मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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षोडश विधान सभा चतुर्थ सत्र
दिसम्बर, 2024 सत्र
शुक्रवार, दिनांक 20 दिसम्बर, 2024
(29 अग्रहायण, शक संवत् 1946 )
[खण्ड- 4 ] [अंक- 5 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
शुक्रवार, दिनांक 20 दिसम्बर, 2024
(29 अग्रहायण, शक संवत् 1946 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.03 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए.}
11.03 बजे
बधाई एवं शुभकामना
अध्यक्ष महोदय के कार्यकाल का एक वर्ष पूर्ण होने संबंधी उल्लेख
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री प्रहलाद सिंह पटेल) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे प्रश्नकाल के पहले कुछ कहने की अनुमति चाहता हूँ.
अध्यक्ष महोदय -- ठीक है.
श्री प्रहलाद सिंह पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे सदन को यह बताते हुए गर्व हो रहा है कि आज माननीय विधान सभा अध्यक्ष जी के कार्यकाल का एक वर्ष पूरा हो गया है. (मेजों की थपथपाहट) 20 तारीख को आपने आसंदी ग्रहण की थी. एक साल मूल्यांकन के लिए हम सभी को गौरवान्वित करने वाला वर्ष है. आपने जिन परम्पराओं को यहां पर प्रारंभ किया, स्थापित किया. ऐसा 1990 के दशक में विधान सभा में देखने को मिलता है, जब मैं रिकार्ड देखता हूँ. आपने ई-विधान सभा बनाने की तरफ कदम बढ़ाया है, यह हम सभी माननीय सदस्यों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होगा. अब हम जिम्मेदारी के साथ गाड़ी में चलते हुए, क्षेत्र में प्रवास करते हुए भी अपने प्रश्नों और प्रश्नों के उत्तरों के बारे में भी चीजों को आगे बढ़ा सकते हैं. दूसरा आपने जो शून्यकाल के बारे में परम्परा को इतना विस्तारित किया है उसका परिणाम है कि आज सदन के भीतर का चाहे प्रतिपक्ष हो, चाहे सत्ता पक्ष हो, उसके सदस्यों की उपस्थिति इस बात का प्रत्यक्ष परिणाम है. बात इतनी नहीं होती है कि किसी को अपनी बात कहने का मौका मिलेगा, लेकिन सदन की गरिमा तब बढ़ती है जब माननीय सदस्यों की उपस्थिति वहां पर होती है. जहां तक सवाल ध्यानाकर्षण का है, एक परम्परा दो ध्यानाकर्षण की है. कल आपने 4 ध्यानाकर्षण लिये, लेकिन 28 ध्यानाकर्षण पटल पर आये, शायद 90 के दशक के बाद ऐसा कभी देखने के लिये नहीं मिला. मुझे लगता है कि संसदीय कार्यों को जो लोग बहुत गंभीरता से लेते हैं, जिनको पढ़ते हैं, पीछे रिव्यू करते हैं या फॉलो अप करते हैं, उन सबके लिये यह परम्पराएं बेहद महत्वपूर्ण हैं. मैं आपका हृदय से अभिनंदन करता हूं, शुभकामनाएं देता हूं. यह परम्पराएं और बलवती हों और अंत में, आज यह पहला सत्र है और कहते हैं कि उम्र भले कम हो, लेकिन पूरी हो, तो बहुत महत्वपूर्ण होता है. शायद बहुत दिनों बाद सत्र की जो अधिसूचना जारी हुई, वह पूरी हुई यह दिन आज है. अगर यह नहीं होता तो शायद हम प्रत्यक्ष तौर पर आपका अभिनंदन नहीं कर पाते. हम सब सौभाग्यशाली हैं कि इस एक वर्ष में हम ऊंचाइयां छूने की ओर आगे बढ़ रहे हैं. 5 वर्ष में जो हम सबका लक्षित उद्देश्य है वह हम प्राप्त करेंगे. मैं आपको अनंत शुभकामनाएं देता हूं कि आप ऐसे ही हम सबका मार्गदर्शन करते रहें. अध्यक्ष महोदय, बहुत-बहुत धन्यवाद.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) -- अध्यक्ष महोदय, निश्चित तौर से मेरे सभी साथी आपकी भूरि-भूरि प्रशंसा कर रहे हैं कि माननीय अध्यक्ष जी ने सदन की जो बैठकें थीं वह पूरी कराईं. इसके लिये सबसे पहले मैं आपको मेरे दल की ओर से धन्यवाद देता हूं. आपने एक नई शुरुआत की जो 17 दिसम्बर को विधान सभा की पहली बैठक हुई थी, उसको लेकर आपने याद दिलाया. मैं समझता हूं कि सदस्यों की मध्यप्रदेश के विधान सभा के इतिहास को लेकर गहरी सोच और बढ़ेगी. उस ओर जो परम्पराएं हैं, जो व्यवस्थाएं आसंदी से दी गईं और जो यहां पर इस प्रदेश के लिये नियम कानून बने, उसे हर साल याद करने का मौका मिलेगा.
अध्यक्ष महोदय, दूसरा, आपने महिला सदस्यों के लिये मंगलवार का दिन तय किया है यह भी एक नवाचार है. इसके लिये भी मैं आपको बधाई देता हूं. शून्यकाल को लेकर आपने जिस प्रकार से लोकसभा की भांति एक व्यवस्था यहां पर की, तो मेरे ख्याल से मध्यप्रदेश विधान सभा लोकसभा के बाद पहली होगी, जहां आपने शुरुआत की, इसके लिये मैं आपको बधाई देता हूं. सभी की ध्यानाकर्षण की सूचनाएं आपने आज भी लीं और इतने ध्यानाकर्षण मुझे नहीं लगता कि इसके पहले कभी आये हों और सदस्य इस बात के लिये कि उनकी सूचनाओं पर कार्यवाही होगी इसको लेकर खुश हैं, मैं आपको यह भी अवगत कराना चाहता हूं. निश्चित तौर से नवाचार और नई व्यवस्थाएं आपके अध्यक्ष होते हुये रहेंगी और मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि हमारे विपक्ष की ओर से आपको पूरा सहयोग और आपका आशीर्वाद हम सब पर बना रहेगा. धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय -- पक्ष और प्रतिपक्ष (एक माननीय सदस्य के खड़े होने पर) नहीं, कृपया सुनिये. दरअसल प्रश्नकाल है, अब यह दोनों वरिष्ठ सदस्य थे इसलिये किया. मुझे ध्यान में नहीं रहा, प्रह्लाद जी ने मुझे बताया नहीं. प्लीज नहीं, प्रश्नकाल में यह परम्परा नहीं पड़नी चाहिये. आप सभी पक्ष, विपक्ष के साथियों ने जो भाव व्यक्त किये हैं, उनके लिये मैं आप सबका हृदय से आभार प्रकट करता हूं. आप सबको धन्यवाद देता हूं. हम सभी जानते हैं कि सदन की कार्यवाही सभी सदस्यों के एकभाव और सहयोग से ही समृद्ध होती है, संपन्न होती है. आप सबका भी योगदान इसमें बहुत है, इसलिये मैं आप सबको हृदय से धन्यवाद देता हूं. अब हमे प्रश्नकाल शुरू करेंगे. प्रश्न क्रमांक 1 श्री व्रिकांत भूरिया जी.
(इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण नीला गमछा पहनकर सदन में आए.)
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
फायर सेफ्टी नियमों का पालन
[जनजातीय कार्य]
1. ( *क्र. 1652 ) डॉ. विक्रांत भूरिया : क्या जनजातीय कार्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश में विभाग के अंतर्गत संचालित सरदारपुर विधान सभा क्षेत्र के बालक हॉस्टल में वर्ष 2024 में दो बालकों की विद्युत करंट से देहांत होने के बाद, विभाग के अंतर्गत आने वाले सभी प्राथमिक स्कूल से हायर सेकेंडरी स्कूल और बालक-बालिका हॉस्टल में फायर और सेफ्टी की आज तक की यथा स्थिति की जानकारी दी जाये। (ख) प्रश्नांश (क) के संबंध में प्रदेश के सभी जिलों में विभाग के अंतर्गत कितने स्कूल और हॉस्टल में फायर और सेफ्टी के नियमों का पालन करने के लिए आई.एस. 14435 (1997) का पालन करा जा रहा है या नहीं? यदि फायर और सेफ्टी के नियमों का पालन नहीं हो रहा, तब विभाग की भविष्य की क्या कार्य योजना है? (ग) प्रश्नांश (क) के संबंध में पिछले 5 वर्षों में विभाग ने सभी स्कूल और हॉस्टल में प्रति वर्ष रख-रखाव और सुरक्षा हेतु कितनी राशि खर्च की है? वर्ष अनुसार जानकारी दें।
जनजातीय कार्य मंत्री ( डॉ. कुंवर विजय शाह ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) स्वीकृत भवन निर्माण कार्यों में आई.एस. 14435 (1997) में किये गये प्रावधान का पालन किया जाता है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है।
डॉ. विक्रांत भूरिया – प्रश्न कमांक 1 उपस्थित.
डॉ. कुँवर विजय शाह – अध्यक्ष महोदय, उत्तर पटल पर प्रस्तुत कर दिया है.
डॉ.विक्रांत भूरिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आज ऐतिहासिक दिन है क्योंकि आज ही आपको अध्यक्ष पद पर आसीन हुये एक वर्ष हुआ है. अध्यक्ष जी जिस शैली में आप कार्य कर रहे हैं वह हम सबको गौरवान्वित करता है. आज का दिन मेरे लिये ऐतिहासिक इसलिये भी है कि आज एक वर्ष में पहली बार मुझे तारांकित प्रश्न करने का अवसर भी मिल रहा है. यह मेरे लिये बहुत गर्व की बात है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने, जनजातीय कार्य मंत्री जी से प्रश्न किया था कि प्रदेश में विभाग के अंतर्गत संचालित सरदारपुर विधानसभा क्षेत्र के बालक हॉस्टल में वर्ष 2024 में दो बालकों की विद्युत करंट से देहांत होने के बाद, विभाग के अंतर्गत आने वाले सभी प्राथमिक स्कूल से हायर सेकेंडरी स्कूल और बालक-बालिका हॉस्टल में फायर और सेफ्टी की आज तक की यथा स्थिति की जानकारी दें. अध्यक्ष जी, मेरे प्रश्न (क) एवं (ख) के उत्तर में सरकार ने बताया है कि सभी प्राथमिक स्कूल, हायर सेकेंडरी स्कूल, एवं बालक-बालिका हॉस्टल में फायर सेफ्टी नियमों का प्रावधान होने का साथ साथ इनका पालन किया जा रहा है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सदन को बताना चाहता हूं कि सरकार की तरफ से जो उत्तर आया है वह असत्य एवं भ्रामक है. प्रदेश में अधिकांश स्कूल और छात्रावासों में फायर सेफ्टी सिस्टम एवं विद्युत से सेफ्टी और सुरक्षा के उपाय के प्रबंध नहीं किये गये हैं ..
अध्यक्ष महोदय- डॉ. विक्रांत जी,आप प्रश्न करें. तभी मंत्री जी का जवाब आयेगा.
डॉ.विक्रांत भूरिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं प्रश्न ही कर रहा हूं कि सरकार के जवाब में है कि सारी व्यवस्थायें की गई हैं, लेकिन पुस्तकालय से मुझे जो जानकारी प्राप्त हुई है वह जानकारी मैं सदन को बताना चाहूंगा . सरकार के द्वारा जानकारी दी गई है कि मेरे झाबुआ जिले मे हाई स्कूल एवं हायर सेकेन्डरी स्कूल की संख्या 117 है, और 117 स्कूलों में फायर सेफ्टी के सभी नियमों का पालन किया गया है. 117 स्कूलों में ही विद्युत से सुरक्षा के उपाय किये गये हैं.
अध्यक्ष महोदय, साथ में सरकार का जवाब है कि बालक-बालिका छात्रावास की कुल संख्या मेरे जिले मे 94 है और सभी बालक-बालिका छात्रावासों में फायर सेफ्टी सिस्टम लगाये गये हैं, विद्युत सुरक्षा के उपाय किये गये हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने स्वयं ने अपने जिले का इस संबंध में भ्रमण किया है, भ्रमण के दौरान किसी भी स्कूल और हॉस्टल में किसी तरह की कोई फायर सेफ्टी के सिस्टम नहीं पाये गये हैं . और जिला धार के बारे में उत्तर आया है कि ..
अध्यक्ष महोदय-- डॉ.विक्रांत जी, विभाग का उत्तर आपके पास में हैं, प्रश्न आपने किया है, अब इसमें आप मंत्री जी से क्या पूछना चाहते हैं, क्या आपकी मांग है वह आप प्रश्न करें तो मंत्री जी उसका उत्तर देंगे, आप तो सरकार का उत्तर पढ़ रहे हैं.वह उत्तर तो सबके पास में है, कृपया पाईंटेड प्रश्न करें जिससे कि आप जो चाहते हैं उस समस्या का निराकरण किया जा सके.
