मध्यप्रदेश विधान सभा

 

की

 

कार्यवाही

 

(अधिकृत विवरण)

 

 

 

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 पंचदश विधान सभा                                                                                               त्रयोदश सत्र

 

 

दिसम्‍बर, 2022 सत्र

 

मंगलवार, दिनांक 20 दिसम्‍बर, 2022

 

(29 अग्रहायण, शक संवत्‌ 1944 )

 

 

[खण्ड- 13 ]                                                                                                              [अंक- 2]

 

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मध्यप्रदेश विधान सभा

 

मंगलवार, दिनांक 20 दिसम्‍बर, 2022

 

(29 अग्रहायण, शक संवत्‌ 1944 )

 

विधान सभा पूर्वाह्न 11.03 बजे समवेत् हुई.

 

{अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}

 

प्रश्‍नकाल में मौखिक उल्‍लेख

 

          अध्‍यक्ष महोदय -- नेता प्रतिपक्ष जी, प्रणाम कर रहा हॅूं क्‍या बात है भई.

          डॉ.नरोत्‍तम मिश्र -- सज्‍जन भाई जो हैं न, उनको नेता प्रतिपक्ष बनने की सबसे ज्‍यादा पीड़ा सज्‍जन भाई को थी. उनको चैन से नहीं बैठने देना चाहते.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- नेता प्रतिपक्ष जी अपने लोगों में ही घिरे हुए हैं. वे अपने ही लोगों में घिरे हुए हैं...(व्‍यवधान)..

          श्री विश्‍वास सारंग -- ओवर शैडो.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- उनको खुले रूप से काम करने दो...(व्‍यवधान)..

          श्री कांतिलाल भूरिया -- उनकी हत्‍या कर दी. बहुत गंभीर मामला है. आदिवासी के साथ...(व्‍यवधान)..

          अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं, कुछ चल नहीं रहा है आपका...(व्‍यवधान)...

          श्री कांतिलाल भूरिया -- अध्‍यक्ष महोदय, 18 साल की नाबालिग बालिका के साथ खंडवा में बलात्‍कार किया गया और उसकी हत्‍या कर दी, खेत में ले जाकर, लेकिन सरकार ने आज तक रिपोर्ट नहीं लिखी.

          अध्‍यक्ष महोदय -- मेरा आग्रह है कि प्रश्‍नकाल को बाधित नहीं करें. मेरा आग्रह है कि प्रश्‍नकाल को होने दीजिए न.

          श्री कांतिलाल भूरिया -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं तो आपका अधिकार सिद्ध करना चाहता हॅूं...(व्‍यवधान)...

          अध्‍यक्ष महोदय -- आ जाएगी, कोई दिक्‍कत नहीं है.

          नेता प्रतिपक्ष (डॉ. गोविन्‍द सिंह) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपने कल अविश्‍वास प्रस्‍ताव के बारे में चर्चा के लिए कहा था, कृपया बता दें.

          अध्‍यक्ष महोदय -- एक सेकेंड रूकिए.

          डॉ.गोविन्‍द सिंह -- अध्‍यक्ष महोदय, हमारी डिमांड है कि कल आपने आश्‍वासन दिया था कि कल हम बताएंगे. कृपया कर निवेदन है कि बता दें.

          अध्‍यक्ष महोदय -- प्रश्‍नकाल के बाद बता दें या अभी बता दें.

          डॉ.गोविन्‍द सिंह -- अध्‍यक्ष जी, अभी बता दीजिए.

          अध्‍यक्ष महोदय -- प्रश्‍नकाल में 2-3 प्रश्‍न घट जाएंगे न. प्रश्‍नकाल खतम होते ही बता देता हॅूं.

          डॉ.गोविन्‍द सिंह -- अध्‍यक्ष महोदय, एक लाइन का मैं बोल रहा हॅूं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- एक लाइन, लेकिन अभी पूछना पडे़गा न सबसे. प्रश्‍नकाल हो जाए. जैसा आप कहें, कोई दिक्‍कत नहीं.

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा -- एक लाइन है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- एक लाइन नहीं पढ़ना है भईया. उसमें प्रक्रिया है न. एक लाइन पढ़ने का सवाल नहीं है यह तो प्रक्रिया है न.

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा -- अध्‍यक्ष महोदय, आसंदी का आश्‍वासन ही तो चाहिए कि हां, चर्चा हुई है, उस पर चर्चा कराएंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं, अभी तो होना चाहिए न उसको. हम करते हैं न. हो जाने दीजिए प्रस्‍तुत, कर लेंगे. प्रश्‍न क्रमांक-1.

 

11.05 बजे                              तारांकित प्रश्‍नों के मौखिक उत्‍तर

 

बालाघाट जिले में स्‍व-सहायता समूहों को भुगतान

[महिला एवं बाल विकास]

1. ( *क्र. 195 ) सुश्री हिना लिखीराम कावरे : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बालाघाट जिले में पोषण आहार वितरण हेतु कुल कितने स्‍व-सहायता समूह कार्य कर रहे हैं? स्‍व-सहायता समूहों के नाम तथा उनके द्वारा जिन आगनवाड़ी केन्‍द्रों में पोषण आहार वितरि‍त किया जाता है? उनके नाम विकासखण्‍ड अनुसार देवें। (ख) क्‍या यह सही है कि बालाघाट जिले के  स्‍व-सहायता समूहों को विगत पांच से छ: महीनों से बिलों का भुगतान नहीं किया गया है? भुगतान में विलम्‍ब का कारण बताते हुए विलम्‍ब के लिए जिम्‍मेदार लोगों पर क्‍या कार्यवाही की जायेगी? भुगतान कब तक कर दिया जायेगा?

मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) बालाघाट जिले में पोषण आहार वितरण हेतु कुल 1168 स्व-सहायता समूह कार्य कर रहे हैं। जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जी नहीं। माह नवम्‍बर 2022 तक के देयकों का भुगतान किया जा चुका है । जिले अन्‍तर्गत देयकों के भुगतान का विवरण पुस्‍तकालय में रखे ''परिशिष्‍ट-02'' अनुसार है । प्रक्रियागत कारणों, देयकों के प्राप्‍त न होने तथा बजट अनुपलब्‍धता के कारण भुगतान में विलम्‍ब होता है, शेष का प्रश्‍न नहीं ।

          सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा जो प्रश्‍न था, वह आंगनवाड़ी केन्‍द्रों में जो स्‍व-सहायता समूह पोषण आहार का वितरण करते हैं, उनके लंबित भुगतान को लेकर था. संशोधित उत्‍तर मेरे पास आया है, जिसके अनुसार भुगतान कर दिया गया है. लेकिन माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इसमें जो भुगतान में देरी का कारण बताया गया है, वह देयकों के प्राप्‍त न होने का कारण बताया गया है और वहीं जो संशोधित उत्‍तर मेरे पास आया है, उसमें जुलाई का अगस्‍त में देयक प्राप्‍त हो गया है, अगस्‍त का सितम्‍बर में प्राप्‍त हो गया है तो मुझे लगता है कि यह तो बिल्‍कुल गलत कारण आपने उत्‍तर में दिया है कि देयकों का समय पर प्राप्‍त न होना. जुलाई का अगस्‍त में मिल रहा है, अगस्‍त का सितम्‍बर में मिल रहा है तो यह तो कारण नहीं हुआ. भुगतान तो चलिए हो गया, आपने कर दिया तो मैं धन्‍यवाद तो नहीं दूंगी आपको, बिल्‍कुल भी नहीं दूंगी क्‍योंकि जो काम आपको रूटीन में करना चाहिए था, उसके लिए मुझे क्‍वेश्‍चन लगाना पड़ रहा है और फिर भुगतान हुआ है, इसलिए धन्‍यवाद तो नहीं दूंगी. लेकिन साथ ही साथ एक बात जरूर आपसे पूछना चाहूँगी कि ये तो बालाघाट जिले की बात हुई, क्‍या मध्‍यप्रदेश में भी ऐसे स्‍व-सहायता समूहों का भुगतान अभी पेंडिंग है, जो इस तरह का पोषण आहार वितरण करते हैं ?

            अध्‍यक्ष महोदय -- प्रश्‍न केवल बालाघाट का था.

          सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आप कम से कम मुझे इतना तो अधिकार दीजिए क्‍योंकि अगर माननीय मंत्री जी ने बालाघाट की समीक्षा की होगी तो निश्‍चित रूप से मंत्री जी ने यह तो किया होगा कि पूरे प्रदेश में भी क्‍या यही स्‍थिति है ?

            श्री भारत सिंह कुशवाह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, वैसे तो बालाघाट जिले से संबंधित प्रश्‍न है. मेरा सिर्फ इतना सा कहना है कि देयकों के भुगतान की प्रक्रिया में भारत सरकार से कुछ परिवर्तन हुआ है. पीएफएमएस जो पोर्टल प्रारंभ किया गया है, उसमें ऑनलाइन प्रक्रिया रहती है. पहले विभाग ट्रेज़री को बिल सब्‍मिट कर देते थे और उसके उपरांत में भुगतान हो जाता था, अभी परिवर्तन हुआ है, इसलिए विलंब हुआ है. वैसे प्रदेश में अगर आपकी कोई जानकारी में है, कहीं का अगर बिल भुगतान नहीं हुआ है तो आप उसको लिखकर दे दें, हम उस जिले का भी परीक्षण करा लेंगे.

          सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, ठीक है. मेरा दूसरा प्रश्‍न यह था कि ये जो हमारे स्‍व-सहायता समूह काम करते हैं, इनको दोहरी मार पड़ती है. पहली तो यह कि जैसे ही आंगनवाड़ी केन्‍द्र लगते हैं, सुबह की शुरुआत से ही उनको पहले नाश्‍ता देना पड़ता है, उसके बाद भोजन देना पड़ता है और ऐसी स्‍थिति में दिक्‍कत उनके साथ यह आ रही है कि जो दर्ज संख्‍या है, दर्ज संख्‍या के अनुसार वे भोजन बनाते हैं, नाश्‍ता बनाते हैं, लेकिन जो उपस्‍थिति होती है, उनका भुगतान तो उपस्‍थिति के आधार पर होता है. उपस्‍थिति लगातार कम होती जा रही है. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री जी से यह पूछना चाहती हूँ कि क्‍या उपस्‍थिति को लेकर कोई कदम उठाया गया है ? क्‍योंकि दोहरी मार मैंने कहा है तो यह तो पहली मार है कि वे ज्‍यादा लोगों का भोजन बनाते हैं, भुगतान कम का होता है, क्‍योंकि उपस्‍थिति के आधार पर भुगतान होगा और दूसरी मार यह है कि आपके विभाग में वह स्‍व-सहायता समूह जो इस तरह का छोटा-छोटा काम करके अपना काम चलाते हैं, उनको भुगतान के लिए आपके विभाग में 15 प्रतिशत कमीशन देना पड़ता है. मैं ऐसे ही अनर्गल नहीं बोल रही हूँ. मेरे पास इस बात का पुख्‍ता प्रमाण है और यह भी आपको बता दूँ कि पांच प्रतिशत आपके महिला एवं बाल विकास के अधिकारी लेते हैं, जिनको आजकल कार्यक्रम अधिकारी बोला जाता है. दूसरा जो ब्‍लॉक परियोजना अधिकारी है, वह पांच प्रतिशत लेता है और उसके बाद बचा हुआ पांच प्रतिशत आपके बाबू लोग लेते हैं तो क्‍या आप यह सुनिश्‍चित करेंगे कि उनको एक तो बिना कमीशन के समय पर पेमेंट मिल जाए और दूसरी बात जो उपस्‍थिति है, वह हम सब के लिए सबसे महत्‍वपूर्ण है, क्‍योंकि इन सब चीजों का उद्देश्‍य ही यह है कि हमारे बच्‍चों को समय पर भोजन मिले और उनकी उपस्‍थिति आंगनवाड़ी केन्‍द्रों में ज्‍यादा से ज्‍यादा हो तो क्‍या आप ये दोनों बातें सुनिश्‍चित करेंगे ? 

          श्री भारत सिंह कुशवाह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, एक तो उपस्‍थिति जो बच्‍चों की होती है, उपस्‍थिति अनुसार ही भोजन पकाया जाता है. दूसरा, माननीय सदस्‍या का कहना है कि अगर ऐसा आपके संज्ञान में है, आप प्रमाणित करते हैं कि किसी ने पैसे मांगे हैं तो हम उसके खिलाफ कार्यवाही करेंगे, आप लिखकर दें, हम परीक्षण करा लेंगे.

          सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं खुद अभी आपके सामने आरोप लगा रही हूँ. मैंने तो कहा ही नहीं है कि उपस्‍थिति के आधार पर पेमेंट नहीं होता, उपस्‍थिति के आधार पर ही होता है तो आपको यही तो करना है कि दर्ज संख्‍या के आधार पर उपस्‍थिति पूरी करवाइये.

          अध्‍यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी, उनकी चिंता यह है कि ये जो स्‍व-सहायता समूह काम करते हैं, उपस्‍थिति यदि कम हो गई तो आप उतना ही उनको देंगे तो स्‍व-सहायता समूह काम कैसे करेंगे, एक चिंता तो उनकी यह है, तो उनकी उपस्‍थिति कैसे सुनिश्‍चित हो, विचार यह करना है.

          श्री भारत सिंह कुशवाह -- अध्‍यक्ष महोदय भोजन पकाने के लिये समय लगता है और उपस्थिति सुबह ही रजिस्‍टर में अंकित हो जाती है और जो उपस्थिति रहती है उसके अनुसार भोजन पकाया जाता है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं-नहीं, उनका कहना है कि मान लीजिये कोई दर्ज संख्‍या 50 है और उपस्थिति 3 की हो रही है तो भी उसको खाना तो बनाना पड़ेगा ना, तो उन स्‍वसहायता समूहों की भी चिंता करने की आवश्‍यकता है शायद उनकी मंशा यह है.

          सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- अध्‍यक्ष महोदय, समूह की चिंता तो आप करें लेकिन उपस्थिति भी पूर्ण हो इस बात की भी चिंता करें क्‍योंकि आपका अमला इतना बड़ा है और यदि उपस्थिति आपके आंगनबाड़ी केन्‍द्रों में नहीं है तो यह तो हमारे लिये भी अच्‍छी बात नहीं है.

          श्री भारत सिंह कुशवाह -- अध्‍यक्ष महोदय, निश्चित रूप से कराएंगे.

          श्री कमलेश्‍वर पटेल -- अध्‍यक्ष महोदय, हमारे सीधी सिंगरौली जिले में...

          अध्‍यक्ष महोदय -- आगे बढ़ने दीजिये.

          श्री कमलेश्‍वर पटेल -- अध्‍यक्ष महोदय, 4 महीने से      सीधी, सिंगरौली जिलों में पोषण आहार आंगनबाड़ी केन्‍द्रों में नहीं गया है.

          अध्‍यक्ष महोदय --  नहीं-नहीं. नीना विक्रम जी.

          श्री कमलेश्‍वर पटेल -- अध्‍यक्ष महोदय, क्‍योंकि इस तरह की बात आई थी. यह हालात हैं. होम टेक राशन 4 महीने से नहीं गया है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- हो गया, हो गया. नीना वर्मा जी.

                             स्वीकृत कार्यों की लेप्स राशि का पुर्नआवंटन

[योजना, आर्थिक एवं सांख्यिकी]  

2. ( *क्र. 337 ) श्रीमती नीना विक्रम वर्मा : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या धार जिले में वित्तीय वर्ष 2020-21 में विधायक स्थानीय क्षेत्र विकास निधि अंतर्गत धार विधानसभा से राशि रूपये 22.01 लाख समर्पित हुई थी? (ख) यदि हाँ, तो क्या उक्त समर्पित हुई राशि का वित्तीय वर्ष 2021-22 में पुर्नआवंटन नहीं होने से विकास कार्यों की पूर्णता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है? (ग) यदि हाँ, तो इस प्रकार समर्पित हुई राशि को आगामी वित्तीय वर्ष में पुर्नआवंटन किये जाने का प्रावधान है? यदि हाँ, तो क्या इस अनुपूरक बजट में उक्त समर्पित राशि रूपये 22.01 लाख का पुर्नआवंटन वित्त विभाग के माध्यम से किया जावेगा? (घ) क्या इसी अनुरूप जनभागीदारी निधि से वित्तीय वर्ष 2021-22 की समर्पित राशि का पुर्नआवंटन नहीं होने से विकास कार्य लंबित चल रहे हैं? उक्त राशि का पुर्नआवंटन कब तक किया जा सकेगा?   पुनर्आवंटन

वित्त मंत्री ( श्री जगदीश देवड़ा ) : (क) कार्यपालन यंत्री, ग्रामीण यांत्रिकी सेवा, संभाग धार द्वारा राशि उपयोग न करने के फलस्‍वरूप व्‍यपगत हुई है। (ख) योजनांतर्गत अपूर्ण कार्यों के संबंध में योजना, आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग के पत्र क्रमांक एफ 8-01/2020/23/यो.आ.सा./भोपाल दिनांक 08.09.2020 के द्वारा यह व्‍यवस्‍था की गई है कि इन कार्यों को पूर्ण करने हेतु जिलों द्वारा वर्तमान वित्‍तीय वर्ष में उपलब्‍ध उस विधानसभा क्षेत्र के आवंटन से इन कार्यों को पूर्ण करने हेतु राशि जारी की जाये। (ग) जी नहीं। उत्‍तर '''' के परिप्रे‍क्ष्‍य में कार्यवाही की जाती है। योजनांतर्गत व्‍यपगत राशि हेतु अतिरिक्‍त आवंटन की मांग की गई है। (घ) जी हाँ। जनभागीदारी योजना निरन्‍तर योजना है। वर्ष 2021-22 की समर्पित राशि के पुर्नआवंटन का प्रावधान नहीं है। जनभागीदारी योजना में अगले वित्‍तीय वर्ष में विभाग को आवंटित राशि से उपलब्‍ध आवंटन अनुसार विभिन्‍न जिलों को राशि आवंटित किये जाने से शेष प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता है।

          श्रीमती नीना विक्रम वर्मा -- अध्‍यक्ष महोदय, सबसे पहले धन्‍यवाद देना चाहूंगी कि आपने महिलाओं को प्राथमिकता देते हुए लगातार तीन प्रश्‍न महिलाओं के लिए हैं और मेरे प्रश्‍न का जवाब जो आया है, वह अपूर्ण है क्‍योंकि मैंने जो अपना प्रश्‍न लगाया है वह विधायक निधि को लेकर लगाया है. जो विधायक निधि मेरे द्वारा दिनांक 07.12.2020, 03.12.2020 और दिनांक 01.01.2021 को स्‍वीकृत करवाई गई थी और मैंने जो पत्र दिया था उसके बाद प्रशासनिक स्‍वीकृति मेरे पास दिनांक 23.12.2020 और 21.01.2021 को यह प्रशासनिक स्‍वीकृति आ गई थी और उसकी सरकारी एजेंसी आरईएस थी और आरईएस की जो टेंडर प्रक्रिया है उसमें ई-टेंडरिंग के कारण लोग टेंडर नहीं लेते हैं और उसमें काफी लंबा समय निकल जाता है और यह प्रक्रिया, एक तो मैं आपसे निवेदन करना चाहूंगी कि आप आसंदी से मुझे यह जवाब क्‍लीयर करवा दें कि जो ई-टेंडरिंग की व्‍यवस्‍था है, 10 लाख से नीचे की जो भी राशि हो वह ई-टेंडरिंग के माध्‍यम ना होकर लोकल में हो जाए और दूसरा, जो विधायक निधि इस प्रक्रिया के अंतर्गत लैप्‍स हो जाती है या प्रशासन जिसे नहीं देता है, मुझे तो आंसर मिला था आपके यहां से जो पत्र दिया गया था वह पत्र क्रमांक   8-01/2020/23/यो.आ.सा./भोपाल, दिनांक 08.09.2020 को आया था कि यह व्‍यवस्‍था की गई है कि कार्य पूर्ण करने हेतु जिले को यह राशि उपलब्‍ध कराई जाए, लेकिन बार-बार कहने के बाद भी राशि नहीं दी गई और वह राशि लैप्‍स हो गई है. अब कहा जाता है कि राशि लैप्‍स हो गई है, तो राशि को लैप्‍स होने से बचाने के लिए मैं आपसे व्‍यवस्‍था चाहूंगी, समर्थन चाहूंगी कि थोड़ी प्रक्रिया सुनिश्चित करें. एक तो राशि को लोकसभा के हिसाब से अगले वित्‍त वर्ष में समाहित कर दें. दूसरा, टेंडर प्रक्रिया सरल कर दें जिसके कारण 10 लाख तक के टेंडर में जो विलंब होता है, बार-बार ईं-टेंडर करने पड़ते हैं और इसके अंदर एक नुकसान यह होता है कि बाहर का ठेकेदार जब टेंडर ले लेता है तो क्‍वालिटी मेन्‍टेन करवाने के लिए हमें उस पर काफी जद्दोजहद करनी पड़ती है और कई बार कम ज्‍यादा यदि व्‍यवस्‍था नहीं हो पाती है तो उसके कारण बहुत ज्‍यादा परेशानी होती है और इसके कारण जनता प्रभावित होती है और विकास के कार्य अवरुद्ध होते हैं. इसका जवाब दे दें फिर मुझे एक प्रश्‍न और करना है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- जी हां, तीसरा भी पूछ लीजिए.

          श्रीमती नीना विक्रय वर्मा -- अध्‍यक्ष महोदय, एक प्रश्‍न मेरा जनभागीदारी को लेकर भी था जिसके अंदर हमारा यह उद्देश्‍य होता है कि जनता के साथ हम सहभागिता करके विकास कार्यों को आगे बढ़ाएं, इसके अंदर 50 प्रतिशत् की राशि जनता की और 50 प्रतिशत् शासन की होती है. इसमें जब मैंने अपने तिरला विकासखण्‍ड से तीन पत्र दिए थे और तीनों के अंदर पहली राशि जनता की 50 परसेंट और शासन की 25 परसेंट हो गई, विकास कार्य शुरू हो गया, काम शुरू हो गया लेकिन सेकेण्‍ड किश्‍त की जब बारी आई तो राशि को लैप्‍स होना बताकर राशि समाप्‍त कर दी और वित्‍त वर्ष समाप्‍त हो गया, इसके कारण वह विकास कार्य अधूरा रह गया. इसके लिए मैं आपसे व्‍यवस्‍था चाहूंगी कि जनभागीदारी की जो राशि है एक साथ शासन द्वारा दे दी जाए ताकि विकास कार्य के लिए हमें जनभागीदारी के अंदर बार-बार शासन से राशि की मांग नहीं करनी पड़े.

          अध्‍यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी, उनका कुल मिलाकर यह उद्देश्‍य है, सारे विधायकों का उद्देश्‍य भी यही है, उसमें तीन बातें हैं एक बात यह है कि जन-  भागीदारी का जो 10 लाख के नीचे का है, उसकी ई-टेंडरिंग नहीं हो जैसा पहले होता था वैसा हो जाए. दूसरा, यह कि जो राशि विधायक जारी करता है वह किश्‍तों में जाती है इस कारण से जाना आपके विभाग को ही है, तो पूरी राशि जो प्रशासकीय स्‍वीकृति करता है एक साथ चली जाए. तीसरा, जो हमारे वित्‍त का पैसा है वह लोकसभा की तरह कैरीफारवर्ड हो जाए. उनके तीन प्रश्‍न हैं.

श्री तरुण भनोत - अध्यक्ष महोदय, विधायक निधि पर क्या जीएसटी लगेगी? हमने विद्युत कंपनी को लिखा कि वहां पर खम्भे लगा दीजिए, विधायक निधि के काम पर उसमें 18 प्रतिशत की जीएसटी लगा दी गई  तो सरकार जीएसटी बंद करे या उतना अतिरिक्त पैसा दे. अगर मैं 50 लाख रुपया दे रहा हूं तो 10 लाख रुपया उसमें जीएसटी लगा देते हैं. यह भी बंद होना चाहिए.

डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय - अध्यक्ष महोदय, उसमें ब्याज की राशि को भी जोड़ा जाना चाहिए क्योंकि पेडेंसी की वजह से ब्याज की राशि काफी बढ़ जाती है, उसी प्राप्त ब्याज की राशि से भी विकास कार्यों को संलग्न किया जाना चाहिए.

अध्यक्ष महोदय - सब लोगों की बात आ गई, सबकी मंशा यही है.

श्री जगदीश देवड़ा - अध्यक्ष महोदय, वरिष्ठ सदस्या आदरणीय श्रीमती नीना वर्मा जी ने  जो भावना रखी है, मैं समझता हूं कि वह पूरे सदन की है. चूंकि मैं भी उसमें सम्मिलित हूं. यह बात सही है कि वित्तीय वर्ष में अगर काम नहीं हो पाता है तो सारे विधायकों की राशि लैप्स होती है और वह काम पूरे नहीं हो पाते. लेकिन वह अगले वर्ष की जो राशि आती है फिर उसी से करना पड़ते हैं तो तीन प्रश्न आपने किये हैं, टेंडरिंग का भी किया है, विधायक निधि लैप्स न हो, इसके बारे में विभाग के अधिकारियों के साथ में भी मैं बैठ चुका हूं और ऐसी व्यवस्था बनाएंगे कि विधायक की वित्तीय वर्ष की राशि में अगर काम नहीं हो पाया है तो वह राशि लैप्स नहीं हो और अगले वित्तीय वर्ष में उसका उपयोग हो जाय तो ऐसी व्यवस्था करने के लिए हम पूरा प्रयास कर रहे हैं और हमारी इस संबंध में चर्चा भी हो चुकी है तो निश्चित रूप से सबकी भावना का सम्मान करते हुए इसको हम अतिशीघ्र करेंगे.

एक जैसा जनभागीदारी की राशि का श्रीमती नीना वर्मा जी ने बताया है, वह राशि हम जारी करवा देंगे. जो भी विधायक निधि के बारे में  समस्या बताई है, आपने और श्री तरुण भनोत जी ने भी बताई है, उन सबका समग्र विचार करके यह सारी व्यवस्था ठीक हो जाय, किसी भी माननीय सदस्य को दिक्कत न हो, ऐसी व्यवस्था हम आगे करने का पूरा प्रयास करेंगे.

श्री तरुण भनोत - अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी आश्वासन दे दें कि जीएसटी नहीं लगेगी.

अध्यक्ष महोदय - आप सुन तो लीजिए, बैठ जाइए. माननीय वित्तमंत्री जी, आपने एक को तो स्वीकार कर लिया कि जिस तरह से लोकसभा में कैरिफार्वर्ड करने का हम नियम बनाने जा रहे हैं. उसमें तीन चीजें रह गई हैं, श्री तरुण भनोत जी की चिंता है, माननीय सदस्यों की भी है. एक चिंता यह है कि हमारी राशि एक साथ नहीं जाती, जिससे काम प्रभावित होता है और उसका रेट बढ़ जाता है, एक चिंता यह है. इस पर निर्णय करना है. दूसरा, यह है कि जो विधायक निधि में जीएसटी लगती है, वह नहीं लगे, शायद उनकी चिंता यह है तो एक यह हो जाय. दूसरा, सारी राशि एक किश्त में चली जाय, इस तरह से तीन चीजों को देखना है. 

श्री जगदीश देवड़ा - अध्यक्ष महोदय, आपकी तीनों बातों से मैं सहमत हूं और पूरा विचार करके इनका समाधान अतिशीघ्र कर देंगे.

श्री तरुण भनोत - माननीय मंत्री जी, जो जीएसटी का पैसा काटा है, वह वापस मिल जाय, उससे हम जनहित का दूसरा काम करा लें. कहीं नलकूप करा लेंगे, कहीं लाईट लगा लेंगे.

श्री सोहनलाल बाल्मीक - अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न भी इसी से उद्भूत है, मेरा प्रश्न भी लगा हुआ है.

श्री अजय विश्नोई - अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी का ध्यान इस पर आकर्षित करना चाहता हूं कि जो विधायकों के द्वारा स्वेच्छानुदान की राशि लोगों को दी जाती है, उसकी प्रक्रिया इतनी लम्बी है. हम बीमार की मदद करने जाते हैं तो उसके पास राशि तब पहुंचती है जब उसकी मृत्यु हो जाय या अस्पताल से उसकी छुट्टी हो जाय. हम यदि छात्र की मदद करने जाते हैं तो उसकी परीक्षा की फीस की तारीख निकल जाती है, तब राशि उस तक पहुंच पाती है. दूसरी दिक्कत क्या हुई है कि ग्रामीण क्षेत्रों में अब उसमें डायरेक्ट पैसा ट्रांसफर होता है. परन्तु  लोगों की हम जो मदद करना चाहते हैं, अधिकांश जो अपनी जानकारियां देते हैं पास बुक की या अन्य, वह या तो पुरानी होती हैं  या उनके बैंक अकाउंट कम चलन में होते हों तो उसके कारण वह पैसा देने के बाद भी वहां पहुंच नहीं पाता है तो वह चैक वाली व्यवस्था फिर से लागू हो तो वह सही लोगों तक पहुंच पाएगी. मैं समझता हूं कि समस्त सदस्यों की यह चिंता है. इस पर आप निर्देश देंगे तो उचित होगा. (मेजों की थपथपाहट).

नेता प्रतिपक्ष (डॉ. गोविन्द सिंह) - अध्यक्ष महोदय, एक तो सबसे बड़ी समस्या यह है कि लोक निर्माण विभाग या अन्य विभागों में टेण्डर हो रहे हैं. टेण्डर मंजूर होने के बाद, अब राशि धीरे-धीरे 2-2, 3-3 महीने में क्यों जा रही है, वह तो समस्या निपट गई. लेकिन सवाल यह है कि यहां से लेकर जनपद में, जनपद पंचायत में  असिस्टेंट इंजीनियर हैं और वहां पर पूरा अमला है, उसके बाद लोक निर्माण विभाग में कहीं दो-दो ब्लाक में एक सब इंजीनियर है, और वहां पर 6-6, 7-7 सब इंजीनियर हैं. वहां से उनको देते.

अभी हमारा भिण्ड जिले का  मामला है. एक महीने पहले वहां  एडीएम साहब को पावर  मिल गये.  वो  वहां   ठेकेदार जो  टेंडर करते हैं पीडब्ल्यूडी  वगैरह में, तो वे राशि इसलिये  जारी नहीं करते कि कमीशन मांगते हैं. तो फिर हमने जाकर उनको  तमाम डांटा,डपटा,  तब अभी कुछ लोगों को  मिली,  लेकिन पूरे जिले के  विधायकों के  यहां  अभी पूरा काम ही चालू नहीं किया.तो जब आपके पास अमला  है, तो वहां के अलावा  आरईएस  भी करता है.  आरईएस भी जिले में रहता है, तो जब जनपद में असिस्टेंट  इंजीनियर वगैरह हैं,  तो उनको आप अधिकार दे देंगे, तो  काम जल्दी हो जायेगा.  3-3 महीने अटका रहता है वह.

                   श्री सोहनलाल बाल्मीक-- अध्यक्ष महोदय,  मेरा आपसे निवेदन है, मेरा भी प्रश्न  इसी  में लगा हुआ था  जन भागीदारी के  संबंध में.

                   श्रीमती नीना विक्रम वर्मा-- अध्यक्ष महोदय,  मेरे प्रश्न का जवाब नहीं आया.

                   अध्यक्ष महोदय--  आपके तीनों प्रश्नों के उत्तर आ गये ना.

                   श्रीमती नीना विक्रम वर्मा-- अध्यक्ष महोदय,   मेरे प्रश्न का जवाब नहीं आया.  एक तो मैंने ई टेंडर के लिये बोला था.

                   अध्यक्ष महोदय--मैंने कह दिया ना उसको.  उसको भी कह दिया.  एक साथ पैसा देने का भी कह दिया.

                   श्रीमती नीना विक्रम वर्मा-- अध्यक्ष महोदय,   पेमेंट को लेकर के  मेरा प्रश्न है कि जो राशि स्वीकृत होती है, उसके अंदर  बी.सी.ओ. टू  बी.सी.ओ.  के माध्यम से  राशि स्वीकृत करते हैं.  जिसके कारण एक डिपार्टमेंट  से  दूसरे डिपार्टमेंट के अंदर  फाइल घूमती रहती है और उसके अंदर पेमेंट में बहुत ज्यादा  विलम्ब हो जाता है  और उसमें बहुत ज्यादा परेशानी आती है.  तो इसको भी थोड़ा सा ईजी वे  में कर दिया जाये, ताकि एक ही डिपार्टमेंट सीधा  पेमेंट कर दे या कलेक्टर के यहां चला जाये या डिपार्टमेंट   जैसे  भी दें,  लेकिन  इसकी व्यवस्था और  ई टेंडर की व्यवस्था, इन दो की मेरे को घोषणा करवा दीजिये.

                   श्री सोहनलाल बाल्मीक-- अध्यक्ष महोदय,   मेरा भी  प्रश्न इसी में लगा हुआ था.  मुझे  मंत्री जी से जवाब मिला है कि मेरे छिंदवाड़ा जिले में 2020-21  में 4 करोड़ 56 लाख रुपये की राशि जन भागीदारी  में दी गई थी.  फिर 2021-22 में  95 लाख रुपये की राशि  दे दी गई  और 2022-23  में  छिंदवाड़ा जिले को जन भागीदारी  की कोई राशि  नहीं दी गई.

                    अध्यक्ष महोदय-- नहीं, यह नहीं.

                   श्री सोहनलाल बाल्मीक-- अध्यक्ष महोदय,   इस तरह का भेदभाव हुआ है.  मैं पूछना चाहता हूं कि जन भागीदारी का  पैसा  सम्पूर्ण जिलों  में  जा रहा है,  तो  छिंदवाड़ा जिले में  क्यों नहीं जायेगा. काटने का कारण क्या है.

                   अध्यक्ष महोदय-- ठीक है.   मंत्री जी जवाब सब का देंगे. यशपाल सिंह जी का हो जाये, फिर जवाब   देंगे.   आपका आ गया है. जवाब देंगे.

                   श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- अध्यक्ष महोदय,  श्रीमती नीना वर्मा जी  का प्रश्न पूरे सदन के विधायकों से  जुड़ा हुआ है. विधायक निधि से जुड़ा हुआ है.  आपने बहुत संरक्षण दिया और  आपने सबको  बोलने का अवसर भी दिया,  इसके लिये मैं आपको  धन्यवाद देता हूं.  अगर कोई विधायक  31 मार्च  के बाद  अपनी राशि की चिंता  करे  और बाद  में जब पत्र  लिखे, तो   लैप्स  होने का सवाल  उठता है. लेकिन अक्टूबर, नवम्बर और दिसम्बर  महीने में जब वह अनुशंसा  कर देता है और कलेक्टर के यहां से  और  विभाग में जाते जाते  टीएस बनते बनते  और प्रशासकीय  वित्तीय स्वीकृति  जारी होते होते  अगर वह 31 मार्च के पहले पहले तक पहुंचती है 15 मार्च तक,  वह तो लैप्स होना ही नहीं चाहिये.  बहुत ठीक बात  नीना वर्मा जी ने कही है.  एक-एक, दो-दो लाख  रुपये की राशि  हम लोग अनुशंसा करते हैं, छोटे छोटे कामों के लिये.  अगर वह भी  ई टेंडरिंग में जायेंगे,  तो विलम्ब होगा.  एक नीति बन जाये उसमें  कि  5 लाख, 10 लाख से  कम का कोई  ई टेंडरिंग  नहीं होगा,  पहले भी यह प्रक्रिया थी.

                   अध्यक्ष महोदय-- मैं इसमें व्यवस्था दे रहा हूं.  (श्री  सोहनलाल बाल्मीक,सदस्य के खड़े होने पर)  आप सुन तो लीजिये, व्यवस्था दे रहा हूं, उसके लिये  खड़ा हुआ हूं.  माननीय मंत्री जी,  इसमें मेरी राय में  सदन की पूरी सहमति है. यह बहुत जटिल मुद्दे हैं, इसके लिये जब आप अधिकारियों के साथ बैठते हैं,  तो शायद वह सारी बातें हो नहीं पाती हैं.  इसलिये  मैं आग्रह  आपसे  करता हूं कि  हमारे विधान सभा के  कई  विधायकों की  एक समिति बना लीजिये, अधिकारियों के साथ  बैठा करके  इन सारे मुद्दों  को  रख करके  तब  उसका निराकरण कराइये.                                (सदन में मेजों की थपथपाहट)

                   श्री सोहनलाल बाल्मीक-- अध्यक्ष महोदय..

                   अध्यक्ष महोदय-- अब हो गया ना भाई, अब इससे ज्यादा क्या  हो सकता है.  अब सज्जन सिंह जी, इससे ज्यादा क्या हो सकता है.

                   श्री जगदीश देवड़ा --अध्यक्ष महोदय, ठीक है,  आप जैसा बता रहे हैं,  वैसा कर देंगे.

                   अध्यक्ष महोदय-- हां, ठीक है.

                   श्री सोहनलाल बाल्मीक-- अध्यक्ष महोदय,   मेरा जवाब तो मंत्री जी से दिलवा दीजिये.

                   अध्यक्ष महोदय-- नहीं, अब पूरा आ गया.  नीना जी, मैं आपको  धन्यवाद करता हूं,  आसंदी से आपको धन्यवाद कर रहा हूं,  आपको धन्यवाद कर रहा हूं, आपकी  तारीफ कर रहा हूं कि  पूरे सदन की मंशा की आपने पूर्ति की.

                   श्रीमती नीना विक्रम वर्मा-- अध्यक्ष महोदय,   मैं आपको धन्यवाद  कर रही हूं कि  आपने मेरा समर्थन  किया और आसंदी   से आदेश किया.

                   अध्यक्ष महोदय--  प्रश्न संख्या 3. (श्री सोहनलाल बाल्मीक के खड़े होने पर)  नहीं हो गया.

                   श्री सोहनलाल बाल्मीक-- अध्यक्ष महोदय,   सारे प्रदेश के जिलों में जन भागीदारी का पैसा  जा रहा है, लेकिन छिंदवाड़ा  जिले को  क्यों  छोड़ा  गया जन भागीदारी में.  आपने  2020-21 में  4 करोड़  56 लाख दिया, 2021-22 में 95 लाख दिया  और 2022-23 में पैसा नहीं दिया आपने.

          श्री कमलनाथ -  माननीय अध्यक्ष जी, यह विधायक महोदय की बात बिल्कुल सही है और मैं इससे सहमत हूं. यह केवल इस विभाग में नहीं और लगभग हर विभाग में छिन्दवाड़ा जिले के साथ जो व्यवहार किया जा रहा है वह सही नहीं है. मैं यह बात कहना चाहता था.

          अध्यक्ष महोय - प्रश्न क्रमांक 3. श्रीमती कृष्णा गौर जी.

          श्री जालम सिंह पटेल -  माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय कमलनाथ जी की सरकार में सब कर्जमाफी वहीं हुई है बाकी  कहीं नहीं हुई है.

          श्री सोहनलाल बाल्मीक - यह गलत बात है.(..व्यवधान..) .यहीं सदन में कृषि मंत्री जी ने जवाब दिया है 27 लाख किसानों का कर्जा माफ किया गया है.(..व्यवधान..) यहीं सदन में जवाब दिया है. रिकार्ड निकालकर देख लो.

          अध्यक्ष महोदय - कृपया बैठ जाएं.

          (..व्यवधान..)

          श्री जितु पटवारी - अभी अध्यक्ष महोदय ने व्यवस्था दे दी है. अभी सदस्य महोदय ने कहा कि छिन्दवाड़ा में ही कर्ज माफी हुई है. (..व्यवधान..)कल कमल पटेल जी ने कार्ड ट्विट किये और यह कहा कि कर्जमाफी  कहीं नहीं हुई.(..व्यवधान..)

          राज्यमंत्री,स्कूल शिक्षा(श्री इन्दर सिंह परमार) - यह पूरा-पूरा रिकार्ड है.

          (..व्यवधान..)

          अध्यक्ष महोदय - कृपया बैठें

          श्री जितु पटवारी -  xx xx

          (..व्यवधान..)

          अध्यक्ष महोदय - कृपया सभी बैठें. यह नहीं लिखा जायेगा.

          राज्यमंत्री,लोक निर्माण विभाग( श्री सुरेश धाकड़) -  एक साल में सबसे ज्यादा विकास कार्य छिन्दवाड़ा में और जितु पटवारी जी के विधान सभा क्षेत्र में 12 हजार करोड़ के विकास कार्य किये गये हैं. यह रिकार्ड है.

          (..व्यवधान..)

          राज्यमंत्री,स्कूल शिक्षा(श्री इन्दर सिंह परमार) - पूरा-पूरा रिकार्ड है. 12 हजार करोड़ का केवल कांग्रेस के नेताओं का कर्ज माफ हुआ है मध्यप्रदेश में बाकी किसी का नहीं हुआ है.

          अध्यक्ष महोदय - कृपया बैठें. विषय खत्म हो चुका है.

          श्री इन्दर सिंह परमार -  कांग्रेस सरकार ने विकास में भी भेदभाव  किया है. कांग्रेस के नेताओं का केवल कर्ज माफ हुआ है.

          (..व्यवधान..)

          अध्यक्ष महोदय - कृपया बैठ जाईये. मंत्री जी बैठ जाईये.

          श्री कुणाल चौधरी -  मंत्री जी आपके ही गांव का कर्जा माफ हुआ है पूरा. आपके परिवार में हुआ है पूछिये मंत्री जी से.

          श्री इन्दर सिंह परमार - केवल कांग्रेस के नेताओं का, कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के कर्ज माफ किये हैं. बाकी का नहीं किया गया है. यह भेदभाव आपकी सरकार ने किया है.

          श्री जितु पटवारी - यह असत्य बोल रहे हैं. गुमराह कर रहे हैं.

          श्री कुणाल चौधरी - आपने कर्ज माफी का व्यवस्था बंद क्यों की.

          अध्यक्ष महोदय - कृपया सभी बैठें. व्यवस्था दे दी कमेटी बना दी. हो गया. प्रश्न क्रमांक 3 कृष्णा गौर जी.

          श्री सोहनलाल बाल्मीक - क्या हम लोग जनता के प्रतिनिधि नहीं हैं अध्यक्ष जी. इस तरीके का व्यवहार छिन्दवाड़ा जिले के साथ किया जा रहा है. सारे बजट काट दिये जा रहे हैं. विकास के काम को रोक दिया जा रहा है.

