मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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पंचदश विधान सभा चतुर्दश सत्र
फरवरी-मार्च, 2023 सत्र
मंगलवार, दिनांक 21 मार्च, 2023
(30 फाल्गुन, शक संवत् 1944 )
[खण्ड- 14 ] [अंक- 12
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मध्यप्रदेश विधान सभा
मंगलवार, दिनांक 21 मार्च, 2023
(30 फाल्गुन, शक संवत् 1944 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.02 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}
प्रश्नकाल में उल्लेख
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, आदिवासियों के ऊपर उत्पीड़न बढ़ता जा रहा है. सरकार फेल होती जा रही है. आदिवासी युवतियों की रक्षा नहीं हो पा रही है. आप शून्यकाल में चर्चा के लिये समय दें. फिर एक घटना हुई है. नागोरकुटी में फिर एक आदिवासी युवती के साथ उत्पीड़न हुआ है, उसकी हत्या कर दी गई. हम यह चाहते हैं कि शून्यकाल में उस पर चर्चा हो.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्नकाल हो जाने दीजिये. हम करेंगे. आप बैठ जाईये.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - माननीय अध्यक्ष महोदय,
अध्यक्ष महोदय - सज्जन जी बैठ जाईये.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - माननीय अध्यक्ष महोदय, सदन की अवमानना हो रही है. माननीय मुख्यमंत्री जी चलते समय में जाने कहां-कहां घोषणा करते फिर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - वे आएंगे. चिंता मत करिये.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह महत्वपूर्ण है. सदन की अवमानना हम सहेंगे नहीं.
अध्यक्ष महोदय - कोई अवमानना नहीं हुई . आप बैठ जाईये.
संसदीय कार्य मंत्री(डॉ.नरोत्तम मिश्र) - माननीय अध्यक्ष महोदय, इनके नेता तो सदन में आते ही नहीं हैं. वह कह रहे हैं कि सदन की अवमानना. वह जब मुख्यमंत्री थे तब नहीं आते थे. वह नेता प्रतिपक्ष थे तब नहीं आते थे.प्रदेश अध्यक्ष हैं तब नहीं आते.यह कह रहे हैं कि सदन की अवमानना हो रही है. ऐसे लोग जो सदन की अवमानना करते हैं. यह लोकतंत्र की हत्या है. जो सदन की अवमानना करते हैं वह अवमानना का प्रश्न उठा रहे हैं.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - आप एक बात का जवाब दे दें. चलते सदन में माननीय मुख्यमंत्री जी बाहर घोषणा कर सकते हैं क्या.
अध्यक्ष महोदय - आप चिंता नहीं करें. वे चिंतित हैं. आप बैठ जाईये. प्रश्नकाल हो जाने दीजिये. सबसे पहले मैं हमारे चिकित्सा स्वास्थ्य मंत्री जी को धन्यवाद देता हूं इस बात के लिये कि कल आसंदी से एक निर्देश हुआ और कल ही उसका उन्होंने पालन कर दिया. इस तत्परता के लिये मैं आपको धन्यवाद देता हूं.
11.03 बजे
सभापति तालिका की घोषणा
अध्यक्ष महोदय - मध्यप्रदेश विधान सभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियमावली के नियम-9 के उपनियम(1) के अधीन इस सत्र हेतु घोषित सभापति तालिका को पुनरीक्षित करते हुए मैं, निम्नलनिखित सदस्यों को सभापति तालिका के लिए नाम-निर्दिष्ट करता हूं :-
1. श्री लक्ष्मण सिंह
2. सुश्री हिना लिखीराम कावरे
3. श्री देवेन्द्र वर्मा
4. श्री दिव्यराज सिंह
5. श्री हरिशंकर खटीक तथा
6. श्रीमती कृष्णा गौर
11.04 बजे अध्यक्षीय व्यवस्था
महिला दिवस के अवसर पर महिला सदस्य द्वारा आसंदी का संचालन एवं प्रश्नकाल में महिला सदस्यों के प्रश्न लिये जाना
अध्यक्ष महोदय - 8 मार्च को महिला दिवस था और छुट्टी होने के कारण जो मैं एक अवसर देता था उस नवाचार को मैं नहीं कर पाया. इसलिये आज की तिथि मैंने चुनी है और आज इसलिये प्रथम बार की विधायकों का खास तौर पर हमारी महिला साथियों के प्रश्न लगाने का मैंने प्रयास किया है इसलिये प्रश्नकाल मैं, हमारी जो सभापति तालिका की महिला साथी हैं श्रीमती कृष्णा गौर जी से मैं अनुरोध करता हूं कि वे आसंदी पर आएं और आज प्रश्नकाल वे पूरा चलाएं.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र)-- अध्यक्ष महोदय, अपनी संस्कृति के संवाहक बनकर एक अच्छी मान्य परम्परा का यह आप निर्वहन कर रहे हैं, मैं आपको साधूवाद देता हूं. हमारी संस्कृति में भी है कि यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवताः. यह कहते हैं कि नारी का सम्मान जहां है, संस्कृति का उत्थान वहां है. आज निश्चित रुप से आपके निर्णय का भी सभी मातृ शक्तियों में अच्छा संदेश जायेगा, पूरे प्रदेश के अन्दर अच्छा संदेश जायेगा. मैं आदरणीय श्रीमती कृष्णा गौर जी, जो आज हमारी आसंदी पर विराजमान होंगी, मैं उनका बहुत बहुत स्वागत करता हूं, उनका अभिनन्दन करता हूं. धन्यवाद.
11.06 बजे {सभापति महोदया (श्रीमती कृष्णा गौर) पीठासीन हुई.}
श्री विश्वास सारंग-- सभापति जी, आपको बहुत बहुत बधाई.
सभापति महोदया-- धन्यवाद.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- सभापति महोदया, संसदीय कार्यमंत्री जी ने नारी सम्मान के लिये साधूवाद दिया, हमारे स्पीकर साहब को, बिलकुल सही यह होना चाहिये, हमारी संस्कृति यही है, लेकिन एक दुर्भाग्य साथ में जुड़ा है कि भारत में मध्यप्रदेश नम्बर वन है महिला अत्याचार में, बलात्कार में. इस पर ध्यान दीजिये. जिस पर ध्यान देना है, उस चीज पर ध्यान दीजिये.रोज बलात्कार हो रहे हैं, रोज अत्याचार हो रहे हैं.
श्री विश्वास सारंग-- सज्जन भाई, यह आपत्तिजनक है. यह गलत बात है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- सभापति महोदया, इनमें और गोविन्द सिंह जी में प्रतिस्पर्द्धा है. धन्यवाद देना था नेता प्रतिपक्ष जी को, आप खड़े हो गये पहले से. अब इनके ये मतभेद हैं, उसके लिये ये सदन का उपयोग करते हैं. अगर इनको ऐसा वो था, तो स्वाभाविक रुप से इनको कोई लगाना था. प्रश्न लगाते, शून्यकाल लगाते, स्थगन लगाते, ध्यानाकर्षण लगाते. एक भी नहीं लगाया सज्जन भाई ने. सज्जन भाई ने एक भी नारी से संबंधित नहीं लगाया और उसके बाद में उठाते हैं. फिर गोविन्द सिंह जी आपसे भांजी नहीं मार लें, यह दिक्कत है सब और कोई दिक्कत नहीं है और उससे पूरा हाउस प्रभावित हो रहा है. ये पूरे हाउस को प्रभावित कर रहे हैं.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- सभापति महोदया, यह सदन नियम और प्रक्रियाओं से चल कहां रहा है. यह नियम और प्रक्रिया की किताब मुझे इसलिये फाड़ना पड़ी कि यह सदन नियम और प्रक्रिया से चल नहीं रहा है.
श्री विश्वास सारंग -- सज्जन जी, यह नारी का सम्मान आपको सही नहीं लगा. अध्यक्ष जी ने नवाचार किया है. आपको तो इसकी तारीफ करनी चाहिये.
..(व्यवधान)..
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- (कागज दिखाते हुए) यह मैंने दिया है. आप क्या सदन चलाओगे. एक दूसरे से नूरा कुश्ती लड़ रहे हो. वह आपको धन्यवाद दे रहे हैं, आप उनको धन्यवाद दे रहे हो स्पीकर को. यह मैंने सदन की अवमानना का मैंने दिया है. क्या हुआ. एक मुख्यमंत्री को चलते सदन में बाहर घोषणा करने का अधिकार है क्या. जब सदन चलता है, तो मुख्यमंत्री जी को सदन में घोषणा करना चाहिये.
..(व्यवधान)..
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- सभापति महोदया, आसंदी ने निर्देश दिये, मैं तो समझा कि अध्यक्ष जी की व्यवस्था के बाद आप उठकर यह बोलेंगे सज्जन जी कि प्रश्नों के उत्तर में भी अगर प्रतिपक्ष की तरफ से महिलाएं बोलेंगी, तो ज्यादा अच्छा होता, मैं तो यह समझ रहा था. सुश्री हिना कावरे जी, विजयलक्ष्मी साधौ जी.
..(व्यवधान)..
सभापति महोदया-- प्रश्न संख्या-1 श्रीमती राजश्री रुद्र प्रताप सिंह. बाकी सारे सदस्य बैठ जायें.
..(व्यवधान)..
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- बहनों के प्रश्न हैं, उनको पूछ लेने दें सज्जन भाई. आज बहनों को यह पहली बार अवसर मिला है. आप व्यवधान बनते हो हमेशा. आपको यह भी पसंद नहीं आया कि आज नारी का सम्मान का दिन था, लेकिन आप खड़े हो गये, नारियों के साथ में.
सभापति महोदया-- कृपया बैठ जायें. एक बहन पहली बार की विधायक प्रश्न कर रही हैं.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ-- सभापति महोदया, यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवताः और साथ में जो बाहर हो रहा है.. (xxx)
सभापति महोदया-- यह नहीं आयेगा. आप बैठ जाइये.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ-- (xxx)
डॉ. सीतासरन शर्मा-- सभापति महोदया, यह अच्छी बात नहीं है. इस तरह की विवादित बातों को सदन में नहीं बोलना चाहिये. इसको विलोपित करवायें, यह क्या है.
श्री विश्वास सारंग-- सभापति महोदया, यह आप डिलीट करवाइये. यह बिना तथ्य के बोल रही हैं, यह डिलीट करवाइये.
सभापति महोदया-- यह रिकार्ड में नहीं आयेगा.
श्री रामेश्वर शर्मा-- क्या कांग्रेस रामायण का विरोध कर रही है क्या बतायें नेता प्रतिपक्ष कि कांग्रेस रामायण का विरोध कर ही है.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ-- (xxx)
11.09 बजे तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर.
सभापति महोदया-- कृपया बैठ जायें. प्रश्न संख्या 1. श्रीमती राजश्री रुद्र प्रताप सिंह, आप बोलिये.
आजीविका मिशन के कार्य
[पंचायत और ग्रामीण विकास]
1. ( *क्र. 1735 ) श्रीमती राजश्री रूद्र प्रताप सिंह : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) आजीविका मिशन द्वारा विदिशा जिले में विगत पांच वर्षों में कितने स्व-सहायता समूहों को गणवेश निर्माण एवं अन्य कार्य दिया गया है? (ख) उक्त कार्यों की वर्तमान में क्या स्थिति है? स्व-सहायता समूहों हेतु कितनी-कितनी राशि किस-किस कार्य हेतु प्रदाय की गई है? सूची उपलब्ध करावें।
पंचायत मंत्री ( श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया ) : (क) विदिशा जिलें में विगत 05 वर्षों में 602 स्व-सहायता समूहों को गणवेश बनाने का कार्य एवं 04 स्व-सहायता समूहों को नर्सरी निर्माण कार्य दिया गया है। सामान्यत: समूहों को कार्य नहीं दिये जाते हैं, परन्तु समूह सदस्यों द्वारा मिशन से प्राप्त राशि तथा बैंकों से ऋण लेकर स्वयं के विवेक से या अन्य विभागों से अभिसरण में राशि प्राप्त होने पर तदनुसार कार्य किए जाते हैं। (ख) स्व-सहायता समूहों द्वारा पूर्व वर्षों के गणवेश तैयार किये जाकर कार्य पूर्ण कर लिया गया था। वर्तमान वर्ष 2022-23 में गणवेश तैयार किये जाने का कार्य प्रगतिरत है। नर्सरी निर्माण कार्य में समूहों द्वारा तार फेंसिंग, मेढ़ बंधान कर पौधे तैयार करने एवं वितरण का कार्य किया जा रहा है। स्व-सहायता समूहों को चक्रीय निधि (आर.एफ) छोटी-छोटी जरूरतों के लिए एवं सामुदायिक निवेश निधि (सी.आई.एफ.) आजीविका संवर्धन कार्यों हेतु प्रदाय की जाती है। आजीविका संबंधी कौन-सा कार्य करना है, यह निर्णय स्व-सहायता समूहों के सदस्यों द्वारा स्वयं ही लिये जाते हैं। प्रदाय निधि की सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 01 एवं 02 अनुसार है।
श्रीमती राजश्री रुद्र प्रताप सिंह-- सभापति महोदया, जो जानकारी विभाग के द्वारा दी गई है, मैं उससे संतुष्ट नहीं हूं. मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से जानना चाहती हूं कि जो स्व सहायता समूहों का जो पेमेंट हुआ है, वह किस माध्यम से किया गया, आरटीजीएस के माध्यम से या चेक के माध्यम से.
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया - सभापति महोदया, हमारी सदस्या ने बहुत अच्छा प्रश्न किया है और मैं उन्हें बताना चाहूंगा कि जो प्रश्न उन्होंने किया है, उसके उत्तर में हमने परिशिष्ट में सारी चीजें दी हुई है. अगर उनको लगता है कि कहीं कोई किसी प्रकार की पारदर्शिता नहीं दिखाई गई है तो वह मुझे जानकारी दे दें, मैं उसमें निश्चित कार्यवाही करवाउंगा.
श्रीमती राजश्री रूद्र प्रताप सिंह - सभापति महोदया, मेरा एक प्रश्न और है. यह वित्तीय वर्ष 2020-21 में कितने स्वयं सहायता समूह की कितनी राशि शेष है, उसका उत्तर भी अभी नहीं आया है और क्यों वह शेष है?
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया - सभापति महोदया, वित्तीय वर्ष 2022-23 में जिले में पात्र समूहों द्वारा 1.83 लाख से अधिक सिलाई का वितरण कार्य किया जा रहा है. सामुदायिक निवेश निधि व बैंक ऋण के माध्यम से प्राप्त राशि से समूह सदस्य कृषि व गैर कृषि व्यवसाय क्षेत्रों में अपनी स्वेच्छानुसार आजीविका गतिविधि संचालित करते हैं. इसी में जो आपका स्पेसिफिक प्रश्न है, आपने जो प्रश्न पूछे हैं, उससे हटकर आप सप्लीमेंट्री प्रश्न कर रही हैं, उसके उत्तर का परीक्षण करके फिर मैं आपको बता पाऊंगा.
श्रीमती राजश्री रूद्र प्रताप सिंह - सभापति महोदया, इसके लिए क्या समय-सीमा निर्धारित करेंगे ?
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया - सभापति महोदया, हां, निश्चित रूप से एक हफ्ते के अंदर यह पूरा हम आपको पूरी जानकारी के साथ पूरा करके दे देंगे.
श्रीमती राजश्री रूद्र प्रताप सिंह - सभापति महोदया, ठीक है. माननीय मंत्री जी, धन्यवाद. लेकिन आपके उत्तर से थोड़ा में अभी क्लियर नहीं हो रहा है.
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया - सभापति महोदया, आप सदन के बाहर बात कर लीजिएगा, जो भी आप जानकारी चाहेंगी, मैं आपको संतुष्ट कर दूंगा.
श्रीमती राजश्री रूद्र प्रताप सिंह - सभापति महोदया, जी हां. क्योंकि यह थोड़ा क्लियर नहीं हो रहा है, इसलिए मैंने कहा, आपको धन्यवाद.
समग्र स्वच्छता अभियान अंतर्गत शौचालय निर्माण
[पंचायत और ग्रामीण विकास]
2. ( *क्र. 3501 ) श्रीमती झूमा डॉ. ध्यानसिंह सोलंकी : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) भीकनगांव विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत समग्र स्वच्छता अभियान अन्तर्गत योजना प्रारंभ से प्रश्न दिनांक तक कितनी संख्या में व्यक्तिगत एवं सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण हुआ है? निर्मित स्थान का वर्णन, हितग्राही का नाम, स्वीकृत राशि, निर्मित वर्ष, कार्य एजेन्सी के वर्णन सहित ग्राम पंचायतवार जानकारी उपलब्ध करावें। यह भी बतायें कि कितने हितग्राहियों को राशि भुगतान करना शेष है, जिनका निर्माण स्वयं या कार्य एजेन्सी द्वारा कार्य पूर्ण कर दिया गया है, राशि का भुगतान शेष रहने का क्या कारण है तथा कब तक भुगतान कर दिया जायेगा? (ख) वर्तमान में शौचालयों की भौतिक स्थिति क्या है? क्या निर्मित सभी शौचालयों का उपयोग हो रहा है? नहीं तो क्या कारण है?
पंचायत मंत्री ( श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया ) : (क) भीकनगांव विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत समग्र स्वच्छता अभियान अन्तर्गत योजना प्रारंभ से प्रश्न दिनांक तक व्यक्तिगत शौचालय कुल 36363 शौचालयों एवं सार्वजनिक शौचालय 63 का निर्माण हुआ है। शेष जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) उत्तरांश (क) के संदर्भ में वर्तमान में सभी शौचालय पूर्ण होकर शौचालयों का उपयोग ग्रामीणों के द्वारा किया जा रहा है।
श्रीमती झूमा डॉ. ध्यान सिंह सोलंकी - सभापति महोदया, धन्यवाद. मेरा प्रश्न भीकनगांव विधानसभा के अंतर्गत शौचालयों के निर्माण से संबंधित है. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से पूछना चाह रही हूं, सबसे पहले तो माननीय मंत्री जी मेरा जो यह प्रश्न लगा, उसके पहले शौचालयों की राशि जितनी लंबित थी, उन ग्राम पंचायतों में राशि डल गई है, इसके लिए आपको धन्यवाद दे रही हूं. अगला प्रश्न जो है जिसका उत्तर मुझे सही नहीं मिला है. मेरे विधान सभा क्षेत्र के जनपद झिरन्या में शौचालय निर्माण का कार्य हितग्राहियों के द्वारा या ग्राम पंचायत के द्वारा नहीं किया गया और बाहर के ठेकेदारों के द्वारा किया गया. ऐसे काम जो अपूर्ण हैं और उसके अलावा गड्ढे नहीं खोदे गये और सिर्फ शौचालय का ढांचा खड़ा किया गया तो क्या माननीय मंत्री जी, सभापति महोदया आपके माध्यम से मैं उनसे जानना चाह रही हूं कि इन ग्राम पंचायतों की जांच कराएंगे?
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया - सभापति महोदया, निश्चित रूप से. माननीय सदस्या का जो कथन है, उसको पूर्ण रूप से किया जाएगा और जैसा आप चाहती हैं वैसा ही होगा.
श्रीमती झूमा डॉ. ध्यान सिंह सोलंकी - सभापति महोदया, एक और प्रश्न है, जो कि जरूरी है, कई जगहों पर शौचालयों का निर्माण भी नहीं हुआ है और राशि निकल गई है, उनकी भी जांच इसमें शामिल करें और जो हितग्राही मांग कर रहे हैं कि उनके यहां शौचालय बनाये जायं, विशेष तौर से महिलाओं के द्वारा मांग की जाती है तो क्या उनकी मांग को स्वीकृति देंगे.
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया - सभापति महोदया, वैसे तो जानकारी अनुसार सभी शौचालयों का निर्माण किया जा चुका है किन्तु अगर माननीय सदस्या कोई लंबित प्रकरण है, कोई लंबित शौचालय हैं, उसकी सूची मुझे दे दें, निश्चित रूप से कार्यवाही की जाएगी और सख्त कार्यवाही की जाएगी.
श्रीमती झूमा डॉ. ध्यान सिंह सोलंकी - माननीय मंत्री जी, धन्यवाद.
वित्त आयोग से प्राप्त राशि
[पंचायत और ग्रामीण विकास]
3. ( *क्र. 2763 ) सुश्री हिना लिखीराम कावरे : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) योजना आयोग नई दिल्ली द्वारा 2020-21 से 2024-25 तक की चालू पंचवर्षीय योजना से कौन-कौन से वित्त आयोग की राशि कब-कब मध्यप्रदेश को दी गयी है? प्रदेश को राशि प्राप्त होने पर किस समय-सीमा में ग्राम पंचायतों, जिला पंचायतों तथा जनपद पंचायतों में दिये गये अनुपात में पंचायतों के खाते में भेजने के नियम हैं? नियम की छायाप्रति उपलब्ध करावें। (ख) क्या शासन द्वारा प्रश्नांश (क) में वर्णित राशि को समय-सीमा में पंचायतों के खातों में भेज दिया गया था? क्या प्रदेशों को पंचायतों के खातों में समय-सीमा में राशि न डालने पर अर्थदंड के प्रावधान हैं? यदि हाँ, तो प्रदेश द्वारा 2020-21 से अब तक देरी की वजह से कब-कब कितना अर्थदंड दिया गया? (ग) क्या शासन वित्त आयोग की राशि को अन्य कार्यों में खर्च करके जान बूझकर अर्थदंड भरती है तथा पंचायतों के खातों में देरी से राशि भेजती है?
पंचायत मंत्री ( श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया ) : (क) योजना आयोग नई दिल्ली द्वारा 2020-21 से 2024-25 तक की चालू पंचवर्षीय योजना में पन्द्रहवें वित्त आयोग अन्तर्गत वित्तीय वर्ष 2021 से 2022-23 तक कुल राशि 692800-00 लाख मध्यप्रदेश को प्राप्त हुई है। (नियम की छायाप्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) जी नहीं। राशि का भुगतान 10 कार्यदिवस में न किये जाने स्थिति में बाजार दर पर ब्याज राशि का भुगतान किये जाने का प्रावधान है। भुगतान प्रक्रिया में हुए विलम्ब के कारण ब्याज की राशि का भुगतान किया गया है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (ग) जी नहीं।
सुश्री हिना लिखीराम कावरे - सभापति महोदया, कर्ज लेकर यदि हम ब्याज भरें तो बात तो समझ में आती है, लेकिन मध्यप्रदेश सरकार बिना कर्ज लिये ही, ब्याज की राशि वह भरते जा रही है. मैंने प्रश्न किया था कि जो वित्त आयोग की राशि ग्राम पंचायतों को खर्च करने के लिए दी जाती है, उसमें सीधे सीधे योजना आयोग की राशि ग्राम पंचायतों को 85 प्रतिशत, जनपदों को 10 प्रतिशत और जिला पंचायत को 5 प्रतिशत देना पड़ती है और यदि यह राशि 10 दिन के कार्य दिवस के भीतर नहीं दी जाती है तो सरकार को बाजार का जो भाव चल रहा है, उस हिसाब से ब्याज भरना पड़ता है, इसके चलते जो आंकड़े मेरे पास में उत्तर के रूप में आए हैं.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- ..वर्ष 2020-21 में सरकार ने 41 करोड़ रुपये ब्याज भरा, उसके बाद वर्ष 2021-22 में सरकार ने 15 करोड़ रुपये ब्याज भरा. ऐसे कुल मिलाकर 57 करोड़ रुपये सरकार ने केवल इसलिये ब्याज भरा क्योंकि वह समय पर पंचायतों को राशि नहीं दे पाई है. मैंने प्रश्न किया था कि क्या जानबूझकर आप यह राशि पंचायतों को नहीं डालते हैं, तो इसमें उत्तर आया है कि ‘’जी नहीं.’’ विलंब का कारण इन्होंने बताया है कि हम जानबूझकर ऐसा नहीं करते. इसका मतलब है कि लापरवाही है. लापरवाही के चलते इतना ब्याज यदि सरकार को भरना पड़ेगा तो क्या ऐसे अधिकारियों पर आप क्या कार्यवाही करेंगे ? दूसरी बात, ब्याज जो आप भर रहे हैं, वह ब्याज का मद क्या है ? आखिर कहीं न कहीं विकास कार्यों से ही आप राशि लेकर इन सब ब्याज की राशि आप भर रहे होंगे ? तो मैं यह मद भी जानना चाहती हूं और उन अधिकारियों पर जिनकी लापरवाही के चलते सरकार को यह ब्याज का पैसा भरना पड़ रहा है, उन पर आप क्या कार्यवाही करेंगे ?
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया – सभापति महोदया, निश्चित रूप से माननीय सदस्य का बहुत अच्छा प्रश्न है और कहीं न कहीं पंचायती राज में एक सकारात्मक पहल उन्होंने उठाई है, इसके लिये मैं उनका साधुवाद करता हूं, किंतु यह प्रक्रिया कोई नई नहीं है. यह रिसोर्सेज़ को कलेक्ट करने के लिये कभी-कभी राशि आने में विलंब हो जाता है और उसकी वजह से पंचायतों को देर से राशि पहुंचती है. यह जो ब्याज की बात कही गई है यह वर्ष 2019 और 2020 में भी 45 करोड़ रुपये से 65 करोड़ का ब्याज कमलनाथ जी की सरकार ने भी अर्थदण्ड के रूप में भरा था, तो यह प्रक्रिया के तहत होता है इसमें कहीं कोई ऐसी दुर्भावना या किसी का इन्टेंशन खराब नहीं रहता है.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे – सभापति महोदया, राशि देर से आना, देर से राशि केन्द्र सरकार से आ रही है यह तो हम मानते हैं, लेकिन जो आपको ब्याज भरना पड़ रहा है, जिस दिन राशि आपके पास आ जाती है उस दिन के बाद आप यदि 10 कार्यदिवस के भीतर राशि नहीं देते तो आपको ब्याज भरना पड़ता है, तो आपके पास तो राशि आ गई फिर आपने देने में देरी क्यों की ? और कार्य दिवस का मतलब भी मैं आपको बता दूं कि 10 दिन का जो कार्यदिवस दिया है उसमें शनिवार, रविवार या कोई छुट्टी आ गई, शासकीय छुट्टी तो वह उस 10 दिवस में काउण्ट नहीं होती है, तो आपने जो राशि दी और आप जो कह रहे हैं वर्ष 2019-20 का, तो मैंने जो प्रश्न किया है वह तो वर्ष 2020-21 से किया है. आप जो बात बता रहे हैं कि ऐसा कोई इन्टेंशन नहीं है यह तो प्रोसेस में है. आपको बताते हुये मैं सदन को यह जानकारी देना चाहती हूं कि इस पर सीएजी ने भी पूर्व में आपत्ति दर्ज की है. इसलिये मंत्री जी, यह जवाब देकर तो नहीं बच सकते कि ऐसा कोई कारण नहीं है. यदि आपने उत्तर दिया है कि विलंब का कारण कोई ऐसी बात नहीं है कि हमने जानबूझकर किया है. नहीं किया है, तो लापरवाही हुई और लापरवाही है तो करोड़ों करोड़ रुपया आप ब्याज में भर रहे हैं तो इनके ऊपर तो आपको जवाबदेही तय करनी पड़ेगी क्योंकि यह तो स्वीकार्य नहीं है.
