मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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षोडश विधान सभा प्रथम सत्र
दिसम्बर, 2023 सत्र
बुधवार, दिनांक 20 दिसम्बर, 2023
(29 अग्रहायण, शक संवत् 1945 )
[खण्ड- 1 ] [अंक- 3 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
बुधवार, दिनांक 20 दिसम्बर, 2023
(29 अग्रहायण, शक संवत् 1945 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.03 बजे समवेत हुई.
{ सामयिक अध्यक्ष महोदय (श्री गोपाल भार्गव) पीठासीन हुए.}
शपथ/प्रतिज्ञान
सामयिक अध्यक्ष महोदय - जिन सदस्यों ने शपथ नहीं ली है या प्रतिज्ञान नहीं किया है, वे शपथ लेंगे या प्रतिज्ञान करेंगे, सदस्यों की नामावली में हस्ताक्षर करेंगे और सभा में अपना स्थान ग्रहण करेंगे.
221. श्री राकेश सिंह (जबलपुर पश्चिम) - शपथ
222. श्री बाला बच्चन (राजपुर) - शपथ
223. श्री महेन्द्र सिंह केशरसिंह चौहान (भैंसेदेही) - शपथ
224. श्री मनोज निर्भयसिंह पटेल (देपालपुर) - शपथ
225. श्री महेश परमार (तराना) - शपथ
11.08 बजे
स्वागत उल्लेख
श्री वी.डी. शर्मा, सांसद, भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष, एवं श्री हितानंद शर्मा, प्रदेश संगठन महामंत्री (भाजपा) का अध्यक्षीय दीर्घा में स्वागत
सामयिक अध्यक्ष महोदय- आज सदन की अध्यक्षीय दीर्घा में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष, सांसद, श्री वी.डी. शर्मा जी एवं श्री हितानंद शर्मा जी उपस्थित हैं. सदन की ओर से उनका स्वागत है. (मेजों की थपथपाहट)
11.09 बजे
अध्यक्ष का निर्वाचन
सामयिक अध्यक्ष महोदय- अध्यक्ष पद के निर्वाचन के लिए प्रस्ताव की सात सूचनायें दिनांक 19 दिसंबर, 2023 को मध्याह्न 12.00 बजे तक प्राप्त हुई हैं. अध्यक्ष के निर्वाचन के संबंध में वैध प्रस्तावों को जिस क्रम में वे प्राप्त हुए हैं, उस क्रम में सदन में प्रस्तुत किया जायेगा. इसकी प्रक्रिया यह होगी कि इन प्रस्तावों के प्रस्तावक सदस्य अपना प्रस्ताव प्रस्तुत करेंगे, तदुपरांत संबंधित समर्थक सदस्य द्वारा उसका समर्थन किया जायेगा. उसके पश्चात् मेरे द्वारा प्रस्ताव पर सदन का मत लिया जायेगा तथा परिणाम घोषित किया जायेगा.
अध्यक्ष के निर्वाचन के लिये यह प्रक्रिया विधान सभा प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियम-7 के अनुसार अपनायी जायेगी.
अब मैं, प्रस्ताव की सूचना देने वाले सदस्य का नाम पुकारूंगा.
(1) मुख्यमंत्री (डॉ.मोहन यादव)- अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि-
"श्री नरेन्द्र सिंह तोमर, जो इस विधान सभा के सदस्य हैं, को विधान सभा का अध्यक्ष चुना जाये." (मेजों की थपथपाहट)
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, इस प्रस्ताव का समर्थन करता हूं. (मेजों की थपथपाहट)
(2) श्री शिवराज सिंह चौहान (बुधनी):- अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि-
''श्री नरेन्द्र सिंह तोमर, जो इस विधान सभा के सदस्य हैं, को विधान सभा का अध्यक्ष चुना जाय.''
श्री प्रहलाद सिंह पटैल (नरसिंहपुर):- मै, इस प्रस्ताव का समर्थन करता हूं.
(3) श्री कैलाश विजयवर्गीय (इंदौर-1):- अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि-
''श्री नरेन्द्र सिंह तोमर, जो इस विधान सभा के सदस्य हैं, को विधान सभा का अध्यक्ष चुना जाय.''
उप मुख्यमंत्री (श्री राजेन्द्र शुक्ल):- मै, इस प्रस्ताव का समर्थन करता हूं.
(4) डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह (अमरपाटन):- अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि-
''श्री नरेन्द्र सिंह तोमर, जो इस विधान सभा के सदस्य हैं, को विधान सभा का अध्यक्ष चुना जाय.''
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे (अटेर):- मै, इस प्रस्ताव का समर्थन करता हूं.
(5) श्री भूपेन्द्र सिंह (खुरई):- अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि-
''श्री नरेन्द्र सिंह तोमर, जो इस विधान सभा के सदस्य हैं, को विधान सभा का अध्यक्ष चुना जाय.''
श्री तुलसीराम सिलावट (सांवेर) :- मै, इस प्रस्ताव का समर्थन करता हूं.
(6) श्री जयवर्द्धन सिंह (राघोगढ़):- अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि-
''श्री नरेन्द्र सिंह तोमर, जो इस विधान सभा के सदस्य हैं, को विधान सभा का अध्यक्ष चुना जाय.''
श्री हेमंत सत्यदेव कटारे (अटेर)- सामयिक अध्यक्ष महोदय, मुझ से दो बार समर्थन करवाया जा रहा है. मैं समझता हूं कि शायद सचिवालय से कोई त्रुटि हुई है. यदि आसंदी आदेशित करेगी तो मैं फिर से इस प्रस्ताव का समर्थन कर दूंगा.
सामयिक अध्यक्ष महोदय-- आप समर्थन कर दीजिए.
श्री हेमंत सत्यदेव कटारे (अटेर):- मै, इस प्रस्ताव का समर्थन करता हूं.
सामयिक अध्यक्ष महोदय:- प्रस्ताव प्रस्तुत हुये. प्रश्न यह है कि-
'' श्री नरेन्द्र सिंह तोमर, जो इस विधान सभा के सदस्य हैं, को विधान सभा का अध्यक्ष चुना जाय.''
(प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित हुआ.)
सामयिक अध्यक्ष महोदय:- मैं, श्री नरेन्द्र सिंह तोमर, को उनके अध्यक्ष पद पर निर्वाचित होने पर बधाई देता हूं तथा श्री नरेन्द्र सिंह तोमर जी को अध्यक्षीय पीठ पर आसीन होने के लिए आमंत्रित करता हूं.
(सदन के नेता डॉ. मोहन यादव, श्री उमंग सिंघार नेता प्रतिपक्ष, श्री शिवराज सिहं चौहान एवं अन्य सदस्यगण द्वारा ''श्री नरेन्द्र सिंह तोमर'' को अध्यक्षीय पीठ पर आसीन करने के लिए ले जाया गया.)
11.14 बजे {माननीय अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए.}
अध्यक्ष महोदय-- सभी माननीय सदस्यों को मेरा नमस्कार.
श्री रामनिवास रावत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आप इस आसंदी पर अच्छे लग रहे रहे हैं . (मेजों की थपथपाहट)...
मुख्यमंत्री (डॉ. मोहन यादव) -- अध्यक्ष महोदय, सर्वप्रथम आदरणीय श्री नरेन्द्र सिंह जी तोमर जो मध्यप्रदेश की 16 वीं विधान सभा के 19 वें अध्यक्ष बने हैं मैं उनको अपनी ओर से हार्दिक बधाई देता हूं, शुभकामना देता हूं और मैं आपके साथ-साथ मेरे मित्र सिंघार जी को और उनके दल को भी बधाई देना चाहूंगा कि यह आपके व्यक्तित्व की विशालता है जिसके कारण हमने सर्वानुमति से आपका यह निर्वाचन संपन्न कराया.
अध्यक्ष महोदय, आपका व्यक्तित्व ही अपने आप में हम सबके लिये खासकर मध्यप्रदेश की राजनीति में कुछ ही सर्वमान्य नाम हैं जिनमें से माननीय नरेन्द्र सिंह जी तोमर का नाम एक ऐसा है जिनके कारण चाहे कोई भी दल का हो, कोई भी व्यक्ति हो, आपके लंबे राजनीतिक जीवनकाल में युवा मोर्चा से मैं आपके संपर्क में रहा हूं, व्यक्तिगत रूप से कई मामलों में, मेरे अपने उज्जैन जिले के आप प्रभारी मंत्री भी रहे हैं, कई कारणों से आपने अपने प्रशासनिक अनुभव का लाभ हम सबको दिया है और यह अत्यंत आनंद और प्रसन्नता का विषय है कि आपका पूरा जीवन सार्वजनिक सेवा की दृष्टि से समर्पित भाव का और लोगों को लेकर चलने वाला है जो सबको प्रेरणा देता है. आपका नगर निगम में पार्षद से लेकर केन्द्रीय मंत्री तक के सभी पदों का सफलता के साथ निर्वहन करने का अपना रिकॉर्ड है और खासकर मैं तो इस नाते से भी आपको जानता हूं कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के एक अनुशासित, समर्पित स्वयंसेवक के नाते से आपने अपनी पूरी यात्रा, यहां तक का सफर पूरा किया है और खासकर वर्तमान के इस दौर में अगर कहा जाए तो भारतीय जनता पार्टी के जब आप अध्यक्ष बने तो उसमें भी आपका पुरुषार्थ, पराक्रम, परिश्रम और विनम्रता यह कदम-कदम पर झलकती नजर आई है.
अध्यक्ष महोदय, आप केन्द्र में कृषि और ग्रामीण विकास मंत्री के नाते किसानों और गरीबों के लिये जो काम किया है वह सदैव सबके हृदय में अपनी अलग छाप बनाकर रखता है. अत्यंत विनम्र, सहज, सरल और शायद इसीलिये पक्ष और विपक्ष में आप समान रूप से लोकप्रिय रहे हैं. यह हम सबके लिये सौभाग्य की बात है. मुझे पक्का भरोसा है कि आपके अध्यक्ष बनने से इस सदन की गरिमा और गौरवान्वित होगी क्योंकि यह वही मध्यप्रदेश का सदन है जहां पंडित कुंजीलाल दुबे जी से लेकर वर्तमान के सम्मानित गिरीश गौतम जी, जो कुछ ही समय पहले पिछले सदन के हमारे निर्वाचित अध्यक्ष थे और हम सब इस बात के लिये आनंदित भी हैं कि आपके नेतृत्व में आजादी के अमृत महोत्सव के काल में माननीय प्रधानमंत्री जी का जो स्वप्न है, हमारे लोकतंत्र का यह मंदिर और गौरवान्वित होगा. मुझे इस बात का और आनंद है कि आपके रहते-रहते मुझे भी अपने इस नये दायित्व के लिये आपके ज्ञान का, अनुभव का और अपने सदन के सभी सम्मानित सदस्यों को लाभ मिलेगा.
