मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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पंचदश विधान सभा तृतीय सत्र
जुलाई, 2019 सत्र
शनिवार, दिनांक 20 जुलाई, 2019
(29 आषाढ़, शक संवत् 1941 )
[खण्ड- 3 ] [अंक- 9 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
शनिवार, दिनांक 20 जुलाई, 2019
(29 आषाढ़, शक संवत् 1941 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.06 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति(एन.पी.) पीठासीन हुए.}
प्रश्नकाल में उल्लेख एवं अध्यक्षीय व्यवस्था
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की महासचिव के साथ दुर्व्यवहार होना
श्री आरिफ अकील -- आज थोड़ा सा वजन बराबर किया है.
अध्यक्ष महोदय -- आप बोलें तो मैं एक मिनट ऐसे ही खड़ा रहूं.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -- अध्यक्ष महोदय आज 60 - 40 का रेशो तो नहीं है.
अध्यक्ष महोदय -- आज यह नूरानी चेहरा कहां गायब है.
श्री आरिफ अकील -- वह बाहर हैं आज.
अध्यक्ष महोदय -- अच्छा बाहर गये हैं. कोई व्यवस्था में तो नहीं गये हैं.
श्री आरिफ अकील -- मुझे उनकी खबर रहती है.
उच्च शिक्षा मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) -- अध्यक्ष महोदय कल आदरणीय प्रियंका गांधी जी को रात भर से डिटेक्ट करके रखा गया है. मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हूं, अमूल्य विषय है संसदीय कार्य मंत्री जी के लिए.
श्री आरिफ अकील -- अरे आप तो उसमें निंदा प्रस्ताव पारित करें और खत्म करें बात.
नेता प्रतिपक्ष ( श्री गोपाल भार्गव )-- अध्यक्ष महोदय अगर यह परंपरा बन गई हो तो हम लोगों को भी ऐसा समय आये तो अनुमति दीजियेगा...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- अब एक मिनट बैठ जायेंगे. दो दिन से मेरा ऐसा विचार हो रहा है कि..
श्री गोपाल भार्गव -- एक आयटम आपने कल दिखा दिया है, एक आयटम आज दिखा रहे हैं.
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा) -- आपकी पार्टी जो कलाकारी दिखा रही है पूरे भारत में उसका परिणाम है यह...(व्यवधान).. यह भाजपा की कलाकारी है.
श्री जितू पटवारी -- जिस तरह से उनके साथ में वहां पर व्यवहार हुआ है, वह अलोकतांत्रिक है वह उन गरीबों के आंसू पोछने जा रही थीं जिनको गोलियों से भून दिया था कुछ लोगों ने ---(व्यवधान)..कांग्रेस पार्टी का प्रत्याशी था उसके परिवार को गोलियों से भून दिया गया...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- मेरा आप सभी से अनुरोध है कि ऐसे विषयों को शून्यकाल में उठाएं तो ज्यादा अच्छा है....(..व्यवधान)..
जनजातीय कार्य मंत्री ( श्री ओमकार सिंह मरकाम ) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, उत्तरप्रदेश में 10 आदिवासियों की हत्या करवा दी है, भारतीय जनता पार्टी की सरकार के इशारे पर और आदिवासियों के हितैषी प्रियंका गांधी जी जब उनसे मिलने के लिए जा रही थीं उनको गिरफ्तार किया गया है..(व्यवधान).. अध्यक्ष महोदय जी यह भारतीय जनता पार्टी के इशारों पर ...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- यह क्या तरीका है...(व्यवधान)..
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- अध्यक्ष महोदय आदिवासियों को मारने का षडयंत्र भारतीय जनता पार्टी के लोग कर रहे हैं, और जब हमारे नेता, हमारे आदिवासियों के हितैषी, वह सिर्फ नेता नहीं है हमारे परिवार के मुखिया हैं और उनके लिए..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्नकाल चलने देना है या नहीं चलने देना है...(व्यवधान)..
..(व्यवधान)..
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- .. (व्यवधान के मध्य).. अध्यक्ष महोदय, यह बहुत बड़ा संकट है. यह देश के अंदर बहुत बड़ा संकट आ गया है कि आदिवासियों के मारने का काम भारतीय जनता पपार्टी के इशारे पर हो रहा है और हमारी नेता प्रियंका गांधी अगर वहां मिलने जा रही है, तो उनको गिरफ्तार करके उनको वहां जाने से रोका जा रहा है.
..(व्यवधान)..
श्री भूपेन्द्र सिंह -- अध्यक्ष महोदय, यह आपकी व्यवस्था को स्वीकार नहीं कर रहे हैं. यह मंत्रियों का आचरण है. ..(व्यवधान).. मेरा यह कहना है कि आपने जब आसंदी से व्यवस्था दे दी. ....(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- मेरा यह कहना है कि कृपया शांत रहें.
..(व्यवधान)..
चिकित्सा शिक्षा मंत्री (डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ) -- अध्यक्ष महोदय, यह लोकतंत्र की हत्या है.
..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- गोपाल जी, भूपेन्द्र सिंह जी एक मिनट बैठेंगे. रामेश्वर जी, आप बैठेंगे. मैं 3 दिन से ऐसा विचार कर रहा हूं कि कुछ लोकसभा की नियमावली मुझे यहां विधान सभा में लागू करने के लिये विवश कर रही है. हम शायद अब अगली बार से प्रश्नोत्तर आधे घण्टे बाद शुरु करा करेंगे. शून्यकाल पहले ले लिया करेंगे, ताकि जिसको जो करना है, जो बोलना है, बोल दें, ताकि जिन विधायकों ने प्रश्न किये हैं, उनके साथ तो कम से कम कुठाराघात न हो. (मेजों की थपथपाहट) नये विधायक बड़ी मुश्किल से प्रश्न लेकर आते हैं, शासन का बहुत पैसा जाया होता है, उनके उत्तर को ढूण्डने के लिये. मैं सहमत हूं, आपकी नाराजगी से सहमत हूं, आपकी बात से सहमत हूं. (पक्ष की तरफ से मेजों की थपथपाहट) (नेता प्रतिपक्ष,श्री गोपाल भार्गव के उठने पर) गोपाल भार्गव जी, एक मिनट. कभी कभी ऐसा विषय आपके यहां से भी आता है, अभी चार दिन पहले आया था. पर मैं चाहता हूं कि हम आज नेता प्रतिपक्ष जी आप, संसदीय कार्य मंत्री जी आप, आप दोनों कृपा पूर्वक इस संबंध में मेरे साथ चर्चा करें, ताकि हम सुचारु, व्यवस्थित तरीके से न्याय प्रदान कर सकें इस लोकतंत्र के मंदिर में.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, यदि पार्लियामेंट में होगा तो...
अध्यक्ष महोदय -- अपन विचार करेंगे.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, मेरा सिर्फ यह कहना है कि हमारी मध्यप्रदेश की विधान सभा में उत्तर प्रदेश में प्रियंका वाड्रा जी या अन्य के साथ कुछ भी हुआ हो, तो यहां चर्चा का क्या औचित्य है, यह हमें समझ में नहीं आ रहा है.
..(व्यवधान)..
श्री जितु पटवारी -- अध्यक्ष महोदय, आदिवासियों को भून दिया गया, आप क्या बात कर रहे हैं.
..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- विधान सभा की कार्यवाही 5 मिनट के लिये स्थगित.
(विधान सभा की कार्यवाही 11.13 बजे से 5 मिनट के लिये स्थगित की गई.)
11.18 बजे (विधान सभा पुन: समवेत हुई.)
{अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति(एन.पी) पीठासीन हुए.}
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
आत्महत्या के प्रकरण पर कार्यवाही
[गृह]
1. ( *क्र. 820 ) श्री प्रवीण पाठक : क्या गृह मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जबलपुर जिले के आधारताल थाना अंतर्गत न्यू रामनगर केशर विहार में दिनांक 09.04.2019 को सूदखोरों के द्वारा अवैध धन वसूली एवं जान से मारने की धमकी दिये जाने पर श्री बद्रीप्रसाद प्रजापति द्वारा आत्महत्या किये जाने संबंधी कोई प्रकरण/शिकायत दर्ज की गई है? (ख) यदि हाँ, तो प्रश्नांकित प्रकरण में पुलिस द्वारा किस दिनांक को एफ.आई.आर. दर्ज की गई? क्या मृतक के पास से सुसाइड नोट जप्त किया गया था? यदि हाँ, तो मृतक ने आत्महत्या के लिये प्रेरित किये जाने/प्रताड़ित किये जाने हेतु किन-किन व्यक्तियों को किन कारणों से दोषी ठहराया है? (ग) क्या मृतक द्वारा माह फरवरी, 2019 में पुलिस अधीक्षक, जिला जबलपुर को श्री बब्लू ठाकुर, निवासी जय प्रकाश नगर, श्री राजू पटेल, निवासी बधैया, मोहल्ला दमोह नाका, ए.एस.आई. विनोद पटेल, गोरखपुर थाना में पदस्थ एवं श्री राजेन्द्र चौधरी बधैया मोहल्ला, जबलपुर के विरूद्ध अवैध रूपयों की मांग कर प्रताड़ित किये जाने, मारपीट कर जान से मारने की धमकी दिये जाने संबंधी शिकायत दी गई थी? (घ) यदि हाँ, तो क्या पुलिस प्रशासन द्वारा समय पर दोषी व्यक्तियों के विरूद्ध आपराधिक कार्यवाही की गई? यदि नहीं, की गई तो प्रकरण पर त्वरित कार्यवाही नहीं करने हेतु कौन-कौन अधिकारी दोषी हैं? उन पर क्या कार्यवाही की जाएगी? प्रश्नांकित प्रकरण में अभी तक किन-किन व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया? क्या चालान प्रस्तुत कर दिया गया है एवं मृतक के परिवार को शासन द्वारा राहत प्रदान करने हेतु क्या-क्या कार्यवाही की गई?
गृह मंत्री ( श्री बाला बच्चन ) : (क) दिनांक 09.04.2019 को मृतक श्री बद्री प्रसाद प्रजापति पिता प्यारेलाल प्रजापति उम्र 50 वर्ष निवासी केशर बिहार न्यू रामनगर की आत्महत्या की घटना के संबंध में थाना अधारताल में मर्ग क्रमांक 31/19 धारा 174 दण्ड प्रक्रिया संहिता की जांच के आधार पर अपराध क्रमांक 547/19 धारा 306, 34 भारतीय दण्ड विधान का आरोपीगण 01. बबलू ठाकुर उर्फ खेम सिंह 02. राजेन्द्र चौधरी 03. ए.एस.आई. विनोद पटेल के विरुद्ध पंजीबद्ध किया जाकर विवेचना में लिया गया है.(ख) प्रश्नांकित प्रकरण में पुलिस द्वारा दिनांक 10.04.2019 को दर्ज मर्ग की जांच के आधार पर दिनांक 07.07.2019 को एफ.आई.आर. दर्ज की गई है. जी हां, मृतक के पास से एक सुसाइड नोट जप्त किया गया है जिसमें प्रश्नांश (क) के उत्तर में वर्णित व्यक्तियों का उल्लेख होने से प्रकरण में आरोपी बनाया गया है. (ग) जी नहीं, मृतक द्वारा ए.एस.आई. विनोद पटेल, श्री बबलू ठाकुर एवं राजेन्द्र चौधरी के विरुद्ध शिकायत नहीं की है, बल्कि दिनांक 13.02.2019 को मृतक द्वारा पुलिस अधीक्षक, जबलपुर को प्रेषित शिकायत राजू पटेल के विरुद्ध है.(घ) प्रकरण में मृतक की आत्महत्या के संबंध में अपराध पंजीबद्ध किया जाकर विवेचना की जा रही है. विवेचना में आये साक्ष्यों के आधार पर विधिसम्मत कार्यवाही की जावेगी. मृतक द्वारा आत्महत्या किये जाने के कारण राष्ट्रीय परिवार सहायता योजनान्तर्गत सहायता राशि नियमानुसार नहीं दी जा सकती है. आवेदिका को अंत्येष्टि सहायता की राशि रुपये 3000/- (तीन हजार रुपये) जिला दण्डाधिकारी द्वारा नगर निगम जबलपुर के माध्यम से नगद प्रदान की गई है.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न क्रमांक 1 श्री प्रवीण पाठक.
श्री प्रवीण पाठक -- माननीय अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद. मैं बहुत ही विनम्रता के साथ प्रश्न पूछने से पहले आपका संरक्षण चाहता हूँ. मैं अनुरोध यह करना चाहता हूँ कि जब हम लोग प्रश्न करते हैं, उत्तर उसका हमें सदन में घुसते-घुसते मिलता है. चूँकि प्रथम बार के विधायक हैं, तो मैं आपसे चाहता हूँ कि ऐसी व्यवस्था दें कि एक दिन पहले तो कम से कम विभाग से उत्तर मिल जाएं.
अध्यक्षीय व्यवस्था
प्रश्नों के उत्तर एक दिन पूर्व उपलब्ध कराया जाना
अध्यक्ष महोदय -- मैं आपकी बात से सहमत हूँ. संबंधित मंत्रियों से अनुरोध है कि वे अपनी माननीय विभाग के अधिकारियों को सूचित कर दें, जो नए विधायक हैं, अगर 11वें घण्टे में उनको उत्तर मिलेगा तो वे क्या तैयारी करेंगे, क्या प्रश्न करेंगे. इस बात का कम से कम विशेष ध्यान रखा जाए.
11.19 बजे तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर (क्रमश:)
श्री प्रवीण पाठक -- अध्यक्ष महोदय, आप तो बहुत ही न्यायप्रिय हैं, विशेष रूप से कल जिस प्रकार से आपने व्यवस्था दी, विशेष चर्चा के दौरान जो वर्षों पुराना घोटाला था, उस पर आपने न्यायपूर्ण कार्यवाही की, उसके लिए भी हृदय से मैं आपको धन्यवाद देता हूँ.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा माननीय मंत्री जी से यह प्रश्न है कि 9 अप्रैल, 2019 को जिला जबलपुर थाना आधारताल में प्रजापति समाज के बहुत ही प्रतिष्ठित व्यक्ति श्री बद्रीप्रसाद प्रजापति को कई असामाजिक तत्वों के द्वारा धमकी दी गई. वसूली के लिए कहा गया. इसके प्रेशर में आकर उन्होंने आत्महत्या की, मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूँ कि विभाग द्वारा, आपके अधिकारियों के द्वारा इस पर क्या कार्यवाही की गई है ?
श्री बाला बच्चन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा माननीय विधायक जी ने पूछा है, जानना चाहा है, मैं बताना चाहता हूँ कि दिनांक 9.04.2019 को मृतक श्री बद्री प्रसाद प्रजापति पिता श्री प्यारेलाल प्रजापति, उम्र 50 वर्ष, निवासी केशर बिहार न्यू रामनगर की आत्महत्या के संबंध में थाना आधारताल में मर्ग क्रमांक 31/19 कायम किया गया है. धारा 174 दण्ड प्रक्रिया संहिता की जांच के आधार पर अपराध क्रमांक 547/19 धारा 306, 34 भा.दं.वि. का आरोपीगण के विरुद्ध कायम कर दिया गया है. जो आरोपी बनाये हैं, वह बब्लू ठाकुर उर्फ खेम सिंह, दूसरा राजेन्द्र चौधरी, तीसरा एएसआई विनोद पटेल के विरुद्ध प्रकरण पंजीबद्ध किया जाकर विवेचनाधीन है.
श्री प्रवीण पाठक - अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से यह जानना चाहता हूं कि जब घटना 09.04.2019 की है, तो उसके 2-3 महीने बाद उन पर एफआईआर क्यों दर्ज हुई ?
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, जो सुसाइड नोट मिला था, उसकी जांच की जा रही थी. जांच रिपोर्ट आ गई है और जांच रिपोर्ट आने के तुरंत बाद प्रकरण दर्ज कर लिया गया है और अगली कार्यवाही शुरू कर दी गई है.
श्री प्रवीण पाठक - अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी के संज्ञान में यह बात लाना चाहता हूं कि 13.02.2019 को मृतक ने आवेदन थाने में दिया था, यदि उस समय ही कार्यवाही हो जाती, तो मुझे नहीं लगता कि कोई व्यक्ति को इस दुनिया से जाना पड़ता. इसमें आप उनके परिवार को क्या आर्थिक सहायता दे रहे हैं ? यह भी मैं आपसे जानना चाहता हूं और जिन लोगों के खिलाफ मृतक ने फरवरी के महीने में शिकायत की थी, उन लोगों पर आप क्या कार्यवाही कर रहे हैं ?
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, चूंकि मामला आत्महत्या से संबंधित है, इसलिये..
श्री प्रवीण पाठक - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माफी चाहता हूं, यह आत्महत्या नहीं मर्डर है.
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी के पास जो आर्थिक सहायता होती है, इसके लिये मैं निवेदन करूंगा कि उनके परिवार को आर्थिक सहायता उपलब्ध करवा दी जाए. बाकी जहां तक गिरफ्तारी का जो सवाल है, तत्काल हम एक एसआईटी गठित करके जो तीन आरोपी बने हैं, जिनका मैंने उल्लेख किया है, उनको तत्काल हम गिरफ्तार करेंगे.
श्री प्रवीण पाठक - माननीय अध्यक्ष महोदय, क्या माननीय मंत्री महोदय, उन अधिकारियों पर कार्यवाही सुनिश्चित करेंगे और अभी तक क्यों गिरफ्तारी नहीं हुई है ? मैं माननीय मंत्री जी से आपके माध्यम से यह मैं जानना चाहता हूं और आपका विशेष संरक्षण चाहता हूं.
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, सुसाइड नोट की जांच रिपोर्ट अभी-अभी आयी है, इस कारण से अब जो अपराध बना है, अपराध के मुताबिक हम कायमी करेंगे और उन अपराधियों को हम गिरफ्तार करेंगे. मैंने जैसा आपको बताया है कि आज ही तत्काल एसआईटी गठित करके हम उनको जेल के शिकंजों में पहुंचायेंगे.
अध्यक्ष महोदय - विधान सभा में प्रश्न आने के बाद 3 महीने पुरानी हत्या की जांच आपके विभाग ने शुरू की. फिरौती मांगी गई थी, प्रमाण हैं. वह ऐसे कौन से वजनदार लोग हैं जिनकी वजह से आज भी आप उनको पकड़ नहीं पा रहे हैं ? संबंधित व्यक्ति की हत्या हो गई. आपको मालूम है उसके परिवार में छोटे-छोटे कितने बच्चे हैं ? क्या यह संवेदनाएं पुलिस विभाग नहीं देखता है ? अभी भी इसी में लिपटा हुआ है कि हम देखेंगे, पकड़ेंगे, एसआईटी, इतने कितने बड़े उस्ताद लोग हैं जो एसआईटी की बात आ गई ? जबलपुर के लोग जबलपुर में रह रहे हैं, फिरौती मांग रहे हैं, हत्या कर रहे हैं और आपका विभाग उसमें इतनी आराम से, इतनी चहलकदमी से कार्यवाही कर रहा है ? अरे, जब फिरौती मांगी थी तभी यह पटाक्षेप करते, तो उसकी हत्या तो नहीं होती. मेहरबानी करके ऐसे गंभीर विषयों में आप अपने विभाग को सचेत करिये. समय सीमा में ही इनकी कार्यवाही होना चाहिये. ऐसे विषयों में यह आप सुनिश्चित करें.
श्री प्रवीण पाठक - अध्यक्ष महोदय, उस समय पर जो अधिकारी पदस्थ थे, उन पर भी कार्यवाही सुनिश्चित करवायें.
अध्यक्ष महोदय - चलिये, बैठिये. प्रश्न क्रमांक 2
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) - अध्यक्ष महोदय, आपकी व्यवस्था के लिये धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय - जी, धन्यवाद.
विधान सभा क्षेत्र सोहागपुर अंतर्गत स्वीकृत मार्ग
[पंचायत और ग्रामीण विकास]
2. ( *क्र. 628 ) श्री विजयपाल सिंह : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधान सभा क्षेत्र सोहागपुर में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना द्वारा वर्ष 2018 में कितने मार्ग स्वीकृत किये गये हैं? उनके नाम एवं लंबाई लागत सहित सूची उपलब्ध करावें। (ख) क्या वर्ष 2018 में जो मार्ग स्वीकृत हुये हैं, उनकी निविदा आमंत्रित हो चुकी है परन्तु अभी तक किस कारण से कार्य प्रारंभ नहीं हुये हैं? (ग) सोहागपुर ब्लॉक के शोभापुर रेवावनखेड़ी, रेपुरा से भजियाढाना, शोभापुर रेवावनखेड़ी से लखनपुर, शोभापुर रेवावनखेड़ी से ढाना, शोभापुर रेवावनखेड़ी से सुखाखेड़ी, अकोला से नकटुआ एस.एच. 22 से नीमनमूढ़ा, एस.एच. 22 से पांजरा शोभापुर माछा से बढैयाखड़ी, शोभापुर माछा से रनमौधा, भटगांव से खिमारा, रेवावनखेड़ी से गौरीगांव, गुरमखेड़ी पामली से लखनपुर, रेवावनखेड़ी से सोडरा, शोभापुर भटगांव से घूरखेड़ी माछा भटगांव से मदनपुर सोनपुर से गौडीमरकाढाना, माछा अजेरा से आटाश्री स्वीकृत मार्गों का निर्माण कब तक प्रारम्भ कर दिया जायेगा?
पंचायत मंत्री ( श्री कमलेश्वर पटेल ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) जी हाँ, कार्य प्रारंभ हो चुका है, शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) प्रश्नांश (ग) में वर्णित 9 मार्गों का निर्माण कार्य प्रारंभ हो चुका है शेष 8 मार्गों के निर्माण हेतु निविदा की कार्यवाही प्रचलन में है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। शेष जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है।
श्री विजयपाल सिंह-- माननीय अध्यक्ष जी, मैं आपका संरक्षण चाहूँगा. मेरी विधान सभा में 2015-16 में मुख्यमंत्री ग्राम सड़क के तहत सड़कें स्वीकृत हुई थीं और 2017 में उनकी प्रक्रिया प्रधानमंत्री सड़क में कनव्हर्ट होकर सड़क बनना थी, उस समय टेण्डर हुए, टेण्डर में, ठेकेदार ने टेण्डर लिया और आज दिनाँक तक उन सड़कों पर कार्य प्रारंभ नहीं हुआ है. अध्यक्ष महोदय, मैं आप से और माननीय मंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हूँ कि उत्तर तो इतना बढ़िया दे दिया जाता है कि हर सड़कों में लिखा है कार्य प्रगति पर है. मैं माननीय मंत्री जी से यह पूछना चाहूँगा कि ये सड़कें कब स्वीकृत हुई थीं, इनके वर्क ऑर्डर कब हुए थे और क्या इन सड़कों पर कार्य प्रगति पर है? आप ये वाली जाँच कराएँगे कि इस तरह से उत्तर दिया जाना कहीं न कहीं गलत है. इस प्रकार के कोई उत्तर आते हैं तो उन अधिकारियों पर कहीं न कहीं कार्यवाही होना चाहिए, यह गलत उत्तर है, एक भी सड़क नहीं बनी है. मैं उस क्षेत्र से तीन बार का एम.एल.ए. हूँ, लगातार मैं उस क्षेत्र में, गाँव में, आते-जाते रहता हूँ और देखता हूँ. मात्र एक सड़क पर मिट्टी डालकर लेवलिंग की है और एक भी सड़क नहीं बनी है, तो मैं माननीय मंत्री जी से यह पूछना चाहूँगा कि ये सड़कें कब स्वीकृत हुई थीं, वर्क ऑर्डर कब हुए और किस ठेकेदार ने इस सड़क का टेण्डर लिया और उन्होंने आज दिनाँक तक कार्य प्रारंभ क्यों नहीं किया? क्या उनका ठेका निरस्त करके पुनः किसी दूसरे ठेकेदार को देने का कष्ट करेंगे.