डॉ.विक्रांत भूरिया --माननीय अध्यक्ष महोदय, समस्या साफ है कि जो उत्तर मुझे सरकार से प्राप्त हुये हैं वह असत्य है. मैं माननीय जनजातीय मंत्री जी से यह चाहता हूं कि इसके लिये विशेष दल का गठन किया जाये और झाबुआ जिले में जांच करने के लिये विशेष दल को भेजा जावे जिसके साथ हम जायें और स्थल पर पहुंच कर सभी हॉस्टल और स्कूल में इसका निरीक्षण करे.
डॉ.कुंवर विजय शाह --माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय सदस्य को बताना चाहता हूं कि यह सरकार बच्चों के प्रति कितनी संवेदनशील है. अध्यक्ष जी दुर्घटना 25 तारीख को हुई और दो बच्चों की करंट लगने से मृ्त्यु हो गई.मैं उस समय सिवनी में था, रात भर चलकर के मैं 26 तारीख को स्वयं उस परिवार के दुख दर्द में शामिल होने के लिये , उनका हांथ बटाने के लिये मैं पहुंचा, न केवल इतना, मैंने, जिले के सहायक आयुक्त थे श्री शुक्ला, और अधीक्षक को सस्पेंड करके विभागीय जांच की हमने शुरूवात की. मुख्यमंत्री जी से हमने बात की . जिस दिन घटना हुई, एक दिन बाद मैं गया, तत्काल कुछ राहत राशि 3-3 लाख रुपये उस परिवार को हमने दी. साथ ही जो फायर सेफ्टी की बात कर रहे हैं, यह जो भारत मानक शैक्षणिक संस्थानों की सुरक्षा के प्रकरण हैं, जब बिल्डिंग बनती है, तो उन मानकों का पालन किया जाता है. मैं केवल Fire extinguisher की बात करुं, तो आने वाले साल भर के अंदर 2400 जो छात्रावास हैं, सब मैं लगा दिये जायेंगे.
डॉ.विक्रांत भूरिया-- अध्यक्ष महोदय, मैंने जो मांग की है, वह यह है कि एक कमेटी का गठन करके उसका सत्यापन करने के लिये आप आदेशित करें.
डॉ. कुंवर विजय शाह—अध्यक्ष महोदय, पहली बार देश की आजादी के बाद हमने कितनी गंभीरता से इसको लिया है. हर संभाग में हमने एक दल गठित किया है. छात्रावासों में भविष्य में कोई तकलीफ न हो, बच्चों के साथ नाइंसाफी न हो, कोई तकलीफ न हो. हर संभाग में हम एक गाड़ी दे रहे हैं, जिसमें एक महिला अधिकारी रहेंगी और उस महिला अधिकारी को सप्ताह में चार दिन उन छात्रावासों में ही सोना है. जो पुरुष अधिकारी हैं, उसको छात्रावासों में बिना बतायें बच्चों के छात्रावासों में सोना है और वह जो रिपोर्ट देंगे, उसके आधार पर सारी कार्यवाही होगी. झाबुआ में हम एक अलग से दल भेज करके इसकी जांच करवा लेंगे.
डॉ.विक्रांत भूरिया-- अध्यक्ष महोदय, उस दल के साथ मैं आप यह सुनिश्चित कीजिये कि विधायक को भी यह आदेशित हो कि विधायक भी दल के साथ रहे, ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो जाये.
डॉ. कुंवर विजय शाह—अध्यक्ष महोदय,दल हमेशा के लिये गठित कर रहे हैं, हर संभाग में एक दल गठित कर रहे हैं, एक गाड़ी दे रहे हैं और वह जहां भी जायेगा, आपको सूचना देगा, आपको जानकारी हो जायेगी. अगर आपको लगता है कि कुछ और जानकारी आपको देना है या कुछ कमियां हैं, तो आप सादर आमंत्रित हैं विधायक के नाते. धन्यवाद.
अन्त्योदय योजना की जानकारी
[अनुसूचित जाति कल्याण]
2. ( *क्र. 906 ) श्री देवेन्द्र रामनारायन सखवार : क्या अनुसूचित जाति कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शासन द्वारा गरीब अनुसूचित जाति वर्ग के युवाओं के रोजगार हेतु कोई योजना चलाई जा रही है? यदि हाँ, तो क्या? (ख) अन्त्योदय योजना से जिला मुरैना में कितने युवाओं को इसका लाभ मिला है? यदि हाँ, तो उनके नाम, पते सहित सम्पूर्ण जानकारी देवें? यदि नहीं, तो क्यों? (ग) क्या इस योजना का उचित प्रचार प्रसार न कर अनुसूचति वर्ग के लोगों को इसके लाभ से लाभांवित नहीं करने वाले अधिकारियों कर्मचारियों पर कार्यवाही की जावेगी? यदि हाँ, तो क्या और कब तक जानकारी देवें?
अनुसूचित जाति कल्याण मंत्री ( श्री नागर सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जी नहीं, योजना संचालित न होने से प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) उत्तरांश (ख) के उत्तर अनुसार।
श्री देवेन्द्र रामनारायन सखवार—अध्यक्ष महोदय, पहले तो मैं आपको बधाई देता हूं एक साल पूर्ण होने पर. बहुत बहुत बधाई हो आपको. अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न है अनुसूचित कल्यण विभाग से . मैंने प्रश्न किया है कि (क) क्या शासन द्वारा गरीब अनुसूचित जाति वर्ग के युवाओं के रोजगार हेतु कोई योजना चलाई जा रही है? यदि हाँ, तो क्या? (ख) अन्त्योदय योजना से जिला मुरैना में कितने युवाओं को इसका लाभ मिला है? यदि हाँ, तो उनके नाम, पते सहित सम्पूर्ण जानकारी देवें? यदि नहीं, तो क्यों. मुझे जानकारी मिली, लेकिन मेरे प्रश्न के जवाब में मंत्री जी ने स्पष्ट रुप में मना किया है कि मध्यप्रदेश में अनुसूचित जाति वर्ग के बेरोजगार युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने वाली अन्त्योदय योजना की सरकार द्वारा कोई योजना संचालित नहीं है. तो मेरा प्रश्न यह बनता है कि क्या सरकार अनुसूचित जाति वर्ग के बेरोजगार युवाओं के लिये ऐसी ही कोई योजना संचालित कर रही है, यदि हां तो कौन सी, उसका नाम बतावें, यदि नहीं तो क्या सरकार कोई योजना अनुसूचित जाति वर्ग के बेरोजगार युवाओं के लिये संचालित करेगी, बताने का कष्ट करें.
श्री नागर सिंह चौहान—अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से सदस्य जी को बताना चाहता हूं कि आपने जो प्रश्न किया है कि क्या शासन द्वारा गरीब अनुसूचित जाति वर्ग के युवाओं के रोजगार हेतु कोई योजना चलाई जा रही है. मैं बताना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश की सरकार अनुसूचित जाति युवा रोजगार के लिये चार योजनाएं चलाई जा रही हैं. पहली है संत रविदास स्वरोजगार योजना, दूसरी, डॉ भीमराव अम्बेडकर आर्थिक कल्याण योजना, तसीरा, मुख्यमंत्री अनुसूचित जाति विशेष परियोजना वित्त पोषण योजना और चौथी है सावित्री बाई फुले स्व सहायता समूह योजना.
अध्यक्ष महोदय—सदस्य जी, दूसरा पूरक प्रश्न.
श्री देवेन्द्र रामनारायन सखवार-- अध्यक्ष महोदय, मैं यह कहना चाहता हूं कि पहले अन्त्योदय योजना के तहत रोजगार मिलता था. क्या इस योजना को पूर्ण रुप से बंद कर दिया गया है.
श्री नागर सिंह चौहान-- अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश सरकार की अन्त्योदय योजना विभाग में संचालित नहीं है.
श्री देवेन्द्र रामनारायन सखवार- अध्यक्ष महोदय, अंत्योदय योजना विभाग में संचालित नहीं है] इसकी जगह और कोई योजना चलायी जायेगी ?
श्री नागर सिंह चौहान- अध्यक्ष महोदय, मैंने माननीय सदस्य को कहा कि अनुसूचित युवा के लिये जब चार योजना चलायी जा रही है और उसमें पूरे मध्यप्रदेश में हमने करीब संत रविदास स्व-रोजगार योजना में वर्ष 2023-24 में करीब 1379 लोगों को 59 करोड़, 28 लाख, 59 हजार का लोन दिया है.
अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्य से निवेदन करना चाहता हूं कि अगर आपके जिले में कोई इस प्रकार का लोन लेने वाला व्यक्ति हो तो आप मुझे अवगत कराइये. मैं पूरी शासन की तरफ से मदद करूंगा.
श्री देवेन्द्र रामनारायन सखवार- मंत्री जी, मैं एक बात कहना चाहता हूं कि आप लोन तो मंजूर कर देते हैं, लेकिन बैंक वाले उसको करते नहीं हैं. आप इसके लिये क्या कर रहे हैं ?
अध्यक्ष महादय- देवेन्द्र जी, आपके दोनों प्रश्न हो गये हैं. बाकी कोई बात हो तो मंत्री जी से व्यक्तिगत मिलकर कर लीजियेगा.
श्री देवेन्द्र रामनारायन सखवार- जी, धन्यवाद.
अ.जा. एवं अ.ज.जा. विभाग में अनियमितता
[जनजातीय कार्य]
3. ( *क्र. 1667 ) श्री दिलीप सिंह परिहार : क्या जनजातीय कार्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) दिनांक 01 जनवरी, 2019 के पश्चात नीमच, मंदसौर जिले में अ.जा. एवं अ.ज.जा. विभाग में कब-कब, किन-किन कर्मचारियों के खिलाफ किस-किस प्रकार की शिकायतें प्राप्त हुईं? उन पर विभाग के किस सक्षम अधिकारी ने क्या-क्या कार्यवाही की? (ख) दिनांक 01 जनवरी, 2023 के पश्चात उज्जैन संभाग में अ.जा. एवं अ.ज.जा. विभाग के कितने जिला अधिकारी हैं, जिनका प्रमोशन किया गया, लेकिन उन्हें रिलीव नहीं किया गया? रिलीव न करने के क्या कारण हैं और इसकी समय-सीमा क्या है?
जनजातीय कार्य मंत्री ( डॉ. कुंवर विजय शाह ) : (क) दिनांक 01 जनवरी, 2019 के पश्चात नीमच एवं मंदसौर जिले में अ.जा. एवं अ.ज.जा. विभाग में कर्मचारियों के खिलाफ प्राप्त शिकायतें एवं उन पर सक्षम अधिकारी द्वारा की गई कार्यवाही की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) दिनांक 01 जनवरी, 2023 के पश्चात उज्जैन संभाग में किसी भी जिला अधिकारी का प्रमोशन नहीं किया गया है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री दिलीप सिंह परिहार- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न क्रमांक:-3 अ.ज.जा. में अनियमितताओं के संबंध में है.
मैं सबसे पहले देश के हृदय स्थल मध्यप्रदेश में आसंदी पर आपको एक वर्ष पूर्ण करने पर मैं आपको प्रणाम करता हूं. बधाई देता हूं, शुभकामनाएं देता हूं.
मध्यप्रदेश शासन के विभाग के निर्देश क्रमांक 21.5.2010 तथा कंडिका -3 में यह निर्देशित है कि यदि गुमनाम शिकायत प्राप्त होती हैं तो उन्हें नस्तीबद्ध किया जाये. यदि आवश्यक है तो शिकायत वाले व्यक्ति को अन्य बुलाया जा सकता है. यदि पत्राचार के दौरान यह पाया जाता है कि फर्जी है तो उसे नस्तीबद्ध किया जाये. मगर मैंने प्रश्न लगाया था कि नीमच और मंदसौर जिले में ऐसे स्पष्ट निर्देश होने के बाद बावजूद भी अ.जा. और अ.ज.जा. विभाग के कर्मचारियों के खिलाफ गुमनाम शिकायतों पर कार्यवाही की जा रही है. मेने प्रश्न ''क'' मैं बताया गया है कि दिनांक 1 जनवरी, 2019 में 43 गुमनाम शिकायतों पर कार्यवाही प्रचलन में है. उन विभाग द्वारा सामान्य प्रशासन विभाग के निर्देशों के बावजूद भी नस्तीबद्ध नहीं किया गया है.
मान्यवर, मेरा यह निवेदन है कि क्या विभाग सदन को आश्वस्त करेगा कि जो गुमनाम शिकायतें हैं उनको 15 दिन में नस्तीबद्ध किया जाये.
डॉ. कुंवर विजय शाह- अध्यक्ष जी, यह बात सच है कि 43 शिकायतें बिना मोबाइल नंबर और बिना नाम के हमारे कार्यालय में प्राप्त हुई और वहां जो तत्कालीन जिला अधिकारी थे उन्होंने कुछ शिकायतों पर कार्यवाही की है. इनकी पुन: 7 दिन में जांच करा लेंगे. जिनमें फोन नंबर नहीं है, नाम नहीं है, ऐसी गुमनाम शिकायतों का कोई मतलब नहीं है. उसका निराकरण 7 दिन में कर दिया जायेगा.
