मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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चतुर्दश विधान सभा एकादश सत्र
जुलाई, 2016 सत्र
गुरूवार, दिनांक 21 जुलाई, 2016
(30 आषाढ़, शक संवत् 1938)
[खण्ड- 11 ] [अंक- 3 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
गुरूवार, दिनांक 21 जुलाई, 2016
(30 आषाढ़, शक संवत् 1938)
विधान सभा पूर्वाह्न 11.01 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
एम.पी.आर.डी.सी. द्वारा अवैध टोल वसूली
1. ( *क्र. 585 ) श्रीमती ममता मीना : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) गुना से अशोकनगर रोड के निर्माण का प्रारंभ बिन्दु तथा अंतिम बिन्दु क्या है? प्रारंभ बिन्दु एवं अंतिम बिन्दु अर्थात् ओरीजन पाईन्ट तथा डेस्टीनेशन पाईंट क्या निर्धारित थे? (ख) क्या उक्त ओरीजन पाईन्ट से डेस्टीनेशन पाईन्ट तक कार्य पूर्ण हो गया है? कार्य पूर्ण होने का दिनांक बतायें। (ग) उक्त मार्ग पर टोल वसूली प्रारंभ करने का दिनांक बतायें। क्या उपर्युक्त दोनों बिन्दुओं अनुसार कार्य पूर्ण न होने की स्थिति में टोल वसूली की जा सकती है? यदि हाँ, तो नियम बतायें। यदि नहीं, तो अवैध वसूली प्रारंभ कराने के लिये कौन अधिकारी जवाबदेह है? (घ) जवाबदेह अधिकारी के विरूद्ध विभाग द्वारा कब तक जाँच कर कार्यवाही पूर्ण की जावेगी?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री रामपाल सिंह ) : (क) म.प्र. सड़क विकास निगम के अंतर्गत गुना अशोकनगर-ईसागढ़ मार्ग (एस.एच. 20) को विकसित करने का कार्य बी.ओ.टी. (टोल) योजना में किया जा रहा है। इस मार्ग का प्रारंभ बिन्दु (ओरीजन पाईन्ट) गुना अशोकनगर मार्ग का कि.मी. 2+000 गुना पुलिस स्टेशन के पास एवं मार्ग का अंतिम बिन्दु (डेस्टीनेशन पाईन्ट) अशोकनगर-ईसागढ़ मार्ग के कि.मी. 35+150 पर ईसागढ़ कस्बे में तिराहे तक (परियोजना का कि.मी. 78+150) निर्धारित है। (ख) जी नहीं, ओरीजन एवं डेस्टीशन पाईंट तक कार्य पूर्ण नहीं हुआ है। गुना-अशोकनगर-ईसागढ़ मार्ग का कार्य अनुबंधानुसार दो सेक्शनों में पूर्ण किया जाना था, मार्ग के प्रथम सेक्शन (कि.मी. 2+000 से 44+710 तक) का कार्य 75 प्रतिशत पूर्ण होने पर अनुबंधानुसार प्रोविजनल कम्पलीशन प्रमाण-पत्र स्वतंत्र इंजीनियर द्वारा दिनांक 23.12.2014 को जारी किया गया। मार्ग के द्वितीय सेक्शन (कि.मी. 44+710 से 78+150 तक) का कार्य 75 प्रतिशत पूर्ण होने पर प्रोविजनल कम्पलीशन प्रमाण-पत्र दिनांक 22.03.2016 को जारी किया गया। (ग) मार्ग के प्रथम सेक्शन (कि.मी. 2+000 से 44+710 तक) में टोल वसूली दिनांक 23.।2.2014 एवं द्वितीय सेक्शन (कि.मी. 44+710 से 78+150 तक) में टोल वसूली दिनांक 22.03.2016 से प्रारंभ की गई है। जी हाँ, सेक्शन 75 प्रतिशत कार्य पूर्ण होने पर प्रोविजनल कम्पलीशन प्रमाण-पत्र जारी होने पर अनुबंध के क्लॉज 14.3.2 के अनुसार टोल वसूली की जा सकती है। अनुबंध के क्लॉज 14.3.2 की छायाप्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। वसूली नियमानुसार की जा रही है। अवैध वसूली का प्रश्न ही उत्पन्न नहीं होता है। (घ) टोल वसूली का कार्य नियमानुसार किया जा रहा है। अत: जाँच एवं कार्यवाही का प्रश्न उत्पन्न नहीं होता है।
श्रीमती ममता मीना-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न बहुत गंभीर है, मैं आपसे संरक्षण चाहूंगी. माननीय अध्यक्ष जी, माननीय मंत्री जी ने जो जवाब दिया है कि 75 प्रतिशत रोड बन गया है, मैं इस बात से सहमत हूं कि बन गया है, लेकिन साथ में जो रोड है गुना कोतवाली से लेकर अशोकनगर तक का प्रथम फेज में और दूसरा रोड है अशोकनगर से ईशागढ़. अब जबकि शुरूआत में जो कोतवाली से लेकर हवाई पट्टी तक रोड की ऐसी स्थिति है कि लोग मोटर साइकिल, कार तो छोड़ो, पैदल चलना भी मुश्किल है, आये दिन दुर्घटनायें होती हैं, उस 7-8 किलोमीटर रोड की बहुत खराब कंडीशन है.
अध्यक्ष महोदय-- आप प्रश्न करें.
श्रीमती ममता मीना-- माननीय अध्यक्ष जी, मेरा यही प्रश्न है और इसके अलावा अशोक नगर से ईशागढ़ है 10 किलोमीटर रोड उधर नहीं बनाई और शुरूआत में 8 किलोमीटर रोड का काम इधर बंद पड़ा है, जबकि लगातार टोल वसूली हो रही है. माननीय अध्यक्ष महोदय, 19 महीने हो गये रोड का काम बंद हुये और अभी तक कार्य प्रारंभ नहीं हुआ और लगातार टोल वसूली की जा रही है और दिन में अगर लोग 4 बार निकलते हैं तो 4 बार टोल वसूली होती है. मेरा यह कहना है कि एक तो 10 किलोमीटर उधर और 8 किलोमीटर इधर, दो साल से यह रोड का काम बंद पड़ा है एक तो रोड जल्दी बन जाये और तब तक टोल वसूली बंद होना चाहिये.
श्री रामपाल सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा माननीय विधायक जी ने बताया है गुना, अशोकनगर, ईशागढ़ बीओटी योजना में यह सड़क बनाई जा रही है, यहां 75 प्रतिशत कार्य होने से यह टोल प्लाजा शुरू हो गया है. दूसरा उन्होंने जो बताया है हवाई पट्टी वाला रोड है हनुमान चौराहे से, यह अनुबंध में नहीं था, लेकिन वास्तव में वहां से आने जाने वालों को, चूंकि यह इनकी विधानसभा क्षेत्र में आता है तो यह जो हिस्सा है इस हिस्से को, माननीय अध्यक्ष जी विधायक जी की चिंता है तो इस रोड को हम दूसरी योजना में लेकर बनवा देंगे.
श्रीमती ममता मीना-- माननीय अध्यक्ष जी, यह उसी में ही है. एक तो माननीय मंत्री जी सही तरीके से इसका परीक्षण करा लें और जब तक वह रोड न बने तब तक जिन लोगों से टोल लिया जा रहा है, उनसे टोल न लिया जाये क्योंकि रोड की हालत बहुत जर्जर है और नगर पालिका वाले भी परेशान है, क्योंकि नगर पालिका वाले भी कह रहे हैं कि यह रोड हमारे दायरे में नहीं आ रहा इसलिये हम नहीं बना सकते. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी से आश्वासन चाहती हूं कि रोड का काम जल्दी प्रारंभ हो जायेगा, तब तक टोल बंद रखा जाये.
श्री रामपाल सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, शहर से लगा हुआ जो इलाका है उसको हम दूसरी योजना में लेकर उस सड़क को बना देंगे, बाकी जहां तक टोल का सवाल है तो अनुबंध के हिसाब से 75 प्रतिशत काम वह कर चुके हैं उसमें मैं समझता हूं यह पहले हो चुका है. उसमें मेरा माननीय विधायक जी से आग्रह है चूंकि इसका पहले अनुबंध भी हो चुका है इसमें थोड़ी कठिनाई जायेगी और भी कोई सुझाव आप अच्छा देंगे तो मैं समझता हूं अच्छा रहेगा.
श्रीमती ममता मीना - माननीय अध्यक्ष महोदय, 75 परसेंट काम हो चुका है लेकिन जो 25 परसेंट शेष कार्य बचा है वह पूर्ण हो जाये और जब तक टोल वसूली न हो.
श्री रामपाल सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, 25 प्रतिशत जो काम बचा हुआ है. टोल वसूली में हम जरूर नियमों में बंधे हुए हैं. मैं माननीय विधायक जी से आग्रह करूंगा कि इस मांग पर आप पुनर्विचार कर लें तो अच्छा रहेगा.
श्रीमती ममता मीना - माननीय अध्यक्ष महोदय,25 परसेंट काम शीघ्र पूर्ण करा दें. धन्यवाद माननीय अध्यक्ष जी.
श्री सोहनलाल बाल्मीक - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न भी इसी से लगा हुआ है. यही मामला है एमपीआरडीसी का, बैतूल से परासिया रोड बनाई गई है
अध्यक्ष महोदय - यह उद्भूत नहीं होता.
श्री सोहनलाल बाल्मीक - इसी से जुड़ा हुआ मामला है.
अध्यक्ष महोदय - यह बात ठीक नहीं है.
श्री सोहनलाल बाल्मीक - इसी से जुड़ा हुआ मामला है.रोड का निर्माण नहीं किया गया है.
अध्यक्ष महोदय - यह बिल्कुल ठीक नहीं है. इससे उद्भूत नहीं होता.
श्री सोहनलाल बाल्मीक - उसमें बहुत सारी अनियमितताएं हुई हैं.जबर्दस्ती टोल वसूली की जा रही है.मुझे जवाब दिया गया है 75 परसेंट रोड बना दिया गया है. वह कैसा बना है इसकी जांच कराई जाये.
अध्यक्ष महोदय - यह बात ठीक नहीं है. यह उद्भूत नहीं होता. इनका कुछ नहीं लिखा जायेगा.
श्री सोहनलाल बाल्मीक - (XXX)
अध्यक्ष महोदय - आप समय खराब कर रहे हैं.
माननीय मुख्यमंत्री जी की घोषणा का क्रियान्वयन
2. ( *क्र. 1449 ) श्रीमती नीना विक्रम वर्मा : क्या उच्च शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा 10 जनवरी 2016 को धार में आम सभा को संबोधित करते हुए शासकीय कन्या महाविद्यालय धार में स्नातकोत्तर कक्षाएं तथा पीथमपुर महाविद्यालय में वाणिज्य संकाय इसी सत्र जुलाई 2016 से प्रारंभ करने की घोषणा की गई थी तथा घोषणा के संबंध में कलेक्टर धार द्वारा पत्र भी शासन को प्रेषित किया जा चुका है? (ख) क्या घोषणा के क्रियान्वयन के क्रम में प्राचार्य शासकीय कन्या महाविद्यालय धार व महाविद्यालय पीथमपुर द्वारा वांछित जानकारी सहित प्रकरण उच्च शिक्षा विभाग को प्रेषित कर दिया गया है? (ग) क्या घोषणा के अनुरूप इसी सत्र से कन्या महाविद्यालय धार में स्नातकोत्तर कक्षाएं तथा पीथमपुर महाविद्यालय जिला धार में वाणिज्य संकाय प्रारंभ करने हेतु विभाग द्वारा सभी आवश्यक कार्यवाही पूर्ण कर ली जाकर आदेश कर दिये गये हैं? (घ) यदि नहीं, तो कन्या महाविद्यालय धार में स्नातकोत्तरीय कक्षाएं तथा पीथमपुर महाविद्यालय जिला धार में वाणिज्य संकाय कक्षाएं कब से प्रारंभ हो जावेंगी?
उच्च शिक्षा मंत्री ( श्री जयभान सिंह पवैया ) : (क) दिनांक 10 जनवरी, 2016 को धार में आमसभा से संबंधित घोषणा क्रमांक बी 1521 के तहत ''धार कन्या महाविद्यालय को अगले सत्र से स्नातकोत्तर महाविद्यालय में अपग्रेड किया जाएगा।'' की घोषणा प्राप्त हुई। उक्त दिनांक को हुई शासकीय महाविद्यालय पीथमपुर से संबंधित कोई घोषणा उच्च शिक्षा विभाग में प्राप्त नहीं है। (ख) जी हाँ। (ग) शासकीय कन्या महाविद्यालय धार में स्नातकोत्तर की कक्षायें खोले जाने हेतु डी.पी.आर. तैयार कर स्थायी परियोजना परीक्षण समिति के समक्ष विचारार्थ प्रस्तुति हेतु प्रक्रियाधीन है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) प्रश्नांश (ग) अनुसार। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं।
श्रीमती नीना विक्रम वर्मा - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी काफी संवेदनशील हैं और बच्चियों की शिक्षा के लिये बहुत गंभीर हैं. मुख्यमंत्री जी ने 10 जनवरी को धार के गर्ल्स कालेज के अपग्रेड के लिये घोषणा की थी. उसमें कहा गया था कि अगले शैक्षणिक सत्र से उसको अपग्रेड करके पी.जी. में कनवर्ट कर देंगे. अभिभावकों और बालिकाओं में काफी हर्ष था. काफी उत्साहित थे और रिजल्ट के बाद वे लोग प्रतीक्षा करते रहे कि कब हमारा कालेज अपग्रेड होगा. मैं मंत्री जी से पूछना चाहती हूं कि इतना लंबा समय बीत जाने के बाद आज प्रश्न लगा तो यह कहा गया कि समिति परीक्षण कर रही है. क्या मुख्यमंत्री जी की घोषणा के बाद समिति के परीक्षण की आवश्यक्ता है और यदि है तो उसको समय-सीमा में क्यों नहीं किया गया ? घोषणा को गंभीरता से लेकर बच्चियों की शिक्षा को ध्यान में रखते हुए इसको जल्दी से जल्दी स्वीकृत करते हुए पी.जी. कालेज में अपग्रेड क्यों नहीं किया गया. अभी भी समय है बच्चियों की वेटिंग लिस्ट अभी भी वहां कालेज में है. मंत्री जी जल्दी से जल्दी उस कालेज को अपग्रेड कर दें.
श्री जयभान सिंह पवैया - माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारी वरिष्ठ सदस्या की भावनाओं से मैं सहमत हूं और इसमें भी कोई संदेह नहीं है कि माननीय मुख्यमंत्री जी जो घोषणा करते हैं और जो अधिकृत घोषणा विभाग को पोर्टल से प्राप्त होती है उस पर विभाग समय पर अमल करता है और इसलिये मैं उनको आश्वस्त करता हूं कि यह जो स्नातकोत्तर में अपग्रेड करने का मामला है इसमें कोई विलंब नहीं होगा और इसी सत्र से हम इस कालेज में स्नातकोत्तर कक्षाएं शुरू करा देंगे.
श्रीमती नीना विक्रम वर्मा - धन्यवाद मंत्री जी. माननीय अध्यक्ष महोदय, दूसरा मेरा प्रश्न है, मैंने प्रश्न पूछा था पीथमपुर कालेज का, क्योंकि पीथमपुर में मजदूर और गरीब वर्ग बहुत ज्यादा है. वहां माननीय मुख्यमंत्री जी की घोषणा से ही कालेज खोला गया और कालेज खोलने के बाद से खाली उसमें बी.ए. की कक्षाएं थीं. जो कि आज के काम्पटीशन युग में पर्याप्त नहीं है. दो बार मैंने इसके लिये प्रयास किये. एक बार माननीय मुख्यमंत्री जी उद्योग विभाग के भूमि पूजन में आये थे तब भी उन्होंने घोषणा की थी कि वहां कामर्स की क्लासेस शुरू कर देंगे लेकिन किसी कारणवश वह घोषणा पूरी नहीं हो पाई. इसके साथ अभी 10 जनवरी को मुख्यमंत्री जी ने यह घोषणा की थी कि पीथमपुर कालेज में कामर्स क्लासेस जरूर शुरू की जायेंगी लेकिन उस घोषणा के बाद भी क्या विभाग को वह घोषणा प्राप्त हुई है. अगर विभाग को घोषणा प्राप्त नहीं हुई तो विधायक का पत्र विभाग को जरूर गया था तो उस पत्र के जवाब में उन्होंने क्या कार्यवाही की. क्या उन्होंने कलेक्टर से दोबारा संपर्क किया या मुख्यमंत्री जी के कार्यालय में संपर्क किया. अगर किया तो कामर्स की कक्षाएं खोलने की माननीय मुख्यमंत्री जी की घोषणा पर माननीय मंत्री जी क्या कार्यवाही करेंगे ?
(..व्यवधान..)
गर्भगृह में प्रवेश
उत्तर प्रदेश में दलितों पर की गई कथित टिप्पणी के विरोध में बहुजन समाज पार्टी एवं इंडियन नेशनल कांग्रेस के कुछ सदस्यों का गर्भगृह में प्रवेश
( उत्तर प्रदेश में दलितों पर की गई कथित टिप्पणी के विरोध में बहुजन समाज पार्टी के नेता एडव्होकेट सत्यप्रकाश सखवार के नेतृत्व में बहुजन समाज पार्टी के सदस्यगण गर्भगृह में आये एवं नारे लगाए.)
(..व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय - आप लोग बैठ जायें.आप लोगों से अनुरोध है कि कृपया बैठ जायें. आप इस तरह से नारे नहीं लगायें कृपया अपने स्थान पर बैठें और कार्यवाही चलने दें. यह सब कुछ रिकार्ड में नहीं आयेगा. यहां का मामला नहीं है.(..व्यवधान..) आप अपने स्थान पर कृपा करके बैठ जायें.
(..व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय-- यह यहां का मामला नहीं है. आप कृपया अपने अपने स्थान पर बैठ जायें. (श्रीमती नीना विक्रम वर्मा से) आप प्रश्न ही नहीं पूछ रही हैं.
श्रीमती नीना विक्रम वर्मा--मैं प्रश्न पूछ रही हूं कि पीथमपुर में कॉमर्स की क्लासेस कब शुरु की जायेंगी? क्या इसी सत्र में कॉलेज पीथमपुर में शुरु करेंगे?
(व्यवधान)
संसदीय कार्यमंत्री (डॉ नरोत्तम मिश्र)-- अध्यक्ष महोदय, यह मध्यप्रदेश की विषय नहीं है. जब इस प्रदेश का विषय नहीं है तो उसके लिए मध्यप्रदेश की विधानसभा को बाधित कर रहे हैं. क्या इनके लोकसभा में सदस्य नहीं है.
अध्यक्ष महोदय--यह इस विधानसभा का विषय नहीं है. (व्यवधान)
डॉ नरोत्तम मिश्र--क्या लोकसभा में बीएसपी के सांसद नहीं है. उत्तरप्रदेश के मामले को मध्यप्रदेश की विधानसभा में उठा रहे हैं ! अध्यक्ष महोदय, कोई शिविर लगाकर इनको ज्ञान दीजिए.
अध्यक्ष महोदय-- कृपया आप लोग बैठ जायें.
प्रभारी नेता प्रतिपक्ष(श्री बाला बच्चन)--अध्यक्ष महोदय, भले ही यह विषय मध्यप्रदेश का नहीं है लेकिन मध्यप्रदेश में जिस पार्टी की सरकार है, उसके द्वारा उठाया गया मुद्दा है.(व्यवधान)
(गर्भगृह में उपस्थित बहुजन समाज पार्टी के सदस्यों श्री सत्यप्रकाश सखवार, श्रीमती शीला त्यागी एवं श्रीमती ऊषा चौधरी द्वारा कतिपय फोटो का प्रदर्शन किया और नारे लगाते रहे.)
श्री बाबूलाल गौर--अध्यक्ष महोदय, ये जो प्रदर्शन कर रहे हैं, गलत कर रहे हैं.यह उत्तर प्रदेश का मामला है. यहां पर काहे के लिए विषय उठा रहे हैं.
श्री बाला बच्चन--अध्यक्ष महोदय, माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी, यह आपकी पार्टी के द्वारा उठाया गया मामला है.
श्री बाबूलाल गौर--यह उत्तर प्रदेश का मामला है.
डॉ नरोत्तम मिश्र--अध्यक्षजी, यह मध्यप्रदेश का मामला नहीं है. यह उत्तर प्रदेश का मामला है.
श्री बाला बच्चन-- आपकी पार्टी के व्यक्ति ने यह बात बोली है. भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता ने यह टिप्पणी की है, इसलिए इस टिप्पणी के लिए भर्त्सना होना चाहिए. (व्यवधान)
(उत्तरप्रदेश के दलितों पर की गई कथित टिप्पणी के विरोध में इण्डियन नेशनल कांग्रेस के सर्वश्री हरदीप सिंह डंग,हर्ष यादव,निशंक कुमार जैन,सोहन लाल बाल्मीक तथा सुरेन्द्र सिंह बघेल नारे लगाते हुए गर्भगृह में आये और बाद में गर्भगृह से वापस चले गये.)
अध्यक्ष महोदय-- आप प्रतिपक्ष के नेता हैं. कृपा करके वहां के विषय को यहां पर न उठायें. उसके लिए अन्य फोरम है. यह इस विधानसभा का इश्यू नहीं है.
डॉ नरोत्तम मिश्र--अध्यक्ष जी, सारे फोरम समाप्त हो गये हैं. एक बात तो तय हो गई कि कांग्रेस के और बीएसपी के पास मध्यप्रदेश में कोई मुद्दा बचा नहीं है इसलिए किस तरह का मुद्दा लाकर सदन को बाधित कर रहे हैं. यह विपक्ष मुद्दा विहीन हो गया है. (व्यवधान)यह विषय मध्यप्रदेश का है ही नहीं.
श्री जितू पटवारी--अध्यक्ष महोदय, आप दलितों पर अत्याचार कर रहे हो. मुख्यमंत्री के गृह जिले में उनकी विधानसभा में एक दलित महिला ने आत्महत्या कर ली.(व्यवधान)आप लोग दलितों पर अत्याचार करो और कहो कि मुद्दा बचा नहीं है. एक दलित महिला ने आत्महत्या कर ली.
डॉ नरोत्तम मिश्र--अध्यक्ष महोदय, इनकी बुद्धि पर तरस आता है कि इनकी बुद्धि को क्या हो गया है. आज तक इनको यह ज्ञान नहीं है कि कौन सा विषय यहां पर उठाना चाहिए और कौन सा नहीं उठाना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय--मेरा अनुरोध है कि अपनी बात प्रश्नकाल के बाद रखिये. बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न हैं. यह मध्यप्रदेश विधानसभा का मेटर नहीं है.(व्यवधान)
श्री जितू पटवारी-- मंत्रीजी, बुधनी में एक दलित महिला ने आत्महत्या कर ली और आप कहते हैं कि मुद्दे नहीं बचे हैं.
अध्यक्ष महोदय--यहां का मेटर नहीं है. अन्य जगह का मुद्दा उठायेंगे क्या?
डॉ नरोत्तम मिश्र-- लोकसभा में आपका नेता सोते हैं. लोकसभा में आपका नेता सो रहा है. राहुल गांधी लोकसभा में सो रहा है.(व्यवधान)लोकसभा में सोते रहते हैं.
अध्यक्ष महोदय-- कृपया प्रश्नकाल होने दीजिए. आप सब लोग बैठ जाईये. (व्यवधान)
श्री जितू पटवारी--दलितों पर अत्याचार कर रहे हैं.(XXX).
डॉ नरोत्तम मिश्र--आपका नेता लोकसभा में सो रहा है. (व्यवधान)
श्री जितू पटवारी-- आप एक तरफ कहते हो दलितों को ब्राह्मण बनायेंगे और दूसरी तरफ कहते हो कि आप आत्महत्या करो.
ड़ॉ नरोत्तम मिश्र-- जो लोकसभा में सो रहे हैं उसको जगाओ. ( व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय-- विधानसभा की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित.
(11.15 बजे विधानसभा 10 मिनट के लिए स्थगित की गई.)
11.29 बजे विधान सभा पुनः समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न संख्या 3 श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल...
श्रीमती नीना विक्रम वर्मा - अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने मेरे सवाल का जवाब नहीं दिया है.
अध्यक्ष महोदय - आपका प्रश्न निकल गया है. आपने प्रश्न पूछा ही नहीं, मैं बहुत देर से कह रहा था, आप प्रश्न पूछ लीजिए.
श्रीमती नीना विक्रम वर्मा - अध्यक्ष महोदय, मैंने पीथमपुर कॉलेज के लिए पूछा था, वहां पर कॉमर्स की क्लासेस का पूछा था?
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी आधे मिनट में उत्तर दे दीजिए, वे पीथमपुर कॉलेज के बारे में पूछ रही हैं.
श्री जयभान सिंह पवैया - आप प्रश्न को दोहरा दें.
श्रीमती नीना विक्रम वर्मा - अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री जी की घोषणा के अनुसार पीथमपुर कॉलेज में कॉमर्स की क्लासेस कितनी जल्दी से जल्दी शुरू करेंगे?
11.30 बजे गर्भगृह में प्रवेश
एडव्होकेट सत्यप्रकाश सखवार के नेतृत्व में बहुजन समाज पार्टी के सदस्यों का दलितों पर की गई टिप्पणी के विरोध में गर्भगृह में प्रवेश किया जाना
(एडव्होकेट श्री सत्यप्रकाश सखवार के नेतृत्व में बहुजन समाज पार्टी के सदस्यों ने उत्तरप्रदेश में दलितों पर की गई टिप्पणी के विरोध में नारेबाजी करते हुए गर्भ गृह में प्रवेश किया.)
(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय - पहले 3 थे, अब 4 आ गये. आप कम होइए, ज्यादा मत होइए. (व्यवधान) कृपा करके बैठ जाएं. कृपया सदन को चलने दें. यह बात ठीक नहीं है. (श्रीमती शीला त्यागी, सदस्य द्वारा गर्भ गृह से अपनी बात कहने पर) यह आपको लाना पड़ेगा कि हम लाएंगे? आप अपने आसन पर जाइए, यह इस सदन का काम नहीं है. यह हमारे मध्यप्रदेश का मामला है क्या? आप लोग इस बात को समझते क्यों नहीं हैं? (व्यवधान)...
श्रीमती नीना विक्रम वर्मा - अध्यक्ष महोदय, मेरा जवाब रह जाएगा.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र)- अध्यक्ष महोदय, यह तो अपने नम्बर बढ़ाने के लिए है. (व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय - यह क्या मध्यप्रदेश का मामला है, जो आप यहां पर लाएंगे? वहां राज्यसभा में बात हो गई है. माननीय मंत्री जी कुछ कह रहे हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, इस मामले का पटाक्षेप हो गया है. जो विषय समाप्त हो गया है.
श्रीमती नीना विक्रम वर्मा - अध्यक्ष महोदय, मेरा जवाब आने दीजिए, यह मजदूरों के बच्चों की शिक्षा का सवाल है.
डॉ नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय निवेदन है कि जिस मामले का पटाक्षेप हो गया है. यह इस प्रदेश का मामला है क्या, यह तो अपने नंबर बढ़ाने के लिए..(व्यवधान).. वैसे इस मामले का पटाक्षेप हो गया है, जो विषय उत्तर प्रदेश से जुड़ा हुआ है मध्यप्रदेश से जुड़ा हुआ नहीं है यह विषय जिसने उठाया है उस पर कार्यवाही हो गई है, पार्टीगत कार्यवाही भी हो गई है और कानूनी कार्यवाही भी हो गई है.
श्री रामनिवास रावत -- नरोत्तम जी यह विषय आपके चाल चरित्र और आपके चेहरे से जुड़ा हुआ है.
डॉ नरोत्तम मिश्र -- आप लोक सभा में यह विषय उठवाएं , अपने नेता को तो वहां पर सुलवाते हैं, वह सोते रहते हैं, वहां पर कोई विषय उठाते नहीं हैं उनको जगायें आप कि इस मामले को वहां पर उठायें...(व्यवधान)..
श्री रामनिवास रावत -- आपके चाल चरित्र और चेहरे से जुड़ा हुआ है यह न उत्तर प्रदेश का है न ही देश का है भाजपा के चाल चरित्र और चेहरे जैसा है.
डॉ नरोत्तम मिश्र -- उनको नींद से जगाओं, राहुल गांधी जी को , उनको कहो कि जगो और उठाओ इस मामले को कौन रोक रहा है..(व्य़वधान) .. उठाओ उनको वहां पर. अध्यक्ष महोदय, प्रश्नकाल कितना महत्वपूर्ण होता है....(व्यवधान)..
श्री जितू पटवारी -- गलत बात कर रहे हैं आप...(व्यवधान).. दलितों पर अत्याचार किया जा रहा है...(व्यवधान)..
डॉ नरोत्तम मिश्र -- हमेशा हो हल्ला करके इस सदन का समय जाया करते हैं..(व्यवधान).. कितना महत्वपूर्ण प्रश्नकाल है मेरा आपसे निवेदन है कि आप प्रश्नकाल को आगे बढ़ायें....(व्यवधान)
श्रीमती नीना विक्रम वर्मा -- क्या मंत्री जी कामर्स की कक्षाएं शुरू करेंगे इसी सत्र में..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी आप तो उत्तर दीजिये.. नहीं, अब नहीं इस विषय पर अब कोई नहीं बोलेंगे.. चलने देना है या नहीं प्रश्नकाल आपको यह क्या तरीका है आप सब बैठ जायें ( श्री रजनीश सिंह सदस्य के आपने आसन से बिना माइक के कुछ कहने पर )..आप सभी बैठ जायें ,इनकी मदद करने की आवश्यकता आपको नहीं है, बैठिये आप सभी बैठ जायें यह ठीक तरीका नहीं है. बैठिये निशंक जी आप, यह क्या तरीका है, आप लोगों का जो विषय यहां का नहीं है, जो विषय समाप्त हो गया है उस पर नारे लगाकर क्या करना चाहते हैं.
डॉ नरोत्तम मिश्र -- माननीय अध्यक्ष महोदय यह चार दिन पहले की घटना है कल इन्होंने सदन में क्यों नहीं उठाया है क्योंकि कल फोन नहीं आया था बहन जी का, आज फोन आ गया है...(व्यवधान)..
श्री बाला बच्चन -- तो क्या कल आप उठाने देते...
डॉ नरोत्तम मिश्र -- प्रश्न सिर्फ एक ही है कि लोक सभा में आपके नेता क्यों सोते हैं वहां पर क्यों नहीं उठाते,...(व्यवधान)... आप तो इसका जवाब दें.
श्री रामनिवास रावत -- आपका चाल चरित्र और पूरा प्रदेश देख चुका है..(व्यवधान).. पूरा देश देख चुका है...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- आप सब बैठ जायें...(व्यवधान)..
श्री जितू पटवारी -- दलितों को गाली देंगे..(व्यवधान).. आप दलितों को गाली देंगे..
श्री जितू पटवारी -- (X X X )
डॉ नरोत्तम मिश्र -- ( X X X)
अध्यक्ष महोदय -- यह नहीं लिखा जायेगा...(व्यवधान).. आप अपने स्थान पर बैठ जायें कृपा करके....(व्यवधान)
डॉ नरोत्तम मिश्र -- जो मामला लोक सभा में उठना है उसे मध्यप्रदेश में उठायेंगे..(व्यवधान)..
श्री जितू पटवारी -- अरे यह निंदा प्रस्ताव लायेंगे उसे पास करायेंगे..(व्यवधान)..
डॉ नरोत्तम मिश्र -- लोक सभा में अपने नेता सुलायेंगे और जो मामला लोक सभा में उठना है उसे मध्यप्रदेश में उठायेंगे और वहां पर अपने नेता को सुलायेंगे..(व्यवधान)..
श्री जितू पटवारी -- पहले निंदा प्रस्ताव पास करायें..(व्यवधान) ..
डॉ नरोत्तम मिश्र -- क्यों चुनकर भेज दिये हैं नेता आपने..(व्यवधान).. अरे जनहित के मुद्दे उठायें वहां पर, इस मध्यप्रदेश का कोई मुद्दा वहां पर उठायें कांग्रेस के लोगों, मुझे आपकी बुद्धि पर तरस आता है..(व्यवधान) .. प्रदेश में सूखा पड़ रहा है बाढ़ आ रही है कोई मुद्दा तो वहां पर उठायें..(व्यवधान)..
श्री जितू पटवारी -- अरे आप निंदा प्रस्ताव पास कराएं...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- कृपा करके बैठ जायें..(व्यवधान).. आप वह मुद्दा उठा रहे हैं जो समाप्त हो चुका है, जो यहां का नहीं है, वह मुद्दा यहां पर उठाकर सदन का समय जाया कर रहे हैं, सभी सदस्य सेंसिबल हैं, कृपा करके मत करिये, आप लोग मत बोलिये मंत्री जी उनका उत्तर दीजिये..(व्यवधान)..
श्री जयभान सिंह पवैया -- माननीय अध्यक्ष महोदय माननीय सदस्या ने पीथमपुर..
श्री रामनिवास रावत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक निवेदन करना चाहूंगा. अध्यक्ष महोदय -- आप सदन चलना देना चाहते हैं कि नहीं, आप बार-बार खड़े हो जाते हैं. यह क्या तरीका है ? यह बात ठीक नहीं है. (व्यवधान ...)
(बहुजन समाज पार्टी के सदस्यगण गर्भगृह में नारे लगाते रहे)
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, मैं विनम्रतापूर्वक एक निवेदन करना चाहूंगा कि माननीय संसदीय कार्य मंत्री बार-बार कह रहे हैं कि कोई मुद्दा नहीं है. आप सचिवालय में दिखवा लें कि कितने स्थगन लगे हैं, कितने ध्यानाकर्षण लगे हैं. (व्यवधान ...)
अध्यक्ष महोदय -- आप लोग चर्चा क्यों उठाते, आप लोग प्रश्नकाल नहीं चलने दे रहे हैं. बार-बार खड़े हो जाते हैं. (व्यवधान ...)
श्री रामनिवास रावत -- रोज किसान आत्महत्या कर रहा है, रोज महिलाओं के साथ बलात्कार हो रहा है. (व्यवधान ...)
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- लोकसभा का मुद्दा यहां उठा रहे हो. लोकसभा के नेता को सुला रहे हो, यहां उत्तर प्रदेश का मुद्दा कैसे उठेगा. माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे पास नियम की पुस्तिका है, अगर आप अनुमति दें तो मैं पढ़कर सुनाऊँ, यहां राज्य के बाहर का विषय नहीं उठ सकता. ये कांग्रेस के मुख्य सचेतक हैं, मुझे इनकी स्थिति पर तरस आता है.(व्यवधान ...)