सभापति महोदया – माननीय मंत्री जी ने स्पष्ट किया है कि केन्द्र से राशि देर से आई इस वजह से हुआ.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे – आप क्लीयर कर लें सभापति महोदया. केन्द्र से जिस दिन राशि आती है उस दिन तक कोई ब्याज आपको देना नहीं पड़ता है. राशि जिस दिन आपकी राज्य सरकार को आ जाती है, राज्य सरकार यदि पंचायतों में वह राशि नहीं भेज पाती तो उस पर ब्याज देना पड़ता है.
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया – सभापति महोदया, माननीय सदस्य को यह समझना चाहिये कि केन्द्र से जब राशि आती है तो उसको प्रोसेस में आने में और केन्द्र को भी रिसोर्सेज़ इकट्ठा करने में समय लगता है और यह अर्थदण्ड की जो प्रक्रिया है यह प्रक्रिया कोई नई नहीं है. इसमें फाइनेंस का भी अप्रूव्हल आवश्यक होता है और उस अप्रूव्हल के कारण विलंब होता है. इसको हम देख लेंगे कि आने वाले समय में हम इसका अच्छे ढंग से मंथन करके कि यह आर्थिक दंड हमको ना उठाना पड़े इस पर हम निश्चित रूप से कार्यवाही करेंगे, यह मैं आपको विश्वास दिलाता हूं.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे – सभापति महोदया, एक मेरा आखिरी क्वेशचन है, मैंने जो जानकारी मांगी थी उसमें इस वर्ष 2022-23 की जानकारी भी नहीं आई है तो मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से यह कहना चाहती हूं कि इतना अर्थदण्ड हम लोग भर रहे हैं, क्योंकि अक्सर यहां पर बात होती है कि हमने कर्ज लिया और कर्ज लेकर ब्याज भर रहे हैं, यहां तो कर्ज की बात ही नहीं है इस पर तो आपको कार्यवाही निश्चित रूप से करनी चाहिये. सभापति महोदया, मैं अपनी बात पूरी कर दूं फिर मंत्री जी बोल लीजिये कोई दिक्कत नहीं है. मेरे पास वह आंकड़े भी नहीं आये हैं. निश्चित रूप से यदि आंकड़े नहीं आये हैं, राशि आपको नहीं मिली होगी. चलिये मैं उस बात को मानती हूं, लेकिन आज इस सदन में आपके सामने सभापति महोदया, आपके माध्यम से मैं कहना चाहती हूं कि क्या जब वह राशि आपको मिल जाएगी तब आप क्या यह सुनिश्चित करेंगे कि 10 दिन के भीतर वह राशि ग्राम पंचायतों को मिल जाए ताकि आपको ब्याज ना भरना पड़े ?
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया -- माननीय सभापति महोदया, माननीय सदस्या को मैं एक बात बताना चाहता हूँ कि ये जो ब्याज की राशि है, ये भी पंचायतों के खातों में जाती है. तो इससे पंचायतों को लॉस नहीं होता है, बल्कि बेनेफिट ही होता है. ब्याज का पैसा उनके खातों में आता है. आपने जो 10 दिवस के अंदर राशि हस्तांतरण की बात है, इसमें निश्चित रूप से हम गंभीरता से विचार करेंगे.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- धन्यवाद माननीय मंत्री जी.
गलत तरीके से की गई अनिवार्य सेवानिवृत्ति
[स्कूल शिक्षा]
4. ( *क्र. 3421 ) श्रीमती कल्पना वर्मा : क्या राज्य मंत्री, स्कूल शिक्षा महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रदेश में वर्ष 2019 में 16 शिक्षकों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई थी? यदि हाँ, तो अनिवार्य सेवानिवृत्त किये गये सभी शिक्षकों के आदेश की प्रति दें एवं बतावें कि उक्त कार्यवाही किन नियमों के तहत की गई थी? नियम/शासनादेशों की प्रति देवें। (ख) क्या जिन कर्मचारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई, उनमें से कुछ कर्मचारी संविदा/अध्यापक संवर्ग के रहे हैं, ऐसे संविदा/अध्यापक संवर्ग के कर्मचारियों की जानकारी देवें एवं बतावें कि उनका संविलियन अध्यापक संवर्ग में कब एवं राज्य शिक्षा सेवा अंतर्गत प्राथमिक शिक्षक/माध्यमिक शिक्षक में कब हुआ? जारी आदेशों की प्रति देवें। (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के कर्मचारियों में किन-किन कर्मचारियों पर म.प्र. सिविल सर्विसेस (पेन्शन) रूल्स 1976 प्रभावशील था? क्या उन्हें वर्तमान में म.प्र. सिविल सर्विसेस (पेन्शन) रूल्स 1976 के तहत पेंशन का भुगतान किया जा रहा है? यदि हाँ, तो माह दिसंबर 2022 में प्रदान किये गये पेंशन की जानकारी प्रश्नांश 'क' के कर्मचारियों की देवें? यदि नहीं, तो क्यों, कब तक किया जायेगा? (घ) प्रश्नांश (क), (ख) एवं (ग) अनुसार नियमों की गलत व्याख्या कर, गलत तरीके से अनिवार्य सेवानिवृत्ति दिये जाने पर दोषियों के विरूद्ध क्या कार्यवाही की जायेगी एवं ऐसे प्रकरणों की पुन: जांच कराते हुये कर्मचारियों को सेवा में पुन: कब तक वापस लिया जावेगा?
राज्य मंत्री, स्कूल शिक्षा ( श्री इन्दर सिंह परमार ) : (क) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र "1" अनुसार है। नियम निर्देश पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''2'' अनुसार है। (ख) जी नहीं। नवीन संवर्ग में नियुक्त लोक सेवकों के आदेश की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''03'' अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''04'' अनुसार है। (घ) उत्तरांश ''क'' के प्रकाश में प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता।
श्रीमती कल्पना वर्मा -- सभापति महोदया, धन्यवाद. मेरा प्रश्न स्कूल शिक्षा विभाग से संबंधित है. माननीय मंत्री जी से मेरा यह सवाल है कि बिना सूचना और नोटिस के किस नियम के तहत अध्यापकों को हटा दिया गया ?
श्री इन्दर सिंह परमार -- माननीय सभापति महोदया, वर्ष 2019 में मध्यप्रदेश में जो हॉयर सेकेण्डरी और हाई स्कूल की परीक्षाएं हुई थीं, उस समय यह तय किया गया था कि उन परिक्षाओं में जिन शिक्षकों का अपने विषय का रिजल्ट कमजोर रहेगा, उनको दो बार अवसर दिया जाएगा. उनको अपडेट करने के लिए एक परीक्षा हुई, फिर दूसरी परीक्षा हुई, लेकिन 16 शिक्षक ऐसे थे, जो दोनों ही परीक्षाओं में पास नहीं हुए. 33 प्रतिशत अंक भी वे नहीं ला पाए थे. हमने वह परीक्षा ओपन बुक सिस्टम से ली थी यानि किताबें दे दी थीं. बच्चों से हम बगैर किताब के परीक्षा लिखवाते हैं, परीक्षा लेते हैं, लेकिन शिक्षकों को किताबें देकर कहा था कि इन प्रश्नों को हल कर दें. उत्तर दे दें. वे नहीं दे पाए. इसलिए ऐसे 16 शिक्षकों पर नियमानुसार कार्यवाही की गई है. सारी प्रक्रिया पूरी की गई है. उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई है. इन 16 शिक्षकों में से 7 शिक्षकों को, चूँकि वे पुरानी पेशंन स्कीम की पात्रता में आते थे, इसलिए उनको पेंशन मिल रही है और जो 9 शिक्षक हैं, जो बाद के संवर्ग के हैं, इसलिए पेंशन की पात्रता नहीं है, लेकिन सभी कार्यवाही नियम प्रक्रिया में की गई है.
श्रीमती कल्पना वर्मा -- माननीय मंत्री जी, आप कौन से नियम की बात कर रहे हैं ? मैं आपको बताना चाहती हूँ कि जिस वक्त उनको हटाया गया, वे मेडिकल की छुट्टी पर थे. उनके पैर का ऑपरेशन हुआ था. ये मेरे पास उनका मेडिकल सर्टिफिकेट भी है, जिन्होंने छुट्टी ले रखी थी. बिना उनको कारण बताए आपने उनको हटा दिया. आपके जो मंत्रालय के अधिकारी हैं, उन्होंने संविधान की धारा 311 (2) का उल्लंघन किया है. मैं आपसे पूछना चाहती हूँ कि उन अधिकारियों के ऊपर आप क्या कार्यवाही करेंगे ?
श्री इन्दर सिंह परमार -- माननीय सभापति महोदया, 7 लोकसेवकों को मध्य प्रदेश सिविल सर्विसेस (पेंशन) रूल्स, 1976 के नियम 42 के उपनियम के खण्ड बी एवं मूलभूत नियम 56 (2) के आधार पर अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई है और 9 लोकसेवकों को मूलभूत नियम 56 (2) के आधार पर अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई है. संशोधित आदेश दिनांक 1.11.2021 के आधार पर, इस प्रकार से नियम के आधार पर ही उन पर कार्यवाही की गई है. इसलिए यह कहना कहना सही नहीं है कि उनको बगैर नियम के हमने हटाया है. नियमानुसार ही हटाया गया है.
श्रीमती कल्पना वर्मा -- सभापति महोदया, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से पूछना चाहती हूँ कि एक तरफ तो आप आदेश जारी करते हैं कि उनको सेवा से बर्खास्त किया जाता है और दूसरी तरफ आप उसी डेट में तीन 3 बजकर 18 मिनट पर आदेश जारी करते हैं कि उनको माध्यमिक शिक्षक के रूप में लिया जाता है तो मैं आपसे पूछना चाहती हूँ कि कौन सा पत्र आपने पहले लिखा. जिस पत्र में डेट और टाइम डला है, वह तो निश्चित तौर पर यह समझ में आ रहा है कि गलत है, क्योंकि किसी भी आदेश में समय नहीं लिखा होता है, केवल डेट डली होती है, पर उसमें समय नहीं लिखा होता है. इसमें बाकायदा आपने समय भी लिखा है. अत: मैं आपसे कहना चाहती हूँ कि इसका मुझे स्पष्ट उत्तर दिया जाए.
श्री इन्दर सिंह परमार -- सभापति महोदया, सबके आदेश क्रमांक और सारे दस्तावेज हमने संलग्न किए हैं. किस दिनांक को क्या हुआ, उस प्रकार से किए गए हैं. इसलिए सभी को नियमानुसार अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई है. जहां तक सवाल उनके संविलियन का है, तो संविलियन भी जिस समय कार्यवाही की, उसके पहले उनका संविलियन शिक्षा विभाग में जिनका हो चुका था, उनका संविलियन किया गया है. इसलिए जो माननीय सदस्या का कहना है, वह सही नहीं है. हमने पूरी नियम प्रक्रिया के तहत कार्यवाही की है. यदि वे चाहेंगी तो मैं सारे आदेशों की कॉपी उनको उपलब्ध करा दूंगा.
सभापति महोदया -- हो गया, आपके प्रश्नों का जवाब आ गया.
श्रीमती कल्पना वर्मा -- सभापति महोदया, जो मेरे पास कागज हैं, मैं उनके तहत पूछ रही हूँ. मैं बस एक मिनट में अपनी बात खत्म करूंगी. चूँकि 16 शिक्षक ऐसे थे, जिनको हटाया गया. उनमें से कुछ लोगों को आपने सूचना दी, नोटिस दिया, लेकिन कुछ लोगों को नोटिस नहीं दिया, क्यों नहीं दिया. सबसे बड़ा सवाल तो यही खड़ा होता है कि नोटिस क्यों नहीं दिया. आपने वहीं भेदभाव किया. यदि समानता का अधिकार है तो आपको सबको नोटिस देना चाहिए.
श्री इन्दर सिंह परमार -- माननीय सभापति महोदया, हमने सबको नोटिस दिये हैं, सबको मालूम है. उनकी दो-दो बार परीक्षाएं हुई हैं और जो 33 प्रतिशत अंक ओपन बुक में से नहीं ला सकते हैं वह हमारे बच्चों को कैसे पढ़ाते ? इसलिए सरकार ने नियमानुसार पूरी कार्यवाही की है.
श्रीमती कल्पना वर्मा -- माननीय मंत्री जी, वे लोग 20 साल से सर्विस में थे और 20 सालों में उन्होंने अच्छी सर्विस की है. अच्छा रिजल्ट रहा है. इसलिए उनकी पदोन्नति की गई थी.
श्री इन्दर सिंह परमार -- सभापति महोदया, उनमें से कई लोग माननीय न्यालालय में भी गये हैं. उनको न्यायालय से भी कोई राहत नहीं मिली है. इसलिए मैं कहना चाहता हॅूं कि यह कार्यवाही नियमानुसार की गई है, बगैर नियम के कोई भी कार्यवाही नहीं की गई है. सबको सूचना दी थी, नोटिस जारी किए गए थे और सबको अवसर दिया गया था. अनिवार्य सेवानिवृत्ति के नियमों के अनुसार ही उनको सेवानिवृत्ति दी गई है.
श्रीमती कल्पना वर्मा -- माननीय सभापति महोदया, किसी भी तरीके से नोटिस नहीं दिया गया था.
सभापति महोदया -- हो गया. माननीय मंत्री ने आपके प्रश्न का सारा जवाब दिया है.
श्रीमती कल्पना वर्मा -- सभापति महोदया, मैं माननीय मंत्री जी के जवाब से संतुष्ट नहीं हॅूं और उन्होंने कोई भी जवाब ऐसा नहीं दिया है जो संतोषजनक हो. आप सीधे-सीधे बोल रहे हैं कि उनको नोटिस दिया गया है जबकि नोटिस नहीं दिया गया है और 16 परिवारों में से 9 परिवार ऐसे हैं जिनको आज भूखे मरने की स्थिति आ गई है. एक व्यक्ति ने तो इसी तरीके से सुसाइड कर लिया था. अब जो व्यक्ति 20 साल से सेवा कर रहा है और उसकी अच्छी रिपोर्ट थी, उनके स्कूल में बच्चों का अच्छा रिजल्ट आया था, तब ही तो आपने उनकी पदोन्नति की थी.
सभापति महोदय -- माननीय मंत्री जी का आश्वासन है. सारे जवाब देंगे.
श्रीमती कल्पना वर्मा -- सभापति महोदया, उसके बाद भी उनको अचानक हटा दिया जाता है, यह मुझे समझ में नहीं आता है.
श्री इन्दर सिंह परमार -- माननीय सभापति महोदया, इन 16 शिक्षकों के बारे में इनका जो कहना है, मैं स्थिति बता देता हॅूं. श्री हीरालाल पनिका, माध्यमिक शिक्षक हैं. पहले राउंड में ओपन बुक देकर के इनकी पहली परीक्षा ली थी, उसमें वह पास नहीं हुए, उस समय उनके 44 अंक आए थे लेकिन दूसरी बार जब उनको अवसर दिया, तब उनके 29 अंक आए. श्री यज्ञसेन श्यामल माध्यमिक शिक्षक हैं. यह पहली परीक्षा में भी नहीं बैठे, दूसरी परीक्षा में भी नहीं बैठे, दोनों बार की परीक्षाओं में एबसेन्ट रहे हैं. श्री सुदामा सिंह माध्यमिक शिक्षक हैं. पहली बार की परीक्षा में इनके 36 अंक आए, दूसरी बार की परीक्षा में 29 अंक आए हैं. श्री रामप्रसाद चिकवा के पहली बार की परीक्षा में 30 आएं हैं और दूसरी बार की परीक्षा में एबसेन्ट रहे हैं. श्री चक्रधर कुशवाह माध्यमिक शिक्षक हैं. पहली बार की परीक्षा में 28 अंक लाएं हैं और दूसरी परीक्षा में 25 अंक लाएं हैं. श्री संतोष सिंह माध्यमिक शिक्षक हैं पहली बार की परीक्षा में 7 अंक लाएं हैं और दूसरी बार की परीक्षा में 14 अंक लाएं हैं. श्री प्रभुदयाल तिवारी माध्यमिक शिक्षक हैं. पहली बार की परीक्षा में 32 अंक और दूसरी बार की परीक्षा में 17 अंक लाएं हैं. श्री सुखराम भगत पहली बार में 39 अंक और दूसरी बार में 10 अंक लाएं हैं. श्री शैलेन्द्र मिश्रा माध्यमिक शिक्षक हैं. पहले राउंड में 14 अंक और दूसरे राउंड में एबसेन्ट रहे हैं. श्री सिद्धार्थ मिश्रा पहले राउंड में 0-0 और दूसरी बार एबसेन्ट रहे. श्री अब्दुल सगुर पहले राउंड में 27 और दूसरे राउंड में 25 अंक लाएं हैं. श्री धीरज सिंह भील, प्रधानाध्यापक हैं. पहले राउंड में एबसेन्ट रहे और दूसरे राउंड में 19 अंक लाए. श्री श्याम सुंदर कौल प्रधानाध्यापक ने पहले राउंड में 10 अंक और दूसरे राउंड में 6 अंक लाए. श्री रामगति कौल पहले राउंड में 25 और दूसरे राउंड में 27 अंक लाए. श्री राघवेन्द्र प्रसाद मिश्रा पहले राउंड में 2 अंक लाए और दूसरे राउंड में 22 अंक लाए. श्री रामगोपाल सिंह मरावी, प्रधानाध्यापक पहले राउंड में 30 अंक लाए और दूसरे राउंड में 24 अंक लाए. एक भी शिक्षक 33 प्रतिशत अंक नहीं लाए थे और उस समय सरकार का जो नियम था, उस नियमों के अनुसार कार्यवाही की गई है.
श्री दिनेश राय मुनमुन -- सभापति महोदया, ऐसे शिक्षकों से वसूली करवायी जाए.
श्रीमती कल्पना वर्मा -- सभापति महोदया, उनमें से एक शिक्षक हॉस्पिटल में एडमिट थे और उन्होंने मेडिकल ले रखा था, तो उन्होंने परीक्षा कैसे दी है, यह मुझे समझ में नहीं आ रहा है. बस मुझे 2 मिनट चाहिए, मेरा लॉस्ट क्वेश्चन है.
सभापति महोदया -- माननीय मंत्री जी ने पूरा विस्तार से जवाब दे दिया.
श्रीमती कल्पना वर्मा -- माननीय सभापति महोदया, मैं माननीय मंत्री के जवाब से संतुष्ट नहीं हॅूं. जो 16 शिक्षकों की आप बात कर रहे हैं तो मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री महोदय से कहना चाहती हॅूं कि उनको न्याय मिले और जिन अधिकारियों ने ये काम किया है उनके विरूद्ध कार्यवाही होनी चाहिए. मैं उच्च स्तरीय जांच की मांग करती हॅूं.
सभापति महोदया -- प्रश्न क्रमांक- 6 डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ जी.
श्रीमती कल्पना वर्मा -- माननीय सभापति महोदया, कम से कम मुझे इस प्रश्न का उत्तर तो मिलना चाहिए. आज महिलाओं का दिन है. अध्यक्ष महोदय जी ने बोला है और विशेष रूप से आपको अधिकार दिया गया है.
सभापति महोदया -- माननीय मंत्री जी ने आपको बहुत विस्तार से जवाब दिया है.
श्रीमती कल्पना वर्मा -- माननीय सभापति महोदया, अभी जो मैंने प्रश्न किया कि उच्च स्तरीय जांच की मैंने मांग की है.
सभापति महोदया -- माननीय मंत्री जी, कुछ और बोलना चाहते हैं ?
...(व्यवधान)...
श्री इन्दर सिंह परमार -- माननीय सभापति महोदया, किसी प्रकार की अनियमितता नहीं हुई है. सारी कार्यवाही नियम प्रक्रिया से की गई है. एक प्रकरण जरूर पेंशन का .....(व्यवधान)...
...(व्यवधान)...
श्री नारायण सिंह पट्टा -- माननीय सभापति महोदया, शिक्षकों के भविष्य का विषय है और इसमें 16 शिक्षकों को बर्खास्त/निलंबन किया गया है..(व्यवधान)...
श्री पी.सी.शर्मा -- सभापति महोदया, जांच का आदेश दें...(व्यवधान)..
श्री नारायण सिंह पट्टा -- आज महिला दिवस पर महिलाओं को विशेष प्राथमिकता दी गई है. उसके माध्यम से उन शिक्षकों को न्याय मिलना चाहिए.
श्री इन्दर सिंह परमार -- माननीय सभापति महोदया, यह बात सही है कि 16 शिक्षकों को बर्खास्त किया गया है. वर्ष 2019 में जब यह परीक्षाएं आयोजित हुईं थीं,उस समय काँग्रेस की सरकार थी और उसी समय के सरकार के नियमों के अनुसार कार्रवाई आगे की गई...(व्यवधान)..7 लोग हैं, जो 7 लोग हैं, जिनको पेंशन मिल रही है केवल..(व्यवधान)..उसमें विलम्ब हुआ है,..(व्यवधान)..उसमें नोटिस जारी किया गया, उनके खिलाफ हम कार्रवाई कर रहे हैं कि उनकी पेंशन समय पर स्वीकृत क्यों नहीं की गई और बाकी जो 9 लोग हैं वे पेंशन की पात्रता नहीं रखते हैं...(व्यवधान)..
श्रीमती कल्पना वर्मा-- माननीय मंत्री जी, उस समय काँग्रेस की सरकार थी. आज आपकी सरकार है, तो मैं आप से पूछना चाहती हूँ कि आज आप उन अधिकारियों के ऊपर क्या कार्रवाई करना चाहते हैं?..(व्यवधान)..
श्री इन्दर सिंह परमार-- अधिकारियों ने गलत नहीं किया..(व्यवधान)...केवल एक के पेंशन निर्धारण करने में देरी की गई थी उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है.
श्रीमती कल्पना वर्मा-- अंधा बाँटे रेवड़ी चीन्ह चीन्ह कर दे, इस तरह की स्थिति है आप लोगों की. (मेंजों की थपथपाहट)
सभापति महोदया-- माननीय मंत्री जी ने आश्वासन दिया है, जो अनियमितता हुई उसके ऊपर कार्रवाई हो रही है.
श्री उमाकांत शर्मा-- सभापति महोदया, मैं निवेदन करना चाहता हूँ कि ये लोक्तोक्ति सही नहीं है, अँधा बाँटे रेवड़ी चीन्ह चीन्ह के दे. अंधा कैसे पहचान लेता है?
श्रीमती कल्पना वर्मा-- सभापति महोदया, अभी आश्वासन उन्होंने कार्रवाई और जाँच के लिए निर्देश नहीं दिए हैं. मैं आप से चाहती हूँ कि मंत्री जी बोलें कि एक उच्च स्तरीय जाँच करवाई जाएगी, उन 16 लोगों के ऊपर अन्याय हुआ है.
सभापति महोदया-- प्रश्न क्रमांक 6 डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ जी, अपना प्रश्न करिए. कल्पना वर्मा जी, आप बैठ जाइये आपका हो गया, माननीय मंत्री जी ने आश्वासन दे दिया. जिन्होंने अनियमितता की उनके ऊपर कार्रवाई हो रही है, अब आप बैठ जाइये आपने बहुत पूरक प्रश्न कर लिए. ....(व्यवधान)..साधौ जी, आप बोलिए नहीं तो आपका समय निकल जाएगा...(व्यवधान)..
श्रीमती कल्पना वर्मा-- ..(व्यवधान).. होगा कि नहीं होगा?
डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ-- मंत्री जी बोल ही नहीं रहे हैं.
श्रीमती कल्पना वर्मा-- मेरी तरफ से आप ही पूछ लीजिए ना.
डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ-- यह सरकार तो जवाब कैसे दे रही है आप भी देख रही हों. पहली बार की विधायक हों, सीखो, कैसे जवाब दिए जा रहे हैं.
श्रीमती कल्पना वर्मा-- मैं पहली बार की विधायक हूँ यहाँ कुछ सीखने आई हूँ मैं इसीलिए तो चाह रही हूँ कि मुझे कम से कम अपना उत्तर संतोषजनक तो मिल जाए.
सभापति महोदया-- साधौ जी, आप अपना प्रश्न करिए. अब बैठ जाइये, हो गया आपका.
श्रीमती कल्पना वर्मा-- सभापति महोदया, माननीय मंत्री जी तो कुछ बोल ही नहीं रहे हैं, उनसे बोलिए कि उच्च स्तरीय जाँच कराने के लिए कुछ बोलें.
सभापति महोदया-- आपके सारे पूरक प्रश्नों के जवाब माननीय मंत्री जी ने दिए. आप बैठ जाइये.
डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ-- मंत्री जी ने मौन धारण कर लिया है.
सभापति महोदया-- डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ जी, आप अपना प्रश्न करिए.
प्रश्न संख्या-- 5 (अनुपस्थित)
रमठान से देवगढ सड़क निर्माण
[पंचायत और ग्रामीण विकास]
6. ( *क्र. 644 ) डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्ष 2018 विधानसभा चुनाव के दौरान महेश्वर विधानसभा के ग्राम देवगढ़ के मतदाताओं द्वारा मतदान का बहिष्कार रमठान से देवगढ़ सड़क का निर्माण नहीं होने के कारण किया गया था? (ख) इस पर शासन द्वारा क्या कार्यवाही की गई, अगर नहीं की गई तो क्या कारण हैं एवं कब तक की जावेगी?
पंचायत मंत्री ( श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया ) : (क) जी हाँ। (ख) विधानसभा क्षेत्र महेश्वर अंतर्गत बड़की चौकी (रमठान) से देवगढ़ मार्ग निर्माण वर्ष 2021-22 के मुख्य बजट में शामिल किया गया था, मार्ग निर्माण हेतु डी.पी.आर. तैयार करने की प्रक्रिया अंतर्गत मार्ग का विस्तृत निरीक्षण किया गया, मार्ग की लंबाई 6.80 कि.मी. सम्पूर्ण दुर्गम खड़ी पहाड़ी एवं सघन आरक्षित वनक्षेत्र होने तथा स्लोप 01 : 10 (खड़ी पहाड़ी) से कम ग्रेडिएंट होने के कारण बजट की सूची से विलोपित किये जाने हेतु प्रतिवेदन मुख्य अभियंता, लोक निर्माण विभाग (प) इंदौर के पत्र क्रमांक 1780, दिनांक 27.04.2022 द्वारा प्रमुख अभियंता लोक निर्माण विभाग को प्रेषित किया गया। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ-- माननीय सभापति महोदया, मेरी विधान सभा के ग्राम देवगढ़, जो कि बड़की चौकी रमठान के अंतर्गत है और शतप्रतिशत ट्रायबल एरिया है. शतप्रतिशत आदिवासी निवास करते हैं. कोई भी दूसरी कम्यूनिटी का आदमी वहाँ पर नहीं है. 2018 में उस गाँव के लोगों ने विधान सभा चुनाव का बहिष्कार किया था. मैंने प्रश्न लगाया बजट में प्रोविजन किया. बजट से हटाकर पंचायत से उसको पीडब्ल्यूडी विभाग के 27.4.2022 को दिया, ऐसा मुझे जवाब में बताया गया, तो यह काम शटल कॉक की तरह, बेडमिंटन की फुद्दी की तरह, एक विभाग से दूसरे विभाग तक टप्पा खिला रहे हैं. एक ओर तो केन्द्र सरकार से लेकर राज्य सरकारें तक, जो वर्तमान की है, मतदान करने का, बड़े बड़े होर्डिंग्स लगाती है. करोड़ों, अरबों, रुपये विज्ञापनों में खर्च किए जाते हैं, तो इस तरह का जवाब देना, यह इस बात का द्योतक है कि सरकार नहीं चाहती है कि जिन लोगों ने मतदान का बहिष्कार किया, यह दोहरी नीति है, ट्रायबल एरिया है, हंड्रेड परसेंट, वहाँ एक भी व्यक्ति कोई दूसरी जात का नहीं है. उस एरिये में ये बहाना करके कि बड़ी पहाड़ी है, खड़ी पहाड़ी है, जब इस देश में, प्रदेश में, टनलें बन जाती हैं, अपने निजी राजनैतिक स्वार्थ के लिए, तो क्या इन आदिवासियों के लिए 1.10 किलोमीटर, जो इसमें बताया है, स्लोप, क्या 1 किलोमीटर स्लोप नहीं ठीक हो सकता, उन आदिवासियों के लिए? क्या उनको मतदान देने से वंचित किया जाएगा यह मैं आदरणीय मंत्री जी से जानना चाहती हूँ.