श्री दिलीप सिंह परिहार- अध्यक्ष महोदय, ऐसे अनेक विभागों में यह होता कि कोई भी एक कार्ड लिख देता है, किसी के लिये भी लिख देता और वह परेशान होता है, कई कर्मचारी हमारे पास में आते हैं और वह मानसिक रूप से बहुत प्रताडि़त होते हैं और मानसिक रूप से भी डिप्रेशन में चले जाते हैं. मेरा कहना है कि इस पर निष्पक्ष कार्यवाही हो और अगर कोई नामजद कोई आया है तो उसके खिलाफ आप जांच कर सकते हैं.
मेरा दूसरा प्रश्न है कि मेरे विधान सभा क्षेत्र में नीमच छात्रावास में प्रभारी छात्रावास अधीक्षक होने से छात्रावास की व्यवस्था तथा वहां के प्रभारी छात्रावास अधीक्षक की जगह स्थायी छात्रावास अधीक्षक कब तक भेज दिये जायेंगे ?
अध्यक्ष महोदय- दिलीप सिंह जी आप बैठ जायें.
डॉ. कुंवर विजय शाह- अध्यक्ष जी, चार हजार, छ: सौ हमारे छात्रावास हैं वहां पर अधीक्षक नहीं हैं और पहली बार हम लोगों ने गंभीरता के साथ, हमारे विभाग ने और हम लोगों ने काम किया है तथा आने वाले समय में चार हजार, छ: सौ के आसपास नये छात्रावास अधीक्षकों की भर्ती हम लोग करेंगे. ताकि आने वाले बच्चों को जॉब भी मिले और आपकी समस्याओं का स्थायी निराकरण हो जाये.
श्री दिलीप सिंह परिहार- मैं मंत्री जी को धन्यवाद देता हूं और यह निवेदन करता हूं कि जब हम लोग छात्रावास में जाते हैं तो वहां कई प्रकार की अनियमितताएं होती है तो आप जिला अधिकारी को निर्देश करें कि हम वहां जाकर देख सकें या इस पर सही जांच हो सके.
अध्यक्ष महोदय- मंत्री जी, आप कुछ कहना चाहते हैं ?
डॉ. कुंवर विजय शाह- अध्यक्ष जी, आप विधायक के नाते आप कभी भी जाकर के होस्टल का निरीक्षण कर सकते हैं , अनुमति की आवश्यकता नहीं है.
श्री दिलीप सिंह परिहार- धन्यवाद, माननीय मंत्री जी.
अध्यक्ष महोदय- प्रश्न क्रमांक-4, डॉ सतीश सिकरवार. सतीश सिकरवार जी हैं.
प्रश्न संख्या 4 डॉ. सतीश सिकरवार - (अनुपस्थित)
हाई स्कूल भवन का उन्नयन एवं स्वीकृति
[जनजातीय कार्य]
5. ( *क्र. 38 ) श्रीमती नीना विक्रम वर्मा : क्या जनजातीय कार्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) धार विधानसभा के हाई स्कूल धामन्दा, हाई स्कूल नारायणपुरा तथा हाई स्कूल तोरनोद का उन्नयन किस वर्ष हुआ था? क्या इन स्कूलों में शासन की योजना अनुसार उन्नयन के साथ ही हाई स्कूल भवनों की स्वीकृति प्रदान की गई थी? (ख) यदि नहीं, तो क्या कारण है कि उन्नयन पश्चात लम्बे अंतराल में भी इन स्कूलों में नवीन भवन की स्वीकृति नहीं हो सकी? क्या इस विषयक प्रश्नकर्ता विधायक द्वारा प्रेषित पत्र विभाग के पास विचाराधीन है? (ग) क्या पूर्व में जारी हाई स्कूलों के भवन निर्माण के स्वीकृति आदेश में टंकण त्रुटि से हाई स्कूल धामन्दा को हाई स्कूल धामनोद कर दिया गया था, तब जबकि धामनोद में पूर्व से ही भवन बना हुआ था? यदि हाँ, तो इस टंकण त्रुटि को सुधार कर बजट आवंटन हाई स्कूल धामन्दा के भवन हेतु कब तक प्रदाय कर दिया जायेगा? (घ) क्या वर्तमान में कक्षा पहली से कक्षा दसवीं तक के विद्यार्थियों की कक्षावार बैठक व्यवस्था क्रमशः इन तीनों स्कूलों में अपर्याप्त है? (ड.) क्या विद्यार्थियों को मूलभूत सुविधा उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से इस वित्तीय वर्ष में इन तीनों स्कूलों में हाई स्कूल भवन निर्माण हेतु विभाग स्वीकृति प्रदान करेगा?
जनजातीय कार्य मंत्री ( डॉ. कुंवर विजय शाह ) : (क) हाईस्कूल धामन्दा का उन्नयन वर्ष 2010 में, हाईस्कूल नारायणपुरा का उन्नयन वर्ष 2007 में एवं हाईस्कूल तोरनोद का उन्नयन वर्ष 2010 में किया गया था। उन्नयन के साथ भवनों की स्वीकृति प्रदान नहीं की गई थी। (ख) स्कूल शिक्षा विभाग के द्वारा शासकीय हाईस्कूल धामन्दा एवं हाईस्कूल तोरनोद के विद्यालय भवन की स्वीकृति वर्ष 2019-20 में प्रदाय की गई है। निर्माण एजेन्सी पी.आई.यू. द्वारा पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृति चाही गई। पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृति एवं नारायणपुरा स्कूल के लिये नवीन भवन हेतु स्वीकृति का प्रस्ताव 2025-26 की वार्षिक कार्ययोजना में शामिल किये जाने हेतु आयुक्त, लोक शिक्षण को प्रेषित है। अतः शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) जी हाँ। टंकण त्रुटि होने के कारण शासकीय हाईस्कूल धामन्दा के स्थान पर धामनोद के विद्यालय भवन का नाम अंकित हो गया था, जिसे आयुक्त, लोक शिक्षण संचालनालय भोपाल के पत्र क्रमांक/लोशिस/भवन/एफ/06/2021/910, भोपाल दिनांक 30.03.2021 के माध्यम से त्रुटि सुधार कर 100.00 लाख की प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान कर दी गई है। (घ) जी हाँ। (ड.) जिला शिक्षा अधिकारी धार के द्वारा प्रश्नांकित हाईस्कूल के भवनों का निर्माण वर्ष 2025-26 की वार्षिक कार्ययोजना में शामिल किये जाने हेतु प्रस्ताव आयुक्त, लोक शिक्षण को प्रेषित है।
श्रीमती नीना विक्रम वर्मा - अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद. सबसे पहले मैं आपको एक वर्ष पूर्ण होने पर बहुत बहुत शुभकामनाएं देना चाहती हूं. इसके साथ ही आपने जो महिलाओं के लिए एक परंपरा शुरू की है. उनके लिए मंगलवार को समय रिजर्व किया है. सभी महिलाओं की तरफ से आपको इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आभार है. आज इस प्रश्न के लिए आपको धन्यवाद देती हूं. माननीय मंत्री जी को भी धन्यवाद देती हूं क्योंकि जो काम करते हैं परेशानियां उन्हीं के सामने आती हैं. मेरे धार विधान सभा की परेशानी में 3 स्कूल ऐसे हैं जिनकी स्वीकृति अपग्रेडेशन की बहुत पहले हो चुकी थी. वर्ष 2010 में धामन्दा, नारायणपुरा की वर्ष 2007 में और तोरनोद की वर्ष 2010 में स्वीकृति हुई. लगातार प्रयास किये गये. लेकिन उनके भवन की समस्या लगातार बनी रही और उसके अभाव में बच्चों को शिक्षा ग्रहण करने में बड़ी परेशानी आ रही थी. धामन्दा की स्वीकृति मिली, लेकिन किसी कारणवश धामन्दा की प्रिंटिंग मिस्टेक हो गई और वह धामनौद चला गया. काफी प्रयास के बाद वह वापस आया है लेकिन आज भी भवन के अभाव में वहां शिक्षा के अंदर बहुत परेशानी आ रही है.
अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2019 और 2020 में तोरनोद और धामन्दा दोनों को स्वीकृत की गई, लेकिन निर्माण एजेंसी पीआईयू ने पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृति के लिए वापस सरकार को भेजा, जिसकी आज तक की व्यवस्था नहीं हो पाई है. मैं माननीय मंत्री जी से पूछना चाहूंगी कि आपने जवाब में दिया है कि वर्ष 2025-26 की कार्ययोजना में इसको शामिल किया है. आप यहां घोषणा करेंगे कि कनफर्म मेरा यह काम हो जाएगा क्योंकि काफी साल से पेंडिग है और मैं आपसे उम्मीद के साथ पूछूंगी कि आप यह बता दें यह दोनों स्कूलों के भवन की स्वीकृति वर्ष 2025-26 में कनफर्म हो जाएगी?
डॉ. कुंवर विजय शाह - अध्यक्ष महोदय, यह दोनों स्कूलों की स्वीकृति स्कूल शिक्षा विभाग को देनी है, ट्राइबल विभाग को नहीं. हमने वरिष्ठ अधिकारी स्कूल शिक्षा विभाग से बात की है, मंत्री जी तो है नहीं, जिन अधिकारियों ने कहा है कि वर्ष 2025-26 में हम इन दोनों को शामिल करेंगे और जो चिंता माननीय सदस्या की है वह मुझे लगता है कि वर्ष 2025-26 में आपकी दोनों स्कूलों की मंजूरी मिल जाएगी. इसके साथ एक स्कूल नारायणपुरा की भी है, उसके लिए भी आपने मुझे यही बताया है कि वर्ष 2025-26 में इसकी स्वीकृति हो जाएगी तो आप कृपया तीनों स्कूलों को वर्ष 2025-26 में स्वीकृत करके भवनों को वहां के बच्चों की शिक्षा के अंदर सुधार में अपना सहयोग करेंगे.
दूसरा अध्यक्ष महोदय, आपके समर्थन के साथ एक बात करना चाहूंगी कि हमारी सरकार ने, पूर्व मुख्यमंत्री जी ने एक शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए सीएम राइज स्कूल की शुरुआत की थी. बहुत अच्छी व्यवस्था है और काफी अच्छा चल रहा है लेकिन उसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्र के अंदर कुछ स्कूलें हैं जो अपग्रेडेशन के कारण बहुत ज्यादा वहां बच्चियों को परेशानी आ रही है. स्कूल के अंदर बच्चियों को मां बाप ज्यादा दूर भेज नहीं सकते हैं, भेजना नहीं चाहते हैं. यह साफ है कि बच्चियों को शिक्षा के लिए अपने आपसपास के स्कूलों का ही मुंह देखना पड़ता है. अपग्रेडेशन कई स्कूलों का नहीं हो पा रहा है, 8वीं को 10वीं में, 10वीं को 12वीं में कनवर्ट नहीं होने के कारण बच्चियों को समस्या आ रही है और कई बार तो उन्हें स्कूल छोड़ने की नौबत तक आ जाती है.
अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से पूछना चाहूंगी और उनसे यह समर्थन चाहूंगी कि क्या आने वाले समय में आप स्कूलों का अपग्रेडेशन करेंगे ताकि बच्चियों की शिक्षा यथावत् जारी रह सके.
डॉ. कुंवर विजय शाह - अध्यक्ष महोदय, इस वित्तीय वर्ष में अपग्रेडेशन के लिए कोई योजना नहीं है, आने वाले वित्तीय वर्ष में अगर कुछ होगा तो हम जरूर ध्यान रखेंगे.
श्रीमती नीना विक्रम वर्मा - माननीय मंत्री जी आप थोड़ा जल्दी प्रयास करेंगे तो बच्चियों की तरफ से आपको बहुत आभार, दुआएं, शुभकामनाएं सब कुछ रहेंगी क्योंकि वह काफी लम्बे समय से इंतजार कर रही हैं.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी गंभीरता से लेंगे, भाभीजी आप चिंता नहीं करें. मंत्री जी बहुत गंभीर हैं.
श्रीमती नीना विक्रम वर्मा - धन्यवाद अध्यक्ष महोदय. धन्यवाद मंत्री जी.
फर्जी जाति प्रमाण-पत्र के आधार पर भूमि क्रय
[जनजातीय कार्य]
6. ( *क्र. 971 ) श्री कुँवर सिंह टेकाम : क्या जनजातीय कार्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सीधी जिले में मनीष कुन्देर एवं रजनीश कुन्देर पुत्र स्व. श्री रामलखन कुन्देर, शास्त्री नगर, सीधी (म.प्र.) का निवासी है? क्या सहायक आयुक्त के द्वारा जनजाति वर्ग का जाति प्रमाण पत्र जारी किया गया है? यदि हाँ, तो पूर्ण जानकारी उपलब्ध करायें। (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में कुन्देर बन्धुओं द्वारा फर्जी अनु.जनजाति प्रमाण-पत्र के आधार पर ग्राम जमोड़ी कला, तहसील गोपद बनास, जिला सीधी (म.प्र.) में जनजातियों की जमीन क्रय की गयी है? यदि हाँ, तो पूर्ण विवरण दें। (ग) प्रश्नांश (ख) के संदर्भ में फर्जी जाति प्रमाण-पत्र की जांच कलेक्टर सीधी एवं पुलिस अधीक्षक सीधी द्वारा जांच कराकर प्रतिवेदन राज्य स्तरीय अनु. जनजाति छानबीन समिति भोपाल को भेजा गया है? यदि हाँ, तो प्रतिवेदन की प्रति उपलब्ध करायें। उक्त प्रतिवेदनों पर समिति द्वारा प्रश्न दिनांक तक क्या कार्यवाही की गयी है? (घ) प्रश्नांश (ग) के संदर्भ में फर्जी जाति प्रमाण-पत्र को राज्य स्तरीय छानबीन समिति द्वारा निरस्तगी की कार्यवाही कब तक की जायेगी? प्रकरण में कलेक्टर/पुलिस अधीक्षक, सीधी की अनुशंसा उपरांत भी अभी तक फर्जी जाति प्रमाण-पत्रों को निरस्त क्यों नहीं किया गया?
