मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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पंचदश विधान सभा द्वितीय सत्र
फरवरी, 2019 सत्र
गुरूवार, दिनांक 21 फरवरी, 2019
(2 फाल्गुन, शक संवत् 1940)
[खण्ड- 2 ] [अंक- 3 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
गुरूवार, दिनांक 21 फरवरी, 2019
(2 फाल्गुन, शक संवत् 1940)
विधान सभा पूर्वाह्न 11.06 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) पीठासीन हुए.}
निधन का उल्लेख
श्री राधेश्याम मांदलिया, भूतपूर्व विधान सभा सदस्य
अध्यक्ष महोदय- मुझे सदन को यह सूचित करने हुए अत्यंत दुख हो रहा है कि भूतपूर्व विधान सभा सदस्य श्री राधेश्याम मांदलिया का दिनांक 09 जनवरी, 2019 को निधन हो गया है.
श्री राधेश्याम मांदलिया जी का जन्म 12 नवंबर, 1948 को हुआ था. श्री मांदलिया नगर पालिका के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष तथा कृषि उपज मंडी भानपुरा के उपाध्यक्ष और भारतीय जनसंघ के मंडल मंत्री एवं कोषाध्यक्ष रहे. श्री मांदलिया ने नौवीं विधान सभा में भारतीय जनता पार्टी की ओर से गरोठ क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था.
मुख्यमंत्री (श्री कमलनाथ)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं श्री राधेश्याम मांदलिया जी को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं. उनका लंबा राजनैतिक जीवन रहा. वे ऐसे राजनैतिक नेता थे, जो केवल राजनैतिक नेता ही नहीं थे, अपितु एक समाज सेवक भी थे. उन्होंने अपने राजनैतिक जीवन की शुरूआत नगर पालिका के अध्यक्ष के पद से की थी और वे यहां तक पहुंचे. मैं अपनी, अपनी पार्टी एवं पूरे सदन की ओर से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)- माननीय अध्यक्ष महोदय, श्री राधेश्याम मांदलिया जी सिर्फ एक विधायक ही नहीं, अपितु एक उन्नत कृषक भी थे. कृषि के क्षेत्र में कृषक प्रतिनिधि के रूप में कार्य करते हुए उन्होंने कृषि उपज मंडी समिति के माध्यम से एवं अन्य प्रकार से किसानों की सेवा की है. नगर पालिका परिषद से वे नगरीय निकायों में भी प्रतिनिधित्व करते रहे और कृषि के क्षेत्र से संबंधित संस्थाओं में भी उन्होंने जन भागीदारी का कार्य किया. आज वे हमारे बीच में नहीं है. यह सदन उनके लिए अपनी श्रद्धांजलि व्यक्त करता है. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे. ओम शांति.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया (मंदसौर)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं जिस जिले के मंदसौर विधान सभा क्षेत्र से निर्वाचित होकर आता हूं, उसी जिले में गरोठ विधान सभा क्षेत्र है. उस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले भारतीय जनसंघ एवं भारतीय जनता पार्टी के हमारे ईमानदार, निष्ठावान, कर्त्तव्यनिष्ठ और परिश्रमी जननेता श्री राधेश्याम मांदलिया जी आज हमारे बीच नहीं रहे हैं. स्वर्गीय कुशाभाऊ ठाकरे जी, आदरणीय सुंदरलाल पटवा जी एवं आदरणीय प्यारेलाल खंडेलवाल जी, जैसे संगठक एवं राजनेताओं के संपर्क में रहने वाले आदरणीय मांदलिया जी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक भी रहे हैं. वह धार्मिक क्षेत्र में, व्यावसायिक क्षेत्र में और राजनीतिक क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी के मंदसौर जिले के जिला अध्यक्ष होने के कारण वह एक जननेता भी थे और संगठनप्रिय नेता भी थे. उनके यूं ही चले जाने से मंदसौर जिले की राजनीति में रिक्तता हो गयी है, एक ऐसे व्यक्ति जो सहज थे, सरल थे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे बड़े दुख: के साथ कहना पड़ रहा है कि आदरणीय मांदलिया जी के दिवंगत होने के बाद उन्हें शोक संवेदना करने के लिये मध्यप्रदेश की विधान सभा के इस सचिवालय से और आपके निर्देश पर जिला प्रशासन से उनकी जानकारी मंगायी गयी, यह दुर्भाग्यपूर्ण है. उनके जाने के बाद कई और दिवंगत नेताओं को शोक संवेदना हमने दी, लेकिन उस बीच में उनकी समय पर जानकारी आना थी. किसी भी सदन के सदस्य को यह याद दिलाने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिये कि हमारे जिले में एक क्षति हुई है. मुझे लगता है कि आप ऐसे कोई निर्देश जारी करेंगे, ताकि भविष्य में हम प्रमुख सचिव जी और आपसे निवेदन न करें. सीधे-सीधे जिला प्रशासन की ओर से इस प्रकार की जानकारी अविलम्ब प्राप्त होना चाहिये. मैं शोक संवेदना व्यक्त करता हूं.
अध्यक्ष महोदय:- मैं सदन की ओर शोकाकुल परिवार के प्रति संवेदना प्रकट करता हूं. अब सदन दो मिनट मौन खड़े रहकर दिवंगत के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करेगा.
(सदन द्वारा 2 मिनट मौन खड़े रहकर दिवंगत के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की गई. )
(11.12 बजे दिवंगत के सम्मान में सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिये स्थगित.)
11.20 बजे विधान सभा पुनः समवेत हुई
{अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति(एन.पी.) पीठासीन हुए}
डॉ.नरोत्तम मिश्र--माननीय अध्यक्ष जी आपकी अखण्ड मुस्कराहट का राज क्या है, यह मैं जानना चाहता हूं. बाकी सब ऐसे बैठे रहते हैं कि सारे जहां का दर्द इनके जिगर में है. आप अखण्ड मुस्कराते रहते हैं.
अध्यक्ष महोदय--आपके जैसा हसीन चेहरा जैसे अलट पलट के देखता हूं तो मेरे को मुस्कराहट आ जाती है. यह सदा ऐसे मुस्कराते रहें इससे कई चीजें निपट जाएंगी. (हंसी)
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)--अध्यक्ष महोदय, प्रश्नकाल के समय सदन के सामने मेला लगा रहता है.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत--यह मेला कभी आपका भी लगता था.
श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि सदन की गरिमा बनी रहे. इन कामों के लिये बहुत वक्त मिल जाता है अन्य स्थानों पर इन कामों के लिये.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय संसदीय मंत्री जी, आपसे अनुरोध है कि यह बात सही है. प्रश्नकाल बहुत ही महत्वपूर्ण काल होता है इसमें सभी माननीय सदस्यों को चैतन्य अवस्था में अपनी अपनी जवाबदारियां निर्वहन करना चाहिये, ऐसा मैं सोचता हूं. जब वह अवस्था आयेगी तो एक नंबर कुर्सी के आसपास यह हरकतें नहीं हो पाएंगी. ऐसा मैं मानकर चलता हूं. एक घंटे के लिये धैर्य रखिये.
श्री गोपाल भार्गव--एक घंटे चेतना नहीं रहती. निश्चेतना विशेषज्ञ माननीय दिग्विजय सिंह इनको चैतन्य करते रहते हैं.
अध्यक्ष महोदय--उनकी हंसी और उनका ठहाका अपने आप ही चैतन्य कर देता था.
11.22 बजे तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
भूमि नामांतरण के प्रकरणों का निराकरण
[राजस्व]
1. ( *क्र. 651 ) श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्नकर्ता के चतुर्दश विधान सभा में प्रस्तुत प्रश्न क्रमांक 3707, दिनांक 14.03.2018 के प्रश्नांश (ड.) के उत्तरानुसार किस-किस पर क्या-क्या कार्यवाही कब-कब एवं क्यों की गई? शासकीय सेवकवार बतायें और कृत कार्यवाही संबंधी आदेश उपलब्ध कराएं। (ख) तहसील कटनी अंतर्गत विगत 03 वर्षों में किन-किन आवेदकों के भूमि नामांतरण के आवेदन किन सक्षम प्राधिकारियों को कब-कब प्राप्त हुए? प्राप्त आवेदनों को मान्य अथवा अमान्य कब-कब किया गया? प्रकरणवार एवं वृत्तवार तथा आदेशकर्ता के नाम, पदनाम सहित बताएं। (ग) प्रश्नांश (ख) के तहत अमान्य किए गए आवेदनों को अस्वीकृत करने के कारण आवेदनवार बतायें और प्रकरणवार यह स्पष्ट करें कि इन्हीं ख्ासरा नम्बरों के आस-पास की भूमियों के नामांतरण किए गए/किए जा रहे हैं, तो इन आवेदनों को अमान्य/निरस्त करने के आदेश किस प्रकार नियमानुसार हैं? क्या इन अनियमितताओं का संज्ञान लेकर कार्यवाही की जावेगी? यदि हाँ, तो किस प्रकार एवं कब तक? यदि नहीं, तो क्यों?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) तहसील कटनी से प्राप्त जानकारी अनुसार प्रश्नकर्ता के प्रश्न क्रमांक 3707 एवं प्रश्न क्रमांक 3242, दिनांक 06.12.2017 के उत्तर में उल्लेखित तथ्यों के अनुसार कोई कार्यवाही किया जाना शेष न होने से प्रश्नांश (ड.) के अनुसार किसी सेवक के विरूध्द तहसील कटनी में कार्यवाही नहीं की गई है, अत: कार्यवाही संबंधी आदेश निरंक है। (ख) तहसील कटनी अंतर्गत विगत तीन वर्षों में जिन आवेदकों के द्वारा न्यायालय मुडवारा-1, मुडवारा-2 एवं पहाड़ी वृत्त में नामांतरण हेतु आवेदन पत्र प्रस्तुत किये गए हैं, उनकी सूची, मान्य अथवा अमान्य दर्शित करते हुए पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) प्रश्नांश (ख) के तहत अमान्य किए गए प्रकरणों का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। अमान्य किये गये प्रकरणों के आदेश में कारण का विवरण है, जिन प्रकरणों में नामांतरण हेतु स्पष्ट दस्तावेज संलग्न किये गये हैं, उनके नामान्तरण किये गये तथा जिसमें दस्तावेज स्पष्ट नहीं हैं, उन्हें अमान्य किया गया है। मान्य किये गये प्रकरणों पर कोई अनियमितता नहीं हुई है, अत: संज्ञान में लेकर कार्यवाही का प्रश्न उद्भूत नहीं होता।
श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे द्वारा जो प्रश्न पूछा गया था उसका जो उत्तर आया है उसमें पुराने प्रश्न में मुझे प्रश्न क्रमांक 3707 में मुझे यहां आश्वासन मिला था कि कार्यवाही की जा रही है, किन्तु अब इस संबंध में जवाब आया है कि कार्यवाही करने का प्रश्न ही नहीं उठता. मैं चाहूंगा कि स्पष्ट स्थिति सामने आये कि पहला उत्तर गलत था या यह उत्तर गलत है.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य जी ने पहले प्रश्न लगाया था पूर्व मंत्री महोदय ने प्रश्न क्रमांक 3707 में आश्वासन दिया था. मैं माननीय सदस्य जी को बताना चाहता हूं कि उस समय कार्यवाही हुई थी. श्री भानसिंह बागरी पटवारी कटनी, गजेन्द्र सिंह पटवारी, तहसील कटनी, रविन्द्र तिवारी पटवारी, तहसील कटनी, गुलजारी लाल पटवारी, तहसील कटनी और दादूराम पटवारी, तहसील कटनी इनको निलंबित किया गया था. जो प्रश्न भिन्नता की बात है, जांच के दौरान उनके पक्ष में इस प्रकार की कोई स्थिति निर्मित नहीं हुई जिसके कारण उनको चेतावनी देकर के निलंबन से बहाल किया गया.
श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल--माननीय अध्यक्ष महोदय, अगर चेतावनी देकर के बहाल किया गया है तो प्रकरण में उनकी कुछ न कुछ गलती थी. वर्तमान में जो प्रकरण अमान्य किये गये हैं उसमें मैं यह चाहूंगा कि इसमें आदेश में अधिकांश कारण बताये हैं, दस्तावेज एवं साक्ष्य के अभाव में प्रकरण खारिज. फील्ड में आवेदकों को कुछ और कारण बताये गये हैं. मैं मंत्री जी से चाहूंगा कि अगर चेतावनी देकर उनको छोड़ा गया है तो इन प्रकरणों पर कलेक्टर से जांच कराई जाये और जांच में मुझे भी शामिल कर लिया जाये तथा मेरे पक्ष को भी सुन लिया जाये.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत - माननीय अध्यक्ष महोदय, सदस्य ने जो प्रश्न पूछा है उस प्रश्न में मैंने गंभीरता से देखा कि कोई पर्टिकुलर विशेष नामांतरण की तरफ सदस्य ने कोई जिक्र नहीं किया है. अगर सदस्य को कोई विशेष प्रकरण पर नामांतरण की जानकारी चाहिए हो तो उसकी वस्तु स्थिति से मैं, माननीय सदस्य को अलग से अवगत करा दूंगा.
श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल - माननीय अध्यक्ष महोदय, जब फील्ड पर निकलते हैं तो पटवारी कैसे ऋण पुस्तिका और कैसे नामांतरण और सीमांकन में परेशान करते हैं, उसको किसी एक प्रश्न से बांधा नहीं जा सकता. स्थिति यह है कि अगर लोक सेवा गारंटी के माध्यम से अगर किसी ने आवेदन कर दिया तो उसका प्रकरण अमान्य होना है और अगर किसी ने मिल लिया और उनके हिसाब से काम कर दिया तो उसको मान्य किया जाना है. मैं इसलिए कह रहा हूं कि इतने सारे प्रकरणों में जब आप खुद कह रहे हो कि उनको चेतावनी देकर छोड़ा गया है तो कहीं न कहीं कोई गलती है. तीन साल के प्रकरणों में जो अमान्य किए गए प्रकरण है, उनकी कलेक्टर महोदय के माध्यम से एक निश्चित समयावधि में जांच करा लें, पुन: अनुरोध है.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत - माननीय अध्यक्ष महोदय, सदस्य का जो आग्रह है कि जांच करवा ली जाए. उस संबंध में आपके माध्यम से निवेदन है कि नामांतरण एक न्यायालयीन प्रक्रिया है. इसमें जांच नहीं होती, अपील होती है. आपका जो इशारा है कि जो न्यायालय होते हैं और न्यायालयों में जहां पर पटवारियों के द्वारा किए जाते हैं और लोक न्यायालय के द्वारा नहीं किए जाते हैं. मेरा आपसे आग्रह है कि यह न्यायालयीन प्रकिया है, इसमें अपील होती है. यदि आपने इस संबंध में कहीं व्यक्तिगत अपील की हो तो उसकी जांच करवा ली जाएगी और अगर आपको ऐसा कहीं लगता है ऐसे कितने भी प्रकरण हों, दो, चार, दस प्रकरण जहां आपको लगता है कि इन प्रकरणों में गलत हुआ है तो उन प्रकरणों के संबंध में आप अलग से मुझसे मिल लें. मैं उनकी वस्तुस्थिति से आपको अवगत करवा दूंगा और जांच करवा दूंगा.
श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल - माननीय अध्यक्ष महोदय, जो मेरे द्वारा प्रकरण दिए गए हैं उसमें कलेक्टर कटनी को यह निर्देशित कर दिया जाए कि उन प्रकरणों की वहां पर जांच की जाए.
अध्यक्ष महोदय - सदस्य जी, जब माननीय मंत्री जी कह रहे हैं, आप वह प्रकरण लाकर मंत्री जी को दे दीजिए, बात बन जाएगी.
श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल - माननीय अध्यक्ष महोदय, ठीक है, धन्यवाद.
पुरस्कार निर्धारण में त्रुटि
[लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी]
2. ( *क्र. 708 ) श्री नीरज विनोद दीक्षित : क्या लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या वित्तीय वर्ष 2017-18 में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के उच्चयंत मद में विगत लगभग 16 वर्षों सें लंबित राशि के समायोजन हेतु की गयी कार्यवाही के संबंध में सुशील चंद्र वर्मा उत्कृष्टता पुरस्कार प्रदान किया गया है? (ख) यदि हाँ, तो क्या वर्ष 2017-18 में कार्य करने वाले ऐसे अधिकारी को यह पुरस्कार प्रदान किया गया है, जिसने इस वित्तीय वर्ष में लगभग मात्र 10 दिवस विभाग में कार्य किया है? यदि हाँ, तो वर्ष 2017-18 में 11 माह 20 दिवस की अवधि तक जिस अधिकारी ने कार्य किया है, उसे किस आधार पर पुरस्कार से वंचित किया गया? (ग) यदि विभाग इसे त्रुटि मानता है, तो क्या इस त्रुटि का सुधार किया जाएगा? (घ) इस त्रुटि के लिए दोषियों पर क्या कार्यवाही की जावेगी?
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री ( श्री सुखदेव पांसे ) : (क) जी हाँ। (ख) जी नहीं। प्रश्नांश (क) के अनुसार उच्चयंत मद में लंबित राशि के समायोजन हेतु तत्समय संबंधित शाखा के सभी अधिकारी/कर्मचारियों को सामूहिक तौर पर पुरस्कृत किया गया है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) जी नहीं, शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) उत्तरांश (ग) अनुसार कार्यवाही आवश्यक नहीं।
श्री नीरज विनोद दीक्षित - माननीय अध्यक्ष महोदय, विभाग ने मेरे प्रश्न के उत्तर में लिखा है कि तत्समय संबंधित शाखा के सभी अधिकारियों-कर्मचारियों को सामूहिक तौर पर पुस्कृत किया है. मैंने प्रश्न किया था कि जो अधिकारी 11 माह 23 दिन जिसने काम किया उसको उस पुरस्कार से वंचित किया गया और जिसने अधिकारी ने मात्र 7 दिन कार्य किया है उसको पुरस्कृत किया गया है.
श्री सुखदेव पांसे - माननीय अध्यक्ष महोदय, कर्मचारियों और अधिकारियों के सम्मान के लिए यह पुरस्कार दिया जाता है और जो भी मेहनतकश, ईमानदारी और लगनशीलता के माध्यम से जो अधिकारी कर्मचारी मेहनत करते हैं उन्हें दिया जाता है. हमारे विभाग ने पहली बार बड़ी लगन, मेहनत और ईमानदारी से यह पुरस्कार दिया है. यह कोई व्यक्तिगत पुरस्कार नहीं है यह बजट शाखा का एक सामूहिक पुरस्कार होता है और पूरी ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ यह पुरस्कार दिया गया है. निश्चित तौर पर इसकी सराहना की जानी चाहिए और यह पुरस्कार उचित दिया गया है.
श्री नीरज विनोद दीक्षित - माननीय अध्यक्ष जी, जिसने 11 माह 23 दिन कार्य किया हो वह इस पुरस्कार से वंचित रह गया और जिसने 7 दिन कार्य किया उसको यह पुरस्कार मिला है, तो 11 माह वाले को क्या पुरस्कर मिलेगा?
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी, सदस्य का बिलकुल स्पष्ट कहना है कि जो लंबे समय तक पदस्थ था, कार्यरत था उसको इस पुरस्कार से वंचित कर दिया गया है. जिसने सिर्फ 7 दिन कार्य किया उसको पुरस्कार दे दिया. प्रथम दृष्टया यह बड़ा स्पष्ट है. इस पर आप पुनर्विचार करें. माननीय विधायक को अपने पास बुलाए और जो माननीय विधायक चाह रहे हैं, जो वास्तविक में होना था, प्रथम दृष्टया दिख रहा है 7 दिन वालों को पुरस्कृत कर रहे है, लंबे कार्यकाल वाले को पुरस्कृत नहीं कर रहे हैं. ऐसी भावना है न सदस्य जी आपकी?
श्री नीरज विनोद दीक्षित - जी अध्यक्ष महोदय.
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी कृपया विधायक की भावना को समझिए.
श्री सुखदेव पांसे - माननीय अध्यक्ष महोदय जी आपका आदेश शिरोधार्य हैं.
आगर जिला अंतर्गत मार्ग निर्माण
[लोक निर्माण]
3. ( *क्र. 341 ) श्री विक्रम सिंह राणा गुड्डू भैया : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) आगर जिला अंतर्गत कौन-कौन से ग्राम राजमार्ग/मुख्य डामर मार्ग से एकल संबद्धता से छूटे हुए हैं? कौन से मार्ग मुख्य जिला मार्ग के रूप में प्रस्तावित होकर प्रस्ताव प्रक्रियाधीन हैं? (ख) प्रश्नांश (क) के प्रकाश में दोहरी सम्बद्धता हेतु कौन-कौन से मार्ग के निर्माण के प्रस्ताव प्रक्रियाधीन हैं? (ग) विधान सभा क्षेत्र सुसनेर अंतर्गत इन्दौर-कोटा से लोलकी, माल्याहेड़ी से टिकोन, बड़ागांव से देहरीपाल, श्यामपुरा से कालवा डुंगरी, निपानियाखिंची से बल्डावदा हनुमान मंदिर मार्ग के प्रस्ताव प्रक्रियाधीन हैं? यदि हाँ, तो प्रस्ताव किस स्तर पर संचालित हैं एवं स्वीकृति कब तक होगी तथा क्या इन्दौर-कोटा रोड से अमरकोट धतुरिया मार्ग के प्रस्ताव प्रक्रियाधीन हैं? यदि हाँ, तो प्रस्ताव किस स्तर पर प्रचलित हैं एवं स्वीकृति कब तक होगी? (घ) प्रश्नांश (ग) का उत्तर यदि नहीं, है तो क्या स्व-प्रेरणा से उक्तानुसार उल्लेखित मार्गों के जनहित में स्व-प्रेरणा से विधिवत प्रस्ताव तैयार करवा कर साध्य होने पर स्वीकृति पर विचार कर प्रभावी कार्यवाही की जावेगी? यदि हाँ, तो कब तक?
लोक निर्माण मंत्री (श्री सज्जन सिंह वर्मा) : (क) मध्यप्रदेश ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण परियोजना क्रियान्वयन इकाई शाजापुर-2 जिला आगर से प्राप्त जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। विभाग अंतर्गत आगर जिले में प्रस्तावित नवीन मुख्य जिला मार्गों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) दोहरी सम्बद्धता हेतु प्रस्तावित मार्गों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (ग) जी हाँ। विस्तृत जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'स' अनुसार है। (घ) उपयोगिता स्थापित होने पर स्वीकृति पर विचार संभव, वर्तमान में समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
श्री विक्रम सिंह राणा गुड्डू भैया - माननीय अध्यक्ष महोदय, पहले विषय से हटकर, मैं एक निवेदन करूँगा. हमेशा जब नई विधानसभा गठित होती है तो विधायकों को प्रशिक्षण दिया जाता है और निश्चित रूप से उस प्रशिक्षण से उनको सदन की कार्यवाही में भाग लेने पर लाभ मिलता है, इस बार शायद हम लोग वंचित हैं. मेरे निवेदन पर माननीय अध्यक्ष महोदय निश्चित रूप से गौर करेंगे. दूसरा, मुझे भ्रमण के दौरान ग्रामीण क्षेत्र के लोगों ने सड़क निर्माण के लिए आवेदन दिए थे, मैंने माननीय मंत्री जी से निवेदन किया है. निश्चित रूप से माननीय मंत्री जी उनका निराकरण कराएंगे. धन्यवाद.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य की भावनाएं पवित्र हैं और क्षेत्र में विकास उनकी प्रथम प्राथमिकता है तो निश्चित रूप से हमारी सरकार की भी प्राथमिकता, इस मध्यप्रदेश के नवनिर्माण की है तो माननीय सदस्य की भावनाओं के अनुरूप जैसा वे चाहेंगे, हम प्राथमिकता के आधार पर वे सारे काम करेंगे.
ग्वालियर शहर वृत्त में विद्युतीकरण
[ऊर्जा]
4. ( *क्र. 190 ) श्री मुन्नालाल गोयल (मुन्ना भैया) : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) शहर वृत्त ग्वालियर में म.प्र. वि. नियामक आयोग के विनियम 2009 (जी-31) की कंडिका (घ) पद क्रमांक 4.4.1 से 4.5.2 के अंतर्गत प्रोस्पेटिव कन्जूमर्स से अप्रैल, 2014 से दिसम्बर, 2018 तक कुल उपभोक्ताओं की संख्या एवं उनके द्वारा जमा कराई गई राशि की वर्षवार जानकारी देवें? (ख) क्या शहर वृत्त ग्वालियर में अवैध कॉलोनियों में विद्युतीकरण की कोई योजना है? विगत 2 वर्षों (दिनांक 01.04.2017 से 31.01.2019 तक) में ऐसे कुल कितने प्राक्कलन बनाए गये? क्रियान्वयन हेतु धन की व्यवस्था किस योजना से ओर कब तक की जावेगी? (ग) क्या वर्तमान में 2.12 लाख घरेलू उपभोक्ताओं के यहाँ विद्युत मीटर संयोजित हैं? यदि हाँ, तो फिर भी आंकलित खपत के बिल क्यों दिये जा रहे हैं? (घ) क्या शहर वृत्त ग्वालियर का आंकलित खपत सहित वृत्त बनाने की कोई योजना विचाराधीन है? यदि हाँ, तो कब तक पालन हो जावेगा?