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया -- माननीय सभापति महोदया, सदस्य जी ने जो बात कही है कि चुनाव के समय बहिष्कार किया गया था यह उनकी बात सत्य है. किन्तु आपका यह कहना असत्य है कि ट्रायबल बेल्ट में काम नहीं किया गया है. बड़वाह विकासखण्ड देवगढ़..
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ -- माननीय सभापति महोदया, मैंने पूरे विधान सभा का ब्यौरा नहीं मांगा है. मैंने पर्टिकुलर एक रोड का मांगा है. मैं यहां पर मंत्री जी का भाषण नहीं सुनना चाहती हूँ. मैंने पर्टिकुलर जो कोश्चन पूछा है मैं उसका जवाब चाहती हूँ. यहां हम लोग भाषण सुनने नहीं आए हैं. हम तो अपना जवाब चाहते हैं कि हमने जो सवाल किया है उसका जवाब दें.
सभापति महोदया -- मंत्री जी का जवाब तो सुन लीजिए.
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया -- सभापति महोदया, विजय लक्ष्मी जी हमारी बहुत ही सम्मानित सदस्य हैं. निश्चित रुप से जो भी वे पूछती हैं वो सही पूछती हैं मगर उनको सब्र के साथ सुनना भी आवश्यक है.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ -- मैंने आपसे पाइंटेड प्रश्न पूछा है आप तो पूरा विधान सभा का बता रहे हो.
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया -- आप सुनिए, आप विधान सभा का संरक्षण करने वाली हैं, अकेले एक गांव की थोड़ी हैं. माननीय सभापति महोदया, माननीय सदस्या का जो चिंता का विषय है कि जो रोड उनकी रह गई है उसका भविष्य क्या है. चूंकि वह बहुत ऊपर पहाड़ी पर रोड है इसलिए किसी भी विभाग ने उसे टेक्नीकली अप्रूव नहीं किया था. किन्तु अगर आपकी और सभी की मंशा है कि ट्रायबल बेल्ट का विशेष ध्यान रखा जाए तो उस रोड के लिए हम पुन: विचार करके उसको जुड़वाने का प्रयास करेंगे.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ -- मंत्री जी इसके लिए मैं आपको धन्यवाद देती हूँ. मेरा मंत्री जी से बस यही निवेदन है कि बहुत गंभीर हालत है. उस गांव में जाने के लिए मऊ के चोरल से जाना पड़ता है इससे बहुत ज्यादा किलोमीटर का सफर करना होता है और रात दिन की आवश्यकता है. बागोद जो मेरा विलेज है उससे लगी हुई है. यह जो एरिया है मात्र 6.80 है और घूमकर जाओगे तो करीब 30 किलोमीटर पड़ेगा. यहां के लोग बहुत गरीब लोग हैं, यह फिर बहिष्कार करेंगे इसलिए मेरा आपसे निवेदन है कि इसको अतिशीघ्र करवाने का कष्ट करें.
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया -- माननीय सभापति महोदया, मैं माननीय सदस्या को इस बात के लिए आश्वस्त करता हूँ हालांकि यह प्रधानमंत्री सड़क योजना में नहीं आएगा क्योंकि सिंगल कनेक्टिविटी नहीं है, डबल कनेक्टिविटी में है. यह पीडब्ल्यूडी को जाएगा. मगर आप विश्वास रखिए कि पूरी गंभीरता से हम इसको करेंगे.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ -- मैं आपसे निवेदन करना चाहती हूँ आपने सिंगल कनेक्टिविटी की बात की है. सिंगल कनेक्टिविटी से इसका कोई लेना देना नहीं है. इंदौर के मऊ से आपने इसकी कनेक्टिविटी दी है जबकि यह खरगोन जिले का विलेज है. चाहे रेवेन्यू के काम हों, चाहे पुलिस के काम हों सारे कुछ बड़वाह से आते हैं तो यह कैसे कर पाएंगे. सब आदिवासी हैं. एक-एक, डेढ़-डेढ़ बीघा जमीन है. इनको फिर इंदौर जिले से घूमकर आना पड़ेगा इसलिए मैं आपसे निवेदन कर रही हूँ कि यह बहुत महत्वपूर्ण रोड है.
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया -- माननीय सभापति महोदया, मैं माननीय सदस्या को आश्वस्त करता हूँ कि बारीकी से अध्ययन कराकर इस सोच के साथ कि हमें यह करना है. हम निश्चित रुप से मदद करेंगे.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ -- बहुत-बहुत धन्यवाद.
प्रश्न संख्या - 7 (अनुपस्थित)
प्रश्न संख्या - 8 (अनुपस्थित)
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से स्वीकृत सड़कें
[पंचायत और ग्रामीण विकास]
9. ( *क्र. 3577 ) श्री उमाकांत शर्मा : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) दिनांक 01 अप्रैल, 2014 से प्रश्नांकित दिनांक तक विदिशा जिले में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना फेस-3 से कौन-कौन सी सड़कों की स्वीकृति हुई? प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना फेस-1 एवं फेस-2 में जिन सड़कों को पांच वर्ष, दस वर्ष, बीस वर्ष से अधिक समय हो गया है, उनकी मरम्मत एवं नवीनीकरण हेतु कितनी-कितनी लागत से कार्य स्वीकृत किये गये हैं? प्रशासकीय स्वीकृति की दिनांक उपलब्ध करावें। (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में प्रदेश में दिनांक 01 अप्रैल, 2019 से प्रश्नांकित दिनांक तक प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से निर्मित मार्गों का स्टेट क्वालिटी मॉनिटर्स द्वारा किन-किन मार्गों का निरीक्षण किया गया? निरीक्षण के दौरान क्या-क्या कमियां पाई गई हैं? कमियों के लिये दोषी ठेकेदारों एवं परियोजना क्रियान्वयन इकाइयों में पदस्थ महाप्रबंधक, सहायक प्रबंधक एवं उपयंत्रियों पर क्या-क्या कार्यवाही की गई है? नाम पदनाम सहित जानकारी देवें। यदि कार्यवाही नहीं की गई है तो कब तक की जावेगी? (ग) क्या मध्यप्रदेश ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकारण के आदेश क्रमांक 12199/22/बी-12/ग्रा.स.प्रा./5-171/एफ ए/19 भोपाल, दिनांक 05.09.2019 के आदेश अनुसार नवीन प्रगतिरत निर्माण कार्यों के निरीक्षण हेतु त्रिस्तरीय व्यवस्था हेतु उपयंत्री/सहा प्रबंधक को स्वतंत्र रूप से नवीन कार्यों का पर्यवेक्षण न सौंपा जावे, इस हेतु आदेश जारी किया गया था? यदि हाँ, तो विदिशा जिले में इसका पालन क्यों नहीं किया जा रहा है एवं क्या विदिशा जिले में उपयंत्रियों एवं सहायक प्रबंधकों को पृथक-पृथक पर्यवेक्षण सौंपा गया है? इसके लिये कौन-कौन दोषी हैं? (घ) विदिशा जिले में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना फेस-3 से निर्मित मार्गों का स्टेट क्वालिटी मॉनिटर्स द्वारा किन-किन मार्गों का निरीक्षण किया गया है? निरीक्षण दिनांक एवं श्रेणी उपलब्ध करावें। निरीक्षण के दौरान क्या-क्या कमियां पाई गईं हैं? (ड.) विकासखण्ड सिरोंज में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना फेस-3 से स्वीकृत एन.एच. 752 बी से पगरानी मार्ग का निर्माण कब तक प्रारंभ कर दिया जावेगा, वर्तमान में मार्ग का कितना कार्य हुआ है? कितनी-कितनी राशि का भुगतान हुआ है? अभी तक कार्य प्रारंभ न करने के लिये कौन-कौन दोषी हैं?
पंचायत मंत्री ( श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया ) : (क) प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना-3 से संबंधित जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''1'' अनुसार है। मरम्मत एवं नवीनीकरण से संबंधित जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''2'' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''3'' अनुसार है। निरीक्षण में पाई गई कमियों का सुधार कराया गया है, सुधार कार्य पश्चात ही भुगतान किया गया है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) जी हाँ। जारी आदेश का पालन किया जा रहा है, तथापि विशेष परिस्थिति में सहायक प्रबंधकों/उपयंत्रियों की कमी के कारण, कार्य की प्रगति बाधित न हो, शासकीय हित को ध्यान में रखते हुये पृथक-पृथक पर्यवेक्षण कार्य सौंपा जाता है। अतः किसी का दोष नहीं है। (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''4'' अनुसार है। (ड.) विकासखण्ड सिरोंज के अंतर्गत प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना-3 से स्वीकृत देवीटोरी से पगरानी मार्ग का कार्य वर्तमान में प्रगतिरत है। उक्त मार्ग में दो नम्बर सी.डी. एवं 2 नम्बर प्रोटेक्शन वॉल का कार्य होकर तदनुसार राशि रु. 39.52 लाख का भुगतान किया गया है, कार्य प्रगतिरत होने के कारण किसी का दोष नहीं है।
श्री उमाकांत शर्मा -- माननीय सभापति महोदया, प्रधानमंत्री सड़कें ग्रामीण क्षेत्र के गांव, गरीब, किसान के पैरों के दर्द को दूर करने के लिए हैं. पैरों के छालों को दूर करने के लिए हैं. 12 मासी आवागमन के लिए हैं. अटल बिहारी बाजपेई जी ने शुरुआत की थी मैं उनको धन्यवाद देता हूँ. जाकी फटी नहीं बिवाई, वो क्या जाने पीर पराई. प्रधानमंत्री सड़कें बता देना पंडित जवाहरलाल नेहरू की, इंदिरा गाँधी की, राजीव गाँधी की, नरसिम्हा राव की, डोडेगौड़ा की.
श्री लक्ष्मण सिंह-- यह कौन सा प्रश्न है.
सभापति महोदया--उमाकांत जी, आप प्रश्न कीजिए.
उमाकांत शर्मा-- जो आपके सदस्य कह रहे हैं उनका उत्तर है, नहीं तो मैं गिनवाउंगा अटल बिहारी वाजपेयी और शिवराज सिंह चौहान जी की.
श्री बाला बच्चन-- फिर हम बोलने लगेंगे पंडित जवाहरलाल नेहरू जी की बात, इंदिरा गांधी जी की बात, राजीव गांधी जी की बात, मनमोहन सिंह जी की बात. (व्यवधान)..
श्री उमाकांत शर्मा-- एक भी ग्रामीण सड़क नहीं मिलेगी. (व्यवधान)..
श्री बाला बच्चन-- इस प्रदेश को, इस देश को कांग्रेस के प्रधानमंत्रियों ने सींचा है. आप नेहरू जी की बात करते हो उन्होंने दुनिया में देश की पहचान बनाई है. इस देश की लड़ाई लड़ी है, कांग्रेस ने अंग्रेजों को खदेड़ा है. कांग्रेस के प्रधानमंत्री रहे हैं. देश और प्रदेश को सींचा है. आप इस पर चर्चा करा लो. (व्यवधान)..
सभापति महोदया-- माननीय उमाकांत शर्मा जी आप अपना प्रश्न कीजिए. (व्यवधान)...
श्री बाला बच्चन-- आपका स्पेसिफिक प्रश्न है, आपका जो प्रश्न है आप उस पर बात कीजिए. (व्यवधान).
श्री रघुनाथ सिंह मालवीय-- हमारा देश अमीर देश होता. कांग्रेस के कारण पिछड़ा है. (व्यवधान)...
श्री हरिशंकर खटीक-- तभी तो आपने अलग कर दिया था. वह नेहरू जी ही थे जिन्होंने दो निशान दो प्रधान कर दिये.. (व्यवधान)...
श्री उमाकांत शर्मा-- चिडि़ए मत. मीठा-मीठा गप्प और कड़वा-कड़वा थू. (व्यवधान)...
सभापति महोदया-- उमाकांत जी आप अपना प्रश्न कीजिए. (व्यवधान)...
श्री उमाकांत शर्मा-- सुनो, धैर्यपूर्वक सुनो छाती ठोककर कह रहे हैं.
सभापति महोदया-- आप अपना प्रश्न कीजिए.
श्री उमाकांत शर्मा-- सिरोंज लटेरी विकासखण्ड जिला विदिशा में कौन-कौन सी प्रधानमंत्री सड़कें हैं जो जनसंख्या के मान से अनेक वर्ष पहले बन जानी चाहिए थीं. वह कौन-कौन सी सड़कें हैं जो आज तक नहीं बनी. उनके नाम बताएं? वह क्यों नहीं बनी इसके लिए कौन-कौन उत्तरदायी है? आपने जो अधिकारी, कर्मचारी दोषी हैं उनके खिलाफ क्या कार्यवाही की है और नहीं की है तो क्यों नहीं की है और कब तक कार्यवाही की जाएगी?
सभापति महोदया-- उमाकांत जी आपके सारे पूरक प्रश्न इसी में आ गए हैं.
श्री उमाकांत शर्मा-- सभापति महोदया, अभी तो बहुत प्रश्न हैं.
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया-- माननीय सभापति महोदया, मैं सर्वप्रथम तो पंडित जी को प्रणाम करता हूं और उन्होंने जो प्रश्न उठाया है उस प्रश्न के जवाब में आपकी सभी रोडें प्रगति पर हैं और अगर नहीं हैं तो आप मुझे बता दीजिए कि कौन सी रोड हैं उसका काम करा दिया जाएगा.
श्री उमाकांत शर्मा-- आप यह बताएं कि मुजफ्फरगढ़ तहसील सिरोंज, राजस्व ग्राम उसकी जनसंख्या कितनी है और सड़क कब बननी चाहिए थी और अभी तक वहां सड़क क्यों नहीं बनी इसके लिए कौन उत्तरदायी है ?
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया-- माननीय सभापति महोदया, अगर हमारे सम्माननीय सदस्य जी को यह लगता है कि कुछ रोडें धीमी प्रगति पर हैं.
श्री उमाकांत शर्मा--मंत्री जी आप तो नाम बता दीजिए.
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया-- आप बता दीजिए मैं उसे करा दूंगा.
श्री उमाकांत शर्मा-- स्वीकृति दिनांक बताइए, जनसंख्या बताइए.
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया-- यह सारी चीजें परिशिष्ट में हैं.
श्री उमाकांत शर्मा-- आप सदन में मौखिक बताइए. मुजफ्फरगढ़ की जनसंख्या कितनी है.
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया-- आप पढि़ए तो सही, यह परिशिष्ट में है.
श्री उमाकांत शर्मा-- मुजफ्फरगढ़ की जनसंख्या कितनी है. पहले सड़क क्यों नहीं बनी इसके लिए कौन उत्तरदायी है. मेरे नायक समाज के लोग आज भी गड्ढों में पैदल कीचड़ में चल रहे हैं इसके लिए कौन उत्तरदायी है? आप छुपा क्यों रहे हैं.
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया--सभापति महोदया, यह प्रश्न इससे उद्भूत ही नहीं होता है और यदि माननीय सदस्य को लगता है कि कोई स्पेसिफिक सड़कें हैं तो आप मुझे दे दीजिए. मैं उसको दिखवा लूंगा.
श्री उमाकांत शर्मा-- मुजफ्फरगढ़ ग्राम पंचायत बांसखेड़ी तहसील सिरोंज की सड़क क्यों नहीं बनी बताइए?
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया--सभापति महोदया, माननीय सदस्य मुझे लिखित रूप से दे दें हम उसको दिखवा लेंगे.
श्री उमाकांत शर्मा-- नियम के अनुसार पहले होना था क्यों नहीं हुआ कौन जिम्मेदार है.
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया--सभापति महोदया, मुझे जांच तो करा लेने दीजिए . आप मुझे अवसर तो दीजिए.
सभापति महोदय-- उमाकांत जी माननीय मंत्री जी ने आश्वासन दिया है आप बता दीजिए कि कौन सी सड़क है.
श्री उमाकांत शर्मा-- सभापति महोदया, पांच साल पहले वह काम होना था.
सभापति महोदया-- मंत्री जी बता देंगे. आप उन्हें बता दीजिए.
श्री उमाकांत शर्मा-- मैं क्यों बताऊं. इनकी सरकार क्यों नहीं दे गई? विधान सभा में असत्य जानकारी क्यों भेजी जा रही है. अगला सुन लें जिन सड़कों की सिरोंज लटेरी विकासखण्ड में मरम्मत हुई थी मैंने मौके पर जाकर कहा कि खराब गुणवत्तापूर्ण काम हो रहा है. विगत दो वर्ष में जिन जिन सड़कों की मरम्मत हुई है क्या विधायक की उपस्थित में दो वर्ष की सड़कों की मरम्मत की गुणवत्ता की जांच करेंगे. कब तक कर देंगे. अभी तक उस पर जांच या कार्यवाही क्यों नहीं हुई है. मैंने मौके पर जाकर काम रुकवाया, शिकायत की कोई सुनवाई नहीं हुई.
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया- सभापति महोदय, वैसे तो पंडित जी का प्रश्न यहां उद्भुत ही नहीं होता है. किंतु यदि उन्हें लगता है कि कहीं कोई गड़बड़ी हुई है और वे चाहते हैं कि विधायक जी का एकीकरण, उस पर बना रहे तो निश्चित तौर पर बना रहेगा.
श्री उमाकांत शर्मा- किसी एकीकरण की जरूरत नहीं है. गांव, गरीब, किसान के साथ छल हुआ है. आप प्रदेश स्तर की टीम से जांच करवायें, मुझे भी उस टीम में सदस्य बनायें.
सभापति महोदय- शर्मा जी, आपकी बात आ गई है. मंत्री जी ने आपको जवाब दे दिया है.
श्री उमाकांत शर्मा- जांच कब तक करवा ली जायेगी, मुझे समय-सीमा दे दीजिये.
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया- माननीय सदस्य, मुझे पहले सूची दे दें. उसके बाद मैं जांच करवा लूंगा.
श्री उमाकांत शर्मा- सभापति महोदय, मैं तो सब की कह रहा हूं. सिरोंज, अटेरी विकासखण्ड में विगत 2 वर्षों में जितनी भी प्रधानमंत्री सड़कों की मरम्मत हुई है, उन सभी की जांच करवाइये.
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया- बिल्कुल करवायेंगे.
श्री उमाकांत शर्मा- कब तक करवा लेंगे.
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया- जल्दी करवा लेंगे.
श्री उमाकांत शर्मा- समय-सीमा दीजिये.
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया- सभापति महोदय, पंडित जी के पास सारे अधिकारी हैं. जैसा वे कहेंगे, हम वैसा कर लेंगे.
श्री उमाकांत शर्मा- आप मुझे समय-सीमा बता दीजिये और यदि मुझे समिति में न रखें तो दूसरे कोई भी तीन विधायक, आप उसमें जोड़ दीजिये.
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया- पंडित जी, हमें आप पर पूरा विश्वास है और हम आपके नेतृत्व में ही जांच करवायेंगे. जांच करवायेंगे और सख्त कार्यवाही भी करेंगे.
श्री उमाकांत शर्मा- हमें भी आप पर पूरा विश्वास है, आप हमारा विश्वास बनाये रखें. आप मुझे समय-सीमा बता दें. 2-3 महीने कुछ भी बता दें.
सभापति महोदय- उमाकांत जी, आपकी बात आ गई है. मंत्री जी ने आपको ठोस आश्वासन दे दिया है.
श्री उमाकांत शर्मा- मुझे जनता के लिए कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला है.
सभापति महोदय- मिल गया है.
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया- सभापति महोदय, 6 माह का समय कर लें.
श्री उमाकांत शर्मा- 6 माह का कर लीजिये, लेकिन आगे क्या होगा अल्लाह जाने.
श्री बाला बच्चन- सभापति महोदय, प्रदेश की यह स्थिति है कि विपक्ष नहीं, सरकार में बैठे लोग कहते हैं, आपके दल के विधायक कहते हैं कि अल्लाह जाने क्या होगा आगे. ये आपकी स्थिति है.
श्री उमाकांत शर्मा- मध्यप्रदेश में फिर से शिवराज जी की सरकार बनेगी. मैं, तो मेरी कह रहा हूं कि अल्लाह जाने क्या होगा. हमें तो यह भी पता नहीं है कि 10 मिनट बाद जिंदा रहेंगे कि मर जायेंगे. यहां किसी को पता हो तो बता दो.
आबादी भूमि में प्रधानमंत्री आवास, रोड, नाली इत्यादि का निर्माण
[पंचायत और ग्रामीण विकास]
10. ( *क्र. 3536 ) श्री सिद्धार्थ सुखलाल कुशवाहा : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या आबादी भूमि में प्रधानमंत्री आवास, रोड, नाली इत्यादि का निर्माण ग्राम पंचायत द्वारा आमजनता की सुविधा के लिए किया जा सकता है? यदि हाँ, तो जनपद पंचायत सोहावल जिला सतना के मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा ग्राम पंचायत नैना-सगमनिहा की आराजी नं. 120 व 44 आबादी भूमि में किस अधिनियम के तहत दिनांक 08.12.05 को ग्राम पंचायत के सरपंच, सचिव को आदेश जारी कर प्रधानमंत्री आवास सहित समस्त निर्माण कार्यों में रोक लगा दी गई है? (ख) क्या बिड़ला कॉर्पोरेशन लिमिटेड कंपनी तथा सर्वेश्वरी माइनिंग लिमिटेड कंपनी अलग-अलग हैं? यदि हाँ, तो दोनों की लीज किन गांवों में हैं? दोनों का रकबा अलग-अलग कितना है? क्या लीज देते समय सार्वजनिक निस्तार पत्रक की अराजियों को छोड़ा गया है? यदि नहीं, तो ग्राम पंचायतें निर्माण कार्य कहां पर करवाएं? (ग) क्या कोलकाता हाईकोर्ट का कोई आदेश बिड़ला कॉर्पोरेशन लिमिटेड के संदर्भ में जारी किया गया है? यदि नहीं, तो जनपद पंचायत सोहावल सतना के मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा कोलकाता हाईकोर्ट के संदर्भ का उल्लेख कर ग्राम पंचायत नैना सगमनिहा, नीमीवृत, बारीकला, बेला, भरजुनाकला, बिरहुली सरपंच, सचिव को आदेश दिनांक 01.10.18 द्वारा ग्राम पंचायतों में प्रधानमंत्री आवास सहित समस्त निर्माण कार्यों में रोक लगा दी गई है, जिससे 12 गांवों का निर्माण कार्य अवरुद्ध है? क्या जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा जारी आदेश दिनांक 03.4.13 तथा 1.10.18 को निरस्त कर आम जनता की सुविधा बहाल करेंगे?
पंचायत मंत्री ( श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया ) : (क) जी हाँ। बिड़ला कम्पनी सतना के पत्र में ग्राम नैना सगमनिहा में कम्पनी के भू-स्वामित्व की लीज में अनाधिकृत रूप से किये जा रहे भवन व सड़क के कार्य पर रोक लगाने के संबंध में प्राप्त आवेदन पत्र के आधार पर रोक लगा दी गई है। (ख) जी हाँ। दोनों कम्पनियों की लीज 12 गांवों में है। बिड़ला कॉर्पोरेशन लिमिटेड कम्पनी का रकबा 908.77 हेक्टेयर तथा सर्वेश्वरी माईनिंग लिमिटेड कम्पनी का रकबा 76.61 हेक्टेयर है। जी हाँ। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) जी नहीं। जी नहीं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री सिद्धार्थ सुखलाल कुशवाहा- सभापति महोदय, हमारे जिले के कुछ गांव मूलभूत आवश्यकतों के लिए परेशान हैं, वर्ष 2010 में जनपद कार्यालय का आदेश है कि उन गांवों में न तो प्रधानमंत्री आवास बनेगा, न नालियां बनेंगी, न सड़कें बनेंगी, इसका कारण यह दिया गया है कि वह गांव बिड़ला फैक्ट्री की लीज़ एरिया में है. जबकि लीज़ के पहले से गावं बसे हुए हैं और आज तक वहां के लोग प्रधानमंत्री आवास, सड़कों, नालियों के लिए परेशान हैं. इस विषय पर मेरा प्रश्न है कि क्या उस आदेश को बदला जायेगा ? जो आदेश वर्ष 2010 में दिया गया था क्योंकि आज तक उस आदेश से गांव के लोग परेशान हैं.
सभापति महोदय, अभी कुछ दिन पहले विगत माह, उस गांव के मजदूर जो शहर मजदूरी करने आते हैं, वे अपनी ट्रैक्टर-ट्रॉली सहित पलट गए थे. ईश्वर ने उन्हें जीवन दिया लेकिन सारे के सारे लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे. वह सड़क आज तक नहीं बन पा रही है क्योंकि सड़क माइनिंग एरिया में है. माइनिंग एरिया जहां है, वहां ठीक है लेकिन गांव वालों की निकासी के लिए, गांव की मूलभूत जरूरतों के लिए ग्राम पंचायतों को इस बात की इजाज़त दी जाये कि जिससे वहां सड़क, नाली और प्रधानमंत्री आवास, गरीबों के लिए बन सकें.
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया- सभापति महोदय, माननीय सदस्य का प्रश्न बिल्कुल सही है किंतु इस प्रश्न का उत्तर, राजस्व विभाग ही दे सकता है क्योंकि वह जमीन कलेक्टर ने बिड़ला कंपनी को लीज़ पर दी थी और जो क्षेत्रफल है, उसके पीछे उसका विवाद है, जिसकी वजह से प्रधानमंत्री आवास योजना एवं अन्य मूलभूत सुविधायें, उस गांव को प्राप्त नहीं हो पा रही हैं. मैंने कलेक्टर से इस बारे में बात की है और हम जल्द से जल्द उसका सीमांकन करवाकर, उसे चिह्नित करवाकर, उसे अलग किया जायेगा. जिसके बाद वहां सभी शासकीय योजनाओं का लाभ दिया जायेगा.