अध्यक्ष महोदय, हमारे प्रोटेम स्पीकर रहे माननीय गोपाल भार्गव जी के प्रति भी मैं विशेष आभार व्यक्ति करता हूं जिनके कुशल व्यवहार के कारण उन्होंने शपथ एवं निर्वाचन का हमारा पूरा कार्यक्रम संपन्न किया. जिनके नेतृत्व में पहले सत्र में शपथ ग्रहण, प्रतिज्ञान आदि महत्वपूर्ण कार्य का ठीक से संचालन हो सका है. मेरी अपनी ओर से पुनश्च् एक बार आपके प्रति शुभकामना है और निश्चित रूप से आपके सफल संचालन करने से हम सब गौरवान्वित होंगे पुन: बधाई. बहुत-बहुत धन्यवाद.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) -- अध्यक्ष महोदय, 16 वीं विधान सभा के नवनियुक्त अध्यक्ष बनने पर आपको मेरे दल की ओर से हार्दिक बधाई. आपके इतने बडे व्यक्तित्व का और आपके इतने लंबे समय के अनुभव से इस विधान सभा को और हमको लाभ मिलेगा. मैं ऐसा समझता हूं कि आप बडे मौन रहते हैं जैसा आपके चेहरे पर मुस्कान रहती है, तो ऐसी मुस्कान के साथ ही सदन चले और हमारे दल, सत्ता पक्ष को और विपक्ष दोनों को समय आप समय पर देंगे. आपका आशीर्वाद बना रहेगा ऐसी मेरी भावना है. पुन: बधाई, धन्यवाद.
श्री शिवराज सिंह चौहान(बुधनी)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपका अभिनंदन, बधाइयाँ.
अध्यक्ष महोदय, श्री नरेन्द्र सिंह तोमर जी, एक व्यक्ति नहीं, एक संस्था है. सुदीर्घ राजनैतिक अनुभव की पूँजी उनके पास है. विराट व्यक्तित्व के वे धनी हैं. वे धीर हैं, वीर हैं, गंभीर हैं, और अगर मैं सचमुच कहूँ तो स्वर्गीय श्रीमान् अटल बिहारी बाजपेयी जी की तरह मध्यप्रदेश के सन्दर्भ में वे अजातशत्रु हैं. (मेजों की थपथपाहट) पक्ष हो, प्रतिपक्ष हो, उनकी कार्यशैली से सदैव प्रभावित रहा है. मुझे पूरा विश्वास है, क्योंकि जो उनके पास राजनैतिक अनुभव की पूँजी है और जैसा व्यक्तित्व है उनका....
“मुक्त संगोsनहंवादी धृत्युत्साहसमन्वित:”
मुक्त संगो मतलब, वो पक्ष और विपक्ष दोनों का ध्यान रखते हुए सदन का संचालन करेंगे, एक पक्ष के नहीं रहेंगे, अहंकार उन्हें छू नहीं गया और धैर्य की तो वे प्रतिमूर्ति हैं. लम्बे समय से हमारा साथ रहा है, मैं कहूँ, जब से होश संभाला है, तब से. मैंने कभी धैर्य खोते हुए उन्हें नहीं देखा और उत्साह से सदैव भरे रहते हैं. चाहे एक राजनैतिक कार्यकर्ता के नाते अपने कर्त्तव्यों का निर्वाह हो या पार्श्व से लेकर, मध्यप्रदेश सरकार के मंत्री से लेकर, केन्द्रीय कृषि मंत्री तक की भूमिका, आप लोगों ने उस समय देखा होगा जब देश में किसान आन्दोलन चल रहा था, बड़े जोश में किसान नेता आते थे, लेकिन नरेन्द्र सिंह जी जिस ढंग से मुस्करा कर बात करते थे, उनका सारा गुस्सा शान्त हो जाता था और ठंडा करके वापस भेज देते थे. (मेजों की थपथपाहट)
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आज यह भी कहना चाहता हूँ कि हमको भी जब-जब जरुरत पड़ी, हम लोग साथ विधायक रहे, मंत्री रहे, संगठन का काम हम लोगों ने साथ-साथ किया और जब 2008 में विधान सभा का चुनाव आया तो किसके नेतृत्व में हम चुनाव लड़ें, जब यह विचार हुआ तो एक ही नाम समझ में आया कि नरेन्द्र सिंह तोमर अगर अध्यक्ष बन जाएँगे तो सबको साथ लेकर, समेट कर, चलेंगे. (मेजों की थपथपाहट) 2013 में भी वही हुआ, यह आपका विराट व्यक्तित्व है. फिर लगा कि नरेन्द्र सिंह तोमर जी आ जाएँ और अभी भी जब चुनाव का प्रबंधन कौन संभाले, तो एक ही नाम हम लोगों को ध्यान आया, नरेन्द्र सिंह तोमर.
अध्यक्ष महोदय, मुझे पूरा विश्वास है कि जो उनका विशाल व्यक्तित्व है, सबको साथ लेकर चलने की जो उनकी सोच, स्वभाव और व्यवहार है, उसके कारण वे विधान सभा में अध्यक्ष पद की गरिमा बढ़ाएँगे और अद्भुत संचालन इस सदन का करेंगे.
समः शत्रौ च मित्रे च तथा मानापमानयो:
शीतोष्णसुखदुःखेषु सम:संगविवर्जित:
तुल्यनिन्दास्तुतिर्मौनी सन्तुष्टो येनकेनचित्.
अनिकेतः स्थिरमतिर्भक्तिमान्मे प्रियो नर: .
अध्यक्ष महोदय, शत्रु और मित्र में समान, सुख और दुख में समान, मान और अपमान में समान, एक अद्भुत व्यक्तित्व है उनका, निश्चित तौर पर वो इस सदन की गरिमा बढ़ाएँगे और जिस ढंग से सुचारु संचालन करेंगे, उससे प्रदेश की जनता को भी लाभ होगा. सरकार तो अपना काम करेगी ही, लेकिन प्रतिपक्ष भी अपनी बात कहेगा. मैं एक बार फिर उनको बहुत-बहुत बधाई देता हूँ, उनका अभिनंदन करता हूँ और हमारे सदन के सबसे वरिष्ठ सदस्य, जिन्होंने प्रोटेम स्पीकर के रूप में इतने दिन तक सदन का कुशल और सुचारु संचालन करके गरिमा बढ़ाई है, मैं श्री गोपाल भार्गव जी का भी अभिनंदन करता हूँ, उनको धन्यवाद देता हूँ. (मेजों की थपथपाहट)
श्री प्रह्लाद सिंह पटेल(नरसिंहपुर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे लिए आज, मेरी राजनीतिक जीवन की यात्रा का ऐसा महत्वपूर्ण दिन है कि मैं इस सदन में पहली बार चुन कर आया हूँ और आसंदी पर आपको देख रहा हूं, मैं आपका हृदय से अभिनन्दन करता हूं और पूरे सदन का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं कि उन्होंने सर्वसम्मति से एक ऐसे जन प्रतिनिधि को इस आसंदी पर बिठाया है, जिसका संगठन का, सदनों का और सरकार का इतना बड़ा अनुभव है और जितनी लम्बी यात्रा, जैसा माननीय शिवराज सिंह जी ने कहा कि जब हम पलटकर अपने राजनैतिक जीवन को देखते हैं, तो हम सीधे 40 साल पीछे चले जाते हैं और शायद यह 16वीं विधान सभा एक अपना इतिहास रचेगी कि आजादी के 75 वर्ष बाद मध्यप्रदेश का यह सदन अपनी किन ऊंचाइयों को छुएगा. 40 साल पहले हम सब ने जो काम शुरु किया था, आज संयोगवश इस विधान सभा के हम सब सदस्य हैं. तब हम राज्य को ऊंचाइयां देने के लिये संघर्ष कर रहे थे, आज हम प्रचण्ड बहुमत के साथ सत्ता में रहकर प्रतिपक्ष के साथ इस मध्यप्रदेश को देश के सर्वोच्च प्रदेश की सूची में नम्बर एक के स्थान के लिये हम अपने प्रयास को आज से प्रारम्भ कर रहे हैं, लेकिन चर्चा का जो केन्द्र बिन्दु होता है, वह सदन का अध्यक्ष होता है, क्योंकि संवाद अगर अच्छा न हो, सहज न हो, वह कटुता से भरा हो, तो हम शायद किसी अच्छे निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकते. हम सफलता और ऊंचाइयां छू लें, लेकिन मन ठीक न हों, तो वह आनन्द नहीं मिलता, जिस आनन्द की अपेक्षा इस प्रदेश की जनता करती है और इसलिये मुझे लगता है कि आसंदी पर बैठे हुए व्यक्ति की वह गरिमा, उसका वह प्रभाव, एक ऐसी अच्छी चर्चा की मिसाल कायम करेगा, इसमें विरोध भी होगा, लेकिन विनोद भी होगा, लेकिन हित राज्य का होगा, प्राथमिकता उसकी होगी और हम सब टीम में, हम लोग टिप्पणियां करते थे, लेकिन आज के बाद हम आप पर टिप्पणियां नहीं कर पायेंगे, जैसी टिप्पणियां करते हम आपसे आनन्द लेकर अपना रास्ता तय करते थे. मैं बहुत छोटा था, पूरी टीम में सबसे कम उम्र का व्यक्ति था और सबसे कम अनुभव इस सदन का मेरा है. मैं पहली बार का विधायक हूं, तो आपका भी मार्गदर्शन मिलेगा, वरिष्ठों का भी मार्गदर्शन मिलेगा. हम कोशिश करेंगे कि कम से कम मैं जिस सदन में रहा हूं, उसका मेरा अपना अनुभव, जो श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने मेरे पहले संसद सदस्य बनते समय मुझे सिखाया था, उसका अनुपालन करने में मैं भी आपके निर्देशों का अक्षरशः पालन करुंगा. मैं इस शुभ मुहूर्त में आपका अभिनन्दन करता हूं और विश्वास करता हूं कि यह सदन आपकी उस गंभीरता के साथ ऊंचाइयां छुएगा, बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री रामनिवास रावत (विजयपुर)-- अध्यक्ष महोदय, मैं आपका हृदय से अभिनन्दन करता हूं, स्वागत करता हूं और हार्दिक बधाई देता हूं. आशा करता हूं, जैसा कि मुझसे पूर्व सभी वक्ताओं ने कहा है. सबसे पहले तो मैं इसलिये खड़ा हुआ हूं कि मेरे ध्यान में जहां तक अध्यक्षों के नाम आते हैं, ग्वालियर-चम्बल से शायद आप पहले अध्यक्ष निर्वाचित हुए हैं, इसके लिये भी हम गौरवान्वित हैं. (मेजों की थपथपाहट) मैं आशा करता हूं कि जिस तरह का आपका राजनैतिक जीवन रहा है, वार्ड सदस्य से लेकर के, ग्वालियर की गलियों से लेकर के और संसद के सदन तक आप मंत्री के रुप में पहुंचे हैं, आपका लम्बा राजनैतिक अनुभव है. आप निश्चित से मृदभाषी हैं और धैर्य की पराकाष्ठा हैं, इसमें कोई संदेह नहीं है और आपका व्यक्तित्व, आपको विधायिका का लम्बा अनुभव है. आपके व्यक्तित्व से निश्चित रुप से सभी लोग परिचित हैं और हम आशा करते हैं कि आपके नेतृत्व में सदन एक उच्चतम ऊंचाइयों पर पहुंचेगा, सदन का संचालन और सदन का महत्व आपके नेतृत्व में बढ़ेगा. मैं यह मानता हूं कि बहुमत के आधार पर अध्यक्ष जी का चुनाव होता है, लेकिन आसंदी पर पहुंचकर आप सभी का संरक्षण करेंगे, ऐसा मैं विश्वास करता हूं. आपके लिये पक्ष और विपक्ष समान रुप से रहेंगे और हम सबका संरक्षण आप करेंगे, ऐसा मेरा विश्वास है. सदन की महत्ता, विधायिका की महत्ता स्थापित करने के लिये आपका सफल संचालन बहुत आवश्यक है. आपके संचालन के फलस्वरूप ही विधायिका महत्व बढ़ेगा और विधायकों को संरक्षण मिलेगा. सरकार अपना संचालन करती है लेकिन, हमारा प्लेटफार्म केवल विधान सभा है, जिसमें आपका संरक्षण हमें मिलेगा. आप के अंदर न कभी बदले की भावना रही. मैं भी आपसे दो चुनाव लड़ चुका हूं, आप मेरे क्षेत्र के सांसद भी रहे हैं और आपने हमेशा राजनीति को वैचारिक मतभेदों से अन्यथा हटकर आपने हमेशा मुझसे मित्रवत व्यवहार किया है. इसके लिये मैं आपका हदृय से आभारी हूं. पुन: में आपको शुभकामनाएं देता हूं, बधाई देता हूं और आशा करता हूं कि सदन के सभी सदस्यों को आप संरक्षण देकर इस सदन का महत्व, इस सदन की चर्चा को उच्च ऊंचाइयों पर पहुंचाने का काम करेंगे, ऐसा मेरा विश्वास है और मैं, आदरणीय प्रोटेम स्पीकर जी को बहुत-बहुत हृदय से बधाई देता हूं और आशा करता हूं कि आपके नेतृत्व में सदन का महत्व पूरे देश के सभी सदनों से अधिक बढ़े. ऐसी मैं उम्मीद करता हूं. पुन: आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं, बहुत-बहुत हृदय से बधाई.
