मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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षोडश विधान सभा पंचम सत्र
मार्च, 2025 सत्र
गुरुवार, दिनांक 20 मार्च, 2025
(29 फाल्गुन, शक संवत् 1946)
[खण्ड- 5] [अंक- 7]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
गुरुवार, दिनांक 20 मार्च, 2025
(29 फाल्गुन, शक संवत् 1946 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.02 बजे समवेत् हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए.}
संसदीय कार्यमंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) - अध्यक्ष महोदय, सदन की उपस्थित देखकर ऐसा लग रहा है कि रंगपंचमी की खुमारी अभी उतरी नहीं है.
श्री सोहनलाल बाल्मीक - बाकी अध्यक्ष जी शाम को पूरी कर देंगे.
11.03 बजे विशेष उल्लेख
1. वीरांगना रानी अवंतीबाई लोधी की पुण्यतिथि का स्मरण
अध्यक्ष महोदय - आज वीरांगना रानी अवंतीबाई लोधी जी की पुण्यतिथि है. हम सभी उनके व्यक्तित्व और कृतित्व को जानते हैं. वह कालखण्ड था जब उन्होंने अपने प्राणों की परवाह न करते हुए संघर्ष किया. आज पूरा सदन उनको स्मरण करते हुए अपने को गौरवान्वित अनुभव कर रहा है.
2.भारतीय मूल की नासा की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स का अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से 9 माह पश्चात् सुरक्षित पृथ्वी पर लौटने का उल्लेख
अध्यक्ष महोदय - भारतीय मूल की नासा की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और उनके साथी अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) में 9 महीने बिताने के बाद पृथ्वी पर सुरक्षित लौट आए हैं. सुनीता विलियम्स अंतरिक्ष में सबसे लम्बी अवधि तक रुकने वाली पहली महिला बन गई हैं, यह हम सबके लिए गौरव का क्षण है. मैं पूरे सदन की ओर से इस उपलब्धि के लिए उन्हें बधाई देता हूं. (मेजों की थपथपाहट)
बधाई
सदस्य, श्री देवेन्द्र पटेल को जन्मदिन की बधाई
अध्यक्ष महोदय - हमारे सदन के सदस्य श्री देवेन्द्र पटेल जी जो सिलवानी, रायसेन जिले का प्रतिनिधित्व करते हैं. आज उनका जन्मदिन है. सदन की ओर से उनको भी बहुत बहुत शुभकामनाएं. (मेजों की थपथपाहट)
11.04 बजे तारांकित प्रश्नों को मौखिक उत्तर
नियम विरूद्ध अतिरिक्त परियोजना संचालक की पदस्थी
[उच्च शिक्षा]
1. ( *क्र. 2530 ) श्री बृज बिहारी पटैरिया : क्या उच्च शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) रूसा एवं विश्व बैंक परियोजना में अतिरिक्त परियोजना संचालक (ए.पी.डी.) का पद क्या प्रदेश राज्य प्रशासनिक सेवा संवर्गत (अपर कलेक्टर) स्तर का है? (ख) वर्तमान में इस पद पर किस स्तर के अधिकारी अतिरिक्त परियोजना संचालक के पद पर पदस्थ है? क्या उक्त अधिकारी राज्य सेवा संवर्ग से आते हैं या नहीं? क्या उक्त अधिकारी प्रशासनिक कार्य की योग्यता रखते हैं या नहीं? स्पष्ट करें। (ग) वर्तमान में अतिरिक्त परियोजना संचालक के पद पर पदस्थ अधिकारी का मूल पद क्या है? यह उक्त पद पर कब-कब पदस्थ रहे हैं? इनके विरूद्ध शासन एवं विभागाध्यक्ष स्तर पर कितनी शिकायतें लंबित हैं? विवरण देवें। क्या उक्त अधिकारी को 2016 में तत्कालीन मान. मंत्री जी द्वारा किस कारण इन्हें निलंबित भी किया गया था? (घ) क्या उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत (ए.पी.डी.) की पदस्थापना में विभागाध्यक्ष द्वारा आदेश जारी करने के पूर्व क्या माननीय उच्च शिक्षा मंत्री जी से प्रशासकीय अनुमोदन प्राप्त किया था या नहीं? यदि नहीं, तो उक्त अधिकारी को कब तक हटाते हुये किसी अन्य महाविद्यालय में मूल पद कार्य हेतु पदस्थ कर दिया जावेगा? यदि नहीं, तो क्यों?
उच्च शिक्षा मंत्री ( श्री इन्दर सिंह परमार ) : (क) जी हाँ। (ख) प्रथम श्रेणी के प्राध्यापक को प्रशासनिक कार्य सुविधा की दृष्टि से अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। जी नहीं। संबंधित के पास पर्याप्त प्रशासनिक कार्यों का अनुभव है। (ग) प्राध्यापक, उक्त पद पर दिये गये प्रभार का विवरण :- (1) दिनांक 23.05.2020 - 09.05.2023 (2) दिनांक 09.12.2024 - निरंतर। जी नहीं। कोई भी विभागीय जांच लंबित नहीं है। जी हाँ। उच्च शिक्षा विभाग द्वारा तत्समय प्रतिनियुक्ति से सेवाएं वापस लेकर नवीन पदस्थापना की गई थी। प्रतिनियुक्ति विभाग द्वारा कार्यमुक्त नहीं किया गया एवं नवीन पदभार ग्रहण नहीं करने के कारण निलंबित किया गया था। आदेश दिनांक 15.03.2018 द्वारा विभागीय जाँच समाप्त। (घ) जी नहीं। शासन से राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी की पदस्थापना न होने एवं प्रशासनिक कार्यसुविधा की दृष्टि से विभागाध्यक्ष द्वारा आंतरिक व्यवस्था के तहत कार्यालय में पदस्थ विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी को अतिरिक्त प्रभार दिया है। शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है।
श्री बृज बिहारी पटैरिया - अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न क्रमांक 2530 है.
उच्च शिक्षा मंत्री ( श्री इन्दर सिंह परमार ) - अध्यक्ष महोदय, उत्तर पटल पर रखा है.
श्री बृज बिहारी पटैरिया - अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी द्वारा मेरे प्रश्न के उत्तर में जो जानकारी आई है. मुझे लगता है कि विभाग के उनके सलाहकारों ने विभाग के अधिकारियों ने आधी-अधूरी जानकारी और सत्यता को छिपाते हुए जानकारी दी है. मेरे प्रश्न में स्पष्ट था कि माननीय उच्च शिक्षा मंत्री जी बता दें कि रूसा एवं विश्व बैंक परियोजना में अतिरिक्त परियोजना संचालक (एपीडी) का पद राज्य प्रशासनिक सेवा अंतर्गत आता है कि नहीं? और यदि आता है तो क्या राज्य प्रशासनिक सेवा का अधिकारी ही उस पद पर कार्य कर रहा है, एक बात. दूसरी बात यह है कि रूसा और वर्ल्ड बैंक परियोजना, इन दोनों के लिये ओ.एस.डी. का पद अलग-अलग है या एक ही है ?
श्री इन्दर सिंह परमार- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय हमारे विधायक जी का प्रश्न था उसका उत्तर दिया है, जो पद है वह राज्य प्रशासनिक सेवा का पद है. क्योंकि वहां पर राज्य प्रशासनिक सेवा का पद है. परंतु वहां पर राज्य प्रशासनिक सेवा के कोई अधिकारी नहीं हैं, इसलिये जिन अधिकारी को वहां नियुक्त किया है, प्रभार दिया है. वह कोई स्थायी पदस्थापना नहीं है और जो आप ओ.एस.डी का पूछ रहे हैं, वह दोनों एक भी रह सकते हैं, दोनों अलग-अलग भी हो सकते हैं.
श्री बृज बिहारी पटैरिया- माननीय अध्यक्ष जी, सवाल यह है कि वर्तमान में जो वहां काम कर रहे हैं, दोनों परियाजनाएं देख रहे हैं तो क्या वह उस पद को धारण करने की योग्यता रखते हैं ? अध्यक्ष जी, मेरे पास जो जानकारी है, ना तो उनके पास 15 वर्ष का शैक्षणिक अनुभव है और ना ही वह प्राध्यापक की पात्रता धारित करते हैं, उसके बावजूद भी दो-दो महत्वपूर्ण योजनाओं के संचालन का काम उनको दिया जा रहा है और आज भी यह बड़ी विडंबना है कि आज भी हम लार्ड मैकाले के शिक्षा पद्धति के अधीन, अपने बच्चों को शिक्षा में आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं.
अध्यक्ष जी, यदि एक इंजीनियर गलत तो हो सकता है कि एकाध पुल टूटेगा, एकाध बिल्डिंग टूटेगी, कुछ जनहानि होगी. वह भी दुख का विषय है. कोई एक डॉक्टर कम पढ़ा लिखा महत्वपूर्ण पद पर पहुंच जाये, गलती कर बैठे जाये तो दो-चार लोगों को ऊपर भगवान की शरण में भेजेगा और दो-चार लोगों को नीचे यमराज के यहां भेजेगा. वह भी दुख का विषय है. परंतु यह सर्वाधिक दुख का विषय है कि यदि एक शिक्षक गलत निकल जाये तो पूरी एक पीढ़ी ध्वस्त करता है और इतने महत्वपूर्ण पद पर यदि हम इतने विवादित आदमी को रखेंगे, विवादित अधिकारी को रखेंगे जो उस पद की योग्यता धारित ही नहीं करता तो यह तो हमारे बच्चों के साथ खिलवाड़ करने जैसी बात हुई.
श्री इन्दर सिंह परमार- माननीय अध्यक्ष महोदय, संबंधित जो अधिकारी है वह उस पद की पात्रता का विषय इसलिये नहीं है कि वह पद तो राज्य प्रशासनिक सेवा का है. लेकिन उनका जो मूल पद है वह पद है प्रोफेसर का. इसलिये कि यह कहना कि वह किसी प्रकार की पात्रता नहीं रखते हैं, उनका अनुभव है और प्रशासनिक अनुभव है और पढ़ाने का अनुभव भी है, वह एक प्रोफेसर हैं और एक प्रकार से उनको, क्योंकि पद रिक्त है इसके लिये उनको उस स्थान पर रखा गया है.
श्री बृज बिहारी पटैरिया- अध्यक्ष जी,मेरे पास मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी की नोटशीट तक उपलब्ध हैं. अनेकों शिकायतें उनके खिलाफ लंबित हैं.
माननीय मंत्री जी यदि कहेंगे तो आपके माध्यम से मैं पटल पर रख दूंगा या माननीय मंत्री जी को उपलब्ध करवा दूंगा. इतनी शिकायतें होने के बाद, वित्त विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा, जिसमें स्पष्ट उल्लेख है कि उन्होंने राज्य मद के धन का मेन्यू्प्लेशन करके दूसरी तरफ फर्नीचर खरीदा ऐसे महाविद्यालयों के लिये, जहां महाविद्यालयों के भवन ही नहीं हैं. अब जब भवन ही नहीं है तो फर्नीचर किस बात के लिये खरीदा गया.
श्री इन्दर सिंह परमार- माननीय अध्यक्ष महोदय, पूर्व में जितनी शिकायतें हुईं थी. उन सब का निराकरण हो गया है. उनके खिलाफ वर्तमान में कोई भी शिकायत लंबित नहीं है.
राशि वसूली के साथ धोखाधड़ी
[पंचायत एवं ग्रामीण विकास]
2. ( *क्र. 957 ) श्री अभय मिश्रा : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक के प्रतिवेदन दिनांक 31 मार्च, 2021 को समाप्त हुये वर्ष का म.प्र. शासन द्वारा 2024 के प्रतिवेदन संख्या-8 में पी.एम.जी.एस.वाई. के लिये एस.बी.डी. के अनुसार बिटुमिन क्रय में धोखा धड़ी कर चालानों की जांच के दौरान पता चला कि 790.30 करोड़ मूल्य का 2.10 लाख मेट्रिक टन बिटुमिन शासकीय रिफाइनरियों से क्रय किये, जिसमें हेरा-फेरी की गई विवरणों से चालान संख्या, चालानों की तारीख में हेर-फेर, मूल प्रति के बजाए ट्रांसपोर्टर/विक्रेता का उपयोग किया गया, 320.7 करोड़ मूल्य के 0.80 लाख टन बिटुमिन क्रय के समर्थन में 3389 चालान जारी नहीं किये गये जो धोखाधड़ी व कूट रचना है, इस पर आपराधिक प्रकरण के साथ वसूली के क्या निर्देश देंगे, बतायें? (ख) प्रश्नांश (क) के तारतम्य में पी.आई.यू. के सड़कों के निर्माण में संदिग्ध क्रय के लिये अनियमित भुगतान किया गया? इस तरह ठेकेदारों को 320.75 करोड़ का भुगतान किया गया, जिसकी जांच एवं कार्यवाही विभाग द्वारा नहीं की गई? इसकी जांच एवं कार्यवाही बावत क्या निर्देश देंगे? (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के संदर्भ में ठेकेदारों द्वारा अलग-अलग पैकेजों में बिटुमिन क्रय के प्रमाण पत्र के रूप में 30.83 करोड़ मूल्य के 362 चालान प्रस्तुत किये, जिस तरह दो ठेकेदारों द्वारा तीन अलग-अलग पैकेजों में 82.04 लाख मूल्य के 10 चालान धोखा धड़ी से प्रस्तुत किये इस प्रकार डुप्लीकेट/ट्रिप्लीकेट चालान के कारण विभाग द्वारा 32.47 करोड़ संदिग्ध कपटपूर्ण भुगतान हुआ, प्रश्नांश (क) में उल्लेखित प्रतिवेदन अनुसार परिशिष्ट 219 एवं परिशिष्ट 2110 (ब) में उल्लेखित संविदाकारों के विरूद्ध राशि वसूली के साथ कपट पूर्ण भुगतान व फर्जी चालान प्रस्तुत करने पर आपराधिक प्रकरण दर्ज करने के साथ राशि वसूली करने के निर्देश देंगे? राशि वसूल न करने शासन को आर्थिक क्षति पहुँचाने के लिये उत्तरदायी अधिकारियों से भी राशि वसूली के साथ धोखाधड़ी के अपराध पंजीबद्ध किये जाने के निर्देश देंगे? अगर नहीं तो क्यों? (घ) प्रश्नांश (क), (ख) एवं (ग) में उल्लेखित आधारों पर संबंधित ठेकेदारों एवं अधिकारियों/कर्मचारियों के विरुद्ध राशि वसूली के साथ आपराधिक प्रकरण दर्ज करते हुये अन्य कार्यवाही बाबत् क्या निर्देश देंगे? अगर नहीं तो क्यों?
पंचायत मंत्री ( श्री प्रहलाद सिंह पटैल ) : (क) सी.ए.जी./महालेखाकार द्वारा प्रतिवेदन संख्या-8 (31 मार्च 2021) में पी.एम.जी.एस.वाय. के संबंध में निम्नानुसार टिप्पणियां प्रस्तुत की हैं :- 1. फर्जी/कूटरचित चालान प्रस्तुत करने की संभावना-कुल 9123 चालान रू. 790.30 करोड़ मूल्य के बिटुमिन शासकीय रिफाइनरियों से क्रय के संबंध में 14 शासकीय रिफाइनरियों को भेजे गये। 3389 चालान का सत्यापन नहीं हुआ। 2. एक से अधिक पैकेज में एक ही चालान का उपयोग-37 संविदाकारों ने अलग-अलग पैकेजों में बिटुमिन क्रय के प्रमाण के रूप में रू. 30.83 करोड़ मूल्य के 362 चालान प्रस्तुत किये। 3. कार्यपूर्णता तिथि के बाद बिटुमिन/इमल्शन क्रय चालान की स्वीकृति-चार इकाइयों में रू. 0.80 करोड़ की राशि के बिटुमिन/इमल्शन चालानों को 07 पैकेजों में कार्य पूर्ण होने की तिथि के बाद अनियमित रूप से अनुमत्य किया गया है। 4. निजी पार्टियों से बिटुमिन का क्रय-42 इकाइयों 115 पैकेजों में संविदाकार ने शासकीय रिफाइनरी के अलावा अन्य आपूर्तिकर्ताओं से 60.92 करोड़ की कीमत का बिटुमिन क्रय किया। इस क्रय को एस.एस.आर. के सामान्य नोट और अनुबंध की विशेष शर्तों का उल्लंघन करते हुए अनियमित रूप से अनुमति दी गई। 5. बिटुमिन चालान प्राप्त किये बिना भुगतान किया गया-पी.आई.यू. बुरहानपुर एवं रीवा में बिटुमिन के क्रय और उपयोग के संबंध में चालान प्रस्तुत किये, जिनमें 204.43 टन बिटुमिन के चालान की कम प्राप्ति हुई। फाबा ऑडिट के तहत ली गई आपत्ति के परिप्रेक्ष्य में जिला इकाइयों से परिक्षेत्र के मुख्य महाप्रबंधकों की अनुशंसा सहित प्राप्त उत्तर के आधार पर संकलित जवाब कार्यालय महालेखाकार ग्वालियर को अपर मुख्य सचिव, म.प्र. शासन, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अर्द्धशासकीय पत्र क्र. 20440, दिनांक 21.12.2023 के द्वारा समस्त दस्तावेजों के साथ प्रेषित किया गया था। वर्तमान में कंडिकाएं सी.ए.जी. रिपोर्ट में सम्मिलित होने के फलस्वरूप सी.ए.जी. रिपोर्ट में दर्शित उक्त बिन्दु क्र. 1 से 5 के संबंध में बिन्दुवार स्थिति निम्नानुसार है :- बिन्दु क्र. 1-अद्यतन स्थिति के अनुसार शासकीय रिफाइनरी के कुल 9123 चालानों में से शेष 3389 चालान सत्यापित नहीं होने के कारण प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए प्राधिकरण के पत्र क्रमांक 20245, दिनांक 20.12.2023 के द्वारा समस्त जिला इकाइयों को असत्यापित अथवा प्रायवेट रिफाइनरी से संबंधित इनवॉइस के रेट डिफरेंस एवं प्राइज एस्केलेशन के वसूली हेतु निर्देश जारी कर दिये गये। साथ ही प्राधिकरण द्वारा 56 महाप्रबंधकों को 87 प्रकरणों में कारण बताओ सूचना पत्र एवं आरोप पत्र जारी किये गये। अद्यतन स्थिति के अनुसार 6006 चालान सत्यापित किये जा चुके हैं एवं 3117 चालान सत्यापित किये जाने शेष हैं। उक्त संबंध में जिला इकाइयों के द्वारा प्राईस एस्केलेशन सहित शासकीय रिफाइनरी से रेट के अंतर की राशि रू. 29.39 करोड़ की वसूली की जा चुकी है। प्रकरण के संबंध में जिला इकाइयों द्वारा आवश्यक कार्यवाही किये जाने से कई ठेकेदारों द्वारा माननीय उच्च न्यायालय से स्थगन प्राप्त करने के कारण जिला इकाइयों द्वारा वसूली स्थगित कर दी गई है। वर्तमान में मान. उच्च न्यायालय के आदेश दिनांक 31.01.2025 के अनुपालन में मुख्य कार्यपालन अधिकारी, म.प्र. ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण द्वारा धारा 24 के अंतर्गत प्रकरणों में सुनवाई हेतु दिनांक 18 मार्च, 19 मार्च एवं 20 मार्च 2025 की तिथि निश्चित की गई है। सुनवाई उपरांत लिए गये निर्णय के अनुरूप आवश्यक कार्यवाही हेतु जिला इकाइयों को निर्देशित किया जा सकेगा। बिन्दु क्रमांक 2-एक से अधिक पैकेज/जिला इकाई में एक ही इनवाइस दो बार या अनेक बार प्रयुक्त इनवाइस के संबंध में ऑडिट के दौरान समस्त जिला इकाइयों के अंतर्गत कुल 372 इनवाइस पायी गई थी। जिला इकाइयों द्वारा समग्र रूप से उक्त 372 इनवाइस का परस्पर मिलान/सत्यापन किया गया। अद्यतन स्थिति के अनुसार 280 इनवाइस त्रुटिवश प्रस्तुत किये जाने से रिप्लेस करायी जाकर सत्यापन कराया गया। 62 इनवाइस एक से अधिक पैकेज/इकाई अंतर्गत बिटुमिन consumption के अनुसार परस्पर मिलान/सत्यापित की गई तथा शेष इनवाइस जो कि शासकीय रिफायनरी/एस्सार/प्राइवेट से संबंधित होने एवं सत्यापित नहीं होने के कारण राशि रू. 54.67 लाख की वसूली की गई है एवं शेष वसूली योग्य राशि की गणना जिला इकाइयों द्वारा की जाकर तद्नुसार वसूली की कार्यवाही सुनिश्चित की जा रही है। बिन्दु क्रमांक 3-कार्यपूर्णता तिथि के पश्चात बिटुमिन/इमल्शन क्रय से संबंधित चालान के संबंध में 04 इकाइयों के महाप्रबंधकों को कारण बताओ सूचना पत्र/आरोप पत्र जारी किये गये हैं। जिला इकाइयों के स्तर पर परीक्षण उपरांत यह स्थिति चालान के परस्पर मिसमेच अथवा कम्पलीट पैकेज के चालान प्रगतिरत पैकेज में संधारित होने से ऐसी स्थिति निर्मित हुई। वास्तव में पैकेज पूर्ण होने के बाद का कोई भी चालान नहीं पाया गया है। बिन्दु क्रमांक 4-प्राधिकरण के आदेश पत्र संख्या 12681, दिनांक 24.07.2010 के द्वारा जारी निर्देशों के तहत निर्धारित मापदण्डों के अनुरूप एस्सार कम्पनी से क्रय किये गये बिटुमिन के उपयोग के संबंध में निर्देश दिये गये थे। फाबा ऑडिट के परिप्रेक्ष्य में सी.ए.जी. रिपोर्ट में दर्शित 780 अशासकीय रिफाइनरी के इनवॉईस में से परीक्षण उपरांत 255 इनवॉईस एस्सार कम्पनी से संबंधित होने के कारण मुख्यालय के बिन्दु क्र. 1 में उल्लेखित पत्र के परिप्रेक्ष्य में जिला इकाइयों द्वारा शासकीय रिफाइनरी में रेट के अंतर की राशि एवं प्राईस एस्केलेशन की राशि रूपये 24.32 लाख की वसूली की जा चुकी है। शेष राशि के वसूली की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। इसी प्रकार 525 चालान अशासकीय रिफाइनरी/निजी पार्टी से संबंधित होने के कारण जिला इकाइयों द्वारा राशि रू. 11.20 करोड़ की वसूली की जा चुकी है। वसूली योग्य वास्तविक राशि की गणना हेतु जिला इकाइयों द्वारा अशासकीय रिफाइनरी की दरें प्राप्त की जाकर शासकीय रिफाइनरी से रेट के अंतर की राशि एवं प्राईस एस्केलेशन की गणना किये जाने की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। शेष राशि के वसूली के संबंध में यथाशीघ्र कार्यवाही सुनिश्चित की जा रही है। बिन्दु क्रमांक 5-फाबा ऑडिट के परिप्रेक्ष्य में सी.ए.जी. रिपोर्ट के तहत शॉर्ट इनवॉईस केवल 02 इकाइयों बुरहानपुर एवं रीवा में पाये जाने के कारण संबंधित इकाई के महाप्रबंधक को कारण बताओ सूचना पत्र एवं आरोप पत्र जारी किये गये। जिला इकाई स्तर पर प्रकरण का परीक्षण किया जाकर शॉर्ट इनवॉईस से संबंधित आवश्यक राशि रूपये 57058 की वसूली की जा चुकी है। उपरोक्त वर्णित अनुसार जिला इकाइयों द्वारा संविदाकारों के विरूद्ध आवश्यक कार्यवाही किये जाने के विरूद्ध संविदाकारों द्वारा माननीय उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई थी। जिसमें कई प्रकरणों में वसूली नहीं किये जाने हेतु माननीय उच्च न्यायालय द्वारा स्थगन आदेश दिया गया था। वर्तमान में माननीय उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश दिनांक 31.01.2025 के अनुसार संविदाकारों को Dispute Redressal Mechanism के अंतर्गत अभ्यावेदन प्रस्तुत करने हेतु आदेशित किया गया है। धारा 24 के तहत सुनवाई उपरांत आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित की जावेगी। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ख) प्रश्नांश ''क'' के परिप्रेक्ष्य में जिला इकाइयों द्वारा कार्य स्थल पर बिटुमिन की मात्रा का सत्यापन किये जाने के साथ ही गुणवत्ता का परीक्षण NABL लैब से कराया गया। तत्संबंधी क्यू.सी.आर. रजिस्टर जिला इकाइयों द्वारा संधारित किया गया है। संपादित कराये गये कार्यों का समय-समय पर निरीक्षण एस.क्यू.सी., विभागीय अधिकारियों, एस.क्यू.एम. एवं एन.क्यू.एम द्वारा किया गया, जिसके तहत रोड अच्छी स्थिति में पाई गई तथा वर्तमान में भी सभी रोड ई-मार्ग पर अच्छी स्थिति में दर्ज हैं। उक्त विवरण से पूर्णतः स्पष्ट है कि तत्समय कार्य स्थल पर बिटुमिन मात्रा एवं गुणवत्ता के साथ उपयोग में लाया गया है। तत्समय बिटुमन चालान के सत्यापन हेतु ऑनलाइन पोर्टल/मेकेनिज्म नहीं होने से प्राधिकरण के पत्र क्र. 8858, दिनांक 21.07.2022 द्वारा प्रांत प्रमुख, भारत पेट्रोलियम कॉर्पो.लि. को वेबसाईट के माध्यम से बिटुमिन इनवॉईस वेरीफिकेशन की ऑनलाईन सुविधा प्राधिकरण को उपलब्ध कराये जाने हेतु लेख किया गया था। प्राधिकरण द्वारा किये गये विशेष प्रयास के फलस्वरूप शासकीय पेट्रोलियम कम्पनी एच.पी.सी.एल. द्वारा जुलाई 2022 से वेबसाईट के माध्यम से बिटुमन इनवॉईस वेरीफिकेशन की ऑनलाईन सुविधा प्राधिकरण को उपलब्ध कराई गई है। उक्त के अनुक्रम में मुख्य सचिव, म.प्र. शासन भोपाल के अर्द्धशासकीय पत्र क्र. 03/CS/P&RD/2023, दिनांक 30.01.2023 के द्वारा सचिव, भारत सरकार पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस को वेबसाईट के माध्यम से बिटुमिन के चालान के ऑनलाईन वेरीफिकेशन की सुविधा उपलब्ध कराये जाने हेतु लेख किया गया था। जिसके फलस्वरूप (आय.ओ.सी.एल./बी.पी.सी.एल.) कम्पनियों द्वारा भी वेबसाईट के माध्यम से बिटुमिन चालान के ऑनलाईन वेरीफिकेशन की सुविधा प्राधिकरण को उपलब्ध कराई गई है। वर्तमान में जिला इकाइयों के स्तर पर बिटुमिन चालान के शत-प्रतिशत ऑनलाईन वेरीफिकेशन के पश्चात ही संविदाकार को भुगतान किया जाता है। (ग) उत्तरांश उपरोक्त ''क'' एवं ''ख'' के परिप्रेक्ष्य में जिम्मेदार अधिकारियों के विरूद्ध आवश्यक विभागीय कार्यवाही सुनिश्चित करते हुए सूचना पत्र/आरोप पत्र जारी किये गये हैं। प्रकरण अंतर्गत अंतिम निर्णय लोक लेखा समिति द्वारा लिया जाना शेष है। इस संबंध में प्राधिकरण के आदेश क्र. 681, दिनांक 17.01.2025 के द्वारा अद्यतन जवाब तैयार किये जाने हेतु जिला इकाइयों के महाप्रबंधकों/परिक्षेत्र के मुख्य महाप्रबंधकों को निर्देश जारी किये गये हैं। जो इनवॉईस सत्यापित नहीं हुए हैं, उनके सत्यापन के संबंध में स्पष्ट प्रक्रिया निर्धारित न होने से अधिकारियों का प्रत्यक्ष रूप से संबद्ध होना परिलक्षित नहीं होने के कारण पृथक से अपराधिक प्रकरण दर्ज किये जाने एवं राशि वसूली की कार्यवाही नहीं की गई है। (घ) उत्तरांश ''क'', ''ख'' एवं ''ग'' के अनुसार।
श्री अभय मिश्रा- अध्यक्ष महोदय, प्रश्न क्रमांक- 957 है.
श्री प्रहलाद सिंह पटैल- माननीय अध्यक्ष जी, उत्तर सभा पटल पर रख दिया गया है.
श्री अभय मिश्रा- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह पांच वर्ष पुराने प्रकरण पर जो कैग की रिपोर्ट है, उसका आधार पर यह प्रश्न है और इस प्रश्न के उत्तर से प्रदेश में एक मैसेज जाना है कि हमारी कौनसी कार्य प्रणाली अलाउड है. मैं चाहता हूं कि प्रक्रिया एवं कार्य संचालन के अनुरूप माननीय मंत्री महोदय उत्तर को पटल रखने के साथ-साथ पढ़ भी दें तो हम और पूरा सदन सुन भी लेगा. फिर मैं प्रश्न करूंगा.
अध्यक्ष महोदय- एक तो मेरा सभी सदस्यों से आग्रह है कि प्रश्न में हमेशा हम लोगों को देखभाल कर लगाना चाहिये. प्रश्न बहुत लम्बे होते हैं. फिर जवाब भी बहुत लम्बे होते हैं. कई बार तो किलो में मटेरियल आता है तो विधान सभा में समय कम लगे और जो हम पूछना चाहते हैं या हम जो प्रश्न के माध्यम से सुधार चाहते हैं, वह टू दि पाइंट हो जाये, तो ठीक है. सचिवालय भी इसका ध्यान रखे और सदस्यगण भी इसका ध्यान रखें कि प्रश्नों का स्वरुप जितना छोटा होगा, उतने जवाब अच्छे आ सकेंगे.
श्री प्रहलाद सिंह पटेल—अध्यक्ष महोदय, विस्तार से उत्तर देना मुझे उस बात की सजा शायद मिल रही है. सदस्य जी कह रहे हैं कि जो उत्तर मैंने लिख करके दिया है, उसको मैं सदन में पढ़ूं. यदि आपकी अनुमति है, तो मैं उसको पढ़ने के लिये तैयार हूं.
अध्यक्ष महोदय—नहीं. पढ़ने की जरुरत नहीं है. प्रश्नोत्तरी सबके पास है.
श्री प्रहलाद सिंह पटेल—अध्यक्ष महोदय, उनका जो कहना है, इतने विस्तर से उत्तर दिया गया है, यदि आपको कोई पूरक प्रश्न लगता है, तो आप पूछिये, हम जवाब देने के लिये तैयार हैं.
अध्यक्ष महोदय—ठीक है.
श्री अभय मिश्रा-- जैसी आपकी आज्ञा. अध्यक्ष महोदय, इसमें जो प्रश्नांश(क) है, उसके उत्तर में आपने लिखा है कि नियंत्रक महालेखाकार के प्रतिवेदन में है. यह सभी चीजें आपने स्वीकार की हैं. जो मैंने प्रश्न में आरोप लगाया है, उस सबको आपने स्वीकार किया है. इसमें कहीं कोई दिक्कत नहीं है. आप कह रहे हैं कि वसूली योग्य वास्तविक राशि की गणना अशासकीय और शासकीय रिफाइनरी के अंतर से है, हमारे यहां कहावत है कि डूंढे भैंस बताये घोड़ी, उस वाला मामला है. हमारे यहां क्लियरकट है कि आईओसीएल,बीपीसीएल, एचपीसीएल के अलावा अन्य रिफायनरी की बिटुमिन की नकली डामर जो कि मोबाइल वाली डामर है. अन्य डामर को आप एलाऊ ही नहीं कर रहे हैं. जब आप अन्य डामर, बिटुमिन को एलाऊ ही नहीं कर रहे हैं और आपने मान लिया कि हां उसने फर्जी बिल लगाये हैं, गलत लगाये हैं, तो आप इसके अंतर से क्यों कर रहे हैं. सीधे सीधे तो यह मामला बनता है एफआईआर का, क्योंकि इसमें जीएसटी चोरी अलग हुई है. फर्जी बिटुमिन के बिल आप खुद बता रहे हैं कि 28-28 करोड़ के. और मात्र एक जगह 57 हजार की वसूली आप दिखा रहे हैं. उच्च न्यायालय ने भी इसमें निर्देश दे दिया है कि धारा 24 के अंतर्गत. आप धारा 24 की बात कर रहे हैं. धारा 24 यह होता है कि जब किसी को टर्मिनेट किया जाता है, तो टर्मिनेशन के बाद एक माह का उसको समय मिलता है. धारा 24 में उसको विभाग में अपील करने का. यह प्रकरण 5 वर्ष पूर्व का है. उसकी बैंक गारंटी खत्म होने वाली है. 15 दिन, एक महीने के अंदर सब यह अपना अपना पैसा निकाल कर मुक्त हो जायेंगे. इसमें तो उत्तर यह आना चाहिये था कि इनकी बैंक गारंटी रोक ली जावेगी. इनके अन्य जो दूसरे भी देयक हैं, उनसे पैसा रोक लिया जावेगा और इनके विरुद्ध आप अगर अधिकारियों को दोषी नहीं मान रहे हैं और हम भी मानते हैं कि अधिकारियों को नहीं पता था कि असली है कि नकली है. जब जांच हुआ, तब निकला. तो इन ठेकेदारों के विरुद्ध आपराधिक प्रकरण नहीं बनेगा क्या. अगर आप नहीं बनायेंगे, वसूली नहीं करेंगे, तो आगे भी यही परम्परा चलेगी. इस सदन से जो उत्तर जायेगा बाहर और लोग देखेंगे, तो वही प्रक्रिया लगातार चलेगी. अगर आप चाहते हैं, जैसा कि उस दिन आपका भाषण हुआ था..
अध्यक्ष महोदय—अभय जी. प्रश्न आ गया है. एक तो आपके प्रश्न में सीएजी की रिपोर्ट का उल्लेख किया गया है. सीएजी की रिपोर्ट अपनी लोक लेखा समिति के परीक्षण में है. जब वह आयेगी, तो वह सदन में भी आयेगी और शासन उस पर कार्यवाही भी सुनिश्चित करेगा.
श्री प्रहलाद सिंह पटेल—अध्यक्ष महोदय, मैंने इसलिये कहा कि ने विस्तार से इस प्रश्न का उत्तर दिया है. मैं सदस्य जी को आपके माध्यम से बताना चाहता है कि 24.7.2010, उस समय हमारे सीईओ संजय दुबे थे. उस समय एक सर्कुलर निकला था, जिसमें एस्सार के भी बिटुमिन को परमिशन दी गई थी. दूसरा मैं कोट करना चाहता हूं भारत सरकार के एनएचआई का. एनएचआई ने सिर्फ देश की अन्य प्रायवेट कम्पनियों से नहीं, देश से बाहर भी आप बिटुमिन खरीद सकते हैं और यह हमने अपने विभाग को निर्देश, मैं जब मंत्री बना, तब यह विषय मेरे संज्ञान में आया था. लेकिन जिसको हम जितना काम्प्लीकेटेड बनाना चाहेंगे, तो बना सकते हैं. लेकिन मैंने जो पूरे विस्तार से चीजें थीं, उसको स्वीकार किया है. तो मैं सदस्य जी को यह बताना चाहता हूं कि प्रायवेट बिटुमिन नकली नहीं होता है. 2010 में एस्सार को परमिशन दी गई थी और भारत सरकार देश की सभी रिफायनरियों को और देश से बाहर से भी बिटुमिन खरीदने की अनुमति देती है. तीसरी बात मैं सदन को बताना चाहता हूं कि जो डिफरेंस होता है, जो गवर्नमेंट की हमारी रिफायनरी से बनने वाला बिटुमिन है, वह महंगा होता है. प्रायवेट का सस्ता होता है. तो सरकार का नुकसान न हो, इसलिये सरकार ने यह बाकायदा निर्देश जारी कर रखे हैं कि अगर आप प्रायवेट कम्पनी से लेते हो और उसका जो डिफरेंस है, वह हम आपको नहीं देंगे, वह आपको सरकार को वापस करना पड़ेगा. इसमें कहीं दुविधा नहीं है. जो सदस्य जी कह रही है कि साहब वसूली सिर्फ 57 हजार हुई है. यह तो बहुत छोटी बात कह रहे हैं. मुझे लगता है कि मुझे लगता है कि 29 करोड़ 39 लाख रूपये यह अभी तक की वसूली है. दूसरी बात जिनके चालान सत्यापित नहीं हुये हैं उनकी 54 हजार 67 हजार की वसूली है. तीसरी वसूली है एसआर कंपनी की जिसका मैंने अभी आपसे कहा, कि उसके रेट का जो अंतर है उससे 24 लाख 32 हजार की वसूली हुई है और उसके बाद में जो शासकीय रिफाइनरियों और निजी पार्टी से क्रय बिटुमिन की जो वसूली की राशि है वह 11 करोड़ 20 लाख रूपये है जिसका माननीय सदस्य उल्लेख कर रहे हैं यह 60 इन्वाइस वाली वसूली है 57 हजार , यह चार वसूली उसके पहले की हैं इसलिये मुझे लगता है कि कोई दुविधा नही होनी चाहिये.
श्री अभय मिश्रा-- अध्यक्ष महोदय, यह दो तरह के मामले हैं. एक तो जो बात मंत्री जी ने बताई है उस बात को हम भी समझ रहे हैं वह ठीक कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- अभय जी आपके दो प्रश्न हो गये हैं.
श्री अभय मिश्रा -- अभी तो एक ही प्रश्न हुआ है साहव.
अध्यक्ष महोदय- पहला वाला भी प्रश्न में ही गिना जायेगा जिसमें आपने कहा था कि जवाब पढ़ दो.
श्री अभय मिश्रा -- अध्यक्ष जी, आपका जो भी आदेश हो.
अध्यक्ष महोदय- चलिये एक मिनिट में पूरा कीजिये.
श्री अभय मिश्रा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, दूसरा प्रश्न मेरे है कि 3389 चालान सत्यापित नहीं होने के, मतलब इसमें बहुत सारे चालान ऐसे हैं जिसको फर्जी पाया गया, जो रेट का अंतर है उससे मैं मंत्री जी की बात से सहमत हू, मैं एग्री करता हूं, एसआर का भी एग्री करता हूं और मंत्री जी आप इसका एक नियम बना दीजिये तो ठेकेदार खुलकर के लगायें उसमें क्या दिक्कत है, लेकिन आपने जो फर्जी पाये हैं, जिसमें बिल छाप लिये गये, जिसमें जीएसटी की चौरी हुई है 3000 समथिंक में, जिसमें से 1000 के समथिंग को आपने सत्यापित करके फर्जी पाया, बाकी के अभी सत्यापित किये जाना शेष हैं, उसमें मेरा कहना है कि मंत्री जी उसमें एफआईआर होना बनती है कि नहीं बनती है. और एफआईआर तो बनती ही है साथ में जीएसटी की वसूली भी बनती है, सबसे बड़ी बात है उनका पैसा लोटना.
श्री प्रहलाद सिंह पटैल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सभी प्रकरणों में बैंक गारंटी होल्ड की गई है. दूसरा जो माननीय सदस्य कह रहे हैं मैं उनसे कहना चाहूंगा कि हाईकोर्ट ने इसमें निर्देश दिये थे हमारे जो आरआरडीए के सीईओ हैं उन्होंने 19 तारीख दी थी, लेकिन चूंकि उस दिन लोकल हाली-डे हो गया अभी 20, 21 और 24 तारीख को लगातार वह सुनवाई कर रहे हैं क्योंकि उच्च न्यायालय ने कहा है कि हमारे सीईओ को सुनना चाहिये. माननीय सदस्य, ठेकेदार भी हैं. बाकी लोग तो ठेकेदार नहीं हैं.
श्री अभय मिश्रा-- था, अब नहीं हूं.
श्री प्रहलाद सिंह पटैल -- मैं तो आपके खिलाफ नहीं बोल रहा हूं भाई. आरआरडीए और ठेकेदार के बीच में एग्रीमेंट होता है उसकी जो टर्म्स एंड कंडीशन हैं उसके आधार पर हमारे सीईओ सुनवाई कर रहे हैं इसमें कहीं कोई छुपाने लायक नहीं है, मैंने इसलिये विस्तार से सारी चीजें जो स्वीकार करनी चाहिये वह स्वीकार की हैं. एफआईआर की बात जब माननीय सदस्य करते हैं, हमारे एग्रीमेंट में अगर यह प्रावधान नहीं है तो यह मुझे लगता है कि यह हम नहीं कर सकते बाकी यह काम दूसरी एजेंसियों का है.
श्री अभय मिश्रा-- मतलब अगर हम फर्जी बिल दे दें और वह सत्यापित हो जाये और हम एफआईआर भी न कर पायें तो क्या मतलब निकलेगा साहब.एक अंतिम बात आपसे कह रहा हूं कि आपके यहां जो माइनिंग की एनओसी जमा है मंत्री जी उनको भी आप सत्पापित करवा लीजिये, इतना भर बोल दीजिये इसमें आपको तो कोई आपत्ति होगी नहीं क्योंकि सरकार को रेवेन्यू का फायदा होगा.
अध्यक्ष महोदय-- अभय जी, आपका हो गया. नारायण सिंह जी अपना प्रश्न करें. अभय जी आप बैठ जाईये.
कर्मचारियों का नियमितीकरण एवं नियुक्तियां
[उच्च शिक्षा]
3. ( *क्र. 2437 ) श्री नारायण सिंह पट्टा : क्या उच्च शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मध्यप्रदेश भोजमुक्त विश्वविद्यालय में सत्र 2013 एवं 2014 में कितने दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों का नियमितीकरण एवं नियुक्तियां हुई हैं? उनकी नाम, पदनाम सहित जानकारी उपलब्ध कराएं। (ख) भोज विश्वविद्यालय में वर्ष 2013 एवं 2014 में दैनिक वेतन भोगियों के अलावा संविदा सलाहकार अंशकालीन कितने कर्मचारियों का नियमितीकरण हुआ है? उनकी वर्षवार नाम, पदनाम सहित जानकारी उपलब्ध कराएं। वर्ष 2013 एवं 2014 में हुई नियमित नियुक्तियों वाले समस्त कर्मचारियों के प्रथम नियुक्ति आदेशों की प्रतियाँ उपलब्ध कराएं। (ग) सत्र 2013 एवं 2014 में विश्वविद्यालय ने पद सृजित किये तो उन पदों पर नियमित नियुक्ति वाले किन-किन कर्मचारियों को 10 वर्ष का अनुभव प्राप्त हो गया था? उनके नाम, पदनाम सहित नियमों की प्रतियां उपलब्ध कराएं। (घ) सत्र 2013 एवं 2014 में हुए नियमितीकरण में किन-किन कर्मचारियों के पद परिवर्तन कर चतुर्थ श्रेणी से तृतीय श्रेणी, तृतीय श्रेणी से चतुर्थ श्रेणी एवं द्वितीय श्रेणी में पद परिवर्तित किये? उनके नाम, पदनाम सहित जानकारी उपलब्ध कराएं। (ड.) सत्र 2013 एवं 2014 के समस्त नियमितीकरण आदेशों की छायाप्रतियाँ उपलब्ध कराएं। (च) प्रवीण जैन को बर्खास्त करते समय प्रवीण जैन के आरोप पत्र में जिन पांच कर्मचारियों के नाम थे, उनकी नाम, पदनाम की सूची एवं उन कर्मचारियों पर आज तक की गई कार्यवाही का विवरण उपलब्ध कराएं। (छ) भोज विश्वविद्यालय में 2010 में मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग द्वारा तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के प्रतिनियुक्ति/संविदा पर पद स्वीकृत किये गये थे, उक्त स्वीकृत पदों पर शासन के आदेश की अवहेलना कर किन-किन कर्मचारियों का नियमितीकरण/नियुक्त किया है?
