मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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पंचदश विधान सभा दशम सत्र
दिसम्बर, 2021 सत्र
सोमवार, दिनांक 20 दिसम्बर, 2021
(29 अग्रहायण, शक संवत् 1943 )
[खण्ड- 10 ] [अंक- 1 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
सोमवार, दिनांक 20 दिसम्बर, 2021
(29 अग्रहायण, शक संवत् 1943)
विधान सभा पूर्वाह्न 11.02 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}
11.03 बजे राष्ट्रगीत
राष्ट्रगीत “वन्देमातरम्” का समूह गान
अध्यक्ष महोदय – अब,राष्ट्रगीत “वन्देमातरम्” होगा. सदस्यों से अनुरोध है कि वे कृपया अपने स्थान पर खड़े हो जाएं.
( सदन में राष्ट्रगीत “वन्देमातरम्” का समूह गान किया गया.)
11.04 बजे शपथ
(1) डॉ. शिशुपाल यादव (निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 45-पृथ्वीपुर)
(2) श्रीमती कल्पना वर्मा (निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 62-रैगांव (अ.जा.) तथा
(3) श्रीमती सुलोचना रावत (निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 192-जोबट (अ.ज.जा.)
अध्यक्ष महोदय – उप चुनाव में निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 45-पृथ्वीपुर से निर्वाचित सदस्य, डॉ. शिशुपाल यादव, निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 62-रैगांव (अ.जा.) से निर्वाचित सदस्य श्रीमती कल्पना वर्मा तथा निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 192-जोबट (अ.ज.जा.) से निर्वाचित सदस्य, श्रीमती सुलोचना रावत शपथ लेंगे. सदस्यों की नामावली में हस्ताक्षर करेंगे और सभा में अपना स्थान ग्रहण करेंगे-
(1) डॉ.शिशुपाल यादव (पृथ्वीपुर) ( शपथ )
(2) श्रीमती कल्पना वर्मा (रैगांव) ( शपथ )
(3) श्रीमती सुलोचना रावत (जोबट) ( शपथ )
श्री राकेश मावई (मुरैना) - माननीय अध्यक्ष महोदय, एक काम इसमें रह गया है उसको और जोड़ा जाये. सरकार के वकीलों के द्वारा ओ.बी.सी. के अधिकारों की हत्या की गई है.
अध्यक्ष महोदय - यह तय नहीं हुआ है. यह अच्छी बात नहीं है. यह कौन सी बात हुई. इतना तो कम से कम ख्याल रखिये. कृपया बैठिये.
11.09 बजे निधन का उल्लेख
(1) श्री नानालाल पाटीदार, भूतपूर्व विधान सभा सदस्य,
(2) श्री मूलचंद खंडेलवाल, भूतपूर्व विधान सभा सदस्य,
(3) श्री गोदिल प्रसाद अनुरागी, भूतपूर्व विधान सभा सदस्य,
(4) श्री शिव चरण पाठक, भूतपूर्व विधान सभा सदस्य,
(5) श्री चंद्रदर्शन गौड़, भूतपूर्व विधान सभा सदस्य,
(6) डॉ. (श्रीमती) रानी दुबे, भूतपूर्व विधान सभा सदस्य,
(7) श्री ऑस्कर फर्नाडिस, भूतपूर्व केन्द्रीय मंत्री,
(8) डॉ. एस.एन. सुब्बाराव, प्रख्यात गांधीवादी एवं समाजसेवी,
(9) डॉ. एन.पी. मिश्रा, भोपाल के सुप्रसिद्ध चिकित्सक,
(10) भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ जनरल बिपिन रावत सहित शहीद अन्य सैन्य अधिकारी, तथा
(11) कश्मीर के सोपिया में आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद जवान.
मुख्यमंत्री (श्री शिवराज सिंह चौहान)- माननीय अध्यक्ष महोदय, आज हम भरे भाव से अपने दिवंगत साथियों को श्रद्धांजलि दे रहे हैं.
