माननीय विजय शाह दीर्घ अनुभव है माननीय अध्यक्ष जी को और अगर वह सदन को उस अनुभव को शेयर करते हैं तो निश्चित रूप से वह सदन के लिए तो ठीक प्रदेश के हित में भी वह काम आयेगा. मैं आसंदी को आश्वस्त करता हूं कि जो निर्देश आसंदी ने दिये हैं उन सारे निर्देशों का पालन अक्षरश: किया जायेगा.
अध्यक्ष महोदय --धन्यवाद् मंत्री जी.
टीकमगढ़ एवं निवाड़ी जिले में अमानक स्तर के चावल का भण्डारण किये
जाने से उत्पन्न स्थिति
श्री संजीव सिंह (भिण्ड) --
सीजन में जिला प्रबंधक नान टीकमगढ़ श्री एसडी बैहार एवं परिवहनकर्ता द्वारा भ्रष्टाचार की कार्यवाही हेतु पत्र लिखा गया था. परंतु राजनीतिक संरक्षण होने के कारण शासन द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई. इससे भ्रष्टाचार को अंजाम देने वाले जिम्मेदार व्यक्तियों के हौसले बुलंद हैं जिससे जनता में तीव्र आक्रोश व्याप्त है शीघ्र कार्यवाही नहीं की गई तो स्थिति विस्फोटक रूप धारण कर सकती है.
खाद्य नागरिक आपूर्ति मंत्री ( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ) --
भुगतान की कार्यवाहियां प्रचलित हैं. टीकमगढ़ की शिकायतों पर परीक्षण प्रचलित है. समस्त शिकायतों पर परीक्षण कर कार्यवाही की जाती है एवं विधिक न होने पर दण्डात्मक प्रावधान उपयोग किये जाते हैं. कलेक्टर एवं शासन स्तर पर उपार्जन प्रक्रिया की सतत् निगरानी की गई है तथा जनता में कोई आक्रोश नहीं है.
श्री संजीव सिंह "संजू" -- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने यह तो माना कि मैंने 4 हजार मेट्रिक टन कहा था, उन्होंने कहा 500 मेट्रिक टन. लेकिन अगर पूरी तरीके से जांच की जायेगी, तो वह संख्या मैं जो 4 हजार मेट्रिक टन बता रहा हूं, हो सकता है कि वह उससे ज्यादा भी निकल आये, जिसमें 36 प्रतिशत तक टूटा चावल पाया गया. अध्यक्ष महोदय, दूसरी बात मंत्री जी ने कहा कि 5 से 7 किलोममिटर की परिधि में जो एसडब्ल्यूसी के गोदाम उपलब्ध थे, उसमें न जाकर, उसमें न भण्डारण करके, जो हमने कहा है, प्रश्न किया है कि दूर के गोदाम, 90 किलोमीटर दूरी पर भण्डारण किया गया है, जिससे शासन को लाखों की क्षति हुई है. मैं मंत्री जी को अवगत कराना चाहता हूं कि कलेक्टर टीकमगढ़ का 27.4.2013 का पत्र है, इन्होंने इसमें साफ लिखा हुआ है कि डी.एम., नान ने दिनांक 23.4.2013 को परिवहनकर्ता पर केवल 87912 रुपये की टोकन पैनाल्टी अधिरोपित की है, जब कि 70 खरीदी केन्द्रों में कई दिनों से गेहूं संग्रहित था. परिवहनकर्ता द्वारा परिवहन कार्य सम्पादित न किये जाने की दशा में विलम्बित कार्य की मात्रा 2 रुपये प्रति क्विंटल प्रति दिन की दर से पैनाल्टी लगाई जाना थी, जो लगभग 18 लाख रुपये से अधिक होती है. जबकि डीएम, नॉन द्वारा मात्र 87800 रुपये की पैनाल्टी लगाई जाना परिवहनकर्ता से सांठगांठ सिद्ध होना बताता है..
अध्यक्ष महोदय -- माननीय सदस्य, प्रश्न करिये.
श्री संजीव सिंह "संजू" -- अध्यक्ष महोदय, मैं यह बताना चाहता हूं कि दो कलेक्टरों ने पत्र लिखे, पैनाल्टी लगाई, सिद्ध हो गया, उसके बावजूद भी डीएम, नान और परिवनहर्ताओं पर कोई कार्यवाही नहीं की गई. आपने लिखा है, देखिये,कलेक्टर ने दो दो पत्र लिखे है और पैनाल्टी की क्वांटिटी भी लिखी है 1 करोड़ 80 लाख रुपये. एक में 20 लाख रुपये उन पर पैनाल्टी लगाई गयी, जिसमें से सिर्फ मात्र उनसे 80 हजार रुपये वसूले गये और जिसको भी वापस करने की प्रक्रिया चलाई जा रही है. दूसरी पैनाल्टी 1 करोड़ 80 लाख रुपये लगाई गई और उस पर भी अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है और यह मैं वर्ष 2013 का मामला बता रहा हूं. अगर वर्ष 2013 से लेकर अभी तक की जांच करा लेते हैं..
अध्यक्ष महोदय -- माननीय सदस्य, आप प्रश्न नहीं कर रहे हैं. आप प्रश्न करें.
श्री संजीव सिंह ''संजू'' -- अध्यक्ष महोदय, प्रश्न कर तो रहा हूँ कि इस पर कार्यवाही तो करें. कलेक्टर्स ने लिखा हुआ है, जीएम को लिखा हुआ है, एमडी को लिखा हुआ है. इस पर एफआईआर की कार्यवाही करें. वसूली के लिए प्रावधान करें.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी, उत्तर दीजिए.
श्री आरिफ मसूद -- अध्यक्ष महोदय, मैंने भी इस विषय पर ध्यानाकर्षण दिया था, मेरे पास भी इसके दस्तावेज हैं.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सामने वाले मित्र को यह बताना चाहता हूँ कि निश्चित रूप से आपने जो बातें मुझे बताई हैं, संज्ञान में लाई हैं, 15 साल में भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी गहरी हो गई हैं कि उन्हें मट्ठा डालकर खत्म करने के लिए कुछ समय चाहिए. अध्यक्ष महोदय, जैसे ही यह प्रकरण मेरे संज्ञान में आया है, मैंने अपने विभाग के प्रमुख सचिव को लिखकर इस पर जांच के निर्देश दे दिए हैं, और मैं समय रहते उस पर उचित कार्यवाही करूंगा. आपने परिवहनकर्ता के बारे में कहा, अध्यक्ष महोदय, परिवहनकर्ता ने जो अनियमितताएं की होंगी, मैं विधायक जी की उपस्थिति में पांच दिवस के अंदर जांच कराऊंगा और जांच में यदि परिवहनकर्ता दोषी पाया जाएगा, तो उसके खिलाफ एफआईआर की जाएगी. यह मैं आपको आश्वस्त कर दूँ. हम भ्रष्टाचारियों को बख्शेंगे नहीं और उस समय के जो अधिकारी दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ भी कार्यवाही करूंगा. ये मैं आपको सुनिश्चित करता हूँ.
श्री संजीव सिंह ''संजू'' -- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न इसमें सिर्फ इतना है कि जब वर्ष 2013 से लेकर दो-दो कलेक्टर्स ने पत्र लिखे हैं, उनका भ्रष्टाचार प्रमाणित है तो उन पर तत्काल एफआईआर क्यों नहीं करते ? वसूली की कार्यवाही आप क्यों नहीं करते ?
अध्यक्ष महोदय -- ठीक है. माननीय मंत्री जी.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- अध्यक्ष महोदय, मैं सम्मानित विधायक जी को यह आश्वस्त कर रहा हूँ कि एक तो हमने उस परिवहनकर्ता को तत्काल निलंबित कर दिया है. अपने यहां से सस्पेंड कर दिया है. जांच के दौरान उस पर जो भी पैनल्टी फिक्स होगी, हम वह उससे वसूलेंगे, ये मैं आपको आश्वस्त कर दूँ और उसके खिलाफ जो तथ्य मिलेंगे, और जो आपने भी दिए हैं, उनके आधार पर हम एफआईआर दर्ज कराएंगे. वसूली करेंगे, यह आश्वस्त कर दूँ और ...
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी, विधायक जी ये पूछ रहे हैं कि जो कलेक्टर्स ने रिपोर्ट दे दी है, और कलेक्टर्स ने जो कहा है, उसके ऊपर कार्यवाही करने का प्रश्न कर रहे हैं.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- अध्यक्ष महोदय, मैंने आपसे अभी कहा कि 15 साल में, यह वर्ष 2013 का मामला है, मैं संज्ञान में लाना चाहता हूँ कि भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी हुई हैं, अब इसको समाप्त करने के लिए कुछ समय तो देंगे ना आप. तो मैंने कहा है कि जो दोषी है, उस पर मैं एफआईआर भी कराऊंगा और परिवहनकर्ता से वसूली भी कराऊंगा. डीएम, नॉन, जांच होने तक, जो जांच का विषय है, मैं उस अधिकारी को, सदन को आश्वस्त करता हूँ कि मैं निलंबित करता हूँ. अब क्या विषय रहा इस पर ?
श्री संजीव सिंह ''संजू'' -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी बार-बार कह रहे हैं कि जांच कराएंगे. अध्यक्ष महोदय, जांच तो हो चुकी है, पांच साल पहले हो चुकी है फिर आप जांच की बात क्यों कर रहे हैं, आप सीधा-सीधा उसको निलंबित करिए, उनके खिलाफ एफआईआर करिए, वसूली की कार्यवाही करिए, वसूली का एमाउंट भी लिखा हुआ है, 1 करोड़ 80 लाख रुपये वसूली करने हैं.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- माननीय अध्यक्ष जी, मैं विधायक जी को कह तो रहा हूँ, ये शायद सुन नहीं रहे हैं, मैं कह रहा हूँ कि जो जांच रिपोर्ट आई है, उस जांच रिपोर्ट के आधार पर मैं संबंधितों के खिलाफ कार्यवाही करूंगा. उसमें एफआईआर भी करूंगा, उसमें वसूली के आदेश भी दिए हैं और संबंधित डीएम को निलंबित भी कर दिया है और क्या चाहते हो आप?
श्री संजीव सिंह ''संजू'' -- अध्यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहता हूँ, इसमें समय-सीमा और बता दें, क्योंकि इस प्रकरण को 6 साल हो चुके हैं. अगले सत्र में भी यही बात उठाएंगे तो...
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी, समय-सीमा.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हम हफ्ते भर के अंदर आपको कार्यवाही कर बता देंगे.
श्री संजीव सिंह ''संजू'' -- पहले आपने 5 दिन बोला था, 2 दिन बढ़ा दिए.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- हफ्ते भर में.
श्री संजीव सिंह ''संजू'' -- ठीक है, माननीय अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
श्री आरिफ मसूद -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा विषय इसी में था लेकिन मंत्री जी ने कह दिया है, क्योंकि आपने पहले ही हम लोगों के संरक्षण के लिए एक बहुत बड़ा कार्य किया है. पूर्व में एक बड़ा घोटाला, जिसको उजागर किया था, क्योंकि एक अफसोस की बात है कि सारे दस्तावेज होने के बाद भी एफआईआर नहीं हो रही है.
समय सीमा सबकी कम होना चाहिये क्योंकि जैसे ही यहां से बात जाती है, तो वह तमाम लोग फेरी लगाने लगते हैं. इसलिये मैं चाहता हूं कि जल्द से जल्द कार्यवाही हो जाये. प्रद्युम्न भाई को बधाई देता हूं कि उन्होंने एफआईआर का कहा है. इस पर एफआईआर होना चाहिये और पूर्व संचालक पर भी जल्दी कार्यवाही हो जाये, आपने 7 दिन का कहा है.
1.06 बजे याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय - आज की कार्य सूची में सम्मिलित माननीय सदस्यों की सभी याचिकायें प्रस्तुत की गईं मानी जायेंगी.
अध्यक्षीय घोषणा
भोजनावकाश न होने संबंधी
अध्यक्ष महोदय - आज भी भोजन अवकाश नहीं होगा. भोजन की व्यवस्था सदन की लॉबी में की गई है. माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि सुविधानुसार भोजन ग्रहण करने का कष्ट करें.
श्री गोविंद सिंह राजपूत - अध्यक्ष महोदय, क्या आज लंच के साथ डिनर भी होगा ?
अध्यक्ष महोदय - आप चाहेंगे, तो और कुछ भी हो जायेगा, आप सामने बात कर लीजिये.
श्री हरिशंकर खटीक - अध्यक्ष महोदय, आज वाणिज्यिक कर मंत्री जी की तरफ से भोजन व्यवस्था है.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर - अध्यक्ष महोदय, वाणिज्कि कर मंत्री को इतना कमजोर मत समझो. आप आदेश तो करो. परसों हो गई है.
जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर के प्रबंध मण्डल हेतु
तीन सदस्यों का निर्वाचन.
निर्वाचन का कार्यक्रम
1.12 बजे वर्ष 2019-2020 की अनुदानों की मांगों पर मतदान ... (क्रमश:).
अध्यक्ष महोदय -- आज कार्य सूची में उल्लिखित सभी विभागों की मांगों पर चर्चा पूर्ण की जानी है. अत: दोनों पक्ष इस दृष्टि से सहमत सदस्यों के नाम चर्चा हेतु प्रस्तुत करें तथा माननीय सदस्य इसमें सहयोग प्रदान करेंगे.
(1) मांग संख्या 43 खेल और युवा कल्याण
मांग संख्या 44 उच्च शिक्षा
मांग संख्या- 43 - खेल और युवा कल्याण
क्रमांक
श्रीमती लीना संजय जैन 7
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया 15
मांग संख्या - 44 - उच्च शिक्षा
क्रमांक
डॉ. सीतासरन शर्मा 8
श्रीमती लीना संजय जैन 11
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया 20
उपस्थित सदस्यों के कटौती प्रस्तात प्रस्तुत हुए.
अब मांग और कटौती प्रस्ताव पर एक साथ चर्चा होगी.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया (मंदसौर) - अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 43 और 44 का विरोध करता हूं और कटौती प्रस्तावों का जमकर समर्थन करता हूं. विधान सभा के चुनाव में सड़कों, गलियों, मोहल्लों, नगरों, महानगरों में रंगीन-रंगीन पोस्टर लगे थे, वक्त है बदलाव का. बदलाव का असर कहीं दिखे न दिखे, लेकिन तीसरी बार का विधायक होने के नाते मैं इस बजट सत्र में शासन के विभागों की ओर से विभागीय प्रशासकीय प्रतिवेदनों में एक बदलाव जरूर देखने को आया है. कल मंत्री ओमकार सिंह जी, आज माननीय विद्वान मंत्री जितु पटवारी जी, जिनके प्रतिवेदन के मुख्य पृष्ठ पर ...
अध्यक्ष महोदय - यशपाल जी, मेरा आप सभी से अनुरोध है कि आप वरिष्ठ, बहुत शानदार गेंदबाजी करने वालों से अनुरोध है कि जैसे अपन भाषण देते हैं, घड़ी सामने रख लेते हैं. हमको टोकने की जरूरत न पड़े. मेहरबानी करना.
श्री विश्वास सारंग - अध्यक्ष महोदय, आज गेंदबाजी के साथ बल्लेबाजी करना चाह रहे हैं.
1.14 बजे { उपाध्यक्ष महोदया (सुश्री हिना लिखीराम कावरे) पीठासीन हुईं.}
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - उपाध्यक्ष महोदया, मुख्य पृष्ठ पर भी और अंतिम पृष्ठों पर भी अपनी ब्रांडिंग करने के लिये सम्मानित मंत्रियों ने मुख्यमंत्री जी का फोटो बीच में, पीछे, लेकिन खुद का फोटो आगे-आगे.
श्री गोविंद सिंह राजपूत - उपाध्यक्ष जी, क्षमा चाहता हूं, ब्रांडिंग में आप लोग तो बहुत माहिर हो. अभी हम लोग सीख रहे हैं.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - उपाध्यक्ष महोदया, केले की ब्रांडिंग, सेव की ब्रांडिंग, दूध उत्पादकों की ब्रांडिंग आदि-आदि ब्रांडिंग. लेकिन मैं भी दो बार से विधायक हूं. मैंने कभी प्रशासकीय प्रतिवेदनों पर मंत्रियों के फोटो मुख्य पृष्ठों पर नहीं देखे हैं. यह है वक्त बदलाव का.
श्री विश्वास सारंग - उपाध्यक्ष महोदया, और इनमें मुख्यमंत्री के फोटो नहीं हैं, केवल मंत्री जी का फोटो है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - उपाध्यक्ष जी, मैं उन मंत्रियों का अभिनंदन करता हूं जिन्होंने प्रथम और अंतिम पृष्ठों पर अपना फोटो दे दिया, लेकिन उन मंत्रियों का भी मैं आभार व्यक्त करना चाहता हूं, धन्यवाद देना चाहता हूं जो नहीं दे सके या नहीं दे पाये या उनकी मानसिकता नहीं देने की है. उपाध्यक्ष महोदया, सरकार के आर्थिक सर्वेक्षण को लेकर के हमारी आलोचना की गई. यह तो पूर्ववती सरकार का है आर्थिक सर्वेक्षण यह आप जानें, आपका काम जाने, लेकिन आदरणीय शर्मा जी आप तो वरिष्ठ हैं. यह प्रतिवेदन भी किसके हैं? प्रशासकीय प्रतिवेदन भी, अगर आप देखेंगे तो पिछली सरकार की जो हेड्स थे, पिछली सरकार की जो कार्य योजना थी, इसको तो आदरणीय नेता प्रतिपक्ष जी, स्वीकारोक्ति दी जा रही हैं. लेकिन मीठा मीठा गप्प और कड़वा कड़वा थू, तो यह इस प्रकार से आखिर हो क्या रहा है? उपाध्यक्ष महोदया, जो प्रशासकीय प्रतिवेदन प्रस्तुत हुए हैं, इसमें मुझे बहुत अच्छा लगता अगर 6-7 महीने में सरकार ने जो काम किए हैं, 2-4 उनकी भी कहीं पृष्ठों पर उपस्थिति हो जाती या जो वचन पत्र में काम कर दिए गए हैं, उनका भी इन प्रतिवेदनों में कहीं न कहीं एक दो पेज में कहीं उल्लेख हो जाता. सारे ही विभागों का मामला है, किसी एक विभाग का मामला थोड़े ही है.माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं माननीय मंत्री जी का इस ओर ध्यानाकर्षित करूँगा कि आप तो इन्दौर क्षेत्र के ही हैं, आपकी जन्म भूमि है, आपकी कर्मभूमि है, आप बड़े लोकप्रिय हैं, उपाध्यक्ष महोदया, मांग संख्या 44 में विभाग की डिमांड 1561, अगर आप इसको देखेंगे तो माननीय मंत्री जी, इन्दौर विश्वविद्यालय की ग्राण्ट घटा दी गई है. मैं आँकड़ों के विस्तार में जाना नहीं चाहता हूँ. आप खेल मंत्री भी हैं और उच्च शिक्षा में खेलों का भी कहीं न कहीं उपयोग होता है, वहाँ से कई बच्चे चलकर तैयार होते हैं, आपने खेलों को लेकर के, उस बजट में भी कमी कर दी है. जो महाविद्यालयों के माध्यम से खेल संचालित होते हैं. आप खेल एवं युवक कल्याण मंत्री हैं, वह एक अलग विषय है. लेकिन आपकी दोहरी भूमिका थी लेकिन उच्च शिक्षा में आपने खेल में कहीं न कहीं कटौती की है. उपाध्यक्ष महोदया, इन्दौर के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, कुलपति जी को बहुत जल्दी ताबड़तोड़ धारा 52 के अंतर्गत हटा तो दिया, उपाध्यक्ष महोदया, एक महीने से अधिक हो गया है, आप ही का शहर है, आप ही की जन्मस्थली है, आप ही की कर्मस्थली है, आपके शहर में हो क्या रहा है? 16 हजार से अधिक छात्र रिजल्ट की प्रतीक्षा में हैं, ढाई हजार से अधिक डिग्रीधारी बच्चे हस्ताक्षर की प्रतीक्षा में हैं कि कब स्थायी कुलपति महोदय बैठे और हमको न्याय मिल जाए. आपके उस शहर में क्या हो रहा है? यह तो एक टेस्ट है. कहा जाता है कि गृहणियाँ जब चाँवल या दाल पकाती है तो पूरी हांडी को चेक नहीं करती है एक दाने से ही मालूम पड़ जाता है कि यह कच्चा है या पका है या पकने में कितनी देर लगेगी? उपाध्यक्ष महोदया, मैं माननीय मंत्री महोदय से आग्रह करूँगा कि आपके पूरे बजट का मैंने अध्ययन किया है. आपके इस बजट में निजी विश्वविद्यालयों को लेकर के सरकार की जो मंशाएं होती हैं, सरकार जिस प्रकार से उन्हें ताकत दे देती है, उनको अधिकार संपन्न बनाती है, इसके साथ मेरा एक सुझाव भी हो जाएगा कि जिस क्षेत्र में, जिस विधायक के क्षेत्र में निजी विश्वविद्यालय की स्थापना होती है, वह पदेन डायरेक्टर उस विश्वविद्यालय में रहे, यह मेरी मन की इच्छा है क्योंकि हम धड़ल्ले से निजी विश्वविद्यालय की अनुमतियाँ देते चले जा रहे हैं, लेकिन उस निजी विश्वविद्यालय में इस हाउस का वह सदस्य, जो उस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है, जिस क्षेत्र में निजी विश्वविद्यालय खुलते हैं, खुलने जा रहे हैं और हम उनको ताकत दे देते हैं लेकिन हमारी वहाँ “नो एंट्री”, हम उनको कानूनन रूप से यहाँ पर अमली जामा पहनाते हैं और मैं यह नहीं कह रहा कि जिस क्षेत्र में मैं रहता हूँ पदेन विधायक, जिस दल का भी जो निर्वाचित हो, उस निजी विश्वविद्यालय में नामांकित सदस्य रहे. उपाध्यक्ष महोदया, शासकीय महाविद्यालय, बजट में कहीं उल्लेख नहीं, जो आपके संपन्न और सुदृढ़ विद्यालय हैं, जहाँ पर जनभागीदारी ताकतवर है, जहाँ छात्रों की संख्या नौ नौ, दस दस हजार तक है, वहाँ पर, उसी शहर में, अगर प्रायवेट कॉलेजों में एम.बी.ए. और बी.बी.ए.को ताकत दी जा रही है, वहाँ पर खुलते चले जा रहे हैं. आपके विभाग में भी उन विद्यालयों पर जो आर्थिक रूप से सुदृढ़ हैं, बी.बी.ए. और एम.बी.ए., के छात्रों को प्रवेश दिए जाने पर उनको आर्थिक लाभ मिलेगा. माननीय मंत्री जी, आपके विभाग के महाविद्यालयों के वे परिसर, जो 30 साल पहले, 40 साल पहले, भूमि आवंटित की गई थी, उन भूमियों पर, वहाँ के कलेक्टर, आपके प्रमुख सचिव से भी एन.ओ.सी. नहीं लेते हैं, मंत्री महोदय से भी एन.ओ.सी. नहीं लेते हैं और अपनी मनमर्जी से कलेक्टर उस आवंटित जमीनों को दे देते हैं. इसके दो उदाहरण मैं आपके सामने प्रस्तुत करूँगा. जावरा में एल.आई.सी.की बिल्डिंग बन गई, आपके शासकीय महाविद्यालय के सर्वे में और रकबें में, अधिकारियों के मकान बन गए, क्वार्टर्स बन गए, आवासीय, रहवासी और इसी प्रकार से हायर सेकण्डरी और माध्यमिक स्कूल भी कॉलेज की भूमियों में खुल गए 5-5, 10-10 साल हो गए हैं. आप इस पर ध्यान देने की कृपा करें. उपाध्यक्ष महोदया, मंदसौर के शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के छात्रावास की जमीन पर मंदसौर के उत्कृष्ट विद्यालय, जो हायर सेकण्डरी स्कूल है, उसकी भूमि पर खेल के मैदान को संरक्षित करने के नाम पर आपकी जमीन पर वहाँ पर 6 करोड़ रुपये की लागत का छात्रावास आपकी जमीन पर खुल जाए, इस बात के लिए फैसला किसने कर लिया, वहाँ के स्थानीय कलेक्टर ने कर लिया. जमीन आपकी, मालिक आप, लेकिन बंदर बाँट और अपनी वाहवाही करने के लिए वहाँ पर माननीय कलेक्टर ने उनको दे दी. उपाध्यक्ष महोदया, मैं माननीय मंत्री जी का ध्यानाकर्षित करूँगा इन्दौर और उज्जैन संभाग में 10 महाविद्यालय खुले, उज्जैन के झाड़ना, उन्हेल तथा कायथा में, मंदसौर के दलौदा में, नीमच के जीरन में, देवास के पीपलवा में, शाजापुर के गुलाना में, रतलाम के पिपलौदा में, आगर मालवा के बड़ौद में तथा सोयत कला में, माननीय मंत्री महोदय, इन 10 महाविद्यालयों में से सिर्फ 3 महाविद्यालयों की भूमि का चयन हुआ है, गुलाना, जीरन, नीमच जिला तथा दलौदा मंदसौर विधान सभा, लेकिन धनराशि का कहीं उल्लेख इस बजट में प्रावधानित नहीं किया गया. इन महाविद्यालयों में प्रोफेसर के कोई पद सृजित नहीं है, कर्मचारियों के 30 पद, आउट सोर्सेस के 150 पद सृजित किए गए हैं, मेरे प्रश्न के माध्यम से आपके विभाग ने मुझे अवगत कराया. मैं चाहूँगा कि कॉलेज खुल गया, अब ये कॉलेज कहाँ लग रहे हैं, प्राथमिक विद्यालय में लग रहे, माध्यमिक विद्यालय में लग रहे हैं, माननीय मंत्री जी, मैं आप से निवेदन करूँगा, उम्मीद करूँगा कि कॉलेज अगर खुले हैं तो कॉलेज में वह वातावरण चाहिए. लायब्रेरी भी चाहिए, लेबोरेट्री भी चाहिए, खेल मैदान भी चाहिए और माननीय मंत्री महोदय, जो महाविद्यालय स्टार्ट हो गए हैं, जो घोषणाओं में तब्दील होकर के कार्यरूप में परिणीत हो गए हैं, उन महाविद्यालयों को तो कम से कम आप जमीनों का आवंटन भी करें और उसमें बजट देने की भी कृपा करें, माननीय मंत्री महोदय, मैं आप से प्रार्थना पूर्वक आग्रह करूँगा.
उपाध्यक्ष महोदया, सूचना प्रौद्योगिकी को लेकर के हम बड़ी बात करते हैं, खूब वातावरण बनाने की कोशिश करते हैं, सूचना प्रौद्योगिक, राज्य की सरकार है, लेकिन मुझे निराशा हुई, आपके इस बजट में 8808 हेड में जीरो, आपने बजट प्रावधानित किया है. उपाध्यक्ष महोदया, नेक द्वारा मूल्यांकित महाविद्यालयों को प्रोत्साहित करने को लेकर के बजट में जीरो है. मैंने देखा यह आपकी अनुदान मांगों की कॉपी मेरे हाथ में है इसमें आप थोड़ा सा ध्यान दें. प्रवेशार्थी प्रथम वर्ष के छात्रों को प्रोत्साहन देने के लिए, उन्हें प्रेरित करने के लिए, ताकि प्रायवेट कॉलेजों में न जावे और आपके कॉलेजों में आकर के शासन की योजना का लाभ ले, लगातार पिछली सरकार ने जो धनराशि उपलब्ध कराई थी, आपकी तरफ से भी कोई सकारात्मक जवाब नहीं आया, न नकारात्मक जवाब आया. माननीय मंत्री महोदय, पृष्ठों में आपने भी किसी प्रकार से कोई स्पष्ट बात नहीं कही. लेकिन इस बजट की कॉपी से मुझे जानकारी मिली है 7463 हेड में आपने इस वर्ष प्रथम प्रवेशार्थी छात्रों के लिए पूरे मध्यप्रदेश में स्मार्ट फोन के लिए बजट रखा है जीरो. अब जब जीरो बजट आपने रखा है तो स्वाभाविक है स्मार्ट फोन इस बार नहीं मिलेंगे, तो कम से कम छात्रों को इसमें लाभ मिलना चाहिए. माननीय मंत्री महोदय, नवीन संकायों का अनुदान भी आपकी मौजूदा सरकार ने घटा दिया है, वह भी मैं आपको आँकड़े प्रस्तुत कर सकता हूँ. जनभागीदारी में रिक्त पदों का मानदेय आपने कम कर दिया. हिन्दी विश्वविद्यालय अनुदान को लेकर के भी बड़ी राशि, जहाँ 14 करोड़ हुआ करती थी, आपने 7 करोड़ कर दी. जबकि हिन्दी हमारी मातृभाषा है, हिन्दी हमारी राजभाषा है, हिन्दी को और अधिक बढ़ावा देना चाहिए. लेकिन उसमें भी आपने भारी भरकम कमी कर दी है. मैंने बताया महाविद्यालयों में भवनों के निर्माण में आपने कोई प्रावधान नहीं किया है. महाविद्यालयों में खेलकूद के विकास के लिए भी आपने बजट में कोई राशि नहीं दर्शाई है. योग में पूरा देश मोदी जी के नेतृत्व में है उनके आव्हान पर 176 से अधिक देशों ने योग को स्वीकार कर लिया है लेकिन आपने योग प्रसार समितियों को अनुदान देने में काफी कमी कर दी है. आप इस मामले को देखिए. योग भी स्वास्थ्य को सुरक्षित करने का काम करता है. मैंने बताया है कि आपने खेलकूद को प्रोत्साहित करने में कमी की है. जबलपुर की नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी उसमें भी अनुदान में कमी कर दी है. मंदसौर जिले का नटनागर शोध संस्थान एकमात्र ऐसा शोध संस्थान है जहां पर इतिहास विषय के विद्यार्थियों को डॉक्टरेट की उपाधि मिलती है. हरदीप जी बैठे हैं उनका विधान सभा क्षेत्र सीतामऊ है, सुवासरा उसमें शामिल है. नटनागर शोध संस्थान को कौन नहीं जानता है. डॉ. रघुवीर सिंह जी को कौन नहीं जानता है. उनकी इतनी सशक्त लायब्रेरी को, नटनागर शोध संस्थान को लगातार बड़ा बजट दिया जा रहा था. उस पर भी माननीय मंत्री जी आपके विभाग के अधिकारियों ने बजट कम कर दिया है. प्रतिभाशाली छात्रों को नि:शुल्क विदेश अध्ययन करने के लिए 0744 हेड में राशि कम कर दी है. इन बच्चों को हम विदेश भेजने के लिए प्रेरित करते थे तो अब जो हजारों के जो आंकड़े हैं उसकी भरपाई कैसे होगी. बच्चे विदेश कैसे जाएंगे. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के छात्रों को निशुल्क शिक्षण व्यवस्था देने के लिए हेड 0742 में भी आपने काफी राशि कम कर दी है. मैं इसमें जानना चाहूँगा कि जहां 25100 हजारों में आंकड़े थे वहां पर आपने 2 कर दिया है. मैंने इसे अलग-अलग दृष्टिकोण से देखा जहां पर आपने सिर्फ 2 मानक दिया है. इसको 2 हजार माना जाय, 2 लाख माना जाए या 2 करोड़ माना जाए, यह आपके जवाब में बता दीजिएगा. विधान सभा के द्वारा मध्यप्रदेश के समस्त विश्वविद्यालयों में एक कोर्ट सभा का निर्वाचन होता है. चाहे उज्जैन का विक्रमादित्य विश्वविद्यालय हो, चाहे देवी अहिल्याबाई विश्वविद्यालय हो, चाहे अन्य विश्वविद्यालय हों इस हाउस के द्वारा दी गई कानूनन व्यवस्था में यूनिवर्सिटी के कुलपति कभी भी हम निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को न आमंत्रित करते हैं न समय पर कोई मीटिंग करते हैं. हम बड़े प्रसन्न हो जाते हैं कि हम अपने क्षेत्र के विश्वविद्यालय से जुड़े हैं. ओमप्रकाश सखलेचा जी, राजेन्द्र पाण्डेय जी और अन्य सदस्यों के साथ मैं भी सदस्य हुआ करता था. लेकिन एक भी मीटिंग नहीं होती है इसको दिखवाने का कष्ट करें
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, माननीय मंत्री जी ने एक अच्छा काम किया है उसके लिए मैं उनको धन्यवाद देना चाहता हूँ. राष्ट्रीय सेवा योजना में चूंकि आपने इसके प्रतिवेदन में बच्चों के साथ फोटो भी खिंचवाया है उसमें एनसीसी के बच्चे भी हैं राष्ट्रीय सेवा योजना के भी बच्चे हैं. इसमें आपने बजट बढ़ाया है इसके लिए आपका आभार व्यक्त करता हूँ. एनसीसी के बारे मुझे पता नहीं है कि आपका विभाग करता है या शिक्षा विभाग करता है. आपके भाषण में आप जरुर बता दीजिए इसमें मुझे एनसीसी को प्रोत्साहित करने का हेड में बजट नहीं दिखा है. न कोई शासकीय महाविद्यालय इसमें अपने निजी स्त्रोत से कोई खर्च करते होंगे. हम जनभागीदारी में भी अध्यक्ष रहे हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, आपकी सरकार आई बधाई. लेकिन आपकी सरकार के आते ही पुरानी सरकार के जो जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष थे उनको 24 घंटे में हटा दिया गया. हमारा कहना है कि आप अपनी विचारधारा के ही विधायकों को बना दें हमें आपत्ति नहीं है. लेकिन इतने बड़े-बड़े कॉलेजों में जनप्रतिनिधि होता है तो अधिकारी कर्मचारी स्थानीय विकास विधायक निधि वह अध्यक्ष अपनी क्षमता से सांसद जी से भी राशि ला सकता है. हम यदि आपको गलत लग रहे थे तो हमारे स्थान पर आप कांग्रेस के लोगों को बैठा दें लेकिन जनभागीदारी समिति में यदि सरकार ने अध्यक्षों का नामिनेशन किया था तो यह आवश्यक है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, नेक (राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद) द्वारा मूल्यांकित महाविद्यालयों के प्रोत्साहन को लेकर नेक जैसी संस्था आपसे उम्मीद करती है और उसके बजट में हम जीरो रखेंगे तो फिर हमारे महाविद्यालय मूल्यांकन की उस कसौटी पर खरे कैसे उतरेंगे. आपको इसके लिए कुछ न कुछ व्यवस्था करना पड़ेगी. मंदसौर में जब मैं जनभागीदारी का अध्यक्ष था हमने उनका स्वागत किया और हम उम्मीद कर रहे थे कि नेक हमको कुछ देकर जाएगा. नेक को विश्वास में लेकर यदि हम अपना इन्फ्रास्ट्रकचर मजबूत करते हैं तो मैंने अनुभव किया है. 1 करोड़, 2 करोड़, 5 करोड़ तक की राशि नेक के माध्यम से महाविद्यालयों को प्राप्त होती है. इसके मूल्यांकन के लिए आपको बजट में प्रावधान करना चाहिए था जो आप नहीं कर पाए. छात्रों की करोड़ों रुपयों की स्कॉलरशिप इस समय ऑनलाइन दी जा रही है. पहले भी जाती रही होगी. लेकिन ऑनलाइन के बाद स्थिति यह हो रही है कि छात्रों का पैसा कहां किसके खातों में जा रहा है इसका कोई हिसाब-किताब नहीं है. बड़ी संख्या में छात्र परेशान होते हैं. विक्रम विश्वविद्यालय का कार्य क्षेत्र 250-275 किलोमीटर का है. इसमें नीमच, जावद, भानपुरा, गरोठ शामिल हैं. अब एक-एक छोटी छोटी बात के लिए छात्र-छात्राएं इतनी दूर तक का सफर अपने माता-पिता के साथ करते हैं. उनका आना-जाना, खाना-पीना इस पर व्यय होता है. आप इसको सेन्ट्रलाइज कर दें. हम यह नहीं कह रहे हैं कि नई यूनिवर्सिटीज खोल दें एक उपखण्डीय कार्यालय खोल दें. इसके लिए मैंने पत्राचार किया था, आप अपने अधिकारियों से चर्चा कर लें. यह किया जा सकता है. मंदसौर के शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में भरपूर जमीन है, भरपूर कमरे हैं आप एक वैकल्पिक व्यवस्था करके छोटी-मोटी समस्याओं का समाधान करने के लिए वहां पर उज्जैन से दो अधिकारियों को पदस्थ कर सकते हैं. ताकि विद्यार्थियों को सिंगोली घाटे से, चाक घाटे से, गरोठ, भानपुरा, मंदसौर से लंबा सफर न करना पड़े. मंदसौर उज्जैन में 150 किलोमीटर की दूरी है उसमें विद्यार्थी आएगा जाएगा तो उसे दो दिन का समय लग जाएगा. छोटी-छोटी त्रुटियों का समाधान वहीं हो जाना चाहिए. अतिथि विद्वानों की बड़ी समस्या है क्योंकि पूरे शासकीय महाविद्यालयों में प्रोफेसरों से ज्यादा अगर कोई परिश्रम कर रहा है तो वह अतिथि विद्वान कर रहा है. उसके बारे में सरकार को कुछ न कुछ सोचना चाहिए. माननीय उपाध्यक्ष महोदया, आपने बोलने का अवसर दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगांव (बदनावर)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं मांग संख्या 43 एवं 44 के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूँ.
खेल युवा कल्याण विभाग के मंत्री माननीय जितु पटवारी जी हैं जो युवा हैं उन्होंने जो मांगे रखी हैं उनके समर्थन में बोलने के लिए उपस्थित हूं. जितु पटवारी जी को जब हम देखते हैं वे नौजवान हैं, ऊर्जावान हैं, लगनशील हैं, प्रयत्नशील हैं. अगर कोई इनकी फेसबुक का फॉलोअर है या कोई इनके ट्विटर को देखता है तो आपको समझ में आएगा कि इनकी युवाओं के प्रति कितनी प्रतिबद्धता है. मैं विवेकानन्द जी कि इस बात से प्रारंभ करना चाहता हूँ कि--Arise, awake, and stop not till the goal is reached. उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाए. जितु पटवारी जी निरन्तर इसका अनुसरण कर रहे हैं. इस मार्ग पर चल रहे हैं. हमारे काबिल मित्र यशपाल सिंह सिसौदिया जी बहुत सी बातें कह रहे थे. लेकिन यदि हम पूरे बजट को ध्यान से पढ़ें जो कि दो भागों में है भाग 43 एवं भाग 44 है. इससे हम पूरी तरह से समझ जाएंगे कि हमारे नौजवान जितु पटवारी जी ने जो बजट रखा है वह कह क्या रहा है, हमारे नौजवान को क्या संदेश दे रहा है--
काल के कपाल पर रच दिया नव इतिहास,
क्रांति की मशाल से भूत हो भविष्य हो,
युवा ही वर्तमान है, युवा ही वर्तमान है.
इसी भाव को आत्मसात करते हुए उन्होंने बजट पर कार्य किया है. मैं जितु पटवारी जी से यह जरुर कहना चाहूँगा कि आप खिलाड़ी रहे हैं, मैं भी रहा हूँ. बहुत से हमारे विधायक ऐसे होंगे जो खिलाड़ी रहे हैं और खिलाड़ी न भी रहे हों तो बहुत सारे एसोसिएशन उसमें उनका योगदान रहा होगा. जैसे बास्केट बाल एसोसिएशन है, शूटिंग है, ताइक्वांडो है, मार्शल आर्ट्स का है. पाण्डे जी शायद अभी सदन में नहीं हैं. मुझे आज भी स्मरण है जब हम दोनों पहली बार विधायक बने थे. वे बास्केट बाल एसोसिएशन को हेड कर रहे थे. शायद मेन्दोला जी भी आज यहां आए नहीं हैं उनका ओलम्पिक एसोसिएशन में अहम दखल है. यहां पर बहुत सारे हमारे लोग हैं और इन संस्थाओं में काम कर रहे हैं. उन सभी संस्थाओं में काम कर रहे हैं. मैं माननीय जितु पटवारी जी को यह जरूर कहना चाहूंगा कि जितनी भी खेल से संबंधित हमारे यहां पर संस्थाएं हैं उनकी एक बार समीक्षा जरूर करें कि वह संस्थाएं क्या कर रही हैं, किस प्रकार से उनके उत्थान में हमारे खिलाडि़यों को योगदान दे रही हैं या नहीं दे रही हैं. पिछले वर्ष विगत कई वर्षों से कहां-कहां से उनके पास राशि आई या नहीं आई, उसका सदुपयोग हो रहा है या दुरुपयोग हो रहा है और एक बहुत ही विडंबना है और मैं कहता हूं कि हमारे देश का दुर्भाग्य भी है कि जब बच्चा स्कूल में या कॉलेज में पढ़ता है, प्रतिभावान होता है, खिलाड़ी होता है चाहे वह किसी भी खेल मे हो जैसे हॉकी में, फुटबॉल में एथलेटिक्स में, टेबल टेनिस, टेनिस में, शतरंज में तो जैसे-जैसे वह ऊपर जाता जाता है. माता-पिता कहीं न कहीं उसको पीछे खिंचते हैं कि बेटा पढ़ ले खेलकूद में क्या रखा है, लेकिन मैं आपको इस बात का स्मरण दिलाना चाहूंगा कि विवेकानंद जी ने कहा है कि ''युवा की पाठशाला खेल का मैदान है'' हम ऐसी कोई योजना बनाए हमारे मंत्री जी ऐसा कुछ सुनिश्चित करें जिससे कि हमारा जो खिलाड़ी है उसका प्रोत्साहन बढ़े और माता-पिता भी कहें कि जा बेटा तू खेल ले और वह यह कब कहेंगे, वह यह तब कहेंगे जब उनको इस बात का विश्वास होगा कि यह नौजवान आगे जाकर खेल के आधार पर अपना जीवनयापन कर पाएगा. आप देखिए हमारे बहुत से खिलाड़ी राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जाते हैं, मैडल्स भी लाते हैं, प्रदेश का नाम भी रोशन करते हैं, जब वह जाते हैं तो किस भावना से जाते हैं. क्या हम में से किसी ने सोचा है कि उनकी मन:स्थिति क्या होती है. उनके मन का भाव क्या होता है, वह क्या सोच रहे होते हैं और किस जुझारूपन से वह वहां जाते हैं शायद हम नहीं समझ पाएंगे कम से कम वह तो बिलकुल नहीं समझ पाएंगे जिन्होंने कभी कोई खेल खेला ही नहीं हो. उस खिलाड़ी के मन में कितना जुनून होता है.
''कर दिया एलाने जंग मैदान में हम जाएंगे.
कर फतह पाबंदियों को लौटकर हम आएंगे
लौटकर जब आएंगे तो फख्र से सर उठाकर तिरंगा लहराएंगे
कर फतह पाबंदियों को लौटकर हम आएंगे''
इस भाव से जब वह जाता है तो उसे हमारा प्रदेश क्या दे रहा है हमारा देश क्या दे रहा है, उस पर हमें अवश्य ध्यान देना चाहिए. मैं जितु पटवारी जी से निवेदन करना चाहता हूं कि आप एक पूरी नई नीति बनाए. हमारे प्रदेश में खेल अधिकारी होते हैं, जिले में भी होते हैं पर हम उन्हें कब याद करते हैं जब हम हमारे दौरों पर जाते हैं हम आप सब जाते हैं कि कभी कबड्डी बैग दे दीजिए, क्रिकेट का किट दे दीजिए. बास्केटबाल, फुटबॉल दे दीजिए, लेकिन ऐसा क्यों नहीं होता कि विकासखण्ड स्तर पर हमारे पास कोई सुनियोजित खेल का अधिकारी हो, मद हो, व्यवस्थाएं हों. मैं आपको मेरे क्षेत्र का उदाहरण देना चाहता हूं. मैं विपक्ष का भी ध्यानाकर्षित करना चाहूंगा. गोपाल प्रजापति नाम का एक नौजवान है. एक दिन मुझे सुबह-सुबह दैनिक भास्कर के पत्रकार का फोन आया. उन्होंने कहा कि आप आज का अखबार पढि़ए. मुझे अखबार पढ़कर आश्चर्य हुआ कि उसके पिताजी वास्तविकता में चाय बेचते हैं. वह सेमिया गांव का नौजवान है. उसने बिना किसी की सहायता के पंजाब में जाकर राष्ट्रीय स्तर की प्रतिस्पर्धा में गोल्ड मैडल जीता है. उसने पांच किलोमीटर का सफर 16 मिनट में तय किया और उसका चयन अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में हो गया. मैंने उसे बुलाया और कहा कि गोपाल क्या करते हो. उसका गांव बदनावर मुख्यालय से दस किलोमीटर दूर है. उसने कहा कि मैं रोज इतने वर्षों से सुबह जल्दी उठता हूं और पैदल दौड़कर जाता हूं. वहां उसकी प्रैक्टिस करता हूं और वह भी मैदान में और उसके अलावा वहां कुछ और सुविधा नहीं है. उसकी इच्छाशक्ति कितनी प्रबल है उनको मैंने यहां पर लाकर जितु पटवारी जी से मिलाया और मुझे बहुत ही खुशी है इस बात की आपने तत्काल न सिर्फ यह कहा कि उसको एकेडमी मे भर्ती करेंगे बल्कि इसकी मलेशिया जाने की व्यवस्था भी करेंगे. इसकी ट्रेनिंग का भार लेंगे. उसको पूरा संरक्षण देंगे. मैं जितु पटवारी जी का आभार व्यक्त करना चाहता हूं कि आपने सहयोग किया और मैं आपसे यह भी निवेदन करना चाहता हूं कि न सिर्फ एक गोपाल जैसे बल्कि ऐसे हजारों लाखों गोपाल प्रजापति हमारे गांव में छिपे बैठे हैं. यह ध्यानचन्द्र की धरती है. कृपया इस पर ध्यान दीजिए कुछ ऐसा करिए कि हम सब फख्र से सर उठाकर कह सकें कि हां हमारा हर एक नौजवान ओलंपिक्स में गोल्ड मैडेलिस्ट बन सकता है, और गोल्ड मेडल लाकर दे सकता है. मेरा एक और निवेदन है कि हमारे गांव में जो खेल के सहायक हैं उनको बहुत ही कम पैसा मिलता है. बमुश्किल ढाई हजार, तीन हजार रुपया मिलता है जो कि कलेक्टर रेट से भी कम है उसको आप बढ़ाएं ताकि वह कम से कम अपने घर का लालन पालन कर सके और हमारी प्रतिभाओं को इस मुकाम पर ले जा सकें कि हम सबको गर्व हो. हमारे काबिल मित्र यशपाल जी काफी बातें कह रहे थे और वह आमतौर पर बहुत पढ़कर भी आते हैं और बहुत सटीक बोलते हैं. उनकी कुछ बातों का जवाब मैं जरूर देना चाहूंगा. प्रशासकीय प्रतिवेदन का जिक्र उन्होंने किया. प्रतिवेदन मेरे हाथ में है. उन्होंने यह भी कहा कि आपने बजट कम दिया आपको चिंता नहीं है. जितु पटवारी जी मुझे निराश हुई है, लेकिन मैं इस प्रतिवेदन का अध्ययन कर रहा था और मैंने पाया आप सब के पास यह है यह सदन को दिया गया है आप देखिए इसमें जो मांग संख्या 43 है वर्ष 2018-2019 की योजना और बजट प्रावधान व्यय की जानकारी इसमें है. सामान्य श्रेणी में हम देखें एक या दो अनुदान संख्या आप ले लीजिए. 49 और 38 यहां आपने 627 और 620 करोड़ रुपया खर्च किया है. कुल मिलाकर मैं यह कहना चाहता हूं कि आपको जो कुल बजट दिया गया था 10 हजार 225.10 करोड़ रुपए का उसमें से आप खर्च ही नहीं कर पाए. आपने पैसा लौटा दिया यहां करीब 1700 करोड़ आप खर्च नहीं कर पाए. आप आगे बढि़ए अनुसूचित जाति जनजाति उपयोजना यहां पर आपको कितना पैसा दिया गया. यहां पर 2 हजार 657 करोड़ रुपया आपने लिया और आप खर्च ही नहीं कर पाए. 600 करोड़ रुपया आप खर्च ही नहीं कर पाए. आप उसके आगे बढि़ए आप पूंजीगत व्यय में आ जाइए उसी मद में आपको 3 हजार 967 रुपया मिला और आप खर्च ही नहीं कर पाए. एक हजार करोड़ रुपया यह खर्च ही नहीं कर पाए और आगे आ जाइए अनुसूचित जाति उपयोजना में वहां पर इनको बजट मिला 15 सौ 29 करोड़ रुपए का वहां भी यह पूरा पैसा खर्च नहीं कर पाए. 130 करोड़ रुपया यह खर्च नहीं कर पाए. पूंजीगत व्यय में आइए वहां भी यह 400 करोड़ रुपया खर्च ही नहीं कर पाए, लेकिन हमारी सरकार हमारे मंत्री खिलाड़ी हैं, नौजवान हैं, ऊर्जावान हैं. मुझे पूरा विश्वास है कि जितना भी हमने सदन से जो भी मांगे मांगी हैं न सिर्फ हम उसको पूरी तरीके से उसका सदुपयोग करेंगे मुझे विश्वास है जब अगले साल हम बजट की चर्चा सदन में करेंगे और हम यह आंकड़े देखेंगे तो हम यह गर्व से यह कह पाएंगे कि हां जितु पटवारी जी ने जो हमसे मांगा जो हमने उन्हें दिया उसका उन्होंने सदुपयोग किया और एक-एक पैसा युवाओं के कल्याण में लगाया और प्रदेश में उसका कोने-कोने में, गांव-गांव में, गली-गली में, शहर-शहर, कस्बे-कस्बे में सदुपयोग हुआ. मैं यश्पाल जी की कुछ बातें और बता दूं. बदलाव की बात कहीं हां वक्त है बदलाव का और आपको पता है कि प्रकृति चलायमान है जो शिथिल है वह मृतप्राय है. बदलाव तो होता रहता है और होना चाहिए इसमें कुछ बुरा नहीं है और जीवन ही उसका नाम है. बदलाव हुआ नवाचार की बात मंत्री जी करेंगे उठकर बताएंगे कि हमने क्या बदलाव किया यह मैं उनके लिए छोड़ देता हूं. वह लोकप्रिय हैं और समझदार भी हैं. आपने एक बात बहुत ही गंभीर कही जमीन वाली कि कलेक्टर अपनी मनमानी से कहीं भी कुछ भी दे देता है. जो चाहे कर लेता है मैं समझता हूं कि वह पूरी तरीके से गलत है और ऐसा नहीं होना चाहिए अगर कहीं भी जमीनें हैं और अगर विभाग की हैं और उसका बेहतर उपयोग हो सकता है तो कम से कम वहां के स्थानीय जनप्रतिनिधि का सांसद हों, विधायक हों और तमाम हमारे जनप्रतिनिधि हों मैं तो यह भी कहूंगा कि अगर उस क्षेत्र में, उस ब्लॉक में, उस विधान सभा में कोई हमार राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय या कोई ख्याति प्राप्त खिलाड़ी भी है तो उसको भी हमको ऐसे सलाहकार मंडल बनाना चाहिए और उनमें रखना चाहिए. एक बात आपने महाविद्यालय की कहीं आप कह रहे थे कि निजी महाविद्यालय जो आते हैं उनमें विधायक का डायरेक्टर होना चाहिए. मैं माननीय सदस्य को आपके माध्यम से बताना चाहता हूं कि हम एक तरफ तो निवेश की बात कर रहे हैं आपको पता है जब मेडिकल कॉलेज लगता है दूसरे तमाम कॉलेज लगते हैं हमारे बहुत से सदस्य हैं वह भी कॉलेज चलाते हैं कितने करोड़ों का खर्चा उसमें आता है 100 करोड़ लगते होंगे मैं नहीं कहता कि सब जनप्रतिनिधि एक से होते हैं लेकिन कुछ अनुभव रहा है कि कभी कभी टकराव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है और डायरेक्टर तो एक तरह से बल्कियत में आ जाता है उसका एक अहम रोल होता है तो मैं समझता हूं कि डायरेक्टर न बनाया जाए क्योंकि पूंजी उनकी है लेकिन हां परामर्शदात्री भूमिका में जरूर विधायक को जनप्रतिनिधि को रखना चाहिए ताकि उसकी दिशा सही हो सके. क्योंकि शासन की मंशा अंततोगत्वा यह है कि अंत्योदय का कल्याण हो. सबसे पिछड़ा, वंचित, शोषित जो हमारा छात्र है, युवा है उसे वह मिले जो उसे मिलना चाहिए. मैं यशपाल जी की बात से सहमत हूं कि कॉलेज हैं लेकिन उनके भवन नहीं है. कॉलेज कहीं स्कूल के भवन में चल रहा है, कहीं पर किसी और प्रकार से चल रहा है. यह बहुत ही दुखदायी बात है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मेरा आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन है कि वे यह सुनिश्चित करें जिससे हम किसी भी मद से भवनों की व्यवस्था करवा सकें और मैं आपके माध्यम से अपने विपक्ष के साथियों से भी निवेदन करना चाहूंगा कि केंद्र से भी बहुत-सी सहायता हमें इसमें मिल सकती है. पहले जब हमारी सरकार केंद्र में थी, जब मनमोहन सिंह जी प्रधानमंत्री थे तब BRGF (Backward Regions Grant Fund) और तमाम् दूसरे मद हमने इस हेतु बना रखे थे. BRGF को आप लोगों ने समाप्त कर दिया. यदि ऐसे मद होते तो हमें उनसे पिछड़े क्षेत्रों में कहीं न कहीं लाभ होता. ऐसा कुछ आप अवश्य करें ताकि जहां-जहां महाविद्यालय स्वीकृत हो चुके हैं, उन्हें हम कम से कम भवन दे पायें.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, बहुत सी महत्वाकांक्षी और अच्छी योजनाओं का उल्लेख हमारे बजट में है जिनका जिक्र मंत्री जी इसमें किया है. उसमें से IUMS एक उदाहरण के रूप में है. जिसके अंतर्गत संपूर्ण विश्वविद्यालय ऑनलाईन और पेपरलैस हो जायेंगे. मैं मानता हूं कि हमारे साथी इससे मुकरेंगे नहीं क्योंकि मोदी जी भी यदि चाहते हैं. डिजिटल इंडिया की बात उन्होंने की है. हमारी सारी व्यवस्थायें पेपरलैस होनी चाहिए, यह सराहनीय है और इसकी प्रशंसा पूरे सदन को करनी चाहिए.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, यदि सभी ध्यान से देखें तो बजट में एक और सराहनीय कदम उठाया गया है. उसमें मुझे वह कॉन्सेप्ट याद आता है, जब हम छोटे हुआ करते थे तो टेलीविज़न पर तो ज्यादा कुछ नहीं आता था लेकिन एक Countrywide Classroom का कॉन्सेप्ट आया था और विश्व में उसकी बड़ी प्रशंसा हुई थी. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आप सुदूर अंचलों में, जहां के बच्चों से कभी इंटरेक्शन नहीं हो सकता, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उन्हें शिक्षा दी जायेगी. न केवल शिक्षा दी जायेगा वरन् द्विस्तरीय संवाद का उसमें उल्लेख किया गया है यानि आप उन बच्चों के साथ इंटरेक्ट करेंगें. यदि कोई शिक्षाविद, प्रोफेसर, विश्व का विशेषज्ञ, आपको कोई शिक्षा दे रहा है तो यह एक अवसर होगा, उन सुदूर अंचलों में बैठे हर एक युवा के लिए कि वह इससे अपनी जिज्ञासा शांत कर सके. यह बहुत ही अच्छा कदम है और इसकी सराहना हम सभी को करनी चाहिए.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, कक्षाओं को हाईटेक और मॉडर्न स्मार्ट क्लास रूम के रूप में विकसित किया जा रहा है. यशपाल जी कह रहे थे कि आपने स्मार्ट फोन के लिए बजट ही नहीं रखा. यह आवश्यक नहीं है कि प्रत्येक युवा को हम स्मार्ट फोन उसके हाथ में दें अपितु इसके स्थान पर उन क्लास रूम को हम स्मार्ट बना सकते हैं. वहां उन सारी तकनीकों जैसे- ऑडियो-वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की व्यवस्था, आईपैड, लैपटॉप आदि रख सकते हैं जो उस महाविद्यालय की संपत्ति होगी और एक छात्र के शिक्षा पूर्ण कर चले जाने पर, जब दूसरा छात्र वहां आये तो उसके भी उपयोग में ये सुविधायें आ सकें. मैं मानता हूं कि यह बहुत प्रशंसनीय है. इसकी भी हम सराहना करते हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, महाविद्यालय की अधोसंरचना को विकसित करने के लिए भी इसमें कदम उठाये गए हैं. मंत्री जी ने इसका भी ध्यान रखा है इसके अतिरिक्त एक विशेष जो अच्छी चीज हैं, जिसका मैं जिक्र करना चाहूंगा कि खेल के मैदान और उपकरणों से सुसज्जित कक्षाओं को वित्तीय राशि उपलब्ध करवाने के लिए एक वृहद् योजना तैयार की जा रही है. अर्थात् स्पेसिफिकली आप उस पर फोकस करके एक स्पेशलाइजे़शन पर जोर दे रहे हैं. मैं पुन: विवेकानंद जी को कोड करके कहना चाहूंगा-
''तुम फुटबॉल के जरिये स्वर्ग से ज्यादा निकट हो सकते हो,
बजाय गीता अध्ययन करने के''
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, युवा जीवन के उस मोड़ पर होता है कि उसे खेलने की बहुत आवश्यकता होती है. उसके पूरे व्यक्तित्व का विकास कब होगा ? तभी होगा जब उसका मन भी स्वस्थ होगा और शरीर भी स्वस्थ होगा. इसलिए इसकी प्रशंसा करना आवश्यक है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं केवल कुछ विशेष योजनाओं को रेखांकित करके अपना स्थान ग्रहण करूंगा. एक और अच्छी पहल हमारे मंत्री जी ने इसमें की है जिसके तहत शैक्षणिक पाठ्यक्रम के औद्योगिक नवाचार किया जा रहा है. चाहे PSC हो या UPSC हो, हमारे यहां अक्सर प्रतिभायें होती हैं लेकिन उन्हें सही कोचिंग नहीं मिलने के कारण उनकी प्रतिभा का हनन हो जाता है. कोटा इस मामले में बहुत विख्यात है. कोटा में कोचिंग का पूरा एक उद्योग ही है. दिल्ली में भी बहुत अच्छी कोचिंग है. हमारे प्रदेश के चयनित ऐसे ही कुछ युवाओं को राज्य सरकार द्वारा प्रायोजित करके उन्हें कोचिंग के लिए भेजा जायेगा और शासन यह सुनिश्चित करेगा कि उन्हें सही मार्गदर्शन मिले और हमारे क्षेत्र के लोग भी IAS एवं IPS में जायें और हमारे क्षेत्र का नाम रोशन करें.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, एक और बहुत अच्छी पहल है जिसके तहत पोर्टल श्रृंखला विकसित की जा रही है. करियर काउंसलिंग भी ऐसा एक विषय है जिस पर आपकी सरकार ने भी अच्छा काम किया और उस पर बहुत विचार भी हुआ और चर्चा भी हुई लेकिन कैंपस प्लेसमेंट एक ऐसा विषय है जिस पर काफी वर्षों से केवल प्राइवेट क्षेत्र का ही एकाधिकार बना हुआ है. यहां इसकी आवधारणा रखी गई है और इसके माध्यम से कैंपस प्लेसमेंट के लिए व्यवस्था होगी. इस संबंध में मेरा एक सुझाव है कि हमारे उद्योग हर क्षेत्र में हैं. जब हमारी विधान सभा या लोकसभा में उद्योग स्थापित होते हैं तो वे रोजगार का सृजन करते हैं. हमारे नए बच्चे जो ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट हो रहे हैं तो फिर उन स्थानों पर वे उद्योग कैंपस प्लेसमेंट के लिए क्यों नहीं आते हैं ? वे कंपनियां वहां क्यों नहीं आती हैं ? क्यों नहीं, उसी क्षेत्र के मेरिट में आने वाले युवाओं को वहां रोजगार दिया जाता है. मेरे विचार से इस पर ध्यान दिया जाना चाहिए.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, छात्रसंघ चुनावों का जिक्र भी आपने किया है और मेरे ख्याल से ये होने भी चाहिए क्योंकि हम सब कहीं न कहीं अगर देखें तो हमने छात्र जीवन से ही राजनीति में प्रवेश किया है और वह हमारी पाठशाला होती है. यह एक अहम निर्णय है जो आप ले रहे हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, राष्ट्रीय ज्ञान आयोग की सिफारिशों को मध्यप्रदेश के समस्त विश्वविद्यालयों में लागू किया जा रहा है. जिसकी प्रशंसा होनी चाहिए. एक और बहुत महत्वपूर्ण चीज़ का मैं जिक्र करना चाहता हूं कि प्रदेश के समस्त महाविद्यालयों में अध्ययनरत् विद्यार्थियों को वृहद् वृक्षारोपण के लिए प्रेरित किया जा रहा है. एक अभियान ''धरती के श्रृंगार का'' गुरू पूर्णिमा के दिन माननीय मंत्री जी ने प्रांरभ किया है. यह हमारे लिए प्रेरणा का स्त्रोत है. हम बार-बार बात करते हैं क्लीन-एनर्जी, ग्रीन-एनर्जी लेकिन अगर जीवन की उस अवस्था में युवाओं के मानस में यदि यह बीजारोपण कर दिया जायेगा कि जीवन तभी है जब वृक्ष हैं, वर्षा तभी है जब वृक्ष हैं तो वह युवा आगे जाकर इस बात को हमेशा याद रखेगा. इसके लिए मैं आपको धन्यवाद देना चाहता हूं. मेरे ख्याल से कुल मिलाकर इस भाव को यह बजट प्रदर्शित करता है-
''भय नहीं भूख नहीं राग नहीं द्वेष नहीं
जीवन नहीं मृत्यु नहीं तुझे किसका डर है
तू तो अमृत की संतान है''
यह संदेश इस प्रदेश और देश में हमारे जितु पटवारी जी का बजट लेकर आया है. माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं आपका बहुत आभारी हूं कि आपने मुझे बोलने का समय दिया, धन्यवाद.
श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल (मुड़वारा)- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं मांग संख्या 43 एवं 44 में अनुदान की मांगों के विपक्ष में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं. शुरूआत माननीय मंत्री जी की एक पहल से करना चाहूंगा कि जब इस अनुदान मांग को मैं देख रहा था तो एक साफ बात मुझे दिखी कि कुल प्रावधानों का प्रतिशत हर जगह उल्लेखित किया गया है. इससे हमें यह समझने में सहायता मिली कि कुल बजट प्रावधान का कितना प्रतिशत किस मद में खर्च हो रहा है. इसके लिए मैं उन्हें बधाई देना चाहूंगा और इसे देखने से मुझे जो एक-दो बातें समझ में आयीं, उन पर मैं मंत्री जी से अनुरोध करूंगा. एक ओर प्रचार-प्रसार का प्रावधान, कुल प्रावधान का 25.42 प्रतिशत बताया गया है जो किताब में प्रिंट है उसे ही पढ़कर मैं बोल रहा हूं. मुझे लगता है कि यह प्रावधान ज्यादा है क्योंकि पिछली बार 19.51 प्रतिशत था जो कि पिछली बार से बढ़कर इस बार 25.42 प्रतिशत बताया गया है. इसकी ओर ध्यान दिया जाये.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, दूसरी ओर पारितोषित, पुरस्कार आदि पर बजट में कोई प्रावधान नहीं है. हम खेल में खिलाडि़यों के उत्साहवर्धन के लिए अधिकांशत: उनके कई कार्यक्रम आयोजित करते हैं और उन्हें पारितोषित देते हैं तो इस ओर भी ध्यान देने का निवेदन है. शिक्षा विभाग में सबसे महत्वपूर्ण बात अभी यशपाल जी ने कही थी, मैं चाहूंगा कि हर विभाग को इस बात पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि अभी पिछले कार्यकाल मे मेरे यहां एक महिला महाविद्यालय के लिए भवन की स्वीकृति प्रदान की गई लेकिन उसके लिए जगह ढूंढने में हमें बहुत परेशानी हुई. गांव में पंचायत स्तर पर जब हम जाते हैं और वहां के बच्चे यदि खेल मैदान हमसे मांगते हैं तो गांव में कई स्थानों पर जगह ही नहीं बची है. कई स्थानों पर स्थिति यह है कि वहां श्मशान घाट के लिए भी जगह नहीं है. स्कूल, खेल मैदान, अस्पताल किसी के लिए जगह नहीं है. मैं चाहूंगा कि शासन स्तर पर एक कड़ा निर्णय लेते हुए स्कूल, खेल मैदान, अस्पताल इत्यादि के लिए जहां-जहां स्थान रिक्त हों, उन स्थानों को आरक्षित कर दिया जाये और उनके साथ कोई खेल न हो. इसी तरह भवन जब स्वीकृत होते हैं. मैं अपने यहां के एक शासकीय तिलक महाविद्यालय का उदाहरण देना चाहूंगा. आप तौर पर सरकार के निर्णय, विधान सभा के माध्यम से और केबिनेट के माध्यम से जो भी होते हैं, उसमें ड्राईंग, डिजाइन तकनीकी अधिकारियों के माध्यम से बनायी जाती है. अब चाहे स्कूल का मामला ले लें या कॉलेजेस् का मामला ले लें. देखने में यह आता है कि हमारे यहां पर तिलक कॉलेज में एक बिल्डिंग बनी हुई थी, वहां पर एक आर्टस् के लिये बिल्डिंग बनायी और उसके बगल में एक कॉमर्स के लिये बिल्डिंग बनायी. आर्टस् बिल्डिंग के बगल में जो पिलर है तो हमने कहा कि आप उससे आगे बढ़ जाइये तो उन्होंने कहा कि नहीं इस बिल्डिंग की ड्राईंग, डिजाइन हमारे पास नहीं है. फर्स्ट फ्लोर पर तो जाने की ही नहीं सोचते हैं.
अब गर्ल्स कॉलेज के लिये पांच एकड़ की जगह मिली है तो हमने वहां पर ऑडीटोरियम की बात की तो आप आश्चर्य मानेंगे कि 3000 बच्चियों के कॉलेज में, जो डीपीआर बनाया गया वह मात्र 150 बच्चियों के बैठने के लिये बनाया गया है. यह सोच हमारे यहां के अधिकारियों की है. उसके बाद जब बात की गयी तो उस ऑडीटोरियम में बैठने की संख्या 500 बच्चियों की करने की डीपीआर बनायी गयी, जहां पर 3000 बच्चियां हैं. हमारे यहां पर तिलक कॉलेज में एक लेब बनी है, उसका प्लेटफार्म 15 इंच का है, बच्चा कहां पर परखनली रखेगा और प्रयोगशाला में वह बच्चा क्या काम करेगा. हमें इस सोच को बदलना पड़ेगा, कम से कम खेल मैदान के हिसाब से.
हमें भविष्य की 25-50 साल की जरूरतों के हिसाब से, क्या हम फर्स्ट फ्लोर पर निर्माण नहीं कर सकते हैं, जब ग्राऊॅंड फ्लोर का निर्माण होता है तो उसमें लोहा इतना प्रस्तावित किया जाता है, उसमें जी प्लस थ्री की बिल्डिंग बनायी जायेगी. जब हम फर्स्ट फ्लोर का निर्माण करने जाते हैं, तो वह कहते हैं कि पहले तो एजेंसी दूसरी थी. हमें नहीं मालूम कि इसमें फर्स्ट फ्लोर कैसे बनेगा और बगल के मैदान में एक और बिल्डिंग बना देते हैं. आप ग्रामीण क्षेत्र में चाहे जहां पर दौरा कर लीजिये. अधिकांश विधायक ग्रामीण क्षेत्र में देख लें कि स्कूलों के बड़े-बड़े मैदानों में आपको इस कोने में एक कमरा और दूसरे कोने में दूसरा कमरा और कॉलेज में इस तरफ एक कमरा और दूसरी तरफ एक कमरा.
सभापति महोदया, इसी तरह से खेल मैदान की योजना आयी तो 1-1 करोड़ रूपये के खेल मैदान बने. मैं पिछली बार गया तो मैंने कहा कि हम हर जगह यह उम्मीद नहीं कर सकते कि क्रिकेट का ग्राऊंड अलग हो, हॉकी का अलग हो और फुटबाल का ग्राऊंड अलग हो. आप अगर कहीं पर ग्राऊंड बना रहे हैं और कहीं पर जगह ज्यादा मिलती है, मैंने कटनी में 30 एकड़ जगह ढूंढी और मैंने कहा कि मैं इसको एक छोटा सा खेल गांव बनाना चाहता हूं, जहां क्रिकेट, बेडमिंटन, स्विमिंगपूल भी हो, सारी चीजें हों, लेकिन मैं थक गया और उन्होंने कहा कि हम सात एकड़ का ही बनायेंगे और इस सात एकड़ के नक्शें में चेंज नहीं करेंगे. आज स्थिति यह है कि उसमें वह कहीं बॉस्केट बाल का प्रावधान कर रहे हैं. अगर उसी को वह 12-13 एकड़ का कर देते तो वहीं क्रिकेट भी होता, वहीं फुटबाल और वहीं हॉंकी भी होती.
हम जानते हैं कि शासन सब जगह सब मैदान नहीं दे सकता है, लेकिन आप यदि एक मैदान दे रहे हैं तो उसको इतना बड़ा तो बना दो, उसमें एक करोड़ रूपये की जगह सवा करोड़ रूपये लगता और भविष्य में गैलरियां भी कम्प्लीट हो जातीं. आप इस तरह के प्रावधानों पर भी विचार करें कि कम से कम कहीं अगर जगह उपलब्ध है और सारे खेलों के लिये एक बड़ा मैदान बन सकता है तो उसके बारे में भी विचार किया जाये.
उपाध्यक्ष महोदया, जब हम कॉलेज की मांग करते हैं तो कई बार किलोमीटर की दूरी बता दी जाती है. कई जगह ऐसी होती हैं कि वहां आवागमन के साधन बहुत सुलभ होते हैं, उसको दूरी में नहीं बांटा जा सकता है. मैं मंत्री जी से अपने विधान सभा क्षेत्र के बारे में निवेदन करना चाहता हूं कि हमारे यहां पर दो सेंटर निवार और कनवारा ऐसे हैं, जिसक चारों और ग्रामीण क्षेत्र लगा हुआ है और वहां से बहुत बड़ी संख्या में बच्चों को कटनी आना पड़ता है. मैं कटनी के निवार और कनवारा में एक-एक महाविद्यालय की स्वीकृति चाहूंगा और जहां भी भवन निर्माण हो रहे हैं वहां ठेकेदार के माध्यम से, बच्चों के माध्यम से और ठेकदार की सुविधा से वृक्षारोपण को अनिवार्य रूप से कराया जाय. ताकि जब कॉलेज बिल्डिंग तैयार हो तो साथ में वहां हमें वृक्ष भी मिल सकें.