उच्च शिक्षा मंत्री ( श्री इन्दर सिंह परमार ) : (क) वर्ष 2013 में कुल 31 एवं वर्ष 2014 में कुल 25 दै.वे.भो./संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण आदेश जारी किये गये. (ख) भोज विश्वविद्यालय में वर्ष 2013 एवं 2014 में किसी अंशकालीन संविदा सलाहकार का नियमितिकरण नहीं हुआ है तथा कोई नियमित नियुक्ति भी नहीं हुई है. अत शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है. (ग) वर्ष 2013 में पदों का सृजन नहीं किया गया एवं 2014 में सृजित पदों पर नियमित नियुक्तियां नहीं की गई है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (ड.) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'स' अनुसार है। (च) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'द' अनुसार है। (छ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'इ' अनुसार है।
श्री नारायण सिंह पट्टा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रश्न क्रमांक 2437.
श्री इन्दर सिंह परमार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसका उत्तर सभा पटल पर रख दिया गया है.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय सदस्य, पूरक प्रश्न करें.
श्री नारायण सिंह पट्टा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न था मध्यप्रदेश भोजमुक्त विश्वविद्यालय में 2013 एवं 2014 में कितने दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों का नियमितिकरण एवं नियुक्तियां हुईं. मेरे प्रश्न में पहले उत्तर आया फिर उसमें संशोधन करके बताया गया है कि वर्ष 2013 में कुल 31 और वर्ष 2014 में 25 दैनिक वेतन भोगी संविदा कर्मचारियों के नियमितिकरण के आदेश जारी किये गये.माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा माननीय मंत्री जी से प्रश्न यह है कि यह जो नियुक्तियां हुई इसमें क्या रोस्टर का पालन किया गया है. पहले तो मंत्री जी इसका उत्तर दे दें.
श्री इन्दर सिंह परमार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य जो नियुक्तियों के बारे में कह रहे हैं मैं उनको बताना चाहता हूं कि यह सीधी नियुक्ति के नहीं प्रतिनियुक्ति के पद थे, जो विश्वविद्यालय ने उस समय किये हैं. और क्योंकि वह पद पूर्ण रूप से शासन ने अपना पत्र भेजकर के उन पदों को अवैधानिक माना था इसलिये उनको निरस्त करने के लिये निर्देशित किया गया था जिसमें विश्वविद्यालय ने 5.10.2013 को शासन ने भेजा था और 5.10.2013 को ही विश्वविद्यालय द्वारा उनको स्थगित कर दिया था. परंतु होईकोर्ट के स्टे के कारण से आज तक 2013 के पद हैं क्योंकि उन पर स्टे है.
श्री नारायण सिंह पट्टा -- अध्यक्ष महोदय, इन नियमितीकरण के आदेशों को लेकर कितने कर्मचारी कब-कब कोर्ट गये, अगर मंत्री जी इसको बता देंगे तो मैं इसमें जैसा कि आपने कहा है कि 31 और 25 कुल मिलाकर 56 कर्मचारियों का नियमितीकरण आदेश हुआ जिसमें 2014 में 25 कर्मचारी कोर्ट गये और 2017 में 3 कर्मचारी और 2022 में 3 कर्मचारी. अब आप यह बताइये कि जब आदेश निरस्त कर दिया गया तो जो 25 लोग 2014 में कोर्ट गये, उनके अलावा 56 में से बाकी बचे 31 कर्मचारियों को किस नियम के तहत 2017 तक पूरा वेतन, महंगाई भत्ते के साथ दिया जाता रहा और अब भी दिया जा रहा है तो कृपया मंत्री जी इसको बताएं ?
श्री इन्दर सिंह परमार -- अध्यक्ष महोदय, जो 15 में से 10 नियमितीकरण किये गये हैं प्रतिनियुक्ति के पदों पर वह राज्य शासन के पद थे. राज्य शासन से उनकी स्वीकृति हुई थी. जिसमें से 9 पद 2013 के थे और एक 2014 का था. प्रबंधन बोर्ड के जो 38 पद हैं उसमें भोजमुक्त विश्वविद्यालय के एक्ट में उनको अधिकार है, इसलिये उन्होंने किये थे और शासन की तरफ से 18 थे. उसमें से 15 प्रतिनियुक्ति के थे और 3 सीधी भर्ती के थे. इसमें सभी जो कोर्ट में जाने वाले थे उनका स्थगन है. 2014 में अलग-अलग तारीख में सबने स्थगन लिया है, लेकिन मुख्य बात जो मुझे लगता है आप पूछना चाहते हैं, वह 2013 के बाद 2014 में फिर से विश्वविद्यालय ने उस समय भर्ती की थी तो उसके लिये अपेक्षा थी कि शासन ने उनको निर्देशित किया है विश्वविद्यालय को इसलये वह जांच करेंगे और पहली बात तो भर्ती नहीं करेंगे लेकिन फिर भी उन्होंने की है और लंबे समय तक इंतजार करने के बाद में शासन को जांच कमेटी बनाने का उन्होंने पत्र भेजा, वह प्रक्रियाधीन है.
श्री नारायण सिंह पट्टा -- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी कुछ भ्रामक जानकारी दे रहे हैं. मेरे पास सारे एवीडेंस रखे हुये हैं. अगर आप कहें तो मैं पटल पर रख सकता हूं. 2022 में जो 3 कर्मचारी कोर्ट गये क्या उनका प्रकरण माननीय न्यायालय ने सुना है या कोई आदेश दिया है. 3 कर्मचारियों ने केवल कोर्ट में मामला लगाया है कोई सुनवाई नहीं हुई है और न ही कोई आदेश हुआ है. इसके बाद भी इनको और बाकी सभी जो 31 लोगों को पूरा वेतन, मय महंगाई भत्ता, डीए और अन्य भत्तों सहित दिया जा रहा है. माननीय मंत्री जी, क्या यह सही है कि जब यह कोर्ट गये तो कुल सचिव ने आदेश जारी किया था कि कोर्ट गये समस्त कर्मचारियों को समेकित वेतनमान ही दिया जाएगा. जब ऐसा आदेश हुआ तो इन सभी कर्मचारियों को 2014 से लेकर अभी तक पूरा वेतनमान, महंगाई भत्ता, डीए व अन्य भत्तों सहित क्यों दिया जा रहा है ?
अध्यक्ष महोदय -- नारायण सिंह जी, वैसे दो प्रश्न आपके पहले हो गये हैं.
श्री नारायण सिंह पट्टा -- अध्यक्ष महोदय, पूरा तो उसी से जुड़ा होता है.
अध्यक्ष महोदय -- पूरा नहीं होता ना. प्रश्न दो ही होते हैं. इतने सीनियर सदस्य हैं आपको ध्यान रखना चाहिये. माननीय मंत्री जी, कुछ बोलना चाहेंगे. नारायण सिंह जी बैठिये.
श्री इन्दर सिंह परमार -- अध्यक्ष महोदय, मैं यह कहना चाहता हूं कि 2013 में जो नियुक्ति की गई वही नियम विरुद्ध की गई थी और प्रतिनियुक्ति के पद थे जो उन्होंने नियमितीकरण कर दिया, वह दूसरे विभाग से या कहीं से भी वहां पर प्रतिनियुक्ति से आना चाहिये था. शासन को मालूम पड़ा तो शासन ने तत्काल उनको कहा कि यह गलत किया गया है, तो विश्वविद्यालय ने तत्काल उस समय कार्यवाही की थी, लेकिन बाद में उनको कोर्ट से स्टे मिल गया इसलिये वह चल रहे हैं. 2014 में निश्चित रूप से एक बार शासन के निर्देश होने के बाद भी विश्वविद्यालय ने जो नियुक्ति की है उसमें शासन के निर्देशों की अवहेलना हुई है और विश्वविद्यालय के नियमों की भी हुई है. उस पर क्योंकि विश्वविद्यालय से अपेक्षा थी तो विश्वविद्यालय ने अभी पिछले सत्र में ही पत्र शासन को दिया है. उसके लिये पहले शासन स्तर पर समिति गठित करके जिन-जिन लोगों के कोर्ट के विचार से भिन्न विषय हैं, उन सब पर जांच कराकर कार्यवाही करेंगे.
श्री प्रहलाद सिंह पटेल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय विधायक जी का धन्यवाद करता हूं. उन्होंने मूलत: जो प्रश्न लगाया था वह जीएडी को लेकर था. उनके पत्र का जवाब देरी से मिला होगा पावती नहीं मिली होगी लेकिन जो बात उन्होंने कही है तो राशि के आधार पर ही वह स्वीकृति देते हैं और अन्य विधान सभाएं भी हैं. जैसा माननीय विधायक जी ने कहा है मैं जिला पंचायत सीईओ को निर्देशित करूंगा.
श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल-- मंत्री जी बहुत-बहुत धन्यवाद. मैं आपके प्रति आभार प्रकट करता हूं.
बैंक महाप्रबंधक को हटाने की कार्यवाही
[सहकारिता]
6. (*क्र. 2546 ) श्री केशव देसाई : क्या सहकारिता मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला भिण्ड में वर्तमान में श्री कृष्ण कोरकू को जिला सहकारी बैंक का महाप्रबंधक बनाया गया है? क्या वह अपने कार्यकाल में लापरवाही के कारण 3 बार निलंबित हो चुके हैं तथा पी.डी.एस. में ब्लैक मार्केटिंग के कारण गोहद कोर्ट द्वारा सजा सुनाई गई है? क्या मेहगांव शाखा से 2018 में ऋण माफी में लापरवाही के कारण 2019 में बैंक द्वारा बर्खास्त किये जा चुके हैं? यदि हाँ, तो ऐसे व्यक्ति को महाप्रबंधक बनाया जाना उचित है? (ख) ऐसे व्यक्ति को किसानों की जिला सहकारी बैंक का जिला प्रभारी किस योग्यता के आधार पर बनाया गया है? क्या ऐसे व्यक्ति को महाप्रबंधक के प्रभार से हटाया जायेगा? यदि नहीं, तो इसका कारण बतायें? यदि हाँ, तो कब तक हटाया जायेगा? (ग) विभाग महाप्रबंधक को हटाने की कार्यवाही कब तक करेगा?
सहकारिता मंत्री ( श्री विश्वास कैलाश सारंग ) : (क) जी हाँ, जी हाँ। न्यायालयीन प्रकरण क्रमांक CRA/15/2016, दिनांक 17.11.2021 से दोषमुक्त किये गये, साथ ही न्यायालय संयुक्त पंजीयक सहकारी संस्थायें चंबल संभाग मुरैना के आदेश से प्रकरण क्रमांक E/JRD/DCH/55/2/2019/60 द्वारा बर्खास्त किये जाने के आदेश को निरस्त किया जाकर सेवा में बहाल किया गया। वरिष्ठता के आधार पर महाप्रबंधक का प्रभार वैकल्पिक तौर पर दिया गया है। (ख) जी नहीं, वर्तमान में अपेक्स बैंक कैडर के मुख्य कार्यपालन अधिकारी, श्री राजेश रायकवार, जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित भिण्ड में पदस्थ हैं, इनके माह नवंबर 2024 से अवकाश पर होने के कारण श्री कृष्ण कोरकू, वरिष्ठ शाखा प्रबंधक को बैंक प्रशासक एवं कलेक्टर के आदेश क्र. 162, दिनांक 06.01.2025 से प्रभार दिया गया है। (ग) उत्तरांश "क" एवं "ख" के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री केशव देसाई-- प्रश्न क्रमांक 2546.
श्री विश्वास सारंग-- माननीय अध्यक्ष महोदय, उत्तर पटल पर रख दिया गया है.
श्री केशव देसाई-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी का जो जवाब आया है मैं उससे संतुष्ट हूं.
अध्यक्ष महोदय-- बहुत धन्यवाद.
महाविद्यालय स्थापित करने हेतु मुख्यमंत्री की घोषणा
[उच्च शिक्षा]
7. ( *क्र. 2518 ) श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह : क्या उच्च शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या दिनांक 06 मार्च, 2024 को भिण्ड शहर में आयोजित सम्मेलन में माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा नयागांव में नवीन महाविद्यालय प्रारंभ किये जाने के लिए घोषणा की गई थी? उस पर आज दिनांक तक क्या कार्यवाही की गई है? (ख) माननीय मुख्यमंत्री जी की घोषणा को मूर्त रूप प्रदान करने के लिए विभाग द्वारा क्या योजना बनाई जा रही है? (ग) क्या माननीय मुख्यमंत्री जी घोषणा के अनुरूप नयागांव में नवीन महाविद्यालय प्रारंभ करने के लिए स्थल का चयन किया गया है व निर्धारित बजट का प्रावधान है? (घ) प्रश्नांश (क), (ख) और (ग) में वर्णित प्रश्नों की समय-सीमा बताएं।
उच्च शिक्षा मंत्री ( श्री इन्दर सिंह परमार ) : (क) जी हाँ। नयागांव में नवीन महाविद्यालय प्रारंभ किये जाने हेतु विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन तैयार किया गया है। (ख) उत्तरांश (क) अनुसार।(ग) स्थल चयन की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता। (घ) उत्तरांश (क), (ख) एवं (ग) के परिप्रेक्ष्य में निश्चित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री महोदय से जानना चाहता हूं कि 6 मार्च 2024 को भिण्ड में आयोजित कृषि एवं सहकारिता सम्मेलन में माननीय मुख्यमंत्री जी ने मन से भिण्ड विधान सभा क्षेत्र के नया गांव में महाविद्यालय खोलने की घोषणा की थी. उस पर आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई.
श्री इंदर सिंह परमार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी ने जो प्रश्न पूछा है वह सही है कि मुख्यमंत्री जी की घोषणा है और उस पर कार्यवाही प्रचलन में है.
अध्यक्ष महोदय-- नरेन्द्र जी कार्यवाही की जा रही है क्या आप और कुछ पूछना चाहते हैं.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री महोदय से जानना चाहता हूं कि मेरा जो विधान सभा क्षेत्र है वह आधा शहरी और आधा ग्रामीण क्षेत्र पड़ता है और मेरा विधान सभा क्षेत्र उत्तर प्रदेश से जुड़ा हुआ है. वहां 70 गांव ऐसे हैं जहां कोई महाविद्यालय नहीं है. एक ओर आप कहते हो कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ. आप अभी घोषण कर दो कि यह महाविद्यालय सत्र में चालू हो जाएगा.
श्री इंदर सिंह परमार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने पहले बिना किसी तैयारी के कॉलेज खोले हैं उनमें संसाधन और जगह इन सभी की बहुत सारी दिक्कतें हैं. हमने जमीन आवंटित करने के लिए कलेक्टर को पत्र लिखा है. यदि हमे कोई पर्याप्त स्थान मिल जाएगा और यह हम कलेक्टर को कह भी रहे हैं कि यदि स्थान मिल जाएगा तो हमें उसको चालू करने में कोई दिक्कत नहीं है. यह माननीय मुख्यमंत्री जी की घोषणा है और यह घोषणा प्रक्रिया में है.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारा निवेदन है कि जमीन आपको हम दे देंगे आप तो केवल सदन में घोषणा कर दो कि सत्र में महाविद्यालय चालू हो जाएगा.
अध्यक्ष महोदय-- नरेन्द्र सिंह जी, मंत्री जी ने कहा कि मुख्यमंत्री जी की घोषणा है और वह उस घोषणा पर कायम हैं. उन्होंने कलेक्टर को पत्र लिखा है आगे उनकी योजना में है इससे ज्यादा सकारात्मक और क्या होगा.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी की घोषणा है जमीन देने के लिए हम तैयार हैं, जमीन मैं दूंगा. आप घोषणा कर दो कि इस सत्र में तैयार हो जाएगा.
श्री इंदर सिंह परमार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जमीन सरकारी है या आप अपने पास से देंगे.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सरकारी जमीन है मैं दूंगा और सरकारी जमीन नहीं होगी तो मैं आपको जमीन दान में दूंगा आप तो केवल घोषणा करो.
श्री इंदर सिंह परमार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, उसके आवंटन की प्रक्रिया कलेक्टर के माध्यम से होगी. हम मना कहां कर रहे हैं.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह-- आप घोषणा कर दो.
श्री इंदर सिंह परमार-- हमारी प्रक्रिया चल रही है हम शुरू करेंगे.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, 50 गांव की बच्चियां पढ़ने नहीं जा पाती हैं.
अध्यक्ष महोदय-- कृपया बैठ जाइए.
प्रश्न संख्या-8 (अनुपस्थित)
प्रश्न संख्या-10 (अनुपस्थित)
वित्तीय अनियमितता एवं कार्यवाही
[पंचायत एवं ग्रामीण विकास]
11. ( *क्र. 1607 ) श्री मधु भगत : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) केंद्र सरकार ने विधानसभा क्षेत्र परसवाड़ा में 2017 से लेकर 2021 तक कितनी सड़कों के उन्नयन की मंजूरी दी गई थी? (ख) उपरोक्त अवधि में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत कितनी सड़कों का उन्नयन किया गया? (ग) क्या कैग ने अपनी रिपोर्ट में इन सड़कों के उन्नयन के लिए की गई डामर खरीदी में 414.94 करोड़ की धोखाधड़ी होने, एक चालान कई बार लगाने और ठेकेदारों द्वारा सरकारी रिफाइनरों के फर्जी चालान पेश करके भ्रष्टाचार होने का उल्लेख किया है? (घ) यदि हाँ, तो क्या कैग की रिपोर्ट के बाद कोई जांच कराई है? यदि हाँ, तो किन-किन अधिकारियों और ठेकेदारों को दोषी पाया गया और इन पर क्या-क्या कार्यवाही की गई?
पंचायत मंत्री ( श्री प्रहलाद सिंह पटैल ) : (क) केंद्र सरकार ने विधानसभा क्षेत्र परसवाड़ा में वर्ष 2017 से लेकर 2021 तक 10 सड़कों के उन्नयन की मंजूरी दी गई। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) उपरोक्त अवधि में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत 10 सड़कों का उन्नयन कार्य पूर्ण किया गया। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) जी हाँ। (घ) कैग की रिपोर्ट के परिप्रेक्ष्य में इकाइयों के महाप्रबंधक/परिक्षेत्र के मुख्य महाप्रबंधकों को पत्र क्र. 681, दिनांक 17.01.2025 द्वारा प्रेषित कर विस्तृत जवाब मय दस्तावेज के प्रस्तुत करने के निर्देश दिये गये हैं। प्राप्त जवाब के तहत संकलित जवाब तैयार किया जाकर पी.ए.सी. के समक्ष प्रस्तुत किया जावेगा। पी.ए.सी. में लिए गये निर्णय के अनुक्रम में आगामी कार्यवाही की जावेगी।
श्री मधु भगत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रशन क्र. 1607 है
अध्यक्ष महोदय-- प्रहलाद जी आपका प्रश्न है.
श्री प्रहलाद सिंह पटेल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, उत्तर पटल पर रख दिया गया है.
श्री मधु भगत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा पूरा का पूरा प्रश्न बदल के रख दिया है. मैंने जो प्रश्न उठाया था कि केन्द्र सरकार ने मध्यप्रदेश को वर्ष 2017 से वर्ष 2021 तक कितनी सड़कों के उन्नयन की मंजूरी दी थी पर जो जवाब आया है वह जवाब बहुत ही हास्यप्रद आया है. मैं मध्यप्रदेश की जानकारी मांग रहा हूं. अध्यक्ष महोदय, परंतु वे मुझे केवल मेरी विधान सभा परसवाड़ा की जानकारी दे रहे हैं कि आपकी विधान सभा में 10 सड़कों की जानकारी निम्नानुसार है. सबसे पहले मुझे यह जवाब चाहिए कि यदि मैं पूरे मध्यप्रदेश की प्रधानमंत्री ग्राम सड़क की जानकारी मांगू तो क्या उचित है कि मुझे केवल मेरी विधान सभा की जानकारी प्रस्तुत की जाये.
श्री प्रहलाद सिंह पटेल- अध्यक्ष महोदय, प्रश्न का (क) बिंदु, केंद्र सरकार ने विधान सभा क्षेत्र परसवाड़ा में 2017 से लेकर 2021 तक कितनी सड़कों के उन्नयन की मंजूरी दी गई थी ? मधु भाई, यह आपका प्रश्न था ?
श्री मधु भगत- अध्यक्ष महोदय, यह मेरा लगाया हुआ प्रश्न है, (सदस्य द्वारा सदन में कागज दिखाते हुए) अब मैं इसे पढ़ देता हूं जो मैंने विधान सभा में लगाया था.
अध्यक्ष महोदय- वह प्रश्न मंत्री जी के पास भी है, आप पुन: क्यों पढ़ रहे हैं ? आप जो पूछना चाहते हैं, वह पूछें.
श्री प्रहलाद सिंह पटेल- मेरे पास जो प्रश्न आया है, हमने उसका उत्तर दिया है, मेरे पास प्रश्न, विधान सभा से ही आया है.
श्री मधु भगत- अध्यक्ष महोदय, मैंने पूरे प्रदेश की जानकारी मांगी थी, मुझे केवल मेरी विधान सभा की जानकारी दी गई है.
श्री अजय अर्जुन सिंह- अध्यक्ष महोदय, प्रश्न में विधान सभा सचिवालय से संशोधन कर दिया गया है, सदस्य द्वारा प्रदेश की जानकारी मांगी गई है और वे केवल उनके क्षेत्र की जानकारी दे रहे हैं, गड़बड़ी कहीं यहां से ही हुई है. सदस्य के पास उनका सही प्रश्न है.
श्री मधु भगत- अध्यक्ष महोदय, कहीं न कहीं गड़बड़ी हुई है. इसकी जांच होनी चाहिए, संबंधित अधिकारी जो भी हैं, कौन गुमराह कर रहे हैं, प्रदेश के इतने बड़े स्कैंडल, जो इतना बड़ा भ्रष्टाचार इस प्रदेश में डामर बिटुमेन का, 419 करोड़ रुपये का हुआ है, निश्चित तौर पर इसे कहीं न कहीं छिपाने का प्रयास है, मेरे प्रश्न को सूक्ष्म किया गया है, मैं, चाहता हूं कि इस पर उचित कार्यवाही हो, मंत्री जी मुझे इसके लिए आश्वस्त करें कि वे इस भ्रष्टाचार को कैसे देखते हैं ?
अध्यक्ष महोदय- मधु भाई, इसमें सामान्य तौर पर बिटुमेन वाली बात कही गई है, पीछे भी अभी एक ऐसा प्रश्न हुआ है, उसमें भी बात आई है और मंत्री जी ने निश्चित रूप से जवाब दिया ही है. सामान्य तौर पर आपको अगर किसी प्रकार का भ्रम है तो विधान सभा सचिवालय में आकर, इस प्रश्न को देख सकते हैं.
श्री अजय अर्जुन सिंह- अध्यक्ष महोदय, हमने पूरे प्रदेश का प्रश्न किया था, यहां पर मंत्री जी उत्तर दे रहे हैं क्षेत्र का. हम क्यों जायें सचिवालय में पता लगाने के लिए कि क्यों संशोधन हुआ, हम अपने प्रश्न पर कायम हैं, आप बतायें कि पूरा प्रश्न क्यों नहीं लिया ? (मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय- मधु भाई, सचिवालय में देख लेंगे.
श्री अजय अर्जुन सिंह- सचिवालय वाले हमें बतायें, विधायक जी को बतायें.
अध्यक्ष महोदय- हां, ठीक है.
श्री प्रहलाद सिंह पटेल- अध्यक्ष महोदय, मैं, पहले ही जैसे कि लोकसभा में परंपरा है, मैं आपके पास गया था तो निवेदन करने वाला था कि आप इन प्रश्नों को क्लब कर दीजिये. उत्तर देने में मुझे कोई समस्या नहीं है. अभय जी ने जब प्रश्न पूछा था, उसमें राज्य भर की जानकारी दी गई है, जो मेरे पास है इसलिए छुपाने जैसी सरकार की कोई मंशा होती तो मैं इतना विस्तृत उत्तर अभय जी को नहीं देता. मेरे पास पूरे राज्य की जानकारी है लेकिन यहां जो प्रश्न मुझे मिला है, मैंने उसका उत्तर दिया है. जैसा आपका निर्देश हो, उसके लिए सरकार तैयार है. इसके पहले वाले प्रश्न में निश्चित रूप से हमने पूरे राज्य की ही जानकारी संकलित की गई है इसलिए मुझे उत्तर देने में कोई दिक्कत नहीं है, मैं, वैसे भी उत्तर दे सकता हूं.
श्री मधु भगत- अध्यक्ष महोदय, यह प्रश्न यहां समाप्त नहीं होता, मंत्री जी बिलकुल सत्य का पालन कर रहे हैं परंतु कहीं न कहीं मंत्री जी के पास जो उत्तर आया है, वह परसवाड़ा विधान सभा का आया है. अभय मिश्रा जी ने भी इस प्रश्न को पूर्व में उठाया था, विस्तृत रूप से मंत्री जी ने पूरे प्रदेश की जानकारी शेयर की है. कहीं न कहीं मुझे थोड़ा-सा गुमराह किया गया क्योंकि मैं अगर मध्यप्रदेश के सदन का सदस्य हूं तो मुझे भी सत्य जानकारी प्राप्त होनी चाहिए थी. मंत्री जी, उन दोषियों पर आप कार्यवाही करेंगे, जिन्होंने मुझे गुमराह करने की कोशिश की है, मैं यह आपसे आशा रखता हूं.
श्री प्रहलाद सिंह पटेल- वह हम नहीं करेंगे, अध्यक्ष जी करेंगे. वह माननीय अध्यक्ष जी का कार्यक्षेत्र है.
अध्यक्ष महोदय- मधु भाई, मैं, सचिवालय को आग्रह करता हूं कि वे आपसे मिलकर इसका समाधान करेंगे.
श्री मधु भगत - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा तो पहला ही प्रश्न हुआ था. मैंने अभी एक ही प्रश्न किया है, मुझे आप ही के माध्यम से दूसरा प्रश्न पूछने का अधिकार है.
अध्यक्ष महोदय - आपने तीन प्रश्न किए हैं.
श्री मधु भगत - नहीं अध्यक्ष महोदय, मैंने सिर्फ एक ही प्रश्न किया है. मेरा सिर्फ एक प्रश्न था कि यहां विधान सभा को गुमराह क्यों किया गया है ? उसी पर तीन बार डिस्कशन हुआ है.
अध्यक्ष महोदय - मधु भगत जी, आप एक और प्रश्न कर लीजिये.
श्री मधु भगत - माननीय अध्यक्ष महोदय, ज्यादा प्रश्न नहीं करूँगा. चूंकि इसमें विस्तार से माननीय मंत्री महोदय जी ने जवाब दे दिया है. मैं इतना भर कहना चाहूँगा कि कैग की रिपोर्ट है, उसके आधार पर संबंधित ठेकेदारों के ऊपर और संबंधित महाप्रबंधक, जो अधिकारी हैं, उनके ऊपर आप कार्यवाही जल्दी से जल्दी करें, ताकि हम इतने बड़े भ्रष्टाचार से इस प्रदेश को बचा सकें और जनता का जो पैसा इस भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा है, ठेकेदार और अधिकारियों के ऊपर कार्यवाही हो. मैं इस प्रश्न को यहीं संक्षिप्त करता हूँ. चूंकि अभय मिश्रा जी ने ही प्रश्न उठाया था.
श्री प्रहलाद सिंह पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने जो पहले प्रश्न के ऊपर कहा भी था, मैं फिर से उसकी पुनरावृत्ति कर रहा हूँ. 20, 21 और 24 अभी लगातार तीन तिथियां हमारे सीईओ ने सभी को दी हैं क्योंकि जो हाई कोर्ट का निर्देश था कि सीईओ, आरआरडीए उनको प्रत्यक्ष व्यक्तिगत सुनें और उसके बाद में उसको करें. उसमें तीन-चार चीजें हैं. उदाहरण के लिए कह रहा हूँ कि लोगों को लगता है कि शायद छिपा रहे हैं. जैसे कोई डामर का टैंकर आया होगा, आधा किसी एक पैकेज में लग गया तथा आधा दूसरे में लग गया और उसी के बिल दोनों जगहों पर लग गए या ऊपर-नीचे लग गए हैं, ऐसी छोटी-छोटी चीजें भी उसमें हैं, लेकिन पूरे राज्य की तमाम सड़कों के मेरे पास नाम हैं. मैंने बालाघाट के भी स्पेशल नाम उसमें बुलावाये हुए थे. लेकिन एक अच्छा संदेश यह है कि 5 वर्ष सड़कों के पूरे हो गए और अभी तक वे सड़कें ठीक हैं, गुणवत्ता पर कोई संकट नहीं है. यह हमारे लिए खुशी की बात हो सकती है.
श्री मधु भगत - गुणवत्ता पर संकट है.
श्री प्रहलाद सिंह पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे एक मिनट दें. इसलिए मुझे लगता है कि हम इन बातों को लेकर अभी एक बार सुनवाई पूरी होने के बाद टर्मिनेशन तो हमारे एग्रीमेन्ट में ही, ब्लैकलिस्ट करना है, जो माननीय अभय जी ने कहा था, मैंने उनको जानकारी दी है कि उन सबके जितने भी पैसे थे, उनको रोका गया है और जब तक जांच पूरी नहीं हो जायेगी, निर्णय नहीं हो जायेगा, किसी को भी ऐसा भुगतान नहीं होगा.
अध्यक्ष महोदय - (श्री अभय मिश्रा के खड़े होकर कुछ बोलने पर) अभय जी, अब आपका दोबारा प्रश्न नहीं होगा. आप बोलोगे, तो भी उत्तर नहीं मिलेगा.
स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार
[श्रम]
9. ( *क्र. 780 ) श्री विजय रेवनाथ चौरे : क्या श्रम मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सौंसर विधान सभा क्षेत्र में बोरगांव खैरी तायगांव औद्योगिक क्षेत्र में कौन-कौन से लगभग सौ छोटे बड़े उद्योग हैं? (ख) उपरोक्त उद्योगों में अलग-अलग कितने कामगार कार्यरत हैं? (ग) इन उद्योगों में कितने-कितने कामगार सौंसर विकासखंड के मूल निवासी हैं और कितने कामगार पांढुर्णा और छिंदवाड़ा जिले के बाहर के निवासी कार्य कर रहे हैं? (घ) क्या स्थानीय लोगों को रोज़गार न देकर जिले और प्रदेश के बाहर से कुशल/अकुशल कामगारों को रोजगार देने पर रोक लगायेंगे?
श्रम मंत्री ( श्री प्रहलाद सिंह पटेल ) : (क) पांढुर्णा जिले के सौंसर विधानसभा क्षेत्र में बोरगांव खैरी तायगांव औद्योगिक क्षेत्र में मध्यप्रदेश इण्डस्ट्रीयल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन की जानकारी अनुसार कुल 101 औद्योगिक इकाइयां हैं। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित उद्योगों में अलग-अलग कामगारों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) उद्योगों में नियोजित कामगारों की विकासखण्डवार जानकारी संकलित नहीं की जाती है. पांढुरना और छिंदवाड़ा जिले के कामगारों व बाहर के कामगारों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (घ) इस संबंध में कोई नीति नहीं है।
श्री विजय रेवनाथ चौरे - मेरा तारांकित प्रश्न क्रमांक 780 है.
श्री प्रहलाद सिंह पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, उत्तर पटल पर रख दिया गया है.
श्री विजय रेवनाथ चौरे - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा सौंसर विधान सभा क्षेत्र में लगभग 100 से अधिक फैक्ट्रियां संचालित हैं. इसमें मुख्य मुद्दा यह है कि स्थानीय लोगों को रोजगार नहीं दिया जा रहा है. इन्होंने जानकारी दी है कि 5,800 लगभग कामगार कार्य कर रहे हैं, जिसमें से 4,500 स्थानीय और 1,200 लगभग बाहर के हैं. मंत्री जी यह कबूल कर रहे हैं कि स्थानीय लोगों के अलावा बाहर के लोगों को रोजगार दिया जा रहा है, पर मैं मंत्री जी से जानना चाहता हूँ कि स्थानीय लोगों को रोजगार नहीं दिया जा रहा है. यह जानकारी आपके अधिकारियों के द्वारा असत्य दी गई है और मैं तो यह कहना चाह रहा हूँ कि यह जानकारी जिस लेबर ऑफिसर ने दी है, वह 20 वर्षों से वहीं पर जमा हुआ है, वह लेबरों का हित नहीं चाहता, उसके दो-दो पेट्रोल पम्प हैं, वह भ्रष्ट अधिकारी है. मैं मंत्री जी से यह चाहता हूँ कि इसकी एक जांच कमेटी बनाई जाये कि वास्तविक रूप में सच्चाई क्या है ? कि लेबर जो काम कर रहे हैं, वह स्थानीय हैं कि नहीं हैं. अब मंत्री जी कह रहे हैं कि ऐसा कोई नियम नहीं है कि इसमें स्थानीय लोगों को रोजगार दिया जाना चाहिए या नहीं, पर प्रधानमंत्री जी बार-बार कहते हैं कि स्थानीय 80 प्रतिशत लोगों को रोजगार देना चाहिए. मैं मंत्री जी से जानना चाहता हूँ कि इस पर स्पष्टीकरण दें.
अध्यक्ष महोदय - विजय जी, आपका प्रश्न आ गया है. आप बैठ जाएं.
श्री प्रहलाद सिंह पटेल - माननीय अध्यक्ष जी, सदस्य कह रहे हैं कि मैंने स्वीकार भी किया है और दूसरी तरफ कह रहे हैं कि जानकारी सही नहीं हैं, दोनों चीजें एक साथ नहीं हो सकती हैं. विधान सभा के पटल पर तो असत्य जानकारी देने वाले को आपके पास अधिकार हैं, आप विशेषाधिकार का प्रयोग कर सकते हैं लेकिन मैं जो जानकारी आपको दे रहा हूँ. हमें कई बार नियम खुद भी पढ़ना चाहिए. उद्योग संवर्धन नीति, 2014 यथासंशोधित 2019, उसमें बड़ा स्पष्ट उल्लेख तब हुआ, यदि आप इसका लाभ लेना चाहते हो तो आपको 70 फीसदी स्थानीय लोगों को रोजगार देना होगा. उद्योग संवर्धन नीति, 2019 में इसका उल्लेख है. श्रम विभाग का कोई कानून ऐसा नहीं कहता है कि उस जिले के लोगों को नौकरी दी जाये, लेकिन इसमें भी राज्य के लोग होने चाहिए. लेकिन आपने जो प्रश्न किया है, उसमें किस ब्लॉक के कितने लोग हैं ? ये डेटा कभी कोई मंत्रालय नहीं रखता कि किसी फैक्टरी में किस-किस ब्लॉक के लोग काम कर रहे हैं. यदि आप सूचना के अधिकार में उनसे जानकारी लेंगे तो शायद वे जानकारी दे सकते हैं. लेकिन मैं तीन-चार चीजें आपको बता रहा हूँ तो आपको भी जानकारी हो जाएगी. मैं विभाग को धन्यवाद दूंगा कि मैंने भी बहुत से प्रश्नों के उत्तर दिए हैं तो मैंने ब्रीफिंग के समय भी उनको धन्यवाद दिया है, मैं सदन में भी उनको धन्यवाद देता हूँ कि कम से कम उन्होंने इतनी मेहनत तो की है. नंबर एक, 101 औद्योगिक इकाइयों की सूची मेरे पास है. 101 इकाइयों में से 64 इकाइयों में शत-प्रतिशत इस समय छिंदवाड़ा और पांढुर्णा के निवासी हैं. 101 इकाइयों में से 100 इकाइयों में 50 प्रतिशत से अधिक श्रमिक छिंदवाड़ा और पांढुर्णा जिले के हैं. इस औद्योगिक क्षेत्र में ये आंकड़ा आपने भी रिपीट किया, 5,820 लोगों में से कुल 1,141 लोग छिंदवाड़ा और पांढुर्णा के बाहर के हैं. जो चौथा आंकड़ा है, वर्ष 2018 के पश्चात् 34 औद्योगिक इकाइयां शुरू हुई हैं. इनमें 598 में से 418 श्रमिक स्थानीय हैं, जबकि औद्योगिक नीति की दृष्टि से राज्य के होने चाहिए. ये आंकड़ा आपके पास में है और उसके बाद भी अगर आपको लगता है कि आंकड़ा गलत है तो आप बिल्कुल कह सकते हैं.
अध्यक्ष महोदय -- चौरे जी, दूसरा पूरक प्रश्न करें.
श्री विजय रेवनाथ चौरे -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं जानना चाह रहा हूँ कि जल हमारा, जमीन हमारी, बिजली हमारी, तो उसके बाद में भी, आप परीक्षण तो करा लीजिए कि जिस अधिकारी ने आपको जानकारी दी है, या तो एक समिति आप बना दीजिए, उसमें विधायक को शामिल कर लीजिए कि वास्तविकता क्या है. लेबर लोगों को डेढ़ सौ, दो सौ रुपये की रोजी दी जा रही है. उनका शोषण हो रहा है. जो लेबर ऑफिसर है, वह भ्रष्ट अधिकारी है, 20 साल से एक ही स्थान पर जमा हुआ है. वह क्या वास्तव में लेबरों का हित चाहेगा या वहां के क्षेत्र के लोगों का हित चाहेगा. आप या तो उस लेबर ऑफिसर को हटा दीजिए. 20 साल से जो अधिकारी वहां जमा हुआ है, वह मोटी रकम लेकर के छिंदवाड़ा चला जाता है, बताता है कि ऊपर तक पहुंचा रहा हूँ. वास्तविकता तो यह बताइये, माननीय मंत्री जी, लेबरों के साथ शोषण हो रहा है.
अध्यक्ष महोदय -- विजय जी, प्रश्न आ गया आपका, मंत्री जी को जवाब देने दीजिए.
श्री प्रहलाद सिंह पटेल -- अध्यक्ष महोदय, अभी नई ट्रांसफर नीति में बड़ा स्पष्ट है. मुझे पता नहीं, 20 साल से है कि नहीं, पर इसके पहले भी शायद आपने एक पत्र मुझे तीन-चार दिन पहले ही दिया था, उसमें यह बातें लिखी हुई थीं, हमारी नई ट्रांसफर नीति में तो स्वाभाविक है कि इतने लंबे समय तक कोई अधिकारी एक स्थान पर वैसे भी नहीं रह पाएगा. उसको हटाएंगे.
श्री विजय रेवनाथ चौरे -- माननीय मंत्री जी, एक समिति बना दीजिए, जांच हो जाए कि वास्तव में क्षेत्रीय लोग कितने हैं और बाहर के राज्य के लोग कितने हैं, मेरा आपसे यह निवेदन है.
अध्यक्ष महोदय -- विजय जी, कृपया बैठ जाइये, अनिल कालूहेड़ा जी..
शासकीय आयुर्वेद फार्मेसी में कच्ची औषधियों का प्रदाय
[आयुष]
12. ( *क्र. 2053 ) श्री अनिल जैन कालूहेड़ा : क्या आयुष मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश में कितनी शासकीय आयुर्वेद फार्मेसी कार्यरत हैं? (ख) इन फार्मेसियों को कच्ची औषधियां प्रदान करने की क्या व्यवस्था है? (ग) वित्तीय वर्ष 2024-25 में कब-कब कितने मूल्य की कच्ची औषधियां प्रदाय की गई? (घ) क्या समय पर कच्ची औषधियां प्रदान नहीं की जाने के कारण उत्पादन प्रभावित हुआ है तथा इसके कारण अस्वस्थ व्यक्तियों को समय पर आवश्यक औषधियां प्राप्त न होने से असुविधा का सामना करना पड़ा है?
आयुष मंत्री ( श्री इन्दर सिंह परमार ) : (क) प्रदेश में एक शासकीय आयुर्वेद फार्मेसी ग्वालियर में संचालित है। (ख) बजट की उपलब्धता एवं मध्यप्रदेश शासन की क्रय प्रक्रिया अनुसार किया जाता है। (ग) वर्ष 2024-25 में प्रदाय कच्ची औषधियों का मूल्य 9,80,149/- (नौ लाख अस्सी हजार एक सौ उन्नचास रूपये) है। (घ) जी नहीं। प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री अनिल जैन कालूहेड़ा -- अध्यक्ष महोदय, प्रश्न क्रमांक 2053.
श्री इन्दर सिंह परमार -- अध्यक्ष महोदय, उत्तर पटल पर रखा गया.
श्री अनिल जैन कालूहेड़ा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, पटल पर जो उत्तर रखा गया है, उसके प्रश्नांश (ख) में माननीय मंत्री जी ने बताया है कि शासन की क्रय प्रक्रिया अनुसार किया जाता है, माननीय अध्यक्ष महोदय, इस प्रक्रिया के बारे में मैं जानना चाहता हूँ.
श्री इन्दर सिंह परमार -- अध्यक्ष महोदय, शासकीय आयुर्वेद फार्मेसी, ग्वालियर में औषधियों के निर्माण हेतु आवश्यक कच्ची औषधियां मध्यप्रदेश पब्लिक हेल्थ सर्विसेज कार्पोरेशन लिमिटेड, भोपाल के माध्यम से निविदा आमंत्रण उपरांत चयनित दरों पर विभाग स्तर से क्रय की जाकर फार्मेसियों में प्रदाय कराई जाती हैं. साथ ही फार्मेसी स्तर पर भी भण्डार क्रय नियमानुसार कोटेशन के माध्यम से भी आवश्यकतानुसार स्थानीय बाजार से कच्ची औषधियों की पूर्ति की जाती है.
श्री अनिल जैन कालूहेड़ा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इतने बड़े संस्थान को इस वर्ष केवल 9.80 लाख की कच्ची औषधियों का प्रदाय किया गया तो वहां कार्यरत लोग क्या कर रहे थे ?
श्री इन्दर सिंह परमार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, फार्मेसी द्वारा 1 अप्रैल, 2024 से प्रश्न दिनांक तक रु 94,36,741 मूल्य की औषधियों का उत्पादन किया गया है. इन औषधियों के साथ ही पूर्व में निर्मित औषधियों सहित कुल राशि रु. 1,62,13,169 की औषधियां विभाग के औषधालयों एवं चिकित्सालयों को प्रदाय की गई है. इस प्रकार यहां कार्यरत 45 कर्मचारी निरंतर औषधि निर्माण के कार्य में लगे हुए हैं.
श्री अनिल जैन कालूहेड़ा -- माननीय अध्यक्ष जी, कच्ची औषधियों के प्रदाय करने की क्या योजना है ?
अध्यक्ष महोदय -- अनिल भाई, हो गया, दो प्रश्न हो गए पूरे, आप तो मंत्री जी के पड़ोसी हो, जाते-आते संपर्क रखा करो.
श्री अनिल जैन कालूहेड़ा -- अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह -- अध्यक्ष महोदय, ये सत्ता पक्ष के विधायक हैं, ज्यादा प्रश्न पूछने की अनुमति नहीं है. (हंसी).
इनडोर स्टेडियम (इनडोर हॉल) की स्वीकृति
[खेल एवं युवा कल्याण]
13. ( *क्र. 42 ) श्री सोहनलाल बाल्मीक : क्या खेल एवं युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) परासिया विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत खिलाड़ियों की सुविधा को देखते हुए इनडोर स्टेडियम (इनडोर हॉल) निर्माण कार्य हेतु 5 एकड़ भूमि आवंटित करने हेतु विभाग द्वारा निर्देश जारी किये गये थे? न्यायालय कलेक्टर छिंदवाड़ा राजस्व प्रकरण क्र./174/अ-20 (3)/2024-25 में दिनांक 16.12.2024 को पारित आदेश के आधार पर ग्राम बुटरिया चांदामेटा पटवारी हल्का नं. 40 तह.परा. जिला छिंदवाड़ा में स्थित भूमि खसरा नं. 35/1, रकबा 19.461 हेक्टेयर भूमि में से 2.00 हेक्टेयर भूमि म.प्र. शासन खेल एवं युवा कल्याण विभाग को हस्तांतरित कर दी गई है और कार्यवाही व औपचारिकताओं को पूर्ण करते हुए प्रस्ताव स्वीकृति हेतु शासन स्तर पर प्रेषित किया जा चुका है, परन्तु अभी तक स्वीकृति प्राप्त नहीं हो पाई है, विभाग द्वारा इनडोर स्टेडियम (इनडोर हॉल) निर्माण कार्य की स्वीकृति हेतु और कौन-कौन सी कार्यवाही किया जाना शेष है? (ख) प्रश्नांश (क) के अनुसार खिलाड़ियों की सुविधा हेतु शीघ्र अतिशीघ्र इनडोर स्टेडियम (इनडोर हॉल) निर्माण कार्य कराया जाना अतिआवश्यक है, विभाग द्वारा कब तक विभिन्न औपचारिकताओं एवं कार्यवाही को पूर्ण कर इनडोर स्टेडियम (इनडोर हॉल) निर्माण कार्य की स्वीकृति प्रदान कर दी जायेगी?