अध्यक्ष महोदय -- सब लोग शांत हो जाएं, माननीय गौर साहब कुछ कह रहे हैं.
श्री बाबूलाल गौर -- माननीय अध्यक्ष महोदय, ये जो मुद्दा उठा रहे हैं, यह उत्तर प्रदेश का मामला है. यह यहां की विषय वस्तु नहीं है.
अध्यक्ष महोदय -- मैं आपकी बात से सहमत हूँ पर वे समझने के लिए तैयार नहीं हैं क्या करें.
श्री बाबूलाल गौर -- आप समझाइये ना, आपके पास पावर है.
अध्यक्ष महोदय -- उधर वाले (कांग्रेस वाले) यदि बैठ जाएं तो समझाएं. वे भी खड़े हो जाते हैं. (कांग्रेस के सदस्यों से) कृपा करके आप लोग तो बैठ जाएं.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, मैं सिर्फ इसलिए खड़ा हुआ कि माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी बार-बार कह रहे हैं कि कांग्रेस के पास कोई मुद्दा नहीं है.
अध्यक्ष महोदय -- आप उनको क्यों सपोर्ट कर रहे हैं. जो नियम के विरुद्ध बात हो रही है उसको क्यों सपोर्ट कर रहे हैं.
श्री रामनिवास रावत -- मैं उनको सपोर्ट नहीं कर रहा हूँ.
(बहुजन समाज पार्टी के सदस्यगण गर्भगृह में नारे लगाते रहे)
अध्यक्ष महोदय -- आप कृपा करके सब लोग अपने-अपने आसन पर जाकर बैठ जाएं, आप कोई विषय लेकर बात उठाएं, यहां इस तरह से नारे लगाने का ये कोई तरीका है. आपसे मेरा अनुरोध है कि आप खुद महत्वपूर्ण विषय कह रहे हैं. आप एडजर्नमेंट के विषय दे रहे हैं यह आपका कहना है पर प्रश्नकाल नहीं चलने देना चाहते. (कांग्रेस के सदस्यगणों से) उनको करने दीजिए जो वे कर रहे हैं, हम विधान सभा की कार्यवाही उनके बिना भी चला लेंगे. ये उनका कोई तरीका नहीं है जबकि मैं बार-बार कह रहा हूँ. (व्यवधान ...)
श्री रामनिवास रावत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अगर उनकी कोई बात है, माननीय सदस्यों को यह कहना कि बिना उनके भी कार्यवाही चलेगी, अगर वे कुछ कर रहे हैं तो उनको भी मनाया जाएगा, यह संसदीय कार्य मंत्री जी को कहना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय -- उनको तो मना रहे हैं वे मान नहीं रहे हैं. वे मानने के लिए तैयार ही नहीं हैं, जो विषय ही यहां का नहीं है उनको क्या मनाएं. (व्यवधान ...)
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह उत्तर प्रदेश का मामला है, इसमें मनाने की क्या बात है. (व्यवधान ...)
श्री रामनिवास रावत -- है है है. (व्यवधान ...)
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- इसमें मनाया क्या जाएगा ? राज्य के अंदर का कोई विषय हो तो वे उठाएं ना, कौन मना कर रहा है आपको. (व्यवधान ...)
श्री बाबूलाल गौर -- अध्यक्ष महोदय, आप अपने अधिकार का उपयोग करें. मैं आपसे निवेदन करूंगा कि आप अपने अधिकार का उपयोग करिए और जो विधान सभा नहीं चलने दे रहे हैं उनके खिलाफ कार्रवाई करिए.
श्री जितू पटवारी -- अध्यक्ष जी, मेरा अनुरोध यह है कि (XXX) (व्यवधान ...)
अध्यक्ष महोदय -- जो पटवारी जी बोल रहे हैं यह कुछ नहीं लिखा जाएगा.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- माननीय अध्यक्ष महोदय, कांग्रेस के लोगों का एक प्रशिक्षण करवा दो. जितू भैया, थोड़ा पढ़-लिख लिया करो, आपका ज्ञान बढ़ जाएगा, कौन सा विषय सदन में आएगा और कौन सा विषय नहीं आएगा, थोड़ा पढ़ लोगे तो अच्छा रहेगा.
श्री जितू पटवारी -- (XXX)
अध्यक्ष महोदय -- यह कुछ नहीं लिखा जाएगा. क्या यह जगह इस तरह से बहस करने की है. आप लोग बैठते क्यों नहीं. (व्यवधान ...)
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- इस मुद्दे को लोकसभा में उठाओ, वहां तुम्हारा नेता सोता रहता है. (व्यवधान ...)
श्री शंकर लाल तिवारी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक सूचना है कि कांग्रेस पार्टी का बीएसपी में विलय होने वाला है. (व्यवधान ...)
(बहुजन समाज पार्टी के सदस्यगण गर्भगृह में नारे लगाते रहे)
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- तुम्हारा लोकसभा में एक भी नेता नहीं है. हाथी ने अंडा दिया है. उत्तर प्रदेश में हाथी ने अंडा दिया है. (व्यवधान ...)
श्री शंकर लाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, मायावती नए कांग्रेस की अध्यक्ष बनेंगी.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- उत्तर प्रदेश में हाथी ने अंडा दिया है तो डिस्कवरी वाले उसे ढूंढ रहे हैं कि हाथी कैसे अंडा देता है. (व्यवधान ...)
अध्यक्ष महोदय -- सब लोग बैठ जाएं, डॉ. शेजवार कुछ बोल रहे हैं.
(बहुजन समाज पार्टी के सदस्य गर्भगृह से नारे लगाते रहे)
...व्यवधान.
अध्यक्ष महोदय-- आप लोग बैठ जाइए,डॉ. शेजवार कुछ कहना चाहते हैं.
वन मंत्री (डॉ.गौरीशंकर शेजवार)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जितू पटवारी ने जो आसंदी पर टिप्पणी की है, मेरी उस पर घोर आपत्ति है.
अध्यक्ष महोदय-- वह मैंने नहीं सुना, उसको विलोपित भी कर दिया है.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जितू पटवारी ने आसंदी पर जो टिप्पणी की है उसमें मुझे घोर आपत्ति है.
श्री जितू पटवारी-- मैंने कोई आपत्तिजनक बात नहीं बोली है.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार—इन्हें क्षमा मांगना चाहिए, इन्होंने कहा कि आप निंदा प्रस्ताव ले लीजिये, आपका क्या जाता है? क्या इस भाषा में आसंदी से व्यवहार किया जाएगा.
अध्यक्ष महोदय-- हां, यह उचित नहीं है.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार-- अध्यक्ष महोदय, जितू पटवारी को माफी मांगना चाहिए.
श्री जितू पटवारी—अध्यक्ष महोदय, आसंदी के माध्यम से मैंने सरकार से बात की है.. (व्यवधान)...मैंने सरकार से कहा,मैंने नरोत्तम मिश्रा जी,संसदीय कार्यमंत्री से कहा..(व्यवधान)... मैंने आसंदी से कुछ नहीं कहा.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार--- इन्होंने यह किस भाषा का उपयोग किया है,इन्होंने कहा कि आपका क्या जाता है.क्या इस तरह की भाषा बोली जाती है, क्या इस तरह से व्यवहार किया जाता है?
अध्यक्ष महोदय--- सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित.
(11.41 बजे सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित की गई)
11.57 बजे विधान सभा पुनः समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए}
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न क्रमांक 3...
श्रीमती नीना विक्रम वर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न का जवाब नहीं आया.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न क्रमांक 2...जल्दी उत्तर दे दीजिए नहीं तो वे फिर आ जाएँगे. आप अभी उत्तर ले लीजिए.
श्रीमती नीना विक्रम वर्मा-- अध्यक्ष महोदय, पीथमपुर में कॉमर्स कॉलेज जल्दी से जल्दी शुरू हो.
अध्यक्ष महोदय-- उनको मालूम है. कृपया बैठ जाइये.
श्री जयभान सिंह पवैया-- मान्यवर अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्या ने पीथमपुर में वाणिज्य संकाय के संबंध में यह उल्लेख किया है कि माननीय मुख्यमंत्री जी ने घोषणा की लेकिन उनकी घोषणा अधिकृत रूप से विभाग में तो नहीं है. लेकिन आपके कथन के अनुसार मुख्यमंत्री जी की मंशा रही है इसलिए मैं वहाँ वाणिज्य संकाय शुरू करने के लिए आश्वस्त करता हूँ.
वृक्षारोपण पर व्यय राशि
3. ( *क्र. 1600 ) श्री संदीप श्री प्रसाद जायसवाल : क्या वन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वन विभाग द्वारा 2011 से प्रश्न दिनांक तक कटनी जिले में किस-किस योजना के तहत किस-किस स्थल पर कितनी-कितनी संख्या में वृक्षारोपण किया गया एवं कितना-कितना व्यय किया गया? (ख) प्रश्नांश (क) के अन्तर्गत किये गये वृक्षारोपण में से किस-किस योजना के तहत किस-किस स्थल पर कितने-कितने वृक्ष जीवित बचे हैं एवं विभाग द्वारा कुल किये गये व्यय एवं जीवित बचे वृक्ष के आधार पर प्रति जीवित वृक्ष लागत कितनी आई है?
वन मंत्री ( डॉ. गौरीशंकर शेजवार ) : (क) एवं (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है।
श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के जवाब में जो आँकड़े सामने आए हैं उसमें प्रति वृक्ष की लागत साठ रुपये से लेकर पौने तीन सौ रुपये तक आई है. मैं माननीय मंत्री महोदय से यह जानना चाहूँगा कि एक किसान लक्ष्मी योजना के अँतर्गत अगर छः रुपये वृक्ष की लागत दिए जाने पर उसको तीन साल के अन्दर दस रुपये मिलते हैं याने मात्र चार रुपये मिलते हैं तो क्या शासन अपने वृक्षों की लागत को देखते हुए, जो कि साठ रुपये से पौने दो सौ रुपये तक आती है, उस पर बढ़ाने पर विचार करेंगे क्या? दूसरा, इसमें जो आँकड़े दिए गए हैं उसमें कई जगह एक लाख ग्यारह हजार सात सौ में से एक लाख ग्यारह हजार पेड़ जीवित बताए गए हैं तो क्या इसकी एक बार जाँच की जाएगी कि ये आँकड़े सही हैं क्या? एक बात और लास्ट में कि क्या जो दस रुपये के पेड़ की कीमत है उसको शहरी क्षेत्रों में भी लागू किया जाएगा?
डॉ गौरीशंकर शेजवार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, किसान लक्ष्मी योजना के अँतर्गत जो हितग्राहियों को छः से सात रुपये प्रति पौधे की दर से दिए जाते हैं. इसमें एक वन दूत योजना भी है तो जो प्रेरित करता है उस वन दूत को भी प्रति पौधे के हिसाब से भुगतान किया जाता है. आपने अच्छी बात कही है और इसको छः और सात रुपये की दर से यदि आप पौधा नर्सरी से खरीदेंगे तो इस पर विचार चल रहा है कि 10 रुपये से ज्यादा हम किसान को दें इस पर हम जल्दी ही निर्णय करेंगे. माननीय मुख्यमंत्रीजी ने घोषणा भी की है.
अध्यक्ष महोदय--प्रश्नकाल समाप्त.
( प्रश्नकाल समाप्त )
12.01 बजे
नियम 267-क के अधीन विषय
(1) श्री दिलीप सिंह शेखावत (अनुपस्थित)
(2) पिपरिया विधानसभा के बनखेड़ी में कृषकों द्वारा शहतूत की लगाई कलमों को विक्रय तथा
एन जी ओ द्वारा भुगतान न किया जाना.
श्री ठाकुरदास नागवंशी (पिपरिया)--माननीय अध्यक्ष महोदय,
(3) इंजी. प्रदीप लारिया (अनुपस्थित)
(4) रीवा जिले के त्यौंथर नगर पालिका अधिकारी पर कार्यवाही न की जाना.
श्री सुन्दरलाल तिवारी (गुढ़)--माननीय अध्यक्ष महोदय,
(5) कटनी नदी का पुल जर्जर होना.
कुँवर सौरभ सिंह (बहोरीबंद)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
(6) जिला श्योपुर की मौरस पारौन राज्यमार्ग पर अहेली नदी की अप्रोच रोड का निर्माण किया जाना.
श्री रामनिवास रावत (विजयपुर)--माननीय अध्यक्ष महोदय,
(7)विधान सभा क्षेत्रान्तर्गत लवेरी से चाचेरी मार्ग एवं पुलिया निर्माण कराये जाना.
श्री मधु भगत (परसवाड़ा) :- माननीय अध्यक्ष महोदय,
(8)खाचरोद जनपद पंचायत में जनपद पंचायत अधिकारी के द्वारा शौचालय निर्माण में
गड़बड़ी की जाना.
डॉ. रामकिशोर दोगने (हरदा):- माननीय अध्यक्ष महोदय,
(9) श्री कमलेश्वर पटेल :- अनुपस्थित.
(10) उज्जैन नगर को पर्यटन निगम की सूची में हेरिटेज शहर में नहीं रखे जाना.
डॉ मोहन यादव (उज्जैन- दक्षिण):- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री जितू पटवारी--आदरणीय अध्यक्ष महोदय, लोकतंत्र में पक्ष एवं विपक्ष एक स्वस्थ्य लोकतंत्र के लिये अच्छे से बात करें, अपने विचार रखें. इसी प्रकार से जो मीडिया होता है चौथे स्तम्भ के रूप में इस लोकतंत्र को मजबूत करने में अपनी भूमिका निभाता है. आज हमने भोपाल में पढ़ा एक जनप्रतिनिधि ने एक अखबार के आफिस में जाकर जिस तरीके से तोड़-फोड़ की इसकी हम सब निन्दा करते हैं.
अध्यक्ष महोदय--इसको कार्यवाही से निकाल दीजिये.
श्री निशंक कुमार जैन--माननीय अध्यक्ष महोदय, कल भोपाल में गेहूं कम उसमें मिट्टी ज्यादा पायी गई.
अध्यक्ष महोदय--यह विषय समाप्त हो गया.
श्री निशंक कुमार जैन--अध्यक्ष महोदय, इसके बाद एक छोटे अधिकारी एवं कर्मचारी पर कार्यवाही करके उसकी इतिश्री कर दी गई. हमारी मांग है कि मध्यप्रदेश नागरिक आपूर्ति निगम के प्रबंध संचालक पर कार्यवाही की जाए इसके पीछे जो बड़ी मछलियां हैं, उन पर कार्यवाही की जाए. इसके लिये खाद्य मंत्री को भी इस्तीफा देना चाहिये, निगम मण्डल के अध्यक्ष को इस्तीफा देना चाहिये. पूरे प्रदेश में अमानक स्तर का गेहूं बंट रहा है, रबी में विदिशा जिले में खराब खाद बांटी गई.
अध्यक्ष महोदय--कल यह विषय हो गया है माननीय मंत्री जी ने इसके बारे में कहा है.
श्री निशंक कुमार जैन--अध्यक्ष महोदय, इसमें बड़े भ्रष्टाचारियों को बढ़ावा देने में यह सरकार लगी है.
श्री जयवर्द्धन सिंह--अध्यक्ष महोदय, इतने बड़े मुद्दे पर शून्यकाल काफी नहीं है, इस पर चर्चा हो.
अध्यक्ष महोदय--इसकी कल बात हो गई है, यह निशंक जैन जी तथा आपने विषय उठाया था. मंत्री जी ने उसमें कहा है कि इसमें रावत जी ने प्रश्न उठाया है उसकी आखिरी दिन में जांच करेंगे. वह बात समाप्त हो गई है.
श्री जयवर्द्धन सिंह--अध्यक्ष महोदय, इस पर चर्चा हो.
अध्यक्ष महोदय--ठीक है आप विषय को लिखकर के दीजिये, नियम से दीजिये इसको देखेंगे.
नियम 267-क के अधीन विषय--(क्रमशः)
(11) गैरी सरकारी हाई-स्कूल/हायर सेकेण्डरी स्कूलों के नाम पोर्टल पर न चढ़ाये जाने से माध्यमिक शिक्षा मण्डल द्वारा सम्बद्धता प्रदान नहीं की जाना.
श्री कैलाश चावला (मनासा)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है.
डॉ.गोविन्द सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में हुए व्यापम घोटाले में जो एस.टी.एफ ने जांच की थी उसकी जांच में जो सीडी प्राप्त हुई थी उसमें रसूखदार अपराधी बचे हुए हैं.
अध्यक्ष महोदय--यह विषय तो सुप्रीम कोर्ट के सुपुर्द है, उस विषय को यहां पर नहीं ले सकते हैं.
डॉ.गोविन्द सिंह--एस.टी.एफ के द्वारा जांच सीबीआई को नहीं दी गई. इसमें जो मेन मुल्जिम है.
अध्यक्ष महोदय--यह मामला सर्वोच्च न्यायालय के अंतर्गत चल रहा है उस विषय को आप यहां पर कैसे लेंगे.
डॉ.गोविन्द सिंह--अध्यक्ष महोदय, सर्वोच्च न्यायालय में इस विषय को नहीं लिया गया है. जो सीडी है वह सीबीआई को नहीं सौंपी गई है, इसलिये रसूखदार अपराधी बचे हुए हैं. सरकार अपराधियों को बचा रही है. मेरा सरकार से अनुरोध है कि एस.टी.एफ की सीडी को सीबीआई को सौंपा जाये ताकि जो असली अपराधी हैं, जो उच्च स्तर पर बैठे हैं, उन पर भी कार्यवाही हो सके.
अध्यक्ष महोदय--ठीक है आपकी बात आ गई है.
पन्ना जिले में सूखा पीडि़त किसानों को नि:शुल्क राशन वितरित नहीं किया जाना.
श्री मुकेश नायक (पवई)- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी की घोषणा के मुताबिक सूखा पीडि़त किसानों को अक्टूबर से दिसम्बर तक नि:शुल्क राशन वितरण की घोषणा की गई थी । मेरे प्रश्न के उत्तर में शासन ने इसको स्वीकार भी किया है । मेरी आपसे विनम्र प्रार्थना है कि अप्रैल और मई में पन्ना जिले में सूखा पीडि़त किसानों को नि:शुल्क राशन वितरण नहीं किया गया है । इस महीने उसकी पर्ची जारी की गई है । कृपया सरकार उसको संज्ञान में लेवे ।
छतरपुर जिले में चोरियां व लूट की घटनाएं घटित होना.
श्री मानवेन्द्र सिंह (महाराजपुर) - मेरी शून्य काल की सूचना इस प्रकार है:-
अध्यक्ष महोदय- माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि शून्यकाल की सूचना पढ़ने की नहीं है । आप एक मिनट में अपनी बात बोल दीजिए ।
श्री रजनीश सिंह - (केवलारी)(XXX)
अध्यक्ष महोदय- आप बैठ जाइए, आपका कुछ भी रिकार्ड में नहीं आएगा.
श्री गिरीश भण्डारी (नरसिंहगढ़) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे नरसिंहगढ़ विधानसभा क्षेत्र के मेघलादीप गांव में परसों के दिन 90 प्रतिशत पुरूष बच्चे और महिलाएं है हैजे से पीडि़त हो गए । मैंने कल सूचना दी थी उसके बाद डॉ. गए डॉक्टरों ने पाया है कि वहां पर दूषित पानी और बिजली नहीं होने के कारण वहां पर यह समस्या आई है । पूरे गांव में 18 महीने से बिजली नहीं है और दूषित पानी है, इसकी वजह से पूरा गांव हैजे से पीडि़त हो गया है ।
मैंने कल सूचना दी थी उसके बाद डॉकटर गए और डॉक्टरों ने पाया है कि वहां पर दूषित पानी और बिजली नहीं होने के कारण वहां पर यह समस्या आई है । पूरे गांव में 18 महीने से बिजली नहीं है और दूषित पानी है, इसकी वजह से पूरा गांव हैजे से पीडि़त हो गया है ।
श्रीमती ऊषा चौधरी( रैगांव)- (XXX)
अध्यक्ष महोदय- आप लिखकर दीजिए, उसको हम नियम में ले लेंगे । आप जिस संबंध में बात कर रही हैं, वह आज की कार्यसूची में 139 सम्मिलित है । आप बैठ जाइए यह कुछ भी रिकार्ड में नहीं आएगा । आप विषय लिखकर दीजिये. उसे किसी भी नियम में ले लेंगे. आप बैठ जाइये. यह कुछ भी रिकॉर्ड में नहीं आयेगा.
श्रीमती ऊषा चौधरी – (XXX)
श्री दिनेश राय (सिवनी) - माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे यहां जंगली जानवरों से, सूअरों से काफी फसलों का नुकसान हो गया है. अभी उन्होंने जो मक्का लगाया था.
अध्यक्ष महोदय – उसमें आपका उत्तर आ गया है.
श्री दिनेश राय – उसमें गलत उत्तर आया है.
अध्यक्ष महोदय – आप और किसी नियम में लीजिये.
श्री दिनेश राय – आपने बफर जोन में सोलर ऊर्जा लगाया है और अभी 14 शेर मारे गए हैं. हमारे यहां चितरंजन सेन, प्रबन्धक की नियुक्ति के बाद 14 शेर 6 माह में मारे गए हैं.
अध्यक्ष महोदय – किसी को एलाउ नहीं है. आप बैठ जाइये. Nobody is allowed. आपकी बात हो गई है, प्रश्न में था एवं आपका उत्तर भी आ गया है.
श्री दिनेश राय – 14 शेर मारे गए हैं.
अध्यक्ष महोदय - नहीं, बिल्कुल नहीं. बैठ जाइये. यह अनन्त काल तक नहीं चल सकता है. आपकी बात हो गई है.
श्री दिनेश राय – ये अधिकारी 6 साल पहले भी थे तब भी कई शेर मारे गए और 6 माह में एक भी शेर नहीं मारे गए.
अध्यक्ष महोदय – आप कृपया बैठ जाएं. आपको एलाउ कर चुके हैं. आपकी बात आ गई है.
श्री दिनेश राय – धन्यवाद, जांच ही करवा लें.
अध्यक्ष महोदय – बैठ जाइये.
श्री मधु भगत (परसवाड़ा) – माननीय अध्यक्ष महोदय, सिर्फ 2 सेकेण्ड दीजिये.
अध्यक्ष महोदय – नहीं. आप लिखकर दे दीजिये. आप कल लिखकर दे दीजिये, कल एलाउ करेंगे.
श्री मधु भगत – माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने लिखकर दिया है.
अध्यक्ष महोदय – नहीं प्लीज, कल एलाउ कर देंगे. बैठ जाइये.
प्रभारी नेता प्रतिपक्ष (श्री बाला बच्चन) – माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने हमारे दल की तरफ से एक निवेदन किया है कि 19 जुलाई को ‘गुरु पूर्णिमा’ के कारण विधानसभा अवकाश घोषित किया गया था. उस दिन का प्रश्नोत्तर और उस दिन की कार्यवाही को 29 जुलाई के बाद शिफ्ट करने के लिए, मैंने आवेदन दिया हुआ है.
अध्यक्ष महोदय – प्रश्नोत्तर तो टेबिल हो गए हैं.
श्री बाला बच्चन – माननीय अध्यक्ष महोदय, आपकी तरफ से अभी तक कोई व्यवस्था नहीं आई है. बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न लगे हुए थे और महत्वपूर्ण विधानसभा की कार्यवाही थी तो मैं, हमारे दल की तरफ से यह चाहता हूँ कि उसको 29 तारीख के बाद शिफ्ट कर लिया जाये. मैंने उससे संबंधित आवेदन भी दिया है लेकिन अभी तक व्यवस्था नहीं आई है. अध्यक्ष महोदय इसलिए मैंने आपसे आग्रह किया है.
अध्यक्ष महोदय – प्रश्नोत्तर पटल पर आ गए हैं. टेबिल हो गए हैं.
श्री रामनिवास रावत – मुझे भी समय मिल जायेगा.
अध्यक्ष महोदय – नहीं. प्लीज कल कर देंगे.
श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष महोदय, जो बीएसपी वालों ने निन्दा प्रस्ताव प्रस्तुत किया है, उसका तो निराकरण कर दें. उसे या तो निरस्त करें या मान्य करें.
अध्यक्ष महोदय – बैठ जाएं. आपको सदन चलने देना है कि नहीं.
श्री रामनिवास रावत – आप उसे अमान्य करें या मान्य करें.
अध्यक्ष महोदय – यह कुछ नहीं लिखा जायेगा. आपकी बात अमान्य कर दी है.
श्री रामनिवास रावत - (XXX)
श्रीमती ऊषा चौधरी – अध्यक्ष महोदय, निन्दा प्रस्ताव लाइये. हम सदन नहीं चलने देंगे. हम रोज सदन को बाधित करेंगे. हम सरकार की निन्दा करते हैं.
अध्यक्ष महोदय – कुछ नहीं लिखा जायेगा.
श्रीमती ऊषा चौधरी - (XXX)
12.23 बजे
पत्रों का पटल पर रखा जाना
1. (क) जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर (म.प्र.) की वैधानिक ऑडिट रिपोर्ट वर्ष 2013-2014 (उपसंचालक, स्थानीय निधि संपरीक्षा, जबलपुर म.प्र. द्वारा प्रेषित प्रमुख आपत्तियां, स्पष्टीकरण हेतु उत्तर एवं प्रमण्डल की टिप्पणियां)
(ख) राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर (म.प्र.) की वैधानिक ऑडिट रिपोर्ट वर्ष 2014-2015 (उपसंचालक, स्थानीय निधि संपरीक्षा, म.प्र. ग्वालियर द्वारा प्रेषित प्रमुख आपत्तियां, स्पष्टीकरण हेतु उत्तर एवं प्रमण्डल की टिप्पणियां)
2 मध्यप्रदेश मोटरयान नियम, 1994 में संशोधन हेतु जारी की गई निम्न अधिसूचनाएं –
(क) क्रमांक एफ-22-13-15-आठ, दिनांक 28 दिसम्बर, 2016 एवं
(ख) क्रमांक एफ-22-13-2015-आठ, दिनांक 12 फरवरी, 2016 (शुद्धि पत्र)
संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) :- अध्यक्ष महोदय, मैं, मोटरयान अधिनियम 1988 (क्रमांक 59 सन् 1988) की धारा 212 की उपधारा (3) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश मोटरयान नियम 1994 में संशोधन हेतु जारी की गई निम्न अधिसूचनाएं :-
1. अधिसूचना क्रमांक एफ-22-13-15-आठ दिनांक 28 दिसम्बर, 2015 एवं
2. अधिसूचना क्रमांक एफ-22-13-2015-आठ दिनांक 12 फरवरी, 2016 (शुद्धि पत्र) पटल पर रखता हूँ.
श्रीमती ऊषा चौधरी - (XXX)
श्रीमती शीला त्यागी - (XXX)
अध्यक्ष महोदय – (श्रीमती ऊषा चौधरी एवं श्रीमती शीला त्यागी के लगातार बोलते रहने पर) यह कार्यवाही से निकाल दें.
11.24 बजे ध्यानाकर्षण
(1) मुख्य जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, भिण्ड द्वारा आर्थिक
अनियमितता किया जाना.
डॉ. गोविन्द सिंह (लहार) अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यान आकर्षण की सूचना विषय इस प्रकार है:-
..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- कृपया बैठ जायें, सदन चलने दें.
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री (श्री रुस्तम सिंह) -- अध्यक्ष महोदय, हमारे विद्वान, वरिष्ठ माननीय सदस्य एवं पूर्व मंत्री आदरणीय डॉ. गोविन्द सिंह जी का मैंने काफी महत्वपूर्ण ध्यानाकर्षण देखा. मैं पहली मर्तबा इस टर्म में मंत्री होने के नाते जवाब देने के लिये आपके समक्ष खड़ा हुआ हूं. मुझे उम्मीद है और पूरा विश्वास भी है कि आप हम लोगों का संरक्षण भी करेंगे और मैं इतना विश्वास दिलाता हूं कि जवाब पूरा ठीक दूंगा एवं आपके द्वारा जो प्रश्न उठाये जायेंगे, उनका जवाब दे दूंगा. अध्यक्ष महोदय,
डॉ. गोविंद सिंह (लहार)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने बहुत कुछ स्वीकार किया कुछ सत्यता को भी असत्य बताया. अब मैं यह जानना चाहता हूं कि वर्ष 2009 से आज तक कुछ समय 2-3 महीने छोड़कर उसे लगातार जिले में जूनियर होने के बाद भी चीफ मेडीकल आफिसर बनाया गया और मैंने सबसे पहले वर्ष 2009 में कलेक्टर को पत्र दिया उसमें पाया है कि 22 लाख रूपये के काम मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा नियमित किये 1 लाख रूपये के बजाय 2 लाख आदेश करने के हस्ताक्षर, अधिकारों का दुरूपयोग करते हुये वित्तीय अनियमितता की है. यह कलेक्टर का पत्र है वर्ष 2011 का. फिर कमिश्नर ने भी इनको चेतावनी देते हुये इनके खिलाफ कार्यवाही के लिये लिखा है. कमिश्नर चंबल ने यह लिखा है कि मुरैना 31 अक्टूबर 2011, उसके बाद आपका संचालनालय का पत्र है 27.10.2014 का इसमें उन्होंने कई आरोप लगाते हुये जो आपने स्वीकार भी किया उसमें आरोप लगाते हुये जांच करने के निर्देश दिये है. इसके बाद आदेश क्रमांक 14.9.2015 स्वास्थ्य संचालनालय मध्यप्रदेश, इसमें लिखा है कि शर्मा द्वारा दिनांक 24.9.15 को उनकी विभागीय जांच संस्थित कर निर्णय लिया गया है, उनकी 3 माह में जांच करें. इसके बाद 1 मार्च 2016 संचालनालय स्वास्थ्य सेवा इसमें भी आपने लास्ट में लिखा है नियम 2002 के उल्लंघन में दोषी पाये गये हैं.
अध्यक्ष महोदय-- डॉक्टर साहब, आप प्रश्न पूछिये कृपया.
डॉ. गोविंद सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय तत्कालीन मंत्री नरोत्तम मिश्रा जी ने भी 1 माह में जांच करने का आदेश 30 मार्च को दिया था. आखिर ऐसा कौन सा यह ताकतवर अधिकारी है कि पूरा शासन, प्रशासन इसके नीचे नतमस्तक है. आपने सरकारी जांच कराई, जांच में आपके अधिकारियों ने अनियमितता सिद्ध की, उसके बाद भी आज तक कार्यवाही नहीं हो रही है, लोकायुक्त में प्रकरण दर्ज है. मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि जो आपने आरोप पत्र लिये, कितने दिन में 1-1 बिंदू की सच्चाई से जांच हो जायेगी और कितने समय में वास्तविक सच्चाई के आधार पर अगर भ्रष्टाचार सिद्ध है तो कितने दिन में कार्यवाही करेंगे.
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री (श्री रूस्तम सिंह)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से डॉक्टर साहब को और सदन को आश्वस्त करना चाहता हूं कि जितने भी आरोप प्रत्यारोप हैं वह जांच के दायरे में हैं, विभागीय जांच भी चल रही है, अन्य चीजें जो बताई थीं उसका जवाब हमने दिया है, लेकिन हमने मुख्यालय से एक दल गठित कर दिया है, डायरेक्ट्रेट से, वह पूरी जांच समेट कर, पूरी कार्यवाही प्रस्तुत करेंगे और गुणदोषों के आधार पर 15 दिन में, आज से 15 दिन में डॉक्टर साहब गिन लीजियेगा, 16वां दिन नहीं होगा मैं आपको, अध्यक्ष महोदय आपके माध्यम से माननीय सदस्य महोदय को बताना चाहता हूं.
डॉ. गोविंद सिंह-- इसके लिये धन्यवाद, जांच तो हो चुकी, अब जांच की जरूरत क्या है.
अध्यक्ष महोदय-- धन्यवाद दे दिया आपने.
डॉ. गोविंद सिंह-- धन्यवाद दे दिया, लेकिन क्या शासन के नियम हैं कि एक व्यक्ति जिस जिले का निवासी हो, जूनियर हो उसको लगातार बनाने का सामान्य प्रशासन विभाग का नियम है, यदि नहीं है तो फिर वह कैसे पदस्थ है.
अध्यक्ष महोदय-- यह उसमें उद्भूत कहां हो रहा है.
श्री रूस्तम सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, डॉक्टर साहब ने हमको धन्यवाद भी दे दिया कि हो जाये, फिर उन्हें कुछ तो लगा नहीं है, हंसी ठिठोला तो किया डाक्टर साहब ने तो वह स्वीकार है ...(हंसी)....
(2)शाजापुर जिले में स्वच्छता मिशन के तहत शौचालय निर्माण हेतु हितग्राहियों को
राशि का भुगतान न किया जाना.
श्री इन्दर सिंह परमार (कालापीपल)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यानाकर्षण सूचना का विषय इस प्रकार है :-
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री(श्री गोपाल भार्गव) - माननीय अध्यक्ष महोदय,
एडव्होकेट सत्यप्रकाश सखवार - माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने जो निन्दा प्रस्ताव दिया है उसको पारित कराएं.
अध्यक्ष महोदय - आपका प्रस्ताव आ गया है. उस पर हम नियमानुसार विचार करेंगे. मैंने आपको आश्वस्त किया है आपका जो प्रस्ताव है उस पर जो नियमों में है उसके अनुसार विचार करेंगे
श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष महोदय,कौन से नियमों में है या तो उसे स्पष्ट करें.
बहिर्गमन
एडव्होकेट सत्यप्रकाश सखवार के नेतृत्व में बहुजन समाज पार्टी के सदस्यों द्वारा उनके द्वारा दिये गये निन्दा प्रस्ताव को सदन में पारित न करने के विरोध में सदन से बहिर्गमन
एडव्होकेट सत्यप्रकाश सखवार(अम्बाह) - माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी इसे लागू करवाएं. आप हमारा निन्दा प्रस्ताव पारित नहीं कर रहे हैं इसके विरोध में हम सदन से बर्हिगमन करते हैं.
(एडव्होकेट सत्यप्रकाश सखवार के नेतृत्व में बहुजन समाज पार्टी के सदस्यों द्वारा उनके द्वारा दिये गये निन्दा प्रस्ताव को सदन में पारित न करने के विरोध में सदन से बहिर्गमन किया गया.)
ध्यानाकर्षण(क्रमश:)
श्री इन्दर सिंह परमार - माननीय अध्यक्ष महोदय, कालापीपल जनपद में बहुत बड़ी संख्या में शौचालयों के निर्माण की राशि नहीं दी गई है. यह जो जानकारी दी गई है गलत जानकारी है इनका भुगतान कब तक कर दिया जायेगा.
