मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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पंचदश विधान सभा तृतीय सत्र
जुलाई, 2019 सत्र
शनिवार, दिनांक 20 जुलाई, 2019
(29 आषाढ़, शक संवत् 1941 )
[खण्ड- 3 ] [अंक- 9 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
शनिवार, दिनांक 20 जुलाई, 2019
(29 आषाढ़, शक संवत् 1941 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.06 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति(एन.पी.) पीठासीन हुए.}
प्रश्नकाल में उल्लेख एवं अध्यक्षीय व्यवस्था
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की महासचिव के साथ दुर्व्यवहार होना
श्री आरिफ अकील -- आज थोड़ा सा वजन बराबर किया है.
अध्यक्ष महोदय -- आप बोलें तो मैं एक मिनट ऐसे ही खड़ा रहूं.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -- अध्यक्ष महोदय आज 60 - 40 का रेशो तो नहीं है.
अध्यक्ष महोदय -- आज यह नूरानी चेहरा कहां गायब है.
श्री आरिफ अकील -- वह बाहर हैं आज.
अध्यक्ष महोदय -- अच्छा बाहर गये हैं. कोई व्यवस्था में तो नहीं गये हैं.
श्री आरिफ अकील -- मुझे उनकी खबर रहती है.
उच्च शिक्षा मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) -- अध्यक्ष महोदय कल आदरणीय प्रियंका गांधी जी को रात भर से डिटेक्ट करके रखा गया है. मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हूं, अमूल्य विषय है संसदीय कार्य मंत्री जी के लिए.
श्री आरिफ अकील -- अरे आप तो उसमें निंदा प्रस्ताव पारित करें और खत्म करें बात.
नेता प्रतिपक्ष ( श्री गोपाल भार्गव )-- अध्यक्ष महोदय अगर यह परंपरा बन गई हो तो हम लोगों को भी ऐसा समय आये तो अनुमति दीजियेगा...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- अब एक मिनट बैठ जायेंगे. दो दिन से मेरा ऐसा विचार हो रहा है कि..
श्री गोपाल भार्गव -- एक आयटम आपने कल दिखा दिया है, एक आयटम आज दिखा रहे हैं.
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा) -- आपकी पार्टी जो कलाकारी दिखा रही है पूरे भारत में उसका परिणाम है यह...(व्यवधान).. यह भाजपा की कलाकारी है.
श्री जितू पटवारी -- जिस तरह से उनके साथ में वहां पर व्यवहार हुआ है, वह अलोकतांत्रिक है वह उन गरीबों के आंसू पोछने जा रही थीं जिनको गोलियों से भून दिया था कुछ लोगों ने ---(व्यवधान)..कांग्रेस पार्टी का प्रत्याशी था उसके परिवार को गोलियों से भून दिया गया...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- मेरा आप सभी से अनुरोध है कि ऐसे विषयों को शून्यकाल में उठाएं तो ज्यादा अच्छा है....(..व्यवधान)..
जनजातीय कार्य मंत्री ( श्री ओमकार सिंह मरकाम ) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, उत्तरप्रदेश में 10 आदिवासियों की हत्या करवा दी है, भारतीय जनता पार्टी की सरकार के इशारे पर और आदिवासियों के हितैषी प्रियंका गांधी जी जब उनसे मिलने के लिए जा रही थीं उनको गिरफ्तार किया गया है..(व्यवधान).. अध्यक्ष महोदय जी यह भारतीय जनता पार्टी के इशारों पर ...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- यह क्या तरीका है...(व्यवधान)..
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- अध्यक्ष महोदय आदिवासियों को मारने का षडयंत्र भारतीय जनता पार्टी के लोग कर रहे हैं, और जब हमारे नेता, हमारे आदिवासियों के हितैषी, वह सिर्फ नेता नहीं है हमारे परिवार के मुखिया हैं और उनके लिए..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्नकाल चलने देना है या नहीं चलने देना है...(व्यवधान)..
..(व्यवधान)..
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- .. (व्यवधान के मध्य).. अध्यक्ष महोदय, यह बहुत बड़ा संकट है. यह देश के अंदर बहुत बड़ा संकट आ गया है कि आदिवासियों के मारने का काम भारतीय जनता पपार्टी के इशारे पर हो रहा है और हमारी नेता प्रियंका गांधी अगर वहां मिलने जा रही है, तो उनको गिरफ्तार करके उनको वहां जाने से रोका जा रहा है.
..(व्यवधान)..
श्री भूपेन्द्र सिंह -- अध्यक्ष महोदय, यह आपकी व्यवस्था को स्वीकार नहीं कर रहे हैं. यह मंत्रियों का आचरण है. ..(व्यवधान).. मेरा यह कहना है कि आपने जब आसंदी से व्यवस्था दे दी. ....(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- मेरा यह कहना है कि कृपया शांत रहें.
..(व्यवधान)..
चिकित्सा शिक्षा मंत्री (डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ) -- अध्यक्ष महोदय, यह लोकतंत्र की हत्या है.
..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- गोपाल जी, भूपेन्द्र सिंह जी एक मिनट बैठेंगे. रामेश्वर जी, आप बैठेंगे. मैं 3 दिन से ऐसा विचार कर रहा हूं कि कुछ लोकसभा की नियमावली मुझे यहां विधान सभा में लागू करने के लिये विवश कर रही है. हम शायद अब अगली बार से प्रश्नोत्तर आधे घण्टे बाद शुरु करा करेंगे. शून्यकाल पहले ले लिया करेंगे, ताकि जिसको जो करना है, जो बोलना है, बोल दें, ताकि जिन विधायकों ने प्रश्न किये हैं, उनके साथ तो कम से कम कुठाराघात न हो. (मेजों की थपथपाहट) नये विधायक बड़ी मुश्किल से प्रश्न लेकर आते हैं, शासन का बहुत पैसा जाया होता है, उनके उत्तर को ढूण्डने के लिये. मैं सहमत हूं, आपकी नाराजगी से सहमत हूं, आपकी बात से सहमत हूं. (पक्ष की तरफ से मेजों की थपथपाहट) (नेता प्रतिपक्ष,श्री गोपाल भार्गव के उठने पर) गोपाल भार्गव जी, एक मिनट. कभी कभी ऐसा विषय आपके यहां से भी आता है, अभी चार दिन पहले आया था. पर मैं चाहता हूं कि हम आज नेता प्रतिपक्ष जी आप, संसदीय कार्य मंत्री जी आप, आप दोनों कृपा पूर्वक इस संबंध में मेरे साथ चर्चा करें, ताकि हम सुचारु, व्यवस्थित तरीके से न्याय प्रदान कर सकें इस लोकतंत्र के मंदिर में.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, यदि पार्लियामेंट में होगा तो...
अध्यक्ष महोदय -- अपन विचार करेंगे.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, मेरा सिर्फ यह कहना है कि हमारी मध्यप्रदेश की विधान सभा में उत्तर प्रदेश में प्रियंका वाड्रा जी या अन्य के साथ कुछ भी हुआ हो, तो यहां चर्चा का क्या औचित्य है, यह हमें समझ में नहीं आ रहा है.
..(व्यवधान)..
श्री जितु पटवारी -- अध्यक्ष महोदय, आदिवासियों को भून दिया गया, आप क्या बात कर रहे हैं.
..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- विधान सभा की कार्यवाही 5 मिनट के लिये स्थगित.
(विधान सभा की कार्यवाही 11.13 बजे से 5 मिनट के लिये स्थगित की गई.)
11.18 बजे (विधान सभा पुन: समवेत हुई.)
{अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति(एन.पी) पीठासीन हुए.}
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
आत्महत्या के प्रकरण पर कार्यवाही
[गृह]
1. ( *क्र. 820 ) श्री प्रवीण पाठक : क्या गृह मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जबलपुर जिले के आधारताल थाना अंतर्गत न्यू रामनगर केशर विहार में दिनांक 09.04.2019 को सूदखोरों के द्वारा अवैध धन वसूली एवं जान से मारने की धमकी दिये जाने पर श्री बद्रीप्रसाद प्रजापति द्वारा आत्महत्या किये जाने संबंधी कोई प्रकरण/शिकायत दर्ज की गई है? (ख) यदि हाँ, तो प्रश्नांकित प्रकरण में पुलिस द्वारा किस दिनांक को एफ.आई.आर. दर्ज की गई? क्या मृतक के पास से सुसाइड नोट जप्त किया गया था? यदि हाँ, तो मृतक ने आत्महत्या के लिये प्रेरित किये जाने/प्रताड़ित किये जाने हेतु किन-किन व्यक्तियों को किन कारणों से दोषी ठहराया है? (ग) क्या मृतक द्वारा माह फरवरी, 2019 में पुलिस अधीक्षक, जिला जबलपुर को श्री बब्लू ठाकुर, निवासी जय प्रकाश नगर, श्री राजू पटेल, निवासी बधैया, मोहल्ला दमोह नाका, ए.एस.आई. विनोद पटेल, गोरखपुर थाना में पदस्थ एवं श्री राजेन्द्र चौधरी बधैया मोहल्ला, जबलपुर के विरूद्ध अवैध रूपयों की मांग कर प्रताड़ित किये जाने, मारपीट कर जान से मारने की धमकी दिये जाने संबंधी शिकायत दी गई थी? (घ) यदि हाँ, तो क्या पुलिस प्रशासन द्वारा समय पर दोषी व्यक्तियों के विरूद्ध आपराधिक कार्यवाही की गई? यदि नहीं, की गई तो प्रकरण पर त्वरित कार्यवाही नहीं करने हेतु कौन-कौन अधिकारी दोषी हैं? उन पर क्या कार्यवाही की जाएगी? प्रश्नांकित प्रकरण में अभी तक किन-किन व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया? क्या चालान प्रस्तुत कर दिया गया है एवं मृतक के परिवार को शासन द्वारा राहत प्रदान करने हेतु क्या-क्या कार्यवाही की गई?
गृह मंत्री ( श्री बाला बच्चन ) : (क) दिनांक 09.04.2019 को मृतक श्री बद्री प्रसाद प्रजापति पिता प्यारेलाल प्रजापति उम्र 50 वर्ष निवासी केशर बिहार न्यू रामनगर की आत्महत्या की घटना के संबंध में थाना अधारताल में मर्ग क्रमांक 31/19 धारा 174 दण्ड प्रक्रिया संहिता की जांच के आधार पर अपराध क्रमांक 547/19 धारा 306, 34 भारतीय दण्ड विधान का आरोपीगण 01. बबलू ठाकुर उर्फ खेम सिंह 02. राजेन्द्र चौधरी 03. ए.एस.आई. विनोद पटेल के विरुद्ध पंजीबद्ध किया जाकर विवेचना में लिया गया है.(ख) प्रश्नांकित प्रकरण में पुलिस द्वारा दिनांक 10.04.2019 को दर्ज मर्ग की जांच के आधार पर दिनांक 07.07.2019 को एफ.आई.आर. दर्ज की गई है. जी हां, मृतक के पास से एक सुसाइड नोट जप्त किया गया है जिसमें प्रश्नांश (क) के उत्तर में वर्णित व्यक्तियों का उल्लेख होने से प्रकरण में आरोपी बनाया गया है. (ग) जी नहीं, मृतक द्वारा ए.एस.आई. विनोद पटेल, श्री बबलू ठाकुर एवं राजेन्द्र चौधरी के विरुद्ध शिकायत नहीं की है, बल्कि दिनांक 13.02.2019 को मृतक द्वारा पुलिस अधीक्षक, जबलपुर को प्रेषित शिकायत राजू पटेल के विरुद्ध है.(घ) प्रकरण में मृतक की आत्महत्या के संबंध में अपराध पंजीबद्ध किया जाकर विवेचना की जा रही है. विवेचना में आये साक्ष्यों के आधार पर विधिसम्मत कार्यवाही की जावेगी. मृतक द्वारा आत्महत्या किये जाने के कारण राष्ट्रीय परिवार सहायता योजनान्तर्गत सहायता राशि नियमानुसार नहीं दी जा सकती है. आवेदिका को अंत्येष्टि सहायता की राशि रुपये 3000/- (तीन हजार रुपये) जिला दण्डाधिकारी द्वारा नगर निगम जबलपुर के माध्यम से नगद प्रदान की गई है.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न क्रमांक 1 श्री प्रवीण पाठक.
श्री प्रवीण पाठक -- माननीय अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद. मैं बहुत ही विनम्रता के साथ प्रश्न पूछने से पहले आपका संरक्षण चाहता हूँ. मैं अनुरोध यह करना चाहता हूँ कि जब हम लोग प्रश्न करते हैं, उत्तर उसका हमें सदन में घुसते-घुसते मिलता है. चूँकि प्रथम बार के विधायक हैं, तो मैं आपसे चाहता हूँ कि ऐसी व्यवस्था दें कि एक दिन पहले तो कम से कम विभाग से उत्तर मिल जाएं.
अध्यक्षीय व्यवस्था
प्रश्नों के उत्तर एक दिन पूर्व उपलब्ध कराया जाना
अध्यक्ष महोदय -- मैं आपकी बात से सहमत हूँ. संबंधित मंत्रियों से अनुरोध है कि वे अपनी माननीय विभाग के अधिकारियों को सूचित कर दें, जो नए विधायक हैं, अगर 11वें घण्टे में उनको उत्तर मिलेगा तो वे क्या तैयारी करेंगे, क्या प्रश्न करेंगे. इस बात का कम से कम विशेष ध्यान रखा जाए.
11.19 बजे तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर (क्रमश:)
श्री प्रवीण पाठक -- अध्यक्ष महोदय, आप तो बहुत ही न्यायप्रिय हैं, विशेष रूप से कल जिस प्रकार से आपने व्यवस्था दी, विशेष चर्चा के दौरान जो वर्षों पुराना घोटाला था, उस पर आपने न्यायपूर्ण कार्यवाही की, उसके लिए भी हृदय से मैं आपको धन्यवाद देता हूँ.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा माननीय मंत्री जी से यह प्रश्न है कि 9 अप्रैल, 2019 को जिला जबलपुर थाना आधारताल में प्रजापति समाज के बहुत ही प्रतिष्ठित व्यक्ति श्री बद्रीप्रसाद प्रजापति को कई असामाजिक तत्वों के द्वारा धमकी दी गई. वसूली के लिए कहा गया. इसके प्रेशर में आकर उन्होंने आत्महत्या की, मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूँ कि विभाग द्वारा, आपके अधिकारियों के द्वारा इस पर क्या कार्यवाही की गई है ?
श्री बाला बच्चन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा माननीय विधायक जी ने पूछा है, जानना चाहा है, मैं बताना चाहता हूँ कि दिनांक 9.04.2019 को मृतक श्री बद्री प्रसाद प्रजापति पिता श्री प्यारेलाल प्रजापति, उम्र 50 वर्ष, निवासी केशर बिहार न्यू रामनगर की आत्महत्या के संबंध में थाना आधारताल में मर्ग क्रमांक 31/19 कायम किया गया है. धारा 174 दण्ड प्रक्रिया संहिता की जांच के आधार पर अपराध क्रमांक 547/19 धारा 306, 34 भा.दं.वि. का आरोपीगण के विरुद्ध कायम कर दिया गया है. जो आरोपी बनाये हैं, वह बब्लू ठाकुर उर्फ खेम सिंह, दूसरा राजेन्द्र चौधरी, तीसरा एएसआई विनोद पटेल के विरुद्ध प्रकरण पंजीबद्ध किया जाकर विवेचनाधीन है.
श्री प्रवीण पाठक - अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से यह जानना चाहता हूं कि जब घटना 09.04.2019 की है, तो उसके 2-3 महीने बाद उन पर एफआईआर क्यों दर्ज हुई ?
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, जो सुसाइड नोट मिला था, उसकी जांच की जा रही थी. जांच रिपोर्ट आ गई है और जांच रिपोर्ट आने के तुरंत बाद प्रकरण दर्ज कर लिया गया है और अगली कार्यवाही शुरू कर दी गई है.
श्री प्रवीण पाठक - अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी के संज्ञान में यह बात लाना चाहता हूं कि 13.02.2019 को मृतक ने आवेदन थाने में दिया था, यदि उस समय ही कार्यवाही हो जाती, तो मुझे नहीं लगता कि कोई व्यक्ति को इस दुनिया से जाना पड़ता. इसमें आप उनके परिवार को क्या आर्थिक सहायता दे रहे हैं ? यह भी मैं आपसे जानना चाहता हूं और जिन लोगों के खिलाफ मृतक ने फरवरी के महीने में शिकायत की थी, उन लोगों पर आप क्या कार्यवाही कर रहे हैं ?
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, चूंकि मामला आत्महत्या से संबंधित है, इसलिये..
श्री प्रवीण पाठक - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माफी चाहता हूं, यह आत्महत्या नहीं मर्डर है.
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी के पास जो आर्थिक सहायता होती है, इसके लिये मैं निवेदन करूंगा कि उनके परिवार को आर्थिक सहायता उपलब्ध करवा दी जाए. बाकी जहां तक गिरफ्तारी का जो सवाल है, तत्काल हम एक एसआईटी गठित करके जो तीन आरोपी बने हैं, जिनका मैंने उल्लेख किया है, उनको तत्काल हम गिरफ्तार करेंगे.
श्री प्रवीण पाठक - माननीय अध्यक्ष महोदय, क्या माननीय मंत्री महोदय, उन अधिकारियों पर कार्यवाही सुनिश्चित करेंगे और अभी तक क्यों गिरफ्तारी नहीं हुई है ? मैं माननीय मंत्री जी से आपके माध्यम से यह मैं जानना चाहता हूं और आपका विशेष संरक्षण चाहता हूं.
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, सुसाइड नोट की जांच रिपोर्ट अभी-अभी आयी है, इस कारण से अब जो अपराध बना है, अपराध के मुताबिक हम कायमी करेंगे और उन अपराधियों को हम गिरफ्तार करेंगे. मैंने जैसा आपको बताया है कि आज ही तत्काल एसआईटी गठित करके हम उनको जेल के शिकंजों में पहुंचायेंगे.
अध्यक्ष महोदय - विधान सभा में प्रश्न आने के बाद 3 महीने पुरानी हत्या की जांच आपके विभाग ने शुरू की. फिरौती मांगी गई थी, प्रमाण हैं. वह ऐसे कौन से वजनदार लोग हैं जिनकी वजह से आज भी आप उनको पकड़ नहीं पा रहे हैं ? संबंधित व्यक्ति की हत्या हो गई. आपको मालूम है उसके परिवार में छोटे-छोटे कितने बच्चे हैं ? क्या यह संवेदनाएं पुलिस विभाग नहीं देखता है ? अभी भी इसी में लिपटा हुआ है कि हम देखेंगे, पकड़ेंगे, एसआईटी, इतने कितने बड़े उस्ताद लोग हैं जो एसआईटी की बात आ गई ? जबलपुर के लोग जबलपुर में रह रहे हैं, फिरौती मांग रहे हैं, हत्या कर रहे हैं और आपका विभाग उसमें इतनी आराम से, इतनी चहलकदमी से कार्यवाही कर रहा है ? अरे, जब फिरौती मांगी थी तभी यह पटाक्षेप करते, तो उसकी हत्या तो नहीं होती. मेहरबानी करके ऐसे गंभीर विषयों में आप अपने विभाग को सचेत करिये. समय सीमा में ही इनकी कार्यवाही होना चाहिये. ऐसे विषयों में यह आप सुनिश्चित करें.
श्री प्रवीण पाठक - अध्यक्ष महोदय, उस समय पर जो अधिकारी पदस्थ थे, उन पर भी कार्यवाही सुनिश्चित करवायें.
अध्यक्ष महोदय - चलिये, बैठिये. प्रश्न क्रमांक 2
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) - अध्यक्ष महोदय, आपकी व्यवस्था के लिये धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय - जी, धन्यवाद.
विधान सभा क्षेत्र सोहागपुर अंतर्गत स्वीकृत मार्ग
[पंचायत और ग्रामीण विकास]
2. ( *क्र. 628 ) श्री विजयपाल सिंह : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधान सभा क्षेत्र सोहागपुर में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना द्वारा वर्ष 2018 में कितने मार्ग स्वीकृत किये गये हैं? उनके नाम एवं लंबाई लागत सहित सूची उपलब्ध करावें। (ख) क्या वर्ष 2018 में जो मार्ग स्वीकृत हुये हैं, उनकी निविदा आमंत्रित हो चुकी है परन्तु अभी तक किस कारण से कार्य प्रारंभ नहीं हुये हैं? (ग) सोहागपुर ब्लॉक के शोभापुर रेवावनखेड़ी, रेपुरा से भजियाढाना, शोभापुर रेवावनखेड़ी से लखनपुर, शोभापुर रेवावनखेड़ी से ढाना, शोभापुर रेवावनखेड़ी से सुखाखेड़ी, अकोला से नकटुआ एस.एच. 22 से नीमनमूढ़ा, एस.एच. 22 से पांजरा शोभापुर माछा से बढैयाखड़ी, शोभापुर माछा से रनमौधा, भटगांव से खिमारा, रेवावनखेड़ी से गौरीगांव, गुरमखेड़ी पामली से लखनपुर, रेवावनखेड़ी से सोडरा, शोभापुर भटगांव से घूरखेड़ी माछा भटगांव से मदनपुर सोनपुर से गौडीमरकाढाना, माछा अजेरा से आटाश्री स्वीकृत मार्गों का निर्माण कब तक प्रारम्भ कर दिया जायेगा?
पंचायत मंत्री ( श्री कमलेश्वर पटेल ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) जी हाँ, कार्य प्रारंभ हो चुका है, शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) प्रश्नांश (ग) में वर्णित 9 मार्गों का निर्माण कार्य प्रारंभ हो चुका है शेष 8 मार्गों के निर्माण हेतु निविदा की कार्यवाही प्रचलन में है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। शेष जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है।
श्री विजयपाल सिंह-- माननीय अध्यक्ष जी, मैं आपका संरक्षण चाहूँगा. मेरी विधान सभा में 2015-16 में मुख्यमंत्री ग्राम सड़क के तहत सड़कें स्वीकृत हुई थीं और 2017 में उनकी प्रक्रिया प्रधानमंत्री सड़क में कनव्हर्ट होकर सड़क बनना थी, उस समय टेण्डर हुए, टेण्डर में, ठेकेदार ने टेण्डर लिया और आज दिनाँक तक उन सड़कों पर कार्य प्रारंभ नहीं हुआ है. अध्यक्ष महोदय, मैं आप से और माननीय मंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हूँ कि उत्तर तो इतना बढ़िया दे दिया जाता है कि हर सड़कों में लिखा है कार्य प्रगति पर है. मैं माननीय मंत्री जी से यह पूछना चाहूँगा कि ये सड़कें कब स्वीकृत हुई थीं, इनके वर्क ऑर्डर कब हुए थे और क्या इन सड़कों पर कार्य प्रगति पर है? आप ये वाली जाँच कराएँगे कि इस तरह से उत्तर दिया जाना कहीं न कहीं गलत है. इस प्रकार के कोई उत्तर आते हैं तो उन अधिकारियों पर कहीं न कहीं कार्यवाही होना चाहिए, यह गलत उत्तर है, एक भी सड़क नहीं बनी है. मैं उस क्षेत्र से तीन बार का एम.एल.ए. हूँ, लगातार मैं उस क्षेत्र में, गाँव में, आते-जाते रहता हूँ और देखता हूँ. मात्र एक सड़क पर मिट्टी डालकर लेवलिंग की है और एक भी सड़क नहीं बनी है, तो मैं माननीय मंत्री जी से यह पूछना चाहूँगा कि ये सड़कें कब स्वीकृत हुई थीं, वर्क ऑर्डर कब हुए और किस ठेकेदार ने इस सड़क का टेण्डर लिया और उन्होंने आज दिनाँक तक कार्य प्रारंभ क्यों नहीं किया? क्या उनका ठेका निरस्त करके पुनः किसी दूसरे ठेकेदार को देने का कष्ट करेंगे.
श्री कमलेश्वर पटेल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी का जो प्रश्न है बहुत लाजमी है और हम समझते हैं कि सभी जन प्रतिनिधियों को अपने क्षेत्र के प्रति और विकास कार्यों के प्रति चिंतित रहना चाहिए. अध्यक्ष महोदय, यह जो कार्य स्वीकृति की बात की है माननीय विधायक जी ने यह 15.12.2017, 19.7.2018 एवं 28.2. 2019 को निविदाएँ आमंत्रित की गई थीं इसमें जो प्रगतिरत कार्य का उल्लेख किया है. उसमें एक मार्ग को छोड़कर बाकी मैंने खुद आपके जो प्रगतिरत मार्ग का उल्लेख किया विभाग ने, उसके बारे में हमने स्वयं संज्ञान में लेते हुए और विभागीय अधिकारियों को निर्देशित भी कर रहे हैं कि जो वस्तु स्थिति हो उसके बारे में परीक्षण कराकर माननीय विधायक जी से स्वयं हमारे जो विभाग के अधिकारी हैं, आप से चर्चा करेंगे क्योंकि एक मार्ग पर ही सिर्फ अभी तक अर्थ वर्क का कार्य जो चल रहा है उसी का सिर्फ भुगतान किया गया है बाकी जो सात प्रगतिरत मार्ग हैं उन पर अभी किसी प्रकार का भुगतान नहीं हुआ है, मार्गों पर सिर्फ सफाई एवं सर्वे कार्य चल रहा है. भुगतान मात्र बी.टी. मार्ग पर हुआ है, तो आगे जब भी, हम समझते हैं कि ये 6 महीने के अन्दर आपका जो प्रगतिरत मार्ग है वह पूर्ण हो जाएगा, जिसका उल्लेख किया है माननीय अध्यक्ष महोदय, हम आपके माध्यम से निर्देशित कर रहे हैं कि 6 महीने के अन्दर जो अधूरे कार्य हैं, जो प्रगतिरत हैं वे पूर्ण हो जाएँ और कुछ मार्ग ऐसे हैं जिन पर निविदाएँ तो आमंत्रित की गई थीं पर अध्यक्ष महोदय, ठेकेदार द्वारा वह कार्य छोड़कर चले जाने की वजह से दुबारा निविदाएँ आमंत्रित की जा रही हैं और जल्दी माननीय विधायक जी से भी हम निवेदन करेंगे कि क्या वजह है कि आपके यहाँ ठेकेदार निविदाएँ छोड़कर जा रहे हैं. आपका भी संरक्षण चाहिए. आपके भी संज्ञान में कोई ऐसे ठेकेदार हों, तो आप भी उनको पार्टिसिपेट करने के लिए निर्देशित करेंगे और जो अधूरे कार्य हैं, वह जल्द पूरे कर लिए जाएँगे.
श्री विजयपाल सिंह-- माननीय मंत्री जी, जो आपने पूछा है कि क्या कारण हैं कि वहाँ ठेकेदार आ नहीं पा रहे हैं. मैं किसी व्यक्ति विशेष का नाम यहाँ लेना नहीं चाहूँगा, जो ठेकेदार हैं, वे बाहुबली ठेकेदार हैं, बाहर का कोई भी ठेकेदार वहाँ पर आ नहीं पाता है. कोई ठेकेदार टेण्डर लेता है तो उसको इतना डराया धमकाया जाता है कि वह वहाँ टेण्डर लेने की हिम्मत भी नहीं कर पाता है और उन्होंने जो टेण्डर लिया है उसमें आज तक कार्य प्रारंभ नहीं हुआ है. माननीय मंत्री जी को कहीं से पर्ची आ गई बता दिया कि कुछ भुगतान एक सड़क पर हुआ है, माननीय मंत्री जी इसकी जाँच करा लें. एक सड़क पर नहीं अनेकों सड़कों के भुगतान उसमें किए गए हैं सफाई के नाम से, ग्रेवल के नाम से और अर्थ वर्क के नाम से, मैं आप से अनुरोध करूँगा कि इस तरह की गलत जानकारी अगर आप तक आती है तो उसमें कम से कम आप सही जानकारी प्राप्त करें और जिन अधिकारियों ने जानकारी दी, उन पर कार्यवाही करने का कष्ट करें, ऐसा मेरा आप से अनुरोध है, फिर मैं आप से एक प्रश्न और करूँगा.
श्री कमलेश्वर पटेल--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी ने जो चिन्ता जाहिर की है जहां भी विसंगति है और माननीय सदस्य ने संज्ञान में लिया है, बिना कार्य कराए अगर कहीं भुगतान हुआ है. हम इसकी जांच करा लेंगे, जांच के पश्चात् उसकी रिपोर्ट आपके समक्ष आ जाएगी.
श्री विजयपाल सिंह--माननीय मंत्री जी जब जाँच कराएं तो विधायक को उस जांच में शामिल कर लें. उसकी जांच हो जाए.
अध्यक्ष महोदय--बुला लेंगे.
श्री विजयपाल सिंह--दूसरा मेरा अनुरोध है कि जो बाकी सड़कें जिनके टेण्डर अभी तक हुए नहीं है उनके टेण्डर शीघ्र बुलाकर उन पर कार्य प्रारंभ कराने का कष्ट करें.
श्री कमलेश्वर पटेल--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी का जो आग्रह है कि वे स्वयं जांच समिति में रहना चाहते हैं अगर आपका निर्देश होगा तो उन्हें भी शामिल कर लेंगे.
अध्यक्ष महोदय--बिलकुल जांच में उनको रखिए.
श्री कमलेश्वर पटेल--माननीय विधायक जी को भी जाँच में शामिल कर लेंगे. जिन पुरानी निविदाओं का समय खत्म हो गया है वे निविदाएं पुन: एक महीने के अन्दर बुलाकर, जैसा कि हमने निवेदन किया है कि आपका भी वहां पर काफी प्रभाव है. हमारी सरकार में किसी गुण्डा एलीमेंट्स के लिए जगह नहीं है. आप इसके लिए बिलकुल सजग रहिए, ऐसा बिलकुल नहीं होगा. हमारी सरकार का ऐसे लोगों को बिलकुल संरक्षण नहीं मिलेगा.
श्री विजयपाल सिंह--मेरा एक प्रश्न और है. आपका संरक्षण चाहिए.
अध्यक्ष महोदय--आपके तीन प्रश्न हो गए. आपकी पूरी बात आ गई है. मुझे आगे के प्रश्न लेना हैं.
श्री विजयपाल सिंह--मेरा एक प्रश्न और है.
अध्यक्ष महोदय--आप बैठिए. यह अब जो बोलेंगे नहीं लिखा जाएगा.
श्री विजयपाल सिंह--(XXX)
11.32 बजे स्वागत उल्लेख
राज्यसभा सांसद श्री विवेक तन्खा का अध्यक्षीय दीर्घा में उपस्थिति पर सदन द्वारा स्वागत.
अध्यक्ष महोदय--आज सदन की दीर्घा में राज्यसभा सांसद श्री विवेक तन्खा उपस्थित हैं, सदन की ओर से उनका स्वागत है. (मेजों की थपथपाहट)
श्री विश्वास सांरग--माननीय अध्यक्ष महोदय, सांसद विवेक तन्खा जी को केन्द्र सरकार और नरेन्द्र मोदी जी ने एम्स की स्क्रीनिंग और मॉनिटरिंग कमेटी का सदस्य बनाया उसके लिए उनको बहुत बधाई.
11.33 बजे तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर (क्रमश:)
मांगलिक भवनों का निर्माण
[पंचायत और ग्रामीण विकास]
3. ( *क्र. 1143 ) श्री देवेन्द्र वर्मा : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) पंचायत एवं ग्रामीण विकास द्वारा गत पाँच वर्षों में इन्दौर संभाग अंतर्गत कितने सामुदायिक भवन/मांगलिक भवनों के निर्माण हेतु कितनी राशि स्वीकृत की गई? वर्षवार जानकारी दें। (ख) विधान सभा क्षेत्र खण्डवा में विगत पाँच वर्षों में कितने मांगलिक/सामुदायिक भवनों का निर्माण पूर्ण हो गया है? वर्षवार जानकारी दें। (ग) क्या पूर्व वर्षों की भांति प्रत्येक विधान सभा क्षेत्र के ग्रामीण क्षेत्र में प्रतिवर्ष 5-10 मांगलिक भवन स्वीकृत करने की परम्परा को यथावत रखा जायेगा? यदि हाँ, तो क्या इसके प्रस्ताव माननीय विधायकों से लिए जायेंगे? यदि हाँ, तो कब तक?
पंचायत मंत्री ( श्री कमलेश्वर पटेल ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (ग) प्रश्नांश (ग) अनुसार कोई प्रस्ताव वर्तमान में विचाराधीन नहीं है।
श्री देवेन्द्र वर्मा--माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे नेता प्रतिपक्ष माननीय गोपाल भार्गव जी के नेतृत्व में पूर्व में सभी विधायकों के सभी क्षेत्रों में पूरी निष्पक्षता के साथ विकास के कार्य हो रहे थे. चाहे वह खेल का मैदान हो, स्ट्रीट लाइट हो, मांगलिक भवन हो, पंच-परमेश्वर सड़क हो. वर्तमान में पूर्व के यह सभी कार्य ठप हो चुके हैं. मांगलिक भवन की राशि रोक दी गई है. कहीं यह आधे बने हैं कहीं अधूरे बने हैं.
अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मैं मंत्री जी से जानना चाहूँगा कि इन मांगलिक भवनों को पूरा किया जाएगा या नहीं. स्ट्रीट लाइट पूर्व में एक-एक ब्लाक में 5-5 पंचायतों में दी गई थी उसको आगे बढ़ाकर पूरे ब्लाक में विद्युतीकरण हो सके. जहाँ पर खेल के मैदान हों वे बन सकें. क्या इस प्रकार की कोई योजना है ?
श्री कमलेश्वर पटेल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी का जो प्रश्न है. मध्यप्रदेश की सभी ग्राम पंचायतों में सामुदायिक भवन, पंचायत भवन और पंचायतों के अन्तर्गत स्ट्रीट लाइट्स, सौन्दर्यीकरण का काम हो सकता है उससे संबंधित है. विभाग के पास स्टाम्प शुल्क की जो राशि का प्रावधान है, पूर्व पंचायत ग्रामीण विकास मंत्री जो वर्तमान में नेता प्रतिपक्ष हैं. हम भी विधान सभा में जब विधायक के रुप में बैठते थे उस समय हमने नेता प्रतिपक्ष जी (तत्कालीन मंत्री) को धन्यवाद भी दिया था, सारे विधायकों से प्रस्ताव लेकर माननीय नेता प्रतिपक्ष जब मंत्री थे तब उन्होंने इस तरह की व्यवस्था बनाई थी. कहीं ज्यादा दिया था कहीं कम दिया था. हम विपक्ष में थे तो हम लोगों से कम लेते थे. पर यह अच्छी पहल थी, सच बात तो यह है कि माननीय पूर्व मंत्री महोदय ने हमारे पास जितनी राशि थी उससे कहीं दोगुना से तीन गुना राशि की स्वीकृति करके गए हैं. वर्तमान में हमारे पास जो देनदारी है वह 982.67 करोड़ रुपए की है. इतनी देनदारियाँ हैं और इसमें और इसमें विसंगतियां भी हुईं. विधायक जी ने बहुत ही अच्छा प्रश्न पूछा है. हमारे वचन पत्र में भी है कि हम कहीं कोई ऐसा गांव नहीं छोड़ेंगे जो पंचायत भवन विहीन हो, कोई ऐसा गांव नहीं छोड़ेंगे जहां सामुदायिक भवन न हो परंतु सच बात तो यह है कि हमारे पास जैसे-जैसे आय की व्यवस्था होगी, जैसे ही हमारी यह जो पुरानी देनदारियां हैं और कोई भी ऐसा कार्य नहीं रोका गया है सिर्फ इसलिए रोका गया है कि (XXX) न हो. अध्यक्ष महोदय, क्षमा कीजिएगा मुझे ऐसा बोलना नहीं चाहिए दलाल लोग घूमते थे और दलाल सीधे सैटिंग करके पैसा ले जाते थे. मेरे स्वयं के विधान सभा क्षेत्र में बिना कार्य कराए यहां से एक-एक करोड़ रुपए स्वीकृत कराकर ले गए. सरपंच सेकेट्रियों ने मिलकर 20-20, 25-25 लाख रुपया सीधा निकाल लिया. आज भी सेकेट्री निलंबित है. हमने स्वयं जियामन और खुरसा पंचायत के दो सेकेट्रियों को निलंबित किया है. आज भी हम उनके डाटा कलेक्शन करा रहे हैं कि कौन-कौन सी पंचायतों में सीधे राशि गई है जिला पंचायतों में उसकी जानकारी नहीं है तो इस तरह की जो विसंगतियां हुईं हैं, इस तरह का जो भ्रष्टाचार हुआ है हम कह सकते हैं कि इसमें भ्रष्टाचार भी हुआ है. पूर्व मंत्री जी की, नेता प्रतिपक्ष जी की मंशा ठीक थी परंतु कहीं न कहीं अनकंट्रोल था, कहीं न कहीं इन राशियों का दुरुपयोग हुआ है जिसकी वजह से आज इतनी देनदारियां है. कहीं तो बहुत सारे सामुदायिक भवन बन गए जैसे रहली विधान सभा क्षेत्र में स्वाभाविक है कि मंत्री थे तो अपने क्षेत्र में उन्होंने कराए पर टोले मजरे में भी बन गए. अगर हम बात करें कि रहली में...
श्री देवेन्द्र वर्मा-- आप केवल मेरे प्रश्न का उत्तर दे दीजिए.
श्री कमलेश्वर पटेल-- जवाब ही दे रहा हूं. जितना इन्होंने पूछा है जवाब बहुत वृहद है क्योंकि सरकार के ऊपर प्रश्न चिहृन लगाया है. हमने कोई काम नहीं रोके हैं.
श्री बहादुर सिंह चौहान- अध्यक्ष महोदय, हमारा भी प्रश्न है और मंत्री जी पूरा भाषण दे रहे हैं. उन्हें सीधे हमारे प्रश्न का उत्तर देना चाहिए. हमारा प्रश्न कैसे आएगा. (व्यवधान)...
श्री शैलेन्द्र जैन-- आप यहां वहां की बात मत कीजिए. अधूरे बने पड़े हैं, बंजर हो गए हैं, काम शुरू नहीं हो पा रहा है. मेरे खुद के विधान सभा क्षेत्र का मामला है. आप वह दिन बता दीजिए आप काम कब पूरा करेंगे. (व्यवधान)...
श्री देवेन्द्र वर्मा-- अध्यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहूंगा. (व्यवधान)..
श्री प्रियव्रत सिंह-- सवाल कर रहे हैं तो जवाब सुनने के लिए भी तैयार रहना चाहिए. जवाब हमेशा मीठा नहीं होता है. (व्यवधान)...
श्री कमलेश्वर पटेल-- अध्यक्ष महोदय, आज की तिथि में 524 करोड़ 71 लाख रुपए हमारे पास है और उसमें से हमको जैसा कि हमने आपको बताया कि 9 करोड़ 82 लाख 67 हजार रुपए अभी हमारी देनदारी है तो जब इसका समाधान हो जाएगा क्योंकि देनदारी इसलिए रोकी गई है अगर किस्त जारी नहीं की गई है तो हम इसका निरीक्षण परीक्षण करा रहे हैं और जहां प्रथम या द्वितीय किस्त जा चुकी है ऐसे कोई निर्माण कार्य नहीं रोके जाएंगे हां यह जरूर है कि जहां एक भी किस्त नहीं गई है ऐसे कार्य जरूर हमने निरस्त करने के आदेश दिए हैं क्योंकि हमारी सरकार की भी प्राथमिकताएं हैं.
श्री देवेन्द्र वर्मा--अध्यक्ष महोदय मंत्री जी बोल रहे हैं कि करोड़ों के घोटाले हुए हैं तो करोड़ों के घोटाले हुए हैं तो आप कार्यवाही करो. आपने कितने लोगो पर कार्यवाही की है मेरा सीधा सा प्रश्न था कि जो कार्य अधूरे हैं मेरे ब्लॉक में, खण्डवा जिले में कई पंचायतों को, भोपाल की जीरो कर दिया गया है. उनका पोर्टल ही पूरी तरीके से बंद कर दिया गया है कई बार पत्राचार किया है उनका पोर्टल तक चालू नहीं कर रहे हैं. खाते बंद कर दिए हैं कई जगह से पैसा बुला लिया है. मांगलिक भवन इस प्रकार के निमार्ण कार्य अधूरे पड़े हैं. मेरा आपके माध्यम से निवेदन है कि जो कार्य अधूरे हैं उनको पूर्ण कराएं और क्या इस योजना को जारी रखेंगे मेरा मंत्री जी से सिर्फ इतना सा प्रश्न है?
श्री कमलेश्वर पटेल-- अध्यक्ष महोदय, हमने पहले ही कहा है कि हमारे वचन पत्र में यह कार्य है हम इसे जरूर करेंगे पर व्यवस्थित ढंग से करेंगे, नीति बनाकर करेंगे. सरकारी धन का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए. यह हम सब की जिम्मेदारी है इसलिए कोई भी द्वितीय किस्त या तृतीय किस्त.. (व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- रामेश्वर जी जो बोल रहे हैं वह नहीं लिखा जाएगा.
श्री रामेश्वर शर्मा-- (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- आप जरा एक मिनट शांत रहिए. जैसी गेंद फेंक रहे हो बल्लेबाज अगर बल्लेबाजी कर रहा है तो थोड़ा धैर्य तो रखिए.
श्री कमलेश्वर पटेल-- अध्यक्ष महोदय-- कोई भी निर्माण कार्य जो स्वीकृत हो चुके हैं, जिनमें पहली द्वितीय किस्त जारी हो चुकी है सारे कार्य पूरे कराएंगे आधे अधूर नहीं छोड़ेंगे. हमने सिर्फ यह व्यवस्था बनाई है कि जो (XXX) हुई है, जिसका कोई लेखा-जोखा नहीं है, उसे संग्रहित करवाकर और नीति बनाकर यह कार्य किया जायेगा.
अध्यक्ष महोदय- भार्गव जी, आप कहिये. वर्मा जी, आप बैठिये आपकी गाड़ी छूट गई है.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने अपने उत्तर में जो बताया है, मैं उसके लिए आपको जानकारी देना चाहता हूं. पिछले विधान सभा चुनाव होने के लगभग 4 माह पूर्व, आप सभी सदस्य दुबारा चुनाव जीत के आ सकें क्योंकि विधायक निधि बहुत ही सीमित होती है. विधान सभा क्षेत्र की विकास निधि के सीमित होने के कारण और आप सभी सदस्यों की इच्छानुसार मैंने निष्पक्ष रूप से बगैर किसी पक्षपात के, बगैर किसी पार्टी की भावना के, मैंने सारे विधायकों के लिए उनकी इच्छानुसार 3 और 5 सामुदायिक भवन स्वीकृत किए थे. (मेजों की थपथपाहट)
माननीय अध्यक्ष महोदय, इसके साथ ही मैंने 20-20 लाख रूपये के सी.सी.रोड भी दिये थे. मैंने स्ट्रीट लाईटस् भी दी थीं और यह कहा था कि सभी विधायक सूची बनाकर दे दें कि आपको कहां सामुदायिक भवन चाहिए, किस गांव में भवन चाहिए. इसकी सूची आ गई. सी.सी.रोड की भी जानकारी आ गई थी. उन गांव की भी जानकारी आ गई थी जहां इलेक्ट्रिक स्ट्रीट लाईटस् लगनी थीं और इन कार्यों की सारी की सारी राशि हमने जिला पंचायतों में भिजवा दी थी और कार्य भी प्रारंभ हो गए थे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे जो जानकारी प्राप्त हुई है कि जिला पंचायत में जमा राशि नई सरकार आने के बाद, शायद हो सकता है मैं सही हूं या नहीं हूं लेकिन उस राशि का आहरण नई सरकार द्वारा कर लिया गया और वह राशि राज्य शासन के कोष में फिर से आ गई. (शेम-शेम की आवाज)
माननीय अध्यक्ष महोदय, इसलिए मैं कहना चाहता हूं कि मंत्री जी अपनी जानकारी दुरूस्त कर लें. मैंने बगैर पार्टी के भेदभाव के, आप सभी दुबारा चुनकर आ जायें क्योंकि सभी सदस्यों ने कहा था कि विधायक निधि हमारे लिए पर्याप्त नहीं है इसलिए हमारे लिए आप ऐसी कोई व्यवस्था कर दें और इस कारण मेरे द्वारा सभी के लिए यह किया गया था लेकिन अध्यक्ष महोदय, अब मंत्री जी यदि विषय को घुमायेंगे और मंत्री जी यह भी कह रहे हैं कि राशि की कमी है तो मैं बताना चाहूंगा कि जितनी राशि उपलब्ध थी उसी के अंतर्गत ये स्वीकृतियां दी गई थीं. यदि आप उचित समझें तो रिकॉर्ड देख लें. यदि संभव हो तो मेरे सामने आप रिकॉर्ड ले आयें क्योंकि मेरे पास उसकी कोई कॉपी नहीं है. इसलिए मैं पुन: कहना चाहता हूं कि जितनी राशि उस समय उपलब्ध थी उसी राशि के अंदर मेरे द्वारा ये स्वीकृतियां दी गई थीं. अतिरिक्त कोई स्वीकृति नहीं दी गई थी इसलिए मंत्री जी का यह कहना सही नहीं है कि काम बहुत अधिक मंजूर हो गए लेकिन राशि उपलब्ध नहीं थी मंत्री जी, आपका यह कहना बिलकुल सही नहीं है. आप रिकॉर्ड देख लें.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. गोविन्द सिंह)- माननीय अध्यक्ष महोदय, आदरणीय नेता प्रतिपक्ष जी ने जो प्रश्न उठाया है उसमें कुछ गलती हो गई है. हुआ यह है कि वित्तीय वर्ष बदलने से केवल पंचायत विभाग की ही नहीं अपितु विधायक फण्ड और सांसद फण्ड की राशि भी गलती से अधिकारी-कर्मचारियों द्वारा वापस कर दी गई है. इस संबंध में कई स्थानों से कलेक्टरों द्वारा लिखा गया है. हो सकता है राशि इस विभाग की न हो लेकिन कई अन्य विभागों की राशि वापस आ गई है. अधिकारियों ने समझा कि यह पैसा वापस जाना है. कई कलेक्टरों के पत्र हमें प्राप्त हो गए हैं और उनके द्वारा निवेदन भी किया गया है इसलिए वह राशि वैसी की वैसी कुछ स्थानों पर वापस भी भेज दी गई है. हमारा भी विधायक फण्ड का पैसा रुका हुआ है और अन्य कई साथियों का भी रुका है. यह कार्य भूलवश अधिकारियों से हो गया था जिसे सुधारा जा रहा है.
अध्यक्ष महोदय- यह नेता प्रतिपक्ष के प्रश्न का समाधानक उत्तर है. सभी को धैर्य के साथ सुनना चाहिए.
श्री गोपाल भार्गव- माननीय अध्यक्ष महोदय, डॉ.साहब, ने जैसा कहा है तो फिर अब वह राशि वापस पहुंच जाये जिससे वहां के काम पूरे हो जायेंगे. यदि किसी गलती के कारण यह हो गया है और राशि वापस आपके राजस्व खाते में पहुंच गई है तो आप तत्काल उस राशि को ज्यों की त्यों वापस भेज दें तो अधूरे कार्य जल्दी पूरे होंगे. मुख्यमंत्री जी यहां बैठे हैं इसको बता भी सकते हैं.
अध्यक्ष महोदय- राशि पहुंच जायेगी.
श्री कमलेश्वर पटेल- माननीय अध्यक्ष महोदय, पहली बात तो यह है कि हमारे विभाग से किसी भी प्रकार की राशि जिलों से वापस नहीं मंगाई गई है.
श्री शैलेन्द्र जैन- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारा स्टेडियम क्यों नहीं बन पा रहा है. निविदायें जारी हो चुकी हैं, पैसे के अभाव में हमारे यहां निर्माण कार्य नहीं हो पा रहे हैं.
(...व्यवधान...)
श्री कमलेश्वर पटेल- माननीय अध्यक्ष महोदय, कृपया पहले मेरा जवाब सुन लीजिये.
श्री हरिशंकर खटीक- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे एक मिनट दें.
श्री जालम सिंह पटेल- माननीय अध्यक्ष महोदय,
अध्यक्ष महोदय- आप सभी बैठ जायें और मंत्री जी का उत्तर आ जाने दीजिये. आप सभी बताइये कि क्या करना है ? क्या आप सभी को सामूहिक रूप से प्रश्न पूछना है या सिर्फ एक मंत्री से उत्तर सुनना है.
श्री देवेन्द्र वर्मा- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा एक और प्रश्न है.
अध्यक्ष महोदय:- देवेन्द्र जी सुनिये, मेरे को यह बताइये कि क्या आप लोग सामूहिक रूप से प्रश्न पूछना चाहते हैं ? अपनी शुरू से व्यवस्था हो गयी है, यदि हमको ज्यादा प्रश्न लेने हैं तो मूल प्रश्नकर्ता तीन प्रश्न करेगा. किसी एक माननीय सदस्य को मैं मौका दे दूंगा वह अपना पूरक प्रश्न कर ले. अब अगर हम एक ही प्रश्न में जूझे रहेंगे तो केसे चलेगा.
श्री ओमप्रकाश सकलेचा:- अध्यक्ष महोदय, मैं भी एक प्रश्न करना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय:- सखलेचा जी, चलिये आप भी एक प्रश्न कर लें. वर्मा जी, अब आप क्यों खड़े हो गये. पहले आप दोनों तय कर लो, आप लोग आपस में तय कर लिया करो. पूरे सदन को क्यों डिस्टर्ब करते हो. आप तो आजू-बाजू में बैठे हो.
श्री ओमप्रकाश सकलेचा:- माननीय अध्यक्ष महोदय, इस सदन के सामने केवल आधा सच आया है. इसमें 100 करोड़ रूपये का फण्ड कम किया है. आप चाहें तो बजट के खण्ड-1 का पेज क्रमांक-6 देखें, इसमें बजट में 98 करोड़ रूपये इस फण्ड से कम किया है और बजट में फण्ड कम करके, जो बाकी जितनी बातें हो रही हैं वह टोटली सदन को गुमराह करने की बात हो रही है, जो पिछले साल फण्ड था. उसको भी कम कर दिया गया है और जो मंगाया है,वह अतिरिक्त है. दूसरा आप यह कहना चाहते हैं कि जन-भागीदारी के पैसे भी कलेक्टरों ने बंद कर दिये हैं, क्या सामूहिक विकास, मैं बड़े गर्व के साथ इस सदन को सूचित करना चाहता हूं कि मैंने 70 गांवों में और पंचायतों में जन-भागीदारी के माध्यम से बनाये और वह बनाना अभी पिछले 6 महीने से सरकार ने बिल्कुल बंद कर दिये हैं. क्या सरकार ग्रामीण की तरफ नहीं देखना चाहती है. मंत्री जी बहुत स्पष्ट शब्दों में बतायें कि ग्रामीण के विशेष प्रायोजन के फण्ड जो कम किये,क्या वह कम करना उचित है ?
अध्यक्ष महोदय:- आप ही अपने साथियों को समझाइये ना.
श्री गोपाल भार्गव :- आसंदी पर बैठे-बैठे श्री सखलेचा जी को बैठने के लिये कहा.
श्री कमलेश्वर पटेल:- अध्यक्ष महोदय, जवाब..
अध्यक्ष महोदय:- हो गया.
रतलाम जिले में पर्यटन स्थलों का विकास
[पर्यटन]
4. ( *क्र. 2055 ) श्री चेतन्य कुमार काश्यप : क्या नर्मदा घाटी विकास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) रतलाम जिला टूरिस्ट सर्किट के अंतर्गत धोलावड़ जलाशय में वॉटर स्पोर्टस सहित पाँच स्थानों पर पर्यटन विकास का जो प्रोजेक्ट बनाया गया था, उसकी क्या प्रगति है? (ख) रतलाम जिला टूरिस्ट सर्किट में प्रस्तावित पर्यटन विकास के सभी प्रोजेक्ट कब तक पूर्ण होंगे?
नर्मदा घाटी विकास मंत्री ( श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल ) : (क) धोलावड़ ईको टूरिज्म पार्क जिला रतलाम में जनसुविधा के निर्माण हेतु राशि रू. 28.43 की स्वीकृति कलेक्टर रतलाम को जारी की गई है। कार्य प्रगति पर है। (ख) उत्तरांश (क) के अतिरिक्त पर्यटन विभाग से अन्य कोई कार्य स्वीकृत नहीं है, अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री चेतन्य कुमार काश्यप:- अध्यक्ष महोदय, मेरा मंत्री जी से प्रश्न था कि रतलाम जिला टूरिस्ट सर्किट के अंतर्गत धोलावड़ जलाशय के ऊपर एक पूरा प्रोजेक्ट बना था, उसका जवाब मुझे दिया गया है कि सिर्फ धोलावड़ में 28 लाख रूपये की स्वीकृति कलेक्टर के माध्यम से दी गयी है, जबकि कलेक्टर के द्वारा 7 करोड़ रूपये का प्रस्ताव भेजा गया था और उस समय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 5 करोड़ रूपये की घोषणा की थी. उसका मंत्री जी ने जवाब दिया है कि इस तरह का विभाग के पास में कोई प्रस्ताव नहीं है.
निश्चित तौर पर जो 7 करोड़ रूपये का प्रस्ताव था, रतलाम जिला टूरिस्ट सर्किट के अंतर्गत धोलावड़ जलाशय का जो प्रस्ताव था वह रतलाम जिले के सैलाना विधान सभा में आता है. मैं यहां पर हमारे कांग्रेस के विधायक हर्ष विजय भी हैं औ धोलावड़ इनके पिता प्रभु दयाल जी गहलोत जी के कार्यकाल में बना था और रतलाम जिले के अंदर टूरिस्ट की जो सर्किट थी, अगर इसके लिये 7 करोड़ रूपये में से 28 लाख रूपये ही दिये गये हैं और बाकी के लिये लिख रहे हैं कि प्रश्न उपस्थित नहीं होता है. मुझे यह समझ में नहीं आ रहा है,क्योंकि इसके बाद तत्कालीन सचिव ने दिल्ली भी एक पत्र लिखा था. परन्तु आज की वर्तमान स्थिति की कोई जानकारी नहीं दी गई है ?
श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल:- अध्यक्ष महोदय, विधायक जी, धोलावड़ के बारे में जानकारी जानना चाह रहे हैं. जिला रतलाम में अधोसंरचना विकसित किये जाने के उद्देश्य से दर्शनीय पर्यटन स्थलों पर, पर्यटकों की सुविधा के लिये पर्यटन अधोसंरचनात्मक विकास हेतु कुल राशि 7 करोड़, 27 लाख, 52 हजार की कार्य-योजना, जिला पर्यटन अधो-संर्वधन परिषद, रतलाम कलेक्टर द्वारा मध्यप्रदेश शासन, सचिव के माध्यम से भारत सरकार, पर्यटन मंत्रालय दिल्ली को स्वीकृति के लिये 10.6.2016 को भेजी गयी थी. भारत सरकार के ही द्वारा अपने पत्र क्रमांक - 8-पीएनसी 16 /2015, दिनांक 12.7. 2016 को योजना वापस कर दी गयी. कारण यह कि जो पीआईडीडीसी योजना केन्द्र सरकार द्वारा संचालित थी, उस योजना को ही बंद कर दिया गया.
मैं माननीय विधायक जी को जानकारी देना चाहता हूं कि आपके मुख्यमंत्री जी ने जो घोषणा की थी.
श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल--आपकी ही सरकार ने उस योजना को बंद कर दिया.
श्री चेतन्य कुमार काश्यप--अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी मैं कहना चाहूंगा कि यह योजना केन्द्र ने बंद की है वहां के सचिव महोदय ने कहा था कि यह राज्य की घोषणा है. आज वर्तमान में राज्य सरकार इस कार्य को आगे बढ़ाएगी अथवा नहीं ? क्योंकि इसमें रतलाम ग्रामीण, रतलाम नगर व सेलाना तीनों विधान सभा के अंदर तीनों पर्यटकों का लाभ होने वाला है. इस पर आब जवाब दें कि राज्य सरकार आगे इस बारे में क्या निर्णय लेगी ?
श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल--अध्यक्ष महोदय, यह योजना केन्द्र सरकार की थी प्रस्ताव मध्यप्रदेश सरकार के द्वारा केन्द्र को जाना था. केन्द्र सरकार ने योजना बंद कर दी इसलिये इस योजना में काम आगे नहीं बढ़ पाया. अगर आप इस योजना को वापस चलवाना चाहते हैं आपके क्षेत्र में इस योजना के अंतर्गत इस तरह के काम हो तो माननीय प्रहलाद पटेल जी केन्द्र में पर्यटन मंत्री बने हैं आप उनसे बात करके इस योजना को चालू करवा दीजिये तब हम इस योजना को आपके क्षेत्र में दे सकते हैं.
किसानों की कर्ज माफी
[किसान कल्याण तथा कृषि विकास]
5. ( *क्र. 502 ) डॉ. नरोत्तम मिश्र : क्या किसान कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रदेश के किसानों को सरकार द्वारा कर्जमाफी के प्रमाण-पत्र देने के बावजूद भी बैंकों द्वारा किसानों को कर्ज तटिस दिया जा रहा है? यदि हाँ, तो क्यों? (ख) प्रश्नांश (क) यदि हाँ, तो प्रश्न दिनांक तक कितने किसानों को किस-किस बैंक के नोटिस दिये गए हैं? (ग) प्रश्न दिनांक तक जय किसान ऋणमाफी योजना में किस-किस जिले में कितने-कितने किसानों के खाते में किस-किस बैंक से कितनी राशि शासन द्वारा जमा कराई गई? (घ) प्रश्नांश (क) व (ख) में उल्लेखित कर्जमाफी एवं बैंक के नोटिस प्राप्त होने के बाद सदमें में अब तक प्रदेश में कुल कितने किसान आत्महत्या कर चुके हैं? नामवार-ग्रामवार-जिलेवार बतावें।
किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री ( श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव ) : (क) यथावत। (ख) यथावत। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट एक पर है. (घ) यथावत।
डॉ. गोविन्द सिंह - मैंने आपसे सवाल किया क्या सहकारी केन्द्रीय बैंक का है? कृपया करके आप यह बता दें. (...व्यवधान)
श्री गोपाल भार्गव - सहकारी बैंक के भी है, आपको मैं सुपुर्द कर दूंगा. आपने अपने वचन पत्र में. (...व्यवधान)
डॉ. गोविन्द सिंह - आपने अभी जो कहा उसकी कापी दे दो. अगर हमारे सहकारी बैंक दतिया ने कहा है तो आपने अभी जो कहा है उसका पालन होगा. मैं सदन में घोषणा कर रहा हूं. (...व्यवधान)
श्री आरिफ मसूद - मंदसौर में जो गोली लगी थी, उसकी भी चर्चा हो जाए. (...व्यवधान)
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्नांश का जो विषय है, मैं माननीय मंत्री महोदय से निवेदन करूंगा कि इसके बारे में स्थिति स्पष्ट करने की कृपा करें. डॉक्टर साहब एक मिनट, मैं माननीय मंत्री महोदय से यह जानना चाहा रहा हूं कि यह जो नोटिस जारी हो रहे हैं, ये नोटिस क्या आपके वचन पत्र के अनुसार है और यदि नहीं तो क्या ये नोटिस देना और कुर्की करवाने का काम बंद करेंगे, यदि करेंगे तो हां बताए और यदि नहीं करेंगे तो क्या कारण है और यदि आपने अपने वचन पत्र का पालन तय किया है तो ऐसे लोगों के लिए जो नोटिस दे रहे हैं, कुर्की कर रहे हैं, धमकी दे रहे हैं, ऐसे लोगों के विरूद्ध क्या कार्यवाही करेंगे?
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव - माननीय अध्यक्ष महोदय, चूंकि जब से हमारी सरकार ने ऋण माफी की बात की है, तब से विपक्ष लगातार हमारे किसान साथियों को गुमराह करने का काम कर रहे हैं, सदन के अंदर भी और सदन के बाहर भी.
अध्यक्ष महोदय - अब भाई सुनो उनके उत्तर(विपक्ष के माननीय सदस्यगण के बोलने पर) जब गोपाल जी प्रश्न कर रहे थे, पूरा हाउस चुपचाप सुन रहा था, अब मंत्री उत्तर दे रहे हैं तो कृपया शांतिपूर्वक सुनिएगा इतना आप लोगों में धैर्य होना चाहिए.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव - धैर्य रखिए, एक-एक चीज का जवाब दे रहे हैं, माननीय अध्यक्ष जी बड़ी पीड़ा हो रही है भारतीय जनता पार्टी को जिन्होंने पिछले 15 साल तक सिर्फ किसानों के नाम पर राजनीति करने का काम किया, किसानों को अनेक अवसर पर, कभी 15 लाख उनके खाते में डालने की बात कही गई, कभी 50 हजार रूपए का ऋण माफ करने की बात कही गई. (...व्यवधान)
श्री शिवनारायण सिंह - हमारी सरकार ने आपके कार्यकाल 2003 के पहले 18 प्रतिशत ब्याज दिया करती थी, हमारी सरकार ने जीरो प्रतिशत देकर किसानों को उठाने का काम किया है. माननीय मंत्री जी, ये गलत जानकारी है. (...व्यवधान)
श्री वालसिंह मैड़ा - आपने किसानों के साथ बेईमानी की है, किसानों को गुमराह करने का काम किया है. मध्यप्रदेश की जनता को गुमराह किया है(...व्यवधान) आप लोग गुमराह कर रहे हैं.
श्री गोपाल भार्गव - सीधा-सीधा उत्तर दे दें, समय कम है, दो मिनट.
अध्यक्ष महोदय - भाई, जो सीधा-सीधा प्रश्न किया है, आप सीधा उत्तर दे दीजिए न.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव - माननीय अध्यक्ष जी, मैं वही तो करना चाहा रहा हूं, लेकिन सदन को पहले यह तो जानना जरूरी है न कि ऋण माफी की आवश्यकता क्यों पड़ी. (...व्यवधान)
श्री विश्वास सारंग - दिव्यज्ञानी मंत्री जी है, वाह.
श्री प्रियव्रत सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, यशपाल सिंह जी हमेशा टोकते हैं. (...व्यवधान)
श्री वालसिंह मैड़ा - अध्यक्ष महोदय, हम किसानों का भला कर रहे है, हमारे मंत्री जी बोल रहे हैं, इनको दर्द हो रहा है.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के प्रशनांश 'क' और 'ख' में मैंने पूछा है कि उल्लेखित कर्ज माफी एवं बैंक के नोटिस प्राप्त होने के बाद सदमें में अब तक प्रदेश मे कुल कितने किसान आत्महत्या कर चुके हैं, इसमें उत्तर में आया है प्रश्न उत्पन्न नहीं होता, जानकारी एकत्रित की जा रही है. अध्यक्ष महोदय, हमारे वरिष्ठ सदस्य कमल पटेल जी ने प्रश्न किया था, इसी सत्र में 8 जुलाई को उसके उत्तर में यह आया कि गृहमंत्री बताने की कृपा करें, छिन्दवाड़ा जिले के मेघासिवनी गांव में आदिवासी किसान पप्पू उइके ने आत्महत्या कर ली थी, यदि हो तो किस दिनांक, यदि हां तो क्या किसान पप्पू को बैंक द्वारा कर्ज चुकाने को नोटिस दिया गया था क्या, इसमें सभी में उत्तर आया है और इसक बाद में जो परिशिष्ट में है. मैं सदन को बताना चाहता हूं, माननीय मंत्री जी आप इस बात को नोट कर लें, भले ही गृह विभाग से पूछा गया हो. यह जो किसानों की दिनांक 1.12.2018 से 12.06.2019 तक किसानों द्वारा की गई आत्महत्या की संख्या, अध्यक्ष महोदय शिवपुरी में चार किसानों ने आत्महत्या की, भिण्ड जिले में 12 किसानों ने आत्महत्या की, देवास जिले में 2 किसानों ने आत्महत्या की, सीहोर जिले में 3 किसानों ने आत्महत्या की, विदिशा जिले में 1 किसान ने और सागर जिले में 13 किसानों ने और सीधी जिले में 14 किसानों ने आत्महत्याएं की हैं, उमरिया जिले में 5 किसानों ने, कुल 71 किसानों ने आत्महत्याएं की हैं.
डॉ. गोविन्द सिंह - आप अपने मन से जोड़ रहे हैं. लोग अपने-अपने कार्यों से आत्महत्याएं करते हैं. आपमें सच जवाब सुनने की हिम्मत नहीं है.
श्री गोपाल भार्गव - ऋण वसूली फर्जी साबित हो गई है.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्नकाल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त)
12.01 बजे बहिर्गमन
श्री गोपाल भार्गव, नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी के सदस्यगण
द्वारा सदन से बहिर्गमन.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) - अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी की तरफ से सकारात्मक उत्तर नहीं आया है, किसान आत्महत्याएं कर रहे हैं, हाहाकार मचा हुआ है. इनका घोषणा-पत्र फर्जी है. हम इसके विरोध में बहिर्गमन करते हैं.
(श्री गोपाल भार्गव, नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी के सदस्यगण द्वारा शासन के उत्तर से असंतुष्ट होकर सदन से बहिर्गमन किया गया)
डॉ. गोविन्द सिंह - आप जवाब तो सुनना नहीं चाहते. आपकी कलई खुलने लगी तो भागने लगे.
12.02 बजे नियम 267-क के अधीन विषय
अध्यक्ष महोदय - निम्न सदस्यों की सूचनाएं सदन में पढ़ी हुई मानी जाएंगी.
1. इंजी. प्रदीप लारिया
2. श्री आशीष गोविन्द शर्मा
3. श्री रामपाल सिंह
4. श्री बहादुर सिंह चौहान
5. डॉ. सीतासरन शर्मा
6. श्री सुशील कुमार तिवारी
7. श्री प्रणय प्रभात पाण्डेय
8. श्री मुन्नालाल गोयल
9. श्री हरिशंकर खटीक
10. श्री विनय सक्सेना
12.03 बजे शून्यकाल में मौखिक उल्लेख एवं अध्यक्षीय व्यवस्था
अध्यक्ष महोदय - बिना पूछे मत बोलिये. (श्री मुन्नालाल गोयल के खड़े होकर बोलने पर) गोयल जी, आप रुक जाइये. विनय सक्सेना जी आप बोलिए.
श्री विनय सक्सेना (जबलपुर उत्तर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, जैन समाज के कीर्ति स्तम्भ को अचानक रात को तोड़ दिया गया. जिसके चलते पूरे प्रदेश में जैन समाज उद्वेलित है. जबलपुर सिविल सेंटर में जैन समाज द्वारा निर्माणाधीन कीर्ति स्तम्भ को तोड़ने की कार्यवाही अचानक कर दी गई और किसी भी जिम्मेदार जन प्रतिनिधि और समाज के अध्यक्ष तक को नहीं बताया गया. जिसके कारण आज जबलपुर में प्रदर्शन चल रहा है, लगातार धरने एवं बन्द की कार्यवाहियां हो रही हैं. मैं आपसे आग्रह करता हूँ कि इस पर कृपया माननीय तरुण भनोत जी, मंत्री जी से कहें.
अध्यक्ष महोदय - माननीय लखन घनघोरिया जी और माननीय वित्त मंत्री जी, आप दोनों जबलपुर के रहने वाले हैं. यह विषय जो आया है, इसको आप लोग संज्ञान में लीजिये और आप दोनों मिलकर इस विषय को सॉल्व करियेगा, निपटाइयेगा ताकि जैन समाज का आक्रोश खत्म हो सके.
श्री अनिरुद्ध (माधव) मारू - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी तहसील में मॉब लीचिंग के नाम पर (...व्यवधान...)
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाइये. मैं जिनको बोलूँगा, वे ही बोलेंगे. जो मुझसे बिना पूछे बोलें, आप मत लिखिये. मैं एक-एक करके लूँगा, जालम जी, आप बैठिये.
वित्त मंत्री (श्री तरुण भनोत) - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने एक व्यवस्था दी है. मैं निवेदन करना चाहता हूँ कि एक गम्भीर मुद्दा जो आदरणीय सदस्य ने यहां उठाया था. जैसा कि आपने आदेशित किया है, हम इस सदन के माध्यम से आपको यह आश्वस्त करना चाहते हैं कि जो कीर्ति स्तम्भ तोड़ा गया था, उसका पुनर्निमाण वहां उसी स्थान पर करवा दिया जायेगा.
अध्यक्ष महोदय - धन्यवाद.
श्री विनय सक्सेना - धन्यवाद.
श्री विश्वास सारंग (नरेला) - अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश शासन के उच्च शिक्षा विभाग ने अपने पाठ्यक्रम का कैलेण्डर जारी किया है और उसमें बहुत आपत्तिजनक तरीके से आदि शंकराचार्य जी और पण्डित दीनदयाल उपाध्याय जी का जो पाठ्यक्रम है, उसको हटाने के निर्देश दिए गए हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आदि शंकराचार्य जी ने इस देश की एकता, अखण्डता के लिए कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी और अटक से लेकर कटक तक इस देश को एक सूत्र में बांधने के लिए काम किया है. वे हिन्दू धर्म के तो पूजनीय हैं ही, इस देश की संस्कृति, विरासत को संभालने का काम भी उन्होंने किया, उसी तरह पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी का विचार, उनका एकात्म मानव दर्शन केवल एक पार्टी का दर्शन नहीं है, पूरी दुनिया में आर्थिक विषय में और सामाजिक चेतना के विषय में उन्होंने काम किया. इस तरह से केवल दलगत राजनीति को ऊपर रखते हुए इह पाठ्यक्रम से हटाना, जहां बहुसंख्यक समाज, हिन्दू समाज के विरोध का परिचायक है, उसके साथ-साथ इस देश की संस्कृति को मिटाने का भी कृत्य है. माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें जरूर संज्ञान लेना चाहिए और आसन्दी से इसका निर्देश होना चाहिए.
जनजातीय कार्य मंत्री (श्री ओमकार सिंह मरकाम) - ये संस्कार की बात करते हैं. स्वर्गीय इंदिरा गांधी का नाम (...व्यवधान...)
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाइये, ये जो बोल रहे हैं, नहीं लिखा जायेगा.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - (XXX)
अध्यक्ष महोदय - मैं नहीं सुन रहा हूँ. बैठ जाइये. आप 3 दिन बाद दिख रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - अध्यक्ष महोदय, हमारी समृद्ध संस्कृति पर यह बहुत बड़ा आघात है
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, कल ही एक मंत्री जी ने कहा था कि सीता जी थी, कि नहीं थीं, अशोक वाटिका थी, कि नहीं थीं, हम अधिकारियों का दल भेजकर इसका वेरिफिकेशन करवायेंगे और इसकी जानकारी लेंगे. आज माननीय सदस्य श्री विश्वास जी ने जो बात कही है कि पाठ्यपुस्तकों में से शंकराचार्य जी का नाम हटा देना, यह हमारी सहस्त्रों वर्ष पुरानी विरासत है. आदि शंकराचार्य जी की और हमारी चारों पीठों की यह सहस्त्रों वर्ष पुरानी विरासत है, जिस पर हमारी पूरा वैदिक संस्कृति, हमारा हिंदू समाज, सनातन धर्म सारा का सारा निर्भर है. वह हमारा मूल आधार है और इस प्रकार का मजाक पंडित दीनदयाल जी के साथ किया जायेगा.
श्री आरिफ मसूद -- बहुत सारे स्वतंत्रता सेनानियों के नाम भी केंद्र सरकार ने हटा दिये हैं, उस पर भी विचार करना चाहिये.
अध्यक्ष महोदय -- अब आप बैठ जायें.मैं भी कुछ बोलना चाहता हूं.
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मानकर चलता हूं कि यह किसी सरकार का प्रश्न नहीं है. यह विषय किसी मंत्री का नहीं है, यह आलोचना और समालोचना का विषय नहीं है, यह पक्ष और विपक्ष का विषय नहीं है. यह हम सभी की हमारी भावना है, जो हमारा इतिहास है, जो हमारी धरोहर है, जो हमारी थाती है, उसके साथ में मजाक हो रहा है. मैं आपसे चाहता हूं कि इस प्रकार के मामलों पर चर्चा करवाई जाये, यदि ऐसा हो रहा है तो मैं मानकर चलता हूं कि यह एक प्रकार से हमारी संस्कृति को हमारी विरासत को नष्ट करने का काम हो रहा है, जिसकी अनुमति हम किसी को नहीं दे सकते हैं.
अध्यक्ष महोदय -- धन्यवाद, सनातन धर्म अक्षुण्ण है, सतत् रूप से लगातार जो चलता है, उसे सनातन कहते हैं और वह पाठ्यक्रम रोकना कदाचित ठीक नहीं है. (मेजों की थपथपाहट) मैं संबंधित मंत्री जी को कहूंगा और अगर वह नहीं बैठे हैं तो माननीय संसदीय मंत्री जी आपसे अनुरोध है कि ऐसे पाठ्यक्रम चालू रहें, इनके प्रति आप संज्ञान लेंगे ऐसा मैं सोचता हूं. (कई माननीय सदस्यों के एक साथ अपने आसन पर खड़े हो जाने पर) माननीय श्री जालम पटेल जी आप बोलें, सभी बैठ जायें, मैं एक-एक करके आपको मौका दे रहा हूं. मेरे साथ आप व्यवस्था बनाईये.
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत-बहुत धन्यवाद, आपने हमारी संस्कृति की तो रक्षा की है, आपने हमारे इतिहास की रक्षा की है. आपने हमारे जो स्तंभ थे, उनके बारे में जो घटा है, उनके साथ आपने न्याय किया है, मैं आपको धन्यवाद देता हूं.
अध्यक्ष महोदय -- श्री जालम जी आप बोलें. (श्री कमल पटेल जी के अपने आसन पर खड़े होने पर) आज आप श्री जालम जी को बोलने दीजिये कल आपने बहुत बोल लिया है. कृपया आप आपस में तय नहीं करें.
श्री जालम सिंह पटेल '' मुन्ना भैया''(नरसिंहपुर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हरदा विवेकानंद कामर्स एवं आटर्स कॉलेज की महिला प्राचार्य को कॉलेज में एन.एस.यू.आई. के (XXX) द्वारा उनको कॉलेज में बंद कर दिया गया है.
अध्यक्ष महोदय -- यह शब्द विलोपित कर दें. (श्री लखन घनघोरिया जी के अपने आसन पर खडे़ हो जाने पर) आप बैठ जायें, उस शब्द को विलोपित कर दिया है.
श्री जालम सिंह पटेल '' मुन्ना भैया'' -- माननीय अध्यक्ष महोदय, उनके साथ छेड़छाड की गई और धक्का मुक्की की गई है, उन पर कठोर से कठोर कार्रवाई की जाये.
अध्यक्ष महोदय -- धन्यवाद आप बैठ जायें, श्री अनिरूद्ध(माधव)मारू आप बोलें.
श्री अनिरूद्ध(माधव)मारू, (मनासा)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे विधानसभा क्षेत्र मनासा में ग्राम लसूडि़या में कल रात को चार-पांच मोर मारे गये हैं और जो मारने वाले थे उनकी शिकायत पिछले पन्द्रह दिन से थाने में की जा रही है, पुलिस ने बाछड़ों के डेरे पर सर्च भी की है परंतु पता नहीं चला है.
अध्यक्ष महोदय -- धन्यवाद, बैठ जायें, यह शून्यकाल की सूचना होती है. नये विधायक जी मेहरबानी करके बैठ जायें, शून्यकाल में सूचना दी जाती है, आपने सूचना दे दी है, चलिये अब बैठ जायें.
श्री अनिरूद्ध(माधव)मारू -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अवैध रूप से जो मोर मारने वाला था,वह मर गया है और अवैध रूप से उन पर कायमी हो रही है.
अध्यक्ष महोदय -- अब अनिरूद्ध जी जो भी बोलें, उसे नहीं लिखा जायेगा. श्री हरिशंकर जी आप बोलें.
श्री हरिशंकर खटीक (जतारा) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, टीकमगढ़ जिले की खरीफ फसल की खरीदी की गई थी, 25 जनवरी, 2019 को अंतिम तारीख थी और पांच बजे तक खरीदी का कार्यक्रम था, लेकिन 26 जनवरी, 2019 तक अधिकारियों कर्मचारियों से सेवा सहकारी समितियों के माध्यम से 26 जनवरी, 2019 के दो बजे तक खरीदी की गई है. वेयर हाउस में गोदामों में उड़द और मूंगफली की फसल आज भी रखी है, लेकिन आज तक किसानों को उनके मेहनत के मेहनताना का उचित दाम नहीं मिला है.
अध्यक्ष महोदय -- सूचना आ गई है आप बैठ जायें, सूचना आ गई है, देखिये मैं नया तरीका अपना रहा हूं, मैं रोज पांच सदस्यों को सूचना देने के लिये एक-एक मिनट दूंगा. आप अपने दिमाग में तैयारी रखिये, चलिये आप बैठ जायें. श्री संजय शाह जी आप बोलें.
श्री संजय शाह ''मकड़ाई'' (टिमरनी) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सिराली से महेन्द्र गांव मार्ग अभी कुछ दिन पूर्व ही बना है और वहां पर परसो बहुत तेज बारिश होने से और रोड ठीक से बना नहीं होने के कारण खेतों में जल भरा गया है और सैकड़ों जमीन वहां पर तबाह हो गई है और उसका तहसीलदार महोदय द्वारा अवलोकन भी नहीं किया जा रहा है.
अध्यक्ष महोदय -- धन्यवाद, श्री रामेश्वर जी आप बोलें. ( एक माननीय सदस्य के खड़े होने पर) आप बैठ जायें, पांच सूचनायें हो गई हैं, आपका चांस चला गया है. लॉटरी में पांच निकल गये हैं. यह मेरी नई व्यवस्था है.
श्री रामेश्वर शर्मा (हुजूर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक सूचना देना चाहता हूं. दिव्यांग बच्चों का विद्यालय ईदगाह हिल्स पर है, विगत डेढ़-दो महीने से स्कूल की बसें दिव्यांग बच्चों को लेने के लिये बैरागढ़, करोंद, गांधीनगर जाती थीं, लेकिन वह 3 महीने से लगातार बंद हैं, उनके मां-बाप परेशान हैं और वह आर्थिक संकट वाले परिवार हैं, गरीब मध्यमवर्गीय परिवार हैं, कृपया बसों का संचालन किया जाये.
डॉ. मोहन यादव-- माननीय अध्यक्ष महोदय ... (व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- अब अगर मेरे सदाचरण को आप ऐसे प्रक्रिया में लोगे, मैं फिर यह प्रक्रिया बंद कर दूंगा. अब ऐसा थोड़ी न, रोटी बिल गई.
डॉ. मोहन यादव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा तो नंबर ही नहीं आ रहा.
अध्यक्ष महोदय-- कोई बात नहीं डॉक्टर, आयेगा, चिंता मत करो. मेरे रहते हुये डॉक्टर तुम्हारा नंबर आयेगा.
डॉ. मोहन यादव-- अध्यक्ष जी, आपसे बहुत उम्मीद है, सावन का महीना है.
अध्यक्ष महोदय-- यादव जी बिलकुल चिंता मत करो.
श्री भूपेन्द्र सिंह (खुरई)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने सुबह स्थगन दिया है. पूरे प्रदेश के अंदर लगभग डेढ़ लाख लीटर प्रतिदिन सिंथेटिक दूध बेचा जा रहा है जिसको हमारे प्रदेश की जनता और बच्चे उपयोग करते हैं, जिस दूध से मावा बनता है. मावा से मिठाईयां बनती हैं और इस तरह से यह जीवन में जहर देने का काम पूरे प्रदेश में हो रहा है, यह बहुत ज्वलंत और गंभीर है. इसमें सरकार की तरफ से कोई एक प्रदेशव्यापी अभियान...
अध्यक्ष महोदय-- सूचना दे दी, धन्यवाद, अंकित हो गया. श्री आरिफ अकील.
डॉ. गोविंद सिंह-- अध्यक्ष महोदय, आपकी सूचना के बारे में बताना चाहता हूं जो छापा पड़ा है वह हमनें ही डलवाया है, हमने निर्देश दिये थे.
अध्यक्ष महोदय-- ठीक है, बढि़या है. धन्यवाद. दोनों को धन्यवाद. भूपेन्द्र भाई आप बोलते जाओ और यह छापे लगवाते जायें, ऐसा सिस्टम चलने दीजिये.
12.12 बजे पत्रों का पटल पर रखा जाना
1. मध्यप्रदेश पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक वित्त एवं विकास निगम का 31 मार्च, 2011 को समाप्त वर्ष का सत्रहवां वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखा.
2. मध्यप्रदेश शासन के चतुर्थ राज्य वित्त आयोग का अंतिम प्रतिवेदन जनवरी, 2017 एवं इस पर राज्य शासन को अनुवर्ती कार्यवाही प्रतिवेदन पटल पर रखता हूं.
12.13 बजे ध्यान आकर्षण
सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.
1. बालाघाट जिले के वन वृत्त लौंगुर में लकड़ी कटाई में लगे मजदूरों को
मजदूरी न मिलना.
श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन (बालाघाट)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
वन मंत्री ( श्री उमंग सिंघार ) - माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन - माननीय अध्यक्ष जी, माननीय मंत्री जी ने जो उत्तर दिया उसमें मेरा कोई विरोधाभास नहीं है. मैं कहना चाहता हूं कि ऐसे जिलों में जहां हम जानते हैं कि नक्सलवादी गतिविधियां वनांचल में कभी भी घटती हैं. ऐसे जिलों में समय पर भुगतान न हो यह उचित स्थित नहीं है. मंत्री जी ने कहा है कि इसी माह भुगतान हो जायेगा और समय पर भुगतान करें. चूंकि ध्यानाकर्षण एक ही विषय पर होता है. हमारे किसानों ने प्रोडक्शन डिवीजन में लकड़ी दी है. मैंने कल जी.ए.डी. की डिमांड पर इसको रखा भी है. किसानों ने जो लकड़ी बिक्री की तो विक्रेताओं,खरीददारों के द्वारा पैसा जमा कर दिया गया लेकिन उनका पैसा आज 6 माह से अधिक हो गया है. वित्त विभाग के पास नस्ती पड़ी है. किसानों को भुगतान न होगा तो किसान वृक्षारोपण पर ध्यान नहीं देगा और वृक्षारोपण जहां का तहां रह जायेगा तो क्या मंत्री जी किसानों द्वारा बेची गई लकड़ी का भुगतान कराएंगे या अभी उनके पास उत्तर न हो तो उत्तर प्राप्त करके मुझे अवगत करा दें.
श्री उमंग सिंघार - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य को अवगत करा दूंगा.
श्री रामकिशोर(नानो)कावरे (परसवाड़ा) - माननीय अध्यक्ष जी, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि जिस प्रकार से हम किसानों को पौधरोपण का काम और अपने खेतों में इमारती लकड़ी लगाने के लिये उनको प्रोत्साहित करते हैं और जब खरीदने की बारी आती है उनसे खरीद भी लेते हैं लेकिन जब उनके भुगतान की बारी आती है तो प्रशासनिक अधिकारी उनको परेशान करते हैं. जिसके कारण हमारे उत्तर वन मण्डल में किसानो ने लकड़ी विभाग को दी है लेकिन अभी तक उनका भुगतान 4-4, 5-5 महीनों से नही किया गया है. जिसके कारण किसानों ने आत्महत्या भी की है. माननीय मंत्री जी, से यह जानना चाहता हूं कि क्या अतिशीघ्र किसानों को भुगतान किया जायेगा और जिन किसानों ने आत्महत्या की है उन किसानों को मुआवजा देंगे ?
श्री उमंग सिंघार - माननीय अध्यक्ष महोदय, चूंकि जवाब मैं पहले ही दे चुका हूं. जुलाई में दे दिया जायेगा और मालिक मकबूजा मद में 13.60 करोड़ का भुगतान किया जा चुका है और जो भुगतान लंबित है वह भी प्रक्रियाधीन है वह भी हो जायेगा. माननीय सदस्य को अवगत करा दिया जायेगा.
श्री रामकिशोर(नानो)कावरे - माननीय अध्यक्ष जी, जिन किसानों ने आत्महत्या की है क्या सरकार उन किसानों को मुआवजा देगी ?
श्री उमंग सिंघार - माननीय अध्यक्ष महोदय, ध्यानाकर्षण में यह विषय उद्भूत नहीं होता है.
(2) छतरपुर जिला चिकित्सालय को नवीन भवन में संचालित न किया जाना
श्री आलोक चतुर्वेदी (छतरपुर) - अध्यक्ष महोदय,
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री (श्री तुलसीराम सिलावट)- अध्यक्ष महोदय,
श्री आलोक चतुर्वेदी -- माननीय अध्यक्ष महोदय मैं मंत्री जी से यह पूछना चाहूंगा कि जिस भवन की मैं बात कर रहा हूं. वह भवन अभी पूर्णत: निर्मित नहीं है और उसका लोकार्पण कर दिया गया है. क्या यह सही है कि ठेकेदार या जो एजेन्सी है वह अस्पताल के संबंध में कोई भी व्यवस्था या काम करना हो तो वह वहां पर नहीं करने देता है, जिसके कारण काम करने में परेशानी हो रही है. वहां पर कुछ फण्ड की कमी है. वहां पर साधनों की जरूरत है जैसे बिस्तर, इक्यूपमेंट, मशीनरी यह सारी चीजों की वहां पर निरंतर कमी है. इस कारण से आज भी वह अस्पताल पूरी तरह से संचालित नहीं हो पा रहा है. मंत्री जी ने जो कहा है कि पुराने भवन में अस्पताल को संचालित किया जा रहा है यह सही है. लेकिन किस तरह से संचालित किया जा रहा है वहां पर जमीन पर डिलीवरी हो रही है. वहां जमीन पर मरीज को लिटाया जा रहा है. मैं यह चाहता हूं कि हमारे अस्पताल में जिन साधनों की कमी है, वह साधन पूरे किये जायें, वहां पर इक्यूपमेंट और मशीनरी स्थापित किये जायें साथ ही इसका जो फण्ड बकाया है रह गया है वह फण्ड पूरा किया जाय, डॉक्टरों की जो कमी है उसको पूरा किया जाय, वहां पर डॉक्टरों की बेहद कमी है. मैं चाहता हूं कि इन सभी कमियों को पूरा किया जाय.
श्री तुलसीराम सिलावट -- माननीय अध्यक्ष महोदय सम्माननीय सदस्य ने जो भावना व्यक्त की है कि समय के पहले जो छतरपुर का अस्पताल नवीन बनाया गया था अति जल्दी के कारण उसका उद्घाटन किया गया है, यह मेरे संज्ञान में है. मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हूं कि अस्पताल में अतिशीघ्र समस्त उपकरण सामग्री एवं अन्य सुविधाएं उपलब्ध करा दी जायेगी और मैं सम्मानित सदस्य को यह आश्वस्त करता हूं कि अतिशीघ्र डॉक्टरों की पूर्ति कर दी जायेगी.
श्री आलोक चतुर्वेदी -- मंत्री जी धन्यवाद्.
इंदौर इच्छापुर राजमार्ग की जर्जर हालत होने से उत्पन्न स्थिति
श्री देवेन्द्र वर्मा ( खण्डवा ) --
अध्यक्ष महोदय --( माननीय सदस्यों के बीच में बोलने के लिए खड़े होने पर) ये जो बीच में बोल रहे हैं वह बिल्कुल भी न लिखें, जो मेरी बिना आज्ञा के बोलें बिल्कुल न लिखें, आप लोग जरा व्यवस्था बनायें. नये नये हैं आप लोग जरा देखकर, सोचकर समझने की प्रक्रिया जारी रखें, ऐसा नहीं किया जाता है, यह तरीका गलत है.
लोक निर्माण मंत्री (श्री सज्जन सिंह वर्मा) -- अध्यक्ष महोदय,
श्री देवेन्द्र वर्मा -- अध्यक्ष महोदय, इन्दौर से इच्छापुर रोड पर, बुरहानपुर में जहां सिखों का तीर्थ स्थल है, बोहरा समाज का तीर्थ स्थल है, वहीं ओंकारेश्वर में 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योतिर्लिंग है, जहां पर वर्ष भर ट्रॉफिक रहता है, श्रद्धालु आते हैं. मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि गेज कन्वर्शन के कारण पूरा अकोला से जो ट्रॉफिक आता है, खण्डवा से आता है, वह भी इस रोड पर आ रहा है. इसी प्रकार जो नेशनल हाइवे का ट्रॉफिक है, टोल टैक्स बन्द होने के कारण वह ट्रॉफिक भी इसी मार्ग से आ रहा है. अध्यक्ष महोदय, मैंने 18 फरवरी,2019 को एक विधान सभा में प्रश्न लगाया था, उस प्रश्न के जवाब में गृह मंत्री, श्री बाला बच्चन जी ने इसमें स्वीकार किया है कि लगभग 700 लोगों की मृत्यु इस रोड पर हुई है और इसी प्रकार जो दूसरी बात है कि आपने जवाब में कहा कि शोल्डर मजबूत हैं, बने हैं.
12.35 बजे {सभापति महोदया (श्रीमती झूमा सोलंकी) पीठासीन हुईं.}
श्री देवेन्द्र वर्मा -- सभापति महोदया, जबकि माननीय गृह मंत्री महोदय ने जवाब दिया है कि रोड पर भारी यातायात है और आए दिन ट्राफिक जाम रहता है. यह माननीय मंत्री जी ने स्वीकार किया है. आपके जवाब में और उनके जवाब में विरोधाभास है, अंतर है. सभापति महोदया, आप भी इंदौर रोड की समस्याओं से अच्छी तरह वाकिफ हैं. आए दिन 8-8 घण्टे, 6-6 घण्टे का ट्राफिक जाम उस रोड पर रहता है. माननीय गृह मंत्री जी ने जिस प्रकार से स्वीकार किया है कि आए दिन उस रोड पर ट्राफिक जाम रहता है. पूर्व में चाहे सिंहस्थ हो, चाहे सावन का महीना हो, शासन वहां पर भारी वाहनों का प्रवेश एक महीने के प्रतिबंधित करती है.
माननीय सभापति महोदया, मैं आपका संरक्षण चाहूँगा, यह पूरे क्षेत्र की, निमाड़ की समस्या है. आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि जो निर्णय इन्होंने एक महीने के लिए, पवित्र सावन महीने के लिए लिया है, क्या इसको वर्ष भर लागू करेंगे ? दूसरी बात, जहां इस प्रकार के स्पॉट हैं, पूरे मध्यप्रदेश में एकमात्र सड़क होगी, जहां पर कि परिवहन के नियम लागू नहीं होते. प्रत्येक व्यक्ति को भेरू घाट पर गलत साइड से उतरना पड़ता है, यह बात माननीय मंत्री जी, आप स्वयं भी जानते हैं. अत: इस प्रकार के जो प्वॉइंट हैं, वहां पर सुरक्षा चौकी और इसके साथ-साथ कैमरों की व्यवस्था माननीय मंत्री जी कराने की व्यवस्था करेंगे क्या ?
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- माननीय सभापति जी, माननीय विधायक जी खुद इस बात को स्वीकार कर रहे हैं, जिसे मैंने भी स्वीकार किया कि रेल लाइन के अमान परिवर्तन में देरी होने से यातायात का दबाव बढ़ गया. नेशनल हाईवे नंबर-3, जिस पर आवागमन के लिए 1200 रुपये के लगभग टोल टैक्स लगता है, उसे बचाने के लिए यातायात का दबाव भी इधर आ गया कि फ्री में चले जाएंगे. यह मैंने अपने उत्तर में भी स्वीकार किया है. इसमें आपने कोई नई बात नहीं बताई.
माननीय सभापति महोदया, सवाल इस बात का है, खुद माननीय सदस्य ने भी कहा कि अमान परिवर्तन पर देरी हो रही है. यह केन्द्र सरकार का विषय है, इतने साल हो गए हैं, रेलवे लाइन ब्रॉडगेज की नहीं जा रही है. आप खुद स्वीकार कर रहे हैं कि उसका दबाव बढ़ रहा है. दूसरी बात, नेशनल हाईवे नंबर-3 पर लगने वाले 1200 रुपये टोल टैक्स बचाने के लिए भी यह हो रहा है, यह बात मैंने भी स्वीकार की है. इसमें आपने कौन सा नया प्रश्न पूछा, मेरे जवाब में मैं सब कह चुका हूँ. तीसरी बात, राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित हो गया, जिसकी संपूर्ण जवाबदारी कहीं न कहीं भूतल परिवहन मंत्रालय, केन्द्र सरकार की है. उसके बाद भी मैंने इस बात को स्वीकार किया. आपने कहा कि गृह मंत्री जी के जवाब में यह आया है, मैंने भी तो उस बात को स्वीकार किया है. मैंने कहा कि गलत तरीके से चलाने से, दूसरे कारणों से दुर्घटनाएं हो रही हैं. मैंने इस बात को भी स्वीकार किया है. मैं आपके संज्ञान में ला दूँ कि राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए भूतल परिवहन मंत्रालय के द्वारा हमें कोई राशि नहीं दी गई है. कायदा यह है कि जब घोषित करते हैं, तत्काल कुछ राशि मध्यप्रदेश की सरकार को या तो आवंटित कर दें ताकि हम उसका मेंटेनेंस करें, लेकिन उसके बाद भी नैतिकता के आधार पर कि हमारे प्रदेश की जनता को असुविधा न हो, 38 करोड़ रुपये का प्रावधान हमने किया.
12.38 बजे {अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति(एन.पी) पीठासीन हुए.}
माननीय अध्यक्ष महोदय, और वह पूरा रिन्यूअल का कार्य चल रहा है. मैंने अपने जवाब में यह बात कही है. अब इनको कहां शंका है, वह मुझसे पूछ लें.
श्री देवेन्द्र वर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि वह रोड नेशनल हाईवे में शामिल हो गई है. जैसा इन्होंने बताया यह 4 पैकेज में होना है, मेरा यह निवेदन है कि एक माह सावन के समय इंदौर से होने वाला जो हैवी व्हीकल ट्राफिक रहता है, उसको रोककर नेशनल हाईवे पर डाईवर्ट किया जाता है, उसमें किसी प्रकार की दिक्कत नहीं है, प्रतिवर्ष इस प्रकार की व्यवस्थाएं बनाई जाती हैं क्योंकि हजारों की संख्या में कावड़ यात्री आदि आते हैं. मेरा आपके माध्यम से मंत्री जी से केवल इतना सा निवेदन है कि जिन भारी वाहनों को एक माह के लिए प्रतिबंधित किया जाता है, उनको वर्ष भर करेंगे क्या ? और वर्तमान में जो रोड की हालत दयनीय है, पूरे रोड में आप 40 से ज्यादा की स्पीड में चल नहीं सकते, तो उस रोड के जो शोल्डर कट गए हैं, गड्ढे हो गए हैं, उनको ठीक करवाएंगे क्या ?