श्री सिद्धार्थ सुखलाल कुशवाहा- मंत्री जी, जो लीज़ दी गई है वह गांव के बाहर की दी गई है, गांव की नहीं दी गई है. वहां गांव तो, पहले से कई वर्षों से, बसे हुए हैं, वहां तो निर्माण कार्य किया जा सकता है. उसको हम कैसे लीज़ पर मान सकते हैं ?
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया- सभापति महोदय, यह पूरा विवाद भूमि का है. इसका प्रधानमंत्री आवास से कोई लेना-देना नहीं है. जब पूरा सीमांकन, डिमार्केशन हो जायेगा कि बिड़ला को लीज़ दी गयी है, उसका क्षेत्र कौन सा है और जो गांव का क्षेत्र है, वह सीमाकंन के पश्चात ही संभव हो सकता है.
श्री सिद्धार्थ सुखलाल कुशवाह:- माननीय मंत्री जी उनको एरिया लीज़ दी गयी है. पर्टिक्युलर कोई खसरा, रकबा बाद में चढ़ाया गया है.
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया:- माननीय यह भूमि का विवाद है और इस विवाद का हल होने के बाद, उनको सुविधाएं प्रदान की जाएंगी.
श्री सिद्धार्थ सुखलाल कुशवाह:- मैं यह चाहता हूं कि आप एक चांज समिति बना दें, अपने विभाग की तरफ से.वह जांच समिति उस पर जांच करे और बात करे जिस विभाग से भी बात करने की जरूरत है, उस विभाग से बात करे.
सभापति महोदया:- कुशवाह जी, माननीय मंत्री जी ने कहा है कि एक बार सीमांकन हो जाने दें, उसके बाद स्थिति स्पष्ट हो जायेगी.
श्री सिद्धार्थ सुखलाल कुशवाह:- कम से कम उसका समय निर्धारित कर दें.
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया:- माननीय सभापति जी, यह मेरा दायित्व नहीं है. यह राजस्व विभाग का दायित्व है. मैंने कल कलेक्टर को बोला है और जल्दी से जल्दी जैसे ही उसका सीमांकन होगा, जो सुविधाएं होती है वह करा देंगे.
श्री सिद्धार्थ सुखलाल कुशवाह:- वर्ष 2010 से यह रोक लगी है.वहां के लोगों का जीवन नर्क हो गया है. धूल, मिट्टी खाने को मजबूर हैं, बच्चे स्कूल नहीं आ पा रहे हैं, कॉलेज नहीं आ पा रहे हैं और अगर आ रहे हैं तो 25-50 किलोमीटर घूम के आ रहे हैं.
प्रश्न संख्या-11 (अनुपस्थित)
श्रीमती रामबाई गोविंद सिंह:- माननीय सभापति महोदया, मेरा प्रश्न निकल गया है.
सभापति महोदया:- निकल गया, आपका समय निकल गया.
विद्यालयों का संचालन एवं उपलब्ध सुविधायें
[स्कूल शिक्षा]
12. ( *क्र. 1749 ) श्री प्रह्लाद लोधी : क्या राज्य मंत्री, स्कूल शिक्षा महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) पन्ना जिले के पवई विधानसभा क्षेत्र में शिक्षा विभाग द्वारा कितने प्राथमिक, माध्यमिक, हाईस्कूल एवं हायर सेकेण्डरी स्कूल संचालित हैं? प्रत्येक विद्यालय में अध्ययनरत छात्रों की संख्या कितनी है? क्या छात्र संख्या अनुसार आवश्यक फर्नीचर भवन उपलबध हैं? कितने विद्यालयों में फर्नीचर भवन की कमी है? विद्यालयवार जानकारी दें। (ख) इन विद्यालयों में नियमित शुद्ध पेयजल की व्यवस्था किस प्रकार उपलब्ध है? यदि उपलब्ध नहीं हैं तो किस कारण? कितने विद्यालयों में आर.ओ. वॉटर प्लांट उपलब्ध हैं? आर.ओ. वॉटर प्लांट कब स्थापित किये गये? कितनी राशि व्यय हुई? गारंटी अवधि क्या है? वर्तमान में कितने वॉटर प्लांट चालू हैं? कितने कब से बंद हैं? बन्द होने के कारण की विद्यालयवार जानकारी दें। (ग) कितने विद्यालयों में छात्र-छात्राओं को कम्प्यूटर क्लासेस के माध्यम से पढ़ाई कराई जाती है? प्रत्येक विद्यालय में कितने कम्प्यूटर स्थापित हैं? उन्हें कब क्रय किया गया? कितनी राशि व्यय हुई? उनकी गारंटी अवधि क्या है? प्रश्न दिनांक तक कितनी चालू एवं कितनी बंद हैं? विद्यालयवार जानकारी दें।
राज्य मंत्री, स्कूल शिक्षा ( श्री इन्दर सिंह परमार ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 01 एवं 02 अनुसार है। (ख) शासकीय प्राथमिक एवं माध्यमिक शालाओं में हैण्डपंप एवं पाइपगत जल आपूर्ति द्वारा पेयजल उपलब्ध है। हाई स्कूल एवं हायर सेकेण्डरी विद्यालयों में नियमित शुद्ध पेयजल नल जल योजना एवं हैण्ड पम्प स्त्रोंतों से उपलब्ध कराई जा रही है। विभाग अंतर्गत पन्ना अंतर्गत किसी विद्यालय में आर.ओ. वॉटर प्लांट उपलब्ध नहीं है। अतः शेष जानकारी निरंक है। (ग) कक्षा 1 से 8 तक के विद्यालयों में कम्प्यूटर के माध्यम से वर्तमान में पढ़ाई का प्रावधान नहीं है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''03''अनुसार है।
श्री प्रहलाद लोधी:- माननीय सभापति महोदया जी, माननीय मंत्री जी ने सवालों के जवाब में जो उत्तर दिये हैं, उससे मैं संतुष्ट हैं. फिर भी सदन के माध्यम से कहना चाहता हूं कि मेरे यहां पर कुछ विद्यालयों में स्टॉफ की कमी है. फर्नीचर की भी कमी है. पेयजल जैसी सुविधाओं का अभाव है. माननीय मंत्री जी से उम्मीद है कि कुछ स्कूलों का भी उन्नयन होना है. शाह नगर में कन्या शाला का, सारंगपुर में है और तालादेवरा में है तो मैं माननीय मंत्री जी से इन समस्याओं के निराकरण हेतु कोई सार्थक कदम उठायेंगे. इसकी मैं आशा करता हूं.
श्री इंदर सिंह परमार:- सभापति महोदया, हमारे माननीय सदस्य ने जो स्कूलों के उन्नयन की बात की है, हम उनका परीक्ष्ाण करा रहे हैं. यदि वह क्रायटेरिया में आयेंगे तो जब भी हमारी उन्नयन की प्रक्रिया पूरी होगी तो उसमें हम उनका करेंगे. हम फर्नीचर इस वर्ष भी दे रहे हैं, पिछले साल भी दिया है फिर भी आपने जो सूची दी है, वहां पर फर्नीचर पहुंचा या नहीं पहुंचा एक बार दिखाकर के, नहीं तो इस बार फर्नीचर देने का काम करेंगे. एक जगह इन्होंने भवन के लिये कहा है. उस भवन के बारे में भी हम परीक्षण कराकर उसको करेंगे. एक कन्या हाइ स्कूल का कहा है, निश्चित रूप से कन्या हाई स्कूल में बाउंड्रीवाल होना चाहिये, तो हम उसको कार्य योजना में जोड़ने वाले हैं.
श्री प्रहलाद लोधी:- माननीय मंत्री जी का बहुत-बहुत धन्यवाद. माननीय सभापति महोदया जी आपने हमें बोलने का समय दिया, आपका भी बहुत-बहुत धन्यवाद.
11.54 बजे अध्यक्षीय व्यवस्था
संसदीय कार्य मंत्री( डॉ. नरोत्तम मिश्र):- सभापति जी एक प्रार्थना कर रहा था. चूंकि आप आज आसंदी पर विराजमान हैं. आज नारी दिवस की पूर्ति हो रही है. बहन रामबाई को भी एक प्रश्न पूछ लेने दें. वह भी नारी है इसलिये कह रहा हूं. एक प्रश्न पूछ लेने दें. उनका प्रश्न बड़ी मुश्किल में आया है. एक प्रश्न पूछ लेगी.
सभापति महोदया:- वैसे तो कोई सदस्य अपने समय में अनुपस्थित रहता है तो उसे द्वितीय चरण में अवसर दिया जाता है.चूंकि आज का दिन महिलाओं का दिन है इसलिये हम श्रीमती रामबाई गोविंद सिंह को प्रश्न करने का मौका दे रहे हैं. श्रीमती रामबाई गोविंद सिंह प्रश्न क्रमांक-5 अपना प्रश्न करें.
प्रधानमंत्री आवास योजना
[पंचायत और ग्रामीण विकास]
5. ( *क्र. 2097 ) श्रीमती रामबाई गोविंद सिंह : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण अंतर्गत क्या जॉब कार्ड डुप्लीकेट होने के कारण हितग्राही लाभान्वित होने से वंचित हैं? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में जिला दमोह में वंचित होने की स्थिति में कितने हितग्राही पात्र हैं, जिन्हें पिछले 3 पीढ़ियों में आवास प्राप्त नहीं हुआ है? (ग) उपरोक्त वंचित हितग्राहियों को लाभान्वित किये जाने के लिए शासन द्वारा क्या प्रयास किये जा रहे हैं और वंचित पात्र हितग्राहियों को इसका लाभ कब तक प्रदान किया जायेगा?
पंचायत मंत्री ( श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया ) : (क) जी हाँ। (ख) जिले से प्राप्त जानकारी अनुसार निरंक है। (ग) राज्य शासन के पत्र क्रमांक 9633, दिनांक 12.10.2022, पत्र क्रमांक 9981, दिनांक 20.10.2022 तथा पत्र क्रमांक 943, दिनांक 30.01.2023 से भारत सरकार को अनुरोध किया गया तथा समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
श्रीमती रामबाई गोविंद सिंह:- सभापति महोदया मेरा प्रश्न इस प्रकार है कि पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि प्रधान मंत्री आवास योजना के अंतर्गत जॉबकार्ड डुप्लीकेट होने के कारण हितग्राही लाभांवित होने से वंचित हैं. इस संदर्भ में जिला दमोह में वंचित होने की स्थिति में कितने हितग्राही पात्र हैं जिन्हें पिछले तीन पीढ़ियों से आवास प्राप्त नहीं हुआ है.
श्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया--सभापति महोदया, माननीय सदस्या जी ने जो बातें पूछी हैं उसका उत्तर हमने लिखित रूप से दिया है. किन्तु उनकी अगर विशेष मंशा हो या मदद अथवा सहयोग की जरूरत हो तो वह मुझे कृपा करके बता दें.
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह-- सभापति महोदया, अभी डुप्लीकेट जॉबकार्ड के कारण जनता बहुत परेशान हैं एवं गरीब लोग भी परेशान हैं. उनके पास में छत नहीं है. जैसे डुप्लीकेट जॉबकार्ड के कारण कई ऐसे ग्रामीणों में जो गरीब हैं उन्हें अभी तक छत प्राप्त नहीं हुई है. हमारे अधिकारी-कर्मचारी जो लिखित में देते हैं हमारे मंत्री जी ने वही बताया है. मैं आपके माध्यम से निवेदन करना चाहती हूं कि अगर गरीबों के प्रति कोई चीज स्थगित भी करनी पड़े अथवा कोई नियम तोड़ने भी पड़े उसको आप तोड़ सकते हैं अथवा अलग कर सकते हैं पर उन गरीबों के लिये छत होना चाहिये ऐसा आश्वासन माननीय मंत्री जी दें क्योंकि यह एकाध गांव की बात नहीं है. पूरे मध्यप्रदेश की बात है. जॉबकार्ड फर्जी होने के कारण पूरे गरीब लोग परेशान है. मैं मंत्री जी से निवेदन करना चाहती हूं कि वह ऐसा निर्णय लें ताकि इन गरीबों के लिये छत हो.
श्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया--सभापति महोदया, हमारी सदस्या जी की जो चिन्ता है अपने लोगों को लेकर वह निश्चित रूप से सराहनीय हैं, किन्तु डुप्लीकेट जॉबकार्ड के मामले में केन्द्र सरकार ही इसमें अंतिम निर्णय करती है. हम राज्य शासन की तरफ से लगातार अनुरोध कर रहे हैं कि इन लोगों को लाभ प्रदान किया जाये और मुझे विश्वास है कि हम जल्दी से जल्दी हम इसमें कामयाबी हासिल कर लेंगे.
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह--सभापति महोदय, धन्यवाद मंत्री जी तथा हमारे संसदीय कार्य मंत्री जी को भी धन्यवाद.
नियम विरूद्ध नियुक्ति पर कार्यवाही
[पंचायत और ग्रामीण विकास]
13. ( *क्र. 3054 ) श्री अजब सिंह कुशवाह [श्री कमलेश जाटव] : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या आयुक्त मध्यप्रदेश रोजगार गारंटी परिषद भोपाल द्वारा कार्या. पत्र क्रमांक 10124, दिनांक 06.02.2023 एवं आदेश क्रमांक 5464, दिनांक 28.09.2022 किस विषय के तहत जारी किया है? नियम व निर्देशों की छायाप्रति उपलब्ध करावें। (ख) क्या जयसिंह नरबरिया परियोजना अधिकारी (तकनीकी) संविदा स्वच्छ भारत मिशन का अनुबंध-योजना विशेष के लिये हुआ है, पारिश्रमिक भी अनुबंधित जिला पंचायत जिला ग्वालियर से निकल रहा है, तो दूसरे जिले में मनरेगा योजना में कैसे काम कर सकता है? नियम हो तो बतायें। (ग) क्या जयसिंह नरवरिया, परियोजना अधिकारी की नियुक्ति के लिये स्वच्छ भारत मिशन के संचालक से सहमति ली गई? यदि नहीं, तो नियम विरूद्ध नियुक्ति की गई? इनके लिये कौन दोषी है? उक्त आदेश कब तक निरस्त किया जावेगा? (घ) प्रश्नांश (क) श्री जयसिंह नरवरिया, परियोजना अधिकारी (स्वच्छ भारत) का प्रथम नियुक्ति आदेश एवं संविदा अनुबंध की छायाप्रति के साथ जिला मुरैना में नवीन आदेश की छायाप्रति उपलब्ध करावें।
पंचायत मंत्री ( श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया ) : (क) जी हाँ। कार्या. पत्र क्रमांक 10124, दिनांक 06.02.2023 श्री नरवरिया के मानदेय भुगतान के संबंध में एवं आदेश क्रमांक 5464, दिनांक 28.09.2022 जिला पंचायत मुरैना में परियोजना अधिकारी के रिक्त पद के विरूद्ध स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) से प्राप्त अनापत्ति प्रमाण पत्र के तहत पदस्थापना से संबंधित है। (ख) जी हाँ। शासकीय कार्यहित/जनहित से संलग्न किया गया। (ग) जी हाँ। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है।
श्री अजब सिंह कुशवाह (श्री कमलेश जाटव)--सभापति महोदया, मैंने जो प्रश्न पूछा है उसका उत्तर मुझे मिल चुका है. सिर्फ मैं मंत्री महोदय से निवेदन एक करूंगा कि जो अनापत्ति प्रमाण-पत्र है उसकी छाया-प्रति मुझे उपलब्ध हो पायेगी या नहीं?
श्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया--सभापति महोदया, माननीय सदस्य श्री अजब सिंह जी ने प्रश्न उठाया है तो निश्चित रूप से हम उपलब्ध भी करवाएंगे और उसका परीक्षण भी करवा लेंगे. आप निश्चिंत रहियेगा.
श्री अजब सिंह कुशवाह (श्री कमलेश जाटव)--सभापति महोदया,धन्यवाद मंत्री जी.
प्रश्न संख्या-14 (अनुपस्थित)
प्रश्न संख्या-15 (अनुपस्थित)
नियम विरूद्ध पट्टा प्रदाय
[पंचायत और ग्रामीण विकास]
16. ( *क्र. 209 ) श्री प्रागीलाल जाटव : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या ज्ञानी प्रसाद शर्मा जो जनपद पंचायत करैरा में सचिव हैं, उन्हें पद पर रहते हुये शासकीय भूमि का पट्टा दिया गया है? (ख) यदि हाँ, तो किस सक्षम अधिकारी ने किस वर्ष किस दिनांक को पट्टा दिया? उसका सर्वे क्रमांक एवं भूमि सहित जानकारी देवें। यूनिक आई.डी. 1219517736 है, सर्वे क्रमांक 224/155 जो नियम विरूद्ध है? (ग) यह भी बतावें कि शासकीय सेवा में रहते हुए सामान्य वर्ग के व्यक्ति को शासकीय कृषि योग्य भूमि का पट्टा देने का प्रावधान है, तो तहसील करैरा एवं नरवर में किस-किस शासकीय कर्मचारी को शासकीय भूमि का पट्टा दिया गया है तथा किस नियम के तहत दिया गया है? (घ) क्या ज्ञानी प्रसाद शर्मा को सिरसोद पटवारी हल्के में एक हेक्टेयर का पट्टा दिया गया, जो नियम के विरूद्ध है, तो क्या जिस समय सक्षम अधिकारी ने पट्टा दिया, उनके खिलाफ तथा पट्टा लेने वाले शासकीय कर्मचारी दोनों लोगों के खिलाफ क्या कार्यवाही कब तक की जावेगी, नहीं तो क्यों?
पंचायत मंत्री ( श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया ) : (क) जी हाँ। (ख) श्री वी.वी. चौरसिया, तत्कालीन तहसीलदार करैरा द्वारा दिनांक 16.05.1997 में सर्वे क्रमांक/224/1/रकबा 1.00 हेक्टयर भूमि का पट्टा दिया गया है। (ग) जी नहीं। तहसील कार्यालय में शासकीय कर्मचारी संबंधी पट्टों का कोई भी अभिलेख संधारित नहीं है। (घ) अभिलेख अनुसार 1.00 हेक्यर का पट्टा दिया गया है, विस्तृत जांच कर नियमानुसार कार्यवाही की जावेगी।
श्री प्रागीलाल जाटव--सभापति महोदया, मेरा एक निवेदन है कि (ग) के उत्तर में आपने बताया है शासकीय कर्मचारी को क्या पट्टे देने का प्रावधान है. यदि हैं तो बताएं ?
सभापति महोदया--प्रश्नकाल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त)
11.59 बजे (अध्यक्ष महोदय {श्री गिरीश गौतम}पीठासीन हुए.
11.59 बजे नियम 267-क के अधीन विषय
अध्यक्ष महोदय--
12:00 बजे शून्यकाल में मौखिक उल्लेख
श्री बाला बच्चन(राजपुर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने प्रश्नकाल के दौरान भी यह बात उठाई थी कि फिर सागोर कुटी में एक आदिवासी युवती के साथ घटना हुई है, कुकृत्य हुआ है और रेप और गैंगरेप जैसी घटना हुई है और ये घटनाएं मध्यप्रदेश में रुक नहीं रहीं है. हमारा ये सरकार के ऊपर आरोप है कि सरकार उनको सुरक्षित करें, इसमें उच्च स्तरीय जांच हो और जो दोषी हैं, जिन्होंने जो मृत लड़की को उठाकर अस्पताल में ले जाकर छोड़कर भाग आए, ऐसा बताया जा रहा है, परिजनों का कहना है कि उसके साथ मारना-पीटना और खेत में काम कराते थे, और मृत स्थिति में अस्पताल में उसको ले गए, लड़की को किरण कानसिंह नाम की बालिका थी. तो मध्यप्रदेश में लगातार निरंतर आदिवासी युवतियों के साथ में उत्पीड़न की घटना हो रही है, इस पर रोक लगाना चाहिए, इसकी पुनरावृत्ति न हो और इसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए. (..व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - हर्ष यादव जी, को समय दिया है. (..व्यवधान)
एडव्होकेट हर्ष यादव (देवरी) - माननीय अध्यक्ष महोदय, आगर जिले में 10 मिनट लेट होने से बोर्ड परीक्षा से बच्चों को वंचित किया है, उन बच्चों का मात्र एक दोष था कि 10 मिनट लेट हुए. मेरा आपसे निवेदन है, उन बच्चों को, उनको पुन: परीक्षा देने के लिए (..व्यवधान) मौका दिया जाए और ऐसे अधिकारी, कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही किया जाए. (..व्यवधान)
श्री पी.सी. शर्मा - अध्यक्ष महोदय, नगर निगम द्वारा प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना में गंगानगर, कोटरा सुल्तानाबाद में निर्माणाधीन सी1, सी2 एवं सी3 भवनों के एमआईजी ब्लाक्स एवं ईडब्ल्यूएस ब्लाक्स तथा अधोसंरचना कार्य अत्यंत धीमा चल रहा है जबकि इसे 2021 में देना था, इसलिए जून 2023 की नियम समय सीमा में इन आवासों के कब्जे, दुकानों, सहित गुणवत्ता से पूर्ण कर अतिशीघ्र हितग्राहियों को दिए जाएं, वर्तमान में मेरे क्षेत्र में जनता में इसके कारण शासन के प्रति आक्रोश व्याप्त हैं.
अध्यक्ष महोदय - ठीक है.
श्री पी.सी. शर्मा - अध्यक्ष महोदय, भोपाल शहर के भीम नगर क्षेत्र में कुमारी खुशबु पुत्री श्री फुलन आयु लगभग 13 वर्ष द्वारा दिनांक 20 मार्च 2023 को फांसी लगाकर आत्महत्या किया जाना बताया जा रहा है, जबकि इनके परिवारजनों का कहना है कि हमारी बच्ची आत्महत्या कर ही नहीं सकती है, उसकी हत्या की गई है, और पुलिस विभाग द्वारा आत्महत्या करना बताया जा रहा है. अत: इसकी न्यायिक जांच कराई जाकर पीडि़त परिवार को न्याय दिलाने का कष्ट करें.
श्री प्रहलाद लोधी(पवई) - अध्यक्ष महोदय, मेरी विधान सभा पवई अत्यंत पिछड़ी विधानसभा है, यहां पर न तो सिंचाई के पर्याप्त साधन है न ही उच्च शिक्षा हेतु अच्छे संस्थान है. अत: विकासखंड शाहनगर अंतर्गत रैपुरा के पास अधराड़ में नवीन पटपरनाथ बांध का निर्माण, पिपरियाकलां में नवीन जमुनहा नाला बांध का निर्माण, हरदुआ खमरिया के पास नवीन कठई बांध का निर्माण, ग्राम पंचायत सर्रा में नवीन सिंचाई बांध का निर्माण, रैपुरा में नवीन महाविद्यालय की स्थापना, मोहन्द्रा में नवीन महाविद्यालय की स्थापना, पवई एवं शाहनगर में केन्दीय विद्यालय की स्थापना संबंधी कार्य कराए जाने का आग्रह है.
12:01 बजे पत्रों का पटल पर रखा जाना
अध्यक्ष महोदय - पत्रों का पटल पर रखा जाना, श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर जी(..व्यवधान)
श्री पांचीलाल मेड़ा - अध्यक्ष महोदय, हमें न्याय चाहिए.
12:03 बजे गर्भगृह में प्रवेश
इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्गण द्वारा गर्भगृह में प्रवेश किया जाना
(इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा आदिवासी युवती के साथ हुई घटना के संबंध में नारे लगाते हुए गर्भगृह में प्रवेश किया गया)
श्री बाला बच्चन - माननीय अध्यक्ष महोदय, इस घटना से संबंधित हमने ध्यान आकर्षण दिया है(..व्यवधान) आप इसको ले और इस पर चर्चा कराएं, पूरे मध्यप्रदेश में आदिवासी युवती के साथ मध्यप्रदेश में अत्याचार, अन्याय, अपराध और कुकृत्य बढ़ता जा रहा है. आप हमारे इस ध्यानाकर्षण को लें, सागर कुटी में फिर एक घटना 18 तारीख को शाम को 4 बजे हुई है. आप हमारे ध्यानाकर्षण को लें(..व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - अपनी सीट पर बैठ जाइए. (..व्यवधान)
श्री बाला बच्चन - आप हमारे ध्यानाकर्षण को ले, हमारे ध्यानाकर्षण पर आप चर्चा कराएं. इस प्रकार की पुनरावृत्तियां प्रदेश में नहीं हो, कोई किसी भी समाज की युवतियों के साथ में, महिलाओं के साथ में, बालिकाओं के साथ में इस तरह की घटनाएं न हो. (..व्यवधान) विधान सभा में हमने ध्यानाकर्षण दिया है.
अध्यक्ष महोदय - अपनी सीट पर बैठ जाइए. (..व्यवधान)
संसदीय कार्यमंत्री(डॉ. नरोत्तम मिश्र) - अध्यक्ष जी, पूछ लें सदन चलाना है कि नहीं चलाना है, कार्यवाही को आगे बढ़ाये, राजनीतिक उपयोग न करें, बजट पास करवाइए और, इस तरह से नहीं चलाना चाहते हैं तो. (..व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - अपनी सीट पर बैठ जाइए. (..व्यवधान) आपके पक्ष का ही ध्यानाकर्षण आया है. कुछ तो सुनो. (..व्यवधान)
श्री बाला बच्चन - हम सब विधायकों ने ध्यानाकर्षण दिया है. लगातार घटना होती जी रही है, सागर कुटी पीथमपुर में जो घटना हुई है, (..व्यवधान) आप हमारे ध्यानाकर्षण को लें, अब जाम घाट में, घटना हुई, महू में घटना हुई (..व्यवधान)
12:04 बजे बहिर्गमन
इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा सदन से बहिर्गमन
(इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा, उनके द्वारा दिए गए ध्यानाकर्षण को नहीं लिए जाने के विरेाध में नारे लगाते हुए सदन से बहिर्गमन किया गया)
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ - (..व्यवधान) अध्यक्ष महोदय, अनुसूचित जाति जनजाति के ऊपर (..व्यवधान) इस प्रदेश में हत्याएं हो रही हैं. 20-22 साल की लड़की के ऊपर अत्याचार होकर उसका भी मर्डर कर दिया गया.
अध्यक्ष महोदय - श्री के. पी. सिंह कक्काजू. माननीय नेता प्रतिपक्ष जी, पूरे सदस्य बहिगर्मन कर रहे हैं कि कुछ सदस्य बहिगर्मन कर रहे हैं.
नेता प्रतिपक्ष (डॉ. गोविन्द सिंह) - नहीं, यह बहिगर्मन नहीं है. अपने आप गए हैं, जिनको जाना था, वे लोग गए. प्रेस गए हैं.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) - अध्यक्ष महोदय, डॉ. गोविन्द सिंह जी विराजें.
