मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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चतुर्दश विधान सभा त्रयोदश सत्र
फरवरी-मार्च, 2017 सत्र
मंगलवार, दिनांक 21 मार्च, 2017
( 30 फाल्गुन, शक संवत् 1938 )
[खण्ड- 13 ] [अंक- 15 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
मंगलवार, दिनांक 21 मार्च, 2017
( 30 फाल्गुन, शक संवत् 1938 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.02 बजे समवेत हुई.
{ अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
प्रश्न संख्या 1 (अनुपस्थित)
पन्ना जिले में हीरा भंडार क्षेत्रों का आवंटन
[खनिज साधन]
2. ( *क्र. 6881 ) श्री बाला बच्चन : क्या खनिज साधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) छतरपुर जिले के पन्ना में हीरा भंडार क्षेत्र को किन शर्तों पर रियों टिंटों को खुदाई हेतु आवंटित किया गया था? अनुबंध की प्रति उपलब्ध करावें तथा बतावें कि क्या उन्होंने आवंटित भूमि पर ही तयशुदा खनन किया था? इसकी प्रमाणित जानकारी देवें। (ख) कंपनी ने उपरोक्त भूमि पर स्थायी/ अस्थायी प्रकृति के कितने निर्माण किए? भूमि वापस करते समय कंपनी द्वारा दी गई सभी संपत्ति स्थायी/अस्थायी की सूची उनके क्षेत्रफल सहित देवें? यदि भवन है तो भवन के कमरों इत्यादि की भी पूर्ण जानकारी देवें? यदि कक्ष या वाहन हैं तो उनके बारे में भी बतावें? (ग) कंपनी ने विगत 10 वर्षों में कितने मूल्य का हीरा उपलब्ध कराया? उसकी सूची देवें। (घ) उपरोक्तानुसार अपनी मर्जी से सेवा शर्तों को पूरा किए बिना काम छोड़कर जाने वाली कंपनी एवं इसकी निगरानी करने वाले जिम्मेदार अधिकारियों पर शासन कब तक कार्यवाही करेगा?
खनिज साधन मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) प्रश्नाधीन जिले के पन्ना क्षेत्र में प्रश्नाधीन कंपनी को हीरा भण्डार के खनन हेतु कोई क्षेत्र आवंटित नहीं किया गया है। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) से (घ) प्रश्नांश (क) में दिये उत्तर के प्रकाश में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री बाला बच्चन--माननीय अध्यक्ष महोदय, एक लिपिकीय त्रुटि के कारण मेरे प्रश्न का उत्तर ही सरकार ने गायब कर दिया है इससे ऐसा लगता है कि सरकार रियो टिंटों कम्पनी के साथ में खड़ी है.
अध्यक्ष महोदय--आप पूरा पूछ लीजिये.
श्री बाला बच्चन--माननीय अध्यक्ष महोदय, सर्वविदित है, हम सब जानते हैं कि हीरा भण्डार क्षेत्र केवल छतरपुर एवं पन्ना जिले में ही है. सरकार ने मेरे प्रश्न के उत्तर को गायब कर दिया है. मैं आपका संरक्षण चाहता हूं कि कल भी मेरे 19 वें नंबर पर प्रश्न था, वह आ नहीं पाया था. सरकार ने मेरे प्रश्न का उत्तर क्यों नहीं दिया ? मैं यह जानना चाहता हूं कि किन शर्तों पर हीरा भण्डारण क्षेत्र रियो टिंटों कम्पनी को दिया गया था उन शर्तों का पालन क्यों नहीं किया बीच में कंपनी काम छोड़कर के क्यों चली गई ? कितने मूल्य के हीरे सरकार को मिलने थे वह नहीं मिले ? दूसरा जिन शर्तों के साथ अनुबंध हुआ था उसकी कापी दिलवा दें.
श्री राजेन्द्र शुक्ल--माननीय अध्यक्ष महोदय, रियो टिंटों कम्पनी को प्रॉसप्रेक्टिंग लायसेंस 2007 में दिया गया था. 2008 में 25 तथा 45 स्क्वायर किलोमीटर के लिये दिया था. इसमें अनुबंध की कापी उपलब्ध हो जाएगी, दिक्कत नहीं है. लेकिन प्रॉसप्रेक्टिंग लायसेंस के बाद उन्होंने लगभग 1 हजार हैक्टेयर में एमएल के लिये भी एप्लाई किया था. इसका मतलब कि उनको हीरे का भण्डारण मिला है जिसके आधार पर ही एमएल के लिये एप्लाई किया है. यह प्रकरण भारत सरकार में प्रोसेस में था. इसी बीच में रियो टिंटों कम्पनी ने अपनी इंटरनल नीति हर वर्ष उनके बोर्ड में तय होती है. उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी निर्णय लिया कि यहां पर इन्वेस्टमेंट नहीं करना है तो उन्होंने उस क्षेत्र को छोड़ने का प्रस्ताव दिया, जिसका उनको अधिकार है. इसमें न तो किसी शर्त का उल्लंघन हुआ है. उनको खनिज की खोज के लिये लायसेंस मिला था उन्होंने खनिज खोजा भी, लेकिन आगे न बढ़ने का उनका अपना निर्णय है उसमें हम उनको बाध्य नहीं कर सकते थे. इसीलिये किसी भी शर्त के उल्लंघन का कोई सवाल ही नहीं उठता ?
श्री बाला बच्चन--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह चाहता हूं कि कितने मूल्य के हीरे सरकार को मिलने थे दूसरा अनुबंध की कापी कब तक उपलब्ध करवा देंगे, क्योंकि जहां तक मेरी जानकारी में है और मैंने जिस कारण से इस प्रश्न को लगाया है कि बड़ी मात्रा में हीरो की चोरी हुई है. इस कंपनी ने बड़ी मात्रा में हीरे चुराये हैं. एक तरफ आपकी ही पार्टी बोलती है कि इंग्लैंड में जो कोहिनूर हीरा है उसको हम वापस लायेंगे. पिछले 10 सालों में रियो टिंटों कंपनी मूल्य के हीरे हमारे यहां से फिर चुराये हैं. दूसरा जिन शर्तों का अनुबंध हुआ था उसकी कापी कब तक उपलब्ध करवा देंगे ?
श्री राजेन्द्र शुक्ल--अध्यक्ष महोदय, अनुबंध की कॉपी तो कल ही मिल जाएगी. आदरणीय बाला बच्चन जी बहुत सीनियर मेम्बर हैं और उप नेता प्रतिपक्ष भी हैं इसलिए यह कहना ठीक नहीं है और अच्छा नहीं लगता कि कितने मूल्य के हीरे चुराये. वास्तव में इसमें 64 लाख रुपये की रॉयल्टी उन्होंने उस रॉ डायमण्ड के लिए जमा की है जिसको सेम्पलिंग के लिए वह बाहर ले जाते थे यह देखने के लिए कि इसमें किस क्वालिटी का डायमण्ड है.
अध्यक्ष जी, आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि उन्होंने लगभग 15 लाख रुपये के हीरे जिसको लौटाने के लिए वह बाध्य नहीं हैं क्योंकि उन्होंने रॉयल्टी जमा कर दी है. उसके बाद भी 15 लाख रुपये के हीरे, जब उन्होंने यह फैसला किया कि अब हमको आगे यहां काम नहीं करना है, वापस किए. दूसरा लगभग 50 लाख रुपये की गाड़ियां जिसमें एम्बुलेंस, मार्शल महिन्द्रा आदि एक प्रकार से राज्य शासन को दान किया है. इसके अलावा 32 एकड़ जमीन जिसकी कीमत लगभग 18 करोड़ रुपये है वह जमीन उन्होंने एक प्रकार से राज्य शासन को ऑफर की है कि हम इसको छोड़ कर जाना चाहते हैं, इसको आप स्वीकार कर लें. यह एक बहुत बड़ी कंपनी है उनके लिए करोड़ की प्रापर्टी ज्यादा मायने नहीं रखती होगी इसलिए उन्होंने उसको दान के रुप में दे दिया है. अध्यक्ष महोदय, क्या वह हीरे चुराएंगे जिसका कमर्शियल प्रोडक्शन शुरु ही नहीं हुआ! प्रॉस्पेक्टिंग लायसेंस के माध्यम से जिस हीरे को निकाला उसमें पहले कोर निकालते हैं, फिर कोर को क्रश करते हैं, फिर मेटल बनाते हैं, फिर मेटल को बंगलुरु की लेब में ले जाकर उसको और पीस कर उसमें से डायमण्ड निकालते हैं और फिर उसकी कटिंग और पॉलिसिंग होती है. उसमें 2762 कैरेट हीरे जिसका बाजार मूल्य 15 लाख रुपये है वह भी उन्होंने जमा कर दिया है जो कि कोष में सुरक्षित है. इसलिए हीरे चुराने का कहना मुझे नहीं लगता कि उचित है.
श्री बाला बच्चन--अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मैं मंत्री जी की जानकारी में लाना चाहता हूं कि 20 फरवरी को आपके मंत्रिमंडल की मंत्री जो कि छतरपुर-पन्ना से ताल्लुक रखती हैं, उन्होंने इस बात को कहा था कि बीच में इस कंपनी का छोड़ कर जाना संदेह पैदा करती है. अध्यक्ष महोदय, अभी मंत्री जी ने बोला कि हम कंपनी को बाध्य नहीं कर सकते हैं. मैं समझता हूं कि इतना बड़ा कारोबार करने वाली कंपनी, दुनिया की रेप्युटेड कंपनी जिसके साथ अनुबंध किया तो आप किन बातों का अनुबंध करते हैं कि हम उसको बाध्य नहीं कर सकते तो क्या इस तरह की पुनरावृत्ति मध्यप्रदेश में कराते रहेंगे और अरबों रुपये के पन्ना-हीरा की चोरी सरकार कराती रहेगी? आप कंपनी को बाध्य क्यों नहीं कर सकते? यह पूरा मध्यप्रदेश जानना चाहता है. आपके मंत्रिमंडल की एक मंत्री ने इस बात पर संदेह जताया है. मंत्री जी, हम अनुबंध करते हैं, शर्ते लगाते हैं उनका सरकार पालन क्यों नहीं कराती है?
पंचायत और ग्रामीण विकास,मंत्री(श्री गोपाल भार्गव)-- बाला भाई ! मंत्री जी ने इतना स्पष्ट उत्तर दिया है. मुझे लगता है आपने रात में ज्वेल थीफ फिल्म देखी होगी.
श्री बाला बच्चन-- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने अनुबंध की प्रति कल तक उपलब्ध कराने की बात कही. मैं उसके लिए आपको धन्यवाद देता हूं. वह प्रति उपलब्ध कराइये उसके बाद आपसे फिर और जानना चाहूंगा. धन्यवाद.
निशातपुरा पन्नानगर योजना में आवास आवंटन
[नगरीय विकास एवं आवास]
3. ( *क्र. 5712 ) श्री चम्पालाल देवड़ा : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) गृह निर्माण मण्डल द्वारा संचालित आवासीय योजना में क्या सभी आवश्यक स्वीकृति प्राप्त होने के पश्चात् भवन पंजीयन का विज्ञापन जारी किया जाता है? यदि हाँ, तो निशातपुरा पन्नानगर योजना में नगर एवं ग्राम निवेश विभाग द्वारा अनुमति प्राप्त किये बिना ही योजना में पंजीयन हेतु विज्ञापन जारी कर राशि क्यों प्राप्त की गई? क्या यह कार्यवाही नियमानुसार थी? बोर्ड की योजना अनुसार भवन निर्माण में विलंब होने से क्या योजना आर्थिक दृष्टि से बोर्ड के लिये या पंजीयनकर्ता की दृष्टि से हितकारी नहीं होती है? यदि नहीं, तो इस योजना को बोर्ड द्वारा आर्थिक दृष्टि से हितकारी नहीं बताकर प्रकोष्ठ योजना क्यों लागू की गई? (ख) क्या इस योजना को वर्ष 2013 में पुन: जीवित करने हेतु आवेदकों द्वारा माननीय मुख्यमंत्री/बोर्ड अध्यक्ष, प्रमुख सचिव, आवास एवं पर्यावरण, म.प्र. शासन से निवेदन करने पर योजना को शासन द्वारा पुन: स्वीकृति दी गई? यदि हाँ, तो उन आवेदकों की सहमति लिये बिना ही स्वतंत्र भवन प्रकोष्ठ से बहुमंजिला भवन निर्माण की योजना बोर्ड द्वारा अपनी मर्जी से क्यों स्वीकृत की गई? (ग) क्या शासन इस योजना में शेष बचे आवेदकों जिनके द्वारा पंजीयन राशि वापिस नहीं ली गई है, उन्हें पंजीयन के आधार पर स्वतंत्र भवन निर्मित कर उसी मूल्य पर आवास उपलब्ध कराकर शेष भूमि पर प्रकोष्ठ के निर्माण की कार्यवाही करने के निर्देश देगा? (घ) यदि उसी स्थान पर भवन उपलब्ध कराने में बोर्ड को कठिनाई है तो नगर निगम सीमा के अंतर्गत उसी क्षेत्रफल या आवेदकों की मांग अनुसार भवन/भूखण्ड पूर्व भवन के मूल्य को आधार मानते हुए उपलब्ध करायेगा? यदि हाँ, तो कब तक नहीं तो क्यों नहीं?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्रीमती माया सिंह ) : (क) जी हाँ। निशातपुरा पन्ना नगर की योजना अंतर्गत अभिन्यास नगर तथा ग्राम निवेश विभाग के पत्र क्र. 2728/जी-211/29/जिला/न.ग्रा.नि./2005 दिनांक 21.09.2005 द्वारा 1158 ई.डब्ल्यू.एस. प्रकोष्ठों हेतु स्वीकृत था। उक्त योजनांतर्गत पंजीयन प्राप्त न होने से योजना पुनरीक्षित कर स्वतंत्र एम.आई.जी. भवनों के निर्माण करने की दृष्टि से योजना का अभिन्यास पुनरीक्षित हेतु दिनांक 25.05.2009 को नगर तथा ग्राम निवेश विभाग को अनुमोदन हेतु प्रेषित किया गया। पुनरीक्षित अभिन्यास स्वीकृति की प्रत्याशा में एम.आईजी. भवनों हेतु पंजीयन आमंत्रित किए गए। पूर्व अभिन्यास आवासीय उपयोग हेतु स्वीकृत था एवं पुनरीक्षित योजना जो कि पुनः आवासीय उपयोग की थी। अतः समस्त कार्यवाही नियमानुसार की गई। भवन निर्माण में विलम्ब होने के दृष्टिगत योजना आर्थिक दृष्टि से हितकारी होने अथवा न होने संबंधी प्रश्न उपस्थित नहीं होता। प्रश्नाधीन योजना आर्थिक दृष्टि से हितकारी नहीं होने संबंधी स्थिति का तात्पर्य यह है कि नगर तथा ग्राम निवेश विभाग द्वारा अभिन्यास का भूमि उपयोग यातायात निर्दिष्ट होने के आशय से निरस्त किया गया। अतः मण्डल द्वारा भूमि उपांतरण हेतु नियमानुसार प्रस्तुत आवेदन अंतर्गत नगर तथा ग्राम निवेश विभाग द्वारा रेलवे की सीमा से 30 मी. चौड़ा खुला क्षेत्र अभिन्यास में छोड़ने की शर्त पर भूमि उपांतरण किया गया। इस शर्त के परिप्रेक्ष्य में अभिन्यास अंतर्गत उपलब्ध होने वाली भूमि में स्वतंत्र भवनों की योजना आर्थिक रूप से साध्य न होने से प्रकोष्ठ भवनों के निर्माण की योजना प्रस्तावित की गई। (ख) जी नहीं। पूर्व में प्रस्तावित स्वतंत्र भवनों की योजना साध्य न होने से प्रकोष्ठ भवनों की योजना प्रस्तावित की गई एवं तत्समय पंजीकृत हितग्राहियों को विकल्प प्रदान किया गया कि वे प्रकोष्ठ भवनों की योजना में शामिल हो सकते हैं अथवा अपनी जमा राशि निर्धारित ब्याज सहित प्राप्त कर सकते हैं। अतः बहुमंजिला भवन निर्माण की योजना परिस्थितिजन्य होने से मण्डल द्वारा अपनी मर्जी से स्वीकृत नहीं की गई। (ग) पूर्व योजनांतर्गत शेष बचे ऐसे आवेदक जिनके द्वारा पंजीयन राशि वापिस नहीं ली गई है, उनके लिए प्रश्नाधीन योजनांतर्गत स्वतंत्र भवन निर्मित कर प्रदान करना पुनरीक्षित अभिन्यास में प्रावधान उपलब्ध न होने के परिप्रेक्ष्य में नहीं किया जा सकता है। शेष हितग्राहियों को मण्डल की रिक्त संपत्ति अथवा नवीन योजनाओं अंतर्गत वर्तमान निर्धारित मूल्य पर संपत्ति प्राप्त करने का विकल्प उपलब्ध है, जिसमें उनके द्वारा जमा राशि निर्धारित ब्याज दर पर संपत्ति के मूल्य में समायोजित की जावेगी। (घ) जानकारी प्रश्नांश (ग) अनुसार है।
श्री चम्पालाल देवड़ा--अध्यक्ष महोदय, मैं, आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी को अवगत कराना चाहता हूं कि विभाग द्वारा दिया गया उत्तर असत्य और भ्रामक है. विभाग द्वारा बताया गया कि उक्त क्षेत्र रेल यातायात के लिए प्रभावित होने से प्रोजेक्ट स्थगित कर, ले आउट परिवर्तित किया गया. जबकि वास्तव में यातायात क्षेत्र हेतु न तो नगर एवं ग्राम निवेश और न ही कलेक्टर द्वारा कोई अधिसूचना जारी की गई. उक्त प्रोजेक्ट में यातायात के लिए स्थान पूर्व से ले आउट में ही छोड़ा गया था. केवल ले आउट परिवर्तन के नाम पर असत्य जानकारी दी गई है.
अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी यह जानना चाहता हूं कि मंडल के दबाव में उक्त योजना में 196 में से 192 लोगों ने अपनी जमा राशि वापस ले ली. शेष 4 हितग्राही हैं जिन्होंने बैंक से कर्जा लिया था. बैंक से कर्जा लेने के बाद वे इतने डिप्रेशन में है कि वह न तो बैंक में वापस राशि जमा करा पा रहे हैं और न उनको भूखंड आवंटित हो पा रहा है. मैं, मंत्री जी से यह जानना चाहता हूं कि जो 4 हितग्राही बचे हैं, उनको भूखंड उपलब्ध कराएंगे या जो बैंक ने उनको लोन दिया था उस पर उनको जो ब्याज देना पड़ रहा है, वह ब्याज की राशि विभाग देगा?
श्रीमती माया सिंह - माननीय अध्यक्ष जी, आपके माध्यम से मैं सम्माननीय विधायक जी को बताना चाहती हूं कि जो माननीय विधायक जी ने कहा कि असत्य जानकारी दी गई है, तो असत्य जानकारी नहीं दी गयी है बल्कि भूमि उपांतरण मध्यप्रदेश राजपत्र में इस शर्त के साथ प्रकाशित हुआ कि रेलवे सीमा से 30 मीटर तक खुला क्षेत्र रखा जाये. यह सच है, भ्रामक जानकारी नहीं है और दूसरी जानकारी जो वह चाह रहे हैं 4 आवेदकों के बारे में, तो शेष जो 4 आवेदकों ने राशि प्राप्त नहीं की है तो हाऊसिंग बोर्ड द्वारा जो पूर्व में देवकी नगर योजना में निर्मित क्षेत्रफल है वह है 46.80 वर्गमीटर का, और अब उन्हें इससे दुगुने से ज्यादा क्षेत्रफल 95.50 वर्गमीटर का भवन दिया जाना प्रस्तावित किया है जिसमें उनके द्वारा पूर्व में जमा राशि का मय ब्याज समायोजन भी कर दिया जायेगा. उनको यह विकल्प सुझाया है और इस विकल्प के अनुसार नवीन योजना में इस भवन का मूल्य 18.30 लाख रुपये निर्धारित है. उनकी जो राशि जमा थी जैसा आप कह रहे हैं कि उन्होंने बैंक से ली थी तो इसके लिये विभाग उनको ब्याज दे रहा है. उनके पास आप्शन भी हैं. मुझे जो जानकारी है कि यह जो 4 लोग हैं जिसमें से एक व्यक्ति ने जिनका 46.80 वर्गमीटर क्षेत्रफल का पैसा जमा है उसमें केवल 1 लाख रुपये की राशि ही उन्होंने दी है और उसका भी ब्याज विभाग उन्हें लगातार दे रहा है. उनको आप्शंस दिये हैं मकान के लिये भी और पहले से ज्यादा वर्गमीटर क्षेत्रफल का प्लाट देने के लिये भी, अगर वह इसके लिये तैयार हैं तो उनको मकान के लिये भी, और उनकी जो राशि जमा है उस पर हम ब्याज दे रहे हैं. निर्णय उनको ही करना है. दोनों ही आप्शंस उनके लिये खुले हैं.
श्री चंपालाल देवड़ा- अध्यक्ष महोदय, इसका निराकरण कब तक कर लिया जायेगा ?
श्रीमती माया सिंह - माननीय अध्यक्ष जी, 2 आप्शंस उनको दिये हैं. उसमें से वे जो चुनना चाहें हम दोनों के लिये तैयार हैं उनकी मदद के लिये.
अध्यक्ष महोदय - कीमत में कितना डिफरेंस है दोनों आप्शंस में, उतने महंगे मकान शायद वे नहीं ले सकें. यह उनका विषय हो सकता है.
श्रीमती माया सिंह - अध्यक्ष जी, नंबर वन पर जिनका नाम है उनके लिये मैं कहना चाहती हूं कि उन्होंने 1 लाख रुपये की राशि भूखण्ड के लिये जमा कराई थी और इसका बाकायदा ब्याज इन्हें मिल रहा है और पहले 9 लाख 65 हजार रेट था और अब 18 लाख 30 हजार है और साईज दुगुने से ज्यादा है. कीमत भी ज्यादा नहीं है और उनको पहले से ज्यादा आप्शन मिल रहा है.
श्री चंपालाल देवड़ा - धन्यवाद अध्यक्ष महोदय.
ग्वालियर जिले में अवैध उत्खनन पर कार्यवाही
[खनिज साधन]
4. ( *क्र. 6715 ) श्री लाखन सिंह यादव : क्या खनिज साधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) ग्वालियर जिले में प्रश्न दिनांक की स्थिति में किस-किस प्रकार के खनिज के उत्खनन करने की स्वीकृति किस-किस सर्वे नम्बरों से किस-किस व्यक्ति, ठेकेदार या फर्म को किस-किस दिनांक से किस दिनांक तक की अवधि तथा कितने राजस्व की प्राप्ति के लिये दी गई है? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार स्वीकृत खदानों से 01 अप्रैल 2016 से प्रश्न दिनांक तक कितना-कितना राजस्व प्राप्त हुआ है? अलग-अलग खदानवार स्पष्ट करें। (ग) ग्राम मोहना के सर्वे क्रमांक 314/1 अफरोज खान पुत्र सुल्तान खान के नाम से 18.08.2009 से 17.08.2019 तक के लिये खदान स्वीकृत थी? क्या श्री अफरोज खान द्वारा उक्त सर्वे नंबर की खदान को निरस्त करा दिया था? यदि हाँ, तो निरस्ती आदेश की प्रति दें? क्या उस खदान पर मोहना पुलिस की देख रेख में तथा खनिज विभाग के कर्मचारियों/अधिकारियों की मिली भगत से लाखों रूपयों का अवैध उत्खनन किया जा रहा है? यदि नहीं, तो क्या प्रश्नकर्ता विधायक के साथ भोपाल से वरिष्ठ अधिकारियों की टीम गठित कर जाँच कराई जा सकती है? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों? (घ) ग्वालियर जिले में स्वीकृत रेत की खदानों से किस-किस प्रकार के वाहनों से कितनी-कितनी मात्रा के लिये कितनी-कितनी रॉयल्टी वसूली का प्रावधान है? नियम की प्रति उपलब्ध करावें। ठेकेदार द्वारा अधिक राशि वसूलने के लिये क्या दण्डात्मक कार्यवाही का नियम है? यदि है तो प्रति उपलब्ध करावें? क्या ठेकेदार द्वारा रसीद में लिखी राशि का 5-6 गुना अधिक अवैध वसूली की जा रही है? यदि हाँ, तो क्यों? यदि नहीं, तो क्या इसकी जाँच कराई जावेगी?
खनिज साधन मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) एवं (ख) प्रश्नानुसार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) जी हाँ। जी नहीं। अपितु प्रश्नाधीन खदान को माननीय एन.जी.टी. नई दिल्ली के प्रकरण क्रमांक 34/2016 में माननीय एन.जी.टी. के आदेश दिनांक 04.05.2016 के परिप्रेक्ष्य में कलेक्टर कार्यालय, जिला ग्वालियर के आदेश दिनांक 31.05.2016 से बंद की गई है। जी नहीं। जिले में समय-समय पर जाँच की कार्यवाही की जाकर, पाए जाने पर अवैध उत्खननकर्ताओं एवं परिवहनकर्ताओं पर कार्यवाही की जाती है। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) मध्यप्रदेश गौण खनिज नियम, 1996 में रेत खनिज की रॉयल्टी प्रति घनमीटर की दर रूपए (रूपये 100/- प्रति घनमीटर) अधिसूचित है। परिवहित की जा रही रेत की मात्रा के आधार पर रॉयल्टी लिये जाने का प्रावधान है। वाहन के आधार पर रॉयल्टी लिये जाने के प्रावधान नहीं है। रेत का विक्रय मूल्य खदान के उच्चतम बोली के आधार पर निर्भर होता है। ठेकेदार द्वारा बाजार में किस दर पर रेत खनिज का विक्रय किया जायेगा, ऐसे कोई प्रावधान नियमों में नहीं हैं। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री लाखन सिंह यादव - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने अपने प्रश्न के "ग" में जानना चाहा था कि ग्वालियर जिले के ग्राम पंचायत मोहना के सर्वे क्रमांक 341/1, अफरोज खान,पुत्र सुलतान खान के नाम से दिनांक 18.8.2009 से 17.8.2009 तक एक खदान स्वीकृत थी. किन्हीं कारणवश आवेदक द्वारा यह खदान निरस्त करने के लिये कलेक्टर,ग्वालियर को आवेदन दिया था. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से अपने प्रश्न के माध्यम से जानना चाहा था कि वह खदान यदि निरस्त हुई तो उसकी निरस्ती की कापी आप मुझे उपलब्ध कराएंगे क्या ? जैसी मुझे जानकारी है कि उस खदान से अभी भी लंबे पैमाने पर मोहना के थाना प्रभारी द्वारा बड़े पैमाने पर अवैध उत्खनन कराया जा रहा है. क्या आप इसकी जांच कराएंगे ?
श्री राजेन्द्र शुक्ल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अवैध उत्खनन की जांच जरूर करा लेंगे, उसमें कोई दिक्कत नहीं है. जहां तक आपने आदेश की कापी मांगी है, कलेक्टर ग्वालियर के आदेश दिनांक 31.05.2016 से बंद की गई इस खदान की कापी मिल जायेगी.
श्री लाखन सिंह यादव-- आप जांच किस स्तर के अधिकारी से करायेंगे और क्या उसमें क्षेत्रीय विधायक को शामिल रखेंगे ? वैसे कोई आपत्ति नहीं है अगर आप रख लें तो.
श्री राजेन्द्र शुक्ल-- जिस बड़े अधिकारी से आप कहेंगे जांच करा लेंगे. किसी खदान में माननीय विधायक जांच करने के लिये जायें वह विधायक की गरिमा के हिसाब से सही नहीं है.
श्री लाखन सिंह यादव-- मेरे क्षेत्र का मामला है, नहीं तो आपके लोग जायेंगे और गोल-मोल जांच करके लायेंगे जैसा पूर्व में होता रहा है.
डॉ. गोविंद सिंह-- जब विधायक को अपनी गरिमा का ख्याल नहीं है तो आप क्यों चिंता कर रहे हो. आप इतने शुभचिंतक हो गये.
स्कूल शिक्षा मंत्री (कुंवर विजय शाह)-- क्या फर्क पड़ता है गोविंद सिंह जी आप रखो या मत रखो, शासन के लिये हर माननीय विधायक महत्वपूर्ण है. उसकी गरिमा का ध्यान तो रखना पड़ता है.
वन मंत्री (डॉ. गौरीशंकर शेजवार)-- अध्यक्ष महोदय, मेरी एक विनम्र प्रार्थना है कि हमेशा यह मांग आती है कि जांच के समय विधायक को भी सूचना दी जाये या बुलाया जाये. यह आज तक तय नहीं हुआ कि जांच वाली टीम में विधायक रहते हैं या जिनके खिलाफ जांच होती है उस टीम में रहते हैं. विधायक की स्थिति को तय कर दिया जाये कि वे केवल खड़े रहेंगे, पर्यवेक्षक के रूप में रहते हैं, जांच अधिकारी के रूप में रहते हैं. हमेशा यह विषय आता है. विधायक की स्थिति को आप कम से कम आसंदी से स्पष्ट कर दें कि वह किस स्थिति में वहां रहेंगे.
अध्यक्ष महोदय-- जांच में शामिल नहीं होना चाहिये.
श्री बाला बच्चन-- यह तो आपको तय करना है, सरकार को खुद को तय करना है. कितने विधायक परेशान हो रहे हैं, आये दिन यह बात आती है, लेकिन सरकार अभी तक तय क्यों नहीं कर पा रही है ?
संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र)-- अध्यक्ष जी, गोविंद सिंह जी कह रहे हैं कि उनको उनकी गरिमा का ख्याल नहीं है. दरअसल हम सबको विधायक की गरिमा का ख्याल रखना है. डॉ. गोविंद सिंह जी की पार्टी उनका ख्याल नहीं रखती, उनको अटेर विधान सभा में स्टार प्रचारक से आज हटा दिया.
डॉ. गोविंद सिंह-- कब इंकार किया है. सवाल यह है कि जब जांच पर विश्वास नहीं है, इसलिये विधायक के सामने थोड़ा-बहुत लिहाज करेंगे, उसके सामने गलत नहीं लिखेंगे.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार-- मैंने तो यह निवेदन किया था कि उस जांच में वैधानिक स्थिति क्या है, यह सुनिश्चित हो जाये. रोज ऐसे प्रश्न आते हैं. मतलब वह जांच कमेटी से ऊपर रहेंगे या केवल पर्यवेक्षक रहेंगे या केवल सामने वालों की तरफ से रहेंगे ? एक वैधानिक स्थिति होना चाहिये.
अध्यक्ष महोदय-- वह अनौपचारिक है, वैधानिक नहीं है.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री गोपाल भार्गव)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हम सभी विधायक इस लेजिस्लेटिव असेम्बली के मेंबर हैं. हम विधायी कार्य के लिये यहां पर बैठे हैं और चुने गये हैं, हम कोई इंस्पेक्टर या सुपरवाइजर नहीं है, इस कारण से हमें यह कार्य नहीं करना चाहिये.
श्री लाखन सिंह यादव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे विनम्रतापूर्वक निवेदन है कि मेरे विधान सभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा अवैध उत्खनन हो रहा है. अभी ग्वालियर में आपने एक बड़ी जबर्दस्त कार्यवाही की है उसके लिये मैं धन्यवाद देना चाहता हूं. पिछले 40 साल से जो क्रेशर अवैध चल रहे थे उन 23 क्रेशरों को आपने बंद किया है, वह भी मेरी विधान सभा का मामला है. मैं माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से निवेदन करना चाहता हूं कि इस जांच में मुझे रखेंगे कि नहीं ?
अध्यक्ष महोदय-- जब जांच कमेटी जाये तो इनको सूचित कर दें. जांच में शामिल न करें.
श्री लाखन सिंह यादव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सूचित करने से क्या होगा ?
श्री राजेन्द्र शुक्ल-- माननीय अध्यक्ष महोदय की जैसी व्यवस्था है वैसा कर दिया जायेगा.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न संख्या 5 श्री जतन उइके.
श्री लाखन सिंह यादव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी कुछ जवाब दे रहे हैं. (श्री राजेन्द्र शुक्ल जी की ओर इशारा करते हुये) अरे महाराज आप खड़े होकर कुछ तो बोल दो.
श्री राजेन्द्र शुक्ल-- माननीय अध्यक्ष महोदय ने जो निर्देश दिया है उसका पालन होगा.
प्रश्न संख्या 5 (अनुपस्थित)
औद्योगिक संस्थानों में आवंटित भू-खण्ड
[सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम]
6. ( *क्र. 4773 ) श्री अजय सिंह : क्या राज्यमंत्री, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जनवरी 2014 से प्रश्न दिनांक तक रीवा संभाग में जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र के औद्योगिक संस्थानों में आवंटित भूखण्डों में कितने भूखण्ड स्वामियों पर गैर-औद्योगिक गतिविधियाँ संचालित करने के लिये व्यवसायिक दर से भू-भाटक लेने की शास्ति (पेनाल्टी) आरोपित की गई? उनके नाम तथा शास्तिका विवरण क्या है? (ख) प्रश्नांश (क) से संबंधित ऐसे भू-स्वामियों से कितनी राशि वसूल की गई? कितनी राशि वसूल करना बकाया है? (ग) प्रश्नांश (ख) से संबंधित ऐसे भू-स्वामियों से कब तक वसूल करने तथा ऐसे भू-खण्डधारकों पर क्या कार्यवाही करने का प्रस्ताव है?
राज्यमंत्री, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम ( श्री संजय पाठक ) : (क) रीवा संभाग के जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्रों के औद्योगिक संस्थानों में आवंटित भू-खण्डों में किसी भी भू-खण्ड स्वामी द्वारा गैर औद्योगिक गतिविधि का संचालन नहीं किया जा रहा है। अतएव शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) से (ग) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा मूल प्रश्न पूरे प्रदेश के बारे में था. माननीय मंत्री महोदय ने जो उत्तर दिया है वह सिर्फ रीवा संभाग का है. हम लोगों की सबसे पहली आपत्ति तो यह है चाहे सत्ता पक्ष के विधायक हों या विपक्ष के. हम लोगों के प्रश्न टालमटोल करके कभी अस्वीकृत हो जाते हैं, यह तो अलग कहानी है और जो हम पूछते हैं वही उत्तर नहीं आता. हमने पूरे प्रदेश के क्षेत्र के बारे में पूछा था माननीय मंत्री महोदय सिर्फ रीवा संभाग का उत्तर दे रहे हैं कि निरंक प्रश्न उपस्थित नहीं होता. अध्यक्ष महोदय, पहले तो यह स्पष्ट करें कि हमारे मूल प्रश्न को क्यों संशोधित किया गया ?
अध्यक्ष महोदय-प्रश्नों में नियम है उसके हिसाब से संशोधित कर सकते हैं .इस बारे में आप चाहें तो मुझसे कक्ष में बात कर सकते हैं.
श्री अजय सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, ठीक है. यह पूरे प्रदेश में बड़ी समस्या है. पूरे प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्र में कितनी ऐसी संस्थायें हैं जिनके ऊपर एरियर्स पेंडिंग हैं, वसूली हेतु सरकार ने नियम बनाये हैं, लोकायुक्त में प्रकरण दर्ज हो गये हैं उसके बाद जब प्रदेश की वित्तीय स्थिति ठीक नहीं है तो इन कंपनियों से सरकार के द्वारा पैसा क्यों वसूल नहीं किया जा रहा है ? मेरा मूल प्रश्न यह था. पहले इसका उत्तर आ जाये.
राज्य मंत्री, सहकारिता(श्री विश्वास सारंग) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, वैसे तो पूरे प्रदेश का मामला इस प्रश्न से उद्भुत नहीं होता है. जैसा आपने भी निर्देश दिया है. प्रश्न केवल रीवा संभाग का है और रीवा संभाग में इस तरह का कोई भी प्रकरण नहीं है. जहां तक नेता प्रतिपक्ष द्वारा पेनाल्टी लगाने की बात कही है, इस तरह की पेनाल्टी लगाने का कोई भी प्रावधान नहीं है.
श्री अजय सिंह --माननीय अध्यक्ष महोदय, उदाहरण के लिये बता देता हूं कि सिर्फ औद्योगिक केन्द्र विकास निगम, इंदौर में कम से कम हजार करोड़ रूपये की वसूली है और शासन उसके लिये चिंतित नहीं है.अध्यक्ष महोदय मेरे मूल प्रश्न को आप रीवा संभाग तक सीमित कर दीजिये वह अलग विषय है लेकिन जब प्रदेश वित्तीय संकट से गुजर रहा है, सरकार ऋण ले रही है तो क्या सरकार इस व्यवस्था को सुधारने का प्रयास नहीं कर सकती है.
श्री विश्वास सारंग-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने पूर्व में भी निवेदन किया है कि पैनाल्टी लगाने का कोई प्रावधान नहीं है. लीज में यदि वायलेशन है तो सीधे सीधे सख्त निर्देश हैं कि 60 दिन का नोटिस दिया जाता है और 60 दिन में यदि लीज की शर्तों का उल्लंघन होता है तो उसकी लीज स्वत: समाप्त हो जाती है. पेनाल्टी लगाने का कोई भी नियम नहीं है. कौन से हजार करोड़ रूपये की रिकव्हरी की बात नेता प्रतिपक्ष कर रहे हैं. यह मेरी जानकारी में नहीं है.
श्री अजय सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सिर्फ मंत्री जी को जानकारी दे सकता हूं कि 150 करोड़ रूपये के संबंध में लोकायुक्त कार्यालय में क्रमांक 80 वर्ष 2016 इंदौर में प्रकरण है.600 करोड़ की आयकर की चोरी के संबंध में लोकायुक्त कार्यालय,इंदौर में प्रकरण दर्ज है. लोकायुक्त कार्यालय इंदौर में ही एक प्रकरण 260 करोड़ का प्रकरण दर्ज है.
पंचायत मंत्री(श्री गोपाल भार्गव) -- अध्यक्ष महोदय, यह सारे प्रकरण 2003 के पहले के हैं आपको स्मरण होगा.
श्री अजय सिंह -- अध्यक्ष महोदय, प्रकरण 2003 के पहले के हों या 1980 के हों इसका मतलब नहीं है. भार्गव जी यह आपका विभाग है क्या. आप हर विभाग में टांग अड़ाते हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, बात यह है कि एक गरीब किसान की बिजली का बिल एक हजार रूपये आ जाता है उसका पेमेंट नहीं होता है तो आप उस किसान को जेल भेज रहे हैं लेकिन उद्योगपतियों को इस तरह से फायदा दिलाने का काम यह सरकार कर रही है यह शर्मनाक है.
श्री विश्वास सारंग-- अध्यक्ष महोदय, यह प्रश्न से उद्भुत नहीं होता है. विषय भी नहीं है. नेता प्रतिपक्ष ने जो प्रश्न पूछा था उसका स्पष्ट उत्तर दिया गया है. मैं फिर से रिपीट कर देता हूं कि लीज के मामले में कोई पेनाल्टी के नियम नहीं है. यह कहां के आंकड़े प्रस्तुत कर रहे हैं, मेरे ख्याल से यह भ्रामक जानकारी है.
श्री अजय सिंह -- कोई भ्रामक जानकारी नहीं है. आप बचाओ, इसी तरह से बचाते रहो.
आवासीय भूमि का मालिकाना हक प्रदान किया जाना
[नगरीय विकास एवं आवास]
7. ( *क्र. 3652 ) श्री रामपाल सिंह : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्या ब्यौहारी तहसील अंतर्गत नगर पंचायत खांड में शासकीय भूमि में दुकान, भवन इत्यादि बनाकर लोग जीवन यापन कर रहे हैं? (ख) यदि प्रश्नांश (क) हाँ तो निर्मित भवन, दुकानों को मध्य प्रदेश शासन के नियमानुसार प्रत्येक आवासीय भूमि का मालिकाना हक प्रदान किये जाने के निर्णय मुताबिक उपरोक्त भवन, दुकान निर्माणकर्ताओं को मालिकाना हक प्रदान कर दिया गया है? यदि हाँ, तो कब और नहीं तो क्यों और कब तक प्रदान किया जावेगा।
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्रीमती माया सिंह ) : (क) जिला शहडोल तहसील ब्यौहारी के नगर परिषद, खांड के अंतर्गत ग्राम चंदोली में 136 किता रकबा 84.993 हेक्टेयर है एवं ग्राम खांड में 17 किता रकबा 6.795 हेक्टेयर भूमि पर दुकान व भवन इत्यादि निर्मित है जो कि मध्य प्रदेश जल संसाधन विभाग के नाम दर्ज राजस्व अभिलेख है। (ख) प्रश्नांश (क) में अंकित आराजियां मध्य प्रदेश जल संसाधन विभाग दर्ज होने से मालिकाना हक दिया जाना संभव नहीं है।
श्री रामपाल सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, नगर परिषद खांड की भूमि के मालिकाना हक के संबंध में मेरा प्रश्न था. मंत्री जी ने अपने जवाब में कहा है कि जिला शहडोल तहसील ब्यौहारी के नगर परिषद, खांड के अंतर्गत ग्राम चंदोली में 136 किता रकबा 84.993 हेक्टेयर है एवं ग्राम खांड में 17 किता रकबा 6.795 हेक्टेयर भूमि पर दुकान व भवन इत्यादि निर्मित हैं जो कि मध्य प्रदेश जल संसाधन विभाग के नाम दर्ज राजस्व अभिलेख है. माननीय अध्यक्ष महोदय, सरकार के द्वारा इस बात को स्वीकार किया गया है कि वहां पर भवन और दुकान बनाई गई हैं. मेरा प्रश्न है कि जब भवन और दुकान बन चुके हैं तो इनको मालिकाना हक क्यों नहीं दिया जाना चाहिये ?
श्रीमती माया सिंह -- माननीय अध्यक्ष जी, यह जो भवन और दुकानें वहां पर बनी हैं. जल संसाधन विभाग बाणसागर परियोजना के स्वामित्व की भूमि पर अतिक्रमण करके यह निर्माण किया गया है. जल संसाधन विभाग की जमीन है. इसमें हम निर्णय नहीं कर सकते हैं.
श्री रामपाल सिंह -- अध्यक्ष महोदय, यह चीजें एक दिन में तो बनती नहीं है, काफी समय इसको बनने में लगा होगा, जब यह भवन और दुकानें बन रही थीं तब तो उसमें रोक नहीं लगाई तो क्यो न उनको भवन और दुकान का मालिकाना हक दिया जाये. मंत्री जी, वहां भवन और दुकान बन गई हैं, लोग उससे रोजगार का सृजन कर रहे हैं तो उन लोगों को भूमि का मालिकाना हक मिले इसके लिये प्रावधान भी सरकार को करना चाहिये.
श्रीमती माया सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह भूमि सिंचाई जल संसाधन विभाग की है, इसलिए इसमें हम निर्णय नहीं कर सकते. हम इस पूरे प्रकरण को सिंचाई विभाग के पास परीक्षण के लिए भेज देंगे. मैं सिंचाई विभाग के माननीय मंत्री जी से भी इस प्रकरण की विभागीय स्तर पर परीक्षण कराने का अनुरोध करती हूं.
श्री रामपाल सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हूं कि जल संसाधन विभाग से भी सम्पर्क करें अगर इनका निदान हो जाता है, भवन, दुकान इनको मिल जाती है तो बड़ी मेहरबानी होगी.
अध्यक्ष महोदय - जो भूमियां इनके उपयोग में नहीं आ रही हैं, वह भूमियां हस्तांतरित करना चाहिए. मंत्री जी ने परीक्षण कराने के लिए कहा है, जल संसाधन विभाग के उपयोग में यदि वह भूमियां नहीं आ रही है तो उनका हस्तांतरण कराना ही चाहिए. आप देख ले, उसका आपने आश्वासन दिया ही है.
शासकीय योजनाओं में बैंक द्वारा ऋण प्रदाय
[सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम]
8. ( *क्र. 4985 ) श्री मुरलीधर पाटीदार : क्या राज्यमंत्री, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) राज्य एवं केन्द्र शासन की कौन-कौन सी ऋण योजनायें एवं अनुदान सह ऋण योजनायें मध्यप्रदेश में संचालित हैं, जिनमें ऋण हेतु ग्यारण्टी या अनुदान शासन की ओर से दिये जाते हैं? योजनावार पूर्ण विवरण देवें। (ख) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित योजनाओं के क्रियान्वन में बैंकों की भूमिका की मॉनीटरिंग की कोई व्यवस्था है? यदि हाँ, तो पूर्ण विवरण देवें। (ग) उक्तानुसार योजना क्रियान्वन में बैंको द्वारा सहयोग न करने संबंधी कितनी शिकायतें विगत 03 वर्षों में जिला आगर अंतर्गत नोडल अधिकारी कलेक्टर आगर को प्राप्त हुई हैं? प्राप्त शिकायतों पर क्या कार्यवाही की गई?
राज्यमंत्री, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम ( श्री संजय पाठक ) : (क) राज्य एवं केन्द्र की योजनाएं विभिन्न विभागों द्वारा संचालित की जाने के कारण संबंधित विभागों से जानकारी संकलित की जा रही है। (ख) एवं (ग) जानकारी संकलित की जा रही है।
श्री मुरलीधर पाटीदार - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न बड़ा ही महत्वपूर्ण था, सूक्ष्म और लघु उद्योग के लिए और विभाग के पास कोई जानकारी नहीं है यह बड़ा अफसोस है. इससे ज्यादा अब क्या बताऊं. प्रश्नांश (क) की जानकारी विभाग के पास नहीं है, लेकिन प्रश्नांश (ख) और (ग) की जानकारी तो बहुत ही सूक्ष्म जानकारी थी वह जानकारी तो विभाग को देनी ही थी. माननीय अध्यक्ष महोदय मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री से आग्रह है कि बैंकों की भूमिका के लिए मानीटरिंग की व्यवस्था है या नहीं?
राज्यमंत्री सहकारिता (श्री विश्वास सारंग) - माननीय अध्यक्ष महोदय, वैसे विधायक जी को अफसोस नहीं करना चाहिए, क्योंकि प्रश्न का स्वरूप बहुत विस्तृत एवं वृहद है, आपने पूछा था कि राज्य एवं केन्द्र शासन की कौन कौन सी योजनाएं हैं जिसमें यह लोन मिलता है, राज्य की भी और केन्द्र की भी जानकारी पूछा था. यह बहुत वृहद सवाल था, इसकी जानकारी उपलब्ध कराई जा रही है.
श्री मुरलीधर पाटीदार - माननीय अध्यक्ष महोदय, विधान सभा से तो बड़ा सवाल नहीं था.(हंसी...)
श्री विश्वास सारंग - माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें केन्द सरकार की योजनाओं के बारे में भी पूछा है. हमारा विभाग जानकारी एकत्रित कर रहा है मैं यह विश्वास दिलाता हूं कि जल्द से जल्द जानकारी विधायक जी को पहुंचायी जाएगी. दूसरा जो सवाल पूछा बैंकों के मामले में राज्य स्तर पर और जिला स्तर पर मानीटरिंग कमेटी है, जिला स्तर की कमेटी कलेक्टर की अध्यक्षता में है और राज्य स्तर की भी है, दोनों मानीटरिंग कमेटी में बैंक से संबंधित कोई शिकायत होती है तो निराकरण उस स्तर पर होता है.
श्री मुरलीधर पाटीदार - माननीय अध्यक्ष महोदय, मानीटरिंग कमेटी जिला स्तर पर भी होनी चाहिए और सख्त होनी चाहिए. एक भी शिकायत नहीं आई, इसका मतलब है वहां पर कोई हलचल ही नहीं है. मेरे विधान सभा में पांच साल से लालूखेड़ी गांव में 63 हेक्टेयर जमीन उद्योग विभाग को आवंटित कर दी है, इससे सीधा प्रश्न नहीं है लेकिन इसी प्रश्न का स्वरूप है, चूंकि मेरे विधान सभा का मामला है. मैंने विभाग से और माननीय तत्कालीन मंत्री से कई बार पत्र व्यवहार भी किया, पहले भी प्रश्न लगाए उस जमीन का आज तक विकास नहीं हो पाया है, ए.के.वी.एन को वह जमीन सौंपी भी गई है लेकिन उसका विकास नहीं हो पाया, क्या जो उद्योग लगाना चाहते हैं, उनको वह जमीन विभाग आवंटित करेगा?
अध्यक्ष महोदय - यह प्रश्न उद्भूत नहीं होता है.
श्री विश्वास सारंग - माननीय अध्यक्ष महोदय, इससे कोई संबंध नहीं है.
श्री मुरलीधर पाटीदार - माननीय अध्यक्ष महोदय, संबंध था वह तो गोल ही कर दिया, फिर उसी के बारे में बता दे.
श्री विश्वास सारंग - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी का जो दूसरा प्रश्न था कि यदि बैंक स्तर पर कोई समस्या है तो जिला स्तर की मानीटरिंग कमेटी और प्रदेश स्तर की मानीटरिंग कमेटी पर वह विषय लेकर आए और उसका निराकरण हम स्वयं इन्ट्रेस्ट लेकर करेंगे.
श्री मुरलीधर पाटीदार - माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी दूसरा उत्तर दे रहे हैं, मैं यह कह रहा हूं कि जो जमीन ए.के.वी.एन को आवंटित हुई है वह जमीन छोटे बड़े उद्योग लगाने वालों को कब तक आवंटित कर देंगे.
अध्यक्ष महोदय - उससे आपका यह प्रश्न उद्भूत नहीं होता है.
श्री मुरलीधर पाटीदार - माननीय अध्यक्ष महोदय, विभाग तो वही है, उद्भूत तो हो रहा है लेकिन मंत्री जी बता नहीं रहे हैं. इसका मतलब विभाग हमारे यहां उद्योग लगाना नहीं चाहता, तो वह जमीन किसानों को वापस दे दें. मैं तो सार्वजनिक हित की बात कर रहा हूं, इसलिए आपके माध्यम से आपका संरक्षण चाहते हुए पूछ रहा हूं कि विभाग यह करेगा कि नहीं करेगा ?
अध्यक्ष महोदय - श्री कैलाश चावला जी इसको स्पष्ट कर रहे हैं.
श्री कैलाश चावला -- अध्यक्ष महोदय, मैं आपका और मंत्री जी का ध्यान जो इस प्रश्न का पहला चरण है, उसकी ओर आकर्षित करना चाहूंगा. इसमें विधायक जी ने केवल योजनाओं के नाम पूछे हैं, तो इन योजनाओं में केंद्र की कौन सी योजना है और प्रदेश की कौन सी योजना है, इन योजनाओं के नाम बताना कोई व्यापक नहीं है. योजनाओं के नाम बताया जाना चाहिये था. मंत्री जी, क्या प्रदेश की और केंद्र की उन योजनाओं के नाम गिनायेंगे, जो इस प्रश्न में पूछे गये हैं.
श्री विश्वास सारंग -- अध्यक्ष महोदय, बहुत विस्तृत प्रश्न है, लगभग अभी की जानकारी के हिसाब से 17 विभाग हैं, जिसमें ऐसी योजनाएं चलती हैं...
श्री कैलाश चावला -- मंत्री जी, मैं एक मिनट आपका लूंगा.
अध्यक्ष महोदय -- आपकी बात का उत्तर आ गया. अन्य सदस्यों के भी प्रश्न हैं.
श्री कैलाश चावला -- अध्यक्ष महोदय, पूरे प्रदेश में अगर इन योजनाओं में कितना फायनेंस किया गया है, यह पूछा जाता, तो व्यापक था, किन्तु केवल योजनाओं के नाम पूछा जाना, मेरे ख्याल से 25, 40 या 50 होंगीं, उन योजनाओं के नाम अगर नहीं देंगे, तो इस प्रश्न का फिर क्या मतलब होगा.
श्री बाला बच्चन -- मंत्री जी, उत्तर ठीक नहीं है. पूअर परफारमेंस है. आप अपने ही विभाग की योजनाओं के नाम बता दो. आपकी पार्टी के दो दो विधायक कह रहे हैं.
श्री विश्वास सारंग -- अध्यक्ष महोदय, बाला बच्चन साहब का कैसा परफारमेंस था, यह तो हमें एक महीने पहले पता लग गया. इसलिये आपके सर्टीफिकेट की कोई जरुरत नहीं है. आपका परफारमेंस ऐसा था कि आप आगे आ ही नहीं पाये. आप पीछे के पीछे ही बने रहे.
अध्यक्ष महोदय -- कृपया बैठ जायें. प्रश्न संख्या 9.
प्रधानमंत्री आवास योजना का क्रियान्वयन
[पंचायत और ग्रामीण विकास]
9. ( *क्र. 4075 ) श्री नीलेश अवस्थी : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रधानमंत्री आवास योजना क्या है? इस योजना अंतर्गत किस प्रकार से हितग्राहियों को पात्र मानकर किस प्रकार से आवास निर्माण का प्रावधान है? नियम की छायाप्रति देवें एवं इस योजना को कब किस प्रकार से किसके द्वारा प्रदेश में कुल कितनी धन राशि से संचालित किया जा रहा है? वित्त वर्ष 2016-17 में जिलेवार योजान्तर्गत कितना धन आवंटित किया गया? (ख) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित योजना अंतर्गत पाटन विधानसभा अंतर्गत पाटन एवं मझौली विकास खण्डों के किस-किस ग्राम को कितना-कितना किस श्रेणी का लक्ष्य दिया गया? ग्रामवार सूची देवें एवं ग्रामवार आवास निर्माण का लक्ष्य किसके द्वारा किस प्रकार से कब निर्धारित किया गया? (ग) प्रश्नांश (ख) में उल्लेखित लक्ष्य अनुसार किस-किस ग्राम के कितने हितग्राहियों को कितनी राशि आवंटित की गई? प्रश्न दिनांक तक इन स्वीकृत प्रधानमंत्री आवासों के निर्माण की अद्यतन स्थिति क्या थी? (घ) प्रश्नांक (ख) एवं (ग) के संदर्भ में ग्रामवार स्वीकृत आवास निर्माण अनुपातिक क्यों नहीं है? क्या कुछ अपात्र नाम भी इस सूची में सम्मिलित होने संबंधी शिकायतें शासन स्तर में प्राप्त हुई हैं? यदि हाँ, तो क्या इन स्वीकृत आवास निर्माण में प्राप्त हुईं हैं? यदि हाँ, तो क्या शासन इन स्वीकृत आवास निर्माण में हुई विसंगतियों की जाँच कराकर दोषियों पर कार्यवाही करेगा? यदि हाँ, तो कब तक यदि नहीं, तो क्यों नहीं?
पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। भारत सरकार ने वर्ष 2016-17 के लिए प्रदेश को 4,48,147 आवास का लक्ष्य दिया है। जिलेवार धन आवंटन नहीं किया गया है। (ख) विकासखण्ड पाटन एवं मझौली के लिए ग्रामवार लक्ष्य की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। प्रदेश के वर्ष 2016-17 के लक्ष्य एवं वर्ष 2017-18 के संभावित लक्ष्य के विरूद्ध राज्य स्तर से वंचितता की तीव्रता के आधार पर हितग्राहियों का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। (ग) ग्रामवार धनराशि आवंटित करने की व्यवस्था नहीं है। अब तक स्वीकृत आवास अप्रारम्भ से लेकर निर्माण के विभिन्न चरणों में है। (घ) लक्ष्य का आवंटन क्षेत्रवार न होकर हितग्राहियों की परस्पर वंचितता की तीव्रता पर आधारित है। SECC-2011 में सूचीबद्ध परिवारों का भौतिक सत्यापन करने तथा ग्रामसभा में उन पर विचार करके अपात्रों के नाम हटाने की व्यवस्था की गई है। विकासखण्ड पाटन तथा मझौली से अपात्र हितग्राहियों का चयन किये जाने संबंधी कोई शिकायत प्राप्त नहीं है।
श्री नीलेश अवस्थी -- अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं कि प्रश्नांश (ख) के उत्तर में उल्लेखित सूची में विसंगतियां हैं और अनुपातिक हैं. इस सूची में मेरे विधान सभा क्षेत्र पाटन विकासखण्ड के ग्राम मोहला,सरखण्डी,भरतरी एवं हरदुआ तथा मझौली विकास खण्ड के अंतर्गत रियोंझा,बरोदा, तलवा आदि ग्राम आवास लक्ष्य से वंचित हैं. तकनीकी त्रुटिवश ये ग्राम प्रधानमंत्री आवास योजना से वंचित हैं. क्या मंत्री जी इस योजनांतर्गत इन ग्रामों को तत्काल प्रभाव से जोड़ेंगे. दूसरा प्रश्न यह है कि जो सर्वे सूची में पात्र लोग हैं, उनका नाम एसईसीसी, 2011 की सूची में नहीं हैं, क्या सर्वे में जो नाम पात्रता में आये हैं, उनको भी प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत जोड़ेंगे.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जैसा जानना चाहा है कि पात्र व्यक्तियों के नाम नहीं जोड़े गये हैं और ग्रामवार उन्होंने जो चाहा है कि इसमें कई ग्राम छूट गये हैं तथा उनमें कोई भी लाभार्थी वहां पर नहीं पाया गया है. मैं माननीय सदस्य को अवगत कराना चाहता हूं कि भारत सरकार ने जो एसईसीसी,2011 की सूची प्रकाशित की थी, उस सूची के आधार पर ही यह प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के अंतर्गत जो आवास हैं, उन आवासों का आवंटन किया गया है, एसईसीसी,2011 की सूची के आधार पर. इस कारण से यह भी संभव हो सकता है कि उस गांव में कोई भी ऐसे व्यक्ति जो आवासहीन हों, उस केटेगिरी में आते हों, इसमें तीन केटेगिरी हैं. प्रथम प्राथमिकता है आवासहीन परिवार, जिसके पास में कोई आवास नहीं हो. जो सड़क पर सोता हो, जो धर्मशाला में सोता हो, मंदिर में सोता हो, चबूतरे एवं चौपाल पर सोता हो. पहली केटेगिरी वह है, सर्वोच्चम प्राथमिकता की. दूसरी प्राथमिकता है कि शून्य कक्ष, कच्चे आवास की. तीसरी केटेगिरी है कि एक कक्ष कच्चे आवास की. अब यदि इन केटेगिरीज में इनके किसी गांव का कोई व्यक्ति नहीं आ पाया है, तो मैं कहना चाहता हूं कि ये प्रतीक्षा करें. हमारा जब फिर से ग्रामोदय भारत अभियान शुरु होगा, इसमें हम फिर से ग्राम सभाएं लगाकर और सूचियां तैयार करवायेंगे. इसमें जो लोग शेष रहेंगे, उनके बारे में हम विचार करेंगे, लेकिन अभी फिलहाल हम जो प्रधानमंत्री आवास योजना की जो सूची है, इसमें हम कोई नया नाम नहीं जोड़ सकते. उसके बारे में हम लोग भारत सरकार से चर्चा करके विचार करेंगे. जहां तक पात्रता के बारे में बात है, तो मैं सदस्य जी को अवगत कराना चाहता हूं कि एक भी व्यक्ति, कोई पात्र व्यक्ति छूट सकता है, लेकिन अपात्र व्यक्ति इसमें नहीं जुड़ सकता, नहीं शामिल हो सकता. यदि अपात्र व्यक्ति का नाम किसी कारण वश सर्वे में आ गया है, जो एसईसीसी,2011 का सर्वे है, इसमें यदि किसी अपात्र व्यक्ति का नाम आ भी गया है, हमने बहुत पारदर्शी एवं प्रामाणिक व्यवस्था की है, उसको उस सूची से पृथक करने के लिये, इसके नियंत्रण के लिये हमने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत जो अपात्र व्यक्ति हैं, उनको यदि लाभ दिया जाता है और हमें सूचना मिलती है तो हम सूचना देने वाले व्यक्ति को चाहे उस गांव का हो या दूसरे गांव का हो, उसका नाम गुप्त रहेगा. उसको हम 5,000 रुपये पुरस्कार देंगे, यदि अपात्र व्यक्ति हमारे सर्वे के अन्दर जुड़ा पाया जाता है. दूसरा, अपात्र व्यक्ति को लाभ देने के लिये जिम्मेवार सेवायुक्तों को सेवा से पृथक किया जायेगा और निर्वाचित प्रतिनिधि की दशा में उन्हें निलंबित करते हुए उनके विरुद्ध वैधानिक कार्यवाही की जायेगी. जिन लोगों ने अभी सर्वे में उनको पात्र पाया होगा जबकि वे अपात्र हैं तो हम ऐसे सभी कर्मचारियों के विरुद्ध सेवा से अलग करने की कार्यवाही करेंगे और जो अनुदान मिलेगा, जिम्मेदार लोगों से अनुदान वापसी की कार्यवाही भी करवाएंगे और उनके विरुद्ध एफ.आई.आर. भी दर्ज करवाएंगे. अब इससे बेहतर व्यवस्था कोई और नहीं हो सकती है.
श्री नीलेश अवस्थी - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी को बताना चाहूँगा कि मैंने जिन ग्रामों के नाम लिये हैं. उसमें अनुसूचित जाति/जनजाति, आदिवासी और जो मकानविहीन हैं. आप उसकी जांच करवा लेंगे तो सामने आ जायेंगे क्योंकि वहां पर ऐसे गरीब वर्ग के लोग भी रहते हैं, जिनके पास पात्रता है, लेकिन उनको मकान नहीं मिल रहे हैं. दूसरा प्रश्न मेरा माननीय मंत्री जी से यह है कि पूर्व में जो इंदिरा आवास योजना प्रचलन में चल रही थी, उसमें सूची फायनल हो चुकी थी, पात्र व्यक्तियों के नाम आ गए थे, उनको प्रथम किश्त मिलना था लेकिन प्रधानमंत्री आवास योजना आने के बाद, उन लोगों के नाम जिनके नाम सन् 2011 की सूची में थे, उनके नाम वंचित हो गए हैं. क्या उन लोगों के नाम भी सर्वे सूची में जोड़े जाएंगे तथा इंदिरा आवास योजना की सेकेण्ड किश्त कई हितग्राहियों को नहीं मिल रही है. क्या शासन उनको तत्काल देगी ?
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष महोदय, अब इंदिरा आवास योजना का कोई औचित्य नहीं है क्योंकि हमारे देश में प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना लागू हो चुकी है. जिन लोगों का नाम सर्वे में, इंदिरा आवास योजना में नाम आया होगा. जैसा मैंने पूर्व में कहा है कि जब हमारी प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना की सूची पूरी हो जायेगी, इसके बाद हम उस पर विचार करेंगे. भारत सरकार से चर्चा करेंगे. दूसरा, जहां तक आपने कहा कि एस.सी.एस.टी. वर्ग के लोग हैं. प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना में वर्ग विशेष का ध्यान नहीं रखा गया है, न ही देखा गया है और न उसके लिये कोई मापदण्ड तय किये गये हैं. उसमें जो मापदण्ड तय हुए हैं. वह सिर्फ यह मापदण्ड तय हुए हैं कि किसी वर्ग का, किसी समाज का, किसी जाति का, किसी धर्म का, कोई भी व्यक्ति क्यों न हो. यदि वह आवासहीन है तो उस व्यक्ति के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है.
श्री नीलेश अवस्थी - माननीय अध्यक्ष महोदय, इंदिरा आवास योजना की द्वितीय किश्त कब मिलेगी ?
श्री गोपाल भार्गव - आप जैसे ही फोटो अपलोड करवा देंगे, वैसे ही द्वितीय किश्त जारी हो जायेगी.
श्री नीलेश अवस्थी - धन्यवाद.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह) - माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना में व्यावहारिक कठिनाइयां हैं. जो फॉर्म हैं, बहुत जटिल हैं, इसका सरलीकरण कर दें. आपको शायद याद हो आपने कार्यवाही की थी, राजगढ़ जिले में शिकायत मिली थी. इसी तरह की शिकायतें हैं. जो माननीय विधायक जी कह रहे हैं कि वे छूट रहे हैं. इसमें व्यावहारिक कठिनाइयां हैं, थोड़ा ध्यान दे दें. जैसे राजगढ़ की घटना दूसरे जिलों में न हों.
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी, नेता प्रतिपक्ष के प्रश्न का उत्तर दे दें.
श्री मुकेश नायक - माननीय अध्यक्ष महोदय, उत्तर एक साथ दे दीजियेगा. आपने सन् 2011 को सर्वे सूची का आधार बनाया है. सन् 2011 के सर्वे के आधार पर इसकी प्राथमिकता हितग्राहियों की आपने तय की है. माननीय मुख्यमंत्री जी भी सदन में बैठे हैं. अभी सन् 2017 चल रहा है. क्या आप इस पर विचार करेंगे कि जो संयुक्त परिवार इस बीच में टूटे हैं, गरीब हो गए हैं और वे आवासहीन हो गए हैं. क्या आप नई सर्वे सूची जारी करके हितग्राहियों ....(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - आपकी बात आ गई है. माननीय मंत्री जी, आप दोनों विषयों पर बोल दीजिये.
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें दो विषय सामने आए हैं. एक तो नेता प्रतिपक्ष जी का प्रश्न है. जिसमें उन्होंने राजगढ़ जिले का उदाहरण दिया है. यह बात सही है कि सन् 2011 की सूची है और बहुत से नाम हैं चूँकि इसमें हम इस साल 4,48,000 आवास आवासहीन लोगों के लिए दे रहे हैं, हो सकता है कि इसमें कुछ संख्या अपात्र व्यक्तियों की भी जुड़ी हो और इसी कारण से आपने जो राजगढ़ जिले का उदाहरण दिया है, हो सकता है कि अन्य जिलों में भी ऐसी बातें सामने आई होंगी. इतना सख्त फैसला शायद ही हिन्दुस्तान में पहली बार हुआ है कि जो लोग सूचना देंगे उनको 5 हजार ईनाम हम देंगे. जो लोग बताएंगे कि यह आवासयुक्त है यह आपके नार्म्स के अन्तर्गत आवासहीनों की सूची में नहीं आता है उसको 5 हजार रुपए ईनाम दिया जाएगा. जो सर्वे करने वाले कर्मचारी होंगे उनके विरुद्ध सेवामुक्त करने की कार्यवाही करेंगे. यदि निर्वाचित प्रतिनिधि होंगे तो उन्हें पद से हटाने की कार्यवाही करेंगे. जो राशि जारी हो गई है उसकी रिकवरी होगी उसके बाद एफआईआर भी करेंगे. मैं सोचता हूँ इससे ज्यादा बड़ी व्यवस्था नहीं हो सकती है.
अध्यक्ष महोदय, मुकेश नायक जी ने पूछा है कि इस बीच में परिवार बँट गए. यह बात सही है कि परिवार बँट गए, लेकिन भारत सरकार का यह कहना है कि पहले हमारा जो आवंटन है इस आवंटन को आप पूरा दे दें, इसके बाद हम विचार करेंगे.
प्रश्न संख्या - 10 (अनुपस्थित)
आई.ए.पी. योजनांतर्गत वेयर हाउस का निर्माण
[पंचायत और ग्रामीण विकास]
11. ( *क्र. 5078 ) श्री कमल मर्सकोले : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सिवनी जिले में जिला पंचायत सिवनी अंतर्गत वर्ष 2013 से आज दिनांक तक आई.ए.पी. योजना के तहत वेयर हाउस निर्माण कार्य हेतु लघु उद्योग निगम को कितनी-कितनी राशि प्रदान की गई? इसका वर्षवार विवरण देवें। (ख) लघु उद्योग निगम ने वर्ष 2013 से अब तक किन-किन एजेंसियों से सिवनी जिले में कहाँ-कहाँ कितनी लागत से निर्माण कराए हैं। एजेन्सी द्वारा कितने वेयर हाउस निर्माण कार्य पूर्ण कराए जा चुके हैं तथा कितने प्रगति पर हैं। निगम द्वारा संबंधित एजेंसी को किस-किस कार्य के लिए कितना-कितना भुगतान किया गया है। (ग) जिला पंचायत सिवनी को लघु उद्योग निगम द्वारा नियुक्त एजेंसी से वेयर हाउस निर्माण के चलते वर्ष 2013 से आज तक कितनी शिकायतें प्राप्त हुई हैं और उन शिकायतों पर क्या कार्यवाही की गई है?
पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) सिवनी जिला अंतर्गत लघु उद्योग निगम को आई.ए.पी. योजना से वेयर हाउस निर्माण हेतु वर्ष 2013 में रू. 149.95 लाख, वर्ष 2014 में रू. 149.95 लाख एवं वर्ष 2015 में रू. 40.00 लाख की राशि प्रदाय की गई। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ग) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है।
श्री कमल मर्सकोले--माननीय अध्यक्ष महोदय, सिवनी जिले में वर्ष 2013 में आई.ए.पी. योजना से पांच वेयर हाउस के कार्य स्वीकृत हुए थे. जिसकी लागत 5 करोड़ 99 लाख 85 हजार रुपए थी. जिसमें से 3 करोड़ 88 लाख 35 हजार रुपए का भुगतान हो चुका है. जितने भी कार्य आई.ए.पी. योजना से स्वीकृत हुए थे वे प्लिंथ स्तर पर ही हैं. मैं मंत्री जी से प्रश्न करना चाहता हूँ क्या वे लापरवाही बरतने वाले सक्षम अधिकारी और तकनीकी अधिकारियों पर कार्यवाही करेंगे. दूसरा प्रश्न यह है कि निर्माण कार्य में विलंब हुआ है, समयावधि का ध्यान नहीं रखा गया. चार वर्ष हो गए हैं. ऐसी स्थिति में निर्माण कार्य की जाँच कर निर्माण एजेंसी को ब्लेक लिस्ट करेंगे क्या ? क्या भुगतान की गई राशि 3 करोड़ 88 लाख 35 हजार रुपए की वसूली की कार्यवाही की जाएगी ?
श्री गोपाल भार्गव--माननीय अध्यक्ष महोदय, यह इंटीग्रेटेड एक्शन प्लान मध्यप्रदेश के 10 जिलों में चल रहा था. यह प्लान भारत सरकार द्वारा प्रवर्तित था भारत सरकार ने इसे बंद कर दिया है. यह बात सही है जो 10 जिले इनके अन्तर्गत आते हैं उनमें आई.ए.पी. योजना के अन्तर्गत जो काम चल रहे थे वे काम बंद हो गए हैं. जो राशि शेष है उसका हम दूसरे काम में उपयोग कर रहे हैं. सदस्य ने पूछा है कि तीन गोदाम तैयार हो गए हैं उनमें 339 लाख रुपए का भुगतान हो गया है. लघु उद्योग निगम उसमें निर्माण एजेंसी थी. लघु उद्योग निगम का 20 लाख रुपए इसमें बाकी है. जैसा बताया गया है कि कामों में गुणवत्ता नहीं रही है, लघु उद्योग निगम निर्माण एजेंसी थी. जैसी सदस्य की इच्छा है हम इसकी जानकारी ले लेंगे और जाँच करवा लेंगे. क्योंकि निर्माण एजेंसी लघु उद्योग निगम है, पैसा लघु उद्योग निगम में जमा हो गया है तो हम उनसे कार्यवाही करने के लिए कहेंगे.
श्री कमल मर्सकोले--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा माननीय मंत्री जी और आपसे आग्रह है कि 5 करोड़ 99 लाख 85 हजार रुपए की राशि स्वीकृत हुई थी जिसमें से 3 करोड़ 88 लाख 35 हजार रुपए का भुगतान कर दिया गया है. सिवनी जिले में पांच कार्य प्रारंभ हुए थे जिसमें से तीन कार्य मेरे विधान सभा क्षेत्र में थे जिनमें तीन वेयर हाउस बनना थे. यह मात्र अभी प्लिंथ स्तर तक हैं. मंत्री जी सही कह रहे हैं कि योजना अभी बंद हो गई है. परन्तु जो विलंब हुआ और समयावधि में निर्माण का काम नहीं किया गया. निश्चित रुप से गुणवत्तापूर्ण कार्य हुए हैं. मेरा मंत्री जी से आपके माध्यम से आग्रह है कि क्या सक्षम अधिकारी को भोपाल से भेजकर इसकी जांच कराएंगे ? इसकी समय-सीमा क्या रहेगी ?
श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष महोदय, 15 दिन के अन्दर जाँच करा लेंगे.
श्री कमल मर्सकोले--माननीय मंत्री जी बहुत-बहुत धन्यवाद.
सोनकच्छ विधानसभा क्षेत्रांतर्गत सिटी बस का संचालन
[नगरीय विकास एवं आवास]
12. ( *क्र. 900 ) श्री राजेन्द्र फूलचंद वर्मा : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्या शासन प्रदेश की जनता के बेहतर व सरल आवागमन व परिवहन के लिए जगह-जगह सिटी बस का संचालन कर बेहतर सुविधाएं दे रहा है? यदि हाँ, तो किस माध्यम से किस प्रकार की परिवहन संबंधी सुविधाएं दी जा रही हैं? (ख) क्या सोनकच्छ नगर व आस-पास के ग्रामीण क्षेत्र के हजारों छात्र-छात्राएं, व्यापारी, कर्मचारी महिला-पुरूष प्रतिदिन इंदौर, देवास, उज्जैन से सोनकच्छ आना जाना करते हैं? क्षेत्र में सिटी बसें नहीं चलने के कारण प्रायवेट बस मालिकों द्वारा अपनी मनमर्जी से किराया निर्धारण कर तथा बस स्टेशनों पर गाड़ी न लाकर सीधे बायपास से ही बसों को ले जाया जाता है, जिसके कारण विधानसभा क्षेत्र के हजारों लाखों यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है? क्या इसके निराकरण हेतु शासन कोई ठोस कार्यवाही करेगा या नहीं? (ग) क्या सोनकच्छ विधानसभा क्षेत्र के ग्रामीण व शहरी क्षेत्र वासियों को यातायात समस्या से निजात दिलाने हेतु विभाग सिटी बस चालू करेगा?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्रीमती माया सिंह ) : (क) जी हाँ। बसों के माध्यम से परिवहन सुविधाएं दी जा रही हैं। (ख) मध्यप्रदेश सड़क परिवहन निगम बसों का संचालन बंद किए जाने के कारण वर्तमान में बसों का संचालन निजी बसों के संचालक द्वारा किया जा रहा है। निजी बस संचालकों के मांग के अनुसार परिवहन विभाग द्वारा परमिट जारी किए जाते हैं, बसों का किराया भी परिवहन विभाग द्वारा निर्धारित है। (ग) सोनकच्छ में सिटी बस चलाए जाने की कोई योजना नहीं है।
श्री राजेन्द्र फूलचन्द वर्मा--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के उत्तर में माननीय मंत्री जी ने जो जवाब दिया है मैं उससे पूरी तरह से असंतुष्ट हूँ. आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हूँ कि मेरा विधान सभा क्षेत्र सोनकच्छ स्टेट हाई-वे पर स्थित है. इससे 100 से अधिक गाँव लगे हुए हैं. तीन नगर पंचायतें बोरासा, टोकपुर एवं पीपलरवां उससे जुड़ी हुई हैं. वहाँ से विद्यार्थी, कर्मचारी और मरीज इंदौर तथा देवास मुख्यालय जाते हैं. उत्तम स्वास्थ्य सुविधा, अच्छी शिक्षा तथा नौकरी के लिए वहाँ पर लोगों को जाना पड़ता है. मेरा मंत्री महोदया से निवेदन है कि इंदौर से देवास, देवास से उज्जैन और इंदौर से सांवेर तक सिटी बसें चल रही हैं. क्या मंत्री महोदया अपने वक्तव्य में इस बात की घोषणा करेंगी कि वे इंदौर से सोनकच्छ के बीच सिटी बस चलाएंगी.
श्रीमती माया सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, विधायक जी द्वारा उठाया गया सवाल बिल्कुल वाजि़ब है. मैं कहना चाहती हूं कि उनकी मांग के अनुसार सोनकच्छ मार्ग की 10 बसों को शहर के अंदर से जाने की व्यवस्था की जायेगी और इसके साथ ही साथ सोनकच्छ में विभाग की प्रस्तावित बस योजना क्लस्टर आधारित है. जिससे सोनकच्छ को इंटरसिटी बसों का लाभ निकट भविष्य में प्राप्त होगा. इसके अंतर्गत सोनकच्छ के 16 मार्गों पर 63 बसों के माध्यम से इंटरसिटी बस सेवा सोनकच्छ के लोगों को निकट भविष्य में मिलेगी. ये सारी व्यवस्थायें विभाग के माध्यम से की जायेंगी.
श्री राजेन्द्र फूलचंद वर्मा- मंत्री जी, मैं जानना चाहता हूं कि क्या इनके टेण्डर हुए हैं ? इसके अतिरिक्त आप कृपया इसकी समय-सीमा भी बता दें.
श्रीमती माया सिंह- अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य द्वारा जो सवाल पूछा गया है, उसका जवाब दे दिया गया है. बाकी की विस्तृत जानकारी हेतु विधायक जी मुझ से संपर्क करेंगे तो मैं उन्हें उपलब्ध करवा दूंगी.
श्री राजेन्द्र फूलचंद वर्मा- बहुत-बहुत धन्यवाद.
अवैध निर्माण पर कार्यवाही
[नगरीय विकास एवं आवास]
13. ( *क्र. 4953 ) चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) अतारांकित प्रश्न संख्या 14 (क्र. 96), दिनांक 03 मार्च 2014 के तहत क्या विभाग के अभिन्यास अनुमोदन क्र. 782/नग्रानि/सी.पी./99 भोपाल दिनांक 09.03.99 के बिन्दु 6 में उल्लेख है कि भूमि स्वामित्व संबंधी किसी भी प्रकार का विवाद होने पर यह अनुमति निरस्त मानी जावेगी? संदर्भित प्रश्न के प्रश्नांश (क) के उत्तर में कृषकों से विवाद होना बताया गया है? यदि विवाद था तो अनुमति निरस्त क्यों नहीं की गयी? (ख) प्रश्नांश (क) के तहत क्या उक्त प्रकरण का आवेदन अभिन्यास अनुमोदन हेतु नगर निगम भोपाल के माध्यम से ही प्रस्तुत हुआ है? क्या उक्त आदेश में बिन्दु क्रमांक 4 के अनुसार सुपर विजन राशि भोपाल नगर निगम में जमा करवाने को आदेशित किया था? यदि हाँ, तो सुपर विजन नगर निगम भोपाल से क्यों नहीं कराया गया? (ग) प्रश्नांश (क) व (ख) के तहत क्या प्रश्न दिनांक तक अवैध निर्माण कार्य चल रहा है? यदि हाँ, तो सम्पूर्ण अवैध निर्माण को कब तक तोड़ दिया जायेगा?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्रीमती माया सिंह ) : (क) जी हाँ। संदर्भित अंताराकित प्रश्न के संबंध में माननीय विधायक की शिकायत प्राप्त होने पर अमलतास गृह निर्माण सहकारी संस्था के स्वामित्व की भूमि रकबा 11.07 एकड़ का सीमाकंन एवं स्थल निरीक्षण करने हेतु शासन द्वारा आदेश जारी कर एक समिति का गठन किया गया है। सीमांकन का कार्य पूर्ण होने के बाद विवाद का निराकरण किया जा सकेगा। (ख) जी हाँ। जी हाँ। क्योंकि तत्समय प्रश्नाधीन क्षेत्र नगर पालिक निगम सीमा से बाहर था। (ग) जी हाँ। संस्था द्वारा अनुमोदित अभिन्यास की स्थिति से भिन्न विकास कार्य करने के कारण म.प्र. नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम 1973 की धारा-37 (1) के अंतर्गत सूचना पत्र दिनांक 11.03.2013 एवं 16.06.2013 को जारी किये गये हैं। श्रीमान न्यायिक दण्डाधिकारी, प्रथम श्रेणी भोपाल के समक्ष परिवाद दायर है, जिसकी सुनवाई दिनांक 25.03.2017 को नियत है। परिवाद के निर्णय अनुसार अग्रेत्तर कार्यवाही संभव हो सकेगी।
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के प्रश्नांश (ग) के उत्तर में विभाग ने यह माना है कि संस्था द्वारा अवैध निर्माण किया गया है और दिनांक 11.3.2013 एवं दिनांक 16.6.2013 को संबंधित संस्था को नोटिस भी जारी किए गए हैं. मैं जानना चाहता हूं कि किस कारण से अभी तक संस्था के विरूद्ध कोई कार्यवाही नहीं की गई है. मैं माननीय मंत्री महोदया से यह भी जानना चाहता हूं कि अवैध निर्माण तोड़ने की कार्यवाही कब तक की जायेगी ?
श्रीमती माया सिंह- अध्यक्ष जी, इस प्रकरण में पहले उच्च न्यायालय द्वारा निर्णय किया गया था. वर्तमान में इस प्रकरण का परिवाद दायर है. अगली सुनवाई 25.3.2017 को है. जैसे ही निर्णय आयेगा, हम उस निर्णय के आधार पर आगे की कार्यवाही करेंगे.
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी- माननीय अध्यक्ष महोदय, परिवाद दायर होना और परिवाद में न्यायालय द्वारा स्टे देना, दो भिन्न स्थितियां हैं. न्यायालय द्वारा यदि प्रकरण को कोई स्टेटस-को दिया गया हो तो समझ में आता है कि कोई कार्यवाही नहीं करना है. अगर न्यायालय द्वारा स्टेटस-को नहीं दिया गया है तो फिर कार्यवाही क्यों नहीं की जा रही है ?
श्रीमती माया सिंह- अध्यक्ष महोदय, मैंने कहा है कि निकट भविष्य में 25.3.17 को प्रकरण की सुनवाई है. न्यायालय के निर्णय के आधार पर ही हम कोई निर्णय करेंगे.
जनभागीदारी से स्वीकृत निर्माण कार्यों की जाँच
[योजना, आर्थिक एवं सांख्यिकी]
14. ( *क्र. 1538 ) श्रीमती ममता मीना : क्या वन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या अपर कलेक्टर जिला गुना के जाँच प्रतिवेदन दिनांक 22.07.2016 में 06 सी.सी. रोड निर्माण कार्य की जाँच संयुक्त जाँच दल से कराये जाने का लेख किया गया था? (ख) क्या प्रश्नांश (क) में वर्णित संयुक्त जाँच दल द्वारा वर्णित 06 कार्यों की प्रश्न दिनांक तक जाँच नहीं की गई? क्या कारण है? (ग) कार्यपालन यंत्री लो.नि.वि./आर.ई.एस. एवं अनुविभागीय अधिकारी राघौगढ़ कलेक्टर जिला गुना के पत्रों को गंभीरता से लेते हैं अथवा नहीं? कलेक्टर के पत्र क्रमांक 2997 दिनांक 29.07.2016 का प्रश्न दिनांक तक पालन क्यों नहीं किया गया है? पालन न करने वाले अधिकारियों के विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई है? (घ) 06 सी.सी. रोड़ निर्माण कार्यों की जाँच किस दिनांक तक करा ली जावेगी?
वन मंत्री ( डॉ. गौरीशंकर शेजवार ) : (क) जी हाँ। (ख) संयुक्त जाँच दल द्वारा वर्णित 06 शिकायतों की जाँच पूर्ण कर ली गई है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) कलेक्टर के पत्र क्रमांक 2997 दिनांक 20.07.2016 का पालन किये जाने से शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता (घ) जाँच पूर्ण हो चुकी है।
श्रीमती ममता मीना- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न नागनखेड़ी ग्राम पंचायत में जन भागीदारी द्वारा सी.सी. खरंजों के निर्माण से संबंधित है. जांच दल के द्वारा पूरे सी.सी. खरंजों का निरीक्षण कर लिया गया है. माननीय मंत्री जी ने मेरे प्रश्न के उत्तर में यह स्वीकार भी किया है कि जांच में वे दोषी पाए गए हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से यह जानना चाहती हूं कि यदि वे दोषी पाए गए हैं तो उनके खिलाफ अभी तक क्या कार्यवाही की गई है क्योंकि मुझे प्राप्त उत्तर में उसका कोई उल्लेख नहीं है.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह पुराना प्रकरण था और इसकी जांच अभी करवायी गई है. जांच में पाई गई कमियां, हम विधायक महोदया को उपलब्ध करवा देंगे. लागत और वस्तुस्थिति में जो अंतर होगा, उसमें हम वसूली की कार्यवाही करेंगे. इसके अतिरिक्त संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ भी कार्यवाही की जायेगी.
श्रीमती ममता मीना- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह प्रकरण 6 सी.सी. खरंजों की जांच का प्रकरण था. यह पुराना प्रकरण है. वर्तमान में उनकी बहू सरपंच है. पहले वह स्वयं सरपंच थे. 6 सी.सी. खरंजों में से 75 प्रतिशत जन भागीदारी और एक 50 प्रतिशत जन भागीदारी, ऐसी दो राशियां हैं जो सी.सी. खरंजों की है. जिसमें एक केदारपुरा स्कूल सीसी खरंजा मतलब टीएस एक है और राशि 04 लाख 96 हजार ऐसे करके दो बार निकाली. बस अंशदान यह है कि 75 प्रतिशत एक में था और 50 परसेंट एक में था. यह बहुत बड़ा गंभीर मामला है. अध्यक्ष महोदय, जाँच तो पुराना मामला है. लेकिन जब ध्यान में आया, मेरे विधान सभा क्षेत्र का मामला है और गलत हुआ है तो माननीय मंत्री जी, जब दोषी पाए गए और एक ही टीएस के दो दो कार्य किए और दो दो कार्यों के पैसे निकाल लिए गए तो उसमें एफआईआर कराने के लिए सीधा सीधा करना चाहिए. पैसे जमा तो करा ही देंगे. लेकिन सरपंच और सचिव पर एफआईआर होना चाहिए.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यदि आवश्यकता होगी तो एफआईआर भी करेंगे. लेकिन एफआईआर के पहले की जो प्रक्रिया है और नियमों में उल्लेखित है उसके अनुसार रिकवरी की कार्यवाही जरूर तत्काल प्रारंभ कर दी जाएगी.
श्रीमती ममता मीना-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अपर कलेक्टर ने जाँच की है इसलिए एफआईआर तो करा ही देना चाहिए. इसके बाद और क्या बचता है?
अध्यक्ष महोदय-- वह मना भी नहीं कर रहे हैं.
श्रीमती ममता मीना-- अपर कलेक्टर ने और जल संसाधन विभाग के ईई के संयुक्त दल ने जाँच की है और दोषी पाए गए, उसमें फोटो लगाए गए. सब कुछ है. एक अपर कलेक्टर रैंक के अधिकारी ने जाँच की चूँकि उस समय के तत्कालीन कलेक्टर जो थे इसमें उसका नाम आ रहा है, वे इसमें लिप्त हैं इसलिए वर्तमान कलेक्टर पूरी तरह से बचाने का प्रयास कर रहे हैं इसलिए एफआईआर कराई जाए क्योंकि अपर कलेक्टर ने बोला है.
अध्यक्ष महोदय-- आपका पूरा विषय आ गया. वे सहमत भी हैं, मंत्री जी, एक बार और बोल दें. आप सुन तो लीजिए.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार-- अध्यक्ष महोदय, नियम प्रक्रिया में एफआईआर के पहले जो भी नोटिस वगैरह या वसूली की कार्यवाही, जो निर्धारित है, उसको करेंगे और इसके बाद जरुरत पड़ेगी तो एफआईआर भी करवाएँगे. किसी को बचाने का कोई भी प्रयास, कहीं भी, नहीं कर रहा.
श्रीमती ममता मीना-- अध्यक्ष महोदय, एफआईआर करवा ही देंगे यह आश्वासन दिलवा दें.
अध्यक्ष महोदय-- उन्होंने बोला तो है.
श्रीमती ममता मीना-- उसमें नोटिस तो सब जारी हो चुके हैं.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न क्रमांक 15 श्री नथनशाह कवरेती, अपना प्रश्न करें.
श्रीमती ममता मीना-- अध्यक्ष महोदय, एफआईआर करा ही देंगे. आप कहलवा दें क्योंकि जब अपर कलेक्टर ने जाँच कर ली उसके बाद क्या बचता है?
अध्यक्ष महोदय-- क्लियर बात कर दी, अब इससे ज्यादा और क्या हो सकता है. कृपया व्यवधान न करें.
श्रीमती ममता मीना-- एफआईआर करवा देंगे ऐसा बुलवा दें.
अध्यक्ष महोदय-- अब इनका कुछ नहीं लिखा जाएगा, कवरेती जी का लिखा जाएगा. आप बैठ जाइये.
डाटा एंट्री ऑपरेटरों को कर्मचारी भविष्य निधि का लाभ
[योजना, आर्थिक एवं सांख्यिकी]
15. ( *क्र. 4122 ) श्री नथनशाह कवरेती : क्या वन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) संभागीय योजना एवं सांख्यिकी कार्यालय तथा जिला योजना एवं सांख्यिकी कार्यालय में नियुक्त डाटा एंट्री ऑपरेटर कितने वर्षों से कार्यरत हैं? (ख) क्या शासन द्वारा ऐसा कोई प्रावधान है कि इन्हें विभाग में ही नियमित पद पर संविलियन कर दिया जायेगा? (ग) क्या विभाग में कार्यरत डाटा एंट्री ऑपरेटर को कर्मचारी भविष्य निधि अधिनियम 1952 के अंतर्गत कर्मचारी भविष्य निधि का लाभ मिल रहा है? अगर नहीं तो कब तक मिल जायेगा? नहीं तो इसके लिए कौन अधिकारी/कर्मचारी जिम्मेवार हैं? (घ) क्या अन्य विभागों में कार्यरत डाटा एंट्री ऑपरेटर की भांति जैसे मनेरगा, जन अभियान परिषद, सर्वशिक्षा अभियान में इन्हें भी वेतन का लाभ दिया जायेगा? यदि हाँ, तो कब तक नहीं तो क्यों?