          अध्यक्ष महोदय - अभी हमने महिला सदस्य का नाम पुकारा है. उनको बोलने दीजिये. बड़ी मुश्किल से महिलाओं को अवसर मिलता है.

 

 

खाद्य सुरक्षा अधिनियम अंतर्गत खाद्य लायसेंस रजिस्‍ट्रेशन

[लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण]

3. ( *क्र. 888 ) श्रीमती कृष्णा गौर : क्या लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 के अंतर्गत सभी तरह की खाद्य सामग्री बेचने वालों को खाद्य लायसेंस प्राप्‍त करना एवं रजिस्‍ट्रेशन कराना जरूरी है? यदि हाँ, तो इस नियम के अंतर्गत भोपाल में कितने खाद्य सामग्री विक्रेताओं ने आज दिनांक तक लायसेंस प्राप्‍त किया है और रजिस्‍ट्रेशन कराया है तथा कितने लोग बिना लायसेंस एवं पंजीयन के खाद्य सामग्री बेच रहे हैं? पृथक-पृथक संख्‍या बताई जाये। (ख) प्रश्‍नांश (क) में उल्‍लेखित विक्रेताओं को निय‍ंत्रित एवं निरीक्षण के लिये कितने अधिकारी एवं कर्मचारी पदस्‍थ हैं? उनके नाम एवं पद बताते हुए उनकी पदस्‍थापना की अवधि बताई जाये। (ग) प्रश्‍नांश (ख) में वर्णित अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा दिनांक 01 जनवरी, 2022 से 15 नवम्‍बर, 2022 तक कितने लीगल सैम्‍पल कब-कब लिये गये, खाद्य विक्रेताओं के नाम पता बताते हुये यह बताया जाये कि उनकी रिपोर्ट कब प्राप्‍त हुई? उनका परिणाम क्‍या रहा? (घ) प्रश्‍नांश (ग) में वर्णित सैम्‍पल के विरूद्ध कितने प्रकरण में क्‍या कार्यवाही की गई?

लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ( डॉ. प्रभुराम चौधरी ) : (क) जी हाँ। खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006 अंतर्गत प्रश्‍न दिनांक तक खाद्य लायसेंस प्राप्त करने वाले खाद्य विक्रेताओं की संख्या 2390 एवं खाद्य रजिस्‍ट्रेशन प्राप्त करने वाले खाद्य विक्रेताओं की संख्या 15668 है। बिना लायसेंस खाद्य सामग्री बेचने वालों पर 01 एवं बिना पंजीयन खाद्य सामग्री बेचने वालों पर 16 प्रकरण न्यायालय में लगायें गये हैं। (ख) संबंधित  जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र ''1'' अनुसार है। (ग) संबंधित जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र ''2'' अनुसार है। (घ) संबंधित जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट  प्रपत्र ''2'' के कॉलम 07 पर दर्शित है।

          श्रीमती कृष्णा गौर - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं भी आपको बहुत धन्यवाद देना चाहूंगी कि आपने केवल प्रथम तीन महिलाओं को ही अवसर नहीं दिया है बल्कि पहली बार के विधायक को भी आज अवसर दिया है. मेरा प्रश्न आम जनता की सेहत से जुड़ा हुआ है और यह बात सर्वविदित है कि अशुद्ध और मिलावटी खाद्य सामग्री न केवल गंभीर बीमारियों का  बल्कि केंसर जैसे रोग का भी कारण बनती है और डब्लू.एच.ओ. की एक एडवायजरी में एक बात बिल्कुल स्पष्ट रूप से कही गई है कि यदि भारत में मिलावटी दूध और मिलावटी दूध से बनी हुई सामग्रियों को रोका नहीं गया तो 2025 तक भारत में केंसर से ग्रस्त लोगों की संख्या 87 प्रतिशत हो जायेगी लेकिन इसके बाद भी जो जवाब मेरे प्रश्न के माध्यम से दिया गया है, मैं, माननीय मंत्री जी से पूछना चाहूंगी कि परिशिष्ट सरल क्र.38 से लेकर 42 तक जो 5 प्रकरण पनीर के लिये गये वह लीगल सेम्पल थे. 21 जनवरी को जो सेम्पल लिया गया उसकी रिपोर्ट 22 तारीख को आ गई. यहां तक तो ठीक था. और उसके बाद वह प्रकरण न्‍यायालय में भी पेश कर दिया गया, लेकिन उसके बाद जो परिशिष्‍ट में 58 से लेकर 63 तक के प्रकरण हैं उसमें 26 तारीख को सेम्‍पल लिया गया, 28 तारीख को उसकी रिपोर्ट आ गई, वह अमानक पाया गया, बावजूद इसके आज तक वह प्रकरण विवेचनाधीन है. 11 महीने हो गये लेकिन उसको न्‍यायालय में प्रस्‍तुत नहीं किया गया. इतना लेट होने के बाद अभी तक अगर वह पनीर बचा भी नहीं होगा, वह खाद्य सामग्री बिक भी गई होगी और यह अधिकारियों की लापरवाही है. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री जी से यही प्रश्‍न करना चाहती हूं कि इसके लिये कौन जिम्‍मेदार है. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपके माध्‍यम से मेरा दूसरा पूरक प्रश्‍न भी माननीय मंत्री जी से है.

          अध्‍यक्ष महोदय--  पहले यह आ जाये.

          श्रीमती कृष्‍णा गौर-- जी हां.

          डॉ. प्रभुराम चौधरी--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्‍या को धन्‍यवाद देता हूं जिन्‍होंने खाद्य सुरक्षा के संबंध में चिंता व्‍यक्‍त की है. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं बताना चाहता हूं कि जो खाद्य सुरक्षा के लिये मध्‍यप्रदेश सरकार लगातार कार्य कर रही है. दिनांक 09.11.2020 को हम लोगों ने मुख्‍यमंत्री जी के नेतृत्‍व में मिलावट से मुक्ति अभियान चालाया था और पूरे प्रदेश के अंदर लगातार हमने जो काम किये हैं.

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मंत्री जी तो भाषण दे रहे हैं, इतिहास, भूगोल बता रहे हैं.

          श्री तरूण भनोत--  उनका आखिरी भाषण है, बोलने दो. ... (व्‍यवधान)...

          डॉ. प्रभुराम चौधरी--  मध्‍यप्रदेश की सरकार सुरक्षा के लिये जो काम कर रही है उसे आप सुन तो लीजिये ... (व्‍यवधान)...  जो कार्य आपने नहीं किये अगर उन कार्यों को हम कर रहे हैं तो आप सुनने की क्षमता तो रखें.

          श्री तरूण भनोत--  (XXX)

            डॉ. प्रभुराम चौधरी--  मिलावट से मुक्ति अभियान प्रदेश के अंदर जो चलाया गया ... (व्‍यवधान)...

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा-- (XXX)

          श्री तरूण भनोत--  (XXX)

          अध्‍यक्ष महोदय--  यह नहीं लिखा जाए. ... (व्‍यवधान)...

          डॉ. प्रभुराम चौधरी--  श्रीमती कृष्‍णा गौर जी ने प्रश्‍न उठाया आप क्‍यों मिलावट बन रहे हो. उनकी बात का जवाब तो आने दो ... (व्‍यवधान)...

          श्री तरूण भनोत--  (XXX)

          श्री जितु पटवारी-- (XXX)

          अध्‍यक्ष महोदय--  यह नहीं लिखा जाए.

          डॉ. प्रभुराम चौधरी--  आप उप चुनाव के समय आये थे जनता ने आपकी कितनी सुनी, 64 हजार मतों से जनता ने जिताया है. यह तो जनता जानती है कि किसकी सुनना है और चुनाव के समय में आपको जनता ने जवाब दिया ...(व्‍यवधान)...

          श्रीमती कृष्‍णा गौर-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरे प्रश्‍न का उत्‍तर तो आज जाये. ... (व्‍यवधान)... यह गंभीर प्रश्‍न है. ... (व्‍यवधान)...

          डॉ. प्रभुराम चौधरी--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्‍या का जवाब दे रहा हूं. ... (व्‍यवधान)... सुखदेव जी आप तो बोलो ही मत. आप तो पूरे समय मेरे क्षेत्र में पड़े रहे क्‍या नतीजा निकला, आप स्‍वयं अपना आंकलन कर लीजिये. ... (व्‍यवधान)...

          अध्‍यक्ष महोदय--  माननीय मंत्री जी आप तो अपना जवाब दीजिये.          ... (व्‍यवधान)...

          श्री तरूण भनोत--  माननीय मंत्री जी, पनीर कहां है, पनीर का क्‍या हुआ. माननीय सदस्‍या जी पूछ रही हैं. ... (व्‍यवधान)...

          डॉ. प्रभुराम चौधरी--  मैं जवाब दे रहा हूं. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अधिनियम की धारा 31 के अंतर्गत हमने अनुज्ञप्ति और पंजीयन के भोपाल के अंदर 2390 खाद्य कारोबारी कार्यकर्ताओं द्वारा जो लाइसेंस प्राप्‍त किये 15688 खाद्य के हमने पंजीयन वहां पर किये और उसमें से 6 माह के अंदर हम लोंगों ने वहां पर केम्‍प लगाये. और जो कार्यवाही की (एक माननीय सदस्‍य के अपने आसन से कुछ कहने पर) मैं कार्यवाही बता रहां हूं, आप पूरी बात तो सुन लें.

श्री तरूण भनोत -- माननीय विधायक महोदया जो पूछ रहीं हैं, वह तो बताईये.

डॉ.प्रभुराम चौधरी -- आप बीच में ही खड़े हो जाते हैं, मैं उसी बात पर आ रहा हूं.

अध्‍यक्ष महोदय -- मंत्री जी आप बैठ जायें. ( श्री सोहनलाल बाल्मिक, सदस्‍य द्वारा अपने आसन से कुछ कहने पर) आप बैठ जायें. मैं व्‍यवस्‍था दे रहा हूं. दो बातें हैं एक तो बड़े मुश्किल से महिलाओं का प्रश्‍न लगा है, नंबर एक तो आप लोग क्‍या चाहते हैं कि महिलाओं को अवसर न मिले, ऐसा प्रदर्शित करना चाहते हैं. दूसरा भी सुन लीजिये (श्री ओमकार सिंह मरकाम, सदस्‍य द्वारा अपने आसन से कुछ कहने पर) आप भी बैठ जायें. दूसरा यह है कि प्रथम बार के विधायकों के बारे में, उनकी योग्‍यता पर आप कोई प्रश्‍न चिन्‍ह मत लगाईये, वह अपने प्रश्‍नों को करने के लिये स्‍वयं सक्षम हैं और उसका उत्‍तर ले‍ने के लिये, इसलिये मेरा आग्रह है कि किसी तरह का हस्‍तक्षेप नहीं होगा.

श्री ओमकार सिंह मरकाम -- आप पूरा दिन सिर्फ महिलाओं से चर्चा के लिये सत्र बुलवाने की कृपा करिये.

श्री सज्‍जन सिंह वर्मा -- महिलाओं पर प्रश्‍न चिह्न नहीं लग रहा है, मंत्री जी पर प्रश्‍न चिह्न लग रहा है, उनका स्‍पेसिफिक प्रश्‍न है, वह इतिहास भूगोल लेकर बैठ गये हैं.

डॉ.प्रभुराम चौधरी -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय.

अध्‍यक्ष महोदय -- मंत्री जी, आप थोड़ा सा रूके रहिये, मैं कहना यह चाहता हूं कि हमारे प्रथम बार के विधायकों की योग्‍यता पर प्रश्‍न चिन्‍ह मत लगाओ, वह स्‍वयं सक्षम है, यह मैं कह रहा हूं.

डॉ. प्रभुराम चौधरी -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जो जांच की गई, जो प्रकरण बनाये गये, उन प्रकरणों का चालान भी कोर्ट में प्रस्‍तुत किया गया है, इसके अंतर्गत हम लोगों ने निरीक्षण के दौरान जो पायें गयें हैं, उसमें से एक कारोबारी के विरूद्ध और सौलह कारोबारियों के विरूद्ध यह कार्यवाही की गई है और प्रकरण न्‍यायालय में लंबित है.

श्रीमती कृष्‍णा गौर -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं अपना प्रश्‍न करने के लिये सक्षम हूं, कृपया कोई इसमें हस्‍तक्षेप न करें, क्‍योंकि बहुत महत्‍वपूर्ण प्रश्‍न है. विभाग ने जो जवाब दिया है, उसी के आधार पर ही मैंने यहां पर अपना पूरक प्रश्‍न लगाया है कि जो प्रकरण विवेचनाधीन हैं, इसका मतलब यह है कि वह कोर्ट में प्रस्‍तुत नहीं हुए हैं. अभी माननीय मंत्री जी यह कह रहे हैं कि वह कोर्ट में प्रस्‍तुत हो गये हैं, वह कोर्ट में प्रस्‍तुत नहीं हुए हैं, तो इसमें जिन अधिकारियों की लापरवाही है, उन पर कोई कार्यवाही होगी या नहीं? यह मैं आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री जी से पूछना चाहती हूं.

डॉ.प्रभुराम चौधरी -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्‍या जी के प्रश्‍न का जवाब दे रहा हूं, जो प्रकरण बनाये जाते हैं, उनकी विवेचना होती है और विवेचना करने के बाद प्रकरणों को न्‍यायालय में भेजते हैं और भोपाल के 115 नमूने लिये हैं, उसमें से 67 प्रकरण न्‍यायालय में लगा दिये गये हैं

श्रीमती कृष्‍णा गौर -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, कोई समय सीमा बता दें क्‍योंकि 11 महीने हो गये हैं. विवेचना के विलंब का क्‍या कारण है?

डॉ.प्रभुराम चौधरी -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, विवेचना की जाती है और विवेचना करने के बाद प्रकरणों को न्‍यायालय में भेजा जाता है, यदि आपकी नॉलेज में ऐसा कोई मामला हो, जो कि अभी आपको अगर कोई लंबित लगता है तो उसको भी तत्‍काल न्‍यायालय में भेज देंगे.

श्रीमती कृष्‍णा गौर -- मेरा पूरक प्रश्‍न तो आपने जो उत्‍तर दिया है, उसी के आधार पर है कि उस मामले में विवेचना ही चल रही है, 11 महीने से उसको कोर्ट में प्रस्‍तुत नहीं किया गया है, उसकी वजह क्‍या है?

डॉ.प्रभुराम चौधरी -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं माननीय विधायिका जी को यह बताना चाहता हूं कि जो अमानक पनीर जप्‍ती की उन्‍होंने जो बात की है, जिसकी 4.60 लाख की बात कही गई है, वह भी प्रकरण एक माह के अंदर न्‍यायालय में लगा दिया जायेगा.

श्रीमती कृष्‍णा गौर -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा दूसरा पूरक प्रश्‍न इस बात का है कि पहले वाले प्रकरण में तो उस प्रकरण को न्‍यायालय में पेश नहीं किया गया है.

अध्‍यक्ष महोदय -- उन्‍होंने कह दिया है कि एक महीने में पेश कर देंगे.

श्रीमती कृष्‍णा गौर -- दूसरा वाला मेरा पूरक प्रश्‍न इस बात का है कि जो सैंपल लिये गये हैं, उस सैंपल की रिपोर्ट अगर पांच महीने में आयेगी तो फिर उसकी जांच कब होगी और वह खाद्य सामग्री क्‍या बाजार में बिकेगी नहीं या उस खाद्य विक्रेता की दुकान सील की जायेगी ? क्‍योंकि ऐसे भी जवाब दिये हैं कि जिसका सैंपल लिया गया और उसकी रिपोर्ट पांच महीने में आई है और पांच महीने के बाद रिपोर्ट आने का क्‍या कारण है? क्‍योंकि रिपोर्ट तो तत्‍काल आना चाहिये और अगर पांच महीने बाद रिपोर्ट आई तो उसके लिये कौन दोषी है? 

                                                                                                           

            डॉ. प्रभुराम चौधरी - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जो भी सैम्‍पल लिये जाते हैं, अब  विभाग के द्वारा और अधिक संख्‍या में, आज जितनी संख्‍या का जो हमने टारगेट अधिकारियों को दिया था, उससे दुगुने हम लोगों ने सैम्‍पल कलेक्‍ट किये हैं और इसके लिये जो देरी लग रही है, उसके लिए मध्‍यप्रदेश में हम लोग 3 लैब और बना रहे हैं, एक इन्‍दौर, ग्‍वालियर और जबलपुर में जल्‍दी ही लैब बन जाएंगी, तो जो देरी होती है, वह नहीं होगी. हम इसके लिये लगातार कार्य कर रहे हैं.

 

 

 

नियम विरुद्ध अस्पतालों का संचालन

[लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण]

        4. ( *क्र. 721 ) श्री विनय सक्सेना : क्या लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जबलपुर में विगत 5 वर्षों में किन-किन अस्पतालों में कब-कब अग्नि दुर्घटना घटित हुई है? कितनी-कितनी जनहानि हुई है? (ख) क्या दिनांक 3 अगस्त, 2022 को लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, मंत्रालय भोपाल द्वारा जारी पत्र जिसमें जिलों के समस्त पंजीकृत निजी नर्सिंग होम के निरीक्षण आदि के निर्देश दिए गये थे? यदि हाँ, तो उक्त के पालन में किन-किन निजी नर्सिंग होम का पंजीयन निरस्त किया गया है? (ग) क्या दिनांक 6 अगस्त, 2021 को मंत्रालय द्वारा नर्सिंग होम के नियमित निरीक्षण किये जाने के संबंध में जारी पत्र में अनेक्सर-1 में लीगल कम्प्लाइन्स के अंतर्गत भवनों का बिल्डिंग कम्पलीशन लायसेंस उल्लेखित था? यदि हाँ, तो 3 अगस्त, 2022 को जारी पत्र में बिल्डिंग कम्पलीशन के स्थान पर बिल्डिंग परमीशन शब्द क्यों लिखा गया? दोनों शब्दों की क्या-क्या परिभाषाएं एवं मायने हैं? (घ) क्या सक्षम अधिकारी द्वारा जारी बिल्डिंग कम्पलीशन सर्टिफिकेट एवं अस्थाई फायर एन.ओ.सी. के बगैर किसी भवन में निजी नर्सिंग होम संचालन की अनुमति जारी की जा सकती है? (ड.) जबलपुर में विगत दिनों निजी अस्पताल में घटित अग्नि दुर्घटना की संभागायुक्त द्वारा की गयी जाँच की रिपोर्ट सदन के पटल पर रखें।

        लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री (डॉ. प्रभुराम चौधरी) : (क) जबलपुर जिले में दिनांक 01/08/2022 को न्‍यू लाईफ मल्‍टी स्‍पेशलिटी हॉस्पिटल में अग्नि दुर्घटना घटित हुई है। उक्‍त अग्निकांड में कुल 8 लोगों की मृत्‍यु हुई है। (ख) जी हाँ। लोक स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण विभाग के संदर्भित निर्देश के पालन में 34 नर्सिंग होम के पंजीयन निरस्‍त किए गए। जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '''' अनुसार है। (ग) जी हाँ। म.प्र. उपचर्यागृह एवं रूजोपचार संबंधी स्‍थापनाएं (रजिस्‍ट्रीकरण तथा अनुज्ञापन) नियम1997 के अनुसूची-दो के ख (एक) अनुसार उपचर्यागृह के लिए उपयोग में लाए गए भवन के संबंध में समय-समय पर प्रवृत्‍त सुसंगत नगर पालिक उप विधियों को पालन किया जाना है। तदानुसार म.प्र. नर्सिंग होम एसोसिएशन द्वारा प्रस्‍तुत ज्ञापन दिनांक 15/02/2022 के परीक्षण एवं प्रादेशिक प्रासंगिकता को दृष्टिगत रखते हुए दिनांक 03/08/2022 को जारी पत्र में बिल्डिंग कम्‍पलीशन के स्‍थान पर बिल्डिंग परमीशन की जानकारी चाही गई। म.प्र. भूमि विकास नियम 2012 के नियम 2 (51) में परिभाषित भवन अनुज्ञा से अभिप्रेत है 'विकास कार्य अथवा भवन निर्माण करने तथा उसे इन नियमों द्वारा विनियमित करने के लिए प्राधिकरण द्वारा लिखित में कोई प्राधिकारजो कि अन्‍यथा विधि विरूद्ध हो जाएगा। 'उक्‍त नियम के नियम 102 में भवन पूर्णता का प्रमाण-पत्र परिभाषित है जिसके अनुसार 'प्रत्‍येक स्‍वामी भवन के पूर्ण हो जाने पर उसके अधिभोग के पूर्व प्राधिकारी से इस आशय का पूर्णता प्रमाण-पत्र अभिप्राप्‍त करेगा कि मंजूर की गई योजना के अनुसार भवन पूर्ण हो गया है। (घ) जी नहीं। (ड.) जबलपुर में विगत दिनों निजी अस्‍पताल में घटित अग्नि दुर्घटना की संभागायुक्‍त द्वारा की गयी जांच की रिपोर्ट पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '''' अनुसार है।

        श्री विनय सक्‍सेना - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपको धन्‍यवाद देना चाहता हूँ. जबलपुर में एक बड़ी हृदय विदारक घटना हुई, जिसमें 8 लोग सिर्फ शासन की लापरवाही के चलते मौत के घाट उतर गये और उसमें जो संभागायुक्‍त की रिपोर्ट आई है. जो मेरा मूल प्रश्‍न था कि प्रदेश में 5 वर्षों में किस अस्‍पताल में कितनी अग्नि दुर्घटना हुईं हैं ? तो उसके बजाय माननीय मंत्री जी ने सिर्फ जबलपुर के उस अस्‍पताल की घटना का उल्‍लेख कर दिया. मैं जानना चाहता हूँ कि माननीय मंत्री जी, आपका जवाब सुबह डाक से मुझे 10 बजे मिला, लेकिन उस पर भी सिर्फ जबलपुर के अस्‍पताल की जानकारी दी गई, पूरे प्रदेश की घटनाओं का उल्‍लेख तक नहीं है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, दूसरा सभी प्रदेश के जिलों के नर्सिंग होमों के निरीक्षण की और पंजीयन निरस्‍त की जानकारी मांगी गई थी, उस पर भी जबलपुर की ही जानकारी दी गई, पूरे प्रदेश की जानकारी नहीं दी गई. तीसरा, लीगल कम्‍प्‍लायंस के समय में भवनों की बिल्डिंग का कम्‍प्लिशन सर्टिफिकेट का प्रदेश सरकार का नियम है, जिसको एक पत्र के द्वारा प्रदेश के अधिकारियों ने शिथिल कर दिया कि सिर्फ बिल्डिंग परमिशन की अनुमति के चलते ही पंजीयन हो जायेगा, जो कि अपने आप इस मौत की घटना का जिम्‍मेदार है और उसी के साथ-साथ सक्षम अधिकारी बिल्डिंग कम्‍प्‍लिशन सर्टिफिकेट के लिए एनओसी जारी करने के बाद, अनुमति जारी की जा रही है, उसके बारे में भी गोल-मोल जवाब दिया गया है.

          मेरा आपसे आग्रह है कि माननीय प्रदेश के मुख्‍यमंत्री ने इस पर कहा था कि मैं रात भर सो नहीं पाया. माननीय कमलनाथ जी ने कहा था कि मैं इस घटना से बहुत दु:खी हूँ. प्रदेश के सभी लोगों ने भी कहा. उसके बाद माननीय मंत्री जी का विभाग संभागायुक्‍त जबलपुर डिविजनल कमिश्‍नर की रिपोर्ट कहती है, पूरे के पूरे अधिकारी दोषी हैं, उन पर कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए. आज तक उनके ऊपर एफआईआर नहीं हुई है. मैं हाथ जोड़कर माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूँ कि जिनका नाम ही प्रभु है और साथ में राम जुड़ा हुआ है. प्रभु राम के आदर्शों के अनुरूप कुछ काम करके दिखाइये न. मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूँ कि उन दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही क्‍यों नहीं की जा रही है ? मैंने पहले प्रश्‍न का भी जवाब मांगा है, जो नहीं दिया गया. '' से लेकर 'ड.' तक के किसी प्रश्‍न का जवाब माननीय मंत्री जी ने नहीं दिया है. कम से कम एक-एक करके जवाब दे दें, जो मैंने पूछा था, उसका जवाब स्‍पष्‍ट कर दें.

          अध्‍यक्ष महोदय - क्‍या उसमें कार्यवाही की जायेगी ? ऐसा पूछिये न. आपने केवल अंत में यह कहा कि क्‍या हुआ ?

          श्री विनय सक्‍सेना - संभागायुक्‍त की जो रिपोर्ट आई है, संभागायुक्‍त की रिपोर्ट मेरे पास भी है.

          अध्‍यक्ष महोदय - क्‍या कार्यवाही की जायेगी ऐसा प्रश्‍न है ? वह चाहते हैं कि क्‍या कार्यवाही होगी मंत्री जी, यह बताइये.

          डॉ. प्रभुराम चौधरी - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी ने जो प्रश्‍न किया था, उसका हमने पूरा जवाब दिया है. लेकिन इसके बावजूद भी जो उनकी चिन्‍ता है, मैं आपको बताना चाहता हूँ. उन्‍होंने दो प्रश्‍न खासतौर से किये हैं- एक तो उन्‍होंने कहा कि क्‍या कार्यवाही हुई ? मैं आपके माध्‍यम से, माननीय सदस्‍य को बताना चाहता हूँ कि जो घटना हुई, वह घटना दुर्भाग्‍यपूर्ण थी और उसमें जो सरकार के द्वारा, अग्नि दुर्घटना के पश्‍चात् जो कार्यवाही की गई. हमने मुख्‍य चिकित्‍सा अधिकारी जबलपुर को निलंबित किया, दो चिकित्‍सकों पर वहां पर कार्यवाही की गई, दो उपयंत्री जो विद्युत सुरक्षा थे, सहायक विद्युत निरीक्षक को निलंबित किया, इसके अतिरिक्‍त एक सहायक अग्निशमन अधिकारी था, एक उपयंत्री नगर पालिक निगम जबलपुर, एक सहायक उपयंत्री इन सबको वहां पर निलंबित किया गया. दूसरा, जो प्रश्‍न माननीय विधायक जी का है कि जो बिल्डिंग कम्‍प्‍लिशन वाली बात है, तो मैं बताना चाहता हूँ कि हम लोगों ने वहां संभागीय कमिश्‍नर से जांच कराई, जांच कराने के बाद उच्‍चस्‍तरीय मुख्‍य सचिव की अध्‍यक्षता में एक कमेटी बनाई गई, जिसमें अन्‍तर्विभागीय ऊर्जा विभाग, नगरीय प्रशासन विभाग और स्‍वास्‍थ्‍य विभाग तीनों विभागों की मीटिंग मुख्‍य सचिव की अध्‍यक्षता में की गई और उसमें जो नियमों में सरलीकरण और किया जा सकता है, उसको वहां पर किया गया और जो आप प्रदेश की कार्यवाही की बात कर रहे हैं तो सिर्फ जबलपुर में नहीं, पूरे प्रदेश में हम लोगों ने पहले भी कार्यवाही की और उसके बाद भी उसमें जांच की गई, कई अस्‍पतालों को शो-कॉज नोटिस दिये गये, कइयों को निलंबित भी किया गया, तो यह कार्यवाही प्रदेश के अन्‍दर लगातार कम्‍प्‍लिशन सर्टिफिकेट की बात है, तो यह जो नगरीय प्रशासन विभाग इसमें कार्यवाही करता है, पहले जो प्रोविजनल एनओसी, फायर एनओसी देने की बात थी.

          उसको भी मुख्‍य सचिव की अध्‍यक्षता में निरस्‍त करते हुए जो फायर का टेम्‍पररी सर्टिफिकेट चाहिए उसके लिए भी नियम बना दिए गए हैं, उन नियमों के अंतर्गत जो पचास बिस्‍तर से अधिक का अस्‍पताल है, उसके लिए फायर सर्टिफिकेट नगरीय प्रशासन डिपार्टमेंट के माध्‍यम से प्राप्‍त करेंगे. जो अस्‍पताल पचास बिस्‍तर के अंदर, जो फायर के इंजीनियर है, और जो श्रम अस्‍पताल का मालिक है या जो अस्‍पताल खोलने जा रहा है, वह अपना लिखित में देगा उसके अनुसार सर्टिफिकेट जारी किए जाएंगे.

          श्री विनय सक्‍सेना - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, बड़ी छोटी सी बात पूछी थी, उन्‍होंने पूरी कहानी सुना दी, लेकिन मुख्‍य मुद्दे को दबा गये. मैं माननीय मंत्री जी से सिर्फ इतना पूछना चाहता हूं कि संभागीय आयुक्‍त की रिपोर्ट में कम से कम दस जगह लिखा है कि सीएमओ, नगर निगम के अधिकारी, जेडीए के अधिकारी जो आवासीय था, उसको कर्मिशियल की अनुमति दे दी और यह भी स्‍पष्‍ट लिखा है कि हमारे प्रदेश के अपर सचिव ने जो पत्र लिखा, उसमें लिखा था कि बिल्डिंग कम्‍पलीशन का शासन का नियम है. शासन के नियम को एक पत्र से कोई भी अधिकारी शिथिल कर सकता है क्‍या, उसमें साफ लिखा है कि बिल्डिंग कम्‍पलीशन हुए बगैर अस्‍पताल की एनओसी नहीं दे सकते, परन्‍तु एक पत्र और जारी हुआ मध्‍यप्रदेश के एक जिम्‍मेदार अधिकारी के नाम से, मैं उनका नाम नहीं लेना चाहता, वे यही बैठे हुए हैं, उन्‍होंने जारी कर दिया कि सिर्फ बिल्डिंग परमीशन होगी तो दे दी जाएगी, बिल्डिंग परमीशन का तो मतलब है किसी मकान की अनुमति भर दे दो चाहे मकान पूरा हुआ हो या नहीं हुआ हो, बिल्डिंग कम्‍पलीशन का मतलब है कि उसमें सभी सेवाएं लगा दी गई, इसको शिथिल करने के कारण ही जबलपुर की घटना हुई और उसी के साथ साथ भोपाल में न्‍यू लाइफ सिटी में हुई, मेदांता अस्‍पताल इंदौर में हुई, कमला नेहरु भोपाल में हुई, अशोकनगर अस्‍पताल में हुई, खरगौन जिला अस्‍पताल में हुई और शिवपुरी में हुई. सिर्फ एक पत्र की लापरवाही के कारण जो मध्‍यप्रदेश सरकार के नियमों को शिथिल करने का अधिकार क्‍या किसी अधिकारी को है. ये भी एक प्रश्‍नचिन्‍ह सरकार के ऊपर है. माननीय मंत्री जी मेरा आपसे आग्रह है, माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने कहा था कि इस तरह के चिकित्‍सालय में जो काम कर रहे हैं, ये भी तो एक तरह के माफिया है प्रायवेट, जो किसी भी तरह से अधिकारी को खरीदकर एनओसी जारी करवा लेते हैं. यही हाल पूरे प्रदेश में चल रहा है. क्‍या इस पर हमको कोई कड़े नियम नहीं बनाने चाहिए. आपने कहा कि उन्‍हें आपने निलंबित कर दिया, आज की तारीख में सभी के सभी अधिकारी बहाल कर दिए गए, तो सरकार की मंशा क्‍या है, घटनाएं होती रहे. माननीय प्रदेश के मुख्‍यमंत्री कहते हैं कि मैं गाड़ दूंगा, भून दूंगा, क्‍या नहीं होगा.

          अध्‍यक्ष महोदय - प्रश्‍न करिए.

          श्री विनय सक्‍सेना - माननीय, मेरा आग्रह यह है कि उन अधिकारियों को संस्‍पेंड करके उनके ऊपर एफआईआर क्‍यों नहीं होनी चाहिए, जिनके कारण हमारे प्रदेश के 8 लोग मर गए, क्‍या जान की कोई कीमत नहीं है, प्रदेश सरकार के सामने. ठीक है मुख्‍यमंत्री जी की तो मंशा है कि कड़ी कार्यवाही करेंगे. माननीय कमल नाथ जी की इच्‍छा है कड़ी कार्यवाही की मांग की. क्‍या माननीय मंत्री जी अपने नाम के अनुरूप कार्यवाही नहीं करेंगे? भगवान श्रीराम के आदर्श पर नहीं चलेंगे?

          डॉ. प्रभुराम चौधरी - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, ये प्रश्‍न कर रहे हैं या भाषण दे रहे हैं, भाषण देने के लिए बाहर भी दिए जा सकते हैं.

          श्री विनय सक्‍सेना - भाषण आप लोग दिया करो, जो आपके नेता लोग करते हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय - उत्‍तर आने दीजिए. माननीय मंत्री जी.

          डॉ. प्रभुराम चौधरी - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय सदस्‍य ने बताया कि नियमों में परिवर्तन किया है. मैं आपके माध्‍यम से उन्‍हें बताना चाहता हूं कि कोई भी नियम में परिवर्तन नहीं किया गया है. फायर की जो भी सर्टिफिकेट चाहिए होता है, नगरीय प्रशासन विभाग इसका आंकलन करता है, उससे जो सर्टिफिकेट आता है, उसके आधार पर हम लोग अस्‍पताल की परमीशन देते हैं. दूसरी बात इन्‍होंने कार्यवाही की कही, मैंने पूर्व में ही बता दिया कि सीएमएचओ से लेकर 8 अधिकारियों के खिलाफ  वहां पर कार्यवाही की गई और लगातार प्रयास पूरे प्रदेश के अंदर भी हम लोगों ने अस्‍पतालों की जांच की, और जहां किसी अस्‍पतालों में कोई कमी पाई गई वहां पर उन्‍हें निलंबित भी किया गया, उनको नोटिस भी दिया गया और ठीक किया जा रहा है. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मध्‍यप्रदेश के अंदर आप जानते हैं कि कोविड के समय में स्‍वास्‍थ्‍य विभाग ने मध्‍यप्रदेश में किस तरीके से काम किया है, पूरे प्रदेश के अंदर लगातार हम लोगों ने काम किया.

          श्री सोहनलाल बाल्‍मीक - आपको इसमें कोई वाहवाही लूटने की जरूरत नहीं है,लोगों को बेड नहीं मिला, ऑक्‍सीजन नहीं मिली, फेवीफ्लू नहीं मिली, रेमडिसीवर नहीं मिली, कहां की बात कर रहे हो आप, कुछ नहीं मिला. (...व्‍यवधान)

          श्री दिनेश राय मुनमन - जिस वैक्‍सीन को लगाने की आपत्ति कर रहे थे, उसी को छुप छुपकर फिर लगाया आप लोगों ने. जिन अस्‍पतालों में लोग भर्ती थे, वहां पर कांग्रेसियों का पता नहीं था. (...व्‍यवधान)

          श्री सोहनलाल बाल्‍मीक - लोगों की मौत आप लोगों के कारण हुई, सरकार के कारण हुई, लोगों को बेड नहीं मिला, ऑक्‍सीजन नहीं मिल पाई.

          अध्‍यक्ष महोदय - बैठ जाइए, उनका जवाब आने दीजिए.

          डॉ. प्रभुराम चौधरी - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, किसी भी नियम में.

          अध्‍यक्ष महोदय - मंत्री जी, सदस्‍य का सीधा प्रश्‍न ये है कि अभी तक नियम ये था कि बिल्डिंग के कम्‍पलीट होने के बाद, जब बिल्डिंग कम्‍पलीट हो जाएगी तब उनको सर्टिफिकेट देंगे, अभी उनका कहना है कि बिल्डिंग के लिए अनुमति भर मिल जाए, परमीशन मिल जाए, कन्‍सट्रक्‍शन की तभी आप सर्टिफिकेट दे देंगे ऐसा कोई संशोधन हुआ है क्‍या ये जानना चाहते हैं?

          डॉ. प्रभुराम चौधरी--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य को आपके माध्यम से बताना चाहता हूं कि नियमों में हमने कोई भी परिवर्तन नहीं किया है.

          श्री विनय सक्सेना-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह 15.8.22 का पत्र है. मध्यप्रदेश संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं का जिस बिल्डिंग कम्पीशियन सर्टीफिकेट की अनिवार्यता थी. यह शासन के नियम हैं कि इन्हीं के एक अधिकारी के द्वारा 3.8.22 को अगर आप अनुमति दें तो उस अधिकारी का नाम ले सकता हूं वह यहां पर बैठे हैं. इसके द्वारा यह छूट दी गई अपर मुख्य सचिव मध्यप्रदेश शासन के द्वारा कि सिर्फ बिल्डिंग की परमीशन होगी तो भी हम उसका पंजीयन कर देंगे. मैं आपसे कहना चाहता हूं कि यह दोनों कागज मध्यप्रदेश शासन के हैं जो आप मुझसे मंगा सकते हैं मैं आपके सामने रख सकता हूं. माननीय मंत्री इस सदन में असत्य बोल रहे हैं. आप असत्य क्यों बोल रहे हैं मैं आपसे हाथ जोड़कर बोल रहा हूं. मैं आपसे एक और बात कहना चाहता हूं कि आप कोरोना की बात मत छेड़ना नहीं तो पूरी पिक्चर मैं बता दूंगा.

          अध्यक्ष महोदय--आप पीछे मत जाईये.

          श्री आरिफ मसूद--रेमडेसिविर इंजेक्शन तो सरकार लोगों को उपलब्ध नहीं करवा पाई.

          डॉ. प्रभुराम चौधरी--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपको बताना चाहता हूं कि रेमडेसिविर इंजेक्शन भी सरकार के द्वारा ही उपलब्ध करवाया गया है.

          अध्यक्ष महोदय--वर्तमान प्रश्न के बारे में कहिये.

          डॉ. प्रभुराम चौधरी--माननीय अध्यक्ष महोदय, बिल्डिंग की परमीशन की बात माननीय सदस्य जी ने यहां पर बतायी है. हमारा स्वास्थ्य विभाग तथा नगरीय प्रशासन विभाग के नियमों के अंतर्गत जो हमको एनओसी मिलती है तथा फायर का सर्टिफिकेट मिलता है. उसको भी हमने सर्टिफाईट किया है. इसके बाद मैं आपको बताना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश नर्सिंग एसोसिएशन के ज्ञापन क्रमांक 15.2.22 में उल्लेख किया है कि प्रदेश में उनके द्वारा निर्मित क्षेत्रपाल एवं स्वीकृत मेप अनुसार वाणिज्यिक सम्पत्ति कर की विधिवत् अदायगी की जाती है. यह भी उल्लेख किया है कि प्रदेश के अधिकांश निजी अस्पतालों का निर्माण पुराना है और कुछ के संचालन किराये के भवनों में किये जाते हैं इसलिये अनुरोध किया गया है कि ज्यादातर अस्पतालों में बिल्डिंग कम्पलीशियन सर्टिफिकेट नहीं होते हैं. इसलिये उपरोक्त को दृष्टिगत रखते हुए बिल्डिंग कम्पलीशियर के स्थान पर बिल्डिंग परमीशन को मान्य किया जाये.

          अध्यक्ष महोदय--यह तो कह रहे हैं यही तो उनका प्रश्न है. उनका प्रश्न यह है कि सरकार की तरफ से आदेश किसी अधिकारी ने दिया है, यही तो प्रश्न कर रहे हैं.

          डॉ. प्रभुराम चौधरी--माननीय अध्यक्ष महोदय, नियमों में तो सरकार ने परिवर्तन किया नहीं है. नियमों में परिवर्तन की जहां तक बात है.

          अध्यक्ष महोदय--नियमों में परिवर्तन तो आप ही करेंगे को अधिकारी थोड़े ही न करेगा.

          डॉ. प्रभुराम चौधरी--माननीय अध्यक्ष महोदय, ज्यादातर बिल्डिंगो के कम्पलीशियन सर्टिफिकेट होते ही नहीं है. उसको सरलीकरण करके ज्यादा से ज्यादा नर्सिंग होम एसोसिएशन ने जो बताया गया है कि इनके सर्टीफिकेट बनते ही नहीं हैं जो बिल्डिंग की परमीशन मिलती है और बिल्डिंग बन जाती है. हमको फिर फायर का सर्टिफिकेट नगरीय प्रशासन विभाग के द्वारा अथवा नगर पालिका के द्वारा मिल जायेगा उसके आधार पर स्वास्थ्य विभाग काम करता है.

          अध्यक्ष महोदय--माननीय मंत्री जी नियमों में संशोधन का अथवा परिवर्तन का कोई भी अधिकार आपको है, सरकार को है, किसी अधिकारी को है क्या ? अधिकारी नियमों में परिवर्तन कैसे करेगा ?

            डॉ. प्रभुराम चौधरी--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं बताना चाहता हूं कि नियमों में परिवर्तन नहीं किया गया है.

          अध्यक्ष महोदय--अभी तो आपने पढ़ा ना परमीशन के बारे.

          डॉ. प्रभुराम चौधरी--माननीय अध्यक्ष महोदय,यह सरक्यूलर नर्सिंग होम एसोसिएशन ने जो ज्ञापन दिया है. उसके आधार पर यह सरक्यूलर जारी किया गया है न कि नियमों में परिवर्तन किया गया है. मैं स्पष्ट रूप से माननीय सदस्य को बताना चाहता हूं कि नियमों में कोई भी परिवर्तन नहीं किया गया है. नर्सिंग होम एसोसिएशन ने जो ज्ञापन दिया है कि व्यवहारिक रूप से कम्पलीशियन सर्टिफिकेट नगर निगम के द्वारा जारी नहीं किया जाता है. जब बिल्डिंग की परमीशन होती है उस समय इसकी परमीशन ली जाती है. इसके लिये सरक्यूलर जारी किया है. नियमों में कोई परिवर्तन नहीं किया है.

          श्री तरूण भनोत-- माननीय अध्यक्ष महोदय,मेरा भी यही प्रश्न है कि विभागीय आयुक्त महोदय ने साफ साफ शब्दों में अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि जो नक्शा प्रस्तुत किया गया था उसमें दो मंजिलों की परमीशन थी जब यह दुर्घटना हुई और उसकी जांच हुई तो उसमें अतिरिक्त दो मंजिले पाई गईं.