(मेजों की थपथापाहट)
श्री गिरीश गौतम( देवतालाब):- माननीय अध्यक्ष जी, सबसे पहले आपको इस पद पर आसीन होने के लिये मैं ढेर सारी बधाईयां देता हूं और हमारे प्रतिपक्ष के मित्रों को भी धन्यवाद देना चाहता हूं, क्योंकि अभी डेढ़-दो महीने से प्रतिद्वंदी बनकर के हम सब आमने- सामने होकर के चुनाव लड़कर के आये हैं. उसके बाद भी जब हम विधान सभा के भीतर आये तो एक सौहार्द्र वातावरण में सर्वसम्मति से हमारे अध्यक्ष जी के चयन के लिये आप सबने सहमति दी, इसलिये मैं आपको भी धन्यवाद करता हूं. हमने भी 20 साल से इस विधान सभा को देखा है. वर्ष 2003 में जब चुनकर के आये तो इस आसंदी पर रोहाणी जी को 10 साल देखा, फिर 5 साल हमारे सीतासरन शर्मा जी को देखा, फिर 15 महीने हमने एन.पी. प्रजापति साहब को देखा, फिर हमने 8 महीने रामेश्वर शर्मा जी को देखा और फिर सौभाग्य से 32 महीने हमको भी अवसर मिला. हम सबने मिलकर इस बात का प्रयास किया कि इस विधान सभा का जो गौरवमयी इतिहास है, जो हमारी प्रतिष्ठा है, जो हमारा सम्मान है, हमने भी इस बात का प्रयास कि उसमें कहीं भी एक लकीर नहीं खींचे, कोई खरोंच नहीं आये इसका हम सबने प्रयास किया. हम आपसे उम्मीद यही करते हैं कि कहीं आपको ऐसा लगे की हम लोगों के कारण कहीं कोई चिन्ह बना हो तो आप जब यहां पर आप अपने दायित्व का निर्वहन करेंगे तो वह खत्म हो और जो हमारी परम्परा रही है, इस प्रदेश की विधान सभा की, पूरे देश के भीतर जो सम्मान रहा है, उस सम्मान को हम सब विश्वास करते हैं कि आप उसको आगे भी बढ़ायेंगे उसको कायम रखेंगे. हमारे प्रोटेम स्पीकर साहब, हमारे सबसे सीनियर गोपाल भार्गव जी को भी धन्यवाद करता हूं, उन्होंने प्रोटेम स्पीकर बनकर के जो सदन का संचालन किया और इन्द्रभान किया, सबको शपथ दिलायी और हम सबने उन्हीं के माध्यम से ली. इसलिये उनको भी धन्यवाद् करता हूं. मैं, फिर यही कहना चाहता हूं कि आइये हम सब मिलकर यदि यहां पर हमारे वाद-विवाद हों, पर संवाद की गुंजाइश रखें. कई बार ऐसा लगता है सत्ता पक्ष और प्रतिपक्ष एक दूसरे के आमने-सामने हो गये हैं. परन्तु मैं ऐसा मानता हूं कि प्रजातंत्र के भीतर, लोकतंत्र के भीतर हम नदियों के दो किनारे हो सकते हैं पर पानी के बहाव के लिये दोनों किनारों की आवश्यकता है, भले हम न मिलते हैं और पानी आगे बहे, पानी आगे जाये, आगे विकास हो उसके लिये दोनों की आवश्यकता हमको होती है. हम उस दोनों पक्ष का निर्वहन हम सब मिलकर करेंगे. मैं यही आशा और विश्वास करता हूं कि आपके नेतृत्व में विधान सभा फिर से उचाइयां लगातार प्राप्त करती रहे और पूरे देश के भीतर नाम रोशन होता रहे, यही कहकर के मैं, एक बार फिर आपको धन्यवाद करता हूं, सबको धन्यवाद् करता हूं.
(मेजों की थपथापाहट)
श्री गोपाल भार्गव (रहली)- अध्यक्ष महोदय, आपका सर्वानुमति से, सर्वसम्मति से अध्यक्ष पद पर निर्वाचन होना इस बात का द्योतक है, प्रतीक है कि आपके अंदर जो विशेषताएं हैं, वह सर्वविदित हैं, हमारे प्रतिपक्ष के मित्रों को भी और हम सभी लोगों के लिए भी और यही योग्यता, आपका दीर्घकालिक अनुभव देखते हुए सभी ने आपको इस आसंदी पर विराजित किया है.
अध्यक्ष महोदय, मेरे 40 वर्षों की इस विधायी जीवन यात्रा में अनेक अध्यक्षों के साथ मेरा सानिध्य रहा, श्री यज्ञदत्त शर्मा जी, श्री राजेन्द्र शुक्ल जी से लेकर श्री बृजमोहन मिश्रा जी, श्रीयुत् श्रीनिवास तिवारी जी से लेकर श्री ईश्वरदास रोहाणी जी, डॉ. सीतासरन शर्मा जी से लेकर श्री गिरीश गौतम जी तक, जहां तक मुझे स्मरण आ रहा है अनेकों प्रोटेम स्पीकर भी हमारे रहे, उनके साथ भी काम करने का हमें अवसर मिला.
अध्यक्ष महोदय, यह वर्तमान की जो विधान सभा है, मेरे राजनीतिक अनुभव के तौर पर मैं मानकर चलता हूं कि यह अभूतपूर्व है. जितने वरिष्ठ, श्रेष्ठ सदस्य, अनुभवी सदस्य इस समय विधान सभा में आए हैं, उनको विधायी ज्ञान भी है, प्रशासनिक ज्ञान भी है, राजनीतिक ज्ञान भी है, ऐसे अनुभवी सदस्य शायद मुझे स्मरण नहीं है कि पहले कभी किसी विधान सभा में, खासतौर से मध्यप्रदेश की विधान सभा में कभी रहे होंगे. (मेजों की थपथपाहट) अब ऐसे सभी सदस्यों के लिए साधना मैं मानकर चलता हूं कि आपके लिए एक बड़ा मुश्किल काम हो सकता है, लेकिन आपकी विद्वत्ता, आपका दीर्घकालिक अनुभव और जैसा हमारे पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने कहा कि किसान आन्दोलन में, मैं मानकर चलता हूं कि आपने किस तरह इतनी बड़ी असंमजस की स्थिति से भारत सरकार के लिए उस मामले को सुलझाया, यह आपके दीर्घकालिक अनुभव और योग्यता का ही प्रतीक है और मैं मानकर चलता हूं कि समय समय पर जब ऐसे राज्य में अवसर आएंगे तो आपके अनुभव का हम सभी लोगों को, राज्य को लाभ मिलेगा.
अध्यक्ष महोदय, आपको विश्वास दिलाता हूं कि हमारा पक्ष और मैं उम्मीद करता हूं प्रतिपक्ष से भी कि आपको सफलतापूर्वक इस पद का संचालन करने में, विधि अनुसार कार्य करने में, सदन की नियम और प्रक्रियाएं जो हैं, उसके अनुसार कार्य करने में निश्चित रूप से हम सभी आपको सहायता करेंगे, सभी आपको सहयोग करेंगे, आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं और धन्यवाद. (मेजों की थपथपाहट)
डॉ. सीतासरन शर्मा (होशंगाबाद)- अध्यक्ष महोदय, हमने अपने राजनीतिक जीवन में वर्षों आपके मार्गदर्शन और कुशल नेतृत्व में काम किया है. यह हमारा सौभाग्य है कि अब हमें आपके सीधे संरक्षण में भी काम करने का अवसर मिल रहा है. अध्यक्ष महोदय, मैं विश्वास करता हूं कि आपके इस दीर्घकालिक संसदीय अनुभव का लाभ लोकतंत्र की प्रदेश की सबसे बड़ी संस्था को हमेशा मिलेगा और आपकी अध्यक्षता में हम इस महान सदन की परम्पराओं का पालन करते हुए, स्वस्थ परम्पराओं का निर्माण करने के लिए आगे बढ़ेंगे. अध्यक्ष महोदय, आपको बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं. (मेजों की थपथपाहट)
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह (अमरपाटन) - अध्यक्ष महोदय, मैं आपको अपनी तरफ से हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं और सर्वसम्मति से अध्यक्ष चुने जाने पर बधाई भी देता हूं. सर्वसम्मति से चुना जाना इस बात का द्योतक है कि आप एक अत्यंत लोकप्रिय व्यक्ति हैं, सर्वमान्य हैं, आपका व्यक्तित्व तो विशाल है, लेकिन सरल भी आप बहुत हैं. यह सांमजस्य बैठाना बड़ा कठिन होता है इन दो धाराओं में. आपके नेतृत्व में हम सब विधायकों, चूंकि आसंदी से ही शक्ति, विधायिका के सदस्यों को, विधायकों को मिलती है.
