मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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चतुर्दश विधान सभा एकादश सत्र
जुलाई, 2016 सत्र
बुधवार, दिनांक 20 जुलाई, 2016
(29 आषाढ़, शक संवत् 1938)
[खण्ड- 11 ] [अंक- 2 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
बुधवार, दिनांक 20 जुलाई, 2016
(29 आषाढ़, शक संवत् 1938)
विधान सभा पूर्वाह्न 11.05 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
पाटन विधानसभा क्षेत्रांतर्गत संचालित नल-जल योजनाएं
1. ( *क्र. 827 ) श्री नीलेश अवस्थी : क्या लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) पाटन विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत कहाँ-कहाँ पर नल-जल योजनाएं शासन द्वारा स्वीकृत कर कितनी लागत से कब निर्मित की गईं? (ख) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित नल-जल योजनाओं में से कौन-कौन सी प्रश्न दिनांक तक संचालित हैं एवं कौन-कौन सी नल-जल योजनाएं किन कारणों से बंद हैं, इन बंद पड़ी नल-जल योजनाओं को कब तक किस प्रकार से प्रारंभ किया जावेगा? (ग) पाटन विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत किस-किस ग्राम में कितने हैण्डपंप निर्मित थे? ग्रामवार सूची देवें। इन हैण्डपंपों में से प्रश्न दिनांक तक कितने चालू थे एवं कितने किन कारणों से बंद पड़े थे? ग्रामवार सूची देवें एवं इन बंद पड़े हैण्डपंपों को कब तक प्रारंभ कर दिया जावेगा? वित्त वर्ष 2016-17 में विभाग द्वारा पाटन विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत कहाँ-कहाँ पर किसकी अनुशंसा से कितने नलकूप खनित किये गये? सूची देवें। (घ) क्या ग्राम उड़ना (सड़क) विकासखण्ड पाटन की संचालित नल-जल योजना हेतु पेयजल टंकी निर्माण एवं नवीन जल स्त्रोत खनन हेतु पूर्व में राशि स्वीकृत कर निविदाएं आमंत्रित की गईं थीं तथा उक्त कार्य का भूमि पूजन तत्कालीन मंत्री श्री अजय विश्नोई जी द्वारा किया गया था, परन्तु आज दिनांक तक टंकी निर्माण न होने का क्या कारण है? ग्राम उड़ना (सड़क) की नल-जल योजना के सुचारू रूप से संचालन हेतु यहां पर पेयजल संग्रहण टंकी का निर्माण कब तक कर दिया जावेगा?
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री ( सुश्री कुसुम सिंह महदेले ) : (क) एवं (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-2 अनुसार है। साधारण सुधार योग्य हैण्डपंपों का सुधार सतत् सुधार प्रक्रिया के तहत् किया जाता है। वर्ष 2016-17 में खनित किये गये हैण्डपंपों का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-3 के अनुसार है। (घ) जी हाँ, जी हाँ। टंकी निर्माण हेतु निविदाएं 5 बार आमंत्रित करने के बाद भी उपयुक्त दरें प्राप्त न होने के कारण टंकी निर्माण नहीं किया जा सका। वर्तमान में सीधे पंपिंग के माध्यम से जलप्रदाय किया जा रहा है। निश्चित समयावधि नहीं बताई जा सकती।
श्री नीलेश अवस्थी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी का जो जवाब मुझे मिला है कि ग्राम पंचायत का कार्य, नल जल योजना का संचालन ग्राम पंचायत ही करती है और उत्तर में आया है कि 19 नल जल योजनाएं बंद पड़ी हुई हैं, 17 पाइप लाइन क्षतिग्रस्त हैं और 2 की मोटर बंद है. हमारे यहां उड़ना ग्राम पंचायत में लगातार 6 बार निविदा बुलाई गई है और 90 प्रतिशत की जो आबादी है वह ऊंचाई में रहती है, मात्र 10 प्रतिशत लोगों को पेयजल पम्प के माध्यम से मिल रहा है, तो मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि जितनी भी हमारी बंद पड़ी नल जल योजनायें हैं वह कब तक प्रारंभ हो जायेंगी और जो उड़ना ग्राम पंचायत में अभी तक 3 बार निविदायें बुलाई गई हैं उसको रिवाइंड करके, क्योंकि पुरानी जिस निविदा के तहत आमंत्रण किया जा रहा है उसमें कार्य होना असंभव है, इसलिये माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि हमारी योजना नये कार्य के हिसाब से बनाई जाये जिसमें हमारी टंकी बन सके.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसे ही हमें पंचायत विभाग से पैसा मिलता है तत्काल नल जल योजना हम सुधार देंगे और हमने टंकी के 5 बार टेंडर किये हैं लेकिन सही रेट न आने की वजह से किसी कारण से वह नहीं बन पाई है, लेकिन हम सीधे मोटर पम्प के द्वारा पानी की सप्लाई कर रहे हैं और इसके जरिये कोई भी व्यवधान नहीं आ रहा है और हमने फिर से टेंडर बुलाये हैं और तत्काल हम टंकी भी बनवा देंगे.
श्री नीलेश अवस्थी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, दूसरा प्रश्न है कि हमारे यहां भीषण सूखा होने के कारण मैंने माननीय मंत्री जी से अनुमोदन कराके 25-30 नल जो बहुत ही आवश्यक थे, अपने जिले कार्यालय में और भोपाल में उनको दिये हैं, लेकिन एक भी हैण्डपम्प खनन ऐसा सूखा होने पर भी आपके विभाग द्वारा नहीं कराये गये तो उन पर कब तक कार्यवाही की जायेगी और उन अधिकारियों जिन्होंने कार्य नहीं किया जिन पर आपने अनुमोदन करके भेजा था उन पर क्या कार्यवाही की जायेगी.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हैण्डपम्प जनसंख्या के मान से और आवश्यकतानुसार किये जाते हैं, अब आवश्यकता और जनसंख्या का ज्ञान तो अधिकारियों को होता है और उस जनसंख्या और आवश्यकता के अनुसार अधिकारी वहां पर हैण्डपम्प का खनन करते हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, अब तो पानी-पानी हो गया, काहे का सूखा.
श्री नीलेश अवस्थी-- माननीय मंत्री जी, भीषण जल संकट होने के कारण मैंने कुछ अनुमोदन आपके माध्यम से आपके विभाग को दिये थे, लेकिन एक भी हैण्डपम्प की कार्यवाही नहीं हुई. मैं इसलिये पूछना चाहता हूं कि उस अधिकारी पर क्या कार्यवाही की जायेगी. 2-2, 3-3 किलोमीटर से लोग पानी लेकर आते थे, उस पर भी उन्होंने कार्यवाही नहीं की. अब तो पानी आ गया अब ठीक है, लेकिन ऐसे हैण्डपम्प जहां 2-2, 3-3 किलोमीटर से लोग पानी भरने आते थे, वहां कार्यवाही नहीं हुई तो इसलिये मैं आपसे निवेदन कर रहा हूं उस अधिकारी पर कार्यवाही करनी चाहिये.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारी पानी की इतनी अच्छी व्यवस्था थी कि कोई परिवहन की जरूरत नहीं पड़ी, हमारे अधिकारियों ने इतनी मेहनत की और इतनी अच्छी व्यवस्था की कि परिवहन की जरूरत नहीं पड़ी ... (व्यवधान)...
श्री नीलेश अवस्थी-- माननीय मंत्री जी, मैं वहां का जनप्रतिनिधि हूं और मैं वहां पर भ्रमण करता हूं ....(व्यवधान).... यह जनता से जुड़ा हुआ मामला है. ....(व्यवधान)....
श्री मुकेश नायक-- इससे बड़ा असत्य कुछ हो नहीं सकता.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले-- माननीय अध्यक्ष महोदय, इतना सूखा होने के बावजूद हमने बराबर पूरे प्रदेश को पानी दिया है, हमने कोई तकलीफ नहीं होने दी. इसकी प्रशंसा होनी चाहिये. ....(व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय-- आप स्पेसिफिक पूछे कुछ.
श्री नीलेश अवस्थी-- कुछ हैण्डपम्प आपने लगवाने का कहा है ....(व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय-- मुकेश नायक जी बैठ जायें आप.
श्री मुकेश नायक-- 100 ट्यूबबेल स्वीकृत हैं, 1000 ट्यूबबेल का सामान खरीदवा दिया.
अध्यक्ष महोदय-- मूल प्रश्नकर्ता को तो पूछने दें कृपया.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अगर खरीद भी लिया है तो रखा है, आगे जरूरत पड़ेगी तो उसका उपयोग करेंगे.
श्री सत्यप्रकाश सखवार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा एक निवेदन है कि हैण्डपम्प का जो भी सामान होता है वह भोपाल में खरीदा जाता है और जिले के अधिकारी यह कहते हैं कि भोपाल से अभी सामान नहीं आया है. मेरा निवेदन यह है कि हैण्डपम्प का जो भी सामान है उस सामान को जिले में ही उसकी व्यवस्था कराई जाये. ....(व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय-- ठीक है, बैठ जाइये आप, अवस्थी जी आप प्रश्न कीजिये. स्पेसिफिक प्रश्न पूछिये. सखवार जी बैठ जाइये आप, डिस अलाऊ.
श्री नीलेश अवस्थी-- माननीय मंत्री जी, जो महत्वपूर्ण नल थे, मैंने अपने भ्रमण के दौरान गांव-गांव जाकर जहां भीषण जल संकट था कुछ सूची आपको दी थी और आपकी अनुशंसा उस पर है. मेरा आपसे निवेदन है कि क्या कुछ हैण्डपम्प खनन करवाने में आप सहयोग करेंगे.
सुश्री कुसुम सिंह मेहदेले-- अध्यक्ष महोदय, निश्चित रूप से जहां आवश्यकता होगी हम हेण्डपम्प करायेंगे, आप बिलकुल निराश न हों, जहां जरूरत होगी करायेंगे.
श्री नीलेश अवस्थी-- धन्यवाद.
प्रश्न संख्या-2 (अनुपस्थित)
गुना उप संचालक कार्यालय का भौतिक सत्यापन
3. ( *क्र. 632 ) श्री पन्नालाल शाक्य : क्या पशुपालन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) गुना उप संचालक कार्यालय हाट रोड गुना का भौतिक सत्यापन कब-कब और किस-किस अधिकारी द्वारा कराया गया है? इससे संबंधित विवरण उपलब्ध करायें। (ख) गुना जिले में संचालित गौशालाओं और गौशाला संचालकों के नाम एवं गौशाला हेतु आवंटित या दान में प्राप्त भूमि का विवरण उपलब्ध करावें? (ग) कुक्कुट विकास निगम गुना की पोल्ट्री फार्म में पदस्थ अधिकारी कब से पदस्थ है? क्या इन्हें नियमानुसार तीन वर्ष में स्थानांतरित नहीं किया जाना चाहिए? यदि नहीं, तो क्यों? (घ) गुना उप संचालक कार्यालय द्वारा विगत 5 वर्षों में कितने हितग्राहियों को लाभांवित किया गया है तथा वर्तमान सत्र में कितने हितग्राहियों को लाभांवित किया जाना शेष है?
पशुपालन मंत्री ( श्री अंतरसिंह आर्य ) : (क) गुना उप संचालक कार्यालय हाट रोड गुना का निरीक्षण डॉ. एन.के. बामनिया, तत्कालीन संयुक्त संचालक, संभाग ग्वालियर, द्वारा दिनांक 18 नवम्बर से 19 नवम्बर 2011 एवं दिनांक 11 अक्टूबर से 12 अक्टूबर 2012 को तथा संयुक्त संचालक पशु चिकित्सा सेवाएं संभाग ग्वालियर द्वारा गठित समिति द्वारा 2 मार्च से 3 मार्च 2015 को किया गया है। विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ’’अ’’ अनुसार है। (ख) गुना जिले में 14 क्रियाशील एवं एक अक्रियाशील गौशालायें संचालित हैं। जिले की सभी गौशालाओं हेतु उपलब्ध भूमि दान से प्राप्त हुई है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार। (ग) कुक्कुट विकास निगम के अधीन गुना में कोई कुक्कुट पोल्ट्रीफार्म संचालित नहीं है। पशुपालन विभाग के अधीन गुना में संचालित पोल्ट्रीफार्म में शासन द्वारा पशु चिकित्सा सहायक शल्यज्ञ का कोई भी पद स्वीकृत नहीं है। डॉ. के.डी. शर्मा पशु चिकित्सा सहायक शल्यज्ञ, मोबाईल यूनिट गुना दिनांक 21.8.2009 से पोल्ट्रीफार्म के अतिरिक्त प्रभार में है। अतः पोल्ट्रीफार्म गुना में पद स्वीकृत नहीं होने के कारण स्थानांतरण का प्रश्न नहीं उठता है। (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘‘स‘‘ अनुसार। वर्तमान सत्र 2016-17 में प्रथम त्रैमास में 239 हितग्राहियों को लाभांवित किया जा चुका है। आगामी त्रैमासों में 67 हितग्राहियों को लाभान्वित किया जाना प्रस्तावित है जिन्हें उपलब्ध वंटन अनुसार लाभान्वित किया जा सकेगा।
श्री पन्नालाल शाक्य - माननीय अध्यक्ष महोदय,मेरा निवेदन है कि मैंने जो पत्र लिखकर उप संचालक,पशु विभाग से जानकारी मांगी थी उसके बाद प्रशासन को कितनी मशक्कत करनी पड़ी, यह चिंतनीय विषय है. अगर वे मेरे पत्र का उत्तर उसी समय दे देते तो सरकार के खजाने का जो नुकसान टी.ए.,डी.ए. में खर्च करके हो रहा है,वह नहीं होता.
अध्यक्ष महोदय- आप प्रश्न पूछिये सीधा.
श्री पन्नालाल साक्य - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह मेरे प्रश्न का उसी समय सीधे जवाब दे देते तो मुझे यह प्रश्न उठाना नहीं पड़ता.
अध्यक्ष महोदय- यह आपका प्रश्न नहीं है.
श्री पन्नालाल शाक्य - माननीय अध्यक्ष महोदय,इनको मेरे पत्र के आधार पर मेरे प्रश्न का उत्तर देना चाहिये था.
अध्यक्ष महोदय- आप सीधा प्रश्न पूछें.
श्री पन्नालाल शाक्य - माननीय अध्यक्ष महोदय,मैं यह प्रश्न ही तो पूछ रहा हूं. सभी सदस्य अपने-अपने क्षेत्रों में सक्षम अधिकारी को पत्र लिखते होंगे तो सक्षम अधिकारी को पत्र का जवाब देना चाहिये कि नहीं ?
श्री अंतर सिंह आर्य - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी ने पोल्ट्री फार्म से संबंधित जानकारी मांगी थी अधिकारी ने जानकारी समय पर नहीं दी और अब मैं यह निर्देश दे रहा हूं कि विधायकगण कभी भी जानकारी मांगें तो उनकी जानकारी माननीय विधायकों को समय पर देना चाहिये. मैं माननीय विधायक को आश्वस्त करना चाहता हूं कि भविष्य में जो जानकारी मांगेंगे वह समय पर उनको दी जायेगी.
श्री पन्नालाल शाक्य - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा एक प्रश्न और है कि यह जो टी.ए.,डी.ए का खर्चा शासन के खजाने में डाल रहे हैं यह क्या इनके व्यक्तिगत वेतन से कटेगा ?
अध्यक्ष महोदय- नहीं कटेगा.
श्री पन्नालाल शाक्य - माननीय अध्यक्ष महोदय,मंत्री जी इसका उत्तर दें मेरा यह निवेदन है.
श्री बाबूलाल गौर - माननीय अध्यक्ष महोदय, "घ"" के उत्तर में माननीय मंत्री जी ने बताया है कि गुना जिले में 14 क्रियाशील एवं 1 अक्रियाशील गौशालाएं संचालित हैं तो पिछले दो वर्षों में इन क्रियाशील गौशालाओं को कितना अनुदान दिया और अनुदानित जो गौशालाएं हैं उनका निरीक्षण करने के लिये पशु चिकित्सा विभाग के अधिकारी कब-कब गये ?
श्री अंतर सिंह आर्य - माननीय अध्यक्ष जी, गुना जिले में 15 गौशालाएं हैं जिनमें से 14 गौशालाएं क्रियाशील हैं और 1 गौशाला अक्रियाशील है और हमारे अधिकारी समय-समय पर गौशालाओं का निरीक्षण करते हैं तो जहां स्थानीय ब्लाक स्तर के पशु चिकित्सा अधिकारी हैं वे भी उनका निरीक्षण करने के लिये समय पर जाते हैं.
श्री बाबूलाल गौर - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न का उत्तर नहीं आया. क्रियाशील गौशालाओं का अनुदान कितना दिया और कौन-कौन से पशु चिकित्सा अधिकारा उनका निरीक्षण करने कब-कब गये ? एक गुना जिले का छोटा सा प्रश्न है.
श्री रामनिवास रावत - यह गौर साहब का प्रश्न है नरोत्तम जी.
श्री बाबूलाल गौर - मैं अपनी वकालत खुद कर लूंगा.
अध्यक्ष महोदय- आप उपलब्ध करा दीजिये. गौर साहब आपको यह उपलब्ध करा देंगे.
श्री बाबूलाल गौर - अध्यक्ष महोदय, यह तरीका ठीक नहीं है.जब चिट्ठियों का यह उत्तर नहीं दे रहे जब माननीय सदस्य कह रहे हैं कि जानकारी उपलब्ध नहीं करा रहे. इसकी जानकारी दीजिये.
संसदीय कार्य मंत्री(डॉ.नरोत्तम मिश्र) - अध्यक्ष महोदय, यह प्रश्न इससे उद्भूत नहीं हो रहा है. इसमें प्रश्न आप पढ़ लें इसीलिये जानकारी नहीं दे पा रहे हैं मंत्री जी.
श्री रामनिवास रावत - आखिर आपको उठना ही पड़ा.
डॉ.नरोत्तम मिश्र - रावत जी,आपके बारे में वह बोल चुके हैं. अध्यक्ष महोदय,मंत्री जी जानकारी उपलब्ध करा देंगे.
अध्यक्ष महोदय- मंत्री जी जानकारी उपलब्ध करा देंगे. पुस्तकालय में भी कुछ जानकारियां हैं.
श्री बाबूलाल गौर - कब तक जानकारी उपलब्ध करा देंगे ?
श्री अंतर सिंह आर्य - माननीय अध्यक्ष जी, मैं यह अभी आपको दे रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय- अभी दे रहे हैं.
स्व-सहायता समूहों को दुकानों का आवंटन
4. ( *क्र. 1530 ) श्री सूबेदार सिंह रजौधा : क्या खाद्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला मुरैना में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत स्व-सहायता समूहों को दुकान आवंटित करने संबंधी वर्ष 2015 में पूरी प्रक्रिया सम्पादित कर ली गई है? चयनित समूहों को प्रश्न दिनांक तक दुकान आवंटित नहीं की गई है, इसके क्या कारण हैं और उन्हें कब तक उचित मूल्य की दुकानें आवंटित कर दी जावेंगी? तहसील जौरा के चयनित समूहों की पंचायतवार जानकारी उपलब्ध कराई जावेगी? (ख) क्या वर्तमान सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत ए.पी.एल. कार्डधारियों को केरोसिन से वंचित कर दिया गया है, खुले बाजार में भी केरोसिन उपलब्ध नहीं हैं तो ए.पी.एल. परिवारों को केरोसिन की आवश्यकता की पूर्ति हेतु सफेद केरोसिन की दुकानें प्रत्येक नगर में खोली जावेंगी? (ग) म.प्र. शासन खाद्य आपूर्ति नागरिक एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग के पत्र क्र. एफ 6-23/2007/1/उन्नीस/भोपाल, दिनांक 17 फरवरी 2008 के परिपालन में वर्तमान में सफेद केरोसिन की दुकानों की अनुज्ञप्ति दी जा सकेगी? यदि हाँ, तो दुकान अनुज्ञप्ति प्राप्त करने का प्रावधान क्या है? यदि नहीं, तो ए.पी.एल. परिवारों की केरोसिन आवश्यकता की पूर्ति हेतु क्या योजना बनाई गई है?
खाद्य मंत्री ( श्री ओम प्रकाश धुर्वे ) : (क) जी हाँ। परन्तु माननीय उच्च न्यायालय में लंबित याचिकाओं के परिप्रेक्ष्य में मध्यप्रदेश सार्वजनिक वितरण प्रणाली (नियंत्रण) आदेश, 2015 में संशोधन अपेक्षित था, जिसके फलस्वरूप उचित मूल्य दुकानों के आवंटन की कार्यवाही को स्थगित करने हेतु शासन द्वारा निर्देश जारी किये गये। उक्त नियंत्रण आदेश में संशोधन 11 अप्रैल, 2016 को अधिसूचित किया गया है। शासन ने पुन: नवीन प्रावधानों के परिप्रेक्ष्य में पूर्व में विहित प्रक्रिया का अनुसरण करते हुए उचित मूल्य दुकानों के आवंटन की कार्यवाही 31 जुलाई, 2016 तक सम्पन्न करने हेतु दिशा-निर्देश जारी किये हैं। मध्यप्रदेश सार्वजनिक वितरण प्रणाली (नियंत्रण) आदेश, 2015 में संशोधन पश्चात उचित मूल्य दुकान के आवंटन की कार्यवाही किया जाना शेष है। (ख) लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत वर्तमान में ए.पी.एल. कार्डधारकों की कोई श्रेणी नहीं है। राज्य सरकार ने उचित मूल्य दुकानों के माध्यम से गैर-पी.डी.एस. केरोसिन 6 जिलों- इन्दौर, भोपाल, सीहोर, जबलपुर, खण्डवा एवं सिवनी के जरूरतमंद परिवारों हेतु उपलब्ध कराये थे, परन्तु मांग के अभाव में उसका वितरण उपभोक्ताओं को नहीं हो सका। भारत सरकार ने केरोसिन (उपयोग पर निर्बन्धन और अधिकतम कीमत नियतन) आदेश, 1993 में संशोधन कर गैर-पी.डी.एस. केरोसिन की आपूर्ति के क्रियाकलाप, विपणन, व्यवसाय या वाणिज्य की गतिविधियों को केरोसिन (उपयोग पर निर्बन्धन और अधिकतम कीमत नियतन) आदेश, 1993 के प्रावधानों से मुक्त किया गया है। अब कोई भी व्यक्ति मध्यप्रदेश केरोसिन व्यापारी नियंत्रण आदेश, 1979 के तहत अनुज्ञप्ति प्राप्त कर गैर-पी.डी.एस. केरोसिन का व्यवसाय कर सकता है। (ग) जी नहीं, मध्यप्रदेश केरोसिन व्यापारी नियंत्रण आदेश, 1979 के तहत कोई भी अनुज्ञप्ति प्राप्त व्यक्ति गैर-सावर्जनिक वितरण प्रणाली का केरोसिन समानान्तर विपणनकर्ताओं से अथवा सरकारी तेल कंपनियों के थोक विक्रेताओं से क्रय कर उपभोक्ताओं को वितरित कर सकता है। अनुज्ञप्ति प्राप्त करने का प्रावधान मध्यप्रदेश केरोसिन व्यापारी नियंत्रण आदेश, 1979 में विहित किया गया है। शेष भाग का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री सूबेदार सिंह रजौधा-- अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मैं मंत्रीजी से पूछना चाहता हूं कि मुरैना जिले में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत स्व-सहायता समूहों को दुकान आवंटित करने की कार्रवाई 2015 में पूरी कर ली गई थी. लेकिन आज दिनांक तक किसी भी स्व-सहायता समूह को दुकान आवंटित नहीं की गई. मैं मंत्री से पूछना चाहता हूं कि शीघ्र दुकान आवंटित करने की व्यवस्था करेंगे?