ऊर्जा मंत्री (श्री प्रियव्रत सिंह) : (क) म.प्र. विद्युत नियामक आयोग के विनियम, 2009 (आर जी 31 (1) ) की कंडिका (घ) के पद क्रमांक 4.4.1 से 4.5.2 के अन्तर्गत शहर वृत्त ग्वालियर की अवैध कालोनियों/असंगठित बस्तियों/अधिसूचित गन्दी बस्ती क्षेत्र एवं अन्य अधिसूचित क्षेत्रों के विद्युतीकरण कार्य हेतु राशि जमा करने वाले उपभोक्ताओं की संख्या एवं उनके द्वारा जमा कराई गई राशि का वर्षवार विवरण संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) म.प्र. विद्युत नियामक आयोग के विनियम, 2009 (आर जी 31 (1) ) के अधिसूचित होने की दिनांक 07.09.2009 की स्थिति में विद्यमान अवैध कालोनियों/असंगठित बस्तियों/अधिसूचित गन्दी बस्ती क्षेत्र एवं अन्य अधिसूचित क्षेत्रों में विद्युतीकरण के कार्य उक्त विनियमों में निर्धारित प्रक्रिया अनुसार आवेदक द्वारा आवश्यक राशि जमा कराए जाने अथवा नियमानुसार वितरण कंपनी के संबंधित कार्यालय में 5 प्रतिशत सुपरविजन चार्ज जमा करवाकर स्वयं अनुज्ञप्ति प्राप्त ठेकेदार से संपादित कराए जाने का प्रावधान है। उक्त विनियमों के अन्तर्गत प्रश्नाधीन अवधि में शहर वृत्त ग्वालियर में कोई प्राक्कलन स्वीकृत नहीं किया गया। उक्त के अतिरिक्त प्रश्नाधीन क्षेत्र में अन्य कोई योजना प्रचलित नहीं है, अत: तत्संबंध में प्रश्नाधीन चाही गई अन्य जानकारी दिये जाने का प्रश्न नहीं उठता। (ग) शहर वृत्त ग्वालियर में वर्तमान में कुल 212746 घरेलू उपभोक्ता हैं, जिनके परिसर में मीटर स्थापित हैं। शहर वृत्त ग्वालियर में मीटरों में दर्ज खपत के अनुसार ही विद्युत बिल जारी किये जा रहे हैं। तथापि विद्युत प्रदाय संहिता 2013 के प्रावधानों के अनुसार बन्द/खराब मीटर वाले उपभोक्ताओं को नियमानुसार आंकलित औसत खपत के बिल जारी किये जा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि उपभोक्ता के परिसर में बिजली की चोरी पाए जाने पर नियमानुसार अतिरिक्त यूनिट की बिलिंग भी की जाती है। (घ) जी नहीं। शहर वृत्त ग्वालियर को आंकलित खपत रहित वृत्त बनाने की दिशा में कार्य किया जा रहा है, किन्तु वर्तमान में इस हेतु निश्चित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
श्री मुन्नालाल गोयल (मुन्ना भैया) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से तारांकित प्रश्न के माध्यम से शहर वृत्त ग्वालियर की विद्युतीकरण के संबंध में मेरा प्रश्न है. यह प्रश्न 'क' में 2009 से 2014 तक की जानकारी मेरे द्वारा मांगी गई थी कि उपभोक्ताओं द्वारा इसमें कितनी राशि जमा कराई गई ? लेकिन विभाग ने केवल 2014 से 2018 तक की जानकारी दी है, 2009 से 2014 तक की जानकारी उन्होंने छिपा ली है, इन्होंने पांच वर्ष की जानकारी नहीं दी है. ऐसा लगता है कि अधिकारी सदन को गुमराह करने का काम कर रहे हैं. मैंने सदन में प्रश्न किया था कि अवैध कॉलोनी के संबंध में, हमारे क्षेत्र के अन्दर करीब, जो विभाग ने जानकारी दी है, उसके अंतर्गत 1111 उपभोक्ताओं ने करीब 58 लाख रुपये जमा कराये थे और राशि जमा इसलिए करवाई थी कि इस क्षेत्र में विद्युतीकरण का कार्य हो जाएगा लेकिन अभी तक उस क्षेत्र के अन्दर पैसा जमा कराने के बाद भी विद्युतीकरण का कार्य नहीं हुआ है तो यह उपभोक्ताओं के साथ अमानत में खयानत है. वर्ष 2012 में ग्वालियर के अन्दर एपीडीआरपी योजना में करीब 196 करोड़ रुपये आया और यह काम वहां की स्थानीय कंपनी मोल्टे कार्लो कंपनी को दिया गया. इसका काम था कि ग्वालियर में जो असंगठित बस्तियां हैं, गंदी बस्तियां हैं, वहां विद्युतीकरण कार्य किया जाये. लेकिन उन क्षेत्रों में अभी तक काम नहीं हुआ है. प्रश्न 'ग' में जो जानकारी दी गई है कि 2,12,746 उपभोक्ता हैं. जिनके घरों में मीटर स्थापित हैं. लेकिन आज भी ग्वालियर के अन्दर 50,159 उपभोक्ता ऐसे हैं, जिनके यहां आंकलित खपत के बिल भेजे जा रहे हैं. जब आपने 2,12,746 उपभोक्ताओं के घरों में मीटर स्थापित कर दिए हैं तो फिर आज भी ग्वालियर में 50,159 उपभोक्ताओं को आंकलित खपत के बिल क्यों भेजे जा रहे हैं.
श्री प्रियव्रत सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रश्न में माननीय विधायक जी ने जो जानकारी चाही है, वह जानकारी हमने उपलब्ध कराई है. 2009 के नियम का उल्लेख उन्होंने विद्युत नियामक आयोग से किया है लेकिन जानकारी उन्होंने 2009 से नहीं मांगी थी. अगर वे चाहेंगे तो उनको वह जानकारी उपलब्ध करा देंगे. जहां तक प्रश्न है कि ग्वालियर शहर वृत्त में करीब 2,12,746 विद्युत उपभोक्ता हैं, जो कॉलोनियां अवैध थीं और जिसमें विद्युतीकरण नहीं हो पाया है, उन कॉलोनियों में विद्युतीकरण की कार्यवाही के लिए विभाग के पास कोई अलग से मद नहीं है. मेरा यह अनुरोध है कि यह जो 2,12,746 में से करीबन अभी तक जो औसत आंकलन जिनका 27,000 करीब उपभोक्ताओं को औसत आंकलित खपत के आधार पर बिल दिए जा रहे हैं. हम मीटर लगाने का काम जुलाई, 2019 तक पूरा कर देंगे. यह मैं माननीय विधायक जी को बताना चाहता हूँ.
श्री मुन्नालाल गोयल (मुन्ना भैया) - माननीय मंत्री जी, जिन लोगों की आपके पास सूची है कि करीब 11 सौ 11 लोगों ने 58 लाख रूपये जमा कराया है तो इस संबंध में मैं यह जानना चाहता हूं कि इन लोगों के यहां कब तक विद्युतीकरण का कार्य हो जायेगा ?
श्री प्रियव्रत सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, जो 11 सौ 11 उपभोक्ता हैं इनको स्थायी विद्युत कनेक्शन तो दे दिया गया है परंतु 58 लाख रूपये जो इन लोगों ने जमा कराया है, वह 3 हजार रूपये प्रति किलो वॉट के हिसाब से जमा कराया है परंतु यह वहां पर विद्युतीकरण करने के लिये नाकाफी है. अगर हमें किसी योजना से माननीय विधायक जी, माननीय सांसद जी अपने मत से या स्मार्ट सिटी ग्वालियर आता है तो शहरी विकास मंत्रालय से अगर इसके लिये हमें कुछ पैसा मिलता है तो हम इनका विद्युतीकरण का कार्य पूरा कर देंगे.
श्री मुन्नालाल गोयल (मुन्ना भैया) - माननीय अध्यक्ष जी, मेरा प्रश्न अभी अधूरा रह गया है. प्रश्न घ में यह जवाब दिया है कि शहर वृत्त ग्वालियर को आंकलित खपत रहित वृत्त बनाने की दिशा में कार्य किया जा रहा है, लेकिन इसमें कोई समय सीमा नहीं दी गई है. मैं कहना चाहता हूं कि भारतीय जनता पार्टी के राज में भी जो ऊर्जा मंत्री थे उन्होंने भी ग्वालियर के अंदर जो 204 फीडर रहित हैं, इनको आंकलित खपत रहित बनाने का आश्वासन दिया था लेकिन अभी तक ग्वालियर में कोई फीडर आंकलित खपत रहित नहीं है. मैं यह जानना चाहता हूं कि आपकी यह जो योजना है उसमें ग्वालियर के अंदर जो 204 फीडर रहित हैं ये आंकलित खपत रहित कब तक हो जायेंगे ?
श्री प्रियव्रत सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें आंकलित खपत इसलिये दी जा रही है कि क्योंकि मीटर खराब है या मीटर नहीं लग पायें. मैंने अभी कहा कि छ: माह हम यह पूरा कार्य कर देंगे.
नल-जल योजना का क्रियान्वयन
[लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी]
5. ( *क्र. 637 ) श्रीमती रामबाई गोविंद सिंह : क्या लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मध्यप्रदेश की पिछली सरकार ने नल-जल योजना की शुरूआत की थी? यदि हाँ, तो आज भी लोगों को पानी के लिये दूर-दूर क्यों जाना पड़ता है? (ख) प्रदेश में नल-जल योजना के क्या आंकड़े हैं? (ग) दमोह जिले के कितने ग्रामों तक यह योजना पहुँची है? ग्रामवार आंकड़े देवें।
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री ( श्री सुखदेव पांसे ) : (क) जी हाँ। जी नहीं। (ख) 15555 नल-जल योजनायें। (ग) 355 ग्रामों तक। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है।
श्रीमती रामबाई गोविंद सिंह - अध्यक्ष महोदय, पूर्व में जो बीजेपी की सरकार थी उस समय नल-जल योजना की शुरूआत की गई थी. सरकार ने तो आज भी बोला था कि घर-घर पानी पहुंचेगा परंतु आज भी पूरे मध्यप्रदेश की स्थिति भी यही है और मैंने अपने दमोह जिले में भी देखा है. मैं अपने दमोह जिले की जो स्थिति आपके सामने रखना चाहती हूं कि कहीं भी कोई भी नल-जल योजना पूर्ण नहीं हुई है. आज तक कोई भी नल जल योजना पूर्ण नहीं हुई है. आज भी लोग दर-दर पानी के लिये भटकते हैं और जितनी भी योजना शुरूआत की थी यह पूरी बलि चढ़ चुकी है, अरबों रूपये खप चुके हैं परंतु आज तक किसी के यहां भी पानी की एक टोंटी तक नहीं लगी है, न ही किसी के यहां यह पानी पहुंचा है.
अध्यक्ष महोदय - आपका प्रश्न क्या है ?
श्रीमती रामबाई गोविंद सिंह - पूर्व में बीजेपी की सरकार ने जो नल जल योजना की शुरूआत की थी. इन्होंने गांव गांव में नल-जल योजना की शुरूआत की थी कि गांव-गांव में पानी पहुंचेगा और इसके मैंने आंकड़े भी गांव वार मांगे थे परंतु इसमें सीधा-सीधा आंकड़ा दिया है गांव वार, जिला वार आंकड़ा नहीं दिया गया है.
अध्यक्ष महोदय - श्रीमती रामबाई गोविंद सिंह जी आप क्या चाह रही हैं. आपका कोई दमोह से संबंधित या पथरिया से संबंधित कोई प्रश्न हो तो बतायें.
श्रीमती रामबाई गोविंद सिंह - हां दमोह और पथरिया से संबंधित प्रश्न है. नल-जल योजना की शुरूआत पूर्व की सरकार ने की थी कि गांव-गांव में घर-घर नल-जल योजना पहुंचेगी परंतु आज भी वह योजनायें फेल हैं और कहीं पर भी किसी को पानी नहीं पहुंचा हैं न कहीं पर कोई पानी की व्यवस्था हुई है एक-एक पंचायत में करोड़ों रूपये की नल जल योजना शुरू की थी, परंतु वह सारी योजनायें फेल हो चुकी हैं तो मैं उसी की जानकारी चाहती हूं कि कहां पूरी नल जल योजना हुई, किस गांव में पूरी नल-जल योजना पूर्ण की गई है. एक भी गांव का आंकड़ा मुझे पूरा इसमें नहीं दिया गया कि फलानी जगह नल-जल योजना संपन्न है और फलाने गांव में पूरी योजना का पानी पूरा मिल रहा है.
अध्यक्ष महोदय - आपके पास यह पूरी ग्रामवार की जानकारी विभाग ने परिशिष्ट में उपलब्ध कराई है.
श्रीमती रामबाई गोविंद सिंह -- मैं उस जानकारी से संतुष्ट नहीं हूं क्योंकि वह असत्य जानकारी है.
अध्यक्ष महोदय- ठीक है, अब ऐसा है कि आपका जो प्रश्न है उसके अनुसार आपकी विधानसभा से संबंधित ऐसे जो ग्राम हैं जहां आपने पाया है कि इन योजनाओं में कहीं न कहीं त्रुटि है या योजना नहीं चल रही है ऐसी योजनाओं की एक सूची बनाकर के आप माननीय मंत्री जी को दे दीजिये. मैं आपके माध्यम से उन्हें कह रहा हूं कि जो सूची माननीय सदस्या दें उस पर त्वरित और जल्दी से जल्दी कार्यवाही हो ताकि विधायक जी संतुष्ट हो. ठीक है.
श्रीमती रामबाई गोविंद सिंह --धन्यवाद.
विधानसभा क्षेत्र आमला अंतर्गत संचालित नल-जल योजनाएं
[लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी]
6. ( *क्र. 527 ) डॉ. योगेश पंडाग्रे : क्या लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विगत 5 वर्षों में आमला विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत विभिन्न योजनाओं के तहत लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा कितनी नल-जल योजनाएं स्वीकृत की गई हैं? ग्रामवार जानकारी दें। (ख) इन स्वीकृत नल-जल योजनाओं में से कितनी योजनाएं वर्तमान में चालू हैं तथा कितनी योजनाएं पाईप लाईन टूटने तथा नलकूप के सूखने आदि कारणों से बंद हैं? (ग) जिले में अत्यंत कम वर्षा के चलते बंद नल-जल योजनाओं को प्रारंभ करने एवं चालू नल-जल योजनाओं के बन्द न होने के लिये शासन की क्या योजना है?
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री ( श्री सुखदेव पांसे ) : (क) 16 नल-जल योजनाएं। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) 9 योजनाएं चालू हैं तथा 7 नल-जल योजनाओं के क्रियान्वयन का कार्य प्रगतिरत एवं प्रक्रियाधीन है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) हस्तांतरित नल-जल योजनाओं के संचालन-संधारण का दायित्व संबंधित ग्राम पंचायतों का है। बंद नल-जल योजनाएं यथाशीघ्र चालू की जा सकें, इस हेतु शासन द्वारा प्रत्येक जिले में कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित समिति को रु. 20.00 लाख प्रति योजना प्रतिवर्ष तक के मरम्मत के कार्यों की स्वीकृति के अधिकार सौपें गये हैं।
डॉ. योगेश पंडाग्रे : माननीय अध्यक्ष महोदय, मै आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से यह जानना चाहता हूं कि विगत पांच वर्षों में आमला विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत विभिन्न योजनाओं के तहत लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा कितनी नल जल योजनायें स्वीकृत की गई हैं और इसमें से वर्तमान में कितनी योजनायें चालू हैं और कितनी योजनायें पाईप लाईन टूटने और नलकूप सूखने के कारण बंद हैं . जानकारी उपलब्ध करा दें.
श्री सुखदेव पांसे- माननीय अध्यक्ष महोदय, आमला विधानसभा में 10 नल जल योजनायें हैं उसमें से प्रगतिशील योजनायें 6 हैं और 4 योजनायें अधूरी हैं.
डॉ. योगेश पंडाग्रे : माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी के संज्ञान में इस बात को लाना चाहूंगा कि उत्तर में जो 10 योजनायें चालू बताई जा रही हैं यह सदन को थोड़ा गुमराह करने वाली स्थिति है क्योंकि लालावाड़ी नल जल योजना भी पानी की कमी के कारण बंद है, अम्बाड़ा नलजल योजना में सिर्फ 15 दिन में एक बार पानी आ रहा है. इन योजनाओं को व्यवस्थित रूप से चालू करने के लिये मंत्री जी से अनुरोध है कि जल्दी से जल्दी चालू करवायें. चूंकि मंत्री जी हमारे क्षेत्र से ही हैं उन्हें भी इस बात की जानकारी है कि क्षेत्र में लगातार हो रही अल्प वर्षा के कारण डेम सूखे हैं और पानी का जल स्तर निरंतर गिरता जा रहा है, हमारा विधानसभा क्षेत्र पठारी होने के कारण अधिकांश पानी बह जाता है तो पानी की कमी की पूर्ति के लिये विभाग के पास स्थायी समाधान की क्या कोई योजना है ?
श्री सुखदेव पांसे -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे माननीय सदस्य ने वस्तुस्थिति से अवगत कराया है वह मुझे लिखकर के दे दें, क्योंकि माननीय मुख्यमंत्री जी की यह इच्छा है कि दलगत राजनीति से ऊपर उठकर हमें भारतीय जनता पार्टी को भी पानी पिलाना है, जनता जनार्दन को पानी पिलाना है, कांग्रेस पार्टी को भी पानी पिलाना है .
श्री रामेश्वर शर्मा -- मंत्री जी जनता को पानी पिला दें सब नल जल सूखे पडे हैं. पार्टियों को पानी मत पिलाओ, आप जनता को पानी पिलाओ.
श्री सुखदेव पांसे- रामेश्वर भाई आपका कहना सही है कि नल जल योजनायें बंद पड़ी हैं.
इंजीनियर प्रदीप लारिया -- मंत्री जी यह बता दें कि 2 माह में कितनी योजनायें आपने बनाई हैं ?
अध्यक्ष महोदय- कृपया अपने अपने स्थान पर बैठें.
श्री सुखदेव पांसे- माननीय अध्यक्ष महोदय, जब हमारे यशस्वी मुख्यमंत्री जी केन्द्र में शहरी विकास मंत्री थे तो शहरी विकास के रूप में उन्होंने शहर की नल जल योजना के लिये यू.एस.एम.टी.आई. योजना के तहत करोड़ों-अरबों रूपये प्रदेश की सरकार को दिये थे. नर्मदा जल भोपाल में जो मिल रहा है वह उसी समय प्रदेश को राशि उपलब्ध कराई थी उसके कारण आया है. जब हमारे मुख्यमंत्री केन्द्र में भूतल परिवहन मंत्री थे तब इन्होंने पूरे देश का आधा पैसा इस प्रदेश को टू लेन और फोर लेन सड़क बनाने के लिये दिया था. मैं महसूस करता हूं कि जो नल जल योजनायें बंद पड़ी हैं, जो टंकियां दिख रही हैं, पाईप लाईन बिछी है लेकिन जल के स्त्रोत का ही पता नहीं है, 15 साल तक कुछ किया नहीं तो बंद ही पड़ी रहेगी. मैं आपके आदेश का निश्चित तौर पर संज्ञान लेता हूं और जितनी भी नल जल योजनायें बंद पड़ी हैं उसके स्रोत को जीवित किया जायेगा, स्थाई स्रोत उसमें शुरू किया जायेगा और उन नल जल योजनाओं को पूर्ण किया जायेगा और जो जीर्ण-शीर्ण नल जल योजनायें हैं सदस्य महोदय आप लिखकर दे दें, डॉ. पंडाग्रे भी लिखकर दे दें और जो आपकी दो योजनायें आमला की है, अभी तक बार-बार टेण्डर बुलाये गये थे, लेकिन वह टेण्डर निरस्त हो गये, हमने तत्काल आपके प्रश्न के बाद संज्ञान लिया और टेण्डर आ गये हैं और जल्दी से जल्दी दोनों योजनायें जो आपके दोनों गांव की हैं वह टेण्डर खोलकर जल्दी से जल्दी उसका कार्य शुरू किया जायेगा. मैं आपको आश्वस्त करता हूं, पेयजल के मामले में आप वस्तुस्थिति मुझे लिखकर दे दें, उन गांवों के पेयजल का निराकरण किया जायेगा. ..(व्यवधान)..
श्री विश्वास सारंग-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जब कांग्रेस की सरकार थी उस समय के मुख्यमंत्री कहते थे कि जब नर्मदा जल आयेगा तो सोने से महंगा होगा, यह भाजपा की सरकार भोपाल में नर्मदा जल लेकर आई है, शिवराज जी को धन्यवाद है.
डॉ. योगेश पंडाग्रे-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी को भी मैं कहना चाहूंगा कि जल्द से जल्द इन योजनाओं को चालू कर दें और जनता को पानी पिला दें नहीं तो जनता आपको पानी पिलाने के लिये तैयार बैठी है. धन्यवाद.
श्री रामेश्वर शर्मा-- हम इस झगड़े में नहीं पड़ना चाहते मैं तो मंत्री जी को यह सुझाव देना चाहता हूं. .. (व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- कृपा करके प्रश्नकाल में मैं जिन्हें एलाऊ करूं वही बोलें.
श्री रामेश्वर शर्मा-- एक मेरा सुझाव है, मेरे यहां भी 57 पंचायतें हैं, माननीय मंत्री जी ने बहुत अच्छी बात कही है, मैं यह निवेदन कर देना चाहता हूं कि किसी भी पंचायत में 7-8 सौ फीट तक पानी नहीं है और इसलिये सारे गांव के जो तालाब हैं उनका गहरीकरण कराया जाये तो शायद भविष्य में हमारी यह योजनायें चल पायेंगी.
अध्यक्ष महोदय-- आप भी मेरी बात सुनिये मंत्री जी, प्रश्न क्षेत्र विशेष से था, वहां तक सीमित रहेंगे तो सभी लोग सीमित रहेंगे. मेहरबानी करियेगा. आप लोगों से भी प्रार्थना है, आमला का है, मत आगे बढि़ये.
कुंवर विजय शाह-- (XXX) ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- कृपया बैठ जायें, हर विधायक का प्रश्न महत्वपूर्ण है, कृपया आप समय जाया न करें. यह कुछ नहीं लिखा जायेगा.
कुंवर विजय शाह-- (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- जो मेरे से बिना पूछे कहे, वह कुछ नहीं लिखा जायेगा.
एन.एच. 92 पर टोल टैक्स की वसूली
[लोक निर्माण]
7. ( *क्र. 564 ) श्री अरविंद सिंह भदौरिया : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या राष्ट्रीय मार्ग (NH) क्रमांक 92 ग्वालियर-इटावा मार्ग पर P.N.C. कम्पनी द्वारा टोल टैक्स वसूल किया जा रहा है? यदि हाँ, तो कब से? अनुबंधानुसार P.N.C. कम्पनी को कितने वर्षों तक सम्पूर्ण मार्ग का नवीनीकरण करना है? अनुबंध की प्रति देते हुये बतावें। (ख) क्या P.N.C. कम्पनी ने अनुबंधानुसार सम्पूर्ण मार्ग का नवीनीकरण किया है? यदि हाँ, तो कब-कब? MPRDC के किस-किस अधिकारी के द्वारा कब-कब मार्ग का निरीक्षण किया? निरीक्षण प्रतिवेदन देंवे? यदि P.N.C. कम्पनी द्वारा अनुबंधानुसार मार्ग का नवीनीकरण नहीं किया गया है तो उसके विरूद्ध विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की गई? (ग) P.N.C. कम्पनी द्वारा उपरोक्त मार्ग निर्माण के दौरान कितने पेड़ काटे गये थे? अनुबंधानुसार कम्पनी को एक पेड़ काटने पर कितने पेड़ लगाने थे? क्या कम्पनी द्वारा अनुबंधानुसार पेड़ लगाये गये हैं? यदि हाँ, तो कितने पेड़ काटे एवं कितने लगाये गये? क्या कम्पनी द्वारा पेड़ लगाये ही नहीं गये? यदि पेड़ लगाये हैं तो प्रश्न दिनांक तक कितने पेड़ जीवित हैं? MPRDC के किस अधिकारी द्वारा पेड़ों का सत्यापन किया गया था? (घ) NH92 राष्ट्रीय मार्ग की भार क्षमता कितने टन की है एवं टोल प्लाजा पर कितने टन तक के भार क्षमता वाले वाहन पास किये जा रहे हैं? ओवर लोडिंग वाहनों को पास करने के क्या नियम हैं? क्या टोल प्लाजा पर निर्धारित भार क्षमता से अधिक भार क्षमता के वाहन पास किये जा रहे हैं? यदि हाँ, तो क्या इसके लिए टोल प्लाजा के कर्मचारियों द्वारा अधिक राशि वसूली जा रही है? यदि हाँ, तो कितनी? यदि नहीं, तो क्यों एवं क्या ओवर लोडेड वाहनों से अधिक क्षमता का भार कम करके टोल प्लाजा के गोदाम में रखने का नियम है? यदि हाँ, तो कब-कब कितना-कितना माल रखा गया, कितनी अतिरिक्त राशि वसूल की गई?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जी हाँ। दिनांक 06.03.2013 से। सम्पूर्ण मार्ग का नवीनीकरण प्रारंभिक डिजाईन पीरियड (10 वर्ष) की समाप्ति पर करना है। अनुबंध की प्रति की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''1'' अनुसार है। (ख) जी नहीं। प्रश्न उपस्थित नहीं होता है जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''2'' पर अनुबंध अनुसार नवीनीकरण आवश्यक नहीं अतः शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''स'' अनुसार है।
श्री अरविन्द सिंह भदौरिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि विभाग द्वारा सदन को दिया गया उत्तर सही है या दिनांक 28.03.2018 को जीएम. एमपीआरडीसी इंस्पेक्शन नोट्स इस मार्ग में जारी किया गया है, वह सही है. प्रश्न के भाग 'क' व 'ग' के उत्तर व इंस्पेक्शन नोट के बिन्दू 1 व 10 विरोधाभासी हैं, मंत्री जी स्पष्ट करें कि आपका उत्तर सही है या इंस्पेक्शन नोट सही है, उसके बाद मैं आपसे प्रश्न का आग्रह करता हूं.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, इस विधान सभा में माननीय विधायकों के जो प्रश्न पूछे जाते हैं उसके उत्तर सही दिये जाते हैं, इसमें कहीं कोई कंट्रोवर्सी नहीं है.