चाहे सत्ता पक्ष के हों या प्रतिपक्ष के हों, वह हमेशा हम लोगों को मिलती रहेगी और हम लोगों का सहयोग भी आसंदी और आपके साथ, आपके प्रति हमेशा बना रहेगा. यह लोकतंत्र का मंदिर है और प्रदेश की जनता बड़ी आशा भरी निगाहों से इस ओर देखती है कि हम उनके विकास के लिये, उनकी समृद्धि के लिये, उनकी खुशहाली के लिये क्या कर रहे हैं. हम लोगों में मतभेद हो सकते हैं. दोनों पक्षों में हमारी विचाराधाराओं में भी कुछ अंतर है लेकिन जब एक अंतिम पंक्ति पर बैठे व्यक्ति की बात आती है, जब समाज कल्याण की बात आती है, राष्ट्र निर्माण या प्रदेश निर्माण की बात आती है तो उसमें हम सब एक हैं. हमारा लक्ष्य, हम सबका लक्ष्य वही है. आप कठिन से कठिन मामले सुलझाने में भी सिद्धहस्त हैं. यह परम्परा पंडित कुंजीलाल दुबे जी ने डाली थी. उस समय मैं भोपाल में स्कूल में पढ़ा करता था और कई अवसर आये, जब विधानसभा मैंने दर्शक दीर्घा में बैठकर देखी थी. फिर अनेक माननीय अध्यक्षों के साथ मैंने काम किया. हमारे पूर्व माननीय अध्यक्ष तो विराजमान हैं जिन्होंने बड़ा कुशल नेतृत्व दिया और बहुत अच्छा संचालन किया. डॉ.सीतासरन शर्मा जी, श्री गिरीश गौतम जी हैं और कुछ दिनों के लिये हमने हमारे प्रोटेम स्पीकर श्री गोपाल भार्गव जी, जो इस सदन के वरिष्ठतम सदस्य हैं, बडे़ अनुभवी व्यक्ति हैं, उनका भी कार्य देखा. हम लोगों में वाद-विवाद तो होगा और अपनी बात रखने का, वाद-विवाद का यह स्थान ही है लेकिन प्रतिपक्ष को आप पूरा मौका देंगे, ऐसा मेरा विश्वास है.
अध्यक्ष महोदय, मुझे एक वाकया याद आता है. आपने तो बहुत लंबी यात्रा की है. लोकतंत्र की पहली सीढ़ी पार्षद से लेकर, जो सबसे बड़ा लोकतंत्र का स्थान संसद है, वहां तक की यात्रा की है और केन्द्र में मंत्री रहे हैं लेकिन जब आप यहां प्रदेश में ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री थे, तो एक विषय आया था, जिसमें मैंने उस विषय को उठाया था. आप तो भूल गए होंगे. आपकी राजनैतिक यात्रा इतनी लंबी है, आपने इतने दायित्व निभाए हैं लेकिन मुझे आज भी वह स्मरण है. काफी कुछ उसमें चर्चा हुई और मंत्री के रूप में कुछ आप उसमें उलझते नजर आए. अगले दिन सुबह एक युवा आईएएस अधिकारी, जो उस विभाग से संबंधित थे, वे उस विषय को देख रहे थे. उन्होंने मुझे फोन किया और मुझसे मिलने का समय मांगा. मैंने कहा, आप आइए, आपका स्वागत है. वे मेरे पास आए. मैंने कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि मंत्री जी ने भेजा है और आप बताइए कि इसमें क्या समस्या है, किस तरह से इसको सुलझाया जा सकता है, हम मंत्री जी तक यह बात पहुंचाएंगे और हमारा विभाग भी देखेगा, तो आपका इतना बड़ा हृदय है कि आपने एक प्रतिपक्ष के सदस्य की समस्या कैसे दूर हो, क्योंकि समस्या तो निजी होती नहीं है वह सार्वजनिक होती है. आपने इतनी चिन्ता की, वह बात आज भी एक अमिट छाप मेरे हृदय में छोडे़ हुए है. आप हमारे सदन का निश्चित ही कुशल संचालन करेंगे, हम सबको मौका मिलेगा, ऐसी आशा है. चूंकि आप न्यायप्रिय हैं, आपका व्यक्तित्व ही ऐसा है, आप सरल हैं. हम लोग सब अपनी बात रख सकेंगे. हम पुन: आपको बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं देते हैं. धन्यवाद. (मेजों की थपथपाहट)
श्री कैलाश विजयर्गीय (इंदौर) -- अध्यक्ष महोदय, मैं बड़ा भावुक होकर यहां पर खड़ा हुआ हॅूं. मैंने आपकी राजनैतिक यात्रा विद्यार्थी राजनीति से देखी है. किस प्रकार आप साईकिल पर डबल बिठाकर छात्र राजनीति में काम करते थे. एक लंबा सफर पार्षद, विधायक, सांसद, मंत्री, प्रदेश अध्यक्ष, प्रदेश के चुनाव प्रभारी, आपकी प्रशासनिक क्षमता, संगठन क्षमता वह सब हमने बहुत करीब से देखी है. मुझे याद है कि आप ग्वालियर के छात्र नेता थे. प्रहलाद जी जबलपुर के छात्र नेता थे, शिवराज जी भोपाल के थे, मैं इन्दौर देखता था. तब हम लोग किस संकट से, कभी सोचा भी नहीं था कि हम लोग सरकार में आयेंगे, मंत्री बनेंगे, विधान सभा के अध्यक्ष बनेंगे. विद्यार्थी परिषद् के कार्यकर्ता थे तो सिर्फ डंडे खाना, जेल जाना, सपने आते तो भी उसी बात के आते थे कि आज आगे आगे हम दौड़ रहे हैं पीछे पीछे पुलिस आ रही है. कभी सपना ही नहीं आया कि मंत्री बनेंगे और कलेक्टर, एसपी.दरवाजा खोलेंगे. वहां से अपनी यात्रा प्रारंभ की और आज आपको शीर्ष कुर्सी पर देखकर मैं अपने आपको भी गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं. नई पीढ़ी के लोगों को बताना चाहता हूं कि इस कुर्सी पर बैठने के पीछे कितना परिश्रम है, कितना त्याग है. यह नरेन्द्र सिंह जी के जीवन से हम देख सकते हैं. मैं उच्च कुर्सी पर बैठे हुए देखकर बहुत ही गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं. आपकी गहराई का अंदाज जिन्होंने आपके साथ काम किया है, वही समझ सकते हैं. कितनी गहराई है कि कई बार आप पीठ पर हाथ मारते हैं तो लोग समझते हैं कि शाबासी दे दी, पर जब किसी को डुक पड़ता है तो वही समझ सकता है कि हमें डुक पड़ गया है. यह आपका अंदाज है निराला और इसको वही समझ सकता है, जिन्होंने आपके साथ काम किया है. अध्यक्ष जी, मध्यप्रदेश की विधान सभा उन श्रेष्ठ विधान सभाओं में रही है. जहां पर अच्छी गंभीर चर्चा होती है. मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, गोवा वह देश की वो विधान सभाएं हैं जहां पर खूब अच्छी चर्चा होती है माननीय विधायक खूब अध्ययन करते हैं, पढ़ते हैं, पर विधान सभा चलना बहुत जरूरी है इसमें आपका कुशल मार्गदर्शन और दोनों पक्ष की गंभीरता यह बहुत जरूरी है. कम से कम 60 से 70 दिन विधान सभा चलना चाहिये. मैं पिछला रिकार्ड देख रहा था तो विधान सभा बहुत कम चली है. यह आपकी पूरी जवाबदारी है और मुझे पूरा विश्वास है कि आपके नेतृत्व में यह विधान सभा लंबी चलेगी, क्योंकि हमारे पूर्वजो ने जब इस प्रजातंत्र की रचना की है. तो उसमें प्रजातंत्र के सबसे बड़े मंदिर प्रदेश के, यह सरकार को नियंत्रण करने वाली भी है, यह सरकार को सही मार्गदर्शन देने वाली भी है. यह एक अंकुश है. हाथी जब चलता है तो थोड़ा सा अंकुश होता है उसके पास. विधान सभा अंकुश का काम करती है और मुझे उम्मीद है कि प्रतिपक्ष के साथी भी इसको समझेंगे. व्हेल में आना, हंगामा करना, अगले दिन फ्रंट पेज में छप जाना यह बहुत ही शार्टकट है, पर विधान सभा चले, चर्चा हो गंभीर. मैं अभी चर्चा कर रहा था मुझे याद है कि जब हम लोग पहली बार चुनकर आये तो हम लोग विधान सभा की लायब्रेरी में आपके साथ हम लोग भी बैठते थे, माननीय शिवराज जी भी लायब्रेरी में बैठते थे. अभी मैं पूछ रहा था कि विधान सभा की लायब्रेरी में कितने विधायक आते हैं तो बताया कि लायब्रेरी में कोई विधायक बैठता ही नहीं है. माननीय गोपाल भार्गव जी बैठे हैं, हम लोग घंटो बैठते थे लायब्रेरी में विधान सभा जब छूट जाती थी तो रात्रि को 10 बजे तक घंटो बैठे रहते थे, वहां पर पढ़ते थे. पुराने विधायकों के, पुराने हमारे नेताओं के भाषण हम पढ़ते थे उसके बाद हम लोग कोशिश करते थे कि हम लोग यहां पर अच्छा परफार्म कर सकें. देखिये मैं नये माननीय सदस्यों से निवेदन करूंगा कि हम लोग सौभाग्यशाली हैं कि हम इस सदन के सदस्य हैं. यहां पर हम लोग चर्चा करें, यहां पर हम पढ़ें और हम लोग बहुत धीर गंभीर अध्यक्ष जी के नेतृत्व में इस विधान सभा में अपनी जो प्रतिभा है उसको निखारने की कोशिश करे. यह प्लेटफार्म मध्यप्रदेश के उस अंतिम व्यक्ति के सर्वांगीण विकास की अपेक्षा वाला प्लेटफार्म है और इसलिये हम सबकी जवाबदारी है कि मध्यप्रदेश के विकास में यह महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा. मुझे अध्यक्ष जी आपकी सरलता, सहजता, गंभीरता मुझे रामचरित मानस की एक चौपाई याद आ रही ही कि ''निर्मल मन जन मन सौ मोहि पावा मोहि कपट छल कपट छल छिद्र ना भावा'' आप उसकी प्रतिमूर्ति हैं. एक बार फिर से आपका अभिनन्दन करता हूं, स्वागत करता हूं कि हम सब गौरवान्वित हैं इस सीट पर धन्यवाद.