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- माननीय अध्यक्ष जी, अभी हाल ही में हमने प्रशासनिक अधिकारियों को निर्देश दिए हैं क्योंकि कावड़ यात्री हजारों, लाखों की तादाद में उस सड़क मार्ग से गुजरते हैं, एक्सीडेंट का खतरा रहता है. एक माह के लिए हमने उस सड़क पर प्रतिबंध लगाया है कि भारी वाहन उस पर नहीं जाएंगे. हम यह व्यवस्था हर साल सावन में करते हैं ताकि धार्मिक लोगों के साथ कोई घटना-दुर्घटना न हो. बात यह है कि हर जिले में एक जिला स्तर की यातायात समिति बनी हुई है. माननीय सदस्य की भावनाओं को मैं समझता हूं. मेरी कोशिश होगी कि जितने जिले हैं, इन्दौर, खरगोन, खण्डवा, बुरहानपुर यहां के कलेक्टरों की इस समिति के साथ एक बैठक मैं करवा लेता हूं. उनकी जो रिकमंडेशन आयेगी, जो माननीय सदस्य की भावना है कि यहां पर यातायात रोक दिया जाए, समय की सीमा की, कुछ घंटों की, वह मीटिंग मैं निर्धारित करवा देता हूं. मेरी भरसक कोशिश रहेगी कि आपकी भावनाओं के अनुरूप वैसी व्यवस्था हो जाए.
श्री देवेन्द्र वर्मा - अध्यक्ष महोदय, दूसरा निवेदन है कि इस प्रकार के जो स्पॉट हैं, वहां पर ट्रैफिक पुलिस की या पुलिस चौकियां बनाई जाएं.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - अध्यक्ष महोदय, अभी माननीय सदस्य ने गृह मंत्री जी से संबंधित प्रश्न का उल्लेख किया है. अब मेरे विभाग से गृह मंत्री की बात कर रहे हैं. अब मैं उसका कुछ जवाब दे दूंगा, तो फिर गृह मंत्री से प्रश्न करेंगे कि साहब सज्जन वर्मा जी, पीडब्ल्यूडी वाले भैया ने तो कहा था.
श्री देवेन्द्र वर्मा - अध्यक्ष महोदय, मैं तो शासन से प्रश्न कर रहा हूं. दोनों विभागों में अंतर है मगर माननीय मंत्री जी आप भी शासन में हैं.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - अध्यक्ष महोदय, अभी उन्होंने बाला बच्चन जी के विभाग का उल्लेख किया. अब मैं बोल दूंगा, तो बाला बच्चन जी से प्रश्न पूछेंगे, लेकिन जो व्यवस्था ठीक हो सकती है, वह करने की मैं गृह मंत्री जी से आपकी तरफ से अनुरोध कर लूंगा.
अध्यक्ष महोदय - ठीक है. धन्यवाद.
श्री देवेन्द्र वर्मा - अध्यक्ष जी, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री सचिन बिरला (बड़वाह) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से लोक निर्माण विभाग मंत्री जी का ध्यान इसी ज्वलंत समस्या एवं सार्वजनिक महत्व जैसे विषय पर ध्यान आकर्षित कराना चाहता हूं कि निवार क्षेत्र का महत्वपूर्ण इन्दौर-इच्छापुर मार्ग जो मध्यप्रदेश एवं महाराष्ट्र की सीमा को जोड़ता है, उस मार्ग की हालत अत्यंत दयनीय है और भारत सरकार के परिवहन मंत्री जी का भी कहना है कि विकसित राष्ट्र बनने के लिये सड़क मार्ग उच्च कोटि के होने चाहिये, लेकिन दुर्भाग्य यह है कि 15 साल मध्यप्रदेश में और 5 साल केन्द्र में भाजपा की सरकार का कार्यकाल रहा, लेकिन इस स्टेट हाईवे जो राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित हो चुका है, उस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया. इन्दौर-इच्छापुर स्टेट हाईवे मेरी विधान सभा से भी गुजरता है. इसमें मेरी विधान सभा के दो बड़े नगर सनावद और बड़वाह भी आते हैं. दोनों नगर के मध्य से यह रोड होकर गुजर रहा है. जहां प्रतिदिन 2 हजार से 3 हजार चारपहिया वाहन, ट्राले, डम्पर और अन्य भारी वाहन यहां से गुजरते हैं और ऐसा कोई दिन नहीं जाता है कि यहां जाम नहीं लगता और कोई दुर्घटना नहीं होती है. प्रत्येक दिन कोई न कोई मौत होती है. अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि शहर के मध्य से जो रोड जा रहा है, उस पर काटकुट फाटे से नर्मदा जी के पुल तक एवं सनावद में पॉलीटेक्निक कॉलेज से बकुन नदी तक 7 किलोमीटर लंबे रोड के दोनों तरफ अगर 6-6 फिट रोड को बढ़ा दिया जाए, तो मैं समझता हूं कि जाम से काफी राहत मिलेगी और दुर्घटनाएं भी कम होंगी. इस विषय पर पूर्व में भी मैं मुख्यमंत्री जी को पत्र लिख चुका हूं और माननीय मंत्री जी से भी चर्चा हुई थी.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय विधायक जी को धन्यवाद देता हूं कि आपने सही परिस्थितियों का विवरण सदन के सामने रखा कि 15 साल से बीजेपी की सरकार है, यह रोड नेशनल हाईवे घोषित हो गया है, पर अभी तक इसमें कोई काम नहीं हुआ है. लेकिन हमारी सरकार की नैतिक जवाबदारी है, जो माननीय सदस्य ने अपने छोटे-छोटे शहरों का उल्लेख किया है, मेरी कोशिश रहेगी कि जो माननीय सदस्य ने कहा है, उन जगहों का मार्ग चौड़ा कराने के लिये मेरे विभाग को मैं निर्देशित करूंगा. केन्द्र सरकार पैसा दे या न दे, लेकिन मेरे विभाग से मैं उन जगहों के रास्तों को चौड़ा कराने की कोशिश करूंगा.
श्री सचिन बिरला - अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी को एक सुझाव भी देना चाहता हूं कि इस मार्ग पर टोल नहीं होने के कारण जो भारी वाहनों की आवाजाही बढ़ी है, अगर माननीय मंत्री जी, इस रोड पर कमर्शियल टोल स्वीकृत कर पायेंगे, तो इस मार्ग का रखरखाव व्यवस्थित रूप से होकर सरकार को प्रीमियम के रूप में टैक्स की प्राप्ति भी होगी और मैं माननीय मंत्री जी से यह जानना चाहता हूँ कि यह मार्ग कब तक ठीक होगा? तथा सनावद और बड़वाह नगरों के मध्य सड़क चौड़ीकरण के प्रस्ताव कब तक आप स्वीकृत कर पाएँगे? यह बताने की कृपा करें.
अध्यक्ष महोदय-- विराजिए, तुम्हारा पहला प्रश्न अच्छा था.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, दिसंबर माह तक हम इस कार्य को पूर्ण कर लेंगे. सचिन भैय्या तुम्हारा पहला प्रश्न क्या था?
अध्यक्ष महोदय-- टोल टैक्स, टोल नाका..
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- बड़ा महत्वपूर्ण है इसीलिए मैंने रिपीट करवाया है.
श्री सचिन बिरला-- अध्यक्ष महोदय, मेरा पहला प्रश्न यह था कि कमर्शियल टोल अगर लग जाए तो व्यवस्था ठीक से हो पाएगी.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- अध्यक्ष महोदय, यह योजना हमने बनाई है क्योंकि हम जानते हैं कि केन्द्र सरकार से राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित होना एक लंबी प्रक्रिया है, उसका टेण्डर होना, डी.पी.आर.बनना, इसके डी.पी.आर. और सारे काम में ही दो साल लग जाएँगे. हम अनुरोध करते हैं हमारे सामने बैठे साथियों से, गडकरी जी बहुत ही अच्छे, बहुत ही विज़न वाले, भूतल परिवहन केन्द्रीय मंत्री हैं, आप लोग उनसे रिक्मंड जरूर करना. हमारी कोशिश है कि वास्तव में, चूँकि रखरखाव का पैसा केन्द्र सरकार देती नहीं है, रामपाल सिंह जी, इस पर कामर्शियल वाहनों पर यदि हम टोल लगाकर वसूलें तो निश्चित रूप से जो मध्यप्रदेश के माथे पर खराब सड़कों का कलंक का दाग लगता है, भले ही वे राष्ट्रीय राजमार्ग हों, तो वह धुल जाएगा क्योंकि कामर्शियल वाहन से जो राशि आएगी उससे हम इन सड़कों का भलीभांति रखरखाव कर पाएंगे. हमारी कोशिश होगी, परीक्षण करवाकर इस तरफ हम कदम बढ़ाएँगे.
अध्यक्ष महोदय-- धन्यवाद. नारायण पटेल अपनी बात कहें.
श्री नारायण पटेल(मांधाता)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय लोक निर्माण मंत्री जी का मैं मेरे विधान सभा क्षेत्र में उपयोग में आने वाले इन्दौर-इच्छापुर मार्ग की ओर ध्यानाकर्षित करना चाहता हूँ. उक्त मार्ग पर से वाहन का दबाव कम करना आवश्यक है. इसके निम्न कारण हैं-
इन्दौर-इच्छापुर मार्ग के प्रवेश द्वार पर भारी वाहनों की जाँच कर, उक्त मार्ग पर लोडिंग संबंधी वाहन रोके जाएँ उन्हें आगरा-बॉम्बे मार्ग पर जाने हेतु निर्देशित किया जाए. अध्यक्ष महोदय, जाम वाले स्थानों पर मैं माननीय गृह मंत्री जी का ध्यानाकर्षित करना चाहता हूँ कि यहाँ पुलिस चौकियाँ स्थापित की जावे. जाम वाले स्थानों पर ओव्हर टेक करने पर प्रतिबंध लगाया जावे, ओव्हर टेक करने वाले वाहनों पर भारी जुर्माना लगाया जावे. अध्यक्ष महोदय, दुर्घटनाग्रस्त वाहनों को मार्ग से हटाने हेतु क्रेनों की पर्याप्त व्यवस्था की जावे. अध्यक्ष महोदय, जिन शहरों से होकर इन्दौर-इच्छापुर मार्ग गुजरता है उन सारे, जैसे सनावद-बड़वाह सर्कल का चौड़ीकरण किया जाए.
अध्यक्ष महोदय-- धन्यवाद. आप यह पूरा पत्र माननीय मंत्री जी को दे दीजिए. ताकि वे उसके ऊपर यथोचित निर्णय ले सकें.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा(जावद)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक सुझाव देना चाहता हूँ कि पर्सनल व्हीकल से हाई वे पर एवरेज 12 प्रतिशत से ज्यादा रेवेन्यू नहीं आता है और कमर्शियल पर 88 परसेंट आ रहा है, क्या स्टेट के बाकी हाई वे पर भी स्टेट में यही कर सकते हैं, राजस्थान ने कर दिया है, पिछली वसुन्धरा सरकार ने, कि स्टेट की जितनी भी सड़कें हैं, उस पर पर्सनल व्हीकल पर से टोल वसूली कम कर देना मतलब 90 परसेंट विवाद खत्म हो जाएंगे.
अध्यक्ष महोदय-- ठीक बात है. मंत्री जी, इस सुझाव पर जरूर विचार करें.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अपने विभाग की मांगों के जवाब में इस बात का उत्तर दे चुका हूँ, यह हमने पहले से ही योजना बना ली है, विभाग की मांगों के समय मैंने इस बात का उल्लेख किया था.
अध्यक्ष महोदय-- धन्यवाद.
12.48 बजे
पृच्छा.
कल दिनाँक 19 जुलाई 2019 की ध्यानाकर्षण सूचना क्रमांक पर गृह मंत्री जी द्वारा दी गई आश्वासित जानकारी संबंधी.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)-- माननीय अध्यक्ष जी, कल मैंने एक ध्यानाकर्षण सूचना के माध्यम से अपने क्षेत्र में एक गरीब किसान की दुखद आत्महत्या की चर्चा करवाई थी. माननीय गृह मंत्री जी ने अपने उत्तर में यह कहा था कि, “आज सायंकाल तक हम उस पर कार्यवाही करके गिरफ्तारी करवाएँगे.”
अध्यक्ष महोदय-- आपने वह पेन ड्राइव उपलब्ध करा दी थी?
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, पेन ड्राइव....
अध्यक्ष महोदय-- शाम होने दीजिए, आप भी यहीं हैं, मैं भी यहीं हूँ. हम दोनों देखेंगे.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, पेन ड्राइव मेरे पास में सुरक्षित है. चार जगह मैंने भी पेन ड्राइव दे दी है.
अध्यक्ष महोदय--आपको पेन ड्राइव मिल गई, बस दोनों का आदान-प्रदान हो गया, अब शाम तक इन्तजार करते हैं.
श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष महोदय, मुझे सूत्रों से यह जानकारी मिली है कि उस मामले में टालमटोली की कोशिश की जा रही है. कहीं से उस मामले को प्रभावित करने की भी कोशिश की जा रही है. मैं माननीय मंत्री महोदय से जानना चाहता हूँ, आसंदी ने जो व्यवस्था दी है. विधान सभा में आपने हमें जो कुछ भी आश्वासन दिया था वह शब्दश: वही रहेगा या कहीं कोई परिवर्तन होगा. अन्यथा अध्यक्ष महोदय, विधान सभा मजाक बन जाएगी.
गृह मंत्री (श्री बाला बच्चन)--माननीय अध्यक्ष महोदय, इससे संबंधित कल जो आपने व्यवस्था दी है. मैंने मेरे चेम्बर में मेरे विभाग के अधिकारियों को बुलाया है. ध्यानाकर्षणों के बाद मेरा वक्तव्य है और वक्तव्य के बाद में हम दोनों बैठ लेंगे. पेन ड्राइव के लिए मैंने सभी अधिकारियों बुलवाया है. यह अभी मैंने आपके लिए ही बनवाई थी, मैंने अभी आपको (श्री गोपाल भार्गव) को इशारा भी किया था. लंच और वक्तव्य के बाद हम दोनों बैठकर इसका पर्दाफाश करेंगे. जैसा बोला गया है हम उसका अक्षरश: पालन करेंगे.
अध्यक्ष महोदय--सुन्दर तालमेल के लिए आप दोनों को धन्यवाद.
12.52 बजे ध्यान आकर्षण (क्रमश:)
(4)ग्वालियर के फूटी कॉलोनी के विस्थापितों को पट्टे प्रदान न किये जाने से उत्पन्न स्थिति
श्री मुन्नालाल गोयल (ग्वालियर-पूर्व)--माननीय अध्यक्ष महोदय,
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्री जयवर्द्धन सिंह)-- अध्यक्ष महोदय,
श्री मुन्नालाल गोयल-- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी का कहना है कि जिन गरीबों को पट्टे देने की बात की है हम उनको प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत विस्थापित करेंगे, वह सारे गरीब लोग हैं उन पर प्रधानमंत्री आवास योजना की किस्तें चुकाने के लिए पैसा नहीं है. मैं कहना चाहता हूं कि जो फूटी कॉलोनी के 400 परिवार हैं वह सभी गरीब परिवार प्रधानमंत्री आवास योजना में अपना आवास खरीदने की स्थिति में नहीं हैं, वह सब गरीब मजदूर लोग हैं. हमारी आपसे और माननीय मंत्री जी से गुजारिश है कि इन सभी गरीब परिवारों को आप पट्टे की व्यवस्था करिए. मैं कहना चाहता हूं कि वहां पर दस साल जब कांग्रेस पार्टी की सरकार थी उन दस सालों में पूरे प्रदेश के अंदर गरीबों को पट्टे दिए गए. मेरे ग्वालियर में पट्टे दिए गए. जब से भारतीय जनता पार्टी की सरकार आई है पूरे प्रदेश के अंदर गरीबों को पट्टे मिले हैं केवल मेरे जिले के अंदर पट्टे नहीं मिले हैं. हम चाहते हैं कि वह गरीब वर्ग के लोग हैं जो मजदूरी करते हैं उन पर किस्त चुकाने के लिए पैसा नहीं है. वह प्रधानमंत्री आवास योजना में नहीं रह पाएंगे इसलिए मेरी आपसे गुजारिश है कि जो गरीब लोग हैं, मजदूर लोग हैं, दलित लोग हैं इन सब लोगों को आप पट्टे देने की व्यवस्था करिए. चाहे फूटी कॉलोनी के लोग हों, चाहे भांडेर की माता के हों, सिरौल कॉलोनी के हों सभी गरीब लोग हैं. मैं चाहता हूं कि जिस तरीके से कांग्रेस के राज में पिछले दस सालों में आपने गरीबों को पट्टे दिए हैं उसी प्रकार कांग्रेस पार्टी गरीब सर्वहारा वर्ग की पार्टी है जो गरीबों के हित की बात करती है. माननीय मंत्री जी मैं चाहता हूं की आप ग्वालियर के गरीबों को जिनको आपसे आशा है कि आप उन सब गरीबों को जिनकी लिस्ट भी प्रशासन के पास है इन सारे गरीबों के लिए आप पट्टे की व्यवस्था करें.
श्री जयवर्द्धन सिंह-- अध्यक्ष महोदय, मैं विधायक जी की भावना समझ सकता हूं. मैं इनको अवगत करवाना चाहता हूं कि प्रधानमंत्री आवास के अलग-अलग रूप भी होते हैं. जो एक प्रारूप है जिसके माध्यम से मैंने इसमें बताया भी है कि 1.50-1.50 लाख रुपया शासन से मिलता है और दो लाख हितग्राही को देना पड़ता है, लेकिन क्योंकि विधायक जी कह रहे हैं कि जो हितग्राही जिनका उल्लेख उन्होंने किया है वह इतने सक्षम नहीं हैं तो उनके लिए हमको सर्वे करवाकर ऐसी जमीन देखना होगी जो शहर की हो या फिर राजस्व की जमीन हो, नजूल की हो, जहां पर हम इनको पट्टे दे सकते हैं. क्योंकि पट्टे देने काम रेवेन्यू डिपार्टमेंट का आता है. लेकिन हमारे विभाग के द्वारा हम सर्वे करा सकते हैं. मैं विधायक जी को यह जानकारी देना चाहता हूं कि हमारे मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ जी इस विषय पर अतिसंवेदनशील हैं. उनके द्वारा हमें आदेश दिया गया है कि अगले माह से पूरे प्रदेश में हम सर्वे करवायेंगे और जो ऐसे लोग हैं, जिनको आवासीय पट्टे नहीं मिले हैं, उन्हें सरकार पट्टे देगी. (मेजों की थपथपाहट)
श्री भारत सिंह कुशवाह- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं भी कुछ कहना चाहता हूं, यह मेरा भी क्षेत्र है.
अध्यक्ष महोदय- गोयल जी, अंतिम प्रश्न कीजिये. कुशवाह जी, मैं आपको परमिट नहीं करूंगा. आपका क्षेत्र होगा, आपको प्रश्न लगाना चाहिए था. आप जागरूक बनिये, यहां पर मैं आपकी जागरूकता नहीं देखूंगा.
श्री मुन्नालाल गोयल- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से कहना चाहूंगा कि जो परिवार भाजपा सरकार के दौरान उजाड़े गए हैं, वहां जगह भी है, उनके पास सर्वे नंबर भी है, जमीन भी है इसलिए मैं कहना चाहता हूं कि मंत्री जी वहां जमीन है, सर्वे नंबर भी है तो गरीबों का उसका पट्टा दे दिया जाये. नहीं तो कल वहां भू-माफिया कब्जा कर लेंगे इसलिए मैं चाहता हूं कि मंत्री जी इस बारे में आश्वस्त करें.
श्री जयवर्द्धन सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं विधायक जी को आश्वासन देता हूं लेकिन पात्रता अनुसार ही हम पट्टे दे पायेंगे और जैसा कि मैंने कहा कि जो निगम के अधिकारी हैं, जो राजस्व के अधिकारी हैं, आप उनके साथ मौके पर जाकर जमीन देखिये और यदि वहां हम पट्टे दे सकते हैं तो जरूर देंगे.
1.01 बजे
याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय- आज की कार्यसूची में सम्मिलित माननीय सदस्यों की सभी याचिकायें प्रस्तुत की हुई मानी जायेंगी.
1.02 बजे
अध्यक्षीय घोषणा
भोजनावकाश न होना
अध्यक्ष महोदय- आज भी भोजनावकाश नहीं होगा. भोजन की व्यवस्था सदन की लॉबी में की गई है, माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि सुविधानुसार भोजन ग्रहण करने का कष्ट करें.
1.03 बजे
वक्तव्य
(1) दिनांक 8 जुलाई, 2019 को पूछे गये तारांकित प्रश्न संख्या 12 (क्रमांक 258) के उत्तर में संशोधन करने के संबंध में गृह मंत्री का वक्तव्य
गृह मंत्री (श्री बाला बच्चन)- माननीय अध्यक्ष महोदय, दिनांक 8 जुलाई, 2019 की प्रश्नोत्तर सूची के पृष्ठ क्रमांक 8 में मुद्रित तारांकित प्रश्न संख्या 12 (क्रमांक 258) के उत्तर में निम्नानुसार संशोधन करना चाहता हूं-
प्रश्नोत्तर सूची में मुद्रित उत्तर के भाग ''ख'' में वाहन क्रमांक MP 52 C 9999 दिनांक 31.03.2018 से 500 रूपये के शमन शुल्क की रसीद दी गयी थी, के स्थान पर कृपया निम्नानुसार संशोधित उत्तर पढ़ा जावे-
(2) दिनांक 18 फरवरी, 2019 को पूछे गये परिवर्तित अतारांकित प्रश्न संख्या 77 (क्रमांक 377) के उत्तर में संशोधन करने के संबंध में पंचायत मंत्री का वक्तव्य
अध्यक्ष महोदय- श्री कमलेश्वर पटेल, पंचायत मंत्री, दिनांक 18 फरवरी, 2019 को पूछे गये परिवर्तित अतारांकित प्रश्न संख्या 77 (क्रमांक 377) के उत्तर में संशोधन करने के संबंध में मंत्री जी जो वक्तव्य दे रहे हैं उसे पटल पर रख दें वह कार्यवाही में सम्मिलित हो जाएगा.
(3) दिनांक 20 फरवरी, 2019 को पूछे गये अतारांकित प्रश्न संख्या 07 (क्रमांक 74) के उत्तर में संशोधन करने के संबंध में पर्यटन मंत्री का वक्तव्य
अध्यक्ष महोदय- श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल, पर्यटन मंत्री, दिनांक 20 फरवरी, 2019 को पूछे गये अतारांकित प्रश्न संख्या 07 (क्रमांक 74) के उत्तर में संशोधन करने के संबंध में मंत्री जी जो वक्तव्य दे रहे हैं उसे पटल पर रख दें उसे संज्ञान में ले लिया जायेगा.
1.04 बजे
शासकीय विधि विषयक कार्य
(1) मध्यप्रदेश लोक स्वास्थ्य (संशोधन) विधेयक, 2019 (क्रमांक 20 सन् 2019) का पुर:स्थापन
संसदीय मंत्री जी, माननीय गोविंद राजपूत जी को बुलवा लीजिये.
2. मध्यप्रदेश मोटरयान कराधान (संधोधन) विधेयक,2019
वर्ष 2019-2020 की अनुदानों की मांगों पर मतदान (क्रमश:)
(1) |
मांग संख्या 8 |
भू राजस्व तथा जिला प्रशासन |
|
मांग संख्या 9 |
राजस्व विभाग से संबंधित व्यय |
|
मांग संख्या 36 |
परिवहन |
|
मांग संख्या 58 |
प्राकृतिक आपदाओं एवं सूखा ग्रस्त क्षेत्रों में राहत पर व्यय.
|
उपस्थित सदस्यों के कटौती प्रस्ताव प्रस्ततुत हुए.
अब मांगों और कटौती प्रस्तावों पर एक साथ चर्चा होगी.
श्री रामपाल सिंह(सिलवानी):- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 8, 9 और 58 का विरोध करता हूं, विरोध इसलिये कि विगत वर्ष हमने जो बजट पास किया था वही का वही बजट इस वर्ष फिर से राजस्व मंत्री जी ने यहां पर प्रस्तुत किया है. इसमें कोई नयी चीज इसमें नहीं लाये हैं.
अध्यक्ष महोदय,सरकार प्रतिवर्ष कोई न कोई चीज किसानों के लिये लेकर आती है. हमने जो बजट बनाया वही आपने यहां पर प्रस्तुत कर दिया. अगर आप कोई नयी चीज यहां पर लाते तो मध्यप्रदेश के किसानों की आशा आप पर टिकी हुई थी. मंत्री जी, राजस्व विभाग बड़ा महत्वपूर्ण विभाग है, आपके नियंत्रण को और आपका जो बजट है उसको पूरे प्रदेश का किसान देख रहा है.
{ 1.09 बजे उपाध्यक्ष महोदया, (सुश्री हिना लिखीराम कावरे) पीठासीन हुई.}
आपने किसानों के लिये बडे़-बड़े वादे किये थे, लेकिन इस बजट को देखकर एक भी चीज नयी नहीं नजर आ रही है, जो पहले था वही है. उपाध्यक्ष महोदया, मैं आज आपके माध्यम से राजस्व मंत्री जी को निवेदन करना चाह रहा हूं और आज सुझाव भी दूंगा, राजस्व मंत्री बड़े उत्साही भी हैं, साहसी भी हैं, लेकिन ऐसी क्या बात है कि आप इतने डर के काम कर रहे हैं. बजट में भी आप डरे हुए हैं और काम करने में भी आपको भय है. आप तो भय-मुक्त होकर विपक्ष में बहुत तेज बोलते थे. आप लंबाई-चौड़ाई में आप सबसे ऊंचे व्यक्ति होंगे. आप क्षत्रिय हो, उसके बाद भी डरे-डरे रहकर कुछ भी किये जा रहे हैं. मैं पहला आपसे निवेदन करना चाहूंगा, मध्यप्रदेश के किसानों का.
श्री कमलेश्वर पटेल:- रामपाल जी, हमारे मंत्री जी आपके जैसे नहीं है. हमारे मंत्री जी, बहुत सहज, सरल और सजग हैं, आपके जैसे नहीं कि आपने कुछ भी किया.
श्री रामपाल सिंह :- हम पूछ सकते हैं कि आप कौन से गुट के हैं ? आपका ब्रांड बताइये. कौन सा ब्रांड है.
श्री कमलेश्वर पटेल:- हम सब जनता के सेवक हैं, हम किसी गुट के नहीं हैं.
श्री रामपाल सिंह:- हमारे एक क्षत्रिय आपके इधर भी हैं, पूर्व नेता प्रतिपक्ष आप उनकी उपेक्षा कर रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदया, पहला सवाल देश के किसानों के लिये प्रधानमंत्री भाई नरेन्द्र मोदी जी ने जो राशि देने का काम किया था, प्रधान मंत्री किसान सम्मान निधि, इसमें महोदय आप नोडल एजेंसी आप हैं. क्या कारण है कि आपने 7 महीने में भी आपने मध्यप्रदेश के किसानों की सूची नहीं भेजी, क्या प्रदेश के किसानों से आपको कोई दुश्मनी है ? किसानों के खातों में राशि आ जाती तो क्या मध्यप्रदेश के किसानों का भला नहीं होता. आप किसानों की सूची कब तक भेजेंगे और आपने क्यों नहीं भेजी इसको मध्यप्रदेश की जनता को जानने का पूरा हक है. आप ऐसे महत्वपूर्ण काम को रोके हुए हैं. आप प्रधानमंत्री किसान सम्मान की सूची दें और इसकी पूरी जानकारी दें कि यहां से कितने किसासों की सूची जा रही है और मध्यप्रदेश के किसानों को राशि मिलने वाली है, यह जानकारी प्राप्त करने का अधिकार हमको भी है और सदन को भी है. मैं राजस्व विभाग की मजबूरियां भी समझता हूं, राजस्व विभाग बहुत बड़ा विभाग है. लेकिन तहसीलदार से नीचे-नीचे ही अपना काम है. आरआई, पटवारी और तहसीलदार किसके नियंत्रण में रहते हैं, यह आपको मालूम होगा. वह एसडीएम के नियंत्रण में रहते हैं. आप कुछ भी कहेंगे तो वह कुछ नहीं करेंगे, जो एसडीएम कहेंगे वह करेंगे. इसलिये सरकार को मेरे अनुभव का सुझाव है कि एसडीएम भी राजस्व विभाग में किये जाएं, तभी आपका नियंत्रण हो जायेगा, नहीं तो आप भाषण के अलावा कुछ नहीं कर पायेंगे. पटवारी जो चाहेंगे वह करेंगे. परसों माननीय मुख्यमंत्री जी ने भाषण दिया, अच्छा लगा उन्होंने सबकी तारीफ की. उद्योगपति उनसे मिलने आये, उन्होंने कहा एसडीएम, कलेक्टर, कमिश्नर और तहसीलदार अच्छे हैं और परसों ही माननीय कमलनाथ जी ने इसी सदन में कहा था कि पटवारी से बचा लो, यहीं पर कहा था. उनके कहने का अर्थ क्या था या तो कोई संकेत था, जितु भी सरनेम पटवारी लिखते हैं,इनके लिये कहा था. मैं भी इसका अर्थ समझ नहीं पा रहा हूं कि क्या अर्थ है. क्या अप्रत्यक्ष रूप से आपको कुछ कहना चाह रहे थे, या जितु भाई पटवारी पर कोई नाराजगी जाहिर की थी. यह सब चीजें आपको ध्यान में रखना चाहिये, यह मेरा सुझाव है. मैं जब राजस्व मंत्री था और शिवराज जी मुख्यमंत्री थे तो किसान के खेतों में हेलिकॉप्टर उतार देते थे. जहां पर किसानों का नुकसान होता था, वहां उनके दुख में पहुंच जाते थे. इस साल तुषार, पाला से इतना नुकसान हुआ मध्यप्रदेश में कि आपके एक भी मंत्री और विधायक किसानों के दुख में नहीं गये और मध्यप्रदेश में हा-हाकार मच गया. तुषार, पाले के संबंध में तो आपके हजारीलाल जी का भाषण रखा हुआ है. तुषार, पाला को तो आप प्राकृतिक आपदा भी नहीं मानते थे, हमने माना. लेकिन इस साल कोई भी फसल देखने नहीं गया. आप 50 प्रतिशत से ज्यादा फसल का नुकसान होने पर मुआवजा देते थे, वह भी ऊंट के मुंह में जीरा, हमने उसको 25 प्रतिशत किया. लेकिन आप देखने क्यों नहीं गये, इसका भी आप जवाब दें. आपने कलेक्टरों को लिख दिया कि फसल का नुकसान लिखों ही नहीं,तो किसानों को राशि ही नहीं देनी पड़ेगी. ऐसा किसानों के हित में आप करियेगा, यह आपसे निवेदन है. बहुत से जिलों में नुकसान हुआ है, अभी भी धान की फसल सूखने लगी है, सोयाबीन की फसलें सूख रही है. इसके लिये आप किसानों को संकेत दीजिये कि हम इसमें आपका सहयोग करेंगे. वर्षा नहीं हो रही है, वर्षा लेट आयी 15 जुलाई को नहीं आयी, इसके लिये भी प्रावधान कीजिये कि किसानों हम आपके दुख की घड़ी में हम आपके साथ हैं. यह आपका संदेश किसानों को यहां से जाना चाहिये. कई लोगों की मुआवजे की राशि रूकी हुई है, भू-अर्जन में आपकी की है. आप ऐसे निर्देश जारी करें कि तुरंत किसानों को कैंप लगाकर राशि दी जाये. सड़क में, नहर में आपने किसानों की भूमि-अर्जन कर ली, तो उनका तुरंत एक कैंप लगाकर और एक समय दीजियेगा कि इतने समय में किसानों का भुगतान होना चाहिये, आप इसमें समय-सीमा निश्चित कर दो.
श्री रामपाल सिंह--आर.बी.सी. 6 (4) में हमने बहुत संशोधन किये उसमें एक लाईन और बन जाये कि मकान जल जाता है उसको आप एक साल बाद पैसे देते हैं. जब कोई बीमार है उसका एक साल बाद इलाज करवाओगे. इनको राशि तुरंत दीजिये समय सीमा निश्चित कीजिये, उनको दी जाये. तुषार पाला की राहत राशि का हमने प्रावधान किया है उसको हम पढ़कर बताएंगे उसको आप बढ़ाइयेगा. हमने प्राकृतिक आपदा में किसी की मृत्यु पर 4 लाख रूपये का प्रावधान किया था. आपके समय आर.बी.सी. 6 (4) में जब सांप काटेगा तभी हम मुआवजा 50 हजार रूपये देंगे. हमने उसमें पढ़ा तथा उसमें संशोधन किया, क्या सांप से पूछने जायेंगे कि तूने काटा या दूसरे ने काटा, ऐसा लिखा था माननीय हजारीलाल रघुवंशी जी के भाषण में. हमने उसमें तय कर दिया कि कोई भी जहरीला जानवर काटेगा उसको चार लाखे रूपये दिये जायेंगे. आप उस राशि को बढ़ायें, यह तो हमने कर दिया था. इस राशि को आप बढ़ायें. मैं आपको कुछ सुझाव दे रहा हूं कि तहसीलदार के पद आपके आधे से ज्यादा खाली पड़े हुए हैं इनको आप भरियेगा उसमें विभागीय परीक्षा भी करवाइयेगा. मजरे-टोले हमने घोषित कर दिये थे उसमें से लगभग 2 से 3 सौ रह गये हैं उनको ग्राम का दर्जा दीजिये ताकि वहां पर विकास हो सके. यह काम करेंगे तो आपकी मेहरबानी होगी. हमने पटवारियों के हल्के बढ़ा दिये पंचायत स्तर पर उनकी आप पूर्ति करिये. इस तरह सीमांकन में जो मुनारे थे उनमें रिफ्रेंस पाईंट बनाने का काम चल रहा था उसको भी आप कर लें तो बहुत अच्छा होगा. सीमांकन के लिये टोटल मशीने लेकर के दे दी थीं उन मशीनों को आप और बढ़ाइये आप प्रायवेट वालों से सीमांकन करवा रहे हैं वह लोग 10 हजार रूपये ले रहे हैं. पुराने समय की जरीब चलती थी उसके कारण कई बार झगड़े होते थे. मशीन लेने का अच्छा निर्णय है, लेकिन मशीन संचालन लेने वालों को प्रशिक्षण दीजियेगा ताकि समय सीमा के अंदर सीमांकन हो सके यह निर्णय माननीय राजस्व मंत्री जी आपको लेना चाहिये. आपको और भी सुझाव देना चाहता हूं कि नक्शाविहीन गांवों के पूरे नक्शे हमने बनवा दिये हैं, उनमें कुछ गांवों के नक्शे रह गये हैं उनके नक्शे भी आप बनवा देंगे तो यह भी बहुत बड़ा काम हो जायेगा. खसरा-खतौनी की नकलें मिल नहीं रही हैं किसी का नाम काम पर चढ़ गया है, यह त्रुटि सुधार के लिये आपको ही निर्णय लेना पड़ेगा. किसान पूरे प्रदेश में तहसीलों के चक्कर काट रहे हैं. किसी का नाम गलत तो, किसी की वल्दीयत गलत हो गई इसको आप ठीक कराने के लिये निर्देशित करें. जैसा हम लोगों ने मध्यप्रदेश में राजस्व विभाग का काम एक अभियान चलाकर सी.एस.से लेकर पूरे अधिकारीगण गये थे उस समय सबसे ज्यादा राजस्व के प्रकरणों का निपटारा किया था, ऐसा ही एक अभियान आपको भी चलाना पड़ेगा तभी आप इस राजस्व विभाग को आप चला पाएंगे. आपका जो निचला अमला है उसको आप आदेश करेंगे, लेकिन ऊपर का अमला दूसरी जगह पर चला जायेगा तो ऐसी अप्रिय स्थिति बन जायेगी जिसका आपको सामना करना पड़ेगा. नजूल भूमियों के मामले में आपने काम किया है, भू-अर्जन मामले में मैंने आपको बता ही दिया है. हमने भू-राजस्व संहिता में अनेक संशोधन किये हैं उनका लाभ भी मिलना चाहिये. मर्जर के मामले में भी आप स्पष्ट निर्णय कर लें. पूर्व 2017-18 में 1 हजार 254 करोड़ 63 लाख की राशि हमने आर.बी.सी. 6 (4) में वितरित कर दी थी. आप ऋण माफी की बात कर रहे हैं 2 लाख रूपये की राशि हमने किसानों के खाते में वगैर ऋण माफ किये किसानों के खातों में मुआवजा और बीमा के दे चुके हैं. आप किसानों के ऋण माफी के 2 लाख की राशि से इधर से उधर हो रहे हैं सात महीने से कोई कुछ कह रहा है तो कोई कुछ ? अब कहीं जाकर के दे रहे हैं, लेकिन हम लोगों ने राशि ज्यादा बांटी है. एक साल पहले गेहूं बेचा उसका पैसा माननीय शिवराज सिंह जी की सरकार ने दिया. आर.बी.सी. 6 (4) के बारे में माननीय अध्यक्ष जी को पूरी घटना मालूम है, जब मैं विधायक था पूर्व में हमारे जिले के प्रभारी मंत्री माननीय अध्यक्ष थे इसके बाद दीवान चन्द्रभान सिंह जी राजस्व मंत्री बने तब हम रायसेन जिले में बहुत बाढ़ आयी थी उन बाढ़ पीड़ितों को देखने के लिये गये थे उस समय में विपक्ष में विधायक था. उदयपुरा में जनता ने हमको चार घंटे के लिये घेर लिया क्योंकि उनका करोड़ो का नुकसान हुआ था उस समय किसी को 100, किसी को 500 रूपये उस समय माननीय मंत्री दीवान साहब से कहा कि यह पैसा बढ़ा दो, पैसा नहीं बढ़ाया तो वहां की जनता ने वहां का रजिस्टर फाड़ दिया और हम लोगों को घेर लिये तब हम लोग मुश्किल से जान बचाकर आये थे. हमने कहा कि नुकसान करोड़ो का हुआ है दे रहे हैं 100 और 500 हमने माननीय हजारीलाल जी से भी पैसा बढ़ाने के लिये कहा कि आर.बी.सी. 6 (4) में पैसा बढ़ाओ तो उन्होंने कहा कि उसमें इतना ही लिखा है इससे ज्यादा पैसा बढ़ाने का अधिकार एस.डी.एम.एवं तहसीलदार को नहीं है. उस समय ऐसी खराब स्थिति बनी थी कि तब मैंने एक बार विधान सभा में प्रश्न किया कि बेगमगंज, उदयपुरा में 60 गांव में ओले पड़ गये हैं वहां राशि दी जाये तो इसी सदन में राजस्व मंत्री जी ने कहा था कि आर.बी.सी. 6 (4) के अंतर्गत लिखा है कि पूरी तहसील में नुकसान होगा तब हम राशि दे पायेंगे नहीं तो नहीं दे पाएंगे. मैंने कहा कि किसी की उंगली कट जाये तो डॉक्टर कहे कि दोनों हाथ पैर काट कर के ले आओ तब इनका इलाज करेंगे तब सदन में लोग हंसने लगे थे. लेकिन हंसने की नहीं दुःख की बात थी कि जहां पर नुकसान हुआ है वहां पैसा दो. माननीय कमल पटेल जी तहसील की इकाई हटाई गांव पटवारी किया इसके लिये कमल भाई जी को धन्यवाद देना चाहिये कि उन्होंने साहसिक निर्णय लिया. हमने भैंस गाय का पैसा बढ़ाया आपके समय में मिलता ही नहीं था. हमने मृत्यु पर चार लाख रूपये किया चाहे मृत्यु बिजली से हो, अथवा सर्पदंश से हो उसको आप लोग बढ़ाइये. हमने भैंस गाय पर 30 हजार रूपये किया, भेड़-बकरी पर 3 हजार रूपये किये, दुधारू पशु पर 25 हजार रूपये किये इसको आप लोग बढ़ाइये, बछड़ा-गाय गधा खचर तक पर 16 हजार रूपये किये इसको बढ़ाइये. सूअर पर 3 हजार, मुर्गा मुर्गी पर 60 रूपये किये थे. चूजा पर 10 सप्ताह से ज्यादा का हो उसमें 20 रूपये किये थे. इसको आप लोग बढ़ा देते तो बजट में हमको खुशी होती. यह तो हमारा ही बजट है. आपके समय में 10 साल में कोई प्रावधान ही नहीं थे. इस तरह से हमने कई मध्यप्रदेश में प्रावधान किये थे किसानों के हित में माननीय शिवराज सिंह जी के नेतृत्व में किये हैं. उनसे बढ़कर आप करेंगे तो आपकी तारीफ भी करेंगे. नहीं तो अगले बजट में पूरी समक्ष करके आपके जो बिन्दु है आपने जो बजट भाषण पढ़ा है आपने कोई तैयारी नहीं की है, यह तो पुराना बना बनाया था वही का वही बजट आपने दे दिया है. आप बजट में अध्ययन करते तो कुछ सुधार कर पाते तो अच्छा लगता लेकिन ज्यादा समय आपकी सरकार को नहीं हुआ है. मैं विस्तार से एक एक चीज को कहूंगा. आप किसानों के हित में निर्णय लीजिये तथा उनकी राशि को बढ़ाइये इसी आग्रह के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं. धन्यवाद.
श्री बृजेन्द्र सिंह यादव(मुंगावली) - माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं आपका संरक्षण चाहूंगा और आज मैं सदन में पहली बार बोल रहा हूं, हालांकि मैं दूसरी बार का विधायक हूं. पहली बार मेरा केवल नामकरण हुआ था. उपचुनाव जीतकर आया था और दो बार मौका मिला, केवल सदन में बैठने का लेकिन बोलने का मौका नहीं मिल पाया था. मैं मांग सख्या 8, 9, 38 और 58 का समर्थन करता हूं, और मैं राजस्व के विषय में बोलना चाहता हू. आज राजस्व न्यायालय अपना समस्त कार्य कम्प्यूटर एवं इंटरनेट के माध्यम से आरसीएमएस पोर्टल पर कर रहे हैं. आज राजस्व में हम देख रहे हैं कि पूरा काम किसानों का होता है. राजस्व में जो भी कम्प्यूटर से काम किया जा रहा है, काम बहुत अच्छा है, ईमानदारी का होता है, लेकिन इसमें समय बहुत लगता है, किसान को इतनी फुर्सत नहीं है, किसानों का पूरा समय 24 घंटे 12 महीने किसानी में जाता है. मगर कम्प्यूटर के चक्कर में कई दिनों तक, मैंने खुद देखा हूं और मैं खुद किसान हूं और लगभग यहां पर 80-90 प्रतिशत विधायक किसान ही होंगे. जब से कम्प्यूटर का सिस्टम बना है, तब से परेशानी तो किसानों को आई है और ज्यों-ज्यों सिस्टम बढ़ाए जा रहे हैं, त्यों-त्यों किसानों को परेशानी एवं भ्रष्टाचार होता जा रहा है और किसान परेशान हो रहा है. हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी ने, राजस्व मंत्री जी ने राजस्व में जो लोक अदालत के माध्यम से पूरे प्रदेश में लगभग 2 लाख 18 हजार 350 प्रकरण रखे गए, जिनमें से 1 लाख 76 हजार 382 का मौके पर निराकरण किया गया, जिसका लगभग 80 प्रतिशत होता है, जो किसानों का निराकरण किया गया है. यदि आज हम पूरे प्रदेश में किसानों की बात करें तो पूरे प्रदेश में क्षेत्र स्तर पर राजस्व विभाग की महत्वपूर्ण कड़ी पटवारी है, प्रदेश सरकार सभी पटवारियों को लैपटॉप प्रदान करने जा रही है. पटवारी अभी अपना काम मोबाईल पर रेवेन्यु एप्प के माध्यम से कर रहा है. गिरदावरी का काम कर रहा है. पीएम किसान से संबंधित काम कम्प्यूटर पर कर रहा है और वह उनके माध्यम से प्रति दिन प्रतिवेदन भी ऑनलाइन भेज रहा है. अब प्रदेश के पटवारी लेपटॉप में ई-बस्ता रखकर ई-पटवारी हो जाएंगे. राजस्व न्यायालय में पारित आदेशों का अमल सीधे राजस्व अभिलेखों में हो रहा है, यह सुविधा की गई है. इस हेतु आरसीएमएस पोर्टल एवं भू-अभिलेख पोर्टल का एकीकरण किया गया है, इसमें आरसीएमएस में प्रकरण का आदेश होने पर आदेश स्वत: ही भू-लेख पोर्टल पर पहुंच जाता है. अभिलेख में इन्द्राज होने पर अमल की जानकारी प्रकरण में पहुंच जाती है. माननीय उपाध्यक्ष महोदया, किसान अपने खेत की मेढ़बंधी सीमांकन करता है, सीमांकन की कार्यवाही चांदा-मुनारे के आधार पर की जाती है. वर्षों पहले बनाया गया चांदा अब मौके पर मिलते नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदया - माननीय सदस्य, कृपया पढ़े नहीं, आप ऐसे ही बोल दीजिए.
श्री बृजेन्द्र सिंह यादव - माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं कुछ विषय पर चर्चा करूंगा किसानों के लिए अभी जो भवन निर्माण बनाए गए हैं, एसडीएम, तहसीलदार, पटवारी, रजिस्ट्रार के लिए, तो मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि इतने भवन, इतनी लागत से बनाए जा रहा है, किसके लिए बनाये जा रहा है, कौन जाता है वहां पर, केवल किसान जाता है काम करवाने के लिए. हम देखते हैं कि जब हम तहसीलद में जाता हैं तो एसडीएम, तहसीलदार और जो भी अधिकारी है वह तो ए.सी. रूम में बैठे हुए हैं, पंखा लगे हैं, कूलर लगे हुए हैं, लेकिन किसान (XXX) बाहर खुले में चबूतरे पर बैठा होता है. मैं कहना चाहता हूं कि इसमें एक किसान भवन भी बनवाया जाए, जिससे कम से कम किसान उसमें आराम से बैठ तो सके. मेरा निवेदन है कि एक किसान भवन की भी वहां पर स्वीकृति दी जाए. किसानों की फसल का नुकसान होता है, चाहे अतिवृष्टि हो, ओलावृष्टि हो, पाला हो, तुसार हो, पटवारी जाते हैं, तहसीलदार जाते हैं, मौके पर दो-चार लोगों का सर्वे किया अनुमानित किसी को छोड़ दिया, किसी का कर दिया तो मेरा निवेदन है कि किसान का सर्वे ड्रॉन के माध्यम से, जो आजकल ड्रॉन सिस्टम चल रहा है, उसके माध्यम से अगर हो तो दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा और कोई भी किसान वंचित नहीं रहेगा उसके माध्यम से अगर सर्वे कराया जाए. सर्वे में कभी कभी यह गड़बडि़यां हो जाती है कि पटवारी ने कह दिया कि आपका नहीं हो पाएगा, आपका कम नुकसान हुआ है, जानबूझकर और उससे पैसा ठग लिया जाता है उसके बाद उसका सर्वे किया जाता है, इसके बाद अगर फसल का नुकसान होता है तो किसान के खाते में राशि के लिए कम से कम महीना 6 महीना तक लग जाते हैं. मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हूं कि इसमें एक समय सीमा निर्धारित की जाए कि यदि किसान की फसल नुकसान होती है तो कम से कम एक महीने के अंदर किसानों के खाते में राशि पहुंच जानी चाहिए. .नामांतरण की प्रक्रिया जा आज चल रही है अभी उसको सरल करने की हमारी सरकार ने कोशिश की है, अभी नामांतरण प्रक्रिया इतनी जटिल कर दी है कि नामांतरण करने के बाद किसान ऑनलाइन आवेदन करता है, इसके बाद फिर वह तहसील के चक्कर काटता है, पटवारी के चक्कर काटता है. जब रजिस्ट्री ऑनलाइन हो रही है तो वह तो एक नंबर का काम है तो क्यों न इसको ऑनलाइन जब रजिस्ट्री हो रही है तो रजिस्ट्री के साथ स्वत: ही उसका नामांतरण कर दिया जाए कि जब एक महीने का समय लगता है तो कहीं न कहीं गवाह भी किसी कारण से कहीं विरोध में हो गया, जिसने रजिस्ट्री की कहीं उसको भी विरोध करना है, उसको भी पैसे और ऐंठना है तो वह असत्य बोलकर कह देता है कि भैया इसने पैसा नहीं दिया तो यह सिस्टम स्वत: ही हो जाना चाहिए. बंटवारे का भी सिस्टम, अगर हम चार भाई है, चार भाईयों का बंटवारा होना है, एक भाई उसमें सहमति नहीं जताता है तो एक की वजह से तीन का नुकसान होता है, वह चाहते हैं कि अलग बंटवारा हो जाए, अपना क्रेडिट कार्ड बने या ट्रेक्टर उठाना है, जो भी काम उसको करना चाहिए तो इस बंटवारे में यह होना चाहिए कि अगर तीन भाई तैयार है तो तीन का बंटवारा कर दो, चौथा तैयार नहीं है, सहमत नहीं है, तो चौथे का छोड़ दिया जाए.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, तौजी की बात करें हम, किसान कभी तौजी के लिए मना नहीं करता, जब भी पटवारी तौजी की कहता है तो किसान भरता है, लेकिन इसको हर साल जमा करना चाहिए, हर साल तौजी लेना चाहिए. अभी मैं देख रहा हूं मेरे क्षेत्र से किसानों के फोन आ रहे है जिसमें 5-5 साल की तौजी एक साथ ले रहे है तो 5 साल की तौजी जब किसान भरेगा तो उसको तकलीफ तो होगी, इतना पैसा वह कहां से लाएगा, लेकिन वह मना नहीं करता वह भी भर रहा है, लेकिन यह सुविधा हो कि हर साल तौजी जमा हो तो किसानों के ऊपर इकट्ठा भार नहीं पड़ेगा. मैं खसरा खतौनी की नकल के बारे में कहना चाहता हूं कि खसरा खतौनी की नकल के लिए लोकसेवा में जो आवेदन दिया जाता है, उसके बाद भी कम से कम 8-15 दिन तो लगते हैं, जिससे किसानों को तहसील के चक्कर काटने पड़ते हैं, तो मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि खसरा खतौनी की नकल, जो पहले सीधे गए तहसील और तहसीलदार को आवेदन दिया, तहसीलदार ने मार्क किया और किसान कम्प्यूटर में ले गया और उसकी तुरंत नकल निकल जाती थी तो उसको चक्कर नहीं लगाने पड़ते थे, परेशान नहीं होना पड़ता था, फिजूल खर्च नहीं होता था और तुरंत उसी दिन नकल मिल जाती थी. मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि इस सुविधा को पहले की तरह किया जाए. मैं राजस्व मंत्री से निवेदन करूंगा कि राजस्व की जो लोक अदालत लगे नहीं तो कम से कम 4-5 पंचायतों के बीच में राजस्व लोक अदालत लगे तो उनके माध्यम से किसानों का जो भी कार्य है उसको तहसील पर न जाना पड़े और वहीं मौके पर उसका निराकरण हो सके तो किसान को यह तो सुविधा मिल जाएगी कि उसका समय और पैसा बच गया और उसका काम मौके पर ही निराकरण हो गया. मैं कहना चाहता हूं, हम सदन में देख रहे हैं कि किसान की जब बात चलती है तो विपक्षी दल उस पर ऑब्जेक्शन ले लेते हैं तो फिर पक्ष के लोग भी ऑब्जेक्शन ले लेते हैं लेकिन किसान की जब बात चले, अगर किसान का कर्ज माफ किया कांग्रेस सरकार ने तो इस पर खुशी होनी चाहिए. किसी का भी कर्ज माफ हो तो रहा है, किसान से कर्ज लिया तो नहीं जा रहा उसका कर्ज माफ हो रहा है, जितने किसानों का कर्ज माफ हो गया और बाकी आगे जिसका भी होगा, कितनी अच्छी योजना है. मैं मानता हूं कि सरकारें कोई भी हो सबके हित में कार्य करती है, लेकिन कुछ कार्य ऐसे होते हैं कि अगर किसी सरकार ने अच्छा काम किया तो उसकी तारीफ भी करना चाहिए, उसका विरोध नहीं करना चाहिए. जहां किसानों की बात आए मैं तो आप सभी से कहना चाहता हूं कि किसान की बात पर हम सभी को एकजुट होकर बात करनी चाहिए. किसान की जो भी सुविधा है, किसान को जो हम दे सकते हैं, उसके बारे में हमको बैठकर बात करनी चाहिए और सदन में भी बात रखनी चाहिए. जब किसान की बात होती है, मैं कल सुन रहा था तो रेत की बात कर रहे थे, रेत कहां से आ रही है, रेत भी खेत से आ रही है, रेत कहां से आ रही है, जंगलसे आ रही है. जब हमारे खेतों से पेड़ कट गए, हमारे जंगलों से पेड़ कट गए, वर्षा हो नहीं रही है तो रेत कहां से आएगी तो कम से कम इस चीज पर भी ध्यान देना चाहिए कि हम पेड़ लगाएं, उनको सुरक्षित करें, हम पिछले 15 वर्षों से देख रहे हैं कि आज जंगल का क्या हाल है ? जंगल केवल नाम के लिए बचे हुए हैं, जंगल काट दिए गए हैं और इधर पेड़ लगाने की बात करते हैं. हां, पेड़ लगाते हैं तो उस पेड़ की गारन्टी होनी चाहिए कि 3 वर्ष तक वह पेड़ जिन्दा रहे, उसकी गारन्टी उसको लेना चाहिए, जो पेड़ लगाता है. उपाध्यक्ष महोदया, आप सभी से फिर भी एक बार पुन: कहना चाहता हूँ कि मैं एक किसान हूँ, यहां पर सभी किसान बैठे हैं, किसान का दर्द भी किसान ही समझता है. अगर जहां किसान की बात आए और किसान को जितनी सुविधाएं दे सकें और हमारी सरकार ने, कांग्रेस सरकार ने किसानों को बहुत सुविधा दी है और बहुत कुछ जो भी बजट में दिया है, किसानों के हित के लिए दिया है और आगे भी देगी. मैं यह बात गर्व से कह सकता हूँ कि जब किसानों के बीच बात चलती है तो किसान एक ही बात कहता है कि अगर सही सरकार है, किसानों की सरकार है तो वह कांग्रेस सरकार है. जो किसानों का सबसे ज्यादा ध्यान रखती है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, हम आज देख रहे हैं. जो सबसे ज्यादा परेशान हैं तो वे किसान हैं. आज अगर देश और प्रदेश चल रहा है तो किसानों से ही चल रहा है. किसान जिस दिन अपने घर पर बैठ जाएगा, उस दिन देश और प्रदेश की क्या हालत हो जाएगी ? मैं माननीय मंत्री महोदय जी से और सभी हमारे सदस्यों से कहना चाहता हूँ कि सबसे ज्यादा अगर ध्यान दिया जाये तो किसानों पर दिया जाये और हम सबसे ज्यादा बजट दें तो किसानों के लिए दें. अगर किसी दिन हमारा किसान खुशहाल हो गया, किसान जिस दिन प्रदेश में कर्जमुक्त हो गया, उस दिन इस प्रदेश की नहीं, इस देश की भी तकदीर और तस्वीर बदल जायेगी. बहुत-बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदया - धन्यवाद.
श्री कमल पटेल (हरदा) - माननीय उपाध्यक्ष जी, मैं राजस्व विभाग से संबंधित और परिवहन विभाग से संबंधित मांग संख्या- 8, 9, 36 और 58 का विरोध एवं कटौती प्रस्तावों का समर्थन करने के लिए खड़ा हुआ हूँ.
उपाध्यक्ष महोदया, आप और हम सब जानते हैं कि मध्यप्रदेश कृषि प्रधान प्रदेश है और लगभग 70 प्रतिशत जनसंख्या खेती करती है और खेती पर आधारित मजदूरी करती है और उस पर निर्भर है. राजस्व विभाग, इसमें जितने भी विभाग हैं, उसमें सबसे बड़ा विभाग है, बहुत महत्वपूर्ण विभाग है. क्योंकि 70-75 प्रतिशत जनसंख्या का भाग्य इसी से जुड़ा हुआ है. सन् 2005 में मुझे राजस्व विभाग का मंत्री बनने का शुभ अवसर मिला था क्योंकि मैं भी किसान का बेटा हूँ. हमारे रामपाल जी मंत्री बने तो वे भी किसान के बेटे थे और गोविन्द सिंह जी भी किसान के बेटे हैं. सब किसान परिवार से आते हैं इसलिए हम बचपन से जानते हैं कि गांव में रहने वाले लोगों को कितनी कठिनाइयों में जीवन जीना पड़ता है ? उनके पैदा होने से लेकर, खेत में जाने से लेकर, फसल लाने से लेकर, उसे बेचने तक कितनी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. उस समय गांव में सड़कें नहीं थीं, कोई व्यवस्था नहीं थी और जब मैंने मंत्री पद संभाला तब मैंने पता किया कि राजस्व विभाग में प्राकृतिक आपदा आती है. इसमें खेती ऐसी है जो आसमानी सुल्तानी के भरोसे रहती है. किसान पसीना बहाता है, अच्छा बीज डालता है, अच्छी दवाई डालता है और फसल पक कर तैयार होती है और ओले पड़ जाते हैं, किसान बर्बाद हो जाता है, वह आत्महत्या कर लेता है या वह कर्ज में डूब जाता है. इसलिए मजबूरी में आत्महत्या करनी पड़ती है. आरबीसी-6(4) कहने को तो ठीक है, प्राकृतिक आपदा में किसानों को सहायता दी जायेगी. 50 वर्ष तक विपक्ष की सरकार रही, जो हमारे समाने सत्ता में हैं. लेकिन हाथी के दांत दिखाने के और और खाने के और होते हैं. पहले मुआवजा 2 रुपये, 4 रुपये, 40 रुपये, 50 रुपये, 20 रुपये, 100 रुपये से ऊपर कभी नहीं मिलता था, प्राकृतिक आपदा में. चाहे कितनी ही फसलों का नुकसान हो जाए. श्री हजारीलाल रघुवंशी जी, जब मैं विपक्ष में 10 वर्ष विधायक रहा, जब चर्चा होती थी, हम कहते थे कि आप भी किसान हो, आपको किसानों के लिए कार्य करना चाहिए. लेकिन अंग्रेजों के समय में जो यह पहले साल आरबीसी-6(4) बनी थी. उसके बाद आजाद होने के बाद से लेकर किसी ने उसको उठाकर नहीं देखा लेकिन जब मैं राजस्व मंत्री बना और माननीय शिवराज सिंह चौहान जी मुख्यमंत्री थे, वे भी किसान के बेटे थे. मैंने जब उसको पढ़ा तो हाथी के दांत दिखाने के और और खाने के और दिखते थे तो मैंने उसको परिवर्तन करने का निर्णय लिया. जब निर्णय लेकर माननीय मुख्यमंत्री जो बताया, जब चीफ सेकेट्री के साथ बैठा तो उन्होंने कहा कि यह ज्यादा नहीं कर सकते हैं. मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जब उद्योगपतियों को हजारों करोड़ रुपये माफ कर सकते हैं तो किसान जो अपने लिए अनाज पैदा नहीं करता, अपने बच्चों के लिए अनाज पैदा नहीं करता, देश के लिए अनाज पैदा करता है, जिस दिन देश का किसान खेती करना बन्द कर देगा, उस दिन देश के लोग भूखे मर जाएंगे. लोग लोहा, सीमेन्ट, पत्थर नहीं खाएंगे, अनाज ही खाएंगे, फल-सब्जी खाएंगे इसलिए किसानों को जब प्राकृतिक आपदा आती है, तो मुआवजा देना चाहिए. जब मैं गुस्सा होकर, नाराज होकर बोला तो मुख्यमंत्री जी ने मेरा समर्थन किया और चीफ सेकेट्री से कहा कि आप कीजिये और तब जाकर आरबीसी-6(4) में परिवर्तन हुआ. पहले प्राकृतिक आपदा में मध्यप्रदेश इतना बड़ा प्रदेश था कि इसमें मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ पहले एक साथ था, तब भी पांच करोड़ रुपये नहीं मिलते थे लेकिन हमने आरबीसी-6(4) में परिवर्तन किया और उसके कारण मुझे आज बताते हुए खुशी हो रही है, जब हमने इनको सत्ता सौंपी तो पांच हजार करोड़ रुपये से भी अधिक राशि प्राकृतिक आपदा में मध्यप्रदेश के किसानों को दी है, उसी के साथ फसल बीमा योजना, जब अटल बिहार वाजपेयी जी पहले प्रधानमंत्री बने थे, देश की आजादी के बाद तो उन्होंने किसानों की चिंता करके फसल बीमा योजना लाये और उसमें भी साढ़े पांच हजार करोड़ रुपये दिए हैं. श्री शिवराज सिंह चौहान जी के राज में किसानों को आरबीसी-6(4) और फसल बीमा योजना से 10,000 करोड़ रुपये हर वर्ष मिलते थे. आप कह रहे हैं कि हम किसानों की सरकार है. आपके 50 वर्षों में किसान आत्महत्या करके मर जाता था, 18 प्रतिशत ब्याज पर ऋण मिलता था. लेकिन यह भारतीय जनता पार्टी की किसानों की सरकार है, जिसने यह काम करके दिखाया है. आप सब अधिकांश मेरे विधायक साथी भाई-बहन हैं. वह किसान हैं, इल्ली से कीट से फसल बर्बाद होती है, कहीं भी देश में, अपने प्रदेश नहीं, देश में कहीं भी कीट को प्राकृतिक आपदा में शामिल नहीं किया गया था. राजस्थान में टिड्डी दल हजारों हेक्टेयर जमीन चट कर जाता था, लेकिन वहां भी प्राकृतिक आपदा नहीं थी. मैं जब मंत्री नहीं था, विधायक था. उस समय सन् 2004 में बाबूलाल जी गौर, तत्कालीन मुख्यमंत्री थे. हरदा जिले में सोयाबीन में इल्ली का भयंकर प्रकोप हुआ, मैंने विधानसभा में मामला उठाया था. मैं मुख्यमंत्री जी को लेकर वहां गया, राजस्व मंत्री जी को लेकर गया और मुख्यमंत्री जी का हाथ पकड़कर मैंने घोषणा करवाई. उसके साथ उस समय राजस्व सचिव, श्री भागीरथ प्रसाद जी थे. उन्होंने कहा कि सर यह तो अपने अधिकार मे नहीं है, यह तो सेन्ट्रल गवर्नमेंट करेगी. मैंने कहा कि मुख्यमंत्री जी जो बोलते हैं, वह कानून बन जाता है इसलिए यह कानून बन जायेगा और मुख्यमंत्री जी से मैंने कहा कि आप यहां आए हो तो कुछ देकर जाना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि क्या देना है ? इल्ली को प्राकृतिक आपदा घोषित करो और 5,000 रुपये हेक्टेयर किसानों को दो. उन्होंने कहा कि घोषणा तो कर दूँगा पर 2,000 रुपये दूँगा. मैंने कहा कि 5,000 रुपये दीजिये, उन्होंने कहा कि 2,000 रुपये दूँगा. मैंने कहा कि चलिये 2,000 रुपये दीजिये. 2,000 रुपये हेक्टेयर किसानों के लिए घोषणा करवाई.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं बताना चाहता हूँ कि हम अगर किसानों का भला करें तो कैसे कर सकते हैं ? और जब घोषणा हो गई और जांच हुई तो हमारी तहसील इकाई थी. खिड़किया तहसील थी, हरदा तहसील थी और टिमरनी तहसील थी. 65, 70 और 75 पैसे वाली रिपोर्ट आ गई, कलेक्टर, एसपी आ रहे थे, उन्होंने मुझसे कहा कि पटेल साहब आपने इतनी मेहनत की लेकिन एक रुपया भी नहीं दे सकते तो बाले क्यों ? इसकी रिपोर्ट जो आई है 65, 70 और 75 पैसे आई है. यह सब गलत रिपोर्ट है. मैंने रिपोर्ट फाड़ दी तो वे बोले कि इसमें तो पटवारी से लेकर कलेक्टर सस्पेंड हो जाएंगे, अगर 25 पैसे से कम कर देंगे तो. मैंने कहा, आप कीजिये मैंने पटवारियों को बुलवाया, सबके बस्ते से उनका पंचनामा बनवाया. गांव के लोगों के दस्तखत करवाये और उसके बाद हरदा जिले के किसानों को मेरे यहां 70,037 किसान थे, इनको 45 करोड़ रुपया आरबीसी-6(4) इल्ली से प्राकृतिक आपदा में दिलवाया, पूरे प्रदेश में कहीं नहीं मिला. लेकिन मध्यप्रदेश के हरदा विधानसभा और हरदा जिले में दिलवाया और मैं उसके बाद 6 महीने बाद मंत्री बना तो मैंने आरबीसी-6(4) में परिवर्तन किया और उसमें सूखा, पाला, ओला सब करके माननीय मुख्यमंत्री जी, श्री शिवराज जी के नेतृत्व में किया. उसके कारण 5 करोड़ रुपये से लेकर 5,000 करोड़ रुपये तक हम देने में सफल रहे. मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूँ कि जिस प्रकार हमने काम किया है, किसानों के लिए काम किया है, आप भी किसान के बेटे हैं, उसको और बढ़ाइये और गांव तथा शहर मिलकर देश बनाएं. शहर में अगर प्लॉट या झोपड़ी भी है, उसको पट्टा मिलता है, उसकी कलेक्टर गाइडलाइन से बोली होती है, पांच लाख, दस लाख, दो लाख तो उसको बैंकों में गारन्टी में रखकर मकान बनाने के लिए, दुकान बनाने के लिए, व्यवसाय करने के लिए ऋण मिल जाता है, लिमिट मिल जाती है, वह क्रेडिट में जमानत में रखने में उपयोगी होती है लेकिन मैं गांव का किसान हूँ. अगर आप भी गांव के किसान हैं तो किसी का मकान चाहे वह एक लाख रूपये का हो, चाहे उसकी झोपड़ी पचास हजार रूपये की हो, चाहे उसका मकान पचास लाख रूपये का हो या एक करोड़ रूपये का हो, तब भी उसको कोर्ट में पांच हजार रूपये की भी जमानत नहीं मिलती है. एक कटहल का पेड़ पांच हजार की जमानत ले सकता हैं, लेकिन किसान का पचास लाख रूपये का मकान पांच हजार रूपये की जमानत नहीं ले सकता है, हमने उसमें परिवर्तन किया है. मैंने मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास अधिकार पुस्तिका दी है, गांव में आबादी में लोग बस्ते हैं लेकिन आबादी का मालिकाना हक किसी के पास नहीं होता था, हमने नियम बनाये और हमने हरदा जिले के ग्राम मशनगांव में 02 अक्टूबर, 2008 को महात्मा गांधी जी की जयंती पर उनको सच्ची श्रद्धांजलि दी. गांधी जी कहा करते थे कि असली भारत गांव में बसता है और गांव के विकास से ही देश का विकास होगा. लेकिन आपने आजादी के पचास साल में गांव और शहर में भेद कर दिया गया है. गांव के अंदर न सड़क है, न बिजली है, न पानी है, न सुविधा है, न पट्टे है और शहरों में सब कुछ दिया गया है, इस प्रकार गांव पिछड़ते गये हैं
उपाध्यक्ष महोदया -- अब आप समाप्त करें, आपकी लिस्ट लंबी होती जा रही है.
श्री कमल पटेल -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं सुझाव दे रहा हूं. गांव पिछड़ते गये और शहर आगे बढ़ते गये, इस प्रकार गांव शहर की खाई बढ़ती गई है. इसलिये पलायन कर गांव से लोग शहर की ओर आये हैं. मैंने दो अक्टूबर को मसनगांव में पंद्रह सौ लोग चाहे किसान हों , चाहे मजदूर हों, चाहे झोपड़ी वाले हों, या पक्के मकान वाले हों, सबको पट्टे दिलवाकर यह साबित किया है कि सच्चे गांधीवादी हम हैं. गांधी के नाम पर आपने वोट प्राप्त करके पचास साल राज किया है, पर हमने गांधी जी के नाम पर वोट प्राप्त नहीं किया है लेकिन गांधी जी के विचार को धरातल पर धरती पर लाकर गांव का विकास करने का काम किया है.
उपाध्यक्ष महोदया -- कृपया समाप्त करें.
श्री कमल पटेल -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मेरे दो, तीन सुझाव हैं. हमने जो काम किया था, उस संबंध में मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी गोविन्द सिंह जी से अपेक्षा करूंगा कि जिस प्रकार मैंने मसनगांव और भाटपरेटिया, इन गांवों का काम शुरू कराया था और बाकी गांव के काम हुये हैं. मेरा यह कहना है कि टोटल किसान हो, चाहे गरीब हो, हजारों वर्षों से वह वहां रह रहे हैं, जब हम उनको निकाल नहीं सकते हैं, खाली नहीं करा सकते हैं तो उनको पट्टा दिया जाये. हां पट्टा देते समय एक शर्त रखी जाये क्योंकि गांव में भी इंसान रहते हैं और इसलिये गांव का मास्टर प्लान होना चाहिये. जैसे शहरों का मास्टर प्लान होता है, वैसे ही गांवों का भी मास्टर प्लान बनाया जाये.गांव के अंदर प्रायमरी स्कूल है, दस साल बाद यहां मिडिल स्कूल बन रही है, हाई स्कूल
वहां बन रही है. इसलिये प्रायमरी, मिडिल, हाई और हायर सेकेण्डरी स्कूल तक के लिये जमीन आरक्षित की जाये. पंचायत भवन, ग्रामीण सचिवालय, पटवारियों का सचिवालय, अस्पताल, पशुपालन अस्पताल, उसके लिये भी जगह आरक्षित की जाये और उसके बाद जो जमीन पर मकान है, चाहे किसान हो या मजदूर हो, जो आबादी में बसा हुआ है, उसका नक्शा बनाकर उनको सबको उनका मालिकाना हक दिया जाये. फसल बीमा की इकाई पहले तहसील थी, मैंने उसको पटवारी हल्का किया है. पहले ग्यारह हजार पांच सौ छ: पटवारी हल्के थे उसको बढ़ाकर तैइस हजार पंचायतों के हिसाब से पटवारी हल्के कर दिये हैं. उसका फायदा यह हुआ है कि मध्यप्रदेश को हिंदुस्तान में सबसे अधिक बीमा अगर मिला है तो इस कारण से मिला है कि हिंदुस्तान में हमने सबसे पहले पटवारी हल्का इकाई माना है. आज पूरे देश में मध्यप्रदेश अकेला ऐसा राज्य जहां पटवारी हल्के से बीमा का मुआवजा मिलता है और उसके कारण पांच हजार करोड़ से भी अधिक बीमा मध्यप्रदेश को हमने श्री शिवराज सिंह चौहान जी के माध्यम से दिलवाया है और इसलिये उसमें सर्वे के लिये गांव के पंच, सरपंच और अगर कोई नहीं हो तो कोई भी पांच किसान अगर पंचनामा बनाकर पटवारी के साथ दस्तखत करके देते हैं तो उसको मानना चाहिये कि कितना नुकसान हुआ है, जिससे किसान को मुआवजा मिल सके. इसी प्रकार गौशाला के बारे मे बोलना चाहता हूं और मैं बधाई देता हूं कि कम से कम कांग्रेस को भारतीय संस्कृति की चिंता लगने लगी है, इनको लगने लगा कि अगर हिंदू संस्कृति की चिंता नहीं करेंगे तो जल्दी खत्म हो जायेंगे.
पशुपालन, मछुआ कल्याण तथा मत्स्य विकास मंत्री (श्री लाखन सिंह यादव) -- श्री कमल भाई आपने पंद्रह साल में गाय माता के लिये जो कुछ नहीं सोचा है वह हम करने जा रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदया -- श्री कमल जी कृपया समाप्त करें.
श्री कमल पटेल - माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं बता रहा हूं कि हमने क्या किया है. ....(व्यवधान).... माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैंने केबिनेट में विषय ले गया था और केबिनेट से प्रस्ताव पास कराया है कि हमारी गायें जो दूध नहीं देती हैं, उनको आवारा छोड़ दिया जाता है. बैल जो फसल में काम नहीं आते हैं उनको आवारा छोड़ दिया जाता है, इसलिये वह कटने जाते हैं इसलिये तैइस हजार ग्राम पंचायतों में तैइस हजार गौशालायें खुल जायें तो यह गाय कटना बंद हो जायेगी
उपाध्यक्ष महोदया -- पशुपालन विभाग अभी आने वाला है.अब आप समाप्त करें.
श्री कमल पटेल -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, इसलिये मैंने कैबिनेट से प्रस्ताव पास करवाया है कि हर जिले के अंदर कलेक्टर को हमने अधिकार दे दिये हैं.
उपाध्यक्ष महोदया --(श्री सुनील सराफ जी के अपने आसन पर खड़े होकर कुछ कहने पर) श्री सुनील सराफ जी आप बैठ जायें. श्री कमल जी आप अब समाप्त करें.
श्री कमल पटेल -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, उसमें से पांच से दस एकड़ जमीन नि:शुल्क गांव की समिति गौ संवर्धन बोर्ड में रजिस्ट्रेशन कराती है, उसको गौशाला नि:शुल्क दी जाये, ताकि तैइस हजार ग्राम पंचायतों में गौशालायें खुल सकें. यह मैंने 2008 में कर दिया था.
श्री लाखन सिंह यादव -- कुछ नहीं किया था, क्या कुछ धरातल पर किया था? यह आपका प्रोवीजन था, लेकिन आप धरातल पर जीरो थे.
उपाध्यक्ष महोदया -- कृपया आप समाप्त करें. काफी समय हो गया है.
श्री कमल पटेल -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं एक निवेदन और करूंगा जिस प्रकार किसान को सुबह उठकर सबसे अधिक काम खेत पर जाने का पड़ता है. किसान हो, मजदूर हो,महिलायें हो, बच्चे हों, सुबह चार बजे से खेत की ओर जाते हैं. पहले खेत के अस्सी कड़े के गोहे होते थे, वह अतिक्रमण होते-होते दस कड़ी के बचे हैं और इसलिये उनको अतिक्रमण मुक्त कराया जाये. चांदे, मिनारे लगाये जायें और चांदे मिनारे की जगह पीपल नीम और बड़ का पौधा लगा दिया जाये ताकि बड़े होकर हमेशा के लिये वह स्थायी मिनार बन जायें ताकि किसानों में झगड़े नहीं हों और उनके परिवार आपस में बंटे नहीं और हमने साथ ही उसके लिये मुख्यमंत्री खेत सड़क योजना शुरू कराई थी.
श्री मनोज नारायण सिंह चौधरी -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं कुछ पूछना चाहता हूं.
उपाध्यक्ष महोदया -- वह समाप्त कर रहे हैं, आप बैठ जायें. आप समाप्त करें काफी समय हो गया है.
श्री कमल पटेल -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना और मुख्यमंत्री खेत सड़क योजना में माननीय राजस्व मंत्री जी आप जमीन को नपवाकर दें और अतिक्रमण मुक्त करायें ताकि गांव में किसान को खेत में जाने के लिये पुल, पुलिया सहित पक्की सड़क मिल जाये, ताकि किसान,मजदूर और महिलायें और मवेशी जो हर साल कीचड़ में खपकर मरते हैं, वह नहीं मरेंगे और आपको दुआयें देंगे.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, माननीय सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय ने जनहित याचिका में एक निर्देश जारी किया है और उन्होंने आपके परिवहन आयुक्त को भी लिखा है और परिवहन आयुक्त ने अपनी औपचारिकता पूरी कर दी है और सभी कलेक्टर,एस.पी. और आरटीओ को लिख दिया है उन्होंने यह लिखा है कि प्रदेश में छ: चक्के और दस चक्के के डम्पर पर कोई भी ओवर लोड नहीं होना चाहिये, जितना आर.टी.ओ. में स्वीकृत है, उतना होना चाहिये. दस चक्के के डम्पर मात्र अठारह टन का स्वीकृत है. छ: चक्के के डम्प के लिये आठ टन का लोड स्वीकृत है लेकिन इनके अगेंस्ट सत्तर-सत्तर टन, अस्सी-अस्सी टन के डम्पर लोड होकर जा रहे हैं, जिससे सड़के खराब हो रही हैं, जिससे लोगों की दुर्घटना में मृत्यु हो रही है और प्रदेश की आर्थिक स्थिति भी खराब हो रही है और सड़कें खराब होने के साथ-साथ प्रदूषण फैल रहा है लेकिन उनके ऊपर परिवहन विभाग या पुलिस कोई कार्रवाई नहीं करती है बल्कि गांव के लोग जो मोटरसाईकल लेकर शहर में आते हैं उनकी गाडि़या रोज चेक करते हैं और रोज उनके जेब से पांच सौ रूपये, हजार रूपये निकालते हैं. इसलिये गांव के लोग शहर में आने से डर रहे हैं और शादी विवाह में जाने में डर रहे हैं. इस कारण से वह गाडि़यां भगाते हैं. मैं आपसे निवेदन करूंगा कि कम से कम मोटरसाईकल वाले जो गांव के मजदूर होते हैं. (व्यवधान)...
श्री वाल सिंह मैड़ा -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, पंद्रह साल तक इन्होंने राज किया है हमारी सरकार को अभी छ: माह हुआ है, इनको इतना बोलने की जरूरत क्यों पड़ी है ? आप बोल-बोल कर परेशान हो रहे हैं. (व्यवधान)....
उपाध्यक्ष महोदया -- ऐसे बीच-बीच में नहीं बोलते हैं, आप बैठ जाईये. श्री पटेल जी काफी समय हो गया है कृपया समाप्त करें.
श्री कमल पटेल -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, इसलिये आप निर्देश दें कि सारे डम्पर जो ओवर लोड चल रहे हैं, चार-चार फिट की पट्टी लगा लगाकर चल रहे हैं, उनकी पट्टी हटवाई जाये और जिन पर कार्रवाई नहीं हो रही है उन पर कार्रवाई की जाये. माननीय उपाध्यक्ष महोदया, आपने बोलने का समय दिया बहुत बहुत धन्यवाद.
निलय विनोद डागा -- श्री कमल भाई जिनके घर शीशे के होते हैं वह दूसरे के घर पर पत्थर नहीं मारते हैं.
उपाध्यक्ष महोदया -- आप बैठ जायें, श्री रामलाल मालवीय जी आप बोलें.
श्री रामलाल मालवीय (घटिट्या) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं मांग संख्या 8,9, 36 एवं 58 का समर्थन करने के लिये खड़ा हुआ हूं और कटौती प्रस्तावों का विरोध करता हूं.
उपाध्यक्ष महोदया -- एक मिनट मालवीय जी. आज कई विभागों की मांगों पर चर्चा होना शेष है, बोलने वाले सदस्यों की संख्या भी अधिक है. अत: माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया संक्षेप में अपने क्षेत्र की समस्या या सुझाव बिना भूमिका के देने का कष्ट करें, जिससे चर्चा में अधिक से अधिक सदस्यों को अवसर मिल सके. श्री मालवीय जी बोलें.
श्री रामलाल मालवीय -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, हम इसी के अनुरूप अपनी बात रखेंगे. हम भगवान महाकाल की नगरी से आते हैं, प्रति बारह वर्षों में सिंहस्थ महापर्व उज्जैन में लगता है और जिस प्रकार सरकारी जमीन पर अतिक्रमण होकर बड़ी कॉलोनियां बन रही है और बड़े-बडे़ कॉलोनाईजर उस पर अतिक्रमण कर रहे हैं. मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री महोदय से निवेदन है कि उज्जैन जैसे महानगर में सिंहस्थ जैसा महापर्व मनाने के लिये हम लोग चाहते हैं कि हमारी जो जमीन चाहे सरकारी हो या निजी हो उन कॉलोनाईजर से बची रहे ताकि आने वाले समय में सिंहस्थ जैसा महापर्व उज्जैन में जिस प्रकार पंरपरागत पीढि़यों से लगता है, वह लगता रहे. अभी हाल ही मैं नवीन घटिट्या तहसील को दो भागों में बांटा है और एक नवीन तहसील का गठन किया है. उज्जैन में कोटि महल को नवीन तहसील बनाई है पर ऑल रेडी वर्तमान में एक तहसील है और दूसरी तहसील का गठन घटिट्या को दो भागों में बांटकर एक नवीन तहसील कोटि महल का नाम दिया गया है. मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से इतना निवेदन है कि ऑल रेडी एक तहसील वहां पर है दूसरी तहसील का गठन अगर आपको करना था तो भैरूगढ़ एक कस्बा है, जिसके आसपास पूरा सिंहस्थ महापर्व लगता है. मेरा निवेदन है कि आपने किया है और पिछली सरकार ने किया है.
हम लोग माननीय मंत्री जी से चाहते हैं कि उसमें कुछ संशोधन कर भैरूगढ़ को, घट्टिया तहसील को 2 भागों में बांटकर भैरूगढ़ को नवीन तहसील का दर्जा दें ताकि आने वाले समय पर सिंहस्थ महापर्व लगे तो अलग ही उनकी पूरी एक तहसील रहे, आने वाले समय में उसी अनुरूप काम उसमें हो. सरकारी जमीनों पर जिस प्रकार का अतिक्रमण हो रहा है, जैसा कि आपने कहा है कि छोटी-छोटी बातों पर अपनी बात दें. सरकारी जमीन की जिस प्रकार की लूट मेरे पास जो जानकारी है, रीवा में सरकारी बेशकीमती जमीनों को औने-पौने दाम पर बेंचने का अभियान इस प्रदेश में पूर्व मंत्री अभी बैठे नहीं हैं, माननीय राजेन्द्र जी शुक्ल साहब ने एक सोने के व्यापारी समदडि़या ग्रुप को पूरा रीवा गिरवी रखवा दिया, उसका रिकार्ड माननीय मंत्री जी के पास में है. दूसरा एक और निवेदन है, सतना में हुआ 1 हजार करोड़ का शासकीय भूमि घोटाला. सतना जिले के दो गांव में सैकड़ों एकड़ सरकारी जमीन को गलत तरीके से सत्ता शीर्ष से जुड़े लोगों ने न केवल अपने नाम पर हस्तांतरित करवाई बल्कि उस जमीन पर अवैध उत्खनन भी किया. इस मामले को लेकर 7 मार्च 2018 को तत्कालीन हमारे प्रतिपक्ष के नेता माननीय अजय सिंह साहब ने भी विधान सभा में एक मुद्दा उठाया था और उस समय राजस्व मंत्री माननीय उमाशंकर गुप्ता जी थे, उन्होंने स्वीकार भी किया था कि इस प्रकार सरकारी जमीनों को राजनीतिक लोग अपने हित के लिये उपयोग कर रहे हैं. मेरा आपसे अनुरोध है कि उज्जैन से मैंने प्रारंभ किया और 2 जगह रीवा और सतना का मैंने आपसे अनुरोध किया. इस प्रकार पूरे मध्यप्रदेश में किसी प्रकार सरकारी जमीनों पर बड़े राजनीतिक लोगों ने इन पिछले 15 वर्षों में किस प्रकार अतिक्रमण किया, किस प्रकार उत्खनन किया, कल ही हमारे एक जागरूक सदस्य आपके सामने बता रहे थे. मैं आपसे यही अनुरोध करना चाहता हूं कि इन जमीनों को बचाया जाये. दूसरा आर.बी.सी. की धारा 15 में पहले तहसीलदार को अधिकार था कि उसमें कोई नाम गलत हो गया तो नाम संशोधन करने का अधिकार तहसीलदार के पास था, लेकिन अभी हम लोगों को जो जानकारी मिली, वह अब कलेक्टर के पास जायेगा. माननीय उपाध्यक्ष महोदया, उसमें इतना बड़ा लंबा काम हो गया, अगर कोई काश्तकार अपनी ऋण पुस्तिका में अगर गलत तरीके से नाम हो गया और वह नया खसरा वहां लेने जाये या बैंक से लोन लेने जाये या नोड्यूज लेने जायेगा तो उसमें नाम संशोधन नहीं होगा, तब तक उसको न तो कोई ऋण मिलेगा और न ही वह अपना खसरा ठीक करा सकता. इसलिये मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि जिस प्रकार की व्यवस्था पहले जैसे तहसीलदार को पावर थे तो उस प्रकार की व्यवस्था करें ताकि गलत नाम अगर उसमें हो गया तो उसमें संशोधन हो सके. एक और मैं आपसे विनम्र प्रार्थना करता हूं कि हम लोग चाहते हैं कि जिस प्रकार आपने कम्प्यूटराइज्ड किया. खसरा बी-1 लेने में लोक सेवा गारंटी के माध्यम से 1 सप्ताह का समय देते हैं. कई बार तुरंत किसी को आवश्यकता होती है, माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहूंगा कि अगर किसी को आज ही खसरा बी-1 की आवश्यकता होती है तो इस प्रकार की व्यवस्था रहे कि वह खसरा बी-1 पटवारी दे सके. अभी वर्तमान में जो व्यवस्था बनी हुई है वह केवल और केवल लोक सेवा गारंटी के माध्यम से ही खसरा हम लोगों को मिल रहा है. इसलिये मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से आग्रह करता हूं, आपसे पुन: यह प्रार्थना करता हूं कि उज्जैन में भगवान महाकाल की नगरी की जो जमीन है उनको बड़ी कॉलोनाइजर से, बड़े अतिक्रमणकर्ताओं से बचाया जाये ताकि हम आने वाले समय में भी जिस प्रकार का नाम प्रति 12 वर्षों में बहुत बड़ा सिंहस्थ महापर्व उज्जैन में होता है तो हम लोग सम्पन्न कर सकें. आपने मुझे बोलने का मौका दिया उसके लिये बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री रामलल्लू वैश्य (सिंगरौली)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं मांग संख्या 8, 9, 36 और 58 के कटौती प्रस्ताव के समर्थन में अपनी बात माननीय मंत्री जी को बताना चाहूंगा. मध्यप्रदेश में भू-राजस्व संहिता में क्रांतिकारी परिवर्तन हुये हैं. प्रदेश की जनता के लिये तमाम जिलों, तहसीलों में रिक्त पदों की भर्तियां हुई हैं, जो शेष हैं उनका भी होना चाहिये और आपका प्रबंधन के रूप में जो गरीबों के मकान गिर गये हैं पिछले अभी तक जो आरबीसी के प्रावधान हैं उनके अभी तक मुआवजें नहीं मिल पाये हैं. माननीय मंत्री जी से कहेंगे कि जिला कलेक्टरों को निर्देश करें, उसकी स्वीकृति भेजें ताकि ऐसे लोगों को मुआवजा मिल सके. सिंगरौली एक ऐसा जिला है जहां तमाम उद्योग हैं और उन उद्योगों के लिये जमीन का अधिग्रहण होता है. पिडरवा गांव में एक नई कंपनी आई, भूमि का अर्जन हुआ 2009 में, तब से लेकर उस जमीन का कब्जा आज तक नहीं कर पाये. मैं यह कहना चाहूंगा कि किसानों को 2013 में जो भू-राजस्व संहिता में संशोधन हुये, भूमि अधिग्रहण एक्ट में जो संशोधन हुये उसके अनुसार 5 साल में यदि कब्जा नहीं होते हैं तो वह प्रक्रिया शून्य हो जायेगी और किसानों को वह जमीन वापस हो जायेगी या शासकीय होगी तो शासन के अधीन हो जायेगी. यदि उन्हें पुन: अर्जन करना है तो नये सिरे से कर सकते हैं, पर 5 साल के बाद सिंगरौली जिले में ऐसी कई कंपनियां हैं जो अधिग्रहण करने के बाद जमीन पर कब्जा नहीं कर पाये हैं, ऐसे में उस प्रावधान का पालन करने की आवश्यकता है. इसलिये माननीय मंत्री जी से मैं कहूंगा कि उन भूमियों को वापस करायें. साथ ही अभी सिंगरौली जिले में नई तहसील का गठन हुआ है, उनके और निर्माण के लिये मेरे प्रश्न के उत्तर में तो आया है कि 533 लाख रूपये स्वीकृत किये गये हैं और इसका निर्माण कार्य शीघ्र होगा. इसके लिये मैं आपको बधाई देता हूं और यही मूल रूप से कि सिंगरौली जिले के अंतर्गत चितरंगी में तहसीलदार के पद खाली हैं, वहां पदस्थापना हो और यही नहीं बहुत से शासन ने पटवारी आरआई के लिये आवास सह कार्यालय बनाने के लिये जो योजना थी उसमें कई आरआई, पटवारी के सह कार्यालय के निर्माण नहीं हुये हैं, जिसके प्रस्ताव शासन स्तर पर आये हैं उनको भी स्वीकृत करने का कष्ट करें. आपसे आग्रह यही है कि पिछले कार्यकाल में आप सब जानते हैं कि मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता की धारा 162 में संशोधन हुआ था, किंतु नियम नहीं बन पाया था, लंबे अवधि में काबिज किसानों को अतिक्रमण जो किये थे उनको पट्टा देने की उसमें बात लिखी गई थी, तो मैं चाहूंगा कि 162 को पुन: क्रियान्वित करेंगे और तमाम ऐसे किसान हैं जो लंबी अवधि से काबिज हैं और उसको एक निर्धारित शुल्क करके उनको पट्टा देने का काम करेंगे, यह मांग मैं करता हूं और आपने मुझे समय दिया बहुत-बहुत धन्यवाद, जय हिन्द.
श्रीमती झूमा डॉक्टर ध्यान सिंह सोलंकी (भीकनगांव)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मांग संख्या 8, 9, 36 और 58 पर मैं अपनी बात रख रही हूं. राजस्व विभाग एक महत्वपूर्ण विभाग है और जब से हमारी सरकार बनी है, माननीय मंत्री जी के द्वारा इस विभाग को मजबूती देने के लिये जो निर्णय लिये गये, मात्र तीन महीने में जो आदेश निकाले हैं वास्तव में वह बहुत सराहनीय हैं. पटवारियों का मुख्यालय पर उपस्थित रहना, यह उन्होंने घोषणा की और हमारे चूंकि ट्रायवल एरिया है मजरे टोलों में ग्राम अधिक बसे हुए हैं इन ग्रामों को राजस्व ग्राम घोषित करना एक बहुत बड़ा काम है चूंकि पंचायत विभाग के द्वारा भी नयी पंचायतें गठित करने का काम हमारी सरकार ने शुरू किया है . राजस्व ग्राम नहीं होने से पंचायतें नहीं बन पा रही हैं, तो यह काम विभाग ने शुरू किया है, इसके लिये मैं धन्यवाद देती हूं.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा - माननीय उपाध्यक्ष महोदया,विभाग का मंत्री उपस्थित नहीं है. कोई नोट कर ले तो उचित रहेगा.
उपाध्यक्ष महोदया - आ रहे हैं. नोट कर रहे हैं दूसरे मंत्री.
श्रीमती झूमा सोलंकी - नोट कर रहे हैं दूसरे माननीय मंत्री जो उपस्थित हैं. आप निश्चिंत रहें. लोक अदालतों का आयोजन किया जायेगा यह आज की आवश्यकता है और विभाग के मंत्री द्वारा यह निर्णय लिया गया है इसके लिये धन्यवाद करती हूं. सार्वजनिक स्कूल,भवन,खेल मैदान हो उसकी जब स्वीकृति यहां से मिलती है और उसके डायवर्सन की समस्या आती है उसका भी उन्होंने सरलीकरण किया उसको जल्दी से परमीशन मिलेगी इसके लिये भी धन्यवाद और भू-अधिकार अधिनियम के अंतर्गत हमारे आदिवासी समाज को पट्टों की दिक्कतें आ रही हैं इसका जल्दी से जल्दी निराकरण किया जायेगा और समूह के रूप में कांग्रेस की सरकार जब 1993 में किसानों को एक कृषि कार्य हेतु समूह बनाकर एक संस्था का निर्माण किया गया. उनको जमीनें दी गईं. आज वह परेशानी में हैं क्योंकि उनका नामांतरण नहीं हो पा रहा है उनमें उनके नाम शामिल किये जायें. पिता की जगह पुत्र के नाम शामिल किये जायें यह मैं अनुरोध कर रही हूं. एक-दो मेरे सुझाव हैं जो हमें समस्याएं आ रही हैं. जी.आई.एस. व्यवस्था में रिकार्ड दुरुस्त करने के लिये किसानों के खसरा की नकल निकालने के लिये अपना नाम या तो सही नहीं है या स्पेलिंग मिस्टेक है, मात्राओं की गल्ती है इसका समाधान होना जरूरी है और मेरी दो तहसीलें हैं चूंकि दोनों की दूरी 30 कि.मी. के भीतर है और एक तहसीलदार है तो एक जगह काम करता है और बहाना बनाना हो तो दूसरी जगह नहीं जाते हैं तो दोनों जगह इसकी व्यवस्था मंत्री जी कर दें. इसके अलावा पूर्व सरकार द्वारा लोकल इनफार्मेशन सिस्टम लागू किया गया था जिसमें शासन की धनराशि का उपयोग तो हुआ किन्तु किसानों की और भी समस्याएं बढ़ गईं इसके दुरुस्तीकरण के लिये हमारे विभाग द्वारा स्वत: ही नामांतरण हो जायेंगे इससे आने वाले समय में लोगों को फायदा मिलने वाला है. आर.बी.सी. में पूर्व सरकार द्वारा खेती कार्य करते समय करेंट लगने से किसान की मृत्यु होती थी तो कुछ भी सहायता नहीं मिलती थी किन्तु हमारी सरकार ने किसानों को 4 लाख की सहायता देने का काम किया है यह सराहनीय काम है इससे किसानों को फायदा मिलने वाला है. माननीय उपाध्यक्ष महोदया, फसल बीमा नुकसानी पर आपदा के वक्त फसल बीमा जो मिलता है पूर्व सरकार ने हलका इकाई की है. हलका इकाई आज भी है किन्तु इसको खेत का ही होना चाहिये. हलका इकाई में पूर्व में 15 से 20 गांव होते थे और 20 गांवों में यदि अवर्षा की स्थिति उत्पन्न होती थी तो किसानों को इसका फायदा नहीं मिलता था और आज की स्थिति में हर हलके में एक पंचायत में 3 गांव होते हैं, तो निश्चित ही एक गांव की स्थिति समान होगी. इससे किसानों को फायदा मिलेगा और भी प्रावधान मंत्री जी ने किये हैं उसके लिये मैं उन्हें धन्यवाद देती हूं. धन्यवाद.