श्री अरविन्द सिंह भदौरिया-- माननीय मंत्री महोदय, जो आपने एमपीआरडीसी की इंस्पेक्शन रिपोर्ट दी है उसमें से 10 से 12 जो बिंदू दिये हैं और जो आपने उत्तर दिये हैं, दोनों का कंट्रोवर्सियल है. पहले एक बिंदू देखेंगे आपने जो रिपोर्ट दी है, यह मोटी-सी (रिपोर्ट दिखाते हुये) है, इसमें 37 बार एमपीआरडीसी के अधिकारियों ने वहां के टोल के इंचार्ज को लिखा है, जो मालिक लोग थे कंपनी के, इसमें पहले प्वाइंट में मैं पढूंगा तो इसमें लिखा है-''Renewal of entire stretch is due in the year 2018. Most of the surface along the full stretch is having hungry surface, hence renewal is badly required. Road Surface was found damaged on km 57 to km 62.
अध्यक्ष महोदय - विधायक जी, आप दुरुस्त हैं.
श्री के.पी.सिंह " कक्काजू" - कालेज जमाने में मेरी सारी कापियां नरोत्तम मिश्रा जी लिखते थे.
अध्यक्ष महोदय - आप बिल्कुल दुरुस्त प्रश्न कर रहे हैं और मुझे प्रसन्नता है.
श्री अरविन्द सिंह भदौरिया - आभार अध्यक्ष जी, दसवें प्वाइंट में लिखा है कि टोटल 2365 पेड़ रोड के निर्माण में काटे गये. 10 प्रतिशत बढ़ाकर पेड़ लगाने थे तो इसमें टोटल 23800 पेड़ लगाये गये. आप इसको स्वीकार कर रहे हैं कि 23800 पेड़ अभी तक जिंदा है. बड़े-बड़े हो गये हैं. 22 से 25 फीट हो गये हैं. रोड से 5 फीट आगे लगे हुए हैं. सभी प्रकार से अच्छी व्यवस्थाएं हो गई हैं लेकिन आप दसवां प्वाइंट पढ़ेंगे उसमें क्लियर है - " Concessionaire is utterly failed in his contractual obligation to provide avenue plantation along the road. It was reported that approximately 23000 plants were planted by Concessionaire. but it is unfortunate that hardly 10% of them survived and they are also placed on the side slopes of the embankment which is against the provision of IRC-SP-2 and higly unsafe for road users. If avenue plantation would have maintained during 5 years after COD then plants could have attained substantial growth of approximately 20-30 feets. Suitable recoveries should be proposed by Divisional Manager MPRDC Chambal for cost of plantation,maintenance expenses during 5 years and environmental losses for the missing avenue plantation. "
श्री सज्जन सिंह वर्मा - मैं यह बोल रहा था कि अटक-अटक कर पढ़ रहे हैं इंग्लिश में इससे तो हिन्दी में ही बोल दें. काहे ऐसा कर रहे हैं.
डॉ.नरोत्तम मिश्र - मैं भी यही कह रहा था.
कुंवर विजय शाह - अध्यक्ष जी तो समझ रहे हैं ना.
श्री के.पी.सिंह "कक्काजू" - अंग्रेजी की हिन्दी तो आप कर दो. जिससे मंत्री जी को समझ में आए नहीं तो मंत्री जी को समझ नहीं आएगा.
नेता प्रतिपक्ष(श्री गोपाल भार्गव) - मंत्री जी की समझ में आ जायेगा.मंत्री जी का घर डेली कालेज के पड़ोस में है. वहां से बच्चे निकलते हैं तो आपके लिये इतनी अंग्रेजी तो आने लगी होगी.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -हमारी चिंता का विषय यह नहीं है. हमारी चिंता का विषय यह है कि समय भी हो जायेगा क्योंकि अटक-अटक कर हमारे माननीय सदस्य बोल रहे हैं. समय ज्यादा लग रहा है. समय भी हो जायेगा. स्टेट फारवर्ड हिन्दी में बोल दें.
अध्यक्ष महोदय - एक समझदार प्रश्न कर रहा हो दूसरा समझदार सुन रहा हो. हम लोग बीच में क्यों बोल रहे हैं.
डॉ.नरोत्तम मिश्र - हिन्दी वाली बात आ गई थी तो मैंने कहा कि इससे ज्यादा हिन्दी क्या होगी आपकी.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी, जो नियमों में लिखा गया है तद्नुसार विभाग कार्यवाही नहीं कर रहा है. ऐसा माननीय सदस्य का प्रश्न है. क्या जो नियमावली है तद्नुसार जो प्रश्न किया गया है वैसी कार्यवाही आपके विभाग द्वारा की जायेगी.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - अध्यक्ष महोदय, उसी के अनुसार की गई है.
डॉ.गोविन्द सिंह - अध्यक्ष महोदय, मैं अरविन्द भदौरिया से पूछना चाह रहे हैं. जो उन्होंने पढ़ा उसकी हिन्दी बता दें.
अध्यक्ष महोदय - देखो भईया, दोई भिण्ड वालों के बीच में तो हम पड़ नई सकैं.
श्री अरविंद सिंह भदौरिया - डॉक्टर गोविन्द सिंह जी तो बड़े विद्वान व्यक्ति हैं उनसे बड़ा विद्वान मुझे लगता है कि विधान सभा में कोई नहीं है, इसलिए मैं उनका सम्मान करता हूं. अध्यक्ष महोदय, इसका हिन्दी में मैं अनुवाद कर देता हूं. दसवें बिन्दु में बताया गया है कि 2300 पेड़ काटे गये और 23000 पेड़ लगाये गये. आपके अधिकारी ने यह रिपोर्ट दी है कि मात्र 10 परसेंट पेड़ ही जीवित हैं, जो आपने प्रपत्र दो मुझे दिया है. मात्र 10 परसेंट पेड़ ही जीवित हैं, इसलिए पहले मैंने आपसे प्रश्न किया था कि आपने जो उत्तर दिया है उस पर बात करूं कि प्रपत्र दो जो अधिकारियों ने दिया है उस पर बात करूं? माननीय मंत्री महोदय, इसमें दो विषय हैं. एक तो यह विषय है कि इसका बेसिक नियम क्या है कि रोड खराब है, रोड टूटी हुई है, भिण्ड जिले के 4-5 विधायक यहां पर बैठे हैं. माननीय मंत्री डॉ. गोविन्द सिंह जी, श्री संजीव सिंह जी, श्री ओ.पी. एस भदौरिया जी, श्री रणवीर जाटव जी, आप इनसे भी सदन में पूछ लीजिए कि रोड टूटी हुई है, इसका क्या नियम है कि कितने दिन तक डेमेज होने के बाद टोल वसूलने का अधिकार कंपनी को है और कितन दिन में उसको ठीक करने का नियम है?
श्री सज्जन सिंह वर्मा - अध्यक्ष महोदय, हमने सदन में जो रिपोर्ट वृक्षों की दी है, उस संख्या से ज्यादा वृक्ष लगे हुए हैं. यदि माननीय सदस्य चाहें तो आपका वरिष्ठ अधिकारी के साथ निरीक्षण हम करा देते हैं. दूसरी बात, यह सड़क निरंतर रिपेयर की जा रही है. जो आपका मूल प्रश्न है आपकी इच्छा है कि यह रिन्युअल हो जाय. हमारे विभाग से जो अनुबंध है, कांट्रेक्टर महोदय ने जो अनुबंध किया है, 10 साल के बाद उसका रिन्युअल होना है. वर्ष 2013 में अनुबंध हुआ है और वर्ष 2023 में उसका रिन्युअल करना है, उसके बाद भी कांट्रेक्टर ने हमारे दबाव में आकर कहा है कि एक मार्च से हम इसका रिन्युअल चालू करेंगे.
श्री अरविंद सिंह भदौरिया - माननीय मंत्री महोदय, इसका मतलब है कि जो अधिकारी ने रिपोर्ट दी है, जो टॉप अधिकारी है, वह रिपोर्ट में क्या कह रहे हैं, आप उसको थोड़ा पढ़िए वह इंग्लिश में है कि 10 परसेंट पेड़ जिंदा हैं.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - आप तारीख देखकर बता देना कि वह कब की रिपोर्ट है?
श्री अरविंद सिंह भदौरिया - मैं तारीख बता देता हूं.
श्री संजीव सिंह संजू - अध्यक्ष महोदय, यह विषय हमारे क्षेत्र का भी है, हम लोग सभी उसी क्षेत्र से आते हैं. मैं यह बताना चाहता हूं कि माननीय मंत्री जी ने जो उत्तर दिया है वह सही नहीं है. वहां पर 10 परसेंट भी वृक्ष नहीं लगे हुए हैं. दुर्घटनाएं लगातार होती हैं. सबसे बड़ी बेसिक परेशानी यह है कि वसूली कोई और कर रहा है रोड किसी और ने बनाई है.
अध्यक्ष महोदय - अभी मूल प्रश्नकर्ता सदस्य खड़े हैं. आप विराजिए.
श्री अरविंद सिंह भदौरिया - अध्यक्ष महोदय, अभी विषय समाप्त नहीं हुआ है. आपका संरक्षण चाहता हूं. मैं तो कह रहा हूं कि डॉ. गोविन्द सिंह जी यदि यस कर दें तो मैं बैठ जाऊंगा, मैं प्रश्न नहीं करूंगा.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - अध्यक्ष महोदय, मैं तो पांचों विधायकों से अनुरोध कर रहा हूं कि आप पांचों और वरिष्ठ अधिकारी आपके साथ में भेज देते हैं, आप फिजिकली जाकर देख लें, जितनी हमने घोषणा की है, उससे ज्यादा वृक्ष वहां पर लगे हुए हैं.
श्री संजीव सिंह संजू - अध्यक्ष महोदय, मैं तो आपसे यही निवेदन कर रहा हूं कि जब तक रोड रिपेयर न हो, तब तक उसको आप टोल फ्री कर दें? जब तक रोड रिपेयर नहीं हो जाती है टोल वसूलने का अधिकार कंपनी को नहीं है. ऐसे कई निर्णय देश में पहले हो चुके हैं .
श्री अरविंद सिंह भदौरिया -रिन्युअल करने तक उसकी टोल वसूली बंद कर दें.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -अध्यक्ष महोदय, आप चाहे माननीय विधायक जी, अनुबंध की कापी आपको दे देते हैं जो शर्तें उसमें हैं,उन्हें आप पढ़ लीजिए, यदि उसके बाद आपको लगे कि गलत उत्तर है तब हम और आप बात कर लें.
श्री अरविंद सिंह भदौरिया - अध्यक्ष महोदय, उसका रिपेयर जब तक न हो जाय, उसमें टोल टैक्स लेना बंद किया जाय, वहां पर कई लोगों के एक्सीडेंट हो गये हैं. माननीय मंत्री जी इसमें प्रावधान है आप उसका अध्ययन करिए. अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न का उत्तर नहीं आया है. मेरी विनम्र प्रार्थना है, यह जनहित का विषय है. चार-चार विधायक खड़े हैं, तीन कांग्रेस के विधायक खड़े हैं, एक बीजेपी के विधायक खड़े हैं. एक विषय को कह रहे हैं. एक सेकण्ड का उत्तर है कि जब तक रोड पूरी कंप्लीट न हो जाय तब तक टोल टैक्स की वसूली बंद की जाय, ऐसा हम सबका मत है और डॉ. गोविन्द सिंह जी का भी मत है.
रेत खदानों में उत्खनन
[खनिज साधन]
8. ( *क्र. 656 ) श्री राहुल सिंह लोधी : क्या खनिज साधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) टीकमगढ़ जिले में कुल कितनी रेत खदानें आज दिनांक तक खनन हेतु स्वीकृत हैं? उनमें से कितनी खदानों में उत्खनन चल रहा है एवं कितनी बंद हैं? स्वीकृत खदानों से उत्खनन की अनुज्ञा किन-किन कम्पनियों को दी गई है? (ख) क्या उक्त स्वीकृत खदानों का सीमांकन (Demarcation) किया गया है? यदि नहीं, तो क्यों? (ग) यदि हाँ, तो सीमांकन के अलावा उत्खनन हुआ है या नहीं? (घ) यदि हाँ, तो अवैध उत्खनन के विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई? क्या कोई अर्थदण्ड अधिरोपित किया गया है? यदि हाँ, तो उसमें से कितनी वसूली शेष है और क्यों?
खनिज साधन मंत्री ( श्री प्रदीप जायसवाल ) : (क) टीकमगढ़ जिले में आज की स्थिति में मध्यप्रदेश राज्य खनिज निगम के पक्ष में 24 रेत खदानें स्वीकृत हैं। मध्यप्रदेश राज्य खनिज निगम से प्राप्त जानकारी अनुसार उनमें से केवल 02 रेत खदानों में उत्खनन कार्य चल रहा है। शेष 22 खदानों में से 21 खदानों का समर्पण ठेकेदारों द्वारा रेत खनन नीति, 2017 एवं मध्यप्रदेश रेत नियम, 2018 के तहत कर दिया गया है। 01 खदान में वैधानिक अनुमति प्राप्त नहीं होने से खनन कार्य बंद है। निगम की 02 संचालित खदानों में जिन कंपनियों द्वारा कार्य किया जा रहा है, उनका विवरण संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। इसके अलावा टीकमगढ़ जिले में 09 खदानें संबंधित ग्राम पंचायतों को संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार हस्तांतरित की गईं हैं, जिनमें से 05 खदानें संबंधित ग्राम पंचायत द्वारा संचालित हैं। (ख) मध्यप्रदेश राज्य खनिज निगम को उपरोक्त 24 खदानें पूर्व से उत्खनिपट्टे पर स्वीकृत हैं। ठेकेदारों द्वारा खनन योजना बनाते समय खदान क्षेत्रफल की सीमायें निर्धारित कराई गईं हैं, जिनके अक्षांश व देशांस का विवरण उनकी खनन योजना में है। (ग) टीकमगढ़ जिले में स्वीकृत खदान क्षेत्रों के बाहर अवैध उत्खनन होना पाया गया है, जिस पर की गई कार्यवाही का विवरण संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-स अनुसार है। (घ) अवैध उत्खनन के विरूद्ध की गई कार्यवाही की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-स अनुसार है।
श्री राहुल सिंह लोधी - अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न था कि टीकमगढ़ जिले में कुल कितनी रेत खदानें आज दिनांक तक स्वीकृत हैं, उनमें से कितनी रेत खदानें बंद हैं और कितनी रेत खदानें चालू हैं?
अध्यक्ष महोदय - प्रश्नकाल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त)
समय 12.00
शून्यकाल में मौखिक उल्लेख
सामान्य वर्ग के गरीबों को 10 प्रतिशत आरक्षण लागू करने विषयक
डॉ नरोत्तम मिश्र (दतिया) -- अध्यक्ष महोदय, मेरी प्रार्थना सुन लें यह बहुत जरूरी है...(व्यवधान).. सवर्ण के लिये 10 प्रतिशत आरक्षण की बात कहना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय -- पहले शून्यकाल को पढ़ लेने दें उसके बाद आपकी बात सुन ली जायेगी...(व्यवधान)
(नेता प्रतिपक्ष) श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय कल इसी शून्यकाल में मैंने एक स्थगन सूचना ध्यानाकर्षण सूचना और तारांकित एवं अतारांकित प्रश्नों के माध्यम से एक विषय था. वह 10 प्रतिशत आरक्षण जो कि भारत सरकार ने संविधान में संशोधन करके देश के सामान्य वर्ग के ऐसे लोग जो कि गरीबी रेखा के नीचे रहते हैं,ऐसे बेरोजगार लड़के और नौजवान, किसी का भी हक छीने बिना, किसी का भी प्रतिशत कम किये बिना,10 प्रतिशत अतिरिक्त आरक्षण की व्यवस्था की थी.
अध्यक्ष महोदय प्रत्युत्तर में माननीय मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उनकी जानकारी में हम समिति गठित कर रहे हैं. लेकिन मुझे यह बताते हुए बहुत दुख है. लगभग 10 बडे बडे राज्य जिनमें उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, गुजरात सभी राज्यों ने इसके लिए बगैर किसी वाद विवाद के, बिना कोई समिति बनाये इस 10 प्रतिशत आरक्षण को लागू कर दिया है, संविधान संशोधन की जो भावना थी, जो उसका मूल था, जो उसकी आत्मा थी, उसको समझकर उन्होंने लागू कर दिया है.
अध्यक्ष महोदय मुझे बहुत खुशी है कि देश की संसद ने इसे सर्वसम्मति से पारित किया है. साथ ही राष्ट्रपति महोदय ने एक सप्ताह के अंदर उसको हस्ताक्षर करके कानून के रूप में परिवर्तित कर दिया है. मुझे यह कहते हुए बहुत दुख है कि मुख्यमंत्री जी, माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी का जो उत्तर था, प्रश्नोत्तरी में इसे समिति बनाकर टालने की कोशिश की जा रही है जबकि अन्य किसी भी राज्य ने इस प्रकार की कोई समिति गठित नहीं की है, और न ही इसमें कोई समिति गठित करने का प्रावधान है. सीधे सीधे नियम बनाये गये हैं. इस कारण से मैं यह चाहता हूं कि बगैर किसी टालमटोल के मुख्यमंत्री जी इस बात का स्पष्टीकरण दें, इस बात का उत्तर दें. क्या वह लोक सभा चुनाव के पहले जारी करेंगे, और संविधान की मंशा के अनुसार इसको लागू करेंगे अथवा नहीं करेंगे स्पष्ट रूप से बतायें. यहां पर राजनीतिक कूटनीतिक भाषा का इस्तेमाल नहीं किया जाय. गरीब, बेरोजगार और नौजवानों के साथ में इस प्रकार की भाषा का प्रयोग करना, इस प्रकार का उपक्रम करना, इस प्रकार की समितियां गठित करना उऩके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है, और बेरोजगारों के साथ में मजाक है. गरीब का मजाक है आज भी उनके घर के किसी सदस्य को चतुर्थ श्रेणी की एक भी नौकरी नसीब नहीं है.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय गोपाल भार्गव जी आपकी बात आ गई है...(व्यवधान)
डॉ मोहन यादव -- अध्यक्ष महोदय, मेरे अपने उज्जैन बाबा महाकाल की नगरी में यह घटना हो चुकी है...(व्यवधान)..कि राहुल गांधी जी वहां पर स्वयं आये थे, हमने सबने इन आंदोलनों की घटना को भोगा है....(व्यवधान)..(सत्तापक्ष के अनेक माननीय सदस्यों द्वारा मंत्रीगणों के आसन जाकर चर्चा करने पर)
अध्यक्ष महोदय -- जितने माननीय सदस्य अपनी सीट पर नहीं है. मैं आप लोगों के खिलाफ में कोई भी आदेश जारी कर दूंगा. बाद में यह नहीं कहना कि अध्यक्ष महोदय यह नई परिपाटी क्या चला रहे हैं. मैं किसी भी प्रकार का आदेश जारी कर दूंगा.
श्री विश्वास सारंग -- अध्यक्ष महोदय, दिन में तीन तीन बार आपको निर्देश देना पड़ रहा है. अभी भी आप देखें कि यह यहां से जा नहीं रहे हैं. क्या हाल यहां पर कर रखा है..यहां पर किस प्रकार का नियंत्रण नहीं है, अनियंत्रित सरकार, ये लोग न तो अध्यक्ष जी की सुन रहे हैं, ना ही मुख्यमंत्री जी की सुन रहे हैंऔर ना ही संसदीय कार्य मंत्री जी की सुन रहे हैं.---(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- विधान सभा की कार्यवाही 5 मिनट के लिये स्थगित.
( 12.05 बजे सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित की गई )
12.12 बजे विधान सभा पुनः समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) पीठासीन हुए.}
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, यह शायद मध्यप्रदेश के इतिहास की पहली घटना है..
अध्यक्ष महोदय -- आदरणीय भार्गव जी, आपकी बात आ गई. अब नरोत्तम जी.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, मैं उस बारे में चर्चा नहीं कर रहा हूं. .
अध्यक्ष महोदय -- अब कृपया अपन आगे बढ़ें. मेरी व्यवस्था में सहयोग करिये.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, मैं आपको धन्यवाद दूंगा, जो आपने सहयोग किया. मैं आपको बहुत बहुत धन्यवाद दूंगा..
अध्यक्ष महोदय -- माननीय नरोत्तम जी.
डॉ. नरोत्तम मिश्र (दतिया) -- अध्यक्ष महोदय, मैं सिर्फ यह कह रहा था कि केंद्र सरकार के द्वारा जब यह बिल लोकसभा में लाया गया, तब दोनों दलों ने इसका समर्थन किया था, कांग्रेस ने भी और भारतीय जनता पार्टी ने भी, 10 प्रतिशत गरीब संवर्ण आरक्षण को लेकर...
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. गोविन्द सिंह) -- अध्यक्ष महोदय, तो हम कहां मना कर रहे हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, अब इनका, कांग्रेस का क्या अंतर्विरोध है आपस में, दिल्ली में और मध्यप्रदेश में, यह मुझे नहीं मालूम. लेकिन वहां जो निर्णय लिया गया, उसके विरोध में यह मध्यप्रदेश की सरकार जा रही है. यह गरीब संवर्णों के खिलाफ जा रही है. (डॉ. गोविन्द सिंह के खड़े होने पर) संसदीय कार्य मंत्री जी, आप मुझे पूरी बात को बोलने दें. . आपको बोलने का पूरा अधिकार है, बोलिये आप, लेकिन हमारी बात तो आने दीजिये. आप बोलने ही नहीं देते हैं, कल भी आपने बोलने नहीं दिया. अध्यक्ष महोदय, मैं सिर्फ..
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री (श्री तुलसीराम सिलावट) -- नरोत्तम जी, आपको कौन रोक सकता है. आपको कोई रोक सकता है बोलने से.
लोक निर्माण मंत्री (श्री सज्जन सिंह वर्मा) -- आपको गोपाल भार्गव जी ने रोका है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, बोलने से नहीं रोका है. गोपाल भार्गव जी हमारे दल के नेता हैं और सर्वमान्य नेता हैं. कोई विरोध नहीं है, इसलिये कल भी मैं कह रहा था और आज मैं इसको रिकार्ड पर लाना चाहता हूं कि वे सर्वमान्य नेता हैं, पूरी पार्टी मुट्ठी की तरह कसकर पण्डित गोपाल भार्गव के पीछे खड़ी हुई है.
श्री तुलसीराम सिलावट -- नरोत्तम जी, यह बोलने की जरुरत है क्या.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, आप लोग मेरे बोलते ही क्यों खड़े होते हो, मैं इस बात को आज तक नहीं समझ पाया.
राजस्व मंत्री (श्री गोविन्द सिंह राजपूत) -- अध्यक्ष महोदय, यह जय और वीरु की जोड़ी है. अब जय कौन है और वीरु कौन है, ये ही तय करें.
श्री के.पी. सिंह -- नरोत्तम जी, इसका मतलब आप बोलकर खुद ही शंका पैदा कर रहे है, आप यह सफाई क्यों दे रहे हैं. इसका औचित्य क्या है.