श्री भूपेन्द्र सिंह(खुरई) - माननीय अध्यक्ष महोदय, आप जैसा विशाल व्यक्तित्व आज अध्यक्ष के रूप में हम सबका मार्गदर्शन करेंगे. माननीय अध्यक्ष जी, आपका व्यक्तित्व समुद्र के समान गहराईयों जैसा है. आपके व्यक्तित्व को पढ़ना और व्यक्तित्व से सीखना ये सब मुझे अवसर मिला है. आपके साथ युवा मोर्चा से लेकर और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में आपके साथ मुझे महामंत्री के रूप में काम करने का अवसर मिला है. आपका इतना जो विशाल व्यक्तिव है, उससे हमेशा लगता है कि आपके साथ जितना समय मिल जाए, उतने समय में कुछ न कुछ हम लोगों को जरुर सीखने का मिलता है. हम लोग कोशिश करते हैं कि समय समय पर आपका सानिध्य मिले, जिससे हम सबको सीखने को मिले. आज जिस स्थान पर मैं हूं, आपने मुझ जैसे अनेक लोगों को गढ़ने का काम किया है. आज गरिमामय क्षण है, जब सर्वसम्मति से आप अध्यक्ष की आसंदी पर विराजमान है. जहां एक ओर हमारे इतने वरिष्ठ सदस्य हैं, वहीं पर आज गरिमामय क्षण इसलिए भी है कि हमारे पार्टी के प्रदेश के अध्यक्ष माननीय वी.डी. शर्मा जी भी यहां पर इस अवसर पर उपस्थित हैं. मैं आपको, सदन को और माननीय अध्यक्ष जी को बहुत बधाई और शुभकामनाएं देता हूं, धन्यवाद.
श्री अजय विश्नोई(पाटन) - अध्यक्ष जी, आपको बधाई, बधाई का आनंद इसलिए भी बढ़ गया, क्योंकि आपका चयन सर्वानुमति से हुआ है. जैसा कि पूर्व वक्ताओं ने बताया कि सर्वानुमति का चयन निश्चित से आपकी अपनी राजनीतिक यात्रा और आपके व्यक्तिव की विशालता है. आज जब हम यहां खड़े होकर बातचीत करते हैं और वह दिन याद करते हैं, जब हम पहली बार इस सदन में चुनकर आए हुए थे, आपका भी साथ और सानिध्य उस समय यहां पर हम लोगों को, साथ में विधायक के रूप में था. हम लोग विपक्ष में आकर बैठे थे और जब विपक्ष में आकर बैठकर बातचीत करना शुरूआत की थी, उस समय सदन में चर्चाएं बहुत अच्छी होती थीं. हमारे साथ बैठे हुए माननीय सीतासरन शर्मा जी उस समय चीफ व्हिप हुआ करते थे, श्री गौरीशंकर शेजवार जी हमारे नेता प्रतिपक्ष हुआ करते थे. मैं तो पहली बार आया था और बजट सेशन में ही शुरूआत करने का मौका मिला था. ये शायद इन लोगों का और हमारे में विश्वास था कि मेरे को एक नहीं दो नहीं चार-पांच विषय की ओपनिंग करने और कराने का अवसर हमको इन्होंने दिया था, वहां से मुझे एक पहचान मिली थी और समझ में आया था कि सदन का महत्व कितना है. जैसे कि हमारे पूर्व वक्ता बोल रहे थे कि ये सदन एक अंकुश का भी काम करता है, पर वह अंकुश तभी प्रभावित होता है, जब दोनों पक्ष इसमें साथ में बैठकर सकारात्मक चर्चा करें, वह चर्चा का वातावरण बनाकर रखना, स्वाभाविक रूप से हमारे विपक्ष के लोगों पर ज्यादा रहता है. हम सिर्फ हंगामा करके, अखबार में अपना स्थान बनाना चाहते हैं या चर्चा करके समस्याओं का समाधान करना चाहते हैं, चर्चा की तह में पहुंचना चाहते हैं, ये दोनों पक्षों के आपस में तालमेल से विषय बनेगा, जिस तालमेल के साथ आज आप अध्यक्ष की आसंदी पर विराजमान हुए है.
वह तालमेल इस बात के लिये इशारा कर रहा है कि आने वाले समय में हमको वह पुराने दिन देखने को फिर से मिलेंगे, जब इस सदन में सकारात्मक चर्चा होगी और दोनों पक्ष एक सूत्र में बातचीत करके इस प्रदेश को ऊंचाई तक ले जाने का जो लक्ष्य है उस लक्ष्य को निश्चित रूप से प्राप्त करेंगे. हम चुनकर तो आ गये हैं, भले विपक्ष में बैठे हों, या सत्ता पक्ष में बैठे हों, मन में तो दोनों के एक ही ख्याल है कि यह प्रदेश जो है, वह ऊंचाईयों पर पहुंचे और उन ऊंचाईयों तक पहुंचाने में हम अपनी-अपनी जो-जो सहभागिता है, वह सहभागिता निश्चित रूप से देंगे, यह मुझको विश्वास है. माननीय अध्यक्ष महोदय आपको मैं फिर से इस बात के लिये बधाई देता हूं, धन्यवाद. (मेजों की थपथपाहट)
श्री राकेश सिंह (जबलपुर पश्चिम) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सर्वप्रथम तो हृदय की गहराईयों से आपका अभिनंदन और आपको बहुत-बहुत बधाई. यह वह सदन है, जिसने संसदीय पंरपराओं की उच्चता को अनेकों बार स्थापित किया है, देश में अनेकों राज्यों में संसदीय पंरपराओं ने श्रेष्ठता हासिल की है, लेकिन इस सदन ने कभी भी मर्यादा को भंग होने नहीं दिया है और मुझे लगता है, इस बात पर हम सभी को गर्व होना चाहिये और ऐसे सदन में जिस पद पर आप विराजमान है, जिस कुर्सी पर आप बैठें हैं, आपके बैठने से उसकी श्रेष्ठता और भी अधिक बढ़ती है. हमने छात्र राजनीति से लेकर अभी तक राजनीति के अनेकों अध्याय पढ़े और देखें हैं, लेकिन कुछ पन्ने उसमें ऐसे हैं, जिनमें नैतिकता के साथ राजनीति की सीख हमें मिलती है और उसमें एक पन्ना आपका भी है, आपने न केवल मध्यप्रदेश में बल्कि केंद्र में भी अनेकों महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं ऐसा मानता हूं कि केंद्र में वर्तमान मंत्रिमण्डल में शायद आप अकेले ऐसे मंत्री हैं, जिन्होंने सर्वाधिक विभागों का नेतृत्व किया है और मुझे यहां कहते हुए बहुत खुशी है कि लगभग आठ वर्षों तक लोकसभा में चीफ व्हिप की भूमिका में रहते हुए, संसदीय पंरपरओं और शिष्टाचारों का बहुत नजदीकी से मैंने अध्ययन किया है और वहां भी मंत्री की भूमिका में आपको देखता था कि विपक्ष के सर्वाधिक साथी आपके पास मार्गदर्शन के लिये आया करते थे, तो मुझे लगता है यह इस बात को स्थापित करता है कि जिस कुर्सी पर आप बैठे हैं, वहां पर बैठने के बाद यही माना जाता है कि वहां निष्पक्षता के माध्यम से ही सदन चलेगा, जब एक मंत्री की भूमिका में इस निष्पक्षता के साथ आप लोगों को आकर्षित कर सकते हैं, तो निश्चित ही जब अध्यक्ष की कुर्सी पर आप बैठे हैं तो मुझे लगता है कि एक अलग तरह की मर्यादाएं इस सदन में स्थापित होंगी, यह सदन अपनी श्रेष्ठता को और भी अधिक आगे बढ़ायेगा और आपके नेतृत्व में एक बार फिर से इस सदन की गरिमा और मर्यादाएं वह श्रेष्ठता को हासिल करेंगी, हम सभी की ओर से आपको बहुत-बहुत बधाई बहुत बहुत अभिनंदन.
(मेजों की थपथपाहट)
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे(अटेर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं पहले सभी सम्मानित सदस्य चाहे सत्ता पक्ष के हों, चाहे विपक्ष के हों, सभी लोगों को एक भाव से प्रणाम करता हूं. सभी अधिकारीगण, कर्मचारीगण, दर्शक दीर्घा में बैठे हुए सभी वरिष्ठगण, मीडिया के साथीगण आप सभी लोगों को भी मैं यहीं से प्रणाम करता हूं, आप सभी मेरा प्रणाम स्वीकार करें.
आदरणीय अध्यक्ष महोदय, मैं बहुत गौरवान्वित महसूस करता हूं यह कहने में कि हमारे ग्वालियर चंबल अंचल से एक ऐसे अध्यक्ष आते हैं और एक ऐसे व्यक्तिव के धनी जिनको मध्यप्रदेश में नहीं, पूरे देश में पहचान की कोई आवश्यकता नहीं है.मैं समझता हूं कुछ व्यक्ति होते हैं जो पद को शोभित करते हैं, आपने इस आसंदी को ग्रहण करके, कहीं न कहीं इस आसंदी की भी गरिमा बढ़ाई है. मैं आपको बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहूंगा. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं बहुत ज्यादा संसदीय भाषा का प्रयोग करता हूं तो थोड़ा सा सर भारी होने लगता है तो मैं सरल भाषा में जैसे हमारे आदरणीय श्री कैलाश विजयवर्गीय जी बोलते हैं, तो सीधी बात दिल से जो आया वह कह दिया, वह कहने में इन आने वाले इस पांच वर्ष में विश्वास रखूंगा क्योंकि भारी-भारी शब्द जब बोलते हैं तो चला जाता है, फ्यूज उड़ जाता है.(हंसी) (एक माननीय सदस्य द्वारा अपने आसन से कहने पर) नहीं भावुक नहीं हो रहा, वह शब्द कुछ भारी हो जाते हैं, जो है मन में कह दिया. आदरणीय अध्यक्ष महोदय जी मैंने कभी भाषण नहीं दिया है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- यह आपने मेरी तारीफ की थी या बुराई थी (हंसी) श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे-- नहीं-नहीं ...(हंसी)... माननीय अध्यक्ष जी, मेरे मन की जो बात है मैं बस इतना कहना चाहूंगा, हम सबको बहुत खुशी है. मैंने सभी सम्मानीय सदस्यों का वक्तव्य बहुत ही ध्यानपूर्वक सुना. मैं सबसे पहले आभार व्यक्त करना चाहूंगा हमारे मुख्यमंत्री जी का और प्रहलाद पटेल जी का क्योंकि सिर्फ दो ही सदस्यों ने विपक्ष को धन्यवाद दिया और बाकी जो सदस्य हैं उन्होंने विपक्ष को धन्यवाद नहीं दिया, जबकि यह सबने बोला कि सर्वसहमति से आप अध्यक्ष बनें. मैं तो आशा कर रहा था कि माननीय शिवराज सिंह चौहान साहब जब बोलेंगे तो वह जरूर बोलेंगे और कोई बोले या नहीं बोले क्योंकि उनसे ज्यादा अनुभव तो किसी को हो ही नहीं सकता.