खेल विभाग में अधिकांश खेलों की एक एकेडमी खोली गयी है. यह हमारा दुर्भाग्य कह दें या किन्हीं कारणों से पॉलिसी कह लें, एक-एक शहर में 15-15 एकेडमी हैं और बाकी छोटे-छोटे शहर खेल एकेडमी के लिये तरस रहे हैं. मैं मानता हूं कि साधनों का कारण हो या कुछ अन्य कारणों से, ऐसा हो रहा हो. लेकिन क्या इनकी सब-ब्रांचेंस नहीं खोली जा सकती हैं, नियमों में प्रावधान करते हुए ? आज आप क्रिकेट से लेकर हर खेल देख लीजिये, अब वह समय गया कि सिर्फ बड़े शहरों से ही बच्चे खिलाड़ी बनेंगे. अब तो छोटे-छोटे शहरों से क्रिकेटर और अन्य खेलों में भी खिलाड़ी सामने आने लगे हैं. लेकिन हम अगर उनको छोटे क्षेत्रों में सुविधाएं नहीं देंगे तो कैसे काम बनेगा.
मेरा कहना है कि एकेडमी के लिये सब-एकेडमी का प्रावधान किया जाये. इसी तरह से जब खिलाड़ी सफल होता है तो उसको बहुत श्रेय मिलता है, लेकिन उसके कोच को उतना श्रेय नहीं मिल पाता है कि उसका कोच कौन है. हमारे यहां पर शायद प्रावधान यह है कि शायद कोच की नियुक्ति एक साल के लिये की जाती है. कोच को बच्चे को ही तैयार करने में 2- 3 और 4 साल का समय लगता है तो कोच की नियुक्ति का जो पीरियड है, उसको बढ़ाने के बारे में भी विचार करने का मंत्री जी कष्ट करें. खिलाड़ी जब अच्छी सफलता पाता है तो उसके साथ-साथ कोच को भी उत्साहवर्धन हेतु पुरस्कार दिया जाये. अभी हमारे यहां पर डे-बोर्डिंग और फाईन्डिग सेंटर के प्रावधान हैं, कटनी में एक हॉंकी का फाईन्डिग सेंटर भी है. लेकिन ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले बच्चों के आवागमन के लिये और उनके दिन-भर रहने में उनके भोजन के लिये उसमें प्रावधान नहीं है. उस संबंध में भी चाहूंगा कि यदि हॉस्टल यदि जिला स्तर पर खुलने लगें तो उससे भी हमें फायदा मिलेगा. ग्रामीण क्षेत्रों से और मध्यम शहर के क्षेत्रों से भी हमें ज्यादा खिलाड़ी मिलने लगेंगे. यदि हमें खेल और खिलाड़ी चाहिये तो उसके लिये स्कूल, खेल संघ और खेल विभाग इन तीनों के बीच में सामन्जस्य होना अत्यंत आवश्यक है. मैं चाहूंगा कि इसको खेल विभाग से जोड़ते हुए इसको एक साथ इनका आयोजन किया जाये, जिससे हम ज्यादा अच्छे ढंग से खेल आयोजित कर सकेंगे. एक विधायक का जो कोटा है उसमें 30 और 50 हजार रूपये की राशि का प्रावधान है. मुझे लगता है कि किसी भी प्रकार के टूर्नामेंट के आयोजन के लिये यह राशि अत्यंत कम है. मैं चाहूंगा कि इस राशि को कम से कम पांच लाख रूपये किया ताकि एक अच्छे स्तर पर खेल टूर्नामेंट का आयोजन हो सके.
पशुपालन मंत्री(श्री लाखन सिंह यादव):- आप 15 साल में 30 हजार रूपये ही कर पाये और 6 महीने में 5 लाख रूपये की मांग करने लगे.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा:- मंत्री जी, आप लाखों रूपये का कर्जा माफ कर रहे हैं, इसलिये हम लाखों में मांग रहे हैं.
श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल:- यदि आपको 15 साल का अच्छा लगता है फाईन्डिग तो आप फिर वैसे ही चलते रहो.
श्री कुणाल चौधरी :- इनको भी 15 साल का बुरा लग रहा है तो आपको भी बुरा लग रहा है, यह बात सही है.
श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल:- निरन्तर विकास की प्रक्रिया चलती है. आप और कितना अच्छा करते हो, यह आपके ऊपर है. ग्रीष्मकालीन प्रशिक्षण शिविर में जो अच्छे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी उपलब्ध हों, उनको छोटे क्षेत्रों में प्रशिक्षण के नियुक्त किया जाये. विधायकों को इन्डोर गेम और आउॅट डोर गेम्स के लिये भी राशि का प्रावधान किया जाये. यदि विधायक कहीं पर जाते हैं तो वह खेल सामग्री का वितरण, जिम इत्यादि की मशीनों का वितरण कर सकें. मंत्री जी शासकीय तिलक महाविद्यालय में एलएलबी और बीएड का कोर्स प्रारंभ कराने की अनुमति प्रदान करने की अनुमति प्रदान करें. क्योंकि यह कोर्स प्रायवेट कॉलेज में होने के कारण बच्चों के ऊपर बहुत खर्च आता है और शासकीय कॉलेज खोलते समय यह न देखा जाये कि वहां पर प्रायवेट कॉलेज है. प्रायवेट कॉलेज की फीस और शासकीय कॉलेज की फीस में बहुत अंतर होता है. निवार और कनवारा में कॉलेज और शासकीय तिलक महाविद्यालय में एलएलबी और बीएड की क्लासेस् के संबंध में अनुरोध करूंगा. आपने समय दिया उसके लिये धन्यवाद.
श्री लक्ष्मण सिंह (चाचौड़ा):- उपाध्यक्ष महोदया, धन्यवाद. आज की कार्य सूची बहुत लम्बी है. मैं केवल कुछ बिन्दुओं पर प्रकाश डालकर अपना भाषण समाप्त करूंगा. राजवर्धन ने बहुत अच्छा संबोधन दिया है और बहुत विस्तृत जानकारी उन्होंने दे दी है और अगली मांग संख्या में मेरा भतीजा मेरी तरफ देख रहा है कि काका लंबा नहीं बोल तो फिर मैं बालूं. मैं बहुत जल्दी अपना भाषण समाप्त कर दूंगा.
मैं जो मांग संख्या जितु पटवारी जी के मंत्रालय की है उनका समर्थन करता हूं और उनको बधाई देता हूं कि जो विश्व बैंक परियोजना है, उसमें उन्होंने 200 महाविद्यालयों के लिये 1875 करोड़ रूपये का प्रस्ताव अनुमोदित किया है और 153 कम्प्यूटर प्रयोगशाला, 2000 स्मार्ट क्लासेस् , 200 लैंग्वेज लैब तथा 200 ई-लायब्रेरी बनाने की योजना रखी है. वह बधाई के पात्र हैं, जो अनुदान मांगें हैं उसके पृष्ठ 38-1 आपने छात्रवृद्धि की राशि बढ़ायी है.
श्री लक्ष्मण सिंह--छात्रवृत्ति की राशि आपने बढ़ाई है वह कम बढ़ाई है. छात्रवृत्ति की राशि 1 करोड़ 12 लाख है उसको और बढ़ायें, क्योंकि छात्रवृत्ति एक ऐसी चीज है जिससे गरीब छात्र का मनोबल बढ़ाती है इसलिये उसको बढ़ाना आवश्यक है. दूसरी एक योजना निजी विश्वविद्यालय खोलने की अनुमति देते हैं और उनकी बहुत आवश्यकता है. ग्वालियर से लेकर इंदौर तक कोई निजी विश्वविद्यालय नहीं है वहां एक बड़ा एरिया खाली पड़ जाता है वहां राजस्थान भी लगा है वहां से भी बहुत सारे छात्र आ सकते हैं अगर बीच में कहीं यह खुले. सबसे उपयुक्त स्थान रहेगा चाचौड़ा क्योंकि नेशनल हाईवे नंबर 3 के दोनों तरफ की विधान सभा का क्षेत्र लगभग 40-50 किलोमीटर तक चला जाता है राजगढ़ जिले तक वहां पर्याप्त शासकीय भूमि है वहां पार्वती नदी पर 3-4 बांध प्रस्तावित है, पानी की कमी नहीं है. वहां बहुत सारे छात्र पिछड़े क्षेत्र के हैं, वह पढ़ नहीं पाते हैं उनको वहां पर शिक्षा का अवसर मिलेगा. एक केन्द्र सरकार की अच्छी योजना है राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान रूसा इसमें जहां तक मुझे ज्ञान है यह योजना 2020 में समाप्त हो जायेगी. तो इसका लाभ लेना चाहिये यह योजना महाविद्यालयों के अधोसंरचना विकास के लिये है इसका लाभ लेते हुए आप केन्द्र सरकार से मांग करें उसमें आप जितनी राशि ला सकें. इस योजना से जो पिछड़े क्षेत्र के महाविद्यालय हैं जिसमें एक मेरे विधान सभा क्षेत्र का बीनागंज कालेज भी आता है, इनको जोड़ें. नवीन महाविद्यालय खुलवाने के लिये जायसवाल जी ने कहा मैं उनसे सहमत हूं. एक मधुसूदनगढ़ मेरे विधान सभा क्षेत्र में है जो जिला मुख्यालय से लगभग 100 किलोमीटर के ऊपर है. वहां कोई महाविद्यालय नहीं है, वहां महाविद्यालय खुलवाएं. हमारे जो शासकीय कॉलेज हैं इनको पी.पी.पी. मॉडल पर चलवाएं. शासकीय कॉलेज में फीस देने में कोई परहेज नहीं है, थोड़ी बढ़ा भी देंगे तो चलेगा. समस्या यह आती है कि लोगों को शहरों में मकान किराये पर लेकर बच्चों को पढ़ाना पड़ रहा है, जिससे उनका खर्चा बहुत हो रहा है बहुत सारे बच्चे तो शहर में कमरा लेकर नहीं पढ़ पाते तो वह सब शिक्षा से वंचित हो जाते हैं. इसलिये हमारे जो शासकीय महाविद्यालय हैं वहां सारी सुविधाएं एवं वर्ल्ड बैंक की योजनाएं बतायी हैं वहां टेलिकांफ्रेंसिंग जैसी सुविधाएं शासकीय महाविद्यालय में देंगे तो यह जो दूरी है, यह कम हो जायेगी. एक स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम होते हैं अच्छे प्रायवेट कालेज उसके अंतर्गत छात्रों को विदेश भेजते हैं तथा विदेशी छात्र हमारे यहां पर आते हैं उनका परिचय होता है, यह व्यवस्था आप कराइये, नहीं है तो इसके लिये बजट का प्रावधान मांगिये. कांउसिंलिंग एवं प्लेसमेंट, काउसिंलिंग की व्यवस्था कुछ कालेज में है, लेकिन जहां पिछड़े क्षेत्र में महाविद्यालय हैं वहां पर काउसिंलिंग की व्यवस्था नहीं है. छात्र पढ़ लेते हैं, उनको पता नहीं रहता है, क्या करना है. वह हम लोगों को कहते हैं कि साहब नौकरी दिला दो. एक काउसिंलिंग होना चाहिये जिससे कि उनका माइंड फोक्स हो उन्हें पता रहे कि मुझे यह करना है और मुझे वहां पहुंचना है, तो वह पहुंचने का प्रयास करेगा. कालेज में प्लेसमेंट की व्यवस्था भी होना चाहिये. बच्चे पढ़-लिख जाते हैं वह नौकरियों के लिये भाग जाते हैं वहीं कंपनियां जायें और वहीं पर प्लेसमेंट हों जिससे कि उनको इधर-उधर नहीं भागना पड़े.
उपाध्यक्ष महोदया, हमारे यहां हरियाणा पेटर्न पर स्पोर्ट्स फेसीलिटी डेवलप करना चाहिये. हरियाणा ने देश में सबसे ज्यादा गोल्ड मेडल ओलम्पिक में हमारे यहां पर लिये उसी पेटर्न पर हम लोग भी प्लानिंग करें. स्पोर्ट्स अकादमी निजी क्षेत्र में जो हम कारपोरेशन विजन की बात कर रहे हैं इसमें इसका हम लाभ लें और निजी क्षेत्र में स्पोर्ट्स अकादमी को आमंत्रित करें. एक हमारे राघोगढ़ का प्रतिभाशाली क्रिकेट खिलाड़ी है उसका इंग्लैड में काउंटी क्रिकेट में उस बच्चे का नाम संजय सेनी उसको इंग्लैड जाने के लिये वीजा नहीं मिल पाया तो वह बच्चा बहुत निराश है. मैं चाहूंगा कि उस बच्चे को वीजा दिलायें उसको बाहर भेजें. ऐसे बहुत प्रतिभाशाली छात्र प्रदेश में हैं जिनका राजवर्धन सिंह जी ने भी उल्लेख किया है. इन छात्रों का चयन हो उनके लिये एक प्लेटफार्म हो. ऐसे बहुत सारे छात्र हैं जिनका कोई कान्टेक्ट नहीं है. उसमें ऐसा कोई प्लेटफार्म बनाइये जिससे वहां वह कलेक्टर के थ्रू हो या खेल अधिकारी के थ्रू हो, ऐसे बच्चों को हमको आगे बढ़ाना है. एक बात सदन के संज्ञान में लाना चाहूंगा कि आपने अपने बजट में ओलम्पिक 2020 के लिये 142.91 करोड़ रूपये का प्रावधान किया है 2020 अभी आया नहीं है, उसमें से 134.33 करोड़ खर्च हो चुके हैं, यह संभवतः पूर्व सरकार के समय में हुआ है, यह एक जांच का विषय है. इसमें आप थोड़ी राशि बढ़ाइये यह 2020 ओलम्पिक का एक महत्वपूर्ण फंड है. 2018 के विक्रम अवार्ड में 10 में से 6 अवार्ड जिनको मिले हैं वह महिलाएं हैं. एकलव्य अवार्ड 2018 में 15 में से 10 महिलाएं हैं उसमें महिला सचिव भी हैं उनसे मैं कहूंगा कि महिलाओं को आप प्रोत्साहन दें बच्चियां बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं. हमारी उपाध्यक्ष बहन भी महिला हैं. बच्चियों को प्रोत्साहन दें उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया है. इसी आशा के साथ मैं अनुदान मांगों का समर्थन करता हूं. धन्यवाद.
श्री अजय विश्नोई--(पाटन) उपाध्यक्ष महोदय, 43 एवं 44 के विरोध में वक्तव्य देने के लिये खड़ा हुआ हूं. जहां तक सवाल है उच्च शिक्षा का उस पर मैं इसलिये कुछ नहीं बोलूंगा कि आपके विभाग के किसी भी विश्वविद्यालय के किसी भी कालेज से मुझे कोई भी डिग्री नहीं मिली है इसलिये मैं क्यों अपनी टांग फंसाउ उसमें कोई सुझाव नहीं दे रहा हूं. हमारे कई विद्वान साथी उसमें बोल चुके हैं इसलिये मैं सदन का समय जाया नहीं करूंगा. खेलकूद के बारे में थोड़ा सा बोलना चाहता हूं. बोलने के लिये इसलिये भी मन हुआ कि हमारे मंत्री जी खुद भी अच्छे खिलाड़ी हैं. वह खेल की भावनाओं तथा उनकी दर्द तकलीफों को भी समझते हैं. मेरा खेल के मैदान से राजनीति के मैदान में प्रवेश हुआ है इसलिये खेल के प्रति मेरा भी आकर्षण है. यह जो एकेडेमी बना रखी हैं एकेडेमी में बाहर का प्रवेश रूके इस पर ध्यानाकर्षण पर चर्चा हो चुकी है. हमारे जबलपुर के विधायक विनय सक्सेना जी लेकर आये थे उस गंभीरता को मंत्री जी समझ चुके होंगे कि मध्यप्रदेश के बच्चों के स्थान पर बाहर के बच्चों को खेलने के लिये भेजते हैं उस फर्जीवाड़े को समाप्त होना चाहिये. कोई भी एकेडेमी हो उसमें मध्यप्रदेश के बच्चों को ही स्थान मिलना चाहिये. एक दूसरी बात है कि प्रतिभा अधिकांशतः मजबूत बच्चे आदिवासी होते हैं. हमारे आदिवासी क्षेत्र हैं उन क्षेत्रों में हमको स्पोर्ट्स काम्पलेक्स तथा होस्टल बनाना चाहिये, वहां से बच्चे ज्यादा निकलेंगे. जैसे मंडला है, शहडोल है, छिन्दवाड़ा है, झाबुआ है, इन स्थानों पर स्पोर्ट्स काम्पलेक्स बनाएंगे तो मजबूत बच्चे निकलकर आयेंगे वह आपके बड़े खिलाड़ियों के रूप में बनेंगे. हम खिलाड़ियों को खेलने की व्यवस्था तो दे रहे हैं बाहर से लाकर उनको होस्टल भी दे रहे हैं, पर खेल के साथ साथ उनकी पढ़ाई की व्यवस्था भी बहुत आवश्यक है. इस पर ध्यान देना चाहिये. मंत्री जी से अपेक्षा करता हूं कि उन बच्चों को जिनको हम रख रहे हैं उसमें लड़कियों को एक स्कूल में तथा लड़कों को दूसरे स्कूल में दिला दीजिये अगर कोएड वाला हो तो इकट्ठा दिला दीजिये. एक साथ उनके आने-जाने के लिये वाहन की व्यवस्था हो ताकि उनकी पढ़ाई भी चले और खेल भी चले ताकि उनका सम्पूर्ण विकास हो. मंत्री जी एक क्रीड़ा परिषद् हुआ करती थी उसका गठन रूक गया है. आप क्रीड़ा परिषद् को फिर से एक्टीवेट कीजिये. आपके स्पोर्ट्स डिपार्टमेंट में डायरेक्टर आई.ई.एस तथा आई.पी.एस. बैठे रहते हैं इनके स्थान पर हमको स्पोर्ट्स पर्सन को डायरेक्टर के रूप में शामिल करना चाहिये. यह मैं अनोखी बात नहीं कर रहा हूं. जितने भी बड़े स्टेट हैं वहां से बड़े बड़े खिलाड़ी निकल रहे हैं वहां पर आप देखेंगे कि वहां डायरेक्टर के पदों पर स्पोर्ट्स पर्सन बैठे हुए हैं. यू.पी., झारखण्ड, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, छत्तीसगढ़, कर्नाटक इन सारी जगहों पर डायरेक्टर के पद पर स्पोर्ट्स पर्सन बैठे हुए हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, जबलपुर के रानीताल स्टेडियम के लिए व्यक्तिगत चर्चा के लिए मैं कह रहा था, अब यहां पर आपसे अनुरोध कर रहा हूं वहां पर दर्शक दीर्घा बनवाने के लिए कुछ राशि दे. मोदी जी ने भी खेलो इंडिया के नाम पर 14 साल से छोटे बच्चों के लिए प्रोत्साहन दिया है. 14 साल से छोटे बच्चे स्कूल में मिलेंगे, स्कूल में खेल का वातावरण बनाना है तो स्कूल में हमें फिर से खेल का पीरियड शुरू करना पड़ेगा. फिर से स्कूल के बच्चों के बीच में खेलों की प्रतियोगिता होना चाहिए और होना यह चाहिए कि हर बच्चे को कम से कम एक खेल आवश्यक रूप से खेलना पड़े ऐसी कोई व्यवस्था स्कूल शिक्षा में, प्रभु कृपा से कर लीजिए, प्रभु जी से बात कर लीजिए, उनकी कृपा से यदि यह शुरूआत हो जाएगी, तो वहां से आपको बच्चे मिलेंगे और खेल का आपका जो विभाग है वह आगे तभी बढ़ेगा जब स्कूलों से बच्चे ट्रेंड होकर हमारे पास आएंगे. उन बच्चों से स्कूलों में स्पोर्ट्स फीस के नाम पर भी पैसा लेते हैं पर स्पोर्ट्स फीस कल्चरल प्रोग्राम, डांस में खत्म हो जाती है, उस फीस को स्पोर्ट में खर्च करवाइए. स्पोर्ट्स में बच्चों को किट्स देना पड़ती है वह स्कूल की तरफ से वह किट प्रदान करें, स्कूल में खेल के मैदान विकसित हो, तब कहीं हमारा खेल विभाग आगे बढ़ पाएगा. टूर्नामेंट मध्यप्रदेश में जब विभाग कराता है तो 50 लाख 1 करोड़ खर्च होते हैं. यदि फेडरेशन से करवाते हैं तो 1 लाख खर्च होते हैं, कुछ पैसे उनको भी अधिक दें ताकि वह भी अच्छा कर पाए.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, एस्ट्रोटर्फ पिछले कार्यकाल में मध्यप्रदेश में लगभग 10 एस्ट्रोटर्फ लगे हैं. बहुत अच्छी व्यवस्था है पर वह एस्ट्रोटर्फ अभी और काम मांगते हैं सबसे पहली बात यह है कि उसमें कई जगह तो पानी की व्यवस्था ही नहीं है. माननीय मंत्री जी बहुत अच्छे खिलाड़ी है इसलिए जानते हैं कि एस्ट्रोटर्फ का मैदान बराबर पानी मांगता है और साफ पानी मांगता है. जबलपुर में एस्ट्रोटर्फ लगे हैं, उसमें कीचड़युक्त पानी दे रहे हैं, कीचड़युक्त में पानी से घास में क्या उगा और खिलाड़ी के बच्चों के पैरो में किस प्रकार के जर्म होंगे तो यह व्यवस्था करें कि पानी साफ मिले. दमोह में एस्ट्रोटर्फ बन गया और उसमें पानी की व्यवस्था नहीं है, उसकी व्यवस्था करें और बच्चों को खेलने के लिए वहां मौका नहीं दे रहे हैं, इसके तरफ भी ध्यान देने की कोशिश करेंगे. माननीय मंत्री जी यह जितने हमारे एस्ट्रोटर्फ बने हैं इसमें खेल तब हो पाएंगे नेशनल या स्टेट टूर्नामेंट तब हो पाएंगे जब वहां बगल में कम से कम चेजिंग रूम तो हो, वॉशरूम तो हो, यह एक बड़ी कमी रह गई है. इस कमी को पूरा करें ताकि हम उसका अच्छी तरह से प्रयोग कर पाएं.
उपाध्यक्ष महोदया - कृपया समाप्त करें.
श्री अजय विश्नोई - बहुत महत्वपूर्ण दो विषय लेकर मैं खत्म कर दूंगा, एक वेलोड्रोम जबलपुर में बहुत पहले का बना हुआ है जो 550 मीटर का राउंड है. एक किलोमीटर तो दो राउंड में ही पूरी हो जाती है. अधिकांश वेलोड्रोम जो हिन्दुस्तान में बने हुए हैं वह 330 मीटर के हैं, ऐसे वेलोड्रोम पूरे हिन्दुस्तान में सिर्फ तीन है और वह वेलोड्रोम बहुत ज्यादा दुर्दशा को प्राप्त हो गया है, सुअर और गाय उसके अंदर घूमते हुए दिखाई देंगे, वेलोड्रोम में बहुत से क्रेक आ गए हैं. जबलपुर में वहां पर जीआरसी, आर्मी की विंग हैं, वहां पर बहुत अच्छे साइकलिस्ट के ओलंपियंस है, जबलपुर शहर के बहुत से लोग साइकिल की प्रेक्टिस सड़कों पर कर रहे हैं. वह वेलोड्रोम आप सुधार देंगे तो हम वहां पर स्टेट और नेशनल लेबल के स्पोर्ट्स करवा पाएंगे. यदि आपको सुधार के लिए जरूरत है तो अहमदनगर में आर्मी के बहुत से एक्सपर्ट हैं वहां से हम कोई एक्सपर्ट आपको बुलवा देंगे जो आपको खर्चें की व्यवस्था बता देगा कि कैसे उसको पूरा कर सकते हैं. एक बात जो मैंने व्यक्तिगत रूप से की थी, रोइंग नोट की रोइंग नोट अभी आज की तारीख में भोपाल में है, एक सब नोट जबलपुर में बनाया जा सकता है. वह इसलिए मैं कह रहा हूं कि वहां पर प्रकृति का एक वरदान है गौर नदी, माननीय उपाध्यक्ष महोदय, गौर नदी में सात किलोमीटर लंबा वाटर क्रेक है, जो करीब 130 से 150 मीटर तक चौड़ा है, एवरेज डेप्थ वहां पर 7 से 8 मीटर की डेप्थ है और वहां पर ऑलरेडी आर्मी के लोग उसकी प्रेक्टिस कर रहे हैं और वह आर्मी के लोगों ने भोपाल में भी आकर प्रेक्टिस की है, मध्यप्रदेश की टीम के साथ वह पूना में खेलने भी गए और उन्होंने वहां पर टफ काम्पटीशन आर्मी के लोगों को दिया है. माननीय मंत्री जी से कहूंगा कि वे एक बार जबलपुर आए मैं उनको वहां ले जाना चाहता हूं. बरगी में भी यदि हम इसी प्रकार की व्यवस्था करेंगे तो ठीक होगा. हम प्रदेश के बाहर के कोच पूर्व ओलिपियंस को रखते हैं खेल विभाग में महिला हॉकी में कम से कम लोकल और स्थानीय लोगों को भी मौका दीजिए. बाहर के लोग आते हैं डेढ़ लाख रूपए एक एक महीने का लेते हैं पांच दिन ट्रेनिंग देकर चले जाते हैं. स्थानीय लोग बैठेंगे तो महीने भर के लिए काम देंगे. खिलाडि़यों की उम्र में भी ध्यान दें, ज्यादा उम्र के लोग कम उम्र लिखाते हैं. माननीय उपाध्यक्ष महोदया, आपने बोलने के लिए समय दिया उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया - धन्यवाद.
श्री संजय शर्मा (तेन्दूखेड़ा) - माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मांग संख्या 43, 44 के पक्ष में खड़ा हुआ हूं. माननीय मंत्री जी खेल एवं युवक कल्याण विभाग के 2019-20 के लिए जो अनुदान मांगें स्वीकृति के लिए सदन के समक्ष प्रस्तुत की हैं, मैं उनका समर्थन करता हूं. उपाध्यक्ष जी, हमारी सरकार खेलों के विकास के लिए संपूर्ण प्रतिबद्ध है, इसके लिए माननीय मंत्री द्वारा प्रदेश में खेलों के विकास के लिए नवाचार किए हैं और सफलता भी मिली है. हमारे खिलाड़ी दुनिया में नाम कमा रहे है. हमारे एक खिलाड़ी श्री तोमर जो खरगौन जिले के हैं उम्र 18 साल है और प्रदेश के होनहार खिलाड़ी है, जिसमें तीन दिन पहले उन्होंने जर्मनी के एक शहर सोल(Soul) में जूनियर वर्ल्ड कप में न केवल गोल्ड मेडल जीता है, बल्कि वर्ल्ड रिकार्ड भी बनाया है. होशंगाबाद की होनहार सेलिंग खिलाड़ी वर्ल्ड जूनियर सेलिंग चैम्पियनशिप पोलेण्ड में भाग ले रही है. यह प्रदेश के लिए गौरव की बात है, परन्तु हमें दुख है कि खेलों में भाई भतीजावाद होता है, भ्रष्टाचार होता है. इसके लिए मेरा अनुरोध है कि आप खेल एकादमी प्रवेश के लिए पारदर्शिता लाएं, व्यापक प्रचार प्रसार करें ताकि ग्रामीण क्षेत्र और अति पिछड़े क्षेत्रों से प्रतिभा सामने आए और उनको ऐसा अवसर मिले ताकि ग्रामीण खिलाड़ी भी अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी बनने का सपना पूरा कर सके. ग्रामीण क्षेत्रों में भी अच्छी प्रतिभा रहती है. माननीय महोदया, आपके माध्यम से अनुरोध करूंगा कि खेल संघों में भंयकर राजनीति है. एक एक पदाधिकारी चार-चार खेल संघों में न केवल पदाधिकारी है, बल्कि वर्षों से जमे हुए हैं, इसमें भी ध्यान देने की जरूरत है और मुझे उम्मीद है कि आप एक कुशल मंत्री है. आप आश्चर्य करेंगे कि कुछ खेल संघ तो पारिवारिक हो गए हैं, पदाधिकारी लंबे अवधि तक बने रहे, अच्छा है, लेकिन खेल के विकास में समय दे,
किन्तु यह तब गलत हो जाता है जब उनका उद्देश्य खेलों के विकास से हटकर अपने हितों के लिए हो जाता है. इसलिए खेल संघों के लिए कोई मार्गदर्शी सिद्धांत बनाए और मेरा विश्वास है कि माननीय मंत्री जी आप युवा है, आपकी इच्छाशक्ति हैं, आप चाहेंगे तो यह संभव हो सकेगा. खेल संघों में पारदर्शिता आवश्यक है, मंत्री जी, मुख्यमंत्री के संरक्षण में इसे अवश्य लाए और इसमें सुधार करवाए. माननीय उपाध्यक्ष महोदया जी, माननीय मुख्यमंत्री जी खेलों के लिए सदैव तत्पर रहते हैं, और तैयार रहते हैं. मंत्री जी मैं आपका आभारी हूं कि आपने मुख्यमंत्री जी के मार्गदर्शन में खेलों को आगे बढ़ाया है. तीन माह की अवधि में आपने खेल संघों और खिलाडि़यों की पुरस्कार और सहायता राशि में कई गुणा वृद्धि की है. माननीय उपाध्यक्ष जी, खेल विभाग में हमारी सरकार ने वचनपत्र को पूरा कर दिया है. मुझे जानकारी है कि माननीय मंत्री जी आपने 6 माह में वचनपत्र के 50 प्रतिशत वादे पूरा कर दिए हैं. खेल एवं युवक कल्याण विभाग द्वारा अभी मध्यप्रदेश ग्रामीण क्षेत्रों में मेरे ग्राम देवरी में तेन्दूखेड़ा विधानसभा में बॉलीवाल टूर्नामेंट हुआ था. हमने 7 एकड़ जमीन देकर स्टेडियम बनवाया है. जमीन दान में दी है, सरकार ने वहां पर एक करोड़ का स्टेडियम बनाया है. उसमें बालक बालिकाओं का बॉलीवाल टूर्नामेंट का आयोजन किया गया था, जिसमें संपूर्ण मध्यप्रदेश की संभागीय टीम आई थी. नरसिंहपुर जिला में जो हमारे हॉस्टल की टीमे है उसमें विजेता रही थी. मैं आपका ध्यान आकर्षित करूंगा कि मध्यप्रदेश में एक मात्र बॉलीवाल का छात्रावास नरसिंहपुर जिले में हैं. जहां पर स्कूल के छात्र वहां पर रहकर अध्ययन करते हैं, साथ ही साथ बॉलीवाल का प्रशिक्षण भी प्राप्त करते हैं, किन्तु बजट शून्य है, बजट के अभाव में खिलाडि़यों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. आपसे अनुरोध है कि छात्रावास नरसिंहपुर में खिलाडि़यों के रहने, खाने, खेलने आदि की व्यवस्था हेतु शासन द्वारा बजट प्रदान करने की कृपा करेंगे. ग्रामीण क्षेत्र में स्कूल में खेल प्रतिदिन हो, यह भी आप सुनिश्चित करवाएं कि आठवीं के बाद अगर हम बच्चों को एक खेल का पीरियड करवाएंगे तो निश्चित रूप से ग्रामीण क्षेत्रों से प्रतिभाएं निकलकर आएंगी.
उपाध्यक्ष महोदया - कृपया समाप्त करें.
श्री संजय शर्मा - उपाध्यक्ष महोदया, बस एक मिनट लूंगा. मध्यप्रदेश में ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत प्रतिभाएं छिपी है जो जानकारी के अभाव में खेल नहीं पाते, उनके नंबर नहीं लग पाते हैं और जहां पर स्टेडियम बन गए हैं वहां पर हायर सेकेण्डरी स्कूल नहीं है और नए भवन बनते हैं तो आपसे अनुरोध है कि स्टेडियम के बाजू में ही नए हायर सेकेण्डरी स्कूल बनवाए जिससे बच्चों के खेलने में उस स्टेडियम का उपयोग हो सके. शिक्षा के क्षेत्र में आपने छात्रवृत्ति योजनाओं को ऑनलाइन किया है. उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत अनेक छात्रवृत्ति योजनाएं संचालित होती है, परन्तु प्रभावी समीक्षा, कियान्वयन, व्यापक प्रचार-प्रसार में इनके हितग्राहियों की संख्या में वृद्धि हो सकती है. समीक्षा के कारण 'गांव की बेटी योजना' में हितग्राहियों की संख्या लगभग 12,500 छात्राओं की वृद्धि हुई है. अकेले अंतिम तिमाही में लगभग 32,000 छात्राओं को छात्रवृत्ति मिली है. वर्तमान सरकार ने यह निर्णय लिया है कि छात्रवृत्ति की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन की जाये, इससे पारदर्शिता आयेगी, विद्यार्थियों को इससे सुविधा मिलेगी, अनियमितताओं की संभावनाओं से मुक्ति मिलेगी. माननीय मंत्री जी, नवीन महाविद्यालय अगर खोले जायें तो वहां पर एक राजमार्ग चौराहा है, जहां पर 3 जिलों की बसाहट है- सागर, दमोह, जबलपुर एवं नरसिंहपुर हैं. वहां पर काफी दूर-दूर तक शासकीय महाविद्यालय नहीं हैं. वहां पर लगातार 50-100 गांवों के लोग प्रतिदिन आते हैं और छात्र-छात्राओं का वहां से आना-जाना होता है, वहां वे राजमार्ग चौराहा क्रास करके बरमान जाते हैं, करेली जाते हैं, वहां जबलपुर जिला लगा हुआ है और सागर की बड़ी देवरी है. वहां पर 30 किलोमीटर तक कोई शासकीय महाविद्यालय नहीं है. यदि वहां पर शासकीय महाविद्यालय खोलेंगे तो निश्चित ही वहां पर आसपास के लोगों को उसका लाभ मिलेगा. तेंदूखेड़ा में कॉलेज बना है, वहां पर 10 एकड़ जमीन है, उसका अतिक्रमण हो रहा है. वहां पर बाउण्ड्रीवॉल बना दी जाये, जिससे कॉलेज में खेल मैदान भी रहेगा. वहां केवल एक सब्जेक्ट ऑर्टस् चल रहा है, मैथमेटिक्स, बायोलॉजी, कॉमर्स अगर वहां पर चालू हो जाएं तो तेंदूखेड़ा- सीहोरा में तो निश्चित ही विद्यार्थी बाहर नहीं जाएंगे, पूरे सब्जेक्ट वहां पर चालू हो जाएं और अन्दर जाने के लिए मेनरोड से कॉलेज की दूरी 200 मीटर के लगभग है, एप्रोच रोड है, अगर यह रोड सीसी बन जायेगी तो विद्यार्थियों को आने-जाने में सुविधा होगी. माननीय मंत्री जी, मैं आपको शुभकामनाएं देता हूँ कि शिक्षा और खेल के क्षेत्र में आप बहुत नाम रोशन करेंगे. आपने बोलने के लिए समय दिया, उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री के.पी.त्रिपाठी (सेमरिया) - माननीय उपाध्यक्ष महोदया जी, मैं मांग अनुदान संख्या 43 और 44 के विरोध में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूँ. आप यदि उच्च शिक्षा विभाग का वार्षिक प्रतिवेदन के प्रथम पृष्ठ से चालू करें या युवक खेल कल्याण विभाग से तो वहीं मेरा मंत्री जी को एक सुझाव है कि उच्च शिक्षा विभाग, वार्षिक प्रतिवेदन में लिखता है कि विभाग का कार्य आवश्यक, मूलभूत महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में अधोसंरचना का विकास करना है और लगभग यही लब्बोलुबाव खेल एवं युवक कल्याण विभाग का है. खिलाडि़यों को प्रशिक्षण देना, उन्हें सक्रिय करना, ऐसा करके अनुदान प्रदान करना है. मेरा सुझाव है, मेरा ऐसा मत है कि उच्च शिक्षा विभाग और खेल एवं युवक कल्याण विभाग का इससे कहीं ज्यादा व्यापक दायरा है. हमारे प्रधानमंत्री जी का सपना है कि भारत को विश्व गुरु के स्थान पर ले जाना है और हम सबका यह लक्ष्य है कि अपने गांव, नगर, जिले और मध्यप्रदेश को नम्बर एक के स्थान पर ले जाकर भारत को विश्व गुरु बनाना है. उसके लिए उच्च शिक्षा विभाग और खेल एवं युवक कल्याण विभाग मानवीय संसाधन में युवाओं को शिक्षित एवं प्रशिक्षित करके मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत बनाए. मानव संसाधन हमारे देश के विकास के लिए, हमारे मध्यप्रदेश के विकास के लिए उपलब्ध कराना भी उसका एक प्रमुख दायित्व है, इसलिए मेरा ऐसा मत है कि यह दोनों विभाग उच्च शिक्षा विभाग और खेल एवं युवक कल्याण विभाग, हमारे विकास और भारत को आगे ले जाने के लिए जिलों को, मध्यप्रदेश को आगे ले जाने के लिए रीढ़ की तरह काम करता है, इसलिए इसमें एक लाइन और जोड़ने की, दोनों विभागों में जरूरत है कि हम उच्च शिक्षा में उच्च शिक्षित युवा और युवक खेल कल्याण विभाग में शारीरिक रूप से मजबूत युवाओं का निर्माण कर देश के योगदान के लिए उनको प्रेरित और सक्षम बनाएं. ऐसी एक लाइन जिसमें हमारा भाव जोड़ना चाहिए, मेरा ऐसा मत है क्योंकि उच्च शिक्षा के समय में ही युवा को सबसे अधिक संघर्ष की परिस्थितियां उसको मानसिक रूप से रहती हैं और इसीलिए हमको याद आता है कि ''संघर्षों के साये में ही इतिहास हमारा बनता है, जिस ओर जवानी चलती है, उस ओर जमाना चलता है.''
उपाध्यक्ष महोदया, हमारे रीवा जिले में एक राष्ट्रीय स्तर का खेल परिसर का निर्माण हमारी भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने मंजूर किया था. जो कोलोजियम वहां के ऐतिहासिक खेल स्मारकों के रूप में जाना जाता है, रीवा खेल परिसर इसी वास्तुकला का बनाया जा रहा है, यह खेल परिसर 10 एकड़ क्षेत्र में विकसित करना है, पहले चरण में भारतीय जनता पार्टी के द्वारा 15 करोड़ रुपये स्वीकृत किया गया था. इसका निर्माण कार्य प्रारंभ है, दूसरे चरण के 15 करोड़ रुपये स्वीकृत कर एक राष्ट्रीय स्तर का खेल परिसर का निर्माण रीवा में हो सके, जिससे रीवा और विंध्य के खिलाडि़यों को हर खेल की सुविधाएं प्राप्त हो सकें. इसी तरह हमारे सेमरिया विधानसभा में नवीन महाविद्यालय भवन की स्थापना के लिए, हमारी भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने पैसे स्वीकृत किए थे, जिसमें विद्यालय भवन का निर्माण कार्य धीमा चल रहा है, कृपया मंत्री जी इसको तीव्र गति से करवाएं, जिससे हमारे सेमरिया के विद्यार्थियों को यह सुविधा जल्द से जल्द प्राप्त हो सके. हमारे सेमरिया में एक स्टेडियम के निर्माण का भी प्रावधान होना चाहिए, वहां जगह उपलब्ध है. इसी तरह हमारे नेता प्रतिपक्ष श्री गोपाल भार्गव जी ने पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री रहते हुए स्टेडियम निर्माण हेतु 80 लाख रुपये सभी विधान सभाओं को दिये थे. मेरा खेल एवं युवक कल्याण विभाग मंत्री जी से और पंचायत ग्रामीण विकास मंत्री, दोनों मंत्रियों से, क्योंकि यह खेल एवं युवक कल्याण विभाग से जुड़ा हुआ मामला है. इस पर विचार कर इस स्टेडियम को और कैसे विकसित किया जा सकता है, गांव-गांव में खेल की प्रतिभाओं को विकसित करने का काम करना चाहिए.
उपाध्यक्ष महोदया - कृपया समाप्त करें.
श्री के.पी.त्रिपाठी - उपाध्यक्ष महोदया, एक मिनट में करता हूँ. जहां तक वचन-पत्र का सवाल है, वचन-पत्र में 17 वर्ष से 45 वर्ष की महिलाओं को स्मार्ट फोन देंगे, कॉलेज जाने वाली कन्याओं को दो पहिया वाहन बिना ब्याज के उपलब्ध कराएंगे, युवाओं को स्व-रोजगार के क्षेत्र में सक्षम बनाने के लिए 4,000 रुपये दिये जाएंगे. ऐसा बजट में कोई प्रावधान नहीं है, इसलिए आज बजट के साथ युवा यह महसूस कर रहा है कि ''बिखरा सीसे से शहर, लगी किसकी नजर, की अपनों के मेले में मीत नहीं पाता हूँ, गीत नहीं गाता हूँ, ठिठके पांव, ओझल गांव, आंसू हैं न मुस्कानें, मैं खुद को दूसरों की नजर से अब देख पाता हूँ, न चुप हूँ, न गाता हूँ, न चुप हूँ, न गाता हूँ, मैं केवल स्तब्ध हूँ.'' युवा ऐसा महसूस करता है. उपाध्यक्ष महोदय जी, धन्यवाद.
श्री संजीव सिंह (भिण्ड) - माननीय उपाध्यक्ष महोदया जी, बहुत-बहुत धन्यवाद. मैं मांग संख्या-43 एवं 44 के समर्थन में खड़ा हुआ हूँ. वैसे तो सभी मोटी-मोटी बातें आ ही गई हैं. हमारे उच्च शिक्षा मंत्री जी युवा भी हैं और खिलाड़ी भी हैं और शिक्षा के स्तर को किस तरह से उठाया जाये, आगे बढ़ाया जाये, इसके लिए प्रतिबद्ध भी हैं, उन्होंने जो सुदूर क्षेत्र में वीडियो कान्फ्रेन्सिंग के जरिये कॉलेजों के विद्यार्थियों को पढ़ाने की व्यवस्था की है, वे बधाई के पात्र हैं और जो परम्परागत क्लासरूमों को स्मार्ट क्लासरूमों में बदलने का जो उन्होंने प्रावधान किया है, वह भी स्वागत योग्य है. उन्होंने प्रत्येक संभाग में एक महाविद्यालय को उत्कृष्ट महाविद्यालय बनाने का प्रावधान किया है. मेरा इसमें एक सुझाव है कि प्रत्येक संभाग के स्थान पर यह जिला स्तर पर किया जाना चाहिए, जिला मुख्यालय का कोई भी महाविद्यालय हो क्योंकि संभाग ज्यादा बड़ा हो जाएगा और जिला स्तर पर काफी पुराने महाविद्यालय भी हैं, जिनको अभी और विकसित करने की आवश्यकता है. मेरा सुझाव है कि इसको जिला स्तर पर कर दिया जाना चाहिए. महाविद्यालय की अधोसंरचना के लिए काफी प्रावधान किए गए हैं, जो कि स्वागत योग्य हैं. मैं अपने क्षेत्र की कुछ बातें कहना चाहता हूँ. हमारे यहां एम.जी.एस. कॉलेज बहुत पुराना कॉलेज है, उसके इन्फ्रस्ट्रक्चर में बहुत वर्षों से कुछ काम नहीं हुआ है. अभी मैं कुछ दिन पहले वहां गया था तो वह बहुत ही दयनीय स्थिति में है, उसमें इन्फ्रस्ट्रक्चर में भी कुछ काम नहीं हुआ है और स्पोर्टस् फेसिलिटी के नाम पर भी वहां कुछ नहीं है. मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि चूँकि बहुत पुराना महाविद्यालय है, इसको विकसित करने हेतु आप जो भी व्यवस्था करना चाहते हैं, यदि बजट में प्रावधान कर सकते हैं, तो करें. लहार में सन् 1980 से एक बहुत पुराना डिग्री कॉलेज है, उसमें कॉमर्स क्लासेस नहीं चल रही हैं तो उसमें कॉमर्स कोर्स की व्यवस्था हो जाये और उसमें पीजी कोर्सेस शुरू हो जाएं. यह बहुत पुराना डिग्री कॉलेज है. उसकी बिल्डिंग बहुत छोटी है तो उसकी बिल्डिंग के लिए कुछ प्रावधान हो जाए. एक हमारी विधानसभा में नयागांव है, मेरी विधानसभा में सिर्फ एक ही महाविद्यालय है. वह ग्रामीण अंचल है तो विद्यार्थियों को काफी दूर पड़ता है. एक नयागांव जगह है, वहां पर यदि एक नवीन महाविद्यालय की स्थापना का प्रावधान अगर माननीय मंत्री जी करें तो अच्छा रहेगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, अब मैं खेल के बारे में बताना चाहता हूं, हमारे काफी सदस्यों ने एक बात अभी कही कि छोटे-छोटे जो शहर हैं, वहां खेल एकेडमी या खेल की कोई व्यवस्था नहीं है. जब भी बजट की बात होती है या अन्य कोई बात होती है तो हमारा फोकस बड़े-बड़े शहरों जैसे ग्वालियर, इंदौर, भोपाल, जबलपुर, रीवा, की तरफ रहता है. लेकिन जो छोटे-छोटे शहर हैं, वहां भी खेल की प्रतिभायें उभरती हैं और काफी लोग अच्छा काम करते हैं. काफी बच्चे अच्छे निकलकर अपना नाम रोशन करते हैं. मेरा यह निवेदन है कि ऐसे शहरों में भी खेल की अकादमी बनना चाहिये. हमारे भिंड में kayaking and canoeing की प्रतियोगिता राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता हुई थी. हमारे यहां पर गौरी सरोवर बहुत प्राचीन सरोवर है उसमें यह प्रतियोगिता हुई थी. साईं (स्टेट अथॉरिटी ऑफ इंडिया) की टीम आई थी और उसको स्पोर्टस एक्टिविटीज के लिये काफी उपयुक्त माना गया था. मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से यह निवेदन है कि गौरी सरोवर को एक स्पोर्टस एक्टिवटी सेंटर के रूप में डेव्हलप किया जाये, जिसमें अंतराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगितायें हो सके.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, पिछली सरकार में एक योजना थी, जिसमें प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में एक करोड़ तक के स्टेडियम दिये गये थे. मेरा मानना है कि एक करोड़ रूपये की राशि एक तो कम है, दूसरा मैं देखता हूं कि स्टेडियम गांव से दूर बना दिये जाते हैं, जिसमें न तो कोई पहुंचने का रास्ता होता है और न ही एप्रोच रोड होती है. मेरा यह कहना है कि सिर्फ बाउंड्री भर कर देने से कोई स्टेडियम बन जाये, ऐसा नहीं है. मुझे नहीं लगता है कि इससे विद्यार्थियों को और खिलाडि़यों को कोई फायदा होने वाला है तो बाउंड्री के साथ-साथ उसमें जिम के लिये हॉल और भी अन्य कुछ एक दो स्पोटर्स के लिये प्रावधान होना चाहिये, तो अच्छा रहेगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, माननीय मंत्री जी के पास उच्च शिक्षा और खेल एवं युवक कल्याण दोनों विभाग है. हमारा जो भिंड स्टेडियम है, वह उच्च शिक्षा विभाग में अभी है और काफी दिनों से प्रयत्न किया जा रहा है कि उसको खेल विभाग में ट्रांसफर कर दिया जाये क्योंकि उच्च शिक्षा विभाग की वजह से उसमें कोई डेव्हलपमेंट नहीं हो पा रहा है और कोई खेल गतिविधियां उसमें संचालित भी नहीं हो पा रही है. उच्च शिक्षा विभाग से वह स्टेडियम युवक कल्याण विभाग में चला जाये तो जिससे उसमें फैसिलिटीज डेव्हलप हो सके और उसके इंफास्ट्रक्चर डेव्हलपमेंट के लिये भी कुछ प्रावधान अगर बजट में माननीय मंत्री जी कर देंगे तो अच्छा होगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं आपका थोड़ा सा संरक्षण चाहता हूं और यह कहना चाहता हूं कि डी.एस.वाय.डब्ल्यू. खेल एवं युवक कल्याण विभाग की एक संस्था है. डी.एस.वाय.डब्ल्यू.. मैं इस संबंध में आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं कि हमारे पास कई छात्र आ चुके हैं और चूंकि अभी मौका मिला है तो मैं आपके और सदन के संज्ञान में यह बात लाना चाहता हॅू कि डी.एस.वाय.डब्ल्यू.एक शासकीय संस्था है और इसमें बड़े-बड़े पन्ने के विज्ञापन दिये गये थे Diploma and travel and tourism management, Integrated Diploma and travel and tourism management, Post graduation Diploma and 3D animation, Diploma in 3D animation, और इसमें विज्ञापन दिया गया है कि मध्यप्रदेश शासन खेल एवं युवक कल्याण और इसमें यह भी लिखा हुआ है कि 100 प्रतिशत प्रोफेशनल, 100 प्रतिशत प्लेसमेंट, इसमें बाईस हजार से लेकर डेढ़ लाख रूपये तक की फीस वसूली गई है. इसमें स्कॉलरशिप भी प्रदान की गई है और इसमें कई छात्रों ने लोन लेकर भी प्रवेश लिया है, लेकिन मैं निराशा के साथ कहना चाहता हूं कि इसमें किसी भी छात्र को प्लेसमेंट नहीं मिला है, यह बहुत बड़ी गंभीरता की बात है.
उपाध्यक्ष महोदया -- कृपया आप समाप्त करें.
श्री संजीव सिंह ''संजू''..--माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मेरा निवेदन है कि विषय की गंभीरता समझिये. इसमें किसी भी छात्र को प्लेसमेंट नहीं मिला है और सबसे बड़ी हद तो तब हो गई जब यह कंज्यूमर फोरम में कुछ छात्र गये तो उन्होंने क्या कहा उनकी टिप्पणी पढि़ये, यह गर्वन्मेंट ऑफ मध्यप्रदेश का है और इसमें लिखा है कि diploma it is cruel joke, played on the students after paying rupees 25000/- and securing 70 percent marks for got the job, he was not even given a diploma डिप्लोमा फर्जी था और यह सरकार का विज्ञापन था. सरकार ने पैसे लिये,सरकार ने फीस ली परंतु एक भी छात्र को प्लेसमेंट नहीं मिला. डिप्लोमा फर्जी था और एक कंपनी ने ट्रेवल्स के नाम से अनुबंध किया, वह कंपनी भी छोड़कर चली गई तो उन छात्रों के साथ न्याय कैसे मिलेगा. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि इसकी एक विस्तृत जांच कराकर जो भी इसमें दोषी हैं और जिन्होंने छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है, उनको सजा मिलनी चाहिये. माननीय उपाध्यक्ष महोदया, आपने मुझे बोलने का समय दिया उसके लिये बहुत-बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदया --- माननीय मंत्री जी आप बोलें.
श्री दिलीप सिंह परिहार -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मेरा नाम भी है.
उपाध्यक्ष महोदया -- आपका नाम नहीं है. (व्यवधान)....
श्री हरदीप सिंह डंग -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मेरा नाम भी है. नाम आने के बाद कैसे कट जाता है ? (व्यवधान)....
संसदीय कार्यमंत्री -- आपके नेता जी ने नाम दिये हैं, तीन नाम इस पक्ष से दिये हैं और तीन नाम उस पक्ष से दिये गये हैं. केवल तीन-तीन नाम रहेंगे. अध्यक्ष महोदय ने तीन-तीन नाम तय किये हैं. (व्यवधान)....
श्री दिलीप सिंह परिहार -- दो-दो मिनट दे दिये जायें. हमने लिखकर दिया है और हम पढ़कर भी आये हैं.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय -- सदस्य इधर तैयारी करते रहते हैं. वह पूरे दिन-दिन भर तैयारी करता है और उनका नाम ही नहीं आता है. (व्यवधान)....
उपाध्यक्ष महोदया -- आप इस संबंध में अपने सचेतक से बात करें. (व्यवधान)....
श्री हरदीप सिंह डंग -- मुझे मंत्री जी के बारे में ही बोलना हैं. (व्यवधान).
उपाध्यक्ष महोदया -- आप बैठ जायें, आप उनसे मिलकर बोल देना.(कई सदस्यों के एक साथ अपने आसन पर खड़े हो जाने पर) मेरा माननीय सदस्यों ने निवेदन है कि कृपया आप बैठ जायें. मंत्री जी को बोलने दें. किसी की कोई भी बात नहीं आयेगी श्री जितू पटवारी जी जो बोलेंगे केवल वही बात आयेगी. आप सभी कृपया बैठ जायें. (व्यवधान)....
श्री शैलेन्द्र जैन --(xxx)
श्री ओमप्रकाश सकलेचा -- (xxx)
श्री दिलीप सिंह गुर्जर -- (xxx)
खेल एवं युवा कल्याण एवं उच्च शिक्षा मंत्री( श्री जितू पटवारी) -- माननीय अध्यक्ष महोदया, अगर कोई बोलना चाहता है, तो उन्हें एक-एक, दो-दो मिनट बोलने दें (व्यवधान)....
उपाध्यक्ष महोदया -- श्री जितू जी आप स्वयं चाहते हैं कि वह बोलें, तो ठीक है आप बैठ जायें.
डॉ. गोविन्द सिंह -- अगर आप लोग नहीं मान रहे हो, तो एक-एक मिनट बोल लें और सलाह दे दें. क्योंकि यह आपके नेता जी से तय होने के बाद ही हुआ था कि तीन माननीय सदस्य इस पक्ष से बोलेंगे और तीन माननीय सदस्य उस पक्ष से बोलेंगे. अब आप अपने नेता जी के आदेश को मानने को तैयार नहीं है तो हम क्या करें. पूरा बिजनेस आज ही समाप्त करना हैं. (व्यवधान).....
उपाध्यक्ष महोदया -- श्री सकलेचा जी आप बोलें.
श्री ओमप्रकाश सकलेचा (जावद) -- मैंने आपकी राय मान ली है, मैं मात्र एक मिनट में अपनी बात समाप्त कर दूंगा. माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं दो तीन महत्वपूर्ण सुझाव देना चाहता हॅूं. केंद्र सरकार ने इंटरनेशनल लेंग्वेज सीखने के लिये इस बार पूरे भारत में स्कूल और कॉलेज में प्रोवीजन करने का बोला है और मेरा आग्रह है और मैं इस सदन में बड़ी गंभीरता से कह रहा हूं कि मैंने अभी कुछ बच्चे जावद के जापान स्किल डेव्हलपमेंट फॉर इंटर्नशिप प्रोग्राम में भेजे, वहां वह इक्कीस दिन ट्रेनिंग लेकर आये और उनको वहां से खुला ऑफर है कि जितने भी मध्यप्रदेश के बच्चे लेंग्वेज सीखकर जाना चाहे फिर चाहे वह किसी भी वर्ग के हों, वह बारहवीं पास से लेकर चाहे एग्रीकल्चर के हों, चाहे इंजीनियरिंग के हों, चाहे आई.टी. के हों, जो भी वह लैंग्वेज सीख लेगा, उनको वह एमप्लायमेंट और वर्क परमिट देने को तैयार है. यह मध्यप्रदेश के बच्चों के भविष्य के लिये अति आवश्यक है और केंद्र शासन ने स्पेशली लेंग्वेज सिखाने के लिये अपने विशेष फंड से, इस संबंध में प्रोवीजन किया है. माननीय वित्तमंत्री जी ने जो विशेष कोड किया है, वह मैंने ही आग्रह किया था, तब किया है.
उपाध्यक्ष महोदया -- आपके एक मिनट हो गये हैं, अब आप समाप्त करें.
श्री ओमप्रकाश सकलेचा -- माननीय यह एक ऐसा विषय है कि जिसकी शायद आपके क्षेत्र में आपको भी जरूरत पड़ सकती है. मैं कोई भी राजनीतिक बात नहीं करूंगा.
डॉ.गोविन्द सिंह -- राजनीतिक बात नहीं बोलोगे तो, अपने नेता जी से आप बोलें कि उन्होंने आपका नाम क्यों नहीं दिया है ?
श्री ओमप्रकाश सकलेचा -- चलिये आप ही अपनी बात रख लीजिये, आपके भी माननीय मंत्री जी ने कहा था कि आप दो मिनट सुझाव जरूर दे देना, पर जैसी आपकी मर्जी.
डॉ.गोविन्द सिंह - एक मिनट से ज्यादा हो गया है. (व्यवधान)......
उपाध्यक्ष महोदया -- श्री सकलेचा जी आप बैठ जायें. (व्यवधान)......
श्री ओमप्रकाश सकलेचा -- जैसी आपकी मर्जी, दूसरा मेरा सुझाव है. आपको मध्यप्रदेश के बच्चों की चिंता नहीं है तो आप मत चिंता करिये. ....(व्यवधान)....सिंगरौली में सिर्फ आर्टस कॉलेज है, कामर्स और साइंस और कॉलेज खोलने का आग्रह है, बाकी आपकी मर्जी. आपके मध्यप्रदेश के बच्चों के संबंध में आपको जो करना है करिये, उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ करिये (व्यवधान)......
श्री दिलीप सिंह परिहार (नीमच) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं मांग संख्या 43 और 44 का विरोध करता हॅूं. मैं आपसे यह निवेदन करता हूं कि ....(व्यवधान)....झीरन में बच्चों के लिये खोलने की कृपा करें. मैं नीमच विवेकानंद स्नातकोत्तर महाविद्यालय में जहां पढ़ा हॅू, वहां पर अड़तालीस लाख रूपये का गबन प्राचार्य अशोका श्रीवास्तव और केशरी जुगल शर्मा ने किया है, क्या आप उनकी फाईल खुलवाकर और भ्रष्ट लोगों ने जो बच्चों का पैसा खाया है, उनके खिलाफ आप कुछ कार्यवाही करेंगे ?
मेरा एक और निवेदन है, तुकोजीराव पंवार साहब ने आडिटोरियम हॉल नीमच में दिया था, आप बच्चों के लिये वह स्वीकृत करने का काम करें. नीमच में एक सीताराम जाजू महाविद्यालय है उस महाविद्यालय में प्रभारी मंत्री और हमनें भी जमीन दी है. नैक का वहां मूल्यांकन हुआ है, कराड़ा जी और हम जिलाधीश महोदय ने जमीन रिजर्व की है तो वहां नेक का मूल्यांकन हुआ है. एक बच्ची अभी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हॉकी में जाकर आई है तो आप वहां हमारे स्टेडियम उपलब्ध कराने का काम करें. हमारे यहां की बच्ची का फायर पायलट में सिलेक्शन हुआ है और वह फायर पॉयलट की ट्रेनिंग कर रही है और उसने नीमच का नाम किया है. नेक के मूल्यांकन अभी 27-28 को और हैं और स्टॉफ की बहुत कमी है इसलिये वहां स्टॉफ भी स्वीकृत करने का काम करें. अभी मेरे मित्र ने मुझे दिया है कि वन विभाग का ग्राउंड है उसमें ऑडिटोरियम की व्यवस्था लंबित है उसको आप स्वीकृत करें, 1960 में अखिल भारतीय स्तर का हाकी टूर्नामेंट कटनी में ऑडिटोरियम हाल में हुआ था उसे भी स्वीकृत करें. माननीय उपाध्यक्ष महोदया, खेल हमारी जान है और मैं खिलाड़ी रहा हूं. मंत्री जी भी भी युवा हैं और खिलाड़ी भी हैं साथ ही बौद्धिक क्षमता के धनी भी हैं. आपसे यही निवेदन है कि खेल के क्षेत्र में ऑडिटोरियम हाल और स्टेडियम देने की कृपा करेंगे, यही निवेदन है, बहुत-बहुत धन्यवाद. बोलने का मौका दिया, इसके लिये धन्यवाद, जितु भाई कुछ योजनाओं पर जरूर ध्यान देना.
श्री हरदीप सिंह डंग (सुवासरा)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, खेल मंत्री जिनका नाम जितु पटवारी है और उनको खेल मंत्री बनाया गया है इसलिये बनाया है क्योंकि उनमें शारीरिक क्षमता है, जो खेलने में उनका इंट्रेस्ट है और उनका नाम भी जितु है और जब तक कोई खिलाड़ी जीतने की चाहत रखता है तो जितु भाई के पास इसलिये ही वह पद आया है इसलिये मैं उनको बधाई देता हूं.
उपाध्यक्ष महोदया-- हरदीप जी बिना माहौल बनाये सुझाव दे दीजिये.
श्री हरदीप सिंह डंग-- और जितु भाई इसलिये भी बधाई के पात्र हैं कि कई दिनों से हमनें 5 साल तक जो मेडम पहले खेल मंत्री थीं कई बार मुझे मौका मिला, कहीं न कहीं कहते थे कि खेल विभाग को खजाना कम मिलता है और उसके बाद भी जितु भाई ने राष्ट्रीय पदक मिलने वाले खिलाडि़यों को 50 हजार से बढ़ाकर 1 लाख रूपये की जो राशि की है उसके लिये मैं उनको बधाई देता हूं और खेल संघों को खेल प्रतियोगिता के लिये राशि बढ़ाकर और राष्ट्रीय प्रतियोगिता को बढ़ाकर डेढ़ लाख से 10 लाख रूपये जो हमारे राष्ट्रीय प्रतियोगिता में आयोजन के लिये किये हैं इसलिये मैं उनको बधाई देता हूं, कमलनाथ जी को बधाई देता हूं, ऐसे युवा मंत्री बनाये हैं और सबसे बड़ी बात है कम बोलते हैं और ज्यादा समझते हैं इसलिये मैं मानूंगा कि यशपाल जी ने जो स्मार्ट फोन की बात कही थी, स्मार्टफोन आज उन बच्चों के हाथ में आज डिब्बा बन चुके हैं. इसलिये अगर आप ऐसी कोई स्कीम लाते हैं तो अच्छा मोबाइल उनको दें.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- आप तो यह बात करें देंग कि नहीं देंगे.
श्री हरदीप सिंह डंग-- एनसीसी में वर्ष 1981 में मैंने राष्ट्रपति को सलामी दी थी, आर.डी.सी. परेड में मैं भाग ले चुका हूं. पूरे भारत का नेतृत्व मैंने किया है तो मैं मानता हूं कि अगर एनसीसी आपके विभाग में है तो आप प्रत्येक स्कूल में एनसीसी अनिवार्य रूप से खोलें जिससे युवा आगे बढ़ सकें. जनभागीदारी के जो अध्यक्ष बनते हैं, मेरा मानना है कि जो यशपाल जी बोले थे कि हमारे टाइम पर मेरे यहां 3 कॉलेज हैं उसमें दूसरे व्यक्तियों को बनाया गया था, जबकि मैं वहां का विधायक था. मेरा मानना है कि हम विधायकों को जो जहां है वहां का अध्यक्ष बनाया जाये और ग्रामीण क्षेत्र में अभी तक जो खेलों की बात हो रही है सिर्फ कॉलेजों में और स्कूलों में पढ़ने वाले लड़कों की हो रही है जो ग्रामीण क्षेत्र में पढ़ाई करता है, जो खेती करता है उसमें प्रतिभायें अगर देखी जायें तो हमारे यहां का एक समीर गूजर जो आज मुम्बई में है, एक गांव का लड़का है केवल 5वीं, 7वीं पढ़ा हुआ है, उसने अक्षय कुमार के साथ एक फिल्म में, उसने अभी 11 हजार किलोमीटर की मैराथन दौड़ में भाग लिया और कम से कम 40 हजार किलोमीटर अभी वह गिनीज बुक में अपना नाम लिखाने जा रहा है और वह गांव का लड़का है. मेरा मानना है कि जो ग्रामीण क्षेत्र के लड़के हैं उनके लिये 5 या 10 हजार हर गांव में जो मिलिट्री में जाना चाहते हैं उनके लिये भी अगर आप कोई सुविधा उपलब्ध करायेंगे तो बहुत बढि़या रहेगा. सुबासरा में एक ग्राउंड के लिये 5-7 साल पहले 25 लाख रूपये वहां पर खर्च हुये हैं, वहां पर अगर और राशि देंगे तो मैं मानता हूं कि उसकी सुविधा और बढ़ेगी. एक और घोषणा कर रहा हूं कि मांग पत्रों पर आज के बाद मेरा नाम में नहीं दूंगा, इस सत्र के अंदर.
श्री दिलीप सिंह परिहार-- उपाध्यक्ष जी, नाम लिखा रहता है और कटता है तो दुख होता है. हम भी नहीं देंगे.
डॉ. गोविंद सिंह-- आप बड़े होशियार हो, आज तो सब हो ही जाना है, अब आज के बाद तो होना ही नहीं है भई.
श्री दिलीप सिंह गुर्जर (नागदा-खाचरोद)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, आपने समय दिया. उच्च शिक्षा, खेल और युवा कल्याण विभाग की बागडोर जो हमारे ऊर्जावान मंत्री जी को बागडोर सौंपी हैं जिनमें कुछ नया कर दिखाने का जज्बा है और एक पूरे विभाग में आमूलचूल परिवर्तन कर रहे हैं. मैं माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देना चाह रहा हूं कि उनके आने के बाद प्रदेश के महाविद्यालय को जो शैक्षणिक वातावरण तैयार हुआ है. विगत 15 वर्षों में लगातार बाहरी तत्वों का जमावड़ा हो चुका था, अड्डा हो चुका था और वही महाविद्यालयों को संचालित करते थे और प्राचार्य और विद्यार्थी भय और आतंक के माहौल में जी रहे थे. लेकिन कांग्रेस की सरकार बनने पर शैक्षणिक वातावरण पूरे प्रदेश के अंदर तैयार हुआ है जिसके लिये मैं माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देता हूं. जो आपने समय दिया उसमें मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि शासन ने एकीकृत प्रबंधन प्रणाली उच्च शिक्षा परिषद का गठन, वीडियो कांफ्रेसिंग का हाईटेक मॉडल क्लास, संभाग में उत्कृष्ट पोर्टल महाविद्यालय आदि कई जनहित में और विद्यार्थियों के हित में योजनायें प्रारंभ कीं उसके लिये मैं माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देता हूं. मैं माननीय मंत्री जी को कुछ बातों से अवगत कराना चाहता हूं कि हमारे ग्रामीण क्षेत्रों से अधिकांश विद्यार्थी शहरों में पढ़ने आते हैं और कई विद्यालय ऐसे हैं जहां 60 प्रतिशत से अधिक ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थी रहते हैं उन विद्यालयों में कम से कम होस्टल की व्यवस्था की जाये जिससे कि वह विद्यार्थी वहीं रहकर पढ़ाई कर सकें और जहां तक पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग द्वारा जो स्टेडियम दिये गये हैं परंतु वह मात्र स्टेडियम के रूप में खड़े हैं न उनमें कोच की व्यवस्था है, उन उनमें बिजली की व्यवस्था है. कम से कम एक कोच की व्यवस्था प्रत्येक विकासखंड में की जाये. माननीय मंत्री जी का ध्यान मैं इस ओर आकर्षित करूंगा कि हमारे उज्जैन जिले में नागदा दूसरा बड़ा शहर है वहां पर एक भी खेल मैदान नहीं है, वहां पर भूमि की कमी है, मैं माननीय मंत्री जी का ध्यान उन स्थानों की ओर भी आकर्षित करना चाहता हूं जहां बड़े-बड़े शहर हैं, परंतु आपका खेल विभाग सिर्फ उन्हीं स्थानों पर पैसा खर्च करने की बात कहता है जहां विभाग द्वारा जमीन आवंटित की जायेगी, परंतु मैं माननीय मंत्री जी से अनुरोध करता हूं जहां महाविद्यालय ग्राउंड हैं उन्हीं को खेल विभाग राशि खर्च करके तैयार करे जिससे कि हमारे खिलाडि़यों को एक नया वातावरण मिल सके.
उपाध्यक्ष महोदया-- दिलीप जी आप मंत्री जी को लिखित में दे दीजिये.
श्री दिलीप सिंह गुर्जर-- खाचरोद क्षेत्र की कुछ समस्यायें हैं, खाचरोद महाविद्यालय में भूगोल, हिन्दी साहित्य ओर एमएससी मेथ्स की कक्षाओं की आवश्यकता है. नागदा में एमए, एमएससी केमेस्ट्री, खेल मैदान एवं स्पोर्ट्स आफीसर का पद कायम किया जाये और नागदा में आप स्टेडियम की स्वीकृति प्रदान करें. आपने समय दिया उसके लिये बहुत-बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदया-- इंजी. प्रदीप लारिया जी. आप बैठ जाइये शैलेन्द्र जी.
श्री शैलन्द्र जैन (सागर)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, एक बहुत सौभाग्य का विषय है, आप आसंदी पर विराजमान हैं, एक महिलाओं से संबंधित प्रश्न था. हमारी विधान सभा का जो उत्कृष्ट महाविद्यालय है वह मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा महाविद्यालय है. साढ़े 10 हजार बच्चियां वहां पढ़ती हैं और एक असुरक्षा का वातावरण जो पूरे प्रदेश में है, इस बात को ध्यान में रखते हुये मध्यप्रदेश में एक महिला विश्वविद्यालय खोला जाना नितांत आवश्यक है. इसी सदन में इस विषय को लेकर चर्चा हो चुकी है. मैं माननीय मंत्री महोदय से निवेदन करना चाहूंगा कि महिलाओं की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुये एक महिला विश्वविद्यालय खोलने की आप व्यवस्था करेंगे.
2.54 बजे (अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) पीठासीन हुये)
अध्यक्ष महोदय-- धन्यवाद. इतनी देर बोल कैसे लिये मुझे यह समझ नहीं आया. मैं चला गया तो आप लोगों ने सब गड़बड़ कर दिया. शैलेन्द्र जी रात में मालूम क्या होगा. हां की जीत हुई ना की जीत होकर खत्म हो जायेगा. आप लोग समझ नहीं रहे.
श्री शैलेन्द्र जैन-- अध्यक्ष महोदय, ऐसा मत करिये.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, नहीं. आप क्या है अभी चले जायेंगे. मेरे को 10 विभाग लेने हैं, सिर्फ एक विभाग नहीं लेना. फिर आप ही लोग नाराज होकर उठकर भाग जायेंगे. ऐसा नहीं करियेगा, धन्यवाद. मंत्री जी.
इंजी.प्रदीप लारिया - अध्यक्ष महोदय, मेरा नाम आसंदी से लिया है.
अध्यक्ष महोदय - लारिया जी, मैंने आपको शून्यकाल में बोलने का मौका दिया था. बैठ जाईये. मेरा एक निवेदन है, नरियावली नगर पालिका है, वहां स्टेडियम बन जाये और नरियावली महाविद्यालय का भवन बन जाये. धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय - आप बिल्कुल जवाब मत देना मंत्री जी, मैं जिसको बोलने का मौका न दूं, वे नहीं बोलेंगे. उनका नहीं लिखा जायेगा.
इंजी.प्रदीप लारिया - अध्यक्ष महोदय, आसंदी से यदि मेरा नाम न पुकारा गया होता तो मैं नहीं उठता.
अध्यक्ष महोदय - चलिये हो गया, धन्यवाद. गल्ती की जिन्होंने नाम दिया. मैंने सिर्फ तीन-तीन नाम मांगे थे. आप लोगों ने छह-छह नाम दे दिये. बैठ जाईये. मेरी व्यवस्था पर आप लोग व्यवस्था न दें. मैंने कल भी बोल दिया था आज फिर बोल रहा हूं जिस भी विभाग में हो तीन-तीन नाम आयेंगे. दोनों सचेतक मेहरबानी करके कृपा करें और मेहरबानी करके यह कृपा करें जो वक्ता बोलें मैं बार-बार बोलता हूं एक वक्ता 15-15,20-20,25-25 मिनट बोल रहे हैं. आप लोग जब इतना समय लगा रहे हैं और वरिष्ठ लोग कृपया ध्यान रखें प्वाइंटेड बोलें. नये विधायक सीखेंगे. आप लोग इतना लंबा खींच रहे हो. तीन-तीन बोलो, प्वाइंटेड बोलो और अपने क्षेत्र पर सीमित हो जाओ. जिसको जितनी खींचातानी करनी थी, एक दूसरे को सुनानी थी, अन्य विभागों पर सुना ली. वह हो चुका. अब अपने क्षेत्र की मांग रखो. विभाग पर अपनी बात रखो. माननीय मंत्री जी साढ़े ग्यारह मिनट में अपनी बात रखें.