श्री कमलेश्वर पटेल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी का जो प्रश्न है बहुत लाजमी है और हम समझते हैं कि सभी जन प्रतिनिधियों को अपने क्षेत्र के प्रति और विकास कार्यों के प्रति चिंतित रहना चाहिए. अध्यक्ष महोदय, यह जो कार्य स्वीकृति की बात की है माननीय विधायक जी ने यह 15.12.2017, 19.7.2018 एवं 28.2. 2019 को निविदाएँ आमंत्रित की गई थीं इसमें जो प्रगतिरत कार्य का उल्लेख किया है. उसमें एक मार्ग को छोड़कर बाकी मैंने खुद आपके जो प्रगतिरत मार्ग का उल्लेख किया विभाग ने, उसके बारे में हमने स्वयं संज्ञान में लेते हुए और विभागीय अधिकारियों को निर्देशित भी कर रहे हैं कि जो वस्तु स्थिति हो उसके बारे में परीक्षण कराकर माननीय विधायक जी से स्वयं हमारे जो विभाग के अधिकारी हैं, आप से चर्चा करेंगे क्योंकि एक मार्ग पर ही सिर्फ अभी तक अर्थ वर्क का कार्य जो चल रहा है उसी का सिर्फ भुगतान किया गया है बाकी जो सात प्रगतिरत मार्ग हैं उन पर अभी किसी प्रकार का भुगतान नहीं हुआ है, मार्गों पर सिर्फ सफाई एवं सर्वे कार्य चल रहा है. भुगतान मात्र बी.टी. मार्ग पर हुआ है, तो आगे जब भी, हम समझते हैं कि ये 6 महीने के अन्दर आपका जो प्रगतिरत मार्ग है वह पूर्ण हो जाएगा, जिसका उल्लेख किया है माननीय अध्यक्ष महोदय, हम आपके माध्यम से निर्देशित कर रहे हैं कि 6 महीने के अन्दर जो अधूरे कार्य हैं, जो प्रगतिरत हैं वे पूर्ण हो जाएँ और कुछ मार्ग ऐसे हैं जिन पर निविदाएँ तो आमंत्रित की गई थीं पर अध्यक्ष महोदय, ठेकेदार द्वारा वह कार्य छोड़कर चले जाने की वजह से दुबारा निविदाएँ आमंत्रित की जा रही हैं और जल्दी माननीय विधायक जी से भी हम निवेदन करेंगे कि क्या वजह है कि आपके यहाँ ठेकेदार निविदाएँ छोड़कर जा रहे हैं. आपका भी संरक्षण चाहिए. आपके भी संज्ञान में कोई ऐसे ठेकेदार हों, तो आप भी उनको पार्टिसिपेट करने के लिए निर्देशित करेंगे और जो अधूरे कार्य हैं, वह जल्द पूरे कर लिए जाएँगे.
श्री विजयपाल सिंह-- माननीय मंत्री जी, जो आपने पूछा है कि क्या कारण हैं कि वहाँ ठेकेदार आ नहीं पा रहे हैं. मैं किसी व्यक्ति विशेष का नाम यहाँ लेना नहीं चाहूँगा, जो ठेकेदार हैं, वे बाहुबली ठेकेदार हैं, बाहर का कोई भी ठेकेदार वहाँ पर आ नहीं पाता है. कोई ठेकेदार टेण्डर लेता है तो उसको इतना डराया धमकाया जाता है कि वह वहाँ टेण्डर लेने की हिम्मत भी नहीं कर पाता है और उन्होंने जो टेण्डर लिया है उसमें आज तक कार्य प्रारंभ नहीं हुआ है. माननीय मंत्री जी को कहीं से पर्ची आ गई बता दिया कि कुछ भुगतान एक सड़क पर हुआ है, माननीय मंत्री जी इसकी जाँच करा लें. एक सड़क पर नहीं अनेकों सड़कों के भुगतान उसमें किए गए हैं सफाई के नाम से, ग्रेवल के नाम से और अर्थ वर्क के नाम से, मैं आप से अनुरोध करूँगा कि इस तरह की गलत जानकारी अगर आप तक आती है तो उसमें कम से कम आप सही जानकारी प्राप्त करें और जिन अधिकारियों ने जानकारी दी, उन पर कार्यवाही करने का कष्ट करें, ऐसा मेरा आप से अनुरोध है, फिर मैं आप से एक प्रश्न और करूँगा.
श्री कमलेश्वर पटेल--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी ने जो चिन्ता जाहिर की है जहां भी विसंगति है और माननीय सदस्य ने संज्ञान में लिया है, बिना कार्य कराए अगर कहीं भुगतान हुआ है. हम इसकी जांच करा लेंगे, जांच के पश्चात् उसकी रिपोर्ट आपके समक्ष आ जाएगी.
श्री विजयपाल सिंह--माननीय मंत्री जी जब जाँच कराएं तो विधायक को उस जांच में शामिल कर लें. उसकी जांच हो जाए.
अध्यक्ष महोदय--बुला लेंगे.
श्री विजयपाल सिंह--दूसरा मेरा अनुरोध है कि जो बाकी सड़कें जिनके टेण्डर अभी तक हुए नहीं है उनके टेण्डर शीघ्र बुलाकर उन पर कार्य प्रारंभ कराने का कष्ट करें.
श्री कमलेश्वर पटेल--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी का जो आग्रह है कि वे स्वयं जांच समिति में रहना चाहते हैं अगर आपका निर्देश होगा तो उन्हें भी शामिल कर लेंगे.
अध्यक्ष महोदय--बिलकुल जांच में उनको रखिए.
श्री कमलेश्वर पटेल--माननीय विधायक जी को भी जाँच में शामिल कर लेंगे. जिन पुरानी निविदाओं का समय खत्म हो गया है वे निविदाएं पुन: एक महीने के अन्दर बुलाकर, जैसा कि हमने निवेदन किया है कि आपका भी वहां पर काफी प्रभाव है. हमारी सरकार में किसी गुण्डा एलीमेंट्स के लिए जगह नहीं है. आप इसके लिए बिलकुल सजग रहिए, ऐसा बिलकुल नहीं होगा. हमारी सरकार का ऐसे लोगों को बिलकुल संरक्षण नहीं मिलेगा.
श्री विजयपाल सिंह--मेरा एक प्रश्न और है. आपका संरक्षण चाहिए.
अध्यक्ष महोदय--आपके तीन प्रश्न हो गए. आपकी पूरी बात आ गई है. मुझे आगे के प्रश्न लेना हैं.
श्री विजयपाल सिंह--मेरा एक प्रश्न और है.
अध्यक्ष महोदय--आप बैठिए. यह अब जो बोलेंगे नहीं लिखा जाएगा.
श्री विजयपाल सिंह--(XXX)
11.32 बजे स्वागत उल्लेख
राज्यसभा सांसद श्री विवेक तन्खा का अध्यक्षीय दीर्घा में उपस्थिति पर सदन द्वारा स्वागत.
अध्यक्ष महोदय--आज सदन की दीर्घा में राज्यसभा सांसद श्री विवेक तन्खा उपस्थित हैं, सदन की ओर से उनका स्वागत है. (मेजों की थपथपाहट)
श्री विश्वास सांरग--माननीय अध्यक्ष महोदय, सांसद विवेक तन्खा जी को केन्द्र सरकार और नरेन्द्र मोदी जी ने एम्स की स्क्रीनिंग और मॉनिटरिंग कमेटी का सदस्य बनाया उसके लिए उनको बहुत बधाई.
11.33 बजे तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर (क्रमश:)
मांगलिक भवनों का निर्माण
[पंचायत और ग्रामीण विकास]
3. ( *क्र. 1143 ) श्री देवेन्द्र वर्मा : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) पंचायत एवं ग्रामीण विकास द्वारा गत पाँच वर्षों में इन्दौर संभाग अंतर्गत कितने सामुदायिक भवन/मांगलिक भवनों के निर्माण हेतु कितनी राशि स्वीकृत की गई? वर्षवार जानकारी दें। (ख) विधान सभा क्षेत्र खण्डवा में विगत पाँच वर्षों में कितने मांगलिक/सामुदायिक भवनों का निर्माण पूर्ण हो गया है? वर्षवार जानकारी दें। (ग) क्या पूर्व वर्षों की भांति प्रत्येक विधान सभा क्षेत्र के ग्रामीण क्षेत्र में प्रतिवर्ष 5-10 मांगलिक भवन स्वीकृत करने की परम्परा को यथावत रखा जायेगा? यदि हाँ, तो क्या इसके प्रस्ताव माननीय विधायकों से लिए जायेंगे? यदि हाँ, तो कब तक?
पंचायत मंत्री ( श्री कमलेश्वर पटेल ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (ग) प्रश्नांश (ग) अनुसार कोई प्रस्ताव वर्तमान में विचाराधीन नहीं है।
श्री देवेन्द्र वर्मा--माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे नेता प्रतिपक्ष माननीय गोपाल भार्गव जी के नेतृत्व में पूर्व में सभी विधायकों के सभी क्षेत्रों में पूरी निष्पक्षता के साथ विकास के कार्य हो रहे थे. चाहे वह खेल का मैदान हो, स्ट्रीट लाइट हो, मांगलिक भवन हो, पंच-परमेश्वर सड़क हो. वर्तमान में पूर्व के यह सभी कार्य ठप हो चुके हैं. मांगलिक भवन की राशि रोक दी गई है. कहीं यह आधे बने हैं कहीं अधूरे बने हैं.
अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मैं मंत्री जी से जानना चाहूँगा कि इन मांगलिक भवनों को पूरा किया जाएगा या नहीं. स्ट्रीट लाइट पूर्व में एक-एक ब्लाक में 5-5 पंचायतों में दी गई थी उसको आगे बढ़ाकर पूरे ब्लाक में विद्युतीकरण हो सके. जहाँ पर खेल के मैदान हों वे बन सकें. क्या इस प्रकार की कोई योजना है ?
श्री कमलेश्वर पटेल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी का जो प्रश्न है. मध्यप्रदेश की सभी ग्राम पंचायतों में सामुदायिक भवन, पंचायत भवन और पंचायतों के अन्तर्गत स्ट्रीट लाइट्स, सौन्दर्यीकरण का काम हो सकता है उससे संबंधित है. विभाग के पास स्टाम्प शुल्क की जो राशि का प्रावधान है, पूर्व पंचायत ग्रामीण विकास मंत्री जो वर्तमान में नेता प्रतिपक्ष हैं. हम भी विधान सभा में जब विधायक के रुप में बैठते थे उस समय हमने नेता प्रतिपक्ष जी (तत्कालीन मंत्री) को धन्यवाद भी दिया था, सारे विधायकों से प्रस्ताव लेकर माननीय नेता प्रतिपक्ष जब मंत्री थे तब उन्होंने इस तरह की व्यवस्था बनाई थी. कहीं ज्यादा दिया था कहीं कम दिया था. हम विपक्ष में थे तो हम लोगों से कम लेते थे. पर यह अच्छी पहल थी, सच बात तो यह है कि माननीय पूर्व मंत्री महोदय ने हमारे पास जितनी राशि थी उससे कहीं दोगुना से तीन गुना राशि की स्वीकृति करके गए हैं. वर्तमान में हमारे पास जो देनदारी है वह 982.67 करोड़ रुपए की है. इतनी देनदारियाँ हैं और इसमें और इसमें विसंगतियां भी हुईं. विधायक जी ने बहुत ही अच्छा प्रश्न पूछा है. हमारे वचन पत्र में भी है कि हम कहीं कोई ऐसा गांव नहीं छोड़ेंगे जो पंचायत भवन विहीन हो, कोई ऐसा गांव नहीं छोड़ेंगे जहां सामुदायिक भवन न हो परंतु सच बात तो यह है कि हमारे पास जैसे-जैसे आय की व्यवस्था होगी, जैसे ही हमारी यह जो पुरानी देनदारियां हैं और कोई भी ऐसा कार्य नहीं रोका गया है सिर्फ इसलिए रोका गया है कि (XXX) न हो. अध्यक्ष महोदय, क्षमा कीजिएगा मुझे ऐसा बोलना नहीं चाहिए दलाल लोग घूमते थे और दलाल सीधे सैटिंग करके पैसा ले जाते थे. मेरे स्वयं के विधान सभा क्षेत्र में बिना कार्य कराए यहां से एक-एक करोड़ रुपए स्वीकृत कराकर ले गए. सरपंच सेकेट्रियों ने मिलकर 20-20, 25-25 लाख रुपया सीधा निकाल लिया. आज भी सेकेट्री निलंबित है. हमने स्वयं जियामन और खुरसा पंचायत के दो सेकेट्रियों को निलंबित किया है. आज भी हम उनके डाटा कलेक्शन करा रहे हैं कि कौन-कौन सी पंचायतों में सीधे राशि गई है जिला पंचायतों में उसकी जानकारी नहीं है तो इस तरह की जो विसंगतियां हुईं हैं, इस तरह का जो भ्रष्टाचार हुआ है हम कह सकते हैं कि इसमें भ्रष्टाचार भी हुआ है. पूर्व मंत्री जी की, नेता प्रतिपक्ष जी की मंशा ठीक थी परंतु कहीं न कहीं अनकंट्रोल था, कहीं न कहीं इन राशियों का दुरुपयोग हुआ है जिसकी वजह से आज इतनी देनदारियां है. कहीं तो बहुत सारे सामुदायिक भवन बन गए जैसे रहली विधान सभा क्षेत्र में स्वाभाविक है कि मंत्री थे तो अपने क्षेत्र में उन्होंने कराए पर टोले मजरे में भी बन गए. अगर हम बात करें कि रहली में...
श्री देवेन्द्र वर्मा-- आप केवल मेरे प्रश्न का उत्तर दे दीजिए.
श्री कमलेश्वर पटेल-- जवाब ही दे रहा हूं. जितना इन्होंने पूछा है जवाब बहुत वृहद है क्योंकि सरकार के ऊपर प्रश्न चिहृन लगाया है. हमने कोई काम नहीं रोके हैं.
श्री बहादुर सिंह चौहान- अध्यक्ष महोदय, हमारा भी प्रश्न है और मंत्री जी पूरा भाषण दे रहे हैं. उन्हें सीधे हमारे प्रश्न का उत्तर देना चाहिए. हमारा प्रश्न कैसे आएगा. (व्यवधान)...
श्री शैलेन्द्र जैन-- आप यहां वहां की बात मत कीजिए. अधूरे बने पड़े हैं, बंजर हो गए हैं, काम शुरू नहीं हो पा रहा है. मेरे खुद के विधान सभा क्षेत्र का मामला है. आप वह दिन बता दीजिए आप काम कब पूरा करेंगे. (व्यवधान)...
श्री देवेन्द्र वर्मा-- अध्यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहूंगा. (व्यवधान)..
श्री प्रियव्रत सिंह-- सवाल कर रहे हैं तो जवाब सुनने के लिए भी तैयार रहना चाहिए. जवाब हमेशा मीठा नहीं होता है. (व्यवधान)...
श्री कमलेश्वर पटेल-- अध्यक्ष महोदय, आज की तिथि में 524 करोड़ 71 लाख रुपए हमारे पास है और उसमें से हमको जैसा कि हमने आपको बताया कि 9 करोड़ 82 लाख 67 हजार रुपए अभी हमारी देनदारी है तो जब इसका समाधान हो जाएगा क्योंकि देनदारी इसलिए रोकी गई है अगर किस्त जारी नहीं की गई है तो हम इसका निरीक्षण परीक्षण करा रहे हैं और जहां प्रथम या द्वितीय किस्त जा चुकी है ऐसे कोई निर्माण कार्य नहीं रोके जाएंगे हां यह जरूर है कि जहां एक भी किस्त नहीं गई है ऐसे कार्य जरूर हमने निरस्त करने के आदेश दिए हैं क्योंकि हमारी सरकार की भी प्राथमिकताएं हैं.
श्री देवेन्द्र वर्मा--अध्यक्ष महोदय मंत्री जी बोल रहे हैं कि करोड़ों के घोटाले हुए हैं तो करोड़ों के घोटाले हुए हैं तो आप कार्यवाही करो. आपने कितने लोगो पर कार्यवाही की है मेरा सीधा सा प्रश्न था कि जो कार्य अधूरे हैं मेरे ब्लॉक में, खण्डवा जिले में कई पंचायतों को, भोपाल की जीरो कर दिया गया है. उनका पोर्टल ही पूरी तरीके से बंद कर दिया गया है कई बार पत्राचार किया है उनका पोर्टल तक चालू नहीं कर रहे हैं. खाते बंद कर दिए हैं कई जगह से पैसा बुला लिया है. मांगलिक भवन इस प्रकार के निमार्ण कार्य अधूरे पड़े हैं. मेरा आपके माध्यम से निवेदन है कि जो कार्य अधूरे हैं उनको पूर्ण कराएं और क्या इस योजना को जारी रखेंगे मेरा मंत्री जी से सिर्फ इतना सा प्रश्न है?
श्री कमलेश्वर पटेल-- अध्यक्ष महोदय, हमने पहले ही कहा है कि हमारे वचन पत्र में यह कार्य है हम इसे जरूर करेंगे पर व्यवस्थित ढंग से करेंगे, नीति बनाकर करेंगे. सरकारी धन का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए. यह हम सब की जिम्मेदारी है इसलिए कोई भी द्वितीय किस्त या तृतीय किस्त.. (व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- रामेश्वर जी जो बोल रहे हैं वह नहीं लिखा जाएगा.
श्री रामेश्वर शर्मा-- (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- आप जरा एक मिनट शांत रहिए. जैसी गेंद फेंक रहे हो बल्लेबाज अगर बल्लेबाजी कर रहा है तो थोड़ा धैर्य तो रखिए.
श्री कमलेश्वर पटेल-- अध्यक्ष महोदय-- कोई भी निर्माण कार्य जो स्वीकृत हो चुके हैं, जिनमें पहली द्वितीय किस्त जारी हो चुकी है सारे कार्य पूरे कराएंगे आधे अधूर नहीं छोड़ेंगे. हमने सिर्फ यह व्यवस्था बनाई है कि जो (XXX) हुई है, जिसका कोई लेखा-जोखा नहीं है, उसे संग्रहित करवाकर और नीति बनाकर यह कार्य किया जायेगा.
अध्यक्ष महोदय- भार्गव जी, आप कहिये. वर्मा जी, आप बैठिये आपकी गाड़ी छूट गई है.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने अपने उत्तर में जो बताया है, मैं उसके लिए आपको जानकारी देना चाहता हूं. पिछले विधान सभा चुनाव होने के लगभग 4 माह पूर्व, आप सभी सदस्य दुबारा चुनाव जीत के आ सकें क्योंकि विधायक निधि बहुत ही सीमित होती है. विधान सभा क्षेत्र की विकास निधि के सीमित होने के कारण और आप सभी सदस्यों की इच्छानुसार मैंने निष्पक्ष रूप से बगैर किसी पक्षपात के, बगैर किसी पार्टी की भावना के, मैंने सारे विधायकों के लिए उनकी इच्छानुसार 3 और 5 सामुदायिक भवन स्वीकृत किए थे. (मेजों की थपथपाहट)
माननीय अध्यक्ष महोदय, इसके साथ ही मैंने 20-20 लाख रूपये के सी.सी.रोड भी दिये थे. मैंने स्ट्रीट लाईटस् भी दी थीं और यह कहा था कि सभी विधायक सूची बनाकर दे दें कि आपको कहां सामुदायिक भवन चाहिए, किस गांव में भवन चाहिए. इसकी सूची आ गई. सी.सी.रोड की भी जानकारी आ गई थी. उन गांव की भी जानकारी आ गई थी जहां इलेक्ट्रिक स्ट्रीट लाईटस् लगनी थीं और इन कार्यों की सारी की सारी राशि हमने जिला पंचायतों में भिजवा दी थी और कार्य भी प्रारंभ हो गए थे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे जो जानकारी प्राप्त हुई है कि जिला पंचायत में जमा राशि नई सरकार आने के बाद, शायद हो सकता है मैं सही हूं या नहीं हूं लेकिन उस राशि का आहरण नई सरकार द्वारा कर लिया गया और वह राशि राज्य शासन के कोष में फिर से आ गई. (शेम-शेम की आवाज)
माननीय अध्यक्ष महोदय, इसलिए मैं कहना चाहता हूं कि मंत्री जी अपनी जानकारी दुरूस्त कर लें. मैंने बगैर पार्टी के भेदभाव के, आप सभी दुबारा चुनकर आ जायें क्योंकि सभी सदस्यों ने कहा था कि विधायक निधि हमारे लिए पर्याप्त नहीं है इसलिए हमारे लिए आप ऐसी कोई व्यवस्था कर दें और इस कारण मेरे द्वारा सभी के लिए यह किया गया था लेकिन अध्यक्ष महोदय, अब मंत्री जी यदि विषय को घुमायेंगे और मंत्री जी यह भी कह रहे हैं कि राशि की कमी है तो मैं बताना चाहूंगा कि जितनी राशि उपलब्ध थी उसी के अंतर्गत ये स्वीकृतियां दी गई थीं. यदि आप उचित समझें तो रिकॉर्ड देख लें. यदि संभव हो तो मेरे सामने आप रिकॉर्ड ले आयें क्योंकि मेरे पास उसकी कोई कॉपी नहीं है. इसलिए मैं पुन: कहना चाहता हूं कि जितनी राशि उस समय उपलब्ध थी उसी राशि के अंदर मेरे द्वारा ये स्वीकृतियां दी गई थीं. अतिरिक्त कोई स्वीकृति नहीं दी गई थी इसलिए मंत्री जी का यह कहना सही नहीं है कि काम बहुत अधिक मंजूर हो गए लेकिन राशि उपलब्ध नहीं थी मंत्री जी, आपका यह कहना बिलकुल सही नहीं है. आप रिकॉर्ड देख लें.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. गोविन्द सिंह)- माननीय अध्यक्ष महोदय, आदरणीय नेता प्रतिपक्ष जी ने जो प्रश्न उठाया है उसमें कुछ गलती हो गई है. हुआ यह है कि वित्तीय वर्ष बदलने से केवल पंचायत विभाग की ही नहीं अपितु विधायक फण्ड और सांसद फण्ड की राशि भी गलती से अधिकारी-कर्मचारियों द्वारा वापस कर दी गई है. इस संबंध में कई स्थानों से कलेक्टरों द्वारा लिखा गया है. हो सकता है राशि इस विभाग की न हो लेकिन कई अन्य विभागों की राशि वापस आ गई है. अधिकारियों ने समझा कि यह पैसा वापस जाना है. कई कलेक्टरों के पत्र हमें प्राप्त हो गए हैं और उनके द्वारा निवेदन भी किया गया है इसलिए वह राशि वैसी की वैसी कुछ स्थानों पर वापस भी भेज दी गई है. हमारा भी विधायक फण्ड का पैसा रुका हुआ है और अन्य कई साथियों का भी रुका है. यह कार्य भूलवश अधिकारियों से हो गया था जिसे सुधारा जा रहा है.
अध्यक्ष महोदय- यह नेता प्रतिपक्ष के प्रश्न का समाधानक उत्तर है. सभी को धैर्य के साथ सुनना चाहिए.
श्री गोपाल भार्गव- माननीय अध्यक्ष महोदय, डॉ.साहब, ने जैसा कहा है तो फिर अब वह राशि वापस पहुंच जाये जिससे वहां के काम पूरे हो जायेंगे. यदि किसी गलती के कारण यह हो गया है और राशि वापस आपके राजस्व खाते में पहुंच गई है तो आप तत्काल उस राशि को ज्यों की त्यों वापस भेज दें तो अधूरे कार्य जल्दी पूरे होंगे. मुख्यमंत्री जी यहां बैठे हैं इसको बता भी सकते हैं.
अध्यक्ष महोदय- राशि पहुंच जायेगी.
श्री कमलेश्वर पटेल- माननीय अध्यक्ष महोदय, पहली बात तो यह है कि हमारे विभाग से किसी भी प्रकार की राशि जिलों से वापस नहीं मंगाई गई है.
श्री शैलेन्द्र जैन- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारा स्टेडियम क्यों नहीं बन पा रहा है. निविदायें जारी हो चुकी हैं, पैसे के अभाव में हमारे यहां निर्माण कार्य नहीं हो पा रहे हैं.
(...व्यवधान...)
श्री कमलेश्वर पटेल- माननीय अध्यक्ष महोदय, कृपया पहले मेरा जवाब सुन लीजिये.
श्री हरिशंकर खटीक- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे एक मिनट दें.
श्री जालम सिंह पटेल- माननीय अध्यक्ष महोदय,
अध्यक्ष महोदय- आप सभी बैठ जायें और मंत्री जी का उत्तर आ जाने दीजिये. आप सभी बताइये कि क्या करना है ? क्या आप सभी को सामूहिक रूप से प्रश्न पूछना है या सिर्फ एक मंत्री से उत्तर सुनना है.
श्री देवेन्द्र वर्मा- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा एक और प्रश्न है.