श्री ओम प्रकाश धुर्वे-- अध्यक्ष महोदय, वैसे उत्तर में आ गया है लेकिन फिर भी मैं माननीय सदस्य को बताना चाहता हूं कि चूंकि न्यायालय में प्रकरण विचाराधीन है इसलिए भी आवंटन की प्रक्रिया को स्थगित कर दिया गया है.
डॉ गोविन्द सिंह-- (XXX) जब स्टे हट चुका है तो आप कार्रवाई करवाईये.
अध्यक्ष महोदय--यह शब्द कार्यवाही से निकाल दीजिए. आपका आधा वाक्य निकाला है.
डॉ गोविन्द सिंह-- अध्यक्षजी, स्टे को हटे दो महीने हो गये.(XXX).
अध्यक्ष महोदय--यह शब्द भी कार्यवाही से निकाल दीजिए.
श्री ओम प्रकाश धुर्वे--डॉ गोविन्द सिंह जी का मैं सम्मान करता हूं. आप बहुत वरिष्ठ सदस्य हैं लेकिन मैं आपकी जानकारी में लाना चाहता हूं कि पुनः न्यायालय में गये हैं इसके कारण भी व्यवस्था स्थगित कर दी गई है.
श्री रामनिवास रावत--अध्यक्षजी, इधर कह रहे हैं कि 31 जुलाई तक पूर्ण कर लिया जायेगा और दूसरी तरफ कह रहे हैं कि न्यायालय में गये हैं. स्पष्ट उत्तर आना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय-- मूल प्रश्नकर्ता को तो पूछ लेने दीजिए.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा-- अध्यक्ष महोदय, पूरे जिले में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत आवेदन लेकर दुकानें आवंटित की गई थीं. यदि नये सिरे से दुकानों का आवंटन करेंगे तो पुरानी दुकानें जो आवंटित की गई हैं, उन स्व-सहायता समूहों को प्राथमिकता देंगे?
श्री ओम प्रकाश धुर्वे-- नियमानुसार कार्रवाई करेंगे.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा--अध्यक्ष महोदय, इसमें स्पष्ट जवाब तो नहीं आया लेकिन मंत्री जी से उम्मीद कर सकते हैं कि वे सदस्य ने जो मांग की उसका पूरा ख्याल रखेंगे. दूसरा प्रश्न कि एपीएल कार्डधारियों को केरोसीन की व्यवस्था नहीं है. मैं आपके माध्यम से मंत्रीजी से पूछना चाहता हूं कि हर नगर में सफेद केरोसीन के लायसेंस देने का काम करेंगे जिससे एपीएल कार्डधारियों को मिट्टी का तेल मिल सके.
श्री ओम प्रकाश धुर्वे--अध्यक्ष जी, मध्यप्रदेश केरोसीन व्यापारी नियंत्रण अधिनियम के तहत हम लोग लायसेंस दे रहे हैं. अब कोई भी व्यापारी लायसेंस लेकर तेल कंपनी से माल लेकर अपनी दुकान संचालित कर सकता है.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा--अध्यक्ष महोदय,इसके आदेश कलेक्टर को कब तक भेजे जाएंगे?
श्री ओम प्रकाश धुर्वे-- हम पुनः भेज देंगे.
श्री मुरलीधर पाटीदार-- अध्यक्ष महोदय, यह गंभीर विषय है और मेरा आग्रह है कि समय सीमा में एपीएल कार्डधारियों को भी केरोसीन उपलब्ध कराने का आश्वासन सदन में दें.
प्रश्न संख्या--5 (अनुपस्थित)
सागर जिलांतर्गत नलकूप खनन
6. ( *क्र. 777 ) श्रीमती पारूल साहू केशरी : क्या लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) सागर जिले के लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग में वर्ष 2014-15, 2015-16 एवं 2016-17 में कुल कितने नलकूप खनन के कार्य स्वीकृत किये गये? जानकारी वर्षवार, विधानसभा क्षेत्रवार दी जाये। (ख) प्रश्नांश कंडिका (क) में वर्णित वर्षों में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के द्वारा स्वीकृत नलकूप खनन कार्यों में से कितने-कितने नल कूप खनन का कार्य कर दिया गया है तथा कितने कार्य प्रश्न दिनांक को शेष हैं? जानकारी वर्षवार, विधानसभा क्षेत्रवार दी जावे। (ग) प्रश्नांश कंडिका (क) अनुसार अपूर्ण नलकूप खनन का कार्य जिन ठेकेदारों के द्वारा अनुबंध अनुसार निर्धारित समयावधि में नहीं किया गया? उन ठेकेदारों के विरूद्ध विभाग द्वारा कब-कब, क्या-क्या कार्यवाही की गयी? यदि कार्यवाही नहीं की गयी तो क्यों? कारण बतावें। (घ) प्रश्नांश कंडिका (ख) के अनुसार शेष रहे खनन कार्य कब तक पूर्ण करा दिये जावेंगे? समय-सीमा बतायी जावे।
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री ( सुश्री कुसुम सिंह महदेले ) : (क) एवं (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। (ग) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-2 अनुसार है। शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता। (घ) वर्षा उपरांत शेष नलकूपों का खनन कराया जायेगा। निश्चित समयावधि नहीं बताई जा सकती।
श्रीमती पारुल साहू केशरी--अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मैं मंत्रीजी को यह बताना चाहूंगी कि सागर जिले में ठेकेदारों को जो नलकूप खनन करने का कार्य सौंपा गया था वह समय पर नहीं किया गया है. प्रपत्र-2 के अनुसार एग्रीमेंट की शर्तों का पालन भी नहीं किया गया है. दूसरा, ठेकेदार के रिन्यूअल में ईई (Executive Engineer) द्वारा भ्रष्टाचार किया गया है. क्योंकि एक ही ठेकेदार की मोनोपॉली चल रही है. मंत्रीजी से यह आश्वासन चाहती हूं कि इसमें ईई की विभागीय जांच(डीई) की जाये.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले-- अध्यक्ष महोदय, ठेके ई-टेंडरिंग से होते हैं इसलिए हम किसी को रोक नहीं सकते.
श्री मुकेश नायक--अगर समय सीमा में ठेकेदार काम नहीं करता है...
सुश्री कुसुम सिंह महदेले--अगर ठेकेदार समय सीमा में कार्य नहीं करता तो ठेकेदार का कांट्रेक्ट निरस्त करने का भी प्रावधान है.
श्रीमती पारूल साहू केशरी - इसमें मैं निवेदन करना चाहूंगी कि समय पर काम नहीं करने के बावजूद भी एग्जीक्यूटिव इंजीनियर द्वारा जो उनकी अथॉरिटी नहीं है, उसके बाहर जाकर उनका रिन्युअल किया गया है तो इसके विरुद्ध उन पर कार्यवाही क्यों नहीं की जा रही है? जबकि रिन्युअल का अधिकार उनको नहीं है.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले - अध्यक्ष महोदय, दोषी ठेकेदार के विरुद्ध काली सूची में नाम डालने की कार्यवाही की जाएगी.
श्री रामेश्वर शर्मा - अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न है कि 2 महीने की यह समस्या रहती है और उस समय टेंडर होते हैं और एक व्यक्ति इसको लेता है. या तो उसमें यह शर्त जोड़ी जाय कि 3 से 4 उसमें वैकल्पिक व्यवस्था हो. एक ट्यूबवेल अगर 4-4 दिन में खुदता है तो हम लोगों को कब पानी देंगे? फिर एक महीने बाद उसमें मोटर डलनी है या हैंडपंप डलना है तो लोग प्यासे मरेंगे, या तो दरे ओपन हो जायं, ओपन दरों के तहत जो भी काम करना चाहता है उससे काम करा लिया जाय. लेकिन यह समस्या 3 महीने की है, इस 3 महीने की समस्या पर आज जुलाई के अंत में हम चर्चा कर रहे हैं तो भी कई जगहों पर ट्यूबवेल नहीं खुदे हैं. आज भी लोग उससे परेशान हैं.
श्रीमती पारूल साहू केशरी - अध्यक्ष महोदय, मैं इस प्रश्न के माध्यम से एक बात और माननीय मंत्री जी के ध्यान में लाना चाहूंगी कि जिला सतर्कता समिति की बैठक 3 जून को हुई थी, जिसमें आदरणीय सांसद दमोह, सांसद सागर और मैं स्वयं भी उसमें थी. आदरणीय सांसद दमोह ने यह बात कही थी कि जो ठेकेदार समय-सीमा में काम नहीं कर रहे हैं उन पर कार्यवाही की जानी चाहिए. साथ ही साथ एग्जीक्यूटिव इंजीनियर जो रिन्यू कर रहे हैं, उन पर भी विभागीय जांच की मांग मैं माननीय मंत्री जी से करना चाहूंगी?
सुश्री कुसुम सिंह महदेले - अध्यक्ष महोदय, माननीय श्री रामेश्वर जी का सुझाव बहुत अच्छा है और श्रीमती पारूल साहू जी का भी सुझाव बहुत अच्छा है. निश्चित रूप से इस पर विचार करेंगे.
श्रीमती पारूल साहू केशरी - अध्यक्ष महोदय, इसमें एग्जीक्यूटिव इंजीनियर के ऊपर विभागीय जांच किये जाने का आश्वासन मैं माननीय मंत्री जी से चाहती हूं.
अध्यक्ष महोदय - कुंवर सौरभ सिंह...आपका विषय हो गया, यह लम्बा हो गया है.
श्रीमती पारूल साहू केशरी - अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न में सदस्यों ने प्रश्न किया है. मेरा प्रश्न पूर्ण नहीं हुआ है. मैं आपसे थोड़ा समय चाहती हूं क्योंकि जो पानी की व्यवस्था सागर जिले में है तो मैं इसमें यही पाइंटेड पूछना चाहती हूं कि एग्जीक्यूटिव इंजीनियर के ऊपर विभागीय जांच की कार्यवाही की जाय, इसका आश्वासन मैं माननीय मंत्री जी से चाहती हूं क्योंकि मेरे प्रश्न के साथ 2 सांसद और मेरा स्वयं का भी प्रश्न है.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले - अध्यक्ष महोदय, इतना बड़ा आरोप नहीं है कि इसमें विभागीय जांच की जाय, जो भी है आपका सुझाव हमने मान लिया, उस पर कार्यवाही करेंगे.
कटनी जिलांतर्गत नवीन हैण्डपंप उत्खनन हेतु निर्धारित लक्ष्य
7. ( *क्र. 149 ) कुँवर सौरभ सिंह : क्या लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्या कटनी जिला सूखा एवं अन्य प्राकृतिक कारण से विगत तीन वर्षों से प्रभावित है तथा लगातार जलस्तर घटा है? (ख) कटनी जिले में वर्ष 2014-15 से 2016-17 तक विकासखण्डवार नवीन हैण्डपंप उत्खनन हेतु क्या लक्ष्य निर्धारित किए गए तथा लक्ष्य अनुसार कितने नवीन हैण्डपंप खोदे गए? विकासखण्डवार बताएं। (ग) क्या लगातार सूखा होने के बाद भी अन्य वर्ष की तुलना में वर्ष 2016-17 के लिए कम लक्ष्य रखा गया? यदि हाँ, तो इसके कम जल स्तर को देखते हुए इसे पहले से भी अधिक बढ़ाया नहीं जा सकता था तथा लक्ष्य निर्धारण के क्या मापदण्ड हैं? (घ) क्या कटनी जिले के विकासखण्ड बहोरीबंद एवं रीठी में जल संकट सर्वाधिक होने के कारण जल का परिवहन करना पड़ा? क्या कटनी जिले में पेयजल की कमी, लगातार जलस्तर नीचे जाने के बावजूद कटनी को कम लक्ष्य दिया गया, वहीं दूसरी ओर अन्य जिले जहां पेयजल का इतना संकट नहीं था एवं जल स्तर भी ज्यादा नीचे नहीं था वहां अधिक लक्ष्य प्रदान किया गया? जबलपुर एवं इंदौर संभाग के प्रत्येक जिले को विधानसभावार दिये गये लक्ष्य के साथ जानकारी दें।
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री ( सुश्री कुसुम सिंह महदेले ) : (क) जी नहीं। (ख) लक्ष्य विकासखण्डवार निर्धारित नहीं किये जाते। जिले को नलकूप खनन कार्य के दिये गये लक्ष्य के विरूद्ध विकासखण्डों में करवाये गये हैण्डपंप खनन कार्य की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) जी हाँ। जी नहीं। उपलब्ध संसाधन एवं जिलों में आंशिक पूर्ण बसाहटों के आधार पर लक्ष्य निर्धारित किये जाते हैं। (घ) जी नहीं। जी नहीं। लक्ष्य विधानसभा क्षेत्रवार नहीं दिये जाते। अतः जबलपुर एवं इंदौर संभाग के प्रत्येक जिले के विधानसभावार लक्ष्यों की जानकारी नहीं दी जा सकती।
कुंवर सौरभ सिंह - अध्यक्ष महोदय, यह मेरा संदर्भित प्रश्न है, दिनांक 16.12.15 को प्रश्न संख्या 2368 में भी मैंने माननीय मंत्री जी से यही प्रश्न पूछा था और लगभग यही जवाब आया था. मेरा प्रश्न यह था कि क्या कटनी जिला सूखे की स्थिति में है? इसमें जवाब आया कि जी नहीं. प्रश्नांश ख में था कि कटनी में वर्ष 2014 से वर्ष 2017 तक कितने हैंडपंपों का लक्ष्यों का निर्धारण हुआ और कितने हैंडपंप खनन हुए तो वर्ष 2014-15 में कुल 513, वर्ष 2015-16 में 217 और वर्ष 2016-17 में आज दिनांक तक कुल 37 खनन हुए हैं. हमारी विधान सभा और कटनी जिला लगातार 3 साल से सूखे से प्रभावित है. प्रश्ननांश क में माननीय मंत्री जी के द्वारा कहा गया कि कटनी जिला सूखे से प्रभावित नहीं है. अगर ऐसा है तो आप यह तय करें तो सरकार सूखे की राशि क्यों बांट रही है, आपने खनन क्यों प्रतिबंधित कर दिये हैं? प्रश्नांश क के उत्तर में जी नहीं, कहा है.
अध्यक्ष महोदय - आप सीधा प्रश्न पूछें.
कुंवर सौरभ सिंह - अध्यक्ष महोदय,मेरा प्रश्न है कि हमारे जिले में लगातार हैंडपंपों की संख्या घटती जा रही है. मेरा सीधा प्रश्न यह है कि आपको विभाग जो भ्रामक जानकारी दे रहा है, उनके विरुद्ध क्या कार्यवाही होगी? हमारे जिले में जो सूखे की समस्या है, उसके लिए क्या कोई अलग से प्रावधान बनेगा?
सुश्री कुसुम सिंह महदेले - अध्यक्ष महोदय,पहली बात तो यह है कि कटनी जिला वास्तव में उतना सूखाग्रस्त नहीं रहा. अन्य जिलों की अपेक्षा कटनी की वर्षा अच्छी थी और इस बात के आंकड़े देखे जा सकते हैं. कटनी पिछले 3 वर्षों से सूखे में नहीं है. आप यह आंकड़े उठाकर देख सकते हैं. यह मैं नहीं कह रही हूं, सरकारी आंकड़ें हैं. यह मौसम विभाग के आंकड़ें हैं. दूसरी बात यह है कि हैंडपंपों की संख्या साल दर साल बढ़नी चाहिए कि घटनी चाहिए. आखिर हम धरती के सीने को कितना छेदेंगे, कितना पानी निकालेंगे? आखिर धरती माता फटती है, सूखती है और पर्यावरण का नुकसान होता है तो हम इस दिशा में बढ़ रहे हैं कि हम सतही जल का ज्यादा उपयोग करें. तालाब कुआं बनायें. हमारे मुख्यमंत्री जी ने कृपा करके जल निगम की स्थापना की है. वह इसलिए बनाया है कि हम सतही जल का ज्यादा उपयोग करें. नदियों से पानी लें जो बड़े बड़े बांध हैं जैसे इंदिरा सागर, गांधी सागर बांध बन गये हैं. बुंदेलखण्ड में कुटनी बांध है. इसी प्रकार से सिवनी में माही बांध है. इन बांधों से पानी लेकर हम समूह नल जल योजनाएं बना रहे हैं, निरंतर यह प्रयास कर रहे हैं कि हमें अब यह धरती न खोदना पड़े...(व्यवधान)..
श्री सोहनलाल वाल्मीक -- (X X X )
अध्यक्ष महोदय -- नहीं केवल सौरभ सिंह जी का ही लिखा जायेगा. इनका कुछ नहीं लिखा जायेगा पहले मूल प्रश्न कर्ता को प्रश्न करने दें.
कुंवर सौरभ सिंह -- अध्यक्ष महोदय मेरा फिर से कहना है कि प्रश्न क में मंत्री जी ने कहा है कि जी नहीं. यह जिस मौसम के आंकड़े दे रहे हैं उसी जिले में हम भी रहते हैं, मेरा निवेदन सुन लें, यहां पर हर बार इसी तरह से जवाब आते हैं, पिछली बार प्रश्न में भी भ्रामक जानकारी दी है, कोई आवश्यकता नहीं है, हैण्ड पंप कम कर दिये गये हैं, पानी कहां से लेगी जनता ? जो टैंकर बाजार में 70 हजार रूपये में मिलता है वह टेंकर एम पी एग्रो से 1.50 लाख रूपये में खरीदना पड़ा है. विधायक निधि से मैंने 15 टैंकर दिये हैं. मेरा प्रश्न यह है कि क्या कटनी जिले में अलग से प्रावधान किया जायेगा, लगातार सूखा है पठारी क्षेत्र है, सोइल स्टेटा ऐसा है कि वहां पर पानी नहीं निकल रहा है, इनके आंकड़े पता नहीं क्या बता रहे हैं.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले -- माननीय अध्यक्ष महोदय बिल्कुल आवश्यकता नहीं है. विधायक जी को जहां पर आवश्यकता होगी वहां पर हैण्ड पंप करवायेंगे...(व्य़वधान)..
अध्यक्ष महोदय -- नहीं अब कोई नहीं पूछेगा 3 - 4 प्रश्न हो गये हैं उनके...(व्यवधान).. वे उसी पर 4 - 5 प्रश्न पूछ चुके हैं अब अनुमति नहीं है.
सीहोर जिले में आत्महत्या के प्रकरण
8. ( *क्र. 763 ) श्री शैलेन्द्र पटेल : क्या गृह मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्न दिनांक से पूर्व विगत 3 वर्षों में सीहोर जिले में आत्महत्या के कितने मामले सामने आए हैं। थानावार मृतकों के नाम, आयु, पता सहित विवरण दें। (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार आत्महत्या के प्रकरणों की जाँच उपरांत आत्महत्या के कारणों का प्रकरणवार ब्यौरा दें। (ग) प्रश्नांश (क) अनुसार आत्महत्या के लिए उपयोग किए गए पदार्थ अथवा साधन का प्रकरणवार ब्यौरा दें। (घ) प्रश्नांश (क) अनुसार आत्महत्या में प्रयुक्त विष आदि विक्रय को रोकने के लिए क्या शासन स्तर पर कोई कार्यवाही प्रचलित है? यदि हाँ, तो विवरण दें।
गृह मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ठाकुर ) : (क) से (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (घ) जी हाँ। विष अधिनियम 1919 तथा इसके अधीन म.प्र. शासन लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा बनाए गए मध्यप्रदेश विष (कब्जा और विक्रय) नियम 2014 के अनुसार कार्यवाही की जाती है।
श्री शैलेन्द्र पटेल -- अध्यक्ष महोदय माननीय मंत्री जी ने जो मेरे प्रश्न के उत्तर में जानकारी दी है उसके अनुसार 418 आत्महत्या के मामले पिछले ढाई वर्ष में सीहोर जिले में सामने आये हैं. मतलब 175 आत्महत्याएं प्रतिवर्ष हुई हैं, हर दूसरे रोज एक आत्महत्या हुई है. बहुत गंभीर प्रश्न है, मेरा बड़ा पिन प्वाइंट प्रश्न मंत्री जी से है. मैं आपकी अनुमति से पूछना चाहता हूं कि क्या मंत्री जी यह सरकार अंधविश्वास में विश्वास करती है यानी कि भूत प्रेत में, यह मेरे प्रश्न के परिशिष्ट में क्रमांक 99 पर 144 और 146 में लिखा है कि भूत प्रेत की बाधा थी इसलिए आत्महत्या की है. मेरा पहला प्रश्न यह है कि क्या सरकार अंध विश्वास में विश्वास करती है, मंत्री जी जवाब दें?
अध्यक्ष महोदय -- यह कोई प्रश्न नहीं है.
श्री शैलेन्द्र पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय यह कारण में लिखा हुआ है आप देख लें, यह 99 नंबर पर लिखा हुआ है, बाहरी हवा और उसके आगे देखेंगे तो 143 और 144 में भी भूत प्रेत का हवाला दिया है. यह परिशिष्ट में उत्तर में दिया है. तो क्या सरकार अंध विश्वास में, भूत प्रेत में विश्वास रखती है पहले तो इस प्रश्न का जवाब दे दें.
अध्यक्ष महोदय -- यह कोई प्रश्न नहीं है . आप कोई दूसरा अच्छा प्रश्न करिये.
श्री शैलेन्द्र पटेल -- अध्यक्ष महोदय यह उत्तर में आया है सरकार ने जवाब में लिखा है....(व्यवधान)..
श्री राम निवास रावत -- अध्यक्ष महोदय साफ है यह सदन की संपत्ति बन गया है.
श्री शैलेन्द्र पटेल -- यह क्लीयर करें, अगर है तो कोई बात नहीं है...(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- इस प्रश्न से यह उद्भुत कहां होता है.
श्री राम निवास रावत -- अध्यक्ष महोदय उद्भुत नहीं होता है लेकिन सरकार के जवाब में आया है और सदन के पटल पर भी आ गया है. सदन की संपत्ति बन गया है विधान सभा के रिकार्ड में रहेगा, इसका स्पष्टीकरण आना चाहिए.
श्री शैलेन्द्र पटेल -- उत्तर में अंध विश्वास, भूत प्रेत के बारे में लिखा है...(व्यवधान)..
श्री बाबूलाल गौर -- अध्यक्ष महोदय सरकार ने एक आनंद मिनिस्ट्री खोलने का प्रस्ताव रखा है उस पर विचार किया जायेगा...(व्यवधान)..
श्री शैलेन्द्र पटेल -- उसके बारे में भी बात कर लेंगे. अध्यक्ष महोदय पहले मेरे प्रश्न का पिन प्वाइंट जवाब दें फिर इसी बारे में मेरा दूसरा प्रश्न है.
अध्यक्ष महोदय -- आप अपना दूसरा प्रश्न कर लें.
श्री शैलेन्द्र पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसका तो जवाब ही नहीं आया.