खेल एवं युवा कल्याण मंत्री ( श्री विश्वास कैलाश सारंग ) : (क) जी हाँ। भूमि आवंटित संबंधी पत्र जिला कार्यालय, छिंदवाड़ा से दिनांक 11.02.2025 को प्रेषित किया गया है। संचालनालयीन पत्र क्रमांक 1126, दिनांक 25.02.2025 द्वारा म.प्र. पुलिस हाउसिंग कॉर्पोरेशन, भोपाल को प्राक्कलन मय तकनीकी स्वीकृति सहित प्रस्तुत करने हेतु लेख किया गया है। प्राक्कलन प्राप्त होने के उपरांत प्रस्ताव तैयार कर बजट उपलब्धता अनुसार सक्षम समिति से स्वीकृति हेतु शासन को प्रेषित किया जा सकेगा। (ख) प्रश्न ''क'' के संदर्भ में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
श्री सोहनलाल बाल्मीक - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न क्रमांक 42 है.
श्री विश्वास कैलाश सारंग - माननीय अध्यक्ष महोदय,जवाब पटल पर रखा गया है.
श्री सोहनलाल बाल्मीक - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न मेरे विधान सभा क्षेत्र में इनडोर स्टेडियम का था जिसमें मुझे माननीय मंत्री जी की तरफ से यह जवाब प्राप्त हुआ है कि पुलिस हाउसिंग कार्पोरेशन भोपाल को प्राक्कलन तकनीकी स्वीकृति प्रस्तुत करने के लिये लेख किया गया है तो तकनीकी स्वीकृति कब तक मिल जायेगी ?
श्री विश्वास कैलाश सारंग - माननीय अध्यक्ष महोदय,विभाग की एक पालिसी है जिसके तहत हम खेल के अधोसंरचना का निर्माण करते हैं उसमें सबसे पहली अर्हता यही होती है कि जहां पर स्डेयिम बनना है वहां खेल विभाग को जमीन आवंटित हो जाए. माननीय सदस्य को मैंने जवाब दिया है कि 11.2.2025 को जमीन का अलाटमेंट का लेटर हमें मिला और हमने त्वरित कार्यवाही करके 25.2.2025 को लगभग 14 दिन में ही हमने हमारा जो सिविल की निर्माण एजेंसी पुलिस हाउसिंग है उसको प्राक्कलन के लिये उसका इस्टीमेट बनाने के लिये भेजा है. प्राक्कलन आने के बाद हमारे विभाग में एक प्रक्रिया है कि इसकी फिजिबिलिटी रिपोर्ट पर पूरा विचार करके और बजट की उपलब्धता के हिसाब से जो संभव होगा किया जाएगा.
श्री सोहनलाल बाल्मीक - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने समय-सीमा के बारे में पूछा था कि प्राक्कलन कब तक आ जायेगा उसकी समय-सीमा बता देंगे. आपने दे दिया.अच्छी बात है मैं मान रहा हूं अच्छी बात है परन्तु प्राक्कलन आएगा तभी तो उसके बाद ही प्रक्रिया आगे बढ़ेगी तो प्राक्कलन कब तक आ जायेगा ?
श्री विश्वास कैलाश सारंग - माननीय अध्यक्ष महोदय,पुलिस हाउसिंग जो एजेंसी है वह जल्दी से जल्दी भेजेगी.प्राक्कलन आने के बाद जो प्रक्रिया है उसको हम शीघ्र कराएंगे परन्तु समय-सीमा नहीं बता सकते.इसमें बहुत सारे राईडर्स हैं जैसा मैंने बताया कि केवल प्राक्कलन आ जाने से स्टेडियम बन जायेगा. हमारी फिजिबिलिटी रिपोर्ट क्या है वहां पर कितने स्टेडियम हैं कौन से खेल को हमें क्या प्राथमिकता देनी है उस हिसाब से हमारी पूरी एक फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार होगी और उसके बाद जो बजट की उपलब्धता होगी,होगी लेकिन मैं सदन को बताना चाहता हूं कि खेलों के उन्नयन के लिये लगातार सरकार काम कर रही है और इस बजट में मुख्यमंत्री जी ने भी कहा था कि हर विधान सभा क्षेत्र में हम कम से कम एक खेल का इंफ्रास्ट्रक्चर बनाएंगे और देश में हम पहले राज्य होंगे. माननीय नरेन्द्र मोदी जी का जो संकल्प है कि खेल,खिलाड़ी और खेल मैदान का उन्नयन देश में हो उस पर लगातार हमारी सरकार काम कर रही ह. राष्ट्रीय खेलों में भी हमने बहुत अच्छा स्थान प्राप्त किया है विधायक जी को भी मैंने जवाब दिया है.
श्री सोहनलाल बाल्मीक - माननीय अध्यक्ष महोदय,मेरा तो सिर्फ इतना कहना है कि यदि आप तत्पर कार्यवाही कर रहे हैं तो उसके लिये आपका धन्यवाद.आपने कहा कि 14-15 दिन में पहुंचा दिया तो प्राक्कलन में कितना समय लगेगा यह बता दें मेरा पहला प्रश्न यही था एक,दो महिने कितने महिने लगेंगे हाउसिंग बोर्ड काम तो कर रहा है उसके काम करने की एक लिमिट तो होगी आपके नेतृत्व में.
श्री विश्वास कैलाश सारंग - माननीय अध्यक्ष महोदय,मैने पूरी प्रक्रिया बताई है इसमें समय-सीमा बताना संभव नहीं है. मैं फिर विधायक जी को कहना चाहता हूं कि प्राक्कलन बनेगा और हमारी जो पालिसी है उसके अंतर्गत यदि आयेगा तो हम उसको शीघ्र करेंगे. समय-सीमा नहीं बताई जा सकती.
श्री सोहनलाल बाल्मीक - माननीय अध्यक्ष महोदय,आपकी बात मैं समझ गया.आपकी मंशा होगी तो प्राक्कलन निश्चित रूप से समय से आयेगा और बनेगा. यह भी बता दें कि प्राक्कलन आने के बाद बजट मिलने में कितना समय लगेगा और कब तक निर्माण कार्य हो जायेगा ?
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी, सोहन जी यह जानना चाहते हैं कि कुल मिलाकर जो आपकी योजना हर विधान सभा क्षेत्र की है उसके केन्द्र में उनका विधान सभा क्षेत्र आता है कि नहीं.
श्री विश्वास कैलाश सारंग - माननीय अध्यक्ष महोदय,मैंने जवाब में सभी बातें कहीं हैं मैंने फिजिबिलिटी रिपोर्ट की बात कही है यदि इनकी विधान सभा में फिजिबिलिटी रिपोर्ट पाजिटिव आयेगी तो बनाया जायेगा और सरकार का कमिटमेंट है कि हम हर विधान सभा में जरूर बनाएंगे.
श्री सोहनलाल बाल्मीक - माननीय अध्यक्ष महोदय,मैं बस यह जानना चाह रहा हूं कि आप बनाएंगे ना.
श्री विश्वास कैलाश सारंग - मैंने आपसे निवेदन किया है.
श्री अजय सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय,आज ही अखबार में शायद भास्कर में,किसी में आया है कि कितने मध्यप्रदेश के खिलाड़ी दूसरे प्रांतों में खेल रहे हैं. प्रदेश की बात कर रहे हैं. आप प्रधानमंत्री जी की बात कर रहे हैं, पूरे देश में पहला राज्य होगा इंफ्रास्ट्रक्चर होगा.जो आपके खिलाड़ी हैं उनको तो रोक लो यहां खेलने के लिये.
श्री बाबू जण्डेल - माननीय अध्यक्ष महोदय,मध्यप्रदेश सबसे कमजोर प्रदेश है. बच्चों ने अपना मध्यप्रदेश से नाम कटवाकर अन्य प्रदेशों में नाम जुड़वा दिया. राजस्थान में खिलाड़ियों के लिये 5 लाख रुपये है,कर्नाटक में 10 लाख रुपये है. यहां कुछ नहीं है.
अध्यक्ष महोदय - अरे,श्योपुर तो आज कल नाम कमा रहा है. बच्चियां श्योपुर की नाम कमा रही हैं.
श्री विश्वास कैलाश सारंग-- माननीय अध्यक्ष महोदय, वैसे अजय सिंह जी बहुत वरिष्ठ सदस्य हैं, मेरे आदरणीय हैं. वैसे तो आम तौर पर पेपर में छपी हुई खबर का बहुत ज्यादा यहां पर डिस्कशन नहीं होता क्योंकि उसकी प्रमाणिकता पर पहले विचार हो जाये, वह यदि प्रमाणिक हो तो हम बातचीत करें, लेकिन फिर भी अजय सिंह जी ने एक बहुत मौजू और बहुत महत्वपूर्ण विषय उठाया है, मैं यह बताना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश में हमारी पॉलिसी के हिसाब से जो भी पात्र खिलाड़ी हैं उनका सरकार नौकरी में कोई बैकलॉग नहीं है, हमने सबको सरकारी नौकरी दी है. विक्रम अवार्ड हम 13 खिलाडि़यों को देते हैं और जो भी विक्रम अवार्ड प्राप्त करते हैं उनको हम सरकार नौकरी देते हैं, यह हमारी पॉलिसी है और जहां तक बात यह है, यह फेडरल सिस्टम है अजय सिंह जी इस देश में कोई भी व्यक्ति कहीं भी जाकर, इसको रोका नहीं जा सकता. मुझे लगता है कि हमें संविधान के पालन पर भी विचार करना चाहिये, यह फेडरल सिस्टम का मामला है, कोई भी व्यक्ति किसी भी राज्य में जा सकता है. यह राज्यों की लड़ाई नहीं है माननीय अध्यक्ष महोदय, मुख्य मुद्दा यह है कि खेल का उन्नयन हो, खिलाडि़यों का उन्नयन हो. जहां तक मध्यप्रदेश सरकार की बात है हम कमिटेड हैं खिलाडि़यों के उचित भविष्य के निर्धारण के लिये और जैसा मैंने बोला 3 साल का हमारा जो भी बैकलॉग था वह हमने पूरा किया है. इस बार भी विक्रम अवार्ड की घोषणा होने वाली है, हम उनको भी नौकरी देंगे.
रानी दुर्गावती विश्व विद्यालय जबलपुर में कुलगुरू की नियुक्ति
[उच्च शिक्षा]
14. ( *क्र. 259 ) श्री लखन घनघोरिया : क्या उच्च शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) रानी दुर्गावती विश्व विद्यालय के वर्तमान कुलगुरू की प्राध्यापक के रूप में उच्च शिक्षा विभाग में प्रथम नियुक्ति की तिथि क्या है? (ख) क्या कुलगुरू प्रथम नियुक्ति के समय विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यू.जी.सी.) के विनियमों का पूर्णत: पालन किया गया था? यदि हाँ, तो क्या जिस विज्ञापन के अंतर्गत श्री वर्मा द्वारा प्राध्यापक पद हेतु आवेदन किया गया था, उस विज्ञापन में वर्णित विश्व विद्यालय अनुदान आयोग की मार्गदर्शिका सन् 2003 में उल्लेखित शर्त प्राध्यापक पद हेतु आवश्यक दस वर्षों के कार्यानुभव में पी.एच.डी. शोधार्थियों के शोध निदेशक होने का अनुभव शामिल होना था? यदि हाँ, तो प्राध्यापक पद हेतु विज्ञापन की अंतिम तिथि तक प्रो. वर्मा शोध निदेशक थे? (ग) यदि प्रो. वर्मा के पास तत्समय शोध निदेशक के रूप में अनुभव धारित करते थे, तो उनके मार्गदर्शन में कितने पी.एच.डी. शोधार्थियों ने अपना शोध कार्य सफलतापूर्वक पूर्ण किया था? (घ) इनके द्वारा प्राध्यापक पद हेतु आवेदन की अंतिम तिथि तक कितने शोध पत्रों का प्रकाशन विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा मान्य केयर लिस्ट की शोध पत्रिकाओं में किया गया? (ड.) प्रो. वर्मा द्वारा रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के कुलगुरू पद हेतु आवेदन करते समय राजभवन भोपाल में प्रस्तुत किये गये समस्त अभिलेख बतावें। (च) यदि प्रो. वर्मा के पास प्राध्यापक पद हेतु वांछनीय आवश्यक अनुभव या योग्यता की कमी थी, तो उनकी नियुक्ति की वैधता के संबंध में क्या कार्यवाही की गई?
उच्च शिक्षा मंत्री ( श्री इन्दर सिंह परमार ) : (क) रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के वर्तमान कुलगुरु की विभाग के आदेश क्रमांक एफ 1-163/2011/38-1, दिनांक 31.01.2012 अनुसार प्रथम नियुक्ति प्रदान की गई, जिसके अनुक्रम में दिनांक 11.02.2012 को महाविद्यालय में कार्यभार ग्रहण किया है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र "अ" अनुसार है।
श्री लखन घनघोरिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न क्रमाक 259 है.
श्री इन्दर सिंह परमार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, उत्तर पटल पर रखा है.
श्री लखन घनघोरिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने माननीय मंत्री महोदय से यह जानकारी चाही थी कि कुलगुरू रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में राजेश कुमार वर्मा की नियुक्ति प्राध्यापक एवं मध्यप्रदेश राज्य सेवा आयोग द्वारा जारी विज्ञापन की शर्त यूजीसी के नियम के अनुसार हुई या नहीं. माननीय मंत्री जी ने जो जवाब दिया है उन्होंने उत्तर में दिया है कि यूजीसी नियमों का पालन किया गया था. आज संशोधन उत्तर हमको मिला है जिसमें कहा गया है कि नियुक्ति के वर्ष में यूजीसी द्वारा मान्य केयर लिस्ट प्रचलन में नहीं होने से प्रश्न उपस्थित नहीं होता. यह दो प्रकार की एक तो इनकी यह आई, दूसरा यूजीसी का जो विज्ञापन था इनकी नियुक्ति का वह भी आप ही का जवाब है किसी और का नहीं है. उस जवाब में आपने लिखा है कि विद्ववान जिनको उच्च गुणवत्ता का प्रकाशित कार्य हो जो रिसर्च कार्य में सक्रिय रूप से लगा हो साथ ही स्नात्कोत्तर परीक्षा में अध्यापन का 10 वर्ष का अनुभव और विश्व विद्यालय राष्ट्रीय स्तर के संस्थानों के रिसर्च कार्यों के गाइड के रूप में अनुभव सम्मिलित है. यह आप ही के उत्तर में लगा है यूजीसी के नियम. यह सारी चीजें अलग-अलग हैं, माननीय मंत्री जी.
श्री इन्दर सिंह परमार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रश्नांश 'घ' के उत्तर में हमने कोई संशोधन नहीं किया है, हमने जो संशोधन किया है वह 'ख' में किया है. जो हमारे वरिष्ठ सदस्य हैं मैं उनको कहना चाहता हूं कि जो राजेश वर्मा वहां के कुलगुरू हैं. वह जब प्रोफेसर बने थे उस समय जो नियम प्रक्रिया में थे वह सारी अर्हतायें पूरी की हैं, उसी के अनुसार उनको किया है, मैं बता देना चाहता हूं. यूजीसी द्वारा समय समय पर विविध शैक्षणिक अर्हतायें संबंधित विषय में पीएचडी अनिवार्य अर्हता है उसके साथ में स्नातक, स्नात्कोत्तर परीक्षा में 10 वर्ष के अध्यापन का अनुभव है, यह उसकी अर्हतायें हैं और यूजीसी ने जो गाइड लाइन दी है जिसका आप उल्लेख कर रहे हैं उसमें स्पष्ट लिखा हुआ है, प्रख्यात विद्वान जिनका उच्च गुणवत्ता का प्रकाशित कार्य हो, जो अनुसंधान कार्य में सक्रिय रूप से लगा हो साथ में स्नात्कोत्तर कक्षाओं में अध्यापन का 10 वर्ष का अनुभव और या विश्वविद्यालय राष्ट्रीय स्तर के संस्थानों में अनुसंधान कार्यों का गाइड के रूप में अनुभव सम्मिलित हो क्योंकि इन 10 वर्ष का अनुभव या एक उत्कृष्ट विद्वान जिसकी ज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान करने की स्थापित प्रतिष्ठा हो इसलिये दोनों साथ-साथ नहीं किया गया है. इन दोनों चीजों को अलग-अलग करके किया गया है या में किया गया है इसलिये यूजीसी की गाइड लाइन यह स्पष्ट है कि उस समय वर्मा जी का जो....
श्री लखन घनघोरिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक प्रश्न है कि माननीय कुलगुरू राजेश वर्मा जी ने जो अपना शपथ पत्र दिया है, वह सहायक प्राध्यापक का और उसके बाद जो अनुभव प्रमाण पत्र दिया गया है, दोनों बिल्कुल विपरीत हैं, व्याख्याता के पद का दे दिया गया है, अध्यापक के पद का और यह सहायक के पद का है, तो आपके माननीय मंत्री महोदय,जितने नियम हैं, आपके सारे नियम वहीं गूढ़ हो जाते हैं, आपकी जितनी जानकारी है, यह गुमराह करने वाली जानकारी है. जहां तक शैक्षणिक स्तर की बात है आर.डी.वी.वी. वह विश्वविद्यालय है, जहां पर चीफ जस्टिस से लेकर आई.सी.एस. अफसर तक, आई.पी.एस. अफसर तक, आई.ए.एस. अफसर तक कुलपति रहे हैं, जहां पहले विधानसभा अध्यक्ष पंडित कुंजीलाल दुबे कुलपति रहे हैं, वहां आपने ऐसे अयोग्य व्यक्ति को कुलपति नियुक्त किया है, जिसकी न तो शैक्षणिक योग्यता है और न जिसकी कोई क्षमता है.
अध्यक्ष महोदय -- कृपया आप बैठ जायें,समय समाप्त हो गया है.(उच्च शिक्षा मंत्री (श्री इन्दर सिंह परमार) की ओर देखकर)अब समय पूरा हो गया है, इसलिए मैं आपको एलाउ नहीं कर रहा हूं, माननीय सदस्य को आप मिलकर अपने विचारों से अवगत करा दें.
(प्रश्नकाल समाप्त)
12.02 बजे अध्यक्षीय घोषणा
अध्यक्ष महोदय -- माननीय सदस्यगण जैसा कि आप सभी को आमंत्रण भेजा गया है, आज सांय काल 7 बजे से मानसरोवर सभागार में सांस्कृतिक कार्यक्रम फाग उत्सव का आयोजन किया गया है, सभी माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि उक्त सांस्कृतिक कार्यक्रम हेतु यथासमय मान सरोवर सभागार में पधारने के पश्चात् आयोजित रात्रि भोज गृहण करने का कष्ट करें. कार्यक्रम में निजी अमले और पी.एस.ओ. का प्रवेश निषिद्ध रहेगा. आप सब समय पर पहुंचे, ऐसा मेरा अनुरोध है.
12.03 बजे नियम 267-क के अधीन विषय
अध्यक्ष महोदय --
12.04 बजे पत्रों का पटल पर रखा जाना.
पंडित एस.एन. शुक्ला विश्वविद्यालय, शहडोल (म.प्र.) के वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2022-2023 एवं वर्ष 2023-2024
उच्च शिक्षा मंत्री(श्री इन्दर सिंह परमार)--अध्यक्ष महोदय, मैं पंडित एस.एन.शुक्ला विश्वविद्यालय अधिनियम, 2016 (क्रमांक 28 सन् 2016) की धारा 34 की उपधारा (3) की अपेक्षानुसार पंडित एस.एन. शुक्ला विश्वविद्यालय, शहडोल (म.प्र.) के वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2022-2023 एवं वर्ष 2023-2024 पटल पर रखता हूं.
12.05 बजे ध्यानाकर्षण
1). प्रदेश की परिवहन नाकों/चेक पोस्टों में अवैध वसूली होना.
नेता प्रतिपक्ष(श्री उमंग सिंघार) -- अध्यक्ष महोदय,
परिवहन मंत्री (श्री उदयप्रताप सिंह) – माननीय अध्यक्ष महोदय,
अध्यक्ष महोदय—ध्यानाकर्षण में जो विषय उल्लेखित है. लोककायुक्त एवं अन्य जांच एजेंसियों के समक्ष विचाराधीन है इसलिये ध्यानाकर्षण पर चर्चा करते समय सभी सदस्य इस बात का ध्यान रखें कि हमारी बात में कोई ऐसी बात ना आये जिससे जांच प्रभावित हो. इसका जरूर हम ध्यान रखें. माननीय उमंग सिंघार जी.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)—अध्यक्ष महोदय, सरकार का जवाब चार पन्नों का है, लेकिन चार पांच पन्नों में ईजी ऑफ डूइंग की बात ज्यादा हुई कि अब नहीं होगा. चूंकि हमारा स्थगन प्रस्ताव था आपने स्वविवेक से इसमें निर्णय लिया ध्यानाकर्षण का. अभी भी हर टोल के पास एक साईड का रास्ता है. टोकन देते हैं और पैसे वसूली होती है. यह ईजी ऑफ डूंइग ऐसे होगा, यह है सरकार की नीति. 20 दिसम्बर 2024 की घटना है उसको तीन महीने होने को आये. तत्कालीन ट्रांसपोर्ट कमिश्नर श्री डी.पी.गुप्ता जी को हटा दिया गया. लेकिन क्या हटाना ही भ्रष्टाचार को खत्म करना है या इसकी जांच को खत्म करना था. क्या इसके पहले जो ट्रांसपोर्ट कमिश्नर थे, क्या वह लोग इसके जवाबदार नहीं हैं ? क्या लोकायुक्त ने तत्कालीन ट्रांसपोर्ट के खिलाफ नामजद एफआईआर की, नहीं की. सिर्फ आपने पोस्टिंग चेंज कर दी. पुलिस के अंदर आरक्षक पर कोई कार्यवाही होती है तो तत्काल उसको निलंबित किया जाता है तथा उसके ऊपर एफआईआर की जाती है. लेकिन जो बड़े अधिकारी हैं उस समय एस.सी.एस. जो ट्रांसपोर्ट को देखते थे क्या उनसे आपने जवाबदारी तय की, वह भी नहीं है. लोकायुक्त पुलिस को छापेमारी में पैसा गाड़ी नहीं मिला, ऐसा गया कहा. तो क्या लोकायुक्त पुलिस इतनी असक्षम है प्रदेश की. आईटी केन्द्र की एजेंसी आकर वहां पर सोने की ईटें जब्त कर रही है. गाड़ी जब्त कर रही है. जब सौरभ शर्मा, चेतन गौर के यहां छापा पड़ा, तीन गाड़ियां थीं. एक गाड़ी बतायी जा रही है, वह भी किसकी है यह भी नहीं पता. गाड़ी का नंबर है, व्यक्ति है, फार्म हाउस का नाम है. लेकिन सोना किसका है, पैसा किसका है यह पुलिस नहीं बता रही है. आप गाड़ी बता सकते हो, फार्म हाउस का बता रहे हो कि यह इसका फार्म हाउस है. गाड़ी नंबर है, जब्त हुए कागज हैं. जो जानकारी डायरी के अंदर मिली, बोल रहे हैं कि कागज नहीं मिले. पूरी मीडिया में वायरल हुआ है. उस दशरथ पटेल की हैंडराइटिंग है, मैं यह दावे से कहता हॅूं. आपने जांच क्यों नहीं की ? उसके हैंडराइटिंग की एक्सपर्ट से जांच क्यों नहीं कराई गई ? क्यों नहीं आपने इनकी सीडीआर देखी ? चाहे वह चेतन गौर, सौरभ शर्मा या अन्य साथी हों.
अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2013 से लेकर अभी तक जितने परिवहन मंत्री रहे, मैं वर्तमान की बात नहीं कर रहा हॅूं तो आपने इनके बारे में क्यों नहीं जांच करायी ? इनके सिस्टम में कौन-कौन थे. ओएसडी थे. एडवोकेट संजय श्रीवास्तव, दशरथ पटेल, अलीम खान. यह रैकेट पूरा कार्य कर रहा था. इनको पुलिस ने अभी तक क्यों नहीं बुलाया ? क्यों नहीं आपने इनकी सीडीआर देखी और मैं तो यह कहना चाहता हॅूं कि अगर इतना ही है कि कोई जानकारी नहीं मिल रही है तो आप क्यों नहीं उनकी नॉरकोटिक्स जांच करवाते ? आपको क्या परेशानी है.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय उमंग जी, आप प्रश्न पर आ जाइए.
श्री उमंग सिंघार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, देखिए. स्थगन था. आपने उसको ध्यान आकर्षण में कर दिया, तो सच्चाई तो आना चाहिए. प्रदेश की गाढ़ी कमाई है. सोना कहां से आया, दुबई से आ गए. ऐसे ही आ गये क्या ? पैराशूट से हेलीकॉप्टर से गिर गए क्या. (शेम-शेम की आवाज) उसके पास से यह पैसा निकल रहा है. आम जनता का पैसा है. यह तो आम जनता के पैसे का सरकार को जवाब देना पडे़गा...(व्यवधान)...
संसदीय कार्यमंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा पाइंट ऑफ ऑर्डर है.
श्री उमंग सिंघार -- वही पाइंट ऑफ ऑर्डर. मैं फिर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन पढ़ाऊंगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जो जनप्रतिनिधि विधान सभा में बोलना चाहता है पूरा बोले. उसे रोका नही जाएगा.(मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय - उमंग जी, एक मिनट, पाइंट ऑफ ऑर्डर है.
श्री उमंग सिंघार -- यह पाइंट ऑफ ऑर्डर है. यह सुप्रीम कोर्ट को मना कर दीजिए आप...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- उमंग जी, पाइंट ऑफ ऑर्डर उठाने का अधिकार है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह विधानसभा मध्यप्रदेश विधानसभा प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियमों से चलती है, सुप्रीम कोर्ट से नहीं चलती. पहले तो माननीय सदस्य को यह समझना पडे़गा. दूसरी बात मेरा निवेदन यह है कि लोकायुक्त...
श्री उमंग सिंघार -- अध्यक्ष महोदय, सुप्रीम कोर्ट का अपमान कर रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है. अब देखिए, सुप्रीम कोर्ट का अपमान कर रहे हैं. देखिए आप, यह संसदीय कार्यमंत्री जी हैं...(व्यवधान)..
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे -- अध्यक्ष महोदय...(व्यवधान)...
श्री विश्वास सारंग -- संविधान पढ़ो भई, संविधान. संविधान में क्या लिखा है...(व्यवधान)..
श्री सोहनलाल बाल्मीक -- अध्यक्ष महोदय, विधानसभा के अंदर माननीय सर्वोच्च न्यायालय का अपमान हो रहा है...(व्यवधान)..
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे -- माननीय अध्यक्ष महोदय, क्या आप इससे सहमत हैं. जो बात माननीय मंत्री जी कही, उसे विलोपित किया जाना चाहिए..(व्यवधान)..
श्री सोहनलाल बाल्मीक -- अध्यक्ष महोदय जी, संविधान का अपमान हो रहा है...(व्यवधान)..
संसदीय कार्यमंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह नियम 252 है. उसके अंदर किसी भी सदस्य द्वारा वाद-विवाद में किसी व्यक्ति के विरूद्ध मानहानि कारक या अपराधरोपक हो, आरोप नहीं लगाया जा सकेगा. जब तब कि वाद-विवाद में भाग लेने से एक दिन पूर्व उस सदस्य ने अध्यक्ष को तथा संबंधित मंत्री को भी पूर्व सूचना न दे दी हो, जिससे कि मंत्री उत्तर के प्रयोजन के लिए विषय की जांच कर सके. अध्यक्ष महोदय, आप रिकार्ड में देख लीजिए, माननीय सदस्य ने पूर्व मंत्रियों के भी नाम लिए हैं. पूरे नाम नहीं लिए हैं लेकिन उन्होंने पूरे नंबर की ओर इशारा किया है...(व्यवधान)..
श्री उमंग सिंघार -- अध्यक्ष महोदय, हमने नाम ही नहीं लिए...(व्यवधान)..
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे -- अध्यक्ष महोदय, किसी के नाम ही नहीं लिए लेकिन वह आप आपके कानों में गूंज रहे हैं...(व्यवधान)...
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- भैया, मेरी बात पूरी हो जाने दीजिए आप. मेरी बात पूरी हो जाने दीजिए.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे -- क्योंकि वह सोने के बिस्किट उनके थे. हमने नाम नहीं लिए है..(व्यवधान)..
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, मेरी बात पूरी हो जाने दीजिए आप. मैं एक व्यवस्था की ओर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हॅूं. इसी सदन के अंदर व्यवस्था के अंतर्गत है. माननीय एक सदस्य रामलखन शर्मा जी और रामनिवास रावत जी ने, नाम नहीं लिया था. उन्होंने कहा था एक पूर्व मंत्री और व्यवस्था यह दी गई थी कि चूंकि उनके खिलाफ आपने कोई भी लिखित में शिकायत नहीं दी, इसलिए उनका उल्लेख भी नहीं कर सकते हैं. यह विद्वान अध्यक्ष महोदय ने इसी सदन के अंदर व्यवस्था दी है. आप कहें तो पूरा पढ़कर सुना देता हूं. मेरा निवेदन यह है कि आप विषय वस्तु पर जायं. आप अनर्गल आरोप लगाएंगे किसी भी व्यक्ति का नाम लेकर पाइंट नम्बर वन? पाइंट नम्बर टू अध्यक्ष महोदय, यह है कि लोकायुक्त के ऊपर यहां पर आरोप नहीं लगाया जा सकता है. न लोकायुक्त से संबंधित प्रश्न पूछे जा सकते हैं. हां, लोकायुक्त की कोई रिपोर्ट आती है, उस पर आप प्रश्न कर सकते हैं, उस पर बहस हो सकती है. परन्तु जो विषय लोकायुक्त के पास विचारधीन है, उसके ऊपर आप यहां प्रश्न पूछेंगे, यहां आरोप लगाएंगे, यहां मंत्री जी से कहेंगे, मैं समझता हूं कि यह तो बिल्कुल गैर-जिम्मेदाराना बात है, इसलिए मैं माननीय नेता प्रतिपक्ष से आग्रह करूंगा कि आप नियम प्रक्रिया के अनुसार प्रश्न पूछें, हम स्वागत करेंगे, उत्तर भी देंगे. परन्तु नियम प्रक्रिया का तो पालन करेंगे कि नहीं, यही मेरा निवेदन है.
नेता प्रतिपक्ष ( श्री उमंग सिंघार ) - अध्यक्ष महोदय, न मैं किसी पर व्यक्तिगत आरोप लगा रहा हूं, न किसी का नाम लिया है, लेकिन मैं यह कहना चाहता हूं कि लोकायुक्त द्वारा जो कार्यवाही की गई है, अगर लोकायुक्त पूरी कार्यवाही करता तो इनकम टैक्स नहीं आता. आज इनकम टैक्स विभाग इस पर जांच कर रहा है. आज इसमें डीआरआई जांच कर रहा है. ईडी विभाग जांच कर रहा है. इतनी सारी एजेंसिया जांच कर रही हैं और प्रदेश में यही नहीं बता पा रहे हैं कि सोना किसका है? सब प्रमाण हैं, सब जानकारियां हैं लेकिन यह क्यों छुपाई जा रही है, क्या बड़े मगरमच्छ इसके अंदर आएंगे? सरकार द्वारा क्या छोटे मगरमच्छ के नाम पर केस करके बड़े मगरमच्छ को छोड़ा जा रहा है? (शेम-शेम की आवाज) अध्यक्ष महोदय, हम यह चाहते हैं.
अध्यक्ष महोदय - श्री उमंग जी, यही मेरा अनुरोध है कि सरकार से आप क्या पूछना चाहते हैं, वह प्रश्न आएगा तो मंत्री जी या सरकार उत्तर देगी.
श्री उमंग सिंघार - अध्यक्ष महोदय, हम यह चाहते हैं कि चूंकि इतनी सारी केन्द्रीय एजेंसियां इसके अंदर जांच कर रही हैं. सदन के सामने हम चाहते हैं कि इनकी सबकी सीडीआर आना चाहिए, जांच प्रभावित न हो और नहीं तो हम यह चाहते हैं कि सदन की कमेटी बने या सुप्रीम कोर्ट की निगरानी के अंदर सीबीआई इसकी जांच करे. हम यह चाहते हैं क्योंकि केन्द्रीय एजेंसियां इसके अंदर इनवाल्व हैं. सरकार की जांच एजेंसियां जिस प्रकार से जांच कर रही हैं, सरकार का दबाव उन एजेंसियों पर है, वह निष्पक्ष जांच नहीं कर पा रही है, इसलिए हम चाहते हैं कि सीबीआई इस पर जांच करे.
परिवहन मंत्री (श्री उदय प्रताप सिंह) - अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य हमारे बहुत वरिष्ठ सदस्य हैं. मुझे लगता है कि उन्होंने पूरे अध्ययन के साथ चीजों को रखा होगा. उन्होंने एक बात कही थी कि डायरी में नाम हैं और उनको सामने नहीं लाया जा रहा है, या डायरी में नाम हैं उनका उल्लेख कहीं नहीं आ रहा है. मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्य को बताना चाहता हूं कि विशेष पुलिस स्थापना जो हमारा लोकायुक्त संगठन है, मध्यप्रदेश भोपाल द्वारा की गई छापे की कार्यवाही के दौरान कोई डायरी जप्त नहीं की गई. जब डायरी जप्त ही नहीं की गई. कहीं इसका उल्लेख नहीं है तो नाम कहां से आ जाएंगे? यह थोड़ा चिंता का विषय इस सदन में है. चूंकि डायरी के संबंध में आपने उल्लेख किया है.
अध्यक्ष महोदय, दूसरा मेरा आपके माध्यम से अनुरोध है कि इसमें सक्षम एजेंसी जांच कर रही हैं, जिन पर सरकार का कोई दखल नहीं होता. चाहे ईओडब्ल्यू हो, या हमारे इनकम टैक्स से रिलेटेड हमारे डिपार्टमेंट्स हैं, परिवर्तन निदेशालय है. सब ऐसे संगठन हैं जिनकी अपनी एक पृष्ठभूमि रही है, जिनकी अपनी एक बड़ी मान्यता है कि उन्होंने पिछले काल में भी और वर्तमान समय में भी देश में अनेक बड़े घोटाले हैं, उनके कारण लोग जेलों में हैं. ऐसे कितने लोग हैं कि उनकी जांच के उपरांत सारा दूध का दूध और पानी का पानी हुआ है, इसलिए हम यह नहीं कह सकते कि वह जांच एजेंसियां जो काम कर रही हैं, उन पर कोई संदेह व्यक्त किया जाय और जब अलग-अलग तरह की जांच एजेंसियां काम कर रही हैं, इन्डिपेंडेंट एजेंसीज़ हैं, उस समय हमारे विभाग का या सरकार का किसी किस्म का उनमें देखल देना मुझे लगता है कि उचित नहीं है. माननीय सदस्य ने कहा कि सामान किसका है, इतने दिन हो गये हैं बता नहीं पा रहे हैं. चूंकि यह जांच परिवहन विभाग या हम नहीं कर रहे हैं. यह जांच एजेंसी इसको कर रही हैं जब तक यह तय नहीं हो जाता, उनके अपने एविडेंस लेने के, उनका सिस्टम है, उनका काम करने का एक मैकेनिज्म है. जब यह तय हो जाएगा कि जांच इस पाइंट पर पहुंच जाएगी कि यह सामान किसका है, क्या है, पब्लिक डोमेन में आएगा, सरकार को, विभाग को पता चलेगा तो मुझे लगता है कि आपको भी उस संबंध में जानकारी आएगी. तो सरकार पूरी तरह से माननीय मोहन यादव जी के नेतृत्व में इसमें संजीदगी से काम कर रही है, एक-एक चीजों पर काम कर रही है. सरकार को अपनी तरफ से जो सहयोग करने की आवश्यकता है, जांच एजेंसीज् को उसमें सरकार कहीं कोई कमी नहीं रखेगी. विभाग पूरी तरह से सचेत होकर, जहां हमारे पार्ट पर जो जांच एजेंसीज् हमसे किसी तरह से आवश्यकता होगी वह सरकार उपलब्ध करायेगी और एक और विषय था कि उसको पकड़ कर एफ.आई.आर. करना थी. चूंकि वह सेवानिवृत्त था. अपना कम्पलसरी रिटायरमेंट ले चुका था. इसलिये वह विभाग के सीधे एफ.आई.आर के दायरे में नहीं आ रहा था, इसलिये नहीं की गयी.
अध्यक्ष जी, मैं माननीय सदस्य को बताना चाहता हूं कि हम लोगों ने लगातार मोहन यादव जी के नेतृत्व में एक पारदर्शी व्यवस्था इस प्रदेश में दी है और हमारा प्रयास है, हमेशा इस देश में बेहतर की संभावना रही है, प्रदेश में रही है. अगर कोई कमियां हैं तो उनको सुधारने के लिये हमेशा सरकारों ने काम किया है, विभागों ने काम किया है और परिवहन विभाग भी इससे अछूता नहीं है. हम लोगों ने प्रयास किया है कि एक बेहतर पारदर्शी व्यवस्था इस प्रदेश में आये उसी तारतम्य में यह चैक पोस्ट शट डाउन किये, हम लोगों ने. चैक पाइंट बनाये. चैक पाइंट में भी कई बार यह रहता है कि चैक पाइंट के माध्यम से एक हर्डल फ्री मूवमेंट वाहनों का होना चाहिये, वह नहीं करने दे रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से बताना चाहता हूं कि कितनी ऐसी चीजें हैं, जिन पर नज़र रखने की आवश्यकता विभाग को रहती है और सरकार को रहती है. आपके परमिट के इश्यूज़ हैं, फिटनेस है, एच.एस.आर.पी है, पी.यू.सी.सी है, आपका वी.एल.टी. डी मतलब इनका ओव्हर डायमेंशन है, ओव्हर स्पीड है, टैक्स नाट पैड के इश्यूज हैं. इतनी चीजें हैं जिनको लगातार आपको मॉनिटर करने की आवश्यकता रहती है. इस पर हमारा विभाग काम करता है. इसलिये यह चैक पाइंट की आवश्यकता पड़ती है जो मूवेबल हैं, लगातार हाईवेज़ के ऊपर घूमते हैं, स्टेट हाईवेज़ के उपर. आपने कहा की साइड रोड से निकल जाते हैं. तो साइड रोड पर हमारा जो चैक पाइंट का इंचार्ज है, वह वहां पर भी उनको रोककर के जांच कर सकता है तो इस तरह की व्यवस्थाएं विभाग के द्वारा की गयी है. हम लोग प्रयास कर रहे हैं कि पारदर्शी व्यवस्था, एक ट्रांसपरेंट मैकेनिज़म इस प्रदेश में लागू हो और उसी तारतम्य में विभाग ने जो इसको हम लोग डिजिटलाइज भी कर रहे हैं, बॉडी वान कैमराज़ भी लगा रहे हैं. हम लगातार स्टेट लेवल से से सीधा उसको मॉनिटर कर सकें, नीचे के लेवल से यह मैकेनिज्म भी डेव्हलप कर रहे हैं. हमारा जो वाहन और सार्थी पोर्टल है उनको हम लोग और अपडेट कर रहे हैं, ऐप ऐसा बना रहे हैं कि जिससे एक बेहतर व्यवस्था यहां पर हो और गाहे-बगाहे जो आरोप लगते हैं, वह आरोप न लगें. अध्यक्ष जी, सबसे महत्वपूर्ण यह है कि जब भी किसी किस्म की कोई अगर शिकायत आयी है तो हम लोगों ने कुछ घण्टों के अंदर निर्णय करते हुए सस्पेंशन किये हैं, शोकाज़ नोटिस जारी किये हैं या उन अधिकारियों को परिवर्तित करने का काम किया है. इसलिये मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्य से कहना चाहता हूं कि परिवहन विभाग में बेहतर से बेहतर हम लोगों की सुविधा के हिसाब से और वाहन वाले वाहन चालकों की सुविधा के हिसाब से काम कर रहे हैं. मुझे लगता है कि माननीय सदस्य को संतुष्ट होना चाहिये.
श्री उमंग सिंघार- माननीय अध्यक्ष महोदय,आप परिवहन विभाग की उपलब्धियां गिना रहे हैं. पहली बात तो आप कह रह हैं कि हमारे विभाग का काम नहीं है. एक तरफ कह रहे हैं कि जांच एजेंसियों की तरफ से नहीं आप सरकार की तरफ से जवाब दे रहे हैं. जांच एजेंसियां सरकार का अंग है, उससे जुड़ी है. ठीक है कोई स्वायत्त संस्थाएं हैं और कुछ सरकार के इसमें रहती है. लेकिन मैं, फिर आपसे कहना चाहता हूं कि जो जिस ट्रांसपोर्ट कमिश्नर को आपने हटा दिया, क्या आपने उनके खिलाफ नामजद इतनी बड़ी गड़बड़ी की इसमें एफ.आई.आर. हुई, एक चीज़.
दूसरा, आपने कहा कि डायरी नहीं मिली. मेरा फिर कहना है पूरे प्रदेश में उस डायरी के पन्ने उस चेतन गौड़ के यहां से मीडिया को और पूरे जारी हुए. क्या आपने उनको हैंड राइटिंग के एक्सपर्टस और दशरथ पटेल की हैंड राइटिंग से उसको मिलवाया.
तीसरा, आप की इतनी सारी जब केन्द्रीय एजेंसियां इसके अंदर जांच कर रही हैं, इनकम टैक्स, डी.ए.आर.आई., ईडी, लोकायुक्त. अगर आपकी निष्पक्ष नीयत है. प्रदेश की जनता को पता चलना चाहिेये कि सोना किसका है. यह गाढ़ी कमाई जनता के पैसे की है. ऐसे कोई भ्रष्टाचारी मंत्री या अधिकारी नहीं खा सकता. मैं आपसे यह कहना चाहता हूं कि क्या सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में सी.बी.आई. जांच होगी ? यह मेरे तीन सवाल है.
श्री उदय प्रताप सिंह—अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से विनम्रता पूर्वक कहना चाहता हूं कि सारे विषय आ गये हैं. सक्षम एजेंसीज पहले से काम कर रही हैं और जब तक उन एजेंसीज के जांच प्रतिवेदन नहीं आ जाते हैं, मुझे लगता है कि तब तक सरकार किसी और एजेंसी के पास जाये,क्योंकि जब हम आज यह नहीं कह सकते कि जांच एजेंसियां किस दिशा में आगे बढ़ रही हैं. जब उनकी रिपोर्ट सबमिट नहीं हो जातीं, तब तक मुझे लगता है कि सदन के अन्दर भी विस्तार से उन पर चर्चा किया जाना उचित नहीं है. इसलिये मेरा आग्रह है कि यह सारे विषय आ गये हैं और माननीय सदस्य को संतुष्ट होना चाहिये.
श्री उमंग सिंघार—अध्यक्ष महोदय, मैं सदन में चर्चा की बात नहीं कर रहा हूं. मैं यह आपसे कह रहा हूं कि क्या यह सरकार सीबीआई को जांच सौंपेगी, सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में. यह स्पष्ट करना चाह रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय—मंत्री जी, कुछ कहना चाहेंगे. (श्री उदय प्रताप सिंह द्वारा बैठे बैठे कहने पर कि इस पर उत्तर दे दिया है.) हेमंत जी.
श्री उमंग सिंघार—अध्यक्ष महोदय, जांच की बात हो रही है कि केंद्रीय इतनी सारी जांच एजेंसियां कर रही हैं और सरकार उसमें जांच नहीं कराना चाहती है. क्या सरकार की नीयत साफ नहीं है, क्या सरकार भ्रष्टाचार को बढ़ाना चाहती है. सोने की ईंटें किसकी हैं, यह मालूम नहीं पड़े पूरी प्रदेश की जनता को. उसमें सरकार का तो पक्ष आना चाहिये.