श्री उमाकांत शर्मा-- माननीय गौतम जी ने भी बोला है. आपका फ्यूज उड़ गया.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे-- क्षमापूर्वक बोल देता हूं, गौतम जी का भी नाम ले देता हूं भैया और फ्यूज किसका उड़ेगा यह तो समय बतायेगा, इस पर अभी मत आओ, अभी आज हमारा औपचारिकता का समय है इसको वहीं तक सीमित रखते हैं. माननीय जी, समय बहुत लंबा है उसको हम लोग अनुभव करेंगे. अभी मैं सदन की जो चीजें हैं उसको दूसरी दिशा में नहीं ले जाना चाह रहा जो बात है वह मुझे कह लेने दो भाई साहब. माननीय अध्यक्ष जी, मैं सिर्फ यह कहना चाह रहा था, चूंकि राजनीति में अक्सर ऐसा होता है कि काम निकल जाने के बाद हम लोग धन्यवाद देना भूल जाते हैं तो हो सकता है माननीय सदस्यगण भूल गये हों, लेकिन मैं इस चीज को कहना चाहूंगा और मैं बड़े गर्व से कहना चाहूंगा यदि माननीय आप लोग सहमत हों तो इस बात पर आप लोग जोरदार तालियां बजाइएगा कि हमारे विपक्ष के नेता उमंग सिंघार जी ने इतना बड़ा दिल दिखाया एक स्वस्थ परंपरा का परिचय देकर उसके लिये अगर सभी लोग तालियां बजायें तो मुझे बहुत खुशी होगी. ...(धीमी तालियां)... माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी भी नहीं बजीं. ठीक है अब तो काम निकल गया है, ठीक है साहब, लेकिन ...
श्री गोपाल भार्गव-- माननीय अध्यक्ष जी, सत्यदेव जी ने मेरे साथ काफी काम किया है, लेकिन मैं मानकर चलता हूं कि सत्यदेव जी के स्वभाव में और सुपुत्र के स्वभाव में काफी अंतर है, इसको बेटा तुम कुछ सुधारो. ..(हंसी)...
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सिर्फ यह कहना चाह रहा था कि आज जो सर्व सहमति से आप बैठे हैं, कम से कम और कोई धन्यवाद दे न दे, मैं इस बात की आशा करूंगा कि आप विपक्ष को और हमारे नेता प्रतिपक्ष को जरूर धन्यवाद देंगे और आपने धन्यवाद दे दिया तो मैं समझता हूं कि यह विपक्ष के लिये सबसे बड़ी उपलब्धि होगी. माननीय जी, दो सदस्यों ने यह बात भी कही कि विपक्ष के लोग हल्ला करके सस्ती लोकप्रियता पाना चाहते हैं, मैं इस वक्तव्य से सहमत नहीं हूं, मैं इस पर असहमत हूं. माननीय जी, हमारा विपक्ष इतना कमजोर नहीं है कि हम लोग सस्ती लोकप्रियता और छपने के लिये और वैसे आप लोगों ने हम लोगों को छापने के लिये कोई कसर पिछले सालों में छोड़ी नहीं है, वह भी आने वाले वक्त में बतायेंगे. लेकिन हम लोग आने वाले समय में इतनी सस्ती लोकप्रियता से और इतनी छोटी सोच से काम नहीं करने वाले हैं. माननीय अध्यक्ष जी, मैं एक बात और कहना चाहूंगा कि आदरणीय कैलाश विजयवर्गीय जी ने जो बात कही है यह महत्वपूर्ण है, यह बात वह है जो सबको नोट करनी चाहिये, उन्होंने इस बात को कहा कि सदन चलना चाहिये और मैं उनके अनुभव को प्रणाम करते हुये इस बात को कहूंगा कि आप इस 16वीं विधान सभा में यह रिकार्ड बनायें कि यह जो 16वीं विधान सभा का सदन है वह सबसे लंबा चलने वाला सदन हो, मैं आने वाले वक्त में आपसे ऐसी आशा और विश्वास रखूंगा. माननीय अध्यक्ष जी, मैं आपसे आग्रह करते हुये दो बातें और कहूंगा एक चीज कि जितना सत्तापक्ष को आप समय दें उसी के अनुपात में विपक्ष को भी समय दें और ऐसा लगे कि जिनकी प्रतिमा पीछे लगी हुई है बाबा साहेब की उनका संविधान यहां पर जीवित है, वह लोकतंत्र यहां पर चलता रहे और सबको एक बेलेंस बनाकर के मौका दिया जाना चाहिये और खास तौर पर माननीय मुख्यमंत्री जी यदि अच्छी सरकार चलानी है तो मैं यह कहना चाहूंगा कि विपक्ष को समय ज्यादा दिया जाना चाहिये तो वह भी एक उदाहरण होगा. आपने, हम सब लोगों ने सारे सदन की सहमति से यह निर्णय लिया कि निर्विरोध अध्यक्ष का चयन होना चाहिये, एक बात सब लोग कहना भूल गये, मैं इसको रिकार्ड पर लाना चाहता हूं कि हम लोगों ने एक आग्रह किया था कि एक स्वस्थ परंपरा मध्यप्रदेश में वापस आए, लोग इसका उदाहरण दें, आप लोग बड़ा दिल दिखायें, चूंकि अब निगाहें आपकी ओर हैं विपक्ष की है और मीडिया की भी है कि डिप्टी स्पीकर का पद आप लोगों को हमें देना चाहिये. ..(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय - कृपया शांत रहें. उनको बोलने दें.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे - अपनी बात को रिकार्ड में लाने का मुझे अधिकार है और मैं अपने अधिकार का उपयोग कर रहा हूं और जब हमारी आपके वरिष्ठ नेताओं से चर्चा हुई थी तो आप उसमें उपस्थित नहीं थे. इसीलिये कृपा करके मेरी बात को सुन लीजिये जो मैं अपनी बात कह रहा हूं. आपके संज्ञान में है अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे आशा करूंगा कि आप डिप्टी स्पीकर का पद सम्मान से देंगे. एक स्वच्छ परंपरा को आने वाले समय में काबिज करेंगे. मैं बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूं और सभी लोगों को फिर से प्रणाम करता हूं.
श्री ओमकार सिंह मरकाम (डिण्डौरी) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपको बहुत-बहुत बधाई देता हूं और लोकतंत्र के इस पवित्र मंदिर पर लोक को तंत्र पर प्रभावी बनाने के लिये आपकी तरफ प्रदेश का पूरा जनमानस उम्मीद भरी निगाहों से देख रहा है. मुझे पूरा विश्वास है कि जिस तरह से लोकतंत्र के मूल्यों को सहेजकर रखने के लिये पक्ष और विपक्ष के ठीक उसी प्रकार कर्तव्य होने चाहिये जिस प्रकार ऊंचाईयों में पक्षियों को स्वतंत्र विचरण करने के लिये दोनों पंखों की मजबूती आवश्यक होती है. जब दोनों पंख मजबूत होते हैं तो पक्षी ऊंचाईयों में स्वतंत्र विचरण करता है. लोकतंत्र रूपी पवित्र मंदिर में जो हालात मानवीय मूल्यों को लेकर सामने हैं हमें और आपको पता है कि जिस तरह से मानवीय मूल्य चुनौतियों से गुजर रहे हैं मैं तो माननीय अध्यक्ष महोदय, कहता हूं कि जैसे हम नशा की बात करते हैं तो एक नशा पेय का होता है एक नशा स्मोकिंग का होता है परंतु एक सबसे बड़ा नशा होता है जो हमारे अंदर होता है और समझ में नहीं आता. वह नशा होता है अहम् का. जब हम पदों में आ जाते हैं तो हमने देखा है कि जो माता-पिता अपने पेट से अपनी रोटी कम करके बढ़ाने का अवसर देते हैं. जो भाई हमें अपना आशीर्वाद देते हैं. दिन रात खून-पसीना एक करके जो अवसर देते हैं और जब हम पदों में आ जाते हैं तो अहम् हमारे ऊपर आ जाता है. मैं चाहूंगा कि यह जो अहम् हमारे मानवीय मूल्यों को कमजोर कर रहा है न सिर्फ आप लोकतंत्र के माध्यम से बल्कि मैं चाहूंगा कि आपके कर्तव्यों में मानवीय मूल्य को सहेजने की दृष्टि से भी एक बेहतर प्रयास होगा. हमने आपको देखा जब देश के प्रधानमंत्री जी अपने महत्वपूर्ण कार्यक्रम शपथ के कार्यक्रम में जब संसद के अंदर थे तो आपने ही उसका संचालन किया था तब हम गौरवान्वित हो रहे थे कि मध्यप्रदेश की माटी का लाल देश के अंदर अपनी आवाज को बुलंद कर रहा है. आज आपकी परिकल्पना चंबल से कर रहे हैं कहीं कोई मालवा से करता है कहीं महाकौशल से करता है कहीं कोई विन्ध्य से करता है. मैं यह कहना चाहता हूं कि यह मध्यप्रदेश एक है. यह देश एक है और मध्यप्रदेश हृदय स्थल है और आप हृदय की तरह काम करके देश के बेहतर लोकतंत्र के लिये कोशिश करेंगे. वैसे मुझे पता है कि अगर कांच में पारा लगाओ तो आईना बन जाता है और किसी को आईना दिखाओ तो पारा चढ़ जाता है. ऐसी विषम परिस्थिति में आपको आईना दिखाते रहना है. किसी का पारा चढ़े या उतरे इससे मतलब नहीं है. लोक तंत्र पर मजबूत हो जाए ताकि जब हमारा एक-एक सदस्य अपने क्षेत्र में जाएं तो तंत्र वहां पर लोक को सम्मान करता मिले ऐसी मैं आपसे विनम्र प्रार्थना करते हुए आपको बहुत-बहुत बधाई देता हूं. नर्मदे हर.
श्री विश्वास सारंग(नरेला) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अपनी ओर से आपको बहुत बधाई देता हूं. निश्चित रूप से आपका विशाल व्यक्तित्व इस पद को और सुशोभित करेगा. आपका व्यक्तित्व विशाल,गहरा है. आपका कृतित्व संघर्ष से भरा हुआ है परंतु परिणाम मूलक है. मैं उन चंद कार्यकर्ताओं में से हूं जिन्होंने आपके नेतृत्व में काम किया है संगठन में और मैं इस सदन को यह बात बताना चाहता हूं कि देश में बहुत कम ऐसे राजनीतिज्ञ होंगे जिन्होंने लोकतंत्र के हर सदन में अपनी भूमिका का निर्वहन किया. आप पार्षद रहे. आप विधायक रहे. आप राज्य सभा और लोकसभा में भी सदस्य रहे तो आपका यह अनुभव निश्चित रूप से इस सदन को एक नई ऊँचाईयां देगा. आपका मार्गदर्शन और आपके मार्गदर्शन के साथ-साथ आप हमें कुछ सिखाएंगे यह हम अपेक्षा करते हैं. मैं अपनी ओर से आपको बहुत-बहुत बधाई देता हूं.
अध्यक्ष महोदय -- आज के इस अवसर पर माननीय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी, नेता प्रतिपक्ष श्रीमान उमंग सिंघार जी, हमारे पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह जी, श्री जगदीश देवड़ा जी, श्री राजेन्द्र शुक्ल जी, श्री गोपाल भार्गव साहब, डॉ. सीतासरन शर्मा जी, श्री गिरीश गौतम जी, श्रीमान डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह जी, श्रीमान रामनिवास रावत जी, श्रीमान हेमन्त सत्यदेव कटारे जी, श्रीमान अजय विश्नोई जी, श्रीमान कैलाश विजयवर्गीय जी, श्रीमान प्रहलाद पटेल जी, श्रीमान राकेश सिंह जी, श्रीमान बिसाहूलाल सिंह जी और इस अवसर पर उपस्थित सदन के सभी माननीय सदस्यगण, यह पहला सत्र है, सभी लोग अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्र से चुनकर आए हैं. मैं आप सबका हृदय से बहुत-बहुत स्वागत करता हूँ. बहुत-बहुत अभिनन्दन करता हूँ. (मेजों की थपथपाहट). मुझे बहुत प्रसन्नता है कि जब विधान सभा के अध्यक्ष पद के निर्वाचन का समय आया, उस समय पक्ष और विपक्ष, दोनों ने मिलकर सर्वसम्मति से चयन किया. इसके लिए मैं भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस पार्टी और सभी माननीय सदस्यों का हृदय से बहुत-बहुत आभार प्रकट करता हूँ और उन्हें धन्यवाद देना चाहता हूँ. (मेजों की थपथपाहट).