जनजातीय कार्य मंत्री ( डॉ. कुंवर विजय शाह ) : (क) जी हाँ। तत्कालीन जिला संयोजक, आदिम जाति कल्याण विभाग के पत्र क्रमांक/159/जा.प्र./अ.जा.क./85/सीधी, दिनांक 13.6.85 द्वारा श्री मनीष कोदार आत्मज श्री रामलखन कोदार तथा पत्र क्रमांक 160, दिनांक 13.6.85 द्वारा श्री रजनीश कोदार आत्मज श्री रामलखन कोदार, निवासी शास्त्रीनगर सीधी का अध्ययनरत संबंधी प्रमाण पत्र जारी किया जाकर शाखा प्रबंधक भारतीय स्टेट बैंक सीधी को भेजा गया है। जारी किये गये प्रमाण पत्रों की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) एवं (ग) कुंदेर बंधुओं के अनुसूचित जनजाति प्रमाण पत्रों की जांच राज्य स्तरीय छानबीन समिति के निर्णय के पूर्व जानकारी दिया जाना संभव नहीं है। (घ) राज्य स्तरीय छानबीन समिति के कार्य की प्रक्रिया अर्द्धन्यायिक स्वरूप की होने से समय-सीमा से अवगत कराया जाना संभव नहीं है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री कुँवर सिंह टेकाम - अध्यक्ष महोदय, प्रश्नकर्ता उपस्थित है.
डॉ. कुंवर विजय शाह - अध्यक्ष महोदय, आपको जवाब दिया है.
श्री कुँवर सिंह टेकाम - अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न में मनीष कुन्देर एवं रजनीश कुन्देर पिता रामलखन कुन्देर के बारे में जो उन्होंने कूट रचित तरीके से जाति प्रमाण पत्र प्राप्त किया है उसके संबंध में मेरा प्रश्न था. मेरा प्रश्न था कि उनका मूल निवास कहां है? मंत्री जी ने बताया है कि सीधी, लेकिन उनका मूल निवास सीधी में नहीं है, उनका मूल पता है वार्ड नं. 11, बाई का बाग, इलाहबाद उत्तर प्रदेश का पुश्तैनी निवासी है. वर्ष 1985 में रामलखन कुन्देर स्टेट बैंक में नौकरी करने आए थे, उन्होंने किराए का मकान लेकर सीधी शास्त्री नगर में वर्ष 1985 से वह निवासरत् थे.
11.30 बजे {सभापति महोदय (डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय) पीठासीन हुए. }
फिर वे वर्ष 1988 में जमीन खरीदकर फोर्ट रोड, रीवा में निवासरत हैं और उन्होंने जाति प्रमाण पत्र एक जगह से नहीं, बल्कि सीधी से वर्ष 1985 में प्राप्त किया, वर्ष 1988 में जबलपुर और 2002 में जाति प्रमाण पत्र प्राप्त किया. जिसको सूचना के अधिकार के तहत जिला संयोजक, सीधी एवं एसडीएम, रीवा से जब जानकारी चाही गई, तो उन्होंने कहा कि इस तरह का जाति प्रमाण पत्र जारी नहीं होना पाया गया है. आपने लिखा है जी हां, जाति प्रमाण पत्र जारी किया गया है. मैं कहना चाहता हॅूं कि कुंदेर जाति अनुसूचित जनजाति की सूची में नहीं है. कोंदार है जो 22 नंबर पर अंकित है. कुंदेर जाति पिछड़ा वर्ग की सूची क्रमांक-6 में अंकित है और इस तरह से उन्होंने अपने आप को अनुसूचित जनजाति का बताकर के कई आदिवासियों की जमीन आदिवासी बनकर क्रय किया और उन्होंने पिछड़ा वर्ग का व्यक्ति बनकर जमीन भी बेची. इससे साफ जाहिर होता है कि कलेक्टर सीधी का प्रतिवेदन एवं पुलिस अधीक्षक, सीधी का प्रतिवेदन अवलोकन करें और इसमें स्पष्ट लिखा है.
सभापति महोदय, राज्य स्तरीय छानबीन समिति के पास यह प्रकरण लंबित है. आपसे मैंने पूछा था कि क्या फर्जी जाति प्रमाण पत्र की जांच कलेक्टर सीधी एवं पुलिस अधीक्षक, सीधी द्वारा जांच कराकर प्रतिवेदन राज्य स्तरीय अनुसूचित जनजाति छानबीन समिति , भोपाल को भेजा गया है, तो इसमें आपने उत्तर दिया है और यह बहुत गंभीर मामला है. मेरा इसमें यह कहना था कि क्या कलेक्टर और एसपी का जांच प्रतिवेदन आ गया. आप बोलते कि हां, ठीक है. आप जानकारी डिस्क्लोज नहीं करना चाहते हैं क्योंकि यह अर्द्ध न्यायायिक प्रक्रिया में है तो हमको उसमें कोई एतराज नहीं था. मेरा प्रश्न है कि क्या इस तरह से कूटरचित तरीके से जो जाति प्रमाण पत्र प्राप्त किए गए हैं उनकी राज्य स्तरीय छानबीन समिति से जांच कराकर जो फर्जी जाति प्रमाण पत्र प्राप्त किए गए हैं, उसको निरस्त करने की कार्यवाही करेंगे ?
डॉ.कॅुंवर विजय शाह -- माननीय सभापति महोदय, माननीय विधायक जी ने बड़ा गंभीर प्रश्न उठाया है. कुछ लोग फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनाकर के आदिवासियों की जमीनों पर काबिज होते हैं. जमीनें सस्ते दामों पर खरीदते हैं इसका हमारी सरकार ने गंभीरता से न केवल चिन्तन किया है बल्कि जिस व्यक्ति का आपने अभी हवाला दिया है, इसकी जांच के लिए हमने इसे 4 बार बुलाया. हमने इसे दिनांक-7.2.2023, 29.5.2023, 24.7.2024, 29.11.2024 को और अभी दिनांक-17.12.2024 को बुलाया गया था. इसे 5 बार बुलाने के बाद भी यह व्यक्ति हाजिर नहीं हुआ. छानबीन समिति अर्द्ध न्यायायिक प्रक्रिया है और उसको हमने निर्देश दिए हैं कि 5 बार बुलाने के बाद भी अगर यह व्यक्ति नहीं आता है तो एकतरफा निर्णय लेने के लिए समिति स्वतंत्र रहती है. मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हॅूं जिस तरीके से आपने बताया कि इन्होंने और भी लोगों की जमीनें ली हैं और पिछड़ा वर्ग का व्यक्ति बनकर बेची हैं तो हम कलेक्टर से और कमिश्नर रीवा से उसकी अलग से जांच भी कराएंगे. अगर इस तरीके से कुछ किया है तो आपराधिक मुकदमा भी दर्ज होगा और बहुत जल्दी छानबीन समिति का निर्णय हम कोशिश करेंगे कि आ जाए. (मेजों की थपथपाहट)
श्री कुँवर सिंह टेकाम -- माननीय मंत्री जी, बहुत-बहुत धन्यवाद. आपने इस तरह का आश्वासन देकर के न्याय प्रक्रिया को और न्याय देने की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम उठाया है. यह एक मील का पत्थर साबित होगा. इसके लिए मैं आपको बहुत-बहुत धन्यवाद देता हॅूं. दूसरी बात यह है कि इसकी कोई समयसीमा यदि निश्चित हो जाए तो कृपया, आप बता दीजिए. 6 महीने, 2 साल, 3 साल, 5 साल कितनी समयसीमा है.
डॉ.कॅुंवर विजय शाह -- माननीय सभापति महोदय, यह अर्द्ध न्यायायिक प्रक्रिया है. समयसीमा बतलाना संभव नहीं है. यथासंभव, यथाशीघ्र. (हंसी)
सभापति महोदय -- धन्यवाद. प्रश्न क्रमांक-7. श्री विजयपाल सिंह जी ने श्री ठाकुरदास नागवंशी जी को अधिकृत किया है. श्री ठाकुरदास नागवंशी जी.
नल-जल योजना
[लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी]
7. ( *क्र. 699 ) श्री विजयपाल सिंह : क्या लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) प्रश्नकर्ता के विधान सभा क्षेत्र सोहागपुर के अंतर्गत वर्ष 2019 से आज दिनांक तक कुल कितनी नल-जल योजना स्वीकृत हुई हैं? ग्रामवार एवं विकासखंडवार जानकारी उपलब्ध करावें। (ख) नल-जल योजना के निविदा का क्या प्रावधान था और निविदा स्वीकृत एवं वर्क ऑर्डर के बाद कितने समय में कार्य पूर्ण किया जाना था? (ग) जो नल-जल योजना प्रश्नकर्ता के क्षेत्र में बनाई गई है, उसकी गुणवत्ता ठीक नहीं है और कार्य बहुत ही घटिया हुआ है, जगह-जगह ठेकेदार द्वारा सड़कों पर गड्ढे किये गये हैं तथा कई जगह से लाइन भी टूट गई है और विभाग द्वारा योजना पूर्ण बताकर राशि भी निकाल ली गई है, उससे संबंधी विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की गई है? उक्त घटिया निर्माण में दोषी पाये गये अधिकारी/ठेकेदार के विरूद्ध विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की जायेगी?
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री ( श्रीमती संपतिया उइके ) : (क) 274, शेष जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) जी नहीं, शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
श्री ठाकुरदास नागवंशी(अधिकृत)—सभापति महोदय, माननीय विधायक जी ने नल जल योजना के बारे में पूछा है. माननीय विधायक जी योजना से परेशान हैं और ग्रामवासी नल जल से. माननीय विधायक जी ने जो जानकारी मांगी वह जानकारी अधूरी है. जो जो उन्होंने पाईंटवार बातें रखी थीं उनका भी सीधा-सीधा जवाब नहीं आया है. यहां पर जितने भी सदस्य बैठे हुए हैं नल जल योजना के बारे में सबको मालूम है. मध्यप्रदेश की सबसे महत्वपूर्ण योजना सरकार की मंशा कि हर गरीब और हर घर में नल लगाया जाये. कहीं न कहीं ठेकेदारों की लापरवाही के कारण गुणवत्ता में काम नहीं किया गया. यदि काम किया गया तो उसकी क्वालिटी नहीं है. जो पाईप लाईन डाल दी गई है. अगर उसको चालू करते हैं तो कहीं न कहीं से सीपेज हो जाती है. मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि ऐसे ठेकेदार के खिलाफ क्या आप कार्यवाही करेंगे ? ताक हमारे माननीय सदस्य अपने प्रश्न से संतुष्ट हो सके.
श्रीमती संपतिया उइके—सभापति महोदय, जिस तरह से हमारे सम्मानीय सदस्य ने प्रश्न किया है. हमारे माननीय सदस्य जी का प्रश्न था कि हमारे क्षेत्र में कितनी योजनाएं स्वीकृत हैं. उस पर बताना चाहूंगी कि 274 योजनाएं स्वीकृत हैं. 161 योजनाओं अभी वर्तमान में प्रगतिरत् हैं, जिस पर हमारा काम शुरू है.
श्री ठाकुरदास नागवंशी—सभापति महोदय, मैं मंत्री जी से यह जानना चाहता हूं कि माननीय विधायक जी ने पूछा है कि जो योजनाएं चल रही हैं वह पूरी नहीं हुई हैं. जो पूर्ण बता रहे हैं, वह भी पूर्ण नहीं हुई हैं. उन योजनाओं को पूर्ण बताकर उसकी राशि निकाल ली गई है. सबसे बड़ी विसंगतियां उसमें यह है कि जब भी नल जल योजना जिस गांव में सेंक्शन होती हैं वहां के रोड़ को खोद दिया जाता है. जबकि उसमें प्रावधान है कि कटर से रोड़ों को काटा जाये. पर वहां के ठेकेदार के द्वारा जेसीबी के माध्यम से रोड़ों को खोद दिया गया है. ढाई फीट के गड्डे को चार फीट का गड्डा कर दिया जाता है. तो जो रोड़ पहले से ही पंचायत ने बनायी थीं वह रोड़े खराब हो गई हैं. क्या मंत्री जी ठेकेदार को निर्देशित करेंगी कि रोड़ें खराब हो गई हैं उन्हें पुनः बनाया जाये और गुणवत्ता के माध्यम से काम को कराया जाये.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)—सभापति महोदय, एक प्रश्न मेरा है. दोनों का साथ में उत्तर आ जायेगा. यह पिछले सत्र में भी मुद्दा उठा था चाहे इसमें पक्ष के विधायक हों, अथवा विपक्ष के विधायक हों जैसा कि माननीय विजय पाल जी के प्रश्न में आपने कहा कि यह सच है कि पूरी सड़कें खुदी हुई हैं पंचायतों के अंदर जेसीबी से उनके अंदर आज तक काम नहीं हुआ. काम पूरे प्रदेश के अंदर अधूरा पड़ा है. माननीय मंत्री जी की तरफ से मुझे याद है कि माननीय संसदीय मंत्री जी ने आश्वासन दिया था कि एक महीने में उसकी जांच करा लेंगे और कलेक्टरों को ऐसा निर्देश उन्होंने दिया था. लेकिन अभी तीन महीने इसमें हो गये हैं उसकी न तो जांच हुई है और न ही सदन के पटल पर रिपोर्ट आयी. मैं चाहता हूं कि माननीय मंत्री जी से आपके माध्यम से कि इसकी पूरी जांच हो. क्योंकि यह मुद्दे हर कोई उठाता है. इसमें निष्पक्ष जांच हो, ऐसा मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हूं. कब तक जांच होगी. अगर रिपोर्ट आ गई है तो वह बता दें, पटल पर कब रिपोर्ट आ जायेगी, यह बता दें ? और उसकी जांच नहीं हुई हैं जांच कब तक होगी, इसको स्पष्ट कर दें ?