अध्यक्ष महोदय— इसमें हेमंत जी का भी प्रश्न आ जाये.
श्री उमंग सिंघार—अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी का उत्तर तो आ जाये.
अध्यक्ष महोदय— मंत्री जी ने उत्तर बोल तो दिया.
श्री उमंग सिंघार—अध्यक्ष महोदय, वे तो बोल ही नहीं रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय— नहीं नहीं बोल देंगे. जोर से बोल दो भाई.
श्री उदय प्रताप सिंह—अध्यक्ष महोदय, मैंने आपके माध्यम से कहा कि सक्षम एजेंसीज जो स्वतंत्र रुप से काम करती हैं इस देश में, सरकार का जिन पर कोई सीधा नियंत्रण नहीं होता, वह एजेंसीज जांच कर रही हैं. एक बार जांच रिपोर्ट सदन के पटल पर आयेगी, सरकार को मिलेगी, उसके बाद ही तो हम कह सकते हैं कि इसमें और फरदर जांच की आवश्यकता है या नहीं. अगर उस जांच से सरकार या हम सब आप संतुष्ट नहीं होंगे, तो हमारी और जो ऊपर की एजेंसीज हैं, हम उनके पास जायेंगे. लेकिन आज मुझे लगता है कि जब जांच चल रही है, मामला सब ज्यूडिस है, तो यह चीजें आ जायें, उसके बाद ही हमें कोई निर्णय करने की आवश्यकता है.
श्री हेमंत सत्यदेव कटारे (अटेर)-- अध्यश्र महोदय, वर्तमान परिवहन मंत्री जी ने बड़ी ही शालीनता से पूरा उत्तर दिया और ऐसा प्रतीत हुआ, जैसे मध्यप्रदेश में कुछ हुआ ही नहीं है. न कोई घोटाला हुआ है और न ही कोई भ्रष्टाचार हुआ है. उसमें उन्होंने बड़ी शालीनता से नरेन्द्र मोदी जी का भी जिक्र किया और मैं भी मंत्री जी को याद दिळाना चाहूंगा कि प्रधान मंत्री जी ने कहा था कि देश में काला धन लौटाकर के आयेंगे और शायद 15-15 लाख, कितने लाख रुपये सबके खाते में आयेंगे. तो काला धन तो नहीं आया, लेकिन (सदन में नकली बिल्किट दिखाते हुए) पीला धन सोने की बिस्किट के रुप में सौरभ शर्मा लेकर के आया है.
अध्यक्ष महोदय— यह कौन से असली वाले हैं कि नकली वाले हैं. ..(हंसी)..
श्री हेमंत सत्यदेव कटारे-- असली वाले होते तो अभी तक तो टूट पड़ते एकाध. असली नहीं हैं. यह असली नहीं हैं, तो कृपया चिंता नहीं करें कोई भी भाजपा के सदस्य. असली तो कहीं और हैं और असली किसके हैं, वह बता नहीं रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश की न सिर्फ देश में, बल्कि विदेशों तक में बदनामी हुई है इस कृत्य से. मुझे लगता है कि बहुत ही बड़ा भ्रष्टाचार का विषय है. जैसा कि नेता प्रतिपक्ष जी ने बताया कि ऐसी एक गाड़ी नहीं और भी गाड़ियां थीं, ऐसी संभावना है. बड़ा आसान था, इतनी सारी एजेंसीज काम कर रही हैं, उनके लिये यह जानकारी लेना कि गाड़ी कितनी थीं और गाड़ी कहां से गईं. सरकार डिजिटलाइजेशन पर अनेकों करोड़ों रुपया खर्च कर रही है. हर चेक पाइंट पर, हर 50 मीटर के दायरे में कैमरे लगे हुए हैं, प्रायवेट लोगों ने भी लगाकर रखे हुए हैं और सरकार ने भी लगा रखे हैं. मात्र इतना करना था और मैं तो अभी भी सलाह दे सकता हूं, मात्र इतना कर लीजिये कि गाड़ी कहां कहां से निकली. वह लोकेशन मिल जायेगी. उसके पीछे कोई और गाड़ियां भी थीं क्या. नहीं थीं या दो चार थीं या 8-10 थीं, वह गाड़ी का कौन सा पाइंट था,जहां से निकली और जब वह मेंडोरी के फार्म हाउस पर जाकर के खड़ी हुई, तब तक पूरी लोकेशन निकालनी है. एचडी कैमरा से और यह सामान्य तरीका है जांच करने का, ऐसा नहीं है कि मैंने कुछ नया बता दिया, यही तरीका होता है कि आखिरी कॉल डिटेल निकाली जाती है. अगर ड्राइवर पकड़ा जाये और गाड़ी की, क्योंकि गाड़ी तो कॉल पर बात करती नहीं है. तो गाड़ी की लाइव लोकेशन निकाली जायेगी. जीपीएस निकाला जायेगा या कैमरे के माध्यम से निकाला जायेगा और इससे दूध का दूध पानी का पानी हो जायेगा. मुझे लगता है कि शायद निकाल लिया गया है और निकाल करके जो सामने आया है, तो सब भौचक्के रह गये कि कहीं सरकार नहीं हिल जाये तो शायद उसके तथ्यों को दबाने के काम चल रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय— हेमंत जी, उद्बोधन नेता प्रतिपक्ष जी का हुआ है. मुझे लगता है कि आप प्रश्न पर आयेंगे, तो ठीक रहेगा.
श्री हेमंत सत्यदेव कटारे—जी, अध्यक्ष महोदय. मैं प्रश्न पर ही आ रहा हूं. मैं सिर्फ यह बताना चाह रहा हूं, मेरी एक चिंता है इसमें, जो सबकी होना चाहिये कि प्रदेश में दो तीन ही लोगों का विकास हो रहा है. यह 2023 के इलेक्शन एफिडेविट हैं. पूर्व परिवहन मंत्री जी, दोनों परिवहन मंत्रियों के सुरखी वाले भी, खुरई वाले भी और यह रिकार्ड पर है, कोई दिक्कत नहीं है, मतलब ऐसा कोई डाक्यूमेंट नहीं है, जो प्रड्यूस नहीं किया जा सकता. एक पूर्व परिवहन मंत्री जी जो हैं. सुरखी से आते हैं पहले मैं उनके बारे में बता देता हूं.
संसदीय कार्यमंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) --अध्यक्ष महोदय, मेरा पाइंट आफ आर्डर फिर है. अध्यक्ष महोदय, मैंने पहले ही कहा है कि एक मंत्री के नाम से भी संबोधित नहीं किया जा सकता है और इस ध्यानाकर्षण की विषय वस्तु में यह विषय है भी नहीं, जो ध्यानाकर्षण के विषय में वस्तु नहीं है उस विषय को नहीं उठाया जा सकता है इसलिये मैं आपकी व्यवस्था चाहता हूं.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे -- अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी की बात को पालन करता हूं.
अध्यक्ष महोदय- हेमन्त जी, मैंने पूर्व में भी कहा और माननीय कैलाश जी ने भी पाइंट आफ आर्डर उठाया उसके आधार पर हम लोग लगभग ठीक दिशा में बातचीत कर रहे हैं और मुझे लगता है कि सदन के नियम और प्रक्रिया आप जानते भी हैं इसलिये उसका उल्लंघन न हो इसका सभी सदस्य ध्यान रखें.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री प्रहलाद सिंह पटैल) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे लगता है कि जो विधानसभा की नियम प्रक्रिया और कार्यप्रणाली के विपरीत जो बातें हैं उसको डिलीट भी होना चाहिये, कार्यवाही से विलोपित हो तो बेहतर होगा.
अध्यक्ष महोदय-- वह मैं दिखवा लूंगा. मेरा सदन के सदस्यों से अनुरोध है कि इसका भी ध्यान रखें और किसी व्यक्ति के बारे में ऐसी बात सदन में न आये जिसकी विधानसभा के नियम और प्रक्रिया हमें इजाजत नहीं देती है. इसका सभी लोगों को ध्यान रखना चाहिये, ऐसा मेरा सभी सदस्यों से आग्रह है.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं हमारे दोनों वरिष्ठतम सदस्यों की बात का भी ध्यान रखूंगा और जो विधानसभा के नियम कार्य संचालन और प्रक्रिया है उनका भी ध्यान रखूंगा. बस एक बात मैं कहना चाहूंगा कि जब बीजेपी के लोग किसी का नाम लेकर के सदन में बोलते हैं तब यह नियम कहां चले जाते हैं. तो मुझे थोड़ा सा समय कैलाश विजयवर्गीय जी अवश्य देंगे तब जरूर पूछूंगा कि जब बाकी सदस्य जोर जोर से अनर्गल बातें कर रहे थे तब यह नियम और प्रक्रिया लागू नहीं हो रही थीं क्या ? आज ही यह सारे नियम और प्रक्रिया लागू इसलिये कर रही है कि यह भ्रष्टाचार का विषय है..
अध्यक्ष महोदय- हेमन्त जी, ऐसा नहीं है जब भी आप सब लोगों ने ध्यानाकर्षित किया है तो उसको कार्यवाही से विलोपित किया गया है.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे-- अध्यक्ष महोदय, उस दिन पाईंट आफ आर्डर नहीं था क्या ? आज ही निकला है. उस दिन भी तो यह नियम था.
अध्यक्ष महोदय-- उस दिन जिनको पाईंट आफ आर्डर जिनको उठाना था वह उठाते. लेकिन उसके बाद भी जहां से भी ...
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- माननीय अध्यक्ष महोदय, उस दिन पाईंट आफ आर्डर उठाया गया था, मैंने भी उठाया था माननीय राजेन्द्र सिंह जी ने भी उठाया था, और आपसे आग्रहपूर्वक कहा था कि उसको विलोपित कर दीजिये. और मैं आपका धन्यवाद देता हूं कि आपने उस पूरी चर्चा को विलोपित किया.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अब मैं विषय पर आता हूं. अब मैं किसी भी मंत्री या सदस्य का नाम नहीं ले रहा हूं. मैं सुरखी से एक व्यक्ति की बात कर रहा हूं और खुरई से एक व्यक्ति की बात कर रहा हूं. न मैं मंत्री का जिक्र कर रहा हूं. अध्यक्ष महोदय, जैसा कि नियम है , मैं किसी का नाम नहीं ले रहा हूं अब सुरखी से कोई व्यक्ति हैं मुझे लगता है कि इस पर आपत्ति नहीं होनी चाहिये. एक व्यक्ति हैं सुरखी के जिन्होंने डिस्क्लोजर नहीं किया है 135 एकड़ भूमि का ,मैं किसी मंत्री, किसी विधायक का नाम नहीं ले रहा हूं और आप भी महसूस मत कीजियेगा कि वह यहां के कोई व्यक्ति हैं और ऐसे ही एक व्यक्ति हैं खुरई के, मैं किसी का नाम नहीं ले रहा हूं, वह मंत्री रहे या नहीं रहे यह जांच का विषय है.
अध्यक्ष महोदय, खुरई वाले जो व्यक्ति हैं उन्होंने 2009 में ढाई करोड़ की संपत्ति दिखाई और एकदम से 85 करोड़ हो गई, एकदम से 2023 में 85 करोड़ की संपत्ति हो गई. वह कौन व्यक्ति हैं यह जांच का विषय है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, फिर मेरा पाईंट आफ आर्डर है. क्या यह ध्यानाकर्षण की विषय वस्तु है . प्रश्न ध्यानाकर्षण की विषय वस्तु पर उठाया जा सकता है, ऐसा है कि यह सदन नियम और प्रक्रिया से चलना चाहिये. अध्यक्ष महोदय आप जैसे वरिष्ठ सदस्य जिन्हें दोनों सदन का अनुभव है, यहां पर आप मंत्री के रूप में रहे, वहां आप मंत्री के रूप में बैठे. यहां पर वापस आप आसंदी पर बैठे हुये हैं इस पवित्र सदन में. कम से कम विधानसभा नियम से चले यह आपसे जरूर आग्रह है इसलिये ध्यानाकर्षण में विषयवस्तु हो और उस पर प्रश्न पूछा जाये तो मुझे कोई आपत्ति नहीं होगी, क्या ध्यानाकर्षण की विषय वस्तु में यह चीज है क्या ?
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे-- अध्यक्ष महोदय, मैं ध्यानाकर्षण की विषय वस्तु पर आता हूं.
अध्यक्ष महोदय- हेमन्त जी, मतलब कुल मिलाकर के हम घुमा फिराकर के कुछ भी करें लेकिन जो संकेत जाते हैं वह वहीं जाते हैं जो नहीं जाना चाहिये.एक बात है. दूसरा मेरा कहना यह है कि जो विषय वस्तु ध्यानाकर्षण में है नेता प्रतिपक्ष ने बहुत ही जिम्मेदारी के साथ सारे विषय को रखा है, आप उस पर कोई प्रश्न करना चाहते हैं तो प्रश्न करें, मैं दो प्रश्नों के जवाब देने के लिये मंत्री जी को आग्रह करूंगा.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे-- अध्यक्ष जी, मुझे तीन प्रश्न करने की अनुमति दीजियेगा, बड़ा विषय है और मैं विषय पर आ रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय-- सिर्फ दो प्रश्न की अनुमति है.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे-- अध्यक्ष महोदय, मैं विषय पर ही आ रहा हूं. जो विधानसभा से मुझे उत्तर प्राप्त हुआ है., मेरा प्रश्न क्रमांक 1456 है, मैंने प्रश्न लगाया था परिवहन विभाग से मुझे मोटा बंडल उत्तर मिला है, मैंने उसको पूरा का पूरा पढ़ा है. उसमें कई सारी विभागीय नोटशीट्स गायब कर दी गई है, कुछ नोटशीट्स ब्लैंक करके दे दी गई मतलब पेज आया है. मुझे लगता है कि इस प्रकार के उत्तर विधान सभा में नहीं आने चाहिये लेकिन जो उत्तर आया है वह उत्तर भी पर्याप्त है कुछ चीजों को दर्शाने के लिये. अभी जो वर्तमान परिवहन मंत्री जी ने अपने उत्तर में उल्लेख किया उन्होंने 29.10.16 को सौरभ शर्मा की नियुक्ति होना बताया. बिल्कुल सही दिनांक बताई और यह नियुक्ति पत्र मेरे पास है. यह वही नियुक्ति पत्र है जो मुझे विधान सभा से मिला है. यह सौरभ शर्मा का नियुक्ति पत्र है. इसका माननीय मंत्री जी ने उल्लेख भी किया है और इस नियुक्ति पत्र में लिखा है जो मुझे पटल से प्राप्त हुआ है. इसके नंबर 2 पर लिखा है निज सहायक, माननीय मंत्री जी, परिवहन. नोटशीट क्रमांक, 14.9.16 के संबंध में सूचनार्थ. कौन थे मंत्री यह पता लगाया जा सकता है. इसमें उसी चीज का जिक्र कर रहा हूं जो उत्तर में आया है. उसके बाद मुझे उत्तर में एक नोटशीट भी 14.09.16 की प्राप्त हुई है. वही जो नियुक्ति पत्र में उल्लेख है. यह वह नोटशीट है (कागज दिखाते हुये). यह मुझे विधान सभा से मिली है. इस नोटशीट में लिखा हुआ है कि सौरभ शर्मा का परिवहन विभाग के आरक्षक के पद पर अनुकम्पा नियुक्ति प्रदान किये जाने का प्रकरण कलेक्टर, जिला ग्वालियर को फलां-फलां पत्र क्रमांक द्वारा 12.08.16 के माध्यम से प्रेषित किया गया अत: सौरभ शर्मा को अनुकम्पा नियुक्ति प्रदान किये जाने संबंधी प्रकरण अपने अभिमत् सहित प्रस्तुत करें. यह जो नोटशीट लिखी गई यह जिस पत्र के आधार पर लिखी गई यह पत्र माननीय कलेक्टर महोदय ने ट्रांसपोर्ट कमिश्नर को लिखा था. इसकी तीन कॉपीज़ गईं. एक कॉपी गई सौरभ शर्मा को, एक कॉपी गई सीएमएचओ को और एक कॉपी गई डायरेक्टर हेल्थ को. माननीय मंत्री जी को कोई कॉपी नहीं गई लेकिन उसके बाद भी सौरभ से कुछ अपनत्व होगा, प्रेम होगा कि स्वत: संज्ञान लेकर के उन्होंने इस पर नोटशीट लिखी. जबकि उनको यह पत्र प्रेषित नहीं किया गया था और मंत्री कौन हैं उस पर नाम और हस्ताक्षर दिया हुआ है. विधान सभा के रिकॉर्ड में है. आपने ही भेजा है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, मेरा फिर पॉइंट ऑफ ऑर्डर है. क्या यह ध्यानाकर्षण की विषय वस्तु है ? यह ध्यानाकर्षण की विषयवस्तु हो तो यह आराम से प्रश्न पूछें मुझे कोई आपत्ति नहीं है. आप ध्यानाकर्षण पढ़ लीजिये. न नोटशीट है, न कुछ बात है. इसको यह कहां ले जा रहे हैं.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे -- अध्यक्ष महोदय, नियुक्ति है. जिस नोटशीट के आधार पर नियुक्ति हुई है वह तो कही जाएगी.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, आप जरा देख लीजिये आप कौन सा प्रश्न पूछ रहे हैं. जरा आप सदन के समय का सदुपयोग करें दुरुपयोग नहीं करें. मेरा आपसे आग्रह है.
अध्यक्ष महोदय -- हेमन्त जी, अभी दूसरा ध्यानाकर्षण भी है. अब आप एक प्रश्न करें.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे -- अध्यक्ष महोदय, इसमें एक विभागीय नोटशीट है. विभागीय नोटशीट क्रमांक 10, इस 14.9.16 की नोटशीट का जो मैंने जिक्र किया है इस नोटशीट के आने के बाद 4-4 बार उल्लेख किया है कि माननीय मंत्री जी की नोटशीट के अनुक्रम में. यह पहले पैरा में है, दूसरे पैरा में है, तीसरे में है और आखिरी लाइन बड़ी महत्वपूर्ण है. इसमें आखिरी लाइन में लिखा हुआ है कि माननीय मंत्री महोदय की एकल नस्ती के क्रम में प्रकरण अवलोकनार्थ एवं आदेशार्थ. नोटशीट आई अवलोकन और आदेश करने के लिये. यह विभागीय नोटशीट है. श्री जयंत थे उस समय असिस्टेंट ट्रांसपोर्ट कमिश्नर उन्होंने लिखी है. यह विधान सभा के रिकॉर्ड में मुझे उपलब्ध करवाई गई है. एक नोटशीट का और जिक्र करके मैं फिर प्रश्न ही पूछ रहा हूं क्योंकि इसका आना जरूरी है.
अध्यक्ष महोदय -- दरअसल वह जो प्रश्न हैं, वह काउंट हो रहे हैं. वह उतना ही जवाब देंगे.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे -- जी अध्यक्ष महोदय. एक नोटशीट और है इसी के दो दिन के बाद मंत्री जी की नोटशीट आती है. फिर यह एक नोटशीट आती है विभागीय. एक और नोटशीट आती है दिनांक 23.09.16 को और उसमें यह लिखा जाता है, यह बहुत महत्वपूर्ण है. पहले मंत्री जी की नोटशीट पूरी लिखी जाती है उसके बाद क्या लिखा जाता है. विभाग दो विकल्प देता है. पहला विकल्प देता है, अत: प्रकरण में यह निर्णय किया जाना है कि क्या सौरभ शर्मा को लिपिक वर्गीय सहायक वर्ग तीन पर अनुकम्पा नियुक्ति प्रदान की जाय. पहला, नियमानुसार उसको लिपिक या टाइपिस्ट या किसी पोस्ट पर ले जाना था. पूरा विभाग यही चाह रहा था और सेकेंड ऑप्शन आता है अथवा यह देखियेगा इसमें लिखा हुआ है कि माननीय मंत्री जी की नोटशीट दिनांक 14.09.2016 के अनुक्रम में परिवहन आरक्षक के पद पर यह दो विकल्प दिये गये. परिवहन विभाग चाहता था कि उसको लिपिक में ले जाएं लेकिन लिपिक में जाता तो उसका जो असली टैलेंट, जो नाकों का टैलेंट था वह तो आरक्षक होकर ही उभर पाता था.
अध्यक्ष महोदय -- हेमन्त जी, मेरा आग्रह यह है कि ध्यानाकर्षण पर इतनी देर तक चर्चा नहीं होती है. मैंने विषय की गंभीरता और लगाने वाले व्यक्तियों के कद को दृष्टिगत रखते हुये इसको थोड़ा समय दिया है. मेरा आपसे आग्रह है कि आप प्रश्न पूछिये और प्रश्न पूछने के बाद इसका पटाक्षेप हम करेंगे. अब आप लंबा भाषण देंगे तो फिर उसका तो कोई अंत ही नहीं है. दूसरा, यह जो विषय वस्तु पर चर्चा हो रही है, यह जो सामान पकड़ा गया और जांच हो रही है जो विषय सामने आया है यह नियुक्ति के प्रकरण को लेकर तो चर्चा हो नहीं रही है.
श्री हेमंत सत्यदेव कटारे -- नियुक्ति आदेश का उल्लेख विभागीय उत्तर में है.
अध्यक्ष महोदय -- वह ठीक है. कुल मिलाकर क्या है बाकी की चीजों की जो चर्चा है हम वहां तक सीमित रहें. आप नियुक्ति पर केन्द्रित क्यों हो रहे हैं.
श्री हेमंत सत्यदेव कटारे -- इसका उत्तर तो आप भी जानते हैं. मैं नियुक्ति पर क्यों केन्द्रित हूँ, वह मैं आपको बता रहा हूँ. सौरभ शर्मा को फर्जी नियुक्ति नहीं मिलती तो आज मध्यप्रदेश की छवि खराब नहीं होती. सौरभ शर्मा को सिस्टम में लाया क्यों गया यह मैं आपको बता रहा हूँ.
अध्यक्ष महोदय -- अब एक मिनट में आप पूरी बात करें.
श्री हेमंत सत्यदेव कटारे -- अध्यक्ष महोदय, मैं थोड़ा सा समय लूंगा, ज्यादा नहीं लूंगा. सौरभ शर्मा प्रायवेट तौर पर वसूली करता था. वह सत्यप्रकाश के सम्पर्क में आया, सत्यप्रकाश से संपर्क में आया राजेन्द्र सेंगर के और राजेन्द्र सेंगर से सम्पर्क में आया माननीय के और वहां से पूरा खेल शुरु हुआ. उसका टेलेंट देखा गया कि यह जो लड़का है इसको सिस्टम में अन्दर लो और उसको इतना पॉवरफुल बना दिया कि वह ट्रांसपोर्ट कमिश्नर को बदलवाने तक के निर्णय लेकर बता देता था कि इसको बनाना है इसको नहीं बनाना है. उसके बाद मैं फर्जी नियुक्ति पर मैं इसलिए कह रहा हूँ.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, क्या यह प्रश्न है.आप ध्यानाकर्षण के नियम देख लीजिए. ध्यानाकर्षण में एक या दो प्रश्न पूछे जा सकते हैं. आप ध्यानाकर्षण को ध्यानाकर्षण की गरिमा के रुप में चलने दें यह मेरा आपसे निवेदन है.
अध्यक्ष महोदय -- एक प्रश्न करें प्लीज. मैं अब आगे बढ़ने वाला हूँ.
श्री हेमंत सत्यदेव कटारे -- अध्यक्ष महोदय, इसमें मेरा प्रश्न यह है कि जो फर्जी अनुकम्पा नियुक्ति दी गई इस सदन के रिकार्ड में भी स्वीकार किया गया है माननीय द्वारा की नियुक्ति फर्जी थी. यह भी स्वीकार किया गया है कि मंत्री का इसमें हस्तक्षेप नहीं होता है. मेरा प्रश्न यह है कि जो फर्जी अनुकम्पा नियुक्ति दी गई, जिस नोटशीट के आधार पर दी गई क्या उनके ऊपर कार्यवाही होगी और साथ ही में एक माननीय ने यह कहा था कि यदि सौरभ की नियुक्ति से संबंधित मेरे ऊपर एक भी पत्र, एक भी कागज, एक भी नोटशीट आ जाए तो मैं सन्यास ले लूंगा और मैंने कहा था कि कुम्भ का समय चल रहा है उसी समय सन्यास ले लेते अब कुम्भ निकल गया है तो कब सन्यास लेंगे. अध्यक्ष महोदय, मेरा दूसरा प्रश्न यह है कि..
अध्यक्ष महोदय -- अब आप बैठ जाएं. माननीय मंत्री जी.
श्री उदय प्रताप सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं फिर आपके माध्यम से माननीय सदस्य से कहना चाहता हूँ. माननीय नेता प्रतिपक्ष ने बहुत विस्तार से चीजों को पूछा है. लगभग उन्हीं चीजों की पुनरावृत्ति हो रही है. एक चीज जरुर आपने कही है कि अनुकम्पा नियुक्ति नियमानुसार नहीं हुई है. वर्ष 2014 के नियम में जो कंडिका 5 (2) है उसके अनुसार अनुकम्पा नियुक्ति हुई है और अनुकम्पा नियुक्ति का जहां तक प्रश्न है. विभाग सबसे पहले प्रयास करता है यदि वहां पर पद रिक्त नहीं होता है तो कलेक्टर को सूचित करता है और कलेक्टर संबंधित विभागों में जहां पर उसे रिक्त स्थान दिखता है उसके योग्य स्थान दिखता है वहां पर नियुक्ति करता है. मुझे लगता है कि परिवहन विभाग में आरक्षक के पद पर नियुक्ति दी जा सकती थी. प्रावधान में यह निहित है कि उसको उस पद पर अनुकम्पा नियुक्ति दी जा सकती है उसके तहत नियुक्ति दी गई है. इसलिए मुझे लगता है कि अनुकम्पा नियुक्ति की प्रक्रिया में कहीं कोई संदेह का विषय नहीं है. अभी जांच के दौरान जब यह पाया गया कि इसके एफीडेविट गलत हैं तो हम लोगों ने दिनांक 3.3.2025 को मध्यप्रदेश पुलिस को लिखा है कि इसके विरुद्ध भी प्रकरण पंजीबद्ध किया जाए, कार्यवाही की जाए. दूसरा आपने कहा है कि इसकी सीबीआई जांच कराई जाए. ऑलरेडी इंकम टैक्स डिपार्टमेंट इस पर काम कर रहा है, राज्य सरकार इसमें कैसे कह सकती है कि एक विभाग इस पर जांच कर रहा है तो उसे रोककर दूसरे विभाग को जांच का काम दिया जाए. एजेंसीज हमारी जांच कर रही हैं. जांच के दौरान हम सीसीटीवी, फुटेज और कॉल डिटेल की बात यहां पर करें, मुझे लगता है यह उचित नहीं है. विषय सारे आ गये हैं नेता प्रतिपक्ष जी ने जो विषय सदन के ध्यान में लाए थे उनका विस्तार से जवाब भी हमने यहां पर देने का प्रयास किया है.
अध्यक्ष महोदय -- श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह जी अपनी ध्यानाकर्षण की सूचना पढ़ें.
श्री हेमंत सत्यदेव कटारे -- अध्यक्ष महोदय, एक अंतिम बात मैं इसमें कहना चाहूंगा. आखिरी बात कह रहा हूँ.
अध्यक्ष महोदय -- देखिए इस पर 49 मिनट की चर्चा हो गई है.
श्री उमंग सिंघार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह प्रदेश की जनता का पैसा है और सरकार स्पष्ट बताना नहीं चाह रही है. सीबीआई जांच की हमने मांग की है. केन्द्रीय जांच एजेंसियां इसमें जांच कर रही हैं. सोने की ईंटे क्या दुबई से सीधे हवा में आ गईं. कहां से आई हैं. इस पर सीबीआई से जांच क्यों नहीं कराना चाहते हैं.
श्री हेमंत सत्यदेव कटारे -- अध्यक्ष महोदय, यह भ्रष्टाचार से जुड़ा हुआ बहुत बड़ा मामला है. प्रदेश की इस पर नजर है. यदि इसकी चर्चा सदन में नहीं होगी तो कहां पर होगी. हमको इस पर चर्चा करना चाहिए, एक नहीं दो घंटे का समय दीजिए अध्यक्ष महोदय. इस चर्चा से सरकार को नहीं बचना चाहिए. सरकार कटघरे में खड़ी हुई है. (व्यवधान)
श्री उमंग सिंघार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इस पर चर्चा होना चाहिए. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- आप लोग बैठ जाएं. (व्यवधान)
श्री उमंग सिंघार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, इस पर चर्चा होना चाहिए. हमारे माननीय सदस्य प्रताप ग्रेवाल जी का भी नाम इस ध्यानाकर्षण के अंदर है. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय- पूरा हो गया है. (व्यवधान)
श्री उमंग सिंघार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक सदस्य का नाम और है. ध्यानाकर्षण में सूचना दी है. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय-- हम सभी को यह समझना चाहिए कि विषय पर जांच चल रही है. जांच एजेंसियां सामने हैं. यदि हमारे पास कोई दस्तावेज है तो हम जांच एजेंसियों को उपलब्ध करा सकते हैं. किसी भी जांच प्रकिया को जब तक वह पूर्ण नहीं हो जाए तो उसे पब्लिक नहीं किया जा सकता है. यह मंत्री जी की व्यवस्था है इसको हमें समझना चाहिए. (व्यवधान)
12.51 बजे गर्भगृह में प्रवेश
(ध्यानाकर्षण क्रमांक 1 पर चर्चा हेतु समुचित अवसर प्रदान न किये जाने के एवं सीबीआई जांच न कराये जाने के विरोध में इंडियन नेशनल कांग्रेस के अनेक सदस्यगण द्वारा नारेबाजी करते हुए गर्भगृह में प्रवेश)
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी ने बहुत विस्तार से अपनी बात कही है और उन्होंने बताया है कि सक्षम एजेंसियां जांच कर रही हैं. जब जक वह जांच पूरी नहीं होती तब तक किसी अन्य एजेंसी को वह लेना नहीं चाहते हैं. बृजेन्द्र प्रताप सिंह जी की सूचना चल रही है. मेरा नेता प्रतिपक्ष जी एवं सभी माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि वह अपना स्थान गृहण करें. (व्यवधान)
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सौरभ शर्मा वाले मामले में सीबीआई जांच होना चाहिए. सौरभ शर्मा के मामले में सरकार जो बड़े मगरमच्छ बचा रही है इस पर जांच होना चाहिए. कई केन्द्रीय जांच एजेंसियां इसके अंदर इनवॉल्व हैं. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय-- मेरा सभी सदस्यों से अनुरोध है. (व्यवधान)
श्री उमंग सिंघार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमे इनकम टैक्स, ईडी, लोकायुक्त जब इतना बड़ा घोटाला है जनता का पैसा है. जनता के पैसे से ईंटें खरीदी जा रही हैं. बड़े नेता, बड़े अधिकारी करोड़पति, अरबपति बन रहे हैं. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय-- मेरा सभी माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया कर वह सभी अपने स्थान पर बैठे. सदन की कार्यवाही चलने दें. (व्यवधान)
श्री उमंग सिंघार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं चाहूंगा कि इस पर जांच होना चाहिए. यह प्रदेश की आम जनता की गाढ़ी कमाई है. सोने की ईंटें खरीदी जा रही हैं. (प्रतीकात्मक सोने की ईंट दिखाते हुए.) (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय-- बृजेन्द्र प्रताप सिंह जी ध्यानाकर्षण पढ़ रहे हैं. यह भी जनहित का विषय है तो वह ध्यानार्षण सूचना भी सदन में आने दें. (व्यवधान)
श्री उमंग सिंघार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं चाहूंगा कि इस पर तत्काल जांच होना चाहिए. क्यों सरकार भाग रही है. क्यों केन्द्रीय एजेंसी सीबीआई से जांच नहीं कराना चाहती है. जांच होना चाहिए. परिवहन का बजट व्यर्थ और पांच हजार करोड़ रुपए किनकी जेब में गए उन अधिकारियों की जांच होना चाहिए. उन मंत्रियों की जांच होना चाहिए जिनके पास जनता का पैसा जा रहा है. सोने की ईंटें दुबई से आईं हैं. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय-- मेरा प्रतिपक्ष के माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया करके अपना स्थान गृहण करें सदन की कार्यवाही को आगे बढ़ने दें. दूसरा ध्यानाकर्षण चल रहा है, वह प्रदेश के जनहित से जुड़ा हुआ है. (व्यवधान)
श्री उमंग सिंघार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह सोने की ईंटें हैं यह दुबई से आई हैं और इसकी कोई गारंटी नहीं ले रहा है कि यह किसका माल है. यह जनता का पैसा है. मंत्री करोड़पति, अरबपति हो रहे हैं. सोना खरीद रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- बृजेन्द्र प्रताप सिंह जी अपनी ध्यानाकर्षण सूचना पढ़ें. बृजेन्द्र सिंह जी जो बोलेंगे वही लिखा जाए.
श्री उमंग सिंघार-- (XXX)
(2) पन्ना जिले के पहाडीखेरा क्षेत्र को केन-बेतवा लिंक परियोजना में शामिल किया जाना
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
12.55 बजे
गर्भगृह से बहिर्गमन
(नेता प्रतिपक्ष श्री उमंग सिंघार के नेतृत्व में इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा प्रदेश की परिवहन नाकों/चेक पोस्टों में अवैध वसूली संबंधी ध्यानाकर्षण पर माननीय सदस्यों को चर्चा का पर्याप्त अवसर न दिये जाने और सी.बी.आई जांच की मांग न पूरी किये जाने के विरोध में नारेबाजी करते हुए सदन से बहिर्गमन किया गया.)
12.56 बजे
अध्यक्षीय व्यवस्था
भोजनावकाश न होने विषयक
अध्यक्ष महोदय- आज भोजनावकाश नहीं होगा. सभी माननीय सदस्यों के लिए सदन की लॉबी में भोजन की व्यवस्था है. सदस्यों से अनुरोध है कि वे अपनी सुविधानुसार भोजन ग्रहण करें.
12.57 बजे
ध्यानाकर्षण (क्रमश.....)
जल संसाधन मंत्री (श्री तुलसीराम सिलावट)- अध्यक्ष महोदय,
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह- अध्यक्ष महोदय, मैं, सबसे पहले माननीय प्रधानमंत्री जी और मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि केन-बेतवा लिंक परियोजना से पूरा बुंदेलखण्ड क्षेत्र और हमारे मध्यप्रदेश के 10 जिले लाभान्वित हो रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय- मंत्री जी को भी धन्यवाद दीजिये.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह- मंत्री जी को भी धन्यवाद है लेकिन उन्हें धन्यवाद बाद में दूंगा, जब वे मेरा काम पूरा कर देंगे. अध्यक्ष महोदय, मेरा आग्रह है कि मैं यहां पन्ना जिले की बात नहीं कर रहा हूं, पन्ना विधान सभा क्षेत्र की बात कर रहा हूं, वहां करीब 7 हजार हेक्टेयर जमीन जो कि नेशनल पार्क के अंतर्गत आती है, मैंने जो बात कही है, उसका मूल कारण यह है कि मंत्री जी ने अपने उत्तर में, मेरी विधान सभा के 15 गांव, इस योजना में सम्मिलित होने बताये हैं जबकि रिकॉर्ड में मात्र 6 गांव हैं. जिसमें से 6 ट्रायबल गांव विस्थापित भी हो रहे हैं, जिसमें हमारी करीब 2 हजार हेक्टेयर जमीन वन विभाग को दी जा रही है क्योंकि वन विभाग की नेशनल पार्क की जमीन डूब में जा रही है इसलिए हमारी करीब 10 हजार हेक्टेयर जमीन, हमारी पन्ना विधान सभा की जा रही है.
अध्यक्ष महोदय, मैं यह देख रहा हूं कि इतनी बड़ी योजना होने के बाद जिसमें करीब 8 लाख हेक्टेयर जमीन सिंचित होनी है, उसमें पानी का भराव भी वहीं है, हमारी 7 हजार हेक्टेयर जमीन भी वहीं की है फिर पन्ना विधान सभा के साथ ऐसा अन्याय क्यों किया जा रहा है कि आप पानी दिखाकर, हमें पानी दे नहीं रहे हैं, ऐसी क्या बात हो गई है ? मेरा आग्रह यह है कि दिया तले अंधेरा वाली बात न करें. हम उत्तरप्रदेश में पानी ले जा रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय- बृजेन्द्र जी, आप प्रश्न तो करें. इतना बोलने के बाद कुछ प्रश्न नहीं आयेगा तो मंत्री जी क्या उत्तर देंगे, हां-ना क्या करेंगे ?
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह - अध्यक्ष महोदय, मैं जा रहा हूँ, थोड़ा बता भी दूँ कि उन्होंने बोला है कि इससे कुछ उनका लाभ नहीं है. मेरा आग्रह सिर्फ इतना है कि जो हमारे 6 गांव इसमें आ रहे हैं, वह पन्ना के पास के हैं, नगर के पास के हैं. बगल में लगा हुआ पहाड़ीखेरा क्षेत्र है. आज पन्ना नगर के अन्दर तालाबों की नगरी है, वहां 14 तालाब हैं. यदि यह पानी हमारा पहाड़ीखेरा क्षेत्र चला जायेगा क्योंकि इसमें 42 तालाबों को भी रिचार्ज किया जा रहा है. मेरा यह कहना है कि पन्ना के तालाबों को भी उसमें और हमारे वहां यदि सर्वे सूची, क्योंकि आप कह रहे हैं कि हाइट ज्यादा है. मैं यह कह रहा हूँ कि मझगांय डेम से जल निगम का पानी ऊपर आ रहा है, जो आपका डीजीपीएस सर्वे है, वह 502 मीटर पर पानी हमारा नीचे से ऊपर जा रहा है.
अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी, क्योंकि आपके स्टॉफ ने जो भी जानकारी दी है वह टोपोशीट के आधार पर दी है. अभी सर्वे कार्य प्रक्रियाधीन है, जैसा कि मंत्री जी अपने वक्तव्य में बता रहे हैं, तो मेरा तो यह कहना है कि आप सर्वे में शामिल कर लें न. आप जब सर्वे में शामिल कर लेंगे तो दूध का दूध पानी का पानी हो जायेगा कि हाइट ज्यादा है कि नहीं, क्योंकि आप वैसे ही पन्ना जिले में लिफ्ट करके 367 मीटर सी लेवल से ऊपर पानी ले जाकर आप पवई और गुन्नौर विधान सभा में पानी ले जा रहे हो. मेरा आग्रह सिर्फ इतना है कि आप पहाड़ीखेरा क्षेत्र को, जो आपका सर्वे प्रक्रियाधीन है, उसमें आप शामिल कर लेंगे कि नहीं कर लेंगे, मेरा आग्रह है कि इसको शामिल कर लिया जाये. मैं इतना कहना चाहता हूँ. मैं उसके बाद आपको धन्यवाद भी दूँगा.
अध्यक्ष महोदय - एडवांस में धन्यवाद नहीं होता है, तो उसके कारण मंत्री जी प्लीज़्ड हो सकते हैं, वह कर ही देंगे.
श्री तुलसीराम सिलावट - माननीय अध्यक्ष महोदय, आप जानते हैं कि कई वर्षों से बुन्देलखण्ड क्षेत्र एक-एक बूंद पानी के लिए तरसता था. हमारे राष्ट्रीय गौरव देश के पूर्व प्रधानमंत्री जी का संकल्प नदियों से नदियों को जोड़ने का उत्रप्रदेश और मध्यप्रदेश में जब केन-बेतवा कई वर्षों के बाद इस सपने को पूरा करने का प्रयास हमारे राष्ट्रीय गौरव, देश के तेजस्वी ओजस्वी प्रधानमंत्री परमसम्माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में और मध्यप्रदेश में यह सपना मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी पूरा कर रहे हैं. बुन्देलखण्ड के लगभग 10 जिले, उसमें पन्ना भी आता है और सागर भी आता है और सिंचाई का रकबा 8.11 लाख हेक्टेयर है.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह - अध्यक्ष जी, यह बात तो मैंने भी कह दी है. मैं भी इस बात के लिए आपको धन्यवाद दे रहा हूँ. मैं तो मूल चीज पर आ रहा हूँ.
श्री तुलसीराम सिलावट - क्योंकि आपने धन्यवाद दिया है. मैं आपको बता दूँ.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह - अध्यक्ष महोदय, मैं उसके लिए प्रधानमंत्री जी, मुख्यमंत्री जी और मंत्री जी आप सभी को धन्यवाद दे रहा हूँ.
श्री तुलसीराम सिलावट - अध्यक्ष महोदय, मैं आपके संज्ञान में ला रहा हूँ, कि जो कठिनाई उत्पन्न हो रही है, आप जानते हैं कि पहाड़ीखेरा क्षेत्र में 31 गांव में, इसकी जो मुख्य रूप से कठिनाई है, केन जलाशय में पानी उपलब्ध न होना है. दूसरा आपने भी उल्लेख किया है कि वन से प्रभावित क्षेत्र है, तीसरी कठिनाई अधिक ऊँचाई लगभग-लगभग 160 मीटर पहाड़ीखेरा क्षेत्र में विभाग की लघु सिंचाई योजना भी चल रही हैं. कुल 60 ग्रामों में, 29 ग्रामों में 4,400 हेक्टेयर में सिंचाई निर्मित की जा रही है, पर उसके बाद भी हमारे सम्माननीय वरिष्ठ सदस्य है, सर्वेक्षण चल रहा है, इसको मैं पूरी कोशिश करूँगा कि मुख्यमंत्री जी का भी संकल्प है कि इसका सर्वेक्षण कराने की पूरी कोशिश की जायेगी.
अध्यक्ष महोदय - आप सीधे एक प्रश्न और कर लीजिये. काफी समय हो गया है.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, आप इसको शामिल करने की कोशिश नहीं करें. आप शामिल कर लें तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा. आप तो शामिल कर लें न. माननीय अध्यक्ष जी, मेरा आग्रह यह है कि यह नेशनल पार्क में 7,000 हेक्टेयर जमीन जंगल की बात कर रहे हैं. आप हाइट 367 मीटर पर ले जा रहे हैं, आप 116 मीटर की बात कर रहे हैं. आप ही जो कह रहे हैं, मैं उसी का जवाब दे रहा हूँ. मेरा यह कहना है कि 367 मीटर पर हाइट ले जा रहे हो और 116 मीटर पर बात आ रही है. मेरा आग्रह यह है कि जब आपका सर्वे प्रक्रियाधीन है, तो उसमें उस पहाड़ीखेरा क्षेत्र को शामिल कर लें, मुश्किल से 3-4 किलोमीटर दूर से नहर जा रही है.
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाइये. पहाड़ी एरिेये के बारे में जिक्र कर रहे हैं, तो सर्वे में शामिल करेंगे क्या. ऐसा कह रहे हैं.
श्री तुलसीराम सिलावट - अध्यक्ष महोदय, सम्माननीय की भावनाओं को अपनी भावनाओं में सम्मिलित करते हुए सरकार की मंशा है कि इसको संरक्षण के बाद सम्मिलित किया जायेगा और बताएं.
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देने की प्रबल इच्छा हो रही है. सागर जिला इसमें शामिल किया जा रहा है..
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- अध्यक्ष जी, ऐसा है कि गोपाल जी, जब आपकी प्रबल इच्छा हो जाए किसी विषय पर तो कोई रोक नहीं सकता आपको.