वन मंत्री ( डॉ. गौरीशंकर शेजवार ) : (क) संभागीय योजना एवं सांख्यिकी कार्यालय तथा जिला योजना एवं सांख्यिकी कार्यालय में वर्ष 2011 से कार्यरत हैं। (ख) जी नहीं। (ग) जी नहीं। विभाग द्वारा जारी पद स्वीकृति आदेश में इस प्रकार के कोई प्रावधान नहीं हैं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (घ) विचाराधीन नहीं है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
श्री नथनशाह कवरेती-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा क और घ का उत्तर मिल गया है. लेकिन प्रश्नांश ख का उत्तर नहीं मिला. मैं माननीय मंत्री जी से कहना चाहता हूँ कि क्या शासन द्वारा ऐसा कोई प्रावधान है कि इनका विभाग में ही नियमित पद पर संविलियन कर दिया जाएगा? मेरा प्रश्नांश ग यह है कि क्या विभाग में कार्यरत डाटा एंट्री ऑपरेटर को कर्मचारी भविष्य निधि अधिनियम 1952 के अंतर्गत कर्मचारी भविष्य निधि का लाभ दिया जाएगा?
डॉ.गौरीशंकर शेजवार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, कर्मचारी भविष्य निधि के बारे में श्रम विभाग के जो भी नियम हैं, उनका पालन करने के लिए हम इन पर विचार करेंगे और यह कर सकते हैं.
श्री नथनशाह कवरेती-- धन्यवाद.
ईसागढ़ नगर में महाविद्यालय भवन निर्माण
[उच्च शिक्षा]
16. ( *क्र. 4268 ) श्री गोपालसिंह चौहान (डग्गी राजा) : क्या उच्च शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या चंदेरी विधानसभा के ईसागढ़ नगर में महाविद्यालय हेतु भवन निर्माण किया जाना प्रस्तावित है? (ख) यदि हाँ, तो भवन निर्माण कब तक कर दिया जावेगा?
उच्च शिक्षा मंत्री ( श्री जयभान सिंह पवैया ) : (क) शासकीय महाविद्यालय ईसागढ़ के भवन निर्माण हेतु लोक निर्माण विभाग (पी.आई.यू.) अशोकनगर के प्राक्कलन अनुसार राशि रूपये 747.30 लाख का प्रस्ताव प्राप्त हुआ है। (ख) समय-सीमा बताई जाना संभव नहीं है।
श्री गोपाल सिंह चौहान-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय उच्च शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि क्या चंदेरी विधानसभा के ईसागढ़ विकासखण्ड में महाविद्यालय हेतु भवन निर्माण किया जना प्रस्तावित है?
श्री जयभान सिंह पवैया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, शासकीय महाविद्यालय ईसागढ़ के भवन निर्माण के लिए लोक निर्माण विभाग (पीआईयू) अशोकनगर के प्राक्कलन के अनुसार 07 करोड़ 47 लाख 30 हजार का प्रस्ताव विभाग को प्राप्त हुआ है.
अध्यक्ष महोदय-- आपको और कुछ पूछना है?
श्री गोपाल सिंह चौहान-- यदि हाँ, तो भवन निर्माण कब तक कर दिया जाएगा?
अध्यक्ष महोदय-- समय-सीमा बताई जाना संभव नहीं है, यह तो उसमें लिखा है. प्रस्ताव तो प्राप्त हुआ है पर राशि स्वीकृत कर दी कि नहीं की? उनका प्रश्न यह है.
श्री जयभान सिंह पवैया-- माननीय अध्यक्ष जी, मैं संयोग से उस क्षेत्र का प्रभारी मंत्री भी हूँ. मान्यवर सदस्य के प्रश्न पूछने के पहले ही जनता की मांग और विद्यार्थियों के आग्रह को ध्यान में रखकर माननीय मुख्यमंत्री जी का निर्देश था. हमने सिद्धान्त: यह निर्णय कर लिया है कि वहां नवीन सत्र जो बजट सत्र 2017-18 है उसमें भवन के निर्माण की स्वीकृति दे दी जाएगी.
प्रश्न संख्या - 17 (अनुपस्थित.)
निविदा स्वीकृति में अनियमितता
[नगरीय विकास एवं आवास]
18. ( *क्र. 1802 ) श्री अनिल फिरोजिया : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) नगर पालिक निगमइ उज्जैन में ई-टेण्डर क्रमांक 1068 में कितनी निविदाएं प्राप्त हुईं? क्या कोई निगोशिएशन किया गया? यदि हाँ, तो किस नियम के आधार पर? (ख) क्या इस प्रकार के कार्यों का टेण्डर क्वालिटी एण्ड कॉस्ट बेस्ड सिस्टम के अंतर्गत किया जा सकता है? यदि हाँ, तो प्रमाणिक आधार देवें? (ग) क्या उक्त कार्य में न्यायालय से कोई स्थगन प्राप्त हुआ था? यदि हाँ, तो स्थगन के बावजूद किस आधार पर कार्य प्रारंभ कराया गया? क्या उक्त कार्य स्थगन के आधार पर रोका नहीं जा सकता था? (घ) टेण्डर में दर्शायी गई सामग्री का हस्तांतरण ठेकेदार को किस दिनांक को किया गया?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्रीमती माया सिंह ) : (क) तीन निविदाएं प्राप्त हुईं। जी हाँ, मध्य प्रदेश कार्य विभाग मैन्यूअल की कंडिका 2.086 के प्रावधान के आधार पर। (ख) जी हाँ। निविदा प्रपत्र। मेयर इन काउंसिल के द्वारा स्वीकृत किया गया। (ग) जी नहीं, अपितु माननीय उच्च न्यायालय खण्डपीठ इंदौर द्वारा रिट पिटीशन क्रमांक 4676/2015 में पारित आदेश दिनांक 06.04.2016 में निविदा एवं कार्यादेश को निरस्त कर दिया गया था, जिसके क्रम में माननीय उच्चतम न्यायालय में दायर एस.एल.पी. क्रमांक 11967/2016 में दिनांक 26.04.2016 को पारित आदेश में माननीय उच्च न्यायालय इंदौर के आदेश को स्थगित किया गया है। उत्तरांश (ग) के परिप्रेक्ष्य में शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
श्री अनिल फिरोजिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने माननीय मंत्री जी से जो प्रश्न पूछा था. उस प्रश्न के (क) में जवाब दिया गया है कि पूछे गए सवाल में बताया गया है कि तीन निविदाएं प्राप्त हुई थीं जिसमें केवल दो द्वितीय निविदादाता के द्वारा विभाग को निगोशिएशन करने के लिए बुलाया गया तो इससे यह प्रतीत होता है कि तीन निविदाऍं आई थीं और दूसरे को निगोशिएशन के लिए बुलाया गया तो एक फर्म को ही ओब्लाइज करने के लिए उसको लाभ पहुंचाने के लिए निगोशिएशन के लिए बुलाया गया, दोनों को क्यों नहीं बुलाया गया ? और (ग) के उत्तर में कि हाईकोर्ट से जो स्थगन मिला है स्थगन मिलने के 2 से 3 महीने बाद इनको वाहन, सफाई सामग्री उपलब्ध कराए गए. स्थ्ागन मिल गया था तो वह ठेका निरस्त भी किया जा सकता था. ठेका निरस्त क्यों नहीं किया गया ? इंदौर में भी ऐसा ही एक मामला आया था. उसमें इंदौर में ठेका निरस्त करके नगर निगम ने काम किया और यहां पर ठेका निरस्त न करते हुए दो-तीन महीने बाद उनको सामग्री और वाहन उपलब्ध कराए गए तो माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीया मंत्री जी से निवेदन करता हॅूं कि क्या जिन अधिकारियों ने गलती की है उसकी जॉंच करके कार्यवाही कराएंगे ?
श्रीमती माया सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, विधायक जी जो सवाल पूछ रहे हैं उसके सभी जवाब इस के उत्तर में दिए गए हैं और यह भी बताया गया है कि इसमें निगोशिएशन की बात कर रहे हैं और कार्य किए, उसके बारे में भी बात कर रहे हैं तो निगोशिएशन किया गया लेकिन कंडिका 2.086 के प्रावधान के आधार पर किया गया है और वह सारी जानकारी आपको यहां पर दी गई है. मैं यह कहना चाहती हॅूं कि जो निविदा में भाग लेने वाले तीनों निविदाकारों में से जो ग्लोबल वेस्ट मैनेजमेंट मुंबई अधिकतम 84.36 अंक उन्होंने प्राप्त किए थे और ग्लोबल वेस्ट मैनेजमेंट से प्राप्त वित्तीय प्रस्ताव जो है वह 1710 प्रति मीट्रिक टन का था, पर निगम हित में निगोशिएशन किया जाकर 1451 प्रति मीट्रिक टन पर सहमति प्रदान की गई थी. इसमें सारी कार्यवाही नियमों के अनुसार की गई है.
श्री अनिल फिरोजिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीया मंत्री जी को बताना चाहता हॅूं और सदन को भी बताना चाहता हॅूं कि जो जानकारी दी गई है, सब असत्य जानकारी दी गई है. सदन में बार-बार असत्य जानकारी आ रही है. आप यह बताएं कि तीन निविदादाता हैं तीनों को बुलाना चाहिए था, एक को ही क्यों बुलाया गया ? एक को ही बुलाकर निगोशिएशन किया गया. बाकी दो को क्यों नहीं किया गया ? अगर तीनों को बुलाते तो नगर निगम का फायदा होता या नहीं, आप बताइए ?
अध्यक्ष महोदय -- आप सीधा प्रश्न पूछिए.
श्री अनिल फिरोजिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, पहले नोटिस दिया गया कि इसमें हाईकोर्ट में केस चल रहा है तो उसके दो दिन पहले उसको ऑर्डर दे दिया और जब प्रक्रिया चालू हुई तो दो तीन महीने तक उसको लटकाकर सामग्री दी गई और वाहन उपलब्ध कराए गए, यदि चाहते तो उसको निरस्त करते और नगर निगम खुद करता तो नगर निगम का फायदा होता. कुल मिलाकर मेरा यह कहना है कि माननीया मंत्री जी को अधिकारी गुमराह कर रहे हैं और सदन को भी गुमराह कर रहे हैं. यह बहुत बड़ा भ्रष्टाचार है. इसमें जनता का सीधा-सीधा अहित है. मैं माननीय मंत्री महोदया से यह निवेदन करता हॅूं कि इसकी निष्पक्ष जॉंच कराकर जो संबंधित अधिकारी है उसको वहां से हटाइए. उसके विरूद्ध कार्यवाही कीजिए. क्या मंत्री महोदया कार्यवाही करेंगी, कार्यवाही का आश्वासन देंगी ?
श्रीमती माया सिंह -- माननीय अध्यक्ष जी, सिंहस्थ के समय सफाई का काम जो है बहुत ही उत्कृष्ट श्रेणी का हुआ है और माननीय सदस्य जो कह रहे हैं कि तीनों निविदाकारों को बुलाना चाहिए था, मैं बता रही हॅूं कि उक्त निविदा के मूल्यांकन का....
श्री मधु भगत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, पिछले बार भी एक सेंकेंड के लिए चूक गया था. एक प्रश्न कर लूंगा. माननीय अध्यक्ष महोदय, (क), (ख), (ग) में (ग) कर लूंगा.
अध्यक्ष्ा महोदय -- प्रश्नकाल समाप्त हो रहा है, अब क्या कर सकते हैं.
श्रीमती माया सिंह-- मुझे इसका जवाब देने दीजिये. क्यूसीबीएस की गाइडलाइन्स के आधार पर जो बेस्ट बिडर था उसको हमने बुलाया है और उसी के आधार पर यह निगोशियेशन वगैरह किया है तो इसमें मैं विधायक जी से कहना चाहती हूं कि यह जो मूल्यांकन का आधार है, वह मध्यप्रदेश कार्य विभाग मेन्युअल की कंडिका 2.086 के प्रावधान अनुसार क्वालिटी एंड कॉस्ट बेस सिलेक्शन है, क्यूसीबीएस द्वारा किया गया है जिसमें तकनीकी योग्यता के लिए 80 प्रतिशत और वित्तीय प्रस्ताव का 20 प्रतिशत के आधार पर मूल्यांकन किया गया है, जो मूल्यांकन किया है वह ठीक किया है उसमें कोई गलती नहीं की है.
श्री अनिल फिरोजिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं बार-बार मंत्री महोदया से यह निवेदन कर रहा हूँ कि आप जाँच क्यों नहीं कराना चाहते हैं? आपने बोला सिंहस्थ में बहुत अच्छा काम हुआ.वहाँ हम भी थे, हमने भी बधाई दी, हमने भी अधिकारियों की प्रशंसा की कि काम बहुत अच्छा हुआ लेकिन जहाँ भ्रष्टाचार हुआ है वहाँ आप जाँच करवा लें.
अध्यक्ष महोदय-- आपका उत्तर आ गया है.
श्री अनिल फिरोजिया-- अध्यक्ष महोदय, बहुत उपवास करने के बाद आज मेरा प्रश्न लगा है, ऐसा क्यों करते हैं साहब, आप? कम-से-कम जवाब तो आने दीजिये. अधिकारियों के ऊपर जाँच करा कर के कार्यवाही करने का आश्वासन तो लेने दीजिये.अध्यक्ष महोदय, मुझे आपका संरक्षण चाहिए.
अध्यक्ष महोदय-- अब समय हो गया, आप वही विषय फिर से बोलेंगे. रिपीटेशन हो रहा है. प्रश्नकाल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त)
12.01 बजे नियम 267-क के अधीन विषय
अध्यक्ष महोदय-- निम्नलिखित माननीय सदस्यों की सूचनायें सदन में पढ़ी हुई मानी जाएंगी.
1. श्रीमती सरस्वती सिंह
2. श्री दुर्गालाल विजय
3. श्री मधु भगत
4. डॉ.रामकिशोर दोगने
5. श्री योगेन्द्र निर्मल
6. श्री मानवेन्द्र सिंह
7. श्री नारायण सिंह पंवार
8. श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक
9. कुं. हजारीलाल दांगी
10. श्री कमलेश्वर पटेल
12.02 बजे शून्यकाल में उल्लेख
(1) श्री मधु भगत (परसवाड़ा)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना इस प्रकार है मध्यप्रदेश में मनरेगा के चलते लाखों करोड़ों का भ्रष्टाचार का मामला है और 19 वें नंबर पर मेरा प्रश्न था लेकिन वह नहीं आ पाया. मुझे पढ़ने की परमीशन दी जाये, पिछली बार भी मेरा प्रश्न छूट गया था.
अध्यक्ष महोदय-- ठीक है, पढ़ दीजिये.
श्री मधु भगत-- अध्यक्ष महोदय, मैं पढ़ दे रहा हूं आप उसको देख लीजियेगा. माननीय अध्यक्ष महोदय, बालाघाट जिले में आज दिनाँक तक मनरेगा में ऐसे सैकड़ों मजदूर हैं जिनका भुगतान अभी तक का लंबित है. जो जानकारी उपलब्ध कराई गई है वह पूरी तरह से गलत है जबकि सच्चाई यह है कि विलंबित भुगतान का जो आंकलन किया गया है वह आधारहीन है. मध्यप्रदेश शासन की जारी अध्यादेश नियमावली का पालन नहीं किया गया है यदि नियमानुसार आँकलन किया जाता तो यह राशि करोड़ों में होती. साथ ही राशि देना बताया जा रहा है, वह गलत है. वह राशि मजदूरों के खाते में नहीं पहुँची है. मेरा आपसे आग्रह है कि मनरेगा में कार्यरत् मजदूरों को ईपीएफ के दायरे में लाकर उनके ईपीएफ नंबर उपलब्ध करा के उन्हें ईपीएफ नंबर सहित पास बुक उपलब्ध कराई जाए. माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश अनुसार मनरेगा में कार्यरत् मजदूरो के भुगतान में यदि विलंब होता है तो उसे क्षतिपूर्ति के निर्धारित मापदंडों के अनुसार भुगतान किया जाये. समूचे मध्यप्रदेश का यह मामला है.
(2) श्री हर्ष यादव (देवरी)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी विधानसभा क्षेत्र में लगातार बिजली कटौती हो रही है बहुत सारे गाँवों की बिजली काट दी गई है छात्रों का भविष्य खराब हो रहा है. दसवीं और बारहवीं की परीक्षायें चल रही हैं. लगातार प्राकृतिक आपदा से किसान परेशान थे. जैसे-तैसे अच्छी फसलें आई हैं लेकिन सिंचाई ना होने की वजह से किसान परेशान हैं. किसानों में और छात्रों में आक्रोश है. कृपया मेरा निवेदन है कि इसमें सुनवाई हो.
(3) श्री इन्दर सिंह परमार (कालापीपल)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, शाजापुर जिले के कालापीपल थाना के अंतर्गत 10 मार्च को एक मंदिर के दरवाजे के सामने एक गाय की धारदार हथियारों से हत्या कर दी गई. वहाँ की पुलिस ने इस घटना को गंभीरता से नहीं लिया और कुत्ते के काटने से गाय की मृत्यु दिखा दी गई. पीएम रिपोर्ट आ चुकी है लेकिन आज तक अपराधियों के खिलाफ कार्यवाही नहीं की गई है उसके कारण गाँव में और आसपास के क्षेत्र में सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ने की संभावना बन रही है. मैं मंत्री जी से निवेदन करता हूं कि इस पर तत्काल कार्यवाही करने का कष्ट करें.
(4) श्री उमंग सिंघार (गंधवानी)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मनरेगा के अंदर क्षति पूर्ति अधिनियम के अंतर्गत क्षति पूर्ति देने का प्रावधान है लेकिन जब से योजना प्रारंभ हुई, आज दिनाँक तक सरकार द्वारा क्षति पूर्ति नहीं दी गई है. उसमें माननीय उच्चतम न्यायालय ने भी आदेश किये हैं कि कहीं से भी और किसी भी एकाउंट से आपको पैसा देना है, स्पष्ट लिखकर दिया है लेकिन आज तक सरकार ने पैसा नहीं दिया और एक-एक मजदूर पर प्रदेश के हर पंचायत के पांच-पांच सौ, हजार रुपये क्षति पूर्ति बनती है.यह प्रदेश का मामला है.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, भाई उमंग सिंघार जी ने जो बात कही है, यह बहुत ही गंभीर मामला है. आदरणीय गोपाल भार्गव जी हरदम कहते हैं कि मैं मजदूरों के पक्ष में हूँ और उनके लिए लड़ाई लड़ता हूँ. इस मामले में जब सुप्रीम कोर्ट ने क्षतिपूर्ति तय कर दी है तो कृपा करके वे कार्यवाही करें. आपका जवाब एक दफे आया कि साहब, हमारे पोर्टल में जानकारी नहीं है कि कितने मजदूरी की क्षतिपूर्ति है, जिलेवाइज़ पूरी जानकारी आपके पास है, यदि सबसे गरीब व्यक्ति, जो मध्यप्रदेश का मजदूर है, उसकी मजदूरी की क्षतिपूर्ति नहीं दे सकते तो क्या होगा ? इसीलिए परसों के अखबार में था कि मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा गरीबी बढ़ती जा रही है. 14 सालों से आपकी सरकार है और मध्यप्रदेश में गरीबों की संख्या बढ़ती जा रही है. आदरणीय भार्गव जी, कृपया क्षतिपूर्ति पर भी कुछ विचार करें और व्यवस्था कराएँ.
श्री कमलेश्वर पटेल -- अध्यक्ष महोदय, गरीब मजदूर पलायन कर रहे हैं.
(5) श्री मुकेश नायक (पवई) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, पवई नगर में जो तहसील मुख्यालय है, वहाँ पर नागरिक आपूर्ति विभाग का सर्वर डाऊन होने के कारण पिछले 6 महीने से नई पर्चियाँ जनरेट नहीं हो पाई हैं और हितग्राहियों को राशन नहीं मिल पाया है, आपसे निवेदन है कि माननीय मंत्री जी आवश्यक कार्यवाही करें ताकि पवई नगर में हितग्राहियों को राशन वितरण हो सके.
(6) एडवोकेट सत्यप्रकाश सखवार (अम्बाह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना इस प्रकार है कि अरहर हेतु शासन द्वारा 5050 रुपये का समर्थन मूल्य निर्धारित किया गया है लेकिन मुरैना मंडी और मेरी विधान सभा अम्बाह पोरसा में अरहर 3000 रुपये या 3200 रुपये में खरीदी जा रही है, वह भी मंडी नहीं खरीदती बल्कि वहाँ के व्यापारियों के माध्यम से खरीदी जा रही है, इसके कारण किसान बहुत परेशान हैं और दु:खी हैं. अभी उन्होंने मुरैना में आंदोलन भी किया था, अत: मैं चाहूँगा कि किसानों से समर्थन मूल्य पर अरहर की खरीदी की जाए.
(7) श्री दिनेश राय (सिवनी) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, वन विभाग के अमले द्वारा हमारे क्षेत्र में पानी और भोजन की पर्याप्त व्यवस्था न होने के कारण वन का राजा रहवासी एरिया में आ गया और रहवासी एरिया में आकर वहाँ के जानवरों को खा रहा है. अत: मेरा वन मंत्री जी से आग्रह है कि अपने जानवरों को अपनी जगह सुरक्षित रखें नहीं तो बड़ी घटना हो जाएगी. इसी कारण पिछले वर्ष भी कई वन्य प्राणियों के हमारे यहाँ शिकार हुए हैं क्योंकि जंगल छोड़कर जब वे रहवासी एरिए में आ रहे हैं तो वहाँ पर वे मारे भी जा रहे हैं.
12.07 बजे पत्रों का पटल पर रखा जाना
1. मध्यप्रदेश भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मण्डल का वार्षिक
प्रतिवेदन वर्ष 2015-2016.
2. मध्यप्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, इन्दौर (म.प्र.) का
चतुर्दश वार्षिक प्रतिवेदन.
3. (क) मध्यप्रदेश राज्य सहकारी आवास संघ मर्यादित, भोपाल का संपरीक्षित
वित्तीय पत्रक वर्ष 2015-2016,
(ख) मध्यप्रदेश राज्य सहकारी उपभोक्ता संघ मर्यादित, भोपाल (म.प्र.) का
संपरीक्षित वित्तीय पत्रक वर्ष 2015-2016,
(ग) मध्यप्रदेश राज्य सहकारी विपणन संघ मर्यादित, भोपाल का संपरीक्षित
वित्तीय पत्रक वर्ष 2015-2016, तथा
(घ) मध्यप्रदेश राज्य सहकारी बैंक मर्यादित, भोपाल का संपरीक्षित वित्तीय
पत्रक वर्ष 2015-2016.
12.09 बजे ध्यानाकर्षण
(1) बालाघाट जिले के लांजी क्षेत्र के वनग्राम बोदालझोला में मूलभूत सुविधाओं के
अभाव से उत्पन्न स्थिति
सुश्री हिना लिखीराम कावरे (लांजी) -- माननीय अध्यक्ष महोदय,
वनमंत्री ( डॉ. गौरीशकंर शेजवार) - माननीय अध्यक्ष महोदय,
सुश्री हिना लिखीराम कावरे - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अभी 17 तारीख को बोदालझोला गई थी. मैंने सांवरनाला में जहां ग्रामवासी आकर बसे हैं, उनसे मुलाकात की तो यह जाना कि वहां पर मुख्यमंत्री सड़क योजना के तहत रोड अभी बन रही है. वहां बिजली की भी अभी सप्लाई शुरू नहीं हुई है और उसका काम चल रहा है. माननीय अध्यक्ष महोदय यह सब चीजें अभी बन रही हैं, लेकिन वे ग्रामवासी तो काफी सालों से वहां पर रह रहे हैं और खुशी-खुशी रह रहे थे, परंतु पिछले कुछ वर्षों में जो सबसे बड़ी दिक्कत उनके साथ आई है, जिसे आपने बताया भी है कि वहां कई मौतें हुई हैं. कोई अज्ञात बीमारी है, उसके चलते वहां के गांववासी इतने ज्यादा भयभीत हो गये कि वे अब वहां पर रहना ही नहीं चाहते हैं. अध्यक्ष महोदय, मैं जब वहां पर गई तो मैंने वहां के जो टीचर हैं, उनसे भी मैंने बात की और उन्होंने बताया कि - हां, मैडम. ऐसी बीमारी है और अचानक ही दोनों हाथ ऐसे बांधकर उन्होंने बताया कि हमारे गांव के मुखिया की मौत मेरे सामने हुई, उनको ठंड लगी, दोनों मुट्ठी उन्होंने बांधी और वे उल्टे गिर गये, उसके बाद उनकी मृत्यु हो गई. इस अज्ञात बीमारी की वजह से वहां पर कोई रहना ही नहीं चाहता है. अभी बालाघाट के कलेक्टर भी उनके पास गये थे..
अध्यक्ष महोदय - आपका प्रश्न क्या है?
सुश्री हिना लिखीराम कावरे - अध्यक्ष महोदय, मैं प्रश्न बिल्कुल करूंगी. लेकिन मैं चाहती हूं कि वास्तविकता से माननीय मंत्री जी को अवगत करा दूं. अध्यक्ष महोदय, कलेक्टर वहां पर गये थे और उन्होंने उनके सामने प्रस्ताव भी रखा कि आप विस्थापित हो जाइए. लेकिन वहां के ग्रामवासियों का कहना है कि हमको विस्थापित होने में कोई दिक्कत नहीं है. वहां पर हम बसने को तैयार हैं, लेकिन हमको केवल घर नहीं चाहिए, हमको खेती के लिए भी जमीन चाहिए. जहां पर आप उनको बसाना चाहते हैं. वहां पर रहने के लिए आप प्रधानमंत्री आवास में केवल मकान बना देंगे. अध्यक्ष महोदय, मैं सीधे-सीधे प्रश्न कर लेती हूं, मैं माननीय मंत्री जी से यह जानना चाहती हूं कि मध्यप्रदेश शासन अज्ञात बीमारी का जिक्र करते हुए मानवीय आधार पर बोदालझोला से अपना कब्जा छोड़ने की शर्त पर विशेष प्रकरण के तहत वन भूमि पर अन्य स्थान पर ग्रामीणों को कब्जा देने संबंधी प्रस्ताव क्या केन्द्र शासन को भेजेगा?
डॉ. गौरीशंकर शेजवार - अध्यक्ष महोदय, वन अधिकार अधिनियम में वर्ष 2006 से पहले, जिनके कब्जे हैं, उनको जमीन दी जा सकती है और उनके वन अधिकार पत्र बन जाएंगे. आज की परिस्थिति में हमको केन्द्र सरकार का जो कानून है, वह हमको बिल्कुल परमीशन नहीं देता है. दूसरा, एक और कानून है वन संरक्षण अधिनियम, तो वन संरक्षण अधिनियम भी केन्द्र सरकार का कानून है और वन संरक्षण के लिए बहुत महत्वपूर्ण कानून है. अभी तक कहीं कोई विशेष प्रकरण की ऐसी बात आज तक हुई नहीं है. जहां प्रशासन निर्णय लेगा, वहां यह बस जाएं और प्रशासन इनको बसाएगा. लेकिन जमीन उनको खेती के लिए देने के लिए तो कहीं कोई व्यवस्था, आज की तारीख में यह नियम, अधिनियम जितने भी है, इनका उल्लंघन कहलाएगा, इसलिए मध्यप्रदेश वन विभाग उसको नहीं कर पाएगा. जहां तक यह जो बीमारी है. इसकी हम विशेष जांच जिस स्तर पर भी अध्यक्ष महोदय कहेंगे कि कौन-सी बीमारी है, क्या है, क्या इसके प्रिडिस्पोज़िंग फेक्टर हैं और यह किसकी वजह से है, हम इसकी जांच करवा लेंगे और जो भी परिणाम आएंगे, माननीय सदस्या को हम इसके बारे में बता देंगे.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे - अध्यक्ष महोदय, वे लोग वहां पर रहना ही नहीं चाहते हैं और बीमारी की ही सबसे बड़ी दिक्कत है. 10 लाख रुपए एक व्यस्क व्यक्ति को उनके परिवार में मिलना है, वे लोग पैसे को लेने के लिए तैयार नहीं है. मैंने खुद उनसे बात की है. मैंने उनको समझाने का भी प्रयास किया. लेकिन वे पैसे लेने को तैयार नहीं है, इसलिए मैंने आपसे निवेदन किया था कि आप क्या केन्द्र शासन को विशेष प्रकरण मानकर उसको भेजेंगे? यह तो आपके हाथ में है. निर्णय केन्द्र शासन को करना है, वह दे अच्छी बात है. लेकिन आप कम से कम इसको विशेष प्रकरण मानकर तो भिजवा दें?
डॉ. गौरीशंकर शेजवार - अध्यक्ष महोदय, जवाब मैंने दे दिया है. एक बात और बताएं कि बीमारियों का जहां तक सवाल है तो अलग-अलग वर्षों में अलग-अलग संख्या है. लेकिन इसमें कोई एक बीमारी का उल्लेख नहीं है, न ही कहीं कोई ऐसी महामारी जैसी स्थिति आई है. इसके बाद भी बीमारियों की हम जांच करवा लेंगे कि आखिर क्यों, किन परिस्थितियों में ये मृत्यु हुई हैं.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे - अध्यक्ष महोदय, अंतिम बात मैं कहना चाहती हूं. वे लोग वहां पर रहना नहीं चाहते हैं. वे दूसरे वन ग्राम सांवरनाला में आकर बस गये हैं. मेरा आपसे निवेदन है कि आप अभी जहां पर वे लोग हैं तो कम से कम जब तक यहां की व्यवस्थाएं ठीक नहीं हो जाती या वे लोग जब तक तैयार नहीं होते या जो भी बात है, तब तक जहां पर वे लोग हैं, कम से कम वन विभाग के अधिकारी उनको परेशान तो न करें और दूसरा, माननीय मंत्री श्री गोपाल भार्गव जी यहां पर बैठे हैं. अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से कहना चाहती हूं कि जो बोदालझोला ग्राम है, वहां से 10 कि.मी. डाबरी है, जो मैहर विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है. मेरा आपसे निवेदन है कि वन विभाग अगर आप परमीशन उनको दे दें तो मात्र 10 कि.मी. की दूरी पर वहां जो डाबरी है, वहां पर उप स्वास्थ्य केन्द्र है. यदि आप परमीशन दे दें तो एमपीआरआरडीए से वहां पर रोड बन जाएगी और उनको कम से कम स्वास्थ्य की सुविधाएं तो मिल जाएगी?
डॉ.गौरीशंकर शेजवार--माननीय अध्यक्ष महोदय, वहां पर सड़क का भी उल्लेख है. सड़क स्वीकृत है, उसका निर्माण भी प्रारंभ हो चुका है, मुख्यमंत्री सड़क का भी निर्माण हो चुका है, पुल का भी निर्माण हो चुका है. बिजली अभी बाधित थी. अभी सूचना मिली है कि बिजली भी वहां पर पहुंच चुकी है. हर घर में कनेक्शन भी हो चुके हैं. वहां पर स्कूल भी हैं. बगल में माध्यमिक शाला भी है. यह मूलभूत सुविधाएं पूरी हैं. वन विभाग कहीं किसी रोड़ निर्माण में या बिजली में कहीं कोई बाधा पैदा नहीं कर रहा है. केवल बात इतनी है कि हमें वन संरक्षण अधिनियम का पालन करना है. जहां तक खेती के लिये भूमि आवंटन है उसके लिये केन्द्र सरकार का अधिनियम है उसके हिसाब से हमें उसका पालन करना है.
अध्यक्ष महोदय--एक विषय उनका रह गया है. साबरनाला जहां पर यह लोग आ गये हैं क्या उनको वहीं रहने देंगे अथवा वापस कर देंगे.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार--माननीय अध्यक्ष महोदय, जो हमारा नियम है फारेस्ट कंजरवेशन एक्ट उसमें नियमानुसार परमीशन नहीं दे सकते हैं.
(2) नागदा खाचरौद क्षेत्र में पेयजल उपलब्ध नहीं होना.
श्री दिलीप सिंह शेखावत (नागदा खाचरौद)- अध्यक्ष महोदय,
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री (सुश्री कुसुम सिंह महदेले):- अध्यक्ष महोदय,
श्री दिलीप सिंह शेखावत--अध्यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहते हुए माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूं. माननीय मंत्री जी ने मेरे प्रश्न के उत्तर में स्वीकार किया है कि इस कमी के कारण उद्योग बंद होता है. दूसरा आपने उत्तर दिया है कि तीन बैराज जल संसाधन विभाग ने चम्बल नदी पर स्वीकृत किए हैं वह लगभग 20 किमी नीचे आलोट विधान सभा में स्वीकृत हुए हैं. मैंने जैसा आपसे निवेदन किया है कि 40 किमी के रेडिएस में 800 हेक्टर भूमि में किसान सिंचाई करता है. उतनी केपेसिटी का आप डेम बनाएंगे तो 180 करोड़ रुपये लगेगा. अभी वर्तमान में सारे डेम बिरला समूह द्वारा बनाए गए हैं. मैं आपको एक जानकारी और देना चाहूंगा कि अभी 15 दिन पहले किसानों की मोटरें प्रशासन ने जब्त की जिससे वहां आंदोलन जैसी स्थिति निर्मित हुई. मेरे हस्तक्षेप के बाद वह वापस की. अध्यक्ष महोदय, जब जब पानी की कमी होती है तो नागदा-खाचरौद में पेयजल की व्यवस्था भी उसी डेम से है, सिंचाई भी उन्हीं डेम से है. उसके कारण मजदूर पानी लेने के लिए अलग आंदोलन करता है, किसान अलग आंदोलन करता है.
अध्यक्ष महोदय, मैं एक जानकारी और देना चाहूंगा कि कुमार मंगलम बिरला, प्रसिद्ध उद्योगपति हैं, उनकी वरिष्ठ अधिकारियों से चर्चा हुई थी. उस समय जुलानिया जी प्रमुख सचिव थे उन्होंने निनावट खेड़ा के पास एक नया डेम बनाने की डीपीआर बनाने का निर्देश भी दिया था. मैं जल संसाधन मंत्री जी से भी विनम्रता निवेदन करुंगा कि 2007 में एक डेम वहीं पर स्वीकृत हो गया था. उसके टेंडर भी हो गए थे. वर्क ऑर्डर भी हो गया था लेकिन बाद में नगर पालिका ने...
सुश्री कुसुम सिंह महदेले-- अध्यक्ष महोदय, वैसे तो यह प्रश्न मेरे विभाग से संबंधित नहीं है फिर भी मैं जवाब दे रही हूं. आप इतनी बड़ी कहानी सुनाने के बदले स्पेसिफिक प्रश्न पूछेंगे तो मैं जवाब दे पाऊंगी.
अध्यक्ष महोदय-- जल संसाधन मंत्री भी जवाब देंगे.
श्री दिलीप सिंह शेखावत-- मैं माननीय जल संसाधन मंत्री जी से बहुत विनम्रता से निवेदन करुंगा कि माननीय जयंत मलैया जी ने इसी सदन में मुझे आश्वासन दिया कि चामुंडा माता के पास निनावट खेड़ा में हम डेम बनाएंगे. वर्ष 2007 में यह डेम स्वीकृत हो गया था. मेरा आपसे करबद्ध निवेदन है. हमारा 500 करोड़ रुपये का निवेश पानी की कमी के कारण विलायत चला गया. सिंचाई करने वाले किसान पर हर साल मुकदमे दर्ज होते हैं और पेयजल का गंभीर संकट है.
अध्यक्ष महोदय, मैं एक चीज का और निवेदन करना चाहूंगा. मैंने माया सिंह जी से निवेदन किया है कि एक नाले की डायवर्शन की कास्ट 15 करोड़ रुपये आ रही है.
अध्यक्ष महोदय-- पहले प्रश्न का उत्तर ले लें.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल--अध्यक्ष महोदय, मेरी विधान सभा भी इसके पास है. उसके भी कुछ लोग प्रभावित होते हैं.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले--अध्यक्ष महोदय, प्रश्न स्पष्ट हो तो उत्तर दूं.
अध्यक्ष महोदय-- यह दोनों विभाग के मंत्रियों से संबंधित है क्योंकि इसमें पेयजल भी है और सिंचाई की बात भी है.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले--अध्यक्ष महोदय, वह तो मेरी तारीफ कर रहे हैं कि मैंने 22 गांवों की योजना स्वीकार कर दी.
श्री दिलीप सिंह शेखावत-- मैं आपको धन्यवाद देता हूं.
अध्यक्ष महोदय--उन्होंने किसी की निन्दा नहीं की है.
डॉ नरोत्तम मिश्र-- किसी में हिम्मत है जो जीजी की बुराई कर दे. अध्यक्ष जी, कल इसी विषय पर माननीय सदस्य का दूसरे नंबर का प्रश्न है. अध्यक्ष जी, उन्होंने माननीय जयंत मलैया जी का उल्लेख किया है कि उन्होंने आश्वासन दिया है तो हमारे पूर्व जल संसाधन मंत्री के आश्वासन का अक्षरशः पालन करेंगे.
श्री दिलीप सिंह शेखावत-- अध्यक्ष महोदय, माननीय नगरीय प्रशासन मंत्री जी भी यहां बैठी हैं हमारे यहां नाले के डायवर्शन की 15 करोड़ रुपये की कास्ट आ रही है वह माननीय मंत्री जी स्वीकृत करने के लिए तैयार है....प्रश्न उद्भूत नहीं हो रहा लेकिन यह इतना पेचीदा मामला है लेकिन माननीय मंत्री जी कह देंगे तो उसकी साध्यता आ जाएगी.
अध्यक्ष महोदय-- नगरीय प्रशासन विभाग की जब अनुदान मांगे आएंगी तब आप मांग कर लीजिए.
श्री दिलीप सिंह शेखावत--अध्यक्ष जी मैं आपका संरक्षण चाहूंगा. माननीय मंत्री जी से मेरी बात हुई है, वह तैयार हैं.
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्रीमती माया सिंह) - माननीय अध्यक्ष जी, यह जो विधायक जी ने मसला उठाया है तो मैं कहना चाहती हूं कि हम वर्ल्ड बैंक से सहायता प्राप्त परियोजना से नागदा के सीवेज का प्रोजेक्ट तैयार कर रहे हैं और अमृत योजना के तहत् हम इसको लेंगे और इसकी डी.पी.आर. भी बन रही है.
श्री दिलीप सिंह शेखावत - मैं आपसे आग्रह करना चाहूंगा कि उस डैम की 72 करोड़ रुपये की डी.पी.आर. बनी थी. अब आश्वासन आप दे देंगे तो अच्छा होगा. मेरा दूसरा जो प्रश्न था वह वाटर शेड से अलग प्रश्न है. मेरा निवेदन है कि आप खड़े होकर नीनावटखेड़ा डैम की घोषणा कर देंगे तो अच्छा होगा.
डॉ.नरोत्तम मिश्रा - अध्यक्ष महोदय, जरूर कर देंगे.
श्री दिलीप सिंह शेखावत - बहुत-बहुत धन्यवाद.
12.31 बजे प्रतिवेदनों की प्रस्तुति
लोक लेखा समिति का तीन सौ छप्पनवां से चार सौ इकतीसवां प्रतिवेदन
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा,सभापति - अध्यक्ष महोदय, मैं, लोक लेखा समिति का तीन सौ छप्पन वां से चार सौ इकतीसवां प्रतिवेदन प्रस्तुत करता हूं.
पिछले 4 वर्षों में 431 प्रतिवेदन पहले प्रस्तुत किये गये हैं और अभी 76 प्रतिवेदन प्रस्तुत किये हैं. मैं प्रमुख सचिव, विधान सभा, सभी लोक लेखा समिति के आदरणीय सदस्यगण एवं सभी अधिकारियों,कर्मचारियों का आभारी हूं कि उनके सहयोग से इतना तेजी से काम हुआ.धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय - आपको धन्यवाद कि आप बिल्कुल अपडेट रख रहे हैं अन्य समिति के माननीय सभापति महोदयों से भी अपेक्षा है कि सारे विषयों को अपडेट करेंगे.
संसदीय कार्य मंत्री(डॉ.नरोत्तम मिश्र) - अध्यक्ष जी, मैं आपके मत से इस विषय पर सहमत होना चाहता हूं कि वास्तव में जिस हिसाब से लोक लेखा समिति को कालूखेड़ा जी देखते हैं मैं उनको साधुवाद और धन्यवाद देता हूं.
12.32 बजे याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय - आज की कार्यसूची में सम्मिलित सभी याचिकाएं प्रस्तुत की हुई मानी जायेंगी.
12.33 बजे शासकीय विधि विषयक कार्य
(1) मध्यप्रदेश वेट संशोधन(विधिमान्यकरण) विधेयक,2017(क्रमांक 2 सन् 2017)
वाणिज्यिक कर मंत्री(श्री जयंत मलैया) - अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश वेट संशोधन(विधिमान्यकरण) विधेयक,2017(क्रमांक 2 सन् 2017) के पुर:स्थापन की अनुमति चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश वेट संशोधन(विधिमान्यकरण) विधेयक,2017(क्रमांक 2 सन् 2017) के पुर:स्थापन की अनुमति दी जाय.
अनुमति प्रदान की गई.
श्री जयंत मलैया - अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश वेट संशोधन(विधिमान्यकरण) विधेयक,2017(क्रमांक 2 सन् 2017) का पुर:स्थापन करता हूं.
(2) मध्यप्रदेश विधानमण्डल सदस्य निरर्हता निवारण(संशोधन)
विधेयक,2017 (क्रमांक 3 सन् 2017)
संसदीय कार्य मंत्री(डॉ.नरोत्तम मिश्र) - अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश विधान मण्डल सदस्य निरर्हता निवारण(संशोधन)विधेयक,2017(क्रमांक 3 सन् 2017) के पुर:स्थापन की अनुमति चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश विधान मण्डल सदस्य निरर्हता निवारण(संशोधन)विधेयक,2017(क्रमांक 3 सन् 2017) के पुर:स्थापन की अनुमति दी जाय.
अनुमति प्रदान की गई.
डॉ.नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय,मैं, मध्यप्रदेश विधान मण्डल सदस्य निरर्हता निवारण(संशोधन)विधेयक,2017(क्रमांक 3 सन् 2017) का पुर:स्थापन करता हूं.
12.35 बजे वर्ष 2016-2017 के तृतीय अनुपूरक अनुमान का उपस्थापन
वित्त मंत्री(श्री जयंत मलैया) - अध्यक्ष महोदय, मैं, राज्यपाल महोदय के निर्देशानुसार वर्ष 2016-2017 के तृतीय अनुपूरक अनुमान का उपस्थान करता हूं.
अध्यक्ष महोदय - मैं, इस तृतीय अनुपूरक अनुमान पर चर्चा और मतदान के लिये दिनांक 22 मार्च,2017 को 2 घंटे का समय नियत करता हूं.
12.36 बजे वर्ष 2017-2018 की अनुदानों की मांगों पर मतदान(क्रमश:)
(1) मांग संख्या - 23 जल संसाधन
मांग संख्या - 28 राज्य विधान मण्डल
मांग संख्या - 32 जनसंपर्क
मांग संख्या - 45 लघु सिंचाई निर्माण कार्य
मांग संख्या - 57 जल संसाधन विभाग से संबंधित विदेशों से सहायता
प्राप्त परियोजनाएं
डॉ.गोविन्द सिंह(लहार) - माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री वैलसिंह भूरिया - माननीय अध्यक्ष महोदय,कल इन्होंने बोल लिया था बार-बार इनको ही मौका दिया जा रहा है.
अध्यक्ष महोदय - कल इन्होंने नहीं बोला था.
डॉ.नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, मैं यह कह रहा था आप विभाग बोल दिया करो वे मांग संख्या नहीं समझ पाते हैं.
डॉ.गोविन्द सिंह - मांगों का विरोध करना हमारा दायित्व है कि हम कमियां बताएं. नहीं कहेंगे तो यह वैसे ही काम नहीं कर रहे हैं तो बंटाधार और सफाया कर देंगे.
डॉ.नरोत्तम मिश्र - बंटाधार कहकर आप कहीं और उंगली तो नहीं उठा रहे हैं.
डॉ.गोविन्द सिंह - अध्यक्ष महोदय,मैं बता देता हूं कि इनकी सरकार कैसे चल रही है. पहले मैं अपने क्षेत्र की बात कर लूं. दतिया जिला और लहार विधान सभा क्षेत्र में राजघाट परियोजना और भाण्डेर नहर प्रणाली से वहां सिंचाई का पानी मिलता है. यह बात सही हैकि पिछले चार-पांच वर्षों में पानी ठीक तरीके से मिल रहा है इसकी आलोचना नहीं कर रहा लेकिन जो पहले मंत्री जी थे तो जो बांध रतनगढ़ की माता के पास सिंध नदी पर बना रहे हैं उस बांध से हमारे लहार में पानी देने की योजना थी लेकिन जबसे श्रीमान जी ने कार्यभार संभाला है तो उससे जो हमारे क्षेत्र में पानी देने की योजना थी उसको उसमें से अलग कर दिया है मैं कहता हूं कि इनका मंत्री होने के बाद प्रदेश स्तर की सोच होना चाहिये परन्तु इनका शरीर भी ज्यादा लंबा चौड़ा नहीं है लेकिन दिल भी इनका छोटा है इन्होंने उसका पानी अपने डबरा तरफ मोड़ रहे हैं. नदी का बहाव दूसरी तरफ है लेकिन फिर भी दूसरी तरफ से डबरा पानी ले जा रहे हैं.
डॉ.नरोत्तम मिश्र - वहां इनकी विधायक इमरती देवी जी हैं आप उनका विरोध कर रहे हैं.
डॉ.गोविन्द सिंह - आप अपने घर ले जा रहे हैं. खेती बाड़ी उनकी है नहीं है सारी आपकी है. आप अपने लिये वहां पानी ले जा रहे हैं.
श्री प्रदीप अग्रवाल - डाक्टर साहब, आप तो हमारा सब पानी ले ही जाते हैं इन्दरगढ़ का,सेवढ़ा का लहार, एक नहर का इतना कह रहे हैं.
चौधरी मुकेश सिंह चतु्र्वेदी - अध्यक्ष महोदय,यह इतने साल मंत्री रहे इन्होंने बांध के संबंध में कभी सोचा नहीं अब जब हमारी सरकार बना रही है तो उसमें मीन-मेख निकाल रहे हैं. आपने इतने साल मंत्री रहे आपने कभी बांध का प्रस्ताव भी दिया.
अध्यक्ष महोदय - कृपया व्यवधान न करें.
श्री प्रदीप अग्रवाल - इससे डबरा जोड़ दें तो 6 विधान सभा क्षेत्र लाभान्वित हो रही हैं.
डॉ.गोविन्द सिंह - जब भगवान के यहां बुद्धि बंट रही थी तब आप कहां सो रहे थे.
चौधरी मुकेश सिंह चतु्र्वेदी - इनके विवेक पर क्या कहें भगवान कभी सोते नहीं हैं.
डॉ.गोविन्द सिंह - पहले नहर आती है दतिया जिले में, दतिया से चलती है सेंवढ़ा विधान सभा क्षेत्र, फिर अंतिम छोर पर आता है लहार और कह रहे हैं कि हमारा पानी लहार ले जाते हैं. इसलिये कह रहे हैं कि बोलने सेपहले सोचो,समझो कि क्या कह रहे हैं.अध्यक्ष महोदय, जल्दी-जल्दी बोल लेने दें मुझे डिस्टर्ब कर रहे हैं. हमारा कहना है मंत्री जी कि उस बांध को आप जोड़िये जो पहले से योजना थी जुलानिया साहब ने किया था तो उसको आप जोड़ें. मैंने एक पत्र आपको दिया है कि हमारे यहां छोटी-छोटी नहरों की समस्या है. एक-एक,दो-दो किलोमीटर बढ़ना हैं और जो आप लाईनिंग करा रहे हैं. वह ठीक से नहीं हो रहा है इधर हो रहा है उधर उखड़ रहा है इस पर भी आप अंकुशलगाएं. पिछले बजट सत्र में तत्कालीन जल संसाधन मंत्री मलैया जी ने घोषणा की थी,वायदा किया था कि जसकर्धन तालाब का जीर्णोद्धार करेंगे. वह 64 हेक्टेयर का तालाब है. उसके पहले करीब 6 वर्ष पहले श्री शिवराज सिंह चौहान, मुख्यमंत्री जी भी गये थे. उन्होंने घोषणा की थी कि इसका जीर्णोद्धार कराएंगे लेकिन अभी तक नहीं हुआ है. अभी एक पत्र नगर परिषद ने भेजा उसमें तालाब को ट्रांसफर कर दिया. मैंने उनको लिखा कि यह तालाब सिंचाई विभाग अपने पास रखे और उसका जीर्णोद्धार करे. एक विचित्र बात है आपका विभाग कैसे चल रहा है यह प्रदेश की जनता जान जाए और माननीय पंडित नरोत्तम मिश्रा जी का बुद्धि का विकास करने के लिये जनता समझे. डाक्टर नरोत्तम जी,फर्जी पी.एच.डी.वाले. मैं कहना चाहता हूं कि आपने प्रशासकीय प्रतिवेदन प्रस्तुत किया है. इसमें आपने लिखा है कि 1 जनवरी,2017 तक की स्थिति में 29.66 लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचित किया जा चुका है. राज्यपाल महोदय का अभिभाषण 21 फरवरी,2017 को हुआ उसमें आपने कहा कि मेरी सरकार का लक्ष्य वर्ष 2018 तक 40 लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचित करने का था. लेकिन हमने क्षमता विकसित करते हुये 40 लाख हेक्टेयर का सिंचाई लक्ष्य पहले प्राप्त कर लिया.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- गोविंद सिंह जी, पढ़ा मत करो यह आपकी समझ में नहीं आयेंगी पढ़ने-लिखने की बातें, 29 लाख हेक्टेयर जो था.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, इस तरह से आप कह रहे हैं कि पढ़ा लिखा मत करो इसका क्या मतलब है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- मैं उनका जवाब दे दूं. मैं यह कह रहा था, गोविंद सिंह जी इधर तो देखो. मैंने निवेदन यह किया कि उसमें जो बताया है वह कन्क्लूड बताया है कि उसमें बोरिंग से भी सिंचाई हुई है, लिफ्ट एरीगेशन से भी हुई है. इसमें सिर्फ जल संसाधन की बताई है. सिंचाई अलग-अलग माध्यमों से नर्मदा घाटी से भी होती है, तालाब से भी होती है.
डॉ. गोविंद सिंह-- यह आपका जल संसाधन विभाग का प्रतिवेदन है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- जी हां. आप राज्यपाल का उदाहरण दे रहे हैं, राज्यपाल के अभिभाषण में कन्क्लूड करके बताया है.
डॉ. गोविंद सिंह-- फिर आपने वित्त मंत्री का बजट भाषण 1 मार्च को हुआ उसमें आपने बताया है कि 23 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि की सिंचाई क्षमता का लक्ष्य हमनें प्राप्त कर लिया है तो अब आप तीनों में अलग-अलग क्यों बता रहे हो. आप अपनी बुद्धि विवेक से काम करो, सदन को गुमराह करने के लिये ऐसी योजना मत बनाओ. आपके ढाई हजार करोड़ रूपये की सिंचाई योजना में गड़बड़ी है उसे आपके प्रमुख सचिव अग्रवाल साहब ने पकड़ी है. इस पर जरा ध्यान दो, आपने क्या कार्यवाही की. बांध लगातार फूट रहे हैं, किसानों को आप मुआवजा देने का काम करें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- बांध कहां का फूट गया ?
अध्यक्ष महोदय-- कृपया व्यवधान न करें माननीय मंत्री जी.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष जी, नहर फूटी नहीं, यह बांध कह रहे हैं अब गुमराह कौन कर रहा है ?
डॉ. गोविंद सिंह-- लीकेज हो गया.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- लीकेज और फूटने में अंतर होता है.
डॉ. गोविंद सिंह-- हां नहर लीकेज हुई. अब आपसे कहना चाहता हूं कि सिंचाई पंचायतों में आप कंट्रोल करें. इसमें सहायक यंत्री को सचिव बनायें ताकि यह जो पूरा का पूरा पैसा गोलमाल हो जाता है उसमें कंट्रोल हो, काम हो. इसके साथ ही कहना चाहता हूं विधान मंडल के बारे में भी एक लाइन बोल दूं अध्यक्ष जी. पूरे देश में मध्यप्रदेश ऐसा राज्य है जहां आपने विधायकों की उपस्थिति तय की है. सरकार करोड़ों रूपये का घोटाला कर रही है. एक लाख छियासी हजार करोड़ का कर्जा लद गया, मेरी उपस्थिति तो शतप्रतिशत रहती है, शायद ही 27 वर्षों में 27 दिन अनुपस्थित रहा हूं. लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि 7 दिन का जो नियम था आप विधान मंडल में विधायकों पर कुठाराघात कर रहे हैं. लोकसभा की तरह प्रतिदिन की उपस्थिति देख रहे हैं यह उचित नहीं है. आप रिनोवेशन में करोड़ों रूपये खर्च कर रहे हो. विधान सभा में आपने कोई नियम नहीं बनाया. मेरा आपसे अनुरोध है कि एक उप समिति बनाईये, यहां तमाम कर्मचारियों के पद खाली पड़े हुये हैं. सचिवालय में उप सचिव नहीं है, सचिवालय में क्लर्क नहीं है, सचिवालय में अधिकारी नहीं हैं, संचालक नहीं है पूरे पद खाली पड़े हुये हैं. कर्मचारियों के न होने से विधान सभा की जो गरिमा गिर रही है उसकी पूर्ति कीजिये और जिस प्रकार का लोक सभा में पैटर्न है उसी पैटर्न को अपनाईये, विधान सभा को स्वतंत्र रखिये, (XXX), इसके बजट की भी अलग से व्यवस्था करें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- माननीय अध्यक्ष जी, मेरी आपत्ति है, इसे आप विलोपित कर दें.
डॉ. गोविंद सिंह-- जब आप बजट नहीं दोगे तो कहां से चलेगी.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- विधान सभा किसी के दवाब में नहीं चलती यह लोक सभा की तरह स्वतंत्र है. माननीय अध्यक्ष जी, इसको विलोपित करवाना चाहिये.
अध्यक्ष महोदय-- उतना विलोपित कर दें.
श्री अजय सिंह-- (XXX).
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- इसको भी विलोपित करायें माननीय अध्यक्ष जी.
अध्यक्ष महोदय-- यह बिल्कुल विलोपित कर दें.
डॉ. गोविंद सिंह-- अध्यक्ष जी ने मुझसे कुछ नहीं कहा है, यह मेरा खुदा का कहना है. मैं देख रहा हूं कि गलत जवाब आ रहे हैं, संशोधन नहीं होते, मीटिंगे नहीं हो रहीं, आश्वासन पूरे नहीं हो रहे, बैठकें नहीं हो पा रहीं इसलिये मेरा अनुरोध है कि इसके जो नियम हैं उसको अलग से बनायें और इसे स्वतंत्र करें, यहां शासन का कोई हस्तक्षेप न हो जिस प्रकार लोक सभा में पैटर्न है उसी प्रकार विधान सभा में हो यह मेरा कहना आपसे है. इसके साथ ही साथ मैं यह भी कहना चाहता हूं कि आपका जनसंपर्क विभाग है वह भी आपके अधीनस्थ है. इसमें मैं पूछना चाहता हूं कि आप इसका तमाम बजट बढ़ाते चले जा रहे हैं, वैसे ही आपकी शक्ल-सूरत भगवान ने खूबसूरत बनाई है तो फिर क्यों प्रचार-प्रसार में इतना खर्च कर रहे हो. आपने पद का कितना दुरूपयोग किया, हितग्राही सम्मेलन में आपने 16 करोड़ रूपये फूंक डाले, आपने तेंदूपत्ता का एक दिन का सम्मेलन किया प्रचार-प्रसार में है यह, 2 करोड़ 18 लाख, विश्व हिन्दी सम्मेलन में करीब 11 करोड़ 23 लाख से अधिक, किसान सम्मेलन में 7 करोड़ 70 लाख से अधिक, ग्रामोदय से भारत उदय इसमें आपने 4 करोड़ 34 लाख से अधिक खर्च किया है. अंतर्राष्ट्रीय महाकुम्भ में 17 करोड़ के करीब आपने खर्च किया है. इसके साथ ही साथ ग्लोबल पार्क का जो आपने आयोजन कराया उसके प्रचार-प्रसार में लगभग ढाई लाख रूपये खर्च किये हैं. विश्व आयुर्वेद सम्मेलन में 2 करोड़ 35 लाख खर्च किया है और कृषि महोत्सव में 54 करोड़ रूपये खर्च किया है और किया कहां से है ? माध्यम से. माध्यम संस्था है वह आपके विभाग के तहत है, लेकिन माध्यम भी करता तो कोई बात नहीं थी. माध्यम के बाद आपने नये बिचौलिये छोड़ दिये. यह एक कंपनी है जो एक होटल में भृत्य की नौकरी करता था, यह कहां से प्रकट हो गया, इनवेस्ट कंपनी, विजन फोर्स, करोड़ों का काम विजन फोर्स को दे दिया. गोपाल ग्लोबल स्टोर्स, लोटस एडवरटाइजर्स को इतना पैसा जब आप दे रहे हैं और उन संस्थाओं को लाभ पहुंचा रहे हैं, क्या आप इसकी जांच करायेंगे ? आज से 5 वर्ष पहले जो व्यक्ति एक होटल में नौकर था वह आदमी विजन फोर्स नाम की कंपनी बनाकर करोड़ों रूपये का काम कर रहा है, वह आज अरबपति हो गया है, क्या यह जनता की गाढ़ी कमाई की लूट नहीं है. मेरा आपसे यही अनुरोध है कि आप इस तरह का जो कार्य कर रहे हैं वह बंद करें. अधिमान्य पत्रकार केवल आप चेहरा देख-देखकर घोषित कर रहे हो. एक पत्रकार था अब छोड़कर चला गया पहले उसे मुरैना से अधिमान्य पत्रकार बनाया. जिसके पास इतना पैसा भी नहीं था कि आने जाने का किराया वह दे सके और उसमें आधी छूट मिलती है आज वह मुम्बई में फिल्मों में फाइनेंस का काम कर रहा है.
उपाध्यक्ष महोदय (डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह) -- (सीट पर बैठे-बैठे) क्या नाम है.
डॉ. गोविंद सिंह-- नाम इन्हें मालूम होगा (डॉ. नरोत्तम मिश्र जी की तरफ इशारा करते हुये) कोई मशानी नाम का व्यक्ति है. वह आज बड़ी-बड़ी कंपनियों को और जो फिल्म बनाते हैं उनको फाइनेंस कर रहा है.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह-- अच्छा वह संजय मशानी (सीट पर बैठे-बैठे).
डॉ. गोविंद सिंह-- वह तो इनको पता होगा संजय मशानी है कि कौन है (डॉ. नरोत्तम मिश्र जी की तरफ इशारा करते हुये) आप इन लोगों पर कंट्रोल करें, जनता का धन न लुटायें यही मेरा कहना है. जनता ने आपको जनादेश दिया है तो उसका सम्मान करें, दुरूपयोग न करें.
श्री रामेश्वर शर्मा (हुजूर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 23, 28, 32, 45 और 57 के समर्थन में बोलने के लिये खड़ा हूं. जैसा कि मेरे पूर्व वक्ता ने पहले अपनी बात कही तो मैं भी अपनी बात पहले कह दूं इसके बाद बाकी की बात करूंगा. माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे भोपाल में एक कलियासोत डेम है और कलियासोत डेम से एक नदी का उदगम होता है और यह नदी आगे जाकर बेतवा में मिलती है और यह नदी आधे शहर और आधे ग्रामीण भाग से निकलती है. वर्तमान में जब बारिश होती है तो बारिश के कारण आसपास के नागरिक इसके शिकर होते हैं और जगह-जगह अगर इसमें स्टॉप डेम बन जायें तो इस नदी की खूबसूरती भी होगी और सिंचाई के साधन भी होंगे और वहां आसपास का भूजल स्तर भी बढ़ेगा. दूसरा एक बकानिया है जहां 20-22 हेक्टेयर का एक बड़ा तालाब है, उस तालाब के गहरीकरण की भी मैं माननीय मंत्री जी से बात करना चाहता हूं. एक मूढ़ला है वहां भी तालाब की बात करता हूं जिससे वहां लगभग 25 गांव को सिंचाई की क्षमता बढ़ जायेगी. सूखी सेवनिया नाम से ही सूखा इलाका है वहां भी हमारे पास 8 हेक्टेयर लेण्ड पहले से ही तालाब के नाम से आरक्षित है उसका गहरीकरण करके वहां उसे छोटी सिंचाई परियोजना कर सकते हैं. बगरोदा में हमारे यहां 35 हेक्टेयर का तालाब है इससे भी वहां सिंचाई कर सकते हैं इसका गहरीकरण किया जाये. कान्हासैया क्षेत्र में भी एक तालाब बनाया जाये. तूमड़ा क्षेत्र में जहां हमारा स्टॉप डेम पहले से है उसका गहरीकरण करके उसकी सिंचाई क्षमता बढ़ाई जाये, रतनपुर पठार वहां के नागरिकों ने भी मांग की है. सरबर, भानपुर, कैकडि़या यह आदिवासी क्षेत्र के गांव हैं, छोटी-छोटी खेती है और तालाब के किनारे हैं लेकिन इनकी ऊंचाई होने के कारण वह पानी नहीं ले पाते तो वहां पर एक अलग से तालाब, डेम की हम मांग करते हैं. साथ ही मैं एक और निवेदन करना चाहता हूं कि केरबा जो डेम है इससे आजकल कोलार क्षेत्र में पानी की सिंचाई योजना लाई जा रही है और साथ में एक और महत्वपूर्ण बात है कि इस डेम से सिंचाई भी हो रही है और दोनों को ध्यान में रखते हुये इस तालाब का गहरीकरण और केरवा डेम को सुरक्षित करना भी बहुत जरूरी है, इसके चारों तरफ अब अतिक्रमण बढ़ने लगा है और यह अतिक्रमण बढ़ जायेगा तो केरबा डेम से हमारी जो 3 लाख की आबादी कोलार को जो पानी मिलेगा वह भी और सिंचाई का जो संसाधन है, मैं यह समझता हूं कि आने वाले दिनों में परेशानी आयेगी. मैं माननीय मंत्री महोदय, नरोत्तम मिश्र जी से यह मांग करता हूं कि वह यह चीजें उसमें जोड़ें.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हम और आप यह सब जानते हैं कि मध्यप्रदेश की सरकार ने आदरणीय शिवराज सिंह चौहान जी के नेतृत्व में अनेक बार इस सदन में चर्चा की है. और आदरणीय गोविन्द सिंह जी ने भी इस बात का समर्थन किया है कि प्रदेश में लगातार सिंचाई बढ़ रही हैं और मेरे क्षेत्र में भी लगातार सिंचाई के लिये जो नहरें चल रही है उससे पर्याप्त पानी वहां के किसानों को मिल रहा है. अध्यक्ष महोदय, हम और आप यह जानते हैं कि 7 लाख हेक्टेयर से आज 40 लाख हेक्टेयर पर आ गये हैं, यह बात अलग है कि इसमें जल संसाधन विभाग के साथ साथ अन्य विभागों का भी महत्वपूर्ण रोल है लेकिन 7 लाख से 40 लाख हेक्टेयर तक की भूमि का रकवा सिंचित होने से मध्यप्रदेश की कृषि को बढ़ावा देना, मध्यप्रदेश के किसानों को संबल और ताकत देना है.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, भाई रामेश्वर शर्मा जी बहुत बात कर रहे थे कि मध्यप्रदेश सरकार ने सिंचाई क्षमता बढ़ाई है, केरवा डेम की बात भी आपके द्वारा कही गई है. अध्यक्ष जी, पता नहीं कौन व्यक्ति है जिनकी 6 एकड़ जमीन है 5-7 एकड़ का उन्होंने कब्जा कर लिया है. भाई रामेश्वर शर्मा जी को भी पता होगा कि कौन है कृपा करके आप वह भी बता दें कि आपकी पार्टी के नेता जहां एक तरफ तलाब के संरक्षण की बात करते हैं वहीं दूसरी तरफ तालाब में मिट्टी डालकर के कब्जा कर रहे हैं. मंत्री जी को तो कम से कम आप जानकारी दे दें.
श्री रामेश्वर शर्मा- अध्यक्ष महोदय, मैंने तो अपनी बात कही है. मैं नेता प्रतिपक्ष जी को धन्यवाद देता हूं लेकिन कुल मिलाकर के सिंचाई का जो रकबा उससे तय हुआ है और उसका जो कैचमेंट है उसको सुरक्षित रखा जाये. यह सबकी मांग होगी. नाम बताने की जरूरत नहीं है जब सर्वे होगा तो बहुत सारे नाम निकलकर के सामने आयेंगे. लेकिन मैं एक बात जरूर कहना चाहता हूं कि जिस तरह से मध्यप्रदेश में सिंचाई के संसाधन बढ़े हैं, सिंचाई से बिजली का भी उत्पादन हुआ है. एक डेम का निर्माण हुआ है तो उससे एक लाभ किसानों को हुआ, दूसरा वहां पर भूजल का स्तर बढ़ा है तीसरा वहां पर बिजली का उत्पादन भी हुआ है . जल संसाधन ने जो अपने क्षेत्र में काम करने की प्रगति की है मैं उनको बधाई देना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश का अंधेरा दूर हुआ, मध्यप्रदेश का किसान जो परेशान हालत में था सिंचाई का रकवा बढ़ने से उस किसान की ऊर्जा बढ़ी है, उत्पादन क्षमता बढ़ी है और चार बार प्रदेश को कृषि कर्मण्य एवार्ड भी सिंचाई की क्षमता बढ़ने के कारण मिला है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हम यह प्रार्थना करना चाहते हैं कि मध्यप्रदेश सरकार ने जो जल संसाधन विभाग का बजट प्रस्तुत किया है मैं उसके लिये माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने छोटी और लघु सिंचाई योजनायें भी उसमें शामिल की हैं. सबसे बड़ी बात है कि विपक्ष के साथी कुछ भी कहें लेकिन बजट देखेंगे तो इसमें छिंदवाड़ा भी है. वहां पर भी सिंचाई की योजनायें बढ़ाई जा रही हैं. किसी भी क्षेत्र को इस सरकार के द्वारा नजरअंदाज नहीं किया गया है. मध्यप्रदेश सरकार का जो देखने का और सोचने का तरीका है वह संपूर्ण मध्यप्रदेश है. संपूर्ण मध्यप्रदेश से कौन प्रतिनिधित्व करता है, इसका ध्यान नहीं है लेकिन मध्यप्रदेश का गांव और मध्यप्रदेश का किसान खुशहाल हो इस बात का ध्यान हमारी सरकार ने रखा है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से जल संसाधन मंत्री जी से मैं एक ओर प्रार्थना करना चाहता हूं. पिछले साल हमने मुख्यमंत्री जी से विधायक निधि बढ़ाने की बात की थी और उन्होंने 2 करोड़ रूपये की विधायक निधि दी उस बात के लिये मुख्यमंत्री जी का धन्यवाद देते हैं . हमारा जो मध्यप्रदेश का भवन नई दिल्ली में है . इस मध्यप्रदेश भवन में कुछ सुविधाओं में सुधार की आवश्यकता है . वहां पर कुछ अधिकारी ऐसे बैठ गये हैं जो 10-10 साल से वहां पर पदस्थ हैं. उन पर भी सरकार को ध्यान देने की आवश्यकता है. रात के 3-4 बजे हमारे जनप्रतिनिधि वहां पर पहुंचते हैं तो पहले से कमरे की बुकिंग होने के बाद भी उनको कमरा नहीं मिलता है और उनको मध्यांचल भवन में स्थानांतरित कर दिया जाता है, जबकि स्थिति देखी जाये तो कमरे खाली रहते हैं. इस बात पर ध्यान की आवश्यकता है. हालांकि सदस्यों की दूसरी मांगो का भी समर्थन मिला है, दूसरी चीजों की सुविधायें भी मिली है और विधान सभा ने भी त्वरित कार्यवाही करते हुये काम किया है, आज हमारे सारे प्रश्न आन लाईन लग रहे हैं. मैं इस बात के लिये आपको, आपके विधानसभा सचिवालय को और संसदीय कार्य मंत्री जी को धन्यवाद देता हूं कि सदस्यों की सुविधा बढ़ाई गई है. मैंने जो मांग की है उसके बारे में जल संसाधन मंत्री जी से एक बार और मांग करता हूं कि हमारी मांगों को ध्यान में रखते हुये बजट में कुछ न कुछ घोषणा अवश्य करेंगे. अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे अपनी बात को रखने का अवसर प्रदान किया इसके लिये आपको भी बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री के.पी.सिंह(पिछोर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने जब से इस विभाग का कार्यभार सम्हाला है तब से ब़ड़ी विचित्र व्यवस्थायें इस विभाग में हो रही हैं. माननीय मंत्री जी मैं आपका ध्यान प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणाओं की तरफ दिलाना चाहता हूं . बहुत से उप चुनाव हुए और सामान्य चुनाव हुये लगभग 617 घोषणायें आपके मुख्यमंत्री जी के द्वारा की गई हैं. 617 घोषणाओं में विभाग की समीक्षा में मात्र 206 मुख्यमंत्री जी की घोषणायें पूरी हो पाई हैं वह भी 11 वर्ष में. जब प्रदेश के मुख्यमंत्री जी की घोषणाओं की यह स्थिति है तो मंत्री जी आपके द्वारा की गई घोषणाओं का हाल तो भगवान ही जाने कि क्या होगा.
12.58 बजे {उपाध्यक्ष महोदय(डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह)पीठासीन हुए}
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, वैसे मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि आप दौरा करते नहीं है, दूसरे क्षेत्र में कहीं आते जाते नहीं हैं घूम फिरकर आप दतिया पहुंचते हो. उस कारण से आपको घोषणा करने का अवसर ही प्राप्त नहीं होता है. जो कुछ घोषणायें होती भी हैं तो वह दतिया मे होती हैं और दतिया में भी आपकी विधानसभा में. उपाध्यक्ष महोदय, इसलिये मेहरबानी करके आप इनके निर्देश दें कि आप पूरे मध्यप्रदेश के मंत्री हैं कम से कम प्रदेश के चारो तरफ जाओ. मेहरबानी करके आप इसमें परिवर्तन करिये थोड़ा समय प्रदेश के अन्य स्थानों के लिये भी निकालिये और प्रदेश में भले ही आप कांग्रेस के विधायकों के क्षेत्र छोड़ दे लेकिन भारतीय जनता पार्टी के विधायकों के क्षेत्र में तो जायें. तब आपको पता लगेगा कि प्रदेश में क्या हो रहा है.
डॉ.नरोत्तम मिश्रा -- लहार गये थे, चिकित्सालय देखने (हंसी)
श्री के.पी.सिंह -- स्वास्थ्य मंत्री के रूप में आप गये होंगे तो लहार के अस्पताल का ओर भी कबाड़ा हो गया होगा. (हंसी) माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से यह निवेदन है कि प्रदेश के अन्य स्थानों पर भी आप नियमित रूप से दौरा करें. उपाध्यक्ष जी एक उदाहरण में बताना चाहता हूं. वर्ष 2009 में प्रदेश का जो सिंचाई क्षेत्र था वह 8.3 लाख हेक्टेयर था, उसके बाद इस वर्ष तीन गुना बढ़कर 36 लाख हेक्टेयर हो गया और अब आप कह रहे हैं कि वर्ष 2018 तक हम इसको 40 लाख हेक्टेयर तक कर लेंगे . हमें इस पर कोई आपत्ति नहीं है. वर्ष 2025 में आपका टारगेट 60 लाख हेक्टेयर है. लेकिन मेरा कहना है कि आप धरातल में जायेंगे तो आपको पता चलेगा कि यह जो सिंचाई का रकवा मध्यप्रदेश में लगातार बढ़ रहा है यह कागजों में ही तो नहीं बढ़ रहा है या वास्तव में स्थिति वैसी है. मैं बताना चाहता हूं कि 2000 करोड़ के आसपास बुंदेलखंड पैकेज के अंतर्गत कार्य हुआ. बुंदेलखंड पैकेज में इसी विभाग के द्वारा जो कार्य किया गया उसमें हमारे भाई मुकेश नायक जी अभी यहां पर उपस्थित नहीं हैं वह बता रहे थे कि उनके ही क्षेत्र में पन्ना जिले में 32 करोड़ का तालाब बना था सिरस्वाहा में, एक तालाब 11 करोड़ का बना बिलखुरा में और दोनों बांध फूट गये. अब यह जितने बांध फूट रहे हैं. यहां मैं यह भी बताना चाहता हूं कि करीब 774 स्टाप डेम बुंदेलखंड पैकेज अंतर्गत बने हैं. 774 स्टाप डेम में वर्तमान स्थिति में सारे के सारे स्टाप डेम फूट चुके हैं यहां आप सिंचाई क्षमता लगातार बढ़ाते जा रहे हैं तो धरातल पर आप देख नहीं रहे हैं सिर्फ कागजी आंकलन कर रहे हैं. मेहरबानी करके आप इसकी समीक्षा करें कि जो बांध फूट रहे है, जो स्टाप डेम फूट रहे हैं इनसे जो सिंचाई की क्षमता में कमी आ रही है वह कहां है. मेहरबानी करके उसका भी उल्लेख विभागीय प्रतिवेदन में आना चाहिये. तब आपको सही स्थिति का पता चलेगा कि वास्तव में सिंचाई क्षमता कितनी बढ़ रही है. मेरे विधान सभा क्षेत्र में दबिया गोविंद तालाब बना हुआ है, तालाब में नहरे बन गई लेकिन पानी एक बीघा जमीन तक को नहीं मिल रहा है लेकिन आंकलन में दिखाया है कि इससे सिंचाई हो रही है. आप मंत्री बने हैं तो कम से कम इतना आंकलन कराये कि जो बांध या स्टाप डेम बन गये है वास्तव में इनसे सिंचाई हो पा रही है या नही हो पा रही है. इसी तरह से राजघाट नहर परियोजना आपके बसई क्षेत्र की तरफ जाती है उसका पानी बसई के टेल तक मुश्किल से एक या दो बार पहुंचा है. जब से आप मंत्री बने हैं तब से लेकिन सिंचाई क्षमता में जो वृद्धि की बात है उसमें तो कोई कमी नहीं आई है इसलिये उपाध्यक्ष महोदय, मंत्री जी से प्रार्थना है कि आप संभागवार दौरा करें वहां पर आप समीक्षा करें कि वास्तव में जितनी आप बता रहे हैं उतनी सिंचाई क्षमता में वृद्धि हो रही है अथवा नहीं हो रही है या धरातल पर स्थिति कुछ ओर है.
12.49 बजे अध्यक्षीय घोषणा
भोजनावकाश विषयक
उपाध्यक्ष महोदय- आज भोजनावकाश नहीं होगा. भोजन की व्यवस्था सदन की लॉबी में की गई है. माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि वे सुविधानुसार भोजन ग्रहण करने का कष्ट करें.
वर्ष 2017-2018 की अनुदानों की मांगों पर मतदान .... (क्रमश:).
श्री के.पी. सिंह- .... मेरा आकलन करने के ऊपर जोर है, अगर उसका आकलन आप ठीक से दोबारा कराएंगे तो मैं समझता हूं आपके सामने सच्चाई आ जाएगी. तब आपको पता लगेगा कि वास्तव में सही है या गलत है. पता नहीं क्या हुआ आपके रहते हुआ कि आपके पहले से प्लांड हो गया, सिंचाई संस्थाओं के चुनाव अभी साल भर पहले हुआ, इस चुनाव में किसने आपको सुझाया कि जो अध्यक्ष बनेगा उसका हर दो साल में चुनाव होगा. हमारा विधान सभा का कार्यकाल पांच साल का, जनपद का कार्यकाल पांच साल का, पंचायत का कार्यकाल पांच साल का होता है तो ऐसा क्या कारण है कि सिंचाई संस्थाओं का चुनाव दो साल के लिए करा रहे हो. दो साल में फिर चुनाव होगा और नया अध्यक्ष बनेगा. आप अच्छी तरह से समझते हैं कि जितने चुनाव सदस्यों के द्वारा होते है, चाहे जनपद के हो, चाहे अन्य संस्थाओं के हो, इनमें लेनदेन का मामला आता है. एक अध्यक्ष तो जैसे तैसे करके सिंचाई अध्यक्ष बन गया, दो साल में वह कितना काम कर पाएगा, पैसा भी बहुत कम जाता है. मेहरबानी करके यह पांच साल का कार्यकाल कर देते तो मैं समझता हूं कि संस्थाओं के अध्यक्षों को इसमें ठीक से काम करने का अवसर मिल पाता. दो साल के कार्यक्रम में तो साल भर अध्यक्ष कुछ समझ ही नहीं पाते कि उसका काम क्या है. अधिकारी संस्थाओं के अध्यक्ष को इतना गुमराह करते हैं, अभी तक हमारे यहां सिंचाई संस्थाओं के अध्यक्ष के नाम से खाता ही नहीं खुल पाए हैं, आपके यहां भी ऐसा हो सकता है. जब खाते ही नहीं खुल पाए तो राशि कहां से आएगी और काम कहां से होगा, ऐसे ही करने में साल भर से ज्यादा समय निकल जाता है . मंत्री जी इसमें पुनर्विचार करना चाहिए, आपने गलत प्रक्रिया डाली है, इसको अगर आप ठीक करेंगे तो मैं समझता हूं कि सिंचाई संस्था की जो भागीदारी की बात कर रहे हो वह ठीक हो पाएगी. उपाध्यक्ष महोदय, बस आखिरी बात कर रहा हूं. मध्यप्रदेश भवन के बारे में डॉ गोविन्द सिंह जी ने और रामेश्वर शर्मा जी ने बात की थी, उसकी ओर आपका ध्यान आकर्षित कराना चाहता हूं कि हमारे साथ जो गनमैन जाते हैं, जो वहां रुकते हैं, उनके कमरे में खटमल होते हैं, हम तो ठीक रहते हैं. गनमैन रात भर सो नहीं पाते हैं, वे कई बार शिकायत करते हैं, वे भी तो मानव है, उन्हें भी तो नींद की जरूरत पड़ती है मेहरबानी करके उनकी व्यवस्था ठीक करवा दें. माननीय मंत्री जी आपने लोवर परियोजना को बजट में शामिल कराया है. बहुत दिनों से लंबी प्रतीक्षित योजना थी, उसके लिए जब इसमें काम चालू हो जाएगा तो मैं आपको धन्यवाद दूंगा. हमारे क्षेत्र को तो फायदा होना ही है, लेकिन आपके क्षेत्र को ज्यादा फायदा होना है.
संसदीय कार्यमंत्री (डॉ नरोत्तम मिश्र) - मेरे क्षेत्र को ज्यादा फायदा हो रहा है, इसकी जगह आप यह बोलिये कि आपके क्षेत्र को ज्यादा फायदा होना है.
श्री के.पी. सिंह - उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का समय दिया, इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय - धन्यवाद के.पी. सिंह जी.
श्री बहादुर सिंह चौहान (महिदपुर) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 23, 28, 32, 45 एवं 57 का समर्थन करते हुए कटौती प्रस्ताव का विरोध करने के लिए खड़ा हुआ हूं. उपाध्यक्ष महोदय, किसान एक खरीफ फसल लेता है और एक रबी फसल लेता है, जहां पर पानी पर्याप्त होता है वहां किसान तीन तीन फसलें ले लेता है. किसान को सुदृढ बनाने के लिए, प्रदेश को विकासशील बनाने के लिए हमारा जल संसाधन विभाग अति महत्वपूर्ण विभाग है, इस बजट में 9850 करोड़ का प्रावधान रखा गया है, विभाग के द्वारा 18 वृहद परियोजनाएं और 36 मध्यम परियोजनाएं तथा 407 लघु परियोजना पर कार्य प्रस्तावित है. 700 लघु परियोजनाओं में से 646 लघु परियोजनाओं का कार्य पूर्ण हो चुका है. मात्र 54 लघु परियोजना बची है जो अतिशीघ्र पूर्ण होने वाली है. मुझे कहते हुए अत्यंत प्रसन्नता हो रही है कि वर्ष 2003 में पूरे मध्यप्रदेश में सिंचाई का रकबा 7.5 लाख हेक्टेयर था, आज जल संसाधन विभाग, नर्मदा घाटी एवं अन्य स्त्रोतों से मिलाकर लगभग 40 लाख हेक्टेयर हो गय है. बालाघाट के अंदर आजादी के पहले जो बैनगंगा बांध बना है, वह 1914 में बना है उसको बने हुए 100 वर्ष से अधिक हो गए हैं, इसकी नहरों की रखरखाव के लिए विभाग द्वारा 90 प्रतिशत कार्य पूर्ण कर लिए गए हैं, जो बहुत ही महत्वपूर्ण परियोजना है. इसमें पुराने डैम जो 30 से 50 वर्ष पुराने हो गए हैं, उनके रखरखाव के लिए, नहरों की लाइनिंग के कार्य करने के लिए इस बजट में लगभग 3 हजार करोड़ का प्रावधान रखा गया है. के.पी. सिंह जी सही कह रहे थे कि पुरानी परियोजनाओं को भी आधुनिकीकरण करना पड़ेगा, उसके लिए विभाग ने जो राशि का प्रावधान किया है, उसके लिए माननीय उपाध्यक्ष महोदय,आपके माध्यम से मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं. केन, बेतवा लिंक परियोजना का संवैधानिक प्रस्ताव लगभग तैयार हो गया है. कैन, बेतवा लिंक परियोजना जो प्रदेश की सबसे बड़ी योजना है, इस योजना को मूर्तरूप देने के बाद, पूर्ण होने के बाद प्रदेश को 5 लाख 27 हजार हेक्टेयर में सिंचाई होगी. विजन 2025 में जाकर सिर्फ शासकीय स्त्रोतों से, किसानों के द्वारा नहीं, जो कुंए और ट्यूबवेल से नहीं, सिर्फ शासकीय स्त्रोतों से इस प्रदेश का सिंचाई का रकबा 7 लाख हेक्टेयर होने वाला है. मुझे कहते हुए अत्यंत प्रसन्नता हो रही है कि मध्यप्रदेश को चौथी बार कृषि कर्मण अवार्ड मिल रहा है, उसमें जल संसाधन विभाग का बहुत महत्वपूर्ण योगदान है. इस विभाग की एवं इस विभाग के मंत्री एवं मुख्यमंत्री जी की जितनी भी प्रशंसा की जाए, वह कम है. किसान को सिर्फ बिजली और पानी चाहिए, खेती उसके पास है, बिजली और पानी यदि किसान को उपलब्ध करा दिया जाए तो एक एक नहीं तीन तीन फसल लेकर अनाज का अपार भंडार उत्पन्न करके प्रदेश को आगे बढ़ाने में उसकी अहम भूमिका हो सकती है.
उपाध्यक्ष महोदय - बहादुर सिंह जी, अब आप मालवा और अपने क्षेत्र की बात कीजिए, समय नहीं है, दो मिनट में समाप्त कीजिए.
श्री बहादुर सिंह चौहान - उपाध्यक्ष महोदय, मालवा की बात आई है-
मालवा माटी गहन गंभीर,
डग-डग रोटी, पग-पग नीर.
यह कहावत थी, माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आज तो पानी के दर्शन पांच सौ से 600 फीट तक नहीं होते हैं, यह स्थिति है. इसके लिए माननीय मुख्यमंत्री, हमारे संसदीय कार्यमंत्री और जल संसाधन मंत्री को धन्यवाद देना चाहता हूं कि नर्मदा- क्षिप्रा सिंहस्थ लिंक परियोजना 2187 करोड़ की बनाया. नर्मदा का पानी क्षिप्रा में आया है, अधिकांश लोगों ने सिंहस्थ महापर्व जो हमने विगत वर्ष मनाया है, जिसमें 8 करोड़ लोगों ने मोक्षदायिनी क्षिप्रा नदी में स्नान किया है. यदि वह पानी नहीं होता तो 8 करोड़ श्रद्धालुओं को स्नान कराना संभव नहीं था, यह योजना बहुत ही महत्वपूर्ण योजना है.
उपाध्यक्ष महोदय - बहादुर सिंह जी समाप्त करें.
श्री बहादुर सिंह चौहान - मेरे क्षेत्र की बात कर लू, बस एक मिनट में समाप्त कर रहा हूं. मेरे क्षेत्र में जो क्षिप्रा नदी बहकर महतुर में जा रही है. मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हूं कि हरबाखेड़ी का एक डेम का प्राक्क्लन तैयार करके विभाग में ईएनसी के पास आ चुका है. मेरे क्षेत्र में कालीसिंध नदी भी बहती है वहां के डेम क प्राकल्लन भी तैयार करके ईएनसी के पास आ चुका है. मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से आग्रह करूंगा कि दोनों हरबाखेड़ी में क्षिप्रा नदी पर हरबाखेड़ी डेम और कालीसिंध नदी पर इंदोख डेम के संबंध में विभाग की पूरी प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी है. उपाध्यक्ष जी आपके माध्यम से आग्रह करूंगा कि इन दोनों योजनाओं को इस बजट में सम्मिलित करने की कृपा करेंगे. आपने बोलने का समय दिया बहुत बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय - धन्यवाद बहादुर सिंह जी.
श्री जसवंत सिंह हाड़ा -- उपाध्यक्ष महोदय, आपने पूरे मालवा का कहा, उसमें मालवा में केवल उज्जैन ही नहीं है, और भी जिले हैं, थोड़ा दो मिनट और उनको दे दें. कालीसिंध भी बन रही है. पार्वती भी बन रही है. आप मालवा पर आ जाओ.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- उपाध्यक्ष महोदय, गंभीर नदी वाली योजना भी बन रही है, उसका सैकण्ड फेज भी आ रहा है, बड़ी काली सिंध और गंभीर भी जुड़ रही है. मेरे विधान सभा क्षेत्र में जो क्षिप्रा नदी बहकर महिदपुर में जा रही है और मैं कहना चाहता हूं कि हरबाखेड़ी डेम का प्राक्कलन तैयार करके विभाग में ईएनसी के पास आ चुका है. दूसरी मेरे क्षेत्र में एक कालीसिंध नदी बहती है, वहां पर इन्दोक डेम का प्राक्कलन तैयार होकर ईएनसी के यहां आ चुका है. मैं मंत्री जी से आग्रह करुंगा कि यह दोनों क्षिप्रा नदी पर हरबाखेड़ी वाला और काली सिंध पर इन्दोक वाला यह दोनों प्राक्कलन और विभाग की पूरी प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी है. मैं मंत्री जी से आग्रह करुंगा कि इन दोनों योजनाओं को इस बजट में सम्मिलित करने की कृपा करेंगे. उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने के लिये अवसर दिया, बहुत बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय -- मैं सभी माननीय सदस्यों से, जो अब भाषण देंगे, उनसे अनुरोध करना चाहता हूं कि अपने क्षेत्र की बात ज्यादा करें, चूंकि 3-3 वक्ता सत्ता पक्ष और विपक्ष से बोल चुके हैं और इस पर समय ढाई घण्टा आवंटित है. कृपया समय की मर्यादा का ध्यान रखें
श्री सचिन यादव (कसरावद) -- उपाध्यक्ष महोदय, चूंकि आपने पहले ही बोल दिया है, समय का अभाव है, इसलिये मैं ज्यादा बात न करते हुए सीधे विधान सभा क्षेत्र की कुछ बातों की ओर मंत्री जी का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं. उपाध्यक्ष महोदय, मेरे विधान सभा क्षेत्र में पूर्व में कई सारे सिंचाई के तालाबों का निर्माण हुआ था, लेकिन समय के साथ साथ इन तालाबों की नहरों का और इन तालाबों के जीर्णोद्धार की आवश्यकता आन पड़ी है. मेरे विधान सभा में कुछ प्राक्कलन मुख्य अभियंता, इन्दौर एवं प्रमुख अभियंता, भोपाल को प्रस्तुत किये गये हैं. मैं हमारे जो 3-4 प्रमुख तालाब हैं, जिनके नहरों की और तालाबों की मरम्मत की आवश्यकता है और निश्चित ही उसके पश्चात् जो सिंचाई का रकबा है, उस सिंचाई के रकबे में भी वृद्धि होगी. हमने एक 86.29 लाख का अमर बगवा तालाब का प्रस्ताव बनवाकर के भिजवाया है, जिससे 97 हेक्टेयर में अतिरिक्त सिंचाई होगी. एक धामनोद नाले का करीब 81.39 लाख का प्रस्ताव बनवाकर भिजवाया है, जिससे 82 हेक्टेयर में अतिरिक्त सिंचाई होगी. हमने एक प्रस्ताव डाबरी तालाब, जोकि हमारे आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है, उसमें करीब 240.93 लाख का प्राक्कलन बनवाकर भिजवाया है, जिससे आने वाले समय में 394 हेक्टेयर में सिंचाई में वृद्धि होगी. इसके साथ साथ एक बिलिदड़ तालाब है, जो पुनः हमारे आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र का एक तालाब है, इसका 91.74 लाख का प्रस्ताव बनवाकर के भिजवाया है, जिससे आने वाले समय में 166 हेक्टेयर में अतिरिक्त सिंचाई होगी. मैं मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि मैं समय समय पर पूर्व में भी इन तालाबों की और नहरों की मरम्मत एवं जीर्णोद्धार के लिये पत्र लिख चुका हूं और दरख्वास्त कर चुका हूं, लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई काम नहीं हो पाया है. मैं आशा और उम्मीद करता हूं कि किसानों की मांग को ध्यान में रखते हुए मेरे क्षेत्र के जो तालाब और नहरें हैं, उनके जीर्णोद्धार के लिये आप अपने बजट में इनको शामिल करेंगे और इन पर काम करेंगे.