अध्यक्ष महोदय - नेता प्रतिपक्ष जी को सच बोलने के लिए बधाई तो दें, धन्यवाद करें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, वह हमेशा से सच बोलते हैं. लेकिन ऐसी निरीह स्थिति में कांग्रेसियों ने ला दिया है हमारे नेता प्रतिपक्ष को. सज्जन भाई और वह, यह षड्यंत्रपूर्वक नेता प्रतिपक्ष को नहीं बोलने देते. नेता प्रतिपक्ष पर जान-बूझकर हावी हैं. नेता प्रतिपक्ष हमेशा सही बोलते हैं माननीय अध्यक्ष जी, इसलिए धन्यवाद दे रहा हूँ.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - अध्यक्ष जी, इन लोगों की मिली-जुली कुश्ती पूरा जमाना देख रहा है, मिली-जुली कुश्ती दोनों लड़ रहे हैं. हम पर इल्जाम बेवफाई है, याद रखना.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - अध्यक्ष जी, यह ऐच्छिक बहिगर्मन है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - यह हम पर लगा रहे हो कि उन पर लगा रहे हो. हम तो हां कर रहे हैं. हम तो मान रहे हैं. भाई, आप किस पर आरोप लगा रहे हो, हर बार नेता प्रतिपक्ष जी पर आरोप लगाकर आप उनको बदनाम कर रहे हो न सज्जन भाई, यह पूरा मध्यप्रदेश देख रहा है. (...व्यवधान..)
चिकित्सा शिक्षा मंत्री (श्री विश्वास सारंग) - अध्यक्ष महोदय, आप एक अच्छे व्यक्ति को घेरकर मार रहे हो.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - आप जो इस तरह से कर रहे हो न. वह बिल्कुल गलत कर रहे हो.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - डॉक्टर साहब, मेरे बड़े भाई हैं. उन्होंने कहा है कि आप पीठ करो, इसलिए हमें यह करना पड़ रहा है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - यह कमलनाथ जी का षड्यंत्र है, उनको अकेले करने का. ऐसे ही आपने घेरे में लेकर जितु पटवारी को कर दिया, ऐसे ही इनको कर दिया. यही आपने जितु के साथ किया था. यही डॉ. गोविन्द सिंह जी के साथ कर रहे हो. .. (..व्यवधान..) यह गलत है.
श्री रामलाल मालवीय - माननीय मंत्री जी, यहां पर बैठे हुए हैं. 1,500 रुपये और 1,600 रुपये में उज्जैन में गेहूँ बिक रहा है. मण्डी 4 घण्टे बंद रही, मेरा निवेदन है कि मंत्री जी इसमें व्यवस्था दें.
लोक निर्माण मंत्री (श्री गोपाल भार्गव) - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह विपक्ष देखकर, मैं प्रभु से प्रार्थना करता हूँ कि हमें जन्म-जन्म में, हर जन्म में ऐसा ही विपक्ष मिले. (मेजों की थपथपाहट)
डॉ. नरोत्तम मिश्र - नेता प्रतिपक्ष, मेरा बड़ा भाई डॉ. गोविन्द सिंह ही होना चाहिए.
श्री विश्वास सारंग - हमारी सद्भावना है.
12.07 बजे ध्यान आकर्षण
(सदन द्वारा सहमति व्यक्त की गई)
अध्यक्ष महोदय - श्री के. पी. सिंह कक्काजू. आप अपनी ध्यान आकर्षण की सूचना पढि़ये.
(1) शिवपुरी केन्द्रीय सहकारी बैंक में अनियमितता किया जाना.
श्री के. पी. सिंह कक्काजू (पिछोर) - अध्यक्ष महोदय,
सहकारिता एवं लोक सेवा प्रबंधन मंत्री(डॉ.अरविंद सिंह भदौरिया)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री के.पी.सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने जवाब दिया है कि ऐसा कुछ नहीं हो रहा है, जो कुछ मैंने बोला है. इधर मंत्री जी कह रहे हैं कि तमाम इन्होंने लिस्ट गिना दी है कि इनके खिलाफ कार्यवाही हुई है और इन्हीं की एक जांच रिपोर्ट है, जिसकी मेरे पास कॉपी है और शायद मंत्री जी ने भी उसका जिक्र किया है, जिसमें जांच प्रतिवेदन के अनुसार बैंक द्वारा कुल मांग राशि 184 करोड़ रूपये बताई गई है, जबकि सी.वी.एस. सिस्टम के आधार पर कुल मांग राशि 287 करोड़ रूपये पाई गई है. इस प्रकार से सौ करोड़ रूपये से अधिक का अंतर पाया गया है, अब जितनी इनने कार्यवाहियां की हैं, तो यह क्यों की गईं? क्या बतायेंगे कि वास्तव में यह गबन कितने का हुआ है, आम खाता धारक को इससे क्या मतलब कि कितने लोगों के खिलाफ आपने कार्यवाही की है, उसका पैसा उसको नहीं मिल रहा है, परेशानी यह है. मंत्री जी आप सरकार गिराने वाले और सरकार बनाने वालों में भी आपका नाम है. अब इसके बाद भी इस तरह की असमर्थता की बात आप कर रहे हैं और यहां असत्य बोलें कि लाख लाख रूपये दिये जा रहे हैं. आप अभी शिवपुरी जिले के किसी भी गांव में फोन लगा लो.
श्री वीरेन्द्र रघुवंशी(कोलारस) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, कोलारस का भी मामला है. मैं अनुमति चाहूंगा कि इसमें मैं भी बोलूं.
अध्यक्ष महोदय -- आप बैठ जायें.
श्री के.पी.सिंह -- हां, वीरेन्द्र बोलना, यह आपकी ही पार्टी के एम.एल.ए. हैं, इनसे ही पूछ लो, हमारी बात तो हो सकता है.
श्री वीरेन्द्र रघुवंशी -- अध्यक्ष महोदय, किसानों की हालत बहुत खराब है, एक-एक हजार रूपये भीख मांग रहे हैं, किसानों को बहुत तकलीफ है.
अध्यक्ष महोदय -- आप बैठ जायें.
श्री के.पी.सिंह -- अब तो माननीय मंत्री जी आप समझ गये होंगे कि हालत क्या है? इधर एक रवैया और हो गया है कि जिसको पैसा ज्यादा चाहिये, उसको कुछ न कुछ लेन देन करना पड़ता है, कुल मिलाकर मेरे कहने का मतलब यह है कि एक तो मंत्री यह बता दें कि इसमें घपला हुआ कितना है? क्या आपके पास कुछ जांच में है? क्योंकि जांच आपकी बहुत पहले हो चुकी है,13 सदस्यीय कमेटी ने जांच की है, तो कुल मिलाकर राशि गायब कितनी हुई है? पहले तो यह बता दो.
डॉ. अरविन्द सिंह भदौरिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह विषय एक्चुअली जो है न 2008 से चल रहा था, बीच में भाजपा की सरकार भी रही, 15 महीने कांग्रेस पार्टी की सरकार रही. जब हमारे संज्ञान में कहीं से विषय आया, जब मैं मंत्री बना तो मैंने इसकी सख्त कार्यवाही कराई. टोटल मिलाकर देखा गया तो इसमें 80 करोड़ 56 लाख रूपये का गबन, लगभग 100 से अधिक कर्मचारी थे. मैंने जो कार्यवाहियां कीं, तत्कालीन अकेले पर नहीं कीं, वर्ष 2008 में जो जिला बैंक का हेड रहता है सीईओ, एक नहीं उस समय से जितने सीईओ थे, मैंने कहा नीचे के कर्मचारी की गलती में आपको नहीं बख्सा जा सकता है, ऐसे 4 सीईओ के खिलाफ 420 के तहत कार्यवाहियां करवाई और उनको जेल में डाला. ऐसे 126 लोगों के खिलाफ लगभग एफआईआर करवाई है और जेल में अंदर गये हैं, कोई छोड़ा नहीं गया है और आगे भी जो भी कोई ध्यान आयेगा उन पर कार्यवाहियां करायेंगे, एक विषय टोटल मिलाकर इतना हुआ.
दूसरा विषय विधायक महोदय जो आप कह रहे हैं, बहुत सीनियर आदमी हैं, मेरे बड़े भाई हैं इनसे कई चीजें मैं सीखता रहता हूं, बड़े विद्वान व्यक्ति हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- ज्यादा मत सीखना.
डॉ. अरविन्द सिंह भदौरिया-- नहीं ज्यादा नहीं सीखेंगे, उतना-उतना ही लेंगे जितनी जरूरत है. माननीय अध्यक्ष महोदय, ऐसे 50 अमानतदारों को 50 लाख की राशि जिनको शादी में आवश्यकता है या अन्य जरूरतों में आवश्यकता है, ऐसे 50 हजार से 1 लाख के मध्य दिया गया, ऐसे 50 अमानतदारों को वह भी राशि हमने प्रदान की है. बैंक की स्थिति में 2137 अमानतदारों को 4 माह में 215 लाख रूपये का भुगतान किया गया, जिसमें 1 हजार रूपये से लेकर 10 हजार रूपये तक के भी अमानतदार थे. जिसको भी आवश्यकता है, विधायक महोदय जो कह रहे हैं...
श्री के.पी. सिंह-- अध्यक्ष महोदय, यह खुद ही स्वीकार कर रहे हैं कि 80 करोड़ रूपये का गबन है. अब आम खातेदारों को इससे क्या लेना देना कि कितनी आपने कार्यवाही की, किसको आपने जेल में बंद किया, बात तो यह है कि उसके खाते में जो पैसा है और आप अभी जो जवाब दे रहे हो उसमें आप खुद ही कह रहे हो कि 50 खातेदारों को 50 लाख दिया और खुद कह रहे हो कि 1 लाख से ऊपर हमारे खाताधारक हैं. एक लाख लोगों में से 50 लाख लोगों को आप सिर्फ 1-1 लाख रूपये दे दिये, बाकी जो 1 लाख खाते धारक हैं उनका क्या हो, समस्या यह है. मैं कोई राजनीति के लिये यह बात नहीं कर रहा हूं और मैं लगभग मुख्य सचिव आपके संज्ञान में भी बात डाल चुका और माननीय मुख्यमंत्री जी को चिट्ठी लिख चुका, प्रभारी मंत्री जी को भी मैंने अवगत कराया. मैंने अपर मुख्य सचिव से भी बात की, उनका कहना यह था कि जब तक सरकार इसमें 80 करोड़ का जो गबन हुआ है उसमें प्रतिपूर्ति नहीं करेगी तब तक खातेदारों को पैसे नहीं दिये जा सकते. अब जब आपके अधिकारी ही इस बात को कह रहे हैं और उनका कहना यह है कि हमने यह संज्ञान में माननीय मुख्यमंत्री जी के भी लाया, अब सरकार पैसा देगी नहीं, गारंटी किसकी होती है बैंक किसकी होती है, सरकार की और खातेधारक सरकार पर भरोसा करता है तो क्या आपकी जवाबदारी नहीं बनती कि इसकी प्रतिपूर्ति करें और आप बाद में वसूली करें या गबन वालों के खिलाफ जो भी कार्यवाही करें उससे तो उनको कुछ हासिल होना नहीं है, हासिल तो तब होगा जब 80 करोड़ रूपये का गबन हुआ है वह 80 करोड़ रूपये आप बैंक को दे दें, अपेक्स बैंक से भी दिला सकते हैं, राज्य सरकार भी दे सकती है, जब तक यह पैसा नहीं दिया जायेगा तब तक खाताधारक ऐसे ही लुटते रहेंगे और माननीय विधायक बीरेन्द्र रघुवंशी भुगत रहे हैं, पूरा जिला भुगत रहा है.
श्री बीरेन्द्र रघुवंशी-- अध्यक्ष जी, मुझे इसमें अनुमति चाहिये, कोलारस का भी मामला है. पूरे सदन में मैंने एक मिनट भी नहीं लिया.
अध्यक्ष महोदय-- यह गलत तरीका है, आप बैठ जाइये. पहले उनका पूरा होने दीजिये. पहले मूल प्रश्नकर्ता का आप पूरा होने दीजिये, आप बैठ जाइये. यह गलत है.
श्री बीरेन्द्र रघुवंशी-- मेरा आपसे हाथ जोड़कर निवेदन है, आपको मुझे सुनना पड़ेगा. मैंने पूरे सत्र के अंदर एक मिनट भी व्यर्थ नहीं किया. (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- यह नहीं लिखा जायेगा. काहे की ठेस लगी है, आपको इस तरह एलाऊ थोड़ी करेंगे, बिना अनुमति के बोलोगे ऐसे थोड़ी चलेगा भाई ...(व्यवधान)... विधान सभा नियम प्रक्रिया से चलती है.
श्री बीरेन्द्र रघुवंशी-- मेरे विधान सभा में हजारों किसानों की लाइन लगी है, रोज पैसा मांग रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाईये. यह कोई बात नहीं हुई. बोलने दीजिये उनको.
श्री बीरेन्द्र रघुवंशी - मैंने माननीय मंत्री जी को भी निवेदन किया है माननीय मुख्यमंत्री जी को भी निवेदन किया है. कोई सुनने को तैयार नहीं. किसानों को हम जवाब नहीं दे पा रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - आप पहले मूल प्रश्नकर्ता का हो जाने दीजिये.
श्री राकेश मावई - कोई नहीं सुन रहा तो अपने घर वापस आ जाओ क्यों चिंता कर रहे हो.
अध्यक्ष महोदय - आप बैठें.
श्री के.पी.सिंह - अध्यक्ष महोदय, मेरा माननीय मंत्री जी से सिर्फ इतना आग्रह है कि इस संबंध में राज्य सरकार से, अपेक्स बैंक से भी चर्चा हुई. क्या उनसे आप बैंक की प्रतिपूर्ति करा सकते हैं. जब तक आप इसकी प्रतिपूर्ति नहीं करेंगे तब तक खाते धारक परेशान होते रहेंगे. आपने एक लाख में से 50 बताए हैं. एक लाख लोगों में से 50 लोगों को अगर आपने 1-1 लाख रुपये दे दिये तो क्या सारे जिले का भला हो गया. तो इस संबंध में आप क्या व्यवस्था करने वाले हैं यह कृपया मंत्री जी बता दें.
श्री अरविन्द सिंह भदौरिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक महोदय कह रहे हैं तो 1 लाख लोग कोई राशि बैंक में मांगने वहीं आए. आपके इन कथनों से थोड़ी अव्यवस्था फैलेगी क्योंकि अगर ऐसा होता तो 3 करोड़ 39 लाख लोगों ने हमारे यहां पर पैसा जमा किया अभी. राशि मांग के अनुसार दी जा रही है. जो खातेदार राशि मांगेंगे उनकी हम 100 प्रतिशत व्यवस्था करेंगे.
श्री के.पी.सिंह - अध्यक्ष महोदय, आखिरी बात मैं कहना चाह रहा हूं. यह व्यवस्था कब तक कर देंगे. इसका कोई समय निर्धारित करेंगे मंत्री जी ? जो किसान या खातेधारक परेशान हो रहे हैं आपको जो भी जानकारी हो उन्हें नहीं पता लेकिन पिछली गेहूं खरीदी तक का पैसा किसान को नहीं मिल पा रहा है. शादियों के कार्ड लेकर हम लोगों के पास आते हैं और हम लोगों को बार-बार बैंक मैनेजर को कहना पड़ता है कि इनको पैसे दे दो वे कहते हैं कि आज दो लाख रुपये ही आया किस-किस को बांट दें. पूरी लाईन लगाए रहते हैं. उसकी क्या व्यवस्था करेंगे और खातेधारकों को कितने दिन में पैसा लौटाने की व्यवस्था हो जायेगी. यह जो आंकड़ा आपका आया है यह मैं नहीं समझता कि सही हो सकता. लोग अब केन्द्रीय सहकारी बैंक में पैसा जमा करने से कतरा रहे हैं. हो सकता है आपका आंकड़ा सही हो. मैं जवाब नहीं चाहता मैं तो व्यवस्था चाहता हूं माननीय मंत्री जी कि इस संबंध में आप व्यवस्था क्या करेंगे और कब तक कर देंगे ?
श्री अरविन्द सिंह भदौरिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, बैंक का अल्पकालीन ऋण जो है हमारे पास. 311 करोड़ रुपये हमको लेना है.
श्री के.पी.सिंह - अध्यक्ष महोदय, इसकी व्याख्या हमें नहीं सुनना. आपका बैंक बहुत पैसे वाला है. सब कुछ है. हमने मान लिया. आपको कोई नुकसान नहीं है. कुछ नहीं है. आप खुद ही गबन स्वीकार कर रहे हैं. मेरा तो इतना कहना है कि जो खातेधारक वहां लाईन लगाकर जा रहे हैं. बाजार से उनको कर्ज तक लेना पड़ रहा है जबकि उसका पैसा बैंक में है उनके लिये क्या व्यवस्था आप करेंगे और कितने समय में कर देंगे. इतना बता दें.
श्री अरविन्द सिंह भदौरिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह जो माननीय विधायक महोदय बता रहे हैं. हमें अभी 311 करोड़ रुपये वसूली के लेना है. टोटल मिलाकर हमारे पास 58 करोड़ रुपये की पूंजी आलरेडी है तो जो आते जा रहे हैं हम उनको देते जा रहे हैं. एक व्यवस्था जो उसमें हमारी है. हमारी बातचीत औपचारिक और अनौपचारिक रूप से हुई है. इस विषय में हम शीघ्र ही चर्चा करके किसी भी किसान को किसी प्रकार की दिक्कत न हो उसकी व्यवस्था को हम जमाएंगे. आप निश्चिंत होकर रहिये और मैं आपको बता भी दूंगा. मेरी आपसे व्यक्तिगत रूप से चर्चा हुई है. माननीय विधायक महोदय ने मुझे अलग से भी दो-तीन बार बताया है. उसकी चिंता हम जल्दी करेंगे.
श्री बीरेन्द्र रघुवंशी(कोलारस) - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह मामला दो साल से चल रहा है. मेरे कोलारस विधान सभा क्षेत्र में भी यह मामला 2008 से चल रहा है. यह सही है. बैंक की कार्य प्रणाली पर प्रश्न चिन्ह लगता है. इसमें भी सुधार की आवश्यकता है. माननीय विधायक के.पी.सिंह जी ने जो प्रश्न उठाया है मैं उससे सहमत हूं क्योंकि दो साल से मैं स्वयं भी इतना पीड़ित हूं. माननीय मंत्री जी को भी कई बार कहा. पूर्व में मैंने विधान सभा प्रश्न भी लगाया. जानकारियां भी आईं.84 करोड़ रुपये का घोटाला प्रमाणित हुआ. लोगों को जेल भेज दिया गया. अंत में मैं सिर्फ इतना निवेदन कर रहा हूं कि एक-एक गांव,एक-एक गली में जब हम जाते हैं तो वास्तव में यह हकीकत है कि एक हजार और दो हजार दिये जा रहे हैं, जिसके 10 लाख जमा हैं उसको. क्या हम जवाब दें, कोई जवाब हमारे पास नहीं है. मैं प्रमुख सचिव, सहकारिता से मिला, अपेक्स बैंक में अल्पकालीन ऋण के लिये मैंने प्रयास किया.लेकिन हमारा अंत में मंत्री जी से निवेदन यह है कि आप समय सीमा तय कर दें. जिन हितग्राहियों का पैसा जमा है, किसानों का, उनको मिलना शुरु हो जाये. हम आरोप प्रत्यारोप नहीं चाहते. पीड़ा जरुरत से ज्यादा है. यह प्रश्न मुझे लगाना चाहिये था, लेकिन मैं लगातार दो साल प्रयास करते करते निराश हो गया. मैं के.पी. सिंह जी को धन्यवाद दूंगा कि इस विषय को आप संज्ञान में लाये.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न तो आपने कुछ किया नहीं. ठीक है.
श्री बीरेन्द्र रघुवंशी-- अध्यक्ष जी, मेरा प्रश्न यही है कि उन किसानों का, जिनका जमा है पैसा, वह कब से मिलना शुरु हो जायेगा. तारीख निश्चित कर दें.
अध्यक्ष महोदय-- वह तो उत्तर आ गया, बता दिया उन्होंने.
श्री बीरेन्द्र रघुवंशी-- अध्यक्ष जी, मुझे नहीं सुनाई दिया है कि कब से पैसा मिलेगा.
अध्यक्ष महोदय--शीघ्र करेंगे.
श्री बीरेन्द्र रघुवंशी-- अध्यक्ष जी, क्योंकि बिना सरकार की मदद के बैंक हाथ खड़े कर चुकी. अपेक्स बैंक ने हाथ खड़े कर दिये. सभी का कहना है कि सरकार या तो इनको ऋण दे दे बैंक को या अनुदान के रुप में दे या उधार के रुप में दे. उसके अलावा कोई चारा नहीं है. दो साल में मैं मेहनत करके निराश बैठ हूं. किसान बहुत परेशान है.
श्री अरविन्द सिंह भदौरिया-- माननीय विधायक महोदय, बीरेन्द्र रघुवंशी जी, क्या है कि कुछ रुल्स रेगुलेशंस होते हैं. मतलब कार्यवाहियां हुईं, आज तक के इतिहास में कभी बैंकिंग सिस्टम में इतनी बड़ी कार्यवाहियां नहीं की हैं. आपको जानकारी है सब चीजों में.
श्री बीरेन्द्र रघुवंशी-- अध्यक्ष जी, मैं कार्यवाही के लिये धन्यवाद देता हूं.
श्री अरविन्द सिंह भदौरिया-- कृपया आप बैठिये, सुनिये मेरी बात को. दूसरा क्या है कि आरबीआई के तहत यह सब बैंकें रन करती हैं. अपेक्स एक इंडिपेंडेंट बॉडी है, सीसीबी एक इंडिपेंडेंट बॉडी है और हम सब पेक्स के उसमें नीचे तक काम करते हैं. तो अपेक्स से मैंने बातचीत की है, मैं अभी अधिकारियों के साथ में बैठा कि हम अपेक्स से करीब 50 करोड़ रुपये लेकर और इधर दे सकते हैं. माननीय विधायक महोदय, लेकिन क्या होता है कि आरबीआई के नियम के अनुसार अपेक्स इस प्रकार का ऋण सीसीबी को नहीं दे सकती है. लेकिन अभी मध्यप्रदेश के बजट में इस प्रकार के उसमें 1 हजार करोड़ रुपये मुख्यमंत्री जी, श्री शिवराज सिंह चौहान साहब ने इस बजट में हमको दिये हैं. तो उसमें हम लोग एक बार उच्च अधिकारियों से चर्चा करके जो विधि सम्मत होगा, उस पर हण्ड्रेड परसेंट विचार करेंगे.
श्री बीरेन्द्र रघुवंशी-- अध्यक्ष जी, विचार नहीं, मेरा मंत्री जी से हाथ जोड़कर निवेदन है, इसका हल निकाल दें. यह चुनावी वर्ष है, कल किसानों के घर हमको जाना है, जवाब देने के लिये नहीं है हमारे पास.
नेता प्रतिपक्ष (डॉ. गोविन्द सिंह)-- अध्यक्ष जी, मैं मंत्री जी का ध्यान दिलाना चाहता हूं कि भिण्ड जिले में भी बाजरा, मूंग, उड़द का कुछ पैसा बकाया है. तो आपसे अनुरोध है कि कृपया वह पैसा, जो किसानों की मांग है, वह बहुत ज्यादा मात्रा में नहीं है, उसका भुगतान करा दें. दूसरा, अब आपकी खरीदी होना चालू है. खरीदी अतिशीघ्र होना है. हो क्या रहा है कि किसान खरीदी में न बेचकर कारण क्या है कि कुछ ऋण है बकाया. तो जो खरीदी की जमा करते हैं, वह पूरी राशि बैंक काट लेती है. तो फिर लोग मंडियों में जा रहे हैं. 100,200,300 रुपये कम भाव में बेच रहे हैं. तो आप वसूली की प्रक्रिया चलायें, लेकिन जो खरीदी वाली राशि से वसूली काटने की जो प्रथा अभी चालू की है, वह कृपया बंद करें.
अध्यक्ष महोदय-- ध्यानाकर्षण सूचना क्र.2, डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय.
12.29 बजे (2) जावरा नगर में रेलवे फ्लाई ओवर ब्रिज का कार्य अपूर्ण होना.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय (जावरा)-- अध्यक्ष महोदय,
लोक निर्माण मंत्री (श्री गोपाल भार्गव)- अध्यक्ष महोदय,
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय - अध्यक्ष महोदय, मैं इस अपूर्णता से सहमत हूं. लेकिन यह अपूर्णता इतनी बड़ी कठिनाई का कारण बन गई है. निश्चित रूप से वहां पर अत्यंत पीड़ादायक और दुखद स्थिति है. आप कल्पना करिए फ्लाई ओवर ब्रिज इस तरह से बना है. मैं सहमत हूं एक तरफ की साईड रोड चालू है, लेकिन वह लगी हुई जो भूमि है , वह आज से नहीं विगत 25-35 वर्षों से विवादित स्थल है. नवाबी कार्यकाल में उस भूमि को लीज पर दिया गया था. लीज भूमि होकर लीज कार्य समाप्त होने पर वह बकायादार बैंक के हो गये. वे सेल्स टैक्स के बकायादार हो गये, वहीं गड़बड़ प्रारंभ हुई, इसलिए आपका ध्यान आकृष्ट करूंगा, बस दो मिनट का समय लूंगा.
अध्यक्ष महोदय, वहीं से गड़बड़ प्रारंभ हुई, उस लीज भूमि को भी बकाया वसूली के लिए सेल्स टैक्स विभाग ने और बैंक के अधिकारियों ने कतिपय भू-माफियाओं से मिली-भगत करते हुए उस भूमि को भी विक्रय कर दिया. इस बात की लगातार मैंने कार्यवाही की. मैं वर्ष 1996 से इस कार्य में लगा हुआ हूं. यह ब्रिज तो अभी वर्ष 2016 में माननीय मुख्यमंत्री जी और माननीय मंत्री जी ने आशीर्वाद प्रदान करते हुए एक जटिल समस्या के निराकरण के लिए वहां पर स्वीकृति दी. लेकिन इस भूमि के लिए हम लगातार लड़ाई भी लड़ रहे हैं क्योंकि यह एक मुख्यालय का मुख्य स्थान चौपाटी, हमारे बस स्टेण्ड के विस्तारीकरण के लिए अत्यंत आवश्यक भी है, आवागमन का मुख्य मार्ग है.
अध्यक्ष महोदय, रेलवे फाटक शहर को दो भागों में विभक्त करता है. अब चूंकि एक ओर दीवार होने से वह कार्य नहीं हो रहा है. यह कि यह जवाब मुझे माननीय मंत्री जी के द्वारा दिनांक 11.3.2022 को भी एक वर्ष पूर्व दिया गया. जहां तक न्यायालय की बात है उसने सिर्फ एप्लीकेशन लगाई है, हाईकोर्ट की दोनों कापी मेरे पास में है, उसने सिर्फ एप्लीकेशन लगाई है, वह स्वामित्व के बारे में नहीं है. कार्य को रोके जाने के लिए, कार्य को बाधित के लिए है. मेरा आग्रह आपके माध्यम से यह है कि चूंकि उसका स्वामित्व का निर्धारण ही न्यायालय विगत कई वर्षों से नहीं कर पाया. मुआवजा राशि भी माननीय मंत्री जी ने प्रदान कर रखी है. मुआवजा राशि जिला प्रशासन और विभाग के पास में उपलब्ध है तो क्यों न कंडिशनल कि जिसका भी स्वामित्व न्यायालय के द्वारा सिद्ध पाया जाएगा, उसको स्वामित्व प्राप्त होने पर वह मुआवजा राशि दी जा सकेगी, ऐसा कंडिशनल कार्यवाही करते हुए अर्ली हियरिंग वहां पर करवा लें क्योंकि यह वर्ष 2000 का है इसलिये चिंता हुई. यह हाईकोर्ट में लगाया था मई 2000 में और उसके बाद अक्टूबर 2000 में, तब से लेकर अब तक ..