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि मैंने अपने उत्तर में बताया है कि पिछले माह तक की सारी राशि का भुगतान कर दिया गया है. इस माह की राशि जैसे-जैसे वहां से प्रमाणित होकर आता जा रहा है तो उनका भुगतान भी प्रक्रियागत है. यदि माननीय सदस्य चाहते हैं किसी स्थान विशेष का,पंचायत विशेष का, कहीं का भी कोई भुगतान शेष है तो आप बता दें हम अभी 24 घंटे में भुगतान करवा देंगे.
श्री इन्दर सिंह परमार - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी कालापीपल जनपद की इतनी फाईलें पड़ी हैं. जनपद से चार महीने पहले जिला पंचायत को भेज दिया. जिला पंचायत ने फिर वापस जनपदों को भेज दी. इसमें हितग्राही का कोई दोष नहीं. या तो जनपद दोषी है या जिला पंचायत है. जब से ध्यानाकर्षण की सूचना गई दो दिन से भुगतान करने की प्रक्रिया लगातार कर रहे हैं लेकिन चार-चार,छह-छह महीने पुरानी फाईलें इतने समय तक लंबित पड़े रहना, क्या इसके लिये जिला पंचायत के सी.ई.ओ. दोषी नहीं हैं, क्या उनके खिलाफ कार्यवाही की जायेगी ?
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसी जानकारी दी गई है चार-छह महीने से कोई भी प्रकरण लंबित नहीं है. जिन लोगों ने शौचालय बना लिये हैं उनके फोटोग्राफ्स आ गये हैं. हितग्राही के साथ उनका भुगतान किया जा रहा है. यदि प्रक्रिया में कोई कमी है. यदि किसी अधिकारी ने जानबूझकर कोई कमी रखी है तो उस अधिकारी के विरुद्ध भी कार्यवाही करेंगे और मैं परीक्षण करवा लेता हूं और इसे अपडेट करके अभी तक कितने शौचालय बने हैं यदि प्रक्रिया पूरी हो गई होगी तो शतप्रतिशत शौचालयों का जिन्होंने खानापूर्ति कर ली होगी उनका भुगतान करवा दिया जायेगा. राशि की कोई कमी नहीं है.
अध्यक्ष महोदय-- शाजापुर जिले का मामला है. वह वहां से विधायक हैं.
श्री अरुण भीमावद--अध्यक्ष महोदय, मंत्रीजी ने जो उत्तर दिया है वह पूरी तरह से असत्य है.
अध्यक्ष महोदय--जहां पेमेंट नहीं हुआ है, उसके बारे में बताईये.
श्री अरुण भीमावद-- अध्यक्ष महोदय, तीन से चार माह हो गये हैं मोहन बडोदिया ब्लाक के 1800 शौचालयों का पैसा आज तक प्राप्त नहीं हुआ है. हितग्राहियों के खाते में अभी तक राशि जमा नहीं हुई है.दूसरा, शौचालयों के लिए दरवाजे सीधे जिला पंचायत से पहुंचाये हैं. ग्राम दुपाडिया में 400 दरवाजे, ग्राम पनवाड़ी में...
अध्यक्ष महोदय--आपका प्रश्न क्या है?
श्री अरुण भीमावद-- क्या जिला पंचायत को अधिकार है कि शौचालयों के दरवाजों के लिए सीधे राशि दी जाये?
श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष महोदय, 12 हजार रुपये सीधे जनपदों से हितग्राहियों के खाते में दी जाती है.
श्री राम निवास रावत--अध्यक्ष महोदय, सप्लाई की बात कर रहे हैं. जिला पंचायत सप्लाई कर रही है. जिला पंचायत ने गेट सप्लाई किये हैं.
श्री गोपाल भार्गव-- जिला पंचायत को किसी भी प्रकार की कोई सप्लाय करने का अधिकार नहीं है.
अध्यक्ष महोदय-- उत्तर आ गया है. अधिकार नहीं है.
श्री गोपाल भार्गव-- कोई अधिकार नहीं है, हितग्राही जैसा चाहे अपनी मर्जी से 12 हजार रुपये में बनवा सकता है. किसी प्रकार की कोई बाध्यता नहीं है.
अध्यक्ष महोदय-- उत्तर आ गया.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--अध्यक्ष महोदय, हमारे जिले में...
अध्यक्ष महोदय-- यह उद्भूत नहीं होता.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- यह राष्ट्रीय प्रोग्राम है.
अध्यक्ष महोदय-- श्री तिवारी जी जो बोल रहे हैं उनका कुछ नहीं लिखा जायेगा.
12.46 बजे प्रतिवेदन की प्रस्तुति
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- (XXX)
12.47 बजे याचिकाओं की प्रस्तुति.
अध्यक्ष महोदय-- आज की कार्यसूची में सम्मिलित सभी याचिकाएं प्रस्तुत हुई मानी जायेंगी.
12.48 बजे नियम 139 के अधीन अविलम्बनीय लोक महत्व के विषय पर चर्चा.
अध्यक्ष महोदय-- श्री आरिफ अकील चर्चा प्रारंभ करेंगे.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- वह विषय ही समाप्त हो गया है. मुझे बड़ा आश्चर्च होता है आप लोकसभा सदस्य रह चुके हैं इस तरह का व्यवहार कैसे करते हैं. बैठिये. श्री तिवारी जी का कुछ रिकार्ड नहीं होगा. नियम विरुद्ध बोल रहे हैं. बात बिलकुल नहीं समझ रहे हैं. आपके जिले का विषय नहीं है. विषय समाप्त हो गया. यह उद्भूत नहीं होता. कृपया बैठ जाईये.
श्री आरिफ अकील (भोपाल उत्तर) - अध्यक्ष महोदय, मैं आपका आभारी हूं कि आपने हमारे स्थगन, ध्यानाकर्षण को इस चर्चा में तब्दील किया. मैं अपनी बात शुरू करता हूं. श्री बाबूलाल गौर साहब एक पुराना शेर कहा करते थे कि - "तू इधर-उधर की न बात कर, तू यह बता कि कारवां क्यों लुटा, मुझे रहजनों से गिला नहीं, तेरी रहबरी का सवाल है."
12.50 बजे {सभापति महोदय (श्री केदारनाथ शुक्ल) पीठासीन हुए.}
सभापति महोदय, मैं पूछना चाहता हूं कि जब हाई अलर्ट हो गया था. यह मालूम था कि पानी ज्यादा आने वाला है, उसकी व्यवस्था को सुधारने के लिए, उसको रोकने के लिए क्या-क्या प्रयास किये गये? सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हूं कि कुछ दिन पूर्व विधायकों की जो अपने क्षेत्र की एक मीटिंग होती है, उसमें कहा था कि भोपाल में जो नाले हैं, उन नालों की सफाई करा दें. मिनट्स में लिखने के बाद भी उसमें कोई कार्यवाही नहीं हुई. मैं माननीय मंत्री जी से अनुरोध करना चाहूंगा कि यह आपका नया-नया मामला है. कृपया आप इधर देखेंगे और नोट करेंगे तो कृपा होगी. (डॉ. गौरीशंकर शेजवार, वन मंत्री के कुछ कहने पर) इसलिए कि आप भूल गये हो. आप भी भूलने वालों की श्रेणी में आने वाले हो. आप कुछ दिन और इंतजार कर लो. मैं यह कहना चाहता हूं कि जब एक मर्तबा मीटिंग हो गई तो क्यों व्यवस्था नहीं हुई? माननीय मंत्री जी आप भोपाल के ही हो. पहले भी एक मर्तबा बाढ़ आई थी. पानी भर गया था. पानी भरने के कारणों की जांच हुई थी. उस जांच में यह बात भी सामने आई थी कि पानी किन कारणों से भरा. आज भी वही बात आई कि सफाई की व्यवस्था नहीं थी. आपने कोई ऐसा चेनल सिस्टम बनाकर नहीं रखा कि भोपाल में कहीं पानी भर जाय तो वह पानी कितनी देर में कहां से निकलेगा, कैसे निकलेगा? मेहरबानी करके ये चर्चाएं बाद में भी हो जाएंगी. सभापति महोदय, मैं यह कहना चाहता हूं कि मंत्री जी यदि गौर से सुनेंगे, क्योंकि एक मर्तबा भुगते हुए हैं, अब दोबारा भुगते हैं और तीसरी मर्तबा भुगतना न पड़े इसके लिए मेहरबानी करके कोई सिस्टम ऐसा बनवाइए, क्योंकि यह पानी जो शहर में भर जाता है, इस पानी के शहर से निकलने की व्यवस्था होनी चाहिए.
सभापति महोदय, मेरे विधान सभा क्षेत्र में ऐसे बहुत से वार्ड हैं जहां पर कोई मशीन नहीं जा सकती है, वहां पर हाथ से, सिर पर ढोकर नाले साफ किये जाते हैं. इस संबंध में नगर निगम भोपाल में चिट्ठियां भरी पड़ी हैं लेकिन उसमें कोई कार्यवाही नहीं होती. आपके यहां पर सिस्टम है कि एचओ नगर निगम में कौन होगा, उसका कोई एग्जाम होता है, वह पास करता है. उसको एचओ बनाया जाता है. लेकिन वर्तमान में नगर निगम में एक एचओ ऐसा है जो एग्जाम पास किया हुआ है बाकी कोई दरोगा है, कोई कामगार है, उसको एचओ बनाकर उससे काम लिया जा रहा है. जब नाला गैंग भोपाल शहर में काम नहीं कर रही है, पानी की व्यवस्था सही हो नहीं रही है तो पानी तो भरेगा ही, उसकी देखरेख के लिए इंतजाम कौन करेगा, कैसे काम हो पाएगा? भोपाल में शहर में मैं एकमात्र अधिकारी की तारीफ करना चाहता हूं, जो नगर निगम भोपाल की कमिश्नर है, वह बेचारी रात को 12 बजे से लेकर 2 बजे तक बराबर टेलीफोन उठाती रही और बात करती रही. बाकी नगर निगम और राजस्व के अधिकारी जितने हैं, सब कुंभकर्ण की नींद सो रहे थे, उनको इस बात का ध्यान नहीं था कि भोपाल में क्या होने वाला है, क्या होगा? आपने सर्वे कराया, सर्वे के नाम पर आपने बहुत सारे क्षेत्रों को छोड़ दिया. मंत्री जी आप तो भोपाल की गली-गली से वाकिफ हैं. आप खूब जानते हों, कहां पानी भर सकता है, कहां नहीं भर सकता है. उसकी जांच करा लीजिए. भोपाल के साथ मध्यप्रदेश में जहां जहां भी लोग पानी से परेशान हुए हैं, यह घोषणा सबके साथ होना चाहिए, सब जगह व्यवस्था होना चाहिए.
सभापति महोदय, दूसरी बात यह कहना चाहता हूं कि जिस तरीके से यह मिट्टी मिला हुआ राशन बंटा है, इसकी तो उच्च स्तरीय जांच होना चाहिए. उनको किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाना चाहिए. चाहे कोई भी हों. अगर उन पर कार्यवाही नहीं हुई तो आगे ऐसा नहीं हो कि वे राशन की जगह थैले में मिट्टी भरकर ही दे दें कि यह मिट्टी आप ले लो, यह आपको दी जा रही है. सफाई कामगारों की जो शहर में कमी है. जनसंख्या और क्षेत्र के हिसाब से जितने कामगार होना चाहिए, वे सफाई कामगार भोपाल में शहर में नहीं हैं. उनकी व्यवस्था करना चाहिए, ताकि आईंदा कोई परेशानी हो तो उनकी कोई कमी न हो. अभी 2-3 दिन बाद फिर अलर्ट कर रहे हैं कि बारिश ज्यादा होगी. अभी से आपकी व्यवस्था नहीं है. नाले साफ करने वाली गैंग में पहले कितने लोग थे, अब कितने हो गये हैं? बहुत से दरोगा और एचओ ऐसे हैं, असिस्टेंट कमिश्नर तक ऐसे हैं, जो सफाई कामगारों को बगैर ड्यूटी पर बुलाए, घर बैठें उनकी तनख्वाह आधी जेब में रखते हैं और आधी उनके नाम पर देते हैं. इसकी भी आप जांच करा लें. अगर मंत्री जी जाकर सफाई कामगारों को चेक करना शुरू कर देंगी तो निश्चित ही भोपाल में सफाई होने लगेगी, मुआवजा सबको मिलना चाहिए. जिनके घर में पानी भरा है, जिनको परेशानी हुई है, उन सबको मुआवजा मिले. सभापति महोदय, आपने जो समय दिया उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री बहादुर सिंह चौहान(महिदपुर)– माननीय सभापति महोदय, मध्यप्रदेश में अतिवृष्टि से प्रदेश के कई जिलों में खरीफ फसल सोयाबीन, मक्का, बाजरा आदि किसानो द्वारा उसकी बोवनी कराई गई. अतिवृष्टि के कारण लगभग पूरे मध्यप्रदेश में 20 हजार हेक्टेयर की बुआई किसानों को फिर से करनी पड़ रही है. माननीय सभापति महोदय, यह एक प्राकृतिक आपदा है अतिवृष्टि, हमारे किसी के हाथ में नहीं है, परन्तु हमें पता है अभी थोड़े दिन पहले सूखा पड़ा था, उससे मध्यप्रदेश का किसान परेशान था और अभी अतिवृष्टि हो गई इससे परेशान है. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी को अवगत कराना चाहता हूं कि ऐसे किसान जिनकी अतिवृष्टि से पुन: उनको बुआई करनी पड़ेगी वहां पर उन्नत किस्म के बीज की सरकार को व्यवस्था करनी चाहिए, निश्चित रूप से करी होगी. मैं चाहता हूं कि जब वर्षा ऋतु आती है और जब बोवनी का समय आता है तो एक हेक्टेयर, दो हेक्टेयर के बड़े किसान अपने बीज को तैयार करके रखता है वह बीज वह बो चुका है और वह समाप्त हो गया, उसको पुन: बोवनी करना है तो उसको उन्नत किस्म के बीज की आवश्यकता है, मल्टीनेशनल कंपनी की दवाइयां उसको मिले उसको आवश्यकता है, उच्च किस्म का फर्टिलाइजर मिले उसकी आवश्यकता है. निश्चित रूप से मंत्री जी इसकी व्यवस्था जहां जहां मध्यप्रदेश के जिन जिन जिलों में आवश्यकता हैं करवा रहे होंगे. मैं इस अतिवृष्टि के माध्यम से चूंकि इस विषय को रिलेवेंट करना चाहता हूं कि अब मध्यप्रदेश को बीमा कंपनियों के लिए दस भागों में बांट दिया गया है, उज्जैन और शहडोल को एक कलस्टर बना दिया गया है, इंदौर और होशंगाबाद का एक कलस्टर कर दिया गया है, रीवा और जबलपुर का एक कलस्टर कर दिया, ग्वालियर और भोपाल का एक कलस्टर कर दिया है, इस प्रकार मध्यप्रदेश को पांच कलस्टर में बांटा गया है और बीमा कंपनियों को टेण्डर के लिए आमंत्रित किया गया था, उसमें से चार कंपनियों के टेण्डर हो गए थे और एक कंपनी का टेण्डर नहीं हुआ था जो हमारा मालवा से जुड़ा हुआ है, उज्जैन और शहडोल संभाग का पुन: टेण्डर बुलवाया गया था, जिसमें अन्य कलस्टरों की तो सात से नौ के बीच में निविदा आई है, परन्तु उज्जैन और शहडोल संभाग के लिए 13-13 की निविदा आई, उस कंपनी का 1 अप्रैल से 16 अगस्त तक किश्तों के द्वारा प्रीमियम काट ली गई है और मध्यप्रदेश उत्पादन आयुक्त अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में 15.03.16 को जो बैठक हुई है, उसमें बिन्दु क्रमांक 8 में स्पष्ट लिखा है, मैंने पढ़ा है प्रधानमंत्री फसल बीमा के अंतर्गत कि यदि बोवनी के समय किसान की फसल समाप्त हो जाती है तो तत्काल बीमा कंपनी को 25 प्रतिशत राशि देना होगी, ये निर्णय मध्यप्रदेश की सरकार ने बीमा कंपनियों के द्वारा कर ली गई है. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी का ध्यानाकर्षण चाहता हूं कि जहां जहां भी पुन: बुआई करवाई जा रही है उनको चिन्हित करके चूंकि बीमा कंपनी तो अपना प्रीमियम लेकर चली जाएगी. उन किसानों को तत्काल 25 प्रतिशत राशि दिलवाने का प्रयास माननीय मंत्री जी करेंगे ऐसी मैं आशा इस सदन के माध्यम से रखता हूं. माननीय सभापति महोदय, चूंकि 13-13 का जो हमारे मालवा क्षेत्र के लिए कंपनी ने टेण्डर डाले हैं, निश्चित रूप से चूंकि टेण्डर नहीं आए थे टेण्डर प्रक्रिया थी, उसका चित्रण करने का मेरे पास समय नहीं है, परन्तु देखने में यह आया है कि हमारी सरकार के द्वारा, माननीय श्री शिवराज सिंह जी की सरकार के द्वारा नकली बीज वालों पर बहुत बड़ी कार्यवाहियां हुई हैं और मैंने इस सदन के अंदर, जब मैं 2003 में विधायक था तब 10 करोड़ 65 लाख की प्रज्ञा सीड पर कार्यवाही करवायी थी. मैं पुन: जब विधायक बनकर आया तो उन बीज माफियाओं के द्वारा 2008 में मुझे 925 वोट से चुनाव हरवा दिया गया था. लेकिन उसकी भी परवाह नहीं करते हुए पुन: सदन में नौलक्खा बीज कंपनी के खिलाफ में कार्यवाही करवाई है 8 करोड़ 31 लाख की रिकवरी हुई है और उसका चालान पुटअप हो गया है, लेकिन उ सके बारे में मैं कहना चाहता हूं कि ऐसे बीज माफियाओं पर कार्यवाही भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने की है. मैं और भी यहां पर उम्मीद करता हूं कि ऐसे नकली बीज बेचने वाले, नकली खाद बेचने वाले, नकली दवाइयां बेचने वाले चाहे वह किसी भी दल से जुड़े हुए हों वह शुद्ध रूप से किसान को एक तरह से जहर दे रहे हैं. ऐसे लोगों पर मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने कार्यवाही की है इसमें और भी कार्यवाही की हम आपसे उम्मीद करते हैं, लेकिन सवाल इस बात का उठ रहा है कि यह जो 20 हजार हेक्टेयर जमीन है लेकिन इतना बीज उपलब्ध नहीं है. मैं यहां पर माननीय मंत्री जी से आग्रह करना चाहता हूं कि जहां जहां पर भी ऐसे लघु और सीमांत कृषक हैं, वे असहाय हैं निश्चित रूप से उनको उच्च किस्म का बीज, उच्च क्वालिटी की दवाइयां, और उच्च किस्म का फर्टिलाइजर उपलब्ध कराने की सरकार को सुनिश्चित व्यवस्था करना चाहिए क्योंकि यह बहुत ही महत्वपूर्ण मामला है.
माननीय सभापति महोदय मैं बीमा नीति को पढ़ने के बाद में कहना चाहता हूं कि 2012-13 और 2014-152015-16 को आपदा वर्ष घोषित कर दिया गया है. बीमा क्लेम को जो आइडेंटिफाई करेंगे तो 7 वर्षों में से तीन वर्ष में जहां पर अधिक नुकसान हुआ है उनको छोड़कर उस क्लेम को सेटल किया जायेगा. यह बहुत ही गंभीर विषय है. पहले चूंकि आरबीसी और भू राजस्व संहिता के तहत हम लोग काफी राहत राशि दिलवा देते थे, लेकिन अब चूंकि बीमा कंपनियां आ गई हैं और जब फसल कटाई का प्रयोग होगा. अभी यह 25 प्रतिशत राशि देने का मामला है वह प्रीमियम ले चुके हैं 1 अप्रैल से 16 अगस्त तक आखिरी है आज आप देखें कि 21 जुलाई हो गई है ऋणी और अऋणी पूरे मध्यप्रदेश के किसानों से प्रीमियम इन बीमा कंपनियों के द्वारा काट लिया गया है.
माननीय सभापति महोदय मैं आज की इस 139 की चर्चा में माननीय मंत्री जी का ध्यान आकर्षित कराना चाहता हूं. किसान तो कहीं न कहीं से बीज लाकर दुबारा बोवनी करेगा ही लेकिन यह 25 प्रतिशत प्रीमियम जिन बीमा कंपनियों के द्वारा ले लिया गया है और जहां जहां पर भी यह डबल बोवनी का काम हुआ है. किसी जिले में 5 प्रतिशत होगा किसी जिले में 40 प्रतिशत होगा किसी जिले में 50 प्रतिशत से अधिक होगा वहां पर इन बीमा कंपनियों से 25 प्रतिशत की राशि उन किसानों को दिलवाने की व्यवस्था निश्चित रूप से मंत्री जी को करना चाहिए. ऐसी आशा मैं यहां पर सदन में मंत्री जी से करता हूं.
माननीय सभापति महोदय कुल आबादी के लगभग 75 प्रतिशत लोग गांवों में निवास करते हैं. वह मूलत: कृषक होते हैं उनकी आय का स्त्रोत या तो कृषि होती है या पशुपालन होता है. सभापति महोदय आपने देखा होगा कि पहले सूखा पड़ा है और फिर अतिवृष्टि हुई है, धीरे धीरे किसान की माली हालत कमजोर होती जा रही है. किसान और गरीबी के दल दल में फंसता जा रहा है. इन बीमा कंपनियों के माध्यम से अगर उऩको 25 प्रतिशत की राशि दी जायेगी तो निश्चित रूप से उनके जीवन में उजाला आयेगा. इसके लिए मैं सरकार और सरकार में बैठे हुए हमारे माननीय मंत्री जी से मैं आग्रह करना चाहता हूं कि पूरी ताकत के साथ में पूरे मध्यप्रदेश में जहां जहां भी ऐसी स्थिति हुई है उसको माननीय मुख्यमंत्री जी के द्वारा चिन्हित करा लिया गया है उन लोगों को अगर 25 प्रतिशत राहत राशि का वितरण कर दिया जायेगा तो उनको डबल बोवनी करने में काफी सहूलियत होगी, ऐसा मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हूं.
सभापति महोदय यह जो सूखा और अतिवृष्टि का विषय है. यह आपके और हमारे हाथ में नहीं है. यह तो प्राकृतिक आपदा है. इस आपदा के समय में मैं कहना चाहता हूं कि वर्ष 2005 से लगाकर 2015-16 तक भारतीय जनता पार्टी की सरकार श्री शिवराज सिंह चौहान जी की सरकार में राहत राशि के रूप में 9396 करोड़ रूपये इस पूरे मध्यप्रदेश में किसानों को वितरित किये गये हैं. बीमा क्लेम भी 84778 करोड़ रूपये का किसानों को किया गया है. आपने मुझे काफी समय बोलने के लिए दिया है अंत में मैं कहना चाहता हूं कि मेरे भाषण का जो सारांश है उसमें महत्वपूर्ण बात जो है वह यह है कि उन किसानों को जहां पर डबल बुवाई करने की आवश्यकता है वहां पर बीज, खाद और दवाई की उपलब्धता हो जाए और उनको जो बीमा क्लेम की कंपनियां ले गई हैं उनको 25 प्रतिशत क्लेम दिलवाने का माननीय मंत्री जी की ओर से प्रयास होगा. आपने बोलने का मौका दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री सुंदरलाल तिवारी (गुढ़) -- माननीय सभापति जी, अतिवर्षा की वजह से राज्य के विभिन्न क्षेत्र प्रभावित हुए हैं और इसमें हमारा जिला और समीपस्थ सतना जिला अत्यधिक प्रभावित हुआ है. जहां तक रीवा जिले का सवाल है, हमारे यहां रीवा जिले में वर्षा तो कम हुई लेकिन दुर्घटना सबसे अधिक हमारे यहां हुई है और सबसे अधिक प्रभावित भी हमारे यहां के जन हुए हैं. एक दुर्घटना में पांच व्यक्ति एक प्रपात में बह गए, केवल एक बच्चे की लाश मिली है बाकी चार आज भी लापता हैं. ये सारी घटना जो हुई इसमें लोगों की ओर से मिली-जुली प्रतिक्रिया आई है. अखबारों के माध्यम से कुछ लोगों का यह कहना है कि प्रशासन की लापरवाही की वजह से बकिया बैराज का गेट जो खोल दिया गया, यह अचानक खोला गया, पहले ध्यान नहीं दिया गया जिसकी वजह से नदी में अत्यधिक पानी एकदम बढ़ गया और यह पानी सीधे प्रपात में गया एवं जो बच्चे पिकनिक मनाने वहां गए थे वे सजग नहीं हो पाए, इतनी ज्यादा मात्रा में पानी आया और इतनी रफ्तार से आया कि वे पांचों बच्चे बह गए.
माननीय सभापति महोदय, मेरा आपसे कहना यह है कि इसके संबंध में केन्द्र सरकार ने कानून बनाया है. राज्य सरकार ने भी उसके पालन के लिए कुछ गाइडलाइंस बनाई है. सवाल इस बात का है कि यह जो डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट, 2005 है यह किताबों में रह गया है, न तो राज्य सरकार इसमें कोई ध्यान देती है और न डिस्ट्रिक्ट लेवल पर जो डिस्ट्रिक्ट अथॉरिटीज हैं जिनके ऊपर इसकी जिम्मेदारी है न वे इस पर ध्यान दे रहे हैं जिसकी वजह से यह घटना घटी. मेरा यह कहना है कि इन घटनाओं को अगर हम क्रम से चिह्नित नहीं करेंगे तो ऐसी घटनाएं आगे भी घटती चली जाएंगी. जैसे हमारे रीवा जिले में पानी नहीं गिरा, कहा जाता है कि सतना में अतिवृष्टि होने की वजह से सतना से पानी नदी के माध्यम से यहां चला आया. मेरा यह कहना है कि डिजास्टर मैनेजमेंट का एक महत्वपूर्ण कार्य यह भी है कि असेस किया जाए कि आने वाले समय में क्या-क्या आपदा आ सकती है ? इसकी हमारे यहां बिल्कुल कमी थी, किसी अधिकारी ने इस पर ध्यान नहीं दिया, माननीय मंत्री जी, जिसकी वजह से यह घटना हुई. जहां बाढ़ आई वहां कम जनहानि हुई है लेकिन दूसरे जिलों में जनहानि ज्यादा हो गई तो मेरा यह कहना है कि इतनी ज्यादा मात्रा में पानी अचानक नदी में तो आ नहीं गया होगा फिर गाइडलाइंस के अनुसार जनता को जगाया क्यों नहीं गया, जनता को बताया क्यों नहीं गया, इस पर भी लापरवाही हुई. डिस्ट्रिक्ट लेवल पर कलेक्टर को या जो भी अधिकारी हैं उनको जो कार्यवाही करनी चाहिए उन लोगों ने कोई कार्यवाही नहीं की. वे कागज पूरा फिलअप कर लेते हैं कि हमने मीटिंग की, हमने एक अखबार में दे दिया और हमने हॉर्न बजा दिया लेकिन सच्चाई यह है कि ग्रामीणजनों को इसके बारे में कोई भी जानकारी नहीं हो पाती है.
माननीय सभापति जी, आपके माध्यम से मेरा यह कहना है कि जो हमारे यहां 5 बच्चे काल के मुंह में चले गए और लापरवाही की वजह से,इसकी वृहद जांच होनी चाहिए, उनकी जांच पर मजाक नहीं होना चाहिए. हमारे जिला कलेक्टर ने मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिये हैं, यह कंपलीटली इन्सफिशियेंट है. अब एडीएम क्या जांच करेगा. डिजास्टर मैनेजमेंट कमेटी के चेयरमैन तो कलेक्टर होते हैं और उसकी जांच एडीएम करेगा, यह कैसा मजाक है. मेरा मंत्री जी से कहना है कि इसमें जब तक एक बार ज्यूडिशियल इन्क्वायरी नहीं होगी तब तक कुछ नहीं होगा और जांच के बिंदु निर्धारित किये जाये कि कहाँ एसेसमेंट में चूक हुई,कहाँ गेट खोलने में चूक हुई, कहाँ अधिकारियों की लापरवाही है, कहाँ सूचना देने में लापरवाही हुई और अगर इसी तरह से अधिकारियों को बचाने का काम चलता रहा तो यह घटनायें भविष्य में घटती ही रहेंगी और बड़ी घटनायें घटेंगी. मेरा यह कहना है कि एक बार इसकी वृहद रूप से जांच होनी चाहिए और ज्यूडिशियल इन्क्वायरी हो, मेरी आपसे मांग है. हालांकि आप इसके लिए तैयार नहीं होंगे, यह मैं ही बोले देता हूं क्योंकि आपकी सरकार में इसकी प्रथा ही नहीं है. भ्रष्ट लोगों को, गलत काम करने वाले लोगों को, कोई पनिशमेंट हो हमारे विधानसभा में हमने कहा, मंत्री जी ने उधर मुस्कुराकर जवाब दे दिया कि हाँ हम इसकी जांच करेंगे और हमारा पांच साल का वक्त निकल जायेगा, वह जांच होगी कि नहीं होगी? सभापति जी, मैं यह कहना चाहता हूं कि वह पांच निर्दोष,नासमझ बच्चे जो कि अभी युवा भी नहीं हुए थे और शासन-प्रशासन की लापरवाही से इस हादसे के शिकार हुए हैं, टेक्नीकल चीजें हैं, कागज तो सब भर लेंगे, इरीगेशन वाले भी भर लेंगे कि हमने तो फलां तारीख को सूचना दिया, हमने डिस्ट्रिक्ट हेड क्वार्टर को सूचना दिया लेकिन इसमें सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि इतना ज्यादा पानी अचानक कैसे आ गया और इरीगेशन विभाग के लोगों ने इसको एसेस क्यों नहीं किया. पहले से ही क्यों नहीं खोल दिया कि थोड़ा-थोड़ा पानी बाहर निकल जाये और लोगों की जान-माल की रक्षा हो जाये. यहाँ पर जान-माल भर का नुकसान नहीं हुआ बल्कि इतनी गति से वह पानी नदी में गया कि आगे जाकर वह खेतों में भी भर गया,खेतों के किनारे-किनारे फसल,सब्जियाँ किसानों ने बोई थी, वह भी नष्ट हो गई. लेकिन अभी तक एक रूपया मुआवजा की घोषणा न तो सरकार ने की , न हमारे जिला प्रशासन ने की और दुर्भाग्य फिर हम यहाँ कहेंगे कि जो पांच बच्चे लापता हुए थे उनमें से जिस एक बच्चे की लाश ही मिल सकी. चार बच्चों के शव बरामद करने में हमारा जिला प्रशासन अभी भी अक्षम हैं और उनकी लाशें अभी भी नहीं मिल सकी हैं. सभापति महोदय, मैं कहना चाहता हूं कि यह बड़ी पीड़ा का विषय हो गया है. एक तरफ तो हम कह रहे हैं कि वह बच्चे बह गये, उनकी माता-पिता आज भी घर में उनका इंतजार कर रहे हैं कि मेरा बेटा वापस चला आएगा. अब ऐसी स्थिति हो गई है कि वह जिंदा हैं कि नहीं हैं,पता नहीं है. कैसे इसका संतोष,इसका विश्वास उनके माता-पिता, उनके प्रेमी, उनके रिश्तेदार भाई कर लें. यह तो आपका प्रबंधन, मैनेजमेंट है कि आज तक उन चार बच्चों की लाश नहीं मिल पाई है और क्रूरता की हद है कि जिस एक बच्चे की लाश मिली, उस बच्चे के परिवार को एक रूपया की सहायता आपकी सरकार और जिला प्रशासन ने नहीं दी है. एक रूपया भी डिक्लेयर नहीं किया कि हम उसके परिवार को सहायता दे रहे हैं, कफन का पैसा नहीं दिया है. लाशें मिलने के बावजूद भी. हमारे बहादुर सिंह जी बड़ी लंबी-लंबी बात मुख्यमंत्री जी के बारे में कर रहे थे, खैर करना भी चाहिए आपको. माननीय सभापति जी, बहादुर सिंह जी को मैं आपको याद दिलाना चाहता हूं कि आपकी बातें सब कोरी हैं. माननीय मंत्री जी से पूछ लीजिये कि क्या एक रूपया भी उस परिवार को सहायता राशि के रूप में दिया गया है. मेरा ये कहना है कि उस परिवार को सहायता दी जाए. उन बच्चों की लाशों का ढूंढा जाए. मैकेनिजम डेव्हलप किया जाए ताकि वे बच्चे मिल जायें. जिससे उनके परिवारजनों को संतोष हो. आगे मेरा यह कहना है कि इसमें डिजास्टर मैनेजमैंट एक्ट, 2005 में जो प्रावधान है, जो नियम बनाए गए हैं, उनका पालन पूरे प्रदेश में माननीय मंत्री जी सरकार स्तर से लेकर जिला स्तर तक करवाने की कृपा करेंगे. ये केवल कानून कागजों में न रह जाए, जैसे इसमें नियम है कि कॉन्सटीट्यूशन ऑफ डिस्ट्रिक्ट डिजास्टर मैनेजमैंट अथॉरिटी है. जिले में भी होनी चाहिए. पावर ऑफ चेयरमैन ऑफ द डिस्ट्रिक्ट अथॉरिटी मीटिंग केवल फॉरमेलिटी होती है. कलेक्टर हर बरसात के पहले एक मीटिंग ले लेते हैं और बात खत्म हो जाती है. मेरा कहना है कि सड़कों पर चले जाईये, होर्डिंग लगे हैं और होर्डिंग में किस की फोटो लगी है ? मुख्यमंत्री जी की. आपके माननीय मंत्री जी की फोटो देखने को खूब मिलती है, हम देखना चाहें. लेकिन रोड में हमको जबरदस्ती आप दिखते हैं.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार- ये क्या बात है, हम देखना चाहे या न देखना चाहें. कई बार हमारी भी मजबूरी है, हम बैठे हैं आपका भाषण सुनना चाहें न सुनना चाहें, मगर बैठना तो पड़ेगा ही.