उपाध्यक्ष महोदय, विभाग में कई सारी खामियां और कमियां हैं. विभाग ने जो आंकड़े प्रस्तुत किये हैं, कहीं न कहीं वह सदन को और क्षेत्र की एवं प्रदेश की जनता को गुमराह करने वाले हैं. मैं आज इस सदन में कुछ आंकड़े प्रस्तुत करना चाहता हूं, जिसके माध्यम से निश्चित ही विभाग को इस और ध्यान देने की आवश्यकता पड़ेगी. वर्ष 2014-15 में जो शुद्ध सिंचित क्षेत्र था 9548 हजार हेक्टेयर था, जो कि घटकर के वर्ष 2015-16 में 9284 हजार हेक्टेयर हो गया. इस प्रकार गत वर्ष की तुलना में लगभग 3.12 प्रतिशत की कमी रही है. वर्ष 2015-16 में जो शुद्ध सिंचित क्षेत्र था, उसमें नहरों और तालाबों से जो सिंचाई हुई है, उसका प्रतिशत मात्र 20 प्रतिशत है. अन्य स्रोतों से जो सिंचाई हुई थी, वह मात्र 12 प्रतिशत हुई है. सार्वजनिक सिंचाई जो हुई है, जो आंकड़े बार बार सरकार प्रस्तुत कर रही है और जो सरकार असत्य आंकड़े प्रस्तुत करके अपनी पीठ थपथपाने का जो काम कर रही है, यह सबसे चौकाने वाले आंकड़े है. लगभग 67 प्रतिशत जो सिंचाई हो रही है, वह निजी नलकूपों से और निजी कुओं से हो रही है. उपाध्यक्ष महोदय, मैं पूछना चाहता हूं कि मेरा खेत, मेरा पैसा, मेरे पैसे से मैंने अपने खेत में नलकूप एवं कुआं खुदवाया और उसका श्रेय लेने का काम सरकार कर रही है. मैं आखिरी बात कहकर अपनी बात समाप्त करना चाहता हूं. अभी पिछले दिनों नदियों के संरक्षण को लोकर के और पानी को बचाने के लिये एक सेमिनार आयोजित किया गया था, उस सेमिनार में पूरे देश भर के विशेषज्ञ आये थे, उसमें डॉ. राजेन्द्र सिंह जी, जो कि मेग्सेसे से अवार्ड विनर हैं. उन्होंने जिस प्रकार से अवैध उत्खनन पूरे प्रदेश में चल रहा है, उसको लेकर के अपनी चिंता जाहिर की थी और इस अवैध उत्खनन के कारण हमारे कई जिलों की नदियां आज सूखने की कगार पर हैं. रेत की जो विशेषता है, रेत अपने कणों के बीच में पानी को सहेजने की क्षमता रखती है. लेकिन जिस प्रकार से और जिस अधिकता से जो अवैध उत्खनन हो रहा है, यह अवैध उत्खनन निश्चित ही आने वाले समय में हम सभी के लिये एक चिंता का विषय है. उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का मौका दिया, इसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद.
डॉ. मोहन यादव (उज्जैन-दक्षिण)-- उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 23,28,32,45 एवं 57 का समर्थन करता हूं. मैं सबसे पहले तो जनसम्पर्क विभाग की बात करते हुए मंत्री जी एवं मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देना चाहूंगा. 1980 से लेकर 1992 एवं 2004 के तीन कुम्भ मेले स्नान किये हैं, उनकी पब्लिसिटी उनकी जानकारी थी, लेकिन वाकेही यह 2016 का जो हमारा कुम्भ मेला हुआ, जिसको हम सिंहस्थ कहते हैं, यह ग्रह दशा के कारण से सिंहस्थ कहते हैं, लेकिन इस कुम्भ मेले ने जो दुनिया में और भारत में उज्जैन का मान बढ़ाया है, वाकेही हम अभारी हैं, मध्यप्रदेश की पहिचान दिलाई है, उसके लिये भी आभारी हैं. जिस प्रकार से उसकी सब क्षेत्रों में पब्लिसिटी की गई, चाहे वह वेब साइट हो, चाहे इलेक्ट्रानिक मीडिया, प्रिंट मीडिया के माध्यम से जितने प्रकार से उसकी चिंता की गई है. यह बात भी सही है कि प्राकृतिक आपदाओं के दरमियान जो एक घबराहट हो जाती या कोई बड़ी भारी घटना घट जाती, उसमें भी इसी प्रकार से हमारी मीडिया ने जो रोल हमारे अपने विभाग के माध्यम से तुरन्त कंट्रोल करने का काम किया है, वह वाकेही काबिले तारीफ है. दूसरी चीज इसमें आपने सिंचाई सुविधाओं को लेकर के बात की है. मैं आपके माध्यम से मुख्यमंत्री जी एवं मंत्री जी का आभार मानना चाहूंगा, जिन्होंने इस कुम्भ मेले के सम्पन्न कराने के लिये नर्मदा-क्षिप्रा लिंक योजना जैसी ऐतिहासिक योजना को सफल बनाया. तीसरी अभी एक योजना हमारे अपने दरमियान आई हुई है गंभीर-नर्मदा लिंक योजना, यह 1842 करोड़ की योजना है, जिसके माध्यम से लगभग 50 हजार हेक्टेयर भूमि सिंचित होगी. मंत्री जी, मालवा की अगर बात कहें तो 5 नदियों को आपने हाथ में लिया है. नर्मदा- क्षिप्रा, नर्मदा-गंभीर, कालीसिंध, चम्बल और पार्वती, इन पांचों नदियों पर आपने जो ध्यान केंद्रित किया है, जो अभी पूर्ववर्ती मेरे वक्ता बहादुर सिंह चौहान जी ने कहावत कही थी कि वाकेही मालवा बेल्ट ऐसा है, जहां कदम कदम पर पानी और कदम कदम पर खाना यह पुराने समय से जो जाना जाता था मालवा, वास्तव में अब वह अकाल और रेगिस्तान के कगार पर है. अगर यह नदियां नर्मदा के माध्यम से जीवित नहीं होंगी, तो निश्चित रुप से यह भयावह और एक अलग ढंग का वातावरण बनकर हमको दिखने वाला है. लेकिन आपने जितनी बड़ी बड़ी योजनाओं को जोड़कर के यह बात कही है, वाकेही वह काबिले तारीफ है. क्योंकि मुझे आंकड़े से ध्यान में आता है कि आपने जिस ढंग से वर्तमान में जैसे हम उज्जैन की बात करें,तो उज्जैन के अन्दर भी 1200-1200 फीट के नीचे तक अगर पानी नहीं मिल रहा है तो कहीं-कहीं पर 1400 फीट नीचे भी ट्यूबवेल लगाने के बाद पानी उपलब्ध नहीं है. ऐसे में पानी के लिये हमें निश्चित रूप से नर्मदा कछार पर निर्भर रहना पड़ेगा और नर्मदा कछार से न केवल उज्जैन बल्कि इन्दौर और उज्जैन संभाग के सभी जिलों में आपने ताप्ती और नर्मदा के माध्यम से न केवल सिंचाई सुविधा बल्कि आवासीय बस्ती में भी पानी देने की बात कही है, आपने उद्योगों को भी पानी देने की बात कही है. जो आज के ध्यानाकर्षण में विषय आया था. मैं मान कर चलता हूँ कि इसके माध्यम से निश्चित रूप से हमारा पूरा मालवा, देश और दुनिया में समृद्धि की एक नई मिसाल कायम करेगा.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से अपने क्षेत्र की समस्याओं की तरफ भी आपका ध्यान आकर्षित कराना चाहूँगा. खासकर नर्मदा-क्षिप्रा लिंक योजना, मुझे ध्यान में आया है कि नर्मदा-क्षिप्रा लिंक योजना का जो पानी हमें दिया गया था. लेकिन कभी बीच-बीच में नर्मदा घाटी प्राधिकरण के माध्यम से पानी की सप्लाई रोक देते हैं, उसके कारण खासकर संक्रान्ति और महाशिवरात्रि के समय उज्जैन में क्षिप्रा के पानी की बड़ी खराब स्थिति रही है क्योंकि लगभग 1 करोड़ श्रद्धालु उज्जैन आते हैं एवं उन सभी की इच्छा होती है कि वे क्षिप्रा में स्नान करें. अगर यह पानी की जो लाईन बनाई गई है, नर्मदा-क्षिप्रा लिंक योजना इसमें सतत् पानी देने की आवश्यकता है क्योंकि इसी के माध्यम से हमने सन् 2016 में 100 कॉलोनियों को भी पेयजल की व्यवस्था से जोड़ लिया था.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपको जानकारी देना चाह रहा हूँ कि जिस प्रकार से हमने काम किया है, इसमें पानी की आपूर्ति लगातार बनाये रखें, साथ ही सन् 2028 में हमारा कुंभ मेला आने वाला है. समय की कमी के कारण नर्मदा किनारे से, हमारा पानी इकट्ठा होने वाला है, वहां क्षिप्रा के दोनों किनारों पर घाटों की आवश्यकता है. जल संसाधन विभाग का इसमें सबसे बड़ा काम यह है कि वह दोनों किनारों को पक्का करायें, समय की कमी के कारण 6 घाट छूट गए थे तो वर्तमान में रामघाट से लेकर दाएं किनारे पर हम त्रिवेणी तक और बायें किनारे सिद्धवर तक, दोनों किनारों पर पक्के घाट भी बना दिये जायें. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से चाहूँगा, साथ ही साथ बमौरा तालाब लगभग गंभीर डेम से आधी क्षमता का तालाब है लेकिन चूँकि वह निजी जमीन पर बना हुआ है, उसके कारण पानी की जब जरूरत पड़ती है, बरसात में तो पानी इकट्ठा करते हैं और बरसात के बाद उसको छोड़कर बहा देते हैं. अगर जल संसाधन विभाग उसको ले लेगा तो न केवल वाटर लेवल बढ़ेगा बल्कि उसका लाभ उज्जैन में पेयजल की आवश्यकता पड़ने पर उसका निश्चित रूप से लाभ मिलने वाला है.
उपाध्यक्ष महोदय - यादव जी, आपको बहुत बहुत धन्यवाद.
डॉ. मोहन यादव - उपाध्यक्ष जी, आपको भी बहुत-बहुत धन्यवाद. मैं एक बार फिर जनसंपर्क और सिंचाई मंत्री के माध्यम से सरकार को बधाई देना चाहता हूँ.
उपाध्यक्ष महोदय - श्री शैलेन्द्र पटेल जी, समय का ध्यान रखेंगे. आपको 5 मिनट दिये जाएंगे.
श्री शैलेन्द्र पटेल (इछावर) - उपाध्यक्ष जी, मैं आपका धन्यवाद देना चाहता हूँ. मैं आंकड़ों की बाजीगरी में नहीं जाना चाहता हूँ लेकिन मेरे क्षेत्र की जो जनता पुकार रही है, मैं वे चार लाईनें यहां पर कहना चाहता हूँ -
'जमीन जल चुकी है, आसमान बाकी है,
सूखे कुएं तुम्हारा, इम्तिहान बाकी है,
बरस जाना इस बार, वक्त पर हे मेघा,
किसी का मकान गिरवी है, किसी का लगान बाकी है.'
अभी भी सिंचाई की संभावनाएं पूरी नहीं हो पा रही हैं. मैं अपने क्षेत्र की ही बात करूँगा. मैं जिस क्षेत्र से आता हूँ, वह भोपाल से लगा हुआ ही क्षेत्र है. हम इस मामले में बहुत ज्यादा सौभाग्यशाली हैं कि हम भोपाल को पानी पिलाते हैं. बड़ा तालाब है, उसमें कोलास नदी और उलझावन नदी का जो पानी आता है, वह इछावर विधानसभा क्षेत्र का पानी आता है और जो कोलार से पानी भोपाल में आता है, वह कोलार डेम भी इछावर विधानसभा की बिरपुर डेम में स्थित है, उससे पानी सप्लाई भोपाल को आती है, हमें इस बात की खुशी है. हमें तकलीफ इस बात की है कि इछावर की जनता प्यासी है और वहां पर सिंचाई के स्त्रोत नहीं हैं. उसकी जो भौगोलिक संरचना है, वह इस तरह की है कि वहां का पानी बहकर नीचे आ जाता है और वहां कोई भी बड़ी सिंचाई की परियोजना नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूँ कि प्रधानमंत्री सिंचाई योजना में बहुत सारे प्रस्ताव तो आए हैं, लेकिन उन प्रस्तावों में एक वर्ष तक एक इंच भी काम नहीं हुआ है. इस बारे में भी कहीं न कहीं सरकार विचार करे और उन योजनाओं के बारे में निर्माणगी करें. मैं आपके माध्यम से, मंत्री जी से कहना चाहता हूँ कि जो फॉर्मूला है, जिसमें कॉस्ट ऑफ लैण्ड जोड़ी जाती है और जो कॉस्ट ऑफ कन्स्ट्रक्शन जोड़ा जाता है, उसके बाद यह देखा जाता है कि कितना एरिया एरिगेटेड होगा, वह आज फॉर्मूला कहीं न कहीं बहुत पुराना हो गया है क्योंकि जमीन की कीमत बढ़ गई है, मुआवजे के रेट बढ़ गए हैं. अगर उस फॉर्मूले को रिवाइज़ नहीं करेंगे तो छोटे-छोटे तालाब बनना संभव नहीं हैं, सरकार को इस ओर विचार करना चाहिए. हमारे यहां कोई बारहमासी नदी नहीं है, जो 12 माह बहती है, हमारे यहां कोई छ: मासी नदी बहने वाली भी नहीं है. जो नदियां हैं, उनमें पानी एक और दो महीने में सूख जाता है. इसलिए जो पुरानी संरचनाएं हैं, कुछ नवाब काल के समय के तालाब हैं, उनके जीर्णोद्धार की आवश्यकता है. ट्रिपल आर स्कीम चल रही है लेकिन अभी तक ट्रिपल आर स्कीम से वहां पर काम नहीं हुआ है. इस ओर देखें और ट्रिपल आर स्कीम के एक्सटेंशन में वहां पर काम हों और जो पुराने तालाब हैं, वे भी खस्ताहाल हो रहे हैं, उनके लिये भी राशि स्वीकृत हो. मैंने समय समय पर मांग पत्र विभाग को दिये हैं लेकिन अभी तक एक पर भी कार्यवाही नहीं हुई है, वहां जो 15-20 वर्ष पहले के तालाब बने हैं, उनकी स्थिति नाजुक है, उस ओर भी देखने की आवश्यकता है. मुख्य बात हमारे मालवा के अन्य दूसरे वक्ताओं ने भी कही है कि नर्मदा और पार्वती को जोड़ने की बहुत आवश्यकता है. नर्मदा और पार्वती लिंक हो जायेगी तो बीच में पड़ने वाले इलाके में निश्चित रूप से सिंचाई की सुविधा हो जायेगी और एक बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा है. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी के नोटिस में लाना चाहता हूँ कि बहुत से तालाबों का निर्माण पंचायतों ने किया है, लेकिन सिंचाई विभाग के पास उसका कोई रिकॉर्ड नहीं है और पंचायतें उनका मेंटेनेन्स नहीं कर पाती हैं, जो छोटी-छोटी जमीनें 100 एकड़, 150 एकड़, 200 एकड़ हैं, वे सिंचित नहीं हो पाती हैं, जल संसाधन विभाग भी उस बारे में कोई योजना बनाये. इन पंचायत लेवल के तालाबों पर ध्यान दें ताकि छोटे-छोटे रकबे भी जमीन सिंचित हो सकें और किसानों तक पानी पहुँच जाये और हमारे यहां के दो बैराज़ के प्रस्ताव बहुत दिनों से पैण्डिंग हैं. एक मुसकरा बैराज, जो कि पार्वती से मिलने के पहले नदी पर पड़ता है और एक रामगढ़ का बैराज, ये दोनों बैराज बन जायेंगे तो लगभग 300-400 हेक्टेयर जमीनें दोनों जगह सिंचित हो जायेगी.
उपाध्यक्ष महोदय, हम बड़ी योजनाएं तो बनाते हैं, लेकिन जिस तरह की मेरी विधानसभा है जहां पर पानी रूकता नहीं है, वहां के लिये कुछ अलग योजना बनाने के बारे में सरकार को सोचना चाहिए. छोटी-छोटी संरचनाएं कैसे वहां बन सकें ? ताकि तीन-तीन, चार-चार गांवों में सिंचाई का पानी दे सकें, अगर किसान को हम सिंचाई का पानी दे देंगे तो बाकी सारा काम वह कर लेगा. मुझे उम्मीद है कि जल संसाधन मंत्री इस ओर ध्यान देंगे और इछावर क्षेत्र है, जो किसानों का इलाका है, एक ही नगर पंचायत है और बाकी सब गांव हैं और खेती के अलावा कोई और वहां रोजगार का धंधा नहीं है, ऐसे इलाकों में सिंचाई की सुविधाएं कैसे एक्सटेंड करेंगे ? इस बारे में विचार कर कुछ ऐसी नई योजनाएं लायें ताकि सिंचाई की सुविधाएं संपन्न हो सकें.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से, अन्त में माननीय मंत्री जी से यही निवेदन करना चाहता हूँ कि जो हमारा पैण्डिंग मुसकरा और रामगढ़ का बैराज है, उसको स्वीकृत करें और जितनी भी ट्रिपल आर स्कीम में हैं, आप वहां पर ले सकते हैं, उनको लें और नई संरचनाओं का निर्माण करें. आपने बोलने का मौका दिया, उसके लिये धन्यवाद.
श्री नारायण सिंह पँवार (ब्यावरा) - माननीय उपाध्यक्ष जी, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद. मैं मांग संख्या 23, 28, 32, 45 एवं 57 के पक्ष में बात रखना चाहता हूँ. सरकार के विषय में बहुत सारे वक्ताओं ने कहा है, मैं भी उनका समर्थन करता हूँ. मैं समय की कमी को ध्यान में रखते हुए अपने क्षेत्र की बातों पर निवेदन करना चाहता हूँ. माननीय मंत्री जी, इस ओर ध्यान आकृष्ट करेंगे कि राजगढ़ जिले में मोहनपुरा एवं कुंडालिया, इन दोनों बड़ी परियोजनाओं के माध्यम से लगभग 1.50 से 2.00 लाख हेक्टेयर सिंचाई होगी, लेकिन माननीय मंत्री जी से मेरा आग्रह है कि राजगढ़ जिले की ब्यावरा और नरसिंहगढ़ दो तहसीलें हैं, जो मैदानी स्तर पर हैं. जिनमें कोई बड़ी परियोजनाएं, बड़े डेम बनाने की साईट नहीं हैं. इसलिए पार्वती-रिसी परियोजना का सर्वे कार्य मध्यप्रदेश शासन ने स्वीकृत किया है, सर्वे कार्य जारी है. मैं निवेदन करूँगा कि कार्य जल्दी पूर्ण हो और उसमें विधानसभा क्षेत्र ब्यावरा का अधिकतम क्षेत्र शामिल किया जावे क्योंकि ब्यावरा की एकमात्र जीवन रेखा पार्वती नदी है. मेरा पूरा विधानसभा क्षेत्र पार्वती नदी के किनारे पर बसा हुआ है. उसको गंभीरता से लेते हुए जितना रकबा बढ़ सकता हो, उतना बढ़ाने का प्रयास करें. कुछ स्टापडेम पार्वती नदी पर प्रस्तावित हैं- जैसे भवांश और किशनगढ़ के बीच एक बहुत अच्छी साईट का सर्वे कार्य पूर्ण हो चुका है, उसकी शायद डीपीआर बन चुकी होगी. दो परियोजनाएं आपके यहां सहायता के लिये लम्बित हैं- सुन्दरपुरा तालाब, किल्ला (सोनकच्छ के पास) तालाब, उनको सहायता प्रदान करेंगे तो वे कार्य शीघ्र प्रारंभ होंगे. जैसे अभी श्री शैलेन्द्र पटेल जी ने कहा कि मेरी विधानसभा क्षेत्र में भी छोटे-छोटे साईट हैं. जहां बहुत बड़ी परियोजना नहीं हो सकती हैं लेकिन 200-300 एकड़ या उसके कुछ कम ज्यादा करके कोई परियोजना बनाई जा सकती है. जो न ग्राम पंचायत बनाती है और न कृषि विभाग बनाता है केवल उसको सिंचाई विभाग बना सकता है. उदाहरण के लिए पातलपानी तालाब, जामी तालाब, भगोरा तालाब, लुहारी तालाब, कुण्डीखेड़ा तालाब, अमानपुरा तालाब, हयातपुरा तालाब एवं बैलास तालाब इत्यादि ऐसी छोटी साईटें हैं जो अभी तक किसी भी योजना में शामिल नहीं हो पाई है. इनको कृपया स्वीकृत कराने का प्रयास क नर्मदा-क्षिप्रा लिंक योजना उपाध्यक्ष महोदय, उपाध्यक्ष महोदय - श्री शैलेन्द्र पटेल - ट्रिपल आर स्कीम ? क्षिप्रा के दोनों किनारों पर रेंगे तो विधानसभा क्षेत्र ब्यावरा को लाभ मिलेगा. साथ ही मेरी विधानसभा क्षेत्र में पूर्व से जो तालाब बने हुए हैं, कुछ रियासती जमाने के हैं, जैसे नापामेरा तालाब बहुत बड़ा तालाब है, स्टेट के जमाने का है लेकिन उसमें वर्षों से गाद जमी हुई है और उसकी आधी डेब्थ डूब चुकी है, उसका खनन कराके गहरा करेंगे तो लाभ मिलेगा. एक और स्टापडेम धामनटोड़ी, जो कि भोपाल जिले की सीमा में है, लेकिन ब्यावरा विधानसभा को उससे आधा लाभ मिलता है. वह बैराज लगभग 5 साल से बन्द पड़ा है. उसके पटिये एवं उसको बन्द करने के शटर डोर टूट चुके हैं. कृपया उसकी मरम्मत कराएंगे तो भोपाल जिले का नजीराबाद क्षेत्र और ब्यावरा के सीलखेड़ा इत्यादि गाँवों को उसका लाभ मिल सकेगा. साथ ही मेरा निवेदन है कि कपिल धारा कूप का काम मेरे विधान सभा क्षेत्र और पूरे मध्यप्रदेश में चल रहा है. कपिल धारा कूप से बड़ी मात्रा में सिंचाई हो रही है लेकिन शासन के ग्रामीण विकास विभाग ने इसमें कुछ छोटे तालाब जोड़ दिए हैं जिसके कारण कपिल धारा कूप प्रभावित हो रहे हैं. माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि इन कूपों को स्वतंत्र रुप से बनवाया जाए. तालाब जोड़ने के कारण वह काम प्रभावित हो रहा है. कुछ और योजनाएं मेरे क्षेत्र में सर्वेक्षणाधीन है, जिनका पूर्व में सर्वे हो चुका है उनको भी सहायता प्रदान करेंगे तो निश्चित रुप से ब्यावरा को लाभ मिलेगा. राजगढ़ जिले में ब्यावरा ही ऐसा स्थान है जहाँ सबसे कम औसत सरकारी साधनों से सिंचित है. मुश्किल से लोग गुजारा कर रहे हैं. ब्यावरा पर विशेष कृपा की जावे. माननीय मंत्री जी को बहुत-बहुत धन्यवाद. माननीय उपाध्यक्ष जी मैं समय-सीमा में अपनी बात रख पा रहा हूँ. आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय--सभी सदस्यों से मेरा अनुरोध है 5 माननीय सदस्य सत्तापक्ष से 5 माननीय सदस्य प्रतिपक्ष से बोल चुके हैं. सत्तापक्ष से बोलने वाले सदस्यों की संख्या 13 और है प्रतिपक्ष से 10 सदस्य और बोलने वाले हैं. तीन-तीन मिनट में अपनी बात कहकर समाप्त कर मेरा सहयोग करें.
श्री कमलेश्वर पटेल (अनुपस्थित)
श्री रजनीश सिंह (केवलारी)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद मैं आज आपका संरक्षण चाहूँगा. मैं सीधा क्षेत्र की बात पर आता हूँ. मेरे विधान सभा क्षेत्र में माँ बेनगंगा पर भीमगढ़ में संजय सरोवर नाम का एशिया का सबसे बड़ा मिट्टी का बाँध है. अभी बहादुर सिंह जी बोल रहे थे कि सन् 1914, मैं उन्हें बताना चाहूँगा कि 1914 नहीं सन् 1975 में काँग्रेस पार्टी की सरकार ने उस समय उसकी आधारशिला रखी और सन् 1993 में आपकी ही सरकार में उसके संपूर्ण गेट लगे और आज केवलारी विधान सभा क्षेत्र की जमीन, बालाघाट और परसवाड़ा की जमीन उस बाँध से सिंचित होती है. सन् 2013 से जब से मैं इस सदन का सदस्य चुना गया हूँ तब से मैं लगातार इस मांग को उठाता आ रहा हूँ कि जो नहरें टूटी-फूटी हैं, सायफन टूटे-फूटे हैं उनकी लाइनिंग का, सीमेंट कांक्रीटीकरण का काम हो और मुझे सदन में यह कहते हुए बड़ी प्रसन्नता हो रही है. मैं माननीय मंत्री जी और सरकार को धन्यवाद दूंगा कि मध्यप्रदेश सरकार ने 615 करोड़ रुपए का प्रपोजल इस्टीमेट बनाकर केन्द्र सरकार को भेजा है. उसकी परिणिति यह हुई कि वर्ल्ड बैंक से एशियन डेवलपमेंट के एक डायरेक्टर मिस्टर व्यूफिमन 27 व 28 फरवरी को दो दिवसीय दौरे पर केवलारी विधान सभा क्षेत्र में आये. मैंने अधिकारियों के साथ आरबीसी और एलबीसी नहर का दौरा करवाया. किसानों से भी मुलाकात करवाई. विश्व बैंक से लोन लेने की प्रक्रिया चल रही है. उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से प्रार्थना करुंगा कि इस ऋण को जल्दी से स्वीकृत करवायें ताकि वहां के सीमेंटीकरण का काम हो सके और जो 40 प्रतिशत पानी बेकार चला जाता है उसका संधारण हो सके ताकि जिन किसानों की भूमि की सिंचाई नहीं हो पा रही है उसको सींचने की हम कोशिश करें.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी को बहुत-बहुत साधुवाद देता हूँ. इसी सदन में मैंने उनसे प्रार्थना की और जल संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव आदरणीय श्री पंकज अग्रवाल जी को भी मैं बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूँ कि इन्होंने अपर तिलवारा की बायीं तट का अवलोकन किया. एक ही दिन में 4-5 घंटे में 26 किलोमीटर की दूरी इन्होंने तय की और उन नहरों को देखा वहां के पुल-पुलियों को देखा. इससे 35 गाँव लाभान्वित होने वाले थे पर वर्तमान में 29 ग्राम हैं. मैंने प्रमुख सचिव जी और माननीय मंत्री जी से प्रार्थना की है कि पूर्व में जो डीपीआर, पूर्व में जो सर्वे 35 गाँवों का हुआ है. मैं आपके माध्यम से अनुरोध करना चाहूंगा कि इन पूरे 35 गाँवों के किसानों को, वहां की जमीनों को इससे जोड़ें ताकि लोगों को लाभ मिले. अंत में, मैं अपनी बात खत्म करूं उसके पहले बताना चाहूंगा कि मेरे इलाके में लगभग 15-20 गाँव के किसानों के खेत रुखे और सूखे हो गए हैं. गेहूँ जीरे के समान पका हुआ है और सरकारी अधिकारियों की उदासीनता के चलते हुए उनके खेतों तक आखिरी का पानी नहीं पहुँचा है. मेरा अनुरोध है कि इसका सर्वे करवाकर उचित मुआवजा दिलवाने की कृपा करें. आपने बोलने का अवसर दिया उसके लिए धन्यवाद.
श्री दिलीप सिंह परिहार (नीमच)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं, मांग संख्या 23, 28, 32, 45 और 57 के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूँ.
मैं लंबी बात न करते हुए क्षेत्र की बात करुंगा. नीमच में जल स्तर बहुत घट रहा था. माननीय मुख्यमंत्री जी और जल संसाधन मंत्री जी जब वहाँ आए थे तो उन्होंने जलाभिषेक का कार्यक्रम किया उसकी वजह से नीमच जिले में जल स्तर बढ़ा है. मैं उन्हें धन्यवाद दूंगा कि उन्होंने गाडगिल सागर, अटल सरोवर, ठीकरिया डेम, शिवाजी सागर और हमरिया डेम मेरे क्षेत्र में दिए. इसके कारण आज किसान प्रसन्न है और जल स्तर भी बढ़ गया है. किसानों को इसका लाभ मिल रहा है. ठीकरिया डेम (शिवाजी सागर) से 3000 हेक्टेयर के लगभग सिंचाई हो रही है. हमरिया डेम से 15000 हेक्टेयर सिंचाई हो रही है वहां के किसानों के 3000 करोड़ रुपए के मुआवजे का प्रकरण आपके यहां पर आया हुआ है उसको आप स्वीकृत कर देंगे तो जो किसान हाय-तौबा कर रहे हैं उनको लाभ मिल जाएगा. मेरे क्षेत्र में एक हरवार डेम है इसके तालाब में 4.5 करोड़ रुपए का एक प्रोजेक्ट आपके यहां आया है. नया तालाब बनाया जा सकता है 3000 हेक्टेयर की उसमें सिंचाई होगी. हरवार डेम में आप स्वीकृत कर दें. हरवार डेम की साध्यता प्रदान कर दें जिससे हरवार की जीरन तहसील में किसान प्रसन्न हो जाएंगे. मेरे क्षेत्र में एक दारु गांव है उसकी एक पंचायत है उसमें नदी है.
उपाध्यक्ष महोदय--मेरा माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि यह परम्परा शुरु न करें (श्री दिलीप सिंह शेखावत, सदस्य के अधिकारी दीर्घा के पास खड़े होकर अधिकारियों से बातचीत करने पर)
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--वह दारु गांव देशी है या अंग्रेजी है (हंसी)
श्री दिलीप सिंह परिहार--वह गाँव है राजस्थान सीमा से लगा हुआ है उस पर भी आप डेम बना देंगे तो अच्छा होगा. पानीदार मंत्री हैं. आपने नीमच को प्रधानमंत्री योजना में शामिल किया है इसके लिए मैं आपको बधाई देता हूँ. मेरे यहां कुछ नहरों के काम है. मेरे यहां रेतम बैराज पर चलदू ग्राम है यहां पर एक डेम का सर्वे करके विभाग ने आपके पास भेजा है आप उसकी मंजूरी दे दें. मेरे यहाँ जीरन तालाब है उस तालाब की नहरें पक्कीकरण के लिए भी आपके पास प्रस्ताव पेंडिंग है. मेरे क्षेत्र में जो जीरन तालाब है उसकी नहरें पक्की करा दें. मालखेड़ा का 100 साल पुराना एक तालाब है उसके जीर्णोद्धार का प्रस्ताव भी आपके पास आया हुआ है. भड़भड़िया, धामनिया, धसानी, जमुनिया तालाब इनमें नहरों की लाइनिंग का काम आप स्वीकृत कर देंगे तो निश्चित ही वहां के लोग बड़े प्रसन्न होंगे. माननीय मुख्यमंत्री जी, जल संसाधन मंत्री जी आपने लगातार हमारे क्षेत्र में जो तालाब का काम किया है उसकी वजह से मैं आपको धन्यवाद देता हूँ. आपसे बस एक ही निवेदन है कि हरवार डेम, जीरन और मालखेड़ा के सुदृढ़ीकरण के लिए बजट में प्रस्ताव पास कर दें. आप पानीदार मंत्री हैं. आप नर्मदा का पानी क्षिप्रा में लाए हैं इसके लिए भी आपको धन्यवाद है. माननीय मुख्यमंत्री जी ने हमारे क्षेत्र में बहुत सारी सौगातें दी हैं. प्रधानमंत्री सिंचाई योजना में भी नीमच के चीताखेड़ा तालाब को लिया है उसका सर्वे कराकर बना दें. आपने जो विधायक निधि बढ़ाई है उसके लिए भी धन्यवाद देता हूं. हमारे जिला स्तर के पत्रकारों को भी आप कहीं न कहीं ध्यान रखकर उनको भी कुछ प्रदान करें. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का अवसर दिया इसके लिए धन्यवाद.
श्री कमलेश्वर पटेल--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं भोजन करने चला गया था. मेरा भी नाम था.
श्रीमती शीला त्यागी (मनगवां)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मांग संख्या 23 के विरोध में एवं कटौती प्रस्ताव के समर्थन में अपनी बात रख रही हूँ.
मध्यप्रदेश में जल संसाधन विभाग को मध्यप्रदेश के जो जल संसाधन हैं उनके समुचित एवं समन्वित विकास का उत्तरदायित्व सौंपा गया है. लेकिन जल संसाधन विभाग में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार व्याप्त है. प्रतिवर्ष करोड़ों का बजट विभाग को दिया जाता है परन्तु विकास के कार्यों में इस बजट का उपयोग ईमानदारी एवं नियमानुसार नहीं हो रहा है. हमारा देश एक कृषि प्रधान देश है. 70 प्रतिशत जनता कृषि में लगी होती है और कृषि पर ही निर्भर होती है. 52 प्रतिशत लोग केवल कृषि पर ही निर्भर हैं. इस स्थिति में विभाग का रोल बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाता है. नहरों का निर्माण त्वरित गति से होना चाहिए, मेढ़-बंधान का कार्य किया जाना चाहिए, स्टॉप-डेम बनाए जाने चाहिए.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, विदेशों से जल संसाधन विभाग को प्राप्त होने वाली राशि में तो और भी अधिक भ्रष्टाचार व्याप्त है. माननीय मंत्री जी बहुत ही संजीदा हैं, काफी अनुभव भी रखते हैं. इसके साथ ही वे संसदीय कार्य मंत्री भी हैं, उन्हें बहुत ही अच्छे-अच्छे विभाग दिए जाते हैं. मैं माननीय मंत्री जी से उम्मीद करती हूं कि इस विभाग में भी उनके रहते कुछ सुधार आ जायेगा. विभाग के प्रमुख सचिव महोदय भी काफी अनुभवी हैं. मेरा उनसे भी अनुरोध है कि उन्हें यह विभाग अभी-अभी मंत्री जी के साथ दिया गया है. वे भी इस विभाग को चुस्त-दुरूस्त बनायें.
उपाध्यक्ष महोदय- शीला जी, आप सदन से प्रमुख सचिव से अनुरोध न करें. आप आसंदी के माध्यम से केवल मंत्री जी से अनुरोध करें.
श्रीमती शीला त्यागी- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, धन्यवाद. मैं आपके माध्यम से सदन को बताना चाहती हूं कि मनगवां विधान सभा क्षेत्र में नहरों के निर्माण में बहुत अधिक भ्रष्टाचार किया गया है. ठेकेदार और विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों ने बड़े पैमाने पर वहां धांधली की है. नालियों के निर्माण, सीमेंटेड नहरों के निर्माण में भी भ्रष्टाचार किया गया है. सीमेंटेड नहरें जगह-जगह से फूट गई हैं और इससे किसानों के खेतों में पानी भर जाता है. मनगवां विधान सभा में कंदईला, जोड़वरी, चूला और इसी प्रकार के 50-60 गांव हैं जिन्हें सीमेंटेड नहरों से जोड़ा गया था, परंतु ये नहरें जगह-जगह से टूट-फूट गई हैं और किसानों की फसलें खराब हो गई. नहरें के टूटने से बहने वाले पानी को रोकने का कोई प्रयास नहीं किया गया, सफाई भी नहीं की गई, निरीक्षण का कार्य भी अधिकारियों के द्वारा नहीं किया गया है. सबसे बड़ी बात यह है कि मुझे विधायक बने हुए आज 3 वर्ष हो चुके हैं और तीसरी बार मैं बजट में अपनी बात रख रही हूं. हमारे लालगांव रामपुर सर्किल में नहरों का निर्माण आज तक नहीं हुआ है. मेरे क्षेत्र के लोगों की मांग को ध्यान में रखते हुए मैं बहुत चिंतित रहती हूं. मैं जानना चाहती हूं कि आखिर कब विभाग की योजनाओं का लाभ मेरे क्षेत्र की जनता को मिलेगा ? कब नहरें बनेंगी ? किसके माध्यम से बनेंगी और कब तक बनेंगी ?
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं एक और अति महत्वपूर्ण विषय उठाना चाहती हूं. जल उपभोक्ता संस्था के माध्यम से जो पैसा आता है, उसकी बंदरबांट की जाती है. इन संस्थाओं का निर्माण किसानों और हितग्राहियों का लाभ देने के लिए किया गया था, लेकिन मैं बताना चाहती हूं कि इन संस्थाओं के द्वारा किसानों और आम जल उपभोक्ताओं को जितना परेशान किया जाता है शायद ही किसी अन्य संस्था द्वारा किया जाता होगा. जैसे कि मैं कह रही थी हमारे रीवा जिले में छोटी-बड़ी कई नदियां हैं, जो कि वर्षा जल से पोषित हैं. इन नदियों में मुख्य टमस, बीहर, बिछिया, महाना, सेंगरी, पकडि़यार हैं. महाना, सेंगरी और पकडि़यार नदी हेतु मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि बाणसागर की बड़ी नहरों को यदि इन नदियों से जोड़ दिया जाए, जैसा कि विभाग का एक विषय ही है- ''आयाकट'', आयाकट के संबंध में मुझे अधिक जानकारी नहीं है, परंतु मैं जितना जानती हूं उसके अनुसार आयाकट का मतलब यह है कि नदियों के मुहाने मोड़ दिए जाते हैं और उन नदियों में पानी दिया जाता है जो वर्षा पर निर्भर हैं और ग्रीष्मकाल में उनमें पानी नहीं रहने के कारण वे सूख जाती हैं. जिससे पशु-पक्षियों और किसानों को राहत मिलती है और भू-जल का स्तर भी बढ़ता है, इसलिए इस विषय में भी ध्यान दिया जाना चाहिए.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र की कुछ विशेष मांगें हैं. जैसे- महाना नदी पर स्टॉप डैम बनाया जाए. माड़ौ से कसिहाई, गोंदरी, देवहटा नहर से भी जोड़ दिया जाए. किसानों का ऋण माफ किया जाए. बहुती लिंक इरीगेशन के शुरू किए गए काम में भी बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया गया है. घटिया किस्म का कार्य किया गया है. इसके साथ ही साथ क्योति केनल मैन नहर के इधर-उधर सड़क बनाई जानी थी. जो कि अभी तक नहीं बनाई गई है बल्कि उस सड़क के नाम से कार्य कर दिए गए हैं. यह बहुत ही महत्वपूर्ण बात है. मैं पुन: इसे दोहरा रही हूं कि लालगांव रामपुर सर्किल में नहर कब तक बनवाई जायेगी ? उपाध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, इस हेतु बहुत-बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय- धन्यवाद.
श्री कमलेश्वर पटेल (सिहावल)- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं जानता हूं कि जब मैं अपनी बात प्रारंभ करूंगा तो आप कहेंगे कि केवल अपने क्षेत्र की बात कहिए. इसलिए मैं अब यह बात नहीं करूंगा कि पन्ना में बांध टूटने की वजह से क्या हुआ. हमारे मंत्री जी ने कहा था कि 'कर्म फूट गए'. अब न वे मंत्री जी हैं और न ही वे प्रमुख सचिव ही हैं. अब वे चले गए और जो भी हुआ, वह हो गया.
श्री वैलसिंह भूरिया- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, कांग्रेस के भी कर्म फूट गए हैं.
श्री कमलेश्वर पटेल- आप बैठिये और चिंता मत कीजिए, आपके भी फूटेंगे.
श्री बाला बच्चन- कांग्रेस का रहना भी बहुत जरूरी है. अब इसके बाद पूरी तरह कांग्रेस ही कांग्रेस दिखेगी.
श्री कमलेश्वर पटेल- कांग्रेस नहीं होती तो आज यहां जो सभी चर्चा कर रहे हैं, वह नहीं होती. देश को आजादी ही नहीं मिलती.
श्री वैलसिंह भूरिया- आप लोग पहले सपने देखते थे. अब उत्तरप्रदेश के रिजल्ट के बाद आप लोग सपने भी मत देखिये. आप लोगों के सपने अब सपने ही रहेंगे. सपने भी उन्हीं के सच होते हैं जिनके सपनों में जान होती है, लेकिन आपके सपनों में तो जान ही नहीं है.
श्री कमलेश्वर पटेल- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जब हम सही-सही बात करते हैं तो ये लोग अनावश्यक टोका-टाकी करते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय- वैलसिंह जी, आप बैठ जाईये.
श्री बाला बच्चन- आपने देखा नहीं कि पंजाब में आपकी सरकार थी और अब आपकी पार्टी का क्या हाल है ? अब केवल 3 विधायक हैं.
श्री वैलसिंह भूरिया- आप उत्तरप्रदेश देखिये और अगली बार पंजाब में भी हमारी ही सरकार बनेगी.
उपाध्यक्ष महोदय- अब उत्तरप्रदेश और पंजाब की कोई चर्चा नहीं होगी. केवल सिंचाई विभाग पर चर्चा होगी. पटेल जी आप जारी रखें.
श्री कमलेश्वर पटेल- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं सिंचाई विभाग की ही बात कर रहा हूं. सिंचाई विभाग के जो आंकड़े प्रस्तुत किए जाते हैं. उसमें कहा जाता है कि हमने इतने एकड़ कृषि भूमि सिंचित कर दी. कृषि विभाग का आंकड़ा अलग आता है. आंकड़ों को मिलाने के संबंध में मेरा एक सुझाव है कि यदि माननीय जल संसाधन मंत्री और कृषि मंत्री जी एवं दोनों विभागों के अधिकारी आपस में बैठ कर कम से कम हमें सही आंकड़े बता दें. बार-बार इस आंकड़ों के खेल से सदन और विधान सभा के सदस्यों को गुमराह किया जाता है और इसके साथ-साथ जनता और किसान भी गुमराह होते हैं. ये आंकड़े स्पष्ट हो जाने चाहिए कि कितना सिंचाई का रकबा है, किसानों को कितना फायदा मिल रहा है और हम आगे क्या करने जा रहे हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, दूसरी बात मैं यह कहना चाहता हूं कि मेरे विधान सभा क्षेत्र में बाणसागर नहर परियोजना है. इस परियोजना के माध्यम से कुछ गांवों को तो सिंचाई की सुविधा मिल रही है, लेकिन कुछ गांव ऐसे भी हैं जहां से नहर निकल गई है और किसान सिंचाई के लिए तरस रहा है. उस समय जो भी इंजीनियर रहे होंगे, जिन्होंने भी डिज़ाईन की थी, उन्होंने सिंचाई की सुविधा से कई गांवों को वंचित कर दिया है. आपके माध्यम से मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि बाण सागर नहर परियोजना का एक बार पुन: सर्वे करवाकर जो भी गांव वंचित रह गए हैं, उन गांवों को भी शामिल किया जाए. वहां भी सिंचाई की सुविधा मिले. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि बाणसागर नहर परियोजना के तहत जहां भी माइनर नहर गई है और दोनों तरफ सड़क का प्रावधान हो सकता है, उस हेतु जमीन भी एक्वायर्ड की गई है. इस सड़क के बनने से जो किसान खेती किसानी करने के लिए ट्रैक्टर का उपयोग करते हैं, यदि इन माइनर नहरों के दोनों तरफ या एक तरफ भी सड़क का प्रावधान कर दें तो किसानों को खेती का काम करने में सुविधा होगी. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, कई गांवों को जल संसाधन विभाग द्वारा दिखा दिया गया है कि यह गांव सिंचित है, परंतु वहां अभी तक नहरें बनी नहीं हैं. माइनर नहरों का निर्माण नहीं हुआ है.
उपाध्यक्ष महोदय- अब आप 15 सेकण्ड में अपनी बात समाप्त करें.
श्री कमलेश्वर पटेल- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मुझे थोड़ा समय दें. मैं अपने क्षेत्र की ही बात कर रहा हूं.
उपाध्यक्ष महोदय- आप इधर-उधर की बात कर रहे हैं.
श्री कमलेश्वर पटेल- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं अपने क्षेत्र की ही बात कर रहा हूं. मैं इधर-उधर की कोई बात नहीं कर रहा हूं.
उपाध्यक्ष महोदय- आप शीघ्र समाप्त करें.
श्री कमलेश्वर पटेल- उपाध्यक्ष जी, मैं डिमांड ही कर रहा हूं. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मुझे आपका संरक्षण चाहिए. मेरे क्षेत्र की बहुत ही विकराल समस्या है. जो किसान सिंचाई की सुविधा नहीं ले रहे हैं, उनसे भी वसूली की जा रही है. यह चिंता का विषय है. जहां सिंचाई की सुविधा नहीं है, वहां कम से कम सिंचाई की सुविधा दी जाए और माइनर नहरें, सब माइनर नहरें जल्दी से जल्दी बनवाई जायें. बाणसागर नहर परियोजना से जो गांव वंचित है उन्हें शामिल किया जाए. इसी तरह मेरे विधान सभा क्षेत्र में बहरी तहसील में महान नहर परियोजना, गुलाब सागर बांध से यह सिंचाई परियोजना बहुत दिनों से पेंडिंग है. इसे तत्काल लागू किया जाए. दूसरी बात यह है कि मऊगंज विधान सभा क्षेत्र के हनुमना तहसील के लिफ्ट इरीगेशन से यू.पी. और बिहार को पानी जा रहा है और वहां का किसान पानी के लिए तरस रहा है. कैलाशपुर लिफ्ट इरीगेशन को भी डी.पी.आर. तैयार करके पूरा करवाया जाए. इसके अलावा चितरंगी विधान सभा क्षेत्र में बगदरा में बेलतरा बांध की मंजूरी होने के बाद अभी तक कार्य शुरू नहीं हुआ है. तत्काल उसे भी प्रारंभ करवाया जाए. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, केवल एक बात और कहना चाहता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय- नहीं, यह गलत बात है. अब आपका कुछ नहीं लिखा जाएगा. आपसे मैंने पहले ही अनुरोध किया था कि समय-सीमा है. आप पहले ही पांच मिनट बोल चुके हैं.
श्री कमलेश्वर पटेल- (XXX)
उपाध्यक्ष महोदय-- यह बाद में कहने की बात है? आप माननीय मंत्री जी को लिख कर दे दीजिए.
श्री कमलेश्वर पटेल-- (XXX)
श्री प्रदीप अग्रवाल(सेवढ़ा)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मांग संख्या 23, 28, 32, 45 और 57 का समर्थन करता हूँ एवं कटौती प्रस्तावों का विरोध करता हूँ. उपाध्यक्ष महोदय, जब हम जल संसाधन की उपलब्धता की बात करते हैं तो स्वतः ही यह बात ध्यान में आती है कि 2003-2004 में जहाँ हम 4 लाख हैक्टेयर कृषि भूमि पर कृषि करते थे. वहीं आज मध्यप्रदेश में 60 लाख हैक्टेयर भूमि कृषि योग्य है. लेकिन जब हमारी सरकार मध्यप्रदेश में आई तो हमने इस क्षेत्र में नहरों के माध्यम से कृषि भूमि को सिंचित करने का काम किया और हमने 2006-2007 में 19 लाख हैक्टेयर, 2007 से 2012 तक 24 लाख 53 हजार हैक्टेयर और वर्तमान में हम 29 लाख हैक्टेयर भूमि पर नहरों के माध्यम से कृषि को सिंचित कर रहे हैं और भविष्य में 2025 तक हमारा यह लक्ष्य 60 लाख करने का है. उपाध्यक्ष महोदय, आज हमने हर खेत तक लघु एवं मध्यम सिंचाई योजनाओं के माध्यम से खेत तक पानी पहुँचाने का काम किया है.
उपाध्यक्ष महोदय-- प्रदीप जी, मेरा सुझाव है कि आप अपने क्षेत्र की बात कह दें.
श्री प्रदीप अग्रवाल-- उपाध्यक्ष महोदय, मैं ज्यादा बोल ही नहीं रहा हूँ. उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मुख्यमंत्री जी का, माननीय मंत्री जी का एवं प्रमुख सचिव महोदय का आभार व्यक्त करना चाहता हूँ कि उनके निर्देशन में मध्यप्रदेश लगातार कृषि के क्षेत्र में पूरे देश में नंबर वन होकर लगातार वृद्धि कर रहा है. पिछले वर्ष माननीय राज्यपाल महोदय ने अपने अभिभाषण में सेवढ़ा परियोजना की बात कही थी. इस योजना से मेरे क्षेत्र के अनेक ग्रामों सहित गोहद, मेहगाँव, अटेर, भिण्ड, विधान सभा के ग्रामों को भी लाभ मिलेगा तथा मेरे संपूर्ण क्षेत्र का जलस्तर भी बढ़ेगा. मैं उन सभी की ओर से माननीय मंत्री जी का आभार व्यक्त करना चाहता हूँ कि उन्होंने इसमें आ रही परेशानियों को शीघ्रता से संज्ञान में लेकर उन्हें दूर किया. साथ ही माननीय मंत्री जी से मैं यह आग्रह भी करना चाहता हूँ कि इस योजना को शीघ्र ही शुरू करा दिया जाए, जिससे मेरे विधान सभा क्षेत्र के लोगों को कृषि में लाभ हो और उनकी कृषि भूमि ज्यादा से ज्यादा सिंचित हो.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं अपने क्षेत्र की बात रखना चाहता हूँ. मेरा संपूर्ण क्षेत्र नहरों से सिंचित है एवं अधिकांश क्षेत्रों में किसान धान व गन्ने की खेती कर रहे हैं, किन्तु नहरों के माध्यम से मात्र एक फसल को ही पानी दिया जाता है. मैं माननीय मंत्रीजी से अनुरोध करना चाहता हूँ कि यदि दोनों फसलों को नहरों के माध्यम से पानी मिलेगा तो मेरा क्षेत्र और अधिक सिंचित होगा तथा मेरा क्षेत्र धान का कटोरा होकर उभरेगा.
उपाध्यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र की कुछ मायनर नहर अधूरी होने के कारण उसमें होने वाले ओव्हर फ्लो से किसानों की फसलें बर्बाद होती हैं. उपाध्यक्ष महोदय, मंत्री जी से यह भी अनुरोध है कि उनका सर्वे कराकर उन्हें शीघ्र पूर्ण करा दिया जाए, जिससे कि फसलों को होने वाले नुकसान से रोका जा सके. उपाध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया इसके लिए मैं आपका बहुत बहुत आभारी हूँ, बहुत बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय-- धन्यवाद.
श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया(दिमनी)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं जल संसाधन विभाग की चर्चा के दौरान सिंचाई संबंधी चर्चा कर रहा हूँ. कृषि उत्पादन में सिंचाई का भी बहुत महत्वपूर्ण योगदान है क्योंकि सिंचाई के अभाव में खेती की पैदावार घटने की संभावना है. उपाध्यक्ष महोदय, प्रदेश की सबसे बड़ी नदी चंबल एवं क्वारी नदी मेरे क्षेत्र में है. जो दो तिहाई हिस्से को घेरे हुए है. अतः मेरे क्षेत्र में सर्वे किया जाकर ड्रम बनवाए जाएँ, जिससे सिंचाई की पूर्ति हो सके. उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री महोदय से मेरा यह निवेदन है कि मेरे यहाँ छोटी-छोटी जो नहर रह गई हैं, उनको पक्का किया जाए और जो ड्रम बन रहे हैं, वैसे तो मैंने मंत्री जी से निवेदन कर ही लिया है कि उसकी जाँच कराई जाए. एक पहले ड्रम बना हुआ है मंत्री जी, उसमें बिल्कुल पानी नहीं आ रहा है, सौ ग्राम पानी है, उसमें 5 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं. वैसे ही मेहगाँव में बन रहा है...
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- नातेदार, ड्रम नहीं कहते डेम कहते हैं.
श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया-- भैय्या गलती हो गई. डेम है.
श्री रामनिवास रावत-- समझ लो उनकी भाषा.
श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया-- डेम बनाए जा रहे हैं, भोपाल से जाँच कराई जाए कि उसमें......
एडवोकेट सत्यप्रकाश सखवार-- माननीय मंत्री जी, नातेदार भी तो आपने ठीक ही समझ कर बनाया होगा.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- और आपकी पार्टी में भी सोच समझ कर ही भेजा है.
श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया-- उपाध्यक्ष महोदय, मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि यहाँ से उसकी जाँच कराई जाए और जो अधिकारी दोषी हों उसके खिलाफ कार्यवाही की जाए. उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का समय दिया उसके लिए धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय-- बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री दिलीप सिंह शेखावत(नागदा-खाचरोद)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांगों के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूँ. मैं सबसे पहले माननीय मंत्री जी को आज धन्यवाद दूँगा कि जो एक महत्वपूर्ण मांग थी, आज मेरे ध्यानाकर्षण पर उन्होंने जो घोषणा की है, उसके लिए मैं बहुत बहुत धन्यवाद दूँगा. उपाध्यक्ष महोदय, निश्चित रूप से मध्यप्रदेश में जो आपके द्वारा सिंचाई के क्षेत्र में जो रकबा बढ़ा है वह अभूतपूर्व है. चूँकि समय की मर्यादा है, मैं आप से एक निवेदन करना चाहूँगा कि बोरदिया के पास में कुड़ेल नदी पर डेम बनाने की माननीय मुख्यमंत्री जी की घोषणा है. उसकी यहाँ पर साध्यता डाली गई है तो कृपा करके वह अगर स्वीकृत करेंगे तो ठीक होगा. उपाध्यक्ष महोदय, मेरा यह भी निवेदन है कि दिवेल एक गाँव है वहाँ पर काफी बड़ी भूमि है, अगर वहाँ पर एक तालाब बनेगा तो लगभग 10 गाँव के लोगों को उसका फायदा होगा. ऐसे ही एक झिरमिरा का छोटा तालाब बना हुआ था और वहाँ पर चूँकि उज्जैन-जावरा जो सड़क बनी थी उसके कारण एसडीएम महोदय ने उसको खुदाई के लिए, मुरम के लिए, जगह दी थी और काफी स्पेस उन्होंने उसको खोदा है और उसके कारण काफी बड़ा एक जलाशय का रूप उसने लिया. अगर जल संसाधन विभाग उसका सर्वे कराकर और झिरमिरा के तालाब को आप बड़ा करेंगे तो ठीक होगा. इसी प्रकार सकतखेड़ी, चापानेर और नंदवासला में भी छोटे जलाशय की साइट्स अच्छी हैं. अगर उन स्थानों का भी सर्वे आप करवाएँगे तो ठीक होगा. लगभग साल भर पूर्व बागेड़ी नदी पर, बागेड़ी और चंदवासला के बीच में एक डेम की साध्यता रिपोर्ट आ गई है लेकिन चंदवासला का बड़ा तालाब बनाने के कारण उसे पोस्टपोंड, छोटे समय के लिए किया था. चंदवासला का तालाब लगभग मैं मानता हूँ कि जो 300 हैक्टेयर भूमि किसानों की हम लेना चाहते थे और वहाँ उस चीज का काफी विरोध हुआ है. उसके कारण मुझे नहीं लगता कि चंदवासला का डेम कभी बन पाएगा, तालाब बन पाएगा इसलिए वह बागेड़ी की जो साध्यता डल गई है. उस बागेड़ी चंदवासला के बीच की उस साध्यता को आप डीपीआर बनवा कर उसे स्वीकृत करें तो ठीक होगा. मैं पुनः एक बार फिर माननीय मंत्री जी को इस बात के लिए धन्यवाद देता हूँ कि आपने नेनावटखेड़ा का जो एक नागदा का उद्योग, श्रमिकों का, किसानों का और कुल मिलाकर जो पेयजल के संकट के निवारण के लिए, माननीय मंत्री जी, आपने की है ना, वह तो प्रोसिडिंग है, निश्चित रूप से उस क्षेत्र पर आपकी कृपा हुई है, मैं आपको बहुत बहुत धन्यवाद देता हूँ. उपाध्यक्ष जी, आपने मुझे बोलने का समय दिया उसके लिए धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय-- धन्यवाद दिलीप सिंह जी.
डॉ.रामकिशोर दोगने(हरदा)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 23, 28, 32, 45 और 57 के विरोध में और कटौती प्रस्तावों के समर्थन में बोलने जा रहा हूँ. उपाध्यक्ष महोदय, जल संसाधन विभाग एक ऐसा विभाग है जिसके कारण हमारे प्रदेश की उन्नति और विकास भी हुआ है. मेरे क्षेत्र में स्वर्गीय इंदिरा गाँधी जी की देन है कि तवा डेम और इंदिरा सागर डेम जो बनवाया, जिससे पूरा क्षेत्र फसलों के उत्पादन में सबसे अग्रणी है और मिनी पंजाब के रूप में विकसित है. वहाँ के लिए मैं चाहूँगा कि हमारा गंजाल और मोरन डेम काफी समय से प्रस्तावित है, वह वर्तमान में सभी प्रक्रियाएँ पूरी होने की स्थिति में है, उसको जल्दी चालू करवा दिया जाए. ऐसा मंत्री जी से मेरा निवेदन है क्योंकि 2400 करोड़ का डेम है और काफी एरिया उसमें सिंचाई के लिए आ रहा है तथा बैतूल, होशंगाबाद, हरदा और खंडवा, चार जिलों को फायदा पहुँचा रहा है, तो गंजाल मोरन डेम को जल्दी चालू करवा दिया जाएगा तो अच्छा रहेगा. इसके साथ ही हमारे इंदिरा सागर जलाशय में हमारे हरदा जिले के 29 गाँव डूबे हैं. उसके पास जो अनुसूचित जनजाति की बस्तियाँ या गाँव हैं, उनमें लोग रह रहे हैं. उनके लिए व्यवस्था करने के लिए मैं निवेदन करना चाहूँगा, क्योंकि उनकी जमीनें तो डूब गई हैं. सिर्फ गाँव गाँव बचे हैं और गाँव के आसपास जल भराव है और जल भराव में कीड़े, साँप, बिच्छु और बड़े बडे़ जानवर आते हैं और वहाँ रात में बच्चों को रहने में परेशानी भी होती है. मच्छर भी खूब होते है इसलिए उनको कहीं विस्थापित कर दिया जाए तो ज्यादा अच्छा रहेगा, उनको अच्छी जगह विस्थापित करेंगे तो उनका विकास होगा और वे आगे बढ़ पाएँगे. कुछ गाँव हमारे यहाँ ऐसे हैं जो डूब प्रभावित में ले लिए गए पर उनको सुविधा कुछ नहीं दी गई है. आज भी वहाँ उनको डूब घोषित करके उनको बिल्कुल हटाया नहीं गया, वहाँ शिक्षा भी नहीं है, बिजली भी नहीं है, पानी भी नहीं है. वह नर्मदा का पानी, जो गंदा बरसात में आता है, वह पानी वे पीकर जीवनयापन कर रहे हैं और बीमारियाँ हो रही हैं. ऐसे हमारे 4-5 गाँव हैं कालीसराय है, सिराल्या है और अनीपाबाद है, जो अभी भी बीच टापुओं पर बसे हुए हैं. उनको सही जगह विस्थापित कर दिया जाए तो अच्छा रहेगा. इसी के साथ खेती की जमीन जो डूबती है और पानी जब कम होता है तो उसमें फसल लेने की अनुमति दी जाए. जिनकी जमीन डूबी है उन्हीं को अनुमति देंगे, तो अच्छा रहेगा क्योंकि जीवन यापन करने के लिए उनके पास कोई साधन नहीं है. उनको मुआवजा मिला. किसी को 45 हजार, किसी को 35 हजार, किसी को 80 हजार, किसी को 85 हजार और वह 80, 85 हजार दलालों ने खा लिए और उनके पास केवल 10-10, 20-20 हजार रूपये मुश्किल से पहुंचे हैं तो उनकी व्यवस्था की जाए और उसी के साथ मैं निवेदन करना चाहूंगा कि इंदिरा सागर डेम की जो इन्कम आती है जिनकी जमीनें डूबी हैं या जिनके गांव डूबे हैं जो वहां से विस्थापित हुए हैं बोनस के रूप में उनको साल में कुछ न कुछ रकम दी जानी चाहिए या जैसे पेंशन चालू की जाती है वैसे ही उनकी पेंशन चालू की जानी चाहिए, जिससे वे अपना जीवन-यापन कर सकें और अपना जीवनपयोगी सामान खरीद सकें. बच्चों को पढ़ा सकें.
माननीय उपाध्यक्ष्ा महोदय, मेरे क्षेत्र की छोटी-छोटी समस्याओं के बारे में निवेदन करना चाहता हॅूं कि मेरे क्षेत्र में एक माचक उप नहर है उसकी एक शाखा निकली हुई है, पुलिया बनी है पर वह नहर अभी तक नहीं खुदी है जो मुहाल, नीमसराय, पिपल्या भारत और छीपाबड़ के गांवों को सिंचित करती है. नहर को निकाल देंगे तो निश्चित ही उस क्षेत्र की सिंचाई हो जाएगी. उसके साथ ही एक धुरार्नी नहर है, धुरार्नी माइनर है जो कुकरावद से निकली है. उसमें 4-5 गांव आते हैं अगर वह नहर निकल जाएगी तो गांव भी सिंचित हो जाएंगे. उसके साथ ही इमलीढाना जलाशय है उसकी माइनर की सफाई कर दी जाएगी तो बहुत अच्छा रहेगा. छोटे-छोटे कड़ोला, मुहालकला गोपालपुरा और चारूआ इन चार नदियों पर डेम बना देंगे तो हमारे क्षेत्र का विकास हो जाएगा और मेरा आपसे अनुरोध है कि इन छोटी-छोटी नदियों पर डेम बना बनाएंगे तो निश्चित ही क्षेत्र का विकास होगा. मेरे ख्याल से मध्यप्रदेश में भी अगर छोटे नदी-नालों पर डेम बन जाएगा तो वाटर लेवल भी बढ़ जाएगा और विकास हो जाएगा. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का अवसर दिया, उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री लखन पटेल (पथरिया) -- माननीय उपाध्यक्ष जी, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद. चूंकि समय आपने कम दिया तो सीधे अपने क्षेत्र की बात करके अपनी बात को समाप्त करूंगा. मैं माननीय मंत्री जी का और माननीय मुख्यमंत्री जी का बहुत-बहुत धन्यवाद करना चाहता हॅूं कि मेरे क्षेत्र में जूड़ी नदी पर स्टॉम डेम बनाया जा रहा है. साजरी नदी का स्वीकृत हो गया. पंचम नगर का काम बहुत तेजी से चल रहा है. मैं माननीय मंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हॅूं कि साजली और जूड़ी नदी के वन विभाग का क्लीयरेंस नहीं हो पा रहा है उस पर यदि ध्यान देंगे और जल्दी काम शुरू हो जाएगा तो बड़ी कृपा होगी.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हमारे क्षेत्र में पंचम नगर योजना बुंदेलखण्ड की एक बहुत महत्वपूर्ण योजना है जिसमें दो डेम बन चुके हैं. जैसा कि पंचम नगर नाम से प्रतीत होता है कि उसमें 5 डेम की योजना थी, जिसमें 2 डेम बनकर तैयार हो गए. 3 डेम बनना शेष है. गौरझामर पर, रानगीर पर और मेरी विधानसभा क्षेत्र के पथरिया के सीतानगर में, सुनार नदी में सीतानगर ग्राम में डेम बनाया जाए. अगर यह सीतानगर का डेम बनेगा तो लगभग 50 गांवों में पानी की सुविधा हो सकेगी. इसमें कुछ मेरे क्षेत्र के गांव हैं और कुछ माननीय वित्त मंत्री जी के क्षेत्र के गांव उसमें आएंगे. मेरा माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि सीतानगर परियोजना शीघ्र स्वीकृत कराने की कृपा करेंगे. मैं एक और अनुरोध करना चाहता हॅूं कि मेरे क्षेत्र में जो सिंचाई की परियोजनाएं हैं वह सब माइक्रो इरीगेशन से हैं, परन्तु अभी मध्यप्रदेश में कहीं भी चालू नहीं हुई है जिस जगह पर माइक्रो इरीगेशन की योजना चल रही है उनका एक बार निरीक्षण किया जाए कि वह किस तरीके से और कितनी सफल हैं, क्योंकि सारी योजनाएं यदि बन गईं और अगर सफलता में कोई शक रहा तो मुझे लगता है कि बहुत बड़ा नुकसान होगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं दो-तीन बातें कहकर अपनी बात समाप्त करूंगा. एक सुनार नदी पर हारन के पास एक स्टापडेम बहुत छोटी कम लागत में लगभग एक करोड़ की लागत में स्टापडेम बन जाएगा, जिससे लगभग 20 किलोमीटर पानी भरेगा. वहां नेचुरल स्टापडेम बना हुआ है. उसमें यदि 4-5 फीट का स्टापडेम बनेगा तो लगभग 20 किलोमीटर पानी पहुंचेगा. इसी प्रकार मेरे विधानसभा क्षेत्र विकासखंड बटियागढ़ के सिंगपुर ग्राम में एक तालाब का निर्माण कराया जाए. बटियागढ़ विकासखंड की ग्राम पंचायत छोटी पथरिया के ग्राम सौरई में तालाब का निर्माण कराया जाए ताकि वहां पर कोई सिंचाई के साधन नहीं हैं 8-10 गांवों में, सिंचाई के साधन हो सकेंगे.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैंने पिछले बजट भाषण में एक अनुरोध किया था, आज मैं पुन: उसको दोहराना चाहता हॅूं. जिस प्रकार से मुख्यमंत्री सड़क योजना, प्रधानमंत्री सड़क योजना बनाई है उसी प्रकार मेरा माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि मु ख्यमंत्री स्टापडेम योजना बनाकर पूरे प्रदेश में जितने नदी-नाले हैं उनको हर 3-4 किलोमीटर रोकने के लिए लंबी योजना बनाएं. 5 साल, 10 साल में वह पूरी हो. जिससे पूरे क्षेत्र में वाटर लेवल बढ़ सके और सिंचाई हो सके. आपने बोलने का समय दिया, धन्यवाद.
उपाध्यक्ष्ा महोदय -- बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्रीमती झूमा सोलंकी (भीकनगांव) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, वर्तमान में जल संसाधन विभाग अंतर्गत भीकनगांव विधानसभा की एक भी सिंचाई की योजनाओं की स्वीकृति हेतु बजट में प्रावधान नहीं किया गया है. पूर्व में माननीय मंत्री जी द्वारा सदन में आश्वस्त किया गया था कि भीकनगांव विधानसभा की साध्यता प्राप्त सभी योजनाओं की स्वीकृति मिलेगी. चूंकि मंत्री जी बदल गए हैं इसलिए हो सकता है कि रूकावट पैदा हुई हो. वर्तमान में मंत्री जी सभी का बहुत ध्यान रखते हैं तो निश्चित तौर से मेरी विधानसभा के भी जो साध्यता प्राप्त हैं उन तालाबों की स्वीकृति अवश्य देंगे.
श्री वैलसिंह भूरिया -- अरे दीदी, जो स्वीकृत कर दिया, उसके लिए सरकार को धन्यवाद तो कर दीजिए. माननीय वित्त मंत्री जी ने आपकी बहुत बड़ी परियोजना स्वीकृत कर दी.
उपाध्यक्ष महोदय -- श्री वैलसिंह जी, क्या यह आवश्यक है ?
डॉ. गोविन्द सिंह -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हमारी आपसे एक विनम्र प्रार्थना है कि श्री भूरिया जी की सीट का जरा परीक्षण करवाएं. (XXX)
श्री मुरलीधर पाटीदार -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरा आग्रह है कि वरिष्ठ हमारे जो सदस्य हैं पहले उनकी सीट का परीक्षण होना चाहिए.
उपाध्यक्ष महोदय -- पाटीदार जी, आप बैठ जाइए. श्रीमती झूमा जी ये आपके समय में से सब समय ले रहे हैं.
श्रीमती झूमा सोलंकी -- माननीय उपाध्यक्ष्ा महोदय, ये बार-बार रूकावट पैदा करते हैं तो इनको बिल्कुल हिदायत दी जाए और इनके बोलने की बारी आए तो उसमें कटौती कर दी जाए, जितना समय ये बोलते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय -- बिल्कुल.
श्रीमती झूमा सोलंकी -- माननीय उपाध्यक्ष्ा महोदय, मैं कह रही हॅूं कि जो साध्यता प्राप्त हैं उन तालाबों की स्वीकृति अवश्य करें जिसमें सतसोई टैंक, रोशिया टैंक, ढशलगांव टैंक, तिरतपानी टैंक, आवलिया माल टैंक, धामखेड़ा टैंक इनमें बहुत जरूरी है. क्योंकि पानी की समस्या और पेयजल दोनों को यदि ध्यान में रखा जाए तो निश्चित ही सिंचाई के बगैर इन समस्याओं का समाधान नहीं हो पाएगा. उसी तरह से झिरनिया जनपद में मेरे 35 गांव ऐसे हैं जहां 20 पंचायतें हैं. वन ग्राम भी है, काफी कुछ पट्टे भी वहां पर मिल चुके हैं. सार्वजनिक रूप से भी तालाब निर्माण के लिए भी वहां पर मात्र बारिश के पानी से ही फसलें ली जाती हैं. बाकी पूरे साल भर में 8 माह तक कोई साधन नहीं है, कोई रोजगार नहीं है. उनके लिए वहां 4 तालाब ऐसे हैं यदि वे बन जाते हैं तो निश्चित ही वहां के किसानों को सिंचाई के साधन उपलब्ध हो पाएंगे और यह तालाब हैं तितरान्या तालाब, मलगॉंव कोंठा, बिलखेड़ तालाब और धूपा खुर्द. इसी तरह से यदि ये बन जाएंगे तो निश्चित ही हमारी समस्याओं का समाधान हो जाएगा. एक जो इस विभाग के अंतर्गत समस्या आ रही है कि पूर्व में निर्मित 10-20 साल पहले जो तालाब बने हैं उनमें मिट्टी का भराव इतना हो गया है कि पानी का भराव कम होने लगा है. मिट्टी जो गाद के रूप में होती है इसको निकालने का विभाग प्रयास करे और यदि विभाग न करे तो किसानों को यह सुविधा दी जाए कि उन्हें जितनी आवश्यकता हो, वे मिट्टी अपने खेतों के लिए ले जाएं. उससे भी तालाब खाली होंगे और पानी का भराव अधिक होगा. मेरे क्षेत्र में काल्धा तालाब के पास में लाइनिंग का काम किया गया. वहां पर वह काम इतना खराब हुआ कि करोड़ों रूपये खर्च हो गए हैं पर आज भी किसानों को उसका पानी नहीं मिल पा रहा है.
उपाध्यक्ष्ा महोदय -- श्रीमती झूमा जी, आप समाप्त करिए. बाकी का प्रस्ताव आप मंत्री जी को लिखकर दे दीजिए.
श्रीमती झूमा सोलंकी -- जी उपाध्यक्ष महोदय, मैं लिखकर दे दूंगी. मैं अपनी बात खत्म कर रही हॅूं. एक बात ही तो बची है.
उपाध्यक्ष महोदय -- नहीं, आप लिखकर दे दीजिए. बहुत समय हो गया है. चार मिनट हो गए हैं ज्यादा समय ले लिया आपने.
श्रीमती झूमा सोलंकी -- माननीय उपाध्यक्ष जी, जो स्थिति है उसमें सुधार किया जाए ताकि किसानों को पानी मिले. इन्हीं शब्दों के साथ मैं बहुत-बहुत धन्यवाद देती हॅूं कि आपने मुझे बोलने का अवसर दिया.
उपाध्यक्ष महोदय -- धन्यवाद. श्री भूरिया जी एक शर्त पर हम आपका नाम ले रहे हैं कि आप समय-सीमा में बोलेंगे. तीन मिनट से ज्यादा समय नहीं देंगे. समय नहीं है आज.
श्री वैलसिंह भूरिया (सरदारपुर) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपके आदेश का पालन किया जाएगा. अभी मैं जोड़-घटाव कर रहा था.
उपाध्यक्ष्ा महोदय -- श्री भूरिया जी अब आप पढ़ेंगे, जो लिखकर आए हैं तो बहुत समय हो जाएगा. आप अपने क्षेत्र की बातें करिए.
श्री वैलसिंह भूरिया -- जी उपाध्यक्ष्ा महोदय, मैं एकदम अपनी बात को समाप्त कर रहा हॅूं. हमारी सरकार ने सबसे ज्यादा परियोजनाएं इस बार स्वीकृत की हैं जो कि आदिवासी जिलों में है. यह हमारी सरकार के लिए और हमारे लिए भी एक बहुत बड़ी बात है. आदिवासी जिलों के लिए बहुत बड़े गर्व की बात है. पहली बार किसी सरकार ने यदि आदिवासी जिलों के ऊपर ध्यान दिया है तो वह मध्यप्रदेश की सरकार, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने दिया है. वाकई में उपाध्यक्ष महोदय, मैं हमेशा मेरे भाषण में कमल के फूल की तरह चेहरा खिल रहा है हमारे किसानों का, यह सदन में बताता हूँ. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, वाकई में हमारे आदिवासी भाईयों का चेहरा यह सारी परियोजनायें पूर्ण होने के बाद में कमल के फूल की तरह खिलेगा. ऐसा लगेगा कि जैसे पंजाब मध्यप्रदेश में आ गया. मध्यप्रदेश हरियाणा बन गया है ऐसा लगेगा. मैं हमारी सरकार को बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहता हूं और हमारी सरकार के मंत्री माननीय नरोत्तम जी को भी बहुत बहुत बधाई और धन्यवाद देना चाहता हूं कि सबसे ज्यादा आपके विभाग ने अच्छा काम करके, आपके अधिकारियों ने सबसे ज्यादा मध्यप्रदेश के सभी आदिवासी जिलों के ऊपर ध्यान दिया.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अब मैं सीधा मेरे क्षेत्र की समस्या बताने जा रहा हूँ जो कि गंभीर है यदि उस पर काम हो जाएगा तो काफी अच्छा रहेगा, आदिवासी क्षेत्र का विकास होगा. उपाध्यक्ष महोदय, बोरझड़ी डेम बदनावर में है लेकिन उससे सिंचाई मेरे सरदारपुर विधानसभा में होगी यह कोटेश्वरी नदी पर बनेगा इसको यदि स्वीकृत कराएंगे तो बहुत अच्छा रहेगा. रिंगनोद जलाशय की माननीय मुख्यमंत्री जी की घोषणा भी है और विशेष पैकेज में इसको स्वीकृत कराने का मुख्यमंत्री जी का आश्वासन है और इसके लिए हमारे अधिकारी कोशिश कर रहे हैं इसको जल्दी विशेष पैकेज में स्वीकृत कराये तो बहुत बढ़िया रहेगा. रिंगनोद जलाशय अति आवश्यक है क्योंकि पानी का लेवल जमीन के बहुत नीचे चला गया है. पीने के पानी की वहाँ पर बहुत बड़ी समस्या है. मूढ़ीवाला नाला, बिछिया, राताकोट क्षेत्र में आता है यह नाला बन जाएगा तो बहुत अच्छा रहेगा. दोमेला डेम जो कि सरदारपुर और राजगढ़ दोनों शहरों को जोड़ता है. इसको स्वीकृत किया जाये. आंबा उमरावाला नाले पर दोमेला डेम फसावदा स्वीकृत जाए और भीलखेड़ी तालाब जो फूट गया है उसका सीमांकन करे और उसको दुबारा जल्दी बनाया जाये एवं उसका गहरीकरण किया जाये. कुंडया डेम, गोपावर के जंगल में गोमुख नाले पर स्वीकृत किया जाये. सरदारपुर जिला धार में नर्मदा माही लिंक परियोजना स्वीकृत की जाये. मरगारुंडी डेम सुल्तानपुर के आगे मगरदा डेम वाली नदी पर चुनार डेम स्वीकृत है उसको जल्दी बनाया जाये. अंबेडी और मानगढ़ बिलीवाली घाटी स्वीकृत है उसका जल्दी काम शुरु किया जाये. उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का मौका दिया उसके लिए धन्यवाद.
कुंवर हजारी लाल दांगी(खिलचीपुर)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इस प्रदेश के मुखिया माननीय मुख्यमंत्री जी ने और सिंचाई मंत्री जी ने जो राजगढ़ जिले को सौगात दी है हम सब, पूरे राजगढ़ जिले की ओर से उनके आभारी हैं और उनको धन्यवाद देते हैं. राजगढ़ जिले में तीन नदियाँ ऐसी है कालीसिंध, नेवज और पार्वती. कालीसिंध नदी पर कुंडालिया डेम जो सेंक्शन हुआ है वह 3448 करोड़ का है और मोहनपुरा डेम का काम युद्ध स्तर पर चल रहा है और नहर का भी काम युद्ध स्तर पर चालू है. हम आभारी है उनके कि इतनी तेज गति से जो काम चल रहा है कि दो साल के अंदर हमारे पूरे जिले को सिंचाई का लाभ मिलेगा. उपाध्यक्ष महोदय मैं मंत्री जी से यही अनुरोध करुंगा कि कुंडालिया डेम का काम चालू तो हो गया है लेकिन उसकी नहर का अभी तक टेंडर नहीं हुआ है उसका टेंडर जल्दी हो जाये तो उसका भी काम चालू हो जाएगा और उसका लाभ हमको मिलेगा. चूंकि कालीसिंध नदी पर कुंडालिया डेम का जो निर्माण चालू है उससे राजगढ़ जिले और आगर जिले की सुसनेर तहसील दोनों जिलों को फायदा मिलेगा और उससे 1 लाख 25 हेक्टेयर जमीन में सिंचाई होगी. इसी तरह से मोहनपुरा डेम से भी 1 लाख 25 हेक्टेयर से ज्यादा जमीन में सिंचाई होगी और पार्वती नदी का सर्वे राजगढ़ जिले में चालू है, पार्वती नदी हमारे जिले की तीन नदियों में से एक ही बची है जिसका सर्वे होना है. उसका सर्वे हो जाएगा तो पूरा राजगढ़ जिला और आगर जिले की सुसनेर विधानसभा क्षेत्र में किसानों को लाभ मिलेगा. वास्तव में राजगढ़ मध्यप्रदेश का सबसे आखिरी जिला है जो राजस्थान की सीमा से लगा है, पूरी पथरीली जमीन है. हम आभारी है वास्तव में कि यह डेम पूरे हो जाएंगे और नहरें बन जाएंगी. यह भी बड़ी प्रसन्नता की बात है कि जो नहरें हैं वह पाइप लाइन के माध्यम से डाली जा रही है उससे एक इंच भी पानी बेकार नहीं जाएगा. सारा पानी सिंचाई के काम में आएगा और किसानों को उसका फायदा मिलेगा. पाइप लाइन के माध्यम से जो नहर का काम चालू किया है वास्तव में उससे किसानों को बहुत फायदा होगा. किसान इंतजार कर रहे हैं कि कुंडालिया डेम की नहर का कब ठेका हो जाएगा, कब काम चालू होगा. जैसे मोहनपुरा का काम चालू हुआ है. वास्तव में हम सब आभारी है कि यह दोनों डेम बन जाएंगे.
उपाध्यक्ष महोदय-- अब आप समाप्त करें.
कुंवर हजारीलाल दांगी-- एक मिनट में समाप्त करूंगा. नर्मदा जी का पानी कालीसिंध में लाकर के डालेंगे मतलब नर्मदा जी का पानी जो कुंडालिया में डलेगा उसके बाद तीसरे चरण में पार्वती नदी में भी आएगा तो राजगढ़ जिला चमन हो जाएगा. मेरा मंत्री जी से अनुरोध है कि 50 साल पहले जो डेम बने हैं उनकी नहरें भी क्षतिग्रस्त हो गई है और वह कच्ची नहरें है यदि उनका पक्कीकरण भी हो जाएगा तो अच्छा होगा. मेरे विधानसभा क्षेत्र में जैसे छापी नहर है, पिपल्याकला का डेम है, मोहनपुरा डेम है और पिपल्याकुलमी में जो डेम बना है वह पुराना डेम है उसमें पानी रिसकर चला जाता है.
उपाध्यक्ष महोदय-- अब आप समाप्त करें. श्री राजेन्द्र मेश्राम अपनी बात रखें.
कुंवर हजारीलाल दांगी-- उपाध्यक्ष महोदय, एक मिनट और लूंगा.मेरे क्षेत्र के नये काम की माँग तो कर लेने दीजिये.मेरे यहाँ दो तालाब हैं सादलपुर और नवापुरा...
उपाध्यक्ष महोदय-- आप मंत्री जी को लिखकर दे दीजिये. आप अब जो बोल रहे हैं वह नहीं लिखा जाएगा. अब आप बैठ जाइए. मेश्राम जी आप अपना भाषण चालू करें.
कुंवर हजारीलाल दांगी-- (XXX)
उपाध्यक्ष महोदय-- आप मंत्री जी लिखकर दे दें.
कुंवर हजारीलाल दांगी -- (XXX)
डॉ. राम किशोर दोगने-- (XXX)
उपाध्यक्ष महोदय-- आप बैठ जाइए.जो माननीय सदस्य कह रहे हैं कुछ नहीं लिखा जाएगा. दांगी जी आप मंत्री जी को लिखकर दे दें. आप चार मिनट बोल चुके हैं. यह कुछ लिखा नहीं जाएगा. मेश्राम जी, आप चालू करें.
कुंवर हजारीलाल दांगी- (XXX)
उपाध्यक्ष महोदय-- आप अनुशासन में रहें.आप जो यह बोल रहे हैं यह कुछ भी नहीं लिखा गया है.
श्री राजेन्द्र मेश्राम (देवसर)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं अनुदान की माँगों पर माँग संख्या 23, 32, 45 एवं 57 पर अपने विचार रखने के लिए खड़ा हुआ हूं. उपाध्यक्ष महोदय, समय का आपने निर्धारण कर लिया है इसलिए मैं पूरा प्रयास करूँगा कि समय सीमा में अपनी और अपने क्षेत्र की बात रखूँ. मैं ऊर्जावान्, विराट ह्रदय के हमारे मंत्री श्रद्धेय नरोत्तम मिश्रा जी को और उनके विभाग के मुखिया को धन्यवाद देता हूं कि आपने मध्यप्रदेश के चारों तरफ जो सिंचाई का रकबा बढ़ाया है उसके लिए आप साधुवाद और धन्यवाद के पात्र हैं. मेरा अपनी विधानसभा के लिए आपसे दो तीन निवेदन है. विधानसभा क्षेत्र देवसर चार राज्यों की सीमाओं से जुड़ा हुआ है और मैं चाहता हूं कि आप जब अपनी बात रखें मंत्री महोदय तब मेरी बात को संज्ञान में लेंगे, मेरा निवेदन स्वीकार करेंगे. मैं मंत्री जी के संज्ञान में लाना चाहता हूं कि मेरे विधानसभा क्षेत्र देवसर में साजापानी बाँध हैं, जब आप बोलें तो इस बाँध की घोषणा अवश्य करें यह बड़ी परियोजना है और इसकी डीपीआर पूर्ण हो गई है. आज जब आप बोलें तो इस बात को अवश्य रखें कि साजापानी बाँध परियोजना का काम जोड़ेंगे. दूसरा एक बाघाडीह बांध परियोजना है, जिसकी वजह से करीब दो ढाई हजार हेक्टेयर भूमि सिंचित होगी और उस क्षेत्र के किसानों को लाभ मिलेगा. तीसरा एक कांचन बांध है, वह वर्तमान में है यदि उसकी ऊँचाई बढ़ा दी जाएगी तो कम से कम हमारी पांच से सात हजार हेक्टेयर भूमि और सिंचित होगी. उसके बगल में एक महान नदी बह रही है उसके पानी को यदि हम लिफ्ट करके उस बांध में ला देंगे और उसकी ऊँचाई बढ़ा देंगे तो निश्चित रूप से उसका लाभ पूरे क्षेत्र की जनता को मिलेगा और करीब पांच से छह हजार हेक्टेयर भूमि उससे सिंचित होगी और कांचन बांध जिसकी हम बात कर रहे हैं. उसकी लाइनें, नहरें पूरी तरह से जीर्ण-शीर्ण हो गई हैं, इसका डी.पी.आर. विभाग में बनकर तैयार है, अत: माननीय मंत्री जी से मेरा निवेदन है कि जब आज वे बोलें तो इस बात को भी कहें कि उन नहरों का निर्माण पूरा होगा.
उपाध्यक्ष महोदय, इसके अलावा एक ग्राम धनरा है, वहाँ पर ऑलरेडी एक ऐसा तालाब है, गड्ढा है, जो पहाड़ों के बीच में स्थित है और उसमें पानी हमेशा रहता है, अगर इसमें शासन करीब डेढ़ से दो करोड़ रुपये खर्च कर दे तो वहाँ आसपास की करीब 10 हजार हेक्टेयर भूमि सिंचित हो सकती है, मैं इतना ही निेवेदन आपके माध्यम से करना चाहता हूँ. आपने मुझे बोलने का मौका दिया और मैंने समय-सीमा में बोलने का प्रयास किया, अब मैं अपनी बात को विराम देता हूँ, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा (खातेगाँव) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 23 और 57 के समर्थन में अपनी बात यहाँ पर रखना चाहता हूँ. मध्यप्रदेश में कृषकों की स्थिति में पहले से बहुत सुधार आया है. सरकार ने सिंचाई को लेकर जो बड़ी-बड़ी परियोजनाएँ बनाई हैं, उनके कारण आज मध्यप्रदेश में सिंचाई का रकबा बढ़ा है और कहीं न कहीं किसानों को उसका तत्काल लाभ प्राप्त हुआ है. मैं सरकार को और माननीय मुख्यमंत्री जी को खेती के क्षेत्र में किए गए इस क्रांतिकारी बदलाव के लिए अपनी ओर से बहुत बधाई देता हूँ, धन्यवाद देता हूँ.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरे विधान सभा क्षेत्र में देवास जिले के अंतर्गत दतोनी मध्यम परियोजना रिकॉर्ड समय में बनकर तैयार हुई और आज कई गाँवों के हजारों हेक्टेयर भूमि के किसानों को सिंचाई का लाभ मिल रहा है, वे अब तीसरी फसल भी लेने की स्थिति में हैं. नदियों में भी पानी अब लबालब भरा हुआ है और जलस्तर में भी रिकॉर्ड वृद्धि हुई है. निश्चित तौर पर अगर किसान को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी और बिजली मिल जाए तो किसान मेहनत करने में पीछे नहीं हटता, वह अपने परिश्रम से खेती को सफल करता है और प्रचुर मात्रा में अन्न का उत्पादन करता है. आज इस अवसर पर मैं यह भी कहना चाहता हूँ कि सरकार का जो लक्ष्य है कि आने वाले वर्ष तक लगभग 60 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई करना है, मुझे विश्वास है कि जिस तरह से विभाग काम कर रहा है, विभाग के अधिकारी काम कर रहे हैं, यह लक्ष्य भी हम बहुत जल्दी हासिल करेंगे. मध्यप्रदेश में सिंचाई के लिए बूंद-बूंद पानी का उपयोग होगा, जैसा कि हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी ने कहा है कि ''मोर ड्रॉप, मोर क्रॉप'' यानि एक-एक बूंद पानी का उपयोग करके किसानों को खेती के लिए पानी उपलब्ध कराया जाएगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से यह मांग करना चाहता हूँ कि मेरे विधान सभा क्षेत्र में दो-तीन मध्यम और लघु सिंचाई परियोजनाओं का सर्वे हुआ है, कुछ नदियों पर बैराज डैम का काम भी चल रहा है, जहाँ पर यदि हम बड़े बाँध नहीं बना सके वहाँ यदि नदियों पर पानी रोककर बैराज डैम स्वीकृत किए जाएँ तो उससे किसानों को लाभ प्राप्त हो सकेगा. साथ ही इसमें सबसे बड़ी दिक्कत भूमि अधिग्रहण की और मुआवजा वितरण की आती है, अभी भी जो मुआवजा प्राप्त हो रहा है वह थोड़ा कम है, अगर हम उसको बढ़ाने का प्रयास करेंगे तो किसानों की भूमि हमें अच्छे से प्राप्त हो सकेगी और इसके कारण परियोजनाएँ भी शीघ्रता से पूरी हो सकेंगी.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, साथ ही साथ पुराने डैम जो अन्य योजनाओं में बने हुए हैं उनको भी रिपेयरिंग की दरकार है. जिन विभागों ने उनको बनाया था उनका मैंटेनेंस अब उनके पास नहीं है इसलिए ऐसे डैम्स को चिह्नित करके रिपेयरिंग कराई जाए. साथ ही साथ जहाँ नदियों को रोकना संभव नहीं है या नदियों पर बाँध पर्याप्त मात्रा में बन चुके हैं वहाँ पर बड़े-बड़े तालाब बनाने की योजना और इन तालाबों के माध्यम से सिंचाई की योजना यदि विभाग बनाएगा तो मुझे विश्वास है कि जो क्षेत्र सूखे पड़े हुए हैं और सिंचाई से वंचित हैं, उन क्षेत्रों के लिए भी सिंचाई की व्यवस्था हो सकेगी.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आज मैं आपके माध्यम से यह मांग भी करना चाहता हूँ कि मेरे विधान सभा क्षेत्र में मवाड़ा, रिचिखोह और किसनपुर, इन तीन मध्यम सिंचाई परियोजनाओं का प्रस्ताव विभाग के पास लंबित है, जबकि इनका सर्वे भी कराया जा चुका है, अत: मेरी मांग है कि आगामी बजट में इन बाँधों को भी सम्मिलित किया जाए. उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का समय दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
डॉ. कैलाश जाटव (गोटेगांव) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरा भी नाम था, मैं भोजन के लिए गया हुआ था.
उपाध्यक्ष महोदय -- बैठ जाइये, आपका नाम बुलाएंगे. श्री दिनेश राय, कृपया दो मिनट में अपनी बात रखें.
श्री दिनेश राय (सिवनी) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरा टाइम 3 मिनट निर्धारित है, आसंदी ने ही मुझे 3 मिनट का टाइम दिया है.
उपाध्यक्ष महोदय -- हम 2 मिनट बोल रहे हैं या 3 मिनट बोल रहे हैं.
श्री दिनेश राय -- उपाध्यक्ष महोदय, आप 2 मिनट बोल रहे हैं मगर उसमें 3 मिनट का टाइम लिखा हुआ है, आप देख लें.
उपाध्यक्ष महोदय -- कोई बात नहीं, जो हम बोल रहे हैं वह आसंदी बोल रही है. आप शुरू करें, यह आपके ही समय से कम हो रहा है.