डॉ.मोहन यादव ( उज्जैन दक्षिण ) - माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं मांग संख्या 8,9,36 और 58 का विरोध और कटौती प्रस्ताव का समर्थन करते हुए मैं अपनी बात रखना चाहूंगा. जिस विषय पर बात हुई है हम कोशिश कर रहे हैं कि इसमें छोटे विषय जुड़ें. राजस्व इकाई की बात आ रही है तो किसके समय में हुआ,क्या हुआ लेकिन आज राजस्व की बात आई है तो उस पर भी बात करनी ही चाहिये, किसी सरकार की निंदा न करते हुए. उदाहरण के लिये राजस्व की प्रांत की इकाई के बाद सीधे संभाग की इकाई आती है और संभाग की इकाई के बाद हमारे जिलों की रचना आती है और संभाग की रचना में हमारे पास चंबल,भिंड,मुरैना,श्योपुर और वहीं इन्दौर जैसा संभाग 8-8 जिलों का, उसी प्रकार से उज्जैन और जबलपुर 7-7 जिलों का है. हमको लगता है कि राजस्व की बात करेंगे तो जिलों के पुनर्गठन करने की आवश्यकता है. इनकी भौगोलिक सीमा,आबादी, जब तक हम इसको इस दृष्टि से नहीं देखेंगे जैसे हमने आज समाचार पत्रों में पढ़ा कि भोपाल की 3 नयी तहसील बना रहे हैं. जब आप आगर जैसे जिले को जिसकी खुद की आबादी 6 लाख है तो 30 लाख की आबादी वाला इन्दौर के अन्दर के जिले के टुकड़े करने की आवश्यकता पड़ेगी. इसी प्रकार से भोपाल और उज्जैन के बारे में भी विचार करने की आवश्यकता पड़ेगी. जहां तक डिमांड राजनीतिक दृष्टि से होती है और हम उसकी पूर्ति कर देते हैं. यह राजस्व की दृष्टि से कहीं न कहीं अन्याय होगा. हमें इस पर विचार करने की जरूरत है. आप ऐसा पुनर्गठन आयोग आप बनाएं जो जिलों का युक्कियुक्तरण करने के साथ जिसमें संभाग और जिलों को दोबारा विचार करने की जरूरत है ताकि हमारी जो राजस्व की भावना है उस पर ठीक ढंग से काम हो सके. हमारे पास जो विस्थापित लोग हैं, चाहे बंगाली लोग हों, 1971 में बंगाल से आए हैं, या सिंधी समाज के हों जो 1947 से आये हैं. जगह-जगह आज तक इनके पट्टों का निराकरण नहीं किया गया है. अकेले उज्जैन की बात करूं बंगाली कॉलोनी के हमारे लोगों को बंगला बगीचा,नीमच के लोगों को या अन्य जगहों पर जो विस्थापित लोगों को उनके मालिकाना हक के पट्टे दे दिये जायें ताकि उनके लिये बैंक से लोन लेना, मकान बनाना या प्रतिभूति के नाते से व्यापार, व्यवसाय करते हैं तो उसका उपयोग हो जाये. हमारे यहां अपने खासकर इतना बड़ा विभाग है लेकिन इसका स्वयं का प्रकाशन नहीं है सिर्फ वेबसाईट है जब राजस्व विभाग अपना प्रकाशन नहीं करेगा तो यह कमी है इस पर ध्यान देने की जरूरत है. पटवारी और गिरदावरों के आवास की प्रक्रिया चालू करके उनको निवास और कार्यालय दोनों की बात सोची गई थी लेकिन यह आज तक लागू नहीं हो पाई. यह लागू हो पाएगी तो अभी पटवारी शहर में ही रहते हैं गांव में नहीं जाते हैं उन्होंने घर में ही कार्यालय खोल दिये हैं और किसान ढूंढते रहते हैं, भटकते रहते हैं. जहां पंचायत मुख्यालय तक अगर पटवारी पहुंचाने की बात कर रहे हैं तो आवास पर भी हमको जोर देना चाहिये अगर उचित लगे तो विधायकों से तालमेल करके तो हम अपनी विधायक निधि भी देने को तैयार हैं लेकिन इनका जो मूल क्षेत्र है वहां यह बैठकर काम करेंगे तो बेहतर होगा. मैं जिस उज्जैन जगह से आता है जहां सिंहस्थ का 12 साल में आयोजन होता है वह उज्जैन के लिये नहीं प्रदेश के लिये नहीं पूरे देश के लिये मान सम्मान का होता है लेकिन दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि सिंहस्थ को लेकर राजस्व विभाग ने अपनी व्यवस्थित प्लानिंग नहीं की. जब सिंहस्थ आता है तो टेम्परेरी रूप से वह 2 महीने के लिये जमीन तो आवंटित करा लेते हैं तो मेरा सुझाव यह है कि ग्वालियर की तर्ज पर जमीन एक्वायर कर लें. जमीन एक्वायर कर लेंगे तो मेले में जिसको चाहे जहां बिठाओ जो मर्जी आए करो. इसके अभाव में क्या हो रहा है कि 11 साल 11 महीने वह जमीन उपयोग में नहीं आती है और पक्के निर्माण की अनुमति वहां नहीं मिलती है और मजबूरी में किसान को प्रायवेट कालोनाईजर को या अवैध कालोनाईजर के लिये वह जमीन छोड़ना पड़ती है. तो बेहतर होगा कि मेला ऐरिया नोटिफाईड हो जायेगा और पर्टिकुलर ऐरिया तय रहेगा और हजारों करोड़ हर 12 साल बाद बेकार जाता है वह व्यवस्थित यदि इन्फ्रास्ट्रक्चर बन जायेगा तो उसका हमको लाभ मिलेगा. माननीय दिग्विजय सिंह जी की सरकार में 2003 में जिन गरीबों को पट्टे दे दिये गये कम से कम उनको तो कब्जा मिल जाये. आज तक वह कागज लेकर घूम रहे हैं तो किसी को भी पट्टा दिया जाये तो उसे पट्टे पर उसे काबिज किया जाना चाहिये. उसका दस्तावेजीकरण व्यवस्थित रूप से तहसीलों में होना चाहिये. लोग नकली पट्टे बना लेते हैं. आजकल नया काम चल गया है. ढाई-ढाई लाख रुपये शहरी क्षेत्र में अनुदान मिलता है तो ऐसे नकली पट्टे मैं उज्जैन में 5 हजार से ज्यादा बता सकता हूं. चूंकि राजस्व की बात है कि हमारे यहां अगर नकली पट्टे हैं तो पुलिस कार्यवाही होनी चाहिये और जो व्यवस्थित पट्टे की दरकार है तो उदाहरण के लिये उज्जैन में 1971 के बाद नजूल की भूमि पर पट्टे नहीं दिये जा रहे हैं. हाईकोर्ट का निर्णय हो गया उसके बाद शासन ने कोई निराकरण नहीं किया. किसी की सरकार रही हो लेकिन गरीबों के ऐसे मसले पर जरूर ध्यान देना चाहिये. इसी प्रकार से जो जमीन सरकारी पड़ी है और जिन पर प्रोजेक्ट बन रहे हैं. माडल स्कूल के लिये 12 साल से पैसा दो-दो बार लेप्स हो गया फिर वापस मिला है लेकिन जमीन उज्जैन में नहीं ले पा रहे हैं तो जो सरकारी जमीन है उसका लैण्ड रिकार्ड बनाकर भोपाल से मानीटरिंग हो और प्रापर प्रोजेक्ट पर जाना चाहिये, काम होना चाहिये. ऐसे ही शासन के जो बनने वाले जैसे खुली जेल की बात परसों आई तो मेरा सुझाव है हमारे जितने भी प्रोजेक्ट हैं जो शासकीय जमीन के अभाव में लटके रहते हैं उसका निराकरण करने के संबंध भी जो दोषी हैं. जब हम पटवारी को डांटकर जमीन दिखाते हैं तो जमीन मिल जाती है. मेरा सुझाव प्रदेश के संदर्भ में है. इसी प्रकार से प्रस्ताव बृजेन्द्र सिंह ने रखा था कि रजिस्ट्री के साथ ही उसका नामांतरण भी आटोमेटिक तरीके से हो जाना चाहिये. इसी प्रकार से किसान भवन की बात भी बहुत अच्छी है, यह प्रत्येक तहसील में बनेगा तो ज्यादा अच्छा रहेगा. धन्यवाद.
श्री सोहनलाल वाल्मीक (परासिया) - उपाध्यक्ष महोदया, राजस्व विभाग द्वारा जो मांगें प्रस्तुत की गई हैं मांग संख्या 8, 9, 36 और 58 के समर्थन में मैं अपना वक्तव्य रखता हूं और साथ ही साथ ही मैं यह भी कहना चाहता हूं राजस्व विभाग मध्यप्रदेश का एक महत्वपूर्ण विभाग है और मैं समझता हूं कि मध्यप्रदेश में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं होगा जिसे इस विभाग की आवश्यकता नहीं होती, कभी न कभी इस विभाग की जरूरत पड़ती है. जिस तरीके से निश्चित रूप से कांग्रेस की 6 महीने पहले सरकार बनी और सरकार बनने के बाद जिस तरीके से हमारे मंत्री महोदय और माननीय मुख्यमंत्री जी ने जिस गंभीरता से इस विभाग को लेते हुए जो पूरी आम जनता को असुविधा हो रही थी उस असुविधा को दूर करने के लिए जो प्रस्ताव लिये हैं जो निर्देश जारी किये हैं उसके लिए मैं उनको बहुत बहुत धन्यवाद देता हूं कि कहीं न कहीं उनकी तकलीफों को समझते हुए जमीनी स्तर पर जो लोगों को आवश्यकता थी उस आवश्यकता को पूर्ण करने का काम किया है. सभी राजस्व प्रकरणों के निराकरण के लिए जिस तरीके से कलेक्टर को जवाबदारी सौंपी गई है और विभाग द्वारा जिसके आदेश दिनांक 3.1.19 को जारी किये गये हैं. यह बहुत जरूर था कि सीधे तौर पर जिलाध्यक्ष इसमें संज्ञान ले और कार्यवाही करें क्योंकि कई नीचे स्तर पर इस तरीके की कार्यवाही नहीं हो पाती थी. पटवारी की मुख्यालय में उपस्थिति सुनिश्चित करेंगे, यह टप्पा कार्यालय स्थापित करेंगे इसके आदेश भी दिनांक 23.2.19 को जारी कर दिये गये हैं. मैं धन्यवाद देता हूं मंत्री जी को क्योंकि हम लोग देखते थे पिछले कुछ वर्षों से जिन पटवारियों को जहां की जवाबदारी मिलती जो उनके हल्का होते थे वहां पटवारी कभी मुख्यालय में नहीं मिलते थे और जब मुख्यालय में नहीं मिलते थे तो उस हल्के में जितने भी चाहे वह किसान हो, आम जन हो जब उनके पास में जाते थे तो उनको अनेक कठिनाइयों को सामना करना पड़ता था और उनके काम नहीं हो पाते थे. मजरे टोलों को राजस्व ग्राम घोषित करने की नीति भी बनाएंगे, जिसके आदेश विभाग के द्वारा दिनांक 23.2.19 को जारी किये गये हैं क्योंकि आप सब जानते हैं कि मजरे टोले हमारे राजस्व ग्राम से नहीं जुड़ने के कारण जो उनके विकास के काम होने चाहिए या शासन, प्रशासन की जब योजना आती थी तो उन योजना का लाभ उन ऐसे टोलों को नहीं मिल पाता था जो राजस्व ग्राम से नहीं जुड़े होते थे. मगर उसको भी माननीय मंत्री जी ने गंभीरता से समझा एवं जाना है और उसमें एक व्यवस्था एक नीति बनाने जा रहे हैं जो आने वाले समय में इनको विकास की गति मिलेगी और वहां के लोगों को सुविधा मिलेगी.
कृषि भूमि पंजीयन के साथ नामांतरण की स्वतः व्यवस्था लागू की जाएगी यह दिनांक 23.2.19 को इसके भी निर्देश जारी कर दिये गये हैं, यह एक महत्वपूर्ण काम था . कृषि भूमि के संबंध में हमारे किसान भाइयों को पंजीयन में जो परेशानी होती थी और बार-बार वे पटवारी, तहसीलदार के या कोटवार के चक्कर काटते रहते थे उसमें एक व्यवस्था बनी है तो निश्चित रूप आने वाले समय में राजस्व विभाग के द्वारा से जो काम किये जा रहे हैं यह कांग्रेस सरकार की ही देन है . मैं इस मौके पर यह जरूर कहना चाहूंगा कि मेरे क्षेत्र की भी कुछ समस्याएं हैं. कुछ बातें हैं जिन पर माननीय मंत्री महोदय का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं और मैं अपनी बात रखना चाहता हूं सबसे बड़ी गंभीर समस्या यह है पूरे प्रदेश में है.
उपाध्यक्ष महोदय, यह कृषि से भी जुड़ा हुआ मामला है और राजस्व से भी जुड़ा हुआ मामला है. कि हम लोग देखते हैं कि जिन खेतों में कई वर्षों से जो मार्ग चलते थे और वह मार्ग में जिनकी कुछ जमीन फंस जाती थी तो वह खेतों में जाने के लिए वह मार्ग को रोक देते हैं और उसके चलते कई बार विवाद की स्थिति बनती है और कई बड़े घटनाक्रम भी हुए हैं . कई लोगों की हत्या भी इससे हो गई है. हाल में राजस्थान सरकार ने जो एक्ट बनाया है इसका कि जो रास्ता 3 साल से ज्यादा प्रचलित है उस रास्ते को रिकार्ड में दर्ज करते हुए उस रास्ते का निर्माण किया जाए और उसमें आने जाने की खेतों में किसानों की व्यवस्था बनाई जाय तो मैं समझता हूं कि माननीय मंत्री जी इस ओर भी आप थोड़ा-सा एक बार आप जरूर ध्यान दें कि राजस्थान में जिस तरीके से जो प्रस्ताव लिया गया है जो किसानों के खेतों में आने-जाने की व्यवस्था बनाई है जो एक्ट बनाया है वह किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग और आप दोनों मिलकर इसको बनाने की व्यवस्था बनाएंगे तो निश्चित रूप से किसानों को इसका सीधा-सीधा लाभ होगा.
उपाध्यक्ष महोदया, मेरे विधानसभा क्षेत्र में पटवारियों की बहुत कमियां हैं एक एक पटवारी 3-3, 4-4, 5-5 हल्का देख रहा है और जब एक पटवारी 4-5 हल्का देखेगा तो गांव के लोग जिस हल्के में निवास करते हैं उन सबको भी बहुत ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है तो कहीं न कहीं सरकार इस प्रकार की व्यवस्था बनाए जो पटवारियों की अभी भर्ती हुई है और पटवारी यदि उसमें बढ़ जाएंगे तो निश्चित रूप से जमीनी स्तर पर हम लोगों की व्यवस्था बनाने का काम करेंगे.
उपाध्यक्ष महोदया, आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी का ध्यान दिलाना चाहता हूं कि मेरा विधानसभा प्रश्न भी लगा था. मेरे विधानसभा क्षेत्र में एक ग्राम पंचायत खेसरटो है उसका एक ग्राम रैयदवाड़ी है उस रैयदवाड़ी में बहुत पुराना गांव है लगभग 500 लोग वहां पर निवास करते हैं और वहां पर तीन स्कूल संचालित होते हैं, वहां पर किडजी है, मॉडल स्कूल है और प्राथमिक शाला है अभी हाल में जब न्यायाधीशों के जो वहां बंगले बन रहे थे मकान बन रहे थे तो न्यायाधीश ने 50 साल से जो रास्ता चल रहा था उस रास्ते को बंद कर दिया. अब वहां लोगों को आवागमन में दिक्कत हो रही है बच्चों को स्कूल जाने में परेशानी होती है तो आपके माध्यम से मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि अपने भी इसमें संज्ञान लिया है . आपने भी ध्यान दिया है इसमें जरूर व्यवस्था बनाएं ताकि यहां के लोगों की व्यवस्था बन सके.
एक मेरा महत्वपूर्ण क्षेत्र का मामला है क्योंकि मैं आपको बताना चाहता हूं कि मेरे विधानसभा क्षेत्र कोयला खदानों से जुड़ा हुआ है. वहां अनेक कोयला खदानें संचालित होती हैं मगर वेस्टर्न कोल्ड फील्ड लिमिटेड ने कई वर्षों से वहां पर लीज पर जमीन लेकर रखी है अब उनकी जो 99 साल की लीज थी वह लीज भी समाप्त हो गई है. मगर आज भी वहां पर उनका हस्तक्षेप है और उनका अधिकार वहां पर बना हुआ है वह लीज खत्म नहीं होने के कारण आज वहां पर हम न शौचालय बना पाते हैं, न कोई शासकीय योजना को ला पाते हैं यहां एक गंभीर विषय यह बना हुआ है कि हम जिन हितग्राहियों को पात्रता रखते हैं जिनको पट्टा देना चाहिए था आज हम वेस्टर्न कोल्ड फील्ड लिमिटेड की लीज के कारण और उनका आधिपत्य नहीं छोड़ने के कारण हम पट्टे का वितरण भी नहीं कर पा रहे हैं. यह हमारे लिए एक गंभीर समस्या बनी हुई है . मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहूंगा कि आने वाले समय में जो वेस्टर्न कोल्ड फील्ड लिमिटेड की लीज बनी हुई है जो खत्म हो गई है उसको समाप्त करते हुए राज्य शासन उन सभी जमीनों को अपने अधीनस्थ ले ताकि लोगों को सुविधाएं मिल सकें. उपाध्यक्ष महोदया, आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद.
2.24 बजे {अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.)) पीठासीन हुए. }
श्री देवीलाल धाकड़ (एडवोकेट) (गरोठ) - अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 8, 9, 36 एवं 58 का विरोध और कटौती प्रस्तावों के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं क्योंकि मैं तो पूर्ण सुझाव दूंगा और पहली बार का मैं विधायक हूं इसलिए अपेक्षा करूंगा कि मुझे आप संरक्षण दें. मेरे विधानसभा क्षेत्र से जिला स्थान 175 कि.मी. और संभाग स्थान 275 कि.मी. दूर पड़ता है और किसानों के जो प्रकरण कमिश्नरी में और कलेक्टरेट में चलते हैं उसकी दूरी अधिक होने के कारण बहुत परेशानी आती है इसलिए मंदसौर को संभाग और गरोठ को जिला बनाया जाना चाहिए, यह मेरा एक महत्वपूर्ण सुझाव है ताकि किसानों को परेशानी न आए. दूसरा सुझाव मेरा है कि मेरे विधानसभा क्षेत्र में भानपुरा तहसील के दो गांव खेरखेड़ाभाट और सोजना जो चंबल नदी के कारण गरोठ तहसील के पास में पड़ते हैं . गरोठ तहसील स्थान की दूरी वहां से केवल 15-20 कि.मी. है और भानपुरा की दूरी 45-50 कि.मी. है. यह पूरा गरोठ होकर उनको भानपुरा आना पड़ता है. उन्होंने इसके कारण से मतदान का बहिष्कार भी किया था. ऐसे दो गांवों को गरोठ तहसील में जोड़ा जाना चाहिए ताकि उनको इन परेशानियों से मुक्ति मिले क्योंकि गरोठ तहसील के पास में वह पड़ते हैं. भानपुरा तहसील चंबल नदी के कारण घूमकर जाना पड़ता है तो उन दोनों गांवों को गरोठ तहसील में जोड़ा जाना चाहिए.
तीसरा सुझाव मेरा यह है कि बाकी सब बातें राजस्व विभाग की चर्चा में पहले आई हैं इसलिए उनको रिपीट नहीं करूंगा. मुख्य रूप से जो नामांतरण होते हैं फौती नामांतरण और एक रजिस्ट्री के आधार पर नामांतरण यह सू-मोटो पटवारियों को करना चाहिए और उसके लिए टाइम लिमिट निश्चित करना चाहिए . नामांतरण करने के बाद में पटवारी उनको रिकॉर्ड में अमल करे और ऋण पुस्तिका किसानों को जाकर देना चाहिए. यह पूरा काम नहीं करने के कारण किसानों के अधूरे काम करते हैं फिर उनको भटकना पड़ता है. इसी प्रकार से नक्शे में कई जगहों पर गड़बड़ियां हैं. मेरे क्षेत्र में डाबला और समधारा दो हल्के ऐसे हैं जिसमें नक्शे में गडबड़ी होने के कारण किसान जो अपनी जिस जमीन पर काश्त कर रहा है जहां पर उसका कब्जा है वह दूसरे के नाम पर है, दूसरे की तीसरे के नाम पर है तीसरे की चौथे के नाम पर है. किसान यदि सीमांकन का आवेदन करता है तो उसकी जमीन दूसरी जगह बताई जाती है इसलिए उनकी जमीन का नक्शा दुरुस्थ किया जाना चाहिए . नक्शा दुरुस्थ नहीं होने के कारण किसानों के कई प्रकार के लिटिगेशन उसमें आ रहे हैं. अभी इस नेशनल हाईवे में एक किसान की जमीन गई और उस जमीन जाने के कारण मुआवजा उसको नहीं मिला क्योंकि नक्शे में उसकी जमीन दूसरी जगह बताई जा रही है जो कि दूसरे के कब्जे में है और इसलिए इन दो हल्कों का नक्शा दुरुस्थ किया जाना चाहिए. भानपुरा की बहुत समय से यह मांग है किसान बड़े परेशान हो रहे हैं इसलिए नक्शा तुरन्त दुरुस्थ किया जाना चाहिए. इसी प्रकार से मेरा कहना है कि सीमांकन के प्रकरण के लिए 15 जून आखिरी तारीख होती है लेकिन सीमांकन के प्रकरण का निपटारा समय पर नहीं करते हैं, इसलिए इसकी समय सीमा निश्चित करके उसका क्रियान्वयन ठीक प्रकार से किया जाना चाहिए ताकि किसान परेशान न हों.
अध्यक्ष महोदय बंटवारे के प्रकरण के बारे में कुछ माननीय सदस्यों ने कहा है. इसमें मुख्य रूप से जो फौती नामांतरण होते हैं उसमें बेटे और बेटियों को पिता की संपत्ति में समान अधिकार होते हैं. परंतु कई जगह पर क्या होता है कि बेटियां अपना हिस्सा भाई के लिए छोड़ देती हैं. यदि बेटियां यह शपथ पत्र दे दें कि मेरा हिस्सा पिताजी ने जीवित अवस्था में मुझे नगद में दे दिया था अब भाई के नाम पर करने में मुझे कोई आपत्ति नहीं है तो यह किया जाना चाहिए इसके कारण कई जगह पर परेशानी आती है और कई प्रकार के लेटिगेशन भी होते हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय एक आखिरी निवेदन मैं यह कर रहा हूं कि तहसील कार्यालयों के कारण किसान घूम घूमकर परेशान होता है, लेकिन हम किसान के विकास के लिए कितनी भी नीतियां क्यों नहीं बना लें लेकिन राजस्व न्यायालय के कारण किसान बहुत परेशान होता है उसके जूते घिस जाते हैं चक्कर लगाते लगाते. इसलिए मेरा कहना है कि तहसील का जो स्टाफ है उसकी समीक्षा होना चाहिेए. नामांतरण के प्रकरण निश्चित अवधि में पूरा नहीं होगा तो उसके खिलाफ में चाहे वह पटवारी हो, आरआई हो या तहसीलदार हो उसके खिलाफ में कार्यवाही होना चाहिए, उनको समीक्षा करना चाहिए और कार्यालय का रिकार्ड भी दुरूस्त होना चाहिए. मैं समझता हूं कि यदि समय सीमा भी तय कर दी और यदि ठीक प्रकार से कार्यवाही की तो किसान परेशान नहीं होंगे, बाकी की बातें माननीय सदस्यों ने पहले बताई हैं. आपने सुना इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद्.
अध्यक्ष महोदय -- संजय यादव जी आपने यह बाद में नाम बढ़वाकर पहुंचाया है, कृपा करके सहयोग करें, मुझे विभागों की मांगें पूरी करना है. अगर आप लोग नहीं चाहते हैं कि आगे के विभागों की चर्चा में कोई भाग ले तो मुझे कोई दिक्कत नहीं है. नहीं, मैंने कल स्पष्ट कर दिया था, दोनों दलों से अनुरोध कर लिया था, दोनों दलो ने मुझे प्रामिस कर दिया था.
श्री संजय यादव(बरगी)-- माननीय अध्यक्ष महोदय मेरा निवेदन है कि हमारे क्षेत्र में बरगी ब्लाक है, लेकिन तहसील का पुनर्गठन नहीं हो पाया है, उसको तहसील बनाना है उसका प्रस्ताव भोपाल में लंबित है, उसके लिए मैं माननीय मंत्री जी से अनुरोध करूंगा कि शीघ्र ही बरगी को तहसील बनवा दें. दूसरा मेरा कहना है कि भगवान राम की नगरी ओरछा में सरकारी भूमि भाजपा के विधायक ने अपनी पत्नी के नाम करवायी है. जो 15 वर्षों में सरकारी जमीनों को खुर्द-बुर्द किया गया हैं उसमें श्मशान की भूमि पर भी भाजपा के लोगों ने कब्जा करके रखा है. इसमें मेरा आपसे निवेदन है कि भाजपा के विधायक अनिल जैन ने धोखा धडी करके सरकारी दस्तावेजों में अपनी पत्नी के नाम से जमीन करवा दी है.
श्री हरीशंकर खटीक -- (X X X)
अध्यक्ष महोदय -- मेरी अनुमति के बिना बोल रहे हैं नहीं लिखा जाय. जो बीच में बोले वह न लिखा जाय.
श्री संजय यादव -- ओरछा के खसरा नंबर 574/2 में से 4800 और 5000 वर्गफीट के दो प्लाट की रजिस्ट्री करवाई गई है. अपने मित्र की पत्नी के नाम पर इसी खसरा नंबर में 2500 - 2500 हजार वर्ग फीट के दो प्लाट की रजिस्ट्री करवाई है. विधायक प्रतिनिधि की पत्नी के नाम से 5000 वर्ग का प्लाट खरीदा गया. खसरा नंबर 249/2 में लगभग 17500 वर्गफीट की रजिस्ट्री करवाई गई यह दोनों खसरा नंबर राजस्व रिकार्ड में सरकारी भूमि पर दर्ज हैं.
श्री नागेन्द्र सिंह(नागौद) --माननीय अध्यक्ष महोदय व्यवस्था का प्रश्न है. कृपया नियम 251 को देखने का कष्ट करें इसमें स्पष्ट लिखा है कि बोलते समय कोई सदस्य किसी सदस्य के विरूद्ध व्यक्तिगत दोषारोपण नहीं करेगा. यहां पर एकदम व्यक्तिगत आरोप लगाये जा रहे हैं. यदि यह आपको करना है तो पहले आपको नोटिस देना चाहिए. तब ही आप कर सकते हैं इसको विलोपित करने का कष्ट करें.
अध्यक्ष महोदय --अच्छी बात है. उन्होंने नियम पूरे सदन के संज्ञान में लाये हैं. दोनों पक्ष के लोग इसका अनुपालन करें....(व्यवधान)..जब मैंने बोल दिया है तो विलोपित हो गया है.
श्री संजय यादव -- ठीक है भाजपा के लोगों ने कब्जा किया है.
श्री विश्वास सारंग -- अध्यक्ष जी यह भी विलोपित करवायें कि भाजपा के लोगों ने
अध्यक्ष महोदय -- कर दिया न भाई.
श्री संजय यादव -- बरगी विधान सभा के अंतर्गत नगर निगम वार्ड 72 में गौंडवाना काल का तालाब है उसमें पिछले 5 सालों में कब्जा करके राजस्व की भूमि को प्राइवेट लोगों ने अपने नाम दर्ज करवा लिया है.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर --(X X X)
अध्यक्ष महोदय -- इनका नहीं लिखा जायेगा. आप तो बिल्कुल न बोलें क्योंकि आप मेरा एक काम नहीं कर रहे हैं. मैं आपको कभी परमिट नहीं करूंगा. बहुत नाराज हूं मैं आपसे,मैं स्पष्ट बोल रहा हूं, मेरा कुछ मत करिये आप, बैठ जाइये आप.
श्री संजय यादव -- अध्यक्ष महोदय मेरा आपसे निवेदन है कि पूरे गांव में जहां जहां पर सरकारी भूमि है वहां पर बोर्ड लगवाएं जाय ताकि लोगों को पता चल सके कि कौन सी भूमि चरनोई है, कौन सी श्मशान की भूमि है..
श्रीमती इमरती देवी --(X X X)
अध्यक्ष महोदय -- यह भी नहीं लिखा जायेगा. आप लोग काम ही ऐसा रहे हैं कितनी बार रिक्वेस्ट करूं मैं.
श्री संजय यादव -- मेरा आपसे निवेदन है कि प्रत्येक गांव को इन 10-15 वर्षों में लूटा गया है उन जमीनों को चिन्हित करवाकर जांच करवाकर प्रत्येक गांव की इंट्री पर नक्शा लगवाया जाय और जो भी भूमि हो चाहे वह श्मशान की भूमि हो या चरनोई की भूमि हो चाहे वह सरकार की जमीन हो उस भूमि पर चिन्हित कर बोर्ड लगवाया जाय.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय लक्ष्मण सिंह जी आज कुछ ज्यादा स्मार्ट लग रहे हैं तो मैं चाहता हूं कि वह भी दो मिनट बोलें.
श्री गोविंद सिंह राजपूत -- बहुत अच्छा साहब, कोई विशेष कृपा बरस रही है क्या.
श्री लक्ष्मण सिंह ( चाचौड़ ) -- ऐसा नहीं है मैंने नाम दिया था. हम एक ही स्कूल के हैं सहपाठी हैं मेरे, हंसी मजाक होती रहती है. माननीय अध्यक्ष महोदय मैं केवल 2 - 4 मिनट में अपनी बात रखूंगा. मैं राजस्व विभाग की 8,9,36 और 58 मांग संख्या का समर्थन और कटौती प्रस्तावों का विरोध करता हूं साथ ही कमलनाथ जी को बधाई देता हूं कि इन्होंने सही मंत्री चुना है राजस्व के लिए और गोविंद तुमसे उम्मीद करता हूं कि जितने भूमि घोटाले हुए हैं उन सब भूमि घोटालों को निकालो और सख्ती से राज्व वसूली करो , क्योंकि राजस्व की वसूली सबसे बड़ी चुनौती तुम्हारे और हम सबके सामने है. क्योंकि 3 हजार करोड़ की कटौती केन्द्र सरकार ने हमारी की है. उसे कैसे पूरा करें यह चुनौती है.
अध्यक्ष जी मेरे विधान सभा क्षेत्र में एक अद्भुत घोटाला देखा गया है. उसका मैं यहां पर उल्लेख करना चाहूंगा, आपकी अनुमति से. एक ग्राम गोपालगड है चाचौड़ा विधान सभा क्षेत्र में सींगनपुर पंचायत में क्या हुआ कि नक्शे में जमीन नहीं है, नम्बर नहीं है, लेकिन कूट रचना करके फर्जी नम्बर डाले गये हैं. उन फर्जी नम्बरों से केसीसी कार्ड बने हैं और लाखों रूपया आईसीआईसीआई बैंक से निकाला गया है, मैंने इस पर ध्यानाकर्षण भी दिया है. यह मैंने मेरे 30 - 35 साल के राजनीतिक जीवन में कभी नहीं देखा था. नम्बर नहीं है, फर्जी नम्बर बनाये गये हैं और खास बात उसमें यह है कि वहां पर एक दलाल थे,अब वह पकड़े गये हैं, वह दलाल पेड़ के नीचे बैठकर 70 हजार रूपये कमीशन लेकर वहीं के वहीं केसीसी कार्ड बनाकर दे रहा है और जो फर्जी कार्ड बनवा रहा है उसको बैंक के अंदर जाने की जरूरत नहीं है, उसका पैसा उसको अपने आप मिल रहा है तो यह एक बहुत बड़ा घोटाला हुआ है.
दूसरी बात के लिए मैं मंत्री जी को धन्यवाद दूंगा. उन्होंने स्कूल के बच्चों के लिए जो बसें चलती हैं उसके लिए जो सख्त नियम बनाये हैं उन नियमों का सख्ती से पालन हो ऐसी हम उनसे अपेक्षा करते हैं आपने राजस्व आयुक्त की स्थापना में 40 प्रतिशत की वृद्धि की है. इतनी ज्यादा वृद्धि की है तो यह आयुक्त स्तर पर वृद्धि हुई है जनता से जुड़े हुए जो अधिकारी कर्मचारी हैं वह आयुक्त स्तर के नहीं है, वह पटवारी है तहसीलदार है तो यह आयुक्त स्तर पर आपने जो वृद्धि की है यह क्यों की है इसके क्या कारण हैं यह आप अपने भाषण में बतायेंगे. मैं अपेक्षा करता हूं कि आप सख्ती से राजस्व वसूली करें, भूमि घोटाले जितने निकाल सकते हो निकालो राजस्व वसूली करो और अपना लक्ष्य पूरा करो, आपके लिए आशीर्वाद है आपके लिए सब उत्साहवर्धक बातें करेंगे. मैं अध्यक्ष जी को फिर से धन्यवाद देता हूं.
अध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी. (कई सदस्यों के खड़े होने पर) जो भी बोलेगा, वह नहीं लिखा जायेगा. डेढ़ घण्टे की चर्चा नियत है, डेढ़ घण्टे हो गये हैं. जिनको जो सुझाव देने हैं, वे लिखकर मंत्री जी को दे दीजिये. मंत्री जी, आप शुरु करिये. यह आपके नाम तय करने वाले सचेतक तय करें, किनके नाम देने हैं, किनकी आवश्यकता है और किनको बोलना है. मुझे 4 दिन से सचेतक लोग बुरा बना रहे हैं आप लोगों से. मैं माफी चाहूंगा. मंत्री जी, आप बोलिये.
राजस्व एवं परिवहन मंत्री (श्री गोविन्द सिंह राजपूत) -- अध्यक्ष महोदय, सर्वश्री माननीय रामपाल सिंह जी, कमल पटेल जी, बृजेन्द्र सिंह यादव जी, रामलाल मालवीय जी, रामलल्लू वैश्य जी, श्रीमती झूमा सोलंकी जी, मोहन यादव जी, सोहनलाल बाल्मीक जी, देवीलाल धाकड़ जी, संजय यादव जी एवं लक्ष्मण सिंह जी ने अपने विचार हमारे विभाग की मांगों पर रखे. दो पूर्व राजस्व मंत्री आज हमारे सामने बैठे हैं, उन्होंने भी अच्छे विचार और सुझाव रखे.
अध्यक्ष महोदय, सर्वप्रथम मैं अपनी बात शुरु करना चाहूंगा राजस्व विभाग का सबसे छोटा अमला जो होता है या हम कहें कि राजस्व की नींव का पत्थर है, वह होता है पटवारी और उस पटवारी की बात बार-बार यह सदन में आई है. यहां तक कि हमारे मुख्यमंत्री जी ने भी जब पिछली सरकार की बात रखी कि उद्योगपति तो आना चाहते थे, लेकिन उद्योगपति और जब उनके लोग आते थे, तो सर्वप्रथम पटवारी के जो काम होते थे, पटवारी को जो सुचारु रुप से काम करना चाहिये, वह शायद उन सरकारों में उतना संभव नहीं हो पाया. प्रदेश में पटवारियों के वर्तमान में 19 हजार पद स्वीकृत हैं, जिसमें से 9785 पद पूर्व में भरे गये थे. पटवारियों के 9235 नये पद स्वीकृत किये गये हैं, जिसमें से वर्ष 2018-19 में 8400 पद हमने भर दिये हैं. शेष पदों पर भरने की कार्यवाही जारी है. वर्तमान में मध्यप्रदेश में जितने भी हल्के हैं, उन हल्कों में पर्याप्त पटवारी नहीं हैं. एक एक पटवारी के हाथ में 3-3,4-4 हल्के और कहीं कहीं एक से अधिक हल्कों का चार्ज पटवारियों के पास है. मैंने राजस्व मंत्री बनने के पहले दिन ही घोषणा की थी कि सबसे पहले हमारी कोशिश होगी कि प्रत्येक हल्के पर हम पटवारी की व्यवस्था करेंगे और हम प्रत्येक हल्के में पटवारी की व्यवस्था करने जा रहे हैं. यह हमारा वचन भी था और हमारा प्रण भी है. पटवारी की हमारे कोई सदस्य महोदय शायद मोहन यादव जी बात कर रहे थे. मैं उनकी बात से सहमत हूं कि पटवारी का कोई ऑफिस नहीं होता. पटवारी का घर ही उसका ऑफिस होता है और पटवारी को ढूण्ढने के लिये चाहे वह किसान, आम आदमी, आम व्यक्ति हो, वह उसके घर पहुंचता है और पटवारी फिर उसको विभिन्न निगाहों से देखता है कि आ गया, अब कैसे कब काम होगा, भगवान जाने. तो मैंने इस बात को निश्चित किया है, मैंने मध्यप्रदेश के सारे कलेक्टरों को निर्देश दिये हैं कि पटवारी सप्ताह में दो बार आवश्यक रुप से अपने मुख्यालय में बैठेगा. इतना ही नहीं..
श्री अजय विश्नोई -- मंत्री जी, आप सुनिश्चित कैसे करेंगे कि वह दो दिन बैठा वहां पर.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- अध्यक्ष महोदय, मैं आगे आ रहा हूं.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय -- उनके लिये एक जीपीएस सिस्टम बनवा दीजिये. उनको ढूण्ढते रह जाते हैं और वे मिलते ही नहीं हैं.
अध्यक्ष महोदय -- मेरा अनुरोध है कि जब मंत्री जी जवाब दें, वे चुप-चाप सुन रहे थे. वह बीच में खड़े होकर कुछ नहीं कह रहे थे. जब मंत्री जी बैठे बैठे सुन रहे थे, वे बीच में टोकाटाकी नहीं कर रहे थे. हम अच्छी परम्परा डालें, जो पहले से है. जब मंत्री जी जवाब दें, तो हम न टोकें. वे धैर्य पूर्वक सुनते हैं, अपन भी धैर्य पूर्वक सुनें. मंत्री जी, मैं आपको 15 मिनट दे रहा हूं, क्योंकि अकेले पटवारी पर आप गाड़ी अटका दोगे..
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- अध्यक्ष महोदय, दो विभाग हैं. थोड़ा संरक्षण चाहूंगा.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं वह हो गया, मुझे समय देखना है.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- अध्यक्ष महोदय, पटवारी बहुत महत्वपूर्ण कड़ी है. मैं अभी पटवारी पर थोड़ा और बोल रहा हूं कि दो दिन निश्चित किये हैं. इसके बाद में मैं जल्दी ही अधिकारियों के साथ बैठकर निश्चित करने वाला हूं कि पटवारी के दिन फिक्स होंगे कि वह शुक्रवार और मंगलवार जो भी हम फिक्स करेंगे और दो दिन बैठेगा. वह न केवल बैठेगा, बल्कि उसका नाम, मोबाइल नम्बर, उसका पद पंचायत के पटल पर भी लिखा जायेगा. यह हमारे निर्देश जारी होंगे. इसलिये पटवारियों की समस्या जो आम आदमी को है, वह समाप्त होगी और वह पटवारी ऐसे नहीं अब मॉडर्न पटवारी होंगे. आधुनिक पटवारी होंगे. 21वीं सदी के कांग्रेस राज्य के पटवारी होंगे, उनको हम लेपटॉप देने वाले हैं.
श्री हरिशंकर खटीक -- (xxx)
अध्यक्ष महोदय -- जो मंत्री जी के जवाब के बीच में बोलें, उनको नहीं लिखा जायेगा.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- अध्यक्ष महोदय, उनको ई-बस्ता और हम लेपटॉप देने वाले हैं. हमारे पटवारी अब हर प्रकार के काम करने के लिये न केवल तैयार रहेंगे, बल्कि उनको सुविधा भी देंगे. राजस्व न्यायालयों के आदेश और क्रियान्वयन के लिये अभी थोड़ी परेशानी होती है. हमने राजस्व न्यायालयों के आदेश के क्रियान्वयन के लिये बिना प्रकरण रिकार्ड रुम में दाखिल नहीं होंगे. यदि बंटाकन का आदेश है, तो बिना नक्शा में दर्ज किये एवं खसरा में इंद्राज किये प्रकरण को रिकार्ड रुम में दाखिल नहीं किया जायेगा. यह व्यवस्था भी हमने की है. किसी माननीय सदस्य ने सीमांकन की बात उठाई थी. मैं निश्चित मानता हूं कि सीमांकन में देरी होती है, क्योंकि सीमांकन के लिये उतना पर्याप्त अमला हमारे पास कभी नहीं होता है. हमने शीघ्र सीमांकन हो, इसके लिये निजी एजेंसियों के लिये भी प्रावधान किया है कि निजी एजेंसी भी सीमांकन, सीमा चिह्नों को निर्मित करके निजी एजेंसी के माध्यम से हम सीमांकन करेंगे. ग्राम पंचायतों में अभी हम देखते हैं कि एक ग्राम पंचायत है और उसमें तहसील के कई गांव लगे हैं. एक ग्राम पंचायत में 3 गांव हैं मान लो, तो 3 गांव में 2 गांव इस तहसील में है, एक गांव उस तहसील में है. हमने व्यवस्था की है कि एक ग्राम पंचायत में तहसील के सारे गांव हो, वह भी हम करने जा रहे हैं. डायवर्शन की बात हम करें, डायवर्शन से पहले बहुत परेशानियों का सामना हमारे लोगों को करना पड़ा. हम देखते हैं कि डायवर्शन में केवल फाइल यहां घूम रही है, वहां घूम रही है, टाउन प्लानिंग जा रही है, यहां जा रही है और घूम घूमकर फिर वह हमारे एसडीएम के पास आती थी, हमारे अनुविभागीय अधिकारी के पास आती थी. हमने डायवर्शन खत्म ही कर दिया. अब डायवर्शन के लिये किसी व्यक्ति को परेशान होने की आवश्यकता नहीं है. विभाग द्वारा 172 धारा ही खत्म कर दी गई है. अब भूस्वामी डायवर्शन का प्रीमियम,भूभाटक स्वयं निर्धारित कर सकेगा. यह बहुत बड़ी बात है, जो कि हमारे राजस्व विभाग ने आम आदमी की सहुलियत के लिये दी है. धारा 59 की कार्यवाही के उपरांत पृथक से डायवर्शन करने की आवश्यकता नहीं है. हमारा पोर्टल रहेगा, आप बटन दबाइये, ऑन लाइन करिये, आपको जहां का डायवर्शन भरना है, वह एप्प द्वारा आपको पता लग जायेगा. कृषि नामांतरण की बात किसी सदस्य ने की थी. नामांतरण बंटवारे की कार्यवाही अब एक साथ हो सकेगी. यह व्यवस्था भी हम करने जा रहे हैं. इसके लिये पहले दो- दो बार सुनवाई होती थी, यह सुधार हमने किया है. शायद किसी साथी ने यह बात की थी कि अभी तक हम देखते हैं कि हमारे अगर किसी किसान की जमीन में एक छोटा सा पेड़ खड़ा है, मान लो रास्ता, मेढ़ पर है या किसी ऐसी जगह पर है, जहां वह काटना चाहता है, लेकिन वह काट नहीं सकता, क्योंकि उसको परमीशन लेने की आवश्यकता रहती है. हमने सुधार किया है, इसके लिये विनियम, नियम तैयार किया है कि वह आराम से बिना परमीशन के अपना पेड़ काट सकता है. इसके लिये उसको कहीं भी परमीशन लेने की आवश्यकता नहीं है..
श्री कमल पटेल -- मंत्री जी, आप इसमें क्लीयर करिये कि कौन सा पेड़ काट सकता है. जो पुराने हो गये हैं, सूख गये हैं.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- अध्यक्ष महोदय, हर पेड़ नहीं, वह पेड़ जो कब्रिस्तान में हैं, गोठान गोठान में हैं, खलिहान में हैं, बाजार में है और जो रास्ते के 15 मीटर के आस पास हैं, उसकी बात कर रहा हूं. आरबीसी की बात हमारे पूर्व राजस्व मंत्री जी कर रहे थे. हमारे रामपाल सिंह जी ने की, हमारे कमल पटेल जी ने की, दोनों पूर्व राजस्व मंत्रियों ने की. आपने क्या किया, वह छोड़िए, आपके राज में जब तुसार का, पाला का पैसा मिलता था, कहीं 500 रुपये का चैक, कहीं 700 रुपये का चैक, कहीं 1 हजार रुपये का चैक मिलता था.
श्री रामपाल सिंह -- अध्यक्ष महोदय, हजार से कम कहीं नहीं दिया है. पहले ही घोषणा कर दी थी. एलान कर दिया था.
...(व्यवधान)...
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- बैठिए तो, हमारी घोषणा सुनिए, हमारी सरकार ने जो किया है, वह सुनिए. हमारी सरकार ने, हमारे मुख्यमंत्री कमलनाथ जी ने घोषणा की है कि कहीं भी विपदा आए, कहीं प्राकृतिक आपदा, कहीं तुसार, कहीं पाला आए, कोई भी आपदा आए, 5 हजार रुपये से कम किसी को मुआवजा नहीं दिया जाएगा. (मेजों की थपथपाहट) यह कैबिनेट का निर्णय है. 5 हजार रुपये से ऊपर कितना भी हो, लेकिन न्यूनतम 5 हजार रुपये हम मुआवजा देंगे. मुझे खुशी इस बात की है कि तीसरे पूर्व राजस्व मंत्री जी भी सदन में आ चुके हैं, हमारे नेता प्रतिपक्ष जी. मुझे बहुत खुशी है कि मैं आज तीन-तीन पूर्व राजस्व मंत्रियों के सामने अपना वक्तव्य दे रहा हूँ. शायद चौथे नहीं है.
अध्यक्ष महोदय, एक और मुआवजे का हमने प्रावधान किया है. कहीं नाला फट जाता था, कहीं डैम फट जाता था, कहीं नहर फट जाती थी, अभी तक उसके लिए आरबीसी 6 (4) में मुआवजे का प्रावधान नहीं था. हमने मुआवजे का प्रावधान किया है. ऐसी विपत्ती कहीं आती है, उसमें भी हम मुआवजा देंगे. यह हमने सुधार किया है.
अध्यक्ष महोदय, हमारे एक सदस्य अभी कह रहे थे कि नामांतरण की प्रक्रिया कठिन और जटिल है, उसमें हमने सुधार किया है...
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) -- माननीय मंत्री जी, आप जानकारी ले लेना अपनी तहसीलों से...
अध्यक्ष महोदय -- नेता प्रतिपक्ष जी, मैंने अभी व्यवस्था दी है कि इसमें समय जाया होता है, आखिरी में जब वे समाप्त करें, आप प्रश्न कर लीजिएगा, ताकि बीच में समय जाया न हो.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, तब तो प्रश्नोत्तर हो जाएगा. अध्यक्ष जी, मेरी सिर्फ इतनी बात है कि मंत्री जी जो आरबीसी 6 (4) का बता रहे हैं कि हमने राशि बढ़ा दी है. किसी भी जिले में, किसी भी तहसील में पैसा नहीं मिल रहा है. जबकि आपका इसका ग्लोबल बजट होता है. मैं यह कह रहा हूँ कि 6-6, 8-8 महीनों से प्रकरण पड़े हुए हैं, बारिश भी शुरू हो गई है. बारिश में जिनके घर गिर रहे हैं, उनको पैसे नहीं मिल रहे हैं. इस कारण मैं यह कहना चाहता हूँ कि एक बार आप इसको रिव्यू कर लें, इसको दिखवा लें.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- अध्यक्ष महोदय, नेता प्रतिपक्ष जी ने जैसा कहा है, हम दिखवा लेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- आपके साढ़े 11 मिनट हो गए हैं.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- अध्यक्ष महोदय, हमारे दो विभाग हैं, हम बड़े विस्तार से...
अध्यक्ष महोदय -- मुझे उससे मतलब नहीं है. यह आपको तय करना है कि कितना आपको हर विभाग पर बोलना है.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- अध्यक्ष महोदय, ठीक है, कम कर देते हैं. प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना की बात हमारे आदरणीय रामपाल सिंह जी ने की थी. अभी तक थोड़ी देर हुई है, मैं मानता हूँ क्योंकि लोकसभा के चुनाव थे और हितग्राहियों की बड़ी बारिकी से छानबीन करनी पड़ती है. वे भी विभाग के मंत्री रहे हैं, थोड़ा समय लगा, लेकिन 10 हजार परिवारों को हमने पैसा भिजवा दिया है और 13 लाख किसानों को भुगतान के आदेश जारी कर दिए हैं. यह पैसा पहुँच जाएगा. माननीय पूर्व मंत्री जी, हमने 50 लाख परिवारों को चिह्नित किया है.
अध्यक्ष महोदय, किसानों को बैंक से ऋण लेने के लिए बंधक दर्ज करने के लिए अभी तक तहसीलों के चक्कर लगाने पड़ते थे. हमने इसको सरल किया है. अब किसान बैठे-बैठे ही बंधक ऑनलाइन कर सकता है, यह जवाबदारी हमने बैंकों को दे दी है.
अध्यक्ष महोदय, हमने पदों में इजाफा किया है. 92 नायब तहसीलदारों की पदस्थापना की है. 500 से अधिक नायब तहसीलदारों की भर्ती की है. सहायक ग्रेड-तीन के हमने 550 पदों की पूर्ति की है. 531 अधिकारियों का हमने अभी चयन किया है.
अध्यक्ष महोदय, प्रदेश के इतिहास में यह पहला मौका है, अभी तक हम सुनते थे कि लोक-अदालतें लगती थीं. मध्यप्रदेश की पहली सरकार है जिसने राजस्व की लोक-अदालतें अलग से लगवाईं. ये हमारे मेनिफेस्टो में था, हमारे वचन-पत्र में था और हमारे मुख्यमंत्री जी ने मुख्यमंत्री बनने से पहले कहा था कि राजस्व की लोक-अदालतें लगाओ ताकि लोगों को परेशान न होना पड़े. हमारा आम आदमी परेशान न हो. इसमें महीनों-महीने पुराने प्रकरण भी हमने निपटाए हैं. मैं माननीय पूर्व राजस्व मंत्री जी को बताना चाहता हूँ कि 1,76,342 प्रकरण हमने एक दिन में निपटाए हैं. यह हमारे विभाग के अधिकारियों की, कर्मचारियों की मेहनत है.
अध्यक्ष महोदय, प्रदेश में भवनों की आवश्यकता है. इसके लिए हमने अभी 3 अनुविभागीय अधिकारी संयुक्त कार्यालय भवन, 7 अनुविभागीय अधिकारी, 27 संयुक्त तहसीलदार भवन, 75 उप-तहसील कार्यालय भवन, 112 निर्माण कार्यों की प्रशासकीय स्वीकृति दी है, जिनकी लागत 2 करोड़ 45 लाख रुपये है. अध्यक्ष महोदय, आगामी वित्तीय वर्ष में 6 अनुविभागीय अधिकारी संयुक्त कार्यालय, 75 अनुविभागीय अधिकारी कार्यालय, 45 संयुक्त तहसील कार्यालय भवन भी हम बनाने जा रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय, गैर सरकारी संस्थाओं को भूमि आवंटन के लिए भी हम जल्दी ही नीति तैयार करने जा रहे हैं. भेल की भूमि लगभग 1 हजार एकड़ है, जिसका उपयोग नहीं हो पा रहा है और जो अनुपयोगी पड़ी है. उसके लिए भी हमने केन्द्र सरकार से मांग की है कि जल्दी ही वह हमको वापस कर दी जाए ताकि लोगों को फायदा हो.
अध्यक्ष महोदय, राजस्व कोर्ट की बात मैं करूंगा. अभी हमने पटवारियों की बात की, कमिश्नर, कलेक्टर, एसडीएम, तहसीलदार, हम चाहते हैं कि इन सबके लिए भी कोर्ट का दिन निश्चित हो क्योंकि लोग परेशान होते हैं. लोगों के केस महीनों ही नहीं, सालों तक पेंडिंग रहते हैं. हम तैयारी कर रहे हैं, हमारी विभाग से चर्चा चल रही है. जल्दी ही हम ऐसी व्यवस्था बनाने जा रहे हैं कि सारे अधिकारी, कमिश्नर भी लिखेंगे, कलेक्टर भी लिखेंगे, एसडीएम भी लिखेंगे, तहसीलदार भी लिखेंगे कि हम इस दिन कोर्ट चलाएंगे. वह एक न्यायालय होगा ताकि जनता की यह परेशानी समाप्त हो सके.
अध्यक्ष महोदय, अब मैं थोड़ा परिवहन विभाग पर बोल लूँ, अन्यथा आप मना कर देंगे.
श्री रामलाल मालवीय -- माननीय मंत्री जी, मैंने भैरूगढ़ को नवीन तहसील गठन का निवेदन किया है.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- मैं थोड़ा जवाब दे दूँ, श्री कमल पटेल जी ने आबादी सर्वे की बात कही थी. आपने एक गांव में नक्शा एवं रिकार्ड बनवाया था, आपका सुझाव अच्छा है. हम प्रदेश की समस्त आबादी क्षेत्र के विस्तृत नक्शे एवं रिकार्ड बनाने की योजना बना रहे हैं.
श्री कमल पटेल -- ताकि वे भी व्यवसाय कर सकें, गांव की भी तकदीर और तस्वीर बदल जाए.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- आपका सुझाव अच्छा है. हमने उस पर विचार किया है और जल्दी ही हम उसको लागू करने की योजना बना रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय, अब मैं परिवहन विभाग पर बोलना चाहता हूँ. परिवहन विभाग में 300 करोड़ रुपये का लक्ष्य था, जिसे बढ़ाकर हमने इस बार 302 करोड़ रुपये किया है. सौ प्रतिशत से अधिक लक्ष्य की प्राप्ति की है. यह वर्ष 2017-18 से 5.30 प्रतिशत अधिक है. छोटे संव्यवहारों हेतु परिवहन कार्यालय में हमने कैश काउंटर की व्यवस्था की है. वर्ष 2018-19 में विभाग द्वारा 4,48,632 ड्राइविंग लाइसेंस, 5,67,718 लर्निंग लाइसेंस, 3,25,059 फिटनेस प्रमाण-पत्र, 3,37,025 परमिट एवं 13,75,183 वाहनों का हमने रजिस्ट्रेशन किया है. कुल 32,30,223 सेवाएं इस बार हमारे विभाग ने आम जनता के लिए प्रदान की हैं. सीएम हेल्पलाइन में भी हम प्रथम रहे हैं. हमने वर्ष 2018-19 में 68,894 महिलाओं को लाइसेंस दिए हैं.
अध्यक्ष महोदय, स्कूल बस चेकिंग की बड़ी बात है. सुप्रीम-कोर्ट की गाइड-लाइन है. मैंने पहले भी इस बात को कहा था कि बच्चों को लेकर हमारी सरकार चिंतित है. सरकार संवेदनशील है. हमारा विभाग चाहता है कि बच्चों की सुरक्षा के साथ कोई भी खिलवाड़ नहीं होना चाहिए. स्कूल बस चेकिंग के अंतर्गत सीसीटीवी कैमरे न होने से 201 वाहन, जीपीएस न लगे 201 वाहन, ओवरलोड से 430 वाहन, एसएलडी न होने पर 214 वाहनों का हमारे विभाग ने चालान किया है. स्कूल बस चेकिंग अभियान के दौरान कुल 10,200 बसों का हमने निरीक्षण किया, कुछ का चालान भी किया है.
..(व्यवधान) ..
श्री कमल पटेल -- जिन पर हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट का निर्णय है, वे कितने पकड़े और वे पकड़ाओ और जो 4-4 फूट के मेड़ लगा रखी है, उसको कटवाओ.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- धन्यवाद, आपकी बात पर विचार कर रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, ग्वालियर मेला हुआ, परम्परागत मेला था, बहुत बड़ा मेला था, इसमें हमारे विभाग ने 50 प्रतिशत की छूट दी, इससे हजारों लोगों को फायदा हुआ. पर्यावरण की दृष्ट से जो बैटरी चलित वाहन हैं, 500 से अधिक ई-रिक्शा हैं. जो हमने पंजीकृत किये हैं. प्रदेश के प्रमुख शहर भोपाल, इन्दौर, सागर, जबलपुर, उज्जैन उनको हमने छोटे शहरों से जोड़ा है और वहां नॉन स्टॉप बसें चलवाई हैं. यह व्यवस्था हमने चालू करवाई है. इसके लिये हमने 209 परमिट जारी किये हैं. अध्यक्ष महोदय, ग्रामीण क्षेत्रों को शहर से जोड़ना यह हमारे वचन पत्र में था. इसके लिये हमने 1,880 ग्रामीण मार्गों को सूत्रीकृत की जाकर 25,902 परमिट जारी किये हैं, ताकि ग्रामीण जनता को कोई परेशानी न हो और ग्रामीण लोग शहरों में आराम से आवागमन कर सकें. कृषि के यंत्र ट्रेक्टर, हार्वेस्टर के लिये हम तीन वर्ष की अवधि के लिये जो रियायत देते थे, उसको हमने दो वर्ष के लिये और बढ़ा दिया है. छात्राओं के लिये हमारी बच्चियां जो स्कूल, कॉलेज में पढ़ती हैं, उनके लिये हमने फरवरी 2019 में 25,000 लायसेंस अभी तक फ्री दिये हैं और यह प्रक्रिया हमारी जारी है और छात्राओं के लिये जारी रहेगी. ड्रायविंग लायसेंस की प्रक्रिया को हमने सरल किया है. निजी बसों में महिलाओं की पूर्ण सुरक्षा की जवाबदारी हो, इसके लिये हमने परमिट की शर्तों में प्रावधान किया है कि बस मालिक की जवाबदारी है कि हमारी महिलायें सुरक्षित हों. इसके लिये आप भी उतने ही जवाबदार हैं जितनी कि वह स्वयं.
अध्यक्ष महोदय, प्रदेश में अधिक ग्रामों शहरों में परिवहन व्यवस्था हेतु हमने 13,559 मार्गों को स्वीकृत किया है, जिसमें 1,838 मार्ग सिर्फ ग्रामीण क्षेत्र में आ रहे हैं. हमारे विभाग की तरफ से हम चाहते हैं कि आगे हमारी योजनायें ऐसी हों कि प्रदेश में संचालित वाहनों की सुरक्षा हेतु हम कुछ विशेष उपाय करें. फिटनेस हेतु बड़े शहरों में ऑटोमैटिक ट्रैक की हम स्थापना करने जा रहे हैं. बिना पीयूसी टेस्ट के फिटनेस प्रमाण पत्र जारी नहीं किये जायेंगे, यह हमने आदेश जारी कर दिया है. बिना मानक स्पीड गवर्नर के फिटनेस जारी नहीं किये जायेंगे. प्रदेश में अवैध परिवहन का संचालन रोकने के लिये मोटर कराधान अधिनियम में संशोधन कर हमने 4 गुना पेनाल्टी तय की है. शराब पीकर चलने वालों के लिये और नियम तोड़ने वालों के लिये हमने जांच का कड़ाई से पालन किया है और 19,061 वाहन चालकों के लायसेंस हमने अभी तक निरस्त किये हैं. शराब पीने वाले व्यक्ति सचेत हो गये हैं और डरने की शुरुआत उनमें हो चुकी है. दिव्यांगों को 50 प्रतिशत की छूट दी जायेगी और दिव्यांगों के लिये बस में सीट की व्यवस्था हमने अलग से की है.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) - अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी, यह आप पढ़ जरूर रहे हैं, लेकिन एक बार व्यावहारिक रूप से जानकारी ले लें, कितने दिव्यांगों को सीट दी रही हैं ? कितने वृद्धों को दी जा रही हैं ? कितनी महिलाओं को दी जा रही हैं ? पहले जब हमारा सड़क परिवहन निगम था, तो अनेक प्रकार की व्यवस्थाएं विधायकों सहित और भी लोगों के लिये होती थीं. फ्रीडम फाइटर्स के लिये भी होती थी. लेकिन अब प्रायवेटायजेशन होने के कारण और सड़क परिवहन निगम बंद होने के कारण यह सारी समस्यायें आयी हैं. दूसरा, मैं मुख्य रूप से आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं कि जो आपके मुनाफे के बस रूट हैं, उन पर तो खूब धड़ाधड़ बसें परमिट लेती हैं, लेकिन मैं लोक परिवहन में मानकर चलता हूं कि यदि घाटा भी होता हो, लेकिन हमें शासकीय व्यवस्था के अंतर्गत लोक परिवहन भी करना चाहिये. मैं आपको एक सुझाव दे रहा हूं कि जो रूट घाटे के हैं वहां पर लोग परमिट नहीं लेते हैं. पहले जब सड़क परिवहन निगम था, तो वहां पर बसें चला करती थीं. भले ही वह खाली चलें, कम यात्री चलें, घाटे में चलें, लेकिन वह चला करती थीं. आप इस तरह की व्यवस्था करें जिससे ऐसे मार्ग पर जहां पर बहुत ज्यादा यात्री नहीं मिलते हैं, लेकिन लोगों को परिवहन की आवश्यकता तो है, नहीं तो फिर वे टूटे टेम्पों में बैठते हैं और एक्सीडेंट होते हैं.
श्री गोविंद सिंह राजपूत - अध्यक्ष महोदय, नेता प्रतिपक्ष के जो सुझाव हैं, हमारे वचन पत्र में था कि हम ग्रामीण परिवहन नीति को बढ़ावा देंगे और माननीय नेता प्रतिपक्ष से मैं कहना चाहूंगा कि हम नीति बना रहे हैं कि जिन रोडों पर ट्रैफिक है, उनके ही परमिट देंगे, लेकिन साथ-साथ हम यह कहेंगे कि कुछ उस रोड पर भी लें जिसमें आपको लॉस न हो, कम लॉस हो, लेकिन आपको बस वहां चलानी पड़ेगी. यह व्यवस्था हमने की है.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, यह स्वागत योग्य है. यदि आप ऐसी नीति बना देंगे कि कोई बड़ा आपरेटर है, उसकी 10 बसें हैं, तो कम से कम दो बसें ऐसी रूट पर चलायेगा जहां पर बहुत ज्यादा मुनाफा न हो.
अध्यक्ष महोदय - चलिये, आप दोनों को धन्यवाद.
श्री गोविंद सिंह राजपूत - अध्यक्ष महोदय, दो मिनट. बहुस सारा है, लेकिन मैं आखिरी बात बोल देता हूं. मध्यप्रदेश में 52 जिले हैं. सारे 52 जिलों में हम एयर कंडीशन वॉल्बो बस चलाने की शुरुआत करने वाले हैं, जिसमें दो जिले हमने चिह्नित कर लिये हैं. वहां अगले महीने से पायलट कार्य योजना के रूप में चालू हो जायेंगी. वह है सागर और छिंदवाड़ा. सारे मध्यप्रदेश के 52 जिलों में आने वाले महीनों में यह सेवा शुरू हो जायेगी.
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी, सागर और छिंदवाड़ा के बीच में नरसिंहपुर भी आता है.
श्री गोविंद सिंह राजपूत - अध्यक्ष महोदय, व्हाया नरसिंहपुर निकलेंगे.
अध्यक्ष महोदय - नहीं, व्हाया क्यों निकलेंगे ? बीच में से निकलेंगे.
श्री गोविंद सिंह राजपूत - अध्यक्ष महोदय, 52 जिलों में पहली बार है, जो आधुनिक बसें हैं, वॉल्बो हाईटेक, जो आप सारे लोगों को ले जायेंगी, ताकि मध्यप्रदेश में यातायात परिवहन की दृष्टि से लोगों को लगे कि वह बस में जा रहे हैं या बस के ऊपर प्लेन में बैठकर जा रहे हैं. यह सुविधा भी हमारा विभाग आपको जल्दी देने वाला है. अध्यक्ष महोदय, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री रामलाल मालवीय (घट्टिया) - अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी मैंने अपने यहां नवीन तहसील भैरोगढ़ का गठन करने के लिये आपसे निवेदन किया था. उज्जैन एक धार्मिक नगरी है. अत: वहां भैरोगढ़ नवीन तहसील गठित की जावे.
श्री गोविंद सिंह राजपूत - अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो सुझाव दिया है, उस सुझाव पर जल्दी हम विचार करेंगे और आपका काम पूरा करेंगे.
श्री रामलाल मालवीय - अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी, ट्रेक्टर-ट्रॉलियों के आप रजिस्ट्रेशन करते हैं, लेकिन ट्रेक्टर-ट्रॉलियों के निर्माताओं को रजिस्ट्रेशन करने के पहले आरटीओ द्वारा उनको हिदायत दी जाये कि अगर वह रीफ्लेक्टर वाले ...
श्री गोविंद सिंह राजपूत - अध्यक्ष महोदय, मैं बीच में क्षमा चाहता हूं, चूंकि आपका आदेश इतना जल्दी होता है कि बहुत सारी चीजें मैं बोल नहीं पाया. मैं आपकी भावनाओं से न केवल सहमत हूं बल्कि आपका आदेश सर ऑंखों पर. मैं जानता हूं मानवीय दृष्टि से कि बहुत सारे एक्सीडेंट मैंने देखे हैं कि जो ट्रेक्टर-ट्रॉली में रेडियम नहीं लगा होता है, उसके चक्कर में कई मोटरसाइकिलें, जीप से अधिकांश एक्सीडेंट हर शहर में होते हैं. मैंने निर्देश जारी किये हैं और जल्दी से जल्दी हमारा विभाग सारे मध्यप्रदेश के, इसमें समय लगेगा, हमको व्यवस्था करनी पड़ेगी, पर हम इस दिशा में न केवल सोच रहे हैं बल्कि जल्दी कदम उठा रहे हैं कि हर ट्रॉली के पीछे वह रेडियम पट्टा चिपक जाये ताकि उसके रीफ्लेक्शन से हमारे एक्सीडेंट कम हों.
श्री अजय विश्नोई - अध्यक्ष महोदय, उसके अकेले से काम नहीं चलेगा मंत्री जी, वह जो रीफ्लेक्टर का ट्राइंगल वाला बनता है न, ट्राइंगल लगवाइये.
अध्यक्ष महोदय - विश्नोई जी, मैं अनुरोध दूसरा कर रहा था. सिर्फ रेडियम की पट्टी नहीं, वह तो निकल जाते हैं. जो ट्रकों के पीछे गोल वाले आते थे, जिसमें रेडियम इनबिल्ट रहता था और उसको स्क्रू से कस दिया जाता था, मंत्री जी, वह लंबे समय चलते हैं. मैं उस व्यवस्था की कह रहा हूं. आप ट्रॉली का रजिस्ट्रेशन करिये, लेकिन उसके पहले आपके आरटीओ का कर्मचारी चेक कर ले कि वह चीज लगी है, तभी आप उसको लायसेंस दें, ऐसी मेरी सोच है.
मैं पहले कटौती प्रस्तावों पर मत लूंगा.
प्रश्न यह है कि मांग संख्या 8, 9, 36 एवं 58 पर प्रस्तुत कटौती प्रस्ताव स्वीकृत किये जाएं ?
कटौती प्रस्ताव अस्वीकृत हुए.
अब मैं मांगों पर मत लूंगा.
मांग संख्या 14 पशुपालन
मांग संख्या 16 मछुआ कल्याण तथा मत्स्य विकास.
पशुपालन मंत्री (श्री लाखन सिंह यादव)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
अध्यक्ष महोदय-- उपस्थित सदस्यों के कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए. अब मांगों और कटौती प्रस्तावों पर एक साथ चर्चा शुरू होगी.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा(जावद)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 14 के कटौती प्रस्ताव के पक्ष में एवं मांग के विरोध में अपना वक्तव्य देने के लिए खड़ा हुआ हूँ. मैं पहले थोड़ा सा कुछ महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर ध्यान दिलाना चाहता हूँ. यह सच है कि 130 करोड़ रुपये का आपने गायों के लिए, गौशालाओं के लिए, प्रावधान किया. लेकिन साथ ही इस विषय पर कहीं चर्चा नहीं आई कि कहाँ से वह, कितनी जगह, कैसे करेंगे. पहले बोला हर पंचायत में फिर बात आ गई, हर विकासखण्ड में, ये कम करना और इसके पीछे क्या कारण हैं, उस पर मैं बाद में आऊँगा. मैं आपको धन्यवाद सिर्फ इस बात के लिए देता हूँ कि भले ही देर से सोचना शुरू किया, पशुधन के लिए सोचना शुरू किया. कोई जमाना था, मैंने बचपन में सुना था, मेरे दादाजी कहते थे कि किसी व्यक्ति का आंकलन, उसके परिवार में कितना पशुधन है उससे उसके परिवार का आंकलन होता था. एक समय वह भी था जब 2003 में भाजपा की सरकार आई तो मात्र 197 ग्राम प्रति व्यक्ति आपके मध्यप्रदेश में दूध का उत्पादन होता था. आज हम 505 ग्राम तक लेकर आए हैं, पिछले 15 वर्षों में. लेकिन अभी यह बहुत ही दूर है क्योंकि अगर मैं बात करूँ पंजाब की, तो पंजाब में अभी भी प्रति व्यक्ति 962 ग्राम दूध का उत्पादन है. अगर मैं बात करूँ हरियाणा की तो वहाँ 632 ग्राम है. हम अभी उससे बहुत पीछे हैं. अगर मैं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बात करूँ तो न्यूज़ीलैण्ड में 1 किलो 200 ग्राम प्रति व्यक्ति के हिसाब से दूध का उत्पादन है. अगर मैं जापान की बात करूँ जहाँ बहुत कम पशु हैं, अगर मैं वहाँ की बात करूँ तो वहाँ पर भी 450 ग्राम से ज्यादा प्रति व्यक्ति दूध का आंकलन है. उन्होंने इस दूध की कमी के लिए सोयाबीन से टोफू के माध्यम से उस सोयाबीन को हमारे यहाँ तो हम पका कर सिर्फ तेल निकालने के लिए ज्यादा उपयोग करते हैं. उन्होंने कच्चे सोयाबीन से दूध और कई प्रोटीन, हाईएस्ट प्रोटीन के कारण उसको बनाकर देखा. यहाँ मैं आपका विरोध इसलिए करने के लिए खड़ा हुआ हूँ कि आपने इसमें कहीं हमें यह नहीं बताया कि आप कैसे और क्या भविष्य की कौनसी योजना से कैसे करेंगे? आपको विरासत में सेक्स सीमन लैब आपको तैयार मिली. आपको भ्रूण तैयार करके दिया. मैंने आपके बजट का पूरा एक एक वाक्य पढ़ा. अध्यक्ष महोदय, कहीं पर भी हम अगर इन गौशालाओं को पुरानी अनुपयोगी गायों को, अगर हम एज़ कैरियर के रूप में यूज़ करें क्योंकि सेक्स सीमन से पशु का केवल वन पार्ट आफ हैल्थ सुधरेगा. लेकिन अगर हम भ्रूण का प्रत्यारोपण करके कैरियर के रूप में अगर उन गायों का उपयोग करेंगे तो कहीं न कहीं हमारी नस्ल सुधार में बहुत बड़ा परिवर्तन आएगा. अगर नस्ल सुधार ठीक होगी, आउटपुट बढ़ेगा तो ही प्रदेश स्वस्थ रहेगा. जैसे शिक्षा, टेक्नालॉजी, ये मूलभूत विषय हैं, उससे भी ज्यादा मूलभूत विषय दूध है. मैं उस बात पर चर्चा करके अपना समय बर्बाद नहीं करना चाहता हूँ कि कहाँ दूध मिलावटी है, कहाँ उसकी क्वालिटी के बारे में आपके पास स्टेंडर्रायजेशन के लिए क्या पैटर्न है, कहाँ आपने लैब लगाकर क्या किया. मैं सिर्फ यह बात करना चाहता हूँ कि क्या हम इन आने वाली जो आप गौशालाएँ बना रहे हैं इनको कमर्शियल वायबल बनाने के लिए क्या इस दिशा में सोच सकते हैं? कि वहाँ पर जो अनुपयोगी गाएँ हैं उनको कैरियर के रूप में यूज़ करके उनसे प्रोडक्शन बढाएँ. अच्छी नस्ल की गाएँ करें और यह दुनिया में हो रहा है. मैं उस इतिहास में थोड़ा सा और ध्यान दिलाना चाहता हूँ. मात्र पाँच सौ गिर नस्ल की गाएँ शुरू में ब्राज़ील को गई थीं, मात्र पाँच सौ, एक गई थी बड़ौदा से और दूसरी गई थी राजकोट से, मतलब कुछ कुछ, इन दो स्थानों से गाएँ गईं और 50-100 साल का कुल कार्यकाल है....
3.11 बजे
अध्यक्षीय व्यवस्था.
सदन में किसी भी वक्ता द्वारा भाषण दिए जाने के दौरान उनके सम्मुख से सिर झुकाकर निकलने संबंधी.
अध्यक्ष महोदय-- (माननीय सदस्य श्री सुनील जी सराफ द्वारा श्री ओमप्रकाश जी सखलेचा के समक्ष से निकलने पर) सुनील सराफ जी, ध्यान रखिए जब कोई वक्ता बोलें उनके सामने से आप निकल रहे हैं तो अपना सिर नीचे झुका लीजिए ताकि बोलने वाले और सुनने वाले के बीच में आप न आएँ. यह एक परंपरा पहले से है, ध्यान रखिए.
श्री सुनील सराफ-- अध्यक्ष महोदय, जी हाँ.
3.12 बजे
{सभापति महोदय (श्री बिसाहूलाल सिंह)पीठासीन हुए.}
श्री ओमप्रकाश सखलेचा-- माननीय सभापति महोदय, मैं बता रहा था उन्होंने पाँच सौ गायों से कैसे इतना उत्पादन बढ़ाया. आज वहाँ से आप करोड़ों का बैल खरीद रहे हैं. क्यों न हम खुद कर सकते हैं. हमारे प्रदेश में क्या कमी है. हम क्यों न आर.एंड डी. पर, मैं आपका बजट देख रहा था तो मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ कि आपके बजट में तनख्वाहें कम करने जैसे विषय पर भी फण्ड में बहुत कटौती की हुई है. अगर मैं आपकी बात देखूँ तो आपने वेजेस कम करने के लिए प्रावधान किया हुआ है. इसमें कई हेड में आपने कटौती की हुई है. सभापति महोदय, पशुधन विकास आपका हेड नंबर 106, आपका पिछले साल 19 करोड़ 64 लाख था, आपने 13 करोड़ 38 लाख कर दिया. चारा तथा चारागाह विकास का 13 करोड़ 70 लाख था, आपने उसे कम करके 11 करोड़ कर दिया. आपके विस्तार प्रशिक्षण में 32 करोड़ 28 लाख था, उसे 19 करोड़ 13 लाख कर दिया. स्टाफ की कमी में आपने दूध उत्पादन एवं अधोसंरचना 451 करोड़ था उसे कम करके 195 करोड़ कर दिया. मेरी समझ में नहीं आ रहा, आप स्टाफ की कमी कर रहे हैं, वहाँ डॉक्टर्स की कमी है, उसके बारे में आप नहीं सोच पा रहे हैं. आपके पास अन्य स्टाफ की कमी है अगर मैं ए.व्ही.एफ.ओ. की बात करूँ हर जगह, हर गाँव में, इसकी समस्या है उनको बढ़ाने के बजाय कम करने का मैंने अपने जीवन में पहली बार बजट देखा है. आप क्या चाहते हैं? सरकार क्या चाहती है? सिर्फ राजनीतिक वाक्य का उपयोग करने के लिए कि हम गौशालाएँ खोलेंगे वहाँ से स्टाफ हटा देंगे, हम वहाँ पर गौसेवकों को हटा देंगे. ए.व्ही.एफ.ओ. को हटा देंगे. डॉक्टर्स को हटा देंगे. हम एंबुलेंस की व्यवस्था नहीं करेंगे. हम सब बस सिर्फ गौ सेवा के लिए नाम डाल कर हम उसे खोलने का प्रयोग करेंगे.
सभापति महोदय-- माननीय सखलेचा जी, आपके दल को 26 मिनिट हैं और काँग्रेस वालों को 23 मिनिट और आपके यहाँ 8 सदस्यों को बोलना है इसलिए निवेदन है कि समय का ध्यान रखें.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा--सभापति महोदय, आप जब बोल देंगे मैं उसी क्षण बैठ जाउंगा. मेरी एक आदत है जब बोलते हैं मैं बैठ जाता हूँ. अगर आपको लगता है कि मैं कोई उपयोगी बात कर रहा हूँ.
सभापति महोदय--आप उपयोगी बात कर रहे हैं. आपके दल से आठ लोगों को बोलना है.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा--सभापति महोदय, मुझे एक बात बोल लेने दीजिएगा. अगर आप यह समझते हैं कि प्रदेश के हित के लिए यह सब अलग-अलग दृष्टिकोण माननीय मंत्री जी और सरकार के ध्यान में आए जिससे वे चिन्तन करके प्रदेश को सुधारना चाहें तो उसमें उनको मौका रहे, तो आप समय दीजिए. अगर आपको लगता है कि हमें ग्रामीण विकास में, पशुधन में विकास नहीं करना है, हमें कुछ नहीं करना तो आप बोल दीजिए हम बैठ जाएंगे.
सभापति महोदय--बैठने की बात नहीं है, आप अपने सुझाव लिखित में भी दे सकते हैं क्योंकि 8 सदस्यों को और बोलना है, आपके दल को 26 मिनट मिले हैं.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा--माननीय सभापति महोदय, लिखकर देने के लिए जावद से 450 किलोमीटर दूर से चलकर यहां आकर इस सदन में चार घंटे बैठकर अपने समय का इंतजार करने के लिए हम नहीं आते हैं. हमें बड़े दुख के साथ यह कहना पड़ रहा है कि यह जो समय की सीमा है अगर पहले वक्ता के लिए भी आप रखेंगे तो आप बंद कर दीजिए मुझे कोई तकलीफ नहीं है. आप जब इशारा करेंगे मैं बैठ जाऊंगा.
श्री लक्ष्मण सिंह--समय की सीमा सब के लिए है, आपके सदस्यों के लिए भी हमारे सदस्यों के लिए भी है.
सभापति महोदय--आप दो मिनट में अपनी बात रख दें.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा-- दो मिनट बोला है, मैं दो मिनट में अपनी बात समाप्त करने की कोशिश करूंगा. अनुसंधान व तकनीक को साथ मिलाकर एक जिले में हम एक गौशाला ऐसी बना सकें जिसमें सभी साधन, तकनीक का उपयोग हो सके. क्या हम इस बारे में विचार कर सकते हैं. क्या हम इस विषय में सोच सकते हैं.
श्री लक्ष्मण सिंह--सभापति जी आपने व्यवस्था दे दी है. संसदीय प्रणाली में एक व्यवस्था है कि समय की कमी के कारण यदि कोई सदस्य अपना भाषण पूरा न कर पाए तो शेष भाषण वह पटल पर रख सकता है. माननीय से निवेदन है कि आप शेष भाषण पटल पर रख दीजिए और भी सदस्य हैं बोलने वाले.
सभापति महोदय--अब आप समाप्त करिए.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा--माननीय सभापति जी धन्यवाद. आपकी राजनीति की योजना का आप राजनैतिक फायदा लें देश के ग्रामीण, पशुपालकों, ग्राम में पशुओं का जो भी ट्रेंड स्टाफ है, डॉक्टरों को भर्ती न करना चाहें मत करिए, शासन आपका है. हमारा काम सिर्फ सुझाव देना था. हमने अपना सुझाव रख दिया. आपने समय दिया उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद. मुझे यह भी बताया गया था कि प्रथम वक्ता को 15 मिनट का समय दिया जाएगा उसका आपने हमें मौका नहीं दिया इस बात के दुख के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूँ.
श्री लक्ष्मण सिंह (चाचौड़ा)--माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 14 एवं 16 का समर्थन करता हूँ. उन हजारों, लाखों, करोड़ों पशु पालकों को
हाथ जोड़कर प्रणाम करता हूँ जिनके प्रयास से आज मध्यप्रदेश देश में दुग्ध उत्पादन में तीसरे स्थान पर है. 14.71 मिलियन टन दुग्ध का उत्पादन हमारे पशु पालक कर रहे हैं. प्रदेश की 70 प्रतिशत आबादी पशु पालन के कार्य में संलग्न है. विशेषकर महिलाएं इस कार्य में ज्यादा संलग्न हैं. महिलाओं के समूह बहुत अच्छा काम कर रहे हैं उनको सहायता की आवश्यकता है. समर्थन के साथ-साथ कुछ सुझाव भी देना चाहूँगा. माननीय मंत्री जी मेरे सामने दो प्रतिवेदन हैं जो आपने पटल पर रखे हैं. एक प्रशासनिक प्रतिवेदन है जो लगभग 70 पेज का है और एक प्रतिवेदन हितग्राहीमूलक योजनाओं का है जो केवल 13 पेज का है. इसमें परिवर्तन लाना होगा. प्रशासनिक व्यय कम करिए और हितग्राहीमूलक योजनाओं को ज्यादा चलाने की आवश्यकता है. अभी परसों मुख्यमंत्री जी ने बड़ी अच्छी बात कही कि हम विजन की बात करें और आंकड़ों की कम करें.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा--मैं भी शायद विजन की ही बात कर रहा था.
श्री लक्ष्मण सिंह--मैं भी विजन की बात कर रहा हूँ, आप ही की बात आगे ले जा रहा हूँ. उन्होंने विजन की बात कही, ऐसे मुख्यमंत्री को आप लोग धमकाते हैं और इन गीदड़ भपकियों से डरने वाला कौन है. कमलनाथ जी तो छोड़िए कई चुनौतियाँ उनके सामने आई हैं वे कभी डरे नहीं हैं. कांग्रेस का एक कार्यकर्ता तक आपकी इन धमकियों से नहीं डरता है. (मेजों की थपथपाहट) मैं आशा करता हूँ कि प्रदेश में एक स्वच्छ राजनीतिक वातावरण बनाने के लिए आइए हम सब मिलकर इन बातों से ऊपर उठकर काम करें तो बहुत अच्छा होगा. मैं उनसे अनुरोध करूंगा और मंत्री जी आपसे भी कहूंगा कि इस क्षेत्र में प्रायवेट इनवेस्टमेंट लाइए, कॉर्पोरेट से कहिए कि वे इसमें इनवेस्ट करें. यह क्षेत्र ऐसा है कि इसमें यदि हमने अच्छा काम किया तो बहुत सारी बेरोजगारी की समस्या, गांव से रोजगार के लिए जो पलायन होता है उसे हम रोक पाएंगे. प्रदेश में केवल तीन सरकारी वेटनरी कॉलेज हैं और मांग बहुत ज्यादा है. वेटनरी डॉक्टर्स की कमी की वजह से संक्रमण के रोग फैल रहे हैं बहुत सारे पशुओं की मौत हो रही है. इसलिए इस क्षेत्र में वेटनरी कॉलेज खोलने की संख्या बढ़ाएं. कार्पोरेट सेक्टर केवल 9 प्रतिशत रोजगार देता है. बाकी क्षेत्र जैसे कृषि, पशु पालन, लघु उद्योग, मध्यम उद्योग लगभग 85-90 प्रतिशत रोजगार देते हैं. मध्यप्रदेश का बड़ा अनूठा उदाहरण मैं आपको बताता हूँ. ब्यावरा तहसील के एक व्यापारी हैं अग्रवाल जी वे आज से कुछ वर्ष पहले जब में राजगढ़ का सांसद था तब वे वहां का सारा दूध इकट्ठा करके थैली में भरकर उनकी छोटी सी दुकान में बेचा करते थे, शायद प्रियव्रत को मालूम होगा. यहां से आप सीहोर जाइए तो रास्ते में उनका कारखाना है आज इस व्यक्ति ने अपने दम पर 100 करोड़ रुपए या 70 करोड़ रुपए का पूंजी निवेश करके दूध का प्रोसेसिंग प्लांट लगाया. वे 2 लाख लीटर दूध रोज खरीदते हैं यहां तो मिलता नहीं है गुजरात से दूध आता है. यहाँ प्रोसेसिंग करते हैं और एक्सपोर्ट करते हैं. जब एक ब्यावरा का व्यवसायी यह कर सकता है तो हमारी सरकार क्यों नहीं कर सकती है. इसको करने के लिए निजी क्षेत्र में आप इनवेस्टमेंट लाइए. अधिकतर डेयरियां सहकारी क्षेत्र में हैं इस क्षेत्र में आप क्रांति लाने का प्रयास करिए, संभव हुआ है. आनंद डेयरी क्या है, गुजरात ने किया है, अन्य प्रदेश भी कर रहे हैं. इस क्षेत्र में हमें बहुत कुछ करने की आवश्यकता है. महिला स्व-सहायता समूह हैं इनको ऋण देने की व्यवस्था करना पड़ेगी इनको ऋण नहीं मिलता है. आपकी योजना है पशु पालन के लिए 10 लाख रुपए ऋण देते हैं लेकिन उसके लिए बैंक के चक्कर लगा-लगाकर किसान परेशान हो जाते हैं और उनको ऋण नहीं मिल पाता है. इसकी व्यवस्था हो फिर शेड की व्यवस्था कीजिए.
सभापति महोदय--थोड़ा संक्षेप में अपनी बात रखिए 23 मिनट है अपने दल के लिए.
श्री अजय विश्नोई--आप आसंदी पर बैठे हैं अपना दल मत कहिए.
सभापति महोदय--अपने दल नहीं इनके दल की बात कर रहा हूँ.
श्री लक्ष्मण सिंह--सभापति महोदय, जो शेड बनाने की व्यवस्था है वह सरकार बनाकर पशु पालकों को दे रही है ऐसी योजना है मैंने सुना है.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा--पहले दे रहे थे मैंने बनवाया है अब बंद कर दिया गया है.
श्री लक्ष्मण सिंह--सभापति महोदय, मैं विजन की बात कर रहा हूँ. अभी मैंने बाजार में एक घी देखा जो कि गीर गाय के दूध से बना हुआ है उसका भाव 2800 रुपए किलो था. उसकी पैकिंग बहुत अच्छे से की गई थी, गुजरात का व्यवसायी है. यह बिक रहा है इसकी इतनी मांग है कि वह उसकी पूर्ति नहीं कर पा रहा है. जैसे अपने बजट में मंत्री जी ब्रांडेड बातों का उल्लेख किया है. ब्रांडेड घी इससे किसानों को बहुत लाभ होगा. मछली पालन के संबंध में कहना चाहता हूँ.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा--मैं एक छोटी सी बात इसमें जोड़ देना चाहता हूँ.
श्री लक्ष्मण सिंह--अरे मछली पालन आपके मतलब का नहीं है हमारे मतलब का है.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा--आप ही की बात कर रहा हूँ. मिल्क की बात कर लीजिए.
श्री लक्ष्मण सिंह--सखलेचा जी आपके मतलब का नहीं है इससे बहुत गरीब जनता जुड़ी है.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा--पे-टू-मिल्क के बारे में भी बात हो.
श्री लक्ष्मण सिंह-- मछलीपालन में तालाबों पर से आपको अतिक्रमण हटाना होगा. अतिक्रमण इतने हो गए हैं कि मछली पालन प्रभावित हो रहा है. नीति आयोग ने एक रिपोर्ट दी है कि लगभग दस लाख तालाब देश में सूख गए हैं या उन पर अतिक्रमण हो चुका है. आप इन पर से कब्जे हटाइए. इसमें सिंघाडे़ की खेती हो, मछली पालन हो, क्योंकि इससे हम गरीब तबके को बहुत बड़ा रोजगार दे सकते है. मछली के ठेकेदारों को भगाईये. यह सारी गुण्डागर्दी मछली के ठेकेदार करते हैं. कहना तो बहुत कुछ बाकी हैं मैं लिखकर दे दूंगा. आपने बोलने के लिए समय दिया बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री अजय विश्नोई (पाटन)-- सभापति महोदय, मैं बहुत संक्षेप में कुछ बाते रखना चाहता हूं क्योंकि मुझे भी कुछ दिनों इस विभाग को चलाने का अवसर मिला था. उस दौरान मैंने जो कुछ किया था वह बताते हुए और आगे माननीय मंत्री जी को कुछ सुझाव देते हुए मैं अपनी बात को संक्षेप में रखने का प्रयास करूंगा. अक्सर पशुपालन और मछलीपालन बहुत छोटा और उपेक्षित विभाग मान लिया जाता है पर यदि काम किया जाए तो उसमें काम करने की बहुत गुंजाइश है. मैं आपको साधुवाद देना चाहता हूं कि आपने उसकी शुरूवात अच्छे तौर पर की है. आपने जो एक हजार गौशालाओं की कल्पना की है वह अपने आप में साधुवाद के योग्य है. उनके चारे के लिए आपने 132 करोड़ रुपए की व्यवस्था भी की है परंतु अभी गायें नहीं आईं हैं तो चारा कौन खाएगा. वह 132 करोड़ रुपए कब काम में आएंगे यह पता नहीं परंतु इसके निर्माण के लिए मनरेगा के माध्यम से जो आपने 30-30 लाख रुपए की व्यवस्था रखी है उस पर आप जरूर एक बार पुनर्विचार कर लीजिएगा कि मनरेगा के अंतर्गत कुछ प्रतिबंध हैं 80-20 के और हम 80-20 के प्रतिबंध के अंदर उसके शेड कैसे बनाएंगे, उसकी फैंसिंग कैसे बनाएंगे, पानी की व्यवस्था कैसे करेंगे, रोशनी की व्यवस्था कैसे करेंगे, हो सके तो एक प्रयोग था उसमें सौर ऊर्जा के माध्यम से रोशनी और सौर ऊर्जा के माध्यम से वॉटर पम्प चलाने की व्यवस्था का भी प्रावधान कहीं न कहीं उसमें आप जोडे़ंगे या शुरू के जो 132 करोड़ रुपए जो कि अभी जब तक कि कोई चारा खाने वाल नहीं है वहां डायवर्ट करेंगे तो वास्तव में वह गौशालाएं अपना रूप ले लेंगी. गौशाला के संदर्भ में मेरा एक और छोटा सा निवेदन है कि छतरपुर में एक गौशाला चल रही है जो वहां के गांववासियों के सहयोग से चल रही है. एक बहुत ही सुंदर मॉडल बना है जो कि हमारे एक पुराने मित्र ने बनाया है. कभी आप समय देंगे तो हम आपके साथ चलने के लिए भी तैयार हैं. आप वह मॉडल देखकर आएंगे तो शायद एक हजार गौशालाएं जो स्वरूप लेने वाली हैं उसमें जनसहयोग जुड़ पाएगा उसकी चिंता करें. मैंने पांच साल के छोटे से समय में जो काम किया था उसमें हमने सभी जिलों में एम्बुलेंस की व्यवस्था की थी जो कि पहले नहीं थी. 500 पशु औषधालय खोले थे और 500 पशु औषधालयों का उन्नयन करके उनको हमने पशु चिकित्सालय बना दिया था. प्रत्येक ग्राम पंचायत में पशु उपचार केन्द्र बनाया था.
3:28 बजे उपाध्यक्ष महोदया (सुश्री हिना लिखीराम कावरे) पीठासीन हुईं.
कुछ ग्राम पंचायत छूट गई हों तो आप उनकी चिंता कर लेना. आप चाहें तो उसका विस्तार करके उसको नीचे हर गांव तक ले जा सकते हैं. बहुत कम लगभग 20 से 30 हजार के खर्चे में वह पशु उपचारा केन्द्र डेव्हलप हो जाता है. अपने यहां क्लास वन के पद बहुत कम थे. हमने 60 पदों को बढ़ाकर 204 पद कर दिए थे जिसके कारण आज की तारीख में दो, चार,पांच डिप्टी कलेक्टर आपको दिख रहे हैं. हमने भोपाल का राज्य पशु औषधालय का सुदृढ़ीकरण उसी समय किया था. हमने प्रत्येक जिला अस्पताल में ऑपरेशन थियेटर, एक्सरे मशीन, सोनोग्राफी मशीन की व्यवस्था की थी और इस बात की चिंता की थी जिला अस्पताल में कम से कम एक मेडीसिन का स्पेशलिस्ट, एक सर्जरी का स्पेशलिस्ट और एक गायनिक का स्पेशलिस्ट पदस्थ रहे. अभी आपने जो थोक में ट्रांसफर किए हैं उसमें सारी व्यवस्था बिगड़ गई है आप ध्यान दें कि कम से कम जिला अस्पताल की यह व्यवस्था बनी रहे. यदि आप यह करेंगे तो निश्चित रूप से जिला अस्पताल की उपयोगिता बनी रहेगी. मैंने कुछ चलित पशु औषधालय भी चालू किए थे. उनको आप व्यवस्थित कीजिए. वह बहुत अच्छी स्थिति में नहीं चल रहे हैं उनकी संख्या बढ़ाने की कोशिश कीजिए ताकि दूर दूरस्थ स्थान तक हम पशु चिकित्सकों की व्यवस्था कर सकें. पशु चिकित्सकों के पदों को भी हमने तीन स्तर प्रदान किया था. इसी प्रकार से ए.वी.एफ.ओ. सबसे उपेक्षित वर्ग था. उसके प्रमोशन्स नहीं होते थे. क्योंकि उसका शिक्षण कोई विशेष नहीं हुआ करता था. उस दौरान हमने ए.वी.एफ.ओ. के प्रशिक्षण के लिए पांच डिप्लोमा कॉलेज मध्यप्रदेश के अंदर प्रारंभ किए थे उसमें अनेकों छात्रों ने प्रशिक्षण लिया और मुझे यह बताते हुए खुशी है कि वह ए.वी.एफ.ओ. के लिए डिप्लोमा कॉलेज थे उसमें इंजीनियरिंग, गेज्यूएट और बी.एस.सी. वालों ने भी जाकर प्रवेश लिया और आज वह ए.वी.एफ.ओ. के रूप में शासकीय नौकरी पाकर अपने आपको धन्य मान रहे हैं. ऐसे बहुत से प्रशिक्षित ए.वी.एफ.ओ. आज की तारीख में घूम रहे हैं. हमने उनके भी चार स्तर बनाए थे.