श्रीमती संपतिया उइके – धन्यवाद, माननीय सदस्य ने जो प्रश्न किया, एक तो मैं हमारे सदस्य के प्रश्न का उत्तर देना चाहूंगी कि उन्होंने जैसे कहा कि 274 हमारी योजना थी, उसमें 104 योजना हमने पूरी कर लिया है और 161 योजनाएं हैं जिनका कार्य प्रगति पर है. जैसे हमारे विपक्ष के सम्मानीय नेता जी ने कहा कि जिस तरह से पूर्व में मैं सभी सम्माननीय सदस्यों को इस बात को लेकर धन्यवाद देना चाहती हूं कि जब मैं पहली बार सदन में आईं तो उस समय आप लोगों ने जो प्रश्न किया था, उसका हम लोगों ने और हमारे संसदीय मंत्री ने जवाब दिया कि हम लोग इसकी समीक्षा करके, जांच करके, जहां पर रोड टूट हुए हैं, उनकी समीक्षा करके उसे सुधारेंगे, बताते हुए प्रसन्नता हो रही है कि हमारे पूरे मध्यप्रदेश में 60661 किलोमीटर रोड टूटे हुए थे और आप लोगों के माध्यम से, सदन के माध्यम से हम लोगों ने उसकी जांच करके आज की दिनांक में 6371 किलोमीटर रोड हमने बनाया है. 1299 किलोमीटर अभी शेष है.
श्री सोहन बाल्मीक – सभापति जी ये गलत आंकड़ा है. ऐसा नहीं है, ये गलत जानकारी दे रही हैं, ये जानकारी गलत है, आज भी रोड खुदी पड़ी है, ठेकेदार काम छोड़कर चले गए हैं.
सभापति महोदय – माननीय मंत्री जी का पूरा जवाब आने दीजिए, कृपया सहयोग करें.
श्री भंवर सिंह शेखावत – कौन से जिले में कहां कहां सड़क बनी है, मंत्री जी बता दें, कौन से जिले में कितने किलोमीटर सड़कें बनी हैं, उसका उल्लेख हो जाए, जांच करवा लिया जाए. रिपोर्ट कब तक आएगी.
सभापति महोदय – आप दोनों वरिष्ठ सदस्य है. मंत्री जी का जवाब पूरा आने दें. मंत्री जी अभी जवाब दे रही हैं. उनका जवाब पूरा नहीं हुआ है.
श्री गोपाल भार्गव – माननीय सभापति जी, ये समस्या राज्य के लगभग सभी 52 हजार गांवों के अंदर हो रही है. मेरा मंत्री जी को सुझाव है कि निष्पक्ष रूप से इसको पूरे प्रदेश में ऑडिट करवाया जाए कि पूरे मध्यप्रदेश में वर्तमान स्थिति क्या है. सभापति जी, पक्ष विपक्ष कोई भी हो, बहुत अच्छा काम है, जल निगम का गठन जब मैं पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री था, उस समय जल निगम का गठन हुआ था, उसके बाद जल जीवन मिशन आया. दोनों के अंतर्गत ये काम हो रहे हैं. सदस्यों की चिंता मेरे विधान सभा क्षेत्र में भी और अन्य सभी क्षेत्रों में वाजिब है, रेस्टोरेशन का कार्य नहीं हो पा रहा है, सड़कें खोद दी गई हैं, जिन्हें हम लोगों ने अलग अलग योजनाओं के अंतर्गत बनाया था, चाहे वह पीडब्ल्यूडी हो, चाहे आरआरडी हो चाहे अन्य विभाग हो, बहुत महंगी और अच्छी सड़कें बनी थी, उन सबको खोद दिया गया है. मेरा सुझाव यह है कि या तो सदन के सदस्यों की समिति बनाकर और हम जाकर वहां पर देखें कि वास्तव में सरकार का पैसा है, जनधन है इसका सदुपयोग हुआ है या नहीं हुआ है और विलंब भी हुआ है तो किस कारण से हो रहा है. कई योजनाएं हैं, जिनकी अवधि दो साल की थी वह पांच पांच वर्ष हो गए पूरी नहीं हुई. मेरा माननीय मंत्री महोदया से सुझाव है, चूंकि मैं इसी पक्ष का सदस्य हूं, माननीय मंत्री महोदया भी काफी वरिष्ठ हैं, हमारे अधिकारीगण भी बैठे हैं, आप सदस्यों की एक समिति बनाएं, क्योंकि कंपनियां अपनी मनमर्जी से काम कर रही हैं, जल निगम के जो ठेकेदार हैं और जल जीवन मिशन में भी जो छोटे छोटे ठेकेदार हैं. निश्चित रूप से राज्य के सभी 52 हजार गांवों में पानी देने की बहुत अच्छी और अद्धितीय योजना है, जो अलग अलग एजेंसियों के माध्यम से क्रियान्वित हो रही है. लेकिन इस योजना को पूरी तरह से शत प्रतिशत सफल और मूर्त रूप देने के लिए इस पर हमें कुछ करने की आवश्यकता है. मैं सोचता हूं कि मंत्री जी मेरे सुझाव को अमल में लाएंगी, धन्यवाद.
डॉ. योगेश पण्डाग्रे – सभापति जी, रिवाइज्ड इस्टीमेट पर ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा. कई जगह पर अभी जो नल जल योजना में इसमें रिवाइज्ड इस्टीमेट के लिए भेजा गया है. मेरे क्षेत्र में भी लगभग 49 क्षेत्रों में रिवाइज्ड इस्टीमेट के लिए भेजा गया है, महोदय जी इसमें यह परेशानी आ रही है कि पंचायतों को यह निर्देश दें कि हर एक घर में पानी पहुंचेगा, तब आपको सीसी देना है और ठेकेदार ने सर्वे के अनुसार जो कार्य किया था, उसके अनुसार कार्य पूर्ण हो चुका है, लेकिन पंचायतों के अनुसार काम पूरा नहीं हुआ है तो पंचायतों ने उसका हैंडओवर नहीं लिया है और ठेकेदार के अनुसार काम पूर्ण हो चुका है तो वह काम छोड़कर चला गया है तो ये दोनों के बीच में समन्वय स्थापित नहीं हुआ है, इसके कारण भी कई जगह पर पंचायत अभी इन योजनाओं का संचालन नहीं कर पा रही है यह एक परेशानी आ रही है. ठेकेदार ने यदि कार्य पूर्ण कर लिया तो पंचायत को सीसी देकर योजनाओं का संचालन कर ले और जिन जिन जगह पर यह काम बाकी रह गया और रिवाइज्ड इस्टीमेट के लिए भेजा गया है और कार्य पूर्ण हो जाए तो हर घर में पानी पहुंच जाए, रिवाइज्ड इस्टीमेट के अनुसार यदि हो जाए तो सभी लोगों को इसका फायदा मिलेगा.
श्री तेजबहादुर सिंह चौहान -- माननीय सभापति महोदय, मैं कुछ कहना चाहता हूं.
सभापति महोदय -- डॉक्टर साहब प्लीज सहयोग करें, बैठ जायें. माननीय मंत्री महोदया जी को बोलने दें.
श्री तेजबहादुर सिंह चौहान -- माननीय सभापति महोदय, पिछले सत्र में यह तय किया गया था कि जिला मुख्यालय पर कलेक्टर जल जीवन मिशन की और इनकी बैठक करके विधायकों के साथ बैठकर जहां-जहां परेशानियां हैं, उनकी समीक्षा कर लेंगे, लेकिन वह बैठकें अभी तक नहीं हुई हैं.
सभापति महोदय -- सारी बात आ गई हैं और माननीय भार्गव जी ने बातें रखी दी हैं, अब माननीय मंत्री महोदया जी जवाब दे रही हैं, आप कृपया सहयोग करें और बैठ जायें.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे-- माननीय सभापति महोदय, मैं कुछ कहना चाहता हूं.
सभापति महोदय -- श्री हेमन्त जी सारी बातें आ गई हैं.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे-- सभापति महोदय, सबकी बात आ गई हैं, लेकिन मेरी बात नहीं आई है.
सभापति महोदय -- कटारे जी बात आ गई है और वह मंत्री महोदया जी की भी जानकारी में है. अभी प्रश्नकाल चल रहा है, आप सहयोग करें, आप सीनियर हैं. कृपया आप बैठ जायें, माननीय मंत्री महोदया आप बोलें.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे-- माननीय सभापति महोदय, विभाग के जो प्रमुख हैं.
सभापति महोदय -- नेता प्रतिपक्ष जी ने सारी बात रख दी है.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे-- जो बात मैं कह रहा हूं, वह उन्होंने नहीं रखी है, इसलिए मैं उसको पुन: रिकार्ड पर लाना चाहता हूं.
सभापति महोदय -- आप कृपया शांत रहें और बैठ जायें.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे-- माननीय सभापति महोदय, जो विभाग के प्रमुख हैं, वह संविदा पर हैं, पूरा विभाग संविदा पर चला रहा है, मैं इसको रिकार्ड पर कह रहा हूं और आप इसकी जानकारी कर लीजियेगा, उनके रिटायरमेंट के तीन महीने पहले उनको संविदा नियुक्ति दे दी गई है, इससे बड़ा फर्जीवाड़ा पी.एच.ई. विभाग में नहीं हुआ है और यदि विभाग के प्रमुख संविदा पर रहेंगे और कांट्रेक्ट पर विभाग चलेगा तो विभाग की यही स्थिति रहेगी. माननीय मंत्री महोदया मैं आपको बताना चाहता हूं, 14 वे नंबर पर मेरा प्रश्न लगा है, उसमें आपका उत्तर गलत आया है, तो जो उत्तर आया है यदि आप उस पर चर्चा करना चाहें तो सामने भी कर सकते हैं, चूंकि आज इस पर प्रश्नोत्तर नहीं हो पायेगा, परंतु मैं उसके संबंध में आपको बता दूंगा.
सभापति महोदय -- श्री हेमन्त जी आपकी बात आ गई है, आप बैठ जायें, मंत्री महोदया आप बोलें.
श्रीमती संपतिया उइके -- माननीय सभापति महोदय, हमारे वरिष्ठ नेता आदरणीय भार्गव जी ने जैसा कहा कि इसमें चूंकि हम लोगों ने आन रिकार्डेड 7 हजार 661 किलोमीटर जो टूटी हुई रोड थीं, उसको हम लोगों ने बनाया है, आप सब लोगों के सहयोग से बनाया है, पंचायत के सहयोग से बनाया है. हमारे आंकलन के हिसाब से जैसे 12 हजार 90 किलोमीटर शेष है, पर माननीय सदस्य जी ने जैसे कहा कि इस पर पूरी गंभीरता से हम लोग जांच करके और जहां पर शेष है, उसको हम लोग अतिशीघ्र बनाने का पूरा निर्णय लेंगे, ऐसा मैं आप लोगों को विश्वास दिलाती हूं.
नेता प्रतिपक्ष(श्री उमंग सिंघार)-- माननीय सभापति महोदय, मैं कुछ कहना चाहता हूं.
सभापति महोदय -- माननीय नेता प्रतिपक्ष जी, इस पर पूरी चर्चा आ गई है और माननीय मंत्री महोदया जी का जवाब भी आ गया है.
श्री उमंग सिंघार -- माननीय सभापति महोदय, अभी पूर्व में वरिष्ठ सदस्य श्री भार्गव जी ने कहा है कि विधायकों की एक समिति बन जाये. विधायकों की एक समिति बन जाये क्योंकि विभाग काम नहीं कर पा रहा है, कलेक्टर उस पर रिपोर्ट एक महीने में नहीं दे पा रहे हैं. संसदीय कार्य मंत्री जी ने पूर्व में यहां पर आश्वासन दिया था, लेकिन वह एक महीने में पूरा नहीं हुआ, इसलिए अगर माननीय भार्गव जी सत्ता पक्ष के कह रहे हैं, तो विधायकों की एक समिति बन जायेगी तो अच्छा रहेगा क्योंकि यह दोनों तरफ की परेशानी है, इसमें क्या दिक्कत है, इस पर आप व्यवस्था दें.
