मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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पंचदश विधान सभा तृतीय सत्र
जुलाई, 2019 सत्र
रविवार, दिनांक 21 जुलाई, 2019
(30 आषाढ़, शक संवत् 1941 )
[खण्ड- 3 ] [अंक- 10 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
रविवार, दिनांक 21 जुलाई, 2019
(30 आषाढ़, शक संवत् 1941 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.05 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) पीठासीन हुए.}
अध्यक्ष महोदय - (डॉ. नरोत्तम मिश्र की ओर देखकर) आपको पूरा देख रहा हूँ.
श्री सोहनलाल बाल्मीक - सदन के अभिताभ बच्चन को ही देखोगे, हमको नहीं देखोगे.
अध्यक्ष महोदय - मुझे डेढ़ दिन से नूरानी चेहरा नहीं दिखा. (हंसी) मैं परेशान था.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, गुस्ताखी माफी हो, पर मैं आपको लिखकर दे गया था.
अध्यक्ष महोदय - न चिट्ठी, न कोई संदेश, न जाने कहां चले गए थे विदेश.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, मैंने भिजवाया था, पर संवाद स्थापित करना भी चाहा था चूँकि आप हाउस देर तक चलाते हैं.
अध्यक्ष महोदय - आप ही ने तो कहा था.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - और आप जैमर लगा देते हैं. उस कारण से संवाद स्थापित नहीं हो पाया.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - अध्यक्ष जी, आपने डॉ. नरोत्तम मिश्र जी को तो कह दिया, मगर के.पी.सिंह जी के बारे में कोई टिप्पणी नहीं की.
अध्यक्ष महोदय - वाह, वाह, हमें क्या मालूम था कि के.पी.सिंह जी भी आज आ गए हैं.
श्री के.पी.सिंह - नमस्कार. (हंसी)
अध्यक्ष महोदय - यह भी विेदेश कुछ देखने गए थे. जैसे गेंद और बल्ला होता है, वैसा कुछ देखने गए थे.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - हुजूर आते-आते बहुत देर कर दी.
श्री के.पी.सिंह - आपकी परमीशन से गए थे.
अध्यक्ष महोदय - वह तो है लेकिन मुझे प्रसन्नता हुई.
प्रश्नकाल में उल्लेख एवं अध्यक्षीय व्यवस्था
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, मैं थोड़ा सा ध्यान आकर्षित करना चाह रहा था. आज आपने जो कार्यसूची जारी की है. इसमें आज आठवें नम्बर पर विनियोग विधेयक के बारे में है. आप शासकीय विधि विषयक कार्य देखेंगे तो...
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ.गोविन्द सिंह) - माननीय अध्यक्ष जी, प्रश्न हो जाने दें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - संवैधानिक स्थिति है.
डॉ. गोविन्द सिंह - वैधानिक ?
डॉ. नरोत्तम मिश्र - वैधानिक नहीं असंवैधानिक स्थिति है.
डॉ. गोविन्द सिंह - कोई संवैधानिक नहीं है.
डॉ. सीतासरन शर्मा - आज आप सारे विषय पूरे करना चाहते हैं. आज आप गुलेटिन करेंगे.
डॉ. गोविन्द सिंह - अध्यक्ष महोदय के पास सब अधिकार सुरक्षित हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय जी, मैं खड़ा होता हूँ तो गोविन्द सिंह जी को क्या हो जाता है. एक कहावत है कि 'इनके हुस्न का हुक्का तो बुझ गया कब से, वो एक हमारी वफा है कि जो अब तक गुड़गुड़ाये जाते हैं'. (हंसी) मैं आपकी कृपा चाहूँगा् मध्यप्रदेश विधान सभा के प्रक्रिया तथा कार्य-संचालन संबंधी नियम की पुस्तक की ओर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहूँगा. इसमें पेज क्र.74 पर 'ग' विनियोग विधेयक जो है, आप आज्ञा देंगे तो पूरा पढ़ दूँगा या जिस लाइन पर आप कहेंगे, मैं उस लाइन को पढ़ दूँगा. जिस ओर मैं आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ.
अध्यक्ष जी, जैसी आप आज्ञा दें. मैं पैरा पूरा पढ़ दूँ, आखिरी लाइन पढ़ दूँ. यह भी उन्हीं में से हैं हुस्न के हुक्के वाले, एक हमारी वफा है कि गुड़गुड़ाये जा रहे हैं.
भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास मंत्री (श्री आरिफ अकील) - अध्यक्ष जी, 'हमको उनसे है वफा की उम्मीद, जो नहीं जानते कि वफा क्या है.' (हंसी)
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, 'हम बावफा थे इसलिए नजरों से गिर गए, शायद इन्हें तलाश किसी बेवफा की थी.(हंसी)
अध्यक्ष महोदय, मैं पेज नं. 74 पर जो विनियोग विधेयक है, "सभा में विनियोग विधेयक के पुर:स्थापित होने के बाद किसी भी समय अध्यक्ष सभा द्वारा विधेयक के कारण में अन्तर्ग्रस्त सभी या किसी प्रक्रम को पूरा करने के लिए संयुक्त रूप से अलग-अलग एक या कई दिन नियत कर सकेगा और जब ऐसा नियतन किया जा चुका हो तो अध्यक्ष, यथास्थिति, नियत दिन या नियत दिनों के अंतिम दिन पांच बजे उस प्रक्रम या प्रक्रमों के संबंध में, जिनके लिये वह या वे दिन नियत किये गये हों, सभी अवशिष्ट विषयों को निपटाने के लिये प्रत्येक आवश्यक प्रश्न तुरन्त रखेगा.'' देखिये, हमारी आशंका सिर्फ इतनी सी है कि हम आपसे यह निवेदन चाहते हैं कि यह पुर:स्थापित होगा तो कोई बात नहीं थी, इस पर आपत्ति नहीं थी, पारित किया जाये आया. यह बजट पारित होने के बाद विनियोग आता है, आज आ गया तो हमें आशंका यह है कि क्या आप इन मांगों को गुलेटिन करके बजट पास करके सत्रावसान कर रहे हैं. हमारी सिर्फ आपसे प्रार्थना है और मैं मानता हूँ कि आप पूरी ताकत, मेहनत, शिद्दत, लगन के साथ हाउस चला रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - आज जिस दिशा में सोच रहे हैं, वैसा नहीं है. इसको पारित करवाने का मतलब अभी मेरे विधेयक भी हैं, अभी 139 की चर्चा भी है. मुझे वह सब ग्राह्य करनी हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - आप तो यह कह दो कि सत्र पूरा चलेगा.
अध्यक्ष महोदय - चलेगा. यह बात कल भी आई थी कि (डॉ. सीतासरन शर्मा के खड़े होकर बोलने पर) शर्मा जी एक मिनट सुनें. मेरे साथी मित्र को अभी भी पुरानी कल्पना की इतनी याद आती है, वह कल्पनाओं में बहने लगते हैं.
डॉ. गोविन्द सिंह -माननीय अध्यक्ष जी, सत्र अभी चलेगा. आज खत्म नहीं होगा.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न क्रमांक 1.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) - चूँकि कार्यसूची में इतना ज्यादा बिजनेस ले लिया है कि यदि हम दो दिन, दो रात बैठे रहें तो तब भी यह पूरा नहीं होगा.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - 16 घण्टे का बिजनेस है.
अध्यक्ष महोदय - दिन में चौबीस घण्टे होते हैं. कभी-कभी हम कहते हैं कि हमारा वह नेता ऐसा है जो 18 घण्टे काम करता है, जो 22 घण्टे काम करता है. एक बार हम विधानसभा में भी तो देखें.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष जी, हम लोग तैयार हैं. आप तो खटिया, पलंग की व्यवस्था भी यहीं करवा दें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, एक मैंने व्यक्तिगत संवाद में आपसे प्रार्थना की थी, मैं उसे सार्वजनिक करना चाहता था. एक तो जो आपकी स्थायी व्यवस्थाएं आ रही हैं, पूर्व में अध्यक्ष की स्थायी व्यवस्थाओं की पुस्तक और सदन के हास-परिहास की एक पुस्तक छपती थी. जो लम्बे समय से बन्द है. मेरी प्रार्थना थी कि आप करवा दें.
अध्यक्ष महोदय -- निश्चित रूप से यह अच्छा सुझाव है. स्थायी व्यवस्था और हास परिहास जो चलता है, उसकी पहले किताब छपती थी, वह अब फिर से प्रारंभ होना चाहिये.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपसे कृपा करके अनुरोध है कि हमारे प्रश्न लगे हैं.
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
शास. जिला चिकित्सालय बुरहानपुर में स्वीकृत पद
[लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण]
1. ( *क्र. 1699 ) ठाकुर सुरेन्द्र नवल सिंह : क्या लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) शासकीय जिला चिकित्सालय बुरहानपुर में कुल कितने पद स्वीकृत हैं एवं उन स्वीकृत पदों के विरूद्ध कितने पदों की पूर्ति हो चुकी है एवं कितने पद रिक्त हैं? उक्त पदों पर नियमित एवं संविदा के कितने पदों की पूर्ति हो चुकी है? (ख) शासकीय जिला चिकित्सालय बुरहानपुर में डॉक्टर के कितने पद स्वीकृत हैं और वर्तमान में कितने पद रिक्त हैं? रिक्त पदों की पूर्ति कब तक होगी? (ग) वर्तमान में पदस्थ डॉक्टर किस-किस विभाग में कार्यरत हैं एवं उनका कार्य का समय क्या है?
लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) जिला चिकित्सालय बुरहानपुर में विशेषज्ञों के 22 पद स्वीकृत एवं 14 पद रिक्त हैं, चिकित्सा अधिकारी के 15 पद स्वीकृत एवं 01 पद रिक्त है। निश्चित समयावधि बताना संभव नहीं है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' पर है।
ठाकुर सुरेन्द्र नवल सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आज आपने मुझे अपने विचार रखने का मौका दिया है, मैं इसके लिये आपको बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं. मैं आपके पूर्ण आशीष के साथ अपनी बात रखना चाहता हूं.
जिंदगी दी है तो जीने का हुनर भी देना,
जिंदगी दी है तो जीने का हुनर भी देना,
पांव बख्शे हैं तो तोहफे के सफर भी देना,
गुफ्तगु तूने सिखायी, मैं तो गूंगा था,
गुफ्तगु तूने सिखायी, मैं तो गूंगा था,
अब जो बात बोलूं, तो उसमें असर भी देना. (मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय -- शेरा, शेर भी पढ़ता है(हंसी)
ठाकुर सुरेन्द्र नवल सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह जरूरी है, नहीं तो लोग मेरी पहचान भूल जायेंगे. मैं आपके माध्यम से आदरणीय स्वास्थ्य मंत्री जी से मेरे क्षेत्र की बातें कुछ पूछना चाहता हूं कि क्या लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि शासकीय जिला चिकित्सालय बुरहानपुर में कुल कितने पद स्वीकृत हैं ? एवं उन स्वीकृत पदों के विरूद्ध कितने पदों की पूर्ति हो चुकी है एवं कितने पद रिक्त हैं? उक्त पदों पर नियमित एवं संविदा के कितने पदों की पूर्ति हो चुकी है? क्या शासकीय जिला चिकित्सालय बुरहानपुर में डॉक्टर के कितने पद स्वीकृत हैं और वर्तमान में कितने पद रिक्त हैं? रिक्त पदों की पूर्ति कब तक होगी? वर्तमान में पदस्थ डॉक्टर किस-किस विभाग में कार्यरत हैं एवं उनका कार्य का समय क्या है? माननीय मंत्री महोदय बताने की कृपा करें.
श्री तुलसीराम सिलावट -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जब नाम शेरा हो तो इनका काम भी शेर जैसा ही है. जिला चिकित्सालय बुरहानपुर में विशेषज्ञों के 22 पद स्वीकृत एवं 14 पद रिक्त हैं, चिकित्सा अधिकारी के 15 पद स्वीकृत एवं 01 पद रिक्त है।
अध्यक्ष महोदय -- यह प्रश्न तो आपने लिखे हुये हैं.
ठाकुर सुरेन्द्र नवल सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री महोदय से आपके आर्शीवाद से और आपके संरक्षण में पूछना चाहता हूं कि इतना बड़ा अस्पताल आपने बुरहानपुर में बनाया है और वहां पर पिछले पंद्रह साल से पद रिक्त पड़े हुये हैं और हमारी सरकार के आने के बाद आपके मंत्री बनने के बाद हमें या हमारी जनता को क्या फायदा मिला है ? क्या कोई उपयुक्त फायदा मिला है ?
श्री तुलसीराम सिलावट -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इनकी पीड़ा से इनके कष्ट से मुझे भी पीड़ा होती है, इनकी भावना बहुत अच्छी है. जब एक जनप्रतिनिधि यह बात करे कि उनके अस्पताल में डॉक्टर नहीं है और आपने मेरे संज्ञान में लाये हैं. मैं बताना चाहता हूं कि पंद्रह वर्षों से एक डॉक्टर नहीं, बल्कि मध्यप्रदेश में 70 प्रतिशत डॉक्टरों की कमी है. मैं आपके माध्यम से बताना चाहता हूं कि जिला चिकित्सालय बुरहानपुर में 234 नियमित पद स्वीकृत हैं और 82 पद रिक्त हैं इन पदों पर कुल 152 कार्यरत हैं, संविदा के जो 69 अधिकारी और कर्मचारी कार्यरत हैं और मैं आपको बताना चाहता हूं कि पद रिक्तों की पूर्ति के लिये निरंतर प्रक्रिया जारी है और जो आपकी कल्पना और भावना है, उसके अनुसार अतिशीघ्र मैं डॉक्टरों की पूर्ति करने जा रहा हूं.
ठाकुर सुरेन्द्र नवल सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं हमारे माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि कृपया आप अपनी समय सीमा हमको बतायें कि कब तक आप यह नियुक्ति करेंगे ? क्योंकि बुरहानपुर जिले में कोई एडवांस एम्बुलेंस नहीं है, जिससे बुरहानपुर से मरीजों को अच्छे अस्पताल में इंदौर शिफ्ट किया जा सके, वहां पर डॉक्टर्स नहीं है, इसलिये हमारी जनता हाय मचा रही है. बुरहानपुर में हाहाकार हो रहा है, इसलिये मेहरबानी करके ज्यादा से ज्यादा ध्यान देकर इस कार्य को पूरा करें और कम से कम एडवांस एम्बुलेंस की व्यवस्था शीघ्र कर दें.
श्री तुलसीराम सिलावट -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपकी बात से सहमत हूं. मैं आपको बताना चाहता हूं कि हमें बुरहानपुर के साथ-साथ पूरे मध्यप्रदेश की चिंता है. मध्यप्रदेश में जहां भी डॉक्टरों की कमी होगी, वहां पर डॉक्टरों के पद अतिशीघ्र भरे जायेंगे. हमने डॉक्टर कैलाश खिसनार, नेत्र विशेषज्ञ बुरहानपुर, डॉक्टर मुमताज अंसारी, शल्य क्रिया विशेषज्ञों को शाहपुर में पदस्थ किया है और वह भी सम्माननीय सदस्य के अनुरोध पर पदस्थ किया है.
ठाकुर सुरेन्द्र नवल सिंह-- माफ करना मंत्री महोदय, इस जवाब से हमारे बुरहानपुर की चिकित्सा सुविधा का काम पूरा नहीं हो पायेगा, आपको पूरा ध्यान देना होगा, क्योंकि आप खुद भी बोल रहे हैं कि विशेषज्ञ के 14 पद खाली पड़े हुये हैं और बुरहानपुर से जो हमारी कमिश्नरी इंदौर डिवीजन है वह 180 किलोमीटर पड़ती है, कम से कम कोई अच्छी एम्बूलेंस की व्यवस्था हो जो कि हार्ट, लंग्स मशीन इक्यूप्ड, फुल इक्यूप्ड एम्बूलेंस होती है, एडवांस एम्बूलेंस की व्यवस्था तो करें तब तक.
श्री तुलसीराम सिलावट-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सम्मानीय सदस्य को यह आश्वस्त करना चाहता हूं कि जहां तक डॉक्टरों की भरती या पूर्ति की कमी है उसे अतिशीघ्र हम करने वाले हैं और दूसरी पीड़ा जो उन्होंने व्यक्त की है, आधुनिक सुविधाओं से लेस, आधुनिक लाइफ सपोर्ट ए.एल.एस. एम्बूलेंस की बात की है, साथ में संजीवनी 108 आपके जिले में अतिशीघ्र देने का प्रयास करूंगा.
ठाकुर सुरेन्द्र नवल सिंह-- अध्यक्ष महोदय, आपके संरक्षण में मंत्री महोदय से यही तो पूछना चाहता हूं कि शीघ्र की परिभाषा क्या है. मैं चाहता हूं कि माननीय मंत्री महोदय शीघ्र की परिभाषा करें.
अध्यक्ष महोदय-- शेरा जी की बात ठीक है, शेरा जी आपकी बात से मैं सहमत हूं, आप समय सीमा बांध रहे हैं और यह शीघ्र बोल रहे हैं, जरा इसमें अब संशोधन होना चाहिये क्योंकि समय रहते हुये शब्द सुनते-सुनते बहुत हो गया. समय-सीमा का मतलब समय, सीमा, टाइम.
ठाकुर सुरेन्द्र नवल सिंह-- अध्यक्ष महोदय, बुरहानपुर को आपका पूर्ण आशीष चाहिये.
श्री तुलसीराम सिलावट-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जब कोई भी निर्णय आसंदी से होता है तो मैं सम्माननीय सदस्य को आश्वस्त करता हूं कि इस आसंदी का स-शब्द पालन किया जायेगा.
ठाकुर सुरेन्द्र नवल सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे निवेदन करना चाह रहा हूं, आप मेरे इंचार्ज मिनिस्टर भी हैं, आप स्वास्थ्य मंत्री भी हैं.
अध्यक्ष महोदय-- अरे सुन तो लो, शेरा जी सुन तो लो, कभी कभी सुनना भी तो चाहिये.
श्री तुलसीराम सिलावट-- माननीय अध्यक्ष महोदय, इनकी भावनाओं के अनुरूप 30 दिन के अंदर काम पूरा कर दिया जायेगा.
अध्यक्ष महोदय-- ठीक है, शेरा जी, धन्यवाद शेरा जी विराजिये.
ठाकुर सुरेन्द्र नवल सिंह-- जी, धन्यवाद.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)-- माननीय अध्यक्ष जी, माननीय सदस्य की जो पीड़ा है और इनके क्षेत्र की जो समस्या है, मैं मानकर चलता हूं कि मध्यप्रदेश के सभी जो हमारे प्राइमरी हेल्थ सेंटर, कम्युनिटी हेल्थ सेंटर हैं.
अध्यक्ष महोदय-- यह बुरहानुपर तक है.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष जी, इससे एक प्रश्न उद्भूत होता है.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, प्रदेश स्तर पर नहीं.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, अधिकांश पद स्वीकृत हैं, लेकिन कहीं-कहीं तो शून्य प्रतिशत भरे गये, कहीं आपने बताया कि 70 प्रतिशत पद खाली हैं, मैं माननीय मंत्री महोदय से यह जानना चाहता हूं कि उन्होंने कहा है जल्दी से जल्दी तो आप क्या व्यवस्था करेंगे जिससे विशेषज्ञों की व्यवस्था हो जाये.
अध्यक्ष महोदय-- एम्बूलेंस तो इन्होंने दे दिया. 30 दिन में एम्बूलेंस का बोला दिया है, दे देंगे.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, एक स्थान के लिये तो हो सकता है. मेरा एक सुझाव है, माननीय मंत्री महोदय, आपके अधिकांश डॉक्टर भोपाल या इंदौर में पोस्टेड हैं या जबलपुर, ग्वालियर के अस्पतालों में होंगे, बाकी आपके जिला अस्पताल और छोटे जिलों के अस्पताल, कम्युनिटी हेल्थ सेंटर, प्रायमरी हेल्थ सेंटर खाली हैं. यहां पर बहुत बड़े-बड़े नर्सिंग होम हैं, बहुत बड़े सुपर स्पेस्लिटी हास्पिटल हैं, यहां पर मरीजों के लिये...
अध्यक्ष महोदय-- आप चाहते क्या है ?
श्री गोपाल भार्गव-- मैं चाहता हूं कि इन डॉक्टरों के लिये, विशेषज्ञों के लिये जो जिला अस्पताल हैं या जो कम्युनिटी हेल्थ सेंटर हैं या प्राइमरी हेल्थ सेंटर हैं, जहां प्रथम श्रेणी के या विशेषज्ञों के पद स्वीकृत हैं तो यहां से पूरे नहीं लेकिन 50 प्रतिशत पद यहां से हटाकर वहां कर दें, यहां पर तो सारी मेडीकल फेसलिटीज प्राइवेट सेक्टर में हैं, लेकिन जहां नहीं हैं वहां पर यदि यह व्यवस्था हो जायेगी तो बहुत कुछ संतुलन बन जायेगा. मेरा सुझाव है.
अध्यक्ष महोदय-- सुझाव अच्छा है.
श्री तुलसीराम सिलावट-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे सबसे वरिष्ठ सदस्य हैं, प्रतिपक्ष के नेता हैं, इनके सुझाव के अनुरूप हम पूरा काम करने का प्रयास करेंगे और मैं आपको यह आश्वस्त करता हूं कि जो 15 वर्षों से जिस दशा में, जिस दिशा में यह स्थिति मुझे मिली है, मेरे से बेहतर आप जानते हैं, इसका समाधान अतिशीघ्र किया जायेगा.
जिला चिकित्सालय मुरैना में सामग्री क्रय में अनियमितता
[लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण]
2. ( *क्र. 2161 ) श्री रघुराज सिंह कंषाना : क्या लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला चिकित्सालय मुरैना में विगत तीन वर्षों में मशीनरी, वाटर कूलर, आर.ओ. तथा कूलर पंखों की मरम्मत पर कितना व्यय किया गया है? (ख) कितने नवीन कूलर, पंखे, वाटर कूलर, आर.ओ. मशीनों को क्रय किया गया है? इन पर किस मद से कितनी राशि व्यय की गई है? (ग) क्या प्रतिवर्ष मरम्मत के नाम पर हजारों रूपये व्यय किया जाता है फिर भी वार्डों में मरीजों के लिये कोई सुविधा नहीं है? (घ) क्या अनियमितता पूर्वक किये गये व्यय की समिति बनाई जाकर जाँच कराई जाकर दोषियों से राशि की वसूली की जायेगी? यदि हाँ, तो कब तक?
लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (ग) जी नहीं। (घ) जी नहीं, उत्तरांश (क) एवं (ख) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री रघुराज सिंह कंषाना - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न स्वास्थ्य मंत्री जी से यह है कि मुरैना जिला चिकित्सालय में विगत तीन वर्षों में मशीनरी, वाटर कूलर, आर.ओ. तथा कूलर पंपों की मरम्मत पर कितना पैसा व्यय किया गया ?
अध्यक्ष महोदय - विधायक जी, एक मिनट रुक जाईये मंत्री जी. विधायक जी, जो आपने लिखकर प्रश्न पूछा है वह आप पढ़ रहे हैं अच्छी बात यह होती है कि इससे कौन सा प्रश्न उद्भूत हो रहा है वह प्रश्न करिये आप. आप नये हैं मैं आपको पूरा मौका दूंगा. आप प्रश्न करिये.
श्री रघुराज सिंह कंषाना - अध्यक्ष महोदय, उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया है. मैं जवाब से संतुष्ट नहीं हूं. इसमें जो जवाब दिया है आपने.
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी, संतुष्ट करिये विधायक जी को.
श्री तुलसीराम सिलावट - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं विधायक जी को संतुष्ट करना चाहता हूं कि विगत वर्षों में मशीनरी, वाटर कूलर, पंखे एवं आर.ओ. की मशीन के क्रय-विक्रय में मरम्मत की जो बात आप मेरी जानकारी में लाये हैं. इससे प्रथम दृष्टया अनियमितताएं प्रतीत होने से हम क्षेत्रीय संचालक से प्रकरण की गहन जांच कराएंगे तथा आगामी 15 दिन में गुणदोष के आधार पर दोषियों पर कार्यवाही की जायेगी.
श्री रघुराज सिंह कंषाना - अध्यक्ष महोदय, मेरा दूसरा प्रश्न है
श्री तुलसीराम सिलावट - जो आप उत्तर चाहते थे वह मैं आपको दे चुका हूं. गुणदोष के आधार पर किसी भी दोषियों को माफ नहीं किया जायेगा.
श्री रघुराज सिंह कंषाना - क्षेत्रीय संचालक और प्रदेश से भेजी गई जो टीम जाती है वह वहां के स्थानीय कर्मचारियों के साथ मिलकर काम करती है तो इसमें जनप्रतिनिधियों को सम्मिलित करके इसकी जांच कराई जाये.
श्री तुलसीराम सिलावट - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सम्मानित सदस्य की भावना से सहमत हूं. उस जांच में मैं आपको भी सम्मिलित करूंगा.