श्री सुंदरलाल तिवारी- कोई मजबूरी नहीं है, आप घर जाईये, माननीय मंत्री जी.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार- सभापति महोदय, ये भाषण कर रहे थे, तो सदन में बिल्कुल शांति थी. कई बार तो पिन ड्रॉप शांति थी. ये समझ रहे थे कि वाह मेरे भाषण से लोग बड़े प्रभावित हो रहे हैं. वस्तुस्थिति यह है कि नींद आ रही थी और लोग ऊब रहे थे. अब आप सारगर्भित बातें करिये. आप एक-एक शब्द को चार-चार बार दोहरा रहे थे. क्या कानून बता रहे हैं आप. कानून आपने बताया और जिस चीज का आपने पढ़ा और स्वयं आप ने ही उसे कॉन्ट्राडिक्ट किया. आप ही कह रहे थे कि इसका पालन हो रहा है, आप ही कह रहे थे कि डिजास्टर मैनेजमेंट की मीटिंग हो रही है.
श्री सुंदरलाल तिवारी- मैंने ये कतई नहीं बोला.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार- और आपने ये कहा कि कलेक्टर ने मीटिंग ली, और आप ही कह रहे हैं कि बेमतलब की मीटिंग है. चाहते क्या हैं आप ?
सभापति महोदय- तिवारी जी आप अपनी बात जारी रखे. आप अपनी बात थोड़ा जल्दी रखिये.
श्री सुंदरलाल तिवारी- माननीय सभापति जी, हमारे प्रदेश सरकार के वरिष्ठ मंत्री जी को किसी ने बांध के, जकड़ के नहीं रखा है. जबरदस्ती आप बैठे हैं. मेरा आप से विनम्र निवेदन है कि अगर स्वास्थ्य खराब है या आराम करना चाहते हैं या कुछ और भी करना चाहते हों तो......
डॉ. गौरीशंकर शेजवार- माननीय सभापति जी बात मुख्यमंत्री जी की फोटो देखने पर से चली थी.
श्री सुंदरलाल तिवारी- अभी मेरी बात खत्म नहीं हुई.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार- आप एक चीज बताईये, कि ''मन-मन भावे मुड़ हिलावे'' . मुख्यमंत्री जी की फोटो देख भी रहे हैं, खुश भी हो रहे हैं, नीतियों से भी प्रसन्न हो रहे हैं और फिर वैसे ही आप नाम के लिए बुराई भी कर रहे हैं. जब प्रसन्नता है मन में, फोटो अच्छी लग रही है, नीतियां अच्छी हैं, काम अच्छे हैं, विकास हो रहा है. इसको आप स्वीकार कर रहे हैं, तो ये अकारण क्यों ना ना करते हैं. आप प्रशंसा करिये मुख्यमंत्री की, फोटो की भी करिये, उनके काम की भी करिये. जिस तरीके से मध्यप्रदेश में डिजास्टर मैनेजमेंट हुआ है और लोगों को राहत दी गई है.
श्री सुंदरलाल तिवारी- सभापति जी एक सीट हमने देखी वहां गौर साहब बैठे थे, माननीय सरताज सिंह जी बैठे थे, विजयवर्गीय जी बैठे थे और मुझे ऐसा लगा कि वह जो चेंबर है वह कटघरे के रूप में वहाँ बना दिया गया है. सरताज सिंह जी और माननीय गौर साहब, मैं बोलने वाला था लेकिन मैं उस समय इसलिए नहीं बोला कि गौर साहब बहुत सयाने हैं, बात अच्छी नहीं है इसलिए अब बोल रहे हैं.
सभापति महोदय-- तिवारी जी, बाला बच्चन जी कुछ कह रहे हैं.
प्रभारी नेता प्रतिपक्ष (श्री बाला बच्चन)-- माननीय सभापति महोदय, माननीय शेजवार जी की बात को हमने सुना और मुख्यमंत्री जी का उल्लेख किया है. माननीय शेजवार जी, अभी तीन दिन पहले तीन नगर पालिकाओं के रिजल्ट आए उसमें सब चीजें शामिल हैं, सभी बातों का जवाब है.
सभापति महोदय-- तिवारी जी, कृपया अपनी बात जल्दी पूरी करिए. काफी समय हो गया....(व्यवधान)..
श्री सुदर्शन गुप्ता (आर्य)-- पहले भी तीन चार विधान सभाओं के रिजल्ट आ चुके हैं उनका भी ध्यान रखना. उस पर भी गौर करो.
श्री बाला बच्चन-- गुप्ता जी, अभी रुक जाइये समय आ रहा है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- माननीय सभापति जी, जो मैं होर्डिंग्स की बात कर रहा था....
डॉ गौरीशंकर शेजवार-- माननीय सभापति महोदय, मैं बोलना नहीं चाहता था लेकिन माननीय अध्यक्ष के चेंबर में बाला बच्चन जी और मुकेश नायक दोनों बैठे थे, तो दोनों के चेहरे देखकर यह स्पष्ट लग रहा था कि संकेत इनको मिल गए हैं और इनकी प्रशंसा देखने लायक थी और मैं यह नहीं कह रहा हूँ कि आपका चेहरा उतरा हुआ था.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- माननीय सभापति जी, मुझे मुख्यमंत्री जी का चेहरा अच्छा लगता है कि नहीं लगता है. यह बात दूसरी है. मैं तो आप से थोड़ा दूर बैठा हूँ. बगल में गौर साहब बैठे थे. सरताज सिंह जी बैठे थे, उनसे आपने पूछा कि नहीं पूछा? सभापति महोदय, अध्यक्ष महोदय से भी कह दीजिए कि वे सीट के थोड़े नंबर बदल दें. वह बिल्कुल ऐसा लगता है जैसे हम लोग वकालत करते थे तो मुल्जिम एक कटघरे में बैठ जाते थे, किनारे में वे सब खड़े हो जाते थे तो आपने एक ही साथ बैठा दिया तो देखने में भी हम लोगों को बड़ी पीड़ा होती है वे सयाने लोग जब बैठे मिलते हैं, तो अन्दर से बड़ी पीड़ा होती है, बताइये यह व्यवहार....
सभापति महोदय-- आप विषय पर आ जाइये.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- एक वरिष्ठ जिन्होंने समाज सेवा में जीवन खपा दिया उनके साथ यह व्यवहार, भार्गव जी, शेजवार साहब, यह व्यवहार आप कर रहे हों और बात मुझे कह रहे हों कि फोटो अच्छी लग रही है कि नहीं.
श्री अँचल सोनकर-- तिवारी जी, आपको पीड़ा किस बात की होती है?
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- पीड़ा इस बात की है कि प्रदेश के एक बुजुर्ग, सम्मानित, ईमानदार नेता, मुख्यमंत्री रहे, कभी हारे नहीं, विधायक रहे और जिस असम्मानित तरीके से उनके साथ व्यवहार हुआ उसका विश्लेषण तो हम यहाँ नहीं करना चाहते, समय ज्यादा खर्च होगा और कभी मौका लगेगा तो विश्लेषण करेंगे. आपके नेता....
श्री दिलीप सिंह परिहार-- तिवारी जी, आपके दल की चिंता कर लो....
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- आपकी पार्टी और हमारी पार्टी में फर्क है. सालों से हमारे नेता बीमार हैं...
सभापति महोदय-- तिवारी जी, आप विषय पर आइये. ..(व्यवधान)..
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- गुप्ता जी, बैठ जाइये. बस दो मिनट.
श्री सुदर्शन गुप्ता (आर्य) -- आपको भी लोकसभा से विधान सभा में धकेल दिया.
श्री शंकरलाल तिवारी-- सीताराम केसरी और आपके नरसिम्हाराव की स्थिति क्या थी, इसको आप से ज्यादा अच्छा कोई नहीं जानता.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- क्या आप उसी की नकल कर रहे हों?
श्री शंकरलाल तिवारी-- नहीं कर रहे पर हमारे यहाँ ऐसा नहीं है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- सभापति जी, मैंने होर्डिंग की बात की तो बुरा लग गया. मैं एक उदाहरण पेश कर रहा था.
श्री निशंक कुमार जैन-- तिवारी जी, जरा आप आडवाणी जी की स्थिति का भी उल्लेख कर दो.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- माननीय मंत्री जी, मेरा यह कहना है कि जिस तरह के होर्डिंग्स पूरे प्रदेश में विभिन्न विभागों के द्वारा आपकी असत्य, गलत, जो जनमानस तक नीतियाँ नहीं पहुँची हैं उनको पहुँचाने के लिए लगाए गए हैं. अगर आप थोड़ा सा डिजास्टर मैनेजमेंट के संबंध में विचार करके जो खतरनाक जगह हैं और जनता को मैनेजमेंट के संबंध में जानकारी के लिए अगर उसमें आप होर्डिंग्स में पैसा लगाकर जनता को अवेयर करने के लिए एक रुपया भी खर्च किए होते तो शायद जो दुर्घटनाएँ हुई हैं उनमें कमी आती. लेकिन क्या सिस्टम बनाया सभापति जी, फाइलों में, कलेक्टर में मीटिंग बुलाई है, इरीगेशन विभाग का अपना एक रजिस्टर है.
सभापति महोदय-- तिवारी जी, आप यह सब बोल चुके हैं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- नहीं बोला है. सभापति जी, मेरा यह कहना है कि इसमें सुधार कर लें. जो खतरनाक जोन्स हैं, जैसे मान लीजिए प्रपात हैं, बड़ी नदियां हैं जहां खतरा है वहां पर बरसात के पहले गांव में व आसपास कुछ होर्डिंग्स लगा दें कि यहां पर खतरा हो सकता है, पानी ज्यादा आ सकता है गांव के लोग सतर्क हो जाएं जिससे कि उनके जीवन की रक्षा हो सके. केवल कागजों पर मीटिंग न करें बल्कि जनता को अवेयर करने का काम करें.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार--आप रीवा में बैठकों में आते नहीं हैं और यहां पर दुनिया की लंबी-लंबी बातें कर रहे हैं. हम तो गये थे जब आप आये थे.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--आप असत्य क्यों बोल रहे हैं बस एकबार नहीं गये हैं. आप ही कम आते थे. एक बार हम गये हैं और एक बार हम नहीं जा पाये किन्हीं कारणों से और इसलिए नहीं गये कि आपकी सरकार ने एक घोषणा की थी कि इमरजेंसी में जो लोग बंद हुए थे उनको कुछ राशि प्रदान की जाएगी लेकिन आपने उन बेचारों की फाइल को खोला भी नहीं और केवल एक आदमी की राशि स्वीकृत की जो आपकी जाति से संबंधित था और 24 लोगों को आपने राशि स्वीकृत नहीं की तो हमारे दिल में आपके प्रति जरा इमेज बिगड़ गई कि यह आदमी अच्छे नहीं है.
सभापति महोदय--आप बैठक में गये ही नहीं थे तो आपको कैसे पता है कि उन्होंने फाइल खोली थी या नहीं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--बहुत सारी बातें शेजवार साहब और हमारे बीच की हैं उनको हम नहीं बोलेंगे. लेकिन मैं यह कह रहा हूं कि आपने एक सजातीय आदमी का किया है और 24 आदमियों को छोड़ दिया है. यह मेरा इस सदन में आपके ऊपर एलीगेशन है. आपने उन 24 को क्यों छोड़ा क्या यह न्याय है ?
श्री वेलसिंह भूरिया--सभापति महोदय, तिवारी जी सदन का समय बर्बाद कर रहे हैं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--मैं अंत में यह कहना चाहता हूँ कि जिन परिवारों में घटनाएं हुई हैं उन परिवारों को...
श्री गोपाल भार्गव--यह जब रीवा जाते थे तो विज्ञापन में इनकी भी फोटो छपती थी, तो आपको कैसी लगती थी.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--अच्छी लगती है, काम अच्छा नहीं लगता फोटो अच्छी लगती है. 15-15 लाख रुपये हर परिवार को सहायता राशि के रुप में देने का आप कष्ट करें. दूसरी चीज जिन किसानों की फसल नष्ट हो गई है उनको फसल का मुआवजा, बीज और सहायता राशि दें जिससे किसान अपने पैरों पर खड़े हो सकें. डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट पर्याप्त है इसे व्यावहारिक बनाइये. जिला स्तर पर,गांव स्तर पर जन-जन को जागृत करिए. जिस तरह से मंत्रियों की तस्वीर दिखाने के लिए होर्डिंग्स लगती हैं उसी तरह से यह होर्डिंग्स लगवायें जिससे प्रदेश की जनता जागृत हो और भविष्य में इस तरह की दुर्घटनाएं न हों. धन्यवाद.
श्री शंकरलाल तिवारी (सतना)-- माननीय सभापति महोदय, नियम 139 के अधीन अविलम्बनीय लोक महत्व के विषय पर आपने बाढ़ पर जो चर्चा आहूत की है उसके लिए मैं हृदय से आपको धन्यवाद देता हूं.
सभापति महोदय, सच में तीन साल तो हम सूखे से त्रस्त रहे और इस बार पूरे देश में और प्रदेश में अतिवृष्टि हुई. मेरी अपनी उम्र में मैंने ऐसी बाढ़ कभी नहीं देखी ऐसी अतिवृष्टि से नुकसान कभी नहीं हुआ. सतना का जो मंजर था वह अतिवृष्टि नहीं थी वह कहर था. वह ईश्वर का कहर तो था ही इसके अलावा व्यवस्था तंत्र की भी उसमें पूरी भागीदारी थी. पानी बरसने के कारण, अतिवृष्टि के कारण हमारे यहां टमस नदी, सतना नदी और किरारी नदी यह तीनों मिलती हैं और तीनों मिलकर सतना के समीप से माधौगढ़ के पास से निलकती हैं. नदियों में बाढ़ आने के कारण इन तीनों नदियों का पानी जब एकत्रित हुआ, पहाड़ों का पानी एकत्रित हुआ तो नदियों के किनारे के जितने गांव थे उनमें बाढ़ आना स्वाभाविक था.
सभापति महोदय--श्री तिवारी जी का भाषण जारी रहेगा. सदन की कार्यवाही अपराह्न 3.00 बजे तक के लिए स्थगित.
(1.30 बजे से 3.00 बजे तक अन्तराल)
3.09 बजे { उपाध्यक्ष महोदय(डॉ राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए.}
श्री शंकरलाल तिवारी (जारी):-
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, 139 पर चर्चा हो रही थी. मैं आपके माध्यम से सदन को कहना चाहता हूं और सरकार को बताना चाहता हूं कि बाढ़ की ऐसी विभीषिका 50-60 वर्षों में किसी ने नहीं देखी और कल्पना भी नहीं थी. सन् 2000 में 2004 में बाढ़ आयी थी इस बार तो उससे भी ज्यादा सतना में जो कहर टूटा, बर्बादी का वो मंजर था कि तीन चार दिन तक तो तमाम लोगों को पीने का पानी, खाना नहीं मिला और लोग नदियों में फंसे रहे. मैं आपके माध्यम से सरकार से निवेदन करना चाहता हूं कि नदी की बाढ़ का जो प्रकोप था और बरसात का जो प्रकोप था उसने तो कहर ढाया और नदी के किनारे के जो गांव थे या नदी से जुड़े हुए स्थान थे वहां पर बाढ़ की विभीषिका ने पशुओं, इंसानों और खेती को नष्ट और परेशान किया.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जब मैं विधायक नहीं था और मैं विद्यार्थी था तो मैं अखबार में हमेशा एक दो विषय ऐसे देखता था, जो विधान सभा में प्रहसन जैसे दिखने लगे हैं. मैं जब पढ़ता था तो देखता था कि भूख से फंला गांव में फंला आदमी मरा, फिर विधायक विधान सभा में प्रश्न लगाते थे फिर अखबार में छपता था कि नहीं कलेक्टर कह रहा है कि वह भूख से नहीं मरा और फिर कुछ तो भी होता रहा होगा. उपाध्यक्ष महोदय, बाढ़ में भी, जो बाढ़ आनी थी आ गयी, जो बर्बादी होनी थी हो गयी और सरकार और प्रशासन जितना कर सकता है वह कर रहा है. परन्तु मैं आपके माध्यम से विनती पूर्वक कहना चाहता हूं कि यह विधान सभा जब से बनी है और आज की तारीख तक हम उन्हीं, उन्हीं स्थानों को मुआवजा बांट रहे हैं जिनको 50, 60 और 70 के दशक में बांटा और आज 2016 में भी मेरे जिले के वही तमाम स्पाट हैं, जिसे शासन ने बार बार देखा कि यह डूब में आते हैं, यहां पर बसाहट के भीतर पानी भरता है, यहां पर आम आदमी परेशान होता है. यह गांव डूबता है, यह मजरा डूबता है और यह पोला डूबता है, यह सब पूर्व से चिन्हित स्थान हैं, यह सरकार के रिकार्ड में रखा हुआ है. आपदा प्रबंधन की बैठकें होती हैं, परन्तु वह जून माह में होती हैं. बाकी के महीनों में आपदा प्रबंधन पर कोई काम नहीं होता है. मैं विनती करना चाहता हूं कि मेरे सतना जिले में मैहर है, सोनवारी गांव है आप भी अच्छी तरह से उसे जानते हैं. जब से विधान सभा बनी होगी, जब से मुआवजे राहत की बात आयी होगी तो सोनवारी का नाम उसमें लिखा है. सरियाटोला, माधवगढ़ का नाम उसमें लिखा है, मान, मटेना, मोहन्ना और कृपालपुर यह नाम दर्ज हैं. हम 1960 में और 2016 में भी वहां पर मुआवजा बांट रहे हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हूं कि बाढ़ आयी और चली गयी, परन्तु यह स्थान 2016, की जो यह बाढ़ है, यह बहुत ज्यादा है. इस बाढ़ ने नये-नये चिन्ह स्थापित किये हैं. मैं आपसे विनती करूंगा कि बाढ़ तो चली गयी, यदि हम इसे भूल गये और हमने उन चिन्हित स्थानों में जहां पर पचास-पचास साल से सिर्फ हम बाढ़ का मुआवजा बांट रहे हैं उनकी हमने कोई व्यवस्था नहीं की है. मैंने 2004 में भी इस विधान सभा में कहा था कि ऐसे टोले, ऐसे मजरे ऐसे गांव जो स्थायी रूप से बाढ़ग्रस्त होते हैं उनकी बसाहट के बारे में चिन्ता होनी चाहिये. उनको कहीं दूसरी जगह, किसी दूसरे स्थान पर या किसी भी तरह का पुनर्वास देकर उनकी व्यवस्था करना चाहिये और उन्हें बसाना चाहिये, ताकि धनहानि, जनहानि और निरन्तर सरकार के द्वारा मुआवजे बांटा जाता है उसे बंद करना चाहिये. एक बात और समझिये कि हमारे संभाग में बुआई हुई ही नहीं है, मध्यभारत की क्या स्थिति है, मालवा की क्या स्थिति है उसको मैं नहीं कहना चाहता हूं, परन्तु मेरे संभाग में मात्र धान की बुआई हो सकती है, बाकी किसी चीज की बुआई मेरे संभाग में हो ही नहीं सकती है. जिस किसान ने सब्जी लगायी थी, जिस किसान ने अन्यान्य प्रकार से उद्यानिकी में आंवला लगाया था. इस अतिवृष्टि के कारण सब्जी वालों का बड़ा नुकसान हुआ है. आज सतना और रीवा के अन्दर सब्जी की हालत यह है कि 50 रूपये से नीचे की कोई सब्जी नहीं है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अगर यह बरसात नहीं होती बाजार में आने वाली नई सब्जी अब आगे महीने भर में नहीं आ पाएगी किसान का तो नुकसान हुआ आम आदमी को इस बाढ़ के बाद भी और महंगाई झेलनी पड़ रही है और यह कृत्रिम महंगाई सिर्फ अतिवृष्टि के कारण हो रही है । माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से गंभीरता पूर्वक निवेदन करना चाहता हूं कि उन स्थानों को चिन्हित किया जाए कि राहत और मुआवजे प्रशासन के लिए और समाचार पत्र में छपने के लिए नहीं छोड़े जाएं उन स्थानों को चिन्हित करके अगर कोई मल्लाह है, मछुवारा है ऐसा काम करके कर रहा है जो नदी से जुड़ा हुआ है ऐसे व्यक्तियों को 12 से 14 घण्टे में शिफ्ट किया जा सकता है । पर जो अस्थाई बस्तियां है और बार बार बाढ़ से प्रभावित होती हैं उनके बारे में कहीं न कहीं कोई गंभीर चिन्ता करनी चाहिए ताकि वह बार बार मुआवजे की श्रेणी में और बाढ़ से प्रभावित न हों ।
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जो मेरे यहां अतिवृष्टि हुई उसमें दो पार्ट से बर्बादी हुई एक तो नदी के समीप जो गांव थे उनमें बर्बादी हुई पर शहर के अंदर अरबों रूपए का नुकसान हुआ है मैं हिम्मत कर रहा हूं, मुझे आंसू नहीं आए । आप भी सतना के रहने वाले हैं अकेले रीवा रोड़ में करोड़ों रूपए का नुकसान व्यापारियों का नुकसान हुआ है 200 पीस टीव्ही रखी थी गोदामों में 150 फ्रिज गोदामों में रखा था अन्य सामान रखा था.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपको मालूम है वह सारा का सारा पानी में आ गया और वह चीज कौड़ी के मोल हो गई. आज एक एक दुकानदार लाखों के नुकसान में है, बड़े व्यापारी के अलावा मान्यवर उपाध्यक्ष महोदय मेरे यहां एक फुटकर गल्ला मंडी है । गल्ला मंडी 60 साल पहले की बनी हुई है । गहराई में है फड़ है और उसके साथ छोटी छोटी गोदामें हैं । 10 लाख, 15 लाख, 20 लाख एवं 25 लाख का उधार माल व्यापारी रखते हैं । उधार माल लाते हैं और हफ्ते भर में बेंचकर के उसको पैसा देते हैं ।
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अचानक अतिवृष्टि हुई, मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हूं कि मेरे यहां फुटकर गल्ला व्यापारी जो 150 रूपए 200 रूपए किलो अरहर की दाल बेचता था इस अतिवृष्टि के बाद 25 किलो दाल की बोरी लेकर चिल्ला कर कह रहा था कि कोई 50 रूपए में ले जाओ क्योंकि इसें मैं कहां फेकू अगर मैं फेकूंगा तो यह सड़ेगी, गलेगी और कल जानवर और गाय मरेंगी यह स्थिति फुटकर गल्ला मंडी की हुई है जिसमें करोड़ों रूपए का फुटकर व्यापारियों का जिनका खुद की पूंजी खुद का टर्न ओव्हर लाख 50 हजार दो लाख है व्यापारी से माल लाकर बेचते थे । वे आज सड़क में आ गए हैं. यदि वह अपना घर दुकान भी बेचेगातो थोक व्यापारी का पैसा अदा करने की स्थिति में नहीं हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जो बाढ़ आई. मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हूँ कि यह मानव निर्मित बाढ़ है. यह अतिवृष्टि के कारण नहीं हुई है. यह नदी का पानी, मेरे शहर के अन्दर नहीं आया. इसी विधानसभा में, मैंने मार्च के पहले सत्र में एक प्रश्न लगाया था एवं मेरे जिले के अन्य विधायकों ने भी लगाये थे कि मेरे यहां एक बड़ा नाला है. उस नाले में इन्क्रोचमेन्ट है. लोग पिछले 20 वर्ष से उसको लेकर रो रहे हैं, चिल्ला रहे हैं. यहां से भी व्यवस्था की गई थी. सरकार के भी निर्देश गए. जब सरकार के निर्देश गए. नगर-निगम के अधिकारी, प्रशासन के दो-चार अधिकारी जाकर के दो-चार जगह उन्होंने खोज की पर उसके बावजूद जून के महीने में भी इस बात की चिन्ता नहीं हुई कि इन्क्रोचमेन्ट हटा दें. इन्क्रोचमेन्ट तो बड़ी बात है. उसमें तो सरमायेदार, असरदार, तीसमार ऐसे तमाम लोग हैं, जिनके सामने हम लोग बौने हो जाते हैं. लोग मर जाएं, डूब जाएं पर उनके सामने कानून बौना हो जाता है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इसके अलावा नाले-नालियों की सफाई, मुझे याद है कि मैं कभी पार्षद नहीं रहा. हर जून में यह आपराधिक कृत्य हुआ है, सतना में. जून के महीने में स्पेशल गैंग्स तैयार करके, नगर निगम के माध्यम से 100-200 मस्टर्ड रोल के कर्मचारी रखकर और उन्हें भर्ती करके, नाले और नालियों की सफाई जून में कराई जाती रही है. हमने प्रयास भी किया एवं कमिश्नर से भी कहा. हमने अन्यान्य तरीके से भी चाहा पर जून के महीने में जो नाले-नालियों की सफाई होनी चाहिये मेरे सतना जिले में इस बार नहीं करायी गई. उसका नतीजा था कि पुष्पराज नगर कॉलोनी, जीवन ज्योति कॉलोनी, भरहूत नगर, उच्वाटोला के नीचे डिल्होरा, डिलहटा पूरी की पूरी नयी बस्ती कृपालपुर, सरियाटोला फिर इधर शहर के क्षेत्र का मुख्तियारगंज बस्टर प्लान्ट शायद शहर का कोई ऐसा स्थान बचा हो, बीच बाजार तक के घरों में पानी इस बार भरा है, यह प्राकृतिक विपत्ति है. माननीय मुख्यमंत्री जी के सहयोगी से मेरी फोन पर बात हुई. उन्होंने तुरंत माननीय राजस्व मंत्री श्री उमाशंकर गुप्ता जी को दूसरे ही दिन सतना में भेजा, वह सतना गये मैं उनके स्वयं साथ में रहकर के उन केम्पों में गया जिन केम्पों में बाढ़ से पीड़ित लोगों को रखा गया था उनके लिये भोजन, दवाई की व्यवस्था की जा रही है. मंत्री जी ने उसका निरीक्षण किया मैं इसके लिये उनको धन्यवाद करूंगा. माननीय मुख्यमंत्री जी को हृदय से साधुवाद दूंगा कि उन्होंने भी सतना की चिन्ता की है. जो बिन्दु अभी उठाये हैं, मैं आपके माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री जी, राजस्व मंत्री जी से चाहता हूं कि जो चिन्हित स्थान हैं जहां पर पानी 50 साल से भर रहा है, उसकी बुनियादी चिन्ता होनी चाहिये. दूसरा आर.बी.सी. में जो मुआवजा देते हैं उस मुआवजे में सिर्फ अब किसान को या किसी का घर गिर जाये अथवा झुग्गी-झोपड़ी वाले गरीब किसान को देते हैं. नगर निगम तथा प्रशासन की कमी के कारण नाली-नालों की सफाई न होने के कारण तथा नालों से अतिक्रमण न हटने के कारण यह दोहरा अपराध हुआ है. मेरी बिनती है कि इन छोटे व्यापारियों को विशेषकर सब्जी के व्यापारी जो थोड़ा थोड़ा माल का स्टॉक रखते थे उनका ट्रक में खड़े-खड़े माल सड़ गया वह सामान को अनलोड नहीं करा पाये, गल्ले के व्यापारी, अन्यान्य इलेक्ट्रानिक्स गुड्स के दुकानदार, कपड़े तथा किराने के लोगों का मेदा सड़ गया. उस मेदे को फेंके कहां पर, यह बड़ी समस्या थी, नहीं तो मेदा खाने से जानवर भी मरेंगे. इस पर सरकार को इस बार विचार करना चाहिये, क्योंकि यह अचानक, अप्रत्याशित अतिवृष्टि का कहर अकेले पानी भरने तक सीमित नहीं था इसने सतना के छोटे-बड़े व्यापारियों का भी करोड़ो-करोड़ रूपये का नुकसान किया है, वह दोबारा खड़े नहीं हो पायेंगे. उनको बैंकों से चाहे अगर लोन लिये हैं, तो उनको ब्याज में छूट दिलवा दें, उनकी किश्तें छः माह अथवा एक साल के लिये पेंडिंग करवा दें, कुछ उनके लिये लोन की व्यवस्था करवा दीजिये उनको भी अपने पैरों पर खड़ा करने का काम करिये. बाढ़ का मतलब अकेले अथवा कुछ खेत नहीं है, बाढ़ का मतलब यह जो मानव निर्मित बाढ़ जो शहर के अंदर अतिक्रमण के कारण शहर के अंदर नाली-नालों की सफाई न होने के कारण, हम सब का अपराध है या तो हमें इसके लिये दंडित किया जाये या उनको इसका मुआवजा दिया जाये, मैं आपसे विनतीपूर्वक इतना ही कहना चाहता हूं. धन्यवाद.
श्री निशंक कुमार जैन(बासौदा)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इतनी महत्वपूर्ण चर्चा में मात्र राजस्व विभाग के अधिकारी ही बैठे हैं, जब कि आदरणीय तिवारी जी नालों की सफाई के बारे में बोल रहे थे यहां पर नगरीय प्रशासन से कोई है, न जल संसाधन विभाग से कोई है और कृषि का भी ढेर सारा नुकसान हुआ है इस विभाग से भी कोई नहीं है. आप आसंदी से निर्देशित करें कि इन बाकी विभागों के अधिकारी यदि आ जाएंगे तथा उनके मंत्रीगण आ जायेंगे तो मैं समझता हूं कि ज्यादा न्याय हो पायेगा.
उपाध्यक्ष महोदय--कृषि मंत्री, संसदीय कार्य मंत्री, राजस्व मंत्री जी बैठे हैं सब बैठे हुए हैं इतने जिम्मेदार लोग.
श्री निशंक कुमार जैन--नगरीय प्रशासन नहीं है. नालों की सफाई राजस्व वाले तो करायेंगे नहीं.
उपाध्यक्ष महोदय--आप अधिकारियों को थोड़े संबोधित करते हैं आप तो मंत्री जी तो बताते हैं. सब जिम्मेदार लोग यहां पर बैठे हैं. यहां पर शंकरलाल तिवारी जी ने बात कही है सतना शहर में नाले-नालियों की सफाई वाली समस्या वहां पर अतिक्रमण के कारण हर वर्ष करीब-करीब बाढ़ आती है. इस बार अतिवृष्टि हुई है जिसके कारण काफी नुकसान हुआ है, इस पर जरूर ध्यान दिया जाए. जो वहां पर अतिक्रमण है उसको जरूर हटवाया जाये.
श्री शंकरलाल तिवारी--उपाध्यक्ष महोदय, आपका हृदय से धन्यवाद.
श्री रामेश्वर शर्मा (हुजूर) – जैन साहब का प्रश्न ठीक है और मैं यह समझता हूँ.
उपाध्यक्ष महोदय – आप पीछे कहां जा रहे हैं ?
श्री रामेश्वर शर्मा – यहां पर अधिकारियों को होना चाहिए क्योंकि राजस्व अपना दायित्व निभायेगा.
उपाध्यक्ष महोदय – सुई को पीछे क्यों ले जा रहे हैं ?
श्री रामेश्वर शर्मा – अधिकारियों को वहां होना चाहिए. नगरीय प्रशासन के लोगों को वहां होना चाहिए क्योंकि पूरे प्रदेश में आधे से ज्यादा, जो नगरीय क्षेत्र हैं, उनमें ज्यादा बाढ़ आई है और उसका निराकरण राजस्व नहीं करेगा. राजस्व पैसा बांटेगा.
उपाध्यक्ष महोदय – यह मंत्रिपरिषद् की सामूहिक जिम्मेदारी होती है.
श्री रामेश्वर शर्मा – सामूहिक जिम्मेदारी केवल जन-प्रतिनिधियों की नहीं होती है, अधिकारियों को भी चिन्ह्ति किया जाये, उनकी भी होनी चाहिए.
श्री रामनिवास रावत – माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आप क्यों सफाई दे रहे हैं.
श्री रामेश्वर शर्मा – बिल्कुल होना चाहिए. यह तरीका प्रशासनिक अधिकारियों का ठीक नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदय – आपकी बात आ गई है. आप बैठ जाइये.
श्री रामनिवास रावत – संसदीय मंत्री जी, आप कुछ नहीं कहेंगे.
उपाध्यक्ष महोदय – (श्री शंकरलाल तिवारी के खड़े होने पर) श्री शंकरलाल जी, मैंने आपको समर्थन दिया फिर आप क्यों खड़े हो रहे हैं ?
श्री शंकरलाल तिवारी – मुझे पूरी उम्मीद है कि अगर आप इस तरह कृपा कर रहे हैं तो राजस्व मंत्री जी आने वाले भविष्य की भी चिन्ता जरूर कर लेंगे.
श्री रामनिवास रावत – नगरीय सीमा में राजस्व मंत्री जी अतिक्रमण नहीं हटायेंगे, नगर-निगम हटायेगा.
श्री मुकेश नायक (पवई) – माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैंने अतिवृष्टि के कारण, पन्ना जिले में जो सिंचाई बांध टूटे हैं, उसका स्थगन प्रस्ताव दिया था. माननीय अध्यक्ष महोदय जी से जब उनके कक्ष में बात हुई थी तो उन्होंने कहा कि धारा 139 के तहत, जब सदन में चर्चा होगी तो अतिवृष्टि के कारण, जो समस्याएं उत्पन्न हुई है, उसमें यह आ जाएगी और इसलिए उस पर चर्चा हो सकती है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पन्ना जिले में बुन्देलखण्ड पैकेज से केन्द्र शासन की योजनाओं द्वारा पोषित और राज्य सरकार की योजनाओं द्वारा पोषित अनेक बांध पन्ना जिले में बन रहे हैं. माननीय पूर्व सिंचाई मंत्री जी कहां चले गए हैं ?
वित्त मंत्री (श्री जयन्त मलैया) – मैं यहीं पर बैठा हूँ.
श्री मुकेश नायक - (हँसते हुए) असल में, वह दो नम्बर की कुर्सी का कमाल ऐसा है कि बाद में यहीं आना पड़ता है.
श्री जयन्त मलैया – अभी तो हम वर्षों से यहां हैं.
श्री मुकेश नायक – यहां बैठने का एक अलग ही आनन्द है. आप लोग भी वर्षों यहां पर बैठे हैं. विपक्ष की भूमिका भी उतनी ही गम्भीर और जवाबदेह होती है और जिसको यह भूमिका आती है, उसके लिये यह स्थान भी उतना ही महत्वपूर्ण है.
उपाध्यक्ष महोदय – मुकेश जी, आप बांधों की चर्चा कर रहे थे.