स्वर्गीय श्री नानालाल पाटीदार जी, भारतीय जनसंघ के, उसके पहले संघ के स्वयंसेवक और फिर भारतीय जनता पार्टी के कर्मठ कार्यकर्ता और नेता थे. वह सहज, सरल थे, कुशल संघठक थे और मंदसौर जिले में भारतीय जनता पार्टी के काम को गांव-गांव में ले जाने में उनका बड़ा योगदान था. वह समर्पित जनसेवी भी थे और साथ में लोकप्रिय जन नेता भी थे. वह सहकारिता आन्दोलन को भी मंदसौर जिले में पुष्पित और पल्लवित करने वाले यशस्वी कार्यकर्ता थे. वह सदन के 3 बार सदस्य रहे और उन्होंने सीतामऊ क्षेत्र से प्रतिनिधित्व किया था, उनके निधन से न केवल मंदसौर जिले में बल्कि संघठनात्मक रूप से पूरे प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता के नाते एक शून्य पैदा हुआ है.
श्री मूलचंद खंडेलवाल जी, जब मध्यप्रदेश एक था, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के रूप में वह विभाजित नहीं हुआ था, तब इस सदन के सदस्य रहे. वह सुप्रसिद्ध समाजसेवी थे, कर्मठ नेता थे और उन्होंने मंत्री के रूप में भी खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग का काम बहुत कुशलतापूर्वक संभाला था. छत्तीसगढ़ सदैव उनको याद करता है, वह भी हमारे बीच में नहीं रहे हैं.
श्री गोदिल प्रसाद अनुरागी जी, कांग्रेस के बहुत समर्पित कार्यकर्ता और नेता थे. वह मस्तूरी विधान सभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते थे और उन्होंने लोकसभा के सदस्य के नाते भी बिलासपुर और वहां की जनता की बड़ी सेवा की है.
स्वर्गीय श्री शिव चरण पाठक जी, भारत सेवक समाज और शांति सेना जैसी अनेक समाजसेवी संस्थाओं से जुड़े थे. वह सुप्रसिद्ध समाजसेवी थे और शिक्षाविद् भी थे. उन्होंने कांग्रेस की तरफ से सेवड़ा से पांचवीं विधानसभा में प्रतिनिधित्व किया था. उनके निधन से भी हमने एक कर्मठ समाजसेवी खोया है.
श्री चंद्रदर्शन गौड़ जी, उन्होंने जबलपुर में युवक कांग्रेस से काम प्रारंभ किया था और फिर उन्होंने मुढ़वारा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया, वह समाजसेवी के साथ-साथ बहुत अच्छे जनसेवक थे, उनके निधन से भी सार्वजनिक जीवन में अपूरणीय क्षति हुई है.
डॉ. श्रीमती रानी दुबे जी भारतीय जनता पार्टी महिला मोर्चे की बहुत अच्छी कार्यकर्ता रहीं, प्रदेश की उपाध्यक्ष रहीं, महिला मोर्चे की संगठन मंत्री रहीं एवं अनेकों संस्थाओं से संबंधित रहकर जीवन भर प्रदेश की जनता की सेवा करती रहीं और बहोरीबंद क्षेत्र से उन्होंने नौवीं विधान सभा में यहां प्रतिनिधित्व किया था. उनके निधन से भी सार्वजनिक जीवन में अपूरणीय क्षति हुई है.
श्री ऑस्कर फर्नाडिस ऐसा नाम है जिन्होंने जीवन भर कांग्रेस के माध्यम से देश की सेवा करने का काम किया. वह अनेकों पदों पर रहे. कुशल संगठक होने के नाते भी कांग्रेस के संगठन का उन्होंने विस्तार किया. वह सातवीं, आठवीं और नौवीं लोक सभा में भी सदस्य थे. मैंने भी उनके साथ दसवीं और ग्यारहवीं लोक सभा में सदस्य के रूप में काम किया तब उनके व्यक्तित्व को निकट से जानने का मुझे अवसर मिला. वह कई विषयों के बहुत अच्छे जानकार थे और दलों से ऊपर उठकर वह सबको सहयोग करने का प्रयास करते थे. केन्द्र सरकार के मंत्री के रूप में उन्होंने देश की उल्लेखनीय सेवा की है. उनके निधन से हमने एक वरिष्ठ नेता और कुशल प्रशासक को खोया है.