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री जितू पटवारी) -- नरोत्तम जी, आप तो यह बतायें कि आपको यह कहना क्यों पड़ा कि हम दोनों एक हैं.
श्री के.पी. सिंह -- आपको यह सफाई क्यों देना पड़ रही है कि वे हमारे नेता हैं.
श्री विश्वास सारंग -- अध्यक्ष महोदय, सफाई नहीं दे रहे हैं,कल यह बातें हो रही थीं, इसलिये यह कहा है. यह सफाई नहीं है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, अभी यह विषय जब आयेगा, तब मैं बोलूंगा, मैं सिर्फ अभी संवर्ण आरक्षण बिल की बात करना चाहता हूं, विषयान्तर हो जायेगा. अभी मेरा नाम जब ओला-पाला की चर्चा पर आयेगा, तब जितू जी, आपकी बातों पर भी जवाब दूंगा. अध्यक्ष महोदय, मैं सिर्फ यह आपसे प्रार्थना करना चाहता हूं और आसंदी से आपसे सहयोग चाहता हूं. आपकी ताकत मिलती है, विपक्ष के पास तो आपके अलावा कुछ है ही नहीं. हम चाहते हैं कि आपकी इसमें व्यवस्था आये. मुख्यमंत्री जी ने कल जो समिति बनाकर इस विषय को टालने की कोशिश की है, हम उसके खिलाफ हैं. इस पर मैंने कल भी घोर आपत्ति की थी कि यह आपत्तिजनक है. इस तरह से उन गरीब नौजवानों के हितों के साथ में खिलवाड़ यह मध्यप्रदेश की कांग्रेस की सरकार कर रही है. यह हम होने नहीं देंगे किसी कीमत पर. अध्यक्ष महोदय, यह गंभीर विषय है. ..(व्यवधान)..
जनजातीय कार्य मंत्री (श्री ओमकार सिंह मरकाम) -- अध्यक्ष महोदय, भारतीय जनता पार्टी देश में इस तरह से अराजकता फैलाने के लिये लोगों को भ्रमित कर रही है.
..(व्यवधान)..
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, 10 राज्यों ने बगैर कमेटी बनाकर इसको लागू कर दिया है. यहां पर कमेटी बनाने की क्या जरुरत है.
..(व्यवधान)..
श्री ओमकार सिंह मरकाम - अध्यक्ष महोदय, मोदी जी ने चुनावी एजेंडे के तहत अपना जुमला फेंका है. (...व्यवधान...)
अध्यक्ष महोदय -- इसका कोई अंत नहीं है. (डॉ. मोहन यादव के कुछ कहने पर) अरे भैया, आपके जब नेता खड़े होते हैं. मेहरबानी करिए, यादव जी बैठ जाइये. (...व्यवधान...)
(डॉ. नरोत्तम मिश्र द्वारा बैठे-बैठे ''ये दूसरे टाइप के हैं'' कहने पर)
अध्यक्ष महोदय -- हां, दूसरे टाइप के हैं.
डॉ. मोहन यादव -- दूसरे टाइप के क्या ?
अध्यक्ष महोदय -- आपके ही बोल रहे हैं, मैं नहीं बोल रहा हूँ.
डॉ. मोहन यादव -- टाइप वन, टू, थ्री क्या होता है.
अध्यक्ष महोदय -- देखिए, मैंने शून्यकाल में आपको मौका दे दिया. मैंने पढ़े नहीं, उसके पहले मौका दे दिया. अन्यथा होता यह है कि शून्यकाल की सूचनाएं पढ़ी जाती हैं, यदि कोई विषय होता है तो उसके बाद उठता है.
श्री गोपाल भार्गव -- नजरे इनायत आपकी.
अध्यक्ष महोदय -- आपको क्या चार प्रतियों में धन्यवाद दूं ?
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, मैंने कहा नजरे इनायत आपकी.
अध्यक्ष महोदय -- बिल्कुल हुजूर, बनाए रखिए, हम भी और आप भी.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, आपके ही संरक्षण में तो हम पल पुस रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- जी, अब माननीय मंत्री जी अपना जवाब देना चाह रहे हैं. यही तो अच्छी परम्परा है. आपकी जिज्ञासा और उनके द्वारा समाधान.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. गोविन्द सिंह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय नेता प्रतिपक्ष जी और भाई नरोत्तम जी ने सामान्य वर्ग के आरक्षण के संबंध में जिस मुद्दे का जिक्र किया है, कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस सरकार पूरी तरह से इसके पक्ष में है. (मेजों की थपथपाहट) कांग्रेस पार्टी ने अपने वचन-पत्र में भी सामान्य वर्ग के गरीब सवर्णों को आरक्षण देने का प्रावधान किया है. संविधान संशोधन हो गया, माननीय नेता प्रतिपक्ष जी ने कहा कि कई प्रांतों ने लागू कर दिया है, अभी लागू कहीं नहीं हुआ है, सिर्फ घोषणा है. हम यह चाहते हैं, मध्यप्रदेश की सरकार यह चाहती है कि अभी इसमें यह प्रावधान किया है कि प्रदेश सरकारें कितने आरक्षण की प्रक्रिया क्या करेगी. आज हमारे पास यह सूची नहीं है कि गरीबों में कैसे देना है ? 10 लाख रुपये या 8 लाख रुपये की आमदनी तक देना है ? कितने लोग इस आमदनी के दायरे में आ रहे हैं ? इस दायरे के लिए थोड़ा समय चाहिए. कांग्रेस पार्टी ने वचन-पत्र में जो वचन दिया है, उसका पालन करेगी. अब चूँकि आप कह रहे हैं कि लोकसभा के पहले लागू कर दें. क्या इतनी जल्दी परीक्षण हो सकता है साढ़े सात करोड़ जनता में ? (...व्यवधान...)
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, यह आपत्तिजनक बात है.(...व्यवधान...) यही आपत्तिजनक है, हमारी लड़ाई इस बात पर है.. (...व्यवधान...)
श्री गोपाल भार्गव -- आप गुजरात से मंगा लें. उत्तर प्रदेश से ले लें. बिहार से ले लें. हरियाणा से ले लें. (...व्यवधान...)
डॉ. गोविन्द सिंह -- गलत क्या है. (...व्यवधान...)
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, अन्य राज्यों ने जहां-जहां इसे लागू किया गया है, वहां से आप जानकारी प्राप्त कर लें. उन्होंने कोई कमेटी नहीं बनाई. (...व्यवधान...)
अध्यक्ष महोदय -- मैं बाध्य करूं क्या ? (...व्यवधान...)
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, उन्होंने नियुक्तियां तक कर दीं, नौकरियां लगा दीं, सारा का सारा काम हो गया. (...व्यवधान...)
डॉ. गोविन्द सिंह -- आप यह बताइये जो आपकी सरकार करेगी, वह हम करेंगे. (...व्यवधान...)
12.17 बजे गर्भगृह में प्रवेश एवं वापसी
डॉ. नरोत्तम मिश्र, सदस्य द्वारा गर्भगृह में प्रवेश एवं वापसी
(डॉ. नरोत्तम मिश्र, भारतीय जनता पार्टी के सदस्य सवर्ण आरक्षण पर अपनी बात कहते हुए गर्भगृह में आए एवं अध्यक्ष महोदय की समझाइश पर वापस गए)
शून्यकाल में मौखिक उल्लेख (क्रमश:)
(...व्यवधान...)
डॉ. मोहन यादव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बहुत गलत बात है. इस बात को लेकर लोकसभा में कांग्रेस, बीजेपी सबने संयुक्त रूप से यह निर्णय किया (...व्यवधान...) निर्णय को लटकाने का प्रयास यह वाकई में सवर्णों के साथ मध्यप्रदेश में अन्याय है. (...व्यवधान...)
श्री विश्वास सारंग -- अध्यक्ष महोदय... (...व्यवधान...)
(विपक्ष एवं पक्ष के कई माननीय सदस्य खड़े होकर अपनी अपनी बात करते रहे)
अध्यक्ष महोदय -- मैं बाध्य नहीं कर सकता. आप भी परम्पराएं जानते हैं. (...व्यवधान...)
डॉ. मोहन यादव -- अध्यक्ष महोदय, यह मानवीय पक्ष है, हमको किसी भी हालत में 10 प्रतिशत आरक्षण इसी सत्र में पारित करना चाहिए ताकि अधिकतम लोगों को इसका लाभ मिल सके. यह बहुत दुर्भाग्य की बात है कि 10 प्रतिशत आरक्षण जिनको मिलना चाहिए था, कांग्रेस उस विषय को टालना चाहती है. यह चाहती ही नहीं है कि यह लाभ सवर्णों को मिले. हम सब इस बात के लिए अत्यन्त दु:खी हैं. इस सत्र में उसका लाभ मिलना चाहिए था. (...व्यवधान...) बहुत दुर्भाग्य की बात है, एक लोक महत्व के विषय को टाला गया.. (...व्यवधान...) हमारा कहना है कि किसी भी हालत में 10 प्रतिशत आरक्षण इसी सत्र में लागू होना चाहिए. (...व्यवधान...)
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- सवर्णों के साथ भेदभाव कर रहे हैं. (...व्यवधान...) जानबूझकर आप सवर्णों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. (...व्यवधान...)
...(व्यवधान)...
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सारे राज्यों से वह जानकारी बुला लें कि किस तरह से वे लागू कर रहे हैं. कृपा करके वह जानकारी बुला लीजिए...(व्यवधान).. अध्यक्ष महोदय -- जब माननीय मंत्री जी जवाब दे रहे हैं. आप लोग सुनना ही नहीं चाहते हैं. आप लोग सुनना क्यों नहीं चाह रहे हैं...(व्यवधान)...
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- माननीय अध्यक्ष महोदय...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- देखिए, आप जवाब ले सकते हैं लेकिन आप बाध्य नहीं कर सकते हैं. आप जवाब लीजिए लेकिन बाध्य मत करिए...(व्यवधान)...
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, परिणामदायक जवाब आना चाहिए. .(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- यह मैं नहीं बोल रहा हॅूं. इसके पहले श्री ईश्वरदास रोहाणी जी भी यही बोलते थे. श्रीयुत श्रीनिवास तिवारी जी भी यही बोलते थे. श्री राजेन्द्र शुक्ला जी भी यही बोलते थे. जवाब लीजिए लेकिन हम बाध्य नहीं कर सकते हैं. आप लोग कृपया विधिवत जब आप प्रश्न कर रहे हैं, मंत्री जी जवाब दे रहे हैं, सुनिएगा. आगे बढि़एगा. कल इस संबंध में माननीय मुख्यमंत्री जी भी बोल चुके...(व्यवधान)..
श्री गोपाल भार्गव -- मंत्री जी का जवाब 100 परसेंट टालमटोल वाला है...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मुख्यमंत्री जी भी बोल चुके कि हम इस पर सैद्धांतिक रुप से सहमत हैं...(व्यवधान)...
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष जी, समय-सीमा तो दिलवा देंगे. समय-सीमा तो दिलवा सकते हैं..हम बहिर्गमन करेंगे...(व्यवधान)...
...व्यवधान...
12.22 बजे बहिर्गमन
( भारतीय जनता पार्टी के सदस्यगण द्वारा सदन से बहिर्गमन )
नेता प्रतिपक्ष (गोपाल भार्गव) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हम सरकार की इस टालमटोल प्रवृत्ति के खिलाफ और एक बहुत बडे़ गरीब वर्ग के साथ अन्याय जो हो रहा है उसके अधिकारों की उपेक्षा हो रही है संविधान ने उसे जो अधिकार दिया है और सरकार लागू नहीं कर रही है. (XXX) बात कर रही है, इसलिए बहिर्गमन करते हैं.
(नेता प्रतिपक्ष श्री गोपाल भार्गव के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी के सदस्यगण द्वारा सदन से बहिर्गमन किया गया)
...(व्यवधान)...
12.23 बजे नियम 267-क के अधीन विषय
अध्यक्ष महोदय -- अब मैं शून्यकाल की सूचना पढ़ूंगा. नियम 267 क के अधीन लंबित सूचनाओं में से 30 सूचनाएं नियम 267-(क) (2) को शिथिल कर आज सदन में लिये जाने की अनुज्ञा मैंने प्रदान की है यह सूचनाएं संबंधित सदस्यों द्वारा पढ़ी हुई मानी जावेंगी. इन सभी सूचनाओं को उत्तर के लिये संबंधित विभागों को भेजा जाएगा.
मैं समझता हॅूं सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई)
अब मैं सूचना देने वाले सदस्यों के नाम पुकारुंगा.
क्र. सदस्य का नाम
1. डॉ.सीतासरन शर्मा
2. इंजी. प्रदीप लारिया
3. श्री गिर्राज डण्डोतिया
4. श्री उमाकांत शर्मा
5. श्री भूपेन्द्र सिंह
6. श्री राहुल सिंह लोधी
7. श्री आकाश कैलाश विजयवर्गीय
8. श्री भारत सिंह कुशवाह
9. श्री के.पी.त्रिपाठी
10. श्री दिलीप सिंह गुर्जर
11. श्री नारायण त्रिपाठी
12. श्री विजय पाल सिंह
13. श्री विनय सक्सेना
14. श्री प्रणय प्रभात पाण्डेय
15. श्री राकेश पाल सिंह
16. श्री आशीष गोविंद शर्मा
17. श्री यशपाल सिंह सिसोदिया
18. श्री दिनेश राय "मुनमुन"
19. डॉ.मोहन यादव
20. श्री इन्दरसिंह परमार
21. श्री बहादुर सिंह चौहान
22. श्री सीताराम
23. श्री शरदेन्दु तिवारी
24. श्री रामपाल सिंह
25. श्री रवि रमेश चंद्र जोशी
26. श्री मुन्ना लाल गोयल
27. श्री जालम सिंह पटेल
28. श्री राजेन्द्र पाण्डेय
29. श्री डब्बू सिद्धार्थ सुखलाल कुशवाहा
30. श्री फुन्देलाल सिंह मार्को
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ.गोविन्द सिंह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक मिनट अपनी बात कहना चाहता हॅूं. माननीय नेता प्रतिपक्ष जैसे वरिष्ठ पद पर बैठे हुए माननीय भार्गव जी ने जो शब्द कहे हैं, उन शब्दों को हटाया जाए.
अध्यक्ष महोदय -- वे शब्द विलोपित हो चुके हैं.
डॉ.गोविन्द सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, दूसरा हमारा निवेदन है कि कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से आरक्षण लागू करेगी और उसकी प्रक्रिया में आप विपक्ष के नेताओं को भी शामिल करना चाहते हैं कि प्रक्रिया किस प्रकार हो. कैसे उसमें थोड़ा समय चाहिए. संविधान में संशोधन बाद में हुआ.कांग्रेस पार्टी ने वचनपत्र में पहले..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- कृपया, अब बस करें.
श्री विश्वास सारंग -- माननीय अध्यक्ष महोदय, कमेटी की जरुरत क्या है...(व्यवधान)... कमेटी का औचित्य क्या है. कमेटी बनाने की क्या जरूरत है. यह गलत बात है. ...(व्यवधान)...
श्री रामलाल मालवीय -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अपनी बात रखना चाहता हॅूं.
अध्यक्ष महोदय -- आप लोग शांति से बैठ जाइए. आप किस नियम प्रक्रिया के तहत उठ गए. बैठ जाइए आप. मुझे कार्यवाही को करने दीजिए. धन्यवाद.
12.25 बजे ध्यानाकर्षण
अध्यक्ष महोदय-
1. सिवनी क्षेत्र की बण्डोल समूह नल-जल योजना का कार्य
धीमी गति से होना
श्री
दिनेश राय ''मुनमुन''
(सिवनी) - अध्यक्ष
महोदय,
मेरी ध्यानाकर्षण
की सूचना इस
प्रकार है-
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री (श्री सुखदेव पांसे) - अध्यक्ष महोदय,
श्री दिनेश राय, मुनमुन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो काम है उसमें 13 माह हो गए हैं और 13 माह होने के बाद मात्र बचा है 11 माह का काम. जिसमें मात्र 30 परसेंट काम किया गया, जिसमें इनको 900 किलोमीटर की जो पाइप लाइन डालना है उसमें से मात्र 69 किलोमीटर डाली गई है. माननीय मंत्री जी, इसी प्रकार इनमें क्लियर जो वॉटर है, 484 किलोमीटर में पाइप लाइन डालना है, इसमें मात्र उन्होंने 80 किलोमीटर डाली है अभी 11 माह हैं, लगभग 130 पानी की टंकियाँ बनना हैं. जिनमें एक दो टंकी का ही अभी प्लींथ लेवल का काम हुआ है. एक भी टंकी का काम चालू नहीं हुआ है. आप कैसे गारंटी दे सकते हैं कि हम 11 माह के अन्दर इतनी बड़ी नलजल योजना करा देंगे. अध्यक्ष महोदय, दूसरी बात भ्रष्टाचार की है. उसमें घटिया पाइप, घटिया सीमेण्ट का काम और सबसे बड़ी बात यह है कि जो रोड हमारी प्रधानमंत्री रोड या ग्रामीण रोड्स हैं कांक्रीट रोड्स को उखाड़ दिया गया है उसमें कोई रिपेयरिंग का काम नहीं हुआ और रोड से लग कर डामर के बाजू में पाइप लाइन डाली जा रही है. माननीय मंत्री जी, आने वाले समय में जो रोड्स चौड़ी होंगी, उनके पास जगह भी है, लेकिन वह ठेकेदार मनमानी करके जहाँ तीन मीटर नीचे उस पाइप को डाला जाना है, कहीं कहीं तो एक एक मीटर और आधा मीटर के ऊपर डाल रहे हैं. आने वाले समय में यह पाइप लाइन चल नहीं सकती है. टूट-फूट होगी, इसमें घटिया काम हो रहा है, माननीय मंत्री जी, मैं चाहता हूँ कि आप उसकी जाँच करवा लें, उसमें कमेटी बना लें, मुझे भी उसमें आप रख लें, मैं सामने से उसका निरीक्षण करवा देता हूँ कि उसमें कितना घटिया और धीमा काम चल रहा है. उस काम को आप तेजी से करवाएँ. उसके बाद मैं दूसरा प्रश्न करूँगा.
श्री सुखदेव पांसे-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि माननीय सदस्य ने बताया है कि धीमी रफ्तार से काम चल रहा है. पिछली सरकार के समय धीमी रफ्तार होगी, अब आप निश्चिंत रहिए, ये काम समय सीमा में पूर्ण कराया जाएगा और तेज रफ्तार से इसको मॉनिटरिंग करके समय सीमा में इस कार्य को कराया जाएगा. जहाँ तक आपने यह बोला कि पाइप घटिया हैं, एचडीपी पाइप का उपयोग इसमें किया जा रहा है और इसकी लाइफ कम से कम सौ साल की होती है और दूसरे जो डीआई पाइप, एक प्रकार का स्टील पाइप होता है, तो गुणवत्तापूर्ण पाइप उसमें डाले जा रहे हैं और इसकी जल निगम की क्वालिटी कंट्रोल की एक इकाई होती है और यह संस्था भारत सरकार के द्वारा मान्यता प्राप्त है. उसके द्वारा निरन्तर निगरानी की जा रही है. कहीं कोई घटिया काम नहीं हो रहा है और उसकी निगरानी की जा रही है. आप निश्चिंत रहिए तिल मात्र भर भी इसमें घटिया काम नहीं होने दिया जाएगा और यह योजना समय सीमा में पूर्ण की जाएगी तथा आपके लिए यह बड़ी बात है कि आप बड़े भाग्यशाली हैं कि आपके क्षेत्र में यह योजना है और हर घर को पानी पहुँचाया जाएगा.
श्री दिनेश राय, मुनमुन-- अध्यक्ष महोदय, मैंने जो सवाल किया कि उसमें घटिया काम हो रहा है. आप भी समझते हैं, हम भी समझते हैं, किस तरीके से उन पाइप के प्रमाणीकरण लेकर आ सकते हैं. मैं कहता हूँ आप स्थल निरीक्षण करवा लें. वहाँ जो पाइप डले हैं, मैं आपको विथ प्रूफ बताऊँगा कि ये पाइप घटिया हैं. प्रमाण-पत्र तो वे ले आएँगे, कंपनियाँ तो प्रमाण-पत्र देती हैं साहब. सब कंपनियाँ अपने प्रमाण-पत्र आपको भारत शासन से लाकर दे देंगी. लेकिन आप वर्तमान स्थिति में स्थल निरीक्षण करेंगे तो आपको वह पाइप घटिया मिलेगा. वहाँ घटिया काम चल रहा है. मैं बोल रहा हूँ जमीन में तीन मीटर नीचे आपको पाइप लाइन डालना है, आप उसका निरीक्षण तो करवा लें. आपको कई जगह मिल जाएगा, जहाँ पाइप लाइन ऊपर डाल रहे हैं. माननीय मंत्री जी, क्यों आप उस ठेकेदार को संरक्षण देना चाहते हैं? मैं चाहता हूँ कि आप उसकी जाँच करवा लें. आप मुझको उसमें रख लें, मैं आपको प्रूफ दूँगा, कहाँ कहाँ वह घटिया काम कर रहा है.
श्री सुखदेव पांसे-- अध्यक्ष महोदय, एचडीपी पाइप और थर्ड पार्टी निरीक्षण, भारत सरकार का एक उपक्रम है, सेंट्रल इंस्टिट्यूट आफ प्लास्टिक इंजीनियरिंग एंड टेक्नालॉजी, (सीपेट) द्वारा इसका थर्ड पार्टी निरीक्षण किया जाता है और अध्यक्ष महोदय, जिस कंपनी को काम दिया है.
उसको 10 साल तक उसे ही मेंटेन करना है इसलिए वह थर्ड क्लास काम नहीं करेगी. 10 साल की उसकी गारंटी है. इस दौरान उसे ही संधारण और संरक्षण करना है. निश्चित तौर पर काम समय-सीमा में किया जाएगा. माननीय सदस्य की इच्छा है कि उनकी देखरेख में निरीक्षण हो जाए. मैं उन्हें आश्वस्त कराता हूँ कि बड़ी ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ हम टेक्निकल अधिकारियों की एक टीम भिजवा देंगे. उन वरिष्ठ अधिकारियों से परीक्षण करवा देंगे, इसमें आपको भी आमंत्रित किया जाएगा.
श्री दिनेश राय "मुनमुन"--धन्यवाद. मंत्री जी. इसका सही जवाब आ गया है कि परीक्षण करवा लेंगे और मुझे साथ में रखेंगे. मेरा क्षेत्र सूखाग्रस्त है. नल-जल योजना क्यों बनी क्योंकि कहीं-न-कहीं ड्राय एरिया है. वर्ष 2020 तक नल-जल योजना आना है. वर्तमान मंत्री आए थे वे प्रभारी मंत्री भी हैं. मैंने उनको बताया था कि हमें कई गांवों में पानी नहीं मिल रहा है, लेकिन अभी तक वहां पर बोर कराने की व्यवस्था नहीं की गई है. ग्राम छुआई, गरठिया, गंगई, गोरखपुरखुर्द, मारवोड़ी, रनवेली, बोरिया, बंधा, दतनी, हरहरपुर, वघराज, सिंघोड़ी, इमली पठार, देवगांव, घुनई, बीजादेवरी, लकवार इन गांवों में पानी का बहुत अभाव है.
अध्यक्ष महोदय--आप मंत्री जी को सूची उपलब्ध करवा दीजिएगा.
श्री दिनेश राय "मुनमुन" --अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी बोर की परमीशन दे दें, अभी इन्होंने बोर की परमीशन नहीं दी है. आपने बोला है कि योजना बनी लेकिन आज हमारे पास पानी नहीं है. मंत्री जी जिन-जिन गांव में पानी नहीं है वहां तत्काल बोरिंग की अनुमति प्रदान करवा दें. मंत्री जी आप आए थे. जिला योजना समिति की बैठक तो हुई नहीं है. उस बैठक में आपने हम लोगों को बुलाया नहीं अगर उस बैठक में आप हमको बुलाते तो हम आपको स्थिति से अवगत कराते.
अध्यक्ष महोदय--आप मंत्री जी से अलग से चेंबर में अनुरोध करने के लिए नहीं गए क्या ? (हंसी)
श्री दिनेश राय "मुनमुन"--मंत्री जी के पास में अलग से रेस्ट हाउस में गुलदस्ता लेकर पहुंचा था.
श्री सुखदेव पांसे--अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने बताया कि जिला योजना समिति की बैठक नहीं हुई है. बैठक हुई ही नहीं इसलिए आपको बुलाया नहीं था.
श्री दिनेश राय "मुनमुन"--अध्यक्ष महोदय, मैं वही कह रहा हूँ कि सरकार बने दो महीने हो गए हैं और जिला योजना समिति की बैठक नहीं हुई है.
श्री सुखदेव पांसे--उसकी बैठक लेंगे तो आपको आमंत्रित करेंगे.
श्री दिनेश राय "मुनमुन"-- उसमें तो आऊंगा ही.