श्री मुकेश नायक – माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पिछले वर्ष अतिवृष्टि के कारण, पानी गिरने के कारण भितरी मुठमुरु एक बांध टूट गया था. जब मैंने विधानसभा में प्रश्न किया था तो उसके उत्तर में सरकार ने जो उत्तर दिया है. वह मैं आपको पढ़कर सुनाना चाहता हूँ. उसमें उन्होंने कहा था कि ठेकेदार का पंजीयन निलम्बित करने की कार्यवाही, मुख्य अभियन्ता स्तर से करने के निर्देश दे दिए गए हैं. अब यह कैसे निर्देश दिए गए थे कि इन्हीं व्यक्ति के द्वारा निर्मित दो बांध और टूट गए. ये लगातार काम कर रहे थे. अगर शासन ने इनका रजिस्ट्रेशन केन्सिल करने का निर्देश दिया था तो नये सिंचाई मंत्री जी बैठे हैं. मैं उनसे विनम्रतापूर्वक यह पूछना चाहता हूँ. अगर उनका होमवर्क है तो वे कैसे काम रहे थे ? जब उनका पंजीयन केन्सिल कर दिया गया. जो सिरसवाहा बांध, ये ठेकेदार महोदय बना रहे थे जिनका पंजीयन केन्सिलेशन था. आपने सदन को आश्वासन दिया. मेरे प्रश्न के उत्तर में भी कहा कि सिरसवाहा बांध 2016 में पूर्ण किया गया है. इसमें 1719 हेक्टेयर में सिंचाई होनी थी और इसमें 58 करोड़ रूपये शासन के द्वारा नियोजित किए गए थे. दूसरा, बिलखुरा बांध है, जो पहली बारिश में ही धराशाही हो गया और इसकी लागत लगभग 11 करोड़ रूपये के आसपास है. और इसमें वह धनराशि शामिल नहीं है जो जमीन किसानों की डूब में आती थी उनके मुआवजे दिये गए और वह राशि इसमें नहीं आती है जो नहरों के लिए किसानों से जिनका अधिग्रहण किया गया और मुआवजे के रूप में उनको राशि दी गई. लगभग 603 हेक्टेयर जमीन इससे सिंचित होना थी और यह कार्य 2/03/2016 को पूर्ण हुआ अब यह जवाब जो मध्यप्रदेश सरकार ने मुझे दिया मध्यप्रदेश की विधानसभा में या तो यह सत्य है या फिर जो यह कह रहे हैं 2/03/2016 को कार्य पूर्ण हुआ यह असत्य है जब भी माननीय मंत्री जी जबाव दें तो मैं उम्मीद करता हूं कि इस बात को वह स्पष्ट करें. उपाध्यक्ष महोदय, भितरी मुठमुरू बांध जो पिछले वर्ष पहली बारिश में धराशाही हुआ था उसकी अगर आप डिटेल देखेंगे तो आपको हैरानी होगी. इस बांध के जो स्पेसिफिकेशन दिए गए है इसमें कहा गया है कि बांध को पूर्ण करने में 3342.92 लाख रुपए खर्च हुए. इसका पुनरीक्षित आंकलन इसमें नहीं है और जिन किसानों को मुआवजे की राशि दी गई वह कितनी दी गई. नहरों के अधिग्रहण के लिए किसानों को मुआवजे की राशि दी गई वह कितनी दी गई उसका उल्लेख इसमें नहीं है वह अगर और जोड़ दें तो यह बांध भी लगभग 50 करोड़ के आसपास मध्यप्रदेश शासन का होता है. आप सोचिए कि पहली बारिश में लगभग 100 करोड़ के बांध इस साल धराशायी हो गए पहली बारिश में पिछली बारिश में भी लगभग 100 करोड़ के आसपास के बांध धराशायी हो गए और जिन बांधों को कट लगाए गए, कट लगाने का मतलब है कि बांध को समाप्त कर देना क्योंकि कट लगा देने के बाद वेस्टवियर में कट लगा देने के बाद बांध में पानी नहीं भरता है और सिंचाई क्षमता का प्रयोग नहीं हो सकता और जिस उद्देश्य को लेकर बांध बनाया गया है उस उद्देश्य की पूर्ति नहीं हो सकती है. माननीय अध्यक्ष महोदय, जिन बांधों में कट लगाए गए उनके नाम मैं सदन में पढ़कर सुनाना चाहता हूं – करही तालाब, दिया तालाब, सायफुरखुर्द तालाब, हरदुआसहज बाहू तालाब, मंगला तालाब, वृंदावन तालाब, बरानाला तालाब, डोगा तालाब, देवरी तालाब, बोरी तालाब, बघवारकला तालाब, पुरवाला तालाब, बगरा तालाब, पिपरियाकला तालाब, डूडीउंगरिया तालाब, सकरिया तालाब, बिलाही तालाब, सिरसवाहा तालाब और बिलपुरा तालाब तो अभी फूट गए. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं यह कहना चाहता हूं कि पानी का भराव खत्म करने के लिए जिन बांधों के वेस्टवियर में यह कट लगाए गए और उनके सेल्यूज वॉल्व खोले गए इसमें मध्यप्रदेश सरकार को लगभग 500 करोड़ रूपए का नुकसान हुआ अब आप सोचिए कि इतने गरीब राज्य में जहां बेचारा गरीब किसान, अभी जाकर देख लीजिए बुंदेलखण्ड के ग्रामीण क्षेत्रों में लाखों लोग जो पलायन कर गए थे वह बेचारे अभी लौटकर आए हैं कि दुबारा खेती बाड़ी करेंगे, हम खरीफ की फसलें बोएंगे, सियाड़ी की फसलें, ज्वार बाजरा लगाएंगे, धान लगाएंगे, उड़द मूंग लगाएंगे, तिल्ली लगाएंगे तो कुछ खाने के लिए सालभर की व्यवस्था हो जाएगी. एक तरफ तो मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री जी अभी वह सदन में नहीं हैं क्योंकि कोई भी नेता इस देश का या प्रदेश का जब यह समझने लगे कि उसका कद संसदीय परम्पराओं से बड़ा हो गया है, विधानसभा से बड़ा हो गया है और इस विधानसभा के मंदिर में रहने से उसकी गरिमा कम होगी तो यह बहुत दुर्भाग्यजनक है और सहज रूप में आप किसी भी नेता के आचरण का इससे अनुमान लगा सकते हैं जब भी सदन में गम्भीर चर्चा होती है मुख्यमंत्री जी अनुपस्थित होते हैं क्योंकि वह सोचने लगे हैं कि उनका कद इस विधानसभा से ज्यादा बड़ा हो गया है. इन मंत्रियों को सरकार में बैठे अधिकारियों को और पूरे प्रदेश की जिम्मेदारी साढ़े सात करोड़ लोगों की जिन लोगों के कंधों पर है वह ऐसे मद और अहंकार में और सत्ता की दीप्ति में ऐसे डूबे हुए हैं कि उन्हें बिलकुल होश नहीं है कि मध्यप्रदेश की जनता के हृदय में किस तरह की बेचेनी और घुटन का माहौल है.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं बहुत गंभीर बात की ओर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं कि जो दो बांध टूटे हैं, उसमें सिरसवाहा जो बांध है और जो बिलखुरा बांध है, उसके बारे में कलेक्टर ने जो मध्यप्रदेश सरकार को पत्र लिखे हैं, उसके थोड़े बहुत केंद्रीय बिन्दु मैं पढ़कर इस सदन में सुनाना चाहता हूं. मैं यह पत्र संदर्भ के रुप में जो पढ़ रहा हूं, इसकी सत्य प्रतिलिप मैंने सदन के पटल पर पहले रख दी है, जो नियम के अनुसार रखना जरुरी है. मैं सदन के सदस्यों से भी चाहूंगा कि ध्यान पूर्वक मेरी बात को सुनें. जो सिरसवाहा बांध है, जब इस बांध का काम शुरु हुआ, तब इसमें डायमंड की एक ट्यूब मिल गई और जो ठेकेदार वहां पर काम कर रहा था, उसका ध्यान डायमेंड्स के उत्खनन पर ज्यादा हो गया, बांध पर कम हो गया. अभी माननीय मंत्री जिज्जी , सुश्री कुसुम सिंह महदेले जी यहां पर नहीं हैं, हमारे पन्ना जिले की मंत्री हैं. उन्होंने अपने वाट्स एप पर एक फोटो डाला था, मैंने ध्यान आकर्षण भी दिया था कि सिरसवाहा बांध में एक इतना अनमोल और बेशकीमती हीरा मिला है, जिसकी कीमत सैकड़ों करोड़ रुपये है. उस डायमंड की फोटो मेरे पास मेरे फोन में है और मंत्री महोदया ने अखबारों को बयान भी दिया था और यह सब की जानकारी में है कि किस तरह से जिला प्रशासन ने एवं माइनिंग डिपार्टमेंट ने तथा कुछ स्थानीय पुलिस के लोगों ने मिलकर इस हीरे को इधर उधर कर दिया. इसकी जानकारी जिले में है. मैं कलेक्टर द्वारा मध्यप्रदेश सरकार को बांध फूटने के बाद जो पत्र लिखा गया, उसका एक अंश आपको पढ़कर सुनाना चाहता हूं- श्री मनीष अग्रवाल, ठेकेदार द्वारा हीरे का अवैध उत्खनन करने के कारण हीरा अधिकारी के द्वारा अनुविभागीय अधिकारी के न्यायालय में दिनांक 6.6.2016 को अवैध उत्खनन का प्रकरण क्र.01/अ 67/2015-16 भी पंजीबद्ध किया गया है, उसमें रुपये 28 लाख 17 हजार 600 का अर्थ दंड प्रस्तावित है. यह 28 लाख रुपये का माइनिंग डिपार्टमेंट ने जो फाइन लगाया है, यह अवैध हीरा के उत्खनन के कारण लगाया है. यह कलेक्टर ने मध्यप्रदेश सरकार को अपने पत्र में कहा है. यहां पर अभी खनिज मंत्री जी नहीं है. मैं इस सरकार को कहना चाहता हूं कि यह रिकवरी करायें, जो कलेक्टर ने और माइनिंग डिपार्टमेंट ने प्रस्तावित की है. अवैध उत्खनन का प्रकरण इनके ऊपर दर्ज करें और पहले हमारे प्रश्न के उत्तर में जो ठेकेदार के रजिस्ट्रेशन कैंसिल करने की बात राज्य सरकार ने कही थी, वह बात पूरी नहीं की. दूसरी बार बांध टूटा, तो आपराधिक प्रकरण दर्ज करें और ठेकेदार के ऊपर कार्यवाही करें और मुकदमा दर्ज करें माननीय जयंत मलैया जी के ऊपर, क्योंकि उस समय वे मध्यप्रदेश के सिंचाई मंत्री हुआ करते थे, अभी 15 दिन पहले इनका चार्ज इनके पास से दूसरे मंत्री के पास गया है. मैं दूसरा पत्र जो माननीय कलेक्टर साहब ने राज्य सरकार को लिखा है, उस पत्र को पढ़कर सुनाना चाहता हूं. उपाध्यक्ष महोदय, मैंने इस सदन में मंत्री जी का नाम इसलिये लिया कि उसके डिटेल्स मैं अभी देने वाला हूं. मैंने इसलिये नाम लिया कि आमतौर पर हमारी यह आदत पड़ गई है कि फायदा,मुनाफा हम नेता कमाते हैं और सारे लोग उसका बंटवारा करते हैं, पावर शेयरिंग करते हैं,लेकिन होता यह है कि हम अंत में अधिकारियों को दोषी ठहराकर मामले को रफा दफा कर देते हैं. लेकिन मूल रुप से जिसका उत्तरदायित्व है, मूल रुप से जो व्यक्ति इस विभाग को संभालता है, वह बगुला भगत बना रहता है, बिलकुल सब इतना हजम करने के बाद उसको डकार तक नहीं आती है. यह नहीं होना चाहिये. यह पूरे मध्यप्रदेश की जनता का, गरीब प्रदेश का नुकसान है और इसलिये ऊपर से नीचे तक इस अनियमितता में सारे लोग जिम्मेदार हैं और सारे लोगों पर इसमें कार्यवाही होनी चाहिये, इसका एक नमूना मैं आपको पढ़कर सुनाना पढ़कर चाहता हूं. भितरी मुठमुरु बांध के बारे में, पिछले समय जब बुंदेलखण्ड पैकेज पर मैंने चर्चा की थी, तब माननीय जयंत मलैया जी सिंचाई मंत्री थे. उन्होंने विधान सभा के अंदर यह कहा था कि हम सख्त कार्यवाही करेंगे, लेकिन 50 करोड़ से ज्यादा की लागत का भितरी मुठमुरु बांध जब टूटा..
श्री मनोज सिंह पटेल -- मुकेश जी, यह कांग्रेस का शासन नहीं है. इसलिये मंत्रिगण अब ऐसा नहीं करते हैं. आप उस दौर की बात कर रहे है, जैसा कि आप बोल रहे हैं कि हम. तो हम अब आप नहीं हैं, आप विपक्ष में हैं.
उपाध्यक्ष महोदय -- मनोज जी, सीधे संवाद न करें. आसंदी के माध्यम से बात करें.
श्री मुकेश नायक -- उपाध्यक्ष महोदय, कोई बात नहीं, धीरे-धीरे सीखेंगे, उनको अभी अनुभव नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदय -- तो भी नियम यह है कि आपको आसंदी के माध्यम से एड्रेस करना है. आप बैठ जाइए.
श्री मनोज सिंह पटेल –- आरोप लगा रहे हैं वह भी फर्जी. जैसा कांग्रेस के शासन में होता था, वैसा अब नहीं होता है.
श्री मुकेश नायक –- पूरे कागज सदन के पटल पर रख रहा हूँ, फर्जी कहां आरोप लगा रहा हॅू.
श्री मनोज सिंह पटेल –- अरे ओरिजनल है तो केस करते ना. जो बने हुए हैं उस शासन काल के हैं.
श्री मुकेश नायक –- अध्यक्ष महोदय, जब पिछली दफा बुन्देलखंड पैकेज पर मैंने विधानसभा में चर्चा की थी, तब माननीय जयंत मलैया जी ने सदन को आश्वासन दिया था कि हम इस पर सख्त कार्यवाही करेंगे. भितरी मुरमुठी बांध टूटा. 50 करोड़ से ज्यादा की लागत का माननीय मंत्री महोदय ने और राज्य सरकार ने कार्यवाही क्या की, एक्जीक्यूटिव इंजीनियर को बर्खास्त कर दिया, एसडीओ को बर्खास्त कर दिया, सब-इंजीनियर को बर्खास्त कर दिया. एक्जीक्यूटिव इंजीनियर का रिटायरमेंट के लिए एक साल बचा था और मंत्री जी के पास बेचारे आए और कहने लगे कि हमें बर्खास्त कर दो, क्योंकि जितना पैसा उन्होंने सबने मिलकर बना लिया था बाकी जिन्दगी के लिए पर्याप्त था. होना यह चाहिए था कि आपराधिक प्रकरण दर्ज होना चाहिए था, रिकवरी होनी चाहिए थी और बांध की टूट-फूट के लिए जितनी लागत आनी चाहिए थी इनसे वसूल किया जाना चाहिए था. मंत्री महोदय से, एक्जीक्यूटिव इंजीनियर से, सब-इंजीनियर से और एसडीओ से यह राशि वसूल करके इस बांध के पुनर्निमाण के लिए इनसे वसूली की जानी चाहिए थी, लेकिन नहीं की गई. बेचारे छोटे-छोटे अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया गया जिनके एक-एक, डेढ़-डेढ़ साल का समय रिटायरमेंट के लिए बचा था, अगर ज्यादा दबाव बना.
उपाध्यक्ष महोदय – मुकेश जी, कितना समय लेंगे आप.
श्री मुकेश नायक –- मैं बस 20 मिनट और चाहूंगा.
उपाध्यक्ष महोदय –- नहीं, नहीं यह संभव नहीं है मुकेश जी. आप विनोद कर रहे हैं.
श्री मुकेश नायक -- अध्यक्ष महोदय, जब थोड़ा समय बचा तो माननीय मुख्यमंत्री जी ने बड़ी चतुराई से इनका डिपार्टमेंट छोड़कर, बदलकर श्री नरोत्तम मिश्र जी को दे दिया. “सांपनाथ गए तो नागनाथ आ गए”. अब जितना बचा है सिंचाई विभाग में, सब परेशान है पूरे अधिकारी कि उसका क्या होगा. कहीं स्वास्थ्य विभाग जैसी हालत सिंचाई विभाग की न हो जाए और अतिवृष्टि कहीं सिंचाई विभाग के ऊपर हो गई.
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- हॉं, बोलिए बोलिए. रामायण में चौपाई कही है कि “सात चोर लंपट और ज्ञानी, अपनी सी गत सबकी भानी”.
श्री मुकेश नायक -- आपके लिए कहा है तुलसीदास जी ने.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अब ज्ञानी तो यह हैं नहीं, यह पूरा महर्षि योगी को चौपट करने के बाद यहां पर आए हैं, इस बात का आप अंदाज कर लो.
श्री मुकेश नायक – यह हमारे भाई माननीय श्री नरोत्तम मिश्र जी के लिए कहा गया है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र –- मैंने कहा उपाध्यक्ष महोदय जी, महर्षि महेश योगी की आत्मा रोती होगी, आसमान में बैठकर. वही आंसू गिरे हैं और वही गिरे हैं पन्ना में सबसे ज्यादा तो, भाग फूटे.
श्री मुकेश नायक -- महर्षि महेश योगी और मुकेश नायक की आत्मा अलग-अलग होती तो अलग से रोती. वह एक ही है.
उपाध्यक्ष महोदय – मुकेश जी, आप फूटे बांधों पर आ जाओ.
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- पता नहीं कहां से निकल कर आ रहे हैं, और कौन से हीरे में इनकी आत्मा अटकी हुई है अतिवृष्टि में चर्चा हो रही है उस पर चर्चा कर नहीं रहे हैं.
श्री मुकेश नायक -- उसी बांध को जो फूट गया है उसमें एक डायमंड की ट्यूब थी, जिसमें उत्खनन् हुआ है और कलेक्टर ने जो राज्य शासन को पत्र लिखा है मैंने तो वह पढ़कर सुनाया है आपको.
राज्य मंत्री, सामान्य प्रशासन विभाग (श्री लाल आर्य) -– जो बांध टूटा है और जिसमें हीरों की नजर थी वह बह गए पानी में.
श्री मुकेश नायक -- इतनी बड़ी घटना सैकड़ो करोड़ों का नुकसान, उस पर थोड़ी सी शर्म आना चाहिए, हंसी नहीं. थोड़ी लज्जा आना चाहिए.
उपाध्यक्ष महोदय -- मुकेश जी, समाप्त करें अब आप.
श्री मुकेश नायक – लेकिन असत्य जो बोलता है वह स्वयं लज्जित नहीं होता है इस बात पर लज्जा ज्यादा आ रही है.
उपाध्यक्ष महोदय – दोनों बड़े ज्ञानी लोग हैं मैं क्या कह सकता हॅूं.
श्री मुकेश नायक -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, कलेक्टर ने सिरसवाहा बांध को लेकर जो डीओ लेटर राज्य सरकार को लिखा है उसका एक अंश मैं पढ़कर सुनाना चाहता हॅूं. इस डेम के फूटने की वरिष्ठ तकनीकी अधिकारियों से तत्काल बारिकी से जांच करवाई जाना उचित होगा. प्रथम दृष्ट्या यह डेम खराब गुणवत्ता के कारण फूटा है.
खराब गुणवत्ता के लिये ठेकेदार एवं तकनीकी अधिकारी जिम्मेदार हैं, ठेकेदार एवं तकनीकी अधिकारियों ने मिलकर इस डेम की गुणवत्ता खराब की है. इसकी गुणवत्ता खराब करने में तत्कालीन मुख्य अभियंता श्री सुधीर कुमार खरे की मुख्य भूमिका है. इनके द्वारा श्री जी.पी. उपाध्याय, अनुविभागीय अधिकारी जल संसाधन को उकसाया गया एवं श्री धीरेन्द्र कुमार खरे, कार्यपालन यंत्री जल संसाधन, पन्ना को भी अपने साथ में मिला लिया. इस तरह ठेकेदार एवं तकनीकी अधिकारी श्री सुधीर कुमार खरे, मुख्य अभियंता, श्री जी.पी. उपाध्याय, अनुविभागीय अधिकारी, जल संसाधन, श्री आर.के.उपाध्याय, उप यंत्री एवं श्री वी.के.खरे. कार्यपालन यंत्री, जल संसाधन ने मिलकर कार्य की गुणवत्ता खराब की है, जिसके कारण शासन को रूपये 3289.83 लाख की क्षति हुई है . किसानों को 1719 हेक्टेयर की सिंचाई से वंचित होना पड़ा है. अत: मुख्य अभियंता से लेकर उप यंत्री तक सभी को निलंबित कर सेवा से पदच्युत करने एवं ठेकेदार सहित इनके सभी तकनीकी अधिकारियों के विरूद्ध एफआईआर दर्ज करने का कष्ट करें. यदि प्रशासन के द्वारा पर्याप्त सतर्कता नहीं बरती जाती तो डेम फूटने से सेकड़ों लोगों की जान माल की हानि हो सकती थी. यह कलेक्टर का पत्र है लेकिन किसी पर भी एफआईआर दर्ज नहीं की गई है और मंत्री विधानसभा में हंस रहे हैं. किसी पर कार्यवाही नहीं हुई है. और पन्ना जिले के और मेरे विधानसभा क्षेत्र के ज्यादा से ज्यादा जो सिंचाई के बांध हैं उसमें कट लगाकर के पानी खराब कर दिया.
उपाध्यक्ष महोदय, इन अनियमितताओं की सबसे बड़ी बात यह है उसे माननीय जयंत मलैया जी जानते हैं, दमोह जिले में एक ऐसा सिंचाई बांध बनाया गया कि इतना पानी गिरने के बाद उसमें पानी नहीं भरा. इतना पानी गिरा लेकिन उसमें पानी भरा ही नहीं. और दूसरा एक ऐसा बांध दमोह जिले में बना. दमोह जिला वही है जहां से माननीय जयंत मलैया जी विधायक हैं. वहां एक ऐसा बांध है घाट पिपरिया..
उपाध्यक्ष महोदय- मुकेश जी अब आप समाप्त करें. आप चरम पर पहुंच गये हैं .बांध में पानी नहीं भरा....
श्री मुकेश नायक- उपाध्यक्ष महोदय, घाट पिपरिया पहली बारिश में, यहां पर माननीय मंत्री जी और वहां के विधायक सदन में बैठे हुये हैं, उनसे पूछ लीजिये अगर मैं असत्य कथन कर रहा हूं तो. वह बांध पहली बारिश में ही धराशाही हो गया. पूरा बांध टूट गया, करोड़ों रूपये की लागत से बना था. इस तरह से शासन के गरीब प्रदेश के पैसे का दुरूपयोग हुआ है, अनियमितता हुई है, कुप्रबंध हुआ है , और अधिकारी से लेकर के नेताओं ने अपने घर भरने की प्रवृत्ति के कारण इस प्रदेश की जनता को नुकसान पहुंचाया है, प्रदेश की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया है. इसके लिये मैं विनम्रता पूर्वक पूर्व सिंचाई मंत्री जयंत मलैया जी से निवेदन करूंगा कि भैया थोड़ी सी प्रदेश पर दया करो, कृपा करो और आप इतने बड़े बड़े पदों पर रहने के लायक नहीं हो, इसलिये कृपा करके आप त्यागपत्र दो और जो उम्र बीत जाने के कारण जो आपका पूरा व्यक्तित्व निश्तेज हो गया है , निष्क्रिय हो गया है, मध्यप्रदेश के ऊपर आप कृपा करें और त्यागपत्र देकर के आपके विश्राम करने का समय है तो आप विश्राम करें और प्रदेश पर दया करें. उपाध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने के लिये समय दिया इसके लिये आपको बहुत बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय- मुकेश जी आपको भी धन्यवाद.
वित्त मंत्री( श्री जयंत मलैया) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, बड़ा स्नेह मेरे मित्र ने मेरे प्रति दिखाया है , उसके लिये मैं उनका धन्यवाद करना चाहता हूं. मैं यहां पर विनम्र निवेदन करना चाहता हूं जब से इस प्रदेश में बांध बनना शुरू हुये हैं अंग्रेजों ने बनाना शुरू किये, कांग्रेस की सरकार में भी बने हैं और पिछले 60 सालों तक 7 लाख हेक्टेयर से अधिक की सिंचाई ये नहीं कर पाये. जब बांध बनेंगे तो कहीं कमियां होंगी, कमजोरियां होंगी तो टूटेंगे भी और यह जो दोनों बांध टूटे हैं यह दोनों बांध जो ठेकेदार की कास्ट है उनकी कास्ट के ऊपर बन रहे हैं, संबंधित अधिकारियों को भी सस्पेंड किया गया है, ब्लैक लिस्टेड किया गया है और मैं यहां पर विनम्र निवेदन करना चाहता हूं कि जितने अंग्रेजों ने और कांग्रेस ने मिलकर के बांध बनाये है और सिंचाई की है उससे 5 गुनी ज्यादा सिंचाई हमने 8 वर्षों के अंदर करके दिखाई है. निश्तेज पड़े हुये लोग तो वो होते हैं ..अब मैं क्या कहूं, कुछ कहना नहीं चाहता, क्योंकि मैं कभी किसी के ऊपर व्यक्तिगत आक्षेप नहीं लगाता, चूंकि अब इनकी जमीन पवई से खिसक रही है तो यह दमोह में आये थे. एक सप्ताह सर्वे करते रहे कि जयंत मलैया के खिलाफ क्या करें और इन्होंने फिर एक रेली निकाली, लोग नहीं जुटे तो पवई से लोगों को बुलाया, रेली निकालकर के इन्होंने अपनी बात की और इन्होंने कहा कि जयंत मलैया जी ने बहुत पैसा कमाया है और उसकी मैं सीबीआई से जांच की मांग करता हूं. मैंने तो कुछ नहीं कहा, मैं कहना भी नहीं चाहता हूं परंतु आज जब इन्होंने व्यक्तिगत आक्षेप लगाया है, मेरी आपसे, आपकी पार्टी से और आपकी पार्टी के हाईकमान से मैं चेतावनी देता हूं कि मेरे अकेले अपने समय की नहीं मेरे परिवार की 50 वर्ष की आप सीबीआई से जांच करायें और उसका जो रिजल्ट आये उसको यहां पर रखें. किसी के ऊपर आरोप लगा देना बहुत सहज सी बात है. मैं नहीं कहता आपसे कि 25 साल पहले आपकी क्या हैसियत थी, आपके परिवार की क्या हैसियत थी और कैसे आज आप अरबपति बन गये. हम तो खानदानी लोग हैं, हम खानदान से, जमाने से हम व्यापार करते आये हैं, हमारे दादा, परदादा, पिताजी, मैं, मेरे बेटे मेरे भाई सब व्यवसाय करते हैं और उससे हम पैसा कमाते हैं, हममें अक्ल है, मेहनत करना जानते हैं, सारे के सारे पढ़े-लिखे लोग हैं. इन्होंने कौन सा व्यापार किया, कहां से करोंड़ों, अरबों रूपये की सम्पत्ति परिवार के पास आ गई. आज से पहले मैंने कभी इतना बुरा नहीं देखा, मैं भी आपसे बहुत समय पहले आया हूं और इसके बाद लगातार अभी तक काम कर रहा हूं. मेरा आपसे निवेदन है कि कभी भी किसी प्रकार किसी भी व्यक्ति पर ऐसा न करें कि उसका मन आहत हो जाये, मैं बोलता नहीं हूं, मेरी बोलने की बहुत कम आदत है.
श्री मुकेश नायक-- मन आहत आपका हो रहा है.
श्री जयंत मलैया-- उपाध्यक्ष महोदय, मैं जितने समय भी जल संसाधन मंत्री रहा हूं, आप चाहें तो विधानसभा की, विधायकों की समिति बनाकर उसकी जांच करा सकते हैं.
श्री मुकेश नायक-- सीएजी की रिपोर्ट जरा पढ़कर सुना दीजिये आप विधानसभा में.
श्री जयंत मलैया-- सीएजी की रिपोर्ट में आब्जर्वेशन होता है, कोई डिसीजन नहीं होता है.
श्री मुकेश नायक-- आपके पूरे बांध टूट गये बुंदेलखंड के, आपकी पूरी नहरें टूट गईं, आपके जिले के पूरे स्टॉपडेम टूट गये और आप कहते हैं आपकी कोई गलती नहीं है. आपको बुरा लगता है, आपका मन आहत होता है, आप ऐसी गलती क्यों करते हैं कि आपके ऊपर कोई आरोप लगाये, आपका मन आहत हो.
उपाध्यक्ष महोदय-- मुकेश नायक जी कृपया बैठ जायें.
श्री मुकेश नायक-- और आप कह रहे हैं कि सीबीआई की जांच करा लीजिये. सरकार आपकी है, आप घोषणा कीजिये की आप सीबीआई की जांच करायेंगे, हम थोड़ी आपकी सीबीआई जांच करायेंगे, सरकार तो आपकी है, सरकार ही सीबीआई की जांच कराती है, आप अभी कह दीजिये. (XXX)
उपाध्यक्ष महोदय-- यह कार्यवाही में नहीं आयेगा और इन्होंने जो आरोप लगाया था माननीय मंत्री जी के ऊपर वह भी विलोपित कर दिया जाये.
जल संसाधन एवं संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र)-- चरित्र हत्या की राजनीति कर रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय-- वह विलोपित करा दिया मैंने.
श्री मुकेश नायक-- यह चरित्र हत्या की राजनीति नहीं हैं, यह सत्य है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- यह 15 साल बाद आये हैं हाउस में.
श्री मुकेश नायक-- अभी सत्य यह है कि मैं विधानसभा में हूं 15 साल बाद आया हूं या 100 साल बाद आया हूं, अभी मैं जनप्रतिनिधि हूं यह सच्चाई है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- माननीय उपाध्यक्ष जी, नायक जी जिस तरह से बोलते हैं यह ठीक नहीं है, (श्री जयंत मलैया जी की तरफ इशारा करते हुये) यह एक वरिष्ठ मंत्री हैं जो 30-35 साल से हाउस के अंदर बैठे हुये हैं और उसके बाद भी लगातार आरोप लगाते जा रहे हैं, यह तरीका ठीक नहीं है.
(3.53 बजे) अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुये.
श्री मुकेश नायक-- (XXX)
श्री शैलेन्द्र जैन-- जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल किया गया, वह उचित नहीं है. ... (व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- कृपया करके बैठ जायें, बैठ जायें कृपया. बैठिये मुकेश नायक जी. ... (व्यवधान)... यह बात ठीक नहीं है. इस तरह से सीधी-सीधी बात नहीं की जायेगी.
श्री मुकेश नायक-- (XXX) ... (व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय - कृपा करके बैठ जाएं.
श्री मुकेश नायक - आप विधान सभा की कार्यवाही उठाकर देख लीजिये. आप विधान सभा की कार्यवाहियां लायब्रेरी में उठाकर देख लीजिये.
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाईये. आप किसी की बात सुनेंगे कि नहीं.ये मुकेश नायक जी जो कह रहे हैं और जो व्यक्तिगत आरोप लगाए वह सारे कार्यवाही से निकाल दीजिये. कुछ नहीं लिखा जायेगा. इस तरह से सदन नहीं चलेगा. सीधे वादविवाद करने की यहां क्या जरूरत है.
श्री मुकेश नायक - (XXX)
(..व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय - कुछ नहीं लिखा जायेगा इस तरह से. बैठ जाईये आप. इस तरह से सीधे वादविवाद नहीं किया जायेगा. आप कृपा करके बैठें.
श्री शंकरलाल तिवारी - माननीय अध्यक्ष महोदय,
अध्यक्ष महोदय - तिवारी जी बैठें कृपया.
श्री शंकरलाल तिवारी - मलैया जी ने कहा है कि तुम करोड़पति कैसे बने. अगर बताना है तो वह बताएं. कौन उद्योग था.
अध्यक्ष महोदय - तिवारी जी बैठ जाएं.
श्री शंकरलाल तिवारी - कौन रोजगार था,भागवत बांचने में कहां से तुम्हें अरबों रुपये मिल गये. कहां हैं महर्षि महेश योगी, कहां है महर्षि योगी का हवाई जहाज.
अध्यक्ष महोदय - बैठ जाईये तिवारी जी. आपकी बात आ गई.
श्री मुकेश नायक - (XXX)
श्री जितू पटवारी - आदरणीय अध्यक्ष जी, यह वादविवाद हुआ यह संसदीय परंपरा के बिल्कुल विपरीत था. नये सदस्य उठे उन्होंने कहा कि हम यह सीखते हैं अच्छा नहीं है. परंतु मुकेश नायक जी ने पहले जितनी बातें कहीं जब तक जयंत मलैया जी उठे नहीं थे उससे पहले उन्होंने कोई व्यक्तिगत आरोप नहीं लगाया था. उन्होंने जब कहा कि आप सीएजी की जांच की रिपोर्ट...
श्री शंकरलाल तिवारी - फिर काहे की चौधराहट है.
श्री जितू पटवारी - तिवारी जी,
श्री शंकरलाल तिवारी - दो सीनियर मेंबर की बहस है यहां माहौल खराब है भाई साहब फुलझड़ी जलाने खड़े हो गये.(..व्यवधान..) आप इतने बड़े चौधरी नहीं हो.
(..व्यवधान..)
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( X X X ) -- आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
अध्यक्ष महोदय - सभी बैठ जाएं. विषय यहीं पर समाप्त करते हैं. मेरा माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि बिना पूर्व सूचना के…
श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि इस संवाद को हटवा दें.
अध्यक्ष महोदय - वह हटवा दिया. मेरा माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि बिना पूर्व सूचना के किसी प्रकार का कोई आरोप नहीं लगाना चाहिये. सदन में जो सदस्य उपस्थित हैं पूर्व सूचना दीजिये और प्रमाण दीजिये. यह बात ठीक नहीं है कि आप इस तरह से आरोप लगायें बिना पूर्व सूचना के और बिना प्रमाण के और जो लोग यहां के सदस्य नहीं हैं या यहां उपस्थित नहीं हैं उनके खिलाफ कोई आरोप नहीं लगाना चाहिये. यह मान्य परंपरा है.आगे से सभी सदस्य इसका ध्यान रखेंगे.
इंजी.प्रदीप लारिया - अनुपस्थित.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा(जौरा) - माननीय अध्यक्ष महोदय, अतिवृष्टि के कारण मेरे क्षेत्र में कुवारी नदी में बाढ़ आई. उस बाढ़ से हजारों एकड़ में बाजरा और तिल्ली की फसल खराब हो गई. मैं चाहता हूं कि उससे प्राकृतिक आपदा में शामिल करके उसका सर्वे कराया जाये और उन किसानों को मुआवजा देने का काम करें. धन्यवाद.