अवैधानिक कार्यों की शिकायत पर कार्यवाही
[सामान्य प्रशासन]
3. ( *क्र. 1382 ) श्री मनोहर ऊंटवाल : क्या सामान्य प्रशासन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रश्नकर्ता द्वारा नगर परिषद कानड़ जिला आगर मालवा में अध्यक्ष एवं मुख्य नगर पालिका अधिकारी नगर परिषद कानड़ के द्वारा किये गये भ्रष्टाचार एवं अवैधानिक कार्यों की शिकायत मय साक्ष्य एवं बिन्दुवार दिनांक 07.05.2019 को माननीय पुलिस महानिदेशक आर्थिक अपराध एवं अन्वेषण ब्यूरो भोपाल को की गई है? क्या उसमें प्रकरण पंजीबद्ध किया गया है? (ख) यदि प्रकरण पंजीबद्ध किया गया है तो क्या कार्यवाही की जा रही है और यदि नहीं, किया गया है तो क्यों नहीं किया गया है?
सामान्य प्रशासन मंत्री ( डॉ. गोविन्द सिंह ) : (क) जी हाँ। प्रश्न में उल्लेखित शिकायत आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ मुख्यालय भोपाल में दिनांक 13.05.2019 को प्राप्त हुई है, जिसे आवक क्रमांक आर 01- एम/19 पर दर्ज कर पत्र दिनांक 10.06.2019 द्वारा नगरीय विकास एवं आवास विभाग को तथ्यात्मक प्रतिवेदन हेतु भेजा गया है। शिकायत में वर्णित आक्षेपों का सत्यापन किया जा रहा है। प्रकरण पंजीबद्ध नहीं किया गया है। (ख) आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ को विभाग द्वारा तथ्यात्मक प्रतिवेदन प्राप्त होने के पश्चात परीक्षणोंपरांत तथ्यों के आधार पर विधि सम्मत कार्यवाही की जावेगी।
श्री मनोहर ऊंटवाल - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से यह जानना चाहता हूं कि जो शिकायतें हुई हैं उसमें आपने हां कहा है और आपने प्रतिवेदन भी नगरीय प्रशासन को भेजा है तथ्यात्मक जानकारी के लिये, मेरा भी वही प्रश्न है कि इसका जो प्रतिवेदन है आप उसका उत्तर आप कितने समय में प्राप्त करेंगे ?
डॉ.गोविन्द सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपकी शिकायत मिली है 13.5.2019 को, आवक क्रमांक पर दि.10.6.2019 बताया गया है. आपकी शिकायत बहुत लंबी-चौड़ी है और शिकायत आपके कद के हिसाब से उचित नहीं है. पहले आपको देना था नगरीय प्रशासन विभाग में, ताकि कोई गड़बड़ी, अनियमितता हुई है तो वह जांच करती. आर्थिक अपराध ब्यूरो जब जांच करेगा जब प्रकरण पंजीबद्ध हो जाये. जब मामला सिद्ध हो जाये. आप मंत्री रहे, सांसद रहे हैं, तो आप विश्वास रखें अगर जांच के बाद चूंकि पूरा रिकार्ड आर्थिक अपराध ब्यूरो पर है नहीं तो पूरी जानकारी, क्या रिकार्ड है, क्या-क्या कार्यवाही हुई, इसके बारे में उनको पत्र लिखा गया है. जांच का उत्तर नहीं आया तो अतिशीघ्र उसका रिमाइंडर करेंगे और फिर जो वैधानिक कार्यवाही हो सकेगी रिकार्ड लेने की वह करेंगे क्योंकि प्रकरण पंजीबद्ध हो जाये तो जब्त भी कर सकते हैं. अब तथ्य कुछ हों आपने लिखा है कि अपने भाई को ठेका दे दिया. प्रमाण दे दो, गड़बड़ी हुई है तो जो तथ्य आपके ध्यान में आये हों या सी.टी.से जांच की है, किसी ऐजेंसी द्वारा जांच में पाया गया कि गुणवत्ता में कमी पाई गई. आपका मौखिक कहना है तो मौखिक आधार पर आपने इतनी लंबी-चौड़ी शिकायत कर दी. आप थोड़ा देख लेते. इसमें हमारी तरफ से कोई कार्यवाही रुकेगी नहीं अगर तथ्य मालुम हुए, अपराध मालुम हुआ तो अपराध पंजीबद्ध भी होगा और कार्यवाही भी होगी. हमें जो पढ़ने से मालूम पड़ा है कि आपकी शिकायत पर पहले जांच नगरीय प्रशासन विभाग को करनी चाहिये. तो हमारा आपसे अनुरोध है कि आप पहले माननीय मंत्री जी को चिट्ठी लिख दें और हम भी लिख देंगे, उनको व्यक्तिगत चिट्ठी लिख देंगे कि इसमें जांच करके थोड़ी जल्दी करें.
श्री मनोहर ऊंटवाल - अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी की गंभीरता इसमें काफी नजर आती है परन्तु मैं उनके संज्ञान में लाना चाहता हूं कि यह मैंने पगरीय प्रशासन में भी प्रश्न लगाया था परन्तु वह अतारांकित हो गया है. ऐसा नहीं है कि मैंने वहां प्रश्न नहीं लगाया था और दूसरा, अगर शिकायत हुई है तो उसके प्रमाण दिये हैं इसी के आधार पर तो उनको जांच के लिए नगरीय प्रशासन को भेजा है. मेरा तो छोटा-सा निवेदन है कि अगर आपको प्रश्न इतना बड़ा लगता है तो टाइम उतना बड़ा कर दें मुझे कोई तकलीफ नहीं है. चूंकि अध्यक्ष महोदय, मैं दूसरा प्रश्न भी पूछ लूं आपसे कि जांच आप किस स्तर के अधिकारी से करा रहे हैं? अगर आपने वहां भेजा है तो उनसे यह भी पूछ लें कि वह किस स्तर के अधिकारी से जांच कराएंगे और अगर संभव हो तो, जांच मैं क्या आप मुझे सम्मिलित कर लेंगे? मैं आपकी जांच में विश्वास करता हूं, मुझे विश्वास है. बस, आपसे मेरा यह सीधा-सा प्रश्न है?
डॉ. गोविन्द सिंह - अध्यक्ष महोदय, सवाल इस बात का है कि पहले प्रकरण बनता है कि नहीं बनता है? यह प्रकरण बनेगा तो फिर आपकी बात को हम वजनदारी से गंभीरता से लेंगे और कोई भ्रष्टाचार या व्यक्ति की मैं मदद नहीं करूंगा, यह मैं वचन देता हूं. लेकिन सवाल इस बात का है कि पहले यह नगरीय प्रशासन विभाग इसकी जांच करें. इसमें ऐसे कोई हमारे पास में पाइंटेड बात दे देते कि इसमें इतना घोटाला हुआ है, यह प्रमाण है तो केस भी रजिस्टर्ड हो जाता. अभी केवल आपका पत्र मिला है, उसको भेजा है हम कल ही दोबारा रिमाइंडर लिख देंगे, मैं लिखवा दूंगा और अगर ऐसा आ गया कहीं कि केस बनता है तो केस भी बनेगा, कार्यवाही भी होगी और आपको भी अवगत कराएंगे.
श्री मनोहर ऊंटवाल - अध्यक्ष महोदय, ठीक है. मैं माननीय मंत्री के जवाब से संतुष्ट हूं.
कन्नौद/खातेगांव में चिकित्सकों के रिक्त पदों की पूर्ति
[लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण]
4. ( *क्र. 2238 ) श्री आशीष गोविंद शर्मा : क्या लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र खातेगांव में डॉक्टरों के कितने पद स्वीकृत हैं एवं वर्तमान में वहां कितने चिकित्सक कार्यरत हैं? क्या PHC कन्नौद में वर्तमान में कोई महिला चिकित्सक पदस्थ है? यदि हाँ, तो नाम बताएं। (ख) खातेगांव नगर की लगभग 30000 आबादी एवं आस-पास के लगभग 100 गावों की जनता के ईलाज के लिये क्या मात्र 2 डॉक्टर अस्पताल में वर्तमान में पदस्थ हैं? (ग) क्या मात्र 2 डॉक्टरों के कारण BMO एवं OPD का कार्य खातेगांव में लगातार प्रभावित हो रहा है? क्या दुर्घटनाग्रस्त मरीजों को समय पर ईलाज नहीं मिल पा रहा है? यदि हाँ, तो क्या इस अव्यवस्था की जानकारी विभाग के आला अधिकारियों को है? (घ) यदि हाँ, तो खातेगांव में अन्य चिकित्सकों की पोस्टिंग एवं कन्नौद में महिला चिकित्सक की नियुक्ति कब तक संभव हो सकेगी?
लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) विशेषज्ञों के 03 तथा चिकित्सा अधिकारी के 02 पद स्वीकृत हैं, 02 नियमित चिकित्सा अधिकारी पदस्थ होकर कार्यरत हैं। जी नहीं। (ख) जी हाँ। पदस्थ चिकित्सक एवं पदस्थ सहायक स्टॉफ द्वारा आमजन को स्वास्थ्य सेवायें प्रदान की जा रहीं हैं। (ग) जी नहीं, खातेगांव में पदस्थ 02 चिकित्सकों एवं पदस्थ स्टॉफ के माध्यम से आमजन को स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। (घ) रिक्त पदों की पूर्ति की कार्यवाही निरंतर जारी है। शीघ्र ही बंधपत्र के अनुक्रम में पी.जी. डिग्री/डिप्लोमाधारी बंधपत्र चिकित्सकों की काउंसलिंग प्रक्रिया आयोजित की जा रही है जिसमें विशेषज्ञ संवर्ग की रिक्ति प्रदर्शित की जावेगी, चिकित्सक द्वारा चयन किए जाने पर पदस्थापना आदेश जारी किए जावेंगे। निश्चित समयावधि बताई जाना संभव नहीं है।
श्री आशीष गोविन्द शर्मा - अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न के उत्तर में माननीय स्वास्थ्य मंत्री जी का जो रिप्लाई आया है उसमें मैं पूछना चाहता हूं कि मेरे विधानसभा क्षेत्र में दो ब्लॉक हैं कन्नौद और खातेगांव. नेमावर पर्यटन की दृष्टि से मां नर्मदा का नाभी स्थल होने के कारण प्रतिदिन हजारों की संख्या में वहां श्रद्धालु भी आते हैं. जैन आचार्य परमपूज्य विद्यासागर जी का भी चातुर्मास इस समय वहां पर चल रहा है.
अध्यक्ष महोदय - आप प्रश्न करिए.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा - अध्यक्ष महोदय, मेरा कहना है कि पीएचसी में वहां पर डॉक्टर की व्यवस्था नहीं है, एक जो डॉक्टर था उसको अन्यत्र पदस्थ कर दिया गया है. साथ ही साथ कन्नौद का जो शासकीय चिकित्सालय है वहां पर महिला चिकित्सक नहीं होने से जिन महिलाओं की डिलीवरी होना है उनको इंदौर रेफर किया जा रहा है. वहां पर उनकी प्रसूती नहीं हो पा रही है. इस कारण बड़ी दिक्कत है. खाते गांव जो कि नेशनल हाईवे पर स्थित है वहां पर दो डॉक्टर हैं..
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी..
श्री तुलसीराम सिलावट - अध्यक्ष महोदय, डॉक्टर की कमी की बात सम्मानीय सदस्य ने कही है. खातेगांव में वर्तमान में हमने आपके अनुरोध पर ही चिकित्सक डॉ. अरविन्द परमार, शिशु रोग विशेषज्ञ तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में बंध पत्र महिला चिकित्सक डॉ. सना अली को पदस्थ किया है.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा - अध्यक्ष महोदय,क्या ये लोग वहां पर ज्वाइन हो गये हैं कि अभी आदेश हुए हैं?
श्री तुलसीराम सिलावट - अध्यक्ष महोदय, हम और आप जब तक पहुंचेंगे, ज्वाइन हो जाएंगे.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा - माननीय मंत्री महोदय, धन्यवाद.
सीधी भर्ती में प्रतिभागियों की आयु सीमा में परिवर्तन
[सामान्य प्रशासन]
5. ( *क्र. 1905 ) श्री प्रणय प्रभात पाण्डेय : क्या सामान्य प्रशासन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रदेश सरकार द्वारा राज्य शासन की सेवाओं में सीधी भर्ती से भरे जाने वाले पदों पर नियुक्ति के लिये पूर्व में निर्धारित अधिकतम आयु सीमा में हाल ही में परिवर्तन किया है? (ख) प्रश्नांश (क) यदि हाँ, तो यह परिवर्तन क्यों किया गया? इस परिवर्तन उपरांत अब प्रतियोगियों की अधिकतम आयु कितनी होगी एवं परिवर्तन के पूर्व प्रदेश के बाहर के एवं प्रदेश में निवासरत प्रतियोगियों की आयु कितनी थी? क्या प्रदेश सरकार द्वारा प्रश्नांश (क) में उल्लेखित परिवर्तन के पूर्व प्रदेश के पड़ोसी राज्यों छत्तीसगढ़, राजस्थान एवं उत्तर प्रदेश में भर्ती हेतु लागू आयु सीमा फार्मूले का अध्ययन किया गया था? (ग) क्या प्रश्नांश (ख) में उल्लेखित प्रदेश के युवाओं को भर्ती हेतु आयु में किये गये इस परिवर्तन का प्रदेश के युवाओं पर पड़ने वाले दुष्परिणाम का अध्ययन प्रदेश सरकार द्वारा नहीं किया गया था? क्या सरकार के संज्ञान में यह है कि सीधी भर्ती में आयु संबंधी इस परिवर्तन के लागू होने से प्रदेश के लगभग 4.50 लाख प्रतियोगी भर्ती परीक्षा में भाग लेने से वंचित हो जावेंगे? (घ) क्या शासन प्रश्नांश (ग) में उल्लेखित प्रदेश के युवाओं के साथ होने जा रहे इस अन्याय को रोकने हेतु प्रदेश के सीमावर्ती राज्यों छत्तीसगढ़, राजस्थान, उत्तर प्रदेश की तरह म.प्र. में लागू कर भर्ती कानूनों का अध्ययन कर इस निर्धारित अधिकतम आयु सीमा बंधन में परिवर्तन करेगा, जिससे प्रदेश के लगभग 4.50 लाख युवा इससे वंचित न हो पायें? यदि हाँ, तो किस प्रकार से कब तक यदि नहीं, तो क्यों नहीं?
सामान्य प्रशासन मंत्री ( डॉ. गोविन्द सिंह ) : (क) जी हाँ। (ख) मान. उच्च न्यायालय, जबलपुर द्वारा दिनांक 7.3.2018 को पारित आदेश के अनुपालन में आयु सीमा के संशोधित निर्देश दिनांक 4 जुलाई, 2019 द्वारा जारी कर दिए गए हैं जिसके अनुसार खुली प्रतियोगिता से भरे जाने वाले पदों के लिए अधिकतम आयु सीमा 40 वर्ष तथा अ.जा./अ.ज.जा./अ.पि.व./शासकीय/निगम/मण्डल/ स्वशासी संस्था के कर्मचारियों/नगर सैनिक/नि:शक्तजन/महिलाओं (अनारक्षित/आरक्षित) आदि के लिए 45 वर्ष निर्धारित की गई है। परिवर्तन के पूर्व प्रदेश के बाहर के प्रतियोगियों के लिए 28 वर्ष एवं प्रदेश के मूल निवासियों के लिए लिए 40 वर्ष थी। छत्तीसगढ़ एवं गुजरात से प्राप्त जानकारी का अध्ययन किया गया। (ग) एवं (घ) प्रश्नांश (ख) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री प्रणय प्रभात पाण्डेय - अध्यक्ष महोदय, यह प्रश्न तब उद्भूत हुआ था जब प्रदेश की कैबिनेट में हाईकोर्ट के आदेश के परिपालन में मध्यप्रदेश के बाहर के लोगों की आयु 28 से बढ़कर 35 वर्ष और प्रदेश के मूल निवासी अभ्यार्थियों की आयु..
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न करें. यह इतिहास में मत पढ़ो.
श्री प्रणय प्रभात पाण्डेय - उसी में जवाब भी है.
अध्यक्ष महोदय - आपने प्रश्न कर लिये हैं उनसे कौन-सा प्रश्न उद्भूत हो रहा है वह करो.
राजस्व मंत्री (श्री गोविन्द सिंह राजपूत) - अध्यक्ष महोदय, आप इतिहास रच रहे हैं रविवार को विधानसभा शायद ही कभी हुई हो. अध्यक्ष महोदय, आप धन्य हैं! (मेजों की थपथपाहट)..
श्री प्रणय प्रभात पाण्डेय - अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी का धन्यवाद करना था इसलिए उसको मैं पढ़ रहा था चूंकि उन्होंने अपने इस निर्णय पर पुनर्विचार किया और वापस से उम्र उन्होंने घटाई, मध्यप्रदेश के युवाओं की उम्र बढ़ाई, उसके लिए उनका धन्यवाद करना था. इसके लिए मैं ऐसा बोलना चाह रहा था. माननीय मंत्री जी को धन्यवाद करता हूं और सरकार का भी धन्यवाद करता हूं. मेरा पहला प्रश्न इन पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़, गुजरात, उत्तरप्रदेश बाहरी एवं मूल निवासियों की भर्ती में कितनी- कितनी आयु सीमा तय है?
डॉ गोविन्द सिंह -- मध्यप्रदेश का आपने प्रश्न किया है. छत्तीसगढ़ और गुजरात के बारे में जवाब देने की जवाबदारी हमारी नहीं है कि हम जवाब दें.
श्री प्रणय प्रभाद पाण्डेय -- आपने उत्तर में लिखा है कि आपने गुजरात और छत्तीसगढ़ का अध्ययन किया है.
डॉ गोविन्द सिंह -- वह बात अलग है, सवाल इस बात का है कि अपने यहां से ज्यादा कहीं पर नहीं है, छत्तीसगढ़ में भी 40 ही है, लेकिन वहां पर उन्होंने एक कारण डाल दिया है कि अपनी भाषा का, एक भाषा को अनिवार्य किया है, गुजरात में गुजराती और छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ी को अनिवार्य किया है तो बाहर के जो लोग आते हैं वह छत्तीसगढ़ी न पढ़ पाते हैं और न लिख पाते हैं, इसलिए वहां पर बाहर के लोगों को इतनी सफलता नहीं मिल पाती है. लेकिन हमने उससे भी एक बड़ा प्रावधान उसमें कर दिया है. मध्यप्रेदश की सरकार की इच्छा है, मंशा है कि मध्यप्रदेश के युवाओं को ज्यादा से ज्यादा रोजगार मिले. इसी कारण हमने प्रदेश के बाहर के लोगों की उम्र 21 से 28 की थी लेकिन जब उच्च न्यायालय ने इस बात का आदेश दिया कि भेदभाव नहीं कर सकते हैं, संविधान के अनुच्छेद के अनुसार तो उसमें दुबारा संशोधन करना पड़ा है, लेकिन जब फिर से मांग आयी है तो फिर 35 न करके सीधा 40 जो कि पूर्व में थी वह कर दी गई है. अब हमने इसमें एक व्यवस्था और की है ताकि बाहर के लोग यहां ना आ पायें. मध्यप्रदेश के निवासी के लिए रोजगार कार्यालय में पंजीयन कराना अनिवार्य है और यह पंजीयन मध्यप्रदेश के बाहर के लोगों के लिए एलाऊ नहीं है. अब ऐसा नियम नहीं है कि प्रदेश के बाहर के युवा प्रदेश के रोजगार कार्यालय में अपना नाम दर्ज करा सकें. इसलिए यह प्रतिबंध छत्तीसगढ़ और गुजरात से ज्यादा लागू हो गया है. वहां पर तो कोई छत्तीसगढ़ी पढ़कर बोल भी लेगा लेकिन यहां पर तो कोई नहीं आ पायेगा, इसलिए उससे भी कड़ा प्रतिबंध लगाया है. लेकिन इस बात में भी सच्चाई है कि उत्तर प्रदेश में कोई ऐसा आदेश सर्वोच्च न्यायालय का नहीं है तो वहां पर चल रहा है बाहर के लोगों को प्रतिबंधित है, यहां पर न्यायालय में चले गये थे इसलिए संशोधन करना पड़ा है. लेकिन उसके बाद में भी दूसरा संशोधन कर दिया है.
अध्यक्ष महोदय वैसे भी हमारे मुख्यमंत्री कमलनाथ जी की चिंता है उन्होंने कहा है कि निजी क्षेत्र में भी जो उद्योग लगेंगे उनमें भी 70 प्रतिशत आरक्षण मध्यप्रदेश के निवासियों के लिए अनिवार्य करेंगे. प्रदेश के प्रति आपकी और हमारी चिंता बराबर है. हमारा और आपका दायित्व है कि प्रदेश के विकास में और युवाओं के रोजगार के लिए हम सब मिलकर काम करें.
नेता प्रतिपक्ष( श्री गोपाल भार्गव )-- अध्यक्ष महोदय जहां तक मुझे जानारी है कि न्यायालय का आदेश केवल उच्च शिक्षा विभाग के परिदृश्य में था. लेकिन इसको समुचे विभागों में एक साथ लागू कर दिया गयाहै. मैं यह जानना चाहता हूं कि एक तो क्या इसकी फिर से समीक्षा हो सकती है. यदि क्षेत्रीय भाषाओं का प्रश्न है तो हमारी भी बुंदेलखंडी में भी करने लगें, जैसा दूसरे राज्यो ने क्या अपन यहां पर अनुसरण करें क्या दिक्कत है.
डॉ गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष महोदय हमारा कहना है कि बुंदेलखंडी और बघेलखंडी में ज्यादा अंतर नहीं है. हमारा ग्वालियर सब डिवीजन बुंदेलखंड में नहीं आता है. हमारा क्षेत्र आधा उसमें आता है लेकिन बुंदेलखंडी और ग्वालियर डिवीजन की भाषा में कोई बहुत ज्यादा अंतर नहीं है. आप चाहेंगे तो हम आपको उसकी प्रति दे देंगे आप उसको पढ़ लेना और हमारे विद्वान डॉक्टर साहब बैठे हैं, वह भी पढ़ लें अगर उसमें कोई रास्ता निकालते हैं, वैसे हमने इसके लिए विधि विभाग से राय ली गई, सभी ने कहा कि उच्च न्यायालय का आदेश है यह सभी पर लागू होगा. अगर कोई रास्ता निकलता है तो हम और आप देख लें हम एकदम तैयार हैं, आप बतायें हम अतिशीघ्र एक सप्ताह के अंदर संशोधन कर देंगे.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय उसके लिए रास्ता निकाल लेंगे. कर्नाटक में देखें आप उच्चतम न्यायालय का जो आदेश है और गवर्नर का जो आदेश है उसमें स्पीकर ने रास्ता निकाल लिया है, तो स्पीकर साहब आप रास्ता निकाल लें.
श्री प्रणय प्रभात पाण्डेय -- माननीय स्पीकर साहब और मंत्री जी का धन्यवाद्.
हटा नगर में संचालित चिकित्सालयों में पदपूर्ति
[लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण]
6. ( *क्र. 172 ) श्री पुरुषोत्तम लाल तंतुवाय : क्या लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला दमोह के हटा नगर में स्वास्थ्य केन्द्र हटा को सिविल अस्पताल का दर्जा कब मिला था? आदेश की छायाप्रति व साथ ही पद संरचना की रिक्त व भरे पद संबंधी जानकारी उपलब्ध करायें। (ख) जनता व जनप्रतिनिधियों की विशेष मांग के आधार पर महिला व शिशु रोग विशेषज्ञ की पदस्थापना कब तक की जावेगी तथा सिविल अस्पताल भवन निर्माण व सिविल अस्पताल की समस्त सुविधायें कब तक हटा नगर व क्षेत्रीय जनता को प्राप्त हो सकेंगी?
लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) सामुदायिक स्वास्थ्य हटा का 60 बिस्तरीय सिविल अस्पताल हटा में उन्नयन आदेश क्रमांक एफ 1-15/07/सत्रह/मेडि-3 दिनांक 9.9.2008 के द्वारा किया गया तत्पश्चात विशेषज्ञों/चिकित्सकों के पदों के iquvkZoaVu आदेश दिनांक 8 अप्रैल, 2011 द्वारा स्वीकृति संशोधित की गई है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है एवं वर्तमान में पद स्वीकृति व भरे पदों संबंधी जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (ख) रिक्त पदों की पूर्ति हेतु विभाग निरंतर प्रयासरत है, परंतु प्रदेश में विशेषज्ञों की अत्यधिक कमी होने से विशेषज्ञ संवर्ग के रिक्त पदों की पूर्ति में कठिनाई हो रही है। शीघ्र ही स्नातकोत्तर पी.जी. डिग्री/डिप्लोमा चिकित्सकों की पदस्थापना हेतु काउंसलिंग का आयोजन किया जावेगा एवं सिविल अस्पताल हटा में पद रिक्तता प्रदर्शित की जावेगी। हाल ही में एक स्नातक बंधपत्र चिकित्सक डॉ. खुशबू जैन, की पदस्थापना आदेश दिनांक 22.6.2019 के द्वारा की गई है। भवन निर्माण के संदर्भ में दिनांक 16.4.2018 द्वारा प्रशासकीय स्वीकृति जारी की जा चुकी है एवं भवन निर्माण हेतु परियोजना संचालक, पी.आई.यू. लोक निर्माण विभाग के माध्यम से कार्यवाही प्रक्रियाधीन है, मापदण्ड अनुसार समस्त सुविधाएं प्रदान किए जाने संबंधी कार्यवाही निरंतर जारी है। निश्चित समयावधि बताई जाना संभव नहीं है।
श्री पुरुषोत्तम लाल तंतुवाय -- धन्यवाद, अध्यक्ष महोदय, हम आपका संक्षण चाहते हुए यह कहना चाहते हैं कि मंत्री जी का जो जवाब आया है, उसके संबंध में थोड़ी जानकारी चाहते हैं. हमारा प्रश्न सिविल अस्पताल में स्टाफ की कमी से संबंधित था. तो उन्होंने उत्तर में बताया है कि 51 पद स्वीकृत हैं, जिसमें से 14 पद भरे हैं. तो हमारी मांग है कि कम से क्षेत्र की जनता को देखते हुए तत्काल वहां स्त्री रोग विशेषज्ञ और शिशु रोग विशेषज्ञ की स्थापना की जाए एवं एक्सरे मशीन चालू की जाये तथा जो भवन की प्रशानिक स्वीकृति मिल गई है, उसका निर्माण कार्य शीघ्र चालू किया जाए.
श्री तुलसीराम सिलावट -- अध्यक्ष महोदय, सम्मानीय सदस्य ने जो प्रश्न किया है, वाकेही में मैं इनकी गंभीरता को मानता हूं कि सिविल अस्पताल हटा में एक स्नातक बंधपत्र चिकित्सक डॉ. खुशबू जैन तथा डॉ. हरिराम तिवारी पीजीओ को शिशु रोग विशेषज्ञ की स्थापना की गई है. इन्होंने कहा है कि जो भवन स्वीकृत किया गया है, वर्तमान में हटा में सिविल अस्पताल का निर्माण कार्य 4 करोड़ 84 लाख रुपये की लागत से बनायें, जिसकी निविदा दिनांक 15.7.2019 को दैनिक समाचार में प्रकाशित कर दी गई है.
श्री पुरुषोत्तम लाल तंतुवाय -- अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद. लेकिन हम आपके माध्यम से यह कहना चाहते हैं इतने बड़े क्षेत्र में एक्सरे करने के लिये जनता को दमोह तक जाना पड़ता है, जो लगभग हमारे यहां से 40 किलोमीटर दूर है. मशीन हमारे यहां है, तो हमारी अपेक्षा है कि कम से कम वह शीघ्र चालू करवाई जाये.
श्री तुलसीराम सिलावट -- अध्यक्ष महोदय, मैं सम्मानीय सदस्य की भावनाओं से सहमत हूं कि अतिशीघ्र मशीन प्रारंभ की जायेगी
श्री पुरुषोत्तम लाल तंतुवाय -- मंत्री जी, धन्यवाद.
श्री शैलेन्द्र जैन -- अध्यक्ष महोदय, आउट सोर्स की व्यवस्था है. अगर आउट सोर्स हो जायेगा, तो सुविधा हो जायेगी. एक महत्वपूर्ण विषय और है कि जो रिटायर्ड शिक्षक हैं, वे अपनी सेवाएं देने के लिये तैयार हैं, अगर शासन स्तर पर कोई लुकरेटिव्ह रेम्युनरेशन का कोई पैकेज बनता है, तो यह जो डॉक्टरों की समस्या है, काफी हद तक पूरे प्रदेश में समाप्त हो जायेगी. इस दिशा में अगर सरकार चिंतन और मनन करेगी, तो उसका एक अच्छा परिणाम निकल आयेगा.
श्री तुलसीराम सिलावट -- अध्यक्ष महोदय, इस पर विचार कर लिया जायेगा.
श्री शैलेन्द्र जैन -- बहुत बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय -- शैलेन्द्र जी, आपका सुझाव अच्छा है. प्रश्न संख्या 7. सम्मान सहित डॉ. सीतासरन शर्मा.
कर्मचारियों की पदोन्नति
[सामान्य प्रशासन]
7. ( *क्र. 12 ) डॉ. सीतासरन शर्मा : क्या सामान्य प्रशासन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रदेश सरकार के कर्मचारियों की पदोन्नति पर रोक लगायी गयी है? यदि हाँ, तो उक्त आदेश की प्रति उपलब्ध करावें। (ख) क्या यह रोक सिर्फ आरक्षित श्रेणी के पदों पर पदोन्नति पर ही लगायी गयी है? (ग) क्या शासन तृतीय/चतुर्थ कर्मचारियों के ऐसे पद जिन्हें सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों की पदोन्नति से ही भरे जाना है एवं जहां सिर्फ सामान्य श्रेणी के ही उम्मीदवार हैं, की पदोन्नति के संबंध में आदेश जारी करेगा? यदि नहीं, तो क्यों? यदि हाँ, तो कब तक?
सामान्य प्रशासन मंत्री ( डॉ. गोविन्द सिंह ) : (क) जी नहीं तथापि मान. उच्च न्यायालय म.प्र. जबलपुर द्वारा दिनांक 30.4.2016 को पारित आदेश अनुसार म.प्र. लोक सेवा (पदोन्नति) नियम, 2002 के कतिपय प्रावधानों को अवैधानिक घोषित किए जाने के विरूद्ध राज्य शासन द्वारा मान. सर्वोच्च न्यायालय में एस.एल.पी. दायर किए जाने पर दिनांक 12.5.2016 द्वारा मान. सर्वोच्च न्यायालय से यथास्थिति के आदेश दिए जाने के कारण पदोन्नति की प्रक्रिया बाधित है। (ख) एवं (ग) उत्तरांश (क) अनुसार। शेषांश प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
डॉ. सीतासरन शर्मा -- धन्यवाद अध्यक्ष जी. मंत्री जी, यह कृपया मेरे प्रश्नांश (ग) पर अपना ध्यान दें. यह जो प्रश्नांश (ग) में मैंने पूछा है कि सुप्रीम कोर्ट की पिटीशन में यह मेटर ही नहीं है. यह रिट में मेटर ही नहीं है. मेटर है, प्रमोशन में आरक्षण का. सामान्य से सामान्य का तो है नहीं. तो सुप्रीम कोर्ट का इसमें स्टे कैसे है.
डॉ. गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष महोदय, इस बात की चिंता आपकी और मेरी भी है. मैंने इस बारे में चर्चा भी की है अधिकारियों से. उन्होंने कहा कि यह सर्वोच्च न्यायालय का आदेश सभी के लिये लागू है और इसके लिये हम आपसे करीब एक-डेढ़ महीने पहले से ही लगातार प्रयास कर रहे हैं. हमने निर्देश भी दिये हैं कि इतने लम्बे 4 साल हो गये हैं, पूरे विभाग, अकेला एक नहीं पूरे मध्यप्रदेश के सभी विभाग इससे त्रस्त हैं. न प्रमोशन हो पा रहे हैं, पद खाली पड़े हैं, प्रदेश का विकास रुक रहा है. इसलिये पुनः आप जाकर दिल्ली के उच्चतम न्यायालय में जो उत्कृष्ट एवं सीनियर एडवोकेट हैं, उनसे राय लें तथा अतिशीघ्र सुनवाई के लिये कोर्ट में निवेदन करें और जल्दी से जल्दी आदेश हो, अगर नहीं हो ते टेम्परेरी जैसे कर्नाटक ने किया है और कहीं किया है कि जब तक आदेश होता है, न्यायालय का जो निर्ण्य आयेगा, हम मानेंगे, तब तक के लिये हम कर रहे हैं. तो यह भी हमने कहा है, तो जाकर पहले इसमें एक बार प्रयास कर लेने दें. अगर सफलता नहीं मिलेगी, और अभी इसमें हमने, जो आप बात बता रहे हैं, हमने इसके संबंध में विधि विशेषज्ञों से राय ली है, उनका कहना है कि नहीं वह सभी पर लागू है. यह सवाल मैंने भी उठाया था और मैं भी चाहता हूं कि बहुत पद खाली पड़े हैं, अपने यहां के नौजवान बेकार घूम रहे हैं, पढ़े लिखे, इसमें हम पूरे चिंतित हैं. हम और आप बैठेंगे, अगर कोई रास्ता निकल सकता है, आप बताओ, आपकी आज्ञा का पालन होगा.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- धन्यवाद, आपने सभी बातों का उत्तर दे दिया, पर अध्यक्ष जी, एक विषय रह गया.
अध्यक्ष महोदय -- जी बताएं.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- अध्यक्ष जी, बात क्लास-वन के अधिकारियों की प्रमोशंस की है. अब प्रश्न यह है कि क्या क्लास-वन के प्रमोशन में आरक्षण है कि नहीं ? और यह स्टे क्या क्लास-थ्री और क्लास-फोर के लिए ही है ? यह स्टे की कॉपी है - Until further orders, Status Quo, obtaining as on today, shall be maintained. पहली बात, यदि हम क्लास-वन के प्रमोशंस कर सकते हैं तो नीचे के भी कर सकते हैं. दूसरी बात, मंत्री जी ने बहुत सद्इच्छा से उत्तर दिया, इसलिए मैं ज्यादा इस पर प्रश्न नहीं करूंगा. किंतु बात यह है कि एडवोकेट से आप यह भी राय ले लें कि Status Quo की व्याख्या क्या है ? Status Quo as on today यदि इसकी व्याख्या ठीक हो जाएगी तो हम प्रमोशंस कर सकते हैं. Conditional Promotions की आपने खुद ने बात की है तो Conditional Promotions के लिए परमिशन की कोई जरूरत नहीं है, Subject to the decision of the Court हम Conditional Promotions कर सकते हैं तो मेरा आपसे अनुरोध है कि इस पर भी विचार कर लें क्योंकि बहुत से लोग रिटायर हो रहे हैं. बहुत से नीचे के पद खाली हो रहे हैं तो कम से कम एक जो अनरेस्ट है, अच्छा पिटिशनर के खिलाफ स्टे हो गया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें जो विसंगति है, वह यह है कि जिसने बेचारे ने अपने लिए न्याय मांगा, उसके लिए और अन्याय का ऑर्डर हो गया. पिटिशनर के खिलाफ स्टे है, स्टे होता है रिस्पोन्डेन्ट के खिलाफ कि वह आगे कुछ न करे. पर यहां पिटिशनर के खिलाफ स्टे हो गया है. आपकी सद्इच्छा है ऐसा लग रहा है, कृपा करके इसका जल्दी निराकरण कराएं.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) -- अध्यक्ष जी, माननीय डॉक्टर साहब ने जो कहा है, ये Status Quo के बारे में वास्तव में इसका इंटरप्रिटेशन मुझे लग रहा है कि गलत हुआ है. ये Status Quo जो है, Is it applicable for all the categories ? मैं ये सोचता हूँ कि शायद ऐसा नहीं है क्योंकि जनरल कैटेगरी के लिए तो, जिनकी एलीजीबिलिटी है, मुझे लगता है कि जो रिजर्व कैटेगरी है, ओबीसी, एससीएसटी, उसके लिए तो ठीक है, लेकिन जनरल कैटेगरी में क्या प्रॉब्लम है. अब जो रिटायर्ड हो जाएंगे, क्या राज्य शासन द्वारा उनको रिटायरमेंट के बाद भी पदोन्नति की पात्रता होगी, क्या वेतनमान वगैरह देंगे ? मेरे ख्याल से यह तो संभव नहीं है. इस कारण से मैं यह कहना चाहता हूँ कि उनका हक क्यों मारा जा रहा है ? इसके बारे में आप फिर से एक बार विधि विशेषज्ञों से जानकारी ले लें कि सामान्य वर्ग के जो लोग हैं, यदि पात्रता रखते हैं तो उनको उनका अधिकार मिलना चाहिए. इसे आप देख लें, विधि विशेषज्ञों राय लेकर, इसमें यदि कोई रोक नहीं है तो उस प्रोसिजर को आगे बढ़ा दें.
डॉ. गोविन्द सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि नेता प्रतिपक्ष जी ने और आदरणीय डॉक्टर साहब ने...
डॉ. सीतासरन शर्मा -- क्लास-वन के प्रमोशंस के बारे में आप बता दें. आपने क्लास-वन के प्रमोशन किये हैं.
डॉ. गोविन्द सिंह -- आपने पूछ लिया है, मैं बता रहा हूँ. आपने पूछा जो है तो जहां तक चर्चा के दौरान हमें यही बताया गया है कि उनके लिए अलग से कोई याचिका नहीं थी. ये बात हमारे भी समझ में नहीं आ रही है कि जब उनके लिए नहीं थी तो तृतीय वर्ग के लिए क्यों है ? यह बात हमें भी अस्पष्ट है. डॉक्टर साहब, हम आपसे निवेदन करेंगे कि सत्र खत्म हो जाता है, एक-दो दिन बाद, जब भी खत्म होता है, चाहे 26 तक चले, तो आप थोड़ा समय दें. हम, आप बैठ लेंगे, अपने विभागीय अधिकारियों को बुला लेंगे, विधि विभाग के अधिकारियों को बुला लेंगे, ताकि कुछ रिजल्ट निकले.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष जी, एक मिनट, मेरा सिर्फ इतना कहना है कि सारा सदन और सारा प्रदेश ...
डॉ. गोविन्द सिंह -- आप क्या डॉक्टर साहब से भी ज्यादा विद्वान हैं ?
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- मैं आपसे भी नहीं हूँ, उनसे भी नहीं हूँ, आप दो डॉक्टर हैं, वैसे तो एक ही काफी होता है.
डॉ. गोविन्द सिंह -- पहले डॉक्टर साहब का जवाब हो जाए. हम आपको बुला लेंगे और आपको सूचना देंगे.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष जी, मैं आसंदी से निवेदन कर रहा हूँ, मंत्री जी से नहीं. मैं आपसे प्रार्थना कर रहा हूँ कि जब इस तरह के मामले आते हैं, सदन चल रहा होता है, सदन में इस तरह का पक्ष आ जाता है, अध्यक्ष जी, आसंदी की रूलिंग का भी अपना एक प्रभाव होता है. सरकार जब अधिकारियों से राय लेगी तो उनकी राय सुप्रीम-कोर्ट के बारे में हमेशा ऐसी आएगी जो कोई निर्णय पर नहीं आएगी. मेरी प्रार्थना है पक्ष, विपक्ष, निष्पक्ष, सबके सब और पूरा प्रदेश इससे प्रभावित है. आसंदी से कोई व्यवस्था आज आनी चाहिए, ऐसी मेरी प्रार्थना है.
डॉ. गोविन्द सिंह -- माननीय अध्यक्ष जी, आपको ये फंसवाने के चक्कर में हैं..(हंसी).
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष जी, अभी-अभी हमारे नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सुप्रीम-कोर्ट, हाई-कोर्ट, गर्वनर ...
डॉ. सीतासरन शर्मा -- हाई-कोर्ट ने भी की है, वे ऑर्डर्स भी बुलवाए जा सकते हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष जी, बिल्कुल फंसवाने के चक्कर में नहीं हैं, डॉ. गोविन्द सिंह कोई अज्ञात आशंका से ग्रसित हैं.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- अध्यक्ष जी, मेरी ओर से धन्यवाद आपको.
अध्यक्ष महोदय -- चलिए धन्यवाद. डॉ. विजयलक्ष्मी जी.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, हम लोगों के लिए तो आप ही हैं, आप ही सुप्रीम-कोर्ट हैं, आप ही गर्वनर हैं. आप देख तो रहे हैं, कर्नाटक में आप देख रहे हैं, इस कारण से प्रिवेल कर नहीं सकता, आपके आदेश का कोई. अध्यक्ष महोदय, आप तो कर लें, जो कुछ करना है.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं विधि की इतनी ज्ञाता नहीं हूं, लेकिन मैं यह जानना चाहती हूं कि जैसे पूर्व अध्यक्ष महोदय ने कहा कि सामान्य कैटेगरी के इन्वॉल्मेंट के कोई मायने नहीं हैं, रिजर्व कैटेगरी से इसमें प्रमोशन में रिजर्वेशन की बात है. किन्हीं परिस्थितियों में अगर एकल पद होता है, तो उसमें रोस्टर की व्यवस्था में तो यह आयेगा, ऐसे में सामान्य को कैसे देंगे ? एससी,एसटी को कैसे देंगे ? ओबीसी को कैसे देंगे ?
डॉ. सीतासरन शर्मा - अध्यक्ष महोदय, एकल वाले तो पड़े रहें, लेकिन बिना रोस्टर वाले पद हैं, उनमें तो प्रमोशन करें.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ - अध्यक्ष महोदय, मेरी इसमें जानने की थोड़ी सी जिज्ञासा है कि यह कैसे इसको बायफरकेट करेंगे ? उसमें रेश्यो रहता है कि इतने रेश्यो के उसमें जनरल का, एससी, एसटी, ओबीसी का रहेगा. अगर इस कैटेगरी से अलग हटकर जनरल से करेंगे, तो प्रमोशन में उसके रेश्यो का पालन कैसे होगा ? मैं यह जानना चाहती हूं.
अध्यक्षीय व्यवस्था
कर्मचारियों की पदोन्नति के संबंध में
अध्यक्ष महोदय - विराजिये. माननीय मंत्री जी, जितने प्रश्न आ रहे हैं, चाहे विजय लक्ष्मी जी ने किये हों, क्या यही रोस्टर प्रथम श्रेणियों के लिये लागू नहीं है ? और अगर है, तो उनके प्रमोशन कैसे हो रहे हैं ? प्रश्न यह पैदा होता है. ठहर जाइये जरा, गृह मंत्री जी. अगर नियम लागू हो, तो फर्स्ट ग्रेड से लेकर लोअर लेवल तक सबके लिये एक सा लागू हो, अन्यथा प्रथम श्रेणी वाले तो लगातार पदोन्नति पाते जा रहे हैं और उनको इस मसले को सुलझाने की कोई चिंता नहीं है, जबकि उन्हीं की चिंता होनी चाहिये कि इस मसले को सुलझायें. मैं ऐसा सोचता हूं मंत्री जी कि जरा इन पर दबाव दीजिये, प्रथम श्रेणी वालों पर कि ऐसा न हो कि किसी दिन विधान सभा अध्यक्ष यह कह दें कि अगर नीचे वालों का नहीं हो रहा है, तो आप लोगों का भी नहीं होगा. क्योंकि जो रिटायर हो रहे हैं, 15 साल हो गये, घर पिता जी आते हैं, पिता जी अभी तक आप ए.ई. हो ? पिता जी, अभी तक आप लिपिक ही हो ? आपकी पदोन्नति क्यों नहीं हुई ? यह जो घर के अंदर दबाव आता है, एक मानसिक पीड़ा बच्चे झेलते हैं और दूसरी जगह जो कार्य कर रहे हैं उनकी पदोन्नति देखते हैं, तो कहीं न कहीं यह प्रश्नचिह्न उनके स्वाभाविक मानवीय चित्त पर जाता है. उस चित्त को दूर करने के लिये मैं चाहता हूं कि पक्ष-विपक्ष के दोनों नुमाइन्दे, माननीय मुख्यमंत्री के साथ इसी विधान सभा में किसी दिन, मैं निर्धारित करूंगा कि हम, मुख्यमंत्री जी, पक्ष और विपक्ष के 4-4 साथी बैठेंगे और इस बारे में चर्चा करेंगे.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष जी, बहुत-बहुत धन्यवाद. एक बड़े वर्ग के हित के लिये आपने यह व्यवस्था जारी की.
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर (क्रमश:)
स्वत्वों का अनियमित भुगतान
[सहकारिता]
8. ( *क्र. 1929 ) श्री हर्ष विजय गेहलोत : क्या सामान्य प्रशासन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सेवानिवृत्त संयुक्त पंजीयक श्री वी.पी. मारण के विरूद्ध चालान प्रस्तुत करने की शासन के द्वारा अनुमति दी गई थी? आदेश क्रमांक व दिनांक बतावें। (ख) शासन द्वारा चालान प्रस्तुत करने की अनुमति दी जाने एवं माननीय न्यायालय में चालान प्रस्तुत हो जाने के कारण क्या इन्हें निलंबित किया गया था? यदि नहीं, किया गया तो क्यों एवं इसके लिये कौन उत्तरदायी है? (ग) क्या श्री वी.पी. मारण के विरूद्ध माननीय न्यायालय के समक्ष लोकायुक्त के द्वारा प्रस्तुत प्रकरण सेवानिवृत्ति के समय विचाराधीन था? यदि हाँ, तो ऐसी दशा में उनके सभी सेवानिवृत्ति लाभ यथा पेंशन ग्रेच्युटी लीव इनकैशमेंट आदि का भुगतान किस प्रकार कर दिया गया है? जबकि अनेकों अधिकारियों एवं कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति का स्वत्वों का लाभ इस कारण नहीं दिया गया है कि उनके विरूद्ध विभागीय जाँच अथवा न्यायालय प्रकरण विचाराधीन है? (घ) यदि हाँ, तो इसके लिये कौन अधिकारी दोषी है एवं उनके विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई? यदि नहीं, की गई तो क्यों तथा क्या कार्यवाही कब तक की जावेगी?
सामान्य प्रशासन मंत्री ( डॉ. गोविन्द सिंह ) -
श्री हर्ष विजय गेहलोत - अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद. मेरे प्रश्न के उत्तर में स्पष्ट है कि श्री मारण के विरुद्ध जो चालान प्रस्तुत करने की अनुमति शासन द्वारा दी गई थी, इस अनुमति के आधार पर उनके विरुद्ध 28.03.2012 को चालान प्रस्तुत हुआ जिस पर कोई स्थगन नहीं था, लेकिन मध्यप्रदेश सिविल सेवा नियम 1966 के नियम 09(01) परंतुक के तहत उन्हें निलंबित क्यों नहीं किया गया ? उन्हें निलंबित नहीं करने वाले अधिकारियों के विरुद्ध क्या कार्यवाही की जावेगी ? जब रिवीजन 2013 में खारिज हो गया, उसके बाद निलंबित क्यों नहीं किया गया था ?
अध्यक्ष महोदय - आज तो डॉक्टर साहब और सिलावट जी दोनों बल्लेबाजी इस छोर और उस छोर से कर रहे हैं.
डॉ. गोविंद सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बात सच है कि निलंबन का प्रावधान है. अब पता नहीं, किन कारणों से हमारी तत्कालीन सरकार ने ऐसा कदम नहीं उठाया. अब हम अगर ऐसा कदम उठाते, तो वह निलंबन के पहले ही रिटायर हो गया. अब निलंबित भी नहीं कर सकते. लेकिन जब आप कह रहे हैं, तो हम इसके प्रकरण को दिखवाते हैं और अगर वह दोषी पाये जायेंगे, तो कुछ न कुछ हम कार्यवाही करेंगे.
श्री हर्ष विजय गेहलोत - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्नांश (ग) में माननीय मंत्री जी से मेरा प्रश्न है कि मारण के सेवा निवृत्ति के समय न्यायालयीन प्रकरण होने की जानकारी विभाग को थी तथा आयुक्त कार्यालय को भी थी फिर भी उनके सभी भुगतान कर दिए गए. अध्यक्ष महोदय, विभाग के उत्तर में विभागीय जाँच प्रकरण का उल्लेख भी किया गया किन्तु न्यायालयीन प्रकरण को छुपा लिया गया और उनकी सेवा निवृत्ति के बाद भी वह प्रकरण आज भी प्रचलित है. सेवा निवृत्ति लाभ देने में आयुक्त, सहकारिता के कार्यालय के अधिकारी तथा सहकारिता विभाग के मंत्रालय के जो अधिकारी दोषी हैं क्या माननीय मंत्री जी उन्हें निलंबित कर अनुशासनात्मक कार्यवाही करेंगे?
डॉ.गोविन्द सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अब ये पूरे जो आपके प्रश्न हैं, विधान सभा के मामले में इस प्रश्न के परिप्रेक्ष्य में मैं अपर मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी से जाँच करा लूंगा और जाँच रिपोर्ट जो आएगी तो कार्यवाही करेंगे.
अध्यक्ष महोदय-- ठीक है.
श्री हर्ष विजय गेहलोत-- अध्यक्ष महोदय,...
डॉ.गोविन्द सिंह-- अब बैठ जाओ. (हँसी)
श्री हर्ष विजय गेहलोत-- डॉक्टर साहब, आखरी.... अध्यक्ष महोदय, आपका संरक्षण चाहता हूँ पहली बार का विधायक हूँ और हजारों कर्मचारी, अधिकारियों का, इसमें भविष्य अटका हुआ है, उनकी ग्रेच्युटी, पेंशन, रुकी हुई है.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत-- डॉक्टर साहब, आप अध्यक्ष का काम भी कर रहे हैं क्या?
डॉ.गोविन्द सिंह-- एडिशनल चीफ सेक्रेट्री के स्तर के किसी भी अधिकारी से जाँच हो जाएगी. उसमें दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा.
श्री हर्ष विजय गेहलोत-- अध्यक्ष महोदय, बाकी सुप्रीम कोर्ट का....