श्री सुखदेव पांसे--अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने बताया कि उनके क्षेत्र में कुछ हैण्डपम्प की आवश्यकता है, मैंने उसी समय आपको कहा था कि लिखकर दे दीजिए. हमारी सरकार तो सबकी है. पानी को प्राथमिकता दी गई है. आप लिखकर दीजिए, स्टेज पर बोला था कि आप लिखकर दे दीजिए.
श्री दिनेश राय मुनमुन--माननीय मंत्री जी मैं लिखकर दे चुका हूँ. आपके यहां भी दे दिया है, प्रमुख सचिव के यहां भी दे दिया और कलेक्टर के यहां भी दे दिया है. माननीय मंत्री जी स्वीकृति दिलवा दीजिए.
अध्यक्ष महोदय--मैं नेता प्रतिपक्ष को परमिट कर रहा हूँ, अन्यथा मूल प्रश्न के अलावा मैं किसी को परमिट नहीं करुंगा.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)--अध्यक्ष महोदय, भू-जल स्तर जो नीचे जा रहा है. इस हेतु हमें सरफेस वाटर का उपयोग करना चाहिए. हमारी सरकार ने जल निगम की स्थापना की थी. यह योजना एडीबी या वर्ल्ड बैंक के सहयोग से चालू हुई थी. जिसमें सरफेस वाटर को एक जगह एकत्रित करके उसका ट्रीटमेंट करके गांव में पाइप लाइन के माध्यम से सप्लाई शुरु की गई थी. इस प्रोजेक्ट में लगातार विलंब हो रहा है. हमारे सदस्य मुनमुन जी एक प्रश्न उठाया था उसका जवाब नहीं आया है कि कितने दिनों में यह प्रोजेक्ट पूरा हो जाएगा. जो गांव भू-जल नीचे गिरने से प्रभावित हुए हैं जहां शुद्ध पेयजल का बहुत ज्यादा जलाभाव है वहां पर कितने दिनों के अन्दर यह प्रोजेक्ट शुरु हो जाएगा. आपका ठेकेदार काम करने लगेगा. गुणवत्ता के लिए आपने भारत सरकार की संस्था की बात की है वह तो ठीक है. आप समय-सीमा बता दें कि कितने समय में प्रारंभ हो जाएगी. इसके लिए ऋण ले लिया गया है इसके लिए पैसा सरकार के पास उपलब्ध है, पैसे की समस्या नहीं है. इसकी समय-सीमा सदस्य और सदन को बता दें.
श्री सुखदेव पांसे--माननीय अध्यक्ष महोदय, इस योजना को पूर्ण करने की अवधि 24 माह की है जिसमें से अभी एक वर्ष का समय बाकी है. विपक्ष के नेता जी ने संज्ञान में लाया है हम तेज रफ्तार से इस कार्य को समय-सीमा में पूर्ण करेंगे.
(2) धार में पदस्थ आबकारी विभाग के अधिकारी द्वारा गंभीर वित्तीय अनियमितता किया जाना
सर्वश्री प्रदीप पटेल (मऊगंज), सिद्धार्थ सुखलाल कुशवाहा (डब्बू):-- अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यानाकर्षण की सूचना का विषय इस प्रकार है:-
श्री राजवर्द्धन सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं इनसे सहमत हूं. यह बिलकुल सही कह रहे हैं. मंत्री जी से मेरा भी निवेदन है कि इस पर आप कार्यवाही करें.
वाणिज्यिक कर मंत्री (श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर)-- अध्यक्ष महोदय,
श्री प्रदीप पटेल- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें 42 करोड़ रुपये के फर्जी चालान हैं. जिस समय ये चालान भरे जा रहे थे, उस समय वहां संजीव कुमार दुबे जी पदस्थ थे. प्रत्येक माह उनको इन चालानों की कम्प्यूटराईज़ड सूची को देखना चाहिए था, परंतु उन्होंने कभी नहीं देखा. मैं आपको बताना चाह रहा हूं कि आप यह पूरी सूची देखिये कि इसमें किस तरह से फर्जी चालान हुए हैं. 450 रूपये का चालान हुआ तो उसके आगे 135 लिखकर के 1 लाख 35 हजार कर दिया गया. ऐसे लगभग जितनी सूची है और उसमें जो चालान भरे जाते थे, उसमें चालान फार्मों पर अंक भर लिख दिये जाते थे और शब्द खाली रहता था और वह चालान जमा हुए. इस तरह पूरे चालानों में देखेंगे तो कहीं पर 700 रूपये था तो उसके पीछे 93 कर दिया गया, कहीं पर 150 रूपये है तो उसके पीछे 93 कर दिया गया, ऐसे करके यह 42 करोड़ रूपये की अनियमितता है. यह उनकी देखरेख के नीचे हुआ है, यह गंभीर आरोप है, इसमें मध्यप्रदेश महालेखाकार कार्यालय ने भी जांच की है और इसमें मध्यप्रदेश में इससे बड़ी कोई जांच एजेंसी नहीं है. मैं चाहता हूं कि इसमें उनके ऊपर धारा 120 (बी) के तहत उनके खिलाफ मुकदमा भी दायर करना चाहिये और इतना बड़ा घोटाला करने वाले को उन्होंने अभियुक्त को संरक्षण दिया है. अब आप कहते हैं कि जनाक्रोश नहीं है, अखबारों में निकला है. हम यहां पर विधान सभा में वित्तीय बजट के लिये बैठे हैं. आप बता रहे हैं 100-100 करोड़ रूपये की अनुपूरक बजट आदि की जरूरत है.यह तो केवल इंदौर का निकला है, इसके पहले भी उनके खिलाफ आरोप रहे है. इसलिये मैं चाहता हूं कि इसमें उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्यवाही करें और जिन्होंने फर्जी चालान पेश किया है उन सबके खिलाफ एफ.आई.आर होना चाहिये, आप उनसे वसूली तो करें ही करें. परंतु तब तक ऐसे अधिकारी को तत्काल निलंबित करके उचित दंडात्मक कार्यवाही करें, यह मैं चाहता हूं और यह कार्यवाही आप कब तक करेंगे ?
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर:- अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य की जो भावना है और उन्होंने कहा की इस तरह की गड़बडि़यां हुई हैं. यह तो मैं अपने जवाब में ही बोल चुका हूं कि वहां पर गड़बडि़यां हुई हैं, लेकिन यह कहना सत्य नहीं है कि किसी अधिकारी की मिलीभगत से हुई हैं. यह बात भी सत्य है कि उसी अधिकारी के द्वारा तत्कालीन कलेक्टर इंदौर के संज्ञान में यह बात लायी गयी थी और उसके बाद ही इस मामले पर कार्यवाही हुई थी.
अध्यक्ष महोदय, दूसरी बात जो आपने कही है कि कार्यवाही नहीं हुई तो जो भी संबंधित कर्मचारी और ठेकेदार थे उनके खिलाफ शासन के द्वारा कार्यवाही की गयी है और माननीय सदस्य मैं आपसे यह भी निवेदन करना चाहता हूं कि जब यह पूरा मामला हुआ है, तब आप ही लोग सरकार में थे, अगर वहीं जवाब ले लेते ध्यानाकर्षण के बजाय तो और अच्छा होता.
श्री प्रदीप पटेल:- अध्यक्ष महोदय, मैं अभी पहली बार विधायक बनकर आया हूं और अभी मुझे दो महीने हुए.अब आप इस तरह का जवाब देंगे तो मुझे समझ में नहीं आ रहा है. यदि मैं उस समय विधायक होता तो फिर बात होती. मैं अभी विधायक बनकर आया हूं और मेरे संज्ञान में जब विषय आया तो मैं आपके सामने रख रहा हूं. इस तरह का जवाब कि यह पिछली सरकार मामला है तो इसका मतलब क्या हमें दो महीने पहले का सवाल नहीं पूछना चाहिये ? हम शासन से सवाल पूछ रहे हैं और आप उसका गोलमोल जवाब दे रहे हैं, यह अच्छी बात नहीं है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हम आपका संरक्षण चाहते हैं, इस पर कार्यवाही होनी चाहिये और कड़ी कार्यवाही होनी चाहिये. आपने जो बताया है कि केवल अधिकारी नहीं और लोग हैं तो मैं कहता हूं आप तो जांच करवा लीजिये, उसमें और जो लोग हैं सबके खिलाफ कार्यवही कीजिये.
श्री राजवर्द्धन सिंह:- अध्यक्ष जी, यदि आपकी अनुमति हो तो एक प्रश्न पूछ लूं, मेरे लिये का मामला है.
अध्यक्ष महोदय:- इनके प्रश्न का जवाब आ जाने दीजिये.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर:- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने पहले ही कहा कि उस वक्त जो भी संबंधित अधिकारी थे, जिनकी गलती थी या ठेकेदारों की गलती थी, लेकिन वास्तविकता यह है कि जब अचानक कोषालय में जाकर इसकी रिपोर्ट मिलायी गयी तब यह गलतियां पकड़ में आयी, उसी के बाद माननीय जो भी कलेक्टर वहां थे उनको सूचना दी गयी और उसके बाद यह कार्यवाही हुई. इसमें जो लोग भी शामिल हैं, बाकायदा उनके ऊपर कार्यवाही हुई है किसी को बचाने का सवाल पैदा नहीं है.
श्री प्रदीप पटेल:- अब आप यह कह रहे हैं कि अचानक जाने पर वहां पर कार्यवाही हुई तो इसका मतलब है कि संज्ञान में बाद में आया तो सरकार के संज्ञान में भी बाद में आया. अब अगर हमारे संज्ञान में और सबके संज्ञान में आ रहा है तो आप कार्यवाही करिये, आप उनकी पोस्टिंग को निलंबित करिये और दोषियों के खिलाफ कार्यवाही करिये, केवल एफ.आई.आर बनती है. आप वसूली करेंगे और कार्यवाही कुछ नहीं करेंगे. 42 करोड़ रूपये छोटी बात है क्या ? 42 करोड़ रूपये तो ऑन द रिकार्ड संज्ञान में आया है और मध्यप्रदेश महालेखाकार इसको बोल रहे हैं. यदि आप इसके बाद और जांच करेंगे तो और भी चीजें सामने आयेंगी. आपके द्वारा जो जवाब आया है उसमें एक-एक चालान जिसमें यदि आप पूरा पढ़ेंगे तो 100 रूपये 200 रूपये और 500 सौ रूपये, 2 हजार, 5 हजार ऐसे चालान बने उसके पीछे तीन तीन अंक लिखे गये और उसको पांच लाख, आठ लाख रूपये बनाया गया है. यह पूरा का पूरा आपके द्वारा जवाब दिया गया है. आज संज्ञान में आया है तो आज ही आप कार्यवाही करिये. ऐसे आप गोल-मोल करेंगे तो ठीक बात नहीं है.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर--माननीय अध्यक्ष महोदय, शासन की मंशा ऐसे ही गोल-मोल करने की नहीं है. मैंने आपसे पहले ही कहा कि जैसे ही शासन के संज्ञान में यह आया उस वक्त ही कार्यवाही हुई. पैसा चाहे एक रूपया हो अथवा करोड़ रूपये हों, जहां पर गलती होती है उस पर कार्यवाही होना ही चाहिये इसमें किसी भी तरह का कोई संदेह नहीं है. जहां तक उनको निलंबित करने का सवाल है उनको उस वक्त ही निलंबित कर दिया गया था और उस वक्त ही उनको बहाल करके देवास पदस्थ कर दिया गया था. अगर अधिकारी उस वक्त बहुत अच्छा था तो देवास से धार पदस्थ कर दिया गया है.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने ध्यानाकर्षण सूचना का जो उत्तर दिया है वह अपने आप में स्पष्ट है. बड़ा मालदार एवं सम्पन्न विभाग है आपका इन्दौर में घटना घटित हुई. आपने एवं तत्कालीन सरकार ने स्थानांतरण किया देवास में, आपने उनको धार कर दिया. मैं पूछना चाहता हूं कि इन्दौर से 30-40 किलोमीटर दूर ही उनकी पदस्थापना क्यों होती रही ? इसके पीछे क्या कारण हैं? कौन करता है पोस्टिंग अभी तो आपकी पोस्टिंग है ? आप इनकी पदस्थापना सीधी, शहडोल, अनूपपुर एवं उमरिया, रीवा क्यों नहीं करते. मैं जानना चाहता हूं कि क्या आप विभाग एवं अधिकारी, सरकार इसके प्रभाव में है कि वहीं रहकर निकटवर्ती स्थान से पूरे मामले को दबाने का काम तथा मामले को समाप्त करने का काम कर रहे हैं, क्योंकि मैं इसलिये कह रहा हूं कि यह विभाग ऐसे हैं जिनके बारे में यहां पर कुछ नहीं कहना चाहता हूं. आप खुद भी जानते होंगे. आपकी वास्तव में कार्यवाही में ईमानदारी दिखाना चाहते हैं तो सबसे पहले संबंधित अधिकारी की पदस्थापना कम से कम 500 किलोमीटर दूर वहां से करें तब मालूम चलेगा. आपकी सरकार भी वहीं पर उसके इर्द-गिर्द पदस्थ कर रही है. मैं कहना चाहता हूं कि इसके लिये आप गौर करके देखें.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर--माननीय अध्यक्ष महोदय, नेता प्रतिपक्ष जी हमारे बहुत ही विद्वान सदस्य हैं और इनका बड़ा लंबा अनुभव है. वह लंबे समय से मंत्री भी हैं इनको पता है कि आबकारी विभाग का मतलब क्या है ? पोस्टिंग का मतलब क्या है ? मैं तो पहली बार इस विभाग को छू रहा हूं. अभी हकीकत में हमें नहीं पता कि इसका मतलब क्या है ? लेकिन मैं आपके माध्यम से इनसे यह जानना चाहता हूं कि नेता प्रतिपक्ष जी यह बता दें कि यह विभाग इतना महत्वपूर्ण था और इनकी पोस्टिंग इतनी महत्वपूर्ण थी तो कृपा करके आपके समय में इनको इन्दौर से देवास 20 किलोमीटर पास में देवास क्यों पदस्थ कर दिया था ? ऐसी आपकी क्या मजबूरी थी ?
श्री गोपाल भार्गव--यही बात तो मैं आपसे पूछ रहा हूं.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर--मैं आपसे भी पूछ रहा हूं.
श्री गोपाल भार्गव--धार भी ज्यादा दूर नहीं है.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर--माननीय अध्यक्ष महोदय, ऐसी क्या मजबूरी थी कि आपने उनको बहाल भी कर दिया, आपने उनको देवास में पदस्थ भी कर दिया और आप ही हमसे उल्टा पूछने की कोशिश कर रहे हैं कि आपने क्यों कर दिया ?
श्री गोपाल भार्गव--माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने क्या किया, क्या नहीं किया, यह आज का विषय नहीं है. माननीय सदस्य जी कह रहे हैं कि मैं दो महीने पहले चुनकर आया हूं. उनकी समस्या का समाधान करना आपका कर्तव्य है, यह आपको करना चाहिये ? क्या कारण है कि वह 40 किलोमीटर की परिधि में नियुक्ति के बाद में लगातार घूम रहा है.
अध्यक्ष महोदय--पहले मूल प्रश्नकर्ताओं के उत्तर आ जाने दीजिये.
श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष महोदय, इसमें बहुत बड़ी राशि का अपवंचन, गोल माल हुआ है उसमें महालेखाकार जी की रिपोर्ट भी आ गयी है उसके बाद भी उस पर कार्यवाही नहीं कर रहे हैं. निश्चित रूप से इस बात को इंगित करता है कि यह कहीं न कहीं हितबद्ध है.उक्त अधिकारी के विरूद्ध कभी कार्यवाही नहीं होगी, यह आपको विश्वास दिलाता हूं.
श्री सिद्धार्थ सुखलाल कुशवाह--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि ऐसे भ्रष्ट अधिकारी जो सरकार के खजाने को लूटने का वचन लिये हों, ऐसे लोगों को खिलाफ अगर कड़ी कार्यवाही नहीं हुई तो दूसरे अधिकारियों को भी मौका मिलेगा. आने वाले समय में जितना जल्दी हो सके ऐसे अधिकारियों को सजा दें यही आपसे मेरा निवेदन है.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर - माननीय अध्यक्ष जी, मैंने पहले ही कहा कि न तो हमने उनको बाहर किया, अगर पदस्थ किया है तो इन्होंने किया है. मैं केवल सदन में पूरी जिम्मेदारी के साथ इस बात को कह सकता हूं कि किसी भी अधिकारी के खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच प्रमाणित होगी तो किसी भी हालत में उसको बख्शा नहीं जाएगा, चाहे कोई भी हो.
श्री प्रदीप पटेल(मऊगंज) - अध्यक्ष जी, मंत्री जी कार्यवाही करने से चूक रहे हैं. अध्यक्ष जी, मैं आपका संरक्षण चाहता हूं मंत्री महोदय का बार बार यह कहना कि पूर्व की सरकार, पूर्व की सरकार मतलब ये जवाब से बचना चाह रहे हैं, जो हम चाह रहे हैं उसका जबाव नहीं दे रहे हैं, कार्यवाही नहीं करना चाह रहे हैं और माननीय महोदय, मैं चाहता हूं कि मंत्री जी यह बता दें कि इसमें क्या कार्यवाही करेंगे, सामने वाला अधिकारी 42 करोड़ रूपए का गबन करके पोस्टिंग में बैठे हैं और मंत्री जी कार्यवाही करने का कुछ आश्वासन नहीं दे रहे हैं.
श्री गोपाल भार्गव - मैं फिर मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि महालेखाकार की रिपोर्ट के बाद नई परिस्थिति पैदा हुई है क्या आप इस अधिकारी को पुन: निलंबित करके जांच करवाएंगे.
श्री राजवर्धन सिंह (दत्तीगांव)- अध्यक्ष जी, आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन है कि दाल में हम काला देखते हैं तो उसको दाल से निकालकर बाहर फेंकते हैं, कंकड़ बाहर करते हैं, इंतजार नहीं करते कि पूरी दाल काली हो जाए और फिर उसको पीकर हम मरे. मंत्री जी ने स्वीकार किया है कि जांच है, दोषी पाया गया, जांच हो रही है. निलंबित किया गया था, अगर पूर्ववर्ती सरकार ने कोई गलती करके भ्रष्ट अधिकारी को बचाया है तो कमलनाथ जी का कहना स्पष्ट हैं कि हम भ्रष्टाचार बिलकुल भी टॉलरेट नहीं करेंगे. इन्होंने गलती की है तो क्या हम भी गलती करें, यह बड़ा स्पष्ट है कि वह दोषी है तो कायदे से जब तक जांच पूरी नहीं हो जाए वह अधिकारी अटैच होना चाहिए, जो गलती भाजपा सरकार ने करी है उसको सुधारेगी कांग्रेस सरकार, उसको सजा देनी चाहिए. इसमें कोई संदेह नहीं कि वह अधिकारी भ्रष्ट है, उस पर आरोप है, जांच चल रही है जांच प्रचलित है तो क्यों मलाईदार पदो पर उस अधिकारी को भेजा जा रहा है, हमारे जिले में क्यों उस अधिकारी को भेज रहे हैं, तमाम ईमानदार अधिकारी हैं, उन्हें पदस्थ कर दीजिए, क्या दिक्कत है. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी, माननीय सदस्यों की भावनाओं को ध्यान रखते हुए कृपयापूर्वक इस पूरे प्रकरण में पुन: विचार कर लें.
श्री राजवर्धन सिंह - अध्यक्ष जी, जवाब तो आने दीजिए. मंत्री जी क्या उस भ्रष्ट अधिकारी को हमारे जिले से हटाकर निलंबित करके अटैच करेंगे.
अध्यक्ष महोदय - मैंने कह दिया अपनी तरफ से अपने सुना नहीं.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर - अध्यक्ष जी, अभी जांच में जिन लोगों की भी कमी पाई गई थी, जिन लोगों की वजह से गड़बड़ी हुई थी और हेराफेरी हुई थी, उसमें किसी को भी बख्शने का सवाल नहीं है. जैसे नेता प्रतिपक्ष जी ने कहा है कि वहां से कैसे बहाल हो गया, इस बारे में भी जानकारी लेंगे कि बहाली के पीछे क्या कारण था.
श्री राजवर्धन सिंह - अध्यक्ष जी, नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह जी के सवाल है, डॉ गोविन्द सिंह जी ने पत्र लिखे हैं. जांच है जब तक उसको अटैच कर दीजिए. अगर वह ईमानदार है और दोषमुक्त है तो फिर उसको वापस पदस्थापना दे दीजिएगा, जब तक जांच हो रही है वह जांच को प्रभावित करेंगे, तब तक उसको अटैच कर दीजिए, ऐसा कौन सा भगवान है वह अधिकारी कि वहां पर दर्शन देने आ गया, हटाइए ऐसे अधिकारी को.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष जी, अटैच करें और अनूपपुर, उमरिया करें, सीधी, शहडोल करें. आप वहीं धार देवास नहीं करें कहीं. जलेबी सीरा पी गई क्या?
श्री प्रदीप पटेल - अध्यक्ष महोदय, यह बहुत संवेदनशील मामला है और माननीय मंत्री जी ने बहुत विचित्र प्रश्न यहां पर खड़ा कर दिया है कि वे अनियमितताओं की जांच न कराकर, इसकी जांच कर रहे हैं कि कैसे बहाल किया ? इसकी जांच करेंगे. यह बड़ा विचित्र प्रश्न है.
अध्यक्ष महोदय - कृपया यह न लिखें.
1.05 बजे
(3) भिण्ड सिटी कोतवाली पुलिस द्वारा फर्जी शिकायतकर्ता के विरुद्ध
कार्यवाही न किया जाना.
श्री अरविंद सिंह भदौरिया (अटेर) - अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यान आकर्षण की सूचना का विषय इस प्रकार है :-
गृह मंत्री (श्री बाला बच्चन) - अध्यक्ष महोदय,
श्री अरविंद सिंह भदौरिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे केवल दो प्रश्न हैं. एक आई.पी.एस. अधिकारी के द्वारा पूरी जांच कराई गई और जिला मेडिकल बोर्ड से ही अकेले नहीं, ग्वालियर मेडिकल कॉलेज के बोर्ड के एच.ओ.डी. ने टॉप रेडियोलॉजिस्ट को लगाकर जांच कराई तो जो सब इंजीनियर और डॉक्टर हैं, उनके सब इंजीनियर की एक भी हड्डी-पसली को तोड़ा नहीं दिखाया गया. इसमें आई.पी.एस. ने जांच की है और जांच करने के बाद रिपोर्ट उस पत्रकार के खिलाफ जो केस है, यह उसमें लग जाए और यह कब तक लग जाएगी ? यह मेरा आग्रह है और निवेदन है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा दूसरा निवेदन है कि जो उपयंत्री और डॉक्टर के खिलाफ एफ.आई.आर. हुई है. यह कोई फरियादी पक्ष ने नहीं करवाई है. एक पुलिस के आई.पी.एस. अधिकारी, जो उस समय एडिशनल एस.पी., भिण्ड थे, उन्होंने टी.आई. को कहकर साक्ष्यों के आधार पर एफ.आई.आर. कराई है, उसमें खुद टी.आई. ने एफ.आई.आर. करवाई है तो उसमें जांच किस बात की होने वाली है ? श्री एल.पी.शर्मा, सब इंजीनियर और डॉक्टर जब जमानत पर गए तो टी.आई. ने लिखकर दिया है, कैफियत मांगी जाती है, कैफियत में लिखकर दिया है कि टी.आई. ने कैफियत में यह लिखकर दिया है कि विवेचना कथन साक्षीगण, एम.एल.सी. रिपोर्ट एवं एक्सरे रिपोर्ट आदि से आरोपी डॉक्टर आर.के.सिंह के विरूद्ध अपराध सिद्ध पाये जाने से तलाश की गई, वह नहीं मिले, आरोपी की गिरफ्तारी,जमानत न लेने के कारण प्रयास किये गये.
माननीय अध्यक्ष महोदय, दूसरा टी.आई. महोदय ने यह भी लिखा है कि आरोपी की जमानत देने से समाज पर बुरा प्रभाव पड़ेगा. यह कि आरोपी घटना दिनांक से फरार है और चालाक प्रवृत्ति का आदमी है. मैं यह कहना चाहता हूं कि यह अकेला विषय नही है. भिंड जिले में कम से कम इस डॉक्टर ने ऐसे दो सौ से ढाई सौ लोगों से पैसे लेकर झूठी मेडीकल रिपोर्ट बना देते हैं, जिसमें फैक्चर बता दिया जाता है. मैं अंतर्आत्मा की आवाज से कह रहा हूं, मैं परमपिता परमात्मा को साक्षी मानकर माननीय मंत्री महोदय से कह रहा हूं. यह डॉक्टर आदतन प्रकार का अपराधी है. जब टीआई महोदय खुद कैफियत में लिख रहे हैं कि उस प्रकरण के आरोपी ने अपने पद का दुरूपयोग किया गया है अगर जमानत होती है तो आरोपी अपराध की पुनरावृत्ति करेगा, जिससे समाज पर बुरा असर पड़ेगा यह पांच फरवरी को टी.आई. मिस्टर करकरे ने कैफियत में सी.जे.एम. कोर्ट में जमा किया है. मैंने आर.टी.आई. से इसे निकलवाया भी है और मैं आपको यह दे भी देता हूं. अब उस प्रकरण में किस बात की जांच करने वाले हैं ?