श्री शैलेन्द्र पटेल(इछावर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, चंद पंक्तियों के साथ मैं अपनी बात रखना चाहता हूं. "बाढ़ आकर दरवाजे को छू रही है जिंदगी गर्दन तलक डूबी हुई है रोटी भूखों को देती है यह दुनियां लेकिन सरकार मिट्टी दे रही है" बाढ़ के बाद मिट्टी मिली थी उसका मामला उठा था. खैर मैं अपनी बात को शुरु करता हूं. प्रदेश ने हाल ही में बाढ़ की विभीषिका को झेला है और लगातार पिछले दो-तीन वर्षों से हम बाढ़ के भयानक रूप को देख रहे हैं और इस वर्ष पूरे प्रदेश ने और हमारे जिले में और इछावर विधान सभा क्षेत्र में भी बाढ़ की विभीषिका आई है और खासकर पूरे सीहोर शहर में पूरा पानी घुस गया था और लगभग 8-10 घंटे तक जनजीवन अस्तव्यस्त था. पिछले वर्ष आष्टा,कोठरी,आमला,सोंडा जो पूरे हाईवे के गांव हैं. यहां पर रोड जाम हो गया था कुछ विधायक आ भी नहीं पाये थे, विधानसभा का सत्र चल रहा था और इस वर्ष भी हमारे कुछ गांव छालकी, कालापीपल,मनखेड़ा, देवली, हेदरगंज खजूरियासोंडा इनमें बाढ़ भयानक रूप से घुसी जिसके कारण हमारे यहां एक कंपनी अनब्रेको है, उसमें बाढ़ का पानी घुसने से करोड़ों रूपये का नुकसान हो गया है. कंपनी के मालिक ने तो कहा कि ऐसी बाढ़ आई तो शायद मैं कंपनी बंद कर दूंगा. बात यह है कि जब बाढ़ आती है तो उसे शब्दों में बयां नहीं कर सकते हैं, जब गरीबों का राशन वह बहाती है. जीवन भर की मेहनत से जो मकान बनाता है और जब वह टूटता है तो शब्दों में हम बयां नहीं कर सकते हैं. पाई-पाई से जो इकट्ठा किया हुआ घर गृहस्थी का सामान जब बाढ़ में बह जाता है तो वह पीड़ा शब्दों में बयान नहीं की जा सकती है और जब किसानों की खेती बड़ी, किसान जब हाड़ तोड़ मेहनत के बाद फसल उगाता है और उस फसल को बाढ़ बहा ले जाती है तो उसके ऊपर क्या बीतती है हम नहीं कह सकते हैं और जब किसी का जीवन चला जाता है जब यह बाढ़ किसी का जीवन छीन लेती है तो उसकी कल्पना हम शब्दों में कर ही नहीं सकते हैं कि क्या दुख उसके परिवारजनों के ऊपर आया है. विषय एक है कि अतिवृष्टि बाढ़ से उत्पन्न स्थिति लेकिन उसके दो पहलू है एक तो बाढ़ आती है उसके बाद सरकार क्या कार्यवाही करती है उसके ऊपर हम यहां चर्चा कर रहे हैं और दूसरा विषय यह है कि बाढ़ नहीं आये अतिवृष्टि के कारण उसके लिये क्या-क्या सरकार कर सकती है, इन दोनों चीजों को समझना है. एक काम तो बाढ़ आने के बाद राजस्व विभाग मुआवजे का और राहत देने का काम करता है लेकिन बाढ़ नहीं आये उसके बारे में भी आज सोचने ओर विचारने की अति आवश्यकता है. डिजास्टर मैनेजमेंट और फसल बीमा की बातें लंच के पहले यहां हुई है कि डिजास्टर मैनेजमेंट का कैसे प्रयोग हो लेकिन बाढ़ क्यों आती है इसके बारे में हमें बड़ी गंभीरता से विचार करना चाहिए और उसके रोकथाम के प्रयास करने चाहिए क्योंकि अतिवृष्टि हमारे वश में नहीं हैं क्योंकि यह मौसम की मार होती है बारिश कितनी तीव्रता से होती है इसको हम नहीं रोक सकते हैं, लेकिन पानी कैसे निकल जाये और कैसे बाढ़ नहीं आये उसके बारे में हम विचार कर सकते हैं, मंथन कर सकते हैं और उस पर कदम उठाकर आगे के लिये एक नई दिशा इस प्रदेश को दे सकते हैं. सबसे पहले जो बारिश की तीव्रता है, देखने में आया है कि पिछले दो तीन वर्षो में अचानक तीन चार घंटे में कई इंच बारिश हो जाती है और इस इफेक्ट को पूरे विश्व ने समझा है, इसको अलनीनो इफेक्ट कहते हैं. वनों की अंधाधुंध कटाई के कारण यह उत्पन्न हुआ है, कहीं न कहीं हमें पेड़ पौधों को लगाना होगा वनों को संरक्षित करना होगा ताकि समान रूप से बारिश हो इस ओर हमें कदम उठाना पड़ेगा. नदी नालों पर विगत वर्षो में अतिक्रमण हो गया है और अतिक्रमण होने के कारण जो पानी बहकर आता है, उन नदी नालों के द्वारा वह निकल नहीं पाता है और उसमें वह पानी नहीं समाता है, उसे अतिक्रमण से मुक्त करना होगा ताकि नदी नालों में वह पानी बहकर आ सके और जल्दी से जल्दी जो कॉलोनियों हैं, गांव हैं और खेत हैं उनसे पानी बहकर निकल जाये. दूसरा नदी नालों में लगातार मिट्टी बहने से गाद जम गई है, उनके गहरीकरण की भी आवश्यकता है क्योंकि उनकी गहराई कम हो गई है. गहराई कम होने के कारण पानी नदी नालों से बहकर आ जाता है और आसपास की फसलें और पास बसे हुए गांव में घुस जाता है. जल निकासी का प्रबंधन है वह गांवों में तो है ही नहीं शहरों में तो हम सुनते है कि नदी नाले है लेकिन पंचायत मंत्री जी गांव में नहीं है जो पैसा देते हैं पंच परमेश्वर से वह रोड निर्माण का है नाली निर्माण का प्रावधान है लेकिन उससे नाले नहीं बन पाते जिसके कारण गांव में पानी रूककर बाढ़ का रूप अख्तियार कर लेता है. बारिश का पानी उसमें रूक जाता है और तो और जो नव निर्माण हुए है विगत वर्षो में चाहे रोडों के माध्यम से या अन्य उन नव निर्माणों के कारण भी कई जगह बारिश का पानी रूक जाता है उसके लिये पानी का निकासी का इंतजाम उन नव निर्माण की जगह पर भी किया जाये. हम सभी जानते हैं कि जो नुकसान होते है बारिश के कारण जैसे मकान,जानमाल, जानवर, घर गृहस्थी का सामान फसलों का बीमारी फैलती है और तालाबों, बांधों का नुकसान होता है, वह टूट जाते है सड़कें टूट जाती हैं और सरकार का और नागरिकों का अरबों-खरबों रूपया बर्बाद हो जाता है. यह अरबों-खरबों रूपया जब बर्बाद होता है तो उसको बर्बादी को रोकने के लिये हम कदम उठाये और उचित पैसा लगाकर जो अतिवृष्टि का पानी है उसमें हम कैसे बाढ़ नहीं आये और कैसे नदी नालों की तरफ मोड़े उसके लिये एक प्लानिंग की आवश्यकता है. प्लानिंग हर गांव की , हर ब्लॉक की, जिले की हो उसके बाद वह प्रदेश स्तर पर किया जाये.
अध्यक्ष महोदय - कृपया समाप्त करें.
श्री शैलेंद्र पटेल - अध्यक्ष महोदय दो मिनट में मैं समाप्त कर दूंगा. शहरी क्षेत्रों में तो जल निकासी की व्यवस्था है लेकिन गांवों में कोई भी विकास है वह नियोजित विकास नहीं है अनियोजित विकास है जहां जिसकी मर्जी हुई मकान बन गये उसके कारण वहां पर बहुत ज्यादा दिक्कतें आज महसूस की जा रही है.
अध्यक्ष महोदय, नदी-नाले के किनारे की फसलें बहुत ज्यादा खराब होती हैं. पुराने बीमा के पैसे तो नहीं मिले लेकिन नई फसल बीमा में जैसा बहादुर सिंह जी बात कर रहे थे,मेरा आपके माध्यम से कृषि मंत्रीजी से एक प्रश्न है कि इस पर विचार करें कि जो 25 प्रतिशत का जो प्रावधान बीमा योजना में दिया है उसका लाभ किसानों को मिले. दूसरा, इस 25 प्रतिशत के लाभ के अलावा जो किसान उस खेत में दुबारा फसल बोता है तो क्या उसी फसल बीमित होगी या नहीं होगी यह भी स्पष्ट करें. किसानों में आज भी इसको लेकर असमंजस की स्थिति है.
अध्यक्ष महोदय, मेरे आपके माध्यम से कुछ सुझाव हैं. शासन इस ओर ध्यान दे ताकि आने वाले समय में बाढ़ की स्थिति को रोका जा सके. अध्यक्ष महोदय, जो मौसम विभाग है वह सूचना देता है कि कब कहां पर ज्यादा बारिश की संभावना है. उन सूचनाओं को हम गंभीरता से लें और निगरानी की व्यवस्था करें कि कौन कौन से क्षेत्र में ज्यादा बारिश हो सकती है. प्रशासन पहले से देखे कि यहां ज्यादा बारिश की संभावना है तो वहां पर रेस्क्यू आपरेशन करने के पहले उसको आब्जर्व करें और जहां पर तीव्रता आती है, वहां पर कदम उठायें.
अध्यक्ष महोदय, वनों की अंधाधुंध कटाई की रोकथाम की जाये ताकि ईवन बारिश हो, ठीक बारिश हो. जो अन ईवन बारिश होती है उसमें रोकथाम हो. नदी-नालों का गहरीकरण हो. साफ-सफाई की व्यवस्था की जाये ताकि पानी को सही पैसेज मिले और जल निकासी सुगम तरीके से हो जाये.
अध्यक्ष महोदय,नदी-नालों को अतिक्रमण से मुक्त किया जाये. आदरणीय राजस्व मंत्रीजी से अनुरोध है चूंकि मुआवजा भी आपको देना है और अतिक्रमण भी आपको मुक्त कराना है तो नदी-नालों पर जो इन्क्रोचमेंट हो गया है उसके लिए सख्त से सख्त कदम उठा कर, उनको अतिक्रमण मुक्त करायें ताकि बाढ़ की स्थिति न बन पाये.
अध्यक्ष महोदय, जो नव निर्माण हो रहे हैं खासतौर पर मैंने उदाहरण दिया था कि पिछले वर्ष इसी समय जब हमारा सदन चल रहा था तो बहुत से इंदौर तरफ के विधायक आष्टा और सीहोर के बीच रुक गये थे. जो रोड़ बनी है उसके कारण कोठरी-कोंडा-आष्टा में बाढ़ का पानी भर गया था. घरों में भी नुकसान हुआ था और यात्रियों को भी परेशानी आयी थी.
अध्यक्ष महोदय, हमारे गांव में भी जल निकासी का बेहतर इंतजाम हो. गांव का एक सुनियोजित विकास हो. आपने समय दिया. धन्यवाद.
श्री सुखेन्द्र सिंह बना(मऊगंज)--अध्यक्ष महोदय, नियम 139 की चर्चा पर बोलने का अवसर मिला. उसके लिए बहुत बहुत आभार.
अध्यक्ष महोदय,हमारे रीवा, सतना जिले में 8 जुलाई को भारी बारिश हुई. बारिश तो सतना में हुई लेकिन उसका खामियाजा हमारे जिले को भुगतना पड़ा. 8 जुलाई की रात एक काली रात के रुप में हमारे जिले में आयी. उसका कारण यह था कि बिना बताये बखियाबराज बांध को खोल दिया गया, जिसके कारण पांच नौजवान पूर्वाफाल में बह गये और कई मवेशी भी बह गये. कलेक्टर ने स्वीकार किया कि इसमें निश्चित रुप से लापरवाही हुई है उसका कारण यह है कि मैं स्वयं स्थल पर गया. स्थल पर जाने से यह बात स्पष्ट हुई कि घटना का असली कारण क्या था.
अध्यक्ष महोदय,मेरे पूर्व श्री सुन्दरलाल तिवारी जी ने भी बहुत सारी बातें कही. लेकिन मैं आपसे इसलिए निवेदन कर रहा हूं कि मैं स्पाट पर गया. अभी श्री शंकर लाल तिवारी जी ने कहा कि जब सतना में बाढ़ आयी तो हमने मुख्यमंत्रीजी से बात करना चाही लेकिन कतिपय कारणों से बात नहीं हो पायी लेकिन मंत्रीजी वहां पर गये. जब माननीय मंत्रीजी सतना गये और इस घटना स्थल पर जाते तो मुझे खुशी होती. अध्यक्ष महोदय, मेरे स्थल पर जाने के बाद क्या कार्रवाई हुई कि अभी कलेक्टर रीवा ने मजिस्ट्रीयल जांच का आदेश कर दिया है लेकिन उससे यह मामला हल होने वाला नहीं है. इतनी बड़ी घटना घटी. अगर कोई नेता का, कलेक्टर का लड़का बहा होता तो निश्चित रुप से इस घटना का रुप कुछ और होता. लेकिन एक साकेत का लड़का, एक विश्वकर्मा का लड़का, एक सोनी का लड़का इस तरह से गरीब लोगों के लड़के बहे इसलिए इसको गंभीरता से नहीं लिया गया.
अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से हमारे जिले के प्रभारी मंत्री जो जल संसाधन मंत्री भी हैं, बैठे हैं, अनुरोध है कि इस घटना को गंभीरता से लेते हुए इसकी उच्च स्तरीय जांच करवायें. और अधिकारियों के खिलाफ जो कार्रवाई हो सकती है, वह करना चाहिए. पीड़ित परिजनों को उचित मुआवजा मिलना चाहिए.
मेरा आपके माध्यम से और अनुरोध है कि 16 तारीख को मुख्यमंत्री जी को रीवा जाना था, लेकिन वहां के लोग आक्रोशित थे, उनका घेराव करने तक की बात सोची थी, हो सकता है 23 तारीख को मुख्यमंत्री को रीवा जाना है. इस बात को लेकर वहां के लोग आक्रोशित हैं. निश्चित रूप से वहां पर घेराव भी कर सकते हैं. उनसे बात भी करेंगे. इसके पहले मैं आपके माध्यम से अनुरोध करना चाहता हूं कि इस पर कार्यवाही अवश्य हो. इसके अलावा हमारे क्षेत्र मऊगंज में भी बाढ़ आई, जैसे अभी श्री शैलेन्द्र पटेल और हमारे सब साथियों ने बहुत सारी बातें कहीं कि जल का भराव हो गया. उचित व्यवस्थाएं नहीं हुईं. इस तरीके से तमाम हर छोटे-छोटे नगरों में अतिक्रमण कर लिये गये हैं, जिसके कारण वहां पानी का भराव हो रहा है, सबके घरों में पानी भर रहा है, नुकसान हो रहा है. इन सब पर ध्यान देने की आवश्यकता है. अध्यक्ष महोदय, ज्यादा कुछ न बोलते हुए, आपने जो बोलने का अवसर दिया है, इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री रजनीश हरवंश सिंह (केवलारी) - अध्यक्ष महोदय, पिछले कई वर्षों से इस प्रदेश का किसान बड़ा दुखी, पीड़ित और बड़ा चिंतित रहा. पिछले कई वर्षों में ओला, पाला, खर्रा, अतिवृष्टि से जो फसलों का नुकसान हुआ था और जो दयनीय हालत हुई थी, इस वर्ष बड़ी उम्मीद थी कि इस वर्ष किसानों को एक अच्छा मौका मिलेगा. परन्तु जुलाई के प्रथम पखवाड़े में ही लगातार 5-7 दिन ऐसी अतिवर्षा हुई कि जो लोगों ने बीज बोया था, वह चाहे मक्का का हो, धान का हो, सोयाबीन का हो, कहीं कहीं पर उसके उगने की स्थिति भी नहीं रही. उसके अलावा अतिवृष्टि के कारण जो बहुत पुराने बांध थे, मुझसे पूर्व के साथियों ने उसका बड़ा जिक्र किया. हमारे आदरणीय सिंचाई मंत्री जो कि अभी वित्त मंत्री हैं, इन्होंने अंग्रेजों के जमाने के बांध की चर्चा की. मेरे विधानसभा क्षेत्र में भी उगली एक ऐसा इलाका है, जहां ब्रिटिश के जमाने से वर्ष 1910 में एक बांध बना था. उस बांध से लगभग 20-30 गांव की सिंचाई उस जमाने में होती थी. उसके बाद उसमें एक नयी टेक्नालॉजी लाकर बढ़कुर पिकअप वियर के नाम से उसकी सब केनाल से एक छोटा बांध बनाया गया. कुल मिलाकर 70 गांव की सिंचाई उससे होती थी. अचानक 11 तारीख को शाम 4 बजे अतिवृष्टि के कारण एक सुराख उसमें चालू हो गया, धीरे-धीरे पानी का रिसाव चालू हो गया. देखते ही देखते एक बहुत बड़ा बोगदे के रूप में वह हो गया. परन्तु मैं धन्यवाद दूंगा, जिले के सिंचाई विभाग के अधिकारियों को हमारे क्षेत्र की जनता को लगभग 20 गांव के लोगों ने वहां पर श्रमदान किया. छोटे से लेकर बड़ा अधिकारी वहां पर मौजूद रहा और लगभग रात के 3 बजे तक मशक्कत करने के बाद जो तीव्रता से पानी जा रहा था, उसकी गति को कम किया गया और उसे बचा लिया गया. केनाल्स के द्वारा पानी बहाया गया.
अध्यक्ष महोदय, परन्तु मेरा आपके माध्यम से अनुरोध है, सदन में बैठे हुए जो नये सिंचाई मंत्री हैं, जिनको इसी सदन में माननीय मुख्यमंत्री जी ने और आप लोगों ने सचिन तेंदूलकर का खिताब दिया है कि जो मारते रहते हैं, मारते रहते हैं, रन बनाते रहते हैं, मेरा अनुरोध नये सिंचाई मंत्री से है कि तत्काल इसमें कोई राशि आवंटित कर दें ताकि जो यह एक पुरानी विरासत है, वह जिंदा भी रहे और उस इलाके के किसानों को इससे लाभ मिले. जो वहां पर दुर्घटना घटने वाली थी, जो होने से बच गई, भविष्य में उसकी कभी पुनरावृत्ति न हो. यह मेरा अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से अनुरोध है. दूसरी बात यह है कि बांध में पानी का भराव कम हो रहा है, क्योंकि जहां पर सुराख है, वह ऊपरी सतह से लगभग डेढ़ से दो मीटर नीचे है. उसका भराव उतना नहीं कर सकते हैं. इस सदन में हमारे कृषि मंत्री मौजूद हैं, इन्होंने स्वयं ने रुमाल जलाशय को अपनी आंखों से देखा है. वह मेरा इलाका धान का कटोरा कहा जाता है. बहुत अच्छे किस्म के चावल, जीरा संकर अगर आप देखेंगे, अध्यक्ष महोदय, मैं आपको पेशगी के रूप में भेजूंगा भी कि अगर आपके घर में वह चावल बनेगा और कूकर की सीटी बजेगी तो पूरे घर में उसकी सुंगध हो जाएगी, ऐसी उच्च क्वालिटी का चावल मेरे उस उगली इलाके के धान के कटोरे में होता है. (कई माननीय सदस्यों द्वारा चावल भेजे जाने की बात कहने पर) माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सबको वह चावल भेजूंगा पर विडम्बना एक है मैं सदन में कोई बात गलत नहीं कहना चाहता अगर बांध पूरा भरा रहता और ज्यादा पानी रहता तो सबके लिए भेज देता. आज मेरी पीड़ा यह है कि तीन मीटर बांध मेरा कम भर रहा है, वैसे ही धान कम पकेगी, वैसे ही उत्पादन कम होगा पर मैं विश्वास दिलाता हूं कि आने वाले समय में जब यह दुरूस्त हो जाएगा और पूरा बांध भर जाएगा तो मैं सबको चावल खिलाउंगा. माननीय अध्यक्ष महोदय, 5345 एकड़ जमीन उस बांध से सिंचित होती है मेरी चिन्ता का विषय यह है माननीय अध्यक्ष महोदय, कि आज वर्तमान में बारिश का समय चल रहा है आज सिर्फ हम उस सुराग को रोक सकते हैं, और अगर आज ही उस पर कार्यवाही नहीं की तो आने वाले समय तक उसमें पूरा काम नहीं हो सकेगा, इसलिए कोई ठोस नीति आपके माध्यम से मंत्री जी बनाए और अभी उसको जारी करे दें ताकि उसकी व्यवस्था हो सके.
माननीय अध्यक्ष महोदय बस मैं थोड़ा सा समय लूंगा अतिवृष्टि के कारण कुछ ऐसे इलाके हैं जहां पर पानी का भराव हो गया है. केवलारी विधानसभा में मैं पूर्व में भी इस सदन में उल्लेख कर चुका हूं, बहुत पानी की व्यवस्था है, अकेले मेरी विधान सभा में लगभग तीन लाख एकड़ जमीन सिंचित है पर जिस उगली क्षेत्र में इस डेम की दुदर्शा हुई है वहां सब डिवीजन था, वहां एक एसडीओ पदस्थ थे, चार सब-इंजीनियर पदस्थ थे, पर न जाने क्यों शासन तंत्र ने उस व्यवस्था को दूसरे मुख्यालय में मर्ज कर दिया और एक भी अधिकारी उस स्थान पर नहीं रहते, अगर अधिकारी वहां पर रहते जो आवंटित है तो यह दुर्घटना नहीं घटती. आपसे मेरा अनुरोध है कि जो सब डिवीजन का आफिस उगली में है वहां पर चारों सब-इंजीनियर और एक एसडीओ जो वहां पर पदस्थ हैं, उनको वहीं पर रहना चाहिए. माननीय अध्यक्ष महोदय, बस एक मिनट का समय लूंगा, अतिवृष्टि के कारण सिवनी में चाहे वह नगर पालिका का इलाका हो, चाहे नेहरू रोड हो, चाहे निचली बस्ती हो, चाहे मस्जिद का इलाका हो चारों तरफ पानी भर गया है. मेरे गृह क्षेत्र छपारा नगर में चाहे वह महाराणा प्रताप नगर हो, चाहे हाइवे कालोनी हो, हनुमान कालोनी हो, संजय कालोनी हो, दुर्गा नगर हो, लालमाटी हो, मस्जिद मोहल्ला हो और कब्रिस्तान हो. कब्रिस्तान की आज यह हालत है कि अगर कोई दुर्घटना घट जाए तो कब्रिस्तान में किस जगह पर दफनाने का काम किया जाएगा यह भी सुनिश्चित नहीं है, सब तरफ पानी भर चुका है. मेरा आपसे अनुरोध है कि इन सबकी व्यवस्था हो जाए यही मैं आपसे अनुरोध करता हूं, आपने बोलने का अवसर दिया आपका बहुत बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री मधु भगत(परसवाड़ा) – माननीय अध्यक्ष महोदय, 139 पर चर्चा करने के लिए आपने समय दिया इसके लिए आपको धन्यवाद देता हूं.माननीय अध्यक्ष महोदय मैं अतिवृष्टि, सूखा, मुआवजे के ऊपर सिर्फ पिन पाइंट के ऊपर बात करूंगा. कम शब्दों में मैं इसके ऊपर उचित न्याय की बात करूंगा. माननीय अध्यक्ष महोदय मेरी विधानसभा परसवाड़ा में आज दिनांक तक ओलावृष्टि से प्रभावित किसी भी किसान को मुआवजा राशि अभी तक बराबर नहीं मिली है, जबकि मैं उस क्षेत्र से हूं जहां मेरे कृषि मंत्री श्री गौरीशंकर बिसेन जी हैं, इसके पूर्व भी अतिवृष्टि, सूखा सर्वे हुए किसी भी ग्राम में प्रभावित किसानों को राशि नहीं मिली, प्रभावित किसानों को बराबर मुआवजा राशि के लिए तहसील कार्यालय बुलाया जाता है और वहां पर बराबर तहसील से बाबू द्वारा और वहां के कर्मचारियों द्वारा पैसे ले लिया जाता है कि हम आपको इसका मुआवजा दिलाएंगे पर उनको मुआवजे की राशि नहीं मिलती, बल्कि किसानों को लूट लिया जाता है. अब मैं इसमें कहना चाहता हूं अध्यक्ष महोदय, अतिवृष्टि से प्रभावित किसानों को बीज, खाद जो इस समय इतना पानी आया कि पानी बहुत ज्यादा हो गया क्योंकि उसकी निकासी उचित नहीं थी. नहर के ऊपर भी पानी चला जो हमारा ढूटी है, जिसके अंदर पानी निकासी के लिए व्यवस्था नहीं है.
लेकिन एक जो हमारी नहर है उसके ऊपर 10 फीट की सिल्ट जमा है, मतलब यह है कि वह कितने वर्षों से साफ नहीं हुई होगी, तो सूखे में हम किसानों को पानी कैसे पहुचायेंगे. मुझे तो ऐसा प्रतीत होता है कि उसको पिछले 10 - 15 वर्षों से साफ नहीं किया गया है. मेरे क्षेत्र परसवाड़ा का किसान परेशान रहता है. अध्यक्ष महोदय मैंने पहले बार बार कई बार निवेदन किया है कि मैं एक ऐसे विधान सभा क्षेत्र से हूं जो कि तीन खंडों में बंटा है. एक पहाड़ पर है, एक बालाघाट में महाराष्ट्र की तरफ चला जाता है एक जाकर के उगली से मिल जाता है, श्री रजनीश सिंह जी की विधान सभा से मिलता है, यह तीन खंडों की समस्या जब हमारे सामने आती है तो हमें लगता है कि हम किस किस के पास जाकर अपनी समस्या का निराकरण करायें. बात आती है कि हम सूखे में पानी कैसे दें.
हमने पिछले ढाई वर्ष में जो हमारे सिंचाई मंत्री जी थे जयंत मलैया जी से जब भी हम मिले हैं हमारे सातनारी बांध के लिए उनसे हाथ पैर जोड़कर सातनारी बांध के लिए मांग की है कि उसको बनवा दें. हमारे यहां से कृषि मंत्री जी भी हैं जो भी मिला है हमने सभी से उस सातनारी बांध के बारे में बात की है कि आप हमारा यह सातनारी बांध बनवा दें क्योंकि उससे हमारे 16 गांवों के लोगों को पानी मिलेगा. लेकिन किसी के समझ में नहीं आता है और सभी यह कहते हैं कि हो जायेगा, अरे साहब 28 वर्ष से किसान वहां पर भोग रहा है उससे पहले तो पता नहीं किसान वहां पर कितना परेशान रहा होगा. अगर आपके पास में 16 गांव के पानी केलिए बात कर रहे हैं जिसका 70 प्रतिशत काम पूरा हो गया है केवल 30 प्रतिशत काम बचा है एक एनओसी वन विभाग से लेना है, वन विभाग सिंचाई विभाग को ट्रांसफर कर देगा. प्रदेश में सरकार आपकी है केन्द्र में भी आपकी सरकार है. आप आदान प्रदान कर देंगे तो 30 प्रतिशत काम को पैसा लगाकर पूरा कर देंगे तो 16 गांव के लोगों को पानी दे सकते हैं. लेकिन हमारी एक यही बात पूरी नहीं हो पाती है. हमेशा उसमें कहीं न कहीं कोई नई चीज विकसित कर देते हैं और वह फाइल फिर से लटक जाती है.
अध्यक्ष महोदय इस तरह की बहुत सारी समस्याएं हैं जो कि मैं अपने विधान सभा क्षेत्र के लिए कहना चाहता हूं. मेरा यह भी कहना है कि ढाई साल में मेरी विधान सभा में एक बांध नहीं बना पाये हैं तो यह मेरी विधान सभा में क्या देंगे. मैं मंत्रियों से सवाल करना चाहता हूं आज आप स्पोर्टस के लिए क्या देंगे. ग्राउण्ड का पैसा रिलीज होकर दो साल से रखा हुआ है. अध्यक्ष महोदय आपने अतिवृष्टि पर बोलने के लिए समय दिया उ सके लिए बहुत बहुत धन्यवाद्.
श्री यादवेन्द्र सिंह ( नागौद ) -- माननीय अध्यक्ष महोदय इस अति वर्षा से हमारे सतना जिले में पूरे प्रदेश में सबसे ज्यादा पानी बरसा है और सबसे ज्यादा पानी मेरी विधान सभा नागौद और उचेहरा में गिरा है 6 तारीख को जब से पानी गिरना शुरू हुआ है, 6 को गिरा, 7 को गिरा और 7 को तो सतना जिले का पूरा आवागमन बंद हो गया, सतना से नागौद तक 25 - 30 किलोमीटर में ऐसा लग रहा था जैसे कोई समुद्र हो इसके कारण जिन किसानों ने सोयाबीन बो लिया था या उड़द की खेती भी हो चुकी थी, तीन दिन तक लगातार सभी बांध पानी में डूबे रहे हैं, उ सके बाद में जब पानी निकलना शुरू हुआ है तो एक दूसरे के खेत की मिट्टी आकर जो 2 इंच 3 इंच की फसल खड़ी थी उसके ऊपर मिट्टी हो गई और सभी फसलें सड़ गईं. उसके बाद से किसी भी प्रकार का कोई सर्वे, कृषि कार्य के लिए या फसलों के नुकसान के लिए कोई सर्वे कलेक्टर के द्वारा नहीं कराया गया है. शासन से भी कोई आदेश नहीं गया है कि फसलों के नुकसान का सर्वे किया जाय. सर्वे के लिए आदेश हुआ है तो उसके लिए कि मकान गिरे हैं उनका सर्वे किया जाय, अभी तक कहीं पर भी जिले में पटवारी भी सर्वे के लिए नहीं गये हैं, ताकि पूरे मकानों का सर्वे किया जा सके. बड़े लोगों के तो पक्के मकान बने हैं, 3 हजार गरीबों के मकान है पहाड़े से ऊपर से लेकर नीचे तक सभी मकान धराशायी हो चुके हैं. अभी शासन स्तर से एक भी तिरपाल गरीबों के लिए नहीं गई है. वे कहीं स्कूल में रह रहे हैं, कहीं धर्मशाला में रह रहे हैं और न ही उनके खाने-पीने की व्यवस्था की जा रही है. पेपर के माध्यम से 50 किलो गेहूँ देने का आदेश कलेक्टर के द्वारा हुआ लेकिन आज तक किसी को भी 50 किलो गेहूँ प्रदान नहीं किया गया है. इसी तरह से दाईं तटवर्ती नहर जो मेरे क्षेत्र से निकलती है और मैहर होते हुए नागौद जाती है वह निर्माणाधीन थी, पानी के बहाव के कारण इस नहर के टूट जाने से पूरे तीन गांव लालपुर, मानिकपुर और श्यामनगर के रहवासियों के मकान धराशायी हो गए हैं जबकि नहर में अभी नर्मदा नदी का पानी नहीं आया है यह पानी इसी नहर का था. बाढ़ से तीनों गांव के ग्रामवासियों के मकान धराशायी हुए हैं और उनका सामान खराब हुआ है अनाज भीग गया और सड़ गया, उनके लिए शासन स्तर से कोई व्यवस्था नहीं हुई है और न ही अभी तक कोई सर्वे हुआ है. मैं चाहता हूँ कि इन लोगों का सर्वे करके मुआवजा दिया जाए.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा दूसरा आपसे निवेदन यह है कि मैं पन्ना स्वयं गया था, हमारे विधायक लोग जब मंत्री जी के सामने कुछ बात करते हैं किसी काम में कुछ कमी निकालते हैं तो मंत्री जी नाराज हो जाते हैं. हम लोग यह थोड़ी कह रहे हैं कि मंत्री जी ने बांध बनाया और टूट गया, मंत्री जी ने तो केवल पैसा दिया, मगर मैंने अपनी आंखों से देखा है, हमारे अध्यक्ष श्री अरूण यादव जी के साथ मैं तीन बार दौरे पर गया हूँ, मैं आपको मैन बांध की बात बता रहा हूँ. जहां पर काली मिट्टी का प्रावधान था वहां पर रेतीली मिट्टी, भूरे रंग की मिट्टी और लाल मिट्टी आदि के कारण बांध तीन-तीन जगह से टूटा है जबकि अभी बांध का निर्माण भी पूरा नहीं हुआ है. हर जगह गलती ठेकेदार करते हैं चाहे रोड का काम हो, चाहे बांधों का काम हो, लेकिन सुनने की क्षमता मंत्री जी लोगों की नहीं है. वे अपनी सफाई देने लगते हैं कि मेरी कोई संपत्ति नहीं है. मेरा मानना है कि हमें आपकी संपत्ति से कोई मतलब नहीं है, वह आपकी अपनी संपत्ति है, यदि हम लोग आवाज उठाते हैं, आपसे कहते हैं क्योंकि सरकार आप हैं तो आप इसमें निगरानी करिए कि भई कहां पर गलती हो रही है. गलती तो ठेकेदार करता है, कर्मचारी देख रहा है, ठेकेदार हमसे आपसे जुड़ा हुआ है, उसका कर्मचारी भी कुछ नहीं कर पाते, यह शासन को देखना चाहिए, हम लोग तो शासन समझकर आपसे बात करते हैं. यदि गुणवत्ताविहीन काम जहां पर होगा तो हम बोलेंगे और उस पर आपको ध्यान देना चाहिए. यदि पन्ना जिले में ध्यान दिया जाता, मैंने खुद देखा है, पन्ना जिले के तीन बांध लापरवाही के कारण टूटे हैं क्योंकि न उनमें कभी कुटाई हुई कि मिट्टी को दबाया जाए. साल भर से काम चल रहा है लेकिन ठेकेदार के द्वारा न पानी डाला गया न उस पर बेलन चलाया गया कि उसको कंप्रेस किया जाए, इसी लापरवाही से वे बांध टूटे हैं, इस पर आपको ध्यान देना चाहिए. मंत्री लोग तो बिल्कुल आक्रोश में आ जाते हैं. मैं यही चाहता हूँ कि मेरे यहां का सर्वे कराया जाए और जो नहर से तीन गांवों को नुकसान हुआ है, वे गांव बह गए हैं, उसके लिए रिंकी कंपनी जिम्मेदार है जो कि नहर की निर्माणकर्ता कंपनी है क्योंकि नहर को कंप्रेसर से दबाया नहीं गया, 6 महीने में पानी के अभाव के कारण, सूखे के कारण उस मिट्टी को दबाया नहीं गया इसलिए नहर टूटी है. कंस्ट्रक्शन कंपनी रिंकी की लापरवाही से गांव बहे हैं इसलिए उस कंपनी से मुआवजा दिलाया जाए. मेरा यही आपसे अनुरोध है, आपने मुझे बोलने का मौका दिया, आपको बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री सोहन लाल बाल्मीक (परासिया) -- आदरणीय अध्यक्ष महोदय, आज नियम 139 के तहत चर्चा है और आपने मुझे बोलने के लिए मौका दिया, इसके लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद. मैं आपको अवगत कराना चाहता हूँ कि पूरे प्रदेश के अंदर लगभग 3-4 वर्षों से जो प्राकृतिक आपदा और विपदा आ रही है और यह प्राकृतिक आपदा तथा विपदा इस वर्ष भी हम लोगों को भुगतना पड़ रही है. इस माह की 11 तारीख को मेरे विधान सभा क्षेत्र में अत्यधिक बारिश होने के कारण जितनी भी नदियां और नाले हैं, सब में बाढ़ की स्थिति बनी और यह जो बाढ़ की स्थिति बनी इसके कारण बहुत से क्षेत्रों में भारी नुकसान हुआ. उस नुकसान का थोड़ा सा जायजा मैं आपके बीच में रखना चाहता हूँ जैसा कि सभी माननीय सदस्यों ने अपने-अपने क्षेत्रों की बात बताई, मैं भी अपने क्षेत्र की बात बताना चाहता हूँ कि 11 तारीख को जिस तरीके से बाढ़ आई, जो पानी-वर्षा हुआ. उस पानी-वर्षा में जितने भी मेरे विधानसभा क्षेत्र के किसानों ने फसलें,बीज खेतों के अंदर बोये थे, लगभग सभी किसानों के खेतों में फसलों का नुकसान हुआ है. साथ-ही-साथ मैं आपको यह भी अवगत कराना चाहता हूं कि जो एक ग्राम पगारा है उसके पास में सुकरी नदी है, उस नदी पर एक पुल बना हुआ है. अत्यधिक बाढ़ और वर्षा के कारण वह पुल लगभग 35-40 मीटर बह गया और उस पुल के बह जाने के कारण लगभग 40 गांव इससे प्रभावित हुए और उनका आवागमन बंद हो गया. जब हमने लगातार प्रयास किया, विभाग से बात की, चर्चा की. कलेक्टर देखकर गये.जो हमारे एसडीएम, तहसीलदार थे, वह मेरे साथ गये, हमने उस क्षेत्र में घूमा और देखा.जब पानी कम हुआ उसके बाद में जब मैंने अपनी बात रखी, विभाग और कलेक्टर महोदय से कि उसकी वैकल्पिक व्यवस्था बनाये. मैं समझ सकता हूं कि आज की तारीख में वह पुल बनने की स्थिति में नहीं है परन्तु कोई वैकल्पिक व्यवस्था उसके लिए बन सकती थी परन्तु विभाग ने इस पर अभी तक कोई ध्यान नहीं दिया और वैकल्पिक व्यवस्था बनाने के लिए वहाँ के ग्रामवासियों ने चंदा किया और उसमें वहाँ के हम सभी जन प्रतिनिधियों ने सहयोग किया और टेंपरेरी रास्ता बनाया और पुल को प्रारंभ किया गया.