श्रीमती संपतिया उइके -- माननीय सभापति महोदय, हमारे सम्मानीय सदस्य जी ने जैसा कहा है कि माननीय विधायकों को फ्री हैंड हैं, उनकी विधानसभा है, वह तो कहीं पर भी जाकर देख सकते हैं, यदि जहां पर गलत काम हो रहा है या क्वालिटी मेनटेन नहीं कर रहे हैं तो वहां पर बिल्कुल माननीय विधायक जी अपने मार्गदर्शन दे सकते हैं और आप लोगों के सहयोग से ही जिस तरीके से पूर्व में आप लोगों ने जैसा कहा था कि ठेकेदार गलत काम कर रहे हैं, क्वालिटी मेंटेन नहीं हो रही है, तो 249 ऐसे ठेकेदारों को हम लोगों ने ब्लेक लिस्टेड किया है, उसका श्रेय आप सब लोगों को जाता है, क्योंकि वह कार्य आप लोगों के मागदर्शन से ही काम हुआ था और माननीय विधायकों का वेलकम है(मेजों की थपथपाहट) आप लोग अपने क्षेत्र में जाकर देख सकते हैं, धन्यवाद.
औद्योगिक क्षेत्रों में पर्यावरण प्रदूषण की रोकथाम
[पर्यावरण]
8. ( *क्र. 1408 ) श्री सचिन सुभाषचंद्र यादव : क्या राज्य मंत्री, पर्यावरण महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) म.प्र. के औद्योगिक क्षेत्रों में औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले वेस्ट, केमिकल के निपटान एवं पर्यावरण प्रदूषण की रोकथाम के लिए शासन की कौन-कौन सी योजनाएं प्रचलन में हैं? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार औद्योगिक इकाइयों से खरगौन जिले के प्राकृतिक जल स्त्रोंतों एवं नदियों में कहां-कहां प्रदूषण फैल रहा है? प्रदूषण स्तर सहित विवरण देवें। (ग) क्या कसरावद विधानसभा क्षेत्र में स्थित औद्योगिक क्षेत्र निमरानी और अन्य कारणों से नर्मदा का जल प्रदूषित हो रहा है? यदि हाँ, तो प्रदूषण की रोकथाम के लिए क्या उपाय किये जा रहे हैं?
राज्य मंत्री, पर्यावरण ( श्री दिलीप अहिरवार ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) एवं (ग) जी नहीं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री सचिन सुभाषचंद्र यादव -- माननीय सभापति महोदय, मैंने जो प्रश्न किया था और उसका जो उत्तर आया है, वह एक तो उत्तर असत्य है और अधूरा है, मेरे विधानसभा क्षेत्र में जो निमरानी औद्योगिक क्षेत्र हैं, वहां कई ऐसी इकाईयां हैं, जहां से जो प्रदूषण बोर्ड के जो मापदंड हैं, उन मापदंडों का पालन नहीं हो रहा है, जिसके कारण मां नर्मदा दूषित हो रही है. मां नर्मदा प्रदूषित हो रही है और उसके साथ-साथ में वायू प्रदूषण भी हो रहा है और जमीनें भी खराब हो रही हैं, जितने भी आसपास के क्षेत्र हैं, वहां पर यह स्थिति है कि बहुत सारे किसानों ने वहां पर खेती करना छोड़ दिया है. मेरा माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि जो ऐसी इकाईयां हैं, अगर आप चाहें तो मैं उनका नाम भी आपको बता सकता हूं. एक तो खेतान फेक्ट्री है, एक कोरामंडल है ऐसी और भी इकाईयां हैं जहां से जो शासन के द्वारा पाल्यूशन बोर्ड के जो निर्धारित मापदण्ड हैं, उन मापदण्डों का पालन नहीं हो रहा. मेरा माननीय मंत्री जी से अनुरोध है क्या आप ऐसी इकाईयों पर कार्यवाही करेंगे और जो पाल्यूशन बोर्ड के मापदण्ड हैं उन मापदण्डों को पूरा करने के लिये इन इकाई को बाधित करेंगे.
श्री दिलीप अहिरवार-- माननीय सभापति महोदय, आपके माध्यम से सदस्य को बता दूं कि जो उन्होंने प्रश्न किया है निरंतर हमारी सरकार और विभाग जो जिला खरगोन की अगर बात करें तो जितनी भी औद्योगिक इकाई हैं दूषित जल प्राकृतिक जल स्रोत उनकी बराबर टेस्टिंग करने का सेम्पल जांच करने का कार्य होता है. आपको बता दें, खरगोन जिले में लगभग 7 स्थानों पर मॉनीटरिंग की जाती है. नर्मदा नदी बड़वाह, नर्मदा नदी धारेश्वर, नर्मदा नदी मंडलेश्वर, नर्मदा नदी मंडलेश्वर डाउन स्ट्रीम, नर्मदा नदी महेश्वर डाउन स्ट्रीम, नर्मदा नदी सहस्त्र धारा जलकोठी, नर्मदा नदी खलघाट धार निश्चित रूप से इनकी जांचों में कोई ऐसी चीज नहीं पाई गई है कि जिसमें उसमें प्रदूषण दूषित पाया जाये. हम लोग उसकी निरंतर जांच कराते हैं .
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव-- माननीय सभापति महोदय, मेरा सीधा सा सवाल है, जो इकाईयों के नाम मैंने बताये हैं, अगर उन्होंने निर्धारित मापदण्डों का पालन नहीं किया है तो क्या मंत्री महोदय यह सुनिश्चत करेंगे कि जो निर्धारित मापदण्ड हैं उन मापदण्डों का पालन हो, इतना मेरा सवाल है सभापति महोदय.
श्री दिलीप अहिरवार-- जितनी भी कंपनियां हैं या फैक्ट्री हैं वह सब मापदण्डों के आधार पर ही चल रही हैं. मैं बता दूं कि इनकी विधान सभा में ऐसी बहुत सी फैक्ट्रियां हैं जो इनकी स्वयं की भी है, मुझे विभाग के द्वारा जानकारी मिली है कि एक फैक्ट्री जवाहर लाल नेहरू सहकारी संस्था शुगर चल रही है और भी अन्य चल रही हैं, खेतान केमिकल हो, जितनी भी हों, सब मापदण्डों के आधार पर ही चल रही हैं और अगर विधायक जी को लगता है कि कहीं कोई कमी है तो व्यक्तिगत आप बताइयेगा, उसमें हम संज्ञान लेंगे.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव-- धन्यवाद मंत्री जी.
11.52 बजे {अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए.}
प्रश्न क्रमांक-9 - (अनुपस्थित)
आदिवासी क्षेत्रों के विकास हेतु आवंटित बजट राशि
[जनजातीय कार्य]
10. ( *क्र. 810 ) श्री चैन सिंह वरकड़े : क्या जनजातीय कार्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मध्यप्रदेश के विभिन्न जिलों के 89 आदिवासी विकास खण्ड जहां आदिवासियों की संपूर्ण विकास हेतु वित्तीय वर्ष 2019-20 से प्रश्न दिनांक तक विभिन्न मदों के कुल कितने बजट का प्रावधान किया गया था? (ख) प्रश्नांश (क) यदि हाँ, तो किन-किन मदों से कितनी राशि स्वीकृत की गई है एवं उक्त राशि से कब-कब, कहां-कहां क्या कार्य कराये गये हैं? वर्षवार एवं मदवार जानकारी उपलब्ध करावें। (ग) प्रश्नांश (क) क्या वित्तीय वर्ष 2019-20 में स्वीकृत आदिवासी संस्कृति भवनों का निर्माण 89 आदिवासी विकासखण्डों में होना था? यदि हाँ, तो कितने भवनों का निर्माण हो चुका है, कितने भवनों का निर्माण अभी तक नहीं हुआ है? यदि निर्माण कार्य अभी तक शुरू नहीं किया गया है तो स्वीकृत राशि को कहां और किन कार्यों में कब खर्च किया गया है? विकासखण्डवार जानकारी उपलब्ध करावें।
जनजातीय कार्य मंत्री ( डॉ. कुंवर विजय शाह ) : (क) जनजातीय कार्य विभाग अंतर्गत 89 आदिवासी विकासखण्ड के लिये बजट प्रावधान किये जाने का प्रावधान नहीं है। विभाग द्वारा प्रदेश के लिये बजट प्रावधान किया जाता है, जिसमें कार्यों की आवश्यकतानुसार प्रदेश के सभी जिलों एवं विकासखण्डों में डी.डी.ओ. वार बजट आवंटित किया जाता है। वित्त विभाग द्वारा जनजातीय कार्य के बी.सी.ओ. 2506 में आई.एफ.आई.एम.एस. सॉफ्टवेयर द्वारा प्रावधानित बजट की वर्ष 2019-20 से 2024-25 (दिनांक 07.12.2024 की स्थिति में) तक की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) प्रश्नांश 'क' के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता। संबंधित जिले को प्रावधानित बजट से आवश्यकतानुसार राशि मदवार एवं डी.डी.ओ. वार वितरण (आवंटन) की जानकारी आई.एफ.आई.एम.एस. के रिपोर्ट अनुसार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (ग) जी नहीं। 89 विकाखण्डों में आदिवासी सांस्कृतिक भवनों के निर्माण के संबंध में कोई योजना नहीं है। विभाग अंतर्गत आवंटन की सीमा में कार्य स्वीकृत किये जाते हैं। प्रश्नांश का शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री चैन सिंह वरकड़े-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सबसे पहले तो आपको एक वर्ष पूर्ण करने के सफल कार्यकाल के लिये आपको बहुत-बहुत बधाई. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने माननीय जनजाति कार्यमंत्री महोदय से पूछा था कि वर्ष 2019-20 में स्वीकृत 89 ब्लॉकों में आदिवासी संस्कृति भवन का निर्माण कितने पूर्ण हुये और कितने अपूर्ण हैं. माननीय मंत्री जी के द्वारा जो जानकारी प्राप्त हुई है उसमें स्वीकृति की जानकारी प्राप्त हुई है, लेकिन कितने निर्माण हुये और कितने नहीं उसकी जानकारी प्राप्त नहीं हुई है. मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि अभी तक कितने भवनों का निर्माण हो चुका है और कितनों का नहीं हुआ है, वह कब तक पूरा होगा.
डॉ. कुंवर विजय शाह-- माननीय अध्यक्ष जी, पहले तो मैं माननीय सदस्य से निवेदन करूंगा कि अपनी जानकारी आप ठीक कर लें, अब मध्यप्रदेश में 89 ब्लॉक नहीं रह गये ट्राइबल के 88 है. नंबर दो जो आपने कहा कि ब्लॉकवार राशि दी जाती है, वह भी मैं आपको बताना चाहता हूं कि ट्राइबल डिपार्टमेंट में विभाग के जो प्वाइंट्स होते हैं जहां पर राशि दी जाती है ब्लॉकवार राशि का आवंटन नहीं होता और किस-किस ब्लॉक में कहां-कहां कितनी राशि खर्च हुई है, किस-किस वित्तीय वर्ष में, इसका पूरा विवरण मैं दे चुका हूं.
श्री चैन सिंह वरकड़े-- माननीय अध्यक्ष महोदय आदिवासी संस्कृति भवन निर्माण की जो स्वीकृति प्राप्त हुई थी मैं उनकी बात कर रहा हूं जैसे मंडला जिले में 9 स्वीकृति मिली थीं जिसमें से मात्र एक बना है, जो 8 नहीं बने हैं उनका निर्माण कब शुरू होगा और कब पूर्ण होगा, मैं माननीय मंत्री जी से यह जानना चाहता हूं.
कुंवर विजय शाह - माननीय अध्यक्ष जी, आदिवासी संस्कृति भवन के नाम से कोई योजना हमारे पास नहीं है और न कोई हमने राशि जारी की है. सामुदायिक भवन जरूर दिये होंगे उसकी जानकारी मैं अलग से आपको भिजवा दूंगा.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने स्वीकृत किये थे माननीय मंत्री जी सभी ब्लाकों में, अलाटमेंट था. आपकी उपलब्धि यह है कि आप 89 में से 88 ले आए एक कम कर दिया. काहे के मंत्री हो आप.
कुंवर विजय शाह - माननीय अध्यक्ष जी, यह मंत्री थे. कांग्रेस की सरकार थी और 89 को 88 आपकी सरकार ने किया. दिग्विजय सिंह जी मुख्यमंत्री थे.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - आपने कम किया है.
कुंवर विजय शाह - माननीय अध्यक्ष जी, आपकी सरकार ने किया था दिग्विजय सिंह जी मुख्यमंत्री थे.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - आपने सारी योजनाओं को बंद कर दिया.
अध्यक्ष महोदय - मरकाम जी कृपया बैठें.