अध्यक्ष महोदय - आपका विषय पूरा आ गया है अब प्रश्न कर लीजिये.
श्री अरविंद सिंह भदौरिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे दो ही प्रश्न है पहला प्रश्न यह है कि यह रिपोर्ट कब तक लग जायेगी ? दूसरा प्रश्न यह है कि इन पर एफ.आई.आर. हुई है और टी.आई. ने खुद इन पर एफ.आई.आर. की है उसकी डिटेल साक्ष्य है, तथ्य है पूरे दस्तावेज है मैं आपको दे देता हूं. उस एफ.आई.आर. में उसकी गिरफ्तारी हो और उसके विभाग को अभी तक जानकारी नहीं दी गई है और न ही मेडीकल विभाग को जानकारी दी गई है, न ही इंजीनियरिंग विभाग को जानकारी दी गई है कि इन पर एफ.आई.आर. दर्ज है. आराम से पुलिस कह रहे है कि हम उनको तलाश रहे हैं, वह फरार है. जब वह डेली ड्यूटी कर रहे हैं, डेली जा रहे हैं, डेली उपस्थिति दे रहे हैं तो वह कहां से फरार है. इसलिये दूसरा प्रश्न यह है कि इनको तुरंत गिरफ्तार किया जाये, जिससे इस प्रकार की घटनायें आगे न हो. माननीय मंत्री जी से मेरे मात्र दो ही प्रश्न हैं.
श्री बाला बच्चन - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी ने जो जानना चाहा है और जो साक्ष्य जुटायें हैं हमारे विभाग द्वारा इस प्रकरण से संबंधित विवेचना की जा चुकी है. एफ.आई.आर. दिनांक 14/05/2018 को हुई है. आपने दो चीजें इसमें पूछी है एक तो खात्मा रिपोर्ट और खारिज रिपोर्ट कब तक माननीय न्यायालय में लगा दी जायेगी, आप यही जानना चाह रहे हैं?
श्री अरविंद सिंह भदौरिया - माननीय मंत्री जी वह सब तो कम्पलीट हो गया है. आई.पी.एस. अधिकारी ने उस पर जांच की है. वह आज ही चली जाये और कल चली भी गई थी ऐसी मुझे सूचना हो गई थी, कल वहां के एस.पी. का मेरे पास फोन भी आया कि मैं इसको भिजवा देता हूं, आप ध्यानाकर्षण को वापस ले लो.
अध्यक्ष महोदय - मतलब आपकी समस्या का समाधान हो गया है.
श्री अरविंद सिंह भदौरिया - समाधान नहीं हुआ है. फिर बाद में ध्यानाकर्षण लगने के बाद फिर उसको वापस बुला ली गई है. वहां का टी.आई. उस पत्रकार को हड़काता है कि अब तुमको चने चबवा दिये जायेंगे. वहां का टी.आई. उस पत्रकार को कहता है कि अब तेरे को चने चबवाते हैं, नहीं तो पहले मैं कर देता पर तू नेतागिरी पहले करा ले. मेरी विनम्र प्रार्थना है कि सब कम्पलीट है, आज उसकी यह रिपोर्ट में कोर्ट में जमा हो जाये, कोर्ट मुंशी को पहुंच जाये.
श्री बाला बच्चन - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह सब हो चुका है जैसा माननीय विधायक जी जानना चाहते हैं आज माननीय न्यायालय में रिपोर्ट लग चुकी है.
श्री अरविंद सिंह भदौरिया - मेरा दूसरा प्रश्न यह है कि उनकी गिरफ्तारी कब तक हो जायेगी जो मानसिक रूप से अपराधी हैं. वह डॉक्टर है, पढ़ा लिखा है, कई लोगों को झूठे केस में फंसाया गया है तो उनको तत्काल गिरफ्तार किया जाये और उस पर कोर्ट निर्णय करे.
श्री बाला बच्चन - माननीय अध्यक्ष महोदय, जिस तरह से आपने बताया है वह शर्मा सब इंजीनियर नहीं एस.डी.ओ. है. वह भिंड का रेडियोलॉजिस्ट ए.के.सिंह जिसके बारे में आपने बताया है कि गलत रिपोर्ट बनाकर दी थी अस्थि भंग का बताया गया था, लेकिन जब दूसरी जगह से जांच कराई तो ऐसा नहीं पाया गया था और वह रिपोर्ट भी मिथ्या पाई गई है, जिनसे रिपोर्ट कराई थी और उसकी पुष्टि करने के लिये यह डॉक्टर भी शामिल हो गया है. देखिये अगर पुलिस की और हमारे विभाग की मंशा ठीक नहीं होती तो हम एफ.आई.आर. नहीं लेते. हमने एफ.आई.आर.ले ली और एफ.आई.आर. लेने के बाद प्रकरण की विवेचना भी की जा चुकी है और उनकी रिपोर्ट मिथ्या भी पाई गई है. अब अगली जो कार्रवाई है जो धारायें हैं, उन धाराओं का फिर से मैं उल्लेख नहीं करना चाहता हूं. लेकिन प्रभारी एस.डी.ओ. शर्मा के विरूद्ध , रेडियोलाजिस्ट ए.के. सिंह के विरूद्ध इस पूरे प्रकरण में जो विवेचना हो रही है साक्ष्य जुटाये जा रहे हैं, जैसे ही इससे संबंधित साक्ष्य मिलते हैं और जो साक्ष्य अभी तक जुटाये गये हैं उसके बारे में आपको बताना चाहता हूं कि जो कमेटी बनी है उसमें दो लोगों के बयान हो चुके हैं दो तीन और बचे हैं तो अगर आप कुछ समय हमें दे दें तो बहुत ही जल्दी हम उनके भी कथन लेकर के इनके खिलाफ जो अगली कार्यवाही बनती है वह हम कर देंगे.
श्री अरविंद भदौरिया- माननीय अध्यक्ष महोदय, उसके सब कथन हो चुके हैं, आलरेडी आईपीएस अधिकारी ने एफआईआर कराई है.
अध्यक्ष महोदय- मंत्री जी कह रहे हैं कि जल्दी करेंगे.
श्री अरविंद भदौरिया-- मंत्री जी, समय सीमा बता दें . कब तक कर देंगे.
श्री बाला बच्चन - बहुत जल्दी.
श्री अरविंद भदौरिया - बहुत जल्दी मतलब एक साल, दो साल, दो दिन, एक घंटे..
श्री बाला बच्चन- नहीं नहीं ऐसा नहीं है. अगर आरोपी है, धारायें लगी हैं, केस दर्ज हुआ है, कानून को हाथ में लेने वाले हैं उनके खिलाफ हम सख्त कार्यवाही करेंगे और हम इन दोनों के खिलाफ भी कार्यवाही करेंगे. बहुत जल्द गिरफ्तार करेंगे.
1.17 बजे अध्यक्षीय घोषणा
भोजनावकाश न होना
अध्यक्ष महोदय- आज भोजन अवकाश नहीं होगा. सदन की लाबी में भोजन की व्यवस्था की गई है. माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि सुविधानुसार भोजन ग्रहण करने का कष्ट करें.
1.18 बजे
ध्यानाकर्षण(क्रमश:)
(3)जबलपुर नगर निगम द्वारा प्रधानमंत्री स्वच्छता अभियान के तहत शौचालय निर्माण में अनियमितता किया जाना.
श्री विनय सक्सेना(जबलपुर-उत्तर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे ध्यानाकर्षण की सूचना का विषय इस प्रकार है :-
मंत्री, नगरीय विकास एवं आवास (श्री जयवर्द्धन सिंह)--माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री विनय सक्सेना - माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी से मेरा आग्रह है कि जिन अधिकारियों ने जवाब बनवाया है उनमें से एक की ड्यूटी लगवाएं और दिखवाएं कि एक भी शौचालय इस लायक है तो कृपा करके उसका सुबह उपयोग करके दिखाएं,आम जनता को जो यह सलाह दे रहे हैं तो कोई वरिष्ठ अधिकारी वहां जाए, मैं किसी का नाम नहीं लूंगा. वैसे ये स्वयं स्वीकार कर रहे हैं कि कई जगह पानी की टंकी नहीं है. मेरा निवेदन है कि जो शौचालय का उपयोग करता है उसको पानी की आवश्यकता उसी समय पड़ती है कि बाद में पड़ती है और बाद में पड़ती है तो दूसरा व्यक्ति उसका उपयोग कैसे करेगा. हमारे प्रधानमंत्री जी का एक विज्ञापन आता है अमिताभ बच्चन जी कहते हैं कि दरवाजा बंद करो. दरवाजा ही टूटा लगा है तो दरवाजा बंद कैसे करेंगे. आपने स्वयं बताया कि शहर में गरीबों के यहां शौचालय बना दिये गये. मैं एक पहाड़ी का जिक्र करना चाहता हूं मदन महल,पहाड़ी के ऊपर के मकानों में शौचालय बना दिये गये.सेप्टिक टैंक नहीं लगाया गया तो उसके ठीक नीचे का जो मकान है, सेप्टिक टैंक न होने से उसका पूरा सीवेज नीचे के घर पर आता है फिर उसके नीचे का जो घर है उस पर आता है. इतने बुरे हालात हैं जबलपुर शहर के. मैं तो यह भी कहना चाहता हूं कि आम के आम गुठलियों के दाम, छाछ से कैसे घी निकाला जाता है और खली से कैसे तेल निकाला जाता है. यह देखना हो तो पिछली सरकार की कलाकारी को देखिये.
अध्यक्ष महोदय - कृपा करके प्रश्न करें.
श्री विनय सक्सेना - मेरा आपसे कहना है कि एक भी शौचालय ठीक नहीं है उनके दरवाजे टूटे हुए हैं. दरवाजा सही है तो अंदर सीट टूटी हुई है. अगर शौचालय की सीट ठीक है तो ऊपर पानी की टंकी नहीं है. अगर पानी की टंकी है तो पाईप लाईन जुड़ी नहीं है. अगर जुड़ी भी है तो उसको पानी नहीं मिल रहा है. आपबताएं कि शौचालय का उपयोग कैसे होगा और जो शौचालय खरीदे गये उनकी कीमत क्या है ?
श्री जयवर्द्धन सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी ने वाकई में एक बहुत ही गंभीर मुद्दा उठाया है और इसमें विशेषकर जो पब्लिक टायलेट्स जबलपुर शहर में लगाये गये उनकी गुणवत्ता पर एक प्रश्न चिह्न लगाया है. मैं आपसे अर्ज करना चाहता हूं कि वाकई में यह एक बड़ी समस्या है और इसका एक कारण है कि उनकी देखरेख वहां ठीक से नहीं हो पा रही है और टायलेट्स के साथ जो पानी की व्यवस्था होनी चाहिए और उसके आसपास सफाई रहनी चाहिये वह वहां नहीं मिली है. विधायक जी ने जो रेट्स का प्रश्न किया है, मैं कहना चाहता हूं कि 4 प्रकार के पब्लिक टायलेट्स क्रय किये गये थे. उसमें (1) प्री-कॉस्ट बायोटॉयलेट, एक की लागत थी 1 लाख 4 हजार रुपए (2) प्री-फेब बायोटॉयलेट, जिसकी लागत थी 2 लाख 98 हजार रुपए (3) प्री-फेब टॉयलेट, जिसकी लागत थी 2 लाख 85 हजार रुपए, (4) प्री-फेब टॉयलेट, जिसकी लागत थी 2 लाख 94 हजार रुपए प्रति नग, ये तीन और चार नम्बर दोनों तीन सीटर थे. इसमें जब मैंने पता किया तो इनके मार्केट में रेट की रेंज करती है 10 हजार रुपए, 30 हजार रुपए, 40-50 हजार रुपए के बीच में. इसमें बहुत भारी रेट में अंतर आ रहा है. जो नगर निगम से कीमत की जानकारी आई है और जो वास्तविक मूल्य मार्केट में दिख रहा है वह 10 से 20 प्रतिशत है. वाकई में इसमें कार्यवाही होनी चाहिए. जैसा अध्यक्ष जी चाह रहे हैं कि इसमें मैं आदेश दूंगा नगर निगम जबलपुर को कि इसमें तुरन्त कार्यवाही करके यह बताएं कि यह जो रेट दिये गये हैं इसमें क्या और भी अन्य चीजें शामिल थीं या जो टॉयलेट रखा गया है सिर्फ उसी की लागत इसमें दिखाई गई है. यह गंभीर आरोप हैं और इसकी पूरी जांच करवाई जाएगी.
दूसरा मुद्दा माननीय विधायक जी ने उठाया है कि जबलपुर शहर में जो सिंगल टॉयलेट्स हैं वहां पर पहाड़ी में जो लोग बसे हुए हैं उनकी भी ठीक से व्यवस्था हो नहीं पाई है. वाकई में यह भी एक मुद्दा है क्योंकि काफी ऐसे टॉयलेट्स निर्मित हुए हैं जिसका सिर्फ स्ट्रक्चर बना है, लेकिन पानी और अन्य सुविधाएं वहां पर नहीं हैं, जिसके कारण काफी गंदगी फैलती है और अगर हम डेटा देखें तो डेटा में यह स्पष्ट आता है कि जबलपुर शहर में लगभग 70 हजार परिवार स्लम्स में रहते हैं, जबकि अब तक जो सिंगल टॉलेट्स लगे हैं वह लगभग 41 हजार हैं, उसमें भी काफी अंतर है. इसकी भी हम जांच करेंगे कि ऐसे कौन-कौन से स्लम्स हैं जहां पर अभी तक सही निर्माण नहीं हुआ है और जैसा माननीय विधायक जी चाहेंगे वैसा कमिश्नर नगर निगम जबलपुर को आदेश करके पूरी कार्यवाही उनके अनुसार करवाएंगे.
श्री विनय सक्सेना - अध्यक्ष महोदय, यह जो एक भारी भ्रष्टाचार का स्वरूप है मैं आज सोच रहा था कि पाप के बारे में बात नहीं करूंगा, कल आपने विलोपित कर दिया है. लेकिन सिंहस्थ के जो पुण्य हैं वह दिखने लगे हैं. मेरा एक निवेदन और सुन लें.
अध्यक्ष महोदय - मैं एक निवेदन कर लूं, यह जो पाप शब्द है. वह असंसदीय है. आप लोग भी ध्यान रखिए. शब्दकोश में बहुत सारे शब्द हैं जिनका आप उपयोग कर सकते हैं. आप भी बड़े विद्वान हैं मैं जानता हूं. कृपया ऐसे शब्द का बार-बार उपयोग न करें और मैं बार-बार आपको ऐसा (इशारा) करता रहूं.
श्री विनय सक्सेना- अध्यक्ष महोदय, मैं निवेदन यह कर रहा था, मैंने स्वयं कह दिया कि पाप को आपने कल विलोपित कर दिया तो आज मैं उसकी जगह पुण्य शब्द का उपयोग करूंगा. मैंने कहा है कि सिंहस्थ में जो पुण्य हुए हैं पिछली सरकार में, वह अब देखने को मिल रहे हैं गदंगी के रूप में, 10 हजार रुपए की चीज 3 लाख रुपए में खरीदी हो गई. मैं भी तो यही कह रहा हूं कि नगर निगम में कहता था तो कोई सुनता नहीं था . कम से कम इस सरकार में सुनवाई तो हो रही है. मैं आपसे एक और गंभीर बात कहना चाहता हूं. कलेक्टर कार्यालय जबलपुर के ठीक सामने एक शौचालय बना, एड के लिए उसको दिया गया. जो तत्कालीन कमिश्नर थे वेदप्रकाश जी, वह भी बड़े विद्वान थे. उनसे जब मैं सदन में प्रश्न करता था तो वहां तो वे जवाब दे नहीं पाते थे, किनारे जाकर कहते थे साहब, सरकार के ऊपर से आदेश हैं मैं क्या करूं. आज वह वेदप्रकाश जी बाद में छिंदवाड़ा पहुंच गये थे. मैं अध्यक्ष जी आपसे निवेदन यह करना चाहता हूं कि वेदप्रकाश जी के उस समय के पूरे कार्यों की जांच होनी चाहिए. एक और आग्रह करना चाहता हूं कि जबलपुर शहर का नेपियर टाऊन, राइट टाऊन, सिविल लाइन, घंटा घर और कलेक्टोरेट, जो सबसे महंगी जमीनें थीं, उनको 15-15 साल के लिए लीज़ पर शौचालय के निर्माण के लिए, विज्ञापन के लिए दे दिया गया, उसके आगे एड करने का भी अधिकार उनको दे दिया गया. कमिश्नर आएंगे 3 साल के लिए, ठेक दे दिया बगैर सदन के 15 साल के लिए और एक गंभीर बात सुनिए, उन शौचालयों में ताले डले हैं क्योंकि उसमें शर्त यह स्पष्ट नहीं थी कि जो शौचालय बनाएगा और विज्ञापन करके कमाएगा, वह सफाई करेगा कि नगर निगम सफाई करेगी. मेरे इस प्रश्न की भी जांच करवा ली जाय.
अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे कहना चाहता हूं कि जबलपुर शहर में हालत यह है जो गरीबों के लिए शौचालय बना रहे हैं वह तो उपयोग कर नहीं पा रहे हैं. अगर उसका उपयोग नहीं कर पा रहे हैं तो वे खुले में शौच कर रहे होंगे तो केन्द्र सरकार से ओडीएफ में 21वां नम्बर मिल कैसे जाता है? मैं आपसे यह भी पूछना चाहता हूं. जब शौचालय टूटे पड़े हैं, सीट हैं नहीं, दरवाजे बंद हो नहीं रहे तो इसका मतलब खुले में शौच हो रहा होगा और वास्तविक रूप से आप सुबह देख सकते हैं, उसकी वीडियोग्राफी करवा सकते हैं तो फिर केन्द्र सरकार से हर नगर निगम को जो पुरस्कार मिलते हैं वह किस लेन-देन के तहत मिलते हैं यह भी एक प्रश्न आ गया? मैं यह पूछना चाहता हूं कि ओडीएफ में 21वां नम्बर, ओडीएफ में 25वां नम्बर हमारे शहर को कैसे मिल जाता है? मैं इसके बारे में आपसे आग्रह करना चाहता हूं और खासतौर से 15 साल के लिए जो वहां पर लीज़ के लिए दे दिये गये, उसको निरस्त करवाने का कष्ट करें?
श्री जयवर्द्धन सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय माननीय विधायक जी को वास्तव में जबलपुर शहर का बहुत अच्छा अनुभव है वह पहले कई बार पार्षद भी रहे हैं और नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष भी रहे हैं. इन्होंने विशेष मुद्दे अवगत कराये हैं. शौचालय के संबंध में मैंने पहले भी आश्वासन दिया है कि उसकी पूरी जांच करवाई जायेगी उसमें उन्होंने कुछ मुद्दे और बतायें हैं नगर निगम क्योंकि वह इस विषय से संबंधित नहीं है, तो उसका आश्वासन मैं अभी नहीं दे सकता हूं, लेकिन उनके मन में और कुछ ऐसी बातें हैं तो वह अलग से मुझसे बात कर सकते हैं. लेकिन मैं सदन में आश्वासन दे रहा हूं. इसमें उत्तर में भी दिया गया है कि अगर कुछ क्रय किया गया है सिंहस्थ के माध्यम से, उसकी पूरी जांच की जायेगी और बाकी जो ऐसे पब्लिक टायलेट हैं, जिनकी गुणवत्ता सही नहीं है, जो टूटे हैं और जिनके द्वारा आम जनता को लाभ नहीं मिल पा रहा है उसकी पूरी जांच हमारा विभाग करायेगा.
समय 01.33 याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय -- आज की कार्य सूची में माननीय सदस्यों की सम्मिलित सभी याचिकाएं प्रस्तुत की गई मानी जायेंगी.
समय 01.34 शासकीय विधि विषयक कार्य
मध्यप्रदेश नगरपालिका(संशोधन) विधेयक, 2019
नगरीय विकास और आवास ( श्री जयवर्द्धन सिंह ) -- अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश नगरपालिका(संशोधन) विधेयक, 2019 पर विचार किया जाय.
अध्यक्ष महोदय --प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश नगरपालिका(संशोधन) विधेयक, 2019 पर विचार किया जाय.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया( मंदसौर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय मध्यप्रदेश नगरपालिका अधिनियम 1961 क्रमांक 37 के 1961 के माध्यम से मंत्री जी ने स्थानीय निकाय के चुनाव में जो आवश्यक अहर्ताएं होती हैं, और जिनको लेकर के नामांकन दाखिला करने वाला व्यक्ति उन नियमों और प्रक्रियाओं के कारण कई बार अयोग्यता भी रखता है लेकिन उसके बावजूद भी नामांकन नहीं भर पाता फार्म नहीं भर पाता है. भारत का नागरिक है, सरकारी सेवक है और वेतन या मानदेय के रुप में पारिश्रमिक पाता है या परिषद् के अधीन लाभ का कोई पद धारण किया हो या किसी सक्षम न्यायालय द्वारा विकृत चित्त मानसिकता वाला हो, दिवालिया हो, उसी क्लॉज में एक कुष्ठ रोग की बीमारी को लेकर के भी उन अर्हता में उसको जोड़ा गया था कि अगर कुष्ठ रोगी है, तो चुनाव नहीं लड़ पायेगा. मुख्यधारा से जोड़ने का काम इस विधेयक के माध्यम से लोकतंत्र, प्रजातंत्र में किये जाने का यह प्रयास है. संक्रामक रोग होते हैं. शरीर में कोई भी बीमारी लग सकती है, लेकिन कुष्ठ रोग जहां एक ओर अब साध्य रोग हो गया है और उसके अंतर्गत भारत सरकार ने भी, पूर्ववर्ती सरकार हो या वर्तमान सरकार हो, कुष्ठ रोग को जड़- मूल से समाप्त करने को लेकर के एक अभियान चलाया है, उसमें बड़ी सफलता प्राप्त हुई है. फिर चाहे वह क्षय रोग हो, चाहे वह कुष्ठ रोग हो, चाहे पोलियो उन्मूलन हो. इन तीनों चीजों में क्रांतिकारी निर्णय हुए हैं. मैं समझता हूं कि इन उद्देश्यों और कारणों को कथन बिन्दू करते हुए यह जो संशोधन लाया गया है, मैं मंत्री जी आपका धन्यवाद एवं आभार व्यक्त करना चाहता हूं. इसलिये कि कुष्ठ रोगियों में भी कोई योग्यता होती है, होगी. वह कुष्ठ रोगियों की बस्ती, जहां पर उसके परिवार का पढ़ा लिखा बच्चा है और कहीं छोटा मोटा रोग भी उसको ग्रसित कर गया, बाल्यकाल से उस माहौल में रहता है. उसको यदि चुनाव लड़ने को लोकर के अगर कुष्ठ रोग की बाध्यता आती है, तो मैं समझता हूं कि यह जो संशोधन विधेयक आया है, यह आपने प्रस्तुत किया है, मैं इसका स्वागत करते हुए अभिनन्दन करता हूं.
श्री घनश्याम सिंह (सेंवढ़ा) -- अध्यक्ष महोदय, यह जो मध्यप्रदेश नगरपालिका (संशोधन) विधेयक,2019 लाया गया है, मैं आपके माध्यम से सरकार को और मंत्री, श्री जयवर्द्धन सिंह जी को धन्यवाद दूंगा. बहुत अच्छा विचार है, बहुत अच्छा संशोधन विधेयक है. यह काफी देर से आया है, लेकिन दुरुस्त आया है. जैसा कि अभी कहा गया, बिलकुल सही बात है कि कुष्ठ रोग कभी असाध्य होता था और बहुत संक्रामक रोग होता था, जिसके कारण ऐसे प्रावधान किये गे थे कि कुष्ठ रोगी कहीं कोई मीटिंग, सम्मेलन है, जहां ज्यादा लोग एकत्रित हो रहे हैं, वहां कुष्ठ रोगी न बैठें, जिससे कि कुष्ठ रोग फैलने की सम्भावना न हो. मैं तो यह कहूंगा कि यह बाबा आदम के जमाने का प्रावधान था. इसको समाप्त किया जा रहा है. यह बड़ी खुशी की बात है, स्वागत योग्य है. कुष्ठ रोग अब साध्य हो चुका है, उसका उपचार संभव है. आज के जमाने में इस तरह के प्रावधान कहीं अगर कानूनों में हैं, तो उन्हें हटाया जाना चाहिये और आज यह संशोधन करके हटाया जा रहा है. इसका मैं स्वागत करता हूं और सरकार को बहुत बहुत धन्यवाद देता हूं एवं माननीय जयवर्द्धन सिंह जी को बहुत बहुत धन्यवाद. अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का समय दिया, इसके लिये धन्यवाद.