अध्यक्ष महोदय:- देवेन्द्र जी सुनिये, मेरे को यह बताइये कि क्या आप लोग सामूहिक रूप से प्रश्न पूछना चाहते हैं ? अपनी शुरू से व्यवस्था हो गयी है, यदि हमको ज्यादा प्रश्न लेने हैं तो मूल प्रश्नकर्ता तीन प्रश्न करेगा. किसी एक माननीय सदस्य को मैं मौका दे दूंगा वह अपना पूरक प्रश्न कर ले. अब अगर हम एक ही प्रश्न में जूझे रहेंगे तो केसे चलेगा.
श्री ओमप्रकाश सकलेचा:- अध्यक्ष महोदय, मैं भी एक प्रश्न करना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय:- सखलेचा जी, चलिये आप भी एक प्रश्न कर लें. वर्मा जी, अब आप क्यों खड़े हो गये. पहले आप दोनों तय कर लो, आप लोग आपस में तय कर लिया करो. पूरे सदन को क्यों डिस्टर्ब करते हो. आप तो आजू-बाजू में बैठे हो.
श्री ओमप्रकाश सकलेचा:- माननीय अध्यक्ष महोदय, इस सदन के सामने केवल आधा सच आया है. इसमें 100 करोड़ रूपये का फण्ड कम किया है. आप चाहें तो बजट के खण्ड-1 का पेज क्रमांक-6 देखें, इसमें बजट में 98 करोड़ रूपये इस फण्ड से कम किया है और बजट में फण्ड कम करके, जो बाकी जितनी बातें हो रही हैं वह टोटली सदन को गुमराह करने की बात हो रही है, जो पिछले साल फण्ड था. उसको भी कम कर दिया गया है और जो मंगाया है,वह अतिरिक्त है. दूसरा आप यह कहना चाहते हैं कि जन-भागीदारी के पैसे भी कलेक्टरों ने बंद कर दिये हैं, क्या सामूहिक विकास, मैं बड़े गर्व के साथ इस सदन को सूचित करना चाहता हूं कि मैंने 70 गांवों में और पंचायतों में जन-भागीदारी के माध्यम से बनाये और वह बनाना अभी पिछले 6 महीने से सरकार ने बिल्कुल बंद कर दिये हैं. क्या सरकार ग्रामीण की तरफ नहीं देखना चाहती है. मंत्री जी बहुत स्पष्ट शब्दों में बतायें कि ग्रामीण के विशेष प्रायोजन के फण्ड जो कम किये,क्या वह कम करना उचित है ?
अध्यक्ष महोदय:- आप ही अपने साथियों को समझाइये ना.
श्री गोपाल भार्गव :- आसंदी पर बैठे-बैठे श्री सखलेचा जी को बैठने के लिये कहा.
श्री कमलेश्वर पटेल:- अध्यक्ष महोदय, जवाब..
अध्यक्ष महोदय:- हो गया.
रतलाम जिले में पर्यटन स्थलों का विकास
[पर्यटन]
4. ( *क्र. 2055 ) श्री चेतन्य कुमार काश्यप : क्या नर्मदा घाटी विकास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) रतलाम जिला टूरिस्ट सर्किट के अंतर्गत धोलावड़ जलाशय में वॉटर स्पोर्टस सहित पाँच स्थानों पर पर्यटन विकास का जो प्रोजेक्ट बनाया गया था, उसकी क्या प्रगति है? (ख) रतलाम जिला टूरिस्ट सर्किट में प्रस्तावित पर्यटन विकास के सभी प्रोजेक्ट कब तक पूर्ण होंगे?
नर्मदा घाटी विकास मंत्री ( श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल ) : (क) धोलावड़ ईको टूरिज्म पार्क जिला रतलाम में जनसुविधा के निर्माण हेतु राशि रू. 28.43 की स्वीकृति कलेक्टर रतलाम को जारी की गई है। कार्य प्रगति पर है। (ख) उत्तरांश (क) के अतिरिक्त पर्यटन विभाग से अन्य कोई कार्य स्वीकृत नहीं है, अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री चेतन्य कुमार काश्यप:- अध्यक्ष महोदय, मेरा मंत्री जी से प्रश्न था कि रतलाम जिला टूरिस्ट सर्किट के अंतर्गत धोलावड़ जलाशय के ऊपर एक पूरा प्रोजेक्ट बना था, उसका जवाब मुझे दिया गया है कि सिर्फ धोलावड़ में 28 लाख रूपये की स्वीकृति कलेक्टर के माध्यम से दी गयी है, जबकि कलेक्टर के द्वारा 7 करोड़ रूपये का प्रस्ताव भेजा गया था और उस समय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 5 करोड़ रूपये की घोषणा की थी. उसका मंत्री जी ने जवाब दिया है कि इस तरह का विभाग के पास में कोई प्रस्ताव नहीं है.
निश्चित तौर पर जो 7 करोड़ रूपये का प्रस्ताव था, रतलाम जिला टूरिस्ट सर्किट के अंतर्गत धोलावड़ जलाशय का जो प्रस्ताव था वह रतलाम जिले के सैलाना विधान सभा में आता है. मैं यहां पर हमारे कांग्रेस के विधायक हर्ष विजय भी हैं औ धोलावड़ इनके पिता प्रभु दयाल जी गहलोत जी के कार्यकाल में बना था और रतलाम जिले के अंदर टूरिस्ट की जो सर्किट थी, अगर इसके लिये 7 करोड़ रूपये में से 28 लाख रूपये ही दिये गये हैं और बाकी के लिये लिख रहे हैं कि प्रश्न उपस्थित नहीं होता है. मुझे यह समझ में नहीं आ रहा है,क्योंकि इसके बाद तत्कालीन सचिव ने दिल्ली भी एक पत्र लिखा था. परन्तु आज की वर्तमान स्थिति की कोई जानकारी नहीं दी गई है ?
श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल:- अध्यक्ष महोदय, विधायक जी, धोलावड़ के बारे में जानकारी जानना चाह रहे हैं. जिला रतलाम में अधोसंरचना विकसित किये जाने के उद्देश्य से दर्शनीय पर्यटन स्थलों पर, पर्यटकों की सुविधा के लिये पर्यटन अधोसंरचनात्मक विकास हेतु कुल राशि 7 करोड़, 27 लाख, 52 हजार की कार्य-योजना, जिला पर्यटन अधो-संर्वधन परिषद, रतलाम कलेक्टर द्वारा मध्यप्रदेश शासन, सचिव के माध्यम से भारत सरकार, पर्यटन मंत्रालय दिल्ली को स्वीकृति के लिये 10.6.2016 को भेजी गयी थी. भारत सरकार के ही द्वारा अपने पत्र क्रमांक - 8-पीएनसी 16 /2015, दिनांक 12.7. 2016 को योजना वापस कर दी गयी. कारण यह कि जो पीआईडीडीसी योजना केन्द्र सरकार द्वारा संचालित थी, उस योजना को ही बंद कर दिया गया.
मैं माननीय विधायक जी को जानकारी देना चाहता हूं कि आपके मुख्यमंत्री जी ने जो घोषणा की थी.
श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल--आपकी ही सरकार ने उस योजना को बंद कर दिया.
श्री चेतन्य कुमार काश्यप--अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी मैं कहना चाहूंगा कि यह योजना केन्द्र ने बंद की है वहां के सचिव महोदय ने कहा था कि यह राज्य की घोषणा है. आज वर्तमान में राज्य सरकार इस कार्य को आगे बढ़ाएगी अथवा नहीं ? क्योंकि इसमें रतलाम ग्रामीण, रतलाम नगर व सेलाना तीनों विधान सभा के अंदर तीनों पर्यटकों का लाभ होने वाला है. इस पर आब जवाब दें कि राज्य सरकार आगे इस बारे में क्या निर्णय लेगी ?
श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल--अध्यक्ष महोदय, यह योजना केन्द्र सरकार की थी प्रस्ताव मध्यप्रदेश सरकार के द्वारा केन्द्र को जाना था. केन्द्र सरकार ने योजना बंद कर दी इसलिये इस योजना में काम आगे नहीं बढ़ पाया. अगर आप इस योजना को वापस चलवाना चाहते हैं आपके क्षेत्र में इस योजना के अंतर्गत इस तरह के काम हो तो माननीय प्रहलाद पटेल जी केन्द्र में पर्यटन मंत्री बने हैं आप उनसे बात करके इस योजना को चालू करवा दीजिये तब हम इस योजना को आपके क्षेत्र में दे सकते हैं.
किसानों की कर्ज माफी
[किसान कल्याण तथा कृषि विकास]
5. ( *क्र. 502 ) डॉ. नरोत्तम मिश्र : क्या किसान कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रदेश के किसानों को सरकार द्वारा कर्जमाफी के प्रमाण-पत्र देने के बावजूद भी बैंकों द्वारा किसानों को कर्ज तटिस दिया जा रहा है? यदि हाँ, तो क्यों? (ख) प्रश्नांश (क) यदि हाँ, तो प्रश्न दिनांक तक कितने किसानों को किस-किस बैंक के नोटिस दिये गए हैं? (ग) प्रश्न दिनांक तक जय किसान ऋणमाफी योजना में किस-किस जिले में कितने-कितने किसानों के खाते में किस-किस बैंक से कितनी राशि शासन द्वारा जमा कराई गई? (घ) प्रश्नांश (क) व (ख) में उल्लेखित कर्जमाफी एवं बैंक के नोटिस प्राप्त होने के बाद सदमें में अब तक प्रदेश में कुल कितने किसान आत्महत्या कर चुके हैं? नामवार-ग्रामवार-जिलेवार बतावें।
किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री ( श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव ) : (क) यथावत। (ख) यथावत। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट एक पर है. (घ) यथावत।
डॉ. गोविन्द सिंह - मैंने आपसे सवाल किया क्या सहकारी केन्द्रीय बैंक का है? कृपया करके आप यह बता दें. (...व्यवधान)
श्री गोपाल भार्गव - सहकारी बैंक के भी है, आपको मैं सुपुर्द कर दूंगा. आपने अपने वचन पत्र में. (...व्यवधान)
डॉ. गोविन्द सिंह - आपने अभी जो कहा उसकी कापी दे दो. अगर हमारे सहकारी बैंक दतिया ने कहा है तो आपने अभी जो कहा है उसका पालन होगा. मैं सदन में घोषणा कर रहा हूं. (...व्यवधान)
श्री आरिफ मसूद - मंदसौर में जो गोली लगी थी, उसकी भी चर्चा हो जाए. (...व्यवधान)
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्नांश का जो विषय है, मैं माननीय मंत्री महोदय से निवेदन करूंगा कि इसके बारे में स्थिति स्पष्ट करने की कृपा करें. डॉक्टर साहब एक मिनट, मैं माननीय मंत्री महोदय से यह जानना चाहा रहा हूं कि यह जो नोटिस जारी हो रहे हैं, ये नोटिस क्या आपके वचन पत्र के अनुसार है और यदि नहीं तो क्या ये नोटिस देना और कुर्की करवाने का काम बंद करेंगे, यदि करेंगे तो हां बताए और यदि नहीं करेंगे तो क्या कारण है और यदि आपने अपने वचन पत्र का पालन तय किया है तो ऐसे लोगों के लिए जो नोटिस दे रहे हैं, कुर्की कर रहे हैं, धमकी दे रहे हैं, ऐसे लोगों के विरूद्ध क्या कार्यवाही करेंगे?
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव - माननीय अध्यक्ष महोदय, चूंकि जब से हमारी सरकार ने ऋण माफी की बात की है, तब से विपक्ष लगातार हमारे किसान साथियों को गुमराह करने का काम कर रहे हैं, सदन के अंदर भी और सदन के बाहर भी.
अध्यक्ष महोदय - अब भाई सुनो उनके उत्तर(विपक्ष के माननीय सदस्यगण के बोलने पर) जब गोपाल जी प्रश्न कर रहे थे, पूरा हाउस चुपचाप सुन रहा था, अब मंत्री उत्तर दे रहे हैं तो कृपया शांतिपूर्वक सुनिएगा इतना आप लोगों में धैर्य होना चाहिए.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव - धैर्य रखिए, एक-एक चीज का जवाब दे रहे हैं, माननीय अध्यक्ष जी बड़ी पीड़ा हो रही है भारतीय जनता पार्टी को जिन्होंने पिछले 15 साल तक सिर्फ किसानों के नाम पर राजनीति करने का काम किया, किसानों को अनेक अवसर पर, कभी 15 लाख उनके खाते में डालने की बात कही गई, कभी 50 हजार रूपए का ऋण माफ करने की बात कही गई. (...व्यवधान)
श्री शिवनारायण सिंह - हमारी सरकार ने आपके कार्यकाल 2003 के पहले 18 प्रतिशत ब्याज दिया करती थी, हमारी सरकार ने जीरो प्रतिशत देकर किसानों को उठाने का काम किया है. माननीय मंत्री जी, ये गलत जानकारी है. (...व्यवधान)
श्री वालसिंह मैड़ा - आपने किसानों के साथ बेईमानी की है, किसानों को गुमराह करने का काम किया है. मध्यप्रदेश की जनता को गुमराह किया है(...व्यवधान) आप लोग गुमराह कर रहे हैं.
श्री गोपाल भार्गव - सीधा-सीधा उत्तर दे दें, समय कम है, दो मिनट.
अध्यक्ष महोदय - भाई, जो सीधा-सीधा प्रश्न किया है, आप सीधा उत्तर दे दीजिए न.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव - माननीय अध्यक्ष जी, मैं वही तो करना चाहा रहा हूं, लेकिन सदन को पहले यह तो जानना जरूरी है न कि ऋण माफी की आवश्यकता क्यों पड़ी. (...व्यवधान)
श्री विश्वास सारंग - दिव्यज्ञानी मंत्री जी है, वाह.
श्री प्रियव्रत सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, यशपाल सिंह जी हमेशा टोकते हैं. (...व्यवधान)
श्री वालसिंह मैड़ा - अध्यक्ष महोदय, हम किसानों का भला कर रहे है, हमारे मंत्री जी बोल रहे हैं, इनको दर्द हो रहा है.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के प्रशनांश 'क' और 'ख' में मैंने पूछा है कि उल्लेखित कर्ज माफी एवं बैंक के नोटिस प्राप्त होने के बाद सदमें में अब तक प्रदेश मे कुल कितने किसान आत्महत्या कर चुके हैं, इसमें उत्तर में आया है प्रश्न उत्पन्न नहीं होता, जानकारी एकत्रित की जा रही है. अध्यक्ष महोदय, हमारे वरिष्ठ सदस्य कमल पटेल जी ने प्रश्न किया था, इसी सत्र में 8 जुलाई को उसके उत्तर में यह आया कि गृहमंत्री बताने की कृपा करें, छिन्दवाड़ा जिले के मेघासिवनी गांव में आदिवासी किसान पप्पू उइके ने आत्महत्या कर ली थी, यदि हो तो किस दिनांक, यदि हां तो क्या किसान पप्पू को बैंक द्वारा कर्ज चुकाने को नोटिस दिया गया था क्या, इसमें सभी में उत्तर आया है और इसक बाद में जो परिशिष्ट में है. मैं सदन को बताना चाहता हूं, माननीय मंत्री जी आप इस बात को नोट कर लें, भले ही गृह विभाग से पूछा गया हो. यह जो किसानों की दिनांक 1.12.2018 से 12.06.2019 तक किसानों द्वारा की गई आत्महत्या की संख्या, अध्यक्ष महोदय शिवपुरी में चार किसानों ने आत्महत्या की, भिण्ड जिले में 12 किसानों ने आत्महत्या की, देवास जिले में 2 किसानों ने आत्महत्या की, सीहोर जिले में 3 किसानों ने आत्महत्या की, विदिशा जिले में 1 किसान ने और सागर जिले में 13 किसानों ने और सीधी जिले में 14 किसानों ने आत्महत्याएं की हैं, उमरिया जिले में 5 किसानों ने, कुल 71 किसानों ने आत्महत्याएं की हैं.
डॉ. गोविन्द सिंह - आप अपने मन से जोड़ रहे हैं. लोग अपने-अपने कार्यों से आत्महत्याएं करते हैं. आपमें सच जवाब सुनने की हिम्मत नहीं है.
श्री गोपाल भार्गव - ऋण वसूली फर्जी साबित हो गई है.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्नकाल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त)
12.01 बजे बहिर्गमन
श्री गोपाल भार्गव, नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी के सदस्यगण
द्वारा सदन से बहिर्गमन.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) - अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी की तरफ से सकारात्मक उत्तर नहीं आया है, किसान आत्महत्याएं कर रहे हैं, हाहाकार मचा हुआ है. इनका घोषणा-पत्र फर्जी है. हम इसके विरोध में बहिर्गमन करते हैं.
(श्री गोपाल भार्गव, नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी के सदस्यगण द्वारा शासन के उत्तर से असंतुष्ट होकर सदन से बहिर्गमन किया गया)
डॉ. गोविन्द सिंह - आप जवाब तो सुनना नहीं चाहते. आपकी कलई खुलने लगी तो भागने लगे.
12.02 बजे नियम 267-क के अधीन विषय
अध्यक्ष महोदय - निम्न सदस्यों की सूचनाएं सदन में पढ़ी हुई मानी जाएंगी.
1. इंजी. प्रदीप लारिया
2. श्री आशीष गोविन्द शर्मा
3. श्री रामपाल सिंह
4. श्री बहादुर सिंह चौहान
5. डॉ. सीतासरन शर्मा
6. श्री सुशील कुमार तिवारी
7. श्री प्रणय प्रभात पाण्डेय
8. श्री मुन्नालाल गोयल
9. श्री हरिशंकर खटीक
10. श्री विनय सक्सेना
12.03 बजे शून्यकाल में मौखिक उल्लेख एवं अध्यक्षीय व्यवस्था
अध्यक्ष महोदय - बिना पूछे मत बोलिये. (श्री मुन्नालाल गोयल के खड़े होकर बोलने पर) गोयल जी, आप रुक जाइये. विनय सक्सेना जी आप बोलिए.
श्री विनय सक्सेना (जबलपुर उत्तर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, जैन समाज के कीर्ति स्तम्भ को अचानक रात को तोड़ दिया गया. जिसके चलते पूरे प्रदेश में जैन समाज उद्वेलित है. जबलपुर सिविल सेंटर में जैन समाज द्वारा निर्माणाधीन कीर्ति स्तम्भ को तोड़ने की कार्यवाही अचानक कर दी गई और किसी भी जिम्मेदार जन प्रतिनिधि और समाज के अध्यक्ष तक को नहीं बताया गया. जिसके कारण आज जबलपुर में प्रदर्शन चल रहा है, लगातार धरने एवं बन्द की कार्यवाहियां हो रही हैं. मैं आपसे आग्रह करता हूँ कि इस पर कृपया माननीय तरुण भनोत जी, मंत्री जी से कहें.
अध्यक्ष महोदय - माननीय लखन घनघोरिया जी और माननीय वित्त मंत्री जी, आप दोनों जबलपुर के रहने वाले हैं. यह विषय जो आया है, इसको आप लोग संज्ञान में लीजिये और आप दोनों मिलकर इस विषय को सॉल्व करियेगा, निपटाइयेगा ताकि जैन समाज का आक्रोश खत्म हो सके.
श्री अनिरुद्ध (माधव) मारू - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी तहसील में मॉब लीचिंग के नाम पर (...व्यवधान...)
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाइये. मैं जिनको बोलूँगा, वे ही बोलेंगे. जो मुझसे बिना पूछे बोलें, आप मत लिखिये. मैं एक-एक करके लूँगा, जालम जी, आप बैठिये.
वित्त मंत्री (श्री तरुण भनोत) - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने एक व्यवस्था दी है. मैं निवेदन करना चाहता हूँ कि एक गम्भीर मुद्दा जो आदरणीय सदस्य ने यहां उठाया था. जैसा कि आपने आदेशित किया है, हम इस सदन के माध्यम से आपको यह आश्वस्त करना चाहते हैं कि जो कीर्ति स्तम्भ तोड़ा गया था, उसका पुनर्निमाण वहां उसी स्थान पर करवा दिया जायेगा.
अध्यक्ष महोदय - धन्यवाद.
श्री विनय सक्सेना - धन्यवाद.
श्री विश्वास सारंग (नरेला) - अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश शासन के उच्च शिक्षा विभाग ने अपने पाठ्यक्रम का कैलेण्डर जारी किया है और उसमें बहुत आपत्तिजनक तरीके से आदि शंकराचार्य जी और पण्डित दीनदयाल उपाध्याय जी का जो पाठ्यक्रम है, उसको हटाने के निर्देश दिए गए हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आदि शंकराचार्य जी ने इस देश की एकता, अखण्डता के लिए कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी और अटक से लेकर कटक तक इस देश को एक सूत्र में बांधने के लिए काम किया है. वे हिन्दू धर्म के तो पूजनीय हैं ही, इस देश की संस्कृति, विरासत को संभालने का काम भी उन्होंने किया, उसी तरह पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी का विचार, उनका एकात्म मानव दर्शन केवल एक पार्टी का दर्शन नहीं है, पूरी दुनिया में आर्थिक विषय में और सामाजिक चेतना के विषय में उन्होंने काम किया. इस तरह से केवल दलगत राजनीति को ऊपर रखते हुए इह पाठ्यक्रम से हटाना, जहां बहुसंख्यक समाज, हिन्दू समाज के विरोध का परिचायक है, उसके साथ-साथ इस देश की संस्कृति को मिटाने का भी कृत्य है. माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें जरूर संज्ञान लेना चाहिए और आसन्दी से इसका निर्देश होना चाहिए.
जनजातीय कार्य मंत्री (श्री ओमकार सिंह मरकाम) - ये संस्कार की बात करते हैं. स्वर्गीय इंदिरा गांधी का नाम (...व्यवधान...)
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाइये, ये जो बोल रहे हैं, नहीं लिखा जायेगा.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - (XXX)
अध्यक्ष महोदय - मैं नहीं सुन रहा हूँ. बैठ जाइये. आप 3 दिन बाद दिख रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - अध्यक्ष महोदय, हमारी समृद्ध संस्कृति पर यह बहुत बड़ा आघात है
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, कल ही एक मंत्री जी ने कहा था कि सीता जी थी, कि नहीं थीं, अशोक वाटिका थी, कि नहीं थीं, हम अधिकारियों का दल भेजकर इसका वेरिफिकेशन करवायेंगे और इसकी जानकारी लेंगे. आज माननीय सदस्य श्री विश्वास जी ने जो बात कही है कि पाठ्यपुस्तकों में से शंकराचार्य जी का नाम हटा देना, यह हमारी सहस्त्रों वर्ष पुरानी विरासत है. आदि शंकराचार्य जी की और हमारी चारों पीठों की यह सहस्त्रों वर्ष पुरानी विरासत है, जिस पर हमारी पूरा वैदिक संस्कृति, हमारा हिंदू समाज, सनातन धर्म सारा का सारा निर्भर है. वह हमारा मूल आधार है और इस प्रकार का मजाक पंडित दीनदयाल जी के साथ किया जायेगा.
श्री आरिफ मसूद -- बहुत सारे स्वतंत्रता सेनानियों के नाम भी केंद्र सरकार ने हटा दिये हैं, उस पर भी विचार करना चाहिये.
अध्यक्ष महोदय -- अब आप बैठ जायें.मैं भी कुछ बोलना चाहता हूं.
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मानकर चलता हूं कि यह किसी सरकार का प्रश्न नहीं है. यह विषय किसी मंत्री का नहीं है, यह आलोचना और समालोचना का विषय नहीं है, यह पक्ष और विपक्ष का विषय नहीं है. यह हम सभी की हमारी भावना है, जो हमारा इतिहास है, जो हमारी धरोहर है, जो हमारी थाती है, उसके साथ में मजाक हो रहा है. मैं आपसे चाहता हूं कि इस प्रकार के मामलों पर चर्चा करवाई जाये, यदि ऐसा हो रहा है तो मैं मानकर चलता हूं कि यह एक प्रकार से हमारी संस्कृति को हमारी विरासत को नष्ट करने का काम हो रहा है, जिसकी अनुमति हम किसी को नहीं दे सकते हैं.