छात्रावासों में पदस्थ अधीक्षकों की जानकारी
[जनजातीय कार्य]
11. ( *क्र. 808 ) श्री जगन्नाथ सिंह रघुवंशी : क्या जनजातीय कार्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या छात्रावास अधीक्षक के पद पर कोई भी शिक्षक 3 वर्ष से अधिक समय तक नहीं रह सकता? यदि हाँ, तो बड़वानी जिले के संदर्भ में यह बताने का कष्ट करें कि विभिन्न छात्रावासों में कार्यरत छात्रावास अधीक्षक उनके संपूर्ण सेवा काल में कब से कब तक किन-किन छात्रावास में अधीक्षक के पद पर कार्यरत हैं? सूची देवें। (ख) क्या जिला पंचायत की बैठकों में बार-बार निर्देशित करने के बाद भी सहायक आयुक्त जनजातीय कार्य विभाग द्वारा ऐसे अधीक्षकों को मूल पद पर न भेजते हुए वर्तमान तक उनसे अधीक्षकीय कार्य करवाया जा रहा है? यदि हाँ, तो क्यों और किस आधार पर? (ग) क्या ऐसे अधीक्षकों को उनके मूल पद पर विभाग वापस भेज रहा है? यदि हाँ, तो ऐसे अधीक्षकों को मूल पद पर भेजते हुए, उनके आदेश की प्रति से अवगत करवाएं। (घ) शासन दिशा-निर्देशों के अनुसार छात्रावास अधीक्षक के पद पर पदस्थ रहने वाले ऐसे अधीक्षक एवं उन्हें नहीं हटाने वाले अधिकारी/कर्मचारियों के विरुद्ध शासन क्या कार्रवाई कर रहा है तथा कब तक, नहीं तो क्यों नहीं?
जनजातीय कार्य मंत्री ( डॉ. कुंवर विजय शाह ) : (क) छात्रावास आश्रमों में अधीक्षकों का कार्यकाल अधिकतम तीन वर्ष रखा गया है, यदि उनका कार्य संतोषप्रद है, तो कार्यकाल 5 वर्ष बढ़ाये जाने का प्रावधान है। दिशा-निर्देश की प्रति की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। छात्रावासों में कार्यरत छात्रावास अधीक्षकों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (ख) जी हाँ। वर्तमान में स्थानान्तरण पर प्रतिबंध होने से किसी भी प्रकार के संवर्ग का अन्यत्र संस्था में अथवा जिले के अन्य विकास खण्डों में स्थानान्तरण नहीं किया गया है। (ग) एवं (घ) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
श्री जगन्नाथ सिंह रघुवंशी - अध्यक्ष महोदय, सबसे पहले तो मैं अध्यक्ष के रूप में आसंदी का एक साल पूरा होने पर मैं आपको बहुत-बहुत शुभकामना एवं बधाई देता हूं. माननीय मंत्री महोदय द्वारा जो जवाब दिया गया है उससे मैं संतुष्ट हूं इसलिये आगे की बात का कोई प्रश्न ही पैदा नहीं होता.
प्रश्न क्र. 12 अनुपस्थित
अधिकारियों के विरूद्ध प्राप्त शिकायतों पर कार्यवाही
[खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण]
13. ( *क्र. 1680 ) श्री ओमकार सिंह मरकाम : क्या खाद्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) दिनांक 01 जनवरी, 2024 से प्रश्न दिनांक तक प्रमुख सचिव/आयुक्त/संचालक खाद्य किस-किस अधिकारियों के विरूद्ध कब-कब किस-किस के द्वारा क्या-क्या शिकायत की गई? शिकायतवार जानकारी दें। (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार प्राप्त शिकायतों में कब-कब, क्या-क्या नियमानुसार कार्यवाही की गई? (ग) प्रश्नांश (क) अनुसार प्राप्त शिकायतों में जिसमें कार्यवाही नहीं की गई, उन शिकायतों में कार्यवाही क्यों नहीं की गई? कार्यवाही नहीं करने के लिए कौन जिम्मेदार है? कब तक कार्यवाही की जायेगी? (घ) दिनांक 01 जनवरी, 2024 से आज दिनांक तक कहां-कहां से घटिया चावल वितरण की शिकायत किस-किस ने कब-कब की एवं विभागीय जांच में कब-कब, किस-किस अधिकारी ने घटिया चावल पकड़ा, उसमें कब-कब क्या-क्या कार्यवाही हुई?
खाद्य मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) - माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री ओमकार सिंह मरकाम - अध्यक्ष महोदय, मैंने माननीय मंत्री जी से पूछा था कि आपके विभाग में सबसे ज्यादा गड़बड़ी चावल खरीदी में है. चावल की क्वालिटी में घोटाला है तो इस तरह की कितनी शिकायतें दर्ज हुईं ? तो आपने जवाब में कहा है कि आप जानकारी संकलित कर रहे हैं. (XX) इतना बड़ा पाप पड़ेगा. प्रहलाद भैया समझ रहे हैं. मेरा निवेदन है कि जिन अधिकारियों के खिलाफ शिकायतें प्राप्त हुई हैं, चावल की गड़बड़ी की शिकायतें तो मिली ही हैं. आप इसकी जांच कराएंगे कि किस अधिकारी के पास कितनी शिकायतें आ रही हैं ?
श्री गोविन्द सिंह राजपूत - अध्यक्ष महोदय,पहले तो मैं पापियों की नगरी से यहां आ गया. अब मैं धर्म और धार्मिक नगरी में हूं.मात्र 5 शिकायतें प्राप्त हुई थीं. 3 शिकायतें शासकीय सेवकों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही से संबंधित थीं इन शिकायतों पर नियमानुसार कार्यवाही की गई है. कोई कार्यवाही प्रचलन में नहीं है. 2 शिकायतें मुख्यमंत्री अन्नदूत योजना से संबंधित थीं. प्रदेश में अन्नदूत योजना बहुत अच्छे से चल रही है. आप सबको पता है. बेरोजगारों को लाभ मिल रहा है. बेरोजगारों को रोजगार मिल रहा है. शिकायत निराधार होने से अन्नदूत योजना में भी कोई कार्यवाही उस समय नहीं की जानी थी.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - अध्यक्ष महोदय,मेरा दूसरा प्रश्न यह है कि आपके उत्तर में ही स्पष्ट है कि गड़बड़ी पाई गई है और आप सभी जिला स्तर के अधिकारियों की जो शिकायतें चावल की गुणवत्ता और धान खरीदी की हैं. हमारे सभी सदस्य परेशान हैं धान खरीदी नहीं हो रही है और आपके ही विभाग से जुड़ा हुआ खरीदी का मामला है, नियमों के उल्लंघन सहित. आप अपने स्तर पर दमदारी दिखाओ. कांग्रेस में थे तो कमलनाथ जी से लड़ते थे वहां जाकर काहे आपकी दमदारी क्यों हो गई. आपको इतना टार्चर भाजपा की सरकार क्यों कर रही है. आप दमदारी दिखाओ. कराओ जांच. क्या आप दमदारी से जांच कराओगे यह घोषणा आप कर दें हम जानकारी आपको देंगे.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत - चलो दमदारी का जिक्र तो आपने किया.धन्यवाद. अध्यक्ष महोदय, ऐसा कोई मामला नहीं है. सभी मामलों की जांच विधिवत् हो चुकी है इसलिये कोई जांच का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्नकाल समाप्त
(प्रश्नकाल समाप्त)
12.00 बजे ध्यान आकर्षण
(1) प्रदेश के गैर सरकारी संगठनों को अनुदान नहीं दिया जाना
डॉ. सीतासरन शर्मा (होशंगाबाद) --
महिला एवं बाल विकास मंत्री (सुश्री निर्मला भूरिया) -- अध्यक्ष महोदय,
डॉ. सीतासरन शर्मा - अध्यक्ष महोदय, पहली बात तो यह है कि भारत सरकार के प्रपत्र के अनुसार, जो आपने प्रपत्र दिया है, उसमें लिखा है कि राज्य या केन्द्र शासित प्रदेशों के प्रशासनिक नियन्त्रण में लिया गया है, तो भी तो ऐसी कितनी संस्थाओं को प्रशासनिक नियन्त्रण में राज्य सरकार में लिया गया है, क्या इसकी कोई सूची है ? मेरा पहला प्रश्न है. दूसरी बात यह है कि 60 प्रतिशत राशि केन्द्र सरकार से मिलती थी और 40 प्रतिशत राज्य सरकार मिलाती है, तो क्या यह संभव है कि वह एनजीओस राज्य शासन के और जन सहयोग के साथ में उसी रूप में चलती रहें ?
सुश्री निर्मला भूरिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं हमारे वरिष्ठ माननीय सदस्य को बताना चाहूँगी कि 60 : 40 के रेशो से जो संस्थाएं संचालित होती हैं और जो चिन्ता महिलाओं और बालकों की माननीय सदस्य जी ने की है, उन्हें हम किसी भी हालत में इस स्थिति में नहीं जाने देंगे कि वे इधर-उधर भटकें और शासन स्तर पर हम लोग जरूर से जरूर करेंगे.
डॉ. सीतासरन शर्मा - माननीय अध्यक्ष महोदय, न तो कोई ऐसे भवन हैं, यह दिनांक 13 सितम्बर का है, कुल 4-5 महीने बचे हैं, जिसमें उनको शिफ्ट करना है या प्रशासन को अपने नियन्त्रण में लेना है, लेकिन न ही शासन के पास ऐसे किसी बजट की व्यवस्था है, तो ऐसी स्थिति में आप कैसे चला पाएंगे ? तो मेरा प्रश्न यह है कि क्या एनजीओस और सरकार, दोनों मिलकर ज्वाइंटली इसको चला सकते हैं ? आपने प्रपत्र में यह भी लिखा है कि जो सेल्फ सफिशियंट हों, वह उसको चलाएं. किन्तु सभी संस्थाएं तो सेल्फ सफिशियंट नहीं होतीं. उनमें शासन की ग्रांट भी मिलती है और जन सहयोग भी रहता है, तो क्या ऐसी स्थिति राज्य शासन के स्तर पर कंटिन्यू की जा सकती है ?
सुश्री निर्मला भूरिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य जी ने जो प्रश्न किया है. मैं उन्हें फिर आश्वस्त करना चाहती हूँ कि ऐसी संस्थाएं जो चल रही हैं, जो एनजीओस चला भी रहे हैं और कुछ जन सहयोग से भी चलाते हैं, तो प्रकरण शासन के समक्ष है, यह विचाराधीन हैं और हम किसी भी महिला और बालक को इस स्थिति में नहीं जाने देंगे और करेंगे. संस्थाओं के संचालन के संबंध में वित्तीय नॉर्म्स हैं, वे निर्धारित हैं.
12.07 बजे
(2) धार जिले के टाण्डा क्षेत्र में सिंचाई परियोजना पर कार्यवाही
न होना.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) (गंधवानी) - अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यान आकर्षण सूचना का विषय इस प्रकार है:-
धार जिले के टाण्डा क्षेत्र में सिंचाई परियोजना पर कार्यवाही नहीं होने से आदिवासी कृषकों को सिंचाई हेतु पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. नहरों का कार्य पूर्ण नहीं हो पाया है. इस क्षेत्र के अंतर्गत इंदला और खनीअंबा डेम से नहरों के निर्माण में भारी अनियमितता की गई, जिसके कारण खेतों तक पानी नहीं पहुंच पाया. कोड़दा, ढोबनी, मगदी, मुकुंदपुरा, खरवाली सहित अनेक गांव में नहरों के निर्माण का लेबल ठीक नहीं होने के कारण खेतों तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है. सिंचाई सुविधा के अभाव में किसानों की आर्थिक स्थिति खराब हो रही है. इस उत्पन्न स्थिति से कृषकों एवं नागरिकों में रोष एवं असंतोष व्याप्त है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से यह जानना चाहता हूँ कि इंदला डेम वर्ष 2014 में पूर्ण हो चुका है, खनीअंबा डेम वर्ष 2010 में पूर्ण हो चुका है. इंदला डेम का पानी मुकुंदपुरा तक नहीं पहुंच पा रहा है और खनीअंबा डेम से गडरावत तक नहर का पानी नहीं पहुंच पा रहा है. मैं आपके माध्यम से बताना चाहता हूँ कि नहर का काम अधूरा रह गया है. इसलिए मैं आपसे चाहता हूँ कि क्या विभागीय मद से माननीय मंत्री जी इस पर स्वीकृति प्रदान करेंगे.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी का जवाब आ जाये, फिर आप प्रश्न कर कीजिये.
राज्यमंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा (श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, आपकी अनुमति से, अपने वरिष्ठ मंत्री साथी श्री तुलसीराम सिलावट जी की ओर से यह वक्तव्य सदन में प्रस्तुत कर रहा हूं.
श्री उमंग सिंघार- माननीय अध्यक्ष महोदय, हम इतने वर्षों से देख रहे हैं, सरकारें बदलती रहती हैं लेकिन सरकार की ओर से कभी यह जवाब नहीं आता है कि जनता की वास्तविक समस्या क्या है ? सब सही है, सब अच्छा है, यह मंत्री महोदय द्वारा सदन में बता दिया जाता है. मेरा आपसे अनुरोध है कि वर्ष 2020 में भी आपके पास खनीअम्बा के लिए करीब 90 लाख रुपये का प्रस्ताव आया है, तब से वह लंबित है. अभी फिर से एक माह पूर्व भी प्रस्ताव भेजा गया है. इंदला और खनीअंबा डैम के लिए आपके पास प्रस्ताव पड़े हैं, उनके रख-रखाव और नहरों के लिए, मैं पूछना चाहता हूं कि क्या आप विभागीय मद से इसकी स्वीकृत प्रदान करेंगे ?