अध्यक्ष महोदय – नहीं, हो गया. बहुत हो गया. हमको 6 ध्यानाकर्षण लेना है.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय – मेरा आग्रह यह है कि क्या अर्ली हियरिंग के लिये विभाग के द्वारा सक्षम अधिकारी वहां पर कार्यवाही में सम्मिलित होंगे ? वहां से हमारे प्रशासनिक अधिकारी एसडीएम जाते हैं. विभाग के द्वारा वहां पर कोई कार्यवाही नहीं होती और चूंकि विधि मंत्री जी भी यहां हैं, तो कम से कम सरकारी वकील को तो यह सूचित करें, क्योंकि वहां पर न्यूसेंस क्रियेट हो रहा है. वह दीवार भी जर्जर हो गई है.
अध्यक्ष महोदय – हो गया. आ गया ना. अब लंबे-चौड़े भाषण की आवश्यकता नहीं है.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय – अध्यक्ष महोदय, मैं भाषण नहीं दे रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय – नहीं. लंबा बता रहे हैं. आपको केवल वह विकल्प बताना है.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय – अध्यक्ष महोदय, उस दीवार को डिस्मेंटल कर दें जिससे न्यूसेंस ना हो.
अध्यक्ष महोदय – माननीय मंत्री जी ने अपने जवाब में हाईकोर्ट का स्टे कहा है और आप कह रहे हैं कि कोई स्टे नहीं है.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय – अध्यक्ष महोदय, स्टे जिन्दगी भर थोड़े ही रहेगा. स्टे नहीं है, एप्लीकेशन है.
अध्यक्ष महोदय – जवाब में आया है ना भैया. माननीय मंत्री जी के जवाब में है.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय – जवाब में नहीं है. स्टे नहीं है वह, उसको स्टे माना जा रहा है.
श्री गोपाल भार्गव – अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य की पीड़ा स्वाभाविक है.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय – हकीकत है. बहुत पीड़ा है.
श्री गोपाल भार्गव – अध्यक्ष महोदय, स्वीकृति वर्ष 2018 में हुई थी. अभी तक कार्य पूर्ण नहीं हुआ है. आज मुझे पूरे विषय की जानकारी हुई. मैंने आज जानकारी ली. जो मामला उच्च न्यायालय में है, आज ही शाम तक मैं महाधिवक्ता जी से चर्चा करके मैं प्रयास करूंगा कि जल्दी से जल्दी इसमें अर्ली हियरिंग हो जाए और इसके बाद में जल्दी से जल्दी कोई डिसीजन हो जाए और नहीं हो, तो फिर प्रशासनिक स्तर पर जो भी संभव होगा हम बेहतर से बेहतर काम उस दीवार को गिराने का या जो भी उचित होगा, हम उसके लिये कार्यवाही करेंगे.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय – अध्यक्ष महोदय, बहुत-बहुत धन्यवाद. मैं माननीय मंत्री जी के जवाब से संतुष्ट हूं. आपके माध्यम से मैं माननीय मंत्री जी को बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया – अध्यक्ष महोदय,
राज्यमंत्री, नगरीय विकास एवं आवास (श्री ओ.पी. एस. भदौरिया) – अध्यक्ष महोदय,
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, कुत्तों के काटने की घटनाओं को सुप्रीम कोर्ट ने गंभीरता से लिया है. न्यायमूर्ति संजीव खान तथा न्यायमूर्ति जे.के. माहेश्वरी ने टिप्पणी कर कहा है कि लोगों की सुरक्षा और पशुओं के अधिकार के बीच संतुलन बनाए रखना होगा. जब देश के सबसे बड़े न्याय के मंदिर सुप्रीम कोर्ट में विषय की गंभीरता पर चर्चा हो सकती है तो मध्यप्रदेश के इस सबसे बड़े लोकतंत्र के मंदिर में आपके मार्गदर्शन में और आपके द्वारा जो मेरा ध्यानाकर्षण स्वीकृत किया गया है, उसके लिए चर्चा जरूरी बनती है.
अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में सरकारी और निजी अस्पतालों में रोज लगने वाले कुत्ते काटने के जो इंजेक्शन हैं, एंटी रेबीज, उनसे पता लगाया जा सकता है कि कितने लोगों को और कितने बच्चों को इंजेक्शन लग रहे हैं, उसी से संख्या आ जाएगी.
अध्यक्ष महोदय, यह भी सही है कि एक तरफ मानव अधिकार हैं तो दूसरी तरफ पशु अधिकार भी हैं और उसको लेकर के पशु प्रेमी संस्थाएं, जो एनजीओ वगैरह होते हैं, वह बीच में आ जाते हैं और पशु प्रेमियों का कहीं न कहीं तर्क सामने आ जाता है.
अध्यक्ष महोदय, हालात यह हो गए हैं कि समाचार-पत्रों में, सीसीटीवी फुटेजों में और वायरल वीडियोज में जिस प्रकार की रोज घटनाएं हो रही हैं, वह सर्वविदित है.
अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में मानवाधिकार आयोग ने भी कुत्तों के काटने की बढ़ती घटनाओं पर चिंता जताई है और सरकार से आवश्यक जरूरी कदम उठाने को लेकर के 11 अनुशंसाएं सरकार को प्रस्तुत की हैं. यहां तक कि आयोग ने कुत्ते काटने पर मृतक को 2 लाख रुपये तथा घायल को 10 हजार रुपये से 1 लाख रुपये तक की राशि बतौर क्षतिपूर्ति देने के लिए निर्देश दिए हैं. आयोग ने इस मुद्दे पर सरकार से तीन माह के भीतर रिपोर्ट देने को भी कहा है. मानवाधिकार आयोग भी गंभीर है.
अध्यक्ष महोदय, भोपाल के जे.पी. अस्पताल में प्रतिदिन मेरी जानकारी के अनुसार 30 से 40 नए मामले आ रहे हैं. हमीदिया अस्पताल में और अन्य निजी अस्पतालों में भी कई मामले आ रहे हैं...
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न करें.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी को सुझाव है और मैं उनसे आग्रह करूंगा कि विषय जब ध्यान आकर्षण के रूप में ग्राह्य हुआ है तो हम कुछ नतीजे पर पहुँचें क्योंकि पालकों में, बालकों में, अभिभावकों में बगीचे तक जाना हो तो डर रहता है. स्कूल तक जाना हो तो डर रहता है. सड़क क्रॉसिंग करना हो तो भय रहता है...
अध्यक्ष महोदय -- यह तो हो गया, यशपाल जी, कृपया प्रश्न करें.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न सीधा-सीधा यह है कि माननीय मंत्री जी, जिस प्रकार से सुप्रीम कोर्ट ने कहा है, लोगों की सुरक्षा और पशुओं के अधिकार के बीच सरकार और आपका विभाग संतुलन बनाए तो संतुलन कैसे बनेगा, मैं आपसे यह जानना चाहूँगा. मेरा यह पहला प्रश्न है.
अध्यक्ष महोदय -- हो गया, एक ही प्रश्न पूछना है.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया -- अध्यक्ष महोदय, इसी विषय से संबंधित प्रश्न हैं.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, अब बैठ जाइये.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया -- अध्यक्ष महोदय, केवल और एक प्रश्न..
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, अब बैठ जाइये. देखिए, 6 ध्यान आकर्षण कभी नहीं लिए जाते हैं. जब आप लोग ध्यान आकर्षण लेकर आते हैं, नेता प्रतिपक्ष जी, तो यही कहते हैं कि एक ही प्रश्न पूछूंगा और फिर हालत यह कर देते हैं कि एक के स्थान पर दस प्रश्न पूछने लगते हैं. बाकी लोगों का भी ध्यान आकर्षण है. आज 6 लोगों के ध्यान आकर्षण हैं, मैंने नियमों को शिथिल करके अनुज्ञा दी है.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया -- अध्यक्ष महोदय, जैसा आपका आदेश.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी, सीधा जवाब दीजिए.
श्री ओ.पी.एस. भदोरिया -- अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्य को और इस सदन को आश्वस्त करना चाहता हूँ कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, विभाग इस मामले में प्रतिबद्ध है. सरकार भी इस मामले में प्रतिबद्ध है. माननीय सदस्य ने जो विषय उठाया है कि किस तरह से संतुलन बनाएंगे तो हमारे दो प्रयास हैं. एक तो आवारा पशु, खासतौर से स्वान की आबादी को कंट्रोल करने की दिशा में जनसहयोग से और एनजीओ के माध्यम से कार्य करेंगे और दूसरा, जो पेट एनिमल्स हैं, उनके संबंध में कानून में इस तरह के प्रावधान करेंगे कि कानून के माध्यम से नियंत्रण हो सके, तो ये दो प्रयास हैं, जिनके माध्यम से माननीय सदस्य की जो चिंता है, उसका निराकरण करने का प्रयास करेंगे.
श्री अजय विश्नोई -- माननीय अध्यक्ष महोदय, केवल एक प्रश्न है मेरा, चूँकि विषय उठा है, इसलिए मैं आपके माध्यम से लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की तरफ एक ध्यान दिलाना चाहता हूँ. कोई भी वैक्सीन किसी भी प्रकार के मर्ज की हो, वैक्सीन का काम रहता है एंटीबॉडीज बनाना, ताकि भविष्य में यदि वह रोग आ रहा है तो उस रोग का प्रतिरक्षण तुरंत प्रारंभ हो सके. यहां हम वैक्सीन लगाते हैं तब, जब वह कुत्ता उसको काट चुका होता है. उसको जो कुछ होना है, वह हो चुका होता है तो कितनी लाभकारी और कितनी असरकारी है, जरा स्वास्थ्य विभाग इसका भी परीक्षण करवा ले. मैं आपके माध्यम से इस प्रकार के निर्देश चाहता था.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी, यशपाल सिंह जी ने इसके बारे में जो कहा है. यदि आपको ऐसा लगता है कि हमारे पास यह चीजें हो सकती हैं तो एक प्रस्ताव बनाकर दीजिए, उसको शामिल करिए और फिर उस पर विचार कीजिए.
श्री ओ.पी.एस. भदौरिया -- जी माननीय अध्यक्ष महोदय. आपके आदेश का पालन होगा.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत-बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय -- इंजीनियर प्रदीप लारिया जी.
ध्यानाकर्षण क्रमांक - 4 (इंजीनियर प्रदीप लारिया) - अनुपस्थित
अध्यक्ष महोदय -- श्री संजय यादव जी. अपने ध्यानाकर्षण की सूचना पढे़ं.
12.47 बजे (5) जबलपुर की कृषि उपज मंडी शहपुरा भिटोनी में अव्यवस्था से उत्पन्न स्थिति
श्री संजय यादव (बरगी) -- अध्यक्ष महोदय,
किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री (श्री कमल पटेल) -- अध्यक्ष महोदय,
श्री संजय यादव-- माननीय मंत्री जी, मेरा आप से सिर्फ यही निवेदन है कि हमारा प्रयास यह होना चाहिए कि जब मंडी वहाँ है और बहुत बड़े एरिया में है, तो उसको और हम अच्छे सुचारु रूप से कैसे चलाएँ. मेरे सुझाव भी हैं और प्रश्न भी हैं. जैसा आपने कहा कि जिन व्यापारियों के लायसेंस निरस्त हो गए हैं, एक तो उन व्यापारियों के अगर लायसेंस निरस्त हो गए हैं तो उनका गोदाम में माल क्यों रखा?
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, नहीं, कहाँ कहा.
श्री संजय यादव-- दूसरी बात मैं आप से यह पूछना चाहता हूँ माननीय अध्यक्ष जी से व्यवस्था चाहता हूँ. आप सभी ध्यानाकर्षण में यह कहते हैं कि कोई रोष व्याप्त नहीं है. अगर रोष व्याप्त नहीं होता तो ध्यानाकर्षण लगता क्यों? यह व्यवस्था बदलना चाहिए. भाई, कुछ न कुछ शिकायत होती है तभी तो रोष व्याप्त होता है. दूसरा मेरा यह कहना है कि आप इसमें यह व्यवस्था करें कि तत्कालीन कलेक्टर, जो अभी वर्तमान में कलेक्टर हैं, एसडीएम हैं, मंडी के अधिकारी, जनप्रतिनिधि, व्यापारी, इनकी एक बैठक करवा दें ताकि वह मंडी सुचारु रूप से चल सके. दूसरा मेरा आप से यह भी कहना है कि जिन व्यापारियों के अगर लायसेन्स निरस्त हो गए, उनका माल गोदामों में है, तो वे गोदाम खाली हो जाएँ.
अध्यक्ष महोदय-- संजय यादव जी, उनका उत्तर है कोई लायसेंस निरस्त नहीं किया गया. आप कहाँ पढ़ रहे हैं उसको? कोई लायसेंस किसी व्यापारी का, नहीं निरस्त किया गया.
श्री संजय यादव-- लायसेंस निरस्त नहीं, जिनके हो चुके हैं पहले....
अध्यक्ष महोदय-- तो इसमें नहीं है, नहीं हुआ है कह रहे हैं.
श्री संजय यादव-- पहले 120 थे अब 84 हैं, मतलब 84 में....
अध्यक्ष महोदय-- 94 हैं.
श्री संजय यादव-- जी हाँ.
अध्यक्ष महोदय-- तो लायसेंस निरस्त का थोड़े ही कह रहे हैं 94 हैं.
श्री संजय यादव-- पहले 120 थे, जो निरस्त हो गए हैं, उनके नाम नहीं आएँगे.
अध्यक्ष महोदय-- यह भी नहीं आया कि निरस्त हुआ है किसी का.
श्री संजय यादव-- वो असत्य आया ना, है, जिनके लायसेंस निरस्त हो चुके हैं. उनका माल न रहे गोदामों में. यह व्यवस्था करें. तीसरा, आपके कर्मचारी तथा अधिकारी, कभी समय पर नहीं पहुँचते. मैं खुद वहाँ जाते रहता हूँ. वहाँ मंडी प्रांगण, बड़ा प्रांगण है, चौथा हमारा, आपने मटर मंडी बनाई है सहजपुर में उसे बने 5 साल हो गए. उसका आज तक उपयोग नहीं हुआ. शासन का पैसा लगा, आपके बोर्ड का पैसा लगा है, मेरा आप से निवेदन है अगर कोई चीज का उपयोग नहीं होता या ग्राम पंचायत को दे दो तो शादी-ब्याह के काम आए क्योंकि गलत जगह बन गई है. वह मटर मंडी अंदर बन गई है, उसमें व्यापार नहीं होता है. सड़क पर व्यापार होता है, यह आपको भी मालूम है. हमारा आप से यह निवेदन है कुछ शासन की जो राशि लगी है उसका दुरुपयोग न हो. वह किसी तरह से व्यवस्थित हो, आप ग्राम पंचायत को दे दें, तो गरीब लोगों के शादी-ब्याह होने लगें और कोई काम होने लगे. मेरे 4 प्रश्न हैं आप से. आप उन चारों का जवाब दे दें.
श्री कमल पटेल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय विधायक संजय यादव जी को आश्वस्त करता हूँ कि मैं पहले किसान हूँ, बाद में मंत्री हूँ और इसलिए किसानों का कहीं भी अहित होगा तो मैं होने नहीं दूँगा और इसलिए मैं आज ही कलेक्टर को निर्देशित करूँगा कि आप जब जाएँगे विधान सभा से तो आपके साथ भारसाधक अधिकारी है एसडीएम, मीटिंग करेंगे, निरीक्षण करेंगे. अगर कहीं कोई अनियमितता पाई जाएगी तो हम सख्त कार्रवाई करेंगे. लेकिन मैं आपको बताना चाहता हूँ कि एक भी अभी लायसेंस निरस्त नहीं किया गया है और जो जो आपने प्रश्न उठाए हैं, उनकी मैं जाँच करा लूँगा और जाँच में अगर कहीं गड़बड़ी होगी तो सख्त कार्रवाई करूँगा तथा मंडी और अच्छी चले, उसके लिए एक जनप्रतिनिधि होने के नाते आपका भी उसमें सहयोग जरूरी है और इसलिए आप बार बार निरीक्षण पर जाएँ और मैं जल्दी ही जबलपुर आऊंगा तथा आपके साथ और बाकी हमारे जनप्रतिनिधि हैं, अजय भाई हैं, हमारे बड़े भाई, तो जिले की मंडियों के बारे में और कैसे सुचारु हो सके, किसानों को हम कैसी और सुविधा दे सकें, मैं खुद निरीक्षण करके और निर्देश दूँगा तथा अच्छी से अच्छी सुविधाएँ उपलब्ध कराएंगे.
अध्यक्ष महोदय-- ठीक है.
श्री संजय यादव-- बहुत बहुत धन्यवाद.
12.49 बजे
(6) छतरपुर सहकारी बैंक में सहायक प्रबंधक के पदों पर नियुक्ति में अनियमितता किया जाना.
श्री आलोक चतुर्वेदी(छतरपुर)-- अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यानाकर्षण सूचना का विषय इस प्रकार है-
सहकारिता मंत्री (श्री अरविंद सिंह भदौरिया) -- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री आलोक चतुर्वेदी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, छतरपुर जिले का सहकारी बैंक मध्यप्रदेश में एकमात्र बैंक है जिसमें अध्यक्ष है. बाकी पूरे प्रदेश में बैंक सुपरसीट कर दिए गए हैं. उच्च न्यायालय के स्थगन की वजह से आज भी वहां अध्यक्ष है. लेकिन उस बैंक में जो भी हो रहा है उसके बारे में विधान सभा के इसी सदन में मैंने प्रश्न लगाया था उस प्रश्न में यहां यह उत्तर मिला था कि सारे डायरेक्टर्स जितने भी बैंक में हैं वे सारे अपात्र हैं उसके बाद भी उस बैंक में आज भी अध्यक्ष ज्यों के त्यों विराजमान हैं. यही कारण है कि वहां पर जो कार्यवाही चल रही है. भर्ती की प्रक्रिया शुरु हुई है. यह भर्ती की प्रक्रिया जिस तरह से की जा रही है. सबसे पहले तो 60 प्रतिशत यह जो भर्ती होनी थी इसमें ऐसे लोगों को पात्र बना दिया गया जो सजायाफ्ता हैं. जिनके ऊपर वस्तु अधिनियम के तहत एफआईआर है. जिनके ऊपर धारा 420 का मुकदमा है. चना खरीदी की वित्तीय अनियमितता है. गेहूँ खरीदी की वित्तीय अनियमितता है. इन सारे लोगों को पात्र बनाकर समिति प्रबंधक की भर्ती प्रक्रिया में शामिल कर लिया गया है. वहीं दूसरी ओर जिनके ऊपर 7 लाख रुपए जमा करने का मामला है उसको अपात्र कर दिया दूसरी तरफ यह बताया गया कि इनके ऊपर बकाया है वो अपात्र हो गए. शैक्षणिक योग्यता हायर सेकेण्डरी उत्तीर्ण होना चाहिए, स्नातक वाले को अपात्र कर दिया, हायर सेकेण्डरी वाले को पात्र कर दिया. वहां भर्ती प्रक्रिया में यह कार्यवाही हुई है और साथ ही साथ सहायक भी नहीं है उसको पात्र कर दिया. जो लेखापाल के पद पर काम कर रहा है उसको पात्र कर दिया. वहीं पर धारा 302 की सजा में जो सजा काट चुका है, जेल में रह चुका है वह पात्र है.
अध्यक्ष महोदय-- आप अपना प्रश्न करें.
श्री आलोक चतुर्वेदी-- अध्यक्ष महोदय, मैंने आपके समक्ष यह सारी बातें रखी हैं. माननीय मंत्री जी का उत्तर आया है कि इसमें कोई भी सांठगांठ नहीं है. भर्ती प्रक्रिया नियम से की गई है. मंत्री जी ने स्वत: स्वीकारा है कि आठ फरवरी को वहां पर यह कैडर समिति की बैठक होती है और इस प्रक्रिया में यह है कि अगर अगली बैठक होगी उसमें सात या दस दिन का समय होता है. ऐसी क्या आवश्यकता पड़ गई कि आठ को नहीं थे और आपने दस को तत्काल आनन फानन में पुन: बैठक कर ली तो यह सारी दोषपूर्ण प्रक्रिया के लिए जाता है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे कहना चाहता हूं कि आप इसमें मुझे न्याय दिलाएं.
अध्यक्ष महोदय-- आप पहले प्रश्न तो पूछें.
श्री आलोक चतुर्वेदी-- अध्यक्ष महोदय, प्रश्न यह है कि यह जो अवैध तरीके से भर्ती की गई हैं मंत्री जी ने तो स्वीकार किया है कि कोई अवैध भर्ती नहीं हुई है, लेकिन इसको रद्द किया जाए और आप यहां से एजेंसी नियुक्त करवाएं. इसमें विस्तृत उच्च स्तरीय जांच हो और दोषियों के खिलाफ कार्यवाही हो क्योंकि जो वहां पर अध्यक्ष हैं उनका काम ही यही है कि वहां पर इस तरह से भर्ती होती रहेगी.
श्री अरविंद सिंह भदौरिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक महोदय क्या प्रश्न करना चाहते हैं.
अध्यक्ष महोदय-- वह वहां उच्च स्तरीय जांच कराना चाहते हैं.
श्री आलोक चतुर्वेदी-- अध्यक्ष महोदय, उच्च स्तरीय जांच हो और यह जो प्रक्रिया हुई है इसको रद्द किया जाए.
श्री अरविंद सिंह भदौरिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रक्रिया बिलकुल ट्रांसपरेंट है, फेयर है, और पूरी विधि सम्वत् है. माननीय विधायक महोदय इस प्रक्रिया में सात लोगों के खिलाफ शिकायतें हुईं. एक व्यक्ति ने शिकायत करवाई, शिकायतें की गईं और उन पर जानकारी ली गई तो ऐसे सात लोगों के खिलाफ शिकायतें आई हैं. सातों लोगों को भर्ती प्रक्रिया में नहीं रखा गया है. उनको अलग रखा गया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं विधायक जी को उनकी जानकारी के लिए बता दूं कि शिकायत प्रक्रिया का पर्याप्त अवसर दिया जाकर निराकरण किया गया है. जो भी कर्मचारी अपात्र किये गये हैं वह सेवा नियम के निर्धारित शैक्षणिक योग्यता के धारित नहीं थे. चयन की एक पद्धति है जिसमें सेवा नियम में निर्धारित योग्यता स्नातक है जबकि अपात्र कर्मचारी मात्र हायरसेकेण्डरी उत्तीर्ण हैं. मैं आपके माध्यम से विधायक महोदय से कहना चाहता हूं कि ग्रेज्यूएट होना अनिवार्य था और उन पर कोई गबन धोखाधड़ी का प्रकरण न हो, सहायक प्रबंधक पद पर पांच वर्ष की सेवा वृद्धि हो, कम्प्यूटर में दक्षता हो, कर्मचारी की आयु 57 वर्ष से कम हो. इसकी पूरी नियम प्रक्रिया है. उसके तहत भर्ती की गई जिसमें सात की शिकायतें आईं तो सात लोगों को उसमें रोक दिया गया, उनके खिलाफ जांच बिठाई गई और कार्रवाई भी हुई. मुझे लगता है कि इसमें 100 प्रतिशत पारदर्शिता है.
श्री आलोक चतुर्वेदी-- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने स्वत: स्वीकारा है कि स्नातक का जो पात्र व्यक्ति होगा. स्नातक वाले को अपात्र कर दिया और हायरसेकेण्डरी वाले को वहां पात्र कर दिया है. यही तो मैं कह रहा हूं और साथ ही मैं दूसरी बात कह रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय-- अकेली कंडीशन नहीं हैं. चार, पांच हैं.
श्री आलोक चतुर्वेदी-- अध्यक्ष महोदय, दूसरी बात यह है कि जिनके ऊपर धोखाधड़ी के मामले हैं उन्हें भी पात्र कर दिया गया है. जिनके ऊपर एफआईआर है, जो जेल में रह चुके हैं उन्हें भी पात्र कर दिया है यही तो मैं कह रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय-- सात का बताया गया है कि उन सात को हटा दिया.
श्री आलोक चतुर्वेदी-- अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी चाहेंगे तो मैं इन्हें पूरी सूची उपलब्ध करा दूंगा, लेकिन मैं आपके माध्यम से यह चाहता हूं कि इस पूरी प्रक्रिया में मंत्री जी का कहना है कि बिलकुल स्वच्छ तरीके से यह प्रक्रिया हुई है तो सबसे पहले तो जो भर्ती प्रक्रिया हुई है उस पर रोक लगा दी जाए.
अध्यक्ष महोदय-- पहले जिनका आप कह रहे हैं कि हो गया है वह सूची आप दीजिए.
श्री आलोक चतुर्वेदी-- अध्यक्ष महोदय, सारी बातें आपके सामने रखी हैं. मैं चाहता हूं कि भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाई जाए और साथ ही साथ इसकी विस्तृत उच्चस्तरीय जांच अनिवार्य रूप से कराई जाए.
अध्यक्ष महोदय-- अभी जो आपने बताया कि अपात्रों को पात्र बनाया गया उनकी सूची मंत्री जी को दीजिए वह उसकी जांच करवा लेंगे.
श्री आलोक चतुर्वेदी-- अध्यक्ष महोदय, मैं पूरे तथ्य, प्रमाण सब कुछ मंत्री जी के समक्ष रख दूंगा लेकिन मैं आश्वासन चाहता हूं कि मंत्री जी इसमें उच्चस्तरीय जांच जरूर कराएं.
अध्यक्ष महोदय- मंत्री जी, ये सारे तथ्य प्रमाण आपके पास रख रहे हैं, आप उसका परीक्षण करवा लीजिये.
श्री अरविंद सिंह भदौरिया- हम 100 प्रतिशत जांच करवा लेंगे, आप निश्चिंत रहें.
श्री आलोक चतुर्वेदी- मंत्री जी, इस प्रकरण में आप जांच जरूर करवा लें.
श्री अरविंद सिंह भदौरिया- माननीय विधायक महोदय, आपके पास अगर तथ्य हैं, प्रमाण हैं तो आप मुझे उपलब्ध करवा दें. आप निश्चिंत रहें, माननीय आसंदी से मुझे आदेश हुआ है, किसी को भी छोड़ा नहीं जायेगा, आप मुझे सारे कागज दीजिये, मैं, दिखवा लूंगा.
श्री आलोक चतुर्वेदी- आप जांच करवा लेंगे ?
अध्यक्ष महोदय- आप पहले कागज तो दीजिये, फिर वे जांच करवा लेंगे.
श्री आलोक चतुर्वेदी- मैं सारे कागज दे दूंगा.
श्री अरविंद सिंह भदौरिया- आप पहले कागज दे दीजिये.
श्री आलोक चतुर्वेदी- मंत्री जी, अगर वे कागज उस लायक होगें तो आप विस्तृत जांच करवायेंगे, मैं, केवल इतना ही आश्वासन चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय- जरूर करेंगे. आप पहले कागज दीजिये.
श्री अरविंद सिंह भदौरिया- आप पहले कागज दीजिये. यदि कोई भी दोषी होगा, आप निश्चिंत रहें, मध्यप्रदेश में सरकार इसलिए बैठी है.