उपाध्यक्ष महोदया, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी का ध्यानाकर्षित करना चाहता हूं कि आज बहुत से पशु औषधालयों में पशु चिकित्सकों के पद रिक्त हैं. बहुत जगह पशु ए.वी.एफ.ओ. के पद रिक्त हैं और हमारे पास इसकी समुचित संख्या है. वेटनरी डॉक्टर की भी समुचित संख्या है और डिप्लोमा होल्डर की भी समुचित संख्या है. कृपया आप उनकी भर्ती शुरू कराइए ताकि उनको नौकरी मिल सके, आपका वचन पत्र पूरा हो सके और उनको प्रॉपर जॉब दे पाएं. आज जबलपुर में जो वेटनरी विश्वविद्यायल प्रारंभ है वह खोलने का सौभाग्य भी मुझे ही मिला था. सुसनेर में 10 हजार गायों के लिए अभ्यारण्य खोला वह भी मेरे ही कार्यकाल के दौरान बना था. बैक यार्ड पोल्ट्री को हमने मजबूत किया था, आचार्य विद्यासागर योजना को मजबूत किया था, आज जो ब्लॉक स्तर पर गोपाल पुरस्कार योजना ज्यादा पॉपुलर हो गई है वह भी मेरे ही समय पर प्रारंभ हुई थी. अभी सेक्स सीमन लैब की चर्चा आई सेक्स सीमन लैब की कल्पना मेरी थी उसका भूमिपूजन भी हम करके गए थे और इस विषय पर सदन को बताना भी जरूरी है क्योंकि कहीं भी कन्फ्यूजन हो जाता है. सेक्स सीमन का अर्थ यह है कि सीमन को सेक्स सूड से अलग कर लिया जाए, आएडेंटीफाइड कर लिया जाए कि इस सेक्स से बछिया ही पैदा होगी बछडा़ पैदा नहीं होगा क्योंकि आजकल बछड़े की अनुपयोगिता घट गई है और बछिया की डिमाण्ड बढ़ गई है. इसके कारण हमने उस लाइन पर शुरूआत की थी खुशी की बात है कि आज वह लैब हमारे यहां काम करने लग गई है. मैं आपको बताना चाहता हूं मै परिवार के साथ घूमने के लिए केरल गया था वह सरकारी ट्रिप नहीं थी पर वहां अचानक मेरे का एक जगह पर एक ऐसी चीज दिखी मैंने सोचा चलकर देख लिया जाए कि इसमें क्या है. उसके अंदर जब मैं देखकर आया तो वहां के मैनेजर ने अपने वेटनरी मिनिस्टर को खबर कर दी. वेटनरी मिनिस्टर ने मुझसे संपर्क किया और संपर्क करके अपने घर पर नाशते के लिए बुलाया और फिर मुझे अपनी विधान सभा लेकर गए. विधान सभा के अंदर वहां मेरे साथ कोई अधिकारी, कर्मचारी नहीं था हम दोनों ने बैठकर एक एम.ओ.यू. किया और उस एम.ओ.यू. के कारण आज की तारीख में आपके यहां जो ई.टी.टी. लैब काम कर रही है. जो भ्रूण प्रत्यारोपण लैब है वह उसी का परिणाम है. वह ई.टी.टी. लैब बहुत महत्वपूर्ण है जैसा कि हमारे प्रथम वक्ता उस विषय में बोल रहे थे हम इसके माध्यम से ऐसे उन्नत पशु पैदा कर सकते हैं जिसमें मेल और फीमेल दोनों के उन्नत गुणों वाले बच्चे पैदा हों. 184 से ज्यादा ऐसे पशु आज की तारीख में आ चुके हैं और उनका सीमन अब हम केरल भेज रहे है. हमारे सांड भी बाहर जा रहे हैं. हम पद्धति वहां से लाए पर आज हम उनको एक्सपोर्ट करने की स्थिति में आ गए हैं. प्रोजन सीमन लैब की सुविधा को भी 12 लाख डोज से 25 लाख डोज तक बढ़ाया था. मैं ब्राजील गया था. गिर नस्ल की जो चर्चा हो रही थी माननीय लक्ष्मण जी कर रहे थे. गिर नस्ल की जो उत्पादन क्षमता ब्राजील में देखने को मिली वह अत्यधिक थी. वहां करीब 40, 50 मीटर से कम की गाय नहीं हुआ करती हैं. हमने सोचा कि यहीं से गिर गाय गई और वहां जाकर वैसी हो गई तो इसका क्या किया जाए. हमने उस समय केन्द्रीय सरकार के सामने एक सुझाव रखा था उस समय माननीय शरद पवार जी मंत्री थे. हमने ब्राजील से लौटकर उस विषय को रखा था कि वहां से हम गिर नस्ल का सीमन भी बुलवाएं और साथ में बने बनाए एंब्रियो भी बुलवाएं ताकि उसके माध्यम से हम यहां हिन्दुस्तान में तेजी के साथ प्रगति कर पाएं. आपको बताते हुए खुशी हो रही है समय जरूर लगा लेकिन मोदी सरकार ने उस चीज का एडॉप्ट कर लिया है और आज की तारीख में ब्राजील से एक लाख सीमन के डोज और 10 हजार एंब्रियो को इम्पोर्ट करने का आदेश भारत सरकार ने एम.डी.बी.बी. के माध्यम से दे दिया है. सांची डेरी की चर्चा हुई सोसायटी गठन बहुत महत्वपूर्ण है, महिलाओं के साथ जुड़ा हुआ है. सोसायटियों का गठन मैंने 27 प्रतिशत बढ़ाया था जो संचालित समितियां थी उनकी संख्या भी 40 प्रतिशत बढ़ी थी. ग्रामीण दुग्ध उत्पादकों की संख्या भी दस प्रतिशत बढ़ गई थी. दुग्ध का संकलन 69 प्रतिशत बढ़ा था. सांची का शुद्ध लाभ 225 प्रतिशत तक आ गया था. आंगनवाड़ी और मध्याह्न भोजन में जो आज की तारीख में दुग्ध का चूर्ण जा रहा है उसका पायलट प्रोजेक्ट हमने विदिशा में प्रारंभ किया था. आदरणीय सुषमा जी उस समय वहां की सांसद के रूप में भी थीं उनका भी आग्रह था हम लोगों ने उसकी शुरुआत की थी. मेरा मंत्री जी से आग्रह है कि हो सके तो उसे माध्यमिक शाला तक लेकर जायें और वहां भी दुग्ध का चूर्ण उपलब्ध करवायें. दुग्ध चूर्ण के साथ-साथ आज बच्चों को फैट भी दिलाने की आवश्यकता है. इसलिए मेरा निवेदन है कि सांची डेयरी का घी भी प्राथमिक शालाओं के बच्चों को दिया जाये. इसका लाभ यह हुआ कि हमारे सांची के केंद्र लाभ कमाने लगे. आज की तारीख में हमारे केंद्र केवल ऑपरेटिंग प्रॉफिट ही नहीं अपितु शुद्ध लाभ कमाने लगे हैं. इसे भी हमें आगे बढ़ाने की आवश्यकता है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, कीरतपुर में मुर्रा भैंस की जो शाला है, वह भी हमारे समय ही प्रारंभ करवाई गई थी. वह आज अच्छी चल रही है. आप उसे और आगे बढ़ा सकते हैं. मैं कुछ सुझाव देना चाहता हूं. जिसमें से जिला अस्पताल का सुझाव मैंने आपको दिया कि वहां आप मेडिसिन, सर्जन एवं गायनिक के स्पेशलिस्ट को लेकर आयें. ट्रांसफर की इस आपा-धापी में, वे यहां-वहां चले गए हैं. कृपया उनको वापस लायें. दुग्ध चूर्ण के बारे में मैंने कहा कि हमें बच्चों को दुग्ध चूर्ण देना चाहिए और उसे आगे बढ़ाना चाहिए. इसके संबंध में शेष चीजें मैं अपने भाषण के दौरान कह ही चुका हूं. गौ-शाला का शेड कैसे बनायेंगे, इसकी चर्चा मैं कर चुका हूं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मछलीपालन के संदर्भ में मैं कुछ कहना चाहता हूं. मोदी सरकार देश में बहुत बड़ह नीली-क्रांति लाई है. देश में पहले हरित-क्रांति आई, फिर श्वेत-क्रांति आई और अब नीली-क्रांति की बात की जा रही है. इसमें केंद्र द्वारा बहुत अच्छा बजट दिया गया है. यदि मध्यप्रदेश की सरकार चाहे तो हम उसका बहुत बड़ा हिस्सा अपने लाभ में ले सकते हैं. इस नीली-क्रांति के अंतर्गत जो प्रोजेक्ट मध्यप्रदेश सरकार की ओर से जायेंगे, उनको 100 प्रतिशत तक फण्डिंग मिल सकती है. हम यहां स्व-रोजगार की बात कर रहे थे. स्व-रोजगार के क्षेत्र में निजी उद्यमियों के लिए इसमें बहुत गुंजाईश है. निजी उद्यमियों को इसमें 40 से लेकर 60 प्रतिशत तक की सब्सिडी का लाभ मिल सकता है. उन्हें लाभ दिलाने के दृष्टिकोण से हमें काम करना चाहिए. इसमें कोई भी व्यक्ति, किसी भी वर्ग का व्यक्ति लाभ ले सकता है. ''सबका साथ सबका विकास'' के तहत इसमें किसी जाति का बंधन नहीं है, लिंग का बंधन नहीं है अपितु कई जगह लिंग के आधार पर उन्हें 40 के स्थान पर 60 प्रतिशत सब्सिडी की व्यवस्था इसमें की गई है. 2 हेक्टेयर तक के तालाब बनाने के लिए 40 प्रतिशत की सब्सिडी है. नर्सरी के लिए सब्सिडी है, हैचरी बनायें उसमें भी सब्सिडी है. Recirculationion aqua systems जो कि 50 लाख रूपये तक में बनता है, यदि वह बनाया जाये तो उसमें भी 40 प्रतिशत सब्सिडी है. फिश-फीड-मिल बनाने की शुरूआत हमने की थी. फिश-फीड-मिल, 10-20 लाख रूपये की लागत से भी बन सकता है और 2 करोड़ की लागत से भी बन सकता है. जिसको, जिस स्तर का उद्यम लगाना हो वह फिश-फीड-मिल का कार्य कर सकता है. इसमें लगभग 20-22 रुपये प्रति किलो उत्पादन व्यय आता है और लगभग 32 रुपये प्रति किलो की दर से यह बिकता है. यह एक मुनाफे का रास्ता बेरोजगारों के लिए है. इसमें भी 40 प्रतिशत सब्सिडी भारत सरकार द्वारा तय की गई है. मछली उद्योग में बर्फ की भी जरूरत पड़ती है. लोग बर्फ का प्लांट भी लगा सकते हैं. इसमें भी 1 लाख रुपये प्रति टन पर, हमें सब्सिडी मिल जायेगी. मछली बेचने वाले के लिए हमने दुकानों की शुरूआत करवाई थी. छोटे-छोटे मार्केट हमने पंचायतों के माध्यम से बनवाये थे. अब भारत सरकार ने आपको व्यवस्था दे दी है कि यदि मछली बेचने वाला अपना एयर कंडीशनर युक्त दुकान खोलना चाहे तो 10 लाख रुपये तक की लागत पर, उसे 40 प्रतिशत की सब्सिडी और यदि वह महिला या एस.सी., एस.टी. समुदाय की है तो उसे 60 प्रतिशत सब्सिडी प्राप्त होगी. इन सभी योजनाओं का लाभ हमारे मध्यप्रदेश के लोगों को कैसे मिले, हमें यह देखना होगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, यदि परिवहन करना है तो उसके लिए भी मोदी जी को चिंता थी और उन्होंने कहा कि यदि कोई साइकिल पर परिवहन करता है तो साइकिल खरीदने पर 40 प्रतिशत सब्सिडी, मोटरसाइकिल खरीदता है तो उस पर 40 प्रतिशत सब्सिडी, ऑटो खरीदता है तो 40 प्रतिशत सब्सिडी, लोडिंग वाहन खरीदता है तो भी 40 प्रतिशत सब्सिडी और ट्रैक्टर खरीदता है तो उस पर भी 40 प्रतिशत सब्सिडी उसको दी जायेगी और इसके माध्यम से हम बेरोजगारों को रोजगार की दिशा में ले जा सकते हैं. ऐसा बढि़या प्रयोजन और ऐसी व्यवस्था आज की तारीख में मछली पालन विभाग को माननीय मोदी जी के द्वारा भारत सरकार की ओर से मिली है. मैं समझता हूं कि इसका लाभ हमारे प्रदेश के लोग अवश्य लेंगे.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, केच कल्चर की शुरूआत हमने उस समय मध्यप्रदेश के ओंकारेश्वर एवं गांधीसागर में की थी. उस समय मैंने 150 केच डाले थे जो कि आज 660 हो गए हैं माननीय मोदी जी ने अपनी नीली-क्रांति की योजना में इसे भी शामिल किया है. हमने उसी समय और एक चीज की शुरूआत की थी, वह था-प्रॉन. माननीय उपाध्यक्ष महोदया आप बालाघाट की हैं और आप प्रॉन की कीमत ज्यादा अच्छे से समझती हैं. हमने इन्हें बड़े डेमों में डाला था परंतु बड़े डेमों में डालने के बाद उसकी फिशिंग को लेकर कुछ दिक्कतें समाने आयीं क्योंकि उसकी फिशिंग जुलाई में होती है. जिस समय हम मछली की फिशिंग को मना कर देते हैं. यह बस एक थोड़ा सा तकनीकी मुद्दा है जिससे मछली भी नहीं निकलेगी और प्रॉन निकल आयेगा. जुलाई में ऐसी व्यवस्थायें हो सकती हैं. मंत्री जी, यदि इसकी ओर भी ध्यान देंगे तो एक बड़ा उत्पादन एवं प्रोटीन का स्त्रोत हमें प्राप्त हो जायेगा. जिससे हमें आय का एक और साधन मिलेगा. इन्हीं छोटे-छोटे सुझावों के साथ मैं अपनी वाणी को विराम देना चाहूंगा. आपने समय और ध्यान दिया, इसके लिए धन्यवाद.
श्री दिलीप सिंह गुर्जर- (अनुपस्थित)
श्री हरदीपसिंह डंग- (अनुपस्थित)
श्री विनय सक्सेना (जबलपुर-उत्तर)- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं मांग संख्या 14 एवं 16, पशुपालन एवं मछुआ कल्याण तथा मत्स्य विकास के समर्थन में यहां खड़ा हुआ हूं. मुझे खुशी है कि माननीय कमलनाथ जी की सरकार ने, मंत्री श्री लाखन सिंह यादव जी ने एक बहुत बड़ा काम किया है और गौ-शाला के लिए एवं साथ ही साथ पशु संवर्द्धन के लिए 132 करोड़ रूपये दिए हैं. हमारे आदरणीय अजय भईया ने इस पर भी प्रश्न चिन्ह लगाये कि चारा कौन खा जायेगा ? मैं देखता हूं कि सरकार बजट में जिन भी महत्वपूर्ण मदों में पैसा रखती है तो पहले खिलाने के बजाय खाने की चिंता होने लगती है लेकिन यह कांग्रेस की सरकार है न कोई चारा खायेगा और न किसी को खाने दिया जायेगा. आदरणीय अजय भईया का योगदान लाखन भईया और कांग्रेस सरकार को हमेशा मिलता रहेगा, ऐसी हमें उम्मीद है. उन्होंने ब्राजील और केरल जाकर जो अनुभव प्राप्त किया है और प्रदेश के विकास में जो योगदान दिया है केरल से आकर उन्होंने जो लैब बनवाई, ये सभी अच्छे काम जो उन्होंने शुरू करवाये हैं, कांग्रेस की सरकार उन योजनाओं को बंद करने नहीं जा रही है क्योंकि पशुपाल के हित में जो कुछ किया जाना है चाहे कोई भी सरकार हो उस काम को आगे ही बढ़ायेगी.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, पहले प्रति गाय एवं गौवंश के चारे के लिए 1 रुपये रखा गया था जो कि कहीं से भी वाजि़ब नहीं था. हमारी सरकार ने प्रति गाय 20 रुपये किया है यह एक बड़ा काम है. इसके लिए एक वार्षिक राशि रखी गई है. इसका मतलब है कि गौवंश के लिए असली चिंता कांग्रेस सरकार एवं माननीय कमलनाथ जी ने, मंत्री लाखन जी ने की है, इसके लिए मैं उन्हें बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहता हूं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, आदरणीय ओमप्रकाश सखलेचा जी ने प्रति व्यक्ति दूध के संबंध में जो बताया उस पर मैं कहना चाहूंगा कि आने वाले समय में केवल सरकार की ओर से यदि पशुपालन को बढ़ावा दिया जायेगा तो उससे बहुत कुछ होने वाला नहीं है. यहां विपक्ष ने जो बातें कहीं कि हरियाणा एवं पंजाब में जिस प्रकार से दूध का उत्पादन हो रहा है यह चिंता का विषय है इसलिए मैं आज आपके ध्यान में यह बात लाना चाहूंगा कि आज सुबह आपने अखबार में पढ़ा होगा कि बहुत सारा केमिकलयुक्त दूध पकड़ा गया है. यह बहुत ही चिंता का विषय है. माननीय मंत्री जी भी इस ओर ध्यान देंगे और सभी को इस ओर ध्यान देना चाहिए चाहे सरकार हो या विपक्ष. जितने दूध की हमें प्रतिदिन आवश्यकता होती है, त्यौहारों में आवश्यकता होती है उतना दूध सामान्य दिनों में नहीं मिलता है. गर्मी के समय दूध की कमी हो जाती है. एक तरफ प्रदेश से दूध बाहर भी जाता है और दूसरी ओर जरूरत पड़ने पर इतना दूध, इतना पनीर, खोवा अचानक कैसे आ जाता है ? मैं समझता हूं कि इस पर हमें चिंता करने की आवश्यकता है. आज ही अखबारों में मैं देख रहा था कि लाखों लीटर दूध ग्वालियर तरफ कहीं पकड़ा गया है. यह एक बड़ा खतरा है. दूध तो सभी पीते हैं. बुजुर्ग, युवा लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसे बच्चे भी पीते हैं. केमिकलयुक्त दूध यदि बच्चों तक पहुंचता है तो बड़ी-बड़ी बीमारियों का उन्हें सामना करना पड़ेगा. सरकार ने जिस प्रकार सांची और ऐसे ही अन्य दुग्ध उद्योगों को बढ़ावा दिया है तो मुझे लगता है कि कांग्रेस सरकार इसको बढ़ावा देगी क्योंकि माननीय कमलनाथ जी ने जब-जब बैठकें की हैं तो उन्होंने जहां एक ओर कृषि के क्षेत्र पर ध्यान दिया है उसी तरह दूसरी ओर पशुपालन पर भी उनका उतना ही ध्यान है. मत्स्य विभाग के लिए भी उनकी चिंता है क्योंकि ये ऐसे विभाग हैं जो छोटे-छोटे व्यक्ति को आगे बढ़ाने का काम कर सकते हैं और एक महत्वपूर्ण बात यह है कि पशुपालन से खासतौर से महिलायें भी जुड़ी होती हैं. यदि किसी गांव में, किसी किसान के घर में 5 गायें या 5 भैंसें हैं तो उससे पूरा परिवार जुड़ा रहता है. उससे आत्मीय लगाव भी हो जाता है. मैं उम्मीद करता हूं कि यह सरकार जो योजनायें लेकर आई है, उससे हमारे पशुपालन को बढ़ावा मिलेगा. मुझे इस विभाग से इसलिए भी उम्मीद है क्योंकि भारत एक कृषि प्रधान देश है और भारत की 80 प्रतिशत आबादी आज भी गांव में निवास करती है. मैं यह भी जानता हूं कि यदि गांव में कृषि प्रमुख व्यवसाय है तो उसके साथ पशुपालन उसका पूरक है. मैं मानता हूं कि प्रदेश का गौवंश में देश में प्रथम और भैंसवंश में देश में पांचवा स्थान है और ऐसी स्थिति में समग्र रूप से गौवंशी पशुओं में अगर हमारा द्वितीय स्थान भी है तो 70 प्रतिशत से ज्यादा ग्रामीण पशु-पालन पर निर्भर हैं. जैसा अजय विश्नोई जी ने भी कहा कि हमारी सरकार बहुत सारी सब्सिडी दे रही है. लेकिन आवश्यकता यह भी है कि जो एक आम व्यक्ति, आम ग्रामीण है जो एक आम पशु पालक है, क्या वहां तक हमारे अधिकारी उन योजनाओं को पहुंचा सकते हैं. अजय विश्नोई जी जो बातें यहां पर कह रहे थे. वह बातें एक आम आदमी को पता ही नहीं चलती है. एक आम ग्रामीण को, एक पशु पालक को पता ही नहीं होता है कि एक पशु पालने से लेकर हम लोग हैचरी की बात करें, तालाब की करें, मछली पालन की बात करें,मछली सीड्स की बात करें तो क्या इन सब योजनाओं पर सब्सिडी की उनको जानकारी रहती है. मैं माननीय मंत्री से उम्मीद करूंगा कि जिस तरह से हमने जिस तरह का हमने एक दस्तक अभियान शुरू किया है, जिसमें हमारे लोग घर-घर पहुंचेंगे. इसी तरह का एक अभियान हम लोगों को जो खास तौर से ग्रामीण लोग हैं, ग्रामीण पशु-पालक हैं, ग्रामीण मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिये छोटे-छोटे कमजोर तबके के लोग है, जो स्व-सहायता समूह हैं उन तक हम उन योजनाओं को पहुंचा दें और इसके साथ-साथ हम लोग छोटे-छोटे शिविरों का आयोजन गांवों में होने लगे. जहां छोटे-छोटे तालाब हैं वहां पर मछली पालन को बढ़ावा दिया जा सकता है. वहां तक अगर हमारी सरकार के शिविर पहुंच जायें, तो मुझे लगता है कि जो एक आम ग्रामीण है और यदि उसमें अधिकारी भी बैठें तो मुझे लगता है कि उनको जो सब्सिडी और लोन मिलना है, उससे इस प्रदेश में दूध को अत्यधिक बढ़ावा मिलेगा, उसके साथ-साथ मछली पालन को जो हम लोग बढ़ावा देना चाहते हैं. इन योजनाओं का पैसा अगर हम गांव के लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं तो मुझे लगता है इसमें एक बड़ी सहायता उनको हमको मिलेगी.
मैं एक बात और आपसे कहना चाहता हूं कि हमारी सरकार एक ओर आचार्य विद्यासागर गौसंवर्धन योजना का अनुपालन कर रही है, तो उस योजना में देख रहा था कि उत्पादन क्षमता और रोजगार के अवसर भी हम पैदा कर रहे हैं. एक और मैं यह भी देख रहा हूं कि न्यूनतम अगर पांच भी पशु हैं तो उससे भी उसको योजना का लाभ मिलेगा और उसको 10 लाख रूपये तक का ऋण मिल सकता है. यह बहुत सारी महत्वपूर्ण योजनाएं हैं. दूसरी नंदी शाला योजना है, हमारे सउन्नत पशु प्रजनन कार्यक्रम हैं. बैंक ऋण अनुदान पर बकरी इकाई की योजना है, अनुदान पर बकरा प्रदाय की योजना है, नर-सूकर प्रदाय की योजना है और बहुत सारी ऐसी योजनाएं है, जैसे बैकयार्ड कुक्कुट इकाई है, इन सब योजनाओं को मैं देख रहा था. जैसे मत्स्य पालन योजना, गौ-सेवक प्रशिक्षण केन्द्र, गोपाल पुरस्कार योजना. हर योजना इतनी महत्वपूर्ण है कि इसका कहीं न कहीं प्रचार प्रसार होना चाहिये. मैं यह भी देख रहा हूं कि पिछले सालों के आंकड़ें हैं, खासतौर से पिछले 15 साल की बात नहीं कहता, क्योंकि सामने वालों को तकलीफ होती है. लेकिन जितना गौ के नाम पर हम लोग राजनीति कर लेते हैं, उतना अगर हम गौ के नाम पर ईमानदारी से सेवा कर लेते तो मुझे लगता है कि आज अपना प्रदेश दूसरे और तीसरे स्थान पर है, मुझे लगता है मध्यप्रदेश हिन्दुस्तान के नंबर वन पर होना चाहिये था.
मैं इस विभाग के लिये माननीय लाखन सिंह जी को शुभकामनाएं देना चाहता हूं कि उन्होंने बजट में अपनी अनुदान मांगें रखी हैं, वह वाकई में बहुत अच्छी हैं. बल्कि इसको तो और ज्यादा बढ़ावा देने की आवश्यकता है, अभी जैसा कि पूर्व मुख्यमंत्री जी कर रहे थे कि इस विभाग को किसी ने गंभीरता से नहीं लिया. उससे पिछली सरकार की भावनाएं समझ में आती हैं. लेकिन मैं उम्मीद करता हूं कि आपका इस साल का जो बजट है, आदरणीय विश्नाई जी, ओमप्रकाश सखलेचा जी के अच्छे सुझाव के साथ, जब हम साथ मिलकर इन योजनाओं को आगे बढ़ायेंगे तो आने वाले वर्ष में इसका बजट दोगुना होगा. आने वाले समय में कोई भी मंत्री इसको पाने के लिये प्रयास करेगा और सोचेगा कि इससे जहां एक ओर गौवंश का पालन करके हम धर्म का काम कर रहे हैं और भारतीय संस्कृति को बढ़ावा दे रहे हैं. भारतीय संस्कृति की सेवा कर रहे हैं. मुझे लगता है कि ये उनके लिये भी धन्य होंगे, मैं उनको बहुत शुभकामनाएं देना चाहता हूं, आदरणीय मंत्री जी को जिन्होंने अपनी सभी योजनाओं की बहुत अच्छे से ढ़ग से प्लानिंग की है और इसमें वह सफल होंगे.इसके लिये मैं उनको बहुत धन्यवाद और शुभकामनाएं देता हूं. उपाध्यक्ष महोदय, समय देने के लिये, धन्यवाद.
श्री अजय विश्नाई:- उपाध्यक्ष महोदय, एक और महत्वपूर्ण सुझाव देना चाहता हूं कि मत्स्य महासंघ के जो बड़े-बड़े जो तालाब हैं, इनके पास बहुत ज्यादा काम करने की गुंजाइश है. 2004-05 में इनका उत्पादन सिर्फ 1490 मीट्रिक टन था,
जिसको हम बढ़ाकर 10735 मीट्रिक टन तक गये थे. यह उस समय 12 लाख तक के घाटे में चलते थे, हम इसको 27 करोड़ रूपये के मुनाफे में छोड़कर गये थे. वहां पर 100 करोड़ रूपये की एफडी जमा है, उसको भी हम छोड़कर गये थे. जब 2004-05 के बाद जहां आय 3-4 करोड़ रूपये होती थी, वह हम 66 करोड़ रूपये पर लेकर आये थे. अब पिछले एक-दो साल से इसकी आय में कमी आती जा रही है. माननीय मंत्री जी इस पर ध्यान देंगे और आप वापस इसको आय के लेवल पर लेकर जायें, यही मेरा अनुरोध था. आपने बोलने का समय दिया धन्यवाद.
श्री देवेन्द्र वर्मा (खण्डवा):- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं मांग संख्या 14 और 16 का विरोध करता हूं और कटौती प्रस्तावों का समर्थन करता हूं.
उपाध्यक्ष महोदया, जब हम पशु पालन की बात करते हैं तो ध्यान में आता है कि हमारे धर्म, संस्कारों में हजारों-हजारों वर्ष पूर्व अगर इस प्रकार की कल्पना की गयी थी कि प्रत्येक जीव में हमने ईश्वर का रूप देखा था और इन जीवों पर हमने किसी न किसी ईश्वर को विराजते हुए देखा था, तो हमारे पूर्वजों की यही मान्यता रही होगी कि हम प्रकृति के साथ कैसे जुड़ें, प्रकृति के साथ कैसे जुड़े, प्रकृति के साथ हम किस प्रकार हमारे इस जीवन को आगे बढ़ायें और इसी कल्पना को वास्तविक धरातल पर जोड़ते हैं तो ध्यान में आता है कि हमारी अर्थ-व्यवस्था में पशुधन की एक महत्वपूर्ण भूमिका होती थी. साथ ही साथ ग्रामीण क्षेत्र हो या शहरी, हमारा जीवन आगे बढ़ता था. लेकिन जिस प्रकार से हम पशुधन से दूर होते जा रहे हैं तो हमारा सामाजिक और ग्रामीण ताना-बाना टूटता जा रहा है. मेरे कहने का तात्पर्य यह है कि अगर हम एक आदिवासी परिवार में और ग्रामीण परिवार में कल्पना करते थे तो ध्यान में आता था कि उसके परिवार में मुर्गा-मुर्गी भी होते थे, बकरा-बकरी भी होते थे, लेकिन आज वह गायब हो गये हैं. परिणामस्वरूप हम कु-पोषण जैसी समस्या देख रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदया, मैं आपके माध्यम से कुछ छोटे-छोटे बिन्दु माननीय मंत्री जी को बताना चाहूंगा कि पूर्व में हमारी सरकार ने गौ-सेवकों की नियुक्ति करने प्रत्येक पंचायतों में करने का काम किया था और इस प्रकार का प्लान था कि हमारे प्रदेश के ज्यादा से ज्यादा बेराजगारों को हम प्रशिक्षण देंगे जिससे कि वह स्थानीय स्तर पर अपना कार्य कर सकें और अपनी आजीविका चला सकें. वह प्रक्रिया पूरी तरह से बंद है और गौ-सेवक आज भी सरकार की ओर एक उम्मीद भरी निगाह से देख रहा है. इसी प्रकार अगर हम कहें कि हमारी अर्थ-व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण कड़ी पशुधन है तो उसमें कहीं न कहीं हमारे पशु-पालकों की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है. अगर शहरी क्षेत्र में कोई पशु-पालक है तो ध्यान में आता है कि उसके पास अगर 10 भैंस भी है तो वह अगर भैंस उत्तर प्रदेश से या और कहीं से भी लाये, तो आज की तारीख में एक भैंस 1 से डेढ़ लाख रूपये में आती है. किसी भी प्रकार का शासकीय सहयोग उसको नहीं मिलता है. हम देखते हैं कि चाहे दूध का फैट हो, जो दुग्ध संघ खरीदता है तो दुग्ध संघ जो दूध खरीदता है तो उसके फैट में और जो निजी क्षेत्र के फैट में जमीन आसमान का अंतर होता है, इसकी ओर प्रशासन या शासन द्वारा किसी प्रकार का ध्यान नहीं दिया जाता है.
इसी प्रकार हम पशु-पालकों के लिये गौ-शालाओं का निर्माण मध्यप्रदेश में करने जा रहे हैं तो मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि उन पशु पालकों के लिये भी चाहे वह इंदौर, भोपाल हो या मेरा विधान सभा क्षेत्र खण्डवा हो तो शहरी क्षेत्र में वह सभी गौ-शाला के क्षेत्र आ गये हैं . मेरा कहना है कि शासन इस प्रकार की योजना बनाये कि शहर के बाहर एक गौ-पालक नगर या गौ-शाला नगर बनाये और वहां सस्ते प्लाट वहां पर उनको उपलब्ध कराये, वह पशु-पालकों के लिये अच्छी व्यवस्था होगी और शहर के बाहर उनकी एक जगह बन जायेगी. इसी प्रकार हमारे सभी बड़े शहरों में दुग्ध संघ है, अगर यह बने हैं तो निश्चित रूप से हमारा खण्डवा जो इंदौर से जुड़ा हुआ है और वहां से 150 किलोमीटर दूर पड़ता है. हमारा पूरा जिला दुग्ध संघ से दूर है, मुश्किल से एक या दो दुग्ध रूट बने हुए हैं.
मैं मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि प्रत्येक ग्रामीण क्षेत्र में एक - एक गांव में एक-एक दुग्ध सहकारी समिति बनायें और उनको पूर्व में जिस प्रकार की योजना बनी थी कि हम उनको पशु ऋण पर उपलब्ध करायेंगे और दुग्ध समितियां बनायेंगे. लेकिन उस पर कार्य नहीं हुआ है.अगर इस दिशा में कार्य करेंगे तो रोजगार तो बढ़ेगा ही, साथ ही साथ हमारे प्रदेश का दुग्ध उत्पादन भी बढ़ेगा. इसी प्रकार माननीय मंत्री जी बता रहे थे कि पूर्व में ट्रामा सेंटर बनाये गये थे, लेकिन ट्रामा सेंटर बनाये, आज भी हमारे जिले में एक्स-रे मशीन वैसी की वैसी ही रखी हुई है, क्योंकि तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं हो पायी है. अगर उनकी नियुक्ति करेंगे तो वह सभी यंत्र उपयोग में आयेंगे और हमारे यहां के गौ-पालकों के लिये एक बहुत उपयोगी होंगे.
श्री देवेन्द्र वर्मा--मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि इसी प्रकार से पशु चिकित्सा महाविद्यालय की स्थापना खंडवा में करेंगे तो पूरे क्षेत्र में इसका लाभ होगा. इसी प्रकार से मत्स्यपालन में मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि मध्यप्रदेश के सबसे बड़े जलाशय चाहे वह इंदिरा सागर हो, चाहे ओंकारेश्वर यह हमारे प्रदेश के बड़े जलाशय हैं निश्चित रूप से शासन को इससे अच्छी आमदनी होती है, लेकिन हमारा बहुत बड़ा एरिया लगभग 10-12 जिलों का पूरा मछुआ समाज इस पर आश्रित था. आज की तारीख में वह कहीं न कहीं बेरोजगारी तथा गरीबी के रूप में कहीं न कहीं छोटे मोटे काम करने के लिये तत्पर हैं. इसका कारण यह है कि इन बड़े बड़े ठेकेदारों को काम दे दिया गया है उन्होंने वहां की जैव विविधता तो समाप्त की है, साथ ही साथ उन्होंने दादाओं को काम देकर उन मछुआ समाज पर वह लोग दादागिरी करते हैं जिससे इन गरीब लोगों पर अन्याय हो रहा है. मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि यह बड़े बड़े जलाशयों में यह ठेकेदारी प्रथा बंद करें, इससे कुछ आर्थिक हानि भले ही होगी, लेकिन यह गरीब वर्ग है मांझी समाज उसके हित में यही होगा वहां पर स्थानीय समितियों के माध्यम से इस प्रकार का मछली पालन करेंगे तो इससे बहुत बड़े वर्ग का लाभ होगा. धन्यवाद.
श्री गिर्राज डण्डौतिया (दिमनी ) उपाध्यक्ष महोदय, कई वक्ताओं ने अपनी बात कहीं, लेकिन जो असली बात थी कि जिस दूध से सारे संसार का जीवन चलता है. बचपन से लेकर जवानी तक दूध हमेशा काम आता है. आज किसान, मजदूर जिस गाय से तथा भैंस से दूध को पैदा करता है. मैं स्वयं किसान हूं और यहां पर बैठे हुए 80-90 प्रतिशत लोग किसान हैं, वह जानते हैं कि गाय-भैंस कितनी खुशामद के साथ हमको दूध देती है. लेकिन उस दूध की कीमत उस पानी की कीमत से भी कम हो गई है, यह बहुत बड़ा चिन्ता का विषय है इसकी ओर एक शब्द भी नहीं कहा गया. मुझे इस बात का खेद है कि यहां पर पूर्व मंत्री जी भी बोले. हमारे मंत्री जी ने जो बजट पेश किया है मैं उसका समर्थन करता हूं, लेकिन यह पूरे मध्यप्रदेश के लिये चिन्ता का विषय है कि दूध उत्पाद करने वालों को अगर प्रोत्साहित नहीं किया जायेगा तथा दूध की कीमत को नहीं बढ़ाया जायेगा तो दूध पैदा करने वाले लोग दूध का धन्धा बंद कर देंगे तो जिनकी जीविका दूध से चलती है वह खेती से अन्न पैदा करते हैं दूध से धंधे चलते हैं उससे उनके बच्चों की फीस भरी जाती है तथा वह बीमारियों पर अपना खर्चा चलाते हैं वह दूध आज पानी की बोतल की कीमत से भी कम का हो गया है. गांव में एक लीटर दूध की कीमत 20-25 रूपये है. मैं इस ओर सरकार का ध्यानाकर्षित करना चाहता हूं कि पूर्ववर्ती सरकार में दूध में कितनी मिलावट हुई कि हमारे असली दूध की कीमत कम कर दी गई. दूसरी बात मैं कहना चाहूंगा कि डेमों की बात की मछली पालन के लिये मेरी ही विधान सभा में एक डेम है कुतवार यह बहुत बड़ा है उससे हजारो लोग पला करते थे. उस डेम में जो मछली पैदा होती थी, वह बिना बीज छोड़े, उनके धंधे बिना किसी प्रयास के चला करते थे. इस भारतीय जनता पार्टी की 15 वर्ष की सरकार ने उसको एक व्यक्ति को ठेके पर दे दिया और वह व्यक्ति उस डेम के ठेके से माल मार रहा है. वह गरीब लोग वह अपने बच्चे पालने के लिये आज भूख से तड़प रहे हैं पूर्व सरकार ने यह कर्म किया. तीसरा मैं कहना चाहता हूं कि 15 साल के अंदर जो गौमाता के सेवक, गौमाता की पूजा, फलानी योजना, मथुरा-वृन्दावन में गाय का पूजन कीर्तन सब हुआ, लेकिन यह बतायें कि पूर्ववर्ती सरकार ने गाय के लिये कोई उचित प्रबंध किया हजारों गाय सड़कों पर एक्सीडेंट में मारी गईं. गौवंश के सांड जो सड़कों पर खुले घूम रहे हैं उन सांडों ने हजारों व्यक्तियों की मृत्यु कर दी. कोई मनुष्य सायकिल पर जा रहा है, कोई मोटर सायकिल पर जा रहा है उनका एक्सीडेंट कर दिया उनकी वजह से कई वाहन पलट गये तथा हजारों लोग काल के गाल में समा गये उसका जिम्मेदार कौन है, यह पूर्ववर्ती सरकार जवाब दे. मैं बजट का पुरजोर समर्थन करता हूं. हमारे मंत्री जी ने बजट में जो योजनाएं लागू की हैं मैं समझता हूं कि वह संचालित होंगी तो प्रदेश में खुशहाली आयेगी. जय हिन्द.
डॉ.मोहन यादव (अनुपस्थित)
श्री के.पी.त्रिपाठी (अनुपस्थित)
श्री भारत सिंह कुशवाह(ग्वालियर ग्रामीण )--उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 14 एवं 16 का इसलिये विरोध करने के लिये खड़ा हुआ हूं कि पशुपालन विभाग के बजट में गौशाला निर्माण के लिये एक रूपये का भी बजट में प्रावधान नहीं रखा है. जिस प्रकार से अपने वचन पत्र में गोशाला निर्माण की बात हमारी सरकार ने कही आज मुझे यह कहने कहीं कोई दिक्कत नहीं है कि गोशाल निर्माण के लिये विभाग के बजट में बढ़ोतरी करनी थी जो कि नहीं की गई है. अब गोशाला निर्माण की बात करें जब विभाग के पास निर्माण के लिये कोई व्यवस्था ही नहीं रखी तथा कोई गोशाला ही नहीं बनेगी तो चारा तथा दाना किसको खिलाएंगे. तो मेरा निवेदन है कि गौशाला निर्माण विभाग के बजट से होना चाहिये. माननीय मंत्री जी ने बात कही है कि हम गौशाला का निर्माण मनरेगा के बजट से कराएंगे तो मेरा अनुरोध है कि मनरेगा में 60-40 का रेशो रहता है उसमें 40 प्रतिशत मजदूर तथा 60 प्रतिशत मटेरियल पर खर्च होता है. आज पंचायतों की स्थिति बहुत खराब है. मैं इस बात को बहुत प्रमुखता के साथ कहता हूं कि सरपंचों से पूछो कि मनरेगा में जो प्रोग्रेस देना चाहिये वह छोटे छोटे कामों में नहीं दे पा रहे हैं तो गौशाला का निर्माण कहां से पंचायत कर सकती है ? पहला मेरा निवेदन है कि आपने जो वायदा वचन पत्र में किया है कि गौशाला निर्माण से लेकर संचालन की पूरी जिम्मेदारी पशु-पालन विभाग ले, जब कहीं जाकर यह योजना सफल होगी. मैं कहना चाहता हूं कि जिस तरीके से आप कह रहे हैं मनरेगा से निर्माण होगा तथा दाना-पानी, चारे की व्यवस्था विभाग करेगा उसमें संचालन की व्यवस्था कौन करेगा ? तो विशेष रूप से यह विभाग उनकी जिम्मेदारी ले और अगर कहीं बजट में विभाग ने प्रावधान नहीं किया है तो मैं समझता हूं कि पूरा सदन इससे सहमत होगा कि इसमें और बजट का प्रावधान किया जाये, क्योंकि मंत्री जी का मन काम करने का है अब इसमें बजट ही नहीं होगा तो गौशाला कहां से बनेगी ? मैं ज्यादा समय न लेते हुए यही निवेदन करूंगा कि यदि आपने वचन पत्र सही मन से बनाया है तो सही मन से गौशाला का निर्माण होना चाहिये. सात महीने हो गये हैं गौशाला के लिये केवल स्थल का चयन हुआ है. आज मध्यप्रदेश के अंदर कहीं पर भी गौशाला के काम का निर्माण तो छोड़िये उसकी स्वीकृति भी नहीं हुई है.
श्री कुणाल चौधरी--आप गलत जानकारी दे रहे हैं. (व्यवधान)
महिला एवं बाल विकास मं
महिला एवं बाल विकास मंत्री (श्रीमती इमरती देवी)एक माननीय सदस्या--डबरा विधान सभा में तीन गौशाला निर्माण का काम शुरू हो गया है. आप इनसे पूछिये कि 15 साल में किस किस जिले में कितनी कितनी गौशालाएं आपने बनाई हैं. (व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदया-- मंत्री जी जवाब दे देंगे, कृपया आप लोग बैठ जाए. कुणाल जी बैठ जाए. इस तरह आपस में बात न करें. कुणाल जी यह तरीका ठीक नहीं है. कुशवाह जी आप समाप्त कीजिए.
श्री महेश परमार - माननीय उपाध्यक्ष जी, दृढ़ इच्छा शक्ति चाहिए गौशाला बनाने के लिए. माननीय कमलनाथ जी और हमारे मंत्री जी की इच्छा शक्ति मजबूत है, कमलनाथ जी की सरकार मजबूत है. 15 साल में ये नहीं कर पाए, लेकिन कमलनाथ जी की सरकार गौमाता के लिए करेगी. (...व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदया - भारत जी आपका सुझाव आ गया कृपया समाप्त करें. (...व्यवधान)
श्री भारत कुशवाह - एक मिनट में समाप्त कर रहा हूं, मैं कोई आरोप नहीं लगा रहा हूं. ये कलेक्टर का प्रतिवेदन है, आदेश है, एक भी काम प्रारंभ नहीं हुआ है, इसलिए मैं ध्यान दिला रहा हूं. (...व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदया- कुशवाह जी, कृपया बैठ जाइए, हरदीप जी आपका समय जा चुका है, चूंकि आपने निवेदन किया है इसलिए आपको समय दे रहे हैं. इस तरह से बात न कीजिए, किसी का भी नोट न किया जाए, केवल हरदीप डंग जी बोलेंगे वही बात नोट होगी. (...व्यवधान)
श्री भारत कुशवाह - उपाध्यक्ष महोदया, धन्यवाद.
श्री हरदीप सिंह डंग(सुवासरा) - माननीय उपाध्यक्ष महोदया, दूसरी बार के विधायक को तीसरी बार खाली दो-दो मिनट का मौका दिया उसके लिए धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदया - आपका नाम लिया था, आप थे नहीं, आपको दोबारा अवसर दे दिया है.
श्री हरदीप सिंह डंग - माननीय उपाध्यक्ष महोदया, यह तीसरा मौका है और मात्र दो मिनट का समय देने के लिए, मैं धन्यवाद देता हूं.
श्री विश्वास सारंग - डंग जी के साथ, जब से गठन हुआ है तब से बहुत अन्याय हो रहा है.
उपाध्यक्ष महोदया - विश्वास जी अब आप उनको मत छेडि़ए.
श्री तरूण भनोत - आपकी भावनाओं को हम समझ रहे हैं, आप चिन्ता न करें.
कुंवर विजय शाह - डंग जी आप संघर्ष करों, हम आपके साथ है. (..व्यवधान)
श्री हरदीप सिंह डंग - माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मांग संख्या 14 एवं 16 के समर्थन में मैं अपनी बात करने के लिए खड़ा हुआ हुआ हूं. पहले तो मैं मुख्यमंत्री कमलनाथ जी और मंत्री लाखन सिंह जी को बहुत धन्यवाद देता हूं कि एक हजार गौशाला खोलने का जो आदेश प्रदान किए हैं और वह प्रारंभ भी हो चुके हैं, क्योंकि मैंने सालरिया में भूमिपूजन किया है, बसई में होने जा रहा है, रूनिजा में होने जा रहा है. इसलिए बहुत बहुत धन्यवाद और बधाई. सभी मानते हैं कि हमारी तीन मां जिनको हम पूजते हैं एक गौमाता, एक देवी माता और एक भारत माता, हम सभी उनकी जय जयकार बोलते हैं. जब भी कोई पंडित, ज्ञानी जी गौमाता की बात करते हैं तो सभी कथा में बैठे हुए लोग हाथ खड़े करके बहुत ताली बजाते हैं, अपनी गर्दन हिलाते है और गौमाता का आशीर्वाद हमें मिलता है जैसे सबसे बड़े गौभक्त अपन ही हैं, वही लोग जब कहीं जाते हैं और चौराहे पर कोई गौमाता बरसात, धूप में बैठी रहती है तो हम मोटरसायकल से कट मारकर उसको देखते हुए निकल जाते हैं, तब कथा में बजाई हुई ताली सुनाई नहीं देती. खाली गौमाता के नाम पर चाहे वह कोई भी पक्ष हो, मैं मानता हूं इसमें सबकी जवाबदारी बनती है कि गौमाता के लिए हम सबको आगे बढ़कर कदम बढ़ाने चाहिए. अभी जो एक हजार गौशालाएं खोली जा रही हैं उसमें मेरा निवेदन है कि जिस प्रकार से पंडालों में पत्रकारों, महिलाओं, वरिष्ठों, वीआईपी की बैठने की अलग अलग व्यवस्था होती है. ऐसे ही जब गौशालाएं बनाई जाए तो जो स्वस्थ्य गाय हैं, उनकी बैठने की व्यवस्था अलग हो, जो विकलांग गाय हैं, जो दूध देने वाली, बच्चे वाली गाय है, जो बीमार गाय जो छोटी बड़ी होती है, उनकी अलग व्यवस्थाएं की जाए. मेरे विधानसभा सीतामऊ में ऐसी कोई गौशाला नहीं है, जिसमें मैंने उनको राशि नहीं दिया हो. मैंने इसके पहले गौशाला के बारे में इस विधानसभा में बोला था तो मैंने पांच नियम लागू करने के लिए बोला था कि जिस किसान के पास पांच बीघा खेती है, उसको अनिवार्य रूप से एक गौमाता पालना चाहिए, नहीं तो उनकी बिक्री खरीदी, रजिस्ट्री और नामांतरण भी नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि किसान गाय को पालना मजबूरी समझते हैं, इसलिए इसको अनिवार्य कर दिया जाए. दूसरा सभी धर्मों में कहा गया है कि 10 प्रतिशत दान अपनी कमाई का करना चाहिए, मैं सभी के बारे में बात करूंगा कि जिन कर्मचारियों की 25 हजार रूपए प्रतिमाह तनख्वाह है एवं जो 25 हजार रूपए से ज्यादा वेतन लेते हैं, उनसे 500 रूपए प्रतिमाह गौशाला में अनिवार्य रूप से जमा कराया जाए, तीसरा यदि कोई व्यक्ति दस गाय से ज्यादा पालता है अलग से अपने घर पर या खेत में पालता है तो सरकार उसको सुविधा दें, उस किसान को अनुदान प्राप्त कराएं, जिससे वह और अच्छी तरह से गायों का पालन पोषण कर सके. एक और प्रत्येक पंचायत में गौशाला खोलने का जो प्रस्ताव था, वह मेरा ही था, अभी एक हजार गौशालाएं तो खेल रहे हैं और आने वाले दिनों में प्रत्येक पंचायत में जो गौशाला खोलने का निर्णय है उसका भी निर्णय जल्दी लिया जाए, जिससे गौमाता भटक न सके. आखिरी बोल रहा हूं यह पूरे सदन के लिए कि जितने भी नेता है, जो राजनीति करते हैं वह अगर चुनाव लड़ने की इच्छा करते हैं तो वह गौमाता पालता हो तो चुनाव लड़ने का अधिकार हो नहीं तो उसका फार्म रिजेक्ट कर दिया. क्योंकि खाली बोलने से काम नहीं होगा.
उपाध्यक्ष महोदया - आपको पूरे पांच मिनट हो गए.
श्री तरूण भनोत - उपाध्यक्ष जी, पांच मिनट और दे दीजिए, बड़े सार्थक सुझाव दे रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदया - हरदीप सिंह जी की सलाह बहुत अच्छी है, अंतिम सुझाव और दे दीजिए.
श्री हरदीप सिंह डंग - यह भी एक अच्छा सुझाव है कि सभी विधायक को पांच-पांच हजार रूपए गौशाला में देना अनिवार्य कर दिया जाए. हाथ खड़े करके बता दो भाई कौन कौन देना चाहते हैं(सदस्यगण द्वारा हाथ खड़ा किया गया.)
उपाध्यक्ष महोदया - हरदीप भाई सभी आपके साथ है.
श्री हरदीप सिंह डंग - उपाध्यक्ष महोदया, मेरा कहना है कि जो मत्स्य पालन है, हमारे यहां बसई नदी है, चम्बल की नदी है, उसमें कई जो मछुआरे है, गरीब गोताखोर है, जब कोई नाव डूब जाती है, तो अपनी जान खतरे में डालकर लाशें निकालकर लाते हैं, उनके लिए शासन ने आज तक कोई व्यवस्था नहीं की है, न तो उनके लिए रहने का मकान है, प्रधानमंत्री आवास योजना में शायद कोई आ गए हो, आज उनके लिए कोई बीमा की योजना शुरू की जाए, उनको सुविधा दी जाए और जो पाड़े खरीदते हैं, पाड़े ऐसे लोगों से खरीदए, पंजाब से खरीदकर लाते हैं. मेरा मानना है कि मध्यप्रदेश में भी अच्छी नस्ल के पाड़े या भैंसें या गाय हैं. मध्यप्रदेश के किसानों से खरीदना चाहिए ताकि उनको भी फायदा मिले. रही बात रोजड़े की, रोजड़े शायद पशुपालन में ही आते हैं. रोजड़े ने किसानों की फसल को बर्बाद कर रखा है राजस्थान में एक नियम है.
कुंवर विजय शाह - उपाध्यक्ष जी, रोजड़े पशु विभाग में नहीं, वन विभाग में आते हैं. पहले सरदार जी तय कर लें कि कौन सा जानवर किस विभाग में आता है.
श्री हरदीप सिंह ढंग - रोजड़ा पशु है इसलिए मैं बोल रहा हूं. (..व्यवधान)
श्री पारसचन्द्र जैन - इनको उस समिति में सदस्य बना दिया जाए.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय - आप बहुत सही बात बोल रहे हो, आपका सुझाव बहुत अच्छा है.
श्री तरूण भनोत - आदरणीय विजय शाह जी, आप जानवरों पर मत जाइए, आप उनकी भावनाओं को समझिए, भावनाएं महत्वपूर्ण है, जानवर महत्वपूर्ण नहीं है.
श्री विश्वास सारंग - नातीराज जी का विषय है, आप तो कुछ प्रकाश डालो.
उपाध्यक्ष महोदया - कृपया बैठ जाइए.
श्री हरदीप सिंह डंग - रोजड़े को किसी भी विभाग में मानते हो, किसानों को तार फैंसिंग के लिए अनुदान की राशि दी जाए. तार फैंसिंग अगर हो जाएगी तो किसानों की फसलों का जो नुकसान होता है, वह होने से बचेगा, इसके लिए और भी कोई नियम बनाए, जो गौशालाएं आप खोलने जा रहे हैं, उसके लिए मैं पुन: आपको धन्यवाद दे रहा हूं, बहुत बहुत धन्यवाद, जय हिन्द जय, भारत.
श्री दिलीप सिंह परिहार (नीमच) - माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं मांग संख्या-14 पशुपालन एवं 16 मछुआ का विरोध करता हूँ एवं कटौती प्रस्ताव का समर्थन करता हूँ.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, आज बचपन याद आता है. जब मैं छोटा था तो चौपे में गाय छोड़ने जाया करता था और उस समय लम्बी-चौड़ी जमीन सरकार की हुआ करती थी, जो चारागाह हुआ करती थी. उस समय जितनी जमीन थी, उसकी 7.5 प्रतिशत जमीन गौमाता एवं पशुओं के चरने के लिए हुआ करती थी, उस समय की जमीन के पट्टे पूर्व की सरकारों ने काट दिये और वह जमीन पहले 5 प्रतिशत हुई और आज 2 प्रतिशत बची है. गौमाता के खड़े रहने के लिये जगह नहीं है, हम सब लोगों को इस बात की ओर सदन में विचार करना चाहिए कि आज हमारे लिए यदि मकान की जमीन नहीं हो, हमारे घूमने के लिए स्थान न हो, खेलने के लिए मैदान न हो तो हम मानव किस प्रकार का महसूस करेंगे एवं बिना बोलने वाला पशु आज क्या महसूस कर रहा होगा ? उसकी भावनाओं को कितनी ठेस पहुँची होगी ? यह देश ऋषिमुनियों का एवं महापुरुषों का देश रहा है और जिन लोगों के पास पूर्व के समय पशुधन हुआ करता था, उनको सबसे ज्यादा इज्जत और प्रतिष्ठा मिलती थी और समाज के लोग उसको प्रणाम करते थे. आज पशुधन रखने के लिए व्यक्ति के पास जमीन नहीं है, लोगों ने जमीन पर पट्टे देकर और लोगों को लड़वाने का कार्य पूर्व की सरकारों ने किया है, हम सब लोगों को इस पर विचार करना चाहिए. यह जो पशुपालन के लिए बजट रखा है, वित्त मंत्री जी, यह बजट बहुत कम है. यदि इसको बढ़ा दिया जायेगा तो अच्छा होगा.
उपाध्यक्ष महोदया, हम सब जानते हैं कि गौशालाएं खुलना चाहिए और सरकार ने जो निर्णय लिया है, मैं सरकार का स्वागत करता हूँ. गौमाता या भैंस, जो हम देखते हैं, वह हिन्दू को दूध पिलाती है, मुसलमान को दूध पिलाती है, बच्चे को दूध पिलाती है, जो गौमाताएं कहीं न कहीं भटक रही हैं, उन गौमाताओं को संरक्षण देने के लिए हमारे पुरखों ने, ऋषिमुनियों ने कहा है कि गौमाता में करोड़ों देवी-देवता निवास करते हैं. आज वे गौमाताएं काटी जा रही हैं. मैं पूर्व मुख्यमंत्री, श्री सुन्दरलाल जी पटवा को धन्यवाद दूँगा क्योंकि उन्होंने यह संकल्प लिया था कि मध्यप्रदेश की धरती पर गौमाता के रक्त की एक बूँद भी नहीं गिरेगी और उन्होंने गौमाता काटने पर प्रतिबंध लगाया था. आज मुझे यह कहते हुए बड़ा दु:ख हो रहा है कि आज जो गौमाता बाजार में खुले में घूम रही हैं, कुछ लोग उन्हें उठाकर ले जाते हैं, उसको काटने के लिए बेच देते हैं. हमारे मन को पीड़ा होती है, जिस गाय में करोड़ों देवी-देवता निवास करते हैं, उनको लोग कसाइयों को चुराकर बेच देते हैं और वे गौमाताएं कटने के लिए चली जाती हैं. केन्द्र और प्रदेश सरकार, दोनों से हम लोगों को यह संकल्प लेना चाहिए कि हम सब लोग मिलकर गौमाता के रक्त की एक बूँद भी भारत माता की धरती पर न गिरने दें. यह हम सबका दायित्व है, यदि हम उनको पालते-पोसते हैं और उसका दूध पीते हैं तो सबका यह दायित्व होता है कि हम उनका संरक्षण करें और संरक्षण करने के लिए गौशालाओं का निर्णय बहुत अच्छा निर्णय है, मैं इसका स्वागत करता हूँ. हम सब लोग मिलकर इसके लिए बजट बढ़ाने का काम करेंगे, तो बहुत अच्छा होगा. हम देखते हैं कि हमारी आर्थिक स्थिति सम्पन्न करने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री, श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने किसानों को मेहनत करने के लिए कहा और उन्हें कृषि कर्मण पुरस्कार प्राप्त हुआ. हम अन्न उत्पादन में प्रथम स्थान पर रहे. हम सब गाय, भैंस और बकरी पालने वाले लोग यह संकल्प लें कि जैसा हरदीप भाई ने कहा कि हम अपने घरों में गाय पालेंगे. मुझे याद है कि बीच के समय में मेरे घर में गाय नहीं थी, मेरी धर्मपत्नी ने गीर गाय पाली, वह बढि़या दूध दे रही है और उससे दूध, घी एवं उससे मक्खन मिलता है तो दिमाग भी चलता है. मैं इसलिए सबसे निवेदन करूँगा कि वे अपने-अपने घर में गौमाता का पालन करें, दूध उत्पादन करें. आज जो दूध उत्पादन हो रहा है, यूरिया से, प्लास्टिक से दूध बनाया जा रहा है. यह आज के समाचार-पत्रों में हमने पढ़ा है. मैं वेटनरी के उन डॉक्टरों को बधाई एवं धन्यवाद दूँगा. यदि हम आज बीमार हो जाते हैं तो डॉक्टर के पास जाते हैं तो वह हमारी नब्ज़ देखता है और हम कहते हैं कि मुझे बुखार है, मेरा पेट दर्द हो रहा है. मैं वेटनरी के उन डॉक्टर्स को कहूँगा कि आप बिना बोलने वाले पशुओं का इलाज कर रहे हैं, इसलिए उन्हें धन्यवाद दूँगा.
उपाध्यक्ष महोदया, मैं मान्यवर मंत्री जी से निवेदन करूँगा कि वे स्टाफ बढ़ाएं. स्टाफ की बहुत कमी है, हमारे वेटनरी डॉक्टर आएं, उनको ट्रेनिंग दें और उनको बढ़ाने का प्रयास करें. हम देखते हैं कि आज जिस प्रकार का गौधन धीरे-धीरे समाप्त होता जा रहा है. पुराने समय में अच्छी गीर नस्ल की गायें होती थीं, वह अच्छा दूध देती थीं, कहीं न कहीं बंध्याकरण पशु विस्तार योजना, जो पशुओं के प्रजनन को रोकने के लिए है, उसमें मंत्री जी को कुछ न कुछ योजना बनानी चाहिए, उनके टीकाकरण के लिए कैम्प लगाने चाहिए. इस प्रकार से यदि हम काम करेंगे तो आने वाले समय में गौमाताएं हमें दुआएं देगीं, बददुआओं का भी असर होता है.
उपाध्यक्ष महोदया - कृपया समाप्त करें.
श्री दिलीप सिंह परिहार - उपाध्यक्ष महोदया, जो लोग अच्छे काम करते हैं, उनकी वैतरणी गौमाता की पूँछ पकड़कर हो जाती है. यदि उनकी भावनाओं के अनुसार आप काम करोगे तो आपकी नैया पार हुई है और यदि नीयत में कहीं न कहीं गड़बड़ रही तो नैया वापस भी डूब सकती है इसलिए आप गौशालाएं खोलें और गौमाता की दुआएं लें और मैं नस्ल सुधार के लिए भी आपसे निवेदन करूँगा.
गांधीसागर जैसे मध्यप्रदेश की धरती पर अनेक बांध हैं, जहां पानी संचय हो रहा है, यदि उनमें हम मछलीपालन करेंगे और नये-नये बीज/अण्डे डालें तो उससे हमारी आर्थिक आय अच्छी हो सकती है और कड़कनाथ मुर्गे की बात नहीं करूँगा तो मजा नहीं आएगा. हम देखते हैं कि हमारे आदिवासी भाई कड़कनाथ पालते हैं तो हम कहीं न कहीं उनको पालने के लिए योजनाएं बनाएं. हम सब कुछ न कुछ अच्छा काम करने के लिए इस विधानसभा सत्र में आए हैं.
उपाध्यक्ष महोदया - दिलीप जी, कृपया समाप्त करें.
श्री दिलीप सिंह परिहार - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं दो शब्द बोलकर अपनी बात समाप्त करूँगा. हमारी आचार्य विद्यासागर योजना, उस योजना के माध्यम से पूर्व मुख्यमंत्री, श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने बहुत अच्छी योजनाएं बनाईं. अभी सम्माननीय लक्ष्मण सिंह जी बता रहे थे. हम स्व-सहायता समूह के माध्यम से गांव-गांव में हमारी बहनों की छोटी-छोटी समिति बनाकर उनको लोन देंगे. यदि वे गौ और भैंस को पालेंगी तो दूध उत्पादन होगा और दूध हम सबको मिलेगा. हम चाहते हैं कि यह देश वापस सोने की चिडि़या बन जाये. यहां दूध और दही की नदियां बहें और उसी भाव को लेकर इस बजट में हम चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ेंगे. गौ-सेवकों के प्रशिक्षण भी हम आयोजित करें, गोपाल पुरस्कार, यहां सुरेन्द्र भाई बैठे हुए हैं, इनके पिताजी गाय पालते हैं, इनकी गौशालाएं हैं, भाई माधव जी मारू हैं, उनकी भी गौशालाएं हैं, जब भी गौ पुरस्कार की प्रतियोगिता होती है तब इनकी गायें प्रथम आती हैं. मैं ऐसे गौपालकों को भी धन्यवाद देता हूँ. जो अच्छे गौपालक हैं, उनका सरकार को सम्मान करना चाहिए. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, मैं इसके लिए धन्यवाद देता हूँ. गौमाता की जय.
उपाध्यक्ष महोदया - धन्यवाद.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को (पुष्पराजगढ़) - माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं मांग संख्या-14 एवं 16 का समर्थन करता हूँ और माननीय पशुपालन मंत्री जी को ढेर सारी शुभकामनाएं और बधाई देता हूँ. मैं अन्य बिन्दुओं पर न बोलते हुए ताकि पुनरावृत्ति न हो. मैं अपनी विधानसभा में जो वर्तमान में मुर्गीपालन चल रहा है, उसके बारे में थोड़ा सा बताना चाहता हूँ. पुष्पराजगढ़ विधानसभा में लगभग 3,000 हितग्राहियों को एक शेड करीब 80-90,000 रुपये का पड़ता है, हम एक परिवार को हमने एक इकाई देते हैं, उसको चूजा उपलब्ध कराते हैं और चूजा उपलब्ध कराने के बाद, उसका दाना-खाना सब जो हितग्राही को दिया जाता है, उसमें एक एनजीओ लगा दिया गया है. वह लगभग 25-26 दिन के बाद एक किलो का हो जाता है, उसके बाद एनजीओ का व्यक्ति आता है और सभी घरों से मुर्गे तौलकर वहीं से वह बाजार लेकर जाता है. इस तरह से वहां करीब एक परिवार को लगभग 4,000 रुपये से 5,000 रुपये प्रतिमाह उसकी मासिक आय बन जाती है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, वे अपने कृषि कार्य तो करते ही हैं, घर के काम भी करते हैं, उसमें हमारी बहुत सारी गृहणी महिलाएं, जो जनजातीय समूह में जुड़कर इस व्यवसाय को बहुत अच्छी तरह से कर रही हैं, उसमें लाभ भी पा रही हैं और वे सफल भी हैं. आदरणीय ने कड़कनाथ मुर्गे के बारे में कहा. मैं यह सोच रहा था कि इसकी बात न हो. यह मध्यप्रदेश में झाबुआ तथा अन्य जिलों में पाले जाते हैं. मध्यप्रदेश से अन्य प्रदेशों में इनकी काफी मांग है, यदि हम इनकी इकाई बढ़ा दें. इसके चूजे बढ़ा दें, हम जो व्यवसाय कर रहे हैं, इसको थोड़ा बढ़ाया जाय तो निश्चित ही इससे लोग जुड़ेंगे और उनकी आय में वृद्धि होगी और इस दिशा में मैं माननीय मंत्री जी से चाहूँगा कि हमारे मुर्गीपालन, कड़कनाथ मुर्गे में थोड़ा ध्यान दें और उसमें थोड़ी राशि आप देंगे तो अच्छा होगा. हम अभी डी.एम.एफ. की राशि से अपने जिले में काम कर रहे हैं, उससे काफी अच्छी लोगों में स्वीकार्यता भी है और लोगों की आय में वृद्धि हुई है, लोग प्रसन्न हैं, इससे लोग बहुत खुश हैं. मैं माननीय मंत्री जी से यह कहना चाहता हूं कि यदि यह अच्छा है तो अन्य विधानसभा और प्रदेश में भी इसको लागू करने का कष्ट करें. माननीय उपाध्यक्ष महोदया, आपने मुझे बोलने का समय दिया बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह (पथरिया) -- अनुपस्थित.
श्री उमाकांत शर्मा (सिरोंज) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं मांग संख्या 14 एंव 16 का विरोध करने के लिये और कटौती प्रस्ताव के पक्ष में समर्थन करने के खड़ा हुआ हॅू. सर्वप्रथम मैं कहना चाहता हूं कि मेरा माईक छोटा कर दिया गया है, कहीं मेरी आवाज को दबाने के लिये तो ऐसा नहीं हुआ हो ?
उपाध्यक्ष महोदया -- नहीं आपकी आवाज पूरे सदन में अच्छे से आ रही है, आपकी आवाज को कोई नहीं दबायेगा, आप बोलें.
श्री उमाकांत शर्मा -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, सर्वप्रथम में देश के प्रधानमंत्री माननीय मोदी जी और भाजपा की केंद्र सरकार को धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने नीतिगत निर्णय लिया है कि वह गौवंश और गाय के मांस का सभी प्रकार का निर्यात बंद कर देंगे और इसके लिये सदन को भी उनका धन्यवाद देना चाहिये. मैं पूर्व मुख्यमंत्री सुश्री उमा भारती जी को और आदरणीय श्री शिवराज सिंह चौहान जी को धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने मध्यप्रदेश में पहली बार गौवध प्रतिषेध अधिनियम लागू करके और सख्त अधिनियम बनाकर गौ माता को बचाने का काम मध्यप्रदेश की सरकार के माध्यम से किया है. यह काम आज तक की किसी कांग्रेस सरकार ने नहीं किया था, वह कार्य भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किया है और उसके लिये मैं उनको बहुत -बहुत धन्यवाद देता हूं.
वित्तमंत्री( श्री तरूण भनोत) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, इनको बोलिये एक बार आंकड़े निकाले कि किसकी सरकार में सबसे ज्यादा मांस का निर्यात हुआ है ?
श्री उमाकांत शर्मा -- हमारी सरकार में मध्यप्रदेश से कोई गौमांस निर्यात नहीं हुआ है. मैं आपको चैलेंज करता हूं.
श्री महेश परमार -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, क्या मध्यप्रदेश में मोदी जी गौमांस बैन कर रहे हैं ?
श्री उमाकांत शर्मा -- सुश्री उमा भारती जी और श्री शिवराज सिंह चौहान जी की पंद्रह साल की भाजपा सरकार में कोई गौमांस निर्यात नहीं हुआ है.
उपाध्यक्ष महोदया -- श्री उमाकांत शर्मा जी मेरा आपसे निवेदन है कि आप जवाब न देकर, अपनी बात रखें.माननीय वित्त मंत्री जी आप बैठ जायें.... (व्यवधान)......
श्री तरूण भनोत -- आप माननीय मोदी जी की सरकार के बारे में बता दीजिये. .... (व्यवधान)......
श्री भारत सिंह कुशवाह -- यहां मध्यप्रदेश सरकार की बात हो रही है. .... (व्यवधान)......
श्री वालसिंह मैड़ा -- सच्चाई तो आने दीजिये. .... (व्यवधान)......
श्री रामेश्वर शर्मा -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, .... (व्यवधान)......
उपाध्यक्ष महोदया -- श्री रामेश्वर शर्मा जी वह भी शर्मा जी हैं उनको बोलने दीजिये. .... (व्यवधान)......
श्री रामेश्वर शर्मा -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, यह संरक्षण तो हर सदस्य चाहता है कि पहली बार के सदस्य यदि कोई विषय उठा रहे हैं और यदि वह विषय से भी हटकर कोई बात कह रहे हैं और उनके बीच-बीच में वित्तमंत्री जैसे सीनियर बोल रहे हैं, आप बाद में बोलिये. .... (व्यवधान)......
उपाध्यक्ष महोदया -- उनको पूरा संरक्षण है. श्री रामेश्वर जी आप बैठ जायें श्री उमाकांत शर्मा जी आप बोलें. अब किसी की बात नोट नहीं होगी, श्री उमाकांत शर्मा जी जो बोलेंगे वही बात नोट होगी.
श्री वालसिंह मैड़ा -- (XXX)
श्री रामेश्वर शर्मा -- (XXX)
उपाध्यक्ष महोदया -- (एक साथ कई माननीय सदस्यों के अपने आसन पर खड़े हो जाने पर ) आप इस तरह से टीका टिप्पणी न करें, आप सभी बैठ जायें. (व्यवधान)......
श्री उमाकांत शर्मा -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मुझे कहने में अत्यंत दुख है कि जो प्रतिवेदन 2018-19 प्रस्तुत किया गया है, उसमें गौवंश की संख्या दस प्रतिशत घट रही है, यह सरकार के लिये निंदनीय है. इधर हम गौशाला खोलने की भी बात कर रहे हैं और गौवंश घट रहा है, मैं इसके लिये सरकार की निंदा करता हूं. इसके साथ में पशुपालन विभाग को सुझाव देना चाहता हूं कि पचास प्रतिशत सब्सिडी पर बगैर ब्याज के जैसे किसानों को ऋण दिया जाता है, ऐसे ही मध्यप्रदेश में पशुपालकों को दस लाख रूपये तक का और पचास प्रतिशत सब्सिडी के साथ अगर ऋण दिया जायेगा तो इतिहास बन जायेगा. मुझे ऐसा विश्वास है कि हम गौ पालन और पशुपालन के माध्यम से दुग्ध क्रांति कर पायेंगे और मंत्री जी ऐसा प्रावधान करेंगे तो अच्छा रहेगा. हाल ही में सरकार एक विधेयक लाई है गौवध प्रतिषेध अधिनियम जिसमें मॉब लिंचिंग के नाम से संशोधन किया गया है. मैं कहना चाहता हूं कि अगर आपने इस विधेयक को पारित किया तो गौ माता की तस्करी और बढ़ेगी गौ माताओं की हत्याएं और होंगी, जिले-जिले में शहर- शहर में गौवंश कटेगा क्योंकि इसके बाद अब फिर कोई शिकायत करने के लिये आगे नहीं आयेगा क्योंकि उल्टा उनके ऊपर ही मुकदमा बन जायेगा.
श्री रामेश्वर शर्मा -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं यह बोलना चाहता हूं.
उपाध्यक्ष महोदया -- श्री रामेश्वर शर्मा जी कृपया बैठ जायें, वह अपनी बात कर रहे हैं, आप उनको अपनी बात करने दीजिये, ऐसे टीका टिप्पणी न करें. ऐसा नहीं चलेगा यह गलत बात है. आप बैठ जायें. उमाकांत शर्मा जी आप अपनी बात जारी रखें. श्री रामेश्वर शर्मा जी की अब कोई बात नोट नहीं होगी.
श्री रामेश्वर शर्मा -- (XXX)
श्री उमाकांत शर्मा -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं मध्यप्रदेश की चिंता व्यक्त करना चाहता हूं. हम गिर नस्ल की बात कर रहे हैं, हम साहिवाल नस्ल की गाय की बात कर रहे हैं, हम ब्राजील और कनाडा से गौवंश मंगाने की बात कर रहे हैं लेकिन मेरे मध्यप्रदेश की मालवा की, बुंदेलखंड की, बघेलखंड की, चंबल बेल्ट की, जबलपुर क्षेत्र की गौ नस्ल नष्ट होती जा रही है. हम मध्यप्रदेश की नस्ल को बचाने के लिये क्या कर रहे हैं ? यह बजट में कोई प्रावधान नहीं है. मैं निवेदन करना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश की देशी शुद्ध गाय की नस्लों के लिये बजट में अलग से प्रावधान किया जाये और कोई भी विदेशी नस्ल की संकर नस्ल की विेदेशी गाय का बैल से सांड से किसी भी प्रकार उत्पादन न किया जाये, अन्यथा हमारी नस्ल खराब हो जायेगी और हमारी नस्ल दो प्रकार की हो जायेगी. माननीय उपाध्यक्ष महोदया, विधानसभा के अंदर बैठकर चर्चा हो रही है मैं पशुपालन मंत्री से पूछना चाहता हूं कि आपके अनुभाग स्तर पर जो जिला कमेटी गौ शालाओं के लिये बनाई है उसमें कितने जनप्रतिनिधि रखे हैं ? कौन से विधायक को उसमें स्थान दिया है ? क्या जिला स्तर पर और अनुभाग स्तर पर, सब डिवीजन स्तर पर जन प्रतिनिधियों को स्थान नहीं देना चाहिये ? मुझे लगता है कि स्थान देना चाहिये और यह प्रावधान किया जाना चाहिये. सबसे बड़ी बात है गौवंश के लिये चारे की, भूसा की आवश्यकता होती है. हमारे यहां मध्यप्रदेश से भूसा ढोया जाता है और हमारे किसानों को भूसा नहीं मिलता है. इसलिये भूसे के परिवहन पर प्रतिबंध लगाया जाये, ऐसी मांग मैं सदन के माध्यम से करता हूं. मैं निवेदन करना चाहता हूं कि दिग्विजय सिंह जी के जमाने की बात हो रही है, तो उन्होंने चरनोई की जमीन पचास प्रतिशत से ज्यादा पट्टे पर देकर खत्म कर दी थी. मैं यह निवेदन करना चाहता हूं बड़े-बड़े पुराने और बुजुर्ग सदस्य बैठे हैं, पहले हमारे यहां राजस्व की अगर राजस्व मंत्री जी और वन मंत्री जी हों तो राजस्व वन विभाग की बीड़ हुआ करती थी. मध्यप्रदेश से घास के मैदान खत्म हो गये. कैल, मचौली इस प्रकार से अनेक प्रकार की 15 प्रजाति की घास होती थी, वह घास की प्रजाति खत्म हो गई है.
श्री लक्ष्मण सिंह -- माननीय सदस्य अब तो पार्टी वाले भी कह रहे हैं कि आप बैठ जाओ. पार्टी वालों की तो सुन लें, वह सब बैठने का कह रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदया -- (हंसी) आपका समय काफी हो गया है, आप बैठ जायें.
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री (श्री सुखदेव पांसे) -- पार्टी वालों ने तो इनको जेल भेज दिया है.
श्री उमाकांत शर्मा -- अरे साहब आप भी जेल भिजवा दो, हमें कोई चिंता नहीं है. आपने दो मुकदमें तो बनवा ही दिये हैं. मैं यह कहना चाहता हूं कि चरनोई की भूमि, राजस्व की बीड़, घास की बीड़ की पुन: नीलामी करना चाहिये.
उपाध्यक्ष महोदया -- कृपया आप समाप्त करें. आपको जो भी कहना है आप लिखकर दे दें.
श्री उमाकांत शर्मा -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मेरे और भी बहुत मुद्दे हैं. मैं सदन के समक्ष आखिरी बात कर रहा हूं, इसमें आपके लिये भी आनंद आयेगा (हंसी).
उपाध्यक्ष महोदया -- अपनी अंतिम बात रखें (हंसी).....
श्री उमाकांत शर्मा -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, हमारे यहां केवल गाय को, भैंस को पशु माना जा रहा है, उनको पालने वाला पशु माना जा रहा है. मुझे बड़ी चिंता है हमारे प्रदेश से गधे खत्म हो रहे हैं. सिंगरौली जिला सन् 1912 में गधा विहीन हो गया था. हम वहां किसको गधा कहेंगे ? किसको गधे का बच्चा कहेंगे ? हमें अपने बच्चों को गधा दिखाने के लिये चिडि़या घर जाना पड़ेगा .
कुंवर विजय शाह -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया,(XXX). .
उपाध्यक्ष महोदया --इसको विलोपित करें. उमाकांत जी आपने कहा था आप अंतिम बात बोल रहे हैं,आपकी बात आ गई है, कृपया समाप्त करें.
श्री उमाकांत शर्मा -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं केवल एक बात कहना चाहता हूं कि प्रत्येक संभाग केंद्र पर, शासन के स्तर पर मॉडल गौशाला और एक पशु चिकित्सा महाविद्यालय खुलना चाहिये. माननीय उपाध्यक्ष महोदया,आपने बोलने के लिये समय दिया आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदया -- माननीय मंत्री जी आप बोलें.
पशु पालन मंत्री (श्री लाखन सिंह यादव)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मेरे विभाग की अनुदान मांगों पर 11 सत्ता पक्ष और विपक्ष के लोगों ने अपने-अपने महत्वपूर्ण सुझाव दिये हैं. में उनके नाम पढ़कर सुनाना चाहता हूं. श्री ओमप्रकाश सखलेचा जी आपने बहुत महत्वपूर्ण सुझाव दिये और आपके सुझावों पर मैं गौर करूंगा. आदरणीय लक्ष्मण सिंह जी, आदरणीय अजय विश्नोई जी, श्री विनय सक्सेना जी, श्री देवेन्द्र वर्मा जी, श्री गिर्राज दण्डोतिया जी, श्री भारत सिंह कुशवाह जी, श्री हरदीप सिंह डंग जी, श्री दिलीप सिंह परिहार जी, श्री फुंदेलाल मार्को जी और पंडित उमाकांत शर्मा जी. पंडित जी गधों को ढुंढवायेंगे कहां चले गये.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया जी, अभी विश्नोई जी ने वर्ष 2009 में जब वह इस विभाग के मंत्री थे उस समय की उन्होंने बात रखी और उन्होंने बहुत अच्छी बात रखी, जब इनको यह विभाग मिला था उस समय इनको भी यह कहा गया होगा कि आप मंत्री तो बन गये, लेकिन आपका विभाग ठीक नहीं है. यह उनके चहेतों ने, उनके विधान सभा के लोगों ने इस तरह की बात रखी होगी, उन्होंने यह बात अभी यहां प्वाइंट की. माननीय उपाध्यक्ष महोदया, 26 दिसम्बर 2018 को जब ऐसे ही मैंने मंत्रिमंडल की शपथ ली तो मेरे क्षेत्र में लोगों ने बड़ी भारी खुशियां मनाईं और लोगों को लगा कि हमारे क्षेत्र का विधायक मंत्री बन गया, हमारे क्षेत्र में विकास होगा, उन्होंने ढोल ढमाके और तमाम सारी मिठाईयां और पटाखे चलाये और जब तीसरे दिन जाकर मुझे यह पशुपालन विभाग की जिम्मेदारी मिली तो हमारे क्षेत्र के लोगों और प्रदेश के लोगों में मुझे थोड़ी मायूसियत देखने को मिली, उदासीनता मुझे देखने को मिली. मेरे यहां उस दिन बधाई के फोन कम आये तो मैंने कुछ लोगों से कहा, कुछ लोगों ने कहा भाई साहब आप मंत्री तो बन गये लेकिन ये विभाग जरा गड़बड़ सा दे दिया. लेकिन माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मेरे क्षेत्र के लोग तो थोड़ा अपने आप को असहज महसूस कर रहे थे, लेकिन मैं आपको इस सदन में यह बताना चाहता हूं कि जिस दिन मुझे यह विभाग मिला था उस दिन मेरे मन में अपने आप में बड़ी खुशी का इजहार हो रहा था और वह खुशी इस बात की थी कि मैं बिलकुल दूरस्थ गांव से इधर इस सदन में चौथी बार चुनकर आया हूं और चौथी बार जब मैं चुनकर आया हूं तो निश्चित तौर पर मेरा लगाव ज्यादातर टोटल ग्रामीण क्षेत्र से रहा है. मुझे याद है अभी आदरणीय विश्नोई जी ने एक बात कही थी जब परमार साहब यह बात कह रहे थे कि यह छोटे थे तो अपने गांव में गायों को छोड़ने, उनको चराने के लिये जाया करते थे और मैं भी उसी परिवेश में पला, बढ़ा हूं. मैं जब छोटा था तब मैं खुद गाय चराने के लिये जाता था, मेरे परिवार में..........
4.38 बजे (अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) पीठासीन हुये)
..........ढाई-ढाई सौ, तीन-तीन सौ गाय हुआ करती थीं और उस समय हमारी माता-बहनें जब घर में खाना बनाती थीं और पहली रोटी जब बनती थी तो वह पहली रोटी हमारी माता-बहनें चंदिया के नाम से निकालती थीं और वह पहली रोटी को गाय को खिलाने का काम करती थी, यह उस समय की परंपरा थी. आज उतनी नहीं है आजकल की महिलायें तो डायरेक्ट..
कुंवर विजय शाह-- पति को खिलाती हैं.
श्री लाखन सिंह यादव-- लेकिन माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे यह बात कहने में कहीं कोई संकोच नहीं है कि हमारे प्रदेश के माननीय लोकप्रिय मुख्यमंत्री जी ने मुझे जो विभाग दिया है, इस विभाग को मैं पूरे सम्मान के साथ काम करने के लिये तत्पर हूं और यह भी मैं आपको बताना चाहता हूं कि इस विभाग में जब मध्यप्रदेश में 15 साल पहले कांग्रेस पार्टी ने जब आपको यह सरकार दी थी, इस प्रदेश को सौंपा था उस समय इस प्रदेश में आज जो हमारी गौमाता को आप लोग कहते हैं, समूची भारतीय जनता पार्टी देश में गाय के नाम पर और भगवान राम के नाम पर राजनीति करती रही और जब हमनें आपको 15 साल पूर्व सरकार दी उस समय ..
श्री रामेश्वर शर्मा-- आपने दी कि हमने ली.
श्री लाखन सिंह यादव-- आपने ले ली, हमने दी, हमनें आपको छोड़ी या प्रदेश की जनता ने दी. माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने जब सरकार इनको 15 साल पहले दी तब इस प्रदेश में निराश्रित गौवंश 35 और 40 हजार के लगभग हुआ करता था और आज जब इन्होंने हमको सरकार सौंपी है तो इस प्रदेश में निराश्रित गौवंश जिसको कि आप हमेशा अपनी गाय माता के नाम से कहते थे उस गाय माता की आपने जो 15 साल में दुर्दशा की है वह इस प्रदेश की जनता से किसी से छिपा नहीं है. आज जब मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार है तो आप लोगों ने हमको निराश्रित गौवंश इस प्रदेश में जो रोडों पर घूम रहा है, खेतों में किसानों के डंडे खा रहा है, बाजार में सब्जी वालों के, ठेले वालों के डंडे खा रहा है, ऐसा निराश्रित गौवंश 6 लाख 92 हजार इन्होंने हमको दिया है.
एक माननीय सदस्य-- वह तो अभी भी रोडों पर घूम रहा है.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, गौवंश के नंबर की बजाय आपके गौवंश की तरक्की कितनी हुई और दूध का आउटपुट कितना बना उस पर आयें.
श्री लाखन सिंह यादव-- सखलेचा जी, उस पर भी आ रहा हूं, आप बैठे तो रहिये. माननीय अध्यक्ष महोदय, जब हमने यह देखा कि प्रदेश के हालात खराब हैं, यहां का निराश्रित गौवंश रोडों पर एक्सीडेंट में मारा जा रहा है, किसान शाम को फसल को अपनी अच्छी छोड़कर आता है और सुबह जब जाता है तो यह निराश्रित गौवंश द्वारा उसकी सारी की सारी फसल चौपट कर दी जाती है, किसान खेत पर जाकर सर पर हाथ रखकर रोता है. ऐसे निराश्रित गौवंश का संधारण और संवर्धन करने का काम यह कांग्रेस पार्टी और आदरणीय कमलनाथ जी की सरकार ने शुरू किया है. हमने अपने पहले फेस में, अपने वचन पत्र में वादा किया था कि इस प्रदेश में जितना भी निराश्रित गौवंश है उसका संधारण और संवर्धन करने का काम हम करेंगे और उसी कड़ी में हमने मध्यप्रदेश में प्रथम फेज में 1 हजार गौशालाओं का निर्माण करने का काम शुरू कर दिया है. हमें अभी सरकार में आये 7 महीने हुये हैं, अभी आप कह रहे थे कि कहीं भी कोई काम शुरू नहीं हुआ है चूंकि उधर बैठे हुये लोगों को काम नहीं दिखेगा. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपको यह बताना चाहता हूं 1 हजार गौशालाओं में से 957 गौशालाओं पर हमारा काम शुरू हो गया है और मैं इस सदन में आपको भरोसा दिलाना चाहता हूं कि आने वाले 4 महीने में यह मध्यप्रदेश का जो निराश्रित गौवंश है, इन गौशालाओं को हम तैयार करके और जो निराश्रित गौवंश है उसके संधारण और संवर्धन करने का काम हम शुरू कर देंगे और यह भी मैं आपको सदन में भरोसा दिलाना चाहता हूँ, यह मेरा संकल्प है, चूंकि मैं भी इस परिवेश से जुड़ा हूं, गाय को तो आप लोग राजनीति के लिये उपयोग करते हैं, हम दिल से पसंद करते हैं और दिल से ही उनका संधारण और संवर्धन करने का काम करेंगे. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपको यह भरोसा दिलाना चाहता हूं कि आने वाले समय में डेढ़ साल के अंदर कम से कम सवा डेढ़ साल के अंदर मध्यप्रदेश में जो निराश्रित गौवंश है जिसका इस दुनिया में, इस धरती पर कोई धनी धोरी नहीं है, यह काम आपको करना चाहिये था, यह आपकी लड़ाई थी, 15 साल आप राज कर गये सिर्फ अपनी बातों में इस प्रदेश की जनता को बेवकूफ बनाने में आपने गुजार दिये, यह आपका काम था आपको करना चाहिये था वह काम हम कर रहे हैं और सवा साल के अंदर, डेढ़ साल के अंदर मध्यप्रदेश के अंदर कोई भी निराश्रित गौवंश आपको खेतों में और रोडों पर नजर नहीं आयेगा, सारे के सारे निराश्रित गौवंश को हम गौशालाओं में शिफ्ट करेंगे और उनके मान सम्मान के साथ उनकी सारी व्यवस्थायें करने का काम यह कांग्रेस पार्टी और आदरणीय कमलनाथ जी ने लिया है. अभी हमारे सखलेचा जी तमाम सारे आंकड़ों के साथ अपनी बात यहां रख रहे थे, अभी हमारे बड़े भाई आदरणीय लक्ष्मण सिंह जी ने कहा कि आप गौशालाओं को को-आपरेटिव को भी दें. पहली बार हमने गौशालाओं को स्थापित करने के लिये को-आपरेटिव सेक्टर को भी आमंत्रित करने का काम किया है, यह आपने कभी नहीं किया. आपने तो गौशालायें ही नहीं बनाईं तो आप यह काम कहां से करते. देश में पहली बार हमने गौरक्षा के नाम पर होने वाली मॉब लीचिंग को रोकने का काम, यह कानून हम लेकर आये हैं, इनके समय में भी, पंडित जी आप कह रहे थे, गाय बहुत कट रही हैं.
इंजी. प्रदीप लारिया-- आज भी कट रही हैं पता लगा लें आप अभी भी कट रही है.
श्री लक्ष्मण सिंह-- सिरोंज में सबसे ज्यादा बूचड़खाने आपके भाई साहब मंत्री थे तब खुले थे.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- अध्यक्ष जी, विधेयक में मॉब लीचिंग कहीं नहीं लिखा है.
श्री उमाकांत शर्मा - क्या गाय के बूचड़खाने खुलेंगे. लक्ष्मण सिंह जी स्पष्ट करेंगे.
श्री लक्ष्मण सिंह - रिकार्ड देखिये, आपके भाई साहब जब मंत्री थे सिरोंज में बूचड़खानों की संख्या बढ़ी है.
(..व्यवधान..)
श्री उमाकांत शर्मा - आपके भाई साहब दिग्विजय सिंह जी के कार्यकाल में सबसे ज्यादा पशु वध के लिये अनुमतियां दी गईं. हमारे शासन काल में एक नहीं दी गई.
अध्यक्ष महोदय - ये जितने लोग बीच में बोल रहे हैं बिल्कुल नहीं लिखा जायेगा.
देखिये शर्मा जी, धीरे बोलिये आपकी आवाज धीमी है. हम लोगों को पता नहीं कैसा-कैसा लग रहा है कि कौन गरज रहा है, बादल चमक रहे हैं, बिजली गिर रही है, क्या हो रहा है. धीमे बोलिये.
श्री उमाकांत शर्मा - XXX
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी, आप कृपापूर्वक अपने विभाग पर बोलें ताकि मैं समय-सीमा में काम कर सकूं.
श्री उमाकांत शर्मा - XXX
अध्यक्ष महोदय - मेरी अनुमति के बगैर बोल रहे हैं नहीं लिखा जायेगा.
श्री लाखन सिंह यादव - अध्यक्ष महोदय, पहली बार हमने वेटेनरी एजुकेशन के लिये निवेश लाने का काम किया है. हमने गौशाला खोलने के बाद हमने इनके शासन काल में जो निराश्रित गौवंश था. इस प्रदेश में 625 गौशालाएं संचालित होती हैं. मुझे बड़े दुख के साथ कहना पड़ रहा है सरकार इधर की हो या सरकार उधर की हो, अभी तक प्रदेश में 625 गौशालाएं संचालित होती हैं वे सारी की सारी प्रायवेट हैं. 15 साल आप लोग इस प्रदेश में राज कर गये एक भी गौशाला का निर्माण नहीं किया. जब मैंने अपने विभाग की प्रथम बैठक ली, विभाग के अधिकारियों के साथ और मैंने पूछा कि ये 625 गौशालाएं जो संचालित हो रही हैं उनको हम कितना अनुदान देते हैं तो सुनकर मुझे आश्चर्य हुआ कि हम एक गाय के लिये प्रति दिन प्रति कैटल 3 रुपये 32 पैसे के करीब देते हैं. मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ कि 3 रुपये 32 पैसे प्रति दिन, प्रति कैटल, इतने भारी भरकम शरीर वाले जानवर को 3 रुपये 32 पैसे देंगे तो क्या उसका पेट भर जायेगा. 3 रुपये में तो 1 किलो भूसा भी नहीं आता और यह लगातार गाय के नाम पर राजनीति करने वाले लोग 3 रुपये दे रहे. पूरा का पूरा उनका पैसा यही डकारते रहे.
श्री अजय विश्नोई - अध्यक्ष महोदय, वे गौशालाएं एन.जी.ओ. चलाते थे और वह उनको अनुदान था बाकी व्यवस्थाएं वे खुद करते थे.
श्री लाखन सिंह यादव - आप मेरी बात तो सुन लें. जब मैंने यह देखा तो पहले दिन हमने 3 रुपये 32 पैसे को बढ़ाकर 20 रुपये प्रति दिन प्रति कैटल किया. ये 19.6.2018 को माननीय पूर्व मुख्यमंत्री जी ने मोहनखेड़ा में एक भाषण दिया कि हम मध्यप्रदेश में आज से प्रति दिन प्रति कैटल 17 रुपये करने जा रहे हैं. ये आपके उस दिन के भाषण का अंश है लेकिन आपने वह भी नहीं किया लेकिन हमने पहले ही दिन अपनी गायों को 3 रुपये 32 पैसे से बढ़ाकर 20 रुपये किया.
श्री राजेन्द्र शुक्ल - माननीय मंत्री जी, आपने बताया कि 625 जो गौशालाएं हैं उसमें एक भी सरकारी नहीं है. रीवा में 6 गौअभ्यारण्य बने हैं, 1 गौशाला बनी है. सरकारी है, कलेक्टर और एस.डी.एम. उसके अध्यक्ष और कार्यपालक अधिकारी हैं.
श्री उमाकांत शर्मा - सुसनेर में भी एक बड़ा गौ अभ्यारण्य भा.ज.पा. ने बनवाया है.
श्री अजय विश्नोई - सुसनेर का भी सरकारी है. 10 हजार गायों का.
श्री लाखन सिंह यादव - यह गौशाला नहीं है.(..व्यवधान..) 20 रुपये प्रति दिन प्रति कैटल देने का हमने काम किया है जिसमें 15 रुपये हम लोग नगद देंगे और 5 रुपये सुदाना के रूप में पैसे देंगे. देश में पहली बार इनविट्रो फर्टिलाईजर, आई.बी.ए. प्लांट हम लोग लेकर आये. अभी आदरणीय विश्नोई जी ने एक बड़ी अच्छी बात कही. आज से 20-25 वर्ष पीछे जायें तो उस समय खेती का काम बैलों से और बछड़ों से हुआ करता था. आधुनिक मशीनरी का युग आया तो निश्चित तौर पर हमारे जो बछड़े और बैल होते थे वे अनुपयोगी होते गये और इस सबको दृष्टिगत रखते हुए हमने पहली बार देश का पहला सेंटर है शार्टेज सेक्शन सीमन के नाम से जाना जाता है. 47 करोड़ का प्रोजेक्ट हम लेकर आये हैं और हमने इसमें 12 करोड़ का प्रावधान इसमें अलग से रखा है. निश्चित तौर पर मैं ऐसा मानकर चलता हूं कि इस प्रदेश में 15 वर्ष से जो आपने इस विभाग को पीछे ले जाने का काम किया है मुझे ऐसा भरोसा है कि मैं इस विभाग को जो लोगों में धारणा थी कि यह विभाग अच्छा नहीं है लेकिन मैंने जो अध्ययन किया है मुझे लगता है कि जो आपने भी इस बात को स्वीकार किया कि इस विभाग में काम करने की बहुत सारी संभावना है और मेरा यह संकल्प है कि आने वाले समय में इस विभाग को मैं उस स्थिति में ले जाना चाहता हूं कि मेरे जाने के बाद जब यह विभाग दूसरे मंत्री के पास जायेगा तो उनके कार्यकर्ता, उनके चहेते लोग मायूस नहीं होंगे. उन्हें लगेगा कि यह विभाग बहुत मजबूत विभाग है. मैं ऐसा कुछ करने की सोच रहा हूं. इन 625 गौशालाओं में 1 लाख 66 हजार के करीब गाय हैं. पशुओं के स्वास्थ्य के बारे में मैं बताना चाहता हूं कि प्रदेश में 51 जिलों में रोग अनुसंधान शालाओं का आधुनिकीकरण करने का काम किया है.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा - अध्यक्ष महोदय, इनका रिकार्ड यह बोलता है.
अध्यक्ष महोदय - बीच में नहीं चलेगा. आप जब बोल रहे थे तब किसी ने नहीं टोका.
श्री लाखन सिंह यादव - अध्यक्ष महोदय, दुग्ध संघों के माध्यम से हम 14.71 मिलियन टन दूध का उत्पादन कर रहे हैं जो राष्ट्र में तीसरे स्थान पर हम हैं. दुग्ध उत्पादन वृद्धि हेतु हमने गौपालक पुरस्कार योजना संचालित की है जो ब्लाक स्तर से लेकर डिस्ट्रिक और जिला स्तर पर यह है जिसमें गौपालकों को हम प्रोत्साहन राशि देते हैं जिससे वे दुग्ध उत्पादन को बढ़ाने के लिये गाय आदि पशु पालें. पशु चिकित्सा और शिक्षा के क्षेत्र में हमने अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिये नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान अंतर्गत जबलपुर,महू, रीवा में पशु चिकित्सा महाविद्यालय संचालित हैं. अभी हमने जबलपुर और ग्वालियर में डेयरी सर्च एण्ड फूड टेक्नालाजी महाविद्यालय हेतु 2 करोड़ की राशि का प्रावधान किया है.
श्री अजय विश्नोई - माननीय मंत्री जी, एक गौशाला कानपुर में है जिसके पास करोड़ों रुपये की एफ.डी. है जो गायों की कमाई से है एक बार उसको भी चलकर देख लीजिये. एक सिस्टम है वह हम सीखकर आयेंगे जो आपकी गौ शालाओं में काम आयेगा.
श्री अजय विश्नोई - माननीय मंत्री जी, एक मैंने आपको छतरपुर चलने का कहा था और दूसरा कानपुर.
श्री लाखन सिंह यादव - आपके साथ चलूंगा. आपको लेकर चलेंगे.
श्री अजय विश्नोई - माननीय मंत्री जी, मैं चलूंगा आपके साथ.
श्री लाखन सिंह यादव - अध्यक्ष महोदय, राज्य में मछली पालन के विकास के लिए ग्रामीण तालाबों और जलाशयों के कुल उपलब्ध 4 लाख 13 हजार हेक्टेयर जलक्षेत्र में से 4 लाख 07 हजार हेक्टयर जलक्षेत्र में हम लोग मछली पालन का काम कर रहे हैं, जो पूरे जलाशयों का 98.54 प्रतिशत है. गत वर्ष मत्स्यबीज उत्पादन में 22.8 प्रतिशत की वृद्धि हमने अर्जित की है. वित्तीय वर्ष 2018-19 में 136 करोड़ स्टेण्डर्ड फ्राई मत्स्य बीज का उत्पादन की तुलना में 137 करोड़ स्टेण्डर्ड फ्राई मत्स्यबीज उत्पादन किया जा चुका है. वर्ष 2019-20 हेतु 140 करोड़ स्टेण्डर्ड फ्राई मत्स्यबीज उत्पादन का हमारा लक्ष्य है. गत वर्ष मत्स्योत्पादन की वृद्धि दर 20 प्रतिशत की रही. वर्ष 2019-20 हेतु 01 लाख 85 हजार मीट्रिक टन मत्स्योत्पादन के लक्ष्य प्रस्तावित हैं.