श्री देवेन्द वर्मा (खण्डवा) -- अध्यक्ष महोदय, सदन में मध्यप्रदेश नगरपालिका (संशोधन) विधेयक,2019 जो प्रस्तुत किया गया है, मैं इसका समर्थन करता हूं. निश्चित ही अगर हम कुष्ठ रोग की बात करें, तो लगभग 30-40 साल पूर्व में सरकार ने इस प्रकार के प्रावधान बनाये थे, जिसके अंतर्गत इस प्रकार के प्रभावित क्षेत्रों में अलग से बस्तियां बनाई गई थीं. मैं बताना चाहता हूं कि इसी कड़ी में हमारे खण्डवा शहर में भी शहर से लगभग 10 किलोमीटर दूर इसी प्रकार की कुष्ठ बस्ती बसाई गई थी और जहां पर कि इस प्रकार के रोगी निवास करते थे. निश्चित ही आज के युग में अगर हम बात करें , तो आज यह रोग साध्य है. कहीं से भी इस प्रकार का पुराना जो नियम है, इसको विलोपित किया जाना आवश्यक था. मैं मंत्री जी को धन्यवाद देता हूं, साथ ही साथ इसमें अध्यक्ष और पार्षद के निर्वाचन में लागू किया गया है, लेकिन वर्तमान में अगर हम देखें कि आज एक पार्षद अगर नगर निगम में निर्वाचित हुआ है, तो जिस प्रकार के जो सरकार के नये नियम हैं, उसके अंतर्गत मुश्किल से साल में एक बार परिषद् की बैठक हो पाती है. 5 वर्ष के अपने कार्यकाल में वह मुश्किल से 5 बैठक अटेण्ड कर पाता है. मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि यह सुनिश्चित करें कि कम से कम परिषद् की बैठक एक माह में अवश्य हो. निश्चित रुप से इस प्रकार से पार्षदों का एक सम्मान होगा और साथ ही साथ वे अपने क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा कार्य करा पाएंगे. जैसे इस प्रकार का यह विधेयक आप लेकर आए हैं, नगर निगमों में अगर हम देखें तो आज भी नगर निगम में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का भी रोस्टर चला आ रहा है, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी हमारे मध्यप्रदेश में कुछ होंगे, लेकिन अगर हम उनका रोस्टर चालू रख सकते हैं तो उनके परिवार को उस रोस्टर में यदि शामिल करेंगे तो यह प्रदेश की जनता के हित में होगा. अध्यक्ष महोदय, इसी प्रकार मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि अवैध कालोनी एक बहुत बड़ी समस्या मध्यप्रदेश में बनी हुई है तो छोटे प्लॉट की जो रजिस्ट्री होती है, उस पर रोक लगाई जाए. अत: मेरा आपके माध्यम से यह निवेदन है कि शहर में जो बड़ी-बड़ी अवैध कालोनियां बस रही हैं, खण्डवा जैसे छोटे से शहर में आज 300 अवैध कालोनियां हैं, इससे शहर का अनियंत्रित विकास हो रहा है. यह भी छोटे शहरों की बहुत बड़ी समस्या है. इसी प्रकार शहरी क्षेत्र में आज भी छोटे झाड़, छोटे जंगल की जो जमीन है, उसका कोई उपयोग नहीं हो पाता और नगर निगम उसकी देखरेख नहीं कर पाती या तो उसको इस प्रकार की छोटे झाड़, छोटे जंगल की या नजूल की जो भी जमीन है या शहर में जो इस प्रकार की प्रॉपर्टी है, वह पूरी तरह नगर निगम को हैंडओवर होनी चाहिए जिससे कि उसकी सही तरीके से देखरेख हो सके और अपने उपयोग में ले सकें.
अध्यक्ष महोदय -- देवेन्द्र भाई, कौन से विषय पर जा रहे हो, विषय कुछ है और बोल कुछ रहे हो.
श्री देवेन्द्र वर्मा -- अध्यक्ष महोदय, विधेयक वाला विषय तो मैंने पहले बोल दिया, ये छोटी-छोटी सी बातें हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, टीएंडसीपी भ्रष्टाचार का एक अड्डा बना हुआ है, इससे जनता को कहीं न कहीं परेशानी हो रही है या तो उसे नगर निगम में मर्ज करें या फिर उसका सही उपयोग हो और शहर के मास्टर प्लान के हिसाब से विकास हो. यह नगर निगम द्वारा सुनिश्चित करने का काम करें. अध्यक्ष महोदय, विषय बहुत सारे हैं, आपने बोलने का समय दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश नगरपालिका (संशोधन) विधेयक, 2019 पर विचार किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2 इस विधेयक का अंग बना.
प्रश्न यह है कि खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बना.
प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
श्री जयवर्द्धन सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूँ कि मध्यप्रदेश नगरपालिका (संशोधन) विधेयक, 2019 पारित किया जाए.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इस विषय पर हमारे पूर्व वक्ता श्री यशपाल सिंह सिसौदिया जी, श्री घनश्याम सिंह जी और श्री देवेन्द्र वर्मा जी ने भी उनके विचार प्रकट किए हैं. वाकई में नगरपालिका अधिनियम, 1961 की धारा 35 (च) में जो संशोधन किया गया है, यह एक महत्वपूर्ण संशोधन है क्योंकि अब तक उसमें यह उल्लेख था कि अध्यक्ष के लिए या पार्षद के लिए निर्वाचन में अगर कोई व्यक्ति नाम भरता था तो अगर वह किसी भी प्रकार के कुष्ठ रोग से पीड़ित था तो उसको निर्वाचन में नाम भरने की अनुमति नहीं मिलती थी. मैं सदन को इसके बारे में अवगत कराऊंगा कि माननीय उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल इस मुद्दे को लेकर एक फैसला लिया जिसमें पिटीशनर विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी के द्वारा याचिका लगाई गई थी, जिसमें इस नियम को संशोधित करने की मांग की गई थी. उसी के आधार पर मिस पिंकी आनन्द, एडिशनल सॉलीसिटर जनरल जिन्होंने यूनियन ऑफ इंडिया के लिए एपियर किया था, उनके द्वारा जो इसमें इंस्ट्रक्शंस दिए गए थे, उसी के आधार पर यह निर्णय लिया गया है कि इस संबंध में यह विधेयक संशोधित किया जाए और क्योंकि थ्रू एडवांसमेंट इन टेक्नालॉजी आज के समय ये रोग अब कंटेजियस नहीं है, संक्रामक नहीं है तो इसीलिए यह निर्णय लिया गया है कि इसके माध्यम से कोई भी ऐसा व्यक्ति हो, जो इससे पीडि़त हो वह भी आज के समय अब इस संशोधन के बाद निर्वाचन में उसका नाम रख सकता है. साथ में जो कुछ और मुद्दे श्री देवेन्द्र वर्मा जी ने उल्लेख किए थे वह इस विषय से संबंधित नहीं हैं लेकिन कभी जब भी ये मुद्दे चर्चा में आएंगे तो उनके बारे में भी जरूर आपके जो भी प्वाइंट्स हैं, उसके मैं उत्तर दूंगा. धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ. मध्यप्रदेश नगरपालिका (संशोधन) विधेयक, 2019 पारित किया जाए.
प्रश्न है कि मध्यप्रदेश नगरपालिका (संशोधन) विधेयक, 2019 पारित किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत.
विधेयक पारित हुआ.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय नेता प्रतिपक्ष जी, एक बात कहना चाहता हॅूं. विराजिए. जब मैं पहली बार चुनकर आया था, ऐसे ही कोई विधेयक पहली बार आया है. माननीय पटवा जी ने मुझसे यहां पूछा कि विधेयक आ गया है, अब इस पर अपने विचार रखिए. पहली-पहली बार जो मंत्री बनकर आए और अपने विचार विधेयक के ऊपर रखे, वह बड़ी टेढ़ी खीर-सी होती है लेकिन मैं श्री जयवर्द्धन सिंह जी को शुभकामना और शाबाशी दूंगा. पहली बार आपने विधेयक प्रस्तुत किया. (मेजों की थपथपाहट) विस्तार से, अच्छे से जिन माननीय सदस्यों ने बोला, उनके लिए भी आपने उल्लेखित किया. आप ऐसे ही आगे बढे़ं, हमारी ऐसी शुभकामनाएं.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) -- माननीय अध्यक्ष जी, योग्य मंत्री हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- योग्य पिता की योग्य संतान.
श्री गोपाल भार्गव -- योग्य पिताजी के योग्य बेटे हैं. अध्यक्ष महोदय, हालांकि मैं चाहता था लेकिन मैंने बीच में इंट्रप्ट नहीं किया. बच्चों के बीच में नहीं करना चाहिए. कुष्ठ रोग को कैसे ऑइडेंटिफाई करेंगे, यदि किसी ने किसी के खिलाफ असत्य सर्टिफिकेट लगा दिया तो वह वैसे ही डिसक्वॉलिफाई हो जाएगा. इसकी कोई प्रामाणिक प्रक्रिया यदि आप रखेंगे तो हो सकता है कि यह फेयर हो जाएगा. क्योंकि कुष्ठ रोग आईडेंटिफाई आसानी से नहीं होता है. गिने-चुने लोग ही होते हैं. बल्कि कई लोगों के लिए होता है लेकिन प्रमाणित नहीं हो पाता.
श्री जयवर्द्धन सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, वह नियम खतम ही हो गया है. विधेयक इसलिए पारित किया गया है क्योंकि पहले यह नियम था कि कोई व्यक्ति जो कुष्ठ रोग से पीडि़त है तो उसको निर्वाचन में खडे़ होने की अनुमति नहीं मिलती थी. लेकिन अब वह नियम बदल गया है अब ऐसा कोई नियम नहीं है तो वैसे ही अब सवाल नहीं उठता.
2. मध्यप्रदेश आधार (वित्तीय और अन्य सहायिकियों, प्रसुविधाओं और सेवाओं का लक्ष्यित परिदान) विधेयक, 2019
विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री (श्री पी.सी.शर्मा) -- अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हॅूं कि मध्यप्रदेश आधार (वित्तीय और अन्य सहायिकियों, प्रसुविधाओं और सेवाओं का लक्ष्यित परिदान) विधेयक, 2019 पर विचार किया जाए.
अध्यक्ष महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश आधार (वित्तीय और अन्य सहायिकियों, प्रसुविधाओं और सेवाओं का लक्ष्यित परिदान) विधेयक, 2019 पर विचार किया जाए.
श्री ओमप्रकाश सकलेचा (जावद) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश आधार (वित्तीय और अन्य सहायिकियों, प्रसुविधाओं और सेवाओं का लक्ष्यित परिदान) विधेयक, 2019 के इस विषय में आधार, पहचान, संख्या नियम बहुत अच्छा है और बहुत जरूरी भी था. लेकिन इसमें दो-तीन विषय पर मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हॅूं कि इन्होंने एक क्लॉज डाली कि इस पर हैल्थ रिकॉर्ड बिल्कुल नहीं चिकित्सा इतिहास संबंधी अभिलेख सम्मिलित नहीं हैं. आज-कल कई देशों में आधार में एक चिप लगी होती है जिसमें पूरी मेडिकल हिस्ट्री का रिकार्ड होता है. पूरी दुनिया में आज-कल आदमी के पास मोबाईल है. अब आधार की मूल सोच यह है कि किसी भी व्यक्ति का पूरा रिकार्ड वहां पर हो जाए. अगर बाहर जाकर किसी व्यक्ति के साथ कुछ भी घटना हुई तो उसके आधार नंबर से पूरा रिकार्ड देखकर तुरंत उसे इलाज दिया जा सके. फ्रांस इस विषय में पूरी दुनिया में नंबर एक पर है. क्या इस विषय में यह संशोधन लाना जरूरी था ? या इसको भी उपधारा में डालकर बाद में चिंतन करके कर देते ? क्योंकि मुझे अभी 15 मिनट पहले बोला गया और मैं 15 मिनट में जो देख पाया उसके हिसाब से मुझे लग रहा है कि बिना सोचे-समझे जल्दबाजी में यह अधिनियम बना दिया गया.
अध्यक्ष महोदय, मेरा यह आग्रह है कि एक अधूरा, अपरिपक्व बिल पास करके क्या उचित निर्णय होगा ? आप स्वयं भी समझदार व्यक्ति हैं. मैं यह जानता हूं. मेडिकल रिकार्ड रखने में नुकसान क्या है ? उसका स्पष्टीकरण होना चाहिए. दूसरा इसमें इन्होंने जो विषय रखा गया है कि दो साल तक आप इसमें कोई भी उप नियम बनाकर संशोधन कर सकते हैं, तो आज पास कराने का और संशोधन का अधिकार अगर आप रखना चाहते हैं तो इस सदन में स्पष्टीकरण दिए बिना इसको पास कराने का औचित्य क्या हुआ ? आपके पास सब अधिकार हैं, तो आप वैसे ही उस अधिकार का उपयोग करिए. अगर आप अधिनियम बना रहे हैं तो उसकी उपधाराएं तो कम से कम स्पष्ट रखें. मेरा आग्रह है कि इन पर थोड़ा चिंतन करके मंत्री जी कुछ स्पष्टीकरण दे सकें तो सही होगा, क्योंकि मैं बहुत ज्यादा अध्ययन और कानून की धाराएं तो नहीं जानता, लेकिन स्पष्टत: मैं बता रहा हूं कि मैंने फ्रांस आदि कुछ देशों में देखा है कि वहां पर सब मेडिकल रिकार्ड उपलब्ध रहता है और मैं तो स्वयं जावद की एक लाख जनसंख्या का मेडिकल रिकार्ड ऑनलाइन कराने का निर्णय ले चुका हूं और एक साल में हर व्यक्ति का 40 वर्ष की उम्र तक टोटल मेडिकल रिकॉर्ड ऑनलाइन उपलब्ध होगा. मेरा ऐसा आग्रह है कि यह आज के जमाने में होना अनिवार्य है.
श्री हरदीप सिंह डंग (सुवासरा) - अध्यक्ष महोदय, जैसा कि अभी माननीय सदस्य ने कहा, बिल्कुल सही बात है कि अगर यह बिल पास होता है तो बहुत अच्छी बात है. मेरा मानना है कि आधार वह चीज है जो व्यक्ति को हर क्षेत्र में एक पहचान उपलब्ध कराती है. श्री शर्मा जी के नेतृत्व में जो यहां पर बिल पेश किया गया है मैं इसका समर्थन करता हूं. यह आने वाले दिनों में मध्यप्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे-छोटे गांवों एवं कस्बों पर भी आधार बनाने की मशीनें लगाई जाएं और जो बुजुर्ग व्यक्ति रहते हैं, जिनके अंगूठे की छाप उसमें नहीं आ पाती है उनको परेशानी आती है, तो इसके लिए उसमें ऐसा प्रावधान किया जाए कि उम्र अधिक होने से जिस व्यक्ति के अंगूठे के निशान नहीं आ पाते हैं उसमें बिना अंगूठे के निशान के भी उस व्यक्ति का काम चल जाए. मेरे यहां सुवासरा मण्डी को नगर पंचायत का दर्जा प्राप्त है. उसमें आज भी आधार कार्ड बनाने वाली एक भी एजेंसी नहीं है. ऐसा ही नाहर गढ़ और कई जगहों पर भी है. मेरा मानना है कि अगर छोटे कस्बों में भी आधार बनाने की व्यवस्था रखेंगे तो सहूलियत होगी. मैं पुन: इस आधार कार्ड के लिए जो कि लोगों को मास्टर चाभी के रूप में उपयोग में आता है, आपको बधाई देता हूं. धन्यवाद.
श्री विश्वास सारंग-- अध्यक्ष जी, डंग जी का तो आधार कार्ड भी है और अंगूठे का निशान आज भी आता है तो भी ये मंत्री क्यों नहीं बन पा रहे हैं? बहुत दुखी हैं, आज बोल रहे थे.
अध्यक्ष महोदय-- विश्वास जी, आपने एक बात नहीं सुनी उमर चढ़ते अंगूठा भी, आपने सुना, नहीं सुना?
नेता प्रतिपक्ष(श्री गोपाल भार्गव)-- अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने एक अच्छी बात कही है, व्यावहारिक है. बहुत बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं, जिनके फिंगर प्रिन्ट नहीं आ रहे. कोई ऐसा मेकेनिज्म बनना चाहिए जिससे, जिनके फिंगर प्रिन्ट नहीं आते हों और पेंशन के लिए भटकते रहते हैं. मेरा विचार यह है कि मैन्युअली उसके लिए कोई सर्टिफाइड करके कि हाँ, यही व्यक्ति है और उसकी राशि का आहरण करने का उसको हक देना चाहिए. जब तक कोई नया सिस्टम नहीं आ जाए या तो फिर आँख के रेटिना से करें या फिर फिंगर प्रिन्ट से करें. अध्यक्ष महोदय, हजारों की संख्या में लोग इससे प्रभावित हैं.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा-- आँख के रेटिना को कुछ स्टेट ने लिया है कि आँख के रेटिना से उसका सेकण्ड वैरीफिकेशन हो जाए.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, रेटिना से कर लें. लेकिन इसके लिए जल्दी करें क्योंकि गरीब, बेसहारा, लाचार एवं निःशक्त लोग भटकते रहते हैं, तो यह बहुत ज्यादा आवश्यक है. अध्यक्ष महोदय, राशन का जो पीडीएस सिस्टम है उसमें भी यह समस्या आ रही है.
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी अपने जवाब में इस बात का जरूर उल्लेख करेंगे. श्री नीलांशु चतुर्वेदी अपनी बात कहें.
श्री नीलांशु चतुर्वेदी(चित्रकूट)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश आधार विधेयक 2019. इससे मध्यप्रदेश की आम जनता को, रहवासियों को, सीधे फायदा मिलेगा तथा सरकार, पंक्ति में पीछे खड़े हुए व्यक्ति की मदद करना चाहती है. जो हमारी सरकार का उद्देश्य है कि उनको मुख्य धारा में जोड़ने का जो काम है इसी अधिनियम के माध्यम से जो सरकार की योजनाएँ हैं, जो सरकार की मूल चीजें हैं, उससे इस अधिनियम के माध्यम से बहुत फायदा मिलने वाला है इसलिए मैं इस विधेयक का समर्थन करता हूँ तथा जो हमारे माननीय सदस्य ने बोला है कि इसमें थंब वाला जो इश्यु है, इसमें जमीनी स्तर पर बहुत जेन्यून और बेसिक प्रॉब्लम आती है, इसका जरूर निराकरण होना चाहिए क्योंकि जो आम जनमानस है, वह पेंशन लेने भी जाते हैं, किसी भी काम के लिए जाते हैं, उन बुजुर्गों का अंगूठा नहीं लगता है, इस कारण से उनको उस चीज का फायदा नहीं मिल पाता है और दूरदराज में जाकर बड़े निराश होकर आते हैं. इसी प्रकार आधार में जिन लोगों का थंब नहीं लग रहा है, उसका रेटिना के माध्यम से या किसी अन्य माध्यम से निराकरण करना अत्यन्त आवश्यक है ताकि हम, जो आम आदमी है, जो गरीब आदमी है, जो मध्यप्रदेश में रहने वाला प्रत्येक व्यक्ति है, उसको उसका सीधा लाभ दिला सकें. हमारे माननीय सदस्य जी ने जो बोला है कि आधार हिन्दुस्तान की पहचान है. आधार के माध्यम से एक सिंगल कार्ड होना चाहिए, भारत के मध्यप्रदेश के प्रत्येक नागरिक का कार्ड होना चाहिए. उसमें वह सारी जानकारी होनी चाहिए, जिसमें प्रत्येक व्यक्ति के बारे में आधार नंबर से पूरी उसकी हिस्ट्री, पूरा मेडिकल और जो भी उसकी जानकारी है, वह उस कार्ड के माध्यम से वह प्रस्तुत हो जाए, एक आधार कार्ड भारत का कार्ड होना चाहिए, प्रदेश का कार्ड होना चाहिए, उसके बाद उसको किसी भी अन्य प्रमाण पत्र या सर्टिफिकेट देने की आवश्यकता न पड़े, उसे यह बताने की आवश्यकता न पड़े कि मैं यहाँ का मूल निवासी हूँ या अन्य चीजें हैं, तो इस आधार कार्ड का जो यह विधेयक है, इसका मैं समर्थन करता हूँ. धन्यवाद.
विधि एवं विधायी कार्य मंत्री (श्री पी.सी. शर्मा)-- आदरणीय अध्यक्ष महोदय, मैं सबसे पहले तो यह बताना चाहूँगा कि यह भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण, यूनिक आयडेंटिफिकेशन अथार्टी आफ इंडिया, भारत सरकार के द्वारा देश के रहवासियों की विशिष्ट पहचान के लिए आधार पंजीयन राज्य सरकारों के सहयोग से यह होता है और राज्यों में घोषित स्टेट रजिस्ट्रार के माध्यम से यह पंजीयन होता है. इसमें अभी तक जितने भी काम चल रहे थे उसमें जो आधार कार्ड बनते हैं और केन्द्र सरकार के द्वारा इसको शुरू किया गया था उसके माध्यम से चल रहे थे. बहुत से राज्यों में यह हुआ है कि स्टेट भी इससे जुड़ गए हैं, उसका उद्देश्य यही है कि व्यक्ति की वास्तविक पहचान हम कर सकें. इस संशोधन के माध्यम से भारत सरकार के विशिष्ट पहचान प्राधिकरण द्वारा राज्य सरकारों को निर्देश, गवर्नमेंट ऑफ इंडिया का यह था कि राज्य सरकारें भी इससे जुड़ें उसके लिए यह एक्ट यहां पर लाया गया है. भारत सरकार द्वारा जारी आधार टारगेटेड डिलेवरी एक्ट फायनेंशियल एण्ड अदर सबसिडी बेनिफिट एण्ड सर्विसेस एक्ट 2016 की धारा में प्रावधान है कि केन्द्र सरकार की संचित निधि में से किसी व्यक्ति को इससे लाभ मिल सकता है. इस एक्ट के आने से मध्यप्रदेश की जो संचित निधि है इससे आम लोगों को भी लाभ मिल सकेगा. इससे कोई भी फर्जी व्यक्ति इन योजनाओं का लाभ नहीं ले पाएगा. मैं यह भी बताना चाहता हूँ कि आधार इनेबल्ड पेमेंट ब्रिज के माध्यम से लोगों के एकाउन्ट में आसानी से पैसा जा सके और उसकी विधिवत् पहचान हो सके उसके लिए इस एक्ट को लाने की आवश्यकता थी. इससे मध्यप्रदेश की संचित निधि से मिलने वाले लाभ ज्यादा वैधानिक तरीके से मिलने लगेंगे, वैधानिक तो थे ही और वैधानिक हो जाएंगे.
अध्यक्ष महोदय, आदरणीय सदस्य श्री ओमप्रकाश सखलेचा जी, श्री हरदीप सिंह डंग एवं आदरणीय चतुर्वेदी जी ने बहुत अच्छे से अपनी बातें रखी हैं. नेता प्रतिपक्ष जी ने भी अपनी बात यहां पर रखी है. मैं सखलेचा जी को बताना चाहता हूँ कि सुप्रीम कोर्ट का एक निर्णय है जिसके तहत कहा गया है कि किसी की प्रायवेसी घोषित न हो इसलिए इसमें खासतौर से यह बात कही गई है. सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के तहत यह व्यवस्था है कि बीमारी के मामले में किसी की प्रायवेसी दूसरों को मालूम न चल सके. दूसरी बात आपने संशोधन की कही है. आपको बताना चाहूंगा कि इसमें जब भी संशोधन होगा तो वह विधान सभा में आए बिना नहीं होगा. यह टेक्नालॉजी का युग है, आईटी का युग है. बहुत सी चीजें नई आती हैं और नए प्रावधान लाना पड़ते हैं. जब इसमें संशोधन लाना पड़ा तो यह मध्यप्रदेश की विधान सभा में आएगा,यहां चर्चा होगी उसके बाद ही संशोधन होगा.