          श्री ठाकुर सुरेन्द्र सिंह नवल सिंह (शेरा भैया)--अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे हाथ जोड़कर निवेदन है कि आपने नये विधायकों को प्रश्न पूछने का मौका दिया है. अगर एक ही प्रश्न का जवाब इतनी देर तक चलेगा तो हमारे प्रश्न पर मौका ही नहीं मिलेगा. आपसे निवेदन है कि प्रश्नकाल का समय बढ़ाया जाये अथवा आज के प्रश्न पूरे किये जायें.                                                            

          श्री तरूण भनोत:- अध्‍यक्ष महोदय, यह गंभीर विषय यह है कि जब परमीशन दो बिल्डिंग बनाने की मिली.नक्‍शा दो मंजिलों का पास हुआ तो अस्‍पताल चालू कैसे हुआ ? जहां आठ लोग जो इलाज कराने के लिये गये थे उनकी जलकर मृत्‍यु हो गयी. दो मंजिल के अस्‍पताल में चार मंजिल चालू हो गयी, उस अस्‍पताल को आपने परमीशन कैसे दी और वह अस्‍पताल शुरू कैसे हुआ ? यह आयुक्‍त महोदय का जवाब है, जो रिपोर्ट आयी है और मेरा भी प्रश्‍न भी यही है.

(व्‍यवधान)

          अध्‍यक्ष महोदय:- नहीं-नहीं, तरूण जी..

          श्री तरूण भनोत:- 8 लोगों की मृत्‍यु हुई है, यह बहुत गंभीर मुद्दा है और उस अस्‍पताल को 2 मंजिल की स्‍वीकृति थी. (व्‍यवधान)

          श्री विनय सक्‍सेना:- अध्‍यक्ष महोदय, मेरा आपसे इतना आग्रह है कि मंत्री जी ने स्‍वीकार कर लिया है, उन्‍होंने पहले कुछ और कहा था और बाद में कुछ ओर कहा और उन्‍होंने यह कह दिया कि नियम शिथिल किये गये और निजी नर्सिंग होम पर काम किये गये ना सरकार के केबिनेट के डिसीजन को या मध्‍यप्रदेश सरकार के नियमों को एक अधिकारी अपने मन से बदल सकता है. दूसरी बात, यह है कि आज की तारीख में एक भी अधिकारी निलम्बित नहीं है. अध्‍यक्ष जी, इसका जवाब दिलवा दीजिये.

          श्री तरूण भनोत:- सबसे मुख्‍य मुद्दा यह है कि जिसको सरकार ने दो मंजिल बनाने की परमीशन दी और वहां दो अतिरिक्‍त मंजिलें बनकर अस्‍पताल शुरू हो गया, सरकार सोती रही और 8 लोगों की जलकर मृत्‍यु हो गयी.

          श्री विनय सक्‍सेना:- माननीय मंत्री जी ने सदन में दो बार असत्‍य बात कही, वह उस बात को स्‍पष्‍ट कर दें कि क्‍या बिना केबिनेट में आये निर्णय हो जायेगा अधिकारी का और आपने भी उसी बात को इंगित किया है.

          श्री तरूण भनोत:- हमारी यह मांग है कि सदन के सदस्‍यों की समिति पूरे मामले की जांच करे, जहां पर 8 लोगों की मृत्‍यु हुई, क्‍या यह मजाक का मुद्दा है.

          अध्‍यक्ष महोदय:- तरूण जी आप बैठ जाइये.

          श्री तरूण भनोत:- 8 मरीज जो अस्‍पताल अपनी जान बचाने गये थे उनकी जलकर मृत्‍यु हो जाती है. मेरा निवेदन है कि इस मुद्दे को गंभीरता से लेना चाहिये और इसमें सदन की जांच समिति बनाकर चांच की जाये....

          अध्‍यक्ष महोदय:- आप बैठ जाइये. मैं तो खड़ा हूं ना. सदन का नेता खड़ा होता है तब, नेता प्रतिपक्ष खड़े होते हैं तब भी और कम से कम मैं, खड़ा हूं तो आप मेरे लिये तो बैठ जायें.

          श्री तरूण भनोत:- अध्‍यक्ष जी, 8 लोगों की मृत्‍यु हो गयी.

          अध्‍यक्ष महोदय:- उसकी सब को चिंता है. माननीय मंत्री जी इसमें दो प्रश्‍न खड़े हुए हैं. एक उनका कहना यह है कि कोई आपका नियम बना हुआ है, जिसमें यह है कि बिल्डिंग कम्‍प्‍लीट होने के बाद आप उसको प्रमाण देंगे.  आप यह कह रहे हैं कि कोई सर्क्‍युलर निकल गया, जिसमें यह है कि केवल बिल्डिंग बनाने की परमीशन मिल जाये, तभी हम उसको दे देंगे. आप इसको बैठकर के देखिये. फिर से इसका एक बार परीक्षण करिये की क्‍या हो सकता है और परीक्षण करने की आवश्‍यकता है.

          श्री तरूण भनोत:- अध्‍यक्ष महोदय, इसमें सदन की समिति बनायी जाये.

          संसदीय कार्य मंत्री( डॉ. नरोत्‍तम मिश्रा):- जी, अध्‍यक्ष जी आसंदी के आदेश का पालन होगा. इसका दोबारा बैठकर परीक्षण करेंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय:- ठीक है.

          श्री तरूण भनोत:- अध्‍यक्ष जी 8 लोगों की मृत्‍यु हो गयी.

          अध्‍यक्ष महोदय:- नहीं आ गया ना की परीक्षण करा लेंगे.

          श्री तरूण भनोत:- परीक्षण क्‍या ? इसमें सदन की जांच समिति क्‍यों नहीं बनेगी.

          अध्‍यक्ष महोदय:- उसमें टेक्‍न्किल चाहिये.

          श्री तरूण भनोत :- 8 लोगों की मौत से गंभीर मुद्दा क्‍या होगा. (व्‍यवधान)

          अध्‍यक्ष महोदय:- नेता प्रतिपक्ष जी, अभी उन्‍होंने कह दिया है कि हम इसका परीक्षण करा लेते हैं,उस नियम के बारे में. (नेता प्रतिपक्ष के खड़े होने पर)

          नेता प्रतिपक्ष ( डॉ. गोविन्‍द सिंह):- माननीय अध्‍यक्ष जी, अगर नहीं है तो कोई उच्‍च-स्‍तरीय समिति बना दें, जांच तो कम से कम करें.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्रा:- नेता प्रतिपक्ष कह रहे हैं तो जांच करा देंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय:- कह दिया है कि जांच करा देंगे. (व्‍यवधान)

          अध्‍यक्ष महोदय:- प्रश्‍न क्रमांक-5.

          अनुबंध एवं शर्तों अनुसार कार्य पूरा न करने वालों पर कार्यवाही

[लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी]

5. ( *क्र. 876 ) श्री शरद जुगलाल कोल : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे क  (क) शहडोल जिले में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा कौन-कौन से निर्माण कार्य कितनी-कितनी लागत से कराये जा रहे हैं, इन कार्यों बावत् कार्यादेश कब-कब, किन-किन संविदाकारों को किन-किन शर्तों पर दिये गये? शर्तों की प्रति देते हुये बतावें कि‍ कार्यों की भौतिक स्थिति‍ क्या है? कार्यों के गुणवत्ता के सत्यापन का कार्य कब-कब, किन-किन सक्षम अधिकारियों द्वारा किया गया? (ख) प्रश्‍नांश (क) संदर्भ में पेयजल आपूर्ति बावत् विभाग द्वारा कौन-कौन सी योजनाएं संचालित की जा रही हैं? संचालित योजनाओं के कार्यों की भौतिक स्थिति‍ क्या है? इन कार्यों को कराए जाने बावत् कार्यादेश किन-किन संविदाकारों को कब-कब अनुबंध की शर्तों के अनुसार दिए गए? शर्तों अनुसार क्या कार्य कराए जा रहे हैं? अगर नहीं तो इस पर कार्यवाही कब-कब किन-किन पर की गई? (ग) प्रश्‍नांश (क) एवं (ख) के तारतम्य में जल जीवन मिशन के तहत किन-किन ग्राम पंचायतों का चयन किया गया है? प्रश्‍नांश (क) अनुसार जानकारी जनपदवार, ग्राम पंचायतों की देवें। कार्यों की भौतिक स्थिति‍ क्या है, कितनी ग्राम पंचायतों को इस योजना का कार्य पूर्ण कर मीठा पानी पीने हेतु दिया जा रहा है? (घ) प्रश्‍नांश (क), (ख) एवं (ग) अनुसार जिन संविदाकारों को अनुबंध की शर्तों अनुसार कार्यादेश जारी किये गए थे, शर्तों के पालन में कार्य समय में पूर्ण नहीं कराए गए, जो कार्य कराए गए उन में गुणवत्ता की कमी के साथ उपयोग की गई सामग्री की जांच सक्षम अधिकारियों द्वारा नहीं की गई तो इन सब अनियमितताओं के लिए किन-किन को जिम्मेदार मानकर कार्यवाही किस तरह की करेंगे? अगर नहीं, तो क्यों?

 

          श्री शरद जुगलाल कौल:- अध्‍यक्ष महोदय, मैं, आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री जी से अनरोध कर रहा हूं कि जो मेरे प्रश्‍न का उत्‍तर दिया है. वह पूर्णत: असत्‍य है. कहीं भी कोई भी कार्य अनुबंध की शर्तों के अनुसार नहीं किया गया है. समय पर इसको करने के लिये अनुबंध इन्‍होंने 14 महीने, 18 महीने और  24 महीने की शर्तें थीं और समय सीमा के अंदर नहीं किया गया है.

          अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री जी से जानकारी चाहता हूं कि कब-कब, किस-किस पर कार्यवाही की गयी, इसका जवाब मैं मंत्री जी से चाहता हूं ? (व्‍ववधान) 

          अध्‍यक्ष महोदय:- प्रश्‍नकाल समाप्‍त.

 

 

 

                                      ( प्रश्‍नकाल समाप्‍त)

                                                                                                                                                                       

 

         

 

 

 

 

            नेता प्रतिपक्ष (डॉ. गोविन्‍द सिंह)-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जब सभी की मांग है तो एक समिति बन जाये, समिति जांच कर लेगी, रिपोर्ट आ जायेगी, इसमें क्‍या दिक्‍कत है, सच्‍चाई सामने आ जायेगी.

          यदि स‍रकार हमारी बात नहीं मान रही है तो फिर हम बहिर्गमन कर देंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय-  डॉ. गोविन्‍द सिंह जी, मैं, आपकी ही बात बोल रहा हूं. आप पहले मेरी बात तो सुन लीजिये.

12.01 बजे

अध्‍यक्षीय व्‍यवस्‍था

अविश्‍वास प्रस्‍ताव की सूचना को कार्यसूची में शामिल कर अग्रेतर कार्यवाही की जाना

          माननीय सदस्‍यगण, जैसा कि मेरे द्वारा कल सदन में उल्‍लेख किया गया था कि माननीय नेता प्रतिपक्ष द्वारा दी गई अविश्‍वास प्रस्‍ताव की सूचना मेरे समक्ष विचाराधीन है. प्रतिपक्ष से आरोप-पत्र भी कल दिनांक 19.12.2022 को प्राप्‍त हुए है. प्रस्‍ताव नियमानुसार है. अत: विधान सभा प्रक्रिया के नियम 143 (2) के तहत अविश्‍वास प्रस्‍ताव की सूचना को दिनांक 21.12.2022 की कार्यसूची में शामिल कर अग्रेतर कार्यवाही की जायेगी.

          डॉ. गोविन्‍द सिंह-  अध्‍यक्ष महोदय, धन्‍यवाद.

          श्री तरूण भनोत- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जबलपुर में जो आठ लोग मर गए हैं, उनके लिए कुछ व्‍यवस्‍था कीजिये. हम लोग जनता को क्‍या जवाब दें ? सरकार सुन नहीं रही है. अगर सदन में भी इस पर चर्चा नहीं होगी ?.......... ...व्‍यवधान...

12.02 बजे     

गर्भगृह में प्रवेश एवं वापसी

इंडियन नेशनल कांग्रेस की सदस्‍यगण श्री फुन्‍देलाल सिंह मार्को द्वारा गर्भगृह में प्रवेश

 

(इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्‍य, श्री फुन्‍देलाल सिंह मार्को द्वारा आदिवासी क्षेत्रों में बिजली की समस्‍या से संबंधित बैनर पहन कर गर्भगृह में प्रवेश किया गया.)

          अध्‍यक्ष महोदय-  मार्को जी, आप कृपया अपनी सीट पर जायें और इस बैनर को उतार दें. एक बार फोटो आ चुकी है. नेता प्रतिपक्ष जी, आप कृपया समझायें.

(नेता प्रतिपक्ष एवं अध्‍यक्ष महोदय की समझाईश के पश्‍चात् श्री फुन्‍देलाल सिंह मार्को, सदस्‍य अपने आसन पर वापस गए.)

          श्री कांतिलाल भूरिया-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, खंडवा में आदिवासी बच्‍ची के साथ बलात्‍कार कर, उसे जहर देकर मार दिया गया. पुलिस एफ.आई.आर. दर्ज करने को तैयार नहीं है.

...व्‍यवधान...

  12.03 बजे

नियम 267 (क) के अधीन विषय

          अध्‍यक्ष महोदय-  शून्‍यकाल की सूचनायें पढ़ी जायेंगी.

(1) ईसाई मिसनरीज द्वारा सैकड़ों एकड़ भूमि पर अवैध कब्‍जा किया जाना

          श्री शैलेन्‍द्र जैन (सागर)- 

 

(2) नर्मदापुरम जिले में विस्‍थापित बंगाली काबिज शरणार्थीयों को विसंगति के कारण पट्टा नवीनीकरण की कार्यवाही लंबित होना

 

          डॉ. सीतासरन शर्मा (होशंगाबाद)-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय,

...व्‍यवधान...

          डॉ. गोविन्‍द सिंह-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, भूरिया जी, के जिले में एक बच्‍ची का बलात्‍कार हुआ.

          अध्‍यक्ष महोदय-  पहले शून्‍यकाल हो जाने दीजिये. मैं, पहले शून्‍यकाल की सूचनायें पढ़वा लूं.

 

 (3) प्रदेश में नगरीय निकायों की चुंगी क्षतिपूर्ति की राशि में कमी किए जाने के कारण निकाय के कर्मचारियों को वेतन समय पर न मिल पाना

 

          श्री दिलीप सिंह गुर्जर (नागदा-खाचरोद)-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय,

 

(4) भोपाल स्थित शासकीय कार्यालयों में साफ-सफाई हेतु नियुक्‍त ठेकदारों द्वारा ठेका मजदूरों का शोषण किया जाना.

 

          श्री पी.सी. शर्मा (भोपाल दक्षिण-पश्चिम)-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय,

            

(5) प्रदेश में नागरिकों की सुरक्षा को देखते हुए लायसेंसी शस्‍त्रों के नवीनीकरण में शुल्‍क वृद्धि पर पुनर्विचार किया जाना.

 

          श्री देवेन्‍द्र वर्मा (खण्‍डवा)-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरी शून्‍यकाल की सूचना का विषय है कि

 

 

 

(6) रायगढ़ जिले में पटवारी प्रशिक्षण के नाम पर फर्जी भुगतान किया जाना.

         

          श्री पांचीलाल मेड़ा ( धरमपुरी) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय,

 

 

 

(7)     श्री अजय कुमार टंडन (अनुपस्थित)

(8)     श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव (अनुपस्थित)

 

(9)    शासकीय उचित मूल्य की दुकान पर फिंगर प्रिंट/ अंगूठा लगाने के उपरांत भी    प्रिंट नहीं आने के कारण उपभोक्ताओं को राशन न मिल पाना.

 

          इंजीनियर प्रदीप लारिया (नरयावली) -- माननीय अध्यक्ष महोदय,

(10)    प्रदेश में लम्बे समय से कार्यरत अतिथि शिक्षकों की विभिन्न प्रकार की   विसंगतियाँ होना.

 

          श्री बहादुर सिंह चौहान (महिदपुर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना इस प्रकार है--

 

 

 

12.13 बजे                             शून्यकाल में  मौखिक उल्लेख

किसानों की ऋण माफी से संबंधित प्रश्न का उत्तर न आ पाना

 

          श्री जितु पटवारी (राऊ) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आसंदी और सदन को लेकर मंत्रियों द्वारा जो अवहेलना की जाती है उसको आपके और सदन के संज्ञान में लाना चाहता हूँ.  मैंने दस बार एक ही प्रश्न पूछा उस प्रश्न का दस बार एक ही जैसा उत्तर मिला कि "जानकारी एकत्रित की जा रही है". आदरणीय मुख्यमंत्री जी से भी मेरा अनुरोध है कि यह सदस्यों का विशेषाधिकार है. इस प्रश्न को मैंने ध्यान आकर्षण में भी लगाया था. उसका उत्तर मुझे मिला है. ध्यानाकर्षण में नियम और तालिका का विवरण दिया और कहा गया कि आप इस संदर्भ में, इस नियम के तहत इसे लगा दीजिए. फिर मैंने विशेषाधिकार में उसको भी लगाया. उसके बाद आज की तालिका में उत्तर आया वह उत्तर भी आया है कि  "जानकारी एकत्रित की जा रही है".

          अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न था कि किसानों की ऋण माफी को लेकर विभाग जानकारी दे, सरकार जानकारी दे कि क्या स्थिति है. आदरणीय मंत्री जी ने कल पांच ट्विट किए जिसमें इस संदर्भ को लेकर बात की गई कि पिछली सरकार ने किसानों के ऋण माफ नहीं किए और जो दोषी हैं उनको जेल तक होना चाहिए. ऐसे भी ट्विट किए हैं. परन्तु जब यही प्रश्न मैंने दस बार पूछा सभी विधायकों ने एक-एक बार लगाया सभी में जवाब आया कि जानकारी एकत्रित की जा रही है. अध्यक्ष महोदय, यह तो आपका और आसंदी का अपमान है. सदस्यों का अपमान तो है ही परन्तु आपका भी अपमान है. इस पर आप संज्ञान लें और इस पर कोई कार्यवाही करें. अन्यथा यह सदस्यों के विशेषाधिकार का हनन होगा. आप मंत्री जी को निर्देश दें. यह कृषि मंत्री कमल पटेल जी के संदर्भ में मैंने कहा है. कृपया करके आप इस पर ध्यान दें.

          अध्यक्ष महोदय -- कल भी आपको अवसर आएगा. श्री तरुण भनोत.

          नेता प्रतिपक्ष (डॉ. गोविन्द सिंह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसी प्रश्न का उत्तर श्री जयवर्धन जी और श्री बाला बच्चन के प्रश्न में पिछले सत्र में आ चुका है. सदन में मंत्री जी ने स्वीकार किया है. उस प्रश्न का उत्तर हमारे पास है जिसमें कहा गया है कि 27 लाख से अधिक किसानों का कर्जा माफ हो चुका है. एक तरफ आप सदन में स्वीकार कर चुके हैं तो फिर उसका जवाब देने में माननीय राजस्व मंत्री को क्या परेशानी है.

          श्री जितु पटवारी -- अध्यक्ष महोदय, यह दो तरह की बातें हो रही हैं इस पर तो उनको बोलना पड़ेगा न. एक तरफ एक ही प्रश्न का दस बार उत्तर दे रहे हैं कि जानकारी एकत्रित की जा रही है. इसका मतलब क्या है. आप क्या बताना चाहते हैं और क्या छुपाना चाहते हैं. सदन को निर्देश दें, विभाग को निर्देश दें.

          अध्यक्ष महोदय -- यह शून्यकाल है इसे प्रश्नोत्तर काल न बनाएं.  कल आपको अवसर मिलेगा.              नेता प्रतिपक्ष (डॉ.गोविन्‍द सिंह) -- अध्‍यक्ष महोदय, जब आपने दो बार सदन में स्‍वीकार कर लिया और लिखित में जवाब दे दिया कि 27 लाख से अधिक कर्जा माफ हुआ है फिर आपको क्‍या परेशानी है, सच्‍चाई बोलने में.

          अध्‍यक्ष महोदय -- ठीक है.

          लोक निर्माण मंत्री (श्री गोपाल भार्गव) -- अध्‍यक्ष जी, यह शून्‍यकाल की सूचना है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं, इसलिए तो प्रश्‍न उत्‍तर नहीं करना है.

          श्री गोपाल भार्गव -- अध्‍यक्ष जी, अविश्‍वास प्रस्‍ताव ला रहे हैं, तो उसी पर चर्चा करवाओ.

          अध्‍यक्ष महोदय -- हां, यह कह दिया है कल मौका आएगा न. श्री तरूण भनोत जी.

 

 

जबलपुर जिले के पनागर तहसील अंतर्गत सहकारी समिति सिंगौद के गेहूं खरीदी केन्‍द्र में घोर अनियमितता की शिकायत.

 

          श्री तरूण भनोत (जबलपुर-पश्‍चिम) -- अध्‍यक्ष महोदय,

         

 

          श्री उमाकांत शर्मा -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं एकमात्र आपका ध्‍यान आकर्षित करना चाहता हॅूं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं हो गया. कल मौका लगेगा.

          श्री फुन्‍देलाल सिंह मार्को (पुष्‍पराजगढ़) -- अध्‍यक्ष महोदय जी, मेरे विधानसभा क्षेत्र के कमरा नं. 1, 2 में सरकार के फर्जी बिजली बिल भेजे जा रहे हैं, जिसमें मीटर नहीं है, कनेक्‍शन नहीं है. इसके बाद भी कुपोषित जनजाति बैगा, भारिया जनजाति के लोगों के यहां बिल भेजे जा रहे हैं. मैं सरकार से निवेदन करता हॅूं कि ये फर्जी बिल माफ किए जाएं, बंद किए जाएं.

 

 

12.16 बजे                         पत्रों का पटल पर रखा जाना

(1)            मध्‍यप्रदेश वित्‍त निगम के 31 मार्च, 2020 एवं 31 मार्च, 2021 को समाप्‍त हुए वर्ष के लेखों पर भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक का पृथक लेखा परीक्षा प्रतिवेदन वर्ष 2019-2020 तथा 2020-2021

 

 

 

 

 

 

 

(2) जिला खनिज प्रतिष्‍ठान जिला रीवा, सतना एवं शहडोल का वर्ष 2019-2010 तथा जिला अनूपपुर एवं सतना के वर्ष 2020-2021 के वार्षिक प्रतिवेदन

 

 

(3)    मध्‍यप्रदेश सहकारी सोसाइटी अधिनियम, 1960 की धारा 58 की उपधारा (1) (घ) की अपेक्षानुसार.

(क)    मध्‍यप्रदेश राज्‍य सहकारी बैंक मर्यादित का संपरीक्षित वित्‍तीय पत्रक वर्ष 2021-2022 एवं (ख)स मध्‍यप्रदेश राज्‍य सहकारी उपभोक्‍ता संघ मर्यादित, भोपाल (म.प्र.) का संपरीक्षित वित्‍तीय पत्रक वर्ष 2021-2011

 

(4)    एम.पी.स्‍टेट एग्रो इण्‍डस्‍ट्रीज डेव्‍हलपमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड का 50 वां वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखे वर्ष 2018-2019

 

 

(5)       मध्‍यप्रदेश लोक सेवा आयोग का 62वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2018-19

 

 

 

 

 

 

 

12.19 बजे                                  ध्‍यानाकर्षण

 

 (सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.)

 

अध्‍यक्ष महोदय -- श्री पी.सी.शर्मा जी, अपनी ध्‍यानाकर्षण की सूचना पढे़ं.

श्री उमाकांत शर्मा -- अध्‍यक्ष महोदय....

अध्‍यक्ष महोदय -- शर्मा जी, कल मौका लगेगा.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

1.              भोपाल के वार्ड क्रमांक 26 में विद्युत बिलों की अवैध वसूली किया जाना.

 

        श्री पी.सी. शर्मा (भोपाल दक्षिण-पश्‍चिम) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय,

 

          अध्‍यक्ष महोदय, मैं थोड़ा इस पर बोलना भी चाहूँगा कि इस क्षेत्र के अंदर...

          अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं, अब उनका उत्‍तर आ जाए, अभी तो आपने लिखित पढ़ दिया, अब उनका उत्‍तर आ जाए, फिर बोलिए. हमेशा पहले ध्‍यानाकर्षण की सूचना पढ़ने का काम होता है, उसमें बोलने का नहीं. माननीय मंत्री जी..

 

 

 

 

 

 

 

 

            ऊर्जा मंत्री (श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय,

 

 

          श्री पी.सी. शर्मा -- अध्‍यक्ष महोदय, यह पूरा मामला इसमें तीन चीजें हैं, एक तो इन्‍होंने कहा कि अवैध कालोनियां हैं उसमें अस्‍थाई कनेक्‍शन दिया है, अगर अवैध कालोनियां हैं तो अस्‍थाई कनेक्‍शन भी क्‍यों दिया है ? वह स्‍थाई कनेक्‍शन मांग रहे हैं तो स्‍थाई कनेक्‍शन देने में क्‍या दिक्‍कत है ? कानोनी बस गई है, वहां लोग रह रहे हैं,  उनको ज्‍यादा पैसा देना पड़ रहा है. इसके अलावा इसमें एक मुद्दा यह है कि कोविड काल के बाद से यह परेशानी चल रही है. जब कमलनाथ जी की सरकार थी तब मंत्री श्री प्रियव्रत सिंह जी थे, तो 100 यूनिट का 100 रुपये बिल आता था और यह मंत्री जी इधर थे, उस साइड जब कांग्रेस की सरकार थी, तो यह हमेशा कहते थे कि भाई, इसका विज्ञापन दो यह बड़ी अच्‍छी स्‍कीम है और वहां गए तो 100 यूनिट, 100 रुपये इन्‍होंने खत्‍म कर दिया. अगर यह 100 रुपये में 100 यूनिट मिले तो आम आदमी गरीब, वह उधर बैठे हुए लोगों की स्थिति भी वही है, दो-दो, तीन-तीन हजार रुपये लोगों के बिल आ रहे हैं, कोविड के बाद ऐसे बिल आ रहे हैं. यह विधायक जी बैठे हैं (श्री फुंदेलाल सिंह मार्को की ओर इशारा करते हुए) फर्जी बिल अनूपपुर में फुंदेलाल सिंह जी के यहां आ रहे हैं. कनेक्‍शन है नहीं लेकिन बिल आ गया. यह मेरे पास भी है भोपाल में, एक सीमा राठौर का बस्‍ती के अंदर का बिल है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं, पी.सी. शर्मा जी, वह फर्जी बिल नहीं कहलाएगा. बिल में राशि अधिक थी वह फर्जी कैसे होगा ? जब बिजली विभाग द्वारा बिल नहीं दिया जाएगा तब फर्जी कहलाएगा ना ?

          श्री फुंदेलाल सिंह मार्को -- अध्‍यक्ष महोदय (न्‍यूज पेपर लहराते हुए) मैं थोड़ा दो मिनट बोल लूं ?

          अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं, आप कैसे बोलेंगे भाई, इनको बोलने दीजिए. आप बैठ जाइए.

          श्री पी.सी. शर्मा -- अध्‍यक्ष महोदय, यह पूरे बिल हैं, कोई 25 हजार का है, कोई 30 हजार का है, कोई 24 हजार का है और एक सीमा राठौर के नाम से बिल है, उनके नाम से कनेक्‍शन है ही नहीं लेकिन 63 हजार रुपये का बिल आ गया. उसके पिता जी के नाम से कनेक्‍शन था उसके पैसे जमा हैं. दूसरी चीज, मंत्री जी को एक महिला का फोन आया कि साहब यह बिल बहुत आ गया है, तो मंत्री जी उनके घर पहुंच गए और वहां जाकर इन्‍होंने उसका‍ बिल करेक्‍ट कर दिया. बाकी जो बिल ज्‍यादा आए हैं इनको भी तो सही करो. इन बिलों का निराकरण भी करो. जब एक घर जाकर यह कर सकते हैं तो बाकी बिलों का निराकरण क्‍यों नहीं होगा ? बाकी के घर भी जाओ, यह पूरी लिस्‍ट मैं दे दूंगा.

          अध्‍यक्ष महोदय, दूसरी स्थिति इसमें यह हो रही है कि मेरे विधान सभा क्षेत्र में जहां कालोनी है वहीं पर किसानों की कृषि भी होती है, अब उनसे साल भर का बिल लिया जाता है, वह केवल तीन महीने पानी का उपयोग करते हैं और फिर उसको भी अस्‍थाई कनेक्‍शन देते हैं. अब किसान का अस्‍थाई कनेक्‍शन होगा तो क्‍या उसकी फसल आएगी और क्‍या उसको मिलेगा ? जो कहा जाता है कि किसान की इनकम दोगुना करनी है तो उसकी इनकम तो आधी भी नहीं रह जाती है. अगर वह स्‍थाई कनेक्‍शन मांग रहा है तो उसको स्‍थाई कनेक्‍शन दें और तीन महीने का बिल लें. साल भर के पैसे लिए जा रहे हैं ?

           अध्‍यक्ष महोदय, किसी बस्‍ती के अंदर कनेक्‍शन काट दिए गए तब मैंने कनेक्‍शन जोड़ दिया तो इन्‍होंने उसमें एफ.आई.आर. करवा दी और खुद जाकर वहां पर किसी के घर में, पोल पर चढ़ रहे हैं ? यह जो दोहरी नीति है यह ठीक नहीं है. कुल मिलाकर मेरा यह कहना है कि क्‍या यह 100 रुपये में 100 यूनिट का जो नियम था वह आप लागू करेंगे ? किसानों और कालोनी वालों को क्‍या स्‍थाई कनेक्‍शन देंगे ? यह मेरी मांग है.

          श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर -- अध्‍यक्ष महोदय, पहली बात मैं आपके माध्‍यम से माननीय सदस्‍य को बताना चाहता हूं कि उन्‍होंने यह कहा है कि 100 यूनिट बिजली 100 रुपये में, तो आज हम यह गर्व के साथ कह सकते हैं कि 100 यूनिट बिजली 100 रुपये में 1 करोड़, 22 लाख उपभोक्‍ताओं में से 90 लाख को दे रहे हैं. (XXX)                                                       

श्री प्रियव्रत सिंह - इसका प्रमाण दे दें. आप असत्य बोल रहे हो, विधान सभा में असत्य बोल रहे हो. गलत बात कर रहे हो. (व्यवधान).. इससे ज्यादा असत्य कुछ नहीं हो सकता. (XXX)

श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर - अध्यक्ष महोदय, मैं यह बात सदन में कह रहा हूं. सामने बैठो, रिकॉर्ड उपलब्ध करा दूंगा.

श्री पी.सी. शर्मा - यह देखो, यह 20-20, 25-25 हजार रुपये के बिल आ रहे हैं.

श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर - आप सिर्फ घोषणा करते हो. हम काम करते हैं.

श्री पी.सी. शर्मा - किसानों को बिजली नहीं मिल रही है. यह बिल बता रहे हैं, यह 20-25 हजार रुपये बिल. अध्यक्ष महोदय, यह पूरे बिल हैं. किसी के 20 हजार रुपये के, किसी के 25 हजार रुपये के बिल हैं.

श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर - आप उत्तर सुन लें. आप बात सुन लें.

श्री पी.सी. शर्मा - आप उत्तर दीजिए.

श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर - मैं उत्तर ही दे रहा हूं. आप अगर गलत हो.

श्री पी.सी. शर्मा – (XXX)

श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर - मैं सही उत्तर दे रहा हूं. अध्यक्ष महोदय, पहले यह कह दें. जो यह कह रहे हैं कि फर्जी कर रहे हैं, इसको हटाएं. विलोपित करें. यह गलत कह रहे हैं. यह सदन को गुमराह कर रहे हैं. इसको हटाएं.

(व्यवधान)..

श्री फुन्देलाल सिंह मार्को - मैं कह रहा हूं कि फर्जी दे रहे हैं, यह मेरे पास में बिल है बिना मीटर के, बिना कनेक्शन के. मैं आपको यह बिल दे दूं.  आप कह रहे हैं कि आप फर्जी बिल दे रहे हैं? मेरे पास में प्रमाण है. मेरे पास में प्रमाण है कि आपने फर्जी बिल दिया. आदिवासी लोगों को दिया.

श्री पी.सी. शर्मा - जिनके नाम से कनेक्शन नहीं है उसको बिल दे रहे हैं.

श्री फुन्देलाल सिंह मार्को - अध्यक्ष महोदय, हमने बिल लाया.

श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर - अध्यक्ष महोदय, अगर माननीय सदस्य मुझसे प्रश्न का उत्तर चाहते हैं तो उत्तर दे दूं. अब नहीं सुनना चाहते हैं तो मैं बैठ जाता हूं.

श्री सज्जन सिंह वर्मा - अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि आप परिभाषित कर दें कि जिसके नाम पर कनेक्शन नहीं, उसके वहां पर बिल जा रहा है, उस बिल को आप क्या परिभाषित करेंगे? यह आप बता दीजिए? कनेक्शन है ही नहीं और उसके वहां पर बिल जा रहा है, इसको परिभाषित करें.

चिकित्सा शिक्षा मंत्री (श्री विश्वास सारंग) - अध्यक्ष महोदय, इस ध्यानाकर्षण की यह विषय-वस्तु नहीं है.

श्री पी.सी. शर्मा - विषय-वस्तु कैसे नहीं है? बड़े-बड़े बिल आ रहे हैं.

श्री सज्जन सिंह वर्मा - माननीय मंत्री जी, जिसका कनेक्शन नहीं, उसको बिल जा रहा है. अध्यक्ष महोदय, इसका जवाब तो दिलवा दें.

श्री कांतिलाल भूरिया - अध्यक्ष महोदय, आदिवासी क्षेत्रों में बिजली भी नहीं मिल रही और उनको बिल जा रहा है?

अध्यक्ष महोदय - आप सभी बैठ जाइए.

श्री सज्जन सिंह वर्मा -लूट की दुकान बना दी है. (XXX) खजाना खाली है तुम्हारा. (XXX)

श्री कांतिलाल भूरिया - अध्यक्ष महोदय, विधान सभा में मंत्री अगर असत्य बात करें तो कैसे बर्दाश्त की जाएगी?

(व्यवधान)..

श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर - अध्यक्ष महोदय, यह जानकारी सदन को गलत दे रहे हैं.

अध्यक्ष महोदय - (कई माननीय सदस्यों के एक साथ बोलने पर) आप बैठ जाइए. माननीय मंत्री जी जवाब दे रहे हैं पहले जवाब सुन लीजिए तब फिर हम आपको बोलने की अनुमति देंगे. प्रश्न पूछने देंगे, परन्तु जवाब तो आने दीजिए. माननीय मंत्री जी.

श्री तरुण भनोत - अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी यह कह दें कि 100 रुपये नहीं, हम मध्यप्रदेश में 200 रुपये से ज्यादा बिजली का बिल नहीं लेंगे. आप बोल रहे हैं कि 100 रुपये में  100 यूनिट दे रहे हैं.  आप सदन में घोषणा कर दीजिए 100 रुपये नहीं, 200 रुपये से ज्यादा बिजली का बिल गरीबों का नहीं लेंगे.

अध्यक्ष महोदय - श्री तरूण जी, श्री पी.सी. शर्मा जी सक्षम हैं.

श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर - अध्यक्ष महोदय, मैं एक बात कहना चाहता हूं. मुझे तकलीफ इस बात की है कि श्री पी.सी. शर्मा जी योग्य विधायक हैं, अब उनके लिए 4-4 वकील खड़े हो रहे हैं? या तो उनकी योग्यता पर इनको भरोसा नहीं है.

श्री पी.सी. शर्मा - यह सब पीड़ित हैं.

श्री तरुण भनोत - मध्यप्रदेश की जनता पीड़ित है.  (XXX) उनकी नहीं.

श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर - मैं तैयार हूं फेस करने को. मैं आपके हर प्रश्न का जवाब देने को तैयार हूं, आप लोग शांति से सुनिए.

श्री सज्जन सिंह वर्मा - माननीय मंत्री जी, आप नंगे पैर क्यों घूम रहे हो?

एक माननीय सदस्य - नंगे पैर इसलिए चल रहे हैं ताकि कांग्रेस कभी सत्ता में नहीं आए.

(व्यवधान)..

श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर - अध्यक्ष महोदय, मैं जवाब देने को तैयार हूं.

श्री तरुण भनोत - माननीय मंत्री जी, 100 रुपये नहीं, 200 रुपये देने को तैयार हैं, आप घोषणा कीजिए ना, 200 रुपया बिजली का बिल लेंगे, आगे उसका कोई कनेक्शन नहीं काटेंगे. आप घोषणा करिए.

श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर - आप शांति से सुनें. प्रेम से सुनो.

श्री तरुण भनोत - आप असत्य सुनने नहीं आए हैं. (XXX)

श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर - अध्यक्ष महोदय, 100 यूनिट बिजली 90 लाख उपभोक्ताओं को 100 रुपये में दे रहे हैं. यह गर्व के साथ कह रहे हैं. आपने घोषणा की थी, हमने क्रियान्वयन किया है.

श्री तरुण भनोत -असत्य. बस्ती में खड़े हो और यह बोलो फिर देखते हैं वल्लभ भवन की बाजू वाली बस्ती में जाओ और वहां बोलो(व्यवधान) आपकी क्या हालत करेगी जनता, आप असत्य बोल रहे हैं. हर आदमी बिजली के बिल से परेशान है.

(व्यवधान)..

श्री कांतिलाल भूरिया - आदिवासी क्षेत्रों में बिजली जा नहीं रही है, जबकि आदिवासी क्षेत्रों में बिजली के बिल जा रहे हैं. माननीय मंत्री जी, आप विधान सभा में बैठे हो, आप ईमानदारी से सत्य बोलने की कोशिश करो.

(व्यवधान)..

श्री तरुण भनोत - बाजार में जाकर आप बोलिए. आप असत्य बोल रहे हैं.

श्री सुरेश राजे- अध्यक्ष महोदय, कहां बिजली मिल रही है. बताएं, क्या किसानों को बिजली मिल रही है?

श्री कुणाल चौधरी - सदन के सत्ता पक्ष के विधायकों को जनता देख रही है.

श्री सुरेश राजे - सदन में खड़े होकर सदन को गुमराह कर रहे हैं. आप असत्य बोल रहे हैं कि बिजली दे रहे हैं. कोई बिजली नहीं है. किसानों को बिजली नहीं मिल रही है. आम आदमी को बिजली नहीं है. बिजली के नाम पर सिर्फ लम्बे चौड़े बिल आ रहे हैं. (XXX)

श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर - आप जनता के हितों की बात को सुनना नहीं चाह रहे हैं, मैं यह बताना चाहता हूं, सही बात को सुनना नहीं चाह रहे हैं. यह बहुत तकलीफदेह बात है.

            अध्यक्ष महोदय --  पांचीलाल जी, आप बैठ जाइये,  मार्को जी, आप बैठिये.  मंत्री जी, आप  भी बैठ जाइये.  कुल मिलाकर विवाद यह है कि  आप कह रहे हैं कि हम  100 रुपये में दे रहे हैं.  अब आप प्रमाण भी दे रहे हैं. वह कह रहे हैं कि आप नहीं दे रहे हैं.  तो  एक तो यह साफ करना है.  अब मैं आप लोगों से भी आग्रह करना चाहता हूं, आप तो  सब जानते हैं, सब पुराने सदस्य हैं यहां विधान सभा के.  यदि ऐसा कोई असत्य कथन  किया जा रहा है, तो उसके लिये  प्रश्न एवं संदर्भ  समिति  किस बात के लिये है.  उसमें जाना चाहिये  अपने को.  एक, दूसरी बात मंत्री जी, यह वह दिखा रहे हैं कागज, अपने बिल दिखा रहे हैं.  तो उनका कहना है कि  कनेक्शन ही नहीं है, उसके बाद भी बिल आ रहे हैं.  इसकी जांच  कौन करायेगा.  इसमें इसकी जांच कराइये.

                   श्री पी.सी.शर्मा -- मंत्री जी, एक मिनट.   अध्यक्ष महोदय,  यह पक्ष भी पीड़ित है.  एक भी सदस्य मंत्री जी  के पक्ष  में नहीं खड़ा हो रहा है.   यह बिजली की समस्या है, बड़े बड़े  बिल आ रहे हैं और  लोग परेशान हैं.  किसान परेशान है, सब परेशान है बिजली के बिल से.  (सत्ता पक्ष के  माननीय सदस्यों के खड़े होने पर)  अध्यक्ष महोदय, यह मेरे बोलने के बाद खड़े हो रहे हैं.

                   श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- मैं जवाब दे रहा हूं.

                   श्री शैलेन्द्र जैन-- शर्मा जी,  किसी वकील की जरुरत नहीं है. सक्षम मंत्री जी हैं  हमारे.

..(व्यवधान)..

                   अध्यक्ष महोदय-- कृपया बैठें.   नेता प्रतिपक्ष जी खड़े हैं,  कम से कम उनको तो  देखें.  (श्री विश्वास सारंग  के खड़े होने पर) पहले नेता प्रतिपक्ष जी का हो जाये. ..  (व्यवधान).. तरुण जी,  कृपया बैठें.

..(व्यवधान

                   श्री तरुण भनोत --  पुरानी भाजपा कहां है, कैसे  भी  अब लोग आ रहे हैं.  पुरानी भाजपा नहीं मिल रही है.

                   अध्यक्ष महोदय-- तरुण जी, आपके नेता खड़े हैं.  कृपया बैठ जायें.