फिशरमेन क्रेडिट कार्ड के क्षेत्र में प्रदेश के मछुआरों को मत्स्य पालन के लिए कार्यशील पूंजी हेतु जीरो प्रतिशत दर पर हम लोगों ने वित्तीय वर्ष 2018-19 में 6666 फिशरमेट क्रेडिट कार्ड बनाए हैं. अभी तक 68707 फिशरमेन क्रेडिट कार्ड बनाए जा चुके हैं. वर्ष 2019-20 के लिए 10 हजार फिशरमेन क्रेडिट कार्ड बनाए जाने का हमारा लक्ष्य प्रस्तावित है.
अध्यक्ष महोदय, अभी श्री विश्नोई जी नील क्रांति की बात कर रहे थे. निश्चित तौर पर यह नील क्रांति ऐसी योजना है कि इसमें हमारे जो मत्स्याखेट करते हैं जो मछली पालन का काम करते हैं उनके लिए तमाम सारी इस योजना के तहत जो केन्द्र सरकार और प्रदेश सरकार का 60 प्रतिशत और 40 प्रतिशत का रेश्यो है उसके हिसाब से हम लोग इस योजना में केज कल्चर, मत्स्यबीज हैचरी निर्माण, मत्स्य बीज संवर्धन इकाई एवं इनपुट्स, मोबाइल वैन, नवीन तालाब निर्माण, तालाब हेतु इनपुट्स, मोटर साइकिल विथ आइस बाक्स, कियोस्क, फिशफीड मिल की स्थापना इत्यादि कार्यों हेतु अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग एवं महिला हितग्राहियों को 60 प्रतिशत एवं सामान्य वर्ग के हितग्राहियों को 40 प्रतिशत अनुदान सहायता प्रदान किए जाने का प्रावधान हमने इसमें रखा है.
अध्यक्ष महोदय, नील क्रांति योजना के अंतर्गत वर्ष 2018-19 में 12871 हितग्राहियों को लाभान्वित किए जाने हेतु राशि रुपये 11 करोड़ 14 लाख 64 हजार रुपये की सहायता प्रदान की गई है. वर्ष 2019-20 हेतु राशि रुपये 15 करोड़ का प्रावधान रखा है. जो मुझे लगता है कि जो मत्स्याखेट का काम करते हैं उनके लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है.
अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2018-19 हेतु मत्स्योद्योग विकास कार्य अंतर्गत मांग संख्या - 16 के लिए 42 करोड़ 21 लाख 31 हजार रुपये का अनुदान रखा है जिसमें सामान्य वर्ग हेतु रुपये 28 करोड़ 66 लाख 65 हजार, आदिवासी वर्ग हेतु रुपये 6 करोड़ 97 लाख 66 हजार एवं अनुसूचित जाति वर्ग हेतु रुपये 6 करोड़ 57 लाख रुपये उपलब्ध हैं. विभागीय अमले के वेतन-भत्तों एवं कार्यालयीन व्यवस्था मदों में रुपये 49 करोड़ 40 लाख 33 हजार रुपये उपलब्ध हैं. इस प्रकार कुल रुपये 91 करोड़ 61 लाख 64 हजार रुपये का बजट प्रावधान हमने रखा है.
अध्यक्ष महोदय, मत्स्य महासंघ द्वारा मछुआरों को मत्स्याखेट पारिश्रमिक 28 रुपये से बढ़ाकर 30 रुपये एवं माईनर कार्प मछलियों हेतु 17 रुपये प्रति किलो से बढ़ाकर 18 रुपये प्रति किलो किया गया है जिससे 8000 मछुआरों को 25.49 करोड़ रुपये का पारिश्रमिक भुगतान किया जाएगा.
अध्यक्ष महोदय, मैं इस भरोसे के साथ आपको यह आश्वासन देना चाहता हूं कि आने वाले समय में हम अपने इस विभाग को ऐसा विभाग बनाने की कोशिश करेंगे जिससे इस प्रदेश में जो गौवंश है और तमाम सारी योजनाओं को लेकर हम आगे ले जाने का काम करेंगे. आपसे इस निवेदन के साथ अपनी बात समाप्त करता हूं. बहुत बहुत धन्यवाद.
(मेजों की थपथपाहट)..
5.01 बजे
मांग संख्या - 33 आदिम जाति कल्याण
मांग संख्या - 69 विमुक्त, घुमक्कड़ एवं अर्द्ध घुमक्कड़ जनजाति कल्याण
उपस्थित सदस्यों के कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए.
अब मांगों और कटौती प्रस्तावों पर एक साथ चर्चा होगी.
श्री मनोहर ऊंटवाल (आगर) - अध्यक्ष महोदय, मैं सबसे पहले तो आपको धन्यवाद देता हूं कि आपने मुझे आज इस चर्चा में भाग लेने का अवसर प्रदान किया है. अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मांग संख्या 33 और 69 के विरोध में खड़ा हुआ हूं और कटौती प्रस्तावों के समर्थन में बोल रहा हूं. जिस विभाग पर बोलने का आज आपने अवसर प्रदान किया है, मैं उस विभाग के बारे में यही निवेदन करना चाहूंगा. यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां संपूर्ण सेवाएं करने का अवसर प्राप्त होता है. यह ईश्वरीय कार्य है. मुझे आज बहुत अच्छे से स्वामी विवेकानंद का वह दृष्टांत याद आता है कि जब वे अपने शिष्यों के साथ सवेरे नगर में निकले तो उनके एक शिष्य ने उनसे एक प्रश्न किया और कहा कि आपने तो भगवा पहन रखा है. आपके प्रवचनों में साक्षात् ईश्वर के वाक्य नजर आते हैं आपने तो भगवान को देखा होगा. स्वामी विवेकानंद ने अपने शिष्यों की ओर दृष्टि करते हुए यह कहा कि मैंने ऊपर आसमान में बैठे हुए उस परमात्मा को तो नहीं देखा किन्तु हां, नीचे जो दरिद्र व्यक्ति है जिसको सेवा की आवश्यकता है. अगर हम इस व्यक्ति की सेवा कर लें तो निश्चित रूप से परमात्मा के हमको दर्शन प्राप्त होंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय आज मुझे दो महत्वपूर्ण समाजों का उल्लेख करने का अवसर मिला है. पहला वनवासी बंधू का जो कि वनों में रहता है वनों में निवास करता है और दूसरा हमारा अर्धघूमक्ककड़ बंधू . दोनों का रिश्ता है दोनों का गरिमामय कार्यकाल है. एक का इतिहास भगवान राम के साथ में जुड़ता है और दूसरे के इतिहास को हम महाराणा प्रताप के जीवन से जोड़कर देखते हैं, जिन्होंने महाराणा प्रताप के समय जो प्रतिज्ञा ली है उसका वह आज भी परिपालन करते हैं. इसलिए मैं आपके माध्यम से निवेदन करूंगा कि हमारे वित्त मंत्री जी ने इस विभाग के लिए 33466 करोड़ रूपये का प्रावधान किया है, जिसमें सभी प्रकार के व्यय सम्मिलित हैं. जबकि जनजाति जिले आज भी बड़े पैमाने पर विकास की बाट जोह रहे हैं. इस वर्ग में आज भी मांगलिक कार्य खुले में होते हैं हम उतना अच्छा विकास नहीं कर पाये हैं वनवासी क्षेत्र में जितना की होना चाहिए था जो कि हमारे पहाड़ी इलाके में रहने वाले अर्धघुमक्कड़ वनवासियों के लिए.
डॉ अशोक मर्सकोले -- अध्यक्ष महोदय हमारा कहना है कि वनवासी शब्द का उपयोग न करें, उसको आप सीधे सीधे जनजाति बोल सकते हैं. पहले भी हमने इस चीज पर आब्जेक्ट किया था इसलिए इसे जनजाति ही बोले ज्यादा अच्छा रहेगा. लेकिन वनवासी का हम विरोध करते हैं.
श्री मनोहर ऊंटवाल -- ठीक है. लेकिन डॉक्टर साहब ने शायद प्रतिवेदन नहीं पढ़ा है उसमें भी आदिवासी लिखा है, फिर भी मैं उनकी भावनाओं का सम्मान करता हूं, जनजाति बोलूंगा मुझे कोई समस्या नहीं है.
अध्यक्ष महोदय मैं अपनी बात रख रहा था कि हमारा जनजाति बंधू आज भी अपने पारिवारिक मांगलिक काम खुले में करता है. आज भी हम उसे उतनी अच्छी व्यवस्था देने में सफल नहीं हुए हैं, आजादी के बाद से आज तक जितना हम उनको दे सकते थे. हमारे प्रदेश में 34 से अधिक जिले पूर्ण रूप से ऐसे हैं जहां पर हमारे 80 से 90 प्रतिशत जनजाति बंधू निवास करते हैं. उनके लिए सरकार की तरफ से एक ठोस नीति बनना चाहिए, मैं आज के इस अवसर पर ऐसा निवेदन करूंगा.
अध्यक्ष महोदय अनुसूचित जाति वर्ग के लिए 43 छात्रावासों का निर्माण करना, मैं समझता हूं कि हमारे 52 जिलों में किस जिले को कितने छात्रावास मिलेंगे यह सोचने की बात है, हमने यहां पर 65 कन्या परिसरों की बात की है लगभग यह भी उतना ही आंकड़ा है केवल 65 कन्या परिसरों को ही नवीन शिक्षण संस्थान में रखेंगे इस पर बजट में चिंता होना चाहिए.
माननीय अध्यक्ष महोदय मेरा आपके माध्यम से निवेदन है कि आज भी हमारा अमुसूचित जाति का हमारा बंधू है वह आज भी पहाड़ी क्षेत्र में होने के कारण मुख्य सड़कों से नहीं जुड़ा है, उसके कारण ही श्रद्धेय अटलबिहारी बाजपेयी जी ने प्रधानमंत्री सड़क योजना चलायी थी उसमें उन्होंने 250 तक की आबादी के गांवों को जोड़ने का काम किया था. उसके बारे में भी समुचित विचार इस बजट के माध्यम से होना चाहिए. आज भी देखने में आता है कि मजरे टोले में रहने वाले वही कंकर से भरा रास्ता तय करते हैं, पहाड़ों से नीचे उतरते हैं और अपने वनों से बाहर आते हैं, उनके बारे में हमें और विचार करना चाहिए. अध्यक्ष महोदय कल आपने ही व्यवस्था दी थी कि प्रमाण पत्र के मामले में न्याय होना चाहिए. मेरा निवेदन है और सदन भी मेरी इस बात से सहमत होगा क्योंकि हम भी समाज में काम करते हैं हम चुने हुए जनप्रतिनिधि हैं. ग्रामीण क्षेत्र से हमारा बंधू प्रमाण पत्र के लिए शहरी क्षेत्र में आता है. एक बार जब वह आयेगा तो वह बस का किराया देगा इतना ही नहीं उसकी उस दिन की मजदूरी मारी जायेगी वह दिन भर वहां पर कार्यालय में बैठा रहेगा तब उसे वही पुरानी बात बता दी जायेगी कि 50 साल का आपका वहा पर रहने का इतिहास बताइये, अरे वह सामने दिखता है, आप ज्यादा से ज्यादा उसके पड़़ोसी से पूछ लो या पटवारी से पूछ लो और तत्काल रूप से एक उचित कैंप लगाकर जिस दिन उसके बच्चों का स्कूल खुले उसी दिन उसके बच्चों के लिए प्रमाण पत्र दे दें वरना स्कूल में उसको अध्यापक परेशान करते हैं. वह कहते हैं कि आप प्रमाण पत्र लाओ नहीं तो आपको फलां योजना का लाभ नहीं मिलेगा. मेरा यहां पर माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि यह मानवीय आधार है तो आप और संबंधित सामान्य प्रशासन विभाग के मंत्री जी से चर्चा करके यह प्रमाण पत्र बनाना सुनिश्चित करें. हमारे वनाधिकार पट्टों के लिए सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग है तो वहां पर कोई चैलेंज नहीं कर सकता है लेकिन मेरा इतना निवेदन है कि हम पूरी ताकत के साथ में अगर सरकार के पास जाकर अपने पक्ष को अच्छे वकीलों के माध्यम से रखेंगे तो निश्चित रूप से वनों में रहने वाले हमारे अनुसूचित जनजाति के बंधू हैं उनको हम जल्दी वनाधिकार के पट्टे दिला सकेंगे, ताकि वह अच्छे से अपने खेती करके अपना जीवन यापन कर सकें.
अध्यक्ष महोदय यहां पर मेरा आप सबसे निवेदन है कि हमने बस्ती विकास के लिए माननीय मंत्री जी को केवल 100 करोड़ रूपये दिये हैं. आप इस बात से अंदाज लगा लें कि एक तहसील के अंदर मंत्री जी कितने रूपये बस्ती विकास के लिए दे सकते हैं, 100 करोड़ रूपये ऊंट के मूंह में जीरा जैसे दिख रहे हैं. इसलिए मेरा निवेदन है कि मंत्री जी इस मामले में आप भी दमखम के साथ में वित्त मंत्री जी से मुख्यमंत्री जी से बात करिये और अपने बंधुओं के अधिकार के लिए पूरी ताकत से अपने अधिकार को मांगें ताकि आप अपने कार्यकाल में उनका भला कर सकें यही आपका नैतिक धर्म है यही आपकी नैतिक ड्यूटी है और यह पूरा सदन आपके साथ में पूरी ताकत के साथ में खड़ा रहेगा, इसलिए खड़ा रहेगा क्योंकि जिसकी आप बात करने जा रहे हैं वह ऐसा गरीब तबका है जिसको मानवीय आधार पर सारा समाज देखता है ऐसे में आप अपनी बात रखेंगे तो निश्चित रूप से आपकी बात को सुना जायेगा और मेरा निवेदन है कि अगर आपको कुछ अच्छे निर्माण कार्य कराना हो तो कम से कम विधायकों की अनुशंसा जरूर ले लें क्योंकि बगैर विधायक की अनुशंसा के आपने सीधा पैसा देना शुरू किया और उसके बाद में कोई गलती हुई तो उसके दुष्परिणाम क्या होंगे, इसके बारे में भी मैं आपको आगाह करना चाहता हूं मंत्री जी इन सब बातों के बारे अच्छे से सोचकर आगे काम करना चाहिए. पारदर्शिता सामने होना चाहिए अगर पारदर्शी दृष्टिकोण से अगर आपने अपने धन का व्यय किया तो आपके कार्यकाल में चार चांद लगने का काम होगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय मैं आपके माध्यम से निवेदन करता हूं कि अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों पर बहुत अत्याचार होता है. उनके अत्याचार पर सुनिश्चित कार्यवाही होना चाहिए. मेरा आज के इस अवसर पर आप सबसे यह भी निवेदन है कि इसके लिए आपने एक अच्छा आयोग बना रखा है जिसका नाम है अनुसूचित जनजाति आयोग जो जनजाति वर्ग मे सर्वांगीण विकास की बात करता है. उन पर होने वाले अत्याचार को भी रोकने की बात करता है और भविष्य में कैसे फले फूले उसके बारे में भी विचार करता है पर मुझे यह बहुत ही खेद के साथ में कहना पड़ रहा है कि बजट में उस आयोग को बजबूत करना चाहिए अच्छे लोगों को उसमें सदस्य बनाना चाहिए और साथ में उनके बजट मे भी इजाफा करना चाहिए, आपने उसके लिए दो करोड़ रूपये दिये हैं, दो करोड़ तो वैसे ही सामान्य सामान्य से खर्च में पूरे हो जायेंगे, जहां तक मुझे जानकारी है 5 सदस्य का यह आयोग होता है जिसमें चार सदस्य होते हैं और एक माननीय चेयर मेन होते हैं अब आप बताओ कि वह क्या तो दौरे करेंगे और क्या काम करेंगे, इस आयोग को भी आप मजबूती प्रदान करें मेरा आज इस अवसर पर आप सबसे यही निवेदन है.
अध्यक्ष महोदय आपने केवल 4 करोड़ रूपये रखे हैं अनुसूचित जनजाति के बंधुओं को बैंकों से ऋण देते हैं उ सके लिए, मैं पूछना चाहता हूं कि आपने उसमें घोषणा कर दी है एक एक लाख रूपये उसमें माफ करेंगे तो यह कैसे कर पायेंगे. पूरे प्रदेश में अनुसूचि जनजाति केलोगों ने लोन लिया है क्या यह हम उनके साथ मेंछलावा नहीं कर रहे हैं, क्या उनके साथ में हम मजाक नहीं कर रहे हैं, क्या हम उनका घोर अपमान नहीं कर रहे हैं. इसके बारे में मैं निश्चित रूप से मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि वह इस ओर देखें और इसके लिए भी बजट में समुचित प्रावधान होना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय हमारे यहां पर घटनाएं होती हैं किसी की हत्या हो जाती है, किसी के साथ में बलात्कार हो जाता है, किसी के साथ में 307 की घटना हो जाती है. मैं यहां पर निवेदन करना चाहता हूं सरकार का मानवीय दृष्टिकोण था कि कम से कम हम पीड़ित व्यक्ति को सहारा नहीं दे सकते तो कम से कम उतनी राहत दे दें , हम मरने वाले को 6 लाख रूपये दें और 6 लाख रूपये हम बलात्कार वाले को देते हैं तो कम से कम जिस दिन रिपोर्ट हो, जिस दिन उसकी एफआईआर कट जाय तो उस दिन आधा पैसा देने का प्रावधान तो है ही मैं तो यहां पर निवेदन करता हूं कि आप भी आदेश कर दें कि कम से कम उसी दिन जिस दिन मुकदमा कायम होता है 307, 376,302 उसका आधा पैसा उसी दिन और 3 से 5 घंटे का समय देकर उसकी जांच करवा कर उसको बाकी सुविधाएं भी तत्काल उपलब्ध करवाना चाहिए. मेरा आपके माध्यम से निवेदन है.
अध्यक्ष महोदय -- धन्यवाद ऊंटवाल जी.
श्री मनोहर ऊंटवाल -- अध्यक्ष महोदय, मैं थोड़ा और बोलूंगा. मैं बहुत किस्मत वाला हूं कि आज आप आसंदी पर विराजमान हैं. ..
अध्यक्ष महोदय --आपकी किस्मत आपके दल ने खोली है.
श्री मनोहर ऊंटवाल -- अध्यक्ष महोदय, मैं तीन बार बोल चुका हूं, आज ही तो आप मुझे आसंदी पर उपलब्ध हुए हैं. ..
अध्यक्ष महोदय -- आपके ऊपर आपके सचेतक की कृपा है.
श्री मनोहर ऊंटवाल -- अध्यक्ष महोदय, थोड़ी सी बात मैं और करुंगा. ज्यादा बात नहीं करुंगा. अब आश्रम के लिये 141 करोड़ रुपये पूरे मध्यप्रदेश के लिये, जूनियर छात्रावास के लिये 123 करोड़ रुपये वाह. उसके बाद हायर सेकेण्डरी के लिये 433 करोड़ रुपये बस. साढ़े सात करोड़ की जनसंख्या वाला प्रदेश, जहां बड़ी संख्या में अनुसूचित जनजाति का व्यक्ति निवास करता है, उसके विकास के लिये अगर हम इस प्रकार की योजना बनायेंगे, तो मेरा ऐसा मानना है कि उस व्यक्ति के साथ छलावा है, उस व्यक्ति के साथ धोखा है, जिसके बारे में आपने यह जो बजट का प्रस्ताव रखा है. अध्यक्ष महोदय, मैं आज के इस अवसर पर थोड़ा सा समय की बाध्यता है, मैं मानता हूं कि समय की बाध्यता है. मैं आज के दिन विजय शाह जी अगर आगे बैठे हों और में श्री रघुनाथ शाह जी को अगर याद नहीं करुं, तो फिर ये मेरे लिये गलत होगा. कल विजय शाह जी के ट्राइबल होने पर अंगुली उठाई जा रही थी. इनके प्रमाण में मैं कहता हूं, इनके कार्यकाल में दो बड़े पुरस्कार राज्य सरकार ने प्रारंभ किये थे. मैं बजट को शांति से देख रहा था. उस बजट में उन दोनों बड़े पुरस्कारों का कहीं कोई उल्लेख नहीं है. इसलिये मैं निवेदन करना चाहता हूं कि अगर इस प्रकार हमारे जनजाति क्षेत्र में काम करने वाले लोग, जो वास्तव में ईमानदारी से हमारे जनजाति बंधुओं की सेवा करते हैं, हमेशा उनके सुख और दुख में खड़े रहते हैं, ऐसे व्यक्ति को पुरस्कार देना चाहिये. ताकि उस पूरे समाज में एक नया संदेश जायेगा और पूरे सब लोगों को पता चलेगा. ..
5.17 बजे अध्यक्षीय घोषणा
सदन की लॉबी में माननीय सदस्यों के लिये चाय की व्यवस्था विषयक
अध्यक्ष महोदय --धन्यवाद ऊंटवाल जी. माननीय सदस्यों के लिये सदन की लॉबी में चाय की व्यवस्था की गई है. अनुरोध है कि सुविधानुसार चाय ग्रहण करने का कष्ट करें. श्री बिसाहूलाल सिंह.
5.18 बजे वर्ष 2019-2020 की अनुदानों की मांगों पर मतदान
श्री मनोहर ऊंटवाल -- अध्यक्ष महोदय, मात्र 3 मिनट का समय दे दें.
अध्यक्ष महोदय -- भाई साहब, आपको पहले ही 15 मिनट हो चुके हैं. मैं नहीं कर पाऊंगा, माफी चाहता हूं. आपको स्वयं अपना समय निर्धारित करना चाहिये. क्या आप घड़ी का कांटा पीछे कर देंगे.
श्री मनोहर ऊंटवाल -- अध्यक्ष महोदय, आपने समय दिया है, इसके लिये धन्यवाद. लेकिन मैं हाथ जोड़कर इसलिये निवेदन करता हूं कि मैं महाराणा प्रताप जी के उस वंशज की बात करना चाहता हूं कि..
अध्यक्ष महोदय -- आपने पहले क्यों नहीं की.
श्री मनोहर ऊंटवाल -- अध्यक्ष महोदय, .. जो आज भी रोड के किनारे अपने मकान बनाकर मुश्किल जीवन जी रहे हैं. आज भी कब उनका एक्सीडेंट हो जाये, कब गाड़ी उनके ऊपर चली जाये, उस गाडुलिया समाज की चिंता करने का क्या हमारा धर्म नहीं है. क्या वह बंजारा समाज, जिसने महाराणा प्रताप के समय उनको वचन दिया था कि महाराणा, जब तक कि हमारे खून में और हमारी रगों में दम है, जब तक हम आपको फिर से पुनर्स्थापित नहीं करते, तब तक हम एक स्थान पर रुकेंगे नहीं, टिकेंगे नहीं. क्या उस ऐसे बंजारा समाज का आज हम नाम नहीं लें. अध्यक्ष महोदय, इसलिये मैं कहना तो बहुत कुछ चाहता था. पर क्या करुं, समय की बाध्यता है, मुझे विश्वास है कि आपका कार्यकाल हम जो देख रहे हैं, वह अपने आप में एक अनूठा कार्यकाल है. इसको आप अदर वाइज मत लेना कि मैं कोई वो कर रहा हूं. पर मैं मध्यप्रदेश की विधान सभा में 1998 से आ रहा हूं, मैंने आपका मंत्री कार्यकाल भी देखा है और आपकी कृपा से मैं हिन्दुस्तान की लोकसभा का सदस्य भी रहा हूं. मैं मध्यप्रदेश में वापस आया था, वापस विधायक बनने के लिये. इसलिये मेरा निवेदन है कि अभी 2-4 दिनों में आपने जो क्रांतिकारी परिवर्तन किया है, विधान सभा के अन्दर, यह अपने आप में एक ऐतिहासिक उदाहरण रहेगा. इस विधान सभा का यह आपका कार्यकाल स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जायेगा और जब तक मनोहर ऊंटवाल इस सदन का विधायक रहेगा, तब तक हम आपके कार्यकाल की तारीफ करेंगे, पूरी ताकत के साथ करेंगे. मैं मानता हूं कि जिस दिन से आपने और जो व्यवस्था दी ..
श्री घनश्याम सिंह -- अध्यक्ष महोदय, प्रशंसा करके इन्होंने 5 मिनट पूरे ले लिये.
कुंवर विजय शाह -- अध्यक्ष महोदय, एक मिनट तो बनता है.
श्री मनोहर ऊंटवाल -- अध्यक्ष महोदय, हम तो विपक्ष के विधायक हैं, हमको जो जानकारी मिलेगी, वास्तविक मिलेगी, क्योंकि क्या है कि अगर माननीय सज्जन भैया हो तो समझ में आता है. सज्जन भैया से गरज हो, हमको काहे की गरज. हम लोग तो वैसे ही आपके खिलाफ में बोलने का काम करेंगे. हम तो वैसे ही चिल्लाने का काम करेंगे और आपको सतर्क करने का काम करेंगे. क्योंकि हमारा चिल्लाना ही आपको सतर्कता की ओर ले जायेगा. अध्यक्ष महोदय, आपके द्वारा जो मुझे समय दिया गया, मैं उसके लिये आपको दिल, आत्मा से बहुत बहुत धन्यवाद देता हूं. मंत्री जी, आपने निश्चित ही मेरी बातों को नोट किया होगा. जो कुछ अच्छी बातें हों, दे देना, जो कुछ अगर आपको ठीक न लगे, तो भले ही छोड़ देना, मुझे कोई आपत्ति नहीं है, मेरा धर्म है कहना, आपका धर्म है सुनना. अध्यक्ष महोदय, बहुत बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय --ऊंटवाल जी, आपको 10 प्रतियों में धन्यवाद. ..(हंसी)..
श्री बिसाहूलाल सिंह (अनूपपुर) -- अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 33 एवं 69 का समर्थन करता हूं और कटौती प्रस्तावों का विरोध करता हूं. अध्यक्ष महोदय, सबसे पहले तो मैं आपको बहुत बहुत धन्यवाद देता हूं कि आज जो प्रदेश में पूरी जनसंख्या का 21 प्रतिशत लोग आदिवासी अंचल में निवास करते हैं. हमारे आदर्णीय कमलनाथ जी, मुख्यमंत्री जी ने हमारे युवा साथी श्री ओमकार सिंह मरकाम जी को 21 प्रतिशत क्षेत्र के 1 करोड़ 53 लाख, यह उस समय2011 का आंकड़ा है. आज करीब ढाई करोड़ से भी ज्यादा आदिवासी भाई इन अंचलों में रहते हैं और इनके विकास की जिम्मेदारी आज हमारे युवा साथी आदर्णीय ओमकार सिंह मरकाम जी को दी गई है, मैं इसके लिये आदरणीय मुख्यमंत्री, श्री कमलनाथ जी को बहुत बहुत धन्यवाद देता हूं. सबसे बड़ी बात यह है कि इनको जो जिम्मेदारी दी गई है, यह इसका निर्वहन किस तरह से करेंगे, यह बड़ा सोचनीय विषय है. इनको जो बजट दिया गया है 7492 करोड़ और 7300 करोड़ सिर्फ मास्टर्स की तनख्वाह और स्कूल संचालन के लिये दिया गया है. 7300 करोड़ जब ये शिक्षा पर, पढ़ाने लिखाने में खर्च करेंगे, तो ये किस हिसाब से आदिवासियों का विकास करेंगे. सबसे बड़ी बात तो यह है. इससे अच्छा तो क्या कहते हैं कि शिक्षा विभाग का मास्टर बन जाते ये.कोई प्रिंसिपल बन जाते, ताकि पैसा बांटते रहते, तनख्वाह देते रहते. विकास के नाम पर इनको इस बजट में कोई राशि नहीं दी गयी है, सबसे पहली बात तो यह है. मेरा सदन के माध्यम से निवेदन है कि हमारे सभी 47 आदिवासी विधायक हैं. चाहे पक्ष के हों, चाहे विपक्ष के हों. हम सब लोग सरकार से यह निवेदन करते हैं कि ज्यादा से ज्यादा पैसा आदिवासी विकास को मिलना चाहिये, क्योंकि जब 21 प्रतिशत आदिवासी जनसंख्या के विकास के लिये केंद्र सरकार एकीकृत आदिवासी परियोजना के नाम पर पैसा एलाट करता है और राज्य योजना से भी इनको पैसा मिलता है, विशेष केंद्रीय सहायता, 3 मद से पैसा मिलता है, परन्तु बड़े दुख के साथ यह कहना पड़ रहा है. आदिवासी विभाग को नोडल विभाग बनाया गया है आदिवासियों के विकास केलिये. पर ये उनके विकास के लिये पैसा आवंटित नहीं करते हैं. इनका सीधा जितने विभाग हैं, 65 विभाग में सीधे योजना मंडल से उनको पैसा दे दिया जाता है. इनका कोई कंट्रोल ही नहीं है. आज मैं अभी बात करुं, आपके यहां जितने हायर सेकेण्डरी, हाय स्कूल बन रहे हैं, छात्रावास बन रहे हैं, कौन बना रहा है, पीडब्ल्यूडी बना रहा है. आपका क्या कंट्रोल है. पैसा आपका, बना रहा है पीडब्ल्यूडी. आपका प्रिंसिपल सेक्रेट्री उनकी न जांच कर सकता है, न सस्पेंड कर सकता है. पैसा हमारा, चला गया पीडब्ल्यूडी को. पैसा हमारा सीधा वहीं से चला गया पीएचई एवं बिजली विभाग को. आज केंद्र सरकार की योजना है कि आदिवासी, जनजाति के जितने लोग रहते हैं, उनके मौहल्ले में निशुल्क खम्भा गाढ़ा जाये. उनको एक बत्ती कनेक्शन दिया जाये और इसका पैसा केन्द्र सरकार देती है. पर आज हमारे आदिवासी भाई से 4-4,5-5 हजार बिल ले रहे हैं. जब पैसा केंद्र सरकार देता है तो आप क्यों उनसे बिल लेते हैं. खम्भा हम गाढ़ते हैं, पम्प के कनेक्शन का पैसा केन्द्र सरकार दे रहा है और पम्प केन्द्र सरकार दे रहा है. वहां तक खंभे पहुँचाने के पैसे केंद्र सरकार दे रही है. उनसे भी आप बिजली बिल लेते हैं, क्यों लेते हैं, जब केन्द्र सरकार आपको पैसे दे रही है. ये सभी गंभीर विषय हैं.
अध्यक्ष महोदय, आज मैं आपको बताऊँ, मैं कई वर्षों से देखता रहा हूँ कि कहा जाता है कि हमने इतने हाई स्कूल खोल दिए, इतने हायर सेकेण्डरी स्कूल खोल दिए, इतनी प्राथमिक पाठशालाएं खोल दीं. आदरणीय शाह जी जब इस विभाग के मंत्री थे, तब से मेरी यह मांग रही है. आज तक 4 हजार शिक्षक आदिम जाति विभाग में नहीं हैं, जबकि पद स्वीकृत हैं. जब पद स्वीकृत हैं तो भर्ती क्यों नहीं करते हैं ? संविदा शिक्षक, अतिथि शिक्षक क्यों आप भर्ती करते हैं ? अध्यक्ष महोदय, अगर हम कमिश्नर स्तर से देखें तो अपर आयुक्त के दो पद स्वीकृत हैं, उसमें एक पद रिक्त है. यह पद आज तक 15 साल में नहीं भरा गया. अपर संचालक के 11 पद हैं, उसमें 1 पद भरा है. उपायुक्त के 40 पद स्वीकृत है, 18 लोग हैं. सहायक आयुक्त के 31 पद हैं, 9 पद भरे हैं. सहायक आयुक्त जिलों में शिक्षा का काम देखते हैं. 9 सहायक आयुक्त पूरे 52 जिलों में, जहां हमारे आदिवासी क्षेत्र हैं, वहां पर शिक्षा का काम देख लेंगे ? न आपके पास सहायक आयुक्त हैं, न आपके पास प्रिंसिपल हैं, न आपके पास लेक्चरर हैं. हमारे बच्चे डॉक्टर बनेंगे, हमारे बच्चे इंजीनियर बनेंगे, जब हायर सेकण्डरी स्कूल में बॉयोलॉजी का शिक्षक नहीं है, गणित का शिक्षक नहीं है तो कहां से डॉक्टर बन जाएंगे. सबसे पहले तो नींव मजबूत करिए. हमारे बच्चों को विदेश जाने के लिए प्रोत्साहन किया जाएगा, पहले यहां की पढ़ाई तो ठीक से कर ले, ऊपर पढ़ ही नहीं पाएगा तो कहां से विदेश जाएगा. एकाध अपने शाह जी के जैसे लोग होंगे जो प्राइवेट स्कूल में पढ़ाते होंगे तो वे विदेश भेज देंगे. परंतु आदिवासी बच्चा कहां से विदेश जाएगा. न वहां शिक्षक हैं, न वहां स्कूल हैं.
अध्यक्ष महोदय, इसी तरह आदिवासी क्षेत्र के विकास के लिए 26 वृहद और 5 मध्यम परियोजनाएं बनाई गई हैं. 31 परियोजनाएं संचालित हैं और इन परियोजनाओं को सीधे केन्द्र सरकार से पैसे मिलते हैं. चाहे वह कृषि के लिए हो, चाहे वह अस्पताल बनाने के लिए हो, चाहे वहां पर सिंचाई करने के लिए हो और यह पैसा सीधे विभागों को भेज दिया जाता है. मेरा तो एक निवेदन है कि आदिम जाति कल्याण विभाग के जो प्रमुख सचिव होते हैं उनको ही आदिम जाति कल्याण विभाग के बजट के वित्त सचिव का भी दायित्व सौंपा जाए. उनके माध्यम से पैसा दिया जाए. वहां से बजट एलॉट हो जाता है, हमारे प्रमुख सचिव के पास आता है, वे ओके कर देते हैं, आप अगर पैसा बांटोगे तब न लोगों को पैसा पहुँचेगा. वित्त विभाग सीधा विभागों को पैसा भेज रहा है. कैसे आदिवासियों का कल्याण होगा.
आदरणीय अध्यक्ष महोदय, संविधान में प्रावधान है. संविधान में दो चीजें कही गई हैं कि पूर्वोत्तर राज्य असम, मेघालय, त्रिपूरा को छठवीं अनुसूची में शामिल किया गया है. हमारे बाकी क्षेत्रों को पांचवीं अनुसूची में शामिल किया गया है. सबसे पहले तो मैं आदिम जाति कल्याण विभाग के मंत्री जी को और इनके प्रमुख सचिव जी से निवेदन करूंगा कि संविधान की पांचवीं अनुसूची की किताब मंगाएं. उसमें क्या प्रावधान किया गया है, उसका अध्ययन करें. जो वचन-पत्र है, उसमें भी आदरणीय कमलनाथ जी ने कहा है कि हम प्रदेश में पांचवीं अनुसूची के प्रावधानों को लागू करेंगे. सबसे पहले आप पांचवीं अनुसूची लागू कर दीजिए. अगर पांचवीं अनुसूची आप लागू कर दिए तो हमको बाकी चीजों की जरूरत ही नहीं पड़ेगी. पांचवीं अनुसूची में क्या है. कल मैं श्री जायसवाल जी, खनिज मंत्री का भाषण सुन रहा था. अब वहां पर नदी, नाले, पहाड़ सब आदिवासी अंचलों में हैं. वहां से रेत निकाली जाती है. पांचवीं अनुसूची में यह प्रावधान है कि अगर रेत वहां से निकालेंगे तो वह आदिवासी ही निकालेंगे, कोई गुड्डा भाई आकर रेत नहीं निकाल सकते. रेत का व्यापार आदिवासी करेंगे. इनकी नीति में यह होगा कि अब सोसाइटी बनेगी, वे बाहर के हों, चाहे लंदन के हों, अमेरिका के हों, वे आकर रेत ले जाएंगे, खोदेंगे, खरीदेंगे, बेचेंगे. आदिवासियों का क्या मतलब रहा. पांचवीं अनुसूची की जो किताब है, इसको विभाग को बहुत गौर से पढ़ना चाहिए. उसका अध्ययन करके उसके अनुरूप यहां पर कानून बनना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय, संविधान में सबसे बड़ी बात यह कही गई है कि आदिवासियों के कल्याण के लिए जो भी नीति बनाई जाएगी, उसका प्रस्ताव पहले मंत्रणा परिषद् में पास होगा. इस परिषद् के चेयरमेन आदरणीय मुख्यमंत्री होते हैं, आज कमलनाथ जी हैं. बड़े दु:ख के साथ कहना पड़ रहा है कि सन् 2015 से आज तक मंत्रणा परिषद् की बैठक ही नहीं हुई. नीतियां बनाई जा रही हैं. पांचवीं अनुसूची का मतलब क्या है. आदिवासी क्षेत्रों के लिए नीतियां बिना मंत्रणा परिषद् के पास हुए नहीं बननी चाहिए. यहां पर नीतियां बनती जा रही हैं. रेत की नीति, गिट्टी की नीति, कोयला की नीति, बहुत सी नीतियां बनती हैं लेकिन आदिवासी क्षेत्रों का कल्याण नहीं हो रहा है.
अध्यक्ष महोदय, इन सब चीजों को बड़े गौर से विभाग को देखना पड़ेगा. आदरणीय ओमकार मरकाम जी युवा साथी हैं और हमें पूरी उम्मीद है कि आदिवासी क्षेत्रों के कल्याण के लिए जो पांचवीं अनुसूची में आपने घोषणा की है, आपने कह दिया कि चाहे जंगल हो, चाहे कहीं भी हो, जो आदिवासी है, हम उसको पट्टा देंगे. उस जंगल में फॉरेस्ट विभाग वाले रोड बनाने नहीं दे रहे हैं, कहां से पट्टा दे देंगे. वहां पर स्कूल खोलेंगे और वहां बिल्डिंग बनाएंगे, गिट्टी, पत्थर कोई ले जाने नहीं दे रहा है, कहां से स्कूल बनेंगे. ये वचन-पत्र में लिखा गया है. एक चीज और लिखी गई है कि सभी आदिवासियों के खेतों में सिंचाई की व्यवस्था करेंगे, हम देखेंगे पांच साल बाद कि 1 करोड़ 53 लाख आदिवासियों के खेतों में सिंचाई हो रही है कि नहीं हो रही है. आपने तो कह दिया कि हम सिंचाई की व्यवस्था करेंगे, कैसे करेंगे. पैसा आ रहा है वह ऊर्जा विभाग के पास जा रहा है, वहां पर पम्प लगाने का पैसा उनको मिल नहीं रहा है. न उनका पम्प खुद रहा है, न उनका ट्यूब-वेल खुद रहा है.
अध्यक्ष महोदय, मैं अभी देख रहा था. आदिवासी विभाग का जो पैसा है, यह 65 विभागों में (XXX) हो रहा है. मैं अभी पढ़ रहा था कि नरसिंहपुर के गेस्ट-हाउस में 40 लाख रुपये की नर्सरी बनाई गई है. नर्सरी से हमें क्या मतलब, गेस्ट-हाउस में नर्सरी बना दी गई. आदिवासियों के कल्याण के लिए लगाना चाहिए तो आप नर्सरी बना देते हैं. देख रहा था कि भोपाल में कहीं एनसीसी कैम्प हो रहा है उसके लिए लगा दिए गए.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अंत में एक बात कहना चाहूँगा कि हमारे आदिवासी समाज में तीन जातियां विशेष पिछड़ी जनजाति में आती हैं, बैगा, सहरिया और भारिया. हमारे यहां बालाघाट, मण्डला, डिण्डौरी, शहडोल, उमरिया, सीधी और सिंगरौली में बैगों की जनसंख्या 1 लाख 31 हजार है. अभी कुछ दिन पहले चुनाव के भी पहले एक बैगा सम्मेलन शहडोल के बुढ़ार में रखा गया. वहां क्या हुआ, 60 लाख रुपये, जो बैगा विकास के लिए आए थे, उस 60 लाख रुपये में क्या किया गया कि वहां जितने बैगा आए थे, उन सबको बिस्लरी की 14-15 रुपये की लागत वाली एक-एक बोतल दे दी गई. सब बैगाओं को 5-5 रुपये के पैकेट वाली बर्फी दे दी गई, यह चीजें खरीदी गई. जबकि साफ बात है कि ट्राइबल विकास का पैसा प्रचार-प्रसार में नहीं खर्च किया जाएगा, लेकिन प्रचार-प्रसार किया गया. चुनाव का समय था, कहीं से बैगाओं के लिए होटल से खाना आ रहा है, कहीं से नाश्ता आ रहा है. यानि ट्राईबल का जो पैसा है वह अंट-शंट कामों में खर्च किया जा रहा है. वह विकास के काम में खर्च नहीं किया जा रहा है. इसलिए माननीय मंत्री जी, आपसे अनुरोध है, आपके पास पैसे की कमी नहीं है. केन्द्र सरकार ने कहा है कि केन्द्र के राष्ट्रीय कोष से जितना जरूरत पड़ेगी, हम ट्राइबल विभाग को पैसे देंगे. आप योजना बनाइये, आप मांगिए कि क्या आप करना चाहते हैं. आप योजना ही नहीं बनाएंगे तो आदिवासियों का कल्याण कैसे होगा. ये 7 हजार करोड़ रुपये मिल गए, तनख्वाह बांटो, आश्रम चलाओ, लड़कों को पढ़ाओ, इस तरह से आदिवासियों का विकास नहीं हो सकता है. मेरा तो सुझाव है कि आप इस विभाग को गंभीरता से देखें. इसमें कहने को बहुत कुछ है, पर मैं नहीं कहना चाहता हूँ, हमारे आदरणीय शाह जी बाकी बात करेंगे. धन्यवाद. जय हिंद.
श्री हरिशंकर खटीक (जतारा) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 33 और 69 का विरोध करने के लिये खड़ा हुआ हूं. सबसे पहले तो विधान सभा के वरिष्ठ सदस्य सम्मानित श्री बिसाहूलाल सिंह जी के प्रति हम अपनी ओर से धन्यवाद प्रेषित करते हैं कि उन्होंने बहुत अच्छे सुझाव इस मध्यप्रदेश की विधान सभा में दिये है. हम तो सोचते थे कि कांग्रेस की सरकार बन रही है, तो यह मध्यप्रदेश के मंत्रिमंडल में शामिल होंगे, और बहुत वरिष्ठ हैं, हम अनूपपुर जिले के प्रभारी मंत्री भी रहे हैं, जब भी आप मिलते थे, आपसे बहुत अच्छे सुझाव हमें मिलते थे. लेकिन आपकी किस्मत जाने कैसी हुई हमें नहीं पता. आगे भविष्य कैसा होगा ? इसकी भी हमें जानकारी नहीं है.
अध्यक्ष महोदय - मत कुरेदो. आगे की बात करो. आगे चलिये.
श्री हरिशंकर खटीक - अध्यक्ष महोदय, हमारे मंत्री जी बहुत अच्छे हैं. हम लोगों ने इस विभाग के लिये जो काम किया, उससे दो कदम भी विभाग आगे नहीं बढ़ा. जो योजनायें हम लोगों ने बनाईं, उन योजनाओं से एक योजना भी आगे नहीं ला पाये. आदिवासी समाज एक ऐसा समाज है जिसने अपने देश की आजादी दिलाने में अहम भूमिका का निर्वाह किया था. चाहे वह टंट्या भील हों, चाहे बिरसा मुण्डा हों, चाहे शंकर शाह हों, चाहे रानी दुर्गावती हों, आप लोगों ने देश की आजादी दिलाने में अपनी अहम भूमिका का निर्वाह किया. आदिवासी समाज में भी सबसे ज्यादा पिछड़े और समाज के लोग हैं, उनके लिये भी सरकार ने योजना बनाई. बैगा, भारिया और सहारिया के लिये भी शासन ने योजनायें बनाईं, लेकिन उन गरीब वर्ग के लोगों को इसका भी लाभ नहीं मिल रहा है.
अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश आदिवासी वित्त विकास निगम का गठन भी किया, लोन फायनेंस भी हुये, लेकिन लोन किसके नाम से मिला ? एक आदिवासी गरीब परिवार का व्यक्ति, उसके नाम से तो लोन हुआ, लेकिन उसकी गाड़ी कौन चला रहा है, इसका भी पता नहीं है. हमने मध्यप्रदेश में 8 वन्या सामुदायिक रेडियो स्टेशन खोलने की शुरुआत की थी. चाहे वह अलीराजपुर का चंद्रशेखर आजाद नगर हो, चाहे वह झाबुआ, धार हो, खालवा खंडवा हो, शेषाईपुरा हो, श्योपुर हो, चिचौली बैतूल हो, बिजौरी छिंदवाड़ा हो, चाहे वह डिंडौरी हो, हम स्वयं गये, हमारे साथी विजय शाह मंत्री जी भी हमारे साथ गये. हम लोगों ने उनको खोलने का काम किया, लेकिन आज 8 वन्या रेडियो स्टेशन से एक रेडियो स्टेशन भी आपके द्वारा 7 महीने होने को है, नहीं बढ़ा पाये, जबकि पर्याप्त बजट का प्रावधान है. हम लोगों के कार्यकाल में 2 करोड़ 38 लाख रुपये खर्च हुये, लेकिन आपने 8 करोड़ 29 लाख का इस बजट में प्रावधान किया है. हमें लगता है कि पूरे जितने आदिवासी जिले हैं एक ही बार में क्या सब जगह आप रेडियो स्टेशन खोल लेंगे ? वहां की संस्कृति के लिये, वहां की बोली और भाषा के लिये और उस समाज को आगे बढ़ाने के लिये हमें लगता है कि इस बजट में आपने जो प्रावधान किया है, वह एकाएक बढ़ाकर सीधा 2 करोड़ 38 लाख से 8 करोड़ 29 लाख किया है. यह आपने गलत किया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, एक चीज मैं और आपके बीच में बताना चाहता हूं. जो उच्च शिक्षा के लिये पहले 10 बच्चे विदेश जाने के लिये नीति बनी थी, हम लोगों ने 50 बच्चों को विदेश भेजने की योजना बनाई थी, इस बार तो हमें लगता है कि एक भी बच्चा आपको पूरे मध्यप्रदेश में आदिवासी समाज का नहीं मिला जो विदेश में उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिये जा सके. ऐसा नहीं होना चाहिये. जो योजनाएं बनाई जाती हैं, तो विभाग के अधिकारी कर्मचारियों को भी ध्यान देना चाहिये. जहां आज आदिवासी समाज के 11 लाख बच्चे अध्ययन कर रहे हैं, एकलव्य छात्रावास भी खुले हैं, एक से एक अच्छे स्टेडियम भी आदिवासी समाज के बच्चों के लिये बने हैं, हम लोगों ने बिल्डिंगों का स्वयं निरीक्षण किया, हम लोगों ने मध्यप्रदेश के सारे आदिवासी जिलों का दौरा भी किया है, लेकिन हमें लगता है कि हमारे मंत्री जी की इच्छा नहीं है आगे बढ़ाने के लिये. माननीय मंत्री जी तो भोपाल में एक छात्रावास चेक करने के लिये जाते हैं, हमें विधान सभा में नहीं बोलना चाहिये, वैसे बहुत एक्टिव हमारे साथी भाई हैं, वह छात्रावास में जाते हैं और कम्बल ओढ़कर लेट जाते हैं कि कम्बल सही है या नहीं है. ऐसा नहीं होना चाहिये. मंत्री की एक गरिमा होती है. मंत्री के पास एक एडमिस्ट्रेशन होता है, मंत्री को अपने आईएएस, आईपीएस अधिकारियों को निर्देशित करना चाहिये कि पूरे प्रदेश की व्यवस्थाएं अच्छी से अच्छी हों. चाहे आदिवासी समाज के लिये हों, चाहे हर वर्ग के लिये हों, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है. हमें लगता है कि मंत्री जी का विभाग ही इनकी नहीं सुन रहा है या विभाग की यह नहीं सुन रहे हैं. कुछ न कुछ ऐसा हो सकता है. आदिवासी समाज के साथ-साथ हम एक चीज और आपके बीच में बताना चाहते हैं कि महाराणा प्रताप सेना की बात हमारे साथी भाई लोग बोल रहे थे. हम बहुत जल्दी खत्म करेंगे, हमें मालूम है अध्यक्ष महोदय, कि आप हमसे बोलेंगे नहीं. महाराणा प्रताप की सेना, इसमें 51 जातियां हैं, इसका जो गठन हुआ था, 22 जून 2011 को हुआ था. अध्यक्ष महोदय, यह हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह चौहान जी ने किया था. यह विमुक्त घुमक्कड़, अर्द्ध घुमक्कड़ जाति के लोग जो विमुक्त होते थे, उनको ही पता नहीं था हम किस जाति के लोग हैं. घुमक्कड़ समाज के लोग जो बारह महीने घूमते रहे थे पूरे मध्यप्रदेश और पूरे हिन्दुस्तान में, उनको भी पता नहीं चलता था कि हम किस जाति के हैं. अर्द्ध घुमक्कड़ जाति के लोग जो 6 महीने घूमते थे, 6 महीने एक जगह रहकर अपना पेट पालने का काम करते थे, उनको हमारे बुंदेलखण्ड में लोहगडि़या समाज कहा जाता है. वास्तव में उनके भी बच्चे होते थे, वह भी हमेशा परेशान होते थे. जैसे अनुसूचित जाति कल्याण विभाग की हम लोगों ने योजना बनाई थी, वैसी योजना हम लोगों ने उनके लिये भी बनाईं कि जहां उनका निवास होता है, वहां बस्ती का विकास होना चाहिये. उसके लिये पैसों का प्रावधान किया. उनके लिये सीमेण्ट कांक्रीट की बस्ती होना चाहिये. इसके साथ-साथ वहां विद्युतीकरण के लिये भी हमने बजट में प्रावधान किया. उनके बच्चों को पढ़ाने के लिये भी प्रावधान किया, लेकिन उनके लिये भी कोई व्यवस्थित कार्य योजना नहीं बनाई जा रही है.
अध्यक्ष महोदय, हमें बहुत उम्मीद थी कि हमारे मंत्री जी बहुत अच्छा काम करेंगे लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है. नेतृत्व विकास शिविर में जहां मध्यप्रदेश के बच्चे यहां पर पढ़ने के लिये आते हैं, प्रत्येक जिले से एक-एक बच्चा लिया जाता है, वह भी आपने बस अकेला वह कार्यक्रम करने के बाद उसी कार्य से सब लोग अपने कार्य की इतिश्री कर लेते हैं. माननीय मंत्री जी को प्रदेश के हर जिले में जाना चाहिये. वैसे तो यह विभाग टूट गया है. सच्चाई यह है. केन्द्र का जो पैसा आता है आदिवासी समाज के लिये आता है, लेकिन उस पैसे से सिंचाई विभाग के बांध बना दिये जाते हैं, पीडब्ल्यूडी विभाग की सड़कें बना दी जाती हैं. लेकिन जहां आदिवासी समाज के लोग रहते हैं वहां के लिये पैसा नहीं पहुंचता है. यह स्वयं अपनी छाती पर हाथ रखकर माननीय मंत्री महोदय बता सकते हैं कि इनके साथ अन्याय हो रहा है कि नहीं हो रहा है. हो रहा है कि नहीं आप बताइये.
डॉ. गोविंद सिंह (संसदीय कार्य मंत्री) - आप बताइये. आप यह तो बताओ कि अभी बजट आया नहीं है कहां से बांध बन गये. बनाये होंगे तो आपने. जो (XXX) आपने किया है. ...(व्यवधान)...
श्री हरिशंकर खटीक - हमने कोई (XXX) नहीं किया. मध्यप्रदेश की सरकार ने जो काम किया है, 15 साल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान काम किया है वह हिन्दुस्तान में कहीं नहीं हुआ. माननीय कमलनाथ जी कभी नहीं कर सकते...(व्यवधान).. आपने (XXX) किया है. आपने कहा था कि अगर 10 दिन में हम पूरा कर्जा हमारे मुख्यमंत्री माफ नहीं कर पायेंगे तो हम ऐसे मुख्यमंत्री को बदल देंगे. आप क्यों नहीं कर पाये. आप क्यों नहीं मुख्यमंत्री बदल पाये.
अध्यक्ष महोदय - विषय से न भटकें.
डॉ. गोविंद सिंह - आप असत्य बोलने की कसम खाकर आये हो.
अध्यक्ष महोदय - आप विषय से मत भटकिये. आपके साढ़े 13 मिनट हो गये हैं.
श्री रामेश्वर शर्मा - अच्छा इस बजट से आदिवासी विधायक खुश हैं क्या बताओ. उनसे भी पूछ लो.
श्री नारायण सिंह पट्टा - अध्यक्ष महोदय, हम पूरे-पूरे खुश हैं और सारे आदिवासी माननीय सदस्यगण खुश हैं और माननीय कमलनाथ जी और माननीय ट्रायबल मंत्री जी को बहुत बहुत धन्यवाद देते हैं.
श्री हरिशंकर खटीक - अध्यक्ष महोदय, 89 विकासखंड हैं ट्रायबल के. वहां के जो जनपद पंचायत के सीईओ थे, वह इस बार पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को गोद में दे दिये. कमलेश्वर जी हैं, वह बता सकते हैं. उनका पूरा अधिकार आदिवासी विभाग के मंत्री के पास जनपद पंचायत के थे लेकिन वह छीनकर के क्योंकि वह (XXX) गरीब है, सरल है, सहज है आदिवासी परिवार का, एक गरीब परिवार का व्यक्ति मुख्यमंत्री बना है, उसके साथ अन्याय हुआ है.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह शब्द विलोपित कराया जाए.
अध्यक्ष महोदय - यह शब्द विलोपित कर दिया जाये. वह विलोपित कर दिया है.
श्री हरिशंकर खटीक - अध्यक्ष महोदय, जनपद पंचायत के जो अधिकारी हैं वह भी छीनकर वहां पहुंच गया है, कहां पर पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री की गोद में, चलो इससे अपने को कुछ नहीं लेना, लेकिन एक आदिवासी समाज के विधायक जी अभी हमारे पास बैठे थे. उन्होंने कहा कि हमारे साथ क्या हो रहा है हम आपको बताना चाहते हैं. हमने पूछा क्या हुआ, तो वह बोले हमारे यहां के जो स्कूल हैं वे बंद जैसे हैं, जो मध्याह्न भोजन के काम चल रहे हैं वह बीआरसी और मास्टर स्वयं पार्टनरशिप में कर रहे हैं. बच्चों को मध्याह्न भोजन नहीं मिलता है. प्रेम सिंह स्वयं बड़वानी के बैठे हैं, अभी कहीं चले गये होंगे. उनने स्वयं हमसे कहा कि स्कूल बन्द रहते हैं. मास्टर स्कूलों में नहीं पहुँच रहे हैं. यह अन्याय हो रहा है. पहले हमारी सरकार थी तो दबिश रहती थी. आज बिल्कुल कोई दबिश नहीं है. छोटे कर्मचारी काम नहीं कर रहे हैं और जो चुने हुए जनप्रतिनिधि हैं उनकी बात पर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, बड़वानी जिले में पायटी विकासखण्ड में स्कूल चलते नहीं हैं. मध्यान्ह भोजन बनता नहीं है. समूह शिक्षक चला रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, खरगौन और बड़वानी जिले में किसानों का कर्जा माफ करने की बात थी. अभी सहकारिता मंत्री जी भी बोल रहे थे. किसानों का कर्जा माफ करने की बात हुई, 7 माह में क्या हुआ, नकली रसीदें बनवा दीं और नकली रसीदें बनवा करके उनको कह दिया कि यह तुम्हारा कर्जा माफ हो गया. कर्जा माफ होने के बाद उनसे ब्याज लिया जा रहा है. किसी से 7 हजार, किसी से 9 हजार, किसी से 15 हजार रुपये लिए गए. वहाँ सेवा सहकारी समिति के समिति प्रबंधक द्वारा बोला गया कि तुम्हारा कर्जा माफ नहीं हुआ है. जबकि 2 लाख से नीचे की सीमा में उन्होंने कर्जा लिया था. ऐसे लोगों के ऊपर कार्यवाही होना चाहिए. इसके साथ साथ जिन्होंने कर्जा नहीं लिया, सेवा सहकारी समिति में उन लोगों के नाम चढ़ाकर के, उन्होंने सुना कि कर्जा माफ हो रहा है तो कई ऐसे लोग हैं, जिनके फर्जी तरीके से उन पर लोन निकाल दिए गए.
अध्यक्ष महोदय-- भैय्या बैठ जाओ. मेरी बिना आज्ञा के जो बोले वह रिकार्ड में नहीं आएगा. माननीय, नये नये हों जरा बैठ कर कुछ सीखो, मेहरबानी करो. हम भी आए थे तो
पहले बैठे बैठे देखते थे कि कब खड़े हों, कब न हों, क्या नियम है, किस विषय पर बोलें न बोलें और वैसे दूध फाड़ना हो तो नीबू की एक बूँद काफी है. (मेजों की थपथपाहट)
श्री कुणाल चौधरी-- (XXX)
श्री नारायण सिंह पट्टा-- (XXX)
श्री हरिशंकर खटीक-- फर्जी तरीके से उनके नाम लिख दिए गए...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- हो गया, बहुत बहुत धन्यवाद...(व्यवधान)..
श्री मनोज नारायण सिंह चौधरी-- (XXX)
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को(पुष्पराजगढ़)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मांग संख्या 33 एवं 69 का मैं समर्थन करता हूँ और कटौती प्रस्तावों का विरोध करता हूँ. अध्यक्ष महोदय...
अध्यक्ष महोदय-- फुन्देलाल जी, एक मिनिट. दोनों दल के सचेतकों से अनुरोध है कि दोनों दल में महिला विधायक भी हैं, उस ओर भी आप दोनों ध्यान दें.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को-- अध्यक्ष महोदय, आदिवासी विभाग आदिवासी समाज के सर्वांगीण विकास और उसकी रीति नीति, उसकी भाषा, उसकी संस्कृति, उसके सामाजिक शैक्षणिक और राजनैतिक विकास के साथ साथ उसकी परंपरा और तमाम उसमें समाज के सर्वांगीण विकास के लिए जो जनजातीय विभाग जो काम कर रहा है, मैं जनजातीय कार्य मंत्री माननीय भाई ओमकार मरकाम जी एवं माननीय मुख्यमंत्री जी को मैं बधाई देना चाहता हूँ. इस प्रदेश में काँग्रेस की सरकार आने के साथ हमारे आदिवासी समाज के लोग अपने को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं. आदिवासी समाज के लोगों को स्वाभिमान मिला, सम्मान मिला और उनके तमाम क्रांतिवीरों को, उनको सम्मान देने का काम, काँग्रेस की सरकार ने किया.
अध्यक्ष महोदय, मैं यह भी कहना चाहता हूँ कि शिक्षा के बिना विकास संभव नहीं है और आज जिस तरीके से 15 साल में इस प्रदेश में जो शिक्षा का स्तर है, आज हमारी प्राथमिक शाला और जो हमारी नींव है और वह विद्यालय जो जंगलों में, पहाड़ों में, निवास कर रहे जनजाति समुदाय के लोगों के लिए संचालित किए जा रहे हैं. उन विद्यालयों में 15 साल में हम शिक्षक नहीं दे पाए. वहाँ के बच्चों का क्या गुनाह है, जो वहाँ रहकर उस शासकीय विद्यालयों में विद्या अध्ययन करते हैं. बच्चा सुबह से बस्ता लेकर के विद्यालय में पहुँचता है और वहाँ कोई शिक्षक न रहे, बच्चा बैठ करके शाम को घर वापस हो जाता है. आपने इन 15 साल में जिस तरीके से जनजाति समुदाय के जो साढ़े सात करोड़ इस प्रदेश की जनसंख्या और जहाँ ये 30 परसेंट जनजाति समुदाय के लोग जहाँ निवास करते हों. मैं अपने साथियों को कहना चाहता हूँ कि आज जब तक हम शिक्षा पर ध्यान नहीं देंगे और 15 साल जो हमारे साथी सत्तासीन रहे हैं, मैं आपको यह कहना चाहता हूँ कि भवन विहीन विद्यालय, तो ठीक है किसी पेड़ के नीचे बैठ कर पढ़ लेंगे. लेकिन अध्यक्ष महोदय, शिक्षक विहीन विद्यालय, आपने 15 साल चलाया. 15 साल शिक्षक विहीन विद्यालय, 1 से 8 तक एक शिक्षक, 1 से 10 तक तीन शिक्षक और 1 से 9 तक जनरल प्रमोशन, आप समाज को देना क्या चाहते हैं? आपने 15 साल समाज को जिस धारा से जोड़ा है, आप यह बात तो स्वयं जानते हैं कि जब तक विद्यालय में शिक्षक नहीं होगा, बच्चों की पढ़ाई नहीं हो सकती.
5.51 बजे
{सभापति महोदय( श्री यशपाल सिंह सिसौदिया)पीठासीन हुए}
सभापति महोदय, आज हमारे पूरे मध्यप्रदेश में, जहाँ पद रिक्त हैं, हमारे शिक्षक साथी जहाँ नहीं हैं, वहाँ मैं आपको बताना चाहता हूँ कि मध्यप्रदेश की आदरणीय कमलनाथ जी की सरकार विशेष भर्ती अभियान के तहत 60 हजार पदों पर भर्ती करने का काम हमारे मध्यप्रदेश की सरकार करेगी. (मेजों की थपथपाहट) सभापति महोदय, इसी तरीके से हमारे माननीय जनजातीय कार्य मंत्री और विभाग को भी मैं धन्यवाद देना चाहता हूँ कि आपने पूरी मेहनत और लगन के साथ आपने उन खाली पदों की जानकारी ली, जहाँ जहाँ आपके पद रिक्त थे, जहाँ बेकलॉग के कितने पद रिक्त हैं, उन तमाम पदों को आपने इकट्ठा करने के बाद मध्यप्रदेश में काँग्रेस की सरकार बनने के साथ 20 हजार बेकलॉग पदों पर भर्ती करने का काम मध्यप्रदेश की सरकार आने वाले समय में करेगी. इसके लिए जो हमारे नौजवान साथी हैं, जो रोजगार के लिए भटक रहे होंगे, उन बेरोजगार साथियों को 60 हजार भर्तियों के साथ 20 हजार बेकलॉग पदों पर भर्ती होगी और हमारे मध्यप्रदेश के बेरोजगार साथियों को रोजगार मिलेगा. जो आपने पिछले 15 साल में नहीं किया, आप उन बच्चों से बस फीस वसूल करते रहे. विज्ञापन जारी करते रहे और क्या जिनसे आपने पैसा लिया, शुल्क लिया, उनको आपने वापस किया? इस तरह से आपने बेरोजगारों का शोषण किया और शोषण करने का साथ आज हमारा शिक्षा का स्तर निम्न हो गया. सभापति महोदय, आज हमारे अतिथि शिक्षक जो बहुत सारे साथियों ने इस बारे में चिन्ता की है, समय समय पर अपना उद्बोधन भी दिए हैं. मैं ध्यान दिलाना चाहता हूँ मनगँवा की उस आमसभा का, उस आमसभा में आदरणीय राजेन्द्र शुक्ल जी भी उस मंच पर विराजमान थे, जहाँ हमारे पूर्व मुख्यमंत्री आदरणीय शिवराज सिंह चौहान जी ने घोषणा की कि अतिथि शिक्षक, विद्वान संविदा शिक्षक बनेंगे. यह हमने नहीं कहा. आपने 2013 में कहा और 2013 से 2018 में आप सत्ता से बाहर हो गए. इसके बाद भी अतिथि शिक्षकों को आप न्याय नहीं दे सके. लेकिन हमारे मध्यप्रदेश की सरकार, मैं आपको बताना चाहता हूँ माननीय सभापति महोदय, यह जो जितनी हमारी भर्तियाँ हो रही हैं, वे आपके साथ घूमते रहे, आपके मंचों में जाते रहे, आप से प्रार्थना करते रहे, गिड़गिड़ाते रहे, 8 साल, 10 साल, 12 साल तक सेवा करने के बाद आपने उसके भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है. इसकी जिम्मेदार यह 15 साल की भारतीय जनता पार्टी की सरकार है. जिसके कारण आज हमारे पूरे प्रदेश की जो बेरोजगारी की स्थिति है और यह अतिथि शिक्षकों के साथ जो उत्पन्न परिस्थितियाँ हैं, उसकी जिम्मेदार भारतीय जनता पार्टी की सरकार है.
सभापति महोदय, मैं यह भी कहना चाहता हूँ कि आज जो हमारे छात्रावास और आश्रम हैं, आज पूरे मध्यप्रदेश में छात्रावास और आश्रमों की स्थिति बद से बदतर है यह इसलिए बद से बदतर है कि वहाँ आदिवासी समाज के बच्चे पढ़ते हैं. किसी भी एक कमरे में बंद कर दीजिए, किसी भी कोठे में बंद कर दीजिए. 50-50, 100-100, बच्चे एक और दो दो कमरों में वहाँ अध्ययन कर रहे हैं, निवास कर रहे हैं छात्रावास में, पानी नहीं, बिजली नहीं, सुविधा नहीं, मच्छर काट रहे हैं. लेकिन 15 साल पूर्ववर्ती सरकार ने जो आदिवासी समाज के बच्चों के साथ किया उसका परिणाम है कि आप यहां से वहां पहुंच गए. मैं हमारे जनजातीय कार्य मंत्री श्री ओमकार सिंह मरकाम जी से कहना चाहता हूँ जनजातीय समाज के सारे विधायक आदिवासी समाज के सर्वांगीण विकास के लिए आपके साथ हैं. पिछली सरकार जो व्यवस्था को बिगाड़कर चली गई उस व्यवस्था को बनाने का काम मध्यप्रदेश की कांग्रेस की सरकार को करना पडे़गा. जो छात्रावास और आश्रम भवन विहीन हैं जो आश्रम शाला विहीन हैं, हाई स्कूल, हायर सेकेण्डरी भवन विहीन हैं. मध्यप्रदेश के लिए आप एक व्यवस्था दीजिए कि जहां भवन नहीं हैं या जीर्णशीर्ण हैं वहां पर आप अच्छे भवन बनाकर दीजिए. रिक्त पदों की भर्ती करने का काम कीजिए. आदिवासी समाज आज भी मुख्यधारा से नहीं जुड़ पाया है. मैंने अपनी आंखों से जंगलों में देखा है लोग झिरिया से पानी निकाल निकाल कर पीने के लिए इकट्ठा कर रहे हैं. पिछले 15 सालों में हम आदिवासी समाज को शुद्ध पानी नहीं दे पाए. उनके लिए एक कुंआ नहीं दे पाए. उनको हम सड़क, पुल-पुलिया नहीं दे पाए. सभापति महोदय, आप जंगलों में जाकर देखिए उनकी क्या दुर्दशा है. उधर भी मैं चिल्लाता था आज इधर भी आकर मैं वही बात कह रहा हूँ. मैं चाहता हूँ कि आने वाले समय में मध्यप्रदेश की सरकार इन वर्गों के लिए काम करे. आपने हमेशा इन वर्गों के लिए काम किया है इसलिए आज इस समाज ने हमें सरकार बनाने का अवसर दिया गया है.
माननीय सभापति महोदय, अनुसूचित जाति, जनजाति के अधिकारियों, कर्मचारियों की पदोन्नति पर मैं बात करना चाहता हूँ. मध्यप्रदेश में अनुसूचित जाति और जनजाति के कर्मचारी हैं हमारी गलत नीतियों के कारण वे आज कोर्ट और कचहरी में लटक गए हैं. बहुत सारे कर्मचारी रिटायर होने की कगार पर हैं लेकिन हम उनको पदोन्नति नहीं दे सके. मैं चाहता हूँ कि एक नीति बने और उसका लाभ इनको मिलना चाहिए.
माननीय सभापति महोदय, यह जो गौड़ी भाषा है इस भाषा को बोलने वाले लोग बहुत कम हो गये हैं धीरे-धीरे विलुप्त होते जा रहे हैं. इसके लिए मैं माननीय कमलनाथ जी, मध्यप्रदेश सरकार और जनजातीय कार्य मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहूँगा कि आपने इसे पाठ्य-पुस्तक में शामिल किया. अब बच्चे इसको पढ़कर भाषा की जानकारी ले पाएंगे सीखेंगे और बोलने का प्रयास करेंगे.
माननीय सभापति महोदय, यह ऐसी पहली सरकार है जो स्थान योजना लाई है. आदिवासी समाज के देवी-देवता, मठ-मंदिर, गढ़-गढ़ियां जिनकी सुरक्षा संवर्द्धन नहीं होता था यह योजना आने के साथ इन सभी को संरक्षित करने का काम मध्यप्रदेश सरकार करेगी.
माननीय सभापति महोदय, शंकर शाह और रघुनाथ शाह जी जो पिता-पुत्र थे इनको अंग्रेजों ने एक तोप में बांधकर उड़ा दिया था. इनके नाम पर इस स्थान को प्रेरणा केन्द्र के रुप में विकसित करने के लिए 5 करोड़ रुपए स्वीकृत करके विकसित करने का काम प्रारंभ कर दिया गया है.
माननीय सभापति महोदय, आपने मुझे बोलने का समय दिया उसके लिए धन्यवाद.
श्री कुंवर सिंह टेकाम (धौहनी)--माननीय सभापति महोदय, आज हम प्रदेश की 21 प्रतिशत से ज्यादा आबादी के लिए बजट पर चर्चा कर रहे हैं. मैं मांग संख्या 33 व 69 का विरोध करता हूँ, कटौती प्रस्ताव का समर्थन करता हूँ.
सभापति महोदय, आज मुझे सदन में पहली बार ऐसा लगा कि वास्तव में अनुसूचित जाति, जनजाति बंधुओं के बारे में बजट को लेकर जो चिंताएं और आशंकाएं हैं वह साफ नजर आईं. हमारे आदिवासी समाज के सबसे वरिष्ठतम सदस्य श्री बिसाहूलाल सिंह जी यहां मौजूद हैं उन्होंने आज की चर्चा में खुले मन से अनुसूचित जाति, जनजाति के बंधुओं की चिन्ता की है. मुझे लगता है कि ऐसे जनप्रतिनिधि यदि समाज में रहेंगे तो वास्तव में अब अनुसूचित जाति, जनजाति के बंधुओं का विकास कोई नहीं रोक पाएगा. मैं उन्हें बहुत-बहुत साधुवाद और धन्यवाद देता हूँ. आदरणीय मनोहर ऊंटवाल जी और आदरणीय हरिशंकर खटीक जी ने जिस तन्मयता और आंकड़ों के साथ अपनी दृष्टि रखी उससे भी मुझे लगा कि अब इस वर्ग के उत्थान के लिए, कल्याण के लिए सरकार को सोचने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. हमें एक दूसरे पर विलाप करते हुए 72 साल हो गए हैं, विलाप करने से विकास नहीं होगा. विकास के लिए हमको बातें करना पड़ेंगी, गंभीर चिन्तन करना पड़ेगा, बजट में प्रावधान करना पड़ेगा, तब विकास होगा. मैं बजट प्रावधान में देख रहा था कि ट्रायबल सब प्लान के लिए, जितनी आबादी है उस प्रतिशत में प्रावधान होना चाहिए. 2 लाख 33 हजार करोड़ रुपए का आपने बजट प्रावधान रखा है. अनुसूचित जाति, जनजाति की आबादी 21 प्रतिशत है. इसका 21 प्रतिशत निकालेंगे तो 49267 करोड़ रुपए होता है, परन्तु आपने 33 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान अनुसूचित जाति, जनजाति के लिए रखा है. 49 हजार करोड़ के एवज में आपने 33 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया है. किस गणित से किस मूल्यांकन से रखा है. आदिम जाति कल्याण विभाग के लिए केवल 7800 करोड़ रुपए का प्रावधान है, 8000 करोड़ रुपए में क्या होगा. वह भी शिक्षा विभाग में जिसमें केवल पढ़ाई और छात्रावास हैं. नोडल एजेंसी के रुप में जब ट्रायबल डिपार्टमेंट का गठन हुआ तो उसको काम करना चाहिए और जो ट्रायबल सब-प्लान का पैसा है उसकी भी मॉनिटरिंग ट्रायबल डिपार्टमेंट के माध्यम से होना चाहिए. इसलिए अभी तक चाहे किसी भी दल की सरकार रही हो हम उसको दोष देते हैं. कांग्रेस को दोष दो या भाजपा को दोष दो. ऐसा नहीं है कुछ अच्छे काम भी किए गए हैं लेकिन जिस संकल्प के साथ काम होना चाहिए था वह नहीं हुआ है. इसीलिए आज मध्यप्रदेश में आदिवासी समाज का जो लिट्रेसी रेट है. इसलिए आज हमारे आदिवासी समाज का जो लिटरेसी रेट है वह 50.55 प्रतिशत है और पूरे देश में 69.32 प्रतिशत है. इसलिए हम अन्य प्रदेशों की तुलना में बहुत पीछे हैं. माननीय बिसाहूलाल सिंह जी, आदरणीय मनोहर ऊंटवाल जी और आदरणीय हरिशंकर खटीक जी बोले हैं मैं उन बातों को नहीं दोहराऊंगा मैं उन बिंदुओं को छूने का प्रयास करूंगा जिन बिंदुओ को समयाभाव के कारण आपने नहीं रखा और इसलिए इस पर जो बजट का प्रावधान है मंत्री जी, आपको माननीय मुख्यमंत्री जी के सामने और सरकार के सामने बात रखनी होगी. दूसरी बात यह है कि आपको आए हुए सात माह हो गए हैं और ट्रायबल एडवाइजरी काउंसिल का गठन अभी नहीं हुआ है और जब तक गठन नहीं होगा तो हम अनुसूचित जनजाति वर्गों का विकास कैसे करेंगे. जहां पर नीतिगत निर्णय लिए जाते हैं हम चाहे किसी के भी मसीहा बन जाएं लेकिन हमारे मन में उनके लिए काम करने की जो पीड़ा है उसके लिए हमको आगे आकर इन कामों को पहले करना है तो उसको क्रियान्वित भी करना होगा जो कि नहीं किया जा रहा है. हमारे सभी परियोजनाएं हैं आदिवासी परियोजना प्रत्येक जिलों में है उनका भी गठन नहीं हुआ है. मंत्री महोदय आप देख लेंगे क्योंकि ट्रायबल परियोजनाओं का गठन आपको ही करना है. बहुत सारी बातें हैं जैसे बैगा विकास अभिकरण के लिए पिछली सरकार ने एक हजार रुपया बैगा प्रति परिवार को पोषण आहार देने के लिए प्रावधान किया था. इस बजट में वह प्रावधान नहीं रखा गया है तो उनका कुपोषण कैसे दूर होगा? उनका पेट कैसे भरेगा? वह कैसे आगे आएंगे? मंत्री महोदय इस पर आपको प्रावधान करना है और आप बजट में प्रावधान करवाइए. हमारे यहां 80 हजार से ज्यादा बैगा जनजाति के लोग सीधी और सिंगरौली जिले में हैं. बैगा अभिकरण में जो मण्डला, डिण्डौरी, बालाघाट, उमरिया और शहडोल में है तो उसमें सीधी और सिंगरौली छूट गया है. जो बुढ़ार में सम्मेलन हुआ था उसमें भी हमने पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी से आग्रह किया था उन्होंने कहा था कि हम शामिल करेंगे लेकिन वह कहां पर लंबित है उनको भी शामिल किया जाए क्योंकि बैगा जनजाति केवल अब सीधी और सिंगरौली जिले में ही शेष हैं, जो अभिकरण से वंचित हैं. हमारे यहां कौल जनजाति सबसे पिछड़ी जनजाति है वह केवल मजदूरी का काम करते हैं हमारे यहां पिछली सरकार के मुख्यमंत्री जी ने कौल अभिकरण बनाकर उनके विकास का मार्ग प्रशस्त किया था. मुझे लगता है आप उसमें और बजट का प्रावधान करेंगे उनके लिए भी आप चिंता करेंगे तो बड़ी खुशी होगी. वनाधिकार के पत्र अभी तक 2 लाख 54 हजार 75 दिए जा चुके हैं लेकिन जो उनको दिए गए हैं उनका कंपार्टमेंट का जो ज्वाईट सीमांकन है उसमें से बहुत लोगों का नहीं हुआ है और इसलिए वह इससे वंचित हैं केवल कागज लेकर घूम रहे हैं कि मेरी जमीन कहां पर है इस पर भी आप समीक्षा कीजिए. तीन लाख साठ हजार आठ सौ चौबीस दावे निरस्त कर दिए गए. अब इन वनाधिकार पत्रों को क्यों निरस्त कर दिया. वह यह बोल रहे हैं कि वन विभाग ने पी.ओ.आर. नहीं काटा अब वन विभाग पी.ओ.आर. नहीं काटा तो इसके लिए आदिवासी क्यों खामियाजा भुगतें. जबकि वनाधिकार पत्र में..
सभापति महोदय-- कृपया समाप्त करें.
श्री कुंवर सिंह टेकाम-- सभापति महोदय जो प्रमुख बातें हैं उनको तो आ जाने दीजिए. बाकी व्यवधान तो हमेशा होता रहता है. दो मिनट में मैं अपनी बात समाप्त कर दूंगा और यदि आप कहें मैं न बोलूं, आदिवासी समाज के विकास के लिए मैं बात न करूं तो मैं बात नहीं करूंगा.
सभापति महोदय-- एक मिनट और बोल लीजिए.
श्री कुंवर सिंह टेकाम-- सभापति महोदय, मैं बिंदुवार बात कर रहा हूं मैं यहां कोई भाषण देने नहीं आया हूं. मैं जब अनुसूचित जनजाति आयोग का चेयरमेन बना था तो मुझे पूरी चिंता थी पूरे देश में भ्रमण करके हमने देखा था कि इस तरह से पीडि़त लोग हैं और इसलिए वनाधिकार का 360 पत्र उसमें नियम है कि गांव के बुजुर्ग लोगों को उनके पेड़ को, कुए को साक्षी मानकर उनको वनाधिकार पत्र दिया जाए. मत्री जी आप संवेदनशील है मुझे मालूम है लेकिन इस दिशा में आपको कड़े कदम उठाने पडे़ंगे नहीं तो कागज केवल ग्राम सभा कराने लगे तो ग्राम सभा के माध्यम से पांच दिन में तीन लाख 60 हजार नहीं होंगे और आने वाले दिनों में इनको मालूम है कि उच्चतम न्यायालय इनको वहां से हटाने के निर्देश देने वाला है. अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों के लिए उनको कानूनी सहायता देने के लिए अधिवक्ता की मदद करते हैं, लेकिन राजस्व न्ययालयों में जो सबसे ज्यादा राजस्व न्यायालयों में हमारे ट्रायबल समाज घिसटता है उनके लिए भी अधिवक्ताओं की मदद कानूनी सहायता देने के लिए आप यह बात कहिए और इतना कहते हुए पुन: 170 (ख) की कार्यवाही करें अभी भी उसमें बहुत सारी विसंगतियां हैं लेकिन हमारे जनजाति विकासखण्ड जो एस.सी.एस.टी. एरिया है वहां पर शिक्षा , स्वास्थ्य, सिंचाई, सड़क, स्वरोजगार, विद्युतीकरण पुन:अधिकार पत्र विस्थापन जो कि बड़ा मुद्दा है. जहां-जहां भी ट्रायबल निवास करते हैं आज मेरे विधान सभा क्षेत्र में 48 गांव का विस्थापन किया जाए और वह वर्ष 2008 के मुआवजा रेट से किया जाए मैं आज वन मंत्री जी से यही चर्चा कर रहा था उन्होंने बोला कि हम चर्चा करेंगे. कोर एरिया में नहीं हैं. उनको शामिल कर लिया गया. जांच करके जो विस्थापित की श्रेणी में नहीं आते हैं उनको हटाया जाए. आपने बोलने का समय दिया धन्यवाद.
श्री नारायण सिंह पट्टा (बिछिया)-- सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 33, 69 के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं और साथ ही साथ हमारा आदिम जाति कल्याण विभाग बहुत ही महत्वपूर्ण विभाग है और इस विभाग में जो एक नए-नए स्वरूप इस जनजाति कल्याण के लिए माननीय कमलनाथ जी ने और हमारे आदिमजाति विभाग के मंत्री श्री ओमकार जी ने जो योजना तैयार की है मैं उनको धन्यवाद देता हूं. आदिवासी समाज का इस देश में और प्रदेश में बहुत लंबा इतिहास रहा है. इस इतिहास को कौन नहीं जानता है. हमारे वीर शहीद और स्वतंत्रता संग्राम के महापुरुष रहे हैं चाहे वह राजा दलपत शाह हों, संग्राम शाह हों, शंकर शाह हों, रघुनाथ शाह हों, बिरसा मुण्डा जी हों, वीरनारायण सोनाखान हों, रानीदुर्गावती और भोपाल जो कि हमारे मध्यप्रदेश की राजधानी है, कमलावती जी के इतिहास को कौन नहीं जानता है अगर हम इनके इतिहास की संक्षिप्त बात करें तो यह जो हमारे आदिम जाति कल्याण विभाग का जो समय निर्धारित है वह समय एक पन्ने के लिए या एक इतिहास पक्ष के लिए भी कम है फिर भी मुख्य-मुख्य बातों को कहना चाहूंगा. हमारे वरिष्ठ विधायक आदरणीय बिसाहूलाल सिंह जी ने अपने भाषण के माध्यम से जो कहा मैं कहना चाहता हूं कि आज कांग्रेस की सरकार को 15 साल के बाद बने 6 माह हुए हैं यह सातवा माह जो हमारा बजट के रूप में गुजर रहा है उन्होंने जो भी बात कही 15 साल में इस विभाग का भारतीय जनता पार्टी की सरकार के समय में इतना दोहन किया गया जो आदिवासी समाज के हितों पर एक बहुत बड़ा गहरा आघात पहुंचा है क्योंकि इनके कल्याण के लिए इनके जीवन यापन के लिए जो चाहे वह केन्द्र सरकार के माध्यम से हो, चाहे राज्य सरकार के माध्यम से हो जिस तरह से योजना तैयार करके क्रियान्वयन की जो रूप रेखा तैयार की गई है. उसका भलीभांति से उपयोग उन वर्गों के लिए नहीं हो सका जिसकी वजह से आज भी आदिवासी जहां था वहीं है. मैं यह मानता हूं कि लगातार इस वर्ग की लड़ाई लड़ने के लिए सभी पक्ष के जनप्रतिनिधियों ने अपनी बात को रखा लेकिन उसका कितना क्रियान्वयन हुआ, यह स्पष्ट दर्शाता है कि उनका हित कितना हुआ. मैं आप सभी को बताना चाहता हूं कि पिछले 15 सालों में तो इस वर्ग का हित नहीं हो सका लेकिन जब-जब कांग्रेस की सरकार रही है निश्चित रूप से इन वर्गों के लिए कल्याणकारी कार्य किया है, जो किसी से छिपा नहीं है. आप सभी से मैं कहना चाहता हूं कि वर्तमान में माननीय कमलनाथ जी की सरकार ने और हमारे आदिम जाति कल्याण मंत्री श्री ओमकार सिंह मरकाम जी ने जिस तरह से इस वर्ग के हित में जो योजनायें बनाई हैं, इसके लिए उन्हें धन्यवाद.
माननीय सभापति महोदय, आदिवासियों के इतिहास के साथ-साथ गोंडवाना का भी लंबा इतिहास है. इस प्रदेश में सबसे ज्यादा गोंडी भाषा का उपयोग करने वाली आबादी है. हमारी इस गोंडी भाषा को उन आदिवासी बाहुल्य जिलों में प्राथमिक स्तर के पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए इस सरकार द्वारा प्रावधान किया गया है, इसके लिए मंत्री जी बधाई के पात्र हैं. साथ ही साथ हम सभी जानते हैं कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने आदिवासियों के इतिहास, उनकी समाज में भूमिका और संरक्षण के लिए ''विश्व आदिवासी दिवस'' 9 अगस्त को निर्धारित किया है. इसके लिए इस समाज ने लगातार संघर्ष किया है. जिस तरह से अन्य तीज-त्यौहार या महापर्वों पर शासकीय अवकाश दिए जाते हैं उसी तरह आदिवासी दिवस पर भी शासकीय अवकाश होना चाहिए लेकिन पिछले वर्ष तक की सरकार ने हमें नहीं सुना. मैं कमलनाथ जी की सरकार को धन्यवाद देता हूं कि अब आने वाले 9 अगस्त 2019 से यह दिवस एक शासकीय अवकाश के रूप में मनाया जायेगा. इस वजह से इस वर्ग में बड़ी उम्मीद और खुशी का वातावरण है.
माननीय सभापति महोदय, मैंने प्रारंभ में ही कहा था कि आदिवासियों का इतिहास बहुत लंबा है लेकिन मैं सरकार की उन उपलब्धियों पर, इस वर्ग के लिए उनके द्वारा जो प्रावधान किये गये हैं, उन पर मैं प्रकाश डालना चाहूंगा. ''आष्ठान योजना'' के बारे में हमारे श्री फुन्देलाल सिंह मार्को जी कह रहे थे. इस विशेष वर्ग के साथ-साथ सभी वर्गों के जनप्रतिनिधि यहां उपस्थित हैं क्योंकि आदिवासी वर्ग, एक ऐसा वर्ग है जिसमें सभी समाजों एवं धर्मों की संस्कृति की झलक दिखाई देती है. हमारे गांव में खेरमाई होती है, ठाकुरदेव होता है. बड़ादेव का स्थल होता है. आज गांवों से चलकर इनकी झलक शहरों में भी दिखाई देती है लेकिन किसी भी सरकार द्वारा इसे सुव्यवस्थित करने या संधारित करने के लिए, कोई विचार आज तक नहीं रखा गया है. मैं बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं श्री ओमकार सिंह मरकाम जी एवं मुख्यमंत्री जी को कि इस वर्ग के साथ-साथ उन्होंने हमारे कुलदेवता और देवी को संरक्षित करने के लिए कार्य किया है.
सभापति महोदय- कृपया समाप्त करें.
श्री नारायण सिंह पट्टा- माननीय सभापति महोदय, आदिवासी उपयोजना के माध्यम से पहली बार आदिवासी क्षेत्रों में ए.टी.एम. संधारित करने के लिए बजट में उल्लेख किया गया यह निश्चित रूप से एक सराहनीय कदम है. मैं मंत्री जी से मांग करना चाहता हूं कि आज यदि आदिवासी संस्कृति कहीं झलकती है तो पूरे मध्यप्रदेश में सर्वाधिक रूप से मण्डला, डिण्डोरी, शहडोल और उमरिया जिलों में हमारी वास्तविक पहचान एवं संस्कृति दिखती है. इसे संजोने के लिए आप सबसे पहले इन सभी योजनाओं का उन क्षेत्रों में उपयोग करें.
माननीय सभापति महोदय, यह हम सभी के हित के लिए है. मैं कहना चाहता हूं कि विशेष पिछड़ी जनजातियों का उल्लेख हमेशा केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार की ओर से किया जाता है. आज आदिवासी क्षेत्रों में हमारे पढ़े-लिखे युवा साथी बेरोजगार घूम रहे हैं. मेरा आग्रह है कि आप इन क्षेत्रों के ऐसे केंद्र स्थापित करें जिससे प्रशिक्षण के माध्यम से उन्हें रोजगार मिल सके.
माननीय सभापति महोदय, हमारे 89 आदिवासी विकासखण्ड हैं. इन सभी 89 विकासखण्डों में आदिवासियों के विकास के लिए संस्कृति भवनों का निर्माण किया जाए.
सभापति महोदय- नारायण जी, कृपया बैठ जाइए. आपको लंबा समय हो गया है. अब नारायण जी जो बोलेंगे वह नहीं लिखा जायेगा.
श्री नारायण सिंह पट्टा- XXX
श्री सीताराम (विजयपुर)- माननीय सभापति महोदय, आज मैं पहली बार इस विधान सभा में बोल रहा हूं. मैं सहरिया समाज से हूं. हमें आदिवासी भी कहा जाता है. मैं इस विधान सभा को प्रणाम करता हूं. (मेजों की थपथपाहट)
माननीय सभापति महोदय, मैं आपका और सभी विधायकों का स्वागत करता हूं. मैं कहना चाहता हूं कि यहां सभी वक्ता उल्टा-सीधा बोल रहे हैं. आदिवासियों के बारे में यहां बात हो रही है. यहां चर्चा चल रही है. हमें 50-60 साल हो गए हैं. दोनों पार्टियां कहती हैं कि आदिवासियों के लिए ये करेंगे, वो करेंगे लेकिन आदिवासी आज भी शून्य पर है, वहां कोई विकास नहीं है. मैं दोनों पक्षों से कहना चाहूंगा कि मैं उसी जमीन से यहां आया हूं. मैं विजयपुर क्षेत्र, श्योपुर जिले से हूं. हमारे क्षेत्र में सड़कें नहीं हैं. गढ़ी-टेटरा से लेकर धोबनी तक सड़क बननी है. चैटीखेरा डेम और बाइपास सड़क भी बननी है. हमारे आदिवासी क्षेत्र में कुपोषण भी बहुत है. भारतीय जनता पार्टी ने हमें कुछ छोटी-मोटी योजनायें दी हैं. शासन द्वारा हमारा वन अधिकार भी छिन लिया गया है. मैं दोनों पक्षों से कहूंगा कि आदिवासी बहुत पीछे जा रहा है. वहां पढ़ाई नहीं है. दारू के अलावा वहां कोई धंधा नहीं है. लोग दारू पी रहे है और आदिवासी बर्बाद हो रहा है. मेरा यह कहना है कि मैं दोनों में से किसी पक्ष का विरोध नहीं कर रहा हूं परंतु आज भी आदिवासी बहुत पीछे है. यहां लोग जबर्दस्ती कह रहे हैं 1 लाख-2 लाख, आप जांच करें वहां कुछ नहीं है. मेरा निवेदन है कि आलोचना न करें. जो सरकार बनी है, वह अच्छी तरह से काम करे. जनता ने आपको जिम्मेदारी दी है क्योंकि आप सभी विधायकों को जनता ने चुनकर भेजा है. आलोचना न करें. क्षेत्रों में, मध्यप्रदेश में विकास करें क्योंकि यदि विकास नहीं होगा तो फिर जनता आपसे पूछेगी कि आपने क्या किया. धन्यवाद. (मेजों की थपथपाहट)
सभापति महोदय- डॉ. अशोक मर्सकोले जी.
श्री सीताराम- माननीय सभापति महोदय, मैं पहली बार बोल रहा हूं. मैं विधान सभा में बोलने के लिए ही आया हूं. यहां कोई आदिवासी नहीं है. मैं सहरिया समाज से हूं. हमारे यहां से पहले भी कुछ विधायक रहे लेकिन हमारी बात किसी ने नहीं रखी. मैं यहां पहली बार आया हूं. जिस तरह से कोई जन्म लेता है उसी प्रकार मैं यहां आया हूं. मैं जरूर बोलूंगा, आप जो भी दण्ड देना चाहें, दे सकते हैं.
सभापति महोदय- दण्ड की बात नहीं है. मैंने अशोक जी का नाम पुकार लिया है.
श्री गोपाल भार्गव- माननीय सभापति महोदय, सीताराम जी बहुत भोले-भाले विधायक हैं और आदिवासी समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं. कृपया उन्हें बोलने के लिए कम से कम एक मिनट का समय दिया जाये.
श्री अर्जुन सिंह:-माननीय सभापति महोदय, प्रथम बार बोल रहे हैं, बुजुर्ग हैं. एक- दो मिनट और बोल लेने दीजिये.
श्री बहादुर सिंह चौहान:- माननीय सभापति जी, आप हम तो बनावटी बोलते हैं. सीताराम वह सही बोल रहे हैं, उनको थोड़ा सा समय दे दीजिये बोलने के लिये.
श्री विश्वास सारंग:- दिल से बोल रहे हैं.
वाणिज्यिक कर मंत्री(श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर):- विश्वास सारंग जी, आपको सिखाने की जरूरत नहीं है, वह हृदय से बोल रहे हैं, उनको बोल लेने दीजिये.
श्री विनय सक्सेना:- मतलब बहादुर सिंह जी ने पहली बार स्वीकार की वह बनावटी बोलते हैं.
श्री सीताराम :- मेरा कहना है कि हमारे यहां पर मारवाड़ी लोग राजस्थान से आये हैं और वहां पर उनके 20-25 गांव हैं वह रेंज में बसे हुए हैं. रेंज वालों ने उनकी जो भी तहसील की जमीन थी, जिनके पास पट्टा है, उनको केंसिल कर दिया है. उनको रेंज वाले परेशान कर रहे हैं. मेरा सरकार से यही निवेदन है कि पूरे श्योपुर जिले में भ्रमण करते हैं. मेरा यही कहना है कि रेंज वालों से हमें बहुत परेशानी हो रही है. मेरा सरकार से यही निवेदन है, जय-हिन्द, जय-भारत.
पशुपालन मंत्री(श्री लाखन सिंह यादव):- माननीय सभापति जी, मैं इनके जिले का प्रभारी मंत्री हूं. सीताराम भैया मेरा आपसे विनम्रतापूर्वक निवेदन है कि ऐसे ही विधान सभा में बोला करो और पूरी दमदारी से बोला करो.
श्री गोपाल भार्गव:- इनका यह लघु स्वरूप है और बिसाहूलाल जी इनका वृहद स्वरूप है.
डॉ. अशोक मर्सकोले (निवास):- सभापति महोदय, जैसे सीताराम जी, मनोहर ऊंटवाल जी और हरिशंकर जी ने भी बताया और उन्होंने भी माना कि आदिवासी क्षेत्र का विकास नहीं हुआ है. आदिवासी अभी भी मूलभूत सुविधाओं के लिये तरस रहे हैं. बिसाहूलाल जी ने भी बहुत दुख जताया कि 15 सालों की वजह से हम कहां पहुंच गये हैं, हमारे यहां की क्या स्थिति है.
इंजी. प्रदीप लारिया:-सभापति जी,इसके पहले 50 साल आपका भी शासन रहा है.
श्री मनोहर ऊंटवाल:- सभापति महोदय, मैं माननीय सदस्य को बता दूं कि मैंने 50 साल का कहा है, 15 साल का नहीं बोला है.
डॉ. अशोक मर्सकोले :- माननीय सभापति महोदय, 21 प्रतिशत की जनसंख्या और लगभग 15 प्रतिशत भू-भाग पर निवास करने वाले और पूर्णत् 89 ब्लाक्स हैं जो ट्रायबल से रिलेटेड हैं, बाकी तो हैं ही. जनजातियों के समग्र विकास का एक उद्देश्य था, जिसके लिये इस विभाग का गठन हुआ पर हम यह देख रहे हैं कि 15 साल में जो टीएसी का गठन और उसकी बैठकें, जिसके आधार पर आदिवासियों के लिये प्लानिंग बनती हैं, उनका कहीं किसी प्रकार का जिक्र नहीं है. यह इसलिये हम कह सकते हैं कि हमारे पास में रिकार्ड है, हमारे लिये कोई चिंता नहीं की, क्योंकि जब इन्होंने कोई बैठकें ही नहीं की और कोई प्लानिंग ही नहीं की.