श्री दिनेश राय -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी चले गए हैं, हालाँकि प्रभारी मंत्री जी बैठे हुए हैं, पहले तो मैं उनको धन्यवाद देना चाहूँगा कि उन्होंने निर्देशित किया और प्रमुख सचिव महोदय को मेरे क्षेत्र में भेजकर किसानों से मिलवाया और जो हमारे किसान भ्रमित थे उनकी समस्या का निराकरण करने का प्रयास किया.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके मार्फत माननीय मंत्री जी को बताना चाहूँगा कि हमारा एक गोपालगंज क्षेत्र है जहाँ माननीय मुख्यमंत्री जी स्वयं घोषणा करके आए हैं लेकिन वह शासकीय रिकॉर्ड में नहीं है, क्यों नहीं है वे जानें, लेकिन जनता वहाँ बहुत आक्रोषित, भयभीत और दु:खी है. उनका कहना था कि शेर आ रहा है, शेर आ रहा है, 25 से 50 साल हो गए, लेकिन जब आया तो लकड़बग्घा निकला साहब, पेंच का पानी, हमारा कहने का मकसद यह है कि जब आ रहा था तो पूरे क्षेत्र को पानी आप क्यों नहीं देना चाहते? क्यों आपने उन क्षेत्रों को छोड़ दिया ? वहाँ एक जगह सूखा है, एक जगह पानी है. वहाँ की जनता बहुत दु:खी है, आपने जिस क्षेत्र का टेंडर किया, जिन क्षेत्रों में चुनाव कराया, जिनकी लिस्ट बनाई, वहाँ पर कार्य आप जरूर करें, लोग काफी आक्रोषित हैं और दु:खी हैं. अत: उन क्षेत्रों में पानी पहुँचाने की कृपा करें.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी आ गए हैं, मैं उनसे विनम्र आग्रह करता हॅूं कि मेरी विधान सभा क्षेत्र के बारी, बीजादेवरी, गोरखपुर क्षेत्र, बखारी के आसपास के ग्राम झिरी, चमारी, केंकडा क्षेत्र और गोपालगंज, लखनवाड़ा, मातृधाम के आसपास का क्षेत्र, चीचबंद, करकोटी, विजयपानी, उडेपानी का क्षेत्र, परासिया के आसपास का क्षेत्र, जो इससे जुड़ा हुआ है, ठेकेदार कहीं न कहीं इस काम को करने में आनाकानी कर रहे हैं. उनका कहना है कि जो हमको क्षेत्र दिया गया था, हमने एकड़ से सींच दिया है लेकिन वास्तव में जो ड्राई एरिया है, अगर उस क्षेत्र में नहरों के माध्यम से पानी जाएगा तो जनता को फायदा होगा. मेरा आपसे यह भी आग्रह है कि मारबोड़ी, रनबेली, पांजरा, छिन्दग्वार, नकटिया, जैतपुर खुर्द में भी इस योजना को पहुँचाने की कृपा करें. यदि आप चाहें तो गोपालगंज क्षेत्र में लिफ्ट इरिगेशन के माध्यम से भी पानी पहुँचा सकते हैं और उस क्षेत्र को सिंचित किया जा सकता है. इसके अलावा ग्राम पंचायत घुंघसा के पास शक्कर नदी पर लघु बाँध का निर्माण कराया जा सकता है, ग्राम पंचायत गोरखपुर के ग्राम तिलेपानी में कछार लघु बाँध का निर्माण किया जा सकता है, ग्राम पंचायत सुकरी में भीमकुण्डी नाला में लघु बाँध का निर्माण किया जा सकता है और ग्राम पंचायत सुकरी में खारी नाला में लघु बाँध का निर्माण किया जा सकता है. मैं माननीय मंत्री जी से आग्रह करूंगा, जनता काफी भ्रमित है, दु:खी है, आप उनके लिए आज इस सदन से घोषणा कर दें कि क्या उनको दे रहे हैं और नहीं दे रहे हैं तो यह भी क्लियर हो जाए, जनता कम से कम आश्वास्त हो जाए. इसके अलावा मेरा एक और आग्रह है कि मेरे जिले में जो पत्रकार हैं उनकी सुरक्षा की व्यवस्था की जाए, वहाँ पर 10 और 25 कॉपी छापने वाले पत्रकार हैं और ब्लैकमेलर पैदा हो गए हैं उन पर सरकार अंकुश लगाए. ठेकेदार को काम नहीं करने देते, 10-10 कॉपी छापते हैं और विज्ञापन के लिए खड़े हो जाते हैं, मेरा आग्रह है कि उन पर भी अंकुश लगाएँ. आपने मुझे बोलने का समय दिया, उसके लिए धन्यवाद.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा (जौरा) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मुझे कितने मिनट बोलना है, पहले मुझे यह बता दें.
उपाध्यक्ष महोदय -- 3 मिनट.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 23, 28, 32, 45 और 57 का समर्थन करता हूँ और कटौती प्रस्ताव का विरोध करता हूँ. सिंचाई के क्षेत्र में हमारी सरकार ने जो इतिहास रचा है, उसका कोई मुकाबला नहीं है. साढ़े 7 लाख हेक्टेयर क्षेत्र से 40 लाख हेक्टेयर क्षेत्र तक सिंचाई का रकबा बढ़ा दिया है. किसान आज बेहद खुश है और किसान की आमदनी भी बढ़ी है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जिस प्रकार त्रेता युग में भागीरथ जी ने गंगाजी लाकर जनकल्याण का काम किया था उसी प्रकार हमारे मध्यप्रदेश के लोकप्रिय मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह चौहान जी ने नर्मदा नदी को क्षिप्रा नदी में डालकर करोड़ोंकरोड़ जनता को स्नान करवाने का काम किया, मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को इसके लिए साधुवाद देता हूँ, धन्यवाद देता हूँ.
माननीय उपाध्यक्ष जी, मेरे क्षेत्र से दो नहरें निकलती हैं, एक ए.बी.सी. कैनाल है और एक एल.एम.सी. कैनाल है, दोनों का पानी भिण्ड और ग्वालियर तक जाता है. इनमें बीसों वर्ष से पानी नहीं था लेकिन जब से मध्यप्रदेश में हमारी सरकार बनी है, पानी इतना आया कि भिण्ड में पानी की कोई कमी नहीं रही, जबकि भिण्ड टेल क्षेत्र में पड़ता है. हमारे डॉक्टर साहब भी इस बात को जरूर मानेंगे कि भिण्ड में पानी लबालब है और पूरी जमीन को सिंचित किया गया है. हमको कई बार फोन करके कहना पड़ा कि नहरें बंद कर दो, पानी पर्याप्त हो गया है, टेल तक पानी पहुँच गया है.
उपाध्यक्ष महोदय -- सूबेदार सिंह जी, आपकी कुछ मांग हो तो कर लीजिए, आपका तीसरा मिनट हो रहा है.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एक मेरा सुझाव भी है और मांग भी है. अभी मुझे डेढ़ मिनट हुआ है.
उपाध्यक्ष महोदय -- नहीं नहीं, मैं देख रहा हूँ, घड़ी मेरे सामने है, मेरे पास चार्ट है.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा -- माननीय उपाध्यक्ष जी, एक चिंताजनक बात यह है कि बिजली पर्याप्त होने के कारण लोगों ने हर गाँव में 200 से 300 ट्यूबवेल लगा लिए और हर गाँव में, हर घर में पानी का पम्प लगा हुआ है. इसलिए भूमि का जल स्तर कम होता चला जा रहा है, यह बड़ा चिंता का विषय है. इसलिए मैं माननीय मंत्री जी से इस संबंध में यह निवेदन करता हूं कि अधिक से अधिक छोटी और बड़ी नदियों पर स्टाप डेम बनाने का काम करेंगे. मेरे क्ष्ोत्र में दो छ:-छ: करोड़ के स्टाप डेम क्वारी नदी पर बने हैं, उसके लिये मैं अपने माननीय सिंचाई मंत्री जी और माननीय मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देता हूं, लेकिन दो क्षेत्र और बचे हैं, जिसमें एक तो बिसनोरी में सोननदी पर, एक क्वारी नदी, भर्रा और छेहडि़या पर है, माननीय मंत्री जी आप मेरे इस आग्रह को स्वीकार करेंगे.
माननीय उपाध्यक्ष जी, मैं एक बात और कहकर अपनी बात समाप्त करता हूं, 2002 में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय दिग्विजय सिंह जी मेरे गांव खटोरा में एक रपटे का भूमिपूजन करने गये थे. मार्च का महीना था वहां पर लोगों ने यह मांग की थी कि माननीय मुख्यमंत्री जी गाय प्यास से मर रही है आप नहर में पानी छुड़वा दो. उस समय माननीय मुख्यमंत्री जी ने कहा था कि इंद्र की पूजा करो पानी का कोई साधन नहीं है और आज इतने स्टाप डेम बन रहे हैं कि पशु बीसों किलोमीटर तक पानी पी रहे हैं. माननीय उपाध्यक्ष जी, आपने बोलने का समय दिया इसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री इन्दर सिंह परमार (कालापीपल) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 23,28,32,45 और 57 का समर्थन करता हूं. सबसे पहले मैं माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने मेरे क्षेत्र की नेवज नदी पर तीन स्टाप डेम स्वीकृत किये हैं. अभी उनका काम प्रारंभ होने वाला है, लेकिन उसके साथ कुछ काम और छूटे हैं, मैं यहां पर उनकी स्वीकृति के लिये निवेदन कर रहा हूं. नेवज नदी पर ही अमछाखेड़ी सेकंड के नाम से सर्वे करके विभाग को भेजा गया है. साथ ही पार्वती नदी पर देरीघाट के पास एक बेराज निर्माण करने के लिये भी सर्वे हुआ है. मैं समझता हूं कि उसको इसी बजट सत्र में स्वीकृति प्रदान करेंगे तो मेरे क्षेत्र की जो बड़ी समस्या है उसका निराकरण हो सकेगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इसके साथ में लोकल नदी या लोकल नालों पर चार पांच स्थानों पर और सर्वे होकर पोर्टल पर डाला गया है, जिनमें पाड़ल्या, अर्नियाखुर्द, खेजडि़या, पंचदेरिया, लापरी नाला मोहम्मदपुर मचनई और पारवा नाला मोहम्मदपुर मचनई है. इसी प्रकार से कुछ तालाब जिनके लंबे समय से सर्वे हो रहे हैं, लेकिन कुछ थोड़ा बहुत टेक्नीकल कारणों से उनको बार बार वापस किया जा रहा है. इनमें बहुत लंबे समय से खड़ीगांव है. खड़ीगांव में खोइरी तालाब के नाम से पहले सर्वे हुआ है, लेकिन उसको आज तक स्वीकृति प्रदान नहीं की गई है. अभी फिर वह सर्वे में आया है, इसलिए मैं मंत्री जी से निवेदन करता हूं कि उसको स्वीकृति प्रदान करे. उसी प्रकार एक अकलपुर भिन्नी गांव है, जहां पर शासकीय जमीन है. वहां मुआवजा भी नहीं देना पड़ेगा, उसका सर्वे हुआ है, उसको भी स्वीकृति प्रदान करें.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं समझता हूं कि हमारे यहां जो पुराने कुछ स्टाप डेम थे, जिनका मरम्मत का कार्य होना था. अभी माननीय मंत्री जी ने बीच में विधानसभा के एक प्रश्न में लिखित में उन स्टाप डेम का बारिश के पहले मरम्मत कराने का आश्वासन दिया है, उसके लिये मैं माननीय मंत्री जी को बधाई देना चाहता हूं. एक बावड़ीखेड़ा तालाब है, बावड़ीखेड़ा तालाब की नहर आधी पक्की हो चुकी है, लेकिन अभी और दो गांव उससे छूटे हुए है. मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करता हूं कि बावड़ीखेड़ा तालाब की पूरी नहर को पक्की करने का काम करे.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हमारे यहां शाजापुर जिले में दो नदियां ऐसी हैं जिससे पूरे शाजपुर जिले का स्वरूप बदल जायेगा और उसके लिये माननीय मंत्री जी और मुख्यमंत्री जी ने पार्वती नदी में नर्मदा जी का जल लाने और काली सिंध नदी में नर्मदा जी के पानी को लाने को कार्य योजना में लिया गया है, उसको जल्दी पूरा करेंगे तो मैं समझता हूं कि शाजापुर जिला शतप्रतिशत सिंचाई पूर्ण हो जायेगा. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने के लिये समय दिया बहुत बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय - श्री हरदीप सिंह डंग साहब आप बोलें, आपके पास तीन मिनट का समय है.
श्री हरदीप सिंह डंग (सुवासरा) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पहले तो मैं मंत्री जी को मेरी और प्रत्येक किसान की तरफ से धन्यवाद देना चाहूंगा कि आपने वर्षों पुरानी शामगढ़, सुवासरा सिंचाई योजना को इस बजट में शामिल किया है. मुझे उम्मीद है कि शीघ्र उसका कार्य प्रारंभ हो जायेगा, जिसका लाभ किसानों को मिलेगा. शामगढ़ और सुवासरा यह नदी के एक छोर की बात थी. अब नदी का दूसरा छोर सीतामउ और क्यामपुर बचता है, जिसमें आपके गुरूजी वहां विराजित है और आपका वहां गुरूधाम है. मैं चाहूंगा कि नदी के दूसरे छोर पर सीतामउ और क्यामपुर का सर्वे भी हो चुका है, अगर उसकी डी.पी.आर. तैयार करके मंजूर हो जाती है तो इससे आने वाले दिनों में नदी के दोनों तरफ सिंचाई के अच्छे साधन हो जाएंगे और प्रत्येक किसान के जो दिल से दुआएं निकलेंगी वह कहीं न कहीं काम आती हैं और मुझे विश्वास है कि आने वाले दिनों में यह जरूर होगा. उसमें हमारे यहां सात तालाब जिनकी साध्यता हो चुकी है, जिनमें भटूनी, बंजारी, प्रतापपुरा, काकड़ सेमली, सेदराकरनाली, झांगरिया, कोटडा माता, यहां भोपाल में इनकी कार्यवाही होकर पूरी फाईलें तैयार पड़ी हैं और मुझे विश्वास है कि इन सातों तालाबों की सिर्फ राशि स्वीकृत होना है. इनकी पूरी जांच हो चुकी है, इनकी सब डी.पी.आर. तैयार हो चुकी है. सिर्फ इनकी राशि स्वीकृत हो जाए तो इनके भी कार्य प्रारंभ हो जाएंगे. उसके बाद वहां पर जो मांग हैं जिनमें पीपल्या जागिर, तखतपुरा, किशोरपुरा, विशनीया, नकेडिया, लावरी, इन स्थानों की जांच करवाई जाए तो यहां पर भी बहुत अच्छा पानी रूकने का एक स्थान है जिससे किसानों को फायदा मिल सकता है. नवलख्खा तालाब और ठाबला भगवान तालाब जो बहुत पुराने और बड़े तालाब हैं, क्षतिपूर्ति होने के कारण जो फायदा हम जनता और किसानों को दे सकते हैं, उनमें कहीं न कहीं थोड़े रूपये लगेंगे और उसका उपयोग ज्यादा होगा. मैं मानता हूं कि आप इन समस्त बातों पर ध्यान देंगे. माननीय उपाध्यक्ष महोदय आपने बोलने के लिये समय दिया बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - श्री हरदीप सिंह डंग जी माननीय मंत्री जी का जो गुरू आश्रम है, उस क्षेत्र के लिये भी कुछ मांग लीजिए. (हंसी)....
श्री हरदीप सिंह डंग - हां मैंने उसके लिये भी बोल दिया है. (हंसी)....
श्री प्रदीप अग्रवाल - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह विपक्ष में बैठे हैं इसलिए विरोध तो करना ही है, लेकिन प्रत्येक व्यक्ति ने किसी न किसी रूप में माननीय मंत्री जी को धन्यवाद दिया है यह हमारी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि है.
उपाध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाईये. डॉ. कैलाश जाटव जी आप बोलें.
डॉ.कैलाश जाटव (गोटेगांव)- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 23,28,32,45 के समर्थन में यहां पर बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. मैं माननीय मंत्री जी से अपने क्षेत्र के बारे में ही बात करूंगा.
श्री बाला बच्चन - यह हमारी संस्कृति का और संस्कारों का कमाल है.
श्री प्रदीप अग्रवाल - यह आपकी मजबूरी है, संस्कृति नहीं है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - यह विकास और निर्माण कार्य का कमाल है.
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी - यह उत्तरप्रदेश के योगीरूपी तूफान का कमाल है.
डॉ.कैलाश जाटव - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, विकास बोलता है यह बात सत्य हो गई है. हमारे मुगवानी क्षेत्र में पहाड़ी क्षेत्र है और यहां पर करीब 147 गांव और वहां आज जमीन में पानी 700 फिट नीचे चला गया है. माछारेवा नदी और सेड नदी पर एक प्रस्ताव आपकी तरफ प्रस्तावित हुआ है, उसका डी.पी.आर. भी बनकर चला गया है तो मैं चाहता हूं कि यह इसी बजट सत्र में शामिल हो जाए तो उस क्षेत्र की कम से कम 45 पंचायतों को इसका फायदा मिलेगा और करीब दस हजार से ज्यादा हेक्टेयर भूमि को इसका पानी भी मिलेगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी आपकी उमर नदी से आंखीबाड़ा, सिमरीबड़ी और खमरिया, कांद्रापुर के पास में जो गांव लगे हुए हैं, इसमें बारिश के समय पर हर साल कटाव हो रहा है, अगर यह कटाव लगातार होता रहेगा तो वह गांव नहीं बच पायेंगे. इसका भी प्राक्कलन बनकर आपके पास प्रस्तावित किया गया है, अगर इसको भी आप देख लेंगे तो हमारा यह बहुत बड़ा काम हो जायेगा. आलोद में चार साल से एक डेम बन रहा है, अगर इसका भी आप अधिकारियों को आदेश करेंगे तो यह भी बहुत जल्दी वर्ष 2017 में चालू हो जायेगा क्योंकि इस अधूरे कार्य को चार वर्ष हो गये हैं. उमरिया, भैंसा और बरेठा बड़े-बड़े तालाब हैं, अगर इनका उदारीकरण हो जाए तो हमारे क्षेत्र को इसका एक जल संरक्षण मिलेगा. हमारे विधानसभा क्षेत्र की उमर नदी, शेर नदी और माछारेवा तीन महत्वपूर्ण नदियां हैं, इन पर अगर हम दो-दो, तीन-तीन किलोमीटर पर छोटे-छोटे डेम बना देंगे तो आने वाले समय मैं हमारे विधानसभा क्षेत्र को बहुत सारी पानी की आपदाओं से बचाया जा सकता है और ग्रामीण क्षेत्रों में वाटर लेवल भी बढ़ सकता है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने के समय दिया उसके लिये बहुत-बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय - मेरे पास सत्ता पक्ष से, प्रतिपक्ष से जितने भी नाम आये थे, उन सभी माननीय सदस्यों ने बोल लिया है.
श्री आर.डी.प्रजापति- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरा भी नाम है.
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हम लोगों का नाम भी है.
श्री रणजीत सिंह गुणवान - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हम केवल अपने क्षेत्र की बात करेंगे.
उपाध्यक्ष महोदय - श्री रणजीत सिंह गुणवान जी मेरी बात तो सुन लीजिये. आप लोग बात ही नहीं सुनना चाहते हैं. जितने भी सूची में नाम थे, वह सभी माननीय सदस्य बोल चुके हैं. कुछ अतिरिक्त नाम मेरे पास बाद में आये हैं, मैं सबको मौका दूंगा. लेकिन आप दो मिनट से ज्यादा समय न लें, आप समय की मर्यादा रखें चूंकि मंत्री जी को भी जवाब देना है और दूसरे कई विभाग भी आज आना है.
श्री रामनिवास रावत (विजयपुर) - उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी द्वारा प्रस्तुत मांग संख्या 23, 28, 32, 45 एवं 57 का मैं विरोध करता हूं. माननीय मंत्री जी के पास में तीन विभाग हैं और इतने बड़े विभाग हैं कि इन पर चर्चा की जाय, इनकी कमी निकाली जाय तो बहुत ज्यादा समय चाहिए. लेकिन यह मंत्री जी और सरकार की चतुराई है कि कम से कम समय में बजट पास कराकर और अपनी कमियों को सुनना नहीं चाहते हैं. उन्हें सुनाने में तो समय लगेगा, मैं सीधे सीधे अपनी बात पर आता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय - दो मिनट आपने मांगे हैं.
श्री रामनिवास रावत - उपाध्यक्ष महोदय, यह विधान सभा सरकार की कमियों को विपक्ष द्वारा बताने की, सरकार को सुनने की और सुधार करने के लिए होती है. मैं अगर यह कहूं कि जल संसाधन विभाग के ईओडब्ल्यू में कितने प्रकरण दर्ज हैं, उसके कितने अधिकारी फील्ड में पदस्थ हैं, मैं कैसे यह बता पाऊंगा? कितने प्रकरण परमीशन के लिए लंबित हैं, मैं यह कैसे बता पाऊंगा? आप इसे सुनना ही नहीं चाहते. राज्य विधान मंडल और जनसंपर्क की बात किसी ने की नहीं. यह कर भी नहीं सकते क्योंकि समय ही नहीं है. मैं तो माननीय मंत्री जी से एक ही निवेदन करूंगा, आप दतिया से प्रतिनिधित्व करते हैं, डबरा से प्रतिनिधित्व करते हैं, ग्वालियर के मंत्री हैं, मैं एक चीज की और ध्यान दिलाना चाहता हूं कि जो सतही जल है, आपकी पुस्तक के अनुसार 34159 मिलियन लीटर है. सतही जल समाप्त होता जा रहा है. मेरे विधान सभा क्षेत्र में सतही जल है ही नहीं. एक बारदा बांध कांग्रेस के कार्यकाल में बना था. वह भी टूट गया है. इस बार पूरे क्षेत्र में पानी का संकट उत्पन्न हो गया है. हम बोर भी कराते हैं 750 फीट तक बिल्कुल पानी नहीं मिलता. पेयजल का भीषण संकट है. माननीय मंत्री जी से केवल एक निवेदन करना चाहूंगा कि मेरे यहां क्वारी नदी पर एक चेंटीखेड़ा डेम है. उसकी डीपीआर आ चुकी है, उसके लिए जमीन का भी चयन हो गया है. विस्थापन के लिए भी लोगों ने सहमति दे दी है. सारा काम हो गया है. आपसे निवेदन भी किया था, सलाहकार समिति की विभागीय मीटिंग हुई थी, तब भी आपने कहा था कि इसे हम ले लेंगे. मैं आपसे व्यक्तिगत रूप से निवेदन कर रहा हूं कि इसे इसी बजट में सम्मिलित किया जाय, आप घोषणा कर दें भले ही प्रतीक के रूप में थोड़ा बहुत प्रावधान कर दें. इसी तरह से बारदा बांध जो है वह इस बारिश में टूट गया है. माननीय मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि उसके लिए भी जो राशि मांगी गई है वह देने की कृपा करेंगे.
उपाध्यक्ष महोदय - अब आप समाप्त करें.
श्री रामनिवास रावत - उपाध्यक्ष महोदय, अगर मैं बजट की बात करूं तो बजट में केवल 12 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. यह 12 प्रतिशत की बढ़ोतरी वेतन में जाएगी और पुराने कामों की बढ़ी हुई लागत राशि में जाएगी. आपने बजट की राशि के लगभग 2 प्रतिशत नये काम सम्मिलित किये हैं. यह स्थिति इस सरकार की है. फिर भी माननीय मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि कभी कभी आप अपने क्षेत्र की तरफ देख लें और मैंने जो दो काम बताएं हैं एक को बजट में सम्मिलित कर लें और दूसरा, टूटे हुए बांध के लिए राशि दे दें. एक सुझाव के रूप में कहना चाहता हूं कि सतही जल जो नीचे जा रहा है तो पूरे प्रदेश में जितनी भी नदियां हैं और जितने भी डेम वर्षा कम होने के कारण भर नहीं पाते हैं, एक ऐसा प्रोग्राम बनाए कि नदियों को डायवर्ट करके बाढ़ के पानी से पूरे प्रदेश के सारे बांधों को भरने का काम करने का प्रोजेक्ट तैयार करेंगे तो बड़ी अच्छी बात होगी. उपाध्यक्ष महोदय, आपने जो समय दिया, बहुत बहुत धन्यवाद. आपकी बड़ी कृपा है.
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी (मेहगांव) - उपाध्यक्ष महोदय, सर्वप्रथम मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को और आपके माध्यम से माननीय डॉ. नरोत्तम मिश्र जी को हृदय से धन्यवाद दूंगा कि उन्होंने एक बहुत लम्बे समय से जो हमारे क्षेत्र की मांग थी, सेवढ़ा बैराज का निर्माण, डेम का निर्माण जो होने जा रहा है, जिसके सर्वे कार्य पूर्ण हो गया है. उसकी डीपीआर बन चुकी है, उसके लिए मैं हृदय से समस्त क्षेत्र की ओर से आपके माध्यम से मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहूंगा और उससे लगभग 45 हजार हेक्टेयर भूमि सिंचित होगी. यह बहुत बड़ा रकबा होता है. लगभग तीन विधान सभाएं गोहद, सेवढ़ा और मेहगांव को संपूर्ण लाभ मिलेगा. जो किसान पानी से वंचित रहते थे, उसको बहुत लाभ मिलेगा और अपनी आजीविका को वे लोग बढ़ा सकेंगे. हमारे क्षेत्र में पिछले 20 वर्षों की बात एक सेकण्ड में बताना चाहूंगा कि पिछले 20 वर्षों में नहरों में पानी लगभग दिखना बंद हो गया था. किसानों ने छोटी-छोटी नहरें तोड़कर जमीन जोत ली थीं. भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने, माननीय मुख्यमंत्री जी ने, माननीय डॉ.नरोत्तम जी ने उसको पुनः चालू कराया है. पुनः नहरें बनाई हैं और आज टेल-एंड तक किसानों को पानी मिल रहा है. दो फसलों को पूरा पानी मिल रहा है.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं एक अनुरोध करना चाहूंगा कि मेरे यहां दो छोटी-छोटी नदियां हैं, बेसली और झिलमिल और एक क्वारी नदी है. झिलमिल और बेसली मेरे पूरे क्षेत्र से निकलती है. बारिश में उसमें इतना पानी रहता है कि पूरा साल संपूर्ण क्षेत्र उससे सिंचित हो सकता है. मैं माननीय मंत्री महोदय से अनुरोध करूंगा कि बेसली नदी पर, एक गातागितोर ग्राम पर, यह 6-6 कि.मी. के मैंने गेप्स बनाए हैं. यह 6-6 कि.मी. पर स्टापडेम के गेप्स हैं. बरासों, सिमार, बिरगमा, पतलोखरी, दबेला, मल्लपुरा, मुसावली. बेसली नदी पर इन स्टापडेम्स का निर्माण हो जाएगा. झिलमिल नदी पर, देहली पर और एक बुजुर्गातों पर, दूसरा चेंटावली पर, चेंटावली पर चूंकि बेसली और झिलमिल का संगम होता है तो एक वहां पर स्टापडेम बन जाएगा तो उससे भी बहुत सिंचाई हो सकेगी. दूसरा क्वारी नदी पर आरोली में स्टापडेम कम क्रॉस-वे बन जाएगा तो उससे लोगों के लिए आवागमन का भी साधन बनेगा और स्टापडेम भी बनेगा. उपाध्यक्ष महोदय, आपने जो मुझे बोलने का मौका दिया, आपको बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को (पुष्पराजगढ़)- उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी से मैं निवेदन करना चाहूंगा कि मेरे विधान सभा क्षेत्र के ग्राम नांदपुर में नवीन बांध का निर्माण किया जाय. किरगीनाला में स्टापडेम का निर्माण किया जाय. यह पुष्पराजगढ़ विधान सभा के चिलिहामार, गिरबी, बटकी, देवरी, कंचनपुर, बेगानटोला, खमरोद, जुहिला जलाशय, बहपुर जलाशय की नहरों को पक्का किया जाय. माननीय मंत्री जी को मैं बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहूंगा कि यह झिलमिला, समरार, लालपुर, बेंकटनगर, बड़ीतुम्मी जलाशय का इसी वित्तीय वर्ष में आपने स्वीकृति प्रदान की है. इसमें मात्र मैं इतना चाहूंगा कि भू-अर्जन की कार्यवाही विलंब से होने के कारण यह कार्य प्रारंभ नहीं किये जा रहे हैं. इसके तत्काल निर्देश जारी करने की कृपा करें ताकि निर्माण कार्य प्रारंभ किया जा सके. नवाटोला खाटी, नर्मदा डायवर्सन स्कीम जो कुछ किसानों की आपत्ति के कारण स्वीकृति की प्रत्याशा में अभी लंबित है. जो 7 करोड़ रुपए की राशि इसमें प्रस्तावित है. मैं चाहता हूं, इसमें किसान चाहते हैं कि कुछ परिवर्तन करके इसका तत्काल निर्माण कराया जाय. विभाग को निर्देश जारी करने की कृपा करें ताकि कुछ किसानों से सहमति लेकर इसका निर्माण कार्य प्रारंभ किया जा सके. जिन किसानों की जमीन जलाशयों के निर्माण में अधिग्रहण की जाती है, निर्माण पश्चात् जब जलाशय पूर्ण हो जाता है तो मछली पालन जैसे जो कार्य वहां पर किये जाते हैं तो जिन किसानों की भूमि ली जाती है, उन्हीं को मछुआरा समिति बनाकर उन्हें वहां पर काम करने दिया जाय. जनसंपर्क के माध्यम से मैं कहना चाहूंगा कि मांग संख्या 23, 28, 32, 45 और 57 के विरोध में बोलने के लिए मैं खड़ा हुआ हूं तो जन संपर्क में कई घटनाएं ऐसी देखने को मिली हैं कि हमारे इलेक्ट्रानिक मीडिया के साथी जब कई क्षेत्रों में जाते हैं तो कई ऐसी मारपीट की इत्यादि घटनाएं घटी हैं तो उनकी मांग के अनुसार उन्हें अंगरक्षक उपलब्ध कराए जाएं.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं मात्र यह थोड़ा-सा निवेदन करना चाहूंगा, खासकर पुष्पराजगढ़ के चिलिहामार जलाशय की बात मैं करूंगा कि जब से यह निर्माण हुआ है, उससे सिंचाई कभी हुई ही नहीं और फर्जी आंकड़े यहां पर प्रस्तुत किये जाते हैं. वहां काली मिट्टी होने के कारण नहर नहीं निकाली जा सकती है. टूट-फूट ज्यादा होती है. वहां भू-कटाव तेजी से होता है. मैं माननीय मंत्री जी से चाहूंगा कि जहां कटाव है वहां पुलिया का निर्माण कराया जाय और काफी अच्छी सिंचाई की क्षमता इस बांध में है. यदि नहरों को पक्का कर दिया जाय और पुलिया का निर्माण किया जाय तो ज्यादा लाभ होगा. उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने के लिए मौका दिया, उसके लिए मैं धन्यवाद देता हूं.
श्री मुरलीधर पाटीदार (सुसनेर)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, कुण्डालिया डेम कुण्डालिया से 25 किलोमीटर ऊपर बन रहा है. 1960 में इसका सर्वे हुआ है और यह कुण्डालिया नाम से चल रहा है. मेरे विधान सभा में बन रहा है और राजगढ़ जिले वाले इसको ऑपरेट कर रहे हैं. उसका सिंचाई का पानी मेरे क्षेत्र में भी मिले. बड़ोदिया, बड़ागांव का एरिया लिफ्ट इरिगेशन में छूटा हुआ है उसका सर्वे कराया जाये. दूसरा छोटे छोटे स्टाप डेम तथा लघु डेम हैं जिसमें दाहोदपुरा, सिया, लटेरीगुर्जर, करकड़िया, लुहारिया, मेना, में लघु बांध बनेंगे तो मंत्री जी का आभारी रहूंगा. साथ ही मंत्री जी से आग्रह है कि मेरे यहां पर तीन नदियां हैं बाटन, लखुन्दर और कंठाल इन तीनों नदियों पर स्टाप डेम की मांग की है जिसकी साध्यता हो चुकी है, लेकिन सात-आठ महीने से उसका डीपीआर नहीं बन पाया है. तीनों नदियों पर स्टॉप डेम बन जाएंगे क्षेत्र में वॉटर लेवल बढ़ेगा और किसानों को बहुत सहूलियत होगी.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं बताना चाहता हूं कि पूरे हिन्दुस्तान में मेहनती किसान हैं तो हमारे सुसनेर के हैं उन किसानों को भी पानी चाहिये. मेरे यहां पर डेम की हाईट कम है डेम आगर में बने हुए हैं. हमारे यहां पर पछेडी डेम से पानी किसानों को देंगे तो बहुत आभारी रहूंगा.
श्री मधु भगत (परसवाड़ा)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं हमेशा की तरह एक डेम की बात करूंगा माननीय मंत्री जी के द्वारा दिसम्बर माह आश्वस्त किया गया था सातनारी बांध का निर्माण होना है जिसका 50 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो गया है, लेकिन किन्हीं कारणों की वजह से यह कार्य विलंब से हुआ, नहीं हो पा रहा है उसके कई कारण सामने प्रस्तुत किये हैं. कलेक्टर ने इसमें प्रतिवेदन भी लगाया. उन्होंने कहा कि नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने के कारण इसका बनना अति आवश्यक है ताकि इसका निर्माण हो ताकि 16 गांवों के लोगों को इसका पानी मिल सके. मैं बताना चाहता हूं कि यह बात दिसम्बर की है जब माननीय मंत्री जी ने मुझे आश्वस्त किया कि आप आईये और आप इस काम को करने में हम लोगों का भी सहयोग कीजिये एवं लीजिये. मैं मंत्री जी को धन्यवाद देता हूं लेकिन दिसम्बर के बाद 24 जनवरी को एक पत्र दिल्ली से आता है कि भारत सरकार के द्वारा फारेस्ट की एनओसी दी गई थी वह तत्काल निरस्त कर दी गई है. यह दोहरी नीति है. एक तरफ प्रदेश के मंत्री जी हमको आश्वासन देते हैं कि कार्य आपका हो जाएगा. दूसरी तरफ दिल्ली सरकार की तरफ से ऐसा क्या होता है कि तत्काल प्रभाव से एक महीने के बाद उसकी एनओसी केंसिल की जाती है. माननीय मुख्यमंत्री जी खेती को लाभ का धन्धा बनाना चाहते हैं तो दो रायें क्यों हैं ? मैंने यह बात मंत्री जी के सामने भी रखी है. सातनारी बांध का बनना आवश्यक है, यह नक्सलाईट क्षेत्र है यहां के मंत्री श्री बिसेन जी है जो कि हमेशा आश्वासन देते हैं कि यह कार्य हो जाएगा लेकिन उनकी तरफ से आज तक ऐसा कोई प्रमाण नहीं आया, बल्कि उल्टी टिप्पणियां ही आयी हैं. मैं लगातार तीन साल से निवेदन कर रहा हूं. दिसम्बर माह में मैंने यह भी कहा था कि इस बांध को बनाते बनाते चाहे मेरे प्राण तक चले जायें. मैं कहना चाहता हूं कि 2018 तक यह कार्य नहीं हुआ तो कहीं न कहीं सरकार को परिणाम भुगतने पड़ेंगे. धन्यवाद.
श्री आर.डी.प्रजापति (चन्दला)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मंत्री जी के प्रस्तुत सभी मांगों का समर्थन करता हूं. छतरपुर जिले से उर्मिल बांध, बेरेज बांध सिंहपुर में स्थापित हैं. मेरे चन्दला क्षेत्र में विकासखंड गौरियार में नहरे न होने के कारण लगभग पूरा क्षेत्र असिंचित है. दोनों बांधों से मेरे क्षेत्र में नहरें बनवाकर नगर पंचायत बारीगढ़, टिकरी, करहरी, मुउहरा, प्रकाश बम्हौरी, छटहरी, बदौराकला, पल्टा, खड्डी सिसोलर, चन्द्रपुरा, मनवारा, पहरा, नाहरपुर, नदौहा बाऊआ, परेई, पउवार, निधौली, ठकुर्रा, धिहपुरा, हनुखेड़ा, गौरिहार, गहबरा, चुरयारी, खेरा कसार, नाद बरहा, सिचहरी, मनुरिया, चरेहरा, चौहानी, बनियानी धवारी की नहरे बनाकर के भेजी जाए तो पूरे क्षेत्र में सिंचाई हो सकती है. मेरा क्षेत्र बुंदेलखंड तीन साल से सूखे से प्रभावित है वहां से 50 से 70 प्रतिशत किसान पलायन कर जाते हैं. मंत्री जी के पास में जब भी अर्जी लेकर के जाता हूं वहां पर एक मिनट भी नहीं लगाते हैं कार्य करने में. मेरा निवेदन है कि आपके रहते हुए किसानों का पलायन न हो. यही मेरा निवेदन है. कुशियार नदी के मस्जिद घाट में स्टाप डेम बना दिया जाये जिससे वहां के लोग सिंचाई कर सकें. मेरे क्षेत्र में सबसे ज्यादा तालाब हैं वहां तालाब सूख जाते हैं. वहां की नहरों का पानी तालाबों में डाल दिया जाए तो वहां पर जल स्तर नहीं घटेगा. दूसरा सिंचाई के साधन अच्छे रहेंगे तथा कुंओं में भी पानी रहेगा. मेरा क्षेत्र सूखे से प्रभावित है. अगर आप पानी की व्यवस्था करेंगे तो ठीक रहेगा. वहां से काफी पानी उत्तर प्रदेश की तरफ चला जाता है. आपकी कृपा से मेरा क्षेत्र हरा भरा हो जाए तथा किसानों का पलायन न हो, यही मेरा निवेदन है.
श्री गोपाल परमार (आगर)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री एवं मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि इन्होंने हमारे यहां पर अवनदी है वहां पर बापचा बांध की तकनीकी स्वीकृति 175 करोड़ की दी है. उसका कार्य भी जल्दी प्रारंभ हो जाएगा. क्षेत्र के 80 सरपंच आपसे मिलकर के गये हैं इसके लिये आपका धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय, हड़ई बांध जिसकी मुख्यमंत्री जी ने पूर्व में घोषणा की थी वह पूरा नहीं हुआ है. एक भागवा में भी बांध का भूमि पूजन हो चुका था. वहां के किसान आधे पैसे में अपनी जमीनें देने के लिये तैयार हैं उन्होंने शपथ-पत्र भी दिये हैं. उस इलाके में पानी की जरूरत है आप एक सुंडी का बांध बनवा दें. खंदवास जो राजस्थान की सीमा से लगा हुआ है.मेरी आगर विधान सभा से राजस्थान लग गया है कोटा से जैसे जैसे आगे जाएंगे वहां से रेगिस्तान दिखेगा और वह बढ़ता हुआ हमारे मालवा को क्रास कर रहा है. एक सरपई बांध है वह भी अति आवश्यक है आप इन बांधों की स्वीकृति दें. हमारे संभाग का कार्यालय शाजापुर चला गया है. एक संभागीय कार्यालय आगर में खोला जाये इसकी सख्त आवश्यकता है. हमारे यहां के टिलर बांध की क्षमता 9 हजार हैक्टेयर सिंचाई करने की है लेकिन उससे मुश्किल से 52 सौ हैक्टेयर की सिंचाई हो रही है. बार बार हमारे अड़ौस-पड़ौस वाले पानी मांगने लगते हैं. उनकी नहरों की ठीक कर लिया जाए तो 3-4 हजार हैक्टेयर की सिंचाई उसी पानी से ज्यादा कर सकते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय--आप मंत्री जी को लिखकर के दें.
श्री गोपाल परमार--क्या क्या चीजें लिखकर के दें. कभी कभी सुनने से उसका असर होता है.
उपाध्यक्ष महोदय--मैं आसंदी से कह रहा हूं कि आप लिखकर के दे दें. उतना ही असर होगा जितना आप बोल रहे हैं.
श्री गोपाल परमार--उपाध्यक्ष महोदय सब बातें लिखकर के दे चुका हूं. 175 करोड़ रूपये अवनदी के लिये दिये हैं उसकी तकनीकी स्वीकृति हुई है उसको बजट में लेकर के उसका जीर्णोद्धार करें. धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय-- महेन्द्र सिंह जी, आपका पत्र आया है एक मिनट का समय देने के लिए मैं आपको दो मिनट दे रहा हूं.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा(मुंगावली)-- उपाध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि राजघाट नहर से चंदेरी लिफ्ट इरीगेशन योजना से मेरे क्षेत्र मुंगावली में 100 गांवों को लाभ मिलेगा. उसकी प्रशासकीय स्वीकृति आपके विभाग से मिल गई है लेकिन तकनीकी स्वीकृति नहीं मिली है और पर्यावरण क्लियरेंस नहीं मिला है. मेरा आपसे अनुरोध है कि पर्यावरण की स्वीकृति दिलाने का कष्ट करें और तकनीकी स्वीकृति देकर शीघ्र टेंडर करने का कष्ट करे. यदि दिल्ली में भारत सरकार के पर्यावरण विभाग में समन्वय करना होगा तो मैं चला जाऊंगा. आपकी ओर से अनुशंसा हो जाएगी तो मैं वहां से करवा लाऊंगा.
उपाध्यक्ष जी, दूसरा मेरा सुझाव यह है कि इन 100 गांवों के लिए आप पीएचई मंत्री जी और प्रमुख सचिव से बात करके पेयजल की योजनाएं भी बनवायें. सिर्फ यहां पर ही नहीं, पूरे प्रदेश में भू जल स्तर इतना नीचे चला जा रहा है कि सब हैंड पंप सूख जाते हैं. आपकी जितनी भी सिंचाई योजनाएं हैं उनमें यदि आसपास के गांवों में पेयजल योजनाएं आपका विभाग और पीएचई विभाग दोनों मिल कर बना सकें तो अच्छा होगा. धन्यवाद.
श्री रणजीत सिंह गुणवान(आष्टा)--उपाध्यक्ष महोदय, पूरा मध्यप्रदेश पानी से सराबोर हो रहा है. हरियाली ही हरियाली है. इसमें मंत्री जी और सरकार की कृपा है. लेकिन मेरा क्षेत्र थोड़ा सूखा है.(हंसी)
श्री जसवंत सिंह हाडा-- गुणवान जी आप बता दें किस प्रकार का सूखा है? (हंसी)
श्री रणजीत सिंह गुणवान--उपाध्यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र में 12 तालाब जिनकी डीपीआर भी तैयार हो गई. साध्यता भी हो गई लेकिन बारहों तालाब रोक दिए गए. 4 तालाब की टीएस होना थी वह भी वहीं रोक दिया पता नहीं क्या बात है?
उपाध्यक्ष जी, मेरे क्षेत्र में एसडीओ नहीं है. पहले 10 इंजीनियर रहते थे लेकिन अब 1 इंजीनियर है. यह अधिकारियों की कमी के कारण मेरे क्षेत्र में काम पिछड़ रहा है. मेरा निवेदन है कि
श्री
बाला बच्चन--(
श्री गोपाल
परमार, सदस्य
के अधिकारी
दीर्घा में
बैठकर
अधिकारी से
चर्चा करने
पर)उपाध्यक्ष
महोदय, माननीय
विधायक जी कहां
बैठे हैं?
उपाध्यक्ष
महोदय-- परमार
जी, मर्यादा
का ध्यान
रखिये.
श्री अजय सिंह--उपाध्यक्ष महोदय, यह क्या हो रहा है?
श्री रणजीत सिंह गुणवान-- उपाध्यक्ष जी, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन करता हूं कि इन 12 डेमों में से 6 डेम आप मंजूर कर दें और यह अभी आपके भाषण यह मंजूर हो जाए और जिन डेमों की साध्यता हो गई है जिसमें किसी प्रकार की कमी नहीं है लेकिन काम क्यों रुके हैं, यह समझ नहीं आ रहा है.
उपाध्यक्ष महोदय, मनिपुरा झीकरी का तालाब आपने बनाया है वह छोटा है एक ही बार में भर जाता है और एक ही बार में खाली हो जाता है. उसकी हाइट 6 फीट उंची करायी जाये तथा 4 फीट वेस्टवियर भी बढ़ाया जाए. इसी प्रकार नदी पर 5 स्टाप डेम मंजूर किया है लेकिन अभी तक उसमें न कोई ठेका हुआ या न वर्क ऑर्डर की कार्रवाई की गई है. मैं उन 12 डेमों के नाम बता देता हूं. कान्या खेड़ी, गुराडिया वर्मा,बड़खोला,लखिया, धर्मपुरी,भोरा,बीलपान,छायन,ढंडाना, देवली,हाल्याखेड़ी, भटोनी और स्टाप डेम हैं मालीखेड़ी,खेकाखेड़ी,भीमट्या,भुराबरमेल-दुदी नदी का और लाखिया. धन्यवाद.
श्री मानवेन्द्र सिंह(महाराजपुर)--उपाध्यक्ष जी,आरआरसीई के अंतर्गत तालाबों की जो योजना है इसमें अधिकारी यह नहीं तय कर पा रहे हैं कि कौन से तालाब इसमें लिए जाएंगे और कौन से तालाब लिए जाने चाहिए. मेरा मंत्री जी से अनुरोध है कि अधिकारियों से तय करके निश्चित करा दिया जाए कि आरआरसीई के अंतर्गत कौन से तालाब लिए जाएंगे?
उपाध्यक्ष महोदय, पहाड़ी और लछूरा बांध इनकी ऊंचाई उत्तरप्रदेश सरकार बढ़ा रही है. मेरा अनुरोध है कि उसका जो पानी बढ़ेगा वह मध्यप्रदेश के एरिया में बढ़ेगा. उसमें शर्त रखी जाए कि मध्यप्रदेश को कितना प्रतिशत पानी उनसे लिया जाए. छतरपुर और टीकमगढ़ में जो छोटी-छोटी योजनाओं की शुरुआत कराने का अनुरोध करता हूं. धन्यवाद.
श्रीमती ऊषा ठाकुर-- उपाध्यक्ष महोदय....
उपाध्यक्ष महोदय--आप अभी नाम भेज रही हैं. आप लिख कर दे दीजिए. मैं आसंदी से कह रहा हूं. आप सुझाव लिख कर दे दीजिए.
जल संसाधन मंत्री (डॉ नरोत्तम मिश्र)--उपाध्यक्ष जी, मेरे विभाग की अनुदान की मांगों पर चर्चा में भाग लेने वाले सर्वश्री जितू पटवारी जी, दुर्गालाल विजय जी, डॉ गोविन्द सिंह जी, रामेश्वर शर्मा जी, के पी सिंह जी, बहादुर सिंह चौहान जी, सचिन यादव जी,मोहन यादव जी,शैलेन्द्र पटेल जी, नारायण पंवार जी, रजनीश हरवंश सिंह जी,दिलीप सिंह जी, श्रीमती शीला त्यागी जी, सर्वश्री कमलेश्वर पटेल जी, प्रदीप अग्रवाल जी,बलबीर सिंह डण्डौतिया जी,दिलीप सिंह शेखावत जी, डॉ रामकिशोर दोगने जी, लखन पटेल जी, श्रीमती झूमा सोलंकी जी, वैलसिंह भूरिया जी, हजारीलाल दांगी जी, राजेन्द्र मेश्राम जी, आशीष शर्मा जी, दिनेश राय जी, सूबेदार सिंह रजौधा जी, इंदर सिंह परमार जी,हरदीप सिंह डंग जी, डॉ कैलाश जाटव जी, रामनिवास रावत जी, मुकेश सिंह चतुर्वेदी जी, फुंदेलाल मार्को जी, मुरलीधर पाटीदार जी,मधु भगत जी, आर डी प्रजापति जी, गोपाल परमार जी, महेन्द्र सिंह जी कालूखेड़ा , रणजीत सिंह गुणवान जी और मानवेन्द्र सिंह जी. कुल 39 सम्मानीय सदस्यों ने जो मार्गदर्शन दिया है. उनका मैं तहेदिल से आभार व्यक्त करता हूं. शुक्रिया अदा करता हूं.
श्री रामनिवास रावत-- मार्गदर्शन कहां दिया, हमने तो आपसे मांग की है.
डॉ नरोत्तम मिश्र-- उपाध्यक्ष जी, जब से अजय सिंह जी नेता प्रतिपक्ष बने हैं, रामनिवास जी की हालत ऐसी हो गई है. यहां से उठाकर वहां फैंका. आज आसंदी से कह रहे थे कि आप बोलने का अवसर ही नहीं देते. अरे ! अड़तीसवें नंबर पर बोलोगे तो कितना समय देंगे. आप ओपनर होते....
श्री रामनिवास रावत-- माननीय मंत्री जी, आपको पता है कि मैं पार्टी का मुख्य सचेतक हूं.
डॉ नरोत्तम मिश्र-- तब यह हालत है. सोचो !
श्री रामनिवास रावत--मेरी हालत बहुत ठीक है. आप मत सोचो.
उपाध्यक्ष महोदय-- रावत जी, जब मंत्री जी यील्ड नहीं कर रहे हैं तो क्यों खड़े हो रहे हैं. बैठ जाएं.
डॉ नरोत्तम मिश्र--उपाध्यक्ष जी, भाषण शुरु करने के पहले मैं आपका ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा. मेरे सौभाग्य से माननीय नेता प्रतिपक्ष भी मौजूद हैं. मैंने उनके समक्ष प्रारंभ में गुजारिश की थी कि जो व्यक्ति जिस विभाग पर ओपन करे, आरोप लगाए तो कम से कम उनको जवाब सुनने के लिए रहना चाहिए. पता नहीं मेरी अर्जी क्यों फर्जी हुई. इस भक्त की है अर्जी, खुदगर्जी की है जर्जी, आगे तुम्हारी मर्जी.
उपाध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी, आसंदी से कई बार व्यवस्था दी जा चुकी है. आप भी सुनिश्चित करें, माननीय नेता प्रतिपक्ष जी भी सुनिश्चित करें कि प्रथम वक्ता रहें.
डॉ नरोत्तम मिश्र--उपाध्यक्ष जी, कल हमारी एक मंत्री नहीं थीं तो आपने खड़े होकर यह व्यवस्था दी थी और हमने कहा था कि इसकी पुनरावृत्ति नहीं होगी और होने भी नहीं देंगे. हमारी इच्छा होती है कि वह व्यक्ति जिसने लंबे लंबे हाथ फैंक कर आरोप लगाए हों और जवाब सुनने को उपस्थित न हो तो मन में थोड़ी पीड़ा होती है.
उपाध्यक्ष जी, मेरा विभाग किसानों से जुड़ा विभाग है. मैं प्रथम वक्ता जितू भाई का आभारी भी हूं कि उन्होंने इस विभाग पर बोला. मुझे नहीं मालूम कि वह कितनी खेती करते हैं या उनको खेती का कितना ज्ञान है लेकिन मैं उनसे इतना जरूर कहूंगा, जब वह मेरी बात को पढ़ेंगे या सुनेंगे, किसानों की भावनाओं से न खेलें. अभी पिछले हफ्ते मैंने देखा कि वह एक आलू का बोरा कंधे पर रखकर विधान सभा में आ गये. निश्चित रूप से कोई समस्या होगी. वह बाहुबली भी हैं एक बोरा उठा भी सकते हैं. वे कटप्पा नहीं हैं. फिर किसान की फसल लातों से रौंदी गई यह अच्छा नहीं है. इसलिये अच्छा नहीं है कि यह विधान सभा का फ्लोर बाहुबल के लिये नहीं मिला बुद्धिबल के लिये मिला है. अगर वह चाहते तो अपनी बात बहुत मजबूती सेइस फ्लोर पर कर सकते थे. अगर उनको राजनीति करना था तो वे राजभवन जाते,सी.एम.हाऊस जाते आलू का बोरा रखकर, वहां राजनीति करते. मेरे पास संसदीय कार्य विभाग भी है. इस फ्लोर का जिस तरह से उपयोग हो रहा है उससे भी पीड़ा होती है. कभी कोई कमण्डल लेकर आ जाये,कभी कोई कपड़े उतारकर आ जाये. सामने दोगने जी अभी नहीं हैं इसके बजाय अपने बुद्धि कौशल से सरकार को बाध्य करें कि यह काम होना चाहिये. हम करने को,सुनने को तैयार हैं और स्वस्थ परंपरा नेता प्रतिपक्ष जी ने इस बार डाली है कि ज्यादा से ज्यादा चर्चा हो. मैं आपका संसदीय कार्य मंत्री होने के नाते आभार भी व्यक्त करता हूं कि सदन के फ्लोर का ज्यादा से ज्यादा उपयोग चर्चा के लिये हो लेकिन भ्रम फैलाने के लिये न हो. पिछले सत्र में आपके उप नेता प्रतिपक्ष ध्यानाकर्षण ले आये कि नोटबंदी की वजह से प्रदेश में बोनी नहीं हो पा रही है. मध्यप्रदेश जब से बना है तब से उसके इतिहास में इससे ज्यादा और अच्छी फसल कभी नहीं हुई जितनी इस बार हुई है लेकिन भ्रम फैलाने की कोशिश करना मैं समझता हूं यह अच्छी परंपरा नहीं है.
श्री रामनिवास रावत - अब जल संसाधन पर भी आ जायें.
डॉ.नरोत्तम मिश्र - मुझे मालुम था आप मानोगे नहीं इसीलिये मैंने पहले संसदीय कार्य का उल्लेख कर दिया. यह एक प्रिविलेज भी है जिस पर आप बिल्कुल नहीं बोले.
श्री रामनिवास रावत - आपने सत्र ही इतना छोटा कर दिया है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र - इससे बड़ा सत्र कब बुलाया गया. मुख्य सचेतक महोदय.
उपाध्यक्ष महोदय - और भी विभाग लेने हैं अभी रामनिवास जी आप बहुत वरिष्ठ सदस्य हैं.आपको नियम,प्रक्रिया का बहुत अच्छा ज्ञान है. सीधी बात तो नहीं की जाती. आपकी बात आ गई. मैं सबसे अनुरोध करता हूं कि जो माननीय सदस्य बोल रहे हैं और विशेषकर मंत्री हैं, मुख्यमंत्री हैं,नेता प्रतिपक्ष हैं तो माननीय सदस्यों को बीच में नहीं बोलना चाहिये.
डॉ.नरोत्तम मिश्र - उपाध्यक्ष जी, जब यह मंत्री थे तब यह एक भी सत्र ऐसा नहीं बता सकते तो इस सत्र से ज्यादा आहूत किया गया हो. खैर, मैं पानी पर आता हूं. पानी रे पानी तेरा रंग कैसे जिसमें मिला दो लगे उस जैसा. यह पानी आकाश से आए तो बारिश कहलाता है, यह पानी शंकर की जटा से निकलता है गंगाजल कहलाता है और जो चरणों से निकले उसे चरणामृत कहते हैं. उस चरणामृत का आचमन कर लो थोड़ा सा. यह पानी आकाश से गिरे तो बारिश कहलाता है और अगर जम कर गिरे तो ओले कहलाता है और गिर कर जमे तो बर्फ कहलाता है. हमें मालूम है कि जब आप मंत्री थे, गोविन्द सिंह जी मंत्री थे आपने अपने क्षेत्रों के लिये कुछ नहीं किया. जनता कोसती होगी जिस दिन आप लोगों को उसने चुना होगा. हमने आपके काम सुने हैं अखबार में भी पढ़े हैं कि बंदूक लेकर उतर जाऊंगा. यह आपका ही स्टेटमेंट था जब आप मंत्री थे तब की याद दिला रहा हूं आपको. वास्तव में इस प्रदेश के अंदर जो जल संसाधन विभाग ने काम किये हैं जैसा प्रदीप अग्रवाल जी ने कहा कि विपक्ष के सदस्यों ने भी और पक्ष के सदस्यों ने भी तारीख की है और तारीफ इसलिये की है कि जिस दिन इस प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी ने शपथ ली उस दिन उन्होंने घोषणा की कि खेती को लाभ का धंधा बनाऊंगा. वह घोषणा कागजी नहीं थी वह धरातल पर कैसे उतरे यह एक जुनून उनके दिमाग में आया. यदि जुनून,जिद और जजबा किसी घोषणा को पूरा करना देखना है तो एक बार शिवराज सिंह जी जीवनी मेरे विपक्ष के साथियों को जरूर पढ़नी चाहिये. हम जब यह बोलते हैं तो गोविन्द सिंह जी को लगता होगा,कल वह दुर्गालाल विजय जी से कह रहे थे कि बहुत (XXX) करते हो. नेता प्रतिपक्ष जी, यह परिणाम है. राजे रजवाड़ों की सरकार से लेकर हमारी सरकार भी पहले रहीं शिवराज सिंह जी के मुख्यमंत्री बनने तक जब साढ़े 7 लाख हेक्टेयर सिंचाई इस प्रदेश के अंदर होती थी और उनका ही जुनून,जिद और जजबा था कि आज 40 लाख हेक्टेयर में प्रदेश में सिंचाई हो रही है. इतिहास में पहले कभी इतने बड़े काम नहीं हुआ. हमने सुना था कि उलटी गंगा बहा रहे हो.कहावत थी.लोकोक्ति थी,मुहावरे थे लेकिन उलटी गंगा देखी नहीं थी लेकिन हमने उलटी नर्मदा माई देखी जब मां नर्मदा को क्षिप्रा से लिंक कर दिया गया. मालवा के साथी कह रहे थे कि मालवा सूख जायेगा. मालवा का पानी बहुत नीचे चला गया है. जिस मालवा के बारे में बहादुर सिंह जी बोल रहे थे कि " मालवा की धरती गहन गंभीर,पग पग रोटी,डग डग नीर "उस नीर को सूखने नहीं देंगे यह शिवराज सिंह जी की सरकार है. कितनी भी योजनाएं बनानी पड़ें बनाएंगे लेकिन किसान को हर हाल में खुशहाल रखने का जो संकल्प शिवराज सिंह जी का संकल्प है उसे पूरा करेंगे और ऐसा नहीं है हमने बांधों के क्षेत्र में,नहरों के क्षेत्र में,सिंचाई के क्षेत्र में काम किया हो. खेती लाभ का धंधा कैसे बने, इसकी एक-एक चीज देखी गई.हिन्दुस्तान की पृथ्वी पर कृषि केबिनेट कहीं नहीं थी, अगर वह बनी तो मध्यप्रदेश में बनी. कृषि के लिये अलग से बजट, इसी विधान सभा के पवित्र सदन में आया. हिन्दुस्तान में कहीं और नहीं आया. कृषक कल्याण आयोग का गठन सिर्फ इस प्रदेश के अंदर हुआ और खेती के लिये फीडर सेपरेशन की व्यवस्था गुजरात के बाद अगर किसी ने की तो वह हिन्दुस्तान के अंदर मध्यप्रदेश था जिसने गांव की बिजली अलग की.किसान को क्या चाहिये, बिजली चाहिये,पानी चाहिये और आप लोगों ने वही नहीं दिया, इसीलिये यहां पर बैठे हैं. जब इनकी सरकार थी तब बिजली कभी-कभी आती थी और आज बिजली कभी-कभी जाती है.
श्री रामनिवास रावत - अब बिजली पर बोलने लगे.
डॉ.नरोत्तम मिश्र - मैं बिजली पर नहीं बोल रहा हूं मैं खेती पर बोल रहा हूं. किसान पर बोल रहा हूं. पानी पर बोल रहा हूं. बिजली ही पानी को लिफ्ट करके खेतों तक पहुंचाती है. थोड़ा तो धैर्य रखा करो इतनी भी जल्दी क्या है.
श्री बहादुर सिंह चौहान - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, कृषि,सिंचाई और बिजली तीनों का काम्बीनेशन है.
उपाध्यक्ष महोदय - यही तो मंत्री जी कह रहे हैं आप बैठ जाईये.
श्री बाला बच्चन - अच्छा यह कांबीनेशन कब से हुआ ?
उपाध्यक्ष महोदय - बहादुर सिंह जी बैठ जाईये. आप तो बड़े अनुशासित माननीय सदस्य हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- उपाध्यक्ष जी, किसान को बिजली के माध्यम से पानी के लिये फीडर सेपरेशन की व्यवस्था की, उस किसान को नहरों से पानी देने के लिये नहरों की व्यवस्था की, उस किसान को समय पर पानी देने के लिये बांधों की व्यवस्था की इस सरकार के अंदर. इनके दौर में खाद नहीं मिलता था, ट्रक लुट जाते थे, रेस्ट हाउस में आग लगी थी. आज मुख्यमंत्री खाद बेच रहा है यह इस प्रदेश के किसानों के मुख्यमंत्री हैं.
डॉ. गोविंद सिंह-- आज भी खाद नहीं मिल रही.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- अरे हुजूर दोनों के टाइम की देख लो, आप रिकार्ड निकाल लो. अच्छा गोविंद सिंह जी सच-सच बताओ आप जब मंत्री थे, आप अपने इलाके में कभी पानी ले जा पाये ? यह सिर्फ शिवराज सिंह जी की सरकार है जिसने लहार में पानी पहुंचा दिया, टेल एण्ड तक और आपने इसी फ्लोर से इसी माइक से तारीफ की है. आप असत्य नहीं बोलते मुझे मालूम है. ...(हंसी)....
डॉ. गोविंद सिंह-- मेरे क्षेत्र में पहुंचता था लेकिन अब आगे भी जा रहा है. लेकिन सबलगढ़ में आपके कार्यकाल में आग लगाई थी. (XXX)
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- सवाल ही नहीं होता है, घर-घर बेच रहे हैं उल्टा ब्याज शिवराज सिंह चौहान की सरकार भर रही है उन किसानों का जिनसे कहा है कि एडवांस में ले जाओ, यही सिर्फ सरकार है गोविंद सिंह जी, जब आपक समय आप सहकारिता मंत्री थे तो 15 प्रतिशत ब्याज किसानों से लेते थे, उसके बाद 18 प्रतिशत फिर 15 किया, फिर 13 किया, फिर 9 किया, फिर 7 किया, 5 किया, 3 किया, 2 किया, 1 किया और आज जीरो प्रतिशत के बाद माइनस प्रतिशत पर ब्याज दे रही है यह सरकार.
डॉ. गोविंद सिंह-- प्रदेश को कंगाल कर दिया, 1 लाख 87 हजार करोड़ का कर्जा है प्रदेश के ऊपर.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- जैसे आपकी सरकार तो कर्जा लेती ही नहीं थी. बस इतना सा अंतर है उपाध्यक्ष जी कि हमारी सरकार विकास के लिये कर्जा लेती है. .... (व्यवधान)...
उपाध्यक्ष महोदय-- बैठ जाइये, इनके झगड़े में मत पडि़ये, इनकी मिली जुली लड़ाई है, यह सब मिले हुये हैं. ...(हंसी).... माननीय मंत्री जी आप जारी रखिये.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं सच में बता रहा हूं कि झगड़े वाली बात नहीं कह रहा. इस सरकार ने पूरी ताकत से, पूरी क्षमता से किसानों की सिंचाई की व्यवस्था, बिजली की व्यवस्था की और आज यही कारण है कि जब इनकी सरकार थी दिल्ली में तब दो बार और अब दो बार, एक बार नहीं, दो बार नहीं, तीन बार नहीं चार-चार बार हिन्दुस्तान के राष्ट्रपति ने कृषि कर्मण पुरस्कार से हमारे मुख्यमंत्री को नवाजा है और सिंचाई के कारण से 24 प्रतिशत की ग्रोथ रेट इस प्रदेश की रही है.
श्री रामनिवास रावत-- माननीय मंत्री जी सच-सच बताना कि आपके क्षेत्र में सिंचाई की क्षमता का निर्माण, सिंचाई की नहरों का निर्माण किस शासनकाल में हुआ.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- स्टेट टाइम में. ...(हंसी).... मैं सच बोल रहा हूं. धर्म से बोल रहा हूं, ईमान से बोल रहा हूं. आप कह दो आपकी सरकार ने कराया हो तो.
श्री रामनिवास रावत-- चंबल नहर का निर्माण, गांधी सागर का निर्माण, छोटा बैराज का निर्माण, सरदार सरोवर का निर्माण यह किसने कराया ?
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- यह आप बहुत गलत करते हो, कल भी उठे कि बताओ कि इसमें यह शब्द किसने जोड़ा, मैंने नाम बताया, आप बैठ गये. आज आपने पूछा मैंने बता दिया. यह एक्चुअल में पूछ रहे थे हर्षी की इनका इंटरेस्ट असल सिंधिया स्टेट में था, सिंधिया जी से थोड़ा. मामला कहीं का कहीं जुड़ता है न. कहीं दे रहे हो कहीं जा रहा है. क्या बात है.
उपाध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी यह दोनों तरफ है, सिंधिया वाला मामला दोनों तरफ है यह ध्यान रखिये.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- दोनों तरफ है, लेकिन हम लोग पूरी ताकत से मेहनत से, लेकिन इनको आलोचना करने की आदत है, तारीफ भी की है इन्होंने, मैं उसके लिये धन्यवाद भी देता हूं, पर आलोचना भी की है.
''महज जो अंदाज से कहते हैं कि जीना होगा,
और जहर भी देते हैं तो कहते हैं पीना होगा.
और जहर जब पीते हैं तो कहते हैं मरना भी नहीं,
और जब मरते हैं तो कहते हैं जीना होगा.''
ये इस तरह की परंपरा के हैं.
''उसने हमारे जख्म का कुछ यूं किया इलाज,
मरहम भी लगाया तो खंजर की नोंक से.''
विपक्ष के साथी हैं माननीय उपाध्यक्ष महोदय.
श्री रामनिवास रावत-- शुभकामनायें तो छिपी हुई हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- निश्चित रूप से, मैंने आभार व्यक्त भी किया है. रामनिवास जी हम उस परंपरा के पोषक हैं कि-
निंदक न्यारे राखिये, आंगन कुटी छबाय,
बिन पानी साबुन बना, निर्मल करे सुहाय.
श्री रामनिवास रावत-- हमें तो पानी दे दो बस.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- पानी देंगे आप धैर्य तो रखो, हे धरती पुत्र.
श्री जसवंत सिंह हाड़ा-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, रामनिवास जी तो आज तिवारी जी को भी पीछे छोड़ गये. ...(हंसी)....
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- रामनिवास जी बार-बार बैचेन हैं, उनकी 9950 हेक्टेयर की चेटीखेड़ा परियोजना है मैं आज इसकी 330 करोड़ रूपये की स्वीकृति की घोषणा करता हूं.
श्री रामनिवास रावत-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी को हृदय से पूरे क्षेत्र की जनता की तरफ से और अपनी तरफ से धन्यवाद देता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय-- लेकिन अब आप उठियेगा नहीं. शर्त यह है कि अब आप उठियेगा नहीं.
श्री रामनिवास रावत-- तारीफ में भी न बोलें. और तारीफ की जरूरत होगी माननीय मंत्री जी को तो बोलना तो पड़ेगा न.
उपाध्यक्ष महोदय-- और एक योजना लेने वाले हैं क्या आप.
श्री रामनिवास रावत-- एक बारदा बांध टूट गया है उसके लिये भी पैसे चाहिये.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- मैंने कहा था न कि मरहम भी लगाया तो खंजर की नोक से. .... (व्यवधान)... माननीय उपाध्यक्ष महोदय, गोविंद सिंह जी सच में मेरे मित्र हैं और उनकी कई विशेषता हैं, बहुत खरा बोलने वाला व्यक्ति हैं.
उपाध्यक्ष महोदय-- हम लोगों का दुर्भाग्य है कि आपने हमें मित्र नहीं बनाया गोविंद सिंह जी को बनाया. ...(हंसी)....
श्री रामनिवास रावत-- सच में कौन-कौन मित्र हैं, यह और बता दो.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- आप भी हैं. ...(हंसी).... और उन्होंने करधना तालाब नगर पालिका से वापस लेने वाला जो सुझाव दिया था, वह उनके शहर का तालाब है और इसलिये मैं गोविंद सिंह जी पूरा विश्वास दिलाता हूं कि उसका पूरा जीर्णोद्धार नगर पालिका से नहीं जल संसाधन विकास से हम करायेंगे. सचिन यादव जी चले गये हैं शायद, आ जायेंगे तभी बात करेंगे.
डॉ. गोविंद सिंह-- जो बांध बनना है उसका पानी लहार तरफ जाये, लेकिन हम औरों जैसी (XXX) नहीं करेंगे. ...(हंसी)....
श्री रामनिवास रावत-- आपको ऐसे ही मित्र चाहिये.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- दोस्त तो गोविंद सिंह जैसा भी चाहिये और मैं तो एक गाने की कड़ी सुनाऊ इनको.
उपाध्यक्ष महोदय-- गोविंद सिंह जी आपको तो निंदक की श्रेणी में रखा हुआ है, चापलूसी आप क्यों करोगे.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- हां स्वाभाविक रूप से. एक गाने की कड़ी है कि ''दिल चीज क्या है आप मेरी .... बस एक बार मेरा कहा..... ...(हंसी).... गोविंद सिंह जी सेवड़ा बांध की कह रहे हो न आप, हमारे जो दोनों विधायक हैं आदरणीय मुकेश चौधरी जी, प्रदीप अग्रवाल जी इन सबने कड़ी मेहनत करके उसका सर्वे कराया है. जिसका आप कह रहे थे कि इमरती देवी के विधान सभा क्षेत्र में पानी नहीं जाना चाहिये. ...(हंसी)....
डॉ. गोविंद सिंह-- मैंने नहीं कहा.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- नहीं कहा, आपने डबरा का नाम नहीं लिया. माननीय उपाध्यक्ष जी अब वह हां या न कुछ बोल ही नहीं रहे हैं ...(हंसी)....
उपाध्यक्ष महोदय-- आपने धर्मसंकट में डाल दिया.
श्री रामनिवास रावत-- अब धर्मसंकट में डाल दिया और यह भी कह दिया कि असत्य नहीं बोलते तो अब कहें कैसे हां या न.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- उन्होंने सुबह ही मुझसे कहा कि पानी को डबरा ले जा रहे हो, इसका विरोध भी उन्होंने किया.
डॉ. गोविंद सिंह-- हां तो आप अपने यहां ले जा रहे हो.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- मेरी तो दतिया विधान सभा है, आपने डबरा का विरोध किया है.
डॉ. गोविंद सिंह-- आपकी जमीन ज्यादाद, परिवार, जन्म भूमि वहीं हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- और भी बहुत सारी चीजें हैं पर आपने डबरा का कहा. ...(हंसी)....
डॉ. गोविंद सिंह-- हमने विरोध नहीं किया था, यह कहा था कि वहां ले जाओ लेकिन लहार तक भी लाओ.
श्री गोपाल भार्गव-- उपाध्यक्ष महोदय, आपके मार्गदर्शन में मुझे एक व्यवस्था चाहिये. फर्माइशी जो मांगे आपकी पूरी हो रही है (विपक्ष की ओर इशारा करते हुये) मंत्री जी धड़ाधड़ कर रहे हैं, करोड़ो, अरबों, खरबों रूपयों की. हम लोग कहां जायें उपाध्यक्ष महोदय, हमें समझ नहीं आ रहा. ...(हंसी).... यह लोकतंत्र की बड़ी विडंबना है उपाध्यक्ष जी.
उपाध्यक्ष महोदय-- भार्गव जी हम भी उसी श्रेणी में आते हैं.
श्री बाला बच्चन-- माननीय मंत्री जी आपको संसदीय कार्यमंत्री जी से प्रेरणा लेना चाहिये, आपके पास भी उनसे बड़ा विभाग है, आपको भी ऐसा करना चाहिये.
श्री गोपाल भार्गव-- मैं सिंचाई योजना नहीं बना सकता, बना सकता तो मैं आपको भी देता. ...(हंसी)....
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- (श्री गोपाल भार्गव द्वारा बैठे बैठे यह कहने पर कि मेरे क्षेत्र का भी ध्यान रखना )माननीय भार्गव जी ऐसा कभी हो सकता है क्या, आपका भी ध्यान रखेंगे.आप मेरे बड़े भाई हैं. इसलिये पक्का बड़ा बांध भी देंगे.
उपाध्यक्ष महोदय, 43 हजार 275 हेक्टेयर जिसका गोविन्द सिंह जी उल्लेख कर रहे थे जिसका सदन में प्रदीप भाई और मुकेश चतुर्वेदी जी ने भी उल्लेख किया था इस परियोजना के लिये 1697 करोड़ रूपये की स्वीकृति दी जायेगी और लहार पानी पहुंचाने की चिंता की जायेगी.
श्री प्रदीप अग्रवाल- मंत्री जी आपको क्षेत्र की जनता की ओर से बहुत बहुत शुभकामनायें.
श्री मुकेश सिंह चतुर्वेदी-- मंत्री जी आपसे अनुरोध है कि लहार में राजघाट का पर्याप्त पानी है और वहां पूरी जमीन लगभग सिंचित है. तो इसमें गोविन्द सिंह जी को अतिक्रमण न करने दिया जाये.
डॉ.गोविन्द सिंह -- आपने मेहगांव विधानसभा लिखकर के दिया है. आपको जो पत्र दिया है उसमें लिखा है कि मेहगांव विधानसभा के टेल पोर्सन जो कि गोरई और मानगढ है.आपको चिट्ठी लिखकर के दी है.
श्री मुकेश सिंह चतुर्वेदी-- उसके लिये धन्यवाद लेकिन मेरा कहना है कि आपके क्षेत्र में राजघाट का संपूर्ण पानी है फिर आप क्यों लेना चाहते हैं.
डॉ.गोविन्द सिंह -- फिर गोरई और मानगढ़ में नहीं जाना चाहिये क्या.
श्री मुकेश सिंह चतुर्वेदी-- बिल्कुल जाना चाहिये.
डॉ.गोविन्द सिंह -तो वहीं का तो मैंने लिखकर के दिया है.उसी का कहा है.
श्री मुकेश सिंह चतुर्वेदी-- तो तेश में क्यों बोल रहे हैं धीरे बोलिये.
श्री लखन पटेल-- उपाध्यक्ष महोदय, ऐसा लग रहा है कि मंत्री जी सब वहीं दिये जा रहे हैं, कुछ फिक्सिंग तो नहीं हो गई है. हम लोग यहीं पर न रह जायें.
डॉ.नरोत्तम मिश्र --कोई नहीं रह जायेगा. यह शिवराज सिंह जी की सरकार है. उपाध्यक्ष जी, एक बात और यहां पर कही गई थी कि एसडीओ को जल उपभोक्ता समिति के अधिकार दे दें. आज ही से वह व्यवस्था लागू कर दी जायेगी. इससे माननीय सदस्य की चिंता का समाधान हो जायेगा. मेरी बहन शीला त्यागी उन्होंने भी कहा है कि उनकी सुनवाई नहीं होती है, हर बार वह कहती है कि भवती नगर परियोजना का सिंचाई का लाभ प्राप्त नहीं हो रहा है, उसके लिये पूरी नई गढ़ी माइक्रो सिंचाई परियोजना से पूरा लाभ देने की कोशिश करेंगे. मेरे प्रभार के जिले की भी हैं.
श्रीमती शीला त्यागी-- मंत्री जी उसके लिये धन्यवाद.
डॉ.नरोत्तम मिश्र --पहली बार बहना ने धन्यवाद दिया है.
श्रीमती शीला त्यागी- नहीं हमेशा में धन्यवाद देती हूं. पहली बार आपने घोषणा की है इसलिये आपको भी धन्यवाद. (हंसी)
डॉ.नरोत्तम मिश्र --माननीय उपाध्यक्ष महोदय, बहादुर सिंह चौहान साहब के क्षेत्र में हरबाखेड़ी और इंदौख डेम का जो सर्वेक्षण हो चुका है.....
श्री सचिन यादव -- मंत्री जी मेरे क्षेत्र के बारे में आप कुछ घोषणा करने वाले थे.
डॉ.नरोत्तम मिश्र --आप कहीं चले गये थे. आपने कुल चार प्रस्ताव दिये थे न.
श्री सचिन यादव - जी.
डॉ.नरोत्तम मिश्र --वह कागज कहीं नीचे हो गया है.सचिन भाई उपाध्यक्ष महोदय मुझे बैठा देंगे.मैं जनसंपर्क विभाग पर भी बोलना चाहता हूं.
श्री रामेश्वर शर्मा- उपाध्यक्ष महोदय, हमने शुरूवात की है हमारे भोपाल का तो बताओ कि क्या हुआ, कलियासोत का. केवल ग्वालियर में बांट रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय- रामेश्वर शर्मा जी बैठ जाईये.अभी उनका भाषण समाप्त नहीं हुआ है.
श्री रामेश्वर शर्मा- उपाध्यक्ष महोदय, ठीक है मंत्री जी का इलाका है लेकिन पहले आप राजधानी का ध्यान रखिये. ऐसा नहीं होना चाहिये कि आप वहां बांटे जा रहे हैं. ऐसा नहीं होना चाहिये मंत्री जी. क्षेत्रवाद नही.
डॉ.नरोत्तम मिश्र --उपाध्यक्ष महोदय, भाई लखन पटेल जी ने माइक्रो एरीगेशन योजना का अच्छा सुझाव दिया था. एक सुझाव यह भी दिया था कि कृषकों के समूह इसके अंदर जायेंगे तो यह आज ही तय कर देते हैं कि महाराष्ट्र और कर्नाटक में जो संचालित योजनायें हैं वहां के भ्रमण के लिये आज दिनांक से ही प्रारंभ कर दिये जायेंगी. हजारीलाल दांगी जी जो नाराज हो गये थे इसमें 1 लाख 25 हजार हेक्टेय़र के लिये नहरों के टेण्डर फाइनल करवाकर के अप्रैल, 2017 तक, दो माह के बाद ही हम इनके टेण्डर आमंत्रित कर लेंगे. भाई राजेन्द्र मेश्राम जी, देवसर वाले आपने नहरों की लाईनिंग और स्वीकृति मांगी थी, आज ही वो जारी होगी. आपने बांध के बारे में कहा था लेकिन उसको हमने परीक्षण के लिये दिया है, उसकी घोषणा मैं अभी नहीं कर पाऊंगा. मैं असत्य घोषणा नहीं करना चाहता नहीं तो फिर अगले सत्र में आप मुझे घेर लेंगे, सरकार में तो हमें ही रहना है इसलिये दिक्कत आती है.उपाध्यक्ष महोदय, सतना जिले में गोविंदगढ़ तालाब है. आपकी विधानसभा में भी कुछ क्षेत्र आता है.
उपाध्यक्ष महोदय- तीन चौथाई रीवा में एक चौथाई सतना में आता है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र --आपका इलाका भी आता है माईनर का मामला है.
उपाध्यक्ष महोदय-- मैंने जिन्ना लिफ्ट का अनुरोध किया था.
डॉ.नरोत्तम मिश्र --दोनों, यह भी और वह भी. दोनों को पूरी प्राथमिकता पर लिया है. उपाध्यक्ष जी, मैं आपसे धन्यवाद इसलिये नहीं चाहता कि रामनिवास जी हर बार मुझसे कुछ न कुछ ले लेते हैं, जब मैं स्वास्थ्य मंत्री था अस्पताल दे दो, दे दिया पर एक शब्द भी अस्पताल के बारे में उन्होंने नहीं बोला.
श्री रामनिवास रावत- उपाध्यक्ष महोदय, मैंने उसके लिये धन्यवाद दिया था फिर से आपको धन्यवाद दे देता हूं. अब मेरी बारदा बांध टूटी पड़ी है उसके लिये थोड़ा बहुत पैसा दे दो.
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- थोड़ा बहुत दे देंगे.
श्री रामनिवास रावत-- जितने में बन जाये उतना दे दो.
श्री कमलेश्वर पटेल -- उपाध्यक्ष महोदय, मंत्री जी से अनुरोध है कि वे मेरे क्षेत्र का भी ध्यान रखेंगे.
डॉ.नरोत्तम मिश्र --उपाध्यक्ष महोदय, हमारे सदस्य नारायण सिंह पंवार साहब कहना चाहता हूं कि आपका सुंदरपुरा और किल्ला परियोजनाओं का प्रस्ताव है उसको तत्काल परीक्षण करके हम स्वीकृति देने का काम करेंगे. आदरणीय महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा जी ने चंदेरी लिफ्ट के पर्यावरण की स्वीकृति की जो कार्यवाही विचाराधीन है उसे पूर्ण करने की बात कही थी तो हम एक अधिकारी अलग से लगाकर के उसकी स्वीकृति लाकर आपके इस कार्य को प्राथमिकता में लेंगे. वास्तव में उस क्षेत्र की वह समस्या भी है.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा-- बहुत बहुत धन्यवाद.
डॉ.नरोत्तम मिश्र --उपाध्यक्ष महोदय, रणजीत सिंह गुणवान जी ने मणी-रामपुरा छींकरी बांध की ऊंचाई को बढ़ाने की बात की है वह बढ़ायेंगे और उसका विस्तार भी करेंगे जिससे आपके क्षेत्र को लाभ मिल पाये.
श्री रणजीत सिंह गुणवान-- इस बारे में मुख्यमंत्री जी की घोषणा भी है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- मुख्यमंत्री जी की सब घोषणायें पूरी होंगी. दादा मान जायें सब पूरी करेंगे. मुख्यमंत्री की घोषणा है, मैं कहां लग रहा हूं. उपाध्यक्ष महोदय, झूमा सोलंकी बहन ने कहा था उसमें 955 हेक्टेयर की रोसिया सिंचाई परियोजना हेतु रूपये 33.18 करोड़ रूपये की स्वीकृति जारी करेंगे. इसी तरह से हर्ष यादव जी ने खटोला काम्पलेक्स,सागर की बात कही थी.(श्री गोपाल भार्गव द्वारा मंत्री जी को एक कागज पकड़ाया) भाई गोपाल भार्गव जी ने जो भी दिये हैं वह सब होंगे. (हंसी) क्या बात करते हो भाई मेरे रिकार्ड में आ गई है बात. उपाध्यक्ष जी मैं खटोला काम्पलेक्स की बात कह रहा था इसी तरह से टीकमगढ़ में सतधारा है 570 हेक्टेयर के लिये भी 19.74 करोड़ की...
श्री सतीश मालवीय -- मंत्री जी जो लोग नहीं बोल पाये हैं उनका क्या होगा.हमारा नंबर ही नहीं आया तो हम क्या करें
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- अब जो नहीं बोल पाये उनको भी करेंगे. अभी मुझे कह लेने दें. रोसिया खरगोन 955 हेक्टेयर 33.18 करोड़, यह झूमा सोलंकी जी का क्षेत्र है. बहना खुश हैं न.
श्रीमती झूमा सोलंकी- जी, बहुत बहुत धन्यवाद.
डॉ.नरोत्तम मिश्र --उपाध्यक्ष महोदय, घाट-बिरोल, बैतूल चन्द्रशेखर देशमुख जी को बताना चाहता हूं कि 1 हजार 70 हेक्टेयर जमीन है, 33.44 करोड़ रूपये इसके लिये हैं. गौड़ा जिला सीधी के बारे में कहना चाहता हूं टेकाम साहब से 928 करोड़ इसके लिये हैं. ब्यौहारी के आदरणीय रामपाल सिंह जी हैं तो हिरवार शहडोल के 7 हजार हेक्टेयर में 115 करोड़ रूपये हैं, चेंटीखेड़ा के बारे में मैंने रामनिवास जी को बता ही दिया है.
श्री रामनिवास रावत-- उसके लिये मैंने आपको धन्यवाद दे ही दिया है लेकिन मैं यह और चाहता हूं कि मंत्री जी यह और बता दें कि शिलान्यास कब कर रहे हैं. वहां भी क्षेत्र की जनता के साथ में धन्यवाद दूंगा.
डॉ.नरोत्तम मिश्र --आप मुझे लेकर के नहीं जायेंगे.
श्री रामनिवास रावत- बिल्कुल आपको ही लेकर के जाऊंगा.अभी से आमंत्रित कर रहा हूं.
डॉ.नरोत्तम मिश्र --मुझे मालूम है किसको आप आमंत्रित करेंगे.
श्री गोपाल भार्गव, (पंचायत मंत्री) -- रामनिवास जी आप तो सचिवालय से शर्टिफाई़ड कापी निकलवा लो और चुनाव के समय क्षेत्र में बता देना वही पर्याप्त है.उसके अलावा कुछ नहीं है.
श्री रामनिवास रावत- भार्गव जी आपकी सोच के लिये मैं क्या करूं धन्यवाद दूं क्या करूं.
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- मैं अभी से अपनी ओर से उस परियोजना के शिलान्यास के लिये सिंचाई विभाग की ओर से श्रीमती यशोधराराजे सिंधिया जी को अधिकृत करता हूं.
श्री रामनिवास रावत- चलिये बहुत बहुत धन्यवाद (हंसी)
उपाध्यक्ष महोदय- मंत्री जी आपको 33 मिनिट हो गये हैं बोलते हुये.
डॉ.नरोत्तम मिश्र --उपाध्यक्ष महोदय, पहले मैं विधायकों का पढ़ दूं फिर मैं जनसंपर्क में आऊंगा. मुझे उसमें भी महत्वपूर्ण बातें कहनी है. जनसंपर्क में सिर्फ घोषणा कर दूंगा भाषण नहीं दूंगा. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, लोवर योजना है. शिवपुरी और दतिया, के.पी. सिंह जी बैठे हैं, ऊपर की ओर देख रहे हैं जब तक यह मंत्री थे, नीचे कभी देखा ही नहीं. यह लोवर योजना का सबसे ज्यादा लाभ इनके क्षेत्र को होने वाला है, मेरी दतिया को भी लाभ होने वाला है, जो 2208 करोड़ रूपए की योजना है, काफी महत्वपूर्ण योजना है, करेरा विधान सभा, पिछोर विधान सभा, दतिया विधान सभा यह तीनों के लिए है. गोविन्द सिंह जी आपने ज्यादा क्यों हंसा..
उपाध्यक्ष महोदय - आप बार बार छेड़ देते हो.
डॉ नरोत्तम मिश्र - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, श्यामगढ़, सुवासरा, मंदसौर 40 हजार हेक्टेयर, 765 करोड़, आदरणीय चन्दर सिंह सिसौदिया जी गरोठ, हरदीप सिंह जी डंग. यह बात सही है डंग साहब कि वह मेरा गुरूद्वारा है, आपने उल्लेख किया उसके लिए धन्यवाद.
श्री हरदीप सिंह डंग - मंत्री जी कयामपुर, सीतामऊ की भी घोषणा कर दें.
डॉ नरोत्तम मिश्र - कयामपुर भी लेंगे, मैंने पीएस को कहा है, गुरूद्वारे का पहले ले लूं फिर उसके बाद कयामपुर भी लेंगे. डिण्डोरी में 9920 हेक्टेयर, 384 करोड़, ओमकार सिंह मरकाम साहब की ही है करंजिया, डिण्डोरी की 9100 हेक्टेयर, 132 करोड़, सागर जिले की कडान 9990 हेक्टेयर, 386 करोड़, इंजी. प्रदीप लारिया जी, वीना परियोजना जो रायसेन और सागर की है यह लगभग हमारे भूनेन्द्र सिंह जी, पारूल साहू जी, प्रदीप लारिया जी, महेश राय साहब.
श्री महेश राय - सम्मानीय मंत्री जी को बधाई. बहुत पुरानी योजना थी. आज से 40 साल पहले इसका भूमि पूजन हो चुका था, लेकिन कांग्रेस ने कभी काम नहीं किया, इसके लिए मंत्री जी आपको धन्यवाद देता हूं.
डॉ नरोत्तम मिश्र - कांग्रेस काम करती तो वहां होती. उपाध्यक्ष जी जल्दी खत्म कर रहा हूं, बस जनसम्पर्क के बारे में बोल रहा हूं.
उपाध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी झिन्ना उदवहन के लिए बोल दीजिए.
डॉ नरोत्तम मिश्र - उपाध्यक्ष जी उस पर बोल दिया हूं, रिकार्ड में भी आ गया है. (व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदय - सचिन जी, आपकी बात बोल चुके हैं, कार्यवाही में आ गया है, बैठ जाइए.
श्री दिनेश राय - सिवनी का तो बता दें, पेंच नहर का, जो बोला है वह दो.
डॉ नरोत्तम मिश्र - बताऊंगा, थोड़ा जनसम्पर्क पर बोल लेने दीजिए.
श्री रजनीश हरवंश सिंह - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, भीमगढ़ बांध की जो आरबीसी और एलबीसी की जो लाइनिंग है, जिसका प्रस्ताव जा चुका है, प्रमुख सचिव जी से मेरी बात हो गई है, उसके बारे में बोल दीजिए.
डॉ नरोत्तम मिश्र - ठीक है, मेरी बात हो चुकी है, आपकी लाइनिंग हो जाएगी, उसको मेरी घोषणा में जोड़ लीजिए. उपाध्यक्ष जी आप थोड़ी मेरी मदद कर दीजिए, थोड़ी सी बात जनसम्पर्क के बारे में बोलना है.
श्री दिनेश राय - उपाध्यक्ष जी, किसान आ रहे हैं, सोमवार को मंत्री जी घोषणा कर देंगे तो किसान नहीं आएंगे, वहां जो भ्रम फैला है, उसको तो खत्म कर दें, दे रहे या नहीं दे रहे यह बाद की बात है.
उपाध्यक्ष महोदय - बैठ जाइए, आप थोड़ी सीधे करेंगे.
श्री मधु भगत - उपाध्यक्ष जी, सतनारी बांध के लिए बोल तो दीजिए, तीन साल हो गए साढ़े बारह करोड़ रूपए की योजना है. बोल देंगे तो अच्छा लगेगा, हम आदिवासी भाइयों को क्षेत्र में कुछ बताएंगे.
डॉ नरोत्तम मिश्र - असत्य घोषणा करवाएंगे, मुझे अगले साल घेर लेंगे.
उपाध्यक्ष महोदय - भगत जी, बैठ जाइए. आप जो बोलेंगे अब लिखा नहीं जाएगा.