हम सब जानते हैं कि डॉ. सुब्बाराव गांधी जी के सच्चे अनुयायी थे. जीवन भर उन्होंने गांधी जी के रास्ते पर चलकर देश की और समाज की सेवा की. वह स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भी थे. कई बार जेल गए. भोपाल और मध्यप्रदेश से तो उनका गहरा नाता था. हम सब लोग जाते हैं कि मुरैना जिले के जौरा में गांधी सेवा आश्रम की उन्होंने स्थापना की थी और सैकड़ों दस्युओं का आत्मसमर्पण करवाने में, हृदय परिवर्तन करने में, हिंसा का रास्ता छोड़कर अहिंसा के पथ पर चलने में उनका बहुत बड़ा योगदान था. उसके बाद चंबल लगभग डकैतों के आतंक से मुक्त हुआ. उनको अणुव्रत अहिंसा पुरस्कार, जमनालाल बजाज पुरस्कार, महात्मा गांधी शांति पुरस्कार सहित भारत सरकार ने पद्मश्री से भी सम्मानित किया, विभूषित किया. उनके निधन से हमने एक विख्यात गांधीवादी नेता को, एक समाजसेवी को, अहिंसा परमोधर्म: का पालन करने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी को खोया है.
भोपाल में रहने वाले हम सब लोग डॉ. एन.पी. मिश्रा जी के नाम से सुपरिचित हैं. हम बचपन में जब गांव में रहते थे और कोई बीमार होता था तो पूछते थे कि किसको दिखाया, तो वह कहते थे कि अब चिंता की बात नहीं डॉ. एन.पी. मिश्रा को दिखा दिया है. डॉ. एन.पी. मिश्रा आश्वस्ती का नाम था कि उनको दिखा दिया है मतलब बेहतर से बेहतर इलाज की व्यवस्था होगी और सचमुच में गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल उनके नाम के बिना अधूरा है. वहां प्रोफेसर, डीन, मेडिसिन विभाग के प्रमुख और मैं यह कहूंगा कि चिकित्सा के जगत में एक ऐसा नाम था जिनको हम कभी भुला नहीं सकते. उनको चिकित्सा क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्यों के लिए मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा 1992 में डॉ. व्ही.सी. राय अवॉर्ड सहित अनेकों अवॉर्ड मिले. उनके निधन से हमने एक वरिष्ठ अनुभवी और जिस पर लोग भरोसा करते थे ऐसे चिकित्सक को खोया है. कोरोना के संकट के दौरान भी मैं बीच-बीच में लगातार उनसे विचार-विमर्श करता रहता था. चिकित्सा जगत की यह एक अपूरणीय क्षति है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, 8 दिसम्बर 2021 को पूरा देश स्तब्ध रह गया. हमने हमारे पहले चीफ ऑफ डिफेन्स स्टॉफ जनरल बिपिन रावत को खोया. जनरल बिपिन रावत वह नाम है, जिन्होंने भारतीय सेना को हर चुनौतियों का मुकाबला करने में और सक्षम बनाने का काम किया. जनरल रावत प्रारंभ से ही सेना परिवार से जुड़े थे. उनके पिता भी लेफ्टिनेंट जनरल के पद से सेवानिवृत्त हुए थे. हमारे यहां कहावत है ''पूत के पांव पालने में ही दिखाई देते हैं'' बचपन से ही वे बहुत मेधावी थे और सैन्य अकादमी, देहरादून से उन्होंने जो स्नातक की उपाधि प्राप्त की थी प्रथम श्रेणी में, वहीं उनको बेहतर प्रदर्शन के लिए ''स्वॉर्ड ऑफ ऑनर'' दिया गया था. भारत की सेना की अगुवाई उन्होंने आर्मी चीफ के नाते भी की और ''सठम साठ्यम समाचरेत'' की नीति का अनुसरण करते हुए हम किसी को छेड़ेंगे नहीं, लेकिन अगर हमें किसी ने छेड़ा तो हम छोड़ेंगे नहीं, यह उन्होंने किया. चाहे सर्जिकल स्ट्राइक का मामला हो या सीमा पर चीन के मुकाबले का मामला हो, उन्होंने बहुत बहादुरी, वीरता और धैर्यपूर्वक सेना का नेतृत्व किया. उनके निधन से हमने सेना के शौर्य के प्रतीक को खोया है. उनकी श्रीमती जी भी, जो मध्यप्रदेश के शहडोल की निवासी थीं, उस दुर्घटना में वह भी हमें छोड़कर चली गईं, और उनके साथ-साथ हमारे बाकी वीर सैनिक जिनमें शहीद ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह जी भी शामिल हैं. ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह जी का भी भारतीय सेना से पुराना नाता रहा है. उनके पिता भी आर्मी से ही रिटायर हुए हैं. उन्होंने जिस धैर्य, संयम और शौर्य के साथ अपने कर्तव्य को पूरा किया, वह सचमुच में इतिहास के पन्नों पर दर्ज होगा. उनको 15 अगस्त, 2021 को ही देश का तीसरा सबसे बड़ा वीरता पदक ''शौर्य चक्र'' प्रदान किया गया था. वरुण उस समय भारतीय वायुसेना के तेजस लड़ाकू स्क्वाड्रन के विंग कमांडर थे. उन्होंने धैर्य और बहादुरीपूर्वक विपरीत परिस्थितियों से निकलने का जो साहस दिखाया, वह अद्भुत था. पिछले साल ही एक बड़ी तकनीकी खामी आने के बाद वरुण सिंह ने लड़ाकू विमान तेजस को दुर्घटना से बचा लिया था. इस बहादुरी पर ही उनको ''शौर्य चक्र'' से सम्मानित किया गया था. माननीय अध्यक्ष महोदय, उसके कारण वायुसेना पूरी सटीकता के साथ जान पाई कि तेजस में खामी क्या थी और आगे वह खामी कैसे दूर की जा सकती है. उन्होंने आने वाले कई संकटों से अपने पायलटों को बचने की एक राह दिखाई. उनके निधन से हमने एक वीर सैन्य नायक को खोया है. उसके साथ ही थ्री पैरा यूनिट में जो बेस्ट स्नाइपर थे जितेन्द्र वर्मा, हमारे इछावर के पास धामंदा करके एक गांव है, वे धामंदा के निवासी थे. फिजिकल ट्रैनिंग में, फिजिकल सर्चिंग में, रेडियो कम्युनिकेशन में वे हमेशा अव्वल रहे. वे जनरल रावत के साथ थे और अंधेरे में सटीक निशाना कैसे लगाया जाता है, वे उसमें बिलकुल माहिर थे, अपने बेस्ट स्नाइपर को हमने खोया है. मैं कैप्टन वरुण सिंह जी के भी और जितेन्द्र वर्मा जी के भी, करण सिंह वर्मा जी यहां बैठे हैं, हम सब लोग उनके अंतिम संस्कार में गए थे और जैसा मध्यप्रदेश ने अपनी परंपरा बनाई है, एक करोड़ रुपये की सम्मान निधि, परिजनों को शासकीय सेवा में एक नौकरी और उसके साथ-साथ उनकी स्मृति को चिरस्थाई बनाए रखने के लिए किसी संस्थान का नाम उनके नाम पर रखेंगे और उनकी प्रतिमा को लगाने का काम भी हम करेंगे, यह हमने तय किया. उनके साथ ही कश्मीर के सोपिया में आतंकवादी मुठभेड़ में राजपूत रेजीमेंट 44 राष्ट्रीय रायफल के हमारे जवान श्री कर्णवीर सिंह राजपूत भी शहीद हुए हैं. वे सतना जिले के ग्राम दलदल के निवासी थे, उनको भी श्रद्धासुमन अर्पित करने हम गए थे और उन्होंने वीरतापूर्वक आतंकवादियों का मुकाबला करते हुए देशसेवा का एक ऐसा उदाहरण प्रस्तुत किया है जिसके कारण वह सदैव याद किए जाएंगे. उनके परिवार को भी सम्मान निधि और बाकी चीजों की स्मृति को चिरस्थायी बनाए रखने के लिए जो हम करते हैं, वह करने का फैसला सरकार ने किया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सदन की ओर से दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए परमपिता परमात्मा से प्रार्थना करता हॅूं कि वे अपने श्रीचरणों में उनको भगवान ने स्थान दिया ही होगा, फिर भी यह लौकिक रीति है कि प्रभु दिवंगत आत्माओं को शांति दे. उनके परिजनों को, उनके मित्रों को, अनुयायियों को यह गहन दुख सहन करने की क्षमता दे. ओम् शांति.