सभापति महोदय, अभी नयी सरकार के आने के बाद में जनता में बहुत उम्मीदें जगी हैं, आदिवासी समाज में एक विश्वास जगा है कि जो पिछले 15 साल में नहीं हुआ, जिस प्रकार से बजट का बंटाढ़ार हुआ है और बंदर-बांट हुआ है. वह आज मूलभूत सुविधाओं, पीने के पानी के लिये, स्कूल में शिक्षक नहीं है वहां पर रोड नहीं है. वहां पर स्वास्थ्य की कोई सुविधा नहीं है. इसके लिये हम तरस रहे हैं और उसी बजट में देखने में आया है कि उसी बजट से बड़े-बड़े, मेले, मढ़ई और पुल और बांध जैसे बातें आ रही हैं. लेकिन उन आदिवासी इलाकों के लिये एक विशेष पैकेज के रूप में उनके लिये बजट आया है. लेकिन कहीं भी ऐसा देखने को नहीं मिल रहा है कि , यही कारण है कि आज भी यह जितने 89 ब्लाक्स की आप स्थिति कोई जाकर देखेगा और जब उनको यह पता चलेगा कि इतना बड़ा बजट उनके लिये आवंटित हुआ है, फिर भी उनका किसी भी स्तर पर विकास नहीं हुआ है. अब हमारी एक उम्मीद जागी है क्योंकि जिस प्रकार से मुख्यमंत्री जी हमारी बातों को सुनते हैं तो निश्चित रूप से उन बातों को समझते हुए, ऐसा हमें लग रहा है कि हम विधायकों के माध्यम से उस क्षेत्र के लिये जो प्रोजेक्ट जायेंगे, उस प्रकार से बजट का आवंटन होगा और एक विकास की एक बहुत बड़ी उम्मीद और आस हमारे लिये जगी है.
सभापति महोदय, हमारे आदिवासी क्षेत्र के यहां जो आदिवासी विधायक हैं या फिर उनके यहां पर पहुंचने में जिन आदिवासियों ने, सही में उनको यहां पर पहुंचाया है तो उनको भी यह बात सोचनी होगी कि सही में उस क्षेत्र के विकास के लिये,उनके वीज़न के लिये काम करना पड़ेगा, उनकी मूलभूत आवश्यकताओं के लिये लड़ना पड़ेगा और कहीं न कहीं अगर ऐसा होता है तो हम भी अपनी मांग रखेंगे
डॉ.अशोक मर्सकोले--हम भी अपनी मांग रखेंगे कि हमें एक विशेष पैकेज के तहत हमारे क्षेत्र के विकास के लिये, स्वास्थ्य सुविधाओं के लिये, शिक्षकों के लिये, सिंचाई के लिये, एक विशेष योजना बनायें ताकि हमारे क्षेत्र में विकास हो. हमारे यहां पर गांव के गांव खाली हो जाते हैं उनके पास में न तो कृषि पर आधारित कोई आय है न ही उस क्षेत्र में कोई उद्योग हैं मुझे बहुत बड़ी तकलीफ होती है उनकी स्थिति को देखने में, जब मैं यहां पर आया हूं. इसके पहले मैं एक चिकित्सक के रूप में था जब मैं खुद भी देख रहा हूं कि इतने बड़े बजट का आवंटन होता आया है, तब फिर सोचने में आता है कि इतने बड़े बजट होने के बाद भी क्या ऐसी मानसिकता रही है कि आदिवासियों के बारे में किसी ने सोचने की भी जरूरत नहीं समझी है. अब हमें लगता है कि इसके लिये सबको मिलकर के प्रयास करना पड़ेगा. अब सीधे एक विजन के रूप में देखकर उस क्षेत्र में सही में उस बजट का सही उपयोग हो तथा उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति हो, उस पर हम लोगों को कार्य करना पड़ेगा. अभी बीच में बहुत सी ऐसी बातें आयी हैं उसमें वनाधिकार की बात कहे तो मध्यप्रदेश के 3 लाख 60 हजार जो दावे हैं इसमें सीधी सीधी बेदखली की बात आयी है उसमें कहीं न कहीं ऐसा हुआ है कि हम अपनी बात नहीं रख पाये हैं. जहां तक हम समझ रहे हैं कि वनाधिकार के पट्टों की बात हो उसमें ग्राम सभा का एक बड़ा रोल रहता है, लेकिन शायद उनको इस बात की जानकारी नहीं दी गई है और इसका यह परिणाम रहा कि उनको बेदखली आज सभी के माध्यम से हुई. जैसे ही हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी को इस बारे में बताया उन्होंने भी अपने माध्यम से इसके लिये सुप्रीम कोर्ट के सामने अपनी बात रखी. हमारे माननीय मुख्यमत्री तथा माननीय ओमकार मरकाम जी के सहयोग से आष्ठान योजना तथा भूमि सुधार तथा आदिवासियों की कृषि में वृद्धि हो सके इसके लिये नया प्लान तैयार किया है ताकि उनकी उपज बढ़ सके. माननीय मुख्यमंत्री जी का धन्यवाद दूंगा कि उन्होंने विश्व आदिवासी दिवस तथा गोंडी भाषा को मान्यता दी है. धन्यवाद.
कुंवर विजय शाह (कसरावद)--सभापति महोदय, आदिम जाति कल्याण विभाग मध्यप्रदेश के विकास में तथा जनजाति के कल्याण के लिये अभी हमारे सदन के वरिष्ठ आदिवासी सदस्य श्री बिसाहूलाल सिंह जी ने बहुत ही दुखती रगों पर हाथ रखा. मैं उनकी इसलिये तारीफ कर रहा हूं कि उन्होंने बिना लाग-लपटे के अपनी बात कहने का साहस अगर किसी आदिवासी नेता में है उसके लिये मैं आपको धन्यवाद देता हूं.
श्री नारायण पट्टा--बिसाहूलाल सिंह जी ने अपनी व्यथा इसलिये बतायी चूंकि आप पिछली सरकार में ट्रायबल विभाग के मंत्री थे. जो स्थिति इस विभाग की आपने की है वह व्यवस्था आदरणीय बिसाहूलाल सिंह जी बता रहे थे.
कुंवर विजय शाह--सभापति महोदय, पट्टा जी मैं आपको बताऊंगा आपके बोलने से कितने स्कूल मंडला जिले में खोले हैं.
सभापति महोदय--विजय शाह जी आप अपनी बात कहें.
कुंवर विजय शाह--सभापति महोदय, यह सरकार आदिवासियों के मामले में कितनी गंभीर है, यह आइना दिख रहा है. यह लोग मंत्री जी को इतना बड़ा बड़ा फोटो निकालकर गुमराह कर रहे हैं. भैय्या मरकाम जी गुमराह मत होना. ऐसा प्रतिवेदन मैंने किसी भी विभाग का नहीं देखा यह चमकदार फोटो उसमें बच्ची क्या पूछ रही है कि 85-90 प्रतिशत अंक लाने के बाद मेरा लेपटॉप कहां है ? ऐसे प्रतिवेदनों पर आप गुमराह मत हो, कुछ भी नहीं है. इसलिये नहीं है कि अगर इनके दिल में वास्तव में आदिवासियों के विकास के लिये कुछ चाहत होती, कुछ कल्पना होती, कुछ ललक होती.
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री (श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर) --सभापति महोदय, अगर मध्यप्रदेश के ऊपर कोई फिल्म बनाई जाये उसमें विजय शाह जी एक अच्छे एक्टर होंगे.
सभापति महोदय--आप उनको बोलने दीजिये आप व्यवधान खड़ा मत कीजिये.
कुंवर विजय शाह - माननीय सभापति जी, फिल्म भी बनेगा, रानी दुर्गावती की एक फिल्म 52 करोड़ की एक फिल्म बन रही है, उसमें मकड़ाई भी एक गढ़ था, उसकी फिल्म भी बनेगी और बन गई है, मुझे लगता है ट्रायबल विभाग ने बना ली, आप चिन्ता न करें.
सभापति महोदय - माननीय विषय पर आइए.
कुंवर विजय शाह - सभापति जी, कितनी गंभीर है यह सरकार, चुनाव को हुए 8 महीने हो गए, आने वाले समय में 9 वां महीना लग जाएगा, उसके बावजूद ये मंत्रणा परिषद का गठन नहीं कर पाए, उसके बिना कुछ नहीं होगा आदिवासियों का. कहां गए माननीय मुख्यमंत्री जी, उन्होंने क्यों चिन्ता नहीं की आदिवासी मंत्रणा परिषद का गठन होना चाहिए.
डॉ. गोविन्द सिंह - आपसे टक्कर लेने को हम तैयार है.
सभापति महोदय - अशोक जी आप बैठे, कोई व्यवधान न करें.
कुंवर विजय शाह - माननीय गोविन्द सिंह जी ये आदिवासियों की बात है, आपकी समझ में नहीं आएगा.
डॉ. गोविन्द सिंह - कैसे नहीं आएगी?
श्री नारायण सिंह पट्टा - आपके समय में तो हुआ ही नहीं है.
सभापति महोदय - नारायण जी जो बोलेंगे वह नहीं लिखा जाएगा, आप बैठ जाइए, हर बात पर उठना जरूरी नहीं है.
डॉ. गोविन्द सिंह - आपके भाषण में तब आनंद आता है, जब आप हाथ ऐसे करो.
सभापति महोदय - आपको सब डिस्टर्ब कर रहे हैं, लेकिन आप डिस्टर्ब न हो, जल्दी से अपनी बात खत्म कर दीजिए.
कुंवर विजय शाह - माननीय सभापति जी, केवल आदिम जाति मंत्रणा परिषद का गठन नहीं होता तो भी मैं मान लेता. आदिवासियों की भलाई के लिए जनजाति आयोग अध्यक्ष लापता, आदिवासियों के लिए आदिवासी वित्त विकास निगम अध्यक्ष लापता, 26 परियोजना जिलों में विकास के लिए अध्यक्ष आठवें महीने में भी लापता. उद्यमी विकास संस्थान अध्यक्ष लापता, आपने किया क्या यह तो बताओ. आठ महीने हो गए अभी हमारे बिसाहूलाल जी बता रहे थे, विकास के लिए राशि ही नहीं है, केवल तनख्वाह बांटकर काम चलाएंगे. चूंकि मरकाम जी को मैं जानता हूं एक सही आदिवासी नेता है. मेरे विरोधी हो सकते हैं लेकिन मैंने उन्हें देखा है कि जिस तरह से वह चाड़ा क्षेत्र जैसे डिण्डोरी जिले में रहकर के आदिवासियों का कल्याण कर रहे हैं. तुम भैया इनके चक्कर में मत आना लड़ाई करना, और सबसे बड़ी यह है कि अगर वास्तव में मरकाम जी आपके दिल में एक प्रतिशत भी यह इच्छा है, ईश्वर के आशीर्वाद से आप इस विभाग के मंत्री बने हैं बहुत अच्छी बात है. आपकी सरकार कल्याण करना चाहती है तो कसम खाओ इसी एक साल के अंदर इस विधानसभा में पांचवीं अनुसूची ..
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर - माननीय सभापति जी, बड़ी महत्वपूर्ण बात यह है कि इतना बढि़या.
सभापति महोदय - प्रद्युम्न जी, समय का तो ध्यान रखिए, आप मंत्री है.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर - मैं एक बात कह रहा हूं, क्या पत्रकार दीर्घा में, इलेक्ट्रानिक मीडिया में कुछ दिख नहीं रहा है. यह इतना बड़ा प्रदर्शन कैसे दिखाई देगा बाहर, इतना अच्छा आदमी बोल रहा है.
सभापति महोदय - प्रद्युम्न जी, आप बैठ जाइए.
कुंवर विजय शाह - एक मिनट जरा शांति रखिए प्रद्युम्न जी, मैं आपकी बात पर भी आऊंगा. आपसे भी उम्मीद थी कि आदिवासी क्षेत्रों में कराल और खांडवा में आदिवासी लोगों के कुपोषण दूर करने के लिए हमने 10 रूपए किलो दाल देना शुरू किया था, आपके विभाग ने बंद कर दिया.
सभापति महोदय - (श्री प्रद्युम्न जी के खड़े होने पर ) प्रद्युम्न जी, जो बोलेंगे बिलकुल नहीं लिखा जाएगा.
कुंवर विजय शाह - 10 रूपए किलो दाल नहीं देंगे तो आदिवासी का कुपोषण कैसे दूर होगा, किसने बंद किया है, इनके विभाग ने बंद नहीं किया, आप कहां चले गए थे प्रद्युम्न सिंह जी, आपके दिल में आदिवासियों के दिल में जगह नहीं थे.
सभापति महोदय - विजय शाह जी, इधर मुखातिब होकर बात करिए. (हंसी)
कुंवर विजय शाह - जी, जी मैं इधर मुंह कर लेता हूं. (हंसी)
श्री जितु पटवारी - सभापति जी, (सदस्य कुंवर विजय शाह के द्वारा सीने में जोर जोर से ठोकने पर) बाकी सब ठीक है, जोर जोर से ठोको मत अटैक आ जाएगा.
सभापति महोदय - वह विजय शाह जी है. (हंसी)
कुंवर विजय शाह - माननीय सभापति जी, माननीय जितु भैया बहुत अच्छी बात थी कि हमारी सरकार ने, शिवराज जी की सरकार ने, कमल के फूल की सरकार ने यह चिन्ता करी कि जहां सबसे ज्यादा अगर कुपोषित लोग है उन्हें दाल के रूप में अच्छा पोष्टिक आहार मिले, इसलिए दाल को 10 रूपए किलो एक व्यक्ति को देने की शुरूआत यदि हिन्दुस्तान के किसी प्रदेश में किसी ब्लाक में हुई तो वह मध्यप्रदेश के इस विधानसभा में हुई, उसको भी इस भलीमसांत सरकार ने बंद कर दी. अब बिसाहूलाल जी जरा एक बात बताओ यार क्या अच्छा काम किया इन्होंने.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव - विदिशा नंबर 3 पर है, भाईसाहब पूरे हिन्दुस्तान में.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -(xxx)
सभापति महोदय - प्रद्युम्न जी, यह बिलकुल गलत बात है, आप व्यवधान उत्पन्न कर रहे हो, आप अपने स्थान पर बैठ जाए. (...व्यवधान)
श्री विश्वास सारंग - भैया, ये कौन सी चक्की का आटा खाकर आते हैं.
कुंवर विजय शाह - माननीय सभापति जी, मैं कोई भी शब्द गलत नहीं कह रहा हूं, जो तथ्यात्मक जानकारी है वह कर रहा हूं, पीएस महोदय बैठ हैं, आप पूछ लें कि क्या 10 रुपये किलो दाल बन्द नहीं की ? मैं जो भी बात कर रहा हूँ, तथ्यात्मक कर रहा हूँ. मुझे 29 वर्ष इस सभा में हो गए हैं.
सभापति जी, ये मुख्यमंत्री स्व-रोजगार, मुख्यमंत्री कल्याण का कह रहे हैं. अभी 5-7 महीने हो गए हैं, किसी भी आदिवासी भाई को कोई भी लोन नहीं मिला है, बोले सब्सिडी भोपाल से नहीं आई है. अब जब तक भोपाल से सब्सिडी नहीं जाएगी, उस गरीब आदिवासी को लोन नहीं मिलेगा. यह देरी क्यों हो रही है ? मरकाम जी, आपको भी यह विषय देखना चाहिए, आखिर आदिवासी भाइयों की सब्सिडी यहां से नहीं जायेगी तो उनको लोन कैसे मिलेगा ? तो क्या यह आपकी लापरवाही नहीं है ? इसी तरह माननीय जो बात यहां पर आई थी. मैं तो सही बात बता रहा हूँ कि अगर पांचवीं अनुसूची लागू हो गई, भाई हम तो नहीं करा पाए, आपसे उम्मीद है. यह एक-एक सदस्य, जो आदिवासी भाई इस सदन में बैठे हैं, सब आपका साथ देंगे. हम कसम खा लेते हैं. अगर पांचवीं अनुसूची लागू होगी तो यह मध्यप्रदेश का आदिवासी भाई बहुत कुछ आगे बढ़ जायेगा, तरक्की कर लेगा. बिसाहूलाल जी जानते हैं कि अगर (...व्यवधान...)
श्री पांचीलाल मेड़ा - केन्द्र सरकार आपकी है, आप यह काम करवा सकते हैं.
कुँवर विजय शाह - यह मध्यप्रदेश की सरकार को लागू करना है. आप लागू करें.
सभापति महोदय - (श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर के खड़े होकर बोलने पर) आप मंत्री हैं, संयम रखिये.
कुँवर विजय शाह - माननीय सभापति महोदय, अगर आदिवासी का विकास चाहिए, पांचवीं अनुसूची लागू होते ही आदिवासी की तरक्की का द्वार खुल जायेगा, डिटेल में बताने की जरूरत नहीं है. किसी दिन आप आधे घण्टे की चर्चा दे दें, तो हम पांचवीं अनुसूची पर चर्चा कर लेते हैं, पूरा सदन इस बात के लिए तैयार है. पूरा सदन तैयार है कि पांचवीं अनुसूची लागू हो या नहीं हो, यह चर्चा का विषय है. इसलिए मैं इसके बहुत अन्दर नहीं जाना चाहता हूँ. लेकिन इन्होंने अभी बच्चों को जो साइकिल बांटी, मैंने पिछली बार भी कहा था. आपकी सरकार है इसलिए कह रहा हूँ. जो बच्चियां प्रोफेसर कॉलोनी में रहती हैं.
गृह मंत्री (श्री बाला बच्चन) - माननीय सभापति महोदय, यदि आपकी अनुमति हो तो मैं कुछ बोलूँ. वन अधिकार अधिनियम, 2006 दिल्ली में बनने के लिए 12 से 13 वर्ष हो गए हैं, पांचवीं अनुसूची भी जो केन्द्र में कांग्रेस की सरकार थी तो हमने उसको वहां कानून बनाकर दिया. आपकी मंशा ठीक नहीं थी इसलिए आपने क्यों नहीं यहां लागू होने दिया ? (मेजों की थपथपाहट) जिन राज्यों में कांग्रेस की सरकारें थीं, वह जो केन्द्र में कानून बना, वह जस का तस उन राज्यों में लागू हुआ.
सभापति महोदय - माननीय मंत्री जी, आपकी बात आ गई है. विजय शाह जी अपना वक्तव्य जारी रखें. खटीक जी बैठ जाइये. आप कितना समय और लेंगे ?
कुँवर विजय शाह - आपका जब नम्बर आएगा तब आप बोलिएगा.
डॉ. हिरालाल अलावा - माननीय सभापति महोदय, यूपीए गवर्नमेंट ने लाया था.
श्री नारायण सिंह पट्टा - यह सब कांग्रेस की देन है.
सभापति महोदय - नारायण जी, आपकी आदत गलत है.
कुँवर विजय शाह - सभापति महोदय, हम वन अधिकार पर आते हैं. भैया ने वन अधिकार की बात कही. 800 वर्ष पुराना हमारे बाप-दादाओं का वहां पर महल है, जमीनें हैं, मंदिर है, पूजा स्थल है, हम बार-बार जमीन मांग रहे हैं लेकिन हमारे अधिकारी-कर्मचारी कहीं न कहीं घुमा रहे हैं. हम ट्रस्ट चला रहे हैं, गरीबों की सेवा के लिए, आदिवासियों की सेवा के लिए लेकिन वहां की 21 हेक्टेयर जमीन मुझे आज तक नहीं मिली. दूसरी तरफ, सिंधिया जी जैसे स्कूल, जहां पर बड़े-बड़े करोड़पतियों के बच्चे पढ़ते हैं. 500 करोड़ रुपये की जमीन फ्री में आपकी सरकार ने सिंधिया स्कूल को दे दी. (...व्यवधान...)
पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री (श्री कमलेश्वर पटेल) - आप लोगों ने पूरे प्रदेश में (XXX) की है.
खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री (श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर)- सभापति महोदय, (...व्यवधान...)
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री (सुखदेव पांसे) - राजमाता सिंधिया जी के कारण दी है.
(...व्यवधान...)
सभापति महोदय - माननीय तीनों मंत्री जी, कृपा करके अपने स्थान पर बैठ जाएं.
श्री ओमप्रकाश सकलेचा - आपको शासन में सबको बराबर की निगाह से देखना चाहिए, आप शासन में आए हैं.
सभापति महोदय - सकलेचा जी, आप बैठ जाएं.
श्री ओमप्रकाश सकलेचा - आप किसी एक व्यक्ति के लिए नहीं आए हैं.
सभापति महोदय - विजय शाह जी, अपना वक्तव्य समाप्त करें.
कुँवर विजय शाह - मैं हमारे मरकाम जी को कुछ सुझाव भी देना चाहता हूँ. आप, हम और जितने भी यहां माननीय सदस्य बैठे हैं. हमारे समाज और प्रदेश के कल्याण के लिए बैठे हैं, नकली आदिवासियों की जब बात आती है, फर्जी सर्टिफिकेट्स की जब बात आती है तो क्या मालूम कि कौन सी नियम प्रक्रिया है ? वर्षों लग जाते हैं और उसका निर्णय नहीं हो पाता है कि वह नकली आदिवासी है कि असली आदिवासी है ?...(व्यवधान).... भाई साहब जो बात मैं कर रहा हूं, वह बात में समाज के हित में कर रहा हूं. यह बात मैं किसी मेरे सदस्य, मेरी पार्टी के सांसद या पूर्व सांसद के बारे में नहीं कर रहा हूं और अगर मुझे यही करना होता तो मैं यह बात छेड़ता ही नहीं. मैं समाज के हित में बात कर रहा हूं. क्या मध्यप्रदेश की विधानसभा यह कानून पास नहीं कर सकती है कि एक साल के अंदर वह जांच करे कि वह नकली आदिवासी है कि असली आदिवासी है? इसको आपको एक साल के अंदर क्लीयर करना चाहिये, यह मेरा सुझाव है. हमने इसके साथ-साथ पिछले कुछ समय में विभाग को शिकायत भी की थी कि उसकी जांच यहां पर पैंडिंग है. यहां पर सभी वरिष्ठ अधिकारी बैठे हैं, खासकर खंडवा जिले में शेड निर्माण यात्री प्रतिक्षालय निर्माण में वर्ष 2007-2009 तक जितने भी काम हुये उसमें से आधे काम हुये ही नहीं है और कलेक्टर महोदय से फर्जी लगाकर अधिकारी ने भिजवा दिया है. क्या माननीय मंत्री आप अपने वरिष्ठ अधिकारी को भेजकर हमने जो शिकायतें पिछले समय में दी थी, क्या आप उसकी जांच करवायेंगे ? माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने बहुत कुछ कोशिश की है कि इस आदिवासी क्षेत्र में अगर वास्तव में आप मध्यप्रदेश का विकास करना चाहते हैं तो पांचवी अनुसूची लागू करें तो आपको और कुछ करने की जरूरत नहीं है. माननीय सभापति महोदय, आपने मुझे बोलने के लिये समय दिया बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्रीमती झूमा सोलंकी (भीकनगांव) -- माननीय सभापति महोदय, आदिम जाति विभाग सबसे महत्वपूर्ण विभाग है. हमारे युवा माननीय मंत्री श्री ओमकार सिंह मरकाम जी विशाल हृदय वाले और विकास की ओर बहुत ज्यादा चिंतन करने वाले हैं. मैं यह कहना चाहती हूं कि पूर्व वक्ताओं ने भी अपनी बात रखी है और मैं मांग संख्या 33 और 69 पर अपना पक्ष रख रही हूं और अपना समर्थन कर रही है. सभी ने कहा है और मैं भी अपनी बात कह रही हूं कि आज की तारीख में जनसंख्या के हिसाब से मुझे लगता है दस से पंद्रह प्रतिशत यह जनसंख्या बढ़ चुकी है और पूरे मध्यप्रदेश की बात करें तो इस समुदाय की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका है, वह भूमिका चाहे सामाजिक हो या आर्थिक रूप से हो. इस समुदाय के बगैर प्रदेश का, उत्थान प्रदेश की प्रगति असंभव है और यह समुदाय पूरी तरह से जल,जमीन और जंगल से जुड़ा हुआ और प्रकृति के करीब है और इसीलिये बिना पट्टे की बात के चर्चा पूरी नहीं होती है. आज की स्थिति में पिछले फरवरी माह में माननीय सुप्रीमकोर्ट में एक याचिका दायर हुई और साढ़े तीन लाख से ऊपर आदिवासी परिवारों को बेदखल करने का निर्णय आया था, किंतु हमारे मुख्यमंत्री जी ने बहुत चिंता के साथ इसे बहुत ज्यादा संज्ञान में लिया और अपने अधिवक्ता वहां पर पेश किये और याचिका में सुप्रीम कोर्ट के सामने अपना पक्ष रखा और स्टे भी लिया है, उसकी पेशी की तारीख अब 24 तारीख को आ रही है और फिर से सुनवाई का समय आ रहा है. मैं यह बताना चाहती हूं कि इस पर फिर से मुख्यमंत्री ने बहुत चिंता के साथ अपने पक्ष में दो वकील वहां पर खड़े किये हैं ताकि इसका निर्णय हमारे पक्ष में आये और मध्यप्रदेश के पूरे आदिवासी समुदाय को भरोसा दिलाया है कि कभी भी विस्थापन नहीं किया जायेगा, इससे हमारी सरकार की सोच झलकती है. मैं माननीय मंत्री जी से कहना चाहती हूं कि इस बात को हमेशा से पूरे नियम, कानून कायदों में लेकर एक नोटीफिकेशन जारी करना होगा जिस तरह से छत्तीसगढ़ सरकार कर रही है, हमारे मध्यप्रदेश की सरकार भी उसी तरह से करे, ताकि हमारे सामने आने वाले दिनों में इसकी बार-बार समस्या नहीं आये. आदिवासी समाज के लिये जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 की धारा 3 (1) (6) के अनुसार जो अधिकारी वर्ग बेदखल करते हैं, उनके ऊपर कोई कार्रवाई नहीं होती है, किंतु इसके अंतर्गत कहा गया है कि कोई भी अधिकारी ऐसा कदम उठाये तो उनके ऊपर दण्डात्मक रूप से कार्रवाई होगी और वह भविष्य में इस तरह के कदम नहीं उठायें, यह प्रावधान भी हैं और इसका पालन होना चाहिये. इसके साथ ही इस बार जो आपने बहुत विचार करके आदिवासी समुदाय, आदिवासी संस्कृति को संरक्षित रखने के लिये आष्ठान योजना जो आपने लागू की है जिसके अंतर्गत देवी देवताओं के स्थानों का विकास किया जायेगा, उनके देवी देवताओं को संरक्षित किया जायेगा, यह बहुत बड़ा कदम है, इसके लिये मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को और माननीय मंत्री जी को भी बधाई देती हूं. आपने एक और बड़ा कदम उठाया, किसानों की कर्जमाफी के साथ-साथ हमारे आदिवासी समुदाय जो बेरोजगार थे, जिन्होंने आदिवासी वित्त विकास निगम के माध्यम से ऋण लिया था उसमें एक-एक लाख रूपये तक की, जिसमें 45 करोड़ रूपये तक की राशि माफ की है, यह आपका बहुत बड़ा कदम है, इसके लिये भी आपकी सराहना करती हूं और विभाग के द्वारा जो शिक्षक अध्यापक वर्ग से नियमित संवर्ग में आये हैं उन्हें नियमित कर्मचारियों की तरह व्यवस्था देंगे, यह कदम भी आपने पहली बार उठाया इसके लिये भी मैं आपके लिये बहुत-बहुत धन्यवाद देती हूं. नवीन सीनियर छात्रावासों के निर्माण, महाविद्यालयों के निर्माण इन छात्रावासों से जो पढ़ने वाले बच्चे हैं जिनको व्यवस्थायें मिलेंगी तो निश्चित ही उनका भविष्य सुधरेगा, पढ़ लिखकर वह ऊंचे पदों पर जायेंगे और विशेष पिछड़ी जाति के लिये भी आपने बजट में काफी प्रावधान किया है, उनके उत्थान के लिये भी आपने किया है उसके लिये भी बहुत-बहुत धन्यवाद देती हूं. मेरी ओर से एक सुझाव भी है चूंकि आपने पिछली बार भी परियोजना की मीटिंग ली थी, पहली बार इतनी जल्दी मीटिंग लेकर सभी विधायकों से चर्चा करके जन कल्याणकारी कार्यों के लिये आपने विचार मांगे थे उसमें मैंने कहा था कि अंग्रेजी माध्यम से आपने आश्रमों में पढ़ाई शुरू करवाई, पहली से लगाकर पांचवीं तक, किंतु इसको 12वीं तक किया जाये ताकि वह बच्चे अपनी पूरी पढ़ाई अंग्रेजी माध्यम से ही करें नहीं तो पांचवीं क्लास के बाद छठवीं में हिन्दी माध्यम से पढ़ने के लिये उन्हें मजबूर होना पड़ता है, उनका भविष्य अधर में हो जाता है. आवासीय छात्रों का उन्नयन करना बेहद जरूरी है. मेरे झिरनिया क्षेत्र में आपने आष्ठान योजना के अंतर्गत हमारे शहीद और क्रांतिकारी टंटा मामा की जो कर्मस्थली है उसको इसमें शामिल किया जिसका वहां पर विकास होगा इसके लिये भी मैं बहुत-बहुत धन्यवाद देती हूं और झिरनिया में 27 एकड़ में कन्या परिसर का निर्माण हो रहा है. कन्या परिसर का निर्माण लगभग 6 महीने के भीतर हो जायेगा, चूंकि 90 प्रतिशत आदिवासी बाहुल्य है वहां पर एकलव्य के रूप में उसका उन्नयन हो जायेगा तो निश्चित ही वहां के पढ़ने वाले मेधावी छात्र छात्रायें हैं उसका उनको लाभ मिलेगा और बेरोजगारों के लिये कौशल विकास के विशेष प्रशिक्षण आपने देना शुरू किया है बेरोजगारों के लिये बहुत अच्छी व्यवस्था आपने की इसके लिये भी मैं आपको बहुत-बहुत धन्यवाद देती हूं. वनग्रामों में हम लोग जितने भी सामुदायिक भवन विकास के लिये कार्य करते हैं उसमें वन विभाग की बड़ी रूकावट आती है, हम लोग कोई सा भी काम करते हैं सड़कें हैं, सामुदायिक भवन हैं, पंचायत भवन है इनका निर्माण करते हैं, इसमें थोड़ी सी शिथिलता चाहिये क्योंकि यह सब सार्वजनिक और विकास के काम हैं इससे हमारे विकास के काम रूकते हैं, इस ओर आपको जरूर ध्यान देना चाहिये और विशेष पिछड़ी जाति जिसमें सिकल सेल एनीमिया की बीमारी चूंकि आयुष विभाग के लिये हमारी आदरणीय मंत्री विजय लक्ष्मी साधौ जी भी यहां उपस्थित हैं, इसमें हमारे खरगोन, बड़वानी, धार, झाबुआ, अलीराजपुर इन जिलों को शामिल नहीं किया है, इनको भी शामिल करें ताकि इस गंभीर बीमारी का परीक्षण हो सके, उसमें शोध हो सके, जो आपने काम शुरू किया इसके लिये मैं आपको बहुत-बहुत धन्यवाद देती हूं और जो बात आई है कि मंत्रणा परिषद का गठन नहीं हुआ, माननीय मंत्री जी इस ओर आपका ध्यान आकर्षित करना चाह रही हूं, चूंकि हर योजना के लिये माननीय मुख्यमंत्री जी गंभीरता से हमारे सभी आदिवासी विधायकों को बैठाकर हर बात पर वह फैसला कर रहे हैं यही बात मंत्रणा परिषद में भी होगी. यही बात मंत्रणा परिषद में भी होगी. इसका शीघ्र गठन भी हो जाये, यह नीतिगत बात है. विजय शाह हमारे सीनियर नेता हैं और 15 सालों से सत्ता में ही बैठते आए हैं. जब आप यहां मंत्री थे, तब इतने सालों तक हमारे आदिवासी भाईयों की पदोन्नति क्यों नहीं हुई ? यह बड़ा सवाल है, शिक्षित वर्ग में, और समाज में यह काम हमारी सरकार करेगी और बेकलाग के साथ-साथ मेरी एक मांग है कि हमारे आदिवासी शहीद टंट्या मामा जिनके प्रति हमारा समाज बहुत आस्था रखता है और उस शहीद को बहुत सम्मान के साथ हमारा समाज देखता है. तो मैं चाहती हूं और सभी आदिवासी भाईयों से भी चाहूंगी कि पूरे विधान सभा परिसर में जहां भी स्थान उचित लगे तो उनका छायाचित्र लगाया जाये. जैसे बिरसा मुण्डा जी का छायाचित्र संसद में लगा है. वैसे ही मध्यप्रदेश के जो यह हमारे शहीद हैं उनका छायाचित्र यहां लगे. आपने 9 अगस्त को आदिवासी दिवस की घोषणा की, जिसकी हम 15 साल से मांग कर रहे थे, इसके लिये मैं आपको धन्यवाद देती हूं. आपने समय दिया धन्यवाद.
श्री अनिरुद्ध (माधव) मारू ( मनासा ) - माननीय सभापति महोदय, मेरे पूर्व हम सबके वरिष्ठ और आदरणीय बिसाहूलाल सिंह जी ने और मनोहर ऊंटवाल जी ने बड़े अच्छे वक्तव्य दिये. अच्छे सुझाव दिये. मैं इनको धन्यवाद देता हूं. माननीय बिसाहूलाल सिंह जी ने तो कह ही दिया कि अधिकांश सुविधाएं तो केन्द्र से मिल रही हैं. मेरी एक बात समझ में नहीं आई कि पूरा प्रदेश चिंतित रहता है कि आदिवासियों की, जनजातियों की, घुमक्कड़ जातियों की हम चिंता करें. उनकी सुविधाएं बढ़ाएं. उनको शिक्षित करें लेकिन ले-देकर सारा मामला पिछले 15 सालों की बात पर क्यों आता है. क्या आजादी के बाद ये सारी आदिवासी समस्याएं नहीं थीं. जनजातियों की समस्याएं नहीं थीं. हम क्यों न चिंता करें कि आजादी के बाद इनका उन्नयन, विकास कितना हुआ ? हम मूल बात की चिंता करें कि आदिवासियों का क्यों नहीं विकास हो पाया इतने वर्षों में ? सारे बजटों को अगर जोड़ लिया जाये कि इतने सालों में कितना बजट इन परखर्च हुआ और अभी तक इनका क्यों नहीं उन्नयन हुआ और क्यों विकास नहीं हुआ ? क्यों अभी तक समस्याएं वहीं की वहीं हैं ? आजादी के बाद की बात करें. ऐसा नहीं होता है. सिर्फ एक दूसरे को दोष देने का काम चल रहा है. जबकि विचार यह होना चाहिये कि आजादी के बाद उन्नयन क्यों नहीं हुआ ?
श्री तरबर सिंह - यदि विकास नहीं हुआ होता तो 47 विधायक आदिवासी समाज के यहां सदन में नहीं बैठे होते.
सभापति महोदय - बिलकुल नहीं. बैठिये.
श्री अनिरुद्ध (माधव) मारू - जिन अधिकारियों, कर्मचारियों को इसकी जवाबदारी मिली थी इतने वर्षों में, वास्तव में जांच तो उनकी होनी चाहिये कि विकास उनका तो नहीं हुआ. उन्नयन उनका जरूर हो गया, उन अधिकारियों, कर्मचारियों का और उन तथाकथित नेताओं का. विकास नहीं हुआ, वास्तव में आदिवासियों का, अगर हम बात कर रहे हैं इनकी.
श्री वालसिंह मैड़ा - सभापति जी, ये बार-बार 15 साल क्यों बोलते हैं ?
श्री अनिरुद्ध (माधव) मारू - मेरा ऐसा मानना है कि मूल रूप से एजुकेशन अगर इनको व्यवस्थित मिलेगी तो सही विकास की तरफ इनका कदम जायेगा, क्योंकि हमने उनकी पढ़ाई-लिखाई का वैसा ध्यान क्यों नहीं दिया. बड़े-बड़े कानवेंट स्कूल चल रहे हैं. बड़े-बड़े होस्टल चल रहे हैं. कोई बच्चा वन स्थली जाता है, कोई कहीं जाता है कोई बिड़ला इंस्टीट्यूट में जाता है बड़े-बड़े इंस्टीट्यूट में जाते हैं. हम इनके लिये ऐसे हब क्यों नहीं बनाते जहां के.जी. फर्स्ट से वह बच्चा वहां पढ़ने जाये, उसको सारी सुविधाएं मिलें, होस्टल की सुविधाएं मिले. अच्छी एजुकेशन मिले. अच्छा पढ़ने का वातावरण मिले. अगर हम हजार-हजार बच्चों के लिये हब बनाएं, सारी एजुकेशन की व्यवस्था करें, अच्छे खाने-पीने की व्यवस्था करें तो दूसरे सारे संकट उनके खत्म हो जायेंगे. उनको पढ़ने का माहौल मिलेगा. अगर इतने वर्षों में इन बच्चों की चिंता कर ली होती तो पूरी की पूरी पीढ़ी बदल गई होती. जो 50 साल पहले स्थिति थी, आज भी पैदा होने वाले बच्चे की स्थिति वही है. जबकि उन बच्चों को अगर व्यवस्थित पढ़ाई-लिखाई मिल जाती तो वे पढ़-लिख जाते. वे अपनी पीढ़ी को सुधार लेते. अपनी व्यवस्थाएं सुधार लेते. हमने आज तक यह कोशिश नहीं की. इस दिशा में कोई ठोस कदम आज तक क्यों नहीं उठाया. क्यों नहीं ऐसी कोई योजनाएं बनीं कि हम बच्चों के लिए हब बनाएं और उनको वहां पढ़ाने के लिए भेजें? के.जी. फर्स्ट से ही वहां पढ़ाने के लिए बच्चों को भेजें. वे अपने आप उस माहौल में रहेंगे. अगर हम यह कुछ करेंगे. इस तरह की योजनाएं बनाएंगे तो निश्चित रूप से उन बच्चों का भला कर पाएंगे.
हमारे यहां जनजातियों के छात्रावास खाली पड़े हैं. मैंने अभी दो दिन पहले कारण पूछा कि आखिर तकलीफ क्या रही है? मालूम पड़ा कि अनुसूचित जनजाति की बच्चियां जो फेल हो गई हैं उनके एडमिशन स्कूल में तो हो गये, लेकिन उनको छात्रावासों में जगह नहीं मिल रही है. जबकि अनुसूचित जाति के बच्चों को एडमिशन वहां उसी क्लास में फिर मिल गया और हॉस्टल में एडमिशन मिल गया, परन्तु अनुसूचित जनजाति की बच्चियों को, बच्चों को उन हॉस्टलों में एडमिशन नहीं मिल रहे हैं. माननीय मंत्री महोदय इस पर आप विशेष ध्यान रखना. इसकी वजह से वह बच्चियां पढ़ाई से वंचित हो रही हैं उन्होंने स्कूलों में एडमिशन लेने से मना कर दिया है क्योंकि उनको वहां हॉस्टल में एडमिशन नहीं मिल रहा है. यह एक विशेष ध्यान देने योग्य बात है और हर हाल में इस पर तुरन्त कार्यवाही होना ही चाहिए.
सभापति महोदय, अगला मेरा निवेदन है कि हमारे यहां घुमक्कड़ जाति है. सदन में घुमक्कड़ जाति पर कोई चर्चा नहीं हुई. हमारे यहां घुमक्कड़ जाति है, बंजारा समाज है. वे साल के लगभग 300-400 करोड़ रुपये के कंबल और कुर्सियां बेच देते हैं. इतना बड़ा व्यापार करते हैं अगर किसी को कहीं दुभाषिया की जरूरत पड़े तो किसी हमारे बंजारा समाज के बच्चे को, युवा को ले जाना वह पूरे भारत के हर प्रदेश की भाषा जानते हैं. किसी भी भाषा में आप उनसे बात करवा सकते हैं. वे पूरे भारत में मोटरसाइकिलों से घूमते हैं कंबल का व्यवसाय करते हैं फेरी लगाते हैं, कुर्सियों का व्यवसाय करते हैं अन्य सामान बेचते हैं. हर जगह दूसरे प्रदेशों में पुलिस उनको रोक लेते है उनसे पैसे ले लेती है, उनसे कंबल ले लेगी, उनसे सामान ले लेगी और उनको जबर्दस्ती बंद कर देंगे, उनको प्रताड़ित करेंगे. उनके पास ऐसा कोई साधन नहीं है, ऐसा कोई कार्ड नहीं है, ऐसा कोई पहचान पत्र उनको नहीं दिया जाता कि यह हमारे यहां के बच्चे हैं. व्यवसाय के लिए पूरे देश में घूम रहे हैं. इस तरीके के किसी कार्ड की, इस तरीके के कोई पहचान पत्र की व्यवस्था अगर उन बच्चों के लिए की जाएगी, उन युवाओं के लिए की जाएगी तो व्यवसाय करने में आसानी होगी और पूरे देश में धंधा करके वह पैसा मध्यप्रदेश में ला रहे हैं. हमारे क्षेत्र में ला रहे हैं और निश्चित रूप से हमारी संपन्नता बढ़ा रहे हैं. मेरी बातों पर गौर करें. सभापति महोदय, आपने जो मुझे बोलने का अवसर दिया, उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री पांचीलाल मेड़ा (धरमपुरी) - सभापति महोदय, आदिवासी हमारे देश का मूल निवासी है. आज भारत की जनसंख्या का 8.6 प्रतिशत एक बड़ा हिस्सा है. मध्यप्रदेश में भी कई जिले हैं आदिवासी बाहुल्य, लेकिन आज भी मध्यप्रदेश के आदिवासी कई समस्याएं और अपने अधिकारों को लेकर लड़ रहे हैं. आज उनके अधिकारों का हनन हो रहा है. संविधान में 5वीं एवं 6वीं अनुसूची के माध्यम से अधिकार हमको मिले हैं, लेकिन आज भी कई जिलों में प्रशासनिक अधिकारियों के द्वारा भेदभाव हो रहा है. यह बहुत ही गंभीर विषय है. हमें इसकी चिंता करनी चाहिए जिससे एक छोटे से कस्बे में रहने वाला आदिवासी अपने अधिकार को समझ सके और आगे बढ़े. हम जानते हैं कि 5वीं अनुसूची में आदिवासियों के लिए विशेष अधिकार मिला है, लेकिन आज भी हमारे आदिवासी भाइयों को हमारे अधिकार नहीं मिल रहे हैं. आज कमलनाथ सरकार ने हमारे जनजातीय कार्य मंत्री आदरणीय श्री ओमकार सिंह मरकाम जी के माध्यम से भूमि के अधिकार के लिए वन भूमि के पट्टे देने की बात कही है.
7.05 (उपाध्यक्ष महोदया ( सुश्री हिना लिखीराम कावरे) पीठासीन हुईं)
श्री पांचीलाल मेड़ा --संविधान के अनुच्छेद 275 में आदिवासियों को सब प्लान की व्यवस्था है इसके तहत आदिवासी क्षेत्रों के लिए अलग से बजट आवंटित होता है जिसका उपयोग आदिवासियों के कल्याण और उनकी आर्थिक और सामाजिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए होता है लेकिन यह पैसा हम आदिवासी भाईयों तक नहीं पहुंचता है. पिछले कई सालों में इस राशि का उपयोग दूसरे कामों के लिए और व्यर्थ के कामों के लिए करके इस राशि का दुरूपयोग किया गया है. मैं यहां पर अपनी सरकार से निवेदन करता हूं कि इस राशि का पूरा उपयोग आदिवासियों के हित केलिए किया जाय जैसे छोटे आदिवासी कस्बे विकसित हों और आदिवासियों की आर्थिक स्थिति में सुधार आये. 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस पर मध्यप्रदेश के हर एक जिले में आदिवासी जागरूकता अभियान की शुरूवात करना है और उनके अधिकारों के प्रति सरकार गंभीर है सख्त है यह उन्हें विश्वास दिलाया जाय मैं यहां सरकार से निवेदन करता हूं कि आदिवासियों के हित के लिए जो योजनाएं चलाई जा रही हैं उन पर ध्यान देकर हर एक आदिवासी तक योजना का फायदा पहुंचाया जायेगा, जिससे आदिवासियों में जागरूकता आये और उन्हें फायदा मिले ताकि उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार आये और शिक्षा का भी विकास हो.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय आज आदिवासी भाईयों के लिए कमलनाथ जी की सरकार ने हमारे मंत्री जी की अनुशंसा से उनके निवेदन पर हम आदिवासी भाइयों के हितों के लिए, प्रदेश का कोई आदिवासी भाई अगर भोपाल आता है तो आज तक उसके यहां पर रूकने के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं थी. आज हमारे मुख्यमंत्री कमलनाथ जी ने बहुत बड़ा निर्णय लिया है कि आदिवासी भाईयों को भोपाल में रूकवाने के लिए बड़े स्तर पर व्यवस्था की जा रही है ताकि हमारे उस भाई को यहां किसी होटल या धर्मशाला में नहीं रूकना पड़े लेकिन उसके लिए आदिवासी आश्रय के रूप में एक ऐसी व्यवस्था हो रही है कि वहां पर वह रूककर अपने काम को आसानी से कर सके. आज हमारे आदिवासी भाईयों ने सदन में अपने अपने विचार रखे हैं वास्तव में कमलनाथ जी की सरकार सख्त है और जरूर आदिवासियों के हितों की रक्षा के लिए हमारे अधिकार के लिए पूरा प्रयास करेगी हमें हमारे अधिकार दिलायेंगे. बहुत बहुत धन्यवाद्.
डॉ हीरालाल अलावा (मनावर )-- सबसे पहले माननीय उपाध्यक्ष महोदया को बहुत बहुत धन्यवाद्. उसके बाद में सदन का भी तहेदिल से बहुत बहुत धन्यवाद कि सदन में मेरे ख्याल से बहुत दमदारी के साथ में पांचवी अनुसूची को लागू करने की मांग उठी है. मैं मांग संख्या 33 और 69 के समर्थन में अपनी बात को रखते हुए सबसे पहले हमारे आदिमजाति कल्याण मंत्री ओमकार सिंह मरकाम जी का तहेदिल से धन्यवाद करता हूं क्योंकि उन्होंने विभाग का नाम आदिमजाति कल्याण रखवाया जो कि पिछली सरकार ने जनजाति के नाम से कर दिया गया था. सवाल विभाग के नाम को बदलने से नहीं है सवाल हमारी पहचान से है. आदिमजाति का मतलब आदि काल से रहने वाले लोग बीच में हमारे सदस्य जी ने आदिवासियों को वनवासी कहकर संबोधित जिसका हमने विरोध किया. हम आदिवासी इसलिए कहलवाना चाहते हैं क्योंकि उऩका इतिहास है वह आदि काल से इस भारत भूमि पर रहने वाले लोग हैं और इनके बारे में 5 जनवरी,2011 को जो सुप्रीम कोर्ट में काटजू के माध्यम से जजमेंट आया था, उन्होंने कहा कि यही इस देश के मूल मालिक हैं. मैं विजय शाह जी को भी बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहूंगा, क्योंकि भले ही उन्होंने पिछले 15 सालों में अपनी सरकार में मंत्री रहते हुए पांचवी अनुसूची को लागू करने की मांग नहीं ¨उठाई, लेकिन आज विपक्ष में रहते हुए उन्होंने कम से कम पांचवी अनुसूची को लागू करने की मांग उठाई. सबसे पहले संविधान सभा में जयपाल सिंह मुण्डा जी ने जो हॉकी के कप्तान भी रहे हैं. ..
कुंवर विजय शाह -- माननीय अलावा जी, मैंने मंत्री रहते हुए यह बात कई बार उठाई है. मैं आपको रिकार्ड उपलब्ध करा दूंगा.
डॉ. हिरालाल अलावा -- उसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद. जयपाल सिंह मुण्डा ने संविधान सभा में मांग रखी थी कि हमें जनजाति नहीं आदिवासी कहा जाये, लेकिन फिर भी संविधान में हमें जनजाति कहा गया. जनजाति होने के लिये कुछ विशेष मापदण्ड तय किये गये हैं, जिसमें विशेष संस्कृति, आदिम विशेषताएं, भौगोलिक अलगाव, सामाजिक पिछड़ापन और एक विशेष स्वभाव. यह आदिवासी, जनजाति होने के लिये पहिचान है. लेकिन आज आदिवासियों की पहिचान उनका अस्तित्व, उनकी अस्मिता सब खतरे में है. क्योंकि एक तरफ आदिवासियों को जंगलों से बेदखल करने के आदेश सुप्रीम कोर्ट के माध्यम से आये हैं. 13 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने जो जजमेंट दिया, जिसमें 20 लाख आदिवासी परिवार बेदखल होने की कगार पर खड़े हैं, जिसका निर्णय अभी 24 तारीख को आने वाला है. दूसरी तरफ हमारे देश एवं प्रदेश में टाइगर रिजर्व, मैना रिजर्व, भेड़ रिजर्व, बकरी रिजर्व बनाने के लिये कानून बनाये जा रहे हैं, लेकिन आदिवासी रिजर्व के लिये जो कानून बने हैं, उस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है. संविधान की पांचवी अनुसूची के लागू होने के बिना हम लोग आदिवासियों के विकास की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं. लेकिन आजादी के 70 साल होने के बाद भी संविधान की पांचवीं अनुसूची का इम्प्लीमेंटेशन आज तक ग्राउंड लेविल पर नहीं हो पाया. 1996 में पेशा कानून जो पांचवी अनुसूची का एक छोटा सा पार्ट है, लेकिन 1996 में पेशा कानून लागू होने के बाद आज तक पेशा कानून के बारे में कोई नियमावली सरकारें नहीं बना पाईं, चाहे कोई भी सरकार रही हो. भारत के संविधान के आर्टिकल 275(1) में ट्राइबल सब प्लान बनाया गया है. जिसके तहत आदिवासियों के विकास के लिये हर वर्ष करोड़ रुपये बजट दिया जाता है. इस साल 2019-20 के बजट में हमारी मध्यप्रदेश सरकार ने 33466 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है. लेकिन पिछली सरकारों ने जो ट्राइबल सब प्लान के नाम से बजट आता है, जो पैसा ट्राइबल के विकास के नाम से आता है, वह पैसा अन्य मदों में खर्च कर दिया जाता है, जिसका उदाहरण पिछली भाजपा सरकार ने 100 करोड़ रुपये इन्दौर के मेट्रो रेल प्रोजेक्ट के लिये दे दिया था.
7.14 बजे {अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) पीठासीन हुए.}
अध्यक्ष महोदय, आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं से आज भी यह समाज वंचित है. ऑक्सफैम एक इन्टरनेशनल संस्था की रिपोर्ट में यह कहा गया है कि धार,बड़वानी, झाबुआ और अलीराजपुर जिला, अलीराजपुर जिला में दक्षिण अफ्रीका के सियरा लियोन जैसी हालत है.वहां पर आज आदिवासी इलाकों में कुपोषण से आदिवासी बच्चे मर रहे हैं. पिछले दिनों 5 जुलाई को खबर छपी थी कि श्योपुर में पिछले 20 दिनों में 11 आदिवासी बच्चे मर गये हैं. लेकिन कुपोषण, पलायन, बेरोजगारी इन सभी गंभीर समस्याओं का निदान करने के लिये कोई भी सरकार सख्त कदम उठाने के लिये तैयार नहीं है. ..
अध्यक्ष महोदय -- चलिये धन्यवाद. आपको 5 मिनट हो गये हैं.
डॉ. हिरालाल अलावा-- लेकिन मैं चाहता हूं कि हमारी कमलनाथ सरकार इन सभी गंभीर मुद्दों पर ध्यान दे. आदिवासियों के प्रमोशन में आरक्षण पर ध्यान दे.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी, 10 मिनट. (माननीय सदस्यों के खड़े होने पर) कृपया बैठ जायें. मैं समय नहीं दे रहा हूं.
श्री वालसिंह मैड़ा -- अध्यक्ष महोदय, 2-2 मिनट.
अध्यक्ष महोदय -- आधा सेकंड नहीं दे रहा हूँ. मंत्री जी आप बोलना शुरू करिए. आप शांत रहेंगे तो आपका समय कटता जाएगा.
जनजातीय कार्य मंत्री (श्री ओमकार सिंह मरकाम) -- माननीय अध्यक्ष महोदय जी, मैं सबसे पहले माननीय राहुल गांधी जी का धन्यवाद करता हूँ, जिन्होंने मुझे इस काबिल बनाया कि समाज की प्रगति और विकास के लिए मैं कार्य कर सकूँ. गांधी परिवार हमेशा आदिवासियों की प्रगति और विकास के लिए समर्पित रहा है, उस भावना के अनुसार मैं कार्य कर सकूँ. मैं धन्यवाद देता हूँ हमारे यशस्वी मुख्यमंत्री जी को कि उन्होंने मुझे आदिवासी विकास विभाग की जिम्मेदारी के साथ एक अत्यंत मानवीय सेवा करने का अवसर दिया. साथ ही विमुक्त, घुमक्कड़ एवं अर्द्ध घुमक्कड़ जनजाति कल्याण विभाग की भी जिम्मेदारी सौंपी, मैं माननीय मुख्यमंत्री जी का हृदय से धन्यवाद करता हूँ. मैं आपका संरक्षण चाहता हूँ कि जिस तरह से आपने मुझे 10 मिनट का समय दिया है, मैं चाहता हूँ कि जिस क्षेत्र से आप आते हैं, वहां 32 हजार आदिवासी हैं, उस नाते कुछ समय आप बढ़ा देंगे, ऐसा मेरा अनुरोध है.
अध्यक्ष महोदय -- माफी चाहूँगा, नहीं बढ़ा पाऊँगा, और काट दूंगा. आप कितना ही मक्खन लगाओ, मैं बिल्कुल नहीं पिघलूंगा...(हंसी) ...
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- अध्यक्ष महोदय, अगर आप चाहें तो ...
कुँवर विजय शाह -- अध्यक्ष जी, आदिवासियों पर अत्याचार न करें.
अध्यक्ष महोदय -- प्रभू जी, तुम चंदन, हम बटइया...(हंसी) ...
कुँवर विजय शाह -- इसी तरह एकलव्य का अंगूठा भी ले लिया गया था.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं, बैठो.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- अध्यक्ष महोदय, मैं यह कहना चाहता हूँ कि -
अश्वमेध सहस्त्रं च सत्यं च तुलया धृतम् ।
अश्वमेध सहस्त्रादि सत्यमेव विशिष्यते ।।
हजारों अश्वमेध यज्ञ करने के बाद जो पुण्य मिलता है और सच्चाई की बात करने के बाद जो पुण्य मिलता है, सच्चाई की बात करने वाला पुण्य भारी होता है और वह मेरा समाज है. आर्थिक रूप से भले ही हमारे लोग गरीब हैं, चुनौतियों से गुजर रहे हैं, पर ईमानदारी में सबसे ऊपर हैं. दुनिया के अंदर सबसे ईमानदार अगर कोई जाति होती है तो वह आदिवासी समाज होता है. आदिवासी समाज के लिए सच्चाई की बात करने में मैं सबसे पहले हमारे प्रतिपक्ष के जो सभी वक्तागण हैं, उनका हृदय से धन्यवाद करता हूँ कि आप सब लोगों ने 15 वर्ष की गलती स्वीकार करते हुए इस बात को स्वीकार किया है कि आज भी आदिवासियों के विकास के लिए कार्य करने की जरूरत है. मैं तो खासकर पूर्व मंत्री शाह साहब का, आदरणीय खटीक जी का हृदय से धन्यवाद करता हूँ कि आज आप लोगों ने एक बहुत बड़ी ताकत दिखाई है कि विकास के विषय में सही बात को यहां पर कहने का साहस दिखाया है.
अध्यक्ष महोदय, जिस तरह से हमारे प्रगति और विकास के लिए बात आई है, तो मैं यह कहना चाहता हूँ कि -
दुर्जन दूषितमनसां पुंसां सुजनेsप्यविश्वास:।
बाल: पायसदग्धो दध्यपि फूल्कृत्य भक्षयति ।।
जिन्होंने गलती की है, उनके कारण मुझे भी शंका से लोग देख रहे हैं, पर मैं बताना चाहता हूँ कि मैं माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में आने वाले समय में जब हम जनता के बीच में जाएंगे, उस दिन हम एक नए रिकार्ड के साथ जाएंगे. प्रदेश में आदिवासियों की प्रगति और विकास का एक नया आयाम लेकर जाएंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय जी, मुख्यमंत्री जी की हमेशा चिंता रहती है और मैं तो यह कहना चाहता हूँ कि जिस जगह में उन्होंने जन्म लिया और जहां पर आकर काम कर रहे हैं, हमें कहने में कोई एतराज नहीं है और अगर हम कहें कि आदिवासी मुख्यमंत्री है तो कोई गलत नहीं होगा, क्योंकि आदिवासियों के बीच में माननीय कमलनाथ जी का जीवन गुजर रहा है. उन्होंने उनके दर्द को देखा है, समझा है और मैं जिम्मेदारी के साथ कहना चाहता हूँ कि आज जिस तरह से आदिम जाति कल्याण विभाग की जिम्मेदारी मुझे मिली है और जिस तरह से विमुक्त, घुमक्कड़ एवं अर्द्ध घुमक्कड़ जनजाति कल्याण विभाग की जिम्मेदारी मुझे मिली है, इसके बाद मैंने इस विभाग के माध्यम से आदिवासियों के दु:ख-दर्द को देखा है, क्योंकि मैंने जीवन की उन बारीकियों को देखा है. मैंने देखा है कि गरीबी क्या होती है, जाके पैर न फटे बिवाई, वो का जाने पीर पराई, मैंने हकीकत को देखा है और समझा है इसलिए मैं विश्वास दिलाना चाहता हूँ और मुझे पूरा विश्वास है माननीय राहुल गांधी जी पर कि माननीय राहुल गांधी जी के रहते प्रगति के पथ पर हम लोग आगे बढ़ेंगे क्योंकि इंदिरा गांधी जी को हम याद करते हैं. इंदिरा गांधी जी हमारी नेता ही नहीं हैं, आदिवासी परिवारों की मुखिया है, एक परिवार का मुखिया जिस तरह से अपने बच्चों के लिए जमीन को सुरक्षित रखने का काम करता है, उनके बारे में सोचता है, जैसे सभी मुखिया सोचते हैं, उसी तर्ज पर इंदिरा गांधी जी ने हमारी जमीन बचाया है. इसके कारण आज हमारे पास जमीन है और हम प्रगति के रास्ते पर आगे बढ़ रहे हैं. हम आज आपको बताना चाहते हैं कि हम राजीव जी को याद करते हैं कि संविधान के 72वें संशोधन के बाद जिस तरह से त्रि-स्तरीय पंचायती राज व्यवस्था में हमारे लोगों को प्रतिनिधित्व का हक दिया है. आज गरीब आदिवासी भी हमारा सरपंच बनकर, जिला पंचायत सदस्य बनकर प्रगति के रास्ते पर आगे बढ़ने का काम कर रहा है. आज हमारे सभी साथीगण बात कर रहे थे, मैं जवाब देना चाह रहा था, पर अध्यक्ष जी, आपने नियम बना दिया, मैं भी जानता हूं टाइम इज गोल्ड और आपके नियम के विपरीत जाऊंगा, तो नुकसान न हो जाये इसलिये मैं भी सीमा में ही रहने की कोशिश करूंगा. परंतु मैं आपको बताना चाहता हूं कि जिस तरह से हमारे साथियों ने इस प्रकार से बात की, हमारे पूर्व मंत्री खटीक साहब ने कहा कि हम दो कदम भी आगे नहीं बढ़े है, मैं आपको बताना चाहता हूं कि यह कमलनाथ जी की सरकार है, ओमकार सिंह मरकाम काम करने के लिये तैयार है, अब आप चिंता मत करें. आपने दो कदम बोला है, हम हजार कदम बढ़ाकर आज आपके बीच में उपस्थित हैं और मैं यह कहना चाहता हूं कि यह जानकारी आप अपनी पूर्ववर्ती सरकार से जरा पूछिये कि हमारी मूल संरचना पर आप लोगों ने भी खिलवाड़ करने में कहीं कमी नहीं की थी. आप पढि़ये आदिवासी इतिहास को. आदिकाल, भक्तिकाल, रीतिकाल, इसके बाद यह कलियुग चल रहा है. हमारी जो पहचान है, हमें आप लोगों ने बांटने का काम किया था कि अंग्रेजों की नीतियों पर चलकर आदिवासी बंट जायें, जनजाति में कोई गोंड़ कहेगा, कोई बैगा, कोई भारिया कहेगा, ताकि आप लोगों की दुकान चलती रहे. इसीलिये जनजाति बना दिये थे, पर हमने फिर उसको आदिवासी कर दिया. आप चिंता मत करें, बंटने नहीं देंगे हम आदिवासियों को. कांग्रेस के रहते आदिवासी बंट नहीं सकता, विकास के रास्ते पर आगे बढ़ेगा और इसके साथ मैं आपको बताना चाहता हूं कि आप लोग बड़ी-बड़ी बात करते थे, आप लोगों ने जिस तरह से हमारे छात्रावासों का नाम बदल दिया था, नाम क्या बदल दिया था प्री-मैट्रिक और पोस्ट मैट्रिक, इनको बदलकर जूनियर, सीनियर आदिवासी लड़कों के नाम ही गायब कर दिये थे, हमने आते ही इसमें तुरंत कार्यवाही की और पुन: हमने आदिवासी जूनियर छात्रावास, आदिवासी बालक छात्रावास का नामकरण किया और हमने आपके षड्यंत्र को रोकने का काम किया.
अध्यक्ष महोदय, इसके साथ ही मैं आपको बताना चाहता हूं कि आपके कार्यकाल में आपने तीन वर्षों में, मैं यह रिकार्ड के साथ कह रहा हूं कि तीन वर्षों 2016-17, 2017-18, और वर्ष 2018-19 में आपने एक भी छात्रावास नहीं खोला था, माननीय कमलनाथ जी की सहमति से हमने फिर नये छात्रावास खोलने का निर्णय लिया है और 47 छात्रावास खोलने का हमारा प्रावधान है. आपकी सरकार में बातें तो होती थीं बनवासी यात्रा की, जाड़े में पहुंच गये बनवासी यात्रा के साथ. आप लोगों ने दिमाग चलाया था पर ऐसा नहीं है, कुदरत के साथ हम लोग करीब से रहते हैं और हमने इस बात को सुनिश्चित किया कि हमारे लोगों को कैसे एकसाथ रखा जाये और मैं आपको बताना चाहता हूं, सबसे बड़े भारत देश में कई बार आक्रमण हुये, पर भारत देश उठ खड़ा हुआ, क्योंकि हमारी संस्कृति हमें पूरी तरह से आगे खड़े होने के लिये ताकत देती है. हमारी संस्कृति पर हमको किस तरह से संगठित रहना है, हमारे जो देवी देवताओं का स्थान है, हमारे जो कुल देवी देवता होते हैं, ग्राम के देवी देवता होते हैं और समूह के देवी देवता होते हैं, इसके बिना हमारा विकास संभव नहीं होता, हजारों की तादाद में आदिवासी एकत्रित होते हैं, पर आप लोगों ने कभी यह नहीं सोचा कि इनके लिये भी कुछ काम करना चाहिये. मैं तो धन्यवाद देता हूं माननीय कमलनाथ जी को कि आदिवासी मंत्री को इतना अधिकार दिया कि मैं जहां भी दौरे पर जाता हूं, अभी मैं झाबुआ गया था, देव बाबा के स्थान में गया था, वहां हजारों आदिवासी राजस्थान, गुजरात से भी लोग आये थे, खुले आसमान में वर्षा हो जाये, तो क्या होता ? वहां उन्होंने मांग किया, माननीय कमलनाथ जी को मैं धन्यवाद दूंगा कि आपका मंत्री ओमकार सिंह मरकाम पहुंचा और तुरंत 25 लाख रुपये की मैंने घोषणा नहीं की मैंने भूमि पूजन कर दिया और उसके विकास के लिये हमने शुरुआत कर दी.
अध्यक्ष महोदय, मैं तो आप लोगों से कहना चाहता हूं कि यह कांग्रेस की सरकार है, यह भेदभाव की नीति नहीं करती. जिस तरह से आज प्रधानमंत्री जहां भी जाओ, तो 70 साल, 70 साल कहते हैं, अरे आप तो 70 साल पहले कैसे थे ? वह भी बता दो. छोटे थे, बढ़कर इतने ही आ गये ? आज जो हमारी प्रगति है, इस पर जिस तरह से हम बात करेंगे, मैं यह कहना चाहता हूं कि माननीय कमलनाथ जी के नेतृत्व में आपके क्षेत्र में भी अगर जहां आदिवासियों का धार्मिक स्थान है उसके विकास की जिम्मेदारी कमलनाथ की सरकार लेती है और वह विकास करेगी, मैं आपको बताना चाहता हूं और इसके साथ ही मैं आपको बताना चाहता हूं सिर्फ इतना ही नहीं आदिवासियों का मूल जीवन का आधार कृषि होता है. कृषि के बिना आदिवासियों का विकास नहीं हो सकता. मैंने माननीय कमलनाथ जी से अनुरोध किया कि भाई साहब आप मुझे मंत्री बना रहे हैं पर प्रगति के साथ भी रखना आपके लिए मैं अनुरोध करता हूँ. मैं माननीय कमलनाथ जी को धन्यवाद देना चाहता हूँ कि माननीय कमलनाथ जी ने मेरे अनुरोध को स्वीकार करके आदिवासियों की कार्य योजना कैसे बने, कृषि पर प्रगति कैसे हो, इस विषय को लेकर के माननीय कमलनाथ जी ने मेरी अध्यक्षता में कमेटी गठित कर दी. पर ध्यान रखना विपक्ष के नेता, हमारे साथियों, हमने विपक्ष मुक्त सरकार की कल्पना नहीं की. हमारी उस कमेटी में हमने दो भारतीय जनता पार्टी के लोगों को भी सदस्य रखा, जिसमें माननीय फग्गन सिंह कुलस्ते और विजय शाह जी भी सदस्य हैं. (मेजों की थपथपाहट) पर विजय शाह जी उस बैठक में नहीं आते तो मैं क्या करूँ?
कुँवर विजय शाह-- उस समय मैं बाहर था.
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- उसमें आप नहीं आए. न फग्गन सिंह कुलस्ते आए. पर हमारी नीति हमेशा प्रगति के लिए रही हैं. हमारी नीति आपको साथ लेकर के चलने की रही है.
कुँवर विजय शाह-- माननीय मंत्री जी, आपको मैं तब मानूँगा जब मंत्रणा परिषद् में भी आप साथ में रखें.
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- अध्यक्ष महोदय, हमारी सरकार की नीति स्पष्ट है. इसमें मैं आपको आँकड़े के साथ बताना चाहता हूँ कि आप युवाओं की प्रगति की बात करते थे मेपशेड में 2016-17 में आपने एक हजार लड़कों को प्रशिक्षण देने का काम किया. 2017-18 में आपने मात्र पाँच हजार लोगों का काम किया. खटीक साहब, जरा मेरा कदम सुन लो और मेरे मंत्री बनने के बाद हमने बीस हजार लड़कों को काम देने का कार्य किया है. (मेजों की थपथपाहट) और इसके साथ हमने उनको आगे बढ़ाने के लिए हमने निर्णय लेने का काम किया है...(व्यवधान)..
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- बीस हजार लोगों को रोजगार दे दिया बजट प्रावधान था? ..(व्यवधान)..
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- खटीक जी, जरा सुन लो. मैंने बीस हजार लोगों की ट्रेनिंग शुरू कर दी है और मैं यह भी कहना चाहता हूँ कि मेरा नारा सुन लो, मैं मंत्री बाद में हूँ, मैं समाज में यह कहता हूँ कि मैं समाज के नेता नहीं हूँ, मैं समाज का बेटा हूँ, मैं बेटे की जिम्मेदारी निभाऊँगा. (मेजों की थपथपाहट) यह मत भूलना और इस बात के लिए मैं यह कहना चाहता हूँ कि इस प्रगति के रास्ते पर हम आपको आगे बढ़ाने में मध्यप्रदेश में, क्योंकि हमारे बीच में जो एक अनुभवी नेता है, जिनके पास इंदिरा गाँधी का अनुभव है, जिनके पास राजीव गाँधी का अनुभव है, जिनके पास सोनिया गाँधी जी के साथ काम करने का अनुभव है. आज वह राहुल गाँधी के साथ मध्यप्रदेश में आदिवासियों के विकास में तो खड़े हैं इसलिए हमें पूरा भरोसा है कि मध्यप्रदेश के अन्दर हम प्रगति के पथ पर आदिवासियों को आगे बढ़ाने में पूरी मुस्तैदी के साथ काम करेंगे. मैं आपको बताना चाहता हूँ कि आदिवासी भाई भोपाल में आते थे, आप भी आते थे, सतपुड़ा भवन के चक्कर लगाते रहते थे, वैसे सतपुड़ा हमारा है, विंध्याचल भी हमारा है, मैं कल जहाँ मिला हूँ अमरकंटक की पवित्र भूमि भी हमारी है क्योंकि नर्मदा के किनारे आदिवासियों का आपका गाँव बहुत अनमोल गाँव मिलेगा. पर हम कहाँ जाते थे, कहीं जाते तो हमारे आदिवासी भाई आ जाते थे, बैठने के लिए कोई व्यवस्था नहीं होती थी. हमने इसमें माननीय कमलनाथ जी से कहा कि माननीय कमलनाथ जी, यह भोपाल जो है यह आदिवासियों का है, गोंडों का है, कमला रानी हमारी है, बैरागढ़ हमारा है परस्ते का, यह हमारा है. (मेजों की थपथपाहट)हमारी यहाँ जगह होना चाहिए. माननीय कमलनाथ जी को धन्यवाद देता हूँ कि माननीय कमलनाथ जी ने सतपुड़ा के बाजू में डेढ़ एकड़ जमीन प्राइम लोकेशन की हमें एलाट कर दी है. (मेजों की थपथपाहट) और उसके साथ में मैं धन्यवाद देना चाहता हूँ,डेढ़ एकड़ जमीन हमें एलाट की. उसके साथ 19 करोड़ रुपये की हमने उसमें राशि स्वीकृत कर दी और 19 तारीख को पिछले माह भूमि पूजन करके उसका निर्माण प्रारंभ कर दिया. शाह साहब, आइये उस भवन में वहाँ आपको मेरे विभाग का कमिश्नर बैठा हुआ मिलेगा. मेरे विभाग के पूरे अधिकारी मिलेंगे. बात करिए आदिवासियों के विकास के लिए, वहीं वह जवाब दिया जाएगा और पाँच सौ आदिवासी उस बिल्डिंग में बैठकर के चर्चा करेंगे, जिसमें सारे दल के लोग हो सकते हैं. एन.जी.ओ.के लोग भी आ जाना, आपकी बात वहाँ सुनी जाएगी और उसमें टाइम नहीं लगेगा. उसका नाम मैंने रखा है रानी दुर्गावती सांस्कृतिक केन्द्र भवन. हमने रानी दुर्गावती के नाम से रखा है. (मेजों की थपथपाहट) और मैं आपको बताना चाहता हूँ, हमारे आदरणीय ऊंटवाल जी कह रहे थे कि शंकर शाह रघुनाथ शाह जी के बिना बात अधूरी रहेगी. मैं आपको बहुत धन्यवाद देता हूँ देर से जागे, कम से कम जागे तो, पर मैं आपको बताना चाहता हूँ कि 1857 के बाद माननीय कमलनाथ जी के मंत्री ओमकार सिंह मरकाम को अवसर मिला, 162 साल के बाद हम उस जगह पर गए जहाँ पर बंदीगृह में उनको बंदी बनाया गया था और जब मैं गया तो मुझे लगा कि दुनिया के अन्दर की आजादी की लड़ाई के वीरों की आप जो वीरता है उसका अध्ययन करें. शंकर शाह, रघुनाथ शाह पिता-पुत्र ऐसे वीर थे जिनको बंद करके 4 दिन में सजा सुना दी गई और सजा यह दी गई कि चौराहे पर जिंदा तोप से उड़ा दिया जाए. उसमें शर्त रखी गई कि अगर पिता माफी मांगेगा तो पुत्र को छोड़ देंगे और पुत्र माफी मांगेगा तो पिता को छोड़ देंगे, परन्तु पिता-पुत्र जेल की कोठरी में चले गए. आप जरा चिन्तन करिए कि वह एक-एक पल कैसे गुजरा होगा. बाप और बेटा एक साथ हैं और उनके पास अवसर है कि माफी मांगेंगे तो छोड़ देंगे परन्तु न शंकर शाह ने माफी मांगी न रघुनाथ शाह ने माफी मांगी ऐसे हमारे वीर थे. (मेजों की थपथपाहट) मैंने वहां दर्शन किये. जब मैं गया तो मैंने देखा 15 वर्षों के आपके शासनकाल में वहां पर कचरा भरकर रखा हुआ था जिसको मैंने अपने हाथों से साफ किया और मैंने वहां वचन दिया कि यह कारावास नहीं है यह तो मेरी प्रेरणा का केन्द्र है. जब देश के लिए जरुरत पड़ी तो इन पिता और पुत्र ने अपनी जान दे दी थी. मैं भी पीछे नहीं हटूंगा इस कल्पना के साथ मैंने प्रेरणा केन्द्र की कल्पना करके वहां घोषणा की और इसके लिए 5 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की गई. वन विभाग के लोगों को मैंने कहा यह हमारी जमीन है शीघ्र ट्रांसफर कर दो यहां पर हमारा भव्य प्रेरणा केन्द्र बनेगा और इस देश के बड़े-बड़े लोगों को यह बताया जाएगा कि जरुरत पड़े तो देश के लिए जीवन दे देना. कंधार में वायुयान में छोड़कर मत आना.
अध्यक्ष महोदय, इसके साथ मैं आपको बताना चाहता हूँ इस तरह से हमने काम प्रारंभ किया है. मुझे पता है यह दुनिया बड़ी अजीब है अगर कांच में पारा लगाओ तो आइना बन जाता है और किसी को आइना दिखाओ तो पारा चढ़ जाता है. यह बड़ी समस्या है. (हंसी)
इंजी. प्रदीप लारिया--अंत में इतना भर बता दो कि आपके 50 साल में आदिवासियों का विकास क्यों नहीं हो पाया.
अध्यक्ष महोदय--बैठ जाइए, एक नौजवान बड़ी अच्छी बातें कर रहा है करने दीजिए जरा.
श्री ओमकार सिंह मरकाम--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अपने लोगों से कहना चाहता हूँ--
मेरी बुराई तो सिर्फ अंधेरे से है,
हवा तो बेवजह मुझसे दुश्मनी लेती है,
अरे हवा आपको अपनी ताकत पर इतना घमंड है
आपने लाखों दिए बुझाए हैं एकाध दिया जलाकर बता दो.
तब पता चल जाए. यह दिया जो जल रहा है यह राहुल गांधी जी ने जला दिया है इसके प्रकाश को ज्यादा रोकने की कोशिश न करें क्योंकि यह तो अभी टेलर है पिक्चर तो अभी बाकी है. यह मैं आपको बताना चाहता हूँ.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)--अध्यक्ष महोदय, टेलर में ही हमें पिक्चर दिख गई है, हमने समझ लिया है कृपा करके अब इसको यहीं समाप्त करें.
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री जितु पटवारी)--अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे आग्रह है कि मंत्री जी को तालियों की गड़गड़ाहट के साथ बोलने दिया जाए.
श्री ओमकार सिंह मरकाम--माननीय अध्यक्ष जी, मुझे पता है कि आप अंगूठा मांगेंगे पर हम एकलव्य हैं ध्यान रखना हम लोग अपने लक्ष्य से नहीं भटक सकते हैं. अपने लक्ष्य तक पहुंचेंगे. आपने समय दिया उसके लिए हृदय से आपको धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय--मैं, पहले कटौती प्रस्तावों पर मत लूंगा.
प्रश्न यह है कि मांग संख्या 33 एवं 69 पर
प्रस्तुत कटौती प्रस्ताव स्वीकृत किए जाएं.
कटौती प्रस्ताव अस्वीकृत हुए.
अब, मैं, मांगों पर मत लूंगा.
(4) |
मांग संख्या 27 |
स्कूल शिक्षा (प्रारंभिक शिक्षा) |
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मांग संख्या 40 |
स्कूल शिक्षा विभाग से संबंधित अन्य व्यय (प्रारंभिक शिक्षा को छोड़कर).
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मांग संख्या- 27 - स्कूल शिक्षा (प्रारंभिक शिक्षा)
क्रमांक
श्री बहादुर सिंह चौहान 4
श्री मनोहर ऊंटवाल 5
श्री कुंवर सिंह टेकाम 8
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया 10
मांग संख्या - 40 - स्कूल शिक्षा विभाग से संबंधित अन्य
व्यय (प्रारंभिक शिक्षा को छोड़कर)
क्रमांक
श्री उमाकांत शर्मा 2
श्री कुंवर सिंह टेकाम 11
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया 12
अध्यक्ष महोदय-- कृपया करके मेरा आप सभी से अनुरोध है. मैं सहयोग के लिए यह बात कह रहा हूं. पक्ष के साथियों से मेरा अनुरोध है कि आपके दो साथी और मंत्री दस-दस मिनट बोलेंगे और विपक्ष से तीन साथी सात-सात मिनट और अगर कोई चौथा सदस्य बोलता है तो पांच-पांच मिनट कर देंगे. हम चाह रहे हैं कि यह जो आज की सूची है यह पूरी हो जाए. अगर आप ज्यादा बोलेंगे तो हम रात में दो बजे तक बैठेंगे और आप मेरी लिमिट से चलेंगे तो हम ग्यारह बजे तक कार्यवाही खत्म करेंगे. मर्जी आपकी है. जो मेरा निवेदन था वह मैंने दोनों दलों से किया है मैं चाहता हूं कि आप सभी सहयोग दीजिएगा. मूलत: आप यह कोशिश करिए कि जितनी खींचातानी होनी थी वह हो चुकी है. जिसको जो-जो कोसना था कोस लिया अब हम अपने क्षेत्र और अपने क्षेत्र में क्या चाहते हैं अगर उस तक सीमित रहेंगे तो समय सीमा में आपकी बात भी आ जाएगी और अपनी चर्चा भी हो जाएगी और विषय की सार्थकता भी आ जाएगी. मैं ऐसा समझता हूं कृपया इस और मुझे सहयोग करेंगे. यशपाल जी आपको कुछ कहना है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--अध्यक्ष महोदय, कहीं से कोई व्यवधान न आए.
अध्यक्ष महोदय-- जी हां, यह बात बहुत अच्छी कही आपने. मैं एक और अनुरोध कर दूं. मान लीजिए इस पक्ष से सदस्य बोल रहे हैं यदि आप व्यवधान करोगे तो जब आप बोलेंगे तो वह व्यवधान करेंगे आप एक कागज पर लिख लीजिए. यदि इन्होंने कोई गलत बात की है तो जैसे कोर्ट में वकील बोलता है वह बीच में कभी भी नहीं बोलता है. आप लिख लीजिए जब आपकी बारी आए आप उसका जवाब दे दीजिएगा. समय भी सीमित रहेगा समय खराब भी नहीं होगा. आपका प्रतिउत्तर भी हो जाएगा, सब चीजें हो जाएंगी लेकिन एक अनुरोध जरूर है कि जब मंत्री जी बोलें जैसे आपने अभी ओमकार मरकाम जी को टोका नहीं. आप देखिए कि कम समय में पूरी बात हो गई. नया बल्लेबाज था, नौजवान था, लो पिच की गेंद पर भी वह गेंद उठाकर मार रहा था.
कुँवर विजय शाह (हरसूद)- माननीय अध्यक्ष महोदय, स्कूल शिक्षा विभाग के लिए हमें प्रभु के श्रीराम चौधरी जी से बड़ी उम्मीदें थीं कि वहां प्रभु जी हैं.
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण (श्री तुलसीराम सिलावट)- राम जी से आपको निराशा नहीं मिलेगी.
अध्यक्ष महोदय- अब कोई नहीं टोकेगा. मैंने इतनी बड़ी बात कही, शिक्षा विभाग की बात हो रही है, शिक्षा हो गई और उसके बाद बात वहीं रह गई. आप तो उसकी चिकित्सा करने लगे.
कुँवर विजय शाह- हमें मध्यप्रदेश की इस पवित्र विधान सभा में प्रभु जी से बड़ी उम्मीदें थीं कि आप जैसा विद्वान व्यक्ति जब शिक्षा मंत्री बनेगा तो हमारे क्षेत्र में और मध्यप्रदेश के अन्य जिलों में भी नए हायर सेकण्डरी स्कूल खुलेंगे, नए हाई स्कूल खुलेंगे लेकिन यह बजट देखकर हमें बहुत निराशा हुई. जब हम एक भी मिडिल स्कूल को हाई स्कूल में नहीं बदल रहे हैं तो हम बच्चों का क्या भविष्य बनायेंगे ? ठीक है प्रभु जी जैसी आपकी इच्छा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रभु से इच्छा तो रखनी ही पड़ती है और जब शिक्षा का मामला हो तो प्रभु जी का ही सहारा है. हमने पिछले वर्ष बच्चों और विभाग के लिए बहुत सारी अच्छी चीजें करने की कोशिश की है क्योंकि कुछ वर्ष मुझे भी यह विभाग चलाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था. हमने प्रयास किया था और एक आदेश भी जारी किया था कि हम किसी भी सार्वजनिक कार्यक्रम में गुलदस्ता नहीं लेंगे और अतिथियों का स्वागत पुस्तकों से करेंगे. बुके की जगह हम अतिथि का स्वागत बुक से करेंगे. बुके लोग फेंक जाते हैं लेकिन बुक कहीं न कहीं पढ़ने के काम आयेगी और ज्ञानवर्धन होगा, ज्ञान का प्रसार होगा. माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे बड़ी निराशा हुई क्योंकि कुछ दिन पूर्व प्रभु जी का जन्मदिन था हमने सोचा कि शिक्षा मंत्री जी का जन्मदिन है तो हमने परिपाटी चालू की थी कि बुके नहीं बुक से स्वागत होगा परंतु हमारे प्रभु जी बहुत बड़ा बुके लेकर फोटो खिंचवा रहे थे. आपकी मर्जी प्रभु जी, मुझे इससे कुछ लेना-देना नहीं है लेकिन मेहरबानी करके जो आदेश हमने शिक्षा विभाग में निकाला था कि बुके के स्थान पर शिक्षा विभाग के सभी कार्यक्रमों में बुक से स्वागत होगा, ये बुक बच्चों के काम आयेंगी और शिक्षा का प्रचार प्रसार होगा. मुझे लगता है कि यह आपको करना चाहिए. (मेजों की थपथपाहट)
माननीय अध्यक्ष महोदय, इसी तरह हमने एक और निर्णय लिया था, उसका भी पालन ठीक से नहीं हो रहा है. जब भी स्कूल खुले, हमारा राष्ट्रीयगान हो, झण्डा वंदन हो. हमारा तिरंगा झण्डा, हमारी आन-बान-शान का प्रतीक है. जब हमारे नौजवान, देश के भविष्य हमारे बच्चे, स्कूल जाते हैं और राष्ट्रगान के साथ झण्डा वंदन करते हैं तो उनमें एक देशभक्ति की भावना जागृत होती है. हमने इसके लिए बहुत कोशिश की. मैं कल ही एक स्कूल में गया था मैं उस स्कूल का नाम नहीं लूंगा नहीं तो आप उन्हें सस्पेंड कर देंगे. मेहरबानी करके ऐसे निर्णय जो किसी पार्टी विशेष के नहीं हैं. राष्ट्रीय झण्डा, हमारा राष्ट्रीय प्रतीक है. उसको फहराकर राष्ट्रीय गान, गाने में किसी को क्या आपत्ति हो सकती है ? ऐसे निर्णयों का भी हमारे प्रभु जी सख्ती से पालन नहीं करवा पा रहे हैं. हमें बड़ी निराशा होती है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जब शिक्षकों की उपस्थिति स्कूलों में सही रूप से दर्ज नहीं होगी तो हम बच्चों को कैसे पढ़ा पायेंगे, कैसे मॉनिटरिंग कर पायेंगे ? पूर्व में जिस तरह से मॉनिटरिंग की व्यवस्था की गई थी उसका भी ठीक से पालन नहीं हो रहा है. अतिथि शिक्षकों की उपस्थिति बायोमैट्रिक्स से करवाई जाये. हमने कई राज्यों में देखा है कि शिक्षक इकट्ठे होकर कक्षा के साथ सेल्फी लेते हैं और फिर उनकी अटेंडेंस मानी जाती है. क्या हम भी दूसरे राज्यों से शिक्षकों की अटेंडेंस का तरीका अपने राज्य में लागू कर सकते हैं ? यदि कोई अच्छी चीज़ हमें किसी अन्य राज्य से मिलती है तो हमें उसमें बड़े दिल से काम लेना चाहिए और उसे ग्रहण करना चाहिए. इसी तरह से एक बहुत बड़ा काम जो हमारे नौजवान, यह पढ़ने वाले बच्चे जो देश के भविष्य हैं, उनमें देश-भक्ति की भावना जागृत करने के लिये, हमने एक प्रयोग किया था और आदेश भी निकाला था कि जब बच्चे उपस्थिति दर्ज करते हैं, यस सर, यस मेडम, उपस्थित श्रीमान, उसकी जगह हमने यह एक निर्देश जारी किया था कि जब भी बच्चे उपस्थिति दर्ज करायें तो जय-हिन्द का नारा लगायें, जय-हिन्द सर, जय-हिन्द मेडम.जब वह जय-हिन्द का नारा बुलन्द करेंगे तो निश्चित रूप से इस देश के नौजवान में एक देश-भक्ति की भावना जागृत होगी. कल मैंने अनेक स्कूलों का दौरा भी किया लेकिन जय-हिन्द जैसा कोई नारा नहीं दिखा, अब जय-हिन्द में क्या आपत्ति हो सकती है, मैं आप से जानना चाहता हूं.अगर काई बच्चा सर और मेडम की जगह जय-हिन्द सर, जय-हिन्द मेडम, तो हमारा सीना गर्व से फूल जाता है. उसका पालन भी हमारे प्रभु जी नहीं करवा पा रहे हैं. मेहरबानी करके आप निर्देश देंगे तो इस आदेश का पालन होगा.
अध्यक्ष महोदय, एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम,क्योंकि एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम यह माना जाता है कि हमारे पाठ्यक्रम से ज्यादा बेहतर है. बच्चे जब कॉम्प्टीशन के युग में जीते हैं तो हमने इस पाठ्यक्रम को लागू किया था. लेकिन इसको भी आप ठीक ढंग से लागू नहीं करवा पा रहे हो. इसमें भी आपकी कहीं कमजोरी है, आप उसको भी दिखवायें. माननीय मंत्री 300 करोड़ से ज्यादा का बजट हम फ्री पुस्तक में ले रहे हैं. हम हर साल 300 करोड़ की पुस्तक बांट देते हैं, हमने कोशिश की थी कि यह एक बुक आप दो साल चलाओ, अगर आप एक पुस्तक 2 साल चलाओगे तो आपके 300 करोड़ रूपये हर साल बचेंगे. पुस्तक 2 साल बाद फट जायेगी, अगर स्कूलों में 600 करोड़ रूपये काम आयेंगे, तो वह फर्नीचर में काम आयेंगे और अगर आपने दो साल बुक चला ली तो मध्यप्रदेश के सब स्कूलों में फर्नीचर ऑटोमैटिक उपलब्ध हो जायेगा. एक अच्छा प्रयोग था,इसके लिये हमने प्रयास किया था. लेकिन साल-डेढ़ साल बाद हम ही बाहर हो गये विभाग से, परन्तु आप तो प्रयास करें, जो अच्छे प्रयास हैं. मध्यप्रदेश के स्कूलों में जो बच्चे फर्श पर बैठते हैं तो यदि आपने एक बुक 2 साल चला ली तो 600 करोड़ रूपये का फायदा होगा और 600 करोड़ रूपये में, मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि 6 वीं से लेकर 12 वीं तक मध्यप्रदेश का एक भी बच्चा नीचे फर्श में नहीं बैठेगा. अभी आपके पास मौका है, अच्छे सुझाव तो कम से कम अपनाने चाहिये.
अध्यक्ष जी, इसी तरह पैरेंट्स की मीटिंग, हालांकि मुझे कहना तो नहीं चाहिये, लेकिन सामान्यत: तो यह होता है कि प्रायवेट स्कूलों में तो पैरेंट्स हर महीने पैरेंट्स मीटिंग में जाते हैं. सरकारी स्कूलों में पैरेंट्स अपने बच्चे का एडमीशन कराके और सरकार और मास्टर के भरोसे करके जाता ही नहीं है. हमने यह निवेदन किया था कि हर महीने पैरेंट्स की मीटिंग करें. बच्चे का टीचर का, उसके अभिभावक का समन्वय ठीक होगा तो बच्चे को भी आगे बढ़ने की ललक होगी. लेकिन पैरेंट्स की मीटिंग भी हर महीने नहीं हो रही है, हर महीने क्या तीन महीने में भी नहीं हो रही है. मैंने निवेदन किया था पैरेंट्स के रूप में पिता या मां नहीं आ रहे हैं तो भाई आये और अगर तीन महीने में पैरेंट्स मीटिंग में कोई नहीं आता है तो आपकी जवाबदारी नहीं है,आप उसका नाम काट दो. जब बच्चे की माता-पिता की चिंता नहीं है तो आपकी और हमारी क्या जवाबदारी है. यदि पैरेंट्स चार-चार, छ:- छ: महीने देखने नहीं आयेंगे और हम बच्चे को पढ़ाये जा रहे हैं, हम उसकी कुछ भी कमियां उनके पैरेंट्स को बता ही नहीं पा रहे हैं. ऐसी बहुत सारी चीजें हैं, जो हमने मध्यप्रदेश के बच्चों के विकास के लिये रखी थी. उसमें कहीं न कहीं कमी हो रही है. बालिकाओं के छात्रावासों में कई बार शिकायतें आती हैं कि असामाजिक तत्व घुस जाते है. वहां पर सीसीटीव्ही कैमरे लगाये, उनकी सुरक्षा के लिये. क्योंकि अगर महिलाओं के छात्रावास हैं तो महिला सुरक्षा गार्ड रखे, क्योंकि पिछली समय में देखने में आया कि पिछले समय जो पुरूष सुरक्षा गार्ड थे, उन्होंने भी बदतमीजी की. हमने पिछली बार सुझाव दिया था कि महिला सुरक्षा गार्डों की तीन शिफ्टों में आठ-आठ घण्टे की ड्यूटी लगायी जाये, ताकि चौबीस घण्टे वहां पर ड्यूटी चले.ताकि हमारे देश का भविष्य जो बालिकाएं हैं, वह सुरक्षित रहें और सुरक्षा गार्ड वहां पर रहें. उसका भी पैसा लैप्स हो गया है. पिछली बार फर्नीचर का पैसा भी लैप्स हो गया. इस बार आपने फर्नीचर का पैसा रखा नहीं. अध्यक्ष जी आप भी प्रायवेट में डेली कॉलेज में पढ़े. वहां का जो मास्टर होता है वह अपनी यूनिफार्म में आता है. लेकिन हमारे सरकारी स्कूल का मास्टर कभी जीन्स पेंट टीशर्ट में चला गया तो कभी किसी में चला गया. हमने एक निर्देश जारी किया था कि वह सख्ती के साथ लागू नहीं किया था कि हमारे जिला कलेक्टर पेरेन्ट्स मीटिंग करके शिक्षकों को मोटीवेट करें कि भाई साहब आप अपने हिसाब से तय कर लो कि व्हाईट शर्ट, ब्लैक पेंट कुछ भी उससे कम से कम बच्चों में एक अच्छा संदेश जाये. अनुशासन का प्रतीक हम ऊपर से शुरू करेंगे तो उसका असर बच्चों में भी जाएगा, लेकिन आज भी शिक्षक जीन्स पेंट एवं टी शर्ट में जा रहे हैं माननीय मंत्री जी उसके मैं हजारों फोटो दे सकता हूं अभी छः महीने की हमारी जवाबदारी है. स्कूल में जीन्स पेंट एवं टी शर्ट में न जाये ऐसी बहुत तरह की चीजें हैं. इसी तरह से बहुत बड़ा काम फीस रेग्यूलेशन एक्ट बहुत पेरेन्ट्स की शिकायत आ रही थी आपने अभी तक यह नहीं किया. प्रायवेट स्कूलों में इतनी ज्यादा फीस है कि मैं आपको बता नहीं सकता हूं उसके लिये आपसे आधे घंटे की चर्चा मांगेगे. मंत्री जी से मेरा निवेदन है कि फीस रेग्यूलेशन एक्ट को अगर आप सख्ती से लागू करेंगे तो निश्चित रूप से मध्यप्रदेश के आने वाले बच्चों के जो प्रायवेट स्कूलों में भी पढ़ते हैं उन पर भी नियंत्रण होगा, साथ साथ जो प्रायवेट बसों में भी निर्देश हैं कि एक महिला कंडक्टर या शिक्षक तब तक रहे जब तक कि आखिरी बच्ची हमारी नहीं उतर जाती, उसका भी कहीं कोई पालन नहीं हो रहा है. जिस तरह से बजट यहां पर लेकर आये हैं मैं समझता हूं कि थोड़ा सा बजट आने वाले सप्लीमेन्ट्री बजट में लायें. फर्नीचर व अन्य व्यवस्थाओं के लिये करें जितना आपका बजट है वह अधिकांश सिर्फ वेतन में चला जायेगा. कल भी एक बात कही थी कि आपकी सहायक वार्डनों की जो नियुक्तियां हैं उसमें नियम है कि 90 प्रतिशत से अधिक उपस्थिति होनी चाहिये. लड़कियां 60 प्रतिशत से ज्यादा ए ग्रेड में होनी चाहिये तब जाकर के सहायक वार्डन का प्रमोशन होता है. आपने उनकी चिन्ता नहीं की पूरे प्रदेश की सहायक वार्डन आप मुझे बतायें कि कहां पर 90 प्रतिशत उपस्थिति थी, कहां पर 60 प्रतिशत ए ग्रेड में बच्चे थे. कहीं कोई माननीय मंत्री जी चिन्ता नहीं कर रहे हैं. इसलिये मंत्री जी मैं इसका विरोध करता हूं और कटौती प्रस्तावों का समर्थन करता हूं.