श्री मधु भगत - (xxx)
डॉ नरोत्तम मिश्र - उपाध्यक्ष जी, मैं मधु भगत जी की बात का सम्मान करता हूं, इनकी योजना केन्द्र सरकार ने निरस्त कर दी थी, इतना तो कह सकता हूं कि पुन: उसको जिन्दा करके केन्द्र सरकार के पास ले जाकर इनका पक्ष रख सकता हूं, चूंकि दिल्ली से जो योजना निरस्त हो गई, आप मेरे ऊपर दबाव डालकर घोषणा करवाना चाहते हैं, जो चीज मेरे हाथ में नहीं है, उसकी कैसे घोषणा कर दूं.
श्री मधु भगत - आप मदद कीजिए इसको करवाने में, शुक्लीकर जी के पास दिसम्बर में यह फाइल थी, जनवरी में यह कैसे निरस्त हो गई. मुझे पानी चाहिए.
उपाध्यक्ष महोदय - मधु भगत जी बैठ जाइए.
डॉ नरोत्तम मिश्र - मैं मानता हूं कि समस्या आपकी नहीं है, समस्या किसानों की है, जिस बात को आप कह रहे हैं उसकी पूर्ति के लिए मनसा, वाचा, कर्मणा से दिल्ली जाकर इसके लिए प्रयास करूंगा, इतना ही कह सकता हूं.
श्री मधु भगत - मंत्री जी आप मेरे साथ दिल्ली चलेंगे और लेकर आएंगे
डॉ नरोत्तम मिश्र - चलूंगा. लेकिन यह नहीं कहूंगा.
उपाध्यक्ष महोदय - आप लोग आपस में बात कर रहे हैं.
डॉ नरोत्तम मिश्र - उपाध्यक्ष जी, मैं जनसम्पर्क पर बोलने के लिए तैयारी करके आया हूं.
श्री मधु भगत - मुझे कुछ चाहिए, मैं तीन साल से कुछ मांग रहा हूं.
उपाध्यक्ष महोदय - मधु भगत जी, देखिए वह उनके हाथ में नहीं है, मंत्री जी दिल्ली में पैरवी करने की बात कर रहे हैं, आप आश्वस्त हो जाइए, उनके साथ दिल्ली चले जाना.
डॉ नरोत्तम मिश्र - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जनसम्पर्क विभाग के द्वारा जो पत्रकारों की श्रद्धानिधि थी उसे आज 6000 से बढ़ाकर 7000 हजार रूपए करने की घोषणा कर रहा हूं. श्रद्धानिधि पात्रता की आयु को 62 वर्ष से घटाकर 60 वर्ष करने की आज मैं घोषणा कर रहा हूं, फोटो जर्नलिस्ट और कैमरामैन को भी श्रद्धा निधि दी जाए इस बात की भी मैं घोषणा कर रहा हूं, चिकित्सा सहायता योजना के अंतर्गत पत्रकारों के आश्रित माता पिता अभी तक पत्रकार ही थे, अब माता पिता को भी आज के बाद वह सहायता दी जाएगी, बुजुर्ग हो जाते है तो चिकित्सा सहायता की जरूरत वहां पर ज्यादा पढ़ती थी. गैर अधिमान्यता प्राप्त पत्रकारों को भी बीमा योजना में शामिल किया जाएगा. इस प्रकार के मामलों में 50 प्रतिशत प्रीमियम की राशि मध्यप्रदेश सरकार देगी. गंभीर रोगों के इलाज के लिए 50 हजार की राशि को बढ़ाकर 1 लाख रूपए करने की आज मैं घोषणा कर रहा हूं, यह राशि अस्पताल के खातों में प्रेषित होगी. पत्रकारों के लिए पत्रकार कौशल विकास प्रकोष्ठ अलग से स्थापित किया जाएगा, पत्रकारों हेतु राज्य और राज्य के बाहर अध्ययन यात्रा योजना लागू की जाएगी, पत्रकारों द्वारा राष्ट्रीय स्तर की संस्थाओं से फाउंडेशन कोर्स प्रशिक्षण प्राप्त करने पर 50 प्रतिशत शुल्क मध्यप्रदेश शासन वहन करेगा. पत्रकारों की कठिनाइयों को अध्ययन करने और निराकरण हेतु राज्य स्तर पर एक समिति का भी गठन किया जाएगा. मध्यप्रदेश की बेहतर ब्रांडिंग के लिए फिल्म नीति पर भी हम विचार करेंगे.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, फिल्म नीति पर मैं कुछ कहना चाहता हूं. फिल्म का प्रादुर्भाव कहां से हुआ. वर्ष 1890 में फ्रांस के लीवीनियर बंधु थे, उन लीवीनियर बंधुओं ने यह देखा कि कांच के ऊपर आधे अधूरे उकेरे हुए चित्रों से भी अपनी बात कही जा सकती है, यह पहली बार आया. उसके बाद में नाटक, कथाएं, लोकोक्ति, मुहावरें, चौपालें शुरू हुई और संगीत के माध्यम से प्रचार प्रसार प्रारंभ हुआ. 11 मई 1913 को पहला मूक सिनेमा इस देश के अंदर आया, उस मूक सिनेमा को जब देखा गया कि इससे बहुत ख्याति मिल रही है, तब 1931 में आलमआरा पहला बोलता हुआ सिनेमा इस देश में आया, उसमें 7 गाने थे.
उपाध्यक्ष महोदय -- आप सुनाने वाले हैं क्या.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- नहीं, एक भी नहीं सुनाऊंगा. लेकिन मैं वह फिल्म, जो मैंने आखिरी में घोषणा की, उसके ऊपर आपको ले जा रहा हूं कि वह जो 7 गाने थे..
श्री रामनिवास रावत -- उपाध्यक्ष महोदय, इनकी इच्छा तो बहुत है, लेकिन वह आपके कारण नहीं सुना रहे हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- मैं जानता हूं कि आपके जैसे कद्रदान हैं, तो सुनाने का क्या फायदा है. तो 1931 के अन्दर उन 7 गानों ने इतनी ज्यादा लोकप्रियता हासिल की कि जो रेजगारियां फेकी गईं, उससे उस दौर के पर्दे फट गये, ऐसा लोग बताते हैं. इसलिये 1932 में जो इन्द्रसभा पिक्चर आई, उसमें 69 गाने लिये गये, दूसरी फिल्म जो बोलती हुई फिल्म आई थी. वहां से प्रचार प्रसार का यह सारा का सारा आडम्बर प्रारम्भ हुआ. यह जो प्रचार प्रसार की विधा है, जिसकी काफी आलोचना करने की जन सम्पर्क विभाग की सम्मानित सदस्यों ने कोशिश की.
उपाध्यक्ष महोदय -- आप एक और पीएचडी कर रहे हैं क्या.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- उपाध्यक्ष महोदय, मने तो पहले भी विधान सभा पर ही पीएचडी की है. पहले अध्यक्ष महोदय ने अनुमति दी, आज आप दे दो, मैं दूसरी शुरु कर दूंगा. ..(हंसी).. तो सरकार की योजनाओं का लाभ जनता तक सीधा पहुंचे, लोगों को इसके बारे में जानकारी हो, इसके लिये जरुरी होता है कि हम जन सम्पर्क विभाग के माध्यम से अपनी योजनाओं का प्रचार और प्रसार करें. यह शिवराज सिंह चौहान जी हैं, जिसके नवाचार आज हिन्दुस्तान के अन्दर सराहे गये हैं. इस शिवराज सिंह चौहान जी के नवाचारों को लेकर इस देश की सरकारों ने अपने फैसले और निर्णय बदले. एक सांसद शिवराज सिंह चौहान जी थे, जो कन्या विवाह कराते थे और आकर जब मुख्यमंत्री कन्यादान योजना प्रारम्भ की, तो आज पूरे देश के अन्दर कन्या विवाह प्रारम्भ हुए, यह नवाचार थे और वह नवाचार करते हुए चाहे लाडली लक्ष्मी योजना हो, एकदम नवाचार, 24 लाख बेटियां इस प्रदेश की पैदा होने के साथ ही लखपति बन गईं. यह सिर्फ इसी प्रदेश के प्रचार एवं प्रसार के माध्यमों से लोगों को पता चला. अगर प्रचार प्रसार नहीं करते तो संस्थागत डिलीवरी इनके टाइम में कुल 22 प्रतिशत थी, यह बढ़कर 82 एवं 92 प्रतिशत तक आज आ गई, यह प्रचार प्रसार के माध्यम से ही आई, मैं यह कहना चाहता हूं. हमारी योजना चाहे तीर्थ दर्शन योजना हो और तीर्थ दर्शन योजना को तो छोड़ दीजिये, आपने कभी सुना बेटी बचाओ अभियान पर कोई नेता निकला. राजा राममोहन राय के बाद इस पृथ्वी पर अगर महिलाओं की चिंता करने वाला कोई व्यक्ति पैदा हुआ, तो वह शिवराज सिंह चौहान जी हैं. एक रिश्ता कायम किया है इस प्रदेश के जिस व्यक्ति ने, या तो यह चाचा नेहरु ने काम किया था, जवाहर लाल नेहरु जी जिनका नाम था, जिनको चाचा नेहरु जी के नाम से जानते थे और उसके बाद अगर कोई आया, तो शिवराज सिंह चौहान जी आये, जिन्हें मामा के नाम से आम आदमी और आम बच्चा बुलाता है. यह उसी प्रचार, प्रसार का और ये नये अभियान, नवाचार प्रयोग और वही सिंचाई विभाग का, जिस नर्मदा पर सर्वाधिक बांध इस मध्यप्रदेश के अन्दर बने हुए हैं. इस नर्मदा को बचाने का संकल्प लेकर एक व्यक्ति निकलता है और वह व्यक्ति शिवराज सिंह चौहान जी हैं. (नेता प्रतिपक्ष,श्री अजय सिंह द्वारा बैठे बैठे मोदी जी कहने पर) निश्चित रुप से नेता प्रतिपक्ष जी मोदी जी भी हैं. जिसने इस देश को एक नई दिशा दी है, एक नया सोच दिया है, एक नया विचार दिया है. ऐसे ही मोदी जी हैं और ऐसे ही शिवराज सिंह चौहान जी हैं. आने वाले 10 साल में आपकी कोई दाल नहीं गलने वाली है. उपाध्यक्ष महोदय, बहुत-बहुत धन्यवाद.
(2) |
मांग संख्या – 11 |
वाणिज्य, उद्योग एवं रोजगार |
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मांग संख्या – 25
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खनिज साधन.
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उपस्थित सदस्यों के कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए.
अब मांगों और कटौती प्रस्तावों पर एक साथ चर्चा होगी.
मांग संख्या 11 एवं 25 पर चर्चा हेतु 2 घण्टे का समय नियत है, तद्नुसार दल संख्यावार चर्चा हेतु भाजपा के लिये 1 घण्टा 26 मिनट, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लिये 28 मिनट,बसपा के लिये 4 मिनट एवं निर्दलीय सदस्यों के लिये 2 मिनट का समय आवंटित है. इस समय में माननीय मंत्री जी का उत्तर भी सम्मिलित है. मेरा बोलने वाले सदस्यों से अनुरोध है कि वे समय सीमा को ध्यान में रखकर संक्षेप में अपने क्षेत्र की समस्याओं पर बात रखकर सहयोग प्रदान करने का कष्ट करें.
डॉ. गोविन्द सिंह (लहार) -- उपाध्यक्ष महोदय, आज से वर्षों पूर्व चीन में एक गेंग हुआ करता था, उसको नाम दिया गया था गेंग ऑफ फोर. चार सदस्यीय गेंग,गिरोह था, जो माओचुनसे की पत्नी थी, उनके नेतृत्व में काम करता था. गेंग ऑफ फोर, चार लोगों का गेंग, उसी प्रकार मध्यप्रदेश में भी एक गेंग ऑफ फोर तैयार हो गया है, जिसमें 2 मंत्री और 2 वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं. यह गेंग समूचे मध्यप्रदेश में उद्योग के नाम पर राजस्व मंडल की जमीनों पर कब्जा करने का काम कर रहा है. मध्यप्रदेश की इस विधान सभा में जो उद्योग विभाग के नाम से जमीन लूटने का प्रयास किया जा रहा है, उस जमीन के बारे में मैं इस सदन को और प्रदेश की जनता को बताना चाहता हूं कि किस प्रकार लूट पर रोक लगायें. मैं पहले भी इस बात का जिक्र कर चुका हूं. आज से स्टेट टाइम के समय ग्वालियर जिले के डबरा में दि ग्वालियर एग्रीकल्चर कम्पनी थी और जिसमें करीब साढ़े आठ हजार एकड़ जमीन ग्वालियर जिले, डबरा तहसील और दतिया तहसील की जमीन को मिलाकर वहां खेती करके, गन्ना पैदा करके शुगर मिल लगाई गई थी, लेकिन उस जमीन को जब 1962 में सीलिंग एक्ट बना,तो जो कम्पनी को लीज पर जमीन दी गई थी, यह एग्रीकल्चर कम्पनी जो है, उसका मालिक एक दिल्ली का व्यापारी है, आज कल उस कम्पनी का वह एमडी है, उसकी नीयत उस जमीन को हड़पने की हुई. 1962 में जब उस जमीन को सीलिंग के तहत लिया गया तो कुछ जमीन छोड़कर के बाकी की जमीन शासकीय घोषित हो गई. उसके तत्काल बाद उस कम्पनी के मेनेजिंग डायरेक्टर ने एडिशनल कमिश्नर के यहां गया, वहां अपील में हार गया. उसके बाद कमिश्नर के यहां गया, कमिश्नर के बाद रेवेन्यू बोर्ड, रेवेन्यू बोर्ड के बाद हाई कोर्ट और हाई कोर्ट में जाने के बाद भी वह लगातार 55 वर्ष से लड़ाई लड़ रहा है और हर जगह हार रहा है लेकिन आज तक सरकार उस जमीन को वापस नहीं लेना चाहती है. अब उस जमीन पर इस मध्यप्रदेश में गैंग 4 की नीयत है, उद्योग के लिये उससे सांठ-गांठ करके हड़पने की पहुँच गई है तब तक जनहित याचिका जारी हो गई. उसमें खुद कमिश्नर ने लगाई है. उस कम्पनी के मालिक ने की, जमीन उसकी है, यह घोषित करो. यह ग्वालियर के हाईकोर्ट ने रिट पिटीशन क्र. 911-1999 एवं रिट पिटीशन क्र. 591-1999, ये दोनों पिटीशन में माननीय उच्च न्यायालय, ग्वालियर ने आदेश दिया और जमीन को डिसमिस कर दिया और साथ ही यह कहा कि वह शासकीय जमीन है और शासकीय रहेगी, परन्तु अब एक नई सोच आई कि इस जमीन को हाईकोर्ट के आदेश में भी 2010 में डिसीजन आया लेकिन कार्यवाही नहीं हुई है. यह बड़े आश्चर्य की बात है कि जब जमीन उद्योग विभाग को देने का काम होता है तो विभाग से तो जा सकती है लेकिन अगर किसी बिल्डर को देना है, अगर उद्योग को देना है तो जमीन पर फिर उसकी पैसा राशि ली जाती है. हाईकोर्ट, ग्वालियर के फैसले के प्रस्ताव के बाद भी सन् 2008 में अनुबन्ध हो गया, एमओयू साइन हो गया.
4.02 बजे सभापति महोदया (श्रीमती नीना विक्रम वर्मा) पीठासीन हुईं.
सभापति महोदया, फ्रेश कम्पनियों को देंगे और जब उच्च न्यायालय ने निर्णय दे दिया है कि शासकीय जमीन है तो बिना शासन को पैसा चुकाए एवं पैसे दिए जमीन को नहीं दिया जा सकता था. अब उस जमीन पर फिर षड्यंत्र चालू हुआ कि वह जमीन कैसे हड़पी जाये और कौन अधिकारी राजस्व में है, मैं यह नहीं कहना चाहता हूँ. आज श्री राजेन्द्र शुक्ल जी मंत्री हैं, हम समझते थे, वे बहुत सज्जन हैं एवं भले आदमी हैं. लेकिन पता नहीं वे किस दबाव में हैं, ये सब घोटाले कराने एवं साजिश करवाने में शामिल हो गए हैं. मैं कहना चाहता हूँ कि दिनांक 30/8/2006 और दिनांक 07/10/2008 को वाणिज्य, उद्योग एवं रोजगार विभाग ने मिलकर एक प्रस्ताव दिया कि इस जमीन को रोजगार एवं उद्योग के लिये आमंत्रित किया जाये. जब यह जमीन शासकीय है, उद्योग के लिये आवंटित नहीं की गई तो फिर यह एम.ओ.यू. किस नियम के तहत किया जा रहा है, यह जमीन अरबों रुपये की है. डबरा शहर की आबादी करीब 1.50 लाख के आसपास है एवं यह बीच शहर की जमीन है और 8,500 करोड़ रुपये की जमीन के एम.ओ.यू. में फर्जी साईन करने की साजिश है. यह मध्यप्रदेश की जनता आपको नहीं करने देगी और यदि आपने किया भी है तो इसका जवाब भी दिया जायेगा. अब मैं कहना चाहता हूँ कि इस जमीन में साईन करने के बाद उन्होंने वायदा किया है कि हम 2 लाख करोड़ रुपये का इन्वेस्ट करेंगे. जो जमीन का मालिक है, जो एग्रीकल्चर सोसायटी की शुगर मिल नहीं चला सका, जो किसानों के 5-10 वर्षों के भुगतान नहीं कर सका, वह कहां से 2 लाख करोड़ रुपये इन्वेस्ट करेगा और उसने कहा है कि वह 1 लाख नौजवानों को रोजगार देगा.
सभापति महोदया, मैं पूछना चाहता हूँ कि आप क्यों ले रहे हैं ? जमीन इसलिए ली जा रही है कि इसमें एयरकार्गो बनाएंगे. आप कहां हैं, हवाई जहाज ग्वालियर में नहीं है. एक प्लेन आता है, वह 6 महीने भी नहीं चल पाता है, सवारियां नहीं मिलती हैं तो वह खत्म हो जाता है. दिल्ली से, बम्बई से, पूरे देश से एवं फ्रांस से हवाई जहाज सुधरने आएंगे, जो आप वहां एयरकार्गो बना रहे हैं. करोड़ों रुपयों की जमीन हड़पी गई है और उसके साथ ही रीयल इस्टेट की मुख्य साजिश है. रियल इस्टेट लगाना एवं अन्य उद्योग लगाना, वहां एयरस्ट्रिप तो नहीं बनेगी क्योंकि वहां प्लेन ही नहीं हैं. एक आपने वेंचुरा चलाया था, वह ग्वालियर जाने लगा था, वह दो-तीन महीने चला, एम.एल.ए. के लिये सुविधा थी, वह भी बंद हो गई है. अब मैं पूछना चाहता हूँ कि माननीय उद्योग मंत्री जी आप जब उद्योग को जमीन देना चाहते हैं तो क्या आपने उसका परीक्षण किया है ? आप किसके दबाव में हैं. मैं नहीं कहता कि किसका दबाव है, जो राजस्व के प्रमुख सचिव हैं, वे क्यों इसको आगे बढ़ा रहे हैं. क्यों इस जमीन को दिलवाना चाहते हैं ? हम उन पर कोई आरोप नहीं लगा रहे हैं, जब तक यह सिद्ध नहीं हो जाये, लेकिन कहीं न कहीं साजिश है, आप इस साजिश को रोकिये और यह जमीनें लूटने का गैंग 4 बन गया है, आप उसको बन्द कीजिये. मैं आपसे यह भी बता देना चाहता हूँ कि आपको यह भी ज्ञान होना चाहिए कि आपने मध्यप्रदेश शासन की 27 एकड़ शासकीय जमीन भोपाल में कुशाभाऊ ठाकरे ट्रस्ट को दी थी. उसकी जनहित याचिका हुई थी. उसमें सुप्रीम कोर्ट से फैसला हुआ. माननीय सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिए कि अगर वह जमीन किसी उद्योग के लिए दी जाती है तो पहले आप समाचार-पत्रों में समाचार प्रकाशित कराएं. जो राष्ट्रीय स्तर के समाचार-पत्र हैं और जो लोग उनमें ओपन ऑक्शन कराने आएं तो ओपन बिड कराएं. जिसमें सबसे ज्यादा, जिसकी रेट और दर होगी, उस दर पर वह जमीन देने का काम करें. आप यह काम क्यों नहीं कर रहे हैं ? अब आप वह न कराके, मुख्य सचिव से फाईल आगे बढ़ गई है. एक तत्कालीन अपर मुख्य सचिव श्री आर.के.स्वाई जी थे, उन्होंने भी सन् 2011 में एक विस्तृत रिपोर्ट दी थी कि यह जमीन शासकीय है. यह अरबों की जमीन का विक्रय करने एवं हड़पने का षड्यंत्र जो लगातार कुछ अधिकारियों के द्वारा किया जा रहा है, उसको रोका जाये लेकिन उनकी रिपोर्ट दबा दी गई. वे रिटायर्ड हो गए हैं. अभी श्री के.के.खरे, राजस्व आयुक्त थे. उन्होंने भी इस बात पर कहा कि हम यह नहीं कर सकते हैं. यह भ्रष्टाचार है. हम लोग चले जाएंगे और माल आप छान जाएंगे तो उनका रातों-रात ट्रांसफर कर दिया गया.
सभापति महोदया - गोविन्द सिंह जी, आप कितना समय लेंगे ? आप जल्दी समाप्त करें.
डॉ. गोविन्द सिंह - सभापति महोदया, मैं यह बताना चाहता था कि यह अरबों की जमीन है. मैं 2-3 मिनट में बोल देता हूँ.
सभापति महोदया - आप जल्दी समाप्त करें.
डॉ. गोविन्द सिंह - सभापति महोदया, इसके अलावा मैं यह कहना चाहता हूँ कि उनका ट्रांसफर केवल इसलिए कर दिया था कि ईमानदार अधिकारी ने कहा कि हम इस घोटाले में शामिल नहीं है. अभी तत्काल मंत्रिमण्डल से दो-दो बार निर्णय हो गया कि केबिनेट का निर्णय है, पालन करो. वित्त विभाग, राजस्व विभाग एवं वित्त विधायी विभाग तीनों मिलकर जल्दी से जल्दी कार्यवाही करके जमीन बंटन का काम उद्योगपति को दिया जाये. इसके लिये भी चीफ सेकेट्री के यहां फाईल बढ़ गई और मैं बता देना चाहता हूँ कि जो घोटाले में शामिल हैं, वे तमाम लोग चले गए हैं. हम यह नहीं कह सकते कि आप अपने लिए कर रहे होंगे. लेकिन कहीं न कहीं दबाव है. यह अरबों का घोटाला है तो आप अकेले नहीं होगे. इसमें एक बड़ी गैंग है, बड़ी साजिश है. आप तो जाएंगे ही, अपने रिश्तेदार को भी संग में डुबो देंगे, मैं बता देना चाहता हूँ इसलिए आप सतर्क हैं, आप इस मामले को रोकिये. यह आपके नॉलेज में हो या न हो, लेकिन यह तीन चार लोग इसको हड़पने की साजिश में हैं इसलिए मैं आपको सचेत भी करना चाहता हूँ, आपने उद्योगों के लिये लैण्ड बैंक बनाया है, उससे दीजिये. अगर आपको जमीन की जरूरत है तो उद्योग विभाग पहले शासन को दें, उद्योग विभाग लघु उद्योग निगम को दें, उससे राशि वसूल करें तब आप वह जमीन दे सकते हैं. आप खनिज के मामले में एक्सपर्ट हो चुके हैं. कई बार आपने जांचें कराईं, भोपाल से जांच एवं भिण्ड से जांच हुई, जांच सिद्ध हो गई है. लगातार चम्बल में लोग पिट रहे हैं. कल ही खनिज अधिकारी की पिटाई हो गई. घडि़याल से रेत लेने गए थे, उनकी पिटाई हुई है. उसके 15 दिन पहले भी चम्बल नदी पर पिटाई हो चुकी है. आपने सिन्ध नदी तो खोखली कर दी है, जैसे सिन्ध नदी का जो रेत है, डबरा से लेकर लहार और भिण्ड, महगांव विधानसभा क्षेत्र तक जाती है. उनकी रेत कानपुर, आगरा, इटावा एवं औरेया में बिकती है. एक ट्रक 80,000 रुपये का जाता है.
सभापति महोदया - आप समाप्त कीजिये.
डॉ. गोविन्द सिंह - सभापति महोदया, आप उसको भी लुटवा दे रहे हो. आपसे अलग हमारा कम से कम 10 किलो वजन हो गया है, लोकायुक्त, हाईकोर्ट सब जांच हो गई हैं, विधानसभा में 10-12 बार ध्यानाकर्षण एवं प्रश्न पर चर्चा हो गई है. लेकिन आप बिल्कुल देखने में भोले-भाले लेकिन अन्दर से क्या हो रहा है, कह नहीं सकते हैं. अगर आप नहीं हैं तो कम से कम ऐसे जो काम चल रहे हैं जिनके द्वारा आप पर आरोप लग सकते हैं, आप इनसे बचें और जो जमीन हड़पने का जो षड्यंत्र चल रहा है, आप राजस्व में होने दो. राजस्व मंत्री ने कई जगह रोका है. उद्योग के माध्यम से वहाँ वश नहीं चला तो आपके माध्यम से अरबों रुपयों की जमीन के घोटाले करने की साजिश कर रहे हैं. इसको रोका जाए, अगर आप नहीं करते और फिर भी फैसला करते हो तो अधिकारी तो जाएंगे आप भी जाओगे. हम उच्च न्यायालय तक नहीं छोड़ेंगे इस मामले को, जनता की गाढ़ी कमाई की साढ़े आठ हजार एकड़ जमीन को हम हड़पने नहीं देंगे अंतिम छोर तक लड़ाई लड़ेंगे.
श्री शैलेन्द्र जैन (सागर)-- माननीय सभापति महोदया, मैं मांग संख्या 11 और 25 का समर्थन करता हूँ और कटौती प्रस्ताव का विरोध करता हूँ.
माननीय सभापति महोदया, जैसा सभी को विदित है कि मध्यप्रदेश की अर्थव्यवस्था का मूल उसकी पृष्ठभूमि कृषि पर आधारित है, लेकिन किसी भी देश या प्रदेश की अर्थव्यवस्था में उद्योग धंधों के महत्व को कम नहीं आंका जा सकता है. विगत कुछ वर्षों में यह दृष्टिगोचर हुआ है. अगर हम पिछले वर्षों के बजट को देखें और हमारी कृषि पर पड़ने वाले बोझ को देखें तो ऐसा लगता है कि अब समय आ गया है कि हमें उद्योगों की ओर आ जाना चाहिए. इससे न केवल रोजगारों का सृजन होगा वरन् यह कह लीजिए की उद्योग धंधे किसी भी प्रदेश की अर्थव्यवस्था के लिए धमनियों का काम करते हैं. सम्माननीय उद्योग मंत्री जी का और माननीय मुख्यमंत्री जी का धन्यवाद करता हूँ जिन्होंने इस तरह से नीतियाँ बनाई हैं बल्कि यह समझ लीजिए की पूर्ववर्ती सरकारों के समय में तो वास्तव में उद्योग नीति का ही अभाव था. हमारी सरकार ने आते से ही सबसे पहले सुस्पष्ट और उद्योग फ्रेंडली नीति बनाने का काम किया. यह बहुत ही प्रशंसनीय है.
माननीय सभापति महोदया, किसी भी क्षेत्र में उद्योग धंधों की बढ़ोतरी करने के लिए, उद्योग धंधों को आकर्षित करने के लिए अच्छी किस्म की बुनियादी सुविधाओं की आवश्यकता होती है. देखने में यह आया है कि पूर्ववर्ती सरकार के समय में मध्यप्रदेश में बुनियादी सुविधाओं का सर्वदा अभाव था. उस समय औद्योगिक क्षेत्र में न सड़कें थीं, न बिजली थी, न पानी था. इन सारी चीजों के चलते न केवल नये उद्योग धंधों का आना रुका बल्कि अनेक उद्योग धंधों का पलायन हुआ. मैं सरकार को बधाई देना चाहता हूँ कि उसने इंडस्ट्रीयल सेक्टर को सोशल सेक्टर के समकक्ष मानते हुए बहुत बड़ी धनराशि से जो हमारे एग्जिसटिंग इंडस्ट्रीयल एरिया थे जिसमें 16 औद्योगिक क्षेत्रों का मैं जिक्र करना चाहता हूँ. मण्डीदीप, पीथमपुर, मालनपुर और मेरे विधान सभा क्षेत्र का सिद्धगवां इंडस्ट्रीयल एरिया है. इन सारे 16 क्षेत्रों में 500 करोड़ रुपये की लागत से उनके अधोसंरचना के उन्नयन का कार्य किया. मैं माननीय उद्योग मंत्री जी को इस बात के लिए धन्यवाद देता हूँ और कहना चाहता हूँ कि--
हे वही सूरमा इस जग में, जो अपनी राह बनाता है,
कुछ चलते हैं पदचिह्नों पर कोई पदचिह्न बनाता है.
माननीय सभापति महोदया, न केवल एग्जिसटिंग क्षेत्रों का उन्होंने उन्नयन करने का काम किया, हमारे उद्योगों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए नए औद्योगिक क्षेत्र भी विकसित करने का उन्होंने काम किया है. विगत 3 वर्षों में 20 नवीन औद्योगिक क्षेत्रों का विकास हमारी सरकार के द्वारा किया गया है. लगभग 600 करोड़ रुपए का व्यय करके 1400 हेक्टेयर भूमि पर बुनियादी सुविधाओं के विस्तार करने का काम किया है. महत्वपूर्ण बात मैं इसमें बताना चाहता हूँ कि हमारे जो औद्योगिक केन्द्र हैं उन पर इक्विटी 10 प्रतिशत है बाकी का इंतजाम अगर लोन के माध्यम से किया है तो लोन को चुकाने का काम हमारी सरकार के द्वारा किया जा रहा है. जहां पर आवश्यकता होती है वहां पर वायबेलिटी गेप फंडिग के माध्यम से भी उसको चुकाने का काम कर रहे हैं. मैं सदन को अवगत कराना चाहता हूँ कि न केवल हमने विगत तीन वर्षों में काम किया आगामी दो वर्षों के लिए भी हमने अपना दृष्टिपत्र घोषित किया है. इसके तहत लगभग 13 औद्योगिक क्षेत्रों को विशेष रुप से लिया गया है. लगभग 2243 हेक्टेयर भूमि में 1454 करोड़ रुपए की राशि से औद्योगिक केन्द्र विकसित होने वाले हैं. इससे वर्तमान उद्योगों को राहत मिलेगी वरन् नए उद्योग धंधों को लाने में निश्चित रुप से सफलता प्राप्त होगी.
माननीय सभापति महोदया, मैं आपके माध्यम से इस बात का जिक्र करना चाहता हूँ कि जो दिल्ली-मुम्बई इनवेस्टमेंट कॉरीडोर है. यूं तो यह मध्यप्रदेश के थोड़े से हिस्से से जाता है लेकिन हमने उसका पूरा उपयोग करने की चेष्टा की है. इसके तहत उज्जैन में 460 हेक्टेयर भूमि पर 320 करोड़ रुपए की योजना क्रियान्वित हो रही है. दिसम्बर 2018 तक इसके पूर्ण होने की उम्मीद है. मैं सरकार को बधाई देना चाहता हूँ कि डीएमआईसी में मध्यप्रदेश सबसे अग्रणी राज्य है जिसने सबसे पहले इसमें अगुवाई करके उज्जैन में इसके तहत लगभग 250 करोड़ रुपये की लागत से 90 एमएलडी जल प्रदाय करने की योजना का शुभारंभ किया है. इस योजना को भी दिसंबर 2018 तक पूर्ण कर लिया जाएगा.
माननीय सभापति महोदया, मेरे विधान सभा क्षेत्र में सागर जिले में सिद्धगांव इंडस्ट्रीयल एरिया है वहां की पेयजल योजना भी लगभग 8 वर्षों से लंबित पड़ी हुई है. स्वीकृति होने के बावजूद भी वह योजना पूर्ण नहीं हो पाई है जिसके कारण नये उद्योग धंधों के आने में असुविधा हो रही है. माननीय मंत्री जी उस योजना को अविलंब चालू करवायें ताकि वहां की आवश्यकताओं की पूर्ति हो सके. मैं जब भी रिकार्ड उठाकर देखता हूँ तो मध्यप्रदेश के हर हिस्से में नये उद्योग धंधे आ रहे हैं लेकिन सागर जिले का जो एकमात्र औद्योगिक क्षेत्र सिद्धगवां है वहां पर नये उद्योग धंधे विगत कई वर्षों से नहीं आए हैं. लाखों करोड़ों रुपयों के साथ इनवेस्टर्स आने के लिए तैयार है उसमें से कुछ इनवेस्टर्स को बुंदेलखंड के हृदयस्थल तक पहुंचाने का काम करेंगे तो बहुत अच्छा होगा.
माननीय सभापति महोदया, विपक्ष के साथी इस बात को लेकर उंगली उठाते हैं कि इनवेस्टमेंट कहाँ हो रहा है. मैं उनको बताना चाहता हूँ कि वर्ष 2014 के बाद मध्यप्रदेश में जो इनवेस्टमेंट किया है उनमें से प्रमुख लोगों के नाम बताना चाहता हूँ. रिलायंस सीमेंट लिमिटेड, सतना 1951 करोड़ रुपए का इनवेस्टमेंट हुआ. यह उन यूनिट्स के बारे में मैं बता रहा हूँ जहां पर उत्पादन शुरु हो चुका है. सिक्योरिटी पेपर मिल, होशंगाबाद 600 करोड़ रुपए, ट्रायबैंक लिमिटेड, सीहोर 1666 करोड़ रुपए, जयप्रकाश सीमेंट 530 करोड़ रुपए. ऐसे अनेक उद्योग हैं जो चालू अवस्था में हैं जिनमें उत्पादन शुरु हो चुका है. सरकार ने एक काम बहुत अच्छा किया है वह है केबिनेट कमेटी ऑन इनवेस्टमेंट प्रमोशन्स. माननीय मुख्यमंत्री जी की अगुवाई में यह कमेटी हमारे प्रस्तावों का आंकलन करती है और इन आंकलन के आधार पर उन सारी इंडस्ट्रीज को जो टेलर मेड सुविधाएं हो सकती हैं वह देने का काम कर रही है. इसके तहत 1 अप्रैल 2016 से अभी तक लगभग 14 निवेश के प्रस्ताव थे उनमें से लगभग 6 परियोजनाओं में उत्पादन शुरु हो चुका है. 2 परियोजनाओं में निर्माण कार्य शुरु हो चुका है. 6 अन्य परियोजनाओं में कोई न कोई क्रियान्वयन का कार्य शुरु हो गया है. इसमें मैं प्रमुख रुप से उल्लेख करना चाहता हूँ. मेसर्स एस.आर.एफ.लिमिटेड, पॉलिएस्टर फिल्म बनाने का काम करती है. 630 करोड़ रूपये का निवेश इसके माध्यम से हुआ है. मेसर्स एम.सी.एल. ग्लोबल स्टील के माध्यम से 165 करोड़ रूपये का निवेश हुआ है. मेसर्स नाहर स्प्रिंग मिल के माध्यम से 600 करोड़ रूपये का निवेश हुआ है. अगर हम दृष्टिपात करेंगे तो पायेंगे कि बहुत ही तेजी के साथ मध्यप्रदेश इंडस्ट्रियल मैप में अपना एक स्थान बना रहा है. आज Ease of doing business की बात आती है. मध्यप्रदेश की सरकार ने बहुत तेजी के साथ काम करते हुए उद्योगपतियों को आकर्षित करने का काम किया है. उद्योगपतियों में विश्वास पैदा करने का काम किया गया है. विगत 2 वर्षों में Ease of doing business में मध्यप्रदेश पांचवे नंबर पर हैं. मुझे आशा ही नहीं पूरा विश्वास है कि आने वाले समय में हम और भी ऊंचाई पर पहुंचेंगे और टॉप 3 में अपना स्थान जरूर बनायेंगे. माननीय सभापति महोदया, इस समय Ease of doing business के माध्यम से हम जो नए निवेशक ला रहे हैं उनकी हर एक औपचारिकता ऑनलाईन पूर्ण हो रही हैं. जमीन की रजिस्ट्री करते समय केवल एक बार उन्हें कार्यालय आना पड़ता है. बाकी सारा का सारा काम ऑनलाईन होने लगा है. इससे निवेशकर्ताओं में हमारी सरकार के प्रति निश्चित रूप से विश्वास पैदा हुआ है.
माननीय सभापति महोदया, इस समय मध्यप्रदेश Surplus power की स्टेज में है. हमने लगभग 17 हजार मेगावॉट बिजली उत्पादन की क्षमता निर्मित कर ली है. बिजली के क्षेत्र में यह Surplus स्थिति भी उद्योग-धंधों को लगाने में बहुत उपयोगी साबित हो रही है. माननीय सभापति महोदया, Confidence building measures के तहत हमारी सरकार ने एक काम किया है. अभी हाल ही में GST आने वाला है और हम GST को रोक भी नहीं पायेंगे और GST को रोकना भी नहीं चाहिए.
श्री बाला बच्चन- आप जी.एस.टी. को अभी भी रोकना चाहते हैं ? जब यू.पी.ए. की सरकार थी तब भी आपकी पार्टी इसे रोकना चाह रही थी. अभी भी इसे रोकने की आपकी इच्छा और मंशा है. अब तो इसे आपकी सरकार ने अपने हाथ में ले लिया है.
श्री शैलेन्द्र जैन- बाला भाई आप इसे नहीं रोक पाए क्योंकि यह देशहित में है. जी.एस.टी. आने के बाद भी हमारी सरकार के जो भी कमिटमेंट हैं, उसे सरकार पूरा करने वाली है. इस तरह का कमिटमेंट सरकार ने उद्योगपतियों को दिया है. इससे आकर्षित होकर उद्योगपति मध्यप्रदेश में आ रहे हैं. माननीय सभापति महोदया, हमारी सरकार ने एक और बहुत अच्छा काम किया है. जो निवेशक 50 करोड़ रूपये से अधिक का निवेश करना चाहते हैं उनके लिए इन्वेस्टमेंट रिलेशन मैनेजर की व्यवस्था की गई है. ये इन्वेस्टमेंट रिलेशनशिप मैनेजर, उद्योगपतियों को किसी भी तरह की असुविधा से बचाने के लिए एक सहयोगी के रूप में काम करेंगे. यह हमारी सरकार का बहुत ही अच्छा कदम है.
माननीय सभापति महोदया, इस समय मध्यप्रदेश में छोटी-मोटी नहीं अपितु बड़ी-बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियां अपना व्यापार करना चाहती हैं, अपने उद्योग लगाना चाहती हैं. वॉल्वो आयशर कंपनी दुनिया की ट्रक बनाने वाली कंपनियों में वन ऑफ द बेस्ट कंपनी है. इन्होंने लगभग 1500 करोड़ रूपये का निवेश भोपाल में करने का निश्चय किया है. इसके लिए जमीन का अधिग्रहण कर लिया गया है. माननीय सभापति महोदया, आई.टी.लिमिटेड द्वारा फूड प्रोसेसिंग के क्षेत्र में 1000 करोड़ रूपये की लागत से यूनिट लगाई जा रही है. इसके लिए भी जमीन क्रय की जा चुकी है. इसी तरह से कोका-कोला कंपनी ने फूड प्रोसेसिंग हेतु होशंगाबाद में जमीन क्रय कर ली है. उनकी भी प्रोसेसिंग शुरू होने वाली है.
माननीय सभापति महोदया, मैं यदि इंदौर के क्रिस्टल पार्क का उल्लेख नहीं करूंगा तो मुझे लगता है कि यह बहुत बड़ा अन्याय होगा. इस समय इंदौर का क्रिस्टल पार्क हिंदुस्तान के टॉप 5 Industrial Destination & Investment Destination में शामिल हो गया है. आई.टी. के क्षेत्र में भी हम बहुत अच्छा काम कर रहे हैं. माननीय सभापति महोदया, हमारी लगभग 1200 एकड़ जमीन केंद्र सरकार द्वारा अधिग्रहित कर ली गई थी. जिसे हमारी डिमांड पर वापस कर दिया गया है. National Automatic Testing Track के पास हमें 1200 एकड़ की जमीन मिल गई है. हम इस जमीन पर बहुत ही सर्वसुविधायुक्त Industrial Park बनाने वाले हैं. मैं समझता हूं कि आगे आने वाले समय में यह पार्क हिंदुस्तान के सर्वश्रेष्ठ स्थानों में शामिल होगा.
माननीय सभापति महोदया, समेकित विकास क्या होता है ? इसकी अवधारणा मध्यप्रदेश से ही शुरू हुई है. हमारे यहां जो फूड प्रोसेसिंग यूनिट आई हैं. उन फूड प्रोसेसिंग यूनिटों के संबंध में मैं विशेष रूप से कहना चाहता हूं कि ''दावत'' जैसी चावल बनाने वाली जो कंपनियां हैं, उनके आने से हमारे किसान भाइयों को बहुत लाभ हुआ है. Backward Integration क्या होता है, वह यहां मध्यप्रदेश में देखने को मिलता है. जहां पहले लगभग 20 हजार एकड़ में चावल की खेती होती थी वहां अब लगभग 5 लाख हेक्टेयर में धान की खेती होने लगी है. इसके लिए सरकार, माननीय मुख्यमंत्री जी और माननीय उद्योग मंत्री जी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं. मुझे आशा ही नहीं बल्कि पूरा विश्वास है कि आगे आने वाले समय में मध्यप्रदेश Industrial Sector के लिए एक बहुत बड़ा Industrial Hub बनने वाला है. माननीय सभापति महोदया, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया इसके लिए धन्यवाद. मैं अंत में एक शेर कहकर अपनी बात समाप्त करूंगा. कहते हैं कि-
'' चले चलिए, चले चलिए कि चलना ही दलीले कामयाबी है,
जो थककर बैठ जाते हैं, वो मंजिल पा नहीं पाते. ''
सभापति महोदया- धन्यवाद.
कुंवर सौरभ सिंह (बहोरीबंद)- माननीय सभापति जी, मैं मांग संख्या 11 और 25 के विरोध और कटौती प्रस्ताव के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं. मैं कटनी जिले से अपनी बात शुरू करूंगा. कटनी में दाल मिलों को जो दाल प्रोसेस करनी होती है, वह बाहर से लाई जाती है. इसमें लगभग हर साल प्रदेश के द्वारा टैक्स में छूट दी जाती है. हमारे यहां महाराष्ट्र, कर्नाटक से दाल आती है और हम कटनी जिले से दाल यू.पी., बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड, उत्तराखंड और अन्य राज्यों में भेजते हैं. हर बार होता यह है कि दाल मिल वालों को टैक्स की छूट का जो फायदा मिलना होता है, वह इतने विलंब से मिलता है कि दाल वालों पर टैक्स इंपोज़ हो जाता है और इस छूट का कोई लाभ नहीं मिलता है. माननीय सभापति महोदया, हमारे यहां स्थिति यह है कि दाल उद्योग के संबंध में कुछ दिनों बाद यह कहा जाएगा कि यहां कभी दाल उद्योग था. व्यापारियों के हाल के संबंध में आदरणीय पटेल जी कह रहे थे कि बहुत अच्छा है. मैं कहना चाहूंगा कि '' न माया मिली, न राम''. हम न व्यापारियों का भला कर पा रहे हैं और न ही किसानों का भला कर पा रहे हैं. 8 नवंबर से लागू हुई नोटबंदी के बाद से स्थिति यह है कि व्यापारियों से कहा गया कि जो भी व्यापारी अपने खाते में जितना भी पैसा जमा करेगा, वह उसे शो करना पड़ेगा. 2 लाख से ऊपर जिसने भी जितना जमा किया है, अब हमारे यहां के अधिकारी उन व्यापारियों के पास जाते हैं और कहते हैं कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना में आप 50 प्रतिशत राशि जमा करिये और 25 प्रतिशत राशि की 4 साल के लिए आप FD बना दीजिए. कुल मिलाकर व्यापारियों के साथ दोहरी मार हो रही है. एक तो केंद्र शासन की और दूसरे राज्य शासन से घोषणा की जाती है कि हम दे रहे हैं, लेकिन मौके पर हमें तो कहीं कुछ दिखाई नहीं पड़ता है.
माननीय सभापति महोदया, हकीकत यह है कि रोजगार कार्यालय में आज सिर्फ पंजीयन होता है. कई बार इस बारे में मैंने पत्र लिखा कि इस बच्चे को कैसे नौकरी मिल सकती है, इस बिटिया को हम काम पर कैसे लगा सकते हैं तो वहां से जवाब आता है कि हम लोग सिर्फ यह बता सकते हैं कि कहां से काम होना है. मुझे रोजगार कार्यालय का कोई औचित्य समझ में नहीं आता है. कहा जाता है कि बैंकों से बेरोजगारों को लोन मिल जायेगा, परंतु बैंक वाले एकाउंट और बुक्स देखते हैं. गरीब न तो पहले से बैंकिंग कर रहा है और न ही उनके पास एकाउंट ही है. योजनाओं का लाभ केवल सक्षम और पढ़े-लिखे लोगों को ही मिल रहा है. जिन योजनाओं के संबंध में सदन में हम रोज कागजों को हिला-हिलाकर बताते हैं कि जनता का यह भला होने वाला है, मौके पर कहीं किसी का कोई भला नहीं हो रहा है. बैंकों में सारी योजनायें यहां से वहां घूम रही हैं. आज एक प्रश्न के उत्तर में माननीय मंत्री सारंग जी कह रहे थे कि इतनी वृह्द योजनायें हैं कि हम बता नहीं सकते. केंद्र और राज्य की कुल 15-20 योजनायें चलती हैं और वे भी यहां बताने में उन्हें तकलीफ हो रही थी.
माननीय सभापति महोदया, लगभग 500 से 700 रूपये हर ऑनलाईन आवेदन के हम लेते हैं. यदि एक 50 सीटों की कोई नौकरी खुलती है तो उसमें लगभग लाख दो लाख आवेदन होते हैं और हम 500-700 रूपये प्रति आवेदन लेते हैं. यदि हम रेल्वे या केंद्र शासन के अंतर्गत किसी पद हेतु आवेदन करते हैं तो उसमें 10 से 15 या 20 रूपये तक की ही एडमिशन फीस इनरोलमेंट करने की होती है. जबकि ऑनलाईन में कोई खर्च ही नहीं है. पूरा सेटअप बैठा हुआ है और उसके बाद भी हम 500-700 रूपये लेते हैं. अर्थात् जितना 50 सीटों पर 30 सालों में देना है, उतना तो हम एक लाख बच्चों से फीस के रूप में वापस ले लेते हैं और हम कहते हैं कि हम रोजगार कार्यालय चला रहे हैं.
माननीय सभापति महोदया, यहां बात खनिज की हो रही है. माननीय मंत्री जी आपसे कहते हुए बड़ा हास्यास्पद लगता है कि एलाईन मिनरलों में एक साथ दो मिनरल निकलते हैं. लाईम स्टोन के साथ डोलोमाईट निकलता है और बॉक्साइट के साथ लेटेराईट निकलता है. दोनों सदैव साथ-साथ निकलेंगे. पता नहीं किसने ये बता दिया कि दोनों के अलग-अलग माईनिंग प्लान हैं और एक को मेजर कर दिया, एक को माइनर कर दिया. यदि खराब शब्दों में कहा जाए तो यह ऐसी बात है कि (XXX). दोनों चीजें संभव ही नहीं है और आप लोग इसे दो बता रहे हैं. हम लोग जो भी माइनिंग वाले हैं, वे लिखकर दे देंगे और उससे होगा यह कि दो तरह की किताबें बनेंगी, दो रूल्स होंगे. पेपरों में रोज वायलेशन होगा. खरीददार के पास पट्टेदार जाकर बोलेगा कि भईया उसको छोड़ दो. आप खुद ही गलत तरीके से इसे बढ़ावा दे रहे हैं. तो व्यावहारिक ही नहीं है कि मायनर और मेजर को अलग अलग कर लें. खास कर ऐसे मिनरल में जो एलाइड हों. अब पता नहीं किस तरह से इसमें कर रहे हैं? सभापति महोदय, 2016-17 में जो आप मायनिंग पॉलिसी लाए हैं. इसमें मेरा कहना यह है कि आप मोनोपॉली को बढ़ावा दे रहे हैं. इसमें मेरा निवेदन यह है कि जब आप 100 हैक्टेयर या 200 हैक्टेयर का एक...
श्री राजेन्द्र शुक्ल-- माननीय सभापति महोदया, अभी माननीय सदस्य ने जो बात कही है उसको विलोपित करा दें.
सभापति महोदया-- यह शब्द निकाल दें.
कुँवर सौरभ सिंह-- सभापति महोदया, मैं अपने शब्द वापस लेता हूँ पर आपको समझाने के लिए और कोई रास्ता नहीं था. सभापति महोदया, 2016-17 की जो मायनिंग पॉलिसी है उसमें मोनोपॉली को बढ़ावा दे रहे हैं. 100 हैक्टेयर, 200 हैक्टेयर, का हम कांपेक्ट ब्लाक बना रहे हैं. अभी कोई मायनिंग 2 हैक्टेयर, 5 हैक्टेयर, में आप पट्टेदारों को देते हैं. पट्टेदारों में प्रतिस्पर्धा होती है, प्रतिस्पर्धा में रेट कम होते हैं और अल्टीमेटली जो खरीददार या उपभोक्ता है उसके पास वह चीज सस्ते में पहुँचती है, पर जब आप हजार, दो हजार, 100, 200 करोड़ रुपये की आप उनसे जमा करवा लेंगे तो जितने लोकल मायनर हैं, जितने लोग मायनिंग करने वाले हैं. वे सारे लोग मायनिंग की गतिविधि से बाहर हो जाएँगे तो व्यापारियों में जो प्रतिस्पर्धा होती है, इस प्रतिस्पर्धा का लाभ जनता को मिलता. इस प्रतिस्पर्धा का लाभ नीचे बाजार में मिलता है. इस बाजार को लाभ न देकर के आप मोनोपॉली करा देंगे फिर एक रेट बढ़ा दिया जाएगा. जैसे मान लीजिए डायमण्ड या कोई कमोडिटी, गोल्ड, कुछ भी चीज है, किसी कारण से हमने मोनोपलाईज़ कर दी हैं कि इसी को देना है तो उनका एक रेट स्थिर होता है. जब आप छोटे मिनरल्स को, मेजर मिनरल्स को इस लाइन पर ला देंगे तो बहुत बड़ी समस्या होगी. मेरा आप से निवेदन है कि जो हम ऑन लाइन ट्रांजिट पास वगैरह दे रहे हैं, दिखावा ज्यादा है, हल्ला बहुत होता है, आपके पास तक आता होगा, ऊपर अधिकारियों के पास जाता होगा, पर नीचे उसका कुछ नहीं है. सब वैसे ही चल रहा है. राम नाम की लूट है, लूट सके सो लूट. सब बराबर चल रहा है. आपको फिगर्स देख कर संतोष मिल जाएगा कि बहुत अच्छा हो रहा है. सभापति महोदया, हम कहीं न कहीं अपनी मायनिंग पॉलिसी में गलत हैं इसलिए क्योंकि मान लीजिए अगर 100 टन की रायल्टी निकलती है, एक रुपये टन के हिसाब से तो हमको 100 टन निकलना चाहिए. हम 100 टन जब रिकवर नहीं कर पाते हैं तो हम रायल्टी 5 रुपये टन बढ़ा देते हैं. अब 100 टन के हिसाब से आप 500 टन रिकवर करते हैं और आप रिकार्ड्स में बताते हैं कि 60 परसेंट रिकवरी की है, 50 परसेंट रिकवरी की है, तो ढाई सौ रुपये रिकवरी कर ली. फैक्ट में आप लॉस में हैं फायदे में नहीं हैं. इसमें न अधिकारियों की गलती है न आपकी गलती है. पर जो अपनी ओरल पॉलिसी हम बना रहे हैं, जिस पर काम कर रहे हैं, आप वह ग्राट्सपेक्टम नहीं देख पा रहे हैं. मेरा आप से निवेदन है कि आपने स्टांप में बढ़ा दिया, रजिस्ट्री 75 परसेंट कर दी, जो पहले 11 परसेंट थी. सभापति महोदया, आपकी ईसी और मायनिंग प्लान में भी समन्वय नहीं है, बहुत दिक्कत जाती है. मेरा आप से निवेदन है कि जो एकदम से आप इकट्ठे बढ़ा रहे हैं चाहे अभी जो 2017 की एक नीति है कि सारी जमीनों पर जो आयबीएम स्कीम जाएगी वह फिर कितने लाख रुपये पर हैक्टेयर बढ़ने वाली है. मेरा सिर्फ यह कहना है कि आप एक इंडस्ट्री से वन टाइम पैसा ले लेंगे 50 साल का पैसा आप आज रख लेंगे तो आप उस पैसे से कोई इन्वेस्टमेंट या कोई काम नहीं कर पा रहे हैं. अगर वह पैसा धीरे धीरे आपके पास आएगा तो व्यापारी भी दे सकेगा और स्टेट का भी भला होगा. 50 साल का पैसा आप एक दिन में लेना चाहते हैं. माननीय सभापति महोदया, एक छोटी सी कहानी थी, एक राजा था....
सभापति महोदया-- सौरभ सिंह जी, आप कहानी छोड़ दीजिए.
कुँवर सौरभ सिंह-- बस एक मिनट में बता देता हूँ. एक राजा था वह देखना चाह रहा था कि उसके प्रांत में कितने लोग समझदार हैं, तो उसने एक साधारण रास्ता था उस रास्ते को खुदवा कर वहाँ पुल बना दिया. किसी ने कोई आपत्ति नहीं की. फिर उसने उस पुल पर एक रुपये टेक्स लगा दिया. किसी ने आपत्ति नहीं की. फिर उसने वहाँ पर चार सिपाही लगा दिए बोला कि रोक कर, उनको एक एक जूता मार कर जाने दो, तो लोग निकलते थे, कुछ दिनों बाद एक आपत्ति आई, राजा बड़ा खुश हुआ कि चलो कोई व्यक्ति तो आया जो विरोध कर रहा है, तो उस आपत्ति में लिखा था माननीय राजा जी, चार लोग मारने वाले रखे हैं, हम लोगों का समय बड़ा जाया जाता है. चार की जगह चालीस कर देंगे तो ज्यादा अच्छा रहेगा.
4.33 बजे
{उपाध्यक्ष महोदय (डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए}
उपाध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी से कहना चाहता हूँ कि जो पॉलिसी है वह कहीं से भी क्षेत्र की जनता के लिए नहीं है. सदन के अन्दर हम कितनी भी अच्छी बात कहें, नरोत्तम मिश्र जी बहुत शेरो-शायरी से कह रहे थे 40 लाख हैक्टेयर, कहने में हो रहा है, हकीकत में कहीं नहीं हो रहा है. उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का अवसर दिया, बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री दिलीप सिंह शेखावत(अनुपस्थित)
श्री बहादुर सिंह चौहान(महिदपुर)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 11 और 25 का समर्थन करते हुए कटौती प्रस्तावों का विरोध करता हूँ. उपाध्यक्ष महोदय, खनिज विभाग राजस्व को एकत्रित करने के लिए मध्यप्रदेश के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण विभाग है. उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने इटीपी का कार्य 25 जिलों में जो प्रारंभ किया है. यह जनवरी 2017 से प्रारंभ किया है. मैं चाहता हूँ कि अन्य जिलों में भी आप इटीपी आप लागू करेंगे तो आपको खनिज का और अच्छा राजस्व आएगा.
उपाध्यक्ष महोदय, खनिज पर आधारित उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कटनी में स्टोन पार्क विभाग के द्वारा संचालित किया जा रहा है और हमारे मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा शहर इन्दौर है. जहाँ पर आईटी पार्क..(व्यवधान).. 8 हैक्टेयर भूमि अधिग्रहित करके इस पर 100 करोड़ की लागत से आईटीएसईजेड जो बनाया गया है इसमें 2500 लोगों को 12 इकाइयों से रोजगार मिलना प्रारंभ हो गया है और उन 12 इकाइयों ने उत्पादन भी प्रारंभ कर दिया है.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं विशेषकर उज्जैन के लिए माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूँ कि विक्रम उद्योगपुरी उज्जैन में आपके द्वारा डीएमआईसी योजना के तहत जो हमारा देवास और उज्जैन का जो मार्ग है 300 करोड़ की लागत से 442 हैक्टेयर पर जो अधिग्रहण करके जो कार्य करवाया जा रहा है वह प्रगति पर है, इसके लिए मैं माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देता हूँ.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, नवीन उद्योग लगाने के लिए मध्यप्रदेश में ऐसे 15 स्थान चयनित किए गए हैं जिनकी लागत 3000 करोड़ रुपये है और 2400 करोड़ रुपये की लागत से 3000 हैक्टेयर भूमि इसमें लगने वाली है.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं एक विशेष बात माननीय मंत्री जी को कहना चाहता हूँ कि मेरे विधान सभा क्षेत्र के संबंध में मैंने कई बार प्रश्न भी लगाए हैं और मैं विशेष कर आज इस मांग में इसलिए भी रुका, मुझे जाना था, लेकिन मुझे बोलना था, मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा खनिज का घोटाला कहीं मध्यप्रदेश में बना है तो वह महिदपुर विधान सभा में दिनेश पिता मांगीलाल बोस के खिलाफ बना है और वह व्यक्ति कौन, मैं कहूँगा तो आप सुनकर आश्चर्य करोगे, उसके खिलाफ 30 करोड़ 29 लाख की रिकवरी, आपके द्वारा काफी प्रेशर के साथ एसडीएम कोर्ट से, कलेक्टर कोर्ट से, कमिश्नर कोर्ट से, उपाध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी का ध्यानाकर्षित करना चाहता हूँ कि 30 करोड़ 29 लाख का राजस्व है और उनकी फाइल राजस्व मंडल में लंबित है और यह 24 मार्च तारीख लगी है. आपने उज्जैन के अधिकारी को तो बदल दिया है, नया अधिकारी वहाँ पर आ गया, मेरे प्रश्न के उत्तर में आया था कि वह तारीखों पर नहीं गया था, उज्जैन का खनिज अधिकारी बदल गया है. लेकिन आज 21 मार्च है, चौथे दिन उसकी तारीख राजस्व मंडल जो ग्वालियर में है, मैं आपके माध्यम से आग्रह करना चाहता हूँ कि यह 30 करोड़ रुपये की राशि बहुत बड़ी होती है. निश्चित रूप से उसकी वसूली करने के लिए आपके अधिकारी को आप निर्देश देंगे.
उपाध्यक्ष महोदय, मेरे विधान सभा क्षेत्र में जो एक शुगर मिल हुआ करती थी और उस शुगर मिल में गन्ना....
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- उपाध्यक्ष महोदय, माननीय बहादुर सिंह जी ने 30 करोड़ की रिकवरी की बात की है. हमारे यहाँ पाँच, पाँच सौ करोड़ रुपया जेपी सीमेंट वालों का देखिए और जितने ये सीमेंट फैक्ट्री वाले हैं इनका देखिए कि मायनिंग की रिकवरी इनके ऊपर कितनी है. अभी तो आप 30 ही करोड़ में हैं...(व्यवधान)..
श्री बहादुर सिंह चौहान-- उपाध्यक्ष जी, मैं तो कहना चाहता हूँ कि आपका प्रकरण क्या है, मैंने तो प्रकरण पूरा बता दिया. मेरी तो 3 दिन में तारीख है, राजस्व मंडल ग्वालियर में, 24 मार्च लगी हुई है और विभाग के अधिकारी और मंत्री जी बैठे हुए हैं मैंने तो याद दिलाया है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरी विधानसभा क्षेत्र में महिदपुर रोड है जो रेलवे का ट्रैक है , नागदा से लगा हुआ है और वहां पर 244 हेक्टेयर भूमि खाली है और उस भूमि को शुगर मिल से लेकर सहकारिता विभाग को दे दी गई है. मैंने कई बार मंत्री जी को पत्र भी लिखे हैं और निवेदन भी किया है कि वहां पर कोई छोटा-मोटा उद्योग आपकी ओर से लगा दिया जाए. भूमि है और रेलवे की ब्राडगेज लाइन वहां से निकली हुई है, दिल्ली की लाईन है उसमें विचार करें, चूंकि जमीन वहां ऑलरेडी उपलब्ध है पानी है और क्षिप्रा नदी भी पास में बहती है रेलवे भी है तो 244 हेक्टेयर भूमि एक स्थान पर है अगर उसमें विचार करेंगे तो आपकी बड़ी कृपा होगी. साथ ही साथ मैं माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूँ कि इस बार आपने खनिज पर जो कार्यवाहियॉं की हैं जितनी आपकी प्रशंसा की जाए, उतनी ही सराहनीय है. आज पहली बार ऐसे हमारे जिले में जिन पर कभी कार्यवाहियॉं नहीं होती थीं आपके निर्देश पर, माननीय मुख्यमंत्री जी के निर्देश पर बहुत ताकत से कार्यवाही हुई है जिससे आपका राजस्व भी खनिज राजस्व भी निश्चित रूप से बढ़ा है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हॅूं कि बिना मेहनत किए हुए एक साल, दो साल में आदमी करोड़पति, अरबपति बन जाता है. आपकी खनिज की पॉलिसी बहुत अच्छी है. माननीय उपाध्यक्ष जी, मैं एक उदाहरण देना चाहता हॅूं. एक व्यक्ति को खनिज इकट्ठे मिले, जिसने 11 लाख रूपये जमा किए और एक व्यक्ति पास में अवैध कर रहा है. अब उसको बिना रॉयल्टी के डंपर जा रहा है. आपका विभाग तो चूंकि कार्यवाही कर रहा है. मेरा इसमें यह कहना है कि हर जगह रॉयल्टी की तरह आप खदानें दें. आप कानून में और सरलता लाएं. खनिज को लेकर जो जटिलताएं हैं आप कितनी पारदर्शी पॉलिसी बना सकते हैं. हर व्यक्ति यदि एक ट्रेक्टर रेत लेकर जा रहा है तो उसके पास रॉयल्टी होना चाहिए. इसे आप सरल बनाएंगे, जब आप इसे छोटे-छोटे स्थानों पर ओपन कर देंगे. अभी हमारे जिलाधीश महोदय ने बहुत अच्छा निर्णय लिया. पूरे उज्जैन जिले में जितनी भी अवैध रेत थी उसको जब्त करके जो प्रधानमंत्री आवास बन रहे हैं उन्होंने कट्टे दिए और बहुत कम कीमत पर, रॉयल्टी कीमत पर प्रधानमंत्री आवास के जो 10 हजार मकान महिदपुर तहसील और अन्य तहसीलों में बन रहे हैं उनको रॉयल्टी पर जब्त करके वह रेत दी जा रही है. गरीब को वह रेत काम आ रही है.
उपाध्यक्ष महोदय -- श्री बहादुर सिंह जी अब आप समाप्त करें.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरा कहना है कि ऐसी पॉलिसी बनाई जाए कि हर व्यक्ति इस खनिज का उपयोग कर सके. कुछ लोग ही इसके अंदर अरबपति, खरबपति बनते जा रहे हैं. इसमें बहुत ज्यादा काम करने की आवश्यकता है. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष्ा महोदय -- बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री कमलेश्वर पटेल (सिहावल) -- माननीय उपाध्यक्ष्ा महोदय, उद्योग स्थापित करने की योजनाऍं तो बहुत सारी हैं और विदेश यात्राऍं भी बहुत हुईं. हमें तो लगता है पूरे विश्व का भ्रमण कर लिया, पर अभी तक धरातल पर कोई भी ऐसा उद्योग दिखाई नहीं दिया कि कोई बाहर से विदेशी कंपनी आकर कोई भी उद्योग स्थापित किया हो बल्कि पन्ना में एक कंपनी है कई वर्षों से हीरा खुदाई का काम कर रही थी, वह छोड़कर चली गई. हम तो अपने क्षेत्र की बात करेंगे क्योंकि हमारे सीधी, सिंगरौली जिले में भी खासकर सिंगरौली जिले में बहुत सारे उद्योग स्थापित हैं. उद्योग की जो नीति है, विस्थापितों की जो नीति है, युवाओं को रोजगार देने की जो नीति है उसका बिल्कुल पालन नहीं हो रहा है और खुशी की बात भी है और माननीय मंत्री जी से थोड़ी-सी उम्मीद भी है क्योंकि वे वहां के प्रभारी मंत्री भी हैं सहज-सरल हैं.
माननीय उपाध्यक्ष्ा महोदय, मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि जब भी आप सिंगरौली जिले के दौरे पर जाते हैं क्योंकि सरकार ने समय-समय पर पहले जब सुश्री उमा भारती जी मुख्यमंत्री थीं तो उन्होंने रोजगार संवर्धन बोर्ड बनाया था और दस शतक तक उसमें कुछ भी नहीं हुआ और अभी उसका नाम बदलकर मध्यप्रदेश शासन ने रोजगार निर्माण बोर्ड कर दिया है. रोजगार निर्माण बोर्ड कर दिया है, अच्छी बात है, पर बोर्ड बनाने से, आयोग बनाने से काम नहीं चलेगा. अभी उसके माध्यम से सिर्फ युवाओं का उत्सव मनाया जा रहा है. अभी सिर्फ यही काम हो रहा है जबकि पूरे मध्यप्रदेश में लाखों युवा बेरोजगार रोजगार कार्यालयों का चक्कर लगा रहे हैं और जितनी योजनाएं हैं चाहे वह मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना हो, चाहे युवा उद्यमी योजना हो, आर्थिक सहायता योजनाएं जैसी योजनाएं दम तोड़ रही हैं. युवा उद्यमियों को बैंकों से अपेक्षित सुविधाएं नहीं मिल रही हैं. इस पर माननीय मंत्री जी को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है. युवाओं को अपना उद्योग लगाने के लिए अवसर पैदा नहीं हो रहे है. कोई ऐसा मार्गदर्शन समय-समय पर जिस तरह से मिलना चाहिए, युवाओं को नहीं मिल रहा है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मेरा माननीय मंत्री जी से विशेष निवेदन है कि इस पर आप पहल करें. खासकर जो सीधी, सिंगरौली जिले के बेरोजगार हैं, विंध्य क्षेत्र के जो बेरोजगार हैं जो भी उद्योग स्थापित हुए, स्थानीय युवाओं को बिल्कुल रोजगार नहीं दे रहे हैं यहां तक कि जिनकी जमीनें चली गईं. हमारे विधानसभा क्षेत्र बरगंवा में भी हिन्डाल्को कंपनी है और सारे विस्थापित हमारे विधानसभा क्षेत्र में हैं. हमारे विधानसभा क्षेत्र की भी जमीनें गई हैं और उनके परिजनों को एक बार रोजगार दे दिया है. उनके बच्चे बडे़ हो गए हैं तो उनको रोजगार के अवसर उपलब्ध नहीं करा रहे हैं, वे कहां जाएं. अपनी जमीनें तो उन्होंने दे दी. अब वे कहां जाएं ? वे दर-दर भटक रहे हैं. खासकर विस्थापितों को जहां बसाया है उन बसाहटों में भी जो व्यवस्थाएं की हैं उनमें भी एक-एक, दो-दो कमरें बना दिए गए हैं परिवार उनका बड़ा हो गया, उनको रहने की समस्या हो रही है और बारिश में मकान टपकता है. माननीय मंत्री जी से मेरा निवेदन है कि आप कभी जब विजिट करते हैं तो वहां आप जो विस्थापित कॉलोनी है इसी तरह रिलायंस में भी है जो भी उद्योग स्थापित हुए हैं एसआर का है, जेपी का है तो विस्थापन नीति का पालन नहीं हो रहा है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि विशेष ध्यान दें और कई लोगों की जमीनें जाने के बाद आज तक उनको मुआवजा नहीं मिला है. जिन लोगों को मुआवजा नहीं मिला है जिन लोगों की जमीनें चली गईं, उनको मुआवजा दिलवाया जाए. इसी तरह से सीधी जिले में मूसाखेड़ी में अधिग्रहण किया गया था एक जगह है टिकरी के पास मझौली ब्लॉक में. 25 दिन से वहां पर किसान आंदोलनरत हैं. आदरणीय डॉ. गोविन्द सिंह जी ने ध्यानाकर्षण के माध्यम से भी चर्चा में तो नहीं आया पर ध्यानाकर्षण में विषय आया था.
उपाध्यक्ष्ा महोदय -- श्री कमलेश्वर जी, एक मिनट में समाप्त करें.
श्री कमलेश्वर पटेल -- माननीय उपाध्यक्ष्ा महोदय, मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि जिनकी जमीनें चली गई हैं एक तो उनको मुआवजा ठीक से नहीं मिला और फर्जी तरीके से अधिग्रहण किया गया. न ग्राम सभा हुई. ग्राम सभा फर्जी तरीके से बना ली गई. जो जॉंच कमेटी थी जॉंच कमेटी ने सारी रिपोर्ट भी दी थी. भूख हड़ताल पर बैठे हैं. माननीय मंत्री जी से मेरा निवेदन है कि उस पर विशेष ध्यान दें इस तरह से जबर्दस्ती भूमि अधिग्रहण नहीं करें. दूसरा जो खनिज विभाग है डिस्ट्रिक्ट माइनिंग फंड के माध्यम से जो अभी पहले सिंगरौली जिले में ही काफी अर्निंग होती थी जो सीएसआर मद रहता था अभी जो नीति बनी है वह स्वागत योग्य है. पहले जो वहां से अर्निंग होती थी वह दूसरे जिलों में डेव्लपमेंट के कामों में खर्चा कर देते थे, पर अभी एक जो नीति बनी है कि उसी जिले में खर्चा होगा वहीं पर व्यय करेंगे, वहीं पर डेव्लपमेंट के काम होंगे. माननीय मंत्री जी प्रभारी मंत्री भी हैं, आपसे मेरा विशेष आग्रह है कि जो विद्युतविहीन गांव हैं, जहां पानी की समस्या हैं जहां नदी नालों पर आदिवासी बाहुल्य गांवों में रपटा बनना है. बच्चों के स्कूल का जो 2-3 महीने आवागमन अवरूद्ध हो जाता है विद्युतविहीन गांवों का कई जगह सर्वे हुआ है. हम लोगों ने भी प्रस्ताव दिया था कि आप विशेष रूचि लेकर, क्योंकि अभी मार्च एंडिंग चल रहा है जितना जल्दी आप कलेक्टर को निर्देशित करेंगे, तो राशि भी लेप्स न हो या अभी इसी वित्तीय वर्ष में डेव्लपमेंट के काम हो जाएगे, मुझे आपसे बहुत उम्मीद है, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री दिलीप सिंह शेखावत (नागदा-खाचरौद) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 11 और 25 के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हॅूं. निश्चित रूप से मैं यह कहूंगा कि जब से मध्यप्रदश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी है नये उद्योग लगाने के प्रति उद्योगपतियों का एक रूझान मध्यप्रदेश में आप और हम सब लोग देख रहे हैं और उसका एक मुख्य कारण जो हम सबको लगता है कि सड़क, बिजली, पानी की पर्याप्त व्यवस्थाएं हुई हैं और उद्योगपतियों में मध्यप्रदेश की सरकार के प्रति विश्वास जागा है उसके कारण आज मध्यप्रदेश में चाहे सीमेन्ट हो, फाइबर हो, चाहे नॉन कन्वेंशियल एनर्जी में इन्वेस्टमेंट करने का मामला हो, ऐसे अनेक उदाहरण आप और हम सबके सामने है कि मध्यप्रदेश में उद्योग लगे हैं. कुछ चीजें निश्चित रूप से मैं अपने क्षेत्र की कहूंगा कि भगतपुरी क्षेत्र डेव्लप किया है और उसमें कुछ सुविधाएं पानी की और अन्य सुविधाएं और देना है वहां उद्योग लगना लगभग चालू हो गए हैं तो अगर कुछ सुविधायें और देंगे तो निश्चित रूप से फायदा होगा. मंत्री जी, एक बात का और ध्यान मैं आपको दिलाना चाहता हूं कि मेरे क्षेत्र में कृषि आधारित उद्योग लगने की बहुत संभावना है और विशेषकर के मटर फल्ली के क्षेत्र में हम मध्यप्रदेश में शायद टॉप होंगे. जब मटर फल्ली का उत्पादन होता है तो लगभग ढाई सौ से तीन सौ ट्रक डेली मटर फल्ली बॉम्बे, उदयपुर, राजस्थान, गुजरात में जाती है और मटर फल्ली और टमाटर व अन्य जो फसलें हैं उनके लिए खूब संभावनायें हैं. हमारे यहाँ इनकी फसल खूब होती है. माननीय मुख्यमंत्री जी ने भी घोषणा की थी कि हम फूड प्रोसेसिंग प्लान्ट यहाँ पर लगाएंगे. अगर मध्यप्रदेश फूड प्रोसेसिंग प्लान्ट के उद्योगपतियों ने यदि कोई रूचि दिखाई है तो उसमें नागदा-खाचरौद भी शामिल हो सकता है क्योंकि चंबल नदी है, बाम्बे, दिल्ली का सेंट्रल प्वाइंट है. रोड कनेक्टिविटी मेरे यहाँ बहुत अच्छी है और उत्पादन भी खूब होता है उसके कारण एक बहुत बड़ी संभावनायें हमारे यहाँ पर है. मैं आपका ध्यान दिलाना चाहूंगा कि चूंकि हमारे यहाँ पर भारत कॉमर्स इंडस्ट्रीज थी, जो फाइबर से धागा बनाती थी, के.एम. बिड़ला जी की थी और वह उद्योग हमारे यहाँ पर बॉम्बे की किरण मिल और वह ज्वाइंट एक इंडस्ट्रीज थी उसके कारण कुछ देनदारियाँ, किरण मिल बॉम्बे जो का उद्योग था, उस पर थी और उसके कारण वह भारत कॉमर्स इंडस्ट्रीज भी सिक हुई और उसके कारण वह धागे बनाने की इंडस्ट्री थी, वह बंद हुई. लेकिन चूंकि हमारे यहाँ रॉ मटेरियल नागदा में ही बनता है, ग्रेसिम में और इसमें का एक बहुत बड़ा उद्योग हमारे यहाँ पर है. क्योंकि अभी वर्तमान में कपड़ा और धागा बनाने की इंडस्ट्री जो इन्दौर, उज्जैन, देवास में थी वह लगभग सभी बंद हो गई है. अब एक आवश्यकता है और भीलवाड़ा के बाद में इस पूरे जोन में. राजस्थान और मध्यप्रदेश में कहीं उसमें की इंडस्ट्री नहीं है. चूंकि ग्रेसिम उद्योग डालना चाहता है लेकिन भारत कॉमर्स इंडस्ट्री की जो जमीन थी वह जमीन लिक्विडेटर ने बेची और वह ग्रेसिम ने खरीदी. लेकिन बाद में उसको सरकार ने सरकारी घोषित कर दिया.मेरा उसमें यह कहना है कि अगर सरकार ने उसको सरकारी भी घोषित कर दिया तो हम उनसे सरकारी रेट से पैसा लेकर, अगर कोई उद्योगपति उस क्षेत्र में आता है तो एक बहुत बड़ी सकारात्मक पहल आपके कारण होगी और मेरे क्षेत्र में धागे की इंडस्ट्री डलने के कारण युवाओं को एक बहुत बड़ा रोजगार मिलेगा.मैं एक निवेदन और करूँगा कि बहादुर सिंह जी के क्षेत्र में है लेकिन नागदा से लगा हुआ एक कचनारिया, हमने औद्योगिक क्षेत्र घोषित किया है और काफी जमीन वहाँ पर है. मेरे पास एकेवीएन के अधिकारियों का फोन आया था कि 1500 करोड़ का कोई इन्वेस्टमेंट आ रहा है लेकिन पानी की उपलब्धता नहीं है. आज जो जल संसाधन मंत्री ने निनावदखेड़ा में डेम की घोषणा की है उसके कारण एकेवीएन के जो जिले के अधिकारियों हैं आप उनसे पूछें कि वह 1500 करोड़ के कौन इन्वेस्टर्स थे और पानी की उपलब्धता का हम प्रमाणपत्र दें तो वह एक बहुत बड़ा इन्वेस्टमेंट आ सकता है और कचनारिया के स्थान को डेवलप करने की बहुत आवश्यकता है. वहाँ जगह खूब है नागदा महिदपुर रोड पर वह बसा हुआ है. माननीय मुख्यमंत्री जी की ऐसे ही एक घोषणा है फरनाखेड़ी की, यह उज्जैन जावरा रोड पर है और उसको औद्योगिक क्षेत्र के रूप में विकसित करने की घोषणा है.यदि उसको औद्योगिक क्षेत्र के रूप में विकसित करेंगे तो निश्चित रूप से हमारे यहाँ पर खाचरौद में फाइनेंशियली काफी साउंड व्यापारी हैं, वह एक नया उद्योग डाल सकते हैं. अंत में एक निवेदन करते हुए अपनी बात को समाप्त करूंगा कि जो सीएसआर फंड होता है वह एक बहुत बड़ा फंड होता है और उसमें निश्चित रूप से कहीं शासन की भूमिका होती होगी, यह मैं नहीं कहता लेकिन जन प्रतिनिधियों की भी उसमें भूमिका हो और एक सकारात्मक सोच के साथ में वह सीएसआर फंड लगे ऐसी विनती है और उपाध्यक्ष महोदय, अंत में आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन करना चाहूंगा कि कंस्ट्रक्शन का काम कभी बनते हुए नहीं रुकता लेकिन मेरे क्षेत्र में एक भी रेती खदान की नीलामी नहीं हुई और उसके कारण माफिया रेती की खदान से अवैध उत्खनन करते हैं. फिर उनको पकड़ा जाता है. जन प्रतिनिधियों के पास भी मामले आते हैं और उसके कारण कुछ स्थितियाँ निर्मित होती हैं. मेरा निवेदन है कि जितनी रेत की खदानें हैं उसको लीगल तरीके से ऑक्शन किया जाये और उसके बाद दी जाये तो यह सारी स्थितियाँ उत्पन्न नहीं होगी. उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने के लिए समय दिया उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री फुन्दे लाल सिंह मार्को (पुष्पराजगढ़)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं माँग सँख्या 11 और 25 के विरोध में और कटौती प्रस्तावों के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूँ. मेरे पुष्पराजगढ़ विधानसभा क्षेत्र में पिछले कई वर्षों से ग्राम चचांडी और गढ़ीदादर में बॉक्साइट का खनन किया जा रहा है और वर्ष 2011-12 में मध्यप्रदेश राजपत्र में 25.5.2013 को प्रकाशित हुआ और इसके तहत ग्राम रनईकापा, कुम्हरवार, अतरिया, भीमकुंडी, करोंदाटोला, गरजनबीजा और सलैया में बॉक्साइट का सर्वे हुआ और यहाँ वह पाया गया. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पुष्पराजगढ़ विधानसभा एक पहाड़ी क्षेत्र है जहाँ लोग निवास करते हैं. वहाँ कोई दूसरा उद्योग धंधा नहीं है. खेती पर लोग वहाँ आश्रित हैं और वहाँ आसपास पुष्पराजगढ़ से बाहर तीस चालीस किलोमीटर दूर कोयले के विशाल भंडार भरे हैं और कई ओपन कास्ट कॉलरियाँ भी संचालित हैं. पिछले 10-15 सालों से वहाँ पर बॉक्साईट का खनन किया जा रहा है और वहाँ से परिवहन करके अनूपपुर, बिलासपुर इत्यादि रेल्वे स्टेशनों में बेचा जा रहा है. पिछले बजट में भी मैंने शासन से अनुरोध किया है वहाँ कच्चा माल उपलब्ध है बहुत सारे लोगों ने पुनरीक्षण अनुज्ञप्ति के आधार पट्टे के लिए आवेदन भी दिया है परन्तु वह बॉक्साइट का सर्वे होने के पश्चात, आवेदन लगाने के बाद भी आवेदकों को बॉक्साइट खनन की स्वीकृति ना मिलने के कारण वहाँ पर जो पढ़े-लिखे छात्र हैं, बेरोजगार लोग हैं, वह रोजगार के लिए क्षेत्र से बाहर पलायन कर रहे हैं. यदि वहाँ कोई उद्योग स्थापित हो तो अच्छा होगा क्योंकि वहाँ कच्चा माल पर्याप्त उपलब्ध है. यदि वहाँ उद्योग स्थापित कर दिया जाये तो वहाँ का रॉ मटेरियल उपयोग होगा और वहाँ के लोगों को रोजगार भी मिलेगा. इसका सर्वे भी किया जा चुका है , सरकार इस पर ध्यान दें. बहुत सारे अवैध उत्खनन हो रहे हैं. जो लोग एक जगह पट्टा लेकर अन्य जगह खनन करके उसका परिवहन करते हैं उसको रोकने में सरकार नाकाम रही है. मैं चाहता हूं कि वहाँ एक ऐसा प्रोजेक्ट बने कि वहाँ उद्योग स्थापित हो और लोगों को ज्यादा से ज्यादा रोजगार भी मिले और सरकार की आय में वृद्धि भी हो. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरे पुष्पराजगढ़ विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा टमाटर की पैदावार होती है और यह टमाटर मध्यप्रदेश के रीवा, सतना, सीधी,इलाहाबाद तक तो परिवहन होता ही है वहाँ जो समीपस्थ छ्त्तीसगढ़ राज्य है वहाँ भी बिलासपुर, कोरबा और रायपुर तक हजारो ट्रक टमाटर का परिवहन होता है. मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि वहाँ कोई ऐसी स्कीम या उद्योग स्थापित करें कि उस क्षेत्र में ही टमाटर का उपयोग हो. कोई ऐसी इंडस्ट्री वहाँ स्थापित कर दें कि किसानों को सही लाभ मिले क्योंकि बाहर ले जाने से उनका शोषण भी होता है और सही कीमत नहीं मिल पाती है इन तमाम चीजों को ध्यान में रखकर वहाँ टमाटर और बॉक्साईट की इंडस्ट्री यदि स्थापित करेंगे तो उस क्षेत्र का काफी भला होगा और आज जिस तरीके से बेरोजगारी बढ़ रही है उस पर निश्चित ही सरकार को ध्यान देना चाहिए.बढ़ती हुई गुणात्मक जनसंख्या में हम इन बेरोजगारों को रोजगार कैसे उपलब्ध करा सके इस विषय पर चिंता करना अति आवश्यक है और इसके लिए छोटे-छोटे जो लघु व कुटीर उद्योग हैं, जो गाँवों में पूर्व से चल रहे थे, बढ़ते मशीनीकरण के साथ वह धीरे-धीरे विलुप्त होते जा रहे हैं उन पर ध्यान देना आवश्यक है. आपने मुझे बोलने का मौका दिया उसके लिए धन्यवाद.
श्री दिलीप सिंह परिहार (नीमच) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 11 और 25 के समर्थन में अपनी बात कहने के लिए खड़ा हुआ हूँ. मध्यप्रदेश में माननीय मुख्यमंत्री जी और माननीय उद्योग मंत्री जी ने उद्योग को बढ़ाने के लिए लगातार अनेक काम किए हैं, साथ ही उद्योगपतियों को सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है. अक्टूबर, 2016 में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट की सफलता हमारे सामने इस बात की प्रमाण है, जिसमें लगभग 300 देशों ने भाग लिया और उनसे हमें लाभ मिला है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं तो अपने क्षेत्र की बात करूंगा और माननीय उद्योग मंत्री राजेन्द्र शुक्ल जी को धन्यवाद दूंगा कि उन्होंने झांझरवाड़ा में 85.69 हेक्टेयर क्षेत्र में 2 हजार करोड़ रुपये की इंडस्ट्री स्वीकृत की है. इसके लिए 90 करोड़ रुपये आपने स्वीकृत भी कर दिए हैं, यह प्रथम किश्त स्वीकृत हुई है, मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि आप वहाँ पधारकर हमारे बेरोजगारों के लिए इस औद्योगिक केन्द्र का शुभारंभ करें तो बहुत अच्छा रहेगा. एक निवेदन और है कि इसके लिए जो ऑनलाइन बुकिंग प्रारंभ करने वाले हैं उसको शीघ्रातिशीघ्र करें जिससे कि बेरोजगारों को रोजगार मिल सके और वे अपना उद्योग लगा सकें. नीमच में जी.एम. की पोस्टिंग भी अभी तक नहीं हुई है जबकि यह जिला है, हमने कई बार आपसे मांग भी की है अत: जी.एम. की पोस्टिंग कर दें.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, नीमच में उद्योग के क्षेत्र में दिल्ली-बाम्बे कॉरिडोर आना था, लेकिन अभी तक नहीं आ पाया है, जबकि यह उज्जैन में है, पीथमपुर में भी प्रारंभ हो चुका है, नीमच में राजस्थान से आने वाले दिल्ली-बाम्बे कॉरिडोर हेतु रतलाम तक भी आपने स्वीकृति दी है तो मेरा आपसे यही निवेदन है कि इस हेतु नीमच में भी आप स्वीकृति प्रदान करें क्योंकि नीमच में बहुत से उद्योग लगने की संभावना है, जावद क्षेत्र में लोहे का भण्डार है, हमारे नीचम में खनिज हैं और साथ ही साथ डेट्राइट भी निकलती है तो इससे भी हमारे क्षेत्र की जनता को रोजगार मिलेगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की ''स्टेंड-अप योजना'' का कार्य नीमच में अभी तक प्रगति पर नहीं हुआ है, इसको भी आप प्रारंभ करें तो जो बेरोजगार इधर-उधर भटक रहे हैं उनको रोजगार मिलेगा. सरकार ने 10 लाख रुपये से 2 करोड़ रुपये तक लोन देने की जो योजना बनाई है उसका लाभ लेकर वे अपना उद्योग लगाएंगे, अपने लोगों को रोजगार देंगे और अपने पैरों पर खड़े हो पाएंगे. आप लगातार औद्योगिक क्षेत्र में विकास कर रहे हैं, आपने पीथमपुर में लागू किया है, उज्जैन में लागू किया है तो नीमच में भी इसको लागू करें.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, डुमलावदा में हमारा एक औद्योगिक क्षेत्र है, उस औद्योगिक क्षेत्र में कई उद्योगपतियों ने प्लॉट तो ले लिए हैं मगर आज भी वहाँ उद्योग प्रारंभ नहीं हो पाए हैं. अत: आपसे निवेदन है कि वहाँ के प्राइवेट क्षेत्र का आँकलन करा लें और जो प्लॉट खाली पड़े हुए हैं उन पर औद्योगिक क्षेत्र के लिए बेरोजगारों को यदि जमीन देंगे तो वे आपको दुआएँ देंगे क्योंकि हमारे यहाँ बेरोजगारी लगातार बढ़ रही है. हमारे यहाँ भीलवाड़ा है, भीलवाड़ा क्षेत्र में जो लोग उद्योग लगाना चाहते हैं, यदि आप उनको प्रोत्साहन देंगे तो कहीं न कहीं हमारे यहाँ जूट के उद्योग लग सकेंगे, कृषि के क्षेत्र में वहाँ कम से कम 85 प्रकार की जिंस आती हैं तो ईसबगोल, लहसून, टमाटर का कैच-अप, इस तरह के उद्योग लगाकर किसान के बेटे भी उद्योगपति बन सकेंगे और अपने पैरों पर खड़े हो पाएंगे. नीमच इंडस्ट्री का आप सर्वे जरूर करा लें क्योंकि औद्योगिक क्षेत्र अभी भी वहाँ खाली पड़े हुए हैं, कुछ लोगों ने केवल प्लॉट लेकर रखे हैं, अत: मेरा आपसे यही निवेदन है कि आपने जिस प्रकार से वर्ष 2016-17 के अंतर्गत तीन वर्ष की अवधि में लगभग 5500 हेक्टेयर क्षेत्र में उत्कृष्ट श्रेणी के उद्योग की अधोसरंचनाएँ बनाई हैं, मैं इसके लिए भी आपकी जितनी प्रशंसा करूँ उतनी कम है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, नीमच में खनिज का भण्डार है, वहाँ सीमेंट की एक सी.सी.आई. फैक्ट्री थी, वहाँ पर सीमेंट का बहुत सा पत्थर नीचे दबा हुआ है, वह सीमेंट की फैक्ट्री जो बंद है यदि आप अपील करेंगे तो नीचम की सी.सी.आई. फैक्ट्री प्रारंभ हो जाएगी, यह गवर्न्मेंट की फैक्ट्री थी और सीमेंट उत्पादन होता था लेकिन आपसी उलझनों की वजह से वह कहीं न कहीं रुकी हुई है. आप उद्योग मंत्री हैं, आपकी इच्छा भी है, यदि आप सी.सी.आई. फैक्ट्री को चालू करवाएंगे तो हमारे बेरोजगार लोगों को रोजगार मिलेगा. सीमेंट का सबसे बड़ा स्टोन और बहुत बढ़िया स्टोन वहाँ पर है. सी.सी.आई. से बहुत बढ़िया सीमेंट बनती थी, जिसका तोड़ हम कह सकते हैं कि आज वहाँ विक्रम सीमेंट है और उस विक्रम सीमेंट के माध्यम से जो खनन होता है उस खनन के कारण कई बड़ी-बड़ी दरारें भी पड़ी हैं, अत: उद्योग तो लगें लेकिन उद्योगों से हमारे किसानों की फसलों को नुकसान न हो. वहाँ चिमनी लग जाती है और किसानों की फसलों के ऊपर जो सीमेंट जम जाती है उसका भी आप आंकलन करा लें. मैं इस अवसर पर आपसे यही निवेदन करूंगा कि आपने जो झांझरवाड़ा का हमारा औद्योगिक क्षेत्र प्रारंभ किया है, आप वहाँ पधारें और जनता को सौगात दें.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इस अवसर पर मैं खनिज के संबंध में भी दो बातें कहना चाहता हूँ. हमारे यहाँ डेट्राइट की बड़ी-बड़ी खानें हैं, यदि आप जिला स्तर पर कलेक्टर को उन डेट्राइट की खानों के माध्यम से बेरोजगारों को रोजगार देने के लिए निर्देशित करें तो बहुत अच्छा होगा. जैसे गिट्टी लगाने के लिए थ्रेशर की अनुमति देते हैं उसी प्रकार डेट्राइट के लिए भी अनुमति दें. हमारे यहाँ पर कुछ अवैध खनन भी हो रहा है जिनको लीज एलॉटमेंट नहीं है वे भी खनन कर रहे हैं और कुछ ऐसे स्थान हैं जहाँ पर हमारे बेचारे गरीब मजदूर काम करते हैं उन गरीब मजदूरों को बेरोजगार कर दिया जाता है, उनके छोटे-छोटे औजारों को पकड़ लिया जाता है, इसकी भी आप जाँच करा लें, मैं पुन: माननीय उद्योग मंत्री जी को बहुत-बहुत धन्यवाद दूंगा कि उन्होंने झांझरवाड़ा में औद्योगिक क्षेत्र विकसित किया है, आपसे यही निवेदन है कि आप शीघ्रातिशीघ्र पधारें और हमें वह सौगात दें, उपाध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का समय दिया, इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
एडवोकेट सत्यप्रकाश सखवार (अम्बाह) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 25 के कटौती प्रस्ताव के विरोध में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूँ. पूरे मध्यप्रदेश में खनिज और विशेषकर रेत माफियाओं का ताण्डव मचा हुआ है. अगर इसका विरोध कोई करता है तो उसको डराया-धमकाया जाता है.