                   नेता प्रतिपक्ष (डॉ. गोविन्द सिंह) -- अध्यक्ष महोदय,  मैंने मंत्री जी को  3-4 पत्र  मय प्रमाण के  लिखे हैं.  जिन किसानों के  5 पावर के  कनेक्शन हैं,  उनको साढ़े सात पावर के बिल जा रहे हैं और एक नहीं  अगर आप  कहें,  तो  मैं अपनी विधान सभा  क्षेत्र के कम से कम  30-40 बिल बता सकता हूं. कुछ तो हमने जाकर, कुछ तो व्यक्तिगत जाते हैं, तो ठीक कर देते हैं अन्यथा  किसान  भटक भटक कर परेशान होता है.  कई बार  जांच हो गई, पांच पावर की मोटर  जांच में पाई गई, तो बिल साढ़े सात पावर की मोटर का,  कहीं  10  पावर की मोटर  पाई गई, तो  बिल साढ़े बारह  पावर की मोटर  का  बिल दिया गया.  उसके बाद  भी ये एकाध  जगह जहां पहुंच जाते हैं,  तो बिल सुधर जाते हैं.  बाकी आम  भारी पैमाने पर  यह पूरे जिलों में  दतिया जिले में भी, दो जिलों में  इस प्रकार की   शिकायतें हमने बिल  लेकर  आपके अधिकारियों को भेजी.  कुछ आपको  2-3 हमने  आपको व्यक्तिगत भी लिखा था. तो कृपा कर  कम से कम  इतने निर्देश दें कि  फर्जी बिल न भेजें और दूसरा  यह  एक यूनिट एक रुपये की बात है  तो  100 यूनिट तक आप 100 रुपये  लें.

                   अध्यक्ष महोदय-- वह तो उनका आ गया कि हम ले रहे हैं.

                   श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- अध्यक्ष जी, पहले मैं  ध्यानाकर्षण  से  जो  संबंधित मुद्दा है,  मैं उस पर जवाब दे दूं.  फिर बाद मैं माननीय  जी ने  जो बात कही है,  उस पर भी बात कर लूंगा.

                   श्री तरुण भनोत --  अध्यक्ष महोदय, अगर आपके क्षेत्र में  100 रुपये में बिजली मिल रही है और सबको मिल रही है,  तो हम लोग संतुष्ट हैं.  अगर आपके विधान सभा क्षेत्र में  जनता को मिल रही है, तो हम संतुष्ट हैं.  अब बता दीजिये कि  नहीं हमारे यहां सबको  100 रुपये का बिल आ रहा है, हम लोग  यह प्रश्न नहीं उठायेंगे.  अध्यक्ष जी,  एक कहावत है कि  हाथी के पांव में  सब का पांव.  तो हम आपकी बात को सत्य मान लेंगे.

                   अध्यक्ष महोदय-- आप बैठ जाइये.

                   श्री तरुण भनोत --  अध्यक्ष महोदय, अगर आपके क्षेत्र में मिल रही है, तो  हम लोग स्वीकार कर लेते हैं.

                   अध्यक्ष महोदय-- आप बैठ जाइये.  ..(व्यवधान).. मार्को जी, बैठ जाइये. अभी मैं विश्वास सारंग  जी  को कह रहा हूं,  इसके बाद मैं खुद बोलूंगा.

                   श्री विश्वास सारंग-- अध्यक्ष महोदय,  मेरा निवेदन है कि  यह सदन तो  नियम कायदे से चलेगा.  शर्मा जी का जो ध्यान आकर्षण  है,  वह भोपाल के वार्ड क्र.  26 से   संबंधित विषय है और मंत्री जी उसका जवाब दे रहे हैं.  यह नई परम्परा शुरु हो जायेगी और  माननीय नेता प्रतिपक्ष  जी तो इस सदन के  बहुत  वरिष्ठ सदस्य हैं. ..(व्यवधान)..  अध्यक्ष महोदय, यदि  ऐसा काम चलेगा,  इसका मतलब है कि  पी.सी. शर्मा जी का यह जवाब नहीं  आने देना चाहते हैं.

    ..(व्यवधान)..

                   श्री तरुण भनोत-- यह परम्परा बनाई है. अध्यक्ष महोदय, आप संरक्षण दीजिए.आपसे निवेदन है.

                   श्री विश्वास सारंग--  यह सदन नियम से चलेगा.  आज ये पी.सी. शर्मा जी का जवाब क्यों नहीं आने दे रहे हैं.  (व्यधान).. आप क्या पी.सी. शर्मा जी का जवाब  नहीं आने देना चाहते.

..(व्यवधान)..

                   श्री तरुण भनोत --     (व्यवधान के माध्य) अगर यह नयी परम्परा है, तो यह परम्परा   हम  डालना चाहते हैं.

                   श्री विश्वास सारंग--  आप थोड़ी डालोगे परम्परा. 

                   श्री तरुण भनोत --  हम ही परम्परा डालेंगे,  जनता परेशान है.  आप जवाब देंगे.

                   श्री विश्वास सारंग--  सदन नियम कायदे से चलेगा.  सदन  क्या आपके हिसाब से चलेगा.  अध्यक्ष  जी की आसंदी  से चलेगा.

                   श्री तरुण भनोत --   आप जवाब देंगे. आप  कौन  सी परम्परा  डाल रहे हैं.

                   श्री विश्वास सारंग--   अध्यक्ष जी की आसंदी से सदन चलेगा.

..(व्यवधान)..

                         श्री कुणाल चौधरी -   मैं व्यवस्था चाहता हूं मंत्री जी. बगैर बिजली कनेक्शन के बिल आ रहे हैं. 5 हार्स पावर की मोटर 7 हार्सपावर के बिल दे रही है.

          अध्यक्ष महोदय - कुणाल जी बैठें.सब  बैठ जाएं.

          (..व्यवधान..)

          अध्यक्ष महोदय - विश्वास सारंग जी आपकी आपत्ति एकदम जायज है कि जहां का प्रश्न हो उसको अलग नहीं किया जाए परन्तु यह एक ज्वलंत समस्या है और पूरे प्रदेश की समस्या है. मेरा आग्रह यह है. मंत्री जी आपको मैं दोष नहीं देता. आप तो बहुत तीव्रता से काम करते हो. खम्भे भी चढ़ते हो. कहां-कहां चढ़ते हो बढ़िया काम है. मैं आग्रह केवल यह कर रहा हूं कि वाकई में यह परेशानी है और यह केवल वार्ड नंबर 26 की नहीं है. यह हर जगह की परेशानी है.अपने अधिकारियों को निर्देश करिये कि जिस तरह के आवेदन आते हैं कि उनके घर में कनेक्शन नहीं लगा हुआ है उसके बाद भी उनको बिल दिया जा रहा है ऐसे सारे प्रकरणों की जांच कराएं और भौतिक सत्यापन कराएं और भौतिक सत्यापन करके उसको निरस्त करे. यह आदेश आप करिये.

          श्री तरुण भनोत - अध्यक्ष महोदय, आपके आदेश का पालन किया जाये जो आसंदी से दिया गया.

          अध्यक्ष महोदय - मैंने व्यवस्था दे दी है. जो सवाल आया था उसका मैंने कर दिया अब उनका जवाब आ जाने दीजिये.

          श्री कुणाल चौधरी - आसंदी ने आपकी बात को गलत कर दिया. सदन में आप माफी मांगें

          श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर - अध्यक्ष महोदय, आसंदी से जो निर्देश मिला है. विधायक लोग कोई भी ऐसी शिकायत बताएंगे उसको हम सुनकर तुरंत निराकरण करेंगे.

          अध्यक्ष महोदय - केवल विधायक नहीं आम आदमी भी शिकायत करता है उसका भी निराकरण करिये आप.

          श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर - उसको भी करेंगे. दूसरा मेरा निवेदन है कि अभी पी.सी.शर्मा जी ने जो बात कही है. इनके यहां बिल ज्यादा क्यों आ रहे हैं पहले यह जानना भी आवश्यक है.

          श्री कुणाल चौधरी - अध्यक्ष महोदय,

          अध्यक्ष महोदय - कुणाल जी उनका पूरा उत्तर आने दें.

          श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर - आप गलत भ्रांतियां पैदा कर रहे हैं. जोर-जोर से (XXX) कर अगर आप असत्य बात को सत्य करना चाहते हैं तो मैं जोर से (XXX) भी जानता हूं. सदन को गुमराह मत करो.

          श्री बाला बच्चन – (XXX) बिजली के बिल को व्यवस्थित करो आप.

          (...व्यवधान..)

          श्री तरुण भनोत - मर्यादा में रहिये मंत्री जी आप.

          श्री बाला बच्चन - पूरे प्रदेश में बिजली के बिलों के नाम से आपने (XXX). आपको आसंदी ने भी निर्देशित किया है. लोगों को बिजली के बिलों में छूट दीजिये.(..व्यवधान..) जितने कम हार्सपावर का कनेक्शन है उससे ज्यादा हार्सपावर के बिल आ रहे हैं.

          अध्यक्ष महोदय - बाला बच्चन जी मैंने व्यवस्था इस बात की दी है कि प्रश्न उद्भूत हो रहा है कि नहीं अब उनके प्रश्न का जवाब आ जाने दीजिये. उनको पूछने दीजिये.

          श्री तरुण  भनोत - मंत्री जी हम लोगों को डाट रहे हैं. हम लोग आपसे डर जाएंगे. आप डरा रहे हैं हमें. अध्यक्ष महोदय, हमें आपका संरक्षण चाहिये. सदस्यों को डरा रहे हैं.

          अध्यक्ष महोदय - नहीं ऐसा नहीं है. मंत्री जी को उत्तर देने दीजिये.

            श्री कांतिलाल भूरिया - अध्यक्ष महोदय,यह गलत शब्दों का उपयोग करते हैं. आज पूरे प्रदेश में, आदिवासी जिलों में महीने भर से नहीं है. यह असत्य बात करना बंद करो. सत्य बात करो.

          श्री उमंग सिंघार - अध्यक्ष महोदय, यह व्यवस्था जरूर दे दें आप कि यह खम्भे पर चढ़ जाते हैं तो कहीं यह गिर न जाएं.

          डॉ.योगेश पंडाग्रे - फटाफट ट्रांसफार्मर उड़ रहे हैं.

          श्री फुंदेलाल मार्को - अध्यक्ष महोदय,  

          अध्यक्ष महोदय - कल मौका आयेगा कल आप बोलना.कल अवसर है आपको. अपने दल से अपना नाम ले लेना. कल बोल लेना. अभी मंत्री जी का जवाब आ जाने दीजिये.

 

          श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर--  सम्‍मानीय सदस्‍य ने भोपाल शहर और ग्रामीण में जो 26 अवैध कालोनियां हैं उन अवैध का‍लोनियों में लोगों को अस्‍थाई कनेक्‍शन दिये गये हैं, वहां के लोगों ने कनेक्‍शन मांगा.

          श्री तरूण भनोत--  मुख्‍यमंत्री जी ने सदन में कहा कि कोई अवैध कालोनी नहीं हैं, आप गलत उत्‍तर दे रहे हैं कि अवैध कालोनी है.

          श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर--  किसने कहा है.

          श्री तरूण भनोत--  मुख्‍यमंत्री जी ने कहा है कि कोई अवैध कालोनी नहीं है.

          श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर--  अवैध को वैध कर रहे हैं. ...(व्‍यवधान)...

          श्री तरूण भनोत--  मुख्‍यमंत्री जी कहते हैं कोई अवैध कालोनी नहीं हैं, मंत्री जी कह रहे हैं अवैध कालोनी हैं.  ...(व्‍यवधान)...

          श्री विश्‍वास सारंग--  तरूण जी आपको यह हो क्‍या गया, अध्‍यक्ष जी यह तरूण भनोत जी को क्‍या हो गया है, जरा इनका मेडीकल चेकअप करायें. ...(व्‍यवधान)...

          श्री तरूण भनोत--  मुख्‍यमंत्री जी ने कहा कोई अवैध कालोनी नहीं हैं और मंत्री जी कह रहे हैं कि अवैध कालोनी हैं, आपके क्षेत्र में अवैध कालोनी हैं. ...(व्‍यवधान)...

          अध्‍यक्ष महोदय-- तरूण जी प्रश्‍न को चलने दीजिये नहीं तो हमें आगे बढ़ना पड़ेगा. ...(व्‍यवधान)...

          श्री रामेश्‍वर शर्मा--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, कांग्रेस के शासन से लेकर जो गांव शहरी क्षेत्रों से लगे थे वहां अवैध कालोनी, अवैध प्‍लाटिंग हुई और लगातार 15-20, 25 साल से वह कालोनियां अवैध और अवैध अस्‍थाई बिजली कनेक्‍शन लोगों को लगे, प्रश्‍न तो सही है लेकिन अस्‍थाई बिजली कनेक्‍शन का जो रेट है वह ज्‍यादा हुआ, बाद में नियामक आयोग ने जो प्रस्‍ताव दिया, उस प्रस्‍ताव में भी...

          श्री कांतिलाल भूरिया-- क्‍या जवाब मंत्री जी से नहीं आ रहा है, इनका जवाब सुनेंगे क्‍या. ...(व्‍यवधान)...

          श्री रामेश्‍वर शर्मा--  मेरी बात तो सुन लो भाई.

          श्री पी.सी. शर्मा-- यह जवाब मंत्री जी देंगे या ये देंगे.. ...(व्‍यवधान)...

          श्री रामेश्‍वर शर्मा--  और इसलिये माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अगर इस पूरे प्रश्‍न पर आप जाओ तो नियामक आयोग का जो प्रस्‍ताव है उस प्रस्‍ताव पर विचार किये बिना ...(व्‍यवधान)...

          श्री आशीष गोविंद शर्मा--  आपके समय बिजली ही नहीं आती थी, ट्रांसफार्मर लूट लिये जाते थे ...(व्‍यवधान)... वह लोग आज बिजली पर बोल रहे हैं. ...(व्‍यवधान)...

          अध्‍यक्ष महोदय-- संसदीय कार्यमंत्री जी, इसमें आपका क्‍या कहना है ? ...(व्‍यवधान)... प्रश्‍न यह था उन्‍होंने कहा कि अवैध कालोनियों में टेम्‍परेरी कनेक्‍शन दिया उनको स्‍थाई क्‍यों नहीं दिया जा रहा है. कई लोगों ने कहा कि जिनके कनेक्‍शन नहीं हैं उनको भी बिल आ रहे हैं, तो हमने आसंदी से यह सवाल विश्‍वास सारंग जी ने खड़ा किया कि चूंकि 26 अवैध कालोनियों का सवाल है पूरे प्रदेश का न हो जाये. मैंने व्‍यवस्‍था दी मंत्री जी से आग्रह किया कि सभी लोगों की जांच करा लो, कोई शिकायत करता है तो जांच करा लो, अब इस स्थिति पर प्रश्‍न आकर खड़ा हुआ है, इसमें आपका क्‍या कहना है.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र-- अध्‍यक्ष जी, आपने कह दिया जो भी शिकायत करेगा, जांच करायेंगे फिर इसमें कहां कुछ बचा. ...(व्‍यवधान)...

          श्री फुंदेलाल सिंह मार्को-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय ...(व्‍यवधान)... क्‍या यह प्रावधान करेंगे.

          श्री जितु पटवारी-- हां यह भी आ गया उसमें यह भी आ गया, आप तो विधायक जी बिल पेश कर दो. ...(व्‍यवधान)...

          अध्‍यक्ष महोदय--  उसकी भी कुछ नियम प्रक्रिया है ऐसे थोड़ी पेश हो जायेगा. उसको आप अपने पास लिये रहो, ऐसे पेश नहीं होता. ...(व्‍यवधान)...

          श्री जितु पटवारी--  आदरणीय अध्‍यक्ष जी, मेरा अनुरोध इतना है बाकी सब तो ठीक है, व्‍यवस्‍था पर प्रश्‍नचिन्‍ह लग सकते हैं, विद्युत मंडल में कमियां हो सकती हैं, अवैध बिल आ सकते हैं, पर इसमें नो डाउट कि विद्युत मंत्री एक्टिव हैं, आप यह देखो कि इनकी एक्टिवनेस अखबारों में रोज कहीं न कहीं कभी गटर साफ करते हुये, कभी पेड़ तोड़ते हुये, कभी गिरते हुये हम देखते रहते हैं. मेरा आग्रह है कि ये खम्‍बे पर चढ़कर हाथ से करेंट चेक न करने लग जायें कि तार में करेंट आ रहा है कि नहीं आ रहा है नहीं तो पता चले कि नया विद्युत मंत्री बनाना पड़े यह व्‍यवस्‍था न बने बस इतना आग्रह है.

          अध्‍यक्ष महोदय--  श्री पंचूलाल प्रजापति जी, ध्‍यानाकर्षण की सूचनायें पढ़ें.

            शशांक श्रीकृष्‍ण भार्गव -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जनता से जुड़ा हुआ सवाल है, क्‍या माननीय मंत्री जी अवैध कॉलोनी में परमानेंट कनेक्‍शन देंगे? माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं इसी में एक सैकेंड लूंगा यह जनता से जुड़ा हुआ सवाल है.

अध्‍यक्ष महोदय -- आप बैठ जायें, श्री पंचूलाल प्रजापति जी आप बोलें.

 

(2) सतना जिले के बेला में स्थित अल्ट्राटेक  सीमेंट कंपनी द्वारा अनियमित खुदाई किये जाने से उत्पन्न स्थिति.

 

श्री पंचूलाल प्रजापति( मनगवां) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय,

                       

 

 

 

 

                       

 खनिज साधन मंत्री(श्री बृजेन्‍द्र प्रताप सिंह) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय,                                                                                                                                                          

 

            श्री पंचूलाल प्रजापति - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से यह पूछना चाहता हूँ कि माइनिंग विभाग द्वारा कितनी गहराई तक खोदने की अनुमति दी गई है तथा कितने एरिया में दी गई है तथा गड्ढे की भराई कौन करेगा ? क्‍योंकि गड्ढों में मवेशी गिरते हैं और जो ब्‍लास्टिंग वहां पत्‍थर तोड़ने के लिये की जाती है, उस ब्‍लास्टिंग के कारण मकानों में दरार आ जाती है और उस गर्जना के कारण, कई लोग जो कमजोर दिल के होते हैं, उन लोगों की मृत्‍यु हो गई. मैं माननीय मंत्री जी से यह पूछना चाहता हूँ कि इसके जिम्‍मेदार कौन हैं ?

          अध्‍यक्ष महोदय - उन्‍होंने तो इन्‍कार किया है कि होता नहीं है.

          श्री बृजेन्‍द्र प्रताप सिंह - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हम लोग लगातार इसकी मॉनिटरिंग करते हैं. एयर पॉल्‍यूशन हो, नॉइस पॉल्‍यूशन हो, वाटर पॉल्‍यूशन हो, इन सबकी, जो भी हमारे मापदण्‍ड हैं, उन सब चीजों को लेकर हम परीक्षण करते हैं और इसलिए अभी जो भी हमारे मानक हैं, जो भी हम लोगों ने परीक्षण कराये हैं, उन मानक के अन्‍दर ही सब चीजें हैं, इसलिए ऐसी कोई चीज नहीं है, जिस कारण से कोई नुकसान हो रहा हो. 

          श्री पंचूलाल प्रजापति - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह जो फैक्‍ट्री के बगल में अनुसूचित जाति-आदिवासी बेचारे गरीब लोग रहते हैं, इस तरह से उनके मकानों में दरार आ गई है और जो गड्ढे की भराई मंत्री जी कह रहे हैं, इस तरह से गड्ढे की खुदाई हुई है और उसकी भराई नहीं की गई है और न ही प्‍लांटेशन किया गया है, न ही बाउण्‍ड्री बनाई गई है. इस तरह से मवेशी वहां गिरकर मर रहे हैं और जो माननीय मंत्री जी यह कह रहे हैं कि किसी की हार्ट अटैक से मृत्‍यु नहीं हुई. यह एफआईआर की रिपोर्ट है और यह राजकुमार पटेल आत्‍मज आशाराम पटेल, उम्र 40 वर्ष इसको हार्ट अटैक की बीमारी हुई, एक दरोगा महाराज जे. कोल है, इसकी हार्ट अटैक से मृत्‍यु हो गई. यह एफआईआर आपके सामने है. माननीय मंत्री जी कहें तो यह पूरा रिकॉर्ड पटल पर रखने के लिये मैं तैयार हूँ. इसका निरीक्षण करवा लिया जाये. मैं यह चाहता हूँ कि इसकी विधिवत् कमेटी बनाई जाये और इसका निरीक्षण कराया जाये कि असलियत क्‍या है ? और यह जो प्रदूषण यंत्र की बात कर रहे हैं, सिर्फ नाममात्र का प्रदूषण है, वहां पूरे मकानों में देखेंगे कि गर्दी (धूल) की वजह से पूरे मकान गर्दों में भरे हुए हैं और वहां जितने भी अधिकतम देखेंगे कि रीवा जिले में, वहां ज्‍यादा लोग कैन्‍सर, दमा, खांसी से अधिक परेशान रहते हैं. माननीय मंत्री जी से यह मेरा निवेदन है कि इसकी टीम विधिवत् बना दी जाये और इसलिए फैक्‍ट्री की जांच कराई जाये, तभी असलियत का पता चल पायेगा. ऐसे में पता नहीं चल पायेगा. यह माननीय मंत्री जी से मेरा आग्रह है.

          श्री कांतिलाल भूरिया - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मंत्री जी सदन को गुमराह कर रहे हैं.

          श्री सोहनलाल बाल्‍मीक - माननीय अध्‍यक्ष जी.

          अध्‍यक्ष महोदय - पहले मंत्री जी का जवाब आ जाये.

          श्री सोहनलाल बाल्‍मीक (परासिया) - मंत्री जी बाद में जवाब दे देंगे. माननीय अध्‍यक्ष जी, जो माइनिंग करते हैं, जो माइनिंग का तरीका इन्‍होंने बताया है, वह तरीका नहीं अपनाया जाता है. यह लिखा-पढ़ी में जरूर है. वह हैवी ब्‍लास्टिंग होती है. हैवी ब्‍लास्टिंग के कारण आपको प्रमाण मिल रहा है कि मकानों में दरार आ रही हैं और जिस तरीके के यह प्रदूषण की बात हो रही है, यह प्रदूषण कन्‍ट्रोल बोर्ड सिर्फ दिखावा होता है. वास्‍तविकता में यदि आप सदन की समिति बनायेंगे, तो पता चलेगा कि ब्‍लास्टिंग कितने में हो रही है और प्रदूषण की क्‍या स्थिति है ?

          अध्‍यक्ष महोदय - मंत्री जी, सबका आ जाने दीजिये, फिर जवाब दीजिये.        

          श्री शैलेन्‍द जैन(सागर) - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने जो जवाब दिया है, वह एक आदर्श स्थिति का दिया है. जैसी माइनिंग होनी चाहिए, फैक्‍ट्री में जैसे उनका पालन होना चाहिए, लेकिन हमारे माननीय सदस्‍य का जो पाइंट है, वह यह है कि वास्‍तव में वहां पर स्थिति भयावह है, वहां लोग कैंसर, दमा और लंग्‍स से रिलेटेड बीमारियां है जो बहुतायत में हो रही है, वहां पर मकानों में दरारें भी हो रही हैं. जो कुछ भी आदर्श व्‍यवस्‍था है, वह आदर्श व्‍यवस्‍था वहां पर लागू नहीं है. मेरा मंत्री महोदय से निवेदन है कि एक जांच समिति बनाकर और वहां पर इस तरह की चीजों का आंकलन और अवलोकन कर लें और जो माननीय हमारे सदस्‍यगण हैं, विधायक जी हैं उस समिति में उन्‍हें भी शामिल कर लें.

          डॉ. राजेन्‍द्र पाण्‍डेय(जावरा) - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हृदय से आपको बहुत बहुत धन्‍यवाद. निश्चित रूप ये पूरे प्रदेश से जुड़ा हुआ मामला है. मैं क्षमा के साथ में निवेदन करना चाहता हूं कि प्रत्‍येक निर्वाचन क्षेत्र में या प्रत्‍येक जिले में कुछ इस तरह की विसंगतियां हैं. कुछ स्‍थानों पर स्‍कूल, आंगनवाड़ी और कुछ स्‍थानों पर रहवासी बस्तियां भी आने लगी हैं, क्‍योंकि आबादी घोषित नहीं होने के कारण वे मजबूरी में वहां पर निवासरत हैं, तो कुछ निवास स्‍थान कुछ शैक्षणिक स्‍थान और कुछ माता बहनों के छोटे स्‍थान भी हैं, तो क्‍यों न सम्‍पूर्ण प्रदेश में इस तरह के स्‍थानों को चिन्‍हित करते हुए जब तक वे सुरक्षात्‍मक उपाय पूर्ण न करें, तब तक उसको एनओसी नहीं दी जाना चाहिए और जो अधिकारी जांच के लिए वहां जाते हैं, वे मिलीभगत करते हुए, सांठगांठ करते हुए, असत्‍य रिपोर्ट करते हैं, उसके कारण शासन और प्रशासन को शर्मिन्‍दा होना पड़ता है, तो न्‍यायोचित कार्यवाही की जाए यह आग्रह है.

          श्री सोहन लाल बाल्‍मीक(परासिया) - अध्‍यक्ष महोदय, मेरा जो विधान सभा क्षेत्र है वहां पर वेस्‍टर्न कोल फील्‍ड्स काम करता है, वहां पर कोयला निकलता है, और ओपन कॉस्‍ट काम होता है.

          अध्‍यक्ष महोदय - ये इससे उद्भूत नहीं हो रहा.

          श्री सोहन लाल बाल्‍मीक - उसी से है, माइनिंग से ही है, माइनिंग करते हैं ओपन कॉस्‍ट की.

          अध्‍यक्ष महोदय - आप अपना एरिया जोड़ेंगे तो सारे लोग जोड़ना चालू कर देंगे.

          श्री सोहन लाल बाल्‍मीक - अध्‍यक्ष जी, मैं बता रहा हूं, जो स्थिति वहां की है, वही स्थिति हमारे यहां की है कि जो मापदंड बताया जाता है, उस मापदंड से ब्‍लास्टिंग नहीं होती और जो मेरा क्षेत्र डब्‍ल्‍यूसीएल का है, पब्लिक सेक्‍टर का है, सेन्‍ट्रल गवर्मेंट से जुड़ा हुआ है, लेकिन जिस तरह से माइनिंग होती है ओपन कॉस्‍ट की वे लोग ओपन कास्‍ट माइनिंग करने के बाद में जब खदान बंद करते हैं तो वे लोग उसको पूरी तरह से फिलअप नहीं करते, पूरते नहीं है और वहां लगातार कई घटनाएं होती हैं, व्‍यक्ति खत्‍म होते हैं, जानवर खत्‍म होते हैं और निरंतर प्रदूषित पानी उसके अंदर भर जाता है. मेरा अध्‍यक्ष महोदय से निवेदन है कि उसके साथ ही मेरा जो डब्‍ल्‍यूसीएल एरिया है, परासिया विधान सभा क्षेत्र, उसको भी जोड़कर उस व्‍यवस्‍था को बरकरार किया जाए.

          श्री बृजेन्‍द्र प्रताप सिंह - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जो भी बातें आई हैं, क्‍योंकि इसमें दो तीन विभाग का मामला है, एक इंडस्‍ट्री डिपार्टमेंट है, एक माइनिंग है, पर्यावरण है. इसलिए अगल अलग जगह से अलग अलग अनुमतियां आती हैं. माइनिंग डिपार्टमेंट जो बात कही गई उत्‍खनन को लेकर कि ज्‍यादा पिट(गड्ढे) हो गए हैं, ब्‍लास्टिंग के कारण क्‍योंकि अभी जो हमारे पास रिपोर्ट हैं, चाहे वह प्रदूषण बोर्ड की हो या चाहे हमने एन्‍वायरमेंट वाली जो रिपोर्ट ली है या हमारे पास अन्‍य-अन्‍य जगहों से वाटर पाल्‍यूशन की जो रिपोर्ट्स आई हैं, उसमें जो भी हमारे वहां के मापदंड है, उन मानक के अंदर सभी चीजें हैं, क्‍योंकि यह रेगूलर प्रोसेस है, इसकी निरंतर जांचें चलती रहती हैं और रिपोर्ट्स आते रहती हैं. रही बात विधायक जी की जो बात उन्‍होंने कही है, वे कह रहे हैं कि हार्ट अटैक से मृत्‍यु हुई या इससे मृत्‍यु हुई ये तो पी.एम. रिपोर्ट में आएगा कि किन कारणों से मृत्‍यु हुई है, जहां तक जो मेरी रिपोर्ट है, उसमें ऐसी कोई चीज नहीं है, जिस कारण से वहां पर कोई मृत्‍यु उस फैक्‍ट्री के किन्‍हीं कारणों के कारण हुई हो. अब रही बात जो विषय वस्‍तु सदस्‍य दिखा रहे हैं, यदि आप कहेंगे, तो हम एक विभागीय परीक्षण करवा लेंगे और जो भी उचित होगा, उस पर हम कार्यवाही करेंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी, आपने उस सीमेंट कारखाने को तकरीबन सरकार की तरफ से 1165 हेक्‍टेयर जमीन आवंटित की गई है, 1165 हेक्‍टेयर जमीन मामूली नहीं होती है और आप ये जो बात कह रहे हैं, वह शायद भौतिक स्‍थान पर नहीं है, ऐसा हमारे विधायक जी कह रहे हैं और जो वास्‍तविकता के ज्‍यादा नजदीक है तो इसका परीक्षण कैसे हो सकता है. कोई जांच ही हो सकती है, जांच में आप तीनों विभागों के बड़े अधिकारियों को, प्रदेश स्‍तर के अधिकारियों को और उसमें विधायक की भी उपस्थिति मौजूद रहे, उनकी जांच में ये आप आदेश करिए. 

          एक माननीय सदस्य-- अध्यक्ष महोदय हमारे जिले की भी जांच करवा दीजिये.

          अध्यक्ष महोदय--केवल एक ही जगह की जांच होगी.

          श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने जो बोला है और निश्चित रूप से जो आसंदी से निर्देश मिल रहे हैं. मैंने विभागीय जांच की बात कही है. निश्चित रूप से जब कोई इंडस्ट्रियल एरिये की बात हुई है. जब जांच टीम जायेगी. उसमें तीनों हमारे जो इंडस्ट्रियल डिपार्टमेंट है, हमारा इनवायरमेंट पाल्यूशन बोर्ड के लोग वह तीन लोग जाकर जो बात आयी है उसकी हम जांच कर लेंगे.

          अध्यक्ष महोदय--उसमें जो क्लिरेंस वाले क्या जांच करेंगे ? जिसने क्लियरेंस दिया यहां पर आपको पढ़ने के लिये दिया आपने उसको पढ़ा. यह तो विरोध कर रहे हैं कि वह मौके पर यह है ही नहीं वहां पर. आप मंत्री जी इस बात को समझिये कि माननीय शैलेन्द्र जैन जी कह रहे हैं कि आदर्श स्थिति की कल्पना करके आपको लिख करके दिया गया है. आपने उसको कहा है. सवाल यह है कि माननीय सदस्य महोदय उसमें यह आपत्ति कर रहे हैं कि मौके पर कुछ नहीं है न वहां पर भराई है, न पेड़ है, न ही कोई दवाई है. न प्रदूषण रोकने वाली मशीन ही चलती है. यह सारी चीजें वहां पर हो रही हैं. इसमें केवल जांच के अलावा और क्या हो सकता है. इसलिये मैं कह रहा हूं कि आप एक जांच कमेटी बनाईये जांच कमेटी में एक्सपर्ट भी हों.

          श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसे आपके निर्देश हैं वैसे हम करेंगे.

          श्री कांतिलाल भूरिया-- अध्यक्ष महोदय, इसमें झाबुआ को शामिल करके इसमें जांच करवायें ऐसा मैं निवेदन करता हूं.

          अध्यक्ष महोदय--जांच के लिये कर दिया है उसमें माननीय पंचूलाल जी रहेंगे.

          श्री सुनील सराफ-- अध्यक्ष महोदय, कमेटी से संबंधित एक मेरी पीड़ा है. ऐसे ही मेरे प्रश्न में माननीय खनिज मंत्री जी ने जांच में मुझे भी शामिल किया गया. उसकी रिपोर्ट आयी उसमें पंचनामा उसमें स्पष्ट हुआ कि वह पहले वाला उत्तर विभाग ने गलत दिया था. मैं आज भी माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि ऐसी कमेटी बनाने का क्या लाभ है. अगर उसमें कार्यवाही ही नहीं हो रही है तो कमेटी बनाने से क्या लाभ है ?

 

 

                                                अध्यक्षीय घोषणा

          अध्यक्ष महोदय--आज की कार्य सूची के पद क्रमांक पद क्रमांक 3 के उप बंद 3 में श्री संजय यादव जी का ध्यानाकर्षण सम्मिलित है. अपरिहार्य कारण से श्री यादव जी उपस्थित नहीं हैं. श्री यादव जी द्वारा ध्यानाकर्षण की सूचना हेतु श्री विनय सक्सेना जी को अधिकृत किया है तथा उनको अनुमति देने का अनुरोध किया है. मैं श्री विनय सक्सेना को ध्यानाकर्षण की सूचना को पढ़ने तथा प्रश्न पूछने की अनुमति देता हूं.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

(3) जबलपुर के बरगी को पूर्णकालिक तहसील का दर्जा न दिये जाने से उत्पन्न स्थिति

          श्री विनय सक्सेना (जबलपुर उत्तर)-

           

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

          राजस्व मंत्री (श्री गोविंद सिंह राजपूत)-- अध्यक्ष महोदय,

         

 

                                                                                               

          श्री विनय सक्‍सेना:- अध्‍यक्ष जी, जबलपुर के कलेक्‍ट्रेट के रिकार्ड में है कि कम से कम 10 बार आंदोलन हो चुके हैं, 15-15 दिन लोग धरने पर बैठे रहे और माननीय मंत्री जी जब कांग्रेस की सरकार में भी मंत्री थे, तब इनके द्वारा इसको प्रस्‍तावित किया गया था और उनका यह स्‍वीकार किया जाना कि सब कुछ प्रचलन में है. हर सप्‍ताह केबिनेट की बैठक होती है. आज दुख:द यह भी है कि संजय यादव जी के घर से एक दुख:द सूचना आयी, जिसके कारण मुझको पढ़ना पड़ा. वह अत्‍यंत दुखी भी हैं कि लगातार वहां गरीब आदिवासी जिसकी चिंता सरकार करती है. वहां 70 किलोमीटर दूर से आदिवासी जिनके पास खाने को पैसे नहीं रहते हैं, अनाज के पैसे नहीं रहते वह इतनी राशि खर्च करके बरगी से जबलपुर आते हैं और उसके बाद उनको बार-बार राजस्‍व विभाग में परेशान होना पड़ता है. अगर बरगी तहसील हो जायेगी तो उन गरीब आदिवासियों को फायदा होगा. हर सप्‍ताह केबिनेट की बैठक होती है. माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने इसको दो बार टी.एल में रखा, यह खुद आप स्‍वीकार कर रहे हैं मंत्री जी. तो ना ही केबिनेट दूर है, ना ही मंत्री जी दूर हैं और ना ही मुख्‍य मंत्री जी दूर हैं.

          कृपया कर मंत्री जी संजय यादव जी की और आपकी और माननीय  मुख्‍य मंत्री जी की मंशा अगर एक है तो तकलीफ क्‍या है ? आज इस सदन में हमको दुख:द सूचना भी प्राप्‍त हुई है और अगर आप चाहें और कह दें कि अगले सप्‍ताह इसको केबिनेट की बैठक में रख लेंगे और इसको कर देंगे. माननीय मुख्‍य मंत्री जी बार-बार कहते हैं कि मेरी दिशा और दृष्टि में अंतिम व्‍यक्ति का व्‍यक्ति महत्‍वपूर्ण है तो इससे ज्‍यादा अंतिम व्‍यक्ति कौन हो सकता है ? दिहाड़ी मजदूर, आदिवासी और रोज कमाने-खाने वाला व्‍यक्ति, इसमें लिखा ही हुआ है और माननीय मंत्री जी का यह बात स्‍वीकार करना कि यह प्रचलन में है, पूरी प्रक्रिया हो चुकी है और केबिनेट में रखा जाना है, तो माननीय अध्‍यक्ष जी आपसे हाथ जोड़कर आग्रह है कि पूरी प्रक्रिया हो चुकी है,  केबिनेट में रखा जाना है तो आपसे आग्रह है कि मंत्री जी टाइम लिमिट तय कर दें.

          श्री गोविन्‍द सिंह राजपूत:- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, बरगी को पूर्णकालिक तहसील का दर्जा दिये जाने संबंधी बात माननीय सदस्‍य संजय यादव जी लाये हैं. निश्चित रूप से वहां तहसील खुलना चाहिये यह सरकार की मंशा है और मैं, सदस्‍य को विश्‍वास दिलाता हूं कि शीघ्रातिशीघ्र इस पर कार्यवाही की जायेगी.

          डॉ. हिरालाल अलावा:- माननीय अध्‍यक्ष महोदय..

          अध्‍यक्ष महोदय:- आप बैठ जायें. मैं आपको अलाउ नहीं कर रहा हूं.

          श्री विनय सक्‍सेना:- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा तो आसंदी से भी हाथ जोड़कर आग्रह है, आप देखिये की माननीय मंत्री जी ने भी स्‍वीकार कर लिया है कि यह किया जाना है.

          अध्‍यक्ष महोदय:- उन्‍होंने कहा है कि जो औपचारिकता है उसको हम शीघ्रातिशीघ्र पूर्ण करेंगे.

          श्री विनय सक्‍सेना:- माननीय अध्‍यक्ष जी शीघ्रता 2019 से चल रही है. कागजों में शीघ्रता चल रही है, जबान से शीघ्रता चल रही है और सरकार कहती है कि हम गरीब के साथ हैं और अंतिम व्‍यक्ति के साथ हैं. तो आप इस शीघ्रता को पूर्णकालिक कर ही दें ना. तय कर लें कि अगले सप्‍ताह की केबिनेट बैठक में कर दें. माननीय गोविन्‍द सिंह जी तो वैसे भी भारी भरकम मंत्री है, जब आपकी मंशा है. पहली सरकार में भी बहुत भारी भरकम रहे.

          माननीय अध्‍यक्ष जी, मैं, एक सूचना भी देना चाह रहा हूं कि संजय यादव जी के पिता के देहांत की दुख:द सूचना प्राप्‍त हुई है, तरूण भनोत जी ने बताया. माननीय कभी-कभी भावनाओं की इज्‍जत और कद्र कर लेना चाहिये और आज जब उनके पिताजी नहीं रहे और आज यह विषय यहां रखा जा रहा है, इसी भावना की कद्र करके आप कर दें. और वैसे भी आप मुख्‍यमंत्री जी के खास व्‍यक्ति हो, भारी-भरकम मंत्री हो  वजन से भी और व्‍यक्तित्‍व से भी. अगर अड़ जाओगे तो हो जायेगा.

          अध्‍यक्ष महोदय:- आप ऐसा न कहें. मुख्‍यमंत्री जी के सब खास है. खास ना होते तो मंत्रिमण्‍डल में कैसे होते.

          श्री विनय सक्‍सेना:- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमको पता है बड़े-बड़े नेताओं के लिये क्‍या-क्‍या बढि़या बयान देते हैं. मैं अखबार में पढ़ता रहता हूं, वह भारी-भरकम हैं तो भारी-भरकम काम करने की थोड़ी शैली भी दिख जाये.

          श्री गोविन्‍द सिंह राजपूत:- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, संजय यादव जी हमारे मित्र हैं और हम दोनों ने साथ-साथ काम किया है.

          अध्‍यक्ष महोदय, मैं हमारे सदस्‍य विनय जी को विश्‍वास दिलाता हूं कि इसको मैं, जल्‍दी से जल्‍दी केबिनेट में लाऊंगा.

          अध्‍यक्ष महोदय:- उससे हमको भी फायदा हो जायेगा, चिंता मत करना.

          डॉ. हिरालाल अलावा:- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह एक आदिवासी इलाके की गंभीर समस्‍या...

          अध्‍यक्ष महोदय:- नहीं अब हो गया. हमने कह दिया ना कि हम केबिनेट में ला रहे हैं. नहीं हो गया आप बैठ जायें.

          श्री विनय सक्‍सेना :- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अंत में बस इतना ही कहना चाहता हूं कि उन्‍होंने यह भी बता दिया कि वह संजय यादव जी के अत्‍यंत करीबी मित्र हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय:- नहीं, ठीक है अब हो गया.

          श्री विनय सक्‍सेना:- अब मित्रता निभा लो ना हफ्ते दो हफ्ते का समय घोषित कर दो.

          अध्‍यक्ष महोदय:- नहीं कर दिया ना केबिनेट में ले जायेंगे.

          श्री विनय सक्‍सेना :- कर दिया ना, यह रिकार्ड में आयेगा.

          डॉ. हिरालाल अलावा:- माननीय मंत्री जी हमारे उमरबन ब्‍लॉक को भी ले लीजिये.

                                               

 

                                                                       

1.15 बजे

(4) रीवा स्थित संजय गांधी मेडिकल कालेज में चार मरीजों की मौत होना

          श्री शरदेन्‍दु तिवारी (चुरहट)-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरी ध्‍यान आकर्षण की सूचना का विषय इस प्रकार है :-

            चिकित्‍सा शिक्षा मंत्री (श्री विश्‍वास सारंग)-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय,

          श्री शरदेन्‍दु तिवारी-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं, कहना चाहूंगा कि पूरे विंध्‍य क्षेत्र में केवल एक ही अस्‍पताल संजय गांधी मेडिकल कॉलेज हैं, जहां पूरे विंध्‍य क्षेत्र के लोग आते हैं. मैंने अपना ध्‍यानाकर्षण पढ़ते समय भी नाम को सुधारा था कि संबंधित का नाम निर्मला मिश्रा है जो कि उस दिन वेंटिलेटर पर थीं. वे चार दिन पहले से वेंटिलेटर पर थीं और उनकी स्थिति में लगातार सुधार हो रहा था. उनकी मृत्‍यु 12 से 4 बजे के बीच हुई थी. उस दिन के अखबारों में, वहां की मीडिया में, यह खबर बहुत तेजी से छपी थी. निश्चित रूप से, अधिकारी जो जवाब देंगे, माननीय मंत्री महोदय की ओर से सदन में वही जवाब आयेगा और अधिकारियों ने लिखकर यही दिया है कि सब कुछ ठीक-ठाक है. लेकिन वहां वास्‍तविक स्थिति ठीक-ठाक नहीं है और बहुत ही गंभीर हालात हैं. ओवरलोडेड हॉस्पिटल है. रात में कोई सीनियर डॉक्‍टर वहां ड्यूटी में नहीं रहते हैं. यह घटना जब हुई है, तब भी वहां विद्युत व्‍यवस्‍था ठप्प पड़ी हुई थी. उन्‍होंने मीडिया को भी यही बताया कि केवल 5 मिनट के लिए विद्युत बंद थी लेकिन वास्‍तविकता यह है कि वहां जो लोग थे, जिन्‍होंने लगातार वहां प्रयास किये, उन सभी का कहना था कि वहां 4 घंटे के लिए विद्युत आपूर्ति बंद हो गई थी. मैं, माननीय मंत्री महोदय से कहना चाहूंगा कि इस घटना का व्‍यापक परीक्षण करवाया जाये, व्‍यापक जांच करवाई जाये ताकि वहां की स्थिति में सुधार हो. हम सभी चिकित्‍सा व्‍यवस्‍था में सुधार करना चाहते हैं. ऐसा मेरा माननीय अध्‍यक्ष महोदय के माध्‍यम से, मंत्री जी से अनुरोध है.