अध्यक्ष महोदय -- यह डिस्एलाउड है.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, सदन में जवाब आने से पहले डिस्एलाउ होना चाहिए था.
अध्यक्ष महोदय -- क्वेश्चन पहले डिस्एलाउ होता है.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, या तो फिर यह है कि माननीय मंत्री जी देखते नहीं हैं कि क्या जवाब दिया जा रहा है.
अध्यक्ष महोदय -- श्री शैलेन्द्र पटेल जी दूसरा प्रश्न करें.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे जावरा में एक ऐसा पवित्र केन्द्र है जहां पर बाधाओं से मुक्त किया जाता है.
श्री शैलेन्द्र पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा दूसरा प्रश्न है.
श्री जितू पटवारी -- (XXX).
अध्यक्ष महोदय -- वे दूसरा प्रश्न कर रहे हैं, उनको प्रश्न करने दें.
श्री शंकर लाल तिवारी --(XXX).
अध्यक्ष महोदय -- कुछ नहीं लिखा जाएगा, श्री शैलेन्द्र पटेल प्रश्न करें, वह कार्यवाही से निकाल दीजिए.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय -- माननीय अध्यक्ष जी, जावरा हुसैन टेकरी शरीफ बहुत अच्छा स्थान है वहां पर बाधाओं से मुक्त किया जाता है. इनको दर्शन करने के लिए वहां भेजा जाए.
श्री शैलेन्द्र पटेल -- अरे भैया, आप बाद में बता देना.
अध्यक्ष महोदय -- सिर्फ श्री शैलेन्द्र पटेल जी का लिखा जाएगा.
श्री शैलेन्द्र पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो उत्तर दिया गया है उसमें 418 आत्महत्या के मामले में एक में भी किसान की आर्थिक तंगी का उल्लेख नहीं किया गया है, जबकि मैं स्वयं ऐसे किसानों के यहां पर गया था. उदाहरण के लिए मेरा एक मित्र था - हरिओम परमार बाबूलाल परमार चैनपुरा, उसकी चने की फसल खराब हो गई थी, यह क्रमांक 180 में दिया हुआ है. मैं गजराज सिंह के यहां भी गया था जो क्रमांक 104 में है उसकी भी आत्महत्या के कारण का उल्लेख नहीं किया गया है, क्या सरकार किसानों की आत्महत्या को छिपाना चाहती है ? क्या वे किसान नहीं थे ?
श्री भूपेन्द्र सिंह -- माननीय अध्यक्ष जी, माननीय विधायक जी ने प्रश्न किया कि सिहोर जिले में 3 वर्ष में कितने लोगों ने आत्महत्या की है ? इसका सरकार की तरफ से आपको जवाब दिया गया कि 418 लोगों ने इन 3 वर्षों में आत्महत्या की हैं. उन आत्महत्याओं के कारण भी एक-एक व्यक्ति के नाम के सामने सरकार ने स्पष्ट रूप से लिखा हुआ है. जो कारण परिवार के लोगों ने बताए हैं उन कारणों के आधार पर आत्महत्या के कारण लिखे गए हैं. जहां तक किसानों के संबंध में आपने कहा है इन 418 मामलों में एक के भी परिवार के द्वारा यह नहीं बताया गया कि उनके परिवार के सदस्य ने अगर आत्महत्या की है तो वह कृषि के कर्ज के कारण या आर्थिक बोझ के कारण की है. 418 आत्महत्याओं के कारण आपके समक्ष लिखे हुए हैं. जो जानकारी सरकार ने दी है वह पूरी आपके सामने है. इसमें से एक भी कृषक परिवार की तरफ से यह नहीं कहा गया कि अगर उनके परिवार के व्यक्ति ने आत्महत्या की है तो यह आत्महत्या कर्ज के कारण या कृषि में घाटे के कारण की है, ऐसा कोई भी प्रकरण इन 418 मामलों में नहीं है.
श्री शैलेन्द्र पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं खुद हरिओम परमार की अंत्येष्टि में गया था, वहां मेरे सामने परिवारजनों ने कहा था कि हमारी चने की फसल खराब हो गई उसी से हरिओम परमार ने आत्महत्या की तो या तो वे परिवारवाले (XXX) हैं या सरकार का जवाब (XXX) है, दोनों में एक बात (XXX) हो सकती है.
अध्यक्ष महोदय -- आप प्रश्न करें.
श्री शैलेन्द्र पटेल -- अध्यक्ष महोदय, तीसरा मेरा प्रश्न यह है कि 418 में से 117 कारण तो सरकार के द्वारा अज्ञात बता दिए गए हैं, सरकार अभी तक यही पता नहीं कर पाई कि क्या कारण है. विष अधिनियम जो बना है उसके तहत् क्या कार्यवाही प्रचलित है, जिला प्रशासन द्वारा क्या कार्यवाही की जा रही है, इसके बारे में अवगत करा दें. प्रश्न के जवाब में सिर्फ यह लिख दिया गया है कि कार्यवाही प्रचलित है, क्या कार्यवाही प्रचलित है, क्या कदम उठाए गए हैं, कृपया वह बता दें.
श्री भूपेन्द्र सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी जो कार्यवाही के संबंध में कह रहे हैं, इसमें से मुख्य रूप से जो विष का विषय है, विष लेकर लोग आत्महत्या करते हैं, यह निश्चित रूप से गंभीर विषय है. सरकार ने इसके लिए अधिनियम बनाया हुआ है और उस अधिनियम में यह प्रावधान है कि अगर कोई व्यक्ति बाजार में विष खरीदने के लिए जाता है तो जो विष बेचने वाला है उसको उसका फोटो, उसका मोबाइल नंबर, उसका आइडेंटी-कार्ड, ये सारा का सारा रिकार्ड रखना चाहिए. दूसरा उसमें यह भी है कि अगर कोई नाबालिग है, 18 साल से कम उसकी आयु है तो ऐसे लोगों को भी विष की दुकानों पर विष नहीं बेचना चाहिए. इस अधिनियम में यह भी प्रावधान है कि जो हमारे राजस्व अधिकारी हैं,उनको समय समय पर इसका परीक्षण करना चाहिए कि जो लोग इस व्यवसाय में हैं वह सरकार के द्वारा बनाये गये अधिनियम का पालन कर रहे हैं कि नहीं कर रहे हैं, यह उनको देखना चाहिए. इसमें मैंने सारे विक्रेताओं की जानकारी ली है,समय-समय पर इनका परीक्षण व जाँच हुई है और इसमें एक भी ऐसा प्रकरण नहीं पाया गया है कि जिसमें नियम विरुद्ध तरीके से किसी को विष दिया गया हो या उसके कारण कोई घटना हुई हो ऐसा इसमें कुछ भी नहीं है.
श्री शैलेन्द्र पटेल--- माननीय अध्यक्ष महोदय,एक आखिरी बात यह है कि आर्थिक तंगी के कारण यह आत्महत्या हुई. आनंद मंत्रालय नहीं बल्कि आप रोजगार प्रदान करेंगे तो निश्चित रूप से आत्महत्यायें रुकेंगी.
श्री जितू पटवारी---माननीय अध्यक्ष महोदय, एक मिनट का समय दे दें तो मेहरबानी होगी.माननीय मंत्री जी अभी आपने कहा कि..
अध्यक्ष महोदय--- मैंने आपको एलाऊ नहीं किया है. हिना जी को एलाऊ किया है. कोई मेहरबानी नहीं होगी.(हंसी)
लालबर्रा विकासखण्ड में सामूहिक नल-जल परियोजना का क्रियान्वयन
9. ( *क्र. 1369 ) सुश्री हिना लिखीराम कावरे : क्या लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) विषयांकित कार्य कब प्रारंभ किया गया तथा कार्य पूर्ण करने की अवधि क्या है? कुल कितने गांवों को पेयजल प्रदान करने की योजना है? वर्तमान में कितने गांवों को पेयजल प्रदाय किया जा रहा है? प्रमाणित जानकारी उपलब्ध करावें। (ख) विषयांकित योजना की लागत कितनी है और किस एजेंसी से कार्य कराया जा रहा है? एजेन्सी के नाम, पते सहित प्रमाणिक जानकारी दें। (ग) विषयांकित योजना का कितना कार्य हुआ है तथा कितना कार्य बाकी है अब तक कुल कितनी राशि का भुगतान किया गया है? (घ) किस-किस साईज़ के ह्यूम पाईप किस दर से किस फैक्ट्री से तथा किस प्रक्रिया के तहत खरीदा गया? ह्यूम पाईप परिवहन एवं लोडिंग अनलोडिंग में कितनी राशि व्यय की गयी? फैक्ट्री मालिक के नाम, पते सहित जानकारी दें।
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री ( सुश्री कुसुम सिंह महदेले ) : (क) जनवरी 2011 में। जून 2017। 101 ग्रामों को। 61 ग्रामों को। (ख) रूपये 13001.28 लाख। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) 80 प्रतिशत कार्य पूर्ण, 20 प्रतिशत शेष। अब तक रूपये 11638.04 लाख का भुगतान किया गया। (घ) योजना अंतर्गत विभाग द्वारा ह्यूम पाइप क्रय नहीं किये गये हैं, शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता. परिशिष्ट - ''तीन''
सुश्री हिना लिखीराम कावरे—माननीय अध्यक्ष महोदय, हम विधायकों को प्रश्न करने का अधिकार प्राप्त है और जब हम प्रश्न करते हैं तो उसमें यदि हमको तारांकित प्रश्न करना है उसके लिए वरीयता क्रम निर्धारित किया जाता है. जब हम वरीयता क्रम निर्धारित करते हैं तो एक विभाग के दो प्रश्नों में हम जब तैयारी करते हैं तो जो हमारी वरीयता होती है उसी के आधार पर हम पूरी तैयारी करते हैं क्योंकि हमें यह तो पता होता है कि किस विभाग का प्रश्न कब लगा है लेकिन प्रश्न कौन सा आएगा इस बात की जानकारी हमको जब उत्त पुस्तिका हमारे पास आती है तब ही पता चलता है. मेरे पास रात में 10 बजे उत्तरपुस्तिका आई और मैंने जो वरीयता क्रम पीएचई विभाग का दिया था उसमें दूसरी वरीयता क्रम को तारांकित प्रश्न में दे दिया गया और पहली वरीयता को अतारांकित में परिवर्तित कर दिया गया. अध्यक्ष महोदय, पहले तो मैं यह आपत्ति आपके माध्यम से दर्ज कराना चाहती हूं कि यह विधायकों के अधिकारों का हनन है. या तो वरीयता क्रम को हटा दिया जाये और यदि वरीयता क्रम है तो उसको सही तरीके से आप लागू करवायें.
अध्यक्ष महोदय-- आपने यह पत्र अभी दिया है, जो आपने यह शिकायत की है उसको मैं दिखवा लेता हूं और आपको अवगत करवाता हूं.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे--- माननीय अध्यक्ष महोदय, अब जो प्रश्न आ गया है उसमें मैं यह कहना चाहता हूं कि 101 ग्रामों को पेयजल प्रदान करने की योजना तैयार की गई है जिसमें से 61 ग्रामों में पेयजल प्रदान करवाया जा रहा है लेकिन 40 ग्रामों में अभी काम चल रहा है और जून 2017 तक यह काम पूर्ण होने का उत्तर आया है. मैं माननीय मंत्री जी से केवल यही जानना चाहती हूं कि क्या आप अपने विभाग को यह दिशा निर्देश देंगी कि वह 2017 तक अपनी इस पेयजल की योजना को पूर्ण कर लेंगे क्योंकि अभी हमने देखा है कि कई दिनों से पानी की टंकी का निर्माण कार्य जो होना हैं वह अधूरे पड़े हुए हैं , उसमें कहीं कोई काम हमको होता दिखाई नहीं दे रहा है. मैं मंत्रीजी से यही जानना चाह रही हूं.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले-- माननीय अध्यक्ष महोदय, निश्चित रूप से यह कार्य 2017 तक हम पूरा कर लेंगे.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे--- धन्यवाद.
अज्ञात आरोपियों की गिरफ्तारी
10. ( *क्र. 1317 ) श्री यादवेन्द्र सिंह : क्या गृह मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) दिनांक 14.07.14 में मुद्रित ता. प्रश्न संख्या 03 (क्र. 364) के प्रश्नांश (क) का उत्तर जी हाँ थाना नागौद जिला सतना में अपराध क्र. 16/2014 की धारा 302 भ.द.वि. पंजीबद्ध किया गया है, दिया गया था जिस पर विधान सभा में चर्चा के दौरान माननीय गृह मंत्री जी द्वारा पुलिस महानिरीक्षक रीवा जोन द्वारा अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सतना के नेतृत्व में एक पाँच सदस्यीय टीम अज्ञात आरोपियों की तलाश हेतु गठित की गई थी, ऐसा कहा गया था? (ख) प्रश्नांश (क) यदि हाँ, तो अज्ञात आरोपियों को पकड़ने हेतु विगत दो वर्षों में क्या-क्या कार्यवाही की गई है? कार्यवाही संबंधित प्रतिवेदन दें। (ग) क्या थाना प्रभारी एवं अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक एवं गठित टीम के सदस्यों द्वारा आरोपियों से मिलीभगत होने के कारण हत्या के आरोपी पकड़ में नहीं आ रहे हैं? इसलिये क्या सी.आई.डी. जाँच कराई जायेगी? यदि हाँ, तो कब तक यदि नहीं, तो क्यों?
गृह मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ठाकुर ) : (क) जी हाँ। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार। (ग) जी नहीं। प्रकरण में आरोपी अज्ञात है, गठित विशेष अनुसंधान दल द्वारा प्रकरण का अनुसंधान किया जा रहा है। अतः सी.आई.डी. से जाँच कराई जाने का कोई औचित्य नहीं है।
श्री यादवेन्द्र सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे नागौद थाना अंतर्गत वर्ष 2014-15 पौड़ी गांव में तीन हत्यायें हुई, चाहे जयमंगल सिंह जी की हों, चाहे विनोद गड़ारी की हो , चाहे बर्मन की हत्या हुई हो,उसका अभी तक कोई सुराग पुलिस के द्वारा नहीं मिला है. वहाँ आज तक तीन-चार टीआई आए और चले गये लेकिन उनका कोई पता पुलिस नहीं लगा पाई है. कई बार इस विषय में विधानसभा प्रश्न लगाये गये, हर बार जवाब आया कि हम कार्यवाही कर रहे हैं, हत्यारों को पकड़ेंगे. आपके एसपी असक्षम हैं, एसडीओपी असक्षम हैं..
अध्यक्ष महोदय--- आप कृपया प्रश्न करें.
श्री यादवेन्द्र सिंह--- अध्यक्ष महोदय, मैंने इस बार सीआईडी जांच की मांग की तो माननीय मंत्री जी ने कहा है कि सीआईडी उपलब्ध नहीं सकती है. तो जब आपका जिले का पुलिस विभाग असक्षम है तो क्या अपराधियों को पकड़ा नहीं जाएगा ?
श्री भूपेन्द्र सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी का जो प्रश्न है वह निश्चित रूप से बहुत ही गंभीर प्रश्न है और मैं इस बात को मानता हूँ कि इस प्रकरण में विवेचना में प्रारंभ से ही लापरवाही हुई है इसलिए इस प्रकरण में हमने यह निश्चित किया है कि जो हमारे एडीजी (सीआईडी) हैं, इनके नेतृत्व में हम एक टीम बनाएँगे और यह टीम पूरी घटना की जाँच करेगी और जो इसमें आरोपी है उनके खिलाफ हम जल्दी कार्यवाही करेंगे.
श्री शंकरलाल तिवारी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह सतना से जुड़ा है मैं यह पूछना चाहता हूँ....
अध्यक्ष महोदय-- पहले उनको तो पूछ लेने दीजिए.
श्री शंकरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, आपने सबको अवसर दिया.
अध्यक्ष महोदय-- लेकिन उनका प्रश्न है उनको तो पूछ लेने दीजिए.
श्री यादवेन्द्र सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अब करीब करीब दो साल हो रहे हैं. चाहे एसपी हो, चाहे एसडीओ (पी) हो, जब कोई कार्य, मुझे मालूम है, मैं नहीं कहना चाहता, हमें सब मालूम रहता है किसने हत्या की, कौन फरार है, कौन किसकी मदद कर रहा है. यह सतना जिले के एसपी और एसडीओ (पी) के मत्थे नहीं होगा, न टीआई के, यदि आप यहाँ से दल गठित कर रहे हैं कोई एसपी, डीएसपी रैंक का....
अध्यक्ष महोदय-- उन्होंने एडीजी (अपर पुलिस महानिदेशक) का बोल ही दिया है, उसके नेतृत्व में जाँच कराएँगे.
श्री यादवेन्द्र सिंह-- क्या अलग से इसके लिए आप दल निर्धारित कर रहे हैं?
अध्यक्ष महोदय-- हाँ बोला है उन्होंने.
श्री यादवेन्द्र सिंह-- अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
श्री शंकरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, मुझे सिर्फ एक बात कहनी है आप यहाँ बैठे हुए हैं, यहाँ पर आप रक्षा करें. ये दो वर्ष पुराने मर्डर हैं. आज के नहीं हैं और माननीय मंत्री जी सदन में कह रहे हैं कि लापरवाही हुई है तो लापरवाही वालों के खिलाफ क्या कोई कार्यवाही होगी? अगर 302 जैसे मामले में दो दो साल तक लापरवाही हुई है तो उन अधिकारियों के ऊपर कोई कार्यवाही होगी?
अध्यक्ष महोदय-- आप बैठ जाइये. वे उत्तर दे रहे हैं.
श्री भूपेन्द्र सिंह-- अध्यक्ष महोदय, इसमें पूर्व में ही हमने जो अधिकारी वहाँ पदस्थ थे, उन सभी को “कारण बताओ नोटिस” जारी किए हैं. जैसे ही जवाब आएगा उनके विरुद्ध कार्यवाही होगी.
पुलिस कर्मियों को प्रदत्त सुविधाएं
11. ( *क्र. 1527 ) श्री नारायण त्रिपाठी : क्या गृह मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्तमान में प्रदेश के पुलिस कर्मचारियों-अधिकारियों को संवर्गवार क्या-क्या वेतन भत्ते, सुविधाएं शासन द्वारा दी जा रही हैं? क्या पुलिस कर्मचारियों-अधिकारियों की मैदानी ड्यूटी एवं कार्य अवधि को देखते हुए सरकार द्वारा उनके वेतन भत्तों व सुविधाओं में बढ़ोत्तरी पर विचार किया जा रहा है? (ख) वर्तमान में प्रदेश में कुल कितने पुलिस कर्मचारियों-अधिकारियों को शासकीय आवास सुविधा उपलब्ध है और कितनों को नहीं? पुलिस कर्मचारियों-अधिकारियों को सेवास्थल के समीप आवासीय सुविधा उपलब्ध कराये जाने की क्या योजना है?
गृह मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ठाकुर ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार। जी नहीं। (ख) वर्तमान में प्रदेश में कुल 32794 पुलिस कर्मचारियों-अधिकारियों को शासकीय आवास सुविधा उपलब्ध है और 69978 पुलिस कर्मचारियों-अधिकारियों को शासकीय आवास सुविधा उपलब्ध नहीं है। उपलब्ध संसाधन एवं बजट की उपलब्धता को दृष्टिगत रखते हुए ''मुख्यमंत्री आवास योजना'' अंतर्गत हुडको से ऋण लेकर आगामी पाँच वर्षों में 25000 आवासों का निर्माण करने के संबंध में प्रस्तावित विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन (डी.पी.आर.) पर परियोजना परीक्षण समिति की बैठक दिनांक 27.02.2016 को सम्पन्न हो चुकी है। प्रस्ताव शासन स्तर पर विचाराधीन है।
श्री नारायण त्रिपाठी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न पुलिस प्रशासन के जो अधिकारी, कर्मचारी हैं, उनके वेतन-भत्ता, ड्यूटी अवधि, समयसीमा एवं आवासीय व्यवस्था से संबंधित है. इन तमाम विषयों पर सरकार गंभीर भी है, व्यवस्था कर भी रही है पर मेरा एक प्रश्न है कि सतना में जो पुलिस कॉलोनी है, आवासीय कॉलोनी और मैहर में तीन थाने हैं बदेरा, अमदरा और मैहर. तीनों कॉलोनियों की स्थिति बड़ी जर्जर है. किसी भी तरह से रहने के लायक नहीं है. बरसात में पूरा पानी भर जाता है. गर्मी में भी वही स्थितियाँ हैं, तो हमारे सतना जिले की जो जिला कॉलोनी है और मैहर के तीनों थाने बदेरा, अमदरा और मैहर की जो पुलिस कॉलोनी है उनकी आवासीय व्यवस्था, क्या कोई नई व्यवस्था करेंगे और कब तक करेंगे? क्या कोई नई कॉलोनी बनाने का काम करेंगे?
श्री भूपेन्द्र सिंह-- अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी का कहना बिल्कुल सही है. माननीय अध्यक्ष जी, हमारे जो पुलिस के अधिकारी हैं, पुलिस के कर्मचारी हैं, इन सभी को आवास की सुविधा उपलब्ध हो. इसके लिए मध्यप्रदेश की हमारी सरकार ने मुख्यमंत्री आवास योजना अंतर्गत हुडको से ऋण लेकर और जो हमारे पुलिस के अधिकारी, कर्मचारी हैं, इनके पच्चीस हजार आवास बनाने की कार्यवाही चल रही है और जो माननीय विधायक जी ने अपनी विधान सभा के संबंध में कहा है इसको हम उसमें सम्मिलित कर लेंगे.
श्री नारायण त्रिपाठी- धन्यवाद मंत्री जी.
जबलपुर जिलांतर्गत खाद्यान्न का वितरण
12. ( *क्र. 1419 ) श्री अशोक रोहाणी : क्या खाद्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जबलपुर जिले में गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले पंजीकृत कितने कार्डधारी उपभोक्ता हैं? इन्हें किस मान से कितनी-कितनी मात्रा में कौन-कौन सी खाद्यान्न सामग्री शक्कर, केरोसिन वितरित करने का क्या प्रावधान है? (ख) प्रदेश शासन ने माहवार कितनी-कितनी मात्रा में कौन-कौन सी खाद्यान्न सामग्री शक्कर, केरोसिन का आवंटन किया है एवं कितनी-कितनी मात्रा में वितरित की गई? कितने कार्डधारी उपभोक्ताओं को कब से राशन का वितरण नहीं किया जा रहा है एवं क्यों वर्ष 2015-16 से 2016-17 जून, 2016 तक की जानकारी दें? (ग) नगर निगम जबलपुर सीमान्तर्गत वार्डवार कार्डधारी कितने-कितने उपभोक्ता हैं? शासन की नई राशन वितरण नीति के तहत कितने कार्डधारी उपभोक्ताओं को पात्रता पर्ची जारी कर मेपिंग की गई है? इनमें से कितने उपभोक्ताओं को कब से राशन का वितरण नहीं किया गया है एवं क्यों? (घ) विधानसभा क्षेत्र केंट (जबलपुर) के तहत किन-किन वार्डों के कार्डधारी कितने-कितने उपभोक्ताओं को पात्रता पर्ची दी गई है एवं कितने उपभोक्ताओं को पात्रता पर्ची नहीं दी गई है एवं क्यों? पात्रता पर्ची व मेपिंग वाले कितने उपभोक्ताओं को कब से राशन का वितरण नहीं किया गया है एवं क्यों? क्या शासन इसकी जाँच कराकर दोषी अधिकारियों पर कार्यवाही कर राशन का वितरण कराना सुनिश्चित करेगा?