श्री जजपाल सिंह जज्जी(अशोक नगर)--अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 27 एवं 40 के समर्थन में बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. हमारे माननीय शिक्षा मंत्री जी ने शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हेतु जो प्रयास किये हैं, वह निश्चित रूप से सराहनीय है. शिक्षक वर्ग की बहुत कमी है उसके लिये पिछले सात-आठ बरस के कोई नियुक्तियां नहीं हुई हैं. हमारे माननीय मंत्री जी ने फरवरी, 2019 में लगभग 17 हजार पद माध्यमिक शिक्षक तथा 5 हजार 670 पद उच्च शिक्षक वर्ग की नियुक्ति के लिये कार्यवाही की उनकी परीक्षा हो चुकी है इनकी शीघ्र ही नियुक्तियां हो जायेंगी इससे निश्चित रूप से शिक्षण कार्य में जो अवरोध उत्पन्न हो रहा है तथा शिक्षा के गुणात्मक सुधार के लिये पांचवीं एवं आठवीं की परीक्षाएं कराने का जो उन्होंने निर्णय लिया है, यह सराहनीय है. शिक्षा के सुधार हेतु कुछ माननीय मंत्री जी ने जो निर्णय लिये हैं. हम लोग जब चुनाव जीतकर आये थे तो जनवरी में मुझे जिला शिक्षा अधिकारी ने बुलाया कि सायकिल वितरण कार्यक्रम है. मैं वहां पर पहुंचा तो मैंने पूछा कि आप जनवरी में सायकिल बांट रहे हैं तो उनका कहना था कि जबकि सत्र खत्म होने वाला है सायकिल बांटने में विलंब हो गया है इस तरह से विभागीय व्यवस्था में कहीं न कहीं कोई कमी थी, लेकिन मैं मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहूंगा कि अभी हम जब विधान सभा सत्र के लिये आये हैं पिछले माह में ही इस सत्र की सायकिलों का वितरण करके आये हैं तथा वहां पर लगातार वितरण चल रहा है इसके लिये मंत्री जी को धन्यवाद देता हूं. उन्होंने व्यवस्था में सुधार के लिये जो शुरूआत की है उसके परिणाम आना शुरू हो गये हैं. लेकिन मैंने सायकिल वितरण के दौरान कुछ परेशानियां छात्रों की देखीं मैं उसकी ओर मंत्री जी का ध्यानाकर्षित करना चाहता हूं. मैं अशोक नगर क्षेत्र के अंतर्गत राजपुर विद्यालय में सायकिल वितरण करने गया था सायकिल वितरण के बाद कुछ बच्चे मेरे पास आये कि हमको सायकिल नहीं मिल रही है. तो वह उसी गांव से लगभग तीन किलोमीटर दूर एक बस्ती है उसी गांव की तो मैंने जब पूछा की इनको साईकिल क्यों नहीं वितरण हो पा रही तो शिक्षा अधिकारियों का कहना था ये अलग से राजस्व ग्राम नहीं है, इसलिए मेपिंग में यह एरिया नहीं आ पा रहा इसलिए इन बच्चों को साइकिल नहीं दी जा सकती. वह उसी गांव में दर्शाए जा रहे है. मैं माननीय मंत्री जी से अनुरोध करूंगा कि इस विषय पर जरूर विचार करें. कई ऐसे गांव हैं, जहां पर बच्चे 2-2, 4-4 किलोमीटर दूर कई गांव की बस्तियां खेतों में 2-3 किलोमीटर दूर बस गई है, बड़ी बड़ी बस्तियां हैं, लेकिन वह राजस्व ग्राम पृथक से न होने के कारण वहां के बच्चों को साइकिल वितरण नहीं हो पा रहा है तो कहीं न कहीं इसमें व्यावहारिक रूप से इस पर विचार करें और इसमें सुधार करें. दूसरा मेरा निवेदन है कि जैसे अभी माननीय सदस्य जी बोल रहे थे कि शिक्षण कार्य में कसावट लाने के लिए शिक्षक ड्रेस कोड अति आवश्यक है, इस पर विचार करें, इससे कहीं न कहीं अनुशासन दिखता है. दूसरा यह कि जब मैं खुद ग्रामीण क्षेत्र के दौरे पर ग्रामीण स्कूल में गया, भ्रमण के दौरान तो मैंने देखा कि कई बार तो क्लास में मैं खड़ा हूं और शिक्षक का मोबाईल बज रहा है तो अलग से जाकर मोबाईल पर मेरे सामने ही बात कर रहा है. इस पर निवेदन है कि शिक्षण कार्य जब शिक्षक कर रहा हो तो निश्चित रूप से मोबाइल पर प्रतिबंध होना चाहिए. जब वह हमारे सामने ही एक विधायक देख रहा है और मोबाईल पर बात कर रहा है, कहीं कोई खड़ा है तो हम रुक जाते हैं, लेकिन शिक्षक हमारे सामने ही कोने में जाकर मोबाईल पर बात कर रहा था. अगर वह क्लास में पढ़ा रहा है और फोन आएगा तो वह निश्चित रूप से फोन पर बात करेगा, तो इससे शिक्षण कार्य प्राभावित होता है, इस पर जरूर विचार करें. दूसरा मेरा निवेदन प्रायवेट स्कूलों के बारे में है. इस बारे में जो बात की गई कि प्रायवेट स्कूलों में जो सबसे ज्यादा शोषण हो रहा है वह किताबों के मामले में हो रहा है, प्रायवेट पब्लिशर की बुक्स खरीदी जाती है, जबकि मैं चाहता हूं शासन इसमें निर्णय ले कि वह भी शासकीय निगम की...
अध्यक्ष महोदय - धन्यवाद जिज्जी जी.
श्री जजपाल सिंह ''जज्जी''- अध्यक्ष महोदय, मैं पहली बार खड़ा हूं मेरे क्षेत्र की समस्या छोटी सी है.
अध्यक्ष महोदय - पहले बात करनी थी, मैंने पहले बोल दिया था.
श्री जजपाल सिंह ''जज्जी''- अध्यक्ष महोदय, मैं क्षमा चाहता हूं, पहली बार है. मैं मंत्री महोदय से निवेदन करूंगा कि अशोकनगर जिले में एक शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय है और उसमें केवल 8 कमरे और विद्याथियों की संख्या 1900 है, तो निवेदन है कि एक बालक उच्चतर माध्यिमक विद्यालय की बिल्डिंग जो अनुपयोगी हो गई है और खाली पड़ी है. मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि बालक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की बिल्डिंग, शासकीय उच्चतर कन्या विद्यालय को देकर उसमें नवीन भवन निर्माण की स्वीकृति दें. इसी तरह मेरे क्षेत्र की एक साढ़ारो तहसील है वहां भी एक ही कन्या माध्यमिक विद्यालय है, उसको हायर सेकेण्डरी स्कूल में उन्नयन करने की कृपा करें. माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का मौका दिया बहुत बहुत धन्यवाद, जय हिन्द.
अध्यक्ष महोदय - धन्यवाद.
श्री दिलीप कुमार मकवाना (रतलाम-ग्रामीण) - अनुपस्थित.
श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी(जबेरा) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं पहली बार का विधायक हूं और पहली बार बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं. आपने जो अवसर प्रदान किया है, उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद और आपका संरक्षण चाहता हूं, प्रोत्साहन चाहता हूं. बहुत दिनों से मैं निरंतर विधानसभा की कार्यवाही का अवलोकन कर रहा था, और इस अवलोकन के दौरान मुझे जो समझ में आया कि यहां कुछ चर्चाएं तो सकारात्मक होती है. मुझे समझ में यह आया कि सत्ता पक्ष केवल एक मुद्दा उठाता है कि 15 साल आपने क्या किया, जब भी कोई सकारात्मक बात की जाती है तो सकारात्मक बात का सत्ता पक्ष के लोग 15 साल का हवाला देकर उस बात को नकारात्मक कर दिया करते हैं. माननीय अध्यक्ष जी, मैं आपके माध्यम से सत्ता पक्ष के लोगों से पूछना चाहता हूँ कि क्या हम इस सदन में सकारात्मक नहीं हो सकते ? क्या हम इस सदन में यह नहीं कह सकते कि शिवराज जी ने अच्छा काम किया है और हम उनसे और अच्छा काम करके दिखाएंगे. यह सकारात्मकता अगर हमारे बीच आएगी तो निश्चित रूप से एक अच्छा वातावरण हम सबके बीच बनेगा और जहां तक मैंने पढ़ा है, समझा है कि विपक्ष, सत्ता पक्ष का आईना होता है. विपक्ष सत्ता पक्ष को आईना दिखाने का काम करता है लेकिन मुझे लगता है कि मेरे सत्ता पक्ष के बंधु वह आईना देखने के लिए तैयार नहीं हैं.
अध्यक्ष महोदय - धर्मेन्द्र जी, अपने क्षेत्र की बात कर लो, नहीं तो रह जाओगे.
श्री धर्मेन्द्र भावसिंह लोधी - अध्यक्ष महोदय, सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जब मैं स्कूल में पढ़ा करता था तो मैंने एक बात पढ़ी थी कि 'निंदक नियरे राखिए, आंगन कुटि छवाय, बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय' तो हम जो काम कर रहे हैं. वह आपको आईना दिखाने का काम कर रहे हैं.
8.01 बजे (उपाध्यक्ष महोदया (सुश्री हिना लिखीराम कावरे) पीठासीन हुईं.)
उपाध्यक्ष महोदया, इस आईना दिखाने के काम में, आप प्रदेश की उन्नति के लिए एक नई ऊर्जा के साथ काम करें, हम ऐसी आशा और विश्वास करते हैं. शिक्षा विभाग की बात आती है, मैं आपका संरक्षण चाहता हूँ. जब शिक्षा क्षेत्र की बात आती है तो मैं माननीय शिक्षा मंत्री जी से कहना चाहता हूँ कि हम लोग तमाम बातें करते हैं, शिक्षकों की बातें करते हैं, विद्यार्थियों की बातें करते हैं, लेकिन इस सदन में कहीं भी नैतिक शिक्षा की बात नहीं आई है. हमारे धर्मग्रन्थों में बताया गया, रामायण में बताया गया है कि 'प्रात:काल उठी के रघुनाथा, मातु पिता गुरु नावहि माथा', हम इस शिक्षा से कहीं न कहीं वंचित हो रहे हैं. मैं आपसे कहना चाहता हूँ कि आप इसमें नैतिक शिक्षा का प्रावधान कीजिये. आज पश्चिमी अंधानुकरण बढ़ रहा है, आज इंग्लिश मीडियम में जाकर लोग अपने आपको एज्युकेटेड, ज्यादा एज्युकेटेड महसूस कर रहे हैं, यह विडम्बना है. मैं अपने मोहल्ले, पड़ोस में देखता हूँ. मेरे गांव में भी कई इंग्लिश मीडियम के स्कूल खुल गए हैं. वहां से पढ़कर बच्चा घर में आता है और अपने माता-पिता को, मम्मी-डैडी बोलता है तो उन माता-पिता को ऐसा लगता है कि जैसे युधिष्ठिर का रथ महाभारत काल में जमीन से ऊपर चलता था, वैसे हम कुछ प्रोग्रेसिव हो रहे हैं, प्रगत हो रहे हैं. मेरे कहने का तात्पर्य यह है कि हम पश्चिमी अंधानुकरण की ओर बढ़ रहे हैं, हम अपनी भारतीय संस्कृति को भुलाने का निरन्तर काम कर रहे हैं और मुझे याद है कि मैं जब बचपन में अपना जन्मदिन मनाया करता था तो मंदिर में जाता था, तिलक लगाता था, लोगों को कपड़े बांटने इत्यादि काम करता था.
उपाध्यक्ष महोदया, लेकिन आज जन्मदिन मनाने का तरीका बदल गया है. आज का युवा जब इंग्लिश मीडियम से पढ़कर आता है, उसको तिलक लगाना, मंदिर जाना दकियानूसी पुराना विचार लगता है. वह जन्मदिन मनाने का तरीका बदल देता है. हम फिल्मों में देखते हैं, वह केक में मोमबत्ती जलाकर फूँक मारकर बुझाएगा और वह फुँका हुआ और थुका हुआ केक जब सबको खिलाता है तब उसको लगता है कि हम कुछ प्रोग्रेसिव हो गए हैं, प्रगत हो गए हैं. मेरा माननीय शिक्षा मंत्री से अनुरोध है कि आप अपने इस कार्य में नैतिक शिक्षा, जीवन मूल्यों की शिक्षा भी जरूर रखें, उसके अंतर्गत कुछ प्रावधान निश्चित किए जाएं, बच्चों को संस्कार देने का काम भी स्कूलों के माध्यम से किया जाये. आप सभी ने मुझे इतना ध्यानपूर्वक सुना और बोलने का अवसर दिया, उसके लिए आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद. जय हिन्द, जय भारत. भारत माता की जय.
श्री महेश परमार (तराना) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मांग संख्या 27 और 40 के संबंध में माननीय शिक्षा मंत्री जी का समर्थन करता हूं. स्कूल शिक्षा के बारे में जो माननीय मुख्यमंत्री जी और माननीय शिक्षा मंत्री जी ने जो बजट पेश किया है, मैं उसका समर्थन करता हूं और धन्यवाद देना चाहता हूं. माननीय शिक्षा मंत्री जी ने पिछली वर्ष की अपेक्षा इस बार के बजट में शिक्षा के क्षेत्र में जो प्रयास होने थे, जो बजट होना चाहिये था, उसको बढ़ाकर पेश किया है, उसके लिये मैं माननीय शिक्षा मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं.( मेजों की थपथपाहट)
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, निश्चित रूप से स्कूल शिक्षा के विषय में कहां से शुरूआत करें और कहां खत्म करें, यह कह नहीं सकते हैं. अभी बात आई थी और मेरे साथी पंद्रह वर्ष, पंद्रह वर्ष बोल रहे थे पर मैं कहना चाहता हूं कि हमारे माननीय कमलनाथ जी की सरकार और हमारे माननीय शिक्षा मंत्री जी ने छ: महीने में जो पूर्व में शिक्षा का राजनीतिकरण किया गया है, उसमें कैसे बदलाव किये हैं और जो प्रयास किये हैं, उसके लिये मैं माननीय शिक्षा मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं.( मेजों की थपथपाहट)
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, आज हम स्कूल शिक्षा की बात करें तो प्रायमरी स्कूल, मिडिल स्कूल हो, हाई स्कूल हो या हायर सेकेण्डरी स्कूल हो पंद्रह साल पहले जो स्कूल भवन बने थे, वही स्कूल भवन आज तक चल रहे हैं, वहां सुलभ व्यवस्था नहीं है, वहां पर बैठने की व्यवस्था नहीं है, वहां पंखे नहीं हैं, वहां फर्नीचर की व्यवस्था नहीं है, तो हमारे सरकारी स्कूल में उस अंतिम पंक्ति के बच्चे कहां पर पढ़ पायेंगे ? हम यह बात किसको बतायें ? लेकिन हमारे माननीय मंत्री जी ने इसके लिये प्रयास किये हैं कि इसमें कैसे सुधार हो, उसके लिये मैं माननीय शिक्षा मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं.( मेजों की थपथपाहट)
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, आज जैसा कि एक शाला भवन में सभी सर्व शिक्षा अभियान या जितने भी हमारे हाई स्कूल और हायर सेकेण्डरी स्कूल लग रहे हैं, लेकिन आज स्कूलों में सबसे बड़ी समस्या शिक्षकों की नहीं है, और जो शिक्षक हैं तो उनको पिछली पूर्व सरकार ने पंद्रह साल में उनको ऐसे कामों में लगा रहा था कि वह बच्चों की पढ़ाई तो कम करा पाते थे और इनके सरकारी काम या अन्य काम ज्यादा करते रहते थे, इसमें भी सुधार करने का प्रयास हमारे आदरणीय मंत्री जी ने किया है, उसके लिये मैं माननीय शिक्षा मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं आपके माध्यम से मेरे विधानसभा क्षेत्र के लिये कुछ अनुरोध करना चाहता हूं कि मेरे एक गांव में जिसमें दस हजार की आबादी हैं वहां पर हाई स्कूल है, उसको उन्नयन कर हायर सेकेण्डरी स्कूल करें. वहां पर लगभग दो सौ छात्राएं हैं, वह दसवीं के बाद पढ़ नहीं पा रही है, ऐसे मेरे विधानसभा के लगभग ऐेसे पंद्रह स्कूल हैं. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हूं कि पूरे मध्यप्रदेश में जहां हाई स्कूल हैं वहां हायर सेकेण्डरी स्कूल किये जायेंगे तो हमारी बेटियां जो आगे नहीं पढ़ पा रही हैं, वह आगे कक्षा ग्यारहवीं और बारहवीं की पढ़ाई कर पायेंगी. .( मेजों की थपथपाहट)
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, आज जब हम छात्रावासों की बात करें तो हमारे मिडिल स्कूल, हायर सेकेण्डरी कक्षा बारहवीं तक के जो थे वहां पर जो सीटें पिछले पंद्रह साल, बीस साल, पच्चीस साल में आवंटित थीं, वहीं सीटे आज भी उन छात्रावासों में आवंटित हैं. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निेवेदन करना चाहता हूं कि उन सीटों में बढ़ोत्तरी हो, जिससे अनुसूचित जाति के या अनुसूचित जनजाति के या हमारे सामान्य वर्ग के दस प्रतिशत के नीचे जो बच्चे जीवनयापन कर रहे हैं, उन्हें लाभ मिल सके. इसलिये निश्चित रूप से जो बच्चे गांव के बाद, शहर में पढ़ने आते हैं, वह बच्चे शिक्षा से वंचित रह जाते हैं. आज सौ-सौ सीटर जो छात्रावास हैं, वहां पांच-पांच सौ, छ:-छ: सौ, एक-एक हजार आवेदन आ रहे हैं. मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि उस पर ध्यान दिया जायेगा तो बड़ी मेहरबानी होगी.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मेरे एक दो बिंदु और हैं अतिथि शिक्षिकों के माध्यम से पिछले पंद्रह साल से हमारे स्कूल चल रहे थे, उस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया गया है अतिथि शिक्षिकों के लिये अच्छी नीति बने और उनका मानदेय किस तरह से बढ़े इस विषय में बात करें. पूर्ववत सरकार मुझे कहने में शर्म नहीं आयेगी, लेकिन पिछली सरकार ने अगर हमारे शासकीय स्कूलों का ध्यान रखा होता तो अच्छा होता. लेकिन उनका ध्यान सरस्वती शिशु मंदिर की तरफ ज्यादा रहा, इस कारण हमारे कक्षा पहली से बारहवीं तक के जो स्कूल थे वह बद से बदत्तर हो गये, उनकी शिक्षा की स्थिति नीचे जमीन पर आ गई है. हमारे पूर्व मंत्री कुवंर विजय शाह जी स्कूल वाले मामले में कह रहे थे तो मैं उस संबंध में कुछ कहना चाहता हूं.
कुंवर विजय शाह -- श्री महेश परमार जी हमने तो भर्ती शुरू करवाई थी, लेकिन अब अस्सी हजार शिक्षक के पद खाली हैं. हमने भर्ती जब शुरू करवाई थी, तो उसको आपने क्यों रूकवाया है ? (व्यवधान)....
श्री महेश परमार -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, आपने जब भर्ती करवाई थी, .....(व्यवधान)...मध्यप्रदेश के स्कूल अतिथि शिक्षकों के भरोसे पर क्यों चल रहे थे ? मैं आपसे कहना चाहता हूं कि .....(व्यवधान).. पंद्रह साल का रिकार्ड निकालकर देख लें कि इनके जितने जीते हुये जनप्रतिनिधि हैं उन्होंने अगर शासकीय स्कूल में पांच पंखे भी दिये हों तो आप रिकार्ड निकालकर देख सकते हैं. सरस्वती शिशु मंदिर और इनकी विचारधारा के जो स्कूल हैं उनमें इन्होंने करोड़ों रूपये के भवन बनाये हैं. लेकिन जो हमारे अंतिम पंक्ति के व्यक्ति जो अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग और सामान्य वर्ग के निर्धन बच्चे...
डॉ. सीतासरन शर्मा-- उपाध्यक्ष जी, कम्प्यूटर दिये हैं, पंखे दिये हैं, हिसाब मांग रहे हैं आप. ..(व्यवधान)...
श्री महेश परमार-- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, शासकीय स्कूल में नहीं दिये हैं. ..(व्यवधान)... इनकी विचारधारा है, सरस्वती शिशु मंदिर में दिये हैं. ..(व्यवधान)...और मैं कहना चाहता हूं उपाध्यक्ष महोदया कि जो हमारे शिक्षा मंत्री जी के द्वारा व्यापक बदलाव किये गये हैं उनके लिये मैं बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं और आदरणीय शाह साहब कह रहे थे, जय हिंद तो जय हिंद यहां से बोला जाता है, यहां से नहीं बोला जाता. हमें जय हिंद कहने और भारत माता की कहने में कोई हर्ज नहीं, भारत माता की जय.
एक माननीय सदस्य-- सब जगह दिये हैं विधायकों ने और शासकीय स्कूलों में पैसा दिया है.
कुंवर विजय शाह-- उपाध्यक्ष महोदया, उन्होंने मेरा नाम लेकर कहा कि जय हिन्द यहां से कहा जाता है, जय हिन्द यहां से नहीं किया जाता. जब दिमाग में ही जय हिन्द नहीं होगा तो यहां से क्या होगा भैया. पहले दिमाग से काम करो, यह ऐसे प्रतिनिधि हैं जो दिल से काम करते हैं, दिमाग से खाली.
श्री संजीव सिंह ''संजू'' (भिण्ड)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं मांग संख्या 27 और 40 का समर्थन करने के लिये आज यहां पर खड़ा हुआ हूं. माननीय उपाध्यक्ष महोदया, हमारे शिक्षा मंत्री निश्चित तौर पर बधाई के पात्र हैं कि उन्होंने इस बार पिछले बार की बजट की अपेक्षा करीब 2 हजार करोड़ रूपये से ज्यादा शिक्षा के लिये प्रावधान किये हैं. शिक्षा वह शक्तिशाली हथियार है जिससे आप दुनिया को भी जीत सकते हैं. प्राचीन समय में गुरूकुल हुआ करते थे, अपने बच्चों को उसमें पढ़ने के लिये भेजा करते थे, कैसी व्यवस्थायें वहां हुआ करती थीं, किस तरीके के संस्कार वहां दिये जाते थे. अगर हम सोचते हैं और अगर हम 20, 30, 40 साल पहले हम उठाकर देखेंगे तो समझ में आता है कि उस समय का इंटरमीडिएट जो 12वीं किया हुआ कोई व्यक्ति है तो आज ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद भी उतनी जानकारी या उतने संस्कार उसको नहीं मिलते हैं. माननीय उपाध्यक्ष महोदया, सबसे बड़ी बात तो यह है कि मैं अभी इनकी किताब देख रहा था, हम लोग यहां पर पक्ष और विपक्ष की बात नहीं कर रहे हैं, इसमें मेरा और तेरा 15 साल, 25 साल और 10 साल की बात करने की कोई जरूरत नहीं है.
8.13 बजे अध्यक्षीय व्यवस्था
सदन के समय में वृद्धि विषयक
आज की कार्यसूची का कार्य पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाये. मैं समझती हूं सदन इससे सहमत है.
डॉ. सीतासरन शर्मा-- बहुत लंबी कार्यसूची है और सदन इससे सहमत नहीं है. दूसरे दिन की भी तैयारी करना पड़ती है. ..(व्यवधान).. स्कूल शिक्षा विभाग के बाद इसे समाप्त कर दें.
श्री शैलेन्द्र जैन-- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, रात के 2 बजेंगे और अगले दिन हम कैसे काम कर पायेंगे. बहुत कठिन हो जायेगा. हम रात-रात भर नहीं जाग सकते. ..(व्यवधान).. आप व्यवस्था में परिवर्तन करिये. सदन सहमत नहीं है. ..(व्यवधान)..
श्री हरिशंकर खटीक-- आज 2 बजे तक चलेगी तो फिर कल कैसे आयेंगे. ..(व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदया-- इस बात का निर्णय संसदीय कार्यमंत्री जी आ जाते हैं तब कर लेंगे.
श्री शैलेन्द्र जैन-- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, सुबह 9 बजे से चालू कर दें, कोई दिक्कत नहीं.
उपाध्यक्ष महोदया-- अध्यक्ष जी और नेता प्रतिपक्ष जी दोनों अंदर चर्चा कर रहे हैं जैसे ही आते हैं और जो भी डिसीजन होगा आप लोगों को बता देंगे.
श्री संजीव सिंह ''संजू''-- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, आजादी के इतने वर्षों के बाद भी आज हम स्कूलों को, शालाओं को भवन उपलब्ध नहीं करा पाये हैं, यह कोई 10 साल, 15 साल उस बात पर मैं नहीं जाना चाहता कि किसकी सरकार रहीं, कौन-कौन रहा, कौन पक्ष में रहा, कौन विपक्ष में रहा, लेकिन माननीय उपाध्यक्ष जी, यह हमारी नैतिक जिम्मेदारी नहीं है क्या ? हम बच्चों को शिक्षा उपलब्ध नहीं करवा रहे हैं. शिक्षा और स्वास्थ्य इस देश में मूलभूत आवश्यकता है और वही हम उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं.
शिक्षा का जहां एक तरफ राष्ट्रीकरण होना चाहिये था तो राष्ट्रीकरण तो हुआ नहीं हमने उसका व्यापारीकरण कर दिया. हम यहां पर बैठकर कैसी नीतियां बना रहे हैं, किस दिशा में हम अपने देश को ले जाना चाहते हैं ? हम भविष्य में क्या निर्माण करके अपने बच्चों को बनाना चाहते हैं ? अभी मैं शिक्षा विभाग की किताब देख रहा था, तो 622 स्कूल भवनों के लिये टेण्डर किये गये हैं. तो मेरा निवेदन है कि स्कूल भवन जल्द से जल्द बनाए जाएं और जो भी भवन रह गये हैं उन भवनों के भी टेण्डर किये जायें उनके लिये पैसा स्वीकृत किया जाये यह हमारी पहली आवश्यकता होनी चाहिये. स्कूल भवन तो हम बना देते हैं एक-डेढ़ करोड़ रुपये के लेकिन उस भवन में बाउंड्री का प्रावधान नहीं है. अलग ही दिखाई देता है. कहीं गाय घुसी घूम रही है, कहीं भैंस घूम रही है, कहीं कुत्ते घूम रहे हैं तो ऐसी जगह बच्चे कैसे शिक्षा प्राप्त करेंगे तो अगर बिल्डिंग का प्रावधान कर रहे हैं तो बाउंड्रीवाल भी बननी चाहिये. दूसरी बात हमने एक प्रश्न किया था और बजट के समय बोला भी था कि भवन के साथ-साथ वहां फर्नीचर की भी जरूरत है लेकिन हमको जो प्रश्न का जवाब आया कि उसमें बिल्डिंग के साथ-साथ फर्नीचर भी समाहित है लेकिन ऐसा होता नहीं है, गलत जवाब है. फर्नीचर की कोई व्यवस्था नहीं होती है. हमारे भिण्ड में 47 हायर सेकेंड्री और हाई स्कूल हैं उसमें से करीब 34 में फर्नीचर प्रदान किया गया है. 13 अभी भी फर्नीचर विहीन हैं और उसमें भी कुछ में विधायक निधि से फर्नीचर दिया गया है जिसकी गुणवत्ता ठीक नहीं है तो मेरा आपसे निवेदन है कि फर्नीचर की व्यवस्था उसी बिल्डिंग के प्रावधान में और बाउंड्रीवाल की व्यवस्था भी उसी में हो. एक बहुत बड़ी बात जो मेरे देखने में आती है कि सभीस्कूलों में हम बिल्डिंग बना देते हैं फर्नीचर भी दे देते हैं लेकिन शिक्षकों की कमी है तो विषय के हिसाब से जिन स्कूलों में शिक्षकों की कमी है तो वहां शिक्षकों की पूर्ति की जाये. हम क्रिकेट देखते हैं तो वर्ल्ड कप हमको जीतना है. फुटबाल में कोई हमारा नहीं है. हाकी में थोड़े बहुत आगे हैं और जो गेम्स हैं उसमें हम बहुत पीछे हैं लेकिन पीछे क्यों है इसके कारण में हम कभी गये नहीं. मैं देख रहा हूं कि फिजिकल एजुकेशन या स्पोर्ट्स की कोई व्यवस्था ही नहीं है.आठवीं,दसवीं,बारहवीं में भी नहीं है. बारहवीं में थोड़ा बहुत फिजिलक एजुकेशन है लेकिन जब नीव ही उसकी कमजोर हो जायेगी उसकी व्यवस्था आठवीं से होनी चाहिये. आठवीं क्लास से एक आवश्यक पीरियेड होना चाहिये सभी स्कूलों में और एक फिजिकल टीचर नियुक्त होना चाहिये. फिजिकल टीचर की जब हम बात करते हैं तो विषय यह आया कि अतिरिक्त व्यय भार आयेगा. शिवपुरी में जो हमारा फिजिकल ट्रेनिंग सेंटर है और पूरे प्रदेश भर के शिक्षकों का, उसमें 55 सीटें हैं, परीक्षा के माध्यम से टीचरों का चयन होता है और उनको 2 साल की ट्रेनिंग सरकार के खर्चे पर दी जाती है लेकिन उनका कोई इस्तेमाल नहीं किया जाता है. हमारे भिण्ड में ही 30-35 होंगे. तो मुझे लगता है कि पूरे प्रदेश में हमारे हजारों की संख्या में ऐेसे शिक्षक हैं जिनको हम प्रमोट करके या कोई भी अन्य व्यवस्था करके फिजिकल टीचर के रूप में उनको नियुक्त कर सकते हैं. एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि बारहवीं क्लास में एक अलग से इसका अनिवार्य कोर्स किया जाये फिजिकल एजुकेशन का, एक विषय के रूप में जोड़ा जाये एक घंटे का, पहले जुड़ा था पंजाब में जुड़ा है, हरियाणा में जुड़ा है, उत्तर प्रदेश में जुड़ा है तो हमारे मध्यप्रदेश में ऐसी व्यवस्था हो जायेगी तो निश्चित तौर पर बच्चे शारीरिक रूप से स्वस्थ होंगे और फलफूल सकेंगे. एक महत्वपूर्ण बात है शिक्षकों की कमी की, हमारे यहां 176 मिडिल और हायर सेकेंड्री स्कूल हैं उसमें सिर्फ 26 प्रिंसिपल उपलब्ध है. इन पूरे स्कूलों में प्रिंसिपल ही पूरे में नहीं हैं ऐसी व्यवस्था होगी तो कैसे हम देश को तरक्की पर ले जायेंगे, कैसे समृद्ध हिन्दुस्तान बनाएंगे ? जब बच्चो को शिक्षा नहीं दे पा रहे हैं. आपने बोलने का समय दिया माननीय उपाध्यक्ष महोदया, लेकिन जिन विषयों पर मैं बोला हूं उस पर अगर शिक्षा मंत्री संज्ञान लेंगे तो बहुत अच्छा होगा. बहुत-बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदया - माननीय स्कूल शिक्षा मंत्री जी..(कई माननीय सदस्यों के एक साथ खड़े होकर बोलने पर) आप माननीय मंत्री जी को अपनी बात मिलकर दे दीजिएगा. नहीं, बिल्कुल नहीं. माननीय स्कूल शिक्षा मंत्री जी. अध्यक्ष जी का निर्देश आप सभी लोगों ने सुना है. मैं चाहती हूं कि आप सभी लोग सहयोग करें. आप मंत्री जी से मिलकर निवेदन कर लीजिए. काफी समय हो गया है.
श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा - आप देख लें, मेरा नाम बोलने वालों में था. अध्यक्ष जी ने आसंदी से मुझे पुकार कर बोला था. मेरा नाम उसमें था आप देखिए.
उपाध्यक्ष महोदया - तीन नाम आए थे, वे तीनों नाम हो चुके हैं. आप कृपया बैठ जाएं.
स्कूल शिक्षा मंत्री (डॉ. प्रभुराम चौधरी) - उपाध्यक्ष महोदया, स्कूल शिक्षा विभाग की बजट चर्चा में माननीय कुंवर विजय शाह जी, माननीय श्री जसपाल सिंह जज्जी जी, माननीय श्री धमेन्द्र भाव सिंह लोधी जी, माननीय श्री महेश परमार जी, माननीय श्री संजीव सिंह संजू जी ने चर्चा में भाग लिया और अपने अनेक सकारात्मक सुझाव यहां पर दिये हैं. निश्चित रूप से मैं उनको धन्यवाद देना चाहता हूं. विभाग की बजट चर्चा शुरू करने के पहले कुछ बिन्दु हमारे पूर्व मंत्री कुंवर विजय शाह जी ने यहां पर रखे. वह पूर्व में स्कूल शिक्षा के मंत्री रहे हैं. विभाग के बारे में उन्हें अनेक जानकारियां हैं. कई बातें के उन्होंने यहां पर सुझाव भी दिये हैं. उन्होंने कई बिन्दुओं का उल्लेख किया है. पहला तो उन्होंने कहा कि हाईस्कूल और हायर सेकण्ड्री स्कूल के लिए कोई बजट नहीं रखा गया है तो मैं आपके माध्यम से उन्हें बताना चाहता हूं कि हाईस्कूल और हायर सेकण्ड्री स्कूल के लिए बजट का प्रावधान किया गया है और हाईस्कूल और हायर सेकण्ड्री स्कूल भी खोले जाएंगे.
8.22 बजे {अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.)) पाठासीन हुए.}
अध्यक्ष महोदय, दूसरा, उन्होंने कहा कि एनसीआरटी का कोर्स लागू नहीं किया है. मैं उन्हें जानकारी देना चाहता हूं कि जैसे ही हमारी सरकार आई आदरणीय श्री कमलनाथ जी की, मध्यप्रदेश के हमारे सभी स्कूलों में हमने एनसीआरटी कोर्स को जो साइंस मेथ्स, कामर्स सबजेक्ट तक लागू था उसको इस वर्ष से हमने हिन्दी में लागू कर दिया है. 9वीं से 12वीं तक वर्ष 2020-21, 2021-22 में पूरे सबजेक्ट्स में हम एनसीआरटी का कोर्स लागू कर देंगे. शायद उनको जानकारी नहीं होगी तो मैं उनको जानकारी देना चाहता हूं. उन्होंने कहा कि मैंने जन्मदिन जो मनाया है. शायद उनको जानकारी पूरी नहीं मिल पाई होगी. जन्मदिन में सबसे पहले भोपाल के जो दिव्यांग स्कूल हैं, दिव्यांग बच्चों के बीच में गया, उनके साथ में मैंने खुशियां बांटी, उसके बाद में रायसेन में जो हमारा वृद्धाश्रम था वहां जाकर वृद्धों का सम्मान किया. दिव्यांग स्कूल रायसेन में भी था उनके हम बीच में गये. रायसेन में हमारा डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल है. डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के जो मरीज हैं उनके बीच में गये. हो सकता है मेरा कोई साथी बुके दे रहा होगा वह उनकी नजर में आ गया हो तो उन्होंने यह पाइंट आउट किया लेकिन मैं उन्हें यह जानकारी देना चाहता हूं कि इन सब जगहों पर हम गये. हम पहुंचे हैं और हमने कोशिश है कि दिव्यांग बच्चों, बुजुर्गों और मरीजों के बीच में जो खुशियां हम बांट सकते हैं उनको बांटें. अध्यक्ष महोदय, मैं आपका समय चाहूंगा कि क्योंकि विभाग भी बढ़ा है, बहुत सारी योजनाएं हैं.
अध्यक्ष महोदय -- जी नहीं, इस बारे में सोचिये भी नहीं, 10 मिनट हर मंत्री को देते आ रहे हैं.
डॉ प्रभुराम चौधरी -- अध्यक्ष महोय 2019-20 के बजट को प्रस्तुत करते हुए मुझे गौरव और उत्साह की अनुभूति हो रही है. शिक्षा किसी भी समाज के चहुमूखी विकास के लिए बहुत जरूरी है. शिक्षा के माध्यम से नई पीढ़ी को प्राप्त ज्ञान तकनीकी कौशल और संस्कारों की अनमोल विरासत प्राप्त होती है जिससे देश की आर्थिक और सामाजिक प्रगति सुनिश्चित होती है.
अध्यक्ष महोदय उंगलियों से वह रेत पर कुछ लिख सा रहा था, मुझको बच्चों की यह कोशिश अच्छी लगी, इस प्रेरणा के प्रकाश में हमें यह बताते हुए अत्यंत हर्ष हो रहा है कि वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए स्कूल शिक्षा के क्षेत्र में हमारी प्रतिबद्धता और वचनबद्धता के फलस्वरूप विभाग हेतु 24499 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित किया गया है जो कि पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में रूपये 2775 करोड़ से अधिक है, बजट की राशि में 12.77 प्रतिशत की वृद्धि की गई है. इस राशि से प्रदेश के लगभग एक लाख साठ हजार स्कूल और एक करोड़ 63 लाख विद्यार्थी के लिए शैक्षणिक अभ्युत्थान एवं लक्ष्य की प्राप्ति का संकल्प है. प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ जी के नेतृत्व में हम सफल होंगे यह हमारा दृढ विश्वास है.
माननीय अध्यक्ष महोदय आगामी वित्तीय वर्ष 2019-20 जो हमारे स्कूल शिक्षा के सर्वांगीण विकास के लिए सरकार ने अपने खजाने के द्वार खोल दिये हैं. प्रस्तावित हमारे मुख्य बजट की विशेषताएं निम्न हैं-- आधुनिक तकनीकी से सुसज्जित एक बहुउद्देशीय राज्य पुस्तकालय की स्थापना जो कि एक नवीन योजना है प्रदेश के लिए हमारी राजधानी में यह पहला 10 करोड़ रूपये का निवेश करके हम एक पुस्तकालय विद्यार्थियों के लिए जिसमें कि अतिरिक्त प्रतियोगी परिक्षाओं के लिए भी व्यवस्था होगी, हम जनता के लिए सुरूचि पूर्ण पठन पाठन, गोष्ठी सेमिनार कार्यशाला इ-लायब्रेरी की सुविधा से युक्त इस पुस्तकालय को हम राजधानी में स्थापित करना चाहते है. इसमें एक आडिटोरियम की भी व्यवस्था रहेगी जिसमें संगोष्ठी और सेमिनार भी हो सकते हैं. इस लायब्रेरी में एक साथ एक हजार बच्चे बैठकर पढ़ाई कर सकते हैं और एक लाख किताबों की व्यवस्था वहां पर रहेगी और ई-लायब्रेरी भी रहेगी जिससे भोपाल में जितने भी हमारे, चाहे राजधानी के बच्चे हों या बाहर से आने वाले बच्चे हों, ऐसे बच्चे जो किताबों के अभाव में आगे पढ़ाई नहीं कर पाते थे और किसी पुस्तकालय में नहीं जा पाते थे उनके लिए हमने इस प्रथम वर्ष में 10 करोड़ रूपये की व्यवस्था की है और आने वाले वर्षों में और भी जो राशि की आवश्यकता होगी उसकी व्यवस्था हम करेंगे. अधोसंरचना के विकास हेतु 142 हाई स्कूल एवं 582 हायर सेकेण्ड्री स्कूल, माननीय कुंवर विजय शाह जी यहां पर नहीं हैं, मैं उनको बताना चाहता था कि आपने स्कूलों के भवन तो स्वीकृत कर दिये थे लेकिन अभी हम देख रहे हैं कि 142 हाई स्कूल एवं 582 हायर सेकेण्ड्री स्कूलों के भवन अभी अधूरे पड़े हुए हैं, हमारी सरकार ने हमारे विभाग ने 250 करोड़ रूपये की वित्तीय व्यवस्था की है ताकि हम उन अधूरे भवनों को पूरा कर सकें जिससे वह बच्चों के लिए उपलब्ध हो सकें. 100 हाई स्कूल और 100 हायर सेकेण्ड्र स्कूलों के उन्नयन करना इस साल बजट में प्रस्तावित किया है. नि:शुल्क पाठ्य सामग्री प्रदाय योजना के अंतर्गत 112.55 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है, शासकीय हाई एवं हायर सेकेण्ड्री स्कूलों में बालकों की नामांकन संख्या के आधार पर प्राथमिकता के क्रम में, अभी हमारे संजीव सिंह जी ने ध्यानाकर्षित किया था कि बाउण्ड्रीवाल के लिए पैसा होना चाहिए तो हमने 129 बाउण्ड्री वाल के निर्माण के लिए इस बजट में व्यवस्था की है.
माननीय अध्यक्ष महोदय वर्ष 2019-20 में प्राथमिक और माध्यमिक शालाओं की अधोसंरचना हेतु हमने 50 करोड़ रूपये का प्रावधान रखा जा रहा है इस राशि से स्कूलों में विद्युतीकरण पेयजल व्यवस्था और शोचालय का निर्माण करेगे. अध्यक्ष महोदय 500 29 हाई स्कूल एवं हायर सेकेण्ड्री शालाओं में फर्नीचर तथा प्रयोगशाला की सामग्री के लिए 17.58 करोड़ का प्रावधान रखा गया है. 17.58 करोड़ रुपये का प्रावधान हमने किया है. अभी हमारे संजीव सिंह जी एवं कुंवर विजय शाह जी ने भी यह चिंता व्यक्त की थी कि हमने फर्नीचर के लिये बजट की व्यवस्था नहीं की है, तो मैं उनको यह जानकारी देना चाहता हूं कि माध्यमिक शालाओं में फर्नीचर के लिये हमने 10 करोड़ का प्रावधान किया है. वित्तीय वर्ष 2019-20 के समग्र शिक्षा अभियान के नाम से एकीकृत रुप से योजना में राशि 4713.72 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा जा रहा है. इसमें सर्व शिक्षा अभियान , राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान एवं शिक्षक शिक्षा तीनों योजनाओं हेतु समग्र रुप से बजट का प्रावधान किया गया है. राष्ट्रीय और राज्य मार्ग पर स्थित प्राथमिक और माध्यमिक शालाओं में प्राथमिकता के आधार पर बाउण्ड्रीवॉल निर्माण के लिये मनरेगा के कन्वर्जेंस करते हुए स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा 15 करोड़ रुपये की व्यवस्था हमने इस बजट में की है. निशुल्क साइकिल प्रदाय योजना के अंतर्गत पात्र छात्र,छात्राओं के लिये राशि 175.13 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है..
श्री संजीव सिंह "संजू" (भिण्ड) -- अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि जो आपने निशुल्क साइकिल वितरण की जो बात की है. इसमें एक बाध्यता है 2 किलोमीटर की. तो मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि इस बाध्यता को खत्म कर दें. बच्चों के साथ जब भेदभाव होता है, एक क्लास में 25 बच्चे हैं और 15 को साइकिल मिल जाती है और 10 को साइकिल नहीं मिलती है, तो उनके अंदर कैसा भाव जागृत होगा, यह हम और आप अच्छी तरह से समझ सकते हैं. इस बाध्यता को खत्म कर दें और इससे बहुत ज्यादा फर्क पड़ने वाला नहीं है. यह बाध्यता खत्म कर दें बच्चों के लिये. यह मेरा आपसे अनुरोध है. यह बच्चों में साइकिल वितरण में जो बाध्यता है 2 किलोमीटर की कंडीशन लगी है, इस कंडीशन को खत्म कर दें. एक ही क्लास में अगर 15-20 बच्चे होते हैं, आधे बच्चों को मिल जाती हैं, आधे बच्चों को नहीं मिलती है, तो उनके अंदर का भाव बहुत खराब होता है. उनका मन बहुत खराब हो जाता है. तो मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हूं कि इस बाध्यता को खत्म कर दें और सभी छात्र/छात्राओं को साइकिल वितरण कर दें, इसमें बहुत ज्यादा भार नहीं पड़ने वाला है.
डॉ. प्रभुराम चौधरी -- अध्यक्ष महोदय, संजीव सिंह जी ने ध्यान आकर्षित किया है, वैसे तो मैं आपके माध्यम से बताना चाहता हूं कि जो हमारे बच्चे दूरी से आते हैं..
अध्यक्ष महोदय -- चलिये प्रभुराम जी समअप करियेगा. (डॉ. प्रभुराम चौधरी द्वारा कागज दिखाने पर) मैं क्या कर सकता हूं, यह आपको निर्धारित करना चाहिये कि इतनी बड़ी किताब है, उसमें क्या क्या अंश लेने हैं.
डॉ. प्रभुराम चौधरी -- अध्यक्ष महोदय, अभी कुंवर विजय शाह जी ने ध्यान आकर्षित किया था कि हमने प्रायवेट स्कूल के लिये जो फीस का रेगुलेशन एक्ट पास किया था, तो मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि उसके नियम हम अभी बना रहे हैं. अभी हमने जो नियम प्रकाशित किये थे तो अनेक पब्लिक के लोगों की उसमें कई आपत्तियां आई हैं. उनका सबका हम निरीक्षण और आपस में एक दूसरे से बातचीत करके और उसके जल्दी ही हम नियम बनायेंगे. शिक्षा की गुणवत्ता के लिये हमने कई स्टेप लिये हैं. अभी कुंवर विजय शाह जी पीटीएम, हमारे जो पेरेंट्स और शिक्षक की मीटिंग के बारे में कह रहे थे. उन्हें मैं बताना चाहूंगा कि कमलनाथ जी की सरकार ने पहली बार फरवरी माह में सरकारी स्कूलों में पेरेंट्स टीचर मीट स्थापित की है और 1 लाख 20 हजार स्कूलों में एक साथ पेरेंट्स टीचर मीट हुई है और हर 3 महीने में अब आने वाले समय में भी स्कूलों में पीटीएम लागू की जायेगी. अनेक निर्णय हमने शिक्षा के गुणवत्ता के लिये विशेष रुप से लिये हैं, ..
अध्यक्ष महोदय -- चलिये हो गया.
डॉ. प्रभुराम चौधरी -- अध्यक्ष महोदय, .. जिससे कि चाहे हम पाठ्य पुस्तक के वितरण की बात करें, चाहे हम ड्रेस के वितरण की बात करें और चाहे शिक्षा की गुणवत्ता के सुधार की बात करें, हमने अनेक ने ऐसे निर्णय लिये हैं, जिससे हम चाहते हैं कि मध्यप्रदेश के बच्चों के लिये शिक्षा का जो स्तर है, जो गुणवत्ता है, मध्यप्रदेश में इतनी अच्छी हो कि मध्यप्रदेश के नौनिहाल इस मध्यप्रदेश और देश का नाम रोशन करें.
अध्यक्ष महोदय -- मैं, पहले कटौती प्रस्तावों पर मत लूंगा.
प्रश्न यह है कि मांग संख्या - 27 एवं 40 पर प्रस्तुत कटौती प्रस्ताव स्वीकृत किये जायें.
कटौती प्रस्ताव अस्वीकृत हुए.
अब, मैं, मांगों पर मत लूंगा.
अध्यक्ष महोदय : प्रश्न यह है कि 31 मार्च, 2020 को समाप्त होने वाले वर्ष में राज्य की संचित निधि में से प्रस्तावित व्यय के निमित्त लेखानुदान में दी गई धनराशि को सम्मिलित करते हुए राज्यपाल महोदया को-
अनुदान संख्या - 27 स्कूल शिक्षा (प्रारंभिक शिक्षा) के लिए पन्द्रह हजार तीन सौ उनचास करोड़, साठ लाख, छियानवे हजार रुपये, एवं
अनुदान संख्या - 40 स्कूल शिक्षा विभाग से संबंधित अन्य व्यय (प्रारंभिक शिक्षा को छोड़कर) के लिए तीन हजार तीन सौ तैंतीस करोड़, सोलह लाख, पैंसठ हजार रुपये
तक की राशि दी जाय.
मांगों का प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
मेरा एक अनुरोध है, माननीय सचेतक जी, माननीय नेता प्रतिपक्ष जी, मेरी ओर जरा आकर्षित हो जाएं. मेरी ऐसी सोच है, मेरी जो आप लोगों से चर्चा हुई है, मैं ऐसा सोचता हूँ कि कल सुबह 10.30 बजे ...
डॉ. सीतासरन शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, 11 बजे का समय ठीक है, जो समय एक बार तय हो गया है...
अध्यक्ष महोदय -- यह सिर्फ कल के...
डॉ. सीतासरन शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, क्षमा चाहता हूँ मैं, ऐसी परम्परा कभी नहीं रही..
अध्यक्ष महोदय -- आप जरा सुन लीजिए. सिर्फ कल के लिए नियमों को शिथिल करते हुए. सिर्फ कल के लिए बोला हूँ, परम्परा नहीं बना रहा हूँ, बाकी तो 11.00 बजे से ही चलेगी. पर घण्टों के एडजस्टमेंट के कारण ये सुझाव आया है. उसमें एक घण्टा अतिरिक्त हमें मिल जाएगा, तो ऐसी मेरी सोच है.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, वर्षों से सारे देश में ये परम्परा रही है कि बाद वाला समय एक्सटेंड होता है, पहले वाला नहीं होता. आपसे अनुरोध है कि नई परम्परा न बनाएं. क्या होता है कि पिछली बार एक अध्यक्ष जी ने एक निर्णय दिया और कहा कि इसको पूर्व उदाहरण नहीं माना जाएगा. पर जिस अध्यक्ष को मानना होगा वह तो पूर्व उदाहरण मान ही लेगा. उन्होंने लिखा कि आज तो निर्णय कर रहा हूँ पर इसको पूर्व उदाहरण नहीं माना जाएगा, परंतु जिसको मानना होगा, वह तो मान ही लेगा कि साहब, पहले भी ऐसा हुआ था. अत: मेरा आपसे अनुरोध है, माननीय नेता प्रतिपक्ष जी से भी मैं क्षमा चाहता हूँ, कि 11.00 बजे का नियम रहने दें और दूसरी बात ये है कि इसका भी कोई समय निर्धारित करें, यद्यपि यह बात सही है कि पहले हम लोग 12-12 बजे रात तक बैठे हैं. किंतु अब एग्जास्ट हो जाते हैं, तैयारी भी करनी पड़ती है, कुछ तो मेहरबानी करो आप या 60 + वालों को कुछ छूट दे दो.
अध्यक्ष महोदय -- समझ गया शर्मा जी, इस विषय में तो ऐसा हुआ, जो आपने प्रस्ताव रखा है, चित भी मेरा, पट भी मेरा, कि सुबह जल्दी मत करो और रात में देर मत करो. ये तो वही बात हो गई कि चित भी मेरा, पट भी मेरा. मैं क्या करूँ, ये कोई शोले पिक्चर का सिक्का थोड़ी न है जो खड़ा हो जाएगा...(हंसी)...
श्री ओमप्रकाश सखलेचा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, काम का अगर कोई ऐसा अर्जेंट विषय हो, बजट का निर्धारित समय है, आपको समय देना चाहिए. बजट सत्र 30 से 40 सिटिंग का होता है, पहले समय कम किया. मैंने दिन में भी यह आग्रह किया था कि एक सीमा होती है किसी की भी चर्चा की और हम पूरे प्रदेश के भाग्य का फैसला सिर्फ एक-दो लोगों की जिद में करना चाहें तो ये आपकी अपनी मर्जी है.
अध्यक्ष महोदय -- क्या बता रहे हैं, आपके ही लोकसभा अध्यक्ष ने 4 दिन पहले 12 बजे तक चलाया है.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा -- समय काट-काट कर नहीं चलाया है.
अध्यक्ष महोदय -- तब वहां पर सांसद नहीं थे क्या ? अब आप सुनिएगा.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा -- आप समय भी काट रहे हैं सिर्फ अपने किसी और विषय के कारण. मैं तो बैठ जाऊंगा.
श्री अजय विश्नोई -- उन्होंने सत्र के कार्यकाल को 5 दिन बढ़ाया भी है. आप भी बढ़ा दो.
अध्यक्ष महोदय -- अभी सत्र खत्म हुआ नहीं तो बढ़ाने की कहां से बात करने लगे.
श्री अजय विश्नोई -- अभी आप..
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं, अभी सत्र खत्म हुआ नहीं तो बढ़ाने की कहां से बात करने लगे. ये तो जो कल्पनाएं तैर रही हैं दिमागों में, इन कल्पनाओं को विराम दीजिए. कल्पना तो कुछ भी हो सकती है.
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री (श्री सुखदेव पांसे) - अध्यक्ष महोदय, यह पहला अवसर है कि आप इतनी अच्छी चर्चा करा रहे हैं. रोहाणी जी के कार्यकाल को हमने देखा है कि एक मिनट में बजट पास हो जाता था. लंबा अवसर है जो आप दे रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - मैं सबसे चर्चा करवाकर ही बात करना चाहता हूं असल में.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) - अध्यक्ष महोदय, अधिकार है आसंदी के लिये और मेरा निवेदन है कि नियमों को शिथिल करके विनियोग की यदि कोई तारीख तय हुई है, मैं आपसे आग्रह करता हूं कि यदि उसके लिये दो दिन आगे बढ़ा लिया जाए..
अध्यक्ष महोदय - वह नहीं बढ़ पायेगी. कार्यमंत्रणा में तय हो चुका है.
श्री गोपाल भार्गव - नहीं, कार्यमंत्रणा की बैठक अपन कल फिर कर लेंगे.
अध्यक्ष महोदय - वह नहीं हो पायेगी. ऐसा नहीं हो पायेगा. कुछ चीजें होती हैं. आप भी जानते हैं नेता प्रतिपक्ष जी. आज की कार्यसूची के पद क्रमांक 7 के उप पद 5 में ऊर्जा विभाग एवं उप पद 8 में कुटीर उद्योग विभाग की मांगों तक कार्यवाही पूर्ण होने सदन के समय में वृद्धि की जाती है. सिर्फ दो ले रहा हूं, ज्यादा नहीं ले रहा हूं. अब इसके बारे में आप हमको विचार करके साढ़े तीन मिनट में बता दीजियेगा ताकि मैं डेढ़ मिनट में निर्णय ले लूंगा कि कल का मुझे क्या करना है.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, लॉबी में चिकित्सकों की व्यवस्था भी रखी जाये.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - अध्यक्ष महोदय, (संसदीय कार्य मंत्री, डॉ. गोविंद सिंह जी की तरफ देखते हुये) आप भूल गये, हम आपके भरोसे नहीं चलेंगे. आप दिल्ली भी चले गये, फिर इधर आ गये. हम आपके भरोसे नहीं हैं.
श्री जालम सिंह पटेल - अध्यक्ष महोदय, साढ़े 4 घण्टा की चर्चा है. मतलब 12 बजेंगे. आपने जो पढ़ा है, उसमें साढ़े 4 घण्टा का समय है. 2 घण्टा ऊर्जा, 1 घण्टा वन.
मांग संख्या - 12 ऊर्जा
ऊर्जा मंत्री (श्री प्रियव्रत सिंह) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं राज्यपाल महोदया की सिफारिश के अनुसार प्रस्ताव करता हूं कि 31 मार्च, 2020 को समाप्त होने वाले वर्ष में राज्य की संचित निधि में से प्रस्तावित व्यय के निमित्त लेखानुदान में दी गई धनराशि को सम्मिलित करते हुये राज्यपाल महोदया को -
अनुदान संख्या 12, ऊर्जा के लिये नौ हजार एक सौ चौदह करोड़, नवासी लाख, चौरानवे हजार रुपये तक की राशि दी जाय.
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ. अब इस मांग पर कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत होंगे. कटौती प्रस्तावों की सूची पृथकत: वितरित की जा चुकी है. प्रस्तावक सदस्य का नाम पुकारे जाने पर जो माननीय सदस्य हाथ उठाकर कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत किये जाने हेतु सहमति देंगे, उनके कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए माने जायेंगे.
मांग संख्या - 12 ऊर्जा
क्रमांक
श्री ओमप्रकाश सखलेचा 7
श्री बहादुर सिंह चौहान 9
श्री राजेन्द्र शुक्ल 12
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया 16
उपस्थित सदस्यों के कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए.
अब मांग और कटौती प्रस्ताव पर एकसाथ चर्चा होगी.
कृपया अपने स्थान पर बैठ जाएं. माननीय स्वास्थ्य मंत्री जी, स्कूल पर ज्यादा ध्यान न दें. बच्चे ठीक हैं अभी.
श्री राजेन्द्र शुक्ल (रीवा) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 12 के विरोध में और कटौती प्रस्ताव के समर्थन में अपनी बातें कहूंगा. माननीय अध्यक्ष महोदय, समय कम है जैसा आपने नियत किया है, इसलिये मैं उन भागीरथी प्रयासों की चर्चा नहीं करूंगा जो बिजली विभाग की दुर्दशा से बिजली विभाग को गुजरात के बाद देश में नंबर दो का राज्य बनाने में पिछली सरकार ने काम किया था. मैं वित्त मंत्री जी के बजट भाषण का उल्लेख करना चाहता हूँ जिसमें इन्होंने कहा है कि हमारी सरकार ने किसानों के बिजली के बिल भी हाफ कर दिए हैं. लेकिन यदि हम बजट का एस्टीमेट देखें तो इन्होंने प्रावधान किए हैं उसमें इन्होंने बजट के प्रावधान को हाफ किया है. पहले 18 हजार 112 करोड़ का प्रावधान होता था 2017-18 में, 2018-19 में 17 हजार 800 का प्रावधान और इस बार 2019-20 के बजट में 9888 करोड़ का प्रावधान, प्रावधान ही आधा हो गया है और यह बिजली बिल को आधा करने की बात कह रहे हैं. मैं यह कहना चाहता हूँ कि जिस तरीके से आपने टैरिफ सब्सिडी को कहा है कि हमने आधा कर दिया, टैरिफ सब्सिडी जब आधी नहीं थी, जब 14 सौ रुपये प्रति हॉर्स पावर, प्रति वर्ष थी, जब 5 हॉर्स पावर, एक हैक्टेयर के एस.सी., एस.टी. के किसानों को, जो निःशुल्क बिजली देने का जो प्रावधान है. उन सबकी जब सब्सिडी राज्य शासन की ओर से जब बिजली कंपनियों को दी जाती थी तो 9186 करोड़ हमने पिछले वर्ष देने का काम किया था, शासन से 9186 करोड़, सब्सिडी उस समय दी गई थी जब तक बिजली का बिल हाफ नहीं हुआ था. लेकिन जब आपने बिजली का बिल हाफ कर दिया तब सब्सिडी का जो प्रावधान किया है वह 5600 करोड़ किया है. नेता प्रतिपक्ष जी ने सही कहा था कि यह बजट असत्य का पुलिंदा है, यह आँखों में धूल झोंकने वाला बजट है. यह आँकड़ों की बाजीगरी है और इसी प्रकार की बाजीगरी के कारण बिजली विभाग की स्थिति मध्यप्रदेश में यह हालत कर दी गई थी कि पूरा मध्यप्रदेश अँधेरे में डूब गया था. आज हम नहीं कहते पूरा देश कहता है कि गुजरात के बाद यदि 24 घंटे बिजली देने का चमत्कार किसी राज्य ने किया था तो वह मध्यप्रदेश ने किया था (मेजों की थपथपाहट) इसके लिए हमने पूँजी का इंतजाम किया था. डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर पूरी तरह से जर्जर हो गया था, एल.टी. और एच.टी. का रेश्यो जो 1:1 होना चाहिए था, वह 2:1 हो गया था क्योंकि वर्षों से केपिटल इन्वेस्टमेंट नहीं हुआ था. 10 हजार करोड़ का प्रावधान डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर में करने का काम भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किया था. (मेजों की थपथपाहट)बिजली की उपलब्धता, एक दिन आपने कहा था आप ऊर्जा मंत्री थे तो आपने उस बात को पकड़ लिया था कि उत्पादन और उपलब्धता में अंतर होता है. बिजली की उपलब्धता जो 4500 मेगावाट थी, 2900 तो उत्पादन था लेकिन उपलब्धता 4530 मेगावाट थी. उसको हमने बढ़ा बढ़ा कर 18900 मेगावाट तक पहुँचाने का काम किया. (मेजों की थपथपाहट) ट्रांसमिशन, यदि आप देखेंगे कितने बड़े जो सब स्टेशन होते हैं, एच.बी. सब स्टेशन जो कहलाते हैं. जो 33/11 के.व्ही. के सब स्टेशन कहलाते हैं. जो 11 के.व्ही. लाइनें होती हैं जो डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर्स होते हैं, जो पावर ट्रांसफार्मर्स होते हैं, जरा आँकड़े उठा कर देख लीजिएगा, दोगुना, तीन गुना, चार गुना, इसके लिए दस हजार करोड़, दस हजार जनरेशन में, कैपेसिटी एडिशन के लिए और पाँच हजार करोड़ रुपए ट्रांसमिशन में, कहाँ कहाँ से पैसे का इंतजाम करके, मुझे याद है जब हम लोगों ने इसी विधान सभा में कहा था कि 24 घंटे बिजली देंगे, तो आप ही लोगों ने इधर बैठ कर मजाक उड़ाया था और यह कहा था कि 24 घंटे बिजली देना तो असंभव है, दे ही नहीं सकते हैं, तो उस समय हमने मजाक में कहा था कि आप लोगों ने इस सिस्टम को इतना बिगाड़ दिया है कि इतना भरोसा है आपको अपने ऊपर कि यदि कोई इसको सुधारना चाहेगा तो भी नहीं सुधार सकता, उस समय मैंने आप से यह बात कही थी. 2013 में हम लोगों ने अटल ज्योति अभियान के माध्यम से एक एक करके सभी जिलों में जा जा कर, 6 महीने सिर्फ अटल ज्योति अभियान के उद्घाटन का कार्यक्रम हमने किया था. 24 घंटे बिजली घरेलू 10 घंटे बिजली सिंचाई का और उस समय चुनाव का समय जब आया तो हमारे मुख्यमंत्री जी आज यहाँ पर नहीं हैं लेकिन वे भी रहते थे और 4,5 और जो प्रमुख नेता होते थे और बड़ी सभाओ में जाकर और कहते थे यह अटल ज्योति अभियान नहीं है....
श्री कमलेश्वर पटेल-- अरे अटल ज्योति का जब शुभारंभ किया था जनरेटर से किया था. आपके भाजपा के विधायक केदारनाथ शुक्ला जी ने..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- एक मिनिट बैठ जाइये. कमलेश्वर जी, आप यहाँ थे नहीं तब यह तय हो गया था, जो वक्ता बोलेगा, बीच में उसको कोई नहीं टोकेगा, चाहे वह इधर का हो चाहे उधर का हो. आप उस समय नहीं थे जब ये निर्णय हुआ था. मेहरबानी करके ध्यान रखें.
श्री राजेन्द्र शुक्ल-- जब हमने कहा कि अटल ज्योति अभियान के माध्यम से 24 घंटे बिजली देंगे और लोगों को बिजली मिलने लगी तो आपके लोगों ने भ्रमित करने की कोशिश की और कहा कि यह "अटल ज्योति अभियान" नहीं यह "अटल कटौती अभियान" है. लेकिन यह बात जनता के गले नहीं उतरी, चुनाव हुआ और कांग्रेस के पास जो 72 सीटें थीं वह घटकर 54 सीटों पर आ गईं. क्योंकि उन्होंने गलत बात जनता के बीच में जाकर कही. जब "वक्त है बदलाव का" नारा आपने दिया, आपको मालूम नहीं है हवा में उड़ रहे हैं आप, आज प्रदेश के साढ़े सात करोड़ लोगों के बीच में चले जाइए. लोक सभा चुनाव में जब मैं लोगों के बीच में जाता था तो लोग कहते थे इस समय आपकी बड़ी याद आ रही है. हमने पूछा क्यों याद आ रही है तो उन लोगों ने कहा जब बिजली जाती है तो आपकी याद आ जाती है क्योंकि आपके समय में 24 घंटे बिजली रहती थी. लोग शिवराज सिंह चौहान जी को याद करते थे. बिजली कटौती शुरु हो गई है. आपने फिर से वही काम करना शुरु कर दिया है जो पहले किया था. मैं आपको आंकड़े बता सकता हूँ लेकिन समय कम है. वर्ष 2003 के पहले के 10 वर्षों में जो अंश पूंजी का प्रावधान सरकार के खजाने से डिस्ट्रीब्यूशन कम्पनीज को केपिटल इनवेस्टमेंट करने के लिए दिया जाना चाहिए था उन दस वर्षों में, मैंने विधान सभा में एक बार उन दस वषों का उल्लेख किया था. उसमें जीरो-जीरो-जीरो था, एक पैसे का प्रावधान नहीं किया था. जब हमारी सरकार वर्ष 2003 में आई उसके बाद से आप वर्ष 2018 तक देखिए तो 1000 करोड़, 1200 करोड़, 1500 करोड़ जहां-जहां से भी पैसे का इंतजाम हो सकता था. एडीबी से हो सकता था जायका से हो सकता था किसी भी फायनेंशियल इंस्टीट्शून्स से जहां से भी पैसे का इंतजाम हो सकता था हमने किया. बिजली विभाग के लोग कहते थे कि आप 24 घंटे बिजली नहीं दे सकते हैं जब उनसे पूछते थे कि क्यों नहीं दे सकते हैं तो बिजली विभाग के लोग ही कहते थे कि पहले की सरकार से 100 करोड़ रुपए मांगते थे तो उनके हाथ-पैर फूल जाते थे. इस काम को करने के लिए 25000 करोड़ रुपए की जरुरत है यह आपकी सरकार नहीं दे पाएगी इसलिए 24 घंटे बिजली देने की स्थिति नहीं बन सकती है. लेकिन जहाँ चाह होती है वहाँ राह तो निकालनी पड़ती है. इसके लिए राजनैतिक इच्छाशक्ति की आवश्यकता होती है. पैसे का इंतजाम हुआ काम हुआ 24 घंटे बिजली देने का शुभारंभ हुआ. लेकिन आज उस काम को बिगाड़ने के लिए फिर से गैर-जिम्मेदारी से काम शुरु हो गया है. केन्द्र सरकार उदय योजना लाई है. उज्जवल डिस्काम एश्योरेंस योजना, यह योजना क्या है. इस योजना में डिस्ट्रीब्यूशन कम्पनीज की फायनेंशियल हेल्थ को सुधारने के लिए राज्य सरकारों से केन्द्र सरकार ने एमओयू किया है और यह कहा है कि आपके फायनेंशियल इंस्ट्यूशन्स से जो लोन हैं उसको राज्य सरकारें इक्विटी में बदल दें, ग्रांट में बदल दें जिससे कि वे फायनेंशियली मजबूत हो जाएं. उसकी बैलेंस शीट अच्छी हो जाए, जब बैलेंस शीट अच्छी होगी तो वह काम होगा जो एटी एण्ड सी लॉसेस को 15 प्रतिशत पहुंचाने में सक्षम हो सकता है. उसके लिए स्मार्ट मीटर्स की जरुरत पड़ेगी. उसके लिए फीडर मीटरिंग की आवश्यकता पड़ेगी. उसके लिये डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर सब-मीटर लगाना पड़ेगा. लीकेज प्रूफ सिस्टम हमको बनाना है. इसके लिए बहुत पैसे की अभी और आवश्यकता है. इसके लिए डिस्ट्रीब्यूशन कम्पनीज को सपोर्ट करने के लिए उदय योजना केन्द्र सरकार लाई है उसमें 25000 करोड़ रुपए का लोन था उसमें से आधा लोन जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार थी ग्रांट में और इक्विटी में बदला जा चुका है. आधा आपको भी बदलना था इस बजट में आपको 4000 करोड़ रुपए रखना थे. क्योंकि पांच सालों में आपको यह काम करना था. अभी जो 12000 करोड़ रुपए बचे हुए हैं उसमें से 4000 करोड़ रुपए अभी आपको इस बार प्रावधान करना चाहिए था, 4000 करोड़ रुपए का प्रावधान अगली बार करना चाहिए था. बिजली विभाग कोई आमदनी का केन्द्र नहीं है यह सर्विस का सेक्टर है. लोगों को सस्ती और सुलभ बिजली देना होती है. हम लोगों ने सम्बल योजना बनाई थी इसमें हर प्रकार के मजदूरों को शामिल किया गया था. ठेला चलाने वाले, रिक्शा चलाने वाले, घरों में चौका-बर्तन करने वाले, कपड़ों की दुकान में मजदूरी करने वाले, लकड़ी की दुकान में मजदूरी करने वाले इस तरह के 62 लाख लोगों को सम्बल योजना में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी ने शामिल करके यह फैसला कर दिया था कि इनको 200 रुपए फ्लेट पर बिजली देने का काम करेंगे. आपने उसको बदल दिया. आपने यूनिट कर दिया, अभी आपके मीटर तो लगे नहीं हैं आप 100 यूनिट तक का मेजरमेंट कैसे करेंगे. आपने आंकड़े नहीं दिए हैं कि यदि सम्बल योजना में 62 लाख लोगों को 200 रुपए प्रतिमाह बिजली देने का प्रावधान किया गया था तो आपने बिजली हाफ के नाम पर 100 यूनिट कर दिया. 100 यूनिट करके आपने 100 रुपए कर दिया लेकिन हितग्राहियों की संख्या आपने कितनी घटा दी है. आपने हितग्राहियों की संख्या कितनी घटा दी. जो 62 लाख थे वह 100 यूनिट वाले कितने लोग हैं कहीं ऐसा तो नहीं कि 62 लाख की जगह 10 लाख हों, 15 लाख हों इसका मतलब है कि जो 30-40 लाख लोग गरीब हैं उनको भी मदद की जरूरत है और फिर बाद में सौ यूनिट के ऊपर वह जितनी बिजली जलाएगा उसको आप चार रुपए में, साढ़े चार रुपए में बिजली देंगे. यह आंखों में धूल झोंकने वाला काम किया गया है. आप इस सेक्टर को बहुत अच्छी तरह से जानते हैं और इसलिए इस बजट में आपने न तो उदय का पर्याप्त प्रावधान किया है. सब्सिडी की घोषणा तो आपने कर दी लेकिन सब्सिडी आपने आधी कर दी इसका मतलब बिजली कंपनी की कमर को तोड़ने का आपने इंतजाम कर लिया है. यदि वास्तव में इन्होंने सौ यूनिट की बिजली वालों को सौ रुपए बिजली का बिल दिया और आपने सब्सिडी का प्रावधान नहीं किया है आपने चौदह सौ रुपए प्रति हॉर्सपॉवर प्रतिवर्ष किसानों के बिजली बिल के लिए जो नौ हजार करोड़ रुपए चाहिए आपने पांच हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया है. यह तो वही हो गया जैसे कांग्रेस के जमाने में पांच हॉर्सपॉवर तक के बिजली के बिल को माफ कर दिया था और बिजली कंपनी को सब्सिडी का भुगतान नहीं किया था. मुझे याद है कि जब हमारी सरकार बनी थी तो पांच हार्सपॉवर के बिजली के बिल की मुफ्त बिजली की आपने घोषणा की थी पर उसके भुगतान का काम यह भारतीय जनता पार्टी की सरकार जब आई थी तो तीन हजार करोड़ रुपया बिजली कंपनी को देकर उनको सहारा देने का काम किया. बिजली विभाग का काम साधारण नहीं है और इसलिए मैं केन्द्र सरकार को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने सौभाग्य योजना बनाई उन्होंने. 19 लाख लोगों को जिनको बिजली का कनेक्शन प्राप्त नहीं था. सौभाग्य योजना से उन्होंने पैसा देकर उसको कर दिया. आपने बजट में लिखा है, वाहवाही दिखाई है कि 22 प्रतिशत ए.टी.एंड.सी. लॉस 32 प्रतिशत हो गया, लेकिन कभी आपने देखा है कि यह 22 से 32 कैसे हो रहा है. हालांकि वह 22 नहीं है 27 है. 27 से 32 जरूर हुआ है पिछले दो तीन सालों में क्योंकि हम लोगों ने एल.टी. के जो हमारे कंज्यूमर हैं हमने इतने कनेक्शन दे दिए हैं और एक बेसिक फार्मूला होता है कि एस.टी. कंज्यूमर जिस प्रदेश में एस.टी. कंजम्पशन कम होता है उसमें ए.टी.एंड.सी. लॉस ज्यादा होता है. क्योंकि एल.टी. लाईन में अभी वह काम हम नहीं कर पाएं हैं जो केन्द्र सरकार उदय योजना के माध्यम से डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी से कराना चाहती है. आज हमारा एस.टी.सेल है वह 22 से 23 प्रतिशत है. और एल.टी. सेल है वह 74 से 75 प्रतिशत है. हम लोगों ने टार्गेट तय किया था कि हम अपने एस.टी. के सेल को चालीस से पचास प्रतिशत तक ले जाएंगे इसलिए हमने औद्योगीकरण पर जोर दिया था. इसलिए हमने इनवेस्टर समिट शुरू किए थे. हमने इंडस्ट्रियल एरिया डेवलपमेंट का काम शुरू किया था. उद्योग बढ़ेगा तो एस.टी. कंज्यूमर बढे़ंगे. एस.टी. कंज्यूमर बढे़ंगे तो जैसे एल.टी. और एस.टी. का रेश्यो डिस्ट्रीब्यूशन का एक अनुपात एक कर दिया जो दो अनुपात दो था इसी प्रकार से एल.टी. और एस.टी. का सेल भी यदि हमने एक अनुपात एक कर दिया तो बिजली के सेक्टर की समस्या का समाधान हो जाएगा इसके लिए मुख्यमंत्री कृषि पंप योजना लाने का काम किया था क्योंकि हम लोगों को मालूम है कि स्थाई पंप कनेक्शन में तो हम सब्सिडी देते हैं. सब्सिडी किसान से ले लेंगे बाकी राज्य सरकार के खजाने से बिजली कंपनी को दे देंगे बिजली कंपनी का जो नुकसान है वह बंद हो जाएगा क्योंकि जो टेम्पपेरी कनेक्शन है उसका तो इतना पैसा है कि जितना पैसा किसानों को सालभर में लगता है उतना तीन चार माह में लग जाता है. टेम्पपेरी कनेक्शन में इसलिए मुख्यमंत्री कृषि योजना लगाई गई थी जिसमें हम लोगों ने प्रावधान उतना पर्याप्त किया था 800 करोड़ रुपए का कि वह प्रावधान से हर साल पांच छ: लाख टेम्पपेरी कनेक्शन को परमानेन्ट कनेक्शन में बदल दिया था और उनको फ्लेट रेट में डाल दिया था. आपने इस 600 करोड़ रुपए के प्रावधान को घटाकर 100 करोड़ रुपए कर दिया है. हर क्षेत्र में बिजली कंपनी की कमर को तोडने के लिए आप कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. इसलिए मुझे फिर से वह शेर याद आ रहा है.
''हम तूफान से लाए थे कस्ती निकाल के
इस बिजली को रखना मेरे बंधुओं संभाल के''
और इसलिए यह आपसे संभल नहीं रही है क्योंकि वक्त है बदलाव का सबसे ज्यादा मजे जनता ले रही है और कह रही है कि वास्तव में वक्त है बदलाव का क्योंकि चुनाव से पहले ही लोंगों ने लालटेन निकालना शुरू कर दिया था. वाट्सअप में मैंने देखा है कि कोई एक पुरानी लालटेन को पोंछ रहा था तो सामने वाले व्यक्ति ने पूछा क्या कर रहे हैं तो सामने वाले ने कहा वक्त है बदलाव का कहीं बदलाव हो गया तो फिर इसी लालटेन से काम चलाना होगा. इन्वर्टर बिकना शुरू हो गए हैं. इसलिए मेरा तो यही निवेदन है प्रियव्रत जी बहुत नौजवान और ऊर्जावान लगते हैं. इसलिए आप इस बनी हुई व्यवस्था को और बेहतरी की ओर ले जाइये. अब आपको एक कार्य यह करना है कि Aggregate Transmission and Commercial (AT&C) losses जो आपने बताया कि 32 प्रतिशत हो गया है उसे 15 प्रतिशत तक ले जाने के लिए जो सारे उपाय हैं, वे कीजिये. आप तमाम् तरह की मीटरिंग, जियो फेंसिंग और जो तमाम् I. T. Interventions हैं, उन सभी को बिजली विभाग में लागू करें क्योंकि आपको हमारी तरह परेशान होने की जरूरत नहीं पड़ेगी कि पावर प्लांट लगाओ, बिजली का कैपेसिटी एडिशन करो. अभी कम से कम 5-6 साल जितनी बिजली की आवश्यकता पड़ेगी उतनी बिजली की उपलब्धता हमारे पास बनी रहेगी. यह बात सही है कि हमें अभी से ये प्रसार शुरू कर देने चाहिए, जिससे आने वाले 30 वर्षों तक जितनी बिजली की आवश्यकता पड़े उतनी बिजली की उपलब्धता हमारे पास बनी रहे. इसलिए आप इस दिशा में प्रयास करें. यह जो बजट है इसमें इतना कम प्रावधान करके आपने वास्तव में सभी की चिंता बढ़ा दी है और अंडर बजटिंग कर दी है, आप इन चीजों को कैसे संभालेंगे, इस पर विशेष ध्यान दें. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं कटौती प्रस्ताव का समर्थन करता हूं. धन्यवाद. (मेजों की थपथपाहट)
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. गोविन्द सिंह)- शुक्ल जी, दोनों बातें कैसे चलेंगी ? इधर आप कह रहे हैं कि मैं कटौती प्रस्ताव का समर्थन कर रहा हूं और उधर कह रहे हैं कि बजट बढ़ायें. ये कैसे होगा ?
श्री राजेन्द्र शुक्ल- माननीय अध्यक्ष महोदय, जब-जब बजट अपर्याप्त होता है तो यह विरोध का प्रदर्शन है कि आपका बजट फूल प्रूफ नहीं है. उसमें लूप होल हैं. आप कह रहे हैं कि हमने बिजली का बिल आधा कर दिया और दूसरी ओर आपने बजट ही आधा कर दिया. जब आप बिजली का बिल आधा कर रहे हैं तो बजट कम से कम डेढ़ गुना होना चाहिए क्योंकि उसमें आधा सब्सिडी है और आधा अन्य योजनाओं के लिए है.
श्री गोपाल भार्गव- पिछले साल 16 हजार करोड़ रुपया सब्सिडी में गया था इस साल केवल 4 हजार करोड़ का प्रावधान है.
अध्यक्ष महोदय- अभी 2-3 सप्लीमेंट्री बजट आयेंगे, चिंता मत करिये.
श्री प्रवीण पाठक (ग्वालियर-दक्षिण)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 12 का समर्थन करता हूं और हमारा सौभाग्य है कि इस वक्त आसंदी पर हमारे सम्मुख वे अध्यक्ष बैठे हैं जिनको इस विभाग का काफी लंबा अनुभव है. मैं पिछली सरकार के ऊर्जा मंत्री शुक्ल जी का बहुत सम्मान करता हूं परंतु जिस प्रकार से उन्होंने यहां तथ्य रखे हैं तो मजबूरन मुझे कुछ बातें कहनी पड़ेंगी. मैं दो पंक्तियों से अपनी बात प्रारंभ करूंगा
अध्यक्ष महोदय- समय का भी ध्यान रखियेगा, शेर में ही मत उलझे रहियेगा.
श्री प्रवीण पाठक- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहूंगा. आप पूरे देश में इस विभाग के बहुत ही चर्चित मंत्री रहे हैं इसलिए आपका पूरा आर्शीवाद चाहता हूं. शुक्ल जी, आप बार-बार कहते हैं कि हम कश्ती निकालकर लाये हैं इसलिए मैं चार पंक्तियां कहना चाहूंगा-
ऊंगलियां यूं न सब पर उठाया करो,
खर्च करने से पहले थोड़ा कमाया करो,
जिंदगी क्या है सब समझ जायेंगे,
ज़रा हमारी तरह बारिश में पतंग भी उड़ाया करो.
(मेजों की थपथपाहट)
शुक्ल जी, आपने पूर्व सरकार का नाम लिया. अध्यक्ष जी, इसमें आपका विशेष रूप से संरक्षण प्राप्त करना चाहता हूं. वर्ष 2000 में जब छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश अलग हुए तो सभी जानते हैं कि जब परिवार में से कोई कमाऊ पूत अलग हो जाता है तो परिवार की स्थिति क्या होती है ? लोग भले कहें कि इनका 56 इंच का सीना है, उनका 56 इंच का सीना है लेकिन मैं कहना चाहूंगा कि 56 इंच का सीना इन देश में सिर्फ दिग्विजय सिंह जी का है. (मेजों की थपथपाहट)
माननीय अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2000 में जब हमें मध्यप्रदेश मिला तो हमारे लगभग जो सारे संसाधन चाहे खनिज हो, बिजली हो या सारे पावर जनरेशन सिस्टम हों वे छत्तीसगढ़ में चले गए थे. आज जो बड़ी-बड़ी बातें आप कर रहे हैं, यह दिग्विजय सिंह जी की ही देन है जिनके घोड़े पर बैठकर आप लोग सवारी कर रहे हैं. चाहे NTPC बिरसिंहपुर हो, बाणसागर के हाइड्रो पावर स्टेशन की बात हो, चाहे मनीखेड़ा के हाइड्रो पावर स्टेशन की बात हो, चाहे राजघाट के हाइड्रो पावर स्टेशन की बात हो, चाहे इंदिरा सागर के हाइड्रो पावर स्टेशन की बात हो, ओंकारेश्वर के हाइड्रो पावर स्टेशन की बात हो या सरदार सरोवर के हाइड्रो पावर स्टेशन की बात हो.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जब छत्तीसगढ़ बना था, तब मध्यप्रदेश में वर्ष 2001-02 में ग्रॉस जनरेशन 13 हजार 661 एम.यू. था और वर्ष 2001-02 में कंज़्मशन 25 हजार 670 एम.यू. था. मैं बधाई देना चाहता हूं, उस समय के तत्कालीन मुख्यमंत्री जी को कि ऐसी विषम परिस्थितियों में भी उन्होंने इस प्रदेश को चलाया और उसको चलाने का साहस किया. अब मैं विषय पर वापस आता हूं और दो बात और अर्ज करना चाहता हूं कि -
'' उनकी एहसानों की ईंटें लगी हैं इस ईमारत में,
हमारा घर उनके घर से कभी ऊंचा नहीं हो सकता.''
आपने 24 घंटे बिजली देने की बात कही. मैं बहुत ही विनम्रतापूर्वक आपसे बोलना चाहता हूं कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार हमेशा जुमलों में मास्टर रही है. जब आपने 24 घंटे बिजली देने की बात कही तो आपने गांवों में केवल छोटे-छोटे फालियों में 24 घंटे बिजली दे दी. मेरे जो साथी ग्रामीण क्षेत्र से चुनकर आते हैं, वह मेरी बात से सहमत होंगे कि पूरे गांव एक छोटे-छोटे पलिये में बिजली दे दी और बड़े -बड़े पोस्टर लगाकर पूरे प्रदेश में ढिंढोरा पीट दिया कि हम 24 घंटे बिजली देते हैं. मैं आपका 56 इंच का सीना तब मानता जब आप पूरे प्रदेश और गांव में 24 घंटे बिजली देते. आज आप बात करते हैं कि गुजरात के बाद हम मध्यप्रदेश में हमने ये किया, मध्यप्रदेश में हमने वो किया, चूंकि मैं जानता हूं कि अभी आपके समय की बंदिशें चलने वाली हैं, आपका आदेश होने वाला है. इसलिय मैं हमारे ऊर्जा मंत्री जी का ध्यान इस ओर आकर्षित करना चाहूंगा, विशेष रूप से मैं ग्वालियर का उदाहरण उठाना चाहता हूं और मैं चाहता हूं कि मंत्री महोदय आप इस सिस्टम को पूरे मध्यप्रदेश में मॉडल सिस्टम के रूप में चेक जरूर करवायें, जो बार-बार बात उठती है कि मध्यप्रदेश में एक डाटा है, मैं आपको बता रहा हूं कि इंफ्रास्ट्रक्चर एण्ड द कन्जूमर इंक्रीज सिन्स् मार्च 2003 टू मार्च, 2019 ऑफ डिस्ट्रीक्ट ऑफ ग्वालियर रीज़न. कन्जूमर एलटी- 12लाख 13 हजार 424, कन्जूमर एच टी- 524, डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसर्फामर 1 लाख 12 हजार 840, एल टी लाईन- 16 हजार 248 किलोमीटर, 11 केव्ही लाईन- 49 हजार 452 किलामीटर, 33 केव्ही लाईन- 4 हजार 346 किलोमीटर, पॉवर ट्रांसफार्मर - 738 और 33 केव्ही, 11 केव्ही और एस.एस-423 , यह 2003 मार्च से 2019 मार्च के बीच का एक गेप है. अब आप देखिये कि आपके विभाग ने 15 साल में मेन पॉवर कितनी दी ? जो टेक्निकल पोस्ट सेंक्शन थीं वह 2011-12 में थी 4451 थी, उसमें से ग्वालियर में काम कर रहे थे 4350 लोग. 2011 से लेकर 2017 तक यही स्थिति रही, जो टेक्निकल पोस्ट सेंक्शन थी, वह 4451 रही. परन्तु आज वहां पर जो टेक्निकली काम कर रहे हैं, वह केवल 3171 लोग काम कर रहे हैं. आप एक हजार डंपर लाकर रख दो और उसमें किसी में ड्रायवर नहीं हो तो ऐसे डम्परों का हम क्या करेंगे.
आपने पूरे मध्यप्रदेश में इतनी बड़ी-बड़ी बातें की. आप मुझे बताईये कि आपने रोजगार के नाम पर क्या किया ? टेक्निकल स्टॉफ की बढ़ोत्तरी के नाम पर आपने क्या किया ? आज जब इतना बड़ा गेप है तो उसके बाद भी वही पुराने लोग इतनी जिम्मेदारियां उठा रहे हैं. यह तो वही बात हो गयी की नर्सरी के क्लॉस के बच्चे के ऊपर आपने 10 वीं क्लॉस के बच्चे का बस्ता डाल दिया, आपके दबाव के कारण वह कुछ बोल नहीं पाया.
आप जब लोकसभा के चुनाव में गये तो लागों ने कहा कि आपकी सरकार बहुत अच्छी थी, क्यों नहीं कहेंगे वह लोग,घोटाले तो आपकी ही सरकार में हुए. आप पता कीजिये जितने मेरे साथा यहां पर बैठे हुए हैं कि जितने फेल्युअर हो रहे हैं, वह जो सारे इलेक्ट्रिकल यंत्रों की जो खरीदी हुई है, खराब क्वॉलिटी की. उसके कारण हुई है.
मैं व्यक्तिगत रूप से एक उदाहरण भी देना चाहता हूं कि मेरे एक मित्र हैं उनकी दिल्ली में एक बड़ी ट्रांसफार्मर बनाने की कंपनी है. मंत्री महोदय, आपका ध्यान इस ओर आकर्षित कराना चाहता हूं कि मैंने उनसे कहा कि आप मध्यप्रदेश में भी आप ट्रांसफार्मर बनाकर दे दिया कीजिये. उन्होंने कहा कि भैया हम वहां तो बनाकर दे ही नहीं सकते हैं. मैंने कारण पूछा तो उन्होंने बताया की ट्रांस्फार्मर 23 केव्ही का होता है तो वह कहते हैं कि आप उस पर सील लगा तो 63 केव्ही की, 100 केव्ही की. वह बोले ऐसे प्रदेश में हम कैसे ट्रांसफार्मर सप्लाई करेंगे.
मैं माननीय मंत्री महोदय, से विनम्र निवेदन करना चाहता हूं कि अब हम 15 साल का बोझ ऐसे ही नहीं ढोयेंगे. हम कहां-कहां पर जवाब देंगे. आप एक बार इन खरीदियों की जांच करवायें कि किस तरह से इन्होंने खरीदियां की हैं, 15 साल में. मैरे जितने साथी यहां पर बैठें हैं कि जो बिजली के फेल्युअर हो रहा हैं, वह किस कारण से हो रहे है ? आपके इन्सुलेटर क्यों ब्लॉस्ट हो रहे हैं और आपकी जो बिजली खरीदी की पॉलिसी थी, उसमें जो बार-बार बात आती है आप लोग कहते हैं कि पॉवर लोड बढ़ गया है. मरे भैय्या पॉवर लोड नहीं बढ़ा है यह जो कम केपेसिटी के ट्रांसफार्मर खरीदें हैं उस पर जब ज्यादा लोड बढ़ रहा है तो ट्रांसफार्मर ब्लास्ट हो रहे हैं. जितनी केपेसिटी थी अगर उतनी केपेसिटी के ट्रांसफार्मर लग जाते तो आज हम लोगों को इतने दुर्दिन देखने को नहीं मिलते. मैं ईमानदारी के साथ सबके सामने बोलना चाहता हूं. यह जो सामान खरीदी हुई मैं उसका प्रश्न भी विधान सभा में लगाया था उसमें जितनी सामान की खरीदी हुई. तीनों विद्युत वितरण कंपनियों में उनकी जो सेम्पलिंग की व्यवस्था है जांच प्रक्रिया की, वह एक है. ऐसे कई सारे मेरे पास प्रमाण हैं उन प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया है. अपने लोगों को लाभ पहुंचाने के लिये सारी प्रक्रिया, सारे नियमों को धत्ता बताकर अलग कर दिया और अपने लोगों को फायदा दिया है तो मैं मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि इस पर जरूर जांच करायी जाये जो बार बार ठीकरा हम लोगों के ऊपर फूट रहा है, यह कम से कम बंद हो. मैं हमारे मुख्यमंत्री जी तथा माननीय मंत्री जी की भी तारीफ करना चाहता हूं कि आप लोगों ने जो इंदिरा ज्योति गृह योजना के नाम पर इनका पुराना चला आ रहा था सरल बिजली बिल जिसमें पहले 20 लाख लोग थे बाद में उसमें 63 लाख लोग हैं उसमें आधे से ज्यादा बीजेपी के कार्यकर्ता हैं जिनके बड़े बड़े घर बने हुए हैं वह भी उस योजना में शामिल हो गये हैं. जरा उनकी भी आप जांच करा लीजिये मैं चाहता हूं कि यह पटल पर आये ताकि इनको भी हम लोग आईना दिखायें कि आप लोगों ने पिछले 15 सालों में किया क्या है ? पर उसके बाद भी.
श्री आरिफ मसूद--अध्यक्ष महोदय, ऊर्जा मंत्री जी इसकी आप जांच करायें. पहले 20 लाख थे अब उसमें 63 लाख लोग कहां से आ गये हैं.
श्री गिर्राज डण्डौतिया--हम सभी की भावना है.
नेता प्रतिपक्ष(श्री गोपाल भार्गव)--अध्यक्ष महोदय, पाठक जी अच्छा भाषण कर रहे हैं. राजेन्द्र जी ने जो सुझाव दिया और उन्होंने अंत में यह कहा था कि बिजली का जो मामला है वह संवेदनशील है. जनरेशन बढ़े, पॉवर लॉइन लॉस कम हो और भी जो सुझाव हैं मैं चाहता हूं कि बहुत अच्छा तथा उपयोगी विभाग है सबसे ज्यादा मानकर के चलें कि अपरिहार्य और अनिवार्य है इस कारण से उस पर सुझाव दें कि कैसे हम इस व्यवस्था को बेहतर कर सकते हैं इस राज्य के लिये वही हमारे पूर्व ऊर्जामंत्री भी कह रहे थे. आलोचना तो होती रहेगी कि यह जनरेटर, वही ट्रांसफार्मर, वही लाईन वह पहले 15 साल काम करती रही, बेहतर करती रही अब उसमें चार छः महीने में क्या हो गया है ? यह समझ में नहीं आ रहा है.
डॉ.गोविन्द सिंह--इसमें आप लोगों को आपत्ति नहीं होनी चाहिये.
श्री गोपाल भार्गव--इसमें सार्थक चर्चा हो तथा जो विषय के जानकार हैं वह सुझाव दें तो मैं मानकर चलता हूं कि इसकी उपयोगिता होगी.
डॉ.गोविन्द सिंह--और क्या नियम हैं आपके.
श्री प्रवीण पाठक--अध्यक्ष महोदय, मैं आपकी इस बात से इतफाक रखता हूं पर मजबूरी यह है कि जब आप इतिहास को उठाते हो तो हमको भी वर्तमान में जीना पड़ता है क्योंकि भोग तो आपके इतिहास में वर्तमान में रहे हैं.
श्री गोपाल भार्गव--मैं एम.एल.ए. रेस्ट हाऊस में रहता था सुबह मैंने लालटेन में अखबार पढ़े हैं इसी भोपाल की राजधानी में. इतिहास उठाकर देख लेंगे तीन घंटे की सुबह को बिजली कटौती होती थी.
श्री प्रवीण पाठक--आपने भी किसानों से 10-10 घंटे बिजली देने का कहा और दी 5-5 घंटे मेरे पास पेपरों की कटिंग है. 2018 में पी.एल.एफ.--(व्यवधान)
श्री प्रद्युम्नसिंह तोमर--यह सब लोग सदन को गुमराह कर रहे हैं. (व्यवधान)
श्री गोपाल भार्गव--आप लाईन लॉस पर बात करें, सार्थक बात करें. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--श्री प्रवीण पाठक के अलावा जो बोलेगा नहीं लिखा जायेगा.
डॉ.गोविन्द सिंह- (XXX)
श्री प्रद्युम्नसिंह तोमर-(xxx)
श्री गिर्राज डण्डौतिया- (xxx)
श्री प्रवीण पाठक--अध्यक्ष महोदय, मैं पेपर की कटिंग लेकर के आया हूं. मुझे पता था कि यह होने वाला है. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - यहां के एक विधायक बोले, अगर यहां के हमारे दो विधायक खड़े हो गए थे कि क्यों बोल रहे हो. मेरा अनुरोध है कि नए विधायक बोल रहे हैं, बोलने दो. सब लोग खड़े हो जाएंगे तो समय भी जाएगा.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष जी, मेरा सभी सदस्यों से इतना ही आशय है, चूंकि आपने वक्ताओं की संख्या सीमित कर दी है, तीन कर दी है. वे ऐसा उपयोगी बोले ताकि माननीय मंत्री जी के लिए शासन के जो अधिकारी बैठे हैं, उनके लिए उपयोगी हो.
श्री प्रवीण पाठक - माननीय अध्यक्ष महोदय, आप बताईए क्या हम पुराने घोटाले पर नहीं बोले. जांच तो करानी चाहिए, आप लोग जांच से क्यों पीछे हटते हो.
श्री गोपाल भार्गव - आलोचना में पूरा वक्त निकल जाएगा, कुछ नहीं होगा.
श्री प्रवीण पाठक - यह आलोचना नहीं है, यह तो सत्यता की जांच होने के विषय पर बात हो रही है.
श्री मनोहर ऊंटवाल - आपने पहले ये सुझाव तो कभी नहीं दिए.
अध्यक्ष महोदय - फिर ऐसे में अगला विभाग नहीं ले पाऊंगा, आप लोग. उलझे रहो.
श्री मनोहर ऊंटवाल - अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से पूरे हाउस से मांग करता हूं कि यह पूरी चर्चा बंद कर दो और बार बार यह भाषण देना बंद कर दो.
अध्यक्ष महोदय - बैठो भाई, आप लोग मेरी एक बात सुन लेंगे. मैंने बहुत अनुरोधपूर्वक सबसे कहा था, जब राजेन्द्र शुक्ल जी को किसी ने टोका तो मैंने स्पष्ट किया था कि उनको कोई न टोके. अब वही परम्परा यहां होना चाहिए. पहली बार का विधायक है आप उसको बोलने दीजिए, ठीक है उनको जो समझ में आ रहा है, उनने जो पढ़ाई की है उनको बोलने दीजिए.
श्री प्रवीण पाठक - धन्यवाद अध्यक्ष महोदय, मैं मध्यध्प्रदेश के मुख्यमंत्री और हमारे ऊर्जा विभाग के मंत्री को साधुवाद देता हूं, इंदिरा किसान ज्योति योजना के लिए और विशेष रूप से जो उन्होंने डायल 100 की तरह यह कहा है कि हम लोग भी मध्यप्रदेश में एक तीन अंक का कॉल सेन्टर बनाएंगे जो कि सेन्ट्रालाइज होगा और जहां भी चाहे ट्रांसफार्मर की बात हो, चाहे इन्सुलेटर की बात हो, आप तुरंत फोन करेंगे, कम से कम समय में वहां जाकर आपकी व्यवस्था को सुधारा जाएगा. मैं इसके लिए माननीय मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देता हूं और माननीय मंत्री जी से फिर से अनुरोध करना चाहता हूं कि एक बार पुरानी जांचें जरूर करवा लीजिए.