श्री शैलेन्द्र जैन -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, ये कटौती प्रस्ताव के पक्ष में बोल रहे हैं या विपक्ष में बोल रहे हैं ?
उपाध्यक्ष महोदय -- उनको बोलने दीजिए, थोड़ी देर में सब स्पष्ट हो जाएगा.
एडवोकेट सत्यप्रकाश सखवार -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, गुण्डों और माफियाओं द्वारा हमारे मुरैना, भिण्ड, ग्वालियर के माइनिंग के अधिकारियों पर बहुत बार गोलियाँ चलीं, लोगों की हत्याएँ हुईं, लेकिन आज तक उन पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है जिसके कारण बड़े पैमाने पर रेत व खनिजों का अवैध उत्खनन किया जा रहा है. मुझे ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार या मंत्री का संरक्षण खनिज माफियाओं को प्राप्त हो रहा है. सरकार का इसमें बहुत बड़े राजस्व का नुकसान हो रहा है, क्षति हो रही है, मैं चाहता हूँ कि इस पर रोक लगाई जाए और सख्ती से कदम उठाए जाएँ और रेत के लिए किसी ऐसी नीति का निर्धारण हो जिससे सरकार को ठीक तरह से राजस्व मिल सके और जो ऐसे अपराधी लोग हैं उन पर रोक लगाई जा सके. आपने बोलने का मौका दिया, उसके लिए धन्यवाद.
श्री जितू पटवारी (राऊ) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, उद्योग विभाग और खनिज विभाग की मांगों पर बोलने का आपने मुझे अवसर दिया, इसके लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूँ. कुछ दिन पहले मैंने अखबार में पढ़ा था कि उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत...
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- जितू भाई, कल ओपनिंग करके चले गए थे फिर अभी आ रहे हैं, वह पूरा विभाग ही निपट गया.
डॉ. कैलाश जाटव -- ज्यादा देर हो गई थी ना इसलिए कल थक गए थे.
उपाध्यक्ष महोदय -- जितू पटवारी जी, आसंदी से भी कई बार कहा गया है.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह) -माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैंने श्री जितू पटवारी जी के आने के साथ ही उनसे पूछा था कि क्या हो गया है, तो इन्होंने बताया था कि इनके क्षेत्र के दो बहुत प्रमुख लोगों की आज सुबह मृत्यु हो गई है, उसमें वह शामिल होने गये थे.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - परंतु माननीय नेता प्रतिपक्ष जी क्या वह कल से ही चले गये थे. मृत्यु तो आज हुई है, क्या कल भाषण देकर ही चले गये थे?
श्री अजय सिंह - हां, जैसे श्री कैलाश विजयवर्गीय जी रोजाना शाम को भोपाल से इंदौर चले जाते थे, वैसे श्री जितू पटवारी जी भी इंदौर चले जाते हैं.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - इसमें श्री कैलाश विजयवर्गीय जी कहां से बीच में आ गये(हंसी)..
उपाध्यक्ष महोदय - इंदौर वालों की यह कुछ आदत है (हंसी)..
श्री पारस चंद्र जैन - माननीय उपाध्यक्ष जी आपने यह बात सही कही है इंदौर वालों की यही आदत है.
श्री जितू पटवारी - मेरी विधानसभा में पहले हमारे बदनावर के विधायक थे, उनकी थी, उनके भी वह कार्यकर्ता थे, जो शांत हुए थे, उनकी तरफ से भी मैंने संवेदना व्यक्त की है.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार - श्री पटवारी साहब पर आपका भी जो नाराज होने का अंदाज है, वह मानना पड़ेगा. उन्हें ऐसा लगा कि आपने उनका फेवर किया लेकिन वास्तव में आपने जिस तरीके से उनको डांटा यह बहुत अच्छी बात है. (हंसी)..
उपाध्यक्ष महोदय - श्री जितू पटवारी जी आप बोलें.
श्री सुरेन्द्र पटवा - माननीय उपाध्यक्ष जी श्री जितू पटवारी जी जब भी बोलते हैं तो सब लोग आपको छेड़ते हैं. (हंसी)..
श्री जितू पटवारी - माननीय उपाध्यक्ष जी यह सदन मुझसे प्यार करता है, यह मुझे पता है. यह परिवार के लोग हैं, मुझे सिखाते भी हैं और मुझे पढ़ाते भी हैं. मैं समझता हूं कि उद्योग विभाग को लेकर अभी चर्चाएं चल रही थी. आदरणीय उद्योग मंत्री जी बड़े संवेदनशील हैं. इससे पहले जो मंत्री थीं, वह अभी चली गई हैं, वह भी इनसे ज्यादा संवेदनशील थी और इस विभाग के जो पी.एस. वह भी शायद बहुत ज्यादा संवेदनशील हैं. इन्वेस्टर्स मीट होती रहती है, वह भी इन्वेस्टर्स मीट करते रहते हैं और इंदौर उनकी पसंदीदा जगह है. अलग अलग इन्वेस्टर्स मीटों में अलग -अलग खर्चा हुआ है, उसके संबंध में हमने प्रश्नों में पूछा. हर बार कुछ न कुछ नई बातें कही गई, नई ब्राडिंग हुई, नये लोग आये, प्रधानमंत्री भी आए और जब आंकड़ों को मैंने फिर प्रश्नों में पूछा कि उद्योग के कारण कितने रोजगार मिले, तो जिस प्रदेश में 12 लाख नए बच्चे हर वर्ष रोजगार की दरकार को लेकर तैयार होते हैं, उसमें एक लाख, डेढ़ लाख, सारे जितने रोजगार हम उपलब्ध करा सकते थे, सभी ने मिलकर चाहे वह लोन की योजनाओं के अंतर्गत हो, चाहे उद्योग में प्रायवेट सेक्टर में हो, चाहे सरकारी नौकरियों में हो, वह डेढ़ लाख के आसपास रहती है, तो ऐसे कैसा उद्योग विभाग का विकास है, आदरणीय मंत्री जी यह मेरी समझ से परे है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मंत्री जी जब बदले और नये मंत्री आये तो मैंने अखबारों में पढ़ा कि यह प्रदेश देश का पहला ऐसा प्रदेश है जहां एक उद्योग मंत्री को पी.एस. हटा देता है. मै समझता हूं कि इसके पीछे भी क्या कारण है ? क्या विदेशों की यात्राओं में या वहां के परफार्मेंस में या जिस प्रकार से उसके बाद उद्योगों की उन्नति में क्या कमी रही, क्या ऐसी बातें थी ? वह सदन जानना भी चाहेगा. अगर आप बतायेंगे तो मेहरबानी होगी. कुल मिलकार कहने का अर्थ यह है कि उद्योगों की बातें बहुत हुई हैं. आप वातावरण बनाओ तो उद्योग अपने आप आयेंगे. आपने वातावरण नहीं बनाया, आपने सिर्फ ब्राडिंग की है, आपने सबको बुलाया है. श्री मुकेश अंबानी जी, पिछले सत्र में भी आपने कहा था 20 हजार करोड़, 30 हजार करोड़, 15 हजार करोड़, श्री अडानी जी, श्री अंबानी जी, अनिल अंबानी जी उसके बाद फिर श्री बाबा रामदेव. अब श्री बाबा रामेदव को लीजिए उन्होंने कहा कि इतनी जमीन तो मुझे कबड्डी खेलने में चाहिए. उन पर यह सरकार इतनी मेहबान हुई कि वह एक पहली कंपनी है, जिसको इतने बड़े और लंबे मार्जन तक कोई टैक्स नहीं देना है. सबसे ज्यादा उन्हें छूट दी है, इसका क्या कारण था. जो व्यक्ति इतनी कम जमीन में कबड्डी नहीं खेल सकता, उस पर इतनी मेहरबानी क्यों हुई है.
श्री दिलीप सिंह परिहार - स्वेदशी का कारण था.
श्री जितू पटवारी - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह मेरी समझ से परे है. फिर भी भगवान इस बात का साक्षी रहे कि हमारे प्रदेश का उद्योग फले फूले. हमारे प्रदेश में रोजगार मिले और इन उद्योगों के माध्यम से रोजगार की दरकार कैसे कम हो. मैं मंत्री जी से अनुरोध करता हूं कि इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं खनिज विभागों की मांगों को लेकर बोलने की कोशिश करूंगा और यह अपेक्षा भी करूंगा कि जो मैं पूछूं उसके उत्तर भी माननीय मंत्री जी दे दें. आज जिस तरीके से मध्यप्रदेश में खनन माफियाओं ने लूट का राज मचा रखा है. मैंने समय-समय पर इस बात को उठाने की कोशिश भी की है. आप यह देखेंगे कि अफसरों की, नेताओं की, अधिकारियों की मिलीभगत से देश का सबसे बड़ा अवैध खनन का कहीं अड्डा है और कहीं माफिया राज करता है तो वह मध्यप्रदेश में करता है और यह मध्यप्रदेश में एन.जी.टी ने , भारत सरकार की कोल रिपोर्ट सब ने कहा है और यह आंकड़ों में भी है. इसकी सबसे अधिक बानगी इस प्रश्न का उत्तर है, जिसमें केवल सीहोर जिले के उन लोगों के नाम मांगे थे जिन पर अवैध खनन के प्रकरण बने हैं. एक सीहोर जिला है जिसमें मुख्यमंत्री जी का बुधनी भी आता है. यह नाम अगर मैं पढ़ने लगूं तो दो दिन तक लग जाएंगे. यह इसी प्रश्न का उत्तर है जो खनिज मंत्री जी ने दिया है. मैं समझता हूं कि इसमें किसके-किसके नाम है, अगर वह नाम मैं लेना चालू करूं तो वह लोग जो मुझ पर मानहानि करना चाहते हैं. मैंने उन पर आरोप लगाया तो उन्हें दर्द हुआ, उनकी कलाईयां खुलेंगी.
श्री जालम सिंह पटेल - आप कलाई खोल दें. आप सदन में बोलो भाई किस-किसके नाम हैं. मैंने आपको मानहानि का नोटिस दिया है, मुझे जवाब दें.
श्री जितू पटवारी - भईया मुझे टोका टाकी करेंगे तो कुछ नहीं होगा. अनूपपुर में, डिण्डोरी में, मण्डला में, नरसिंहपुर में, जबलपुर में, होशंगाबाद में, सीहोर में, हरदा में, खण्डवा में, बड़वानी में, धार में, झाबुआ में, किन-किन लोगों के नाम हैं यह मैं कहूंगा तो मुझे भी पता है और आपको भी पता है, हमारे लोग जिन्हें अवैध खनन के नाम पर कर देने के सबसे ज्यादा नोटिस मिले थे, अवैध खनन माफियाओं के नाम पर पेनाल्टी करने के वह पार्टी छोड़कर चले गये और आपने उनको दोनों हाथों से माथे पर बैठाया है, यह कहने की बात है और प्रदेश की जनता सब समझती है. यह मुझे और सदन को समझाने की आवश्यकता नहीं है. मैं इतना जरूर कहना चाहता हूं कि 8 हजार खदानों में से 12 सौ खदानें, 70 प्रतिशत खदानें लगभग मंहगे खनिज की जिन पर केवल और केवल मैं नाम पढ़ना चालू करूं क्योंकि यह सदन का ही मामला है. भाजपा के गणेश सिंह, मोना सिंह की खदान चार-पांच हेक्टेयर की है, 3.76 हेक्टेयर की बाटियाकलां में है. चूना पत्थर की खदान है. उमेश सिंह रामपुरा बघलेन में जिला पंचायत के सदस्य है. वह भारतीय जनता पार्टी के हैं.
श्री दिलीप सिंह परिहार - कांग्रेस वालों के नाम भी तो आप पढ़ लें.
श्री दिलीप सिंह शेखावत - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरा कहना यह है कि जो इस सदन के सदस्य नहीं है क्या उनका नाम लेना ठीक है ?
श्री जितू पटवारी - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरा एक अनुरोध यह है कि मैंने एक प्रश्न में यह पूछा कि क्या नर्मदा के पांच किलोमीटर के पेरापे में आपने कोई खदान एलाट की है ? तो मुझे उत्तर मिला कि नहीं एलाट की है और फिर उसी उत्तर के हमने का ''क'' और ''ग'' यह कहा था कि आपने नर्मदा के अंदर रास्ते रेती पर बनाकर बड़ी-बड़ी पोकलेन चलती है, क्या इस पर अवैध माइनिंग के कोई प्रकरण बनाये हैं ? तो उन्होंने कहा कि हमने सात लोगों के नाम दिये हैं और कहा कि हमने अवैध जिनको लीज एलाट की है उस जगह वह करते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय - श्री जितू पटवारी जी अब समय हो गया है आप समाप्त करें.
श्री जितू पटवारी - माननीय उपाध्यक्ष महोदय मुख्यमंत्री जी नर्मदा यात्रा करते हैं और नर्मदा को लेकर बातें हैं मेरा अनुरोध है, यह समय की नहीं मां नर्मदा की आस्था और मां नर्मदा की सेवा का समय है.
उपाध्यक्ष महोदय - नहीं ऐसा नहीं है. ऐसा है कि आपको शुरू करना चाहिए था. बाद के सदस्यों को इतना समय नहीं मिल पाता है. छ: बजे तक सदन है और मंत्री जी को भी उत्तर देना है.
श्री जितू पटवारी - माननीय उपाध्यक्ष महोदय मेरा अनुरोध इतना ही है कि एक प्रश्न के उत्तर में दो-दो उत्तर दिये गए हैं. एक में कहा गया है कि नर्मदा में हमने पांच किलोमीटर के पेरापे में कोई खदान आवंटित नहीं की और उसी के उत्तर में फिर कहा गया है कि पांच खदानों को हमने इस पर्टिक्यूलर जिले और तहसील में हमने एलाट किये हैं, इसलिए वह खोदते हैं. मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि यह किस तरह की अंधेर नगरी है. आदरणीय मंत्री जी आपसे अनुरोध है कि दो महत्वपूर्ण विभागों पर आपकी चर्चा है, दोनों में अंधेरगर्दी है और अदभुत अंधेरगर्दी है. एक मैं उद्योग के नाम पर लूट और रोजगार के नाम पर जीरो बटा सन्नाटा. दूसरे में अवैध खनन के नाम पर मध्यप्रदेश सरकार और अधिकारियों के संरक्षण में अवैध खनन माफियाओं का सबसे बड़ा प्रदेश देश में बन गया है और हम फिर भी नर्मदा सेवा यात्रा करना चाहते है, यह निंदनीय है. इसमें सुधार की आवश्यकता है, इसी भाव के साथ धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय- अब आप समाप्त करें. श्री पुष्पेन्द्रनाथ पाठक आप बोलें.
श्री पुष्पेन्द्रनाथ पाठक - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, वाणिज्य उद्योग व रोजगार विभाग की मांग संख्या 11 खनिज संसाधन की मांग संख्या 25 के समर्थन में मैं अपना मंतव्य प्रकट करने के लिये आप सबके बीच में उपस्थित हूं. खनिज विभाग मध्यप्रदेश शासन का महत्वपूर्ण विभाग है, जिसकी राजस्व प्राप्ति से मध्यप्रदेश के विकास की योजनाओं को नये-नये आयाम मिलते हैं इसलिए इस विभाग की मांगों का समर्थन करने के लिये तो मैं उपस्थिति हूं ही उसके साथ ही जो महत्वपूर्ण उल्लेखनीय कार्य विभाग द्वारा किये गये हैं उनकी और भी मैं आपका ध्यानाकर्षित करना चाहता हूं. अवैध खनिज परिवहन के 11885 प्रकरण में 32 करोड़ 20 लाख की राजस्व प्राप्ति विभाग ने की है. अवैध खनन के 827 प्रकरण में 2 करोड़ 23 लाख की राजस्व प्राप्ति हुई है. और अवैध खनिज भण्डारण के 648 प्रकरण में 1 करोड़ 99 लाख रुपए की राजस्व प्राप्ति विभाग ने की है. यह अपने आप में उल्लेखनीय है. बार-बार जो अवैध उत्खनन को लेकर बात चलती है. इस बात पर मैं यह कहना चाहूंगा कि विभाग का मैदानी अमला वास्तव में कम है और कम अमले के साथ भी यदि इतनी राजस्व की वसूली विभाग कर रहा है तो यह अच्छी उपलब्धि है. मैं आपके माध्यम से विभाग को सुझाव भी देना चाहूंगा. हालांकि राजस्व विभाग अपने आप में बहुत व्यस्त और काफी वर्क लोड वाला विभाग है. पुलिस विभाग भी काफी वर्क लोड वाला है. लेकिन यदि उच्च स्तर पर एक ऐसी व्यवस्था बने कि खनिज विभाग, राजस्व विभाग और पुलिस विभाग के अधिकारी बैठकर स्थानीय स्तर पर, जिला स्तर पर या तहसील स्तर पर कोई टीम बनाएं तो यह अवैध उत्खनन को रोकने में और राजस्व की बढ़ोतरी करने में इसमें मदद मिल सकती है. हालांकि उल्लेख हुआ है कि 1231 पदों का नया सृजन हुआ है. इसमें मुख्यमंत्री जी की पहल पर इन पदों की पूर्ति की जाना है, यह अपने आप में उल्लेखनीय है और इसके लिए मैं विभाग की इन मांगों का समर्थन करता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय, छतरपुर जिले में हीरा खनन को लेकर, हीरे की खोज को लेकर एक सार्थक प्रयास रियो टिंटो कंपनी ने किया था और उसके सार्थक परिणाम भी आए थे. कतिपय कारणों से यह हुआ कि वह कंपनी वाइंड अप हो गई. अभी उनका इनफ्रास्ट्रक्चर काफी अच्छा वहां पर है और चालू हालत में मशीनरी सब कुछ है. यदि प्रयास करके यथाशीघ्र उसको फिर से चालू करके उस दिशा में विभाग आगे बढ़ेगा तो यह निश्चित रूप से छतरपुर जिले के लिए भी उपलब्धि होगी और यह पूरे मध्यप्रदेश की उपलब्धि का एक विषय हो सकता है. उद्योग विभाग के लिए मेरा आग्रह है कि पूर्व में मैंने पत्रों में लिखकर दिया है कि बिजावर और सटई में पर्याप्त जमीन है. अधिग्रहण करके उस क्षेत्र में औद्योगिक विकास की गतिविधियों को गति दी जाएगी तो मुझे लगता है कि उस क्षेत्र के पिछड़ेपन को दूर करने में हमें सहायता मिलेगी. नौगांव के पास भी औद्योगिक विकास विभाग ने जमीन का अधिग्रहण किया है, उसमें यदि अधोसंरचना का विकास हम करेंगे तो उस दिशा में भी उद्योगों को लगाने के लिए और नये लोगों को वहां आमंत्रित करने में सुविधा होगी. इस तरह से छतरपुर जिले में विकास के नये आयाम उद्योग विभाग के माध्यम से खुल सकते हैं. उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का जो अवसर दिया, उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद. पूरे सदन का बहुत-बहुत आभार की कि सबने बिना किसी विघ्न बाधा के मुझे अपना मंतव्य प्रकट करने का अवसर दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री बाला बच्चन - विधायक जी, अभी आपने रियो टिंटो कंपनी के बारे में बोला है. सुबह मंत्री जी का जवाब आपने सुना है कि वे वहां से वाइंड अप करके चले गये, लेकिन आप बोल रहे हैं कि सेट अप अभी भी वहां पर है.
श्री पुष्पेन्द्रनाथ पाठक - मैंने जो चीज आपको बताई है. उपाध्यक्ष महोदय, एक मिनट का अवसर दें प्लीज. मैं यह निवेदन करना चाहता हूं कि रियो टिंटो कंपनी का मेरे पड़ोस में विधान सभा से लगा हुआ क्षेत्र है और भले ही कंपनी वहां से काम खत्म करके चली गई है. लेकिन उनका सेट अप वहां पर पूरा है. वह पूरा का पूरा सेट अप उन्होंने शासन को दे दिया है. मंत्री जी जवाब देंगे, मेरे जवाब का यह विषय नहीं है. लेकिन मेरी रुचि का विषय है, इसलिए मैंने आग्रह किया.
उपाध्यक्ष महोदय - सदन में यह बात आ गई है. आप बैठ जाएं.
डॉ. गोविन्द सिंह - वह पूरा माल हीरा लूटकर ले गई, 50-50 हो गया.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - इसी बात का दुख है क्या?
डॉ. गोविन्द सिंह - यह बताइए कि मुख्यमंत्री जी ने मुम्बई में रियो टिंटो कंपनी के हीरो के शोरूम का उद्घाटन किया था? कहां गये वे हीरे? आप बताइए कहां चले गये?
डॉ. नरोत्तम मिश्र - लहार भिजवा दिया था और एक लहार से निकलकर आया तो सामने बैठा है.
श्री बाला बच्चन - माननीय मंत्री जी, सीधा प्लेन वहीं लैंड करता था और जितने जो ऑरिजनल हीरे थे, वह सब गये. अब कुछ नहीं बचा है. पूरा अच्छी क्वालिटी का हीरा निकालकर ले गये.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - एक आप अभी तो हो.
श्री बाला बच्चन - हम तो सदन के हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - आप तो बचे हुए हो. हम तो कोशिश कर रहे हैं कि आप और आगे आते, परन्तु क्या बताएं? वास्तव में दिल्ली वाले कभी कभी ऐसा कर देते हैं?
श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया (दिमनी) - उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री महोदय से निवेदन करना चाहता हूं कि मेरे मुरैना क्षेत्र में एक आईपीएस, डीएसपी और सिपाही, तीनों की गोली मारकर हत्या की गई थी. कहां, मुरैना में. किस चक्कर में, रेत के चक्कर में. मुरैना में रेत और खनन के चक्कर में तीन अधिकारियों की मृत्यु हो चुकी है. कई वन विभाग के अधिकारी पीटे गये हैं. कई लोगों पर एफआईआर हुई है. पूरे दिन पुलिस इसी में लगी रहती है. मुरैना की पूरी पुलिस रेत के मामले में लगी रहती है. उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री महोदय से कहना चाहता हूं कि अगर वहां पर नीलामी की जाय तो शासन को करोड़ों अरबों का फायदा होगा. न कोई हत्या होगी. वहां पर प्रतिदिन, कोई भी ऐसा दिन नहीं है कि आज मुरैना में फलानी जगह चक्काजाम नहीं हुआ हो या आज किसी ट्रेक्टर ने किसी आदमी को कुचल न दिया हो.
5.26 बजे {अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी से मेरा यही निवेदन है कि अगर खदानों की नीलामी की जाय तो कई लाखों रुपयों की आमदनी होगी और जो वारदातें होती हैं वे बंद होंगी. आपने जो समय दिया उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री दिनेश राय (सिवनी) - अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 11 एवं 25 में कहना चाहूंगा कि मेरे जिले में छोटे छोटे उद्योगों की मांग कर रहा हूं, गोपालगंज, बखारी, चमारी, बंडोल, लखनवाड़ा एवं अन्य क्षेत्र, उद्योग क्षेत्र के लिए हैं. इनको आप विकसित कर सकते हैं. बुर्कलखापा क्षेत्र, औद्योगिक क्षेत्र है. इसमें भी और विकास करने की आवश्यकता है. सिवनी में डालडा फेक्ट्री और सोयाबीन फेक्ट्री थी, वह बंद हो गई है. मेरा आग्रह है कि उसको पुनः चालू कराएं या उस क्षेत्र में और कोई फेक्ट्री भी आप प्रारंभ करा सकते हैं, ऐसा मेरा आपसे आग्रह है. युवाओं को रोजगार मिलेगा. लघु उद्योग में हथकरघा उद्योग हमारे यहां स्थापित कर सकते हैं. हमारे यहां सीताफल की एक बहुत बड़ी फेक्ट्री है. उससे संबंधित कोई न कोई रोजगार के साधन आप उपलब्ध कराएं. मेरे यहां शिक्षित बेरोजगारों के लिए रोजगार की योजनाएं चल रही हैं. लेकिन बैंकों के हीला-हवाले की वजह से और रोजगार कार्यालय के भ्रष्ट अधिकारियों की वजह से युवाओं को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है. बिना लिये-दिये वहां पर काम होते नहीं है. झाबुआ पावर प्लांट जिले में लगा हुआ है. इसमें दूसरे जिले के लोग आकर ठेकेदारी कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे आग्रह है कि खनिज विभाग हमारे यहां अगर आप छोटी छोटी खदानें नीलाम कर दें तो उससे क्षेत्रीय लोगों को रोजगार मिलेगा. जो बड़ी खदानें हैं, उनमें मोनोपॉली चल रही है. क्षेत्रीय लोगों को रोजगार छिन चुके हैं. अवैध उत्खनन और पत्थरों पर भी रोक लगाने की आप कृपा करें. खदानों की अनुमति आप ग्रामीण क्षेत्रों में न दें. ग्रामीण क्षेत्र से लगे हुए मुरम, पत्थर, बोल्डरों की आप अनुमति दे रहे हैं. वहां बड़ी बड़ी ब्लास्टिंग होती है. इससे वहां के घरों में काफी नुकसान और क्षति हो रही है. हमारे यहां जो छोटे ट्रेक्टर, ट्राली या लोकल ट्रक से जब रेत लेकर जाते हैं, उन्हीं पर कार्यवाही होती है. बड़े बड़े ठेकेदार फोरलेन के काम कर रहे हैं. जहां देखो, वहां से खुदाई कर रहे हैं. उन पर आपके द्वारा कोई अंकुश नहीं है, कोई कार्यवाही नहीं है. आप इसमें रोक लगाएं. अध्यक्ष महोदय, आपने जो समय दिया, उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी..
डॉ. रामकिशोर दोगने - अध्यक्ष महोदय, मेरा नाम है.
श्रीमती शीला त्यागी - अध्यक्ष महोदय, मेरा नाम नहीं आया.
अध्यक्ष महोदय - अब आप लिखकर दे दीजिए. डॉक्टर साहब, अभी आप गुस्सा हो गये थे, मुझे पता लगा है. परन्तु समय नहीं है.
डॉ. रामकिशोर दोगने - अगर बोलने का ही मौका नहीं देंगे तो विधान सभा में हम लोगों का आने का मतलब ही क्या है? एक-एक मिनट का समय दे दें. हमारी समस्या आ जाय.
श्रीमती शीला त्यागी - मुझे भी एक मिनट बोलने दिया जाय.
खनिज साधन मंत्री (श्री राजेन्द्र शुक्ल )- आप जो भी लिखकर देंगे, उसका समाधान हो जाएगा.
अध्यक्ष महोदय - आप लिखकर दे दीजिए.
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, एक-एक मिनट दे दीजिए.
अध्यक्ष महोदय - एक-एक मिनट में तीनों अपनी बात करेंगे.
श्री जालम सिंह पटेल (नरसिंहपुर)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 11 एवं 25 का समर्थन करता हूं कटौती प्रस्तावों का विरोध करता हूं. प्रदेश में उद्योग के क्षेत्र में लगातार विकास किया है. पूर्ववर्ती सरकार की हम बात करें तो पूर्व में उद्योग कम होते थे. सरकार द्वारा लगातार जमीन के आरक्षण एवं विकास के लिये काम किये हैं. खनिज के क्षेत्र में भी गुणवत्तापूर्ण खनिज व्यक्तियों को मिले यह आवश्यक है. प्रदेश में जिस गति से निर्माण कार्य हो रहे हैं चाहे व्यक्तिगत हों, सरकारी सड़क हो.
5.30 बजे अध्यक्षीय घोषणा
सदन के समय में वृद्धि विषयक
आज की कार्य सूची में पद क्रमांक 8 के उप पद 3 का कार्य पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाए. मैं समझता हूं कि सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई)
5.31 बजे वर्ष 2017-2018 की अनुदानों की मांगों पर मतदान....(क्रमश:)
श्री जालम सिंह पटेल--माननीय अध्यक्ष महोदय, निर्माण के लिये रेत की आवश्यकता रहती है. रेत पर आरोप प्रत्यारोप होते हैं. खनिज पर अलग से भी चर्चा होना चाहिये. जिस प्रकार रेत की सड़क बनाने के लिये, छपाई-जुड़ाई के लिये आवश्यक है. रेत के पीछे विपक्ष के लोग पड़े हैं ताकि प्रदेश में निर्माण कार्य बाधित हो. प्रदेश में रेत के बिना विकास कार्य नहीं हो सकता है. जिस तरह से रेत के बारे में वैध अवैध की बात की जाती है, यह बहुत ही निन्दनीय है. सम्मानीय सदस्य ने यहां पर बोल रहे थे मेरे ऊपर व्यक्तिगत आरोप भी लगा रहे थे. मेरी कोई वैध खदान नहीं है. न कभी रहने वाली है. मैं रेत का कोई काम नहीं करता हूं. मैंने उनको 7 तारीख को एक नोटिस मानहानि का दिया है उसका वह जवाब दें.
श्री जितू पटवारी--यह आरोप प्रत्यारोप की बात कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय--आपका इन्होंने नाम नहीं लिया. चाहें तो आप रिकार्ड देख लें.
श्री जितू पटवारी—(XXX)
अध्यक्ष महोदय--यह बात ठीक नहीं है.
डॉ रामकिशोर दोगने (हरदा)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मांग संख्या 11 एवं 25 का विरोध करता हूं कटौती प्रस्ताव का समर्थन करता हूं. वाणिज्य उद्योग के बारे में हरदा जिले के बारे में बताना चाहता हूं. बहुत ग्लोबल मीटिंग हो रही हैं परन्तु हरदा में आज तक कोई उद्योग नहीं लगा है. जो पुराने उद्योग चल रहे थे वह भी बंद हो गये हैं. सोयाबीन के दो प्लांट थे वह भी बंद हो गये हैं. शुगर मिल भी बंद हो गई है. शासन उद्योग धन्धों के विकास की बात कर रहा है, लेकिन इस पर ध्यान नहीं दे रहा है. मेरे यहां सुल्तानपुर गांव है वहां पर फुडपार्क प्रस्तावित है वहां पर एक छोटी सी दिक्कत है वह नर्मदा घाटी की जमीन है इसलिये वह जमीन ट्रांसफार नहीं हो रही है इसलिये फुडपार्क नहीं बन पा रहा है. नर्मदा घाटी एवं उद्योग विभाग आपस में समझौता करके उस पार्क को लेकर के आयेंगे तो बहुत अच्छा रहेगा. हमारे यहां पर अनाज की पैदावार मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा होती है. यह कृषि प्रधान जिला है यहां पर फुडपार्क आयेगा तो निश्चित ही यहां का विकास होगा. खनिज के बारे में बताना चाहता हूं मेरी विधान सभा भी खनिज से लगी है एक डीआईपीएल कंपनी है वह कहती है कि (XXX).
अध्यक्ष महोदय--इसको विलोपित कर दें.
डॉ.रोमकिशोर दोगने--अध्यक्ष महोदय, कुछ लोग वहां दादागिरी करते हैं गांव वालों को परेशान करते हैं. गांव के बीच में से डंपर निकलते हैं. रोड़ पर धूल उड़ती है, वहां पर पानी डालने की बात करते हैं. इस तरह की दादागिरी कर रहे हैं. ऐसी कंपनियों के ऊपर आप कार्यवाही करें. इनके जो डम्पर है वह वजन के हिसाब से जो आरटीओ से पास हों उसी हिसाब से निकालें तो विकास होगा. धन्यवाद.
श्रीमती शीला त्यागी (मनगवां)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 11 एवं 25 के विरोध में कटौती प्रस्ताव के समर्थन में अपनी बात कहना चाहती हूं कि मध्यप्रदेश की सरकार ने बड़े बड़े इन्वेस्टमेंट मीट करवाये लेकिन हमारे प्रदेश में शिक्षित बेरोजगारों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. हमारे मंत्री सहज हैं वह हमेशा विकास की बात करते हैं. रीवा का काफी विकास हुआ है. मंत्री जी आपसे निवेदन है कि रीवा में उद्योग एवं व्यापार केन्द्र सरकार के द्वारा मध्यप्रदेश शासन के तहत एससी,एसटी एवं ओबीसी के शिक्षित बेरोजगारों के लिये रानी दुर्गावती योजना एवं अन्य योजनान्तर्गत चार पहिया वाहन एवं रोजगार हेतु वित्त विकास निगम के द्वारा अनुदान दिया जाता था जिसकी वजह से सैकड़ो नौजवानों को रोजगार मिलता था. किन्तु वर्तमान में इस योजना को शासन ने बंद कर दिया है. मैंने इस बारे में प्रश्न, ध्यानाकर्षण भी लगाया था सरकार के संज्ञान में यह बात लायी थी, लेकिन शासन के द्वारा जवाब दिया है कि वाहनों के लिये केन्द्र सरकार के द्वारा रोक लगायी गई है. मंत्री जी से आग्रह है कि इस योजना को राज्य शासन के द्वारा पूर्ववत् चालू की जाए. धन्यवाद.
श्री घनश्याम पिरोनियां(भाण्डेर)-- अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 11 और 25 का समर्थन करता हूं.
अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्रीजी से निवेदन करना चाहता हूं कि मेरी विधान सभा भांडेर में एसआर कंपनी को सैकड़ों एकड़ जमीन आवंटित की गई थी और वह वर्षों से लंबित पड़ी है. उन्होंने वहां पर कोई उद्योग स्थापित किया. हमारी बड़ी अपेक्षा और आशा थी कि वहां के लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे. अध्यक्ष जी, मंत्रीजी से मेरा निवेदन है कि उस कंपनी को जो जगह दी गई है वहां पर उस कंपनी को उद्योग लगाने के लिए प्रेरित करें अन्यथा उससे वह जमीन वापस लेकर अन्य किसी कंपनी को उद्योग स्थापित करने हेतु आवंटित करें. धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी ! आपसे भी अनुरोध है कि अभी लोक निर्माण विभाग की अनुदान मांगों को लेना है. संक्षेप कर सकते हैं. कोई वक्तव्य हो तो पटल पर भी रख सकते हैं.
वाणिज्य,उद्योग एवं रोजगार मंत्री(श्री राजेन्द्र शुक्ल)--अध्यक्ष महोदय, आदरणीय डॉ गोविन्द सिंह जी, सर्व श्री शैलेन्द्र जैन जी, कुंवर सौरभ सिंह जी, बहादुर सिंह जी, कमलेश्वर पटेल जी, दिलीप सिंह शेखावत जी, फुंदेलाल सिंह मार्को जी, दिलीप सिंह परिहार जी, सत्यप्रकाश सखवार जी, जितू पटवारी जी, पुष्पेन्द्र पाठक जी, बलवीर सिंह जी, दिनेश राय जी, जालम सिंह जी, डॉ रामकिशोर जी, शीला त्यागी जी और घनश्याम पिरोनियां जी को धन्यवाद देता हूं.
आप सबने मेरे विभाग की अनुदानों की मांगों पर चर्चा पर अपने विचार रखे हैं. विपक्ष के मित्रों की इस बात के लिए प्रशंसा करना चाहता हूं कि उन्होंने इस बात को स्वीकार किया है कि यदि हमें बेरोजगारी की समस्या को दूर करना है और गरीबी को कम करना है तो औद्योगिक वातावरण को बढ़ाना पड़ेगा, फैलाना पड़ेगा. मध्यप्रदेश की ब्रांडिंग करनी पड़ेगी. इंडस्ट्रीयल एरियाज़ का डेवलपमेंट करना पड़ेगा. हमें ऐसी पॉलिसी बनानी पड़ेगी जिनसे आकर्षित होकर इन्वेस्टमेंट करने वाले जो दूसरे राज्यों में जा रहे हैं, वह मध्यप्रदेश की ओर आकर्षित होना शुरु हो जाए. यह सारे काम उस मंशा को पूरा करने के लिए है जिस मंशा की चिन्ता हमारे विपक्षी सदस्यों ने भी की है. लेकिन मुझे आश्चर्य होता है कि उन्होंने मध्यप्रदेश की धरती पर पिछले 4-5 वर्षों में जो भगीरथी प्रयास हुआ है, जिससे ऐसा वातावरण बना है, उसके लिए एक शब्द भी बोला. अध्यक्ष महोदय, आज से 13 साल पहले जो लोग मध्यप्रदेश से किनारा करते थे, आज वे मध्यप्रदेश की ओर आकर्षित हो रहे हैं. ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में यदि मुकेश अम्बानी आते हैं तो उसमें किसी को क्या परेशानी हो सकती थी ! लेकिन जितू पटवारी जी कह रहे थे कि ये सारे लोग आते हैं और इन्वेस्टमेंट कुछ नहीं करते.
अध्यक्ष महोदय, मुझे इस बात की चिन्ता है कि हमारे विपक्ष के जो सीनियर विधायक हैं, उनके पास जानकारी का इतना अभाव रहता है कि ऐसा लगता है कि बोलने के लिए बोला जा रहा है. आरोप लगाने के लिए आरोप लगाये जा रहे हैं. आप कम से कम जानकारी प्राप्त करके आरोप लगाइये तो उसमें सुधार करने का हमको मौका मिलेगा और हम उसमें सुधार करेंगे जिससे मध्यप्रदेश आगे बढ़ सकेगा.
अध्यक्ष महोदय, जितू पटवारी ने कहा कि मुकेश अम्बानी आये और उन्होंने कोई इन्वेस्टमेंट नहीं किया. मुझे आपको बताते हुए प्रसन्नता है और आपकी जानकारी ठीक करते हुए बताना चाहता हूं कि मुकेश अम्बानी की जियो कम्युनिकेशन द्वारा 4G नेटवर्क हेतु 15 हजार करोड़ रुपये का निवेश मध्यप्रदेश में किया जा चुका है. (मेजों की थपथपाहट)
डॉ नरोत्तम मिश्र--इसको बताने से आप प्रसन्न मत होइए क्योंकि ये असत्य ही बोलते हैं.
अध्यक्ष महोदय, रिलायंस इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड जो अनिल अम्बानी की है, ने मध्यप्रदेश में आज तक लगभग 35 हजार करोड़ रुपये का इन्वेस्टमेंट किया. आपको यह जानकारी आश्चर्य होगा, खुशी होगी कि सबसे सस्ती बिजली 1 रुपये 19 पैसे में हमको मिल रही है. उन्होंने पावर प्लांट में इन्वेस्टमेंट किया. सीमेंट प्लांट में जो इन्वेस्टमेंट किया उसके बारे में शैलेन्द्र जी बता रहे थे. वर्ष 2016-17 में कुल 83 इकाइयों में प्रोडक्शन चालू हुआ है.
अध्यक्ष महोदय, हमारे डॉ गोविन्द सिंह जी बैठे हैं. तालाब खुदा नहीं और मगर चोरी हो गए कि शिकायत कर रहे थे. अध्यक्ष जी, हाईकोर्ट में कोई मामला है. सरकार का प्रयास है कोई प्रायवेट लीज़ में दी हुई जमीन को सीलिंग में सरकारी किया गया है. सामने वाला प्रयास कर रहा है लेकिन हम हाईकोर्ट में लड़ाई लड़ रहे हैं. अभी उद्योग विभाग को जमीन ट्रांसफर ही नहीं हुई है.
डॉ गोविन्द सिंह-- एयर कार्गो कहां बन जाएगा?
श्री राजेन्द्र शुक्ल-- आप पूरी बात सुन लीजिए.
डॉ गोविन्द सिंह-- यह नोटशीट है. आपके पास भी होगी. दो दो मंत्रिमंडल के फैसले हैं.
श्री राजेन्द्र शुक्ल-- अभी प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है.
डॉ गोविन्द सिंह-- इसीलिए तो रोक रहे हैं कि सुधर जाओ. अन्यथा फंस जाओगे, परेशान रहोगे. लक्ष्मीकांत जी जैसी परेशानी आएगी.
श्री राजेन्द्र शुक्ल-- यहां पर आपसे ज्यादा सोचने वाले लोग बैठे हैं. हमारे-आपसे ज्यादा सोचने वाले लोग यहां पर बैठे हैं. आप चिन्ता न करें.
अध्यक्ष महोदय, उद्योग विभाग ने जिस तरह मध्यप्रदेश की ब्रांडिंग पूरे देश और विदेश में की है उसका परिणाम सामने आ रहा है उसके कारण 2014 में जो ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट हुई थी उसके बाद 2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का इन्वेस्टमेंट मध्यप्रदेश में आया. आपको इस बात की जानकारी नहीं है कि विंड पावर और सौलर एनर्जी में 83 हजार करोड़ रुपये का इन्वेस्टमेंट पिछले 2 वर्षों में मध्यप्रदेश की धरती पर आया है. विंड पावर से जुड़े हुए टर्बाइन होते हैं वह पहले कभी पुणे, महाराष्ट्र में, चैन्नई में बनते थे उसके दो दो प्लांट मध्यप्रदेश में स्थापित हो चुके हैं. लोग हमारी ओर आकर्षित हो रहे हैं. इससे रोजगार के अवसर भी पैदा हो रहे हैं. इसलिए यह कहना सही नहीं है कि पिछले वर्षों में जो प्रयास हुए हैं, ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट की चर्चा कभी मध्यप्रदेश की धरती पर सुनी थी? मुझे याद है जब मैं विधायक नहीं होता था तब एक बार मुंबई गया था और कुछ लोगों के साथ बैठा था जिसमें कुछ इंडस्ट्रीज़ से जुड़े लोग थे जो मध्यप्रदेश के थे तो उन्होंने कहा था कि मध्यप्रदेश को तो कोई जानता ही नहीं है. आप लोग मध्यप्रदेश की ब्रांडिंग क्यों नहीं करते? अध्यक्ष महोदय, उस समय मध्यप्रदेश की ब्रांडिंग क्या करते, मध्यप्रदेश तो बीमारु राज्य के रुप में जाना जाता था. बीमारु राज्य की ब्रांडिंग करते तो और भी जो आता था वह भी भाग जाता था क्योंकि मध्यप्रदेश में बिजली नहीं थी, प्रदेश की सड़कें बिहार से भी ज्यादा बदतर हो गई थी. पानी की हालत ऐसी थी कि चारों ओर हाहाकार मचा हुआ था.
अध्यक्ष महोदय, किसी भी प्रदेश को विकसित किया जाता है तो उसका जो अल्टीमेट एम होता है वह इंडस्ट्रीयल डेवलपमेंट का होता है. हम हरित क्रांति लाकर सारी बेरोजगारी दूर नहीं कर सकते. हम पर्यटन क्रांति लाकर भी बेरोजगारी को पूरी तरह से खत्म नहीं कर सकते लेकिन यदि औद्योगिक क्रांति किसी राज्य में आ जाती है तो उस क्षेत्र में रोजगार के इतने अवसर पैदा होते हैं. इन तीनों क्रांतियों को लाने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह जी चौहान ने जो प्रयास किया है. उन्होंने नेशनल, इंटरनेशनल लेवल पर रोड शोज़ किए.
अध्यक्ष महोदय, ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में 5-5 देश हमारी पार्टनर कंट्रीज़ बनकर हमारे यहां आये. विदेशों के 300 प्रमुख लोग आये. कई देशों के एल्डरजर्स आये. बड़े-बड़े औद्योगिक घरानों के लोग आये. 5 हजार डेलिगेट्स ने उसमें हिस्सा लिया और सब लोगों ने इस बात का लोहा माना कि मध्यप्रदेश में जिस तेजी से विकास हुआ है हिंदुस्तान के किसी राज्य में इस तेजी के साथ विकास नहीं हुआ है. (मेजों की थपथपाहट) अध्यक्ष महोदय, पहले मध्यप्रदेश बहुत पीछे माना जाता था. सिंचाई की जब बातें होती हैं कि 7 लाख हेक्टर से 40 लाख हेक्टर सिंचाई का रकबा बढ़ा है. भारत के राष्ट्रपति यदि किसी प्रदेश को 4 बार से कृषि कर्मण अवार्ड दे रहे हैं तो वह मध्यप्रदेश को दे रहे हैं. फुड प्रोसेसिंग से जुड़े हुए जो इंडस्ट्रीयल हाउसेस हैं, उन्होंने कहा कि अब यदि कहीं इन्वेस्टमेंट करने की सबसे ज्यादा आकर्षक और बेहतर डेस्टिनेशन कोई हो सकता है तो वह मध्यप्रदेश हो सकता है. आज ITC जैसी कंपनियां जो फुड एग्रो के क्षेत्र में बहुत जाएन्ट कंपनियां मानी जाती हैं उन्होंने हमारे यहां जमीन के लिए आवेदन किया है. पूरे देश में जिस तेजी पतंजलि ग्रुप ने बेहतर उत्पादों का जाल बिछाया, उन्होंने हमारे यहां उद्योग लगाने की रुचि जाहिर की है. इस प्रकार से फुड प्रोसेसिंग में भी दावत के बारे में अभी बताया जा रहा था. आप टेक्सटाईल क्षेत्र लीजिए. टेक्सटाईल के क्षेत्र में क्या कभी इतनी इंडस्ट्रीज हमारे मध्यप्रदेश में रही हैं ? वर्द्धमान ने बुधनी ने अपनी यूनिट लगाई, 6 हजार करोड़ का इन्वेस्टमेंट किया, 6 हजार लोगों को रोजगार दिया. ट्राईडेंट ने बुधनी में 6 हजार करोड़ के निवेश से वहां पर रेयान बनाने की फैक्ट्री लगाई. उससे 6 हजार लोग वहां रोजगार प्राप्त कर रहे हैं. ओसवाल ग्रुप ने यहां अपनी इंडस्ट्री का एक्सपेंशन किया है.
इसी प्रकार आटोमोबाईल का क्षेत्र आप लीजिये, वाल्वो और आईशर ने ज्वाईंट वेंचर बनाकर भोपाल के नजदीक उन्होंने जमीन की मांग की. हमने उनको जमीन उपलब्ध कराई और वे तेजी के साथ 1500 करोड़ रुपये का निवेश बहुत शीघ्र करने वाले हैं. आटोमोबाईल इंडस्ट्रीज आती हैं तो आटो कंपोनेंट की इंडस्ट्रीज आने लगती हैं. जिसमें कोई स्टेयरिंग बनाने वाली,कोई गेयर बनाने वाली,कोई टायर बनाने वाली इस प्रकार की इंडस्ट्रीज आ रही हैं. एक ईको सिस्टम आटोमोबाईल क्षेत्र का भी, यहां पर डेव्लहप हो रहा है. आई.टी. के क्षेत्र में जिस तरीके से इन्दौर आई.टी.हब बनने जा रहा है. आपको स्वीकार करना होगा कि आज से कुछ वर्ष पहले आई.टी. के हब के रूप में बैंगलोर और हैदराबाद को जाना जाता था और हम लोग ललचाई नजरों से देखते थे. हमारे यहां के आई.टी. और कम्प्यूटर्स के जो नौजवान ग्रेजुएट रहते थे वे बैंगलोर और हैदराबाद जाकर नौकरी प्राप्त करने की कोशिश करते थे. मुख्यमंत्री जी के प्रयासों से टी.सी.एस जैसी कंपनी,इंफोसिस जैसी कंपनी,इंपीटिस जैसी कंपनियां इन्दौर में आई हैं. इन्दौर के क्रिस्टल आई.टी. पार्क में 5 लाख स्कवायर फीट में जिस तरह से इंडस्ट्रियल आई.टी. पार्क वहां डेव्लहप हुआ और डिमांड को देखते हुए उसके बगल में 2 लाख स्कवायर फीट का एक और आई.टी. पार्क बनाने के लिये हमने 50 करोड़ के निवेश से काम शुरू किया. एस.ई.जेड. के अंतर्गत ही 5 लाख स्कवायर फीट पर और स्कोप देखते हुए हमने उस जमीन को भी आक्शन किया. लोग उस जमीन की तरफ आकर्षित होकर आई.टी. पार्क बनाकर आई.टी. कंपनियां लाने की कोशिश कर रहे हैं. आई.टी. हब के रूप में बैंगलोर और हैदराबाद की जो स्थिति है, हम मुख्यमंत्री जी के साथ बैंगलोर गये थे. वहां आई.टी. कंपनीज कह रही थीं कि हम लोग जल्दी यहां से निकलना चाहते हैं. यहां पर यदि 5 किलोमीटर दूर जाना है तो 2 घंटे का समय लगता है. इतना वहां क्राऊड हो गया है. इंफ्रास्ट्रक्चर के भविष्य को देखते हुए वहां इंफ्रास्ट्रक्चर निर्मित नहीं किया गया और उसके कारण ही आई.टी. पार्क के रूप में मध्यप्रदेश विकसित हो रहा है. रिनूवल के बारे में मैंने बताया कि विश्व का सबसे बड़ा सोलर प्लांट हमारे रीवा के गुढ़ में आ रहा है. जहां 6 हजार करोड़ का निवेश होगा. जब वहां काम चलेगा तो 18 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा. काम पूरा होने पर 2 हजार लोगों को परमानेंट रोजगार वहां उपलब्ध हो सकेगा. हिंडाल्को कंपनी ने 25 हजार करोड़ रुपये का स्मेल्टर प्लांट सिंगरौली में लगाया है. 25 हजार करोड़ रुपये का निवेश उन्होंने किया है, कोई छोटा निवेश नहीं किया है और हमने जो ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट के माध्यम से इन्वेस्ट एम.पी. ब्रांड को पूरी दुनिया में पब्लिश किया है उसका यह असर हुआ कि कुमार मंगलम् बिड़ला आये और उन्होंने वहां जमीन की मांग की हमने जमीन उनको उपलब्ध कराई और 25 हजार करोड़ रुपये का प्लांट वहां पर लग गया. जहां 10 हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार उपलब्ध है. अभी कमलेश्वर पटेल जी कह रहे थे कि वहां पर जिन लोगों की जमीन एकवायर की गई उनसे संबंधित कुछ प्राबलम्स हैं और स्थानीय लोगों को रोजगार देने की वहां जरूरत है. हम शुरू से कहते रहे हैं कि 50 परसेंट रोजगार स्थानीय लोगों को मिलना चाहिये और इसकी हम समय-समय पर समीक्षा भी करते रहे हैं और हमारा लगातार प्रयास भी रहता है. डायरेक्ट और इनडायरेक्ट एंप्लायमेंट को लेकर स्किल्ड लोग कितने हैं, इसको लेकर थोड़ा बहुत ऊपर नीचे हो सकता है लेकिन लोग आये हैं तो हम दबाव भी बना सकते हैं. यदि हम दरवाजा नहीं खोलते तो यह कैसे होता. हमने 1 लाख 20 हजार एकड़ का लैंड बैंक आईडेंटिफाई किया जिसमें से लगभग 60 हजार एकड़ को तो हमने विकसित कर दिया है. इसके लिये हमने सरकार के खजाने से पर्याप्त पैसा लिया है. पहले तो धन की कमी इतनी रहती थी कि हम चाह कर भी यह सब काम नहीं कर पाते थे और लैंड एलाटमेंट का जो हमने जी.आई.एस. किया वर्ष 2016 में. उसमें 2632 लोगों ने इंटेंशन टू इन्वेस्ट हमारे ट्राईफेक (M.P. Trade & Investment Facilitation corporation limited) के पोर्टल में रजिस्टर्ड कराया. उनके पास यह सुविधा उपलब्ध है कि वह लैंड बैंक जो हमारा है जो जी.आई.ए. प्रणाली से हमने उसको लिंक किया हुआ है, वहां से वह जमीन देख सकते हैं कि मध्यप्रदेश के कौन से जिले में कितनी जमीन है, उसकी बगल में रेल लाईन है कि नहीं,हाईवे कैसा है,पानी है कि नहीं है और वह आनलाईन ही एप्लाई कर सकते हैं. मध्यप्रदेश के किसी भी जिले में जो हमारे लैंड बैंक हैं उसमें वे जहां कहीं भी जमीन लेना चाहते हों वह अपने आफिस में बैठकर ही उस जमीन के लिये एप्लाई करेंगे, उनको वह जमीन एलाट हो जायेगी और वह अपना काम कर सकते हैं. यदि आप आंकड़ों को देखेंगे तो जो प्रयास हुए हैं, जो मैंने कहा कि भागीरथी प्रयास हैं. यह कोई आसान प्रयास नहीं हैं. जिस तरह से पावर डेफीसिट वाले राज्य को पावर सरप्लस वाला राज्य बनाने का काम प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी के नेतृत्व में हुआ है. जिस तरीके से 7 लाख हेक्टेयर सिंचाई के रकवे को 40 लाख हेक्टेयर करने का काम हुआ है, जिस तरह से जर्जर सड़कों को बेहतर बनाकर टू-लेन की सड़कों को सभी संभागीय मुख्यालयों को फोरलेन की सड़कों से जोड़ने का काम हो रहा है, और एक मध्यप्रदेश में जो कमी थी कि हमारे चारों ओर समुद्र नहीं है जिससे एक्सपोर्ट करने में हमारे उद्योगपतियों को समस्या आती थी, तो जो पांच हमारे ड्राइपोर्ट थे इनलेण्ड कंटेनर डिपो थे उसमें लंबे समय से यह मांग की जा रही थी कि एक ऐसा आईसीडी डेव्हलप किया जाना चाहिये जो सिंगल मॉडल हो जिसमें कंटेनर इंडस्ट्री से निकलकर सीधे ट्रेन में जाकर मुम्बई के जेएनपीटी में जाकर पहुंचे और शिप में लोड होकर वह विदेश जा सके. मुझे बताते हुये प्रसन्नता है कि भारत सरकार से लगातार प्रयास करके टिही में जेएनपीटी का सिंगल मॉडल वाला ड्राइपोर्ट भी बनकर तैयार हो गया. अब मध्यप्रदेश में 6 आईसीडी हैं, अब हमें समुद्र का किनारा न होने के कारण जो परेशानी होती थी वह परेशानियां हमने दूर कर दी हैं. एयरकार्गो भी इंदौर में शुरू हो जाये इसके लिये भी हम प्रयास कर रहे हैं. डिफेंस के सेक्टर में भी लोग हमारी ओर आकर्षित हो रहे हैं. ग्वालियर में मालनपुर में पुंज लायर्ड ने एक विदेशी कंपनी के साथ ज्वाइंट बेंचर करके और देश की पहली ऐसी ज्वाइंट बेंचर कंपनी है जिसे डिफेंस इक्यूपमेंट का प्रोडक्ट बनाने का डिफेंस मिनिस्ट्री से आर्डर मिला था उससे संबंधित सवा सौ करोड़ रूपये के निवेश की एक इंडस्ट्री लगाने का काम उन्होने डेढ़-दो साल पहले शुरू किया था जिसका बहुत जल्द हम लोकार्पण करने वाले हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, फार्मास्युटीकल के क्षेत्र में भी एक ईको सिस्टम हमारे यहां बना है. बड़ी-बड़ी फार्मा की कंपनियां हमारे यहां आ रही हैं, जिनको जहां पर जमीन की आवश्यकता होती है उनको वहां हम जमीन उपलब्ध करा रहे हैं. अर्बन डेव्हलपमेंट में भी बहुत बड़ी मात्रा में निवेश आ रहा है. कुल मिलाकर हमारे तेजी से जो प्रयास हुये हैं उसका यह परिणाम है कि हमारे यहां इनवेस्टमेंट आकर्षित हो रहा है. विकास कार्यों पर यदि आप कुछ आंकड़ें देखेंगे कि वर्ष 2012 से लेकर वर्ष 2015 के बीच में विकास कार्यों पर, इंडस्ट्रीयल एरिया के डेव्हलपमेंट में 256 करोड़ जो खर्च हुआ था वह वर्ष 2015-2016 में 520 करोड़ हुआ. इसका मतलब इंडस्ट्रीयल एरिया का डेव्हलपमेंट हमने डबल किया है. वर्ष 2016-17 में इससे भी बढ़कर 565 हेक्टेयर एरिया को डेव्हलप करके हमने अलॉटमेंट के लिये उपलब्ध कराया हुआ है, इससे कोई भी इनवेस्टर ऑनलाइन एप्लाई करके यहां पर इंडस्ट्रीज के लिये लेण्ड प्राप्त कर सकता है. जो इनसेंटिव हमने अपनी पॉलीसीज में दिये हुये हैं, एक तो हमारी पॉलिसीज हैं जिसमें वैट सीएसटी से लेकर एंट्री टेक्स से लेकर और तमाम तरह की सुविधायें जो आवश्यक हैं, जो अन्य राज्यों से बेहतर मानी जा रही हैं उसके अंतर्गत वर्ष 2012 से लेकर वर्ष 2015 के बीच में 412 करोड़ रूपये हमने वितरण किया था, वर्ष 2015-2016 के बीच में 905 करोड़ रूपये का वितरण हुआ है और वर्ष 2016-2017 में 1115 करोड़ का वितरण हुआ है, हमने सुविधा सहायता के रूप में उन इंडस्ट्रीज को जिन्होंने हमारे मध्यप्रदेश में आकर प्रोडक्शन चालू कर दिया, लेण्ड अलॉटमेंट से उन्होंने अपना निवेश किया, प्लांट लगाया और जब वह कमीशन्ड होकर प्रोडक्शन में आ गया तो 1115 करोड़ रूपये हुआ, यदि इंडस्ट्रीज नहीं आई होती तो यह 412 करोड़ से 1115 करोड़ कैसे हो जाता. यदि इंडस्ट्रीज नहीं आई होती तो जो भूमि आवंटन वर्ष 2012 से 2015 के बीच में 3 वर्षों में 101 हेक्टेयर हुआ, अब एक वर्ष में ही हमने 143 हेक्टेयर किया और फिर इस फाइनेंशियल ईयर में हमने 316 हेक्टेयर लेण्ड का अलॉटमेंट किया है. यह जो जीआईएस और ब्रांडिंग की है, जो रोड शो किये हैं उसी का परिणाम है कि लोग हमारे यहां आना शुरू हुये हैं, उनको मध्यप्रदेश के पोटेंशियल के बारे में जानकारी मिल रही है. उनको यह समझ में आ रहा है कि यहां पर जमीन है, यहां पर पानी है, यहां पर बिजली है, यहां पर मिनरल रिसोर्सेज हैं, यहां पर रॉ-मटेरियल है और इसलिये मध्यप्रदेश में इनवेस्टमेंट हम करेंगे तो हम घाटे में नहीं रहेंगे और मध्यप्रदेश में इनवेस्ट करने से हमारे यहां औद्योगिक क्रांति का एक अभियान शुरू हुआ है उस अभियान की दिशा में हम बहुत तेजी से, मजबूती से आगे बढ़ रहे हैं. इसलिये मैं आप सबको, इस बात के लिये तो प्रशंसा करता हूं कि आप सबने इस बात की चिंता की कि प्रयास होने चाहिये, लेकिन जानकारी के अभाव में आपने इस बात को स्वीकार नहीं किया कि प्रयास हो रहे हैं बल्कि भागीरथी जो प्रयास किये गये हैं उसकी जो जानकारी हमने आपको दी है, मुझे उम्मीद है कि आप सब प्रसन्न होंगे और बल्कि जब मैं अनुदान की मांगों का बजट लेकर आऊंगा तो आप कटौती का प्रस्ताव न लाकर उसको बढ़ाने की पैरवी करेंगे.
श्री बाला बच्चन -- मंत्री जी वह तो कभी हो नहीं सकता. फिर तो विपक्ष सत्ता पक्ष में मिल जायेगा, ऐसा हो जायेगा.
श्री राजेन्द्र शुक्ल-- इसीलिये तो मैंने कहा कि आप मजबूरी में विरोध कर रहे हैं.
श्री बाला बच्चन-- आने वाले समय में हम अनुदान मांग लायेंगे आप कटौती प्रस्ताव लायेंगे.
श्री राजेन्द्र शुक्ल- मेरा कहने का मतलब यह है कि विरोध करने का दायित्व होने के कारण आप विरोध कर रहे हैं . वैसे आपको मालूम है कि मध्यप्रदेश औद्योगिक क्षेत्र में विकास की दिशा में मजबूती से आगे बढ़ रहा है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा आपने कहा कि समय की सीमा है इसलिये मैं खनिज विभाग के विषय में बताना चाहता हूं कि काफी हो-हल्ला मचाया जाता है कि अवैध उत्खनन और अवैध परिवहन बढ़ गया है . लेकिन इस बात पर कोई ध्यान नहीं देता कि जब हमारी सरकार बनी थी क्योंकि यह सब जानते हैं कि खनिज विभाग मध्यप्रदेश के खजाने में चौथा विभाग है जो सबसे ज्यादा राजस्व देता है. जब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी तब भी मध्यप्रदेश वही था बल्कि पहले छत्तीसगढ़ भी रहा होगा. 490 करोड़ रूपये राजस्व आता था. जो प्रयास हम लोगों ने किये हैं उसके कारण जो अंकुश लगाया है जो शिकंजा कसा है उसका यह परिणाम रहा है कि खनिज से राजस्व बड़ी मात्रा में आना शुरू हो गया है.यदि आप देखेंगे तो 2014-15 में 3400 करोड़ रूपये का लक्ष्य हमने रखा था उसके विरूद्ध 3477 करोड़ रूपये आया, 2014-15 में 3550 करोड़ का लक्ष्य रखा था जो 3610 करोड़ आया, फिर वर्ष 2016-17 में 3750 करोड़ रूपये हमने तय किया है चूंकि अभी वह 2900 करोड़ ही हो पाया है लेकिन यदि आप डीएमएफ की राशि जोड़ दें 954 करोड़ की तो कुल मिलाकर के हम लक्ष्य की ओर ही बढ़ रहे हैं और उसको पूरा करेंगे. अब 490 करोड़ का 3690 करोड़ होना क्या यह इस बात का प्रमाण नहीं है कि हमने अंकुश लगाया है और हमने शिकंजा कसा है और हमने ईमानदारी के साथ डाउन-द-लाईन यह मैसेज देने का प्रयास किया है कि अवैध उत्खनन और परिवहन करने वाला कोई भी व्यक्ति होगा वह बख्शा नहीं जायेगा उसको किसी भी प्रकार का राजनैतिक संरक्षण नहीं मिल सकता है लेकिन हम लोगों ने यह देखा है कि राजनैतिक संरक्षण तो क्या राजनीति करने वाले लोग ही माईनिंग में इतने लगे हुये थे कि किसी की हिम्मत ही नहीं होती थी कि किस प्रकार से कार्यवाही करें और क्या हमारा हाल होगा लेकिन मैं आपको बताना चाहता हूं वैसे इस बार खनिज विभाग ने पूरी कमर कस के वित्त विभाग से बजट आवंटन का प्रयास किया था और आम तौर पर 25, 30 करोड़ जो बजट में प्रावधान होता था इस बार हमने 70 करोड़ के लगभग की मांग की है क्योंकि हम उस काम को करना चाहते हैं जिस काम की चिंता आपने की है. आप चाहते हैं कि अवैध उत्खनन, अवैध परिवहन में अंकुश लगे, हमारे नाके जो 25-30 हैं वह बढ़ जायें तो हमने 100 नाको के लिये प्रस्ताव किया, 100 नाको में आर्म्ड फोर्स रहे, रिटायर्ड सेना के लोग रहें और पर्याप्त संख्या में रहें कि यदि कोई वहां से जबर्दस्ती करने की कोशिश करे तो उसको काबू में कर सकें. इसके साथ ही आपने यह भी कहा है कि अमला भी कम है तो उस अमले को बढ़ाने का भी हम प्रयास कर रहे हैं. जितना अमला है उसको देढ़सो परसेंट हम बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं. इसके लिये बजट की मांग हमने की थी शायद यदि आपको मालूम होता कि यह बजट वास्तव में उस काम को करने के लिये है जिसकी चिंता आप लगातार भले ही औपचारिता के कारण करते हों लेकिन जिस अंकुश को लगाने की आप बात कर रहे हैं उस अंकुश को हम लगाने में सफल हो सकेंगे. जितु जी ने कहा है कि नदी के तट से पांच किलोमीटर में कितनी रेत की खदानें स्वीकृत हुई हैं. तो मैं उनको बताना चाहता हूं कि नदी के तट से एक ईंच आगे भी खदान स्वीकृत नहीं की जा सकती है.नदी के तट के अंदर पानी जब डाउन हो जाता है तो उसके अंदर जो रेत बहकर के आती है उसको उठाना इसलिये आवश्यक है वैज्ञानिक रीजन भी है कि यदि हमने उस रेत को हटाया नहीं तो पानी अपनी दिशा बदल सकता है फिर वो एक परेशानी पैदा कर सकता है.इसलिये यह रिकमंडेशन भी है कि नदियों में जो बालू बरसात में बहकर के आता है उसको उतना खाली करना बहुत आवश्यक है, हमने उसका एसेसमेंट किया 2 करोड़ घन मीटर की जगह 5 करोड़ घन मीटर का हमने आक्शन किया, हमने ई-आक्शन किया है..
श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया- माननीय मंत्री जी चंबल में से क्यों नहीं हटवा रहे हैं.
श्री राजेन्द्र शुक्ल- देख लेंगे यदि उसका आक्शन नहीं हुआ होगा ...
श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया- चंबल में आक्शन हुआ है. ऐसा एक भी दिन नहीं होता कि वहां पर कोई घटना न घटती हो 24 घंटे में रोज 4 घटनायें होती हैं.
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, पहले 5 हजार हेक्टेयर नोटिफाइड एरिया था जो स्वीकृत खदानें थीं..
श्री जितु पटवारी-- मंत्री जी, मैंने जो कहा है वह प्रश्न के उत्तर से संदर्भित था. आप कहें तो मैं इसको पटल पर भी रख सकता हूं . मैं कोई विवाद का विषय नहीं बनाना चाहता लेकिन जो संदर्भ आया है उसके बारे में मैंने कहा था.आप कहोगे तो आप के ही विभाग की कलई खुलेगी, यह भी संभव है.
अध्यक्ष महोदय - विधायक जी सुनिए तो, जो आपने कहा उसी का उत्तर दे रहे हैं, इसलिए अब सुनिए.
श्री राजेन्द्र शुक्ल - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्यों को यह बताना आवश्यक है कि पहले रेत की जो नीलामी होती थी, उसके लिए जो स्वीकृत खदानें होती थी वह लगभग 5 से 6 हजार हेक्टेयर होती थी. हम लोगों ने भी वही काम किया है, जो आप कर रहे हैं कि ऐसे ऐसी खदानों का भी सेंक्शन कीजिए, उनकी भी नीलामी करिए, उन खदानों का भी कोई न कोई मालिक हो जाए और वह वैध तरीके से उत्खनन करें और अवैध उत्खनन की संभावनाएं शून्य हो जाए, तो हमने 9 हजार हेक्टेयर से ज्यादा एरिया को स्वीकृत किया, 5 हजार से बढ़ाकर 9 हजार हेक्टेयर बढ़ा दिया, लगभग सौ प्रतिशत बढ़ा दिया है और 2 करोड़ घनमीटर का जो सेंड निकालने की नीलामी करते थे अब हमने 5 लाख 5 करोड़ घनमीटर की नीलामी की है, उससे 150 करोड़ रूपए जो सेंड की रायल्टी से हमारे खजाने में आता था, अब वह 1500 करोड़ रूपए आना सुनिश्चित हुआ है, 25 प्रतिशत लगभग 300 करोड़ की राशि ऑलरेडी हमारे खजाने में आ चुकी है, जो सेंड की राशि अवैध थी और सरकार के खजाने में राशि नहीं आती थी, अच्छी सेंड की पालिसी बनाकर उस राशि को आने का रास्ता मजबूत किया है. ट्रांसपेरेंट तरीके से नीलामी के माध्यम से 100 रूपए की राशि जो बेससेट होती है, उससे किसी ने 200 रूपए भी लिया है, 250 रूपए भी लिया है, आशाजनक बात यह भी है कि पहले यह अनुमान लगाया जा रहा था कि बाजार में सेंड की कीमत कहीं बढ़ न जाए, लेकिन डिमांड और सप्लाई के गैप से मार्केट का रेट तय होता है, यदि सप्लाई बढ़ी है तो इसके कारण मार्केट के रेत में भी अंकुश लगना शुरू हुआ है. शुरूआती दौर में रेट बढ़ा है, लेकिन अब रेट कम होने लगा है. हालांकि यह बात सही है कि पर्यावरण स्वीकृति लेना आवश्यक है. पर्यावरण स्वीकृति के लिए लगभग हमारे 50 प्रतिशत मामले, जिनको हमने सफलतापूर्वक नीलामी की थी, वह मामले सिया में लंबित है, सिया में हम फॉलोअप कर रहे हैं और जल्दी ही सारे ईसीएस मिलने के बाद 100 प्रतिशत खदानें जब शुरू होगी तो अवैध रेत के उत्खनन को पूरी तरह से समाप्त कर देंगे, कोई अवैध रेत खनन करता है तो आपने देखा है कि कितनी बड़ी कार्यवाही हुई, यह हर दो चार महीने में अभियान चलाकर, सीधे मुख्यमंत्री जी वीडियो कान्फ्रेसिंग करते हैं, सारे कलेक्टरों को निर्देश करते हैं कि किसी को छोड़ना नहीं, अवैध उत्खनन के कलंक को मिटाना है हमको, इस प्रकार से मुख्यमंत्री जी द्वारा वीडियो कान्फ्रेंसिंग करके जब कलेक्टरों को निर्देश दिए जाते हैं तो उसका यह परिणाम है कि भारी संख्या में अवैध उत्खनन करने वालों के अंदर हड़कंप मचा हुआ है, तहलका मचा हुआ है, उसमें अंकुश लग रहा है और हमारा राजस्व बढ़ रहा है, इसलिए अवैध उत्खनन का जो मामला है उसमें अनावश्यक रूप से वातावरण खराब करने का जो प्रयास किया गया है वह वास्तव में वास्तविकता नहीं है.
डॉ गोविन्द सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, आप सच्चाई चलकर देख लो क्या हो रहा है, भिण्ड, ग्वालियर और आसपास के जिलों में 20 प्रतिशत रायल्टी आ रही है और 80 प्रतिशत रायल्टी चोरी हो रही है.
श्री राजेन्द्र शुक्ल - सच्चाई तो हम हमारे खजाने में देखते हैं.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी और कितना समय लेंगे.
श्री जितू पटवारी - अध्यक्ष जी, माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि मुख्यमंत्री के भागीरथ प्रयास हैं, यह सीहोर की लिस्ट आपने दी है, जिसमें एक वर्ष में इतने लोगों के नाम है अवैध खनन करने में, मुख्यमंत्री जी की नाक के नीचे अवैध खनन करते हैं.
श्री राजेन्द्र शुक्ल - माननीय अध्यक्ष महोदय, यदि कार्यवाही करो तो गड़बड़ है, कार्यवाही न करो तो गड़बड़ है. मुझे ऐसा लगता है कि जितू पटवारी जी के कोई खास आदमी है, इसलिए कार्यवाही होने के कारण वह ज्यादा परेशान है, आपको तो प्रशंसा करना चाहिए.
श्री जितू पटवारी - मंत्री जी मैं तो आपकी आंखें खोल रहा हूं, मैंने गलत क्या कहा, मैं सरकार का सहयोग कर रहा हूं.
श्री राजेन्द्र शुक्ल - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपकी ओर रुख करके ही बोलना ठीक रहेगा, जो कार्यवाइयां हुई हैं, उससे ही यह आंकड़े इनको उपलब्ध हुए हैं, यदि हम कार्रवाई नहीं करते तो ये आंकड़ें इनको नहीं मिल पाते, कायदे से इनको सरकार की मंशा और हमारा जो कठोर निर्णय है अवैध उत्खान और परिवहन के प्रति वह और ज्यादा क्लियर हो रहा है और ज्यादा प्रमाणित हो रहा है कि हम कोई भी चीज बर्दाश्त कर सकते हैं, लेकिन अवैध उत्खनन और परिवहन को बर्दाश्त नहीं कर सकते. इसके लिए सारी कार्यवाही हम कर रहे हैं, चाहे वह किसी भी जिले के हों, आप खुद ही स्वीकार कर रहे हैं. जिस तरह से आपने अभी लहराकर दिखाया न कि यह खदानें भारतीय जनता पार्टी से जुड़े लोगों से संबंधित खदानें है. मुझे याद है एक बार अविश्वास प्रस्ताव यहां पर आया था, उस समय नेता प्रतिपक्ष जो वर्तमान में हैं वही उस समय थे, उस समय मैंने भी लहराकर दिखाया था कि कांग्रेस के नेताओं की यह लीजेज और इस प्रकार के पट्टे है. मैंने भी यही कहा था, इसमें कोई बुराई नहीं हैं.
डॉ गोविन्द सिंह - जिसको आप सुना रहे हैं, वे उधर चले गए.
श्री राजेन्द्र शुक्ल - अब रिपीट करना ठीक नहीं है, लेकिन हमारे कहने का मतलब यह है कि
एमएमडीआर एक्ट में कौन ऑक्शन में भाग लेगा और कौन पीएलएम के लिये एप्लाई करेगा, इसमें किसी भी पार्टी का मेम्बर होना, कोई डिस क्वालिफिकेशन नहीं है. कोई भी एप्लाई कर सकता है और मेरिट में किसी को भी वह आवंटित हो सकता है और वह यदि अवैध करेगा, तो पकड़ा जायेगा और यदि अवैध का संरक्षण होता है, तो वह गलत है.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा -- मंत्री जी, अशोक नगर में पुलिस और प्रशासन पर हमला करने वाले को बचा रहे हैं और अरेस्ट नहीं कर रहे हैं. 6 महीने हो गये हैं.
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- माननीय सदस्य अगर आप कोई स्पेसीफिक केस बतायेंगे, तो उसको देख लेंगे.
श्री बाला बच्चन ‑ - अध्यक्ष महोदय, आज मेरा प्रश्न था, वह अतारांकित में बदल गया था कि 102 डम्पर पकड़ाये थे र 34 डम्परों को रातों रात छोड़ दिया गया था.
अध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी, अब यह तो एंडलेस है. आप तो अपनी बात करिये.
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- अध्यक्ष महोदय, भारत सरकार ने आदरणीय मोदी जी की सरकार बनने के बाद उन्होंने एक बहुत ही अच्छा निर्णय किया है, हमेशा से यह पीड़ा रही है कि मेजर मिनरल में जिन जिलों में खुदाई होती थी, वह कहते थे कि हमारे यहां माइनिंग होती है, हमारे यहां का पर्यावरण प्रभावित होता है और पूरी की पूरी रायल्टी राज्य शासन के खजाने में चली जाती है और हमारे क्षेत्र के विकास में उस राशि का वापस आना बहुत कठिन हो जाता है. तो केंद्र की सरकार ने एमएमडीआर एक्ट में जनवरी, 2015 में संशोधन करके यह प्रावधान कर दिया है कि टोटल रायल्टी का 30 प्रतिशत उस जिले में डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड के नाम से जायेगा और उस जिले के प्रभावित जो क्षेत्र हैं, उनमें पर्यावरण, पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा और इनफ्रास्ट्रक्चर के लिये जो विकास की आवश्यकता होगी, उनको भोपाल की ओर देखना नहीं पड़ेगा, वह अपनी योजना बनायेंगे, प्रभारी मंत्री उसका अनुमोदन करेंगे और वहां पर वह विकास तेजी के साथ होगा. अब आप आश्चर्य करेंगे कि अकेले सिंगरौली में दो वर्षों के 600 करोड़ रुपये मिले हैं. 600 करोड़ रुपये वहां पहुंच गये, उसमें से साढ़े 300 करोड़ रुपया जिले में रहेगा. कमलेश्वर पटेल जी ने इस मुद्दे को उठाया है और वे चाहते हैं कि उस फंड से विद्युतीकरण का काम हो जाये. अभी दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना से 50 करोड़ रुपये उस जिले को स्वीकृत हुए हैं, उसके टेंडर हो गये हैं. कल ही मैंने एमडी ईस्ट कम्पनी, मुकेश गुप्ता को फोन किया था और हमने कहा था कि दीन दयाल उपाध्याय योजना में क्या क्या स्कोप ऑफ वर्क में कवर है. उसकी सूची भेज दें. यदि उस सूची में आपके उस क्षेत्र का विद्युतीकरण कवर नहीं हो रहा होगा, तो डीएमएफ के फंड से इसको स्वीकृत करने में हमें कोई परेशानी नहीं होगी. तो इसी प्रकार से राजेन्द्र मेश्राम जी पता नहीं हैं कि नहीं. राजेन्द्र मेश्राम जी भी यही चाहते थे. कुंवर सिंह टेकाम जी भी यही चाहते थे.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, मैं एक चीज जानना चाहता हूं कि उद्योगपतियों को कितने हेक्टेयर जमीन दी गई और उसकी कीमत क्या है, मंत्री जी यह सदन को बता दें.
अध्यक्ष महोदय -- कृपया बैठे. प्रश्नकाल 11.00 बजे होता है. 6.00 बज गये हैं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश के अन्दर कितने हेक्टेयर जमीन बांटी गई है, उसकी क्या कीमत है. अध्यक्ष महोदय, एक प्रश्न है. आपने बोला है कि हमने उद्योगपतियों को इतनी जमीन दी है, उद्योग लगाने के लिये. जो जमीन दी गई है, उसकी कीमत क्या है, यह मंत्री जी सदन को बता दें.
अध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी, अब कृपया समाप्त करें.
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- अध्यक्ष महोदय, जिन सदस्यों ने अपनी बातें कहीं हैं..
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, जितनी जमीन दी गई है, उसकी कीमत बता दिया जाये, तो पता लग जायेगा कि कितने उद्योग लगे, कितना राज्य को फायदा हो रहा है. सारी चीजें सामने आ जायेंगी.
वन मंत्री (डॉ. गौरीशंकर शेजवार) -- अध्यक्ष महोदय, तिवारी जी और शुक्ल जी के बारे में एक बात कहना चाहता हूं कि तिवारी जी शुक्ल जी से कुछ कह रहे हैं, तो मेरा यह मतलब है कि छलनी जो है, वह सूजी से कह रही है कि तुझमें छेद है. ..(हंसी)..
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- सूपा बोले तो बोले, छलनी भी बोल रही है. ..(हंसी)..
श्री कमलेश्वर पटेल -- यह क्या मंत्री जी के लिये बोल रहे हैं.
श्री जितू पटवारी -- अध्यक्ष महोदय, प्रश्न वाजिब है कि उन्होंने कहा कि कितने पैसे की जमीन एलाट की, उद्योगपतियों से कितनी कीमत वसूल की. इसमें प्लस माइनस पता चलेगा जनता को. यह सवाल पूछा है.
अध्यक्ष महोदय -- यह प्रश्नकाल नहीं है.
श्री राजेन्द्र शुक्ल --अध्यक्ष महोदय, यह बजट के भाषण में इस प्रकार जवाब दिया जाता है क्या.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, इन्होंने कहा है कि उद्योगपतियों को हमने जमीन दिया है. उसकी कीमत बता दें. सारे आंकड़े सामने आ जायेंगे. कितना राज्य को नुकसान हुआ, कितना फायदा हुआ.
अध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी बैठ नहीं रहे हैं. तिवारी जी, कृपया बैठ जायें. आपकी बात पर वह ईल्ड नहीं कर रहे हैं. आप बैठ जाइये.
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- अध्यक्ष महोदय, खनिज में कई इनोवेटिव्ह स्टेप्स भी हम लोगों ने नवाचार किये हैं.
वन मंत्री (डॉ. गौरीशंकर शेजवार) - (श्री तिवारी जी की ओर देखते हुए) कुत्ते, बिल्लियों के नाम पर ट्रक हैं. आप जरा आर.टी.ओ. रीवा का हिसाब देखें. कुत्ते, बिल्ली, भगवान रामचन्द्र जी के नाम पर 10-10 व्हीलर ट्रक चल रहे हैं. आप कह रहे हैं तो रिकॉर्ड खुलवा देते हैं.
अध्यक्ष महोदय - तिवारी जी को शान्त करना कठिन होता है. आप कृपया बैठ जाइये.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - आप ही ने स्वीकार किया है कि करोड़ों रुपये डकारा गया है. वन विभाग ने खाया है, आपने सदन में स्वीकार किया है.
श्री राजेन्द्र शुक्ल - शैलेन्द्र जैन जी ने सिंहवा जल प्रदाय योजना का प्रश्न उठाया था. इस योजना का निर्माण प्रारंभ हो गया है और कुल 10 करोड़ रुपये का व्यय होना है. यह योजना लगभग 6 माह में पूर्ण हो जायेगी. मैं उनको आश्वस्त करता हूँ और आदरणीय उपाध्यक्ष महोदय चूँकि बोल नहीं सकते थे लेकिन नार्दर्न इंडस्ट्रीयल एरिया के लोक निर्माण की बात आपने कही थी. उसकी भी मैं घोषणा करता हूँ कि जल्दी उसके टेण्डर होंगे और भूमिपूजन के लिये हम आपको वहां पर लेकर चलेंगे.
अध्यक्ष महोदय, हमने खनिज में ईटीपी की योजना शुरू की है और 25 जिलों में शुरू हो गई है और अभी हमारे कई सदस्यों ने कहा है कि पूरे 51 जिलों में ईटीपी की सुविधा होनी चाहिए इससे काफी फर्क आया है. अब किसी भी लैसी को खनिज विभाग नहीं जाना पड़ता, ऑनलाईन वह पैसा जमा करते हैं एवं ऑनलाईन उनको टीपी मिल जाती है और जो अनावश्यक रूप से परेशानी विभागों के अन्दर होती थी, उससे लोगों को मुक्ति मिली है, गाडि़यों के ट्रेकिंग सिस्टम को भी हमने जीपीएस से जोड़कर, एक मोबाइल एप्प डेव्लप कर रहे हैं जिससे कोई भी गाड़ी अनाधिकृत रूप से किसी खदान में एन्टर करती है और यदि वह हमारे खनिज विभाग में रजिस्टर्ड नहीं है क्योंकि हमने रजिस्ट्रेशन के भी नियम बनाये हैं, वही गाडि़यां खनिज परिवहन कर पाएंगी, जो रजिस्टर्ड होंगी तो यदि अनरजिस्टर्ड गाड़ी आती है तो वह पकड़ में आ जाएगी और यदि कोई गाड़ी ओवरलोडेड है तो उसके खिलाफ ओवरलोडेड के केस बनेंगे और अभी तो हम जो 31 मिनरल के जो नियम बनाने जा रहे हैं और उसके साथ ही, हम माइनर मिनरल के रूल को एमेन्ड करने जा रहे हैं. जैसे भारत सरकार ने मेजर मिनरल के रूल को एमेन्ड किया है. माइनर मिनरल के रूल को भी जो एमेन्ड कर रहे हैं, उसमें काफी सुधार और सरलीकरण किया है. जिसके चलते अब अवैध उत्खनन और परिवहन करने में लोगों को और ज्यादा खतरा रहेगा.
कुँवर सौरभ सिंह - मंत्री जी, कटनी की मार्बल्स इंडस्ट्रीज इसी पॉलिसी के कारण खत्म हो गई हैं. आप फिर से माइनर मिनरल में करेंगे तो दिक्कत होगी.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी, आप कितना समय लेंगे. आप बैठ जाएं.
श्री राजेन्द्र शुक्ल - बस 2 मिनट लूँगा.
अध्यक्ष महोदय - आप 2 मिनट में समाप्त कर दें. आप बैठ जाइये.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक सवाल सीधा कर रहा हूँ कि जितने हजार हेक्टेयर जमीन देने की बात सदन में की गई है. उसका क्या मूल्यांकन सरकार ने किया है ?
संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) - इन दोनों का लोकल का विवाद है और ये यहां समय जाया कर रहे हैं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - कोई विवाद नहीं है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - वह पड़ोसी-पड़ोसी हैं, वहां दोनों रोज मिलते हैं. यहां सदन का समय जाया कर रहे हैं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - हमारा सरकार से विवाद है.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार - आपका राज था तब उन्होंने बर्दाश्त किया. अब उनका राज आया है तो आप बर्दाश्त करो. तिवारी जी, चुपचाप बैठे रहो.
श्री राजेन्द्र शुक्ल - अध्यक्ष महोदय, कुँवर सौरभ सिंह जी ने कटनी जिले की दाल मिलों का प्रश्न उठाया है. यह मामला एम.एस.एम.ई. विभाग के अधीन आता है. लेकिन हम उस विभाग के अधिकारियों से ...(व्यवधान)
श्री बाला बच्चन - राज की बात यह है कि माननीय मंत्री जी. इस कारण ऐसा हो रहा है.
अध्यक्ष महोदय - अभी एक विभाग और लेना है. जल्दी समाप्त करें.
श्री बाला बच्चन - लोकल का भी है और राज की बात भी है कि इधर का राज है तो बर्दाश्त करें.
श्री राजेन्द्र शुक्ल - रोजगार विभाग के बारे में, मैं सिर्फ इतना ही कहना चाहता हूँ. रोजगार मेले के माध्यम से, कैरियर काउंसलिंग स्कीम और हमने जो मॉडल कैरियर सेन्टर बनाये हैं, उसके माध्यम से जो बेरोजगार रजिस्टर होते हैं, उनकी काउंसलिंग होती है कि उनको कहां पर रोजगार के अवसर हैं. ट्रेनिंग से लेकर गाइडेंस, उनका प्रशिक्षण यह सारी चीजें कर उनको रोजगार मिले, हम इसका प्रयास करते हैं और रोजगार मेलों में पिछले दो वर्षों में, हर वर्ष लगभग 60 से 70,000 बेरोजगारों को कहीं न कहीं रोजगार उपलब्ध कराने का काम यह विभाग कर रहा है और रोजगार कार्यालयों के बारे में जो आपने कहा है, उसको अब पीपीपी के मोड में बहुत आधुनिक करने वाले हैं. प्रायवेट सेक्टर में हमने एक्सप्रेशन ऑफ इन्ट्रेस्ट बुलवाया है और एक मॉडल रोजगार कार्यालय हमारा शुरू हो और जो देश का सबसे बेहतर हो. इस दिशा में हम काम कर रहे हैं. 'इज ऑफ डूइंग बिजनेस' जो किसी भी प्रदेश का वह पैरामीटर है, जिसके आधार पर यह कहा जाता है कि इस राज्य में निवेश करने का कैसा वातावरण है ? तो अभी कुछ सदस्यों ने यह कहा है कि वर्ल्ड बैंक ने और डीआईपीपी जो भारत सरकार की इन्डस्ट्रीयल प्रमोशन का विभाग है, उसमें मध्यप्रदेश को ...(व्यवधान)
वन मंत्री (डॉ. गौरीशंकर शेजवार)--माननीय मंत्री जी आप इतने हाई लेवल के भाषण क्यों दे रहे हैं तिवारी जी को समझ में ही नहीं आ रहा है और हमें मालूम है आपका यह पूरा भाषण रीवा वालों के लिए है. अब जरा इनके लेवल पर बात करो ताकि ये समझ पायें.
अध्यक्ष महोदय--माननीय मंत्री जी अब आप एक मिनट में समाप्त कर दें.
श्री राजेन्द्र शुक्ल--अच्छा है आज आप सदन में उपस्थित हैं इस तरह के जवाब जो लोवर लेवल पर समझ में आते हैं वह आप कर रहे हैं.
श्री बाला बच्चन--भाषण केवल रीवा के लिए थोड़ी हो रहे हैं भाषण तो पूरे सदन के लिए हो रहे हैं.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने अपर और लोवर लेवल की बात नहीं की है मैंने तो लेवल की बात की है. मैंने तो तिवारी जी के लेवल की बात कही है. अब शुक्ला जी के और इनके लेवल ऊपर-नीचे होते रहते हैं.
अध्यक्ष महोदय--कृपया बैठ जाएं उपसंहार हो गया है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--अध्यक्ष महोदय, लोवर लेवल का एक सवाल, मध्यप्रदेश की हजार करोड़ रुपए गरीबों की जमीन उद्योगपतियों को बांट दी है.
अध्यक्ष महोदय--तिवारी जी जो बोल रहे हैं वह नहीं लिखा जाएगा.
श्री सुन्दरलाल तिवारी (XXX)
अध्यक्ष महोदय--मैं, पहले कटौती प्रस्तावों पर मत लूंगा.
प्रश्न यह है कि मांग संख्या 11 तथा 25 पर प्रस्तुत कटौती प्रस्ताव स्वीकृत किए जायें.
कटौती प्रस्ताव अस्वीकृत हुए.
अब, मैं, मांगों पर मत लूंगा.
(3) मांग संख्या - 24 लोक निर्माण कार्य सड़कें और पुल
मांग संख्या - 29 विधि और विधायी कार्य
मांग संख्या - 67 लोक निर्माण कार्य भवन
मांग संख्या - 67 लोक निर्माण कार्य-भवन
क्रमांक
श्रीमती चन्दा सुरेन्द्र सिंह गौर 1
श्री सचिन यादव 2
डॉ. गोविन्द सिंह 3
श्री नीलेश अवस्थी 4
श्री रामपाल सिंह (ब्यौहारी) 5
उपस्थित सदस्यों के कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए. अब, मांगों और कटौती प्रस्तावों पर एक साथ चर्चा होगी.