श्री गोपाल भार्गव -- धन्यवाद माननीय मंत्री जी, मतलब इसको पूर्वानुमान समझ लूं. अध्यक्ष महोदय, मेरे विधान सभा क्षेत्र से भी दो नदियां निकलती हैं जो केन नदी की सहायक नदियां हैं. एक कोपरा नदी है और एक सोनार नदी है. माननीय अध्यक्ष जी, पिछले दिनों माननीय मुख्यमंत्री जी मेरे विधान सभा क्षेत्र में एक कार्यक्रम में आए थे, मैंने उनसे भी निवेदन किया था. आज चूँकि यहां पर अधिकारी भी उपस्थित हैं, माननीय मंत्री जी भी हैं. मैं आपसे आग्रह और निवेदन करना चाहता हूँ कि हमारी कोपरा नदी जो है, यह दमोह जिले से होती हुई अंत में जाकर केन नदी में मिलती है. इससे रेहली, पथरिया, हटा, इन सारे विधान सभा क्षेत्रों के लिए लाभ होगा. क्या कोपरा नदी को, अभी चूँकि इनका सर्वे कार्य पूरा नहीं हुआ है, एलाइन्मेंट भी तय नहीं हुआ है तो क्या कोपरा नदी को इस योजना के अंतर्गत सर्वे में जोड़कर और उसको भी शामिल करेंगे ? दूसरा विषय और है कि सोनार नदी जो है, वह उससे अपेक्षाकृत बड़ी नदी है, मुख्यमंत्री जी से मैंने निवेदन किया था कि सोनार नदी को नर्मदा जी से जोड़कर, बहुत कम खर्च है, जोड़कर और आगे तक पानी, लगभग 25 हजार हेक्टेयर जमीन इससे सिंचित होगी. इसको भी जोड़ेंगे तो माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि मेरी प्रबल इच्छा को वे सार्थक करने की कृपा करें. धन्यवाद.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने एक बात कही कि सर्वेक्षण के बाद शामिल करेंगे. मुझे यह थोड़ा क्लियर कर दें कि सर्वेक्षण जो प्रक्रियाधीन है, आप उसमें शामिल कर रहे हैं, या सर्वेक्षण के बाद शामिल कर रहे हैं ?
श्री तुलसीराम सिलावट -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने बहुत स्पष्ट रूप से कहा है कि आपकी भावनाओं के अनुरूप काम किया जाएगा.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह -- माननीय मंत्री जी, शामिल करेंगे कि नहीं करेंगे, जो सर्वे प्रक्रियाधीन है उसमें ?
श्री तुलसीराम सिलावट -- बोल चुका हूँ.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह -- माननीय मंत्री जी, आप जवाब दे दें, मेरा ध्यानाकर्षण है.
श्री तुलसीराम सिलावट -- शामिल करेंगे.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह -- करेंगे ना, धन्यवाद.
श्री गोपाल भार्गव -- मंत्री जी, मेरी भावनाओं का, मैं बहुत कम प्रश्न पूछता हूँ, शायद इस सत्र में पहली बार प्रश्न पूछ रहा हूँ. वैसे भी सरकार के सामने..
अध्यक्ष महोदय -- गोपाल जी, प्रश्न तो करिए.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष जी, मैं रिपीट कर रहा हूँ. मैंने मंत्री जी यही निवेदन किया है कि ..
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी, गोपाल जी ने जो प्रश्न किया था, वह आपने सुन लिया था या वे दोबारा दोहराएं.
श्री तुलसीराम सिलावट -- दोहरा दें.
अध्यक्ष महोदय -- भार्गव जी, दोहरा दीजिए.
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, केन-बेतवा योजना जो है, जैसा कि आपने कहा कि बुंदेलखण्ड का भाग्य बदलने वाली योजना है. आपने स्वयं स्वीकार किया है. कम बारिश का क्षेत्र है, पूरा का पूरा रेनफेड एरिया है तो तुलनात्मक रूप से अध्यक्ष महोदय, पहले कहते थे कि देश भर के अंदर जो ये इलाके हैं, उसमें बुंदेलखण्ड है, उड़ीसा का कालाहाण्डी है, ये सारे के सारे एक प्रकार से गरीब क्षेत्र माने जाते थे, अपनी सरकार आने के बाद में काफी वहां पर नेटवर्क, इन्फ्रास्ट्रक्चर, इन सारी चीजों में वृद्धि हुई है. ये योजना बहुत महत्वाकांक्षी योजना है. यदि आजू-बाजू का एरिया भी, जैसा मैंने कहा कि दो सहायक नदियां मेरे विधान सभा क्षेत्र से गुजरती हैं, एक कोपरा और दूसरी सोनार नदी है. तो नदियों को भी इस योजना में, चूँकि अभी सर्वे चल रहा है, एलाइन्मेंट तय हो रहा है, इन नदियों को जोड़ने का काम करेंगे, इस बात के लिए मैं आपको धन्यवाद देना चाहता हूँ.
श्री तुलसीराम सिलावट -- अध्यक्ष महोदय, गोपाल जी हमारे इस सदन के बहुत वरिष्ठ सदस्य हैं. जब उन्होंने कोई बात की है तो उसको सम्मिलित किया जाएगा.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष जी, बहुत धन्यवाद. शीघ्र मूर्त रूप में मुझे देखने मिलेगा, उसके लिए भी धन्यवाद.
श्री सोहनलाल बाल्मीक -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र में..
अध्यक्ष महोदय -- दरअसल उस विषय पर ध्यानाकर्षण पर चर्चा हो रही थी.
श्री सोहनलाल बाल्मीक -- नहीं, उस विषय पर नहीं है, पर उसी से संबंधित है.
अध्यक्ष महोदय -- लंबा करेंगे तो दिक्कत जाएगी.
श्री अभय मिश्रा -- अध्यक्ष महोदय, हमें आपका संरक्षण नहीं मिल रहा है.
अध्यक्ष महोदय -- संरक्षण दिया है भाई, एक घण्टा आपको पूरा दिया है. विभाग की मांगों पर आप बोल देना, चर्चा में सिंचाई विभाग है.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह -- माननीय अध्यक्ष जी, आपको धन्यवाद तो दे सकते हैं ना. आपको बहुत-बहुत धन्यवाद कि आप जो आज सांस्कृतिक कार्यक्रम और भोज हमको सबको दे रहे हैं, उसके लिए अभी से धन्यवाद दिए देते हैं. लेकिन एक इसमें राइडर है कि हमारे कैलाश जी, शायद वे चले गए, बहुत अच्छा गीत गाते हैं, तो आज जो गाने हों, उसमें इनका एक गाना जरूर हो, मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती, ये वाला गाना जरूर हो, यह हमारी फरमाइश है.
अध्यक्ष महोदय -- बिल्कुल आप रहेंगे, हम उनसे आग्रह करेंगे.
1.10 बजे प्रतिवेदनों की प्रस्तुति
(1) लोक लेखा समिति का बीस से पैंतालीसवां प्रतिवेदन
श्री भंवर सिंह शेखावत,सभापति - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं लोक लेखा समिति का बीस से पैंतालीसवां प्रतिवेदन प्रस्तुत करता हूं एक आग्रह के साथ मुझे यह बताते हुए प्रसन्नता हो रही है कि आपके मार्गदर्शन में समिति के सभी माननीय सदस्यों और प्राक्कलन समिति के आदरणीय अध्यक्ष श्री अजय विश्नोई जी के सहयोग से इस समिति ने लगातार बैठकें कर लोक लेखा समिति के समक्ष लंबित आडिट रिपोर्ट्स पर हम कुल 26 प्रतिवेदन इस सत्र में प्रस्तुत कर रहे हैं. मैं प्रमुख सचिव महोदय,विधान सभा,शाखा के अधिकारियों,कर्मचारियों को भी बधाई और धन्यवाद देना चाहता हूं कि जिनके सक्रिय सहयोग से हम यह लंबित कार्य समय-सीमा में निपटा सके. बहुत-बहुत धन्यवाद.
(2) कृषि विकास समिति का चतुर्थ कार्यान्वयन प्रतिवेदन
श्री दिलीप सिंह परिहार,सभापति - अध्यक्ष महोदय, मैं कृषि विकास समिति का चतुर्थ कार्यान्वयन प्रतिवेदन प्रस्तुत करता हूं. मैं आपको धन्यवाद देता हं और हमारी सभी सदस्यों को और कृषि हमारी रीढ़ है. धन्यवाद.
(3) शासकीय आश्वासनों संबंधी समिति का नवम् प्रतिवेदन
श्री हरिशंकर खटीक,सभापति - अध्यक्ष महोदय, मैं शासकीयआश्वासनों संबंधी समिति का नवम् प्रतिवेदन प्रस्तुत करता हूं. आपके दिशा निर्देशों में शासकीय आश्वासनों संबंधी समिति के हमारे सभी अधिकारी,कर्मचारी और जो हमारी टीम है उन सभी ने बहुत अच्छा काम किया है और पूरा प्रयास है कि जल्दी से जल्दी जो हमारे आश्वासन लंबित हैं वह पूरे के पूरे आश्वासनों का हल हो जाए.आपको बहुत-बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय - मुझे बहुत प्रसन्नता है कि विधान सभा में समितियां निरंतर काम कर रही हैं और प्रतिवेदन लगातार आ रहे हैं. आश्वासन समिति ने बहुत अच्छी मेहनत की है. मैं उनकी पूरी टीम को हृदय से धन्यवाद देना चाहता हूं. उन्होंने प्रतिवेदन प्रस्तुत भी किया है और लगातार बैठकें करके अपनी जिम्मेवारी को पूरा भी कर रहे हैं क्योंकि बड़ी संख्या आश्वासनों की लंबित थी और मैं समझता हूं कि इस समिति ने बहुत अच्छा काम किया है.
याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय - आज की कार्यवाही में जितनी भी याचिकाएं प्रस्तुत की गई हैं सभी पढ़ी हुई मानी जावेंगी.
प्रदेश के विश्वविद्यालयों की सभा(कोर्ट) के लिए विधान सभा सदस्यों के निर्वाचन की घोषणा
1.18 बजे वर्ष 2025-2026 की अनुदानों की मांगों पर मतदान
(1) मांग संख्या - 19 लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा.
उपस्थित सदस्यों के कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुये.
अब मांग और कटौती प्रस्तावों पर एक साथ चर्चा होगी.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय (जावरा) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं वर्ष 2025-26 की अनुदान मांगों पर मांग संख्या 19 लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के बजट प्रस्ताव के समर्थन में पक्ष में अपनी बात रख रहा हूं. माननीय अध्यक्ष महोदय, निश्चित रूप से धन्यवाद देना चाहिए, निश्चित रूप से प्रशंसा की जानी चाहिए. डबल इंजन की सरकार माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी और माननीय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी के कुशल नेतृत्व में पूरे देश भर के साथ में मध्यप्रदेश भर में भी उल्लेखनीय कार्य कर रही है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं धन्यवाद देना चाहता हूं माननीय मुख्यमंत्री जी के साथ साथ वित्तमंत्री जी जो कि कुशल अनुभवी हैं, उनके द्वारा प्रस्तुत बजट में सम्मिलित माननीय मंत्री एवं वित्तमंत्री सम्माननीय राजेन्द्र शुक्ला जी द्वारा लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा बजट में अपने विगत वर्षों के सारे अनुभवों को सम्मिलित किया है.
अध्यक्ष महोदय -- इसमें सिर्फ एक घण्टा है, इस एक घण्टे में पक्ष एवं विपक्ष दोनों को पूरा करना है, इसलिए सभी माननीय सदस्य संक्षिप्त में अपनी बात रखें.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री एवं वित्तमंत्री सम्माननीय राजेन्द्र शुक्ला जी के द्वारा लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा बजट में अपने विगत वर्षों के सारे अनुभवों को सम्मिलित करते हुए, कैसे हमारे मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं और अधिक सुदृढ़ हो सकें, कैसे स्वास्थ्य सेवाओं को अच्छे ढंग से क्रियान्वित किया जा सके और किस तरह से स्वास्थ्य सेवाओं को और सक्षम करते हुए जन जन को स्वस्थ रखा जा सके.
1.21बजे {सभापति महोदय (डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए}
माननीय सभापति महोदय, हम सभी जानते हैं कि पहला सुख निरोगी काया है और इसी मूल मंत्र को लेते हुए माननीय स्वास्थ्य मंत्री, माननीय वित्तमंत्री राजेन्द्र शुक्ला जी ने इस बजट में वह सब समाहित किया है, जिससे जन जन स्वस्थ रह सके और जब स्वास्थ्य की बात होती है, तो स्वस्थ मन में ही स्वस्थ विचार आते हैं और जब स्वस्थ विचार आते हैं, तो निश्चित रूप से एक स्वच्छ और स्वस्थ समाज का निर्माण होता है और इसी से सुदृढ समाज होकर के क्षेत्र,प्रदेश और देश हमारा सशक्त और सक्षम होता है, उस मूल मंत्र की प्रेरणा को लेकर के माननीय राजेन्द्र शुक्ला जी ने जो बजट प्रस्तुत किया है, मैं उसका समर्थन करता हूं.
माननीय सभापति महोदय, इसमें बजट की राशि 22 हजार 233.77 करोड़ रूपये रखी गई है, जो कि माननीय सभापति महोदय, विगत वर्षों से 8.78 प्रतिशत अधिक रखी गई है, कोई कटौत्री नहीं की गई है, वरन 8.78 प्रतिशत की इसमें बढ़ोत्तरी की गई है और इससे निश्चित रूप से पूरे प्रदेश भर की जो स्वास्थ्य सेवाएं हैं, स्वास्थ्य योजनाएं हैं, उन योजनाओं के क्रियान्वयन के साथ-साथ में अनेक उन्नयन के कार्य भी किये जा सकेंगे, अनेक नवीन निर्माण किये जा सकेंगे और जब उन सारी क्रियान्वित योजनाओं के बारे में हम विचार करें, तो चाहे ग्रामीण क्षेत्र हो, चाहे नगरीय क्षेत्र हो, दूरस्थ स्थानों पर भी किस तरह से स्वास्थ्य सेवाएं पहुंच सकें, कैसे हम उन्हें स्वास्थ्य सेवाएं दे सकें, इसका भी ध्यान रखने के साथ-साथ में उन दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों को सम्मिलित करते हुए, नगर से महानगरों तक को भी इसमें सम्मिलित किया गया है.
माननीय सभापति महोदय, इस बजट प्रस्ताव में मेडीकल कॉलेजों में उन्नयन के लिये 200 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है, जबकि माननीय सभापति महोदय, गतवर्ष 25.25 करोड़ रूपये की राशि ही इसमें सम्मिलित थी, उसे सीधे बढ़ाकर के 200 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है और इसी के साथ-साथ सतना, रीवा, इंदौर मेडीकल कॉलेजों के उन्नयन के लिये और उस उन्नयन के साथ साथ में, उनमें अगर कोई ओर अन्य निर्माण कार्य हो, उन निर्माण कार्यों को भी किये जाने के लिये 1 हजार 5 सौ करोड़ रूपये दिये गये हैं.
सभापति महोदय -- राजेन्द्र जी अब समाप्त करें, आपने माननीय अध्यक्ष जी का जो सुझाव था, वह सुना ही है कि एक घण्टे में समाप्त करना है.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय -- माननीय सभापति महोदय, अभी तो मैंने शुरू किया है, थोड़ी कृपा रखें. नवीन मेडीकल कॉलेजों के निर्माण के लिये गतवर्ष 4 सौ करोड़ रूपये का प्रावधान था, इस वर्ष 1 हजार करोड़ रूपये की राशि दी गई है, यह अत्यंत सराहनीय है, क्योंकि 1 हजार करोड़ रूपये की राशि काफी होती है और इसी के साथ-साथ माननीय सभापति महोदय, केंद्रीय सहायता भी प्राप्त हो रही है, केंद्रीय सहायता से निर्माणाधीन मेडीकल कॉलेज में 4 सौ करोड़ रूपये का अतिरिक्त प्रावधान किया गया है और 125 नवीन स्वास्थ्य सेवाओं के उन्नयन एवं स्थापना हेतु 1 हजार 155 करोड़ रुपए पूंजीगत मद से भी व्यय किए जाएंगे, उस पूंजीगत योजना के माध्यम से इसे प्रारंभ किया जाएगा. सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, उप स्वास्थ्य केन्द्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के भवनों के निर्माण के लिए 500 करोड़ रुपए की राशि का प्रावधान कया गया है जो कि गत वर्ष मात्र 325 करोड़ रुपए की राशि थी. इसी के साथ साथ आयुष्मान भारत निरामयम योजना के लिए इस वर्ष बजट में 1276 करोड़ रुपए का प्रवाधान किया गया है. वर्तमान बजट में 30 प्रतिशत की वृद्धि इसमें की गई है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत विभिन्न योजनाओं के संचालन के लिए बजट में 4500 करोड़ रुपए का प्रवाधान किया गया है. श्रमिकों का भी इसमें ध्यान रखा गया है. मुख्यमंत्री श्रमिक सेवा सहायता योजना के लिए 720 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया और बजट में 44 प्रतिशत की वृद्धि की गई है आयुष्मान हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर मिशन के लिए 476 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है, इस बजट में लगभग 37 प्रतिशत की वृद्धि की गई है. सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, उप स्वास्थ्य केन्द्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के भवन निर्माण के लिए जो ग्रामीण क्षेत्र के लिए आवश्यक होते हैं और वहां भी स्वास्थ्य सेवाओं का क्रियान्वयन बेहतर ढंग से किया जा सके, इसके लिए 500 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है. इस बजट में 53.56 प्रतिशात की वृद्धि की गई है.
सभापति महोदय – राजेन्द्र जी, आपके क्षेत्र की कुछ मांगें हो, वह रख दीजिए यही आंकड़े तो मंत्री जी भी प्रस्तुत करेंगे जो आप पढ़ रहे हैं.
डॉ राजेन्द्र पाण्डेय– संक्षेप कर देता हूं. पीएम श्री एअर एंबुलेंस योजना हमारे प्रदेश में प्रारंभ की गई है. गत वर्ष 29 मई 2024 से यह योजना प्रारंभ हुई थी, उसके बजट में भी 60 प्रतिशत की वृद्धि की गई है, आकस्मिक दुर्घटनाओं में इस योजना का निश्चित रूप से लाभ मिल रहा है. हमारे मध्यप्रदेश में निश्चित रूप से स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर से बेहतर होती जा रही हैं. हमारे 52 जिलों में 52 जिला चिकित्सालय, 161 सिविल अस्पताल, 348 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, 1442 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, 10157 उप स्वास्थ्य केन्द्र और इन सब में समाहित लगभग 47167 बेड की व्यवस्था है. प्रदेश में 17 शासकीय मेडीकल कालेज है, जिसमें से 13 स्वशासी एवं 4 शासकीय मेडीकल कालेज, प्रदेश में 13 निजी मेडीकल कालेज है और आप हम सभी जब डाक्टरों की कमी महसूस किया करते थे कि डॉक्टर नहीं है, इसके लिए भी शासकीय मेडीकल कालेजों में 2575 व निजी मेडीकल कालेजों में 2500 एमबीबीएस की सीट उपलबध हैं, जबकि शासकीय और निजी मेडीकल कालेज में 2374 पीजी की सीट्स है, अगर यह दोनों मिला ली जाए तो 5 हजार से अधिक इनकी सीट होती है.
सभापति महोदय – समाप्त करें.
डॉ राजेन्द्र पाण्डेय– शासकीय और बीडीएस एमडीएस की सीटें भी इसके साथ सम्तिलित करें तो लगभग 9 हजार सीटें डाक्टरों की हो जाती हैं यह अत्यंत उल्लेखनीय है कि पूरे प्रदेश में 9 हजार डाक्टर की सीटें उपलब्ध करवाने का कार्य शासन द्वारा किया जा रहा है. इसी के साथ साथ नर्सिंग की भी आवश्यकता होती है मध्यप्रदेश में भारत शासन के सहयोग से 13 नवीन नर्सिंग महाविद्यालययों की स्वीकृति दी गई है, जिसमें रतलाम, मंदसौर, छिन्दवाड़ा, शिवपुरी, राजगढ़ व खंडवा में निर्माण कार्य भी प्रारंभ कर दिया गय है. यह निश्चित रूप से नर्सिंग सेवाओं को ठीक करने में काफी सहायक होगा.
सभापति महोदय – अब हमें दूसरे सदस्यों को भी बुलाना पड़ेगा. देखिए अध्यक्ष जी पूरे सदन को सूचित किए हैं कि एक घंटे का समय है. दस मिनट आप अकेले ले चुके हैं, आप समाप्त करें ये सारी बातें आपके मंत्री जी भी कहेंगे जो आप बोल रहे हो.
डॉ राजेन्द्र पाण्डेय– मैं रिक्त पदों के बारे में थोड़ी जानकारी रखना चाह रहा हूं. लगभग 3900 पदों की भर्ती प्रक्रिया जारी की गई है, डाक्टरों के अलावा अन्य चिकित्सा स्टाफ 4300 पदों की भी भर्ती प्रक्रियाधीन है. इस प्रकार 8200 रिक्त पदों की पूर्ति डाक्टरों के साथ साथ उन सारे चिकित्सा स्टाफ की भी की जाने वाली है. सभापति महोदय मैं अब सीधे सीधे अपने क्षेत्र के बारे में भी उल्लेख करना चाहूंगा. माननीय मुख्यमंत्री, माननीय वित्त मंत्री और माननीय मंत्री जी के आशीर्वाद से वहां पर स्वास्थ्य सेवाएं काफी सुदृढ़ हुई है, लेकिन जावरा विधान सभा क्षेत्र एवं जावरा नगर जहां पर सिविल हॉस्पीटल एवं बाल एवं महिला चिकित्सालय की स्थापना भी हुई है. वहां पर निश्चित रूप से अनेक कार्य किये जा रहे हैं, लेकिन 8 लेन तथा 4 लेन लगा होने के कारण वहां पर दुर्घटनाएं काफी होती हैं. रतलाम जिले के मुख्य केन्द्र बिन्दु होने के कारण वहां पर ट्रामा सेन्टर तथा ब्लड बैंक की आवश्यकता महसूस होती है. निश्चित रूप से बजट में इसको सम्मिलित कर लिया जायेगा उससे काफी हमें सुविधा मिलेगा. इसी के साथ साथ कुपोषित बच्चों के लिये एक नवीन एन.आर.सी.भवन निर्माण की आवश्यकता है. यदि नवीन भवन की स्वीकृति मिल जाये तो निश्चित रूप से हमारे लिये सहायक होगा. सिविल अस्पताल जावरा में सर्जीकल एवं बाल रोग, ईएनटी विशेषज्ञ की पदपूर्ति कर दी जाती है. तो हमारा अस्पताल पूरी तरह से सक्षम हो जायेगा. पुराने महिला चिकित्सालय जावरा रिक्त भूमि पर स्टॉफ क्वाटर चिकिस्तालय के लोगों को दी जायेगी तो काफी स्टॉफ के लिये सहायक होगा. डोडरवाल तथा बड़ा माताजी में सामुदायिक केन्द्र की स्वीकृति मिल जाती है तो काफी अच्छा रहेगा. ग्राम कमलाखेड़ा, धतूरिया, आक्यादेव, बड़ीनाल, बामनघाटी में नवीन उप स्वास्थ्य केन्द्र प्रारंभ कर दिये जायेंगे को निश्चित रूप से स्वास्थ्य सेवाएं और बेहतर हो सकेंगी. जन जन के लिये स्वास्थ्य के लिये उपयोगी बजट प्रस्तुत किया है इसलिये उनको धन्यवाद देता हूं. आपने बोलने का समय दिया धन्यवाद.
श्रीमती अनुभा मुंजारे (बालाघाट)—सभापति महोदय मध्यप्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 2025-26 में 22.23 लाख करोड़ रूपये का प्रावधान चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में रखा गया है. पूर्व वर्ष में 14.67 लाख करोड़ का प्रावधान था. सरकार अपनी स्वास्थ्य सुविधाओं पर बहुत बड़ी बड़ी बातें करती है. मैंने पहले भी सदन में कहा है कि यह लोकतंत्र का मंदिर है. यहां हम सब जनता का सम्मान प्राप्त करके चुनकर के आये हैं. वास्तविक धरातल में परिस्थिति कुछ और है, क्योंकि हम लोग जनता के बीच में काम करते हैं. मध्यप्रदेश में यह हालत है कि सैकड़ो ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी स्वास्थ्य की मूलभूत सुविधाएं नहीं पहुंची हैं. लाखों महिलाएं प्रसव के समय जान गवां देती हैं, क्योंकि मध्यप्रदेश के किसी भी कोने में उत्तम स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं हैं. खास करके ग्रामीण क्षेत्रों में. मैं स्वास्थ्य के बजट के विरोध में बोलना चाहती हूं. मैं अपने क्षेत्र की बात करूं. मेरे विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत 50 बिस्तर का अस्पताल लालबर्रा में है. लालबर्रा सामुदायिक केन्द्र में महिला चिकित्सक एवं सोनोग्राफी मशीन नहीं होने से 77 ग्राम पंचायत के लोगों में आमजन को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है. मेरा मंत्री जी से खासकर महिलाओं की तरफ से विनम्र आग्रह है कि तत्काल क्षेत्र की जनता की मांग अनुसार महिला चिकित्सक एवं सोनोग्राफी मशीन उपलब्ध करवाएं. जब से मैं चुनकर के आयी हूं लगातार मेरे द्वारा इसकी मांग की जाती रही है. मेरे द्वारा सदन में चौथी बार इस मुद्दे को उठाया है. दिनांक 28 जून 2023 को मध्यप्रदेश के केबिनेट में 100 सीट का बालाघाट जिले में मेडिकल कालेज खोलने की स्वीकृति पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह जी के द्वारा दी गई है, जिसका भूमिपूजन भी किया जा चुका है. पर निर्माण कार्य की स्थिति स्पष्ट नहीं है. बजट में इसमें किसी भी प्रकार की राशि का प्रावधान नहीं किया गया है. मैं जानना चाहती हूं कि क्या जनता के स्वास्थ्य के साथ मजाक है. सरकार कागजों में अपनी पीठ थपथपाने की कोशिश कर रही है. दिनांक 3 दिसम्बर, 2024 को बालाघाट में स्वदेशी एवं रोजगार मेले में माननीय मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव द्वारा बालाघाट जिले में आयुर्वेदिक मेडिकल निर्माण की घोषणा की गई है, जिसकी प्रक्रिया कहां तक हुई है सरकार इसका जवाब दे. मैं चाहूंगी कि माननीय मंत्री जी सदन में अवगत करायें कि वास्तव में माननीय मुख्यमंत्री जी ने जो घोषणा की है. कार्य रूप में किस रूप में और कब तक परिणित होगी. जिला चिकित्सालय बालाघाट जो मेरे विधानसभा क्षेत्र में आता है. मेरा विधानसभा क्षेत्र भी 2 इलाकों से जुड़ा हुआ है. 87 ग्राम पंचायतें आती हैं और बालाघाट नगरीय निकाय क्षेत्र में आता है तो जिला चिकित्सालय बालाघाट 400 बिस्तर का अस्पताल है. साथ ही स्टॉफ, डॉक्टर, वॉर्डबॉय कर्मचारियों की संख्या वहां पर बहुत कम है. जिससे जिलेवासियों को भारी स्वास्थ्य की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. मैं कहना चाहती हॅूं कि वहां स्टॉफ, डॉक्टर, वॉर्डबॉय एवं कर्मचारियों की संख्या बढ़ायी जाये. क्योंकि जिला चिकित्सालय बालाघाट तीन भागों में बंटा हुआ है. ट्रामा सेंटर, मेडिकल कैजूअल्टी वॉर्ड, डीआईसी बच्चा वॉर्ड है. जिला चिकित्सालय बालाघाट में वॉर्डबॉय से काम नहीं लिया जाकर अन्य स्थानों पर संलग्न किया जाता है. उसको तत्काल मूल पद पर नियुक्त कराया जाये और आखिर में मैं यह कहना चाहती हॅूं कि हमारे माननीय उपमुख्यमंत्री जी और माननीय स्वास्थ्य मंत्री जी यहां पर बैठे हुए हैं जनता की तरफ से मेरा आपसे आग्रह है कि जल्दी से जल्दी हमारे यहां मेडिकल कॉलेज की स्थापना होने वाली है, उसको कार्यरूप में परिणीत करवाएं और मेरे इस आग्रह को स्वीकार करें.
सभापति महोदय, मैं यह कहना चाहती हॅूं कि कोई बीमारी जब ज्यादा बढ़ जाती है तो हम लोगों को उत्तम स्वास्थ्य के लिए सीधे नागपुर रिफर कर दिया जाता है. नागपुर महाराष्ट्र राज्य में है. दूसरी बात यह है कि हमें 200 किलोमीटर बालाघाट से नागपुर की दूरी पड़ती है और बहुत सारे गरीब लोग पैसे के अभाव में, साधन के अभाव में अपनी जान गवां देते हैं तो सबसे जरूरी है कि हमारे बालाघाट जिले में मेडिकल कॉलेज खुले. आपने 30 मेडिकल कॉलेज की बात की है, हम उसका स्वागत करते हैं. मेरा कहना है कि इसकी संख्या बढ़ायी जाये और खासकर ग्रामीणजनों की, गरीब जनता के स्वास्थ्य की फ्रिक करें. क्योंकि वही हमारी ताकत हैं, वही हमारे मध्यप्रदेश की समृद्धि हैं, खुशहाली है.
आदरणीय सभापति महोदय, आपने मुझे सदन में बोलने का मौका दिया, इसके लिए मैं आपका हृदय से आभार व्यक्त करती है. हार्दिक धन्यवाद, जय हो लोकतंत्र की.
सभापति महोदय -- धन्यवाद अनुभा जी. श्री शैलेन्द्र जैन.
श्री शैलेन्द्र कुमार जैन (सागर) -- माननीय सभापति महोदय, मैं वर्ष 2025-26 के इस बजट की मांग संख्या-19, लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा का समर्थन करता हॅूं बल्कि मेरी मांग है कि किसी भी समाज के लिए, देश के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य दो मूलभूत आवश्यकताएं हैं, तो कुछ जगहों पर जरूर मुझे ध्यान में आया है कि कुछ और अधिक बजट की आवश्यकता होनी चाहिए, तो मैं तो यह मानता हॅूं कि स्वास्थ्य जीवनरक्षक है. इसके माध्यम से हम अनेक लोगों के जीवन की रक्षा कर सकते हैं, तो इसमें किसी भी तरह की कोई कटौती न करें. हालांकि मैं बधाई देना चाहता हॅूं, मैं रिपीट नहीं करूंगा. बहुत सारे मदों में माननीय वित्त मंत्री महोदय ने बहुत सहिष्णुता के साथ में बहुत वृद्धि की है. 30 परसेंट, 40 परसेंट, कहीं-कहीं तो 100 परसेंट तक की वृद्धि की है. मैं उनको बधाई देना चाहता हॅू. यह निर्णय बहुत अच्छा है और इसको बहुत तेजी से लागू करना चाहिए.
सभापति महोदय, नवीन निजी निवेश को प्रोत्साहन देने के लिए और लगभग 35 से 40 प्रतिशत सब्सिडी देने का जो निर्णय है, वह स्वागतयोग्य है. खासतौर से जिन क्षेत्रों में हमारी शासकीय व्यवस्था और शासकीय सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं वहां पर इस तरह के निजी क्षेत्र के माध्यम से हम सुविधाएं उपलब्ध करा सकते हैं.
माननीय सभापति महोदय, मैं ध्यान आकर्षित करना चाहता हॅूं कि हमारे क्षेत्र का जो बुन्देलखण्ड मेडिकल कॉलेज है है, यूं तो लगभग 30-35 वर्षों के अंतराल के बाद शासकीय स्तर पर वह मेडिकल कॉलेज बना, बडे़ संघर्ष के बाद बना और लोगों की अपेक्षा यह थी कि अब मेडिकल कॉलेज अस्तित्व में आ गया है तो हमें सुपर स्पेशलिटी की सुविधाएं मिलेंगी, जिससे बुन्देलखण्ड के लोगों को नागपुर, भोपाल, जबलपुर जाना होता था, उससे निजात मिलेगी.
सभापति महोदय, मुझे यह बताते हुए थोड़ा दुख हो रहा है कि इस दिशा में जितने भी संभागीय मुख्यालय हैं जो शासकीय चिकित्सालय महाविद्यालय हैं वहां पर अमूमन सारे स्थानों पर सुपर स्पेशलिटी सुविधाएं शुरू हो चुकी हैं. चाहे वह कैंसर से संबंधित हों, चाहे कॉर्डियोलॉजी से संबंधित विषय हों. किडनी से संबंधित, न्यूरोलॉजी से संबंधित ट्रामा सेंटर, अभी तो हमारे मेडिकल कॉलेज में ट्रामा सेंटर भी नहीं है. मझे स्मरण आता है इसी सदन में कि हमारे तत्कालीन शिक्षा मंत्री जी ने मेरे ध्यानाकर्षण में सागर में कैथ लैब की शुरूआत की जायेगी. मैं आपके माध्यम से मंत्री महोदय का और माननीय वित्त मंत्री का दोनों का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं कि इस दिशा में हमें सोचना चाहिये, क्योंकि वह एक मात्र संभागीय मुख्यालय का ऐसा मेडिकल कॉलेज है, जहां पर कोई भी सुपरस्पेशिलिटी की सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं. अब आप जानते हैं कि इस समय जो एक्सीडेंटल कैसेज़ होते हैं उसमें न्यूरो का बहुत बड़ा महत्व होता है और न्यूरोलॉजी का कोई विभाग न होने की वजह से शुरूआत के जो दो-तीन घण्टे होते हैं वह हेड इंजुरी के लिये गोल्डन आवर होते हैं. अगर उन्हें समय पर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं हो पाती है तो बड़ी केजुअल्टी हो रही है. अब समूचे बुंदेलखण्ड में यह समस्या है और मैं माननीय मंत्री महोदय से और वित्त मंत्री महोदय से आग्रह करूंगा. माननीय सभापति महोदय, मुझे अभी बताते हुए मुझे और भी थोड़ा खेद है कि हमारे मेडिकल कॉलेज में ब्लड बैंक जैसी बेसिक सुविधा, वह भी अभी तक शुरू नहीं हो पायी है और चूंकि उप मुख्यमंत्री महोदय, जिनके पास यह बहुत महत्वपूर्ण विभाग है वह हमारे सागर जिले के पालक मंत्री भी हैं. इस नाते हमारी अपेक्षा और जिम्मेदारी दोनों बढ़ी हुई है. मैं इस अवसर..
श्री भंवर सिंह शेखावत- शैलेन्द्र भाई, वहां पर बिल्डिंग के सिवा कुछ है ही नहीं. आपने जो बताया कि वहां सिर्फ बिल्डिंग बनी है, वहां पर बाकी ना कोई डॉक्टर है ना सामान है.
श्री शैलेन्द्र जैन- आपका डॉक्टरी से कोई लेना देना नहीं है. यहां मैं एक विषय, जो भंवर सिंह जी के ऊपर का विषय है. हमारे यहां जो मेडिकल कॉलेज है वहां पर अमूमन 20 डिलेवरी रोजाना की हो रही हैं और ऐसे समय में हमारे यहां एस.एन.सी.यू जिसकी कैपेसिटी सिर्फ 10 बिस्तर की है और पी.आई.सी.यू वह भी लगभग 8 से 10 बिस्तर का है. जबकि डिलेवरी में अगर 20 डिलेवरी हो रही हैं तो 50 प्रतिशत से ज्यादा डिलेवरी सीजेरियन होती हैं. ऐसे समय में हमें पी.आई.सी.यू. और एस.एन.सी.यू. में सीट बढ़ाने की आवश्यकता है. इसको भी जब हमारे मंत्री महोदय जब जवाब देंगे तो मुझे पूरी उम्मीद है कि वह हमें निराश नहीं करेंगे.
सभापति महोदय, गायनोकलाजी बहुत डिमांडिंग हमारा सेक्टर है और जैसा कि मैंने आपसे निवेदन किया कि इसमें फकत 150 बिस्तर की हमारी कैपेसिटी है. इसको कम से कम 300 बिस्तर किया जाना नितांत आवश्यक है. सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से निवेदन करना चाहता हूं कि मेडिकल कॉलेज के बहुत सारे मामले और बहुत सारे प्रस्ताव यहां पर टेंडरिंग प्रकिया में उलछे पड़े हैं और जैसे हमारे सागर के ऑपरेशन थियेटर हैं, वहां 10 नये आपरेशन थियेटर बनाये जाने हैं, लेकिन हाउसिंग बोर्ड ने अभी तक उनका टेण्डर फ्लोट नहीं किया है. मैं आपके माध्यम से मंत्री महोदय से निवेदन करूंगा कि इस संबंध में संबंधित विभागों से बातचीत करके जो अवरोध हैं उन्हें दूर करने के लिये वह काम करेंगे.
सभापति महोदय, मैं मंत्री महोदय को इस बात के लिये बधाई देना चाहता हूं हांलाकि केबिनेट में निर्णय हो गया था कि हमारे जिला चिकित्सालय को मेडिकल कालेज के साथ मर्ज कर दिया जाये, लेकिन जन भावनाओं को ध्यान में रखते हुए उन्होंने और मुख्यमंत्री जी ने इस दिशा में बहुत गंभीरता के साथ चिंतन करके और उस मर्जर को डीमर्ज करने का निर्णय किया है. मैं सागर शहर की तरफ से बहुत बहुत बधाई देता हूं और आपने मुझे बोलने का मौका दिया, आपका भी बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री साहब सिंह गुर्जर (ग्वालियर ग्रामीण)—सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 19 लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा पर अपनी बात रखने के लिये खड़ा हुआ हूं. सभापति महोदय, मेरे विधान सभा क्षेत्र की ही नहीं, पूरे प्रदेश में स्वास्थ्य की स्थिति ठीक नहीं है. मेरे विधान सभा क्षेत्र अन्तर्गत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हस्तिनापुर की एक्सरे मशीन तो है, पर वहां टेक्निशियन की पदस्थापना नहीं होने के कारण एक्सरे नहीं हो पा रहे हैं. सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र हस्तिनापुर तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बेहट, उटीला एवं कुलेथ में पर्याप्त रुप से नर्सिंग स्टाफ नहीं है, जिससे गर्भवती महिलाओं को डिलीवरी के लिये अपने गांव से दूर ग्वालियर शहर जाना पड़ता है. एएनएम के अधिकतर पद रिक्त होने के कारण पूरे विधान सभा क्षेत्र में वैक्सीनेशन का कार्य प्रभावित हो रहा है. सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र हस्तिनापुर में मुख्य खण्ड चिकित्सा अधिकारी का पद प्रभार में ही चलाया जा रहा है. विभाग द्वारा कब तक नियमित मुख्य खण्ड चिकित्सा अधिकारी की पदस्थापना की जायेगी. प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र उटीला में पदस्थ डॉ. समीर टण्डन, जो कि संविदा मेडिकल ऑफिसर है, उनके संबंध में निजी क्लिनिक में शासकीय दवायें बेचे जाने तथा अन्य अनियमितताओं के संबंध में क्षेत्र के ग्रामीणों द्वारा सीएम हेल्प लाइन पर शिकायतें दर्ज कराई गई हैं. पर विभाग के द्वारा उनके विरुद्ध किसी भी प्रकार की जांच या कार्यवाही नहीं की गई है. विभाग के द्वारा इनके विरुद्ध कब तक कार्यवाही कर उन्हें वहां से हटाया जायेगा. मातृ मृत्यु दर में मध्यप्रदेश पूरे भारत में तीसरे स्थान पर है और शिशु मृत्यु दर में पहले स्थान पर है. अगर स्वास्थ्य केंद्रों में पर्याप्त स्टाफ की पद स्थापना नहीं होगी, गर्भवती महिलाओं की सुरक्षित डिलीवरी नहीं होगी, तो फिर मातृ और शिशु मृत्यु दर को कैसे कर पायेंगे. कई बार गर्भवती की डिलीवरी बीच रास्ते में ही हो जाती है या गर्भवती महिलाओं को जो भी स्वास्थ्यगत कमी होती है, उसकी पूर्ति के संबंध में विभाग की कोई योजना है या ऐसे ही होता रहेगा. जननी सुरक्षा एव प्रसूति सहायता की जो राशि सरकार के द्वारा किश्तों में गर्भवती महिलाओं को दी जाती है, जिसका उद्देश्य गर्भावस्था के दौरान उन महिलाओं को पोषण आहार एवं अन्य गतिविधियों में मदद करना होता है. वह राशि कई बार इतनी देर से दी जाती है कि उक्त राशि का कोई महत्व ही नहीं रह जाता है. कई बार तो यह राशि गर्भवती महिलाओं को दी ही नहीं जाती है. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बेहट में स्टाफ को निवास करने हेतु पर्याप्त शासकीय आवास क्वार्टर नहीं होने के कारण वहां के डॉक्टर तथा अन्य स्टाफ वहां निवास न करते हुए शहर में निवास करते हैं, जिससे कार्य प्रभावित होता है. क्या विभाग द्वारा पर्याप्त शासकीय आवास क्वार्टर बनाये जाने के संबंध में कोई कार्यवाही की जायेगी, जिससे वहां डॉक्टर तथा अन्य स्टाफ नियमित रुप से रहते हुए इमरजेंसी सेवायें दे सकेंगे. सामुदायिक तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में आगामी भीषण गर्मी को देखते हुए लू के दौरान स्वास्थ्य केंद्रों में क्या मरीजों की सुविधा हेतु कूलर या एसी की व्यवस्था भी की जायेगी. आयुष्मान योजना के तहत सरकार द्वारा जो बजट राशि निर्धारित की गई है, वह राशि क्या वास्तविक रुप से खर्च की जायेगी. सबसे अधिक भ्रष्टाचार इसी योजना में हो रहा है. वास्तविक मरीजों को इसका लाभ न मिलकर अपात्र व्यक्ति इसका लाभ ले रहे हैं. बाकायदा रैकेट चल रहे है, जिस पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है. सरकार ने वर्ष 2024-25 के बजट की तुलना में 2025-26 के बजट में तुलनात्मक रुप से 24 प्रतिशत की वृद्धि की गई है, परन्तु मेरे विधान सभा क्षेत्र सहित पूरे प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं आज भी बदहाल हैं. फिर बजट की राशि में वृद्धि का क्या औचित्य है ? आखिर यह बजट की राशि खर्च कहां पर हो रही है ? यह एक बड़ा सवाल है.
माननीय सभापति महोदय, ग्वालियर-चंबल संभाग के सबसे बड़े शासकीय अस्पताल कमलाराजा में शनिवार-रविवार की दरम्यिानी रात एक बार फिर शार्ट सर्किट के कारण प्रसूती वार्ड में आग लगने की घटना घट गई. इससे पहले अक्टूबर, 2016 में माइनर-ओटी में शार्ट सर्किट से आग लगी इसके बाद सितम्बर, 2024 में ट्रामा सेन्टर में आग लगने की घटना के कारण कांग्रेस के एक नेता तथा दो अन्य मरीजों की मौत हो गई.
माननीय सभापति महोदय, यह आंकड़े बताते है कि संभाग के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में भर्ती मरीजों की जान से कैसे खिलवाड़ किया जा रहा है और इन दुर्घटनाओं में अस्पताल प्रबंधन, स्थानीय प्रशासन और सरकार की लापरवाही साफ साफ दिखाई दे रही है. इस अस्पताल का निर्माण हुये लगभग 70 साल हो चुके हैं मगर अस्पताल की 70 साल पुरानी बिजली की वायरिंग और अन्य उपकरण आज तक नहीं बदले गये हैं, यहां तक कि लगभग ढाई साल पहले कलेक्टर ने वायरिंग बदलने का प्रस्ताव शासन को भेजा था जिस पर आज तक किसी भी प्रकार की कार्यवाही शासन के द्वारा नहीं की गई है, वह प्रस्ताव आज भी शासन स्तर पर लंबित है. अस्पताल का इलेक्ट्रिकल आडिट भी नहीं करवाया गया है.
सभापति महोदय- साहब सिंह जी, आप एक मिनट में समाप्त करेंगे.आपके क्षेत्र की जो मांग है उसको आप रख लीजिये.
श्री साहब सिंह गुर्जर -- सभापति महोदय, इससे यह पता चलता है कि जो घटनाएं बार बार हो रही हैं ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने के लिये किस प्रकार का प्रबंधन किया जायेगा ? एक तरफ तो सरकार इस वर्ष के बजट में 23 हजार 535 करोड़ की राशि का प्रावधान स्वास्थ्य सेवाओं के लिये कर रही है वहीं दूसरी तरफ एक शासकीय अस्पताल के वायरिंग सिस्टम को बदले जाने के प्रस्ताव को ढाई साल से रोक कर रखे हुये हैं उसको मंजूर नहीं कर रही है. सरकार के पास इसके लिये राशि नहीं है ? यह तथ्य इस सरकार के चाल, चरित्र और चेहरे को बंया करता है.