अध्यक्ष महोदय -- धन्यवाद, सनातन धर्म अक्षुण्ण है, सतत् रूप से लगातार जो चलता है, उसे सनातन कहते हैं और वह पाठ्यक्रम रोकना कदाचित ठीक नहीं है. (मेजों की थपथपाहट) मैं संबंधित मंत्री जी को कहूंगा और अगर वह नहीं बैठे हैं तो माननीय संसदीय मंत्री जी आपसे अनुरोध है कि ऐसे पाठ्यक्रम चालू रहें, इनके प्रति आप संज्ञान लेंगे ऐसा मैं सोचता हूं. (कई माननीय सदस्यों के एक साथ अपने आसन पर खड़े हो जाने पर) माननीय श्री जालम पटेल जी आप बोलें, सभी बैठ जायें, मैं एक-एक करके आपको मौका दे रहा हूं. मेरे साथ आप व्यवस्था बनाईये.
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत-बहुत धन्यवाद, आपने हमारी संस्कृति की तो रक्षा की है, आपने हमारे इतिहास की रक्षा की है. आपने हमारे जो स्तंभ थे, उनके बारे में जो घटा है, उनके साथ आपने न्याय किया है, मैं आपको धन्यवाद देता हूं.
अध्यक्ष महोदय -- श्री जालम जी आप बोलें. (श्री कमल पटेल जी के अपने आसन पर खड़े होने पर) आज आप श्री जालम जी को बोलने दीजिये कल आपने बहुत बोल लिया है. कृपया आप आपस में तय नहीं करें.
श्री जालम सिंह पटेल '' मुन्ना भैया''(नरसिंहपुर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हरदा विवेकानंद कामर्स एवं आटर्स कॉलेज की महिला प्राचार्य को कॉलेज में एन.एस.यू.आई. के (XXX) द्वारा उनको कॉलेज में बंद कर दिया गया है.
अध्यक्ष महोदय -- यह शब्द विलोपित कर दें. (श्री लखन घनघोरिया जी के अपने आसन पर खडे़ हो जाने पर) आप बैठ जायें, उस शब्द को विलोपित कर दिया है.
श्री जालम सिंह पटेल '' मुन्ना भैया'' -- माननीय अध्यक्ष महोदय, उनके साथ छेड़छाड की गई और धक्का मुक्की की गई है, उन पर कठोर से कठोर कार्रवाई की जाये.
अध्यक्ष महोदय -- धन्यवाद आप बैठ जायें, श्री अनिरूद्ध(माधव)मारू आप बोलें.
श्री अनिरूद्ध(माधव)मारू, (मनासा)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे विधानसभा क्षेत्र मनासा में ग्राम लसूडि़या में कल रात को चार-पांच मोर मारे गये हैं और जो मारने वाले थे उनकी शिकायत पिछले पन्द्रह दिन से थाने में की जा रही है, पुलिस ने बाछड़ों के डेरे पर सर्च भी की है परंतु पता नहीं चला है.
अध्यक्ष महोदय -- धन्यवाद, बैठ जायें, यह शून्यकाल की सूचना होती है. नये विधायक जी मेहरबानी करके बैठ जायें, शून्यकाल में सूचना दी जाती है, आपने सूचना दे दी है, चलिये अब बैठ जायें.
श्री अनिरूद्ध(माधव)मारू -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अवैध रूप से जो मोर मारने वाला था,वह मर गया है और अवैध रूप से उन पर कायमी हो रही है.
अध्यक्ष महोदय -- अब अनिरूद्ध जी जो भी बोलें, उसे नहीं लिखा जायेगा. श्री हरिशंकर जी आप बोलें.
श्री हरिशंकर खटीक (जतारा) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, टीकमगढ़ जिले की खरीफ फसल की खरीदी की गई थी, 25 जनवरी, 2019 को अंतिम तारीख थी और पांच बजे तक खरीदी का कार्यक्रम था, लेकिन 26 जनवरी, 2019 तक अधिकारियों कर्मचारियों से सेवा सहकारी समितियों के माध्यम से 26 जनवरी, 2019 के दो बजे तक खरीदी की गई है. वेयर हाउस में गोदामों में उड़द और मूंगफली की फसल आज भी रखी है, लेकिन आज तक किसानों को उनके मेहनत के मेहनताना का उचित दाम नहीं मिला है.
अध्यक्ष महोदय -- सूचना आ गई है आप बैठ जायें, सूचना आ गई है, देखिये मैं नया तरीका अपना रहा हूं, मैं रोज पांच सदस्यों को सूचना देने के लिये एक-एक मिनट दूंगा. आप अपने दिमाग में तैयारी रखिये, चलिये आप बैठ जायें. श्री संजय शाह जी आप बोलें.
श्री संजय शाह ''मकड़ाई'' (टिमरनी) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सिराली से महेन्द्र गांव मार्ग अभी कुछ दिन पूर्व ही बना है और वहां पर परसो बहुत तेज बारिश होने से और रोड ठीक से बना नहीं होने के कारण खेतों में जल भरा गया है और सैकड़ों जमीन वहां पर तबाह हो गई है और उसका तहसीलदार महोदय द्वारा अवलोकन भी नहीं किया जा रहा है.
अध्यक्ष महोदय -- धन्यवाद, श्री रामेश्वर जी आप बोलें. ( एक माननीय सदस्य के खड़े होने पर) आप बैठ जायें, पांच सूचनायें हो गई हैं, आपका चांस चला गया है. लॉटरी में पांच निकल गये हैं. यह मेरी नई व्यवस्था है.
श्री रामेश्वर शर्मा (हुजूर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक सूचना देना चाहता हूं. दिव्यांग बच्चों का विद्यालय ईदगाह हिल्स पर है, विगत डेढ़-दो महीने से स्कूल की बसें दिव्यांग बच्चों को लेने के लिये बैरागढ़, करोंद, गांधीनगर जाती थीं, लेकिन वह 3 महीने से लगातार बंद हैं, उनके मां-बाप परेशान हैं और वह आर्थिक संकट वाले परिवार हैं, गरीब मध्यमवर्गीय परिवार हैं, कृपया बसों का संचालन किया जाये.
डॉ. मोहन यादव-- माननीय अध्यक्ष महोदय ... (व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- अब अगर मेरे सदाचरण को आप ऐसे प्रक्रिया में लोगे, मैं फिर यह प्रक्रिया बंद कर दूंगा. अब ऐसा थोड़ी न, रोटी बिल गई.
डॉ. मोहन यादव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा तो नंबर ही नहीं आ रहा.
अध्यक्ष महोदय-- कोई बात नहीं डॉक्टर, आयेगा, चिंता मत करो. मेरे रहते हुये डॉक्टर तुम्हारा नंबर आयेगा.
डॉ. मोहन यादव-- अध्यक्ष जी, आपसे बहुत उम्मीद है, सावन का महीना है.
अध्यक्ष महोदय-- यादव जी बिलकुल चिंता मत करो.
श्री भूपेन्द्र सिंह (खुरई)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने सुबह स्थगन दिया है. पूरे प्रदेश के अंदर लगभग डेढ़ लाख लीटर प्रतिदिन सिंथेटिक दूध बेचा जा रहा है जिसको हमारे प्रदेश की जनता और बच्चे उपयोग करते हैं, जिस दूध से मावा बनता है. मावा से मिठाईयां बनती हैं और इस तरह से यह जीवन में जहर देने का काम पूरे प्रदेश में हो रहा है, यह बहुत ज्वलंत और गंभीर है. इसमें सरकार की तरफ से कोई एक प्रदेशव्यापी अभियान...
अध्यक्ष महोदय-- सूचना दे दी, धन्यवाद, अंकित हो गया. श्री आरिफ अकील.
डॉ. गोविंद सिंह-- अध्यक्ष महोदय, आपकी सूचना के बारे में बताना चाहता हूं जो छापा पड़ा है वह हमनें ही डलवाया है, हमने निर्देश दिये थे.
अध्यक्ष महोदय-- ठीक है, बढि़या है. धन्यवाद. दोनों को धन्यवाद. भूपेन्द्र भाई आप बोलते जाओ और यह छापे लगवाते जायें, ऐसा सिस्टम चलने दीजिये.
12.12 बजे पत्रों का पटल पर रखा जाना
1. मध्यप्रदेश पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक वित्त एवं विकास निगम का 31 मार्च, 2011 को समाप्त वर्ष का सत्रहवां वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखा.
2. मध्यप्रदेश शासन के चतुर्थ राज्य वित्त आयोग का अंतिम प्रतिवेदन जनवरी, 2017 एवं इस पर राज्य शासन को अनुवर्ती कार्यवाही प्रतिवेदन पटल पर रखता हूं.
12.13 बजे ध्यान आकर्षण
सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.
1. बालाघाट जिले के वन वृत्त लौंगुर में लकड़ी कटाई में लगे मजदूरों को
मजदूरी न मिलना.
श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन (बालाघाट)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
वन मंत्री ( श्री उमंग सिंघार ) - माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन - माननीय अध्यक्ष जी, माननीय मंत्री जी ने जो उत्तर दिया उसमें मेरा कोई विरोधाभास नहीं है. मैं कहना चाहता हूं कि ऐसे जिलों में जहां हम जानते हैं कि नक्सलवादी गतिविधियां वनांचल में कभी भी घटती हैं. ऐसे जिलों में समय पर भुगतान न हो यह उचित स्थित नहीं है. मंत्री जी ने कहा है कि इसी माह भुगतान हो जायेगा और समय पर भुगतान करें. चूंकि ध्यानाकर्षण एक ही विषय पर होता है. हमारे किसानों ने प्रोडक्शन डिवीजन में लकड़ी दी है. मैंने कल जी.ए.डी. की डिमांड पर इसको रखा भी है. किसानों ने जो लकड़ी बिक्री की तो विक्रेताओं,खरीददारों के द्वारा पैसा जमा कर दिया गया लेकिन उनका पैसा आज 6 माह से अधिक हो गया है. वित्त विभाग के पास नस्ती पड़ी है. किसानों को भुगतान न होगा तो किसान वृक्षारोपण पर ध्यान नहीं देगा और वृक्षारोपण जहां का तहां रह जायेगा तो क्या मंत्री जी किसानों द्वारा बेची गई लकड़ी का भुगतान कराएंगे या अभी उनके पास उत्तर न हो तो उत्तर प्राप्त करके मुझे अवगत करा दें.
श्री उमंग सिंघार - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य को अवगत करा दूंगा.
श्री रामकिशोर(नानो)कावरे (परसवाड़ा) - माननीय अध्यक्ष जी, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि जिस प्रकार से हम किसानों को पौधरोपण का काम और अपने खेतों में इमारती लकड़ी लगाने के लिये उनको प्रोत्साहित करते हैं और जब खरीदने की बारी आती है उनसे खरीद भी लेते हैं लेकिन जब उनके भुगतान की बारी आती है तो प्रशासनिक अधिकारी उनको परेशान करते हैं. जिसके कारण हमारे उत्तर वन मण्डल में किसानो ने लकड़ी विभाग को दी है लेकिन अभी तक उनका भुगतान 4-4, 5-5 महीनों से नही किया गया है. जिसके कारण किसानों ने आत्महत्या भी की है. माननीय मंत्री जी, से यह जानना चाहता हूं कि क्या अतिशीघ्र किसानों को भुगतान किया जायेगा और जिन किसानों ने आत्महत्या की है उन किसानों को मुआवजा देंगे ?
श्री उमंग सिंघार - माननीय अध्यक्ष महोदय, चूंकि जवाब मैं पहले ही दे चुका हूं. जुलाई में दे दिया जायेगा और मालिक मकबूजा मद में 13.60 करोड़ का भुगतान किया जा चुका है और जो भुगतान लंबित है वह भी प्रक्रियाधीन है वह भी हो जायेगा. माननीय सदस्य को अवगत करा दिया जायेगा.
श्री रामकिशोर(नानो)कावरे - माननीय अध्यक्ष जी, जिन किसानों ने आत्महत्या की है क्या सरकार उन किसानों को मुआवजा देगी ?
श्री उमंग सिंघार - माननीय अध्यक्ष महोदय, ध्यानाकर्षण में यह विषय उद्भूत नहीं होता है.
(2) छतरपुर जिला चिकित्सालय को नवीन भवन में संचालित न किया जाना
श्री आलोक चतुर्वेदी (छतरपुर) - अध्यक्ष महोदय,
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री (श्री तुलसीराम सिलावट)- अध्यक्ष महोदय,
श्री आलोक चतुर्वेदी -- माननीय अध्यक्ष महोदय मैं मंत्री जी से यह पूछना चाहूंगा कि जिस भवन की मैं बात कर रहा हूं. वह भवन अभी पूर्णत: निर्मित नहीं है और उसका लोकार्पण कर दिया गया है. क्या यह सही है कि ठेकेदार या जो एजेन्सी है वह अस्पताल के संबंध में कोई भी व्यवस्था या काम करना हो तो वह वहां पर नहीं करने देता है, जिसके कारण काम करने में परेशानी हो रही है. वहां पर कुछ फण्ड की कमी है. वहां पर साधनों की जरूरत है जैसे बिस्तर, इक्यूपमेंट, मशीनरी यह सारी चीजों की वहां पर निरंतर कमी है. इस कारण से आज भी वह अस्पताल पूरी तरह से संचालित नहीं हो पा रहा है. मंत्री जी ने जो कहा है कि पुराने भवन में अस्पताल को संचालित किया जा रहा है यह सही है. लेकिन किस तरह से संचालित किया जा रहा है वहां पर जमीन पर डिलीवरी हो रही है. वहां जमीन पर मरीज को लिटाया जा रहा है. मैं यह चाहता हूं कि हमारे अस्पताल में जिन साधनों की कमी है, वह साधन पूरे किये जायें, वहां पर इक्यूपमेंट और मशीनरी स्थापित किये जायें साथ ही इसका जो फण्ड बकाया है रह गया है वह फण्ड पूरा किया जाय, डॉक्टरों की जो कमी है उसको पूरा किया जाय, वहां पर डॉक्टरों की बेहद कमी है. मैं चाहता हूं कि इन सभी कमियों को पूरा किया जाय.
श्री तुलसीराम सिलावट -- माननीय अध्यक्ष महोदय सम्माननीय सदस्य ने जो भावना व्यक्त की है कि समय के पहले जो छतरपुर का अस्पताल नवीन बनाया गया था अति जल्दी के कारण उसका उद्घाटन किया गया है, यह मेरे संज्ञान में है. मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हूं कि अस्पताल में अतिशीघ्र समस्त उपकरण सामग्री एवं अन्य सुविधाएं उपलब्ध करा दी जायेगी और मैं सम्मानित सदस्य को यह आश्वस्त करता हूं कि अतिशीघ्र डॉक्टरों की पूर्ति कर दी जायेगी.
श्री आलोक चतुर्वेदी -- मंत्री जी धन्यवाद्.
इंदौर इच्छापुर राजमार्ग की जर्जर हालत होने से उत्पन्न स्थिति
श्री देवेन्द्र वर्मा ( खण्डवा ) --
अध्यक्ष महोदय --( माननीय सदस्यों के बीच में बोलने के लिए खड़े होने पर) ये जो बीच में बोल रहे हैं वह बिल्कुल भी न लिखें, जो मेरी बिना आज्ञा के बोलें बिल्कुल न लिखें, आप लोग जरा व्यवस्था बनायें. नये नये हैं आप लोग जरा देखकर, सोचकर समझने की प्रक्रिया जारी रखें, ऐसा नहीं किया जाता है, यह तरीका गलत है.
लोक
निर्माण
मंत्री (श्री
सज्जन सिंह
वर्मा) -- अध्यक्ष
महोदय,
श्री देवेन्द्र वर्मा -- अध्यक्ष महोदय, इन्दौर से इच्छापुर रोड पर, बुरहानपुर में जहां सिखों का तीर्थ स्थल है, बोहरा समाज का तीर्थ स्थल है, वहीं ओंकारेश्वर में 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योतिर्लिंग है, जहां पर वर्ष भर ट्रॉफिक रहता है, श्रद्धालु आते हैं. मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि गेज कन्वर्शन के कारण पूरा अकोला से जो ट्रॉफिक आता है, खण्डवा से आता है, वह भी इस रोड पर आ रहा है. इसी प्रकार जो नेशनल हाइवे का ट्रॉफिक है, टोल टैक्स बन्द होने के कारण वह ट्रॉफिक भी इसी मार्ग से आ रहा है. अध्यक्ष महोदय, मैंने 18 फरवरी,2019 को एक विधान सभा में प्रश्न लगाया था, उस प्रश्न के जवाब में गृह मंत्री, श्री बाला बच्चन जी ने इसमें स्वीकार किया है कि लगभग 700 लोगों की मृत्यु इस रोड पर हुई है और इसी प्रकार जो दूसरी बात है कि आपने जवाब में कहा कि शोल्डर मजबूत हैं, बने हैं.
12.35 बजे {सभापति महोदया (श्रीमती झूमा सोलंकी) पीठासीन हुईं.}
श्री देवेन्द्र वर्मा -- सभापति महोदया, जबकि माननीय गृह मंत्री महोदय ने जवाब दिया है कि रोड पर भारी यातायात है और आए दिन ट्राफिक जाम रहता है. यह माननीय मंत्री जी ने स्वीकार किया है. आपके जवाब में और उनके जवाब में विरोधाभास है, अंतर है. सभापति महोदया, आप भी इंदौर रोड की समस्याओं से अच्छी तरह वाकिफ हैं. आए दिन 8-8 घण्टे, 6-6 घण्टे का ट्राफिक जाम उस रोड पर रहता है. माननीय गृह मंत्री जी ने जिस प्रकार से स्वीकार किया है कि आए दिन उस रोड पर ट्राफिक जाम रहता है. पूर्व में चाहे सिंहस्थ हो, चाहे सावन का महीना हो, शासन वहां पर भारी वाहनों का प्रवेश एक महीने के प्रतिबंधित करती है.
माननीय सभापति महोदया, मैं आपका संरक्षण चाहूँगा, यह पूरे क्षेत्र की, निमाड़ की समस्या है. आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि जो निर्णय इन्होंने एक महीने के लिए, पवित्र सावन महीने के लिए लिया है, क्या इसको वर्ष भर लागू करेंगे ? दूसरी बात, जहां इस प्रकार के स्पॉट हैं, पूरे मध्यप्रदेश में एकमात्र सड़क होगी, जहां पर कि परिवहन के नियम लागू नहीं होते. प्रत्येक व्यक्ति को भेरू घाट पर गलत साइड से उतरना पड़ता है, यह बात माननीय मंत्री जी, आप स्वयं भी जानते हैं. अत: इस प्रकार के जो प्वॉइंट हैं, वहां पर सुरक्षा चौकी और इसके साथ-साथ कैमरों की व्यवस्था माननीय मंत्री जी कराने की व्यवस्था करेंगे क्या ?
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- माननीय सभापति जी, माननीय विधायक जी खुद इस बात को स्वीकार कर रहे हैं, जिसे मैंने भी स्वीकार किया कि रेल लाइन के अमान परिवर्तन में देरी होने से यातायात का दबाव बढ़ गया. नेशनल हाईवे नंबर-3, जिस पर आवागमन के लिए 1200 रुपये के लगभग टोल टैक्स लगता है, उसे बचाने के लिए यातायात का दबाव भी इधर आ गया कि फ्री में चले जाएंगे. यह मैंने अपने उत्तर में भी स्वीकार किया है. इसमें आपने कोई नई बात नहीं बताई.
माननीय सभापति महोदया, सवाल इस बात का है, खुद माननीय सदस्य ने भी कहा कि अमान परिवर्तन पर देरी हो रही है. यह केन्द्र सरकार का विषय है, इतने साल हो गए हैं, रेलवे लाइन ब्रॉडगेज की नहीं जा रही है. आप खुद स्वीकार कर रहे हैं कि उसका दबाव बढ़ रहा है. दूसरी बात, नेशनल हाईवे नंबर-3 पर लगने वाले 1200 रुपये टोल टैक्स बचाने के लिए भी यह हो रहा है, यह बात मैंने भी स्वीकार की है. इसमें आपने कौन सा नया प्रश्न पूछा, मेरे जवाब में मैं सब कह चुका हूँ. तीसरी बात, राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित हो गया, जिसकी संपूर्ण जवाबदारी कहीं न कहीं भूतल परिवहन मंत्रालय, केन्द्र सरकार की है. उसके बाद भी मैंने इस बात को स्वीकार किया. आपने कहा कि गृह मंत्री जी के जवाब में यह आया है, मैंने भी तो उस बात को स्वीकार किया है. मैंने कहा कि गलत तरीके से चलाने से, दूसरे कारणों से दुर्घटनाएं हो रही हैं. मैंने इस बात को भी स्वीकार किया है. मैं आपके संज्ञान में ला दूँ कि राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए भूतल परिवहन मंत्रालय के द्वारा हमें कोई राशि नहीं दी गई है. कायदा यह है कि जब घोषित करते हैं, तत्काल कुछ राशि मध्यप्रदेश की सरकार को या तो आवंटित कर दें ताकि हम उसका मेंटेनेंस करें, लेकिन उसके बाद भी नैतिकता के आधार पर कि हमारे प्रदेश की जनता को असुविधा न हो, 38 करोड़ रुपये का प्रावधान हमने किया.
12.38 बजे {अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति(एन.पी) पीठासीन हुए.}
माननीय अध्यक्ष महोदय, और वह पूरा रिन्यूअल का कार्य चल रहा है. मैंने अपने जवाब में यह बात कही है. अब इनको कहां शंका है, वह मुझसे पूछ लें.
श्री देवेन्द्र वर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि वह रोड नेशनल हाईवे में शामिल हो गई है. जैसा इन्होंने बताया यह 4 पैकेज में होना है, मेरा यह निवेदन है कि एक माह सावन के समय इंदौर से होने वाला जो हैवी व्हीकल ट्राफिक रहता है, उसको रोककर नेशनल हाईवे पर डाईवर्ट किया जाता है, उसमें किसी प्रकार की दिक्कत नहीं है, प्रतिवर्ष इस प्रकार की व्यवस्थाएं बनाई जाती हैं क्योंकि हजारों की संख्या में कावड़ यात्री आदि आते हैं. मेरा आपके माध्यम से मंत्री जी से केवल इतना सा निवेदन है कि जिन भारी वाहनों को एक माह के लिए प्रतिबंधित किया जाता है, उनको वर्ष भर करेंगे क्या ? और वर्तमान में जो रोड की हालत दयनीय है, पूरे रोड में आप 40 से ज्यादा की स्पीड में चल नहीं सकते, तो उस रोड के जो शोल्डर कट गए हैं, गड्ढे हो गए हैं, उनको ठीक करवाएंगे क्या ?
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- माननीय अध्यक्ष जी, अभी हाल ही में हमने प्रशासनिक अधिकारियों को निर्देश दिए हैं क्योंकि कावड़ यात्री हजारों, लाखों की तादाद में उस सड़क मार्ग से गुजरते हैं, एक्सीडेंट का खतरा रहता है. एक माह के लिए हमने उस सड़क पर प्रतिबंध लगाया है कि भारी वाहन उस पर नहीं जाएंगे. हम यह व्यवस्था हर साल सावन में करते हैं ताकि धार्मिक लोगों के साथ कोई घटना-दुर्घटना न हो. बात यह है कि हर जिले में एक जिला स्तर की यातायात समिति बनी हुई है. माननीय सदस्य की भावनाओं को मैं समझता हूं. मेरी कोशिश होगी कि जितने जिले हैं, इन्दौर, खरगोन, खण्डवा, बुरहानपुर यहां के कलेक्टरों की इस समिति के साथ एक बैठक मैं करवा लेता हूं. उनकी जो रिकमंडेशन आयेगी, जो माननीय सदस्य की भावना है कि यहां पर यातायात रोक दिया जाए, समय की सीमा की, कुछ घंटों की, वह मीटिंग मैं निर्धारित करवा देता हूं. मेरी भरसक कोशिश रहेगी कि आपकी भावनाओं के अनुरूप वैसी व्यवस्था हो जाए.
श्री देवेन्द्र वर्मा - अध्यक्ष महोदय, दूसरा निवेदन है कि इस प्रकार के जो स्पॉट हैं, वहां पर ट्रैफिक पुलिस की या पुलिस चौकियां बनाई जाएं.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - अध्यक्ष महोदय, अभी माननीय सदस्य ने गृह मंत्री जी से संबंधित प्रश्न का उल्लेख किया है. अब मेरे विभाग से गृह मंत्री की बात कर रहे हैं. अब मैं उसका कुछ जवाब दे दूंगा, तो फिर गृह मंत्री से प्रश्न करेंगे कि साहब सज्जन वर्मा जी, पीडब्ल्यूडी वाले भैया ने तो कहा था.