खाद्य मंत्री ( श्री ओम प्रकाश धुर्वे ) : (क) जबलपुर जिले में बी.पी.एल. श्रेणी (प्राथमिकता परिवार में शामिल) के 3,00,291 परिवार हैं। इन्हे प्रति माह 5 कि.ग्रा. खाद्यान्न प्रति सदस्य के मान से 1 कि.ग्रा. शक्कर एवं नमक प्रति परिवार के मान से तथा 4 लीटर केरोसिन (नगरीय क्षेत्र के गैस कनेक्शनधारी परिवारों को छोड़कर) प्रति परिवार के मान से उपलब्ध कराया जा रहा है। (ख) जबलपुर जिले को जनवरी, 2015 से जून, 2016 तक आवंटित राशन सामग्री एवं आवंटन के विरूद्ध उक्त अवधि में वितरित मात्रा की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। यह उल्लेखनीय है कि जबलपुर ग्रामीण एवं शहपुरा क्षेत्र के 'द्वार प्रदाय' योजनांतर्गत अनुबंधित परिवहनकर्ता द्वारा अनियमितता करने के फलस्वरूप उसे ब्लैक लिस्टेड कर अभियोजन की कार्यवाही की गई। उचित मूल्य दुकानों पर राशन सामग्री पहुंचाने हेतु नवीन परिवहनकर्ता की व्यवस्था करने में समय लगने के कारण उचित मूल्य दुकानों पर माह जून, 2016 की राशन सामग्री विलंब से प्रदाय हुई, जिसका वितरण उपभोक्ताओं को माह जुलाई, 2016 में कराया जाएगा। दुकान से राशन सामग्री लेने हेतु आने वाले सभी सत्यापित पात्र परिवारों को सामग्री का वितरण किया जा रहा है। ऐसे पात्र परिवार जो किसी कारण से किसी विशिष्ट माह में राशन सामग्री नहीं ले जाते हैं, उन्हें आगामी माह में उक्त राशन को प्राप्त करने की पात्रता है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के अंतर्गत भारत सरकार द्वारा प्रदेश हेतु निर्धारित जनसंख्या एवं खाद्यान्न आवंटन सीमा से अधिक पात्र परिवारों का सत्यापन होने तथा उनके लिए अतिरिक्त खाद्यान्न आवंटन की आवश्यकता होने के कारण माह अप्रैल से जून, 2016 तक की अवधि में सत्यापित परिवारों में से बोगस एवं दोहरे परिवारों का विलोपन की कार्यवाही किए जाने के कारण उक्त अवधि में सत्यापित पात्र परिवारों को पात्रता पर्ची जारी नहीं की जा सकी थी, जिनकी पात्रता पर्ची माह जून, 2016 में जारी की गई है। इन परिवारों को भी माह जुलाई, 2016 से राशन का वितरण किया जाएगा। (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-स अनुसार है। प्रश्नांश 'ग' के उत्तर अनुसार। शेष भाग का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री अशोक रोहाणी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के उत्तर में सबसे पहले तो माननीय मंत्री जी को मैं धन्यवाद दूँगा कि कम से कम उन्होंने इस बात को माना कि पिछले चार माह से राशन वितरण में अव्यवस्था है. मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि किसी को अपना सत्यापन करने के लिए समग्र आईडी और आधार कार्ड कितने बार देना पड़ता है और क्या मेपिंग नहीं होने के कारण किसी का राशन बंद किया जा सकता है?
श्री ओमप्रकाश धुर्वे--माननीय अध्यक्ष महोदय, आधार कार्ड तो एक ही बार देना पड़ता है. यदि कहीं ऐसी शिकायत है तो माननीय सदस्य मुझे उसकी जानकारी उपलब्ध करवायें तो मैं जांच करवा लूंगा. दोबारा आधार कार्ड देने की आवश्यकता नहीं है.
श्री अशोक रोहाणी--माननीय अध्यक्ष महोदय, आज भी समग्र आईडी, आधार कार्ड के लिए बीपीएल हितग्राहियों को भटकाया जा रहा है. एक एक राशन दुकान से 200-200 नाम विलोपित किये जा रहे हैं. मेरा आपके माध्यम से मंत्रीजी से निवेदन है कि इसकी व्यवस्था होना चाहिए कि जब तब पात्रता पर्ची नहीं बनती या आपका मेपिंग में नाम नहीं है तब तक मेन्युअल उसको राशन मिलना चाहिए.
श्री ओमप्रकाश धुर्वे--माननीय अध्यक्ष महोदय, फर्जी राशन कार्ड बनने की शिकायत पूरे प्रदेश में मिल रही है इसलिए आधार कार्ड आवश्यक किया गया है और अभी निर्देश जारी करेंगे कि पात्रता पर्ची जो जनरेट होती है आवश्यकताएं पूरी करने के बाद ही जारी करें ताकि जो हितग्राही पात्र नहीं है या उसमें कुछ कमियां रह गईं है वह अनावश्यक रुप से पात्रता पर्ची लेकर घूमता है और उसे उचित मूल्य दुकान वाले राशन नहीं दे पाते हैं इससे सरकार की बदनामी होती है. इसकी नई व्यवस्था के हम आदेश जारी कर देंगे.
श्री अशोक रोहाणी--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा सीधा प्रश्न है कि जब पात्रता पर्ची है, समग्र आईडी है क्या यह पर्याप्त नहीं है क्या उसको अपात्र माना जायेगा ? इसका उत्तर मंत्रीजी दे दें.
श्री ओमप्रकाश धुर्वे--माननीय अध्यक्ष महोदय, उसको दे रहे हैं, वे पात्र हैं तो उनको दे रहे हैं.
श्री अशोक रोहाणी--नहीं दे रहे हैं यही तो मेरा प्रश्न है कि आप नहीं दे रहे हैं आप घोषणा कर दें यह पूरे प्रदेश की समस्या है.
(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--आप उत्तर आने दें. आप लोग उत्तर नहीं आने देते हैं.
श्री मुकेश नायक--माननीय अध्यक्ष महोदय, इस विधान सभा के अन्दर माननीय मुख्यमंत्रीजी ने यह घोषणा की थी कि अक्टूबर से दिसंबर तक सूखाग्रस्त किसानों को मुफ्त में अनाज दिया जायेगा, क्यों नहीं दे रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- वे आपका ही विषय बोल रहे हैं फिर भी आप उत्तर लेना नहीं चाहते हैं.
श्री अशोक रोहाणी--माननीय अध्यक्ष महोदय, कलेक्टर को सीधा निर्देश करें कि जिनके पास पात्रता पर्ची है, समग्र आईडी है उनको राशन दिया जाएगा जब तक उनका मेपिंग में नहीं होता है.
श्री ओमप्रकाश धुर्वे--माननीय अध्यक्ष महोदय, एक टोकन में पूरे परिवार का नाम रहता है. यदि परिवार में 6-7 लोग हैं उनमें से किसी एक का भी आधार कार्ड जमा करते हैं तो उनका राशन जारी करेंगे देने में कोई आपत्ति नहीं है.
अध्यक्ष महोदय--माननीय सदस्य कह रहे हैं कि इस बारे में कलेक्टर को निर्देश जारी करेंगे क्या.
श्री ओमप्रकाश धुर्वे--आलरेडी निर्देश हैं.
श्री अशोक रोहाणी--निर्देश नहीं हैं आज भी कलेक्टर साहब यह कह रहे हैं कि हमको निर्देश नहीं हैं. आप निर्देश कर दें.
श्री ओमप्रकाश धुर्वे--कल ही जारी कर देंगे.
श्री अशोक रोहाणी--आज ही जारी कर दीजिए न कल क्यों.
श्री ओमप्रकाश धुर्वे--लेकिन आधार कार्ड होना चाहिए.
प्रश्न संख्या--13
छतरपुर जिलांतर्गत दूध का उत्पादन/खपत
13. ( *क्र. 1508 ) श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक : क्या पशुपालन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) छतरपुर जिले का अनुमानित दूध उत्पादन एवं खपत माहवार कितनी है? माहवार कितना दूध जिले के बाहर भेजा जाता है? (ख) क्या दूध की खपत उसके उत्पादन से अधिक है? यदि हाँ, तो अतिरिक्त दूध कहाँ से और कैसे आता होगा? (ग) जिले में सिंथेटिक और नकली दूध और घी बनाने वाले कितने लोगों पर विगत 03 वर्षों में क्या-क्या कार्यवाही की गई? नकली और सिंथेटिक दूध और घी को पकड़ने हेतु विभाग द्वारा एवं अन्य विभाग द्वारा कब-कब कार्यवाही की गई?
पशुपालन मंत्री ( श्री अंतरसिंह आर्य ) : (क) छतरपुर जिले का वर्ष 2015-16 में माहवार औसत दुग्ध उत्पादन 26.51 हजार मेट्रिक टन रहा हैं। दुग्ध खपत से संबंधित जानकारी विभाग द्वारा संकलित नहीं की जाती है। दूध जिले के बाहर भेजे जाने संबंधित जानकारी विभाग द्वारा संकलित नहीं की जाती है। (ख) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) खाद्य सुरक्षा एवं नियंत्रक एवं औषधि प्रशासन द्वारा छतरपुर जिले में विगत 03 वर्षों में लिए गए नमूनों में से जाँच में नकली एवं सिंथेटिक का दूध/घी नहीं पाया गया। इस संबंध में दूध एवं घी पर की गई कार्यवाही का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है।
श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक-- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रश्नांश (क) में पूछा गया था कि जिले से बाहर कितना दूध जाता है. विभाग का जबाव आया है कि जानकारी नहीं है. मैं जानकारी दे रहा हूँ कि 15 से 20 हजार लीटर दूध बाहर जाता है. इस परिप्रेक्ष्य में मेरा सवाल माननीय मंत्रीजी और विभाग से यह है कि जवाब में बताया गया है कि 26.51 हजार मीट्रिक टन दूध का उत्पादन छतरपुर जिले में है जबकि बिजावर में दुग्ध शीत केन्द्र पहले स्थापित था जिसे पुन: स्थापित करने की आवश्यकता हेतु मैंने पत्राचार किया है और उसके जवाब में विभाग ने बताया है कि वहां दूध का उत्पादन कम है. मेरा सवाल यह है कि दूध का इतना उत्पादन है तो क्या वहां दुग्ध शीत केन्द्र पुन: स्थापित करने का प्रयास वर्ष 2016 के अंत तक सरकार करेगी ?
श्री अन्तर सिंह आर्य :- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी 2014 से लगातार दूध शीत केन्द्र वहां पर स्थापित करने के लिये प्रयासरत हैं.परन्तु विभाग की जो जानकारी थी कि गर्मी में दूध की मात्रा कम हो जाती थी इसलिये उसको बन्द किया. परन्तु मैं माननीय विधायक जी से आग्रह करना चाहूंगा कि माननीय विधायक जी ने माननीय मुख्यमंत्री जी को पत्र भेजा और वह पत्र भी हमारे विभाग में आया है. मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि फिर से इसका परीक्षण करा लेते हैं. हमारे अधिकारी माननीय विधायक से सम्पर्क करके फिर से इसके मिल्क रूट आदि का सर्वे करेंगे. जहां पर उस मात्रा दूध का उत्पादन पाया जायेगा तो हम नियमानुसार कार्यवाही करेंगे. माननीय विधायक इसमें सहयोग करें ऐसी मैं अपेक्षा करता हूं.
श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक:- माननीय अध्यक्ष महोदय, सहयोग तो करेंगे ही क्योंकि लगातार दो साल से हम प्रयासरत हैं तो इसमें असहयोग की तो कोई बात ही नहीं है. बहुत-बहुत धन्यवाद.
सूखा घोषित श्योपुर जिले में विशेष कार्य योजना की स्वीकृति
14. ( *क्र. 603 ) श्री दुर्गालाल विजय : क्या लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्या सूखा घोषित श्योपुर जिले में (कराहल तहसील को छोड़कर) वर्तमान में भू-जल स्तर अत्यधिक गिर जाने के कारण कुल स्थापित हैण्डपम्पों में से आधे से अधिक हैण्डपम्प या तो सूख गये हैं या अपर्याप्त पानी दे रहे हैं तथा उक्त कारणों से जिले में पेयजल का गंभीर संकट व्याप्त है, जिलावासी व मवेशियों को पेयजल के अभाव में कई प्रकार की कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है। (ख) प्रश्नकर्ता के परि.अता. प्रश्न संख्या 18 (क्रमांक 1490) दिनांक 16.03.2016 के प्रश्नांश (ग) के उत्तर में बताया है कि उक्त समस्या के समाधान हेतु ई.ई. पी.एच.ई. श्योपुर द्वारा राशि 557.50 लाख की जो विशेष कार्य योजना कलेक्टर श्योपुर के अनुमोदन उपरांत शासन को स्वीकृति हेतु भेजी थी, उसे शासन द्वारा केन्द्र सरकार को स्वीकृति हेतु भेजा है तो बतावें कि उक्त कार्य योजना को केन्द्र से स्वीकृत कराने हेतु शासन द्वारा वर्तमान तक क्या कार्यवाही की गई कब तक इसे स्वीकृत करा लिया जावेगा।
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री ( सुश्री कुसुम सिंह महदेले ) : (क) जी नहीं। जी नहीं। जी नहीं। (ख) जी हाँ। वर्तमान में सूखे की स्थिति समाप्त हो जाने के कारण अब प्रश्नाधीन योजना की स्वीकृति की आवश्यकता नहीं है।
श्री दुर्गालाल विजय :- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न श्योपुर जिले में खराब हैंडपंप के बारे में है. एक प्रश्न तो यह है कि साढ़े पांच हजार से ज्यादा हैंडपंप श्योपुर जिले में लगे हुए हैं. उनमें से आधे से अधिक हैंडपंप खराब हैं. वहां का भूजल स्तर गिर जाने के कारण से और अन्य कारणों से आधे से अधिक नलकूप खराब होने से पेयजल का संकट बराबर विद्यमान है. श्योपुर जिले में लगभग 7000 हजार पशु हैं, तालाब और नदियों का पानी भी अभी भरा नहीं है, क्योंकि श्योपुर जिले में सबसे कम बारिश हुई है. श्योपुर विधान सभा क्षेत्र में बहुत ही न्यूनतम बारिश हुई है. ऐसे में गंभीर स्थिति है. इसलिये पी.एच.ई विभाग ने एक योजना बनाकर जिले के कलेक्टर को भेजी थी.मेरा पहला प्रश्न यह है कि जो हैंडपंप खराब है इनके बारे में सरकार क्या करेगी और पेयजल की व्यवस्था को क्या सरकार ठीक करेगी. प्रश्न यह है कि चम्बल नदी से गांव में पानी देने के लिये एक योजना बनाकर भेजी थी. इसके उत्तर में लिख दिया है कि सूखे की स्थिति खत्म हो गयी है इसलिये इसकी आवश्यकता नहीं है. यह बहुत ही आश्यर्यजनक उत्तर है. लोग पीने के पानी के संकट से जूझ रहे हैं, परेशान हो रहे हैं और पूरे नलकूप खराब पड़े हुए हैं. ऐसी अवस्था में, मैं दोनों प्रश्नों का उत्तर चाहता हूं.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले:- माननीय अध्यक्ष महोदय,100 हैंडपंप खराब थे, उनमें से हमने 62 हैंडपंप सुधरवा दिये हैं, बाकी हैंडपंप भी हम सुधरवा देंगे.
अध्यक्ष महोदय:- आप दूसरा प्रश्न फिर से कर दीजिये.
श्री दुर्गालाल विजय :-मेरे पिछले प्रश्न के उत्तर में 310 हैंडपंप खराब होने की जानकारी आपने दी थी. उनमें से अभी मुश्किल से 50 या 60 हैंडपंप ठीक हुए हैं.बाकी खराब हैं इसके अलावा जल स्तर गिरने के कारण खत्म हो गये हैं. वहां पर पानी का कोई स्त्रोत नहीं बचा है उनके बारे में आप क्या करेंगे. इसमें योजना को तो कोई उत्तर ही नहीं दिया गया है. नलकूप के बारे में इसकी क्या व्यवस्था करेंगे. इस योजना के बारे में जो केन्द्र सरकार को चली गयी है और आपने कह दिया है कि वहां पर सूखे की स्थिति नहीं है.
अध्यक्ष महोदय:- आप योजना के बारे में तो उत्तर ले लीजिये.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले:- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह योजना केन्द्र पोषित योजना थी और केन्द्र सरकार ने हमको पैसा नहीं दिया है. यदि नहीं दिया तो नहीं दिया, हम अपने संसाधनों को इकट्ठा करके उसको बनायेंगे. माननीय अध्यक्ष महोदय, हम योजना का परीक्षण करवा रहे हैं और केन्द्र सरकार से जो योजना का पैसा मिलना था वह हमको नहीं मिला है, लेकिन हम अपने संसाधनों से उसका परीक्षण करवा रहें हैं और हम उस योजना को पूरा करेंगे.
श्री दुर्गालाल विजय :- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक बात और कहना चाहता हूं कि यह जो योजना है. इस योजना को आपके विभाग ने भी महसूस की है.इसका परीक्षण करवा कर इसको आप मंजूरी देंगे क्या ?
अध्यक्ष महोदय :- मंत्री जी ने कह दिया है कि इसका परीक्षण करवा रहे हैं.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले--माननीय अध्यक्ष महोदय, केन्द्र सरकार पैसा दे देती तो आपकी योजना पूरी हो गई होती, लेकिन केन्द्र सरकार ने पैसा नहीं दिया है तो अपने संसाधनों से हम योजना को पूरा करेंगे. हमें मालूम है कि इस कार्य की आवश्यकता है, हम आवश्यकता के अनुरूप काम करने को तैयार हैं.
श्री रामनिवास रावत--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने पूरे जिले का प्रश्न पूछा. मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि प्रदेश में श्योपुर में सर्वाधिक भूजल स्तर गिरा है प्रदेश में. 150 फीट विजयपुर में गिरा है, 120 फीट करहाल में गया है और 80 फीट श्योपुर में गिरा है, इसके कारण से हैण्डपम्प सूख गये हैं. यही पीड़ा माननीय सदस्य की भी है और हमारी भी है. क्या ऐसे क्षेत्रों को जहां पर पेयजल से लोग जूझ रहे हैं, पशु मर रहे हैं, पशुओं ने पलायन किया, लोगों ने पलायन किया और आपने इसी धारणा को दृष्टिगत रखते हुए आपने कार्य योजना तैयार की और कार्य-योजना को तैयार करके आपने केन्द्र शासन को भेजा. मेरा प्रश्न यह है कि इसको भविष्य में इस तरह की स्थितियां उत्पन्न न हों, एक तो हैण्डपम्पों के संधारण करने के सख्त निर्देश देंगे कि पांच दिन से अधिक दिन हैण्डपम्प खराब न रहे, दूसरा जो आपने कार्य योजना बुलवाई है या तो उसकी स्वीकृति केन्द्र शासन से मिले अगर नहीं मिलती है तो उसको राज्य सरकार स्वीकृत करे, जनता तो प्रदेश की है, प्रदेश का अधिकार एवं प्रदेश का दायित्व एवं प्रदेश के लोगों को पानी पिलाना कर्तव्य है.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले--माननीय अध्यक्ष महोदय,मैं तो इस बात को पहले ही कह चुकी हूं कि हमने 100 में से 62 हैण्डपम्प सुधरवा दिये हैं. रहा भूजल स्तर गिरने का सवाल यह तो प्रकृति की मार है, अभी पानी भी बरस रहा है तो निश्चित रूप से भूजल स्तर बढ़ रहा होगा.
श्री रामनिवास रावत--माननीय अध्यक्ष महोदय, इस योजना को केन्द्र सरकार स्वीकृति नहीं देती है तो क्या राज्य शासन इसकी स्वीकृति प्रदान करेगी.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले--माननीय अध्यक्ष महोदय, निश्चित रूप से करेगी इस बात को मैं पहले ही कह चुकी हूं. आपको दोबारा प्रश्न करने की जरूरत ही नहीं है.
श्री रामनिवास रावत--माननीय अध्यक्ष महोदय,राज्य सरकार पैसा कब तक जारी करेगी.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले--माननीय अध्यक्ष महोदय,यह भी निर्देशित करती हूं कि हैण्डपम्प सुधारने का आपने पांच दिन का कहा है, उसके बदले तीन दिन में हैण्डपम्प सुधरेंगे.
प्रश्न संख्या 15
गाडि़यों में अनाधिकृत रूप से लाल/पीली बत्ती का उपयोग
15. ( *क्र. 1 ) श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा : क्या गृह मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या अशोकनगर जिलें में प्रसिद्ध भू-माफिया, खनन माफिया व राशन माफिया के परिवार के सदस्य द्वारा अपनी गाड़ियों में लाल बत्ती/पीली पत्ती लगाकर जिला पंचायत परिसर व जिलाधीश परिसर, भोपाल व जिले के गांवों में घूमते रहने की कितनी शिकायतें जिलाधीश, पुलिस व परिवहन विभाग को पिछले डेढ़ वर्ष में मिली। (ख) उन शिकायतों पर शासन ने क्या कार्यवाही की तथा लाल बत्ती/पीली बत्ती जप्त कर कितना व कब-कब जुर्माना किया?
गृह मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ठाकुर ) : (क) जिला अशोकनगर में प्रसिद्ध भूमाफिया, खनन माफिया व राशन माफिया के परिवार के सदस्यों द्वारा अपनी गाड़ियों पर लाल/पीली बत्ती लगाकर घूमने के संबंध में पुलिस विभाग को पिछले डेढ़ वर्ष में कोई शिकायती आवेदन पत्र प्राप्त नहीं हुआ है। (ख) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के उत्तर में मंत्री जी ने कहा है कि उनको डेढ़ साल में एक भी पत्र नहीं मिला है. तीन पत्र तो मेरे पास में हैं पिछले आठ महीने में मुख्यमंत्री, प्रमुख सचिव, जिलाधीश, एस.पी.ट्रांसपोर्ट कमिश्नर को लिखे हैं, यह आपका असत्य उत्तर है, नंबर दो अभी 25 जून 2016 को आपके आर.टी.ओ. केवरे को एक पत्र लिखा है उसकी रसीद भी मेरे पास में है इसका भी आपने उल्लेख नहीं किया है कि उनको यह पत्र मिला है यह आपके विभाग का अधिकारी है. मैंने आठ माह पूर्व लिखा था कि अमरोद व घटावदा में पीली एवं लाल बत्ती लगाकर के गाड़ियां घूम रही हैं, लेकिन उन पर कोई कार्यवाही नहीं हुई. अभी 25 जून, 2016 को आर.टी.ओ ने एक गाड़ी जप्त की है उस पर जुर्माना भी किया है, लेकिन उसके कागज जप्त नहीं किये हैं, हो सकता है कि वह निजी गाड़ी चोरी की हो. मेरा प्रश्न यह है कि मेरे पास में वॉट्असप है उसमें एम.पी.67 सी.टू.101 लालबत्ती की गाड़ी में खनन माफिया है यह बिना नंबर की गाड़ी है उस पर पुलिस एवं बुल्लर लिखा है उसमें रिहटवास में मर्डर हुआ 302 का मुलजिम वह खनन माफिया के साथ में खड़ा हुआ है. फोर्ड एन्डेवर पर लालबत्ती एम.पी.08 सी 3039 प्रायवेट गाड़ी जिस पर यादव लिखा है, उस पर भी खनन माफिया है, मैं यह वॉट्असप आपको भेज दूंगा. क्या आप इसकी जांच करायेंगे.