अध्यक्ष महोदय, मैं सदन में इस बात का ध्यान दिलाना चाहता हूं कि हमारे क्षेत्र में यदि कोई विपदा आती है, दिक्कत होती है तो क्या शासन और विभाग के पास में कोई ऐसी राशि नहीं होती है कि जिससे इस विपदा और आपदा से निपटा जाये. डिजास्टर मैनेजमेंट की बात करे तो यह जो विभाग बना हुआ उसको पहले से इस बात को ध्यान रखना चाहिए जबकि मौसम विभाग के द्वारा बहुत सारी सूचनायें पहले से ही मिलती हैं. मैंने हमारे माननीय प्रभारी मंत्री गौरीशंकर जी बिसेन से इस पुल के बारे में बात की कि कोई-न-कोई व्यवस्था आप बनाये. मैं लगातार तीन दिन तक प्रयास करता रहा इस विषय में माननीय मुख्यमंत्री जी से बात करने की परन्तु मेरी बात नहीं कराई गई ना मेरी बात सुनी गई. दुःख और खेद के साथ इस बात को मुझे कहना पड़ रहा है कि ऐसे विपदा-आपदा के समय कम-से-कम विभाग और प्रशासन को सजग रहना चाहिए ताकि कभी ऐसी परिस्थिति बने तो उसमें पूरा ध्यान देना चाहिए क्योंकि जब ऐसी परिस्थितियाँ बनती हैं तो आम जनता सीधे तौर पर जन प्रतिनिधियों पर सीधा-सीधा वार करती है, वह सवाल-जवाब हमसे करती है और जब हम विभाग के पास जाकर बात करते हैं, बड़े अधिकारियों से बात करते हैं तो उनसे संतोषजनक जवाब और अपेक्षित सहयोग नहीं मिल पाता है जिसके चलते बहुत ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ता. अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे कहना चाहता हूं कि लगातार तीन-चार वर्षों से मेरे क्षेत्र में बहुत नुकसान हो रहा है, सूखे से नुकसान हुआ, अधिक बारिश से नुकसान हुआ, अधिक ओलावृष्टि से नुकसान हुआ.
श्री के.पी.सिंह-- अध्यक्ष महोदय, पुराने मंत्री भी उठकर चले गये और वर्तमान मंत्री जी चले गये अब जो विधायक यहाँ कह रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- राजस्व मंत्री जी बैठे हैं वह मुख्य उत्तर देंगे.
श्री के.पी.सिंह--- आप क्या डैम की व्यवस्था करोगे.(राजस्व मंत्री जी से)
अध्यक्ष महोदय-- राजस्व मंत्री ही उसका उत्तर देंगे.
श्री के.पी.सिंह--- वह मुआवजा की बात कहाँ कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय--- मंत्रिमंडल की सामूहिक जिम्मेदारी है आप तो मंत्री रह चुके हैं.संसदीय कार्यमंत्री भी बैठे हुए हैं.
श्री के.पी.सिंह-- सामूहिक जवाबदारी है तो जो कुछ यह गड़बड़ हुआ है उसकी भी सामूहिक जिम्मेदारी लेंगे क्या.
अध्यक्ष महोदय-- वह अभी सुनिश्चित नहीं है कि किसकी है पर सुनने की और जवाब की सामूहिक जिम्मेदारी है.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री गोपाल भार्गव)—माननीय अध्यक्ष महोदय, के.पी.सिंह जी वरिष्ठ सदस्य हैं . 139 चर्चा में मूल विषय है अतिवृष्टि बारिश और राहत. इसमें सामान्यतः राजस्व मंत्री जी ही उत्तर देते हैं. अब इसमें लोक निर्माण भी प्रभावित होती है, सिंचाई भी होती है, अन्य विषय भी होते हैं, कोई शौचालय बह गया तो मुझे भी बैठना जरूरी है क्या. (हंसी)
श्री रामनिवास रावत—शौचालय की बात नहीं है, सड़क संपर्क टूट गया तो कौन बनाएगा सड़क. अगर बांध टूट गये तो कौन बनाएगा और (XXX).
अध्यक्ष महोदय--- यह कार्यवाही से निकाल दीजिये.
किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री(श्री गौरीशंकर बिसेन)—माननीय अध्यक्ष महोदय, बाल्मीक जी ने मुझे इस विषय में जानकारी दी तो मैंने जिला प्रशासन से बात की. हमने पूरे प्रशासन को लगाया और मैं स्वयं सदन के सत्र के बाद में जाने वाला हूं और विधायक जी के साथ में वहाँ का दौरा करूंगा और जो उनका पुल टूटा है उसकी वैकल्पिक व्यवस्था बनाएंगे और उसको सुधारेंगे भी.
श्री सोहनलाल बाल्मीक--- अध्यक्ष महोदय, मैंने माननीय मंत्री जी को अवगत कराया था यह बात सही है परन्तु प्रश्न मेरा यह था और मेरी पीड़ा इस बात की है कि मेरे बोलने के बाद, आपके बोलने के बाद में क्या सहयोग हुआ, प्रशासन ने, विभाग ने क्या कुछ मदद की ये बात मैं बोल रहा हूं. ये नहीं बोल रहा हूं कि आपने कुछ नहीं बोला होगा या कुछ नहीं किया होगा. ये इस बात की गंभीरता है. आप वहां मौजूद नहीं थे. मैं वहां मौजूद था. किस तरह की पीड़ा से आम जनता परेशान थी. क्या-क्या बात कर रही थी. क्या-क्या बोला जा रहा था. वो बात मैं कहना चाहता हूं. इस बात पर मैं कहना चाहता हूं कि सूखा पड़ा, ओलावृष्टि हुई तब मेरे परासिया विधानसभा क्षेत्र में एक भी किसान को पैसा नहीं मिला. मात्र नौ लाख रूपये का मुआवजा बना और इस बार भी जो परिस्थिति बनी है, मात्र फसलें खराब नहीं हुई हैं, लोगों के बीज नहीं बहे, इस बार तो मेरे क्षेत्र में जो गांव पड़ते हैं, जो नदी के आस-पास हैं, न्यूटन क्षेत्र में चार किसानों के पूरे के पूरे खेत बह गए. जो मेरा पलटवाड़ा, लोहंगी, तेंदूखेड़ा, मंडला क्षेत्र है, वहां पर फसलें खराब तो हुई हैं मगर जो किसानों के जमीनें थी नदी के आस-पास में लगभग 100-110 एकड़ जमीनें किसानों की बह गई हैं. ये मेरा आपसे निवेदन है कि एक जांच दल बनाकर के इसकी पूरे तरीके से निरीक्षण कराके जो किसान प्रभावित हुए हैं , जो लोग प्रभावित हुए हैं, उन्हें सही मुआवजा मिले, उन्हें आर्थिक रूप से मदद मिले. क्योंकि लगभग चार वर्षों से किसान टूटता चला जा रहा है. उसका आर्थिक रूप से भारी नुकसान हो रहा है. इसी तरीके से शहर के अंदर एमपीआरडीसी ने जो सड़क बनाई है परासिया से बैतूल तक की, मैं कई बार धरना दे चुका हूं, प्रदर्शन कर चुका हूं, कि जिस सड़क का निर्माण हुआ है वह गलत हुआ है. इसका खामियाजा इस बारिश में हम लोगों को भुगतना पड़ा है. कहीं नाली नहीं बनी है, कहीं रोड गलत तरीके से बनी है, रोड कहीं ऊंची हो गई है, कहीं नीची हो गई है. पूरे शहर के अंदर लोगों की दुकानों में, घरों में पानी घुसा है. जिससे लाखों-करोड़ों रूपये का नुकसान हुआ है. इसका भी आंकलन होना चाहिए. इस मौके पर मैं ये कहना चाहूंगा कि डिजास्टर मैनेजमैंट को जो एक्ट बना हुआ है, क्या इसकी कोई जवाबदारी नहीं है. मेरे विधानसभा क्षेत्र में पेंच नदी में बाढ़ आई उसमें पांच व्यक्ति नदी के बीच में फंसे रहे. कोई देखने वाला नहीं था. जब मैंने वहां खड़े तहसीलदार और एसडीएम से दूरबीन मांगी, कि देख तो लें कि वो किस पेड़ पर टंगे हैं, तो उनके पास उसकी भी व्यवस्था नहीं थी. ये शासन की कैसी व्यवस्था है. यदि आपदा के समय भी प्रशासन तरीके से मदद न कर सके, तो हम लोगों के लिए बड़ा खेद का विषय बनता है.
अध्यक्ष महोदय- कृपया समाप्त करें.
श्री सोहनलाल बाल्मीक- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अपनी बात समाप्त ही कर रहा हूं. लगभग मेरी बात समाप्त हो चुकी है. मेरा आप से ये निवेदन है कि अभी हमारे प्रभारी मंत्री ने कहा कि वे इस सत्र के बाद वहां जायेंगे. जब आप वहां जायें तो मुझे बुला लें क्योंकि आप अधिकतर अपने लोगों को बुला लेते हैं और हमको भूल जाते हैं. ऐसा मत करियेगा.
किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री (श्री गौरीशंकर बिसेन)- आपको ले कर जाऊंगा.
श्री सोहनलाल बाल्मीक- आप केवल अपने कार्यकर्ताओं को रख लेते हैं और हमको पूछते नहीं हैं.
श्री गौरीशंकर बिसेन- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह सही नहीं है. मैं जब भी क्षेत्र में जाता हूं आपको फोन करता हूं.
श्री सोहनलाल बाल्मीक- फोन आज तक नहीं किया आपने.
श्री गौरीशंकर बिसेन- आपको कार्यक्रम में रखता हूं. आपको चलने के लिए कहता हूं. लेकिन ये चलते नहीं हैं, तो मैं क्या करूं.
श्री सोहनलाल बाल्मीक- अध्यक्ष महोदय, इन्होंने आज तक फोन नहीं किया. मैं इनके सम्मान में चला भी जाऊं. ये सदन में आप गलत जानकारी दे रहे हैं.
श्री गौरीशंकर बिसेन- आप कई बार दौरे में भी रहते हैं.
श्री सोहनलाल बाल्मीक- नहीं दौरे में नहीं रहते हैं. आप कहेंगे तो आपके साथ चले जायेंगे.
अध्यक्ष महोदय- कृपया समाप्त करें.
श्री जतन सिंह उईके (पांढुर्णा)- माननीय अध्यक्ष महोदय, इस प्रदेश के अन्नदाताओं के विषय में चर्चा चल रही है. मेरे पांढुर्णा विधानसभा क्षेत्र में 18 जून से लगातार बारिश हो रही है और इतनी ज्यादा बारिश हुई कि फसल लगभग चौपट हो गई है. मैं किसानों के लिए चंद बातें कहना चाहता हूं अध्यक्ष महोदय, यदि आप तैयार हों तो-
'' आज के दौर में उम्मीदे वफा किससे करें,
धूप में बैठा है खुद पेड़ लगाने वाला''
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा विधानसभा क्षेत्र आप भलीभांति जानते हैं, पिछली बार मैंने सदन में बात रखी थी और आदरणीय रामपाल सिंह मंत्री जी ने जवाब दिया था कि हम संतरे के पेड़ को पांच सौ रूपये मुआवजा देंगे. लेकिन अभी तक मेरे पांढुर्णा क्षेत्र में एक भी रूपया खास तौर से संतरे के पौधे का नहीं मिला है. तो मैं आपसे निवेदन करना चाहूंगा आदरणीय अध्यक्ष महोदय के द्वारा. यदि पांच सौ रूपये मुआवजा दिलवाये तो बड़ी मेहरबानी होगी. क्योंकि हमारे पांढुर्णा में संतरा बहुत ज्यादा होता है. बाकी क्या कहें आगे एक शेर हमेशा कहता हूं वह कह देता माननीय अध्यक्ष जी के लिए -
'' क्या तुमसे कहूं होशंगाबाद के कुंवर, तुम जानत हो पांढुर्णा की बतियां,
तुम जानत हो पांढुर्णा की बतियां'' .
शुक्रिया सर.
लोक निर्माण मंत्री (श्री रामपाल सिंह)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने मेरा नाम लिया था इसलिए मेरा निवेदन यह है कि अगर नुकसान होता है तब देते हैं, ऐसे नहीं देते, पाँच सौ हमने कर दिया है, माननीय मंत्री जी बताएँगे. लेकिन जहाँ क्षति होती है वहाँ दिया जाता है.
श्री जतन सिंह उईके-- अध्यक्ष महोदय, मेरे पांढुर्णा विधान सभा क्षेत्र में कर्मचारियों का यह सर्वे है कि इतनी ज्यादा ओलावृष्टि हुई थी, बहुत ज्यादा नुकसान संतरे का हुआ था और रिपोर्ट है. मेहरबानी करके इसको चेक करवा दीजिए. अगर रिपोर्ट हो तो दिलवा दीजिएगा न हो तो कोई बात ही नहीं.
श्री दिव्यराज सिंह (सिरमौर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे विधान सभा के जवा ब्लाक में एक बहुत ही अनोखी घटना घटी और वहाँ यह हुआ कि बिना बरसात के बाढ़ आ गई और बाढ़ सतना से आई, तमस नदी से, सतना की बाढ़ पूरे हमारे जवा क्षेत्र में आकर के अचानक से, वहाँ पर कई लोग जो नदी के किनारे थे उसमें से सात-आठ लोग पानी में फँस गए. अध्यक्ष महोदय, मैं प्रशासन को बहुत बहुत धन्यवाद देता हूँ कि उन लोगों को बचाने के लिए बहुत ही अच्छा प्रयास किया गया और तीन बार हेलिकॉप्टर आया और उनको रेस्क्यू किया. हालाँकि अफसोसजनक यह था कि एक बेचारा अभी तक नहीं मिल पाया है. अध्यक्ष महोदय, मैं केवल इतना ही कहना चाह रहा हूँ कि हमारे रीवा जिले में और सतना जिले में ऐसे बहुत सारे प्रपात हैं, टूरिस्ट स्पॉट्स हैं, जहाँ पर लोग घूमने के लिए जाते हैं और जब पानी अचानक से छोड़ा जाता है तो इन टूरिस्ट स्पॉट्स और गाँवों को पता नहीं चलता कि पानी कब आ जाएगा और हड़बड़ी में कई लोगों की जान चली जाती है. मैं सरकार से केवल यह अनुरोध करना चाहता हूँ कि इन टूरिस्ट स्पॉट्स पर और जो जंगली क्षेत्र हैं, जहाँ पर लोगों को कोई जानकारी नहीं मिल पाती, न फोन लग पाता है, न कुछ हो पाता है, वहाँ पर कोई न कोई सिस्टम बनाया जाए. जिससे जब बाँधों का पानी छोड़ा जाए तो उसकी जानकारी वहाँ पर होना चाहिए. जिससे कि किसी न किसी प्रकार का वहाँ पर हम रिस्ट्रिक्शन लगा सकें और वहाँ पर जो लोग इन स्थलों पर आ रहे हैं. उनको हम इस डेंजर झोन से हटा पाएँ. अध्यक्ष महोदय, मैं इतनी ही बात रखना चाहता हूँ. बाढ़ मेरे क्षेत्र में आई परन्तु इतना ज्यादा नुकसान नहीं हो पाया. शंकरलाल जी थोड़ा सा हँस जरूर रहे हैं. वहाँ से पानी आया लेकिन हमारे यहाँ ज्यादा नुकसान नहीं हो पाया. बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री निशंक कुमार जैन (बासौदा)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, पूरे मध्यप्रदेश के साथ साथ विदिशा जिले में भी और मेरे विधान सभा क्षेत्र गंजबासौदा में भी बहुत ही जबर्दस्त अतिवर्षा हुई. मगर बड़े दुर्भाग्य की बात है कि हमारे तत्कालीन प्रभारी मंत्री जी बैठे हैं. बड़े दुर्भाग्य की बात है कि इतनी वर्षा के बावजूद भी शासन स्तर से कोई भी जिम्मेदार व्यक्ति वहाँ पर गरीबों की सुध लेने नहीं गया. उड़द की फसल शतप्रतिशत खत्म हुई. सोयाबीन में कम से कम पिचहत्तर और अस्सी परसेंट का नुकसान है और तभी से हम जिला प्रशासन से बोल रहे हैं कि आप सर्वे करा लीजिए, मुआवजा दिलाइये. उनका कहना है कि शासन स्तर से जब तक हमें आदेश नहीं मिलेगा हम सर्वे भी नहीं करा सकते. अब मैं आपके माध्यम से सरकार से पूछना चाहता हूँ कि जब दोबारा बोवनी हो जाएगी तब आप सर्वे का आदेश देंगे ? जब किसान अपने जेवर या जमीन गिरवी रखकर अगली फसल की तैयारी करेगा या इसी फसल की तीसरी बोवनी करेगा तब आप सर्वे का काम करेंगे क्या ? मेरा राजस्व मंत्रीजी से अनुरोध है कि अतिशीघ्र विदिशा जिले की गंजबासौदा, त्योंदा, ग्यारसपुर तहसील में और पूरे जिले में सर्वे का कार्य प्रारंभ कराया जाए. जगह-जगह पर होर्डिंग्स के माध्यम से, टीवी में विज्ञापन के माध्यम से मुख्यमंत्री जी को हम देखते हैं वह कहते हैं " मैं हूँ ना ", हम ढूंढ रहे हैं कि वह हमारे " मैं हूँ ना " कहने वाले माननीय मुख्यमंत्री
जी कब हमारे क्षेत्र के और हमारे जिले के किसानों की सुध लेंगे और हमारे क्षेत्र के किसानों को मुआवजा मिलेगा. उड़द और सोयाबीन के साथ-साथ पूरे बगीचों को नुकसान हुआ है. जो लोग सब्जी का काम करते हैं, फल का काम करते हैं आज उनकी हालत यह है कि वे सड़क पर खड़े हैं और उनकी सुनने वाला कोई नहीं हैं. गंजबासौदा तहसील के एक ग्राम जुगयायी में कृषि विभाग का स्टाप डेम बह गया. यह वर्ष 2011-12 में बना था इसकी वजह से काफी नुकसान हुआ. मेरा कृषि मंत्री जी से अनुरोध है कि जिनकी गलती की वजह से स्टाप डेम बह गया है उनके ऊपर कार्यवाही सुनिश्चित की जाए व स्टाप डेम की रिपेरिंग की जाए.
अध्यक्ष महोदय, मैं राजस्व मंत्री जी को कुछ सुझाव देना चाहता हूँ. हर जिले में डिजास्टर मैनेजमेंट के लिए कलेक्टर की अध्यक्षता में कमेटी बनी हुई है परंतु उसमें तकनीकी दिक्कत है कि जो भी तात्कालिक अधिकारी होते हैं वह अधिकारी मीटिंग करके डिसाइड कर देते हैं. हर जिले में इस मामले में जो एक्सपर्ट हों उनको इस कमेटी में शामिल किया जाए क्योंकि जो डिजास्टर मैनेजमेंट में एक्सपर्ट होगा वह तत्काल एक्शन में आ जाएगा कि कहां पर बांध का पानी छोड़ना है, कौन सा पुल क्षतिग्रस्त है. विदिशा जिले का तो पुल ही बह गया माननीय मंत्रीजी को पता है. यह अंग्रेजों के समय का पुल था.
लोक निर्माण मंत्री (श्री रामपाल सिंह)--जो पुल बह गया यह आपके जमाने का था हमारे जमाने का तो अभी बन रहा है.
श्री निशंक कुमार जैन--यह हमारे जमाने का नहीं था यह अंग्रेजों के जमाने का था. आपके जमाने का जो पुल बन रहा है वह तो दूसरी बार बन रहा है एक बार तो बनते-बनते ही बह गया. आपके जमाने की चर्चा अभी पहले काफी कुछ हो चुकी है. मैं मंत्री जी से अनुरोध करना चाहूंगा वे पूर्व में राजस्व मंत्री भी रहे हैं हमारे जिले के प्रभारी मंत्री भी रहे हैं, हमारे बड़े भाई भी हैं, सड़क वाले भी हैं इनसे दो-तीन तरह के काम हैं. आपने विदिशा जिले के दौरे में कहा था और उस मंच से कहा था जिस मंच पर इस देश की विदेश मंत्री भी थीं, जिस मंच पर और भी दो विधायक थे, जिस मंच पर पूरे जिले के अधिकारी थे आपने उस मंच पर कहा था कि हम रबी की फसल का बीमा देंगे. बीमा के नाम पर आज तक किसी किसान को गंजबासौदा, त्योंदा, ग्यारसपुर तहसील के किसी भी किसान को रबी की फसल का एक रुपया भी बीमा नहीं मिला है. मैं आपके माध्यम से वर्तमान राजस्व मंत्री जी से अनुरोध करना चाहूंगा कि रबी की फसल का बीमा दिलाया जाए और मैं आपके माध्यम से लोक निर्माण मंत्री जी से अनुरोध करना चाहूंगा कि जिन सड़कों को बारिश से नुकसान हुआ है उन सड़कों की भी शीघ्र मरम्मत की जाए.
अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी ने पिछले दिनों घोषणा की थी कि हम 10 प्रतिशत की सहायता किसानों को देंगे. उनका जो भी कर्ज होगा उस पर हम 10 प्रतिशत की सहायता देंगे. मगर बड़े दुर्भाग्य की बात है कि 10 प्रतिशत का सहायता कहने के बावजूद भी सहायता तो दी मगर सहायता किस बात पर दी, घोषणा की थी कि हम पूरे लोन पर सहायता देंगे, मगर सहायता दी वस्तु पर. जिस किसान का दो लाख रुपये का लोन था. यदि उसने सोसायटी का बीस हजार रूपये का बीज खरीदा है तो उस बीस हजार पर आपने दस प्रतिशत की पांच सौ रूपये की सहायता दी है. बड़े-बड़े स्टेटमेंट आये कि राजा भरत की तरह सीधी पायी लेंगे और उल्टी पायी से देंगे, इस तरह के तमाम विज्ञापन लगे. अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से राजस्व मंत्री जी से कहना है कि जो घोषणाएं मुख्यमंत्री जी ने की थी, उन घोषणाओं का पालन करें. इस सरकार ने इसी सदन में और सदन के बाहर कहा था कि सूखाग्रस्त क्षेत्रों में सभी तरह की वसूली स्थगित की जायेगी, यह सरकार ने सदन में कहा था. मगर बड़े दुर्भाग्य की बात है कि वसूली स्थगित करने की बात तो दूर, राजस्व विभाग, सहकारिता विभाग ने भी वसूली की.
अध्यक्ष महोदय :-कृपया आप विषय पर आयें, आप विषय पढ़ लें इसमें सारे विषय नहीं हैं, माननीय सदस्यों ने सूचना में अलग विषय दिया है.
श्री निशंक कुमार जैन :- माननीय अध्यक्ष महोदय, नगरीय प्रशासन मंत्री जी सदन में है, मेरा उनसे अनुरोध है कि गंज बासौदा नगर के वार्ड नंबर 5, 6 ,7 और 8 यहां पर नगर की चालीस प्रतिशत आबादी निवास करती है और जब यहां पर पानी भरा तो वहां पर कमर-कमर पानी भरा हुआ था. मैं खुद वहां पर चारों वार्डों में घूमा, किन्तु बड़े दुर्भाग्य की बात थी कि वहां पर एक घर में छत पर कमरा नहीं था और दो परिवार छत के ऊपर थे और उनके किचन में कमर कमर तक पानी था उसका कारण यह था कि कहीं न कहीं वहां पानी कि निकासी की व्यवस्था न होने के कारण नगर में बाढ़ की यह स्थिति बनी. मेरा आपसे अनुरोध है कि उधर चारों वार्डों में पानी की निकासी की व्यवस्था की जाये और अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय नगरीय प्रशासन मंत्री से दूसरा अनुरोध है कि गंज बासौदा नगर के बीचों-बीच में पारासरी नदी बहती है, उस नदी का गहरीकरण करके उस पर एक स्टापडेम बनवा दिया जाये, तो वहां नगर की पेयजल व्यवस्था भी सुधरेगी और नगर का जो भूजल स्तर जो लगातार गिर रहा है, वह भी बढ़ेगा, आपने बोलने का समय दिया आपका बहुत बहुत धन्यवाद्.
श्री संजीव छोटेलाल उइके:- अनुपस्थित.
श्री प्रेम सिंह (चित्रकूट) :- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे संरक्षण चाहता हूं और आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि सतना में भरहूत नगर, बांधवगढ़ और जवान सिंह कालोनी से निकलने वाले और खेरमाई से निकलने वाले नालों में हुए अवैध अतिक्रमण के कारण 6, 7 और 8 जुलाई को बाढ़ आयी और बाढ़ इतनी भयावह थी कि सतना के भरहूत नगर में जिला प्रशासन को सेना की मदद लेनी पड़ी. उस नाले पर सेना को नाव द्वारा मदद करनी पड़ी और सेना ने नाव से लोगों को निकाला. यह नाला आठ किलोमीटर की लंबाई में है और वहां के राजस्व अधिकारी ने इस खाते को डिस्टर्ब किया है, जहां रोड का निर्माण हो गया है और जब भी कभी इसकी नपाई होती है तो इसके रकबे जो कि रोड की तरफ है उसको भी इसी में मिलाकर इसकी चौड़ाई कागज में पूरी कर देते हैं लेकिन वर्तमान में नाले की चौड़ाई बिल्कुल पतली हो गया है. जबकि इसकी चौड़ाई शायद 40 मीटर है, इसको कागज में तो बढ़ा देते हैं परन्तु मौके पर नाला इतना चौड़ा नहीं है, उसका पानी शहर के अन्दर घुसता है. इस साल अचानक वर्षा होने से वहां भारी नुकसान हुआ है. मेरा आपसे निवेदन है कि लोगों को हमसे उम्मीद है, इसलिये मेरा भी आपसे निवेदन है कि इसकी जांच करा ली जाये और रिकार्ड में जो राजस्व अधिकारी हेराफेरी कर रहे हैं, उन्हें दण्डित किया जाये. यही मेरा आपसे निवेदन है.
श्री शंकरलाल तिवारी--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय प्रेमसिंह जी की बात का समर्थन करता हूं. सतना में यही समस्या है जो उन्होंने अभी जवान सिंह, भरूत नगर में नालों पर अतिक्रमण है वहां की सफाई तथा अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही सरकार को करना चाहिये.
श्री गिरीश भण्डारी (नरसिंहगढ़)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे विधान सभा क्षेत्र नरसिंहगढ़ में दो महत्वपूर्ण नदियां पार्वती एवं नेवस मेरे विधान सभा क्षेत्र के बीच में से निकलती हैं. मेरे यहां पर अतिवृष्टि नहीं हुई, लेकिन ऊपर के क्षेत्र में जहां से पार्वती जैसे आष्टा एवं सीहोर में अत्यधिक बारिश के कारण मेरे पार्वती क्षेत्र में बसे मेरे विधान सभा क्षेत्र के गांव थे उनमें बाढ़ आने के कारण, बाढ़ का पानी नदी से एक किलोमीटर अंदर तक गया, जिसके कारण किसानों की फसलें नष्ट हो गईं और फसलों के साथ-साथ पूरे खेतों में कटाव लग गया, जिसके कारण वह उपजाऊ जमीन भी नहीं बची.
4.46 बजे { उपाध्यक्ष महोदय (डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए}
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, उसके साथ ही मेरे विधान सभा क्षेत्र में नेवस नदी भी वहां से निकलती है, उसके किनारे भी जो बसे हुए गांव हैं जिनमें बहुत सारे छोटे-छोटे गांव बसे हैं उनकी पूरी की पूरी फसलें नष्ट हो गईं और वहां पर यही हुआ कि फसलों के साथ-साथ मिट्टी का कटाव हुआ और आगे की स्थिति भी बहुत ही भयावह हो चुकी है. साथ ही जो नदी किनारे बसे हुए गांव थे वहां पर मकानों तथा पशुधन का भी नुकसान हुआ और आज तक वहां पर खेती तथा खेती में मिट्टी का कटाव कोई सर्वे किया गया और न ही जैसा कि मुझे बताया गया है कि शासन की जो नीति है कि जहां पर अतिवृष्टि एवं बाढ़ के कारण नुकसान होता है वहां पर लोगों को खाद्यान्न की पर्ची दी जाती है, लेकिन आज तक उस खाद्यान्न पर्ची की व्यवस्था उन ग्रामीण लोगों के लिये नहीं की गई है. इसके साथ ही बड़े दुर्भाग्य के साथ यह कहना पड़ रहा है कि जो सोयाबीन का नुकसान हुआ उसके मुआवजे तथा आर्थिक सहायता की आप बात कर रहे हैं, लेकिन जो पिछली सोयाबीन में नुकसान हुआ उसका मुआवजा भी अभी तक नहीं बंट पा रहा है. आज भी बहुत सारे गांव के बहुत सारे किसान मेरे विधान सभा क्षेत्र के ऐसे हैं अभी तीन दिन पहले मैंने तहसीलदार एवं एसडीएम से चर्चा की तो बोलते हैं कि किसानों के मुआवजे के चेक बन रहे हैं. पिछली सोयाबीन की नुकसानी का मुआवजा आज तक नहीं बंट पाया है इसलिये हमको चिन्ता हो रही है कि क्या पता कि जब पिछली सोयाबीन बोयी थी उसका मुआवजा नहीं मिल पा रहा है तो इस सोयाबीन के नुकसान का मुआवजा कब मिलेगा? मेरा आपके माध्यम से मेरा माननीय मंत्री जी से तथा शासन से यह निवेदन है कि तत्काल सर्वे करवाया जाये. हम लोग बड़ी बड़ी बातें करते हैं कि यह किसानों की सरकार है, किसानों को कोई परेशानी नहीं होने देंगे मुख्यमंत्री जी ने कहा कि अगर ओले गिरते हैं तो किसान के खेत में नहीं मेरी छाती पर गिरते हैं, लेकिन यह बातें कहने की हो गई हैं, लेकिन आज भी किसान मुआवजे के लिये दर-दर भटक रहा है. पिछले सोयाबीन का नुकसान हुआ उनको आज तक उसका बीमा नहीं मिला है. मेरे विधान सभा में तलेन क्षेत्र एक ऐसा क्षेत्र है वहां पर नुकसान ही इतना कम बताया गया कि वहां पर किसान बीमे की पात्रता की श्रेणी में नहीं आ रहा है. इस बारे में मैंने कई पत्र लिखे माननीय मंत्री जी ने उस बारे में जब मेरा प्रश्न था उसमें मुझे बताया था कि उनका जो सर्वे है उस सर्वे में उनका नुकसान कम आने के कारण उनको मुआवजे की राशि नहीं मिल पा रही है. मेरा शासन से अनुरोध है कि बहुत मानवीय दृष्टिकोण रखते हुए चूंकि किसान पिछले तीन वर्षों से काफी पीड़ित है कभी अतिवृष्टि के कारण, कभी ओले-पाले के कारण, कभी सूखे के कारण किसान तीन साल से किसान की आर्थिक स्थिति बड़ी ही गड़बड़ा गई है और ऐसी स्थिति में अगर अधिकारी/कर्मचारी मानवीय दृष्टिकोण रखते हुए अगर सर्वे नहीं करते हैं तो किसानों के ऊपर दुःखों का पहाड़ टूट पड़ता है. मैंने खुद अधिकारियों से ही नहीं, बल्कि पर्सनल एक-एक पटवारियों से भी निवेदन किया है कि भाई आप कहीं न कहीं किसान के बेटे हैं, सर्वे ऐसा करें जिससे कि किसानों को उचित मुआवजा मिले. हम यह नहीं कहते कि आप गलत सर्वे करें लेकिन सही सर्वे करें ताकि किसानों को मुआवजा मिले. अधिकतर देखने में आया है कि जहां किसान अपनी समस्याओं को लेकर कहीं एसडीएम या कलेक्टर के पास चले जाते हैं तो पटवारी जी नाराज हो जाते हैं कि आपने मेरी शिकायत कर दी. इस बात को लेकर वहां के किसान परेशान हो जाते हैं, न उनको मुआवजा मिल पाता है और मुआवजे की बात तो दूर जब वह नुकसान कम बताते हैं तो वे बीमा से भी वंचित हो जाते हैं. मैं चाहता हूँ कि ऐसी स्थिति में जब हम लोग पत्र के माध्यम से अधिकारियों को सूचित करें तो गंभीरता के साथ उन केसेज की पूरी तरह जांच होनी चाहिए लेकिन ऐसा नहीं हो पाता है. हमारे पार्वती नदी के किनारे पीलूखेड़ी, जिलाखेड़ी एक इंडस्ट्रियल एरिया भी है और उसके कारण वहां की पूरी खेती बर्बाद हो चुकी है. उस बारे में मैंने ध्यानाकर्षण भी लगाए थे, अभी उसकी जांच होनी है, और इस बार बारिश में वहां के पूरे आसपास के गांवों में मिट्टी के कटाव के कारण फसलें तो बह ही गईं लेकिन आज हालत यह है कि वे दोबारा बोवनी भी नहीं कर पा रहे हैं. मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि उनके उचित मुआवजे की व्यवस्था तो करें लेकिन उसके साथ ही जो खेती में कटाव हो गया, जो उनकी जमीन बह गई है उस बारे में भी शासन को कोई न कोई नीति बनानी चाहिए ताकि उनकी जमीनों को वापस समतलीकरण करके उपजाऊ बनाया जा सके. साथ ही पिछला मुआवजा जो बाकी है उस बारे में निश्चित मानता हूँ कि तत्काल आप निर्देश जारी करेंगे ताकि पिछले एक वर्ष से जो मुआवजा बंटने की प्रक्रिया चल रही है वह पूरी हो जाए. निश्चित रूप से जब देरी होती है तो कहीं न कहीं वह भ्रष्टाचार का कारण बनता है. जब किसान बार-बार चक्कर लगाता है जब उसको लगता है कि मुआवजा मिल नहीं पा रहा है तो उस समय फिर भ्रष्टाचार बढ़ता है, कहीं न कहीं अधिकारी, कर्मचारी उसमें भ्रष्टाचार करते हैं और किसान को मजबूरन भ्रष्टाचार करना पड़ता है. मेरा निवेदन है कि समय सीमा में काम होना चाहिए, इस बार का जो मुआवजा है वह समय सीमा में किसानों को मिलना चाहिए. यह मैं शासन से उम्मीद करता हूँ, माननीय उपाध्यक्ष महोदय, धन्यवाद आपने मुझे बोलने का मौका दिया.