श्री देवेन्द्र वर्मा - अध्यक्ष महोदय, मैं तो शासन से प्रश्न कर रहा हूं. दोनों विभागों में अंतर है मगर माननीय मंत्री जी आप भी शासन में हैं.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - अध्यक्ष महोदय, अभी उन्होंने बाला बच्चन जी के विभाग का उल्लेख किया. अब मैं बोल दूंगा, तो बाला बच्चन जी से प्रश्न पूछेंगे, लेकिन जो व्यवस्था ठीक हो सकती है, वह करने की मैं गृह मंत्री जी से आपकी तरफ से अनुरोध कर लूंगा.
अध्यक्ष महोदय - ठीक है. धन्यवाद.
श्री देवेन्द्र वर्मा - अध्यक्ष जी, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री सचिन बिरला (बड़वाह) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से लोक निर्माण विभाग मंत्री जी का ध्यान इसी ज्वलंत समस्या एवं सार्वजनिक महत्व जैसे विषय पर ध्यान आकर्षित कराना चाहता हूं कि निवार क्षेत्र का महत्वपूर्ण इन्दौर-इच्छापुर मार्ग जो मध्यप्रदेश एवं महाराष्ट्र की सीमा को जोड़ता है, उस मार्ग की हालत अत्यंत दयनीय है और भारत सरकार के परिवहन मंत्री जी का भी कहना है कि विकसित राष्ट्र बनने के लिये सड़क मार्ग उच्च कोटि के होने चाहिये, लेकिन दुर्भाग्य यह है कि 15 साल मध्यप्रदेश में और 5 साल केन्द्र में भाजपा की सरकार का कार्यकाल रहा, लेकिन इस स्टेट हाईवे जो राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित हो चुका है, उस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया. इन्दौर-इच्छापुर स्टेट हाईवे मेरी विधान सभा से भी गुजरता है. इसमें मेरी विधान सभा के दो बड़े नगर सनावद और बड़वाह भी आते हैं. दोनों नगर के मध्य से यह रोड होकर गुजर रहा है. जहां प्रतिदिन 2 हजार से 3 हजार चारपहिया वाहन, ट्राले, डम्पर और अन्य भारी वाहन यहां से गुजरते हैं और ऐसा कोई दिन नहीं जाता है कि यहां जाम नहीं लगता और कोई दुर्घटना नहीं होती है. प्रत्येक दिन कोई न कोई मौत होती है. अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि शहर के मध्य से जो रोड जा रहा है, उस पर काटकुट फाटे से नर्मदा जी के पुल तक एवं सनावद में पॉलीटेक्निक कॉलेज से बकुन नदी तक 7 किलोमीटर लंबे रोड के दोनों तरफ अगर 6-6 फिट रोड को बढ़ा दिया जाए, तो मैं समझता हूं कि जाम से काफी राहत मिलेगी और दुर्घटनाएं भी कम होंगी. इस विषय पर पूर्व में भी मैं मुख्यमंत्री जी को पत्र लिख चुका हूं और माननीय मंत्री जी से भी चर्चा हुई थी.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय विधायक जी को धन्यवाद देता हूं कि आपने सही परिस्थितियों का विवरण सदन के सामने रखा कि 15 साल से बीजेपी की सरकार है, यह रोड नेशनल हाईवे घोषित हो गया है, पर अभी तक इसमें कोई काम नहीं हुआ है. लेकिन हमारी सरकार की नैतिक जवाबदारी है, जो माननीय सदस्य ने अपने छोटे-छोटे शहरों का उल्लेख किया है, मेरी कोशिश रहेगी कि जो माननीय सदस्य ने कहा है, उन जगहों का मार्ग चौड़ा कराने के लिये मेरे विभाग को मैं निर्देशित करूंगा. केन्द्र सरकार पैसा दे या न दे, लेकिन मेरे विभाग से मैं उन जगहों के रास्तों को चौड़ा कराने की कोशिश करूंगा.
श्री सचिन बिरला - अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी को एक सुझाव भी देना चाहता हूं कि इस मार्ग पर टोल नहीं होने के कारण जो भारी वाहनों की आवाजाही बढ़ी है, अगर माननीय मंत्री जी, इस रोड पर कमर्शियल टोल स्वीकृत कर पायेंगे, तो इस मार्ग का रखरखाव व्यवस्थित रूप से होकर सरकार को प्रीमियम के रूप में टैक्स की प्राप्ति भी होगी और मैं माननीय मंत्री जी से यह जानना चाहता हूँ कि यह मार्ग कब तक ठीक होगा? तथा सनावद और बड़वाह नगरों के मध्य सड़क चौड़ीकरण के प्रस्ताव कब तक आप स्वीकृत कर पाएँगे? यह बताने की कृपा करें.
अध्यक्ष महोदय-- विराजिए, तुम्हारा पहला प्रश्न अच्छा था.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, दिसंबर माह तक हम इस कार्य को पूर्ण कर लेंगे. सचिन भैय्या तुम्हारा पहला प्रश्न क्या था?
अध्यक्ष महोदय-- टोल टैक्स, टोल नाका..
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- बड़ा महत्वपूर्ण है इसीलिए मैंने रिपीट करवाया है.
श्री सचिन बिरला-- अध्यक्ष महोदय, मेरा पहला प्रश्न यह था कि कमर्शियल टोल अगर लग जाए तो व्यवस्था ठीक से हो पाएगी.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- अध्यक्ष महोदय, यह योजना हमने बनाई है क्योंकि हम जानते हैं कि केन्द्र सरकार से राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित होना एक लंबी प्रक्रिया है, उसका टेण्डर होना, डी.पी.आर.बनना, इसके डी.पी.आर. और सारे काम में ही दो साल लग जाएँगे. हम अनुरोध करते हैं हमारे सामने बैठे साथियों से, गडकरी जी बहुत ही अच्छे, बहुत ही विज़न वाले, भूतल परिवहन केन्द्रीय मंत्री हैं, आप लोग उनसे रिक्मंड जरूर करना. हमारी कोशिश है कि वास्तव में, चूँकि रखरखाव का पैसा केन्द्र सरकार देती नहीं है, रामपाल सिंह जी, इस पर कामर्शियल वाहनों पर यदि हम टोल लगाकर वसूलें तो निश्चित रूप से जो मध्यप्रदेश के माथे पर खराब सड़कों का कलंक का दाग लगता है, भले ही वे राष्ट्रीय राजमार्ग हों, तो वह धुल जाएगा क्योंकि कामर्शियल वाहन से जो राशि आएगी उससे हम इन सड़कों का भलीभांति रखरखाव कर पाएंगे. हमारी कोशिश होगी, परीक्षण करवाकर इस तरफ हम कदम बढ़ाएँगे.
अध्यक्ष महोदय-- धन्यवाद. नारायण पटेल अपनी बात कहें.
श्री नारायण पटेल(मांधाता)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय लोक निर्माण मंत्री जी का मैं मेरे विधान सभा क्षेत्र में उपयोग में आने वाले इन्दौर-इच्छापुर मार्ग की ओर ध्यानाकर्षित करना चाहता हूँ. उक्त मार्ग पर से वाहन का दबाव कम करना आवश्यक है. इसके निम्न कारण हैं-
इन्दौर-इच्छापुर मार्ग के प्रवेश द्वार पर भारी वाहनों की जाँच कर, उक्त मार्ग पर लोडिंग संबंधी वाहन रोके जाएँ उन्हें आगरा-बॉम्बे मार्ग पर जाने हेतु निर्देशित किया जाए. अध्यक्ष महोदय, जाम वाले स्थानों पर मैं माननीय गृह मंत्री जी का ध्यानाकर्षित करना चाहता हूँ कि यहाँ पुलिस चौकियाँ स्थापित की जावे. जाम वाले स्थानों पर ओव्हर टेक करने पर प्रतिबंध लगाया जावे, ओव्हर टेक करने वाले वाहनों पर भारी जुर्माना लगाया जावे. अध्यक्ष महोदय, दुर्घटनाग्रस्त वाहनों को मार्ग से हटाने हेतु क्रेनों की पर्याप्त व्यवस्था की जावे. अध्यक्ष महोदय, जिन शहरों से होकर इन्दौर-इच्छापुर मार्ग गुजरता है उन सारे, जैसे सनावद-बड़वाह सर्कल का चौड़ीकरण किया जाए.
अध्यक्ष महोदय-- धन्यवाद. आप यह पूरा पत्र माननीय मंत्री जी को दे दीजिए. ताकि वे उसके ऊपर यथोचित निर्णय ले सकें.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा(जावद)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक सुझाव देना चाहता हूँ कि पर्सनल व्हीकल से हाई वे पर एवरेज 12 प्रतिशत से ज्यादा रेवेन्यू नहीं आता है और कमर्शियल पर 88 परसेंट आ रहा है, क्या स्टेट के बाकी हाई वे पर भी स्टेट में यही कर सकते हैं, राजस्थान ने कर दिया है, पिछली वसुन्धरा सरकार ने, कि स्टेट की जितनी भी सड़कें हैं, उस पर पर्सनल व्हीकल पर से टोल वसूली कम कर देना मतलब 90 परसेंट विवाद खत्म हो जाएंगे.
अध्यक्ष महोदय-- ठीक बात है. मंत्री जी, इस सुझाव पर जरूर विचार करें.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अपने विभाग की मांगों के जवाब में इस बात का उत्तर दे चुका हूँ, यह हमने पहले से ही योजना बना ली है, विभाग की मांगों के समय मैंने इस बात का उल्लेख किया था.
अध्यक्ष महोदय-- धन्यवाद.
12.48 बजे
पृच्छा.
कल दिनाँक 19 जुलाई 2019 की ध्यानाकर्षण सूचना क्रमांक पर गृह मंत्री जी द्वारा दी गई आश्वासित जानकारी संबंधी.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)-- माननीय अध्यक्ष जी, कल मैंने एक ध्यानाकर्षण सूचना के माध्यम से अपने क्षेत्र में एक गरीब किसान की दुखद आत्महत्या की चर्चा करवाई थी. माननीय गृह मंत्री जी ने अपने उत्तर में यह कहा था कि, “आज सायंकाल तक हम उस पर कार्यवाही करके गिरफ्तारी करवाएँगे.”
अध्यक्ष महोदय-- आपने वह पेन ड्राइव उपलब्ध करा दी थी?
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, पेन ड्राइव....
अध्यक्ष महोदय-- शाम होने दीजिए, आप भी यहीं हैं, मैं भी यहीं हूँ. हम दोनों देखेंगे.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, पेन ड्राइव मेरे पास में सुरक्षित है. चार जगह मैंने भी पेन ड्राइव दे दी है.
अध्यक्ष महोदय--आपको पेन ड्राइव मिल गई, बस दोनों का आदान-प्रदान हो गया, अब शाम तक इन्तजार करते हैं.
श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष महोदय, मुझे सूत्रों से यह जानकारी मिली है कि उस मामले में टालमटोली की कोशिश की जा रही है. कहीं से उस मामले को प्रभावित करने की भी कोशिश की जा रही है. मैं माननीय मंत्री महोदय से जानना चाहता हूँ, आसंदी ने जो व्यवस्था दी है. विधान सभा में आपने हमें जो कुछ भी आश्वासन दिया था वह शब्दश: वही रहेगा या कहीं कोई परिवर्तन होगा. अन्यथा अध्यक्ष महोदय, विधान सभा मजाक बन जाएगी.
गृह मंत्री (श्री बाला बच्चन)--माननीय अध्यक्ष महोदय, इससे संबंधित कल जो आपने व्यवस्था दी है. मैंने मेरे चेम्बर में मेरे विभाग के अधिकारियों को बुलाया है. ध्यानाकर्षणों के बाद मेरा वक्तव्य है और वक्तव्य के बाद में हम दोनों बैठ लेंगे. पेन ड्राइव के लिए मैंने सभी अधिकारियों बुलवाया है. यह अभी मैंने आपके लिए ही बनवाई थी, मैंने अभी आपको (श्री गोपाल भार्गव) को इशारा भी किया था. लंच और वक्तव्य के बाद हम दोनों बैठकर इसका पर्दाफाश करेंगे. जैसा बोला गया है हम उसका अक्षरश: पालन करेंगे.
अध्यक्ष महोदय--सुन्दर तालमेल के लिए आप दोनों को धन्यवाद.
12.52 बजे ध्यान आकर्षण (क्रमश:)
(4)ग्वालियर के फूटी कॉलोनी के विस्थापितों को पट्टे प्रदान न किये जाने से उत्पन्न स्थिति
श्री मुन्नालाल गोयल (ग्वालियर-पूर्व)--माननीय अध्यक्ष महोदय,
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्री जयवर्द्धन सिंह)-- अध्यक्ष महोदय,
श्री मुन्नालाल गोयल-- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी का कहना है कि जिन गरीबों को पट्टे देने की बात की है हम उनको प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत विस्थापित करेंगे, वह सारे गरीब लोग हैं उन पर प्रधानमंत्री आवास योजना की किस्तें चुकाने के लिए पैसा नहीं है. मैं कहना चाहता हूं कि जो फूटी कॉलोनी के 400 परिवार हैं वह सभी गरीब परिवार प्रधानमंत्री आवास योजना में अपना आवास खरीदने की स्थिति में नहीं हैं, वह सब गरीब मजदूर लोग हैं. हमारी आपसे और माननीय मंत्री जी से गुजारिश है कि इन सभी गरीब परिवारों को आप पट्टे की व्यवस्था करिए. मैं कहना चाहता हूं कि वहां पर दस साल जब कांग्रेस पार्टी की सरकार थी उन दस सालों में पूरे प्रदेश के अंदर गरीबों को पट्टे दिए गए. मेरे ग्वालियर में पट्टे दिए गए. जब से भारतीय जनता पार्टी की सरकार आई है पूरे प्रदेश के अंदर गरीबों को पट्टे मिले हैं केवल मेरे जिले के अंदर पट्टे नहीं मिले हैं. हम चाहते हैं कि वह गरीब वर्ग के लोग हैं जो मजदूरी करते हैं उन पर किस्त चुकाने के लिए पैसा नहीं है. वह प्रधानमंत्री आवास योजना में नहीं रह पाएंगे इसलिए मेरी आपसे गुजारिश है कि जो गरीब लोग हैं, मजदूर लोग हैं, दलित लोग हैं इन सब लोगों को आप पट्टे देने की व्यवस्था करिए. चाहे फूटी कॉलोनी के लोग हों, चाहे भांडेर की माता के हों, सिरौल कॉलोनी के हों सभी गरीब लोग हैं. मैं चाहता हूं कि जिस तरीके से कांग्रेस के राज में पिछले दस सालों में आपने गरीबों को पट्टे दिए हैं उसी प्रकार कांग्रेस पार्टी गरीब सर्वहारा वर्ग की पार्टी है जो गरीबों के हित की बात करती है. माननीय मंत्री जी मैं चाहता हूं की आप ग्वालियर के गरीबों को जिनको आपसे आशा है कि आप उन सब गरीबों को जिनकी लिस्ट भी प्रशासन के पास है इन सारे गरीबों के लिए आप पट्टे की व्यवस्था करें.
श्री जयवर्द्धन सिंह-- अध्यक्ष महोदय, मैं विधायक जी की भावना समझ सकता हूं. मैं इनको अवगत करवाना चाहता हूं कि प्रधानमंत्री आवास के अलग-अलग रूप भी होते हैं. जो एक प्रारूप है जिसके माध्यम से मैंने इसमें बताया भी है कि 1.50-1.50 लाख रुपया शासन से मिलता है और दो लाख हितग्राही को देना पड़ता है, लेकिन क्योंकि विधायक जी कह रहे हैं कि जो हितग्राही जिनका उल्लेख उन्होंने किया है वह इतने सक्षम नहीं हैं तो उनके लिए हमको सर्वे करवाकर ऐसी जमीन देखना होगी जो शहर की हो या फिर राजस्व की जमीन हो, नजूल की हो, जहां पर हम इनको पट्टे दे सकते हैं. क्योंकि पट्टे देने काम रेवेन्यू डिपार्टमेंट का आता है. लेकिन हमारे विभाग के द्वारा हम सर्वे करा सकते हैं. मैं विधायक जी को यह जानकारी देना चाहता हूं कि हमारे मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ जी इस विषय पर अतिसंवेदनशील हैं. उनके द्वारा हमें आदेश दिया गया है कि अगले माह से पूरे प्रदेश में हम सर्वे करवायेंगे और जो ऐसे लोग हैं, जिनको आवासीय पट्टे नहीं मिले हैं, उन्हें सरकार पट्टे देगी. (मेजों की थपथपाहट)
श्री भारत सिंह कुशवाह- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं भी कुछ कहना चाहता हूं, यह मेरा भी क्षेत्र है.
अध्यक्ष महोदय- गोयल जी, अंतिम प्रश्न कीजिये. कुशवाह जी, मैं आपको परमिट नहीं करूंगा. आपका क्षेत्र होगा, आपको प्रश्न लगाना चाहिए था. आप जागरूक बनिये, यहां पर मैं आपकी जागरूकता नहीं देखूंगा.
श्री मुन्नालाल गोयल- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से कहना चाहूंगा कि जो परिवार भाजपा सरकार के दौरान उजाड़े गए हैं, वहां जगह भी है, उनके पास सर्वे नंबर भी है, जमीन भी है इसलिए मैं कहना चाहता हूं कि मंत्री जी वहां जमीन है, सर्वे नंबर भी है तो गरीबों का उसका पट्टा दे दिया जाये. नहीं तो कल वहां भू-माफिया कब्जा कर लेंगे इसलिए मैं चाहता हूं कि मंत्री जी इस बारे में आश्वस्त करें.
श्री जयवर्द्धन सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं विधायक जी को आश्वासन देता हूं लेकिन पात्रता अनुसार ही हम पट्टे दे पायेंगे और जैसा कि मैंने कहा कि जो निगम के अधिकारी हैं, जो राजस्व के अधिकारी हैं, आप उनके साथ मौके पर जाकर जमीन देखिये और यदि वहां हम पट्टे दे सकते हैं तो जरूर देंगे.
1.01 बजे
याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय- आज की कार्यसूची में सम्मिलित माननीय सदस्यों की सभी याचिकायें प्रस्तुत की हुई मानी जायेंगी.
1.02 बजे
अध्यक्षीय घोषणा
भोजनावकाश न होना
अध्यक्ष महोदय- आज भी भोजनावकाश नहीं होगा. भोजन की व्यवस्था सदन की लॉबी में की गई है, माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि सुविधानुसार भोजन ग्रहण करने का कष्ट करें.
1.03 बजे
वक्तव्य
(1) दिनांक 8 जुलाई, 2019 को पूछे गये तारांकित प्रश्न संख्या 12 (क्रमांक 258) के उत्तर में संशोधन करने के संबंध में गृह मंत्री का वक्तव्य
गृह मंत्री (श्री बाला बच्चन)- माननीय अध्यक्ष महोदय, दिनांक 8 जुलाई, 2019 की प्रश्नोत्तर सूची के पृष्ठ क्रमांक 8 में मुद्रित तारांकित प्रश्न संख्या 12 (क्रमांक 258) के उत्तर में निम्नानुसार संशोधन करना चाहता हूं-
प्रश्नोत्तर सूची में मुद्रित उत्तर के भाग ''ख'' में वाहन क्रमांक MP 52 C 9999 दिनांक 31.03.2018 से 500 रूपये के शमन शुल्क की रसीद दी गयी थी, के स्थान पर कृपया निम्नानुसार संशोधित उत्तर पढ़ा जावे-
(2) दिनांक 18 फरवरी, 2019 को पूछे गये परिवर्तित अतारांकित प्रश्न संख्या 77 (क्रमांक 377) के उत्तर में संशोधन करने के संबंध में पंचायत मंत्री का वक्तव्य
अध्यक्ष महोदय- श्री कमलेश्वर पटेल, पंचायत मंत्री, दिनांक 18 फरवरी, 2019 को पूछे गये परिवर्तित अतारांकित प्रश्न संख्या 77 (क्रमांक 377) के उत्तर में संशोधन करने के संबंध में मंत्री जी जो वक्तव्य दे रहे हैं उसे पटल पर रख दें वह कार्यवाही में सम्मिलित हो जाएगा.
(3) दिनांक 20 फरवरी, 2019 को पूछे गये अतारांकित प्रश्न संख्या 07 (क्रमांक 74) के उत्तर में संशोधन करने के संबंध में पर्यटन मंत्री का वक्तव्य
अध्यक्ष महोदय- श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल, पर्यटन मंत्री, दिनांक 20 फरवरी, 2019 को पूछे गये अतारांकित प्रश्न संख्या 07 (क्रमांक 74) के उत्तर में संशोधन करने के संबंध में मंत्री जी जो वक्तव्य दे रहे हैं उसे पटल पर रख दें उसे संज्ञान में ले लिया जायेगा.
1.04 बजे
शासकीय विधि विषयक कार्य
(1) मध्यप्रदेश लोक स्वास्थ्य (संशोधन) विधेयक, 2019 (क्रमांक 20 सन् 2019) का पुर:स्थापन
संसदीय मंत्री जी, माननीय गोविंद राजपूत जी को बुलवा लीजिये.
2. मध्यप्रदेश मोटरयान कराधान (संधोधन) विधेयक,2019
वर्ष 2019-2020 की अनुदानों की मांगों पर मतदान (क्रमश:)
(1) |
मांग संख्या 8 |
भू राजस्व तथा जिला प्रशासन |
|
मांग संख्या 9 |
राजस्व विभाग से संबंधित व्यय |
|
मांग संख्या 36 |
परिवहन |
|
मांग संख्या 58 |
प्राकृतिक आपदाओं एवं सूखा ग्रस्त क्षेत्रों में राहत पर व्यय.
|
उपस्थित सदस्यों के कटौती प्रस्ताव प्रस्ततुत हुए.
अब मांगों और कटौती प्रस्तावों पर एक साथ चर्चा होगी.
श्री रामपाल सिंह(सिलवानी):- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 8, 9 और 58 का विरोध करता हूं, विरोध इसलिये कि विगत वर्ष हमने जो बजट पास किया था वही का वही बजट इस वर्ष फिर से राजस्व मंत्री जी ने यहां पर प्रस्तुत किया है. इसमें कोई नयी चीज इसमें नहीं लाये हैं.
अध्यक्ष महोदय,सरकार प्रतिवर्ष कोई न कोई चीज किसानों के लिये लेकर आती है. हमने जो बजट बनाया वही आपने यहां पर प्रस्तुत कर दिया. अगर आप कोई नयी चीज यहां पर लाते तो मध्यप्रदेश के किसानों की आशा आप पर टिकी हुई थी. मंत्री जी, राजस्व विभाग बड़ा महत्वपूर्ण विभाग है, आपके नियंत्रण को और आपका जो बजट है उसको पूरे प्रदेश का किसान देख रहा है.
{ 1.09 बजे उपाध्यक्ष महोदया, (सुश्री हिना लिखीराम कावरे) पीठासीन हुई.}
आपने किसानों के लिये बडे़-बड़े वादे किये थे, लेकिन इस बजट को देखकर एक भी चीज नयी नहीं नजर आ रही है, जो पहले था वही है. उपाध्यक्ष महोदया, मैं आज आपके माध्यम से राजस्व मंत्री जी को निवेदन करना चाह रहा हूं और आज सुझाव भी दूंगा, राजस्व मंत्री बड़े उत्साही भी हैं, साहसी भी हैं, लेकिन ऐसी क्या बात है कि आप इतने डर के काम कर रहे हैं. बजट में भी आप डरे हुए हैं और काम करने में भी आपको भय है. आप तो भय-मुक्त होकर विपक्ष में बहुत तेज बोलते थे. आप लंबाई-चौड़ाई में आप सबसे ऊंचे व्यक्ति होंगे. आप क्षत्रिय हो, उसके बाद भी डरे-डरे रहकर कुछ भी किये जा रहे हैं. मैं पहला आपसे निवेदन करना चाहूंगा, मध्यप्रदेश के किसानों का.
श्री कमलेश्वर पटेल:- रामपाल जी, हमारे मंत्री जी आपके जैसे नहीं है. हमारे मंत्री जी, बहुत सहज, सरल और सजग हैं, आपके जैसे नहीं कि आपने कुछ भी किया.
श्री रामपाल सिंह :- हम पूछ सकते हैं कि आप कौन से गुट के हैं ? आपका ब्रांड बताइये. कौन सा ब्रांड है.