श्री गोपाल भार्गव--माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रसिद्ध भू-माफिया, प्रसिद्ध खनन माफिया यह शब्द पहली बार सुने हैं.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा--अध्यक्ष महोदय, अभी 25 जून को पकड़ा गया है और 10 करोड़ रूपये का जुर्माना खनन माफिया पर हुआ है, वह पकड़ा गया है, रात को खनन करते हुए, उसकी चोरी की गाड़ियां भी जप्त हुई हैं आप इसकी भी जांच कराएंगे.
अध्यक्ष महोदय--प्रसिद्ध नहीं कुख्यात शब्द है.
परिवहन मंत्री (श्री भूपेन्द्र सिंह)- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी ने जो प्रश्न पूछा है । विधायक जी द्वारा एस पी अशोकनगर को लाल पीली बत्ती के संबंध में और खनन माफिया के सबंध में पत्र दिया गया । दूसरा आपने भोपाल के बारे में भी कहा है । भोपाल का पत्र आपका प्राप्त नहीं हुआ है परन्तु एसपी अशोकनगर को जो आपने पत्र दिया है, वह पत्र प्राप्त हुआ । उस पत्र के आधार पर एसडीओपी अशोकनगर और वहां के टीआई ट्राफिक ने जांच की और जिस गाड़ी नम्बर के संबंध में आपने कहा है, जांच में वह गाड़ी कहीं पर भी नहीं पाई गई परन्तु मैं आपकी इस बात से सहमत हूं कि हमारे प्रदेश के अंदर अनेक लोग हैं, जिनको लाल बत्ती की पात्रता नहीं है ।
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे सिर्फ आश्वासन चाहता हूं जो मैंने नम्बर आपको दिए हैं, क्या आप उनकी जांच कराएंगे. अभी 15 दिन पहले रात को सात से आठ गाडि़यां बिना नम्बर की पकड़ी गई हैं । उन लोगों को आप कब गिरफ्तार करेंगे, खनन माफियाओं के नाम आ गए हैं । उन पर एफआईआर दर्ज हुई, उन्होंने तहसीलदार और पुलिस पर हमला किया । आप उनको गिरफ्तार क्यों नहीं कर रहे हैं । क्या आप उनको गिरफ्तार करेंगे । उन गाडि़यों को जप्त करें और जो बिना लायसेंस की बिना नम्बर की गाडि़या हैं, उन पर आप कब कार्यवाही करेंगे ?
अध्यक्ष महोदय- माननीय मंत्री जी संक्षेप में बता दीजिए समय हो गया है ।
श्री भूपेन्द्र सिंह- आप जिनका भी उल्लेख कर रहे हैं वह सारा रिकार्ड में आ गया है जिन गाडि़यों के बारे में आपने कहा है आज ही जांच के आदेश जारी करूंगा और अगर जांच में सही पाया जाता है तो इस पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही करेंगे ।
अध्यक्ष महोदय- प्रश्नकाल समाप्त.
(प्रश्न काल समाप्त )
अध्यक्ष महोदय- श्री आरिफ अकील (व्यवधान) शून्यकाल की सूचनाएं हो जाने दे फिर उसके बाद आपकी बात सुनेंगे ।
श्री दिलीप सिंह परिहार- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह लोग बिना अनुमति के पैकेट बनाकर ले आए हैं ।
अध्यक्ष महोदय- आप सभी बैठ जाएं, यह 10 सूचनाएं हैं, पहले यह हो जाने दें.
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से बधाई देना चाहता हूं ।
अध्यक्ष महोदय- आप सभी बैठ जाइए, शून्यकाल की सूचनाएं हो जाने दे उसके बाद जितू पटवारी जी आपकी बात सुनेंगे ।
डॉ गोविन्द सिंह- (XXX)
नियम 267 क के अधीन विषय
1. मध्यप्रदेश के शैक्षणिक संस्थाओं को नियम विरूद्व मान्यता दिया जाना
श्री आरिफ अकील- अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना पढ़ी हुई मानी जाए ।
अध्यक्ष महोदय- श्री आरिफ अकील की सूचना पढ़ी हुई मानी जाएंगी.
2) मुरैना जिले थाना मातावसैया के ग्राम खैरा में युवक की हत्या.
डॉ. गोविन्द सिंह (लहार) – अध्यक्ष महोदय,
3) विदेशी फलों पर लगे हुये केमिकलों की जांच हेतु लेबोरेटरी की
पदस्थापना न होना.
श्री यशपालसिंह सिसोदिया (मंदसौर) – अध्यक्ष महोदय,
विदेशों से म.प्र. में भेजे गये फलों को लंबे समय तक तरोताजा रखने के लिये उन पर केमिकल विदेश में लगाकर म.प्र. के बाजारों में बेचा जा रहा है. स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के चलते आम आदमी मरीजों के लिये महंगे दामों पर सेवफल जैसे इन फलों को खरीदकर परिवार व मरीजों को खिला रहे हैं. उल्लेखनीय है कि इन फलों को उपयोग में लेने के लिये गर्म पानी से धोना व साफ करना अत्यन्त आवश्यक है. किन्तु जानकारी के अभाव में प्रदेश की आम जनता सिर्फ ठण्डे पानी से धोकर तथा कई बार तो सीधे ही उपयोग में ले रही है. जिससे नागरिकों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. इस तरह के केमिकल लगे सेवफल एवं अन्य फल विदेशों में पूर्णत: प्रतिबंधित हैं. इन फलों पर लगी केमिकल की जांच के लिये न तो प्रदेश में कोई लेबोरेटरी है और न ही स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस संबंध में कोई जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. केमिकल लगे सेवफल एवं अन्य फलों को तत्काल प्रभाव से प्रदेश में पूर्णत: बन्द कराया जाये.
4) नीमच विधानसभा क्षेत्र में स्थित रेतम नदी पर पुलिया का
निर्माण न होना.
श्री दिलीप सिंह परिहार (नीमच) – अध्यक्ष महोदय,
नीमच विधानसभा क्षेत्र में स्थित रेतम नदी जिसके एक छोर पर ग्राम पंचायत मांगरोल तथा दूसरे छोर पर मांगरोल चक आता है. जहां पर एक पुलिया की जनहित में महती आवश्यकता है क्योंकि रेतम नदी पर सिंचाई बांध के बन जाने के पश्चात् नदी का जल स्तर बढ़ जाता है और मांगरोल चक के किसानों का सम्पर्क ग्राम पंचायत से बिल्कुल टूट जाता है. जिसके परिणामस्वरूप किसानों को पंचायत भवन में हितग्राही मूलक योजनाओं से संबंधित कार्यों के लिये करीबन 8 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करके जाना पड़ता है. जबकि ग्राम पंचायत मांगरोल से मांगरोल चक की दूरी 1 किलोमीटर से भी कम है. मांगरोल चक के रहवासी विगत 8 वर्षों से इस समस्या के समाधान हेतु प्रयासरत हैं, किन्तु समस्या का समाधान नहीं होने के कारण क्षेत्रवासियों में गहरा असंतोष व्याप्त है. मैं इस सूचना के माध्यम से सदन का ध्यान आकर्षित कराना चाहूँगा.
5) विद्युत मण्डल द्वारा विद्युत कटौती व बिजली गुल होने से नागरिकों को परेशानी होना.
श्री सुदर्शन गुप्ता (इन्दौर-1) – अध्यक्ष महोदय,
(6) मुरैना सुमावली विधान सभा क्षेत्र में जल संसाधन विभाग की कालोनी की जर्जर हालत होना.
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार (सुमावली) -- अध्यक्ष महोदय,
(7) सीहोर जिले के इछावर विधान सभा क्षेत्र में दूषित पेयजल से पीलिया का प्रकोप होना.
श्री शैलेन्द्र पटेल (इछावर) -- अध्यक्ष महोदय, सीहोर जिले के इछावर विधान सभा क्षेत्र की इछावर तहसील के ग्राम सतपीपलिया में कुछ दिन पूर्व दूषित पेयजल के उपयोग से बीमारी का प्रकोप फैल गया था, दूषित पेयजल उपयोग के कारण अनेकों लोग अस्पताल में भर्ती किये गये थे एवं सैकड़ों की तादाद में लोग बीमार हो गए थे. गांव में शुद्ध पेयजल के स्त्रोतों का अभाव है. शीघ्र ही पेयजल के नए स्रोत के लिये नलकूप खनन किया जाए अन्यथा ग्राम वासियों में असंतोष एवं रोष होने की संभावना है.
(8) श्योपुर जिले के सबलगढ़ में 220 केव्हीए उप केन्द्र की स्थापना की जाना.
श्री दुर्गालाल विजय (श्योपुर) -- अध्यक्ष महोदय,
12.14 बजे
शून्यकाल में उल्लेख
(1) भोपाल के बाढ़ पीड़ितों को प्रदाय किए गए गेहूं में मिट्टी की मिलावट होना.
श्री जयवर्द्धन सिंह (राघौगढ़) -- अध्यक्ष महोदय, भोपाल बाढ़ पीड़ितों के लिये जो गेहूं दिया गया है, उसमें 150 किलो की बोरी में 25 किलो से अधिक पूरी मिट्टी पाई गई है. सदन के बाहर पूरे बाढ़ पीड़ित लोग खड़े भी हैं और धरना भी दे रहे हैं. हम आज मंत्री जी से यह मांग कर रहे हैं कि वे हमें आश्वासन दें कि अगर राजधानी में बाढ़ पीड़ितों को ऐसा गेहूं बंट रहा है, तो हम कल्पना कर सकते हैं कि ग्रामीण क्षेत्र में कैसा गेहूं बंट रहा होगा. अध्यक्ष महोदय, हमारा आपके माध्यम से यही निवेदन है कि इसके बारे में मंत्री जी सफाई दें और जो अधिकारी/कर्मचारी इस घटना में लिप्त हैं उन पर कार्यवाही हो.
अध्यक्ष महोदय- ठीक है, आपकी बात आ गई.
श्री जयवर्द्धन सिंह --अध्यक्ष महोदय, मुझे एक कहानी याद आती है जब मैं छोटा था (XXX)..
अध्यक्ष महोदय- कहानी नहीं सुनायेंगे. यह कार्यवाही से निकाल दें.
श्री जयवर्द्धन सिंह - (XXX).
अध्यक्ष महोदय- बैठ जाईये आप. इस तरह से आरोप नहीं लगा सकते हैं.यह कार्यवाही से निकाल दीजिये.
श्री जयवर्द्धन सिंह -अध्यक्ष महोदय, जब ऐसा मिट्टी मिला हुआ गेहूं गरीबों को मिले तो इसके लिये दोषी कौन है.
श्री तरूण भनोत -- अध्यक्ष महोदय, तो कौन दोषी है.
अध्यक्ष महोदय-- ऐसे आरोप नहीं लगाये जा सकते हैं.
श्री बाबूलाल गौर-- अध्यक्ष महोदय, मैं भी कल दौरे पर गया था, सड़ा गेहूं बांटा जा रहा है . महोदय झुग्गी बस्तियों में सड़ा गेहूं बांट रहे हैं.
श्री मनोज अग्रवाल--अध्यक्ष महोदय, बिल्कुल सही बात है सड़ा गेहूं बांटा जा रहा है.
श्री जयवर्द्धन सिंह - अध्यक्ष महोदय, माननीय बाबूलाल गौर साहब पूर्व मुख्यमंत्री जी भी हमारे इस आरोप में साथ हैं.
श्री बाबूलाल गौर--अध्यक्ष महोदय, सड़ा गेहूं दे रहे हैं. झुग्गीवासियों को जो राशन दिया जा रहा है , सड़ा गेहूं था.
श्री तरूण भनोत -- अध्यक्ष महोदय, गरीबों को ऐसा गेहूं दिया जिसमें बहुत बड़ी बड़ी गिट्टी पाई गई है.
अध्यक्ष महोदय-- श्री आरिफ अकील जी अपनी बात कहेंगे.
श्री निशंक कुमार जैन -- अध्यक्ष महोदय, गौर साहब ने भी यह प्रश्न उठाया है. आप समझ लें कि कितना गंभीर प्रश्न है. इस पर कार्यवाही होनी चाहिये.
(कांग्रेस पार्टी के कई सदस्य एक साथ खड़े होकर के अपनी बात कहने लगे एवं श्री तरूण भनोत अपने हाथ में मिट्टी मिला हुआ गेहूं लेकर के आसंदी के समक्ष तक आ गये तथा अपनी बात कहने लगे)
अध्यक्ष महोदय- अपने स्थान पर जायें, मैंने श्री आरिफ अकील जी को पुकारा है. आपकी बात आ गई है, अन्य सदस्यों की भी बात आने दें.
(माननीय अध्यक्ष की समझाईश पर श्री तरूण भनोत सदस्य अपने स्थान पर वापस गये )
श्री बाबूलाल गौर -- अध्यक्ष महोदय जो अधिकारी इसमें लिप्त हैं उनको सस्पेंड किया जाये. सड़ा गेहूं बांट रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- आरिफ अकील साहब भी वही बात कह रहे हैं. स्थानीय नेता हैं, उनकी बात आने दें.
श्री आरिफ अकील-- अध्यक्ष महोदय, मेरा एक ही अनुरोध है कि जब मिट्टी मिला गेहूं बंट रहा है, तो आसंदी से कोई व्यवस्था आना चाहिये सरकार को हिदायत देना चाहिये कि इसकी व्यवस्था करें, इसकी जांच करायें, जो दोषी व्यक्ति हैं उनके खिलाफ कार्यवाही करें, आपसे हम यही उम्मीद रखते हैं, क्योंकि आप हमारे संरक्षक हैं, आप हमारी मदद करें.
अध्यक्ष महोदय--(डॉ.नरोत्तम मिश्र के खड़े होने पर) सब लोग बैठ जायें, माननीय मंत्री जी कुछ कह रहे हैं. माननीय सदस्यों ने जो बात कही है और माननीय आरिफ अकील साहब ने जो कहा है कि शासन की ओर से कोई बात आये, माननीय मंत्री जी उस विषय में कुछ कह रहे हैं.
संसदीय कार्य मंत्री,(डॉ.नरोत्तम मिश्र)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सम्मानीत सदस्यों ने जो विषय उठाया है वह वास्तव में गंभीर विषय है. सरकार ने भी इस पर संज्ञान लिया है, तत्काल ही जांच के आदेश दिये हैं चूंकि वह पैकिंग का गेहूं है, खुला गेहूं तो कोई बांट नहीं रहा था, पैकिंग का गेहूं था और उसमें यह अनियमितता पाई गई है. मैं पूरी तरह से आश्वस्त करता हूं कि इसकी जो जांच का बिंदू आयेगा उस पर हम तत्काल कार्यवाही करेंगे, कोई भी नहीं बख्शा जायेगा अध्यक्ष महोदय..
श्री आरिफ अकील-- उन लोगों को दुबारा गेहूं देंगे.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, मैं पूरी बात कह लूं.
अध्यक्ष महोदय--आप पहले पूरी बात आने दें फिर आप जो कहेंगे वह सुनेंगे.
श्री आरिफ अकील-- उनको क्या दुबारा गेहूं दोगे जिनमें मिट्टी मिली है.
अध्यक्ष महोदय-- पहले उनकी पूरी बात आने दें. शासन की बात तो आने दें. आरिफ अकील जी, आपकी बात के उत्तर में मंत्री जी कह रहे हैं, उन्हें सुनेंगे कि नहीं सुनेंगे. रावत जी कुछ कह रहे हैं. (कांग्रेस पार्टी के सदस्य आसंदी को हाथ में मिट्टी मिला हुआ गेहूं दिखाते हुये) इसको मत दिखाईये, यहां नहीं रखने देंगे. उसको आप जेब में रख लीजिये. शासन ने उसको संज्ञान में ले लिया है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा जबाव तो पूरा हो जाये. (श्री आरिफ अकील के खड़े होने पर) आप सुनिये तो, मैं बोल तो रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय-- आप समस्या का समाधान चाहते हैं कि नहीं चाहते हैं.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- मैं समाधान कर रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय- वो समाधान दे रहे हैं, आपके वरिष्ठ सदस्य बैठे हुये हैं वो कह रहे हैं कि हम समाधान चाहते हैं. कृपा करके बैठ जायें.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष महोदय, यह पूरी की पूरी घटना तीन दुकानों पर इस तरह की आई है. किसानों से खरीदा हुआ गेहूं था. जहां तक सम्मानित सदस्य आरिफ अकील जी ..
श्री रामनिवास रावत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी आपत्ति है. खरीदा आपने है, आपने मिट्टी मिलाई है, आपकी सोसायटी ने मिट्टी मिलाई है, किसानों का नाम नहीं लोगे आप.
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- ठीक है. आप पूरी बात तो सुन लें.
श्री रामनिवास रावत-- किसान सही गेहूं देता है. किसान नहीं, आप (XXX) कर रहे हो.
अध्यक्ष महोदय- इसको निकाल दें.
डॉ. नरोत्तम मिश्रा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जहां तक सम्मानित सदस्य आरिफ आकील जी ने जो बात कही है कि जिन हितग्राहियों ने गेहूं नहीं लिया है उन्हें दुबारा दिया जायेगा क्या ? निश्चित रूप से यह सरकार गरीब की सरकार की है, यह सरकार हिन्दुस्तान में किसानों की सरकार है, मुख्यमंत्री ऐसे मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने एक रूपये किलो गेहूं, एक रूपया किलो चावल, एक रूपया किलो नमक...
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, यह भाषण नहीं चलेगा. ये भाषण क्यों दे रहे हैं.
श्री आरिफ अकील-- क्या मिट्टी मिला हुआ गेहूं आप बदलोगे ?
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- जी हां, जी हां, बोल रहा हूं, सुनो तो सही, आप बैठो मैं बोल रहा हूं, एक-एक सवाल का जवाब दूंगा. .... (व्यवधान).... माननीय अध्यक्ष महोदय यह जिन्होंने भी बीच में गड़बड़ की है ...
श्री रामनिवास रावत-- मेरा एक प्रश्न का उत्तर दे दें.
अध्यक्ष महोदय-- इसी में साथ में इनका भी उत्तर दे दें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- हां, पूछ लें. .... (व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय-- वह आरिफ अकील साहब की बात का उत्तर दे रहे हैं. चलो आप पहले उनका बता दीजिये.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आरिफ अकील जी ने कहा है कि जिन हितग्राहियों ने गेहूं नहीं लिया है, उन्हें मिलेगा क्या, हां उनको मिलेगा. मिट्टी मिला हुआ गेहूं नहीं मिलेगा.
श्री आरिफ अकील-- बदलोगे.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- हां बदलेंगे.
अध्यक्ष महोदय-- रामनिवास रावत जी, .... (व्यवधान).... सब लोगों को अलाऊ नहीं करेंगे, श्री रामनिवास रावत जी और श्री जितू पटवारी जी बस. .... (व्यवधान).... हां मुकेश नायक जी, इसके बाद में आप.
श्री रामनिवास रावत-- काफी गंभीर मामला है, माननीय मंत्री जी ने खुद स्वीकार किया है, हम जांच करायेंगे और एक बात जो उन्होंने कही किसानों से खरीदा है, किसानों ने गेहूं दिया है, खरीदा आपकी सोसायटी ने है, आप जांच में इस बिंदू को भी रखें कि किस सोसायटी ने खरीदा, उसने मिट्टी मिलाई है, उनके खिलाफ कार्यवाही करें और जो आप जांच करा रहे हैं हम चाहते हैं कि आप उस जांच को कराने के बाद उस जांच की रिपोर्ट सदन के इसी सत्र के अंतिम दिन प्रस्तुत कर दें जिससे यह चीज स्पष्ट हो सके कि इसमें कौन-कौन दोषी हैं और आपने क्या कार्यवाही की और अगर आप बाद में जायेंगे तो आपकी मंशा ठीक नहीं है.
श्री मुकेश नायक-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह शिकायत केवल भोपाल की शिकायत नहीं है. इसलिये मैं मंत्री महोदय से यह प्रश्न पूछना चाहता हूं कि ...
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, इसको विस्तार नहीं देंगे. आप, जो अभी विषय उठा है उस पर कुछ बोलना चाहते हैं तो बोल दीजिये.
श्री मुकेश नायक-- इसी से उद्भूत है, मैं विनम्रतापूर्वक आपसे संरक्षण चाहूंगा. माननीय मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करें कि मध्यप्रदेश में जो चावल राशन के तहत वितरण हो रहा है, जो गेहूं का वितरण हो रहा है, जो चावल और गेहूं बांटे जा रहे हैं, (XXX) , ऐसे चावल और गेहूं बांटे जा रहे हैं मध्यप्रदेश में.
अध्यक्ष महोदय-- बैठ जाइये आप, नहीं यह कोई विषय नहीं है, रिकार्ड से निकाल दें, कुछ नहीं आयेगा. श्री जितू पटवारी जी .... (व्यवधान).... मुकेश नायक जी का नहीं लिखा जायेगा. बैठ जाइये कृपया. .... (व्यवधान)....
श्री जितू पटवारी-- अध्यक्ष जी, मेरा अनुरोध इतना है कि सरकार ने स्वीकार किया है कि अनियमितता हुई, कहां हुई उसकी जांच करायेंगे. मैं आपसे अनुरोध करता हूं, अभी माननीय मंत्री जी ने भी कहा कि शिवराज सिंह जी की गरीबों की सरकार है.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं यह विषय नहीं है.
श्री जितू पटवारी-- विषय पर ही हूं अध्यक्ष जी, विषय पर ही हूं मैं कभी विषय से नहीं भटकता हूं अध्यक्ष जी और आपके कहे अनुसार नियमों का पालन करते हुये ही अपनी बात रखता हूं.
अध्यक्ष महोदय-- आप कभी कभी विषय पर आते हैं. ... (हंसी)...
श्री जितू पटवारी-- (XXX).
अध्यक्ष महोदय-- नहीं यह कोई बात नहीं, यह निकालिये कार्यवाही से.
श्री जितू पटवारी-- आप नये मंत्री बने हैं, आपके कार्यकाल में होते हुये अनियमितता हो गई, क्या आप इस्तीफा देंगे, या फिर आप उस अधिकारी को निलंबित करेंगे, यह बतायें. .... (व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय-- बैठ जायें आप, अब यह विषय समाप्त हो चुका है. माननीय मंत्री जी ने अपनी बात कह दी फिर भी अगर वह कुछ कहना चाहें तो कहें. .... (व्यवधान).... यह विषय यहीं समाप्त कर देंगे. उनकी बात सुनना है कि नहीं सुनना है. आपको समाधान चाहिये कि नहीं.
श्री जितू पटवारी-- हां चाहिये.