          श्री विश्‍वास सारंग-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जैसा कि विधायक जी ने जो अपना ध्‍यानाकर्षण लगाया था, उसमें जो नाम था, उस नाम की कोई महिला वहां एडमिट नहीं थी. परंतु उन्‍होंने सदन में, नाम में सुधार करते हुए निर्मला मिश्रा कहा है. मेरे पास उस दिन के सभी ICU, IPD मरीजों के नाम की सूची हैं. लगभग 33 लोग वहां भर्ती हुए थे और उनमें से, दुर्भाग्‍यपूर्ण रूप से 3 मरीजों की मृत्‍यु हुई.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जिन निर्मला मिश्रा जी का माननीय विधायक जी ने उल्‍लेख किया है ,उनकी मृत्‍यु 23.11.2022 सुबह 9 बजे हुई थी और यह जो घटना, जिसमें 5 मिनट के लिए बिजली आपूर्ति ठप्प हुई थी, यह सुबह 5 बजे की घटना है.  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जैसा कि मैंने अपने उत्‍तर में बताया कि हर तरह से चाहे बिजली का मामला हो चाहे उपकरण में करंट का मामला हो या वेंटिलेटर चलने का मामला हो इन सब के अलग-अलग स्‍तर पर बेकअप की व्‍यस्‍थाएं हैं. जैसा मेंने बताया कि यदि अस्‍पताल में बिजली जाती है तो जनरेटर सेट लगा हुआ है यदि और इक्‍यूपमेंट में बिजली की अपूर्ति में कहीं गड़बड़ होती है तो उसकी व्‍यवस्‍था भी है और वेंटिलेटर का अपना खुद का इनबिल्‍ट एक बेकअप रहता है जो कि एक से छ: घण्‍टे तक चलता है तो यह कहना बिलकुल उचित नहीं है कि वेंटिलेटर बंद होने से ऑक्‍सीजन की सप्‍लाई नहीं हो पाई इसलिए उन महिला की दुर्भाग्‍यपूर्ण ढंग से मृत्‍यु हुई.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह मामला जो विधायक जी ने बताया निश्चित रूप से यह समाचार पत्रों में आया और उसकी हमारे विभाग द्वारा एक विस्‍तृत जांच भी कराई गई. उसमें लगभग चार डॉक्‍टरों के माध्‍यम से इसकी पूरी वस्‍तुस्थिति को जानने के लिए जांच की गई और उस जांच की जो फाईंडिंग आई है हमने उसी हिसाब से यह उत्‍तर दिया है. हमने इसमें कहीं किसी बात को छुपाने की कोशिश नहीं की है. निश्चित रूप से आपका भी लगातार रीवा मेडिकल कॉलेज को लेकर कहीं न कहीं आग्रह रहता है कि वहां की व्‍यवस्‍थाएं चुस्‍त-दुरुस्‍त हों.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमारी सरकार की यह कटिबद्धता भी है, उत्‍तरदायित्‍व भी है और यह हमारा निश्चित रूप से कर्तव्‍य है कि हर तरह की मेडिकल व्‍यवस्‍था को हम सुचारू करें. मेडिकल कॉलेज से संबद्ध जो अस्‍पताल हैं उनकी व्‍यवस्‍थाओं को चुस्‍त-दुरुस्‍त करने के हमने लगातार प्रयत्‍न किये हैं, लेकिन मैं यह विनम्रतापूर्वक कहता हूं कि यह घटना इस कारण से नहीं हुई है. अध्‍यक्ष महोदय, क्‍योंकि आपका भी लगातार आग्रह रहता है, विधायक जी का भी जो मंतव्‍य है वह इस घटना के माध्‍यम से यह सुनिश्चित करना है कि ऐसी घटनाएं न हों या व्‍यवस्‍थाएं और चुस्‍त-दुरुस्‍त हों तो हम निश्चित रूप से इसका और अच्‍छे से परीक्षण करा लेंगे. विधायक जी से भी बात कर लेंगे. हम वहां की समस्‍त व्‍यवस्‍थाओं को और चुस्‍त-दुरुस्‍त करके यह सुनिश्चित करेंगे कि वहां सभी लोगों को सही और उचित इलाज मिल सके.

          अध्‍यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी मैंने स्‍वत: अस्‍पताल का भ्रमण किया है जब मैं आई.सी.यू में गया तो वहां ए.सी. नहीं था तो जिन अधिकारियों ने इस तरह की रिपोर्ट आपको दी है शायद वह ठीक नहीं हैं. मेरे जाने और कहने के बाद भी यह स्थिति इसलिए है कि मेडिकल कॉलेज के प्रबंध के जो हेड हैं शायद वह ठीक नहीं हैं और मैं आपसे यह आग्रह करना चाहता हूं कि अस्‍पताल का जो हमारा प्रमुख मुखिया हो वह मानवीय दृष्टिकोण वाला हो. वह केवल टेक्‍नीकल और चिकित्‍सक न हो क्‍योंकि मानवीय दृष्टिकोण रखने वाला शायद ज्‍यादा उपयोगी हो सकता है इसलिए इस पर भी विचार करने की आवश्‍यकता है.

          श्री विश्‍वास सारंग--माननीय अध्‍यक्ष महोदय, निश्चित रूप से आपने जो कहा है हम उसको शिरोधार्य करेंगे.

          श्री शरदेन्‍दु तिवारी-- मेरा इसमें एक और अनुरोध है कि यह जो जांच डॉक्‍टरों के माध्‍यम से हुई है चूंकि जनरेटर की जांच हो रही है, वेंटिलेटर के इक्‍यूपमेंट की जांच हो रही है तो कोई नॉन डॉक्‍टर जो हैं उनसे यदि जांच कराई जाए और उसमें हम लोगों को भी शामिल किया जाए तो ज्‍यादा अच्‍छा परिणाम आएगा.

          श्री विश्‍वास सारंग-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं विधायक जी को यह बताना चाहता हूं कि हमने जांच टेक्‍नीकल भी करवाई है जो पी.डब्‍ल्‍यू.डी का उपयंत्री है उसकी भी जांच है, उसके भी बयान हैं उसमें भी यही बात आई है.

          अध्‍यक्ष महोदय-- आप मुखिया ठीक कर दो सब ठीक हो जाएगा.

 

 

1:24 बजे                                     अनुपस्थिति की अनुज्ञा

 

निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक-197- गंधवानी (अ.ज.ज.) के सदस्‍य, श्री अमंग सिंघार को इस सत्र की बैठकों से अनुपस्थित रहने की अनुज्ञा प्रदान की जाना

 

 

  1.25 बजे                                   प्रतिवेदनों की प्रस्तुति

आवेदन एवं अभ्यावेदन समिति का आवेदनों से संबंधित चतुर्थ, उन्नीसवां एवं बीसवां प्रतिवेदन तथा अभ्यावेदनों से संबंधित बाईसवां एवं तेईसवां प्रतिवेदन

 

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया (सभापति) -- अध्यक्ष महोदय, मैं, आवेदन एवं अभ्यावेदन समिति का आवेदनों से संबंधित चतुर्थ, उन्नीसवां एवं बीसवां प्रतिवेदन तथा अभ्यावेदनों से संबंधित बाईसवां एवं तेईसवां प्रतिवेदन प्रस्तुत करता हूँ.

          मैं, अध्यक्ष महोदय को धन्यवाद देना चाहता हूँ कि उन्होंने याचिका शब्द को हटाया क्योंकि उससे ऐसा लगता था कि जनता की ओर से जनप्रतिनिधिगण याचिका के माध्यम से कोई याचना कर रहे हैं, न केवल उसका नाम परिवर्तित किया है बल्कि जिस गति से प्रतिवेदन आ रहे हैं उसके लिए मैं माननीय अध्यक्ष महोदय को उऩके मार्गदर्शन के लिए धन्यवाद देना चाहता हूँ. विधान सभा के प्रमुख सचिव सहित विधान सभा के हमारे सहयोगी अधिकारी और कर्मचारियों को भी मैं धन्यवाद देना चाहता हूँ. साथ ही समिति के तमाम सदस्यों का धन्यवाद करना चाहता हूँ वे लगातार बैठकों में आते हैं. हमारी एक भी बैठक कोरम के अभाव में कभी स्थगित नहीं की गई है. लगातार हर महीने हमारी बैठकें हो रही हैं उसी का परिणाम है कि अभ्यावेदनों का निराकरण बहुत ही द्रुत गति से हो रहा है. प्रतिवेदनों का भी हम बहुत अच्छे से काम कर पा रहे हैं. बहुत-बहुत धन्यवाद.

 

1.26 बजे       सभापति महोदया (सुश्री हिना लिखीराम कावरे) पीठासीन हुईं.

1.26 बजे                            आवेदनों की प्रस्तुति

          सभापति महोदया -- आज की कार्यसूची में सम्मिलित सभी आवेदन प्रस्तुत हुए माने जाएंगे.

          सदन की कार्यवाही अपराह्न 3.30 बजे तक के लिए स्थगित.

(1 बजकर 26 मिनट से 3 बजकर 30 मिनट तक अन्तराल)

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

3.34 बजे                     विधान सभा पुन: समवेत् हुई.

{अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}

 

          अध्‍यक्ष महोदय -- इधर तो पूरा सूनापन है भई.

          श्री कुणाल चौधरी -- अध्‍यक्ष महोदय, अब सत्‍ता निरंकुश हो गई है, पूरा सूनापन कर दिया है.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- आगे देख लो आगे. साफ है.

          श्री रामेश्‍वर शर्मा -- कुणाल जी और जितु जी तो इसी योजना में हैं कि आगे वाले कांग्रेस के सब साफ हो जाएं तो वो आगे आ जाएं.

          श्री कुणाल चौधरी -- नहीं, नहीं. प्रस्‍ताव एक पास करना पडे़गा.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- और ऐसा करते-करते सब साफ हो जाए.

          श्री कुणाल चौधरी -- उसके लिए तो सेंसर बोर्ड बनाना पडे़गा...(व्‍यवधान)...

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- और ऐसा करते-करते सब साफ हो जाए.

          श्री रामेश्‍वर शर्मा -- इसकी चिंता आप मत करो, राहुल बाबा कर रहे हैं...(व्‍यवधान)..

          श्री कुणाल चौधरी -- नहीं, नहीं, यहां पर चिंता जरूरी है साहब...(व्‍यवधान)...

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

3.35 बजे                      कार्यमंत्रणा समिति का प्रतिवेदन

 

 

 

 

 

 

3.36 बजे                           शासकीय विधि विषयक कार्य

 

(1)    मध्‍यप्रदेश नगरपालिक विधि (तृतीय संशोधन) विधेयक, 2022 (क्रमांक 20 सन् 2022) का पुर:स्‍थापन

 

(2)     मध्‍यप्रदेश भू-राजस्‍व संहिता (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2022 (क्रमांक 21 सन् 2022) का पुर:स्‍थापन

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

(3)    मध्‍यप्रदेश निजी विश्‍वविद्यालय (स्‍थापना एवं संचालन) द्वितीय संशोधन विधेयक, 2022 (क्रमांक 22 सन् 2022) का पुर:स्‍थापन

 

 

 

 

 

(4)    मध्‍यप्रदेश श्रम विधि (संशोधन) विधेयक, 2022 (क्रमांक 23 सन् 2022) का पुर:स्‍थापन

 

 

(5)    मध्‍यप्रदेश कर्मचारी चयन मण्‍डल (संशोधन) विधेयक, 2022 (क्रमांक 24 सन् 2022) का पुर:स्‍थापन

 

 

03.40 बजे

 

 

03.41 बजे                                   अध्‍यक्षीय घोषणा

कार्यसूची के पद-7 ''शासकीय विधि विषयक कार्य'' में उल्‍लिखित विधेयकों को पद क्रमांक-8 के पश्‍चात् अनुपूरक कार्यसूची में उल्‍लिखित पद क्रमांक-9 के रूप में आज ही विचार में लिया जाना

 

(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.)

 

03.42 बजे    (1)  मध्‍यप्रदेश नगरपालिक विधि (तृतीय संशोधन), विधेयक 2022

                                       (क्रमांक 20 सन् 2022)

 

          नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्री भूपेन्‍द्र सिंह) -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं, प्रस्‍ताव करता हूँ कि मध्‍यप्रदेश नगरपालिक विधि (तृतीय संशोधन) विधेयक, 2022 पर विचार किया जाए.

          अध्‍यक्ष महोदय -- प्रस्‍ताव प्रस्‍तुत हुआ कि मध्‍यप्रदेश नगरपालिक विधि (तृतीय संशोधन) विधेयक, 2022 पर विचार किया जाए. श्री जयवर्द्धन सिंह जी चर्चा शुरू करें.

          श्री जयवर्द्धन सिंह (राघोगढ़) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जिस विधेयक के संबंध में आज चर्चा हो रही है, सबसे पहले मैं आपको अर्ज करना चाहता हूँ कि जब मैं इसी विभाग का मंत्री था तो उस समय स्‍वर्गीय श्री बाबूलाल गौर साहब ने मुझसे फरमाया था कि आप एक ऐसे विभाग के मंत्री हैं, जिसके अलग-अलग निकाय हैं. उस समय 378 निकाय थे. हरेक निकाय स्‍वयं एक सरकार होती है. जो स्‍टॉम्‍प शुल्‍क लिया जाता है, चार्ज किया जाता है, जब रजिस्‍ट्री होती है, उसके संबंध में इस विधेयक में उल्‍लेख है. हर निकाय के लिए बहुत महत्‍वपूर्ण है कि जो निकाय के आय के स्रोत हैं, वे कहां से उपलब्‍ध होंगे. जो अनेक विकास कार्य हैं, चाहे वे सीसी खड़ंजे के हों, पेयजल व्‍यवस्‍था के लिए हों, स्‍ट्रीट लाइटिंग के लिए हों, जो हमारे कर्मचारी हर निकाय में काम करते हैं, उनके वेतन के संबंध में हों, क्‍योंकि आज काफी ऐसे निकाय हैं, जो घाटे में हैं, कर्ज में हैं. जो मूल वेतन देनी पड़ती हैं, वे वह भी नहीं दे पा रहे हैं. इसलिए बहुत जरूरी है कि एक-एक आय का स्रोत जो निकाय के पास है, उससे कैसे अधिकतर आय उनको मिल सकती है, यह निकाय का प्रयास होना चाहिए.

          अध्‍यक्ष महोदय, इस विधेयक के माध्‍यम से जो उल्‍लेख किया गया है, मैं सदन को बताना चाहता हूँ कि इसी साल 2022 में माननीय मुख्‍यमंत्री महोदय के द्वारा पब्‍लिक असेट मेनेजमेंट डिपार्टमेंट स्‍थापित किया गया था. मध्‍यप्रदेश परिसंपत्‍ति प्रबंधन कंपनी, जिसके द्वारा जो भी ऐसी सरकारी सरकारी संपत्‍तियां हैं, जो शायद आज उपयोग में नहीं आ रही हैं, कुछ संपत्‍तियां ऐसी होती हैं, जो शिक्षा विभाग के पास हो सकती हैं, कुछ संपत्‍तियां ऐसी होती हैं, जो सिंचाई विभाग के पास हो सकती हैं, कुछ संपत्‍ति ऐसी हो सकती हैं, जो शायद लोक निर्माण विभाग के पास हो सकती है. अगर वह संपत्‍ति किसी काम की नहीं होती है तो उसकी नीलामी करके, उसकी डीपीआर बनाकर सरकार को और आय आ सकती है. इसी संबंध में ये जिसका मैंने अभी उल्‍लेख किया, मध्‍यप्रदेश परिसंपत्‍ति प्रबंधन कंपनी बनी है. इस विधेयक में यह उल्‍लेख किया गया है कि अगर कोई भी संपत्‍ति इस डिपार्टमेंट में ट्रांसफर होगी तो जो स्‍टॉम्‍प शुल्‍क है, वह इसमें माफ किया जाएगा. अब इसमें मेरा जो मैन प्‍वॉइंट है, वह यह है कि स्‍टॉम्‍प ड्यूटी लगभग साढ़े 12 प्रतिशत होती है. उसमें से सीधा 3 प्रतिशत रजिस्‍ट्री का जो शेयर है, वह सरकार को जाता है. उसके बाद 5 प्रतिशत मुद्रांक शुल्‍क होता है और शायद जो शेष साढ़े 4 प्रतिशत है, उसमें से 3 प्रतिशत नगरीय निकाय को जाता है, क्‍योंकि अध्‍यक्ष महोदय, यह जानकारी सबके पास है कि जब कोई सरकारी संपत्‍ति ट्रांसफर होगी, हस्‍तांतरित होगी, और उनके यहां चाहे छोटा शहर भी हो, लेकिन अगर वह सरकारी संपत्‍ति 2-3 बीघे पर भी है और निकाय के अंतर्गत आती है तो कम से कम उसका मूल्‍य लगभग 40-50 करोड़ रुपये होगा और अगर उस हस्‍तांतरण के माध्‍यम से 3 परसेंट शुल्‍क भी निकाय को मिल रहा है माननीय मंत्री महोदय, तो यह भी एक छोटे निकाय के लिए एक बड़ी राशि रहती है, तो इसको आप क्‍यों हाथ से छोड़ रहे हैं ? मेरा आपसे विशेष आग्रह है, क्‍योंकि आज के समय में लगभग सभी निकायों में पैसों की कमी है. जो वाणिज्यिक कर डिपार्टमेंट है उनके पास तो भरपूर पैसा रहता है लेकिन जो आपकी छोटी नगर पंचायतें हैं,  आपकी स्‍वयं की विधान सभा में आपने कुछ नई नगर पंचायतें स्‍थापित की हैं तो अगर इन सब नगर पंचायतों में जो अच्‍छी संपत्तियां हैं, अगर वह हस्‍तांतरित होंगी, पब्लिक ऐसेट्स डिपार्टमेंट में जिसका मैंने उल्‍लेख किया था, तो कहीं न कहीं जो कुछ स्‍टाम्‍प ड्यूटी मिल सकती थी, वह शहर को नहीं मिल पाएगी, तो मेरा आपसे विशेष आग्रह है कि इस पर आप पुनर्विचार कीजिए. जल्‍दबाजी मत कीजिए, क्‍योंकि इसी साल यह डिपार्टमेंट बना है और अगर आप इस पर विचार करेंगे क्‍योंकि इस फैसले से ज्‍यादा नहीं, लेकिन थोड़ा-बहुत अंतर शहर की आय में पड़ेगा और आपका यह प्रयास होना चाहिए कि अगर नगर पंचायत के अंदर ही जो भी ऐसी सरकारी संपत्तियां हैं, जहां पर कोई नया प्रोजेक्‍ट हो सकता है, जहां पर आप नया कॉम्‍पलेक्‍स बना सकते हैं, नई दुकानें खोल सकते हैं, तो आप इस नए डिपार्टमेंट में क्‍यों ट्रांसफर करेंगे ? स्‍वयं नगर पंचायत के पास पर्याप्‍त व्‍यवस्‍था है हाऊसिंग बोर्ड के माध्‍यम से, आपकी स्‍वयं की व्‍यवस्‍था के माध्‍यम से कि आप खुद डीपीआर बना सकते हैं, खुद वहां पर नया प्‍लान कर सकते हैं, तो मेरा आपसे विशेष आग्रह है कि इसमें जो स्‍टाम्‍प शुल्‍क आप खोएंगे, इससे आपको नुकसान हो सकता है. जो हमारे सभी 400 से अधिक शहर हैं उनमें नुकसान आ सकता है, तो मैं पुन: आपसे आग्रह करूंगा कि इस पर पुन: विचार किया जाए और अभी इसको पारित ना किया जाए और इसके साथ ही अध्‍यक्ष महोदय, अभी कुछ दिन पहले एक जमीन दान की गई थी सागर जिले में 50 एकड़ साले साहब के माध्‍यम से, शायद मंत्री जी के परिवार में, तो क्‍या उसमें भी स्‍टाम्‍प शुल्‍क लगा था ?

          श्री गोविंद सिंह राजपूत -- आपके पिता जी ने ..

          श्री जयवर्द्धन सिंह -- गोविंद जी, अभी मैं आपसे बात नहीं कर रहा हूं आपसे बात बाद में करेंगे, लेकिन क्‍या उस पर भी स्‍टाम्‍प शुल्‍क लगा था कि नहीं लगा था, यह एक बार उल्‍लेख कर दीजिए.

          अध्‍यक्ष महोदय -- यह कल का विषय है. श्री आशीष गोविंद शर्मा जी.

          श्री आशीष गोविंद शर्मा (खातेगांव) -- अध्‍यक्ष महोदय, मध्‍यप्रदेश नगर पालिक विधि (तृतीय संशोधन) विधेयक, 2022 का मैं समर्थन करता हूं. निश्चित ही आज मध्‍यप्रदेश की समृद्धि में जो नगरों का एक विकास में योगदान है, स्‍वच्‍छ नगर, सुंदर नगर, कहीं न कहीं नगरीय प्रशासन विभाग की केन्‍द्र सरकार की विभिन्‍न प्रवर्तित योजनाओं के कारण आज नगर पहले से अधिक स्‍वच्‍छ एवं समृद्ध हुए हैं. नगर पंचायत, नगर पालिका और नगर निगम यह सभी मध्‍यप्रदेश नगर पालिक अधिनियम 1956 के अनुसार संचालित की जाती हैं और निश्चित ही नगरों में जो संपत्तियां होती हैं, शासकीय भूमि होती है, उन सब पर व्‍यावसायिक कॉम्‍पलेक्‍स बनाकर या अन्‍य निर्माण कार्य करके नगर निकाय संपत्ति के माध्‍यम से आय अर्जित करता है. कई छोटे-छोटे दुकानदार भी हॉकर्स जोन या शॉपिंग कॉम्‍प्‍लेक्‍स जैसी व्‍यवस्‍थाओं में दुकानें खरीदते हैं और उनके माध्‍यम से अपना व्‍यापार, व्‍यवसाय प्रारंभ करते हैं. इससे अस्‍त-व्‍यस्‍त लगी हुई गुमटियों को भी एक अच्‍छा निर्माण और आकार मिलता है और नगर निकाय की आय में भी वृद्धि होती है. चूंकि इस वर्ष नगरीय निकाओं के चुनाव हुए हैं, बड़ी संख्‍या में नए जनप्रतिनिधि चुनकर आए हैं, मैं ऐसा मानता हूं कि स्‍टाम्‍प शुल्‍क की जो एक राशि होती है, जो रजिस्‍ट्री कराता है, नगर निकाय से नीलाम में बोली में जमीन खरीदता है, दुकानें खरीदता है, उसको स्‍टाम्‍प शुल्‍क के रूप में एक बहुत बड़ी राशि चुकानी पड़ती है. इसलिए इस स्‍टाम्‍प शुल्‍क से जो छूट दी जा रही है इसके कारण निश्चित ही नगर निकायों को भी अपनी आय की वृद्धि करने में और छोटे-छोटे दुकानदारों को, बेरोजगार लोगों को संपत्ति खरीदने में आसानी हो सकेगी. मैं इस संशोधन का समर्थन करता हूं.      

श्री जयवर्द्धन सिंह - अध्यक्ष महोदय, मैं एक उल्लेख करना चाह रहा हूं. इसमें उपभोक्ता के साथ में कोई भी लिंक नहीं है. यह सीधा जो कंपनी स्थापित की गई है. सरकार के माध्यम से यह जो अलग से एक अंग स्थापित किया गया है, जिसका मैंने उल्लेख किया था. श्री आशीष जी आप भी सुन लीजिए. यह बात आपको थोड़ा समझ में आ जाएगी. मध्यप्रदेश परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी के लिए यह विधेयक बना है, जो आम आदमी है उसके लिए नहीं है. यह सिर्फ जो मध्यप्रदेश परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी है, जो भी सरकारी संपत्ति इस कंपनी में स्थानांतरित होगी, उन केसों में यह जो स्टाम्प शुल्क है वह माफ किया जाएगा. मेरा यही पाइंट है कि अगर वैसे ही जो  हमारे सभी निकाय हैं, उनको खुद अतिरिक्त पैसे की आवश्यकता होती है तो हम क्यों इस शुल्क को गवाएं? यही मेरा पाइंट है तो इसमें जो माननीय सदस्य कह रहे थे. इसमें जीरो परसेंट लाभ मिल रहा है उपभोक्ता को, मैं यह पाइंट रखना चाह रहा था.

श्री तरुण भनोत (जबलपुर-पश्चिम) - अध्यक्ष महोदय, यह बहुत महत्वपूर्ण विधेयक है. इसमें एक छोटा-सा सुझाव माननीय मंत्री जी को देना चाहता हूं. हर जगह पर सरकार तब चलती है जब अर्थ की व्यवस्था पूरी होती है और उसी को ध्यान में रखते हुए, यह संशोधन विधेयक आप लेकर आए भी हैं. परन्तु जो भी जनप्रतिनिधि हैं, चाहे हम विधान सभा में बैठे हुए सदस्य हैं, चाहे जो लोकल बॉडिस हमारी हैं, वहां के जनप्रतिनिधि हैं. कभी भी वह किसी काम के लिए जाते हैं तो सबसे बड़ा जो रोड़ा आता है वह वित्त का आता है. अर्थ का संकट रहता है तो मेरा एक निवेदन है कि जब आप यह महत्वपूर्ण संशोधन लेकर आए हैं और इसमें चेंज कर रहे हैं तो क्यों नहीं एक प्रावधान और रखते हैं कि जहां की संपत्ति से आपको जो आय प्राप्त होगी, जो वहां का लोकल निकाय है उसमें उसकी हिस्सेदारी क्यों नहीं तय की जाती? यह सारे हमारे सम्मानीय सदस्य यहां बैठे हैं. अगर मान लीजिए कि रीवा की संपत्ति है, जबलपुर की संपत्ति है, दतिया की संपत्ति है, सागर, दमोह की है. अगर उससे आपको आय हो रही है. आप उसका डिमोनेटाइजेशन कर रहे हैं तो वह पैसा बजाय पूरा का पूरा यहां पर राज्य सरकार के पास भोपाल में आए, क्यों नहीं हम यह करते हैं कि उसका 40 प्रतिशत पैसा, 30 प्रतिशत पैसा, 50 प्रतिशत पैसा, उस लोकल निकाय को दिया जायगा, जिससे उसका सुनिश्चित विकास हो सके. बहुत सारी जगह ऐसी हैं जहां आय के स्रोत नहीं हैं. छोटी नगरपालिकाएं हैं, नगर पंचायतें हैं, परन्तु वहां अगर आप यह डिमोनेटाइजेशन करने जा रहे हैं. आप अगर कहीं भी डिस्-इनवेस्टमेंट कर रहे हैं, उस संपत्ति का लाभ उस क्षेत्र को न मिले तो यह बड़ा आपत्तिजनक है और यह एक सकारात्मक सुझाव भी है माननीय मंत्री जी कि क्यों न हम एक सदन के माध्यम से उसमें यह निर्धारित करें कि जो राशि वहां से आएगी, वह जिस भी निकाय के अंतर्गत आ रही है, उसका एक हिस्सा वहां के विकास के लिए दिया जाएगा और कहीं न कहीं से इनडायरेक्ट्ली जो पूरा बोझ सरकार के ऊपर भी आता है, वह नहीं आएगा तो अगर यह संशोधन हम कर ही रहे हैं या आप अगर एक लाइन जोड़ देंगे तो मुझे ऐसा लगता है कि एक समुचित और समग्र विकास जो हम सब जगह का चाहते हैं कि सब जगह आगे बढ़ें. सब जगह तरक्की हो. सिर्फ इंदौर, भोपाल तक ही तरक्की सीमित न रह जाय. जो शाइनिंग इंडिया है वह केवल यहां न दिखे, जो इनवेस्टर्स मीट है वह केवल यहां न दिखे, परन्तु वहां के लोगों की भी जो मूलभूत समस्याएं हैं, जो टैक्स भरते हैं उनको भी अगर एक राशि का हिस्सा मिलेगा तो हम माननीय अध्यक्ष महोदय, इस विधेयक का समर्थन करेंगे.

श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर - आप परेशान क्यों दिख रहे हैं? आप परेशान दिख रहे हो, हैरान दिख रहे हो?

श्री तरुण भनोत - करंट की सप्लाई ठीक नहीं है. बीच में अवरुद्ध हो रही है और मैं नहीं परेशान हूं, सारे विधायक परेशान हैं और बोल नहीं पा रहे हैं सत्तापक्ष के, आपके बिजली विभाग के कारण ही वर्ष 2023 में कांग्रेस पार्टी की सरकार बनेगी. सबसे बड़ा कारण आप होंगे प्रद्युम्न सिंह तोमर जी. आप और आपका विभाग.

जल संसाधन मंत्री (श्री तुलसीराम सिलावट) - सपने देखने में कोई प्रतिबंध नहीं है, देखो सपने.

नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्री भूपेन्द्र सिंह ) - अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य श्री जयवर्द्धन सिंह जी, जो इस विभाग के पूर्व में मंत्री भी थे. हमारे माननीय सदस्य श्री आशीष गोविन्द शर्मा जी और पूर्व वित्त मंत्री माननीय श्री तरुण भनोत जी, सभी माननीय सदस्यों ने बहुत ही महत्वपूर्ण सुझाव दिये हैं. मैं आग्रह करूंगा कि यह जो विधेयक है, इस विधेयक के माध्यम से कहीं पर हमारे नगरीय निकायों की जो आय है, वह प्रभावित नहीं हो रही है. अध्यक्ष महोदय, यह  हमारी मध्यप्रदेश परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी जो बनी है, जैसा माननीय श्री जयवर्द्धन सिंह जी कह रहे थे,  जो संपत्ति का यह अंतरण करेंगे तो स्टाम्प शुल्क जो इसमें लगता है, परन्तु जब मात्र शासकीय संपत्ति, मध्यप्रदेश परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी को हस्तांतरित होगी तब छूट दी गई है. दूसरा, मध्यप्रदेश परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी को राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पोर्टल के माध्यम से संपत्ति का अंतरण होने से अच्छी राशि इसके माध्यम से प्राप्त होती है. दूसरा मध्यप्रदेश  परिसम्पत्ति  प्रबंधन   कम्पनी के गठन  का उद्देश्य  शासकीय सार्वजनिक  उपक्रम की सम्पत्तियों  की अच्छी आय  प्राप्त होना है,  क्योंकि कई बार  शासकीय  विभाग, सार्वजनिक    उपक्रम स्वयं  सम्पत्ति अंतरित करने से अच्छी राशि  प्राप्त नहीं कर पाते हैं. कम्पनी जो  सम्पत्ति  अंतरित  करेगी माननीय तरुण जी,  उसका 3 प्रतिशत    स्टाम्प शुल्क जो है,  वह निकायों को प्राप्त होगा.  इससे निकायों को जो राशि  है, 3 प्रतिशत  राशि इससे मिलेगी.

                   श्री तरुण भनोत --  3 प्रतिशत तो बहुत कम है.

                   श्री भूपेन्द्र सिंह--  यह पहले से प्रॉविजन है.  आपके समय से ही प्रॉविजन है.

                   श्री तरुण भनोत -- मंत्री जी,  मेरा इसमें निवेदन यह था, मैं यह कहना चाह रहा था कि  मान लीजिये अगर कहीं किसी सम्पत्ति  से  हमें   100 करोड़ रुपया  प्राप्त हो रहा है, तो कम से  कम 30 करोड़ रुपया तो  उस शहर को, उस निकाय को  मिले  कि  वहां जो उनका आधारभूत संरचना को  और बेहतर करने के लिये पैसे की आवश्यकता है. तो इनडायरेक्टली   सरकार को वह पैसा  नहीं देना पड़ेगा.

                   श्री भूपेन्द्र सिंह-- इस पर  हम लोग विचार कर लेंगे, पर  यह प्रावधान  आपके समय से ही है.

                   श्री तरुण भनोत --   मंत्री जी, बहुत बहुत  धन्यवाद. अगर हमारे समय से भी प्रावधान है, तो  हम ही आपसे निवेदन भी  कर रहे हैं, हम सब मिलकर  इसको ठीक कर लें. सदन सर्वोपरि है.

                   श्री भूपेन्द्र सिंह-- उस पर विचार  कर लेंगे.

                   श्री तरुण भनोत --   बहुत बहुत धन्यवाद.

                   श्री जयवर्द्धन सिंह--  मंत्री जी, अगर विचार करेंगे, तो फिर  बाद में विधेयक प्रस्तुत हो जाये  और यह विधेयक  महत्वपूर्ण है.  हम भी  इसके पक्ष में हैं कि इसमें लाभ मिले.

                   श्री तरुण भनोत -- अध्यक्ष महोदय,   हमारी जो मूलभूत एक सोच है कि  सबका विकास हो, सब संस्थाएं मजबूत  हों  और सब छोटे से छोटे  क्षेत्र में भी विकास हो.

                   श्री भूपेन्द्र सिंह--  देखिये,  यह विधेयक तो मूलतः स्टाम्प शुल्क को लेकर  है. जहां तक इसमें  नगरीय निकायों को आय से संबंधित  है, इस पर आपके सुझाव पर हम लोग आगे फिर से  विचार कर लेंगे..

                   श्री तरुण भनोत --   धन्यवाद.

                   श्री भूपेन्द्र सिंह--  ..और अलग से जरुरत पड़ेगी, तो  फिर देख लेंगे.  अध्यक्ष महोदय, अभी तो मेरा सब सदस्यों से आग्रह है कि  चूंकि राज्य  के  राजस्व को इससे  आय होगी  और इससे राज्य के राजस्व को  ध्यान में रख करके  सभी माननीय सदस्यों से  आग्रह है कि  इसको पारित करने का कष्ट करें.

                   श्री जयवर्द्धन सिंह--   अध्यक्ष महोदय, शहर का जो हिस्सा है,  वह जरुर मिले.  जो बात तरुण जी ने भी कही  कि जरुर कोई ऐसा प्रावधान  हो कि जो शहर है,  नगर पंचायत, नगरपालिका, नगर निगम हैं,  उनको  हिस्सा जरुर मिले.

                   श्री तरुण भनोत --   अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने जो आश्वासन दिया है, तो हम उसको स्वीकार  करते हैं,  हमें विश्वास है कि  आप सबके हित में ध्यान में रखते हुए  फैसला लेंगे.

                   श्री भूपेन्द्र सिंह-- जरुर.

                   श्री तरुण भनोत --  धन्यवाद.

                   अध्यक्ष महोदय--  प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि (तृतीय संशोधन) विधेयक,2022 पर विचार किया जाए.

प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.

                   अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.

                   प्रश्न यह है कि खण्ड 2 तथा 3 इस विधेयक का अंग बने.

                   खण्ड 2 तथा 3 इस विधेयक के अंग बने.

                   प्रश्न यह है कि खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.

खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बना.

                   प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.

                   पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.

                   श्री भूपेन्द्र सिंह-- अध्यक्ष  महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि  मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि (तृतीय संशोधन) विधेयक,2022   पारित किया जाए.

                   अध्यक्ष महोदय--  प्रस्ताव  प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि (तृतीय संशोधन) विधेयक,2022   पारित किया जाए.

                   प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि (तृतीय संशोधन) विधेयक,2022   पारित किया जाए.

प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.

विधेयक पारित हुआ.

 

3.59 बजे                                              अध्यक्षीय घोषणा

 

                   नेता प्रतिपक्ष (डॉ. गोविन्द सिंह)--  अध्यक्ष जी, कल आपने  अविश्वास प्रस्ताव के संबंध में  घोषित कर दिया  है कि लिया जायेगा. तो हमारा आपसे निवेदन है कि  कल लंच ब्रेक  कर दें यहीं  और माननीय संसदीय कार्य मंत्री  जी  भी सहमत हैं.  

                   संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र)--  लंच ब्रेक नहीं,लंच का  ब्रेक  न करें.

                   डॉ. गोविन्द सिंह -- हां, सॉरी, लंच का  ब्रेक न करें.

                   अध्यक्ष महोदय -- ठीक है.  लंच ब्रेक का मतलब  है  कि लंच हो यहां,  ब्रेक न हो.

                   डॉ. नरोत्तम मिश्र--   जी हां.

                   अध्यक्ष महोदय -- लंच ब्रेक को अलग  अलग करना है.   तो लंच  इधर जाने दीजिये और  संसदीय का एक ब्रेक इधर जाने दीजिये.  ऐसा  करते हैं.

                   डॉ. नरोत्तम मिश्र--   अध्यक्ष महोदय, एकाध बार  तो आप  नेता प्रतिपक्ष को बेंच के  ऊपर  खड़ा करो आप.  ..(हंसी).. मैं सहमत हूं नेता प्रतिपक्ष की बात से.

                   अध्यक्ष महोदय---   हां, ठीक है, कर देंगे. 

 

समय 4.00 बजे     

                                                शासकीय विधि विषयक कार्य (क्रमश:)

(2)मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता(द्वितीय संशोधन) विधेयक,2022(क्रमांक 21 सन् 2022)

 

          राजस्व मंत्री(श्री गोविन्द सिंह राजपूत)- अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता(द्वितीय संशोधन) विधेयक,2022 पर विचार किया जाए.

            अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता(द्वितीय संशोधन) विधेयक,2022 पर विचार किया जाए.

          श्री ओमकार सिंह मरकाम(डिण्डोरी) - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय राजस्व मंत्री जी ने जो मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता(द्वितीय संशोधन) विधेयक,2022 जो प्रस्तुत किया है यह जमीनों के सीमांकन से जुड़ा हुआ संशोधन विधेयक है. वर्तमान समय में जमीनों के सीमांकन करने की जो प्रक्रिया है.  मैं समझता हूं स्वयं माननीय मंत्री जी, आप कहीं पर अगर आदेश दे रहे हैं कि इसका सीमांकन कर लिया जाए तो क्या आपके आदेश पर वह सीमांकन हो जाता है. नहीं हो पाता. जब तक जो आवेदक है वह जाकर आनलाईन प्रति खसरे के हिसाब से राशि जमा नहीं करेगा, तब तक सीमांकन के आदेश की कोई प्रक्रिया नहीं होगी. एक तरफ सरकार की जन सुनवाई प्रत्येक मंगलवार को  होती है. गरीब आदमी आते हैं.  मामा जी बड़े ऊंची आवाज से कहते हैं कि हम गरीब के साथी हैं मदद करेंगे लेकिन जब वह यह कहते हैं तो किसी की जमीन किसी की 2 डेसीमल है, किसी की  1 डेसीमल है. खास तौर पर अनुसूचित जाति,जनजाति के लिये बड़ी चुनौती हो जाती है. वह जाता है कि कलेक्टर साहब आप मेरी जमीन का सीमांकन करा दीजिये. सीमांकन करने का जो अधिकार है, आदेश देने का अधिकार है माननीय तहसीलदार महोदय को आपने दिया हुआ है इससे पहले सीमांकन में कोई शुल्क नहीं लिया जाता है. अभी जब से आनलाईन प्रक्रिया की गई है जब आन लाईन दर्ज कराएंगे तो उसमें 100 रुपये शुल्क है और 200 रुपये 300 रुपये ऊपर की आपकी सरकार की जो परंपराचल रही है और अगर आफ लाईन जाकर बैंक में जमा करते हैं तो उसको 50 रुपये लगते हैं. अगर 4 खसरे का उसको सीमांकन कराना है तो आनलाईन 400 रुपये उसको देने पड़ेंगे. उसमें कोई समय सीमा नहीं है मैंने इसको देखा है इसमें आपने सिर्फ पटवारी को इसमें जोड़ने के लिये विधेयक में संशोधन का प्रस्ताव रखा है. मंत्री जी आप भी गांव के गरीबों के बीच जाते हैं वोट के लिये जाते हैं कम से कम उस काबिल बना दो हम लोग भी जाएं तो तहसीलदार से कहें कि यह गरीब आदमी है कि इसका सीमांकन कर लिया जाए. अध्यक्ष जी, आप अपने क्षेत्र में जाएं तो सब लोगों के लिये तो आप शीर्ष हैं. अध्यक्ष जी के आदेश हैं और रुपये लग रहे हैं तो यह जो परंपरा है इसमें मेरा अनुरोध है कि आप कृपा करके जो गरीब व्यक्ति हैं जिनके गरीबी रेखा में नाम हैं उनके सीमांकन को निशुल्क रूप से आदेशित किया जाए उनसे कोई शुल्क नहीं लगेगा. इसलिये यह मैं कह रहा हूं कि माननीय मुख्यमंत्री जी कहते हैं कि पैसे की कमी नहीं है माननीय प्रधानमंत्री जी कहते हैं कि पैसे की कमी नहीं है तो गरीब आदमी से 100 रुपये,200 रुपये,300 रुपये लिये जाना कहां तक उचित है. इस पर मेरा अनुरोध है कि आज अगर मंत्री जी इसमें थोड़ा आपके राजस्व विभाग के मंत्रालय के विद्वान लोग हैं उसमें आप उनसे थोड़ा सा डिसीजन ले लीजिये. उसमें आप अनुसूचित जाति, जनजाति और कोई भी गरीब हो. इसमें सामान्य वर्ग के गरीबों की भी मदद की बात की जाती है. यह जो आपका सीमांकन है उसमें. दूसरा मेरा अनुरोध है कि इसकी एक समय सीमा होनी चाहिये. कि समय सीमा पर सीमांकन कौन करेगा क्या उसकी प्रक्रिया है. तीसरी सबसे बड़ी बात यह है कि सीमांकन में आपके कोई एक्सपर्ट आपके नहीं हैं. कितने एकड़ में कितने स्क्वायर फीट होता है. कहां खसरा है. नक्शे का क्या है. कोई एक्सपर्ट नहीं है. मेरा ऐसा अनुरोध है कि तहसीलदार के आदेश के साथ सीमांकन का कोई एक्सपर्ट हो.