श्री कमलेश्वर पटेल:- हम सब जनता के सेवक हैं, हम किसी गुट के नहीं हैं.
श्री रामपाल सिंह:- हमारे एक क्षत्रिय आपके इधर भी हैं, पूर्व नेता प्रतिपक्ष आप उनकी उपेक्षा कर रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदया, पहला सवाल देश के किसानों के लिये प्रधानमंत्री भाई नरेन्द्र मोदी जी ने जो राशि देने का काम किया था, प्रधान मंत्री किसान सम्मान निधि, इसमें महोदय आप नोडल एजेंसी आप हैं. क्या कारण है कि आपने 7 महीने में भी आपने मध्यप्रदेश के किसानों की सूची नहीं भेजी, क्या प्रदेश के किसानों से आपको कोई दुश्मनी है ? किसानों के खातों में राशि आ जाती तो क्या मध्यप्रदेश के किसानों का भला नहीं होता. आप किसानों की सूची कब तक भेजेंगे और आपने क्यों नहीं भेजी इसको मध्यप्रदेश की जनता को जानने का पूरा हक है. आप ऐसे महत्वपूर्ण काम को रोके हुए हैं. आप प्रधानमंत्री किसान सम्मान की सूची दें और इसकी पूरी जानकारी दें कि यहां से कितने किसासों की सूची जा रही है और मध्यप्रदेश के किसानों को राशि मिलने वाली है, यह जानकारी प्राप्त करने का अधिकार हमको भी है और सदन को भी है. मैं राजस्व विभाग की मजबूरियां भी समझता हूं, राजस्व विभाग बहुत बड़ा विभाग है. लेकिन तहसीलदार से नीचे-नीचे ही अपना काम है. आरआई, पटवारी और तहसीलदार किसके नियंत्रण में रहते हैं, यह आपको मालूम होगा. वह एसडीएम के नियंत्रण में रहते हैं. आप कुछ भी कहेंगे तो वह कुछ नहीं करेंगे, जो एसडीएम कहेंगे वह करेंगे. इसलिये सरकार को मेरे अनुभव का सुझाव है कि एसडीएम भी राजस्व विभाग में किये जाएं, तभी आपका नियंत्रण हो जायेगा, नहीं तो आप भाषण के अलावा कुछ नहीं कर पायेंगे. पटवारी जो चाहेंगे वह करेंगे. परसों माननीय मुख्यमंत्री जी ने भाषण दिया, अच्छा लगा उन्होंने सबकी तारीफ की. उद्योगपति उनसे मिलने आये, उन्होंने कहा एसडीएम, कलेक्टर, कमिश्नर और तहसीलदार अच्छे हैं और परसों ही माननीय कमलनाथ जी ने इसी सदन में कहा था कि पटवारी से बचा लो, यहीं पर कहा था. उनके कहने का अर्थ क्या था या तो कोई संकेत था, जितु भी सरनेम पटवारी लिखते हैं,इनके लिये कहा था. मैं भी इसका अर्थ समझ नहीं पा रहा हूं कि क्या अर्थ है. क्या अप्रत्यक्ष रूप से आपको कुछ कहना चाह रहे थे, या जितु भाई पटवारी पर कोई नाराजगी जाहिर की थी. यह सब चीजें आपको ध्यान में रखना चाहिये, यह मेरा सुझाव है. मैं जब राजस्व मंत्री था और शिवराज जी मुख्यमंत्री थे तो किसान के खेतों में हेलिकॉप्टर उतार देते थे. जहां पर किसानों का नुकसान होता था, वहां उनके दुख में पहुंच जाते थे. इस साल तुषार, पाला से इतना नुकसान हुआ मध्यप्रदेश में कि आपके एक भी मंत्री और विधायक किसानों के दुख में नहीं गये और मध्यप्रदेश में हा-हाकार मच गया. तुषार, पाले के संबंध में तो आपके हजारीलाल जी का भाषण रखा हुआ है. तुषार, पाला को तो आप प्राकृतिक आपदा भी नहीं मानते थे, हमने माना. लेकिन इस साल कोई भी फसल देखने नहीं गया. आप 50 प्रतिशत से ज्यादा फसल का नुकसान होने पर मुआवजा देते थे, वह भी ऊंट के मुंह में जीरा, हमने उसको 25 प्रतिशत किया. लेकिन आप देखने क्यों नहीं गये, इसका भी आप जवाब दें. आपने कलेक्टरों को लिख दिया कि फसल का नुकसान लिखों ही नहीं,तो किसानों को राशि ही नहीं देनी पड़ेगी. ऐसा किसानों के हित में आप करियेगा, यह आपसे निवेदन है. बहुत से जिलों में नुकसान हुआ है, अभी भी धान की फसल सूखने लगी है, सोयाबीन की फसलें सूख रही है. इसके लिये आप किसानों को संकेत दीजिये कि हम इसमें आपका सहयोग करेंगे. वर्षा नहीं हो रही है, वर्षा लेट आयी 15 जुलाई को नहीं आयी, इसके लिये भी प्रावधान कीजिये कि किसानों हम आपके दुख की घड़ी में हम आपके साथ हैं. यह आपका संदेश किसानों को यहां से जाना चाहिये. कई लोगों की मुआवजे की राशि रूकी हुई है, भू-अर्जन में आपकी की है. आप ऐसे निर्देश जारी करें कि तुरंत किसानों को कैंप लगाकर राशि दी जाये. सड़क में, नहर में आपने किसानों की भूमि-अर्जन कर ली, तो उनका तुरंत एक कैंप लगाकर और एक समय दीजियेगा कि इतने समय में किसानों का भुगतान होना चाहिये, आप इसमें समय-सीमा निश्चित कर दो.
श्री रामपाल सिंह--आर.बी.सी. 6 (4) में हमने बहुत संशोधन किये उसमें एक लाईन और बन जाये कि मकान जल जाता है उसको आप एक साल बाद पैसे देते हैं. जब कोई बीमार है उसका एक साल बाद इलाज करवाओगे. इनको राशि तुरंत दीजिये समय सीमा निश्चित कीजिये, उनको दी जाये. तुषार पाला की राहत राशि का हमने प्रावधान किया है उसको हम पढ़कर बताएंगे उसको आप बढ़ाइयेगा. हमने प्राकृतिक आपदा में किसी की मृत्यु पर 4 लाख रूपये का प्रावधान किया था. आपके समय आर.बी.सी. 6 (4) में जब सांप काटेगा तभी हम मुआवजा 50 हजार रूपये देंगे. हमने उसमें पढ़ा तथा उसमें संशोधन किया, क्या सांप से पूछने जायेंगे कि तूने काटा या दूसरे ने काटा, ऐसा लिखा था माननीय हजारीलाल रघुवंशी जी के भाषण में. हमने उसमें तय कर दिया कि कोई भी जहरीला जानवर काटेगा उसको चार लाखे रूपये दिये जायेंगे. आप उस राशि को बढ़ायें, यह तो हमने कर दिया था. इस राशि को आप बढ़ायें. मैं आपको कुछ सुझाव दे रहा हूं कि तहसीलदार के पद आपके आधे से ज्यादा खाली पड़े हुए हैं इनको आप भरियेगा उसमें विभागीय परीक्षा भी करवाइयेगा. मजरे-टोले हमने घोषित कर दिये थे उसमें से लगभग 2 से 3 सौ रह गये हैं उनको ग्राम का दर्जा दीजिये ताकि वहां पर विकास हो सके. यह काम करेंगे तो आपकी मेहरबानी होगी. हमने पटवारियों के हल्के बढ़ा दिये पंचायत स्तर पर उनकी आप पूर्ति करिये. इस तरह सीमांकन में जो मुनारे थे उनमें रिफ्रेंस पाईंट बनाने का काम चल रहा था उसको भी आप कर लें तो बहुत अच्छा होगा. सीमांकन के लिये टोटल मशीने लेकर के दे दी थीं उन मशीनों को आप और बढ़ाइये आप प्रायवेट वालों से सीमांकन करवा रहे हैं वह लोग 10 हजार रूपये ले रहे हैं. पुराने समय की जरीब चलती थी उसके कारण कई बार झगड़े होते थे. मशीन लेने का अच्छा निर्णय है, लेकिन मशीन संचालन लेने वालों को प्रशिक्षण दीजियेगा ताकि समय सीमा के अंदर सीमांकन हो सके यह निर्णय माननीय राजस्व मंत्री जी आपको लेना चाहिये. आपको और भी सुझाव देना चाहता हूं कि नक्शाविहीन गांवों के पूरे नक्शे हमने बनवा दिये हैं, उनमें कुछ गांवों के नक्शे रह गये हैं उनके नक्शे भी आप बनवा देंगे तो यह भी बहुत बड़ा काम हो जायेगा. खसरा-खतौनी की नकलें मिल नहीं रही हैं किसी का नाम काम पर चढ़ गया है, यह त्रुटि सुधार के लिये आपको ही निर्णय लेना पड़ेगा. किसान पूरे प्रदेश में तहसीलों के चक्कर काट रहे हैं. किसी का नाम गलत तो, किसी की वल्दीयत गलत हो गई इसको आप ठीक कराने के लिये निर्देशित करें. जैसा हम लोगों ने मध्यप्रदेश में राजस्व विभाग का काम एक अभियान चलाकर सी.एस.से लेकर पूरे अधिकारीगण गये थे उस समय सबसे ज्यादा राजस्व के प्रकरणों का निपटारा किया था, ऐसा ही एक अभियान आपको भी चलाना पड़ेगा तभी आप इस राजस्व विभाग को आप चला पाएंगे. आपका जो निचला अमला है उसको आप आदेश करेंगे, लेकिन ऊपर का अमला दूसरी जगह पर चला जायेगा तो ऐसी अप्रिय स्थिति बन जायेगी जिसका आपको सामना करना पड़ेगा. नजूल भूमियों के मामले में आपने काम किया है, भू-अर्जन मामले में मैंने आपको बता ही दिया है. हमने भू-राजस्व संहिता में अनेक संशोधन किये हैं उनका लाभ भी मिलना चाहिये. मर्जर के मामले में भी आप स्पष्ट निर्णय कर लें. पूर्व 2017-18 में 1 हजार 254 करोड़ 63 लाख की राशि हमने आर.बी.सी. 6 (4) में वितरित कर दी थी. आप ऋण माफी की बात कर रहे हैं 2 लाख रूपये की राशि हमने किसानों के खाते में वगैर ऋण माफ किये किसानों के खातों में मुआवजा और बीमा के दे चुके हैं. आप किसानों के ऋण माफी के 2 लाख की राशि से इधर से उधर हो रहे हैं सात महीने से कोई कुछ कह रहा है तो कोई कुछ ? अब कहीं जाकर के दे रहे हैं, लेकिन हम लोगों ने राशि ज्यादा बांटी है. एक साल पहले गेहूं बेचा उसका पैसा माननीय शिवराज सिंह जी की सरकार ने दिया. आर.बी.सी. 6 (4) के बारे में माननीय अध्यक्ष जी को पूरी घटना मालूम है, जब मैं विधायक था पूर्व में हमारे जिले के प्रभारी मंत्री माननीय अध्यक्ष थे इसके बाद दीवान चन्द्रभान सिंह जी राजस्व मंत्री बने तब हम रायसेन जिले में बहुत बाढ़ आयी थी उन बाढ़ पीड़ितों को देखने के लिये गये थे उस समय में विपक्ष में विधायक था. उदयपुरा में जनता ने हमको चार घंटे के लिये घेर लिया क्योंकि उनका करोड़ो का नुकसान हुआ था उस समय किसी को 100, किसी को 500 रूपये उस समय माननीय मंत्री दीवान साहब से कहा कि यह पैसा बढ़ा दो, पैसा नहीं बढ़ाया तो वहां की जनता ने वहां का रजिस्टर फाड़ दिया और हम लोगों को घेर लिये तब हम लोग मुश्किल से जान बचाकर आये थे. हमने कहा कि नुकसान करोड़ो का हुआ है दे रहे हैं 100 और 500 हमने माननीय हजारीलाल जी से भी पैसा बढ़ाने के लिये कहा कि आर.बी.सी. 6 (4) में पैसा बढ़ाओ तो उन्होंने कहा कि उसमें इतना ही लिखा है इससे ज्यादा पैसा बढ़ाने का अधिकार एस.डी.एम.एवं तहसीलदार को नहीं है. उस समय ऐसी खराब स्थिति बनी थी कि तब मैंने एक बार विधान सभा में प्रश्न किया कि बेगमगंज, उदयपुरा में 60 गांव में ओले पड़ गये हैं वहां राशि दी जाये तो इसी सदन में राजस्व मंत्री जी ने कहा था कि आर.बी.सी. 6 (4) के अंतर्गत लिखा है कि पूरी तहसील में नुकसान होगा तब हम राशि दे पायेंगे नहीं तो नहीं दे पाएंगे. मैंने कहा कि किसी की उंगली कट जाये तो डॉक्टर कहे कि दोनों हाथ पैर काट कर के ले आओ तब इनका इलाज करेंगे तब सदन में लोग हंसने लगे थे. लेकिन हंसने की नहीं दुःख की बात थी कि जहां पर नुकसान हुआ है वहां पैसा दो. माननीय कमल पटेल जी तहसील की इकाई हटाई गांव पटवारी किया इसके लिये कमल भाई जी को धन्यवाद देना चाहिये कि उन्होंने साहसिक निर्णय लिया. हमने भैंस गाय का पैसा बढ़ाया आपके समय में मिलता ही नहीं था. हमने मृत्यु पर चार लाख रूपये किया चाहे मृत्यु बिजली से हो, अथवा सर्पदंश से हो उसको आप लोग बढ़ाइये. हमने भैंस गाय पर 30 हजार रूपये किया, भेड़-बकरी पर 3 हजार रूपये किये, दुधारू पशु पर 25 हजार रूपये किये इसको आप लोग बढ़ाइये, बछड़ा-गाय गधा खचर तक पर 16 हजार रूपये किये इसको बढ़ाइये. सूअर पर 3 हजार, मुर्गा मुर्गी पर 60 रूपये किये थे. चूजा पर 10 सप्ताह से ज्यादा का हो उसमें 20 रूपये किये थे. इसको आप लोग बढ़ा देते तो बजट में हमको खुशी होती. यह तो हमारा ही बजट है. आपके समय में 10 साल में कोई प्रावधान ही नहीं थे. इस तरह से हमने कई मध्यप्रदेश में प्रावधान किये थे किसानों के हित में माननीय शिवराज सिंह जी के नेतृत्व में किये हैं. उनसे बढ़कर आप करेंगे तो आपकी तारीफ भी करेंगे. नहीं तो अगले बजट में पूरी समक्ष करके आपके जो बिन्दु है आपने जो बजट भाषण पढ़ा है आपने कोई तैयारी नहीं की है, यह तो पुराना बना बनाया था वही का वही बजट आपने दे दिया है. आप बजट में अध्ययन करते तो कुछ सुधार कर पाते तो अच्छा लगता लेकिन ज्यादा समय आपकी सरकार को नहीं हुआ है. मैं विस्तार से एक एक चीज को कहूंगा. आप किसानों के हित में निर्णय लीजिये तथा उनकी राशि को बढ़ाइये इसी आग्रह के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं. धन्यवाद.
श्री बृजेन्द्र सिंह यादव(मुंगावली) - माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं आपका संरक्षण चाहूंगा और आज मैं सदन में पहली बार बोल रहा हूं, हालांकि मैं दूसरी बार का विधायक हूं. पहली बार मेरा केवल नामकरण हुआ था. उपचुनाव जीतकर आया था और दो बार मौका मिला, केवल सदन में बैठने का लेकिन बोलने का मौका नहीं मिल पाया था. मैं मांग सख्या 8, 9, 38 और 58 का समर्थन करता हूं, और मैं राजस्व के विषय में बोलना चाहता हू. आज राजस्व न्यायालय अपना समस्त कार्य कम्प्यूटर एवं इंटरनेट के माध्यम से आरसीएमएस पोर्टल पर कर रहे हैं. आज राजस्व में हम देख रहे हैं कि पूरा काम किसानों का होता है. राजस्व में जो भी कम्प्यूटर से काम किया जा रहा है, काम बहुत अच्छा है, ईमानदारी का होता है, लेकिन इसमें समय बहुत लगता है, किसान को इतनी फुर्सत नहीं है, किसानों का पूरा समय 24 घंटे 12 महीने किसानी में जाता है. मगर कम्प्यूटर के चक्कर में कई दिनों तक, मैंने खुद देखा हूं और मैं खुद किसान हूं और लगभग यहां पर 80-90 प्रतिशत विधायक किसान ही होंगे. जब से कम्प्यूटर का सिस्टम बना है, तब से परेशानी तो किसानों को आई है और ज्यों-ज्यों सिस्टम बढ़ाए जा रहे हैं, त्यों-त्यों किसानों को परेशानी एवं भ्रष्टाचार होता जा रहा है और किसान परेशान हो रहा है. हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी ने, राजस्व मंत्री जी ने राजस्व में जो लोक अदालत के माध्यम से पूरे प्रदेश में लगभग 2 लाख 18 हजार 350 प्रकरण रखे गए, जिनमें से 1 लाख 76 हजार 382 का मौके पर निराकरण किया गया, जिसका लगभग 80 प्रतिशत होता है, जो किसानों का निराकरण किया गया है. यदि आज हम पूरे प्रदेश में किसानों की बात करें तो पूरे प्रदेश में क्षेत्र स्तर पर राजस्व विभाग की महत्वपूर्ण कड़ी पटवारी है, प्रदेश सरकार सभी पटवारियों को लैपटॉप प्रदान करने जा रही है. पटवारी अभी अपना काम मोबाईल पर रेवेन्यु एप्प के माध्यम से कर रहा है. गिरदावरी का काम कर रहा है. पीएम किसान से संबंधित काम कम्प्यूटर पर कर रहा है और वह उनके माध्यम से प्रति दिन प्रतिवेदन भी ऑनलाइन भेज रहा है. अब प्रदेश के पटवारी लेपटॉप में ई-बस्ता रखकर ई-पटवारी हो जाएंगे. राजस्व न्यायालय में पारित आदेशों का अमल सीधे राजस्व अभिलेखों में हो रहा है, यह सुविधा की गई है. इस हेतु आरसीएमएस पोर्टल एवं भू-अभिलेख पोर्टल का एकीकरण किया गया है, इसमें आरसीएमएस में प्रकरण का आदेश होने पर आदेश स्वत: ही भू-लेख पोर्टल पर पहुंच जाता है. अभिलेख में इन्द्राज होने पर अमल की जानकारी प्रकरण में पहुंच जाती है. माननीय उपाध्यक्ष महोदया, किसान अपने खेत की मेढ़बंधी सीमांकन करता है, सीमांकन की कार्यवाही चांदा-मुनारे के आधार पर की जाती है. वर्षों पहले बनाया गया चांदा अब मौके पर मिलते नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदया - माननीय सदस्य, कृपया पढ़े नहीं, आप ऐसे ही बोल दीजिए.
श्री बृजेन्द्र सिंह यादव - माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं कुछ विषय पर चर्चा करूंगा किसानों के लिए अभी जो भवन निर्माण बनाए गए हैं, एसडीएम, तहसीलदार, पटवारी, रजिस्ट्रार के लिए, तो मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि इतने भवन, इतनी लागत से बनाए जा रहा है, किसके लिए बनाये जा रहा है, कौन जाता है वहां पर, केवल किसान जाता है काम करवाने के लिए. हम देखते हैं कि जब हम तहसीलद में जाता हैं तो एसडीएम, तहसीलदार और जो भी अधिकारी है वह तो ए.सी. रूम में बैठे हुए हैं, पंखा लगे हैं, कूलर लगे हुए हैं, लेकिन किसान (XXX) बाहर खुले में चबूतरे पर बैठा होता है. मैं कहना चाहता हूं कि इसमें एक किसान भवन भी बनवाया जाए, जिससे कम से कम किसान उसमें आराम से बैठ तो सके. मेरा निवेदन है कि एक किसान भवन की भी वहां पर स्वीकृति दी जाए. किसानों की फसल का नुकसान होता है, चाहे अतिवृष्टि हो, ओलावृष्टि हो, पाला हो, तुसार हो, पटवारी जाते हैं, तहसीलदार जाते हैं, मौके पर दो-चार लोगों का सर्वे किया अनुमानित किसी को छोड़ दिया, किसी का कर दिया तो मेरा निवेदन है कि किसान का सर्वे ड्रॉन के माध्यम से, जो आजकल ड्रॉन सिस्टम चल रहा है, उसके माध्यम से अगर हो तो दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा और कोई भी किसान वंचित नहीं रहेगा उसके माध्यम से अगर सर्वे कराया जाए. सर्वे में कभी कभी यह गड़बडि़यां हो जाती है कि पटवारी ने कह दिया कि आपका नहीं हो पाएगा, आपका कम नुकसान हुआ है, जानबूझकर और उससे पैसा ठग लिया जाता है उसके बाद उसका सर्वे किया जाता है, इसके बाद अगर फसल का नुकसान होता है तो किसान के खाते में राशि के लिए कम से कम महीना 6 महीना तक लग जाते हैं. मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हूं कि इसमें एक समय सीमा निर्धारित की जाए कि यदि किसान की फसल नुकसान होती है तो कम से कम एक महीने के अंदर किसानों के खाते में राशि पहुंच जानी चाहिए. .नामांतरण की प्रक्रिया जा आज चल रही है अभी उसको सरल करने की हमारी सरकार ने कोशिश की है, अभी नामांतरण प्रक्रिया इतनी जटिल कर दी है कि नामांतरण करने के बाद किसान ऑनलाइन आवेदन करता है, इसके बाद फिर वह तहसील के चक्कर काटता है, पटवारी के चक्कर काटता है. जब रजिस्ट्री ऑनलाइन हो रही है तो वह तो एक नंबर का काम है तो क्यों न इसको ऑनलाइन जब रजिस्ट्री हो रही है तो रजिस्ट्री के साथ स्वत: ही उसका नामांतरण कर दिया जाए कि जब एक महीने का समय लगता है तो कहीं न कहीं गवाह भी किसी कारण से कहीं विरोध में हो गया, जिसने रजिस्ट्री की कहीं उसको भी विरोध करना है, उसको भी पैसे और ऐंठना है तो वह असत्य बोलकर कह देता है कि भैया इसने पैसा नहीं दिया तो यह सिस्टम स्वत: ही हो जाना चाहिए. बंटवारे का भी सिस्टम, अगर हम चार भाई है, चार भाईयों का बंटवारा होना है, एक भाई उसमें सहमति नहीं जताता है तो एक की वजह से तीन का नुकसान होता है, वह चाहते हैं कि अलग बंटवारा हो जाए, अपना क्रेडिट कार्ड बने या ट्रेक्टर उठाना है, जो भी काम उसको करना चाहिए तो इस बंटवारे में यह होना चाहिए कि अगर तीन भाई तैयार है तो तीन का बंटवारा कर दो, चौथा तैयार नहीं है, सहमत नहीं है, तो चौथे का छोड़ दिया जाए.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, तौजी की बात करें हम, किसान कभी तौजी के लिए मना नहीं करता, जब भी पटवारी तौजी की कहता है तो किसान भरता है, लेकिन इसको हर साल जमा करना चाहिए, हर साल तौजी लेना चाहिए. अभी मैं देख रहा हूं मेरे क्षेत्र से किसानों के फोन आ रहे है जिसमें 5-5 साल की तौजी एक साथ ले रहे है तो 5 साल की तौजी जब किसान भरेगा तो उसको तकलीफ तो होगी, इतना पैसा वह कहां से लाएगा, लेकिन वह मना नहीं करता वह भी भर रहा है, लेकिन यह सुविधा हो कि हर साल तौजी जमा हो तो किसानों के ऊपर इकट्ठा भार नहीं पड़ेगा. मैं खसरा खतौनी की नकल के बारे में कहना चाहता हूं कि खसरा खतौनी की नकल के लिए लोकसेवा में जो आवेदन दिया जाता है, उसके बाद भी कम से कम 8-15 दिन तो लगते हैं, जिससे किसानों को तहसील के चक्कर काटने पड़ते हैं, तो मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि खसरा खतौनी की नकल, जो पहले सीधे गए तहसील और तहसीलदार को आवेदन दिया, तहसीलदार ने मार्क किया और किसान कम्प्यूटर में ले गया और उसकी तुरंत नकल निकल जाती थी तो उसको चक्कर नहीं लगाने पड़ते थे, परेशान नहीं होना पड़ता था, फिजूल खर्च नहीं होता था और तुरंत उसी दिन नकल मिल जाती थी. मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि इस सुविधा को पहले की तरह किया जाए. मैं राजस्व मंत्री से निवेदन करूंगा कि राजस्व की जो लोक अदालत लगे नहीं तो कम से कम 4-5 पंचायतों के बीच में राजस्व लोक अदालत लगे तो उनके माध्यम से किसानों का जो भी कार्य है उसको तहसील पर न जाना पड़े और वहीं मौके पर उसका निराकरण हो सके तो किसान को यह तो सुविधा मिल जाएगी कि उसका समय और पैसा बच गया और उसका काम मौके पर ही निराकरण हो गया. मैं कहना चाहता हूं, हम सदन में देख रहे हैं कि किसान की जब बात चलती है तो विपक्षी दल उस पर ऑब्जेक्शन ले लेते हैं तो फिर पक्ष के लोग भी ऑब्जेक्शन ले लेते हैं लेकिन किसान की जब बात चले, अगर किसान का कर्ज माफ किया कांग्रेस सरकार ने तो इस पर खुशी होनी चाहिए. किसी का भी कर्ज माफ हो तो रहा है, किसान से कर्ज लिया तो नहीं जा रहा उसका कर्ज माफ हो रहा है, जितने किसानों का कर्ज माफ हो गया और बाकी आगे जिसका भी होगा, कितनी अच्छी योजना है. मैं मानता हूं कि सरकारें कोई भी हो सबके हित में कार्य करती है, लेकिन कुछ कार्य ऐसे होते हैं कि अगर किसी सरकार ने अच्छा काम किया तो उसकी तारीफ भी करना चाहिए, उसका विरोध नहीं करना चाहिए. जहां किसानों की बात आए मैं तो आप सभी से कहना चाहता हूं कि किसान की बात पर हम सभी को एकजुट होकर बात करनी चाहिए. किसान की जो भी सुविधा है, किसान को जो हम दे सकते हैं, उसके बारे में हमको बैठकर बात करनी चाहिए और सदन में भी बात रखनी चाहिए. जब किसान की बात होती है, मैं कल सुन रहा था तो रेत की बात कर रहे थे, रेत कहां से आ रही है, रेत भी खेत से आ रही है, रेत कहां से आ रही है, जंगलसे आ रही है. जब हमारे खेतों से पेड़ कट गए, हमारे जंगलों से पेड़ कट गए, वर्षा हो नहीं रही है तो रेत कहां से आएगी तो कम से कम इस चीज पर भी ध्यान देना चाहिए कि हम पेड़ लगाएं, उनको सुरक्षित करें, हम पिछले 15 वर्षों से देख रहे हैं कि आज जंगल का क्या हाल है ? जंगल केवल नाम के लिए बचे हुए हैं, जंगल काट दिए गए हैं और इधर पेड़ लगाने की बात करते हैं. हां, पेड़ लगाते हैं तो उस पेड़ की गारन्टी होनी चाहिए कि 3 वर्ष तक वह पेड़ जिन्दा रहे, उसकी गारन्टी उसको लेना चाहिए, जो पेड़ लगाता है. उपाध्यक्ष महोदया, आप सभी से फिर भी एक बार पुन: कहना चाहता हूँ कि मैं एक किसान हूँ, यहां पर सभी किसान बैठे हैं, किसान का दर्द भी किसान ही समझता है. अगर जहां किसान की बात आए और किसान को जितनी सुविधाएं दे सकें और हमारी सरकार ने, कांग्रेस सरकार ने किसानों को बहुत सुविधा दी है और बहुत कुछ जो भी बजट में दिया है, किसानों के हित के लिए दिया है और आगे भी देगी. मैं यह बात गर्व से कह सकता हूँ कि जब किसानों के बीच बात चलती है तो किसान एक ही बात कहता है कि अगर सही सरकार है, किसानों की सरकार है तो वह कांग्रेस सरकार है. जो किसानों का सबसे ज्यादा ध्यान रखती है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, हम आज देख रहे हैं. जो सबसे ज्यादा परेशान हैं तो वे किसान हैं. आज अगर देश और प्रदेश चल रहा है तो किसानों से ही चल रहा है. किसान जिस दिन अपने घर पर बैठ जाएगा, उस दिन देश और प्रदेश की क्या हालत हो जाएगी ? मैं माननीय मंत्री महोदय जी से और सभी हमारे सदस्यों से कहना चाहता हूँ कि सबसे ज्यादा अगर ध्यान दिया जाये तो किसानों पर दिया जाये और हम सबसे ज्यादा बजट दें तो किसानों के लिए दें. अगर किसी दिन हमारा किसान खुशहाल हो गया, किसान जिस दिन प्रदेश में कर्जमुक्त हो गया, उस दिन इस प्रदेश की नहीं, इस देश की भी तकदीर और तस्वीर बदल जायेगी. बहुत-बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदया - धन्यवाद.