अभी दो दिन लगातार हमारे सदन के वरिष्ठतम सदस्य श्रीमान गोपाल भार्गव जी ने प्रोटेम स्पीकर के रूप में अपने दायित्व का निर्वहन किया. हम सब लोगों को शपथ और प्रतिज्ञान कराया और कार्यवाही का जो सफल संचालन, निर्वाचन प्रक्रिया का संचालन उनके द्वारा किया गया, मैं उनके प्रति भी आभार प्रकट करता हूँ और उन्हें बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहता हूँ.
मित्रों, हमारा यह सदन बहुत ही गौरवशाली सदन है. पंडित कुंजीलाल दुबे जी से लेकर श्री गिरीश गौतम तक यह एक लंबी यात्रा है और इस लंबी यात्रा में मेरे से पूर्व अध्यक्षों ने अनेक प्रकार के मानदण्ड स्थापित किए हैं. परम्पराएं स्थापित की हैं और अपने-अपने कार्यकाल में अपने-अपने ढंग से इस सदन का गौरव बढ़े, इस बात का प्रयत्न उनकी ओर से हुआ है. अध्यक्ष के रूप में आप सबकी निश्चित रूप से मुझसे भी इसी प्रकार की अपेक्षा है. मेरी ईमानदार कोशिश होगी कि मैं आपकी अपेक्षा के अनुसार अपने दायित्व का निर्वहन कर सकूँ. (मेजों की थपथपाहट) मेरे निर्वाचन के पश्चात् विभिन्न माननीय सदस्यों ने मेरे बारे में अपने विचार व्यक्त किए. मुझे नहीं मालूम कि मैं उन विचारों के योग्य हूँ अथवा नहीं. लेकिन मैं इतना जरूर जानता हूँ कि अगर आपके मन में ऐसा कोई भाव मेरे प्रति है, जो आपके द्वारा व्यक्त किया गया है तो मेरी यह जवाबदेही है कि मैं उस भाव का सम्मान करूँ और उसको निभाने की पूरी कोशिश करूँ. हम सब सार्वजनिक जीवन में हैं. सार्वजनिक जीवन में व्यक्ति पहले मैदान में काम करता है, फिर किसी संस्था या संगठन से जुड़ता है और जब संगठन उसको अवसर देता है, तो वह जनप्रतिनिधि के रूप में अपनी भूमिका का निर्वहन करता है. लेकिन हम संगठन में काम करें या जनप्रतिनिधि के रूप में काम करें. हम सबका उद्देश्य एक ही होता है, जनसमस्याओं का निराकरण, राज्य का सर्वांगीण और संतुलित विकास. लोकतंत्र की यह खूबसूरती है कि पक्ष है तो विपक्ष है और पक्ष के बिना विपक्ष अधूरा है और विपक्ष के बिना पक्ष अधूरा है, यह भी हम सब लोग भली-भांति जानते हैं. पक्ष-विपक्ष लोकतंत्र के दो पाये हैं, दोनों पायों को मजबूती के हिसाब से कदम से कदम, कंधे से कंधा मिलाकर चलने से हम सभी लक्ष्य तक पहुँच सकते हैं. मुझसे यह भी अपेक्षा की गई है कि मैं प्रतिपक्ष के सदस्यों को अधिक समय दूँ, सत्ता पक्ष के मैम्बर्स ने भी अपेक्षाएं व्यक्त की हैं. लेकिन मैं आप सबको इतना जरूर कहना चाहता हूँ कि इस आसन्दी पर रहते हुए मेरी कोशिश यह रहेगी कि मेरी निगाह हर सदस्य पर रहे और जो हक उसे मिलना चाहिए, उस हक से वह वंचित न हो, निश्चित रूप से ऐसी मेरी कोशिश रहेगी. (मेजों की थपथपाहट)
मुझे प्रसन्नता है कि इस बार विधान सभा में बहुत सारे नये सदस्य चुनकर आए हैं, उन नये सदस्यों को, वरिष्ठ सदस्यों का सहकार मिले, उनको आशीर्वाद मिले, वे उनके सानिध्य में सीख सकें, इस बात की भी जिम्मेदारी हम सब वरिष्ठ सदस्यों को लेनी चाहिए. हमारे सदन की कार्यवाही के नियम हैं, प्रक्रिया हैं, परम्पराएं हैं, उनसे सदन चलता है. पुराने सदस्य इस बात को भली-भांति जानते हैं, तो नये सदस्यों को भी इन नियम प्रक्रियाओं का ज्ञान हो और वह हमारे साथ सीख सकें एवं ठीक से अपने दायित्व का निर्वहन कर सकें. यह भी निश्चित रूप से हम सब लोगों की चिन्ता रहनी चाहिए. राजनैतिक क्षेत्र में, जब हम संगठन में काम करें या जनप्रतिनिधि के रूप में काम करें, तो मैं अनुभव से यह जरूर आग्रह करना चाहता हूँ कि राजनैतिक क्षेत्र में काम करने वाला व्यक्ति जितना अधिक अध्ययन करेगा, वह उतना अधिक सार्थक जीवन व्यतीत कर सकेगा और लोकतंत्र में सार्थक भूमिका का निर्वहन कर सकेगा. सामान्य तौर पर, जो वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य है, उस पर भौतिक भूमिका ज्यादा है और इसलिए कई बार अध्ययन का पक्ष ओझल हो जाता है और जो अध्ययन की शून्यता है, वह निश्चित रूप से किसी भी मनुष्य को शॉर्टकट ढूँढ़ने के लिए विवश करती है. इसलिए हमारे पूर्वजों ने एक बहुत ही समृद्ध लायब्रेरी इस विधान सभा में बनाई है, उस लायब्रेरी का उपयोग नये सदस्यों को तो करना ही चाहिए, लेकिन पुराने सदस्यों को भी यह नहीं मानकर चलना चाहिए कि वह सब सीख गए हैं.
हम सभी जानते हैं कि सार्थक जीवन इसी में है कि हम अपने भीतर हमेशा विद्यार्थी भाव को जिंदा रखें. व्यक्ति कितना भी पढ़े, कितना भी अनुभव करे, फिर भी सीखने के लिए शेष रहता ही है और जितना व्यक्ति सीखता है उतना ही समाज में बांटता है. उसका लाभ समाज को होता है, दल को होता है, उसके क्षेत्र को भी होता है और जिन-जिन क्षेत्रों में, वह काम करने जाता है, उन क्षेत्रों को भी वह लाभ निश्चित रूप से मिलता ही है. सदन में प्रश्नों की, ध्यानाकर्षण की, अपनी एक प्रक्रिया है. इनमें हम जितने अध्ययन के साथ अपनी तैयारी रखेंगे, सरकार को उतने ही अध्ययन के साथ जवाब देने के लिए विवश होना पड़ेगा. सरकार से जवाब सार्थक आये, हम समस्या की जड़ तक जायें, यह बहुत जरूरी है. मैं, आप सभी को एक उदाहरण देना चाहता हूं. मैं, प्रतिपक्ष का सदस्य था और श्री रत्नेश सॉलोमन जी उच्च शिक्षा मंत्री थे. मैं जिस विधान सभा क्षेत्र का सदस्य था, उस क्षेत्र में दो शासकीय महाविद्यालय थे लेकिन उनके पास अपना भवन नहीं था. जैसे ही सत्र प्रारंभ होता था, सरकार यह कार्यवाही करती थी कि इन शासकीय महाविद्यालयों का किसी अन्य बड़े भवन में भेज दिया जाये, यदि शासकीय महाविद्यालय बड़े भवन में जायेंगे तो मेरे विधान सभा क्षेत्र से बाहर जाने वाले हैं, मेरा प्रयास रहता था कि हम उस क्षेत्र के विधायक हैं तो हमारे यहां का कॉलेज बाहर नहीं जाना चाहिए. मैंने बहुत प्रयास किए लेकिन उस समय राशि का अभाव रहा. मैंने इस संबंध में कई बार प्रश्न लगाया, एक बार मंत्री जी ने अपने जवाब में कहा कि आप विधायक निधि से जितनी राशि दे देंगे, उतनी ही हम सरकार की ओर से दे देंगे. मैंने उस समय दोनों शासकीय महाविद्यालयों के लिए 10-10 लाख रुपये दे दिए. एक महाविद्यालय का भवन बनाने में करीब 85 लाख रुपये लगते थे, राशि कम थी लेकिन मेरा प्रयास यह था कि कम से कम निर्माण कार्य प्रारंभ हो जाये, जिससे महाविद्यालय मेरे क्षेत्र में ही रूक जाये, यह मेरी कोशिश थी. मैंने उन दोनों शासकीय महाविद्यालयों को बनवाने के लिए बहुत कोशिश की थी. आजकल प्रद्युम्न सिंह तोमर जी उस विधान सभा क्षेत्र का नेतृत्व करते हैं.
इतने बरसों में मैं, राज्य और केंद्र सरकार में विभिन्न विभागों का मंत्री रहा हूं मैं जिन विभागों का मंत्री रहा हूं, उनमें से किसी विभाग की मांग संख्या का क्रमांक मुझे याद नहीं है लेकिन उच्च शिक्षा विभाग की, उस कालखण्ड में मांग संख्या 44 होती थी, जिसमें शासकीय महाविद्यालय का भवन बनाने के लिए पैसा होता था. यह मुझे आज भी याद है. मैंने इतनी बार कोशिश की और अपनी कोशिशों के परिणामस्वरूप, मैं, पैसा लेने में सफल रहा. आज वे दोनों भवन बने हुए हैं. मैं कुल मिलाकर यह कहना चाहता हूं कि सदस्य जो प्रश्न उठायें, उसको लॉजिकल एण्ड तक ले जाना चाहिए. विधायिका का उपयोग करना चाहिए, व्यक्तिगत मिलकर कोशिश करनी चाहिए और सार्थक कोशिश होगी तो परिणाम आयेगा ही. हम सभी बहुत सौभाग्यशाली हैं कि हमारा यह सदन बहुत ही गौरवशाली सदन है, हमारा मध्यप्रदेश गौरव से परिपूर्ण हैं और लोकतंत्र का यह पावन मंदिर जो मध्यप्रदेश की महिमा को मंडित करता है, इसकी महिमा को और बढ़ाने में हम सभी को कदम से कदम और कंधे से कंधा मिलाकर चलना होगा, आप सभी का सहयोग और आप सभी का समय-समय पर मार्गदर्शन मुझे मिलता रहे, जिससे मैं इस कार्यवाही का, आप सभी की अपेक्षा के अनुरूप संचालन कर सकूं, आप सभी ने जो विचार व्यक्त किए, उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद. (मेजों की थपथपाहट)
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे अनुरोध है कि इस सदन की गरिमा बनी रहे. महामहिम आयें, हम, आप, सभी उनके स्वागत में रहें.