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) - आदरणीय अध्यक्ष महोदय, मैं तो दस मिनट का समझा था, आपने डेढ़ मिनट ज्यादा दिया. इसके लिये आपका धन्यवाद. सामान्यत: सदस्यों ने अपने-अपने सुझाव भी दिये. बहुत सी बातें अच्छी होनी चाहिये. उच्च शिक्षा विभाग और खेलकूद के संबंध में विभाग को जानकारियां दीं और विभाग को सुझाव भी दिये और यह बड़ी खुशी की बात है कि 99.99 प्रतिशत नहीं 100 प्रतिशत सभी ने सुझाव दिये. सकारात्मक बातें रखीं. पाजिटिविटी रखी. खेल और उच्च शिक्षा ऐसा भाव है जिसकी सबसे ज्यादा आवश्यकता होती है. जो देश के भविष्य को, परिवार के भविष्य को, और युवा के भविष्य को बनाती है. सिसोदिया जी ने सबसे पहले बहुत सी बातें तथ्यात्मक रखीं. वे बहुत पढ़-लिखकर आते हैं परंतु आज थोड़ी चूक कर गये. मैं नहीं समझ पाया, जो बातें उन्होंने बजट के प्रोवीजन के लिये कहीं. उन्होंने विदेश अध्ययन हेतु प्रतिभाशाली बच्चों के लिये सुझाव दिया था. आपने कहा कि भेजना चाहिये. यह सकारात्मकता थी, परंतु इसमें हमने 25 लाख रुपये तक का एक बच्चे का बजट रखा है और टोटल प्रोवीजन सवा दो करोड़ का रखा है. पिछली सरकार का, मै नकारात्मक बातें नहीं करना चाहता क्योंकि आपका सुझाव पाजीटिव था. एक बच्चे को भेजा गया था. बजट कितना भी रखा गया हो. बातें और भी आपने कहीं जिसमें सूचना और प्रोद्योगिकी को लेकर बात थी. जिसका आप अध्ययन कर रहे थे. आपने यहीं पर तैयारी की, मैं देख रहा था. आप बहुत विद्वान हो इसमें कोई शक नहीं लेकिन आप थोड़ी चूक कर गये. बहुत से और आपके सुझाव आये, बहुत सकारात्मक थे. आपने खेल में राशि की बात भी कही. इन्दौर कुलपति की बात बहुत गंभीर है. जितने चिंतित आप हो उससे 100 गुना ज्यादा चिंतित मैं हूं. चूंकि मेरी अपनी मर्यादा है. विभाग की अपनी मर्यादा है. महामहिम की अपनी मर्यादा है. उसमें मैं ज्यादा सवाल-जवाब नही कर पाऊंगा .इसके लिये मैं क्षमा प्रार्थी हूं. जमीन का एक सुझाव राजवर्धन सिंह जी ने बहुत अच्छा कहा और आपने भी अच्छा कहा कि यदि भविष्य में हमें अपने संस्थानों को बढ़ाना है तो अगर हम जमीनों का संरक्षण नहीं करेंगे तो कैसे चलेगा. मैं आज ही इस विषय पर गाईड लाईन बनवाकर जारी करवाने के लिये आप और राजवर्धन सिंह, दोनों के आदेश पर निर्णय लूंगा. मैं समझता हूं कि बहुत सी बातें सकारात्मक थीं परंतु आपकी तैयारी कम थी, इसलिये गड़बड़ हुई. आदरणीय राजवर्धन सिंह जी ने बहुत अच्छी बातें और सुझाव दिये. मैं समझता हूं वे मेरी ज्यादा तारीफ कर गये मैं इससे थोड़ा सा कम हूं. राजवर्धन सिंह जी आप मेरे बड़े भाई हैं हमेशा मुझे याद रहता है.
श्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव - अध्यक्ष महोदय, मेरे ऊर्जावान मंत्री जी को अपने आपको कम नहीं आंकना चाहिये. असीम संभावनाएं हैं इनमें.
श्री जितू पटवारी - आपने बिल्डिंग की कमी की ओर ध्यान दिलाया था. बिल्डिंग की कमी को भी विभाग ने संज्ञान में लिया. लक्ष्मण सिंह जी ने सुझाव सकारात्मक दिये और जयवर्धन सिंह जी का भी ध्यान रखा कि उसको भी समय मिलना चाहिये पर मुझे समझ नहीं आया कि जयवर्धन सिंह जी भतीजे हैं तो हम आपके क्या हैं. इसलिये दोनों को समय मिलना चाहिये. फिर भी आपका सुझाव बहुत अच्छा है. राजगढ़ में 20 करोड़ रुपये निजी विश्वविद्यालय के लिये जारी कर दिये हैं उसका भूमि पूजन हो गया है .उसके लिये भूमि पूजन हो गया है जिसमें एम.बी.ए. प्रोफेशनल कोर्स के लिये चिन्हित करके वह किया गया है. आपके निजी विश्वविद्यालय और बाकी चीजों के लिये सुझाव अच्छे थे. यह सही है कि इन्दौर से लेकर ग्वालियर तक निजी विश्वविद्यालय नहीं हैं. चाचौड़ा में विश्वविद्यालय खोलने की आपने बात कही. पुरस्कार की राशि की बात मैं आगे करूंगा. मैं समझता हूं ओलम्पिक फीस को लेकर व्यवस्था की बात कही है उस पर भी ध्यान दिया जायेगा. प्रदीप जायसवाल जी ने भी पढा-लिखा तो बहुत था लेकिन चूक कर गये. आपने कहा कि प्रचार- प्रसार में टोटल बजट का 25.42 प्रतिशत रख दिया, अगर टोटल खेलकूद का बजट कितना है, उसमें से 100 करोड़ प्रचार-प्रसार पर रख दूं तो आपने क्या कहा, उस पर थोड़ा विचार करते, कहने के पहले. मात्र 0.96 परसेंट, टोटल बजट का रखा है. 25 प्रतिशत नहीं रखा है. तो जरा ढंग से उसका अध्ययन करते तो ज्यादा बेहतर होता. आपने कहा कि प्रोत्साहन में जीरो. आपने कहा कि खिलाड़ियों को प्रोत्साहन तो है ही न.हीं उसमें 54 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है. परंतु आपने बोला, सुझाव दिये पाजिटिविटी दिखाई, जैसा कि मैंने पहले कहा. आपने खेल ऐकेडमी की बात कही. फीडर सेंटर की बात भी कही. फीडर सेंटर में एक बहुत अच्छा आपका सुझाव था कि फीडर सेंटर के बच्चों को भोजन नहीं मिलता है. आवागमन का पैसा नहीं मिलता है. हम सिर्फ उनको खिलाने की बात करते हैं. उनको सामग्री नहीं मिलती है. उसमें चूक होती है. भ्रष्टाचार होता है. इसको सुधारने के लिये आपके सुझाव के साथ यह कार्य किया जायेगा. यह मैं आपको आश्वस्त करता हूं. साथ ही आपने जिस भूमि का कहा कि उसे चिन्हित कर प्रस्तावित किया गया था तो वह स्टेडियम बनाया जा रहा है. जो आपने कहा, जिस भूमि का जिक्र किया, उस भूमि पर स्टेडियम बनाने की प्रोसेस चालू कर दी गई है. इसके लिये भी आपको बधाई, और भी बहुत से अच्छे सुझाव आये थे. हमारे त्रिपाठी जी चले गये, वे रीवा से आते हैं बाकी चीजें अपनी जगह हैं. 10 करोड़ रुपये शासन ने आलरेडी वहां आउटडोर स्टेडियम के लिये दे दिये हैं और मैं समझता हूं जैसे ही यह बजट पास होगा यह सौगात आपको मिलेगी. चूंकि आपने इस चर्चा में भाग लिया इसके लिये मैं आपको धन्यवाद देता हूं. संजय शर्मा जी के भी बहुत अच्छे सुझाव आये. अजय विश्नोई जी, अभी नहीं हैं. मैं समझता हूं कि वह भी बहुत विद्वान हैं. मैं उनकी स्पीच सुनता रहता हूं. यहां भी और बाहर भी. बहुत अच्छे सकारात्मक सुझाव उनके भी थे. कोई बुराई उन्होंने नहीं की. उन्होंने रोईंग को लेकर जो आवश्यकता बताई. जबलपुर में जो हमारा साईकलिंग का एक मात्र कोर्ट प्रदेश में है, जिसको सुधार की बात कही गई है. आदरणीय वित्त मंत्री जी ने भी इसकी बात तीन-चार बार मुझसे कही. हमने इस पर ध्यान दिया है कि आने वाले समय में उसको विश्व स्तरीय सुविधाओं से लैस बनाया जायेगा. संजीव शर्मा "संजू" ने जो डिमांड रखी और जो बात भी कही कि अगर कहीं भ्रष्टाचार हुआ है और किसी न किसी के साथ, किसी संस्था ने अगर धोखाधड़ी की है, तो मेरा दायित्व बनता है, विभाग का दायित्व भी बनता है कि उसकी जांच करायी जाये और हम नहीं कराएंगे तो माननीय अध्यक्ष हमेशा जांच कराने के लिये तत्पर बैठे रहते हैं ,जरा उनके लिये भी साधुवाद दो. मैं समझता हूं कि उनका इस बार का ऐजेंडा जांच पर फोकस्ड ऐजेंडा है. तो मैं समझता हूं कि यह हमें समझना चाहिये. हां, टाइम लिमिट में जांच चाहिए. एक सबसे बड़ी बात इस सदन की कि अध्यक्ष महोदय, सबसे पहले मैं आपकी तारीफ करूंगा कि ईओडब्ल्यू या अन्य संस्थाएं, जिनके लिए हम कहते हैं कि आपकी जांच स्वतंत्र संस्था से कराई जाएगी. आपने कहा कि नहीं, जांच हो चुकी है. अब तो निर्णय लेना है और मैं ही लूंगा और मेरे साथ रहेंगे ये तीन सदस्य. मैं आपको मान गया! मैं समझता हूं कि बहुत सकारात्मकता है. एक एमजीएम कॉलेज में हम पहले से संजू आपकी सेवा कर चुके हैं जिसमें साढ़े 8 करोड़ रुपया कॉलेज को अलरेडी चला गया है जिसकी जनभागीदारी की अभी व्यवस्था होनी है. आपको बनाना है. ऐसे ही और एक अन्य इंडोर स्टेडियम के लिए आपके यहां व्यवस्था की है. आपका आदेश था उसको पूर्णता दे दी है. एक लहार का जो आपने जिक्र किया है जिसमें कामर्स और पीजी के कोर्स चालू करने थे, मैं आज जाने के बाद ही इसकी व्यवस्था करूंगा. डॉ. गोविन्द सिंह जी का एरिया है नहीं तो यहां किसको कब कम समय और ज्यादा समय हो जाय, मैं समझता हूं कि श्री दिलीप सिंह परिहार जी ने, श्री डंग साहब ने, श्री दिलीप सिंह गुर्जर जी ने..
श्री संजीव सिंह संजू - नयेगांव में एक नवीन महाविद्यालय दे दें.
श्री जितू पटवारी - ..सागर का जो जिक्र दो सदस्यों ने किया. पहले इसका प्रश्न आया था परन्तु लगा नहीं था. मैं आपको बताना चाहता हूं कि आपने प्रश्न में पूछा था कि आदरणीय श्री शैलेन्द्र जैन साहब आपके लिए बात हो रही है. आपने कहा कि पिछले मुख्यमंत्री जी ने जिसके आदेश कर दिये थे शासन से स्वीकृति मिल गई थी. सबसे बड़ा कन्या महाविद्यालय हमारे यहां पर है, उसको पहला महिला महाविद्यालय बनना चाहिए, उसके आन्दोलन भी हो रहे हैं. मैं आपसे अनुरोध करूं कि आपने कोशिश की थी इसको कोई नजरअंदाज नहीं कर सकता है. परन्तु पूर्व मुख्यमंत्री जी ने कोई प्रयास नहीं किया यह भी सच्चाई है. मेरा अनुरोध है कि मांग जायज है. इस ओर आगे काम किया जाएगा. मैं आपको आश्वस्त करता हूं.
श्री कुणाल चौधरी - एक महाविद्यालय हमारे यहां भी खोल दीजिए.
श्री जितू पटवारी - अध्यक्ष महोदय, सारे सदस्यों को मैं साधुवाद देता हूं. हमारे सखलेचा जी ने भी लैंग्वेज लैब को लेकर बात कही.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा - एक सिंगौली में कॉलेज में अतिरिक्त विषय खोलने के लिए मेरी मांग है.
श्री जितू पटवारी - अध्यक्ष महोदय, सिंगौली में कॉलेज में अतिरिक्त विषय खोलने की डिमांड की है इसमें सकारात्मकता से आप सबको आश्वस्त करता हूं कि अलग से बात करके इस पर बात करेंगे.
श्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव (बदनावर) - अध्यक्ष महोदय, आपकी अनुमति से एक आधा मिनट चाहता हूं. मेरा सुझाव है.
अध्यक्ष महोदय - राजवर्धन जी जो बोलें वह कर देना.
श्री जितू पटवारी - अध्यक्ष महोदय, मेरा पास में सिर्फ 7 मिनट बचे हैं .
श्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव - अध्यक्ष महोदय, पूरे सदन की चिंता है और एक विषय है जो खेल विभाग का पैसा होता है वह पुलिस अधीक्षक के पास रहता है.
अध्यक्ष महोदय - किसके पास?
श्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव - जो जिले के पुलिस अधीक्षक होते हैं उनके पास एक डिस्क्रिशनरी फंड रहता है और वे उसके कंट्रोलर रहते हैं अब उनके पास न तो इतना समय रहता है तो कुछ उसमें माननीय मंत्री जी व्यवस्था करें या तो वह जनभागीदारी समितियों में चला जाय या विधायकों को उसका डिस्क्रिशन दे, ऐसा रहा करता था इतना मुझे ध्यान है.
श्री जितू पटवारी - अध्यक्ष महोदय, आदरणीय सदस्यों से अनुरोध है कि मेरे पास सिर्फ 7 मिनट बचे हैं तो मैं मेरे समय के अंदर अपनी बात कहूंगा और सिर्फ नवाचारों पर कि हम उच्च शिक्षा विभाग में क्या करना चाहते हैं और खेल विभाग में क्या करना चाहते हैं बस इसी पर फोकस रहेगा. मैं समझता हूं कि मैंने जो बातें कही हैं वह सब सर्वविदित है. पिछले समय जिस तरीके से 15 साल की पूर्व सरकार थी सवाल खूब उठे . परन्तु यह प्रश्न भी बनता है कि 15 साल में मध्यप्रदेश में 191 महाविद्यालय ऐसे हैं जो भवन और भूमि दोनों विहिन हैं. कहीं पर भवन है कहीं पर भूमि है. मैं आपको बता दूं श्री सिसौदिया जी आपने यह सवाल उठाया था कि 6 महाविद्यालय किराए की बिल्डिंग में ही चल रहे हैं पिछले 15 साल की व्यवस्था का ही असर है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - मैंने यह नहीं उठाया.
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाइए, नहीं उठाया तो कोई बात नहीं.
श्री जितू पटवारी - अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में 128 महाविद्यालय ऐसे हैं जहां एक भी नियमित प्रोफेसर नहीं है. यह 15 साल का हिसाब है. मैं आपको बताना चाहता हूं कि 150 महाविद्यालय ऐसे हैं जिसमें एक भी कर्मचारी जो प्यून वगैरह लगता है वह एक भी नहीं है. जो 15 साल की आपने व्यवस्थाओं पर बात की. मैं इसको आपका आश्वस्त करना चाहता हूं कि पूर्ववर्ती सरकार ने 15 साल में यह तमगा दिया कि 100 स्थानों पर 1 से लेकर 100 तक, एक भी महाविद्यालय मध्यप्रदेश का कहीं चिह्नित नहीं होता है? यह आपने व्यवस्था बनाई है. मैं समझता हूं कि बहुत सुधार की आवश्यकता भी है और कोशिश भी खूब होगी. शिक्षकों की कमी को दूर करना, आरोप लगाना अच्छी बात है. परन्तु हम क्या कर रहे हैं यह भी एक व्यवहार होता है. मैं आप सबको आश्वस्त करना चाहता हूं कि आने वाले 2 दो महीने में, आज लगभग 50 प्रतिशत प्रोफसर्स की मध्यप्रदेश में उच्च शिक्षा विभाग में कमी है और हम 25 प्रतिशत प्रोफेसर्स की भर्ती आने वाले डेढ़ से दो महीने के पूर्व करेंगे. (मेजो की थपथपाहट)..और जहां जहां प्रोफसर्स की पूर्ति करनी है वहां करेंगे. इसी प्रकार जो क्रीड़ा अधिकारी की बात है. अभी जो खेल को लेकर बात हुई थी जो 214 पीएससी से नये चयनित है अलग-अलग कॉलेजों में जहां कमी है उनको वहां भेजेंगे. साथ ही साथ ग्रंथालय और भी अलग अलग 300-350 पदों को हम भरने जा रहे हैं. जिन जिन विधायकों ने इसकी मांग की है उनकी पूर्ति भी होगी और जहां आवश्यकता है वहां पूर्णता भी आएगी.
मैं आप सबको आश्वस्त करना चाहता हूं कि अतिथि विद्वान, जिन्होंने 10 से 15 साल अपने जीवन के इस विभाग को दिये. अलग-अलग राजनीतिक दल, अलग-अलग नेता, अलग-अलग बातें करके उनकी भावनाओं को छलते भी रहे, आश्वस्त भी करते रहे. लेकिन यह कमलनाथ जी की सरकार है. एक तरफ प्रोफेसर्स की कमी की पूर्ति भी करेगी और दूसरी तरफ जो अतिथि विद्वान हैं जिन्होंने 15-15, 20-20 साल इस विभाग को दिये हैं उनके जीवन-यापन की सुरक्षा के साथ उनके बच्चों के भविष्य का ध्यान भी रखेगी. एक भी अतिथि विद्वान को किसी प्रकार से ..
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - बगैर बजट के प्रावधान के करेंगे क्या?
श्री जितू पटवारी - आपने बजट पढ़ा ही नहीं है. आप जैसा विद्वान आदमी ऐसा करता है तो अच्छा नहीं लगता है बाकी सब करेंगे तो चल जाएगा.
अध्यक्ष महोदय - सिसौदिया जी, आपने जब बोला तो क्या किसी ने टोका? चूंकि आपने उनको इंगित किया था, वह आपको इंगित कर रहे हैं . इसका मतलब यह नहीं है कि आपको बोल रहे हैं कि आप बोलो. उसकी यह प्रतिध्वनि नहीं निकलती है.
श्री जितू पटवारी - अध्यक्ष महोदय, एकेडेमिक कैलेण्डर एक ऐसी व्यवस्था होती है कि अगर उसका प्रतिपालन नहीं हो, नियमानुसार टाइम पर एडमिशन नहीं हो, एजूकेशन नहीं हो, एग्जाम नहीं हो, रिजल्ट नहीं हो तो पूरी व्यवस्था बिगड़ती है, इसका व्यवस्थित हमने ध्यान रखा है और एमपी आनलाइन के जरिए लगातार बच्चियों के लिए मुफ्त बिना पैसे में एडमिशन की व्यवस्था की है. लगभग 4 लाख बच्चियों को अभी तक इसका फायदा हो चुका है. साथ ही साथ आने वाले समय में बेटों का एडमिशन भी मुफ्त होगा. यह व्यवस्था भी आदरणीय श्री कमलनाथ जी की सरकार कर रही है. इससे आगे बढ़कर हमारे वचन में भी था कि बच्चियों का एजूकेशन हम मुफ्त करेंगे उसकी ओर भी विभाग आगे बढ़ रहा है.
अध्यक्ष महोदय, मैं आप सबको आश्वस्त करता हूं कि जो ग्रॉस रेश्यो होता है 12वीं से लेकर कॉलेज तक जाने वाले बच्चे बच्चियों का मध्यप्रदेश का प्रतिशत देश की तुलना में 5 प्रतिशत लगभग कम है. जितनी बातें की गईं, जितने भाषण दिये गये, जितनी घोषणाएं पूर्ववर्ती नेताओं ने की, माननीय पूर्व मुख्यमंत्री जी ने, उनका जितना असर इस विभाग में दिखता है जिस जगह गये वहां पर कॉलेज की घोषणा कर दी. भूमि है नहीं है. बिल्डिंग के लिए पैसे हैं, नहीं है. शिक्षक की व्यवस्था हुई, नहीं हुई, क्योंकि घोषणा, उप चुनाव था, क्योंकि घोषणा, नगर निगम, नगरपालिका चुनाव था. आज यह परिस्थिति है. मैंने जैसा पूर्व में कहा कि सब जगह सिर्फ घोषणाओं के कॉलेज हैं . न शिक्षक है, न भूमि है, न बिल्डिंग है. सिर्फ शिवराज सिंह जी की घोषणाएं हैं इसलिए परिवार के लोग परेशान हैं. मैं समझता हूं कि उसका सुधार करना हमारा दायित्व है, हम करेंगे. साथ ही साथ मैंने जैसा कहा कि देवी अहिल्या होल्कर निःशुल्क शिक्षा योजना के अंतर्गत बच्चियों के लिए आने वाले समय में मुफ्त शिक्षा की प्रक्रिया हम चालू करें. मैं आप सबको पूरे गर्व के साथ यह बताना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश सरकार के उच्च शिक्षा विभाग में पहली बार एससी/एसटी के बच्चों को मुफ्त शिक्षा, शिक्षण सामग्री, पुस्तकें लगभग 2000-2200 रुपए की मिलती थी, हमने उसको बढ़ाकर ओबीसी के छात्रों को उसमें शामिल किया और 10 प्रतिशत गरीब स्वर्ण बच्चे जो होते हैं जिसका अभी श्री कमलनाथ जी ने निर्णय लिया है.
उनको भी इसी वर्ष से शामिल किया है, सभी को मुफ्त में पुस्तकें मिलेंगी. मैं आप सभी से अनुरोध करना चाहता हूं कि नवाचार के लिए एक शिक्षा परिषद जैसा कि सुझाव भी आया था शिक्षा परिषद का गठन करेंगे जिसमें आईआईटी और आईआईएम के प्रोफेसर को लेकर हम आगे वढ़ने वाले हैं. एक एक्सीलेंस कालेज के बारे में यहां पर किसी ने बात की थी. इंदौर जबलपुर सागर छिंदवाड़ा रीवा उज्जैन ग्वालियर होशंगाबाद में उत्कृष्ट महाविद्यालय संभाग पर खोलने की आवश्यकता है जिसके लिए जिला स्तर पर करने की मांग हुई थी. मैं समझता हूं कि यह भी एक नवाचार है. विश्व बैंक की योजना से मध्यप्रदेश में लगभग 200 महाविद्यालय चिन्हित किये गये हैं जैसे कि हमारे राजवर्धन जी ने कहा था कि लगभग 2 हजार स्मार्ट क्लासेस, 200 स्मार्ट लैब, 2 ई लायब्रेरी इसका प्रावधान 1800 करोड़ रूपये का रखा गया है. मेरा यहां पर आप सबसे अनुरोध है कि प्रोफेसर को नवाचार को लेकर, नई तकनीकी को लेकर आधुनिक शिक्षा को लेकर एक ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट भोपाल में खोला जा रहा है. साथ ही साथ मैं आपको बता दूं कि विश्वविद्यालयों में खेल कूद को बढ़ावा देने के लिए लगभग 60 करोड़ रूपये का प्रावधान रखा गया है. यह हमारे परिवार के लोग शायद पढ़ नहीं पाये हैं.
अध्यक्ष महोदय -- अब खेल कूद पर बोल दें खेल यहां पर चल रहा है कूदो वहां जल्दी से बोल दें.
श्री जितू पटवारी -- अध्यक्ष महोदय सब जगह पर आप डंडा चलायेंगे. आप तो इतने लाडले हैं हमारे,
अध्यक्ष महोदय -- वह इसलिए कि आपने अभी तक नरसिंहपुर का एक बार भी नाम नहीं लिया है क्यों बोलूं मैं.
श्री जितू पटवारी -- अध्यक्ष जी मेरे पांच मिनट तो इससे ही बढ़ते हैं कि आपका नरसिंहपुर में बालीवाल का जो होस्टल था उसको हमने अकादमी में तब्दील कर दिया है. मैं समझता हूं कि यह एक नवाचार है.
अध्यक्ष महोदय -- ये हाकी वाला बैठा है एस्ट्रोट्रफ करें उसे.
श्री जितू पटवारी -- हमारे उच्च शिक्षा विभाग की कई बातें और मुझे करना थी.
कुंवर विजय शाह -- अध्यक्ष महोदय बहुत अच्छी बात आपने की है. प्रदेश के अच्छे हॉकी के गोल कीपर में माननीय अध्यक्ष महोदय का नाम था हॉकी के लिए बहुत कुछ उनका योगदान है. अगर वहां पर एस्ट्रोट्रफ वाली अकादमी नहीं खुलेगी तो कहां पर खुलेगी.
श्री जितू पटवारी -- अभी भी मुझे पता है कि उनके गोल कहां कहां पर हैं और कहां कहां पर वह ठोकने वाले हैं तो मैं जबकि तो नहीं, पर अबकी ध्यान रख रहा हूं. मुझे इस बात का पता है. अध्यक्ष जी ऐसे ही कई और नवाचार थे शिक्षा विभाग के बारे में जो कि मुझे सदस्यों को बताने थे. लेकिन मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हूं कि हमारे खेल कूद के मंत्रालय के अंतर्गत स्पोर्टस एक ऐसी विधा है जिसमें माता पिता की मानसिकता नहीं बनती है कि मेरे बेटे को मैं इसमें आगे बढ़ाऊ या उसका केरियर स्पोर्टस के माध्यम से बनाऊं. स्पोर्टस एक ऐसी भी विधा है कि पहले एक मुहावरा चलता था कि खेलोगे कूदोगे बनोगे गंवार पढोगे लिखोगे बनोगे नवाब तो दोनों विभाग के भाव की सेवा करना मेरा दायित्व है. मैंने जैसा कहा कि अध्यक्ष जी ने जैसा कहा है कि वह ही बातें करो जिससे नवाचार की बात हो, यह बतायें कि आज के युग के स्पोर्टस में जितना आधुनिक तकनीक की सहायता से बच्चों को पारंगत कर सकते है उतना पारंगत पुराने जमाने के स्त्रोत से नहीं कर सकते हैं.
अध्यक्ष महोदय विभाग में ऐसे कई कर्मचारी जैसे कि फिजियोथेरेपिस्ट हो, अध्यक्ष महोदय यह आपकी बात आ गई है कि डीपीआर कंपलिट है और आपका एस्ट्रोट्रफ बनने वाला है, तीन मिनट का समय लगा है केवल,
अध्यक्ष महोदय -- दस प्रतियों में धन्यवाद्.
श्री जितू पटवारी -- हमने डायटिशियन मैं समझता हूं कि ऐसे कई पदों की व्यवस्था की है. एक हम आने वाले समय में फुटबाल एकेडमी जो छिंदवाड़ा में तथा स्वीमिंग और कुश्ती अकादमी की दो नई अकादमी इंदौर में नई खोली जा रही हैं. मैं समझता हूं कि यह भी एक सराहनीय कदम हमारे खेल विभाग के अंतर्गत आता है. साथ ही साथ पीपीपी के माध्यम से दो जगह पर एक इंदौर जिसमें 15 एकड़ जमीन शासन ने हस्तांतरित कर दी है खेल विभाग को जिस पर काम चल रहा है और एक भोपाल में यहां पर स्टेडियम की हमेशा से मांग उठती रही है, आदरणीय पीसी शर्मा जी उसके लिए लगे रहते हैं, लड़ते रहते हैं, झगडते रहतेहैं.
श्री रामेश्वर शर्मा -- कोई पीसी शर्मा जी नहीं लगे रहते हैं हमने जमीन दी है. मेरी विधान सभा बरखेड़ा नाथू में जमीन है. ऐसे थोड़ी है कि अकेले पीसी शर्मा जी लगे रहते हैं भोपाल में हम लोग भी रहते हैं.
श्री जितू पटवारी -- अध्यक्ष महोदय मेरा अनुरोध है कि खेल एक ऐसी विधा है जिसमें सकारात्मकता से सभी जनप्रतिनिधियों के योगदान के साथ आगे बढ़ी है, लेकिन अभी जब मैं यहां पर आया था तब से पीसी शर्मा जी ने 6 बार मुझसे कहा कि उसका जिक्र जरूर करना तो करना पड़ेगा आप आये थे क्या. यह बताओ लेकिन यह तो अपनी जगह है लेकिन सभी का सहयोग अपनी जगह पर है. मैंने शुरू में कहा था कि मैं नकारात्मक कोई बात नहीं करूंगा, विजय शाह जी मेरे भाई हैं सब परिवार के साथी हैं.
अध्यक्ष महोदय मैं सीधे सीधे यह बताना चाहता हूं कि प्रोत्साहन एक ऐसा माध्यम होता है जो खिलाड़ियों को पुश करता है, जीवन में खेलने के लिए एक ललक पैदा करता है, पिछले कई सालों से ऐसी व्यवस्था बनी थी कि प्रोत्साहन को लेकर बहुत कम राशि खेल संगठनो को खिलाड़ियों को मिलती थी या नौकरी के माध्यम से जीवन यापन, सब खिलाड़ी गोल्ड मेडल नहीं ला सकते हैं, कुछ लोग 15 साल किसी खेल को देते हैं और फिर जीवन यापन के लिए भी तरसते हैं तो यह बहुत दयनीय स्थिति आती है, मैं समझता हूं कि यह हर शहर में होता है. हमारे मुख्यमंत्री जी ने प्रयास किया और उन्होंने निर्णय लिया कि सबसे पहले खेल प्रोत्साहन में वह राशि बढ़ायी जाय जिससे खेल अपने आप बूस्ट करे, आगे बढ़े , उसमें जिला स्तरीय प्रतियोगिताओं में 400 प्रतिशत की बढ़ोत्री की है, जहां पर सिर्फ 10 हजार रूपये थे वहां पर 50 हजार रूपये किया गया, राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं के लिए 2 लाख रूपये किया गया है जिसमें 25 हजार का प्रावधान था, क्षेत्रीय और जोनल स्तर की प्रतियोगिताओं के लिए 5 लाख रूपये किया है जिसमे केवल 50 हजार का प्रावधान था, सब जूनियर राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के लिए 1.5 लाख रूपये थे वहां पर 10 लाख रूपये किये हैं, हमने जूनियर प्रतियोगिता जिसमे एक लाख 25 हजार रूपये थे वहां पर 10 लाख रूपये किये हैं, सीनियर राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताएं जहां एक लाख रूपये थे वहां पर दस लाख रूपये किये गये हैं, जूनियर प्रतियोगिता अंतर्राष्ट्रीय स्तर की एक लाख 75 हजार रूपये था वहां पर 25 लाख रूपये किया गया है, हमने सीनियर राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं के लिए 25 लाख का प्रावधान किया है जिसमें केवल सवा लाख रूपया दिया जाता था. मैं यहां पर आपको यह भी बता दूं कि विश्व चैम्पियनशिप मध्यप्रदेश में हों उसके लिए आधारभूत सुविधाएं कैसे बनें इसका भी प्रयास हम कर रहे हैं.
श्री देवीसिंह सैय्याम -- मंत्री जी विधायक कप होता था उसके बारे में कोई जिक्र ही नहीं कर रहे हैं.
श्री जितू पटवारी -- यह विधायक कप के बारे मे कई माननीय सदस्यों ने बात की थी जिसमें 50 हजार रूपये का प्रावधान था. प्रदेश के खेल विभाग ने निर्णय लिया है कि यह भावना सही है और यह विधायकों का दर्द भी सही है कि 50 हजार रूपये में कोई प्रतियोगिता नहीं हो सकती है तो प्रतियोगिता के लिए तो एक लाख रूपये किया है और पांच लाख रूपये हर विधायक को कंपलसरी, जो एक इंडोर स्टेडियम में खेल हो सकता है जैसे टेबल टेनिस के लिए, बैडमिंटन के लिए, छोटे अखाड़े के लिए कबड्डी के लिए, कुश्ती के लिए 5 लाख रूपये कंपनसरी हर विधायक के क्षेत्र में दिये जायेंगे यह नया नवाचार कमलनाथ जी ने किया है. मैं यह आप सभी से अनुरोध करना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय मैं पृथ्वीपुर में घोषणा करके आया था जहां पर एक अकादमी वालीबाल की बनाना और स्टेडियम के संधारण के लिए 25 लाख रूपये का प्रावधान खेल विभाग ने किया है मैं समझता हूं कि मंत्री जी को इसके लिए भी साधूवाद.
श्रीमती राजश्री रूद्र प्रताप सिंह -- अध्यक्ष महोदय मैं आपके माध्यम से जानना चाहती हूं कि ग्रामीण क्षेत्र में इंडोर स्टेडियम नहीं है वहां के विधायको के लिए क्या व्यवस्था है.
श्री जितू पटवारी -- यह थोड़ी नई बात आ गई है. पंचायत विभाग के माध्यम से कई स्टेडियम ग्रामीण क्षेत्रों मे विधान सभा वार थे उसका एक प्रावधान हम तैयार कर रहे हैं, हमारी पंचायत मंत्री जी से बात हुई है कि उनके रख रखाव और अधूरे जो पड़े हैं जिसमे भ्रष्टाचार भी हुआ या नहीं हुआ यह अलग कहानी है कैसे उनका उपयोग करें उस पर हम काम कर रहे हैं.
श्रीमती राजश्री रूद्र प्रताप सिंह -- जी, मंत्री जी धन्यवाद्.
कुंवर विजय शाह -- जितु भैया, हरसूद का स्टेडियम आज तक नहीं बना है.
श्री जितु पटवारी -- अध्यक्ष महोदय, आदरणीय कमलनाथ जी ने एक नवाचार किया है कि ..
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह -- मंत्री जी, मेरा एक निवेदन है कि मुख्यमंत्री अधोसंरचना में जो हमारा 300 लाख रुपये पड़ा है पन्ना में , वह आपकी अनुशंसा के बिना हो नहीं रहा है.
अध्यक्ष महोदय -- मैं पहले कटौती प्रस्तावों पर मत लूंगा. ..
श्री जितु पटवारी -- अध्यक्ष महोदय, एक मिनट. आपकी कृपा होगी.
अध्यक्ष महोदय -- बिराजिये. आप बोलते जायेंगे,लेकिन मुझे समय की चिंता है. कृपा तो इतनी देर से हो रही है, लेकिन मुझे बहुत सारी चीजें देखनी हैं. मुझे एक ही नहीं 12 विभाग देखने हैं.
श्री जितु पटवारी -- अध्यक्ष महोदय, आखिरी एक मिनट दे दें.
अध्यक्ष महोदय -- यह ठीक नहीं है.
श्री जितु पटवारी -- अध्यक्ष महोदय, क्योंकि यह आदरणीय कमलनाथ जी का विजन था, इसलिये मेरा यह धर्म, दायित्व बनता है कि मैं सदस्यों को बताऊं. उन्होंने यह निर्णय लिया है कि मध्यप्रदेश का कोई बेटा या बेटी अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतियोगिता में भाग लेने जायेगा, उसको भी राशि, जीतने की आवश्यकता नहीं है, जीतेगा, तो दो करोड़ रुपये पहले दिन जैसे ही आयेगा, उसको हाथ में मिलेगा, यह निर्णय मध्यप्रदेश सरकार ने लिया है और इसका प्रोवीजन किया है..
श्री कमल पटेल -- मंत्री जी, उसको अच्छी नौकरी दें.
श्री जितु पटवारी -- आप बैठें तो सही, आप नौकरी पर आ गये, उसको 2 करोड़ दे रहे हैं..
अध्यक्ष महोदय -- इसी में समय बर्बाद हो रहा है.
श्री जितु पटवारी -- कमल भैया, नौकरी में दो प्रतिशत आरक्षण खेलकूद का बने हर विभाग में, इसकी प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा रहा है, जिससे लोग प्रोत्साहित हों...
अध्यक्ष महोदय -- धन्यवाद. मैं, पहले कटौती प्रस्तावों पर मत लूंगा.
प्रश्न यह है कि मांग संख्या- 43 एवं 44 पर प्रस्तुत कटौती प्रस्ताव स्वीकृत किये जायें.
कटौती प्रस्ताव अस्वीकृत हुए.
अब, मैं, मांगों पर मत लूंगा.
अध्यक्ष महोदय -- मेरा एक अनुरोध है कि आप जितना एक दूसरे में टोका-टाकी करेंगे, घड़ी का कांटा चलता जायेगा. मेरा अनुरोध है, मैंने मंत्री जी से अनुरोध किया था, लेकिन उन्होंने 27.30 मिनट बोला. मेरा अनुरोध है कि आप जो प्रथम वक्ता जिस भी दल के हैं, उनको 15 मिनट, दूसरे वक्ता हैं, जो दोनों दल के हैं 10 मिनट और तीसरे वक्ता को 5 मिनट.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- अध्यक्ष महोदय, जो टोका-टाकी करेगा, वह देर रात तक बैठेगा.
अध्यक्ष महोदय -- मेरी व्यवस्था में आप न बोलें. गोविन्द सिंह जी, मैं इसी पर आ रहा हूं. कृपया 3-3 नाम दें, आप 6 नाम भी पहुंचायेंगे, मैं ऊपर से काट दूंगा. माफ करना. अगर आप लोगों को सुबह 4 बजे तक चलाना है,तो जितने नाम देना है, दो. और अगर 12.00 बजे तक समाप्त करना है पूरा बिजनेस, कृपया मुझे सहयोग करें. आप दल के सचेतक हैं, मैं जानता हूं कि आपसे भी आपके विधायक नाराज हो रहे हैं. मैं जान रहा हूं, नाराज हो रहे हैं. लेकिन जो विधायक पहले बोल चुके हैं, वही विधायक हर विषय पर बोलें, तो वह भी तो ठीक नहीं है. कृपया नये सदस्यों को मौका दो, ताकि सबका समाहित भी हो जाये...
श्री सीताराम -- अध्यक्ष महोदय, मेरा एक निवेदन है कि जो नये विधायक आये हैं, एक बार ही मौका आया है किसी का, ये दो-चार सदस्य ही बोल रहे है, और बाकी सब फालतू हैं.
अध्यक्ष महोदय -- आप बैठ जाइये. (श्री विश्वास सारंग,सदस्य की तरफ देखते हुए) दादा को बिठाइये.
श्री सीताराम -- अध्यक्ष महोदय, सबका नम्बर आना चाहिये बोलने का.
अध्यक्ष महोदय -- आप बैठें. आप मेरी व्यवस्था पर व्यवस्था नहीं दे सकते. दादा, आपको नहीं मालूम क्या बोलना है, कैसे बोलना है. ऐसा उल्लेख मत करिये. ऐसा उल्लेख नहीं किया जाता है, जैसा आप कर रहे हैं. नये हैं, ऐसा नहीं कहा जाता है. यशपाल सिंह जी, जरा बाजू वाले विधायक गण उनको समझायें, उनको बतायें नियम प्रक्रिया क्या होती है ऐसा अनुचित नहीं बोलना चाहिये. मैं माननीय सचेतक जी को निवेदन करुंगा कि कृपया अपने साथियों को समझाने का कष्ट करेंगे. घड़ी का कांटा 3.30 बजा रहा है. इसके बाद जो विभाग के मंत्री जी जवाब देंगे, मैं उनकी कार्यकुशलता देखना चाहता हूं कि कम समय में ज्यादा बातें कैसे की जाती हैं और मुझे यह विश्वास है कि यह होनहार नौजवान मंत्री मेरी बात को ध्यान में रखेंगे. श्री जयवर्द्धन सिंह.
3.30 बजे
(2) |
मांग संख्या 22 |
नगरीय विकास एवं आवास |
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मांग संख्या 41 |
सिंहस्थ, 2016 से संबंधित व्यय |
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मांग संख्या 64 |
नगरीय निकायों को वित्तीय सहायता.
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उपस्थित सदस्यों के कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए. अब मांगों और कटौती प्रस्तावों पर एक साथ चर्चा होगी.
यशपाल जी, पिछला विभाग भी आपने चालू किया था, यह भी आप चालू कर रहे हैं, बाकी और कोई सदस्य नहीं बोलेंगे. यह आप लोग खुद नीति निर्धारित कर लीजिये मेहरबानी करके, आपके बहुत सारे सदस्य हैं, मैं तो इस पर आपको बोलने दे रहा हूं..
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया (मंदसौर) -- अध्यक्ष महोदय, मुझे कोई आपत्ति नहीं है.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, आप बोल लीजिये, लेकिन आप समय सीमा का विशेष रुप से ध्यान रखेंगे, पिछली बार आपने 22 मिनट लिये, मैं अन्दर बैठे बैठे सब घड़ी का कांटा देखता रहता हूं. मैं सीट पर न रहूं, लेकिन मैं अन्दर कांटा देखता रहता हूं. आप लोगों ने तो भोजन कर लिया, मैंने किया भी नहीं है. मेहरबानी करके आप समय का ध्यान रखें. आप समझदार, व्यक्तित्व के धनी, बुद्धिमान, योग्य, मेरे प्रिय पात्र हैं. ..(हंसी).. आप 12 मिनट ले लीजिये.
डॉ. गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष महोदय, अभी माननीय सीताराम जी बोल रहे थे कि मौका नहीं मिलता, तो सिसौदिया जी से निवेदन है कि आप बैठ जायें, कृपा करके उनको बोल लेने दें. आप सीताराम जी बोलिये. ..(हंसी)..
अध्यक्ष महोदय -- (श्री सीताराम आदिवासी, सदस्य के खड़े होने पर श्री विश्वास सारंग, सचेतक की ओर देखते हुए ) आप ही की पिच है, आप ही सम्भालो. ..(हंसी)..
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 22,41 एवं 64 का विरोध करता हूं और कटौती प्रस्तावों का समर्थन करता हूं. एक तो मैं इस प्रशासकीय प्रतिवेदन के माध्यम से जो 2018-2019 का हमें प्राप्त हुआ है. मैं मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि इसमें वे तमाम बड़ी योजनाएं, तमाम दृढ़ इच्छा शक्ति, जो पिछली सरकार ने प्रारंभ की थीं और उसमें नये नवाचार भी किये थे, उन सबको समाविष्ट करते हुए आपने कुछ और नई बातें इसमें सुझाईं, इसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद.
माननीय अध्यक्ष महोदय, चूँकि समय की बहुत कमी आपने सुनिश्चित कर दी है, मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहूँगा कि जहां एक ओर राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना के अंतर्गत भारत की सरकार राज्यांश मांगती है, पर मैंने बजट में देखा है कि हेड 8872 के अंतर्गत आपने वर्ष 2019-20 में बजट का प्रावधान जीरो किया है. इसी प्रकार से हेड 9040 के अंतर्गत, इंदौर का सिरपुर तालाब पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्द्धन को लेकर, इसमें भी बजट का प्रावधान जीरो किया गया है. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से आग्रह करूंगा कि इंदौर लगातार तीसरी बार स्वच्छता अभियान में, पर्यावरण के क्षेत्र में, मोदी जी के संकल्प और सपने को लेकर तीन बार हैट्रिक बनाकर हिन्दुस्तान में प्रथम नंबर पर आया है. इसलिए इंदौर का विशेष पैकेज, विशेष हक बनता है कि आप बजट में इसके लिए कुछ न कुछ समाविष्ट करें.
माननीय अध्यक्ष महोदय, शौर्य स्मारक प्रदर्शों के एकत्रीकरण करने को लेकर भी बजट में कमी की गई है तथा शौर्य स्मारकों के संचालन और संधारण को लेकर भी बजट के प्रावधान में कमी की गई है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, तत्कालीन मुख्यमंत्री माननीय श्री शिवराज सिंह जी चौहान ने छोटे केश शिल्पी जो हैं, जो हेयर कटिंग सैलून पर बैठकर नाई का काम करते हैं, कटिंग का काम करते हैं, डाई करने का काम करते हैं, उन जैसे छोटे लोगों के उत्थान को लेकर जब बात चली थी और जब केश शिल्पी महापंचायत का आह्वान हुआ था, तब मध्यप्रदेश केश शिल्पी मण्डल को भी शामिल किया गया था, मैं माननीय मंत्री जी का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ कि इसमें भी भारी मात्रा में बजट में कटौती की गई है. इसी प्रकार मुख्यमंत्री शहरी स्वरोजगार योजना के अंतर्गत भी अगर आप बजट को देखें तो इसमें भी काफी कटौत्रा किया गया है. मुख्यमंत्री शहरी गरीबी आर्थिक कल्याण पर भी काफी बड़ी संख्या में यहां पर बजट के प्रावधान में कमी की गई है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, सूचना प्रौद्योगिकी के बारे में बात करूंगा तो कहेंगे कि आपको गलत जानकारी है, लेकिन इस बजट में मैंने देखा कि उसमें भी जीरो रेखांकित किया गया है. लोकसेवा गारंटी प्रतिकर की राशि के भुगतान में भी कहीं न कहीं कटौत्रा किया गया है. नगर-पालिका, नगर-निगम और नगर-परिषदों को, हजारों हाथ गंदगी फैलाने वाले होते हैं और दो हाथ सफाई करने वाले होते हैं, सफाई कामगार होते हैं, हेड 5831 के अंतर्गत और हेड 179 के अंतर्गत अगर आप देखेंगे तो बजट अनुदान में मध्यप्रदेश सफाई कामगार आयोग के भी बजट में कमी रेखांकित की गई है. सफाई कामगारों के लिए समूह बीमा जो होता है, उस समूह बीमे में भी इस सरकार ने क्यों कमी की, मेरे समझ से परे हैं क्योंकि कर्मचारी तो वही हैं. वही कर्मचारी काम करते हैं. समूह बीमा उनका अधिकार है. इसी प्रकार सफाई कर्मचारियों की, जिनकी कि काम करते-करते मृत्यु हो जाती है, कई प्रकरण हमने देखे हैं, गंदे नाले में वे उतरते हैं, गंदे कुँओं की सफाई करने के लिए उतरते हैं, गैस रिसाव के कारण वे काल के गाल में समा जाते हैं, ऐसी आकस्मिक दुर्घटनाओं में क्षतिपूर्ति हो जाती है, क्षतिपूर्ति को लेकर अनुदान की राशि की दरकार की जाती है, उसमें भी माननीय मंत्री महोदय, आप दिखवाएं, उनकी अनुदान राशि भले ही न बढ़े लेकिन बजट में कम से कम कटौती तो न हो.
माननीय अध्यक्ष महोदय, सुपर स्मार्ट सिटी के अंतर्गत भी बजट में कमी की गई है. प्रशासकीय प्रतिवेदन को मैंने देखा, पृष्ठ क्रमांक 11 पर बिंदु क्रमांक 2.7.2 में बहुमंजिला पार्किंग का उल्लेख किया गया है. मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि बहुमंजिला पार्किंग के निर्माण को लेकर महानगरों के साथ-साथ अब बड़े शहरों में भी स्कूल, चिकित्सालय, शॉपिंग मॉल, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, सार्वजनिक कॉम्प्लेक्स, इनके निर्माण हो रहे हैं और शासकीय प्रतिवेदन में भी आपने बहुमंजिला पार्किंग की अवधारणा को सुनिश्चित करने का अगर मन बनाया है तो मैं आपसे निवेदन करूंगा कि यह सिर्फ महानगरों तक सीमित नहीं होना चाहिए. आज दो लाख, तीन लाख, पांच लाख, आठ लाख की आबादी वाले जो बड़े शहर हैं, उनमें भी बड़े-बड़े हॉस्पिटल्स खुल रहे हैं. बड़े-बड़े स्कूल्स खुल रहे हैं. बड़े-बड़े शॉपिंग कॉम्प्लेक्स खुल रहे हैं. उनके लिए भी बहुमंजिला पार्किंग की व्यवस्था करनी चाहिए. उनकी अनुमतियों में ही, मैं भी नगर-पालिका परिषद् में दो बार पार्षद रहा हूँ, एक बार अध्यक्ष रहा हूँ, उनकी अनुमतियों में ही आप इस बात को सुनिश्चित कर दें कि अंडर ग्राउंड पार्किंग होगी या बहुमंजिला पार्किंग होगी. आज पार्किंग की नितान्त आवश्यकता है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, गुजरात के सूरत की घटना अभी हाल ही में घटित हुई है. वहां पर कोचिंग सेंटर में जिस प्रकार से सुरक्षा के प्रबंध नहीं हैं, फायर की कहीं व्यवस्था नहीं है, बड़ी मात्रा में बच्चों को वहां पर बिठाया जाता है. सूरत की घटना के बाद मैंने समाचार-पत्रों में देखा था, उच्च शिक्षा मंत्री श्री जितु पटवारी जी, इंदौर में तत्काल निकल गए, और तो कोचिंग सेंटर्स पर वे निरीक्षण, अवलोकन करने लगे और कहने लगे कि कल ही हम सब कुछ ठीक कर देंगे. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री महोदय से निवेदन करूंगा कि इसी सत्र में 19 जुलाई, 2019 को श्री आरिफ मसूद, जो यहां विधायक जी बैठे हुए हैं, उनके प्रश्न के उत्तर में माननीय मंत्री जी ने स्वीकार किया है कि कोचिंग सेंटर को लेकर कोई मापदण्ड तय नहीं हैं. आपकी प्रश्नोत्तरी को मैंने पढ़ा था और जब मसूद भाई का प्रश्न आया था तो आपने उसमें इंकार किया है. अत: मैं आपसे निवेदन करूंगा कि इस चीज को विशेष रूप से आप रेखांकित करें क्योंकि गली, मोहल्लों में वर्षों पुराने अगर कहीं कोचिंग सेंटर्स चल रहे हैं, और उनमें सुरक्षा के प्रबंध नहीं हैं तो हमें गुजरात के सूरत की घटना से सबक लेना चाहिए. बच्चे ऊपर से कूदे हैं और कूदने पर मर गए हैं. चारों तरफ हा-हाकार मचा हुआ था.
माननीय अध्यक्ष महोदय, बस-स्टैंड पर यात्रियों की मूलभूत सुविधाओं की कमी होती है. मैं जल प्रबंधन को लेकर निवेदन करना चाहता हूँ. माननीय मंत्री जी, सरकार किसी की भी हो, विधायक, मंत्री और मुख्यमंत्री योजनाओं की डीपीआर तय नहीं करते हैं. आप और हम तकनीकी इंजीनियर नहीं हैं. तकनीकी इंजीनियर वह है जो डीपीआर तैयार करता है और जो पारंगत है, जिसने उस विषय की पढ़ाई कर रखी है. अगर आप देखेंगे तो पिछले साल, पिछले समय की जितनी भी अमृत योजना के माध्यम से नल-जल योजनाएं प्रारंभ हुई हैं, मंदसौर शहर की जल आवर्धन योजना, जहां इंटकवेल बनना था, पानी के अंदर, उस ठेकेदार ने टेण्डर उसी हिसाब से डाला, लेकिन स्थिति ये निर्मित हुई, मैंने कई बार प्रश्न लगाए, तब भी लगाए और आज भी मैं आपके समक्ष बात कर रहा हूँ और योजना समिति की बैठक में, मंदसौर में करवे जी की मौजूदगी में यह बात हुई कि हम इसकी जांच कराएंगे. माननीय मंत्री जी, इंटकवेल जहां बनना था, अगर वहीं नहीं बनेगा तो पानी तो पहुँच से दूर हो गया. माननीय हरदीप सिंह डंग जी यहां पर बैठे हुए हैं, आपके लदूना के पास में भी हेजड़िया में यही हालत है, चंबल का पानी दूर हो गया, चंबल का पानी दूर चला गया. आपके प्रश्न क्रमांक 2865 दिनांक 19.07.2019 को, इसी सत्र में, जब हरदीप जी आपने पूछा तो अमृत योजना का काफी भारी-भरकम पैसा खर्च होने के बाद भी आपके शहर सीतामऊ में वार्ड क्रमांक 15, वार्ड क्रमांक 1 और वार्ड क्रमांक 14 में आज भी एक दिन छोड़कर पानी आता है. आपने प्रश्न किया है लेकिन उत्तर सरकार की तरफ से ये आया है. श्यामगढ़ में भी यही हालत है और सीतामऊ में जो नई कालोनियां डेवलप हो रही हैं, वहां पर अमृत योजना होने के बाद भी अगर नई कालोनियों वालों को पानी नहीं मिलेगा तो ऐसी अमृत योजना के बनने और बनाने का क्या फायदा. माननीय मंत्री महोदय, आप इन तकनीकी इंजीनियरों से पूछें कि आपने कौन सी पढ़ाई की है, किस प्रकार से आप डीपीआर बनाते हैं. योजना के लिए भारत सरकार करोड़ों रुपया देती है और जब करोड़ों रुपये देती है तो उसका सदुपयोग कम से कम 10-20 साल तक तो होना चाहिए. ये मेरा आपसे आग्रह है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, और भी नगर-पालिका, नगर-परिषदें हैं, जहां पर फिल्टर प्लांट आज से 30 साल पहले बना था, 20 साल पहले बना था, नंबर ऑफ कनेक्शंस तो मात्र 6 हजार होंगे या 8 हजार होंगे, आज यदि 14 हजार कनेक्शन हो गए, 20 हजार कनेक्शन हो गए तो इन फिल्टर प्लांट्स का पुनर्निर्माण होना चाहिए. उनकी क्षमता भी बढ़नी चाहिए.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मंदसौर शहर का एक मामला आपके संज्ञान में लाना चाहता हूँ और धन्यवाद के साथ यह मामला आपके संज्ञान में लाना चाहता हूँ. आपने इस विधान सभा के प्रथम या द्वितीय सत्र में कुष्ठरोगियों को मुख्य धारा से जोड़ने के लिए, उनके चुनाव लड़ने को लेकर के एक विधेयक पारित किया था और हम सबने उसका समर्थन किया था. कुष्ठरोग अब साध्य रोग है. उन्हीं कुष्ठरोगियों की मंदसौर की सरस्वती बस्ती में, स्वर्गीय राजीव गांधी जी, स्वर्गीय अर्जुन सिंह जी, आदरणीय बाबूलाल जी गौर, आदरणीय शिवराज सिंह जी चौहान, इन सबने मिलकर मंदसौर में सरस्वती नगर, जो कुष्ठरोगियों की बस्ती है, वहां पर आवासीय पट्टे दिए हैं. उन गरीबों को दिए हैं, जो कोढ़ी समाज के हैं और अन्य समाज के भी हैं. वे लगभग डेढ़ सौ लोग वहां पर हैं. पानी पहले आता था, वर्ष 1980 के पहले, जब मंदसौर शहर में धूलकोट परियोजना थी, पानी की बाढ़ जब अंदर घुसती थी, तब वह कालोनी डूब क्षेत्र में थी, वह एरिया डूब क्षेत्र में था. लेकिन वर्ष 1980 के बाद तो पानी की एक बूंद वहां पर नहीं आई. मैं मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूँ कि इन लोगों को नगर-पालिका ने नल कनेक्शन दे रखे हैं, लाइट कनेक्शन दे रखे हैं, सीमेंट-कांक्रीट रोड बना रखी है, वहां पर कुष्ठरोगियों के पक्के मकान तत्कालीन कलेक्टर स्वदीप सिंह जी ने दिए थे. माननीय मंत्री जी, उन मकानों में रहने वाले कच्ची झोपड़ियों वालों को प्रधानमंत्री आवास योजना में सिर्फ इसलिए ढाई लाख रुपये नहीं मिल रहे हैं कि आपका क्षेत्र तो डूब क्षेत्र में आ गया है. अगर वे डूब क्षेत्र में थे तो उनको पट्टे क्यों दिए गए, और अगर पट्टे दिए गए तो नगर-पालिका द्वारा निर्माण कार्य क्यों किया गया. नगरीय प्रशासन और सिंचाई विभाग, दोनों मिलकर इस समस्या का समाधान करें ताकि गरीब को पक्की छत मिल जाए और प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत ढाई-ढाई लाख रुपये की राशि उनको भी मिलने लगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह जी चौहान का सपना वर्षों से हम सुनते चले आ रहे थे, अर्जुन सिंह के जमाने से हम सुनते चले आ रहे थे, अवैध कालोनियां, अवैध कालोनियां. तत्कालीन सरकार ने बहुत मेहनत के साथ, बहुत परिश्रम करके बहुत अच्छा ताना-बाना बुन करके यदि अवैध कालोनियों को वैध करने का संकल्प लिया है, अगर विधान सभा के चुनाव नहीं होते, मैं ईमानदारी के साथ कह रहा हूँ कि हम तो तैयारी में थे, अवैध कालोनियों को वैध करने वाले थे, और उन तक उनका प्रमाण-पत्र, अधिकार-पत्र पहुँचाने वाले थे. लेकिन चूंकि आचार संहिता लग गई थी, 2-3-4 दिन शेष थे. अब मैं पूछना चाहूंगा मंत्री महोदय कि इन अवैध कालोनियों को वैध करने की आपकी कांग्रेस सरकार की मंशा है कि नहीं ? और अगर मंशा है, तो मैं यह भी जानना चाहूंगा कि जबलपुर में कौन ऐसा व्यक्ति था जो हाईकोर्ट में गया ? और उसने अड़ंगा लगाया और कहा कि अवैध कालोनियां वैध नहीं होनी चाहिये, मुझे आज तक समझ में नहीं आया. भारतीय जनता पार्टी की सरकार या संगठन का कोई आदमी तो गया नहीं होगा, क्योंकि हमारी सरकार का तो संकल्प था, ड्रीम था, क्योंकि अवैध कालोनियों में नारकीय जीवन जीने वाले लोगों को न्याय मिले. माननीय मंत्री जी, मैं आपसे आग्रह करना चाहता हूं कि यह जब होगा तब होगा, लेकिन इन अवैध कालोनियों में जब सांसद निधि और विधायक निधि लग जाती है, क्योंकि वह तो अवैध कालोनी है, कायदे से तो हमको भी पैसा नहीं देना चाहिये, लेकिन हमने दिया, सांसद जी ने दिया और अब स्थिति यह बन गई कि 5-10 साल बाद यदि सीमेण्ट कांक्रीट रोड पर गड्ढे पड़ जाते हैं, यदि पाइपलाइन फूट जाती है, तो आपकी नगर पालिका कहती है कि हम यहां पर रिपेयरिंग का पैसा नहीं देंगे क्योंकि अवैध कालोनी है. कम से कम मंत्री जी, इतना तो कर दें कि जहां पर सांसद और विधायक निधि लगी है वहां पर कम से कम रिपेयरिंग करने का काम आपकी नगर पालिकाएं करें, आपकी नगर निगम करें. माननीय अध्यक्ष जी, बोलने के लिये तो बहुत कुछ था, लेकिन समय की प्रतिबद्धता है. आपने बोलने का अवसर दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय - बहुत-बहुत धन्यवाद. श्री कुणाल चौधरी जी, घड़ी देख लीजियेगा, 3.46 बजे हैं.
श्री कुणाल चौधरी (कालापीपल) - अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद. आपने मुझे घड़ी पहले ही दिखा दी, उसके लिये आपका बहुत-बहुत आभार. मैं मांग संख्या 22, 41 और 64 का समर्थन करता हूं और मैं कहना चाहूंगा कि नगरीय प्रशासन विभाग इस प्रदेश के लोक कल्याण का, इस प्रदेश के शहरों के विकास का, सुनियोजित तरीके से कैसे शहरों का विकास हो, क्योंकि आज शहरों में जो दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है उसके लिये लगातार नगर पालिका, नगर निगम, नगर पंचायत की बड़ी भूमिका होती है और मुझे खुशी होती है कि जयवर्द्धन जी जैसे एक युवा ऊर्जावान और जिनका एक विजन है, जिनकी एक वैश्विक सोच है, जिन्होंने विश्व देखा है, ऐसे व्यक्तित्व को मिला है, तो मुझे बड़ी खुशी होती है कि आज शहरों की कुछ सूरत बदलेगी, सीरत बदलेगी. मैं एक शेर के माध्यम से कहूंगा कि ''सोच को बदलो सितारे बदल जायेंगे, नज़र को बदलो नजारे बदल जायेंगे, इस प्रदेश को बदलने की जरूरत क्या है, इन शहरों को ठीक करो, इस प्रदेश के नजारे बदल जायेंगे''. मैं इस बात को इसलिये कह रहा हूं क्योंकि यह शहर वो उम्मीद के केन्द्र हैं जहां पर ग्रामीण लोग आते हैं कि हमें रोजगार मिलेगा. हमें यहां व्यवस्थित जीवन जीने को मिलेगा. परंतु जिस प्रकार की स्थितियां शहरों में हैं, तो मेरे मन में कई दिनों से एक सवाल गूंज रहा है, अध्यक्ष जी, मुझे जरूर उस सवाल का उत्तर माननीय मंत्री जी से दिलवाइयेगा. एक मेट्रो का नाम मैं लगातार सुनते आ रहा हूं कि 14-15 साल पहले यह आया था कि मेट्रो मध्यप्रदेश के अंदर भोपाल और इन्दौर में आयेगी, तो मुझे यह नहीं समझ में आ रहा है कि यह मेट्रो रेलगाड़ी है कि बैलगाड़ी है ? यह किस हिसाब से चल रही है कि बनेगी या नहीं बनेगी ? लगातार 2-2 मुख्यमंत्री 14 साल तक और उसके ऊपर कितने भाषण हुये, कितनी बातें हुईं, पर यह आयेगी ? अथवा बैलगाड़ी है ? या फिर मुझे यह समझ में नहीं आया कि उसकी डीपीआर कितनी अच्छी बनी कि हर घर से या तो वह लोगों को उठाकर ट्रेन में बिठायेगी ? और वहीं पर घर जाकर छोड़ेगी कि इतने सालों के अंदर बैंगलोर में मेट्रो आ जाती है, जयपुर में मेट्रो आ जाती है, केरल में मेट्रो आ जाती है, दिल्ली में मेट्रो तो कई चरणों में पूर्ण हो जाती है, कलकत्ता, हिन्दुस्तान के कई शहरों में आ जाती है, पर मध्यप्रदेश के अंदर न तो वह शुरू हो पाती है और खत्म की तो बात तब समझ में आयेगी. इस सवाल का जवाब मुझे जरूर माननीय मंत्री जी से चाहियेगा कि यह मेट्रो की क्या स्थिति है ? क्योंकि यह बड़ी चुनौती आपके सामने है. आपने विश्व में देखा है कि जिन शहरों के विकास के लिये हम बात करेंगे, आवागमन के संसाधन और लोग जब तक बेहतर तरीके से जी नहीं पायेंगे, तब तक उस देश के विकास में क्योंकि कई शहरों से लगातार बात चलती है कि 15 साल में विकास कर दिया. 15 साल के अंदर हिन्दुतान के कई शहर जो 100-100 गुना बड़े हैं, क्योंकि हिन्दुस्तान के अंदर माननीय मनमोहन सिंह जी जैसे एक ऐसे दूरदृष्टा नेता थे, जिन्होंने ग्लोबलाइजेशन के दौर में हर शहर के विकास में जो योगदान दिया है, जो भोपाल और इन्दौर शहर हमें दिखते हैं, जो कई शहरों के अंदर चाहे उज्जैन की बात हो, जिनमें काम होता दिखता है, तो वह जेएनएनयूआरएम जैसी एक महत्वाकांक्षी योजना के माध्यम से जिसमें 2,200 करोड़ भोपाल में आया. जिसके काम कई सालों तक अभी तक भी मुझे चलते दिखते हैं और उसकी एक महत्वाकांक्षी सोच के कारण चलते दिखते हैं. मध्यप्रदेश के शहरों का विकास हुआ और जो छोटे बड़े रोजगार यहां मिल पाते हैं वह भी उसी योजना की देन हैं. बात करने के लिये और वाहवाही के लिये लगातार पिछले 15 सालों से कई लोग बात करते थे, परंतु मुझे नहीं लगता कि उसमें कोई भी व्यक्ति जेएनएनयूआरएम जैसी योजना का और माननीय मनमोहन सिंह जी जैसे व्यक्तित्व का अनुसरण करते हैं.
अध्यक्ष महोदय, कई चुनौतियां हमारे सामने हैं, क्योंकि कई दिनों से मैं देखता आ रहा हूं कि स्मार्ट सिटी की बात होती है. स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट को 4 साल हो गये, मुझे लगता है कि स्मार्ट बनाने की बजाय यह टीटी नगर मुझे वीरान नगर ज्यादा दिखने लगा है. यह टीटी नगर वीरान जरूर हो गया है स्मार्ट तो इसमें कुछ नहीं बना. क्या सोच है ? क्या विचार है ? किस परिकल्पना के साथ, किस सोच के साथ इसको लाया गया ? क्या 500 करोड़ के अंदर एक सिटी स्मार्ट हो सकती है ? क्या आप स्मार्ट कालोनी की बात कर रहे हैं या स्मार्ट सिटी की बात कर रहे हैं ? जो पुराने शहर में रहते हैं उनके लिये कैसे हम वाईफाई की व्यवस्था करें, उनके लिये कैसे ड्रेनेज के सिस्टम का सुधार करें. पूरे भोपाल की बात करें या फिर एक छोटी सी कालोनी जिसमें मुझे शक है कि कहीं न कहीं बड़े-बड़े नेताओं के बच्चों को और बड़े-बड़े उद्योगपतियों को जैसे गेमन की जगह बेच दी गई और दिखाया गया था कि गरीब यहां पर, छोटा व्यक्ति फ्लेट ले पायेगा. क्या डेढ़-डेढ़ करोड़, दो-दो करोड़ के फ्लेट किसी मध्यम वर्ग के व्यक्ति के बस की बात है ? कहीं यह साजिश तो नहीं कि मध्यप्रदेश सरकार की एक बेशकीमती जमीन को किस प्रकार से देने का काम किया जाये ? और खर्चे की बात करो, तो इसके अंदर जेएनएनयूआरएम से हो रहा है.
अध्यक्ष महोदय, मैं ग्वालियर की बात करना चाहूंगा. 4 साल हो गये, 400 करोड़ रुपये स्वीकृत हुये और 30 करोड़ का काम हुआ, तो किस गति से काम करना चाह रहे हैं ? अभी सिसौदिया जी से भी मैंने बड़ी अच्छी बात अमृत योजना की सुनी. वर्ष 2015 में एक प्रोजेक्ट शुरू होता है जिसकी समय सीमा 2020 में समाप्त होनी है, पर मुझे नहीं लगता कि 15-20 प्रतिशत से से ज्यादा काम उसके अंदर हुआ होगा. आज प्रदेश के शहरों के अंदर जो जल की स्थिति है, मैं मंत्री जी, आपको बता रहा हूं कि यह चुनौतियां आपके सामने हैं. जिस प्रकार से झीलों की नगरी भोपाल है, जिसे झीलों की नगरी कहा जाता है, उसमें नर्मदा का जल भी आ जाता है. यहां पर विधायक जी और हमारे पूर्व मुख्यमंत्री जी बड़ी वाहवाही लूटते हैं कि नर्मदा का जल भी ला दिया, झीलों की नगरी भी है और उस झीलों की नगरी में जब इंसान को रोज पानी नहीं मिल पाता और पानी की आपूर्ति नहीं हो पाती, तो एक बड़ी चुनौती आपके सामने है.
अध्यक्ष महोदय, अभी कुछ दिनों पहले मैंने अखबारों के माध्यम से पढ़ा कि एक 6 साल के बच्चे संजू की कुत्तों ने जान ले ली और जब उसमें पता किया कि पिछले 5 साल के अंदर कितना रुपया खर्च हुआ ? तो पता चला कि 5.71 करोड़ रुपये खर्च किये जा चुके हैं, परंतु नतीजे जिस प्रकार से रहे उसको देखकर दु:ख होता है. पानी के लिये हाहाकार मचा है. स्मार्ट सिटी के नाम पर जिस प्रकार की चीजें हुई हैं, कई बातें हैं जिनको देखने की जरूरत है, क्योंकि मध्यप्रदेश के शहरों के अंदर हमें कई चीजें डेव्हलप करने की जरूरत है. जो जल का अधिकार मध्यप्रदेश की एक सोच है, जो माननीय मुख्यमंत्री जी की एक बड़ी सोच है, उसके लिये आपको एक बड़ा काम करने की जरूरत है और उसके साथ ही हमें वाटर हार्वेस्टिंग को कैसे हम बेहतर करें और मध्यप्रदेश के शहरों में जो सीवेज की समस्या है, हम लोग शहरों का निर्माण करते हैं, लेकिन सीवेज की समस्या के ऊपर मूल भाव से ध्यान देने की जरूरत है. क्योंकि जब तक सीवेज पर ध्यान नहीं देंगे, लगातार थोड़ी सी बारिश आती है और हर बार शहर अस्त-व्यस्त हो जाता है. उनको हमें मुआवजा देना पड़ता है, उनके पुनर्वास की व्यवस्था करनी पड़ती है. इसके लिये किस प्रकार से चीजें व्यवस्थित करने का काम हो, उसके लिये भी आपको सोचना पड़ेगा. बात हो रही थी स्मार्ट सिटी की, तो हमारे यहां पर 16 नगर निगम हैं, परंतु सिर्फ 7 ही स्मार्टसिटी क्यों बनेंगी ? मुझे उम्मीद है कि माननीय कमलनाथ जी ने जो बात कही कि मॉडल सिटियों के रूप में और इस बात को मैं इसलिये कह रहा हूं कि स्मार्ट सिटी से हमें लेना पड़ेगा कि हमें स्मार्ट कालोनी नहीं बनाना है, हम पूरी सिटी को स्मार्ट कैसे करें, वहां लोगों के जीवन स्तर को सुधारने की व्यवस्था कैसे करें, कैसे लोगों को हम आवागमन की सुविधायें प्रदान करें, कैसे हम उनको वहां पर रोजगारोन्मुखी चीजें बनाने का काम करें, इस दिशा में प्रयास करना होगा.
अध्यक्ष महोदय, मैं आपको धन्यवाद देना चाहूंगा. जो युवा स्वाभिमान की आपने बात की, माननीय मुख्यमंत्री जी और आपकी जो एक नई सोच है कि कैसे नौजवानों को रोजगार मिले और उसके लिये डेढ़ सौ करोड़ का जो प्रावधान आपने किया है, मैं उसके लिये साधुवाद देना चाहूंगा, क्योंकि मध्यप्रदेश के नौजवान की सोच खत्म हो गई थी कि उसे मध्यप्रदेश के अंदर रोजगार मिल सकता है ? वह कभी पुणे, कभी बैंगलोर, कभी दिल्ली, कभी हैदराबाद जैसे शहरों की ओर देखने का काम करता था. आज स्वाभिमान के नाम से जुड़ेगा और इसको कैसे हम आईटी हब के रूप में डेव्हलपमेंट के अंदर मध्यप्रदेश के नौजवान को रोजगार दें, बड़ी बात होती है कि इन्दौर शहर को तीन बार वहाँ पर स्वच्छता अभियान में प्रथम स्थान मिला, बड़ी खुशी की बात है, पर दुःख इस बात का होता है कि बड़ी बड़ी कंपनियों को ठेके के नाम पर बाहर की कंपनियों को पैसा दिया जाता है. अगर वहीं पर ये रोजगार की व्यवस्था, करोड़ों रुपये मध्यप्रदेश के गरीबों को दिए जाएँगे, वहाँ पर मध्यप्रदेश के गरीब, जो स्वच्छता कर्मचारी हैं उनको दिए जाएँगे तो एक बेहतर रूप से मध्यप्रदेश के नौजवान की स्थितियाँ सुधरेंगी.