अध्यक्ष महोदय-- डॉक्टर साहब संसदीय मंत्री भी हैं. गोविन्द जी, ध्यान रखिए.
डॉ.गोविन्द सिंह-- अध्यक्ष महोदय, अब सुप्रीम कोर्ट का आदेश तो इस पर लागू नहीं होता है. आप सुनिए, यह आपका सुप्रीम कोर्ट का आदेश है, 14.8.2013, उच्चतम न्यायालय के निर्णय की कंडिका 3(4), 3(5) में पेंशन, ग्रेच्युटी, को शासकीय कर्मचारियों की संपत्ति माना है. विभागीय जाँच के उपरान्त शासन विभाग के नियमों के अनुसार पेंशन और ग्रेच्युटी को रोका नहीं जाना चाहिए. सेवा निवृत्ति के उपरान्त नियम अनुसार भुगतान किया जाना चाहिए. विभागीय जाँच के लिए अलग से अगर कुछ दण्ड पाया जाता है तो दण्डित किया जाए.
श्री हर्ष विजय गेहलोत-- लेकिन अध्यक्ष महोदय, वह मारन जी को सारा पैसा मिल गया. ग्रेच्युटी मिल गई, पेंशन मिल गई, लेकिन जो बाकी अधिकारी हैं तथा एक और प्रश्न के उत्तर में करीब 48 लोगों की ग्रेच्युटी और पेंशन रोकी गई है. बाकी मारन जी को दे दी गई है. सुप्रीम कोर्ट की रुलिंग है उसको मध्यप्रदेश पुलिस ने भी फॉलो किया है. पुलिस में अधिकारियों पर अगर कोई जाँच है तो उनको पेंशन और ग्रेच्युटी का लाभ दिया जा रहा है, यह आदेश है, तो जो हजारों कर्मचारी हैं, ऐसे मामलों में कहीं अटके हुए हैं, तो उनको पेंशन और ग्रेच्युटी दी जानी चाहिए. माननीय अध्यक्ष महोदय, आप तो बहुत न्याय प्रिय हैं, तो ऐसे हजारों कर्मचारियों को उस बात का लाभ मिलना चाहिए, सुप्रीम कोर्ट की रुलिंग का लाभ मिलना चाहिए.
डॉ.गोविन्द सिंह-- अध्यक्ष महोदय, जिसकी आप जानकारी बता रहे हैं आप कृपा कर, जो जो आप से संबंधित हैं, जिनका आपने बताया कि विभाग में मिल रहा है, तो उस विभाग में आप बता दें कि किन-किन को और दिलाना है, अगर इस नियम में आएंगे तो हम उनका भी भुगतान कराएँगे.
श्री हर्ष विजय गेहलोत-- धन्यवाद.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष जी, ये हमारे स्वास्थ्य मंत्री हैं तुलसी सिलावट, अभी गोविन्द सिंह जी बोल रहे थे तो कह रहे थे कि वे हमारे भीष्म पितामह हैं, ऐसे ही कह रहे थे ना? आपने उन्हें बाणों की शैय्या पर लिटा तो रखा है, सबसे खराब विभाग दे रखे हैं, उसमें भी अपेक्स बैंक का, सिंधिया जी आए थे तो अध्यक्ष बनवा दिया. कितने बाण लगाओगे एक भीष्म पितामह पर?
श्री तुलसीराम सिलावट-- गोविन्द सिंह जी हमारे परिवार के मुखिया हैं.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- एक व्यक्ति को आप कितने बाण लगाओगे?
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, एक तकिया भी लगा है. आप भी संसदीय मंत्री थे ये भी संसदीय मंत्री हैं.
डॉ.गोविन्द सिंह-- अध्यक्ष महोदय, सामान्य प्रशासन विभाग सब पर अंकुश रखने वाला विभाग है.
अध्यक्ष महोदय-- बहुत बड़ी चाबी है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष महोदय, एक भी लिस्ट आप से पूछ कर निकली हो तो, अखबार से पता चलती है. (हँसी)
श्री गोपाल भार्गव-- लेकिन हम कामना करेंगे सूर्यास्त कभी न हो. (हँसी)
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, विषय से संदर्भित है. मेरा भी प्रश्न था. अध्यक्ष महोदय, एक ही सरकार...
श्री सुनील सराफ-- माननीय अध्यक्ष महोदय, इस चर्चा में समय चला जाएगा तो हम लोगों के प्रश्नों का क्या होगा 12 बजने वाले हैं. हमारे प्रश्न लगे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- विराजिए. एक तो ये दो नये विधायक एक सुनील और एक ये डागा, देखो तो क्या रंग बिरंगी टी शर्ट पहन कर आए हैं.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- अध्यक्ष महोदय, हर्ष जी ने जो प्रश्न किया है मैंने भी यही प्रश्न तारांकित प्रश्न के रुप में किया है. मैं सिर्फ मंत्री जी से यह जानना चाहता हूँ कि शासन के नियम, नियमावली, प्रक्रिया समान होती है उसमें असमानता नहीं होती है. अगर पुलिस विभाग ने सेम नेचर के प्रश्न पर अपने अधिकारियों, कर्मचारियों के इस प्रकार से सुविधाएं दी हैं तो सहकारिता विभाग में क्यों रोक-टोक हो रही है. यह सुप्रीम कोर्ट का डायरेक्शन है. दोनों का अध्ययन करते हुए मंत्री जी इसमें सहयोग करने की कृपा करें.
श्री निलय विनोद डागा-- अध्यक्ष महोदय, सन्डे को भी क्लास लगाएंगे तो ऐसे ही कपड़े पहनकर आना पड़ेगा.
अध्यक्ष महोदय-- अभी शून्यकाल आने दो फिर आपको सुनुंगा.
डॉ. गोविन्द सिंह-- अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय सिसौदिया जी के प्रश्न का उत्तर बता रहा हूँ. सहकारिता विभाग में जो पात्र होंगे उनके लिए तो इसे तत्काल लागू कर देंगे. नेता जी आप हमारी बात सुन लीजिए.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)-- अध्यक्ष महोदय, आपने जिन दो सदस्यों के बारे में उल्लेख किया है. मैं चाहता हूँ कि इस बार या फिर विधान सभा के अगले सत्र से आप ड्रेस कोड लागू कर दें तो हम सभी अपनी ड्रेस में आएंगे. हमें मेन गेट पर भी दिक्कत नहीं होगी सब लोग समझ लेंगे कि यह विधायक हैं चाहें तो मंत्रियों के लिए कोई अलग से ड्रेस कोड कर दें (हँसी)
डॉ. गोविन्द सिंह-- अध्यक्ष महोदय, जैसा कि सिसौदिया जी ने कहा तो मैं उन्हें बताना चाहता हूँ कि गेहलोत साहब बता दें कि कौन-कौन से पीड़ित रह गए हैं उनका हम शीघ्र निराकरण कराएंगे. यदि वहां नियम है तो पूरे विभाग में यहां पर भी नियम लागू करेंगे. दूसरा सवाल यह था कि क्या सभी विभागों में इसे लागू करेंगे तो इस संबंध में मैं सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों से चर्चा करुंगा और नियमों में यह संभव होगा तो पूरे प्रदेश के लिए एक नीति बनाकर आदेश जारी करेंगे.
प्रश्न क्र. (9)--अनुपस्थित.
अलीराजपुर/जोबट में दीपक फाउंडेशन को दिये गये कार्य
[लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण]
10. ( *क्र. 2350 ) श्री सुनील सराफ : क्या लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्न क्र. 215, दि. 18-07-2016 के (क) उत्तर में वर्णित निश्चेतना, स्त्री रोग तथा शिशु रोग विशेषज्ञों, सोनोग्राफी के लिये दीपक फाउंडेशन वडोदरा गुजरात को कितनी राशि का भुगतान किया जाना है? कितनी राशि लंबित है? अलीराजपुर एवं जोबट में इन पदों पर पदस्थ चिकित्सकों के नाम, पदनाम, डिग्री, पदस्थ अवधि, वेतन प्रदाय की माहवार जानकारी देवें। (ख) सोनोग्राफी की माहवार जानकारी सोनोग्राफीकर्ता के नाम डिग्री सहित अलीराजपुर एवं जोबट के संदर्भ में पृथक-पृथक देवें। क्या सोनोग्राफीकर्ता विभाग के थे या दीपक फाउंडेशन के? इस मद में कितना भुगतान हुआ/लंबित है? (ग) प्र.क्र. 215, दि. 18-07-2016 के परिशिष्ट में वर्णित नियम एवं शर्तों के क्रमांक-4 में दर्शाये गये फायनेंशियल ऑडिट की वर्षवार प्रमाणित प्रतियां देवें। इन ऑडिट को कराने के लिये विभाग ने किन-किन को कितनी-कितनी राशि का भुगतान किया? (घ) इस संस्था को चयनित करने की संपूर्ण प्रक्रिया की प्रमाणित प्रति देवें। इसका विज्ञापन कब निकाला गया? अखबारों की छायप्रतियां देवें।
लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) दीपक फाउंडेशन वडोदरा गुजरात को कोई भुगतान नहीं किया जाना है। कोई राशि लंबित नहीं है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''एक'' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''दो'' अनुसार है। सोनोग्राफीकर्ता विभाग के थे। उक्त मद में कोई भुगतान नहीं हुआ एवं न ही कोई राशि लंबित है। (ग) राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन अंतर्गत जिला स्तर पर समस्त भुगतानों का ऑडिट करवाया जाता है, जिसमें दीपक फाउंडेशन को भुगतान की गई राशि का ऑडिट भी सम्मिलित है। दीपक फाउंडेशन का अलग से ऑडिट नहीं करवाया गया है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) अलीराजपुर जिले की सीमॉक संस्थाओं को क्रियाशील करने के उद्देश्य से दीपक फाउंडेशन संस्था वडोदरा गुजरात द्वारा प्रस्ताव प्रेषित किया गया था, जिसे राज्य स्वास्थ्य समिति की स्वीकृति उपरांत राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा दीपक फाउंडेशन वडोदरा, गुजरात के साथ अनुबंध किया गया था। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''तीन'' अनुसार है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री सुनील सराफ--माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत-बहुत धन्यवाद. मैं आपका संरक्षण चाहता हूँ. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करुंगा कि मैंने मेरे प्रश्न में अलीराजपुर और जोबट दो स्थानों की जानकारी मांगी थी. इसमें मैंने चिकित्सकों के नाम, पदनाम और डिग्री की जानकारी मांगी थी उत्तर में सिर्फ जोबट की जानकारी दी गई है. जानकारी अधूरी है. दूसरी बात अलीराजपुर प्रदेश में सबसे कम साक्षर जिला है यहां केवल 37 प्रतिशत साक्षरता है. केवल 50 रुपए के स्टाम्प पर यहां की स्वास्थ्य सेवाएं दीपक फाउन्डेशन, गुजरात को सौंप दी गईं थीं. इसमें मुझे आपत्ति है. यहां पर निश्चेतना विशेषज्ञ जिसका एग्रीमेंट जून, 2016 से मार्च 2018 तक था जो कुल तीन माह रहा था. मेरा सवाल यह है कि सितम्बर 2016 से मार्च 2018 तक जो ऑपरेशन हुए वे बिना निश्चेतना विशेषज्ञ के कैसे हुए.
श्री तुलसीराम सिलावट--माननीय अध्यक्ष महोदय, सम्मानित सदस्य ने यह बात हमारे संज्ञान में लाई है ऐसी कोई भी इन्हें जानकारी होगी तो उसकी जाँच करा लूंगा.
श्री सुनील सराफ--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने यह प्रश्न भी पूछा था दीपक फाउन्डेशन गुजरात को कितना भुगतान कर दिया गया है उसकी मदवार जानकारी चाही थी. उत्तर में वह जानकारी नहीं दी गई है. अलीराजपुर के चिकित्सकों के वेतन की जानकारी नहीं दी गई है. मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करुंगा कि अपने अधिकारियों को निर्देशित करें कि विधायकों के प्रश्नों के उत्तर पूरे दें जिससे हमारी जिज्ञासा शांत हो सके. यदि जवाब ही नहीं आएगा तो हम क्या पूरक प्रश्न करेंगे.
श्री तुलसीराम सिलावट--माननीय अध्यक्ष महोदय, सम्मानित सदस्य ने जो प्रश्न पूछा था उसका उत्तर देना चाहूँगा. दीपक फाऊंडेशन को वर्ष 2016-17 में 13 लाख 86 हजार रुपए तथा वर्ष 2017-18 में 12 लाख 36 हजार रुपए इस प्रकार कुल 26 लाख 22 हजार रुपए का भुगतान किया गया है.
श्री सुनील सराफ--माननीय मंत्री जी धन्यवाद. माननीय अध्यक्ष महोदय, एक सवाल और है कि केवल 50 रुपए के स्टाम्प के एग्रीमेंट पर अलीराजपुर और जोबट के स्वास्थ्य विभाग का ठेका, स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी, हजारों लोगों की जिम्मेदारी दीपक फाऊंडेशन, गुजरात को दे दी गई. यदि यह सही नहीं है तो क्या इस पर कोई कार्यवाही होगी.
श्री तुलसीराम सिलावट-- अध्यक्ष महोदय, दीपक फाऊंडेशन बडौदा द्वारा नवंबर 2015 से मार्च 2018 तक कार्य किया गया है इसका अनुबंध मार्च 2018 को समाप्त हो चुका है.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्नकाल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त)
12.01 बजे शून्यकाल में मौखिक उल्लेख एवं अध्यक्षीय व्यवस्था
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष महोदय, श्री गौरी शंकर बिसेन जी जो पूर्व मंत्री हैं, विधायक हैं आपने देखा होगा पहले भी सभी सम्मानित सदस्यों के लिए अच्छे आम उनके बगीचे के आए थे इस बार उनके बगीचे के चावलों का एक-एक कट्टा पूरे प्रदेश के सभी विधायकों के लिए आया है. सभी लोग प्राप्त कर लें. चिन्नौर ब्रांड का बहुत ही खुशबूदार चावल है. मंत्रियों से अनुरोध है कि वह भी कभी कृपा करें.
(1) एस.डी.एम. इटारसी के खिलाफ प्रिविलेज के संबंध में
डॉ. सीतासरन शर्मा-- अध्यक्ष महोदय, मैंने एस.डी.एम. इटारसी के खिलाफ प्रिविलेज दिया है. आप उस पर विचार कर लीजिए.
अध्यक्ष महोदय-- जी हां, मैं उसे देख रहा हूं.
(2) होशंगाबाद रोड पर रेत का अवैध भण्डारण किया जाना.
श्री रामेश्वर शर्मा (हुजूर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, होशंगाबाद रोड़ और मिसरोद के बीच कलियासोत पुल तक रेत के डम्पर, ट्रक एवं अवैध भण्डारण है. जिसके कारण वहां के कॉलोनी के निवासियों का जनजीवन अस्त व्यस्त है वह वहां से निकलने पर विवश हैं. मेरा निवेदन है कि सारा स्टेट, कृष्णा स्टेट, निर्मल स्टेट, झरनेश्वर कॉलोनी, इण्डस टाऊन, अनुजा विलेज, लिबर्टी कॉलोनी. रेत माफियाओं द्वारा सड़क पर सारा स्टेट से लेकर टोल टैक्स प्लाजा तक ट्रकों के द्वारा जाम और सड़क पर रेत के भण्डारण करने से आम नागरिकों का जनजीवन संकट में है अत: इन पर कार्यवाही करवाने की कृपा करें.
अध्यक्ष महोदय-- मेरे अधिकारी इस बात का ध्यान रखें जिनको मैं शून्यकाल में बुलवा रहा हूं संबंधित विभाग के पास यह सूचना जाएगी और लिखित उत्तर आएगा.
श्री आरिफ अकील (भोपाल उत्तर)-- अध्यक्ष महोदय, जो रेत के ट्रक सड़कों पर खडे़ रहते हैं और जो रेत का ढेर लगा रहता है, भण्डारण किया जाता है उन्हें शीघ्र हटाया जाए.
अध्यक्ष महोदय-- आप सहमत हैं, सहमति दे दें.
श्री आरिफ अकील-- हां मैं सहमत हूं और आपका आभारी रहूंगा.
अध्यक्ष महोदय-- ठीक है. यह जो प्रश्न उठा है और माननीय मंत्री आरिफ अकील जी बोल रहे हैं जो ट्रक रात में खडे़ रहते हैं यह व्यवस्था बंद होना चाहिए. यहां जो लोकल में भण्डारण होता है वह भी बंद होना चाहिए और इसकी विशेष व्यवस्था पुलिस विभाग को देखनी पडे़गी क्योंकि वह ही भण्डारण करवाते हैं.
(3) नरयावली विधान सभा क्षेत्र में अज्ञात बीमारी से गाय, भैंसों की मृत्यु होना.
इंजी प्रदीप लारिया (नरयावली)-- अध्यक्ष महोदय, नरयावली विधान सभा क्षेत्र के विकासखण्ड राहतगढ़ में 15, 20 गांव में अज्ञात बीमारी से लगभग 100 गाय, भैंसों की मृत्यु हो गई है. मेरा आपसे निवेदन है कि वहां कोई भी डॉक्टर की टीम नहीं पहुंची है. वहां पर परीक्षण हो जाए जिससे बाकी जानवर बच सकें और उनको मुआवजा मिल सके. धन्यवाद.
(4) एडव्होकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू किया जाना.
श्री दिलीप सिंह परिहार (नीमच) -- अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि एडव्होकेट बंधु सभी प्रकार से केस लड़ते हैं. प्रोटेक्शन एक्ट लागू किया जाए या फिर उनको शस्त्र लायसेंस दिए जाएं.
(5) पबजी खेल पर प्रतिबंध लगाया जाना.
श्री शैलेन्द्र जैन (सागर) --अध्यक्ष महोदय, इस समय पूरे प्रदेश में यह जो पबजी खेल चल रहा है जो कि कम्प्यूटर पर खेला जाता है. उस खेल की वजह से नौजवानों में, किशोरों में एक लत लग गई है उसमें अनेक लोगों ने आत्महत्याएं की हैं. कुछ प्रदेशों में पबजी खेल पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है. मैं आपके माध्यम से आग्रह करना चाहता हूं पबजी खेल पर मध्यप्रदेश में पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय-- यह गंभीर विषय है.
श्री आरिफ अकील-- अध्यक्ष महोदय मेरा अनुरोध है कि आप हम और पूरा सदन माननीय बाबूलाल जी के स्वस्थ्य होने की कामना करें ऐसी ईश्वर से प्रार्थना करें कि वह जल्दी स्वस्थ्य होकर वापस आएं.
अध्यक्ष महोदय-- बिलकुल ठीक बात है. हम इससे सहमत हैं.
श्री हरदीप सिंह डंग-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
अध्यक्ष महोदय-- मैंने आपको अनुमति दी है क्या. मैं खड़ा हूं.. डंग जी आप बोलिए मैं बैठ जाता हूं, एक तो यह समय की चाल है.
(6) सुवासरा के व्यापारी की हत्या की जांच तत्काल की जाना
श्री हरदीपसिंह डंग (सुवासरा)- माननीय अध्यक्ष महोदय, सुवासरा का एक व्यापारी है, जिसकी उम्र 40 वर्ष है. 5 दिन पूर्व मध्यप्रदेश और राजस्थान के बॉर्डर पर उसका मर्डर कर दिया गया है. इस घटना को 6 दिन बीत चुके हैं. पूरे मंदसौर जिले से उसके समाज वाले लगातार ज्ञापन दे रहे हैं लेकिन अभी तक इस प्रकरण में कोई सुराग नहीं मिला है. इसकी जांच तुरंत करवाई जाये.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया- माननीय अध्यक्ष महोदय, उस व्यापारी का नाम अशोक गुप्ता है.
अध्यक्ष महोदय- बिल्कुल ठीक है.
12.06 बजे
नियम 267 (क) के अधीन विषय
अध्यक्ष महोदय- निम्न माननीय सदस्यों की सूचनायें सदन में पढ़ी हुई मानी जायेंगी-
1. श्री शरद जुगलाल कोल
2. श्री पुरूषोत्तम लाल तंतुवाय
3. श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया
4. श्री जयसिंह मरावी
5. श्री रामेश्वर शर्मा
6. श्री जालम सिंह पटेल
7. श्री जसमंत जाटव
8. श्री सुभाष राम चरित्र
9. श्री फुन्देलाल मार्को
10. श्री संजय सत्येन्द्र पाठक
12.07 बजे
ध्यान आकर्षण
सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.
(1) आदिम जाति क्षेत्रीय विकास योजना की किसान कल्याण विभाग को स्थानांतरित राशि का दुरूपयोग किया जाना
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को (पुष्पराजगढ़)- माननीय अध्यक्ष महोदय,
किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री (श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव)- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को:- माननीय अध्यक्ष जी, यह राशि जनजाति समुदाय के लिये थी और उन पिछड़ी जनजातियों के लिये थी, जो राष्ट्रपति से पोषित जनजाति बैगा, भारिया और सहरिया हैं. जिस तरीके से इस राशि का बंदर-बांट हुआ, कागजों में पूरी तरह से लीपा-पोती की गयी और एक रणनीति के तहत, षड़यंत्रपूर्वक यह चाहते ही नहीं थे कि आदिवासी समाज के लोग भर-पेट भोजन कर सकें. एक ऐसा समाज जो लंगोटी लगा रहा है और उनकी लंगौटी पर भी इन लोगों ने निगाह लगा ली और यदि इनको समय मिलता तो उनकी लंगौटी भी उतरवा लेते. उनका आपने पैसा तो खाया ही.
अध्यक्ष्ा जी, मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि यह बहुत आदिवासियों की बात करते रहे, लेकिन इनकी मंशा क्या थी, यह आज जागृत हो गयी है.
अध्यक्ष महोदय:- मार्को जी, प्रश्न करिये अभी 5-6 लोगों को और प्रश्न करना है.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को--मेरा आपसे निवेदन है तथा मंत्री महोदय से चाहता हूं कि क्या इसमें कमेटी बनाकर के जांच करायेंगे ?
श्री सचिन यादव--अध्यक्ष महोदय, मैं आदरणीय मार्को जी को काफी लंबे समय से जानता हूं. पिछली बार विपक्ष में रहकर इनके साथ मुझे काम करने का अवसर मिला. उनका स्वभाव बड़ी धीर-गंभीर का है. वह किसी अनावश्यक चर्चाओं में हिस्सा नहीं लेते हैं. हमेशा काम की बात करते हैं तथा उसकी ही चर्चा करते हैं. निश्चित रूप से जो विषय माननीय विधायक जी ने उठाया है, वह बहुत ही गंभीर विषय है. मैं उसके लिये उनको साधुवाद देना चाहता हूं तथा उनको विश्वास दिलाना चाहता हूं कि आपकी जो भावना है जिस प्रकार से आपने हमारी जो पिछड़ी जातियां हैं, अनुसूचित जातियां हैं उनके लिये आपने जो चिंता व्यक्त की है और पूर्व की सरकार में जो योजनाएं उन तक पहुंचनी चाहिये थी वह सिर्फ कागजों तक सीमित रह गई है. इस भावना से मैं अपने आपको भी जोड़ता हूं. मैं उनकी भावना के अनुसार एक कमेटी गठित करके उसमें आदरणीय मार्को जी को भी शामिल किया जायेगा. उसमें तमाम अधिकारियों को शामिल करके उसकी विस्तृत जांच करके हम आपको सूचित करने का काम करेंगे.
अध्यक्ष महोदय--एक मिनट मार्को जी आप बैठेंगे. इस ध्यानाकर्षण को पूछने वाले 6 सदस्य हैं सर्व श्री नीलांशु चतुर्वेदी, संजय उइके, योगेन्द्र सिंह बाबा, प्रताप ग्रेवाल, सुनील सराफ, विजय राघवेन्द्र सिंह. अब मार्को जी आप भी इसमें समाहित हैं. यह पूरा विषय मैं देख रहा हूं. आपने उसमें कमेटी की बात कर दी है. मेरे ख्याल से यह पूरा का पूरा विषय इसी में आ जाता है. जब कमेटी जांच कर लेगी उसमें जो प्रश्न आने वाले हैं वह कमेटी स्वयं उत्तर ढूंढेगी. जिन 7 सदस्यों ने प्रश्न लगाये हैं इन सातों को इस कमेटी में रखा जाता है.