अध्यक्ष महोदय - चलिए धन्यवाद. अब आने वाले सभी सदस्य जो बोलेंगे उनसे अनुरोध है कि आप अपनी बात कह दें, कुछ सामने वाले को बोलेंगे तो वे खड़े होंगे और समय बिला वजह जाएगा. श्री अजय विश्नोई जी.
कुंवर विजय शाह - इनके बाद पारस जैन है.
अध्यक्ष महोदय - भैया, जो लिखा था मैंने पुकार दिया हूं. एक तो मैं बहुत छोटे से गांव गोटेगांव से चुनकर आया हूं. बहुत छोटा सा विधायक हूं, पर नरसिंहपुरिया हूं, जो लिखा था, मैंने पढ़ दिया.
श्री गोपाल भार्गव - कोई बात नहीं अध्यक्ष महोदय, ये तीनों पहले हमारे बिजली मंत्री रहे हैं. रामपुर में अध्यक्ष जी आप तो जानते हैं, जहां पहले कंपनी नहीं थी, विद्युत मंडल था, वहां उस मोहल्ले में रहते थे.
अध्यक्ष महोदय - वह नवीन एवं नवकरणीय बिजली थी, वही तो हाथ लगाते थे तब तो बिजली जाती थी (...हंसी)
श्री पारस चन्द्र जैन (उज्जैन-उत्तर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 12 का विरोध करता हूं और कटौती प्रस्ताव का समर्थन करता हूं. मैं अपनी बात कहता हूं, आदरणीय पूर्व मंत्री शुक्ला जी ने कुछ आंकड़े रखे हैं, मैं उन आंकड़ों में नहीं जाना चाहता. अभी पाठक जी की बात मैं बड़े गौर से सुन रहा था, जहां पूरा प्रदेश अंधेरे में था, वहां हमने उजाले में लाने की कोशिश की है और आपने देखा होगा मेरे सामने जो बैठे हैं, उन सभी लोगों को भी मालूम है कि पहले पूर्व मुख्यमंत्री होते थे, उन्होंने एक आदेश निकाला था कि 8 बजे के बाद लाइट बंद कर लो और एक लट्टू दुकान पर जलाओ, जिसको परिवर्तन करने का काम यदि किसी ने किया था तो हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री आदरणीय शिवराज सिंह चौहान जी ने किया था और आपने देखा होगा, जब हम आए थे हमको मालूम है कि तीन कारणों के कारण कांग्रेस की सरकार गई थी, जिसमें बिजली, सड़क और सिंचाई उन तीनों कामों के अंदर हमारे पूर्व मुख्यमंत्री जी को सफलता मिली थी. आज नए मंत्री बने हैं, मैं उनको कुछ सुझाव भी दूंगा और मुझे उम्मीद है कि वे मेरे सुझाव पर जरूर अमल करेंगे. उस समय 3 हजार मेगावाट बिजली पैदा होती थी, आज वर्तमान में 18 हजार मेगावाट बिजली हमारे समय में पैदा हो रही थी, आज सरप्लस बिजली है और सरप्लस बिजली होने के बाद भी हमारी एक योजना सरकार ने किसानों के लिए कृषि पम्प योजना लागू की थी और इसके अंतर्गत 5 लाख किसानों को फायदा हुआ था. आज उस योजना के माध्यम से, मैं मंत्री जी से कहना चाहता हूँ कि यह योजना जरूर चालू रखें, कोई भी किसान यदि आवेदन लेकर जाता है तो उसका आवेदन विभाग के अधिकारी नहीं ले रहे हैं. यदि आपके पास सरप्लस बिजली है, तो हमको उसको देने का कार्य करना चाहिए. हम कृषि प्रधान देश की बात जरूर करते हैं और कृषकों को बिजली देने की बात करते हैं लेकिन उनके आवेदन आज भी नहीं लेते हैं. मैं चाहता हूँ कि उस योजना का लाभ किसानों को मिले. शुक्ल जी के बाद, जब विद्युत विभाग का दायित्व मेरे पास आया था तो हमने मध्यप्रदेश में सलाहकार समिति बनाई थी, उस सलाहकार समिति के अन्दर हमने विधायकों को रखा था, सांसदों को रखा था और हम चाहते थे कि यह बिजली की समस्या जिलेवाइज ही, मध्यप्रदेश के अन्दर निपटे. मैंने देखा है कि वे यहां से आदेशित करके नहीं गए हैं कि उन सलाहकार समितियों की बैठक हो और उस बैठक में जिले के अन्दर, जो समस्याएं हैं, उन समस्याओं का हल किया जाये. आज पूरे मध्यप्रदेश के अन्दर आंकलित बिल दे रहे हैं. आपके जो मीटर चैकिंग करने वाले लोग हैं, वे वहां नहीं पहुँचते हैं. आंकलित बिल के कारण, जो मीटर के ऊपर जो बात आई है, उसके कारण यह देखने में आया है कि 3 महीने के अन्दर आंकलित बिल जाने के बाद, जो आपने 200 रुपये के बदले 100 रुपये किये हैं, उससे भी घरेलू बिजली के लोगों को फायदा नहीं मिल रहा है.
अध्यक्ष महोदय, मैं चाहता हूँ कि आप उसके अन्दर भी उनका ध्यान रखें और वह बात भी लोगों तक पहुँचाएं. हमने प्रयास यह किया है कि तीनों वितरण कम्पनियां एक हों, मैं भी चाहता था, प्रयास मैंने भी किया था. छत्तीसगढ़ के अन्दर अनुभव हो रहा है कि तीनों कम्पनियों को एक बनाने का काम वहां सरकार कर रही है. मैं चाहता हूँ कि अलग-अलग कम्पनियां अपने अलग-अलग तरीके से काम करती हैं, उन कम्पनियों की यदि एक कम्पनी हो जाएगी तो मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि लाइट की समस्या जो अलग-अलग तरह से अलग-अलग जगह होती है, उनकी समस्याओं का निराकरण होगा. हम भी यह चाहते हैं कि किसान भाइयों को लाइट मिले, उद्योगपतियों को लाइट मिले और घरेलू कनेक्शन वालों को देखो. पहले लाइट का अता-पता नहीं था, उसकी व्यवस्था करें. मैं चाहता हूँ कि हमारी सरकार के बाद आप आए हैं. हम आपका स्वागत भी करते हैं और चाहते हैं कि हमारी जो लाईन है, उससे आगे लाईन खींचने की आप कोशिश करें, हमने इसके लिए प्रयास किया है. हमने यह देखा है कि जो आज भी सौभाग्य योजना के माध्यम से, देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने चाहे वे मजरे टोले हों, जो आखिरी पंक्ति में खड़े हों, उनको भी लाइट देने का कार्य हमारी सरकार ने किया था. मैं आपसे चाहता हूँ कि इन सब बातों को आप ध्यान रखते हुए, जो बिजली की ज्वलंत समस्या है. हम जब आए थे तो हमने कहा था कि हम 24 घण्टे घरेलू बिजली देंगे और किसानों को 10 घण्टे बिजली देने का काम हमारी सरकार ने किया है. अभी जब लाइट चली जाती है तो मैंने अखबारों के माध्यम से पढ़ा है और टी.वी. के माध्यम से देखा है कि लोग कहते हैं कि इसमें जो पुराने अधिकारी बैठे हैं, लाइट जाने में उनका हाथ है, मुझे बड़ा अफसोस लगता है. आपकी सरकार है, अधिकारियों पर भी भरोसा करना आपका काम होना चाहिए. यदि विभाग के अधिकारी नीचे के लाईनमैनों को हटा देंगे तो यह समस्या माननीय मंत्री जी ऐसे हल होने वाली नहीं है. इनमें अच्छे कार्य करने वाले भी हैं और जिन लोगों को आउटसोर्स पर रखा जाता है. मेरा आपको यह सुझाव है कि आउटसोर्स प्रथा बिजली के अन्दर बन्द होनी चाहिए, लोगों को कम से कम यह तो मालूम पड़े कि हमारे परिवार के लोगों को बाद में कम से कम नौकरी के लिए 3 वर्ष, 4 वर्ष इन्तजार करना होगा, ऐसी कोई योजना बनानी चाहिए. जैसे शिक्षा विभाग के अन्दर वर्ग-1, वर्ग-2 और वर्ग-3 की व्यवस्था हुई थी, इस प्रकार की व्यवस्था यदि आप विद्युत विभाग में भी करेंगे तो यह आउटसोर्स का जो मामला है, यह ठीक होगा. मुझे उम्मीद है कि जो कम्पनियां ठेका लेती हैं, जो कलेक्टर रेट की राशि आउटसोर्स कर्मचारियों को देना चाहिए, वह राशि उनको बराबर नहीं मिलती है. यही मेरा आपसे निवेदन है. मैं चाहता हूँ कि मैंने जो सुझाव दिए हैं, उस सुझाव पर आप अमल करेंगे. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, वैसे विभाग के सेक्रेटरी श्री सुलेमान साहब बैठे हैं, परंतु मुझे अध्यक्ष महोदय जी तीनों कंपनियों के और पॉवर जनरेशन कंपनी के एम.डी. यहां नहीं दिख रहे हैं, मैं समझता हूं कि आपके निर्देर्शों का पालन होना चाहिये.
अध्यक्ष महोदय -- (श्री प्रियव्रत सिंह, ऊर्जा मंत्री जी को ओर देखकर) श्री प्रियव्रत सिंह जी क्या आपके सभी एम.डी. आये हैं ?
ऊर्जा मंत्री (श्री प्रियव्रत सिंह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने उनको नहीं बुलाया था. एम.डी. पी.एम.सी. उपस्थित हैं, जो होल्डिंग कंपनी के एम.डी. हैं. और तीनों डिस्कोंस के चेयरमेन उपिस्थत हैं.
अध्यक्ष महोदय-- आप यह ध्यान रखियेगा कि यह बहुत ही आपत्तिजनक हैं. मैं जानता हूं.
श्री गोपाल भार्गव -- क्या वह आपसे अनुमति लेकर गये हैं ? आपकी इस संबंध में व्यवस्था है.
अध्यक्ष महोदय -- अनुमति की बात होती ही नहीं है. मेरी व्यवस्था के बाद में कोई अनुमति नहीं होती है.
श्री प्रियव्रत सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इस बात का ध्यान रखा जायेगा.
09.26 बजे
अध्यक्षीय व्यवस्था.
ऊर्जा विभाग पॉवर जनरेशन कंपनी के एम.डी. की अनुपस्थिति के संबंध में.
अध्यक्ष महोदय-- आप यह ध्यान रखियेगा. मैंने उदाहरण दिया था कि जब मैं बिजली मंत्री था, टेक्नोक्रेट थे, आज आपके एम.डी.ब्यूरोक्रेटस हैं, They does'nt try to understend कि यह लोकतंत्र का मंदिर क्या है ?(मेजों की थपथपाहट) मेरा यह था कि टेक्नोक्रेट मेंबर O &M नहीं आये थे, तो मैंने क्या एक्शन लिया था ? बिजली की महत्वपूर्ण चर्चा जो आम जन से जुड़ी हुई है they are not above that, not at tall और आपको यह ध्यान रखना चाहिये कि आपके विभाग के प्रत्येक अधिकारी उपस्थित रहें, क्योंकि मैं इस संबंध में दो बार निर्देश दे चुका हॅूं. हर विभाग को निर्देश दे चुका हॅूं. अगर इस हाउस में आपके अधिकारी नहीं आयेंगे तो आपके अधिकारी बेलगाम हो जायेंगे. (मेजों की थपथपाहट) इसके संबंध में मैं अपने कार्यालय से बोलूंगा कि ऊर्जा विभाग को एक पत्र जारी करें.
संसदीय कार्यमंत्री (डॉ.गोविन्द सिंह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इस संबंध में इसलिये मैं आपसे निेवेदन करना चाहता हूं कि माननीय मंत्री जी ने प्रमुख सचिव वगैरह को कहा था, उनको निर्देश नहीं दिये थे. माननीय मंत्री जी ने स्वीकार कर लिया है कि आगे से ऐसा नहीं होगा.
अध्यक्ष महोदय -- आप क्यों बोल रहे हैं, जब मैं व्यवस्था दे रहा हूँ. आप संसदीय मंत्री हैं और एक चीज हमेशा मैं आपकी बात से सहमत हूं किंतु यह संबंधित विभाग के प्रिसिंपल सेक्रेटेरी की जवाबदारी है, यह मंत्री जी की जवाबदारी नहीं है कि उनके पूरे समूचे अधिकारी जो इस चीज से संबंधित हैं उनको यहां रहना चाहिये, जहां तक मैं समझता हॅूं और मैं यह कहना चाहता हूं कि नियम कानून विधानसभा के सदस्यों का बताये जाते हैं, लेकिन उनको भी नियमों में बंधे रहना चाहिये.
09.27 बजे
अध्यक्षीय घोषणा
भोजन की व्यवस्था विषयक
अध्यक्ष महोदय -- माननीय सदस्यों के लिये भोजन की व्यवस्था, सदन की लॉबी में की गई है. माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि सुविधा अनुसार भोजन ग्रहण करने का कष्ट करें.
श्री गोपाल भार्गव -- अगर निपटाना हो तो सुबह का ब्रेकफॉस्ट भी यहीं हो जायेगा(हंसी)
अध्यक्ष महोदय -- देखिये उसके बीच के अंतर में माननीय नेता जी कुछ और व्यवस्थायें करनी पडे़ंगी (हंसी)
खेल एवं युवा कल्याण मंत्री (जितू पटवारी) --(हंसी) बिल्कुल सही अध्यक्ष महोदय, आपने अवसर भोजन का तो कर ही दिया है, पर कई परिवार के लोग आपसे बहुत प्रेरित हैं, और वह आपका साथ पूरा चाहते हैं और आपका सानिध्य भी चाहते हैं.
अध्यक्ष महोदय -- विषय ऐसा चल रहा है, जिसे हिंदी में करेंट बोलते हैं. अब न जाने उस बारे में कौन-कौन विचार कौन से करेंट का करे. (हंसी) श्री कुणाल चौधरी जी आप बोलें.
09.28 बजे
वर्ष 2019-2020 की अनुदानों की मांगों पर मतदान ....... (क्रमश:)
श्री कुणाल चौधरी (कालापीपल) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 12 ऊर्जा विभाग का समर्थन करता हूं और साथ में हमारे ऊर्जा मंत्री माननीय प्रियव्रत जी को जो एक व्यवस्था मिली है, मैं बधाई देना चाहता हूं कि एक ऊर्जावान नेतृत्व, एक युवा नेतृत्व को इस ऊर्जा विभाग में ऊर्जा डालने की व्यवस्था मिली है और जो व्यवस्था आपको मिली है, उसे मैं कहना चाहूंगा कि झूठे आंकड़े, नकली आश्वासन और हथेली में हाथी दिखाने वाली व्यवस्था जो आपको मिली है, जिसे पूरी ऊर्जा के साथ आपको संभालना होगा और जो बात बहुत देर से मैं सुन रहा था और पूर्व ऊर्जा मंत्रियों ने बड़ी-बड़ी बातें कहीं तो उसके लिये एक शेर याद आता है
''हम आह भी करते हैं, तो हो जाते हैं बदनाम और वह कत्ल भी करते हैं तो चर्चा उनकी नहीं होती है''
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं इस बात को इसलिये कह रहा हूं क्योंकि बड़ी ताकत के साथ इसको उठाया कि जैसे ही कांग्रेस की व्यवस्था आई तो कई लोग लालटेन लेकर और मशाल लेकर निकले. यह बात मैंने भोपाल की सड़कों पर देखी कि दिन में 4 बजे कई लोग लालटेन लेकर जा रहे हैं तो कई लोग मशाल लेकर जा रहे हैं तो मुझे नहीं लगता कि दिन में 4 बजे लालटेन की जरूरत इस मध्यप्रदेश के अंदर या देश के अंदर पड़ती होगी, तो जिस प्रकार की व्यवस्थाओं की बात इन्होंने की, जिस प्रकार की स्थितियों की बात इन्होंने की, जो व्यवस्था इन्हें देनी चाहिये थी कि लगभग जिस प्रकार से हमारे प्रदेश के अंदर पिछले 6 माह का मैंने आंकड़ा निकाला है कि वर्ष 2018 में 6 माह की अवधि में 6 लाख 22 हजार 225 शटडाउन हुये और इस अवधि में हमारे इस 6 महीने के अंदर लगभग 35 प्रतिशत उसमें कमी आई, पर जिस प्रकार से लोग बात करते हैं और लोग चिल्लाते हैं और जिस प्रकार की चीजों की बात करते हैं उसमें कहीं न कहीं लोगों के अंदर इजाफा हुआ. मैं बात करूंगा कि कई बड़ी योजनायें पिछले 6 महीने के अंदर शुरू हुईं, सबसे पहले मुख्यमंत्री बकाया बिजली बिल माफी जो वर्ष 2018 के अंदर इनके द्वारा शुरू की गई. उस 2018 के बिजली बिल में जो प्रावधान किये गये कि 3 साल तक उसका बजट हमें देना है. यह सरकार उस सरल बिजली योजना के पैसे इस सरकार के अंदर हम लोग उस बजट को भरने का काम करते रहे और अगले 3 साल तक पूरी ऊर्जा के साथ बजट के अंदर हमें डालने का काम करना है. दूसरी योजना जो सबसे पहले सौभाग्य की बात अच्छे से की कि सौभाग्य के अंदर इन्होंने पूरे प्रदेश के अंदर जो मंजरे, टोले और इनको बांटने का काम किया, इनके अंदर बिजली देने का काम किया यह योजना डॉ. मनमोहन जी के समय राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना के नाम से चल रही थी जिसका नाम पलटकर सौभाग्य योजना करने का काम किया और उस पर अपना श्रेय लेने की बात की और कई व्यवस्थाओं के ऊपर क्योंकि आपके पास भी समय कम है फिर भी मैं कई चीजों पर थोड़ी सी चर्चा करना चाहूंगा. क्योंकि बिजली बिल माफी योजना के नाम पर बडी़ तालियां बटोरी गईं, बड़े-बड़े विज्ञापन दिये गये कि हम लोगों ने साढ़े 14 साल लोगों से बिजली के बिल वसूले और आखिरी 6 महीने में बिजली बिल की माफी के लिये और जो योजना में 2431 करोड़ की सब्सिडी का प्रावधान किया वह अगले 3 साल के लिये किया. माननीय मंत्री जी इन लोगों ने बिजली माफी का पूरा लाभ ले लिया, वोट भी ले लिये अगर वोट उतने नहीं मिलते तो इसमें से आधे यहां पर आते पर उसके पैसे किसको भरना है, हम लोगों को और आपको उस पैसे की व्यवस्था करनी है, 2431 करोड़ की व्यवस्था 3 वर्षों में आपको करनी है. इंदिरा गृह ज्योति योजना, हम लोगों ने एक बड़ी महत्वाकांक्षी योजना जिसमें 100 यूनिट के 100 रूपये बिजली के बिल. मैं इसमें आपसे एक सजेशन लेना चाहूंगा, आप एक दृढ़ता रखिये, आप एक विश्वास रखिये और कहीं न कहीं माननीय मुख्यमंत्री जी से बात करके जिस तरह यह कहा जाता है कि- ''अंधा बांटे रेबड़ी, चीन, चीन के देय.'' इन्होंने किसके नाम से की थी, संबल योजना के नाम से जिसमें चुनिंदा कार्यकर्ताओं को जो करोड़पति थे, जिनके पास कितनी गाडि़यां थीं, गरीब को छोड़कर. मैं यह नहीं कहता कि इस तरह से क्यों, पर आपको एक भरोसा करना पड़ेगा और प्रदेश की साढ़े सात करोड़ जनता को इसमें जोड़ने का मैं आपसे चाहता हूं कि आप इसमें सबको जोड़े. जो व्यक्ति 100 यूनिट बिजली उपयोग करे उसे 100 रूपये बिल आना चाहिये और अगर साढ़े सात करोड़ जनता के लिये आप खोलेंगे तो मैं भरोसा करूंगा कि आपमें यह दृढ़ता है कि आप साढ़े सात करोड़ की जनता को यह देने का काम कर सकते हैं. बड़ी अच्छी बात कही इन्होंने बिजली के बिल के नाम पर, वसूली के नाम पर तो एक शेर याद आता है-
“(XXX)
गरीबों से तो बिल वसूली करवाते रहे, और अमीरों के बिल माफ करते रहे.''
माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बात मैं ऐसे ही नहीं कह रहा हूं क्योंकि मैंने सवाल लगाया था, आपके मंत्रालय से मुझे जवाब मिला है कि 7 हजार करोड़ के बिजली के बिल बड़े-बड़े उद्योगपतियों से और जिनसे 10 लाख रूपये से ज्यादा की बकाया है यह राशि उन लोगों से है. गरीब की बात आती थी तो यह उनको जेल में भेज दिया करते थे, गरीब की बात आती थी तो उनके ट्रेक्टर छीन लिया करते थे, गरीब की बात आती थी तो उसकी मोटर सायकल को राजसात कर लिया करते थे. मैं बधाई देना चाहूंगा आपको कि इस 6 महीने के भीतर जब भी बिजली के बिलों की बात हुई तो न तो कोई वसूली का काम हुआ, न गरीब के ट्रेक्टर लिये गये. मेरी खुद की विधान सभा में 15 ट्रेक्टर और 40 मोटर सायकलें जो दो-दो साल से पड़ी थीं. उन्हें छुड़वाने का काम किया है. मैं धन्यवाद देना चाहूंगा इसके लिये भी क्योंकि जिस प्रकार से ट्रांसफार्मर की बात थी कि पहले 50 प्रतिशत पर ट्रांसफार्मर बदला करते थे ये बिजली देने की बात करते थे गरीब के ट्रांसफार्मर साल-साल भर नहीं बदलते थे. हमारे पूर्व विधायक शुजालपुर के उनके गांव के ट्रांसफार्मर 3-3 महीने से नहीं लगते थे वे जब हमारी सरकार आई आप ऊर्जा मंत्री बने उसके बाद उन ट्रांसफार्मरों को बदलवाने का काम किया गया और 50 हजार ट्रांसफार्मर हमारी सरकार ने बदलने का काम किया और हमारी सरकार के अंदर कहीं न कहीं 48109 ट्रांसफार्मर बदले गये. जो क्वालिटी की बात है वह हमारे मित्र ने यहां पूरी कर दी है. मैं कहना चाहूंगा कि जिस प्रकार से मूल रूप से आपने एक योजना चालू की है जिसमें किसानों को मोटर के बिल 1 हार्सपावर पर 700 रुपये यूनिट करने का काम किया है पर एक व्यवहारिक समस्या जो पिछले समय से चली आ रही है कि कई लोगों ने मिलकर डी.पी. ले रखी है वह हमारी 10 हार्सपावर तक के लिये है और जब डी.पी. मिलकर ली है और 5 लोगों ने मिलकर कनेक्शन एक साथ लिये हैं तो वह25 तक पहुंच जाता है तो उनको उसका लाभ नहीं मिल पा रहा है तो उनको भी निकालने का काम करें. आपने जिस प्रकार से टोले,मजरों को जोड़ने के लिये एक वृहद योजना प्रदेश में लगातार चल रही है कि कई जगह जो पिछड़े,शोषित,दलित और जिन लोगों को मूल रूप से सबसे ज्यादा जरूरत होती थी पिछली सरकार ने उन लोगों को छोड़ते हुए सिर्फ कैसे वाहवाही लूटने का काम करें मेरे पास कई पेपर कटिंग हैं कि मध्यप्रदेश में 4 लाख 25 हजार घरों में बिजली नहीं है इस बात का सर्वे हुआ है. अभी चोरी की बात कर रहे थे तो प्रदेश में हर साल 5 हजार करोड़ की बिजली चोरी का काम होता है ये मेरे पास पेपर कटिंग है. इनका दिया हुआ 15 साल का इतना दर्द है कि थोड़ा समय तो बोलने में लग ही जाता है. तेरह साल में लगभग बिजली 150 फीसदी महंगी करने का काम किया और उसके बाद सिर्फछह महीने के लिये सिर्फ राजनीतिक लाभ लेने के लिये, बजट की बात करते हैं न तो ब जट का एलोकेशन किया गया अगले तीन साल के लिये बजट और हर केबिनेट में मुझे लगता है कि इनके पिछले बकाया जो इन्होंने माफ किये थे उसकी माफी के लिये हर बजट में प्रावधान इस सरकार को करना होता है पर किसान के लिये, गरीब के लिये वह करेंगे और मैं आपसे आग्रह करूंगा कि यह जो बकाया वसूली है 7 हजार करोड़ की, जो पिछली सरकार के लोगों के चहेतों की थी इसे बुलवाने का काम करें ताकि कहीं न कहीं हम लोगों के लिये बेहतर हो जाये. अध्यक्ष जी, बहुत-बहुत धन्यवाद आपने बोलने का अवसर दिया.
श्री अजय विश्नोई (पाटन) - माननीय अध्यक्ष महोदय, अनुदान की मांग संख्या 12 के विरोध में मैं अपना वक्तव्य देने के लिये खड़ा हुआ हूं और आपका संरक्षण चाहता हूं क्योंकि यह जो बजट भाषण पढ़ा गया था सम्माननीय वित्त मंत्री तरुण भनोत द्वारा, उस बजट भाषण में एक पूरा पैरा समर्पित था कि ट्रांसमिशन कंपनी जो है, जो साल में 3779 सर्किट कि.मी. का काम पूरा करेगी. विगत वर्षों में कभी भी 1000-1500 कि.मी. सर्किट लाईन से ज्यादा काम हुआ नहीं. इस 2018-19 कि.मी. में जरूर 2200 कि.मी. का अचीवमेंट हुआ और जो ट्रांसमिशन कंपनी है उसने जरूर अपने ऊपर अधिकारियों को लिखकर दिया है कि इस साल भी हम 2200 कि.मी. का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं. काम करने वाले कह रहे हैं कि 2200 कि.मी. करेंगे और भाषण देने वाले बजट में कह रहे हैं कि 3779 कि.मी. करेंगे यह असत्य का पुलिंदा जो हमारे कहा गया है यह वाकई में सच है और अगर नहीं है तो माननीय मंत्री जी अपने जवाब में बता देंगे कि यह जो अतिरिक्त बता दिया है 1579 कि.मी. यह वित्त मंत्री करेंगे या कौन करेगा ? ऐसे ही एक और झूठ कहा गया कि विगत 5 सालों में टी.एण्ड टी. लॉसेस 22 प्रतिशत से बढ़कर 32 प्रतिशत हो गये और एक दूसरी तरफ आपका ध्यान आकर्षित कराता हूं. मई 2019 की टैरिफ पिटीशन, इसी सरकार ने पेश की है, उस टैरिफ पिटीशन में कह रहे हैं कि 35 परसेंट जो थी वह घटकर 28 परसेंट पर आ गई. या तो टैरिफ पिटीशन में असत्य बोल रहे हैं या इस बजट भाषण में जो आंकड़ा दिया है उसमें असत्य बोल रहे हैं. दोनों जगह ही ऐसी है जहां बात को असत्य नहीं बोलना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय, एक और आंकड़ा दिया है कि हमने 5 जनवरी को 14089 मेगावाट की पूर्ति की. यह पूर्ति नहीं है, यह बोलने वाले गलत शब्द बोल रहे हैं यह उस दिन की अधिकतम खरीदी थी, वह क्षण दो क्षण के लिए सेकण्ड दो सेकण्ड मुश्किल से एक मिनट के लिए और उसका आंकड़ा कहीं और से है, इन्हीं का अपना एक पूरा पत्र है जिसमें लिखा हुआ है, उस जनवरी की भी औसत जो खरीदी थी वह 10046 मेगावाट थी और लक्ष्य हमने बता दिया 14000 उसको प्राप्त किया था. अध्यक्ष महोदय, समय कम है इसलिए मैं भी विषय के बहुत अंदर तक जाने की कोशिश नहीं करूंगा. परन्तु मेरा कहना यह है कि औसत डिमांड हमारी जो रहती है वह 8000-9000 मेगावाट के बीच में रहती है. जनवरी की भी बात करें तो 10445 मेगावाट है और उपलब्धता आज की तारीख में हमारी जो है वह 21000 मेगावाट की हो चुकी है. पर्याप्त उपलब्धता है. मध्यप्रदेश में 15 सालों के अंदर उपलब्धता 4000-4500 मेगावाट से बढ़ाकर इस 21000 मेगावाट तक लेकर 15 साल की सरकार आई है . ट्रांसमिशन सिस्टम को मजबूत किया है. फीडर हमने सेपरेट डाले हैं. ट्रांसफार्मर्स बनाए हैं. एक एक गांव के अंदर एक ट्रांसफार्मर हुआ करता था, दर्जनों ट्रांसफार्मर आज की तारीख में पहुंच गये हैं. यह सारी व्यवस्था इस 15 साल के अंदर हुई है.
अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी को कहना चाहता हूं कि अब इतनी उपलब्धता हो गई है और अधिक पावर जनरेशन स्टेशन की जरूरत नहीं है फिर क्यों नये 4 पावर हाऊस की बात करते हैं, छिंदवाड़ा में 1320 मेगावाट, अनूपपुर में 1320 मेगावाट , अमरकंटक में 660 मेगावाट , सारणी में 660 मेगावाट का? इसमें दो ऊपर वाले निजी हैं दो आपके सरकारी हैं. क्या जरूरत है? जब हमारे पास इतना पावर हो गया है जिसकी हम खपत नहीं कर पा रहे हैं. अभी उत्तरप्रदेश की सरकार ने और वहां के नियामक आयोग ने घोषणा की है वर्ष 2022 तक कोई भी नया पावर स्टेशन लेकर नहीं आएंगे. आपके पास भी यदि पैसा है उस पैसे को डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम को मजबूत करने में लगाइए. आज की तारीख में तकलीफ डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम से है. पावर जा रहा है बिजली जा रही है लोग गाली दे रहे हैं तो इसलिए दे रहे हैं कि उनको बिजली मिल नहीं रही है. जहां तक सम्माननीय सदस्य श्री पाठक जी कह रहे थे मैं समझता नहीं हूं कि हम कहें या आप कहें सदन में, लेकिन जनता क्या कह रही है? वर्ष 2013 से 2018 तक 24 घंटे तक लाइट मिली कि नहीं मिली? यह जनता जवाब दे रही है. आज हमको लाइट मिल रही है कि नहीं मिल रही है. यह जनता जवाब दे रही है. हमको यहां उस बहस में पड़ना नहीं है. वही ट्रांसफार्मर वही इक्विपमेंट वर्ष 2013 से 2018 तक 24 घंटे तक लाइट देते रहे और वर्ष 2018 के बाद जैसे ही इनकी सरकार आई वही ट्रांसफार्मर फेल होने लग गये. यह जो आपका है यह जो काल्पनिक सोचों की बात को आप खत्म करें. ईमानदार की बात और एक करना हो बाजार में मैंने कहा कि बिजली बहुत है. खरीदने वाला नहीं, बेचने वाला परेशान है. रेट खरीदने वाला तय कर रहा है. ट्रांसमिशन लॉस आप वहन कर रहे हैं. आप खरीदते हैं सेंट्रल रेट से नगद में, जिसके ऊपर बेचना है बेच देते होगे उधार में? ट्रांसमिशन लॉस उसमें और हो जाता है. ऐसी व्यवस्थाओं से मुक्ति पाएं और बंद करें.
अध्यक्ष महोदय, एक और काम हो गया है. पावर बैंकिंग की बात चलती है. पावर बैंकिंग भी अपने आप में बैंकिंग जैसी कोई चीज है नहीं. कोई शब्द नहीं है. भ्रामक एक जाल गढ़ लिया है लोगों ने, वास्तव में जब भी आपका बिल होता है ना आप किसी भी प्रदेश में बेचते हो, बिजली का बिल बनता है खरीदी का, बेचने का. और वापस लेते हो तो फिर खरीदी करते हो, बेच देते हो और उसके ऊपर जीएसटी आप देते हो तो फिर किस बात की बैंकिंग है? और फिर ट्रांसमिशन लॉस होता है वह अलग है. आपने जब खरीदा तो नगद में भुगतान कर दिया , 4-6 महीने के बाद जब आपको वह बिजली वापस मिली, तब उसके मार्जिन में आपका हिसाब किताब हो गया. पेमेंट आपको उस दिन जाकर मिल पाता है. एक और तरीका है. हमको यदि बिजली के लॉसेस कम करना है तो एनटीपीसी का जो अनआवंटित कोटा है, उसको यदि हम लेना बंद कर देंगे. मैं विस्तार में नहीं जा रहा हूं तो 500 करोड़ रुपए की बचत हर साल हमारी होने लग जाएगी. कुछ महंगी बिजली को सरेण्डर कर देना चाहिए. सोलापुर की, मोदा की, गाडरवारा की, कवास की, गंधार की, बिजली नहीं ले रहे हैं सिर्फ फिक्स चार्ज दे रहे हैं वह भी सैंकड़ों करोड़ के अंदर है उसको हमको बंद कर देना चाहिए. निजी विद्युत उत्पादकों में करीब 1500 मेगावाट के अनुबंध हैं दिसम्बर 2018 में जिस समय माननीय मुख्यमंत्री जी ने शपथ ली, उसके बाद माननीय मुख्यमंत्री जी ने कहा कि हम समीक्षा करेंगे. फरवरी 2019 में मंत्री जी को याद होगा मंत्री जी ने भी अखबारों में बयान दिया हम समीक्षा करेंगे, भांजे ने कहा कि मामा गजब हो जायेगा सबसे पहले मेरा ही पावर हाऊस बंद हो जायेगा, क्योंकि मोजर बियर पहले ही परेशान है वैसे ही ईडी वाले छापा डाले पड़े हैं, और आपने अगर समीक्षा कर ली तो मेरे पास तो करोड़ों का नुकसान हो जायेगा. मेरा पावर हाऊस बंद हो जायेगा. अध्यक्ष जी समीक्षा बंद हो गई. अब, तब से लेकर आज तक जब से भांजे ने निवेदन किया है, अब न मंत्री जी समीक्षा की बात करते हैं और न मुख्यमंत्री जी बात करते हैं, ईमानदारी से आप समीक्षा करें, तय करें कि फिक्स चार्ज कौन दे रहा है,कितने दे रहा है और क्यों दे रहा है. कोयले के दाम का भुगतान हम कर देते हैं, कोयले का भुगतान करते समय हम नहीं पूछते हैं कि तुम्हारा बिल कहा है, जितना उसने लिख दिया उतना कोयला का भुगतान हो गया.
अध्यक्ष महोदय अगर समीक्षा करना है तो लेमको अमरकंटक की समीक्षा करें, अनुबंध किस रेट का था और हम क्या दे रहे हैं, और नियामक आयोग ने स्वीकृति दी है या नहीं दी है, टोरेन पावर की 10 रूपये की बिजली है, तुरंत बंद कर सकते हैं, पावर चाहिए है तो एक सस्ता सा पावर है बरगी की नहरों पर 10 मेगावाट का है, पांच साल से बंद पड़ा है हमारी सरकार के समय ही बंद हो गया था, आप उसको चालू कर लें वह तो सबसे सस्ती बिजली होती है आप यह अच्छे तरीके से जानते हैं, खरीदते और बेचते समय कई जगह पर दलाली बंद हो गई है, पर अभी भी 4 पैसे यूनिट की बिजली कई खरीद फरोख्त में चल रही है उसको बंद करेंगे तो उसमें भी सैकड़ों करोड़ का नुकसान हमारा बचेगा,अभी हमारे एक साथी वक्ता कह रहे थे कि वास्तव में, अध्यक्ष महोदय यह आपकी आसंदी की तरफ से आया था, जितनी भी कंपनियां है औरएमडी हैं यह बिगडेल हाथी हैं इन पर मंत्री जी को अंकुश लगाना होगा पर मंत्री जी अंकुश लगा नहीं सकते हैं क्योंकि पावर ही नहीं है. मुख्यमंत्री जी का अंकुश मंत्री जी पर जरूर है पर मंत्री जी का अंकुश किसी भी एम डी पर नहीं है कौन एमडी आयेगा, कौन एमडी जायेगा, कौन काम करेगा कौन नहीं करेगा किसकी सीआर कौन लिखेगा यह मंत्री जी के हाथ में नहीं है, इसलिए इनके माध्यम से यह पकड़ बन नहीं पाती है. आरोप लगाते हैं कि बिजली गड़बड़ हो रही है. यह भाजपा के कर्मचारी कर रहे हैं. हमें बहुत दुख होता है कि 50 साल में कर्मचारी आपके नहीं हुए है और 15 साल में हमारे हो गये हैं. हां चमगादड़ों का तो छोडिये कहां कहां से लटक जाती हैं. ईमानदारी की बात यह है कि इक्यूपमेंट भी उतने ही अच्छे हैं जितने पहले थे कर्मचारी भी पहले जैसे ही अच्छे हैं उनको निर्देश देने वाले नेता हैं और जो अधिकारी हैं वह गड़बड़ा गये हैं, वह दबाव में आ गये हैं, पहले जल्दी से सरकार बनी थी और सामने लोक सभा चुनाव दिख रहा था उसका दवाब था. लोक सभा चुनाव के बाद में अभी मानसून सत्र आ गया है. उनकी जिस प्रकार की व्यवस्था है उसमें समय लगता है, वह समय देने की इन्होंने कोशिश नहीं की है उसके कारण मामला गडबड़ हुआ है. यह सौभाग्य योजना की चर्चा हमारे पूर्व मंत्री जी कर रहे थे, वह सौभाग्य योजना का भी भाग-2 आ गया है जो मजरे टोले छूट गये हैं उसके लिए भी पैसा आकर गया है पर उस सबको करने के लिए सर्वे करना पड़ता है, स्टीमेट बनाना पड़ता है, ठेकेदार की व्यवस्था करना पड़ती है और फिर सब कुछ मिल जाय तो हमें शट डाऊन करना होता है और शट डाऊन के नाम से इनको बुखार आने लगता है फिर जनता की आवाज सुनाई देने लगती है और वह उनको मना करने लगते हैं, शट डाऊन ले नहीं पाते हैं इसलिए सुधार होता नहीं है, सुधार नहीं होता है तो बिगाड़ सामने दिखता है और बिगाड़ सामने दिखता है तो जनता की आवाज सामने आने लगती है इनको अपनी चीज की चिंता करना होगी. माननीय 100 रूपये में 100 यूनिट की चर्चा बहुत हो गई है माननीय राजेन्द्र शुक्ला जी ने कहा भी था कि उसको नापने के लिए आपके पास में मीटर कहां है, फिर मीटर खरीदने के निर्देश भी हुए हैं 4 - 5 लाख रूपये के मीटर खरीदे भी जा रहे हैं लेकिन एक चीज का बजट में प्रावधा नहीं है वह मीटर जिस भी गरीब के घर में लगेंगे उसका जो सर्विस कनेक्शन हैं वह प्रापर सर्विस कनेक्शन नहीं है, उसमें बहुत लीकेज हैं शहर में सर्विस कनेक्शन देते हैं तो केबल लगा देते हैं गरीब आदमी के यहां सर्विस कनेक्शन कटा फटा लगा रहेगा और बाद में उसके ऊपर चोरी का आरोप लगायेंगे, सर्विस कनेक्शन का एक रूपये का भी प्रावधान आपने इन गरीबों के घर में मीटर लगाने के लिए नहीं किया है, वचन पत्र की बात करते हैं, 10 - 12 घंटे का वचन पत्र आपको याद है या नहीं, नहीं है तो निकालकर पढ़ लीजिये और किसान आपके वचन पत्र को पूरा करने का इंतजार उसी तरीके से कर रहे हैं जिस तरीके से कृषि ऋण माफी का इंतजार कर रहे हैं. दोनों मामलों में आप फेल हुए. मंत्री जी, हमने बहुत तेज गति के साथ काम किया, उसका 15 साल का रिकार्ड है और तेज गति के साथ काम किया तो भूल-चूक हुई होगी. गलतियां हुई होंगी. आप जांच कर लीजिये. जानबूझकर हमने की है, तो सजा दे दीजिये. परंतु यदि जानबूझकर हुईं हो या नहीं हुई हों, उन भूलचूक को सुधार करने का समय आपके पास है. अब दोड़ने की जरुरत नहीं है. अब ठहरकर, रुककर देख सकते हैं. परफेक्ट सिस्टम को और परफेक्ट करने के लिये जरुरत क्या है, उस तरीके से काम करेंगे, तब अपनी व्यवस्थाएं पूरी हो हो पायेंगी.
डॉ. गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष महोदय, आपने मंत्री जी के लिये 10 मिनट का समय फिक्स किया है और सब के लिये 5-5 मिनट. आपका निर्देश था. अब सब आधा, पौन घण्टा बोलेंगे, तो सवेरा हो जायेगा. अभी 10.00 बज रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- चलिये, समाप्त करिये.
श्री अजय विश्नोई -- गोविन्द सिंह जी, आपके निर्देश पर जल्दी समाप्त कर रहा हूं. ठेका पद्धति भी बंद करके परमानेन्ट लोगों को लाने की बात हमारे पूर्व मंत्री जी कर चुके हैं. पर जो सबसे आवश्यक चीज है, सीएम पम्प योजना बंद पड़ी है आज की तारीख में. नई योजना आप लेकर नहीं आये. पहले प्रावधान 600 करोड़ का था, अब 100 करोड़ कर दिया. जिन बेचारों को परमानेन्ट कनेक्शन चाहिये, उनको परमानेन्ट कनेक्शन का रास्ता नहीं मिल रहा है. वह करिये. कृषि पम्पों की सबसिडी का प्रावधान कृषि के बजट में किया है, वहां से यह आयेगा. विभाग के बीच में एक और विभाग जोड़ दिया, इनको कितनी परेशानी होगी, जरा इस व्यवस्था पर भी विचार कर लीजिये. अध्यक्ष महोदय, मेरा सुझाव तो सिर्फ इतना ही है कि वितरण नेटवर्क को मजबूत करने के लिये आपने नये सब स्टेशन्स के कोई प्रावधान नहीं रखे हैं. वह प्रावधान भी रखिये. सौभाग्य योजना में मिला अतिरिक्त फण्ड का आप खर्च नहीं कर पा रहे हैं. उनको खर्च करने की व्यवस्था कीजिये. जो प्रधानमंत्री में नये नये आवास बनते चले जा रहे हैं, उन तक बिजली पहुंचाने की कोई चिंता कीजिये. मेरा इतना ही अनुरोध है, अध्यक्ष महोदय, आपने समय दिया, इसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री सुनील सराफ (कोतमा) -- अध्यक्ष महोदय, बहुत बहुत धन्यवाद. पहली बार का विधायक हूं, आपका भरपूर संरक्षण चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय -- पूरा मिलेगा, लेकिन भूमिका मत बनाएं. मुख्य बात पर आ जायें.
श्री सुनील सराफ -- अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में नई सरकार ने, हमारे यशस्वी मुख्यमंत्री, श्री कमलनाथ जी के शपथ लेने के बाद सबसे पहले किसान हितैषी निर्णय लिये हैं. यह पहली बार हुआ है, मुझे लग रहा है कि चुनाव सम्पन्न होने के बाद भी किसी पार्टी का घोषणा पत्र, जिसे हम वचन पत्र कहते हैं अपनी सरकार में, उस वचन पत्र की चर्चा सरकार बनने के बाद भी हो रही है. आज तक चर्चाओं में हमारे भाजपा के विधायक गण भी अपने सवालों में वचन पत्र का जिक्र करते हैं, नहीं तो पहले यह होता था कि घोषणा पत्र बनते थे, सरकार बनने तक के लिये, उसके बाद पांच साल तक सरकारें चलती थीं, घोषणा पत्र में क्या घोषणाएं की हैं, इसकी कहीं कोई चर्चा नहीं हुआ करती थी. यह है कमलनाथ जी की सरकार , जिसके वचन पत्र पर लोगों को भरोसा है और कहीं न कहीं हमारे भाजपा के साथियों को भी भरोसा है. तभी वे इस सदन में उस पर सवाल लगाते हैं, उस पर चर्चा करते हैं. मैं बहुत धन्यवाद दूंगा, हमारे ऊर्जा मंत्री जी का कि उन्होंने भी अपने कार्यकाल में, अपनी शपथ लेने के बाद उन्होंने लगातार अच्छे निर्णय लिये हैं. चुनाव से पहले हमारा नारा था किसान का कर्जा माफ, बिजली बिल हाफ. श्री कमलनाथ जी ने शपथ लेते ही कर्ज माफी करने का काम किया है, लगभग 22 लाख किसानों का कर्जा माफ हो चुका है और हमने बिजली बिल हाफ का भी वचन पूरा किया है. इन्दिरा गृह ज्योति योजना के तहत अभी विश्नोई जी का बड़ा मैं सम्मान करता हूं. वह कह रहे थे कि सौ यूनिट तक बिजली 100 रुपये में नहीं दी जा रही है. मैं बड़ी जिम्मेदारी के साथ कहता हूं कि 100 यूनिट तक बिजली जिसने भी खपत की है, उसका बिल 100 रुपये ही आ रहा है. 100 यूनिट से अधिक बिजली खपत करने वालों का बिल वह जो बिजली का मूल रेट है, उस रेट से बिल आ रहा है. यदि किसी का बिल भी 100 यूनिट से कम का है, उसका 100 रुपये से अधिक बिल आया हो, तो मुझे बता दें. सरकार इस योजना में लगभग 2116 करोड़ रुपये की वार्षिक सबसिडी प्रदान कर रही है, जिससे 62 लाख हितग्राही इसका लाभ ले रहे हैं.और माननीय ऊर्जा मंत्री जी, मैं आपको धन्यवाद और बधाई देना चाहूँगा. इनकी सबसे खूबसूरत चीज यह है कि अभी तक जो हमारे छोटे पानठेले वाले, चाय की गुमटियों वाले, नाई की दुकान में भी सिंगल मीटर लगता था, उन्हें अब घरेलू मीटर लगाकर अब घरेलू रेट पर बिजली उपलब्ध कराई जा रही है, जिससे कई छोटे-छोटे दुकानदार, जो बिजली के बिल नहीं भर पाते थे, वे भी अब आराम से बिजली का उपयोग कर ले रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय, इंदिरा किसान ज्याति योजना के तहत 10 हॉर्सपॉवर तक के कृषि पम्पों का बिल आधा कर दिया गया है. इस योजना से 18 लाख हितग्राही लाभ ले रहे हैं. इस वर्ष पिछले वर्ष की तुलना में यानि साल 2018 में मार्च से मई माह के बीच शट-डाउन में 9 प्रतिशत की कमी आई है. पिछले वर्ष कुल 1,61,065 शट-डाउन हुए थे तो वहीं इस वर्ष 1,46,534 शट-डाउन ही हुए हैं.
अध्यक्ष महोदय, प्रदेश में जनवरी से अब तक 23,244 खराब ट्रांसफामर्रों को बदलने का काम हमारे ऊर्जा मंत्री जी ने किया है. मैं उन्हें बहुत बधाई देना चाहूँगा. अकेले मेरी विधान सभा क्षेत्र में 50 से अधिक खराब ट्रांसफार्मरों को बदलने का काम उन्होंने किया है, इस बात के लिए मैं आपको हृदय से धन्यवाद देना चाहूँगा.
अध्यक्ष महोदय, मेरे विधान सभा क्षेत्र में कई ऐसे गांव थे, जहां आज तक बिजली थी ही नहीं, वह चाहे पजहाटोला हो, निमाह हो, वहां पर इन 6 महीनों में घरों तक बिजली पहुँचाने का काम हमारे मुख्यमंत्री जी ने, हमारे ऊर्जा मंत्री जी ने किया है. एक गांव तो ऐसा है डूमरकछार, जो बड़ी पंचायत है, जो अब नगर-परिषद् में बदलने जा रही है, जिसका गजट नोटिफिकेशन हो गया है, उस डूमरकछार गांव में अभी तक बिजली नहीं थी. आज से 15 दिन पहले वहां पर बिजली पहुँचाने का काम हमारे ऊर्जा मंत्री जी ने किया है. मैं उन्हें बहुत देना चाहूँगा.
आदरणीय अध्यक्ष महोदय, विद्युत कंपनियों में पिछली सरकार द्वारा कई वर्ष पूर्व संगठनात्मक संरचना के आधार पर पद स्वीकृत किए गए थे, किंतु उन पदों की पूर्ति नहीं की गई थी. हमारी सरकार द्वारा वचन-पत्र में किए गए वादे के अनुसार रिक्त पदों को भरने की कार्यवाही प्रारंभ कर दी गई है. वहीं संगठनात्मक संरचना में स्वीकृत पदों में वर्तमान व्यवस्था को दृष्टिगत रखते हुए परिवर्तन करने का कार्य प्रारंभ किया गया है. विगत 6 माह में 426 पदों की पूर्ति की गई है. वचन-पत्र में किए गए एक अन्य वादे के अनुरूप आउटसोर्स कर्मचारियों की समस्याओं के निराकरण हेतु समिति का गठन भी किया गया है. संविदाकर्मियों को वचन-पत्र के मुताबिक संविदा नीति के तहत नियमित करने की कार्यवाही भी की जा रही है, मैं इस बात के लिए भी ऊर्जा मंत्री जी का बहुत धन्यवाद करूंगा.
अध्यक्ष महोदय, विद्युत कंपनियों में वर्तमान में लागू अनुकंपा नियुक्ति नीति पर पुनर्विचार किया जा रहा है. इस बात के लिए भी ऊर्जा मंत्री जी का बहुत-बहुत धन्यवाद करना चाहूँगा. विद्युत कंपनियों द्वारा विद्युत व्यवस्था प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए बीते 6 माह में ये भी कार्य किए गए हैं. श्री सिंगाजी तापविद्युत परियोजना खण्डवा के द्वितीय चरण में 660 मेगावाट उत्पादन संयंत्र स्थापित किया गया है. 14 अति उच्चदाब उपकेन्द्रों की स्थापना की गई. 22 वर्तमान अति उच्च दाब केन्द्रों पर ट्रांसफार्मर क्षमता की वृद्धि के कार्य किए गए. 828 किलोमीटर 33 केवी लाइनों का निर्माण किया गया. 24,346 किलोमीटर 11 केवी लाइनों का निर्माण किया गया. 48,109 वितरण की व्यवस्था.
अध्यक्ष महोदय -- धन्यवाद.
श्री सुनील सराफ -- अध्यक्ष महोदय, मैं एक शेर बोलना चाहता हूँ.
अध्यक्ष महोदय -- ये सब चीजें ऊर्जा मंत्री को बोल दो.
श्री सुनील सराफ -- अध्यक्ष महोदय, आपका संरक्षण चाहता हूँ, एक शेर बोलना चाहता हूँ.
बुरा को मैं बुरा बोलूँ, नहीं मुझसे नहीं होगा,
किसी को भी खुदा बोलूँ, नहीं मुझसे नहीं होगा,
ये अक्सर आजमाया है कि वह सच को सच नहीं कहता,
मैं उसको आइना बोलूँ, नहीं मुझसे नहीं होगा,
बहुत-बहुत धन्यवाद अध्यक्ष महोदय. जय भारत, जय हिंद.
अध्यक्ष महोदय -- संजय सिंह ''संजू'', बोलोगे आप, तैयारी नहीं है तो रहने दो.
श्री संजय सिंह ''संजू'' -- अध्यक्ष महोदय, तैयारी है. बहुत-बहुत धन्यवाद अध्यक्ष जी.
अध्यक्ष महोदय -- जल्दी करना भैया.
श्री संजीव सिंह ''संजू'' (भिण्ड) - अध्यक्ष महोदय, जैसा कि आपने पहले ही कहा कि बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है और सीधा जनता से जुड़ा हुआ विषय है. मैं मांग संख्या 12 के समर्थन में खड़ा हुआ हूं और ऊर्जा मंत्री जी को बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहता हूं कि प्रदेश को बिजली के विषय में आगे ले जाने के लिये दिन और रात जतन कर रहे हैं, प्रयत्न कर रहे हैं. यह बात कहने में भी मैं संकोच नहीं करूंगा कि निश्चित तौर पर बिजली की व्यवस्था थोड़ी तो खराब हुई है. अब खराब हुई है, इतना भर कहने से तो काम चलने वाला नहीं है. खराब होने के पीछे कारण क्या हैं ? हमें उन कारणों के पीछे जाना पड़ेगा, उन कारणों को समझना पड़ेगा. हमारे प्रवीण भाई बैठे हुये हैं. वह बता रहे थे कि ट्रांसफार्मर की क्षमता है नहीं और कनेक्शन ज्यादा हैं, उसके ऊपर लोड ज्यादा डाल दिया गया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं कई बार आपके सामने और सदन के सामने यह बात रख चुका हूं कि जो 30.06.2018 को बिजली बिल माफी की घोषणा की गई थी, यह आरसाउण्ड कंपनी चार्टेड अकाउन्टेंट्स ने अपने प्रतिवेदन में लिखा है कि गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे परिवार बीपीएल और पंजीयक श्रमिकों को 30.06.2018 की स्थिति में बकाया राशि माफ करने के लिये मुख्यमंत्री बकाया बिजली बिल माफी योजना के गैर समायोजन वाली घटना, घोषणा नहीं, 'वाली घटना' के कारण लेखा पुस्तिका में उसका प्रभाव नहीं आया है, कंपनी को निरंतर हानि हुई है और कंपनी का कुल नेटवर्थ पूरी तरह खत्म हो गया है.
अध्यक्ष महोदय, आप कह रहे हैं कि बजट कम दिया है. कुल नेटवर्थ तो आपने खत्म कर दिया. बचाकर कुछ छोड़ा नहीं. आप कह रहे हैं कि बजट कम दिया है. कैसे बिजली संकट को हम दूर कर पायेंगे ? दूसरी बात, आपने बिल माफी की. निश्चित तौर पर कहने में संकोच नहीं है कि कुछ गरीबों के बिल माफ इसमें हुये हैं, लेकिन गरीबों की आड़ में कुछ ऐसे लोगों के बिल भी माफ हुये हैं जो माफ होने लायक नहीं थे. मैं एक उदाहरण के तौर पर आपको बताना चाहता हूं. एक बिल मेरे हाथ में है और बिल सिर्फ एक ही नहीं है. यह करंट बिल है मेरे हाथ में. इसके पीछे पूरे 5 साल का 29 अगस्त 2013 से ट्रैक रिकॉर्ड है. एक भी महीना इसमें ऐसा नहीं है कि 11 हजार, 12 हजार, 17 हजार, 18 हजार यह बिल आये हुये हैं और टोटल इसका बिल हुआ है 16 लाख, 73 हजार, 725 रुपये जो कि माफ किया गया है. यह भारतीय जनता पार्टी के आपके मण्डी अध्यक्ष थे, उन्होंने अपने पिता के नाम पर श्रमिक कार्ड बनाकर इस बिल को माफ कराया. (XXX) तब देखिये कि उसके इतने महीने बीत जाने के बाद आपने बिल जमा कितना किया है ? एक बार 406 रुपये, एक बार 810 रुपये, एक बार 740 रुपये और आज भी जो करंट बिल मेरे हाथ में है, वह 100 यूनिट का बिल है. इसमें भी सब्सिडी ले रहे हैं. 100 यूनिट का बिल है. आज आप अभी कमेटी बनाकर उनके घर पर भेजिये, यहीं सदन चल रहा है, सुबह तक रिपोर्ट मंगा लीजिये कि उनके घर में कितने एसी लगे हुये हैं, कितने मंजिल का घर बना हुआ है और कितने करोड़ों की गाडि़यां खड़ी हुई हैं ? जांच की बात करते हैं ? भई, निश्चित तौर पर आपने किये है, गरीबों को लाभ हुआ है, लेकिन लाभ इन लोगों को भी हुआ है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे पास कुछ और भी बिल हैं. ये देखिये, पुलिस लाइन क्वार्टर, सरकारी क्वार्टर में रहने वाले कर्मचारियों के बिल माफ हुये हैं. अमाउण्ट देखिये, 3 लाख 55 हजार, 2 लाख 55 हजार, 1 लाख 6 हजार, 2 लाख 53 हजार, 2 लाख 80 हजार, यह पुलिस लाइन के सरकारी कर्मचारियों के क्वार्टरो के बिल हैं. आप अगर ऐसा करके जायेंगे, तो हम बिजली की व्यवस्था कैसे प्रदेश में सुधार पायेंगे ? आज इनके बिल भी 200-200 रुपये आ रहे हैं. कहां से रेवेन्यू जनरेट होगा ? कहां से हम बिजली की व्यवस्था सही कर पायेंगे ? सवाल उठाते हैं आप कि बिजली की व्यवस्था ठीक नहीं है. बिल्कुल ठीक नहीं है, लेकिन बिगाड़ने का काम तो आपने किया है. इस बात को भी आपको मानना पड़ेगा, जब मैं आपकी यह बात मान रहा हूँ कि आपने जो योजना लागू की उससे गरीबों को लाभ हुआ लेकिन उन गरीबों की आड़ में आपने अपने लोगों के भी लाखों करोड़ों रुपये के बिल माफ करवाए. अध्यक्ष महोदय, आप बात कर रहे हैं सौभाग्य योजना की निश्चित तौर पर ठीक योजना है. लेकिन कितनी गड़बड़ी की गई. जहाँ भी हाथ डाल दो वहाँ पर गड़बड़ी, मैं भिण्ड की बात कर रहा हूँ, पूरे प्रदेश की बात करेंगे तो अरबों-खरबों में चला जाएगा. मैं भिण्ड की बात कर रहा हूँ. सौभाग्य योजना में जो कार्य स्वीकृत किए गए थे, वर्क ऑर्डर भी जारी कर दिए गए, उनको 6 महीने के बाद उनकी योजना ही बदल दी गई. दूसरी योजना में डाल दिया गया. उनको स्वीकृत करने के बाद उनको सामान दे दिया गया, पूरा सामान देने के बाद, योजना ही बदल दी गई. जबकि ऐसा कोई नियम ही नहीं था. माननीय मंत्री जी, मैं आप से निवेदन करुंगा कि इस पूरे मामले की जाँच कराई जाए. इसमें छोटे से लेकर बड़े अधिकारी सभी लिप्त हैं और ठेकेदारों ने इनसे सामान ले लिया और सामान लेने के बाद जो कृषि पंप थे, मुख्यमंत्री योजना में जो कनेक्शन देने थे, किसानों से पैसे लेकर उनके काम कर दिए गए. अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी से निवेदन करना चाहूँगा कुछ बातें हैं, ये तो बातें पुरानी हो गईं, लेकिन जो महत्वपूर्ण विषय हैं, जो कुछ ट्यूबवेल की, पंपों की, लाइनें काफी पुरानी हो गई हैं…
श्री अजय विश्नोई-- अध्यक्ष महोदय, जितनी भी शिकायतें हैं सब ले लीजिए, सबकी जाँच करवा दीजिए, सबको फाँसी चढ़ा दीजिए, हम लोग सहमत हैं. जरा समय की सीमा भी ध्यान रखिए.
अध्यक्ष महोदय-- हो गया संजीव भाई.
श्री संजीव सिंह “संजू”-- नहीं, बहुत वरिष्ठ सदस्य हैं, समय की सीमा का ध्यान आप लोग रखें, हम लोग तो नये नये लोग हैं, यहाँ पर सीखने आए हैं, जो आप सिखाएंगे वह सीखेंगे. हमने पहले सत्र में सुना था एक सदस्य कह रहे थे ग से गधा भी होता है, ग से गमला भी होता है. अब ग से गधा सिखाओगे और हमसे उम्मीद करोगे ग से गमला पढ़ें. ऐसा कैसे संभव होगा? आप वरिष्ठ लोग हैं, इतनी बार चुन कर आए हैं. कम से कम हम लोगों को संरक्षण दीजिए. हम लोगों को सीखने का मौका दीजिए. अगर हम कोई सही बात कह रहे हैं तो आप उसको भी टोक रहे हैं, बात इसकी चल रही है कि बिजली की व्यवस्था खराब हुई कैसे, हुई इसलिए कि आप लोग बहुत गड़बड़ी करके गए हों. अब उसको सुधारने का काम हम लोग करेंगे. (मेजों की थपथपाहट) और माननीय हमारे ऊर्जावान युवा मंत्री जी हैं, निश्चित तौर पर दिन रात काम कर रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, 15-15 साल से ट्रांसफार्मर नहीं रखे गए थे और आज अगर ट्रांसफार्मर रखे जाने की कोई टाइम लिमिट है, वह है तीन दिन. तीन दिन तब होते हैं जब उक्त जगह पर खराब ट्रांसफार्मर बदल दिया जाता है. माननीय मंत्री जी, 1-2 बातें कहना चाहता हूँ, बिल माफी की सरल योजना इन्होंने लागू की थी. उसमें इनके जो बिल माफ हुए उसकी तो आप जाँच कराएंगे ही लेकिन कुछ एक्चुअल जो गरीब हैं, उनके फार्म जमा हो गए थे, उनके बिल जमा हो गए थे और उनको रसीद भी मिल गई थी. उसी समय सरकार वगैरह बन गई, चेंज वगैरह हुआ, तो वह पोर्टल बंद कर दिया गया, तो मेरा आप से निवेदन यह है कि जिनकी वो रसीदें, जिन लोगों के पास हैं, तो पोर्टल खोल कर उनकी एंट्री कर दी जाए, तो उनका भी बिल माफ हो जाए. दूसरी बात, अभी बहुत तेजी के साथ बिल में बढ़ोत्तरी हुई है, मैं आप से कहना चाहता हूँ कि आपकी जो एक्चुअल मीटर रीडिंग आए, आप उसका बिल दीजिए. लेकिन भिण्ड में या अन्य जगह भी हो सकता है. भिण्ड में एक्चुअल रीडिंग कोई लेता ही नहीं है. मीटर लगे ही नहीं हैं. उसके बावजूद भी मंडी अध्यक्ष का बिल आ रहा है दो सौ रुपये और एक गरीब का बिल आ रहा है ढाई हजार रुपये. यह बहुत ही (XXX) की बात है.
अध्यक्ष महोदय-- यह शब्द विलोपित करें.
श्री संजीव सिंह “संजू”-- तो इसमें हम लोगों को बहुत परेशानी है, तो कृपया इन बातों को ध्यान में रखें. मैं इस मांग संख्या 12 का समर्थन करता हूँ. बहुत बहुत धन्यवाद.
(मेजों की थपथपाहट)
श्री संजय शर्मा(तेंदूखेड़ा)-- धन्यवाद, माननीय अध्यक्ष महोदय. मैं मांग संख्या 12 ऊर्जा विभाग के समर्थन में खड़ा हुआ हूँ. ऊर्जा के क्षेत्र में बहुत सी जनकल्याणकारी योजनाएँ वर्तमान सरकार ने और माननीय मंत्री जी ने चलाई हैं सौ रुपये में सौ यूनिट बिजली देकर गरीबों के लिए बहुत बड़ी राहत दी है.
अध्यक्ष महोदय-- कोई बिन्दु हो तो बता दो.
श्री संजय शर्मा-- इसको बढ़ाकर दो सौ यूनिट कर दिया जाए तो बहुत बड़ी कृपा होगी और हमारे क्षेत्र में 20-20 साल पुराने तार खिंचे हैं जो टूट टूट कर गिर रहे हैं, दुर्घटनाएँ हो रही हैं. उन फीडरों में नये तार लगाए जाएँ जिससे क्षेत्र में बिजली की सप्लाई अच्छी हो सके, किसानों के ट्रांसफार्मर, स्वयं के ट्रांसफार्मर, मुख्यमंत्री कृषि स्थायी योजना में लगाने की व्यवस्था पहले थी, योजना अभी वर्तमान में बंद कर दी गई है. जिससे किसानों को स्वयं के ट्रांसफार्मर लगवाने में परेशानी हो रही है. इस योजना को पुन: प्रारंभ किया जाए जिससे किसान भी स्वयं का ट्रांसफार्मर लगवा सकें. मेरे क्षेत्र में सिल्हेटी एवं आसपास के 15-20 आदिवासी ग्रामों में बिजली की आपूर्ति यहां से लगभग 30 किलोमीटर दूर सेसाडावर सब स्टेशन से होती है. काचरकोरा और इमझरा में नये सब स्टेशन बनवाए जाएं. सौर ऊर्जा के क्षेत्र में आपने बहुत अच्छा अभिनव काम किया है इससे किसानों को राहत मिल रही है लेकिन किसानों को फिर भी उतनी राहत नहीं मिल पाती है. एक लक्ष्य बनाया जाय कि हर ग्राम पंचायत में छोटे किसानों को कम से कम 10 कनेक्शन सोलर
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XXX : आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
पॉवर के दिए जाएं जिससे वे अपनी छोटी खेती अच्छे से कर सकें. जैसा कि एक ओजीपीएल का 10 मेगावॉट का ग्राम सूकरी में प्लान्ट 10 वर्षों से बंद है. पिछली सरकार ने एग्रीमेंट किया था लेकिन जानबूझकर उस छोटे प्लान्ट को बंद किया गया जिससे मध्यप्रदेश में बाहर के उद्योगपति न आएं, न
यहां पर प्लान्ट लगाएं. इस प्लांट को चालू किया जाए उसमें किसानों के गन्ने की पत्ती, धान का कचरा, तुअर की लकड़ी खरीदकर प्लांट चलता था. रीवा में जो प्लांट लगा था उसकी जमीन देकर इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाकर सवा दो रुपए में बिजली देने का आंकड़ा दिया था लेकिन पूरा बनवाया इन्होंने जगह इन्होंने दी बताया सवा दो रुपए यूनिट था. ऐसे छोटे उद्योग लगाने वालों को संरक्षण दिया जाए यह प्लांट चालू कराया जाए. माननीय अध्यक्ष महोदय और भी बातें हैं मैं लिखकर दे दूंगा. आपने बोलने का समय दिया बहुत-बहुत धन्यवाद.
ऊर्जा मंत्री (श्री प्रियव्रत सिंह)--माननीय अध्यक्ष महोदय, 10 बजकर 11 मिनट ऊर्जा विभाग पर चर्चा करने का इससे बेहतर समय और कोई नहीं हो सकता है और लाइट भी चालू है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आदरणीय राजेन्द्र शुक्ल जी, आदरणीय पारस जैन जी, आदरणीय अजय विश्नोई जी, आदरणीय प्रवीण पाठक जी, आदरणीय कुणाल चौधरी जी, आदरणीय सुनील सराफ जी, आदरणीय संजीव सिंह जी, आदरणीय संजय शर्मा जी का मार्गदर्शन इसमें हमें प्राप्त हुआ है.
अध्यक्ष महोदय, बड़ा अच्छा एक मौका है प्रदेश के दो पूर्व बिजली मंत्री, एक पूर्व मंत्री दो हमारे छोटे भाई और दो हमारे साथी. सभी का मार्गदर्शन मिल गया. कुछ ज्ञानवर्धक बातें भी आईं. एक और संजोग है एक धनवान हैं, एक बुद्धिमान हैं और तीसरा पहलवान है. तीनों को मैं प्रणाम करता हूँ. किसी की छप्पन इंच की छाती हो न हो परन्तु मध्यप्रदेश के सदन में पारस जैन साहब की 56 इंच की छाती जरुर है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, बिजली की स्थिति पर एक आम चर्चा हमेशा होती है. रोज अगर समाचार-पत्र भी खुलें या टीवी का चैनल खुले तो बिजली पर चर्चा अवश्य रहती है. बिजली की सप्लाई हमारे प्रदेश में सरप्लस है इसको और बढ़ाने का काम हम इस बजट में करने जा रहे हैं. यह कहना यहां आवश्यक है अभी 15 वें वित्त आयोग की टीम आई थी और पूरे प्रदेश में यह मैसेज गया है कि जो एटी एण्ड सी लॉसेस हैं वह 32 प्रतिशत हैं. यह हमारे लिए चुनौती है कि हम इनको सकारात्मक रुप से सही करें पर यह चुनौती हमारे लिए बनी कैसे ? माननीय अध्यक्ष महोदय, पिछली सरकार ने हमें जो खाली खजाना सौंपा है. आज तक इतनी सारी बातें हुईं पर यह बात नहीं कर पाए कि 44 हजार करोड़ रुपए के घाटे में आज बिजली विभाग है. हमें तो आए 8 महीने हुए हैं पिछले 15 साल का भी कोई न कोई यह कहता कि वोट बटोरने की राजनीति इस प्रदेश में हुई और बिजली विभाग वोट बटोरने की राजनीति की बलि चढ़ गया. पिछले पांच साल में यह पिछले पांच साल में यह नुकसान बीस हजार करोड़ से बढ़कर चौबीस हजार करोड़ का पिछले पांच साल में हुआ है और आज हम इन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं और मैं मानता हूं कि जैसे मेरे विपक्ष के साथियों ने सुझाव दिया है कि हमारे लिए चुनौती है और एक ही बात में मैं विश्वास रखता हूं कि
''पथ की अपथिक परीक्षा क्या जब पथ पर बिखरे शूल न हों.
नाविक की धर्मपरीक्षा क्या जब धाराएं प्रतिकूल न हों''
अध्यक्ष महोदय, इस चुनौती से लड़ेंगे और इस बजट में मेरे बड़े भाई साहब शायद देखने में भूल कर गए आदरणीय शुक्ला जी वर्ष 2018-2019 में जो किसानों को सब्सिडी दी जाना थी वह नौ हजार चार सौ इक्कतीस करोड़ थी और इस वर्ष 2019-2020 में 14 हजार करोड़ का प्रावधान इसके लिए किया गया है. विश्नोई जी ने ध्यान से देख लिया. यह जो उदय योजना की बात की गई उदय योजना एक प्रोसेस है, एक व्यवस्था है इसमें फायनेन्शियल गेन या केश ट्रांजेक्शन कुछ नहीं होता और हमने इस प्रदेश के किसानों के लिए जो मदद थी इंदिरा किसान ज्योति योजना के माध्यम से वह लागू की और मध्यप्रदेश के 19 लाख किसानों का बिल आधा किया. 1400 रुपए प्रति हॉर्सपॉवर से लाकर उसको सात सौ रुपए हॉर्सपॉवर किया. आज पूरे प्रदेश के किसानों को इसका लाभ मिल रहा है. यहां पर इंदिरा गृह ज्योति योजना की भी विस्तार से बात हुई. मेरे सभी साथियों ने बात रखी हम इसमें भी विचार कर रहे हैं कहीं न कहीं संबल योजनाओं की त्रुटियां हमारी इस गृह ज्योति योजना को प्रभावित कर रही है और इसके लिए हम जल्द ही निर्णय लेंगे. इसको संबल से बाहर निकालेंगे.
श्री राजेन्द्र शुक्ल-- अध्यक्ष महोदय, टोटल बजट अनुमान नौ हजार आठ सौ अठ्ठासी करोड़ रुपए है सब्सिडी चौदह हजार करोड़ कहां से हो गई. गलत आंकडे़ प्रस्तुत किए जा रहे हैं.
श्री प्रियव्रत सिंह--अध्यक्ष महोदय ,मैं मेरे बड़े भाई का ध्यान फिर से आकर्षित करना चाहूंगा कि जो किसानों को सब्सिडी मिलनी है वह एग्रीकल्चर के थ्रू रुट हो रही है. आप कृषि का बजट भी ध्यान से देख लें. क्योंकि किसानों को उन योजना का लाभ मिल रहा है. मेरा अनुरोध है यह जो बजट है यह मध्यप्रदेश का बजट है. यह आपका या किसी एक विभाग का नहीं है.
श्री राजेन्द्र शुक्ल-- यह शायद पहली बार हो रहा है कि टैरिफ अनुदान और पांच एच.पी. के नि:शुल्क बिजली प्रदान की सब्सिडी का प्रावधान है वह पहले ऊर्जा विभाग के अनुदान के मार्ग में होता था वह शायद पहली बार ऐसा हो रहा होगा कि बिजली कंपनी को कृषि विभाग के माध्यम से 10 हजार करोड़ रुपया मिलेगा.
श्री प्रियव्रत सिंह-- अध्यक्ष महोदय, सबको बोलने का मौका मिल गया है.
श्री अजय विश्नोई-- आंकडों की बात आपने की है और गलत की है इसलिए आपको ध्यान दिलाना चाह रहा हूं पिछले साल का आप देखेंगे तो बजट का जो अनुमान था वह सत्रह हजार सात सौ संतानवे करोड़ आपने अभी आज की तारीख में नौ हजार आठ सौ और वह आठ हजार और मिला लीजिए तो सत्रह हजार आठ सौ ही है. आपने उसमें कुछ बढ़ाया नहीं है. जो प्रावधान पिछले वर्ष 2018-2019 का था वही वर्ष 2019-2020 का है. आंकडों की बात है आपकी छपी हुई किताब की बात है.
श्री प्रियव्रत सिंह-- मैं एक बात और आपके बीच में रखना चाहूंगा कि इंदिरा गृह ज्योति योजना के माध्यम से हम उन सारे 100 यूनिट तक के उपभोक्ता जो बिजली का उपयोग करते हैं.
श्री ओमप्रकाश सकलेचा--जानकारी सही है या गलत है सदन में यदि गलत जानकारी आ रही है तो अध्यक्ष महोदय आपके डायरेक्शन तो जाने चाहिए. जो भी बात आई उसका स्पष्टीकरण तो होना चाहिए. या कुछ भी बोल देंगे रात के सवा दस बज रहे हैं लेकिन सब सोए हुए नहीं हैं सब जागे हुए हैं.
श्री प्रियव्रत सिंह-- अध्यक्ष महोदय, हमने इंदिरा गृह ज्योति योजना के माध्यम से 100 यूनिट तक और 100 किलोवॉट से कम जो उपभोक्ता इस्तेमाल करते हैं. 100 रुपये का बिल देने का वादा हमने वचन-पत्र में किया था, वह हम पूरा कर रहे है. आपकी संबल योजना में आपने असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों का पंजीयन करवाया था. आपने उसमें ऐसे-ऐसे लोगों का पंजीयन करवाया और यह बात सदन में खुलकर आयी कि जिनके पक्के मकान थे, जिनके पास करोड़ों की गाड़ी थी, जिनके घर में ए.सी. लगे थे, उनसे 200 रुपये का बिल वसूलकर, वोट की राजनीति करने के लिए, तालियां बजवाने के लिए, आपने मध्यप्रदेश को इतने बड़े घाटे में डाला.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आज हम इस बात पर विचार कर रहे हैं कि उन सभी अपात्र हितग्राहियों को, जो संबल योजना के माध्यम से 200 रुपये का लाभ ले रहे थे, हमने निर्णय किया है कि हमारा जो संकल्प है, सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों की मदद करने का, उस पर हम काम करें और मध्यप्रदेश का खजाना इस तरह से उन लोगों पर न लुटायें, जिन्हें इस योजना की आवश्यकता नहीं है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा अनुरोध है कि यहां मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी की बात आयी कि नये कारखाने लगाने की क्या जरूरत है. हम बिजली में सरप्लस हैं. मैं बताना चाहूंगा कि हम कब तक सरप्लस रहेंगे, हमें आज के प्रोडक्शन को नहीं देखना है, हमें आने वाले वर्षों की भी व्यवस्था करनी है. हम 2024-25 तक सरप्लस बनें रहें इसलिए आज से ही निर्णय लेने होंगे क्योंकि किसी भी ताप विद्युत गृह को लगाने में समय लगता है और करीब 5 साल में कोई विद्युत गृह कार्य करने में सक्षम हो पाता है और इसके कमर्शियल ऑपरेशन चालू हो पाते हैं इसलिए हमें आज से ही योजना बनाने की आवश्यकता है और वह योजना हमने इस बजट के माध्यम से की है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यहां श्री अजय विश्नोई एवं श्री पारस चंद्र जैन जी ने अपनी बात रखी कि ''मुख्यमंत्री स्थाई पंप योजना'' को पुन: चालू किया जाना चाहिए. मैं आपको यह बताना चाहूंगा कि हम जल्द ही ''मुख्यमंत्री सोलर स्थाई पंप योजना'' लेकर आ रहे हैं जो हमारे नवकरणीय ऊर्जा विभाग की ओर से रहेगी और उसमें जो भी लक्ष्य हैं, वह मैं माननीय मंत्री जी पर छोड़ूगा, वे अपने बजट भाषण में जरूर इसकी बात रखेंगे क्योंकि बजट में इसका प्रावधान किया गया है.
श्री अजय विश्नोई- मंत्री जी, क्षमा चाहते हुए मैं बोल रहा हूं कि सोलर पंप की बात अलग है. बिजली से जो पंप के कनेक्शन देने हैं जो किसानों के खम्बे, मीटर या ट्रांसफार्मर से 45 मीटर से ज्यादा दूरी पर हैं, उनकी बात है, उसके कारण आज आम किसान परेशान है. कृपया इस पर ध्यान दें.
श्री प्रियव्रत सिंह- मैं श्री अजय विश्नोई जी से कहना चाहूंगा कि भारत शासन की भी यह योजना है कि नवकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा दिया जाये. आप पहले यह तय कर लें क्योंकि भारत शासन आपका है. वह किस दिशा में जा रहा है और आप किस दिशा में जाना चाह रहे हैं.
श्री अजय विश्नोई- मंत्री जी, मुझे लगता है कि टोकने की आवश्यकता है. आज दोनों चीजों में संदेह की स्थिति उत्पन्न कर रहे हैं. आप सोलर को बढ़ावा जरूर दें पर जिनके पास वर्तमान में अस्थाई कनेक्शन है, उसे स्थाई करने के लिए कनेक्शन देने की जरूरत है. अभी उसके बारे में बात हो रही है.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा- माननीय अध्यक्ष महोदय, सोलर पंप के संबंध में भारत सरकार की गाईड लाईन बहुत स्पष्ट है. यह मंत्री जी के ध्यान में रहना चाहिए कि जहां रूटिन बिजली न जा रही हो वहां सोलर पंप की व्यवस्था की जाये. यह बहुत ही स्पष्ट गाईड लाईन है लेकिन इसकी आड़ में प्रोजेक्ट डिले करके, ये किसानों को कष्ट दे रहे हैं, यह उचित नहीं है.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. गोविन्द सिंह)- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह समस्या इनके समय से है. आप किसान को एक सीमा तक रियायती दर पर बिजली देते थे और उसके बाद किसान से पैसा वसूलते थे, कितने किसान पैसा नहीं दे पाये. कहीं खम्बे नहीं है, कहीं ट्रांसफार्मर नहीं है.
श्री प्रियव्रत सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं बात को समझ रहा हूं. अभी जब श्री अजय विश्नोई जी भाषण दे रहे थे तो एक बात मेरे ज़हन में आ रही थी कि दो पूर्व ऊर्जा मंत्री बोले और एक पूर्व मंत्री बोले, जो कभी ऊर्जा मंत्री न बन पाये इसलिए ज्ञान ज्यादा है, मैं यह जानता हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने जिस पावर ट्रांसमिशन कंपनी की बात की है हमने वादा किया है कि 3 हजार 789 सर्किट किलोमीटर ट्रांसमिशन लाईनों की व्यवस्था मध्यप्रदेश में की जायेगी. मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि हम इस ओर काम करेंगे और पूरी ताकत के साथ काम करेंगे. आपके सामने आने वाले समय में परिणाम अवश्य आयेगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, पूर्व में बिजली के बिलों में विसंगति रहती थी. हमने अपने वचन-पत्र में प्रदेश की जनता को यह वचन दिया था कि बिलों में जो विसंगतियां हैं, इनके निराकरण के लिए हम डिस्ट्रीब्यूशन सेंटर अर्थात् DC स्तर पर समितियों का निर्माण करेंगे. आज हमने 47 जिलों में DC स्तर पर समितियों का निर्माण किया है. जिसकी मीटिंग हर दूसरे मंगलवार के दिन आज पूरे प्रदेश में हो रही है. जुलाई और अगस्त क महीने में हर मंगलवार के दिन होगी, ताकि विद्युत देयकों में जो विसंगति है, उसको ठीक किया जा सके. पूर्व में यह व्यवस्था नहीं थी, यदि किसी के बिजली के बिल में विसंगति होती थी तो वह डीई, एसई और एई के ऑफिस के चक्कर लगाता था, परन्तु उसके बिल नहीं सुधारे जाते थे. यह व्यवस्था हम लोगों ने मध्यप्रदेश में आदरणीय कमलनाथ जी के नेतृत्व की सरकार ने यह व्यवस्था की है. अध्यक्ष महोदय, 1912 का जो कॉल सेंटर था वह किताबों में चल रहा था उसको हमने कॉगजों से बाहर निकाला और आज हमारे पास भोपाल, इंदौर में 100 सीटर और जबलपुर में 200 सीटर कॉल सेंटर जबलपुर में काम कर रहा है. आगे हम यह काम कर रहे हैं कि इन तीनों डिस्ट्रीब्यूशन कम्पनी के कॉल सेंटर्स को एक साथ जोड़कर और बेहतर व्यवस्था दी जाये. ताकि उपभोक्ताओं की शिकायतों का निराकरण करने में और ज्यादा आसानी हो. वितरण ट्रांसफार्मर पर मीटर लगे हुए हैं, पर मीटर रीडिंग की बात कभी नहीं हुई. हम वितरण ट्रांसफार्मर पर लगे हुए मीटरों की भी रीडिंग करवा रहे हैं. जहां पर वितरण ट्रांसफार्मर में मीटर नहीं लगे हुए हैं वहां पर मीटर लगाने का काम आने वाले समय में करेंगे, ताकि हमारे पास फीडरवार हमारा जो लॉस है, वह हमारे पास निकलकर आ सके.
अध्यक्ष महोदय, वितरण केन्द्र स्तर पर हमने व्हाट्स ऐप ग्रुप भी बनाये हैं, ताकि बिजली संबंधी शिकायतों की सभी जानकारी हमारे उपभोक्ताओं को विधिवत रूप से मिल सके. ट्रांसफार्मर केबल, कंडक्टर की क्वालिटी की भी बात अभी इस सदन में उठी कि किस प्रकार से क्वॉलिटी की कमी आ रही है. इसकी जांच हेतु हमने कम्पनी मुख्यालय जबलपुर, भोपाल और इंदौर में परीक्षण प्रयोगशाला बनायी रही है और मुख्य सामग्री की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिये हम लोग आने वाले समय में काम कर रहे हैं, ताकि खराब सामग्री कहीं पर भी न लग सके, जिससे उपभोक्ताओं को नुकसान हो सके. अच्छे कार्य करने वाले अधिकारियों की भी बात आयी की अधिकारियों के ऊपर बिजली विभाग कुठाराघात कर रहा है.
अध्यक्ष महोदय, हम जल्द से जल्द एक योजना तैयार कर के लेकर आयेंगे, जिसमें अच्छे कार्य करने वाले अधिकारियों/कर्मचारियों को पुरस्कृत किया जायेगा, उनकी पीठ थपथपायी जायेगी, उनको शाबाशी दी जायेगी. सामग्री की गुणवत्ता बढ़ाने के लिये स्पेसीफिकेशन्स में परिवर्तन करने हेतु एक समिति बनायी गयी है. उसके आवश्यक सुझाव आने के बाद उस समिति के सुझाव भी लागू करेंगे ताकि गुणवत्तापूर्ण सामग्री यहां पर लगे. ऐसा न हो कि मेरे भाई यहां पर कह रहे थे 25 का ट्रांसफार्मर और 63 की सील, यह अब मध्यप्रदेश में नहीं होगा. यह अब हम मध्यप्रदेश में सनिश्चित करेंगे....
बहिर्गमन
श्री गोपाल भार्गव , नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी के सदस्यों द्वारा सदन से बहिर्गमन किया जाना
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव):- माननीय अध्यक्ष जी, आपके पक्ष की तरफ से और सहयोगी लोगों की तरफ से आलोचना हुई, कभी एक भी वक्ता ने यह कहा कि हमने 3000 मेगावाट से बढ़ाकर 18000 मेगावाट बिजली का उत्पादन कर दिया, किसी एक ने भी धन्यवाद दिया. आप जो यह थोथली बातें कर रहे हैं, न तो आपने बिजली के बिल कम किये, आपके फर्जी बिल आ रहे हैं. किसान हा-हाकार कर कर रहा है. संबल का आप एडजेस्टमेंट नहीं कर रहे हैं, उसके लिये आप बहाने-बाजी कर रहे हैं. हमने आपको तमाम प्रकार की बिजली का जनरेशन करके दिया और उसके बाद में आपने प्रदेश की यह हालत बना दी है. यह आपका पूरा बजट खोखला है. आपका बजट कागजी है, आपकी प्रोग्रेस के लिये, आपकी नये जनरेशन के लिये इसमें कोई दृष्टि नहीं है. इस कारण मैं आपके इस भाषण का बहिष्कार करता हूं. (व्यवधान)
(श्री गोपाल भार्गव, नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी के सदस्यगण द्वारा मंत्री जी के उत्तर से असंतुष्ट होकर सदन से बहिगर्मन किया गया.)
श्री जितु पटवारी:-माननीय अध्यक्ष जी, यह रणछोड़ जी कहां गये, कहां जा रहे हो रणछोड़ जी. इनकी सुनने की हिम्मत नहीं है.
वर्ष 2019-2020 की अनुदान की मांगों पर मतदान (क्रमश:)
श्री राजवर्धन सिंह प्रेम सिंह दत्तीगांव:- अध्यक्ष जी, मैं एक बात कहना चाहूंगा कि इन्होंने एक बात कही कि हमने 3000 मेगावाट से 18000 मेगावाट किया. शायद यह ये बोलना भूल गये कि उसमें इंदिरा सागर परियोजना का कितना बड़ा योगदान था, जिसकी आधारशिला दिग्विजय सिंह जी रखकर चले गये थे.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ.गोविन्द सिंह)--आज की कार्य सूची में अंकित सभी विषयों को लिया जाये. मंत्री जी प्रस्तुत करेंगे हम सब समर्थन करेंगे.
श्री प्रियव्रत सिंह--अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद तो नेता प्रतिपक्ष जी को जरूर देता. गोपाल जी तथा उनके सहयोगियों ने कभी यूपीए की उस 10 साल की सरकार को कभी धन्यवाद नहीं दिया जिन्होंने तमाम विद्युत ताप गृह थे उसके लिये कोयला उपलब्ध करवाया. अगर यूपीए की सरकार के द्वारा कोयला उपलब्ध नहीं कराती तो एक भी ताप कारखाना यहां पर नहीं लग पाता, यह भी रिकार्ड में रखा जाये. इंदिरा सागर कैसे बना, बाणसागर कैसे बना ? यह सारी योजनाएं कैसे लागू हुईं एनटीपीसी के प्लांट गाडरवारा में तथा खरगौन में कैसे आये ? इसके लिये भी यूपीए की सरकार को धन्यवाद देने की बात कही जानी चाहिये. वह धन्यवाद किसी विपक्ष के मेरे साथी ने नहीं दिया. मैं निवेदन करना चाहता हूं कि उच्च दाब उपभोक्ताओं की सुविधा हेतु प्रत्येक कम्पनी मुख्यालय में नोडल अधिकारियों को हमने नामांकित किया है. उच्च दाब उपभोक्ता हमारे 25 प्रतिशत राजस्व का हिस्सा हैं उनको सुविधाएं मिलें इसके लिये हमने नोडल अधिकारी नियुक्त किये हैं. वितरण ट्रांसफार्मर एल.टी. लाईनों के रख-रखाव पर ध्यान नहीं दिया. यह आज जो ट्रिपिंग हो रही है, यह जो बिजली जाती है जिस पर यह लालटेन लेकर के निकलते हैं. अघोषित बिजली की कटौती मध्यप्रदेश में नहीं हो रही है पर जितनी ट्रिपिंग हो रही है उसके लिये भी यह 15 साल की पुरानी सरकार जवाबदार है. इन्होंने कभी डी.डी.आर का कभी रख-रखाव नहीं किया, एल.टी.लाईनों का कभी रख-रखाव नहीं किया. जिला स्तरीय अस्पतालों को अभी हमने स्वास्थ्य मंत्री जी के कहने पर डबल फीडर से जोड़ने का हमने निर्णय लिया है उसको भी तीव्रता से हम लागू करवा रहे हैं ताकि अस्पतालों में मरीजों को कोई दिक्कत न आये और वहां पर हमेशा विद्युत सुविधा बनी रहे. विद्युत वितरण केन्द्रों पर सेवा केन्द्र हमने स्थापित कर दिये हैं.
श्री संजीव सिंह संजू--अध्यक्ष महोदय, मैंने कुछ अनियमितताओं के बारे में बात की थी मैं आपसे संरक्षण चाहता हूं तथा माननीय मंत्री जी से मांग करता हूं कि इसमें एक कमेटी बना दें. कमेटी बनाकर के इसमें जांच कर लें बहुत करोड़ो का घोटाला निकलेगा.
अध्यक्ष महोदय--संजू जी जो बोल रहे हैं कर दीजिये.
एक माननीय सदस्य--कमेटी जरूर बनवा दें.
श्री प्रियव्रत सिंह--अध्यक्ष महोदय, एक एक करके सब पर आ रहा हूं. अब तो स्टेडियम भी अपना है, पिच भी अपनी है और ग्राऊंड भी अपना है. सिंगापुर ताप विद्युत गृह की परियोजना में 607 मेगावाट की दो नयी इकाइयों की माननीय कमलनाथ जी ने शुरूआत की है वह निश्चित रूप से हमारी क्षमता को बढ़ाकर 20 हजार 342 मेगावाट तक पहुंचाएंगी. सतपुड़ा ताप विद्युत गृह सारणी बैतूल में, अमरकंटक विद्युत गृह चचई में 660 मेगावाट की एक एक इकाई नयी लगाई जायेगी, यह भी बजट में प्रावधान किया गया है. विद्युत कंपनियों में अभी आऊट सोर्स कर्मचारियों की बात हुई है, बड़ी जोरदार बात है कि उल्टा चोर कोतवाल को डांटे. बात हो रही थी कि विद्युत विभाग को आऊट सोर्स कर्मचारियों के हाथों में कर दिया गया है. 15 साल से आपने इन आऊट सोर्स कर्मचारियों के हवाले किया. आऊट सोर्स कर्मचारी हमारे ही विभाग का हिस्सा हैं उनसे चर्चा करने के लिये तथा उनकी समस्याओं को निपटाने के लिये हमने एक कमेटी का गठन किया है. साथ-साथ अध्यक्ष महोदय.
अध्यक्ष महोदय--मंत्री जी एक मिनट विराजिये. आऊट सोर्स जितनी भी आपकी 33/11 132/11 सब स्टेशन हैं उनमें सब आऊट सोर्स के लोग लगे हुए हैं. आपकी बिजली जा क्यों रही है. क्योंकि वह अनट्रेंड हैं, कोई एकाउंटेबिलिटी नहीं है, जो उसका मालिक है वह क्या कर रहा है और यही कारण आप कृपया. आपके वरिष्ठ अधिकारीगण जो यहां बैठे हैं उनसे कहूंगा कि इसकी जरा मॉनीटिरिंग तो करें जब आपके यहा 132, 33x11 में मीटर लगे हुए हैं कभी भी बिजली क्यों बंद करते हैं. कोई एक्सप्लेशन लेते हैं, पानी की बूंद गिरी नहीं बोले साहब बिजली बंद. क्यों चार इमली में तक मेरा कहने का मतलब यह या तो धीरे धीरे आप नई भर्तियां अकाउंटेबिलिटी के तहत शुरू कीजिए ताकि जो आउटसोर्सेस वाले है, दूसरा हमारे जमाने में एक चलता था आडिटिंग चलती थी उस पर भी जरा ध्यान रख लेना.
श्री प्रियव्रत सिंह - अध्यक्ष जी, आपकी भावनाओं के अुनरूप हमने पिछले 15 साल में.
श्री संजीव सिंह ''संजू'' - माननीय अध्यक्ष महोदय.
अध्यक्ष महोदय - संजीव को बात कर लेने दो.(...मेजों की थपथपाहट)
डॉ. गोविन्द सिंह - आपसे अनुरोध कर रहे हैं, नेता प्रतिपक्ष जी ने कहा मंत्री जी के भाषण का बहिष्कार कर रहे हैं, अभी भाषण खत्म कहां हुआ जो आप लौट आए(...हंसी)
श्री गोपाल भार्गव - यह हम लोगों का राजधर्म है और कर्तव्य है. राज्य के हितों की रक्षा करना और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना.
श्री ओमप्रकाश सकलेचा - अध्यक्ष जी के समय का कंट्रोल केवल विपक्ष पर चल रहा है. यह ठीक नहीं है.
डॉ. गोविन्द सिंह - आपने यह कहा था कि मंत्री जी भाषण का बहिष्कार कर रहे हैं. (...व्यवधान)
श्री ओमप्रकाश सकलेचा - आपका सत्ता पक्ष पर कोई कंट्रोल नहीं है, यह सत्ता पक्ष की समय सीमा पर कोई कंट्रोल नहीं है(...व्यवधान)
श्री विश्वास सारंग - आप यहां हंस रहे हो, आपको इसलिए जनता ने बैठाया है, प्रदेश की जनता दुखी है, पूरे प्रदेश में हाहाकार मचा है, बिजली को लेकर. (...व्यवधान)
श्री ओमप्रकाश सकलेचा - सत्ता पक्ष समय सीमा से ज्यादा बोल रहा है और विपक्ष को दबाया जा रहा है(...व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - मैं पहले कटौती प्रस्ताव पर मत लूंगा. (...व्यवधान)
प्रश्न यह है कि मांग संख्या-12
पर प्रस्तुत कटौती प्रस्ताव स्वीकृत किए जाए.
कटौती प्रस्ताव अस्वीकृत हुए
(...व्यवधान)
भाई देखिए, सब जरा भाषा पर कंटोल रखे. (...व्यवधान)
अब मैं, मांगो पर मत लूंगा
(...व्यवधान)
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, देना हो दे दो अध्यक्ष महोदय, सरकारी प्रवचन है कुछ नहीं रखा इसमें, शून्य है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे बड़ी पीड़ा है माननीय ऊर्जा मंत्री जी के भाषण में उन बेकसूर लाखों किसानों का जिक्र नहीं आया है, जिन्हें जेल में डाल दिया गया इन 15 सालों के अंदर उसका जिक्र जरूर आना चाहिए.(...मेजों की थपथपाहट)
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष जी, थोड़ा सा प्रश्न उठा है तो मैं उसका उत्तर दूंगा. मुझे आपत्ति है, यह आप लोगों के वक्त में हुआ हम लोगों ने प्रकरण खत्म किया है. हम लोगों ने स्थायी आदेश जारी किए थे ये आपके वक्त में हुआ है रिकार्ड उठाकर देख लें(...व्यवधान)
श्री सज्जन सिंह वर्मा - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह असत्य है. (...व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय-- विधानसभा की कार्यवाही रविवार दिनांक 21 जुलाई, 2019 को प्रात: 11.00 बजे तक के लिये स्थगित.
अपराह्न 10.40 बजे विधानसभा की कार्यवाही रविवार दिनांक 21 जुलाई, 2019 ( आषाढ़ 30, शक संवत् 1941 ) के पूर्वाह्न 11.00 बजे तक के लिये स्थगित की गई.
भोपाल : अवधेश प्रताप सिंह
दिनांक- 20 जुलाई, 2019 प्रमुख सचिव
मध्यप्रदेश विधान सभा