माननीय सभापति महोदय, आपके माध्यम से माननीय उप मुख्यमंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा से अनुरोध है कि कम से कम संभाग के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में जहां पर मरीज इस विश्वास के साथ में आते हैं कि वह ठीक होकर के घर जायेंगे, वह मरीज सरकार की लापरवाही के कारण दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं. कम से कम यह सोती हुई सरकार संभाग के सबसे बड़े अस्पताल को कुप्रबंधन के चक्र से बाहर निकालेगी.
सभापति महोदय-- साहब सिंह जी कृपया समाप्त करें.
श्री साहब सिंह गुर्जर -- सभापति महोदय, अंतिम निवेदन करना चाहता हूं कि इस सरकार के वित्त के उप मुख्यमंत्री जी ने अपना बजट इस वाक्य से शुरू किया है कि "मैं राज्य की कामना नहीं करता, मुझे स्वर्ग औरमोक्ष नहीं चाहिये. दुख से पीड़ित प्राणियों के दुख दूर करने में सहायक हो सकूं, यही मेरी कामना है". पर जिस तरह की दुर्घटनायें हमारे यहां हो रही हैं उससे बिल्कुल भी नहीं लग रहा है कि आप आम जनता के दुखों को दूर करने के लिये प्रयास कर रहे हैं.
माननीय सभापति महोदय, मेरा आपके माध्यम से माननीय उप मुख्यमंत्री स्वास्थ्य से यह निवेदन है कि जो मैंने मांग पत्र आपके सामने रखा है उसको संज्ञान में लेते हुये इस पर जरूर कार्यवाही करावेंगे, बहुत बहुत धन्यवाद.
डॉ.प्रभुराम चौधरी (सांची) -- माननीय सभापति महोदय, मांग संख्या 19- लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग का जो बजट माननीय उप मुख्यमंत्री जी ने सदन में प्रस्तुत किया है मैं उसके समर्थन में बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं.
माननीय सभापति महोदय, आज मध्यप्रदेश के अंदर हम देखें तो स्वास्थ्य सेवाओं का लगातार विस्तार किया जा रहा है. जो बजट वर्ष 2024-25 में विभाग को दिया गया था उसमे वर्ष 2025-26 में बढौत्री करते हुये लगभग 8.78 प्रतिशत की वृद्धि की गई है. देश के अंदर आदरणीय प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी, प्रदेश के अंदर मुख्यमंत्री आदरणीय डॉ मोहन यादव जी और उप मुख्यमंत्री, लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण एवं चिकित्सा शिक्षा के नेतृत्व में जो स्वास्थ्य की सुविधायें मध्यप्रदेश में बढ़ाई जा रही है और माननीय वित्त मंत्री जी ने भी बजट में 22 हजार 233 करोड़ की स्वीकृति दी है तो आज मैं कहना चाहता हूं कि मध्य प्रदेश में जिस तेजी के साथ में स्वास्थ्य की सुविधायें बढ़ रही हैं, यह अच्छा कार्य करने का संकेत है. पिछले वर्ष माननीय वित्त मंत्री जी ने जो गंभीर बीमारी से ग्रसित और दुर्घटनाग्रस्त आपदा पीड़ित में जो स्वास्थ्य संस्थानों से पहुंचाने के लिये जो सबसे बड़ी उपलब्धि मध्यप्रदेश को मिली है तो वह है एयर ऐंबूलेंस की. जो गरीब लोग बड़े-बड़े संस्थानों में अपना इलाज नहीं करवा पाते थे उनको जाने में इतना समय लगता था. आज जो एयर एम्बुलेंस की सुविधा मध्यप्रदेश के अंदर मिली है तो आज छोटी सी जगह से भी मरीज पहुंचकर अपना इलाज करा लेता है और उसकी जान बच जाती है. मध्यप्रदेश के अंदर चाहे मेडिकल कॉलेज हों या हमारे जिला अस्पताल हों, चाहे हमारे सिविल अस्पताल हों, चाहे सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र हों, सबसे ज्यादा अगर बहुत बेहतर काम ग्रामीण अंचल में जो गरीब लोग जहां रहते हैं वहां पर किया जा रहा है. 10,200 से ज्यादा जो उपस्वास्थ्य केन्द्र हैं वहां प्रत्येक में एक सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी बैठ रहा है. जहां 16 प्रकार की जांचें की जा रही हैं. जहां 116 से ज्यादा प्रकार की दवाइयां उपलब्ध हैं. 25 से ज्यादा एक उप स्वास्थ्य केन्द्र की प्रतिदिन की ओपीडी हो रही हैं. इसी तरीके से प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में पहले हम देखते थे कि उनकी संख्या भी कम थी आज तो 1,400 से ज्यादा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र हो गये हैं. वहां पर मेडिकल ऑफीसर की नियुक्तियां की जा रही हैं. वहां पर भी 45 प्रकार की जांचें हो रही हैं. दवाइयों की संख्या बढ़ा दी गई है. आज अगर हम कहें जिला अस्पताल से लगाकर उप स्वास्थ्य केन्द्र पर, जिला अस्पताल है, सिविल अस्पताल है और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में आज 1,000 से ज्यादा प्रकार की दवाइयों की उपलब्धता है. जो गरीब लोग हैं, जहां हमारे प्रधानमंत्री जी ने आयुष्मान भारत योजना बनाई है, मध्यप्रदेश में आयुष्मान निरामय योजना के अंतर्गत् 5 लाख तक का इलाज किया जाता है. मध्यप्रदेश में 4 करोड़, 26 लाख कार्ड बनाकर गरीबों को, एक-एक व्यक्ति को ढूंढ़कर एक ऐतिहासिक काम किया है और अभी प्रधानमंत्री जी ने 70 साल से ऊपर वाले सभी लोगों को जोड़ दिया है. चाहे उनकी कितनी इनकम हो, उनको भी इस योजना से जोड़ा है. जिससे आज लोगों को फ्री इलाज की सुविधा है. एक समय था जब लोगों को इलाज मिलने में दिक्कत होती थी, लेकिन आज यह समय है कि सरकार अस्पताल के अलावा आज चिह्नित प्रायवेट अस्पतालों में भी 5 लाख तक का इलाज वहां के मरीज हितग्राही को मिलता है.
सभापति महोदय, आज मुख्यमंत्री श्रमिक प्रसूती सहायता योजना है. उसके अंतर्गत भी इस बार के बजट में 44 परसेंट की वृद्धि माननीय वित्तमंत्री जी ने की है. इसके लिये भी आप बधाई के पात्र हैं. जहां हम, आप कहें कि आयुष्मान भारत का हेल्थ का जो इंफ्रास्ट्रक्चर है 37 परसेंट की वृद्धि आपने इस बजट में की है और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के लिये 53 परसेंट मतलब 50 परसेंट से अधिक बजट इस योजना के लिये आपने इसमें उपलब्ध कराया है. निश्चित रूप से स्वास्थ्य के क्षेत्र में हम लगातार आगे बढ़ रहे हैं. प्रदेश के मरीजों को जो नि:शुल्क दवाइयां मैंने बताया कि 1,000 से ज्यादा प्रकार की दवाइयां आज उपलब्ध हैं और एक उप स्वास्थ्य केन्द्र में 116 प्रकार की दवाइयां उपलब्ध हैं. आज जिलों के अंदर जितने हमारे 52 जिला अस्पताल हैं वहां पर अब डे-केयर कैंसर के लिये सुविधा उपलब्ध होगी. जैसे हमारे संभाग रीवा, जबलपुर या इंदौर हैं जिनको भोपाल भटकना पड़ता था लेकिन उन कैंसर के पेशेंट्स के लिये अब जिला अस्पताल में भी सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है. इसके लिये भी मैं माननीय उप मुख्यमंत्री शुक्ला जी को बधाई देना चाहता हूं. जो डॉक्टर्स की कमी रहती थी आप उस कमी के लिये मेडिकल कॉलेज खोल रहे हैं. 8,200 डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ की नियुक्ति के लिये कार्यवाही प्रक्रियाधीन है. आपने पीएससी को लिखा है. निश्चित रूप से इससे स्वास्थ्य सुविधाओं में सभी ओर तरक्की होगी, जिससे लोगों के लिये फायदा होगा. आज प्रदेश में 17 मेडिकल कॉलेज संचालित हैं. इसमें मैं आपसे एक अनुरोध करना चाहता हूं कि जहां 17 मेडिकल कॉलेज हैं आपने मेडिकल की सीटें भी बढ़ाई हैं, आपने चाहे पीजी की सीटें हों, चाहे एमबीबीएस की सीटें हों, इनकी भी बढ़ोत्ती की है. 2,375 एवं पीजी की 1,357. 17 मेडिकल कॉलेज आप खोलने जा रहे हैं. मेरा आपसे अनुरोध है कि मेरा विधान सभा क्षेत्र रायसेन है. रायसेन में केबिनेट द्वारा सैद्धांतिक रुप से मेडिकल कॉलेज की स्वीकृति हो चुकी थी, कलेक्टर द्वारा 25 एकड़ जमीन भी आवंटित कर दी गई है. पूर्व मुख्यमंत्री जी ने भूमि पूजन भी किया है. आपने नये मेडिकल कॉलेजों के लिए बजट बढ़ाया है 200 करोड़ रुपए की व्यवस्था आपने की है. वर्ष 2024-25 में पहले 25 करोड़ रुपए की व्यवस्था थी, इस वर्ष आपने 200 करोड़ रुपए रखे हैं. मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हूँ कि आप रायसेन को भी प्राथमिकता के आधार पर शामिल कर लें इससे केबिनेट का भी सम्मान होगा. हमारे जिला मुख्यालय में 400 बेड का जिला हास्पिटल भी उपलब्ध है उसको जोड़ने का मेरा आपसे अनुरोध है. मैं उम्मीद करता हूँ कि आप निश्चित रुप से इसको शामिल करेंगे. बाकी जो टीबी शिविर की बात हो रही है इसमें भी मध्यप्रदेश में बहुत अच्छा काम हो रहा है. प्रधानमंत्री जी ने 2024 तक टीबी मुक्त भारत बनाने की बात कही है इस पर मध्यप्रदेश में आप लोगों ने बेहतर काम किया गया है. सिकल सेल, एनीमिया की स्क्रीनिंग जो हमारे ट्रायबल बेल्ट में बच्चे थे उनकी स्क्रीनिंग नहीं हो पाती थी आपने 100 प्रतिशत स्क्रीनिंग कर दी है. 25 हजार रोगियों की स्क्रीनिंग की गई. हाइड्रो जो यूरिया है उसकी भी दवाइयों की उपलब्धता कराई जा रही है.
सभापति महोदय, मैं आपको बताना चाहता हूँ कि जिस तरह से सिविल अस्पतालों पर डायलिसिस की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है. कैंसर के रोगियों को सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं. हमारी पहली कल्पना होती है कि पहला सुख निरोगी काया. हर व्यक्ति स्वस्थ रहे. आज हमारा भारत मेडिकल के लिए एक हब बन रहा है. दुनिया से लगभग 30 प्रतिशत कम कास्ट पर हमारे देश में इलाज होता है. दुनिया के दूसरे देशों से लोग यहां आकर इलाज करा रहे हैं. मध्यप्रदेश उसी गति के साथ स्वास्थ्य के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है. कहा जाता है कि जान है तो जहान है. हम स्वस्थ हैं तो हर काम आगे बढ़ेगा. मैं उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल जी को बधाई देना चाहता हूँ कि आप बहुत तेजी से इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं और जो बजट का प्रावधान आपने किया है. आप आगे भी मध्यप्रदेश में इस तरह से विस्तार करेंगे. सभापति महोदय, आपने मुझे बोलने का समय दिया उसके लिए धन्यवाद.
श्री राजेन्द्र भारती (अनुपस्थित)
चौधरी सुजीत मेर सिंह (अनुपस्थित)
डॉ. तेजबहादुर सिंह चौहान (नागदा-खाचरौद) -- सभापति महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से आग्रह करना चाहता हूँ कि मेरे क्षेत्र में खाचरौद और नागदा में और डायलिसिस की मशीन उपलब्ध करवा देंगे. वहां पर चिकित्सकों के जो स्वीकृत पद हैं उनकी नियुक्ति करवा दें, ऐसा मेरा आग्रह है.
डॉ. योगेश पण्डाग्रे (आमला) --माननीय सभापति महोदय, आपने मुझे बजट की मांग संख्या 19 लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा के समर्थन में बोलने के लिए मौका दिया है, आपको धन्यवाद.
माननीय सभापति महोदय, लंबे समय से चिकित्सकों की कमी की बात होती रही है. सरकार चिकित्सा सुविधाएं बेहतर करे इस पर बात होती रही है. अभी बजट भाषण पर हमारी वरिष्ठ विधायक श्रीमती झूमा सोलंकी जी ने एक बड़ी अच्छी बात कही थी. चूंकि मेडिकल कॉलेज से संबंधित बातें की जा रही थीं, तो उन्होंने एक बड़ी अच्छी बात रखी कि जो भी सरकार है उस सरकार को काम ही काम करना है. आपकी सरकार है तो आपकी सरकार काम कर रही है. हमारी सरकार थी तो हमारी सरकार ने मेडिकल कॉलेज खोले. अगर सरकारें काम नहीं करेंगी और हाथ पर हाथ रखे बैठी रहेंगी तो जनता घर पर बैठा देंगी. उनकी बात को मैंने बहुत ही गंभीरता से अध्ययन किया कि अचानक काम करने के बाद भी यह लोग घर पर क्यों बैठ गए तो बहुत ही चौकाने वाले आंकड़े निकलकर आए. चूंकि मेडिकल कॉलेज से संबंधित बातें थीं कि हमने भी मेडिकल कॉलेज खोले. उसमें मैंने देखा कि पहला मेडिकल कॉलेज इस प्रदेश में सन् 1946 में ग्वालियर मेडिकल कॉलेज खुला जब देश आजाद नहीं हुआ था यह कॉलेज अंग्रेजी हुकुमत के दौरान खुला था. दूसरा मेडिकल कॉलेज सन् 1948 में इंदौर खुला और यह कॉलेज 1948 में खुला है तो उसकी स्वीकृति भी अंग्रेजी हुकूमत के दौरान ही मिली होगी. तीसरा जबलपुर सन् 1955 में खुला और चौथा मेडिकल कॉलेज भोपाल में सन् 1956 में खुला. यह दोनों भी मध्यप्रदेश के पुनर्गठन के पहले खुले थे. पांचवा मेडिकल कॉलेज खुला वह सन् 1963 में रीवा मेडिकल कॉलेज खुला था तो अगर देखूं तो सन् 1963 में अकेला मेडिकल कॉलेज था जो कांग्रेस की सरकार के दौरान खुला था बाकी सभी मेडिकल कॉलेज पहले खुल चुके थे. उसके बाद सन् 1963 से 2003 तक किसी नये मेडिकल कॉलेज की स्वीकृति नहीं हुई. 40 साल मध्यप्रदेश की जनसंख्या बढ़ती रही लेकिन डॉक्टरों की संख्या उतनी ही रही. डॉक्टर, पेशेंट रेश्यो लगातार बद्तर होता रहा और हम विश्व के उन बद्तर देशों की सूची में शामिल हो गए जहां पर डॉक्टर और पेशेंट रेश्यो सबसे खराब था.
सभापति महोदय, वर्ष 2003 में हमारी सरकार आई और वर्ष 2009 में 40 साल बाद हमारी सरकार ने पहला मेडिकल कॉलेज जबलपुर में खोला. सिर्फ 6 साल के अंदर और दूसरा मेडिकल कॉलेज
श्री लखन घनघोरिया-- वर्ष 2009 के पहले खुला है.
डॉ. योगेश पण्डाग्रे-- आप इन दोनों का क्रेडिट लेने की कोशिश मत कीजिए. आपकी सरकार ने मध्यप्रदेश के पुनर्गठन के बाद सिर्फ एक मेडिकल कॉलेज खोला है और आप पांच का क्लेम करना भी बंद कर दीजिए. आप आंकड़े उठाकर देख लीजिए. 40 साल बाद खुला है.
श्री लखन घनघोरिया-- आपका ज्ञान अधूरा है. तीसरा मेडिकल कॉलेज जबलपुर खुला है आपने कहा कि ग्वालियर इंदौर और फिर जबलपुर और अब आप कह रहे हैं कि वर्ष 2009 में खुला.
डॉ. योगेश पण्डाग्रे-- पहला ग्वालियर, दूसरा इंदौर, तीसरा जबलपुर, चौथा भोपाल और फिर रीवा.
श्री लखन घनघोरिया-- आप वर्ष 2009 की बात कर रहे हैं. वर्ष 2009 में मेडिकल यूनिवर्सिटी खुली है. आप संशोधित करें.
सभापति महोदय-- लखन जी उनके पास जो संदर्भ पुस्तिका है उसमें गलत आंकड़ा छपा है. उसे चलने दीजिए. आप तो समझते हैं.
श्री राजेन्द्र शुक्ल-- योगेश जी उनकी एक बात मान लीजिए.
डॉ. योगेश पण्डाग्रे-- मैं मान लेता हूं.
सभापति महोदय-- सुधार कर लें.
डॉ. योगेश पण्डाग्रे-- आप भी मेरी एक बात मान लीजिए कि सिर्फ एक मेडिकल कॉलेज आपकी सरकार ने सन् 1963 में रीवा में खोला उसके बाद 40 साल तक कोई नया मेडिकल कॉलेज नहीं खोला है. बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं को उपलब्ध कराने के लिए हमारी सरकार संकल्पित रही है. वर्ष 2009 के बाद वर्ष 2012 में...
श्री सोहनलाल बाल्मीक-- इन्होंने कहा कि सन् 1963 के बाद में नही खुला लेकिन अभी वर्ष 2019 में कमलनाथ की सरकार थी जब हमारे छिंदवाड़ा में खुला.
डॉ. योगेश पण्डाग्रे-- मैं सन् 1963 से 2003 तक की बात कर रहा हूं. अब तक के इन 40 सालों में एक भी मेडिकल कॉलेज नही खोला है. डॉक्टरों की कमी का जो रोना आप रोते हो अपने गिरेबान में झांककर देख लो कि सरकार ने किया क्या था.
श्री सोहनलाल बाल्मीक-- डॉ. साहब पूरे आंकड़े लेकर बात करो.
डॉ. योगेश पण्डाग्रे-- मैं आंकड़े लेकर ही बात कर रहा हूं, मैं अपडेट हूं.
श्री विजय रैवनाथ चौरे-- डॉक्टरों की संख्या गिनाओ.
डॉ. योगेश पण्डाग्रे- मैं उस पर भी आ रहा हूं.
सभापति महोदय- योगेश जी, आप आगे की बात करें. आप अपने क्षेत्र में क्या चाहते हैं, वह बतायें.
डॉ. योगेश पण्डाग्रे- सभापति महोदय, चूंकि आरोप लगते हैं इसलिए उनका जवाब देना भी हमारा फर्ज़ है.
सभापति महोदय- मेडिकाल कॉलेज तो बहुत ही रफ्तार से खुल रहे हैं, आगे चलकर शायद डॉक्टर भी बेरोजगार रहेंगे. (हंसी)
डॉ. योगेश पण्डाग्रे- सभापति महोदय, अभी तो डॉक्टरों की आवश्यकता है. बेहतर चिकित्सा सुविधाओं की उपलब्धता, इस क्षेत्र में बनी रहे इसलिए वर्ष 2012 में AIIMS जैसा सर्वसुविधायुक्त, केंद्रीय योजनाओं वाला अस्पताल खोलने का काम इस मध्यप्रदेश की सरकार ने किया है. उसकी भी नींव स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी के समय वर्ष 2013 में रखी गई थी. वर्ष 2012 के बाद बताने की आवश्यकता नहीं है कि हमने स्वास्थ्य सुविधाओं और डॉक्टरों की कमी की पूर्ति करने के लिए, लगातार अस्पताल खोलने का काम किया है.
सभापति महोदय- आप अब 1 मिनट में समाप्त करें.
डॉ. योगेश पण्डाग्रे- सभापति महोदय, 2 मिनट लूंगा. आज हम इस प्रदेश में लगभग 30 मेडिकल कॉलेज संचालित कर रहे हैं. सिविल अस्पताल, CSC, PSC सेंटरों की जानकारी इस सदन में पूर्व में ही दी गई है, उन पर पुन: नहीं जाना चाहूंगा. लेकिन जिला चिकित्सालयों में मॉड्यूलर ओ.टी. हैं, ICU हैं, ऑक्सीजनयुक्त बैड हैं, वेटिलेटर हैं, ICU और SSU की बात करें तो उन्न्त प्राइवेट चिकित्सालयों के जैसे SSU एवं ICU हमारे शासकीय चिकित्सालयों में भी हैं. निजी निवेश को प्रोत्साहन देने के लिए नवीन निवेश संवर्द्धन योजना के तहत लगभग 35-40 प्रतिशत सब्सिडी देकर नवीन चिकित्सालय बनाने का लक्ष्य, हमारी सरकार का है, जिससे सुदूर क्षेत्रों में बेहतर चिकित्सा सुविधायें मिलेंगी.
सभापति महोदय- अब आप समाप्त करें. आपको पहले ही 8 मिनट दिये जा चुके हैं.
डॉ. योगेश पण्डाग्रे- सभापति महोदय, केवल 2 मिनट दीजिये.
सभापति महोदय- आप टाइम मैनेजमेंट सीखिये.
डॉ. योगेश पण्डाग्रे- जननी एम्बुलेंस, 108 एम्बुलेंस, लगभग 2000 एम्बुलेंस प्रदेश में चल रही हैं, हमने लगभग 26 लाख लोगों को इससे लाभ दिया है.
सभापति महोदय- आप बैठ जायें, आपकी कोई बात रिकॉर्ड में नहीं आयेगी.
डॉ. योगेश पण्डाग्रे- XXX
डॉ. योगेश पण्डाग्रे- सभापति महोदय, मैं, अपने क्षेत्र की बात रख देता हूं. मुझे केवल 2 मिनट दीजिये.
सभापति महोदय- यह तो मैं आपसे कब से कह रहा हूं कि आप अपने क्षेत्र की बात रखें. आपको केवल आधा मिनट दे रहा हूं, उसमें अपनी बात रखें.
डॉ. योगेश पण्डाग्रे- सभापति महोदय, मेरे आमला क्षेत्र में महिला चिकित्सक की आवश्यकता है, उस पद की पूर्ति की जाये. चूंकि अभी सरकार द्वारा नए पदों पर 3 हजार 900 चिकित्सकों की पदस्थापना प्रक्रियाधीन है, साथ ही चिकित्सा स्टाफ 4 हजार 300 की भर्ती भी प्रक्रियाधीन है इसलिए आमला में महिला चिकित्सक एवं 2 PSC सेंटर, जो खुले हैं, वहां चिकित्सक एवं स्टाफ की आवश्यकता है, उसकी पूर्ति की जाये.
सभापति महोदय, मेरे यहां अगस्त से लेकर अक्टूबर तक स्क्रब टाइफ़स बीमारी, हमारे जिले में एन्डेमिक है, जिसे अभी तक आयुष्मान योजना में नहीं लिया गया है, इस पर मैंने पूर्व में भी ध्यान आकर्षित किया था, इस बीमारी को आयुष्मान योजना में लिया जाये. साथ ही बैतूल में मेडिकल कॉलेज जो कि प्रस्तावित है, उसकी स्वीकृति जल्द से जल्द दी जाये. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, धन्यवाद.
श्री सुनील उईके (जुन्नारदेव)- सभापति महोदय, मैं, अनुदान की मांगों का यह जो प्रस्ताव आया है, उसके विरोध में खड़ा हुआ हूं. हमारे साथी डॉ. योगेश मेरी बाजू की विधान सभा आमला से ही हैं. जब वे इस सदन में, इस बजट का समर्थन कर रहे थे तो मैं उन्हें बहुत ही ध्यान से सुन रहा था क्योंकि उनकी आमला विधान सभा की मेरी विधान सभा से, मेढ़ से मेढ़ लगी हुई है इसलिए मैं जानता हूं कि आमला के अधिकांश लोग जुन्नारदेव में इलाज करवाने आते हैं तो उनके क्षेत्र के चिकित्सालयों की क्या स्थिति है, वहां के डॉक्टरों की क्या स्थिति है, यह किसी से छुपी नहीं है.
सभापति महोदय, जब हम पुरानी बात करते हैं कि कांग्रेस की सरकार में कितने मेडिकल कॉलेज खुले और उस समय क्या हुआ तो हम यह भूल जाते हैं उस समय का बजट कितना था और आज के दौर का बजट कितना है. तब जो बजट बना, उस समय जो परिस्थिति थी, जो बजट था, उसमें क्या हो सकता था, उस समय की सरकार ने बेहतर करने का काम किया. आज के समय में जो बजट है, उस बजट की स्थिति क्या है और कितना बजट आया, यदि आप तुलनात्मक अध्ययन करेंगे तो ऐसा मैं समझता हूँ कि 10 गुना बजट बढ़ चुका है. ऐसी परिस्थिति में, मैं एक बात पर आपका ध्यान आकर्षित कराना चाहता हूँ कि जो प्रदेश के अन्दर स्वास्थ्य सेवाएं चल रही हैं, वह किसी से छिपी नहीं हैं. जब कभी भी हम प्रायवेट फ्री हेल्थ चैकअप कैम्प लगाते हैं और जब कभी भी हम फ्री इलाज की घोषणा करते हैं, किसी क्षेत्र में कैम्प लगाते हैं तो हजारों की संख्या में पेशेन्ट उस कैम्प में आते हैं और वहां पर इलाज कराते हैं, वहां पर फ्री में कैसे इलाज हो सके ? उसके लिए आते हैं, इससे यह पता चलता है कि हमारी स्वास्थ्य व्यवस्था कैसी है ? और प्रदेश में जो अस्पताल हैं, प्रदेश के जो डॉक्टर्स हैं, उनकी स्थिति कैसी है. अगर प्रदेश के अस्पतालों की स्थिति अच्छी होती और प्रदेश में डॉक्टर्स पर्याप्त मात्रा मं होते तो यह जो फ्री हेल्थ चैकअप कैम्प लगाने का काम होता है और उसमें हजारों की संख्या में जो भीड़ आती है, वह भीड़ नहीं आती, वह फ्री इलाज कराने हमारे हॉस्पिटल जाते हैं.
सभापति महोदय, मैं अगर मेरे विधान सभा जुन्नारदेव की बात करूँ, तो वहां प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बने हुए लगभग 20-25 वर्ष हो गए हैं, वहां पर 25 वर्षों से महिला विशेषज्ञ नहीं है. मंत्री जी का मैं ध्यान आकर्षित कराना चाहूँगा कि वहां पर महिला विशेषज्ञ नहीं हैं, वहां पर कई वर्षों से बच्चों के डॉक्टर्स नहीं हैं एवं मैंने विधान सभा में भी कई बार क्वेश्चन लगाया एवं कई बार मांग भी की. मैं इसलिए बताना चाहता हूँ कि मेरी आदिवासी विधान सभा है और भौगोलिक दृष्टि से मध्यप्रदेश की सबसे बड़ी विधान सभा है, वह एक बॉर्डर से दूसरा बॉर्डर तक 175 किलोमीटर में बसी है. अगर यहां पर यह स्थिति है तो बाकी जगह क्या स्थिति होगी ? जो इधर साथी बैठे हैं और जो साथी उधर बैठे हुए हैं. यह बात सही है कि उधर के साथियों को तो बजट का समर्थन करना है लेकिन हम भी आपके क्षेत्र में जाकर देखेंगे कि आपने जो बोला है, वह सही बोला है या नहीं, वह भी हम चैक करेंगे एवं आने वाले सदन में हम आपकी बात को रखेंगे कि जो आपने कहा था, क्या वह मांग पूरी हुई ? अन्त में, मैं ज्यादा समय न लेते हुए सिर्फ इतना कहना चाहता हूँ कि जुन्नारदेव प्रायमरी उप स्वास्थ्य केन्द्र है, उसे अगर सिविल अस्पताल में आप बदलने का काम करते हैं, तो मैं समझता हूँ कि अच्छा होगा और इसी प्रकार जब कभी भी कोई सरकार आयेगी और सरकार जायेगी, जो सरकार की अच्छी चीजें होती हैं, हमें उनका समर्थन करना चाहिए.
सभापति महोदय, आज जो आयुष्मान योजना चल रही है, उससे लाखों मरीजों को फायदा मिल रहा है, मैं उसको स्वीकार करता हूँ लेकिन उसकी जो कमियां हैं, बैकड्रॉप क्या है ? यह भी हमको देखना होगा कि जब हम अस्पताल में जाते हैं. अभी हमारे आमला के विधायक जी कह रहे थे. मैं इन्हीं के अस्पताल की बात करना चाहता हूँ. मैं यह बताना चाहता हूँ कि जिस किसी भी अस्पताल में हम जाते हैं तो सबसे पहले नियम और शर्तें उस पर लागू होती हैं. मंत्री जी, मैं आपका ध्यान आकर्षित कराना चाहता हूँ कि यह वाली बीमारी का इलाज होगा और यह वाली बीमारी का इलाज नहीं होगा. इसका इतना बजट है और इसका इतना बजट है. मैं ऐसा समझता हूँ कि जिस किसी बीमारी के लिए अगर पेशेन्ट जाता है और जब हम आयुष्मान योजना में 5 लाख रुपये तक की बात कर रहे हैं तो हमारे पेशेन्ट का इलाज फ्री में होना चाहिए, कहीं न कहीं जो प्रायवेट डॉक्टर्स हैं, जो प्रायवेट अस्पताल हैं, वह हमारे पेशेन्ट्स से पैसे लेने का काम कर रहे हैं. उन पर कई बार सरकार कार्यवाही भी करती है लेकिन उसमें नियमों का कड़ाई से पालन होना चाहिए कि अस्पताल उनसे पैसे न ले. मंत्री जी, मैं एक बड़ी चीज की ओर आपका ध्यान आकर्षित कराना चाहता हूँ, इसमें आपके माध्यम से केन्द्र सरकार को एक सुझाव जाना चाहिए कि हमारी आयुष्मान योजना में ओपीडी को शामिल किया जाये, क्योंकि जो हमारे गांव के लोग हैं, वह 150 रुपये, 200 रुपये नहीं दे पाते हैं. इसलिए वह अलग मेडिकल शॉप से 20 रुपये, 25 रुपये की गोली ले लेते हैं कि 200 रुपये डॉक्टर को देने से अच्छा है कि हम गोली ले लें और ठीक हो जायें. अगर ओपीडी उसमें शामिल हो जाये, फ्री ओपीडी, कहीं भी, किसी भी हॉस्पिटल में जायें, अगर कोई एमबीबीएस डॉक्टर है और वहां पर हम इलाज कराते हैं तो उसको ओपीडी का पैसा हम आयुष्मान से देंगे, जिससे मैं समझता हूँ कि हमारे क्षेत्र के लोगों को लाभ मिलेगा और क्षेत्र के लोग समय पर इलाज कराएंगे. तो बीमारी बड़ी नहीं होगी.
सभापति महोदय, इसी प्रकार मैं कहना चाह रहा था कि जो सरकार की अच्छी योजनाएं होती हैं, तो कोई भी सरकार आये, उसको आगे बढ़ाना चाहिए. छिन्दवाड़ा में जो मेडिकल कॉलेज खुला, यह ऐतिहासिक मेडिकल कॉलेज कमलनाथ जी की सरकार में खुला. उसको खोलने का एक विजन था कि आजू-बाजू में चाहे बालाघाट हो, सिवनी हो, बैतूल हो, नरसिंहपुर हो, ऐसे जिले के लोग जो नागपुर जाते हैं, नागपुर में जो उनका आर्थिक शोषण होता है, जो उनके हजारो लाखों रुपये लगते हैं, जब यह मेडिकल कॉलेज बनेगा तो यहां के लोगों को फ्री इलाज छिन्दवाड़ा के मेडिकल कॉलेज में मिलेगा. एक बड़े विजन के साथ उस मेडिकल कॉलेज को बनाया गया है. यहां बड़ी-बड़ी बातें की गईं, लोक सभा में, विधान सभा में बहुत सारी बातें की गईं, लेकिन मुझे बताते हुए बड़ा दुख है कि उसका बजट कम कर दिया गया, 25 प्रतिशत बजट कर दिया गया है. मैं चाहता हूँ कि इस बजट में उसको भी जोड़ा जाये और छिन्दवाड़ा को 100 करोड़ रुपये दिये जाएं, जिससे की उस मेडिकल कॉलेज को गति मिल सके और जो हमारे आजु-बाजू के जिले हैं, उनके लोगों का इलाज संभव हो सके. यह मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूँ.
सभापति महोदय - धन्यवाद, सुनील उईके जी.
श्री सुनील उइके -- बस, एक सेकण्ड ले रहा हूँ. तो मैं चाहता हूँ कि उसको इसमें शामिल किया जाए और मुरैना के मेडिकल कॉलेज में भी, जैसा कि हमारे साथी विधायक ने कहा, जिला अस्पताल में भी डॉक्टरों की बड़ी कमी है. जैसे कि रीवा में एक बड़ा अच्छा हॉस्पिटल खुला है, लेकिन दुर्भाग्य से मुझे कहना पड़ रहा है कि जब से खुला है, तब से आज तक वहां पर कितने लोगों की मृत्यु हुई, उसका डेटा तक नहीं है. तो ऐसे जो हमारे मेडिकल कॉलेज हैं, ऐसे जो हमारे हॉस्पिटल्स हैं, उनमें कम से कम क्या हो रहा है, उसका रिकॉर्ड कम से कम वहां पर व्यवस्थित रखा जाए. जब भी हम या आप या कोई भी जानना चाहे तो उसे मिल सके. यही मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूँ और अंत में पुन: आपसे यही दोहराना चाहता हूँ कि जुन्नारदेव को सिविल अस्पताल में कन्वर्ट किया जाए क्योंकि आपके सहयोग से एक नई बिल्डिंग बन गई, वहां बिल्डिंग की आवश्यकता नहीं है, इन्फ्रास्ट्रक्चर पर्याप्त है, सिर्फ अगर आप सिविल अस्पताल बना देंगे तो मैं समझता हूँ कि वही बिल्डिंग बड़ी व्यवस्थित हो जाएगी और एक ट्राइबल विधान सभा, जो 175 किलोमीटर की विधानसभा है तो वहां के क्षेत्र के लोगों को लाभ होगा और छिंदवाड़ा मेडिकल कॉलेज में अगर आप 100 करोड़ रुपये इस बार करें तो पूरा छिंदवाड़ा और सदन आपका धन्यवाद करेगा. आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद.
सभापति महोदय -- माननीय मंत्री जी, यहां पर आयुष्मान कार्ड की बात आई कि इस योजना के तहत इलाज होता है. जहां तक मेरी जानकारी है, सतना और मैहर जिले में कहीं भी यह कार्ड एक्सेप्ट नहीं किया जाता. कोई प्राइवेट अस्पताल इलाज नहीं करता है. इस पर कृपया आप, क्या परिस्थिति है, क्यों ऐसा है, इसको जरूर दिखवाएं. सतना और नवगठित मैहर जिले में यह हो रहा है.
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- जी हां.
श्री सिद्धार्थ कुशवाहा -- सभापति महोदय, मैंने इस पर विधान सभा भी लगाया था कि आयुष्मान कार्ड ...
सभापति महोदय -- सिद्धार्थ जी, आप ही की बात मैंने कर दी है. हालांकि इसमें मैहर जिला भी शामिल है.
श्री राजेन्द्र मेश्राम (देवसर) -- माननीय सभापति महोदय, बहुत-बहुत धन्यवाद. मैं वर्ष 2025-26 की अनुदान मांग संख्या 19, लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा के समर्थन में अपने विचार रखने के लिए खड़ा हुआ हूँ. सभापति महोदय, मैं प्रदेश में सबसे दूरस्थ जिले सिंगरौली के देवसर विधान सभा से आता हूँ. मेरी विधान सभा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति बाहुल्य क्षेत्र है. अभी मैंने बहुत से विद्वान लोगों के विचार सुने. मैं इस निष्कर्ष पर पहुँचा. मैं जब वर्ष 2003 से लेकर अभी तक मेरा जो क्षेत्र है, चार राज्यों की सीमाओं से जुड़ा हुआ है. सभापति महोदय, चूँकि हम लोग अभी मांग संख्या पर बोल रहे हैं, मुझे इस बात का गर्व है कि उस दूरांचल, वनांचल क्षेत्र में सड़कें, बिजली, पानी कुछ नहीं हुआ करती थी. आज मुझे कहते हुए फख्र है कि आज उस विधान सभा का चहूँमुखी विकास हुआ है. जैसा मेरे मित्र अभी कह रहे थे कि हम विधान सभा क्षेत्रों में जाएंगे, मैं सभी आदरणीय मित्रों से निवेदन करना चाहता हूँ और उन्हें निमंत्रण देना चाहता हूँ कि आप मेरे देवसर विधान सभा में आएं और भारतीय जनता पार्टी की सरकार में जो विकास की गंगा बही है और जो विकास हुआ है, आप आकर अपनी आंखों से देखें.
माननीय सभापति महोदय, प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री माननीय डॉ. मोहन यादव जी की सरकार स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार के साथ गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सुविधा की उपलब्धता भी सुनिश्चित करने की दिशा में निरंतर कार्य कर रही है. मैं साथ ही प्रदेश के उप मुख्यमंत्री श्रीमान राजेन्द्र शुक्ल जी के कुशल नेतृत्व में जो स्वास्थ्य सेवाओं में नित नए आयाम प्राप्त कर रहे हैं, ऐसे प्रदेश के 52 जिला चिकित्सालय, 161 सिविल चिकित्सालय, 348 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, 1,442 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, 10,256 उप स्वास्थ्य केन्द्रों में कुल 47,167 बिस्तर उपलब्ध हैं. इनके अतिरिक्त 539 शहरी स्वास्थ्य सेवाएं भी कार्यरत हैं. सभापति महोदय, मैं उप मुख्यमंत्री श्रीमान राजेन्द्र शुक्ल जी को हृदय की गहराइयों से धन्यवाद देना चाहता हूँ, जिनके कुशल नेतृत्व में एवं संवेदनशील सोच से मेरे जिला सिंगरौली को जिला चिकित्सा महाविद्यालय की सौगात मिली है. दूसरी नर्सिंग महाविद्यालय की सौगात मिली है. मैं प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और उप मुख्यमंत्री श्रीमान राजेन्द्र शुक्ल जी को हृदय की गहराइयों से धन्यवाद देना चाहता हूँ.
मानननीय सभापति महोदय, उच्च जोखिम वाले दूरस्थ क्षेत्रों में निवासरत् गर्भवती महिलाओं हेतु स्वास्थ्य संस्थाओं में 249 बर्थ वेटिंग रूम स्थापित किये गये हैं.इस वित्तीय वर्ष में जिला नीमच,मंदसौर एवं सिवनी में 3 नवीन चिकित्सा महाविद्यालय में प्रवेश की प्रक्रिया प्रारंभ हो गई है. माननीय उपमुख्यमंत्री जी के कुशल मार्गदर्शन में प्रदेश में एक हजार संजीवनी एंबुलेंस तथा 1059 जननी एंबुलेंस संचालित हैं. इन एंबुलेंसों के माध्यम से लगभग 22 लाख नागरिकों को सेवाएं उपलब्ध कराई गई है. मुख्यमंत्री जी डॉ.मोहन यादव जी को धन्यवाद देना चाहता हूं जिनकी संवेदनशील सोच की वजह से नवीन योजना सी.एम.केयर योजना के अंतर्गत गंभीर बीमारी से पीड़ित नागरिकों को निकटत् चिकित्सा संस्थानों में केथ लैब तथा कैंसर उपचार सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी.मुख्यमंत्री जी एवं उपमुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल के प्रयासों से मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग में प्रथम श्रेणी के विशेषज्ञों की जो कमी थी उस कमी को दूर करने के लिये जो 1178 पदों एवं द्वितीय श्रेणी चिकित्सा अधिकारी के 895 पदों एवं नर्सिंग होम चिकित्सा अधिकारियों के 358 पदों पर जो सीधी भर्ती प्रक्रिया के लिये मांग पत्र प्रस्तुत किये गये हैं उसके लिये मैं उनको धन्यवाद देता हूं.मैं माननीय उप मुख्यमंत्री जी जो विराट एवं विशाल हृदय के धनी हैं. बहुत संवेदनशील हैं और आप हमारे क्षेत्र से भली भांति परिचित हैं मैं उनसे विनम्र प्रार्थना करता हूं कि आप मेरे विधान सभा क्षेत्र में जो माढ़ा तहसील हैवहां सभी अनुसूचित जाति,जनजाति के भाई बंधु मेरे निवासरत् रहते हैं उस प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र है उसका उन्नयन कर उसको सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बनाने की कृपा करेंगे. दूसरे आप सरई को जानते हैं जो जिला मुख्यालय से 70 कि.मी. दूर है वहां पर 30 बिस्तरों का सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र संचालित है मेरी आपसे विनम्र प्रार्थना है कि इस बार आप वहां 50 बिस्तर अस्पताल की सुविधा संचालित करे. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया.हृदय की गहराई से आपको धन्यवाद.
सभापति महोदय - श्री हजारी लाल दांगी (अनुपस्थित)
श्री अनिल जैन कालूहेड़ा(उज्जैन उत्तर) - माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 19 का समर्थन करता हूं.बजट बहुत अच्छा है.बजट सुन्दर है. बजट मध्यप्रदेश को चिकित्सा के क्षेत्र में नयी ऊंचाई पर ले जाने वाला है.
माननीय सभापति महोदय, इस बजट में
"सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया,
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुख भागभवेत्".
सब सुखी रहें, सब बलिष्ठ हों, सब स्वस्थ रहें और सबका कल्याण हो, इस बजट में इस ध्येय वाक्य को लागू किया गया है. हमारी सरकार चिकित्सा के क्षेत्र में लगातार, क्योंकि हम ह्यूमन राइटस को हमारी प्राथमिकता मानते हैं, हम मानवता की सेवा के लिये निकले हैं, हम राजनीति में भी निकले हैं तो मानवता की सेवा के लिये निकले हैं और उनके पैर पूजकर उनकी उन्नति और उनके शिखर पर पहुंचाने की ऐसी कामना करते हैं और उस कामना के साथ चिकित्सा के क्षेत्र में हमारी सरकार ने अनेकों काम बजट के अंदर चिकित्सा के क्षेत्र में 1 हजार करोड़ और 400 करोड़ केन्द्रीय सहायता डबल इंजन की सरकार चिकित्सा के क्षेत्र में तेज गति से आगे बढ़ रही है. हमने चिकित्सा महाविद्यालयों की स्थापना के साथ-साथ उन चिकित्सा महाविद्यालयों में नंबर ऑफ सीट्स की बढ़ोत्तरी, जितने ज्यादा डॉक्टर होंगे मध्यप्रदेश मे स्वास्थ का इंडेक्स कम होता जायेगा. स्वास्थ का परीक्षण ठीक होगा, हमारी लेब ठीक होगी, हमारी जांच की एजेंसियां ठीक रहेंगी, हमारे डॉक्टर्स ज्यादा होंगे तो प्रतिस्पर्धा होगी, अच्छे से अच्छा इलाज कर पायेंगे, यह सारी सुविधायें उपलब्ध कराने का काम मध्यप्रदेश की डॉ. मोहन यादव जी की सरकार के नेतृत्व में हमारे माननीय चिकित्सा शिक्षा मंत्री जी कर रहे हैं.