श्री कमल पटेल (हरदा) - माननीय उपाध्यक्ष जी, मैं राजस्व विभाग से संबंधित और परिवहन विभाग से संबंधित मांग संख्या- 8, 9, 36 और 58 का विरोध एवं कटौती प्रस्तावों का समर्थन करने के लिए खड़ा हुआ हूँ.
उपाध्यक्ष महोदया, आप और हम सब जानते हैं कि मध्यप्रदेश कृषि प्रधान प्रदेश है और लगभग 70 प्रतिशत जनसंख्या खेती करती है और खेती पर आधारित मजदूरी करती है और उस पर निर्भर है. राजस्व विभाग, इसमें जितने भी विभाग हैं, उसमें सबसे बड़ा विभाग है, बहुत महत्वपूर्ण विभाग है. क्योंकि 70-75 प्रतिशत जनसंख्या का भाग्य इसी से जुड़ा हुआ है. सन् 2005 में मुझे राजस्व विभाग का मंत्री बनने का शुभ अवसर मिला था क्योंकि मैं भी किसान का बेटा हूँ. हमारे रामपाल जी मंत्री बने तो वे भी किसान के बेटे थे और गोविन्द सिंह जी भी किसान के बेटे हैं. सब किसान परिवार से आते हैं इसलिए हम बचपन से जानते हैं कि गांव में रहने वाले लोगों को कितनी कठिनाइयों में जीवन जीना पड़ता है ? उनके पैदा होने से लेकर, खेत में जाने से लेकर, फसल लाने से लेकर, उसे बेचने तक कितनी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. उस समय गांव में सड़कें नहीं थीं, कोई व्यवस्था नहीं थी और जब मैंने मंत्री पद संभाला तब मैंने पता किया कि राजस्व विभाग में प्राकृतिक आपदा आती है. इसमें खेती ऐसी है जो आसमानी सुल्तानी के भरोसे रहती है. किसान पसीना बहाता है, अच्छा बीज डालता है, अच्छी दवाई डालता है और फसल पक कर तैयार होती है और ओले पड़ जाते हैं, किसान बर्बाद हो जाता है, वह आत्महत्या कर लेता है या वह कर्ज में डूब जाता है. इसलिए मजबूरी में आत्महत्या करनी पड़ती है. आरबीसी-6(4) कहने को तो ठीक है, प्राकृतिक आपदा में किसानों को सहायता दी जायेगी. 50 वर्ष तक विपक्ष की सरकार रही, जो हमारे समाने सत्ता में हैं. लेकिन हाथी के दांत दिखाने के और और खाने के और होते हैं. पहले मुआवजा 2 रुपये, 4 रुपये, 40 रुपये, 50 रुपये, 20 रुपये, 100 रुपये से ऊपर कभी नहीं मिलता था, प्राकृतिक आपदा में. चाहे कितनी ही फसलों का नुकसान हो जाए. श्री हजारीलाल रघुवंशी जी, जब मैं विपक्ष में 10 वर्ष विधायक रहा, जब चर्चा होती थी, हम कहते थे कि आप भी किसान हो, आपको किसानों के लिए कार्य करना चाहिए. लेकिन अंग्रेजों के समय में जो यह पहले साल आरबीसी-6(4) बनी थी. उसके बाद आजाद होने के बाद से लेकर किसी ने उसको उठाकर नहीं देखा लेकिन जब मैं राजस्व मंत्री बना और माननीय शिवराज सिंह चौहान जी मुख्यमंत्री थे, वे भी किसान के बेटे थे. मैंने जब उसको पढ़ा तो हाथी के दांत दिखाने के और और खाने के और दिखते थे तो मैंने उसको परिवर्तन करने का निर्णय लिया. जब निर्णय लेकर माननीय मुख्यमंत्री जो बताया, जब चीफ सेकेट्री के साथ बैठा तो उन्होंने कहा कि यह ज्यादा नहीं कर सकते हैं. मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जब उद्योगपतियों को हजारों करोड़ रुपये माफ कर सकते हैं तो किसान जो अपने लिए अनाज पैदा नहीं करता, अपने बच्चों के लिए अनाज पैदा नहीं करता, देश के लिए अनाज पैदा करता है, जिस दिन देश का किसान खेती करना बन्द कर देगा, उस दिन देश के लोग भूखे मर जाएंगे. लोग लोहा, सीमेन्ट, पत्थर नहीं खाएंगे, अनाज ही खाएंगे, फल-सब्जी खाएंगे इसलिए किसानों को जब प्राकृतिक आपदा आती है, तो मुआवजा देना चाहिए. जब मैं गुस्सा होकर, नाराज होकर बोला तो मुख्यमंत्री जी ने मेरा समर्थन किया और चीफ सेकेट्री से कहा कि आप कीजिये और तब जाकर आरबीसी-6(4) में परिवर्तन हुआ. पहले प्राकृतिक आपदा में मध्यप्रदेश इतना बड़ा प्रदेश था कि इसमें मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ पहले एक साथ था, तब भी पांच करोड़ रुपये नहीं मिलते थे लेकिन हमने आरबीसी-6(4) में परिवर्तन किया और उसके कारण मुझे आज बताते हुए खुशी हो रही है, जब हमने इनको सत्ता सौंपी तो पांच हजार करोड़ रुपये से भी अधिक राशि प्राकृतिक आपदा में मध्यप्रदेश के किसानों को दी है, उसी के साथ फसल बीमा योजना, जब अटल बिहार वाजपेयी जी पहले प्रधानमंत्री बने थे, देश की आजादी के बाद तो उन्होंने किसानों की चिंता करके फसल बीमा योजना लाये और उसमें भी साढ़े पांच हजार करोड़ रुपये दिए हैं. श्री शिवराज सिंह चौहान जी के राज में किसानों को आरबीसी-6(4) और फसल बीमा योजना से 10,000 करोड़ रुपये हर वर्ष मिलते थे. आप कह रहे हैं कि हम किसानों की सरकार है. आपके 50 वर्षों में किसान आत्महत्या करके मर जाता था, 18 प्रतिशत ब्याज पर ऋण मिलता था. लेकिन यह भारतीय जनता पार्टी की किसानों की सरकार है, जिसने यह काम करके दिखाया है. आप सब अधिकांश मेरे विधायक साथी भाई-बहन हैं. वह किसान हैं, इल्ली से कीट से फसल बर्बाद होती है, कहीं भी देश में, अपने प्रदेश नहीं, देश में कहीं भी कीट को प्राकृतिक आपदा में शामिल नहीं किया गया था. राजस्थान में टिड्डी दल हजारों हेक्टेयर जमीन चट कर जाता था, लेकिन वहां भी प्राकृतिक आपदा नहीं थी. मैं जब मंत्री नहीं था, विधायक था. उस समय सन् 2004 में बाबूलाल जी गौर, तत्कालीन मुख्यमंत्री थे. हरदा जिले में सोयाबीन में इल्ली का भयंकर प्रकोप हुआ, मैंने विधानसभा में मामला उठाया था. मैं मुख्यमंत्री जी को लेकर वहां गया, राजस्व मंत्री जी को लेकर गया और मुख्यमंत्री जी का हाथ पकड़कर मैंने घोषणा करवाई. उसके साथ उस समय राजस्व सचिव, श्री भागीरथ प्रसाद जी थे. उन्होंने कहा कि सर यह तो अपने अधिकार मे नहीं है, यह तो सेन्ट्रल गवर्नमेंट करेगी. मैंने कहा कि मुख्यमंत्री जी जो बोलते हैं, वह कानून बन जाता है इसलिए यह कानून बन जायेगा और मुख्यमंत्री जी से मैंने कहा कि आप यहां आए हो तो कुछ देकर जाना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि क्या देना है ? इल्ली को प्राकृतिक आपदा घोषित करो और 5,000 रुपये हेक्टेयर किसानों को दो. उन्होंने कहा कि घोषणा तो कर दूँगा पर 2,000 रुपये दूँगा. मैंने कहा कि 5,000 रुपये दीजिये, उन्होंने कहा कि 2,000 रुपये दूँगा. मैंने कहा कि चलिये 2,000 रुपये दीजिये. 2,000 रुपये हेक्टेयर किसानों के लिए घोषणा करवाई.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं बताना चाहता हूँ कि हम अगर किसानों का भला करें तो कैसे कर सकते हैं ? और जब घोषणा हो गई और जांच हुई तो हमारी तहसील इकाई थी. खिड़किया तहसील थी, हरदा तहसील थी और टिमरनी तहसील थी. 65, 70 और 75 पैसे वाली रिपोर्ट आ गई, कलेक्टर, एसपी आ रहे थे, उन्होंने मुझसे कहा कि पटेल साहब आपने इतनी मेहनत की लेकिन एक रुपया भी नहीं दे सकते तो बाले क्यों ? इसकी रिपोर्ट जो आई है 65, 70 और 75 पैसे आई है. यह सब गलत रिपोर्ट है. मैंने रिपोर्ट फाड़ दी तो वे बोले कि इसमें तो पटवारी से लेकर कलेक्टर सस्पेंड हो जाएंगे, अगर 25 पैसे से कम कर देंगे तो. मैंने कहा, आप कीजिये मैंने पटवारियों को बुलवाया, सबके बस्ते से उनका पंचनामा बनवाया. गांव के लोगों के दस्तखत करवाये और उसके बाद हरदा जिले के किसानों को मेरे यहां 70,037 किसान थे, इनको 45 करोड़ रुपया आरबीसी-6(4) इल्ली से प्राकृतिक आपदा में दिलवाया, पूरे प्रदेश में कहीं नहीं मिला. लेकिन मध्यप्रदेश के हरदा विधानसभा और हरदा जिले में दिलवाया और मैं उसके बाद 6 महीने बाद मंत्री बना तो मैंने आरबीसी-6(4) में परिवर्तन किया और उसमें सूखा, पाला, ओला सब करके माननीय मुख्यमंत्री जी, श्री शिवराज जी के नेतृत्व में किया. उसके कारण 5 करोड़ रुपये से लेकर 5,000 करोड़ रुपये तक हम देने में सफल रहे. मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूँ कि जिस प्रकार हमने काम किया है, किसानों के लिए काम किया है, आप भी किसान के बेटे हैं, उसको और बढ़ाइये और गांव तथा शहर मिलकर देश बनाएं. शहर में अगर प्लॉट या झोपड़ी भी है, उसको पट्टा मिलता है, उसकी कलेक्टर गाइडलाइन से बोली होती है, पांच लाख, दस लाख, दो लाख तो उसको बैंकों में गारन्टी में रखकर मकान बनाने के लिए, दुकान बनाने के लिए, व्यवसाय करने के लिए ऋण मिल जाता है, लिमिट मिल जाती है, वह क्रेडिट में जमानत में रखने में उपयोगी होती है लेकिन मैं गांव का किसान हूँ. अगर आप भी गांव के किसान हैं तो किसी का मकान चाहे वह एक लाख रूपये का हो, चाहे उसकी झोपड़ी पचास हजार रूपये की हो, चाहे उसका मकान पचास लाख रूपये का हो या एक करोड़ रूपये का हो, तब भी उसको कोर्ट में पांच हजार रूपये की भी जमानत नहीं मिलती है. एक कटहल का पेड़ पांच हजार की जमानत ले सकता हैं, लेकिन किसान का पचास लाख रूपये का मकान पांच हजार रूपये की जमानत नहीं ले सकता है, हमने उसमें परिवर्तन किया है. मैंने मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास अधिकार पुस्तिका दी है, गांव में आबादी में लोग बस्ते हैं लेकिन आबादी का मालिकाना हक किसी के पास नहीं होता था, हमने नियम बनाये और हमने हरदा जिले के ग्राम मशनगांव में 02 अक्टूबर, 2008 को महात्मा गांधी जी की जयंती पर उनको सच्ची श्रद्धांजलि दी. गांधी जी कहा करते थे कि असली भारत गांव में बसता है और गांव के विकास से ही देश का विकास होगा. लेकिन आपने आजादी के पचास साल में गांव और शहर में भेद कर दिया गया है. गांव के अंदर न सड़क है, न बिजली है, न पानी है, न सुविधा है, न पट्टे है और शहरों में सब कुछ दिया गया है, इस प्रकार गांव पिछड़ते गये हैं
उपाध्यक्ष महोदया -- अब आप समाप्त करें, आपकी लिस्ट लंबी होती जा रही है.
श्री कमल पटेल -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं सुझाव दे रहा हूं. गांव पिछड़ते गये और शहर आगे बढ़ते गये, इस प्रकार गांव शहर की खाई बढ़ती गई है. इसलिये पलायन कर गांव से लोग शहर की ओर आये हैं. मैंने दो अक्टूबर को मसनगांव में पंद्रह सौ लोग चाहे किसान हों , चाहे मजदूर हों, चाहे झोपड़ी वाले हों, या पक्के मकान वाले हों, सबको पट्टे दिलवाकर यह साबित किया है कि सच्चे गांधीवादी हम हैं. गांधी के नाम पर आपने वोट प्राप्त करके पचास साल राज किया है, पर हमने गांधी जी के नाम पर वोट प्राप्त नहीं किया है लेकिन गांधी जी के विचार को धरातल पर धरती पर लाकर गांव का विकास करने का काम किया है.
उपाध्यक्ष महोदया -- कृपया समाप्त करें.
श्री कमल पटेल -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मेरे दो, तीन सुझाव हैं. हमने जो काम किया था, उस संबंध में मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी गोविन्द सिंह जी से अपेक्षा करूंगा कि जिस प्रकार मैंने मसनगांव और भाटपरेटिया, इन गांवों का काम शुरू कराया था और बाकी गांव के काम हुये हैं. मेरा यह कहना है कि टोटल किसान हो, चाहे गरीब हो, हजारों वर्षों से वह वहां रह रहे हैं, जब हम उनको निकाल नहीं सकते हैं, खाली नहीं करा सकते हैं तो उनको पट्टा दिया जाये. हां पट्टा देते समय एक शर्त रखी जाये क्योंकि गांव में भी इंसान रहते हैं और इसलिये गांव का मास्टर प्लान होना चाहिये. जैसे शहरों का मास्टर प्लान होता है, वैसे ही गांवों का भी मास्टर प्लान बनाया जाये.गांव के अंदर प्रायमरी स्कूल है, दस साल बाद यहां मिडिल स्कूल बन रही है, हाई स्कूल
वहां बन रही है. इसलिये प्रायमरी, मिडिल, हाई और हायर सेकेण्डरी स्कूल तक के लिये जमीन आरक्षित की जाये. पंचायत भवन, ग्रामीण सचिवालय, पटवारियों का सचिवालय, अस्पताल, पशुपालन अस्पताल, उसके लिये भी जगह आरक्षित की जाये और उसके बाद जो जमीन पर मकान है, चाहे किसान हो या मजदूर हो, जो आबादी में बसा हुआ है, उसका नक्शा बनाकर उनको सबको उनका मालिकाना हक दिया जाये. फसल बीमा की इकाई पहले तहसील थी, मैंने उसको पटवारी हल्का किया है. पहले ग्यारह हजार पांच सौ छ: पटवारी हल्के थे उसको बढ़ाकर तैइस हजार पंचायतों के हिसाब से पटवारी हल्के कर दिये हैं. उसका फायदा यह हुआ है कि मध्यप्रदेश को हिंदुस्तान में सबसे अधिक बीमा अगर मिला है तो इस कारण से मिला है कि हिंदुस्तान में हमने सबसे पहले पटवारी हल्का इकाई माना है. आज पूरे देश में मध्यप्रदेश अकेला ऐसा राज्य जहां पटवारी हल्के से बीमा का मुआवजा मिलता है और उसके कारण पांच हजार करोड़ से भी अधिक बीमा मध्यप्रदेश को हमने श्री शिवराज सिंह चौहान जी के माध्यम से दिलवाया है और इसलिये उसमें सर्वे के लिये गांव के पंच, सरपंच और अगर कोई नहीं हो तो कोई भी पांच किसान अगर पंचनामा बनाकर पटवारी के साथ दस्तखत करके देते हैं तो उसको मानना चाहिये कि कितना नुकसान हुआ है, जिससे किसान को मुआवजा मिल सके. इसी प्रकार गौशाला के बारे मे बोलना चाहता हूं और मैं बधाई देता हूं कि कम से कम कांग्रेस को भारतीय संस्कृति की चिंता लगने लगी है, इनको लगने लगा कि अगर हिंदू संस्कृति की चिंता नहीं करेंगे तो जल्दी खत्म हो जायेंगे.
पशुपालन, मछुआ कल्याण तथा मत्स्य विकास मंत्री (श्री लाखन सिंह यादव) -- श्री कमल भाई आपने पंद्रह साल में गाय माता के लिये जो कुछ नहीं सोचा है वह हम करने जा रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदया -- श्री कमल जी कृपया समाप्त करें.
श्री कमल पटेल - माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं बता रहा हूं कि हमने क्या किया है. ....(व्यवधान).... माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैंने केबिनेट में विषय ले गया था और केबिनेट से प्रस्ताव पास कराया है कि हमारी गायें जो दूध नहीं देती हैं, उनको आवारा छोड़ दिया जाता है. बैल जो फसल में काम नहीं आते हैं उनको आवारा छोड़ दिया जाता है, इसलिये वह कटने जाते हैं इसलिये तैइस हजार ग्राम पंचायतों में तैइस हजार गौशालायें खुल जायें तो यह गाय कटना बंद हो जायेगी
उपाध्यक्ष महोदया -- पशुपालन विभाग अभी आने वाला है.अब आप समाप्त करें.
श्री कमल पटेल -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, इसलिये मैंने कैबिनेट से प्रस्ताव पास करवाया है कि हर जिले के अंदर कलेक्टर को हमने अधिकार दे दिये हैं.
उपाध्यक्ष महोदया --(श्री सुनील सराफ जी के अपने आसन पर खड़े होकर कुछ कहने पर) श्री सुनील सराफ जी आप बैठ जायें. श्री कमल जी आप अब समाप्त करें.
श्री कमल पटेल -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, उसमें से पांच से दस एकड़ जमीन नि:शुल्क गांव की समिति गौ संवर्धन बोर्ड में रजिस्ट्रेशन कराती है, उसको गौशाला नि:शुल्क दी जाये, ताकि तैइस हजार ग्राम पंचायतों में गौशालायें खुल सकें. यह मैंने 2008 में कर दिया था.
श्री लाखन सिंह यादव -- कुछ नहीं किया था, क्या कुछ धरातल पर किया था? यह आपका प्रोवीजन था, लेकिन आप धरातल पर जीरो थे.
उपाध्यक्ष महोदया -- कृपया आप समाप्त करें. काफी समय हो गया है.
श्री कमल पटेल -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं एक निवेदन और करूंगा जिस प्रकार किसान को सुबह उठकर सबसे अधिक काम खेत पर जाने का पड़ता है. किसान हो, मजदूर हो,महिलायें हो, बच्चे हों, सुबह चार बजे से खेत की ओर जाते हैं. पहले खेत के अस्सी कड़े के गोहे होते थे, वह अतिक्रमण होते-होते दस कड़ी के बचे हैं और इसलिये उनको अतिक्रमण मुक्त कराया जाये. चांदे, मिनारे लगाये जायें और चांदे मिनारे की जगह पीपल नीम और बड़ का पौधा लगा दिया जाये ताकि बड़े होकर हमेशा के लिये वह स्थायी मिनार बन जायें ताकि किसानों में झगड़े नहीं हों और उनके परिवार आपस में बंटे नहीं और हमने साथ ही उसके लिये मुख्यमंत्री खेत सड़क योजना शुरू कराई थी.
श्री मनोज नारायण सिंह चौधरी -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं कुछ पूछना चाहता हूं.