(2) प्रदेश के शॉपिंग मालों में एक्सपायरी डेट के खाद्य पदार्थों की बिक्री से उत्पन्न स्थिति.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया(मंदसौर)--अध्यक्ष महोदय,
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री (श्री तुलसीराम सिलावट) - माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश की 8 करोड़ जनता के, स्वास्थ्य को लेकर के, खाद्य पदार्थों की जांच को लेकर के, सदन में बैठे सभी सदस्यों की चिन्ता स्वाभाविक है और इसको अनदेखी नहीं किया जा सकता है. माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन करना चाहूंगा कि शॉपिंग मॉल के जो संचालकगण हैं वे जूता, चप्पल, सेंडल, बैग आदि-आदि वस्तुएं जिनमें एक्सपायरी डेट का कहीं भी प्रश्न नहीं उठाता है. लेकिन फूड से संबंधित, कोल्डड्रिंक से संबंधित, बच्चों के दूध के पाऊडर के पैकेटे से संबंधित, टीन डिब्बों से संबंधित, जो खाद्य पदार्थ हैं, उनमें वे ऑफर देते हैं, और ऑफर उस समय देने की ओर अग्रसर होते हैं, जब ग्राहक के पास वह वस्तु पहुंचती है, महीने, दो महीने, तीन महीने तक में वह इस्तेमाल करने की स्थिति में आता है, तब तक वह एक्सपायरी डेट के नजदीक आ जाती है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न यह है कि क्या मंत्री महोदय, इन तमाम शॉपिंग मॉल्स के उन संचालकों को इस बात के लिए ताकीद करेंगे, प्रतिबंधित करेंग कि वे खाद्य पदार्थों से संबंधित कोई भी ऑफर चाहे वह 10 प्रतिशत रिलेक्शन का हो चाहे, 40 प्रतिशत तक का हो वह जब उसको इन्ट्रोड्यूज करें, उसका परिचय कराये तब. उस मॉल में उस जगह पर जहां पर यह बिक्री के लिए होगा, एक्सपायरी डेट के नजदीक आने वाली वस्तुओं के बारे में इंगित करे और वहां एक रजिस्टर भी माननीय मंत्री जी रखवाएं ताकि कोई शिकायत कर सके. माननीय अध्यक्ष महोदय,मैं आपको बता रहा हूँ कि रतलाम के डी मार्ट में 30 शिकायतें विभिन्न प्रकार की प्राप्त हुई थीं और उसमें खाद्य की भी थीं और वहां पर रजिस्टर ही नहीं है. यह रतलाम का सवाल नहीं है, ऐसा कहीं भी नहीं है, डी मॉल भोपाल में भी नहीं है. अगर आप देखेंगे तो कहीं ग्राहक की समस्या के लिए ...
अध्यक्ष महोदय - यह प्रश्न हो गया है.
श्री तुलसीराम सिलावट - माननीय अध्यक्ष महोदय, सजग, जागरूक सिसौदिया जी को, मैं विश्वास दिलाता हूँ कि आपने गंभीर और संवेदनशील जो आम व्यक्ति से जुड़ा हुआ मामला उठाया है. विधायक जी, जो आपने आग्रह किया है कि मॉल द्वारा जिन सामग्रियों को विशेष ऑफर देकर बेचा जाता है, उनकी एक्सपायरी डेट के बारे में सूचना ग्राहक को नहीं होती है. इस संबंध में हम निर्देश जारी कर रहे हैं, आपकी भावनाओं के अनुसार ग्राहकों को ऐसा ऑफर, एक्सपायरी डेट की सूचना दिया जाना सुनिश्चित करेंगे. आपके द्वारा अवगत कराया गया है कि मार्ट की शिकायत रजिस्टर की भी जांच कराई जायेगी और वहां रजिस्टर भी रखवाया जायेगा. आप निश्चिंत रहें.
अध्यक्ष महोदय - आप दूसरा प्रश्न पूछें.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - अध्यक्ष महोदय, जहां टेक्नोलॉजी इतनी एडवांस चल रही है. मुंबई के बड़े-बड़े मॉल में और विदेशों में, जब हमारी वस्तु उसके पास जाती है तो वह वह टैग करता है तो जब बिल बनता है तो बिल के साथ मैन्युफैक्चरिंग डेट और एक्सपायरी डेट भी बिलों पर आने लगी हैं. अगर सरकार चाहे, आपका आशीर्वाद हो, आपका संरक्षण हो और मंत्री जी तथा विभाग चाहे तो यह चीज हमारे मध्यप्रदेश के उन मॉलों में भी जारी हो सकती है, जिससे ग्राहकों को यह बात मालूम चल जाये कि कब एक्सपायरी डेट होने वाली है ?
श्री तुलसीराम सिलावट - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सजग और जागरूक विधायक महोदय की भावना से अवगत हूँ. उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए इस पर कार्यवाही की जायेगी और माननीय अध्यक्ष महोदय, आपसे अनुरोध करता हूँ कि आपको ऐसे किसी भी मॉल की शिकायत हो, जिसकी जानकारी आपके संज्ञान में हो तो बताएं, मैं उसकी भी जांच करवाने के लिए तत्पर हूँ.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - अध्यक्ष महोदय, मेरा आखिरी प्रश्न है.
अध्यक्ष महोदय - यह आपका आखिरी प्रश्न है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - अध्यक्ष महोदय, मुझे मध्यप्रदेश के ग्राहक पंचायत के पदाधिकारियों ने और मंदसौर जिले के ग्राहक पंचायत के पदाधिकारियों ने इस संबंध में अनेकों बार शिकायतें की हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मॉल का तो सवाल नहीं है, लेकिन 18 मार्च, 2019 को दैनिक भास्कर के अंक में लव कुश नगर, चंदला रोड, छतरपुर का समाचार पढ़ने को मिला. दूध का पावडर जो एक्सपायरी डेट का था, टीन में बिकने जा रहा था, बिक गया था. जब ग्राहक ने उसका विरोध किया तो उसकी उस समय तो नहीं सुनी गई, वह मॉल नहीं था, एक साधारण सी दुकान होगी. लेकिन तब मीडिया ने आकर उसमें हस्तक्षेप किया. माननीय अध्यक्ष महोदय, उस ग्राहक को उस दुकानदार ने जो लव कुश नगर, चंदला रोड, छतरपुर की है, उसको उस दुकानदार ने पूरे पैसे भी वापस किए और टीन का डिब्बा भी वापस किया. मैं इसलिए कह रहा हूँ कि एक छोटी सी दुकान से लेकर, हम बड़े मॉलों तक जाएंगे तो आपको नकली फूड से संबंधित सामग्रियां प्राप्त होंगी. आपने मेरी अनेक बातों को स्वीकृति दी है. अध्यक्ष महोदय, आपका संरक्षण चाहते हुए 8 करोड़ जनता की चिंता करने का इस सदन के सदस्यों का कर्तव्य है इसीलिए आपने इस महत्वपूर्ण ध्यान आकर्षण को स्वीकार किया है. हम सस्ते के चक्कर में जहर ग्राहकों के घर तक नहीं पहुँचा सकते हैं
अध्यक्ष महोदय - धन्यवाद.
(3) राजमार्ग-12 के निर्माण कार्य में शर्तों का पालन न किया जाना
सर्व श्री देवेन्द्र सिंह पटेल (उदयपुरा), (कुंवर सिंह टेकाम) -- माननीय अध्यक्ष महोदय,
अध्यक्ष महोदय -- श्री देवेन्द्र सिंह पटेल जी आप अभी रूक जाईये, माननीय मंत्री जी का उत्तर आ जाने दें, उसके बाद आप अपने प्रश्न पूछें. सज्जन भाई यह बात सही है कि आपके मैं रोज ध्यानाकर्षण ले रहा हूं, लेकिन आपकी स्मार्टनेस जिस हिसाब से उनको उत्तर देती है, उसके कारण आपके विभाग से काफी विधायकों को संतोष मिल रहा है.
लोक निर्माण एवं पर्यावरण मंत्री(श्री सज्जन सिंह वर्मा)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह सब आपकी आपकी कृपा है और आपके सानिध्य में ही हम यह लेसन लेते रहते हैं (हंसी)... माननीय अध्यक्ष महोदय,
माननीय अध्यक्ष महोदय, एक अनुरोध आपसे कर रहा हूं. इस मार्ग की जानकारी आपको भी ज्यादा है. यदि आसंदी से ही आप कोई व्यवस्था कर दें तो सारी कार्यवाही हम कर लेंगे.
अध्यक्ष महोदय‑ एक प्रश्न जरा कर लें फिर मैं व्यवस्था दे दूंगा.
श्री देवेन्द्र सिंह पटेल (उदयपुरा) - माननीय अध्यक्ष महोदय, निवेदन करना चाहता हूं कि मेरी तरफ से यह मार्ग तो आपका है. रायसेन जिले से मिसरौद से लगाकर 345 कि.मी. का यह रोड है. इसमें 200 कि.मी. का क्षेत्र सिर्फ मेरे विधान सभा क्षेत्र और मेरे जिले में आता है. मेरा आपसे निवेदन है कि आप भी इस मार्ग से सही ढंग से पहुंच सकेंगे, जितनी जल्दी यह मार्ग पूर्ण होगा. इसकी पूर्ण होने की समय-सीमा 2020 बताई गई है पहले 2019 थी, और बढ़ा दी गई है, लेकिन जो परसेंटेज के हिसाब से बताया कि 50 परसेंट और 20 परसेंट काम हुआ है तो मेरी जानकारी में 15 परसेंट भी काम नहीं हुआ है, अगर समय-सीमा में कार्य पूर्ण नहीं किया गया तो 2020 तक यह रोड किसी भी हालत में पूर्ण नहीं होगा, अगर आपके संज्ञान में रहेगा और आप इसको देखेंगे तो निश्चित ही इस रोड की गुणवत्ता बहुत अच्छी होगी, क्योंकि मुझे पता है इस रोड का जो बेस बनता है, नेशनल हाईवे का बेस, यह रोड पूरा पहाड़ी के ऊपर से जबलपुर तक गया है. पत्थर की वहां कमी नहीं है. रेत की वहां कमी नहीं है. मॉं नर्मदा की रेत वहीं की वहीं है. पत्थर वहीं का वहीं है. सिर्फ सीमेंट और लोहा लेकर ठेकेदार को जाना है.पेटियों से ठेके हो रहे हैं. मछली दूसरी हैं. अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे यह निवेदन है कि खास तौर पर आप इस रोड के लिए देखें और इसमें महत्वपूर्ण भूमिका आपकी होगी. अध्यक्ष महोदय, यह हमारा नहीं, आपका रोड है. दूसरा मेरा एक प्रश्न है एमपीआरडीसी द्वारा अनुबंधित ठेकेदार द्वारा गैरतगंज, सिलवानी, गाडरवारा मार्ग पर अनुबंध अनुसार मरम्मत कार्य नहीं कराया जा रहा है तथा वाहनों से टोल वसूल किया जा रहा है. उक्त मार्ग पर जगह-जगह गड्ढे हो गये हैं उसमें पानी भरने से वाहनों का आना-जाना मुश्किल हो गया है. ठेकेदार द्वारा अनुबंध अनुसार उक्त मार्ग की मरम्मत नहीं कराए जाने से नागरिक शासन के प्रति अधिक असंतुष्ट है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - अध्यक्ष महोदय, मूल प्रश्न से अलग एक और प्रश्न उन्होंने पता नहीं कहां की सड़क का कर लिया है? परन्तु चूंकि माननीय विधायक का क्षेत्र है इसलिए मध्यप्रदेश सरकार की प्रतिबद्धता भी है कि विधायक यदि कोई बात कहते हैं कोई कार्य बताते हैं जहां जनता को कष्ट है. उन कष्टों का निवारण होना चाहिए . इस मूल प्रश्न में जिस सड़क का उन्होंने जिक्र किया है मैंने अपने जवाब में सारी की सारी बातें बता दी है. 1 जुलाई 2019 को अभी इसी वर्ष हम लोग माननीय मुख्यमंत्री और मैं, भूतल परिवहन केन्द्रीय मंत्री माननीय श्री नितिन गडकरी जी से मिले थे. इस रोड के साथ साथ हमने मंडला बरेला मार्ग, सीधी सिंगरौली मार्ग क्योंकि ये नेशनल हाईवे हैं, इसका अधिकतम काम पेमेंट से लेकर सारी व्यवस्थाओं का संचालन केन्द्र से होता है. अध्यक्ष महोदय, उसके बाद भी हम सतत् मॉनिटरिंग कर रहे हैं जैसा विधायक बोलेंगे वैसा हम निश्चित रूप से हमारे अधिकारियों को निर्देशित कर देंगे. अब एक उन्होंने पुल का कहा है, बड़ा गलत प्रश्न था कि 12-15 पुलियाएं टूट गई हैं, वहां पर यह बनी ही नहीं हैं. 3 पुल बहुत पुराने बने हुए थे, वह जर्जर हुए थे उनको भी रिपेयर कर दिया है, उसके साइड में दूसरे पुल बनाना है जो नये पुल अब बन रहे हैं जब वह पुल बन जाएंगे तो इन पुराने पुलों को तोड़कर फिर से निर्माण करा लेंगे. वैसे जैसा आदेश आसंदी की तरफ से होगा, वैसा किया जाएगा.
अध्यक्ष महोदय - जो उन्होंने दूसरी सड़क की बात की है असल में वह दूसरा ध्यानाकर्षण था. दो ध्यानाकर्षण आए थे एक ध्यानाकर्षण आया, उस ध्यानाकर्षण के बारे में जो माननीय विधायक जी चर्चा कर रहे हैं वह इसी से सम्बद्ध है तो उसमें जो टोल नाका चल रहा है, वह चले, लेकिन उस शर्त पर चले कि वह ठेकेदार गड्ढे तो ठीक कर दे. सड़क चलने लायक तो कर दे, तब वह टोल नाके का उपयोग है, अन्यथा नहीं है तो उसको दिखवा लीजिए, जांच करवा लीजिए.
दूसरा, आपने जो इन तीन पुलों की बात की है ठेकेदार ने बाजू की रास्ता तो चालू कर दी है लेकिन मूल जो रास्ता है यहां विधायक तेंदूखेड़ा भी बैठे हैं हम भी अभी एक महीने पहले वहां कार्यक्रम में गये थे. वह ठेकेदार रिपेयर ही नहीं कर रहा है. वहां पर जो पूरा आपका एनएच 12 बन रहा है. केन्द्र शासन के निर्देश हैं कि डायवर्शन के बोर्ड, कार्य प्रगति पर है, कहीं पर कोठी लगाकर और फीता बांधे जाते हैं यह चारों, पांचों पैकेज में ठेकेदार ऐसा कर ही नहीं रहे हैं. अब तो बरसात शुरू हो गई है काली मिट्टी है, बहुत एक्सीडेंट होंगे. हमारा जो पैकेट नम्बर टू है, इसमें तो ठेकेदार ने यह स्थिति बना रखी है कि मुझे नहीं लगता कि जो समय-सीमा बढ़ाई गई है, मेरे ख्याल से ठेकेदार ऐसा काम कर रहा है कि उसको सिर्फ एसक्लेशन ही दो तीन साल चाहिए. मेरा अनुरोध है कि आपके अधीनस्थ इस विभाग के अधिकारी भी यहां पर बैठे होंगे. कृपया बरसात में वह स्वयं नीचे के अधिकारी को न पहुंचाएं. वह स्वयं भी जरा हमारे यहां नर्मदा किनारे आएं. जरा एक दो रेस्ट हाऊस में बैठें, हमारे साथ में भी कुछ चर्चा कर लें, ताकि सड़क की भी देखरेख हो जायेगी, गड्डे भी भर जायेंगे जो पहले की सड़क है वह चलने के योग्य हो जायेगी और जो उसकी गुणवत्ता है, माननीय मंत्री जी जब से आये हैं इनका विशेष ध्यान गुणवत्ता पर जा रहा है.
कुंवर विजय शाह -- अध्यक्ष महोदय आपको भी इतना बोलना पड़ेगा तो बहुत मुश्किल है.
अध्यक्ष महोदय -- अरे भई मेरा रास्ता है, बोलना नहीं पड़ रहा है विधायक जी ने और मंत्री जी ने अनुरोध किया है कि मैं भी सुझाव दूं तो मैं कह रहा हूं, नहीं तो, विजय शाह जी मैं चुप हो जाता हूं. आपको आपत्ति है तो मैं चुप हो जाता हूं. मंत्री जी यह दो तीन बातें थी उनको देख लीजियेगा.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- माननीय विजय शाह दीर्घ अनुभव है माननीय अध्यक्ष जी को और अगर वह सदन को उस अनुभव को शेयर करते हैं तो निश्चित रूप से वह सदन के लिए तो ठीक प्रदेश के हित में भी वह काम आयेगा. मैं आसंदी को आश्वस्त करता हूं कि जो निर्देश आसंदी ने दिये हैं उन सारे निर्देशों का पालन अक्षरश: किया जायेगा.
अध्यक्ष महोदय --धन्यवाद् मंत्री जी.
टीकमगढ़ एवं निवाड़ी जिले में अमानक स्तर के चावल का भण्डारण किये
जाने से उत्पन्न स्थिति
श्री संजीव सिंह (भिण्ड) --
सीजन में जिला प्रबंधक नान टीकमगढ़ श्री एसडी बैहार एवं परिवहनकर्ता द्वारा भ्रष्टाचार की कार्यवाही हेतु पत्र लिखा गया था. परंतु राजनीतिक संरक्षण होने के कारण शासन द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई. इससे भ्रष्टाचार को अंजाम देने वाले जिम्मेदार व्यक्तियों के हौसले बुलंद हैं जिससे जनता में तीव्र आक्रोश व्याप्त है शीघ्र कार्यवाही नहीं की गई तो स्थिति विस्फोटक रूप धारण कर सकती है.
खाद्य नागरिक आपूर्ति मंत्री ( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ) --
भुगतान की कार्यवाहियां प्रचलित हैं. टीकमगढ़ की शिकायतों पर परीक्षण प्रचलित है. समस्त शिकायतों पर परीक्षण कर कार्यवाही की जाती है एवं विधिक न होने पर दण्डात्मक प्रावधान उपयोग किये जाते हैं. कलेक्टर एवं शासन स्तर पर उपार्जन प्रक्रिया की सतत् निगरानी की गई है तथा जनता में कोई आक्रोश नहीं है.
श्री संजीव सिंह "संजू" -- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने यह तो माना कि मैंने 4 हजार मेट्रिक टन कहा था, उन्होंने कहा 500 मेट्रिक टन. लेकिन अगर पूरी तरीके से जांच की जायेगी, तो वह संख्या मैं जो 4 हजार मेट्रिक टन बता रहा हूं, हो सकता है कि वह उससे ज्यादा भी निकल आये, जिसमें 36 प्रतिशत तक टूटा चावल पाया गया. अध्यक्ष महोदय, दूसरी बात मंत्री जी ने कहा कि 5 से 7 किलोममिटर की परिधि में जो एसडब्ल्यूसी के गोदाम उपलब्ध थे, उसमें न जाकर, उसमें न भण्डारण करके, जो हमने कहा है, प्रश्न किया है कि दूर के गोदाम, 90 किलोमीटर दूरी पर भण्डारण किया गया है, जिससे शासन को लाखों की क्षति हुई है. मैं मंत्री जी को अवगत कराना चाहता हूं कि कलेक्टर टीकमगढ़ का 27.4.2013 का पत्र है, इन्होंने इसमें साफ लिखा हुआ है कि डी.एम., नान ने दिनांक 23.4.2013 को परिवहनकर्ता पर केवल 87912 रुपये की टोकन पैनाल्टी अधिरोपित की है, जब कि 70 खरीदी केन्द्रों में कई दिनों से गेहूं संग्रहित था. परिवहनकर्ता द्वारा परिवहन कार्य सम्पादित न किये जाने की दशा में विलम्बित कार्य की मात्रा 2 रुपये प्रति क्विंटल प्रति दिन की दर से पैनाल्टी लगाई जाना थी, जो लगभग 18 लाख रुपये से अधिक होती है. जबकि डीएम, नॉन द्वारा मात्र 87800 रुपये की पैनाल्टी लगाई जाना परिवहनकर्ता से सांठगांठ सिद्ध होना बताता है..
अध्यक्ष महोदय -- माननीय सदस्य, प्रश्न करिये.
श्री संजीव सिंह "संजू" -- अध्यक्ष महोदय, मैं यह बताना चाहता हूं कि दो कलेक्टरों ने पत्र लिखे, पैनाल्टी लगाई, सिद्ध हो गया, उसके बावजूद भी डीएम, नान और परिवनहर्ताओं पर कोई कार्यवाही नहीं की गई. आपने लिखा है, देखिये,कलेक्टर ने दो दो पत्र लिखे है और पैनाल्टी की क्वांटिटी भी लिखी है 1 करोड़ 80 लाख रुपये. एक में 20 लाख रुपये उन पर पैनाल्टी लगाई गयी, जिसमें से सिर्फ मात्र उनसे 80 हजार रुपये वसूले गये और जिसको भी वापस करने की प्रक्रिया चलाई जा रही है. दूसरी पैनाल्टी 1 करोड़ 80 लाख रुपये लगाई गई और उस पर भी अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है और यह मैं वर्ष 2013 का मामला बता रहा हूं. अगर वर्ष 2013 से लेकर अभी तक की जांच करा लेते हैं..
अध्यक्ष महोदय -- माननीय सदस्य, आप प्रश्न नहीं कर रहे हैं. आप प्रश्न करें.
श्री संजीव सिंह ''संजू'' -- अध्यक्ष महोदय, प्रश्न कर तो रहा हूँ कि इस पर कार्यवाही तो करें. कलेक्टर्स ने लिखा हुआ है, जीएम को लिखा हुआ है, एमडी को लिखा हुआ है. इस पर एफआईआर की कार्यवाही करें. वसूली के लिए प्रावधान करें.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी, उत्तर दीजिए.
श्री आरिफ मसूद -- अध्यक्ष महोदय, मैंने भी इस विषय पर ध्यानाकर्षण दिया था, मेरे पास भी इसके दस्तावेज हैं.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सामने वाले मित्र को यह बताना चाहता हूँ कि निश्चित रूप से आपने जो बातें मुझे बताई हैं, संज्ञान में लाई हैं, 15 साल में भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी गहरी हो गई हैं कि उन्हें मट्ठा डालकर खत्म करने के लिए कुछ समय चाहिए. अध्यक्ष महोदय, जैसे ही यह प्रकरण मेरे संज्ञान में आया है, मैंने अपने विभाग के प्रमुख सचिव को लिखकर इस पर जांच के निर्देश दे दिए हैं, और मैं समय रहते उस पर उचित कार्यवाही करूंगा. आपने परिवहनकर्ता के बारे में कहा, अध्यक्ष महोदय, परिवहनकर्ता ने जो अनियमितताएं की होंगी, मैं विधायक जी की उपस्थिति में पांच दिवस के अंदर जांच कराऊंगा और जांच में यदि परिवहनकर्ता दोषी पाया जाएगा, तो उसके खिलाफ एफआईआर की जाएगी. यह मैं आपको आश्वस्त कर दूँ. हम भ्रष्टाचारियों को बख्शेंगे नहीं और उस समय के जो अधिकारी दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ भी कार्यवाही करूंगा. ये मैं आपको सुनिश्चित करता हूँ.
श्री संजीव सिंह ''संजू'' -- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न इसमें सिर्फ इतना है कि जब वर्ष 2013 से लेकर दो-दो कलेक्टर्स ने पत्र लिखे हैं, उनका भ्रष्टाचार प्रमाणित है तो उन पर तत्काल एफआईआर क्यों नहीं करते ? वसूली की कार्यवाही आप क्यों नहीं करते ?
अध्यक्ष महोदय -- ठीक है. माननीय मंत्री जी.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- अध्यक्ष महोदय, मैं सम्मानित विधायक जी को यह आश्वस्त कर रहा हूँ कि एक तो हमने उस परिवहनकर्ता को तत्काल निलंबित कर दिया है. अपने यहां से सस्पेंड कर दिया है. जांच के दौरान उस पर जो भी पैनल्टी फिक्स होगी, हम वह उससे वसूलेंगे, ये मैं आपको आश्वस्त कर दूँ और उसके खिलाफ जो तथ्य मिलेंगे, और जो आपने भी दिए हैं, उनके आधार पर हम एफआईआर दर्ज कराएंगे. वसूली करेंगे, यह आश्वस्त कर दूँ और ...
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी, विधायक जी ये पूछ रहे हैं कि जो कलेक्टर्स ने रिपोर्ट दे दी है, और कलेक्टर्स ने जो कहा है, उसके ऊपर कार्यवाही करने का प्रश्न कर रहे हैं.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- अध्यक्ष महोदय, मैंने आपसे अभी कहा कि 15 साल में, यह वर्ष 2013 का मामला है, मैं संज्ञान में लाना चाहता हूँ कि भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी हुई हैं, अब इसको समाप्त करने के लिए कुछ समय तो देंगे ना आप. तो मैंने कहा है कि जो दोषी है, उस पर मैं एफआईआर भी कराऊंगा और परिवहनकर्ता से वसूली भी कराऊंगा. डीएम, नॉन, जांच होने तक, जो जांच का विषय है, मैं उस अधिकारी को, सदन को आश्वस्त करता हूँ कि मैं निलंबित करता हूँ. अब क्या विषय रहा इस पर ?