डॉ. गोविन्द सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, 6 बजकर 20 मिनट हो चुके हैं सुबह 11 बजे से आए हैं. इसे कृपा करके कल ले लें.
श्री बाला बच्चन--अध्यक्ष महोदय, हमारा यह निवेदन है कि या तो कल ले लें या फिर दोनों तरफ से 1-1 सदस्य से ओपनिंग करवा लें.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र)--इतने सारे विभाग हैं और केवल कल का समय बचा है.
अध्यक्ष महोदय--23 तारीख को इन मांगों पर चर्चाएं समाप्त हो जाएंगी और अब दो दिन बचे हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--केवल कल का दिन है.
श्री बाला बच्चन--ढाई घंटे की चर्चा है और बड़ा विभाग है.
डॉ. गोविन्द सिंह--आप 10-10, 12-12 की जगह 2-2, 3-3 सदस्यों के नाम दीजिए.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--हम तैयार है.
डॉ. गोविन्द सिंह--ऐसे में कल तक हो जाएगा.
श्री बाला बच्चन--आज आप ओपनिंग करवा लें दोनों साइड से.
अध्यक्ष महोदय--लोक निर्माण विभाग बड़ा विभाग है कल यदि इसको लिया तो कल दिन भर इसी विभाग में लग जाएगा. जैसी डॉक्टर गोविन्द सिंह जी ने सलाह दी है यदि उससे दोनों पक्ष सहमत हों तो उस पर काम किया जा सकता है.
श्री बाला बच्चन--कल अगर कराएंगे तो उस पर हम सहमत हैं.
डॉ. गोविन्द सिंह--आज 1-1 से शुरु करवा लें.
श्री बाला बच्चन- आज आप ओपनिंग करा लें. यदि आप आज इस पर चर्चा करायेंगे तो हम इससे सहमत हैं.
डॉ.गोविंद सिंह- आज आप एक-एक व्यक्ति को ले लें. बाकी को कल ले लें.
श्री बाला बच्चन- अध्यक्ष जी, आज आप ओपनिंग करा लें. कल माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी का ही विभाग था. आज मंत्री जी और सदन के सदस्यों को भी पर्याप्त समय मिला. मंत्री जी को परफार्मेंस का मौका भी मिला और सबके काम भी हुए.
डॉ. नरोत्तम मिश्र- आप लोगों ने मुझे बोलने ही कहां दिया ?
अध्यक्ष महोदय- कल अनुपूरक पर भी चर्चा होगी. आज आप 3-3 सदस्य दोनों ओर से करवाकर माननीय मंत्री जी का जवाब ले लें.
डॉ.गोविंद सिंह- अध्यक्ष जी, कल से आप यह निर्णय कर दीजिए कि तीसरे से चौथा नहीं होगा.
अध्यक्ष महोदय- सदस्यगण इसे नहीं मानेंगे.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार- 3-3 सदस्य दोनों ओर से करवाकर आप पास करवा लीजिए. अभी आधे घंटे में हो जाएगा.
श्री बाला बच्चन- अध्यक्ष जी, आप ओपनिंग करवा के दोनों तरफ से एक-एक सदस्य को मौका दे दीजिए.
अध्यक्ष महोदय- माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी आप इस संबंध में क्या कहेंगे ?
डॉ.नरोत्तम मिश्र- माननीय अध्यक्ष जी, मेरा निवेदन है कि केवल कल का ही दिन बचा हुआ है. आज कम से कम PWD विभाग को चाहे उनकी या हमारी किसी की भी शर्तों पर करवाकर इसे खत्म करवा दीजिए.
अध्यक्ष महोदय- अभी डेढ़ घंटे में इस विषय को समाप्त किया जा सकता है. वरना कल दिन भर इसी विभाग में लग जायेगा और बहुत सारे विभाग शेष हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र- डॉ. साहब, आपकी ही शर्तों पर कम से कम आज इस विभाग को पास करवा दीजिए.
श्री बाला बच्चन- PWD तो कल ही हो पाएगा. आज तो केवल ओपनिंग ही हो पाएगी.
डॉ. नरोत्तम मिश्र- बाला भाई, आप मानिए नहीं तो फिर विभागों को गुलोटिन करना पड़ेगा और इस बारे में आपको ही सहमति देनी पड़ेगी.
श्री बाला बच्चन- मैं इस बात को मानता हूं, लेकिन PWD बड़ा विभाग है और महत्वपूर्ण पोर्टफोलियो है. आप इस पर चर्चा आ जाने दीजिए.
डॉ. गोविंद सिंह- समय नहीं बचेगा तो फिर गुलोटिन ही करना पड़ेगा, इसमें क्या दिक्कत है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र- यदि गुलोटिन पर सहमति है तो फिर अध्यक्ष महोदय, आप देख लीजिए. गोविंद सिंह जी कह ही रहे है और मुझे इसमें कुछ नहीं कहना है.
श्री बहादुर सिंह चौहान- अध्यक्ष जी, आप सदन आज ही 2 बजे तक चलाईये. माननीय अध्यक्ष महोदय, हम इस विभाग को 2 घंटे में समाप्त करेंगे. आपको चर्चा 23 को समाप्त करनी है तो हमें विभाग पूरे करने ही पड़ेंगे.
अध्यक्ष महोदय- ये अभी बैठने को तैयार नहीं हैं तो फिर 2 बजे तक की कैसे बात करें. अभी 34 नाम मेरे पास हैं और ये नाम अभी बढ़ेंगे. आखिर में एक मिनट का समय लेकर 3-3 मिनट बोलने वाले लगभग 30 लोग और बढे़ंगे.
डॉ.नरोत्तम मिश्र- 49 लोग तो मेरे विभाग पर ही बोले थे.
श्री बाला बच्चन- हम सभी मिलकर यह तय कर लें कि 34 को चांस देना है कि 3-4 को चांस देकर चर्चा समाप्त करनी है.
डॉ.कैलाश जाटव- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि यदि 3-3 सदस्यों पर निर्णय होता है तो फिर जूनियर विधायकों का क्या होगा ? बाकी लोग यहां बैठकर क्या करेंगे ?
डॉ.नरोत्तम मिश्र- अध्यक्ष जी, मेरी यह विनम्र प्रार्थना है, जैसा गोविंद सिंह जी ने कहा है कि आप सभी विधायकों को अवसर दें और आखिर के बचे हुए विभाग गुलोटिन करवा दें.
अध्यक्ष महोदय- गोविंद सिंह जी, क्या आप इससे सहमत हैं ?
डॉ. गोविंद सिंह- आखिरी में समय नहीं बचेगा तो फिर मजबूरी ही है.
अध्यक्ष महोदय- एक काम किया जा सकता है कि अभी इस चर्चा को प्रारंभ किया जाए और इसके बाद आप कक्ष में आ जायेंगे तो बात हो जायेगी. चर्चा प्रारंभ होने के पूर्व आप सभी यह भी सुन लीजिए.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा (मुंगावली)- माननीय अध्यक्ष महोदय, PWD के वार्षिक प्रशासकीय प्रतिवेदन में प्रदेश की सड़कों, पुलों, भवनों की स्थिति दर्शायी गई है तथा सामान्य, आदिवासी व अनुसूचित उपयोजना और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के कार्यों का भी उल्लेख है. मैं मध्यप्रदेश रोड डेव्हलपमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड, पी.पी.पी. बॉण्ड, बी.ओ.टी. एवं एन.यू.टी. के अंतर्गत कार्यों पर भी बोलना चाहूंगा. सड़कों के बारे में विशेष अनुरोध करूँगा कि उनकी गुणवत्ता ज्यादा अच्छी की जाए क्योंकि अभी कई सड़कों की शिकायत मिलती है कि उनकी गुणवत्ता खराब है तथा वह बनते ही उखड़ना शुरू हो जाती हैं इसलिए नॉर्म्स बदलें, ऐसी सड़कें बनाएँ, भले ही कम बनाएँ, लेकिन ऐसी सड़कें बनाएँ, जो लंबे समय तक चलें. खास तौर से जिन अधिकारियों ने गुणवत्ता से समझौता किया है और सड़कें उखड़ जाती हैं, उन दोषियों को पहचान कर, जाँच करने के बाद तत्काल दण्डित करने का कष्ट करें क्योंकि एग्जेम्पलरी पनिशमेंट देना बहुत जरूरी है, ताकि जो लोग गुणवत्ता से कांप्रोमाइज करते हैं वे गुणवत्ता से कांप्रोमाइज न करें.
अध्यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र में पिपरई रोड एनएच 12 में 34 मील से बरेली तक की सड़क, माननीय लाखन सिंह जी विधायक के क्षेत्र की लंबी सड़क, ये खराब भी हैं और लंबे समय से पैंडिंग भी हैं, बन नहीं रही हैं, तो ऐसे में विशेष आपको जाँच करना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय, सेंट्रल रोड फण्ड से काफी फण्ड सड़कों के लिए केन्द्र सरकार से प्राप्त किया जा सकता है. लेकिन इसके लिए जरूरी है कि जिला योजना मंडल से एमडीआर रोड घोषित करें इसलिए प्रत्येक जिले में कम से कम 3 सड़कें आप एमडीआर में लें और उनको सेंट्रल फण्ड के लिए भेजें. पास के राज्यों की सड़कों को मिलाने की भी प्राथमिकता से सड़कें बनाना चाहिए. जैसे कि मुंगावली-चंदेरी से उत्तर प्रदेश और जावरा-पिपलौदा-मंदसौर से राजस्थान से जोड़ने वाली सड़कों को प्राथमिकता पर लेना चाहिए ताकि दोनों राज्यों में सड़कें बन जाएँ व आपस में लोग आने जाने लग जाएँ. जैसे रानीगाँव, धंधोड़ा, भावगढ़ को जोड़ने को प्राथमिकता देनी चाहिए, इनको एमडीआर बनाना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय, इंटर डिस्ट्रिक्ट रोड्स को भी प्राथमिकता देना चाहिए. जैसे कि मुंगावली-मल्हारगढ़ तक तो आप रोड बना रहे हैं. लेकिन उसको बीना तक जोड़ना चाहिए ताकि सागर और अशोक नगर दोनों जिले जुड़ जाएँ.
अध्यक्ष महोदय, पीपीपी, पब्लिक प्रायवेट पार्टनरशिप और बीओटी के तहत मध्यप्रदेश में काफी सड़कें बनी हैं. लेकिन इसमें सुधार की जरुरत है कि आप कंसेशनर को और ठेकेदार को बहुत अधिक कीमत दे रहे हैं और बहुत अधिक लाभ दे रहे हैं, जो ठीक नहीं है. सरकारी तंत्र ठेकेदार व कंपनी के फायदे के लिए कई स्थानों पर कार्य कर रहा है और कंपनियों से जो एग्रीमेंट हुआ है उसकी शर्तों का सख्ती से पालन नहीं हो रहा है. नियमों के विरुद्ध कई प्रोजेक्ट्स पर बिना निर्माण कार्य पूरा किए टोल की वसूली भी शुरू हो जाती है. राऊ-मंडलेश्वर मार्ग पर टोल का मामला हाईकोर्ट में खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट तक पहुँचा. महू-घाटाबिल्लौद 27 किलोमीटर मार्ग का निर्माण भी विवाद में है और 2 वर्ष से काम रुका है.
अध्यक्ष महोदय, प्राक्कलन समिति के सभापति सकलेचा जी ने एक रिपोर्ट दी है. मैं सोचता हूँ कि 2010-11 में समिति का पंचम प्रतिवेदन 31 मार्च 2011 को विधान सभा में रखा गया तथा नयागाँव-जावरा-लेबड़ फोर लेन पर आपने एक विस्तृत रिपोर्ट सदन में रखी है. वह आँखें खोलने वाली है और उससे पता लगता है कि कितनी गड़बड़ियाँ इन फोर लेन रोड्स पर हुई हैं.
6.28 बजे
{उपाध्यक्ष महोदय (डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह)पीठासीन हुए}
उपाध्यक्ष महोदय, कंपनी ने पेड़ नहीं लगाए हैं. पेड़ लगे हैं उनका सर्वाइवल नहीं है. मांडनखेड़ा व कई स्थानों पर यात्री प्रतिक्षालय तोड़ दिए. लेकिन बनाए नहीं हैं. सड़क का रखरखाव समय पर नहीं होता है. जावरा-पिपलौदा रोड पर रेड लाइट नहीं है और अण्डर ब्रिज भी नहीं है. तत्कालीन लोक निर्माण मंत्री नागेन्द्र सिंह जी, हम उस क्षेत्र के 4-5 विधायकों को लेकर दौरे पर भी गए थे और हम लोगों ने अपनी कई समस्याएँ रखी थीं. लेकिन न तो सकलेचा जी की रिपोर्ट पर शासन कोई कार्यवाही कर रहा है और वहाँ पर हमने जो दौरा किया था मंत्री जी की हम लोगों से चर्चा हुई थी, उस पर भी कोई कार्यवाही नहीं हो रही है और यहाँ पर वल्लभ भवन में भी हम लोगों को सबको बुला कर एक मीटिंग की थी. लेकिन उसका कोई नतीजा नहीं निकला है.
उपाध्यक्ष महोदय, प्राक्कलन समिति के सभापति गिरीश गौतम जी ने यहाँ लंबा-चौड़ा भाषण दिया था, माननीय अध्यक्ष जी से समय लेकर कि किस प्रकार से उनके फोर लेन रोड पर गलत सूचना आई है, पेड़ थे ही नहीं और खूब सारे पेड़ बता दिए गए.
उपाध्यक्ष महोदय, यह पीपीपी मोड जो है, यह पीपुल्स प्लंडर मोड हो गया है. इसको वह होने से बचाइये. इसमें कई अच्छाइयाँ हैं लेकिन इसकी लूट से बचाइये, कंसेशनर्स की और ठेकेदारों की, क्योंकि उससे राज्य सरकार का और पब्लिक का भला नहीं है. यह केवल मध्यप्रदेश में ही नहीं है. छत्रपति शिवाजी मार्ग का जो एयर पोर्ट बना है उसमें भी सीएजी (कंपट्रोलर ऑडिटर जनरल) ने बहुत चिन्ता व्यक्त की है, कई ऐतराज किए हैं. ओवरऑल कॉस्ट इन बेनिफिट टू दी गवर्नमेंट एंड कन्ज्यूमर, इसका बेलेन्स होना चाहिए, वह बेलेन्स नहीं है. मध्यप्रदेश में भी सीएजी ने कई गंभीर चिंताएं व्यक्त की हैं जैसे कि मैं आपको बताता हॅूं कि मेरे प्रश्न 28 जुलाई 2016 और 5 दिसम्बर 2016 में मेसर्स वेस्टर्न एमपी इन्फ्रास्ट्रक्चर रोडवेज लिमिटेड ने 605.44 करोड़ तथा नयागांव टोलरोड कंपनी लिमिटेड द्वारा 450 रूपये खर्च किए. लेकिन खर्चा हुआ उसमें 907 और 907 करोड़ दोनों पर. टोल से दिसम्बर 2016 तक 700 करोड़ प्राप्त हो गए हैं और 720 करोड़ रूपये भी वसूल हो गए हैं. अब 200 करोड़ रूपये और वसूल होना है. आप उसके बाद कब तक उनको टोल लेने देंगे. ये बताएं और यह देखें कि वे ज्यादा वसूली न कर सकें टोल का उनका जो खर्चा हो जाए और उसके बाद में आप कम से कम वह टोल न लें और पब्लिक को सुविधा दें. एक बात और है पब्लिक प्राइवेट पाटर्नरशिप की गाइडलाईंस में जो एग्रीमेंट है उसमें डायवर्शन प्रोजेक्ट एक्टिविटीस की कॉस्ट वेल्यू होना चाहिए और मिनीमाइज करना चाहिए. आप लोगों ने पब्लिसिटी भी नहीं की. क्योंकि पब्लिक प्राइवेट पाटर्नरशिप में आपने नयागांव से लेकर लेबड़ तक सड़कों का एग्रीमेंट दो कंपनियों को दिया उसमें आपको लोगों को बताना चाहिए था, प्रचार करना चाहिए था कि नेगेटिव एक्सटर्नलिटी का क्या मतलब है धूल ट्रैफिक जाम अगर धूल से अगर फसल खराब होती है सीवर लाइन, बिजली लाइन, पानी की लाइन, कन्स्ट्रक्शन के दौरान अगर टूटता है तो चाहे नगर पालिका का हो, पंचायत का हो या प्राइवेट हो, उस संपत्ति को जो नुकसान होता है उसका पैसा देना पड़ता है. आपने इस बात की पब्लिसिटी बिल्कुल नहीं की. हालांकि वह डॉ.नरोत्तम मिश्र जी बता रहे थे कि हम बहुत करोड़ों रूपये पब्लिसिटी पर खर्च कर रहे हैं. इस पर आपने क्यों नहीं किया ? इसी तरह से भूमि अधिग्रहण में भी बहुत सस्ती भूमि ले ली गई क्योंकि किसानों को जानकारी ही नहीं थी कि उनके क्या-क्या अधिकार हैं. गुड प्रैक्टिसेस इसके बारे में भी नहीं बताया गया. कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी इसके बारे में भी लोगों को नहीं बताया गया. नयागांव लेबड़ फोरलेन में कंपनी में ठेकेदार से जो एमओयू हुआ है उसमें आपने क्या-क्या प्रावधान किया ? जनता की किस-किस सुविधा का ध्यान रखा ? एमओयू की शर्तों का आपने प्रचार-प्रसार क्यों नहीं किया ? होना तो ऐसा चाहिए कि सुबह 10 बजे से 5 बजे तक एक पब्लिक ब्यूरो सेल होना चाहिए जो खुला रहे और वहां पर लोग आकर अपनी समस्याएं बता सकें. वह किसी भी फोरलेन में नहीं है. लैंड एक्वीजिशन में मनमानी हुई और प्रोजेक्ट का एक परसेंट भी खर्चा नहीं हुआ है तो किसानों को जानकारी नहीं थी कि उनका अधिकार क्या है और वे लैंड एक्वीजिशन में अच्छी कीमत ले सकते थे. आप इस बात की जॉंच करें कि लैंड एक्वीजिशन में कितना पैसा दिया गया. वास्तविकता में जो इनपुट है उसमें मनी, मटेरियल, मैथड और लैंड इसमें लैंड सबसे महत्वपूर्ण है और किसानों का शोषण हुआ है उनके हितों का ध्यान नहीं रखा गया है क्योंकि आपने प्रचार-प्रसार नहीं किया कि उनका अधिकार क्या है और उनको कैसे पैसा मिल सकता है. सीएसआर (कार्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी) का भी एग्रीमेंट में प्रावधान होता है. कम से कम वह 4 परसेंट होना चाहिए. सोशल एक्टिविस्ट के लिए होना चाहिए और उसमें आपने क्या प्रावधान किया है और कितना खर्च हुआ यह बताएं ? यह पैसा कलेक्टर के पास जमा होना चाहिए और कलेक्टर इसको खर्च करता है इसको कोई मॉनीटर नहीं कर रहा है. पीपीपी मोड में गुड प्रैक्टिसेस क्या है, इसकी जानकारी देना भी बहुत जरूरी है.
उपाध्यक्ष महोदय -- आप कितना समय लेंगे ?
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा -- माननीय उपाध्यक्ष्ा जी, आप चाहते हैं कि मैं जल्दी खतम करूं, तो ठीक है मैं गुड प्रैक्टिसेस के बारे में नहीं बोलूंगा कि क्या होती है. लेकिन मैं यह जरूर बताऊंगा कि मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम द्वारा बीओटी की योजनाओं में जो उज्जैन, झालावाड़, होशंगाबाद पंचमढ़ी मार्ग पर टोल टैक्स के रूप में 186 करोड़ रूपये लागत से ज्यादा टोल टैक्स वसूल करने की अनुमति ठेकेदारों को दी गई. उज्जैन, झालावाड़ की लागत 194 करोड़ रूपये थी लेकिन शासन ने दरियादिली दिखाते हुए 310 करोड़ रूपये की वसूली की अनुमति दी. होशंगाबाद पंचमढ़ी मार्ग पर 142 करोड़ रूपये खर्च हुए और वसूली 182 करोड़ रूपये है. इसी प्रकार 7 सड़कों में लागत से 129 करोड़ रूपये अधिक वसूली की अनुमति दी गई. सबसे ज्यादा देवास बायपास लागत में 112 करोड़ वसूली और 202 करोड़ खर्च और 202 करोड़ की वसूली दी गई. मेरा आपसे अनुरोध है कि प्रदेश के टोल टेक्स और बीओटी रोड के रखरखाव में और पीडब्ल्यूडी की सड़कों के रखरखाव में जो करोड़ो रुपये रिपेयर के लिए खर्च होते हैं उस पर कंट्रोल होना चाहिए . चार राजमार्गों, लेबड़-मानपुर,बीना-खिमलासा मालथौन रोड, सागर-दमोह रोड, भिंड-मिहोना गोपालपुर रोड, इन सड़कों को भी बीओटी में किया था और इसी प्रकार 16 राज्यो पर निजी निवेशकों से टोल स्थापित कराये गये. इसमें जिन 4 की जांच की गई, सीएजी ने भी जांच की उसमें 14 करोड़ 37 लाख 42 हजार की अवैध वसूली की बात सामने आई है. इन्दौर-उज्जैन फोरलेन का कार्य महाकालेश्वर टोल-वे लिमिटेड को 17 दिसम्बर 2008 में दिया गया और ठेकेदार ने 15 नवंबर 2013 से सितंबर 2013 तक 76 करोड़ रुपये टोल वसूला तथा शासन का जो हिस्सा था 7 करोड़, वह जमा नहीं कराया है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एमपीआरडीसी में पर्यावरणीय जुर्माने की लागत 25 परसेंट बढ़ाकर इसे निर्माण लागत में शामिल कर ठेकेदार को 62 लाख का फायदा दिया गया. सड़क बनाने की अवधि में भी हेर-फेर करके ठेकेदार को 29 करोड़ का लाभ दिया गया है. खिमलासा- मालथौन रोड पर आवश्यकता नहीं होने पर भी दो लेन सड़क बनाकर 14 करोड़ 37 लाख की वसूली की गई. स्टेट हाइवे और नेशनल हाइवे की दोनों सड़कों पर जो पटरी भराई होती है व मरम्मत के नाम पर करोड़ों रुपये की राशि निकाली जाती है और उसमें आप लोग मॉनिटर नहीं कर सकते कि अधिकारी कितनी हेरा-फेरी करते हैं जितना काम नहीं होता है उससे अधिक राशि निकालते हैं. इसका दोष आप भारी वाहनों को दे रहे हैं. सरताज सिंह जी ने कहा था कि भारी वाहन सड़कों को तोड़ रहे हैं और बहुत भारी नुकसान कर रहे हैं मेरा आपसे अनुरोध है कि यह आपकी जिम्मेदारी है कि भारी वाहन अगर आपकी सड़कों पर चलते हैं, जिनकी क्षमता इतनी अधिक नहीं है तो उन भारी वाहनों को रोके और उन सड़कों की मरम्मत भी उन्हीं से करवाये. यह मेरा आपसे विशेष अनुरोध है. मैं इतना ही कहना चाहूंगा. धन्यवाद.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया (मंदसौर)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 24, 29,67 का समर्थन करता हूं. किसी भी प्रदेश की तरक्की को लेकर के सबसे महत्वपूर्ण चीज आवागमन में सड़क निर्माण को लेकर के है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, निश्चित रूप से मध्यप्रदेश की वर्तमान सरकार के यशस्वी मुख्यमंत्री श्री शिवराज जी के नेतृत्व में और आदरणीय मंत्री रामपाल सिंह जी के दिशा निर्देशन में लोक निर्माण विभाग और एमपीआरडीसी ने उल्लेखनीय काम किये हैं. सबसे बड़ा परिवर्तन जो देख रहे हैं, मेरा राजनीति में अनुभव कम है, आप वरिष्ठ हैं आपके अनुभव ज्यादा हैं और माननीय महेन्द्र सिंह साहब ने, जिन्होंने अभी अनुदान मांगों पर चर्चा की शुरुआत की है वह भी इस सदन के हमारे वरिष्ठ सदस्य हैं. जब मैं नगरपालिका का पार्षद हुआ करता था तब मध्यप्रदेश की उन महत्वपूर्ण सड़कों पर जिस क्षेत्र का मैं भी प्रतिनिधित्व करता हूं. आदरणीय महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा जी भी करते हैं. ओमप्रकाश सखलेचा भी वहाँ का प्रतिनिधित्व करते हैं. मैं मेरे क्षेत्र की उस समय की कुछ घटनायें बताने की आवश्यकता समझता हूं. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सामाजिक और स्वयंसेवी संगठन और उस समय जो सत्ता में नहीं होता था और विपक्ष में होता था वह राजनीतिक दल, उन खुर्द-बुर्द सड़कों को लेकर और गड्ढों को लेकर और सड़क की दुर्दशा को लेकर के हांडी यात्रा निकालते थे, शव यात्रा निकालते थे, अर्थी निकालते थे और माननीय उपाध्यक्ष महोदय, वह वाहन चालक जो ड्राइवर हुआ करते थे या जो निजी वाहन मालिक थे, वह मंदसौर और नीमच से रतलाम जाने के लिए दांये-बांये रास्ते ढूंढते थे. हम कई बार महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा साहब के गाँव कालूखेड़ा से होकर के, हतनारा से होकर के, बड़ाएला माताजी से होकर के और सैलाना से होकर के रतलाम पहुंचते थे क्योंकि उस समय 85 किलोमीटर की हमारी मंदसौर की,रतलाम की यात्रा पौने तीन घंटे में होती थी. उपाध्यक्ष महोदय, जब फोरलेन सड़क मार्ग का कांसेप्ट आया, पीपीपी मोड का आया, टू लेन का कांसेप्ट आया, उनके काम से अब उन तमाम प्रकार की झंझटों से मुक्ति मिली है. एक दशक पहले जब राजस्थान से, गुजरात से कोई यात्री मध्यप्रदेश की सीमा में आते थे उनको पता पड़ जाता था कि मध्यप्रदेश की सीमा आ गई है कोई माइल स्टोन देखने की जरूरत नहीं पड़ती थी.कोई बोर्ड देखने की जरूरत नहीं पड़ती थी. सड़क जैसे ही आती थी, उनको पता हो जाता था कि मध्यप्रदेश की सीमा में हमारा प्रवेश हो गया है. अब ठीक उसका उल्टा हो रहा है, अब यदि राजस्थान की तरफ हम लोग जाते हैं तो हमको पता हो जाता है कि राजस्थान आ गया है और वह बहुत ज्यादा दूर नहीं है, मंदसौर शहर से, जहाँ का मैं प्रतिनिधित्व करता हूँ, प्रतापगढ़, जो राजस्थान की तरफ है, 15-16 किलोमीटर में हमने पी.पी.पी. मोड में निजी पूंजी निवेश से एक सड़क का निर्माण करवाया है, वह राजपुरिया नाके तक बनी है, लेकिन जैसे ही राजपुरिया नाका समाप्त होता है और प्रतापगढ़, राजस्थान की सीमा प्रारंभ हो जाती है तो हमको भी पता लग जाता है कि राजस्थान की सीमा आ गई है और उधर से आने वालों को भी पता लग जाता है कि मध्यप्रदेश की सीमा आ गई है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, श्रृंखलाबद्ध 6 लेन सड़क मार्ग, 4 लेन सड़क मार्ग, 2 लेन सड़क मार्ग का निर्माण हुआ है. इसके साथ ही साथ जो प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना बनी, जो मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना बनी, उसके कारण भी चौतरफा विकास हुआ है और यहाँ तक कि सड़कों का जाल फैल गया है. यह इस विभाग से संबंधित नहीं है लेकिन ग्रामीण विकास के माध्यम से अगर खेत तक भी सड़क का निर्माण हो गया है तो कुल-मिलाकर पूरे प्रदेश में सड़कों का एक जाल सा बिछ गया है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, निश्चित रूप से विभाग के तकनीकी इंजीनियरों ने, विभाग के अधिकारियों ने, माननीय मंत्री जी ने और माननीय मुख्यमंत्री जी ने जो चिंता की है उसके कारण अब लोक निर्माण विभाग के खाते में उपलब्धियाँ ही उपलब्धियाँ हैं जो चारों ओर से दिखलाई पड़ रही हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, प्रदेश की अधिसूचित कुल 10297 किलोमीटर राज्य राजमार्गों में से 10053 किलोमीटर का नवनिर्माण और उन्नयन सबसे बड़ी उपलब्धि है. जो आवश्यकता थी उस आवश्यकता की पूर्ति पूरे प्रदेश में हो चुकी है. मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम को 1 हजार किलोमीटर लंबी सड़कों में 15 राष्ट्रीय राजमार्गों के उन्नयन का दायित्व सौंपा गया था, उस दायित्व को पूरा कर दिया गया है. 430 किलोमीटर 4 लेन सड़क मार्ग का उन्नयन किया जाना इसमें सम्मिलित है और 540 किलोमीटर 2 लेन सड़क मार्ग का उन्नयन भी इसमें सम्मिलित है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, 4741 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गों के अलावा 3035 किलोमीटर नवीन राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित किए गए हैं और अब प्रदेश में कुल 7806 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग हो चुके हैं. केन्द्र सरकार की मदद से 1050 किलोमीटर नर्मदा एक्सप्रेस-वे तथा 300 किलोमीटर चंबल एक्सप्रेस-वे का काम मध्यप्रदेश की सरकार के, लोक निर्माण विभाग के हाथ में प्राप्त हुआ है. 1576 किलोमीटर के कुल 48 मुख्य जिला मार्ग निर्माण बी.ओ.टी., एन.यू.टी. एवं टोल एन.यू.टी. योजना में पूर्ण कर लिए गए हैं जिसकी लागत लगभग 2583 करोड़ रुपये आंकी गई है. 12 राजमार्गों एवं 14 मुख्य जिला मार्गों के कार्य ई.पी.सी. मोड के अंतर्गत प्रगति पर हैं, यह उल्लेखनीय उपलब्धियाँ लोक निर्माण विभाग के खाते में जाती हैं. साथ ही मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम द्वारा जो कार्य किए गए हैं वे भी सराहनीय हैं, मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम को कम समय में जो बड़ी जिम्मेदारी मिली है उस बड़ी जिम्मेदारी को उन्होंने बेहतर ढंग से निभाया है. वाणिज्य कर, परिवहन विभाग, मंडी, वन विभाग और खनिज विभाग से संबंधित प्रदेश में 24 एकीकृत जाँच चौकियों का निर्माण भी बी.ओ.टी. पद्धति से किया जा रहा है जिसका कुशल संचालन मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम के द्वारा किया जा रहा है. इनकी अनुमानित निर्माण लागत 1094 करोड़ रुपये है, इनमें से 19 एकीकृत जाँच चौकियाँ तथा दो केन्द्रीय नियंत्रण सुविधा केन्द्र, ग्वालियर तथा इंदौर में स्थापित किए गए हैं जिनमें कि व्यावसायिक चालन भी प्रारंभ हो गया है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इसी प्रकार से इलेक्ट्रानिक टोल कलेक्शन प्रणाली मध्यप्रदेश में लागू करने हेतु इंडियन हाईवे मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड, नई दिल्ली से अनुबंध किया जा चुका है. चयनित 3 टोल प्लाजाओं पर पायलेट परियोजना को इसी वित्तीय वर्ष में पूर्ण किया जाना लगभग अंतिम स्तर पर है, यह भी अपने आपमें एक बड़ी उपलब्धि है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, कैश कांट्रैक्ट मोड में 749.15 करोड़ रुपये की लागत से शहडोल, रतलाम एवं विदिशा में तीन मेडिकल कॉलेजेस के लिए प्रशासनिक स्वीकृति जारी की जा चुकी है और उसका निर्माण करने का दायित्व भी लोक निर्माण विभाग जैसे मजबूत और सशक्त विभाग के हाथों में आया है. इनसे 2000 बिस्तरों की चिकित्सा सुविधा उपलब्ध हो सकेगी. सिंगरौली जिले में 250 करोड़ रुपये की लागत से हवाई-पट्टी का निर्माण कार्य भी इसमें प्रस्तावित किया गया है जिसके निर्माण की जिम्मेदारी लोक निर्माण विभाग के कंधों पर रहेगी, माननीय मंत्री जी के कुशल नेतृत्व में इसमें निश्चित रूप से सफलता प्राप्त होगी.
उपाध्यक्ष महोदय -- माननीय रामपाल जी, आपको सबने अकेला छोड़ दिया है, आसपास और कोई नहीं है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -....माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से विभाग को धन्यवाद देना चाहता हूं, आभार भी व्यक्त करना चाहता हूं और इसके साथ ही साथ कुछ सुझाव भी देना चाहता हूं. जैसा कि श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा साहब ने भी कहा और माननीय ओमप्रकाश सखलेचा जी भी बैठे हैं यह हमारी सबकी पीड़ा है. नयागांव लेबड़ सबसे बड़ा फोरलेन सड़क मार्ग है. उसको मौत का मार्ग कहा जा रहा है. हमने कई बार उसके बारे में कहा उसमें विसंगतियां और तकनीकि त्रुटियां हैं. लेकिन वह पहला मार्ग बना था और उसमें कांट्रेक्टर के साथ जो अनुबंध विभाग ने किये थे, उन अनुबंधों का अक्षरश: पालन नहीं हो रहा है जिसके कारण से दुर्घटनाएं घट रही हैं. अनावश्यक जहां कट पैदा किये जा रहे हैं, जहां दुर्घटनाओं का केन्द्र बन रहा है. उसका सेफ्टी ऑडिट नहीं होता है, उसमें जो सुविधाएं मिलनी चाहिए, वह नहीं मिल पा रही है. हम सब चाहते हैं कि उसका धीरे धीरे सुधार हो.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मुझे कहते हुए अत्यंत गर्व है कि मध्यप्रदेश की सबसे बड़ी हवाई पट्टी के निर्माण की जवाबदारी जब लोक निर्माण के कंधों पर आई उस शहर मंदसौर का मैं प्रतिनिधत्व करता हूं. मंदसौर में दो किलोमीटर रनवे की हवाई पट्टी अभी हाल ही में बनकर तैयार हो गई है और 17 जनवरी 2017 को माननीय मुख्यमंत्री जी ने उसका अनौपचारिक उद्घाटन भी कर दिया है. बजट में मेरी विधानसभा क्षेत्र के 15 किलोमीटर सड़क मार्ग की जो स्वीकृति प्रदान की है उसके लिये मैं माननीय मुख्यमंत्री जी का और माननीय मंत्री जी को धन्यवाद इसलिए देना चाहता हूं कि वन टू वन में जब माननीय मुख्यमंत्री जी ने यह अपेक्षा की थी कि आपके क्षेत्र में कौन सी सड़क आप महत्वपूर्ण मानते हैं और उसके लिये जब हमने उनको लिखित में दिया तो दोनों सड़के मेरे क्षेत्र की स्वीकृत हुई हैं. बेहपुर से धंधौड़ा भावगढ़, निम्बोद, बिछालालमुंहा, लालाखेड़ा इसके लिये मैं माननीय मंत्री जी और अधिकारी जिन्होंने सहयोग दिया उन सबका भी मैं हृदय से आभार व्यक्त करना चाहता हूं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जावरा से लेकर सीतामउ सड़क मार्ग सीमेंट कांक्रीट का पूरा बनेगा. 45 किलोमीटर लंबा बनेगा. एक आदर्श सड़क जिसका निर्माण कार्य बहुत द्रुतगति से चल रहा है, बड़ी-लंबी सड़क हमको जावरा विधानसभा क्षेत्र से लेकर सीतामउ विधानसभा क्षेत्र तक, मंदसौर जिला और रतलाम जिले की एक महत्वपूर्ण सड़क का निर्माण कार्य प्रारंभ हुआ है. इससे क्षेत्र के निवासियों में बड़ी प्रसन्नता है. मंदसौर शहर से लेकर संजीद गांव तक 35 किलोमीटर सड़क मार्ग का सफर तय करने में घण्टों लग जाते थे. हर किलोमीटर पर एक रपटा और पुलिया थी, लेकिन मुझे यह कहते हुए अत्यंत प्रसन्नता है कि माननीय जगदीश देवड़ा जी के निर्वाचन क्षेत्र में जब माननीय मुख्यमंत्री जी बूढ़ा गांव में आये थे तब उन्होंने वहां पर यह घोषणा की थी. आज मंदसौर से लेकर संजीद गांव मार्ग में सीमेंट कांक्रीट की गुणवत्तापूर्ण रोड निमार्णाधीन है. इस प्रकार मंदसौर विधानसभा क्षेत्र के भावगढ़ से लेकर मजेसरा तक की 8 किलोमीटर से अधिक की सड़क का निर्माण कार्य सीमेंट कांक्रीट के रूप में प्रावधानित होकर निर्माण कार्य प्रगति पर है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मंदसौर सीतामउ फाटक पर ओवर ब्रिज, पशुपतिनाथ शिवना पुल पर ओवर ब्रिज, बुगलिया पुल मंदसौर पर ओवर ब्रिज, लक्कड़पीठा पुल मंदसौर पर ओवर ब्रिज, अचेरा शिवना नदी पर ओवर ब्रिज, और नांदवेल भावगढ़ मार्ग पर ओवर ब्रिज, लोक निर्माण विभाग ने पिछले पांच वर्षों में मेरी विधानसभा में 80 करोड़ से अधिक की पुल पुलियाओं का निर्माण कार्य किया है और इस बात को माननीय महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा साहब ने भी उल्लेखित किया है कि सीमावर्ती जो हमारे राज्य और जिले हैं उसमें पुल पुलियां और सड़क निर्माण करना चाहिए. इसकी शुरूआत हमारे मंदसौर जिले से हुई है, जिसमें भावगढ़ और नांदेवल पर हमने बड़ा पुल बनाया है और अचेरा जो राजस्थान को जोड़ने वाली सड़क है प्रतापगढ़ के पास में वहां पर एक बड़ा पुल लोक निर्माण विभाग ने बनाई है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरी कुछ मांगे है और मेरे कुछ छोटे छोटे सुझाव भी हैं. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना और लोक निर्माण विभाग की सड़कों के बीच में जो मिसिंग लिंकस रोड है एक किलोमीटर, आधा किलोमीटर की, डेढ़ किलोकीटर की दो किलोमीटर की यह अब किसी योजना के अंतर्गत नहीं आ रही है न तो वह पांच सौ की आबादी से कम वाले क्षेत्र में आ सकती है न ही ढाई सौ से कम आबादी वाले क्षेत्र में आ रही है तो यह जो छूटे हुए मार्ग हैं इन छूटे हुए छोटे-छोटे मार्गों को हम तय कर देंगे तो काफी अच्छा होगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मंदसौर जिले का खिलचीपुरा जो सर्किट हाउस बायपास है, उसके लिये करीब ढाई करोड़ रूपये की राशि की मांग मैं माननीय मंत्री जी से करूंगा, वह पाईप में भी है उसका टेक्नीकल स्वीकृति और उसकी प्रशासकीय वित्तीय स्वीकृति है, वह अपेक्षित है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैंने गुराडि़यादीदा में मात्र 28 लाख रूपये की राशि के संबंध में माननीय मंत्री जी को अभी हाल ही एक हफ्ते पहले लिखकर दिया है. वह गांव की एक छोटी सी सड़क है, जो पीडब्ल्यूडी की कभी हुआ करती थी. इसी प्रकार से घटावदा में 500 मीटर की रिन्युअल सड़क है, वह करीब दस लाख रूपये की है. धंधौड़ा खाल का जो पुल है, उस पर 70 लाख रूपये की मैंने आपसे अपेक्षा की है, उसकी पूर्ति हो जाए. राकौदा से गुड़ालियाल्यल मुंह जो दोनों तरफ, चारों तरफ से दो किलोमीटर छूटा है, आकोदड़ा से ताजखेड़ी मार्ग भी इसी तरह से छूटा हुआ है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय एक सुझाव है मेरा जहां फोरलेन सड़क मार्ग और टूलेन सड़क मार्ग बन गई है और आपके जो पुराने डाक बंगले हैं वह सड़कों के अभाव के कारण से सुविधा से दूर थे और जब वह सुविधा से दूर थे और जब वाहन ही कम आते थे और वाहन की आवाजाही कम होती थी जिससे उन डाक बंगलों की हालत लावारिश जैसी हो गई है.
उपाध्यक्ष महोदय, अगर हम फोरलेन सड़क मार्ग की बात करें तो बदनावर, सादलपुर, सालाखेड़ी रतलाम, मंदसौर जिले के पिपलियामंडी, नारायणगढ़, उज्जैन जिले के उन्हैल, आगर-मालवा, इन पर टू लेन और फोरलेन सड़क मार्ग बन गये हैं और यातायात बढ़ गया है और उन पुराने डाकबंगलों को अगर आप पीपीपी मोड में दे दें तो वहां पर लोगों को ठहरने की व्यवस्था सुनिश्चित होगी. रेस्टोरेंट की सुविधा उनको मुहैया होगी. विशिष्ट व्यक्तियों के ठहरने का जो क्रम है, जो प्रोटोकॉल में आता है, वह पीपीपी मोड वाले से अगर आप अनुबंध करेंगे तो निश्चित रूप से उसमें सुविधाएं प्रदान करेगा क्योंकि सड़कें बहुत बन गई हैं और विभाग के जो डाकबंगलें हैं, उन डाकबंगलों के पतरे चले जा रहे हैं, चद्दर चली जा रही है, दरवाजे टूट रहे हैं, उनकी तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा है. साथ ही लोक निर्माण विभाग इतनी बेशकीमती सड़कें बना रहा है और सीमेंट, क्रांक्रीट की सड़कें बन रही हैं, डामर की सड़कें बन रही हैं, गुणवत्ता वाली सड़कें बन रही हैं. बीच में जब हम सड़क पर चलते हैं तो आसपास खेती किसानी करने वाले किसान होते हैं. उन किसानों के खेतों को इधर से उधर पानी को लिफ्ट करने में पाइप की आवश्यकता पड़ती है और जब पाइप क्रॉस करता है तो सड़क बनने के बाद फिर वह पाइप डालने की कोशिश करता है और इसमें विवाद भी होते हैं. विभाग इस पर बहुत ज्यादा चिंता नहीं करते हुए किसानों की मदद के लिए दूर हो जाता है. ढाई से तीन फीट गहरी ट्रेंच खोद दी जाती है और तीन से चार फीट चौड़ी ट्रेंच खुद जाती है, जिसके कारण से बारिश के समय में वे सड़कें कट जाती हैं, टूट जाती है तो मेरा यह एक अनुरोध रहेगा कि जब आप सड़कें बनावें तो अनिवार्य रूप से आप किसानों को मोटिवेट करें, जनभागीदारी में पाइप देने के लिए तैयार हैं. पाइप उनका हो जाय और आप उसके ऊपर सीमेंट, क्रांकीट की सड़क बना दें और डामर की रोड बना दें तो यह सड़कें लम्बे समय तक चलेंगी. उपाध्यक्ष महोदय, आपने जो बोलने का अवसर दिया और लोक निर्माण विभाग ने जो मध्यप्रदेश में गड्ढो वाली कहावत थी, गड्ढे में सड़क है या सड़क में गड्ढे हैं, इस कहावत को जो हम बार-बार कहते थे, उसको जड़-मूल से समाप्त कर दिया है और चारों तरफ जो सड़कों का जाल बिछा है, मैं माननीय मुख्यमंत्री जी का, माननीय मंत्री जी का और विभाग के सारे अधिकारियों का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं और आपने पूरा बोलने का मौका दिया, उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय - यशपाल जी, अगली बार वन टू वन में मुझे भी साथ ले चलिएगा, मेरे क्षेत्र की एक भी रोड मंत्री जी ने नहीं ली.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - उपाध्यक्ष महोदय, आप आसंदी से निर्देश दे दें.
श्री गोवर्धन उपाध्याय (सिरोंज) - उपाध्यक्ष महोदय, मैं सिर्फ सिरोंज विधान सभा क्षेत्र के बारे में ही माननीय मंत्री महोदय से निवेदन करूंगा. सबसे पहले मैं माननीय मंत्री जी को बधाई देना चाहता हूं कि सिरोंज से भोपाल के रोड की मंजूरी जो आपने मेरे ध्यानाकर्षण के बाद में दी, इसके लिए बहुत बहुत आपका धन्यवाद. सिरोंज से भोपाल रोड, अभी वह पूरा तो नहीं हुआ है. बहरहाल, आने वाले तीन चार महीने में पूरा हो जाएगा. शमशाबाद चौराहे तक बन चुका है और इसके बाद में वह सिरोंज तक बनेगा. सिरोंज से बासौदा मार्ग के बारे में माननीय मंत्री जी को बताना चाहता हूं कि रोड इतना जर्जर हालत में है कि लगातार इसका रिपेयरिंग होता है. कई वर्षों से हो रहा है. आज से दो तीन वर्ष पहले उसका उद्घाटन भी हो चुका है, परन्तु अभी तक सिरोंज से लेकर बासौदा मार्ग बंद पड़ा है. यह विधान सभा क्षेत्रों को जोड़ता है, कुरवाई, बासौदा, विदिशा और सिरोंज को जोड़ता है. मेरा आपसे अनुरोध है कि यह 40 कि.मी. का रोड है, इसे जनहित में बनाने का कष्ट करें. एक सबसे बड़ी बात कहना चाहता हूं, मैंने पहले आपको आवेदन भी दिया है कि आनंदपुर ग्राम में एक नेत्र चिकित्सालय है. वहां लगभग एक साल में 40000 आपरेशन होते हैं. वहां का पुल इतना छोटा है कि जब बारिश होती है तो वह पुल पर आना-जाना मुश्किल होता है और वह रोड बंद हो जाता है. मरिज परेशान होते हैं. मेरा अनुरोध है कि उसकी 4-5 फीट हाईट बढ़ा दी जाय तो यह काम बहुत अच्छा होगा. जनहित में होगा और उससे मरीज लाभान्वित हो जाएंगे. सिरोंज लटेरी मकसूदनगढ़ रोड जो बीओटी के द्वारा बनाया गया है, अब उसमें रिपेयरिंग की बहुत आवश्यकता है. कई जगह उसमें गड्ढे हो गये हैं. अगर वे गड्ढे नहीं भरे जाएंगे तो रोड और जर्जर हो जाएगा. आने वाले समय में बहुत परेशानी होगी. लटेरी शमशाबाद रोड जो अभी एक ही रोड ऐसा है जो चल रहा है. जो भोपाल के लिए, भोपाल से गुना, अशोकनगर लोग जाते हैं व्हाया आनंदपुर होकर जाते हैं. मेरा आपसे अनुरोध है कि इस रोड का भी रिपेयरिंग, मेंटीनेंस करें. विदिशा जिले का ग्राम आनंदपुर सबसे बड़ा ग्राम है. सड़क बीच गांव में से गई है. इतनी दुकानें और बाजार लगता है तो आने-जाने में बड़ी दिक्कत होती है. यहां के लिए हमने, गांव के, आसपास के लोगों ने भी बाय-पास की मांग की है. अगर एक बाय-पास का निर्माण होता है तो बहुत ही आपको लोग धन्यवाद भी देंगे और विशेष तौर से मैं भी दूंगा, कैसे कि वह मेरा निजी गांव है. इतना ही मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं. उपाध्यक्ष महोदय, जो आपने समय दिया, उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद, जय हिन्द.
डॉ मोहन यादव(उज्जैन-दक्षिण)-- उपाध्यक्ष महोदय, मैं, मांग संख्या 24,29 और 67 का समर्थन करते हुए कटौती प्रस्तावों का विरोध करता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं उज्जैन से आता हूं. उस क्षेत्र के साथ संयोग है कि विशेषकर श्री शिवराज सिंह चौहान सरकार के लिए और पूरे प्रदेश के गौरव और गर्व की बात उज्जैन थी. ऐसे में लोक निर्माण विभाग की भूमिका उस सिंहस्थ मेले की दृष्टि से देखी जाए तो 5-6 लाख की आबादी के शहर में 100 गुना से ज्यादा संख्या में लोग आ जायें ऐसे में लोक निर्माण विभाग यदि अपनी भूमिका अदा नहीं करता तो निश्चित रुप से क्या हो सकता है उसकी कल्पना कर सकते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, 5 से लेकर 8 करोड जनता वहां आकर सहजता से पूरा मेला सानंद सम्पन्न करा दे तो उसमें बड़ी भूमिका निश्चित रुप से लोक निर्माण विभाग की है. 14 ब्रिज, 4 ओवर ब्रिज, फोर लेन, 44 सड़कों का जिस प्रकार से निर्माण कार्य हुआ है उसके लिए विभाग को, माननीय मंत्री जी को और मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देता है. जिस प्रकार से उन्होंने कम समय में गुणवत्ता पूर्ण कार्य हुए हैं, वह वास्तव में ऐतिहासिक उपलब्धि है. मैं इस दृष्टि से भी माननीय मंत्री जी का धन्यवाद अदा करना चाहूंगा कि कम समय में सीमेंट-क्रांकीट की सड़क, रातोरात पंचक्रोसी की सड़कें का जिस प्रकार से कार्य किया गया वह वास्तव में काबिले तारीफ है. हमारे कई विभाग कमजोर पड़े उनका काम भी लेकर जैसे स्थानीय शासन की नगर निगम की आंतरिक सड़कें जो नगर निगम को बनानी थी लेकिन नगर निगम न बना पा रही ऐसे में लोक निर्माण विभाग ने उन कामों को भी अपने हाथ में लिया और न केवल हाथ में लिया बल्कि गुणवत्तापूर्ण तरीके से उन सड़कों को भी पूर्ण करने का काम किया.
उपाध्यक्ष महोदय, पूरे प्रदेश को देश में नंबर वन की ओर ले जाने में निश्चित रुप से ऐसे विभाग का ही योगदान होता है.
उपाध्यक्ष महोदय-- कृपया समाप्त करें. जो हो गया उसके लिए धन्यवाद दीजिए.
डॉ मोहन यादव-- उपाध्यक्ष महोदय, अभी एक साल भी नहीं हुआ है और इतनी बड़ी उपलब्धि हुई है वह विषय मैं सबके सामने लाना चाहता हूं. मैं कुछ सड़कों को जोड़ने के लिए मंत्री जी का ध्यान आकर्षित कराना चाहूंगा कि उज्जैन से जो एयरपोर्ट मार्ग है यह वर्तमान में जो इंदौर-उज्जैन फोरलेन है, उसके वैकल्पिक मार्ग बनाने की आवश्यकता है. सांवेर से उज्जैन आते हैं तो लगभग 15 किमी की दूरी भी कम हो जाती है. एक करोड़ यात्री प्रतिवर्ष उज्जैन आते हैं. प्रति 12 साल में सिंहस्थ के समय आने वाले यात्रियों को सुविधा होगी इसलिए इंदौर-उज्जैन के समानांतर फोरलेन या टू लेन उज्जैन एयरपोर्ट से इंदौर को जोड़ने के लिए नया मार्ग प्रस्तावित करने की दृष्टि से नया काम प्रारंभ करने की आवश्यकता है.
उपाध्यक्ष महोदय, मेरी विधान सभा में दो छोटे-छोटे रोड्स जुड़वाना चाहूंगा. विक्रम नगर रेल्वे स्टेशन के पीछे एक बायपास मार्ग बनाना था लेकिन वह समय की कमी के कारण बन नहीं पाया. माननीय मंत्री जी, उद्योग पुरी मक्सी रोड से लगाकर, लालपुर गांव की उन सड़कों को भी जोड़ने का बजट में घोषणा करेंगे तो निश्चित रुप से यह उज्जैन के लिए ही नहीं, बल्कि आने-जाने के लिए रेल्वे के लिए भी बड़ी सुविधा होगी. क्योंकि पीछे की तरफ जब यात्री उतरते हैं तो सीधे पटरी पर से आते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, एक और निवेदन करना चाहूंगा. हमारे झिरोलिया गांव से फतेहबाद मार्ग की अत्यंत आवश्यकता है, उपयोगिता है. मैं चाहूंगा कि उस प्रस्ताव को भी जगह मिले. धन्यवाद.
डॉ.गोविन्द सिंह(लहार) - माननीय उपाध्यक्ष जी, माननीय मंत्री जी जिस परिवार के हैं उनका पूरा परिवार कहता है कि हम राम के वंशज हैं और हमारी नीति है " रघुकुल रीति सदा चली आई प्राण जाई पर वचन न जाई "
डॉ.नरोत्तम मिश्र - आप रावण के हो क्या, राम के तो हम सभी हैं आप कौन के हो ? बच्चा-बच्चा राम का.
डॉ.गोविन्द सिंह - रावण तो पंडित था. इसलिये कहना चाहता हूं कि इनके प्राण भी नहीं गये और वचन भी छोड़ दिया. मैंने मंत्री जी से फोन पर बात की, आपने कहा कि कुछ सड़कें हों तो दो जरा मैंने दे दीं. कहने लगे अरे, यह तो बहुत कम हैं. इतनी छोटी-छोटी सड़कें आप ले आए. यह तो हाल हो जायेगा. तत्काल बजट में जोड़ी जायें. जब आपकी विभाग में चलती नहीं है तो क्यों अपना वायदा ठोक देते हो. आपको अपनी इज्जत का ख्याल करना चाहिये. आदमी की जबान भी होती है उसका पालन होता है. आपने कहा कि अनुपूरक बजट में देखेंगे. पूरा अनुपूरक बजट ढूंढ डाला, कौन से नंबर का चश्मा लायें जिससे ढूंढें, देखें कहां लिखा है लहार ? हमने दो छोटी-छोटी सड़कें मांगी थीं. यह बहुत धर्म की बात करते हैं. रतनगढ़ वाली माता के मंदिर का ढाई किलोमीटर का रास्ता था और एक तीन किलोमीटर की सड़क थी. मुख्यमंत्री जी पूरा बजट ले लेते हैं. जब मुख्यमंत्री जी को अकेला सीहोर दिखता है, पूरी सड़कें विदिशा,सीहोर की दिखती हैं तो उनको जिला पंचायत का चुनाव लड़ाओ. जिला पंचायत अध्यक्ष बना दो. काहे को मुख्यमंत्री बने हैं सवा सात करोड़ जनता के.
डॉ.नरोत्तम मिश्र - इसलिये बने हैं कि आप 50 से घटकर 25 पर आ जाओ.
डॉ.गोविन्द सिंह - अरे, हम तो आ जायेंगे सो आ जायेंगे.
श्री बाला बच्चन - डाक्टर साहब ऐसे कैसे स्वीकार कर रहे हो आप. ऐसे कैसे आ जायेंगे. यह तो इन पर भी लागू हो सकता है. 50 यह हो जायेंगे.
डॉ.गोविन्द सिंह - ये तो चाहेंगे 5 पर आ जायें. इनके कहे से होता है क्या. यह तो हर बार कहते हैं कि सूपड़ा साफ हो जायेगा हुआ क्या. बस,इतना कहना चाहते हैं कि आपने जो वचन दिया वह निभाएं. आपके पास जो पैसा है सड़कों के जीर्णोद्धार के लिये,मरम्मत के लिये, पी.एस. साहब कहते हैं हमारे पास पैसा है, प्रमुख अभियंता कहते हैं कि हमारे पास पैसा है तो उससे रिनूवल कराएं. वहां ऐसे अधिकारी बैठा रखे हैं. अपने यहां उनको रख लो और कुछ काम करने वाले अधिकारी वहां भेजो. सड़कों पर गढ्ढे हो रहे हैं. पेंच रिपेयरिंग का काम भी नहीं हो रहा है. गंगोत्री कंस्ट्रक्शन कंपनी वाले श्रीमान् जी के रिश्तेदार हैं नातेदार हैं. उसने करोड़ों रुपयों का घोटाला किया. भाण्डेर,मोहना से लेकर चिरगांव तक जो सड़क है वह रोड डेव्लहपमेंट कार्पोरेशन ने बनाई है. वह सड़क जांच के बाद बिल्कुल निम्न स्तर की पाई गई. ठेकेदार को ब्लेक लिस्ट कर दिया गया लेकिन आज वह सड़क पूरी तरह खत्म हो चुकी है.
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी - उपाध्यक्ष महोदय, हर विधान सभा सत्र में गंगोत्री का मामला उठाते हैं उसके बाद पता नहीं क्या होता है यह समझ में नहीं आता.
डॉ.गोविन्द सिंह - आप तो बैठ जाओ. एक बार चौधरी राकेश से बात कर लेंगे.
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी - सदन में हम हैं हमसे बात करो.
डॉ.गोविन्द सिंह - उस सड़क को ठीक कराओ मंत्री जी. आप वहां गये थे आपने भी देखा था सड़क थी क्या.
डॉ.नरोत्तम मिश्र - जिसने भी बनाई और आपके भईया ने दतिया में बनाई दोनों ही खराब हैं.
डॉ.गोविन्द सिंह – (XXX)
डॉ.नरोत्तम मिश्र -इतनी खराब सड़क बनाई इनके भाई ने, पूरी दतिया रो रही है.
उपाध्यक्ष महोदय - सदन में क्यों चर्चा करते हो आप लोग.
डॉ.नरोत्तम मिश्र - उन्होंने कहा तुम्हारे नातेदार.
उपाध्यक्ष महोदय - यह कार्यवाही से निकाल दो.
डॉ.गोविन्द सिंह - आप सख्ती से कार्यवाही करो. हमने कहा कि मैं सिफारिश नहीं करता हूं. काम कोई भी करे हमारे परिवार का गलत करेंगे तो सजा मिलेगी. हम कोई किसी की मदद नहीं करते. न कहते हैं कि तुम ठेकादारी करो. मेरे पास आये थे मैंने मना कर दिया दतिया में गये क्यों, तुम्हें पूरे प्रदेश में दतिया ही मिला था काम करने के लिये.
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी - लहार में कोई टेंडर ही नहीं डाल पाता.
उपाध्यक्ष महोदय - मुकेश जी कृपया बैठें.
डॉ.गोविन्द सिंह - मेरा आपसे अनुरोध है कि कृपया अपना वचन पूरा कर दें और दोनों सड़कें ठीक करवा दो. धन्यवाद.
श्री दिलीप सिंह शेखावत (नागदा खाचरौद)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 24, 29, 67 का समर्थन करता हूं और निश्चित रूप से आपने कहा कि 2-3 मिनटों में समाप्त करना है. किसी भी प्रदेश में सड़के निश्चित रूप से विकास की वाहिनी होती हैं और अगर सड़कें ठीक हों तो चाहे उद्योग हों, चाहे युवाओं का रोजगार हो, चाहे किसान हो हर क्षेत्र में उनके लिये अवसर सुलभ होते हैं. मैं यह कहना चाहूंगा कि निश्चित रूप से लोक निर्माण विभाग ने विगत वर्षों में जो काम मध्यप्रदेश में किये हैं वह अविस्मरणीय हैं और आज की तारीख में मैं मेरे क्षेत्र की अगर बात करूं तो नागदा से 60 किलोमीटर की एक भी सड़क पहले ठीक नहीं थी, चाहे उज्जैन जावरा हो, चाहे नागदा महिदपुर हो, चाहे खाचरौद रूणीझा हो. खाचरोद से रतलाम मात्र 28 किलोमीटर की रोड 70 साल की आबादी में भी नहीं बन पाई थी, जो मात्र डेढ़ साल के अंदर बन जायेगी और शायद मध्यप्रदेश की सबसे उत्कृष्ट सड़क कोई होगी तो वह खाचरौद-रतलाम सड़क होगी. मैं इसके लिये माननीय मुख्यमंत्री जी और माननीय मंत्री जी को बधाई और धन्यवाद दूंगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं यह भी कहना चाहूंगा कि पूरे मध्यप्रदेश में अगर पुल पुलियाओं की बात करें, भवनों की बात करें और मेरे क्षेत्र में भी बात करूं तो 70 साल में केवल चामुण्डा माता पर, चंबल नदी पर केवल 1 ब्रिज था और अब 5 साल में 5 ब्रिज बन जायेंगे, यह वास्तव में मध्यप्रदेश सरकार की कथनी और करनी एक है. मैं कुछ चीजों की तरफ माननीय मंत्री जी का ध्यान दिलाना चाहूंगा कि मेरे क्षेत्र में कुछ चीजें हैं, एक हाटपिपल्या से देवास, इंगोरिया होते हुये उन्हेल तक आपने एक स्टेट हाइवे घोषित किया है. एक बदनावर से बड़नगर इंगोरिया होते हुये उन्हेल एक स्टेट हाइवे घोषित किया है अगर थोड़ा सा उसको बड़नगर से रूणीझा, भाटपतलाना, खाचरौद और घिनौदा यह स्टेट हाइवे 31 में मिल जाये क्योंकि खाचरौद सब्जी के क्षेत्र में एक बहुत बड़ा केन्द्र है और वहां से सब्जी विशेषकर मटर के ढाई-ढाई सौ ट्रक निकलते हैं, पूरे देश में वहां से मटर जाती है, एक नया स्टेट हाइवे घोषित होगा तो निश्चित रूप से मेरे क्षेत्र को लाभ होगा. उज्जैन-जावरा आपने बीओटी रोड की है उसमें मात्र डेढ़ किलोमीटर का पोर्शन रहता है आईटीसी से चंबल नदी के पुल तक जिसको मैं कहूं कि वह एक्सीडेंटल जोन हो गया है, मात्र डेढ़ किलोमीटर के उस पोर्शन को अगर आप फोरलेन कर देंगे तो वह एक्सीडेंटल जोन नहीं रहेगा, लोग मृत्यु को प्राप्त करने से बचेंगे. एक सड़क अभी आपने उन्नयन की है उसमें नापाखेड़ी, ब्राहमण खेड़ी की जो नदी है उसमें एक पुल की आप घोषणा करेंगे तो ठीक होगा. एक आपने घिनौदा, गढ़ी भैंसोला, बंजारी, लोहचितारा, गोठरा माताजी से बड़ावदा तक रोड घोषित की है उसको अगर सीआरएस में भेजेंगे तो निश्चित रूप से उसको मैं दिल्ली से स्वीकृत कराकर लाऊंगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, खाचरोद जावरा रोड पर माननीय मुख्यमंत्री जी की रेलवे ओवर ब्रिज बनाने की घोषणा है, उसकी एफएफसी भी हो गई पर पता नहीं इस बार बजट में वह क्यों नहीं आया. अंतिम बात मैं कहना चाहता हूं कि एक सड़क आपने स्वीकृत की है बड़े चिरोल्ला से लुहारी, सुरेल , संदला, मगदनी, पिपलोदा, बागला होते हुये नागदा उस पर चंबल नदी पर पुल भी था लेकिन वह पुल स्वीकृत नहीं हुआ है. माननीय मुख्यमंत्री जी ने अप्रैल, 2015 में 20 किलोमीटर और 2016 में 20 किलोमीटर ऐसे 40 किलोमीटर की घोषणा की थी वह सप्लीमेंटरी बजट में आ जाये तो उचित होगा क्योंकि 2015 की माननीय मुख्यमंत्री जी की घोषणा है. उपाध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का अवसर प्रदान किया उसके लिये आपको बहुत बहुत धन्यवाद.
डॉ.रामकिशोर दोगने(हरदा) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 24, 29 और 67 का विरोध करता हूं और कटौती प्रस्तावों का समर्थन करता हूं. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मै माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि इस बजट में मेरी हरदा विधानसभा में एक भी सड़क और एक भी कार्य की स्वीकृति प्रदान नहीं की गई है. ऐसा भेदभाव मंत्री जी आपको नहीं करना चाहिये. मैं आपसे यह भी निवेदन करना चाहता हूं कि मंत्री जी के बहुत सारे रिश्तेदार हमारे हरदा विधानसभा क्षेत्र में रहते हैं, कम से कम उनका तो ध्यान रखें. एक दो सड़कें तो दे दें. मैंने इन सड़कों और पुलिया के बारे में आपको लिखकर भी दिया है. उसको स्वीकृत करा देंगे तो उचित रहेगा. रनई गांव की पुलिया है, हरदा के पास टिमरन नदी पर पुलिया है, इनको स्वीकृत करा देंगे तो उचित रहेगा. मेरे विधानसभा क्षेत्र हरदा की 3 सड़कें वर्ष 2006, 2007 और 2008 की बनी हुई हैं काफी अच्छे मार्ग हैं, लिंक रोड हैं 30-30 किलोमीटर के हैं पर ठेकेदार की लापरवाही के कारण वह पड़े हुये हैं. मंत्री जी आपने उस ठेकेदार को ब्लेक लिस्टेड तो कर दिया है लेकिन इसके बाद भी वह किसी को काम करने नहीं दे रहा है. अभी मसनगांव से हंडिया रोड है, सिराली से केलनपुर मार्ग है, एक हंडिया से गुल्लास मार्ग है यह रोड काफी समय से वर्ष 2006 से 2008 के बीच के स्वीकृत हैं तो इनको पूर्ण करा देंगे तो उचित रहेगा. इसमें कुछ राशि की दिक्कत आ रही है उसके लिये आप प्रयास करके राशि उपलब्ध करायेंगे तो उचित होगा, या फिर कुछ पैसा ठेकेदार से लेकर के कुछ विभाग से मिला देंगे तो भी सड़क का कार्य पूर्ण हो जायेगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि मेरे विधानसभा क्षेत्र हरदा में सुकरा से करोड़ावाली सड़क है काफी छोटी सड़क है इसको स्वीकृत करा दें, हरदा से मानपुरा के पास टिमरन नदी पर पुल है उसको पूर्ण करा दें, नर्रही से बालागांव सड़क है उस पर एक पुलिया है तो उचित होगा. इसके साथ साथ चिपावड़ से पिपल्यावारत और पिपल्यावारत से काकड़कच्छ यह सड़क है इसको पूर्ण करा देंगे तो उचित रहेगा. अपगांव से रिजगांव छोटा मार्ग है इसको भी स्वीकृत करा देंगे तो उचित रहेगा. पिड़गांव से उन्नास रोड है यह बहुत छोटे छोटे मार्ग है 1-1, 2-2 किलोमीटर के मार्ग हैं यह करायेंगे तो अच्छा रहेगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय हमारे विधानसभा क्षेत्र हरदा में रिजगांव से जुगरिया मार्ग है, रेहटा से गोंगलारोड है ऐसे छोटे रोड हैं यह मंत्री जी स्वीकृत करा देंगे तो उचित रहेगा. हमारे जिले में विकास हो जायेगा क्योंकि यह सब छोटे छोटे लिंक रोड हैं. यही मेरा निवेदन है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मुझे अपनी बात कहने के लिये आपने समय दिया उसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री बहादुर सिंह चौहान(महिदपुर)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 24, 29 और 67का समर्थन करता हूं और कटौती प्रस्ताव का विरोध करता हूं. लोक निर्माण विभाग में काफी विस्तृत चर्चा हो गई है इसलिये मैं अपने क्षेत्र की बात समय सीमा में रखने का प्रयास करूंगा. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मैं लोक निर्माण विभाग के मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि 55 किलोमीटर स्टेट हाईवे घोषित हुये हैं उसमें से 3025 किलोमीटर की स्वीकृति हो गई है और 2383 किलोमीटर की सैद्धांतिक स्वीकृति हो गई है.5500 किलोमीटर सीसी रोड घोषित किये गये हैं उनकी भी स्वीकृति हो गई है, स्टेट हाई वे 3778 किलोमीटर के घोषित किये गये हैं, जिला मार्ग 4211.36 किलोमीटर के घोषित किये गये हैं. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मंत्री जी से एमडीआर के संबंध में सुझाव है. मंत्री जी बैठे हैं, विभाग के उच्च अधिकारी भी बैठे हैं. जब सिंहस्थ आता है तो पूरा कैडर जिले से चलता है और उज्जैन जिला लिखा रहता है और मेरी विधानसभा महिदपुर, उज्जैन से लगभग 50 किलोमीटर दूरी पर है. उज्जैन में सिंहस्थ में 44 सड़कें तथा पुल बने हैं. इस बार मुझे एक सड़क जरूर मिली है 12 करोड़ 87 लाख की इसके लिये मंत्री जी को धन्यवाद देता हूं. एक महत्वपूर्ण रोड़ जो एमडीआर घोषित हो गई है नागदा से महिदपुर ट्राफिक को जोड़ती है. व्याया मूंडला परवल, हेड़ी एवं बनबना यह मेरे क्षेत्र की महत्वपूर्ण सड़क है. यह बन जाएगी तो आपकी कृपा होगी. साथ में 101 पुल निर्मित हो चुके हैं. अभी 347 करोड़ की लागत से 60 पुल का निर्माण 15 फरवरी तक पूर्ण हो चुका है. 511 करोड़ रूपये के 70 पुल आने वाले बजट 2017-18 में विभाग ने प्रस्तावित किये हैं. धन्यवाद.
सुश्री हिना लिखीराम कांवरे (लांजी)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरे विधान सभा क्षेत्र में ऐसी कई सड़कें हैं कुछ पीडब्ल्यूडी की हैं और कुछ नहीं हैं. कहीं रोड़ 500 मीटर तो कहीं 700 मीटर की रोड़ हैं. मैं समस्या के साथ समाधान देना चाहती हूं कि एक किलोमीटर रोड़ बनाने में 40 लाख रूपये का खर्चा आता है, यह ज्यादा है. प्रत्येक विधान सभा में 10-20 किलोमीटर की रोड़ हैं. मंत्री जी के पास सूची लेकर के जाते हैं तो कहीं 500-700 तो कभी एक हजार मीटर की रोड़ रहती है ऐसी सड़कों की सूची हम लेकर के जाते हैं तो मंत्री को संकोच होता है कि वह इतनी सारी रोड़ का काम करेंगे या नहीं. इसका कुल देंखे तो मात्र 10 अथवा 20 किलोमीटर लेकिन इतनी लंबी सूची होती है कि हमको संकोच होता है और मंत्री जी को इतना काम करने में संकोच होगा. एक सुझाव देना चाहती हूं कि एक रोड़ बनाने में लगभग 40 लाख रूपये का खर्चा आता है यदि एक विधान सभा क्षेत्र में 20 किलोमीटर की रोड़ लेते हैं उस हिसाब से देखा जाए 8 करोड़ रूपये खर्चा आयेगा. ऐसी 230 विधान सभा में सड़कों को लेंगे तो निश्चित रूप से 1840 करोड़ रूपये का बजट लगेगा. यह भी अच्छे से जानती हूं कि पूरे देश में सबसे ज्यादा डीजल और पेट्रोल के रेट मध्यप्रदेश में हैं. रेट तो ज्यादा हैं ही, लेकिन कई बार इन सड़कों के चलते गांव वालों के लिये 500 मीटर की रोड़ खराब होने की वजह से 5 से 10 किलोमीटर घूमना पड़ता है. यदि आप पेट्रोल एवं डीजल पर 1 रूपये सरचार्ज बढ़ा देंगे तो मुझे लगता है कि किसी को आपत्ति नहीं होगी क्योंकि इतना घूमकर जाने में ले देकर उतने में ही बात पड़ती है. यदि आप सरचार्ज बढ़ा देंगे तो मुझे यकीन है कि पूरे विधान सभा क्षेत्रों की जितनी आपकी योजनाएं हैं चाहे प्रधानमंत्री सड़क योजना हो, चाहे मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क योजना हो कहीं पर यह सड़कें फिट नहीं बैठ पाती हैं. ऐसी आबादी जो टोलों एवं कस्बों में निवास करती है उनके लिये भी यह समाधान हो जाएगा. मेरा निवेदन है कि जब वित्तमंत्री जी ने अपने भाषण में कहा था कि लोन लेना अभिशाप नहीं है. आप इन्हीं कामों के लिये लोन ले लीजिये. सरचार्ज का पैसा तुरंत आने वाला नहीं हैं, सड़कें भी तुरंत में बनने वाली नहीं है. आप लोन लीजिये और उस पैसे का उपयोग उन सड़कों के लिये कीजिये, साथ ही साथ जो सरचार्ज का पैसा आयेगा उससे आप लोन का ब्याज पटा दीजिये. यह बहुत बड़ी समस्या है. मेरे विधान सभा में एक रोड़ एफएससी टेमिनी से चोन्दाटोला पीपल गांव जब एफएससी में सड़क हो जाती है तो जनप्रतिनिधि एक दम निश्चिंत हो जाते हैं कि यह सड़क बननी है. मेरी रोड़ एफएससी में हो गई है, लेकिन बजट की किताब में दिखाई नहीं दे रही है. मैं मंत्री जी से निवेदन करना चाहती हूं कि उस रोड़ को जरूर करवा दें यह महत्वपूर्ण रोड़ है नक्सल बेल्ट से सीधे जोड़ती है. मैं चाहती हूं कि इस रोड़ को लें. मैं मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहती हूं कि मेरे क्षेत्र की दो पुलियां का सेंशन दिया है इसके लिये धन्यवाद देती हूं.
श्री दिलीप सिंह परिहार (नीमच) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं लोक निर्माण मांगों का समर्थन करता हूं और माननीय मंत्री जी को धन्यवाद दूंगा कि उन्होंने लगातार सड़कों को सुधारने का काम किया है, जब मैं 2003 में जीतकर आया था, उस समय 18 घंटे में नीमच से भोपाल आया था, आज जबकि साढ़े पांच घंटे में आ जाता हूं, इसलिए पीडब्ल्यूडी मंत्री जी और मुख्यमंत्री जी को भी धन्यवाद देना चाहता हूं. माननीय सुन्दरलाल पटवा जी, पूर्व मुख्यमंत्री का स्वर्गवास हो गया था, तब नीमच जिले में आए थे, नीमच से उन्होंने मनासा तक की सड़क दी है, सीमेंट कांक्रीट की सड़क दी है वह बहुत बढि़या गुणवत्ता की सड़क बन रही है. जब मैं और ओम जी विधायक थे तब मां भादो माता के स्थान पर पदैल जाते थे, तो पैरों में कंकड़ चुभते थे, अब वह सड़क लगभग बनकर तैयार हो गई है, इसलिए माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देता हूं. नीमच से मनासा तक सुन्दर सीमेंट की सड़क बनी है, नीमच से छोटीछांछड़ी की सड़क बनवाई है, इसके लिए भी आपको धन्यवाद देता हूं, उस समय जब आप आए थे तो कहीं न कहीं जाम में फंसे थे, तो नीमच का एक बायपास है, आपने एक बायपास पूर्व में बनाया था, मगर एक बायपास है, जिसकी वजह से आप लोग कहीं न कहीं उलझ गए थे, उस बायपास की यदि आप नीमच से हिंगोरिया, जयसिंगपुरा होता हुआ 9 किलोमीटर का धधेरिया से चंगेरा तक का बायपास है यदि उस बायपास की स्वीकृति देंगे तो मेरे आस पास के क्षेत्र में एक रिंग रोड बन जाएगी और नीमच जिले का विकास बहुत बढि़या हो जाएगा, दूसरा आपने बहुत गुणवत्ता की सड़क बनाई है, अब जब लोग नवरात्री में भादो माता पैदल जाते है लाखों की संख्या में तो कोई कंकड़ नहीं चुभते हैं, वे आपको लगातार दुआएं देंगे और सरकार की भी सराहाना करेंगे. नीमच में जीरन एक तहसील है, आपसे एक निवेदन है कि जीरन से ग्वालतालाब की एक सड़क है 3.4 किलोमीटर की वह कहीं न कहीं स्वीकृति में पड़ी है, उसे भी स्वीकृत करने की कृपा करें, अरण्या बोराना से जीरन केवल 5 किलोमीटर की सड़क है. इस बजट में हमें कोई सड़क नहीं दी है, इस बजट में यदि अरण्या बोराना से जीरन की सड़क दे दें तो बड़ी कृपा होगी. छोटी छोटी सड़कें है रावतखेड़ा से दूलाखेड़ जो केवल 98 लाख की है, और हिंगोरिया से चीताखेड़ा, वीसलवास के खेड़ामाता की एक छोटी सड़क है, जहां मां के दरबार में लोग जाते हैं वह 98 लाख की सड़क है, भाटखेड़ा से डुमलावदा फोर लाइन की स्वीकृति और विसलवास...
उपाध्यक्ष महोदय - परिहार जी अब समाप्त करें.
श्री दिलीप सिंह परिहार - उपाध्यक्ष महोदय, मैं तो खाली सड़कों की मांग कर रहा हूं. आपने सर्किट हाउस दिया उसके लिए भी धन्यवाद देता हूं, जीरन में भी डाकबंगला आपने पूर्व में स्वीकृत किया था, वह भी कहीं न कहीं उलझा हुआ है, उसकी भी वापिस स्वीकृति देकर बनाने का काम करें, आपने गड्ढे वाली सड़कों से हमें मुक्त कराया, उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद. राजस्थान हमारे पास में लगा है, उसमें एक एक किलोमीटर जोड़ने वाली कुछ सड़कें हैं, दोनों प्रदेश की सड़कों को भी जुड़वाने का काम करें, माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का समय दिया इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद देता हूं. मैं पुन: निवेदन करता हूं कि मेरे जीरन की छोटी छोटी ग्वाल सड़कों को अभी आप स्वीकृति दें, बहुत बहुत धन्यवाद माननीय मंत्री जी. इसी प्रकार काम करते जाए, लोगों की दुआएं लेते जाए, आगे बढ़ते जाए. मध्यप्रदेश स्वर्णिम मध्यप्रदेश बन रहा आज यह मध्यप्रदेश लोगों के लिए प्रेरणा का केन्द्र बना है. माननीय अध्यक्ष महोदय आपको धन्यवाद आपने बोलने का अवसर दिया, आप पधारे इसके लिए भी आपका स्वागत. (हंसी..)
7:23 बजे {अध्यक्ष महोदय (डॉ.सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
श्री बाला बच्चन (राजपुर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 24, 29 और 67 का विरोध करता हूं, और कटौती प्रस्तावों का समर्थन करता हूं. माननीय मंत्री जी आपने 220 में से 58 सड़कें केवल सीहोर के लिए दे दिया है और 71 पुल में से केवल 16 पुल रायसेन और सीहोर के लिए आपने बजट में प्रावीजन किया है, आपको हमारे जिले की याद नहीं आई, मेरा जो बड़वानी जिला है वह भी ट्रायबल है, मेरी विधानसभा भी ट्रायबल है, आपने कहीं पर कोई काम नहीं दिया है तो कम से कम अभी आप बोले तो इसकी व्यवस्था करें, वहां पर भी जनता रहती है, उनको भी सड़क और पुल पुलियाओं की जरूरत हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, क्या हो गया है कि हमको उम्मीद और अपेक्षा इस विभाग से इसलिए है क्योंकि यह विभाग काम करता है तो बहुत अच्छा काम करता है, हम उसकी तारीफ भी करते हैं, आपके विभाग ने जो काम किया है हम उसका समर्थन भी करते हैं, लेकिन अब क्या हो गया है कि प्रधानमंत्री सड़क योजनाओं के अंतर्गत सड़कें बनना बंद हो गई हैं, मनरेगा के अंतर्गत जो राशि मिलती थी उसके अंतर्गत सड़कें बनना बंद हो गई हैं, हमारे यहां पर मुख्यमंत्री सड़क योजना के अंतर्गत भी सड़क बनना बंद हो गई है और कहीं से भी पुल पुलिया बन नहीं रहे हैं, इसलिए आपको इतना बड़ा जो बजट मिला है तो कम से कम आप सीहोर से रायसेन से कहीं से निकले तो ऐसा संदेश जाने दें कि आप पूरे प्रदेश के मंत्री हों, मुख्यमंत्री जी पूरे मध्यप्रदेश के हैं. केवल सीहोर और रायसेन तक आप न अटके रहें. मेरे यहां की जो सड़क है, एमडीआर है, वह बड़वानी से ठिकरी तक की सड़क है, उसका क्रमांक 26 ए है, वह राज मार्ग है, लेकिन कहीं पर भी उसका बजट में कोई नाम तक नहीं आया, एक शब्द तक नहीं आया. तो कम से कम आप उसको भी बनवाने की बात करें. छोटी-छोटी सड़कें हैं, कहीं 2,3 एवं 4 किलोमीटर हैं, जिसके कारण किसानों और लोगों को दिक्कतें होती हैं. तो मैं अपने विधान सभा की जल्दी से सड़कों के नाम बताकर अपनी बात समाप्त करुंगा. एक तो मेरे गांव की सड़क है कासिल से भुद्रा और भुद्रा से भिलवा रोड तक है. (वन मंत्री, डॉ. गौरीशंकर शेजवार द्वारा बैठे बैठे कहने पर कि बन जायेगी) धन्यवाद. आपके बेहाफ पर वन मंत्री जी बोल रहे हैं कि बन जायेगी. ऐसे ही दूसरी सड़क जो है, तलवाड़ा से नलवाये तक केवल दो किलोमीटर की सड़क है. (डॉ. गौरीशंकर शेजवार द्वारा बैठे बैठे कहने पर कि मैंने समय सीमा नहीं बताई है) कोई बात नहीं है. समय सीमा जो पीछे मंत्री जी बैठे हैं, उनके विभाग पर चर्चा हो रही है, हम उनसे समय सीमा ले लेंगे. तीसरी सड़क ब्राह्मण गांव से नंदगांव तक की है और चौथी सड़क कुसमरी से पीपरी तक की है. ये 2-2,3-3 किलोमीटर की है.पांचवीं सड़क है चीचली से देवला तक और छठी है टिडगारिया से विश्वनाथखेड़ा तक की. मंत्री जी, ऐसी चार सड़कें हैं, 15 से 20 किलोमीटर में सब पूरी हो जायेंगी. बात तो बहुत सारी है, बाद में फिर समय मिलेगा, हम बोलेंगे. मुझे मालूम है, आप पिछले समय ग्वालियर गये थे एक सड़क के लोकार्पण में और उस सड़क के बारे शायद अभी यह फीडबेक आ रहा है कि खूब दरारें पड़ हुई हैं. तो यह क्यों ऐसा हुआ है. ग्वालियर की सड़क का यह मामला काफी हाइलाइट भी हुआ था, आप उसको भी दिखवा लें. दूसरा मैंने जिन सड़कों का, बड़वानी जिले और मेरी विधान सभा की सड़कों का उल्लेख किया है,कृपा करके आप कम से कम रायसेन और सीहोर से निकलकर हम लोगों के जिलों की भी सड़कें और पुल पुलियाएं दें, तो मैं समझता हूं कि ज्यादा अच्छा होगा और उसके लिये हम आपको धन्यवाद भी देंगे. इसके पहले आपके विभाग ने जो काम किये हैं, वह अच्छे काम किये हैं, इसकी मैं तारीफ करता हूं, प्रशंसा करता हूं और उसके लिये मैं आपका और आपके विभाग का धन्यवाद भी करता हूं. अध्यक्ष महोदय, आपने समय दिया, धन्यवाद.
डॉ. कैलाश जाटव (गोटेगांव) -- अध्यक्ष महोदय, मैं सिर्फ अपने विधान सभा क्षेत्र के बारे में ही बात करुंगा. एक हमारा कनेरा नदी पर ग्राम भौती के पास में पुल है, यह काफी वर्षों से वहां बना ही नहीं है. इसके बारे में भी आपने बोला था. मंत्री जी, चूंकि आप हमारे जिले के प्रभारी है और मुख्यमंत्री जी ने घोषणा की थी ब्रह्मकुण्ड घाट से बेलखेड़ी पावला नदी पर एक पुल की. खोबी से भैसा से ब्रह्मकुण्ड घाट सड़क निर्माण की. मुशरान पिपरिया से सगरा, छींदामानी से कंधरापुर, सिमरी डूडी से अकोला, मुहांस से ठेमी, बड़गवां, मछवारा से बरगी, लुहारी से करगबेल सड़क एक हमारी यह मांग है. झौत से लम्हेटा, उमरिया से नेगवा, नेगवां से गाडरवाड़ा, खेरा से मुगवानी यह दूसरी सड़क है. चौथी सड़क है खुरपा से कमनापुर, चीलाचौन खुर्द से बचई, बहोरीपार से सलैया तक और एक मगरधा से घाट पिण्डरई, घाट पिण्डरई से बौछार तक की रोड है. मंत्री जी, आप हमारे जिले के प्रभारी मंत्री हैं. यह 5-6 रोड्स जो मैंने बताई हैं, मैं आपको लिखकर भी दे दूंगा, इस पर आप विचार करेंगे. अध्यक्ष महोदय, आपने बोलने के लिये मौका दिया, बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री शैलेन्द्र पटेल (इछावर) -- अध्यक्ष महोदय, अभी बाला बच्चन जी बोल रहे थे कि सीहोर जिले में, थोड़ा सा संशोधित करना चाहता हूं. वह सारी सड़कें बुधनी विधान सभा में बनी हैं. इछावर भी उसमें आता है, लेकिन वहां पर वह सड़कें नहीं हैं. तो मैं यह चाहता हूं कि मंत्री जी बुधनी के अलावा पड़ोस में ही इछावर है, वहां का भी ख्याल रखें. हिना कावरे जी ने जो अभी बात कही थी, उसको थोड़ा सा मैं स्पष्ट करना चाहूंगा कि कुछ सड़कें ऐसी हैं जो प्रधानमंत्री सड़क योजना से बन गई हैं और दूसरी जगह भी बन गई हैं, उसके बीच में सड़क छूट गई हैं. इसको मिसिंग रोड कहते हैं. वह आधा, एक और दो किलोमीटर की रोडें हैं. इसी तरीके से डबल कनेक्टिविटी की रोड्स हैं. एक गांव प्रधान मंत्री सड़क योजना से या मुख्यमंत्री सड़क योजना से ब्लॉक हेड क्वार्टर तो जुड़ गया है, लेकिन बीच में छूटा हुआ है. इस ओर सरकार ध्यान दे, पीडब्ल्यूडी ध्यान दे. इस रोड को बनाये. हमारे सीहोर जिले में तो प्रभारी मंत्री हमारे सीहोर जिले के हैं. हमने हमारे जिले की तो मिसिंग रोड और डबल कनेक्टिविटी रोड की पूरी फाइल बनाई है. इस ओर सरकार अगर निर्णय लेगी, तो निश्चित रुप से जो छोटी छोटी रोडें छूट गई हैं, वह भी रोड्स का जाल पूरे प्रदेश में बन जायेगा. मैं अपने क्षेत्र की एक बहुत महत्वपूर्ण रोड है भाऊखेड़ी से अमलहा रोड तक, मंत्री जी भी एक स्वास्थ्य केंद्र के उद्घाटन में पहुंचे थे. उस रोड की हालत देखकर आये थे. अभी तक वह काम नहीं हुआ. मैं चाहता हूं कि आज उसकी घोषणा हो जाये, वह भी रोड एमडीआर के अंतर्गत आता है. इसी तरह से हमारे विधान सभा क्षेत्र में इछावर से खेरी रोड है, उसकी भी हालत बहुत जर्जर है. आये दिन वहां पर दुर्घटनायें होती रहती हैं. उस रोड के संबंध में मैंने जब ध्यानाकर्षण लगाया, तो उस ठेकेदार के खिलाफ तो कार्यवाही हो गई, लेकिन रोड पर काम नहीं हुआ है, उस पर भी काम हो और एक छोटी सी बात यह है कि इछावर में पी.डब्ल्यू.डी. का रेस्ट हाउस तो बन गया है लेकिन अभी तक फर्नीचर नहीं पहुँचा है तो वह रेस्ट हाउस किस काम का है, जिसमें फर्नीचर नहीं हो तो फर्नीचर वहां पर पहुँचे. मैं समय का ध्यान रखते हुए अपनी बात को समाप्त करता हूँ. अध्यक्ष महोदय, आपका बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री राजेन्द्र फूलचन्द वर्मा - (अनुपस्थित)
इंजी. प्रदीप लारिया (नरयावली) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 24, 29 एवं 67 का समर्थन करता हूँ और कटौती प्रस्तावों का विरोध करता हूँ. समय की मर्यादा को देखते हुए, मैं अपने विधानसभा क्षेत्र की बातें करूँगा. मेरी विधानसभा क्षेत्र में एन.एच.-26, 14 किलोमीटर कांक्रीट सड़क जो ओल्ड एन.एच.-26 था, उसकी 4 किलोमीटर सड़क 46 करोड़ रुपये की राशि से फोर लेन रोड बजट में आई है. मैं हमारे मुख्यमंत्री जी, माननीय मंत्री जी एवं प्रमुख सचिव महोदय का धन्यवाद करता हूँ. सिटी लिंक यह एक आदर्श सड़क है, यह मकरोनिया और सागर की आवश्यकता थी, वह भी बजट में आई है, यह लगभग 12 करोड़ रुपये की है 7.50 करोड़ रुपये अभी बजट में आए हैं, उसके पहले 4.36 करोड़ रुपये की राशि से अनुपूरक बजट में हुई थी और एक कडान पुल की स्वीकृति भी मिली है. मैं उसके लिये मुख्यमंत्री जी, माननीय मंत्री जी और अधिकारियों को बहुत बधाई देता हूँ.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी मिसिंग लिंक सड़कों की बात आ रही है. यह बात सही है कि हमारे अन्य विधायकों ने भी इस बात को उठाया है. निश्चित तौर पर आज यह आवश्यकता है. एक अभियान के रूप में इसको करेंगे तो मैं समझता हूँ कि सारी विधानसभा क्षेत्रों में एवं पूरे प्रदेश में हर विधानसभा क्षेत्र की यह आवश्यकता है. हर विधानसभा क्षेत्र को इसका फायदा होगा. जहां तक मेरी विधानसभा क्षेत्र का सवाल है तो माननीय मंत्री जी ने 2 सड़कों का आश्वासन दिया था लेकिन वे बजट में नहीं आ पाईं. एक, सांईखेड़ा - लिधोरा सड़क मार्ग एवं दूसरी, मकरोनिया - बटालियन मार्ग, ये सड़कें न जाने क्यों छूट गईं ? कुछ सड़कें ऐसी हैं, जो पूर्व में बन चुकी हैं. आज उनको नवीनीकरण और मजबूतीकरण की आवश्यकता है. मेरी विधानसभा क्षेत्र सागर से लगा हुआ है और उस पर हैवी वाहन फोर लेन में टच करते हैं. हमारी 7 सड़कें लगभग ध्वस्त स्थिति में हो गई हैं. यदि ये सड़कें बन जाएंगी जैसे गुडा-डुंगसरा लिधोरा खुर्द मार्ग, रजौआ-बडोना, एन.एच. रजाखेड़ी- सेमरा जिंडा, रूसल्ला मुहली - तिंसुआ मार्ग, सानोधा पहुँच मार्ग, नरयावली -लुहारी-देवरी मार्ग, नरयावली ढोंगा मार्ग ये सड़कें बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ये शहर और ग्रामीण क्षेत्रों को जोड़ती हैं. ये सड़कें ध्वस्त होने के कारण विधानसभा क्षेत्र के लोगों को काफी समस्या का सामना करना पड़ता है. मेरी दो सड़कें और हैं- बेरखेड़ी गुड़ - बन्नाड चावड़ा मार्ग, नरयावली से बसिया मार्ग और ढाना - खाकरोन मार्ग हैं. ये नवीन सड़कें हैं. यदि इनकी भी स्वीकृति मिल जायेगी तो मैं समझता हूँ कि विधानसभा और सागर की दृष्टि से ठीक रहेगा. एक और मेरा निवेदन है कि अभी राष्ट्रीय राजमार्गों के लिए भारत सरकार ने पैसा देने की अभी माननीय गडकरी जी नौगांव आए थे तो उन्होंने घोषणा की थी. एक मकरोनिया से बहेरिया एन.एच.-86 है, वह पूरे शहर में है, उस पर यातायात का बहुत दबाव रहता है, यह सड़क यदि फोर लेन में परिवर्तित हो जायेगी तो मैं समझता हूँ मकरोनिया और सागर के विकास को एक नई दिशा मिलेगी. आपने बोलने का समय दिया, उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री हरदीप सिंह डंग (सुवासरा) - माननीय अध्यक्ष महोदय, 2 मार्च को विश्राम गृह की सदन में जो घोषणा की गई है, मैं उसके लिए धन्यवाद देता हूँ और यह विश्राम गृह जल्दी से वहां बन जाए तो जन-प्रतिनिधियों, अधिकारियों और सभी के लिए क्योंकि वहां पर विकासखण्ड हैं एवं एशिया की सबसे बड़ी लायब्रेरी है, इसलिए आप वहां पर शीघ्र ही विश्राम गृह का सीतामऊ में प्रारंभ कराएं तो बहुत बड़ी मेहरबानी होगी. एक खेड़ा रोड जो एक किलोमीटर का ड है, सीतामऊ में 25,000 की जनसंख्या है और जो पी.डब्ल्यू.डी. का मुख्य रोड है, उस पर 25 गांव निकलते हैं. उसकी भी घोषणा मंत्री जी ने यहां पर की थी. मुझे विश्वास है कि मात्र एक किलोमीटर का रोड़ सीतामऊ का है, आप उसको भी प्रारंभ कर देंगे. और जब रोड़ बने थे, उसमें सर्वे में मुख्य रोड से एक-एक किलोमीटर के जो दूर रोड़ थे, उनको सर्वे में रोड पर ही बताया गया है उसके कारण 1-1 किलोमीटर दूर जिनकी गांवों की दो-दो, ढाई-ढाई हजार जनसंख्या है उनमें भी रोड की कमी के कारण लोगों को परेशानी हो रही है. जैसे बोलीया गांव की जनसंख्या 2000 है वहां पर रोड नहीं बन पा रहा है. ऐसी ही लसूडिया है, घसोई की बागरी का खेड़ा है, बागरी से भड़केश्वर है. मेन रोड से मात्र एक-एक किलोमीटर दूर यह रोड हैं. आप इनको सम्मिलित कर लें. मेरा मानना है कि जो सीसी रोड मोटे-मोटे बनते हैं उनसे कतरन जो बच जाए उस कतरन से ही यह रोड बन सकते हैं. 25 किलोमीटर में यह सब रोड बन जाएंगे. मैं नाम ले देता हूं. खेड़ा रोड की तो आपने स्वीकृति दे दी है. बोलीया, लसूर्डिया रोड, घसोई से बागरीखेड़ा रोड, बागली से भड़केश्वर महादेव रोड, आम्बा से भैंसासरी माता जी रोड, माकड़ी से अजयपुर रोड, चन्दवासा से खेड़ा रोड, खेताखेड़ा रोड, चमेला मार्ग पर नाथूखेड़ी रोड, हरिपुरा से पिछला रोड, गोपालपुरा से दिपाखेड़ा रोड, बासखेड़ी से रामगढ़ रोड, गोपालपुरा से खजूरीफण्टा रोड, पतलासी से सीतामऊ रोड, बोरखेड़ी से लखुपिपलिया, एक पुलिया भी इसमें आती है यह भी उसमें सम्मिलित करें. लावरी से पतलासी रोड और बायपास जो सीतामऊ कयामपुर रोड. सीतामऊ और कयामपुर में बायपास की बहुत आवश्यकता है. श्यामगढ़ से गरोठ रोड, गरोठ से सुवासरा रोड पर एक बायपास बन जाता है तो श्यामगढ़ में जो लोड रहता है उसको कम किया जा सकता है. इससे दुर्घटना भी कम होंगी. ऐसे ही सीतामऊ से कयामपुर रोड है, यह भी बायपास बना दिया जाए. धन्यवाद.