अध्यक्ष महोदय, बात करने को बहुत है कि ट्रांसपोर्टेशन की व्यवस्था, डस्ट फ्री कैसे किया जाए, हमारे मध्यप्रदेश के अन्दर महिलाओं के लिए शहरों के अन्दर कैसे व्यवस्थित इंतजाम किए जाएँ. हॉस्पिटल्स और सभी बातों को कैसे रखा जाए.
अध्यक्ष जी, मैं दूसरी बात की ओर भी आऊँगा क्योंकि मुझे लगता है कि आप फिर घड़ी का कांटा देखने लगेंगे, तो मैं सिंहस्थ पर भी बात करना चाहूँगा क्योंकि इसमें एक बड़ा सिंहस्थ का नाम है क्योंकि हमारे लिए भगवान, आस्था और विश्वास का केन्द्र है, यह मैं बड़ी दृढ़ता के साथ कहना चाहता हूँ और जिन लोगों के राज में पिछली बार सिंहस्थ हुआ, उनके लिए आस्था से काम नहीं, उनके लिए कहीं न कहीं राजनीति का केन्द्र, ब्रॉण्डिंग का केन्द्र, क्योंकि यह सिंहस्थ हमारे लिए एक ऐसे आस्था और विश्वास का केन्द्र है, जिसके माध्यम से हम अपनी ऊर्जा को प्रवाहित करने का काम, इस हिन्दुस्तान की सुख शांति के लिए काम करते हैं और उसके अन्दर सभी साधु महात्मा अपने मन से आते हैं, अगर कोई कहे कि मैं प्रचार करुँगा तो उससे साधु महात्मा आएँगे, इसकी ब्रॉण्डिंग करुँगा तो उससे साधु महात्मा आएँगे, मैं इससे इत्तफाक नहीं रखता क्योंकि सिंहस्थ के अन्दर ब्रॉण्डिंग के नाम पर जिस प्रकार की बात हुई है क्योंकि यह भगवान भोले नाथ की बात है, भूतभावन बाबा भगवान भोलेनाथ की नगरी के अन्दर जिस प्रकार का एक घोटाला हुआ है, मुझे आप से उम्मीद है कि इसकी जाँच कराने का भी काम करेंगे कि क्या हुआ कि सिंहस्थ के अन्दर कितने रुपये के मटके खरीदे गए, कितने रुपये ब्रॉण्डिंग में खर्च किए गए, कई बार प्लेन के अन्दर जाओ तो देखो कि बोर्डिंग कार्ड के पीछे शिवराज जी का फोटो नजर आता था. शिवराज जी के फोटो से कोई भी व्यक्ति वहाँ दर्शन करने नहीं आता था, जिनको आना है वह आस्था और विश्वास के साथ आते हैं. कई घोटाले उसके अन्दर वह भ्रष्टाचार में दबे हुए हैं. कई जगह पर उनका हिसाब खुलना बाकी है क्योंकि मेरे पास कई आँकडे़ हैं कि पाँच हजार करोड़ खर्च करके पिछले मुख्यमंत्री जी ने अपनी ब्रॉण्डिंग का जो काम किया. कई सिंहस्थ के अन्दर चाहे स्टेथोस्कोप की बात हो और पाँच करोड़ की स्वास्थ्य सामग्री के सात करोड़ रुपये चुकाए गए, कहीं न कहीं एल.ई.डी. बल्बों की बात करूँ, चाहे मटकों की बात करूँ, धर्म के नाम पर राजनीति जिस तरह करते थे, पर एक बात और याद आती है भगवान को नहीं छोड़ा जिनने इन्सान को वो क्या छोड़ेंगे और जिस प्रकार की हालत मध्यप्रदेश के अन्दर छोड़ी है उसी का नतीजा है कि भगवान के साथ भी धोखा किया है और मुँह में राम बगल में छुरी लिए इस मध्यप्रदेश के सिंहस्थ में घोटाला करने वालों पर आप जाँच करने का काम करेंगे और कई लोक कल्याणकारी व्यवस्थाएँ आपको करनी हैं. यहाँ पर इस मध्यप्रदेश के अन्दर जिस प्रकार से शहरों का सुना कि कोई सिंगापुर बन गया है, कोई पेरिस बन गया, हर जगह चुनाव में मैं भी भाषण देने जाता था तो सुन कर आता था कि अभी कल ही सिंगापुर बनाने की घोषणा हुई है, परसों ही यहाँ पर पेरिस बनाने की घोषणाएँ हुई हैं. इस मध्यप्रदेश के शहरों को सिंगापुर बनाने की जरुरत नहीं है पर इस मध्यप्रदेश के शहरों को इतना सु्व्यवस्थित करने की जरुरत है कि कैसे हम काम करें, कैसे हम व्यवस्थित करें, मैं ज्यादा बातें न करते हुए आखरी शेर के साथ अपनी बात समाप्त करूँगा कि--
जो सफर की शुरुआत करते हैं, वही मंजिलों को पार करते हैं, आप चलने का हौसला तो रखिए, जयवर्द्धन जी, आप जैसे मंत्री का तो इस प्रदेश के रास्ते भी इंतजार करते हैं. अध्यक्ष जी, आपको बहुत बहुत धन्यवाद जो आपने बोलने का मौका दिया.
अध्यक्ष महोदय-- श्री शैलेन्द्र जैन जी बोलिए. घड़ी का कांटा.....
श्री शैलेन्द्र जैन(सागर)-- जी माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके आदेश का पालन करूँगा. अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 22, 41 एवं 64 का विरोध करता हूँ और कटौती प्रस्तावों का समर्थन करता हूँ. अध्यक्ष महोदय, मैं अपनी बात स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट से शुरू करना चाहता हूँ. यह केन्द्र सरकार का, हमारे सम्माननीय प्रधानमंत्री जी का, एक ड्रीम प्रोजेक्ट है. जिसके तहत पूरे देश भर में सौ शहरों का चयन किया जाता है, हमारे लिए बहुत ही गर्व और गौरव की बात है कि हमारे मध्यप्रदेश के सात शहरों का चयन स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत किया जाता है. इस योजना के तहत प्रत्येक स्मार्ट सिटी को सौ सौ करोड़ रुपये केन्द्र से और राज्य से प्रतिवर्ष मिलना निश्चित है. पाँच वर्ष की अवधि में प्रोजेक्ट पूरा होना है. इसके हिसाब से एक वर्ष में आपके पास लगभग 14 सौ करोड़ रुपये का बजट होना चाहिए, एक वर्ष के लिए. लेकिन माननीय मंत्री जी, आपने स्मार्ट सिटी के लिए कितने करोड़ का बजट यहाँ प्रस्तावित किया है, तीन सौ करोड़ रुपये का, अध्यक्ष महोदय, यह अण्डर बजटिंग है. इससे हम कैसे स्मार्ट सिटी बनाएँगे. सम्माननीय कुणाल जी कह रहे थे स्मार्ट सिटी का क्या होगा. वह बात हम भी कहना चाहते हैं कि स्मार्ट सिटी के प्रति आपका विचार ठीक नहीं है. स्मार्ट सिटी के प्रति आपकी नीयत और नीति ठीक नहीं है. आपने जो बजट में प्रावधान किया है यह अल्प प्रावधान किया है. इस अल्प प्रावधान से, मैं बताना चाहता हूँ हमारा विधान सभा क्षेत्र सागर, वह भी स्मार्ट सिटी के रूप में चयनित है उसमें लगभग 105 करोड़ रुपये की अभी तक राशि आई है. 85 करोड़ रुपये केन्द्र से आई है और 20 करोड़ रुपये राज्य से आई है. 65 करोड़ रुपये अभी राज्यांश बाकी है और यह अकेले एक शहर में नहीं है, सातों शहरों में बेकलॉग है, आप बेकलॉग अगर पूरा करेंगे तो तीन सौ करोड़ रुपये में नहीं हो पाएगा. आप नई योजनाएँ कैसे लेंगे? आप नई योजनाओं के लिए फंडिंग कैसे करेंगे? उनका क्रियान्वयन कैसे होगा? माननीय मंत्री महोदय, यह मैं आप से पूछना चाहता हूँ.
अध्यक्ष महोदय, मैं एक बात और कहना चाहता हूँ कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के साथ हमने सागर तालाब का अपना डी.पी.आर. बनाया था, डी.पी.आर. हमने दिसंबर जनवरी के माह में कम्प्लीट कर दिया था. उसकी अभी तक हमें यहाँ पर प्रदेश में बैठे हुए अधिकारियों से उसकी हमें अनुमति नहीं प्राप्त हुई. डी.पी.आर. का हमें अनुमोदन प्राप्त नहीं हुआ. 8 महीने हो गए एक डी.पी.आर. के अनुमोदन के लिए, कैसे हम अपने तालाब का संरक्षण कर पाएँगे? कैसे हम स्मार्ट सिटी का प्रोजेक्ट पूरा कर पाएँगे? अध्यक्ष महोदय, एक विषय और मैंने आपके समक्ष एक बार रखा था, यह जो हमारी एडवायजरी कमेटी है, एडवायजरी कमेटी की बैठक हरेक तीन माह में होना चाहिए. लेकिन एडवायजरी कमेटी की बैठक, जब से आपकी सरकार आई है, माननीय मंत्री महोदय, सागर की स्मार्ट सिटी एडवायजरी कमेटी की कोई बैठक नहीं हो पाई है और एडवायजरी कमेटी की बैठकें न हो पाने की वजह से अध्यक्ष महोदय, जो जनप्रतिनिधि हैं, जो सांसद, विधायक, वहाँ अन्य जनप्रतिनिधि हैं, उनके विचार, उनके सुझाव उन तक नहीं पहुँच पा रहे हैं, उन विचारों का समावेश नहीं हो पा रहा है, इसमें जनभागीदारी सुनिश्चित करने की आवश्यकता है. ऐसा मैं माननीय मंत्री महोदय से निवेदन करना चाहता हूँ.
अध्यक्ष महोदय, मैं बात करना चाहता हूँ हाउसिंग फॉर ऑल की लगभग साढ़े ग्यारह लाख मकान मध्यप्रदेश में चिन्हित हुए थे, उसमें साढ़े छः लाख मकानों को आपने स्वीकृति दी है और शहरी क्षेत्र में, एक एक मकान को, ढाई ढाई लाख रुपये की आवश्यकता है. उसके मान से आपने अपने बजट में सिर्फ 42 सौ करोड़ रुपये का प्रावधान किया है, और आवश्यकता लगभग आठ हजार से दस हजार करोड़ के बजट की आवश्यकता है और आपने फकत 42 सौ करोड़ रुपये का प्रावधान किया, यह भी अंडर बजेटेड है. इसमें हम कैसे उन गरीब परिवारों का मकान बना पाएँगे, जिनको ध्यान में रख कर, माननीय प्रधानमंत्री जी ने वह योजना बनाई थी.
अध्यक्ष महोदय, मैं अपने विधान सभा क्षेत्र की बात करना चाहता हूँ बी.एल.सी.एक महत्वपूर्ण घटक है, बैनिफिशियरी लैड कंस्ट्रक्शन, उस कंस्ट्रक्शन में पहली किश्त मिल गई तो दूसरी किश्त नहीं मिल रही. दूसरी किश्त मिल गई तो तीसरी किश्त नहीं मिल रही. किसी का फाउण्डेशन बना है, किसी की प्लींथ बनी है, किसी की दीवार खड़ी हो पाई है, छत नहीं है. लोगों ने पूरी गर्मी 45 और 46 डिग्री तापमान में गर्मी का प्रकोप सहा है और अब बारिश को सहने के लिए वह बाध्य हो रहे हैं. लेकिन ऐसे हितग्राहियों के लिए, जो अलरेडी चिन्हित हैं, जिन्हें अब एक किश्त, दो किश्त और तीन किश्त मिल चुकी हैं, उनकी किश्तें रोक दी गई हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री महोदय से पूछना चाहता हूँ कि ये किसके इशारे पर रोकी गई हैं. चुनाव के वक्त किश्त रोकना, मैं समझता हूँ आचार संहिता का विषय हो सकता है, लेकिन चुनाव समाप्त हुए, आचार संहिता समाप्त हुए, बहुत समय हो गया है, लेकिन अभी तक उनकी किश्तें जारी नहीं हो पाई हैं. अध्यक्ष महोदय, मैं निवेदन करना चाहता हूँ कि माननीय मंत्री महोदय जब अपना जवाब दें तो इस बात का उल्लेख करें कि कब तक हमारी बी.एल.सी. घटक की किश्तें जारी हो जाएँगी. इसके अलावा लगभग 5 हजार परिवार ऐसे हैं जिनकी सूची बनकर तैयार हो चुकी है, विधान सभा चुनाव के पूर्व उनकी सूचियां बन चुकी थीं. विधान सभा चुनाव हो गए, लोक सभा चुनाव हो गए. आचार संहिता समाप्त हो गई लेकिन 5 हजार परिवार आज भी इस बात की बाट जो रहे हैं कि कब उनका नंबर आएगा. मैं समझता हूँ केन्द्र से पर्याप्त मात्रा में राशि आ रही है लेकिन 50:50 प्रतिशत का केन्द्रांश और राज्यांश होना चाहिए. राज्यांश नहीं मिल पाने की वजह से सूचियां प्रशासनिक लेवल पर उलझा दी जाती हैं. उनका एक बार, दो बार और तीन-तीन बार सर्वेक्षण का काम हो रहा है. पुन: सर्वेक्षण का काम हो रहा है. मैं पूछना चाहता हूँ कि यह सर्वेक्षण का काम कब खत्म होगा. उन 5 हजार परिवारों को कब उस योजना का लाभ मिल पाएगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अमृत योजना की बात करना चाहता हूँ. यह साढ़े छह हजार करोड़ रुपए की योजना 31 मार्च 2020 को पूरी होना चाहिए इसमें अभी तक सिर्फ 2500 करोड़ रुपए का काम हुआ है. इसमें अभी 4000 करोड़ रुपए की आवश्यकता है लेकिन आपने 2000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है. यह भी अंडर बजटेड है यह सारा बजट आपका अंडर बजटेड है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मेट्रो की बात करना चाहता हूं यह परियोजना 15000 करोड़ रुपए की है, इसे वर्ष 2023-24 तक पूरा करना है. कुणाल भाई इस पर चिंता जाहिर कर रहे थे कि यह कैसे पूरा होगा. यह योजना 20:20:60 के अनुपात में पूरी होनी है. इसमें हमने 100 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है. मैं होनहार मंत्री महोदय से पूछना चाहता हूँ कि हम इसको कितने वर्षों में पूरा करना चाहते हैं ?
माननीय अध्यक्ष महोदय, दीनदयाल रसोई घर योजना, 5 रुपए में गरीब परिवारों को भोजन देने की एक महत्वपूर्ण योजना बनाई गई थी आपने उस योजना को भी बंद करने की तैयारी कर ली है. मैं कहना चाहता हूँ कि गरीबों की आह मत लीजिए, गरीबों की थाली से उनका निवाला मत छीनिए. मुख्यमंत्री अधोसंरचना योजना के माध्यम से शहरी क्षेत्र को करोड़ों रुपए मिलते थे उस योजना में भी आपने बजट में कमी कर दी है. इसमें लगभग 44 करोड़ रुपए का बजट है इसमें हमें 1000 करोड़ रुपए की आवश्यकता है तब जाकर शहरों की अधोसंरचना सुदृढ़ हो सकती है. मैं समझता हूँ आप मेरी बात से इत्तफाक रखेंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, सागर में इस समय एक डिप्टी कमिश्नर और तीन असिस्टेंट कमिश्नर हैं. सौभाग्य से या दुर्भाग्य से वे चारों की चारों महिलाएँ हैं. कोई मेटरनिटी लीव पर है कोई अन्य तरह की लीव पर है. एक्चुअली वहां पर डिप्टी कमिश्नर और असिस्टेंट कमिश्नर के नाम पर शून्यता है. आज की तारीख में वहां कोई काम करने वाला नहीं है. मैं निवेदन करता हूँ सागर विधान सभा क्षेत्र में, सागर नगर पालिक निगम में कोई सक्षम डिप्टी कमिश्नर और एक-दो सक्षम असिस्टेंट कमिश्नर पदस्थ करें. सागर में असिस्टेंट इंजीनियर की भी नितांत आवश्यकता है. स्मार्ट सिटी के नाम पर तो इंजीनियर के नाम पर शून्यता है. आप स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट पूरे करना चाहते हैं, क्या आप इसे नगर निगम के अमले के भरोसे आप छोड़ना चाहते हैं. स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में भी आप कोई इंजीनियर दे दें. वर्षों से एक ही स्थान पर जमे हुए अधिकारियों और कर्मचारियों के स्थानान्तरण की कोई पॉलिसी आप लेकर आइए उसके अभाव में लोगों के निहित स्वार्थ विकसित हो जाते हैं और काम पूरा नहीं होता है. माननीय अध्यक्ष महोदय, एक शेर कहकर अपनी बात समाप्त कर देता हूँ--
गालिब कुछ अपनी सई से लहना नहीं मुझे,
खिरमन गले अगर न मल्ख खाये खिस्त को.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे होनहार मंत्री महोदय से बहुत अपेक्षाएं हैं, बहुत उम्मीदें हैं वे बहुत पढ़े लिखे और विषय को समझने वाले व्यक्ति हैं. जो सारे विषय हमने उठाए हैं उन विषयों का अपने भाषण में जरुर जवाब देंगे. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री रवि रमेशचन्द्र जोशी (खरगौन)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अनुदान मांग संख्या 22, 41 और 64 का समर्थन करता हूँ. हमको इस विभाग में ऐसा मंत्री मिला है जिसको काम करने में दिन छोटा पड़ रहा है और सपने देखने में रातें छोटी पड़ रही हैं कि क्या करना है. भाई शैलेन्द्र जी ने और भाई कुणाल चौधरी जी ने मेट्रो की बात की. शिवराज सिंह जी ने जिस मेट्रो की कल्पना की थी उस मेट्रो के डायरेक्टर थे एक वेयर हाउस के चीफ इंजीनियर तो क्या हाल होगा इस भोपाल की मेट्रो परियोजना का आप खुद समझ सकते हैं. माननीय कमलनाथ जी ने जब मेट्रो के विषय में बैठक बुलाई और पूछा कि मेट्रो का डायरेक्टर कौन है तो वेयर हाउस के चीफ इंजीनियर बोले कि मैं मेट्रो का डायरेक्टर हूँ तो उन्होंने कहा कि तुम्हारा कोई काम नहीं है अगली बार जब मेट्रो की बैठक होगी तो कोई व्यवस्थित, योग्य डायरेक्टर बना दिया जाएगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, कुणाल भाई ने एक और बात कही थी कि केन्द्र की यूपीए सरकार की दो अति महत्वाकांक्षी योजनाओं जेएनएमयूआरएम और यूआईएसएसएमटी से भोपाल में बहुत काम हुआ. 2200 करोड़ रुपए की योजना से बहुत काम हुआ. गरीबों के लिए काम हुआ अमीरों के लिए काम हुआ. भोपाल शहर इससे विकसित हुआ. कमलनाथ जी ने भी केन्द्र सरकार में रहते हुए करोड़ों रुपए इस भोपाल को दिए. एक एएचपी हाउसिंग प्रोग्राम था जिसमें एक लाख लोगों के मकान स्वीकृत हुए थे, लेकिन मात्र दस हजार मकान बनकर तैयार हुए जिसमें शासन का करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ. सरकार के करोड़ों रुपए अटके हुए हैं. मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करता हूँ कि योजना में संशोधन करें ताकि शासन का जो नुकसान हो रहा है उससे सरकार बच सके.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इंदौर और भोपाल दो महानगर बनने जा रहे हैं. शेष नगर निगमों को मॉडल सिटी के रुप में हमारी सरकार बनाएगी. प्रदेश की 408 नगर पालिका और नगर परिषदें हैं इनको भी हमारी सरकार विकसित करेगी और सुन्दर बनाएगी. शहरों के मास्टर प्लान के संबंध में मेरा निवेदन है कि कई शहरों में पिछले 15 सालों से मास्टर प्लान का रिनुअल नहीं हुआ है. मैं निवेदन करता हूँ कि उनका समय सीमा में रिनुअल किया जाए ताकि जल्दी से शहरों का विकास हो सके. बड़े शहरों में पार्किंग की बात होती है तो उसके लिए बहुमंजिला पार्किंग की व्यवस्था बजट में की गई है. लेकिन छोटे नगर और नगर पालिका में भी पार्किंग की व्यवस्था होना चाहिए. हम नगर पालिका की खाली जमीन होती है तो उस पर मार्केट बनाकर बेच देते हैं, दुकानें बनाकर उसको डेवलप कर रहे हैं लेकिन वहां पार्किंग की व्यवस्था का भी ध्यान में रखा जाए.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यदि किसी का 1500 वर्ग फीट का प्लाट है उस पर मकान बनाने की स्वीकृति यदि मकान मालिक चाहता है तो मंत्री जी से मेरा व्यक्तिगत निवेदन है कि उसको स्वीकृति एक शर्त के साथ दें कि वह सोलर का पैनल घर पर लगाए ताकि सोलर के जरिए वह अपने घर में थोड़ी बहुत बिजली का उपयोग कर सके. इससे बिजली की समस्या ने निपटने में सहयोग मिलेगा.
माननीय मंत्री जी, प्रदेश के अन्दर जिन निकायों में जहां-जहां पद रिक्त हैं उनको भी आप तत्काल भरें इससे विकास की गति को तेजी मिलेगी. मेरी व्यक्तिगत राय है कि जहां नगरीय निकायों में बड़े-बड़े काम चल रहे हैं 100-100 करोड़, 2002-200 करोड़ रुपए के उसका एक विभाग ही अलग बना दिया है जिसका नाम पीआईयू है. जो ठेकेदार है वह कभी उस शहर में ही नहीं आया है पीआईयू के बड़े अधिकारी उस शहर में नहीं आए. मैं कहना चाहता हूँ कि इस पीआईयू विभाग को ही बंद कर देना चाहिए. मेरी इस बात से अधिकांश लोग सहमत होंगे. मैं माननीय मंत्री जी से अनुरोध करता हूँ कि खरगौन के अन्दर दो योजनाएं काम कर रही हैं एक अमृत योजना पर काम चल रहा है दोनों में जहां पर भी खुदाई होती है तो उसका जो पेंचवर्क होता है वह उस क्वालिटी का नहीं होता है. मैं कटारे जी से भी इस विषय में पूर्व में बात कर चुका हूँ आज भी मैंने कहा है कि जितना उसका स्क्वायर मीटर पेंचवर्क होना चाहिए उतने स्क्वायर मीटर में वे पेंचवर्क नहीं कर रहे हैं पूरी रोड का काम कर करना चाहिए उसकी जो क्षमता है अगर उसकी एक हजार अगर उसकी एक हजार वर्ग मीटर की केपेसिटी बन रही है तो एक हजार वर्गमीटर का पूरा रोड बना दें थेगड़े लगाने से रोडों का काम नहीं टिक पाएगा क्योंकि बारिश आएगी तो सारी रोडें बैठ जाएंगी. खरगौन शहर में पेयजल के लिए पिछली सरकार नर्मदा जी का पानी लाई थी लेकिन दुर्भाग्य है कि वह शहर से पहले 14 किलोमीटर एक डेम में ले गई और फिर उस डेम से 12 किलोमीटर घुमाकर खरगौन शहर में 26 किलोमीटर की लाइन को घुमाया है जिस लाइन से खरगौन शहर में पेयजल का पानी पांच से छ: किलोमीटर में आ सकता है. मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करता हूं कि इस ओर ध्यान दें कि 800 एम.एम. की एक पाइपलाइन मेन पाइपलाइन से सीधे खरगौन के बैराज में डाल दी जाइगी तो निश्चित ही खरगौन की जल समस्या का हल होगा. हमारा चार करोड़ रुपए मुद्रांक अनुदान शुल्क सरकार के पास बाकी है मैं मंत्री जी से निवेदन करता हूं कि वह भी दें. कुंदा नदी पर गहरीकरण, सौन्दर्यीकरण के लिए भी हमने कुछ प्रस्ताव दे रखे हैं उनको भी यथाशीघ्र इस बजट में लेकर स्वीकृत करें. शहर की रिंग रोड जो शहर के अंदर आवश्यक है. खरगौन शहर बडे़ शहरों में आ गया है तो मेरा निवेदन है कि हमारी कल्पना रिंग रोड की भी है उसके साथ-साथ खरगौन शहर को एक ट्रांसपोर्ट की अति आवश्यकता है उस ओर भी ध्यान दें. अध्यक्ष महोदय ने मुझे जो समय दिया था उससे भी कम समय में मैंने अपनी बात को समाप्त किया है, लेकिन मैंने जो बातें रखीं वह बातें क्षेत्र के विकास के लिए हैं मंत्री जी उस पर ध्यान दें. धन्यवाद जय हिन्द.
श्री हरिशंकर खटीक-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे बहुत अच्छे सुझाव हैं.
अध्यक्ष महोदय-- आप एक मिनट रुक जाइए. आपका नाम कहां हैं. प्रभु अभी जिनके नाम आएं हैं पहले उन भक्तों को पुकारने दो.
श्री हरिशंकर खटीक-- जी, जैसा आपका आदेश.
श्री आकाश कैलाश विजयवर्गीय (इन्दौर-3)-- अध्यक्ष महोदय, मैं हमारी पार्टी के वरिष्ठजन जिन्होंने मुझे इतने महत्वपूर्ण विषय पर बोलने का अवसर दिया मैं उनका आभार व्यक्त करता हूं और मेरे पूज्य पिताजी भी इस सदन में काफी समय तक रहे हैं, उन्होंने काफी समय तक यहां से काम किया है. मैं उनके चरणों का स्मरण करते हुए अपनी वाणी प्रारंभ करूंगा. अभी मैं वक्ताओं को सुन रहा था उन्होंने मेट्रो में 15 सालों में जो खराब काम हुआ और जो पिछले़ 15 सालों में काम नहीं हुआ वह गिनाया तो मैं आपके माध्यम से सदन को बता देना चाहता हूं कि पिछले 15 सालों में जो काम हुआ उस पर हमें बहुत गर्व है और 15 साल पहले जिस स्थिति में यह प्रदेश हमें दिया गया था लोग यहां पर कहते थे कि सड़कों में गड्ढे नहीं गड्ढों में सड़कें हैं. जब बिजली आती थी तो लोग जश्न मनाते थे, पानी की तो कोई व्यवस्था ही नहीं थी. उस स्थिति से प्रदेश को आज यहां पर लेकर आए हैं. मुझे बहुत खुशी है और बहुत तेजी से विकास भी चल रहा था कि चुनाव आए और जो वर्तमान सरकार है इनके नेताओं ने बात कही कि युवाओं के लिए चार हजार रुपए बेरोजगारी भत्ता दिया जाएगा. युवा उसकी ओर आकर्षित हुए और उन्होंने आपकी सरकार बनाई क्योंकि युवा जिस ओर मुड़ जाता है उस और नि:संदेह राजनीति चलती है, पूरा देश चलता है. युवाओं ने आपकी सरकार बनाई परंतु मुझे यह कहते हुए बहुत दुख है कि आज प्रदेश के सभी युवा बहुत ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. आपके वचन पत्र में आपने 14 नंबर का जो बिंदु था कि विवेकानंद युवा शक्ति मिशन आप प्रारंभ करेंगे जिसमें चार हजार रुपए पांच साल के लिए.
श्री आरिफ मसूद-- 15 लाख का जिक्र.
अध्यक्ष महोदय-- सदन अच्छे से चल रहा है टोका-टाकी न करे.
श्री दिलीप सिंह परिहार--वह बहुत ही बढि़या बोल रहे हैं, उन्हें बोलने दीजिए.
अध्यक्ष महोदय-- जब आपका मौका आएगा तो आप बोल लेना.
श्री आकाश कैलाश विजयवर्गीय--15 लाख का जवाब तो भोपाल के एक कार्यकर्ता ने दे भी दिया था. मेरा आपसे निवेदन है कि युवा बहुत ज्यादा निराश है क्योंकि चार हजार रुपए पांच सालों के लिए विवेकानंद युवा शक्ति मिशन में आपने घोषणा की थी. मुझे दुख है क्योंकि बजट में उसका जिक्र तक नहीं है. बजट में उसको पूरी तरह से साफ कर दिया गया है यह साफ-साफ दिखाता है कि किस प्रकार से युवा इस सरकार की प्राथमिकता पर नहीं है जिसके दम पर यह सरकार आई है वह किस प्रकार से अंतिम प्राथमिकता पर हैं. बजट में इस योजना का नाम तक नहीं लिया गया है. आपने युवा स्वाभिमान योजना की बात की अध्यक्ष जी, मैं आपके माध्यम से सभी सदस्यों को बताना चाहूंगा कि युवा स्वाभिमान योजना की आज क्या स्थिति है. चार-चार घंटे ट्रेनिंग के लिए युवाओं को कहा जा रहा है और चार घंटे नगर निगम में उन्हें काम दिया जा रहा है. पर्ची बांटने का काम दिया जा रहा है या छोटे-मोटे लेटर इधर-उधर पहुंचाने का काम दिया जा रहा है. इसके लिए उन्हें चार हजार रुपए प्रतिमाह दिया जा रहा है यदि आप देखें तो 27 से 28 दिन के लगभग 145 रुपए होते हैं जो कि मनरेगा में मजदूरों को मिलते हैं यह उससे भी कम है और जो हमारे चौक पर मजदूर मिलते हैं वह भी आजकल इस राशि में काम नहीं करते हैं. वह भी प्रति दिन दो से ढाई सौ रुपए लेते हैं. कुल मिलाकर युवाओं को जो नजरअंदाज किया जा रहा है, जो युवाओं की दुर्दशा बनाई गई है और उसका परिणाम भी दिख रहा है जो 28 लाख बेरोजगार लोग हैं आपने कहा था कि चार लाख लोगों ने इस योजना से आकर्षित होकर रजिस्ट्रेशन करवाया है लेकिन केवल 22 हजार लोग ट्रेनिंग सेंटर तक पहुंचे हैं. इसमें भी बहुत सारी विसंगतियां हैं. पहली तो यह की यह जो ट्रेनिंग सेंटर हैं उसमें दसवी बारहवी का क्राइटेरिया है और कई बेरोजगार ऐसे हैं जो पांचवीं, छठवीं तक ही पढ़े हैं. उनके लिए कोई भी व्यवस्था सरकार द्वारा नहीं है. दूसरा बहुत सारे बेरोजगार बड़ी संख्या में इंजीनियर और एम.बी.ए. भी हैं. इन ट्रेनिंग सेंटर में तो सिर्फ जो सिलाई, बुनाई, कढ़ाई और छोटा-मोटा बेसिक कम्प्यूटर और मेकअप आर्टिस्ट इन सब चीजों की ट्रेनिंग दी जाती है तो इंजीनियर और एम.बी.ए. तो यहां तक पहुंच ही नहीं रहे हैं और इस बेरोजगारी भत्ते से वंचित हैं. मुझे हमारे युवा मंत्री जी से उम्मीद है मैं आपको बस यही सुझाव देना चाहूंगा कि आप जो यह ट्रेनिंग का काम कर रहे हैं इसमें जो कम पढ़े लिखे लोग हैं उनकी भी चिंता करें और जो इंजीनियर और बाकी के लोग हैं उनको तो मुझे लगता है ट्रेनिंग की आवश्यकता ही नहीं है. आप सिर्फ नगर-निगम में ही उन्हें क्यों लगा रहे हैं नगर निगम के पास तो आलरेडी बहुत सारे कर्मचारी रहते हैं क्योंकि वह स्वतंत्र रहते हैं जब इच्छा होती है हायर कर लेते हैं. उन्हें बाकी विभागों में लगाएं जैसे कोई सिविल इंजीनियर है, मेकेनिकल इंजीनियर है तो उन्हे पी.डब्ल्यू.डी. या अन्य विभागों में लगाए ताकि कुछ एक्सपोज़र भी मिले और साथ ही साथ बेरोजगारी भत्ता भी मिले. मेरा सरकार से, सभी वरिष्ठजनों से निवेदन है कि यह जो आपने विवेकानंद युवा शक्ति मिशन की बात की थी उसको भी पूरा करें. आपके वचन पत्र में था कि गरीबों को घर दिया जाएगा ठाई लाख रुपए दिए जाएंगे और घर दिया जाएगा मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि हमारे इंदौर में एक बहुत बडा घोटाला देखने में आया है. अपने घर देने की बात की है परंतु घर लिया जा रहा है. कुछ प्रभावी लोगों के द्वारा नगर निगम से टाइअप करके गरीबों के मकान तोड़कर उन्हें बेघर किया जा रहा है. जिसके मेरे पास पूरे साक्ष्य हैं कि ऐसी मिली भगतचल रही है और गरीबों को बेघर किया जा रहा है.
अध्यक्ष महोदय, मैं आपक माध्यम से निवेदन करता हूं कि मंत्री जी निष्पक्षता से जांच कराते हैं और तुरंत निर्णय भी दिलवाते हैं तो मेरा निवेदन है कि इंदौर में जो जर्जर भवन का घोटाला चल रहा है इसमें भी आप जांच के आदेश दें और एक समिति बनाएं जो कि निष्पक्षता से उसकी जांच करे और गरीबो के साथ, युवाओं के साथ न्याय हो. मैं उम्मीद करता हूं कि ऐसा जरूर होगा. आपने मुझे बोलने का समय दिया उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय-- धन्यवाद आकाश.
श्री नीलांशु चतुर्वेदी (चित्रकूट)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 22, 41 एवं 64 के प्रस्तावों के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं. सर्वप्रथम मैं आपको धन्यवाद देना चाहूंगा कि आपने मुझे इस विषय पर बोलने का मौका दिया और माननीय मुख्यमंत्री को धन्यवाद देना चाहूंगा, जिन्होंने इस विभाग को हमारे एक ऊर्जावान मंत्री जी को सौंपा है. जिनके पास कार्य को पूरा करने के लिए सपने, विज़न और ज़ज्बा है. मैं इसी तारतम्य में बताना चाहूंगा कि जब पूर्व में जब मैं नगर पालिका अध्यक्ष था, तब हमारे कमलनाथ जी केंद्र की सरकार में मंत्री थे और उन्होंने जल-आवर्धन योजना के तहत पूरे मध्यप्रदेश और हमारे क्षेत्र के पानी की व्यवस्था के लिए बजट जारी किया था, उसका आज परिणाम यह है कि चित्रकूट क्षेत्र या अन्य जिन भी शहरों में उस योजना को लागू किया गया था, आज वहां पेयजल की समुचित व्यवस्था क्रियान्वित होती दिख रही है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इसी प्रकार से भगवान राम की तपोभूमि चित्रकूट, जहां मां मंदाकिनी के लिए कमलनाथ जी ने आयोग भी बनाया था और उसके प्रदूषण को रोकने के लिए उन्होंने केंद्र में मंत्री रहते हुए सीवर लाईन प्रोजेक्ट को स्वीकृति दी थी. जिसका कार्य आज प्रगति के साथ जारी है और आने वाले एक वर्ष में उसको पूरा किया जाना है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहूंगा कि वे जो RIGHT TO WATER का कानून लेकर आये हैं, उससे प्रदेश को बहुत बड़ी शक्ति मिलने वाली है, इससे आने वाले समय में हमें पानी की जो दिक्कत हैं, उससे निज़ात मिल सकेगी. (मेजों की थपथपाहट)
माननीय अध्यक्ष महोदय, हाऊसिंग की बात करें तो उसमें पट्टा का अधिकार देने की बात माननीय मुख्यमंत्री और मंत्री जी द्वारा की गई है. ए.एच.पी. (Affordable Housing in Partnership) की योजना के अंतर्गत नए तरीके से योजनायें बनाई जा रही हैं. अभी हमारे युवा साथी मेट्रो की बात कर रहे थे कि वह बैलगाड़ी है कि रेलगाड़ी है ? क्योंकि वह पिछले 15 सालों से मध्यप्रदेश में नहीं आ पा रही है. मैं बताना चाहूंगा कि मेट्रो पहले बैलगाड़ी जरूर थी लेकिन अब उसके पायलट हमारे माननीय मुख्यमंत्री और मंत्री जी हैं तो वह रेलगाड़ी बन गई है और 5 साल के भीतर, भोपाल जैसे शहर में आपको मेट्रो देखने को मिल जायेगी. (मेजों की थपथपाहट)
माननीय अध्यक्ष महोदय, डस्ट फ्री सिटी की बात कर रहे हैं तो छोटे शहरों के लिए हमारे माननीय मुख्यमंत्री और मंत्री जी के निर्देशन में छोटे शहरों के लिए भी योजनायें बनाई जा रही हैं ताकि उन शहरों पर काम किया जा सके. ट्रांसपोर्ट की बहुत बड़ी समस्या रहती है. उसके कारण प्रदूषण की भी समस्या हो जाती है इसे देखते हुए ई-रिक्शा पॉलिसी का भी निर्धारण किया गया है और इसमें सबसे ज्यादा महिलाओं के लिए योजना बनाई गई है. इसमें ई-रिक्शा के माध्यम से महिलाओं को छूट देने का प्रावधान किया गया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी हमारे सदन के साथी युवाओं के बारे में बता रहे थे. उन्हें युवाओं की काफी चिंता है. स्वाभाविक है हम सभी युवा हैं इसलिए हमें युवाओं की चिंता होनी चाहिए. चूंकि 15 साल में युवाओं को छला गया है और उस छलावे का परिणाम यह है कि आज यहां पर सबसे अधिक युवा विधायक आपको कांग्रेस पक्ष की ओर बैठे हुए दिखाई देंगे और इसका कारण यह है कि 15 साल में युवाओं के साथ जो नहीं हुआ है, उसकी योजना हमारे माननीय मुख्यमंत्री और मंत्री मिलकर बना रहे हैं कि युवाओं को कैसे एक मार्गदर्शन दिया जाये, कैसे एक दिशा दी जाये जिससे कि वे अपने पैरों पर खड़े होकर रोजगारोन्मुखी कार्यक्रमों में आगे बढ़ सकें.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अपने चित्रकूट क्षेत्र के बारे में आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन करना चाहूंगा कि चित्रकूट एक ऐसा क्षेत्र है जो भगवान राम की तपोभूमि है. जहां भगवान राम के वनवास का सबसे अधिक समय लगभग साढ़े ग्यारह वर्ष व्यतीत हुआ लेकिन दुर्भाग्य देखिये भगवान राम के नाम पर जो लोग वोट मांगते थे उन्होंने भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या में तो कुछ किया नहीं लेकिन श्रीराम की कर्मभूमि में कार्य करने की योजना हमारे माननीय मुख्यमंत्री और मंत्री जी बना रहे हैं. इस योजना के तहत चित्रकूट क्षेत्र जो पूरा का पूरा नगरीय क्षेत्र है वहां पर विकास का कार्य प्रारंभ किया गया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि चित्रकूट में बहुत बड़े-बड़े मेले लगते हैं. दिवाली के समय लगभग 50 लाख लोग 3 दिनों के अंतराल में वहां आते हैं लेकिन वहां मेले से जुड़ी हुई व्यवस्थाओं को लेकर बजट पर ध्यान पिछली सरकारों ने नहीं दिया है इसलिए निवेदन है कि चित्रकूट में इस ओर ध्यान दिया जाये.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जब-जब कुंभ का मेला इलाहाबाद में होता है इलाहाबाद चित्रकूट से लगभग 120 किलोमीटर की दूरी पर है. कुंभ की बात तो सभी करते हैं.
डॉ.नरोत्तम मिश्र- वो जिधर देख रहे हैं, हम उधर देख रहे हैं, आप तो बस देखने वालों की नज़र देख रहे हैं.
राजस्व मंत्री (श्री गोविन्द सिंह राजपूत)- हम आपकी कुटिल मुस्कान को भी देख रहे हैं.
श्री नीलांशु चतुर्वेदी- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा अनुरोध है कि मेरे निर्धारित समय में इस चर्चा को न गिना जाये, तो ठीक रहेगा. चित्रकूट क्षेत्र के पास ही 120 किलोमीटर की दूरी पर इलाहाबाद है. कभी उज्जैन में, कभी इलाहाबाद में कुंभ होता है. मैं आपके माध्यम से बताना चाहूंगा कि कुंभ में जो यात्री जाते हैं ऐसी मान्यता है कि जब तक वे चित्रकूट होकर नहीं जाते हैं तब तक उनकी यह पौराणिक आस्था पूर्ण नहीं होती है. कुंभ के लिए केंद्र और अन्य सरकारों द्वारा बहुत सारा बजट दिया जाता है लेकिन जो 60 प्रतिशत यात्री चित्रकूट से होकर कुंभ जाते हैं उसके लिए बजट का निर्धारण नहीं किया गया है. इसलिए आपके माध्यम से मंत्री जी का ध्यान इस ओर आकर्षित करना चाहूंगा कि इस विषय में ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि हम अपने चित्रकूट को आगे ले जा सकें.
माननीय अध्यक्ष महोदय, चित्रकूट क्षेत्र में कामतानाथ जी की परिक्रमा है और 84 कोस यात्रा का पूरा परिक्षेत्र भी है. जहां के 84 कोस में भगवान राम अपने वनवास के साढ़े ग्यारह वर्ष में रहे हैं. भगवान राम को राजनैतिक रूप से भारतीय जनता पार्टी ने जितना छला है उतना किसी ने नहीं छला है क्योंकि इन्होंने भगवान राम का सौदा करके सत्ता प्राप्त करने की कोशिश की थी. हममें और इनमें एक ही फर्क है कि ये श्रीराम का सौदा करते हैं और हम श्रीराम को हर एक इंसान में ढूंढते हैं और उसी तरह से काम करने की कोशिश करते हैं. (मेजों की थपथपाहट)
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री से निवेदन करूंगा कि चित्रकूट विधान सभा क्षेत्र में तीन नगर पंचायत क्षेत्र, नगर परिषद क्षेत्र आते हैं जिनमें एक गैवीनाथ धाम बिरसिंहपुर क्षेत्र है. जिसमें शंकर जी का बहुत प्राचीन मंदिर है. वह भी आस्था का बहुत बड़ा केंद्र है और वहां बहुत बड़ा मेला लगता है जहां हजारों लोग जाते हैं. उसके विकास के बारे में आपका ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा. अंत में मैं एक लाईन में अपनी बात को पूरा करना चाहूंगा-
मंजिलें उन्हीं को मिलती हैं, जिनके सपनों में जान होती है,
पंख फड़फड़ाने से कुछ नहीं होता, हौंसलों से उड़ान होती है.
धन्यवाद.
डॉ.मोहन यादव (उज्जैन-दक्षिण)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 22, 41 एवं 64 का विरोध करते हुए अपनी बात करना चाहूंगा. एक ऐसा विषय सिंहस्थ जिसके मामले में हमें पता है कि पिछले सिंहस्थ को लेकर कांग्रेस ने बहुत हल्ला मचाया था. कांग्रेस पूरे समय सिंहस्थ के कामों, घोटालों और पता नहीं किस-किस बात पर हमें गालियां देती रही है. मैं आपकी ओर से मंत्री जी का ध्यान इस ओर आकर्षित करना चाहूंगा. जब सत्ता-सरकार समय पर किसी ओर ध्यान नहीं देती तो उसके दुष्परिणाम इसी प्रकार भुगतने पड़ते हैं. जब वर्ष 2004 का कुंभ मेला था और उस मेले से पूर्व कांग्रेस की सरकार थी लेकिन मास्टर प्लान वर्ष 1994 में समाप्त हो गया था बगैर मास्टर प्लान के वर्ष 2004 तक तमाम प्रकार के निर्माण कार्यों में लापरवाही होती रही और उमा भारती जी की सरकार को मात्र दो माह का समय मिला, जिसमें कैलाश विजयवर्गीय जी स्थानीय शासन के मंत्री थे. उन्होंने कम समय में जितने प्रकार से काम कर सकते थे किया, उसका परिणाम यह निकला कि कुंभ मेला के लिए कांग्रेस सरकार के पूरे 10 साल के शासन काल में मात्र 3.5 करोड़ रुपये खर्च किए गए और लगभग 90 करोड़ रुपये हमने केवल चार माह में खर्च करके 1 करोड़ तीर्थयात्रियों की वहां व्यवस्था की.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इसके विपरीत वर्ष 2004 के बाद जब हमारी सरकार बनी तो हमने तुरंत मास्टर प्लान का प्रकाशन करवाया, उसके प्रकाशन के बाद वर्ष 2016 में उज्जैन में जब कुंभ मेला संपन्न हुआ तो वहां आप देख सकते हैं कि 14 पुल, लगभग 10 किलोमीटर लंबे घाट और तमाम् अधोसंचनाओं का विकास हुआ है. जिनसे आने वाले लंबे समय लगभग 100 साल तक के कुंभ मेले को लाभ मिलेगा. ये सारी व्यवस्थायें वहां बन चुकी है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी का ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा कि अभी वर्ष 2028 के कुंभ मेले में पर्याप्त समय है. वहां का मास्टर प्लान जो वर्ष 2021 में समाप्त होने वाला है इसे आप रिवाइज़ करायें जो कि वर्ष 2031 तक के लिए प्रस्तावित है. इसी में दो बातें और जोड़ सकते हैं कि अभी बगैर पैसे के राज्य सरकार केवल प्लान तैयार कर, केंद्र सरकार से इस हेतु राशि प्राप्त कर सकती है. अभी आपने कुंभ मेले के लिए मात्र एक हजार रुपये का प्रावधान किया है बेहतर यह होता कि आप अपनी ओर से कम से कम 100 करोड़ रुपये रखते तो आने वाले 2-4 वर्षों में वहां राशि खर्च की जाती क्योंकि पैसे एकदम से खर्च नहीं हो पाते हैं. घाट, पुल और केंद्र सरकार की तरफ से रेलवे की लाईनें, दूरसंचार की लाईनें आदि तैयार करवाते. वहां आकाशवाणी का स्टूडियो बनकर तैयार है, उसे केवल चालू करवाना है लेकिन यदि राज्य सरकार आगे बढ़कर इसमें अपनी कुछ भूमिका अदा करेगी तो वह चालू हो जायेगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मात्र दो बातें और रखना चाहूंगा कि अभी कुंभ मेले के लिए हमारे पास पर्याप्त समय है अभी एक एडवाइज़री बोर्ड बना लिया जाये. जिसमें वहां के सांसद, विधायक, महापौर और यहां के मंत्री शामिल हो जायें और आने वाला वर्ष 2028 का कुंभ मेला कैसा होगा, इसकी बात कर लें क्योंकि अकेले उज्जैन की बात नहीं है. कुंभ मेले की जैसे ही बात करेंगे तो जैसा कि चतुर्वेदी जी ने कहा है. चित्रकूट सहित उज्जैन और इंदौर संभाग और यहां तक कि भोपाल का रेलवे स्टेशन भी 2016 में कुंभ मेले के कारण से ही पुराना स्टेशन चौड़ा किया गया था. सारे क्षेत्र में विकास की संभावना बनेगी. ज्यादा होगा कि हम बिना पैसे के समग्र रूप से भी चालू करें. इसके साथ - साथ एक छोटा सा और सुझाव है कि हमारे किसानों की जमीन जो उस समय एक्वायर करते हैं उसका एक पैसा भी किसानों को नहीं मिलता है और मालूम पड़ता है कि लगभग-लगभग दो हजार हेक्टेयर जमीन जिन किसान की होती है, परेशान हो जाते हैं. वहां पर अवैध कालोनियां कटती हैं, तो बेहतर होगा कि उस जमीन को एक्वायर करके, एक परमानेंट एरिया डिक्लेयर कर दें और वहां इंफ्रॉस्ट्रक्चर बना दें तो ज्यादा बेहतर होगा.
अध्यक्ष महोदय:- यादव जी समाप्त करें. आपको बोलते हुए तीन मिनट हो गये हैं.
डॉ. मोहन यादव:- अध्यक्ष महोदय:- खाली एक छोटा सा सुझाव है.
अध्यक्ष महोदय:- सॉरी, मैं माफी चाहता हूं, मैं फिर आपको बोलने का समय नहीं दूंगा. जब मैं आपकी प्रार्थना सुन रहा हूं तो कृपया आप मेरा अनुरोध भी सुनें; धन्यवाद.
श्री आरिफ मसूद (भोपाल उत्तर):- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं कमलनाथ सरकार को धन्यवाद देना चाहता हूं और हमारे मंत्री जी को. मैं केवल महत्वपूर्ण सुझाव देना चाहता हूं, क्योंकि महत्वपूर्ण सुझाव रह गये हैं. भोपाल राजधानी है, इसका उपयोग राजधानी आने वाला इस व्यक्ति करता है. लेकिन माननीय मंत्री जी बेइंतहां साहसिक काम कर रहे हैं. मैं चाहता हूं इसमें ब्रिज को जोड़ लिया जाये. भोपाल में 2 ओव्हरब्रिज की सख्त जरूरत है. अगर यह दो ओव्हरब्रिज को जोड़ दिया जाये तो जो हमेशा जाम लगने की समस्या है. इससे जो जाम लगने वाली समस्या है, उससे सभी को जो कठिनाईयां होती है, वह दूर हो जायेगी और यह भोपाल की वर्षों पुरानी समस्या है. इसका निदान होना चाहिये और मुझे पूरी उम्मीद है कि जयवर्द्धन सिंह जी के विज़न को देखते हुए कि वह इसको पूरा करायेंगे. इसी के साथ माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके जरिये चाहता हूं कि भोपाल में एक हब बनना चाहिये, जो यूथ के लिये बने. वह हब ऐसा बने, जिसके अंदर कोचिंग क्लासेस् भी हों, यूथ हॉस्टल भी हों और उसी में क्लब भी हों और मैं तो सुझाव दूंगा कि मेरे विधान सभा क्षेत्र में डीबी मॉल के पास बहुत सारी जगह खाली पड़ी है और अभी बहुत सारा अवैध अतिक्रमण हट भी रहा है. अगर वहां पर बड़ा भव्य अब छात्रों के लिये बनेगा. क्योंकि एम.पी नगर के अंदर लगभग 10 हजार बच्चे कोचिंग ले रहे हैं. यह एक बहुत अच्छा एरिया भोपाल का डेव्ह्लप हो जाएगा, यह अति- आवश्यक भी है. एक बात बीआरटीएस की छूट गयी, क्योंकि बाकी मुद्दो पर सब बोल लिये हैं. मैं वह मुद्दे बोल रहा हूं जो अभी तक नहीं आये हैं. बीआरटीएस का सर्वे होना चाहिये. इससे बहुत जगह कठिनाई हो रही है. जिस तरह से बीआरटीएस बनाया गया है, उसका सही उपयोग नहीं हो पा रहा है, उससे दुर्घटनाएं भी हो रही हैं और जिसके कारण कई मकान वाले, व्यापारी और कालोनाईजर परेशान हैं. उसका पुन: सर्वे कराया जाये, जहां पर उसकी आवश्यकता है वहां पर रखा जाये, बाकी का हटाया जाये. मैं केवल यही तीन सुझाव आपके जरिये देना चाहता था. अंत में मैं जयवर्द्धन सिंह जी के बोलना चाहता हूं कि जिस तरह से हमारे मुख्यमंत्री जी भी 70 साल में नौजवान हैं तो हमारे जयवर्द्धन और मुख्यमंत्री जी का जी काम्पटीशन है. उसी तरह अध्यक्ष जी मैंने एक अनुभव लिया है, यह जरूर आपके बीच शेयर करूंगा. मैं अधिकारियों के बारे में सुनता था कि अधिकारी अक्सर कामों में अड़ंगे डालते हैं, ऐसा बाहर सुनता था. पहला मौका मिला वीज़न के अंदर मीटिंग करने का तो जयवर्द्धधन सिंह का पूरा स्टाफ और इनके पीएस भी अच्छी सोच रखते हैं. इसके लिये मैं चाहूंगा कि उनको धन्यवाद देना चाहिये कि ऐसे अधिकारी हम लोगों को काम करने में बढ़ावा देंगे तो मैं उन लोगों को धन्यवाद दूंगा और
'' संघर्ष के साये में असली आजादी पलती है,
इतिहास उस ओर झुक जाते हैं,
जिस और जवानी चलती है.''
यह जयवर्द्धन सिंह के लिये था, धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय:- वाह, तो चलो जवानी आगे बढ़ाते हैं, माननीय मंत्री जी.
श्री हरिशंकर खटीक:- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक मिनट का समय दे दें, कुछ महत्वपूर्ण सुझाव देने हैं.
श्री भारत सिंह कुशवाहा:- अध्यक्ष महोदय, सिर्फ एक मिनट, महत्वपूर्ण सुझाव हैं...
श्री संजीव सिंह''संजू'' :- माननीय अध्यक्ष जी, बहुत ही महत्वपूर्ण सुझाव है..
अध्यक्ष महोदय:- मैंने तीन-तीन वक्ताओं को बोलने की प्रार्थना की थी. मैंने चौथे को बोलने की अनुमति दे दी. मैं ऐसे समय ज्यादा लोगों को बोलने की अनुमति नहीं दे सकता. हर विभाग में आपकी बहुत महत्वपूर्ण बात होती है, आप लिखित में दे दीजियेगा. जयवर्द्धन जी आप बोलिये.
नगरीय निकाय एवं आवास मंत्री (श्री जयवर्द्धन सिंह):- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आभार व्यक्त करता हूं माननीय विधायकगणों का जिन्होंने इस चर्चा में भाग लिया है, आदरणीय यशपाल सिंह जी, कुणाल चौधरी जी, शैलेन्द्र जैन जी, रवि जोशी जी, निलांशु चतुर्वेदी जी, मोहन यादव जी, आरिफ मसूद जी और जिन चार विधायकों ने कटौती प्रस्ताव का समर्थन किया है, मैं उनको भी आश्वासन देता हूं कि मैं उनके एक-एक बिन्दु का उत्तर दूंगा और मुझे पूरा विश्वास है..
अध्यक्ष महोदय:- मंत्री जी आपकी भी समय की लिमिटेशन है.
श्री जयवर्द्धन सिंह:- जी हुजुर. मुझे पूरा विश्वास है कि आपके जो भी प्रश्न थे, अगर मैं उनका उत्तर दूंगा तो आप भी हमारे प्रस्ताव का समर्थन करेंगे.
अध्यक्ष महोदय, यह कमलनाथ जी की सरकार का पहला बजट है और मैं मानता हूं कि शायद मध्यप्रदेश के इतिहास में हमको एक ऐसे मुख्यमंत्री मिले हैं, जिनका लगभग चालीस साल का राजनीतिक अनुभव है, और कहीं न कहीं कमलनाथ जी ने इस विभाग में किया है, उस काम के लिये उनका नाम सिर्फ देश में नहीं पूरे विश्व में प्रसिद्ध है.
अध्यक्ष महोदय, सबसे पहले जो समस्या पानी की है. इस बात को लगभग सभी विधायकों ने भी उठाया था और जब भी मेरे विभाग का प्रश्न का दिन आता है, उसमें भी 50 प्रतिशत प्रश्न, जो पानी की समस्या है उसके ऊपर होते हैं. माननीय यशपाल जी ने भी इसके बारे में उल्लेख किया था कि अमृत योजना तो स्थापित हो गयी, लेकिन फिर भी पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा है, उसी समस्या का रवि जी ने भी उल्लेख किया था और मैं सदन को इस बात की जानकारी देना चाहता हूं कि हमारी सरकार ने जल के अधिकार को पूर्ण रूप से प्राथमिकता दी है और हमने पूरे 378 शहरों के लिये हम वॉटर आडिट करवा रहे हैं, जिसमें इस विषय की जांच की जायेगी की अगर सभी शहरों में वर्तमान में पानी का काम चल रहा है तो क्या समस्या सोर्स की है, इंटक वेल की क्या समस्या है क्या एनिकेट में समस्या है या फिर जो शहर के अंदर डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क है, वहां पर समस्या है. क्योंकि हमारा एक ही लक्ष्य रहेगा कि पांच साल में प्रति शहर में प्रतिदिन पानी आये, इसके लिये हमारा विभाग प्रयासरत रहेगा. मैं सदन को अवगत कराना चाहता हूं कि जवाहरलाल नेहरू नेशनल अर्बन रिन्युअल मिशन, (जेएनएनयूआरएम) और साथ में यूआईडीएसएसएमटी2011-12 के बीच में एक साल में, जब कमलनाथ जी इस विभाग के केन्द्र में मंत्री थे तो उन्होंने माननीय अध्यक्ष महोदय, एक साल में मध्यप्रदेश के लिये 5500 करोड़ रूपये दिये थे. अगर अमृत योजना जो अभी केन्द्र सरकार से है, पांच साल में कभी इतना पैसा नहीं मिल पाया जितना पैसा कमलनाथ जी ने दिया था.
अध्यक्ष महोदय, प्रधानमंत्री आवास योजना के बारे में शैलेन्द्र जी ने काफी उल्लेख किया था, उनको कुछ मुद्दों पर संदेह है, लेकिन मैं उनको अर्ज करना चाहता हूं कि जब से कांग्रेस पार्टी की बनी है हमने 6 महीनों में 61 आवास स्वीकृत किये हैं और उनके लिये 75 हजार रूपये की पहली किश्त जारी है और 12 हजार की द्वितीय किश्त जारी की है और 30 हजार रूपये की तृतीय किश्त जारी की है. मैं सदन के हर सदस्य को यह जानकारी देना चाहता हूं कि प्रधान मंत्री आवास में दो हिस्से होते हैं. एक है बीएलसी, जहां पर हितग्राही निवास करता है, वहीं पर उनको पूरा ढाई लाख रूपये का अनुदान दिया जाता है.
श्री जयवर्द्धन सिंह--जिसमें डेढ़ लाख केन्द्र सरकार का होता है. एक लाख राज्य सरकार का होता है उसमें भूमि राज्य सरकार देती है. तो इसमें काफी सफलता प्राप्त हुई है इसमें कोई दो राय नहीं है, लेकिन जो दूसरा हिस्सा है किफायती आवास योजना इस योजना में पूर्व सरकार 100 प्रतिशत असफल हुई है. किफायती आवास योजना में पूर्व सरकार ने 1 लाख 40 हजार आवास स्वीकृत किये उसमें सिर्फ अभी तक 12 हजार बन पाये हैं. 840 करोड़ रूपये इसमें अटका पड़ा है, यह क्यों हुआ, क्योंकि इन आवासों में डेढ़ लाख का अंशदान केन्द्र का था, एक लाख राज्य सरकार का था वह तो राशि मिल गई, लेकिन इसके साथ 2 लाख हितग्राही हैं उनको देना था . पूर्व सरकार ने नियम बनाया कि जो नगरीय निकाय हैं वह इस पैसे की गारंटी देगा इसलिये आज यह स्थिति है कि एक भी हितग्राही पैसा नहीं दे पा रहा है. इसलिये इस योजना में हम संशोधन कर रहे हैं. इसमें ऐसा बदलाव करेंगे जिसमें सीधा एक एक हितग्राही को जो भी प्रदेश के बैंक हैं उनको न्यूनतम दर पर लोन दे सकते हैं उनका किस्तों में भुगतान कर सकते हैं. उस माध्यम से हम इस योजना को ठीक करेंगे और पूरे आवास हम कम्पलीट करवाएंगे. पूर्व वक्ताओं ने कहा कि पट्टा का अधिकार के बारे में भी हम विचार कर रहे हैं और बहुत जल्द इसका पूरे प्रदेश में सर्वे करवाएंगे और जहां जहां पर आवासीय पट्टे नहीं दिये गये हैं एक एक हितग्राही को आवासीय पट्टे दिये जाएंगे जिसके द्वारा उनको भी पक्का मकान दिया जायेगा. जैसा मैंने कहा कि यह हमारा प्रथम बजट है स्वाभाविक है कि वर्ष 2019-20 की जो नीतियां हैं उनका तो उल्लेख करेंगे, लेकिन उतना ही महत्वपूर्ण है कि हम ऐसी योजना स्थापित करें जिनका नतीजा एक-दो साल में नहीं 15 साल में दिखेगा. माननीय कमलनाथ जी ने कहा है कि हम दो महानगर बनाएंगे. जिस प्रकार से दिल्ली एन.सी.आर. रीजन है, जहां पर गाजियाबाद, फरीदाबाद, दिल्ली, गुड़गांव, नोयडा सब एक शहर के रूप में दिखते हैं उसी के आधार पर पहला महानगर भोपाल का रहेगा जिसमें भोपाल, मण्डीदीप, सीहोर, औबेदुल्लागंज, श्यामपुर भी शामिल रहेंगे. दूसरा महानगर इन्दौर शहर का रहेगा जिसमें इन्दौर, उज्जैन, देवास, पीथमपुर शामिल रहेंगे. इसके लिये हम पूरा नये सिरे से इसको स्थापित करेंगे. बहुत जल्द इसकी अधिकृत सूचना भी जारी करेंगे. इससे संबंधित जो कार्य मेट्रो का है यह बात सही है कि 12 साल से मेट्रो की बात चल रही है. दो दिन में हम मेट्रो का एम.ओ.यू. दिल्ली में केन्द्र सरकार के साथ हस्ताक्षरित करेंगे, लेकिन जो मेट्रो की योजना है. यह कहकर अफसोस हो रहा है कि थोड़ी शॉर्ट सायटिड है सिर्फ शहर के अंदर ही रखी. मैंने मुख्यमंत्री जी से बात की है कि जो भोपाल का मेट्रो है. हम भोपाल के लिये असेसमेंट कर रहे हैं उसकी स्टडी कर रहे हैं ताकि यहां का मेट्रो मंडीदीप भी पहुंचे, औबेदुल्लागंज पहुंचे, सीहोर भी पहुंच सकता है उसकी असेममेंट करवाएंगे, इसके साथ साथ इन्दौर के मेट्रो के लिये उज्जैन तक, देवास तक और पीथमपुर तक भी हम अस्सिमेंट कराएंगे ताकि अगर कोई भी श्रद्धालु दिल्ली, मुम्बई से आये सीधा एयरपोर्ट से ही हाय स्पीड ट्रेन के माध्यम से उज्जैन पहुंचकर महाकाल के दर्शन कर सकते हैं. साथ में माननीय शैलेन्द्र जी ने कुछ आपत्ति जाहिर की थी स्मार्ट सिटी के बारे में, उसी बात का उल्लेख माननीय कुणाल जी ने भी किया था. यह बात सही है कि जैसे ग्वालियर, सागर, सतना, स्मार्ट सिटी है, वहां पर जितने पैसे खाते में हैं उसमें सिर्फ 10 प्रतिशत ही काम हो पाया है, लेकिन यह गलती हमारी नहीं है. स्मार्ट सिटी का काम वहां पर दो तीन साल से चालू था. पूर्व सरकार ने इस पर ध्यान क्यों नहीं दिया मैं वह नहीं कह सकता हूं ? लेकिन ग्वालियर में हमने लगभग डेढ़ सौ करोड़ के नये डी.पी.आर. स्वीकृत कराये हैं उसके टेन्डर भी शायद लग चुके हैं उसी रूप से सागर में भी लगभग 100 करोड़ के टेन्डर लग चुके हैं और उसमें आपने बात की थी कि आपको बैठक में नहीं बुलाया था 17.7.19 को बैठक बुलाई गई थी, लेकिन आप उस दिन कहीं व्यस्त थे.
श्री शैलेन्द्र जैन--केन्द्र में लोक सभा चल रही है, यहां पर विधान सभा चल रही है 17.7.19 को बैठक बुलाई गई.
श्री जयवर्द्धन सिंह --अध्यक्ष महोदय, मूल बात है बैठक बुलाई गई थी उसमें आपकी आपत्ति थी, कोई बात नहीं आप जब फ्री होंगे तब बैठक बुलवा देंगे हम सीईओ को कह देंगे, कोई दिक्कत नहीं है. माननीय यशपाल सिंह जी ने उल्लेख किया था स्वच्छ भारत के बारे में. वाकई में जो पुरस्कार इन्दौर को मिला है सबसे स्वच्छ शहर पूरे भारत में, यह हम सबके लिये बहुत ही गर्व की बात है. लेकिन मैं आप सबको अवगत कराना चाहता हूं कि पूर्व सरकार ने पुरस्कार जीतने के बाद एक नया क्लस्टर मॉडल चालू किया जिसमें 700 करोड़ के टेन्डर निकलवाये अब क्या है क्लस्टर मॉडल, भिंड का कचरा, ग्वालियर जायेगा, सतना का कचरा रीवा जायेगा, क्या यह सही है ? हमने जब इसकी अससेमेंट की हमने उसके 17 टेन्डर केंसिल किये और अब हमने यह संकल्प लिया है कि--
श्री रामेश्वर शर्मा--माननीय अध्यक्ष जी, मंत्री जी ने बहुत अच्छी बात कही मैं भी इससे परेशान हूं मेरे यहां भी 7 नगर पालिकाओं का कचरा होता है.
श्री जयवर्द्धन सिंह --रामेश्वर जी भोपाल का टेन्डर केंसिल हो गया है.
श्री रामेश्वर शर्मा--अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी को इसके लिये धन्यवाद देता हूं कि 9 गांव ऐसे हैं पांच बजे से चील गिद्ध उड़ते हैं वहां पर कुछ नहीं हैं, लोग बहुत परेशान हैं. आपने केंसिल किया है, बहुत बहुत धन्यवाद. यह व्यवहारिक पक्ष बनाना चाहिये जैसे अधिकारी ने पहले बनाया था उन पर कार्यवाही भी करें. इतनी दूर शहर का कचरा यहां पर कैसे आ सकता है.
श्री जयवर्द्धन सिंह -अध्यक्ष महोदय, हम एक नयी पॉलिसी ला रहे हैं जिसमें इन्दौर मॉडल हमारे सभी शहरों में लागू किया जायेगा और हमारा यह प्रयास रहेगा कि उसके बाद सिर्फ मध्यप्रदेश में नहीं पूरे देश में इन्दौर मॉडल लागू हो. इसके साथ में सफाई कर्मचारियों के लिये इस बार जब इन्दौर, भोपाल, उज्जैन को पुरस्कार मिला तो पहली बार सरकार हर सफाई कर्मचारी को 5-5 हजार रूपये का इनाम दिया था और इसके साथ में कमलनाथ जी की सरकार ने अगर किसी भी सफाई कर्मचारी की काम करने के समय मृत्यु होगी उसको 10 लाख नहीं हम उनको 20 लाख रूपये देंगे. इसके साथ में यातायात व्यवस्था का हर शहर में महत्व होता है हमारी सरकार ने ई पॉलिसी तैयारी कर रही है और बहुत जल्द यह निर्णय केबिनेट में आयेगा जिसके माध्यम से हर बड़े नगर निगम में पुरानी जो बसे हैं उनको रिप्लेस करके इलेक्ट्रिक बसों के माध्यम से संचालन किया जायेगा इसमें मुख्यमंत्री जी ने कहा है कि जो भी यहां पर टेन्डर लगायेगा अगर वह हमारे प्रदेश में इसका उत्पादन करेंगे उनको हम अतिरिक्त लाभ देंगे. साथ में माननीय आरिफ जी ने बी.आर.टी.एस. के बारे में उल्लेख किया था सेन्ट्रल रोड़ रिसर्च इंस्टीट्यूट दिल्ली सरकार की संस्था है जिसके माध्यम से दिल्ली में बी.आर.टी.एस. हटाया जायेगा. इसके लिए माननीय अध्यक्ष महोदय, वे लोग प्रथम दौरे पर आ चुके हैं, वे लगभग तीन महीने में पूरा सर्वे करेंगे और उसके बाद उनका अंतिम निर्णय देंगे. इसके साथ ही अमृत योजना के माध्यम से एक सूत्र सेवा योजना तैयार की गई थी, ये योजना तो प्राथमिक तौर पर शहर के लिए थी लेकिन सब्सिडी के माध्यम से अंतर जिलों में भी उनको जाने का प्लान किया गया था, जिसमें कुछ लोकल ऑपरेर्ट्स का विरोध था तो हम उसमें योजना बना रहे हैं और जो रूट्स वर्तमान में संचालित हैं, उनके अलावा कुछ और उनको रूट्स देंगे. इसके साथ में अब हम यह प्लान कर रहे हैं कि ऐसी बसें जो शेष रह गई हैं, लगभग एक हजार और आधुनिक बसें अभी बिक्री होनी है, जिनको हम अंतर्राज्यीय करेंगे, जैसे इंदौर से बहुत लोग शिर्डी जाते हैं दर्शन करने के लिए, चित्रकूट, रीवा से श्रद्धालु प्रयागराज जाते हैं. इसी प्रकार बैतूल, छिन्दवाड़ा के काफी लोग नागपुर जाते हैं तो इस प्रकार की बसेस की सेवा भी हम विभाग के द्वारा अगर माननीय गोविन्द जी हमको परमिट दे देंगे तो यह भी प्रारंभ कर सकते हैं. इसके साथ साथ मुख्यमंत्री महिला ई-रिक्शा योजना, यह सोच कमलनाथ जी की है एक एक महिला को जो पांचवी पास हो, दो लाख तक का अनुदान दिया जाएगा ई-रिक्शा चलवाने के लिए ये भी एक बहुत बड़ी ऐतिहासिक योजना है. आकाश जी ने युवा स्वाभिमान योजना के बारे में संकोच व्याप्त किया था, मैं उनको अवगत कराना चाहता हूं कि यह कोई नौकरी नहीं है, यह एक ट्रेनिंग है, अनुभव है इसलिए जो उनको पैसा दिया जा रहा है आप उसको तनख्वाह के रूप में न देखें, वह सिर्फ एक स्टायपेण्ड है, एक प्रोत्साहन राशि है. यह बात सही है कि उसमें दो विभाग शामिल है स्किल विभाग भी है और अर्बन विभाग भी है, तो उसमें कुछ समस्याएं आ रही हैं, लेकिन हमने शुरूआत की थी पायलट योजना के साथ में, और पायलट के बाद अभी भी हमारे पास लगभग 7-8 महीने बाकी है. इसमें कमलनाथ जी की सरकार ने इस बार 150 करोड़ रूपए रखे है. यह शायद पहली बार है जब देश के इतिहास में एक सरकार ने युवाओं के हित में ऐसी योजना जिसमें बनाई है, जिसमें सीधे राशि युवाओं को दी जा रही है. यशपाल सिंह जी ने कहा था कि कुछ योजना थी जैसे एनयूएलएम की जिसमें राशि कम की गई है, लेकिन अगर हम एनयूएलएम और युवा स्वाभिमान को जोड़े तो लगभग ये ढाई सौ करोड़ रूपए होता है, जो भाजपा सरकार से 150 करोड़ अधिक है. इसके साथ ही एक विधायक ने रसोई योजना के बारे में कहा कि वह योजना हमने बंद कर दी. अध्यक्ष महोदय वर्ष, 2017-28 के बजट में भाजपा सरकार ने 7 करोड़ रूपए दिए थे, लेकिन पता नहीं क्या हो गया, वर्ष 2018-19 में तीन हजार कर दिये तो यह हमने पहले कम नहीं की थी, आपकी सरकार ने कम कर दी थी और क्या प्लानिंग की थी कि फंड आयेगा सीएसआर से, जो कभी ठीक से आया नहीं, क्योंकि हमने इसका जायजा लिया यह कहीं भी ठीक प्रकार से संचालित नहीं थी, इसलिए हम इस पूरी योजना को नए सिरे से लाएंगे. आरिफ जी ने बात की थी फ्लायओवर के बारे में. माननीय अध्यक्ष जी, मैं आश्वासन देता हूं कि, इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर में और अन्य शहरों में भी हम नए फ्लायओवर्स की प्लानिंग कर रहे हैं और लोक निर्माण विभाग से भी हम बात कर रहे हैं, जहां जहां से भी हमको ऐसी मांग मिलेगी हम वहां पर जरूर नई योजना बनाएंगे. अवैध कालोनियों के बारे में यशपाल सिंह जी ने बताया था कि शिवराज सिंह जी के समय में योजना बनी थी, जो गलत है. यह योजना वर्ष 1998 में जब मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह जी थे, उस समय स्थापित की गई थी, इसमें जो माननीय उच्च न्यायालय के जो समस्याएं हैं, उनका हम अध्ययन कर रहे हैं और बहुत जल्द उसमें संशोधन लाएंगे और हर एक अवैध कालोनी को वैध करेंगे यह हमारा आश्वासन है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, स्ट्रे डॉग्स के बारे में भी एक विधायक जी ने उल्लेख किया था. हम सामुहिक रूप से एक पॉलिसी बना रहे हैं, जिसमें स्ट्रे डॉग्स, स्ट्रे पिग्ज और विशेषकर जो बेसहारा गौ-माताएं हैं उनके लिए हम प्लानिंग कर रहे हैं. हमने विशेषकर गौ-माता के लिए यह प्लानिंग की है कि सबसे पहले जो 11 ऐसे शहर हैं, जहां पर उत्कृष्ट रूप से संचालित है, वहां पर नगरीय निकाय गौ-शालाओं के साथ एमओयू स्थापित करेगी जिसके माध्यम से हम और बेहतर सेवा गौ-माता की कर पाएंगे. यह हमारा प्रयास रहेगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी एक मिनट है, लेकिन मैं आपको जानकारी देता हूं कि हमने आपके आदेशानुसार विधायक विश्राम गृह के लिए 25 करोड़ रूपए स्वीकृत कर लिए हैं, पांच मिनट मुझे और मिल जाए. अध्यक्ष महोदय, इंदौर शहर में, एक बहुत बड़ी समस्या होती है, कि जो शहर की मूलभूत सुविधाएं है, बर्थ सर्टिफिकेट, मैरिज सर्टिफिकेट, वाटर बिल ऐसे अन्य और भी सुविधाएं होती है, जिनके लिए जनता काफी परेशान होती है. हमने इन्दौर में हम इसका प्रयास कर रहे हैं, हम गारंटी दे रहे हैं कि 24 घंटे के अंदर आपको नगरीय निकाय ये सेवा देगा और अगर यह सफल होता है तो सभी शहरों में हम इसको लागू करेंगे. इसके साथ साथ कुछ लोगों ने इसके बारे में पढ़ा होगा कि अब हम यह प्रयास कर रहे हैं कि हर घर में गैस कनेक्शन दिया जाएगा, इसके लिए मध्यप्रदेश में 30 शहर शार्टलिस्ट किए गए हैं, गैस एजेन्सीज के साथ में हम चर्चा में है, इसमें गैस सीधे पाइपलाइन के माध्यम से हर घर में दी जाएगी, इसकी भी कार्यवाही काफी आगे पहुंच चुकी है. माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट जी मेरे पास ही बैठे हैं, इन्होंने एक बहुत अच्छा सुझाव दिया था कि पूरे प्रदेश में जहां भी शहर में अस्पताल है, पीएससी है, सीएससी है जहां समस्याएं आती हैं पानी की और सफाई हम इनके साथ बैठकर यह एग्रीमेंट करेंगे कि यह पूरा काम भी नगरीय प्रशासन करेगा ताकि यह गंदगी और पानी की समस्या कोई भी ऐसे अस्पताल में न हो. इसके साथ ही जो विधायकों ने आपत्ति की सबसे पहले यशपाल सिंह जी ने कहा नदी संरक्षण के लिए उन्होंने उल्लेख किया मांग संख्या 88, 72 का और मांग संख्या 90, 40 का आप मांग संख्या 18, 19 को देखिए उसमें भी जीरो था, 17, 18 में 90-90 लाख था, उसमें आप देखिए कितना था 17, 18 में 90-90 लाख था. टोटल 1.8 करोड़ और यह पूछ रहे हमने कितना दिया. विधायक जी मांग संख्या 73, 57 देखें .