श्री लक्ष्मण सिंह- 80 करोड़ रुपये का गबन, शिवपुरी में किया गया है, सरकार इसलिए बैठी है. पूरे प्रदेश का क्या हाल होगा ? हम पूरे प्रदेश में आपको सड़कों पर घेरेंगे.
श्री अरविंद सिंह भदौरिया- राजा साहब, आपको मालूम होगा कि पूरे मध्यप्रदेश में किसानों को यदि किसी ने डिफॉल्टर बनाने का काम किया है तो वह कांग्रेस की सरकार ने किया है.
(...व्यवधान...)
श्री दिलीप सिंह परिहार- इनकी वजह से किसान दर-दर भटक रहे हैं. आपने साहूकारों को चोर बना दिया.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया- माननीय अध्यक्ष महोदय, लक्ष्मण सिंह जी, कांतिलाल जी के माइक से बोल रहे हैं, स्क्रीन पर कांतिलाल जी दिखा रहा है. लक्ष्मण सिंह जी तो कुछ बोल ही नहीं रहे हैं.
(...व्यवधान...)
डॉ. नरोत्तम मिश्र- अध्यक्ष महोदय, बेचारा अरविंद धीमी गति के समाचार की तरह अपने जवाब दे रहा था, सज्जनता की पराकाष्ठा में आज जवाब दे रहा था. लक्ष्मण सिंह जी ने उसे छेड़कर शताब्दी ट्रेन बना दिया.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया- लक्ष्मण सिंह जी, कांतिलाल जी की सीट पर चले गए हैं.
श्री लक्ष्मण सिंह- कोई भी शताब्दी ट्रेन हो, उसे ग्वालियर स्टेशन पर आकर रूकना ही पड़ेगा.
अध्यक्ष महोदय- यशपाल जी, हमारे रिकॉर्ड में लक्ष्मण सिंह जी नहीं बोल रहे हैं, कांतिलाल भूरिया जी बोल रहे हैं.
श्री आलोक चतुर्वेदी- मंत्री जी, आपको भी उस पूरे बैंक की स्थिति मालूम है. मैं, केवल यह चाहता हूं कि उस बैंक में जब तक यह स्थिति बनी रहेगी, वह भ्रष्टाचार का केंद्र रहेगा और वहां इस तरह की कार्यवाहियां होती रहेंगी. आप, उस बैंक पर विशेष ध्यान दें, इस पर अनिवार्य रूप से कार्यवाही की जाये.
अध्यक्ष महोदय- वे कार्यवाही कर रहे हैं. नातीराजा जी आप संक्षेप में कहें.
श्री कुँवर विक्रम सिंह (नातीराजा)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा सीधा-सीधा प्रश्न, आपके माध्यम से मंत्री जी से है कि यह कार्यवाही कब तक कर ली जायेगी और जो जांच कमेटी बनाई जायेगी, क्या उसमें माननीय विधायक आलोक जी को रखा जायेगा.
अध्यक्ष महोदय- नातीराजा जी, कोई जांच कमेटी नहीं बनाई है. उन्होंने ये कहा कि आपके पास यदि प्रमाण हैं, जिस तरह से आलोक जी कह रहे हैं, अपात्र हैं, तो उसकी सूची आप मंत्री जी को दे दीजिये, उसकी जांच करवायेंगे.
श्री कुँवर विक्रम सिंह (नातीराजा)- अध्यक्ष महोदय, हमारे पास प्रमाण हैं, हम प्रमाणों के आधार पर ही बात कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय- ठीक है, आप बैठ जायें.
डॉ. गोविन्द सिंह- अध्यक्ष महोदय, वास्तव में छतरपुर एकमात्र ऐसी बैंक है, जिसका बोर्ड 5 वर्षों के लिए चुना गया था लेकिन उसका बोर्ड लगातार 12-15 वर्षों से चल रहा है. बीच में करीब एक सवा साल, मैं, भी इस विभाग में मंत्री रहा हूं. वह बोर्ड इसलिए चल रहा है क्योंकि उन्हें माननीय उच्च न्यायालय से स्टे, एक के बाद एक मिलते रहे हैं. वास्तव में छतरपुर बैंक, घोटालों की बैंक बन गई है. जब मुझे जानकारी है तो मंत्री जी आपको भी सब जानकारी होगी. मैं, केवल इतना चाहता हूं आपने प्रक्रिया में तो कह दिया कि जांच करवा लेंगे लेकिन क्या बोर्ड लगातार इतने वर्षों तक नियम विपरित, कानून विपरित कार्य कर सकता है. यदि माननीय उच्च न्यायालय में भी सही तथ्य प्रस्तुत होंगे तो संभवत: उसका स्टे समाप्त हो जायेगा. किसी संस्था का कार्यकाल 5 वर्षों का होने के बाद, 15-20 वर्षों तक नहीं चल सकता है, कृपया करके आप इसे दिखवायें.
श्री अरविंद सिंह भदौरिया- माननीय अध्यक्ष महोदय, डॉक्टर साहब मेरे बड़े भाई हैं. विद्वान व्यक्ति हैं, मेरे से ज्यादा सहकारिता के विषय में जानकारी रखते हैं. ये 15 माह सहकारिता विभाग के मंत्री थे, उस समय भी बोर्ड के अध्यक्ष करूणेंद्र सिंह जी ही थे. माननीय उच्च न्यायालय का उस पर स्टे है और जब भी स्टे हटेगा, वह स्वत: समाप्त हो जायेगा.
श्री आलोक चतुर्वेदी- माननीय अध्यक्ष महोदय, स्टे समाप्त हो चुका है.
श्री नीरज विनोद दीक्षित- स्टे तो समाप्त हो चुका है.
अध्यक्ष महोदय- आप बीच में कहां से आ गए, उनको बोलने दीजिये.
श्री नीरज विनोद दीक्षित- अध्यक्ष महोदय, छतरपुर जिले का प्रकरण है.
अध्यक्ष महोदय- एक जिले से 5 विधायक आते हैं तो सभी का मामला है. आप बैठ जायें.
डॉ. गोविन्द सिंह:- अध्यक्ष जी, यदि समाप्त हो चुका है तो क्या पांच वर्ष के बाद भी संचालक मंडल का बना रहना भी कानूनन हैं ?
अध्यक्ष महोदय:- यदि हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट का स्टे है.
डॉ. गोविन्द सिंह:- नहीं, वह बता रहे हैं कि समाप्त हो चुका है.
श्री आलोक चतुर्वेदी:- वह समाप्त हो चुका है.
अध्यक्ष महोदय:- यदि समाप्त हो गया है तो उसकी कॉपी दे दें.
श्री आलोक चतुर्वेदी:- मैं आपको उसकी कॉपी आपको दे दूंगा.
अध्यक्ष महोदय:- हां, दे दीजिये. ठीक है.
1.11बजे
1. 13 बजे
आवेदनों की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदयदय:- आज की कार्य सूची में सम्मिलित सभी आवेदन प्रस्तुत किये गये माने जायेंगे.
(1) श्री सुनील उईके
(2) श्री रामलाल मालवीय
(3) श्री पी.सी. शर्मा
(4) श्री धर्मेन्द्र भावसिंह लोधी
(5) श्री सुरेश राजे
(6) श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव
(7) श्री प्रहलाद लोधी
(8) श्री अनिरुद्ध ‘माधव’ मारू
(9) श्री सूबेदार सिंह सिकरवार ‘रजौधा’
(10) श्री मुकेश रावत (पटेल
(11) श्री हर्ष यादव
(12) श्री पुरूषोत्तमलाल तंतुवाय
(13) डॉ. हिरालाल अलावा
(14) श्री नीरज विनोद दीक्षित
(15) श्री हर्ष विजय गेहलोत
(16) श्री निलय विनोद डागा
(17) श्री पहाड़ सिंह कन्नौजे
(18) श्री दिलीप सिंह परिहार
(19) श्री आरिफ मसूद
(20) श्री फुन्देलाल सिंह मार्को3 ..
(21) डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय
(22) श्री कुंवरजी कोठार
(23) श्री सोहनलाल बाल्मीक
(24) श्री विक्रम सिंह राणा
(25) श्री संजय यादव
(26) श्री शैलेन्द्र जैन
(27) श्री बहादुर सिंह चौहान
(28) सुश्री चंद्रभागा किराड़े
(29) श्री रामचंद्र दांगी
(30) इंजी. प्रदीप लारिया
(31) श्री जालम सिंह पटेल
(32) श्री केदार चिड़ाभाई डावर
(33) श्री बापू सिंह तंवर
(34) श्री दिलीप सिंह गुर्जर
1.12 बजे वक्तव्य
दिनांक 20 दिसम्बर, 2021 को पूछे गये परिवर्तित अतारांकित प्रश्न संख्या 47(क्रमांक163) एवं दिनांक 19 दिसम्बर, 2022 को पूछे गये अतारांकित प्रश्न संख्या 67( क्रमांक 289) के उत्तरों में संशोधन संबंधी
1.13 बजे
राज्य मंत्री स्कूल शिक्षा ( श्री इंदर सिंह परमार):- अध्यक्ष महोदय, दिनांक 20 .12. 2021 की प्रश्नोत्तर सूची में पृष्ठ क्रमांक, 42 एवं 43 में मुद्रित परि.अतारांकित प्रश्न संख्या 47 (क्रमांक 163) में निम्नानुसार संशोधन करना चाहता हूं-
प्रतिभाशाली छात्र प्रोत्साहन योजना अंतर्गत लाभांवित विद्याथियों की संख्या में शैक्षणिक सत्र के स्थान पर वित्तीय वर्ष अंकित होने के कारण लाभार्थियों की संख्या सत्रवार एवं वित्तीय वर्षवार भ्रमपूर्ण अंकित हो गयी है, अत: प्रश्नांश ''ख'' एवं ''ग'' में पूर्व में प्रेषित उत्तर के स्थान पर संशोधित उत्तर निम्नानुसार पढ़ा जाये.
अध्यक्ष महोदय, दिनांक 19.12. 2022 की प्रश्नोत्तर सूची में पृष्ठ क्रमांक, 142 एवं 143 में मुद्रित अतारांकित प्रश्न संख्या-67 (क्रमांक 289) में निम्नानुसार संशोधन करना चाहता हूं-
प्रतिभाशाली छात्र प्रोत्साहन योजना अंतर्गत लाभांवित विद्यार्थियों की संख्या में शैक्षणिक सत्र के स्थान पर वित्तीय वर्ष अंकित होने के कारण लाभार्थियों की सत्रवार, वित्तीय वर्षवार भ्रमपूर्ण अंकित हो गयी है. अत: प्रश्नांश (क) एवं (ख) में पूर्व में प्रेषित उत्तर के स्थान पर संशोधित उत्तर निम्नानुसार पढ़ा जाये.
1.14 बजे
इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा माननीय अध्यक्ष के प्रति दिये गए अविश्वास प्रस्ताव के संबंध में.
नेता प्रतिपक्ष( डॉ. गोविन्द सिंह):- माननीय कांग्रेस पक्ष के हमारे अनेक सदस्यों के द्वारा, माननीय अध्यक्ष महोदय के प्रति अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत किया था. नियम है कि 14 दिन के अंदर उस पर कार्यवाही के लिये आपका निर्णय आना चाहिये. वह निर्णय अभी तक आया नहीं है. कृपया कर उसके संबंध में आपका आदेश चाहता हूं.
संसदीय कार्य मंत्री( नरोत्तम मिश्र):- माननीय अध्यक्ष जी, दो बिन्दु मैं, भी आपके ध्यान में डालना चाहता था. सम्मानित नेता प्रतिपक्ष जी ने जो विषय आपके ध्यान में डाला है. मैं भी दो बिन्दु आपके ध्यान में डालना चाहता हूं. आपके माध्यम से नेता प्रतिपक्ष डालना था. पहला बिन्दु यह है कि कभी भी विधान सभा अध्यक्ष के खिलाफ में अविश्वास नहीं आता है, संकल्प आता है.
वह बहुत वरिष्ठ हैं, मैं उनके ज्ञान का वर्धन नहीं कर रहा हूं सिर्फ जानकारी दे रहा हूं.
दूसरा, अध्यक्ष जी आसंदी पर आप विराजमान थे. उस समय भी जब निलंबन की बात आती है, दूसरी बात आयी थी तो वो संसदीय कार्यमंत्री के द्वारा रखा गया था और सदन के द्वारा पारित किया गया था. संकल्प नहीं हमने जिसके ऊपर अविश्वास की बात आयी है मैं उस विषय वस्तु की ओर ले जा रहा हूं. यह दोनों विषय मैं आपके ध्यान में डालना चाहता था उसमें नेता प्रतिपक्ष जी से भी कहना चाहता था कि वह सरकार की ओर से प्रस्ताव आया, सदन की ओर से पारित हुआ है. अध्यक्ष जी ने नहीं हटाया था. दूसरा अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष के खिलाफ भी कभी अविश्वास नहीं आता है. वह संकल्प आता है. तीसरा वह समय सीमा के बाद दिया गया था यहां पर यह तीसरा बिन्दु है मेरा. इसके बाद अध्यक्ष जी आप सक्षम हैं जो उचित समझें, निर्णय लें.
अध्यक्ष महोदय--नेता प्रतिपक्ष जी ने जो प्रश्न किया है उसमें संसदीय कार्य मंत्री जी ने कहा है. आप सबके सामने किताब होगी 145 (ए) नियम प्रक्रिया की है. सबके पास होगी उसको जरा देख लें. खोल दीजिये. कोई सदस्य जो अध्यक्ष, उपाध्यक्ष जो हटाने के लिये संविधान के अनुच्छेद 179 के खण्ड (ग) के अधीन किसी संकल्प की सूचना देना चाहें वह उसे लिखित रूप से प्रमुख सचिव/सचिव को देगा, किसी संकल्प, क्या शब्द है संकल्प, उप नियम 1 के अधीन सूचना प्राप्त होने पर संकल्प प्रस्तुत करने की अनुमति के लिये प्रस्ताव अध्यक्ष द्वारा निश्चित किये गये किसी दिन की कार्य-सूची में संबंधित सदस्य के नाम से दर्ज कर दिया जायेगा. परन्तु इस तरह से निश्चित किया गया दिन संकल्प की सूचना प्राप्त होने के तिथि से 14 दिन बाद का कोई दिन होगा. मैं दो पार्ट में अभी जाना चाहता हूं. एक तो आपका जो अविश्वास प्रस्ताव आया वह साढ़े दस बजे के बाद आया. मैं आसंदी पर आ चुका था तब शायद आपने उनको दिया. एक तो यह गिनती में नहीं होना चाहिये. दूसरा संकल्प नहीं आपका अविश्वास प्रस्ताव है. अविश्वास प्रस्ताव सरकार के खिलाफ आता है. अध्यक्ष के खिलाफ, उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव नहीं आता है. फिर भी 14 दिन 17 तारीख को हुए हैं. मैंने उस दिन एक आदेश जारी कर दिया है उसमें मैंने यह लिखा है कि आपका प्रस्तुत किया हुआ अविश्वास प्रस्ताव ग्राह्य योग्य नहीं है. पर संसदीय परम्परा को, संसदीय मान्यताओं को और ऊंचाई प्रदान करने के लिये मैं इसमें तारीख निर्धारित करता हूं. मैंने इसमें 27 तारीख निर्धारित कर दी है. आप आर्डर में देख लीजियेगा.
श्री सज्जन सिंह वर्मा--अध्यक्ष महोदय, माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी अब आप शब्द इधर घुमाओ, उधर घुमाओ आशय तो क्या है ?
अध्यक्ष महोदय--आशय से नहीं चलता.
श्री सज्जन सिंह वर्मा--अध्यक्ष महोदय,आशय है ना.
अध्यक्ष महोदय--आशय से नहीं चलता.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष महोदय, सदन अगर चलता है तो नियम प्रक्रिया से चलता है या परम्परा से चलता है. आप वरिष्ठ सदस्य हैं. आप दोनों चीजें देख लें कि कहीं पर हैं क्या? क्या इसमें नियम प्रक्रिया का पालन किया गया है और क्या इसमें किसी परम्परा का पालन किया गया है. आप स्वयं किताब लिये हैं आप पढ़ दें.
श्री सज्जन सिंह वर्मा--अध्यक्ष महोदय की बात से संतुष्ट हैं कि 27 तारीख उन्होंने मुकर्रर कर दी है इन सारे संदर्भों में अध्यक्ष महोदय की सहृदयता है ठीक है. हम 27 तारीख को सारे लोग उपस्थित रहेंगे. चर्चा करेंगे जैसा आपका आदेश होगा. आखिरी मेरा अनुरोध है कि यह आपकी कार्यसूची‑--
अध्यक्ष महोदय--आप उसका नियम फिर से पढ़िये.
श्री सज्जन सिंह वर्मा--अध्यक्ष महोदय,आप जैसा बोलेंगे.
अध्यक्ष महोदय--मैं आपका ज्ञानवर्द्धन नहीं कर रहा हूं. यह किताब आपके भी सामने है और मेरे भी सामने है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष महोदय, इनका ज्ञानवर्द्धन ही करना पड़ेगा.
श्री बहादुर सिंह चौहान--अध्यक्ष जी समय निकलने के बाद भी आपने समय दिया है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा--अध्यक्ष महोदय, मैं भी आपका ज्ञानवर्द्धन करूंगा.
श्री बहादुर सिंह चौहान--अध्यक्ष जी आपको निरस्त करने का अधिकार है. आपने परम्पराओं को कायम रखा है.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया--इन्होंने संकल्प तो रखा ही नहीं है.
श्री बहादुर सिंह चौहान--अध्यक्ष जी आपने सहृदयता बतायी है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा--अध्यक्ष महोदय जी ने इसमें 27 तारीख मुकर्रर कर दी.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष महोदय, इसमें हमारी आपत्ति है आप कृपया मेरी तरफ तो देखिये. मेरी आपत्ति यह है कि आपने सहृदयता से 27 तारीख मुकर्रर कर दी. मैं उस पर कुछ नहीं कर सकता पर मैं संसदीय कार्य मंत्री होने के नाते यह आपत्ति तो कर ही सकता हूं कि यह नियम-प्रक्रिया से नहीं है. यह अविश्वास प्रस्ताव आ ही नहीं सकता है अध्यक्ष के खिलाफ--(व्यवधान)
श्री सज्जन सिंह वर्मा--अध्यक्ष महोदय,आसंदी ने स्वीकार कर लिया है उन्होंने तारीख मुकर्रर कर दी. (व्यवधान)
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष महोदय, इसमें मेरा यह कहना है कि यह गलत परम्परा पड़ जायेगी. आप अपनी उदारता से, दयालुता से गलत परम्परा डाल रहे हैं.(व्यवधान)
श्री सज्जन सिंह वर्मा--अध्यक्ष महोदय,आसंदी जब फैसला ले लेती है. उसमें मंत्री जी बोलने का अधिकार नहीं है. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--आप सब लोग बैठ जाएं नेता प्रतिपक्ष जी बोल रहे हैं.
नेता प्रतिपक्ष(डॉ. गोविन्द सिंह) - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने जो अभी सदन को बताया कि नियमों के तहत न होने से मैंने अग्राह्य कर दिया, तो अब 27 तारीख को होगा क्या. (..हंसी)
अध्यक्ष महोदय - नहीं, मैंने अग्राह्य नहीं किया. मैंने कहां कहा. मैंने अग्राह्य नहीं कहा, शायद आपने सुना नहीं. मैंने ये कहा कि आपका संकल्प नहीं है, ये आपका अविश्वास प्रस्ताव है. पहले सुन लें, नहीं तो फिर भ्रम पैदा हो जाएगा.
डॉ. गोविन्द सिंह - अगर संकल्प नहीं है, तो प्रस्ताव पर चर्चा हो ही नहीं सकती. चर्चा तो संकल्प पर होगी.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, हम और नेता प्रतिपक्ष एक है, आप कहे तो इसको दोबार पढ़ दूं.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - आप दोनों एक हो भैया, पूरा सदन जान रहा, पूरा प्रदेश जान रहा, आप दोनों एक है. (...व्यवधान)
श्री बहादुर सिंह चौहान - आपको शंका है, सज्जन भैया क्या. (...व्यवधान)
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, ऐसे कर करके कमलनाथ जी के सिपहसालारों ने आधी कांग्रेस भगा दी इधर. 42 विधायक लोग बगावत कर गए, हिन्दुस्तान के इतिहास में ऐसा कोई दल नहीं है और ऐसा कोई पार्टी का अध्यक्ष नहीं है, जिसके नेतृत्व में 42 विधायकों ने बगावत कर दी. (...व्यवधान)
श्री सज्जन सिंह वर्मा - ये राजा महाराजा भाग गए(...व्यवधान)
श्री बाला बच्चन - अभी आगे भाजपा वाले के हाल देखना. (...व्यवधान)
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, आप नेता प्रतिपक्ष जी की बात सुनिए, मैं इधर के सदस्यों की तरफ से कह रहा हूं. अध्यक्ष महोदय ये गलत परम्परा है, आप उदारता दिखा रहे हैं, आपकी महानता है. आपने उदारता के कारण तारीख फिक्स कर दी. लेकिन मेरी आपत्ति है, सदन में कभी फिर इसका उद्धहरण दिया जाएगा. जब संकल्प आया ही नहीं तो तारीख काहे की, मेरे छोटे से सवाल का जवाब दो, मेरा पाइंट आफ आर्डर है, मैं आपसे व्यवस्था चाहता हूं, ये व्यवस्था का प्रश्न है. (...व्यवधान)
श्री सज्जन सिंह वर्मा - ये पाइंट आफ आर्डर स्पीकर के खिलाफ है क्या. (...व्यवधान) स्पीकर साहब के निर्णय के खिलाफ है. (...व्यवधान) ऐसा आज तक के इतिहास में ऐसा नहीं हुआ कि स्पीकर के लिए पाइंट ऑफ आर्डर आया हो(...व्यवधान)
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, आपने दोनों को सुना, नेता प्रतिपक्ष को सुना हमको भी सुना, (...व्यवधान) पाइंट ऑफ आर्डर है ये. व्यवस्था का प्रश्न है. (...व्यवधान)
श्री सज्जन सिंह वर्मा - ये आप गलत बोल रहे हो, संसदीय कार्यमंत्री, स्पीकर के खिलाफ पाइंट ऑफ आर्डर आया हो. स्पीकर साहब पर प्रश्नचिन्ह लगा रहे हैं. (...व्यवधान)
श्री बाला बच्चन - जब अध्यक्ष जी ने व्यवस्था दी, खुद एक्सेप्ट कर रहे हैं. (...व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - पाइंट ऑफ आर्डर आ रहा है.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष जी, मेरा पाइंट ऑफ आर्डर है. हमारी विधान सभा की सारी कार्यवाही और संसद की कार्यवाही नियम कायदों और संविधान के हिसाब से चलती है, विधान सभा के अपने नियम है, संविधान के अपने नियम है. अध्यक्ष महोदय, नेता प्रतिपक्ष जी ने भी कहा, संसदीय कार्यमंत्री जी ने भी कहा. संविधान से नियम कायदों से न तो हम ऊपर ंहै, न आप ऊपर हैं. मैं निवेदन करना चाहता हूं कि ऐसी परिपाटी ने बने. अब नेता प्रतिपक्ष स्वयं कह रहे, उन्होंने स्वीकार किया.
श्री लक्ष्मण सिंह - किस नियम से ये पाइंट ऑफ आर्डर लाया है ये भी बता दें.
श्री बाला बच्चन - ये परिपाटी आप अध्यक्ष महोदय को समझाएंगे? उन्होंने इसको एक्सेप्ट किया है, स्वीकार किया है, आप उनको चैलेंज करेंगे? उन्होंने खुद ने अपनी व्यवस्था दी है, आसंदी ने खुद ने अपनी व्यवस्था दी है.
श्री गोपाल भार्गव - बाला भाई चैलेंज नहीं कर रहा हूं, कोई ऐसा साइटेशन नहीं बना है . (...व्यवधान)
श्री बहादुर सिंह चौहान - कार्यवाही गलत दिशा में जा रही है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - नरोत्तम भाई साहब जी ठीक कह रहे.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष जी, आपने उदारतापूर्वक स्वीकार किया है, ये बात नहीं है. आप निर्लिप्त हैं, निष्प्राय हैं, निष्कपट है, सारी बातें हैं, लेकिन मैं कहना चाहता हूं, भावना में आकर हम नियम कायदों को ताक पर नहीं रख सकते. (...मेजों की थपथपाहट) संविधान को नहीं रख सकते. अध्यक्ष महोदय, मेरा आग्रह है कि गलत नजीर नहीं बने.
श्री बहादुर सिंह चौहान - अध्यक्ष महोदय, ये सार्वभौमिक सत्य है.
श्री गोपाल भार्गव - उदाहरण गलत नहीं बने, विषय ये नहीं है, सभी को मालूम है कि...
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय गलत है, गलत परम्परा डाल रहे हैं, गलत परम्परा का पालन कर रहे हैं(...व्यवधान)
श्री गोपाल भार्गव - चलो इसको अविश्वास न कह कर संकल्प ही कहे आप, चलो मान लिया अध्यक्ष जी ने उदारता से.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - अध्यक्ष जी, 27 को निर्णय ले लेंगे.(...व्यवधान)
श्री गोपाल भार्गव - नहीं ऐसा नहीं है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - निर्णय सदन लेगा, अध्यक्ष जी नहीं लेंगे. (...व्यवधान)
श्री गोपाल भार्गव - सदन निर्णय लेगा(...व्यवधान)
श्री सज्जन सिंह वर्मा - व्यवस्था आसन्दी ने दी है. आपने नहीं दी है. सदन ने नहीं दी है. आसन्दी का निर्णय मान्य होगा.
(..व्यवधान..)
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष जी, आपने व्यवस्था दी है. आसन्दी ने व्यवस्था दी है. आसन्दी को चैलेंज करेंगे.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, आसन्दी की व्यवस्था आने के पहले, मैंने अपना विषय रख दिया था.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - आसन्दी की व्यवस्था पर बोल रहे हैं माननीय अध्यक्ष महोदय.
(..व्यवधान..)
डॉ. नरोत्तम मिश्र - यह गलत बोल रहे हैं माननीय अध्यक्ष महोदय. (..व्यवधान) आसन्दी की व्यवस्था आने के पहले ... (..व्यवधान..)
श्री बाला बच्चन - आसन्दी ने स्वीकार किया है. आसन्दी को आप चैलेंज करेंगे.
(..व्यवधान..)
डॉ. नरोत्तम मिश्र - हमारा प्वाइंट ऑफ ऑर्डर है.
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष जी, मेरी आपसे सिर्फ एक ही प्रार्थना है.
अध्यक्ष महोदय - भार्गव जी, एक मिनट. हमारी व्यवस्था देने के पहले ही संसदीय कार्य मंत्री ने अपनी बात को रखा है और उन्होंने यह कहा कि इसको अग्राह्य करने की आवश्यकता है, तो आप यह नहीं कह सकते हैं कि हमारी व्यवस्था देने के बाद वह बोल रहे हैं. आप ऐसा नहीं कह सकते हैं, क्योंकि वह पहले ही बोल रहे थे.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - मैं उस विषय को दोबारा पढ़ देता हूँ. जिसमें संकल्प स्पष्ट लिखा गया था.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - यह यहां टेबल पर है, व्यवस्था आ गई, उसके बाद आपका वर्शन आया है. उसके पहले नहीं आया था.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - नहीं.