नेता प्रतिपक्ष (श्री कमल नाथ) -- माननीय अध्यक्ष जी, हमारी परम्परा रही है कि हर सत्र के शुरूआत में हम दिवंगतों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. लगभग उनमें से सभी हमारे साथ रहे हुए साथी, राजनीतिक क्षेत्र में ऊंचाई पर पहुंचकर उनको हम श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. आज हम उन्हें भी श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं जो राजनीतिक क्षेत्र के नहीं थे, पर उन्होंने केवल अपने देश में ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में भारत का नाम रोशन किया. एक ऐसे उदाहरण हैं. मैं जनरल विपिन रावत को दो-तीन दफा मिला था और उनकी जो पर्सनालिटी थी और उनका जो नजरिया भारतीय सेना और भारतीय सुरक्षा के प्रति था, वह हमें भी प्रभावित करते थे, जिसके बारे में हम कम जानते हैं कि कैसी रणनीति होनी चाहिए, कैसी नीति होनी चाहिए. अपने देश में कभी चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ नियुक्त नहीं किए गए, वह पहले सीडीएस थे और यह सीडीएस केवल अपनी सीनियारिटी पर नहीं थे बल्कि अपनी क्षमता पर थे. बड़ा दुर्भाग्य वाला दिन था, जब खबर आयी कि हेलीकॉप्टर क्रैश हुआ है. मैंने भी फोन किया कि क्या ऐसा कुछ हुआ है पता चला और कुछ घंटों तक तो जानकारी ही नहीं लग पायी. वह कहां जा रहे थे, वह कोई शादी-ब्याह में नहीं जा रहे थे. वह तो लेक्चर देने जा रहे थे. वह ट्रेनिंग देने जा रहे थे, जो भविष्य में हमारी रक्षा करेंगे. एक नया रूप उन्होंने दिया, उसमें वह जा रहे थे. जनरल विपिन रावत हमारे मध्यप्रदेश के दामाद थे. जैसे अभी नेता सदन ने कहा कि उनकी पत्नी शहडोल से थीं. हमने मध्यप्रदेश में केवल उनको ही नहीं खोया, साथ-साथ उनकी पत्नी को भी खोया और ऐसी दुर्घटना में जो हम सोच भी नहीं सकते. हम सोचते हैं युद्ध में हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया, स्वास्थ्य खराब हो गया, पर एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में एक ऐसे लीडर, जिन्होंने एक रास्ता दिखाया, केवल सैनिकों को ही नहीं, बल्कि पूरे रक्षा मंत्रालय को. रक्षा मंत्रालय में सब उनकी तारीफ करते हैं. रक्षा मंत्रालय में जो गैर-सैनिक होते हैं वह अपने आपको अलग मानते हैं यह मेरा अनुभव है, पर रक्षा मंत्रालय में भी उनका बहुत सम्मान था. वे हमारे बीच में नहीं रहे, उनके पूरे परिवार को हम श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. साथ साथ हमारे कैप्टन वरूण सिंह जी, जो भोपाल के ही थे, वे भी उनके साथ थे और उनके साथ जितेंद्र वर्मा जी भी थे. जितेन्द्र वर्मा जी जो सीहोर जिले से आते हैं. इस दुर्घटना में हमारे मध्यप्रदेश के 3 सेवक नहीं रहे. मैं यह सोचता हूँ कि यह केवल शोक का ही विषय नहीं है बल्कि साथ साथ सोचने का भी विषय है कि इस प्रकार की लीडरशिप अपने देश में भी हो सकती है, इस प्रकार का त्याग, अपने देश में है.