श्री संजीव सिंह ''संजू'' -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी बार-बार कह रहे हैं कि जांच कराएंगे. अध्यक्ष महोदय, जांच तो हो चुकी है, पांच साल पहले हो चुकी है फिर आप जांच की बात क्यों कर रहे हैं, आप सीधा-सीधा उसको निलंबित करिए, उनके खिलाफ एफआईआर करिए, वसूली की कार्यवाही करिए, वसूली का एमाउंट भी लिखा हुआ है, 1 करोड़ 80 लाख रुपये वसूली करने हैं.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- माननीय अध्यक्ष जी, मैं विधायक जी को कह तो रहा हूँ, ये शायद सुन नहीं रहे हैं, मैं कह रहा हूँ कि जो जांच रिपोर्ट आई है, उस जांच रिपोर्ट के आधार पर मैं संबंधितों के खिलाफ कार्यवाही करूंगा. उसमें एफआईआर भी करूंगा, उसमें वसूली के आदेश भी दिए हैं और संबंधित डीएम को निलंबित भी कर दिया है और क्या चाहते हो आप?
श्री संजीव सिंह ''संजू'' -- अध्यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहता हूँ, इसमें समय-सीमा और बता दें, क्योंकि इस प्रकरण को 6 साल हो चुके हैं. अगले सत्र में भी यही बात उठाएंगे तो...
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी, समय-सीमा.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हम हफ्ते भर के अंदर आपको कार्यवाही कर बता देंगे.
श्री संजीव सिंह ''संजू'' -- पहले आपने 5 दिन बोला था, 2 दिन बढ़ा दिए.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- हफ्ते भर में.
श्री संजीव सिंह ''संजू'' -- ठीक है, माननीय अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
श्री आरिफ मसूद -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा विषय इसी में था लेकिन मंत्री जी ने कह दिया है, क्योंकि आपने पहले ही हम लोगों के संरक्षण के लिए एक बहुत बड़ा कार्य किया है. पूर्व में एक बड़ा घोटाला, जिसको उजागर किया था, क्योंकि एक अफसोस की बात है कि सारे दस्तावेज होने के बाद भी एफआईआर नहीं हो रही है.
समय सीमा सबकी कम होना चाहिये क्योंकि जैसे ही यहां से बात जाती है, तो वह तमाम लोग फेरी लगाने लगते हैं. इसलिये मैं चाहता हूं कि जल्द से जल्द कार्यवाही हो जाये. प्रद्युम्न भाई को बधाई देता हूं कि उन्होंने एफआईआर का कहा है. इस पर एफआईआर होना चाहिये और पूर्व संचालक पर भी जल्दी कार्यवाही हो जाये, आपने 7 दिन का कहा है.
1.06 बजे याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय - आज की कार्य सूची में सम्मिलित माननीय सदस्यों की सभी याचिकायें प्रस्तुत की गईं मानी जायेंगी.
अध्यक्षीय घोषणा
भोजनावकाश न होने संबंधी
अध्यक्ष महोदय - आज भी भोजन अवकाश नहीं होगा. भोजन की व्यवस्था सदन की लॉबी में की गई है. माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि सुविधानुसार भोजन ग्रहण करने का कष्ट करें.
श्री गोविंद सिंह राजपूत - अध्यक्ष महोदय, क्या आज लंच के साथ डिनर भी होगा ?
अध्यक्ष महोदय - आप चाहेंगे, तो और कुछ भी हो जायेगा, आप सामने बात कर लीजिये.
श्री हरिशंकर खटीक - अध्यक्ष महोदय, आज वाणिज्यिक कर मंत्री जी की तरफ से भोजन व्यवस्था है.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर - अध्यक्ष महोदय, वाणिज्कि कर मंत्री को इतना कमजोर मत समझो. आप आदेश तो करो. परसों हो गई है.
जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर के प्रबंध मण्डल हेतु
तीन सदस्यों का निर्वाचन.
निर्वाचन का कार्यक्रम
1.12 बजे वर्ष 2019-2020 की अनुदानों की मांगों पर मतदान ... (क्रमश:).
अध्यक्ष महोदय -- आज कार्य सूची में उल्लिखित सभी विभागों की मांगों पर चर्चा पूर्ण की जानी है. अत: दोनों पक्ष इस दृष्टि से सहमत सदस्यों के नाम चर्चा हेतु प्रस्तुत करें तथा माननीय सदस्य इसमें सहयोग प्रदान करेंगे.
(1) मांग संख्या 43 खेल और युवा कल्याण
मांग संख्या 44 उच्च शिक्षा
मांग संख्या- 43 - खेल और युवा कल्याण
क्रमांक
श्रीमती लीना संजय जैन 7
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया 15
मांग संख्या - 44 - उच्च शिक्षा
क्रमांक
डॉ. सीतासरन शर्मा 8
श्रीमती लीना संजय जैन 11
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया 20
उपस्थित सदस्यों के कटौती प्रस्तात प्रस्तुत हुए.
अब मांग और कटौती प्रस्ताव पर एक साथ चर्चा होगी.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया (मंदसौर) - अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 43 और 44 का विरोध करता हूं और कटौती प्रस्तावों का जमकर समर्थन करता हूं. विधान सभा के चुनाव में सड़कों, गलियों, मोहल्लों, नगरों, महानगरों में रंगीन-रंगीन पोस्टर लगे थे, वक्त है बदलाव का. बदलाव का असर कहीं दिखे न दिखे, लेकिन तीसरी बार का विधायक होने के नाते मैं इस बजट सत्र में शासन के विभागों की ओर से विभागीय प्रशासकीय प्रतिवेदनों में एक बदलाव जरूर देखने को आया है. कल मंत्री ओमकार सिंह जी, आज माननीय विद्वान मंत्री जितु पटवारी जी, जिनके प्रतिवेदन के मुख्य पृष्ठ पर ...
अध्यक्ष महोदय - यशपाल जी, मेरा आप सभी से अनुरोध है कि आप वरिष्ठ, बहुत शानदार गेंदबाजी करने वालों से अनुरोध है कि जैसे अपन भाषण देते हैं, घड़ी सामने रख लेते हैं. हमको टोकने की जरूरत न पड़े. मेहरबानी करना.
श्री विश्वास सारंग - अध्यक्ष महोदय, आज गेंदबाजी के साथ बल्लेबाजी करना चाह रहे हैं.
1.14 बजे { उपाध्यक्ष महोदया (सुश्री हिना लिखीराम कावरे) पीठासीन हुईं.}
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - उपाध्यक्ष महोदया, मुख्य पृष्ठ पर भी और अंतिम पृष्ठों पर भी अपनी ब्रांडिंग करने के लिये सम्मानित मंत्रियों ने मुख्यमंत्री जी का फोटो बीच में, पीछे, लेकिन खुद का फोटो आगे-आगे.
श्री गोविंद सिंह राजपूत - उपाध्यक्ष जी, क्षमा चाहता हूं, ब्रांडिंग में आप लोग तो बहुत माहिर हो. अभी हम लोग सीख रहे हैं.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - उपाध्यक्ष महोदया, केले की ब्रांडिंग, सेव की ब्रांडिंग, दूध उत्पादकों की ब्रांडिंग आदि-आदि ब्रांडिंग. लेकिन मैं भी दो बार से विधायक हूं. मैंने कभी प्रशासकीय प्रतिवेदनों पर मंत्रियों के फोटो मुख्य पृष्ठों पर नहीं देखे हैं. यह है वक्त बदलाव का.
श्री विश्वास सारंग - उपाध्यक्ष महोदया, और इनमें मुख्यमंत्री के फोटो नहीं हैं, केवल मंत्री जी का फोटो है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - उपाध्यक्ष जी, मैं उन मंत्रियों का अभिनंदन करता हूं जिन्होंने प्रथम और अंतिम पृष्ठों पर अपना फोटो दे दिया, लेकिन उन मंत्रियों का भी मैं आभार व्यक्त करना चाहता हूं, धन्यवाद देना चाहता हूं जो नहीं दे सके या नहीं दे पाये या उनकी मानसिकता नहीं देने की है. उपाध्यक्ष महोदया, सरकार के आर्थिक सर्वेक्षण को लेकर के हमारी आलोचना की गई. यह तो पूर्ववती सरकार का है आर्थिक सर्वेक्षण यह आप जानें, आपका काम जाने, लेकिन आदरणीय शर्मा जी आप तो वरिष्ठ हैं. यह प्रतिवेदन भी किसके हैं? प्रशासकीय प्रतिवेदन भी, अगर आप देखेंगे तो पिछली सरकार की जो हेड्स थे, पिछली सरकार की जो कार्य योजना थी, इसको तो आदरणीय नेता प्रतिपक्ष जी, स्वीकारोक्ति दी जा रही हैं. लेकिन मीठा मीठा गप्प और कड़वा कड़वा थू, तो यह इस प्रकार से आखिर हो क्या रहा है? उपाध्यक्ष महोदया, जो प्रशासकीय प्रतिवेदन प्रस्तुत हुए हैं, इसमें मुझे बहुत अच्छा लगता अगर 6-7 महीने में सरकार ने जो काम किए हैं, 2-4 उनकी भी कहीं पृष्ठों पर उपस्थिति हो जाती या जो वचन पत्र में काम कर दिए गए हैं, उनका भी इन प्रतिवेदनों में कहीं न कहीं एक दो पेज में कहीं उल्लेख हो जाता. सारे ही विभागों का मामला है, किसी एक विभाग का मामला थोड़े ही है.माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं माननीय मंत्री जी का इस ओर ध्यानाकर्षित करूँगा कि आप तो इन्दौर क्षेत्र के ही हैं, आपकी जन्म भूमि है, आपकी कर्मभूमि है, आप बड़े लोकप्रिय हैं, उपाध्यक्ष महोदया, मांग संख्या 44 में विभाग की डिमांड 1561, अगर आप इसको देखेंगे तो माननीय मंत्री जी, इन्दौर विश्वविद्यालय की ग्राण्ट घटा दी गई है. मैं आँकड़ों के विस्तार में जाना नहीं चाहता हूँ. आप खेल मंत्री भी हैं और उच्च शिक्षा में खेलों का भी कहीं न कहीं उपयोग होता है, वहाँ से कई बच्चे चलकर तैयार होते हैं, आपने खेलों को लेकर के, उस बजट में भी कमी कर दी है. जो महाविद्यालयों के माध्यम से खेल संचालित होते हैं. आप खेल एवं युवक कल्याण मंत्री हैं, वह एक अलग विषय है. लेकिन आपकी दोहरी भूमिका थी लेकिन उच्च शिक्षा में आपने खेल में कहीं न कहीं कटौती की है. उपाध्यक्ष महोदया, इन्दौर के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, कुलपति जी को बहुत जल्दी ताबड़तोड़ धारा 52 के अंतर्गत हटा तो दिया, उपाध्यक्ष महोदया, एक महीने से अधिक हो गया है, आप ही का शहर है, आप ही की जन्मस्थली है, आप ही की कर्मस्थली है, आपके शहर में हो क्या रहा है? 16 हजार से अधिक छात्र रिजल्ट की प्रतीक्षा में हैं, ढाई हजार से अधिक डिग्रीधारी बच्चे हस्ताक्षर की प्रतीक्षा में हैं कि कब स्थायी कुलपति महोदय बैठे और हमको न्याय मिल जाए. आपके उस शहर में क्या हो रहा है? यह तो एक टेस्ट है. कहा जाता है कि गृहणियाँ जब चाँवल या दाल पकाती है तो पूरी हांडी को चेक नहीं करती है एक दाने से ही मालूम पड़ जाता है कि यह कच्चा है या पका है या पकने में कितनी देर लगेगी? उपाध्यक्ष महोदया, मैं माननीय मंत्री महोदय से आग्रह करूँगा कि आपके पूरे बजट का मैंने अध्ययन किया है. आपके इस बजट में निजी विश्वविद्यालयों को लेकर के सरकार की जो मंशाएं होती हैं, सरकार जिस प्रकार से उन्हें ताकत दे देती है, उनको अधिकार संपन्न बनाती है, इसके साथ मेरा एक सुझाव भी हो जाएगा कि जिस क्षेत्र में, जिस विधायक के क्षेत्र में निजी विश्वविद्यालय की स्थापना होती है, वह पदेन डायरेक्टर उस विश्वविद्यालय में रहे, यह मेरी मन की इच्छा है क्योंकि हम धड़ल्ले से निजी विश्वविद्यालय की अनुमतियाँ देते चले जा रहे हैं, लेकिन उस निजी विश्वविद्यालय में इस हाउस का वह सदस्य, जो उस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है, जिस क्षेत्र में निजी विश्वविद्यालय खुलते हैं, खुलने जा रहे हैं और हम उनको ताकत दे देते हैं लेकिन हमारी वहाँ “नो एंट्री”, हम उनको कानूनन रूप से यहाँ पर अमली जामा पहनाते हैं और मैं यह नहीं कह रहा कि जिस क्षेत्र में मैं रहता हूँ पदेन विधायक, जिस दल का भी जो निर्वाचित हो, उस निजी विश्वविद्यालय में नामांकित सदस्य रहे. उपाध्यक्ष महोदया, शासकीय महाविद्यालय, बजट में कहीं उल्लेख नहीं, जो आपके संपन्न और सुदृढ़ विद्यालय हैं, जहाँ पर जनभागीदारी ताकतवर है, जहाँ छात्रों की संख्या नौ नौ, दस दस हजार तक है, वहाँ पर, उसी शहर में, अगर प्रायवेट कॉलेजों में एम.बी.ए. और बी.बी.ए.को ताकत दी जा रही है, वहाँ पर खुलते चले जा रहे हैं. आपके विभाग में भी उन विद्यालयों पर जो आर्थिक रूप से सुदृढ़ हैं, बी.बी.ए. और एम.बी.ए., के छात्रों को प्रवेश दिए जाने पर उनको आर्थिक लाभ मिलेगा. माननीय मंत्री जी, आपके विभाग के महाविद्यालयों के वे परिसर, जो 30 साल पहले, 40 साल पहले, भूमि आवंटित की गई थी, उन भूमियों पर, वहाँ के कलेक्टर, आपके प्रमुख सचिव से भी एन.ओ.सी. नहीं लेते हैं, मंत्री महोदय से भी एन.ओ.सी. नहीं लेते हैं और अपनी मनमर्जी से कलेक्टर उस आवंटित जमीनों को दे देते हैं. इसके दो उदाहरण मैं आपके सामने प्रस्तुत करूँगा. जावरा में एल.आई.सी.की बिल्डिंग बन गई, आपके शासकीय महाविद्यालय के सर्वे में और रकबें में, अधिकारियों के मकान बन गए, क्वार्टर्स बन गए, आवासीय, रहवासी और इसी प्रकार से हायर सेकण्डरी और माध्यमिक स्कूल भी कॉलेज की भूमियों में खुल गए 5-5, 10-10 साल हो गए हैं. आप इस पर ध्यान देने की कृपा करें. उपाध्यक्ष महोदया, मंदसौर के शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के छात्रावास की जमीन पर मंदसौर के उत्कृष्ट विद्यालय, जो हायर सेकण्डरी स्कूल है, उसकी भूमि पर खेल के मैदान को संरक्षित करने के नाम पर आपकी जमीन पर वहाँ पर 6 करोड़ रुपये की लागत का छात्रावास आपकी जमीन पर खुल जाए, इस बात के लिए फैसला किसने कर लिया, वहाँ के स्थानीय कलेक्टर ने कर लिया. जमीन आपकी, मालिक आप, लेकिन बंदर बाँट और अपनी वाहवाही करने के लिए वहाँ पर माननीय कलेक्टर ने उनको दे दी. उपाध्यक्ष महोदया, मैं माननीय मंत्री जी का ध्यानाकर्षित करूँगा इन्दौर और उज्जैन संभाग में 10 महाविद्यालय खुले, उज्जैन के झाड़ना, उन्हेल तथा कायथा में, मंदसौर के दलौदा में, नीमच के जीरन में, देवास के पीपलवा में, शाजापुर के गुलाना में, रतलाम के पिपलौदा में, आगर मालवा के बड़ौद में तथा सोयत कला में, माननीय मंत्री महोदय, इन 10 महाविद्यालयों में से सिर्फ 3 महाविद्यालयों की भूमि का चयन हुआ है, गुलाना, जीरन, नीमच जिला तथा दलौदा मंदसौर विधान सभा, लेकिन धनराशि का कहीं उल्लेख इस बजट में प्रावधानित नहीं किया गया. इन महाविद्यालयों में प्रोफेसर के कोई पद सृजित नहीं है, कर्मचारियों के 30 पद, आउट सोर्सेस के 150 पद सृजित किए गए हैं, मेरे प्रश्न के माध्यम से आपके विभाग ने मुझे अवगत कराया. मैं चाहूँगा कि कॉलेज खुल गया, अब ये कॉलेज कहाँ लग रहे हैं, प्राथमिक विद्यालय में लग रहे, माध्यमिक विद्यालय में लग रहे हैं, माननीय मंत्री जी, मैं आप से निवेदन करूँगा, उम्मीद करूँगा कि कॉलेज अगर खुले हैं तो कॉलेज में वह वातावरण चाहिए. लायब्रेरी भी चाहिए, लेबोरेट्री भी चाहिए, खेल मैदान भी चाहिए और माननीय मंत्री महोदय, जो महाविद्यालय स्टार्ट हो गए हैं, जो घोषणाओं में तब्दील होकर के कार्यरूप में परिणीत हो गए हैं, उन महाविद्यालयों को तो कम से कम आप जमीनों का आवंटन भी करें और उसमें बजट देने की भी कृपा करें, माननीय मंत्री महोदय, मैं आप से प्रार्थना पूर्वक आग्रह करूँगा.
उपाध्यक्ष महोदया, सूचना प्रौद्योगिकी को लेकर के हम बड़ी बात करते हैं, खूब वातावरण बनाने की कोशिश करते हैं, सूचना प्रौद्योगिक, राज्य की सरकार है, लेकिन मुझे निराशा हुई, आपके इस बजट में 8808 हेड में जीरो, आपने बजट प्रावधानित किया है. उपाध्यक्ष महोदया, नेक द्वारा मूल्यांकित महाविद्यालयों को प्रोत्साहित करने को लेकर के बजट में जीरो है. मैंने देखा यह आपकी अनुदान मांगों की कॉपी मेरे हाथ में है इसमें आप थोड़ा सा ध्यान दें. प्रवेशार्थी प्रथम वर्ष के छात्रों को प्रोत्साहन देने के लिए, उन्हें प्रेरित करने के लिए, ताकि प्रायवेट कॉलेजों में न जावे और आपके कॉलेजों में आकर के शासन की योजना का लाभ ले, लगातार पिछली सरकार ने जो धनराशि उपलब्ध कराई थी, आपकी तरफ से भी कोई सकारात्मक जवाब नहीं आया, न नकारात्मक जवाब आया. माननीय मंत्री महोदय, पृष्ठों में आपने भी किसी प्रकार से कोई स्पष्ट बात नहीं कही. लेकिन इस बजट की कॉपी से मुझे जानकारी मिली है 7463 हेड में आपने इस वर्ष प्रथम प्रवेशार्थी छात्रों के लिए पूरे मध्यप्रदेश में स्मार्ट फोन के लिए बजट रखा है जीरो. अब जब जीरो बजट आपने रखा है तो स्वाभाविक है स्मार्ट फोन इस बार नहीं मिलेंगे, तो कम से कम छात्रों को इसमें लाभ मिलना चाहिए. माननीय मंत्री महोदय, नवीन संकायों का अनुदान भी आपकी मौजूदा सरकार ने घटा दिया है, वह भी मैं आपको आँकड़े प्रस्तुत कर सकता हूँ. जनभागीदारी में रिक्त पदों का मानदेय आपने कम कर दिया. हिन्दी विश्वविद्यालय अनुदान को लेकर के भी बड़ी राशि, जहाँ 14 करोड़ हुआ करती थी, आपने 7 करोड़ कर दी. जबकि हिन्दी हमारी मातृभाषा है, हिन्दी हमारी राजभाषा है, हिन्दी को और अधिक बढ़ावा देना चाहिए. लेकिन उसमें भी आपने भारी भरकम कमी कर दी है. मैंने बताया महाविद्यालयों में भवनों के निर्माण में आपने कोई प्रावधान नहीं किया है. महाविद्यालयों में खेलकूद के विकास के लिए भी आपने बजट में कोई राशि नहीं दर्शाई है. योग में पूरा देश मोदी जी के नेतृत्व में है उनके आव्हान पर 176 से अधिक देशों ने योग को स्वीकार कर लिया है लेकिन आपने योग प्रसार समितियों को अनुदान देने में काफी कमी कर दी है. आप इस मामले को देखिए. योग भी स्वास्थ्य को सुरक्षित करने का काम करता है. मैंने बताया है कि आपने खेलकूद को प्रोत्साहित करने में कमी की है. जबलपुर की नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी उसमें भी अनुदान में कमी कर दी है. मंदसौर जिले का नटनागर शोध संस्थान एकमात्र ऐसा शोध संस्थान है जहां पर इतिहास विषय के विद्यार्थियों को डॉक्टरेट की उपाधि मिलती है. हरदीप जी बैठे हैं उनका विधान सभा क्षेत्र सीतामऊ है, सुवासरा उसमें शामिल है. नटनागर शोध संस्थान को कौन नहीं जानता है. डॉ. रघुवीर सिंह जी को कौन नहीं जानता है. उनकी इतनी सशक्त लायब्रेरी को, नटनागर शोध संस्थान को लगातार बड़ा बजट दिया जा रहा था. उस पर भी माननीय मंत्री जी आपके विभाग के अधिकारियों ने बजट कम कर दिया है. प्रतिभाशाली छात्रों को नि:शुल्क विदेश अध्ययन करने के लिए 0744 हेड में राशि कम कर दी है. इन बच्चों को हम विदेश भेजने के लिए प्रेरित करते थे तो अब जो हजारों के जो आंकड़े हैं उसकी भरपाई कैसे होगी. बच्चे विदेश कैसे जाएंगे. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के छात्रों को निशुल्क शिक्षण व्यवस्था देने के लिए हेड 0742 में भी आपने काफी राशि कम कर दी है. मैं इसमें जानना चाहूँगा कि जहां 25100 हजारों में आंकड़े थे वहां पर आपने 2 कर दिया है. मैंने इसे अलग-अलग दृष्टिकोण से देखा जहां पर आपने सिर्फ 2 मानक दिया है. इसको 2 हजार माना जाय, 2 लाख माना जाए या 2 करोड़ माना जाए, यह आपके जवाब में बता दीजिएगा. विधान सभा के द्वारा मध्यप्रदेश के समस्त विश्वविद्यालयों में एक कोर्ट सभा का निर्वाचन होता है. चाहे उज्जैन का विक्रमादित्य विश्वविद्यालय हो, चाहे देवी अहिल्याबाई विश्वविद्यालय हो, चाहे अन्य विश्वविद्यालय हों इस हाउस के द्वारा दी गई कानूनन व्यवस्था में यूनिवर्सिटी के कुलपति कभी भी हम निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को न आमंत्रित करते हैं न समय पर कोई मीटिंग करते हैं. हम बड़े प्रसन्न हो जाते हैं कि हम अपने क्षेत्र के विश्वविद्यालय से जुड़े हैं. ओमप्रकाश सखलेचा जी, राजेन्द्र पाण्डेय जी और अन्य सदस्यों के साथ मैं भी सदस्य हुआ करता था. लेकिन एक भी मीटिंग नहीं होती है इसको दिखवाने का कष्ट करें
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, माननीय मंत्री जी ने एक अच्छा काम किया है उसके लिए मैं उनको धन्यवाद देना चाहता हूँ. राष्ट्रीय सेवा योजना में चूंकि आपने इसके प्रतिवेदन में बच्चों के साथ फोटो भी खिंचवाया है उसमें एनसीसी के बच्चे भी हैं राष्ट्रीय सेवा योजना के भी बच्चे हैं. इसमें आपने बजट बढ़ाया है इसके लिए आपका आभार व्यक्त करता हूँ. एनसीसी के बारे मुझे पता नहीं है कि आपका विभाग करता है या शिक्षा विभाग करता है. आपके भाषण में आप जरुर बता दीजिए इसमें मुझे एनसीसी को प्रोत्साहित करने का हेड में बजट नहीं दिखा है. न कोई शासकीय महाविद्यालय इसमें अपने निजी स्त्रोत से कोई खर्च करते होंगे. हम जनभागीदारी में भी अध्यक्ष रहे हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, आपकी सरकार आई बधाई. लेकिन आपकी सरकार के आते ही पुरानी सरकार के जो जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष थे उनको 24 घंटे में हटा दिया गया. हमारा कहना है कि आप अपनी विचारधारा के ही विधायकों को बना दें हमें आपत्ति नहीं है. लेकिन इतने बड़े-बड़े कॉलेजों में जनप्रतिनिधि होता है तो अधिकारी कर्मचारी स्थानीय विकास विधायक निधि वह अध्यक्ष अपनी क्षमता से सांसद जी से भी राशि ला सकता है. हम यदि आपको गलत लग रहे थे तो हमारे स्थान पर आप कांग्रेस के लोगों को बैठा दें लेकिन जनभागीदारी समिति में यदि सरकार ने अध्यक्षों का नामिनेशन किया था तो यह आवश्यक है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, नेक (राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद) द्वारा मूल्यांकित महाविद्यालयों के प्रोत्साहन को लेकर नेक जैसी संस्था आपसे उम्मीद करती है और उसके बजट में हम जीरो रखेंगे तो फिर हमारे महाविद्यालय मूल्यांकन की उस कसौटी पर खरे कैसे उतरेंगे. आपको इसके लिए कुछ न कुछ व्यवस्था करना पड़ेगी. मंदसौर में जब मैं जनभागीदारी का अध्यक्ष था हमने उनका स्वागत किया और हम उम्मीद कर रहे थे कि नेक हमको कुछ देकर जाएगा. नेक को विश्वास में लेकर यदि हम अपना इन्फ्रास्ट्रकचर मजबूत करते हैं तो मैंने अनुभव किया है. 1 करोड़, 2 करोड़, 5 करोड़ तक की राशि नेक के माध्यम से महाविद्यालयों को प्राप्त होती है. इसके मूल्यांकन के लिए आपको बजट में प्रावधान करना चाहिए था जो आप नहीं कर पाए. छात्रों की करोड़ों रुपयों की स्कॉलरशिप इस समय ऑनलाइन दी जा रही है. पहले भी जाती रही होगी. लेकिन ऑनलाइन के बाद स्थिति यह हो रही है कि छात्रों का पैसा कहां किसके खातों में जा रहा है इसका कोई हिसाब-किताब नहीं है. बड़ी संख्या में छात्र परेशान होते हैं. विक्रम विश्वविद्यालय का कार्य क्षेत्र 250-275 किलोमीटर का है. इसमें नीमच, जावद, भानपुरा, गरोठ शामिल हैं. अब एक-एक छोटी छोटी बात के लिए छात्र-छात्राएं इतनी दूर तक का सफर अपने माता-पिता के साथ करते हैं. उनका आना-जाना, खाना-पीना इस पर व्यय होता है. आप इसको सेन्ट्रलाइज कर दें. हम यह नहीं कह रहे हैं कि नई यूनिवर्सिटीज खोल दें एक उपखण्डीय कार्यालय खोल दें. इसके लिए मैंने पत्राचार किया था, आप अपने अधिकारियों से चर्चा कर लें. यह किया जा सकता है. मंदसौर के शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में भरपूर जमीन है, भरपूर कमरे हैं आप एक वैकल्पिक व्यवस्था करके छोटी-मोटी समस्याओं का समाधान करने के लिए वहां पर उज्जैन से दो अधिकारियों को पदस्थ कर सकते हैं. ताकि विद्यार्थियों को सिंगोली घाटे से, चाक घाटे से, गरोठ, भानपुरा, मंदसौर से लंबा सफर न करना पड़े. मंदसौर उज्जैन में 150 किलोमीटर की दूरी है उसमें विद्यार्थी आएगा जाएगा तो उसे दो दिन का समय लग जाएगा. छोटी-छोटी त्रुटियों का समाधान वहीं हो जाना चाहिए. अतिथि विद्वानों की बड़ी समस्या है क्योंकि पूरे शासकीय महाविद्यालयों में प्रोफेसरों से ज्यादा अगर कोई परिश्रम कर रहा है तो वह अतिथि विद्वान कर रहा है. उसके बारे में सरकार को कुछ न कुछ सोचना चाहिए. माननीय उपाध्यक्ष महोदया, आपने बोलने का अवसर दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगांव (बदनावर)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं मांग संख्या 43 एवं 44 के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूँ.