श्री बहादुर सिंह चौहान - उससे पहले आया है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - नेता प्रतिपक्ष जी, ने विषय उठाया था अध्यक्ष महोदय. आप लक्ष्मीजी की कसम खाकर कह दो, यह वाली बात. आप बहन की कसम खाकर यह वाली बात कह दो कि मैंने पहले यह वाली बात कही है कि नहीं.
श्री लक्ष्मण सिंह - विपक्ष के मोड में आ चुके हैं अध्यक्ष महोदय.
एक माननीय सदस्य - आप तो रिकॉर्ड उठाकर देख लो.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - हमने तो स्पीकर साहब पर छोड़ दिया है, जो निर्णय स्पीकर साहब लेंगे, वह हम लोग मान्य करेंगे. आसन्दी का सम्मान करेंगे.
किसान कल्याण एवं कृषि विकास (श्री कमल पटेल) - माननीय अध्यक्ष महोदय, नेता प्रतिपक्ष और पक्ष दोनों ही चाह रहे हैं कि नहीं होना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय - आप लोग बैठ जाइये. दिनांक 21 फरवरी, 2021 को जब मुझे सर्वानुमति से इस आसन्दी पर बैठाने का आप सबने काम किया था तो आप एक बात हमारी याद रखिये, उस शब्द को मैं फिर याद दिलाना चाहता हूँ. मैंने अपने पूर्ववर्ती तमाम पीठासीन अधिकारियों का नाम लेते हुए कहा था कि उनने विधान सभा के भीतर जो परम्परा कायम की है, मैं उसको अपने जीवन में एक खरोंच तक नहीं आने दूँगा.(मेजों की थपथपाहट) मैंने इस बात का प्रयास किया, उनके द्वारा स्थापित परम्पराओं को कायम रख सकूँ, ज्यादा न बढ़ा सकूँ तो कम से कम उसको कायम तो रख सकूँ और इसीलिए यह अग्राह्य की स्थिति होने के बाद भी मैंने इस बात का प्रयास किया और आपके ऊपर छोड़ा. यदि आपको ऐसा लगता है कि नहीं, नहीं होना चाहिए. कभी भी आपको अधिकार है, कभी भी आप उसको वापस कर सकते हो, उसमें कोई दिक्कत नहीं है.
नेता प्रतिपक्ष जी, यदि चाहें तो अविश्वास जो लेकर आए हैं, उस पर बात कर सकते हैं. फिर भी यदि ऐसी स्थिति है तो पूरी तरह से उसमें और आगे पढ़ने की आवश्यकता है. उसमें जो तारीख लगी है, वह उस दिन बहस के लिए नहीं है. उस दिन केवल वह प्रस्ताव, जो बनता हो, उसको आपके सामने रखूँगा और फिर उसमें फिर यह मत लिया जायेगा कि दशांस लोग उसके पक्ष में हैं कि नहीं हैं. जब वह खड़े होंगे कि हम पक्ष में हैं, तब उसके लिए 10 दिन के भीतर कोई तारीख तय करनी पड़ती है, तब बहस होती है. यह नियम है. मैं ऐसा समझता हूँ कि यह पूरे नियम के भीतर है.
डॉ. गोविन्द सिंह - माननीय अध्यक्ष जी, एक मिनट. दस दिन के भीतर. अब सत्र केवल एक दिन का बचा है.
अध्यक्ष महोदय - आप प्रस्ताव ही नहीं लाये.
डॉ. गोविन्द सिंह - क्या 10 दिन सत्र बढ़ाया जायेगा ?
अध्यक्ष महोदय - नहीं, यह तो स्थिति बनेगी न. यह तो सरकार और आपका काम है.
डॉ. गोविन्द सिंह - स्थिति स्पष्ट हो जाये, अन्यथा आज ही आप फैसला दे दो, जो देना है.
अध्यक्ष महोदय -- सदन की कार्यवाही अपराह्न 3.00 बजे तक के लिये स्थगित.
(1.29 बजे से 3.00 बजे तक अन्तराल)
03.07 बजे {अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए}
इंडियन नेशनल कांग्रेस के द्वारा अध्यक्ष के संबंध में प्राप्त प्रतिपक्ष की सूचना को अग्राह्य किया जाना : प्रस्ताव
संसदीय कार्यमंत्री(डॉ.नरोत्तम मिश्र) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपसे एक प्रार्थना करना था. अध्यक्ष महोदय, क्या अनुमति है?
अध्यक्ष महोदय -- मेरे द्वारा माननीय नेताप्रतिपक्ष की सूचना पर अपने निर्णय से माननीय नेताप्रतिपक्ष के जानकारी चाहे जाने पर अवगत कराया था, इसी परिप्रेक्ष्य में अब संसदीय कार्य मंत्री प्रस्ताव प्रस्तुत करना चाहते हैं. माननीय संसदीय कार्यमंत्री जी को अनुमति दी जाती है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, जैसा पूर्व में विषय आया था और जिस पर आंशिक सहमति नेता प्रतिपक्ष जी ने भी बताई थी और हम सब भी थे और उस समय हमने कहा भी था, चूंकि तीन बिंदु मैं पुन: आपके ध्यान में डालना चाहता हूं. यह जो अविश्वास आसंदी के खिलाफ आया है, यह अविश्वास नहीं आ सकता है. नियम एवं प्रक्रिया में यह संकल्प आता है, जो नहीं दिया गया है. दूसरी बात मैं आपके सामने सदन की ओर से हमारे पक्ष के सदस्यों की ओर से अभी प्रस्ताव कर रहा हूं कि इसको अग्राह्य किया जाये, मैं प्रस्ताव करता हूं.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- अध्यक्ष महोदय, समर्थन कर दें.
नेताप्रतिपक्ष(डॉ.गोविन्द सिंह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आप जरा उसको दोबारा पढ़ लें, उसमें संकल्प का लिखा गया है.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, आपने भी दिखवा लिया है, आपने भी पढ़ा है, सचिवालय आसंदी के नीचे ही है, आप दिखवा लें, उसमें अविश्वास प्रस्ताव लिखा गया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, अविश्वास शब्द का उल्लेख किया गया है, इसलिये मतदान का मैंने आपसे कहा है कि मतदान करा लीजिये.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- वह आ ही नहीं सकता है.
चिकित्सा शिक्षा मंत्री(श्री विश्वास सारंग) -- अध्यक्ष महोदय, अग्राह्य करने का संसदीय कार्यमंत्री जी ने बोला है, तो इसको अग्राह्य करना चाहिये.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- यह सबकी मंशा है, सब चाहते हैं.
डॉ.सीतासरन शर्मा(होशंगाबाद) -- अध्यक्ष महोदय, नियमों में बिल्कुल स्पष्ट है कि यदि संकल्प नियमों के विपरीत हो, तो उस पर किसी भी स्थिति में चर्चा नहीं हो सकती है, कॉल एण्ड शकधर का पेज नंबर 120, पैरा-3. दूसरी बात की चौदह दिन की गिनती के लिये पहला दिन और आखिरी दिन छोड़ा जाता है, तो इस तरह से उसको सौलह दिन होना चाहिये, जो कि हुए नहीं है, तो दोनों स्थितियों में भी उस पर चर्चा कैसे हो सकती है ? तीसरी बात चूंकि आपने कक्ष में उसको अग्राह्य योग्य माना है तो किसी भी अग्राह्य माने गये विषय पर यहां पर चर्चा कैसे हो सकती है ?
अध्यक्ष महोदय -- ठीक है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और हमारे वरिष्ठ सदस्य सम्माननीय डॉ.सीतासरन जी ने स्पष्ट रूप से अध्ययन करने के बाद कॉल एण्ड शकधर का भी उल्लेख किया है और आप उसको देख लें. माननीय अध्यक्ष महोदय, अगर वह ऐसा कह रहे हैं और दूसरा विषय भी सम्माननीय डॉ.सीतासरन जी ने जो रखा है कि पहला और आखिरी दिन छोड़ा जाता है, वह दोनों स्थिति में अग्राह्य के योग्य है.
लोक निर्माण कुटीर एवं ग्रामोद्योग मंत्री (श्री गोपाल भार्गव)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा मत है कि इसमें अब देखने लायक कुछ भी नहीं है, इसका पटाक्षेप हो, सभी लोग अपनी बात कह चुके हैं और जो आपने भावातिरेक में आज जो कुछ भी आपने उसके लिये मैं क्षमा चाहूंगा नियम संगत नहीं है, विधान सम्मत नहीं है, संविधान सम्मत नहीं है और इसलिये इसका पटाक्षेप होना चाहिये.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष जी, मैं प्रस्ताव करता हूं कि जो अविश्वास शब्द का उल्लेख करते हुये आसंदी के खिलाफ लाया गया था, उसे अग्राह्य किया जाये.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया-- माननीय अध्यक्ष जी, नरोत्तम जी ने और सीतासरन जी ने बहुत स्पष्ट कह दिया है. कहा क्या जा रहा था, लिखा क्या जा रहा था और समझा क्या जा रहा था, जहां अविश्वास लाया ही नहीं जा सकता है, उन परिस्थितियों में उन स्थितियों में कैसे प्रतिपक्ष ने इस बात को लेकर के रेखांकित किया, जो नरोत्तम जी ने कहा और आदरणीय सीतासरन जी ने कहा, हम सहमत हैं, इसको तो अग्राह्य करना चाहिये.
श्री विश्वास सारंग-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा संसदीय कार्यमंत्री जी ने बोला, सीतासरन जी ने बोला यह जो प्रस्ताव लाया गया था वह विधिसंगत भी नहीं था तो उस पर बहुत ज्यादा नहीं, उसको अग्राह्य करने का जो प्रस्ताव है, निश्चित रूप से उसको अग्राह्य करना चाहिये.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष जी, अगर इसमें कोई राय लेना चाहें तो आधा घंटे आप स्थगित करके अपने कक्ष में ...
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, राय तो आ गई.
श्री विश्वास सारंग-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अब तो प्रस्ताव प्रस्तुत ही हो गया.
श्री तुलसीराम सिलावट-- संसदीय कार्यमंत्री ने जो प्रस्ताव रखा है वह विधि सम्मत है उसको करना चाहिये.
अध्यक्ष महोदय-- अध्यक्ष के संबंध में प्राप्त प्रतिपक्ष की सूचना के संबंध में माननीय संसदीय कार्यमंत्री जी ने जो प्रस्ताव प्रस्तुत किया है उसके पक्ष में जो माननीय सदस्य हों वह ''हां'' कहें, जो विपक्ष में हो कृपया न कहें.
हां की जीत हुई.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
सूचना अग्राह्य की जाती है.
3.14 बजे
वर्ष 2023-24 के आय-व्ययक में सम्मिलित अनुदानों की मांगों पर
मुखबन्ध (गिलोटिन) : प्रस्ताव
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र)-- माननीय अध्यक्ष जी, एक दूसरा प्रस्ताव मैं आपको निवेदन कर रहा था कि बजट सत्र हमारा वर्तमान में चल रहा है और आज उसका सेकेण्ड लास्ट दिन है और अभी एक विभाग हम छोड़ दें, सारे के सारे विभाग रखे हुये हैं और इसलिये माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी प्रार्थना है कि इसको गिलोटिन किया जाये.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि वर्ष 2022-23 के आय-व्ययक में सम्मिलित अनुदानों की मांगों पर गिलोटिन किया जाये.
3.15 बजे वर्ष 2023-2024 के आय-व्ययक में सम्मिलित अनुदानों की मांगों पर मुखबंध (गिलोटिन)
अध्यक्ष महोदय - वर्ष 2023-2024 के आय-व्ययक पर सामान्य चर्चा के साथ कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव,अनुपूरक बजट, एवं कुछ अनुदान मांगों पर दोनों पक्षों के अधिकांश सदस्यों द्वारा विस्तार से चर्चा की गई है. कम समय शेष होने से विभागवार अनुदान की मांगों पर पूर्व निर्धारित अनुसार चर्चा पूर्ण होना संभव नहीं है जबकि समय-सीमा में विभागों के मंत्रियों के अनुदान मांगें स्वीकृत होना आवश्यक है.
अत: वर्णित स्थिति में आय-व्ययक में सम्मिलित अनुदानों की मांगों पर अब मुखबंध(गिलोटिन) होगा. इस संबंध में मतदान हेतु सभी विभागों की अनुदान मांगें माननीय वित्त मंत्री जी एक साथ प्रस्तुत करेंगे तथा उन पर एक साथ मत लिया जाएगा.
श्री पी.सी.शर्मा - अध्यक्ष महोदय, पी.डब्लू.डी.में तो जवाब आ जाये. पी.डब्लू.डी. का हो जाए उसके बाद कराईये.
श्री विश्वास सारंग - अध्यक्ष जी ने बोल दिया.
3.16 बजे बर्हिगमन
इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यों द्वारा सदन से बर्हिगमन
नेता प्रतिपक्ष (डॉ.गोविन्द सिंह) - माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी संसदीय कार्य मंत्री जी ने जो गिलोटिन का प्रस्ताव रखा. हम उससे सहमत नहीं हैं कि गिलोटिन कराई जाएं. हमारे विधायक एवं प्रतिपक्ष आपके इस प्रस्ताव का विरोध करते हुए बर्हिगमन करता है.
इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यों द्वारा अनुदान मांगों के मुखबंध प्रस्ताव के विरोध में नेता प्रतिपक्ष,डॉ.गोविन्द सिंह के नेतृत्व में सदन से बर्हिगमन किया गया.
3.17 बजे वर्ष 2023-2024 के आय-व्ययक में सम्मिलित अनुदानों की मांगों पर
मुखबंध (गिलोटिन) क्रमश.:
3.23 बजे शासकीय विधि विषयक कार्य
(1) मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-2) विधेयक,2023 (क्रमांक 6 सन् 2023) का पुरःस्थापन एवं पारण.
(2) मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि (संशोधन) विधेयक, 2023 (क्रमांक 1 सन् 2023)
(3) मध्यप्रदेश नगरीय क्षेत्रों के भूमिहीन व्यक्ति (पट्टाधृति अधिकारों का प्रदान किया जाना) संशोधन विधेयक, 2023 (क्रमांक 2 सन् 2023)
(4) मध्यप्रदेश उद्योगों की स्थापना एवं परिचालन का सरलीकरण विधेयक, 2023 ( क्रमांक 3 सन् 2023)
(5) ग्वालियर व्यापार मेला प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक 2023
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री (श्री ओमप्रकाश सखलेचा) -- अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि ग्वालियर व्यापार मेला प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2023 पर विचार किया जाए.
अध्यक्ष महोदय – प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि ग्वालियर व्यापार मेला प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2023 पर विचार किया जाए.
प्रश्न यह है कि ग्वालियर व्यापार मेला प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2023 पर विचार किया जाए. प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अब विधेयक के खंडों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2 इस विधेयक का अंग बना.
प्रश्न यह है कि खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बना.
प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री (श्री ओमप्रकाश सखलेचा) -- अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि ग्वालियर व्यापार मेला प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2023 पारित किया जाए.
अध्यक्ष महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि ग्वालियर व्यापार मेला प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2023 पारित किया जाए.
प्रश्न यह है कि ग्वालियर व्यापार मेला प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2023 पारित किया जाए. प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
3.33 बजे मध्यप्रदेश की विधान सभा की वर्ष 2022-23 की अवधि के लिये कर्तव्य सभा समितियों के कार्यकाल में वर्तमान पंचदश विधान सभा के कार्यकाल पर्यन्त तक वृद्धि की जाना : प्रस्ताव
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) -- अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश की विधान सभा की वर्ष 2022-23 की अवधि के लिये कर्तव्य सभा समितियों के कार्यकाल में वर्तमान पंचदश विधान सभा के कार्यकाल पर्यन्त तक वृद्धि की जाए.
अध्यक्ष महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश की विधान सभा की वर्ष 2022-23 की अवधि के लिये कर्तव्य सभा समितियों के कार्यकाल में वर्तमान पंचदश विधान सभा के कार्यकाल पर्यन्त तक वृद्धि की जाए. प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
3.34 बजे सत्र का समापन
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) – अध्यक्ष महोदय, कुल एक दिन सत्र का बचा था और आपने काफी धैय पूर्वक, संयम पूर्वक सम्मानित विपक्ष के साथियों को सर्वाधिक समय देकर मुझे ध्यान नहीं आता इस सत्र में जब महामहिम राज्यपाल के अभिभाषण पर सारगर्भित चर्चा हुई, आपने कभी किसी को जल्दी बिठाया हो. पूरी बात कहने की आपने उन सबको पूरी स्वतंत्रता दी. इसी तरह से सम्मानित अध्यक्ष महोदय, बजट सत्र पर भी जब आम बजट पर चर्चा प्रारंभ हुई, आपने सभी को पूर्ण अवसर दिया.
अध्यक्ष महोदय, विनियोग अनुपूरक पर भी और अभी जब मुख्यमंत्री जी के विभागों पर सम्मानित सदस्य बोल रहे थे आपने सभी को पूर्ण अवसर दिया. विधान सभा में हाऊस इस तरह का होता है कि यहां हिलोर कभी उधर से आती है, कभी हिलोर इधर से आती है और उस समय अध्यक्ष महोदय, दोनों हिलोरों को पी जाना अपने गुस्से को शांत करना, अपने आप को नीलकंठ बनाकर हमारे क्रोध को भी पी जाना यह अध्यक्ष महोदय, इस आसंदी की विशेषता रही है और इस आसंदी की परम्परा भी रही है. इसलिये अध्यक्ष महोदय, मैं आपका हृदय से आभार व्यक्त करता हूं कि अब यह समाप्त होते सत्र में जब यह बजटीय कार्यवाही और संसदीय कार्यवाही लगभग पूर्णता की ओर है, मैं अपना कर्तव्य समझता हूं कि मैं आपका आभार व्यक्त करूं. अकेले कांग्रेस के सम्मानित सदस्य आरिफ भाई बैठे हैं, अब वह बुला नहीं सकते हैं, लेकिन मेरी इच्छा तो यह थी कि सम्मानित नेता प्रतिपक्ष भी होते. तो समापन ठीक होता, लेकिन थोड़ी सी दिक्कत क्या है कि कांग्रेस के अंदर कोई और कहीं से सदन चलाने की कोशिश करते हैं. जिन्हें शायद इस सदन में एक दिन भी पूरे बैठने का अनुभव नहीं है. वे शायद एक घण्टा भी लगातार नहीं बैठे हैं. इसलिए इस सदन की मान्य परंपराएं इस बार खण्डित होती हुई लगीं. जब वे नेता प्रतिपक्ष थे, जब वे मुख्यमंत्री थे या वर्तमान में कांग्रेस के अध्यक्ष भी हैं माननीय कमलनाथ जी. जब वे वहां से गाइड करते हैं तो कुछ मिसाइलें अनगाइडेड हो जाती हैं. फिर जैसे वास्तविक सदन चलना चाहिए, वैसा सदन नहीं चल पाता है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आज का ही अगर उदाहरण लें कि आपने नेता प्रतिपक्ष जी को आज ही कहा. उन्होंने कहा कि वे चले गए, वे चले गए, हम सब बैठे हैं. 7-8 लोग बहिर्गमन करके चले गए, बाकी पूरा दल बैठा रहा. अब यह इसके पहले कभी देखने को नहीं मिला. यह अभी देखने को मिला है. चूँकि वे उनको अकेले जो अलग बैठे हुए गाइड कर रहे हैं कि ये विषय उठाओ और नेता प्रतिपक्ष की सहमति, असहमति भी आपने कई बार देखी होगी. मुझे वे कवि की पंक्तियां याद आती हैं, उन्होंने लिखा किसी और संदर्भ में था, कवि शिव मंगल सिंह सुमन एक काफी बड़े कवि हुए हैं कि कवि शिव मंगल सिंह सुमन की लेखनी स्याही नहीं, आग उगलती है. कोई नहीं बुझाने वाला, और दूर बैठकर ताप रहा है आग लगाने वाला. ये कमोवेश स्थिति इस बार इस सदन की लगी. पर आरिफ भाई एकमात्र सदस्य हैं, मेरे बहुत अच्छे मित्र भी हैं. मैं उनसे कहूँगा कि मेरे मित्र गोविन्द सिंह जी को बताएं कि ज्यादा दबाव में न काम करें, उम्र के चौथे पड़ाव पर हैं. इतने दबाव में नहीं रहना चाहिए. जब माननीय अध्यक्ष महोदय, ऐसी लोकोक्ति है, मुहावरा है कि जब परिस्थतियां अनुकूल नहीं हों तो मन:स्थिति को बदल लेना चाहिए. इसलिए मैं गोविन्द सिंह जी से आग्रह करूंगा कि आप मन:स्थिति को बदलें. मन:स्थिति बदलकर इन सबके बीच में आप परिस्थिति को अनुकूल बनाएं. अन्यथा कोई और कहीं से संचालित करेगा. अगर गोविन्द सिंह जी जैसे सम्मानित सदस्य का, जो सामने वाले दल के सर्वाधिक सीनियर सदस्य हैं. वर्ष 1990 से हम और गोविन्द सिंह जी साथ जीत के आए थे. हमसे पहले शायद सदन में गोपाल भार्गव जी हैं, बिसाहुलाल सिंह जी भी होंगे, तुलसीराम सिलावट जी हैं, प्रभुराम चौधरी जी हैं. प्रभु जी तुम चंदन, हम पानी. उधर तो माननीय गोविन्द सिंह जी ही सबसे सीनियर हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, शनै: शनै: माननीय गोविन्द सिंह जी ऊपर आए. वह कहावत है कि 'न किसी को गिराया, न खुद को उछाला, कटा जिंदगी का सफर धीरे-धीरे, और जहां लोग पहुँचे छलांगें लगाकर, वहां वे भी पहुँचे, मगर धीरे-धीरे'. माननीय अध्यक्ष महोदय, ऐसे नेता प्रतिपक्ष का भी आभार व्यक्त करने की मेरी जिम्मेदारी है. मैं उनका भी आभार व्यक्त करता हूँ. बाकी भी जो सम्मानित सदस्य अन्य दल के हैं, कांग्रेस के हैं, हमारे दल के हैं, मैं सभी का आभार व्यक्त करता हूँ. सचिवालय का, हमारे प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया के सम्मानित हमारे पत्रकार बंधु, जो पूरे समय बैठकर हमारे हर शब्द पर, हमारे हर वाक्य पर नजर रखते हैं और जनहित के मुद्दे, जो इस सदन के अंदर आते हैं, चाहे प्रश्नकाल में हों, चाहे शून्यकाल में हों, चाहे ध्यान आकर्षण के माध्यम से हों, चाहे विनियोग के माध्यम से हों, चाहे बजट के माध्यम से हों, हर विषय की महत्ता को समझते हुए, गुण-दोष के आधार पर वे जनता के सामने ले जाते हैं. मैं उन सबका भी आभार व्यक्त करता हूँ. मैं सचिवालय के साथ-साथ जो हमारी सुरक्षा में तैनात हमारी इस विधान सभा के अंदर विधान सभा के भी कर्मचारी और हमारे गृह विभाग के, पुलिस विभाग के जितने भी सम्मानित कर्मचारी बंधु हैं, मैं उनका भी आभार व्यक्त करता हूँ.
चिकित्सा शिक्षा मंत्री (श्री विश्वास सारंग) -- अध्यक्ष महोदय, संसदीय कार्य मंत्री जी का भी आभार है. ये खुद का अपना बोल नहीं पा रहे हैं. इन्होंने भी बहुत अच्छे से संचालन किया है. मैं ठीक बोल रहा हूँ ना भाई. (मेजों की थपथपाहट).
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, विश्वास सारंग पर एक शायरी याद आती है, खूबी तेरे किरदार की, कुछ यू बयां हो गई, और जब भी तेरा नाम लिया, मिठी जुबान हो गई. भाई है मेरा. इसके साथ ही मैं सभी का, जो मेरे से छूट गए होंगे, मैं उन सबका भी बहुत आभार व्यक्त करता हूँ. धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ. एक बार पुन: हाथ जोड़कर आपका आभार व्यक्त करता हूँ.
अध्यक्ष महोदय -- इस सत्र के सुचारू संचालन के लिये मैं माननीय मुख्यमंत्री जी, माननीय नेता प्रतिपक्ष जी सहित सभी माननीय मंत्रिगणों, सभापति तालिका के सभी सदस्यों, सभी माननीय सदस्यों, प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुडे़ महानुभावों, विधानसभा सचिवालय तथा शासन के अधिकारियों, कर्मचारियों, सुरक्षा कर्मचारियों को धन्यवाद देता हॅूं. मैं अपनी ओर से, पूरे सदन की ओर से प्रदेशवासियों को गुड़ी-पड़वा, चैतीचांद और रामनवमीं की हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए उनकी, प्रदेश की, सभी की खुशहाली की कामना करता हॅूं. साथ-साथ इस विधानसभा का मुखिया होने के नाते मेरी विधानसभा के सभी अधिकारी, कर्मचारी, यहां पर छोटे स्तर के कर्मचारी, जो छोटे-से काम की भूमिका में थे, उन सब ने मिलकर के हमारे माननीय सदस्यों के आए हुए प्रश्नों का, उनके उत्तरों का, उनकी व्यवस्थाओं का, सबकी व्यवस्था करने में वे पूरी ताकत और जिम्मेदारी से काम किया. कहीं कोई उनकी तरफ से कोई त्रुटि हुई हो, हमारे माननीय सदस्यों के लिये, तो उनकी तरफ से मैं आप सबसे क्षमा चाहता हॅूं और मैं संसदीय कार्यमंत्री जी से चाहता हॅूं कि वे प्रस्ताव करें.
3.41 बजे
विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिये स्थगित की जाना: प्रस्ताव
संसदीय कार्यमंत्री (डॉ.नरोत्तम मिश्र) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, विधानसभा के वर्तमान सत्र के लिये निर्धारित समस्त शासकीय, वित्तीय एवं अन्य आवश्यक कार्य पूर्ण हो चुके हैं. अत: मध्यप्रदेश विधान सभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियम 12-ख के द्वितीय परन्तुक के अंतर्गत, मैं, प्रस्ताव करता हॅूं कि "सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित की जाये."
अध्यक्ष महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ. प्रश्न यह है कि "सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित की जाये."
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
3.42 बजे राष्ट्रगान जन-गण-मन का समूहगान
अध्यक्ष महोदय -- अब राष्ट्रगान होगा.
(सदन के माननीय सदस्यों द्वारा राष्ट्रगान जन-गण-मन का समूहगान किया गया.)
3.43 बजे
सदन की कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिये स्थगित किया जाना : घोषणा
अध्यक्ष महोदय -- विधान सभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिये स्थगित.
अपराह्न 3.43 बजे विधान सभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिये स्थगित की गई.
भोपाल : अवधेश प्रताप सिंह
दिनांक : 21 मार्च, 2023 प्रमुख सचिव
मध्यप्रदेश विधान सभा