अध्यक्ष महोदय, साथ साथ हमारे नानालाल पाटीदार जी, हमारे मूलचन्द खण्डेलवाल जी, हमारे गोदिल प्रसाद अनुरागी जी, ये सब जो राजनीति से जुड़े हुए हमारे साथी रहे हैं. ये केवल राजनीतिज्ञ ही नहीं थे, अपने अपने जीवन में एक समाज सेवक भी थे और आज जब हम उनको याद करते हैं तो उनकी राजनीति को याद नहीं करते, उनकी समाज सेवा और जो उन्होंने अपने क्षेत्र में, अपने जिले में और प्रदेश में नाम कमाया है, उनको याद करते हैं.
अध्यक्ष महोदय, हमारे शिव चरण पाठक जी, चन्द्रदर्शन गौड़ जी, जो जबलपुर से थे, मेरे साथ उनके निकट सम्बन्ध थे. श्रीमती रानी दुबे जी और ऑस्कर फर्नांडिस जी, मेरे साथ केन्द्रीय मंत्रिमण्डल में मेरे साथी रहे, बड़े सरल स्वभाव के थे, उनको हाँ या ना करनी थी तो केवल मुस्करा देते थे. पता नहीं चलता था कि यह हाँ है या यह ना है. बहुत समय मैंने उनके साथ अपने संगठन में और मंत्रिमण्डल में काटा, आज हम उन्हें भी याद करते हैं.
अध्यक्ष महोदय, डॉ.सुब्बाराव के बारे में हम क्या कहें, मैं सोचता हूँ पद्मश्री, डॉ.सुब्बाराव जैसे व्यक्ति आज हमें देखने को नहीं मिलते. उन्होंने अपना जीवन समर्पित किया. किस चीज में समर्पित किया, कोई आम समाज सेवा में नहीं, बल्कि लोगों को सही रास्ते में लाने के लिए किया और आज अगर हम ग्वालियर, चम्बल की बात करें, हम मुरैना की बात करें. एक एक छोटा बच्चा, अगर वह एक नाम जानता है तो वह डॉ.सुब्बाराव का नाम जानता है. उन्होंने पूरा अपना जीवन जवानी से लेकर, यह काम उन्होंने, जब बुजुर्ग हुए तब शुरू नहीं किया बल्कि जवानी में शुरू किया था और अन्त तक इस समाज सेवा में लगे रहे और आज मुरैना तथा चम्बल में जो वातावरण है, मैं इसका पूरा श्रेय डॉ.सुब्बाराव को देता हूँ.
अध्यक्ष महोदय, डॉ.एन.पी.मिश्रा जी हमारे बीच में नहीं रहे और साथ साथ हमारे कर्णवीर सिंह राजपूत शहीद हुए. मैं सब दिवंगतों को अपनी ओर से, अपनी पार्टी की ओर से और सदन की ओर से श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ. उनका हम सब सम्मान करते हैं और हम सब उन्हें याद करते हैं.
अध्यक्ष महोदय-- मैं सदन की ओर से शोकाकुल परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट करता हूँ. अब सदन दो मिनट मौन खड़े रहकर दिवंगतों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करेगा.
(सदन द्वारा मौन खड़े रहकर दिवंगतों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई)
अध्यक्ष महोदय-- दिवंगतों के सम्मान में सदन की कार्यवाही मंगलवार, दिनाँक 21 दिसम्बर 2021 के प्रातः 11 बजे तक के लिए स्थगित.
पूर्वाह्न 11.39 बजे विधान सभा की कार्यवाही मंगलवार, दिनाँक 21 दिसम्बर,
2021 (30 अग्रहायण, शक संवत् 1943) के प्रातः 11.00 बजे तक के लिए स्थगित की गई.
ए. पी. सिंह,
प्रमुख सचिव,
मध्यप्रदेश विधान सभा.
भोपाल.
दिनाँक : 20 दिसम्बर, 2021.