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - मैं अनुदान की मांग देखूंगा.
अध्यक्ष महोदय - उनकी सुनो तो,
श्री जयवर्द्धन सिंह - आप मेरी बात सुन तो लो, आप मांग संख्या 73, 57 देखें. माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने नदी और तालाब संरक्षण के लिए 1-2 करोड़ रूपए नहीं 30 करोड़ रूपए दिए हैं यह कमलनाथ जी की सरकार है(...मेजों की थपथपाहट)
श्री रामेश्वर शर्मा - माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी आपने राशि दी बहुत अच्छा है पर आपको यह तो पता है कि आपके पास 358 शहर है, उसके अनुपात में अगर ये राशि नदी, नाले और इसकी सफाई करेंगे तो हमारा भोपाल का बड़ा तालाब ही ले जाएगा इतनी राशि.
श्री प्रवीण पाठक - आपसे तो ज्यादा राशि ही दी है. (..व्यवधान)
श्री रामेश्वर शर्मा - आप काम्पटीशन मत करो, आप कम्पटीशन करो अपने शहर को सुधारने के लिए, आपने अच्छा काम किया हमने धन्यवाद दिया, अब भोपाल का जो बड़ा तालाब है, जो राजधानी के नाते सबको पानी देता है, उसकी सफाई के लिए आप राशि दो. (..व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - प्लीज समाप्त करें.
श्री तरूण भनोत - माननीय अध्यक्ष महोदय, जब इनसे पूछते हैं आपने क्या किया तो बोलते हैं, हमसे मत पूछिए, अरे जब रिश्ता करते हैं तो दोनों की कुंडली मिलाते हैं.
श्री रामेश्वर शर्मा - अभी 2019 में 230 विधायक ने वित्तमंत्री के नाते आपसे रिश्ता किया है, आप जवाब दो.
वित्त मंत्री(श्री तरूण भनोत) - ऐसा नहीं चलेगा, अध्यक्ष महोदय आप बीच में हैं, करवाने वाले तो आप ही है, बराबरी का रिश्ता तो करवाओ कम से कम.
श्री जयवर्द्धन सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, इसके साथ में उन्होंने उल्लेख किया कि जो हादसा सूरत में हुआ था, उसके लिए हम एक नई फायर पॉलिसी भी तैयार कर रहे हैं, जो हम शायद एक महीने में शामिल करेंगे. आरिफ मसूद जी ने भी इसके बारे में उल्लेख किया था.
श्री शैलेन्द्र जैन - माननीय अध्यक्ष महोदय, फायर पॉलिसी के अलावा उसके जो मापदण्ड हैं, जो आपकी कोचिंग क्लासेस, कोचिंग इंस्टीट्यूट्स हैं, उनके मापदण्ड होना चाहिए.
श्री जयवर्द्धन सिंह - वह मेरे विभाग का नहीं है.
श्री रामेश्वर शर्मा - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी केवल जवाब दे रहे हैं, इनके पास फायर पॉलिसी के अतिरिक्त उस विभाग में कोई काम नहीं है. काम है तो शिक्षा विभाग में, इनसे तो परमीशन ही नहीं ली जाती है.
श्री आरिफ मसूद - माननीय अध्यक्ष महोदय, उसमें कल आप आसंदी से कमेटी बना चुके हैं.
श्री जयवर्द्धन सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, इसके साथ-साथ अन्य विधायकगण ने भी जो कुछ आपत्तियां जाहिर की थीं, जो मोहन जी ने कहा था, सिंहस्थ के बारे में इसलिए अभी 1,000 रुपये उसमें औपचारिक रूप से दिए हैं क्योंकि अभी सिंहस्थ के लिए 10 वर्ष बाकी हैं. लेकिन जो आपने कमेटी के बारे में बात की है, मैं इसके बारे में डिपार्टमेंट में चर्चा करूँगा, वैसे सुझाव अच्छा है तो इसके बारे में भी हम कुछ विचार करेंगे. लेकिन अभी सिंहस्थ के 4 या 5 केसेस ई.ओ.डब्ल्यू. में चल रहे हैं, उसकी भी जांच जारी है, उसके बारे में क्या होता है ? हम आपको शायद भविष्य में जानकारी देंगे. इसके साथ-साथ, अंत में मैं सदन को अवगत कराना चाहता हूँ कि 378 नगरीय निकाय हैं और लगभग 50,000 से 1 लाख के बीच में कर्मचारी हैं और आज भी बहुत सारे ऐसे पद हैं, जो रिक्त पड़े हैं. इसीलिए हमारे मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ जी ने एक नई संस्था स्थापित करने की प्लानिंग की है- अर्बन डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट. जिसमें पूरे देश के और विश्व के सबसे उत्कृष्ट जानकार लोग इस विषय में हैं, वे ट्रेनिंग देंगे और उसी प्रकार से नगरीय प्रशासन के लिए एक पूरा नया काडर हम तैयार करेंगे क्योंकि इस विभाग में चाहे इंजीनियर हों, चाहे एकाउन्टेंट हों, चाहे निरीक्षण हों, ऐसे बहुत सारे पद रहते हैं, सफाई कर्मचारी हों क्योंकि हमको उन्हें अच्छी ट्रेनिंग देनी है, नया मॉडल तैयार करना है इसीलिए यह संस्था भी सन् 2021 तक स्थापित की जायेगी, इसकी लागत 80 करोड़ रुपये होगी. इस वर्ष भी हमने इसके लिए राशि रखी है. लेकिन अंत में, मैं सदन को पूरा आाश्वासन देता हूँ कि विधायक कोई भी हो, आपकी जो भी मांग होगी, उसमें सुनवाई होगी. कुशवाह जी, आपके जो ग्वालियर के कुछ वार्ड हैं.
श्री भारत सिंह कुशवाह - अध्यक्ष महोदय, नवीन 6 वार्ड हैं, उनको पेयजल की समस्या है. आप यदि घोषणा करेंगे तो मेरे लिए खुशी की बात होगी.
श्री जयवर्द्धन सिंह - उसमें हम पूरी उसकी डीपीआर बनवाकर उसमें आगे कार्य चालू करवाएंगे. उसके साथ में, मुन्नालाल गोयल जी की भी एक मांग थी. अब सभी लोग हाथ ऊपर कर रहे हैं तो मैं एक-एक विधायक का नहीं कह सकता हूँ लेकिन आप जानते हो कि हमारा दरवाजा आप सबके लिए 24 घण्टे खुला है, जो भी मांग होगी, उसको हम पूरा करेंगे.
एक माननीय सदस्य - माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी केवल सदन के सामने की तरफ इशारा कर रहे हैं, इधर भी कर दें कि आप सबका ध्यान रखेंगे.
श्री दिलीप सिंह परिहार - नीमच में भी हैं.
श्री भारत सिंह कुशवाह - मंत्री जी, इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री जयवर्द्धन सिंह - अध्यक्ष महोदय, हमारा प्रदेश बहुत ही कुशल नेतृत्व के हाथों में है, कमलनाथ जी के हाथों में है. 'बदला है छिन्दवाड़ा, बदलेंगे मध्यप्रदेश'.
अध्यक्ष महोदय - जयवर्द्धन जी, बधाई.
5.10 बजे (3) मांग संख्या - 20 लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी
अध्यक्ष महोदय - उपस्थित सदस्यों के कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए.
अब मांग और कटौती प्रस्तावों पर एक साथ चर्चा होगी.
श्री रामपाल सिंह (सिलवानी) - माननीय अध्यक्ष महोदय, पीएचई विभाग की जो मांग रखी गई है, मैं उसका विरोध करता हूँ. माननीय मंत्री ने जो आज प्रस्ताव रखा है. जैसा वित्त मंत्री जी बता रहे हैं कि पुरानी यादें भी थोड़ी ताजा करनी पड़ेगी. जब हमको पीएचई विभाग का खजाना मिला था, माननीय दीपक सक्सेना जी आपके मंत्री थे, वे छिन्दवाड़ा के थे. हमको 356 करोड़ 17 लाख 96 हजार रुपये मात्र बजट मिला था. जब हमने आपको बजट दिया, माननीय शिवराज जी के नेतृत्व में पूरे प्रदेश में हमने पेयजल योजनाओं का, नगरीय पेयजल योजनाओं का काम किया, जल विकास निगम से. इसको आप जोड़ लो, 3,178 करोड़ 29 लाख 8 हजार रुपये का हमने आपको सौंपा था, इसमें आपने थोड़ी बढ़ोत्तरी की, इसको 4,000 करोड़ रुपये कर दिया.
लेकिन माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं पुरानी स्थिति बता रहा हूँ, जब मैं पीएचई मंत्री बना था तो नरसिंहपुर का नाम भी लेता था, जब मैं मंत्री बना तो कहने लगे कि नरसिंहपुर, रायसेन, होशंगाबाद में तो हैंडपम्प पूरे लग चुके हैं, लगेंगे ही नहीं. मैंने तुरन्त कहा कि सब जगह लगाए जाएंगे, जनप्रतिनिधि मौजूद थे और भोपाल की बरसों से मांग हो रही थी, महामहिम भूतपूर्व राष्ट्रपति श्री शर्मा जी, कई मुख्यमंत्री और सब लोग भोपाल में नर्मदा जल लाने की मांग कर रहे थे, हमारे रामेश्वर शर्मा जी कांवड़ यात्रा निकाल रहे थे, सारंग जी, उस समय पार्षद थे. नर्मदा जल के लिये कितना संघर्ष भोपाल में किया ? लेकिन बीजेपी की सरकार बनते ही हुए नर्मदा जल के लिए 240 करोड़ रुपये स्वीकृत किये और नर्मदा मैया भोपाल में लाने का काम किया है तो भारतीय जनता पार्टी ने किया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, नगरों में पानी, पेयजल व्यवस्था का बजट बढ़ाया. जब हमारे माननीय सदस्यों ने पूछा तो कहने लगे कि नर्मदा जी के किनारे जाकर सो जाओ. लेकिन वह बड़ा काम भी किया जब मैं पीएचई मंत्री के साथ, सामाजिक न्याय मंत्री भी था. देश के अन्दर कन्यादान योजना बनाने का सौभाग्य भी मुझे मिला है. लेकिन आज जो बजट पेश किया है हमारे सुखदेव भाई ने, आपने थोड़ा अध्ययन नहीं किया. आप नये मंत्री हैं, अच्छे साहसी हैं, छिन्दवाड़ा की जय होगी तो नरसिंहपुर का ध्यान भी होगा माननीय मंत्री जी बात कर रहे थे, उनको उल्लेख करना था छिन्दवाड़ा की चर्चा हो तो नरसिंहपुर की भी चर्चा हो कि माननीय अध्यक्ष जी कह रहे हैं. लेकिन आपने इसको पढ़ा नहीं है. आप इसको देखो, मैं आपको बता रहा हूं कि आपने बजट में त्रिस्तरीय पंचायत में जीरो बजट दिया है, हमने पहले बहुत बजट दिया था. आप त्रिस्तरीय पंचायतों में पैसा क्यों नहीं दे रहो हो ? आपने उसका बजट जीरों क्यों कर दिया है ? इसका जवाब आप दे दें. इसी तरह से आपको नगरीय निकायों में भी राशि देनी थी लेकिन इसमें भी आपने जीरो कर दिया है. स्थानीय संस्थाओं में जल प्रदाय के लिये भी आपने बजट कम किया है. सेनेटरी मार्ट इसमें भी आपने जीरो बजट कर दिया है, इसके साथ-साथ ग्रामीण शालाओं में जल की व्यवस्था आपने जीरो कर दी है. त्रिस्तरीय पंचायती राज में भी जीरो बजट दिया है. आपने आंगनबाड़ी केंद्रों में भी जीरो बजट कर दिया है, इनमें भी हैंड पंप की जरूरत पड़ती है, कम से कम इसमें तो आपको बजट रखना था. जब हमारी सरकार थी तो हमने इसमें बजट रखा था. इस तरह आपने कई जगह बजट में इन चीजों का ध्यान नहीं रखा है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, ग्रामीण नल-जल योजनाओं के लिये भी आपने बजट कम कर दिया है. इस तरह आपने बहुत सारी कमी की है, अगर इसका आप अध्ययन करेंगे और निश्चित रूप से हमें बतायेंगे तो अच्छा होगा. क्योंकि यह सदन के लिये और आपके लिये भी अच्छा है कि आप इस पर विचार करें कि इन पर आपने जीरो बजट क्यों कर दिया है?
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारी सरकार ने पूरे प्रदेश में मुख्यमंत्री नल जल योजना चलाई और पेयजल योजनाओं में प्रदेश सबसे आगे बड़ा, अच्छी योजनायें चल रही थीं, लेकिन जब से आपकी सरकार बनी तो हैंड पंप सुधरवाने में गरीबों में हाहाकार मच गया है. आपने जो आंकड़े दिये हैं, लगभग चार हजार हैंड पंप अभी भी बंद पड़े हैं. आप कह रहे हैं जल स्तर की वजह से पाईपों की कमी से बंद पड़े हैं, ऐसा आपने अपने प्रतिवेदन में दिया हुआ है, इसमें आखिर क्या किया जाये ? जब मैं पी.एच.ई मंत्री था, तब स्टाप डेम भी रखे हुये थे, आप उसका भी बजट जोडि़ये. आप छोटे तालाब, स्टाप डेम बनायें, जल संरक्ष्ाण बढ़ायें लेकिन वह भी इस बजट में नहीं है. इसलिये आप इन सब चीजों को ध्यान रखें और प्रदेश में जो आपने वादा किया उसको निभाये, मेहनत करें, यह मेरा आपसे आग्रह है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत सारी चीजें और भी हैं, जल निगम की बात है तो उसका भी बजट आपने कम करने की कोशिश की है. अभी हमारे क्षेत्र उदयपुरा में नल-जल योजना बनाई गई है, इसमें अभी पानी नहीं जा रहा है, आपने सड़के खोदकर रख दी है. 150 गांव में सी.सी रोड खुदे हुये हैं, उनको भी तुरंत ठीक करवायें.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मेरे क्षेत्र की भी बात रख देता हूं. मेरे क्षेत्र बेगमगंज सिलवानी में आप समूह जल प्रदाय योजना बनाने का कष्ट करें क्योंकि यह आग्रह करना जरूरी है, जिससे आप अच्छी मेहनत करें और अच्छे काम करें. भारत सरकार की तरफ से भी एक बहुत बड़ा निर्णय लिया गया है जो आपके लिये भी लाभकारी साबित होगा और पूरे प्रदेश और देश के लिये लाभकारी साबित होगा. हमारे देश के प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी ने जल शक्ति विभाग का गठन कर दिया है और यह तुरंत पूरे देश के अंदर पेय जल योजना होगी. सतही जल से योजना जायेगी और इस योजना का लाभ पूरे प्रदेश को मिलेगा. यही आपसे आज आग्रह करना था, बहुत सारी चर्चाएं हैं, जिन पर विस्तार से चर्चा करेंगे, इन्हीं शब्दों के साथ आपने बोलने के लिये समय दिया, उसके लिये आपको बहुत-बहुत धन्यवाद.
05.17 बजे
{उपाध्यक्ष महोदया (सुश्री हिना लिखीराम कावरे) पीठासीन हुईं.}
श्री बृजेन्द्र सिंह यादव(मुंगावली) -- अनुपस्थित.
श्री महेश परमार (तराना) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया,मैं हमारे युवा ऊर्जावान लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री के बजट का प्रस्ताव का समर्थन इन भावों के साथ करना चाहता हूँ--
हम हैं युवा शक्ति पुंज, नदियों का मार्ग बदल देंगे,
राह रोकी अगर पर्वत ने, तो उसको भी समतल कर देंगे,
नहीं यह थोथी गर्जना, हर वचन को सिद्ध कर देंगे,
जन-जन की कुंठाओं को, खुशियों में परिणित कर देंगे,
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं मांग संख्या 20 के संबंध में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी का समर्थन करता हूं और माननीय मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ जी के यशस्वी नेतृत्व में युवा ऊर्जावान जनता के परम हितैषी स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के मंत्री श्री सुखदेव पांसे जी ने जो बजट का प्रस्ताव रखा है, उसमें मध्यप्रदेश के प्रत्येक नागरिक के जलाधिकार का विशेष ध्यान रखा गया है. हमारी सरकार द्वारा सभी को पर्याप्त मात्रा में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कैसे हो, इस दिशा में गंभीरता पूर्वक माननीय मंत्री जी ने हर बिंदु और हर विषय पर विचार करके पूरे मध्यप्रदेश में पेयजल की व्यवस्था कैसे सुचारू रूप से हो और आमजन को पेयजल कैसे मिले, इसकी व्यवस्था की है, इसके लिये मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, विषय विशेषज्ञों के सुझाव के आधार पर जल का अधिकार अधिनियम तैयार किया गया है. जल के अधिकार की अवधारणा लागू करने की दिशा में कदम उठाने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य होगा, यह मध्यप्रदेश के लिये बड़ी महत्वपूर्ण उपलब्धि है और इसके लिये मैं माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देता हूं. जब पिछले वर्ष अल्पवर्षा हुई और पूरे मध्यप्रदेश में पेयजल की बड़ी गंभीर विकट समस्या थी, लेकिन माननीय मंत्री जी ने जिले वार जिले के अधिकारियों के साथ और अपने मध्यप्रदेश के अधिकारियों के साथ समीक्षा की और लगातार समीक्षा के माध्यम से किन-किन जिलों और तहसीलों में पेयजल की गंभीर समस्या थी, उन समस्याओं का निराकरण किया है, इसके लिये मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, ग्रामीण क्षेत्र में पेयजल की जो हमारी नल-जल की योजना जो चल रही है, वह सुचारू रूप से कैसे चले ? इस संबंध में पिछली सरकार ने ध्यान नहीं दिया था लेकिन माननीय मंत्री जी के द्वारा जनभागीदारी समिति को तैयार किया गया और पंचायत एवं ग्रामीण विकास के जो हमारे अधिकारी और त्रिस्तरीय पंचायती राज के चुने हुये जनप्रतिनिधियों के माध्यम से उनके साथ बैठकर विभाग द्वारा उनको जागरूक किया गया और निश्चित रूप से उस जागरूकता के माध्यम से हमारे ग्रामीण क्षेत्र में पेयजल की समस्या दूर होगी, इसके लिये मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, हमारी सरकार द्वारा कार्य हेतु प्रत्येक विकासखंड समन्वयक जिला स्तर पर सलाहकार एवं स्वयं सेवी संस्थाओं की सेवा ली जा रही है. घरेलू नल-जल का कनेक्शन लेने हेतु विकासखंड समन्वयकों द्वारा ग्रामीण जनों को प्रेरित किया जा रहा है. जब पिछली बार इनकी सरकार थी, तब मैं उज्जैन जिले में जिला पंचायत का अध्यक्ष था लेकिन पिछली सरकार के द्वारा इस विभाग में बड़ा भ्रष्टाचार किया जाता था, जब बारिश चालू होने वाली होती थी तो मई-जून में , 15 जून, 20 जून को हैंड पंपों का खनन किया जाता था. लेकिन मंत्री जी ने मार्च और अप्रैल में ग्रामीण समस्या को देखते हुये इस ओर ध्यान दिया और मार्च अप्रैल में जो ग्रामीण क्षेत्र में जो नलकूप खनन होना चाहिये, इसका आदेश दिया है, इसके लिये मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, सरकार बनने के बाद माननीय मंत्री जी के माध्यम से मेरी विधानसभा में दो गांव कागगुड़ गांव एवं चिरडी गांव में नल-जल योजना स्वीकृत की गई है, जिसकी लागत लगभग 138 लाख रूपये है, इसके लिये मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं. हम पहले देखते थे कि गांवों में कितने नलकूप खनन होते थे, उस पर कोई मानिटरिंग कमेटी नहीं होती थी, लेकिन माननीय मंत्री जी के माध्यम से जब उन्होंने इस विभाग की समीक्षा की तो लगातार उनका यह प्रयास रहा है कि ग्रामीण क्षेत्र में जो समस्या थी और जो हैंड पंप लगते थे, उस पर जनप्रतिनिधियों के माध्यम से उनको इससे जोड़ा गया है, इस प्रकार से निश्चित रूप से इस ओर भी ध्यान दिया गया है और इसके लिये मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने मुख्यमंत्री जी के निर्देशन में आज पूरे मध्यप्रदेश में इस प्रकार से ग्रामीण पेयजल पर ध्यान दिया है. माननीय मंत्री जी ने सफलतापूर्वक जो पेयजल के लिये कार्य हो सकते हैं, जैसे नल-जल योजनायें आज पूरे मध्यप्रदेश के एक-एक गांव और एक-एक विधानसभा क्षेत्र के स्तर तक पहुंचाने का काम करने का प्रयास कर रहे हैं और लगभग-लगभग पूरे मध्यप्रदेश में आपके विभाग द्वारा नई कार्ययोजना तैयार की जा रही है, जो हमारे विधानसभा क्षेत्र के ग्रामीण क्षेत्रों में और हमारे उज्जैन जिले में देखा जा रहा है. इसके लिये मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं. आपने मुझे बोलने के लिये समय दिया है, इसके लिये आपको भी बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहता हूं.
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, विभागों पर जो चर्चा हो रही है, उसमें मेरे दल के कई सदस्य जो पूर्व में इन विभागों के मंत्री रहे हैं और भी अन्य प्रकार की विषय की विशेषज्ञता उन्हें प्राप्त है, उन सभी का यह कहना है कि वह विभिन्न विभागों के विषय पर भी अपने विचार रखना चाहते हैं. इसलिये सदस्य संख्या जो वक्ताओं की हमारे तरफ से है, उसे तीन से बढ़ाकर पांच कर दी जाये तो कम से कम अच्छा होगा और इससे सभी सदस्य संतुष्ट रहेंगे. अन्यथा सदस्यों के मन में असंतोष बना रहेगा.
श्री विश्वास सारंग -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, यह बहुत जरूरी है क्योंकि हमारी तरफ से 108 सदस्य संख्या है और सभी विधायक अपने क्षेत्र की समस्याओं को भी यहां पर उठाना चाहते हैं और साल भर में बजट सत्र ही ऐसा होता है जब सभी सदस्य अपनी बात यहां पर व्यवस्थित रूप से रख सकते हैं, इसलिये मेरा निवेदन है.
श्री प्रियव्रत सिंह -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, जब यह तय हो गया है तो रोज बार-बार अपना स्टैंड बदलने की क्या जरूरत है ? कल इसी बात पर नेता प्रतिपक्ष राजी थे और आज आप स्टैंड बदल रहे हैं. आपके सामने तय हुआ था और तब अध्यक्ष जी आसंदी में थे, यह व्यवस्था दी गई थी और सभी लोगों के बीच में तय हुआ था, उसके बाद नेता प्रतिपक्ष अपना स्टैंड बदल रहे हैं. ...(व्यवधान)....
श्री विश्वास सारंग -- आपको पता है क्या बात हुई थी ? ...(व्यवधान)....
कुंवर विजय शाह -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया,पांच-पांच सदस्यों की बात हुई थी...(व्यवधान).... माननीय उपाध्यक्ष महोदया, आप पांच सदस्य इस पक्ष से लें और तीन सदस्य उस पक्ष से लें. ...(व्यवधान)....
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)-- उपाध्यक्ष महोदया, हालांकि जो अंदर बात होती है उसके बारे में हम हाउस में चर्चा नहीं करते, सामान्यत: परंपरा है, लेकिन एक साधारण सी बात है उस तरफ आपके 28, 30 मंत्रीगण हैं, चूंकि वह शासन की तरफ से वक्तव्य भर दे सकते हैं और जवाब दे सकते हैं, लेकिन हमारी तरफ से तो सभी विधायक हैं इस कारण से सदस्यों के बोलने की इच्छा होती हैं और क्षेत्र की समस्यायें होती हैं, थोड़ा सा नियम शिथिल कर दें, हम लोगों के लिये पर्याप्त अवसर मिल जाये और सामने से अच्छा जवाब आ जाये.
श्री प्रियव्रत सिंह-- उपाध्यक्ष महोदया, यह बात यहां हुई थी, अध्यक्ष जी ने व्यवस्था दी थी, नेता प्रतिपक्ष जी सदन में मौजूद थे.
उपाध्यक्ष महोदया-- अभी जो विभाग चल रहा है इस पर आपकी तरफ से 4 नाम हैं और इस तरफ से भी 4 नाम हैं, अगली बार से आप अध्यक्ष जी से बात कर लें, हो जायेगा.
श्री बहादुर सिंह चौहान (महिदपुर)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं मांग संख्या का विरोध करते हुये कटौती प्रस्ताव के समर्थन में अपनी बात रखूंगा.
श्री गोपाल भार्गव-- उपाध्यक्ष महोदया, वैसे भी मंत्रीगणों के लिये बोलने के ज्यादा अवसर मिल जाते हैं. सामान्य सदस्यों से तो वह दो और तीन गुना अपने विभाग का जवाब देते समय बोल ही लेते हैं. तुलनात्मक रूप से यदि हमारे लिये समय का आवंटन है उसकी हम तुलना करें तो उनका भी ज्यादा हो ही जाता है. मैं मानकर चलता हूं कि यहां से 5 वहां से 3 लोग हो जाते.
उपाध्यक्ष महोदया-- अभी तो कर लें, आगे देख लेंगे.
श्री बहादुर सिंह चौहान-- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मेरा 5.26 से समय चालू हो रहा है. आप समय काटेंगी.
उपाध्यक्ष महोदया-- अच्छा बहादुर सिंह जी आप मुझे घड़ी दिखा रहे हैं...(हंसी)..
श्री बहादुर सिंह चौहान-- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, यह मध्यप्रदेश सरकार का जो विभाग है पीएचई बहुत ही महत्वपूर्ण विभाग है और ग्रामीण क्षेत्र में पानी देने के लिये यही विभाग होता है और नलकूप खनन करके पानी दिया जाता है या जल निगम के द्वारा पानी दिया जाता है, इसकी दो शाखायें हैं. माननीय उपाध्यक्ष महोदया, यह वास्तविक प्रशासनिक प्रतिवेदन में क्रमांक 19 की कंडिका 3.1.10 में यह दिया गया है कि विभाग के पास कुल 42 मशीनें हैं. उसमें से 76 मशीनें ऐसी हैं जो 6 इंच बोर करती हैं और चार मशीनें जो कॉम्बीनेशन है वह काम करती हैं और इनके पास 3 रोटरी मशीन हैं और इन मशीनों की कुल क्षमता पूरे 12 पूरे महीनों में 9500 हैण्डपम्प का खनन कर सकते हैं, इसमें आपने दिया है. वर्ष 2018-19 में 7557 विभाग की ओर से बोर खनन किये गये. मैं विभाग को महत्वपूर्ण सुझाव देना चाहता हूं, यह डीडीएचएस मशीनों द्वारा जो 6 इंच बोर किये गये हैं और काम्बीनेशन मशीनों द्वारा जो 8.6 के बोर किये गये हैं, 100 बोर का परीक्षण उनका कर लें और 100 बोर का परीक्षण इनका कर लें. मैं इस सदन के अंदर कह रहा हूं कि कॉम्बीनेशन 95 प्रतिशत बोर चालू मिलेंगे और डीडीएचएस बोर 50 प्रतिशत आपको बंद मिलेंगे. ऐसा परीक्षण विभाग कर ले और इसकी रिपोर्ट आ जाये डीडीएचएस बोर बंद करके आप सीधे-सीधे कॉम्बीनेशन बोर कर लें, मैं आपके माध्यम से यह रखना चाहता हूं. मैं आपसे दूसरा निवेदन करना चाहता हूं कि आपकी जो यह मशीनें हैं वह बाबाआदम के जमाने की हैं, बहुत ही पुरानी मशीनें हो गई हैं. अब जापान कंपनी की लेटेस्ट टेक्नालॉजी की मशीनें आ गई हैं, मैं चाहता हूं कि आपने, आपके विभाग द्वारा जो 60 मशीनों में से 43 मशीनों का ऑक्शन कर दिया है जिससे 1 करोड़ 43 लाख रूपये आपको प्राप्त हुए हैं और आपको 16 मशीनों का ऑक्शन और करना है जिससे संभावित 23.11 करोड़ की आपको आय होने वाली है. मेरा आपसे आग्रह है कि जो लेटेस्ट टेक्नालॉजी की मशीनें आ रही हैं और इसके लिये आप तमिलनाडु की ईरोड है, पहले एशिया महाद्वीप में भीलबाड़ा हुआ करता था. आप कांटेक्ट करें और एक घंटे के अंदर 100 से 120 फीट के अंदर वह ड्रिलिंग करती है, मेरा आपसे यह सुझाव है. पहली बार मध्यप्रदेश की सरकार शिवराज जी की सरकार ने बहुत ही महत्वपूर्ण काम गांव के लोगों को पानी पिलाने के लिये किया है, उनने नाम दिया है, मध्यप्रदेश जल निगम, इसका गठन हुआ है 6 जून 2012 को, उसके बाद इसका नाम बदलकर 9 जुलाई 2012 को इसका नाम मध्यप्रदेश जल निगम मर्यादित कर दिया है. कंपनी एक्ट 1956 के तहत आपकी अंशपूंजी 1 करोड़ रूपये दी गई है. जल निगम के द्वारा, मैं विभाग को सुझाव दे रहा हूं कि अब यह बोर वाला समय चला गया है. मेरे विधान सभा उज्जैन जिले में जल निगम द्वारा 27 गांव की योजना बनाई गई और उज्जैन जिले में सिर्फ एक योजना है, लगभग 23 करोड़ की योजना है. 27 गांव में सुबह-सुबह बटन दबाता है आदमी, 27 गांव में एक साथ नल मिलता है. अरण्या डेम जल संसाधन विभाग का बहुत बड़ा डेम है उससे हमने बड़ा पानी को लिफ्ट किया और उससे 27 गांवों में पाइप द्वारा टंकियां बनाकर पानी दिया. आज उस योजना को चलाने का दायित्व भी ठेकेदार का है. 10 साल तक ठेकेदार ने ही चलाया. मेरा सुझाव आपके माध्यम से है कि जहां-जहां डेम हैं, जहां नदियों में पानी पर्याप्त है, आपसे आग्रह है कि आप सिर्फ जल निगम के द्वारा यह योजना बनायें ताकि यह स्थाई हल हो सके. अब यह योजना बनी है इसमें कुछ भी नहीं बिगड़ना, अधिकतम इसमें खराबी होगी तो मोटर खराब होगी, मोटर बदल दी जायेगी, पाइप कभी खराब नहीं होना, टंकी बनी हुई है तो लंबे समय तक इस योजना के तहत पानी और यदि यह काम किसी ने किया है तो हमारे भारतीय जनता पार्टी की पूर्व सरकार और माननीय मुख्यमंत्री द्वारा. इसमें एक विशेष उपलब्धि करके लिखा है, विशेष उपलब्धि में क्या किया है, मैं इसमें सरकार को और मंत्री जी को आगाह करना चाहता हूं, आप पढि़ये पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा आपको 2776 बोर खनन करने के लिये प्रशासकीय स्वीकृति और उसमें लगने वाला धन पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग द्वारा पीएचई विभाग को दिया गया है. अब इनकी विशेष उपलब्धि देखिये माननीय उपाध्यक्ष महोदया, सरकार की स्थिति क्या है, देख लीजिये आप. मैं वर्ष 2018-19 की बात बता रहा हूं सरकार बनने के बाद इन 2776 में से, यह कहां के बोर थे, प्राथमिक विद्यालय, माध्यमिक विद्यालय में ये बोर लगना था, लेकिन अभी तक यह 1699 बोरों का ही खनन कर पाये. आज तक 1077 बोर खनन करना बाकी है जिसकी प्रशासकीय स्वीकृति भी है, जिसको पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा आपको धन भी आवंटित कर दिया गया है, लेकिन वह अभी तक आपके द्वारा यह खनन नहीं कर पाया, यह इस विभाग की बहुत ही निष्क्रीयता है. मैं एक बात और बता दूं कि हमारे मुख्यमंत्री जी को घोषणावीर मुख्यमंत्री कहा जाता है, 21 हजार घोषणायें कीं, मैं आपका वार्षिक प्रतिवेदन आपके सामने बता रहा हूं.
एक माननीय सदस्य-- 22 हजार हैं.
श्री बहादुर सिंह चौहान-- 22 हजार कर लो आप, मेरे पास गिनती नहीं है. अब आपका प्रश्न क्रमांक-9, आप कंडिका क्रमांक 3.1.9 देख लीजिये आप, 31 मार्च 2019 तक माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी ने 262 घोषणायें इस विभाग में की थीं, उसमें से 183 योजनायें पूर्ण हो चुकी हैं उससे प्रदेश की जनता पानी पी रही है. इसके बाद जो 59 योजनायें हैं वह प्रगतिशील हैं और 50 योजनाओं पर कार्य प्रारंभ हो रहा है, जो घोषणायें माननीय मुख्यमंत्री जी ने की हैं वह पूर्ण होने जा रही हैं. मैं आपके माध्यम से विभाग को बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं कि भूत-भावन महाकाल की नगरी उज्जैन में 12 वर्ष में सिंहस्थ महापर्व आता है और उसमें जो जल संसाधन विभाग द्वारा लाइनें डाली गई थीं और एटेटाइम फेल हो जाने के बाद सिंहस्थ में पानी पिलाने का काम किसी विभाग ने किया था तो पीएचई विभाग ने किया था, मैं उसके लिये धन्यवाद देना चाहता हूं कि एक रात में बोर लगाकर मोटर लगाकर साधु-महात्माओं के केम्पों में आपने पर्याप्त पानी दिया था. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं एक बार मैं पुन: आपके माध्यम से आग्रह करना चाह रहा हूं, मैं इसको रिमाइंड कर रहा हूं कि मैंने कहा उसका परीक्षण करवायें और उसके बाद मैं कह रहा हूं विभाग को 500 करोड़ रूपये की इसमें बचत होंगी, यह मैं आपको इस सदन के अंदर कह रहा हूं और मेरे इस सुझाव को आप निश्चित रूप से मानेंगे. अंत में मेरे क्षेत्र की बात रख रहा हूं और विभाग के माननीय मंत्री जी आप बैठे हैं मेरे साथ, वर्ष 2003 में विधायक रहे यहां पर, मेरा आग्रह है कि मैं सौभाग्यशाली हूं कि मोक्षदायिनी क्षिप्रा उज्जैन से सीधी महिदपुर बह रही है और 58 किलोमीटर मेरे क्षेत्र में बहती है, पानी की कमी नहीं है और हमारे जल संसाधन मंत्री जी को भी धन्यवाद देना चाहता हूं कि 182 करोड़ रूपये का डेम भी कालीसिंध नदी में बन रहा है तो मेरे पास पर्याप्त पानी है और उज्जैन जिले का सबसे बड़ा डेम अरण्या डेम, यदि कहीं है तो मेरी विधान सभा में है. मैं माननीय मंत्री जी जल निगम के द्वारा एक पत्र लिखकर दूंगा, मेरा निवेदन है कि उन योजनाओं को बनाने के लिये आप सर्वे करने का आदेश कर देंगे, धन जब आये तब उनको बना देना. माननीय उपाध्यक्ष महोदया, आपने बोलने का मौका दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री संजय यादव (बरगी) - माननीय उपाध्यक्ष महोदया जी, सबसे पहले मैं जिसकी नीयत साफ हो, नीति स्पष्ट हो, माननीय मुख्यमंत्री कमलनाथ जी को इस बात के लिये साधुवाद देता हूं कि पायली प्रोजेक्ट के तहत् जबलपुर, सिवनी जिले के लिये 700 करोड़ की योजना, जो पूर्व में बनी थी, स्पष्ट रूप से उस योजना में विसंगतियां थीं लेकिन माननीय मंत्री सुखदेव पांसे जी को जब मैंने बताया तो मैं उनको धन्यवाद और साधुवाद दूंगा कि जो योजना गलत तरीके से बन गयी थी, लेकिन चू्ंकि लोगों को नर्मदा जल पिलाना था, उन्होंने 13 तारीख को वर्क आर्डर करवाकर 16 फरवरी को जबलपुर में 700 करोड़ की योजना का भूमिपूजन किया. आदरणीय बहादुर भाई बोल रहे थे, कुछ योजनाएं ऐसी बनीं, जिसमें विसंगतियां थीं, ठीक कहा जैसे भेड़ाघाट नगर पंचायत के अंतर्गत, नर्मदा चूंकि मेरे विधान सभा क्षेत्र के किनारे है, वहां से पानी जा रहा है और तेंदूखेड़ा तथा अन्य नगर पंचायतों तक के लिये काम चल रहा है लेकिन कहते हैं ना भरे समुद्र में घोंघा प्यासा. हम लोग वहां पाईप की टकटकी लगाकर देखेंगे. पानी हमारे यहां नर्मदा से जा रहा और जिस पंचायत से पानी जा रहा था, कैसी विसंगतियां थीं उन योजनाओं में कि उस गांव को भी हम कवर कर सकते थे लेकिन उन्होंने आनन-फानन में क्योंकि बड़े लोगों को लाभ देना था. टेंडर बड़ा था. नीयत खराब थी. इनके मन में खोट था. इसलिये इन्होंने बगैर कार्य योजना के, किसी पंचायत से पाईप लाईन जा रही है, 7 नगर पंचायतों को, दमोह, तेंदूखेड़ा और सिहोरा तक लेकिन जितनी पंचायतों से गुजरेगा वह सिर्फ पाईप लाईन देखते रह जायेंगे. मैं आपसे निवेदन करूंगा कि लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग में जब से कमलनाथ जी की जो चिंता है, जल निगम के माध्यम से नर्मदा पहुंचाने का काम नर्मदा से लगे हुए क्षेत्रों में वे करने जा रहे हैं. मैं माननीय मंत्री सुखदेव पांसे जी को धन्यवाद दूंगा कि उन्होंने जल योजना के माध्यम से जल अधिकार अधिनियम शामिल कर 1 हजार करोड़ का प्रावधान रखा. लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के लिये 4366 करोड़ का प्रावधान रखा, जो पिछले वर्ष से 46 प्रतिशत अधिक है. हमारी सरकार के लिये पेयजल सर्वोच्च प्राथमिकता का विषय है. प्रत्येक नागरिक को पर्याप्त एवं पीने योग्य पानी उपलब्ध हो, यह सुनिश्चित करने के लिये जल का अधिकार अधिनियम बनाया जायेगा. इस तरह इस अधिनियम के द्वारा न केवल वर्तमान जनसंख्या को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराएंगे बल्कि आने वाली पीढ़ियों का भविष्य भी सुरक्षित कर सकेंगे. पाईपों द्वारा ग्रामीण जल प्रदाय योजना के लिये 600 करोड़ तथा ग्रामीण समूह जल प्रदाय योजना के लिये 994 करोड़ का प्रावधान रखा गया है. खनिज क्षेत्र में पेयजल व्यवस्था के लिये 535 करोड़ का प्रावधान रखा गया है. हैंडपंपों के अनुरक्षण के लिये 210 करोड़ का प्रावधान रखा गया है. मंत्री जी ने तत्परता से, जैसा मैंने पूर्व में बताया, हमारे जबलपुर और नरसिंहपुर के क्षेत्रों में, जालम सिंह जी भी बैठे हैं, जहां 600-600 फुट बोरों में पानी नहीं मिलता, जब मैंने मंत्री जी को बताया कि हमारे यहां पूरे गांवों में या मण्डला जिले में या डिण्डौरी जिले में या जबलपुर जिले के, नरसिंहपुर जिले के, ग्रामीण क्षेत्रों में पानी नहीं मिलता और वे नर्मदा किनारे और दूसरी नदियों के किनारे गांव हैं. तत्कालीन आदरणीय मंत्री जी ने, माननीय कमलनाथ जी के निर्देश पर उस योजना को बनाकर उसको अपने बजट में शामिल करने का काम किया है, इसके लिये मैं माननीय सुखदेव पांसे जी को धन्यवाद दूंगा. बहादुर भाई अभी शिवराज चालीसा पढ़ रहे थे. शिवराज चालीसा में 100 परसेंट असत्य कह रहे थे.
श्री बहादुर सिंह चौहान - आप कौन सा पढ़ रहे हो. आप छिन्दवाड़ा चालीसा और छिन्दवाड़ा का ही विकास करिये.
उपाध्यक्ष महोदय - बहादुर जी कृपया बैठ जाईये.
श्री संजय यादव - आपने खुद कहा आपको याद दिला दूं. हमारे शहपुरा नगर पंचायत में अगर पानी पहुंचा है तो पानी कमलनाथ जी जब शहरी विकास मंत्री थे उनकी वजह से. जिस योजना की आप बात कर रहे हैं, उस योजना का उन्होंने प्रावधान किया था. आपका इसका श्रेय घोषणावीर को दे रहे हैं. आपने खुद स्वीकार किया कि घोषणावीर की 22 हजार घोषणाएं बाकी हैं. मैं आदरणीय मंत्री जी को, मुख्यमंत्री जी को इस बात के लिये साधुवाद दूंगा कि उन्होंने मंत्री जी के माध्यम से मध्यप्रदेश में पानी पहुंचाने का काम किया है, बजट में प्रावधान किया है, उसके लिये बहुत-बहुत बधाई और साधुवाद देता हूं.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा(खातेगांव) - माननीय उपाध्यक्ष महोदया, पानी मनुष्य की सबसे प्रमुख आवश्यकता है. बगैर भोजन के आदमी एक महीने तक जीवित रह सकता है लेकिन बगैर पानी के सात दिन से ज्यादा जीवित नहीं रह सकता. इसीलिये ऋगवेद में भी कहा गया है " अप्सु अन्त: अमृतम् अप्सु भेषजम " ऋगवेद के अनुसार जल को अमृत तुल्य माना गया है और आज पूरी मानव जाति पेयजल के संकट से जूझ रही है. पेयजल की व्यवस्था हर सरकार की प्राथमिकता रहती है. इसलिये वर्तमान सरकार को भी और उनके मंत्री महोदय को भी अगर वह अच्छा काम करेंगे तो सबका साधुवाद उनको मिलेगा लेकिन यह नहीं सोचना चाहिये कि पिछली सरकार ने अच्छा काम किया, इतनी नलजल योजनाएं बनाईं. जल विकास निगम बनाया. इस कारण इस भीषण गर्मी में इस भीषण जल संकट के दौर में मध्यप्रदेश में वह हालात स्थापित नहीं हुए जिसकी कल्पना आपने की थी. गृह मंत्रालय को एजवाईजरी जारी करनी पड़ी कि पेयजल संकट के कारण कभी भी कानून-व्यवस्था की स्थिति खराब हो सकती है. यह मध्यप्रदेश का आईना है. यहां आज भी प्रति व्यक्ति पेयजल की उपलब्धता 55 लीटर प्रति व्यक्ति, जो डब्लू.एच.ओ. का मानक है उसके अनुसार नहीं मिल पा रही है. इसीलिये आप जल अधिकार का कानून इस मध्यप्रदेश के बजट में लाये हैं तो उसकी मंशा को आप स्पष्ट कीजिये कि किस तरह जल के अधिकार को लोगों तक पहुंचाने का काम करेंगे क्योंकि दूरस्थ ग्रामीण अंचलों में आज भी लोगों को स्वस्थ पेयजल उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. स्वस्थ पेयजल प्रमुख आवश्यकता है. कई जगह लोग नदियों, झीलों के गढ्ढों से, पानी भर-भरकर पी रहे हैं. ऐसे दृश्य मध्यप्रदेश में उपस्थित हो रहे हैं. इसलिये मैं आपसे आग्रह करना चाहता हूं कि एक दीर्घकालिक नीति आपको पी.एच.ई. के लिये बनानी पड़ेगी. इस गर्मी में चूंकि चुनाव का दौर चल रहा था. हमें पेयजल संकट का सामना भी करना पड़ा. विभाग के ठेकेदारों के पास न काम करने वाले लेबर हैं, न राईजिंग पाईप की पर्याप्त संख्या है. न आपके पास जो यंत्र नीचे हैंडपंप में लगते हैं उनकी व्यवस्था है, और तो और कई जगह ठेकेदार को फोन लगाने के बाद भी ठेकेदार सुनने के बाद अनसुनी करता है. विभाग के अधिकारियों से जब कहा जाता है तो कहा जाता है कि ठेकेदार पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं है. आप ठेकेदारी प्रथा को दुरुस्त कीजिये और डायल 100 और डायल 108 की तरह कोई एक टोल फ्री नंबर बनाईये कि मध्यप्रदेश में कहीं भी हैंडपंप खराब हो तो उसको जाकर सुधारा जा सके. सीधे उपभोक्ता, ग्रामीणजन सीधे अपने मोबाईल से उस हैंडपंप को सुधारने के लिये आपके पास शिकायत दर्ज करा सकें. ऐसा यदि होगा तो लोगों को भटकना नहीं पड़ेगा. वैसे भी लोक सेवा गारंटी में हैंडपंप सुधारने का समय नियत है, अगर समय-सीमा में नहीं सुधरता है तो संबंधित अधिकारियों पर कार्यवाही होती है लेकिन कितने अधिकारियों पर कार्यवाही हुई है, मुझे जानकारी नहीं है. आज भी शुद्ध पेयजल में और पेयजल व्यवस्थाओं में मध्यप्रदेश का स्थान पूरे भारत में 17 वें नंबर पर है. यह चिंता की बात है कि अभी भी हम पेयजल की उपलब्धता उतनी नहीं दे पा रहे हैं जितनी लोगों के जीवन यापन करने के लिये आवश्यक है. बहुत सारी बातें मेरे पूर्व वक्ताओं ने कही हैं. कितने सारे नलकूप आपके बंद पड़े हैं लेकिन एक बेसिक चीज आपको बताना चाहता हूं. जो कंपनी जिस प्रोडक्ट को बनाती है उसके रिपेयरिंग सेंटर को भी वही खोलती है. उसकी मेकेनिज्म की जानकारी भी उसको ही होती है. आप लोग नलजल योजनाएं तो बनाते हैं, तैयार करके ग्राम पंचायतों को देते हैं लेकिन उनको चलाने के लिये उनके पास ट्रेंड अमला नहीं होता है, उसके कारण वे नलजल योजनाएं दम तोड़ देती हैं. हमने पहले भी मांग की थी और आज भी आपसे मांग कर रहे हैं कि नलजल योजना बनने के बाद, आगामी 5 वर्षों तक उसका संधारण उसका मेंटेनेंस पी.एच.ई. को दिया जाये.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा - उपाध्यक्ष महोदय, इसीलिए कम से कम उस योजना के संचालन के लिए पीएचई के अमले को लगाइए. आंगनवाड़ी और शालाओं में पेयजल की स्थिति बहुत खराब है, छोटे छोटे बच्चे बाल्टियों में पानी भरकर लाते हैं जब लंच का टाइम होता है इसलिए इसको जरूर दिखवाइए कि प्राइमरी, हाईस्कूल, हायर सेकण्ड्री में कहां कहां पर पानी की व्यवस्था नहीं है. आंगनवाड़ियों में कहां पर पानी की व्यवस्था नहीं है. आपसे मैं यह भी कहना चाहता हूं कि कि आज की स्थिति में आप रेन वाटर हार्वेस्टिंग और भूजल पुनर्भरण के लिए निश्चित तौर पर प्रयास करिए. जल विकास निगम के माध्यम से सतही जल को इस्तेमाल करके लोगों तक पानी पहुंचाने की योजनाएं बनाई जा रही हैं लेकिन जब तक आप वर्षा के जल का इंतजाम नहीं करेंगे, तब तक उसके पुनर्भरण की योजनाएं भविष्य में आकार नहीं ले पाएंगी. इसलिए मेरी विधान सभा क्षेत्र के और बागली विधान सभा क्षेत्र के लगभग 300 गांवों की समूह नलजल योजना की डीपीआर तैयार है, उसको आप स्वीकृत कराएंगे तो आने वाले समय में लगभग 300 गांवों के लोगों पानी की पर्याप्त व्यवस्था मिल पाएगी. एक बात मैं आपसे और कहना चाहता हूं कि जहां पर फुल लैंथ समाप्त हो चुकी है पेयजल का स्तर नहीं मिल पा रहा है, जहां पर बहुत गहराई तक पानी चला गया है वहां आप हैंडपंप नहीं लगा पा रहे हैं हैंडपंप लगाने का अधिकार आप जिला अधिकारियों को आप सौंपिए क्योंकि उनको पता है कि कहां पर सूखा है, कहां पर स्थिति ज्यादा खराब है. जब हम उनसे हैंडपंप लगाने की बात करते हैं तो वह कहते हैं शासन से स्वीकृति आएगी तब हैंडपंप लगेगा. हैंडपंप आप 12 महीने लगवाइए. क्योंकि जिस प्रकार से हैंडपंप लगे हैं सिर्फ जिला अधिकारी को जानकारी में रहे और उसको स्वीकृत करने का अधिकार हो . 12 महीने आप हैंडपंप लगाएं ताकि एन मौके पर विभाग केऊपर भी प्रेशर नहीं रहे. पानी के ऊपर किसी ने दो लाइन लिखी है वह मैं आपको कहकर अपनी बात समाप्त करूंगा.
"न कम न बेहिसाब मांगा है
अपना हक जनाब मांगा है
क्यों लौटा दिया फकीर को
एक प्यासे ने आब मांगा है
दुनिया मतलब परस्त क्यों है
मैंने तो बस जवाब मांगा है."
आब - मतलब पानी, मेरा आपसे आग्रह यही है कि पानी की व्यवस्था अगर आप बहुत अच्छे से करेंगे तो आने वाले वर्ष में हमें उस तरह के दृश्य स्थापित मध्यप्रदेश में नहीं होंगे कि लोगों को पानी के लिए संघर्ष करना पड़े. मुझे विश्वास है श्री सुखदेव पांसे जी पर कि वे हम सब विपक्ष दल के विधायकों से भी समय समय पर संवाद स्थापित करके आने वाले ग्रीष्मकालीन समय में जल संकट स्थापित न हो इसके लिए प्रयास करेंगे. धन्यवाद. (मेजों की थपथपाहट)..
श्री सुनील उईके (जुन्नारदेव) - उपाध्यक्ष महोदय, आपसे संरक्षण चाहता हूं और पहली बार मुझे इस विधानसभा में बोलने का अवसर प्राप्त हुआ है. सबसे पहले तो लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की मांग संख्या 20 का मैं समर्थन करता हूं और मुख्यमंत्री माननीय श्री कमलनाथ जी और माननीय लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री श्री सुखदेव पांसे जी को बधाई और धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने 15 साल इसलिए नहीं कहूंगा कि जब 15 साल कहते हैं तो कहीं न कहीं टोका-टाकी चालू हो जाती है. मैं चाहता हूं कि कम समय में अपनी बात कहूं तो पूर्व के सालों में पीएचई के हालात पूरे प्रदेश के अंदर गड़बड़ थे. आज हमारे साथी कह रहे थे पानी को अमृत कहते हैं. यह बात सही है लेकिन उसके लिए पिछले कुछ सालों में क्या प्रयास आपने किया. यह आपको चिंता करने का विषय है. आप सब जानते हैं और हम सब जानते हैं हमारे विधानसभा में इस भीषण गर्मी में भी पानी का संकट कैसा था और मैं पुनः श्री सुखदेव पांसे जी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि इतना संकट होने के बाद भी उन्होंने किसी पंचायत या किसी शहर में पानी की कमी नहीं आने दी उसके लिए मैं धन्यवाद प्रेषित करता हूं. (मेजों की थपथपाहट)..
उपाध्यक्ष महोदया, मैं 2-3 बातें आपसे बड़ी महत्वपूर्ण बताना चाहता हूं श्री बहादुर सिंह जी ने बहुत अच्छी अच्छी बातें कहीं और सब लोग नयी योजना की बात तो करते हैं कि कैसे हम नयी योजना बनाएं और पानी की व्यवस्था बनाए. लेकिन जब तक हम पुराने स्रोतों को सजाकर नहीं रखेंगे, संभालकर नहीं रखेंगे तो आने वाली पीड़ी को हम पानी कैसे पिलाएंगे यह सोचने की बात है. किसी भी सदस्य ने यह बात नहीं कही कि पुराने हैंडपंपों को हमको कैसे सुरक्षित रखना है? पुराने कुंओं को कैसे हमें सुरक्षित रखना है? पुरानी नलजल योजना को हमें कैसे सुरक्षित रखना है? इस पर हम लोग चिंतन नहीं कर रहे हैं. मैं माननीय पीएचई मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं बधाई देना चाहता हूं माननीय श्री कमलनाथ जी को बधाई देना चाहता हूं कि उन्होंने पुरानी योजनाओं के बारे में भी सोचा और उसके लिए भी बजट में प्रावधान करने की योजना बनाई कि कैसे हमारे गांव के अंदर जो हैंडपंप हैं. जिन हैंडपंपों से हम पानी पीते हैं कैसे हमारी जो पुरानी नलजल योजनाएं हैं जो हमारे कुएं हैं जो हमारे तालाब हैं कैसे इनको सुरक्षित रखा जाय उसके लिए भी उन्होंने बजट में प्रावधान करने की योजना बनाई है कि कैसे हम हैंडपंपों को जिंदा रखेंगे. इन्होंने योजना बनाई राइट टू वाटर की बात बहुत सारी हुई मैं उस पर ज्यादा लम्बी चौड़ी बात करना नहीं चाहता, उसमें श्री कमलनाथ जी खुद मॉनिटरिंग कर रहे हैं और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री जी उसको देख रहे हैं राइट टू वाटर पर कभी वे सदन में आपसे चर्चा करेंगे. लेकिन योजना बनाना अलग बात है और उसको डिलीवर करना अलग बात है.
योजना बनाने के बाद, कानून बनाने के बाद श्री कमलनाथ जी ने संज्ञान लिया राइट टू वाटर के लिए जो काम करने का प्रयास किया दिनांक 24 जून, हमारे प्रदेश के लिए बड़े गौरव की बात है उस दिन रानी दुर्गावती बलिदान दिवस के अवसर पर मिंटो हॉल में मीटिंग करके यह बता दिया कि हम राइट टू वाटर के लिए कितने गंभीर हैं और प्रदेश की जनता को पानी पिलाना चाहते हैं उस दिन बैठक करके जो पानी के विशेषज्ञ थे, जो पानी के जानकार लोग थे चाहे वे पूर्व के रहे हों, चाहे वर्तमान के रहे हों, सबको समाहित करके एक योजना बनाई कि कैसे हम इसमें काम करेंगे और उसमें यह चीज निकलकर आई. मैं पीएचई मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि उनकी योजना नयी तो है कि नयी योजना और जो नये सुझाव आए हैं उसको तो हम शामिल करेंगे लेकिन सबसे पहले पीएचई मंत्री जी की इच्छा है और सोच है कि पुराने संसाधनों को हम जीवित कैसे रखें. उन्होंने हैंडपंप के 4 फीट तक गड्ढा करके और कैसे रेत और बोल्डर डालकर उन हैंडपंपों को रिचार्ज करने का काम करेंगे. इस योजना पर पीएचई मंत्री जी काम कर रहे हैं. कैसे कुओं के आजूबाजू में गड्ढा करके रेत और बोल्डर डालकर उसको रिचार्जिंग करने का काम करेंगे. ऐसी सोच वाले आदरणीय पीएचई मंत्री श्री सुखदेव पांसे जी को बधाई और धन्यवाद देना चाहता हूं कि जो बुजुर्गों ने, जो पूर्व के नेताओं ने, जो पूर्व की सरकारों ने जो हमें विरासत में जो चीज देकर गये हैं उसको वे संजोने का काम कर रहे हैं, उसके लिए मैं उन्हें बधाई देना चाहता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं आज आपको यह बताना चाहता हूं कि हमारी कमलनाथ जी की सरकार ने संजय गांधी पर्यावरण मिशन के तहत जो उनकी कल्पना थी पानी रोको, वृक्षारोपण करो, नशाबंदी की जो सोच है उस वचनपत्र को पूरी तरह पानी की सहजता कैसे उपलब्ध हो सके, पानी को कैसे रोका जाय, और कैसे हमारे प्रदेश की जनता को पानी पिलाया जाय और उनके उपयोग में आने वाली हर संसाधन को कैसे अच्छे से अच्छा किया जाय उसके लिए हमारी कार्य योजना बन रही है.
मैं श्री सुखदेव पांसे जी को पुनः धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने इस चलते गर्मी के सीजन उन्होंने जो 1434 नलजल जो योजनाएं थीं, जो बंद थी उन्हें पुनः चालू करने का काम किया है. मेरे छिंदवाड़ा जिले के क्षेत्र में मैं बताना चाहता हूं और यह बात बताना बहुत जरूरी है कि मेरे यहां एक बड़ा दुर्गम क्षेत्र है जहां पर पूरे देश और प्रदेश से लोग महादेव के मेले में सांगाखेड़ा में आते हैं जहां पर 7 पंचायत आती है, जहां कुकरपानी की बात करें, झापिया की बात करें, टेमरू की बात करें, बिजोरी की बात करें, बाबई की बात करें यह ऐसे गांव हैं मुझे बताने में बड़ा दुख होता है कि 15 साल पहले जो संसाधन थे उसी संसाधन से आज तक वहां के गांव के लोग दुषित पानी पीते थे, उन्हें शुद्ध पेयजल नहीं मिल पाता था. लेकिन मैं सुखदेव पांसे जी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि इस गर्मी के सीजन में उन्होंने वृहद स्तर पर अपनी मशीनें भेजकर 28 बोर वहां किये कि जहां के गांव के लोगों को 15 साल बाद नये संसाधन के साथ नये हैंडपंप और नये नलजल के साथ उनको पानी उपलब्ध हुआ, उसके लिए मैं श्री सुखदेव पांसे जी को धन्यवाद देना चाहता हूं. एक प्रावधान उन्होंने और किया है वह हमारे सदन के सदस्यों को पता होना चाहिए, अंतिम चीज बोलकर मैं अपनी बात को खत्म करूंगा कि उन्होंने एक बड़ा प्रावधान किया है जैसा कि बहादुर सिंह जी कह रहे थे और भी हमारे साथी कह रहे थे कि हमें छोटे छोटे हैंडपंप स्वीकृत कराने के लिए हमें प्रदेश और संभाग की ओर देखना पड़ता था. मैं उनकी दूरगामी सोच को प्रणाम करता हूं और धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने योजना बनाई और जैसे ही वह मंत्री बने 20 लाख के पावर उन्होंने जिला कलेक्टर को दिये कि जहां बोर कराना है, जहां मोटर लगाना है, जहां बड़े हैड की मोटर लगाना है, जहां छोटे हैड की मोटर लगाना है, वह लगाइए और अपने क्षेत्र के लोगों को पानी पिलाइए कि पानी की किल्लत किसी को न हो. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, बहुत बहुत धन्यवाद. जय हिन्द, जय भारत.
श्री कमल पटेल (हरदा) - उपाध्यक्ष महोदया, मैं मांग संख्या 20 का विरोध और कटौती प्रस्तावों के समर्थन में खड़ा हुआ हूं. बिन पानी सब सून, यह कहावत हम बचपन से सुनते आ रहे हैं और जो पानी मनुष्य के लिए सबसे आवश्यक है. लेकिन इस विभाग का नाम लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग रखा है. अभी हमारे भारत के प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी, जो एक नये भारत का निर्माण करना चाहते हैं .
पहले पांच वर्ष में हर गरीब व्यक्ति को चूला सहित गैस के सिलेण्डर दिये हैं 2022 तक पक्के मकान बनाने का विजन रखा है. उसी प्रकार से दूसरी पारी में पीने को पानी सबसे प्राथमिकता पर रखा है इसलिए भारत सरकार ने एक नया विभाग बनाया है, जल शक्ति विभाग, उसके लिए पर्याप्त बजट की व्यवस्था भी की है वह प्रदेशों में भी आयेगा, इसलिए मेरा सबसे पहला सुझाव है कि मध्यप्रदेश शासन भी इस पीएचई विभाग का नाम बदलकर मध्यप्रदेश जल शक्ति विभाग रखेगा तो अच्छा रहेगा, हमारे इस विभाग के जो मंत्री हैं वह मेरे मित्र हैं मैं उनके जिले का प्रभारी मंत्री भी रहा हूं उस समय यह विधायक थे, इनका नाम भी क्या है सुखदेव पांसे जी, जब प्यासे व्यक्ति को जब उसका गला सूख रहा हो और उस समय प्यास लगी हो और उसको पानी मिल जाय तो उसकी आत्मा प्रसन्न हो जाती है और शरीर सुखी हो जाता है तो इन्द्र देवता पानी की बरसात करते हैं दोनों ही सुखदेव जी के अंदर हैं. सुख भी है, और देव भी है, इसलिए प्रदेश की जनता को दुख नहीं देना है सुख देना है, सुखी रखना है, तो पीने के पानी की व्यवस्था हर गांव और हर घर के लिए करना है हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने एक नई योजना शुरू की है 2024 तक संपूर्ण भारत के हर प्रांत के, हर जिले के, हर पंचायत के, हर मजरे टोले को प्रधानमंत्री हर घर जल योजना के माध्यम से व्यवस्था करेंगे. उसमें हमारे प्रदेश को भी केन्द्र सरकार से राशि मिलेगी हम उसमें पूरा सहयोग करेंगे, हम सब मिलकर हर व्यक्ति को पर्याप्त शुद्ध पेयजल की व्यवस्था करा देंगे. यह हमारे देश का दुर्भाग्य है कि आजादी के 72 साल के बाद में भी आज पानी के लिए हमारी बहनें माताएं झगड़ती हैं. हमारे प्रदेश में इस बार गर्मी के मौसम में इतना हाहाकार मचा कि समाचार पत्र में आया कि पानी के लिए महिलाएं लंबी लंबी लाइनें लगा रही हैं, महिलाएं लड़ रही हैं कई जगह तो मर्डर हो गये हैं,307, 302 के मुकदमे कायम हुए हैं और हमारे साथी बता रहे हैं कि वहां पर आग तक लगा दी है. इसलिए लोग कहते हैं कि तीसरा विश्व युद्ध, भगवान न करे कि हो, लेकिन वह कभी होगा तो पानी के लिए ही होगा, हम बहुत सौभाग्यशाली हैं कि मध्यप्रदेश में मा नर्मदा जैसी अनेक नदियां बहती हैं, वह हमें पानी देती हैं और इस पानी से हम लोगों की प्यास बुझा सकते हैं, इसलिए हमारी नदियों को संरक्षित रखने का काम हम सबका है सरकार का विशेषकर है, अवैध खनन नहीं होने दें, यहां पर सब अधिकारी भी बैठे हैं और शासन प्रशासन भी है, कम से कम आज से हम संकल्प ले लें कि हम हमारी भावी पीढ़ी है उसको कम से कम पानी की उपलब्धता करा पायें, हमारे यहां पर छोटे छोटे नाले हैं. उन पर स्टाप डेम बना कर, दो प्रकार का काम हो सकता है एक तो स्टाप डेम बनाकर और रपटा बन जायेगा तो निकलने में दिक्कत नहीं होगी नही तो पता चला कि तार पकड़कर बारिश में निकलना होता है तो दोनों काम एक साथ हो जायेंगे.
उपाध्यक्ष महोदय आदरणीय सुखदेव पांसे जी ने बैतूल और छिंदवाड़ा जिले का बहुत ध्यान रखा है लेकिन बैतूल में हरदा भी आता है दोनों का संसदीय क्षेत्र एक ही है. आप वहां से सांसद का चुनाव लड़ चुके हैं और होशंगाबाद नर्मदापुरम संभाग अपना है, आपने बैतूल जिले के वरधा को तो याद रखा है लेकिन हरदा को भूल गये हैं. मेरे मित्र हरदा को भूलेंगे तो ठीक नहीं है. मां नर्मदा हैं पुनासा, इंदिरा सागर डेम है पर्याप्त पानी है, हमारा सौभाग्य है इसलिए नर्मदा से एक सामुदायिक हर घर नलजल योजना बनाई जाय खिरकिया, टिमरनी और हरदा ब्लाक के लिए और होशंगाबाद में सिवनी मालवा इटारसी और बैतूल , पूरे संभाग के लिए एक पायलेट प्रोजेक्ट बनाकर पूरे नर्मदा जी के जल से तवा के जल से और आपके जो डेम हैं उससे ताकि जिस प्रकार से शहरों में पाइप लाइन के माध्यम से पानी मिलता है उसी प्रकार गांव में भी इंसान रहते हैं और आप और हम सब गांव से आये हैं इसलिए गांव के लिए भी सामुदायिक नल जल योजना हो जाय और उसको सौर ऊर्जा से संचालित किया जाय क्योंकि आज जितनी नलजल योजनाएं फेल हैं वह या तो अधिक बिल आने के कारण पंचायत बिल नही भर पाती हैं या ट्रांसफार्मर खराब हो जाते हैं इसलिए सौर ऊर्जा से उसको संचालित किया जाय ताकि सबको पानी मिल जाय मुझे उम्मीद है कि आप हरदा टिमरनी खिरकिया सहित होशंगाबाद और बैतूल जिले के लिए संपूर्ण सामुदायिक हर घर नलजल योजना के माध्यम से करेंगे आप मेरे साथ चलेंगे मैं भी चलूंगा. हम जल शक्ति मंत्री जी से राशि लेकर आयेंगे और प्रदेश का विकास करेंगे बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री अर्जुन सिंह (बरघाट) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया बहुत बहुत धन्यवाद. पिछली 8 तारीख से इंतजार कर रहा था 8 से लेकर 11 तक मेरे प्रश्न लगे हैं लेकिन आज मुझे सदन में पहली बार बोलने का मौका मिल रहा है. मैं यहां पर सभी सम्मानित सदस्यों को और इस सदन को सादर प्रणाम करता हूं.
उपाध्यक्ष महोदया मैं धन्यवाद देना चाहता हूं माननीय मुख्यमंत्री जी को कि ऐसी परिस्थितियों में जो प्रदेश तंग हाल था उसमें बड़ा ही संतुलित बजट पेश किया है आज मैं पीएचई विभाग की मांगों के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं. उपाध्यक्ष महोदय बहुत सारी बातें हुई हैं बजट के संबंध में, योजनाओं और आंकड़ो के संबंध में लेकिन चूंकि पीएचई विभाग बहुत ही महत्वपूर्ण विभाग है, इसका सीधा संबंध पेयजल से है. जल की महत्ता हर किसी को मालूम है. हमारे पुराने एक कवि ने कहा है कि रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून, पानी गये न ऊबरे मोती मानस चून, तो आज के हालात में यह लाइन यथार्थ बताती हैं इसमें दो तरह के पानी की बात की गई है. आज हम लोग यहां पर जो देख रहे हैं उसकी चिंता हमें करना है. सावन का महिना चल रहा है और दो दिन पहले बादल गरजे थे, पूरा प्रदेश पूरा किसान टकटकी बांधे बादलों की तरफ देख रहे हैं. फसल सूख रही है एक एक बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं. मैं हमारे मुख्यमंत्री कमलनाथ जी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि इन परिस्थितियों में इन हालातों में जो राइट टू वाटर की घोषणा की है. यह एक बहुत बड़ा चैलेंज है इस दिशा में हमें काम करना होगा. हम आंकड़े इकट्ठे कर लें, हम पैसे इकट्ठे कर लें योजनाएं बना लें लेकिन अगर पानी की उपलब्धता नहीं होगी तो क्या करेंगे. आज लगातार जल स्तर नीचे जा रहा है किसके कारण, यह हमारी सबसे बड़ी समस्या है इसकी तरफ देखना होगा इसको गंभीरता से लेना होगा और सभी को चिंतन करना होगा. हमें फिर से जो अभी बात हुई है, जो चर्चा हुई है कि पुराने पद्धति कुएं तालाब नदी नाले की तरफ जाना होगा. आज हम बड़े संपन्न हैं. हमारा प्रदेश प्राकृतिक रूप से बहुत संपन्न है. नदियों का जाल है, अब हमें उन छोटी छोटी नदियों को चिन्हित करना होगा, उन छोटे छोटे बरसाती नालों को चिन्हित करना होगा और उन पर कम लागत के छोटे छोटे स्टाप डेम बनाकर हमें पानी रोकना होगा. एक हालत ऐसी आ जाती है, जैसी कि आज हम वर्तमान में जल के लिये परेशान हैं, पानी के लिये परेशान हैं और एक वक्त ऐसा आता है कि हम पानी से परेशान हो जाते हैं. जो चीजें हमें आराम से उपलब्ध हो जाती है, उसके बारे में हम चिंतित नहीं होते हैं. पानी के लिये आपको कोई मेहनत नहीं करनr पड़ती है. वह प्राकृतिक रुप से आता है...