अध्यक्ष महोदय-- तो बैठ जाइये आप.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह समाधान चाहते नहीं है, हो हल्ला चाहते हैं, समाधान चाहते हैं तो मैं जवाब देता हूं. .... (व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय-- अब किसी को अलाऊ नहीं किया जायेगा.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष महोदय आसंदी पर बैठे हैं, निवेदन मानो उनका.
अध्यक्ष महोदय-- बैठ जायें कृपया, समस्या का समाधान होने दें. .... (व्यवधान).... दिनेश राय जी बैठ जायें कृपया. बैठ जाइये निशंक जैन जी, नहीं यह नही चलेगा.
श्री निशंक जैन-- गेहूं खराब, इल्लियां मिल रही हैं, पूरे प्रदेश में हाहाकार मचा है. .... (व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय - कृपया बैठ जाईये. सिर्फ संसदीय कार्य मंत्री बोलेंगे फिर बात समाप्त हो जायेगी.
डॉ.नरोत्तम मिश्र - माननीय अध्यक्ष जी, मैं यह कह रहा हूं कि मुझे किन-किन सदस्यों की बात का जवाब देना है.
अध्यक्ष महोदय - रावत जी ने,जितू पटवारी जी की बात का जवाब देना है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र - मैं रामनिवास रावत जी की बात का जवाब दे रहा हूं कि किसानों से खरीदने के बाद जहां-जहां अनियमितताएं हुई हैं जहां यह कंकर-पत्थर मिलाये गये हैं उन सभी बिन्दु्ओं को इसमें शामिल किया जायेगा दूसरा इन्होंने कहा कि सत्र के आखिर में प्रतिवेदन आ जाये निश्चित रूप से आ जायेगा.
अध्यक्ष महोदय - पत्रों का पटल पर रखा जाना.
श्री रामनिवास रावत - माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे स्थगन हैं. दो-दो मिनट सुन लिया जाये. स्थगन दिये हुए हैं.
श्री बाला बच्चन - माननीय अध्यक्ष महोदय,
अध्यक्ष महोदय - स्थगन पर चर्चा अभी नहीं होगी. कोई अभी स्वीकार नहीं किये गये हैं.
अध्यक्ष महोदय - नेता प्रतिपक्ष जी बोल रहे हैं. एक मिनट उनका सुन लेते हैं. इसके बाद सभी विषय यहीं समाप्त हो जायेंगे कोई प्रश्न नहीं आयेगा कोई उत्तर नहीं आयेगा.
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार - माननीय अध्यक्ष जी, जो ग्वालियर की सात लड़कियां ओलंपिक दल में शामिल हुई हैं मैं उनको बधाई देना चाहता हूं. एक मिनट का समय चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय - आपकी बधाई की बात आ गई. इसका कोई नियम नहीं है. प्रतिपक्ष के नेता जी खड़े हैं कृपा करके उनका सम्मान करें. कैसे लोग हैं आप. बैठ जाईये और इसके बाद कोई बात नहीं होगी. सिकरवार जी बैठें. इसमें कुछ प्रश्नोत्तर नहीं होंगे कुछ नहीं होगा आप.
श्री मुकेश नायक - अध्यक्ष महोदय, मेरा स्थगन प्रस्ताव है पन्ना जिले के टूटे हुए बांधों के संबंध में है.
श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष महोदय,कम से कम अपनी बात तो कह दें
डॉ.नरोत्तम मिश्र - नेता प्रतिपक्ष आपके खड़े हैं उनका तो ध्यान करो. इस हद तक भी गुटबाजी नहीं होना चाहिये. इतनी देर से वे खड़े हैं.
प्रभारी नेता प्रतिपक्ष(श्री बाला बच्चन) - अध्यक्ष महोदय, हमारे दल की तरफ से हम लोगों ने एक स्थगन दिया है मध्यप्रदेश में अतिवर्षा हुई है बाढ़ आई है जिससे बांध टूट गये हैं.
वन मंत्री(डॉ.गौरीशंकर शेजवार) - अध्यक्ष महोदय, वैधानिक संकट उत्पन्न हो गया है.आप तय तो कर लें कि नेता प्रतिपक्ष कौन है.
श्री रामनिवास रावत -क्या बेकार की बात कर रहे हैं यह आपके बात करने का तरीका है.
(..व्यवधान..)
प्रभारी नेता प्रतिपक्ष(श्री बाला बच्चन) - अध्यक्ष महोदय, हमारे दल की तरफ से कांग्रेस पार्टी के विधायकों की तरफ से स्थगन दिया हुआ है और हमारा यह आग्रह है मध्यप्रदेश में अतिवर्षा से 15 से 20 जिले बहुत ज्यादा प्रभावित हुए हैं. काफी बाढ़ आई है और बाढ़ आने के कारण काफी मवेशी मर गये हैं. दो-तीन बार बोवनी करनी पड़ी है. बांध टूट गये हैं इसलिये हमारा यह आग्रह है कि हमारे स्थगन को आप स्वीकार करें उस पर चर्चा कराएं.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार - नेता प्रतिपक्ष कौन-कौन हैं. इस संवैधानिक संकट को अध्यक्ष महोदय, दूर किया जाये.
श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष महोदय, एक मिनट.
अध्यक्ष महोदय - नहीं अब नहीं. अध्यादेशों का पटल पर रखा जाना.
श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष महोदय,प्रदेश के ग्रामीण विकास विभाग के सचिव ने कहा है प्रदेश के दलित अधिकारियों पर अत्याचार हो रहा है. दलित अधिकारी आत्महत्या की धमकी दे रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - इनका नहीं लिखा जायेगा.
श्री रामनिवास रावत - XXX XXX
(..व्यवधान..)
12.26 बजे अध्यादेशों का पटल पर रखा जाना
मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय(स्थापना एवं संचालन)द्वितीय संशोधन अध्यादेश,2016 (क्रमांक 1 सन्2016) एवं मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय(स्थापना एवं संचालन) संशोधन अध्यादेश,2016(क्रमांक 2 सन्2016)
संसदीय कार्य मंत्री(डॉ.नरोत्तम मिश्र) - अध्यक्ष महोदय, मैं भारत के संविधान के अनुच्छेद 213 की अपेक्षानुसार निम्नलिखित अध्यादेश :-
1.मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय(स्थापना एवं संचालन)द्वितीय संशोधन अध्यादेश,2016 (क्रमांक 1 सन् 2016) एवं
2.मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय(स्थापना एवं संचालन) संशोधन अध्यादेश,2016
(क्रमांक 2 सन् 2016)
पटल पर रखता हूं.
श्री रामनिवास रावत - XXX XXX
12.27 बजे
फरवरी-अप्रैल,2016 सत्र के अपूर्ण उत्तरों के पूर्ण उत्तरों का संकलन पटल पर रखा जाना
अध्यक्ष महोदय - फरवरी-अप्रैल,2016 सत्र के प्रश्नों के अपूर्ण उत्तरों के पूर्ण उत्तर खण्ड-7 का संकलन पटल पर रखा गया.
श्री रामनिवास रावत - XXX XXX
12.28 बजे
नियम 267-क के अधीन फरवरी-अप्रैल,2016 सत्र में पढ़ी गई सूचनाओं तथा
उनके उत्तरों का संकलन पटल पर रखा जाना
अध्यक्ष महोदय - नियम 267-क के अधीन फरवरी-अप्रैल,2016 सत्र में सदन में पढडी गई शून्यकाल सूचनाएं तथा उनके संबंध में शासन से प्राप्त उत्तरों का संकलन सदन के पटल पर रखा गया.
(...व्यवधान..)
12.29 बजे बहिर्गमन
प्रदेश में आई बाढ़ एवं अतिवर्षा से प्रभावित हुए किसानों को मुआवजा न दिया जाना
प्रभारी नेता प्रतिपक्ष (श्री बाला बच्चन) - इन सब बातों के विरोध में हम सदन से बर्हिगमन करते हैं.
( प्रदेश में आई बाढ़ एवं अतिवर्षा से प्रभावित हुए किसानों को मुआवजा न दिये जाने के विरोध में श्री बाला बच्चन, प्रभारी नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में समस्त कांग्रेस सदस्यों द्वारा सदन से बर्हिगमन किया गया.)
12.29 बजे राज्यपाल की अनुमति प्राप्त विधेयकों की सूचना
अध्यक्ष महोदय - चतुर्दश विधान सभा के विगत सत्र में पारित 11 विधेयकों को माननीय राज्यपाल महोदय की अनुमति प्राप्त हो गई है. अनुमति प्राप्त विधेयकों के नाम दर्शाने वाले विवरण की प्रतियां माननीय सदस्यों को वितरित कर दी गई हैं. इन विधेयकों के नाम कार्यवाही में मुद्रित किए जाएंगे.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास(श्री गोपाल भार्गव)-- अध्यक्ष महोदय, सदन यह जानना चाहता है कि प्रतिपक्ष के लोगों ने किस विषय पर वॉक आऊट किया है.
संसदीय कार्य मंत्री(डॉ नरोत्तम मिश्र)--(डॉ गोविन्द सिंह,सदस्य के अपने स्थान पर उपस्थित रहने पर) डॉक्टर साहब, ये नेता प्रतिपक्ष के साथ नहीं गये हैं इनकी जिज्ञासा शान्त करें.
डॉ गोविन्द सिंह-- आपको इतना ज्ञान नहीं है कि बहिर्गमन में बाहर गये और वापस आ गये.
वन मंत्री(डॉ गौरीशंकर शेजवार)-- गोविन्द सिंह जी, ये जो बाहर आपके खिलाफ नारे लगा रहे हैं. गांधीजी से आपकी शिकायत कर रहे हैं, उनको जाकर देखो.(हंसी)
डॉ नरोत्तम मिश्र-- गोविन्द सिंह जी, आप सही कह रहे हो कि ये सदन के ज्ञाता हैं कि बहिर्गमन नहीं होता है कि गये और और वापस आ गये लेकिन कुछ लोग वापस क्यों नहीं आये यह तो पता कर लें.(हंसी) जो बहिर्गमन करके गये हैं, वह वापस क्यों नहीं आय़े. मीडिया में फोटो खिंचवाने ? यानि ये जो कुछ कर रहे हैं यह मीडिया में फोटो के लिए कर रहे हैं यह पुष्टि कर दी आपने.
श्री गोपाल भार्गव-- इन्होंने बहिर्गमन क्यों किया. कोई एक विषय बता दें.
समय 12.32 बजे उपाध्यक्ष महोदय (डॉ राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए.
(1) प्रदेश में विद्युत ट्रांसफार्मर खराब होने पर उपभोक्ताओं से अनियमित बिल की वसूली की जाना
श्री कैलाश चावला(मनासा)-- उपाध्यक्ष महोदय,
ऊर्जा मंत्री (श्री पारस चन्द्र जैन) - माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री कैलाश चावला - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने जो जवाब यहां पढ़कर सुनाया है, यह इस सदन को भ्रमित करने का प्रयास है. वस्तुस्थिति ऐसी नहीं है. मैं निवेदन करना चाहूंगा कि माननीय मंत्री जी ने यह तो स्वीकार किया है कि जिनके ऊपर 50 प्रतिशत से ज्यादा बकाया होते हैं, उनको काटा जाता है, उनका एक आंकड़ा भी 1231 का दिया है. सदन यह जानना चाहता है कि क्या 1231 का आंकड़ा फिक्स होता है? प्रतिदिन ट्रांसफार्मर जलते हैं, प्रतिदिन बकाया के पैसे आते हैं. प्रतिदिन उपभोक्ता को परेशानी का सामना करना पड़ता है, इसलिए किसी दिन भी कोई फिक्स ट्रांसफार्मर बंद है, यह कहना ठीक नहीं है. यह ट्रांसफार्मर ऐसे हो सकते हैं, जिनके 10-10 महीनों से ट्रांसफार्मर पूरी तरह से बंद हैं. इसमें सवाल अब यह है कि जो दूसरी बात कही गई है कि अस्थायी रूप से जो कनेक्शन काटे जाते हैं, उनसे बिजली का बिल भी वसूल किया जाता है.
अब यह भी कहा गया कि ऐसे लोग अवैध रूप से कनेक्शन ले लेते हैं. जब हमने फेस सेपरेशन किया तो हमने गांव में केबल डालने का काम शुरू किया है तो वह संभावनाएं भी लगभग नगण्य हो चुकी हैं कि दूसरे उपभोक्ता सीधे खुले तार से कनेक्शन लेकर बिजली जलाते थे.
मैं यहां पर यह कहना चाहता हूं कि जिस तरह से भ्रमित करने का प्रयास किया गया है अगर मैं उसको स्पष्ट नहीं करूंगा तो मंत्री जी मेरे प्रश्न का उत्तर ठीक से नहीं दे पायेंगे. मैं ज्यादा समय नहीं लेना चाहता था, लेकिन जिस तरह से विभाग के द्वारा यहां पर भ्रमित करने वाला उत्तर दिया गया है इसके लिए मुझे थोड़ा सा स्पष्टीकरण करने के लिए संरक्षण दें और मुझे अवसर दें ताकि मैं अपनी बात को ठीक से रखकर उपभोक्ताओं की समस्याओं को हल करने में इस सदन में अपने कर्तव्य का निर्वहन कर सकूं.
उपाध्यक्ष महोदय मेरा निवेदन है एक तरफ तो आप कह रहे हैं कि जो बकायादार होते हैं उनके खिलाफ में आरआरसी जारी की जाती है और वसूली की जाती है. मैं भी यह ही चाहता हूं कि जिन उपभोक्ताओं के बिल निर्धारित अवधि के बाद तक जमा नहीं होते हैं उनके कनेक्शन काटे जायें, उनके तार निकाल लिये जायें, उनके खिलाफ में जो कार्यवाही करना है, वह की जाय, किंतु जो उपभोक्ता नियमित रूप से बिल जमा करा रहे हैं. अगर किसी ट्रांसफार्मर पर 100 कनेक्शन हैं और उसमें से 25 अनियमित हैं और 75 नियमित रूप से पैसा जमा करा रहे हैं तो किस कानून के तहत मध्यप्रदेश विद्युत मण्डल को यह अधिकार प्राप्त है कि वह 75 उपभोक्ताओं को सप्लाई न दे और उस पर दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि उन 75 लोगों से भी बिल वसूल किया जाता है जबकि बिजली का प्रदाय मध्यप्रदेश विद्युत मण्डल नहीं करता है.
उपाध्यक्ष महोदय -- चावला जी आपकी मंशा पूरी तरह से स्पष्ट हो गई है. सब समझ गये हैं मंत्री जी भी समझ गये हैं.
श्री रामनिवास रावत -- उनकी पूरी बात आ जाय कैलाश जी बहुत सीनियर हैं वह बहुत अच्छे से बात को रख रहे हैं. पूरी बात को आ जाने दीजिए.
श्री कैलाश चावला -- उपाध्यक्ष महोदय यह समस्या सभी उपभोक्ताओं के लिए है. अगर एमपीईबी व्यावसायिक संगठन है तो उसे व्यावसायिक रूप से चलना पड़ेगा, किसी के खिलाफ में जजिया कर लगाकर जबरन वसूली का अधिकार मध्यप्रदेश विद्युत मण्डल को नहीं दिया जा सकता है. मैं मंत्री जी से यह कहना चाहता हूं कि जिन उपभोक्ताओं के बिल बकाया हैं और वह जमा नहीं हो रहे हैं, उसके लिए नियम बना हुआ है कि बिल न भरने के 7 दिन के बाद में उसका कनेक्शन डिसकनेक्ट कर दिया जायेगा. 7 दिन का अगर नियम है तो उसका कनेक्शन काट दिया जाय, उनकी वसूली दावा लगाकर डिफाल्टर मानकर की जाय. उनके कनेक्शन निकाल दिये जायें, लेकिन जो लोग नियमित रूप से बिल जमा करा रहे हैं. अगर उनको बिजली नहीं दी जाती है तो क्या आप ऐसे निर्देश देंगे कि जो डिफाल्टर हैं उनको अलग किया जाय, उनकी राशि अलग की जाय. अ गर नियमित बिल जमा करने वालों की राशि बकाया है तो वह राशि आप 50 प्रतिशत वसूल करें उससे हमें कोई एतराज नहीं है. एक सवाल इसके साथ में और है कि अगर मान लें ऐसी स्थिति आप नहीं कर पाते हैं तो ऐसे उपभोक्ता जो नियमित रूप से बिल जमा करा रहे हैं आप ट्रांसफार्मर 50 प्रतिशत राशि वसूल न होने के कारण नहीं चालू कर रहे हैं तो क्या उनके बिल वसूल नहीं करेंगे, यह भी जवाब आप दें.
श्री पारसचन्द्र जैन -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय जो बात हमारे सदन के सदस्य ने की है की कोई ऐसी जबरदस्ती की नहीं जाती है लेकिन यह बात निश्चित है कि जिस डीपी पर 100 प्रतिशत लोग पैसा नहीं भरते हैं उनकी डीपी जरूर उतार कर लायी जाती है. मैं इस बात से सहमत हूं....(व्यवधान ) ( -- सदन के पक्ष और विपक्ष के अनेक सदस्य अपने आसन पर खड़े होकर जोर जोर से बोलने लगे ) आप मेरी बात भी तो सुनें...(व्यवधान).. जिन पर 100 प्रतिशत बकाया राशि है,...(व्यवधान)..
श्री कैलाश चावला -- माननीय मंत्री जी हम सदन में जनता के हित की बात करने के लिए आये हैं जो जानकारी आपको दी गई है वह असत्य है..( व्यवधान )..
श्री पारस चंद्र जैन -- सरकार ने जितनी अच्छी व्यवस्था लाइन की की है, यदि आप 12 वर्ष पहले की व्यवस्था से तुलना करेंगे तो आपको पता चलेगा. अभी मैंने भी अपने वक्तव्य में कहा है कि घरेलू बिजली 24 घंटे दी जा रही है..( व्यवधान)..( सदन के अनेक माननीय सदस्य अपने अपने आसन पर खड़े होकर जोर जोर से बोलने लगे कि 24 घंटे बिजली कहां दी जा रही है )....(व्यवधान..)....
उपाध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी, माननीय चावला जी का बड़ा प्वॉइन्टेड क्वेश्चन है कि जो 50 प्रतिशत वाली बाध्यता लगा दी है, अगर मान लीजिए कि 100 कृषक हैं और उसमें 75 कृषकों ने पैसे दे दिए हैं और सिर्फ 25 कृषक नहीं दे रहे हैं तो जो 75 कृषक हैं उनका क्या दोष है, उनका यह प्रश्न है.
श्री पारस चन्द्र जैन -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जो लोग वास्तविक में हैं उनके कनेक्शन काट देते हैं लेकिन यह बात निश्चित है कि जो लोग बिल भरते हैं, मैं इनकी उस बात से सहमत हूँ कि यदि 100 में से 25 नहीं भरते लेकिन 50 प्रतिशत का जो नियम है वह लागू होता है. यदि कोई ऐसा व्यक्ति है कि जो गांव छोड़कर चला गया है और यदि उस पर बकाया राशि ज्यादा है यदि ऐसा बताएंगे तो हम उनकी समस्या का हल करेंगे.
(व्यवधान ...)
श्री मधु भगत -- उपाध्यक्ष महोदय, यह मौलिक अधिकारों का हनन है.
उपाध्यक्ष महोदय -- मधु जी, बैठ जाइये, श्री कैलाश चावला जी एक और प्रश्न पूछेंगे. श्री चावला जी आपकी भावना ही व्यक्त कर रहे हैं.
(व्यवधान ...)
श्री कैलाश चावला -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैंने माननीय मंत्री जी से सीधा यह सवाल किया है कि जो अनियमित उपभोक्ता हैं उनका कनेक्शन काटें, उनकी बकाया राशि 50 प्रतिशत में सम्मिलित नहीं की जाए. जो नियमित हैं अगर उनका बिल बाकी है वह वसूल किया जाए, मैं 50 प्रतिशत से कम भी नहीं कराना चाहता, परंतु अगर किसी का एक साल का बिल बाकी है और उसका पैसा भी आप नियमित उपभोक्ता से वसूल करना चाहते हैं तो यह कौन से नियम में है, कौन से कानून में है, क्या एमपीईबी को निरंकुशता का अधिकार प्राप्त हो गया है ?
श्री पारस चन्द्र जैन -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह तकनीकी रूप से संभव नहीं है क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में बकाया ही कनेक्शन काटे जाते हैं.
(व्यवधान ...)
(पक्ष एवं विपक्ष के कई माननीय सदस्य अपने-अपने स्थान पर खड़े होकर अपनी-अपनी बात कहने लगे)
उपाध्यक्ष महोदय -- सभी माननीय सदस्य बैठ जाएं.
श्री आशीष गोविंद शर्मा (खातेगांव) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पूरा ट्रांसफार्मर बंद कर दिया जाता है केवल कनेक्शन नहीं काटा जाता, जो लोग पैसा जमा करते हैं उनको भी बिजली नहीं मिलती. दो-दो महीने से ट्रांसफार्मर कटे हुए हैं.
(व्यवधान ...)
उपाध्यक्ष महोदय -- सभी बैठ जाएं, मैं मौका दूंगा.
श्री मुकेश नायक -- उपाध्यक्ष महोदय, मुझे भी एक मिनट चाहिए.
उपाध्यक्ष महोदय -- अभी तो रावत जी का नंबर है, ध्यानाकर्षण में उनका भी नाम है. माननीय मंत्री जी, जो चावला जी का प्रश्न है, वह प्वॉइन्टेड है उसका जवाब दे दें क्योंकि कई ऐसे क्रॉनिक डिफॉल्टर्स हैं, भले ही वे 10 ही हों, लेकिन इतनी ज्यादा राशि उनके ऊपर हो जाती है कि 50 प्रतिशत को वे प्रभावित कर देते हैं. उनको अलग करके अगर कोई व्यवस्था बन सके, अगर व्यवस्था आप बना सकें.
श्री पारस चन्द्र जैन -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने जो बात कही है, लेकिन यह बात निश्चित है कि यदि जब तक पैसा आएगा नहीं तो बिजली की बहुत बड़ी समस्या खड़ी हो जाएगी, यह आप भी जानते हैं और हम भी जानते हैं.
(व्यवधान ...)
श्री रामनिवास रावत -- तो क्या डकैती डालोगे.
श्री पारस चन्द्र जैन -- सुनो तो सही भैया, सुनना ही नहीं चाहते तो फिर क्या मतलब है. आपके समय पर तो लाइट मिलती नहीं थी, हमारी सरकार कम से कम लाइट तो दे रही है. (व्यवधान ...)
उपाध्यक्ष महोदय -- लाखन सिंह जी, पूरा उत्तर सुन लीजिए, अभी मंत्री जी उत्तर दे रहे हैं. माननीय मंत्री जी, क्या आपकी बात आ गई ?
श्री पारस चन्द्र जैन -- जी हां.
उपाध्यक्ष महोदय -- चावला जी, क्या आप कोई दूसरा प्रश्न पूछेंगे ? लेकिन केवल एक ही प्रश्न पूछना है.
श्री कैलाश चावला -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, केवल एक ही प्रश्न है, मेरा यह कहना है कि बिजली के बिलों की वसूली करने का काम मध्यप्रदेश विद्युत मंडल के अधिकारियों का है, आम जनता पर दबाव बनाकर, वह जनता उन पर दबाव डलाए और वसूली करवाए यह जनता का काम नहीं है. दूसरी बात यह कहनी है कि ट्रांसफार्मर बंद रहने की परिस्थिति में क्या नियमित उपभोक्ताओं से बिजली बिल की वसूली जितने समय बिजली नहीं दी जाती है वह वसूली बंद कर दी जाएगी, यह सीधा प्रश्न है.