सभापति महोदय, मैं उज्जैन के विषय में आता हूं. उज्जैन में सिंहस्थ का महाकुंभ है, वहां तो चिकित्सा के क्षेत्र में पूर्व में एक चरक हास्पिटल बना था उसके अंदर 350 बेडेड हास्पिटल पहले से ही है परंतु भारतवर्ष की अब दूसरी मेडीसिटी नोएडा के बाद यदि कहीं स्थापित हो रही है तो वह उज्जैन के अंदर स्थापित हो रही है क्योंकि उज्जैन में सिंहस्थ है और उसके अंदर मेडीकल कॉलेज होगा, उसमें हास्पिटल होगा, हास्पिटल के अंदर 550 बेडों की सुविधा होगी, वहां छात्र और छात्राओं के हॉस्टल होंगे, वहां पर यूनानी, होम्योपैथी के साथ-साथ आयुर्वेदिक, एक्यूपंक्चर के साथ-साथ अनेक प्रकार के फिजियोथेरेपी और योग शिक्षा इन सारी बातों को मेडीसिटी के अंदर सम्मिलित किया जायेगा और मेडीसिटी के अंदर हमारे शरीर के सभी अंगों के अलग-अलग डिपार्टमेंट होंगे, उसके अनुसंधान के केन्द्र होंगे, रिसर्च सेंटर होगा और वहीं पर अनेक प्रकार की जांचे जो कि हमारे क्षेत्र से बड़ौदा और बाम्बे, दिल्ली की ओर लोग इलाज के लिये जाते थे, अब वहां पर जाने की जरूरत महसूस नहीं होगी. अब वहां के लोग उज्जैन में आयेंगे, इतनी बढि़या माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में, चिकित्सा मंत्री जी के द्वारा जो मेडीसिटी का निर्माण किया जा रहा है, मैं माननीय चिकित्सा मंत्री सहित पूरी सरकार को बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहता हूं और उसके साथ-साथ सिंहस्थ क्षेत्र में श्रद्धेय भैरूलाल भाटी जी के हास्पिटल में उसको वापस उसके उन्नयन के लिये 100 करोड़ का प्रबंधन माननीय मंत्री जी ने किया है और वह 50 बेडेड हास्पिटल बनेगा इसलिये माननीय मंत्री जी का बहुत-बहुत धन्यवाद ज्ञापित करता हूं.
माननीय सभापति महोदय, चिकित्सा के क्षेत्र के अंदर चिकित्सा महाविद्यालयों की संख्या 13 प्लस 4 शासकीय, 13 अशासकीय और 2 चिकित्सा महाविद्यालय अभी चालू होने वाले हैं. इसी प्रकार से 3900 डॉक्टर्स और 4300 पैरामेडीकल स्टॉफ की प्रक्रिया हमारी सरकार ने प्रारंभ कर दी है. आदरणीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में प्रदेश में मरीजों को नि:शुल्क दवाईयां एक हजार प्रकार की और 300 प्रकार की जांचें नि:शुल्क हो रही हैं, मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की डॉ. मोहन यादव जी की सरकार यह व्यवस्था कर रही है. प्रदेश के अंदर जिला चिकित्सालय 52, सिविल अस्पताल 161, सामुदायिक स्वास्थ केन्द्र 348, प्राथमिक स्वास्थ केन्द्र 1442 और उप स्वास्थ केन्द्र 10157 इस प्रकार से स्वास्थ सेवा के क्षेत्र में सुदूर ग्रामीण अंचलों तक भारतीय जनता पार्टी की डॉ. मोहन यादव जी की सरकार हमारे चिकित्सा शिक्षा मंत्री जी के नेतृत्व में अगुवाई कर रही है. चिकित्सा क्षेत्र में निजी निवेशकों की बढ़ोत्तरी होना चाहिए, प्रायवेटाईजेशन होना चाहिए, उस क्षेत्र में 30 से 40 प्रतिशत हमने निजी निवेशकों को आमंत्रित करने के प्रस्ताव दिये हैं. मैं तो केवल इतना ही कहना चाहता हूं कि
विद्यां ददाति विनयं, विनयाद् याति पात्रताम् ।
पात्रत्वात् धनमाप्नोति, धनात् धर्मं ततः सुखम् ॥
इसलिए हम चिकित्सा के जितने मेडीकल कॉलेज बढ़ायेंगे, उतने हमारे डॉक्टर निकलेंगे, जितने डॉक्टर निकलेंगे वह सुदूर ग्रामीण अंचल तक सेवा करने जायेंगे. वह सुदूर ग्रामीण क्षेत्र तक सेवा करने जायेंगे तो वहां बिल्डिगों का भी रखरखाव होगा, वहां पेरामेडीकल स्टॉफ की बढ़ोत्तरी होगी, वहां के लोग स्वस्थ होंगे, भिन्न-भिन्न बीमारियां जिस प्रकार से भिन्न भिन्न क्षेत्रों में हमारी उपलब्धियां हैं, टी.बी., टी.बी.रक्षा शिविर, सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन, रोगी कल्याण अभियान, डे केयर सेंटर और इसी प्रकार से अंधत्व निवारण कार्यक्रम के साथ-साथ 24 ब्लड बैंक का ऑटोमेशन कार्य और 22 एस.एन.यू.एस. मुस्कान अभी प्रमाणित है, 176 लेब रूम, 53 मेटरनिटी ओ.टी. लक्ष्य मानक प्रमाणित हैं, नेशनल क्वॉलिटी इंश्योरेंसल 2024-25 में 1977 संस्थायें कार्य कर रही हैं. मोबाईल मेडीकल यूनिट, सिटी स्कीन सेवाएं, डायलेसिस, एंबुलेंस सेवाएं, नि:शुल्क जांच और नि:शुल्क जांच के साथ पी.एम. श्री एंबुलेंस सेवा भी है. अभी हमारे उज्जैन के सुरेन्द्र सिंह अरोरा जी सीरियस हुए थे और उनको तत्काल पी.एम.श्री एंबुलेंस का आज यदि उनको लाभ मिला सरकार के द्वारा तो आज वह बच पाये, तत्काल उनको बंबई पहुंचाया गया और आज वह स्वस्थ वापस उज्जैन लौट पाये.
सभापति महोदय, आज आपने मुझे बोलने का जो समय दिया, उसके लिये मैं आपका बहुत-बहुत धन्यवाद ज्ञापित करता हूं और माननीय मुख्यमंत्री जी,माननीय स्वास्थय मंत्री जी और माननीय हमारे संसदीय कार्यमंत्री आदरणीय कैलाश विजयवर्गीय जी आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद करना चाहता हूं.
02.39 बजे {अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुये}
श्री कमल मर्सकोले(बरघाट) -- अध्यक्ष महोदय, मैं बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहता हूं हमारी यशस्वी मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव जी की सरकार को कि वह बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं को प्रदान करने के लिये कटिबद्ध हैं और संकल्पबद्ध हैं. स्वास्थ्य सुविधाओं को सुदृढ़ बनाने के लिये भाजपा की सरकार में एक नहीं अनेकों योजनाएं बनाकर के इस दिशा में काम किया जा रहा है. चाहे आयुष्मान भारत योजना हो, पंडित दीन दयाल अंत्योदय उपचार योजना हो, सरदार वल्लभ भाई पटेल नि:शुल्क औषधि वितरण योजना हो, नि:शुल्क चिकित्सा जांच की योजना हो, संजीवनी 108 जननी एक्सप्रेस योजना हो, जननी सुरक्षा योजना, अनेक योजनाएं बनाई हैं ताकि किसी भी गरीब आदमी को पैसे के अभाव में अकाल मौत न मरना पड़े.
अध्यक्ष महोदय, डॉ. मोहन यादव जी की सरकार स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिये निरंतर प्रयासरत है, स्वास्थ्य की अच्छी सुविधाएं आम जन को उपलब्ध हो सकें इसलिए भाजपा की सरकार ने प्रदेश में समस्त जिलों में आधुनिक तकनीकी उपकरणों से सुसज्जित 1002 संजीवनी 108 एंबुलेंस एवं 1050 जननी एक्सप्रेस वाहनों का संचालन किया जा रहा है. संजीवनी 108 सेवा द्वारा 9 लाख 21 हजार हितग्राहियों को और जननी एक्सप्रेस सेवा द्वारा 12 लाख 36 हजार हितग्राहियों को लाभ दिया गया है. डॉ. मोहन यादव जी की सरकार ने एक ऐतिहासिक और उल्लेखनीय कार्य किया है पी.एम. श्री एयर एंबुलेंस का शुभारंभ करके ताकि प्रदेश के गंभीर बीमारी से ग्रसित रोगी अथवा दुर्घटना और आपदा पीडि़तों को देश के किसी भी उच्च स्तरीय संस्थान में उसका उपचार हो सके और अब तक कुल 52 रोगियों को हवाई परिवहन सुविधा का लाभ मिला है.
अध्यक्ष जी, मैं बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहता हूं डॉ. मोहन यादव जी को कि उन्होंने जिन मरीजों की सरकारी अस्पताल में उपचार के दौरान मृत्यु हो जाती है, उसको नि:शुल्क निवास स्थान पर पहुंचाने के लिए शव वाहन की व्यवस्था की है. हमारी सरकार ने एक संकल्प और लिया है हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने संकल्प लिया था कि भारत वर्ष 2047 में विकसित भारत होगा और उसके बाद कोई भी बच्चा जो जन्म लेगा वह सिकल सेल रोग के साथ जन्म न लें, इस संकल्प को पूरा करने की दिशा में सरकार संकल्पबद्ध है.
अध्यक्ष महोदय, प्रदेश में सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन कार्य योजना के अंतर्गत 97 लाख 17 हजार 697 व्यक्तियों की जांच करवाई गई, जिनमें से 27 हजार 263 सिकल सेल रोगियों को चिन्हित किया गया और उनके उपचार और प्रबंधन की नि:शुक्ल सेवा प्रदान की जा रही है. अध्यक्ष जी मेरे विधान सभा क्षेत्र की बात रखना चाहता हूं. मेरे क्षेत्र में विधान सभा मुख्यालय में वर्ष 2017 और 2018 में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र का उन्नयन कर 100 बिस्तरीय अस्पताल की स्वीकृति प्रदान हुई थी, भवन निर्माण के साथ 17 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई थी वहां 100 बिस्तरीय अस्पताल को 50 बिस्तरीय अस्पताल कर दिया गया है. विगत 18 जनवरी को मुख्यमंत्री जी सिवनी प्रवास पर आए थे और उन्होंने 50 बिस्तरीय सिविल अस्पताल को 100 बिस्तरीय सिविल अस्पताल में उन्नयन करने की घोषणा की है. मैं माननीय उपमुख्यमंत्री जी से आग्रह करता हूं कि उसको शीघ्र ही 100 बिस्तरीय सिविल अस्पताल में उन्नयन कर दें, ताकि स्वास्थ्य सुविधाएं क्षेत्र की जनता को मिल सके. मेरे विधान सभा क्षेत्र में अरी, गंगेरवा, आष्ट प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में उन्नयन किए जाने का अनुरोध करता हूं. बरघाट विधान सभा के विकासखंड बरघाट के ग्राम ढारना, मदारा, जनमखारी, बूंदीवारा, बोरीकला उप स्वास्थ्य केन्द्रों का प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में उन्नयन किए जाने का अनुरोध करता हूं. बरघाट विधान सभा के विकासखंड कुरई के ग्राम पीपरवानी, खवासा, ग्वारी, धोबीसर्रा में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र स्थापित है. यदि इन केन्द्रों का सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में उन्नयन हो जाए तो बड़ी कृपा होगी. अध्यक्ष महोदय बरघाट विधान सभा क्षेत्र के कुरई विकावसखंड के ग्राम बादलपार, चक्कीखमरिया, पाटन, टुहिया में उप स्वास्थ्य केन्द्र स्थापपित है, यदि इनका सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में उन्नयन हो जाए तो क्षेत्र की जनता को अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध हो सकेंगी. अध्यक्ष जी बरघाट मुख्यालय में सिविल अस्पताल है, उसमें सोनोग्राफी मशीन, बीपी, शुगर की बड़ी मशीन नहीं है, यदि वह सुविधाएं उपलब्ध हो जाएं तो अच्छी सुविधाएं उपलब्ध हो सकेंगी. अध्यक्ष जी आपने मुझे बोलने का अवसर दिया इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद .
श्री दिलीप सिंह परिहार(नीमच)—अध्यक्ष महोदय, मैं लोक स्वास्थ्य चिकित्सा शिक्षा विभाग की मांग संख्या 19 का समर्थन करता हूं. 22233.77 करोड़ की मांग रखी है. जो गत वर्षों की तुलना में 8.78 करोड़ रूपये की बढ़ोतरी की गई है इसलिये समर्थन करता हूं. पहला सुख निरोगी काया हम देख रहे हैं कि स्वास्थ्य के संबंध में हम अंतिम पायदान पर बैठे हैं. नीमच, जावद एवं मनासा आपने मेडिकल की सुविधा दी है, इसके लिये धन्यवाद देता हूं. माननीय वीरेन्द्र कुमार सखलेचा जी के नाम से मेडिकल कॉलेज का नाम रखा. सिवनी में अभी तीन नये कॉलेज खोले हैं इसके लिये भी धन्यवाद देता हूं. रतलाम में डॉ.लक्ष्मीनारायण पाण्डेय जी के नाम से जिला चिकित्सालय है. हमारे यहां पर जिला चिकित्सालय खोला आप आये इसके लिये धन्यवाद देता हूं. नया मेडिकल कॉलेज है वहां 550 बेड के एक अस्पताल की आवश्यकता है. मैं नीमच, जावद, मनासा जिले की जनता की ओर से आपसे अपील करता हूं कि जहां पर वीरेन्द्र कुमार सखलेचा जी के नाम से मेडिकल कॉलेज खोला है. 100 बेटा बेटी देश के कोने कोने से आकर चिकित्सा की शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं जब वह शिक्षा प्राप्त करेंगे तो देश के अंतिम पंक्ति में गांव में गरीब निवास करता है उनकी सेवा में लगेंगे. आपसे निवेदन है कि हमारे यहां 550 बेड का एक अस्पताल खोलें, जिससे वहां पर गंभीर रोगी वहां पर इलाज कराने के लिये आयें तो उस अस्पताल का लाभ ले सकें. हमारे बहनें नर्सिंग कॉलेज में प्रायवेट कालेजों में जाती हैं वहां पर बहुत लूट होती है. मेरे क्षेत्र में नर्सिंग कालेज के लिये एक जमीन रिजर्व कर दी है नगर-पालिका से जिलाधीश एवं हम तीनों विधायकों ने मिलकर उस मेडिकल की जमीन भी रिजर्व कर दी है अस्पताल तथा नर्सिंग कालेज के लिये भी रिजर्व कर दी है. आप बजट में भी कहीं ना कहीं इसके लिये भी प्रावधान करेंगे तो हमारे क्षेत्र की जनता को लाभ होने वाला है. अभी आपने सतना, रीवा, इन्दौर के मेडिकल कालेजों के उन्नयन, निर्माण के लिये लगभग 15 सौ करोड़ रूपये का प्रावधान रखा है. मैं आपको एवं मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद दूंगा कि नीमच में मां भादो माता का एक स्थान है आप भी वहां पर पधारे हैं. जो लोग लकवा मार जाते हैं वह दूर दूर से आते हैं जो लोग कंधे पर बैठकर आते हैं माता जी की कृपा से पैदल घर जाते हैं. वहां पर एक फीजियोथेरेपी सेन्टर की आवश्यकता है. वहां मान्यवर मुख्यमंत्री जी आये थे तो उन्होंने स्वास्थ्य केन्द्र की घोषणा की थी. कुछ बेडों के अस्पताल की भी घोषणा की थी. उस घोषणा को कार्य रूप में लाने की कृपा करें जिससे हमारे क्षेत्र में भादवा माता में आने वाले लोग आपको दुआएं देंगे. वैष्णो देवी तो कटरा में विराजमान हैं, लेकिन मालवा की वैष्णो हमारे यहां की भादवा माता जी हमारे यहां पर विराजमान है. वहां पर मुख्यमंत्री जी ने स्वास्थ्य केन्द्र की घोषणा की थी उसको आप खोलने का काम करें निश्चित ही स्टॉफ की बहुत कमी है. उस कमी की वजह से आपने अभी भर्ती के पद भी निकाले हैं मैं इसके लिये भी धन्यवाद देता हूं. नवीन मेडिकल कालेजों में पिछले वर्षों की तुलना में 400 करोड़ को आपने 1 हजार करोड़ किया है इसके लिये धन्यवाद देता हूं. केन्द्र सहायता के निर्माण में मेडिकल कालेज में 400 करोड़ रूपये का अलग से प्रावधान किया है. उप स्वास्थ्य केन्द्र हमारे गांव तथा कुछ पंचायतों में जहां पर आवश्यकता है. मैंने उसके प्रस्ताव भी भेजे हैं. गांव से व्यक्ति जिला अस्पतालों में आने में समय लगता है. मेरे एक जीरन तहसील है वहां पर स्वास्थ्य केन्द्र अच्छा बनाया है. वहां डॉक्टरों की कुछ कमी है. अभी जो मुख्यमंत्री जी ने जो घोषणा की है देहदान एवं नेत्रदान. नेत्रदान के मामले में नीमच भारत में ही नहीं विश्व में अग्रिम श्रेणी में आता है. अभी वहां पर देहदान की परम्परा बढ़ी है. उस देहदान से हमारे यहां पर जो बेटा बेटी मेडिकल कालेज में पढ़ते हैं उनका पार्थिक शरीर उनके पढ़ने के काम में आता है. देहदान करने वाले लोगों को मुख्यमंत्री जी ने सम्मानित करने का काम किया. स्वास्थ्य सुविधाएं अच्छी की हैं इसलिये गरीब लोग आपको दुआएं दे रहे हैं. आपने समय दिया धन्यवाद.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा (जावद)—अध्यक्ष महोदय, जावद के कुछ अस्पतालों का उन्नयन जैसे सिंगोली, जावद, रतनगढ़, माननीय मंत्री जी को दिया हुआ है. यह काफी जरूरी है. जिले से 85 किलोमीटर दूर हैं दो तीन निवेदन पत्र आपको दिये हैं. मुझे पूरी आशा है कि आप उसको पूरा करेंगे. जैसा कि आपने कालेज खोलते समय घोषणा की थी कि बहुत जल्दी नीमच में मेडिकल कालेज का अलग से अस्पताल खोलेंगे, क्योंकि दोनों जगहों पर अलग टाईप के मरीज आते हैं. हास्पीटल में सामान्यतः सामान्य बीमारियों के आते हैं. मेडिकल कालेज में गंभीर रोग से पीड़ित विशेषज्ञों से मिलने के लिये आते हैं. दोनों अलग होंगे तो क्षेत्र को बहुत बड़ा लाभ होगा. धन्यवाद.
श्री प्रदीप अग्रवाल (सेंवढ़ा) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग 24 के समर्थन में बोलना चाहता हॅूं. सड़कें एवं पुल किसी भी प्रदेश, जिले एवं ग्राम के लिए लाइफलाइन का काम करती हैं. सड़कें न हों, तो दैनिक जीवन एवं प्रदेश की प्रगति रूक सी जाती है. मुझे ध्यान है कि वर्ष 2003 के पहले मेरे प्रदेश की क्या स्थिति थी. न तो एनएच और न ही स्टेट हाईवे. सड़कों की बात करते हैं. मैंने देखा है आपने भी देखा होगा.
श्री लखन घनघोरिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, स्वास्थ्य विभाग पर चर्चा है या लोक निर्माण पर चर्चा है.
अध्यक्ष महोदय -- प्रदीप जी, अभी जब पीडब्ल्यूडी पर चर्चा आएगी, तब आप सड़कों की बात रखिएगा. अभी हेल्थ पर चर्चा चल रही है.
श्री प्रदीप अग्रवाल -- जी अध्यक्ष महोदय.
डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह -- माननीय अध्यक्ष जी, मैं अपना नाम नहीं दे पाया था, इसलिए कि मैं आसंदी पर था. मुझे लग रहा था, यह समाप्त हो जाएगा. आप पहले आ गए. वहीं आसंदी से ही मैं एक-दो लाइनें कह लेता, तो आप मुझे चार लाइन की अनुमति दे दीजिए.
अध्यक्ष महोदय -- ठीक है, आप बोलिए.
डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह (अमरपाटन) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय उपमुख्यमंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ल जी हमारे विधानसभा क्षेत्र अमरपाटन गए थे. वहां के अस्पताल में इन्होंने विजिट किया. बहुत-सी कमियां इन्होंने पायीं थीं और इन्होंने घोषणाएं भी की थीं. माननीय शुक्ल जी को याद होंगी. आप कहेंगे, तो मैं दोहरा दूंगा. हालांकि दोहराने की जरूरत तो नहीं है. जनरेटर सेट है और बहुत-सी चीजें जो हैं जो आपने वादा किया था, कृपा करके उनको देने का कष्ट करेंगे. दूसरी बात यह है कि सतना में मेडिकल कॉलेज का जो हॉस्पिटल बन रहा है उसके लिए जो कैंसर यूनिट आनी थी, उसके डिजाइन में कुछ परिवर्तन कर दिया गया है और उसका जो बेसमेंट है जो रिइन्फोर्स रहता है, आगे चलकर उसमें कोबोल्ट यूनिट और बहुत सारी चीजें आती हैं तो उसको चेंज कर दिया गया है जिससे लोग वहां पर बहुत संशकित हैं और इस बात से नाराजगी है, तो कृपा करके आप देख लेंगे और तीसरी बात यह है कि मैं आपसे एक व्यवस्था चाहता हॅूं कि आप दें. जब कोई भी माननीय मंत्री किसी भी विधान सभा क्षेत्र में दौरे पर जाते हैं, तो वहां का जो स्थानीय विधायक है विधायक तो सभी चुने हुए होते हैं वोट कोई भी किसी को दे, लेकिन प्रतिनिधि तो पूरी जनता के होते हैं तो उनको जरूर सूचित किया जाए और कोशिश की जाए कि वे भी साथ रहें. चाहे वह किसी भी दल के हों. आप यह व्यवस्था जरूर दें. क्योंकि इसमें मैं कभी-कभी बहुत कमी पाता हॅूं और थोड़ा कष्ट होता है. धन्यवाद.
उपमुख्यमंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण (श्री राजेन्द्र शुक्ल) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, स्वास्थ्य विभाग की अनुदान मांगों की चर्चा में आज कई माननीय सदस्यों ने हिस्सा लिया है. अपने विचार रखे हैं और सुझाव भी दिये हैं. जो विभाग की गुणवत्ता को बेहतर बनाने में काफी लाभदायक भी साबित होगा. मैं डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय जी, श्रीमती अनुभा मुंजारे जी, श्री शैलेन्द्र कुमार जैन जी, श्री साहब सिंह गुर्जर जी, डॉ.प्रभुराम चौधरी जी, डॉ.तेजबहादुर जी, डॉ.योगेश पंडाग्रे जी, श्री सुनील उइके जी, श्री राजेन्द्र मेश्राम जी, श्री अनिल जैन जी, श्री कमल मर्सकोले जी, श्री दिलीप परिहार जी, श्री ओमप्रकाश सखलेचा जी एवं श्री प्रदीप अग्रवाल जी को धन्यवाद देता हॅूं. सभी ने अपने वक्तव्य में स्वास्थ्य विभाग की सुविधाओं के विस्तार के बारे में चिंता व्यक्त की है और सभी ने अपेक्षा की है कि उनके स्वास्थ्य केन्द्रों का उन्नयन हो. वहां पर डॉक्टरों की पदस्थापना हो. पैरामेडिकल स्टॉफ जितने स्वीकृत हुए हैं, वह उपलब्ध हो जाएं. लेकिन मुझे समझ में नहीं आया कि विस्तार और विकास तो सभी चाहते हैं लेकिन हमारे विपक्ष के मित्रों ने कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत किया है, उनको तो स्वागत करना चाहिए कि हमारी सरकार ने स्वास्थ्य विभाग के बजट में लगभग 9 प्रतिशत की वृद्धि की है.(मेजों की थपथपाहट) यह वृद्धि इन्हीं सब कामों के लिए है, जिन कमियों को आप उल्लेखित कर रहे हैं.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह - अध्यक्ष महोदय, जो माननीय मंत्री जी कटौती प्रस्तावों के बारे में कह रहे हैं तो इस पूरे बजट के लिए तो सदस्य देता नहीं है, किसी एक काम के लिए देता है, उससे उसकी असहमति है. माननीय मंत्री जी, कटौती प्रस्ताव तो इस तरह होते हैं.
श्री राजेन्द्र शुक्ल - अध्यक्ष महोदय, यह जो अभी पिछले दिनों फाइनेंस कमीशन के यहां पर चेयरमैन और उनके मेम्बर्स आए थे. उन्होंने पिछले 20 वर्षों में जिस तरह से आर्थिक अनुशासन के माध्यम से मध्यप्रदेश की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने का काम हुआ. मुझे यह बताते हुए प्रसन्नता है कि उन्होंने मध्यप्रदेश की तारीफ की है. (मेजों की थपथपाहट) लगातार हमारा बजट हमारी आवश्यकताओं की पूर्ति के हिसाब से बढ़ रहा है, उसमें वह सारे प्रावधान किये जा रहे हैं. मैं इतिहास में ज्यादा नहीं जाना चाहता हूं, लेकिन मेरे पास वर्ष 2003 से लेकर वर्ष 2025 के बीच में कितने मेडिकल कॉलेज थे, कितने सब हैल्थ सेंटर थे, कितने चिकित्सक थे, कितने लोगों को एम्बूलेंस की सुविधा उपलब्ध कराई जाती थी, कितनी फ्री दवाई देने का प्रावधान था, कितनी जांचें हो पाती थीं और आज कितनी जांचें हो रही हैं. हमारे माननीय सदस्यों ने बताया है कि 1000 प्रकार की.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - इतिहास में ज्यादा मत जाओ, थोड़े ही चले जाओ.
श्री राजेन्द्र शुक्ल - थोड़ा इतिहास में, जैसा माननीय संसदीय कार्यमंत्री जी ने कहा है कि 5 मेडिकल कॉलेज से आज 17 मेडिकल कॉलेज हैं. (मेजों की थपथपाहट) 2 मेडिकल कॉलेज श्योपुर और सिंगरौली, हम इसकी शुरुआत करने वाले हैं. श्योपुर और सिंगरौली नये मेडिकल कॉलेज जो बनकर तैयार हुए हैं, जैसे इस वर्ष हमने नीमच, मंदसौर और सिवनी का उद्घाटन किया है वैसे ही इस बार श्योपुर और सिंगरौली का उद्घाटन करने वाले हैं और अगले वर्ष 6 और मेडिकल कालेज, जिसमें राजगढ़, बुदनी, दमोह, छतरपुर, छिंदवाड़ा है. हमारे माननीय सदस्य कह रहे थे कि छिंदवाड़ा के लिए बजट का प्रावधान करें तो बजट का प्रावधान तो एक बार होता है, बार-बार थोड़े ही होता है. वह अंडर-कंस्ट्रक्शन है. जब तक वह काम पूर्ण नहीं होकर लोकार्पण नहीं हो जाता है तब तक उसमें बजट के लिए अलग से प्रावधान करने की आवश्यकता नहीं है. हमारे इस बजट में शामिल है.
श्री सोहनलाल बाल्मीक - अध्यक्ष महोदय, छिंदवाड़ा की जो प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनी थी, वह 1465 करोड़ रुपये की थी, उसमें कटौती कर दी गई, वह सदस्य ने बोला है कि वह कटौती क्यों की गई? उसमें कैंसर यूनिट की व्यवस्था थी, हार्ट यूनिट की व्यवस्था थी वह सारी कम कर दी गई है, उसकी बात है.
श्री राजेन्द्र शुक्ल - अध्यक्ष महोदय, उसके बारे में हम अलग से चर्चा कर लेंगे क्योंकि आम तौर पर हम जो मेडिकल कॉलेज बनाते हैं वह 300-400 करोड़ रुपये में बन जाता है. जैसे अभी सतना मेडिकल कॉलेज की बात हुई है, मेडिकल कॉलेज के अस्पताल की बात हुई है उसमें 375 करोड़ रुपये अस्पताल के लिए हम मंजूर कर रहे हैं 604 बेड का अस्पताल है उसमें डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह जी जो बहुत वरिष्ठ सदस्य हैं तो कैंसर की जो बात आपने कही है, उसमें कोई परिवर्तन नहीं है, उसमें कैंसर का जो बंकर होता है उसका प्रावधान किया गया है, जैसे ही आंकोलॉजी डिपार्टमेंट खुलेगा तो उसमें फिर उसके लिए भवन का और बिल्डिंग का भी अरेंजमेंट उसके साथ ही होगा, उसके लिए आपको चिंतित होने की जरूरत नहीं है तो मैं आपसे बता रहा था कि हमारे राज्य में लगातार स्वास्थ्य की सुविधाएं बेहतर हों, इसके लिए प्रयास हुए हैं. पिछले वर्ष की जो उपलब्धि है. आपके जो मानव संसाधन की कमी है. मुझे यह बताते हुए प्रसन्नता है कि नयी सरकार बनाने के बाद हम लोगों ने आईपीएचएस नॉर्म्स को एप्रूव किया है, जिसके तहत 3900 डॉक्टरों की भर्ती हो रही है. 4300 पैरामेडिकल स्टॉफ की भर्ती हो रही है और उसके साथ ही 16000 आउट सोर्स के जो कर्मचारी होते हैं, जिसमें सफाई वाले होते हैं, जिसमें सुरक्षा वाले होते हैं, सपोर्ट स्टाफ के लोग होते हैं 16000 उन लोगों की भर्ती का भी हमारी कैबिनट ने निर्णय किया है और उसके भी प्रावधान इस बजट में किये गये हैं. कुल मिलाकर उद्देश्य यही है कि आपकी सारी अपेक्षाओं की पूर्ति हमारे प्रदेश में दूर-दराज इलाके में जितने भी स्वास्थ्य केन्द्र हैं, वह बेहतर तरीके से चलें. जहां तक जांच की बात है तो 300 प्रकार की जांचें हमारे जिला अस्पताल में, मेडिकल कॉलेज के अस्पतालों में, प्रायमरी हेल्थ सेंटर्स में, कम्युनिटी हेल्थ सेंटर्स में इसके लिये आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ है कि इतनी ज्यादा संख्या में जांच का कोई कार्यक्रम हमारे देश में चला हो. आप अभी सुन रहे होंगे कि निरोगी काया अभियान चल रहा है. राईट टू हेल्थ, राईट टू एजुकेशन के साथ-साथ राईट टू स्क्रिनिंग. यदि राईट टू हेल्थ करना है तो राईट टू स्क्रिनिंग का यह महाअभियान हमारे देश में चल रहा है.
अध्यक्ष महोदय, मैं आप सबसे अपेक्षा करता हूं कि इस अभियान में आप सभी लोग सक्रिय भागीदारी निभायें और डॉयबिटीज, ब्लड प्रेशर, फैटी लिवर, केंसर और केंसर में खासतौर से सर्वाइकल केंसर, ब्रेस्ट केंसर और ओरल केंसर, जो आम तौर पर गंभीर हालत में पहुंचने के बाद व्यक्ति अस्पताल पहुंचता है. लेकिन वह इतना सक्षम नहीं है कि उसकी जांच हो सके तो उसकी जांच के लिये हमारी केन्द्र सरकार ने, मोदी जी की सरकार ने इस अभियान को पूरे देशव्यापी चलाने का निर्णय लिया है और उसमें हमारे प्रदेश में 20 फरवरी से जो यह अभियान चला है, वह 31 मार्च तक चलेगा और उसमें बड़ा संख्या में लोगों की जांच हुई है. लाखों की संख्या में निरोगी काया अभियान में 48 लाख लोगों की हाई ब्लड प्रेशर की जांच, 46.9 लाख व्यक्तियों की डॉयबिटीज, 10 लाख व्यक्तियों की एन.ए.एफ.एल.डी की स्क्रिनिंग जो फैटी लिवर से संबंधित है, 4.82 लाख व्यक्तियों की ओरल केंसर, 1.42 व्यक्तियों की सर्वाइकल केंसर, 2.34 लाख महिलाओं की स्तन केंसर की स्क्रिनिंग की गयी. यह अभियान 31 मार्च तक चलेगा और इससे एक बहुत, क्योंकि हम लोगों का यह मानना है कि प्रीवेंशन इस बेटर देन क्योर. यदि हमने लोगों के बीमार होने से पहले ही बता दिया कि यह बीमारी आपके शरीर में जन्म ले रही है तो उसको गाईड किया जा सकता है. उसको हेल्थ सेंटर्स में पहुंचाया जा सकता है उसको दवाईयां दी जा सकती है. इसी प्रकार से सिकल सेल एनीमिया, आपको आश्चर्य होगा कि 97 लाख लोगों की सिकल सेल एनीमिया में स्क्रिनिंग की गयी और उसमें से 72 लाख लोगों को वह कार्ड वितरित किये गये हैं जो सिकल सेल एनीमिया की दूर-दराज खासकर के आदिवासी इलाकों में यह जांच होती है और यह बीमारी एक बार हो गयी तो जीवन बहुत ही कष्टकारक हो जाता है. वह कार्ड इसलिये दिये जाते हैं कि यदि दो सिकल सेल एनीमिया के केरियर रोगी ने शादी कर ली तो बच्चे को भी सिकल सेल एनीमिया का रोग होगा और वह जीवन भर परेशान होगा. जिस तरह से कार्ड में इसके कलर होते हैं तो वह कलर मिलाने के बाद यह तय हो जाता है कि यह केरियर हैं और इनको आपस में शादी करना उचित नहीं है. इसलिये इस प्रकार 72 लाख की संख्या में 75 लाख सिकल सेल एनीमिया वितरित करने का काम किया गया है. केंसर से संबंधित, अभी तक ऐसा कभी नहीं हुआ है जिला अस्पतालों में डे केयर केंसर यूनिट का संचालन हो, जहां पर कीमोथैरेपी की सुविधा, ना सिर्फ डॉयलेसिस की बल्कि कीमोथैरेपी की भी सुविधा उपलब्ध करा रहे हैं. क्योंकि जिनको हो जाता है तो फिर उनको दूर जाना पड़ता है.
अध्यक्ष महोदय, अभी केन्द्र सरकार ने 200 डे केयर केंसर, मध्य प्रदेश ने जो पहल की तो मध्य प्रदेश के पहल के आधार पर केन्द्र सरकार ने इसको देशव्यापी बनाने का निर्णय किया है और पहले चरण में 200 डे केयर सेंटर केन्द्र खोलने की जिला अस्पतालों में, यह घोषणा केन्द्र के बजट में हुई है तो यह बहुत महत्पूर्ण कार्य हमारे यहां हो रहा है. 269 निजी सोनोग्राफी सेंटर के माध्यम से गर्भवती, अभी कई सदस्यों ने एम.एम.आर., आई एम.आर. की कई सदस्यों ने बात कही है. यह बात सही है कि हमारे यहां एम.एम.आर एक लाख माताओं के प्रसव में 173 डेथ होती है लेकिन यह बात भी सही है कि वर्ष 2003 में यह 493 होती थी. 493 से 173 तक यह जो एमएमआर है, मातृ मृत्यु दर है, वह नीच आया है. इसी प्रकार से शिशु मृत्यु दर भी जो बड़ा 2003 में 80 से ऊपर था, वह अब 43 हुआ है. लेकिन हमारा लक्ष्य है कि इसको हम और नीचे लायें. इसके लिये 1 हजार जननी एक्सप्रेश चलाई जा रही हैं. 108 एम्बुलेंस चलाये जा रहे हैं और एयर एम्बुलेंस की बात हो रही है. अभी आदरणीय यादवेंद्र सिंह जी कह रहे थे कि आज ही उनके क्षेत्र से एक मरीज को एयर एम्बुलेंस से, टीकमगढ़ क्षेत्र से उसको बड़े हास्पिटल में ट्रांसफर किया जा रहा है. तो दूरदराज इलाके में जो लोग बीमार हो जाते हैं, 108 एम्बुलेंस के माध्यम से यह बहुत ही बड़ा नवाचार है. डॉ. मोहन यादव जी, हमारे मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देना चाहिये कि उन्होंने लोगों की इस पीड़ा को समझा कि यदि हमारे पास आयुष्मान कार्ड है, यदि उस जिले में उसका इलाज नहीं हो सकता है, तो उसको लोग 108 एम्बुलेंस से उस अस्पताल में जल्दी पहुंचाना संभव नहीं है. ट्रेन से ले जाने में बहुत समय लग सकता है. अभी ऐतिहासित घटना हुई जबलपुर में. उस वीडियो को यदि आप लोगों ने देखा होगा कि ब्रेन डेड पेशेंट जबलपुर के अस्पताल में था, उसके परिजनों ने अपनी सहमति दी, उनका हार्ट हेलीकॉप्टर से पहुंचाया गया भोपाल और उसी व्यक्ति का लीवर प्लेन से पहुंचाया गया इन्दौर और वहां पर उसका हार्ट ट्रांसप्लांट हुआ और यहां उसका लीवर ट्रांसप्लांट हुआ. यदि यह सुविधा शुरु नहीं हुई होती तो क्या उन दो लोगों की जान बचाई जा सकती थी. मैं उस परिवार के लोगों को भी धन्यवाद देना चाहता हूं.
श्री कैलाश विजयवर्गीय—अध्यक्ष महोदय, इन्दौर वाला पेंशेंट काफी स्वस्थ है.
श्री राजेन्द्र शुक्ल—अध्यक्ष महोदय, इन्दौर का भी भोपाल के जो हैं..
श्री शैलेन्द्र कुमार जैन—यादवेंद्र सिंह जी, आप अपना वाला भी बता दीजिये,धन्यवाद दे दीजिये. अच्छा काम हो रहा है.
श्री यादवेंद्र सिंह—शैलेन्द्र जी, आज वह जा रहे हैं, मैंने मंत्री जी को धन्यवाद दे दिया है.
अध्यक्ष महोदय-- शैलेन्द्र जी, मंत्री जी को भाषण पूरा करने दें.
श्री राजेन्द्र शुक्ल—अध्यक्ष महोदय, इसी प्रकार से शव वाहन. मुख्यमंत्री जी ने दो बहुत ही महत्वपूर्ण निर्णय लिये थे कि हमारे यहां सरकारी अस्पतालों में, जिला अस्पताल, मेडिकल कालेज के अस्पतालों में कभी कभी अखबारों में यह फोटो देखने को मिलती है कि किसी भी गरीब व्यक्ति का, कोई परिजन की डेथ हो गई, तो ठेले,साइकिल पर ले जा रहे हैं. तो शव वाहन चलाने के लिये भी उन्होंने निर्णय लिया था. मुझे आपको बताते हुए प्रसन्नता है कि 15 अप्रैल से 60 स्थानों पर वह शुरु हो जायेगा शव वाहन, उसके टेंडर्स हो गये हैं और 30 अप्रैल से 85 और शव वाहन शुरु हो जायेंगे. सारे जिला अस्पतालों में, जहां जिला अस्पताल है, वहां पर दो वाहन रहेंगे और जहां मेडिकल कालेज है, वहां पर 4 वाहन रहेंगे और इस प्रकार की परिस्थितियां यदि निर्मित होती हैं, तो शव वाहन से सम्मान के साथ उनके घर तक उनके शव को पहुंचाने की व्यवस्था अब उनके परिवार के लोगों को नहीं करनी पड़ेगी. मध्यप्रदेश की भाजपा की सरकार इस काम को करेगी. तो एक ओर इस प्रकार के स्क्रीनिंग, टेस्ट, ट्रीटमेंट, डॉयग्नोसिस के लिये लगातार व्यवस्थाएं हो रही है. दूसरी ओर मानव संसाधन की कमी को पूरा करने के लिये पदों की मंजूरी हो रही है. वहीं तीसरी ओर डॉक्टर्स की उपलब्धता बनी रहे. आप लोगों ने सुना होगा कि आने वाले वर्ष में 75 हजार एमबीबीएस की सीट्स बढ़ाने का निर्णय प्रधानमंत्री जी ने लिया है. उसमें मध्यप्रदेश 5 से 10 हजार सीट्स का कंट्रीब्यूशन करने वाला है. मेडिकल कालेज जो 17 और इस बार 2 और शुरु होंगे, 19 और अगले साल 6, 25 हो जायेंगे. बाकी 12 जिलों में निजी पूंजी निवेश को भी आमंत्रित करने के लिये, क्योंकि निजी पूंजी निवेश भी जरुरी है. क्योंकि हमें उन तमाम संभावनाओं को देखना पड़ेगा कि यदि निजी पूंजी निवेश आ सकता है, तो हम उससे मेडिकल कालेज बनायें, हास्पिटल बनायें. आयुष्मान कार्ड प्रधानमंत्री जी ने जो दिया है, अब वह सरकारी और प्रायवेट मेडिकल कालेज ऑलमोस्ट गरीबों के लिये बराबर ही हो गया है. 5 लाख रुपये तक का निशुल्क इलाज यह कभी किसी ने सोचा तक नहीं था कि कोई सरकार आयेगी तो इस प्रकार की भी योजना बनाने का काम होगा. अब हमारे देश में गरीब लोगों की पेइंग कैपेसिटी अपने इलाज के मामले में बढ़ गई है. हर गरीब आदमी 5 लाख रुपये तक का अभी रीवा में किडनी ट्रांसप्लांट हुआ. सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में और जिन लोगों का किडनी ट्रांसप्लांट हुआ वह आयुष्यमान कार्डधारी थे, गरीब लोग था, आदिवासी थे, पिछड़े वर्ग के लोग आयुष्यमान कार्य लेकर के जाते हैं चाहे प्रायवेट अस्पताल हो चाहे सरकारी अस्पताल हो एक रूपया उनका नहीं लगता और उनका इलाज होता है. आज हमारे जितने भी सुपर स्पेशलिस्ट ब्लॉक हैं वहां पर रोज 10-15-20 एंजियोप्लास्टी हो रही है, और जब हम डॉक्टरों से पूछते हैं कि इसमें आयुष्यमान कार्ड वाले कितने हैं तो 80 प्रतिशत लोग आयुष्यमान कार्डधारी होते हैं जो सरकारी अस्पताल के सुपर स्पेशलिस्टी अस्पताल में जिनकी ऐंजियोप्लास्टी और बायपास सर्जरी हो रही है. तो एक ओर प्रायमरी ट्रीटमेंट, टर्सरी ट्रीटमेंट इन सारे इलाजों में हमारे अस्पताल सक्षम हैं उसमें तमाम तरह की व्यवस्थायें हो उसमें यह जो बजट है सहयोगी होगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह जी ने कहा कि मैहर और अमरपाटन, सतना में आयुष्यमान कार्ड नहीं लिये जा रहे हैं. तो इसको हम देखेंगे क्योंकि हमने इस बार आयुष्यमान में बजट का प्रावधान काफी बढ़ा दिया है.
डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अनुरोध यह था कि इसमें शायद राशि कम है विभिन्न इलाजों की तो सतना जिले के जितने प्रायवेट हास्पीटल हैं वह एक्सेप्ट नहीं कर रहे हैं.सतना जिला और मैहर जिले में.
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- अब वह कौन सा मामला है क्योंकि आयुष्यमान में प्रायवेट अस्पताल इम्पैनलमेंट हो रहे हैं, उसमें भी काफी लोग प्रयास कर रहे हैं कि आयुष्यमान में हमारे अस्पताल को इम्पैनलमेंट कर लिया जाये. इसका मतलब है कि उनके जो पैकेज है उनसे वह संतुष्ट हैं तभी तो वह अपने अस्पताल को शामिल करने की बात कर रहे हैं, अब आपने जो कहा किस मेटर पर किस कान्टेक्ट पर है यह पता कर लेंगे तो कुल मिलाकर ....
श्री सुरेश राजे -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आधा मिनट मुझे मिलेगा क्या.
अध्यक्ष महोदय- मंत्री जी बोल रहे हैं. चर्चा समाप्त हो रही है, अभी अन्य विभाग पर चर्चा होगी उस पर आप बोल लेना.
श्री शैलेन्द्र कुमार जैन-- (हंसी) अध्यक्ष महोदय, इनसे विषय पूछ लें किस पर बोलना चाहते हैं.