अध्यक्ष महोदय, नेता प्रतिपक्ष जी ने कहा है कि आँखों के रेटिना से भी वेरीफिकेशन हो. इसकी भी मशीनें आ रही हैं आगे चलकर इसको भी किया जाएगा. मोबाइल के माध्यम से भी पहचान की जा सकती है. थम्ब की बात आई है, निश्चित तौर पर यह परेशानियाँ हैं. रिमोट एरिया में जहां पर आधार बनाने की मशीनें नहीं पहुंच पा रही हैं. इसका पूरा प्रयास किया जाएगा कि रिमोट से रिमोट जगह पर भी यह मशीनें पहुंचें और वहां पर लोग इसका लाभ ले सकें, उनका आधार कार्ड बन सके. इसका प्रयास निश्चित तौर पर सरकार और विभाग करेगा. थम्ब की समस्या निश्चित तौर पर है. राशन के मामले में मंत्री जी ने यहां पर और पहले भी कहा है कि जब राशन दिया जाता है तो पहले 15 दिन तो थम्ब से दिया जाता है. उसके बावजूद अगर लोगों को राशन नहीं मिलता है तो पर्टिकुलर पहचान से भी उनको राशन दिए जाने की भी व्यवस्था सरकार द्वारा की गई है. मुझे इसकी जानकारी है.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)--माननीय मंत्री जी जैसा आपने बताया है कि पहले 15 दिन थम्ब इम्प्रेशन के आधार पर राशन दिया जाता है उसके बाद में वैसे ही दे दिया जाता है. लेकिन यह हो नहीं रहा है. मेरा आपसे आग्रह है कि आप खाद्य मंत्री, सामाजिक न्याय विभाग के मंत्री और अधिकारियों से चर्चा कर लें. क्योंकि पेंशन का और राशन का विषय है. दो विभागों में समन्वय करके आप कह दें कि इस छूट को इसी सप्ताह से लागू कर दें तो मेरा विचार है कि लाखों लोगों का भला हो जाएगा. क्योंकि मेरी जानकारी में अभी तक यह नहीं हो रहा है. आपके उत्तर में आपने जरुर बताया है लेकिन व्यावहारिक रुप से आपके उत्तर में आपने जरूर बताया है लेकिन व्यावहारिक रूप से अभी नहीं हो रहा है. दोनों विभाग परिपत्र जारी कर दें कि जिनके थम्ब इंप्रेशन नहीं आ रहे हैं उनके लिए वैकल्पिक व्यवस्था मैन्युअली है जो किसी तरह से दस्तखत करवाकर उसका कर दें और दूसरा यह है कि जो सामाजिक सुरक्षा पेंशन है वह 60 वर्ष से ऊपर की आयु के लोगों को मिलती है या 90, 100 वर्ष की आयु के लोगों को मिलती है तो उनकी हाथों की उंगलियों और अंगूठों में सिकुड़न आ जाती है. कभी-कभी जो मजदूर वर्ग रहता है अधिक मजदूरी के कारण उसके भी फिंगरप्रिंट नहीं आ पाते हैं, घिस जाते हैं और इस कारण से आप जरूर इन दो विभागों में दिखवा लेते.
श्री पी.सी. शर्मा-- अध्यक्ष महोदय, जैसा कि नेता प्रतिपक्ष जी ने कहा है कि मंत्री जी से बात करके दिखवा लें लेकिन जो अभी तक जानकारी है उस हिसाब से यह है, लेकिन उसको और एक्सप्लाइट कर दिया जाएगा. 5 दिन, 15 दिन बाद कोई बचे नहीं राशन सबको मिले सरकार यह व्यवस्था करेगी और जो आपने दोनों विभागों की बात की है दोनों विभागों से समन्वय करके इसको करा दिया जाएगा.
श्री चैतन्य कुमार काश्यप (रतलाम सिटी)-- अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हूं कि इसमें आपने प्रावधान रखा है कि जिनके आधार नहीं बने उसके लिए वैकल्पिक व्यवस्था होगी. अभी नेता प्रतिपक्ष जी ने जो कहा दोनों विभागों का अब इस अधिनियम के अनुसार ही कोई स्पष्ट नियमावली बना दें कि जिनका आधार नहीं है या उनका अंगूठे का निशान नहीं लग रहा है उनके लिए क्या प्रक्रिया रहेगी नहीं तो हर विभाग अपनी-अपनी प्रक्रिया बनाएगा और हर व्यक्ति उसके अंदर अलग-अलग विभाग में परेशान होते रहेंगे.
श्री पी.सी. शर्मा-- अध्यक्ष महोदय, जो काश्यप जी ने कहा है उसको निश्चित तौर पर इमप्लीमेंट करने की कोशिश की जाएगी.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा-- अध्यक्ष महोदय, अभी आपत्ति है.
श्री उमाकांत शर्मा (सिरोंज)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि आधार व्यवस्था प्रारंभ होने के पहले मेरे मन में कुछ प्रश्न हैं मैं उनका समाधान चाहता हूं. यदि आधार व्यवस्था फेल हो गई तो उसके विकल्प में आपने क्या व्यवस्था दी है.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय शर्मा जी, आप बड़ी कृपापूर्वक खड़े हुए इसके लिए धन्यवाद परंतु संबंधित विषय के लिए आपके दल की तरफ से नाम मांगे गए थे नाम आ गए हैं.
श्री उमाकांत शर्मा-- दल यदि कृपा नहीं करें तो माननीय अध्यक्ष जी कृपा कर सकते हैं.
अध्यक्ष महोदय-- आप मेरी बात को सुन लीजिए उसके बाद मंत्री जी का जवाब आ चुका, बात आगे बढ़ चुकी है.
श्री उमाकांत शर्मा-- मैं कई बार हाथ उठा चुका हूं, मुझे कोई देख ही नहीं रहा है.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, जब इस सत्र में अपन ने हर चीज में छूट दे ही दी है तो एक बार यह छूट भी दे दीजिए उनकी बात रिवर्स नहीं करना है क्योंकि जो कुछ भी होना था वह तो हो ही गया है. लेकिन यदि वह दो बातें कहना चाहते हैं तो मैं सोचता हूं कि कह लेने दें.
अध्यक्ष महोदय-- यह पहली और आखिरी बार छूट दे रहा हूं.
श्री गोपाल भार्गव-- धन्यवाद.
श्री उमाकांत शर्मा-- धन्यवाद. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से जानना चाहता हूं कि अगर आधार व्यवस्था फेल हो गई तो उसके विकल्प में सरकार ने क्या व्यवस्था दी है यह जानकारी आना चाहिए. दूसरा बिंदु आधार की व्यवस्था का उपयोग कहा-कहां किया जाएगा और कहां- कहां नहीं किया जाएगा इस संबंध में स्पष्ट किया जावे. तीसरा बिंदु जिनका आधार नहीं बना है उनका क्या होगा. बुजुर्ग और अनपढ़ व्यक्ति इस संबंध में क्या करें इस संदर्भ में मार्गदर्शन मिलना चाहिए. इस आधार व्यवस्था के माध्यम से प्राईवेसी खत्म नहीं होगी इसकी क्या गारंटी है और मध्यप्रदेश में अभी तक कितने प्रतिशत आधार का निर्माण हुआ है तथा कितना बनना शेष है यह भी माननीय मंत्री महोदय के द्वारा बताया जाना चाहिए. वैसे माननीय कांग्रेस और कांग्रेस के नेतागण आधार का विरोध करते रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय- आपको हम लोगों ने कृपापूर्वक सुन लिया यह प्रश्नोत्तर का या लिखित में पढ़ने का आपने जो कृपापूर्वक क्रम कर दिया क्योंकि कुछ माननीय वरिष्ठ सदस्यों ने कहा था. मैंने परमिट कर दिया कृपापूर्वक अब अगले पायदान पर जब भी विधेयक पर चर्चा होगी हम आपको समय देंगे.
गोपाल भार्गव- अध्यक्ष महोदय उमाकांत शर्मा जी, पी.सी.शर्मा जी के कक्ष में जाकर जानकारी ले लें.
अध्यक्ष महोदय- ये ठीक है. दोनों शर्मा एक-दूसरे की पूर्ति कर लें और कृपया दोनों शर्मा जी विराजिये.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा- माननीय अध्यक्ष महोदय, वास्तव में एक नियम- अधिनियम की जरूरत है. जिससे बिना परिचय के अपनी सुविधाओं का वितरण हो सके इसलिए यह बनाया गया लेकिन जैसे आधार में ही बैंकों के डिटेल्स आ जाते हैं परंतु खाते की पूरी बैलेंस शीट नहीं आती है. ऐसे ही उसका मेडिकल रिकॉर्ड जब तक वो न चाहे न ज्ञात हो. माना किसी व्यक्ति की कहीं दुर्घटना हो जाये तो मूल आधार से उसका परिचय जानकर उसे तुरंत इलाज हेतु यदि उसका मेडिकल रिकॉर्ड उसकी ही सहमति से देखने की अनुमति हो तो सही रहेगा क्योंकि आधार में दो हिस्से होते हैं. पहला होता है, जिसे हर कोई देख सकता है और दूसरा, जिसे हर कोई नहीं देख सकता है. क्या हम इसे अलग-अलग कर सकते हैं ? क्योंकि कहीं न कहीं इस नियम- अधिनियम के बनने पर बाद में इसमें बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ेगा क्योंकि यदि कोई सुविधा उपलब्ध है तो उसमें सारी सुविधायें उपलब्ध होना अनिवार्य करना चाहिए. बैंक खाते में भी ऐसा ही नियम है. खाते का पूर्ण विवरण नहीं आता लेकिन यह तो ज्ञात हो जाता है कि किस-किस बैंक में खाते हैं, कितनी संपत्ति है, उसकी कीमत भले ही न ज्ञात हो, संपत्ति कितनी जगह प्लेज़ड है, ये सारी जानकारी सेकण्ड इंफर्मेशन में रहेगी ये सारी जानकारी आधार में उपलब्ध नहीं रहेगी लेकिन बेसिक जानकारी तो रहेगी. इसमें आपत्ति क्या है ? सिर्फ यह बोलकर कि माननीय उच्चतम न्यायालय की गाईड लाईन में कहीं ऐसा कोई स्पष्ट निर्देश मेरी जानकारी में नहीं है. मेरा पुन: आग्रह है कि इस पर थोड़ा बारीकी से ध्यान दिया जाये.
अध्यक्ष महोदय- निश्चित तौर पर सखलेचा जी ने यह बात पहले भी कही थी और मंत्री जी ने उसका उत्तर भी, माननीय उच्चतम न्यायालय का हवाला देते हुए दिया. मंत्री जी आप इस पर ज़रा और गहराई से अध्ययन कर लीजिये.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश आधार (वित्तीय और अन्य सहायिकियों, प्रसुविधाओं और सेवाओं का लक्ष्यित परिदान) विधेयक, 2019 पर विचार किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ
अध्यक्ष महोदय- अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
अध्यक्ष महोदय- प्रश्न यह है कि खण्ड 2 से 9 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2 से 9 इस विधेयक का अंग बने.
अध्यक्ष महोदय- प्रश्न यह है कि खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.
अध्यक्ष महोदय- प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री (श्री पी.सी.शर्मा)- आदरणीय अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश आधार (वित्तीय और अन्य सहायिकियों, प्रसुविधाओं और सेवाओं का लक्ष्यित परिदान) विधेयक, 2019 पारित किया जाए.
अध्यक्ष महोदय- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश आधार (वित्तीय और अन्य सहायिकियों, प्रसुविधाओं और सेवाओं का लक्ष्यित परिदान) विधेयक, 2019 परित किया जाए.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश आधार (वित्तीय और अन्य सहायिकियों, प्रसुविधाओं और सेवाओं का लक्ष्यित परिदान) विधेयक, 2019 परित किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ
विधेयक पारित हुआ
(3) मध्यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज (संशोधन) विधेयक, 2019
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री कमलेश्वर पटेल)- अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज (संशोधन) विधेयक, 2019 पर विचार किया जाए.
अध्यक्ष महोदय- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज (संशोधन) विधेयक, 2019 पर विचार किया जाए.
डॉ. सीतासरन शर्मा(होशंगाबाद):- माननीय अध्यक्ष महोदय, इस विधेयक का हम समर्थन करते हैं. धारा 22, 23 और 30 परिसीमन के संबंध में है. इसमें कोई ऐसी बात नहीं है, जिसका विरोध किया जाये. धारा 17, 25 और 32 इसमें एक व्यक्ति और एक पद, यह अच्छी बात है. लोकतंत्र में जितने अधिक लोग इस प्रक्रिया में शामिल हो जायें,जितने अधिक लोगों को अवसर मिल जाये, यह अच्छा विषय है. जैसे-जैसे आदमी बड़े पद पर जाये, पीछे के पद वह लालच के कारण छोड़ता नहीं है. किन्तु अब वह स्वत: रिक्त हो जायेंगे और फिर स्वत: रिक्त होकर आवश्यकता के अनुसार उनकी पूर्ति भी कर दी जायेगी. उसमें कोई बड़ी प्रक्रिया भी नहीं अपनानी पड़ेगी, यह स्वागत योग्य है. इसका हम समर्थन करते हैं. आपने प्रथम सम्मेलन का समय भी घटा दिया है, इसके लिये भी आपके प्रति आभार. जितने जल्दी चुने हुए प्रतिनिधियों को कार्यभार मिल जाये, उतना अच्छा है. प्रकाशन के पहले 30 दिन थे, अब आपने 15 दिन कर दिये हैं और धारा 49 के लिये आपको धन्यवाद और बधाई, किन्तु मैं एक दो बात कहना चाहता हूं कि एक तो आप देर आये दुरूस्त आये, आप इस रास्ते पर तब आये, आपको गौ-माता की याद तब आयी, जब आप 150 से 38 हो गये और आपने 15 साल यहां बैठकर तपस्या करी.तब आपको याद आयी कि विपक्ष यह जो वैतरणी है, यह गौ-माता की पूंछ पकड़े बिना पास नहीं होगी और आपने 15 साल पहले क्या किया था, जरा उसको भी माननीय मंत्री जी याद कर लें. यह समस्या क्यों हुई ? यह जानवर, मवैशी सड़क पर कैसे आ गये, यह गौ-माताएं सड़क पर कैसे आ गयीं, सड़क पर ट्रकों से कैसे मरने लगीं. यहां पर राजस्व मंत्री जी बैठे हैं, पहले 5 प्रतिशत चरनोई की जमीन थी, तत्कालीन मुख्यमंत्री जी ने इस चरनोई की जमीन को मुख्यमंत्री जी ने इस 5 प्रतिशत से 2 प्रतिशत कर दिया. हमने तब भी कहा था कि मेहरबानी करो मत करो. परंतु नहीं माने, गौ- ग्रास छीन लिया, गौ-ग्रास. उसी के (XXX) से दिल्ली से लेकर ग्राम पंचायत तक बाहर बैठ गये आप. किन्तु ठीक है, आप आये.
मैं आपसे दो बात पूछना चाहता हूं. एक बात तो यह कि क्या आप वापस चरनौई की जमीन 2 प्रतिशत से वापस 5 प्रतिशत करेंगे ? या अन्य कोई उपाय करेंगे कि चरनौई की जमीन बढ़े, इसके लिये और क्या उपाय करेंगे. आप ग्राम पंचायत में कांज़ी हाऊस तो बना देंगे, किन्तु....
अध्यक्ष महोदय:- इस शब्द को विलोपित करें.
श्री सुनील उईके :-आप इतने वरिष्ठ सदस्य होने के बाद भी आप ऐसे शब्द का उपयोग करेंगे. वैसे अध्यक्ष महोदय ने तो विलोपित करा दिया.
डॉ. सीतासरन शर्मा:- विलोपित कर दिया भाई.
श्री सुनील उईके :- हम तो आप लोगों से सीख रहे हैं. अब वह कौन सा पुण्य करके आप उस तरफ बैठ गये, वह भी हमको बताने का कष्ट करें.
डॉ. सीतासरन शर्मा:- गाय की रक्षा का संकल्प लेकर. एक तो गांव में जगह नहीं है. अभी जगह जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने स्टेडियम के लिये ग्रामीण स्टेडियम के लिये जगह मांगी तो कई गांव में जगह नहीं थी, क्योंकि आपने चरनोई की जगह कम कर दी थी.
श्री गोपाल भार्गव:- (अपनी जगह पर बैठे-बैठे) 20 विधान सभा क्षेत्रों में स्टेडियम नहीं बन पाये.
डॉ. सीतासरन शर्मा:- नहीं बन पाये. हमारे विधान सभा में भी नहीं बन पाया क्योंकि जगह ही नहीं थी. अब कांज़ी हाऊस के लिये भी जगह की जद्दो-जहद हो रही है. छोटी जगह चाहिये, उतनी जगह है किन्तु कब्जे हैं. आपको यह कब्जे हटाने पडेंगे तब यह कांज़ी हाऊस बन पायेंगे, तो एक प्रश्न तो मेरा यह कि आप चरनोई की जमीन बढ़ायेंगे ? दूसरी बात यह है कि आपने ग्राम पंचायत के सिर पर उसके कर्तव्यों में एक कर्तव्य और जोड़ दिया. किन्तु ग्राम पंचायतों के पास पैसा कहां है. आप कोई प्रावधान करते, इसके साथ कोई वित्तीय ज्ञापन लगा देते, आपके पास पैसा नहीं है, आप कागज में गौशाला खोलेंगे और कागज में कांजी हाऊस खोलेंगे. इनके चारे के लिये पैसा कहां से आयेगा. एक बाड़ा बनाने से क्या मवेशी पल जायेंगे. किन्तु आपने उसकी कोई व्यवस्था नहीं की है इसलिये इस विधेयक का कोई अर्थ नहीं है. यह मन समझाने का विधेयक है खास करके धारा 49 का संशोधन है. आप इस विधेयक को सच्चे मन और ईमानदारी से लाईये. ग्राम पंचायतों को एक अस्सिसमेंट करके कि इस एरिये में कितने मवेशी हैं. एक नजरिया आंकलन किया जा सकता है. उसके लिये बजट प्रावधान करिये जब आप यह विधेयक ला रहे थे तब आपने कब तय किया, तब कायदे से अनुपूरक में ले आना था, किन्तु आप अभी से शासन स्तर से कर सकते हैं इसको बजट में लाने की आवश्यकता नहीं है. मैं मंत्री जी ऐसा विश्वास करता हूं यदि आप सच्चे मन एवं सच्ची भावना से लाये होंगे तो आप उसमें बजट का प्रावधान करेंगे ताकि ग्राम पंचायतें इस भार को वहन करने में सक्षम हो सकें. मैं इस विधेयक का समर्थन करता हूं.
श्री राजवर्धन सिंह (बदनावर)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज (संशोधन) विधेयक, 2019 की धारा 12, 17, 20, 23, 25, 27,30, 32, 34, 38, 49, 125, 126, 127 का समर्थन करता हूं. माननीय शर्मा जी ने दो तीन बातें कहीं उनका भी धन्यवाद कि कम से कम पूरे संशोधन का नहीं तो इन्होंने 23, 25 एवं 30 का समर्थन तो किया और यह बताया कि यह संशोधन विधेयक उपयोगी है. यह बताया कि इसमें समय सीमा कम होगी. रिक्त पदों की पूर्ति से फायदा होगा. माननीय शर्मा जी दो तीन बातें कह रहे थे उसके बाद वह गौवंश पर आ गये. कई सरकार आयीं और कई सरकारें गईं, चुनाव आये, वायदे किये गये. मुझे माननीय उमा जी का समय अभी भी याद है उन्होंने प्रभावी पहला उद्बोधन माननीय मुख्यमंत्री जी के नाते दिया था तथा तमाम सारी बातें कहीं थीं. माननीय शर्मा जी के संज्ञान में नहीं है कि माननीय दिग्विजय सिंह जी के कार्यकाल में ही गौसेवा आयोग का गठन किया गया था उसमें मेरी माताजी भी प्रतिनिधि रही थीं. दिग्विजय सिंह जी के कार्यकाल में मंडी निधि से गौशालाओं के लिये राशि निश्चित की गई थी मैं आपको याद दिला दूं. चरनौई भूमि की आप बात कर रहे हैं उन्होंने जमीन का एक हिस्सा देने की बात कही थी, दलित समुदाय के लिये उन्होंने कही थी उससे इस प्रदेश के असंख्य दलितों का भला भी हुआ. सिक्के के दो पहलू होते हैं. गौवंश की आपने बात कही माननीय मोदी जी प्रधानमंत्री हैं पूरा सदन इनका स्वागत करेगा अगर देश में वह गौवंश की हत्या पर प्रतिबंध लगा दें. अभी तो आपकी सरकार कुछ दिन और है. तो समूचे देश में गौवंश की पूजा होगी तथा जय-जयकार होगी और तमाम चीजें चलती रहेंगी. जहां इन्होंने एक और बात कही कि पंचायतों को एक और काम दे दिया है. मेरे ख्याल से यह नवीन काम नहीं होगा. आपको याद होगा कि माननीय दिग्विजय सिंह जी के कार्यकाल में समस्त पंचायतों की परिसम्पतियों का पंचायतों को अधिकारी 26 जनवरी को बना दिया गया. वैसे भी माननीय कमलनाथ जी ने इस बात की घोषणा की है तथा वचन पत्र में भी है कि गौशालों का विस्तार कर रहे हैं. मैं मंत्री जी से भी निवेदन करूंगा मैंने भी एक प्रश्न पूछा था माननीय शर्मा जी की एक बात काफी उचित है, लेकिन हमारे पास कंवर्जन है, हमारे पास मनरेगा है, हमारे पास वित्त आयोग है. यह तमाम जो निधियां हैं इनका एक पाईंट वह दे दें कि पंचायतों को उसके प्रति अधिकार सम्पन्न कर दें. ताकि वह इसको मेंटेन कर पाये. धारा 12 की बात हुई है जिसमें ग्राम पंचायत आ रही है 23 की बात हुई है, उसमें 30 की बात हुई है उसमें जनपद पंचायत एवं जिला पंचायत आ रही है. इन पंचायतों के वार्ड के विभाजन के क्षेत्रों का जब परिसीमन होगा तो इसमें छः महीने के कार्यकाल की बात कही गई है. इससे फायदा यह होने वाला है कि आरक्षण के समय की जो सीमा होती है उसको उचित समय मिल जाएगा. अधिकांशतः यह होता है कि आरक्षण कई बार समय पर नहीं हो पाता है इसमें काफी समय से विसंगति रही है. मेरे ख्याल से इस संशोधन से निश्चित तौर से लाभ मिलने वाला है. इसी प्रकार से धारा 17, 25, 32 की हम बात करें तो तीनों स्तरों पर पंचायतों के पदाधिकारी जब किसी न किसी दूसरी संस्था में निर्वाचित हो जाते हैं उससे जो कठिनाई होती है उससे वह दो जगहों पर दो दो पद पर बैठ जाते हैं.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - आपकी सीट तो सही है, लेकिन आपका नाम गलत डिस्प्ले हो रहा है.
श्री राजवर्धन सिंह - आज ही संशोधन हुआ है, मैं अक्सर मेरी जगह पर सही होता हूं. आपकी कृपा बनी रहे.
अध्यक्ष महोदय - यशपाल जी, हमें मालूम था, आप सूक्ष्म हैं, लेकिन इतने ज्यादा सूक्ष्म हैं, यह आज पता चला.
श्री राजवर्धन सिंह - अध्यक्ष जी, इन्हें बाल की खाल निकालने में महारत है. (हंसी..)जिन धाराओं का मैंने आपसे उल्लेख किया है, इसमें कई बार यह होता था कि एक ही प्रतिनिधि कई बार दो स्थानों पर होता था और वे एक जगह इस्तीफा नहीं देते थे तो समस्या आती थी, तो यह विसंगति इसमें निश्चित तौर पर दूर हो जाएगी. 15 दिवस की बात भी सही और शर्मा जी और पूरा सदन इस बात का समर्थन करेंगे, मेरे ख्याल से इसमें कहीं किसी को कोई दिक्कत नहीं आएगी. होता यह था कि जो 30 दिनों का सम्मेलन हुआ करता था, उसमें हर जो टेन्योर होता था, उसके बाद में उसका समय बढ़ा जाता था, तो वह कार्यकाल आगे बढ़ता जा रहा था, इसमें भी हम समय बचाएंगे. धारा 49(क) जिस पर विशेष तौर पर शर्मा जी ने जोर भी दिया, लेकिन आप इसमें यह भी तो देखिए कि जब हमने पंचायतों को यह अधिकार दिया है तो सरपंच और पंचायत यह निर्णय त्वरित लेगी और जो हम गौवंश की दुर्गति कई अरसे से देखते आ रहे हैं, कि सड़कों पर, जहां तहां, विशेष तौर पर बड़े शहरों के इर्दगिर्द जो पंचायतें आती हैं वहां पर यह समस्या सबसे ज्यादा आती है. शर्मा जी ने कहा कांजी हाउस, तो उसको हम कांजी हाउस का नाम भी न दे, तो हम पंचायतों को कांजी हाउस नहीं बना रहे हैं. हम पंचायतों को उस दिशा में ले जा रहे हैं, जिस दिशा में हमने हमारे वचन पत्र में जो हमने वर्णन किया है गौशालाओं का तो उसकी पूर्ति आने वाले समय में हो जाए तो पंचायतें पहले से ही उसके लिए तैयार हो जाएंगी और हर बार आपको ग्राम सभा में जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, तो जब ग्राम पंचायत प्रस्ताव लेगी, जब पंच बैठेंगे, जब चर्चाएं होगी, जिस प्रकार से बाकी ठहराव प्रस्ताव लिए जाते हैं और माननीय जनप्रतिनिधियों से जो पंचायत के पास जब राशि की कमी हो जाती है तो वह विधायक से मांग पाएंगे, सांसद से मांग पाएंगे