श्री पारस चन्द्र जैन -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैंने आपके सामने पहले भी बात रखी है और यह कहा है कि कंपनी की जो व्यवस्था है कि 50 प्रतिशत यदि सब लोग बिल भर देंगे तो हम पूरे प्रदेश में हमेशा बिजली देने को तैयार हैं. लेकिन एक जो मापदण्ड है हमने जो छूट दी थी, उस छूट का लाभ भी हमारी सरकार दे रही है. (व्यवधान ...)
श्री कैलाश चावला-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अगर मंत्री जी को इतनी चिंता है तो जो लॉसेस हो रहे हैं, उन लॉसेस को रोकने का प्रयास क्यों नहीं करते.
उपाध्यक्ष महोदय-- चावला जी, आपकी सब बातें आ गई हैं. रावत जी , आप अपनी बात पूछ लें...(व्यवधान)..मंत्री जी ने जवाब दे दिया है.
श्री सोहनलाल बाल्मीक-- गलत जवाब दिया है.
उपाध्यक्ष महोदय-- रावत जी, आप पूछना चाहते हैं.
श्री शंकरलाल तिवारी-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने भी व्यवस्था दी उस पर भी कोई जवाब नहीं आया है और आप आगे बढ़ रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय-- वह मात्र मेरा सुझाव था..
श्री शंकरलाल तिवारी—मेरा निवेदन यह है कि यह जो कंपनी है, यह अंग्रेजों वाली कंपनी नहीं है, यह मंत्री जी को समझ में आना चाहिए.
एक माननीय सदस्य—यह गलत जानकारी दी जा रही है.
उपाध्यक्ष महोदय-- शंकरलाल जी, आपकी बात आ गई है आप बैठ जाइए.रावत जी को प्रश्न करने दें उनका नाम है...(व्यवधान)..अब जो जानकारी मंत्रीजी के पास है उन्होंने आपको दे दी है.
श्री कैलाश चावला-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहता हूं मेरे प्रश्न का उत्तर नहीं आया है.
उपाध्यक्ष महोदय—चावला जी आपका प्रश्न आ गया, उत्तर भी आ गया, आप भी समझ गये हैं.
श्री कैलाश चावला--- मेरे प्रश्न का उत्तर नहीं आया है, हां- ना में मंत्री जी उत्तर दे रहे हैं. मेरा कहना है कि ट्रांसफार्मर बंद होने की स्थिति में नियमित उपभोक्ताओं से बिल की वसूली नहीं की जाएगी क्या.
उपाध्यक्ष महोदय-- रावत जी, आप प्रश्न करें. चावला जी आपके दो-तीन महत्वपूर्ण प्रश्न आ गये हैं.
श्री कैलाश चावला--- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जवाब कहाँ आया है, जवाब तो आना चाहिए...(व्यवधान)...जो सदन में मैंने प्रश्न किया है उसका जवाब तो आना चाहिए.
राज्यमंत्री ,सामान्य प्रशासन विभाग (श्री लाल सिंह आर्य)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एक मिनट मेरी बात सुन लें..(व्यवधान)...
उपाध्यक्ष महोदय-- रावत जी आप अपनी बात कहें.
श्री रामनिवास रावत-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इतने सीनियर सदस्य हैं, वह अपनी बात कह रहे हैं तो मैं कैसे पूछूं.
उपाध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी कुछ कह रहे हैं सुन लीजिये.
श्री मुकेश नायक-- इन मंत्री जी का तो यह विभाग ही नहीं है.
डॉ. गोविंद सिंह-- चावला जी का जवाब आ जाना चाहिए.
उपाध्यक्ष महोदय-- सरकार की तरफ से उनका भी जवाब माना जाएगा.
उपाध्यक्ष महोदय-- (सत्तापक्ष एवं विपक्ष कई माननीय सदस्यों के खड़े होने पर) यह क्या है ,यह गलत बात है उनको भी सुन लीजिये वह भी मंत्री हैं उनकी तरफ से बात आने दीजिये.
श्री लाल सिंह आर्य-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय,( माननीय मंत्री बोलने के लिए खड़े हुए, लेकिन व्यवधान के कारण अपनी बात नहीं रख सके) मैं कहना चाहता हूं कि...
श्री सोहनलाल बाल्मीक-- उपाध्यक्ष महोदय, जिन मंत्रियों को जवाब देना चाहिए वह जवाब दें दूसरा मंत्री क्यों जवाब देगा. सीधी-सी बात है यह आपने कहा कि प्रश्न आ गया किन्तु प्रश्न का उत्तर कहाँ आया, यह गलत बात है.यह सदन को गुमराह किया जा रहा है. सदस्य द्वारा एक ज्वलंत मामला उठाया गया है उसका सही जवाब नहीं दिया जाएगा तो यह एकदम गलत बात है.
उपाध्यक्ष महोदय-- आप बिना अनुमति के बोल रहे हैं. आपका कुछ नहीं लिखा जाएगा.
श्री सोहनलाल बाल्मीक--- (XXX)
उपाध्यक्ष महोदय-- उनको अपनी बात रख लेने दीजिये उनको अधिकार नहीं है क्या. आप अपनी बात सदन में बोल सकते हैं, मंत्री नहीं बोल सकते हैं क्या....(व्यवधान)... आप बैठ जाइए.अब ऊर्जामंत्री बोलने के लिए खड़े हुए हैं उनकी बात सुन लीजिये.
श्री पारस चन्द्र जैन--- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अगर बंद होने पर बकाया के अलावा बिजली का ऊर्जा प्रभार नहीं लिया जाएगा.
श्री कैलाश चावला--- पूरा बिल नहीं लिया जाएगा....
उपाध्यक्ष महोदय-- अब उन्होंने एक कन्सेशन दे दिया है.
श्री कैलाश चावला—पूरा बिल उनसे वसूल नहीं किया जाये खाली ऊर्जा प्रभार नहीं, बाकी जितनी भी वसूली है..(व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदय-- चावला जी, आपके प्रश्न के कारण वित्तीय व्यवस्था अच्छी न होने के बावजूद एक कंसेशन उन्होंने दिया...(व्यवधान)..
श्री कैलाश चावला-- यह कंसेशन नहीं है. यह जबरिया वसूली कम हो रही है. उपाध्यक्ष महोदय, यह कंसेशन नहीं है. यह उपभोक्ता से जो लूट हो रही है. ...(व्यवधान)..उपाध्यक्ष महोदय, यह कंसेशन कहाँ से हुआ. हमारे को बिजली नहीं दी जा रही है. बिल वसूल किया जा रहा है, उसमें कंसेशन किसका.
उपाध्यक्ष महोदय-- अगर बिजली नहीं मिलेगी तो ऊर्जा प्रभार नहीं लेंगे, वे यह कह रहे हैं. ...(व्यवधान)..
श्री कैलाश चावला-- पूरा बिल नहीं लेंगे, पूरा बिल वसूल नहीं किया जाएगा, केवल ऊर्जा प्रभार नहीं. पूरा बिल नहीं लिया जाएगा.
उपाध्यक्ष महोदय-- चावला जी आप बहुत वरिष्ठ सदस्य हैं आप भी मंत्री रहे हैं. सरकार की कुछ बाध्यताएँ होती हैं, उनको वित्तीय स्थिति भी देखना पड़ता है. ...(व्यवधान)..
श्री कैलाश चावला-- उपाध्यक्ष महोदय, वित्तीय स्थिति ठीक रहे इसके लिए मैं सुझाव देता हूँ कि वे अपने लॉसेस कम करें बजाय उपभोक्ता को लूटने के.
उपाध्यक्ष महोदय-- आपकी बात आ गई. चावला जी, आपका सकारात्मक सुझाव है. लॉसेस कम करेंगे तो उनकी आमदनी बढ़ेगी. ...(व्यवधान)..यह गलत बात है. रावत जी का नाम है उनको आप नहीं पूछने देंगे. रावत जी, आप पूछना नहीं चाहते हैं क्या?
श्री रामनिवास रावत-- मैं खड़ा हूँ. 2-3 लोग उधर खड़े हैं. ...(व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदय-- माननीय प्रभारी नेता प्रतिपक्ष बाला बच्चन जी, अपने पक्ष में व्यवस्था बनाइये. यह कौनसी बात हुई.
श्री बाला बच्चन-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इतना महत्वपूर्ण विषय है कि हमारे से ज्यादा उधर के विधायकों की संख्या खड़े होने वालों की है. इसमें चर्चा करवाइये और चावला जी के जो प्रश्न हैं उनका जवाब दिलवाइये.
उपाध्यक्ष महोदय-- मैं आप से एक ही अनुरोध कर रहा हूँ कि इधर व्यवस्था बनाइये. इनका नाम है ध्यानाकर्षण में. इनको पूछने दीजिए और ये पूछ रहे हैं.
डॉ गोविन्द सिंह-- उपाध्यक्ष जी, व्यवस्था बनाना क्या विपक्ष की जिम्मेदारी है? मंत्री को जवाब देना है. सही उत्तर देना मंत्री की जवाबदारी नहीं है?
उपाध्यक्ष महोदय-- यह क्या आप तय करेंगे कि क्या सही है क्या नहीं है?
डॉ गोविन्द सिंह-- मंत्री जी अगर गलत जवाब देंगे तो आप उनको दंडित करें. ...(व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदय-- रावत जी, आपका क्या प्रश्न है पूछिए. चावला जी ने जो पूछा है उसको रिपीट मत करिएगा.
श्री रामनिवास रावत-- जी. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, बहुत ही संवेदनशील विषय है. मैं समझता हूँ कि इसे आसंदी भी, आप भी और सदन का हर सदस्य इससे पीड़ित है क्योंकि मानवीय दृष्टिकोण से भी जो ईमानदार लोग हैं लगातार बिल जमा करते हैं, उनके प्रति भी अन्याय किया जा रहा है, वह अमानवीय है और असंवैधानिक भी है. शासन ने, कंपनी ने, जिस तरह का आदेश निकाला, जैसा कि हमारे कई लोगों ने कहा कि यह ब्रिटिश.....
वन मंत्री (डॉ गौरीशंकर शेजवार)-- असंवैधानिक क्या है इसमें?
श्री रामनिवास रावत-- असंवैधानिक है.
डॉ गौरीशंकर शेजवार-- असंवैधानिक नहीं है.
श्री रामनिवास रावत-- है असंवैधानिक.
डॉ गौरीशंकर शेजवार-- असंवैधानिक नहीं है.
श्री रामनिवास रावत-- है असंवैधानिक.
डॉ गौरीशंकर शेजवार-- सब नियम के अनुरूप हो रहा है. ...(व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदय-- रावत जी, यह बात तो सही है कि असंवैधानिक नहीं है. हो सकता है कि आपकी नजर में त्रुटिपूर्ण हो. लेकिन असंवैधानिक नहीं है.
श्री रामनिवास रावत-- उपाध्यक्ष महोदय, क्या उपभोक्ता को पैसे देकर के....
डॉ गौरीशंकर शेजवार-- कुछ समझते नहीं हैं.
श्री रामनिवास रावत-- विद्युत प्रवाह प्राप्त करने का मौलिक अधिकार नहीं है?
डॉ गौरीशंकर शेजवार-- आप संविधान का अपमान कर रहे हैं. ...(व्यवधान)..
श्री रामनिवास रावत-- उपाध्यक्ष महोदय, मेरा सीधा सीधा प्रश्न है.
उपाध्यक्ष महोदय-- सीधा प्रश्न कर लीजिए.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास (श्री गोपाल भार्गव)-- उपाध्यक्ष महोदय, हम लोगों ने संविधान की सौगंध ली है. कैसे कह सकते हैं.
श्री रामनिवास रावत-- मेरी एक बात का जवाब दे दीजिए क्या किसी उपभोक्ता को पूरे पैसे जमा करने के बाद उसे विद्युत प्रवाह प्राप्त करने का मौलिक अधिकार है या नहीं? ...(व्यवधान)..
श्री गोपाल भार्गव-- आपके समय तो मिलती ही नहीं थी. ...(व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदय-- रावत जी, आप भी अधिवक्ता हैं. माननीय सीनियर विधायक हैं नेता रहे हैं क्या संविधान में ऐसी व्यवस्था है विद्युत प्राप्त करने के लिए? किस धारा में है बताइये.
डॉ गौरीशंकर शेजवार-- फेल हों आप वकालत में. ...(व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदय-- आप काल्पनिक बना रहे हैं. ...(व्यवधान)..
राज्य मंत्री, सामान्य प्रशासन (श्री लाल सिंह आर्य)-- लूट तो आपने की थी, लूट तो आपके शासन में हुई थी जब बिजली भी नहीं दी जा रही थी और पैसे भी वसूल किए जा रहे थे. लोगों को जेलों में डाला जा रहा था. ...(व्यवधान)..भारतीय जनता पार्टी की सरकार में तो बिजली दी जा रही है. ...(व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदय-- बैठ जाइये. ...(व्यवधान)..
डॉ गौरीशंकर शेजवार-- कुछ भी कहे जा रहे हैं ...(व्यवधान)... संविधान की बात करते हो अरे इंदिरा गांधी ने...(व्यवधान)
डॉ. नरोत्तम मिश्र--भीमराव अंबेडकर जी का अपमान करते हैं जो संविधान के रचियता हैं..(व्यवधान) संविधान पर उंगली उठाते हैं आप..(व्यवधान)
डॉ. गौरीशंकर शेजवार--इंदिरा गांधी संविधान के विरोध में गईं थीं. इमरजेंसी लगाई थी आपने..(व्यवधान) वह था संविधान के विरोध में..(व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदय--विषयांतर हो रहा है..(व्यवधान) बैठ जाइये..बना जी, जितू जी बैठिए..(व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत--वन मंत्रीजी केवल एक बात का जवाब दे दें कि पैसे...
डॉ. गौरीशंकर शेजवार--मैं आपकी कोई बात का जवाब देने के लिए बाध्य नहीं हूं..
श्री रामनिवास रावत--क्यों नहीं हैं..(व्यवधान)
डॉ. गौरीशंकर शेजवार--लेकिन आप संविधान की बात गलत कर रहे हैं..(व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत--क्यों नहीं हो..आप सरकार में चुने हुए प्रजातंत्र के मंत्री हो, आप जवाब देने के लिए बाध्य हो..(व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदय--.यह कुछ नहीं लिखा जाएगा. यह जो बोल रहे हैं नहीं लिखा जायेगा, कुछ नहीं लिखा जायेगा..(व्यवधान)
श्री लाल सिंह आर्य-- (xxx)
श्री जितू पटवारी -- (xxx)
डॉ. गौरीशंकर शेजवार-- (xxx)
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- (xxx)
उपाध्यक्ष महोदय--यह कार्यवाही में कुछ नहीं लिखा जायेगा. सब बैठ जायें. (व्यवधान) रावत जी यह विषयांतर हो रहा है..(व्यवधान)
श्री मुकेश नायक -- (xxx)
कुंवर विजय शाह -- (xxx)
श्री रामनिवास रावत-- (xxx)
उपाध्यक्ष महोदय--रावत जी यह विषयान्तर हो रहा है...(व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदय--यह कुछ रिकार्ड नहीं किया जायेगा (व्यवधान)..यह कुछ नहीं आ रहा है प्रोसेडिंग में (व्यवधान)
श्री कमलेश्वर पटेल-- (xxx)
उपाध्यक्ष महोदय--आप प्रश्न का जवाब चाहते हैं या नहीं (व्यवधान) या आप पॉलिटिकल पाइंट स्कोर कर रहे हैं (व्यवधान) मुझे यह अहसास हो रहा है कि दोनों तरफ से पॉलिटिकली ब्राउनी पाइंट जो कहते हैं वह स्कोर करने की कोशिश हो रही है अब विषय पर आ जाइये. बिजली की चर्चा है आप अपना प्रश्न पूछ लीजिए. एक प्रश्न पूछिए रावत जी. यह गलत बात है आप रुक जाते हो सब लोग हल्ला करने लगते हैं. आप पूछ लीजिए.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र)--उपाध्यक्ष महोदय, शेजवार साहब ने एक पाइंट ऑफ ऑर्डर उठाया है कि बाबा साहब अंबेडकर की थेटे से तुलना ठीक नहीं है तो उस बात को सुन तो लिया जाये. शेजवार साहब का विषय सुन तो लिया जाए.
उपाध्यक्ष महोदय--ठीक है.
वन मंत्री (डॉ. गौरीशंकर शेजवार)--उपाध्यक्ष महोदय, मेरी विनम्र प्रार्थना है कि कांग्रेस के सदस्यों ने बाबा साहब अंबेडकर जो कि संविधान के रचियता है उनकी तुलना रमेश थेटे से की है यह बाबा साहब अंबेडकर का भी अपमान है और संविधान का भी अपमान है. इन्हें सदन के आगे माफी मांगना चाहिए. (व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदय--व्यवस्था चाहते हैं तो व्यवस्था देने दीजिए न..(व्यवधान)एक मिनट.
श्री रामनिवास रावत--हम अपनी बात भी तो कह लें उन्होंने आरोप लगाया है.
उपाध्यक्ष महोदय :-माननीय मंत्री जी जहां तक मैंने सुना है जो अभी चर्चाएं हो रही थीं, जो माननीय सदस्य बोल रहे थे, किसी ने भी बाबा साहब अम्बेडकर की तुलना श्रीमान थेटे से नहीं की है और हम सदन की कार्यवाही दिखवा लेंगे.
श्री रामनिवास रावत :- मंत्री हो तो आप कार्यवाही दिखवा लो. (XXX).
(व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदय :- मंत्री जी आप बैठ जायें.
श्री रामनिवास रावत :- पीडि़त आप भी हो. (व्यवधान)
डॉ गौरीशंकर शेजवार :- बाबा साहब का अपमान करना महंगा पड़ेगा. दलितों का अपमान करना महंगा पड़ेगा. (व्यवधान)
XXX : आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
1.06 बजे गर्भगृह में प्रवेश
इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण माननीय मंत्री जी के कथन के विरोध में गर्भगृह में प्रवेश.
(इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण मंत्री महोदय के कथन का विरोध करते हुए गर्भगृह में आये.)
(व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदय :- सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिये स्थगित.
(अपराह्न 1.06 बजे सदन की कार्यवाही 1.18 बजे तक अन्तराल)
(विधान सभा पुनः समवेत हुई)
1.18 बजे { माननीय अध्यक्ष (डॉ.सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
(ध्यानाकर्षण क्रमशः)
श्री रामनिवास रावत--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी से सीधे-सीधे प्रश्न पूछना चाहता हूं कि हम सबकी यह पीड़ा है माननीय मंत्री जी सिर्फ यह बता दें कि किसी भी व्यक्ति अथवा किसी भी प्रदेश के नागरिक को जो आपका कंज्यूमर है वह पूरा बिल जमा करने के बाद उसे विद्युत प्रवाह प्राप्त करने का अधिकार है अथवा नहीं.
श्री पारस जैन--माननीय अध्यक्ष महोदय, जो हमारे सदन के सदस्य ने बात पूछी है उसको अधिकार है.
श्री रामनिवास रावत--अध्यक्ष महोदय, यही बात हम कह रहे हैं, यही बात सदन जानना चाहता है कि जो व्यक्ति उपभोक्ता है उसको बिल की पूरी राशि जमा करने के पश्चात् उसको विद्युत प्रवाह प्राप्त करने का अधिकार है, लेकिन आपकी कम्पनी का जो आदेश है कि किसी भी ट्रांसफार्मर पर, कम्पनी का आदेश किसी कंज्यूमर पर नहीं है. किसी भी ट्रांसफार्मर पर 50 प्रतिशत पर अधिक की बकाया राशि है, उस बकाया राशि का 50 प्रतिशत से अधिक पैसा जमा नहीं करता है तो वहां का ट्रांसफार्मर नहीं बदला जायेगा. हम यह चाहते हैं कि आप इस आदेश को ट्रांसफार्मर हटाइये, कंज्यूमर करिये, जो कंज्यूमर पैसे जमा करता है वह बिजली प्राप्त कर सके और जो नहीं करता है, उस पर आप कार्यवाही करें, उसको आप डिस्कनेक्ट करें, उसकी आप वसूली करें, उसके खिलाफ जो भी कार्यवाही कर सकते हैं करें.
श्री रामनिवास रावत- आप क्यों बोल रहे हैं ( वन मंत्री डॉ गौरीशंकर शेजवार की ओर इशारा करते हुए) आप ऊर्जा मंत्री नहीं हो आपका विभाग भी नहीं बदला आप बहुत उत्साहित थे । (व्यवधान)
वन मंत्री ( डॉ गौरीशकर शेजवार) - आप विषय पर बात करना चाहते हैं या विषयांतर्गत करना चाहते हैं ?