श्री वीर सिंह पवार (कुरवाई)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सिर्फ क्षेत्र की बात करुंगा. मेरा एक रोड है कुरवाई से मण्डी बामोरा जो रेलवे स्टेशन को जोड़ता है मात्र 8 किलोमीटर का रोड है. काफी समय से इसकी हालत जर्जर है. किसी तरह का मेंटेनेंस नहीं हुआ है. माननीय मंत्री जी से निवेदन करुंगा कि यह अति आवश्यक रोड है. सिरोंज से लटेरी तक के लोग स्टेशन के लिए आते हैं कुल 8 किलोमीटर इसकी लंबाई है. इसको करना बहुत जरुरी है. माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि वे इसको इसी बजट में सम्मिलित करने का कष्ट करें. ऐसे ही कुरवाई से पठारी के लिए माननीय मुख्यमंत्री जी की तीन वर्ष पूर्व की घोषणा है वह मार्ग पेंडिंग पड़ा हुआ है उस पर भी ध्यान देकर इस बजट में शामिल करने का कष्ट करें या अनुपूरक में शामिल हो जाए और उस पर काम प्रारंभ हो जाए. दो सिरोंज को जोड़ने वाली मात्र 3-3 किलोमीटर की सड़कें हैं दोनों तरफ प्रधानमंत्री सड़क योजना की सड़कें बनी हैं. 3-3 किलोमीटर के रास्ते की वजह से वहां से करीब 25-30 किलोमीटर लोगों को घूमकर जाना पड़ता है. ऐसे मार्ग हैं दीपनाखेड़ा से दीमनाखेड़ा, एक है दीपनाखेड़ा से त्रिभुवनपुर मलीयाखेड़ी यह दोनों आवश्यक रोड हैं. माननीय मंत्री जी से निवेदन करुंगा कि इनको भी प्राथमिकता पर ले लें. कुरवाई का विश्राम गृह स्टेट टाइम का बना हुआ है.बीना रिफायनरी के कारण भोपाल से बहुत लोगों का आवागमन होता है. अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों का भी वहाँ से आना जाना होता है, यह जीर्णशीर्ण हालत में है. इस विश्राम भवन को बनाने का भी इसी बजट में माननीय मंत्री जी प्रावधान कर देते हैं तो कृपा होगी. लोक निर्माण विभाग में माननीय मंत्री जी के माध्यम से 28 किलोमीटर की एक सड़क पूर्व में बन चुकी है उसमें मात्र दो पुलियों का निर्माण होना है बिना इसके चार महीने यह रोड किसी काम की नहीं रह पाती है. एक पुलिया की राशि तो मंत्री जी द्वारा स्वीकृत कर दी गई है दूसरी पुलिया की राशि स्वीकृत होना है. यह भौरासा से पिपरिया मार्ग बनाया है उस पर सडेरा गांव पर एक पुलिया है और एक पिपरिया गांव पर पड़ती है. यह यदि इसी बजट में स्वीकृत हो जाती है तो बहुत कृपा होगी. माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का समय दिया, इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री कमलेश्वर पटेल- (अनुपस्थित)
श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया (दिमनी)- माननीय अध्यक्ष महोदय, लोक निर्माण विभाग की मांगों पर अपने क्षेत्र की समस्याओं के बारे आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन कर रहा हूं और उनका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं. मेरे क्षेत्र दिमनी में सड़कों की कमी है. जिससे ग्रामवासियों को आने-जाने में समस्या होती है. इस संबंध में मेरे द्वारा कई बार प्रश्न लगाए गए हैं, परंतु संतोषजनक उत्तर नहीं आए हैं और न ही कार्य किए गए हैं. कई सड़कों की स्वीकृत शासन स्तर पर लंबित है. उन्हें तत्काल स्वीकृत किया जाए. इसके अतिरिक्त कई मार्ग खराब हो गए हैं. उनमें गड्ढे हो गए हैं. उनकी भी तत्काल मरम्मत की जाए. वर्तमान में 2-3 सड़कें केवल एक-एक, दो-दो किलोमीटर की हैं. मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि किशनपुर की पुलिया से नगरा कारी बिसई तक, अंबाह मुरैना बरेव से पंचमपुरा तक, पायकेपुरा से इटोरा तक की सड़कों की स्वीकृति तत्काल दी जाए. मेरा मंत्री जी से आग्रह है कि मेरे यहां की सड़कें चार-पांच, दस किलोमीटर की नहीं हैं. मैं पिछले 2 सालों से कह रहा हूं कि मेरी विधान सभा में एक भी सड़क नहीं बनी है. आप मेरे क्षेत्र में एक-दो किलोमीटर की 1-2 सड़कें ही बनवा दें तो मैं मंत्री जी का आभारी रहूंगा. कम से कम वे 1-2 सड़कें ही बनवा दें. अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, इसके लिए धन्यवाद.
श्री गोविंद सिंह पटेल- (अनुपस्थित)
कुंवर हजारी लाल दांगी (खिलचीपुर)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं PWD की मांग संख्या 24, 29 और 67 के पक्ष में बोलने के खड़ा हुआ हूं. मैं मेरी विधान सभा क्षेत्र के मामले में ही निवेदन करूंगा. अभी माननीय मंत्री जी ने मेरी विधान सभा क्षेत्र के लिए जो एक सड़क बजट में स्वीकृत की है, इसके लिए उनका धन्यवाद. इसके अलावा 3 पुलिया भी स्वीकृत की गई हैं. इस हेतु भी मैं माननीय मंत्री जी एवं मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं. मैं आपका बहुत आभारी हूं, लेकिन मैं एक निवेदन करना चाहता हूं कि राजगढ़ जिले का सबसे आखिरी हिस्सा, राजस्थान बॉर्डर से लगा हुआ क्षेत्र, मेरी विधान सभा है. चूंकि राजस्थान से जो भी लोग वहां आते हैं तो वे यह उम्मीद लगाते हैं कि यह मध्यप्रदेश की सीमा चालू हो गई है. वहां से एक सड़क बडाम से है. उसकी माचलपुर तक एसेप्सी भी हो गई थी, लेकिन वह छूट गई है. राजस्थान से आने वाले लोग इस सड़क की ओर देखते हैं. मेरा अनुरोध है कि जब उसकी एसेप्सी हो गई है तो उसे इस बजट में ही शामिल कर लिया जाए. इस संबंध में मेरी राजस्थान की मुख्यमंत्री महोदया से व्यक्तिगत रूप से चर्चा भी हुई है. उनका कहना है कि मैंने तो राजस्थान तक की सड़क बनवा दी है, दांगी जी अब आप बाकी का काम करवा दीजिए. मेरा अनुरोध है कि इस सड़क का काम करवा दिया जाए. इसके अलावा एक सड़क जीरापुर, मान्याखेड़ी गांव से राजस्थान बॉर्डर भोजपुर तक की है. इस सड़क का सर्वे और डी.पी.आर. बनाने के लिए भी मैंने दिया है. यह कार्य अभी तक हुआ नहीं है. दूसरा मेरा निवेदन है कि छोटी-छोटी सड़कों की जो लिंक रोड हैं, जिन्हें सड़कों से जुड़ना है, ऐसी मेरी यहां 5-6 सड़कें 2-3 किलोमीटर की हैं. सादलपुर से चितावलिया, गुगाहेडा से बामनगांव, दुपाडिया से दगलिया, गुगाहेडा से गाडाऐट और पीपल्या कुलमी से घोघटपुर तक की ये सड़कें है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक और निवेदन करना चाहता हूं कि मेरी विधान सभा क्षेत्र में दो नगर पंचायतें माचलपुर और छापेढ़ा हैं. छापेढ़ा में नगर पंचायत भी है, टप्पा भी है, हाट भी लगता है, हायर सेकण्डरी स्कूल भी है. सभी कुछ है, लेकिन वहां इतनी बड़ी जगह होने के बावजूद दोनों जगहों में से कहीं भी विश्राम गृह नहीं है. यदि वहां विश्राम गृह बन जाता है तो उससे जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को ठहरने की सुविधा हो जायेगी. इसलिए मेरा अनुरोध है कि वहां दो नहीं तो कम से कम एक विश्राम गृह इस साल स्वीकृत किया जाना चाहिए. मेरा एक और निवेदन है कि मेरे यहां खिलचीपुर से सुसनेर, आगर जिले का सुसनेर विधान सभा क्षेत्र दोनों जगहों को जोड़ता है. वह सड़क तो बन गई थी, लेकिन उस सड़क को बने 5-6 साल हो गए हैं और वह सड़क पूरी तरह उखड़ गई है. उसकी कम से कम मरम्मत हो जाए और उसका टेण्डर निकल जाए. अगर वह सड़क बन जाती है तो सारे लोगों को सुविधा होगी. इस ओर भी माननीय मंत्री जी ध्यान देकर मेरी मदद करने की कृपा करें. एक और निवेदन मैं करूंगा कि जो छोटे-छोटे PWD के रोड हैं यदि उनकी भी मरम्मत हो जाती है. तो बड़ी कृपा होगी. आज आपने मेरे को बजट में जो दिया है उससे मैं बहुत खुश हूँ और मैं आपकी प्रशंसा करता हूँ, आपका आभारी हूँ. लेकिन जो छोटी छोटी बात है इसको और स्वीकृत करने की कृपा करें. धन्यवाद.
श्री दिनेश राय(सिवनी)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सिवनी विधान सभा की निम्न सड़कों के लिए मांग करता हूँ--
सकरदा से चक्की खमरिया, गोपालगंज से दतनी मार्ग, तिघरा से विपरिया मार्ग, सिंहग्वार से पौड़ी मार्ग, बखारी से बायपास गाँव के मार्ग की मैं आप से मांग कर रहा हूँ. लामटा से बकोड़ी मार्ग, खामखरेली से डुंगरिया मार्ग, बलारपुर से भाटेवाड़ा होते हुए सरगापुर मार्ग, तिघरा से खापाखेड़ी मार्ग, टिकारी से भोगा खेड़ा एवं टिकारी से नरेला होते हुए सिवनी मार्ग, खैरनरा से बकोड़ा सिवनी मार्ग, चारगाँव से पीपरडाही, फुलारा से चारगाँव, धतुरिया से सरगापुर, जाम से पायली पांजरा मार्ग, हिनोतिया से जाम, मारवोड़ी से रनवेली, गोरखपुर से टाड़ेटोला, समनापुर से टाड़ेटोला, उमरिया से गोरखपुर मार्ग, ग्राम गोरखपुर से भरूटोला, ग्राम टिकारी से बगीचे तक का मार्ग, जुझारपुर से बकोड़ी तक, दुकली से बण्डोल तक, धतुरिया से ढेकी तक, फुलारा से चक्की खमरिया तक, चमारी से तेंदनी, जाम से छिंदवाड़ा जो लगता है वह दूसरे जिले से डेढ़ किलोमीटर का मार्ग शेष है इसी प्रकार गोरखपुर से छिंदवाड़ा जिला गोरपानी है, वह भी डेढ़ किलोमीटर का मार्ग है. आदेगाँव से चमारी होते हुए छपारा मार्ग, जो पीडब्ल्यूडी का है, तीन साल से बन रहा है, ठेकेदार पूरी रोड खोद कर भाग गया है. उसका भी आप काम करा दें. इसी प्रकार है, बनरोल चौराहे से कलार मार्ग होते हुए भोमा रोड, यह भी करीब 20 किलोमीटर का मार्ग है, यह भी अधूरा पड़ा हुआ है. जमुनिया से खमरिया मार्ग, चमारी से बड़पानी, अन्दर वाला रोड है जो सीधा जाएगा सिवनी बायपास, काफी दिनों से टूटाफूटा है, जिससे हमारा गोंदिया मार्ग, हमारा बालाघाट और मण्डला का संपर्क टूट गया है. मारमोडी से जाम, सीधा रोड है एवं जामुनपानी से खेरनरा रोड.
अध्यक्ष महोदय, इसी प्रकार मैं आप से विश्राम गृह के लिए मांग करता हूँ. बखारी, चमारी, कलारबाँकी, इन 3 स्थानों पर विश्राम गृह की परमीशन दे दें. पायली में एक विश्राम गृह है लेकिन वह काफी जीर्णशीर्ण है, उसके दरवाजे खिड़की भी निकाल ले गए हैं. अध्यक्ष महोदय, मेरे जिले में इस बार एक भी मार्ग आपने नहीं दिया है न प्रधानमंत्री से बनने वाली सड़कें हैं, न मुख्यमंत्री से, सिर्फ पीडब्ल्यूडी विभाग से ही बनेंगी, जो छोटी छोटी हैं, ये डेढ़ डेढ़, दो दो किलोमीटर की हैं. अध्यक्ष महोदय, कुछ मार्गों की रिपेयरिंग होना है तो मेरा आग्रह है इसके लिए बजट दें. माननीय अध्यक्ष जी, आपको भी धन्यवाद. माननीय मंत्री जी, मेरी मांगों को पूरा करें.
श्री प्रदीप अग्रवाल-- (अनुपस्थित)
श्री नारायण सिंह पँवार(ब्यावरा)-- माननीय अध्यक्ष जी, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी का ध्यान इस ओर आकर्षित करूँगा कि मेरे विधान सभा क्षेत्र ब्यावरा में 4-5 अत्यन्त महत्वपूर्ण मार्ग हैं जो मिसिंग लिंक के मार्ग हैं. इनको बनाया जाना अति अनिवार्य है. इसके जुड़ जाने से 20,30,50 किलोमीटर तक की सड़कें जो पूरी होती हैं. एक है ग्राम गांगाहोनी से शमशेरपुरा, कुल दूरी 4 किलोमीटर, माननीय मंत्री जी नोट करेंगे तो मुझे लगता है कि शायद आप ध्यान दे रहे हैं, आपकी कृपा होगी. ग्राम कड़ियाहाट से सलेपुर, कुल 3 किलोमीटर, ग्राम कानरखेड़ी से पार्वतीब्रिज, कुल 3 किलोमीटर, ग्राम मलावर से भगवतीपुर, कुल 5 किलोमीटर, ऐसे कुल मिलाकर 15 किलोमीटर अगर जुड़ जाएगा तो मेरी विधान सभा का उद्धार हो जाएगा.
अध्यक्ष महोदय, दो और छोटे छोटे टुकड़े हैं, ग्राम कानेड़ से देहरीतेलीगाँव, ये गुना जिले को जोड़ता है यह दोनों जिलों को लिंक करने का अत्यन्त आवश्यक मार्ग है. एक और कुशलपुरा से भैसावा, जो ब्यावरा नरसिंहगढ़ तहसील को जोड़ता है. ये बहुत छोटे छोटे मार्ग हैं.
माननीय अध्यक्ष जी, मेरा मंत्री जी से एक और निवेदन है कि ब्यावरा शहर 2-3 राष्ट्रीय राजमार्गों पर बसा हुआ है. राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 3, राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 12 तथा एक और नया राष्ट्रीय राजमार्ग है इसका नंबर मुझे पता नहीं है, ब्यावरा से सिरोंज, लेकिन यहाँ रेस्ट हाउस केवल दो सुइट का है, अत्यन्त दबाव रहता है, दो सुइट इसमें और अतिरिक्त होना चाहिए, पहले सर्वे भी हुआ, डीपीआर भी बनी है.
अध्यक्ष महोदय, एक और है मेरा छोटा नगर है एवं सुठालिया नगर पंचायत, 15000 की आबादी का नगर है. लेकिन वहाँ कोई भी विश्राम गृह नहीं है. अतः मंत्री जी एक छोटा सा विश्राम गृह वहाँ भी बनाने की कृपा करेंगे तो काफी लाभ होगा. मैं अंतिम निवेदन करना चाहता हूँ. ब्यावरा सिरोंज मार्ग पर पहले एमपीआरडीसी का रोड बना हुआ है. उस पर 3 अत्यन्त महत्वपूर्ण पुलियाएँ छोड़ दी गई हैं, जो वर्षाकाल में हर साल बंद हो जाती हैं. अब वह राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित हो चुका है, उसकी 3 पुलियाएँ अत्यन्त आवश्यक हैं उसके लिए माननीय मंत्री जी निर्देश देंगे तो ठीक होगा. मैं माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहूँगा कि उन्होंने अभी ब्यावरा प्रवास पर माननीय मुख्यमंत्री जी के साथ ब्यावरा से भोपाल 120 किलोमीटर का रास्ता फोर लेन सीसी रोड घोषित किया है माननीय गडकरी जी ने, उसके लिए आभार व्यक्त करता हूँ और मेरी विधान सभा में उन्होंने इस बार पार्वती नदी पर पुल स्वीकृत किया है. ब्यावरा शहर के लिए 18 करोड़ रुपये का सीसी रोड स्वीकृत किया है, मैं बहुत बहुत आभारी हूँ. माननीय अध्यक्ष जी, आपने बोलने का अवसर दिया, बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री रामपाल सिंह (ब्यौहारी) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अपने क्षेत्र की निम्न मांगों को इस सदन में रखना चाहूंगा. करकी से रीवा अमरकंटक मुख्य मार्ग, करकी से छुदा एवं करकी से कोढिगढ़ आज कम से कम तीन वर्ष हो गए जो पेंडिंग पड़ा हुआ रोड है सिर्फ डब्ल्यूबीएम तक हुआ है. डब्ल्यूबीएम के बाद यह रोड का निर्माण अवरूद्ध है जिससे आवागमन में असुविधा होती है. जहां के 10 से 12 गांव हमेशा निस्तार करती है. सीधी, ब्यौहारी मार्ग से रेलवे फाटक से बराछ की ओर एक मार्ग जाता है जिसकी लंबाई 4 किलोमीटर है जहां काफी असुविधा होती है. यह रोड भी अगर बनाया जाता है तो बड़ा अच्छा होगा और बराछ से तेंदुआढ़ सड़क निर्माण होना भी आवश्यक है जिसकी लंबाई 4 किलोमीटर के लगभग है. नगर पंचायत ब्यौहारी में एक झरप नाला है जहां एक मोहल्ला बसा हुआ है और उस झरप नाले में पुलिया निर्माण की महती आवश्यकता है अगर नहीं बनता है तो वर्षाकाल में वहां के लोगों को भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ेगा, इसलिए पुलिया निर्माण करना बहुत आवश्यक है. इसी तरह एक झिरिया नाला है जहां बोडिडहा एवं बनासी के बीच भी पुलिया निर्माण का होना आवश्यक है. इस तरह बनसुकली में बनास नदी पर जहां मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की सीमा को जोड़ती है उस पर भी पुलिया निर्माण का होना आवश्यक है. इसी तरह उदारी नदी में पतेरियाटोला से उचेहरा मार्ग पर पुल निर्माण हो जाने से कई गांवों का आने-जाने में सुगमता होगी. नकुनी से देवरी मार्ग जो 4 किलोमीटर है नकुनी को अगर देवरी से जोड़ दिया जाए तो काफी अच्छी सुविधा होगी. सिर्फ डब्ल्यूबीएम हुआ है वह भी पूरी उखड़ चुकी है. इस तरह बराछ नदी में बराछ गांव के झापर नदी पर कई गांवों का आवागमन होता है जहां पुलिया निर्माण न होने से वर्षा के दिनों में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है और अंत में मैं यह कहना चाहूंगा कि एक बनसुकली गांव है जो बड़ा गांव है, एक व्यापारिक केन्द्र भी है. जहां से लोगों का आना-जाना बना रहता है. उस बनसुकली गांव में अगर विश्रामगृह का निर्माण हो जाएगा तो बहुत अच्छा होगा. माननीय मंत्री जी से ऐसी अपेक्षा करते हैं कि अधिकतर काम होंगे. माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री मुरलीधर पाटीदार -- (अनुपस्थित)
श्रीमती शीला त्यागी -- (अनुपस्थित)
एडवोकेट सत्यप्रकाश सखवार -- (अनुपस्थित)
श्री सूबेदार सिंह रजौधा (जौरा) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सबसे पहले मैं माननीय मंत्री जी को और उनके विभाग को बहुत-बहुत धन्यवाद देता हॅूं कि जो रोडें मुरैना जिले में बन रही हैं मुरैना से श्योपुर जो चार शहरों को जोड़ती है उस पर दो पुल बन रहे हैं और क्वारी नदी पर, 70 वर्षों से आपका शासन था, कहीं उस पुल का नाम नहीं था जाम लगते थे, शादियों के मुहुर्त निकल जाते थे. अप्रैल तक दो पुलों पर पुल बनकर तैयार हो जाएंगे और दूसरी मुरैना जिले में सीसी रोड बनाई जा रही है. ग्रामीण क्षेत्र के 1 से 40 गांवों को जोड़ती है. सबलगढ़ से मुरैना हाईवे तक उस सीमेन्ट रोड में मध्यप्रदेश की सबसे बड़ी रोड होगी जो 70 किलोमीटर की सीसी रोड बनाई जा रही है और उसकी क्वालिटी में कोई समझौता नहीं है इसलिए मैं मंत्री जी और उनके विभाग को धन्यवाद देता हॅूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, वर्ष 1980 में मेरे दो गांव में पीडब्ल्यूडी की पुरानी रोड बनी थी कुकरौली और सरसैनी पहुंच मार्ग. उनके नामोनिशान मिट गए. कहीं रोड नहीं बची. आज उनके मजबूतीकरण में सरसैनी पहुंच मार्ग सीसी रोड बनाया जा रहा है और कुकरौली रोड को भी मजबूतीकरण में ले लिया है. इसके लिए माननीय मंत्री जी का बहुत-बहुत धन्यवाद करता हॅूं और दूसरा एक बीलगढ़ी नहर एवीसी केलार रोड से चंबल का पुल बन रहा है राजस्थान में, उसके लिए अभी बजट में प्रावधान किया गया है. उसमें मैं माननीय मंत्री जी से यह अनुरोध करता हॅूं कि जिस प्रकार सीसी रोड बनाई जा रही है उसी प्रकार की रोड वह है उसको भी डामरीकरण में न बनाते हुए सीसी रोड बनाने का कष्ट करें. और मेरे क्षेत्र की छोटी-छोटी मांगे हैं. एक इसी अनुपूरक बजट में रजौधा से सुजानगढ़ी और सुजानगढ़ी एरोली के लिए रोड स्वीकृत की गई थी उसके लिए मैं माननीय मंत्री जी का, माननीय मुख्यमंत्री जी का बहुत बहुत धन्यवाद करता हूं.
अध्यक्ष महोदय-- कृपया समाप्त करें.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा-- अध्यक्ष महोदय, मेरी माँग तो रह ही गई है.
अध्यक्ष महोदय-- आपने धन्यवाद देने में ही टाइम निकाल दिया.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा-- अरे, तो मैं अच्छे काम के लिए धन्यवाद नहीं दूं ? 70 साल से कोई काम क्षेत्र में नहीं हुआ.अब काम हुआ है तो..
डॉ. गोविंद सिंह-- अरे भाई, पहले क्षेत्र की बात किया करो तारीफ बाद में किया करो.(हंसी)
अध्यक्ष महोदय-- एक मिनट में अपनी बात समाप्त करें.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा-- डाक्टर साहब आप तो साक्षी है, 70 साल से कोई काम नहीं हुआ, मुरैना से सबलगढ़ पहुंचने में 4 घंटा लगते थे.
श्री रामनिवास रावत-- तुम तो यह बता दो कि तुम्हारे खेत में पानी कब लगा?
श्री सूबेदार सिंह रजौधा-- मेरे खेत में पानी अब लगा है, मैं सत्य कह रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय-- रजौधा जी, आप तो अपनी क्षेत्र की बात एक मिनट में पूरी कर दीजिये.कृपया उनको व्यवधान ना डालें.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा-- अध्यक्ष महोदय,मेरी कुछ मांग हैं एक तो कहारपुरा गांव है जो कि पंचायत का मुख्यालय है उस गांव के लिए पहुंच मार्ग नहीं है. दो किलोमीटर की रोड है और वहाँ किसी प्रकार की कोई रोड नहीं है. इसलिए मैं मंत्री जी से आग्रह करता हूं कि इस रोड को निश्चित रूप से बजट में शामिल करें. दूसरा चोंडेरा से किरावली एक छोटा सा एक किलोमीटर का मार्ग है उसमें बीच में रपटा बनेगा. डबोखरी से बर्रेड झुंडपुरा अस्पताल है, थाना है, स्कूल है, इस तक एक रोड है. एक बीरमपुर से चोंडेरा रोड है जिसका मजबूतीकरण होना है. इस रोड को पीडब्ल्यूडी ने पता नहीं कब वर्ष 1980 या 1975 में बनाई थी तब से यह पड़ी है.
अध्यक्ष महोदय-- कृपया समाप्त करें. श्री रामनिवास रावत अपना भाषण प्रारंभ करें.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा-- अध्यक्ष महोदय, आपने टाइम दिया उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री रामनिवास रावत (विजयपुर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय लोक निर्माण मंत्री जी द्वारा प्रस्तुत मांग संख्या 24, 29, 67 पर बोलने के लिए खड़ा हुआ हूँ. आज यह महज संयोग ही है कि इस सदन के दोनों स्मार्ट मंत्रियों की अनुदान मांगे आज ही पारित हुई है. एक ने तो अपने खूब बल्ले घुमा दिये. अब माननीय मंत्री जी से भी अनुरोध करुंगा कि वह भी कुछ इतनी उदारता दिखायें. वह प्रदेश के मंत्री हैं. पूरे प्रदेश के क्षेत्र उनके अंतर्गत आते हैं इसलिए उनसे विशेष रूप से अनुरोध करूँगा.माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय लोक निर्माण मंत्री ने इतना तो किया है कि मैंने कुछ पत्र भेजे थे तो उन पत्रों पर रोडों के एस्टीमेट तो मंगा लिये हैं पर उसके बाद उन्होंने पता नहीं क्यों, किस चश्मे से देखा, उठाकर एक तरफ रख दिये. मैं सीधी-सीधी अपनी माँग पर आता हूँ, बाकी अगर मैं बात करूँ तो 220 रोडें इस नये बजट पुस्तिका में ली गई है इसमें से 59 अकेले सीहोर की हैं. मुश्किल से 20-22 जिलों का पूरा बजट है इस बजट पुस्तिका में. चलो, मैं बुराई नहीं करूँगा लेकिन मैं माननीय मंत्री जी से अनुरोध करता हूं कि हमारे यहाँ विजयपुर बायपास की माननीय मुख्यमंत्री जी की घोषणा बहुत पहले की थी इसकी प्रशासकीय स्वीकृति भी 2013 में जारी हो गई थी लेकिन इसकी कॉस्ट बढ़ने के कारण एकरेखण होने के कारण अभी आपने इसका प्रस्ताव तो बुला लिया है और 21 करोड़ 40 लाख का पुनरीक्षित प्राक्कलन आपके यहाँ तैयार होकर आ गया है. यह मुख्यमंत्री जी की घोषणा है, यह मेरे पास पत्र भी है तो माननीय मंत्रीजी से यह अनुरोध करूँगा कि यह मुख्यमंत्री जी घोषणा है तो कम से कम इसे तो आप दे ही दें. इसके लिए विशेष निवेदन है और दूसरा मेरा अनुरोध है कि आपने जो मेरे पत्र पर छोटी-छोटी रोडों के जो प्रस्ताव बुलाये थे, उसमें से एक तो विजयपुर बायपास रोड का मैंने बता ही दिया है कि यह मुख्यमंत्री की घोषणा है. एक श्यामपुर दोहरी-बावड़ी रोड नहर फाटक से काउपुरा, इसका 4 करोड़ 50 लाख रुपये का एस्टीमेट तकनीकी प्राक्कलन की स्वीकृत सहित आपके यहाँ पहुँच चुका है, इसको स्वीकृत कर देंगे तो बड़ी कृपा होगी. टर्राखुर्द से भूतकच्छा, इसका भी 4 करोड़ 50 लाख रुपये का एस्टीमेट है, घसमानी से बड़ोदाखेड़ा, इसका 2 करोड़ 3 लाख का एस्टीमेट तकनीकी प्राक्कलन की स्वीकृति सहित आपके यहाँ प्राप्त हो चुका है. एक और विशेष रूप से अनुरोध करूंगा कि आवदा सरजूपुरा से मसावनी रोड, यह डेढ़ किलोमीटर है और तालाब के नीचे लगता है, इसमें बहुत कीचड़ हो जाता है, कहीं से इसे हम बनवा नहीं पा रहे हैं अत: केवल डेढ़ किलोमीटर रोड कराल तहसील में देने का मैं अनुरोध करता हूँ. इसी के साथ-साथ आपने जो टेंट्रा से लेकर दूसरी जगह तक स्टेट हाईवे-45 घोषित किया है, हालाँकि यह अभी बजट पुस्तिका में नहीं आया है लेकिन कर दिया है, यह एम.पी.आर.डी.सी. से बनना है, राशि दे नहीं रहे हैं तो कहीं न कहीं से आप उसका रिनुअल करा दें और मेरे यहाँ शहर के लिए 4 किलोमीटर की 4 लेन सड़क दी है, बाइपास आप दे रहे हैं लेकिन शहर का बाकी पार्ट रह गया है, अगर उसमें सी.सी. के लिए राशि दे दें या शहर वाले रोड को नगरीय प्रशासन विभाग को ट्रांसफर कर दें तो कहीं न कहीं से पैसे लेकर शहर की रोड को भी हम ठीक करा सकते हैं.
अध्यक्ष महोदय -- कृपया समाप्त करें.
श्री रामनिवास रावत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके निर्देशों का पूरी तरह से पालन करते हुए माननीय मंत्री जी से यही अनुरोध करूंगा, उम्मीद रखूंगा कि कम से कम हमारी तरफ भी देख लें और इन रोडों की घोषणा जिस तरह से स्मार्ट मंत्री ने की थी, आप भी स्मार्ट मंत्रियों में गिने जाते हैं, इन रोडों का निर्माण करने की कृपा करें. अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने के लिए समय दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री अनिल जैन -- (अनुपस्थित)
श्री जसवंत सिंह हाड़ा -- (अनुपस्थित)
श्री आशीष गोविन्द शर्मा -- (अनुपस्थित)
श्री महेन्द्र सिंह -- (अनुपस्थित)
श्रीमती झूमा सोलंकी (भीकनगाँव) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अपने विधान सभा क्षेत्र की सीधी बात करती हूँ क्योंकि समय की पाबंदी है. मेरी दो रोड और एक पुलिया की मांग है जो कि बहुत ही महत्वपूर्ण हैं. इसके पहले भी इस संबंध में सदन में मैं कई बार प्रश्न लगा चुकी हूँ. भीकनगाँव विधान सभा क्षेत्र में झिरनिया ब्लॉक और भीकनगाँव ब्लॉक दोनों ब्लॉक्स को जोड़ने वाली यह सड़क जो अपरवेता डेम के डूबने से एन.व्ही.डी.ए. के द्वारा बनाई गई और बाद में इस रोड को पी.डब्ल्यू.डी. को हैंड-ओवर किया गया है. शिवना से आभापूरी 7 किलोमीटर तक, यह पूरी रोड नहीं बनाना है, मात्र डामरीकरण करना है, इसलिए कोई दिक्कत नहीं आएगी. माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि इसी तरह से लाइखेड़ी से खोई तक, यह भी 6 किलोमीटर है, इसमें भी सिर्फ डामरीकरण करना है, माननीय अध्यक्ष महोदय, ये दो रोड बहुत जरूरी हैं. दोनों ब्लॉक्स को जोड़ने वाली रोड ठीक नहीं होने से आवागमन प्रभावित हो रहा है, व्यापार प्रभावित हो रहा है क्योंकि मंडी भीकनगाँव में है और झिरनिया ब्लॉक की 76 पंचायतों के व्यापारी और आमजन यहाँ पर आते-जाते रहते हैं अत: दोनों रोडों की मेरी जो मांग है माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि इनका निर्माण करवा दें. जो रोड डूब में आया था यदि वहाँ पर पुलिया का निर्माण भी कर दिया जाए तो आवागमन की स्थिति में काफी कुछ सुधार हो सकता है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी तीसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि विभाग के पी.आई.यू. के द्वारा जो भवन निर्माण होते हैं, उनमें चाहे जनपद के प्रतिनिधि हों या विधायक हों, किसी को भी भूमिपूजन या लोकार्पण के समय नहीं बुलाया जाता है तो आपसे मैं निवेदन करती हूँ कि उनको ऐसे निर्देश देने की कृपा करें कि आगे से ऐसा न हो.
माननीय अध्यक्ष महोदय, एक बात और है कि मेरी विधान सभा में पी.डब्ल्यू.डी. विभाग की जितनी भी सड़कें हैं, उनकी रिपेयरिंग करना है क्योंकि वे काफी जीर्ण-शीर्ण हालत में हैं. अध्यक्ष महोदय, समय कम है, अपनी बात मैं यहीं समाप्त करती हूँ, मुझे बोलने का अवसर दिया, धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय - श्री पन्नालाल शाक्य जी आप बोलें.
श्री पन्नालाल शाक्य (गुना) - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने के लिये समय दिया है इसके लिये बहुत-बहुत धन्यवाद. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 24,29 और 38 का समर्थन करता हूं. पहले मैं विधि विधायी के विषय में बोल रहा हूं.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - माननीय अध्यक्ष्ा महोदय, सही है इस विषय पर कोई भी नहीं बोला है. (हंसी)
(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय - माननीय सदस्य आप सिर्फ अपनी बात करिये समय कम है.
श्री पन्नालाल शाक्य - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं कैसे बोलूं यह सब तो बीच में खड़े हो जाते हैं और मुझे बोलने ही नहीं देते हैं. अगर यह इतने ही समझदार हैं तो पहले ही क्यों नहीं बोले थे. (हंसी)..
अध्यक्ष महोदय - अब कोई खड़ा नहीं होगा भाई. कोई भी माननीय सदस्य खड़ा नहीं होगा (हंसी)..
श्री पन्नालाल शाक्य - मैं विधि विधायी के बारे में निवेदन कर रहा हूं. मेहरबानी करके हंसो मत (डॉ. गोविन्द सिंह जी के अपने आसन पर बैठे-बैठे हंसने पर) अगर आप सुन लोगे तो समझ में आ जायेगी कि मेरी बात बहुत अच्छी है. अंग्रेज काल में जब शासन चलता था, वह अपने हित में ही अदालत से कोई निर्णय कराते थे. हम ए.पी., जे.पी सरकारी वकील कौन से नियुक्त करते हैं कि सरकार 90 प्रतिशत केसों में हार जाती है. ऐसा क्यों ? मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि वह ऐसे सरकारी वकील नियुक्त करें कि सरकार को कभी कोर्ट में हार स्वीकार न करना पड़े और न हार का मौका देखना पड़े. यह गुना जिले का उदाहरण है, लगभग 200 फर्जी लाईसेंस बनाए. एक महीने में भी एस.डी.एम ने जवाब नहीं दिया और वकील ने तारीख भी नहीं बढ़वाई तो ऐसे वकीलों को हम नियुक्त क्यों करते हैं. यह वकील या तो देवास की फैक्ट्री के कागज में बिक जाते हैं या नासिक की फैक्ट्री के कागज में बिक जाते हैं. मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है और मैं माननीय मुख्यमंत्री जी के शासन को सुशासन के रूप में आपके सामने व्यक्त कर रहा हूं कि ऐसे सरकारी वकील न बनाये कि सरकार को हार का मुंह देखना पड़े.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, लोक निर्माण और भवन के संबंध में कहना चाहता हूं कि जिस समय अपने देश में राजतंत्र था, उस समय भी सराये बनती थी, धर्म शालाएं बनती थी. मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि वह रेस्ट हाउस न बनायें, सराय तो बना दें. उस समय कुंए और पेड़ लगाने की बहुत जबर्दस्त प्रथा थी माननीय अध्यक्ष जी को थोड़ा बहुत तो ध्यान होगा( हंसी).. तो मैं निवेदन करूंगा कि कुंए मत खुदवाना भईया बोरिंग करवा लेना. (हंसी).. सड़कों के किनारे पर पेड़ लगावाओ तो वातावरण शुद्ध हो जायेगा. पर्यावरण के लिये हम रो रहे है और इससे जल स्तर पर भी बढ़ जायेगा. यहां माननीय जल संसाधन मंत्री जी बैठे हैं आप नहरों पर भी पेड़ लगवा दो. रोजगार के लिये उन लड़कों को, उन तरूणों को उन बेरोजगारों को इकट्ठा कर लो, उन्हें ठेका दे दो.
अध्यक्ष महोदय - अब कृपया आप समाप्त करें.
श्री पन्नालाल शाक्य - माननीय अध्यक्ष महोदय, एक मिनट और मुझे बहुत बाद में बोलने का मौका दिया है. उन सड़कों पर उन नहरों पर बेरोजगारों को ठेका देकर पेड़ लगवाने की व्यवस्था करवाओ या जो रोड बनाने का कांट्रेक्ट लेता है, उसमें यह शर्त दर्ज करवाओ कि वह पेड़ लगायेगा और यदि वह नहीं लगायेगा तो उसका भुगतान नहीं किया जाए. आपने मुझे बोलने का समय दिया और आप सभी ने मुझे सुना भी इसके लिये धन्यवाद.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, इन्होंने बोला आपने सबने सुना तो हम सबने सुना कहा इन्होंने हमें सुनाया है. (हंसी)..
श्री कमलेश्वर पटेल (सिहावल) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अपने विधानसभा क्ष्ोत्र से संबंधित कुछ समस्याओं को माननीय मंत्री जी के सामने रखना चाहता हूं. हमारा सिहावल ब्लॉक मुख्यालय है, अभी तक वहां पर न्यायालय की स्थापना नहीं हुई है और लोगों को न्याय पाने के लिये 60 किलोमीटर दूर बल्कि इससे भी ज्यादा दूर जिला मुख्यालय जाना पड़ता है. मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि हमारा जो सिहावल ब्लॉक मुख्यालय है, वहां एस.डी.एम. कार्यालय भी है, वहां न्यायालय स्वीकृत करने का कष्ट करेंगे, इसके लिये मैं आपको लिखित में भी निवेदन करूंगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत सुपेला से राजगढ़ हिनौती मार्ग स्वीकृत कर कार्य प्रारंभ कराया जाय. सिहावल जो हमारा ब्लॉक मुख्यालय है, वहां के रेस्ट हाउस में सिर्फ दो कक्ष्ा है. वह रेस्ट हाउस बहुत पुराना बना हुआ है, वहां अतिरिक्त कक्ष की आवश्यकता है. मैं माननीय मंत्री जी से आपके माध्यम से निवेदन है कि वह भी स्वीकृत करायें. और इसी तरह से लौआर से बिछरी पहुंच मार्ग का निर्माण कराया जाय. लौआर से सुवर्सा चितरंगी मार्ग में गौपन नदी पर पुल स्वीकृत होने के बाद भी अभी तक टेंडर नहीं हो पाया है, निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है, उसको भी कराया जाय. नकझर से सिहावल मार्ग में सोन नदी पर पुल का निर्माण कराया जाय, जिसकी घोषणा माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा तीन वर्ष पूर्व की गई थी, परन्तु अभी तक टेंडर नहीं हो पाया है. कहां क्या दिक्कत जा रही है, वह माननीय मंत्री जी संज्ञान में लेकर इसका भी निर्माण कराएं. बारपान से बेनाकुंड देवसर पहुंच मार्ग में पुलिया स्वीकृत हो गई है, परन्तु अभी तक टेंडर नहीं हुआ है. इसको भी माननीय मंत्री जी प्राथमिकता से कराएं. ग्राम दुअरा से जेठुला पहुंच मार्ग का निर्माण कराया जाय, यह आदिवासी बाहुल्य ग्राम है और लोक निर्माण विभाग ने ही सड़क बनाई थी, परन्तु वह काफी जर्जर है. वहां पर बारिश में आवागमन अवरुद्ध हो जाता है. माननीय मंत्री जी से और भी मार्गों के लिए निवेदन है. तितली से डेराहा, सेवढ़ा पहुंच मार्ग, यह लोक निर्माण विभाग ने बहुत पहले बनाया था, लेकिन वह काफी जर्जर है. इसका भी सुधार कार्य कराया जाय. पहाड़ी से केमोर पहाड़ पहुंच मार्ग, यह भी स्वीकृत करें. दुदमनिया से ब्यौहारखाड़ पहुंच मार्ग और इसी तरह से बिठोली से चुरहट, केमोर पहाड़ के किनारे जो सड़क बनी थी, वह बहुत पुरानी सड़क है. वह अभी बारिश में काफी जर्जर हो गई है. उसकी भी मरम्मत कराएं, उसको बनवाया जाय. सजवानी से सिहावल पहुंच मार्ग, केमोर पहाड़ के किनारे जो सड़क है, यह भी काफी खराब है. उसका सुदृढ़ीकरण कराया जाय. करौली से होधाबांध पहुंचा मार्ग का भी निर्माण कराया जाय.
अध्यक्ष महोदय, हमारे यहां जो राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण कार्य पिछले 4 वर्षों से चल रहा है, सीधी से सिंगरौली. आपके माध्यम से एकाध बार ध्यानाकर्षण भी लगाया था, अभी तक एक छात्रा और दो छात्रों की सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो चुकी है सिर्फ लापरवाही की वजह से क्योंकि पूरी सड़क खोदकर रखी हुई है. देवसर ब्लाक मुख्यालय है और इतना ज्यादा वहां की जनसंख्या है. आपका संरक्षण चाहेंगे. माननीय मंत्री महोदय का भी ध्यान चाहेंगे. एक तो वहां पर पीने के पानी का संकट हो गया है. पूरी सड़क खोद दी है. वाटर सप्लाई डेमेज कर दी है और उस सड़क को दुरुस्त नहीं करा रहे हैं. आए-दिन वहां पर परेशानी हो रही है. वहां पर बाय-पास की भी जरूरत है. बाय-पास अगर बन जाएगा क्योंकि वहां बड़ा बाजार है और वह ब्लाक मुख्यालय भी है तो काफी दिक्कत होती है. आए-दिन घटनाएं घटती हैं तो यह आपके माध्यम से निवेदन है कि देवसर में बाय-पास और सीधी से सिंगरौली जो राष्ट्रीय राजमार्ग है, जितना जल्दी यह हो जाय. 4 वर्ष पहले माननीय मुख्यमंत्री ने बहुत बड़ा भाषण दिया था. अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से एक और निवेदन करना चाहेंगे कि हमारे सिहावल ब्लाक में एक कन्या हायर सेकण्ड्री स्कूल हिनौती है. वहां पर तीन साल पहले भवन निर्माण हुआ था. नया भवन का आज तक पजेशन नहीं मिला है. बच्चियां बारिश में खुले में बैठती हैं या इतनी परेशानी होती है. वह भवन में पानी टपकता है, उसका अभी पजेशन नहीं मिला है और यह लोक निर्माण विभाग ने बनाया था. इसी तरह से लोक निर्माण विभाग और पीआईयू की जो बिल्डिंग बनी है, बिना क्षेत्रीय विधायक को बुलाए, उसका लोकार्पण कर लिया गया और उसके भूमि पूजन का कार्यक्रम हो जाता है. अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करेंगे कि जो सामान्य प्रशासन विभाग ने जो सर्क्युलर जारी किया है, उसका पालन कराएं और जो भी उसमें दोषी अधिकारी हैं, उनके खिलाफ कार्यवाही करें. धन्यवाद.
श्री रणजीत सिंह गुणवान (आष्टा) - अध्यक्ष महोदय, मैं अपने क्षेत्र की जो रोड हैं, जो रोड बची हैं, उनकी ही बात करूं तो ज्यादा अच्छा रहेगा. आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि हमारा आष्टा कन्नौद रोड से, खाचरौद ग्राम से लगा हुआ रोड हाटपिपलिया है. खाचरौद से सिद्दीगंज, सिद्दीगंज से हाटपिपलिया तो उधर से हाटपिपलिया से सरद्दी तक तो माननीय श्री जोशी ने निर्माण करवा दिया है और हमारे यहां इधर 25-30 कि.मी. का रोड रह गया है तो खाचरौद से सिद्दीगंज, सिद्दीगंज से सरद्दी तक यह 25-30 कि.मी. का रोड है, उसको बनाया जाय. यह पहले से बना है परन्तु यह उबड़-खाबड़ हो गया है. इसके अलावा सिद्दीगंज में एक पुल भी है, उसको भी बनवाया जाय. इसके बाद और जो छोटे-छोटे रोड है बाकी लोक निर्माण विभाग से, प्रधानमंत्री सड़क योजना से, मुख्यमंत्री सड़क योजना से काम हुआ है. परन्तु जो छोटे छोटे रोड है, एक गांव से सुदूर गांव तक, एक गांव दूसरे गांव से जुड़ जाय, ऐसे मेरे 15-16 रोड हैं. यह 15-16 रोड केवल 10-15 कि.मी. में होंगे, इतने में ये सारे रोड आ जाएंगे. अरोलिया जोड़ जावर बाईपास, जावर से छायन, मुरावर से लखुमड़ी, मेहतवाड़ा से खेड़ा, मेहतवाड़ा से लिजामड़ी, हकिमाबाद से टांडा, खेड़ी से लोरास, गौदी से मैना, खड़ी से डुका, खामखेड़जथा से कन्नौद, कन्नौद मिगरी से पिपलिया रेदास, कन्नोद से मोरूखेड़ी देवनखेड़ी, बरघाटी से बड़लिया, झरखेड़ी से भीलखेड़ी, मसमत से पगारियाहाट, भीलखेड़ी से उदानाखेड़ी, भोंरा से भटोनी, दोनिया से सतनगरी, खामखेड़ा जतरा यह मेरा गृह ग्राम है यह आंतरिक रोड़ है. यह केवल पांच फर्लांग के करीब है. दो छोटी-छोटी पुलिया हैं. मंत्री जी से निवेदन है कि इन सड़कों को बनाया जाए. धन्यवाद.
श्री कुंवर जी कोठार (सारंगपुर)---माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांगों का समर्थन करता हूं. मेरे विधान सभा क्षेत्र में सारंगपुर में करोंदी से कठोर मार्ग निर्माणाधीन है जिसमें लगभग चार किलोमीटर मार्ग जो कि ग्राम गायत्रिया पुरोहित से ग्राम कठोर तक प्रधान मंत्री सड़क के अंतर्गत निर्माणाधीन है उसके स्थान पर मैंने विभाग को चेंज ऑफ अलायमेंट के अंतर्गत दुग्या से पाडल्या माता तक का मार्ग उसकी दूरी चार किलोमीटर है उसको सम्मिलित करने का प्रस्ताव दिया है. यह प्रस्ताव विभाग के पास परीक्षणाधीन है. मंत्री जी से निवेदन है कि दुग्या से पाडल्यामाता मार्ग की स्वीकृति प्रदान करें. इसके अलावा मेरे क्षेत्र में पांच छः सड़कें और हैं जो एक ग्राम से दूसरे ग्राम को जोड़ती हैं. डोबड़ाजोगी से व्हाया मलकाना, कांकरिया से पढाना, मेहरीमोटी से डोबड़ाजमीदार, पान्दा से सुमरियाहेड़ी, कल्याणपुर से कोडियाखेड़ी खजूरिया हरि से खजूरिया गोकुल, सुल्तानिया से बाबल्दी इन सड़कों को इस बजट में शामिल करने का निवेदन है ताकि ग्रामवासियों को वर्षाकाल दूसरे गांव में आने के लिये सुविधा हो सके. धन्यवाद.
श्री वैलसिंह भूरिया (सरदारपुर)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मांग संख्या 24, 29, 67 का समर्थन करता हूं. मेरे सरदारपुर विधान सभा में बहुत गंभीर समस्याएं हैं मंत्री जी को आपके माध्यम से अवगत कराना चाहता हूं दसई से लोहारी मार्ग पांच किलोमीटर है वह सीधा जिला मुख्यालय को जोड़ता है. अगर घूमकर मांगद होकर के धार पच्चीस से तीस किलोमीटर रोड़ पड़ता है. माननीय मुख्यमंत्री जी की घोषणा है, इस पर माननीय मंत्री जी भी ध्यान दें यह गंभीर मामला है. दसई से लोहारी मार्ग पांच किलोमीटर स्वीकृत करें. राजगढ़, मोहनखेड़ा से शहर में होते हुए माही नदी, सरदारपुर फोर लेन को जोड़ता है 9 किलोमीटर दूर है, यह भी माननीय मुख्यमंत्री जी की घोषणा है इस सड़क की खस्ता हालत है, पुराना नेशनल हाईवे है अभी स्टेट हाईवे में कन्वर्ट हो गया है इस रोड़ को भी बनाया जाये तो बहुत अच्छा होगा इससे मेरे क्षेत्र की कनेक्टिविटी में सरदारपुर जुड़ जाएगा. यह सड़क 9 किलोमीटर मोहनखेड़ा गेट से सरदारपुर फोरलेन तक 9 किलोमीटर इसको मंत्री जी नोट कर लें. लेटगांव से दंतोली चार किलोमीटर रोड़ है यह भी बना ही नहीं है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- अध्यक्ष जी, माननीय नरोत्तम मिश्र जी ने अपने भाषण में घोषणाओं की जो बौछार की उसके बाद रामपाल सिंह जी के विभाग पर चर्चा शुरु हो गई. सारे सदस्य उम्मीद कर रहे हैं.
श्री वैलसिंह भूरिया--अध्यक्ष महोदय, लेडगांव से दनतौली 4 किमी. मांगोद से मिण्डा, मिण्डा से बोरखेड़ी, बोरखेड़ी से खमालिया,खमालिया से बिछिया और भीलखेड़ी से खेड़ा, रंगपुरा से गुमानपुरा से तिरला, तिरला से दत्तीगांव-सेमला-करनावद, लाबरिया से दसई मार्ग 20 किमी और सरदारपुर से बदनावर रोड़ बना है. अध्यक्ष महोदय, 18 किमी दूरी तक के लिए टोल टैक्स लेने का अधिकार नहीं है लेकिन टोल बूथ वाले वहीं के लोगों से टोल टैक्स वसूल कर रहे हैं जिससे जनता में आक्रोश भी है. इसको हटाये.
अध्यक्ष महोदय, एक गंभीर समस्या बताते हुए समाप्त करता हूं. पिछली बार राजगढ़ से बाग रोड़ स्वीकृत हुआ और बन भी गया लेकिन वह सांप की आकृति का टेढ़ा-मेढ़ा रोड़ बना है और प्लान इस्टीमेट अनुसार नहीं बना है जिससे 6 महीने में कम से कम 20 लोगों की मृत्यु हो गई है. पिछली बार मैंने विधान सभा प्रश्न लगाया था लेकिन वह चर्चा में आ नहीं पाया. माननीय मंत्री जी इसकी भी जांच करे. पूरा घाट सेक्शन पड़ता है जिस पर 20 लोगों की मृत्यु हो चुकी है. इस रोड़ को ठीक किया जाए. धन्यवाद.
कुंवर सिंह टेकाम(धौहनी)--अध्यक्ष महोदय, हमारे सीधी जिले में कुसरी आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र हैं वहां तहसील मुख्यालय में व्यवहार न्यायालय अभी तक स्वीकृत नहीं हुआ है. मंत्री जी से निवेदन है कि वहां व्यवहार न्यायालय की स्थापना करें. वहां से 80 किमी दूर न्याय के लिए आदिवासियों को जाना पड़ता है.
अध्यक्ष महोदय, हमारे यहां की तीन सड़कें बहुत जरुरी हैं.वहां का प्रस्ताव आ चुका है. एक खामघाटी से पथरौला, टीकरी से बिजवार मार्ग और मुख्य मार्ग से रेल्वे स्टेशन मार्ग मडवास में तथा रामपुर से बरचरआश्रम मार्ग इन तीनों की स्वीकृति प्रदान करेंगे तो बड़ी कृपा होगी. धन्यवाद.
लोक निर्माण एवं विधि और विधायी कार्य मंत्री (श्री रामपाल सिंह)-- अध्यक्ष महोदय, आपने लोक निर्माण विभाग की अनुदानों की मांगों पर चर्चा के लिए जो अमूल्य समय बढ़ाया और हमारे सभी माननीय वरिष्ठ सदस्यो ने और सदस्यों ने जो सुझाव दिए और मार्गदर्शन दिया, उन्होंने विभाग की तारीफ की है और मेरा ज्ञानवर्धन भी किया है उन सबका धन्यवाद करता हूं.
अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश शासन सड़कों के लिए जो काम कर रही है और जो उपलब्धियां हैं वह किसी से छिपी नहीं है. सड़क को कोई चोरी नहीं ले जा सकता. हम पूरे प्रदेश के जिलों में सड़कें बना रहे हैं. काम दिखने भी लगा है. लोग काम की तारीफ और प्रशंसा भी कर रहे हैं. हमारे कुछ साथी प्रशंसा में कमी भी कर रहे हैं. पूरे विधान सभा क्षेत्र का रिकार्ड रखते हैं लेकिन सड़क के मामले में कहना चाहता हूं कि जॉन एफ केनेडी जब अमेरिका के राष्ट्रपति थे. उन्होंने अमेरिका में राष्ट्राध्यक्षों को बुलाया. उन्होंने सड़कों की बड़ी तारीफ की कि आपके यहां तो बहुत अच्छी सड़कें हैं. अपने देश के भी राष्ट्राध्यक्ष होंगे.
अध्यक्ष जी, विभिन्न देशों के राष्ट्राध्यक्ष केनेडी जी की तारीफ करने लगे कि आपके यहां तो बहुत अच्छी सड़क है, प्रगतिशील है. राष्ट्राध्यक्षों ने बहुत गुणगान गाया तो बाद केनेडी ने कहा कि यह विकास आपके मन का भ्रम है. आप भी हो सकते हैं. आपके मन में बहुत बड़ा भ्रम है. राष्ट्राध्यक्षों ने कहा कि क्या भ्रम है? तो उन्होंने कहा कि ये सडकें बन गई इसलिए हमारा विकास हुआ है अन्यथा हमारा विकास नहीं होता.
अध्यक्ष महोदय, इसी बात को लेकर दिल्ली में पं. अटलबिहारी वाजपेयी जी ने जो संदेश दिया था, सड़कों का वरदान दिया था. मध्यप्रदेश के मुखिया माननीय शिवराज सिंह चौहान साहब ने भी मुख्यमंत्री सड़क योजना का पूरे प्रदेश का चार्ट बनाया. अध्यक्ष जी, मध्यप्रदेश में सड़कों की जो हालत थी किसी से छिपी नहीं है. हम 10 साल विपक्ष में विधायक थे. हमने कितने भाषण दिये. डॉ गोविन्द सिंह जी बैठे हैं, आप तो मंत्री थे. लोग सड़कों के गड्डों से पानी भरते थे. एनएच पर पानी रोको अभियान चलता था. बच्चे सड़के के गड्डों से पानी भरते थे. मध्यप्रदेश की हालत बहुत खराब थी. आपके राज में पानी रोको अभियान चलता था. जल संरक्षण अभियान चला आपके राज में. बिजली के तारों से बच्चे झूला झूलते थे उस जमाने में. केनेडी ने कहा कि सड़क है इसीलिये हमारा विकास हो रहा है. मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी ने जो मध्यप्रदेश की खटारा गाड़ी मिली थी उसको नयी गाड़ी विकास के रूप में दौड़ा दिया. कृषि के क्षेत्र में, सड़क की, बिजली की,पानी की बात हर जगह होती थी. अभी हम उत्तर प्रदेश घूमने गये थे तो मध्यप्रदेश की सड़कों की तारीफ उत्तर प्रदेश में हो रही थी.दिल्ली,मथुरा वृंदावन में हो रही थी. क्या चमत्कार कर दिया मध्यप्रदेश के किसान पुत्र ने. बुंदेलखण्ड में मुख्यमंत्री जी जब गये, लोग उन्हें देख रहे थे, नारे लगा रहे थे " चमत्कारी पुरुष,युग पुरुष,विकास पुरुष " एक किसान पुत्र ने यह काम किया. उसका परिणाम है कि मध्यप्रदेश सड़कों के मामले में आगे आ गया. हाऊस में आज जो बात हो रही थी तो मैं माननीय सदस्यों को धन्यवाद देता हूं लेकिन कहीं न कहीं यह बात मैं गारंटी से कह सकता हूं कि कोई जिला बाकी नहीं जहां हम सी.सी.रोड,पक्की रोड नहीं बना रहे हों. मैं आपको पूरे आंकड़े बता सकता हूं. हमारे थोड़े साथी नाराजी भी व्यक्त कर रहे हैं. हमारे वरिष्ठ साथी सम्माननीय महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा जी के अनुभवों का हम लाभ लेंगे. वास्तव में वे गंभीरता से बात रखते हैं. कुछ बातें उन्होंने रखी, उनका भी हम जवाब देंगे और भी वे जो सुझाव देंगे तो उनसे हम अलग से मिलकर उनसे सुझाव लेंगे. डाक्टर गोविन्द सिंह जी,यशपालसिंह जी ने भी अपनी बातें कहीं, और भी माननीय सदस्यों ने अपनी बातें कहीं, किसी ने धन्यवाद दिया है, किसी ने शिकायत भी की है. धन्यवाद में कहीं-कहीं कंजूसी भी हुई है. कंजूसी में हम आपके क्षेत्रों के काम भी गिना सकते हैं. रावत जी आपके यहां का बता सकते हैं. डाक्टर गोविन्द सिंह जी का भी बता सकते हैं कि आपका दबोह से जगदीशपुर, लहार से बायपास रतनपुर-आलमपुरा, रौन-मछरिया मार्ग, और भी कई काम हैं जो मैं आपको बता सकता हूं.
डॉ. गोविन्द सिंह - नागेन्द्र सिंह जी के समय के यह कार्य स्वीकृत हैं. आपका कोई अहसान नहीं है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - काम किया तो भारतीय जनता पार्टी सरकार ने ही है.
डॉ. गोविन्द सिंह - XXX
उपाध्यक्ष महोदय - इसे रिकार्ड नहीं किया जाये.
श्री बाला बच्चन - देख लीजिये, हमारे एक एम.एल.ए. के लिये दो-दो मंत्रियों को सामने आना पड़ता है.
श्री रामपाल सिंह - हम आपके अमूल्य सुझावों पर हम काम करेंगे. गुणवत्ता के लिये हमने उच्च स्तरीय प्रयोगशालाएं बनाई हैं और उसमें हमारे उच्च अधिकारी सतत् निरीक्षण कर रहे हैं. हमने तय कर लिया है कि मध्यप्रदेश में मजबूत सड़क,मजबूत पुल, मजबूत पुलिया,मजबूत बिल्डिंग होनी चाहिये और मध्यप्रदेश की भी मजबूत सरकार है. आप देखेंगे कि पूरे प्रदेश में मजबूत सड़कें बनेंगी. यह आप भी देखोगे और आपकी आने वाली पीढ़ी भी देखेगी, यह मध्यप्रदेश की सरकार ने तय कर लिया है. इसके लिये काम भी पूरे प्रदेश में शुरू कर दिया है और यह काम दिख भी रहा है. आप भी सड़कों पर जब निकलोगे तो अनुभव करोगे कि हम काम कर रहे हैं. आधुनिकतम मशीनों का हम उपयोग कर रहे हैं. उनसे अच्छा काम हो रहा है. 138 नये मुख्य जिला मार्ग घोषित किये गये हैं. इसमें आपके जिले भी आते हैं. यह 4200 किलोमीटर के मार्ग हैं. हमने तय किया है कि जहां कमजोर सड़कें हैं, जहां सड़कों की जरूरत है. वहां हम काम करेंगे. खराब सड़कों की मरम्मत की योजना है और एक कार्य योजना बनाकर हम काम कर रहे हैं. अच्छा काम करने वाले ठेकेदारों को,इंजीनियरों को हम पुरस्कृत भी कर रहे हैं. उनको प्रमाणपत्र भी दे रहे हैं और जो खराब काम कर रहे हैं उन पर कार्यवाही भी कर रहे हैं. पी.पी.पी. के तहत् जो सम्माननीय महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा जी ने बातें बताईं वह अच्छी बातें है लेकिन हमारा अनुभव है कि अतिरिक्त फायदा देने की जहां तक बात है. अध्यक्ष महोदय तुलना तो करना पड़ेगी. अगले साल जब बजट आयेगा तो इस साल के बजट से तुलना करना पड़ेगी.
श्री कमलेश्वर पटेल-- सीधी-सिंगरोली के देवसर में चार साल हो गये हैं आये दिन एक्सीडेंट हो रहे हैं देवसर में पूरी नाली खोद दी है लोग पीने के पानी के लिये परेशान है. यह स्थिति है.
अध्यक्ष महोदय-- कृपया व्यवधान न करें. मंत्री जी को बोलने दें.
श्री रामनिवास रावत- 2009 में मुख्यमंत्री जी ने मेरे यहां पर बायपास की घोषणा की थी अभी तक उस बायपास के लिये राशि नहीं दे पाये.
श्री रामपाल सिंह -- अब भाई साहब आप समझते हैं आपके समय पर राजा साहब कितनी घोषणायें करते थे. पुराने हाउस में.
……………………………………………………
XXX : आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
अध्यक्ष महोदय- मंत्री जी आप व्यवधान की ओर ध्यान न दें. अपनी बात कहें.
श्री रामनिवास रावत- इसका मतलब आपके मुख्यमंत्री घोषणावीर हैं.
श्री रामपाल सिंह --आप समझे नहीं, घोषणा की नहीं होगी.
श्री रामनिवास रावत- मैं विधानसभा का रिकार्ड आपको दिखा दूंगा.
श्री रामपाल सिंह --मुख्यमंत्री जी की घोषणाओं का अक्षरश: पालन होगा. उन्होंने घोषणा की है तो हम आपको वादा कर रहे हैं और आपसे बात भी करेंगे.
श्री रामनिवास रावत- उसका 21 करोड़ 40 लाख का एस्टीमेट भी आपके यहां आ चुका है.
श्री रामपाल सिंह --कई जगह हम लोग जाते हैं तो वैसे ही छपवा देते हैं कि मंत्री ने घोषणा की है.
श्री रामनिवास रावत- इसका मतलब जनसंपर्क मंत्री जी आपका विभाग ऐसे ही खबरों को छाप देता है क्या ?
श्री रामपाल सिंह -- अध्यक्ष महोदय बजट में 221 कार्य जिसकी लागत 1879 करोड़ की है इस काम को हम कर रहे हैं. इनको कार्य दिखना भी चाहिये इसके हम परिणाम भी आपको आने वाले समय में बतायेंगे. हम 10 से 11 किलोमीटर की सड़क प्रतिदिन ताकत के साथ में बना रहे हैं और ऐसी मजबूत सड़क बना रहे हैं आप देखिये. अच्छी सड़कें आपको देखना है तो रीवा वनकुंड्या आप चले जायें, भोपाल से बैरसिया मार्ग आप देखिये, ग्वालियर शहर की सड़कें आप देख लें विक्की फेक्ट्री से चौधरी ढ़ाबा तक, गुना-आरोन-सिरोंज-नीमच और मनासा यह सड़कों को आप देख लें, भ्रमण कर लें यह मैं आग्रह कर रहा हूं यदि कोई कमी दिखे तो आकर के मुझे बतायें तो हम उसमें और सुधार करें लेकिन अच्छे कार्य की प्रशंसा होनी चाहिये.
माननीय अध्यक्ष महोदय, राष्ट्रीय राजमार्गों 4771 थे 3035 किलोमीटर के हमने अभी नये घोषित किये हैं . सैद्धांतिक सहमति केन्द्रीय मंत्री जी ने 2383 की दे दी है और लगभग मध्यप्रदेश में 12 हजार किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग होंगे और प्रदेश का अच्छा विकास होगा, यह उपलब्धि प्रमाणित है. जहां तक राष्ट्रीय राजमार्गों की बात है, जिले मार्ग से छोटे मार्ग से हमने उनको राजमार्ग घोषित कर दिया है . पूरी तैयारी कर रहे हैं डीपीआर भी तैयार कर रहे हैं, योजना बनाकर के यह कार्य हम करेंगे, हमने यह भी तय किया है कि जितने भी पुल हैं ,बरसात के समय में यातायात अवरूद्ध न हो पुलों की भी हम तैयारी कर रहे हैं इसके लिये हमने 24 नये राजमार्ग घोषित कर दिये हैं 3780 किलोमीटर लंबाई के हैं.पहले 10297 किलोमीटर यह थे अब राजमार्ग जिनका उन्नयन का कार्य हो रहा है. हमने इनका कार्य करने की योजना बना ली है उसमें 1053 किलोमीटर योजना में ले लिया है, काम भी चल रहे हैं शेष 300 हैं तो उसको भी हम करेंगे. यह प्रमाण है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, 11 हजार 50 किलोमीटर यह लंबाई हो गई है. न्यू डेवलेपमेंट बैंक से पहली बार हमने ऋण लिया है 3000 करोड़ की राशि सड़कों के विकास के लिये ली है. प्रदेश का विकास होगा. देश का पहला राज्य मध्यप्रदेश होगा जहां पर सड़कें अच्छी बनेंगी. हम सड़कों के मामले में अच्छा कार्य करें इस दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, और भी प्रयास कर रहे हैं 3000 करोड़ रूपये के लिये और प्रयास कर रहे हैं कि हमको ऋण और मिले सड़कों के लिये पुलों के लिये ताकि प्रदेश का विकास हो और जब सड़कों का नाम हो तो मध्यप्रदेश में देश का नाम सबसे आगे आये कि अच्छी सड़कें हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मुख्य जिला मार्ग हमने नये घोषित किये हैं. आपने भी पढ़ा होगा आपके क्षेत्र के भी दे रहे हैं. विस्तार से बता सकता हूं किंतु माननीय अध्यक्ष महोदय का संकेत हो गया है इसलिये संक्षिप्त में बता रहा हूं. 138 हमने अभी मुख्य जिला मार्ग घोषित किये है . प्रदेश में अब कुल मार्ग की लंबाई हो जायेंगी 20 हजार 412 किलोमीटर . टोटल मिलाकर के यह मुख्य जिला मार्ग हो जायेंगे और इसमें 225 की हमने स्वीकृति भी कर दी है. स्वीकृति में हमने तय भी कर दिया है. अब वह नहीं चलेगा कि एक तरफ सड़क बन रही है दूसरी तरफ टूट रही है, डामर नहीं सीमेंट कांक्रीट की पक्की सड़कें यह बनेगी और यह बनेंगी, चलेंगी और दिखेंगी. अध्यक्ष महोदय, तुलना तो करना पड़ेगी. अगले साल जब बजट आयेगा तो इस साल के बजट से तुलना करना पड़ेगी.
श्री कमलेश्वर पटेल-- सीधी-सिंगरोली के देवसर में चार साल हो गये हैं आये दिन एक्सीडेंट हो रहे हैं देवसर में पूरी नाली खोद दी है लोग पीने के पानी के लिये परेशान है. यह स्थिति है.
अध्यक्ष महोदय-- कृपया व्यवधान न करें. मंत्री जी को बोलने दें.
श्री रामनिवास रावत- 2009 में मुख्यमंत्री जी ने मेरे यहां पर बायपास की घोषणा की थी अभी तक उस बायपास के लिये राशि नहीं दे पाये.
श्री रामपाल सिंह -- अब भाई साहब आप समझते हैं आपके समय पर राजा साहब कितनी घोषणायें करते थे. पुराने हाउस में.
अध्यक्ष महोदय- मंत्री जी आप व्यवधान की ओर ध्यान न दें. अपनी बात कहें.
श्री रामनिवास रावत- इसका मतलब आपके मुख्यमंत्री घोषणावीर हैं.
श्री रामपाल सिंह --आप समझे नहीं, घोषणा की नहीं होगी.
श्री रामनिवास रावत- मैं विधानसभा का रिकार्ड आपको दिखा दूंगा.
श्री रामपाल सिंह --मुख्यमंत्री जी की घोषणाओं का अक्षरश: पालन होगा. उन्होंने घोषणा की है तो हम आपको वादा कर रहे हैं और आपसे बात भी करेंगे.
श्री रामनिवास रावत- उसका 21 करोड़ 40 लाख का एस्टीमेट भी आपके यहां आ चुका है.
श्री रामपाल सिंह --कई जगह हम लोग जाते हैं तो वैसे ही छपवा देते हैं कि मंत्री ने घोषणा की है.
श्री रामनिवास रावत- इसका मतलब जनसंपर्क मंत्री जी आपका विभाग ऐसे ही खबरों को छाप देता है क्या ?
श्री रामपाल सिंह -- अध्यक्ष महोदय बजट में 221 कार्य जिसकी लागत 1879 करोड़ की है इस काम को हम कर रहे हैं. इनको कार्य दिखना भी चाहिये इसके हम परिणाम भी आपको आने वाले समय में बतायेंगे. हम 10 से 11 किलोमीटर की सड़क प्रतिदिन ताकत के साथ में बना रहे हैं और ऐसी मजबूत सड़क बना रहे हैं आप देखिये. अच्छी सड़कें आपको देखना है तो रीवा वनकुंड्या आप चले जायें, भोपाल से बैरसिया मार्ग आप देखिये, ग्वालियर शहर की सड़कें आप देख लें विक्की फेक्ट्री से चौधरी ढ़ाबा तक, गुना-आरोन-सिरोंज-नीमच और मनासा यह सड़कों को आप देख लें, भ्रमण कर लें यह मैं आग्रह कर रहा हूं यदि कोई कमी दिखे तो आकर के मुझे बतायें तो हम उसमें और सुधार करें लेकिन अच्छे कार्य की प्रशंसा होनी चाहिये.
माननीय अध्यक्ष महोदय, राष्ट्रीय राजमार्गों 4771 थे 3035 किलोमीटर के हमने अभी नये घोषित किये हैं . सैद्धांतिक सहमति केन्द्रीय मंत्री जी ने 2383 की दे दी है और लगभग मध्यप्रदेश में 12 हजार किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग होंगे और प्रदेश का अच्छा विकास होगा, यह उपलब्धि प्रमाणित है. जहां तक राष्ट्रीय राजमार्गों की बात है, जिले मार्ग से छोटे मार्ग से हमने उनको राजमार्ग घोषित कर दिया है . पूरी तैयारी कर रहे हैं डीपीआर भी तैयार कर रहे हैं, योजना बनाकर के यह कार्य हम करेंगे, हमने यह भी तय किया है कि जितने भी पुल हैं ,बरसात के समय में यातायात अवरूद्ध न हो पुलों की भी हम तैयारी कर रहे हैं इसके लिये हमने 24 नये राजमार्ग घोषित कर दिये हैं 3780 किलोमीटर लंबाई के हैं.पहले 10297 किलोमीटर यह थे अब राजमार्ग जिनका उन्नयन का कार्य हो रहा है. हमने इनका कार्य करने की योजना बना ली है उसमें 1053 किलोमीटर योजना में ले लिया है, काम भी चल रहे हैं शेष 300 हैं तो उसको भी हम करेंगे. यह प्रमाण है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, 11 हजार 50 किलोमीटर यह लंबाई हो गई है. न्यू डेवलेपमेंट बैंक से पहली बार हमने ऋण लिया है 3000 करोड़ की राशि सड़कों के विकास के लिये ली है. प्रदेश का विकास होगा. देश का पहला राज्य मध्यप्रदेश होगा जहां पर सड़कें अच्छी बनेंगी. हम सड़कों के मामले में अच्छा कार्य करें इस दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, और भी प्रयास कर रहे हैं 3000 करोड़ रूपये के लिये और प्रयास कर रहे हैं कि हमको ऋण और मिले सड़कों के लिये पुलों के लिये ताकि प्रदेश का विकास हो और जब सड़कों का नाम हो तो मध्यप्रदेश में देश का नाम सबसे आगे आये कि अच्छी सड़कें हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मुख्य जिला मार्ग हमने नये घोषित किये हैं. आपने भी पढ़ा होगा आपके क्षेत्र के भी दे रहे हैं. विस्तार से बता सकता हूं किंतु माननीय अध्यक्ष महोदय का संकेत हो गया है इसलिये संक्षिप्त में बता रहा हूं. 138 हमने अभी मुख्य जिला मार्ग घोषित किये है . प्रदेश में अब कुल मार्ग की लंबाई हो जायेंगी 20 हजार 412 किलोमीटर . टोटल मिलाकर के यह मुख्य जिला मार्ग हो जायेंगे और इसमें 225 की हमने स्वीकृति भी कर दी है. स्वीकृति में हमने तय भी कर दिया है. अब वह नहीं चलेगा कि एक तरफ सड़क बन रही है दूसरी तरफ टूट रही है, डामर नहीं सीमेंट कांक्रीट की पक्की सड़कें यह बनेगी और यह बनेंगी, चलेंगी और दिखेंगी. इनकी देखरेख में जो खर्च होता था वर्षों तक गड्ढे भराई तक की गारंटी होगी, यह मध्यप्रदेश सरकार की बहुत बड़ी उपलब्धि होगी. इस तरह यह सड़कें जैसे मैं निवेदन कर रहा था, आप भी देखेंगे और सड़कें कई वर्षों तक चलेगी, कम से कम 30 वर्ष तक की गारंटी तो हम रख रहे हैं, जब जनता का मार्ग हम बना रहे हैं तो जनता भी हमारा मार्ग प्रशस्त कर रही है, 30 साल तक बीजेपी सरकार आगे चलेगी, जितनी सड़कें चलेगी, उतनी सरकार भी चलेगी. वृहद पुलों के मामले में भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है, प्रतिवर्ष लगभग 100 पुल बनाए जा रहे हैं, पिछले साल भी हमने किया था, इस वर्ष 70 पुल हमने बजट में शामिल किए हैं, 511 करोड़ रूपए की स्वीकृति है वह भी जल्दी बनेंगे, जितने भी राजमार्ग है वह बरसात में बंद न हो, इसकी चिंता कर रहे हैं, इस योजना के तहत इनको बनाया जाएगा. इस तरह उच्च स्तरीय पुल यहां बनेंगे और भी हमने अलग से नई योजना बना रहे हैं, हमने न्यू डेवलपमेंट बैंक से वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए प्रस्ताव भेजा है, अगर हमें वहां से स्वीकृति मिल गई तो आजादी के बाद पहली बार इतने पुल बनेंगे, 421 पुल मध्यप्रदेश के अंदर बढ़कर बनेंगे यह भी एक रिकार्ड कायम होगा, इतने पुल कभी नहीं बने, यह स्वीकृति मिल गई तो लगभग 600 पुल हो जाएंगे, इतने पुल कभी नहीं बने. केन्द्रीय सड़क निधि की आप बात कर रहे थे, केन्द्रीय सड़क निधि हम आपको बता सकते हैं, पुराने आंकडे़ हैं, पुरानी बात करते हैं तो रावत जी आपको बुरा लग जाता है, पहले सीआरआर में लगभग 200 करोड़ मिलता था, लेकिन आज केन्द्र सरकार के माननीय गडकरी जी को भी धन्यवाद देना चाहेंगे, उन्होंने राशि बढ़ा दी है, 200 प्रतिशत राशि बढ़ाकर हमको दी है, हमारे पास आंकड़े है 624 करोड़ रूपए उन्होंने हमें दिया है, जिसका उपयोग हम मध्यप्रदेश के अंदर अभी कर रहे हैं.
श्री बाला बच्चन - क्या कमलनाथ जी ने इनसे कम पैसे दिए है.
श्री रामपाल सिंह - उन्होंने सड़कों की मरम्मत तक रोक दी थी मध्यप्रदेश में.
श्री बाला बच्चन - हमारी जानकारी में हजारों करोड़ रूपए दिया है कमलनाथ जी ने, उनको भी धन्यवाद जाता है.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल - वह हजारों करोड़ केवल छिन्दवाड़ा में ही चला जाता था.
श्री रामपाल सिंह - इसके लिए भारत सरकार को, केन्द्रीय मंत्री जी को धन्यवाद कर रहे हैं. पीआईयू की जब बात कर रहे हैं, यह अलग से परियोजना इकाई को 5500 काम सौंपे थे, 11 हजार करोड़ की लागत थी, उसमें से 4000 कार्य पूर्ण हो चुके हैं. 1500 कार्य और है, जिनमें अभी काम चल रहा है. 5600 करोड़ कुल विभाग जिनके कार्य चल रहे हैं, 43 विभागों के काम पीआईयू के माध्यम से चल रहे हैं, भवन में हम कह सकते हैं, जैसे किलोमीटर बताया आपको, प्रतिदिन दो भवन मध्यप्रदेश में तैयार हो रहे हैं, आप आंकड़ें देख सकते हैं, पिछले साल 1224 कार्य पूर्ण किए गए थे, इस साल 550 कार्य पूर्ण किए गए हैं, इस तरह से दो भवन प्रतिदिन हम बना रहे हैं, पूरा प्रमाणित है, इसको आप देख सकते हैं. पीआईयू के माध्यम से जो काम हो रहे हैं, उनकी गुणवत्ता देखने के लिए लोग बाहर से आ रहे हैं और कई विभाग उसके लिए हमें धन्यवाद भी दे रहे हैं, कलेक्ट्रेट गुना देख सकते हैं, कितना अच्छा भवन बनाया है, आवासीय परिसर, सिंगारदीप छिन्दवाड़ा, उमराली, केसला पालीटेक्निक कटनी और इटारसी में कई भवन हमने बनाए हैं, पूरी जानकारी आपको देंगे, आप एक बार जरूर देखें.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी थोड़ा संक्षेप कर दीजिए.
श्री रामपाल सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय बहुत संक्षिप्त कर रहा हूं.
श्री बाला बच्चन - माननीय मंत्री जी माननीय संसदीय कार्यमंत्री जी के अलाव कोई भी नहीं बचा है, कोई भी आसपास साथ में नहीं हैं, किसके बिहाफ में यह बोल रहे हो.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष महोदय, सवा लाख से एक लड़ा हूं. ..(हंसी)
श्री बाला बच्चन -- बस केवल आप ही हो साथ में.
श्री रामपाल सिंह -- अध्यक्ष महोदय, कई निर्णय हमने लिये हैं. उस जमाने में हम देखते थे ठेकेदार लोग ए.बी.सी. ग्रेड के बंदूक लेकर आते थे, कलेक्टोरेट में गरीब लोग टेंडर ले ही नहीं सकता था.लेकिन एक बहुत बड़ा निर्णय मध्यप्रदेश की सरकार ने लिया है, 10 लाख, ए,बी,सी सब ग्रेड खत्म,कोई भी आकर ठेकेदारी कर सकता है, आन लाइन कहीं से भी आवेदन कर सकता है. एक बहुत बड़ा निर्णय हमने अभी किया है. नहीं तो बंदूक वाले गरीब को धक्का मारकर भगा देते थे. फिर वह ठेकेदार ठेका लेते थे, दूसरे को देते थे, पेटी पर फि रतीसरे को देते थे. ..
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- गोविन्द सिंह जी, रामपाल सिंह जी यह अंगुली और हाथ आपकी तरफ क्यों करते हैं. ..(हंसी)..
श्री बाला बच्चन -- यह आप करते हैं. यह आपके ही इशारे पर करते हैं.
श्री रामपाल सिंह -- अध्यक्ष महोदय, उसका अब 10 वर्ष के लिये सीधा पंजीयन होगा. पहले कम था, अब 10 वर्ष तक सीधा पंजीयन होगा और किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं होगी. ऐसे कई महत्वपूर्ण निर्णय एवं सुधार किये गये हैं. उत्कृष्ट कार्यों के लिये पुरस्कृत करने का मैंने निवेदन कर दिया. सिंहस्थ की जहां तक बात थी, हमारे माननीय साथियों ने निवेदन किया है और जो हमारी उपलब्धियां हैं, वह आपके सामने हैं. विधि विभाग के संबंध में साथियों ने जो सुझाव दिये हैं, दो साथियों ने सुझाव दिये हैं, न्यायालयों से संबंधित. नोटरी के नये पद स्वीकृत किये गये हैं. पूरे आंकड़े हम प्रस्तुत कर देते हैं. जितने प्रकरण निराकृत किये हैं और जितने लंबित हैं तथा व्यवस्थाओं में सुधार लाने के लिये ..
डॉ. गोविन्द सिंह -- मंत्री जी, रोड डेव्हलपमेंट कारपोरेशन आपके पास है, उसके बारे में बतायें.
श्री रामपाल सिंह -- अध्यक्ष महोदय, हम आरडीसी के बारे में बताते हैं. आरडीसी के माध्यम से मध्यप्रदेश के अन्दर जो काम हुए हैं, आरडीसी की सड़कों पर भी आपने भ्रमण किया है, आपने भी उनकी तरफ ध्यान आकर्षित किया है. आरडीसी में जो हमारी सड़कें हैं...
श्री मनोज सिंह पटेल -- मंत्री जी, आरडीसी के बारे में गोविन्द सिंह जी को मेरे देपालपुर भेज दें, बहुत शानदार सड़क है. इतनी शानदार सड़क आरडीसी ने बनाई है, हम दिखा देंगे.
श्री रामपाल सिंह -- अध्यक्ष महोदय, आरडीसी की उपलब्धियां देखकर मध्यप्रदेश में जो काम चल रहे हैं, डॉ. गोविन्द सिंह जी का पूरा अध्ययन है और कोई सुझाव देना हो तो आप सुझाव दें, उस पर भी हम कार्यवाही करेंगे.
डॉ. गोविन्द सिंह -- वह हम बाद में दे देंगे.
श्री रामपाल सिंह -- अध्यक्ष महोदय, विधि विभाग की जो बातें हैं. हमने बड़ा निर्णय लिया है. नोटरी के 812 पद बढ़ा दिये गये हैं. इसी तरह से अपर जिला न्यायाधीश के 235 न्यायालय मध्यप्रदेश में स्थापित हुए हैं,यह बहुत बड़ा निर्णय है. इसमें बजट का बहुत भाग दिया है. यह प्रमाण है. व्यवहार न्यायाधीश वर्ग- एक एवं दो के 345 न्यायालय स्थापित किये गये हैं. ऐसे कई निर्णय मध्यप्रदेश शासन विधि विभाग के माध्यम से हुए हैं. उनका लाभ मिलेगा. प्रकरणों का निराकरण भी होगा और लोगों को ज्यादा भटकना नहीं पड़ेगा. अध्यक्ष महोदय, मैं आपकी भावनाओं का आदर करते हुए और पुनः हमारे साथियों को धन्यवाद देते हुए जो मांग की है. ..
श्री रामनिवास रावत -- मंत्री जी, एकाध मांग की तो घोषणा कर दें.
श्री रामपाल सिंह -- अध्यक्ष महोदय, आपकी एक एक बात मैंने लिखी है और बहुत गंभीरता से लिया है. चूंकि रात्रि 8.00 बजे के बाद आप लोग बैठे हैं, हमारे साथी लोगों ने हमको सुझाव दिये हैं, इनके मन में कहीं न कहीं क्षेत्र की सड़कों के प्रति चिंता है, क्योंकि ये काफी जुझारु लोग हैं, तो आपने अपने क्षेत्रों की सड़कों के संबंध में जो सुझाव दिये हैं,ज्यादा नहीं वित्तीय व्यवस्थाओं को देखते हुए, डॉक्टर साहब, अब आप समझते हैं, सब चीजें आप जानते हैं. ..(हंसी).. अध्यक्ष महोदय, मैं सभी सदस्यों से निवेदन करुंगा कि आप सब मेरी मांगों को स्वीकृति प्रदान करें और अच्छे अमूल्य सुझाव आपके मिलते रहें. आपका प्रेम, स्नेह एवं विश्वास कायम रखने के लिये मैं आपसे वादा करता हूं.
श्री रामनिवास रावत -- मंत्री जी, प्रेम, स्नेह, विश्वास तो सब मिलेगा...
श्री रामपाल सिंह -- रावत जी, आपका लिख लिया है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- मंत्री जी, एक का लिखेंगे, तो फिर सब का लिखना पड़ेगा. सबका करना पड़ेगा.
अध्यक्ष महोदय - मैं, पहले कटौती प्रस्तावों पर मत लूँगा.
प्रश्न यह है कि मांग संख्या- 24, 29 तथा 67 पर प्रस्तुत कटौती प्रस्ताव स्वीकृत किये जाएं.
कटौती प्रस्ताव अस्वीकृत हुए.
अध्यक्ष महोदय-- विधानसभा की कार्यवाही बुधवार दिनांक 22 मार्च, 2017 को प्रात: 11.00 बजे तक के लिये स्थगित.
अपराह्न 8.51 बजे विधानसभा की कार्यवाही बुधवार, दिनांक 22 मार्च, 2017 ( 1 चैत्र, शक संवत् 1938 ) के पूर्वाह्न 11.00 बजे तक के लिये स्थगित की गई.
भोपाल : अवधेश प्रताप सिंह
दिनांक- 21 मार्च, 2017 प्रमुख सचिव
मध्यप्रदेश विधान सभा