खेल युवा कल्याण विभाग के मंत्री माननीय जितु पटवारी जी हैं जो युवा हैं उन्होंने जो मांगे रखी हैं उनके समर्थन में बोलने के लिए उपस्थित हूं. जितु पटवारी जी को जब हम देखते हैं वे नौजवान हैं, ऊर्जावान हैं, लगनशील हैं, प्रयत्नशील हैं. अगर कोई इनकी फेसबुक का फॉलोअर है या कोई इनके ट्विटर को देखता है तो आपको समझ में आएगा कि इनकी युवाओं के प्रति कितनी प्रतिबद्धता है. मैं विवेकानन्द जी कि इस बात से प्रारंभ करना चाहता हूँ कि--Arise, awake, and stop not till the goal is reached. उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाए. जितु पटवारी जी निरन्तर इसका अनुसरण कर रहे हैं. इस मार्ग पर चल रहे हैं. हमारे काबिल मित्र यशपाल सिंह सिसौदिया जी बहुत सी बातें कह रहे थे. लेकिन यदि हम पूरे बजट को ध्यान से पढ़ें जो कि दो भागों में है भाग 43 एवं भाग 44 है. इससे हम पूरी तरह से समझ जाएंगे कि हमारे नौजवान जितु पटवारी जी ने जो बजट रखा है वह कह क्या रहा है, हमारे नौजवान को क्या संदेश दे रहा है--
काल के कपाल पर रच दिया नव इतिहास,
क्रांति की मशाल से भूत हो भविष्य हो,
युवा ही वर्तमान है, युवा ही वर्तमान है.
इसी भाव को आत्मसात करते हुए उन्होंने बजट पर कार्य किया है. मैं जितु पटवारी जी से यह जरुर कहना चाहूँगा कि आप खिलाड़ी रहे हैं, मैं भी रहा हूँ. बहुत से हमारे विधायक ऐसे होंगे जो खिलाड़ी रहे हैं और खिलाड़ी न भी रहे हों तो बहुत सारे एसोसिएशन उसमें उनका योगदान रहा होगा. जैसे बास्केट बाल एसोसिएशन है, शूटिंग है, ताइक्वांडो है, मार्शल आर्ट्स का है. पाण्डे जी शायद अभी सदन में नहीं हैं. मुझे आज भी स्मरण है जब हम दोनों पहली बार विधायक बने थे. वे बास्केट बाल एसोसिएशन को हेड कर रहे थे. शायद मेन्दोला जी भी आज यहां आए नहीं हैं उनका ओलम्पिक एसोसिएशन में अहम दखल है. यहां पर बहुत सारे हमारे लोग हैं और इन संस्थाओं में काम कर रहे हैं. उन सभी संस्थाओं में काम कर रहे हैं. मैं माननीय जितु पटवारी जी को यह जरूर कहना चाहूंगा कि जितनी भी खेल से संबंधित हमारे यहां पर संस्थाएं हैं उनकी एक बार समीक्षा जरूर करें कि वह संस्थाएं क्या कर रही हैं, किस प्रकार से उनके उत्थान में हमारे खिलाडि़यों को योगदान दे रही हैं या नहीं दे रही हैं. पिछले वर्ष विगत कई वर्षों से कहां-कहां से उनके पास राशि आई या नहीं आई, उसका सदुपयोग हो रहा है या दुरुपयोग हो रहा है और एक बहुत ही विडंबना है और मैं कहता हूं कि हमारे देश का दुर्भाग्य भी है कि जब बच्चा स्कूल में या कॉलेज में पढ़ता है, प्रतिभावान होता है, खिलाड़ी होता है चाहे वह किसी भी खेल मे हो जैसे हॉकी में, फुटबॉल में एथलेटिक्स में, टेबल टेनिस, टेनिस में, शतरंज में तो जैसे-जैसे वह ऊपर जाता जाता है. माता-पिता कहीं न कहीं उसको पीछे खिंचते हैं कि बेटा पढ़ ले खेलकूद में क्या रखा है, लेकिन मैं आपको इस बात का स्मरण दिलाना चाहूंगा कि विवेकानंद जी ने कहा है कि ''युवा की पाठशाला खेल का मैदान है'' हम ऐसी कोई योजना बनाए हमारे मंत्री जी ऐसा कुछ सुनिश्चित करें जिससे कि हमारा जो खिलाड़ी है उसका प्रोत्साहन बढ़े और माता-पिता भी कहें कि जा बेटा तू खेल ले और वह यह कब कहेंगे, वह यह तब कहेंगे जब उनको इस बात का विश्वास होगा कि यह नौजवान आगे जाकर खेल के आधार पर अपना जीवनयापन कर पाएगा. आप देखिए हमारे बहुत से खिलाड़ी राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जाते हैं, मैडल्स भी लाते हैं, प्रदेश का नाम भी रोशन करते हैं, जब वह जाते हैं तो किस भावना से जाते हैं. क्या हम में से किसी ने सोचा है कि उनकी मन:स्थिति क्या होती है. उनके मन का भाव क्या होता है, वह क्या सोच रहे होते हैं और किस जुझारूपन से वह वहां जाते हैं शायद हम नहीं समझ पाएंगे कम से कम वह तो बिलकुल नहीं समझ पाएंगे जिन्होंने कभी कोई खेल खेला ही नहीं हो. उस खिलाड़ी के मन में कितना जुनून होता है.
''कर दिया एलाने जंग मैदान में हम जाएंगे.
कर फतह पाबंदियों को लौटकर हम आएंगे
लौटकर जब आएंगे तो फख्र से सर उठाकर तिरंगा लहराएंगे
कर फतह पाबंदियों को लौटकर हम आएंगे''
इस भाव से जब वह जाता है तो उसे हमारा प्रदेश क्या दे रहा है हमारा देश क्या दे रहा है, उस पर हमें अवश्य ध्यान देना चाहिए. मैं जितु पटवारी जी से निवेदन करना चाहता हूं कि आप एक पूरी नई नीति बनाए. हमारे प्रदेश में खेल अधिकारी होते हैं, जिले में भी होते हैं पर हम उन्हें कब याद करते हैं जब हम हमारे दौरों पर जाते हैं हम आप सब जाते हैं कि कभी कबड्डी बैग दे दीजिए, क्रिकेट का किट दे दीजिए. बास्केटबाल, फुटबॉल दे दीजिए, लेकिन ऐसा क्यों नहीं होता कि विकासखण्ड स्तर पर हमारे पास कोई सुनियोजित खेल का अधिकारी हो, मद हो, व्यवस्थाएं हों. मैं आपको मेरे क्षेत्र का उदाहरण देना चाहता हूं. मैं विपक्ष का भी ध्यानाकर्षित करना चाहूंगा. गोपाल प्रजापति नाम का एक नौजवान है. एक दिन मुझे सुबह-सुबह दैनिक भास्कर के पत्रकार का फोन आया. उन्होंने कहा कि आप आज का अखबार पढि़ए. मुझे अखबार पढ़कर आश्चर्य हुआ कि उसके पिताजी वास्तविकता में चाय बेचते हैं. वह सेमिया गांव का नौजवान है. उसने बिना किसी की सहायता के पंजाब में जाकर राष्ट्रीय स्तर की प्रतिस्पर्धा में गोल्ड मैडल जीता है. उसने पांच किलोमीटर का सफर 16 मिनट में तय किया और उसका चयन अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में हो गया. मैंने उसे बुलाया और कहा कि गोपाल क्या करते हो. उसका गांव बदनावर मुख्यालय से दस किलोमीटर दूर है. उसने कहा कि मैं रोज इतने वर्षों से सुबह जल्दी उठता हूं और पैदल दौड़कर जाता हूं. वहां उसकी प्रैक्टिस करता हूं और वह भी मैदान में और उसके अलावा वहां कुछ और सुविधा नहीं है. उसकी इच्छाशक्ति कितनी प्रबल है उनको मैंने यहां पर लाकर जितु पटवारी जी से मिलाया और मुझे बहुत ही खुशी है इस बात की आपने तत्काल न सिर्फ यह कहा कि उसको एकेडमी मे भर्ती करेंगे बल्कि इसकी मलेशिया जाने की व्यवस्था भी करेंगे. इसकी ट्रेनिंग का भार लेंगे. उसको पूरा संरक्षण देंगे. मैं जितु पटवारी जी का आभार व्यक्त करना चाहता हूं कि आपने सहयोग किया और मैं आपसे यह भी निवेदन करना चाहता हूं कि न सिर्फ एक गोपाल जैसे बल्कि ऐसे हजारों लाखों गोपाल प्रजापति हमारे गांव में छिपे बैठे हैं. यह ध्यानचन्द्र की धरती है. कृपया इस पर ध्यान दीजिए कुछ ऐसा करिए कि हम सब फख्र से सर उठाकर कह सकें कि हां हमारा हर एक नौजवान ओलंपिक्स में गोल्ड मैडेलिस्ट बन सकता है, और गोल्ड मेडल लाकर दे सकता है. मेरा एक और निवेदन है कि हमारे गांव में जो खेल के सहायक हैं उनको बहुत ही कम पैसा मिलता है. बमुश्किल ढाई हजार, तीन हजार रुपया मिलता है जो कि कलेक्टर रेट से भी कम है उसको आप बढ़ाएं ताकि वह कम से कम अपने घर का लालन पालन कर सके और हमारी प्रतिभाओं को इस मुकाम पर ले जा सकें कि हम सबको गर्व हो. हमारे काबिल मित्र यशपाल जी काफी बातें कह रहे थे और वह आमतौर पर बहुत पढ़कर भी आते हैं और बहुत सटीक बोलते हैं. उनकी कुछ बातों का जवाब मैं जरूर देना चाहूंगा. प्रशासकीय प्रतिवेदन का जिक्र उन्होंने किया. प्रतिवेदन मेरे हाथ में है. उन्होंने यह भी कहा कि आपने बजट कम दिया आपको चिंता नहीं है. जितु पटवारी जी मुझे निराश हुई है, लेकिन मैं इस प्रतिवेदन का अध्ययन कर रहा था और मैंने पाया आप सब के पास यह है यह सदन को दिया गया है आप देखिए इसमें जो मांग संख्या 43 है वर्ष 2018-2019 की योजना और बजट प्रावधान व्यय की जानकारी इसमें है. सामान्य श्रेणी में हम देखें एक या दो अनुदान संख्या आप ले लीजिए. 49 और 38 यहां आपने 627 और 620 करोड़ रुपया खर्च किया है. कुल मिलाकर मैं यह कहना चाहता हूं कि आपको जो कुल बजट दिया गया था 10 हजार 225.10 करोड़ रुपए का उसमें से आप खर्च ही नहीं कर पाए. आपने पैसा लौटा दिया यहां करीब 1700 करोड़ आप खर्च नहीं कर पाए. आप आगे बढि़ए अनुसूचित जाति जनजाति उपयोजना यहां पर आपको कितना पैसा दिया गया. यहां पर 2 हजार 657 करोड़ रुपया आपने लिया और आप खर्च ही नहीं कर पाए. 600 करोड़ रुपया आप खर्च ही नहीं कर पाए. आप उसके आगे बढि़ए आप पूंजीगत व्यय में आ जाइए उसी मद में आपको 3 हजार 967 रुपया मिला और आप खर्च ही नहीं कर पाए. एक हजार करोड़ रुपया यह खर्च ही नहीं कर पाए और आगे आ जाइए अनुसूचित जाति उपयोजना में वहां पर इनको बजट मिला 15 सौ 29 करोड़ रुपए का वहां भी यह पूरा पैसा खर्च नहीं कर पाए. 130 करोड़ रुपया यह खर्च नहीं कर पाए. पूंजीगत व्यय में आइए वहां भी यह 400 करोड़ रुपया खर्च ही नहीं कर पाए, लेकिन हमारी सरकार हमारे मंत्री खिलाड़ी हैं, नौजवान हैं, ऊर्जावान हैं. मुझे पूरा विश्वास है कि जितना भी हमने सदन से जो भी मांगे मांगी हैं न सिर्फ हम उसको पूरी तरीके से उसका सदुपयोग करेंगे मुझे विश्वास है जब अगले साल हम बजट की चर्चा सदन में करेंगे और हम यह आंकड़े देखेंगे तो हम यह गर्व से यह कह पाएंगे कि हां जितु पटवारी जी ने जो हमसे मांगा जो हमने उन्हें दिया उसका उन्होंने सदुपयोग किया और एक-एक पैसा युवाओं के कल्याण में लगाया और प्रदेश में उसका कोने-कोने में, गांव-गांव में, गली-गली में, शहर-शहर, कस्बे-कस्बे में सदुपयोग हुआ. मैं यश्पाल जी की कुछ बातें और बता दूं. बदलाव की बात कहीं हां वक्त है बदलाव का और आपको पता है कि प्रकृति चलायमान है जो शिथिल है वह मृतप्राय है. बदलाव तो होता रहता है और होना चाहिए इसमें कुछ बुरा नहीं है और जीवन ही उसका नाम है. बदलाव हुआ नवाचार की बात मंत्री जी करेंगे उठकर बताएंगे कि हमने क्या बदलाव किया यह मैं उनके लिए छोड़ देता हूं. वह लोकप्रिय हैं और समझदार भी हैं. आपने एक बात बहुत ही गंभीर कही जमीन वाली कि कलेक्टर अपनी मनमानी से कहीं भी कुछ भी दे देता है. जो चाहे कर लेता है मैं समझता हूं कि वह पूरी तरीके से गलत है और ऐसा नहीं होना चाहिए अगर कहीं भी जमीनें हैं और अगर विभाग की हैं और उसका बेहतर उपयोग हो सकता है तो कम से कम वहां के स्थानीय जनप्रतिनिधि का सांसद हों, विधायक हों और तमाम हमारे जनप्रतिनिधि हों मैं तो यह भी कहूंगा कि अगर उस क्षेत्र में, उस ब्लॉक में, उस विधान सभा में कोई हमार राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय या कोई ख्याति प्राप्त खिलाड़ी भी है तो उसको भी हमको ऐसे सलाहकार मंडल बनाना चाहिए और उनमें रखना चाहिए. एक बात आपने महाविद्यालय की कहीं आप कह रहे थे कि निजी महाविद्यालय जो आते हैं उनमें विधायक का डायरेक्टर होना चाहिए. मैं माननीय सदस्य को आपके माध्यम से बताना चाहता हूं कि हम एक तरफ तो निवेश की बात कर रहे हैं आपको पता है जब मेडिकल कॉलेज लगता है दूसरे तमाम कॉलेज लगते हैं हमारे बहुत से सदस्य हैं वह भी कॉलेज चलाते हैं कितने करोड़ों का खर्चा उसमें आता है 100 करोड़ लगते होंगे मैं नहीं कहता कि सब जनप्रतिनिधि एक से होते हैं लेकिन कुछ अनुभव रहा है कि कभी कभी टकराव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है और डायरेक्टर तो एक तरह से बल्कियत में आ जाता है उसका एक अहम रोल होता है तो मैं समझता हूं कि डायरेक्टर न बनाया जाए क्योंकि पूंजी उनकी है लेकिन हां परामर्शदात्री भूमिका में जरूर विधायक को जनप्रतिनिधि को रखना चाहिए ताकि उसकी दिशा सही हो सके. क्योंकि शासन की मंशा अंततोगत्वा यह है कि अंत्योदय का कल्याण हो. सबसे पिछड़ा, वंचित, शोषित जो हमारा छात्र है, युवा है उसे वह मिले जो उसे मिलना चाहिए. मैं यशपाल जी की बात से सहमत हूं कि कॉलेज हैं लेकिन उनके भवन नहीं है. कॉलेज कहीं स्कूल के भवन में चल रहा है, कहीं पर किसी और प्रकार से चल रहा है. यह बहुत ही दुखदायी बात है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मेरा आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन है कि वे यह सुनिश्चित करें जिससे हम किसी भी मद से भवनों की व्यवस्था करवा सकें और मैं आपके माध्यम से अपने विपक्ष के साथियों से भी निवेदन करना चाहूंगा कि केंद्र से भी बहुत-सी सहायता हमें इसमें मिल सकती है. पहले जब हमारी सरकार केंद्र में थी, जब मनमोहन सिंह जी प्रधानमंत्री थे तब BRGF (Backward Regions Grant Fund) और तमाम् दूसरे मद हमने इस हेतु बना रखे थे. BRGF को आप लोगों ने समाप्त कर दिया. यदि ऐसे मद होते तो हमें उनसे पिछड़े क्षेत्रों में कहीं न कहीं लाभ होता. ऐसा कुछ आप अवश्य करें ताकि जहां-जहां महाविद्यालय स्वीकृत हो चुके हैं, उन्हें हम कम से कम भवन दे पायें.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, बहुत सी महत्वाकांक्षी और अच्छी योजनाओं का उल्लेख हमारे बजट में है जिनका जिक्र मंत्री जी इसमें किया है. उसमें से IUMS एक उदाहरण के रूप में है. जिसके अंतर्गत संपूर्ण विश्वविद्यालय ऑनलाईन और पेपरलैस हो जायेंगे. मैं मानता हूं कि हमारे साथी इससे मुकरेंगे नहीं क्योंकि मोदी जी भी यदि चाहते हैं. डिजिटल इंडिया की बात उन्होंने की है. हमारी सारी व्यवस्थायें पेपरलैस होनी चाहिए, यह सराहनीय है और इसकी प्रशंसा पूरे सदन को करनी चाहिए.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, यदि सभी ध्यान से देखें तो बजट में एक और सराहनीय कदम उठाया गया है. उसमें मुझे वह कॉन्सेप्ट याद आता है, जब हम छोटे हुआ करते थे तो टेलीविज़न पर तो ज्यादा कुछ नहीं आता था लेकिन एक Countrywide Classroom का कॉन्सेप्ट आया था और विश्व में उसकी बड़ी प्रशंसा हुई थी. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आप सुदूर अंचलों में, जहां के बच्चों से कभी इंटरेक्शन नहीं हो सकता, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उन्हें शिक्षा दी जायेगी. न केवल शिक्षा दी जायेगा वरन् द्विस्तरीय संवाद का उसमें उल्लेख किया गया है यानि आप उन बच्चों के साथ इंटरेक्ट करेंगें. यदि कोई शिक्षाविद, प्रोफेसर, विश्व का विशेषज्ञ, आपको कोई शिक्षा दे रहा है तो यह एक अवसर होगा, उन सुदूर अंचलों में बैठे हर एक युवा के लिए कि वह इससे अपनी जिज्ञासा शांत कर सके. यह बहुत ही अच्छा कदम है और इसकी सराहना हम सभी को करनी चाहिए.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, कक्षाओं को हाईटेक और मॉडर्न स्मार्ट क्लास रूम के रूप में विकसित किया जा रहा है. यशपाल जी कह रहे थे कि आपने स्मार्ट फोन के लिए बजट ही नहीं रखा. यह आवश्यक नहीं है कि प्रत्येक युवा को हम स्मार्ट फोन उसके हाथ में दें अपितु इसके स्थान पर उन क्लास रूम को हम स्मार्ट बना सकते हैं. वहां उन सारी तकनीकों जैसे- ऑडियो-वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की व्यवस्था, आईपैड, लैपटॉप आदि रख सकते हैं जो उस महाविद्यालय की संपत्ति होगी और एक छात्र के शिक्षा पूर्ण कर चले जाने पर, जब दूसरा छात्र वहां आये तो उसके भी उपयोग में ये सुविधायें आ सकें. मैं मानता हूं कि यह बहुत प्रशंसनीय है. इसकी भी हम सराहना करते हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, महाविद्यालय की अधोसंरचना को विकसित करने के लिए भी इसमें कदम उठाये गए हैं. मंत्री जी ने इसका भी ध्यान रखा है इसके अतिरिक्त एक विशेष जो अच्छी चीज हैं, जिसका मैं जिक्र करना चाहूंगा कि खेल के मैदान और उपकरणों से सुसज्जित कक्षाओं को वित्तीय राशि उपलब्ध करवाने के लिए एक वृहद् योजना तैयार की जा रही है. अर्थात् स्पेसिफिकली आप उस पर फोकस करके एक स्पेशलाइजे़शन पर जोर दे रहे हैं. मैं पुन: विवेकानंद जी को कोड करके कहना चाहूंगा-
''तुम फुटबॉल के जरिये स्वर्ग से ज्यादा निकट हो सकते हो,
बजाय गीता अध्ययन करने के''
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, युवा जीवन के उस मोड़ पर होता है कि उसे खेलने की बहुत आवश्यकता होती है. उसके पूरे व्यक्तित्व का विकास कब होगा ? तभी होगा जब उसका मन भी स्वस्थ होगा और शरीर भी स्वस्थ होगा. इसलिए इसकी प्रशंसा करना आवश्यक है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं केवल कुछ विशेष योजनाओं को रेखांकित करके अपना स्थान ग्रहण करूंगा. एक और अच्छी पहल हमारे मंत्री जी ने इसमें की है जिसके तहत शैक्षणिक पाठ्यक्रम के औद्योगिक नवाचार किया जा रहा है. चाहे PSC हो या UPSC हो, हमारे यहां अक्सर प्रतिभायें होती हैं लेकिन उन्हें सही कोचिंग नहीं मिलने के कारण उनकी प्रतिभा का हनन हो जाता है. कोटा इस मामले में बहुत विख्यात है. कोटा में कोचिंग का पूरा एक उद्योग ही है. दिल्ली में भी बहुत अच्छी कोचिंग है. हमारे प्रदेश के चयनित ऐसे ही कुछ युवाओं को राज्य सरकार द्वारा प्रायोजित करके उन्हें कोचिंग के लिए भेजा जायेगा और शासन यह सुनिश्चित करेगा कि उन्हें सही मार्गदर्शन मिले और हमारे क्षेत्र के लोग भी IAS एवं IPS में जायें और हमारे क्षेत्र का नाम रोशन करें.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, एक और बहुत अच्छी पहल है जिसके तहत पोर्टल श्रृंखला विकसित की जा रही है. करियर काउंसलिंग भी ऐसा एक विषय है जिस पर आपकी सरकार ने भी अच्छा काम किया और उस पर बहुत विचार भी हुआ और चर्चा भी हुई लेकिन कैंपस प्लेसमेंट एक ऐसा विषय है जिस पर काफी वर्षों से केवल प्राइवेट क्षेत्र का ही एकाधिकार बना हुआ है. यहां इसकी आवधारणा रखी गई है और इसके माध्यम से कैंपस प्लेसमेंट के लिए व्यवस्था होगी. इस संबंध में मेरा एक सुझाव है कि हमारे उद्योग हर क्षेत्र में हैं. जब हमारी विधान सभा या लोकसभा में उद्योग स्थापित होते हैं तो वे रोजगार का सृजन करते हैं. हमारे नए बच्चे जो ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट हो रहे हैं तो फिर उन स्थानों पर वे उद्योग कैंपस प्लेसमेंट के लिए क्यों नहीं आते हैं ? वे कंपनियां वहां क्यों नहीं आती हैं ? क्यों नहीं, उसी क्षेत्र के मेरिट में आने वाले युवाओं को वहां रोजगार दिया जाता है. मेरे विचार से इस पर ध्यान दिया जाना चाहिए.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, छात्रसंघ चुनावों का जिक्र भी आपने किया है और मेरे ख्याल से ये होने भी चाहिए क्योंकि हम सब कहीं न कहीं अगर देखें तो हमने छात्र जीवन से ही राजनीति में प्रवेश किया है और वह हमारी पाठशाला होती है. यह एक अहम निर्णय है जो आप ले रहे हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, राष्ट्रीय ज्ञान आयोग की सिफारिशों को मध्यप्रदेश के समस्त विश्वविद्यालयों में लागू किया जा रहा है. जिसकी प्रशंसा होनी चाहिए. एक और बहुत महत्वपूर्ण चीज़ का मैं जिक्र करना चाहता हूं कि प्रदेश के समस्त महाविद्यालयों में अध्ययनरत् विद्यार्थियों को वृहद् वृक्षारोपण के लिए प्रेरित किया जा रहा है. एक अभियान ''धरती के श्रृंगार का'' गुरू पूर्णिमा के दिन माननीय मंत्री जी ने प्रांरभ किया है. यह हमारे लिए प्रेरणा का स्त्रोत है. हम बार-बार बात करते हैं क्लीन-एनर्जी, ग्रीन-एनर्जी लेकिन अगर जीवन की उस अवस्था में युवाओं के मानस में यदि यह बीजारोपण कर दिया जायेगा कि जीवन तभी है जब वृक्ष हैं, वर्षा तभी है जब वृक्ष हैं तो वह युवा आगे जाकर इस बात को हमेशा याद रखेगा. इसके लिए मैं आपको धन्यवाद देना चाहता हूं. मेरे ख्याल से कुल मिलाकर इस भाव को यह बजट प्रदर्शित करता है-
''भय नहीं भूख नहीं राग नहीं द्वेष नहीं
जीवन नहीं मृत्यु नहीं तुझे किसका डर है
तू तो अमृत की संतान है''
यह संदेश इस प्रदेश और देश में हमारे जितु पटवारी जी का बजट लेकर आया है. माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं आपका बहुत आभारी हूं कि आपने मुझे बोलने का समय दिया, धन्यवाद.