अध्यक्ष महोदय- उमंग जी, हम इसके बाद कर लेते हैं. हम सभी को महामहिम को लेने चलना है.
श्री उमंग सिंघार- अध्यक्ष महोदय, मैं, कहना चाहता हूं कि देश में बड़े-बड़े दिग्गजों ने जन्म लिया है. भाजपा असत्य आरोप लगा रही है. चाहे सरदार वल्लभ भाई पटेल जी हों, चाहे नेहरू जी हों, मैं सदन से कहना चाहता हूं कि सार्थक पहल कैसे होगी, इस पर आपको देखना है.
12.25 बजे
अध्यक्ष महोदय-- अब, सदन राज्यपाल महोदय के आगमन की प्रतीक्षा करेगा.
(सदन द्वारा माननीय राज्यपाल महोदय के आगमन की प्रतीक्षा की गई.)
12.32 बजे
(माननीय राज्यपाल महोदय का सदन में चल समारोह के साथ आगमन हुआ.)
12.33 बजे राज्यपाल महोदय का अभिभाषण
राज्यपाल महोदय (श्री मंगुभाई पटेल):-
1.00 बजे
(राज्यपाल महोदय द्वारा अभिभाषण के पश्चात् अपराह्न 1.00 बजे चल समारोह के साथ सभा भवन से प्रस्थान किया गया.)
अध्यक्षीय घोषणा
अध्यक्ष महोदय -- महामहिम राज्यपाल महोदय द्वारा अपने अभिभाषण के अधिकांश पैराग्राफ पढे़ गए हैं. शेष समस्त पैराग्राफ पढे़ हुए एवं अभिभाषण पटल पर रखा माना जाएगा.
1.01 बजे राज्यपाल के अभिभाषण पर कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव
श्री कैलाश विजयवर्गीय (इंदौर-1) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हॅूं कि-
"राज्यपाल महोदय ने जो अभिभाषण दिया, उसके लिए मध्यप्रदेश की विधान सभा के इस सत्र में समवेत सदस्यगण अत्यंत कृतज्ञ हैं. "
श्री प्रहलाद सिंह पटैल (नरसिंहपुर)-- अध्यक्ष महोदय, माननीय श्री कैलाश विजयवर्गीय द्वारा महामहिम राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद का जो प्रस्ताव रखा है, मैं उसका समर्थन करता हॅूं और सदन से भी आग्रह करता हॅूं कि हम महामहिम राज्यपाल को धन्यवाद प्रस्ताव प्रेषित करें.
(मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि -
"राज्यपाल ने जो अभिभाषण दिया, उसके लिए मध्यप्रदेश की विधान सभा के इस सत्र में समवेत सदस्यगण अत्यंत कृतज्ञ हैं. "
राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा के लिए मैं दिनांक 21 दिसम्बर, 2023 नियत करता हॅूं.
जो माननीय सदस्य कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव में संशोधन देना चाहते हों, वे आज दिनांक 20 दिसम्बर, 2023 को सायंकाल 4.00 बजे तक विधान सभा सचिवालय में दे सकते हैं.
1.03 बजे महापुरूषों के छायाचित्र सदन में लगाये जाने के संबंध में
श्री रामनिवास रावत (विजयपुर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आसंदी की अनुमति से आपने पहले भी आश्वासन दिया था. हमें कहा था कि चर्चा कर लेना. मैंने एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया है. मेरे प्रस्ताव में यह है कि इतिहास के जिन महापुरूषों ने स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया है, जिन्होंने देश को आजादी दिलाई है उन सभी के छायाचित्र, जिनमें पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल, भगत सिंह, सुभाषचंद्र बोस, डॉ.राजेन्द्र प्रसाद हैं...(श्री विश्वास कैलाश सारंग, सदस्य के कुछ कहने पर)...यह लोकसभा सदन में भी लगे हुए हैं. उन सभी के छायाचित्र इस सभा कक्ष में लगाने की अनुमति प्रदान की जाए और लगाएं जाएं. यह प्रस्ताव मैंने दिया है और इसका विरोध करना है तो सारंग भाई करिए विरोध...(व्यवधान)..
श्री विश्वास कैलाश सारंग (नरेला) -- इस तरह की परम्परा नहीं है. यह सदन परम्परा से चलेगा. अरे, आप कल अपनी बात रखिएगा....(व्यवधान)...
श्री रामनिवास रावत -- लोकसभा सदन में भी रखे हैं...(व्यवधान)..
श्री विश्वास कैलाश सारंग -- अरे, आप कल अपनी बात रखिएगा. कल चर्चा होगी..(व्यवधान)..इस सदन की यह परम्परा नहीं है. अभिभाषण के बाद इस तरह की चर्चा नहीं होती. आप कल अपनी बात रखिएगा...(व्यवधान)...
श्री रामनिवास रावत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने अनुमति ली है. मैंने प्रस्ताव दिया है. अध्यक्ष महोदय की अनुमति से कोई भी प्रस्ताव पढ़ा जा सकता है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय (इंदौर-1) -- अध्यक्ष महोदय, पूरा सदन सभी महापुरूषों का सम्मान करता है. चाहे वह किसी भी दल के हों, चाहे वह किसी भी विचाराधारा के हों, पर जिन्होंने देश के लिये अपना जीवन दिया, उन सबका सम्मान करता है (मेजों की थपथपाहट) और यह बात सही है कि सदन में छायाचित्र लगाने की परम्परा रही है, पर मेरा आपसे निवेदन है कि आप बडे़ सदन के भी सदस्य रहे हैं, लोकसभा के भी सदस्य रहे हैं, राज्यसभा के भी सदस्य रहे हैं और विधानसभा की परम्पराएं लोकसभा की परम्परा के अनुसार ही चलती हैं. मेरा आपसे निवेदन है कि आप बहुत धीर-गंभीर और अनुभवी अध्यक्ष हैं. माननीय रामनिवास रावत जी ने जो प्रस्ताव दिया है, उसके बारे में आप चाहें तो दो-तीन सदस्यीय एक कमेटी बना दें क्योंकि हर व्यक्ति यह चाहेगा कि इसका चित्र लगे, इसका छायाचित्र लगे. इससे अच्छा है कि दोनों दलों के नेताओं की एक कमेटी बना दें. बैठकर जो सुझाव आएं, उसको पूरा सदन स्वीकार करेगा. यह मेरा आपसे अनुरोध है.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें कोई कमेटी की आवश्यकता नहीं है. यह आपके विवेक पर है और जो महापुरूष हैं, जिन्होंने इस देश के लिये योगदान दिया है जिन्होंने अपने विचारों से युग बदल दिए, तो इसमें मेरा सोचना है कि हम किसी का विरोध न करें. जिस प्रकार से यह भाजपा हमेशा कह रही है. मैं आपसे कहना चाहता हॅूं कि आप अनुमति देंगे तो इस सदन के अंदर पंडित जवाहरलाल नेहरू जी, सरदार वल्लभ भाई पटेल जी के भी छायाचित्र लग सकते हैं. अब आप इस पर विचार करें.
...(व्यवधान)....
श्री बाला बच्चन(राजपुर)--माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारा निवेदन है पंडित जवाहरलाल नेहरू देश के प्रथम प्रधानमंत्री रहे हैं उनका फोटो यहां पर लगा हुआ था उनका फोटो क्यों निकाला गया. (व्यवधान)
श्री गोपाल भार्गव--माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव पर एक दिन का समय दिया है. (व्यवधान)
श्री रामेश्वर शर्मा(हुजूर)--अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश का परम सौभाग्य है कि मध्यप्रदेश की धरती से श्रीमान अटल बिहारी बाजपेयी जी भारत के प्रधानमंत्री रहे हैं इसलिये मध्यप्रदेश के सदन में भी सम्मान हो तो श्रीमान अटल बिहारी बाजपेयी जी का चित्र लगाकर सम्मान किया जाना चाहिये. (व्यवधान)
श्री बाला बच्चन--माननीय अध्यक्ष महोदय, पंडित जवाहरलाल नेहरू जी का छायाचित्र हटाया है, यही हमारी आपत्ति है. (व्यवधान)
श्री रामेश्वर शर्मा--आप अम्बेडकर जी के छाया चित्र का विरोध कर रहे हैं. आप सदन में अम्बेडकर जी का विरोध कर रहे हैं. (व्यवधान)
श्री गोपाल भार्गव--माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर.... (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--आप लोग विवाद में पड़कर सदन का अमूल्य समय खराब कर रहे हैं. (व्यवधान)
श्री महेश परमार(तराना)--माननीय अध्यक्ष महोदय, पंडित जवाहरलाल नेहरू जी की तस्वीर क्यों हटायी गई.अध्यक्ष महोदय, अम्बेडकर जी के छायाचित्र का हम लोग स्वागत करते हैं. इन्होंने आजादी की लड़ाई लड़ी है. यह आजादी के स्वर्णिम इतिहास को मिटाना चाहते हैं. (व्यवधान)
मुख्यमंत्री, (डॉ. मोहन यादव)--माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी तक माननीय सदन की यह परम्परा रही है कि माननीय महामहिम जी के अभिभाषण के बाद कोई बात नहीं होती है, सदन स्थगित होता है. जो भी बात करनी है अगले दिन में कर लेंगे. बहुत बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय--मुझे लगता है कि आप सब लोगों की भावनाएं आ गई हैं. माननीय मुख्यमंत्री जी ने अपनी बात सदन में कह दी है और मैं समझता हूं कि छायाचित्र लगना इसके लिये कोई न कोई एक प्रक्रिया निर्धारित होनी चाहिये. (व्यवधान)
श्री महेश परमार--अध्यक्ष महोदय, हमारा निवेदन है कि पंडित जवाहरलाल नेहरू की तस्वीर लगाई जाये. बाबा साहब अम्बेडकर जी की तस्वीर लगाई उसका अभिनन्दन है.
अध्यक्ष महोदय--इस मामले में मैं एक कमेटी बना दूंगा वह कमेटी सभी से विचार-विमर्श करे, महापुरूषों का चयन करे, स्थान का चयन करे, कब लगना है, कहां लगना है जो रिपोर्ट देगी उसके बाद हम कार्यवाही करेंगे. विधान सभा की कार्यवाही गुरूवार दिनांक 21 दिसम्बर 2023 को 11.00 बजे तक के लिये स्थगित की जाती है.
अपराह्न 1 बजकर 08 मिनट पर विधान सभा की कार्यवाही 21 दिसम्बर, 2023 (30 अग्रहायण, शक संवत् 1945) के प्रातः 11 बजे तक के लिये स्थगित की गई.
भोपाल
दिनांक 20 दिसम्बर, 2023 ए.पी.सिंह
प्रमुख सचिव
मध्यप्रदेश विधान सभा