श्री रामनिवास रावत- आप प्रयास कर रहे थे कि आपको विभाग मिले पर नहीं मिला । आपके लिए अपमान नहीं पर हमारे लिए दलितों का अपमान है । (व्यवधान)
डा. गौरीशंकर शेजवार- मैं विषय पर बोलना चाहता हूं और आप विषय को बदलना चाहते हैं । (व्यवधान) मैं यह निवेदन कर रहा था कि रावत जी ने बहुत अच्छी बात बोली लेकिन व्यवहारिक भी देखना पड़ेगा । (व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत- आप जवाब क्यों दे रहे हो ।
डॉ. गौरीशंकर शेजवार- मैं जवाब नहीं दे रहा आप जिस तरीके से शामिल हुए हैं और लोग जिस तरीके से बहस में शामिल हुए हैं मैं भी उसी तरह से बहस में शामिल हुआ हूं ।
श्री रामनिवास रावत- माननीय मंत्री जी मेरा ध्यानाकर्षण में नाम है आप कार्यसूची देख लें ।
डॉ. गौरीशकर शेजवार- मेरा निवेदन है कि उपभोक्ता इस बात के लिए सजग हो जाए कि जिन्होंने पेमेंट नहीं किया उनको हम बिजली नहीं लेने देंगे ।
श्री रामनिवास रावत- आप लोग क्या करोगे क्या भ्रष्टाचार करोगे पैसा खाओगे ।
डॉ. गौरीशंकर शेजवार- बिजली कंपनी में वित्तीय स्थिति अच्छी होना भी जरूरी है । यदि हम वसूली बंद कर देंगे तो वित्तीय स्थिति खराब हो जाएगी । अध्यक्ष महोदय, कंपनी और सरकार से ऊपर विद्युत नियामक भी है । ( व्यवधान ) श्री रामनिवास रावत- संविधान से ऊपर कोई नहीं है ।
अध्यक्ष महोदय- अब इस विषय पर बहुत चर्चा हो गई है आप बैठ जाइए आपका प्रश्न आ गया है । मेरा अनुरोध है कि इस पर मंत्री जी का जो जवाब आएगा उसके बाद इस पर कोई प्रश्न या कोई बात नहीं की जाएगी ।
श्री रामनिवास रावत- अध्यक्ष महोदय मेरा तो यह पहला ही प्रश्न है । दो प्रश्न पूछ सकता हूं । दो प्रश्न पूछने का अधिकार ध्यानाकर्षण के तहत है ।
अध्यक्ष महोदय- आप रिकार्ड देख लीजिए एक प्रश्न आप पूछ चुके हैं ।
श्री रामनिवास रावत- मैं एक प्रश्न और पूछूंगा । मेरे क्षेत्र से संबंधित है ।
अध्यक्ष महोदय- ध्यानाकर्षण में श्री कैलाश चावला जी और रामनिवास रावत जी का नाम था । इसके अलावा किसी को अनुमति नहीं दी जाएगी । इस तरह से चर्चा नहीं होगी । अब किसी को अनुमति नहीं है । रामनिवास रावत एक प्रश्न पूछ चुके हैं । माननीय मंत्री जी उसका उत्तर देंगे ।
श्री रामनिवास रावत- आपकी कृपा से एक प्रश्न और पूछूंगा ।
अध्यक्ष महोदय- यदि आवश्यक समझा गया तो सिर्फ एक प्रश्न की अनुमति देंगे पर अभी कमिटमेंट नहीं है, उनके उत्तर के बाद में समाधान हो जाता है ।
श्री रामनिवास रावत- मेरे क्षेत्र की समस्या है व्यवहारिक समस्या है ।
अध्यक्ष महोदय- आप बैठ जाइए उन्होंने पूछा है उत्तर आने दीजिए ।
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन) - माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी भी मैं यह बात कह रहा हूं कि यदि बराबर लोगों के बिल भराते रहे, 50 प्रतिशत की बात है वह नियम बना हुआ है और यदि 50 प्रतिशत से कोई भी ज्यादा होगा तो हमारी जवाबदारी होगी पर यह बात जरूरी है कि सभी लोगों को बिल भरना पड़ेगा । यह अति आवश्यक है ।
अध्यक्ष महोदय- माननीय रामनिवास रावत जी अपने क्षेत्र की बात करेंगे , कृपा करेंगे आप अपने क्षेत्र की ही बात पूछ लें । उसके बाद समाप्त करें । (व्यवधान) आप बैठ जाइए इसका उत्तर आ गया ।
श्री रामनिवास रावत- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक तो आपसे संरक्षण चाहेंगे कि हमारा जवाब मिल जाए । मैं व्यवहारिक बता रहा हूं एक ट्रांसफार्मर पर 10 कनेक्शन हैं 10 में से 7 लगातार जमा कर रहे हैं और 3 वो व्यक्ति हैं जिनके बोर भर पट गए या कुएं सूख गए ट्यूबेल चलते नहीं हैं, उन पर दो दो लाख बकाया है और सात जिनके चलते हैं वह रेग्यूलर भर रहे हैं । कम से कम ऐसी स्थितियों को तो देख लें. कम से कम मानवीय दृष्टिकोण को तो देख लें.
अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से यह जानना चाहता हूँ कि आपने मेरे क्षेत्र में पैसा जमा करने की, पैसा वसूल करने की आपको चिन्ता है. फीडर सेपरेशन के तहत मेरे श्योपुर जिले में टेण्डर हुए. अभी तक केवल 20 प्रतिशत ही काम हुआ है. आपको आरसीजीवाय का 52 करोड़ रूपये केन्द्र से दिया गया है लेकिल अभी तक काम पूरा नहीं हुआ है. आप फीडर सेपरेशन का कार्य कब तक करा देंगे ? लोगों को लाईट नहीं मिल रही है.
अध्यक्ष महोदय – आप बैठ जाएं. आप उत्तर ले लीजिये.
श्री रामनिवास रावत – मैं क्या करूँ ? आप सुन ही नहीं रहे हैं. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय – आपको जवाब मिल जायेगा. आपने स्पेसिफिक प्रश्न पूछा है. मंत्री जी क्या आपके पास इस प्रश्न की जानकारी है ?
डॉ. गौरीशंकर शेजवार – प्रश्न उद्भूत ही नहीं हो रहा है तो कैसे उत्तर मिलेगा ? (व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत – प्रश्न उद्भूत हो गया है.
अध्यक्ष महोदय – क्या आपके पास जानकारी है ? (व्यवधान)
श्री पारस चन्द्र जैन – माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता है. यह प्रश्न ही उद्भूत नहीं होता है. (व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत – माननीय अध्यक्ष महोदय, जवाब तो आ जाये. मंत्री जी ने स्वीकार किया है कि जो लोग पैसे जमा करते हैं, उनको बिजली देंगे. आप क्यों काटते हैं ?
अध्यक्ष महोदय - आपने जो तीसरा स्पेसिफिक प्रश्न किया था.
1.27 बजे बहिर्गमन
श्री बाला बच्चन, प्रभारी नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में इण्डियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा सरकार की नीतियों से असंतुष्ट होकर सदन से बहिर्गमन
श्री रामनिवास रावत (विजयपुर) – मेरा एक ही प्रश्न है कि 50 प्रतिशत राशि की बाध्यता ट्रांसफॉर्मर पर न करें. हम सरकार की व्यवस्था से संतुष्ट नहीं हैं. सरकार मध्यप्रदेश के किसानों को बेईमान बना रही है, किसानों को लूटने का कार्य कर रही है. मौलिक अधिकारों का हनन कर रही है, संवैधानिक कार्य कर रही है, अत्याचार कर रही है. हम सरकार की नीतियों के खिलाफ बहिर्गमन करते हैं. शेजवार जी, शर्म करो, शर्म करो.
प्रभारी नेता प्रतिपक्ष (श्री बाला बच्चन) – माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बहुत गलत है. ये किसानों को लूट रहे हैं. हम सरकार की नीतियों से संतुष्ट नहीं हैं तथा बहिर्गमन करते हैं.
(श्री बाला बच्चन, प्रभारी नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में इण्डियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा सरकार की नीतियों से असंतुष्ट होकर सदन से बहिर्गमन किया गया)
(व्यवधान)
1.28 बजे अध्यक्षीय घोषणा
सदन के समय में वृद्धि विषयक
अध्यक्ष महोदय – आज की कार्यसूची में उल्लेखित कार्यवाही पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाये. मैं समझता हूँ कि सदन इससे सहमत है.
सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.
1.29 बजे ध्यानाकर्षण (क्रमश:)
(2) प्रदेश के किसानों को फसल बीमा की राशि न दिया जाना.
श्री शैलेन्द्र पटेल (इछावर) [डॉ. रामकिशोर दोगने] अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यान आकर्षण की सूचना विषय इस प्रकार है:-
वर्ष 2015 – 2016 की खरीफ फसल में विशेषकर सोयाबीन की फसल प्राकृतिक आपदा से पूरी तरह से बर्बाद हो गई थी, जिससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान सहन करना पड़ा था. फसलों के नुकसान का आकलन भी किया जा चुका है और किसानों को फसल बीमा क्लेम देने की दिशा में भी लगभग सभी कार्यवाही पूर्ण हो चुकी है लेकिन किसानों के खाते में अभी तक बीमा क्लेम की राशि नहीं पहुँची है. बीमा कंपनियां एवं बैंकों द्वारा भी किसानों को संतोषप्रद जवाब नहीं दिया जा रहा है. किसानों को बीमा क्लेम राशि नहीं मिलने से किसान आक्रोशित है, शासन शीघ्र ही सभी किसानों को बीमा क्लेम राशि दिलाने में उचित कदम उठाये अन्यथा स्थिति विस्फोटक हो सकती है.
किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री (श्री गौरीशंकर बिसेन) – यह कहना सही नहीं है कि वर्ष 2015-16 की खरीफ फसल विशेषकर सोयाबीन प्राकृतिक आपदा से पूरी तरह बर्बाद हो गई थी. वास्तविक स्थिति यह है कि वर्ष खरीफ 2015 मौसम हेतु कुल लगभग 59 लाख हेक्टेयर सोयाबीन फसल बोई गई थी. आयुक्त भू-अभिलेख ग्वालियर से प्राप्त फसल कटाई आंकड़ों के आधार पर एग्रीकल्चर इन्सोरेंश कंपनी ऑफ इंडिया लिमिटेड द्वारा आकलन कर अवगत कराया गया है कि खरीफ 2015 मौसम हेतु लगभग राशि रू. 4436.48 करोड़ फसल बीमा दावा राशि भुगतान कियाजाना है.
एग्रीकल्चर इन्सोरेंश कंपनी ऑफ इंडिया लिमिटेड द्वारा दावा राशि की गणना के अनुरूप राज्यांश की राशि उपलब्धता हेतु अनुपूरक बजट में प्रस्ताव किया गया है.
अत: शासन शीघ्र ही सभी किसानों को बीमा राशि दिलाने में प्रयत्नशील है. यह कहना सत्य नहीं है कि स्थिति विस्फोटक है.
श्री शैलेन्द्र पटेल – माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी के जवाब में उन्होंने कहा है कि 59 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की फसल बोई गई थी. उन्होंने पैदावार का उल्लेख ही नहीं किया है. फिर वह कह रहे हैं कि सोयाबीन पूरी तरह खराब ही नहीं हुआ था और खराब हुआ था तो कितना पैदा हुआ था. यह तो आप अपने उत्तर में बता देते. खैर, वह कोई बात नहीं है. अध्यक्ष महोदय, 5 नवम्बर,2015 को एक दिवसीय सत्र बुलाया गया. उस सत्र में 8407 करोड़ रुपये का बजट आवंटन किया गया था, उसमें से 1500 करोड़ रुपये फसल बीमा की राशि के राज्यांश के भुगतान के लिये आवंटित किया गया था. उसके बाद फिर बजट सत्र आ गया था. उस बजट सत्र में कृषि विभाग को पूरी राशि उपलब्ध करा दी गई थी. अब मंत्री जी कह रहे हैं कि हम अनुपूरक बजट में से करेंगे. माननीय प्रधान मंत्री जी सीहोर जिले के शेरपुर आये थे. मेरी विधान सभा का क्षेत्र था, सीहोर में आये थे और उसी मंच पर मुख्यमंत्री जी ने भी कहा था कि अप्रैल के आखिर में और मई के पहले हफ्ते में हम सब बीमा क्लेम की राशि किसानों के खाते में पहुंचा देंगे. किसानों को सबसे ज्यादा बैशाख-ज्येष्ठ यानि कि मई-जून में पैसों की आवश्यकता होती है , वह समय तो निकल गया और हाल ही में सीहोर जिले में ही पिछले शुक्रवार को 15 तारीख को किसानों का आंदोलन हुआ था. तो यह कहना भी आपका गलत है कि किसान आंदोलित नहीं हैं. उन्होंने बड़ा आंदोलन किया था और यह आंदोलन किसानों द्वारा बीमा राशि को नहीं मिलने के कारण किया गया था. मेरा मंत्री जी से प्रश्न यह है कि यह बीमा राशि अभी तक मिली क्यों नहीं. क्या कारण रहे, किसके कारण बीमा राशि अभी तक किसानों को नहीं मिली. क्या सरकार ने अपना राज्यांश जमा कराया और अगर नहीं कराया तो अभी तक क्यों नहीं कराया.
श्री गौरीशंकर बिसेन -- अध्यक्ष महोदय, मैंने अपने उत्तर में साफ एवं स्पष्ट कहा है कि हमने वित्त मंत्रालय को राज्यांश के लिये लिखा है. अब अनुपूरक बजट सामने आ जायेगा, माननीय सदन अनुपूरक बजट को पास करेगा, आप थोड़ा इंतजार कर लें.
श्री शैलेन्द्र पटेल -- अध्यक्ष महोदय, बड़ी सीधी सी बात है.
अध्यक्ष महोदय -- उत्तर तो सुन लें.
श्री गौरीशंकर बिसेन -- देखिये, बजट की अपनी मर्यादा है, मैं उसके ऊपर नहीं जा सकता हूं. हमने प्रस्ताव दिया है और वित्त मंत्री जी जब अपना अनुपूरक बजट प्रस्तुत करेंगे, तो उसमें इसका प्रावधान होने की पूरी संभावना है. जैसे ही बजट पास होगा, हम वितरण करेंगे.
श्री शैलेन्द्र पटेल -- अध्यक्ष महोदय, एक दिवसीय सत्र बुलाया गया था, उसमें 1500 करोड़ रुपये बीमा राशि के लिये आवंटित किये गये थे. फिर बजट सत्र बुलाया गया था. पूरा 28 दिन का बजट सत्र चला था, उसमें भी राशि आवंटित हुई थी. फिर कहां की बात रह गई. क्यों आपने जमा नहीं कराया. क्यों किसानों को छल रहे हैं. क्यों उनके साथ वादा खिलाफी कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- आप उत्तर ले लें. आप भाषण देते हैं.
श्री गौरीशंकर बिसेन -- अध्यक्ष महोदय, रबी और खरीफ दो तरह की फसलें होती हैं, उन दोनों के क्लेम सेटल होते हैं. इसके पहले हमें रबी 2014-15 का भी भुगतान करना था, जिसका 150 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया. जो विशेष सत्र आहूत किया गया था, उसमें प्राकृतिक आपदा के लिये पैसे की व्यवस्था की गई थी. दूसरा विषय यह है कि जो बीमा कम्पनी ने जो अपना अंतिम मांग पत्र दिया, वह हमें 29 जून को दिया है. 29 जून को उन्होंने सारे राज्यांश के लिये दावे किये कि राज्यांश कितना लगेगा, प्रीमियम से कितना पैसा प्राप्त हुआ, बैंक का सर्विस चार्ज कितना होगा. यह टोटल उन्होंने 2037 करोड़ रुपये का मांग पत्र 29.6.2016 को लिखा है. अब 29.6.2016 के बाद पहला अनुपूरक आ रहा है. तो थोड़ा इंतजार करें. सरकार बहुत संवेदनशील है, पूरा पैसा उनका भुगतान किया जायेगा.
श्री शैलेन्द्र पटेल -- अध्यक्ष महोदय. सीधी सी बात है.
अध्यक्ष महोदय -- अब नहीं. आपको ध्यानाकर्षण की मर्यादा रखनी पड़ेगी. कॉल अटेंशन की मर्यादा रखनी है. इस तरह से काम नहीं चलेगा.
डॉ. रामकिशोर दोगने (हरदा) -- अध्यक्ष महोदय, जैसा कि मंत्री जी ने बताया कि दिया जायेगा. दिया जायेगा, तो एक तो उसकी समय सीमा बतायें कि कब तक दे देंगे. 6 महीने से किसानों को बोल रहे हैं. जनवरी में आपने, प्रधानमंत्री जी ने चिल्ला चिल्लाकर बोला है कि आपका बीमा आ रहा है. चेक भी बांटे..
अध्यक्ष महोदय -- दोगने जी, आपने प्रश्न पूछ लिया. अब भाषण मत दीजिये. भाषण तो आपने एक लाइन में पूछ लिया, उसका उत्तर ले लीजिये.
डॉ. रामकिशोर दोगने -- मंत्री जी, बीमा राशि कब तक देंगे, समय सीमा बतायें और दूसरा लेट हुए, तो क्या बीमा की राशि के ऊपर ब्याज देंगे, यह स्पष्ट करें.
श्री गौरीशंकर बिसेन -- उस राशि के ऊपर ब्याज देने का तो कोई प्रावधान नहीं है. दूसरा अनुपूरक बजट आप ही को पास करना है. अनुपूरक बजट पास करने तक का इंतजार करिये.
डॉ. रामकिशोर दोगने -- अध्यक्ष महोदय, सरकार के पास बजट नहीं है, यह स्वीकार कर ले, किसानों के लिये सरकार के पास पैसा नहीं है. आपको तीन महीने में अनुपूरक बजट लाना पड़ रहा है.
श्री गौरीशंकर बिसेन --अध्यक्ष महोदय, 29 जून को बीमा कम्पनी ने अपनी मांग रखी है. बीमा कम्पनी का हिसाब किताब आयेगा, उसके बाद ही तो हम भुगतान करेंगे.
डॉ. रामकिशोर दोगने -- अध्यक्ष महोदय, समय सीमा स्पष्ट करायें.
..(व्यवधान)..
1.33 बजे अनुपस्थिति की अनुज्ञा
(1) निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक- 9-अटेर के सदस्य, श्री सत्यदेव कटारे
अध्यक्ष महोदय- निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक-9-अटेर के सदस्य, श्री सत्यदेव कटारे की ओर से मध्यप्रदेश विधानसभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियमावली के नियम 277(1) के अधीन आवेदन पत्र प्राप्त हुआ है, जिसमें उन्होंने जुलाई, 2016 सत्र में सभा की बैठकों से अनुपस्थित रहने की अनुज्ञा चाही है. उनका निवेदन इस प्रकार है :-
"मैं, उपचाररत् होने के कारण वर्षाकालीन सत्र जुलाई, 2016 में आयोजित विधान सभा की कार्यवाही में भाग नहीं ले सकूंगा"
क्या सदन की इच्छा है कि निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक-9 अटेर के सदस्य, श्री सत्यदेव कटारे को इस सत्र की बैठकों से अनुपस्थित रहने की अनुज्ञा प्रदान की जाये ?
अनुमति प्रदान की गई.
1.34 बजे गर्भगृह में प्रवेश
श्री शैलेन्द्र पटेल, सदस्य का गर्भगृह में प्रवेश
(श्री शैलेन्द्र पटेल, इण्डियन नेशनल कांग्रेस के सदस्य अपनी बात कहते हुए गर्भगृह में आये एवं प्रभारी नेता प्रतिपक्ष की समझाइश पर वापस अपने स्थान पर चले गये.)
प्रभारी नेता प्रतिपक्ष (श्री बाला बच्चन) -- अध्यक्ष महोदय, किसानों से जुड़ा हुआ मुद्दा है और दोनों विधायकों के प्रश्नों के जवाब नहीं आये हैं.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, किसानों से जुड़ा हुआ मुद्दा है. आप आगे बढ़ गये. आप पीछे लौटेंगे. माननीय अध्यक्ष महोदय, दोनों विधायकों के एक भी प्रश्न का जबाव नहीं आया है.
अध्यक्ष महोदय- विपक्ष के नेता जी कभी भी बोल सकते हैं, वो बोल देंगे. उनको एलाउ कर देते हैं.
श्री बाला बच्चन--दोनों सदस्यों के प्रश्नों के उत्तर तो आ जायें.
अध्यक्ष महोदय- दोनों के उत्तर आ गये हैं.
श्री बाला बच्चन- नहीं आये हैं, महत्वपूर्ण प्रश्न हैं, किसानों से संबंधित प्रश्न हैं.
अध्यक्ष महोदय- उनके दोनों के उत्तर आ गये हैं. अनंतकाल तक बहस नहीं चला सकते हैं, उत्तर तो आ गये हैं.
श्री बाला बच्चन- आप तारीख बता दें.
डॉ.रामकिशोर दोगने- किसानों की स्थिति बहुत खराब है, कितना समय लगेगा कम से कम आप समय सीमा तो बतायें.
श्री बाला बच्चन-- आप तारीख बता दें, समय सीमा बता दें.
श्री गौरीशंकर बिसेन-- माननीय नेता जी अनुपूरक बजट हम सबको यहां पर पास करना है .उसका इंतजार तो कर लें.
1.36 बजे
अनुपस्थिति की अनुज्ञा(क्रमश:)
2. निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक-50-राजनगर के सदस्य कुं.विक्रम सिंह
अध्यक्ष महोदय- निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक-50-राजनगर के सदस्य, कुं.विक्रम सिंह की ओर से मध्यप्रदेश विधानसभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियमावली के नियम 277(1) के अधीन आवेदन पत्र प्राप्त हुआ है जिसमें उन्होंने जुलाई, 2016 सत्र में सभा की बैठकों से अनुपस्थित रहने की अनुज्ञा चाही है. उनका निवेदन इस प्रकार है :-
"विनम्र अनुरोध है कि मेरी बहन के ससुर महाराज खैरागढ़(छत्तीसगढ) का स्वास्थ्य गंभीर स्थिति में होने के कारण मैं खेरागढ़ जा रहा हूं ऐसी स्थिति में विधानसभा सत्र की बैठकों में उपस्थिति नहीं हो सकता हूं."
क्या सदन की इच्छा है कि निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक-50- राजनगर के सदस्य, कुं.विक्रम सिंह को इस सत्र की बैठकों से अनुपस्थित रहने की अनुज्ञा प्रदान की जाये ?
अनुमति प्रदान की गई.
1.37 बजे
सभापति तालिका
अध्यक्ष महोदय- मध्यप्रदेश विधानसभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियमावली के नियम 9 के उप नियम(1) के अधीन, मैं निम्नलिखित सदस्यों को सभापति तालिका के लिये नाम-निर्दिष्ट करता हूं :-
1. श्री कैलाश चावला,
2. श्री जगदीश देवड़ा,
3. सुश्री मीना सिंह,
4. श्री केदारनाथ शुक्ल,
5. श्री रामनिवास रावत तथा
6. डॉ. गोविंद सिंह.
1.38 बजे
प्रतिवेदनों की प्रस्तुति
याचिका समिति (अभ्यावेदन) से संबंधित प्रथम,द्वितीय,तृतीय,चतुर्थ एवं पंचम प्रतिवेदन.
श्री शंकरलाल तिवारी(सभापति) -- माननीय अध्यक्ष महोदय मैं, याचिका समिति का अभ्यावेदनों से संबंधित प्रथम, द्वितीय, तृतीय, चतुर्थ एवं पंचम प्रतिवेदन प्रस्तुत करता हूं.
1.39 बजे
याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय -आज की कार्यसूची में सम्मिलित सभी याचिकायें प्रस्तुत की हुई मानी जायेंगी.
1.39 बजे
शासकीय विधि विषयक कार्य
1. मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय(स्थापना एवं संचालन)द्वितीय संशोधन विधेयक
(क्रमांक 13, 2016 )2016 का पुर:स्थापन.
उच्च शिक्षा मंत्री(श्री जयभान सिंह पवैया) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) द्वितीय संशोधन विधेयक, 2016 के पुर:स्थापन की अनुमति चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) द्वितीय संशोधन विधेयक, 2016 के पुर:स्थापन की अनुमति दी जाय.
अनुमति प्रदान की गई.
श्री जयभान सिंह पवैया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) द्वितीय संशोधन विधेयक, 2016 का पुर:स्थापन करता हूं.
2. मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय(स्थापना एवं संचालन) संशोधन विधेयक
(क्रमांक 14 सन् 2016) 2016का पुर:स्थापन.
उच्च शिक्षा मंत्री(श्री जयभान सिंह पवैया) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) संशोधन विधेयक, 2016 के पुर:स्थापन की अनुमति चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) संशोधन विधेयक, 2016 के पुर:स्थापन की अनुमति दी जाय.
अनुमति प्रदान की गई.
श्री जयभान सिंह पवैया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) संशोधन विधेयक, 2016 का पुर:स्थापन करता हूं.
अध्यक्ष महोदय--विधानसभा की कार्यवाही गुरूवार दिनांक 21 जुलाई, 2016 को प्रात: 11.00 बजे तक के लिये स्थगित.
अपराह्न 1.40 बजे विधानसभा की कार्यवाही, गुरूवार, दिनांक 21 जुलाई, 2016 (आषाढ़ 30, शक संवत् 1938) के पूर्वाह्न 11.00 बजे तक के लिये स्थगित की गई.
भोपाल: अवधेश प्रताप सिंह
दिनांक-20 जुलाई,2016. प्रमुख सचिव
मध्यप्रदेश विधानसभा.