श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल (मुड़वारा)- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं मांग संख्या 43 एवं 44 में अनुदान की मांगों के विपक्ष में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं. शुरूआत माननीय मंत्री जी की एक पहल से करना चाहूंगा कि जब इस अनुदान मांग को मैं देख रहा था तो एक साफ बात मुझे दिखी कि कुल प्रावधानों का प्रतिशत हर जगह उल्लेखित किया गया है. इससे हमें यह समझने में सहायता मिली कि कुल बजट प्रावधान का कितना प्रतिशत किस मद में खर्च हो रहा है. इसके लिए मैं उन्हें बधाई देना चाहूंगा और इसे देखने से मुझे जो एक-दो बातें समझ में आयीं, उन पर मैं मंत्री जी से अनुरोध करूंगा. एक ओर प्रचार-प्रसार का प्रावधान, कुल प्रावधान का 25.42 प्रतिशत बताया गया है जो किताब में प्रिंट है उसे ही पढ़कर मैं बोल रहा हूं. मुझे लगता है कि यह प्रावधान ज्यादा है क्योंकि पिछली बार 19.51 प्रतिशत था जो कि पिछली बार से बढ़कर इस बार 25.42 प्रतिशत बताया गया है. इसकी ओर ध्यान दिया जाये.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, दूसरी ओर पारितोषित, पुरस्कार आदि पर बजट में कोई प्रावधान नहीं है. हम खेल में खिलाडि़यों के उत्साहवर्धन के लिए अधिकांशत: उनके कई कार्यक्रम आयोजित करते हैं और उन्हें पारितोषित देते हैं तो इस ओर भी ध्यान देने का निवेदन है. शिक्षा विभाग में सबसे महत्वपूर्ण बात अभी यशपाल जी ने कही थी, मैं चाहूंगा कि हर विभाग को इस बात पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि अभी पिछले कार्यकाल मे मेरे यहां एक महिला महाविद्यालय के लिए भवन की स्वीकृति प्रदान की गई लेकिन उसके लिए जगह ढूंढने में हमें बहुत परेशानी हुई. गांव में पंचायत स्तर पर जब हम जाते हैं और वहां के बच्चे यदि खेल मैदान हमसे मांगते हैं तो गांव में कई स्थानों पर जगह ही नहीं बची है. कई स्थानों पर स्थिति यह है कि वहां श्मशान घाट के लिए भी जगह नहीं है. स्कूल, खेल मैदान, अस्पताल किसी के लिए जगह नहीं है. मैं चाहूंगा कि शासन स्तर पर एक कड़ा निर्णय लेते हुए स्कूल, खेल मैदान, अस्पताल इत्यादि के लिए जहां-जहां स्थान रिक्त हों, उन स्थानों को आरक्षित कर दिया जाये और उनके साथ कोई खेल न हो. इसी तरह भवन जब स्वीकृत होते हैं. मैं अपने यहां के एक शासकीय तिलक महाविद्यालय का उदाहरण देना चाहूंगा. आप तौर पर सरकार के निर्णय, विधान सभा के माध्यम से और केबिनेट के माध्यम से जो भी होते हैं, उसमें ड्राईंग, डिजाइन तकनीकी अधिकारियों के माध्यम से बनायी जाती है. अब चाहे स्कूल का मामला ले लें या कॉलेजेस् का मामला ले लें. देखने में यह आता है कि हमारे यहां पर तिलक कॉलेज में एक बिल्डिंग बनी हुई थी, वहां पर एक आर्टस् के लिये बिल्डिंग बनायी और उसके बगल में एक कॉमर्स के लिये बिल्डिंग बनायी. आर्टस् बिल्डिंग के बगल में जो पिलर है तो हमने कहा कि आप उससे आगे बढ़ जाइये तो उन्होंने कहा कि नहीं इस बिल्डिंग की ड्राईंग, डिजाइन हमारे पास नहीं है. फर्स्ट फ्लोर पर तो जाने की ही नहीं सोचते हैं.
अब गर्ल्स कॉलेज के लिये पांच एकड़ की जगह मिली है तो हमने वहां पर ऑडीटोरियम की बात की तो आप आश्चर्य मानेंगे कि 3000 बच्चियों के कॉलेज में, जो डीपीआर बनाया गया वह मात्र 150 बच्चियों के बैठने के लिये बनाया गया है. यह सोच हमारे यहां के अधिकारियों की है. उसके बाद जब बात की गयी तो उस ऑडीटोरियम में बैठने की संख्या 500 बच्चियों की करने की डीपीआर बनायी गयी, जहां पर 3000 बच्चियां हैं. हमारे यहां पर तिलक कॉलेज में एक लेब बनी है, उसका प्लेटफार्म 15 इंच का है, बच्चा कहां पर परखनली रखेगा और प्रयोगशाला में वह बच्चा क्या काम करेगा. हमें इस सोच को बदलना पड़ेगा, कम से कम खेल मैदान के हिसाब से.
हमें भविष्य की 25-50 साल की जरूरतों के हिसाब से, क्या हम फर्स्ट फ्लोर पर निर्माण नहीं कर सकते हैं, जब ग्राऊॅंड फ्लोर का निर्माण होता है तो उसमें लोहा इतना प्रस्तावित किया जाता है, उसमें जी प्लस थ्री की बिल्डिंग बनायी जायेगी. जब हम फर्स्ट फ्लोर का निर्माण करने जाते हैं, तो वह कहते हैं कि पहले तो एजेंसी दूसरी थी. हमें नहीं मालूम कि इसमें फर्स्ट फ्लोर कैसे बनेगा और बगल के मैदान में एक और बिल्डिंग बना देते हैं. आप ग्रामीण क्षेत्र में चाहे जहां पर दौरा कर लीजिये. अधिकांश विधायक ग्रामीण क्षेत्र में देख लें कि स्कूलों के बड़े-बड़े मैदानों में आपको इस कोने में एक कमरा और दूसरे कोने में दूसरा कमरा और कॉलेज में इस तरफ एक कमरा और दूसरी तरफ एक कमरा.
सभापति महोदया, इसी तरह से खेल मैदान की योजना आयी तो 1-1 करोड़ रूपये के खेल मैदान बने. मैं पिछली बार गया तो मैंने कहा कि हम हर जगह यह उम्मीद नहीं कर सकते कि क्रिकेट का ग्राऊंड अलग हो, हॉकी का अलग हो और फुटबाल का ग्राऊंड अलग हो. आप अगर कहीं पर ग्राऊंड बना रहे हैं और कहीं पर जगह ज्यादा मिलती है, मैंने कटनी में 30 एकड़ जगह ढूंढी और मैंने कहा कि मैं इसको एक छोटा सा खेल गांव बनाना चाहता हूं, जहां क्रिकेट, बेडमिंटन, स्विमिंगपूल भी हो, सारी चीजें हों, लेकिन मैं थक गया और उन्होंने कहा कि हम सात एकड़ का ही बनायेंगे और इस सात एकड़ के नक्शें में चेंज नहीं करेंगे. आज स्थिति यह है कि उसमें वह कहीं बॉस्केट बाल का प्रावधान कर रहे हैं. अगर उसी को वह 12-13 एकड़ का कर देते तो वहीं क्रिकेट भी होता, वहीं फुटबाल और वहीं हॉंकी भी होती.
हम जानते हैं कि शासन सब जगह सब मैदान नहीं दे सकता है, लेकिन आप यदि एक मैदान दे रहे हैं तो उसको इतना बड़ा तो बना दो, उसमें एक करोड़ रूपये की जगह सवा करोड़ रूपये लगता और भविष्य में गैलरियां भी कम्प्लीट हो जातीं. आप इस तरह के प्रावधानों पर भी विचार करें कि कम से कम कहीं अगर जगह उपलब्ध है और सारे खेलों के लिये एक बड़ा मैदान बन सकता है तो उसके बारे में भी विचार किया जाये.
उपाध्यक्ष महोदया, जब हम कॉलेज की मांग करते हैं तो कई बार किलोमीटर की दूरी बता दी जाती है. कई जगह ऐसी होती हैं कि वहां आवागमन के साधन बहुत सुलभ होते हैं, उसको दूरी में नहीं बांटा जा सकता है. मैं मंत्री जी से अपने विधान सभा क्षेत्र के बारे में निवेदन करना चाहता हूं कि हमारे यहां पर दो सेंटर निवार और कनवारा ऐसे हैं, जिसक चारों और ग्रामीण क्षेत्र लगा हुआ है और वहां से बहुत बड़ी संख्या में बच्चों को कटनी आना पड़ता है. मैं कटनी के निवार और कनवारा में एक-एक महाविद्यालय की स्वीकृति चाहूंगा और जहां भी भवन निर्माण हो रहे हैं वहां ठेकेदार के माध्यम से, बच्चों के माध्यम से और ठेकदार की सुविधा से वृक्षारोपण को अनिवार्य रूप से कराया जाय. ताकि जब कॉलेज बिल्डिंग तैयार हो तो साथ में वहां हमें वृक्ष भी मिल सकें.
खेल विभाग में अधिकांश खेलों की एक एकेडमी खोली गयी है. यह हमारा दुर्भाग्य कह दें या किन्हीं कारणों से पॉलिसी कह लें, एक-एक शहर में 15-15 एकेडमी हैं और बाकी छोटे-छोटे शहर खेल एकेडमी के लिये तरस रहे हैं. मैं मानता हूं कि साधनों का कारण हो या कुछ अन्य कारणों से, ऐसा हो रहा हो. लेकिन क्या इनकी सब-ब्रांचेंस नहीं खोली जा सकती हैं, नियमों में प्रावधान करते हुए ? आज आप क्रिकेट से लेकर हर खेल देख लीजिये, अब वह समय गया कि सिर्फ बड़े शहरों से ही बच्चे खिलाड़ी बनेंगे. अब तो छोटे-छोटे शहरों से क्रिकेटर और अन्य खेलों में भी खिलाड़ी सामने आने लगे हैं. लेकिन हम अगर उनको छोटे क्षेत्रों में सुविधाएं नहीं देंगे तो कैसे काम बनेगा.
मेरा कहना है कि एकेडमी के लिये सब-एकेडमी का प्रावधान किया जाये. इसी तरह से जब खिलाड़ी सफल होता है तो उसको बहुत श्रेय मिलता है, लेकिन उसके कोच को उतना श्रेय नहीं मिल पाता है कि उसका कोच कौन है. हमारे यहां पर शायद प्रावधान यह है कि शायद कोच की नियुक्ति एक साल के लिये की जाती है. कोच को बच्चे को ही तैयार करने में 2- 3 और 4 साल का समय लगता है तो कोच की नियुक्ति का जो पीरियड है, उसको बढ़ाने के बारे में भी विचार करने का मंत्री जी कष्ट करें. खिलाड़ी जब अच्छी सफलता पाता है तो उसके साथ-साथ कोच को भी उत्साहवर्धन हेतु पुरस्कार दिया जाये. अभी हमारे यहां पर डे-बोर्डिंग और फाईन्डिग सेंटर के प्रावधान हैं, कटनी में एक हॉंकी का फाईन्डिग सेंटर भी है. लेकिन ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले बच्चों के आवागमन के लिये और उनके दिन-भर रहने में उनके भोजन के लिये उसमें प्रावधान नहीं है. उस संबंध में भी चाहूंगा कि यदि हॉस्टल यदि जिला स्तर पर खुलने लगें तो उससे भी हमें फायदा मिलेगा. ग्रामीण क्षेत्रों से और मध्यम शहर के क्षेत्रों से भी हमें ज्यादा खिलाड़ी मिलने लगेंगे. यदि हमें खेल और खिलाड़ी चाहिये तो उसके लिये स्कूल, खेल संघ और खेल विभाग इन तीनों के बीच में सामन्जस्य होना अत्यंत आवश्यक है. मैं चाहूंगा कि इसको खेल विभाग से जोड़ते हुए इसको एक साथ इनका आयोजन किया जाये, जिससे हम ज्यादा अच्छे ढंग से खेल आयोजित कर सकेंगे. एक विधायक का जो कोटा है उसमें 30 और 50 हजार रूपये की राशि का प्रावधान है. मुझे लगता है कि किसी भी प्रकार के टूर्नामेंट के आयोजन के लिये यह राशि अत्यंत कम है. मैं चाहूंगा कि इस राशि को कम से कम पांच लाख रूपये किया ताकि एक अच्छे स्तर पर खेल टूर्नामेंट का आयोजन हो सके.
पशुपालन मंत्री(श्री लाखन सिंह यादव):- आप 15 साल में 30 हजार रूपये ही कर पाये और 6 महीने में 5 लाख रूपये की मांग करने लगे.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा:- मंत्री जी, आप लाखों रूपये का कर्जा माफ कर रहे हैं, इसलिये हम लाखों में मांग रहे हैं.
श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल:- यदि आपको 15 साल का अच्छा लगता है फाईन्डिग तो आप फिर वैसे ही चलते रहो.
श्री कुणाल चौधरी :- इनको भी 15 साल का बुरा लग रहा है तो आपको भी बुरा लग रहा है, यह बात सही है.
श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल:- निरन्तर विकास की प्रक्रिया चलती है. आप और कितना अच्छा करते हो, यह आपके ऊपर है. ग्रीष्मकालीन प्रशिक्षण शिविर में जो अच्छे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी उपलब्ध हों, उनको छोटे क्षेत्रों में प्रशिक्षण के नियुक्त किया जाये. विधायकों को इन्डोर गेम और आउॅट डोर गेम्स के लिये भी राशि का प्रावधान किया जाये. यदि विधायक कहीं पर जाते हैं तो वह खेल सामग्री का वितरण, जिम इत्यादि की मशीनों का वितरण कर सकें. मंत्री जी शासकीय तिलक महाविद्यालय में एलएलबी और बीएड का कोर्स प्रारंभ कराने की अनुमति प्रदान करने की अनुमति प्रदान करें. क्योंकि यह कोर्स प्रायवेट कॉलेज में होने के कारण बच्चों के ऊपर बहुत खर्च आता है और शासकीय कॉलेज खोलते समय यह न देखा जाये कि वहां पर प्रायवेट कॉलेज है. प्रायवेट कॉलेज की फीस और शासकीय कॉलेज की फीस में बहुत अंतर होता है. निवार और कनवारा में कॉलेज और शासकीय तिलक महाविद्यालय में एलएलबी और बीएड की क्लासेस् के संबंध में अनुरोध करूंगा. आपने समय दिया उसके लिये धन्यवाद.
श्री लक्ष्मण सिंह (चाचौड़ा):- उपाध्यक्ष महोदया, धन्यवाद. आज की कार्य सूची बहुत लम्बी है. मैं केवल कुछ बिन्दुओं पर प्रकाश डालकर अपना भाषण समाप्त करूंगा. राजवर्धन ने बहुत अच्छा संबोधन दिया है और बहुत विस्तृत जानकारी उन्होंने दे दी है और अगली मांग संख्या में मेरा भतीजा मेरी तरफ देख रहा है कि काका लंबा नहीं बोल तो फिर मैं बालूं. मैं बहुत जल्दी अपना भाषण समाप्त कर दूंगा.
मैं जो मांग संख्या जितु पटवारी जी के मंत्रालय की है उनका समर्थन करता हूं और उनको बधाई देता हूं कि जो विश्व बैंक परियोजना है, उसमें उन्होंने 200 महाविद्यालयों के लिये 1875 करोड़ रूपये का प्रस्ताव अनुमोदित किया है और 153 कम्प्यूटर प्रयोगशाला, 2000 स्मार्ट क्लासेस् , 200 लैंग्वेज लैब तथा 200 ई-लायब्रेरी बनाने की योजना रखी है. वह बधाई के पात्र हैं, जो अनुदान मांगें हैं उसके पृष्ठ 38-1 आपने छात्रवृद्धि की राशि बढ़ायी है.
श्री लक्ष्मण सिंह--छात्रवृत्ति की राशि आपने बढ़ाई है वह कम बढ़ाई है. छात्रवृत्ति की राशि 1 करोड़ 12 लाख है उसको और बढ़ायें, क्योंकि छात्रवृत्ति एक ऐसी चीज है जिससे गरीब छात्र का मनोबल बढ़ाती है इसलिये उसको बढ़ाना आवश्यक है. दूसरी एक योजना निजी विश्वविद्यालय खोलने की अनुमति देते हैं और उनकी बहुत आवश्यकता है. ग्वालियर से लेकर इंदौर तक कोई निजी विश्वविद्यालय नहीं है वहां एक बड़ा एरिया खाली पड़ जाता है वहां राजस्थान भी लगा है वहां से भी बहुत सारे छात्र आ सकते हैं अगर बीच में कहीं यह खुले. सबसे उपयुक्त स्थान रहेगा चाचौड़ा क्योंकि नेशनल हाईवे नंबर 3 के दोनों तरफ की विधान सभा का क्षेत्र लगभग 40-50 किलोमीटर तक चला जाता है राजगढ़ जिले तक वहां पर्याप्त शासकीय भूमि है वहां पार्वती नदी पर 3-4 बांध प्रस्तावित है, पानी की कमी नहीं है. वहां बहुत सारे छात्र पिछड़े क्षेत्र के हैं, वह पढ़ नहीं पाते हैं उनको वहां पर शिक्षा का अवसर मिलेगा. एक केन्द्र सरकार की अच्छी योजना है राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान रूसा इसमें जहां तक मुझे ज्ञान है यह योजना 2020 में समाप्त हो जायेगी. तो इसका लाभ लेना चाहिये यह योजना महाविद्यालयों के अधोसंरचना विकास के लिये है इसका लाभ लेते हुए आप केन्द्र सरकार से मांग करें उसमें आप जितनी राशि ला सकें. इस योजना से जो पिछड़े क्षेत्र के महाविद्यालय हैं जिसमें एक मेरे विधान सभा क्षेत्र का बीनागंज कालेज भी आता है, इनको जोड़ें. नवीन महाविद्यालय खुलवाने के लिये जायसवाल जी ने कहा मैं उनसे सहमत हूं. एक मधुसूदनगढ़ मेरे विधान सभा क्षेत्र में है जो जिला मुख्यालय से लगभग 100 किलोमीटर के ऊपर है. वहां कोई महाविद्यालय नहीं है, वहां महाविद्यालय खुलवाएं. हमारे जो शासकीय कॉलेज हैं इनको पी.पी.पी. मॉडल पर चलवाएं. शासकीय कॉलेज में फीस देने में कोई परहेज नहीं है, थोड़ी बढ़ा भी देंगे तो चलेगा. समस्या यह आती है कि लोगों को शहरों में मकान किराये पर लेकर बच्चों को पढ़ाना पड़ रहा है, जिससे उनका खर्चा बहुत हो रहा है बहुत सारे बच्चे तो शहर में कमरा लेकर नहीं पढ़ पाते तो वह सब शिक्षा से वंचित हो जाते हैं. इसलिये हमारे जो शासकीय महाविद्यालय हैं वहां सारी सुविधाएं एवं वर्ल्ड बैंक की योजनाएं बतायी हैं वहां टेलिकांफ्रेंसिंग जैसी सुविधाएं शासकीय महाविद्यालय में देंगे तो यह जो दूरी है, यह कम हो जायेगी. एक स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम होते हैं अच्छे प्रायवेट कालेज उसके अंतर्गत छात्रों को विदेश भेजते हैं तथा विदेशी छात्र हमारे यहां पर आते हैं उनका परिचय होता है, यह व्यवस्था आप कराइये, नहीं है तो इसके लिये बजट का प्रावधान मांगिये. कांउसिंलिंग एवं प्लेसमेंट, काउसिंलिंग की व्यवस्था कुछ कालेज में है, लेकिन जहां पिछड़े क्षेत्र में महाविद्यालय हैं वहां पर काउसिंलिंग की व्यवस्था नहीं है. छात्र पढ़ लेते हैं, उनको पता नहीं रहता है, क्या करना है. वह हम लोगों को कहते हैं कि साहब नौकरी दिला दो. एक काउसिंलिंग होना चाहिये जिससे कि उनका माइंड फोक्स हो उन्हें पता रहे कि मुझे यह करना है और मुझे वहां पहुंचना है, तो वह पहुंचने का प्रयास करेगा. कालेज में प्लेसमेंट की व्यवस्था भी होना चाहिये. बच्चे पढ़-लिख जाते हैं वह नौकरियों के लिये भाग जाते हैं वहीं कंपनियां जायें और वहीं पर प्लेसमेंट हों जिससे कि उनको इधर-उधर नहीं भागना पड़े.
उपाध्यक्ष महोदया, हमारे यहां हरियाणा पेटर्न पर स्पोर्ट्स फेसीलिटी डेवलप करना चाहिये. हरियाणा ने देश में सबसे ज्यादा गोल्ड मेडल ओलम्पिक में हमारे यहां पर लिये उसी पेटर्न पर हम लोग भी प्लानिंग करें. स्पोर्ट्स अकादमी निजी क्षेत्र में जो हम कारपोरेशन विजन की बात कर रहे हैं इसमें इसका हम लाभ लें और निजी क्षेत्र में स्पोर्ट्स अकादमी को आमंत्रित करें. एक हमारे राघोगढ़ का प्रतिभाशाली क्रिकेट खिलाड़ी है उसका इंग्लैड में काउंटी क्रिकेट में उस बच्चे का नाम संजय सेनी उसको इंग्लैड जाने के लिये वीजा नहीं मिल पाया तो वह बच्चा बहुत निराश है. मैं चाहूंगा कि उस बच्चे को वीजा दिलायें उसको बाहर भेजें. ऐसे बहुत प्रतिभाशाली छात्र प्रदेश में हैं जिनका राजवर्धन सिंह जी ने भी उल्लेख किया है. इन छात्रों का चयन हो उनके लिये एक प्लेटफार्म हो. ऐसे बहुत सारे छात्र हैं जिनका कोई कान्टेक्ट नहीं है. उसमें ऐसा कोई प्लेटफार्म बनाइये जिससे वहां वह कलेक्टर के थ्रू हो या खेल अधिकारी के थ्रू हो, ऐसे बच्चों को हमक