          जैसे मेडीकल लाइन में एक्‍सपर्ट हैं वह रिपोर्ट देते हैं अगर, टेक्‍नीकल लाइन में एक्‍सपर्ट हैं वह रिपोर्ट देते हैं. आपके यहां कोई एक्‍सपर्ट है ही नहीं. अगर कोई पटवारी ने गलत नाप कर दिया तो वह गरीब आदमी परेशान हो जाता है, वह न्‍यायालय में जाता है, एक पीढ़ी चलता है, दूसरी पीढ़ी चलता है, तीसरी पीढ़ी चलता है, वह चलता ही रहता है, इसमें कोई एक्‍सपर्ट की आपकी व्‍यवस्‍था ही नहीं है. माननीय राजस्‍व मंत्री जी, मेरा अनुरोध है वैसे जानकारी मिली है कि इस समय 50 एकड़ आपको कहीं से मिली है तो उसमें जो सीमांकन है उसमें सारे नियम लागू कर लो पर बाकी में मेरा ऐसा अनुरोध है कि जो गरीबों के लिये है 2 एकड़, 1 एकड़, आधा एकड़ इसमें माननीय अध्‍यक्ष जी हमारा प्रश्‍न है. एक और महत्‍वपूर्ण सुझाव यह है कि जहां पर सीमांकन के लिये जाते हैं वहां पर सीमांकन कर दिया जाता है और वहां पर विवाद है.

          श्री तरूण भनोत--  (XXX)

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--  माननीय अध्‍यक्ष जी, विधेयक पर चर्चा चल रही है यह आवश्‍यक है क्‍या ?

          अध्‍यक्ष महोदय--  यह नहीं लिखा जायेगा.

          श्री ओमकार सिंह मरकाम--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय जी, मैं यह निवेदन करना चाह रहा था कि किसी सीमांकन में यदि माननीय तहसीलदार महोदय जी ने आदेश किया है और उसमें विवाद की स्थिति आ गई और विवाद की स्थिति में वह फिर सीमांकन के लिये निवेदन कर रहा है और वही लोग फिर सीमांकन में जा रहे हैं, कई ऐसे लोगों को मैंने देखा है जिनकी जिंदगी में सीमांकन का विवाद कभी सुलझ नहीं पाता है, वही तहसीलदार महोदय फिर आदेश करते हैं और वही राजस्‍व के निरीक्षक अभी तो शायद आप उसमें पटवारी को जोड़ रहे हैं उसमें हम  धन्‍यवाद देंगे कि चलो पटवारी को जोड़ लो पर जो सीमांकन का विवाद है और दूसरा सबसे बड़ा सीमांकन में आता है कि जमीन की खसरा नंबर के हिसाब से जो नक्‍सा है वह कितना है यह बहुत ज्‍यादा त्रुटि हुई है, कई लोगों की जमीन जहां पर एक एकड़ है और उसका 80 डिस्मिल का नक्‍शा कट गया है अब आपका सीमांकन का आदेश तो हो जाता है पर उसमें कई परिवारों में विवाद होता है, कई परिवार टूट जाते हैं बहुत लड़ाई झगड़े हो जाते हैं तो ऐसी स्थिति में मेरा ऐसा अनुरोध है माननीय राजस्‍व मंत्री जी से कि यह जो आप संशोधन ला रहे हैं यह महत्‍वपूर्ण सुझाव हमने दिया है इसमें सिर्फ पटवारी को जोड़ देने से इसमें बहुत बड़ा निराकरण नहीं होना है. मेरे पहले अनुरोध को जरूर माननीय अध्‍यक्ष महोदय जी माननीय मंत्री जी से स्‍वीकार कराने के लिये आपसे भी मेरा अनुरोध है कि खासकर अनुसूचित जाति, जनजाति और सामान्‍य वर्ग के अति गरीब लोग हैं, पिछड़े वर्ग के लोग हैं वह गरीब आदमी अगर 2 डिस्मिल, 1 डिस्मिल, 3 डिस्मिल जमीन का सीमांकन करायेगा तो इसमें अगर आप आज घोषणा कर सकते हैं उसे बाद में ले आईये हम तैयार हैं इसमें कोई दिक्‍कत नहीं है माननीय अध्‍यक्ष महोदय जी मेरा अनुरोध है, और अंतिम हमारा अनुरोध यह है कि जो समय सीमा है उस समय सीमा में उनका जो सीमांकन होना है उसमें आप जरूर ध्‍यान रखें, अभी इसमें होता यह है कि जो प्रभावी लोग हैं वह जाकर चर्चा कर लेते हैं उनका सीमांकन हो जाता है और गरीब आदमी का, भोपाल का आज ही मेरे पास प्रकरण आया है कोलार का प्रकरण है हमारे आदिवासियों की जमीन को बिल्‍डरों ने अपने नाम पर करवा लिया है और सीमांकन के लिये जब जाते हैं तो उसमें किसी भी प्रकार से उनको सीमांकन की डेट नहीं मिल पा रही है, तहसीलदार के पास भी जा रहे हैं तो ऐसी स्थिति में कृपया कर हमारा आपसे अनुरोध है कि इसमें एक समरूपता होना चाहिये, गरीब हो चाहे अमीर हो उनके लिये इसमें संशोधन हो जाये यह मेरा अनुरोध है. मुझे उम्‍मीद है कि माननीय राजस्‍व मंत्री जी इसमें जरूर अमल करेंगे.

      श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से माननीय राजस्‍व मंत्री श्री गोविन्‍द सिंह जी को धन्‍यवाद देना चाहता हूं इस बात को लेकर के कि भू-राजस्‍व संहिता के द्वितीय संशोधन विधेयक 2022 जो प्रस्‍तुत हुआ है. माननीय अध्‍यक्ष महोदय यह अलग बात है कि प्रतिपक्ष के वरिष्‍ठ विधायक आदरणीय श्री ओमकार सिंह मरकाम जी, विधेयक की मूल भाषा से अपने वक्‍तव्‍य में भटक गये हैं और जिस प्रकार से उनकी एक आदत सी पड़ गई है कि सिर्फ आरोप लगाना. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, विधेयक की मूल जो अवधारणा है, वह अवधारणा यह प्रस्‍तुत हुई है कि पटवारी जो क्षेत्र का, राजस्‍व विभाग का एक प्रमुख अंग होता है, सीमांकन के दौरान उसकी महती भूमिका रहती है, वह रिकार्ड से अपडेट रहता है, वह क्षेत्र से अपडेट रहता है और वह टीम, टोली के साथ राजस्‍व विभाग के जो तहसीलदार या अन्‍य लोग जो सीमांकन के लिये अधिकृत होते हैं, राजस्‍व निरीक्षक सहित उनके साथ चलता है.

श्री ओमकार सिंह मरकाम -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरी आपत्ति है. माननीय सदस्‍य जी कह रहे हैं कि आप भटक गये हैं, आप आदिवासियों की योग्‍यता पर(श्री यशपाल सिंह सिसौदिया, सदस्‍य द्वारा अपने आसने से कुछ कहने पर) देखिये मैंने समर्थन किया है पटवारी के आदेश का, आप समझिये, आप पूंजीपति लोग हो, जाके पैर न फटे बिवाई, वो का जाने पीर पराई. हमने समर्थन किया है.

श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- आप हर क्षेत्र में आदिवासी की क्‍यों राजनीति कर लेते हैं. आदिवासियों को लेकर विषय ही नहीं है, कहां इसमें सीमांकन में विरोध हो रहा है, आप मूल भावना से तो आप भटक जाते हैं, हम कोई आदिवासी विरोधी हैं क्‍या ?

श्री ओमकार सिंह मरकाम -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमने समर्थन किया है और ये (XX) लोग आदिवासी गरीबों का दर्द नहीं समझ सकते हैं और यही विचारधारा में भाजपा चल रही है.

अध्‍यक्ष महोदय -- इस शब्‍द को विलोपित कर दिया जाये.

श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- आप तो मूल बात पर आओ ना,

श्री कुणाल चौधरी -- आप आदिवासियों का विरोध क्‍यों कर रहे हो?

श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- अरे यह आदिवासी का विरोध नहीं है. इनका जो वक्‍तव्‍य है, मैंने उस वक्‍तव्‍य के बारे में बोला है.

श्री ओमकार सिंह मरकाम -- आपने जो कहा है, वह आपत्तिजनक है.

 अध्‍यक्ष महोदय -- हो गया है, आपकी बात आ गई है.

श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- मैं इनके ज्ञान को सदन में बता रहा हूं, जिस प्रकार से बस स्‍टैण्‍ड पर और चौराहे पर भाषण देते हैं, आप विधेयक की मूल भावना से ही भटक रहे हैं, सवाल माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इस बात का है कि पटवारी को अधिकार क्‍यों? पटवारी को क्‍यों जोड़ा जा रहा है?

श्री कुणाल चौधरी -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सदन में सदस्‍य अपनी बात रख रहे हैं, यह तय करेंगे कि क्‍या मूल भाव है?

श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- क्‍यों पटवारी को इसमें शामिल किया जा रहा है? यह मूल बात है और बात जिस प्रकार से श्री ओमकार सिंह मरकाम लेकर आये हैं. दायें-बायें और माननीय अध्‍यक्ष महोदय, ओमकार भाई को विषय की वस्‍तु तो मालूम नहीं थी, उनको तो पकड़ा दिया, नाम दे दिया और ये चल पड़े भाषण देने के लिये.

अध्‍यक्ष महोदय -- (श्री ओमकार सिंह मरकाम, सदस्‍य द्वारा अपने आसन से बार-बार कुछ कहने पर) आपकी आपत्ति आ गई है, श्री मरकाम जी आपकी आपत्ति दर्ज हो गई है, आप बैठ जायें.

श्री दिनेश राय मुनमुन -- श्री ओमकार भाई हर बात में अड़ोगे तो हो जायेगा, आप बैठ जायें, आपने अपनी बात बोल ली, अब उनको बोलने तो दो.

श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा निवेदन यह है कि पटवारी निरंतर राजस्‍व विभाग की पूरी टीम के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलता है, माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अगर एक संशोधन में पटवारी को अधिकारपूर्वक इस विधेयक में जोड़ा जा रहा है, तो क्‍या आपत्ति है.

माननीय अध्‍यक्ष महोदय, धारा 129 में उपधारा 1, उपधारा 2 तथा उपधारा 3 में शब्‍द राजस्‍व निरीक्षक के पश्‍चात् शब्‍द पटवारी अंत:स्‍थापित किया जा रहा है, माननीय अध्‍यक्ष महोदय बात इतनी है और बिल्‍कुल ठीक बात है, रेवेन्‍यू डिपार्टमेंट के लोग जानते हैं और आम जनता जानती है कि क्षेत्र में पटवारी जिस प्रकार से काम करता है, उसको अधिकारिक रूप से अभी तक कानून के दायरे में विधेयक के दायरे में उसको नहीं माना जा रहा था, आज उस विषय को लेकर मुझे लगता है कि यह एक्‍ट आया है, विधेयक आया है, इससे बड़ी कोई बात माननीय अध्‍यक्ष महोदय, है नहीं. सीमांकन को लेकर निश्चित ओमकार भाई एक प्रक्रिया है, आप जिस बात को कह रहे हैं, उस बात से मैं सहमत हूं कि किस प्रकार से सीमांकन के लिये आवेदन देना पड़ता है और किस प्रकार से राशि का भुगतान किया जाता है(श्री ओमकार सिंह मरकाम, सदस्‍य द्वारा अपने आसन से बार-बार कुछ कहने पर) आप मेरी बात तो सुन लीजिये, इतने उत्‍तेजित मत हों.

श्री ओमकार सिंह मरकाम -- तो हम का करें, बना ही नहीं रहे आपके मंत्री तो हम का करें.

श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- सीमांकन के निराकरण में, पटवारी के साथ जोड़ने के कारण से यथोचित जो संशोधन है धारा 129 में राजस्‍व निरीक्षक या नगर सर्वेक्षक के साथ पटवारी को जोड़ा जा रहा है, कुल मिलाकर यह बात है. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैंने पहले भी कहा है कि पटवारी की मेहती भूमिका होती है, वह मैदान में काम करता है और पटवारी को इस पूरे विधेयक के साथ अगर राजस्‍व विभाग ने इस संशोधन विधेयक के साथ जोड़ने की बात की जा रही है तो मैं नहीं समझता हूं कि सदन में किसी प्रकार की कोई आपत्ति होगी, मैं तो ओमकार भाई से निवेदन करूंगा की आपने शुरूआत की और पटवारी को स्‍थान मिल रहा है, उस एक्‍ट के तहत उस संशोधन विधेयक के तहत तो यह सर्वानुमति से पारित होना चाहिये.

            राजस्‍व मंत्री(श्री गोविन्‍द सिंह राजपूत) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मध्‍यप्रदेश भू-राजस्‍व संहिता (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2022  यहां विचार के लिये लाया गया है, अध्‍यक्ष महोदय सीमांकन के बारे में बहुत सारी बातें हमारे प्रतिपक्ष के विधायक ओमकार सिंह जी ने की और हमारे वरिष्‍ठ विधायक श्री यशपाल सिंह सिसौदिया जी ने रखी, एक प्रक्रिया होती है कि जब तहसीलदार के लिये हम लोग आवेदन देते हैं और तहसीलदार आरआई को देता है. फिर एक कमेटी बनती है और फिर सीमांकन होता है. इसमें कई दौर की चर्चा हुई और राय आई कि इसमें पटवारी को भी जोड़ लिया जाये क्‍योंकि यह निश्चित रूप से है कि आरआई की संख्‍या थोड़ी सी कम है और जो ओमकार भाई समय की बात आपने कही कि निश्चित रूप से समय थोड़ा लग जाता है, तो पटवारी इसमें शामिल होने के बाद, जो समय की दूरी होती है, वह कम होगी. दूसरा, मैं आपको एक और बात सदन के लिए बताना चाहता हूँ, अभी हम सीमांकन की नई पद्धति कोर्स पद्धति ला रहे हैं. इस कोर्स में पूरे मध्‍यप्रदेश में टॉवर लग रहे हैं, सेटेलाइट के द्वारा, हम अब सीमांकन करेंगे. उसमें एक-एक सेंटीमीटर भी कहीं से गलत होने की संभावना नहीं है, वर्षों से अंग्रेजों के जमाने से जरीब डलती है, उसके द्वारा सीमांकन होता है और जरीब डलने से कभी-कभी 19-20 परिणाम भी आ जाते हैं. जरीब की पद्धति से हम बहुत आगे निकलने वाले हैं और मध्‍यप्रदेश शायद अन्‍य राज्‍यों में पहला राज्‍य होगा, जहां हम कोर्स पद्धति ला रहे हैं. इसके कई फायदे हैं. अभी बरसात के दिन में सीमांकन नहीं हो पाता, वर्षाकाल में सीमांकन बन्‍द हो जाता है, जब फसल खड़ी होती है, तब सीमांकन बन्‍द हो जाता है. इसलिए मामले लगातार पैंडिंग-पैंडिंग होते रहते हैं लेकिन अध्‍यक्ष महोदय, जो हम कोर्स पद्धति ला रहे हैं, उससे बरसात में भी सीमांकन होंगे, फसल खड़ी होने पर भी सीमांकन होंगे और यह सारी समस्‍या का समाधान हो जायेगा.

          श्री ओमकार सिंह मरकाम - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मंत्री जी आप यह जो नया ला रहे हैं. यह सरकार के नियमित अधिकारी/कर्मचारी के माध्‍यम से होगा कि (XXX)

          अध्‍यक्ष महोदय - यह नहीं लिखा जाए.

          श्री पी.सी.शर्मा - सेटेलाइट का आउटसोर्स करेंगे या डिपार्टमेंट कार्य करेगा क्‍योंकि आपके पास एक्‍सपर्ट नहीं हैं.

          श्री गोविन्‍द सिंह राजपूत - आप बैठ जाइये. भारत सरकार की सर्वे ऑफ इण्डिया कार्य कर रही है और काम लगा हुआ है, इसमें काम चल रहा है और यह जल्‍दी से जल्‍दी कई जिलों में हम पूरा होने की स्थिति में हैं, कई जगह यह काम हो जायेगा.

          श्री तरुण भनोत (जबलपुर पश्चिम) - अध्‍यक्ष महोदय, भारत सरकार का सर्वे ऑफ इण्डिया का मध्‍यप्रदेश की जमीनों के नाप से क्‍या संबंध है ? वह सेटेलाइट सर्वे हिन्‍दुस्‍तान का कर रहे हैं, यह तो समझ में आता है. जमीनों का जो सीमांकन होगा, अभी आपने वक्‍तव्‍य में यह कहा कि यह सेटेलाइट की नई पद्धति के माध्‍यम से हम करेंगे तो मेरा     सिर्फ यह जानना है कि यह आप आउटसोर्सिंग करके किसी को देंगे और क्‍या वह इसका चार्ज लेगा ? और जो हमारा याचक है, जो अपनी जमीन का सीमांकन कराना चाहता है, उसको इसका कितना शुल्‍क देना पड़ेगा ? सिर्फ यह मुद्दा है. यह सेटेलाइट कहां लगा रहे     हो ?  

          श्री बाला बच्‍चन (राजपुर) - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा निवेदन यह है कि राजस्‍व विभाग बहुत महत्‍वपूर्ण विभाग है. किसानों से संबंधित, मध्‍यप्रदेश की जनता से संबंधित, मध्‍यप्रदेश से संबंधित और माननीय अध्‍यक्ष महोदय मेरी जानकारी में है- हर सत्र में राजस्‍व विभाग के जो हमारे प्रश्‍न लगते हैं, हर सत्र में, मैं दो सत्रों में देख रहा हूँ, एक दिन में 56-56 प्रश्‍नों के जवाब में लिखा होता है, जानकारी एकत्रित की जा रही है.

          अध्‍यक्ष महोदय - आप सुझाव दीजिये.

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( X X X ) -- आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.

 

          श्री बाला बच्‍चन - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं यह चाहता हूँ कि जो भी संशोधन विधेयक आपको पास करवाना है, आपको जो करना है, लेकिन सिस्‍टम को सिस्‍टमाइज़ करवाइये. एक दिन में 56-56 प्रश्‍नों के जवाब में जानकारी एकत्रित की जा रही है. मैं समझता हूँ कि इससे बड़ा और दुर्भाग्‍य प्रदेश का क्‍या हो सकता है ? मंत्री जी इसको संभालिये और देखिये. 

          अध्‍यक्ष महोदय - आपको कल मौका मिलेगा. आप कल बोलियेगा.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - गोविन्‍द ने जब सेटेलाइट लगाई थी न, तुम्‍हारी सरकार पर, तब दिखा दिया था कि तुमने क्‍या किया था ? इसने इधर का उधर और उधर का इधर कर दिया था. (हंसी)

          श्री तरुण भनोत - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमको इसी की तो चिन्‍ता है कि क्‍या अब मध्‍यप्रदेश की जनता से वही कीमत वसूली जायेगी. यह सेटेलाइट के माध्‍यम से सर्वे, उसके बाद सर्वे ऑफ इण्डिया इसका आपस में लिंक क्‍या है ? मैं यह जानना चाह रहा हूँ कि सर्वे ऑफ इण्डिया कहां से आया ? सेटेलाइट कहां से आई ?  और आ गई तो वह क्‍या   करेगी ? उसके लिए आम जनता को क्‍या करना पड़ेगा ?  जो अपने नाप के लिए कहेगी कि मेरी जमीन नाप दीजिये तो उसको सेटेलाइट में आवेदन देना है कि आपको देना है. उसको शुल्‍क कितना देना है ? यह बहुत महत्‍वपूर्ण मुद्दा है, इसमें मंत्री जी की तैयारी नहीं है.         

          श्री प्रियव्रत सिंह - गोविन्‍द जी की सेटेलाइट, उधर लगने वाली है तो कहीं आपको इधर से उधर न कर दे.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र(संसदीय कार्य मंत्री) - आप निश्चिंत रहो, मुझे मालूम है कहां लगेगी. (...हंसी) 

          श्री प्रियव्रत सिंह - अच्‍छा.

          श्री सोहन लाल बाल्‍मीक (परासिया) - माननीय अध्‍यक्ष जी, आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री जी का ध्‍यान आकर्षित कराना चाहता हूं. सीमांकन की बात है. अभी पूरे मध्‍यप्रदेश के अंदर में कई स्‍थानों में जहां से सीमांकन की शुरुआत होती है, जो चांदा होता है, पहले उसका भी तो हम लोग निरीक्षण करेंगे, सही चांदा लगेगा तभी सीमांकन होगा, नहीं तो कई जगह चांदा नहीं मिलता और गलत नाप हो जाता है, जिसके चलते परेशानी होती है, लोग न्‍यायालय में जाते हैं, तो इस पर भी ध्‍यान दिया जाए कि जो चांदा है, वह सही जगह पर उसका निरीक्षण किया जाए और उसको चिन्हित किया जाए, उसके बाद सीमांकन का प्रावधान रखा जाए.

          श्री प्रियव्रत सिंह - अध्‍यक्ष जी, सीट गायब है और वहां पर सीट गायब होने से सीमांकन संभव ही नहीं है, रिकार्ड ही नहीं, न राजस्‍व मंडल में रिकार्ड है, न जिले में रिकार्ड है, न संभागीय हैडक्‍वार्टर में रिकार्ड है. हमारे राजगढ़ में भी कई ऐसे कस्‍बे हैं, जहां के रिकार्ड गायब हैं. अब आपका जो सेटेलाइट है.

          श्री लक्ष्‍मण सिंह - पचौर शहर का भी कोई रिकार्ड नहीं है.

          श्री प्रियव्रत सिंह - पचौर शहर का, जीरापुर का, ब्‍यावरा का, खिलचीपुर का, राजगढ़ का कई जगहों का रिकार्ड नहीं है. माननीय अध्‍यक्ष जी, इसमें कम से कम आप पहले वह सीटों का निर्माण करवाएं और सीट बने, वह आप चाहे सेटेलाइट से करवाएं, सर्वे आफ इंडिया से करवाए, ड्रोन से करवाए, बस अडानी से मत करवाना.

          अध्‍यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी प्रस्‍ताव करिए.

          श्री गोविन्‍द सिंह राजपूत - अध्‍यक्ष महोदय, अभी कोई प्रक्रिया शुरू हुई है, काम चलने दो, व्‍यवस्‍था बनेगी, सब बनेगा, सब काम हो जाएगा, अभी तो बच्‍चा पालने में होता है फिर चलना सीखता है, फिर बड़ा होता है.

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा - गोविन्‍द भैया, आप मेरी राय मानते हो, न केन्‍द्र सरकार के फेर में पड़ो, न प्रदेश सरकार के, तुम खुद ही कोई ड्रोन खरीद लो और ये सब नपा-नुपु लो, खतम(..हंसी)

          श्री गोविन्‍द सिंह राजपूत - अध्‍यक्ष महोदय, मैं अपनी बात समाप्‍त करते हुए कहता हूं कि ये जो नया संशोधन लाए हैं, इसमें पटवारी शामिल किए गए हैं और कोर्स पद्धति के द्वारा जो अभी हमारे विधायक ने कहा, उसमें मुनारे भी होंगे, चांदे भी होंगे, सब शामिल किया जाएगा.

          अध्‍यक्ष महोदय - प्रश्‍न यह है कि मध्‍यप्रदेश भू-राजस्‍व संहिता(द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2022 पर विचार किया जाए.

प्रस्‍ताव स्‍वीकृत हुआ.

          अध्यक्ष महोदय - अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.

          प्रश्न यह है कि खण्ड 2 इस विधेयक का अंग बने.

          खण्ड 2 इस विधेयक का अंग बना.

          प्रश्न यह है कि खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.

          खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बना.

          प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.

          पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.

          श्री गोविन्‍द सिंह राजपूत - अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश भू-राजस्‍व संहिता(द्वितीय संशोधन) विधेयक,2022 पारित किया जाय.

           अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश मध्यप्रदेश भू-राजस्‍व संहिता(द्वितीय संशोधन) विधेयक,2022 पारित किया जाय.

          प्रश्‍न यह है कि मध्यप्रदेश मध्यप्रदेश भू-राजस्‍व संहिता(द्वितीय संशोधन) विधेयक,2022 पारित किया जाए.

प्रस्‍ताव स्‍वीकृत हुआ.

विधेयक पारित हुआ.

4:24 बजे       (3) मध्‍यप्रदेश निजी विश्‍वविद्यालय (स्‍थापना एवं संचालन) द्वितीय                                     संशोधन विधेयक, 2022 .(क्रमांक 22 सन् 2022)

डॉ. मोहन यादव(उच्‍च शिक्षा मंत्री) - अध्‍यक्ष महोदय, मैं प्रस्‍ताव करता हूं कि मध्‍यप्रदेश निजी विश्‍वविद्यालय (स्‍थापना एवं संचालन) द्वितीय संशोधन विधेयक, 2022 पर विचार किया जाए.

          अध्‍यक्ष महोदय - प्रस्‍ताव प्रस्‍तुत हुआ कि मध्‍यप्रदेश निजी विश्‍वविद्यालय (स्‍थापना एवं संचालन) द्वितीय संशोधन विधेयक, 2022 पर विचार किया जाए. चर्चा शुरू करें श्री कुणाल चौधरी जी.

                   श्री कुणाल चौधरी (कालापीपल)--माननीय अध्यक्ष महोदय, आज निजी विश्वविद्यालय स्थापना एवं संचालन अधिनियम के तहत यह संशोधित करने के लिये जो विधेयक दिया है. यह बड़ा ही महत्वपूर्ण विधेयक है जिसमें 3 नये विश्वविद्यालयों के बारे में माननीय मंत्री जी ने निवेदन किया है कि 3 नये विश्वविद्यालयों को दिया है. लगभग 48 विश्वविद्यालय हमारे पहले से ही खुले हुए हैं. सबसे पहले हमारे निजी विश्वविद्यालय का उद्देश्य क्या है माननीय मंत्री जी जो मेरी समझ से है कि कैसे लोगों को अच्छी शिक्षा मिले जिसमें गुणवत्तापूर्ण सस्ती शिक्षा कैसे मिले. हमारे विश्वविद्यालय का मूल उद्देश्य होता है कि लाभरहित विश्वविद्यालय एवं गुणवत्तापूर्ण सस्ती शिक्षा लोगों को कैसे मिले ? इसमें सबसे महत्वपूर्ण होता है रोजगार नये संशोधन से पहले इस बात पर विचार जरूर करें कि हमने 7 करोड़ की जनसंख्या पर लगभग 50 के लगभग विश्वविद्यालय खोले हैं. आज उनके माध्यम से कैसी शिक्षा दे पा रहे हैं, किस प्रकार से रोजगार दे पा रहे हैं और किस तरीके से नये नौजवानों को उसके द्वारा जो सस्ती एवं लाभरहित शिक्षा का कैसे फायदा हो. सबसे पहले शिक्षा का तथा विश्वविद्यालय का उद्देश्य क्या है ? हम जब उसके ऊपर जायेंगे तो उसमें एक मानिटरिंग कमेटी है क्योंकि आज मध्यप्रदेश के अंदर जो हमारे 48 विश्वविद्यालय हैं उनकी स्थिति देखने को मिलती है तो बड़ा दुःख होता है. माननीय मंत्री जी मेरे पास एक बड़ी न्यूज है कि मध्यप्रदेश के निजी विश्वविद्यालयों से बिहार एवं तेलंगाना की भर्ती एजेंसियां परेशान हैं. मतलब यह कि मध्यप्रदेश के निजी विश्वविद्यालयों के जिन कारनामों की हम स्थापना कर रहे हैं मतलब कि आज हम नये विश्वविद्यालय ला रहे हैं. पुरानों के अंदर स्थितियां क्या हैं ? क्या वहां पर हम अच्छी शिक्षा दे पा रहे हैं ? या फिर हम डिग्रियां बांटने का काम कर रहे हैं. एक और मेरे पास एक पेपर की कटिंग भी है कि मध्यप्रदेश के निजी विश्वविद्यालयों ने 50 करोड़ में बांट दी पीएचडी की 4 हजार उपाधियां. आज मध्यप्रदेश के अंदर जो स्थितियां हैं हमारे पास में गाईड कितने हैं ? इस पर भी हमें विचार करना पड़ेगा कि गुणवत्ता के लिये 1x8 का रेश्यो होता है. आपने भी पीएचडी की है और आपने मेरे ख्याल से माननीय गोपाल शर्मा जी कार्यकाल में की हैं. मैं भी उज्जैन से पढ़ा हूं मुझे मालूम है कि आज बड़े अच्छे लोग मिल ही नहीं रहे हैं. पीएचडी की अगर यह स्थिति है कि किस तरह से पीएचडी किये हुए लोगों की हालत है ? मध्यप्रदेश के निजी विश्वविद्यालयों के जो कारनामे हैं कि 4 साल की डिग्रियां एक एक महीने में दे रहे हैं. दूसरे राज्यों के अंदर उस पर एफआईआर दर्ज हो रही है. निजी विश्वविद्यालयों के ऊपर कहीं न कहीं छापे पड़ रहे हैं तो किन परिस्थितियों के अंदर नये विश्वविद्यालय खोलना चाहिये. किस तरीके से हमारे विश्वविद्यालयों का उपयोग हो रहा है. सबसे बड़ी एवं महत्वपूर्ण चीज यह भी है कि माननीय मंत्री जी कि विश्वविद्यालय जितने भी खुल रहे हैं कोई इन्दौर में खोल रहा है, तो कोई जबलपुर में खोल रहा है, तो कोई भोपाल में खोल रहा है. एक ही विश्वविद्यालय वाले दो दो, तीन तीन एवं चार चार खोल रहे हैं. क्या यह विश्वविद्यालय जितनी हमारी उनसे उम्मीद होनी चाहिये कि कैसे आदिवासी अंचलों के अंदर हम बेहतर शिक्षा दें. आदिवासी अंचलों के अंदर छोड़े दूर ग्रामीण अंचलों के अंदर जहां पर शिक्षा के लिये हमारे नौजवान परेशान हैं उसके वहां पर खोलें. पर यह लाभरहित उद्देश्य के लिये होना चाहिये मुझे लगता है कि यह लाभरहित नहीं रहा. यह लाभ के धन्धे का एक बड़ा उद्देश्य हो चुका है. यह बड़ा दुर्भाग्य है कि मैंने सुना था कि चार चार मुल्कों की पुलिस डान को ढूंढ रही है. चार चार राज्यों की पुलिस और एजेंसियां मध्यप्रदेश के निजी विश्वविद्यालयों के छात्रों की डिग्रियां ढूंड रही हैं. पहले व्यापम से प्रताड़ित कि मध्यप्रदेश का व्यापम का कोई बाहर रोजगार के लिये चला जाये तो उसे रिजेक्ट कर दिया जाता था. अब विश्वविद्यालयों की डिग्रियों की यह हालत हो जाएगी कि नये विश्वविद्यालयों एवं निजी विश्वविद्यालयों से निकले नौजवानों को कोई रोजगार नहीं दे पायेंगे क्योंकि मध्यप्रदेश के जितने भी निजी विश्वविद्यालय हैं. आज हम जब रिकार्ड उठाकर के देखें कि जो इसका रोजगार का प्रतिशत है. मात्र 2 प्रतिशत लोगों को हम रोजगार दे पा रहे हैं 98 प्रतिशत लोगों को कैसे रोजगार दे पाएंगे. क्योंकि मध्यप्रदेश की खूबी है कि यह नौजवानों का प्रदेश है. पर मध्यप्रदेश की एक चुनौती भी है कि इन नौजवानों को रोजगार हम कैसे दें. आज जिस तरीके से हमारी शिक्षा का स्तर हो चुका है और जिस तरीके से मध्यप्रदेश की शिक्षा चाहे व्यापम के माध्यम से हो, चाहे निजी विश्वविद्यालयों के माध्यम से हो, चाहे कई चीजों के माध्यम से हो. यह कहीं न कहीं हमारे नौजवानों के रोजगार को रोक रही है. मध्‍यप्रदेश में रोजगार भी नहीं है. मेरा एक ओर निवेदन है कि विश्‍वविद्यालय खोलने से पहले मॉनिटरिंग करने के लिये, दिशा-निर्देश तय करने के निर्देश देने वाली एक संस्‍था होती है, जिसका नाम है निजी विश्‍वविद्यालय नियामक आयोग, पर उस पर भी प्रश्‍न चिह्न लगा हुआ है. मुझे जो जानकारी है कि कहीं न कहीं पीएमओ तक से पत्र आ चुका है जो अध्‍यक्ष और फर्जी डिग्रियों के संबंध में है. पर पीएमओ के पत्र को भी मंत्री जी आपने दबा रखा है. मतलब जो पत्र आने के बाद उनके ऊपर कार्यवाही होनी थी,मतलब आपके ऊपर आर्शीवाद एक नंबर को छोड़कर दो नंबर का ज्‍यादा है, तभी आपने वह दबा रखा है. हमने सुना था कि आप मुख्‍यमंत्री जी भी नहीं डरते हो. परन्‍तु देश के पीएमओ से भी मंत्री जी नहीं डर रहे हैं तो इसके ऊपर भी विचार होना चाहिये कि हमारा जो नियामक आयोग है, अगर उसके ऊपर यहां से नहीं, पीएमओ से प्रश्‍न चिह्न लग चुका है, फर्जी डिग्रियों के लिये बड़ा प्रश्‍न चिह्न लगा हुआ है. कोर्सेस जो चार साल में होना चाहिये, वह एक महीने के अंदर हो रहे हैं और रोज हम धड़ल्‍ले से निजी विश्‍वविद्यालयों को खोलते जा रहे हैं. इसलिये इसके ऊपर हमें बड़ा विचार करने की जरूरत है कि क्‍यों हमें विश्‍वविद्यालय खोलना चाहिये. एक बड़ी बात और है कि हम जो विश्‍वविद्यालय खोल रहे हैं, इसके पीछे हमारा उद्देश्‍य क्‍या है. उद्देश्‍य हम शिक्षाविद पैदा करना चाहते हैं,अच्‍छे शिक्षक और शिक्षा के क्षेत्र में कई रोजगारमुखी पैदा करना चाहते हैं या फिर हम यह शिक्षा माफिया के लिये कर रहे हैं.इसलिये आपको तय करना पड़ेगा कि क्‍या माफिया तंत्र को संरक्षण सरकार दे रही है या फिर शिक्षाविदों को बनाने के लिये काम कर रही है. आज निजी विश्‍वविद्यालय जिस तरह से खुलते जा रहे हैं तो कहीं न कहीं एक शिक्षा ...

          श्री आशीष गोविंद शर्मा:- कुणाल भाई नई शिक्षा नीति आ गयी है, उसका अध्‍ययन कर लीजियेगा.

          श्री कुणाल चौधरी:- उस शिक्षा नीति का अध्‍ययन आपने कर लिया हो तो बता दो. मतलब हमारे पास 40 पीएचडी के हमारे पास गाईड हैं और चार हजार के करीब शोधार्थी कर दिये हैं तो यह कौन सी शिक्षा नीति..

          श्री आशीष गोविंद शर्मा:-  माननीय मंत्री जी आपके सब प्रश्‍नों का उत्‍तर देंगे.

          श्री कुणाल चौधरी:- अब आपने अध्‍ययन कर दिया है तो मुझे बता जरूर बता दीजियेगा और एजेंसियों का क्‍या करें, चार-चार राज्‍यों की पुलिस एजेंसियां ढूंढ रही है, इसका भी कुछ करा दो...

          अध्‍यक्ष महोदय:- आप इधर देखकर बात करें.

          श्री कुणाल चौधरी:- मेरा मंत्री महोदय से निवेदन है कि हमें क्‍वालिटी पर ध्‍यान दें या हम क्‍वांटिटी पर ध्‍यान दे रहे हैं. हमने 48 निजी विश्‍वविद्यालय जो खोले हैं, पहले इनकी समीक्षा हो, पहले इनकी मॉनिटरिंग के लिये कोई चीजें हों और यहां के नौजवानों का जो मूल उद्देश्‍य है, जो शिक्षा के उद्देश्‍यों के लिये विश्‍वविद्यालय खोले गये तो क्‍या वह अच्‍छी शिक्षा दे पा रहे हैं या नहीं, उनकी गुणवत्‍ता कैसी है और वह सस्‍ती शिक्षा दे रहे हैं या नहीं. क्‍योंकि वहां पर कई बार टीचर्स आते हैं और एक प्रोफेसर्स चार-चार विश्‍वविद्यालयों के अंदर वह नॉमिनेटेट है, एक प्रोफेसर को यूजीसी की गाईड लाइन के मुताबिक सैरली मिलना चाहिये और उसकी गाईड लाइन के हिसाब से सैलरी का स्‍ट्रक्‍चर होना चाहिये ना तो वह उनको मिल पा रहा है और जो शिक्षा अच्‍छी हो,सस्‍ती हो और रोजगारमुखी हो. जब रोजगार हम दो प्रतिशत दे पा रहे हैं और नयी चीजों का सृजन नहीं कर पा रहे हैं तो क्‍यों हमें नये विश्‍वविद्यालय खोलना चाहिये, पहले जो एक्जिस्टिंग हैं, उनकी गुणवत्‍ता पर ध्‍यान देना चाहिये. मैं इस विधेयक में जो संशोधन लाये गये हैं उनका विरोध करता हूं. इसमें पहले जो एक्जिस्टिंग हैं उसके अंदर सुधार करा जाये, उनकी गुणवत्‍ता के ऊपर विचार किया जाये, उनकी जो एजेंसियां हैं उनको सतर्क करा है और जो नियामक आयोग के ऊपर पीएमओ ने पत्र लिखा है उनके ऊपर कार्यवाही की जाये. क्‍योंकि जो पूर्व अपर मुख्‍य सचिव थे, जिनको हटाकर अभी कोई नये अपर मुख्‍य सचिव बने हैं. उनने भी कार्यवाही के लिये लिखा हुआ है तो अभी तक कार्यवाहियां क्‍यों नहीं हुई, नियामक आयोग पर भी हो. क्‍योंकि सभी चीजों का एक गठजोड़ बनता जा रहा है जिसमें भ्रष्‍ट रूप से जो अधिकारी हैं वह भ्रष्‍टाचार में डूबे हुए हैं और एक माफिया तंत्र और अगर इनको यहां से सरकार संरक्षण देनी लगी तो यह जो भ्रष्‍ट तंत्र बन रहा है तो यह मध्‍यप्रदेश के नौजवानों के भविष्‍य का कत्‍लेआम कर रहा है और यह बौद्धिक स्‍तर के ऊपर कत्‍लेआम हो रहा है और नौजवानों के भविष्‍य को खत्‍म करने का काम हो रहा है.

          अध्‍यक्ष महोदय, मेरा आपसे आग्रह है कि इसमें बहुत गंभीरता से विचार करें कि किन विश्‍विद्यालयों को हम परमीशन देना चाहते हैं और जिनको हमने पहले दे दी है, उनकी स्थिति, परिस्थियां और जिनके ऊपर कार्यवाही होना चाहिये और उनके ऊपर सख्‍त से सख्‍त कार्यवाही हो , ताकि कहीं न कहीं शिक्षा में गुणवत्‍ता बने और नौजवानों के भविष्‍य को हम सुधार पायें.

            श्री देवेन्‍द्र वर्मा (खण्‍डवा)-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं, मध्‍यप्रदेश निजी विश्‍वविद्यालय संशोधन विधेयक, जिसे माननीय मंत्री जी ने प्रस्‍तुत किया है, मैं, उसका समर्थन करता हूं. हमारे प्रदेश के यशस्‍वी मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह जी चौहान के नेतृत्‍व में हमारा प्रदेश हर क्षेत्र में विकास की मुख्‍यधारा में लौटा है. इसी कड़ी में यदि शिक्षा के क्षेत्र की बात करें तो शिक्षा के क्षेत्र में भी हमारा प्रदेश अत्‍यंत ही पिछड़ा हुआ था. जहां एक ओर प्रदेश के यशस्‍वी मुख्‍यमंत्री जी की शिक्षा की अच्‍छी नीतियां, चाहे हमारी बेटियों के लिए हों या हमारे बच्‍चों के लिए हों, आज हमारे प्रदेश के बच्‍चे देश के सभी अच्‍छे विश्‍वविद्यालयों में पढ़ रहे हैं, तो यह हमारे मुख्‍यमंत्री जी की योजनाओं का ही परिणाम है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इसी कड़ी में किस प्रकार मध्‍यप्रदेश में भी शिक्षा का वातावरण बने, इसके लिए रात-दिन माननीय मुख्‍यमंत्री जी के नेतृत्‍व में कार्य हो रहे हैं. इसी कड़ी में जहां एक ओर हर क्षेत्र में पूंजी निवेश हो, हर क्षेत्र में हमारा मध्‍यप्रदेश आगे हो, इस हेतु कार्य हो रहे हैं और इसी कड़ी में जहां पूर्व में केवल जिला, संभाग स्‍तर पर ही विश्‍वविद्यालय होते थे लेकिन आज ब्‍लॉक, तहसील स्‍तर भी, यदि विश्‍वविद्यालय खुले हैं तो निश्चित रूप से यशस्‍वी मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में जो गुणात्‍मक परिवर्तन किये गए हैं, यह उसी का परिणाम है.           माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इसी कड़ी में निजी विश्‍वविद्यालय भी हैं. हम देख रहे हैं कि निश्चित रूप से आज निजी विश्‍वविद्यालयों में अच्‍छी कंपनी, जैसे अज़ीम प्रेमजी की कंपनी और ऐसी सेवाभावी कंपनियां और संस्‍थायें निकलकर सामने आयी हैं और वे निश्चित रूप से एक अच्‍छे भाव के साथ, यदि ये विश्‍वविद्यालय हमारे प्रदेश में कार्य करते हैं तो यह ग्रामीण क्षेत्र के, आम गरीब, आदिवासी को भी इन विश्‍वविद्यालयों का फायदा मिलेगा और आज अगर हमारे प्रदेश में शिक्षा का माहौल बना है तो निश्चित रूप से यह आने वाले समय में, जिस प्रकार से तेजी से विकास कार्य चल रहे हैं, उसी कड़ी में इस प्रकार के कार्य, हमारे प्रदेश को और आगे ले जायेंगे.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं, माननीय मंत्री जी को बहुत-बहुत शुभकामनायें और बधाई देता हूं कि आज हमारे प्रदेश में जहां राष्‍ट्रीय स्‍तर पर देश में औसत सकल पंजीयन लगभग 27.1 प्रतिशत था जबकि मध्‍यप्रदेश में सकल पंजीयन अनुपात 24.2 प्रतिशत है. इसे भी बढ़ाने के लिए निश्चित रूप से इस प्रकार के प्रयास आवश्‍यक हैं और इस हेतु माननीय मंत्री जी द्वारा प्रयास किये जा रहे हैं. मैं, पुन: माननीय मंत्री जी को बधाई देता हूं और बताना चाहता हूं कि इस प्रकार के क्षेत्र, जो समय के साथ-साथ हमारे प्रदेश के युवाओं को पढ़ने की आवश्‍यकता है, जैसे- पशु पालन, ऊर्जा, सौर ऊर्जा आदि के क्षेत्र हों, ऐसे अनेक क्षेत्र हैं, जिनके कोर्स इस विश्‍वविद्यालयों के माध्‍यम से प्रारंभ होंगे, जिससे वे कोर्स जिनकी पढ़ाई सामान्‍य महाविद्यालयों में नहीं होती है, नए विश्‍वविद्यालयों में इन क्षेत्रों के कोर्स करने से, इन क्षेत्रों में भी हमारे युवाओं को अवसर मिलेंगे, जिससे वैश्विक स्‍तर पर ऐसी शिक्षा के माध्‍यम से, वे कार्य कर सकेंगे और साथ ही साथ हमारा प्रदेश शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ सकेगा. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपने समय दिया, इसके लिए आपका बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा (सोनकच्‍छ)-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा माननीय मंत्री जी के लिए एक छोटा-सा सुझाव है कि निजी विश्‍वविद्यालय तो आप निश्चित रूप से खोलेंगे. मेरा सुझाव पाठ्यक्रम के संबंध में है. मोहन भईया, हमारे मालवा क्षेत्र में पहलवान कहलाते हैं. मोहन पहलवान. मेरा अनुरोध है कि नए सिरे से इन पाठ्यक्रमों में द्रौपदी का चरित्र-चित्रण और माता सीता का चरित्र-चित्रण इसे भी किसी पाठ्यक्रम में ले लें. क्‍योंकि कल आपका बयान आया और लोगों ने उसे बड़ा देखा है, इसको भी शामिल कर लें.