उपाध्यक्ष महोदया -- आप कोई सुझाव हो तो दे दें.
श्री अर्जुन सिंह -- उपाध्यक्ष जी,सुझाव यही है कि आज हमको ये छोटे छोटे जो हमारे नदी नाले हैं, इनकी तरफ हमको ध्यान देना पड़ेगा और कम लागत में आपको स्टाप डेम बनाना पड़ेगा, तब हमारा जल स्तर सही रहेगा, तभी तो हम जल दे पायेंगे. तभी तो हम यह राजइट टु वाटर में काम कर पायेंगे. तो इस ओर मैं सभी माननीय सदस्यों को, चूंकि यहां पर मात्र 230 सदस्य ही नहीं बैठे हैं, यहां पर साढ़े 750 करोड़ जनता बैठी हुई है. आज हमारे ऊपर उन लोगों की आशाएं एवं विश्वास है, इस उम्मीद से उन लोगों ने हमें यहां भेजा है. यहां पर आरोप और प्रत्यारोप लगाने की बात नहीं है. मैं कबीर की उस बात से अपनी बात को समाप्त करता हूं कि बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय, जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय।इस बात से शुरुआत करें, तो कुछ अच्छा इस प्रदेश का होगा. उपाध्यक्ष महोदया, सभी को बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन (बालाघाट) -- उपाध्यक्ष जी, मैं माननीय सुखदेव पांसे, लोक स्वास्थ्य मंत्री जी को कुछ सुझाव देना चाहूंगा. एक तो जो इस समय जल का संकट है, इसकी बहुत ज्यादा चर्चा की आवश्यकता नहीं है, हम सब सदन के 230 सदस्य और पूरा प्रदेश इससे अवगत है. मैं आपको याद दिलाना चाहूंगा कि 2012 में, जब हमने कम्पनी एक्ट के अंतर्गत जल निगम का गठन किया. जल निगम का गठन करने के बाद सतही जल को रोक कर या उसको पम्पों से लेकर 19 समूह पेयजल योजनाओं को हमने राज्य में पूरा कर लिया. 5-10 परसेंट काम हो सकता है कि उनका अधूरा रहा हो. मैं बालाघाट जिले की बात करना चाहूंगा, देवसरा, लामटा, भटेरा, पीपलझरी, यह परसवाड़ा विधान सभा क्षेत्र की पेयजल योजनाएं हैं, जिनका 90 प्रतिशत काम हो गया, लेकिन 10 प्रतिशत काम इसलिये रुका है कि जिन कांट्रेक्टर्स ने काम लिया, वे अधूरे काम को छोड़कर चले गये.टेल एण्ड तक, गांव के अंतिम मकान तक वह पाइप लाइन नहीं पहुंचा सके. इसी तरह से प्रदेश की अन्य हमारी ग्रुप ड्रिंकिंग वाटर स्कीम्स हैं, मैं आपको एक बात और याद दिलाना चाहूंगा कि जहां-जहां हमने इस तरह की योजनाओं को बनाया है. आज आप उसका ध्यान रखें कि मई और जून के महीने में पानी की दिक्कतें न आयें. उसका एक विकल्प हो सकता है, जिस तरह से रेत की निकासी हुई है पूरे प्रदेश में, नदियों में रेत समाप्त है और ऐसी स्थिति में रेत जो अपने स्वभाव से पानी को रोकती है और उसके न रहने के कारण मई और जून के महीने में पूरी नदियां सूख जाती हैं तथा उनकी धारें बंद हो जाती हैं. इसलिये आवश्यक है कि ऐेसे स्थानों को चिह्नित करके वहां पर हमको एनीकट बनाने होंगे. कुछ ऐसे स्थान हमको मिल सकते हैं, जहां पर पथरीली चट्टानें हैं, तो उसमें लागत कम आयेगी और हम बैक वाटर से इन स्कीमों को चला सकेंगे. मैं आपको एक योजना की और याद दिलाना चाहूंगा, जो हमारे मुख्यमंत्री जी के क्षेत्र की है. मंधान डेम, मंधान डेम काफी मेहनत के बाद माननीय कमलनाथ जी और हम लोगों ने मिलकर के मैं यहां राजनीति की बात नहीं करना चाहूंगा, बड़ी मेहनत से उसका फारेस्ट क्लीयरेंस कराया. पिछले दिनों जब तक मैं उस विभाग में था, उसको बहुत हमने पूर्ण किया, जो कुछ रह गया था पिछले समय प्रभारी मंत्री के नाते हमने उसको प्राथमिकता पर पूरा किया. लेकिन आज भी वहां का जो हमारा परासिया है, चांदामेटा है ,बड़कुई है और उसका जो हमारा कोल वाला एरिया है, उनमें पानी की दिक्कत होती है और हर समय पानी को लेकर के तनाव की स्थिति बनती है. मैं चाहूंगा कि उसका जो बचा हुआ काम है, उसको आप प्राथमिकता पर लें. इसी तरह से पांढुरना के लिये जल संसाधन विभाग के साथ मिलकर के हमने एक स्कीम बनाई, इससे आप अवगत हैं. मुझे लगता है कि स्थान का चयन हो चुका है, लेकिन अभी भी काम चालू नहीं हुआ. है.जल संसाधन विभाग से बातचीत करके बाकी औपचारिकताएं पूरी करने की आवश्यकता है. आपने जो माचागोरा की योजना प्रस्तावित की है, इससे भी बहुत बड़ा इलाका हमारे छिन्दवाड़ा का लाभान्वित होगा. इसको आप प्राथमिकता पर लें, ऐसा मेरा आपसे आग्रह है. इसी के साथ साथ मैं कहना चाहूंगा कि जो हमारी 40 ग्रुप ड्रिंकिंग वाटर स्कीम्स हैं. वह हमारे जल निगम के अधीनस्थ निर्माणाधीन है, उनका आज 60 प्रतिशत, किसी का 75 प्रतिशत काम हो गया है लेकिन काम पूरा हो सकता है छोटे-मोटे काम बचे हैं. इनमें एक बात को देखने की आवश्यकता है जैसा कि मैंने पूर्व में कहा कि गर्मी में मुख्य रुप से समूह पेयजल योजना का लाभ हमें वास्तव में मिलता है. गर्मी में उसकी आवश्यकता अधिक है और इसलिए इसको प्रॉयोरिटी में लेने की आवश्यकता है जो हमारे 40 ग्रुप ड्रिंकिंग वॉटर स्कीम्स प्लॉन में है जिसके लिए 1500 करोड़ रुपए का बजट में प्रावधान होना चाहिए. सरकार की गारंटी पर ऋण लेकर इन योजनाओं को पूरा किया जा रहा है. यह मध्यप्रदेश पहला राज्य है जिसने हर घर तक समूह ड्रिंकिंग वॉटर स्कीम से नल पहुंचाया है और जो हमारा कार्पोरेशन है इसके माध्यम से हमने इस काम को किया है. मुझे लगता है कि भारत सरकार ने भी जल शक्ति मंत्रालय बनाकर जल संसाधन विभाग तथा पेयजल और स्वच्छता विभाग को ज्वांइट कर दिया है. दोनों विभाग को एक होने की आवश्यकता है. यहां हमारे दोनों अलग-अलग मंत्री के साथ बैठकर इसमें रुरल डेव्हपमेंट विभाग को भी जोड़कर के तीनों मंत्री यदि बैठेंगे तो मुझे लगता है कि राज्य के लिए काफी फायदा होगा.
6.11 बजे {अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) पीठासीन हुए.}
अध्यक्ष महोदय, इस दिशा में आपको कारगर कार्य करने की आवश्यकता है. मैं एक बात और आपसे कहना चाहता हॅूं कि जब से प्रधानमंत्री आवास योजना प्रारंभ हुई है इस योजना के तहत गांवों में भी लोग अब पक्के मकान बना रहे हैं तो जो रुफ वॉटर हार्वेस्टिंग होना चाहिए, इसको प्रधानमंत्री आवास योजना में राज्य की निधि से जोड़ा जा सकता है. बमुश्किल एक या दो हजार रुपए का खर्चा है. रुफ का पानी सीधे जमीन में जाएगा, गड्ढों में जाएगा और वह पानी रिचार्ज होकर उस इलाके का वॉटर बैलेंस रहेगा. आज राज्य में सबसे ज्यादा दिक्कतें हैं. ग्रामीण क्षेत्र में सीमेन्ट, क्रांकीट की रोड बनी. नाली भी सीमेन्ट, क्रांकीट की बन रही हैं. वह पानी सीधे नालियों में चला जाता है. नालियों से नदियों में चला जाता है. रिचार्जिंग नहीं हो रही है. रिचार्जिंग करने के लिए एक ही विकल्प बचा है कि रुफ वॉटर को हम हॉर्वेस्ट करें. इसी के साथ-साथ हमारे रुरल डेव्हलपमेंट विभाग ने, फॉरेस्ट विभाग ने अनेक विभागों ने चेक डेम, स्टॉप डेम का काम किया. आज भी काम चालू है लेकिन मैं मानता हॅूं कि इस स्कीम में बहुत गुंजाइश है. हमें पानी को रोकना चाहिए ताकि कुछ देर पानी वहां रहे. ऐसा लगता है कि स्टॉप डेम बना और वहां पानी नहीं है. पानी न रहे लेकिन पानी की रिर्चाजिंग होनी चाहिए. वॉटर लेवल मेनटेन रहेगा तब हम इस जल के संकट से स्थायी समाधान प्राप्त कर सकेंगे.
मैं एक बात और कहते हुए आपसे आग्रह करना चाहूंगा कि हमारे कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जिन क्षेत्रों में पहाड़ी इलाका है. वहां पानी नहीं पहुंच पाता है. जो मशीनें हैं वह दूसरे राज्यों से मंगानी पड़ती हैं. चैन वाली मशीनें बुलानी पड़ती हैं. मैंने धार जिले में एक बार देखा था. धार में हमने बडे़ पैमाने पर पानी पहुंचाया था तो जो मशीनें परचेस करें तो चैन वाली मशीनों को ही परचेस करें जिससे हम पहाड़ी क्षेत्रों में पानी पहुंचा सकें. हमारे वनांचल के क्षेत्रों में जल का संकट कभी न आए. इस तरह का अभी जो विषय आया छिंदवाड़ा और अन्य जगहों की भी बात हो सकती है उनको पानी की समस्या से स्थायी निदान कैसे मिले, इस दिशा में आप काम करेंगे. मुझे बहुत ज्यादा कहना नहीं है. मैं इतना जानता हॅूं कि यह विभाग सतत् निगरानी रखने वाला विभाग है. इस विभाग में मैंने पांच साल मंत्री के रुप में काम किया है. मैंने देखा है कि भिण्ड, ग्वालियर में लोग हैंडपंप को अपने कब्जे में कर लेते हैं. मुझे जब यह विभाग मिला तो मुझे लगा था कि माननीय मुख्यमंत्री जी ने मुझे कौन-सा विभाग दे दिया लेकिन जब मैं ग्वालियर संभाग गया तो मुझे पता चला कि बहुत महत्वपूर्ण विभाग है. वहां पर दो ही चीजें मांगी जाती हैं बंदूक का लाइसेंस और नल का कनेक्शन. मैं आपसे पृथक से बात करुंगा.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन जी, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री लक्ष्मण सिंह -- आपको कौन-सा महत्वपूर्ण लगा. नल का कनेक्शन या बंदूक का लाइसेंस.
श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन -- नल का कनेक्शन. सब लोग अपना हैंडपंप ठीक रखें. क्योंकि अपने को तो ध्यान रखना पडे़गा क्योंकि सारे जनप्रतिनिधि अपने-अपने गांव में अपने-अपने इलाके में इसका ध्यान रखेंगे.
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री (श्री सुखदेव पांसे) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे काबिल माननीय सदस्यों ने बहुत ही महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं. आज देश और प्रदेश की तात्कालिक महत्वपूर्ण समस्या कोई है तो वह पानी की है. उसमें हमारे विद्वान सदस्य, जो कि पूर्व मंत्री रहे आदरणीय श्री रामपाल सिंह जी, हमारे दूसरे विद्वान सदस्य, आदरणीय श्री कमल पटेल जी, हमारे महान आदरणीय पूर्व मंत्री श्री गौरीशंकर बिसेन जी, श्री महेश परमार जी, श्री बहादुर सिंह जी, श्री संजय यादव जी, श्री आशीष गोविंद शर्मा जी...
अध्यक्ष महोदय -- माननीय विधायक जी, जो लाल शर्ट पहने हैं, जिनका आसन अध्यक्षीय दीर्घा के पास है, कृपापूर्वक यहां से बैठकर अध्यक्षीय दीर्घा में फोटो न खीचिंए.
श्री सुखदेव पांसे -- अध्यक्ष महोदय, श्री सुनील उइके जी, श्री अर्जुन काकोड़िया जी, श्री नीलांशु चतुर्वेदी जी, डॉ. अशोक मर्सकोले जी और अन्य माननीय सदस्यों ने सुझाव भी दिए हैं. अध्यक्ष महोदय, इन्होंने बहुत ही महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं. मैं इन सुझावों को अंगीकृत करूंगा, आत्मसात करूंगा क्योंकि मैं राजनीति से ऊपर उठकर काम करना चाहता हूँ. पानी पर राजनीति नहीं करना चाहता. पानी जैसा पवित्र काम, पुण्य का काम मुझे हमारे माननीय यशस्वी मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ जी ने दिया है, मैं उनका ऋणी हूँ, आभारी हूँ.
अध्यक्ष महोदय, मेरा नाम सुखदेव है, मैं किसी को दु:ख देने वाला नहीं हूँ. पक्ष को भी नहीं, विपक्ष को भी नहीं. पूरी आम जनता के लिए इस विभाग में पूरी ईमानदारी से, अंतर्मन से, पूरे सेवाभाव से और राजनीति से ऊपर उठकर काम करने के लिए मुझे माननीय कमलनाथ जी ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं. यह विभाग मुझे विषम परिस्थितियो में मिला है. जबकि लगातार पिछले 2-3 सालों में वर्षा कम हुई. जल स्तर नीचे गिर गया है. जहां 200, 300 फीट पर बोर कराने पर पानी मिल जाता था, वहां इन 15 सालों में वाटर चार्जिंग पर, वाटर हार्वेस्टिंग पर कहीं कोई ध्यान नहीं देने के कारण आज 700, 800, 900 और 1000 फीट पर पानी मिल रहा है, ऐसी दुर्गति में यह विभाग मुझे मिला है.
अध्यक्ष महोदय, खजाना खाली मिला. करोड़ों-अरबों रुपये का कर्जा मिला. ऊपर से लोकसभा चुनाव की आचार-संहिता लग गई. आचार-संहिता के बावजूद मेरे नए-नए विधायक चुनकर आए, जनप्रतिनिधि चुनकर आए, उन्होंने मुझसे बोला कि हमें हैण्ड-पंप चाहिए, बोर चाहिए. जनता जर्नादन चढ़ाई कर रही है. मैंने ईएनसी को, ईई को निर्देशित किया, अधिकारियों को निर्देशित किया. मैंने आदेश दिया, लेकिन मंत्री के आदेश की अवहेलना हो रही थी. मेरे समझ में नहीं आ रहा था कि ये विभाग कौन सा विभाग है. विधायकों की उम्मीदों पर विधायक दल में खरा नहीं उतर पा रहा था. तब मैंने तहकीकात की, हकीकत को पहचाना कि विभाग के पास टारगेट ही नहीं है. विभाग के पास बजट ही नहीं है. सारी बोरिंग मशीनें रूकी हुई थीं. जो प्राइवेट टेण्डर हो गए थे, वे भी काम करने के लिए तैयार नहीं थे. उनके पेट्रोल का बिल, डीजल का बिल और महीनों से तनख्वाह का पेमेंट नहीं हुआ था. मैं माननीय कमलनाथ जी के पास गया. मैंने बोला कि हा-हाकार मचा हुआ है, चाहे वे पक्ष के हों, विपक्ष के हों, लेकिन पानी पिलाने का पुण्य काम अपना है. हमारे यशस्वी मुख्यमंत्री आदरणीय कमलनाथ जी ने फरवरी-मार्च के महीने में हमें 258 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि इस विभाग को दी.(मेजों की थपथपाहट) तब कहीं हम अपने जनप्रतिनिधियों की उम्मीदों पर खरा उतरने में कामयाब हुए.
अध्यक्ष महोदय, यह एक चुनौतीपूर्ण विभाग है. अभी आदरणीय रामपाल सिंह जी बोल रहे थे. नदी के बहाव के अनुरूप तो कोई भी तैर लेता है, लेकिन नदी की बहाव के विपरीत तैरना आसान काम नहीं है. यह एक चुनौतीपूर्ण जिम्मेदारी माननीय कमलनाथ जी ने मुझे दी है, लेकिन हमारी रक्षा के लिए ऊपर भोलेनाथ है तो हमारी सफलता के लिए अब यशस्वी मुख्यमंत्री कमलनाथ हैं. किसी भी चुनौती को हम स्वीकार करेंगे और इन पांच सालों में आप लोगों को दिखाई देगा कि पानी के क्षेत्र में कैसे काम किया जाता है. कैसे साहस के साथ, कैसी जिम्मेदारी के साथ, कैसा आधारभूत काम किया जाता है. यह काम पिछले 6 महीनों में कैसे हुआ है, मैं आपको अभी बताऊंगा. यह विभाग बूढ़ा हो चुका था. उसको हमने मूर्त रूप दिया और आज तेज रफ्तार से हमारा विभाग पानी के लिए काम करने जा रहा है.
अध्यक्ष महोदय, जल हमारी पृथ्वी की प्रगति का सबसे मूल्यवान संसाधन है. जीवन का आधार जल ही है. जल के बिना जगत की कल्पना भी नहीं की जा सकती है. भूमि, गगन, वायु, अग्नि और पानी, ये ऐसे पंचतत्व हैं, जिनके बिना जीवन की कल्पना व्यर्थ है. हमारी संस्कृति में इन सभी को किसी न किसी स्वरूप में पूजा जाता है. भारतीय संस्कृति में घर आने वाले हर आगंतुक का स्वागत पुरातन काल से जल परोस कर किया जाता है. पूजन में आंचमन से लेकर तर्पण तक पानी का ही महत्व है, जिसे आप सब लोग भली-भांति जानते हैं. संभवत: जल के महत्व को न समझ पाने के कारण ही देश और प्रदेश जल के गंभीर संकट से गुजर रहा है. चेन्नई जैसे शहर में, आपने अभी तत्कालीन देखा है कि ट्रेन के माध्यम से पानी लाया जा रहा है और राशनिंग के माध्यम से पानी बांटा जा रहा है. ऐसी स्थिति हमारे सामने दिखाई दे रही है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इस आसन्न संकट के समय माननीय यशस्वी मुख्यमंत्री आदरणीय कमलनाथ जी ने हिंदुस्तान की सरजमीं पर अगर सबसे पहले किसी ने इस बात की चिंता की है और भविष्य में आने वाली समस्या, आने वाली दिक्कत को पहचानने वाला कोई अनुभवी व्यक्ति मिला है, तो वह प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ जी हैं. उन्होंने इस दुखती नस को पहचाना है और हिंदुस्तान में सबसे पहले पानी का अधिकार अपनी जनता-जनार्दन को देने वाला अगर कोई राज्य बनेगा तो वह मध्यप्रदेश बनेगा, जहां पानी का अधिकार, राइट टू वाटर दिया जा रहा है. आज तक हिंदुस्तान में देश और प्रदेश की जनता को बड़े-बड़े अधिकार हमारे पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह ने दिए. रोजगार गारंटी का अधिकार दिया, सूचना का अधिकार दिया. शिक्षा का अधिकार दिया, खाद्य सुरक्षा का अधिकार दिया. ये पांचवां अधिकार भी प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री आदरणीय कमलनाथ इस प्रदेश की जनता को दे रहे हैं. यह जीवन में एक अविस्मरणीय छाप है और इतिहास के स्वर्णिम पन्नों में लिखा जाएगा. पानी का निदान करने में यह अधिकार हमारे लिए सफल साबित होगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि माननीय सदस्यों ने बोला कि पिछले वर्षों में, आपको बताना चाहूँगा कि वर्ष 2018-19 में विभाग को कुल 2744 करोड़ रुपये की राशि प्राप्त हुई थी. इसमें केन्द्र सरकार द्वारा प्रावधानित रुपये 274 करोड़ रुपये के विरुद्ध मात्र 243 करोड़ 62 लाख रुपये ही उपलब्ध कराए गए थे. इस वर्ष हमने 4040 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान पेयजल व्यवस्था के लिए रखा है जो विगत वर्ष की तुलना में 47 प्रतिशत अधिक है, यह माननीय मुख्यमंत्री जी का इस विभाग को वरदान है कि पानी को नंबर वन प्रायोरिटी दी है.
अध्यक्ष महोदय, मैं पानी के लिए कृत-संकल्पित हूँ. माननीय मुख्यमंत्री जी के निर्देशों में हम पानी के लिए इन पांच सालों में इस प्रदेश की जनता को पेयजल उपलब्ध करने के लिए संकल्पित हैं.
श्री नागेन्द्र सिंह (नागौद) -- मंत्री जी, यह राइट टू वाटर, ये है क्या चीज, यह तो समझा दें जरा.
श्री सुखदेव पांसे -- मैं उस पर भी आऊंगा. पूरा समझाऊंगा.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- जैसा वचन-पत्र है, वैसा राइट टू वाटर है.
अध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी, अब जो ये पूछ रहे हैं, सिर्फ उस पर बोल कर समापन किया जाए.
वित्त मंत्री (श्री तरुण भनोत) - अध्यक्ष महोदय, वचन पत्र कैसा है, सिसौदिया जी जैसा बोल रहे थे, तो जैसा वचन पत्र है, वैसे ही राईट टू वॉटर है. वचन पत्र के कारण आप कहां बैठे हैं ?
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - अध्यक्ष महोदय, आप मोदी जी को धन्यवाद नहीं देंगे क्या ? वर्ष 2024 तक हर घर में पानी देने का संकल्प मोदी जी का है.
श्री तरुण भनोत - अध्यक्ष महोदय, वचन पत्र के कारण आज आप वहां बैठे हैं.
श्री शैलेन्द्र जैन - अध्यक्ष महोदय, यह सही बोल रहे हैं. वचन पत्र के कारण तो बैठे हैं. वचन पत्र में कितना अमल हुआ है, यह हमें दिखाई दे रहा है. इसमें कुछ भी अमल नहीं हुआ है. ..(व्यवधान)..
श्री बहादुर सिंह चौहान - अध्यक्ष महोदय, आपने जो वचन पत्र बनाया था उस वचन पत्र के कारण ही हम इधर बैठे हैं यह सही है, लेकिन उस वचन पत्र का कोई पालन नहीं हो रहा है. उसका पालन करवा दो आप...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय - हम समय जाया न करें, जो होना था हो गया, जिसको जहां बैठना था बैठ गये. चलो.
श्री सुखदेव पांसे - अध्यक्ष महोदय, हमारे सम्मानित काबिल सदस्यों ने वचन पत्र की बात की है.
अध्यक्ष महोदय - भैया प्लीज, निवेदन यह है मंत्री जी, आपको जो बोलना था आपने बोल दिया. अब जो राईट टू वॉटर पर, क्योंकि मेरे पास समय नहीं है, हाथ जोड़ रहा हूं. मैं बीच में पढ़कर समाप्त कर दूंगा. फिर क्या होगा ? आपकी असली जो बातें हैं, परोस दीजिये.
श्री सुखदेव पांसे - अध्यक्ष महोदय, पानी का मामला है. और मैं प्योर पानी पिलाना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय - मैं भी जान रहा हूं, मेरा नाम भी वही है.
श्री कमल पटेल - अध्यक्ष महोदय, अरे आप तो हरदा को पानी पिला दो. हरदा और होशंगाबाद को.
अध्यक्ष महोदय - आप नर्मदा जी के बारे में कुछ बोल नहीं रहे हैं. नर्मदा जी की योजनाओं के बारे में आप कुछ बोल नहीं रहे हैं. कहां से पानी देंगे, वह बोल नहीं रहे हैं. वह बोलो न. गोटेगांव में नर्मदा जी का पानी अभी तक क्यों नहीं पहुंचा ? 4 साल से काम चल रहा है. उस पर बोलो न.
श्री सुखदेव पांसे - बोलूंगा अध्यक्ष महोदय. हमारे विभाग ने बहुत बड़े क्रांतिकारी निर्णय लिये हैं. जहां पहले आम जनता के बीच में सम्मानित सदस्य जाते थे और लोग आपके सामने डिमाण्ड करते थे कि हमारे गांव में यहां हैंडपम्प चाहिये, बोर चाहिये, यहां ट्यूबवेल चाहिये, यहां मोटर पम्प चाहिये, लेकिन विभाग यह बोल देता था कि नियम है कि यह पूर्ण श्रेणी का गांव है या आंशिक श्रेणी का गांव है. उस नियम को बदलकर अब केवल जनता जनार्दन के हिसाब से और जन प्रतिनिधयों के हिसाब से, विधायकों के हिसाब से, आप जहां बोलेंगे, वहां हैंडपम्प खुदवाया जायेगा. वहां ट्यूबवेल करवाया जायेगा. अब यह जनता की सरकार है, जनता के हिसाब से काम करने जा रही है. अध्यक्ष महोदय, 15 सालों की बात करते हैं, जब 2003 में कांग्रेस की सरकार थी, 6 परसेंट पर नल के माध्यम से पेयजल उपलब्ध कराया जाता था.15 साल में केवल 12 परसेंट किया. यह इतने लंबे समय में इतना बड़ा ..
श्री रामेश्वर शर्मा - अध्यक्ष महोदय, 2003 बड़ी दु:खती नस है आपकी, ज्यादा मत दबाओ.
अध्यक्ष महोदय - कृपया अब न टोकें, हो जाने दें.
श्री सुखदेव पांसे - माननीय अध्यक्ष महोदय, नवीन हैंडपम्प के लिये हमने 125 करोड़ का बजट में प्रावधान किया है ताकि हमारे जन प्रतिनिधि जहां भी बोलेंगे, उनकी उम्मीदों पर पानी नहीं फिरने दिया जायेगा. जहां प्रचार-प्रसार की बात है, जल संवर्द्धन की बात है और जनता के बीच में पानी की बचत और पानी की खपत के लिये एक माहौल पैदा करने के लिये हमारी सरकार ने 22 करोड़, 50 लाख रुपये का प्रावधान किया है ताकि हम पानी को रोकने ओर संजोने का माहौल बना सकें. हमारे विधायक, जन प्रतिनिधियों के माध्यम से जो डिमांड आ रही है, उसके लिये हमारे विभाग ने 600 करोड़ रुपये का प्रावधान इस बजट में किया है ताकि उनको नलजल योजना की स्वीकृति प्रदान करें और हम 600 गांवों में नल के माध्यम से पानी उपलब्ध करवा पायेंगे. जो नलजल योजनाएं बोर के कारण बंद हो गईं हैं, उनके लिये 10 करोड़ रुपये का प्रावधान इस बजट में किया गया है. हमारी सरकार ने 6 माह में 500 से अधिक एकल नलजल योजना के कार्य पूर्ण कर 8 लाख से अधिक की ग्रामीण आबादी को लाभान्वित किया है. हमारे यशस्वी मुख्यमंत्री माननीय कमलनाथ जी के मार्गदर्शन में 1,434 बंद पड़ी नलजल योजनाओं में नवीन बोर कराकर और 1,049 बंद योजनाओं में पाइपलाइन एवं मोटर पम्प का सुधार कराकर कुल 2,483 बंद योजनाओं को चालू कराने का काम भी हमारी सरकार ने किया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जल स्तर से बंद हैण्डपंपों में लगभग तीन लाख मीटर रायजर पाइप बढ़ाकर एवं छः हजार सिंगल फेस पंप स्थापित करके उन्हें चालू रखा गया है. अध्यक्ष महोदय, हैण्डपंप सुधार हेतु भी विशेष अभियान चलाया गया, इसके परिणामस्वरूप सी.एम. हेल्पलाइन में विभाग को ए श्रेणी प्राप्त हुई है. अध्यक्ष महोदय, जहाँ हमारे को केन्द्र सरकार के द्वारा पहले शासन को हमारे इस बजट में सिंगल फेस पंप लगाए, लगभग 4507, पेयजल व्यवस्था हेतु छःहजार से अधिक सिंगल फेस पंप स्थापित कराए और मेंटेनेंस के लिए जहाँ हमें केन्द्र सरकार से कोई पैसा नहीं मिलता था, राज्य सरकार के बजट से हमने 103 करोड़ रुपये की व्यवस्था हैण्डपंप मेंटेनेंस के लिए, कलपुर्जे, रायजर पाइप और मानव संसाधन, आदि की व्यवस्था के लिए किए हैं. अध्यक्ष महोदय, जो समूह नल जल योजना की बात की थी, जल निगम के माध्यम से, न तो हमने नाम बदला है, लेकिन मैं आज इस बात से अवगत कराना चाहता हूँ कि जो पुरानी व्यवस्था थी, हम बोर कराते हैं, हैण्डपंप कराते हैं, उस पर करोड़ों रुपये खर्चा होता है और जहाँ हमारी 30-40 लाख की योजना हर गाँव की बनती है. वहाँ बोर बंद होने से वह योजना बंद हो जाती है. पाइप लाइन खाली दिखती है, पानी की टंकी नजर आती है और हम इतराते रहते हैं कि हमारे गाँव में नल जल योजना है इसीलिए यह अवधारणा, जो जल निगम के माध्यम से समूह नल जल योजना की आई कि सरफेस वॉटर के माध्यम से डेम से पानी लेंगे, ट्रीटमेंट प्लांट लगाएंगे और पानी कभी खत्म नहीं होगा तथा नल जल योजना कभी बंद नहीं होगी. हर दिन घर को नल मिलेगा और यह माननीय मुख्यमंत्री जी ने एक विशेष प्रावधान किया है कि जो सी.डब्ल्यू.सी. के भारत सरकार के जो नियम हैं कि हर डेम से पेयजल प्राथमिकता के आधार पर पानी आवंटित किया जाएगा और पहली प्राथमिकता पानी की होगी, 15 परसेंट पानी, अब जो पुराने डेम बने हैं, जो नये डेम बनने वाले हैं, उसमें पेयजल के लिए निश्चित तौर पर यह कानून हमारी तरफ से, माननीय कमलनाथ जी की तरफ से, स्पष्ट निर्देश दिए जा चुके हैं कि पेयजल के लिए पहले पानी आवंटित किया जाएगा और जो सरफेस वॉटर से जो हम समूह नल जल योजना बनाने जा रहे, उस पर हमारे वचन पत्र में भी माननीय कमलनाथ जी ने उसको प्राथमिकता के ऊपर रखा है और इसलिए समूह नल जल योजना अच्छी है, हम उसको स्वीकार करते हैं. लेकिन यह जब 2012 में जल निगम बना था और सात सालों में केवल सात सौ गाँवों पर ही काम हो चुका है. इतनी धीमी रफ्तार से इस पर काम चल रहा है. उसकी रफ्तार हम तेज करने जा रहे हैं और आने वाले समय में, अध्यक्ष महोदय, मैं अब शॉर्ट कर दे रहा हूँ.
अध्यक्ष महोदय-- मैं तो सोच रहा था कि अब समाप्त होने जा रहा है.
श्री सुखदेव पांसे-- अध्यक्ष महोदय, आने वाले समय में जल निगम के माध्यम से विगत 6 माह में 5203 करोड़ की 25 समूह नल जल योजनाएँ प्रारंभ की गईं. वर्तमान में कुल 40 समूह नल जल योजना का कार्य प्रगति पर है. इनका कार्य पूर्ण होने पर 4953 ग्रामों की लगभग 50 लाख जनसंख्या लाभान्वित होगी. अध्यक्ष महोदय, जल निगम के अंतर्गत विगत 6 माह में 45 नवीन समूह नल जल योजना, लागत रुपये 22500 करोड़ की डी.पी.आर. तैयार की गई है.जिसमें 31 जिलों के 14510 ग्रामों की 01 करोड़ 72 लाख जनसंख्या लाभान्वित होने जा रही है, हमने 6 महीने में तैयारी करके रखी है. जैसा माननीय कमल पटेल जी बोलते हैं कि जल शक्ति मंत्री आदरणीय शेखावत जी ने मुझे बुलाया था, हम गए थे. हमने 6 महीने में पूरी तैयारी करके रखी. वह जितना पैसा देंगे तुरन्त हम इम्प्लीमेंट करेंगे और आज पूरी तैयारी करके, आपको भी बताना चाहता हूँ, आप हरदा, टिमरनी, बैतूल के लिए, जो आपने बात की है, हमें सरफेस वॉटर, जिस भी डेम से मिलेगा. माननीय मुख्यमंत्री जी के स्पष्ट निर्देश हैं कि पानी एलाट करवाइये, समूह नल जल योजना बनाइये, डी.पी.आर. बनाइये और राजनीति से ऊपर उठकर, आप चलिए दिल्ली और पैसा लाइये. हम आपके यहां समूह नल-जल योजना लागू करने के लिए तैयार हैं.
श्री कमल पटेल--चलिए हम चलेंगे और प्रदेश के विकास के लिए पैसा लेकर आएंगे.
श्री सुखदेव पांसे--इसी तरह से आदरणीय श्री रामपाल सिंह जी ने भी जो समस्या बताई है कि कुछ जगह पर समूह नल-जल योजना बंद है उसका एक सप्ताह के अन्दर निराकरण करके उस समस्या को दूर करने का काम करेंगे. हमारे माननीय सदस्य बहादुर सिंह जी जो मेरे साथ वर्ष 2003 में थे और वर्ष 2008 में नहीं आ पाए थे फिर वर्ष 2013 में एक साथ मिले उन्होंने भी अपने क्षेत्र की योजना के बारे में कहा है उसकी भी डीपीआर के हम आदेश देंगे और जैसे ही बजट की व्यवस्था होगी उसके ऊपर इम्पलीमेंट करने का पूरा प्रयास करेंगे. माननीय सदस्यों ने और भी जो सुझाव दिए हैं उनके लिए भी ईमानदारी से प्रयास करेंगे. पानी आम जनता को सुलभ तरीके से उपलब्ध कराने के लिए प्रयास किए जाएंगे. राज्य में उपलब्ध जल संसाधनों पर आधारित पेयजल योजनाओं की बेहतर प्लानिंग हेतु देश के अग्रणी भारतीय प्रोद्यौगिकी संस्थान आईआईटी, दिल्ली से अनुबंध किया जा रहा है. इससे हमें आईआईटी, दिल्ली की क्षमताओं एवं दीर्घ अनुभव का लाभ योजनाओं के रुपांकन एवं क्रियान्वयन में मिलेगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमें इन योजनाओं के लिए राशि की आवश्यकता है. न्यू डेवलपमेंट बैंक, जायका, एशियन डेवलपमेंट बैंक, नाबार्ड से वित्तीय सहायता प्राप्त करने के प्रयास किए जा रहे हैं. न्यू डेवलपमेंट बैंक से विभाग को 4500 करोड़ रुपए की योजना हेतु वित्तीय सहयोग प्रदान किया गया है और द्वितीय चरण के लिए प्रस्ताव प्रेषित किया जा रहा है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारा लक्ष्य है कि मार्च 2020 तक राज्य के सभी जिले के समस्त गांवों के लिए पेयजल योजनाओं की डीपीआर तैयार हो जाए उसमें नरसिंहपुर जिला भी प्रमुखता से रहेगा. यह भी माननीय अध्यक्ष महोदय आपको आश्वस्त करता हूँ.
अध्यक्ष महोदय-- एक ही मंत्री बहुत जवाबदारी से जवाब दे रहा है.
श्री सुखदेव पांसे-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अधिकारी दीर्घा में जो अधिकारी बैठे हैं उन्हें मेरा स्पष्ट निर्देश है कि नरसिंहपुर जिले और अन्य सदस्यों की भी डीपीआर तैयार की जाए तब ही पैसा उपलब्ध होगा.
श्री विजयपाल सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, नरसिंहपुर जिले से होशंगाबाद जिला भी जुड़ा हुआ है उस पर भी कृपा रहे.
संस्कृति मंत्री (डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा भी नाम ले लेते तो अच्छा रहता.
अध्यक्ष महोदय--छोटी बहन का भी ध्यान रखना भाई.
श्री सुखदेव पांसे-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अंत में पानी का अधिकार की बात हमारे सम्मानित सदस्य ने कही है. वर्षा की एक बूंद जो गिरेगी उस बूंद के गिरने से लेकर घर पर पहुंचाने तक का जितना सफर होगा उसकी सुरक्षा और शुद्ध पेयजल पहुंचाने का काम राइट टू वाटर में होगा. चाहे वह केचमेंट एरिया हो, चाहे जो नदियां सूख गईं हैं. नदियों की जो क्षमता थी दोनों तरफ पेड़ हुआ करते थे जिनमें आब्जर्वर क्षमता हुआ करती थी जब नदियां सूखती थीं तो पेड़ पानी छोड़ते थे जिससे बारहमासी नदियां चलती थीं उसके कारण पेयजल स्तर नहीं गिरता था. जिन क्षेत्रों में नदियों के स्त्रोत पर अतिक्रमण किया गया है वह भी राइट टू वाटर में रहेगा. माननीय कमलनाथ जी के निर्देश के अनुसार जो कानून बनने जा रहा है उसमें पंचायत ग्रामीण विकास, अरबन, पीएचई और अन्य विभागों को मिलाकर एक सामूहिक जिम्मेदारी के साथ काम किया जाएगा इससे जो अमृत निकलकर आएगा वह राइट टू वाटर है. हमने अभी मिंटो हाल में कुछ दिन पहले ही कार्यशाला आयोजित की थी उसमें राजस्थान से जल पुरुष आदरणीय राजेन्द्र सिंह जी आए थे उन्होंने प्रदेश के राइट टू वाटर की सराहना की है. हम बुद्धिजीवियों से भी राय ले रहे हैं, हम जल संसद लगाएंगे, प्रदेश स्तर पर कार्यशाला आयोजित करेंगे उसमें जनप्रतिनिधि और आम जनता के जो सुझाव आएंगे जो अमृत निकलकर आएगा वह जनता का कानून होगा, राइट टू वाटर होगा. ऐसी मुख्यमंत्री जी की इच्छा है. वह हम इस प्रदेश में लागू करने जा रहे हैं ताकि आने वाले समय में पानी की समस्या से निजात मिल सके. यह हमारा पानी का अधिकार है.
जिसे अब तक न समझे वह कहानी हूँ मैं
मुझे बरबाद मत करो पानी हूं मैं.
इसी विश्वास के साथ मैं आप सबसे अनुरोध करता हूँ कि राजनीति से ऊपर उठकर इसको सर्वसम्मति से पास किया जाए ताकि जनता जनार्दन को सही न्याय दे सकें. बहुत-बहुत धन्यवाद, जयहिन्द, जय भारत.
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी जब पहले वन विभाग की चर्चा आती थी तो वन विभाग के द्वारा एक बक्सा दिया जाता था जिसमें शहद रहती थी, चिरौंजी रहती थी. पता नहीं यह सारी व्यवस्थाएं कहां चली गईं.
श्री उमंग सिंघार-- अध्यक्ष महोदय, आपके सदन के जो कर्मचारी हैं.
श्री रामपाल सिंह-- अध्यक्ष महोदय, विपक्ष की तरफ से बिसेन जी दे रहे हैं. यह ही बहुत बड़ी बात है.
अध्यक्ष महोदय-- ठीक बात हैं. मैं आपकी बात से सहमत हूं.
श्री रामपाल सिंह-- अध्यक्ष महोदय, यह पूरे मंत्रिमण्डल को एक झटका है. इससे सबक लेना चाहिए. हमारे बिसेन साहब चावल और आम भेज रहे हैं और इसके बाद भी मंत्रिमण्डल कोई विचार ही नहीं कर रहा है.
श्री उमंग सिंघार-- अध्यक्ष महोदय, आपको बता दूं कि आपके सदन के कर्मचारी, अधिकारियों ने पहले ही यह मांग रख दी है जो आपने रखी है.
श्री बाला बच्चन--पूर्व की सरकार है. वह अपने हिसाब से दे रही है.
अध्यक्ष महोदय-- आप सभी बैठ जाइए.
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06:40 बजे (5) मांग संख्या 10 वन.
मांग संख्या- 10 वन
क्रमांक
श्री आशीष गोविन्द शर्मा 3
श्री बहादुर सिंह चौहान 4
उपस्थित सदस्यों के कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए.
अब मांग और कटौती प्रस्तावों पर एक साथ चर्चा होगी.
श्री संजय शाह ''मकड़ाई'' (टिमरनी)--अध्यक्ष महोदय, सबसे पहले तो मैं आपका और हमारे दल के नेता आदरणीय भार्गव जी का धन्यवाद ज्ञापित करता हूं कि उन्होंने मुझे इस बड़े विभाग में अपनी बात रखने का मौका दिया. मैं सबसे पहले माननीय मुख्यमंत्री जी को भी बधाई और धन्यवाद देता हूं. मैं जितना भी कहूं उतना शायद कम होगा वह इसलिए क्योंकि उन्होंने एक आदिवासी जनप्रतिनिधि को वन विभाग दिया है इसलिए मैं उन्हें अपने समाज की ओर से धन्यवाद प्रेषित करता हूं. मैं बात करना चाहता था कि वन विभाग जैस वर्षों से था वैसा आज भी है, सिर्फ बजट हर साल बढ़ता है. अगर मैं बात करूं कि जब मध्यप्रदेश बना था तब यहां पर जमीन में वन विभाग 35 प्रतिशत था और मुझे लगता है कि सी.ए.एफ. ही इस पूरे मध्यप्रदेश को देखता था. वह वन आज न जाने कहां गायब होता जा रहा है. आज सिर्फ 22 प्रतिशत तक वन सीमित होकर रह गया है. जब एक अधिकारी इतने वनों की सुरक्षा कर सकता था, देखरेख कर सकता था और आज स्थिति यह है कि जहां तक मुझे ज्ञान है PCCF स्तर के 8-10 अधिकारी होंगे. उसके नीचे के अधिकारियों की संख्या और लंबी होती जाती है. लाखों की संख्या में अधिकारी-कर्मचारी इस विभाग को देखते हैं. उसके बाद भी वनों का उपार्जन, वनों की कटाई हम रोक नहीं पा रहे हैं. मैं आंकड़ों के जाल में नहीं फंसना चाहता हूं क्योंकि इसमें बहुत सारे आंकड़े हैं इसलिए मैं मंत्री जी को भी आगाह करूंगा कि हो सकता है अधिकारी बहुत उच्च शिक्षित हैं इसलिए वे उनके स्तर से ही सोचते हैं और उनके द्वारा सारे आंकड़े दिखाकर सरकार और उसके नुमाईंदों को कहीं न कहीं गुमराह किया जाता है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जिस तरह से मंत्री जी ने सर्जिकल स्ट्राइक हमारे बैतूल में की, मैं इसके लिए उन्हें साधुवाद देता हूं कि ऐसी छापामार कार्यवाही उन्हें अन्य जिलों में भी करनी चाहिए ताकि वस्तुस्थिति से हम वाकिफ हो जायें क्योंकि जो आंकड़े आते हैं वे 100 प्रतिशत सही होते हैं. वल्लभ भवन, सतपुड़ा और विंध्याचल में बैठे अधिकारियों को भी निचले स्तर से ही जानकारी प्राप्त होती है और बहुत ही कम अधिकारी फील्ड में जाते हैं. मैं यह नहीं कह रहा हूं कि अधिकारी फील्ड में नहीं जाते हैं, कुछ जाते हैं लेकिन फिर भी निचले स्तर के अधिकारी कई बातों को वहां दबाकर रख लेते हैं और इसलिए जब हम विभाग को इतना बड़ा बजट देते हैं तो नि:संदेह उसकी मॉनिटरिंग करना हमारा निजी दायित्व है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह कहना चाहता हूं कि निजी क्षेत्रों में वन विभाग की ओर से ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने और उन्हें संरक्षित करने की बात कही जाती है. अभी यहां जल की बात चल रही थी. मैं कहना चाहूंगा कि जल है तो वन है और वन है तो हमारी यह सृष्टि है. यदि ये वन नहीं रहेंगे तो यह जल भी आपको नहीं मिलने वाला है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इसी का पूरक और एक ही सिक्के के दो पहलू के रूप में, वनों में निवासरत हमारे आदिवासी समाज के बंधु भी इससे जुड़े हैं. वन से ही उनका जीवनयापन होता है इसलिए मैं मानता हूं कि उनके लिए जनकल्याण की बातें करना, उनकी सुख-सुविधाओं का ध्यान रखना, वन विभाग का ही दायित्व है. वनों को संरक्षित करने के लिए विभाग अपना कार्य करता है लेकिन मैं निजी तौर पर यह मानता हूं कि प्राइवेट सेक्टर में भी जो कृषक अपनी निजी भूमि पर वन लगाना चाहते हैं उसे प्रोत्साहन देना चाहिए. अभी हम उन्हें जितना प्रोत्साहित करते हैं वह शायद बहुत कम है इसमें और ज्यादा कार्य करने की आवश्यकता है. जब मध्यप्रदेश बना था, तब लगभग 10 हजार कृषकों के खेतों में, उनकी निजी भूमि में वन थे और आज मुझे लगता है कि सरकारी आंकड़ों के अनुसार केवल 1-2 हजार कृषक ही हैं जो इस दिशा में अपनी रूचि रखते हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी नर्मदा जी की बात चल रही थी और कहा गया कि यदि उनके दोनों ओर वृक्ष लगाये जायें तो जल संग्रहित हो सकता है. हमारे पूर्व मुख्यमंत्री जी ने भी ''हरियाली चुनरी'' के माध्यम से यह प्रयास किया था. हमने उस दिशा में कुछ आगे भी बढ़े थे लेकिन अब आपकी सरकार है और आपको भी इस दिशा में कार्य करना चाहिए और नर्मदा के दोनों किनारों पर लगभग 2-3 किलोमीटर के दायरे में जहां कृषकों की निजी भूमि है, उनको वहां वृक्षारोपण के लिए प्रेरित करें और इस हेतु आपके विभाग द्वारा जो राशि दी जाती है, वह शायद बहुत कम है. इसलिए कृषक इस ओर ध्यान नहीं देते हैं. जितनी राशि कृषक अपनी खेती से कमाते हैं यदि उतनी नहीं तो कम से कम उसके 19-20 राशि भी यदि हम उन्हें दे पायें तो शायद हम इस दिशा में कारगर कदम उठा सकते हैं. निजी क्षेत्रों में लोक वानिकी के माध्यम से कटाई करने और वनों को संरक्षित करने का कार्य भी होता है लेकिन हम इसमें भी देखते हैं कि इसमें काफी वैचारिक मतभेद है. उन्हें एक-मुश्त पैसा नहीं मिलता, कई जगहों पर उन्हें परमीशन की दिक्कतें हैं और इसलिए अब शायद लोक वानिकी विभाग में भी लोगों का वह रूझान नहीं रह गया है. उदाहरण के तौर पर मैं बताना चाहूंगा कि हरसूद विधान सभा के ही एक कृषक हैं गौरीशंकर मुकाती जी, उनका पेमेंट 6-8 महीने से आज तक नहीं हुआ है, ऐसे कई कृषक हैं. यह तो एक उदाहरण के तौर पर मैंने एक नाम बताया है. यह बहुत सारी समस्याएं उसमें भी रहती हैं. उसका भी सरलीकरण करने की आवश्यकता है, ताकि उस ओर भी लोग अपना रूझान रखें. जहां तक मैं समझता हूं कि वन विभाग यह समझता हूं कि मैं ही ब्रह्मा, विष्णु महेश हूं, उसको मॉनीटरिंग करने वाला कोई दूसरा नहीं है. क्या यह टेक्निकली एक्सपर्ट लोग हैं. वन क्षेत्रों में जो निर्माण कार्य होते हैं, उसकी गुणवत्ता को परखने का काम विभाग खुद ही स्वयं ही करता है. उनके रेंजर ही इंजीनियर हो जाते हैं और जहां एक वनों में निवासरत् हमारे जो स्व-जातीय बंधु लोग हैं उनको अगर अपना आवास भी बनाना पड़ता है तो उनको रेत बाहर से लाना पड़ती है लगभग 50-60 किलोमीटर ट्रेक्टर के द्वारा उनको लाना पड़ती है और उसमें भी रोका-टोकी होती है. दूसरी और अगर हम देखें तो वन विभाग के कोई निर्माण कार्य चल रहे होते हैं तो वहीं की नदी-नालों से काली रेत संग्रहीत की जाती है. उसमें कोई रोक-टोक और केन्द्र सरकार की आपत्ति नहीं आती है.
अध्यक्ष महोदय, दोगला व्यवहार नहीं चलना चाहिये. क्या यह सही नहीं है कि अगर वनों में निवासरत् वनवासी वहां पर अपना मकान बनाना चाहता है या अपने गांव के विकास में अगर पंचायतें काम करना चाहती हैं तो वहीं से जो सामग्री मिल सकती है तो हम वहीं से नहीं ले सकते हैं ? आप नियमों का हवाला दे सकते हैं कि यह केन्द्र सरकार की पॉलिसी है, वन विभाग की पॉलिसी है, इसमें हम यहां से नहीं खोद सकते हैं, नहीं ले सकते हैं तो यह आपके ऊपर भी लागू होना चाहिये. आपके ऊपर वह चीज लागू क्यों नहीं होती है. आप भी तो वहीं से ले रहे हो. इसलिये वहां पर जो लोग रह रहे हैं, उनकी सुख -सुविधा का ख्याल रखना भी वन विभाग का और मंत्री जी,आपका और हमारा निजी दायित्व होता है. हम उस वर्ग से आते हैं, उस वर्ग की चिंता करने का हमारा दायित्व है. यह विभाग में कैसे हो सकता है, कहां से हो सकता है, यह मैं नहीं जानता. आप उस विभाग को हैंडल कर रहे हैं. आपसे हमारे बहुत अपेक्षाएं हैं कि आप इन छोटी-छोटी चीजों का ध्यान रखेंगे.
दूसरी और हमारा सतपुड़ा टाइगर रिजर्व, जहां से हमारे आदिवासी भाईयों का विस्थापित किया गया. ठीक है आप सतपुड़ा टाइगर रिजर्व फारेस्ट बनाया, वहां से आपको उनको बफर जोन से बाहर निकालना है, विस्थापित करना है और अभी तक वहां से 30 गांवों को विस्थापित किया जा चुका है और अभी दो गांव सुपलई और खामदा.
मैं आपके माध्यम से निवेदन करना चाहता हूं कि जहां पर उनका विस्थापन करना है, वहां पर पानी,बिजली और भी जो मूल-भूत आवश्यकता है, वह न हो. तब तक उनको वहां से विस्थापित न किया जाये. यह जिन 30 गांवों की मैं बात कर रहा था वहां भी पानी, बिजली और ट्रांसफार्मर वगैरह नहीं हैं. दूसरी ओर हम वनों को संरक्षित करने की बात करते हैं. आपने उन विस्थापितों को बाहर निकालकर जंगल की जमीन दे दी. वहां पर भी कटाई करके गांव बसा दिया, मोहल्ला बसा दिया, क्या हमको राजस्व विभाग से जमीन लेकर उनको मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास नहीं करना चाहिये ? क्या हमको राजस्व विभाग से जमीन लेकर, उनको वहां पर विस्थापित नहीं करना चाहिये. उससे आपकी पेड़, जंगल भी सुरक्षित रहेगा. मुझे लगता है कि यह हमको करना चाहिये.
अध्यक्ष महोदय:- धन्यवाद.
श्री संजय शाह ''मकड़ाई'':- अध्यक्ष महोदय, मुझे थोड़ा बोलने का मौका चाहिये.
अध्यक्ष महोदय:- आपको थोड़ा नहीं 11 मिनट बोलने का समय दे दिया. ठीक है विजय शाह जी के 4 मिनट कट जायेंगे. बोलिये. (हंसी)
श्री संजय शाह ''मकड़ाई'':- विजय शाह जी की तो अपनी बात है. मैं तो आपका संरक्षण चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय:- यह मेरा एडजेस्टमेंट है.
श्री संजय शाह ''मकड़ाई'':- अध्यक्ष महोदय, पानी की बात चल रही थी कि इसको संरक्षित करने के लिये तो वनों को संरक्षित करना अति-आवश्यक है ही. साथ में पहले जहां पर वन हैं, पहले वहां पर छोटी-छोटी खंतियों के माध्यम से पानी संरक्षित करने का काम किया जाता था. शायद आजकल विभाग ने वह बंद कर दिया है. वह कारण क्या होंगे ,वह मुझको नहीं मालूम है, लेकिन उसको फिर से वापस करने की आवश्यकता है. जहां आपके नदी नाले क्रास हो रहे हैं वहां पर चेक डेम बनाकर पानी को रोकने का हम प्रयास करेंगे तो वनजीव भी संरक्षित रहेंगे तथा पानी का जल स्तर भी हमारा बढ़ जायेगा. ऐसी छोटी छोटी समस्याएं आमजन की हमारे वनवासी बंधुओं की रहती है. मैं ध्यानाकर्षित करना चाहता हूं कि जो पट्टे वनग्रामों में बांटे गये हैं उनमें भी बहुत सारी विसंगतियां हैं अभी काफी पट्टे बांटने शेष रह गये हैं उनको लंबा समय हो गया है. मैं समझता हैं कि स्थानीय जनप्रतिनिधि तथा जिले के जनप्रतिनिधियों को जिनके क्षेत्र में यह समस्या आ रही है उनको सम्मलित करके एक कमेटी बनाकर उसको शॉट-आऊट करके जितने भी वनाधिकार के पट्टे देने हैं वह समय सीमा में करने चाहिये, क्योंकि वह बरसों से लंबित हैं. आप कहेंगे 15 साल से आपकी सरकार थी वह तुम्हारे भाई थे यह थे, वह थे. उन सब बातों को छोड़कर के आज उनकी ज्वलंत आवश्यकता है उनकी पूर्ति आप करेंगे ऐसी मैं आपसे अपेक्षा करता हूं. इस आव्हान के साथ आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि आईये वनराज आपको वन के राजा की पदवी से नवाजा गया है. जहां एक ओर माननीय मुख्यमंत्री जी राज्य में काम कर रहे हैं वहां 22 प्रतिशत क्षेत्र में अपना राज स्थापति करते हैं आईये आप अपने विभाग के साथ अपने स्वजातिय बंधुओं का ख्याल रखेंगे. जयहिन्द, जयसेवा.
श्री लक्ष्मण सिंह(चाचौड़ा)--अध्यक्ष महोदय, मैं वनमंत्री जी की सभी मांगों का समर्थन करता हूं, साथ में कुछ सुझाव देना चाहता हूं और आशा करता हूं कि मंत्री जी उनको गंभीरता से लेंगे. एक सुझाव तो यह है कि पर्यावरण एवं वन विभाग को अलग क्यों किया गया ? क्योंकि इतने वर्षों से केन्द्र में आज भी पर्यावरण एवं वन विभाग जुड़ा हुआ है. यहां पर्यावरण विभाग को निकालकर हमने पी.डब्ल्यू.डी में जोड़ दिया है. तो मैं समझता हूं कि यह उचित नहीं है. इसके दो कारण मैं आपको बताता हूं. एक कारण तो यह है कि ईको डेवलमपेंट बोर्ड यह वन विभाग में है, ईको टूरिज्म आप बढ़ा रहे हैं. ईकोलॉजी का संबंध सीधे पर्यावरण से है तो इसको आप कैसे मॉनीटर करेंगे ? इस पर थोड़ा ध्यान दें. दूसरा अभी जो वन विभाग की सेट्लाईट की जो रिपोर्ट आयी है वह चिन्ताजनक है. मध्यप्रदेश में 1 नवम्बर 2018 से लेकर जून 2019 तक मध्यप्रदेश के जंगलों में 25 हजार बार आग लगी है. यह सेट्लाईट का रिकार्ड है सोचिये इससे पर्यावरण को कितना नुकसान हुआ होगा. यह कैसे लगी, क्यों लगी ? इसकी जांच हो. संभवतः आपके पास में स्टॉफ की कमी है, वह पूरी करिये. इसीलिये मैं चाहता हूं कि पर्यावरण का विभाग वापस वन को दिया जाये, जिससे कि अच्छा काम हो सके. दूसरा बाघों के शिकार की बहुत चिन्ता है. बाघ के शिकार के अपराध में जो दोष सिध्दि की दर है मध्यप्रदेश में वह 10 प्रतिशत से भी कम है. प्रदेश में बाघ के शिकार के मामलों में गुप्तचर जो सूचनाएं हैं वह शून्य है. आपका वन विभाग का इन्टेलीजेंस नेटवर्क है जो इस बात की सूचना देता है, वह शून्य है. मैं आपको आंकड़े बताता हूं, चिन्ताजनक आंकड़े हैं. 2012 से वर्ष 2016 तक प्रदेश के 11 शावको सहित कुल 89 बाघों की मौत हुई है. आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2012 में 16 बाघों की मौत हुई है, जबकि वर्ष 2013 में 11, 2014 में 14, 2015 में 15 तथा 2016 में 33 बाघों की मृत्यु हुई है, यह चिन्ताजनक बात है तथा इसके लिये कुछ करना चाहिये. अब आपके लिये आवश्यक हो गया है कि मध्यप्रदेश को जो टाईगर स्टेट का दर्जा था, वह खत्म हो गया था यह लौटाकर लाईये, यह सबसे बड़ी आपकी उपलब्धि होगी.
अध्यक्ष महोदय, मैं आशा करता हूं और ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि आप सफल हो और मध्यप्रदेश का टायगर स्टेट का जो दर्जा है उसको वापस लौटाकर लाइए और इसके लिए आवश्यक हो गया है कि रातापानी की सेंचूरी आप जल्दी नोटीफाय करें, शायद एक-दो हफ्ते बाद आपकी मीटिंग है. यहां रातापानी सेंचूरी में अवैध उत्खनन हो रहा है और वह केवल सेंचूरी बनने से ही रुकेगा. इसके साथ साथ रातापानी में जो शेर बढ़े हैं, करीब 40 बाघ हो गए हैं, सेंचूरी बनेगी तो और बढ़ेंगे. बाघों के मूवमेंट के लिए कॉरीडोर बनाने की आवश्यकता है, नहीं तो यह धीरे धीरे शहरों के पास आ रहे हैं और हमारे शहरवासियों के लिए एक खतरा पैदा हो रहा है. बहुत वर्षों पहले एक कॉरीडोर होता था भोपाल, बैरसिया, नरसिंहगढ़, मधुसूदन गढ़, राघौगढ़ और उसके बाद फतेहगढ और फिर ये सवाईमाधोपुर तक इनका विचरण क्षेत्र होता था और ये जंगल में विचरते रहते थे और शहर की तरफ नहीं आते थे. ये कॉरीडोर आपको पुन: स्थापित करना होगा, इसलिए आपको कन्जर्वेशन रिजर्व बनाने पड़ेंगे. राघौगढ़ का एक प्रपोस्ज्ड है, उसको बनाईए, राघौगढ़ को(नगरीय विकास एवं आवास मंत्री, श्री जयवर्द्धन सिंह की ओर देखकर कहा) हाथ जोड़कर कह रहे हैं, वह हमारा मंत्री भी बैठा है, आप भी जरा इसमें मदद करो. यह जो कॉरीडोर बनेगा इससे बाघों का विचरण सुचारू रूप से चलता रहेगा. अभी नागेन्द्र सिंह जी नहीं है, उनसे मैं चर्चा कर रहा था कि पूर्व सरकार की आप जितनी बुराई करो एक बात अच्छी की है इन्होंने, मुकुन्दपुर का जो कन्जर्वेशन रिजर्व बनाया है, वह सराहनीय है. मुकुन्दपुर जैसे कन्जरवेशन रिजर्व आप मध्यप्रदेश में जगह जगह बनाइए. छोटा सा एरिया उन्होंने लिया है, मुश्किल से 30, 40-50 किलोमीटर का और उसको कन्जर्व किया है और उसमें कोई ज्यादा खर्चा नहीं हुआ है. जंगल अपने आप खड़ा हो जाता है, उसको अगर हम रोक ले, कन्जर्व कर लें और जो गांव वालों के मवेशी चरते हैं वह स्टॉल फीडिंग आप करा दीजिए तो वे जंगल में नहीं जाएंगे. जैसा हरियाणा, पंजाब में करते हैं, जंगल अपने आप खड़ा हो जाएगा और एक पर्यटन ईको-टूरिज्म बढ़ता है और उससे रोजगार बढ़ता है तो आशा करता हूं कि यह आप कराएं. लैपर्ड हेबीटेड, तेंदुआ जो है इसको देखने के लिए भी लोग दूर दूर से आते हैं, विदेशी आते है. राजस्थान में एक जगह है बेड़ा, वहां अरावली की पहाडि़यां हैं, जंगल नहीं है, झाडि़यां हैं और वहां छोटे-छोटे पोखर है पानी के लिए और वहां ये रबाड़ी जाति के लोग रहते हैं, जो भेड़ चराते हैं, उनकी काफी संख्या है और वहां जो अरावली की पहाडि़यां हैं उनमें गुफाएं है और वहां तेंदुए की संख्या बहुत बढ़ गई है, 30-40 तेंदुए हैं और वहां जो रबाड़ी हैं उनकी भेड़ बगैरह खाते हैं और वे वहां पले हुए हैं, उनको देखने के लिए विदेशों से टूरिस्ट आते हैं और वहां कुछ नहीं है, जंगल नहीं है, तो ऐसे स्थान तो हमारे यहां बहुत हैं, उससे बहुत पर्यटन हम बढ़ा सकते हैं, लैपर्ड हैबीटेड बनाने के लिए और लैपर्ड सेंचूरी बनाने के लिए. वन समितियां जो पूर्व कांग्रेस की सरकार ने हम लोगों ने चलाई थी और वन संरक्षण का काम हुआ था और मजदूरों का पलायन रुका था, वन समितियों से पलायन रुक गया था, लघु वनोपज वे एकत्रित करते थे, उनकी प्रोसेसिंग करते थे, शहद बनाकर बेचते थे, बहुत सारा काम होता था, वह सब बंद हो गया है कुछ सालों से इसलिए वन क्षेत्रों से मजदूरों का पलायन हो रहा है, उसको रोकने की आवश्यकता है. इसमें जैव विविधिता का जो बोर्ड है उसका 2005 में गठन हुआ है, लेकिन अभी 2019 तक इसका कोई संभागीय कार्यालय नहीं है, न जिला स्तर पर कोई कार्यालय है, इसलिए आवश्यक है कि इसका कार्यालय हो. क्योंकि यह जो ग्लोबल वार्मिंग है, इससे बहुत सारी चीजें प्रभावित हो रही हैं, वनों का कटाव रोकना, जलमुद्रा, वायु प्रदूषण, जंगल में आग लगना, यह जैव विविधता के लिए बहुत बड़ा खतरा है, इसलिए जैव विविधता का जो बोर्ड है, इसको आप बहुत ही एक्सपर्ट लोगों के हाथ में दीजिए और इसमें बहुत ध्यान देने की आवश्यकता है. एक है वन विकास निगम यह आपका जंगल काट रहा है, पता नहीं यह आदेश पहले कैसे हो गया,(...हंसी) अब वह पंडित जी है कि नहीं, नहीं है. लटेरी का मैं आपको एक उदाहरण बताऊं. लटेरी में एक पंचायत है- मुस्करा. वहां कभी घना जंगल हुआ करता था, वहां शेर आ जाता था. आज से 10 वर्ष पहले की बात कर रहा हूँ. अभी मैं वहां गया था तो मुझे बड़ा दर्द हुआ. वहां मुझे जंगल नहीं दिखा. मैंने कहा कि जंगल कहां गया ? उन्होंने बताया कि साहब वन विकास निगम ने काट डाला, फिर मैंने पूछा कि क्यों काटा तो बताया गया कि फिर से जंगल उगाने के लिए. (हंसी) जंगल को काट दिया गया और ये वहां के विधायक हैं, इसलिए मैं उन्हें बताना चाह रहा था. वहां यह कहा गया था कि वापस जंगल उगाएंगे और जंगल उगाने की बात छोडि़ये, वहां आपके डिप्टी रेंजर ने अतिक्रमण करवा दिया. एक डिप्टी रेंजर ने लटेरी तहसील के मुस्करा पंचायत का सारा जंगल, वह हजारों एकड़, सैकड़ों एकड़ जंगल था, वह यहां से वहां तक फैला हुआ था, पूरा साफ कर दिया और कब्जा करवा दिया. वन विकास निगम से काटने का जो आदेश हुआ है, जंगल कटाई कर रहा है, वह बिल्कुल गलत है. एक हमारे वन विकास के उस्ताद हैं, उन्होंने कहा है कि एशियाटिक वुल्फ जो है, वह समाप्त होता जा रहा है, उसके संरक्षण के लिए कुछ कीजिये.
अध्यक्ष महोदय, यह जो कंजर्वेशन की बात मैंने कही है क्योंकि इससे जो नदी-नाले सूख गए हैं, वे बहने लगते हैं और मैंने स्वयं ने इसका प्रयोग राधौगढ़ में किया है, वह जंगल में है और मैं वहां 20-25 वर्षों से प्रयास कर रहा हूँ. वहां सब जंगल कट गया था. मैंने वहां वन समितियों के माध्यम से, हम लोगों ने सबने मिलकर एक टीम बनाकर वहां संरक्षण किया और आप आइये, देखिये वहां का जो नाला था, वह बहने लगा, वहां जो कुएं सूख गये थे, उनमें पानी आ गया. वहां आसपास के जो बोर सूख गए थे, उनमें पानी आ गया. यह कंजर्वेशन का फायदा है, आप इसको कीजिये. इसकी एक बड़ी अच्छी जापानिज़ टैक्नोलॉजी है, इसको बोलते हैं- मे वॉकी. इस मे वॉकी टैक्नोलॉजी से बहुत कम समय में बहुत जल्दी जंगल खड़ा हो जाता है. इस टैक्नोलॉजी का प्रयोग करके बहुत जल्दी आप काम कीजिये और इसमें आपको कोई राशि नहीं लगती है. यह तो हमारे पटेल जी दे देंगे, हमारा ग्रामीण विकास विभाग है, यह जो मनरेगा की राशि है और यह राशि इसमें लग जायेगी, जो हमारी ग्राम समितियां हैं, उनको खूब संपन्न कीजिये, खूब राशि दीजिये. इसी आशा के साथ की इन सुझावों पर आप कुछ करेंगे. मैं राधौगढ़ की सेंचुरी के लिए फिर कह रहा हूँ, उसको बनवा दो, हमारा राधौगढ़ बचा लो. धन्यवाद, जय हिन्द.
अध्यक्ष महोदय - माननीय लक्ष्मण सिंह जी, बहुत अच्छे सुझावों के लिए धन्यवाद. अब आप देखिये. माननीय विधायक जी ने पूरे 10 मिनट में भाषण समाप्त किया है. आप बिल्कुल शांति से सुन रहे थे, उन्होंने कितनी नई-नई बातें कहीं.
कुँवर विजय शाह - मैं अपनी बात 15 मिनट में समाप्त कर रहा हूँ.
अध्यक्ष महोदय - ऐसी नई बातें लाइये, ऐसे नये सुझाव लाइये. जिसमें हमको यहां डिस्कशन का फायदा हो सके. ऐसी नई चीजें लाइये.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. गोविन्द सिंह) - अध्यक्ष महोदय, (कुँवर विजय शाह की ओर देखकर) आप तो इसी प्रकार सुझाव दीजिये. यदि पढ़-लिख कर नहीं आएंगे तो क्या सुझाव देंगे ?
विधि और विधायी कार्य मंत्री (श्री पी.सी.शर्मा) - अध्यक्ष महोदय, ये तो वह बताएंगे, जो वे 15 वर्ष में नहीं कर पाये.
अध्यक्ष महोदय - फिर आप लोग वहीं पर लौटकर आ गए. इतना अच्छा माहौल था, इतना अच्छा डिस्कशन हुआ.
कुँवर विजय शाह (हरसूद) - माननीय अध्यक्ष जी, अभी जिसकी जवाबदारी है, वह करे. मुझे तो चन्द महीने मिले थे. हमारे काबिल मित्र सिंघार जी और उनकी जो बजट मांग संख्या 10 है, उसका विरोध करते हुए, कटौती प्रस्ताव का समर्थन करते हुए मैं तो सिर्फ उन्हें कुछ सुझाव दूँगा और उनसे उम्मीद हैं कि वे हम सबकी उम्मीदों पर खरे उतरें क्योंकि वन की सुरक्षा केवल उन्हीं की जवाबदारी नहीं है, हमारी भी जवाबदारी है, गांव और शहरों में रहने वाले उन तमाम व्यक्तियों की भी उतनी ही जवाबदारी है कि वन और पर्यावरण को हम लोग बचाकर रखें. अभी आदरणीय लक्ष्मण सिंह जी ने एक अच्छी बात कही, जो अब भोपाल शहर तक आ गए हैं. वे अब राधौगढ़ तक जाएंगे. राधौगढ़ तक ही पहुँचे महाराज.(हंसी) यह अच्छी बात है. शहरों का जो एरिया है वह वास्तव में हम लोगों ने बंद कर दिये हैं. हम लोगों ने मतलब उसमें सभी शामिल हैं, मैं किसी एक को दोष नहीं देता हूं. अभी वनों की सुरक्षा के लिये जो महत्वपूर्ण चीजें इस बजट में नहीं है, हमारा यह परम कर्तव्य है कि उसके बारे में विपक्ष में रहने के बाद हम आपका ध्यान आकर्षित करवाये कि आखिर तीन हजार छ: सौ अठ्ठाईस नाकेदार, रेंजर, डिप्टी रेंजर क्यों नहीं है, छ: सौ बहत्तर लिपिकीय कर्मचारी नहीं है, दो सौ सत्तावन चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी नहीं है. ड्राइवर और महावत और सहायक महावत मिलाकर तीन सौ दस नहीं हैं. अनुकंपा क्यों नहीं मिल रही है, अगर व्यक्ति विभाग में काम करते हुये नहीं रहता है तो उसके परिवार को यह अपेक्षा होती है कि यह सरकार अनुकंपा नियुक्ति तत्काल दे दे. अभी मैं देख रहा था कि साल भर के अंदर ही लगभग इक्यासी अनुकंपा के प्रकरण लंबित पड़े हैं. सबसे बड़ी बात जो मैंने अभी मेरे साथी मंत्री जी से भी कही थी कि एक बार जब मैं जंगलों में गया तो वहां मैंने देखा कि जो हाथी का कंडेक्टर होता है, जिसको चारा कटर या सहायक महावत कहते हैं, उसकी बड़ी महत्वपूर्ण जवाबदारी होती है. वह तीन-चार बजे रात से हाथी को ढूंढने जाता है और उसके बाद एक बार टाईगर ने उसे पकड़ लिया, जो वर्षों से वहां पर काम कर रहा था और वह व्यक्ति मर गया, उसके परिवार वाले हमारे पास आये, उन्होंने कि हमें अनुकंपा नियुक्ति पर लगा दिया जाये. मैंने जब इस संबंध में अभी मंत्री जी और विभागीय अधिकारियों से भी बात की कि आपके पास पद हैं, महावत हैं, सहायक महावत हैं, वर्षों से काम कर रहे हैं, तो उनको नौकरी क्यों नहीं दे रहे हैं ? तो इस संबंध में मुझे बताया गया है कि वह हाथी चरा रहा है लेकिन वह आठवी पास नहीं है. हाथी का कंडेक्टर है, लेकिन पांचवी पास नहीं है. हाथी का मुख्य महावत ग्यारहवीं पास नहीं है. माननीय अध्यक्ष महोदय, अब अगर मैं एम.ए पास हूं, आप भी हो और मंत्री जी भी हैं तो क्या हम हाथी चला सकते हैं ? वह वर्षों से हाथी चला रहा है, इसलिये मैंने मंत्री जी से निवेदन किया कि जो पांच साल से हाथी चला रहा है, उसको आप पांचवी पास मानो, जो आठ साल से हाथी चला रहा है, उसको आप हाथी का ड्राइवर मुख्य महावत मानो. अब यह परिवर्तन नियमों में करना चाहिये कि नहीं करना चाहिये. पद खाली हैं, लोग बेरोजगार हैं, लोग मर रहे हैं, उनको अनुकंपा नियुक्ति नहीं मिलती है और हम कानून व्यवस्था लेकर बैठे हुये हैं.
किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री (श्री सचिन सुभाष चन्द्र यादव) -- बिल्कुल करना चाहिये.
अध्यक्ष महोदय -- कुंवर विजय शाह जी ऐसा तो नहीं कि हाथी ने बोल दिया हो कि जब तक ग्यारहवीं पास नहीं आयेगा तो मेरा महावत नहीं होगा, कहीं ऐसा तो नहीं हुआ है .(हंसी).....
कुंवर विजय शाह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से, इस सदन के माध्यम से यह बताना चाहता हूं कि हाथी चलाना एक टेक्नीकल काम है. इसलिये मेरा निवेदन है कि उसे आप और हम नहीं चला सकते हैं. माननीय गोविन्द सिंह जी भी नहीं चला पायेंगे.(हंसी)....
श्री सचिन सुभाष चन्द्र यादव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, कुंवर विजय शाह जी चला सकते हैं, इनको पूरा विश्वास है, आप फिर भी हाथी चला सकते हो(हंसी)
संसदीय कार्यमंत्री(डॉ.गोविन्द सिंह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं कुंवर विजय शाह जी को बताना चाहता हूं कि मैंने अनुकंपा नियुक्ति के लिये परसो घोषणा कर दी है कि हम नियम शिथिल करेंगे और पूरे प्रदेशों में सब विभागों में अभियान चलाकर अनुकंपा नियुक्ति की भर्ती की जायेगी.
कुंवर विजय शाह-- यह बहुत अच्छी बात है, इसके लिये आपका धन्यवाद, आपकी सरकार को धन्यवाद है कि अगर आप इनके लिये कुछ कर रहे हैं तो बहुत अच्छी बात है और यह बधाई की बात है. अभी हमारे सचिन भाई ने कहा कि विजय शाह जी हाथी चला सकते हैं. यह बात आपको कैसे मालूम ? मेरे घर में अध्यक्ष जी चार हाथी थे और मैं बचपन में उनको नहलाने ले जाता था, इसलिये मैं हाथी चलाना अच्छी तरह से जानता हूं (हंसी)..
माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा आपने निर्देश दिया है, मैं पूरी कोशिश करूंगा कि उसका पालन करूं. अभी बात वनों की सुरक्षा की आ रही थी तो मंत्री जी मैं इस संबंध में कहना चाहता हूं कि वनों की सुरक्षा में केवल हम अगर चार हजार कर्मचारी और भर्ती कर लें तो क्या वन कटना बंद हो जायेगा, नहीं होगा. क्या हम डिप्टी रेंजर और रेंजर को बंदूकें दे दें तो क्या वन कटना बंद हो जायेगा, नहीं होगा. वन अगर वास्तव में बचेगा तो उसके लिये गांव वालों को सहभागी बनाना पड़ेगा (मेजों की थपथपाहट) वनों में रहने वाला, वन उपज और लकड़ी का आधा-आधा हिस्सा करना पड़ेगा और उनसे कहना पड़ेगा कि भैय्या यह वन है, इसकी गांव वाले सुरक्षा करेंगे जब इसे काटेंगे और उससे जब पैसा आयेगा तो आधा पैसा गांव वालों का और आधा पैसा सरकार का होगा. अभी आप उन्हें बीस प्रतिशत दे रहे हो तो बीस प्रतिशत में गांव वाला क्यों लकड़ी की सुरक्षा करेगा ? बांस का आपने तीन जिलों में सौ प्रतिशत दिया है और बाकी जगह पचास प्रतिशत दिया है तो केवल तीन जिलों में आपने सौ प्रतिशत क्यों दिया है ? इसलिये दिया है, क्योंकि बालाघाट, छिंदवाड़ा, बैतूल, सिवनी से आप बांस निकाल नहीं पा रहे थे पिछले 3 साल से. मेहरबानी करके माननीय मंत्री जी बांस का अगर आप 100 प्रतिशत पूरे मध्यप्रदेश में करेंगे तो आदिवासी को निश्चित रूप से लाभ होगा, क्योंकि वन और आदिवासी का चोली दामन का साथ है. उनका जीवनस्तर, उनकी समस्यायें, उनका निराकरण एक दूसरे में समाहित है और इसलिये मेरा आपसे निवेदन है कि लकड़ी में जो लाभांश की राशि होती है उसका फारेस्ट में रहने वाले जो हमारे आदिवासी भाई है, हमारी उपाध्यक्ष महोदया भी इस बात से सहमत होंगी. 50 प्रतिशत, अगर वास्तव में आपकी सरकार यह चाहती है कि वन बचें, आदिवासियों का भला हो तो जो 20 प्रतिशत की लाभांश राशि आप दे रहे हैं उसको बढ़ाकर के आप 50 प्रतिशत करेंगे तो बहुत मेहरबानी होगी. उसी तरह वन कर्मचारियों की सुरक्षा के लिये भी कई बार हम देखते हैं और आजकल तो लोग जब अतिक्रमण करते हैं तो वन कर्मचारियों पर ही आक्रमण कर देते हैं और कई वन कर्मचारी मारे भी जाते हैं. जंगली जानवर से भी उन्हें असुरक्षा होती है. पिछली बार भी जब हमारी सरकार थी, हमने कहा कि उनको एक ऐसा डंडा दिया जाये ताकि वह जीवन की रक्षा भी कर सकें और जानवर को भी नुकसान न हो. अगर कोई जानवर हमला कर दे तो जो चार्जिंग वाला जो डंडा होता है अगर वह जानवर को छुआ दे तो कुछ देर के लिये वह भाग जायेगा, आवाज करेगा, बड़ी तीखी आवाज करेगा और उसी डंडे में लाइट होती है, लाइट भी होगी, करेंट भी होगा और आवाज भी होगी और ऐसा डंडा मैंने कुछ अधिकारियों को गिफ्ट भी किये हैं. माननीय अध्यक्ष जी, वनों की सुरक्षा करने वाले खासकर हमारी बहनें भी आ गईं, तो अगर कोई जंगली मानसिकता का अधिकारी या कोई व्यक्ति भी उन पर हमला करे तो करंट वाला डंडा छुआ दे, 4 घंटे बेहोश हो जाये. हमारी बहनों की सुरक्षा के लिये भी भरती में 10 प्रतिशत या 30 प्रतिशत, मुझे मालूम नहीं बहनें वन कर्मचारी कितने प्रतिशत ले रहे हैं आप लोग, 30 प्रतिशत. आप कितना ले रहे हैं.
श्री तरूण भनोत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, वह डंडा किस-किस को दिया है आपने अगर बता दें.
कुंवर विजय शाह-- भाई साहब विदेश से लाया था, मैंने गिफ्ट किया था.
एक माननीय सदस्य-- आप तक भी पहुंचा दिया जायेगा.
कुंवर विजय शाह-- अध्यक्ष जी, जंगली मानसिकता का जो व्यक्ति होता है उससे बचाव का डंडा है .. (हंसी).. अब मैं आपको कैसे दे सकता हूं. आपकी अच्छी मानसिकता है, जो जंगली मानसिकता का व्यक्ति है जो हमारी मां, बहनें जंगल में जाती हैं और जंगली जानवर होते हैं उनसे सुरक्षा का है, मैं आपको कैसे दे सकता हूं. माननीय अध्यक्ष जी, मेरा निवेदन है कि ऐसी बहुत सी चीजें हैं जिससे हमारी बहुत सी बहनें जो कर्मचारी हैं वह सुरक्षित रहेंगी और जानवर भी सुरक्षित होगा और लाइट से चलेगी भी. इसी तरह बात हुई थी अगर जंगल बचाना है तो आपको सरभुजा के लिये कुछ वैकल्पिक व्यवस्था देखना पड़ेगी. लकड़ी कटकर आयेगी अध्यक्ष जी, जंगल कैसे बचेगा. आप सब लोग इस बात से सहमत हैं. मैंने पहले भी निवेदन किया था और जब वन विभाग में मैं चंद महीने था तो मैंने एक प्रयोग भी किया, 15 हजार कनेक्शन जो वनोपज का लाभांश, वनोपज का पैसा और लघु वनोपज से जो पैसा मिलता है उससे, हमने प्रयोग किया कि वन में रहने वाले लोगों को फ्री गैस कनेक्शन दें. हमारे वन अधिकारी यहां बैठे हुये हैं. जब मैं वन मंत्री था, शेर ने एक हमारी जवान बहन को पकड़ लिया और हमारे गांव वालों के सामने उसको खा गया. हमने जब पूछा इत्तेफाक से मैं वहां था एजए वनमंत्री, हमने कहा क्यों गई थी तो बोले मां-बेटी दोनों लकडि़या बीनने गईं थीं, मोली लेने गई थीं, समझते हो न आप, मैं तो गांव देहात का आदमी हूं इसलिये, तो हमने कहा क्यों तो बोले शेर खा गया. कुछ ऐसी व्यवस्था नहीं हो सकती, लकड़ी बीनना है, लकड़ी मोली लाना हमारी मजबूरी है और एक मोली 2 दिन, 4 दिन, 5 दिन से ज्यादा चलती नहीं है. मेरा केवल एक सुझाव यह है कि आप गैस के माध्यम से, जो लाभांश का पैसा है, जो आपके वन सुरक्षा का पैसा है, आप कहां खर्च कर रहे हैं, आप नाका बना रहे हैं, आप बाउंड्रीवाल बना रहे हैं. मेहरबानी करके अगर उन वन में रहने वाले लोगों को आप गैस कनेक्शन दिलायेंगे, भारत सरकार भी दे रही है, आप भी थोड़ी मदद कर दोगे तो जो आपने कहा है कि 5 किलोमीटर तक हम मोली ले जायेंगे, उसकी बजाय अगर आप सबको गैस कनेक्शन दे देंगे तो यह लकड़ी बेचने का धंधा बंद हो जायेगा माननीय मंत्री जी. मेहरबानी करके इस पर भी आप ध्यान दें.
अध्यक्ष महोदय-- धन्यवाद. आप दोनों ने पूरा समय ले लिया.
कुंवर विजय शाह-- मैं बस पांच मिनट में खत्म कर दूंगा.
अध्यक्ष महोदय-- कितना.
कुंवर विजय शाह-- बस दो मिनट.
अध्यक्ष महोदय-- मुझे करेंट लग गया, कैसे कर रहे हो आप, नहीं, आपके साढ़े तेरह मिनट हो गये हैं.
कुंवर विजय शाह - माननीय मंत्री जी, मैं आपको बहुत सारे सुझाव देना चाहता हूं क्योंकि मैं तो वनों में ही रहता हूं 70 परसेंट वहां वन हैं. मैं सिर्फ प्वाइंटेड बात करूंगा. वन ग्राम का राजस्व ग्राम में परिवर्तन या वन ग्रामों के विकास के लिये एक पैसा नहीं रखा. और तो और लिख दिया भारत सरकार और सुप्रीम कोर्ट में जो चल रहा है कि 310 वन ग्राम जो हम राजस्व ग्राम बनाएंगे लेकिन उनका नियंत्रण राजस्व विभाग नहीं करेगा अब ऐसी आपत्ति यदि वन विभाग की आयेगी तो हम लोग क्या करेंगे.
अध्यक्ष महोदय - कृपया समाप्त करें.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - अध्यक्ष महोदय, वह बैटरी वाला डंडा ढूंढ रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - हां वह डंडा ढूंढ रहा हूं मैं.
श्री तरुण भनोत - नहीं वह तो जंगली प्रवृत्ति के लोगों के लिये है. इनके लिये नहीं है वह.
कुंवर विजय शाह - मैं वह डंडा अध्यक्ष जी को लाकर जरूर दूंगा कि आपके पास अगर पहुंच गया तो मैं दावा करता हूं कि आपके निर्देश वन विभाग को पहुंचेंगे और हजारों बहनें, हमारे कर्मचारी उससे सुरक्षित रहेंगे. माननीय मंत्री जी,जो आपने वन ग्राम की बात कही, वह मैं आपको लिखकर भी दूंगा. हमारे विधान सभा क्षेत्र में जो आशापुर डिपो है वहां लाखों, करोड़ो रुपयों की लकड़ी है, एशिया का सबसे बड़ा डिपो हो सकता है लेकिन आप वहां एक फायर फाईटर वहां रख दोगे तो आपका वन भी सुरक्षित होगा और डिपो भी सुरक्षित होगा. ऐसे बड़े-बड़े डिपों में जहां करोड़ों रुपयों की आपकी आमदनी है. वहां आप एक-एक फायर फाईटर खरीद कर रखोगे तो आपको कोई नुकसान होने वाला नहीं है. इसी तरह जो घायल होने वाला आदमी है या कोई जंगली जानवर किसी को खा जाता है, हम लोगों ने उसको 4 लाख किया पहले 50 हजार,1 लाख मुआवजा था. पहले जमाने में कोई वन कर्मचारी मर जाता था तो उसे 1 लाख रुपये मिलता था मैंने उसको 10 लाख किया. ये छोटी-छोटी चीजें हैं. वनोपज को और लकड़ी का जो फर्नीचर है अगर ये भी सरकारी विभागों में बैन कर दोगे तो मुझे लगता है कि जंगल बचेगा. गोविन्द सिंह जी यह प्रस्ताव पास कर सकते है कि लकड़ी का फर्नीचर सरकारी कर्मचारी और सरकारी आफिस में हम बेन कर रहे हैं, अगर यह निर्णय आप ले लोगे तो जंगल कटने से बचेगा और जंगल से बहुत ज्यादा पैसा आता नहीं. 400-500 करोड़ रुपये आता होगा. मेहरबानी करके 10 साल जंगल काटना बंद कर दें, अगर 10 साल आपने जंगल काटना बंद कर दिया तो आटोमेटिक जंगल बच जायेंगे. अध्यक्ष जी, आपने समय दिया बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री सोहनलाल बाल्मीक अनुपस्थित
श्री निलय विनोद डागा अनुपस्थित
श्री सीताराम आदिवासी अनुपस्थित
श्री कुंवर सिंह टेकाम (धौहनी) - माननीय अध्यक्ष महोदय, वन के संबंध में जो मांग है उसका मैं विरोध करता हूं और कटौती प्रस्ताव का समर्थन करते हुए अपनी बात रखूंगा क्योंकि माननीय विजय शाह जी और माननीय संजय शाह जी ने पूरी तरह बिन्दुवार अपनी बातों को रखा है. मुझे लगता है कि इतने बढ़िया सुझाव उन्होंने दिये हैं इसीलिये मैं उन पर नहीं जाना चाहता. हमारे यहां सीधी जिले में संजय दुबरी टाईगर रिजर्व क्षेत्र 2008 के पहले घोषित हुआ. वहां 8 ग्राम पंचायतों के 48 गांवों को व्यवस्थापन के लिये चिन्हित किया गया. उसमें से मझगंवा, रौंदा भदौड़ा, गांजिन लौढ़िया, बस्तुखरबर, दुर्घुटी, देबर, चिनगंवा,दुबरीकला, उमरिया के ग्राम पंचायतों के 48 ग्रामों का व्यवस्थापन होगा जिनके 10 हजार परिवार विस्थापित होंगे. इनको व्यवस्थापन के नाम पर केवल 10 लाख रुपये 2008 में नोटिफिकेशन करके, कि 10 लाख प्रति परिवार को पेकेज देकर इनको विस्थापित किया जायेगा और उसमें से 8 ग्रामों का व्यवस्थापन भी कर दिया गया और आज वे लोग न जमीन खरीद पाये, न कहीं बस पाये और उन 8 गांवों के विस्थापित परिवार दर-दर भटक रहे हैं. इसलिये व्यवस्थापन का जो क्राईटीरिया है, नियम है, इस पर विचार करने की जरूरत है और यह जो 10 लाख प्रति परिवार का पेकेज है, यह बहुत कम है. 2008 की महंगाई दर और आज की महंगाई में अंतर है. मैंने उस समय भी मांग की थी. उस समय माननीय शेजवार जी, और पी.सी.सी. चीफ (वाईल्ड), सबने उस समय वहां का दौरा भी किया था. लेकिन उसमें अभी भी जो मुआवजे की राशि है उसका बढोतरी से संबंधित काम अटका पड़ा हुआ है. हमारे यहां जो फसल हानि होती है वहां के एक भी किसान को उसका मुआवजा नहीं मिलता है, इसलिए उसकी व्यवस्था होनी चाहिए. जो पशुहानि, जनहानि हो रही है उनका भी त्वरित निराकरण नहीं होता है. इनका त्वरित निराकरण करने की आवश्यकता है. साथ ही हमारे यहां जो छत्तीसगढ़ से हाथियों का प्रवेश हो जाता है, उनका तांडव चलता रहता है. हाथी घरों को बिल्कुल तबाह कर देते हैं. जनहानि करते हैं फसल हानि करते हैं लेकिन आरबीसी 6 (4) में थोड़ा सी राशि दे देते हैं दो-दो हजार, तीन-तीन हजार देते हैं लेकिन जिसका घर चला गया, जिनकी फसल नष्ट हो गई तो यह जो मुआवजे की राशि है उसका वास्तविक मूल्यांकन करके या तो बढ़ाकर उनको मिलना चाहिए. हमारे यहां अभी तक 72 घरों का नुकसान हुआ है. 72 घरों को केवल दो दो हजार रुपये देकर इतिश्री कर लिया गया और कहा गया कि यही नियम है, वह गरीब परिवार कहां जाएंगे? जो उनका नुकसान होता है उस पर विचार करने की आवश्यकता है.
अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी अभी साइडोल में, बस्तुआ का सफारी एरिया में मुआवजा बंटा. बहुत सारे ऐसे परिवारों को छोड़ दिया, उनके कुछ आवेदन पत्र मेरे पास में हैं, मैं आपको अलग से दूंगा. मंगल बैगा, धनसार बैगा, राममनोहर बैगा, रामनाथ बैगा, देववती बैगा, ये साइडोल और घुटी के हैं इनको मुआवजा नहीं दिया गया है और वहां से बेदखल कर दिया गया है. वहां जाने नहीं दिया जा रहा है, उनके पास में न घर है न मुआवजा का पैसा, वे जाएं तो जाएं कहां? इस स्थिति में है. इसी तरह से रामराज यादव, शुभकरण यादव, सथार खरिया बस्तुआ ग्राम पंचायत का हैउसको भी मुआवजा नहीं दिया गया है. यह तो दिखवा लें. मैंने कई बार पत्र लिखा. तमाम जांच दल गठित होते हैं और इसके बाद ढाक के तीन पात, इसलिए माननीय मंत्री महोदय आप कुछ संवेदनशील लगते हैं. मुझे लगता है कि आदिवासियों का भला होगा तो इन बातों को आप दिखवा लेंगे. वहां जितने भी कोर जोन और बफर जोन हैं जो 48 गांवों को शामिल किया गया है, इनका जरूर एक बार परीक्षण करवा लें कि यह वास्तव में इनका जो सीमांकन हुआ है संजय दुबरी टाइगर रिजर्व क्षेत्र के लिए तो वास्तव में सही है या गलत है इसका निर्धारण सही होना चाहिए और बाकी सब बिन्दुवार आपने कह ही दिया है, इसलिए उस पर ज्यादा न बोलते हुए मुझे केवल इतना कहना है कि जो जंगली जानवर उनकी न तो जंगल में खाने की व्यवस्था है, न पीने के पानी की व्यवस्था है और इसलिए वे गांवों की ओर आते हैं और तमाम फसल हानि, जनहानि और पशुहानि करते हैं तो इनकी रोकथाम करने के लिए आप क्या कारगर उपाय बनाएंगे? हमारे यहां सुअर बहुत ज्यादा बढ़ गये हैं, वह फसल का नुकसान करते हैं. बन्दर बहुत ज्यादा हो गये हैं, उनकी क्या व्यवस्था करेंगे, वह फसल हानि करते हैं. इसके लिए कोई कार्य योजना बनाकर इन ज्यादा बढ़े हुए जंगली जानवरों को आप कहीं दूसरी जगह पलायन करवाएं इतना ही कहते हुए जो आपने मुझे समय दिया, बहुत बहुत धन्यवाद. माननीय मंत्री जी आप इस पर समुचित कार्यवाही करेंगे मेरी इसी अपेक्षा के साथ आपको भी बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री विजयपाल सिंह - अध्यक्ष जी, मुझे भी एक मिनट दे दें क्योंकि मेरा प्रश्न था उस दिन मेरा प्रश्न आया नहीं था, उस दिन विधान सभा स्थगित हो गई थी.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न आपका नहीं आया तो उसमें मेरी क्या गलती है? और आपकी क्या गलती है? आपने प्रश्न लगाया प्रश्न लग गया, अब न तुम्हारी गलती, न मेरी गलती.
श्री विजयपाल सिंह - इनके बाद एक मिनट लूंगा.
अध्यक्ष महोदय - लेकिन जो पहले बोलने वाले हैं उनको बोल लेने दें.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को( पुष्पराजगढ़ ) -- माननीय अध्यक्ष महोदय मांग संख्या 10 का मैं समर्थन करता हूं और कटौती प्रस्तावों का विरोध करता हूं. मैं वन मंत्री जी को बहुत बधाई देता हूं कि वनों के संरक्षण और विकास के लिए आपने जो बजट की मांग की है उससे निश्चित ही हमारे मध्यप्रदेश में हमारे घटते वनों का जो रकबा है उसमे सुधार का काम करेंगे. जैसा कि हमें पता है 33 प्रतिशत वन होना आवश्यक है, पर्यावरण संतुलन के लिए जितने वन होना चाहिए उससे बहुत कम वन हमारे मध्यप्रदेश में हैं. आज मध्यप्रदेश में बिगड़े वनों का जो क्षेत्रफल है 77414 वर्ग किलोमीटर है, मैं यहां पर मंत्री जी से निवेदन करना चाहूंगा कि यह जो बिगड़े वन का क्षेत्र हैं जहां पर पौधे नहीं है. मैंचाहता हूं कि वन समितियों के माध्यम से और जो बड़ी ग्रीन कपनियां है इन कंपनियों के संयुक्त प्रबंधन से उन बिगड़े वन के क्षेत्र में वृक्षारोपण करायें और इनको पौधों के रख रखाव के लिए 7 से 8 तक की जिम्मेदारी दें और उसके बाद में जिन क्षेत्रो में वह वृक्षारोपण करते हैं वहां से चारा है घास है जो भी वहां से निकल रहा है उसकी आय उस समिति को देने का कष्ट करें.
मेरा अनुरोध है कि मध्यप्रदेश में जो वन विभाग के द्वारा गौशालाओं का निर्माण हो रहा है तो गांव के किनारे पर जो मवेशी है वह खेत में घुसकर और वन क्षेत्र में घुसकर वनों का और खेतों का नुकसान करते हैं उऩको इन गौशालाओं में रखेंगे तो हमें हमारे जंगलों और खेतों में जो नुकसान हो रहा है उसका लाभ मिलेगा.
अध्यक्ष महोदय मैं वन मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि हमें वृक्षारोपण को बढ़ावा देना चाहिए इ स वृक्षारोपण में पहले वन विभाग के माध्यम से पौधा रोपणियां हुआ करती थीं उन पौधा रोपणियों को समाप्त कर दिया गया है. आपके पास में अगर कोई पौध रोपण नहीं है तो मैं यह चाहता हूं कि उन पौध रोपणियों को फिर से चालू करें उसमें ऐसा सस्ता पौधा जो किसानों को और आम जनता को सस्ता उपलब्ध करायें ताकि लोग अपने घरों में मे़ड़ों में खेतों में जहां पर भी उनके पास में जमीन हैं वहां लगायें और पौधे को तैयार करने काम करें.
मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि संयुक्त वन प्रबंधन के अंतर्गत जो हमारी ग्राम वन समितियां हैं उन ग्राम समितियो की भूमि शून्य कर दी जाती है तथा हमारी सरकार व संयुक्त वन प्रबंधन की वन समितियों को नये सिरे से गतिशील बनाया जाय और उनको ज्यादा से ज्यादा राशि ग्राम वन समितियों को उपलब्ध करायेंगे मुझे ऐसा विश्वास है कि वह ज्यादा अच्छा हमारी जनता और ग्राम वन समितियां मिलकर वनों की सुरक्षा रक्षा करने में सक्षम होंगे. मैंने अपने कुछ सुझाव तैयार किये हैं.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं आप अपने सुझाव मंत्री जी को दे दें.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को -- मैं एक बात कहना चाहता हूं कि 5वीं अनुसूची को लागू कर दें तो वहां के वनों रहने वाले लोग हैं उनको वनउपज का लाभ मिलने लगेगा.जनजाति समाज के लोगों को लाभ मिलेगा इससे विकास भी होगा. आपने मुझे बोलने का समय दिया धन्यवाद्.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया -- अध्यक्ष जी एक घड़ी बताती है 7 बजकर 34 मिनट 12 सेकण्ड एक बता रही है 7 बजर 34 मिनट 25 सेकण्ड .
अध्यक्ष महोदय -- आप ऐसा करें कि इस घड़ी को इस आंख से देखें, उस घड़ी को उस आंख से देखें.
कुंवर विजय शाह -- अध्यक्ष महोदय चार घड़ी हैं और चारो में समय अलग है.
अध्यक्ष महोदय -- आपकी बड़ी कटीली नजरें हैं मैं आपकी कटीली नजरों को धन्यवाद देता हूं. आप सुने कि जो सामने वाली घड़ी है उसको देखता हूं.
कुंवर विजय शाह -- अध्यक्ष महोदय, चारों घड़ियों का समय अलग अलग है.
अध्यक्ष महोदय -- मैं जो सामने घड़ी है, उसको देखता हूं. खत्म बात.
कुंवर विजय शाह -- अध्यक्ष महोदय, आपको घड़ी इधर दिखती है, हमको इधर दिखती है, उधर वालों को इधर दिखती है. इसलिये मेहरबानी करके सबको एक जैसा दिखे, जैसा आप देख रहे हैं, सबको वैसा दिखे.
अध्यक्ष महोदय -- तो जो मेरी घड़ी है, मुझे देखो ना. जब मैं मना कर देता हूं, मना कर देता हूं. जब चालू करता हूं,चालू करता हूं, तो मेरी घड़ी देखो भाई. शैलेन्द्र जैन जी.
श्री शैलेन्द्र जैन (सागर) -- अध्यक्ष महोदय, सबकी नजरों में हो साकी,यह जरुरी है मगर, सब पर साकी की नजर हो, यह जरुरी तो नहीं. अध्यक्ष महोदय, आपने बोलने के लिये समय दिया, बहुत बहुत धन्यवाद. मैं बात करना चाहता हूं कि जो शहरी क्षेत्र हैं और शहरी क्षेत्र के अन्तर्गत जो वन आछादित क्षेत्र हैं, वन हैं, ऐेसे क्षेत्रों को विकसित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया था और उस महत्वपूर्ण कदम के परिणाम बहुत अच्छे आये. सम्भागीय स्तर पर जैसे इन्दौर,ग्वालियर, जबलपुर, उज्जैन एवं सागर है. हम बहुत भाग्यशाली हैं कि सागर शहर के अन्दर 100 हेक्टेयर में हमने सिटी फारेस्ट डेव्हलप किया, इसके लिये हमें मध्यप्रदेश सरकार से भी मदद मिली, केंद्र सरकार से भी मदद मिली. यह 100 हेक्टेयर फारेस्ट ऑक्सीजन बैंक बन गया है, इससे सागर शहर के लोगों को बहुत सुविधा हुई है. हम चाहते हैं,हमने उसके अंतर्गत बहुत कुछ काम किये हैं. व्यूह पाइंट बनाये हैं, सड़कों का विकास किया है. एक बहुत अच्छा टूरिस्ट प्लेस विकसित हो गया है. हम चाहते हैं कि उसका हमने प्रस्ताव दिया है, उस प्रस्ताव को थोड़ी सी फंडिंग आप करवा देंगे, मैंने निवेदन किया था, लेकिन बजट में इस बार कोई प्रावधान नहीं हुआ है. मैं आपके माध्यम से मंत्री महोदय से चाहता हूं कि सिटी फारेस्ट के लिये विशेष रुप से, क्योंकि यह शहरी क्षेत्र की जनसंख्या के लिये बहुत महत्वपूर्ण आक्सीजन बैंक के रुप में काम करेंगे.
अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में दो चिड़िया घर नेशल ज़ू अथारिटी ने स्वीकृत किये हैं. एक रायसेन में है,डॉ. प्रभुराम चौधरी जी चले गये, उनके क्षेत्र में है और एक हमारे सागर क्षेत्र में है. अब नेशनल ज़ू अथारिटी की स्वीकृति के बाद सर्वे का काम हो चुका है. अब जो जमीन फारेस्ट लैण्ड है, जितनी जमीन उसमें आ रही है, वह रेवेन्यू लैंड से उसको कम्पनसेट करने की आवश्यकता है. तो उसके संबंध में वन विभाग जो है कुछ सुस्ती का काम कर रहा है, यह मैं मंत्री जी से कहना चाहता हूं, चूंकि यह ज़ू जो हैं और रेस्क्यू सेंटर जो हैं, ये हमारे आगे आने वाली पीढ़ी को वन्य प्राणियों के प्रति जागृति लाने के लिये, उनको शिक्षित करने के लिये बहुत महत्वपूर्ण होते हैं और जहां जैसे बने हुए हैं, वह बहुत संकुचित हो गये हैं. हमने 100 हेक्टेयर से भी अधिक जगह में ज़ू और रेस्क्यू सेंटर का प्रपोजल दिया है, वह भी प्रस्ताव आपके अधिकारियों के यहां लंबित है. आप कृपा करके उसको दिखवा लेंगे, बड़ी कृपा होगी.
अध्यक्ष महोदय, सागर जिले में, हमारे मंत्री महोदय हर्ष यादव जी भी बैठे हैं, उनके क्षेत्र का विषय है. नौरादेही अभ्यारण्य में बहुत कुछ विस्थापन का कार्य हो गया है. 80-90 प्रतिशत तक विस्थापन का कार्य हो गया है. गांव के गांव विस्थापित हो गये हैं. बहुत बड़ी राशि सरकार ने दी है. हम चाहते हैं कि जो शेष बचा हुआ काम है, उसके लिये भी राशि दे दी जाये, ताकि 100 प्रतिशत विस्थापन का काम हो, वहां पर बाघों के विस्थापन के लिये उसको बहुत आइडियल माना है और बाघों का विस्थापन शुरु हो गया है. हम चाहते हैं कि बाघों के संरक्षण की दिशा में हमारा नौरादेही अभ्यारण्य एक मील का पत्थर साबित होगा. अध्यक्ष महोदय, आपने यहां बातर खने के अवसर दिया, इसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद.
कुंवर विक्रम सिंह (राजनगर) -- अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से यह कहना चाहता हूं कि मैं मांग संख्या 10 वन का समर्थन करता हूं और जो मुख्य बात वन विभाग की आज है, वह यह है कि छोटे जानवरों का संरक्षण किसी भी प्रकार से हो नहीं पा रहा है और यह बड़ा चिंतनीय विषय है क्योंकि एक तादाद से ज्यादा जब सियार बढ़ जाते हैं तो छोटे जानवर जैसे खरगोश है, चिंकारे हैं, भेड़की है, इनके बच्चों को नुकसान होता है. ये प्रिडेटरी एनिमल्स हैं, इनका भी संरक्षण कुछ इस तरीके से किया जाए ताकि ये नस्ल बच सके, क्योंकि किसी जमाने में जहां खूब खरगोश हुआ करते थे, खूब चिंकारे हुआ करते थे, आज वहां पर खरगोश और चिंकारे देखने को नहीं मिल रहे हैं. ये वास्तविक बात है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से दूसरी बात यह कहना चाहूंगा कि अपने मध्यप्रदेश में बहुत सी जगहों पर जंगली सुअर और रोजड़ों की तादाद बहुत बढ़ चुकी है. इसके लिए मैं पिछले 15 सालों से कहता आ रहा हूँ और ये 16वां साल है, जब मैं यह बात कह रहा हूँ. माननीय मंत्री जी कोई कानून ऐसा बनाइये, जिससे कि परमिट मिल सके रोजड़े और जंगली सुअर के शिकार का परमिट मिल सके.
कुँवर विजय शाह -- ये शहर के सुअरों की बात कर हैं कि जंगली सुअरों की बात कर रहे हैं.
कुँवर विक्रम सिंह (नातीराजा) -- प्लीज डू नॉट इन्टरप्ट.
अध्यक्ष महोदय -- विजय शाह जी, वे जंगली सुअरों की बात कर रहे हैं. बैठ जाओ.
कुँवर विक्रम सिंह (नातीराजा) -- अध्यक्ष महोदय, मैं जंगली सुअरों की बात कर रहा हूँ, इससे रेवेन्यू भी जनरेट होगा.
अध्यक्ष महोदय, अपने मध्यप्रदेश के बुंदेलखण्ड अंचल में करधाई, जो कि एक पेड़ की वेराइटी है, जो कीकर कहलाता है. ये समाप्त होता जा रहा है. बहुत सी जगहों पर पहाड़ियां हैं जिनमें वन के नाम पर अब पेड़ तक नहीं बचे हैं. यदि उन जगहों पर, जहां पर ऐसी जगह है, उन जगहों पर यदि सुबबूल का ही बीज फेंक दिया जाए, तो ये जानवरों के लिए एक चारा भी होती है और पर्यावरण को संतुलन देने का काम भी यह करेगा. उसकी लकड़ी भी उपयोगी है, चाहे वह ग्राम के लोगों के लिए हो, हालांकि वह ईमारती लकड़ी नहीं है, लेकिन जलाऊ लकड़ी के काम आ सकती है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, एक छोटी सी बात और करके अपनी बात समाप्त करूंगा. केन घड़ियाल सेंक्चुअरी मेरी विधान सभा क्षेत्र में है. केन घड़ियाल सेंक्चुअरी में घड़ियालों की संख्या एक समय में 30 से 32 हुआ करती थी. केन नदी में जैसे ही मगरमच्छ बढ़े, तब से इंडोगेन्जेटिक जो घड़ियाल है, यह घड़ियाल चंबल के रास्ते से, केन से रास्ते से चंबल होते हुए और यमुना होते हुए गंगा में प्रवेश कर गए. वहां पर मात्र एक बुल मेल घड़ियाल और एक फीमेल बची हुई है, जिनका संरक्षण करना जरूरी है. वे न भाग जाएं, उनके लिए थोड़ा सा आपसे अनुरोध करता हूँ. माननीय वन मंत्री जी मेरी बातों पर ध्यान देंगे, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष जी, मेल और फीमेल घड़ियाल, नातीराजा का कितना गहरा शोध है...(हंसी) ... मैं आपके लिए धन्यवाद देता हूँ.
कुँवर विक्रम सिंह (नातीराजा) -- माननीय नेता प्रतिपक्ष जी, इसमें पहचान हो सकती है. क्यों हो सकती है क्योंकि जो मेल घड़ियाल है, उसके स्नाउट के ऊपर एक तूमा होता है, उसके नकवे के ऊपर, जिस प्रकार से कोमडक एक चिड़िया होती है, जिसको नकटा कहते हैं, उसी प्रकार से उस पर एक कोम होता है, यह सब फीमेल में नहीं होता है.
अध्यक्ष महोदय -- गोपाल भाई, गहरा अध्ययन है.
श्री गोपाल भार्गव -- सिंघार जी की जगह वास्तव में नातीराजा जी को वन मंत्री होना चाहिए था...(हंसी) ...
श्री जालम सिंह पटेल (नरसिंहपुर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे दमोह और सागर जिले में नवरादेही अभ्यारण्य की बात करना चाहूँगा. इसका अभी जिक्र भी हुआ है. नरसिंहपुर जिले के 7 गांव उसमें प्रभावित हैं. देवरी विधान सभा के भी हैं, दमोह के भी हैं. इसमें 3 गांव विस्थापित हो गए, 1 गांव आंशिक रूप से है, बाकी 2 गांव के लोगों ने और अपना आवेदन किया है कि शीघ्र विस्तापित हो जाएं. उसी प्रकार से सागर जिले के, मैं यह बात इसलिए कह रहा हूँ कि वहां न सड़क है, न पानी है, न स्कूल है. मैंने प्रश्न लगाया था उस प्रश्न के जवाब में आया है कि अगर ग्रामवासी आवेदन करेंगे, तो उसमें जल्दी हो जायेगी. नरसिंहपुर जिले के झिलपीधाना के लोगों ने और मलकुही के लोगों ने विस्थापन के लिये निवेदन किया है. इसलिये आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन है कि शीघ्र उनका विस्थापन कर देंगे.
अध्यक्ष महोदय - हां, यह ठीक बात है. उन्होंने आवेदन लगा दिये हैं, लेकिन उनके ऊपर गौर नहीं किया जा रहा है. यह बात सही है.
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष जी, कल बृजेन्द्र सिंह जी का पन्ना के रिजर्व फॉरेस्ट के बारे में प्रश्न था. उनकी चिंता यही थी कि वन ग्रामों में जो लोग रहते हैं उनकी ..
अध्यक्ष महोदय - उसकी कमेटी मैंने बना दी है. 15 दिन का आदेश दिया है. मैंने क्या कहा था, डिप्टी रेंजर, ई पीडब्ल्यूडी और जिनने इसका जवाब दिया था फॉरेस्ट के वरिष्ठ अधिकारी.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह - अध्यक्ष महोदय, डिप्टी रेंजर नहीं, डिप्टी कलेक्टर बोला था आपने.
अध्यक्ष महोदय - सुनिये. वह 15 दिन जाकर वहां रहेंगे और स्वयं देखेंगे कि वहां के लोग कैसे अपना जीवन यापन कर रहे हैं. कैसी दिक्कतें आ रही हैं. वहां जाकर वह रहेंगे और मैं इसकी मॉनीटरिंग करूंगा कि वह गये या नहीं गये.
वन मंत्री (श्री उमंग सिंघार) - अध्यक्ष जी, क्या नातीराजा भी 15 दिन वहीं रहेंगे ? आपने यह नहीं बताया था.
अध्यक्ष महोदय - नहीं, नातीराजा भी रहेंगे उसमें.
श्री उमंग सिंघार - 15 दिन वहां रहेंगे, जंगल में ?
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, इनके क्षेत्र से लगा हुआ है वह, जो रिजर्व फॉरेस्ट है, पन्ना और छतरपुर की सीमा है. उसकी तारीख एवं समय सीमा भी आप निश्चित कर दें.
अध्यक्ष महोदय - कल कर दूंगा.
कुँवर विक्रम सिंह - अध्यक्ष महोदय, 22 किलोमीटर एक छोर है और 67 किलो मीटर दूसरा छोर है.
अध्यक्ष महोदय - चलिये, धन्यवाद. आपका भी आ गया. सुनील उईके.
श्री विजयपाल सिंह - अध्यक्ष जी ...
अध्यक्ष महोदय - मैं किसी का नाम ले देता हूं. आप लोग बीच में ऐसा क्यों करते हैं ?
श्री सुनील उईके (जुन्नारदेव) - सम्माननीय अध्यक्ष जी, धन्यवाद आपने बोलने का मौका दिया.
श्री विजयपाल सिंह - माननीय अध्यक्ष जी, मैंने भी दिया था.
अध्यक्ष महोदय - अरे भैय्या, रुक तो जाओ. मैंने एक का नाम पुकार दिया है. मेहरबानी किया करो.
श्री सुनील उईके - धन्यवाद अध्यक्ष जी. मैं आपका संरक्षण चाहता हूं. दो बहुत महत्वपूर्ण बिन्दु हैं. वैसे मैंने बोलने में नाम दिया था लेकिन ..
अध्यक्ष महोदय - जल्दी बोलिये, इतने में तो समय निकल जाता है.
श्री सुनील उईके - अध्यक्ष महोदय, विजय शाह जी ने आदिवासियों के हित में बड़ी महत्वपूर्ण बात कही है और जो भी बात उन्होंने वन से जोड़ी, उसमें कहीं न कहीं उन्होंने आदिवासियों को जोड़ने का काम किया है. लेकिन मुझे बड़े दु:ख के साथ यह कहना पड़ रहा है कि उनके शासन काल में, उनकी सरकार में आदिवासियों के साथ बड़ा अन्याय हुआ, जिस पर उन्होंने गौर नहीं किया. 1989 में जब लघु वनोपज समिति बनी, उस समय एक नियम बना था कि प्रदेश के 89 ब्लाकों में जनपद के अध्यक्ष आदिवासी होंगे, जनपद आदिवासी होगा, जिला पंचायत के सदस्य आदिवासी होंगे और वन समिति बनेगी, उसके अध्यक्ष भी आदिवासी होंगे. बड़े दु:ख के साथ यह कहना पड़ रहा है कि 2016 में इस नियम को बदला गया और उन समिति के अध्यक्षों को ओपन कैटेगरी में डाला गया. यह कहीं न कहीं आदिवासियों के अधिकारों का हनन किया गया. दूसरी बात यह है कि जो हमारी वन समिति होती थी, उसमें सुरक्षा राशि प्रतिवर्ष जाती थी. किसी में 50 हजार, किसी में 1 लाख, जैसी वहां की जनसंख्या की गणना होती थी उसके हिसाब से जाती थी. उस राशि को भी 2016 में गुपचुप तरीके से बंद कर दिया गया, जिससे कहीं न कहीं उन समितियों के लोगों के अधिकार समाप्त हो गये. अगर सरपंच के पास वित्तीय अधिकार नहीं होंगे, तो सरपंच बनने का क्या मतलब होगा ? उसी प्रकार अगर वन समिति के अध्यक्ष के पास कोई राशि नहीं होगी, तो वनों की सुरक्षा कैसे होगी ? मेरा आपसे यही निवेदन है कि इसमें आप एक व्यवस्था दें कि कैसे हमारी वन समिति के अध्यक्ष बन सकें जैसे पूर्व में बनते थे और सुरक्षा देने का भी माननीय मंत्री जी से निवेदन है.
श्री नारायण सिंह पट्टा - अध्यक्ष महोदय, एक मिनट मैं भी चाहता हूं.
डॉ. हिरालाल अलावा - अध्यक्ष महोदय, एक मिनट मुझे भी चाहिये.
अध्यक्ष महोदय - आप लोग देखिये. व्यवस्था में सहयोग करिये. पहले मेरी बात सुनिये. जिनको मैं एक मिनट दूंगा, आप लोग क्रिकेट मैच देखते होंगे. मान लो 4 गेंद बची हैं और 12 रन लेना है, तो आप क्या सिर्फ प्लेड करते रहोगे ? आपकी भाषा और बोली इतनी तेज होनी चाहिये ताकि आप 4 गेंद में 12 रन बना लें. अब आप भी स्लो स्पीड में चालू होंगे, तो मैं कैसे एक मिनट दूंगा ?
श्री नारायण सिंह पट्टा (बिछिया) - धन्यवाद अध्यक्ष जी. मेरे यहां कान्हा रिजर्व, बफर और फेन अभ्यारण्य यह तीनों आते हैं. मेरा आपके माध्यम से सीधे-सीधे मंत्री जी से यह आग्रह है कि जो विस्थापितों की बार-बार बात हो रही है, हमारे यहां कान्हा में लगभग 20 से 25 रिसॉर्ट हैं.इन रिसॉर्ट्स में पहले उन विस्थापित हुए परिवारों को रोजगार दिया जाता था.लेकिन कुछ दिन पहले से यह बाहर के लोगों को ला-ला करके होटल मालिक जो रख रहें हैं उससे वहाँ का थोड़ा-बहुत पढ़ा लिखा जो बेरोजगार है....
अध्यक्ष महोदय-- बिल्कुल ठीक बात है. बैठिए. नारायण जी, मैं आपकी बात मंत्री जी को बोल रहा हूँ. जब आप बोलते हों तो मैं सुनता हूँ. जब मैं बोलता हूँ तो आप लोग भी सुना करो.
मंत्री जी, यह बात बिल्कुल सही है. जो वहाँ के विस्थापित हुए थे उनको वहाँ की होटलों में नौकरी मिलना चाहिए थी और वे बाहर के लोगों को लाकर रख रहे हैं, इसमें जो भी आपके वहाँ रेंजर, डिप्टी रेंजर, वगैरह, वगैरह, लगे हैं इसकी तहकीकात करें और जिनको वाकई लाभ मिलना चाहिए वहाँ के लोगों को, उसको आप सुनिश्चित करें.
श्री नारायण सिंह पट्टा-- अध्यक्ष महोदय, जो अभी भी वनग्राम शेष रह गए हैं, उनको भी राजस्व ग्राम में शामिल होने के लिए मंत्री महोदय अनुमति दे दें. तीसरा....
अध्यक्ष महोदय-- अरे भाई रुकिए ना, नारायण जी, आप कैसा करते हों? अब ये बोलें तो नहीं लिखा जाएगा.
श्री विजयपाल सिंह(सुहागपुर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे यहाँ मढ़ई क्षेत्र है, बढ़िया पर्यटक स्थल है, एक तो वहाँ टूरिज्म बहुत है, पर्यटक लोग बहुत आते हैं. वहाँ जिप्सी जो लगी है, वह बहुत कम मात्रा में हैं, उनकी मात्रा बढ़ाई जाए और दूसरा वहाँ पर अभी दो तीन महीने पहले बाघों को मार दिया गया था. लेकिन जिन लोगों ने मारा उन पर तो कोई कार्यवाही नहीं हुई और गरीब लोग जो वहाँ पर रहते हैं उन पर कार्यवाही हुई तो कम से कम उसमें दिखवा लें कि बड़े बड़े लोगों ने उनको मारा, उनका उपयोग किया और उनको बेचने का काम किया तो उसको गंभीरता से दिखवा लें.
अध्यक्ष महोदय-- धन्यवाद. भार्गव जी, बोलिए...(व्यवधान)..आप पिछले विभाग में शुरुआत कर चुके हैं परमार जी इसलिए मना करता हूँ...(व्यवधान)..
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव(विदिशा)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, विदिशा जिले में वन क्षेत्र में..(व्यवधान)..खुले रूप से, अवैध रूप से पत्थर निकाला जा रहा है और वन क्षेत्र में करीब चार सौ हैक्टेयर भूमि में आज भी कई रसूदार लोग पत्थर निकाल रहे हैं. मैंने आला अधिकारियों से कई बार कहा लेकिन उन्होंने भी असमर्थता व्यक्त की. आज मेरा आप से निवेदन है कि आप इस मामले में व्यवस्था दें और कल विधायकों की और सब आला अधिकारियों की, एक कमेटी बनाकर, वहाँ भेजें तथा उस अवैध उत्खनन को रुकवाएँ. उसके साथ हाथी, घोड़ा, पच्ची, इन खदानों में भी अवैध रूप से पत्थर का उत्खनन हो रहा है. सैंड स्टोन और फ्लेग स्टोन का, हमारे वहाँ पर मेहरबानी करके, माननीय अध्यक्ष जी, मैं आसंदी से व्यवस्था चाहूँगा कि इस पर कार्यवाही होना चाहिए...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- आप लोग चाहते हैं क्या समय दूँ, नहीं तो मैं बंद कर दूँ और आगे बढ़ जाऊँ.
श्री राजेश कुमार शुक्ला(बिजावर)-- अध्यक्ष जी, मैं पहली बार बोल रहा हूँ. मैं आपका आशीर्वाद चाहूँगा और थोड़ा सा टाइम चाहूँगा. चूँकि आप ही की इच्छा है कि नये लोगों को सीखने का मौका मिले. अध्यक्ष जी, मैं जिस क्षेत्र से आता हूँ, मैं तीन दिन से देख रहा हूँ कि यहाँ बुन्देलखण्ड की बात बहुत कम होती है. जबकि हमारे यहाँ राहुल गाँधी जब बुन्देलखण्ड का दौरा करने जब आए और उन्होंने बुन्देलखण्ड का दौरा किया उसके बाद जाकर एक सभा में शायद छत्तीसगढ़ में उन्होंने मंच से कहा था कि हिन्दुस्तान का यदि सबसे गरीब और पिछड़ा क्षेत्र है तो वह बुन्देलखण्ड है और यहाँ सबसे ज्यादा पलायन भी है. मैं अपनी विधान सभा की बात कर देता हूँ. हमारे बिजावर विधान सभा क्षेत्र में अधिकांश फॉरेस्ट एरिया है और छतरपुर जिले में आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र भी है. यह क्षेत्र पचासों साल डाकुओं से पीड़ित रहा. आज वह आदिवासी क्षेत्र वन विभाग से पीड़ित है. अध्यक्ष जी, राजस्व और वन विभाग का वहाँ हमेशा झगड़ा बना रहता है कि यह जमीन राजस्व की है, यह वन विभाग की है, तो मैं मंत्री जी से यह चाहूँगा कि एक कमेटी बनाकर इसका सीमांकन जरूर करा लें कि राजस्व की भूमि कौनसी है और वन विभाग की भूमि कौनसी है. दूसरा हमारे क्षेत्र में पन्ना टाइगर भी लगता है. माननीय बृजेन्द्र सिंह जी ने जो प्रश्न उठाया था और जो आपने कमेटी बनाई है.उसमें पांच गांव हमारे भी आते हैं. ढोड़न, पलकुआहा, सुकवाहा और खरियानी यहां के निवासी बैरियर के अन्दर रहते हैं और 6 बजे के बाद उनका आना-जाना बंद हो जाता है. हम सुबह भोपाल आ जाएंगे और शाम तक घर लौट जाएंगे लेकिन जब हम क्षेत्र में जाते हैं तो सुबह से निकलते हैं तो रात के एक बजे तक केवल चार गांवों का ही दौरा कर पाते हैं. उस कमेटी में हमारे गांव भी शामिल किए जाएं वह कमेटी हमारे इन गांवों का भी सर्वे करे.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)-- अध्यक्ष महोदय, उस समिति में श्री राजेश शुक्ला जी को भी शामिल कर लें.
श्री राजेश कुमार शुक्ला--हमारा क्षेत्र और बृजेन्द्र सिंह जी की बॉर्डर लगी हुई है.
अध्यक्ष महोदय--अच्छा आप बॉर्डर वाले हैं ठीक है उसमें आपको भी पहुंचा देंगे. लेकिन वहां जंगल में लाल कपड़े पहनकर मत जाना.
श्री राजेश कुमार शुक्ला--चूंकि आपकी नजरें हमारे ऊपर नहीं पड़ रहीं थीं इसलिए लाल पहनकर आए उसके बाद भी आपकी नजर दो लोगों पर पड़ी और हम पर नहीं पड़ी थी. हमें लगा हम लाल-पीला कुछ पहनें ताकि हम पर आपकी कृपा हो जाए.
अध्यक्ष महोदय--हमारी नजर आप पर बराबर पड़ती रहती है.
श्री राजेश कुमार शुक्ला--बुंदेलखण्ड का सबसे प्रसिद्ध स्थल है जटाशंकर और इसके आजू-बाजू दोनों और जंगल है बीच में जटाधारी भगवान विराजमान हैं. महीने में दो से ढाई लाख दर्शनार्थी जटाशंकर पहुंचते हैं. इस वर्ष पानी की समस्या हुई तो मैंने भी देखा कि एक बोर करना था तो फारेस्ट के अधिकारियों का कहना था कि जटाशंकर जैसे स्थान पर बोर के लिए अनुमति की आवश्यकता होगी. मेरा मंत्री जी से यह कहना है कि जो प्रसिद्ध स्थान और तीर्थ स्थल हैं जहाँ जनता की भावनाएँ जुड़ी हैं वहां कम से कम इतनी जमीन छोड़ दी जाए. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री रामकिशोर (नानो) कावरे (परसवाड़ा)--माननीय अध्यक्ष महोदय, वनों से सबसे ज्यादा राजस्व अगर कहीं से आता है तो बालाघाट जिले से आता है. वनों की सुरक्षा के लिए मेरा सुझाव है कि वहां के जो आदिवासी हैं उनसे अधिकारियों के संबंध अच्छे होना चाहिए. क्योंकि जब हम अवैध कटाई की बात करते हैं. अवैध कटाई रोकने लिए हमारा स्थानीय निवासी तो साथ देता है लेकिन विभाग का अधिकारी वहां पर साथ नहीं देता है क्योंकि आपके अधिकारी अवैध कटाई में कहीं-न-कहीं लिप्त रहते हैं. अवैध कटाई को रोकना चाहिए. आपका अधिकारी अवैध रेत उत्खनन में शामिल हो जाता है. अवैध कटाई की चर्चा हम लोग यहां पर कर रहे हैं. बालाघाट जिले से लघु वनोपज के माध्यम से बहुत ज्यादा राजस्व प्रदेश को आता है. मैं चाहता हूँ कि बालाघाट जिले से जितना राजस्व आता है उसके 50 प्रतिशत लाभांश का पैसा उस क्षेत्र के अधोसंरचना के विकास के लिए दिया जाना चाहिए. वहां पर तेंदूपत्ता तोड़ा जाता है लेकिन उसको रखने के लिए हमें प्रायवेट गोदाम लेना होता है. उस लाभांश के पैसे से यदि उस जगह पर गोदाम बनाएंगे तो सरकार का फायदा होगा. मेरे विधान सभा क्षेत्र से कान्हा नेशनल पार्क लगा हुआ है. कान्हा के जानवर हमारे किसानों के खेत में आ जाते हैं जिससे किसानों को नुकसान होता है. क्षेत्र में जब हम जाते हैं तो यह शिकायत आती है कि किसानों के नुकसान का प्रकरण राजस्व के अधिकारी वन विभाग के अधिकारियों के पास भेजते हैं और वन विभाग के अधिकारी राजस्व विभाग के पास भेजते हैं. मंत्री जी अपने भाषण में बताने का कष्ट करें कि यह प्रकरण कौन बनाएगा जिससे उन किसानों को मुआवजा मिल सके.
अध्यक्ष महोदय, बहुत-बहुत धन्यवाद आपने बोलने का अवसर दिया.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा (खातेगांव)-- अध्यक्ष महोदय, समय का अभाव है इसलिए मैं मेरे क्षेत्र का जो वन से संबंधित मामला है मैं बता देता हूं. खिवनी अभ्यारण्य मेरे क्षेत्र में है और वहां से खिवनी ग्राम को विस्थापित किया गया है. कुछ लोगों को अभी तक मुआवजा प्राप्त नहीं हुआ है और जहां पर वह लोग विस्थापित हुए हैं वहां पर सड़क पीने के पानी और बिजली की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है. इसलिए इसको दिखाया जाए. जहां तक वन क्षेत्र की बात है तो मेरे यहां के वन क्षेत्र में इस समय बाघ की उपस्थिति भी देखी गई है. इसलिए खिवनी अभ्यारण्य के आसपास तार फैंसिंग कराने के लिए हमने पिछले बार के बजट में भी प्रस्ताव दिया था अगर वहां पर तार फैंसिंग जाएगी तो लोगों का अवैध अतिक्रमण भी रुकेगा और कम से कम उन जंगली जानवरों की सुरक्षा भी हो सकेगी. मेरी विधान सभा क्षेत्र में बांस का व्यवसाय करने वाले 100 परिवार हैं, लेकिन उनको पिछले दो, तीन वर्षों से उत्तम क्वालिटी का बांस जो बैतूल का होता है वह नहीं मिल पा रहा है इस कारण से वह अपने व्यवसाय को ठीक से संचालित नहीं कर पा रहे हैं. साथ ही साथ व्यापक पैमाने पर जो वन्य प्राणियों के फसल नुकसानी के प्रकरण हैं या तेन्दुपत्ता तोड़ते हुए श्रमिकों के घायल होने के प्रकरण हैं उनमें बहुत बिलंब से भुगतान हो रहा है इसको कम से कम देवास जिले में दिखाया जाए. साथ ही साथ वनों में पिछले वर्ष में अग्निकांड के कारण बहुत ज्यादा वनों की हानि हुई है इसलिए अग्नि से बचाव के लिए पर्याप्त व्यवस्था वहां पर की जाए. मेरे क्षेत्र में काला हिरण भी है और काले हिरण के शिकार की घटनाएं निरंतर प्रकाश में आ रही हैं. शिकारियों को पकड़ने का काम भी पुलिस और वन विभाग के माध्यम से किया जा रहा है लेकिन बार-बार शिकार की घटनाएं सामने आ रही हैं उनको भी देखा जाए. बाघली मेरे विधान सभा क्षेत्र के पास में लगा हुआ क्षेत्र है. वहां पर ग्रीष्मकाल में बहुत सारे बंदरों की मौत लू और पीने के पानी की समस्या के कारण हुई हैं, इस पर भी ध्यान दिया जाए. आगामी वर्षों में इसकी बहुत अच्छी व्यवस्था की जाए. हम सभी बहुत खुशनसीब हैं कि हम सभी को जंगल दिखाई दे रहे हैं. आने वाले समय में जंगल बच सकें इसके लिए माननीय वन मंत्री जी से आग्रह है कि अतिक्रमण, कटाई, अग्निकांड और शिकार इन चारों चीजों पर सख्ती से लगाम लगाएं. बहुत-बहुत धन्यवाद.
डॉ. अशोक मर्सकोले-- अध्यक्ष महोदय, एक मिनट का समय दे दीजिए.
अध्यक्ष महोदय-- आप लोगों की बड़ी गंदी आदत हो गई है. प्रबोधन दे दिया, सब कुछ दे दिया लेकिन आप लोग सीख ही नहीं पा रहे हैं. झूमा सोलंकी जी मैंने आपको यह कहा था कि मैंने अभी आपको बुलाया नहीं है. मुझे मालूम है कि मुझे कब बुलाना है.
श्रीमती झूमा सोलंकी (भीकनगांव)-- अध्यक्ष महोदय, मेरा नाम तीन नंबर पर था.
अध्यक्ष महोदय-- वह तो था लेकिन, मुझे कब बुलाना है, कैसै बुलाना है. सामने वाला वक्ता कौन बोल रहा है, किसको इस पक्ष से बुलवाना है. यह तो मेरे ऊपर छोडि़ए.
श्रीमती झूमा सोलंकी-- अध्यक्ष महोदय, नाम काटने की जो रणनीति है वह बहुत ही खराब है. इसीलिए खराब लगता है.
अध्यक्ष महोदय--आपका नाम किसने काटा आप यह देखना. यहां किसी का नाम नहीं काटा है.
डॉ. गोविन्द सिंह-- मैडम, ऐसा भी है कि बीस-बीस नाम दे देते हैं.
अध्यक्ष महोदय-- कल मैंने दोनों सचेतकों से बोला था कि महिला विधायकों के नाम दीजिए. इसलिए मैं आपका नाम तो काट ही नहीं सकता हूं.
श्रीमती झूमा सोलंकी-- अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 10 के संबंध में अपनी बात रख रही हूं क्योंकि आप सब जानते हैं हमारे कद्दावर मंत्री जी उनके आने से ही यह विभाग सशक्त होगा और आने वाले दिनों में काम अच्छे होंगे. मेरे विधान सभा क्षेत्र में कम से कम 35 गांव हैं और छोटे मजरे टोलों को मिलाकर 100 के लगभग हैं इसलिए इस विभाग पर अपनी बात रखना जरूरी समझती हूं और इसलिए मैंने अपना नाम दिया था. हम लोग वन क्षेत्रों में सड़कें निर्माण, मरम्मत, स्कूल, अस्पताल, विद्युत, संचार की लाइनें, पेयजल की व्यवस्था और जल संरक्षण के ऐसे काम जो हमारे होते हैं जिसमें इस विभाग का सीधा हस्तक्षेप होता है और सीधा हस्तक्षेप मतलब हमको समय से उसकी अनुमति नहीं मिलती है, समय से हमारे काम नहीं होते हैं. मेरे ही विधान सभा क्षेत्र में कम से कम आठ पंचायत भवन अधूरे हैं और वह अधूरे इसलिए हैं क्योंकि इन्होंने रोक लगा रखी है. डी.एफ.ओ. को एक हेक्टेयर का अधिकार है वह एक हेक्टेयर की पात्रता रखते हैं तो मैं चाहती हूं कि इसको बढ़ाकर पांच हेक्टेयर तक किया जाए. पांच हेक्टेयर तक की स्वीकृति देने का अधिकार यदि उन्हें हो जाएगा तो निश्चित ही छोटी सिंचाई की परियोजनाएं, छोटे विकास के काम जो होते हैं उसमें जो रुकावटें आती हैं वह नहीं आ पाएंगी और जो तीन लाख पैंसठ हजार आदिवासियों का विस्थापन हो रहा है. हमारे हर विधान सभा क्षेत्र में लगभग पांच से दस हजार ऐसे पट्टे बांकी हैं. यह विभाग सीधा हस्तक्षेप करता है. पी.डी.ए. के अभाव में वह काम नहीं हो पा रहे हैं. फार्म की पूर्ति नहीं हो पा रही है, आवेदनों की पूर्ति नहीं हो पा रही है. इस वजह से आदिवासी लोग भटक रहे हैं. हम लोग यहां शेर और तमाम जानवरों की बात करते हैं पर हम लोग तो इंसानों के अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं. कम से कम उनकी जो मूलभूत आवश्यकताएं हैं वह तो पूरी हो जाएं.
इसलिए मेरी बात यहां रखना आवश्यक था. मैं मंत्री जी से कहना चाहूंगी कि हमारे क्षेत्र में जो PDA बाकी हैं वे हो जायें और 5 हेक्टेयर तक की स्वीकृति चूंकि आप कर सकते हैं इसलिए आप इसे जरूर करें और मैं आपको इस बात के लिए धन्यवाद दे रही हूं कि ग्रामीण विकास विभाग, तमाम् विभाग सभी जगहों पर गौ-शालाओं का निर्माण कर रहे हैं किंतु वन विभाग इसे कर रहा इसलिए आपको बहुत-बहुत बधाई एवं धन्यवाद. इसके साथ ही आपने वन-ग्रामों को राजस्व-ग्रामों में शामिल करने की प्रक्रिया शुरू की है, इससे हमारी बहुत-सी समस्याओं का समाधान हो जायेगा, इसके लिए भी बहुत-बहुत धन्यवाद. अध्यक्ष जी, आपने मुझे अपनी बात रखने का अवसर दिया, इसके लिए धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय- मंत्री जी, मैं दो बातें कह लूं फिर आप शुरू हो जायें. जो बात संजय शर्मा को बोलनी पड़ी थी या जालम सिंह जी को बोलनी चाहिए थी वह मैं बोल रहा हूं. हमारे ऐसी जगहें या खेत जो जंगल से लगे हैं या जंगल से दूर भी हैं लेकिन वहां जंगली सुअरों का प्रजनन बहुत ही तीव्र गति से होता है. आपका नियम है कि हम बंदूक चलाकर एक बार में केवल दो सुअर मार सकते हैं. उसमें संशोधन करिये क्योंकि हमारे 17-17 किलोमीटर दूर के मैदानों में भी उनकी बहुत ज्यादा मात्रा बढ़ गई है.
श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगांव- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक मिनट इस संबंध में मैं कुछ कहना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय- कृपया मुझे न टोकें. नहीं तो मेरे दिमाग में जो सोच चल रही है, वह टूट जाती है.
श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगांव- मैं क्षमा चाहता हूं लेकिन आपकी व्यवस्था के लिए ही मेरा एक सुझाव था.
अध्यक्ष महोदय- अपना सुझाव बाद में देना प्रभु. जिन किसानों के पास पहले भी लाइसेंस थे, वन विभाग में अभी-भी नियम है कि आप सुअर मार सकते हैं लेकिन एक बार में केवल दो सुअरों की प्रजनन क्रिया इतनी तेज है इसलिए उनकी संख्या बहुत तेजी से बढ़ जाती है. कम से कम किसानों को एक बार में 20 को मारने की अनुमति दें. इसका संशोधन करवाना जरूरी है नहीं तो हमारे एकड़ के एकड़ गन्ने के खेत में सुअर घुसते हैं और एक-एक एकड़ खा जाते हैं. यही परिस्थितियां मध्यप्रदेश में अन्य स्थानों पर भी होंगी. मंत्री जी आप इसे बहुत ध्यान में रखें और मैं चाह रहा हूं कि इसमें संशोधन हो.
दूसरी बात, मैं यह कहना चाह रहा हूं कि नेता प्रतिपक्ष और संसदीय मंत्री जी से मेरा आग्रह है कि मध्यप्रदेश की वन और राजस्व भूमि में बरसों से बहुत बड़ा विवाद चला आ रहा है. आप दोनों से मेरा अनुरोध है कि आप दोनों अपने 3-3 सदस्यों के साथ, एक 6 सदस्यों की कमेटी बनायें जिसके मुखिया वन मंत्री जी होंगे. यह कमेटी इस समस्या को सुलझाने में कम से कम समय लगाये और इन विवादों को, जो बरसों से लंबित हैं, उन्हें निपटायें. ताकि जो राजस्व वाला भोग, भोगता है वह अलग होता है और जो वन वाला भोग, भोगता है वह अलग होता है.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. गोविन्द सिंह)- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मंत्री जी को निर्देश दिया है कि एक बार में केवल दो सुअर मारने का आदेश है लेकिन मैं कहना चाहूंगा कि जब माननीय दिग्विजय सिंह जी की सरकार थी उस समय का गजट नोटिफिकेशन हमारे पास है. उसमें उल्लेख है कि जहां कहीं फसल को नीलगाय और सुअर नष्ट करते हैं उनके लिए आदेश दिया गया है कि गांव वाले, पंचायत के माध्यम से SDM को जानकारी दें और SDM एक-दो महीने में उस निर्धारित क्षेत्र में कार्यवाही करेगा.
अध्यक्ष महोदय- डॉ. साहब, आप सही कह रहे हैं लेकिन अभी वह प्रतिबंधित है इसलिए मैं कह रहा हूं कि यह फिर से चालू होना चाहिए क्योंकि उनकी संख्या बहुत बढ़ गई है.
कुँवर विजय शाह- देखते ही गोली मारने के आदेश होने चाहिए.
श्री कुँवर विक्रम सिंह (नातीराजा)- माननीय अध्यक्ष महोदय, इस व्यवस्था में परमिट भी सम्मिलित करवा दें.
अध्यक्ष महोदय- जी हां. परमिट भी सम्मिलित होना चाहिए. आप सही कह रहे हैं. आपकी तो, मूंछे देखकर ही जानवर पता नहीं कहां भाग जाते होंगे.
वन मंत्री (श्री उमंग सिंघार)- माननीय अध्यक्ष महोदय, सर्वप्रथम मैं सदन को जानकारी देना चाहता हूं कि जैसा कि आपने प्रारंभ में आदेश किया था उसके अनुसार सभी माननीय सदस्यों को सुबह विंध्या हर्बल की ओर से गिफ्ट हैम्पर प्राप्त हो जायेंगे.
अध्यक्ष महोदय- धन्यवाद.
श्री उमंग सिंघार- माननीय अध्यक्ष महोदय, यहां कई सदस्यों के बहुत अच्छे सुझाव आये. संक्षिप्त में यही कहना चाहूंगा, जैसा कि संजय शाह जी ने कहा कि जल है तो वन है, वन है तो जल है इसलिए हमारे साथी जो जंगल में रहते हैं, जो जंगल से जुड़े हैं, उन्हें भी जंगल से जुड़े रहने के लिए आवश्यक है कि वे जंगल न काटें. इसके लिए हम सभी जनप्रतिनिधियों को उन्हें प्रेरित करना पड़ेगा. वे वहां की वनोपज का फायदा अवश्य उठायें. शुक्ला जी आपने खामदा के बारे में कहा इस पर काम चल रहा है, यह मैं आपको अवगत करा दूं. सम्माननीय लम्क्षण सिंह जी ने कहा कि नवम्बर, 2018 के बारे में कहा तो मैं आपको अवगत कराना चाहता हूं कि 161 अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है. इसके लिये हम लो स्पेशल टाइगर फोर्स भी बना रहे हैं.रातापानी के बारे में आपसे कहना चाहूंगा कि वहां पर सेचूंरी प्रस्तावित है, वहां पर अवैध अतिक्रमण नहीं होंगे, यह मैं आपको विश्वास दिलाना चाहता हूं
गुप्त सूचना के लिये विगत वर्ष में 5 लाख रूपये का पुरस्कार वितरण किया गया. यह भी मैं आपको बताना चाहता हूं. कुंवर विजय शाह जी ने महावत और चारा कटर के बारे में कहा, तो मैं आपको बताना चाहता हूं कि इसमें कोई शैक्षणिक योग्यता नहीं रहेगी, इसके लिये नियम का शिथिल कर दिया गया है. लेकिन हाथी चलाने का अनुभव पांच वर्ष का रहे, यह इसमें तय किया गया है. और आप एक बात कह रहे थे कि जो अंश है, जो लाभांश है वह पचास-पचास प्रतिशत होना चाहिये. अब आपकी सरकार 15 साल में तो नहीं कर पायी, लेकिन हमारी सरकार अच्छा करेगी, यह मैं आपका गारण्टी देता हूं. आपने जंगल के बारे में कहा कि जंगल को 10 साल के लिये काटना बंद कर देना चाहिये. मैं तो इस पक्ष का हूं, बोल तो सकता नहीं हूं, लेकिन फिर भी मैं कहना चाहूंगा कि अगर सृष्टि और पर्यावरण को बचाना है तो मध्यप्रदेश से शुरूआत करना चाहिये कि जंगल की कटाई बंद हो और बाहर की लकड़ी सस्ती आती है, उसी का उपयोग करो या फिर प्लास्टिक की लकड़ी जो आती है, उसका उपयोग करें.