श्री यादवेन्द्र सिंह -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, केवल एक मिनट चाहता हूँ, मेरे सतना जिले में तीन साल से किसानों की जो सब्सिडी कृषि विभाग से जाती है, 1000 रुपये क्विंटल हर बीज जो यहां से शासन से जाता है चना से लेकर गेहूँ, अरहर आदि हर बीज की सब्सिडी का पैसा तीन साल से नहीं मिला है, कृषि मंत्री जी बैठे हैं, वे कृपया ध्यान दें.
किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री (श्री गौरी शंकर बिसेन) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इस वर्ष से डीबीटी हमने प्रारंभ कर दिया है, सीधे किसानों के अकाउंट में पैसा जाएगा और पुराना कोई हो तो माननीय सदस्य मुझे अवगत करा दें मैं उसकी जांच भी कराऊंगा.
श्री यादवेन्द्र सिंह -- तीन साल से सब्सिडी का पैसा किसानों को नहीं मिला है, आप बैठे हैं इसलिए मैं कह गया. इसके अलावा दूसरी बात यह बताना चाहता हूँ कि पिछले वर्ष एससी, एसटी की जो शादियां हुई हैं उनको भी पैसे नहीं मिले हैं.
उपाध्यक्ष महोदय -- यादवेन्द्र जी, यहां अतिवृष्टि की चर्चा चल रही है.
श्री यादवेन्द्र सिंह -- उपाध्यक्ष महोदय, जिनको पैसे नहीं मिलते हैं वे लोग हमारे पास आते हैं हम उन्हें क्या बोलें.
उपाध्यक्ष महोदय -- ठीक है आपकी बात सरकार के संज्ञान में आ गई.
श्री यादवेन्द्र सिंह -- इसीलिए मैं निवेदन कर रहा था.
उपाध्यक्ष महोदय -- यादवेन्द्र जी, यह चर्चा का विषय नहीं है, आप बैठ जाएं. डॉ. रामकिशोर दोगने अपनी बात कहें.
डॉ. रामकिशोर दोगने (हरदा) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आज सदन में बाढ़, अतिवर्षा के संबंध में चर्चा हो रही है और पूरा मध्यप्रदेश इससे ग्रसित है कि कहीं न कहीं किसी जिले में कुछ गांव, कोई नदी का किनारा या कोई एरिया निश्चित रूप से प्रभावित हुआ है, इसके संबंध में हम चर्चा कर रहे हैं. इसी संबंध में मैं आपसे बात करना चाहता हूँ, सरकार को यह बताना चाहता हूँ कि हमारे विधान सभा क्षेत्र हरदा में भी यह हालत रही. हरदा शहर है, जिला है और उसके पास एक टिमरन एवं अजनाल दोनों नदियां आकर मिलती हैं और उन नदियों से आज से नहीं कई सालों से बाढ़ आती जा रही है. हर साल बाढ़ आती है, हर साल लोग डूबते हैं. मकान डूबते हैं, परिवार डूबते हैं, उन्हें फिर स्कूलों में शिफ्ट करते हैं. व्यवस्थाएं करते हैं, फिर 3 दिन बाद में उनको वापस उनकी जगह शिफ्ट करते हैं. इन समस्याओं को देखते हुए या तो नदियों का रास्ता चेन्ज किया जाये क्योंकि पहले हरदा में एक योजना बनी थी कि नदी को ऊपर से काटकर दोनों को ऊपर मिला दिया जाये जिससे वह बाहर के बाहर निकल जाया करेगी. उस योजना को लागू किया जाये, जिससे हरदा शहर में बाढ़ न आये. वर्तमान में हमारे यहां के 8-10 लोग बाढ़ पीडि़त रहे हैं और उन्हें मुआवजा नहीं दिया जा रहा है. पिछले साल, जो शासन की सुविधा थी, वह दी गई थी पर वर्तमान में अभी कोई सुविधा नहीं मिली है.
उपाध्यक्ष महोदय, हमारे साथियों ने कल ही मुझे भी बुलाया था. मैंने बताया कि आप लोग कलेक्टर को ज्ञापन दें. मैं यहां विधानसभा में बात करूँगा क्योंकि किसी भी व्यक्ति को बाढ़ पीडि़त होने में मजा नहीं आता है या उसका घर 50 किलो अनाज से नहीं चल जाता है. सरकार पक्षपात करती है या वहां के अधिकारी पक्षपात करते हैं या किसी दबाव में काम करते हैं, इस पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए. अगर पिछली बार मुआवजा या अनाज मिला है तो वर्तमान में भी मिलना चाहिए. अभी हमारे क्षेत्र के वार्ड क्र.4, 13, 14, 15, 21, 30 में पानी घुसा था और इनको शिफ्ट करना पड़ा था पर अभी तक उन वार्ड के लोगों को अनाज नहीं मिला है और कल आन्दोलन करना पड़ा था. कल 500 लोगों ने कलेक्टर कार्यालय जाकर ज्ञापन दिया था. अगर सरकार जवाबदारी समझती है. सरकार ध्यान देना चाहती है तो फिर ये परिस्थितियां क्यों बनती हैं ? क्या कांग्रेस के विधायक होने के नाते बनती है या विपक्ष के विधायक होने के नाते बनती है, इसको भी ध्यान दिया जाना चाहिए. मेरा अनुरोध सरकार एवं मंत्री जी से है कि इन वार्डों में सर्वे कराकर, जिनको न ही भारतीय जनता पार्टी से सरोकार है, न कांग्रेस से सरोकार है और न ही अन्य पार्टी से सरोकार है. इनको मानवीयता के आधार पर मुआवजा दिया जाना चाहिए, सुविधाएं उपलब्ध करानी चाहिए. जो दूसरे गांवों, विधानसभा क्षेत्रों या दूसरे जिलों में जो सुविधाएं मिलती हैं, वे इनको भी दी जानी चाहिए और मेरी मांग है कि इनको जल्द से जल्द सर्वे कराकर सुविधा दी जाये.
उपाध्यक्ष महोदय, इसी के साथ-साथ, मेरी विधानसभा में 10-12 गांव भी डूबे थे. बड़े-बड़े रोड़ फूट गए थे, पुलियाएं टूट गई हैं पर उनको भी अभी मुआवजा नहीं मिला है और सुविधायें भी नहीं मिली हैं. हमारे क्षेत्र की एकड़ों जमीन डूबी है, इससे फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है. नदी-नालों के पास से जितने भी खेत थे, उनकी फसलें उखड़ गई हैं एवं पानी के भराव से खराब हो गई हैं. उनको भी सर्वे कराकर मुआवजा दिया जाना चाहिए क्योंकि हमारे हरदा में बाढ़ आने का एक दूसरा कारण भी है क्योंकि नर्मदा नदी पर पुनासा डेम है. उसका बेक वाटर हरदा जिले में है और उससे जो जल इकट्ठा होता है, उसका प्रवाह धीमा हो जाता है और धीमा होने के कारण पानी स्पीड से नहीं निकल पाता है, पानी भरा रहता है. जब नर्मदा में ऊपर से डेम का पानी छूटता है तो वह पानी वहीं रूका रहता है, उससे काफी नुकसान होता है तो उस सुविधा को भी ध्यान में रखते हुए मेरा निवेदन है कि हरदा शहर में जो लोगों को असुविधा हुई है, जो मुआवजे की जरूरत है, जो सुविधाओं की जरूरत है, वह सुविधाएं दी जायें.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हमारे गांव हरदा विधानसभा के नांदरा, गांग्याखेड़ी, घोड़ाकुण्ड, अफगांवखुर्द, बैरागढ़, बिजपुरी, गोंदागांव एवं कर्ताना के आसपास, ये सब गांवों में जो फसलें बर्बाद हो रही हैं. उनको मुआवजा दिया जाये, उनका सर्वे कराया जाये. उनको जो नई बीमा पॉलिसी आई है, उसके अनुसार उनको बीमा का क्लेम भी दिया जाये. मैं बताना चाहता हूँ कि हमारे हरदा में भी दो छोटे बैराज़ बने हैं, डेम बने हैं, इमलीदाना डेम और आमाखाड़ डेम. जैसे अभी पन्ना में डेम फूटा है. ऐसे ही इनकी भी परिस्थितियां हैं. मुझे हर बरसात में वहां जाकर चेक करना पड़ता है, वहां लीकेज होता है, अधिकारी गुमराह करते हैं कि ये लीकेज से कुछ नहीं होगा, लीकेज से पानी नहीं आयेगा, लीकेज से फूटेगा नहीं तो यह पन्ना के बांध कैसे टूट गए ?
डॉ. गोविन्द सिंह – गांव में एक कहावत है, ‘जहां-जहां पैर पड़े सन्तन के, वहीं-वहीं बण्टाधार है’. रूस्तम जी आ गए हैं तो यह तो होना ही है. पहले पूरा स्वास्थ्य चौपट कर आए अब बांध तुड़वाना शुरू कर दिया. (हंसी)
श्री रामनिवास रावत – पहले तुड़वा दिए और फिर बनवाने में करेंगे. (हंसी)
श्री रामकिशोर दोगने- इमलीढाना, अमाखाल बांध में फूटने की स्थिति बनती है. बरसात में पानी बीच में से लकेज होता है अगर बीच में से लीकेज होता है और प्रेशर बनेगा तो निश्चित वह मिट्टी की पालें हैं पाल फोड़कर निकलेगा और अगर वह पानी निकला तो नीचे के जितने भी गांव हैं नीचे उन नदियों पर जिस पर डेम बने हैं, दोनों डेमों में दस’दस पंद्रह -पंद्रह गांव हैं उन गांवों के उपर से पानी निकलेगा और वह गांव निश्चित डूबेंगे तो वह जो डेम बना है उसकी सुरक्षा की व्यवस्था, जो लीकेज हो रहे हैं उनकी समुचित व्यवस्था और उनका जो ओव्हर फ्लो निकलता है वह भी दोनों का फूटा हुआ है साइड से फूट गया है वह भी रिपेयर नहीं हुआ है तो वह रिपेयर कराया जाए. उनसे जो नहरें निकली हैं उनको भी रिपेयर कराकर पानी अगर ज्यादा होता है तो नहरों में छोड़ दिया जाए ऐसी व्यवस्था की जाए तो निश्चित ही वहां बाढ़ का प्रभाव नहीं पड़ेगा. मेरा अध्यक्ष जी के माध्यम से मंत्री जी से अनुरोध है कि बाढ़ पीडितों को मुआवजा जरूर दिया जाए क्योंकि मेरा जिला तीन साल से सोयाबीन से पीडित है और इस साल सोयाबीन ठीक होने की स्थिति में थी इसके बाद बाढ़ की चपेट में आ गया जबकि हरदा में गेहूं सबसे ज्यादा पैदा होता है, हरदा का गेहूं सबसे अच्छा गेहूं होता है पर आज तीन साल से हम देख रहे हैं कि फसल खराब हो रही है. पिछली बार यह परिस्थिति बनी थी कि सरकार ने या सरकार के अधिकारियों ने मंत्री जी को या अधिकारियों को गुमराह करके नहर में पानी नहीं छोड़ने दिया था. मैं धन्यवाद देना चाहता हूं अध्यक्ष जी को जिन्होंने हस्तक्षेप करके मेरे यहां नहर में पानी छुड़वाया. उससे कम से कम सौ करोड़ का हमारे हरदा विधानसभा क्षेत्र में फायदा हुआ है मैं उसके लिए धन्यवाद भी देना चाहता हूं कि जो पानी छोड़ा गया उससे मूंग की फसल हुई और मूंग की फसल से हमारा किसान खुशहाल हुआ पर पुन: फिर यह स्थिति बनी है और इस स्थिति से निपटने के लिए मेरा अनुरोध है कि इसका सर्वे कराकर मुआवजा दिया जाए. जो नई बीमा पॉलिसी है उससे बीमा दिया जाए जिससे किसानों को सुविधा हो और किसानों को मुआवजा दिया जाए यही मेरी मांग है और मेरा निवेदन है कि पुन: सर्वे कराकर मुआवजा दिया जाए. मंत्री जी से निवेदन है कि वे अपने भाषण में उसका उल्लेख करें कि कराएंगे, या नहीं कराएंगे कब क्या स्थिति बनेगी उसका उल्लेख भी करें. धन्यवाद जय हिन्द, जय भारत. आपने बोलने का मौका दिया उसके लिए मैं आपका बहुत बहुत आभारी हूं.
श्री ओमकार सिंह मरकाम (डिण्डोरी)- माननीय उपध्यक्ष महोदय, देश और प्रदेश में अतिवृष्टि के कारण आई हुई बाढ़ के विषय में चर्चा चल रही है. मैं सर्वप्रथम प्रदेश के अंदर के बाढ़ से जिन लोगों की जानें गई हैं. उनको मैं श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं और उन परिवारों के प्रति मैं और मेरे दल की ओर से शोक संवेदना प्रकट करता हूं. जो सदस्य उनके परिवार में बाढ़ के कारण हमेशा के लिए अलग हो गए उसकी पूर्ति कर पाना तो मैं समझता हूं कि संभव नहीं है पर मानवीय दृष्टि से, मानवता के नाते ऐसे परिवार के प्रति हमारी गहरी संवेदना है और ईश्वर उन परिवारों को दु:ख सहने की शक्त्िा दे, ऐसी मैं प्रार्थना करता हूं. वर्तमान समय में नियम 139 में गम्भीर विषय पर चर्चा चल रही है. इस बीच में हम देख रहे हैं सरकार के जिम्मेदार लोग गम्भीर विषय पर भी बहुत सरलता से अपनी असंवेदनशीलता का परिचय देते हैं. चर्चाओं में भी तमाम तरह की बात आती है परंतु आज विषय है कि बाढ़ से प्रभावित जो हमारे ग्रामीण क्षेत्र के लोग हैं, शहरी क्षेत्र के लोग हैं, जो जनजीवन है उसके साथ सरकार कैसे न्याय करे. सरकार जब शपथ लेती है उसमें स्पष्ट एक शब्द आता है कि गैर भेदभाव से सभी लोगों के लिए हम सुलभता से काम करेंगे, न्याय करेंगे यह बात सुन करके बड़े विश्वास के साथ जनमानस चाहती है कि उनके प्रति लोग, सरकार गंभीर रहे और गंभीरता का परिचय देना चाहिये. मैं मुख्यमंत्री जी को इस बात के लिये व्यक्तिगत धन्यवाद देना चाहूंगा कि उन्होंने भोपाल की उस जगह पर पहुंचने का काम किया, जहां बाढ़ से प्रभावित लोग थे. पर धन्यवाद मेरा खुद का, चूंकि मैं भी एक जिम्मेदार जन सेवक के रुप में निर्वाचित होकर के आया हूं. सत्ता पक्ष और विपक्ष एक अलग दूरी है, लेकिन संकट के समय में हमारा कृत्य जन मानस के प्रति विश्वास प्रकट कर सके, लोकतंत्र को एक मजबूती की तरफ बढ़ा सके, इसकी तरफ होना चाहिये. पर मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देने के बाद मैंने सोचा कि आखिर धन्यवाद देकर के मैं कहा गलत कर गया कि जहां पर हमारा प्रदेश का मुखिया पहुंचता है, वहां पर मिट्टी वाला गेहूं पहुंचता है. यह कोई वाद-विवाद का विषय नहीं है, आत्मचिंतन का विषय है. मैं कहना चाहता हूं कि जहां पर इस तरह से अगर गड़बड़ियां होती हैं, वास्तविक अंतरात्मा से सरकार को सोचना चाहिये कि वास्तव में आपकी कार्य प्रणाली में कहां कमियां हैं. आप जांच करेंगे, आप वहां पर पूरी तरह से व्यवस्था को सुधारने की कोशिश करेंगे,पर जन मानस के बीच जाकर के एक नेता, मुख्यमंत्री की छबि आपने धूमिल कर दी है. किस पर विश्वास करेंगे. विधायक, मंत्री जायेगा. जब मुख्यमंत्री जी के जाने के बाद वहां की व्यवस्था में इतनी त्रुटि होती है, जब मुख्यमंत्री जी के जाने के बाद वहां के गरीब लोगों को गेहूं मिट्टी मिला हुआ मिल जाता है, तो वे किस पर विश्वास करेंगे. यह न सिर्फ कार्य प्रणाली का दोष है, बल्कि समूची जनता के बीच में राजनैतिक व्यक्तियों की जिम्मेदारी पर, जनता के विश्वास पर आप अगर प्रतिक्रिया जानना चाहेंगे, तो यहां पर एक सर्वे करवा लिया जाये कि राजनैतिक व्यक्तियों के विषय में जनता क्या कमेंट्स करती है और जनता के क्या विचार आने लगे हैं. यह साधारण विषय नहीं है. यह जो आपको और हमको अवसर मिला है,यह साधाराण विषय नहीं है. हजारों लोगों ने, हजारों इस देश के सच्चे सपूतों ने देश की आजादी के लिये समर्पित भाव से जान न्यौछावर की है और उनके समर्पित देश के प्रति जीवन देने के बावजूद हमको यह व्यवस्था मिली है और इस व्यवस्था में हम और आप आपस की लड़ाइयों में, चर्चा करने में, एक दूसरे की बात करने में कहीं वह स्थिति निर्मित करते जा रहे हैं कि राजनैतिक व्यक्तियों पर जनता की बहुत खराब प्रतिक्रिया आने लगी है. आप आज अतिवृष्टि के विषय में जनता का सर्वे करवा लें.
उपाध्यक्ष महोदय -- अभी आप अतिवृष्टि में नहीं आये हैं.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं अतिवृष्टि पर आया हूं. अतिवृष्टि का सीधा सा आशय है कि ज्यादा बरसात होने के कारण, बाढ़ के कारण जो नुकसान हुआ, उसमें राहत देने का विषय है. यह संवेदनशीलता का विषय है. इसमें सबसे पहले मुख्यमंत्री जी ने जाकर के एक ऐसा वहां पर कृत्य किया कि पूरे देश के अंदर अगर मध्यप्रदेश की जो इमेज एवं नाम है, उसको अगर सबसे ज्यादा धक्का पहुंचा है, तो अभी इस बात पर पहुंचा है कि मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री इतना गैर जिम्मेदार है कि जहां उन्होंने दौरा किया है, वहां पर गेहूं मिट्टी मिला हुआ पहुंचा है. इस बात की आज सफाई मिलेगी कि हमने ऐसा किया..
उपाध्यक्ष महोदय -- ओमकार सिंह जी, इस पर चर्चा हो चुकी है. सरकार की प्रतिक्रिया भी आ चुकी है.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- इस पर चर्चा हो चुकी है. परंतु बार बार इस विषय को लेकर के हम जो बात कर रहे हैं..
उपाध्यक्ष महोदय -- पर आप इसको बार-बार दोहरा क्यों रहे हैं.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- उपाध्यक्ष महोदय, हम यह इस बात के लिये कह रहे हैं कि शायद आगे कार्य प्रणाली में सुधार हो जाये. क्योंकि हमने सुना है कि बार बार कहने से पत्थर में भी शायद निशान पड़ जाते हैं. तो इस सरकार में कुछ सुधार हो जाये, गरीबों के हित के लिये. शायद इसलिये हम बार बार यह कहना चाह रहे हैं. आज हम देख रहे हैं कि बाढ़ से जो प्रभावित हमारे लोग हैं, वहां पर लगातार प्रदेश की सरकार मदद करने की बजाय वहां पर राजनैतिक वक्तव्य देने की ऐसी होड़ लग जाती है, जिसमें लग रहा है कि जैसे फिर मंत्रिमंडल का कहीं विस्तार हो और किसी और का नम्बर लग जाये. ऐसी होड़ लग जाती है. पर इसमें सच्चाई यह है कि आज प्रदेश के अंदर और हम तो कहते हैं कि हमारे गांव के लोगों की जीवन शैली बहुत ईमानदारी की होती है और उनके जो बातें होती हैं, बहुत तार्किक और वास्तविक होती हैं. जब बात चल रही थी कि यहां पर उज्जैन में भगवान महाकालेश्वर में व्यवस्था करनी थी, वहां पर भी जब भ्रष्टाचार होता है, तो गांव के लोग कह रहे थे कि दाऊ कलयुग आ गया है, कोई गड़बड़ होने वाली है. हमने कहा कि क्या गड़बड़ होने वाली है, तो वे बोले कि इस प्रदेश का मुखिया भगवान से नहीं डरा है, वहां पर गड़बड़ कर रहा है, तो जरुर यहां पर प्राकृतिक आपदाएं आएंगीं और जिस दिन से इस देश के प्रधानमंत्री माननीय मोदी जी बने उस दिन से लगातार सूखा पड़ा तो अतिवृष्टि हो गई तो कहीं ओला पडे़गा. आज अगर आप देख लीजिए एनडीआरएफ, एसडीआरएफ राजस्व मंत्री जी आप देखेंगे. यूपीए पार्ट-2 के समय जितनी राशि मिलती थी. एनडीआरएफ और एसडीआरएफ में आप देख लीजिए.
श्रीमती माया सिंह – विषयान्तर हो रहे हैं विषय कुछ और है आप क्या बोल रहे हैं जरा देखिए उसी विषय पर बोलिए 139 है.
उपाध्यक्ष महोदय – ओमकार जी, प्रधानमंत्री जी का जो आपने उल्लेख किया है यह कार्यवाही से बाहर का है.
श्री ओमकार सिंह मरकाम – माननीय उपाध्यक्ष महोदय जी, जैसे राजा वैसे प्रजा.
श्री शरद जैन – वे तो विदेशों में चले गए.
उपाध्यक्ष महोदय – प्रदेश में सीमित रहिए.
श्री ओमकार सिंह मरकाम – माननीय उपाध्यक्ष महोदय जी, मैं यह कह रहा हूँ कि जैसे राजा, वैसी प्रजा, जैसे वे कर रहे हैं उसका परिणाम जनता को भोगना पड़ रहा है. यह पाप करें, वहां भ्रष्टाचार करके यह सिहंस्थ में वहां भगवान से नहीं डर रहे हैं वह कहां अरे वह तो पहले राम के नाम पर चंदा ले लिये हमारे पिताजी लोग भी दिये थे. कहीं चंदा ले के बनाएंगे तो उसका परिणाम तो हमको मिलता है. हम तो मानते हैं_
उपाध्यक्ष महोदय -- अरे कुछ बाढ़ पर भी तो बोल लीजिए. अतिवृष्टि पर बोल लीजिए.
श्री शंकरलाल तिवारी -– माननीय उपाध्यक्ष जी, जो विषय है उसको छोड़कर बाकी सब बातें आ रही हैं.
श्री ओमकार सिंह मरकाम – यह सच्चाई को नहीं सुन पा रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय – ओमकार सिंह जी, 139 की चर्चा अतिवृष्टि पर हो रही है.
श्री ओमकार सिंह मरकाम – अतिवृष्टि जो हुई है माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हम ये पूछना चाह रहे हैं कि
उपाध्यक्ष महोदय –- यह बताइए, आपके क्षेत्र में अतिवृष्टि हुई है या नहीं हुई. पहले आप यह बताइए.
श्री ओमकार सिंह मरकाम – माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं यह निवेदन करना चाह रहा हॅूं कि किस कारण से अतिवृष्टि हुई है क्या सरकार इस विषय में कुछ बात करेगी.
उपाध्यक्ष महोदय – आप फिर वहीं झाड़-फूंक वाली बातें कर रहे हैं. आपकी जनता भी और आपके मतदाता भी पूछेंगे कि बहस में आपने हमारे लिये क्या कहा. अतिवृष्टि के बारे में क्या कहा.
श्री ओमकार सिंह मरकाम – उपाध्यक्ष महोदय, मैं विषय पर चर्चा कर रहा हूँ. मैं इस विषय पर आऊंगा परंतु कम से कम यह सरकार की बात है.
श्री शंकर लाल तिवारी – पानी नहीं बरसा इनके यहां.
श्री ओमकार सिंह मरकाम – तिवारी जी, हमारे क्षेत्र में मां नर्मदा की कृपा से अतिवृष्टि की स्थिति नहीं आई परन्तु मुख्यमंत्री जी के गलत निर्णय के कारण बाढ़ का जाम जरूर लग गया और इस विषय पर मुख्यमंत्री जी ने जब 26 तारीख अमरकंटक से आओ बनाएं मध्यप्रदेश का शुभारंभ किया था तो हमने अनुरोध किया था, माननीय जैन साहब अभी बताएंगे, आप भी चलें नर्मदा जी में जाम लग जाएगा. माननीय उपाध्यक्ष जी, मैं आपसे अनुरोध करना चाह रहा था कि यह जो कृत्य कर रहे हैं यह भगवान को तक नहीं छोड़ रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय – विषय पर आ जाइये, आपका समय समाप्त हो रहा है. आपने वैसे भी 11 मिनट ले लिए हैं.
श्री ओमकार सिंह मरकाम – माननीय उपाध्यक्ष जी, आपसे मेरा अनुरोध है कि अतिवृष्टि के विषय में जो चर्चा चल रही है. हम कह रहे हैं कि मुख्यमंत्री जी ने अतिवृष्टि के विषय में जो हालात पैदा किए हैं, आपको हमारा अश्वमेघ शस्त्रम् च सत्यम् च तुल्याधृतम्, अश्वमेघ शस्त्रादि सत्यमेवाति रिच्यते, यह असत्य बोलते हैं इसलिए इनके शासन में जनता दु:खी है, यह हमारा इतिहास गवाह है हमारा ग्रंथ कहता है जिसके नाम से वोट मांगते हैं उसी को भूल जाते हैं.
श्री मुरलीधर पाटीदार – उपाध्यक्ष महोदय, ये कुछ भी आरोप लगाए जा रहे हैं, यह ठीक नहीं है.
श्री ओमकार सिंह मरकाम – ये आरोप बिल्कुल सत्य हैं इनके बारे में आप जितना जहां पूछेंगे सही मिलेगा. उपाध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से सरकार से एक अंतिम एक अनुरोध है कि ईश्वर ने प्राकृतिक आपदा दी यह तो कोई गलत नहीं है, नहीं तो आप इसमें भी टोंक दें कि यह विषयान्तर है.
उपाध्यक्ष महोदय-- अब आप समाप्त करें.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- उपाध्यक्ष महोदय, बाढ़ आई यह बात तो सत्य है ?
उपाध्यक्ष महोदय-- लेकिन आप कह रहे हैं कि हमारे क्षेत्र में बाढ है ही नहीं.
श्री ओमकार सिंह मरकाम --नहीं थी लेकिन मुख्यमंत्री जी जुगाड़ करके बना दिये कि पुल न बनाओ तो बाढ़ ही लग जाये. मैं यह निवेदन करना चाह रहा था ..
उपाध्यक्ष महोदय-- यह अंध विश्वास की बातें न करें.कृपया समाप्त करें.
श्री ओमकार सिंह मरकाम --यह अंध विश्वास की बात नहीं है. वहां पर बाढ़ लगा है. इसलिये मैं आपके माध्यम से सरकार से अनुरोध करना चाह रहा हूं कि कम से कम बाकी चीजों की गड़बड़ी होती है उसकी जांच करते रहते हो यह प्राकृतिक आपदा में बेईमानी न हो, राहत पहुंचाने में कोई कंजूसी न हो, प्राकृतिक आपदा में जो राहत दी जानी चाहिये वह सभी को मिले इसके लिये मुख्यमंत्री जी आप फिर से आंदोलन करो और केन्द्र सरकार से पैसा लेकर के आये और पीड़ितों तक राहत पहुंचायें क्योंकि अभी तक सूखा राहत का पैसा भी हमारे यहां पर नहीं मिला है. मैंने कई बार इस बात को कहा है सूखा का पैसा नहीं मिला, ओला का पैसा नहीं मिला और मुख्यमंत्री जी कहेंगे कि मेरा प्रदेश बढ़िया है.
उपाध्यक्ष महोदय- श्री महेन्द्र सिंह जी ...
श्री रामनिवास रावत- उपाध्यक्ष महोदय, केवल 5 मिनट रह गये हैं इसलिये सदन को स्थगित कर दें. महेन्द्र सिंह जी कल प्रारंभ कर देंगे.
उपाध्यक्ष महोदय-- इनका प्रवचन चल रहा है यह विषय पर बोल नहीं रहे हैं.
श्री रामनिवास रावत-- अभी सदन स्थगित कर दें कल महेन्द्र सिंह जी प्रारंभ कर देंगे.
उपाध्यक्ष महोदय-- अभी महेन्द्र सिंह जी आप शुरू करें कल कन्टीन्यू कर लेंगे.
श्री ओमकार सिंह मरकाम --उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का जो समय दिया है उसमें अनुरोध करते हैं कि यह सरकार की जिम्मेदारी है .
उपाध्यक्ष महोदय-- यह कौन सी बात है. आप बैठ जाईये.
श्री ओमकार सिंह मरकाम --बाढ़ कोई यहां से पैदा किये हैं क्या. यह तो प्राकृतिक आपदा है.
उपाध्यक्ष महोदय-- आप बैठ जाईये, क्योंकि आप वही वही चीजें दोहरा रहे हैं.महेन्द्र सिंह जी कृपा करके आप शुरू करें.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- (XXX).
उपाध्यक्ष महोदय-- यह नहीं लिखा जायेगा.
श्री ओमकार सिंह मरकाम --उपाध्यक्ष महोदय, सरकार के जो लोग हैं उनसे आप हमें एक आश्वासन दिला दीजिये..
उपाध्यक्ष महोदय-- ओमकार सिंह जी कुछ अनुशासन भी सीखिये.
राजस्व मंत्री(श्री उमा शंकर गुप्ता) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, ओमकार सिंह जी ने जो आप पर आरोप लगाया है उसको आप विलोपित करवा दें.
उपाध्यक्ष महोदय-- कौन सी बात कही है.
श्री उमाशंकर गुप्ता -- आप पर आरोप लगाया है कि आप सरकार का पक्ष ले रहे हैं उसको विलोपित करा दें.
उपाध्यक्ष महोदय-- मैं रिकार्ड में देखूंगा अगर ऐसा इन्होंने कहा है तो मैं उसको रिकार्ड से निकाल दूंगा. माननीय महेन्द्र सिंह जी आप शुरू करिये.
श्री ओमकार सिंह मरकाम --उपाध्यक्ष महोदय, मेरा अनुरोध है..
उपाध्यक्ष महोदय-- आप बैठ जाईये. आप बिल्कुल आसंदी का सम्मान नहीं करते हैं.
XXX : आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
श्री ओमकार सिंह मरकाम --मैं तीन विषय रखकर के अपनी बात को समाप्त करूंगा.
उपाध्यक्ष महोदय-- कभी ऐसा भी अवसर आयेगा आपको भी आसंदी पर बैठना पडे़गा तब क्या होगा, इसलिये बैठ जाईये.
श्री ओमकार सिंह मरकाम --तीन विषय में अनुरोध करना चाहता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय-- आपने विषय से हटकर ही पूरी बात कही है.
श्री ओमकार सिंह मरकाम --विषय से हटकर नहीं है सरकार की असफलता, असंवेदनशीलता पर मेरा अनुरोध है.
श्री बाला बच्चन -- उपाध्यक्ष महोदय, माननीय महेन्द्र सिंह जी काफी वरिष्ठ सदस्य हैं, इसलिये अनुरोध है कि कल ही उनका भाषण प्रारंभ करायें.
उपाध्यक्ष महोदय-- नियम 139 के अंतर्गत यह चर्चा कल भी जारी रहेगी. विधानसभा की कार्यवाही शुक्रवार दिनांक 22 जुलाई, 2016 को प्रात: 11.00 बजे तक के लिये स्थगित.
सायं 5.28 बजे विधानसभा की कार्यवाही, शुक्रवार, दिनांक 22 जुलाई, 2016 (आषाढ़ 31, शक संवत् 1938) के पूर्वाह्न 11.00 बजे तक के लिये स्थगित की गई.
भोपाल: अवधेश प्रताप सिंह
दिनांक-21 जुलाई,2016. प्रमुख सचिव
मध्यप्रदेश विधानसभा