          उच्‍च शिक्षा मंत्री (डॉ. मोहन यादव)-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मुझे इस बात की प्रसन्‍नता है कि यशस्‍वी मुख्‍यमंत्री जी के नेतृत्‍व में नई शिक्षा नीति लागू करके मध्‍यप्रदेश उच्‍च शिक्षा विभाग, देश में नंबर वन की स्थिति में आया है, जिसने नई शिक्षा नीति को अंगीकार किया है. मैं, माननीय सदस्‍यों की इस भावना से भी सहमत हूं कि उच्‍च शिक्षा विभाग के माध्‍यम से हमारे अपने वर्तमान के शासकीय विश्‍वविद्यालयों और महाविद्यालयों में नए-नए पाठ्यक्रमों का समावेश करना चाहिए. उनको इस प्रकार से शिक्षित करने के साथ-साथ स्‍वपोषित, संरक्षित करते हुए, स्‍वरोजगार की दिशा में या हम जिसे शैक्षणिक मानव संसाधन की दृष्टि से उन्‍नत करने की दिशा में, हम लगातार प्रयास कर रहे हैं. कुछ आंकड़े मैं जरूर अपने मित्रों को बताना चाहूंगा कि हमारी अपनी नई शिक्षा नीति के पाठ्यक्रम में, इसी वर्ष से, हम अब द्वितीय वर्ष में प्रवेश कर चुके हैं. हमने अपने ही पाठ्यक्रम में रामायण का भी आपने जिसका उल्‍लेख किया है उसके भी समसामयिक संदर्भों को जोड़ने का प्रयास किया है. श्रीमद् भागवत को भी स्‍थान दिया है. हमने कोशिश की है कि हमारे अतीत के उस सांस्‍‍कृतिक विरासत के दृश्‍यों को शिक्षा के माध्‍यम से संस्‍कार के लिए समाहित करें. मैं आपको एक और बात बताना चाहूंगा कि विश्‍वविद्यालय और महाविद्यालय में पहली बार कृषि संकाय को सम्मिलित करते हुए अब हमारे परम्‍परागत बी.ए., बी.कॉम, बी.एस.सी. के साथ-साथ हमने कृषि संकाय को भी बी.एस.सी. एग्रीकल्‍चर या इस प्रकार के वर्तमान के ऐसे कोर्स जिन कोर्स से रोजगार मिल सकता है उन सभी कोर्स को.. 

          श्री कुणाल चौधरी-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह आपका संशोधन विधेयक है.

          डॉ. मोहन यादव-- कुणाल जी मैंने आपकी बात सुन ली है. आप मेरी बात तो पूरी हो जाने दो.

          अध्‍यक्ष महोदय-- कुणाल जी आप बैठ जाइए इसे पूरा हो जाने दीजिए.

          डॉ. मोहन यादव-- कुणाल जी मैं अपनी बात पूरी कर लूं फिर आप अपनी बात कर लेना. मैं आपकी बात का जवाब भी दे दूंगा. हमारे वरिष्‍ठ विधायक, पूर्व मंत्री जी ने कुछ जानकारी चाही है तो अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से एक जानकारी देना चाहूंगा. बेहतर होगा कि एक सत्र हमारी नई शिक्षा नीति के परिप्रेक्ष्‍य में पक्ष एवं विपक्ष दोनों दलों के विधायकों को नई शिक्षा नीति के माध्‍यम से वह अपने-अपने...

          श्री सोहनलाल बाल्‍मीक -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अभी पाठ्यक्रम की बात आ रही थी, सब्‍जेक्‍ट की बात आ रही थी तो मैं आपके माध्‍यम से निवेदन करना चाहता हूं कि मैंने माननीय मंत्री जी को मेरे कॉलेज का पाठ्यक्रम बढ़ाने के लिए दिया था सब्‍जेक्‍ट खोलने के लिए दिया था. अब यह जो सेल्‍फ फायनेंस का पाठ्यक्रम करके दे रहे हैं तो इसमें भी संशोधन किया जाए क्‍योंकि कॉलेज की इतनी क्षमता नहीं होती है, इतना पैसा नहीं होता है कि वह खुद प्रोफेसर लगाकर पढ़ा सकें तो उसमें भी संशोधन किया जाए कि सेल्‍फ फायनेंस का यह सिस्‍टम बंद किया जाए.

          डॉ. मोहन यादव-- मैं किसकी बात का जवाब पहले दूं यह बता दीजिए.

          अध्‍यक्ष महोदय-- कुणाल जी आपका पूरा आ गया है. आप कुछ कल के लिए भी रखो.

          श्री कुणाल चौधरी-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह संशोधन आज का ही है.

          डॉ. मोहन यादव--माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जैसा कि माननीय सदस्‍य कुणाल चौधरी जी ने कहा कि 4 हजार से ज्‍यादा पंजीयन पीएचडी की डिग्री दे दी. आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि केवल 709 छात्रों को पी.एच.डी. की डिग्री दी गई है. यह बात सही है कि हमारे पास 52 हजार 139 छात्रों को रोजगार एवं स्‍वरोजगार से जोड़कर वर्ष 2021-22 तक उनको प्रशिक्षित किया गया है और इसी प्रकार से आज जिन विश्‍वविद्यालयों को सबके सामने लाया गया है एक जो हमारा विश्‍वविद्यालय है अजी़म प्रेमजी विश्‍वविद्यालय यह हम अपने विशेष आग्रह से लेकर आए हैं. अजी़म प्रेमजी पूरे देश का नामी और अलग प्रकार का विश्‍वविद्यालय है जिससे यहां के छात्रों को बड़ा लाभ मिलेगा. खरगौन हमारा दूरस्‍थ आदिवासी अंचल है वहां हम एक विश्‍वविद्यालय प्रस्‍‍तावित कर रहे हैं इसी प्रकार से यहां हमारा जो स्‍कोप विश्‍वविद्यालय है जिसने टेक्‍नीकल दृष्टि से पूरे देश में अपना प्रथम स्‍थान बनाया है एक वह विश्‍वविद्यालय प्रस्‍तावित है अर्थात् कहने का तात्‍पर्य यह है कि हमारे अभी वर्तमान के न कि 48 विश्‍वविद्यालय कुणाल जी आप यह जानकारी भी दुरुस्‍त कर लेना आज की स्थिति में 47 विश्‍वविद्यालय हैं. एक विश्‍वविद्यालय निरस्‍त किया गया है. यह संशोधन हुआ है.

          श्री कुणाल चौधरी-- यह संशोधन मुझे आपने आज दिया था.

          डॉ. मोहन यादव-- मैंने आपसे कहा कि इसमें एक निरस्‍त किया गया है. आप हमारी बात तो सुन लीजिए. हमने आपको पूरा प्रेम से सुना है. 

          श्री कुणाल चौधरी-- दूसरी चीज आपने अजी़म प्रेमजी की बता कही तो उसकी जमीन कांग्रेस सरकार में दी गई और अजी़म प्रेमजी का अपना अच्‍छा नाम है और वह कमलनाथ जी के नेतृत्‍व में लाए थे. उसको जमीन भी दी गई थी. आपके आग्रह पर नहीं आया यह आप पता कर लेना यह मुझे भी मालूम है.

        डॉ. मोहन यादव-- आया है तो आप आने दोगे या नहीं आने दोगे.

          श्री कुणाल चौधरी-- अभी जो आपने शब्‍दों का चयन किया, असत्‍य जानकारी सदन में दी कि यह आप अपने विशेष आग्रह पर लेकर आए. इसकी जमीन कब अलॉट हुई थी, कब दिया गया था और कांग्रेस सरकार ने ...

          अध्‍यक्ष महोदय-- मोहन यादव जी आप आगे बढि़ए.

          डॉ. मोहन यादव-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैंने जैसे आपके सामने अपनी बात रखी है यह तीनों विश्‍वविद्यालय वर्तमान के शैक्षणिक जगत के लिए पूरे देश में एक विशेष स्‍थान रखते हैं और हमारे विद्यार्थियों के लिए बहुत ही उपयोगी रहेंगे. मैं उम्‍मीद करता हूं कि आप तीनों प्रस्‍तावों पर विचार करके इनको स्‍वीकृति की अनुमति देंगे.

          श्री कुणाल चौधरी-- अध्‍यक्ष महोदय, एक घण्‍टे की चर्चा थी आपने चर्चा को ही खत्‍म कर दिया यह हमारे अधिकारों का हनन है.

          अध्‍यक्ष महोदय-- आपने पूरी चर्चा कर ली है. आपको पूरा समय दिया है.  प्रत्‍येक चर्चा में पांच मिनट से ज्‍यादा का समय नहीं है आपको बोलने के लिए पूरा समय दिया है.

            अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) द्वितीय संशोधन विधेयक, 2022 पर विचार किया जाए.

                                      प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.

          अध्यक्ष महोदय --अब विधेयक के खण्डों पर विचार  होगा.

          प्रश्न यह है कि खण्ड 2 इस विधेयक का अंग बने.

          खण्ड 2 इस विधेयक का अंग बना.

          अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न यह है कि खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.

          खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बना.

          अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.

          पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.

          उच्च शिक्षा मंत्री (डॉ. मोहन यादव) -- अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूँ कि मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) द्वितीय संशोधन विधेयक, 2022 पारित किया जाए.

          अध्यक्ष महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) द्वितीय संशोधन विधेयक, 2022  पारित किया जाए.

          प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.

          विधेयक पारित हुआ.

 

4.46 बजे  मध्यप्रदेश श्रम विधि (संशोधन) विधेयक, 2022 (क्रमांक 23 सन् 2022)

 

          श्रम मंत्री (श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह) -- अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूँ कि मध्यप्रदेश श्रम विधि (संशोधन) विधेयक, 2022 पर विचार किया जाए.

          अध्यक्ष महोदय --प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश श्रम विधि (संशोधन) विधेयक, 2022 पर विचार किया जाए.

          श्री ओमकार सिंह मरकाम (डिण्डोरी) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, श्रम एक महत्वपूर्ण शब्द है. जब श्रम शब्द हम बोलते हैं तो अन्तरआत्मा से आवाज आती है कि यही दुनिया के निर्माण की बुनियाद है. श्रम से जुड़ा हुआ जो संशोधन है उसमें भाग-1, भाग-2 और भाग-3 है. भाग-2 में मध्यप्रदेश श्रम कल्याण निधि अधिनियम 1982 का संशोधन है. भाग-3 में मध्यप्रदेश स्लेट पेंसिल कर्मकार कल्याण निधि अधिनियम 1982 का संशोधन है.

          माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें अभी जो प्रावधान थे उन प्रावधानों के अन्तर्गत श्रम कल्याण बोर्ड में स्टेट पेंसिल कर्मकार कल्याण निधि के माध्यम से और मध्यप्रदेश श्रम कल्याण निधि अधिनियम के माध्यम से श्रमिकों के लिए अधिकार दिए गए थे. अभी इस अधिनियम के तहत अधिकार यह था कि जो लेबर इंस्पेक्टर हैं अगर कहीं पर श्रम चल रहा है वे वहां जाते हैं और संबंधित कम्पनी उन्हें वहां पर कागज दिखाने में, जानकारी देने में  आनाकानी करती है. उन श्रमिकों के हित में कोई सरकार के नियमों का पालन नहीं करता है तो दण्ड के प्रावधान के माध्यम से उनको दण्डित भी किया जाता है. इस अधिनियम के माध्यम से श्रमिकों के कल्याण की बात की जाती है. लेकिन वर्तमान में माननीय मंत्री जी आप स्वयं इस बात से अन्तरआत्मा से देखेंगे तो जो श्रमिक है उनकी कहीं पर भी जो स्थिति है हर जगह की स्थिति चुनौतीपूर्ण बनती जा रही है. अभी सत्तापक्ष के सम्माननीय विधायक जी ने ही रीवा की जो जेपी सीमेन्ट है उससे जुड़े हुए श्रमिकों की बात रखी थी. हमारे संज्ञान में भी श्रमिकों के हितों की बात है. आज भी श्रमिकों के हित का संरक्षण, संवर्द्धन अत्यंत आवश्यक है. इसके लिए विभिन्न श्रमिक संगठन भी काम कर रहे हैं. ऐसी परिस्थिति में आप जो यह संशोधन ला रहे हैं इसमें आपने ऐसा कोई स्पष्ट प्रावधान का उल्लेख नहीं किया है. इसमें आपने सिर्फ जो ईज ऑफ डूइंग बिजनेस, एक तो मेरा अनुरोध है कि हमारे देश की राष्ट्रभाषा हिन्दी है और मध्यप्रदेश हिन्दी भाषी प्रदेश है. इंगलिश बोलने वाले बहुत कम हैं. कृपया कर मेरा आपसे अनुरोध है कि आप मध्यप्रदेश के सदन में संशोधन विधेयक में जो अंग्रेजी शब्द का उपयोग कर रहे हैं इसमें मेरा अनुरोध है कि अंग्रेजी शब्द का उपयोग करके आप क्या संकेत देना चाह रहे हैं. सबसे पहले मेरा अनुरोध है कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को हिन्दी में रूपांतरित करके मध्यप्रदेश के जनमानस का सम्मान कीजिएगा.  यह मेरा पहला अनुरोध है. मेरा दूसरा अनुरोध यह है कि जो श्रमिक हैं श्रमिक के कितने घंटे में कितना उसको कार्य करना है, कितना आपका निर्धारण है, कितना आपके निर्धारित दर के अधीन, कंपनियों के अधीन आपका जो विभाग है, इसमें जो काम कर रहे हैं और जो आपने दंड का प्रावधान रखा है, इसमें आपने दंड का प्रावधान बहुत कम रखा है. 3 महीना और 6 महीना रखा है. इसके कारण माननीय श्रम मंत्री महोदय जी बड़ी-बड़ी कंपनी वाले आपको भी इग्‍नोर करते हैं कि होंगे श्रम मंत्री कोई हमारे पास. इसमें डरने की बात नहीं है. इसी के तहत पूंजीवाद व्‍यवस्‍था में अडानी वगैरह श्रमिकों के शोषण की कई प्रकार की जो प्रक्रिया चला लेते हैं उनका भय ही नहीं रहता. मेरा तो अनुरोध है कि अगर इसमें संशोधन कर रहे हैं अगर कोई श्रमिक का शोषण करता है और आपके अधीन आता है तो उसको एक कठोर भय होना चाहिए या नहीं. मध्‍यप्रदेश की जो सरकार है श्रमिकों के हित में है. यह आपको इसमें लाना चाहिए और इसमें श्रमिकों के हित में आपने जो प्रावधान किया है इसमें संशोधन के लिये आपने इस बात को किया है कि स्‍लेट, पेंसिल, कर्मकार कल्‍याण निधि अधिनियम 1982 की धारा 19 के कतिपय उपबंधों के उल्‍लंघन के लिये अभियोजन और शास्‍ति के उपबंध अंतर्निहित.

          माननीय श्रम मंत्री जी मेरा आपसे अनुरोध है कि श्रम एक ऐसी चीज है अगर आपको इसके विषय में हम बताएंगे तो अगर इस सदन में हम बैठे हैं यहां की जो ऊंचाई है, यहां जो लाईट्स हैं यह जो हमारा इतना खूबसूरत भवन है, इसमें हर मजदूर का श्रम लगा है पर उस मजदूर को कभी नसीब नहीं होता कि कभी सदन के अंदर आकर उस भवन को भी देख सके, जिस भवन को बनाने में उसने श्रम दिया है. इसमें मेरा अनुरोध है कि हमारे प्रदेश के अंदर से हजारों श्रमिक पलायन कर रहे हैं. आप जाइएगा श्रमिक किसी भी क्षेत्र से कनार्टक, केरल से लेकर के सब जगह जा रहे हैं और प्रतिवर्ष हमारे जिले से मुझे कई ऐसी दु:खद घटनाओं की जानकारी मिलती है कि केरल में हमारे श्रमिक की मृत्‍यु हो गई, उसकी डेथबॉडी लाना है. कोई हमारा नियम नहीं है कोई भी ले जाने के लिये तैयार है. आप जिस क्षेत्र से देखना चाहेंगे श्रमिक ले जा रहे हैं. भोपाल से श्रमिक ले जा रहे हैं. धार, झाबुआ, अलीराजपुर, बड़वानी से देश के अंदर से हमारे श्रमिक जा रहे हैं. श्रमिक जा रहे हैं ठीक है, लेकिन वह श्रम के लिये जा रहे हैं. कम से कम उनके श्रम के लिये कोई प्रक्रिया भी तो बना दीजिए कि श्रमिक जा रहा है कहीं उसे कोई दिक्‍कत हो गई.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय जी, अभी मैं महाराष्‍ट्र में दो जगह गया. वहां बड़ी लड़ाई हुई. मैंने लेबर इंस्‍पेक्‍टर से कहा कि आप चलिए तो उन्‍होंने कहा कि भाई साहब, हम वहां नहीं जा सकते. वह मजदूरों को अपने कैम्‍पस से बाहर निकालने के लिए तैयार नहीं. हम विधायक के रूप में वहां पर असक्षम साबित हो रहे हैं क्‍योंकि आपके इसमें कोई विशेष प्रावधान नहीं हैं. मजदूरों का भविष्‍य अगर नहीं संभलेगा तो लोकतंत्र के अंतिम पंक्‍ति को न्‍याय देने की जो कल्‍पना है, वह कल्‍पना साकार नहीं होगी.

          माननीय अध्‍यक्ष जी, इसलिए मेरा अनुरोध है कि एक मजदूर के रूप में आज हमारे जो श्रमिक लगे हैं, माननीय श्रम मंत्री महोदय जी, जिनको प्रतिदिन 8 घंटे श्रम करने के बाद अगर 60 रूपए मिलता है तो उसके लिये आपके पास क्‍या प्रावधान हैं, जो रसोईया हैं जो रसोईए खाना बनाते हैं वे सुबह से लेकर शाम तक ड्यूटी करते हैं उनको मात्र 60 रूपए दिये जाते हैं. उनको 2000 रूपए महीने दिये जाते हैं. क्‍या वे श्रमिक के अधीन नहीं आएंगे. आपकी दृष्‍टि में समग्रता लाना पडे़गा. वही श्रमिक अभी आंदोलन कर रहे थे तो उनके सात लोगों के ऊपर मामला पंजीबद्ध कर दिया गया और उनको डराया, धमकाया गया. श्रमिक भयभीत हैं. इसके लिये मेरा आपसे अनुरोध है कि आप जो संशोधन ला रहे हैं, इसमें आप समग्रता लायें. उसमें विचार करें. इसमें संशोधन की आवश्‍यकता है परन्‍तु इसमें आपने एक भी प्रावधान नहीं बढ़ाया कि 3 महीने के कारावास को हम 6 महीने करेंगे. अगर किसी मजदूर का अहित किया है तो आपने बढ़ाया ही नहीं. यह जो "इज ऑफ डूइंग बिजनेस" शब्‍द है, इससे मैच ही नहीं खाता. यह आपका जो शब्‍द है यह कहां, किस तरह से आप उध्‍दृत कर रहे हैं, कैसे इसमें इसके लिये आप संशोधन कर रहे हैं. इसमें मेरा माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि राजनीति में पक्ष और विपक्ष चलता रहेगा. आपका सौभाग्‍य है कि आप इसमें संशोधन ला रहे हैं लेकिन आप दिल से देखिए क्‍योंकि वही श्रमिक इस देश की नींव हैं. उसके लिए अच्‍छे से अच्‍छा आप प्रावधान करें और कम से कम कुशल श्रमिक को 400 रूपए से ऊपर, अर्द्धकुशल को 300 रूपए और अकुशल श्रमिक को कम से कम 250 रूपए तो मिले, इसके लिये भी प्रावधान कीजिए, मैं समझता हॅूं कि यह आपके श्रेत्राधिकार में है.हमारे इस सुझाव को राजनीतिक चश्‍मे से मत देखिएगा. नहीं तो इस समय जितना अच्‍छा सुझाव दो, हमारे देश में एक परंपरा चल गई है कि सत्‍ता पक्ष को लगता है कि हम दे रहे हैं. मुझे एक बात याद आती है कि अगर कांच में पारा लगाओ तो आइना बन जाता है और किसी को आइना दिखाओ तो पारा चढ़ जाता है. पर हम लोग आइना दिखाते रहेंगे, टूटेंगे, इसके बाद भी दिखाते रहेंगे. यही कांग्रेस पार्टी की परंपरा है. धन्‍यवाद.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया (मंदसौर) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मध्‍यप्रदेश विधि (संशोधन) विधेयक, 2022, इसके साथ-साथ मध्‍यप्रदेश स्‍लैट पेंसिल कर्मकार कल्‍याण निधि अधिनियम, 1982 पर संशोधन को लेकर यह विधेयक आया है. मैं माननीय मंत्री जी को अवगत कराना चाहूँगा कि जो विधेयक आपके विभाग के माध्‍यम से आया है, उस पर जैसे स्‍लैट पेंसिल कर्मकार कल्‍याण निधि मण्‍डल का जिक्र हुआ है, वह मेरे अपने मंदसौर जिले में है. पूरे मध्‍यप्रदेश में यदि शैल-पत्‍थर कहीं होता है, स्‍लैट पेंसिल की कहीं खदानें हैं तो मंदसौर विधान सभा क्षेत्र में हैं, मल्‍हारगढ़ विधान सभा क्षेत्र में हैं. काफी बड़ी मात्रा में यहां पर शैल-पत्‍थर होता है और इसकी कटिंग करके, इसकी पैकिंग करके स्‍लैट पेंसिल पर, जो बच्‍चे स्‍कूल में पढ़ाई करते हैं, उनकी पेंसिल का कारोबार होता है, व्‍यापार, व्‍यवसाय होता है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह संशोधन अपराधी व अभियोजन से जुड़ा हुआ है. यह भी सत्‍य है कि माननीय मंत्री जी, आपका विभाग जो सम्‍मन शुल्‍क जो शास्‍ति वसूल करता है, वह स्‍लैट पेंसिल के हमारे जो मंदसौर जिले के श्रमिक हैं, उनके वेलफेयर के लिए, उनके हितों के लिए, शिक्षा के लिए, खेल-कूद के लिए, पेयजल आदि के लिए उपयोग में आता है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जो श्रमिक शैल-पत्‍थर को घिस करके, कटर पर बैठ करके भविष्‍य निर्माण करने की ओर अग्रसर होता है, स्‍लैट पेंसिल बनाता है, वही श्रमिक सिलिकोसिस नामक बीमारी से काल के गाल में समा जाता है. मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि मेरी विधानसभा क्षेत्र में मंदसौर के नजदीक मुल्‍तानपुरा गांव है, देश में सर्वाधिक कल्‍याणी विधवा महिला अगर आपको किसी कस्‍बे, किसी शहर में मिलेगी तो वह है मुल्‍तानपुरा. हर घर में वहां के पुरुष वर्ग स्‍लैट पेंसिल को घिसने का काम करते हैं, तराशने का काम करते हैं और उसकी जो धूल उड़ती है, उसके जो कण उड़ते हैं, वे सीधे उनकी सांसों में समा जाते हैं और अंततोगत्‍वा वे काल-कवलित हो जाते हैं. निश्‍चित रूप से आपके द्वारा प्रस्‍तुत किया गया यह विधेयक जिसका कि मैं समर्थन करता हूँ, लेकिन मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूँ, क्‍योंकि विधेयक आज प्रस्‍तुत हुआ है और मेरी विधान सभा क्षेत्र का वह कर्मकार कल्‍याण निधि मण्‍डल भी है, जिसमें कभी अध्‍यक्ष की भूमिका में जनप्रतिनिधि हुआ करते थे. आज प्रशासक और श्रम विभाग के आयुक्‍त, उपायुक्‍त उसका संचालन कर रहे हैं. मैं यह निवेदन करूंगा कि उसमें कहीं न कहीं जनप्रतिनिधि समाविष्‍ट होना चाहिए. आज से एक दशक पहले वहां पर जनप्रतिनिधि अध्‍यक्ष की भूमिका में हुआ करते थे. अध्‍यक्ष महोदय, मैं यह बात इसलिए बोल रहा हूँ कि स्‍लैट पेंसिल का जो कारोबार है, वह उद्योगपतियों के हाथ में है, यह भी ठीक है कि आपके विभाग की सक्रियता के कारण काफी कुछ सुधार हुए हैं, स्‍लैट पेंसिल का अलग से कॉम्‍प्‍लेक्‍स भी बना है, लेकिन अभी भी कुटीर उद्योग के रूप में है. अभी भी झोपड़ियों में स्‍लैट पेंसिल को तराशने का काम चल रहा है क्‍योंकि कारोबार बंद नहीं हुआ है. मैं आपसे निवेदन करना चाहूँगा कि यह विधेयक तो खैर पास हो जाएगा लेकिन इस विधेयक के साथ-साथ आप श्रमिकों के वेलफेयर के लिए, श्रमिकों के हितों के लिए, सिलिकोसिस नामक बीमारी से जो संघर्षरत परिवार हैं, उनके लिए और किस प्रकार से उनको आर्थिक मदद दी जा सके, विधवाओं को किस प्रकार से पेंशन दी जाती है, उस पर और अधिक अभिवृद्धि की जा सके, ये मैं इस फ्लोर पर आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री जी आपसे मांग करूंगा. बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          श्री लक्ष्‍मण सिंह (चाचौड़ा) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, केवल दो मिनट लूंगा. बहुत सारी बातें जो मैं कहना चाहता था, माननीय यशपाल सिंह जी ने बहुत अच्‍छी तरह प्रस्‍तुत कर दी हैं.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इस बिल में जैसा मरकाम जी ने उल्‍लेखित किया है या शंका जताई है, मुझे भी कुछ संदेह है. इज ऑफ डुइंग बिजनेस, यह शब्‍द जो है, इज ऑफ डुइंग बिजनेस, यह भारत ने जब विश्‍व व्‍यापार संधि पर हस्‍ताक्षर किए थे, डब्‍ल्‍यूटीओ पर, तब ये शब्‍द सुनने को मिला और हर जगह ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस का उपयोग करते-करते जितने कॉर्पोरेट सेक्‍टर की कंपनीज़ थीं, जितने मल्‍टीनेशनल्‍स थे वह घुस गए और सरकारी उपक्रम एक के बाद एक बिकता गया. यह हमने कई वर्षों से देखा है, आज भी देख रहे हैं, तो यह ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस कहीं ऐसा परिणाम यहां ना हो इसलिए श्रमिकों के हितों का पूरा संरक्षण किया जाए. स्‍लेट पेंसिल वाले जो मजदूर हैं वाकई उनके स्‍वास्‍थ्‍य के लिए सरकार को चिंता और करनी चाहिए. मैं तो यहां तक कहूंगा कि उनके लिए आप एक अलग से अस्‍पताल बनाइये. केवल उन मजदूरों के लिए. उन सबकी आप जांच करें क्‍योंकि सबके फेफड़े खराब हो रहे हैं. हमारे तरफ के कई मजदूर वहां पर जाते हैं. फिर ईज़ ऑफ डूइंग में कौन सा बिज़नेस मध्‍यप्रदेश में आप लोगों ने शुरू कर दिया ?  कौन-कौन सी इंडस्‍ट्रीज़ आ गईं जो ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस हैं ? उद्योग सब चौपट हैं, मजदूर सब बाहर जा रहे हैं. अभी कोविड में साढ़े तेरह लाख मजदूर मध्‍यप्रदेश के पलायन करके गए थे, उनको वापस लाए तब तो पता चला कि मध्‍यप्रदेश से साढ़े तेरह लाख मजदूर पलायन करते हैं. कौन सी इंडस्‍ट्री लग गई है, कौन सी इंडस्‍ट्री लगा रहे हैं जो ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस करके आज यह बिल लाए हैं ?

          अध्‍यक्ष महोदय, फिर मेरा एक सुझाव और है उसके बाद मैं समाप्‍त करूंगा. तेंदूपत्‍ता के श्रमिकों के लिए भी कुछ करिए. तेंदूपत्‍ता तोड़ने वाले लाखों श्रमिक मध्‍यप्रदेश में हैं. ऐेसे कई श्रमिक हैं जिनको मैं जानता हूं. मेरे निर्वाचन क्षेत्र में भी तेंदूपत्‍ता टूटता है, पेड़ से गिर जाते हैं, मर जाते हैं लेकिन उनको देखने वाला कोई नहीं है और चक्‍कर लगाते रहते हैं, हम लोग भी कोशिश करते हैं, फोन करते हैं,  लिखते हैं कि भाई कुछ पैसा मिल जाए, सरकार ने कहा है कि 4 लाख रुपये देते हैं, कई बार नहीं मिलता है, पता नहीं तहसीलदार कुछ रिपोर्ट लगा देता है, कहीं कोई लगा देता है, इसलिए तेंदूपत्‍ता के श्रमिकों के भी हितों का समावेश आप इस बिल में करें और मजदूरों के हितों का संरक्षण करना सरकार का दायित्‍व है, हम सबका दायित्‍व है, मैं आशा करता हूं उसका आप ध्‍यान रखेंगे. अध्‍यक्ष महोदय, धन्‍यवाद.

          श्री सोहनलाल बाल्‍मीक (परासिया) -- अध्‍यक्ष महोदय, श्रमिकों के कल्‍याण का यह बिल है. मैं कहना चाहता हूं कि इसमें स्‍लेट और पेंसिल के मजदूरों के संबंध में चर्चा की गई है, इसके पहले भी ऐसे कई प्रावधान रहे हैं, कानून बने हैं कि जिस तरीके के नियम बनते हैं श्रम कल्‍याण के लिए यदि कोई उसको फॉलो नहीं करता है, उसको नहीं अपनाता है तो उसमें बहुत सारे कानून सजा देने के, जुर्माना करने के हैं. इसको फिर संशोधन के लिए लाया गया है, तो मैं आपसे यह कहना चाहता हूं कि इसमें बहुत सारे मजदूर छूटे हुए हैं, उन मजदूरों को जोड़ना भी आवश्‍यक होगा क्‍योंकि आज इस प्रदेश के अंदर बहुत से ऐसे लोग हैं जो सिविल वर्क से जुड़े हुए हैं, गारा-मिट्टी का काम करते हैं, बिल्डिंग में काम करते हैं, उनके जीवन सुरक्षा की कोई व्‍यवस्‍था नहीं है. जहां तक लेबर इंस्‍पेक्‍टर की बात होती है, लेबर इंस्‍पेक्‍टर सिर्फ जिले में एक बैठता है, बाकी कोई तहसील स्‍तर पर या विधान सभा स्‍तर पर रहता नहीं है. कोई देखने वाला नहीं होता है. जिसके ठेके चलते हैं मान लीजिए 19 कामगारों से ज्‍यादा व्‍यक्ति लगे हैं तो उसके कोई फंड की भी व्‍यवस्‍था नहीं होती है. इनके जीवन सुरक्षा की कोई व्‍यवस्‍था नहीं होती है. कोई दुर्घटना घट जाती है तो उसके इलाज तक के पैसे ठेकेदार नहीं दे पाते हैं जहां प्रायवेट सेक्‍टर में वह काम करता है. इस ओर भी ध्‍यान देना चाहिए कि किस तरीके से मजदूरों का शोषण लगातार निरंतर हो रहा है. अध्‍यक्ष महोदय, हम श्रम कल्‍याण की बात करते हैं, अधिनियम बदलने की बात करते हैं मगर जमीनी स्‍तर पर देखें, आप कागजों पर जरूर श्रम कल्‍याण में बदलाव करने की बात करते हैं, अधिनियम की बात करते हैं मगर आप वास्‍तविकता देखेंगे तो मजदूरों की आज भी दुर्दशा होती है, उनका शोषण होता है, उनके अधिकारों को मारा जाता है. साथ ही साथ मैं यह भी कहना चाहता हूं कि राजपत्र में जो कुशल, अर्द्ध कुशल के मजदूरों का संशोधन लाया गया है, जो उनकी सैलरी तय की गई है, उसमें भी बदलाव लाने की जरूरत है .

          अध्‍यक्ष महोदय, साथ ही मैं मंत्री जी का ध्‍यान इस बात की ओर भी दिलाना चाहता हूं कि आपने बहुत सारी चीजें उस राजपत्र में जोड़ी हैं परंतु कोयला खान के अंदर काम करने वाले मजदूरों का उसमें उल्‍लेख नहीं है कि उनका वेतन क्‍या होगा. आज मैं देख रहा हूं कि हमारे प्रायवेट सेक्‍टर में बहुत सारे ऐसे कोल ब्‍लॉक आ रहे हैं जहां हजारों मजदूर काम कर रहे हैं मगर आपके राजपत्र में उन कोयला मजदूरों का, जो खदान के अंदर काम करते हैं उनके बारे में कहीं उल्‍लेख नहीं है कि उनका क्‍या वेतन निर्धारित होगा, उनकी क्‍या सुविधा होगी, क्‍योंकि 600-600, 700-700 मजदूर प्रतिदिन कोल माइंस में, अंडर ग्राउंड माइंस में काम करते हैं, मगर जब दुर्घटना घटती है तो ना ठेकेदार उनका इलाज़ कराता है और ना कोई काम कर पाता है, तो अध्‍यक्ष जी, मेरा आपसे आग्रह है कि इसको भी इसके साथ में जोड़ा जाए.

श्री अजय विश्नोई (पाटन) - अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी को एक सुझाव देना चाहता हूं. अभी हम चाहे कोयले की माइनिंग की बातचीत कर रहे थे या श्री यशपाल सिंह सिसौदिया जी, जो  स्लेट पेंसिल से उड़ने वाला जो पाउडर रहता है, उसके कारण प्रभावित होने वाले लंग्स के मामले में बातचीत कर रहे थे. आप यह देखेंगे कि जो झारखण्ड और बिहार, जो पुराना बिहार है, उसको एक ही कह सकते हैं. यहां पर भी सब कोयले की डस्ट उड़ती है और उसके कारण उनके लंग्स प्रभावित होते हैं, यह मेडीकली प्रूवन सत्य है कि उनके सत्तु खाने से उस चीज का शमन होता है. यह सत्तु को एक एडवाइज के रूप में लिया जा सकता है.

मैं एक उदाहरण देना चाहता हूं, आप जानते हैं श्री विनोद गोंटिया जी, हमारे मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम के वर्तमान में अध्यक्ष हैं, उनको भी यह समस्या है. एक दिन चायना के डेलिगेशन के साथ गये हुए थे, उन्होंने वहां एक मित्र के हाथ से सत्तु लेकर खा लिया तो रात को जो उनको सीटी बजती थी, वह सीटी बजना बंद हो गई. आज तीन साल से वह रोज सत्तु खाकर सोते हैं और उसका लाभ होता है. इसका भी अध्ययन करा लिया जाय कि वह कोयले से परेशान मरीजों के लिए जिस तरीके से बिहार में लाभ देता है. क्या इस तरीके का लाभ हमारे मध्यप्रदेश के भी इन स्लेट पेंसिल वाले मजदूरों और इनको मिल सकता है तो अपने पास में इनफ पैसा है, सत्तु जैसी सामान्य चीजों को उनको दवा के रूप में दिया जा सकता है.

श्री सुरेन्द्र पटवा (भोजपुर) - अध्यक्ष महोदय, इसी से विषय जुड़ा हुआ है. आदरणीय श्री सिसोदिया जी ने जो बात रखी है, मैं यहां पर सुझाव देना चाह रहा हूं. मेरी विधान सभा में लगभग 400-500 औद्योगिक यूनिट है.  हर जगह जहां जहां उद्योग हैं और बड़ा क्षेत्र है. मैं अनुरोध करना चाहूंगा कि वहां कभी भी जब एक्सीडेंट्स वगैरह होते हैं तो उद्योग मंत्री जी के संज्ञान में भी इस बात को पहले भी मैं लेकर आया हूं कि इएसआई हॉस्पिटल हर जगह होना चाहिए ताकि वहीं पर जहां एक्सीडेंट हुआ या वहीं पर जहां उनकी कहीं न कहीं देखभाल नहीं हो पाती और लगभग 20-25 कि.मी. उनको आना पड़ता है. हमारे क्षेत्र में लगभग 3-4 ऐसे औद्योगिक क्षेत्र हैं, सुल्तानपुर के पास में हमारे तामोट में भी औद्योगिक क्षेत्र बन चुका है तो कुल मिलाकर मध्यप्रदेश में जहां जहां भी इस तरह के औद्योगिक  क्षेत्र हैं, लगातार हमारी सरकार प्रयास कर रही है, निश्चित रूप से आने वाले समय में अगर हम इस विषय को भी ध्यान में रखेंगे तो बहुत हमारे श्रमिकों का और सभी का भला होगा क्योंकि उद्योगों को चलाने की जो ताकत है हमारे श्रमिक बंधुओं की है और मेरे क्षेत्र में तो लगभग पूरे देश के चाहे वह बिहार हो, झारखण्ड हो, उत्तरप्रदेश हो, सभी समाज के लोग हमारी विधान सभा में हैं. मैं चाहूंगा कि कहीं न कहीं माननीय उद्योग मंत्री जी और माननीय श्रम मंत्री जी भी इस बात को संज्ञान में रखें, धन्यवाद.

श्रम मंत्री (श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह) - अध्यक्ष महोदय, निश्चित रूप से हमारे श्री ओमकार सिंह मरकाम जी, श्री यशपाल सिंह सिसौदिया जी, हमारे आदरणीय सम्माननीय श्री लक्ष्मण सिंह जी ने और श्री अजय विश्नोई साहब जो हमारे वरिष्ठ हैं, श्री सुरेन्द्र पटवा जी  और श्री सोहनलाल बाल्मीक जी ने, हमारे सभी लोगों ने महत्वपूर्ण सुझाव श्रम को लेकर दिये हैं.

हमारा मूल जो विषय है वह विधेयक को लेकर है, जिस पर जो आज चर्चा उठी है. बेसिकली जो हमारा मध्यप्रदेश श्रम कल्याण निधि अधिनियम, 1982 और स्लेट पेंसिल कर्मकार कल्याण मंडल अधिनियम, 1982 है, इसके संशोधन को लेकर हम लोग आए हैं. इसमें जो बातें आई है, पूर्व में बेसिकली जो भी हमारे केसेस होते थे, उनको सीधा हम जुडिश्यल में  ले जाते थे. उनमें जुर्माना होता था और उनमें सजा का भी प्रावधान था और उन चीजों को लेकर हमने संशोधन इसलिए किया है कि इसमें हमें थोड़ा-सा सहुलियत यह मिलेगी, ज्यादा परेशानियां न जायं क्योंकि आज यह स्थिति बन गई है कि न्यायालय में यदि हम जाते हैं तो उसमें बहुत लम्बा समय लगता है और फिर न्यायालय से कोई सजा होती है तो एक हमारा व्यापार भी या हमारे जो उससे जुड़े हुए लोग हैं वह उससे कहीं न कहीं प्रभावित होते हैं और इसलिए वह चीजें हमने कहीं हटाई नहीं हैं.

 हम यह चाह रहे हैं कि जो सजा है और जो सजा का प्रावधान रखा गया है तो सजा के प्रावधान को कपाउडिंग किया है कि उसको भी हम सजा में यदि जो हमारा लेबर इंस्पेक्टर है, उसके ऊपर के अधिकारी हैं और उसको वहीं पर सॉर्ट आउट करके कपाउंड करके खत्म कर दें तो ठीक है. यदि वह नहीं करता है तो न्यायालय में तो केस जाएगा ही, उसमें न्यायालय वाली व्यवस्था हमने हटाई नहीं है. लेकिन पहले जो सीधे न्यायालय में जा रहा था, उसको पहले हम मौका दे रहे हैं कि यदि कपाउडिंग करके उसको हम वहीं पर सॉर्ट आउट कर दें तो हमारा जो बिजनेस है वह अफेक्ट न हो क्योंकि उससे बहुत से लोगों को परेशानियां हो जाती थी, इसलिए  उसमें सरलता के तहत हम उस विधेयक को लेकर आए हैं.