कुंवर सिह टेकाम जी ने, संजय डुबरी के विस्थापन के बारे में कहा है, इस पर भी आपको अवगत करा देंगे, अभी कार्यवाही चल रही है. श्री फुन्देलाल जी को बताना चाहूंगा कि आपने कहा कि रोपणियां बंद हैं, बंद नहीं हैं, 170 रोपणियां पूरे प्रदेश में चल रही हैं. जिस कानून के बारे में मार्को जी ने कहा, उनको मैं यह कहना चाहूंगा और सदन के सदस्यों को भी बताना चाहता हूं कि वन विभाग के द्वारा सहमति दी गयी है और यह माननीय पंचायत मंत्री जी बैठे हैं, मतलब सरकार को करना है, हमारी तरफ से सहमति दी जा चुकी है. आदरणीय जालम पटेल जी ने भी विस्थापन के बारे में बात कही थी, इसको भी जल्दी से करायेंगे, यह मैं आपको विश्वास दिलाना चाहता हूं.
श्री सुनील उइके जी ने भी वन समिति के बारे में सुझाव दिये, उस पर भी विचार किया जा रहा है. कुंवर विक्रम सिंह जी नातीराजा,माननीय सदस्य जी ने जो सुझाव दिये हैं और माननीय अध्यक्ष जी ने भी निर्देश दिये कि जिस प्रकार से जनसंख्या बढ़ रही है, इसको कैसे कम किया जाये. इसके लिये भी नीति बनाकर आपको अवगत करा दिया जायेगा.
श्री लक्ष्मण सिंह:- मंत्री जी, वन्य प्राणियों को मारने की जरूरत नहीं पड़ेगी, अगर हम कंजर्वेशन रिजर्व बना देंगे और उनके खाने की व्यवस्था वहीं कंजर्वेशन रिजर्व सेंचूरी में हो जायेगी, तो वह खेतों में नहीं आयेंगे, फसल को नुकसान नहीं करेंगे.
श्री उमंग सिंघार--तय कर लेंगे. बबलू शर्मा जी शुक्ला जी के बारे में आपने भी कहा वह भी चाहते हैं कि वह उस कमेटी में रहें वह भी कुंवर नाती राजा के साथ कमेटी में रहेंगे उन्हें भी अवगत कराना चाहता हूं. इस प्रकार आशीष भाई ने भी कहा माननीय शर्मा जी चिवनी अभ्यारण्य के चेकडेम तालाब बनाने के लिये बजट में प्रावधान किया गया है इसका भी आपको विश्वास दिलाता हूं. वैसे कईयों ने सुझाव दिये हैं उसकी लंबी सूची है सर्वश्री विजयपाल सिंह जी, नारायण सिंह, शशांक भार्गव जी, आपके अवैध उत्खनन की भी जांच करा दी जायेगी. राज्य सरकार के वचन पत्र 2018 के आधार पर विकास की रणनीति तय की है. वन विभाग दो मोर्चों पर काम करता है. एक है वनों व वनजीवों की सुरक्षा, संरक्षण, संवर्धन दूसरा है वन, वन जीवन के माध्यम से आर्थिक प्रगति तथा कमजोर वर्ग की सम्पन्नता जो कमजोर वर्ग के लोग जंगल से जुड़े हैं विशेषकर आदिवासियों को कैसे सम्पन्न बनाना यह भी वन विभाग का ध्येय है, वहां के रहने वाले किसानों का भी है, इस पर भी वन विकास समितियों के माध्यम से हम काम कर रहे हैं. आपसे मैं कहना चाहूंगा कि गुजरात के एशियाटिक लायन की बात शशांक जी कही थी. यह बात सच है कि केन्द्र सरकार, सुप्रीम कोर्ट सभी ने कहा है कि एशियाटिक लायन को बचाना है उस प्रजाति को बचाना है तो हमें उसको शिफ्ट करना पड़ेगा, एक अथवा दो जगह उसके लिये कूनो में वन विभाग द्वारा करोड़ो रूपये खर्च किये गये इसमें कई बार पत्र लिये गये. माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने भी इसमें निर्णय लिया. लेकिन दिल्ली में जो सरकार बैठी है वह चाहती ही नहीं है वह वहां से आये. मैं तो इसमें माननीय विपक्ष के साथियों से यह कहना चाहता हूं कि दिल्ली में आपकी सरकार है. हम उस शेर को टूरिज्म में रखना चाह रहे हैं जो मर रहे हैं जिनमें बीमारियां हो रही हैं. इतनी वहां पर स्थिति खराब है. लेकिन आज तक सरकार निर्णय नहीं कर पा रही है. इसमें आप लोगों को पहल करनी पड़ेगी माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी को वैसे भी इसमें कई जनहित याचिकाएं सर्वोच्च न्यायालय में अवमानना की लगी है, यह भी सदन को अवगत कराना चाहता हूं. लेकिन मैं यह भी कहना चाहता हूं कि गुजरात को नर्मदा का पानी मिल सकता है, तो शेर क्यों नहीं मिल सकते हैं मध्यप्रदेश को, यह भी आपको सोचना है. गुजरात में जब हरियाली आ सकती है तो यहां पर शेर क्यों नहीं आ सकते हैं ? क्योंकि हिन्दुस्तान है, एक संघीय ढांचा है इस बारे में आप सदस्यों को सोचना है. वन प्राणियों को लेकर कई सदस्यों ने कहा तो हम लोगों की नयी सेंचुरी प्रस्तावित है. धार, बुरहानपुर, हरदा, इन्दौर, नरसिंहपुर, सागर, सीहोर, श्योपुर, मंडला, छिन्दवाड़ा, ओंकारेश्वर लेकिन सेंचुरी बनाने के पहले कुछ बिन्दुओं पर विशेष रूप से ध्यान रखेंगे कि रिजर्व फारेस्ट हो जिसके अंतर्गत कोई गांव न आता हो, जिसमें वनाधिकार के पट्टे न हो, इस चीज का विशेष ध्यान रखा है. नेशनल पार्क के लिये रातापानी, ओंकारेश्वर को फेन से कान्हा से जोड़ने के कार्य का नियम प्रस्तावित है, यह भी मैं बताना चाहता हूं. विशेष रूप से कहना चाहूंगा चूंकि वन अपराध होते हैं उसमें कई सदस्यों ने कहा है कि जंगल कटाई, पौधारोपण, मैं आलोचना में नहीं जाना चाहता हूं कि पौधारोपण में क्या घोटाले हुए ? मेरी शैली भी इस प्रकार की नहीं है, लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि हम लोग पूरे जंगल की रक्षा वन समिति के साथ हम एक आर्टिफिशयल इंटीलेंस सिस्टम सेट्लाईट बेस ला रहे हैं.
जिसमें अगर अतिक्रमण हो रहा है, उसकी भी मॉनीटरिंग होगी 24x7 अगर जंगल की कटाई हो रही है, उसकी भी मॉनीटरिंग होगी, यह सब व्यवस्थाएं होगी. मैं माननीय सदस्यों को बताना चाहता हूं, और यह जो सिस्टम लेकर आ रहे हैं वह हिन्दुस्तान के अंदर सबसे पहले मध्यप्रदेश में प्रारंभ कर रहे हैं, यह भी बताना चाहता हूं. प्लांटेशन को लेकर भी मॉनीटरिंग रहेगी, जिसको लेकर हमेशा विवाद उठता है. वन राजस्व विवाद को लेकर अध्यक्ष जी आपने भी अभी व्यवस्था दी है, लेकिन मैं आपको अवगत कराना चाहता हूं कि राजस्व के नक्शों का 100 प्रतिशत डिजिटलाइजेशन हो चुका है. हमारे यहां भी करीब करीब 80 प्रतिशत हो चुका है. अभी माननीय गोविन्द सिंह राजपूत जी से मेरी बात हुई इन दोनों विभाग के आईटी एक्सपर्ट और पी.एस. मिलकर हम एक कमेटी बना रहे हैं और इस बारे में माननीय मुख्यमंत्री जी से भी इस बारे में चर्चा हो चुकी है. आने वाले कुछ महीनों के अंदर जितना डिजिटाइज्ड हो चुका है, इन दोनों को मिलाकर ताकि सीमाएं क्लियर हो सके राजस्व की और वन की यह मैं आपको सुनिश्चित करना चाहता हूं, जो कई सालों से हमारे मध्यप्रदेश में नहीं हो पाया. वन अधिकार अधिनियम, चूंकि नोडल एजेंसी हमारा ट्रायबल विभाग है, लेकिन लगता है कि फॉरेस्ट विभाग पट्टा बांटते हैं, बदनामी फॉरेस्ट विभाग की होती है, फॉरेस्ट विभाग केवल कमेटी का सदस्य है, करना एसडीएम को है, राजस्व विभाग को, कलेक्टर के यहां पर नोडल एजेंसी है. लेकिन मैं आपको विश्वास दिलाना चाहता हूं कि हमारे विभाग की तरफ से जिनको पट्टे के अधिकार हैं, जिनका अधिकार था, जिनके पास प्रमाण है, उनको हमारे विभाग से पूरा सहयोग मिलेगा, मैं यह विश्वास सदन को दिलाना चाहता हूं.(...मेजों की थपथपाहट)
माननीय अध्यक्ष जी, इस प्रकार रोपणियों में हम ट्शयू कल्चर लैब भी है हमारी, रिसर्च इंदौर में है, उसको भी हम बढ़ावा दे रहे हैं, ताकि नई अच्छी उन्नत पौध हो और जो यहां पर इंडियन स्पीसीज है, उनका हम रख रखाव कर सके, संभाल सके, इस पर भी विचार चल रहा है और यह कहना चाहता हूं कि निजी क्षेत्र में वानिकी प्रोत्साहन इस पर भी विभाग नीति बना रहा है ताकि निजी क्षेत्र को भी प्रोत्साहन मिल सके. उक्कास ग्राम को लेकर, अभी तो नहीं है, लेकिन आगे हम एक विधेयक लेकर आने वाले हैं कि जिसमें 30 सेन्टीमीटर से लेकर 1 फीट तक के लिए आरा मशीन के लिए लायसेंस की आवश्यकता नहीं रहेगी, इसकी भी हम नीति बदल रहे हैं.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ - निजी क्षेत्र के लिए जो बात की है अगर उसमें मेडीसिन प्लांट के लिए कुछ करेंगे तो बेहतर होगा.
श्री उमंग सिंघार - वह भी बता रहा हूं, अध्यक्ष जी, बस 2-4 मिनट में खत्म कर दूंगा. अधिकारी सर्वे करते हैं रिपोर्ट बनाते हैं, किसी भी विभाग के मैं तो एक जनरल बात कहना चाहता हूं, लेकिन बात आती है कि इन्होंने रिपोर्ट अपने हिसाब से बना दी, किसी घोटाले की जांच नहीं होती लेकिन पूरे प्लांटेशन की हमारे वन विभाग से शुरूआत कर रहे हैं सोशल ऑडिट की ताकि वहां के लोग मिलकर वहां के पौधों को ऑडिट करेंगे. यह भी बताना चाहता हूं. (...मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष जी, हमारे पास राज्य स्तरीय टायगर फोर्स भी है लेकिन स्पेशल टायगर प्रोटेक्शन फोर्स की भी हम शुरूआत कर रहे हैं, निर्माण कर रहे हैं. जैसे अभी हमारी बहन जी ने कहा औषधि पौधों का. यह बात सच है कि जो जंगल में रहते हैं, जंगल के करीब रहते हैं, किसी भी समाज के हों, विशेषकर आदिवासी समाज, परिवार बढ़ता है, आवश्यकताएं बढ़ती हैं, तो कहीं न कहीं जंगल पर निर्भरता रहती है, लेकिन कुछ अलगाववादी ताकतें चाहती हैं कि जंगल कटे. हमारे भोले भाले आदिवासियों को इसमें भड़काती है, उन आदिवासियों का हमेशा नाता बना रहे इसलिए जो जंगल की डिजिटेड लैण्ड है, जिस पर फॉरेस्ट की लैण्ड है, वहां पर जंगल नहीं हैं. उसके लिए भी हम लोगों ने प्रावधान किया है और शुरूआत में पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में पूरे मध्यप्रदेश के अन्दर 2000 हेक्टेयर लैण्ड पर जो फॉरेस्ट की लैण्ड है. मैंने कई माननीय सदस्यों से भी कहा है और आपसे भी अनुरोध करना चाहूँगा कि हम एक-एक हेक्टेयर जमीन उनको दे रहे हैं, सिर्फ क्रॉप की ऑनरशिप रहेगी. आपको वहां पर चाहे सुहजने की फली लगाएं, चाहे आंवला लगाएं, चाहे ग्वारपाठा लगाएं, चाहे अश्वगंधा लगाएं, वह हमारा लघु वनोपज संघ 100 प्रतिशत खरीदेगा, यह भी गारन्टी के साथ रहेगा, यह भी मैं कहना चाहता हूँ (मेजों की थपथपाहट). उसके पीछे उद्देश्य यह है कि जंगल कम कटेगा और जब 10,000 -15,000 उसको मिलते थे, अब 50 हजार और 1 लाख रुपये मिलेंगे, ऐसी हमारी संभावना है. मैं यह आपको विश्वास दिलाना चाहता हूँ. विशेषकर, वन समितियों के अधिकार के बारे में सब सदस्यों ने कहा. कई वर्षों से वन समितियों को अधिकार नहीं मिले. यह हमारे वचन-पत्र में भी है. मैं सदस्यों को बताना चाहता हूँ कि वन समिति के अधिकार के लिए, मैंने मेरी तरफ से स्वीकृति दे दी है. पूरे विभाग की तरफ से दे दी, उनको पूरे अधिकार मिलेंगे, यह मैं आपको विश्वास दिलाना चाहता हूँ. माननीय अध्यक्ष जी, हमने जैसा वचन-पत्र में कहा था, सबको बोनस 2,000 से हमने 2,500 कर दिया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यह भी मैं माननीय सदस्यों को बताना चाहता हूँ. सबसे बड़ी बात जो लोगों को लाइन में लगना पड़ता था, वह जंगल से आता था और बैंक में लाइन में खड़ा रहता था और बैंक में सर्वर डाउन होने से उसको पैसे नहीं मिलते थे. उसकी एक दिन की 200 रुपये की मजदूरी जाती थी. इसके लिए गांव में जाकर उसको नकद भुगतान करेगा, यह भी सरकार ने कर दिया है, इसका भी फायदा मिल रहा है. लेकिन मैं बांस मिशन की भी बात कहना चाहूँगा कि जितनी भी वन समितियां हैं और महिला समूह हैं, इनके माध्यम से एक नई योजना बांस मिशन के अन्दर ला रहे हैं कि आप तो वहां पर बांस का रोपण कराएंगे, आपको क्रॉप की ऑनरशिप देंगे, यह भी हम शुरूआत करने जा रहे हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपको यह बताना चाहूँगा कि ईको पर्यटन के लिए हमने नये स्थलों का चयन किया है, हम उसे भी कर रहे हैं और मैं आपसे कहना चाहूँगा कि चूँकि हमारे यहां अनुमति कार्यक्रम चलता है, ईको टूरिज्म में बच्चों को जंगल से अनुभव कराना और उन्हें जंगल से जोड़ने का अनुभव कराते हैं. हम चार शहरों में ग्वालियर, जबलपुर, इन्दौर और भोपाल में फॉरेस्ट का अनुभव वर्चुअल टूर के रूप में कराएंगे ताकि उन्हें यह अनुभव हो सके कि जंगल कैसा है ? वहां के प्राणी कैसे हैं ? वह खुद वर्चुअल टूर के अन्दर 3 डी के अन्दर देख पाएंगे, हम इस प्रकार से व्यवस्था ला रहे हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, बिन्दु बहुत सारे हैं, आपका बार-बार इशारा हो रहा है. आपने समय दिया, धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय - नरोत्तम जी, आप जाया मत करो क्योंकि हमको आवश्यकता होती है. जैसे अभी वन पर चर्चा चल रही थी, कुछ शेर आकर निकल गए लेकिन आपका शेर नहीं आ पाया, इसलिए आप जाया मत करो.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - जो हुकुम, अध्यक्ष जी. (हंसी)
(6) |
मांग संख्या 56 |
कुटीर एवं ग्रामोद्योग |
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मांग संख्या 68 |
नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा.
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उपस्थित सदस्यों के कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुये.
अब मांगों पर और कटौती पर एक साथ चर्चा होगी.
08.32 बजे
अध्यक्षीय घोषणा
भोजन की व्यवस्था विषयक
अध्यक्ष महोदय -- माननीय सदस्यों के लिये भोजन की व्यवस्था, सदन की लॉबी में की गई है. माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि सुविधा अनुसार भोजन ग्रहण करने का कष्ट करें.
08.33 बजे
वर्ष 2019-2020 की अनुदानों की मांगों पर मतदान ....... (क्रमश:).
श्री जालम सिंह पटेल ''मुन्ना भैया''(नरसिंहपुर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 56 और 68 का विरोध करता हूं. कुटीर एवं ग्रामोद्योग, नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा ऐसे विषय हैं जो व्यक्ति के विकास और मूलत: ग्रामीण क्षेत्र के विकास से जुड़ा हुये मुद्दें हैं. बहुत वर्ष पहले कुटीर एवं ग्रामोद्योग विभाग बना होगा और मैं ऐसा मानता हूं कि कांग्रेस ने यह विभाग बनाया होगा. आजादी के बाद की अगर हम बात करें तो गांव के विकास की अगर कोई रीढ़ थी, तो वह कुटीर ग्रामोद्योग हुआ करता था, फिर धीरे-धीरे उद्योग आये और उद्योग आने के बाद कुटीर उद्योग लगभग-लगभग समाप्ति की और हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय,माननीय मंत्री जी ने बजट भी लेकर आये हैं और मैं ऐसा मानता हूं कि शायद सारे विभागों में सबसे कम और छोटा बजट ग्रामीण कुटीर उद्योग विभाग का होगा. पिछले वर्ष 2019 में तैइस लाख तैतीस हजार कुछ रूपये का बजट था, जबकि इस वर्ष का जो बजट है, वह इसमें भी कमी है और इसमें सात लाख आठ हजार आठ सौ सत्तर रूपये का बजट है, जो कि पिछले वर्ष की तुलना में काफी कम है. कुटीर का मतलब घर होता है. ग्रामोद्योग का मतलब गांव में हम जो छोटा - छोटा धंधा करते हैं, वह है और लघु उद्योग मतलब छोटे -छोटे हमारे उद्योग हैं. जिस प्रकार से कांग्रेस के समय बहुत सारे आवास आये, मुझे जहां तक जानकारी है कि पहले कुटीर पंद्रह हजार रूपये की राशि से बनते थे और इंदिरा आवास कहलाते थे, वह पैंतालिस हजार रूपये तक बने हैं. आदरणीय मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी जब बने और देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी भी बने तब सत्तर हजार रूपये की राशि से कुटीर बनने का काम शुरू हुआ है जो आज डेढ़ लाख रूपये और ढाई लाख रूपये तक बन रहे हैं, जो अस्तित्व में हमको दिख रहे हैं. दूसरा जब हम ग्रामोद्योग की बात करें तो ग्राम में जो छोटे-छोट उद्योग थे और हमारी खासकर जो ऐसी समाजें थी जो गांव में रहती थी और गांव में जाति के आधार पर बहुत सारे लोग छोटे-छोटे धंधे और व्यापार करते थे.
एक सामाजिक, शैक्षणिक पिछड़ी जाति का एक सर्वे है संविदा अनुच्छेद 15.4 और 6.4 के अंतर्गत, उसमें कुछ जातियां हैं जो लगातार गांव के रहकर काम करती थी, जैसे बढ़ई, लोहार, सुताह, दहेज, कुदेर यह कृषि का काम, लकड़ी का काम करते थे, औजार बनाने का काम करते थे. बड़ी-बड़ी मशीनें आ गईं तो उनका काम खत्म हो गया. इसके अलावा हम और भी बात कर सकते हैं कि बहुत सारे बासुदेव, बसुदेवा जाति, अहीर या गुर्जर जाति के जो जानवरों का काम करते थे उसमें कमी आई है इसके अलावा हम अगर भुर्जी और भुजवा जाति की बात करें, चना लाई बगैरह का काम करते थे. कहार, ढीमर मछली पकड़ने का काम करते थे. जो रंगरेज थे वह कपड़े की प्रिंटिंग का काम करते थे. प्रजापति समाज मिट्टी के बर्तन बनाने का काम करते थे, वह लगभग-लगभग आज समाप्त है. मैं ऐसा मानता हूं कि जो उद्योग है, ऐसा उदाहरण भी है कि छोटी मछली बड़ी मछली खा जाती है और उसी प्रकार का काम लगातार आजादी के बाद चला है. सरकारें कोई भी रही हों, मगर इस प्रकार वह ऐसा वर्ग है जो अपनी बात बुलंद नहीं कर सकता, पिछड़ा है, दूरस्थ क्षेत्र में रहता है, उसकी चिंता बहुत कम हुई है और उसके कारण आज हमारे समाज की गांव की व्यवस्था बिगड़ी है और मैं ऐसा मानता हूं कि उसके लिये जो अधोसंरचना है वह भी उसके लिये दोषी है. गांव में जो लघु उद्योग हुआ करते थे, वहां जाने के लिये सड़क नहीं थी, बिजली नहीं थी, स्कूलों की व्यवस्था नहीं थी, लोग पलायन करके और वहां बेच-बांच कर शहर में आये और शहर में आने के बाद उनका लगभग-लगभग सब समाप्त हो गया, उनके पास कोई व्यापार, धंधा नहीं था, बेरोजगार हो गये, परिवार के परिवार नष्ट हो गये. इसी प्रकार से मैं निवेदन करना चाहता हूं कि अगर यह वर्ग, या इस समाज की अगर चिंता नहीं हुई तो मैं ऐसा मानता हूं कि जो हमारी समाज का ताना-बाना है वह समाप्ति की ओर होगा. उद्योगों की मैंने बात की, दो उदाहरण देना चाहता हूं कि हमारे पहले गांव-गांव में चक्कियां हुआ करती थीं, वहां आटा पिसता था, धान से चावल बनाये जाते थे, तेल बनाया जाता था, मगर बड़ा उद्योग लग गया तो आटा बाजार से खरीद लिया, चावल बाजार से खरीद लिये, तेल भी हो गया. मैं यही बात कहता हूं कि जो हमारी चक्कियां हैं या छोटे-छोटे जो हमारे लघु उद्योग हैं, बिजली विभाग उसमें इतने बिल लगा देता है, इन उद्योगपति और अन्य के कारण कि अगर उनकी चक्की की लागत 50 हजार है तो बिल पता चला 52 हजार का हो गया, वह समाप्त हो गये. ऐसे कई अनेक उदाहरण हैं, यहां बैठे सदस्य बंधुओं को जानकारी होगी. दूसरा मैं अपने जिले का उदाहरण देना चाहता हूं. हमारे जिले में मध्यप्रदेश का 50 प्रतिशत गन्ना है, 70 हजार हेक्टेयर में गन्ना है, 7 शुगर मिल हैं और गुड़ बनाने वाली हमारे यहां कुल्होरा कही जाती हैं जो लघु उद्योग किसान 10-15 लाख रूपये स्वीकृत कराते हैं उसमें कुछ छूट भी होती है और गुड़ बनाते हैं. बार-बार कई ऐसे प्रयास होते हैं, शुगर मिल वाले चाहते हैं कि कुल्होर बंद हो जायें, क्योंकि उन कुल्होरों के माध्यम से मजदूरों को रोजगार मिलता है और जो किसान हैं उनके परिवार के लोग काम करते हैं और उसमें बिजली विभाग ने एक अलग से एक और कामर्शियल बिल लगा दिया, जबकि जो हमारा गन्ना क्रेशर होता है, बिजली का काम सिर्फ एक बार उसमें होता है, रस निकालने का काम सिर्फ कुल्होर का होता है, गुड़ बनाने के लिये जो उसके छोते निकलते हैं उससे जलाकर उसको गर्म करते हैं, जैसे थ्रेसर होता है, थ्रेसर में एक बार कोई फसल डलती है और अनाज निकल आता है. मगर मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि जो हमारे शुगर मिल मालिक हैं, उद्योगपति हैं वह चाहते हैं कि यह लघु उद्योग समाप्त हो जायें तो इस प्रकार के क्रम लगातार चल रहे हैं इस पर हमको विचार करने की आवश्यकता है और अभी हमारी जो सरकार बनी है इस सरकार ने बहुत सारे वादे भी किये हैं, बजट तो पर्याप्त दिया नहीं, जैसे उन्होंने कहा कि छोटे उद्योगपति, छोटे व्यापारियों, बचत पत्र में शिल्पकारों को पेंशन देंगे. कुटीर उद्योग को बढ़ावा, उनको सरकारी खरीदी में प्रोत्साहन करेंगे. जी.एस.टी. से छूट दिलाएंगे. नये उद्योगों के लिये रेडीमेड गारमेंट गोल्डन डायमंड काम्पलेक्स एवं आई.टी.सिटी विकसित करेंगे. पावर लूम को बढ़ावा देंगे. कुम्हारों को ईंट एवं मिट्टी के बर्तन बनाने हेतु रायल्टी में छूट देंगे. बांस उद्योगों हेतु बसोड़ों हेतु बांस नि:शुल्क देंगे. कुटीर ग्राम उद्योगों,रेशम,हस्तशिल्प के उत्पादनों को जी.एस.टी. से मुक्त कराएंगे. रियायती दर पर ऋण उपलब्ध कराएंगे. ऐसे उन्होंने वायदे भी किये हैं और सम्माननीय वित्त मंत्री जी ने अपने बजट में और भी कहा कि 40 हजार युवाओं को अभी तक रोजगार प्राप्त हो गया और 17 हजार ट्रेनिंग ले रहे हैं. बजट है नहीं कहां से किसको रोजगार मिला है यह संशय पैदा करता है ऐसा मै दावे के साथ कह सकता हूं. ऐसा वर्ग जो गांव में आज भी है और पीड़ित है परेशान है उसके लिये हमारी पार्टी, हमारी सरकार ने बहुत सारे काम किये. अन्त्योदय के विचार पर हम काम करते हैं और अंत्योदय का मतलब अंत का व्यक्ति या क्षेत्र हो, उसका विकास होना चाहिये. उसके लिये हमारी सरकार ने काम किया है. हम चाहे प्रधानमंत्री आवास की बात करें चाहे उज्जवला योजना की बात करें या उनके बच्चों की शिक्षा की बात करें.नि:शुल्क शिक्षा की बात करें. अनेक प्रकार के काम उनके लिये किये गये मगर हम कांग्रेस की पूर्ववर्ती और वर्तमान सरकारों की बात करें. प्रधानमंत्री आवास की बात करते हैं तो हमारे जिले में बहुत सारे प्रकरण हैं नरसिंहपुर में हैं गाडरवारा में है. गाडरवारा में एक बहुत बड़ी घटना हो गई वर्ष 2018 में पहली किश्त गाडरवारा के अंदर दी गई थी. दूसरी किश्त जून,2018 में पुन: दी है. अभी अधिक बरसात हुई थी. एक कहार परिवार था उसने सिर्फ 1 लाख में दीवाल बनी थी. छत नहीं पड़ी थी पन्नी लगा ली और अधिक वर्षा होने के कारण दीवार गिर गई और बच्चा खत्म हो गया. मैं ऐसा मानता हूं कि पूरे प्रदेश में लगभग लगभग यही स्थिति होगी कि जो ऐसा वर्ग है उसकी चिंता यह सरकार नहीं कर रही है. उसके कारण बहुत सारी विसंगतियां आज दिख रही हैं. मैं मंत्री जी से आपके माध्यम से निवेदन करना चाहता हूं कि इस पर आप जरूर काम करेंगे. एक और जानकारी मैं देना चाहता हूं कि भोपाल के पास में 1970 मे बहुत सारे अनुसूचित जाति,जनजाति वर्ग के लोगों को पट्टे दिये गये. अभी वन विभाग की बात होरही थी वे सारे के सारे वन विभाग के थे. कलियासोत डैम और उसके आसपास की भूमि है वहां भी जंगली जानवर हैं. कई शेर हैं बाकी और जानवर हैं. जंगली जमीन पर बहुत सारे रसूखदार लोगों ने निर्माण कर लिये,कब्जे कर लिये. अनुसूचित जाति,जनजाति वर्ग के लोगों से औने-पौने दामों पर ले ली कि नहीं ली. आज वहां कोई रिकार्ड नहीं है. इस प्रकार जब अवसर प्राप्त होता है तो ताकतवर लोग इस वर्ग को कुचलने का काम करते हैं. तो इस वर्ग के साथ लगातार अत्याचार हो रहे हैं और इस अत्याचार को रोकने के लिये आवश्यकता है. हम सुन रहे थे कि बड़ी-बड़ी स्मार्ट सिटी बनाने का काम सरकार कर रही है. भोपाल, इन्दौर में स्मार्ट सिटी बनेगी लेकिन दूरस्थ इलाकों में रहने वाले लोगों की चिंता करने की जरूरत है. आपने जो वचनपत्र दिया या बजट में ज्यादा प्रावधान नहीं रखा गया है. इसके कारण बहुत सारी समस्याएं आगे आने वाली हैं. तो मंत्री जी जरूर इस पर विचार करेंगे. नवकरणीय ऊर्जा पर भी मैं चर्चा करना चाहता हूं. 2010 में नवकरणीय ऊर्जा का नाम दिया गया था. मैं ऐसा मानता हूं कि पर्यावरण की दृष्टि से और जो आज हम बिजली बना रहे हैं. हर्डल पावर से जो बिजली बनती है उसमें पानी का उपयोग होता है. कोयले का भी उपयोग होता है.पर्यावरण का भारी नुकसान होता है, कोयला हम जंगल से खोदते हैं और बहुत अधिक पानी भी लगता है. हम अपनी सुख सुविधाओं के लिए पूरी व्यवस्था को बिगाड़ने का काम करते हैं. मगर इस प्रकार से नवकरणीय ऊर्जा में, पवन ऊर्जा के माध्यम से मैं ऐसा मानता हूं कि हम बिजली पैदा कर रहे हैं उसमें किसी प्रकार से पर्यावरण की परेशानी नहीं आती है और इसी प्रकार से हमारी सरकार ने बहुत सारे नये आयाम में नये नये काम किये हैं. रीवा में 750 मेगावाट विद्युत उत्पादन का शुभांरभ हो गया है. इसके अलावा हमारे और भी काम हुए हैं . वर्ष 2019 तक एलईडी बल्व के माध्यम से हमारी सरकार ने बिजली बचाने का काम किया. बिजली बनाने का काम किया . 1 करोड़ 73 लाख 94 हजार 920 एलईडी बल्व हमने वितरित किये. 4 लाख 23 हजार 826 ट्यूबलाइट वितरित की. 1 लाख 6 हजार 276 पंखे वितरित करने का काम हमारी सरकार ने किया. इसके अलावा हमने किसानों के लिए 90 परसेंट छूट देकर 14650 ऐसे सोलर पंप के माध्यम से किसानों को बिजली देने का काम किया है जो मार्च 2019 तक पूर्ण हुआ है. इसके अलावा 2372 करोड़ रुपये की उपभोक्ताओं के लिए बिलों में कमी आई है.
अध्यक्ष महोदय, मैं आप सबसे निवेदन करना चाहता हूं कि हम सबको पर्यावरण को लेकर आने वाली जो पीढ़ी है उसके लिए कुछ न कुछ नया करने की जरूरत है और अगर हम सारे जितने प्रकार के उपभोग हैं. अगर हम स्वयं अपने आप में संयमित कर लेंगे तो आने वाली पीढ़ी के लिए चाहे हम पानी की बात करें, चाहे हम पर्यावरण की बात करें, चाहे हम रोजगार की बात करें, इस पर जरूर हमको विचार करना चाहिए. कुटीर और ग्रामोद्योग की बात करें. एक सहकारिता के माध्यम से परिवार पहले चला करते थे. कोई भी परिवार होता था मान लो दुग्ध उत्पादन का कार्य करता था तो सारा परिवार उसमें लग जाता था, उसके अलावा बढ़ाईगिरी का कोई काम कर रहा था पूरा परिवार उसमें लगता था. इसके अलावा लुहार जाति का कोई व्यक्ति छोटा-मोटा काम करता था उसका परिवार भी उसमें लगता था. मगर आज बाजारवाद हावी है. गांवों में कोई औजार मिलता नहीं है. हम किसान हैं और भी बहुत सारे ऐसे लोग हैं जो लोग रह रहे हैं गांवों से छोटा-सा नट लेने के लिए मोटरसाइकिल से बस से शहर में आना पड़ता है, उसके लिए यदि शहर में आ गये तो खर्चा होता है, अब आवागमन में उसको परेशानियां होती हैं तो इस प्रकार से आज जो समस्या बनी है, इस समस्या का निदान और समाधान करने की जरूरत है. अध्यक्ष महोदय, जो आपने बोलने का समय दिया उसके लिए बहुत -बहुत धन्यवाद.
श्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव ( बदनावर ) - अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 56 और 68 का समर्थन करते हुए शासन के पक्ष में बोलने को उपस्थित हूं. अध्यक्ष महोदय, यह श्री जालम सिंह पटेल जी अभी काफी विस्तृत रूप से सदन को सारी जानकारियां दे रहे थे. मैं उनका आभार मानना चाहता हूं कि आपने शासन के पक्ष में कई बातें कहीं. यह देखने में विभाग छोटा प्रतीत होता है, कुटीर और ग्रामोद्योग विभाग और अगर हम इसकी नींव में जायं और इसको समझने का प्रयास करें तो यह वह विभाग है जिसकी परिकल्पना हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भी कही थी और जब उन्होंने एक स्वप्न देखा था रामराज्य का, ग्राम स्वराज का, उसमें इसकी बहुत अहम भूमिका थी क्योंकि यह भी एक आधार था उस वक्त अर्थव्यवस्था का. श्री जालम सिंह पटेल जी ठीक कह रहे थे. जमाना होता था हमारे गांव के परंपरागत लुहार, सुतार, कुम्हार, रंगरेज तमाम लोग इस व्यवस्था में होते थे और वे अपना जीवनयापन करते थे. जब गांधी जी ने यह बात कही थी तो उस वक्त पूरा जो हमारे देश में स्वतंत्रता का आन्दोलन चला उसमें हमें देखना चाहिए कि किस प्रकार से खादी का योगदान था, किस प्रकार से चरखे का योगदान था. किस प्रकार से इन माध्यमो के द्वारा गांधी जी ने स्वावलबन का पाठ पढ़ाया था. मैं यहां पर मंत्री जी से आपके माध्यम से कहना चाहूंगा कि अच्छी बात है कि आप पुन: इस उद्योग में पूरा अध्ययन करके आज की तारीख का आडिट करके वास्तविक स्थिति को समझकर इसको बाजारोन्मुखी बनाने का प्रयास कर रहे हैं. लेकिन मैं यहां पर जालम सिंह जी की बात को आगे बढ़ाते हुए ,मैं, उनकी बात सुन भी रहा था और समझने का भी प्रयास कर रहा था. इसको हमें धरातल पर जाकर सूक्ष्म दृष्टि से देखना होगा. एक उदाहरण मैं आपको देना चाहता हूं. अस्वच्छ धंधे के प्रमाण पत्र दिये जाने होते हैं गांव में उसके तहत शासन की कुछ व्यवस्था है उसमें उनको कुछ सुविधाएं मिलती हैं. अब आज की तारीख में वह लोग प्रमाण पत्र के लिए जाते हैं तो बहुत से एसडीएम मना कर देते हैं कि यह काम तो होता ही नहीं है. लेकिन आप यह मानिये कि आज भी अगर गांव में किसी गौवंश की मृत्यु हो जाती है तो आज क्या स्थिति उत्पन्न होती है. आप देखें तो इसके माध्यम से भी एक कुटीर उद्योग स्थापित हो सकता है, हमें आज आवश्यकता यह है कि हमें उस कुटीर उद्योग की परिभाषा को विस्तृत करना होगा. उस जानवर का, गौवंश का उसकी खाल भी निकलती है उसकी हड्डियां भी होती हैं यह तमाम चीजें काम आती हैं.
मेरा कहना है कि हमें यहां पर दो तीन विभागों इंट्रीगेशन करके उसमें वन भी हो उसमें स्माल सेक्टर की इण्डस्ट्रीज भी हो, आप कहीं न कहीं यह प्रयास करें कि लोगों का टायअप कराये बड़े उद्योगों से, हमारे देवास में लेदर इण्डस्ट्रीज है, यह टाटा का बड़ा संयत्र है तो हम क्यों ऐसा नहीं कर सकते हैं कि तमाम गांवों में इन लोगों के छोटे कोआपरेटिव बनाकर कुछ शासन की मदद करके पुन: उनको उनके पैरों पर खड़ा करके, क्या आटोमोबाइल इण्ड्ट्रीज में इंसलरी यूनिट नहीं होते हैं. क्या छोटे छोटे उत्पादों को हम बड़े उद्योगो को सप्लाई नहीं करते है, इसकी ओर हमें देखना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय यहां पर मेरा एक ओर निवेदन है कि अभी यहां पर वन पर बहुत अच्छी चर्चा हो रही थी. इसमें दो तीन विभागों को मिलाकर काम करने की जरूरत है. हमारा कहना है कि हमारे क्षेत्र में महुआ होता है. अब महुए को हम केवल शराब से क्यों जोड़ते हैं, आदिकाल से महुआ कुटीर उद्योग ही तो था. आम की छांव के नीचे एक हांडी लगाकर बांस की नली डालकर आराम से इतनी साफ महुए की शराब बनती थी, लेकिन मेरा कहना है कि महुआ केवल शराब के लिए ही होता है क्या,यह हमारे दिमाग में क्योंकि हमने ऐसा ही सुना है, दाक्षास्त्रव नाम की एक दवा आयुर्वेद में होती जो कि महुए से ही बनती है. मेरा आपसे निवेदन है कि यह चाहे महुआ हुआ संतरा हुआ, बेर, सेव, आंवला अंगूर से तो वाइन बनती ही है इन सबसे वाइन बनती है लकिन इन सबसे दवा भी बनत है, तो क्यों नहीं हम इनको कुटीर उद्योग का दर्जा देते हुए हमारे मुख्यमंत्री जी कमलनाथ जी के वचनपत्र में घोषणा है वचन है स्वरोजगार फूड प्रोसेसिंग तो क्यों न हम वन को कुटीर उद्योग को फुड प्रोसेसिंग यूनिट को इंटीग्रिटेड करें तब हम उनके माध्यम से एक नया कुटीर उद्योग स्थापित करें. आप इसके लिए समिति बना दें इसमें हमारे आदिवासी भाई भी रहें, इसमें बाकी और अन्य लोग भी रह सकते हैं. एक माइक्रो फायनेंसिंग का कांसेप्ट भी हमारे पास में है, हम छोटी छोटी सहकारी समिति बना सकते हैं.
मेरा निवेदन है कि मंत्री जी मैं अध्यक्ष महोदय के माध्यम से एक सुझाव देना चाहता हूं कि आप इसकी परिभाषा को थोड़ा बदल दें, इसको थोड़ा विस्तृत करें फिर आप देखें कि कैसे स्वरोजगार उत्पन्न होगा, कैसे फूड प्रोसेसिंग भी इसमें आ सकती है, कैसे हम इन सबको बढ़ावे देकर , ग्रामीण नौजवानों को परंपरागत जो कि पीढ़ियों से यह काम करते आ रहे हैं आज उनको भटकना पड़ रहा है, न वह शहर के रहे हैं या न गांव के रहे हैं, तो वह उनकी दुर्दशा से बचेंगे मेरे ख्याल से यह बहुत अच्छी पहल होगी. बाद में हो सकता है कि इसको पूरे देश में लागू किया जाय. मैं एक और निवेदन करना चाहता हूं कि हथकरघा बुनाई यह एक ऐसी परंपरा धरोहर के रूप में मिली है जिसको हमें आगे बढ़ाना चाहिए, आप देखें कि चंदेरी विश्व विख्यात है, महेश्वर की साड़ियों के बारे में सब जानते हैं, आप देखें कि बाग प्रिंट हमारे प्रदेश में है, बटिक प्रिंट है इन सब चीजों की ब्रांडिंग करके जैसा कि हमारी सरकार कर रही है हम बढ़ावा देने का प्रयास करें. क्यों न हम इसमें एकस्पर्ट एडवरटाईजिंग एजेंसी को इसमें शामिल करें, यह लोग ट्रेंड नहीं हैं, लेकिन कला में पारंगत हैं, आप बाग में जाकर देखें वह किस तरह से काम करते हैं. वह लोग पर्यावरण का भी ध्यान रखते हैं आपको पता है कि वह जो डाई इस्तेमाल करते हैं वह केमिकल बेस नहीं होती हैं वह वेजिटेबल डाइ हैं, इनवायरमेंट फ्रेंडली हैं. इस वक्त मैं एक और बात कहना चाहूंगा, मैं स्मरण करना चाहूंगा मनमोहन सिंह जी को भी, क्योंकि तमाम बार राजनैतिक रुप से उनकी बुराई होती है. लोग कहते हैं कि मौन रहते हैं, कुछ कहते नहीं हैं. लेकिन यह तो वैसा ही हो गया कि - जब भी आग लगे उनका नाम आता है, चिराग जलाने की आदत थी उनको बहुत. आप मनमोहन सिंह जी के कार्यकाल में जाइये. कितना प्रोत्साहन उन्होंने दिया. कितनी मदद उन्होंने उस वक्त की इस सेक्टर की. चाहे हम चन्देरी के बुनकरों की बात कर लें, जो उस क्षेत्र से आते हैं चन्देरी के विधायक शायद यहां है या नहीं, यह मुझे नहीं पता. लेकिन एक वक्त ऐसा आया था, जब चन्देरी के बुनकरों की हालत इतनी खराब हो गयी थी कि वे आत्महत्या करने पर मजबूर हो रहे थे. पैकेज दिये गये वहां. उनकी मदद की गई और उसी का रिजल्ट है कि आज पुनः वह उद्योग वापस उठा है. तो यह सभी चीजें, यह ऐसी कलाएं हैं, जिनको थोड़ा सा अगर हम इन पर स्पेशलाइज उनको करें, ध्यान दें, तो इसमें हम बहुत आगे जा सकते हैं और इससे न सिर्फ रोजगार होगा, न सिर्फ हमें पब्लिसिटी मिलेगी, लेकिन इसमें प्रदेश को अर्थ का भी लाभ होगा. एक और बात मैं विशेष तौर से कहना चाहूंगा कि पर्यावरण की बात जगह जगह होती है, क्योंकि विभाग ऐसा है. शुक्ल जी, यहां पर नहीं हैं, शुक्ल जी को बहुत चिंता थी, जब विद्युत के बजट पर चर्चा हो रही थी, वे कह रहे थे कि कैसे होगा,कैसे आप पूर्ति करेंगे, किसानों का क्या होगा, कहां से पैसा आयेगा. मैं बताना चाहता हूं कि कमलनाथ जी केन्द्र सरकार में बहुत साल रहे हैं, उनके अनुभव का हमारे प्रदेश को लाभ मिलेगा. जिनेवा कन्वेंशन जब हुआ था, तो पूरे विश्व ने इस चीज का महत्व जाना कि कार्बन रेटिंग का क्या महत्व है. ग्रीन ट्रिब्यूनल हमारे प्रदेश में है. ग्रीन एनर्जी, क्लीन एनर्जी ऐसी तमाम चीजें प्रकाश में आईं. अब जैसा कि जालम सिंह जी भी कह रहे थे कि क्या हमारा यह दायित्व नहीं है कि जो हमें विरासत में मिला,क्या हम कर्जदार नहीं हैं भावी पीढ़ी के और कुछ हम उन्हें दे सकें न दे सकें, पर साफ हवा में सांस लेने लायक तो छोड़ें. आप देखिये थर्मल एनर्जी, हाइड्रो एनर्जी एवं गैस से पावर पैदा होता है. लेकिन जो विण्ड है और जो आपका सोलर है. अभी पिछले कुछ दिनों में हमने हमारे अनुभव से यह देखा है कि पहले एक जमाने में जो पॉवर पर्चेसिंग एग्रीमेंट हुआ करता थे, बहुत महंगे हुआ करते थे. लेकिन आज की तारीख में हम सबको जानकर खुशी भी है और आश्चर्य भी है कि हमारी जो सोलर एनर्जी है, उसकी जो रेट है,जो थर्मल पावर हम लेते हैं, जो तमाम प्रदूषण करता है, सबसे ज्यादा अगर प्रदूषण में आज कोई पर्यावरण में चीज कर रही है,तो हमारे पावर प्लांट से हो रही है. वह जो फ्लाइ एश आती है, उतनी खतरनाक होती है हमारे शरीर के लिये, जिसको हम बयां भी नहीं कर सकते. जहां हमको वह चार-साढ़े चार रुपये पर यूनिट पड़ रही है. हमें आज सोलर एनर्जी 2 रुपये 90 पैसे में पड़ रही है और इसको हमने पूरे तरीके से पूरे प्रदेश में जिस गति से इसका विस्तार होना है और जो प्लानिंग चल रही है, मैं एक सुझाव मंत्री जी को यह देना चाहता हूं कि 71 प्रतिशत हमारे स्कूल जब हमारे बजट पर चर्चा हो रही थी, वहां पर विद्युत नहीं है. तो वहां पर जो आप पैनल्स जगह जगह पर लगा रहे हैं, आप मंत्रालय में लगा रहे हैं, ये पैनल्स हम स्कूल्स में भी लगायें और यह सुनिश्चित करें कि वहां जो हम उनको बिजली नहीं पहुंचा पा रहे हैं, जो कनेक्शन वहां नहीं हुए हैं, वह सोलर पैनल्स के माध्यम से दें, वहां इलेक्ट्रीफिकेशन भी होगा और उन पर कोई मेंटेनेंस कॉस्ट भी नहीं आयेगी. क्योंकि इसका कोई उनको न तो पैसा देना है, बस रखरखाव है सोलर पैनल्स का. मेरे ख्याल से वह आसानी से किया जा सकता है. मैं एक और निवेदन करना चाहता हूं कि जब संसाधनों की कमी है, तो करीब 2 लाख करोड़ के कर्जे में हमको ये सरकार मिली है. जो माइनर वेक्यूम्स हैं, जहां पॉवर कट्स हो गये या तमाम तरह की घटनाएं हैं या बरसात का मौसम आ गया. पीपीपी के मॉडल की चर्चा होती रही है, लेकिन मैं मंत्री जी को प्रस्ताव देना चाहता हूं कि क्यों नहीं हम माइक्रो लेवल पर चाहे पंचायत का लेवल हो, चाहे जनपद का हो, चाहे जिला पंचायत का लेवल हो, क्या यहां पर हम पीपीपी के माध्यम से इनवीटेशन नहीं दे सकते उद्यमियों को, जो आकर निवेश करे और जो यहां पर वह सेटअप करे और इस तरीके से कभी भी हम चाहे आपका शासनकाल रहा हो, चाहे हमारा शासनकाल रहा हो, आज भी किसानों को वास्तविकता में सिंचाई के लिये हम 24 घण्टे बिजली नहीं दे पाते हैं. आप कितना भी दावा करें कि हमने 24 घण्टे बिजली दी, नहीं. किसी ने 24 घण्टे नहीं दी. हम बमुश्किल उनको ज्यादा से ज्यादा 8-10 घण्टे बिजली दे पा रहे हैं. उसका कारण यह होता है कि लोड सुबह बहुत रहता है, आप अक्सर रात को उनको बिजली दे पा रहे हैं. यह भी एक विकल्प है और मेरे ख्याल है अगर इसको लागू किया जाएगा तो सोलर के माध्यम से हम उनकी मदद भी कर पाएंगे. उनको बिजली भी दे पाएंगे. अध्यक्ष महोदय, मैं जानता हूँ कि समय कम है, जालम सिंह जी की बातें मैं दोहराना भी नहीं चाहूँगा. लेकिन ये उपलब्धियां तो हैं चाहे रीवा अल्ट्रा मेगा सौर परियोजना की बात रही हो, चाहे एनटीपीसी के माध्यम से ढाई सौ मेगावाट, जो उसमें और एडिशन हो रहा है, उसकी बात रही हो.
अध्यक्ष महोदय, एक और गर्व की बात हमारे प्रदेश के लिए यह है, जिस परियोजना की बात जालम सिंह जी कर रहे थे, रीवा की, उसमें 651 मेगावाट तो मध्यप्रदेश ले ही रहा है, लेकिन हम सबको इस बात पर गर्व है कि 51 मेगावाट बिजली वहां से दिल्ली मेट्रो के लिए भी जा रही है. मेरे ख्याल से यह मध्यप्रदेश के लिए बहुत बड़ी बात है और सराहनीय कदम है. मंत्री जी को और विभाग को इसके लिए मैं बधाई भी देना चाहता हूँ.
अध्यक्ष महोदय, अब जो क्षमता का आंकलन किया गया है, वर्ष 2012 में 32 मेगावाट उत्पादन हुआ करता था और वह आज बढ़कर 2046 मेगावाट हो गया है, और 2022 तक इसको टारगेटेड आपने 56 हजार मेगावाट रखा है. मुझे पूरा विश्वास है कि हमारा विभाग इसे न सिर्फ एचीव करेगा, बल्कि और भी एचीव करेगा.
अध्यक्ष महोदय, इसके अलावा हमने मंदसौर, आगर, शाजापुर, नीमच में साढ़े 17 मेगावाट क्षमता की परियोजनाएं भी स्थापित की हैं, इनसे रोजगार भी उपलब्ध होगा, स्थानीय रोजगार भी उपलब्ध होगा, जो कमलनाथ जी ने बात कही कि 70 फीसदी स्थानीय रोजगार हम वहां के लोगों को दें, उसकी तरफ भी एक अच्छा कदम इसमें उठाया जाएगा. नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा परियोजना विकास के इस मॉडल के अनुसरण हेतु समस्त राज्यों के मुख्य सचिवों को लेख करके एक पत्र भी भेजा गया है, जिसका क्रियान्वयन भी हो रहा है.
अध्यक्ष महोदय, आज असल में सौर ऊर्जा परियोजना के साथ-साथ एक और आवश्यकता है. मोदी जी मेक-इन-इंडिया की बात करते हैं, राहुल गांधी जी ने और कमलनाथ जी ने मेक-इन-मध्यप्रदेश की बात की है. मेरा माननीय मंत्री जी, आपसे निवेदन है और मुझे विश्वास है कि मध्यप्रदेश यह करके दिखाएगा, ये जो सौर ऊर्जा के संयंत्र हम जहां-जहां स्थापित करते हैं, इनके जो भी उपकरण होते हैं, चाहे सोलर प्लेट्स हों, या जो बाकी और तमाम चीजें, जो उसमें उपयोग में आती हैं, क्यों न ये भी मध्यप्रदेश में ही बनाई जाएं, ये भी मध्यप्रदेश में ही हम मैन्युफैक्चर करें, उससे रोजगार का भी सृजन हो. वही हमारे संयंत्रों में जाकर लगे, उससे हमें लाभ हो. यह मेरे ख्याल से हमारे वचन-पत्र के अनुकूल भी होगा और हमारे प्रदेश को गौरवान्वित भी करेगा.
अध्यक्ष महोदय, पवन ऊर्जा की बात जालम सिंह जी कर चुके हैं. मैं यह जरूर कहूंगा कि जो एक ऑप्टीमम पोटेंशियल का असेसमेंट किया गया है (माननीय अध्यक्ष महोदय द्वारा भाषणकर्ता सदस्य को अपना भाषण समाप्त करने के लिए लाल लाइट की बटन दबाई गई) भारत सरकार के मंत्रालय द्वारा 10500 मेगावाट क्षमता, हम अभी 2022 पर हैं, और जब हम 2022 पर हैं तो और 8 हजार मेगावाट की क्षमता हमारी और है. अध्यक्ष जी फरमा रहे हैं कि बैठ जाइये, अध्यक्ष जी, कमाल कर रहे हैं, हम तो वैसे गिरफ्तार-ए-नजर हैं हुजूर, पांव में जंजीर क्यों डालते हो, आप आंख दिखा दो, तो ही हम बैठ जाएं, ऐसी कोई बात नहीं है. आप बार-बार आदेश कर रहे हैं.
अध्यक्ष जी, मैं दो-तीन बातें करके समाप्त करता हूँ. मैं समझ गया आपकी नजरों से इशारा हुआ और हम तो वैसे ही कायल हैं. मध्यप्रदेश में कमलनाथ जी ने एक अनूठी पहल की है, मध्यप्रदेश सरकार सोलर पंप के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ जो भी उसमें परफार्मेंस होगी, उसको अंतर्राष्ट्रीय विनोबा भावे पुरस्कार देगी. मेरे ख्याल से यह बहुत अच्छी पहल है, इससे इनकरेजमेंट मिलेगा इस पूरे सेक्टर को और मैं बहुत-बहुत धन्यवाद ज्ञापित करना चाहता हूँ कमलनाथ जी को कि आपने ये उदाहरण पेश किया और पूरे देश में इसका अनुसरण हो, यही इच्छा और कामना हम सब रखते हैं.
अध्यक्ष महोदय, एक बात आखिरी में और कह दूँ. जो जालम सिंह जी ने भी कही, जो 3 हॉर्सपावर, 5 हॉर्सपावर और साढ़े 7 हॉर्सपावर, इन तीन श्रेणियों के सोलर पंप्स शासन किसानों के लिए उपलब्ध करा रहा है. अच्छी बात यह है कि जो 3 हॉर्सपावर का पंप है, उसमें सिर्फ जो लागत है, उसका 10 फीसदी किसान को देना है. जो 5 हॉर्सपावर का पंप है, उसकी जो लागत है, उसका मात्र 15 फीसदी किसान को देना है. इसके आगे जो साढ़े 7 हॉर्सपावर का पंप है, उसमें अभी पॉलिसी क्लियर नहीं है. लेकिन औसतन अगर हम देखें तो 3 लाख 61 हजार का 3 हॉर्सपावर का पंप आता है, तो 36 हजार की लागत 3 एचपी पर आई, और तकरीबन आपका 4 लाख 80 हजार का 5 हॉर्सपावर का आता है तो उसकी लागत करीब 65 हजार रुपये आयी. मेरा निवेदन आपके माध्यम से यह है कि क्यों न विधायक निधि से हम लोगों को राशि देने का प्रावधान कर दें ? अगर वह आपने कर दिया, बजट तो है ही आपके डिपार्टमेंट का, तो आप कुछ भी 5-10-15 लाख हमें कह दें कि हम उससे दे पायें. मैं बताऊं उसमें कारण क्या है, आप वेटिंग लिस्ट उठाकर देखिये स्थाई कनेक्शनों की. सालों साल तक स्थाइ कनेक्शन हमारा ऊर्जा विभाग उन लोगों को नहीं दे पाता है. हम जहां भी गांव में जायेंगे, मूलत: इसमें कौन प्रभावित हैं, कमजोर तबके के लोग ज्यादा प्रभावित हैं और इससे क्या होगा, दो चीजें होंगी. एक तो आपका अतिरिक्त भार जो पीक अवर्स में ऊर्जा विभाग पर पड़ता है वह खत्म हो जायेगा. दूसरा, जब हम उन किसानों को पम्प दे देंगे, तो उसको मुफ्त बिजली वैसे ही मिल जायेगी. आपकी चोरी कम हुई, आपकी लाईन फॉल्ट का काम खत्म हो गया, आपको डिस्ट्रीब्यूशन में नेटवर्क सेटअप करना है उसकी आपकी प्रॉब्लम खत्म हो गई. यह तमाम चीजें उससे होंगी. मैं समझता हूं अध्यक्ष महोदय, अगर आप यह व्यवस्था दे देंगे, तो इससे पूरा सदन, सभी विधायक प्रसन्न होंगे और जनता का तो निश्चित तौर पर फायदा होगा ही होगा.
अध्यक्ष महोदय, अब मैं अपने क्षेत्र की एक बात आपके माध्यम से निवेदन करना चाहता हूं. पवन ऊर्जा स्थापित हो रही है, अच्छी बात है. सौर ऊर्जा स्थापित हो रही है अच्छी बात है. कोई भी प्रगति हो रही है अच्छी बात है. लेकिन वह मानव जीवन की बलि पर नहीं होनी चाहिये. मेरे क्षेत्र में एक भावलापाड़ा नाम का गांव है, जब देश भी नहीं बना था, आज से 200 साल से वह लोग वहां रह रहे हैं. आदिवासी वहां निवास करते हैं. एक कोई ठेकेदार आये, पवन चक्की के नाम पर और केन्द्र की पॉलिसी स्पष्ट कहती है कि जहां बसाहट है, जहां स्कूल है, जहां बच्चे हैं, जहां मानव जीवन है, वहां आप चक्की नहीं लगा सकते, क्योंकि जब वह चालू होती है, 5 फिट आगे पीछे होती है, निरंतर आवाज करती है. तार होते हैं. एक आदमी मरता-मरता बचा. बीचों बीच उस गांव में और वहां जब गांव वालों ने विरोध किया तो तत्कालीन एसडीएम ने, दुर्भाग्यवश ऐसे ऑंचलों में आदिवासियों के पास पट्टे भी नहीं होते हैं, हम सब जानते हैं कि उनकी पीढि़यां 200 साल से वहां रह रही हैं. उनको बेदखल करने की कोशिश की गई और जब लोगों ने विरोध किया, तो उनको धारा 151 में जेल में ठूस दिया गया. अध्यक्ष जी, मैं आपके माध्यम से निवेदन करना चाहता हूं कि इसमें जांच कराई जाये और इसके अंदर उचित कार्यवाही करके उन आदिवासियों को न्याय दिलाया जाये. यह होगा, तभी ठेकेदार या बड़े उद्योगपति जो भी उद्योग स्थापित करने आते हैं, वह इस बात पर सजग होंगे कि प्रगति तो आप करो, लेकिन मानव जीवन की कीमत पर न करो और ''निशा है, भोर भी होगा''. नौजवान हमारे मंत्री जी हैं, मुझे पूरा विश्वास है कि वह अच्छा कार्य करेंगे. आपने बोलने का अवसर दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - (XXX)
अध्यक्ष महोदय - एक मिनट रुक जाइये. नेता जी को आ जाने दीजिये.
डॉ. गोविंद सिंह - (XXX)
डॉ. नरोत्तम मिश्र - (XXX)
...(व्यवधान)...
श्री विश्वास सारंग - (XXX)
श्री आरिफ अकील - (XXX)
डॉ. नरोत्तम मिश्र - (XXX)
डॉ. गोविंद सिंह - (XXX)
डॉ. नरोत्तम मिश्र - (XXX)
अध्यक्ष महोदय - मैंने कोई सुझाव दिया था आपको ? बार-बार आप ऐसा करेंगे, तो व्यवस्था मेरे को वैसी करनी पड़ेगी. ..(व्यवधान).. एक मिनट रुक जाइये. ..(व्यवधान)..
श्री सज्जन सिंह वर्मा - (XXX)
..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय - यह कुछ रिकार्ड में नहीं आयेगा और सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिये स्थगित.
(विधानसभा की कार्यवाही 9.10 बजे 5 मिनट के लिये स्थगित)
9.20 बजे
{अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) पीठासीन हुए}
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- माननीय अध्यक्ष जी, वह बड़ा संवेदनशील विषय है शीला दीक्षित जो पूर्व मुख्यमंत्री हैं....
अध्यक्ष महोदय-- मैंने आप से व्यक्तिगत चर्चा की.. ..(व्यवधान)..
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- आप मेरी बात सुन लें...(व्यवधान)..
श्री आरिफ अकील-- सीधा बताओ क्या चाहते हों?..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- मैंने आप से व्यक्तिगत चर्चा की थी इस विषय को कल की कार्यसूची में ले रहा हूँ. ..(व्यवधान).. अभी यह विषय मैं नहीं ले रहा हूँ ..(व्यवधान).. किसी का भी रिकार्ड में नहीं आएगा...(व्यवधान)..
श्री आरिफ अकील-- (XXX)
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- (XXX) ..(व्यवधान)..
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- (XXX) ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- मेरी कार्यवाही चलने दीजिए. श्री अजय विश्नोई, श्री हरदीप सिंह डंग, ..(व्यवधान)..श्री रवि जोशी, ..(व्यवधान)..मैंने जब आप से व्यक्तिगत चर्चा कर ली ..(व्यवधान)..उसके बाद भी आप ऐसा कर रहे हैं. जब मैं कल की कार्यसूची में ले ही रहा हूँ उसके बाद..(व्यवधान)..आप मेरा व्यक्तिगत अनुरोध नहीं मान रहे हैं. ..(व्यवधान)..
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- (XXX)
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- (XXX) ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- मैं, पहले कटौती प्रस्तावों पर मत लूंगा.
प्रश्न यह है कि मांग संख्या 56 एवं 68 पर प्रस्तुत कटौती प्रस्ताव स्वीकृत किए जाएँ. कटौती प्रस्ताव अस्वीकृत हुए.
..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- अब मैं, मांगों पर मत लूंगा. ..(व्यवधान)..
प्रश्न यह है कि 31 मार्च 2020 को समाप्त होने वाले वर्ष में राज्य की संचित निधि में से प्रस्तावित व्यय के निमित्त लेखानुदान में दी गई धनराशि को सम्मिलित करते हुए राज्यपाल महोदया को-
अनुदान संख्या- 56 कुटीर एवं ग्रामोद्योग के लिए एक सौ सत्तर करोड़, आठ लाख, सतहत्तर हजार रुपये एवं
अनुदान संख्या- 68 नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा के लिए दो सौ इकहत्तर करोड़, इक्कीस लाख, इक्कानवे हजार रुपये तक की राशि दी जाए.
मांगों का प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
..(व्यवधान)..
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- (XXX)
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- (XXX)
श्री आरिफ अकील-- (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- ऐसा है कि हर चीज का विधान सभा में प्रस्ताव आता है हम भी जानते हैं कि वह नेहरू परिवार की नहीं थी, हम भी जानते हैं कि उनको श्रद्धांजलि हमें दे देना चाहिए. . ..(व्यवधान)..लेकिन हम जानते हैं कि यहाँ विधिवत प्रस्ताव आना चाहिए, उस विधिवत प्रस्ताव में नेता, नेता प्रतिपक्ष और ..(व्यवधान)..नहीं, मैंने आप से अनुरोध किया कि जब मैं कल की कार्यसूची में विधिवत प्रस्ताव ला रहा हूँ उस प्रस्ताव के आधार पर विधिवत चर्चा होगी. आप मेरी बात को बार बार नकार रहे हैं और ..(व्यवधान)..
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- (XXX) ..(व्यवधान)..
(व्यवधान)
श्री सज्जन सिंह वर्मा (XXX)
डॉ. नरोत्तम मिश्र (XXX)
श्री विश्वास सारंग (XXX)
श्री गोपाल भार्गव (XXX)
श्री आरिफ अकील (XXX) (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--ऐसा है जब मैं कोई अनुरोध करता हूँ माननीय सदस्य मेरी बात नहीं मान रहे हैं मुझे सबसे बुरा यह लग रहा है. मैंने आपसे तीन बार अनुरोध किया कि कल की कार्य सूची में मैं विधिवत् ले रहा हूँ. जो नियम रहता है जो परम्पराएं हैं उसमें नेता जी बोलते हैं, नेता प्रतिपक्ष बोलते हैं अन्य दलों के नेता बोलते हैं. मैं विधिवत् प्रस्ताव लेता. लेकिन आपसे दो बार अनुरोध करने के बाद मेरी बात न मानते हुए आप ऐसा उल्लेख कर रहे हैं...(व्यवधान)
डॉ. नरोत्तम मिश्र (XXX)
अध्यक्ष महोदय--क्यों मेरी व्यवस्था का कोई तरीका नहीं है. (व्यवधान)
श्री जितु पटवारी (XXX)
श्री गोपाल भार्गव (XXX) (व्यवधान)
9.27 बजे गर्भगृह में प्रवेश एवं वापसी
भारतीय जनता पार्टी के सदस्यगण द्वारा गर्भगृह में प्रवेश
(भारतीय जनता पार्टी के सदस्यगण नारेबाजी करते हुए गर्भगृह में आए एवं आसन पर वापस गए)
श्री जितु पटवारी (XXX)
श्री सज्जन सिंह वर्मा (XXX)
डॉ. नरोत्तम मिश्र (XXX)
श्री गोपाल भार्गव (XXX) (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--गोपाल जी यह वही बात आ गई. नेता जी वही बात आ गई. (व्यवधान)
श्री गोपाल भार्गव (XXX) (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--सब चीजें होंगी हम भी जानते हैं. सत्तापक्ष का कहना है कि वे उनकी नेता थीं, सत्तापक्ष अपनी तरफ से प्रस्ताव लाना चाहता है तो ऐसी स्थिति में मैं कैसे तय कर दूं. अब सत्तापक्ष का कहना है कि कल कार्य सूची में लाइए. विधिवत हम भी बोलना चाहते हैं, ऐसी बात है इसलिए मैं आपसे बोल रहा हूँ कि दोनों पक्ष शांत हो जाएं. कल की कार्यसूची में आने दें. इसके बाद कार्यवाही आगे बढ़ाएंगे. यह मैं बोल रहा हूँ. आज हम नहीं ले सकते हैं. क्योंकि सत्ता पक्ष इसमें सहमत नहीं है.
श्री गोपाल भार्गव (XXX)
(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय-- मैं विषय ही परमिट नहीं कर रहा हूं. मैं अनुरोध कर रहा हूं. नेता प्रतिपक्ष जी.
श्री गोपाल भार्गव--(XXX)
अध्यक्ष महोदय-- कोई गलत मैसेज नहीं जाएगा. यही तो दिक्कत है मैंने बार-बार नरोत्तम जी से अनुरोध किया था कि ऐसा गलत मैसेज मत दीजिएगा मैंने व्यक्तिगत कहा था लेकिन उन्होंने जानबूझकर यह कर दिया यह जानते हुए कि हां कांगेस पक्ष निश्चित रूप से इस पर प्रस्ताव लाएगा. जब मैं कह रहा हूं मैं कल इस विषय को कार्यसूची में ले लूंगा उसके बाद भी ऐसा करना गलत है. (व्यवधान)...
डॉ. नरोत्तम मिश्र--(XXX)
अध्यक्ष महोदय-- ठीक है, लोकसभा चल रही है. (व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- इतवार के दिन ही.
श्री जितु पटवारी-- (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- नरोत्तम जी इनकी कोई बात नहीं है. (व्यवधान)...
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- (XXX)
श्री जितु पटवारी-- (XXX)
श्री गोपाल भार्गव-- (XXX) (व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- न सदन असंवेदनशील है और न मैं असंवेदनशील हूं. बात उस तरफ मत मोडि़ए. मेरी बात पहले सुन लीजिए. मेरे से नरोत्तम जी ने कुछ कहा मैंने उनसे कहा कि नहीं हम इसको जब कल की कार्यसूची में ले रहे हैं तो इसका
विधिवत प्रस्ताव आने दीजिए क्योंकि वह भी कांगेस की एक सर्वमान्य एक बहुत बड़ी नेता थी. हम भी चाहते थे कि इस विषय में जैसी परम्परा इस सदन की है नेता बोले नेता प्रतिपक्ष बोलें जिन किसी और को बोलना है वह बोलें. (व्यवधान)
श्री गोपाल भार्गव--(XXX)
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- (XXX) (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय-- नहीं मैंने विषय की परमीशन नहीं दी है. अभी रुक जाइए. मैंने विषय ही नहीं लिया है. सदन के नेता क्या बोलना चाह रहे हैं. सदन के नेता को बोलने दिया जाए. (व्यवधान)
मुख्यमंत्री (श्री कमल नाथ)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी कुछ देर पहले मैं दिल्ली से लौटा हूं. शीला दीक्षित जी की अंत्येष्टि में गया था. बाकी के सब नेता वहां उपस्थित थे. कुछ देर पहले ही मैं लौटा. सुबह मैंने आग्रह किया था आपसे, नेता प्रतिपक्ष जी से कि मैं दिल्ली जा रहा हूं. आपकी अनुमति के बाद मैं दिल्ली गया. मैंने यह भी आग्रह किया था कि शोक प्रस्ताव हम आज ही ले लें. नेता प्रतिपक्ष जी भी उस बैठक में थे कि सुबह हम यह ले लें. इस पर चर्चा हुई और विचार
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XXX : आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
बना कि उनकी अंत्येष्टि नहीं हुई है हमें कल लेना चाहिए. मैंने स्वीकार कर लिया और मैं कुछ देर बाद दिल्ली के लिए रवाना हो गया जब यह बात तय हो गई थी मेरी खुद की इच्छा थी कि हम सुबह ही ले लेते पर जब आपने कहा कि मैं यह कल की कार्यसूची में लूंगा और इसमें जब यह सहमति बनी तो आज यह ऐसा विषय बने, मैं तो सोचता हूं कि यह सदन को शोभा नहीं देता.
श्री गोपाल भार्गव- माननीय अध्यक्ष महोदय, दाह संस्कार के पश्चात् श्रद्धांजलि दे सकते हैं.
(...व्यवधान...)
डॉ.नरोत्तम मिश्र- माननीय अध्यक्ष महोदय, हम दाह संस्कार के बाद की बात कर रहे हैं. ये लोग अपने नेता को श्रद्धांजलि नहीं देना चाहते हैं. वे नेहरू-गांधी परिवार की नहीं हैं सिर्फ इसलिए उन्हें श्रद्धांजलि नहीं देना चाहते हैं.
(...व्यवधान...)
खेल एवं युवा कल्याण (श्री जितु पटवारी)- माननीय अध्यक्ष महोदय, ये नेता बनना चाहते हैं, इन्होंने नेता प्रतिपक्ष को बिठा दिया. ये पहले अपने नेता का सम्मान करें.
(...व्यवधान...)
वित्त मंत्री (श्री तरूण भनोत)- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमें इस पर घोर आपत्ति है. ये नहीं चाहते कि सदन की कार्यवाही चले. हम अपने नेताओं का सम्मान कैसे करें, क्या ये हमें सिखायेंगे ? इसलिए मैं प्रस्ताव करता हूं कि इस बजट को पारित किया जाये.
(...व्यवधान...)
9.36 बजे
बहिर्गमन
श्री गोपाल भार्गव, नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी के सदस्यगण द्वारा सदन से बहिर्गमन
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)- माननीय अध्यक्ष महोदय, हम सरकार की इस असंवेदनशीलता के विरोध में सदन से बहिर्गमन करते हैं.
(नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी के सदस्यगण बर्हिगमन किया गया)
9.37 बजे
वर्ष 2019-20 के आय-व्ययक में सम्मिलित शेष अनुदानों की मांगों को बिना चर्चा स्वीकृत किया जाना (आंशिक मुखबंध)
वित्त मंत्री (श्री तरूण भनोत)-
मैंने आय-व्ययक 2019-2020 की महत्ता एवं प्रासंगिकता को दृष्टिगत रखते हुए, उसमें संबंधित मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक -4), विधेयक, 2019 को आज ही पुन:स्थापित किये जाने के साथ विचार हेतु लिये जाने की अनुज्ञा प्रदान की है, मैं समझता हूं कि सदन इससे सहमत है.
सदन द्वारा सहमति प्रदान दी गयी
शासकीय विधि विषयक कार्य
अध्यक्ष महोदय:- विधान सभा की कार्यवाही सोमवार, दिनांक 22 जुलाई, 2019 को प्रात: 11.00 बजे तक के लिये स्थगित.
अपराह्न 9.44 बजे विधान सभा की कार्यवाही सोमवार, दिनांक 22 जुलाई, 2019 (आषाढ़ 31, शक संवत् 1941) के पूर्वाह्न 11.00 बजे तक के लिये स्थगित की गई.
भोपाल : अवधेश प्रताप सिंह
दिनांक- 21 जुलाई, 2019 प्रमुख सचिव
मध्यप्रदेश विधान सभा