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, आपके माध्यम से नेता प्रतिपक्ष जी को अवगत करवाना चाहता हूं कि दोनों बांधों के सुधार कार्य के लिए जैसा कि उन्होंने स्वयं भी उल्लेख किया है, इंदला तालाब के लिए 132 लाख रुपये और खनीअम्बा के लिए 94 लाख रुपये का प्रस्ताव तैयार है और मुझे माननीय जल संसाधन मंत्री जी ने आपके माध्यम से नेता प्रतिपक्ष को यह भी आश्वस्त करने के लिए कहा है कि निश्चित रूप से ये कार्य शीघ्र मंजूर करके, कार्य प्रारंभ कराये जायेंगे.
श्री उमंग सिंघार- माननीय, शीघ्र-अतिशीघ्र, यह शब्द तो अंत में रहता है, कब तक यह कार्य पूर्ण होगा, कृपया समय-सीमा बता दें.
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल- मैं, नेता प्रतिपक्ष को आश्वस्त करता हूं कि 6 माह के अंदर यह कार्य प्रारंभ हो जायेगा.
श्री उमंग सिंघार- धन्यवाद.
12.15 बजे याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय-- आज की कार्यसूची में सम्मिलित सभी याचिकाएं प्रस्तुत की हुई मानी जाएंगी.
12.15 बजे
राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर के प्रबंध मण्डल के लिए राज्य विधान सभा के सदस्यों का निर्वाचन
अध्यक्ष महोदय-- अब अशासकीय संकल्प होंगे. डॉ. रामकिशोर दोगने जी
12.16 बजे अशासकीय संकल्प
(1) जबलपुर व्हाया बुधनी रेल्वे लाईन हरदा से संदलपुर (जिला देवास) लाईन जोड़ी जाना
डॉ. रामकिशोर दोगने (हरदा)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, यह संकल्प प्रस्तुत करता हूं कि:- ''यह सदन केन्द्र शासन से अनुरोध करता है कि स्वीकृत जबलपुर व्हाया बुधनी रेल्वे लाईन में हरदा से संदलपुर (जिला देवास) लाईन जोड़ी जाय''
अध्यक्ष महोदय, हरदा जिला मुख्यालय के रेल्वे स्टेशन से मात्र तीस किलोमीटर दूर संदलपुर से होकर यह रेल लाईन निकल रही है उसके जुड़ने से हरदा सहित अन्य आस पास के जिले और तहसीलों को फायदा होगा. इंदौर से सीधे कोलकाता, हैदराबाद, मुंबई, नागपुर, सोमनाथ आदि के लिए रेल्वे लाईन जो हरदा से निकलती है वहां जाने के लिए यात्रियों का सीधे जुड़ाव हो जाएगा. तीस किलोमीटर के मार्ग में नर्मदा नदी का एक पुल बनवाना होगा. उक्त रेल्वे लाईन जुड़ जाने से हरदा शहर एवं आस-पास की तहसील के लोगों को, छात्र-छात्राओं को शिक्षण संस्थान हाईकोर्ट जाने के लिए भी...
अध्यक्ष महोदय-- डॉक्टर साहब, आपको पहले संकल्प पढ़ना चाहिए और उसके बाद फिर अपना वक्तव्य देना चाहिए.
डॉ. रामकिशोर दोगने- जी अध्यक्ष महोदय, संकल्प ही पढ़ रहा हूं. मुख्य व्यावसायिक केन्द्र से जुड़ने से किसानों को अपनी फसल एवं इंदौर शहर की बड़ी-बड़ी मंडियों में पहुंचने के लिए सुविधा होगी. मैं यह संकल्प इसलिए लाया हूं कि रेलवे लाईन वहां से निकल रही है और केवल तीस किलोमीटर बच रहा है. मेन लाईन हरदा से निकलती है उससे जुड़ जाएगी तो आगे जाने के लिए रास्ता मिल जाएगा. इसलिए यह संकल्प मैं सदन में प्रस्तुत कर रहा हूं और यदि आप इसे पास करके सरकार को भिजवाएंगे तो निश्चित ही हरदा क्षेत्र को लाभ मिलेगा.
अध्यक्ष महोदय-- श्री आशीष शर्मा जी का नाम भी इसमें था
श्री आशीष गोविन्द शर्मा--(अनुपस्थित)
अध्यक्ष महोदय:- संकल्प प्रस्तुत हुआ.
लोक निर्माण मंत्री (श्री राकेश सिंह)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सबसे पहले तो आपके धीर-गंभीर और यशस्वी एक वर्ष के कार्यकाल के पूर्ण होने पर मेरी ओर से शुभकामनाएं. माननीय सदस्य ने जो अशासकीय संकल्प प्रस्तुत किया है यह सीधे तौर पर केन्द्र सरकार से संबंधित है, लेकिन इसमें लोक निर्माण विभाग या शासन को किसी भी तरह की कोई आपत्ति नहीं है. हमारी इस पर सहमति है और शासन के स्तर पर भी इसके लिए पत्र लिखकर केन्द्र सरकार को सूचित किया जाएगा उनसे सहमति हो यह प्रयास किया जाएग.
अध्यक्ष महोदय:- प्रश्न यह है कि-
''यह सदन केन्द्र शासन से अनुरोध करता है कि स्वीकृत जबलपुर व्हाया बुधनी रेल्वे लाईन में हरदा से संदलपुर (जिला देवास) लाईन जोड़ी जाये''
सर्वानुमति से संकल्प स्वीकृत हुआ
(2) गुना, अशोकनगर, ललितपुर, टीकमगढ़, बुडेरा, छतरपुर मार्ग को राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित किया जाना
श्री यादवेन्द्र सिंह (टीकमगढ़):- अध्यक्ष महोदय, मैं यह संकल्प प्रस्तुत करता हूं कि:-
''सदन का यह मत है कि गुना, अशोकनगर ललितपुर, टीकमगढ़, बुडेरा, छतरपुर मार्ग को राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित किया जाय.''
अध्यक्ष महोदय:- संकल्प प्रस्तुत हुआ.
लोक निर्माण मंत्री (श्री राकेश सिंह) -- अध्यक्ष महोदय, यह विषय भी सीधे तौर पर केन्द्र सरकार से संबंधित है. यह लगभग 240 किलोमीटर लंबाई का मार्ग है. इस पर केन्द्रीय भूतल परिवहन मंत्रालय के द्वारा सैद्धांतिक सहमति प्रदान की जा चुकी है. लेकिन सैद्धांतिक सहमति होना और स्वीकृति होने में फर्क है, और अभी लोक निर्माण विभाग के द्वारा भी दिनांक 6.11.2024 को माननीय नितिन गडकरी जी को भी पत्र लिखकर अनुरोध करके इस मार्ग को राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित करने के लिए कहा गया है. इसके साथ में ज्योतिरादित्य सिंधिया जी, माननीय केन्द्रीय मंत्री, उन्होंने भी इस आशय का पत्र भूतल परिवहन मंत्रालय को लिखा है. इसलिए उस पर सरकार की सहमति है.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न यह है कि "सदन का यह मत है कि गुना, अशोकनगर, ललितपुर, टीकमगढ़, बुडेरा, छतरपुर मार्ग को राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित किया जाए."
संकल्प सर्वसम्मति से स्वीकृत हुआ.
12.21 बजे
नियम 267-क के अधीन विषय
अध्यक्ष महोदय -- अब शून्यकाल की सूचनाएं ली जाएंगी.
1. अटल प्रोग्रेस-वे (चम्बर एक्सप्रेस-वे) में किसानों की अधिग्रहित की गई भूमि का अधिग्रहण किया जाना.
श्री पंकज उपाध्याय (जौरा) -- अध्यक्ष महोदय, भूतल प्रोग्रेस वे (चम्बल एक्सप्रेस-वे) मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश कनेक्टिविटी की महत्वपूर्ण परियोजना है. जिसकी लम्बाई 404 किलोमीटर तथा लागत 23700 करोड़ रुपए है. यह एक्सप्रेस-वे उत्तर प्रदेश के इटावा से शुरु होकर मध्यप्रदेश के भिंड, मुरैना, श्योपुर होतु हुए राजस्थान के कोटा जिले तक जाएगा. इस परियोजना में कुछ परिवर्तन किये गये हैं. पहले अधिग्रहित की जाने वाली भूमि में 75 प्रतिशत भाग शासकीय भूमि थी. किन्तु अब अधिग्रहित की जाने वाली भूमि का 90 प्रतिशत निजी कृषि भूमि है. जिसके कारण क्षेत्र किसानों में निराशा व्याप्त है एवं किसान निजी भूमि के अधिग्रहण किये जाने का विरोध कर रहे हैं. किसानों की मांग है कि परियोजना में पूर्वानुसार शासकीय भूमि का अधिग्रहण किया जाये. निजी कृषि भूमि का अधिग्रहण न किया जाए.
इस एक्सप्रेस-वे को चम्बल बीहड़ से निकाला जाए न कि किसानों की उपजाऊ जमीन से निकाला जाए. धन्यवाद.
2. जिला भिण्ड की ग्राम पंचायत निवारी एवं महेबा के विद्युत सब-स्टेशन निर्माण
श्री हेमंत सत्यदेव कटारे (अटेर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी सूचना इस प्रकार है --
3. राज्य शिक्षा केन्द्र भोपाल में भ्रष्ट अधिकारियों की विधायक से प्राप्त शिकायत पत्रों पर जांच शुरु करने में विलंब किया जाना
श्री महेश परमार (तराना) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना इस प्रकार है --
12.25 बजे सदन में अत्यधिक व्यवधान के कारण विधान सभा की कार्यवाही को
अनिश्चितकाल के लिये स्थगित किया जाना
डॉ. सीतासरन शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, कल संसद् में विपक्ष के नेता राहुल गांधी जी द्वारा..(व्यवधान)..
श्री भंवरसिंह शेखावत -- अध्यक्ष महोदय, मैं एक विषय का उल्लेख करने की अनुमति चाहता हूं. इनका विषय उसके बाद आ जाएगा, संसद् का बाद में हो जाएगा, पहले यह विषय आ जाए.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, लोक सभा में विपक्ष के नेता श्रीमान् राहुल गांधी जी द्वारा जो अभद्र और असंवैधानिक व्यवहार किया गया और हमारे दो वरिष्ठ सांसदों को ...
श्री महेश परमार -- अध्यक्ष महोदय, जो सदन का सदस्य नहीं हैं, कल अध्यक्ष महोदय इसमें आपने व्यवस्था दी है. कल हमारे नेता राहुल गांधी जी के ऊपर 307 का असत्य प्रकरण दर्ज कर दिया, एक यह इतिहास में लोक सभा में पहली बार हुआ है. ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- शून्यकाल तो पूरा हो जाने दीजिये. कृपया आप सब लोग बैठ जाइये. शून्यकाल तो हो जाने दें. शेष निम्नलिखित माननीय सदस्यों की शून्यकाल की सूचनाएं पढ़ी हुई मानी जाएंगी-
4. श्री शैलेन्द्र कुमार जैन
5. श्री कैलाश कुशवाह
6. श्री प्रताप ग्रेवाल
7. श्री लखन घनघोरिया
8. श्री राजेन्द्र भारती
9. डॉ. राजेन्द्र पाण्डे
10. श्री साहब सिंह गुर्जर
11. श्री सुनील उईके
12. श्री मधु भगत
श्री महेश परमार -- अध्यक्ष महोदय, यह भारतीय जनता पार्टी की भावना को दर्शाता है. यह घोर अन्याय है. राहुल गांधी जी के खिलाफ असत्य, षड्यंत्र करके भारतीय जनता पार्टी ने प्रकरण दर्ज किया है. इसकी मैं कड़े शब्दों में निंदा करता हूं...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय, हमारे नेता राहुल गांधी जी आगे चल रहे थे, उनके ऊपर असत्य प्रकरण दर्ज कर दिया. (XXX) पूरा देश हमारे नेता राहुल गांधी जी के साथ खड़ा है. संविधान की रक्षा करने के लिये हमारे नेता राहुल गांधी लोकसभा में अपनी बात रखने जा रहे थे. बाबा साहब के नाम से भाजपा के लोग नफरत करते हैं. जय भीम, बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर, जय भीम, राहुल गांधी जिन्दाबाद. बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर.
अध्यक्ष महोदय, भारतीय जनता पार्टी का चाल चरित्र पूरी जनता के सामने उजागर हो चुका है. जिस तरह से सदन में हमारे नेता राहुल गांधी जी के ऊपर असत्य प्रकरण दर्ज करके...(व्यवधान)...
(इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा जय भीम, जय भीम के नारे लगाये गये. सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के अनेक सदस्यगण द्वारा खड़े होकर, अपने आसन से आगे आकर नारेबाजी की गई, जिसके कारण कार्यवाही में अत्यधिक व्यवधान हुआ)
अध्यक्ष महोदय -- विधान सभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिये स्थगित.
अपराह्न 12.28 बजे विधान सभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिये स्थगित की गई.
भोपाल अवधेश प्रताप सिंह
दिनांक : 20 दिसम्बर, 2024 प्रमुख सचिव
मध्यप्रदेश विधान सभा
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(XXX) आदेशानुसार विलोपित.