दूसरा, कई तरह की बातें भी आई हैं  क्योंकि इसमें जो पहले तीन माह का प्रावधान था, उसमें पांच हजार रुपये जुर्माना था, फिर 6 माह दस हजार रुपये का प्रावधान था, उसके बाद दोनों का भी प्रावधान था. उन सब  चीजों को हटाते हुए और यह हमने तय किया है  कि लेबर इंस्पेक्टर  या उससे  अपर अथॉरिटी  जो भी है,  उसको चाहेगी, तो  वहां पर न ले जाकर, वहीं पर sort out  कर दें,  वहीं पर  कम्पाउंडिंग  करके  उसको खत्म कर दें  और यदि  वह नहीं उसमें आता है, तो  देन  वह आपका कोर्ट  वाला रास्ता  खुला हुआ है, उसको हमने बंद नहीं किया है.   दूसरी बात इससे  हमारे कई उद्योंगों को,  कई हमारी ऐसी   चीजों को लेकर  हम लोग उस पर  आगे बढ़ जायेंगे,  क्योंकि  उसमें  बहुत  सी चीजें हमारी  प्रभावित होती हैं, हमारे उद्योग भी प्रभावित  होते हैं  और जब उद्योग प्रभावित होते  हैं, तो  निश्चित रुप  से हमारे श्रमिक भी  प्रभावित होते हैं और श्रमिक,  क्योंकि  आपस में  कॉडिनेशन  हमारा दोनों का है  और इससे  हम  8 हजार से ज्यादा लोगों को हम इससे, यदि हम सरलता लायेंगे  तो  बहुत से,  ज्यादा से ज्यादा लोगों को  उद्योग में  हम  उसको  ले जा सकते हैं  और जिससे हमारे श्रमिकों को भी   रोजगार मिलेगा. इससे रोजगार बढ़ेगा.  इसलिये उन सब चीजों  को  लेकर आज हम आये थे.  अभी मरकाम जी ने  कई  बातें कहीं और  उन्होंने यह भी कहा कि  उसमें जो हमारे  श्रमिकों का है,  उनको जो  श्रम है, उसकी जो राशि है,  वह बढ़ाना चाहिये. तो निश्चित रुप से,  क्योंकि  अकुशल श्रमिक  की  जो अभी है राशि,   वह 359 रुपये है, अर्द्ध कुशल  की   राशि है 392,  कुशल की 445 रुपये, उच्च  कुशल की  495 रुपये और कृषि जो श्रमिक हैं,  उसकी 246 रुपये.  इसलिये हमारी राशि जो आप   बोल रहे थे,  वह पहले से  ही  हमारी राशि है  उसमें.  इसलिये वह सब चीजें  और रही दूसरी बात जो हमारे वरिष्ठ सदस्य, माननीय   लक्ष्मण सिंह जी ने यह  बात कही कि  हमारे तेंदूपत्ता संग्राहकों को  भी  उसमें जोड़ा जाये.  हमने जोड़ लिया है. सम्बल योजना के तहत  उनको हमने जोड़ लिया है.  वह सभी  जो श्रमिक हैं  तेंदूपत्ता के,  उनको सम्बल योजना का जो भी लाभ है,  2 लाख, 4 लाख  रुपये का  या जो  उसके प्रावधान  के अंतर्गत है,  वह  उनको पूरा लभ मिलेगा.  वह भी हमने जोड़ा है.  इसमें हमने करीब  ऐसे   जो भवन निर्माण  के  हमारे  बीओसीडब्ल्यू  के जो वर्कर्स  हैं, उनको भी हमने  करीब 1600 लाख  ऐसे श्रमिक हैं,  जिनको हमने  अभी तक  विभिन्न  19 योजनाओं के  अंतर्गत करीब  3600 करोड़ की  अभी उसमें राशि  दी है  और  उसमें हमने  अलग अलग  तरीके से उनको हमने  लाभान्वित किया है. तो  इसलिये हम लगातार  इसमें संशोधन  सिर्फ जो  आपने ease of doing business उसका  मूल   बेसिकली  यही है कि हम सरल तरीके से कैसे ज्यादा उद्योग  बढ़ा पायें.  अब उसको इंग्लिश में आप  कुछ भी कहो या  उसको  इंग्लिश के शब्द  के कारण  कुछ कंट्राडिक्ट्री  पैदा करो, तो यह तो सरलता है कि हम  किस तरीके से  उसको यदि आप  उसका यह चाहते हैं कि  हम हिन्दी  में  उसका  वह करें, तो  उसमें कोई  ऐसी बात नहीं है.  क्योंकि ease of doing business  का मतलब ही यही  है कि  निवेश का संवर्धन. जो हम निवेश कर रहे हैं,  वह ईजीली हमारा लोगों के बीच  में जाये और  लोगों को  एप्रोच हो, अच्छे से  हमारा एक प्लेटफार्म  मिले  और आराम से हम   इस दुनिया में,  हमारे मध्यप्रदेश  जैसे स्थान पर  हम अच्छे से  काम कर सकें और  इसलिये इसमें कोई  ऐसा विरोधाभास  नहीं है.  न हमने  कुछ  इस संशोधन  को लाकर, हमने कोई चेंजेस  ऐसे नहीं किये हैं.   एक स्टेप हम आगे आये हैं कि हम कोर्ट  में  जाने के कारण, न्यायालयीन  प्रक्रिया  में फंसने के पहले यदि हम वहीं पर  कम्पाउंडिंग  करके  उसको sort out  कर लें, तो  हमें कोर्ट जैसी  चीजों में, क्योंकि कोर्ट का ऐसा है कि आर  किसी भी ज्यूडिशियल कोर्ट  में   जाओ तो  सालों लग जाते हैं, उसमें परेशानियां पैदा हो जाती हैं.  इसलिये उस चीज को हम लेकर आये  हैं  और इसलिये मेरा  इसमें बिलकुल सभी  माननीय सदस्यों से  आग्रह यही है कि  सर्व सम्मति से  इसको पास किया जाये,  इसमें कोई विरोधाभास  नहीं है. धन्यवाद.

                   श्री ओमकार सिंह मरकाम-- अध्यक्ष महोदय, मेरा अनुरोध है कि  जो इंग्लिश शब्द है, क्या हमारे हिन्दी  में  उसका कोई शब्द नहीं है.

                   अध्यक्ष महोदय-- उन्होंने कह तो दिया कि हम कर देंगे.

                   श्री ओमकार सिंह मरकाम--  नहीं, आपने अभी स्पष्ट नहीं किया.

                   अध्यक्ष महोदय -- स्पष्ट किया था.

                   श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह-- निवेश संवर्धन.

                   श्री ओमकार सिंह मरकाम-- निवेश संवर्धन  ये आप  इसमें जोड़ लीजिये. दूसरा , मैंने एक निवेदन किया था  कि जिन मजदूरों को  60 रुपये  मिल रहे हैं.

                   श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह-- निवेश संवर्धन का  भी अर्थ आप पूछ  लें,   क्योंकि  अब उसको भी  समझने में न आये शायद.

                   श्री ओमकार सिंह मरकाम--  वह तो समझ गये.  हिन्दी की रक्षा करने में  इतना हिन्दी का उपहास   मत करिये,  क्योंकि देश हिन्दुस्तान  हिन्दी का है.  दूसरा, मैंने  जो 60 रुपये  आपसे कहा.  जिन मजदूरों को 60 रुपये मिल रहा है, जो भोजन पकाते हैं, जो रसोइया के रुप में हैं, जिनको 60 रुपया मिल रहा है.  आपने कहा कि कृषि पर जो लग रहे हैं, उनको 246 रुपये  मिल रहे हैं.  आपके शब्दों  का हम समर्थन करते हैं. उन मजदूरों के लिये कृपा करके  आप बता दीजिये कि  जिनको 60 रुपया मिल रहा है, जो 60 रुपया देने वाले हैं,  उनसे आप बात करेंगे, रिक्वेस्ट करेंगे और जिन मजदूरों  ने राशि बढ़ाने के लिये  आंदोलन किया, जिनके ऊपर एफआईआर हो गई है.  7 लोगों को जेल भेजने की  तैयारी कर रहे हैं.  वैसे  माननीय मिश्र जी  से हम अनुरोध करेंगे, मजदूरों के लिये  कृपा तो कर देंगे  पंडित जी आप.  तो मेरा यह अनुरोध है. तो उस पर आप जरुर बतायें कि जिनको 60  रुपये  मिल रहा है, क्या आप  उनका जो मिनिमम  दर  आपका है, उसमें  आप उसको  समाहित करायेंगे.  रसोईया हैं, जिनको 60 रुपये दिया जा रहा है  प्रति दिन.

            श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह - बेसिकली रसोईये वाला मामला स्कूल शिक्षा के अंतर्गत है और उसमें कैसे स्कूलों में, किस हिसाब से उनकी नियुक्तियां की गई हैं. कैसे वह समूह चला रहे हैं मुझे उसकी जानकारी नहीं है.

          श्री ओमकार सिंह मरकाम - मैं चाहूंगा कि श्रम जैसे है. श्रम हम चाहे स्कूल में करें, चाहे  कृषि में करें या बिल्डिंग में करें. कहीं भी करें आप श्रम के विषय में जिम्मेदार हैं.

          श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह - अध्यक्ष महोदय, उसका पोर्टल है. यदि उसमें पंजीयन होता है तो निश्चित रूप से हमारे जो प्रावधान हैं उसके अंतर्गत हम उसको राशि देंगे.

          अध्यक्ष महोदय -  प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश श्रम विधि(संशोधन) विधेयक,2022 पर विचार किया जाय.

प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.

          अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.

          प्रश्न यह है कि खण्ड 2 तथा 3 इस विधेयक का अंग बने.

          खण्ड 2 तथा 3 इस विधेयक का अंग बने.

          प्रश्न यह है कि खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.

खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बना.

          प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र इस विधेयक का अंग बने.

पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र इस विधेयक का अंग बने.

          भी बृजेन्द्र प्रताप सिंह - अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश श्रम विधि(संशोधन) विधेयक,2022 पारित किया जाये.

          अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश श्रम विधि(संशोधन) विधेयक,2022 पारित किया जाय.

          प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश श्रम विधि(संशोधन) विधेयक,2022 पारित किया जाय.

प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.

विधेयक पारित हुआ.

 

समय 5.18 बजे

    (5) मध्यप्रदेश कर्मचारी चयन मण्डल(संशोधन) विधेयक,2022(क्रमांक 24 सन् 2022)

 

        राज्यमंत्री,सामान्य प्रशासन(श्री इन्दर सिंह परमार) -  अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश कर्मचारी चयन मण्डल(संशोधन) विधेयक,2022 पर विचार किया जाय.

        अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश कर्मचारी चयन मण्डल(संशोधन) विधेयक,2022 पर विचार किया जाय.

          श्री प्रियव्रत सिंह(खिलचीपुर)  -  माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश कर्मचारी चयन मण्डल(संशोधन) विधेयक,2022 जो विचार के लिये प्रस्तुत हुआ है. सबसे पहले तो यह जो कर्मचारी चयन मण्डल है. इसका जो मूल उद्देश्य है वह प्रतियोगी परीक्षार्थियों को और प्रतियोगी परीक्षाओं में विद्यार्थियों को जो चयन के लिये परीक्षा दे रहे हैं उनकी चयन प्रक्रिया सुनिश्चित करने का इस मण्डल को अधिकार है. अब यह नया नाम बड़ा अच्छा लगता है कर्मचारी चयन मण्डल, परन्तु मध्यप्रदेश की जनता को इस संस्था पर कितना विश्वास है यह इसके पुराने नाम से जब इसको पुकारा जाए कि यही व्यापम है. यही प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड बना. अब यह मध्यप्रदेश कर्मचारी चयन मण्डल बन गया. मेरा सुझाव है अध्यक्ष जी, कि सबसे पहले तो जो काला धब्बा इस संस्था पर लगा हुआ है उसको साफ करके मध्यप्रदेश के बेरोजगार विद्यार्थियों के बीच में इसकी साख बनाने की आवश्यकता है, अगर आप यह साख बना पाएंगे तभी सफल होंगे. अब क्यों हुआ, कैसे हुआ. यह गली बदनाम कैसे हुई इसके तो बहुत सारे कारण हैं और उस गली में जाकर पूछो तो अलग-अलग बातें सामने आती हैं लेकिन इस विधेयक में जो बातें कही गई हैं कि हम भर्ती परीक्षा के लिये सहायता करेंगे. आज प्रतियोगी परीक्षाओं के लिये जो धन खर्च किया जाता है. प्रत्येक परिवार अपने होनहार बच्चों को आगे बढ़ाने के लिये, प्रतियोगी परीक्षाओं के लिये तैयार करने के लिये जो धनराशि आज खर्च कर रहे हैं अगर आप उसमें कमी ला पाएंगे तभी आपकी सफलता मानी जाएगी अगर आपने खानापूरी करने के लिये और अपनी सरकार का विज्ञापन करने के लिये यह तैयारी करवाई है या यह निर्देश दिये हैं तो यह नाकाफी है. हम कई स्कूलों में जाते हैं. सरकारी महाविद्यालयों में जाते हैं प्रायवेट महाविद्यालयों में जाते हैं कहीं पर भी सरकार की ओर से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिये व्यवस्थाओं की तैयारी मुझे तो आज तक देखने को नहीं मिला. मंत्री जी जानते होंगे उनने कहां-कहां करवाया है. किस-किस विद्यालय में हुआ है. किस-किस महाविद्यालय में हुआ है. यह तो वही सच बता पाएंगे  मगर हमें तो अभी यह कहीं पर दिखा नहीं. आज कई निजी सस्थाएं हैं. जो करोड़ों रुपये की फीस ले रही हैं. आप देखिये जैसे कोटा में, कई पिक्चरें भी बनी कोटा फैक्ट्री के नाम से.कोटा में एक बड़ा सारा व्यवसाय है.

          मध्‍यप्रदेश में भी कई स्‍थानों पर उनकी ब्रांचेज खुल गई हैं, इंदौर में, भोपाल में, जबलपुर में, सतना में, ग्‍वालियर में कई ऐसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने के लिये संस्‍थायें खुली हुई हैं जो करोड़ो रूपया ले रही हैं और प्रतियोगी परीक्षाओं में जो पैसा खर्च होता है जो इन्‍वेस्‍टमेंट होता है एक परिवार का उस इनवेस्‍टमेंट के सामने अगर आप उसमें चयन की दर देखें तो 2-5 प्रतिशत होती है बाकी सारा पैसा वह मुनाफे के रूप में उनकी जेब में चला जाता है, यहां तक की जो फेकल्‍टी जो रोजगार अर्जित कर रहे हैं एक और बात आयेगी कहीं से कि भई बहुत सारे लोगों को इस माध्‍यम से रोजगार मिल रहा है, रोजगार जरूर मिलता है पर रोजगार के अनुपात में जो व्‍यवसाय होता है, जो रोजगार मिलता है उसका अनुपात देखें, उनको जो मानदेय मिलता है वह देखें और जो बड़ी-बड़ी संस्‍थाओं के जो प्रमुख हैं जो इसका धंधा करते हैं उनकी जेब में जो पैसा जाता है अगर आप उसका अंतर देखेंगे तो बहुत ज्‍यादा है. इसमें जो पैसा खर्च होता है एक परिवार का 80 प्रतिशत पैसा उसी व्‍यक्ति की जेब में चला जाता है जो यह संस्‍था चला रहा है. अब इसके लिये अगर आप अवसंरचना बना भी रहे हैं तो उसको आपको पुख्‍ता बनानी होगी कि वह प्राइवेट सेक्‍टर में कम्‍पीट कर सके. अगर आप प्राइवेट सेक्‍टर में कम्‍पीट नहीं कर सकते हैं या प्राइवेट सेक्‍टर से मुकाबला नहीं कर सकते हैं तो ऐसी खानापूर्ति करने से माननीय मंत्री जी, माननीय अध्‍यक्ष महोदय इसमें कोई फायदा प्रदेश की जनता का नहीं होगा और सबसे बड़ी बात तो यह है कि आपकी इस संस्‍था के ऊपर विश्‍वास किसको है, आये दिन पेपर में खबर छपती है एक इम्तिहान के लिये फार्म बुलाये गये उसके थोड़े दिन बाद मालूम पड़ता है कि वह निरस्‍त हो गया, जो फीस जमा की थी बेरोजगार परीक्षार्थियों ने वह फीस वापस नहीं हो रही है, चयन प्रक्रिया केंसिल हो गई, नई चयन प्रक्रिया शुरू होगी, नई फीस जमा कराई जायेगी.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह जो संस्‍था है इसमें विश्‍वास बनाने की आवश्‍यकता है और सबसे पहले तो माननीय मंत्री जी मेरा एक सुझाव है कि आप मध्‍यप्रदेश के बेरोजगार परीक्षार्थियों का अगर कल्‍याण चाहते हैं तो कर्मचारी चयन मंडल की जितनी भी परीक्षायें हैं इसके लिये जो भी फीस ली जाती है वह समाप्‍त करें, मध्‍यप्रदेश में किसी भी बेरोजगार प्रतियोगी से फीस नहीं ली जायेगी यह सदन में घोषणा करें तब जाकर हम कोई न्‍याय कर पायेंगे. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आज चयन प्रक्रिया में आखिरी दिन मालूम पड़ता है परीक्षार्थी को कि हमने कर्मचारी चयन मंडल में जो फार्म दाखिल किया था उसका हमारा परीक्षा का केन्‍द्र जो भोपाल था आखिरी दिन उसको शिफ्ट करके सागर कर दिया गया है. रेल में रिजर्वेशन नहीं मिलता, बड़ी मुश्किल से वह कैसे भी करके डब्‍ल्‍यू.टी. या टिकिट खरीदकर, खड़ा होकर, बैठकर, उठकर वह वहां पहुंचता है, न उसके कोई रहने की व्‍यवस्‍था होती है, न उसके कोई उठने, बैठने की व्‍यवस्‍था होती है, वह स्‍टेशन पर रात गुजारता है, स्‍टेशन पर भी आकर उसको डंडा पड़ता है, डंडा मिलता है उसको उठाकर वहां से भगा दिया जाता है, रातभर वह जागता है और दूसरे दिन सुबह जाकर आधी नींद में जाकर परीक्षा देता है तो क्‍या आप मानते हैं कि हम उस बेरोजगार के साथ न्‍याय कर रहे हैं. क्‍या उसका चयन इस परीक्षा में हो पायेगा, या अगर आप पूरी रात नहीं सोये, आपने अच्‍छे से विश्राम नहीं किया है, आपका अध्‍ययन अधूरा है तो क्‍या आप परीक्षा में चयन प्राप्‍त कर सकते हैं.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, बहुत सारी बाते हैं इसमें, मेरा तो आपसे यह अनुरोध है कि एक तो यह स्‍थान जो आपके चयनित होते हैं यह शुरू से ही परीक्षार्थियों को बताये जायें और अगर सरकार के पास इतना बड़ा स्‍ट्रक्‍चर है पूरे मध्‍यप्रदेश में, आप अगर हजार, पांच सौ लोगों के रहने की व्‍यवस्‍था भी कर देंगे अलग-अलग केन्‍द्रों पर तो आपकी सरकार को दुआ मिलेगी, आपको व्‍यवस्‍था मिलेगी और बेरोजगार नौजवानों के साथ हम न्‍याय कर पायेंगे.

      माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जो दूसरी बड़ी बिडंबना है इसमें वह है कि चयन प्रक्रियायें जब घोषित होती हैं उसके शुरूआत से लेकर जब उसका एग्‍जाम होता है और उसके बाद रिजल्‍ट डिक्‍लेयर होता है और उसके बाद भी नियुक्ति नहीं मिलती. अभी आप शिक्षा विभाग के भी मंत्री हैं. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, शिक्षा विभाग में जो परीक्षायें होनी थीं, जो परीक्षायें हो गई हैं वर्ग-3 की, वर्ग-2 की उनके आज तक रिजल्‍ट डिक्‍लेयर नहीं हुये हैं, उनको आज तक नियुक्तियां नहीं मिली हैं. बैकलॉग के पद भी इस विभाग ने नहीं भरे हैं. कल ही विधान सभा में एक प्रश्‍न आया था, एक नंबर का प्रश्‍न था कल की कार्यसूची में, हमारे जिले जिस जिले से मैं आता हूं राजगढ़ जिले में अनेक शाला भवन शिक्षक विहीन हो गये, क्‍या कारण था शिक्षक वि‍हीन होने के, ट्रांसफर नीति में स्‍पष्‍ट उल्‍लेख है कि ट्रांसफर जब होगा जब वहां पर आखिरी शिक्षक नहीं बचा मतलब उस शिक्षण संस्‍था में इतने शिक्षक हों कि उस शिक्षण संस्‍था को सुचारू रूप से चलाया जा सके, यह नीति में उल्‍लेख है. शिक्षामंत्री जी विराजमान हैं, आज उनके द्वारा ही यह विधेयक प्रस्‍तुत किया गया है. कल ही आपने बोल दिया है कि हम चयन करेंगे, चयन प्रक्रिया होगी, उसके बाद भरा जायेगा, आपने ट्रांसफर क्‍यों किये? ट्रांसफर नहीं होते तो वह संस्‍थाएं शिक्षकविहीन नहीं होती, यह एक उदाहरण प्रस्‍तुत कर रहा हूं. मुझे भी मालूम है  ट्रांसफर क्‍यों हो गये?

अध्‍यक्ष महोदय -- यह विषय नहीं है, आप इस पर आ जायें.

श्री प्रियव्रत सिंह -- इसमें नहीं है, माननीय अध्‍यक्ष महोदय, पर इससे संबंधित है, इसलिये उल्‍लेख कर रहा हूं.

अध्‍यक्ष महोदय -- उसमें नहीं है, यह दूसरा है.

श्री प्रियव्रत सिंह -- अब आपने अगर इनकी परीक्षा कर ली, परीक्षा हो गई, चयन हो गया तो आप उसको लागू कीजिये, उसको नियुक्ति दीजिये, क्‍योंकि आज नियुक्ति की आवश्‍यकता है, आज रोजगार की आवश्‍यकता है, अब माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इसमें भारी भ्रष्‍टाचार हो जाता है, नियुक्ति नहीं होती है, कई तरह के दलाल, कई तरह के लोग, इधर-उधर घूमने वाले लोग, बड़े-बडे़ मंत्रियों के बंगलों के ईद गिर्द घूमने वाले लोग, वह कहते हैं इतने ले आओ, इतने नगद नारायण के दर्शन करा दो, तुम्‍हें हम नियुक्ति दिला देंगे, भोले भाले लोग उसमें आ जाते हैं और उनका शोषण मध्‍यप्रदेश में आज हो रहा है, इस बात का ध्‍यान देने की आवश्‍यकता है.

श्री हरिशंकर खटीक -- आपको अपनी बात याद आ रही है, जो आपने किया है और आज वहां बैठे हैं, आज उसी का परिणाम है कि आप उधर बैठे हैं. (व्‍यवधान.)

डॉ.योगेश पंडाग्रे-- आपने तीन साल पहले किया था, वहां पर अधिकारियों और कर्मचारियों से ज्‍यादा इन लोगों की भीड़ होती थी, जो ऐसा ले देकर करते थे, तो अपनी पुरानी सरकार को याद मत कीजिये. (व्‍यवधान.)

श्री प्रियव्रत सिंह -- अभी ओमकार भाई ने बताया था कि आईना बतायेंगे तो पारा चढ़ जायेगा. (व्‍यवधान.)

डॉ.योगेश पंडाग्रे-- यह सवा साल में आपकी सरकार में होता था, आपको भूला हुआ याद आ रहा है.

श्री प्रियव्रत सिंह -- यह बहुत अच्‍छी बात है कि आप तैयारी करवाना चाहते हैं, आप तारीफ के पात्र हैं, पर आप तब तारीफ के पात्र तब बनेंगे,जब सही में तैयारी करवायेंगे, बोर्ड ऑफिस चौराहे पर अपने विज्ञापन में छपवाकर बोर्ड लगा देंगे, उससे बेरोजगारों की तैयारी नहीं हो जायेगी, उनका मजाक मत उड़ाओ हरिशंकर जी नहीं तो वह जनता आने वाले समय वर्ष 2023 में आपका मजाक बना देगी.

श्री हरिशंकर खटीक -- आपने अपना ऐसा काम किया है, आपका नाम जरूर प्रियव्रत है, आज आप वह प्रियव्रत का काम नहीं कर रहे हैं, आपको अपनी एक-एक चीज याद आ रही है.

श्री प्रियव्रत सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा आपसे यही अनुरोध है कि यह जो विधेयक प्रस्‍तुत हुआ है, इसका समर्थन करने में कोई बुराई नहीं होगी पर तब होगी, जब आप इस विधेयक के मूल उद्देश्‍यों को स्‍पष्‍ट करेंगे कि क्‍या इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर आप दे रहे हैं, उन परीक्षार्थियों के लिये क्‍या तैयारी की व्‍यवस्‍था आप कर रहे हैं? उसमें कितना शुल्‍क आप लेंगे? क्‍या वह जो प्रायवेट सेक्‍टर में आज तैयारी करने वाले बड़े एल.एन. और यह जो सारे इंस्‍टीट्यूटस हैं, उनके बराबरी की तैयारी सरकार की होगी? क्‍या सरकार उनको चुनौती देगी, क्‍या गरीब छात्रों को सरकार न्‍याय दिलायेगी, क्‍या कम पैसे में वह यहां पर परीक्षा की तैयारी करवायेगी ?

माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से मंत्री जी से अनुरोध करना चाहूंगा कि क्‍या वह यह घोषणा आज करेंगे कि कर्मचारी चयन मंडल की जितनी परीक्षाओं के लिये मध्‍यप्रदेश के बेरोजगार नौजवानों से शुल्‍क लिये जा रहे हैं, वह माफ किये जायेंगे, नि:शुल्‍क परीक्षाएं मंत्री जी कंडक्‍ट करवायेंगे? आप घोषणा करें मंत्री जी तो समर्थन करने के लिये तैयार हैं.

श्री दिलीप सिंह परिहार -- बेरोजगारों को भत्‍ता देंगे.

        5.27 बजे                                 

                                अध्यक्षीय घोषणा

                          सदन के समय में वृद्धि विषयक

          अध्‍यक्ष महोदय -- इस विधेयक पर चर्चा पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाए. मैं समझता हूं कि सदन इससे सहमत है.

                                                    (सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई)

5.28 बजे

                शासकीय विधि विषयक कार्य.....(क्रमश:)

            श्री पी.सी.शर्मा -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अभी माननीय प्रियव्रत सिंह जी ने बहुत सारी बातें इसमें यहां पर की है, लेकिन एक चीज निश्चित तौर पर यह मध्‍यप्रदेश कर्मचारी चयन मण्‍डल जो पहले व्‍यापमं के नाम से जाना जाता था, यह इतना बदनाम हो गया है कि मैं नहीं समझता हूं कि लोगों को भरोसा कैसे आयेगा? आज मध्‍यप्रदेश में सबसे बड़ी अगर समस्‍या है तो वह बेरोजगारी की है, 40 लाख से ज्‍यादा लोग बेरोजगार हैं और जितने भी एम्‍प्‍लायमेंट एक्‍सेंज के दफ्तर हैं, वहां से चयन नाम की चीज ही नहीं हो रही है, उनके नाम लिखे हुए हैं, लेकिन कहीं चयनित नहीं हो रहे हैं और इन्‍होंने जो कहा है कि राज्‍य सरकार की पूर्व अनुमति से ऐसे क्रियाकलाप करना जो युवाओं छात्राओं को विभिन्‍न प्रवेश एवं भर्ती परीक्षाओं में तैयारी के लिये सहायता करेंगे. वह पहले पढ़ लिखकर आ रहा है, पहले पूरा पैसा खर्च करके आ रहा है, इसमें आपने बताया नहीं है, इसमें भी शुल्‍क लगायेंगे? अभी प्रियव्रत सिंह जी ने ठीक कहा है कि जितनी भी परीक्षाएं होती हैं, उनका शुल्‍क ले लिया जाता है, पता लगता है कि परीक्षा हुई नहीं, उनका शुल्‍क जो है वह डूब गया, तो यह नि:शुल्‍क व्‍यवस्‍था करेंगे क्‍या? इसमें यह बात भी आना चाहिये कि अगर आप उनको तैयारी कराना है तो वह नि:शुल्‍क होना चाहिये, भाई जो एक बेरोजगार युवक है, वह इस तैयारी में आपकी जो संस्‍थाएं करेंगी या जो मध्‍यप्रदेश कर्मचारी चयन मण्‍डल करेगा तो यह तैयारी करायेगा कैसे? और अलग -अलग जो आपने लिखा है कि अलग अलग संस्‍थाओं के लिये जो विज्ञापन होंगे, उसके लिए तैयारी करवाएंगे तो यह जितने आपने नाम लिखे हैं- राज्‍य सरकार, केन्‍द्रीय सरकार, सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम, अर्धशासकीय संस्‍थाओं में, इनमें नियुक्ति के लिये. तो इसके लिए सब कोर्सेस अलग होते हैं. यह सब कोर्स क्‍या एक ही संस्‍था संचालित करेगी ? इतने अलग-अलग कोर्सेस कैसे करवायेंगे ? और उसके लिए फिर और इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर चाहिए. इस संस्‍था के पास जो पूर्व में व्‍यापम कहलाती थी. वह इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर आज की तारीख में नहीं है कि वह ठीक से चयन कर सके. व्‍यापम का नाम तो ऐसा हो गया है कि कहीं पर भी कोई घोटाला हुआ तो लोग पूछते हैं कि क्‍या वहां पर व्‍यापम हो गया. व्‍यापम इस तरह से प्रचलित हो गया है कि इसके पास इतना इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर है कि जो लोग पढ़-लिखकर आए हैं, उनको अलग-अलग परीक्षाओं का ज्ञान या क्‍या उसकी तैयारियां कर सकेंगे. निश्चित तौर पर इस चीज को आपको इसमें देना था. इसमें एक काम यह भी हो जाये कि प्रियव्रत सिंह जी ने एक अच्‍छी बात कही है कि इसमें नि:शुल्‍क परीक्षाएं हों, लेकिन जिनसे शुल्‍क ले लिया गया है और परीक्षाएं नहीं हुई हैं, उनको शुल्‍क वापस करवाओ. आप इन सब चीजों पर ध्‍यान दें. मैं यह आपसे कहना चाहता हूँ और आप किस तरह से अलग-अलग परीक्षाओं को करवाएंगे. इस पर आप आज जरूर प्रकाश डालें. इसमें एक निवेदन और है कि आप प्रायवेट संस्‍थाओं से कैसे कॉम्पिट करेंगे ? यह बहुत अहम् मामला है. आपने कुछ नहीं बताया कि आप किस तरह से तैयारी करवाएंगे और अलग-अलग कोर्सेस से कैसे तैयारी करवाएंगे ?   

          श्री ओमकार सिंह मरकाम (डिण्‍डोरी) - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से एक अनुरोध करना चाहूँगा कि जो आपने कर्मचारी चयन मण्‍डल के लिए इसमें प्रावधान किया है, जो हमारे बैकलॉग के पद हैं, जो अनुसूचित जाति-जनजाति और पिछड़े वर्ग के जो काफी दिनों से, जो विभिन्‍न विभागों में खाली पड़े हैं तो उनके लिए भी क्‍या आप इसी कर्मचारी चयन मण्‍डल की प्रक्रिया में समाहित करेंगे या फिर जो बैकलॉग के पद हैं, उनके लिए इसमें आपकी क्‍या दृष्टि है ? आप स्‍पष्‍ट करने की कृपा करेंगे.

          राज्‍यमंत्री सामान्‍य प्रशासन (श्री इन्‍दर सिंह परमार) - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, विधेयक में चर्चा की शुरूआत आदरणीय श्री प्रियव्रत सिंह जी ने की, हमारे आदरणीय श्री पी.सी.शर्मा जी, श्री ओमकार सिंह मरकाम जी ने अच्‍छी चर्चा की है. मैं उनको धन्‍यवाद देना चाहता हूँ, पर भाषण ज्‍यादा दिया है. आप कहें तो पहले भाषण का जवाब दे दूँ, फिर विधेयक पर चर्चा करूँ.

          अध्‍यक्ष महोदय - भाषण वाला कल चलेगा. आज यह कंपलीट कीजिये.

          श्री इन्‍दर सिंह परमार - (विपक्ष के कुछ विधायकगण के खड़े होकर बोलने पर) बताऊँगा, बताऊँगा. आप घबराओ मत. मैं सन् 2003 से पहले से लेकर अभी तक का सब रिकॉर्ड लेकर आया हूँ. आपके सारे कर्म बताने वाला हूँ. आप बैठ जाइये, मेरी सुन लीजिये.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह जो आज विधेयक पेश किया है. इसमें महत्‍वपूर्ण बात यह है कि पहले इसका नाम व्‍यावसायिक परीक्षा मण्‍डल के नाम से था, पहले केवल यह विद्यार्थियों को व्‍यावसायिक कॉलेज के लिए एडमिशन देता था, उसके लिए परीक्षा आयोजित करने का था, बाद में इसमें जो नौकरी है, उसके लिए भी प्रावधान किया गया. आज उसी में हम संशोधन करने का काम फिर कर रहे हैं क्‍योंकि इसमें एक जो धारा 10 है, '' में थोड़ा सा संशोधन किया गया है, अभी तक उसमें मध्‍यप्रदेश लोक सेवा आयोग के कार्यक्षेत्र से बाहर शब्‍द नहीं था, उसको जोड़ा गया है और '' एवं '' दो क्‍लॉज और इसमें सम्मिलित किए हैं. मुख्‍य रूप से इस संशोधन का महत्‍व यह है कि जो यह कर्मचारी चयन मण्‍डल है, यह अपने विद्यार्थियों को ऐसी सुविधा देना चाहता है, जिससे लोग कॉम्पिटिशन में उतर सकें, बैठ सकें और जो प्रायवेट सेक्‍टर के लोग, जिस प्रकार से तैयारी कराते हैं, उसी प्रकार की तैयारी हमारे विद्यार्थी भी कर सकें, ताकि अच्‍छी जगह और स्‍थान प्राप्‍त कर सकें. दूसरा, इसमें भाव यह है कि जो छात्रों के हित में विभिन्‍न महाविद्यालय हैं, शैक्षणिक संस्‍थान हैं, यदि उसमें अधोसंरचना की आवश्‍यकता है, उसको भी हम मदद कर सकते हैं, वह खड़ी कर सकते हैं. यह दो बातें मुख्‍य रूप से इसमें सोचकर आज संशोधन कर रहे हैं लेकिन हम सब जानते हैं व्‍यापम नाम था, उस व्‍यापम को 5 अप्रैल 2022 को इसका नाम बदलकर मध्‍यप्रदेश कर्मचारी चयन मंडल किया गया है और इसमें जो संशोधन किया गया है वह 3 अक्‍टूबर को किया गया है. एक प्रकार से ये जो हमारा अधिनियम करना चाह रहे हैं, इससे ये जो तकनीकी शिक्षा कौशल विकास एवं रोजगार विभाग के पास था पहले, ये अब सामान्‍य प्रशासन विभाग के अंडर में रहेगा. जितने पुराने केसेज और जांच के सारे विषय है वह यथावथ रहने वाले है, इस पूरे संशोधन पर उस पर कोई असर होने वाला नहीं है और इसलिए ये जो हमारा संशोधन है तीनों पाइंट पर मैं समझता हूं यह महत्‍वपूर्ण है, और एक प्रकार से मध्‍यप्रदेश के विद्यार्थियों में, मध्‍यप्रदेश के युवाओं को रोजगार मिल जाए. परदर्शितापूर्ण व्‍यवस्‍था हो जाए, उस  व्‍यवस्‍था के लिए किया गया है.

          श्री कमल पटेल - अध्‍यक्ष महोदय, नया कर्मचारी मंडल जो ये बना रहे हैं, जिस तरह से पुराने व्‍यापम में भ्रष्‍टाचार हुआ है, ये भी माननीय मंत्री जी से आश्‍वासन चाहेंगे कि इस तरह के भ्रष्‍टाचार अब नहीं होंगे.

          श्री इन्‍दर सिंह परमार - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं पूरा समय सुनता रहा हूं, मेरा भी जवाब सुना जाए, क्‍योंकि इन्‍होंने खूब लंबे चौड़े भाषण दिए हैं. मैं भी लंबा चौड़ा भाषण दूं क्‍या, ये आपसे पूछा था.

          अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपको बताना चाहता हूं कि शिक्षकों को लेकर जो  हुआ शिक्षकों का सबसे ज्‍यादा तो वर्ष 2019 में जो स्‍थानांतरण हुए थे और उस स्‍थानांतरण में जो स्‍कूल खाली हुए, उस समय इन्‍होंने भर्ती भी नहीं की. हमने पारदर्शितापूर्ण ट्रांसफर पॉलिसी बनाई है और उसमें नीतिगत बातें करके बनाई हैं और स्‍वेच्‍छा से लोगों के ट्रांसफर हुए हैं. हम तत्‍काल भर्ती प्रक्रिया भी जारी रख रहे हैं, अभी तक हमने 15 हजार शिक्षकों की भर्ती कर चुके हैं, अभी 5 हजार शिक्षकों की भर्ती और होने वाली है. 20 हजार शिक्षकों की इसी सत्र से हम पूरी भर्ती करने वाले हैं. उस पर लगातार काम चल रहा है. इसके अलावा भी मैं कहना चाहता हूं कि जहां पर (...व्‍यवधान) शिक्षकों की कमी है वहां पर लगातार सरकार अतिथि शिक्षक रख रही है और वहां की तत्‍काल व्‍यवस्‍था (...व्‍यवधान) करने के निर्देश हम जारी कर चुके हैं.

          श्री पी.सी. शर्मा - जो चयनित हुए उनको आप अपाइंटमेंट लेटर नहीं दे पाये.

          श्री प्रियव्रत सिंह - युवाओं की परीक्षा के लिए तैयारी की व्‍यवस्‍था कर रहे हैं, किन महाविद्यालयों में करेंगे, उसका क्‍या तरीका होगा, उसकी कितनी फीस होगी, वह किस प्रकार से जो मार्केट में जो प्रायवेट सेक्‍टर है उससे कम्‍पीट करेगा. यह बात पूछनी है, यह तो बताईए.

          श्री इन्‍दर सिंह परमार - मुझे लगता है कि आप इस प्रावधान को पढ़ते जो प्रावधान कर रहे हैं, उसमें लिखा है परीक्षाओं की तैयारी के लिए सहायता करना, इसलिए आप थोड़ा पढ़ेगे, सही अर्थ लगाओगे तो ज्‍यादा अच्‍छा रहेगा, इसका किसी संस्‍थान के लिए नहीं है इसलिए करेंगे जहां पर विद्यार्थी अध्‍ययन करने जाता है और उसको लगता है उसको सहायता की जरूरत है तो ऐसे विद्यार्थियों को सरकार पढ़ाने का काम करेगी, उनकी तैयारी कराने का काम करेगी. सुपर 100 में हम स्‍कूलों में इसी प्रकार की व्‍यवस्‍था की है, उसमें अच्‍छा एजेंसी को हायर किया, दो तक पहले उन्‍होंने नि:शुल्‍क तैयारी कराई हमारे छात्रों की और अब क्‍योंकि दो साल का उनका अनुबंध था, अब वह कुछ चार्ज लेकर के हमारे विद्यार्थियों को एलन जैसी संस्‍थाओं से तैयारी करवा रहे हैं. इसलिए मेरा कहना है कि लोकतंत्र की छवि, संस्‍थाओं पर केवल आरोप लगाने से काम नहीं चलेगा, आरोप लगाना भी चाहिए प्रमाण चाहिए, बगैर प्रमाण के बोल देना और मैदान से भाग जाना इससे बचना चाहिए. यह हमारा जो प्रस्‍ताव है संशोधन का मैं आप सब के सामने विचार के लिए प्रस्‍तुत करता हूं. मैं समझता हूं इसको सर्व सम्‍मति से पास करें. (..व्‍यवधान)    

          अध्‍यक्ष महोदय - उन्‍होंने सहायता का कहा है.

          श्री पी.सी. शर्मा - पैसे दिए वे जेल में हैं और जिन्‍होंने लिए वे बाहर हैं. (..व्‍यवधान)     

          अध्‍यक्ष महोदय - हो गया सभी बैठ जाइए.

                               प्रश्‍न यह है कि मध्‍यप्रदेश कर्मचारी चयन मण्‍डल (संशोधन) विधेयक,    2022 पर विचार किया जाए.

प्रस्‍ताव स्‍वीकृत हुआ.

          अध्यक्ष महोदय - अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.

          प्रश्न यह है कि खण्ड 2 इस विधेयक का अंग बने.

          खण्ड 2 इस विधेयक का अंग बना.

          प्रश्न यह है कि खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.

          खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बना.

          प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.

          पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.

          श्री इंदर सिंह परमार- अध्‍यक्ष महोदय, मैं, प्रस्‍ताव करता हूं कि मध्‍यप्रदेश कर्मचारी चयन मण्‍डल (संशोधन) विधेयक, 2022 पारित किया जाए.

          अध्‍यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्‍यप्रदेश कर्मचारी चयन मण्‍डल (संशोधन) विधेयक, 2022 पारित किया जाए.

          प्रश्‍न यह है कि मध्‍यप्रदेश कर्मचारी चयन मण्‍डल (संशोधन) विधेयक, 2022 पारित किया जाए.

         

प्रस्‍ताव स्‍वीकृत हुआ.

विधेयक पारित हुआ.

         

            अध्‍यक्ष महोदय - विधान सभा की कार्यवाही बुधवार, दिनांक 21 दिसम्‍बर, 2022 को प्रात: 11.00 बजे तक के लिए स्‍थगित.

          अपराह्न 05.40 बजे विधान सभा की कार्यवाही बुधवार, दिनांक 21 दिसम्बर, 2022 (30 अग्रहायण, शक संवत् 1944) के प्रात11:00 बजे तक के लिये स्थगित की गई.

 

 

भोपाल,                                                                        ए.पी. सिंह,

दिनांक 20 दिसम्बर, 2022                                            प्रमुख सचिव

                                                                             मध्यप्रदेश विधान सभा