उपाध्यक्ष महोदया -- वह समाप्त कर रहे हैं, आप बैठ जायें. आप समाप्त करें काफी समय हो गया है.
श्री कमल पटेल -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना और मुख्यमंत्री खेत सड़क योजना में माननीय राजस्व मंत्री जी आप जमीन को नपवाकर दें और अतिक्रमण मुक्त करायें ताकि गांव में किसान को खेत में जाने के लिये पुल, पुलिया सहित पक्की सड़क मिल जाये, ताकि किसान,मजदूर और महिलायें और मवेशी जो हर साल कीचड़ में खपकर मरते हैं, वह नहीं मरेंगे और आपको दुआयें देंगे.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, माननीय सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय ने जनहित याचिका में एक निर्देश जारी किया है और उन्होंने आपके परिवहन आयुक्त को भी लिखा है और परिवहन आयुक्त ने अपनी औपचारिकता पूरी कर दी है और सभी कलेक्टर,एस.पी. और आरटीओ को लिख दिया है उन्होंने यह लिखा है कि प्रदेश में छ: चक्के और दस चक्के के डम्पर पर कोई भी ओवर लोड नहीं होना चाहिये, जितना आर.टी.ओ. में स्वीकृत है, उतना होना चाहिये. दस चक्के के डम्पर मात्र अठारह टन का स्वीकृत है. छ: चक्के के डम्प के लिये आठ टन का लोड स्वीकृत है लेकिन इनके अगेंस्ट सत्तर-सत्तर टन, अस्सी-अस्सी टन के डम्पर लोड होकर जा रहे हैं, जिससे सड़के खराब हो रही हैं, जिससे लोगों की दुर्घटना में मृत्यु हो रही है और प्रदेश की आर्थिक स्थिति भी खराब हो रही है और सड़कें खराब होने के साथ-साथ प्रदूषण फैल रहा है लेकिन उनके ऊपर परिवहन विभाग या पुलिस कोई कार्रवाई नहीं करती है बल्कि गांव के लोग जो मोटरसाईकल लेकर शहर में आते हैं उनकी गाडि़या रोज चेक करते हैं और रोज उनके जेब से पांच सौ रूपये, हजार रूपये निकालते हैं. इसलिये गांव के लोग शहर में आने से डर रहे हैं और शादी विवाह में जाने में डर रहे हैं. इस कारण से वह गाडि़यां भगाते हैं. मैं आपसे निवेदन करूंगा कि कम से कम मोटरसाईकल वाले जो गांव के मजदूर होते हैं. (व्यवधान)...
श्री वाल सिंह मैड़ा -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, पंद्रह साल तक इन्होंने राज किया है हमारी सरकार को अभी छ: माह हुआ है, इनको इतना बोलने की जरूरत क्यों पड़ी है ? आप बोल-बोल कर परेशान हो रहे हैं. (व्यवधान)....
उपाध्यक्ष महोदया -- ऐसे बीच-बीच में नहीं बोलते हैं, आप बैठ जाईये. श्री पटेल जी काफी समय हो गया है कृपया समाप्त करें.
श्री कमल पटेल -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, इसलिये आप निर्देश दें कि सारे डम्पर जो ओवर लोड चल रहे हैं, चार-चार फिट की पट्टी लगा लगाकर चल रहे हैं, उनकी पट्टी हटवाई जाये और जिन पर कार्रवाई नहीं हो रही है उन पर कार्रवाई की जाये. माननीय उपाध्यक्ष महोदया, आपने बोलने का समय दिया बहुत बहुत धन्यवाद.
निलय विनोद डागा -- श्री कमल भाई जिनके घर शीशे के होते हैं वह दूसरे के घर पर पत्थर नहीं मारते हैं.
उपाध्यक्ष महोदया -- आप बैठ जायें, श्री रामलाल मालवीय जी आप बोलें.
श्री रामलाल मालवीय (घटिट्या) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं मांग संख्या 8,9, 36 एवं 58 का समर्थन करने के लिये खड़ा हुआ हूं और कटौती प्रस्तावों का विरोध करता हूं.
उपाध्यक्ष महोदया -- एक मिनट मालवीय जी. आज कई विभागों की मांगों पर चर्चा होना शेष है, बोलने वाले सदस्यों की संख्या भी अधिक है. अत: माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया संक्षेप में अपने क्षेत्र की समस्या या सुझाव बिना भूमिका के देने का कष्ट करें, जिससे चर्चा में अधिक से अधिक सदस्यों को अवसर मिल सके. श्री मालवीय जी बोलें.
श्री रामलाल मालवीय -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, हम इसी के अनुरूप अपनी बात रखेंगे. हम भगवान महाकाल की नगरी से आते हैं, प्रति बारह वर्षों में सिंहस्थ महापर्व उज्जैन में लगता है और जिस प्रकार सरकारी जमीन पर अतिक्रमण होकर बड़ी कॉलोनियां बन रही है और बड़े-बडे़ कॉलोनाईजर उस पर अतिक्रमण कर रहे हैं. मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री महोदय से निवेदन है कि उज्जैन जैसे महानगर में सिंहस्थ जैसा महापर्व मनाने के लिये हम लोग चाहते हैं कि हमारी जो जमीन चाहे सरकारी हो या निजी हो उन कॉलोनाईजर से बची रहे ताकि आने वाले समय में सिंहस्थ जैसा महापर्व उज्जैन में जिस प्रकार पंरपरागत पीढि़यों से लगता है, वह लगता रहे. अभी हाल ही मैं नवीन घटिट्या तहसील को दो भागों में बांटा है और एक नवीन तहसील का गठन किया है. उज्जैन में कोटि महल को नवीन तहसील बनाई है पर ऑल रेडी वर्तमान में एक तहसील है और दूसरी तहसील का गठन घटिट्या को दो भागों में बांटकर एक नवीन तहसील कोटि महल का नाम दिया गया है. मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से इतना निवेदन है कि ऑल रेडी एक तहसील वहां पर है दूसरी तहसील का गठन अगर आपको करना था तो भैरूगढ़ एक कस्बा है, जिसके आसपास पूरा सिंहस्थ महापर्व लगता है. मेरा निवेदन है कि आपने किया है और पिछली सरकार ने किया है.
हम लोग माननीय मंत्री जी से चाहते हैं कि उसमें कुछ संशोधन कर भैरूगढ़ को, घट्टिया तहसील को 2 भागों में बांटकर भैरूगढ़ को नवीन तहसील का दर्जा दें ताकि आने वाले समय पर सिंहस्थ महापर्व लगे तो अलग ही उनकी पूरी एक तहसील रहे, आने वाले समय में उसी अनुरूप काम उसमें हो. सरकारी जमीनों पर जिस प्रकार का अतिक्रमण हो रहा है, जैसा कि आपने कहा है कि छोटी-छोटी बातों पर अपनी बात दें. सरकारी जमीन की जिस प्रकार की लूट मेरे पास जो जानकारी है, रीवा में सरकारी बेशकीमती जमीनों को औने-पौने दाम पर बेंचने का अभियान इस प्रदेश में पूर्व मंत्री अभी बैठे नहीं हैं, माननीय राजेन्द्र जी शुक्ल साहब ने एक सोने के व्यापारी समदडि़या ग्रुप को पूरा रीवा गिरवी रखवा दिया, उसका रिकार्ड माननीय मंत्री जी के पास में है. दूसरा एक और निवेदन है, सतना में हुआ 1 हजार करोड़ का शासकीय भूमि घोटाला. सतना जिले के दो गांव में सैकड़ों एकड़ सरकारी जमीन को गलत तरीके से सत्ता शीर्ष से जुड़े लोगों ने न केवल अपने नाम पर हस्तांतरित करवाई बल्कि उस जमीन पर अवैध उत्खनन भी किया. इस मामले को लेकर 7 मार्च 2018 को तत्कालीन हमारे प्रतिपक्ष के नेता माननीय अजय सिंह साहब ने भी विधान सभा में एक मुद्दा उठाया था और उस समय राजस्व मंत्री माननीय उमाशंकर गुप्ता जी थे, उन्होंने स्वीकार भी किया था कि इस प्रकार सरकारी जमीनों को राजनीतिक लोग अपने हित के लिये उपयोग कर रहे हैं. मेरा आपसे अनुरोध है कि उज्जैन से मैंने प्रारंभ किया और 2 जगह रीवा और सतना का मैंने आपसे अनुरोध किया. इस प्रकार पूरे मध्यप्रदेश में किसी प्रकार सरकारी जमीनों पर बड़े राजनीतिक लोगों ने इन पिछले 15 वर्षों में किस प्रकार अतिक्रमण किया, किस प्रकार उत्खनन किया, कल ही हमारे एक जागरूक सदस्य आपके सामने बता रहे थे. मैं आपसे यही अनुरोध करना चाहता हूं कि इन जमीनों को बचाया जाये. दूसरा आर.बी.सी. की धारा 15 में पहले तहसीलदार को अधिकार था कि उसमें कोई नाम गलत हो गया तो नाम संशोधन करने का अधिकार तहसीलदार के पास था, लेकिन अभी हम लोगों को जो जानकारी मिली, वह अब कलेक्टर के पास जायेगा. माननीय उपाध्यक्ष महोदया, उसमें इतना बड़ा लंबा काम हो गया, अगर कोई काश्तकार अपनी ऋण पुस्तिका में अगर गलत तरीके से नाम हो गया और वह नया खसरा वहां लेने जाये या बैंक से लोन लेने जाये या नोड्यूज लेने जायेगा तो उसमें नाम संशोधन नहीं होगा, तब तक उसको न तो कोई ऋण मिलेगा और न ही वह अपना खसरा ठीक करा सकता. इसलिये मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि जिस प्रकार की व्यवस्था पहले जैसे तहसीलदार को पावर थे तो उस प्रकार की व्यवस्था करें ताकि गलत नाम अगर उसमें हो गया तो उसमें संशोधन हो सके. एक और मैं आपसे विनम्र प्रार्थना करता हूं कि हम लोग चाहते हैं कि जिस प्रकार आपने कम्प्यूटराइज्ड किया. खसरा बी-1 लेने में लोक सेवा गारंटी के माध्यम से 1 सप्ताह का समय देते हैं. कई बार तुरंत किसी को आवश्यकता होती है, माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहूंगा कि अगर किसी को आज ही खसरा बी-1 की आवश्यकता होती है तो इस प्रकार की व्यवस्था रहे कि वह खसरा बी-1 पटवारी दे सके. अभी वर्तमान में जो व्यवस्था बनी हुई है वह केवल और केवल लोक सेवा गारंटी के माध्यम से ही खसरा हम लोगों को मिल रहा है. इसलिये मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से आग्रह करता हूं, आपसे पुन: यह प्रार्थना करता हूं कि उज्जैन में भगवान महाकाल की नगरी की जो जमीन है उनको बड़ी कॉलोनाइजर से, बड़े अतिक्रमणकर्ताओं से बचाया जाये ताकि हम आने वाले समय में भी जिस प्रकार का नाम प्रति 12 वर्षों में बहुत बड़ा सिंहस्थ महापर्व उज्जैन में होता है तो हम लोग सम्पन्न कर सकें. आपने मुझे बोलने का मौका दिया उसके लिये बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री रामलल्लू वैश्य (सिंगरौली)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं मांग संख्या 8, 9, 36 और 58 के कटौती प्रस्ताव के समर्थन में अपनी बात माननीय मंत्री जी को बताना चाहूंगा. मध्यप्रदेश में भू-राजस्व संहिता में क्रांतिकारी परिवर्तन हुये हैं. प्रदेश की जनता के लिये तमाम जिलों, तहसीलों में रिक्त पदों की भर्तियां हुई हैं, जो शेष हैं उनका भी होना चाहिये और आपका प्रबंधन के रूप में जो गरीबों के मकान गिर गये हैं पिछले अभी तक जो आरबीसी के प्रावधान हैं उनके अभी तक मुआवजें नहीं मिल पाये हैं. माननीय मंत्री जी से कहेंगे कि जिला कलेक्टरों को निर्देश करें, उसकी स्वीकृति भेजें ताकि ऐसे लोगों को मुआवजा मिल सके. सिंगरौली एक ऐसा जिला है जहां तमाम उद्योग हैं और उन उद्योगों के लिये जमीन का अधिग्रहण होता है. पिडरवा गांव में एक नई कंपनी आई, भूमि का अर्जन हुआ 2009 में, तब से लेकर उस जमीन का कब्जा आज तक नहीं कर पाये. मैं यह कहना चाहूंगा कि किसानों को 2013 में जो भू-राजस्व संहिता में संशोधन हुये, भूमि अधिग्रहण एक्ट में जो संशोधन हुये उसके अनुसार 5 साल में यदि कब्जा नहीं होते हैं तो वह प्रक्रिया शून्य हो जायेगी और किसानों को वह जमीन वापस हो जायेगी या शासकीय होगी तो शासन के अधीन हो जायेगी. यदि उन्हें पुन: अर्जन करना है तो नये सिरे से कर सकते हैं, पर 5 साल के बाद सिंगरौली जिले में ऐसी कई कंपनियां हैं जो अधिग्रहण करने के बाद जमीन पर कब्जा नहीं कर पाये हैं, ऐसे में उस प्रावधान का पालन करने की आवश्यकता है. इसलिये माननीय मंत्री जी से मैं कहूंगा कि उन भूमियों को वापस करायें. साथ ही अभी सिंगरौली जिले में नई तहसील का गठन हुआ है, उनके और निर्माण के लिये मेरे प्रश्न के उत्तर में तो आया है कि 533 लाख रूपये स्वीकृत किये गये हैं और इसका निर्माण कार्य शीघ्र होगा. इसके लिये मैं आपको बधाई देता हूं और यही मूल रूप से कि सिंगरौली जिले के अंतर्गत चितरंगी में तहसीलदार के पद खाली हैं, वहां पदस्थापना हो और यही नहीं बहुत से शासन ने पटवारी आरआई के लिये आवास सह कार्यालय बनाने के लिये जो योजना थी उसमें कई आरआई, पटवारी के सह कार्यालय के निर्माण नहीं हुये हैं, जिसके प्रस्ताव शासन स्तर पर आये हैं उनको भी स्वीकृत करने का कष्ट करें. आपसे आग्रह यही है कि पिछले कार्यकाल में आप सब जानते हैं कि मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता की धारा 162 में संशोधन हुआ था, किंतु नियम नहीं बन पाया था, लंबे अवधि में काबिज किसानों को अतिक्रमण जो किये थे उनको पट्टा देने की उसमें बात लिखी गई थी, तो मैं चाहूंगा कि 162 को पुन: क्रियान्वित करेंगे और तमाम ऐसे किसान हैं जो लंबी अवधि से काबिज हैं और उसको एक निर्धारित शुल्क करके उनको पट्टा देने का काम करेंगे, यह मांग मैं करता हूं और आपने मुझे समय दिया बहुत-बहुत धन्यवाद, जय हिन्द.
श्रीमती झूमा डॉक्टर ध्यान सिंह सोलंकी (भीकनगांव)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मांग संख्या 8, 9, 36 और 58 पर मैं अपनी बात रख रही हूं. राजस्व विभाग एक महत्वपूर्ण विभाग है और जब से हमारी सरकार बनी है, माननीय मंत्री जी के द्वारा इस विभाग को मजबूती देने के लिये जो निर्णय लिये गये, मात्र तीन महीने में जो आदेश निकाले हैं वास्तव में वह बहुत सराहनीय हैं. पटवारियों का मुख्यालय पर उपस्थित रहना, यह उन्होंने घोषणा की और हमारे चूंकि ट्रायवल एरिया है मजरे टोलों में ग्राम अधिक बसे हुए हैं इन ग्रामों को राजस्व ग्राम घोषित करना एक बहुत बड़ा काम है चूंकि पंचायत विभाग के द्वारा भी नयी पंचायतें गठित करने का काम हमारी सरकार ने शुरू किया है . राजस्व ग्राम नहीं होने से पंचायतें नहीं बन पा रही हैं, तो यह काम विभाग ने शुरू किया है, इसके लिये मैं धन्यवाद देती हूं.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा - माननीय उपाध्यक्ष महोदया,विभाग का मंत्री उपस्थित नहीं है. कोई नोट कर ले तो उचित रहेगा.
उपाध्यक्ष महोदया - आ रहे हैं. नोट कर रहे हैं दूसरे मंत्री.
श्रीमती झूमा सोलंकी - नोट कर रहे हैं दूसरे माननीय मंत्री जो उपस्थित हैं. आप निश्चिंत रहें. लोक अदालतों का आयोजन किया जायेगा यह आज की आवश्यकता है और विभाग के मंत्री द्वारा यह निर्णय लिया गया है इसके लिये धन्यवाद करती हूं. सार्वजनिक स्कूल,भवन,खेल मैदान हो उसकी जब स्वीकृति यहां से मिलती है और उसके डायवर्सन की समस्या आती है उसका भी उन्होंने सरलीकरण किया उसको जल्दी से परमीशन मिलेगी इसके लिये भी धन्यवाद और भू-अधिकार अधिनियम के अंतर्गत हमारे आदिवासी समाज को पट्टों की दिक्कतें आ रही हैं इसका जल्दी से जल्दी निराकरण किया जायेगा और समूह के रूप में कांग्रेस की सरकार जब 1993 में किसानों को एक कृषि कार्य हेतु समूह बनाकर एक संस्था का निर्माण किया गया. उनको जमीनें दी गईं. आज वह परेशानी में हैं क्योंकि उनका नामांतरण नहीं हो पा रहा है उनमें उनके नाम शामिल किये जायें. पिता की जगह पुत्र के नाम शामिल किये जायें यह मैं अनुरोध कर रही हूं. एक-दो मेरे सुझाव हैं जो हमें समस्याएं आ रही हैं. जी.आई.एस. व्यवस्था में रिकार्ड दुरुस्त करने के लिये किसानों के खसरा की नकल निकालने के लिये अपना नाम या तो सही नहीं है या स्पेलिंग मिस्टेक है, मात्राओं की गल्ती है इसका समाधान होना जरूरी है और मेरी दो तहसीलें हैं चूंकि दोनों की दूरी 30 कि.मी. के भीतर है और एक तहसीलदार है तो एक जगह काम करता है और बहाना बनाना हो तो दूसरी जगह नहीं जाते हैं तो दोनों जगह इसकी व्यवस्था मंत्री जी कर दें. इसके अलावा पूर्व सरकार द्वारा लोकल इनफार्मेशन सिस्टम लागू किया गया था जिसमें शासन की धनराशि का उपयोग तो हुआ किन्तु किसानों की और भी समस्याएं बढ़ गईं इसके दुरुस्तीकरण के लिये हमारे विभाग द्वारा स्वत: ही नामांतरण हो जायेंगे इससे आने वाले समय में लोगों को फायदा मिलने वाला है. आर.बी.सी. में पूर्व सरकार द्वारा खेती कार्य करते समय करेंट लगने से किसान की मृत्यु होती थी तो कुछ भी सहायता नहीं मिलती थी किन्तु हमारी सरकार ने किसानों को 4 लाख की सहायता देने का काम किया है यह सराहनीय काम है इससे किसानों को फायदा मिलने वाला है. माननीय उपाध्यक्ष महोदया, फसल बीमा नुकसानी पर आपदा के वक्त फसल बीमा जो मिलता है पूर्व सरकार ने हलका इकाई की है. हलका इकाई आज भी है किन्तु इसको खेत का ही होना चाहिये. हलका इकाई में पूर्व में 15 से 20 गांव होते थे और 20 गांवों में यदि अवर्षा की स्थिति उत्पन्न होती थी तो किसानों को इसका फायदा नहीं मिलता था और आज की स्थिति में हर हलके में एक पंचायत में 3 गांव होते हैं, तो निश्चित ही एक गांव की स्थिति समान होगी. इससे किसानों को फायदा मिलेगा और भी प्रावधान मंत्री जी ने किये हैं उसके लिये मैं उन्हें धन्यवाद देती हूं. धन्यवाद.
डॉ.मोहन यादव ( उज्जैन दक्षिण ) - माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं मांग संख्या 8,9,36 और 58 का विरोध और कटौती प्रस्ताव का समर्थन करते हुए मैं अपनी बात रखना चाहूंगा. जिस विषय पर बात हुई है हम कोशिश कर रहे हैं कि इसमें छोटे विषय जुड़ें. राजस्व इकाई की बात आ रही है तो किसके समय में हुआ,क्या हुआ लेकिन आज राजस्व की बात आई है तो उस पर भी बात करनी ही चाहिये, किसी सरकार की निंदा न करते हुए. उदाहरण के लिये राजस्व की प्रांत की इकाई के बाद सीधे संभाग की इकाई आती है और संभाग की इकाई के बाद हमारे जिलों की रचना आती है और संभाग की रचना में हमारे पास चंबल,भिंड,मुरैना,श्योपुर और वहीं इन्दौर जैसा संभाग 8-8 जिलों का, उसी प्रकार से उज्जैन और जबलपुर 7-7 जिलों का है. हमको लगता है कि राजस्व की बात करेंगे तो जिलों के पुनर्गठन करने की आवश्यकता है. इनकी भौगोलिक सीमा,आबादी, जब तक हम इसको इस दृष्टि से नहीं देखेंगे जैसे हमने आज समाचार पत्रों में पढ़ा कि भोपाल की 3 नयी तहसील बना रहे हैं. जब आप आगर जैसे जिले को जिसकी खुद की आबादी 6 लाख है तो 30 लाख की आबादी वाला इन्दौर के अन्दर के जिले के टुकड़े करने की आवश्यकता पड़ेगी. इसी प्रकार से भोपाल और उज्जैन के बारे में भी विचार करने की आवश्यकता पड़ेगी. जहां तक डिमांड राजनीतिक दृष्टि से होती है और हम उसकी पूर्ति कर देते हैं. यह राजस्व की दृष्टि से कहीं न कहीं अन्याय होगा. हमें इस पर विचार करने की जरूरत है. आप ऐसा पुनर्गठन आयोग आप बनाएं जो जिलों का युक्कियुक्तरण करने के साथ जिसमें संभाग और जिलों को दोबारा विचार करने की जरूरत है ताकि हमारी जो राजस्व की भावना है उस पर ठीक ढंग से काम हो सके. हमारे पास जो विस्थापित लोग हैं, चाहे बंगाली लोग हों, 1971 में बंगाल से आए हैं, या सिंधी समाज के हों जो 1947 से आये हैं. जगह-जगह आज तक इनके पट्टों का निराकरण नहीं किया गया है. अकेले उज्जैन की बात करूं बंगाली कॉलोनी के हमारे लोगों को बंगला बगीचा,नीमच के लोगों को या अन्य जगहों पर जो विस्थापित लोगों को उनके मालिकाना हक के पट्टे दे दिये जायें ताकि उनके लिये बैंक से लोन लेना, मकान बनाना या प्रतिभूति के नाते से व्यापार, व्यवसाय करते हैं तो उसका उपयोग हो जाये. हमारे यहां अपने खासकर इतना बड़ा विभाग है लेकिन इसका स्वयं का प्रकाशन नहीं है सिर्फ वेबसाईट है जब राजस्व विभाग अपना प्रकाशन नहीं करेगा तो यह कमी है इस पर ध्यान देने की जरूरत है. पटवारी और गिरदावरों के आवास की प्रक्रिया चालू करके उनको निवास और कार्यालय दोनों की बात सोची गई थी लेकिन यह आज तक लागू नहीं हो पाई. यह लागू हो पाएगी तो अभी पटवारी शहर में ही रहते हैं गांव में नहीं जाते हैं उन्होंने घर में ही कार्यालय खोल दिये हैं और किसान ढूंढते रहते हैं, भटकते रहते हैं. जहां पंचायत मुख्यालय तक अगर पटवारी पहुंचाने की बात कर रहे हैं तो आवास पर भी हमको जोर देना चाहिये अगर उचित लगे तो विधायकों से तालमेल करके तो हम अपनी विधायक निधि भी देने को तैयार हैं लेकिन इनका जो मूल क्षेत्र है वहां यह बैठकर काम करेंगे तो बेहतर होगा. मैं जिस उज्जैन जगह से आता है जहां सिंहस्थ का 12 साल में आयोजन होता है वह उज्जैन के लिये नहीं प्रदेश के लिये नहीं पूरे देश के लिये मान सम्मान का होता है लेकिन दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि सिंहस्थ को लेकर राजस्व विभाग ने अपनी व्यवस्थित प्लानिंग नहीं की. जब सिंहस्थ आता है तो ट