श्री राजेन्द्र शुक्ल - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेडिकल कॉलेज के साथ साथ मल्टी स्पेशलिटी हास्पिटल और सुपर स्पेशलिटी हास्पिटल भी हमारे (बी) और (सी) ग्रेड के जो शहर हैं. जो चार बड़े शहर हैं उनको छोड़कर यदि वहां पर कोई प्रायवेट सेक्टर के लोग सुपर स्पेशलिस्टी और मल्टी स्पेशलिस्टी अस्पताल शुरू करना चाहते हैं तो जो नई पालिसी अभी जीआईएस के दौरान जो 18 पॉलिसी घोषित हुई हैं उसमें से हेल्थ सेक्टर की भी पॉलिसी बहुत ही आकर्षक है जिसमें से 35 से 40 प्रतिशत की सबसीडी जिसकी मैग्जिमम कैपिंग 15 करोड़ तक रहेगी उसमें भी हम लोगों ने लोगों को अट्रेक्ट करने की कोशिश की है कि वह बी और सी ग्रेड के शहरों में सुपर स्पेशलिटी हास्पिटल लगायें कैथलेब रहे उसमे, बायपास सर्जरी हो सके, वहां पर न्यूरोलाजिस्ट से संबंधित इलाज हो सके, यूरोलाजिस्ट से संबंधित इलाज हो सके इसके लिये यह जो पालिसी है यह भी काफी लाभदायक होगी और जो हम हेल्थ सेक्टर के सारे पैरामीटर्स जो इंडीकेटर्स हैं हमारे उन इंडीकेटर्स को सुधारने के लिये जो हमारा लक्ष्य है, क्योंकि देश आर्थिक रूप से सशक्त हो रहा है और देश जब आर्थिक रूप से सशक्त हो रहा है तो अल्टीमेट जो हमारा लक्ष्य है वह एजूकेशन और हेल्थ को बेहतर बनाना है तो हेल्थ के सेक्टर में हमें वह सारे प्रयास लोगों को अच्छी स्वास्थ्य की सुविधा दे सकें, इसके लिये हमारे जो प्रयास हैं, एक वर्ष का जो हमारे इनेसेटिव हैं जो नवाचार हैं वह एक बेहतर स्वास्थ्य के क्षेत्र में प्रदेश को बेहतर बनाने में सफल हो सकेगा. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं समझता हूं कि मैंने सभी माननीय सदस्यों का पाईंट नोट किये हैं और खासतौर से ज्यादा लोग उन्नयन की बात कर रहे थे तो उन्नयन के लिये जो नार्मस हैं कि 5 हजार की पापुलेशन पर एक सब हेल्थ सेन्टर होगा, 30 हजार की पापुलेशन पर पीएचसी होगी, 1 लाख 20 हजार की पापुलेशन में कम्युनिटी हेल्थ सेन्टर होगा और ट्रायवल एरिया में वह 5 हजार की जगह 3 हजार , 30 हजार की जगह 20 हजार , तो उसके आधार पर फिजिब्ल्टी स्टडी हमारा विभाग कर रहा है निश्चित रूप से आपके सेन्टर्स इसमें आयेंगे ..
श्री आशीष गोविंद शर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी अनुरोध है कि 108 के विषय में भी कुछ कह दें थोड़ी संख्या बढ़ जाये. 108 ऐंबूलेंस की संख्या बढ़ाई जाये.
अध्यक्ष महोदय -- आशीष जी, कृपया बैठ जाइये.
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- अध्यक्ष महोदय, 108 एम्बुलेंस की संख्या की भी बात आप कर रहे हैं तो इसमें जो नॉर्म्स हैं उसके आधार पर लगातार जो विकास की जरूरत है जो विस्तार की आवश्यकता है वह निश्चित रूप से की जाएगी. ओमप्रकाश जी भी मेरी ओर देख रहे हैं उन्नयन से संबंधित आपकी जो बातें हैं वह सारी समाहित हैं. जैसा मैंने आपसे कहा कि विभाग बहुत बारीकी से फिज़बिलिटी स्टडी करा रहा है और इसके लिये भी हमको बजट की आवश्यकता पड़ेगी क्योंकि जब हम किसी सेंटर का उन्नयन करते हैं तो पदों की बढ़ोत्तरी हो जाती है. उसमें इंफ्रास्ट्रक्चर की भी आवश्यकता पड़ती है. यह बजट जिसके डिमांड की मांग के लिये हम आज आपके पास आये हैं वह इसीलिये आये हैं कि मध्यप्रदेश के जितने भी दूर-दराज इलाके में स्वास्थ्य केन्द्रों को बेहतर बनाना, उसमें मानव संसाधन की उपलब्धता सुनिश्चित करना, वहां पर उपकरण पहुंचाना और हमारे जितने 348 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र हैं, वह फर्स्ट रेफरल यूनिट की तरह स्थापित हो जाएं, एफआरयू बन जाएं, जिससे लोगों को जिला अस्पताल आने की आवश्यकता न पड़े. जिला अस्पताल लोग आम तौर पर तभी आते हैं जब वहां पर उनको वह सुविधा नहीं मिल पाती है. जिला अस्पतालों की भी व्यवस्था प्रभावित होती है. इसलिये यदि अमरपाटन में आपने कहा कि जब मंत्री वहां जाएं तो आपको बुला लें, यही तो आपने मांग की है.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह -- नहीं, आप वहां गये थे. आप घोषणा करके आये हैं.
अध्यक्ष महोदय -- उप मुख्यमंत्री जी, जो आपकी तरफ ज्यादा गौर से देख रहा है उसकी तरफ ज्यादा ध्यान दे रहे हैं, ऐसा देखने में आ रहा है. (हंसी) पहले सखलेचा जी ने देखा.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह -- अध्यक्ष महोदय, हम पड़ोसी हैं.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, मैं गौर से देख रहा हूं परंतु मेरी तरफ देख ही नहीं रहे हैं. (हंसी)
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह -- अध्यक्ष महोदय, आप वहां गये थे तब आपने कुछ घोषणाएं की थीं. आप हॉस्पिटल में गये थे. जनरेटर की घोषणा की थी. अपनी घोषणाओं के बारे में तो बोल दीजिये. वह व्यवस्था तो मैंने अध्यक्ष जी से मांगी है कि मंत्री जी जब जाएं, सब विधायकों को बुला लें.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- अध्यक्ष महोदय, हम लोग भी पीछे बैठे हुये हैं.
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- अध्यक्ष महोदय, सिर्फ आपके लिये ही नहीं समग्र रूप से जो बजट आया है यह सभी सदस्यों के क्षेत्र में आने वाले प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, उप स्वास्थ्य केन्द्र, कम्युनिटी हेल्थ सेंटर में जो मशीन नहीं है, जो जनरेटर नहीं है, जो उपकरण नहीं है, जो फर्नीचर नहीं है, जो स्टाफ नहीं है, वह सभी को पर्याप्त उपलब्धता हो जाए इसके लिये ही यह बजट आज यहां पर प्रस्तुत हुआ है. आप इस बजट को पारित करें जिससे आपकी अपेक्षाओं को पूरा करने में सरकार सक्षम हो सके.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह -- अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने वहां घोषणा की है. अखबारों में तमाम छपा हुआ है. प्रमाण है. आपने जनरेटर के लिये की है और कुछ भी की हैं.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय नेता प्रतिपक्ष कुछ बोलना चाहते हैं.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) -- अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मैं कहना चाहता हूं कि आपने पीएचसी की बात की, सीएचसी की बात कही कि यह सर्व सुविधा युक्त रहेंगे. शहर में तो आप मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल बना रहे हैं लेकिन यह सच है कि हर जिले का व्यक्ति प्रमुख शहरों में जाता है और पिछले 20-22 साल से बीजेपी की सरकार है और 20-22 साल से बजट आ रहा है, लेकिन आज भी गांव के अंदर ग्रामीण क्षेत्र में, आदिवासी क्षेत्रों के अंदर आज भी डॉक्टर नहीं हैं. झोला छाप डॉक्टर वहां पर इलाज करते हैं. अस्पताल के बाहर सड़कों पर पड़े हैं. उनको बॉटलें लग रही हैं. वह मर रहे हैं. मेरा माननीय मंत्री जी से कहना है कि डॉक्टरों की भर्ती, पैरामेडिकल की भर्ती पहले करें. आप सिर्फ मशीनें खरीद रहे हैं. मशीनों के लिये ऑपरेटर नहीं हैं. आपके पास स्टाफ नहीं है. कैग की रिपोर्ट में भी यह आया है कि मशीनें सड़ गईं, खराब हो गईं, उपयोग नहीं हुआ. कई अस्पतालों में आज भी यह स्थिति है, तो सरकार क्या 22 साल से पैरामेडिकल नर्स की पोस्टिंग नहीं कर पा रही है. कम्पाउंडर की पोस्टिंग नहीं कर पा रही है. आप डॉक्टर्स की पोस्टिंग नहीं कर पा रहे, तो कब तक होगा यह स्पष्ट बताएं. बिल्डिंग ही बन रही हैं. पूंजीगत व्यय में बिल्डिंग ही बिल्डिंग बना रहे हैं, लेकिन उसके अंदर डॉक्टर तो रखें जो इलाज कर सकें.
अध्यक्ष महोदय -- ठीक है. माननीय स्वास्थ्य मंत्री जी, कुछ कहना चाहते हैं.
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- अध्यक्ष महोदय, नेता प्रतिपक्ष जी ने शायद ध्यान से पूरी बात नहीं सुनी है कि डॉक्टर्स की भर्ती के लिये सभी सदस्यों ने भी इस बात को यहां पर रखा है. हम 3,900 डॉक्टर्स की भर्ती पीएससी के माध्यम से कर रहे हैं जो आने वाले कुछ महीनों के अंदर हमको प्राप्त हो जाएंगे. जिसमें विशेषज्ञ भी हैं, जिसमें मेडिकल ऑफीसर्स भी हैं, जिसमें 4,300 पैरामेडिकल स्टाफ भी हैं, 16,000 आउटसोर्स के कर्मचारी भी हैं, तो यह तो जो आप कह रहे हैं.
श्री उमंग सिंघार -- अध्यक्ष महोदय, मैं यह मानता हूं कि 20 साल के बाद सरकार को सद्बुद्धि आई है.
श्री सुरेश राजे -- माननीय मंत्री जी 16 हजार आप आउटसोर्स से भर रहे हैं. इसमें जो एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग के लोग हैं उनके हक पर कुठाराघात नहीं होगा क्या. आउटसोर्स से तो सीधी भर्ती हो रही है. इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए. आउटसोर्स तो सीधा ठेकेदारों से भरवा रहे हो.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा -- आउटसोर्स में भी एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग के कर्मचारी हैं विधायक जी. (व्यवधान)
श्री सुरेश राजे -- उसमें सीधा उनके साथ कुठाराघात हो रहा है.
डॉ. योगेश पण्डाग्रे -- सुरेश जी अधिकतर है. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- सुरेश जी बैठें. (व्यवधान)
श्री भंवरसिंह शेखावत -- आउटसोर्स में जो कर्मचारी रखे गए हैं बहुत अच्छी बात है आपने पूरे भर्ती नहीं किए हैं आउटसोर्स में रख रहे हैं लेकिन अभी सतना में भोपाल में कम से कम 13 हजार लोगों की तनख्वाह 6-6 महीने से नहीं मिली है. आप उनसे काम ले रहे हो बहुत अच्छी बात है उनको तनख्वाह तो दीजिए. आपके पास परमानेंट स्टाफ नहीं है इसलिए आउटसोर्स से काम ले रहे हो. इनको भी 4-4, 5-5 महीने तनख्वाह नहीं मिलेगी तो यह क्या काम करेंगे. सतना में जाकर देखिए तो सही, कल ही तो छपा है. आज ही दैनिक भास्कर अखबार में भी छपा है. एम्स के अन्दर. आउटसोर्स वाले कर्मचारियों को समय पर तनख्वाह मिल जाए.
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- आप आउटसोर्स के कर्मचारियों की तनख्वाह की भी चिंता मत करिए और जो हमारे हेल्थ वर्कर्स हैं. चाहे वे रेग्यूलर हैं या संविदा में हैं, चाहे आउटसोर्स वाले हैं सभी की सेलरी से संबंधित कोई भी जो परेशानी है वह दूर हो जाएगी. आप इसकी चिंता न करें. साथ ही आपने यह बताया कि 20 साल बाद सरकार को यह समझ में आया है. अब मुझे आपको पुराने आंकड़े बताने पड़ेंगे कि वर्ष 2003 में क्या दुर्दशा थी. स्वास्थ्य के क्षेत्र की क्या दुर्दशा थी.
श्री उमंग सिंघार -- 22 साल हो गए सरकार को, मेरा कहना है किसी परिवार में बच्चे भी हो जाते हैं, पोते भी हो जाते हैं. आज पोतों की बात करो आप दादा-परदादा की बात करते हो.
(व्यवधान)
श्री शैलेन्द्र जैन -- आपके पीछे चलेंगी आपकी परछाइयाँ (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी कृपया समाप्त करें. (व्यवधान)
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- स्वास्थ्य के क्षेत्र में, अन्य क्षेत्रों में कांग्रेस के कुशासन के कारण जो बीमारू राज्य का कलंक लगा था उसको मिटाने काम तो भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किया है. चाहे वह बिजली का क्षेत्र हो, चाहे वह सड़कों का क्षेत्र हो, चाहे वह स्वास्थ्य का क्षेत्र हो. जैसा मैंने एमएमआर का बताया फोर लेन.. (व्यवधान)
श्री दिनेश गुर्जर -- तभी सरकारी स्कूलों में फीसें ली जा रही हैं 500 रुपए का रुम दिया जा रहा है. कभी कांग्रेस की सरकार में पैसा नहीं लिया जाता था. आप गरीबों से पैसा ले रहे हो, मरीजों से पैसा ले रहे हो.
श्री हेमंत सत्यदेव कटारे -- यह पिछले वर्ष का कॉपी पेस्ट भाषण है. पिछले वर्ष भी ऐसा ही भाषण आया था, माननीय मंत्री जी अवलोकन करें. एक घटना और हुई थी जिसमें एक मरीज का इतना बिल आया वह कोमा में था बिल देखकर उसका कोमा दूर हो गया वह भागकर बाहर आ गया था. आपने न्यूज में देखा होगा. यह भी माननीय मंत्री जी के विभाग का ही विषय है उस पर थोड़ा ध्यान देंगे.
श्री शैलेन्द्र जैन -- वह शॉक थैरेपी थी.
अध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी क्या आपका भाषण समाप्त हो गया है.
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- अध्यक्ष महोदय, जो पुराने हास्पिटल थे उनके उन्नयन के लिए भी जैसा सभी सदस्यों ने यहां पर उल्लेख भी किया है. इंदौर के लिए 700 करोड़ रुपए, रीवा 321 करोड़ रुपए और सतना के मेडिकल कॉलेज के लिए पौने चार सौ करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई है. 1500 करोड़ रुपए का प्रावीजन इस बजट में किया गया है. मैं इंदौर के सभी साथियों को इसके लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूँ.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- माननीय मंत्री जी, धन्यवाद. मैं तुलसी सिलावट जी, ऊषा जी सभी की ओर से आपको बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं.
श्री तुलसी सिलावट -- पूरे मालवांचल की ओर से मंत्री जी को धन्यवाद.
डॉ. राजेन्द्र सिंह -- एक तो गुरु होते हैं और एक गुरु घंटाल होते हैं.
अध्यक्ष महोदय -- कैलाश जी, उमंग जी वैसे धार के हैं लेकिन अस्पताल इंदौर का यूज करते हैं तो आप उनकी तरफ से भी धन्यवाद दे दो.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- निमाड़, मालवा सभी के लोग आते हैं वहां पर. सिलावट जी ने कहा है पूरे निमाड़ और मालवा के लोगों की ओर से धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय -- मैं, पहले कटौती प्रस्तावों पर मत लूंगा.
प्रश्न यह है कि मांग संख्या 19 पर प्रस्तुत कटौती प्रस्ताव स्वीकृत किये जायें.
कटौती प्रस्ताव अस्वीकृत हुए.
अध्यक्ष महोदय -- अब मैं, मांग पर मत लूंगा.
प्रश्न यह है कि 31 मार्च, 2026 को समाप्त होने वाले वर्ष में राज्य की संचित निधि में से प्रस्तावित व्यय के निमित्त राज्यपाल महोदय को --
अनुदान संख्या - 19 लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा के लिए बाईस हजार दौ सो तैंतीस करोड़, सतहत्तर
लाख, सत्रह हजार रुपये
तक की राशि दी जाय.
मांग का प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
मांग संख्या - 12 ऊर्जा
ऊर्जा मंत्री (श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर)-- अध्यक्ष महोदय, मैं राज्यपाल महोदय की सिफारिश के अनुसार प्रस्ताव करता हूं कि 31 मार्च, 2026 को समाप्त होने वाले वर्ष में राज्य की संचित निधि में से प्रस्तावित व्यय के निमित्त राज्यपाल महोदय को
अनुदान संख्या - 012 ऊर्जा के लिए अठारह हजार पांच सौ पच्चीस करोड़, बयासी लाख, अठासी हजार रुपए तक की राशि दी जाए.
अध्यक्ष महोदय:- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
अब, इस मांग पर कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत होंगे. कटौती प्रस्तावों की सूची पृथकत: वितरित की जा चुकी है. प्रस्तावक सदस्य का नाम पुकारे जाने पर जो माननीय सदस्य हाथ उठाकर कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत किये जाने हेतु सहमति देंगे, उनके कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए माने जायेंगे.
मांग संख्या- 012 ऊर्जा
क्रमांक
श्री उमंग सिंघार 01
श्री यादवेन्द्र सिंह 03
श्री बाला बच्चन 12
श्री अभिजीत शाह (अंकित बाबा) 13
श्री राजेन्द्र भारती 15
श्री फूलसिंह बरैया 18
डॉ. रामकिशोर दोगने 19
श्री मधु भाऊ भगत 21
उपस्थित सदस्यों के कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए अब मांग एवं कटौती प्रस्ताव पर एक साथ चर्चा होगी.
श्री ऋषि अग्रवाल (अनुपस्थित)
श्री हरीशंकर खटीक (जतारा) -- मानननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 12 के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं. ऊर्जा विभाग ऐसा विभाग है जैसे किसानों के लिए खेती की बात करें या हर समुदाय वर्ग के लिए जिस चीज की आवश्यकता होती है उसमें सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है. ऊर्जा विभाग हम सब लोगों से जुड़ा हुआ है. शायद हमारे कांग्रेस के जो मित्र हैं वह यह भूल गये होंगे कि वर्ष 2003 के पहले जब किसान खेत पर हुआ करता था और जब वह खेत से भोजन करने के लिए अपने घर पर पहुंचता था तो उसी समय लाईट आ जाती थी और वह अपना भोजन छोड़कर फिर अपने खेत पर पहुंचता था. जब वह खेत पर पहुंचता था तो फिर लाइट चली जाती थी. मध्यप्रदेश के किसानों के साथ में वर्ष 2003 तक कांग्रेस की सरकार रही उन्होंने लगातार मजाक करने का काम किया है, लेकिन आज हम सौभाग्यशाली हैं कि मध्यप्रदेश सरप्लस बिजली वाला राज्य बना है.
श्री दिनेश गुर्जर-- आप अपनी बात क्यों नहीं करते हैं. आप अपनी बात करो. क्या यह सदन कांग्रेस के लिए चलाया जाता है.
श्री हरीशंकर खटीक-- अध्यक्ष महोदय, हम मध्यप्रदेश की डॉ. मोहन यादव जी की सरकार को, मध्यप्रदेश के ऊर्जा मंत्री जी और देश के प्रधानमंत्री जी को भी धन्यवाद देना चाहते हैं जो लगातार किसानों के हित में डबल इंजन की सरकारों ने मिलकर किसानों के हित में काम किया और मध्यप्रदेश की साढ़े आठ करोड़ से अधिक जनता के लिए भी हमारी मध्यप्रदेश की सरकार काम कर रही है. मध्यप्रदेश का जो बजट आया है वह कुल 37 हजार 734 करोड़ रुपए का बजट है इसमें ऊर्जा के क्षेत्र में जो सरकार खर्च कर रही है वह 18 हजार 526 करोड़ रुपए खर्च करने जा रही है और कृषि के क्षेत्र में 19208 करोड़ रुपया खर्च करने जा रही है. राजस्व मदों में बात करें तो 28 हजार 480 करोड़ रुपए और पूंजीगत मदों में और पूंजीगत मदों में 9 हजार 254 करोड़ रुपये व्यय करने का प्रावधान किया गया है. दिनांक 20.12.2024 का एक ऐतिहासिक दिन मध्यप्रदेश की धरती पर आया, जहां हमें 18 हजार 913 मेगावॉट बिजली की आवश्यकता थी और हमारी सरकार ने 18 हजार 913 मेगावॉट बिजली की पूर्ति करने का काम किया, भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किया. हम अपने कांग्रेस के मित्रों से कहना चाहते हैं कि पहले की स्थिति क्या थी और आज क्या है, हमारे पास इसका तुलनात्मक पत्रक है.
अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2003- 04 में मात्र 5 हजार 173 मेगावॉट बिजली बनती थी और आज हमारी सरकार 24 हजार 346 मेगावॉट बिजली बना रही है. इससे बड़ी खुशी और क्या हो सकती है, यह प्रदेश की जनता की खुशहाली का बजट है. पहले पूरे प्रदेश में 28 हजार 599 मिलियन यूनिट बिजली दी जाती थी और आज हम 86 हजार 673 मिलियन यूनिट दे रहे हैं. अगर ट्रांसफार्मर की बात करें तो पहले 33 केवी लाईन की लंबाई 29 हजार 556 किलोमीटर थी, जो पूरे मध्यप्रदेश में बिछी थी, आज हमारी 63 हजार 29 किलोमीटर की लाईन प्रदेश में बिछ चुकी है. 11 केवी लाईनों की अगर बात करें तो यह 1 लाख 60 हजार 865 किलोमीटर पहले थी और आज 4 लाख 74 हजार 567 किलोमीटर की लाईन हम बिछा चुके हैं. 33 केवी उपकेंद्रों की संख्या पहले मात्र 1 हजार 802 थी और आज हम सौभाग्यशाली हैं कि 4 हजार 315 उपकेंद्र मध्यप्रदेश में हैं.
अध्यक्ष महोदय- हरिशंकर जी, जल्दी पूरा करना पड़ेगा.
श्री हरिशंकर खटीक- पहले प्रदेश में उपभोक्ताओं की संख्या 64 लाख 43 हजार और आज 1 सौ 83 लाख उपभोक्ता पूरे मध्यप्रदेश में हो गए हैं.
श्री यादवेन्द्र सिंह- पूरा देखकर पढ़ रहे हैं क्या ?
श्री हरिशंकर खटीक- ये सारे आंकड़ें हैं, आपके ही हैं, आप अपनी बात भूल गए इसलिए आपको याद करवा रहे हैं कि आपने क्या किया और हम क्या कर रहे हैं, हमारी सरकार क्या कर रही है.
अध्यक्ष महोदय- हरिशंकर जी, आप तो हमारी तरफ देखें और जल्दी समाप्त करें. यादवेन्द्र जी व्यवधान डाल रहे हैं.
श्री हरिशंकर खटीक- अध्यक्ष महोदय, हमारी सरकार किसानों के हित में, ग्रामीणों के हित में, शहरी उपभोक्ताओं के हित में और औद्योगिक क्षेत्र की हित में काम कर रही है. वर्तमान में प्रदेश में कुल विद्युत उपलब्ध क्षमता 23 हजार 788 मेगावॉट है. किसानों को प्रदेश में 1 हॉर्सपावर के पंप कनेक्शन पर केवल 750 रुपये प्रति हॉर्सपावर के मान से बिजली का पैसा लिया जा रहा है. अगर हम 5 हॉर्सपावर का किसी को कनेक्शन दे रहे हैं तो 3 हजार 750 रुपये मात्र हितग्राही किसान से ले रहे हैं जबकि उसके बिजली के बिल में 55 हजार रुपये का खर्च आता है. इसके लिए तो धन्यवाद बोलिये हमारे सम्माननीय सदस्य महोदय, सरकार कितनी छूट दे रही है, रिकॉर्ड तोड़ तरीके से सरकार छूट दे रही है. (मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय, इसके साथ-साथ 51 हजार 250 रुपये की छूट दी जा रही है. घरेलू कृषक के लिए 13 हजार करोड़ रुपये की छूट का प्रावधान किया गया है. प्रदेश के गरीब भाई जो 100 यूनिट तक घरेलू बिजली का उपयोग करते हैं, उसमें मात्र 100 रुपये का बिल देने का प्रावधान है, जिससे गरीबों का भला हो रहा है. इससे प्रदेश के लगभग 1 करोड़ 8 लाख लोगों का लाभ हो रहा है. इसमें 5 हजार 8 सौ करोड़ रुपये की छूट सरकार ने देने का प्रावधान किया है, यह ऐतिहासिक फैसला मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किया है.
अध्यक्ष महोदय, पहले जो बिजली बनती थी, उसका कोई अता-पता नहीं होता था कि कितनी बिजली बन रही हैं और अब हम आंकड़े बता रहे हैं तो हमारे साथियों को अच्छा नहीं लग रहा है लेकिन अब जो बिजली बन रही, विद्युत का उत्पादन हो रहा है, उसकी पूरी जानकारी है. हमारे ताप विद्युत ऊर्जा केंद्रों में 12 हजार 697 मेगावॉट प्रतिदिन बिजली बन रही है. प्रदेश की 53 प्रतिशत बिजली ताप विद्युत केंद्रों से बन रही है. जल विद्युत ऊर्जा केन्द्र है, उससे 3,406 मेगावाट प्रतिदिन 14 प्रतिशत लाइट यहां से बन रही है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में हम बात करें तो 586 मेगावाट प्रतिदिन लाइट वहां से बन रही है, यानि की 2 प्रतिशत लाइट वहां से बन रही है. सौर ऊर्जा के क्षेत्र में भी मध्यप्रदेश की सरकार बढ़ते हुए कदम के रूप में आगे चल रही है. सौर ऊर्जा के क्षेत्र में अगर बात करें तो 4,165 मेगावाट लाइट प्रतिदिन हमारे मध्यप्रदेश की सरकार बना रही है, 18 प्रतिशत लाइट उससे बनने लगी है. पवन ऊर्जा के क्षेत्र में अगर बात करें तो 2,891 मेगावाट लाइट प्रतिदिन यानि 12 प्रतिशत लाइट मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बना रही है.
अध्यक्ष महोदय - हरिशंकर जी, कृपया समाप्त करें. अभी दो विभाग और लेने हैं.
श्री हरिशंकर खटीक - माननीय अध्यक्ष महोदय, गरीबों के कल्याण के लिए जो इस बजट में छूट दी गई है, उसमें 27,636 करोड़ रुपये का इसमें प्रावधान किया गया है. इसमें 35 लाख से अधिक किसानों को इसका लाभ दिया जा रहा है. अटल कृषि ज्योति योजना में 10 हार्स पॉवर के जो विद्युत कनेक्शन हैं, कृषि पंप कनेक्शन हैं, उसमें 25 लाख कृषि उपभोक्ताओं को राशि 13,909 करोड़ रुपये इसमें अनुदान राशि दिये जाने का प्रावधान किया गया है.
3.36 बजे (सभापति महोदया (श्रीमती झूमा डॉ.ध्यानसिंह सोलंकी) पीठासीन हुईं.)
सभापति महोदया, अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के जो हमारे किसान हैं, उनको एक हेक्टेयर की कृषि भूमि के लिए 5 हार्स पॉवर तक पर 9.32 लाख किसानों को 5,299 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. इस सरकार में किसानों को, जनता को लाइट मिल रही है. आज हमारे विरोधी मित्रों को खुशी होनी चाहिए. बाकी बोलने के लिए तो माननीय सभापति महोदया बहुत कुछ है. काफी चीजें बोलने के लिए हैं. लेकिन मेरा यही कहना है कि सरकार वहां अच्छा कार्य करती है, जहां किसानों को सरकार लाइट दे रही है.
सभापति महोदया, आप पहले मध्यप्रदेश को अंधेरे में रखे हुए थे लेकिन हमारी सरकार अब उजाला दे रही है. मध्यप्रदेश का चहुँमुखी विकास तो हो ही रहा है, लेकिन अगर उजाला करने का काम भी अगर किसी सरकार ने किया तो भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किया है. आपको इस चीज पर गर्व होना चाहिए, इस चीज के लिए आपको खुशी होनी चाहिए कि हमारी लाइट भी बढ़ी है, उपभोक्ता भी बढ़े हैं और जो लाइट बढ़ाने के स्त्रोत हैं, वह भी हमारी सरकार ने बढ़ाए हैं. यह डॉ. मोहन यादव जी की सरकार है एवं ऊर्जा मंत्री जी की सरकार है, भारतीय यजनता पार्टी की सरकार है. जिसने ऐतिहासिक फैसला करके किसानों के हित में, गरीबों के हित में काम किया है. माननीय सभापति महोदया, आपने मुझे बोलने का समय दिया, उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
सभापति महोदया - बहुत-बहुत धन्यवाद. अब श्री माननीय सदस्य श्री मधु भगत जी.
श्री मधु भगत (परसवाड़ा) - माननीय सभापति महोदया, मैंने मांग संख्या 12 के विपक्ष में बोलने के लिए कुछ बातें रखी हैं.
माननीय सभापति महोदया, मध्यप्रदेश की जो बिजली और जो सरप्लस बिजली बालाघाट जिले की है. यह आंकड़ों में बहुत सुरक्षित और व्यवस्थित रहती है. वर्ष 2003 के आंकड़े भी यहां सुनाई देते हैं. 5,000 मेगावाट और अभी 24,000 मेगावाट वर्तमान में है, तो हमें 22 वर्ष का भी हिसाब रखना चाहिए कि उस समय की मांग थी, उस समय जो पॉपुलेशन थी, उस समय जो व्यवस्था थी, उस समय जो मुद्रास्फीति थी. हर सरकारें अपनी व्यवस्थानुसार कार्य करती हैं, निश्चित तौर से प्रोग्रेस हुई है, तरक्की हुई है, लेकिन जिले के अन्दर किसान हो, स्वास्थ्य हो, शिक्षा हो, उद्योग हो, हर तरफ अगर बिजली नहीं है, तो हाहाकार है. आज मैं बालाघाट जिले की व्यथा के साथ, मैं इस मांग संख्या 12 कटौती के पक्ष में खड़ा हुआ हूँ. मैं मंत्री जी को अवगत कराना चाहता हूँ कि किसान इस वक्त खरीफ के बाद, जब रबी की फसल लगाता है, इस तपती धूप में, गर्मी में किसान को आवश्यकता बिजली की होती है तो वह ट्रांसफार्मर की ओर देखता है. बिजली के पोल की ओर देखता है और इस व्यवस्था में रहता है कि मुझे कनेक्शन मिल जाए. किसान पानी अपने खेत तक पहुँचा ले. लेकिन मैं इस दृष्य को देखकर आ रहा हूँ कि बालाघाट जिले में मेरे परसवाड़ा विधान सभा क्षेत्र का किसान ट्रांसफार्मर से टीसी कनेक्शन लिया हुआ है. 25 केवी के, 63 केवी के और 100 केवी के जो आपके ट्रांसफार्मर हैं, टीसी कनेक्शन से 63 केवी में लोड इतना हो चुका है कि वह ट्रांसफार्मर न मशीन के काम का रह गया है और न तो उससे किसानों तक बिजली पहुँच रही है, जिसकी वजह से वह सिंचाई नहीं कर पा रहा है. आप किसान की आय दुगुनी करने की बात करते हैं और एक बड़ी मजबूत व्यवस्था की बात करते हैं. किसान की आय दुगुनी तब होगी, जब उसको बिजली के लिए ट्रांसफार्मर मिलेगा और सही समय पर उसके जो कनेक्शन हैं, वे स्थाई होंगे. इससे कहीं न कहीं किसान को एक सुखद अनुभूति महसूस होगी और वह अपनी फसल से आय दुगुनी कर सकता है.
सभापति महोदया, मुझे बोलने का थोड़ा सा अवसर दिजीएगा, क्योंकि एक सदस्य जो हमारे पहले बोलने वाले थे, उनका भी समय मुझे दे दीजिएगा. बिजली एक ऐसी चीज है जो अगर शरीर की नस हिल जाए तो बिजली से ज्यादा करेंट लगता है...
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- बिजली विभाग में अगर दूसरे का समय लिया तो दूसरे का बिल भी तुम्हारे पास आ जाएगा. (हंसी).
श्री मधु भगत -- सभापति महोदया, मुझे बेहद खुशी हुई कि हमारे कैलाश भैया ने कुछ टिप्पणी हम पर भी की, बहुत अच्छा लगा क्योंकि बिना कैलाश भैया के ये सदन बिना तल्खी के चलता नहीं है. इधर से हमारे सोहनलाल भैया भी तल्खी देते हैं.
सभापति महोदया, दूसरी बात मैं समझता हूँ कि किसानों के लिए ट्रांसफार्मर की क्षमता को बढ़ाना चाहिए. जो ट्रांसफार्मर प्रारंभ नहीं हैं, उनको शीघ्र प्रारंभ करना चाहिए. किसानों को स्थाई कनेक्शन देना चाहिए, यह व्यवस्था हमारे बालाघाट जिले के हर विधान सभा के हर किसान के लिए होनी चाहिए. ट्रांसफार्मर की जो कमी है, उसको पूरी करना एमपीईबी ऑफिस यह ध्येय होना चाहिए. सभापति महोदया, आरडीएसएस योजना के अंतर्गत बालाघाट जिले में किसानों के लिए 465 करोड़ रुपये के काम एग्रीकल्चर लाइन के लिए हो रहे हैं. बहुत से गांवों के सर्वे हो गए. निर्माण कार्य पूर्णता की ओर हैं. लेकिन कुछ गांव जो छूट गए हैं, मंत्री जी और अधिकारिगण, थोड़ा इस विषय पर ध्यान केन्द्रित करेंगे, वे गांव बालाघाट जिले की परसवाड़ा विधान सभा के हैं और जो मैंने फिर से आरडीएसएस से सर्वे करवाए हैं, क्षेत्र की बात है, बालाघाट के आपके विभाग के लोगों को उसको फिर से संज्ञान में लेकर और ध्यान में लेकर के उन ग्रामों को जोड़ने का कार्य करें. साथ में आरडीएसएस के माध्यम से जिस प्रकार का काम किया जा रहा है, सभापति महोदया, मैंने इसमें दो विधान सभा प्रश्न इसके पूर्व भी लगाए थे, दोनों मेरे तारांकित प्रश्न नहीं आए, लेकिन आपके आंसर में सब कुछ शत-प्रतिशत सही होना पाया, लेकिन मैं आपके विभाग के लिए ही कहना चाहता हूँ कि जो क्लैम्प होता है, जो पोल पर लगता है, वह जो क्लैम्प है, वह शत प्रतिशत फिट नहीं है, उसका सैम्पल भी मैंने रखा हुआ है, उस क्लैम्प के ऊपर लाइनमैन जब चढ़कर किसी तार को जोड़ेगा या उस केबल को ठीक करेगा, कहीं न कहीं वह क्लैम्प क्रेक होकर टूट कर गिरेगा और आपके बिजली विभाग का एक कर्मचारी कम होगा. इस बात का आप ध्यान रखिएगा. इसलिए मैं बार-बार उसका प्रश्न लगा रहा हूँ कि बालाघाट में आरडीएसएस का काम बिल्कुल ठीक नहीं चल रहा है. न उनको फॉरेस्ट की एनओसी लेने की सुध है, न वहां का एसई यह काम करवा पा रहा है. यह मैं विभाग के अधिकारियों के संज्ञान में लाना चाहता हूँ. फिर मैं बताना चाहता हूँ कि क्लैम्प सपोर्ट पट्टी तथा केबल निम्न स्तर की लग रही है, इस पर आप ध्यान रखेंगे, दुर्घटना होने की पूरी संभावना है.
माननीय सभापति महोदय, चांगोटोला बालाघाट ग्रामीण ब्लाक के अंतर्गत आता है जिसके अंदर लगभग 150 ग्राम हैं जो आदिवासी बाहुल्य है वहां 8 घंटे की बिजली रहती है. बच्चों की शिक्षा आज लालटेन जलाकर या छोटा मोटा लाईट का सिस्टम चलाकर उस बिजली से वहां बच्चे एग्जाम दे रहे हैं. सदन के अंदर तालियां बजाना बहुत शोभा देता है लेकिन हकीकत में ग्राम में जाकर पता चलता है कि किसान कितना परेशान है. आज वह घर कितना परेशान है जहां 8 घंटे बिजली आ रही है और बिजली उतना ही आता है आप 100 रुपये की बात करते हैं आता होगा लेकिन बिजली बिल पूरी तरह से वसूला जाता है लेकिन कहीं न कहीं चांगोटोला ब्लाक के 150 गांवों के लोग बुरी तरह से प्रभावित हैं. आज मुझे दिन में लगभग 20 फोन आते हैं वह इस बात के होते हैं कि लाईट जलवा दो. मुझे प्रदेश के अंदर जितने फोन अन्य विभाग में नहीं लगाने पड़ते एक दिन में मुझे एमपीईबी में लगाना पड़ते हैं और एमपीईबी की स्थिति परसवाड़ा में है और अन्य विधान सभाओं में भी होगी. गौरव भईया बोलेंगे नहीं क्योंकि वह सत्ता पक्ष में बैठे हैं लेकिन स्थिति बिल्कुल ठीक नहीं है. मैं मंत्री जी को कहूंगा कि चांगोटोला को विशेष रूप से देख लेंगे. कृषकों की आय को आप दुगुना करना चाहते हैं तो 24 घंटे कृषकों को बिजली देने का प्रयास कीजिये जिससे किसान और प्रदेश का भला होगा और कोशिश कीजिये कि 5 हार्सपावर का जो ट्रांसफार्मर है उसकी मुफ्त बिजली किसान को उपलब्धखरवाएं ताकि किसान मजबूत हो और गांव में किसानों की कुल बिजली खपत से अधिक बिजली बिल आ रहे हैं. इस पर विशेष ध्यान दें. चांगोटोला बालाघाट ग्रामीण के अंतर्गत अधिकारी महोदय और मंत्री महोदय विशेष स्थान देंगे ताकि वहां की समस्या से लोग आंदोलित न हों और बच्चों की शिक्षा ठीक हो और बच्चों की परीक्षा खराब न हों और किसान को सही सिंचाई मिले. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री श्रीकांत चतुर्वेदी(मैहर) - माननीय सभापति महोदया, आपने मुझे बोलने का मौका दिया बहुत-बहुत धन्यवाद. मैं मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग के बारे में एक जानकारी देना चाहूंगा.प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्यास महा अभियान अंतर्गत प्रदेश में जनजातीय कार्य संचालन भारत सरकार द्वारा चिन्हित पीपीजी समूह के विद्युतीकरण का अनुमोदन,प्रतिवर्ष प्रतिस्पर्धात्मक आधार पर डीपीएफओ अंतर्गत 1330 मेगावाट विद्युत के रूप में निष्पादित विद्युत प्रदान अनुबंध.सतपुड़ा ताप विद्युत गृह,सारणी में 660 मेगावाट की नवीन इकाई की स्थापना हेतु फिजिबिलिटी स्डटी तथा डीपीआर तैयार करने हेतु एनटीपीसी को आदेश जारी किया गया है. मैं यह बताना चाहूंगा कि विगत 14 महिने में जब से हमारी मोहन यादव जी की सरकार बनी है तो आम जनता को लगातार किसानों को 10 घंटे और घरेलू उपभोक्ताओं को 24 घंटे पर्याप्त मात्रा में बिजली मिल रही है. राज्य ऊर्जा क्षेत्र में प्रगति हेतु निरंतर अग्रसर है एवं इस हेतु सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं. प्रदेश में आवश्यक्ता के अनुरूप विद्युत उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है. उल्लेखनीय है कि दिनांक 20 दिसम्बर,2024 को प्रदेश के इतिहास में सर्वाधिक 18913 मेगावाट शीर्ष मांग की सफलतापूर्वक पूर्ती की गई है.
श्री श्रीकांत चतुर्वेदी (जारी)-- माननीय सभापति महोदय, राज्य शासन द्वारा ऊर्जा के क्षेत्र में प्रदेश के विभिन्न श्रेणी में ऊर्जा के क्षेत्र में प्रदेश की विभिन्न श्रेणी में उपभोक्ताओं को राहत प्रदान करने के उद्देश्य से लोकहित योजनायें लागू की गई हैं जिसमें अटल गृह ज्योति योजना एवं अटल कृषि ज्योति योजना को निरंतर रखा गया है. उक्त योजनाओं के अंतर्गत लगभग करोड़ों घरेलू उपभोक्ता एवं 26 लाख कृषि उपभोक्ता लाभांवित हो रहे हैं. नि:शुल्क विद्युत प्रदाय योजना के अंतर्गत 1 हेक्टेयर तक भूमि एवं 5 हार्सपावर तक के कृषि पम्प वाले अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वाले कृषकों को नि:शुल्क विद्युत प्रदाय किया जा रहा है. माननीय सभापति महोदय, इसके अंतर्गत लगभग 930 लाख कृषि उपभोक्ता लाभांवित हो रहे हैं. प्रदेश की घोषित एवं अघोषित अवैध कालोनियों के रहवासियों को स्थाई विद्युत कनेक्शन प्रदान करने के लिये आवश्यक अधोसंरचना निर्माण की लागत के भुगतान में सुगमता प्रदान करने हेतु राज्य शासन द्वारा सुगम विद्युत सुविधा योजना 1924 लागू की गई है. माननीय सभापति महोदय, प्रधान मंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाअभियान अंतर्गत प्रदेश में चिन्हित विशेष रूप से जनजाति समूहों पीव्हीटीसी यथा भारिया बैगा एवं सहरिया समुदाय की बसाहटों जिसमें विद्युत अधोसंरचना निर्माण के लिये औसत लगभग रूपये 1 लाख प्रति विद्युतीकरण पीव्हीटीसी घर तक का यह विद्युतिकरण विद्युत वितरण कंपनियों द्वारा किया जा रहा है तथा वितरण कंपनियों के द्वारा 12650 घरों में विद्युत कनेक्शन प्रदान किये जा चुके हैं. माननीय सभापति महोदय, प्रदेश में बकाया राशि के कारण विच्छेद औद्योगिक एवं वाणिज्यिक कनेक्शनों के प्रकरणों में पुनर्योजनाओं हेतु गति प्रदान करने के उद्देश्य से राज्य शासन द्वारा उद्योग मित्र योजना 2024 को 2 वर्ष की अवधि हेतु लागू की गई है. विद्युत मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा वित्तीय रूप से परिचालन में दक्ष वितरण क्षेत्र के माध्यम से उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्वक एवं विश्वसनीय विद्युत आपूर्ति के उद्देश्य से सुधारों से जुड़े परिणाम आधारित वितरण क्षेत्र योजना रिवेंड डिस्ट्रिब्यूटर सेंटर स्कीम लागू की गई है. योजना का मुख्य उद्देश्य वितरण कंपनियों के समय तकनीकी एवं वाणिज्यिक हस्तियों के काम करना तथा बिजली की प्रतिपूर्ति लागत तथा राजस्व के अंतर को समाप्त करना है. राज्य शासन द्वारा कृषकों को नवीन स्थाई पक्प कनेक्शन प्रदान करने हेतु लागू मुख्यमंत्री कृषक मित्र योजना के अंतर्गत 16 कृषि पम्प को दिया जाना भी सम्मिलित किया गया है. मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी की खामियां मार्च 2024 की स्थिति में मात्र 2.61 प्रतिशत रहीं तथा उपलब्धता 99.42 प्रतिशत रही जो मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग द्वारा निर्धारित मापकों से भी बेहतर है. मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी द्वारा ड्रोन की सहायता से लाइनों की पेट्रोलिंग तथा अति उच्च दाब केन्द्रों का रिमोट आपरेशन किया जा रहा है. म.प्र. पॉवर जनरेटिंग कंपनी के द्वारा अपने आप विद्युत समूहों के प्रदर्शन में लोड फेक्टर में सुधार किया जा रहा है साथ ही विशिष्ट तेल खपत, विशिष्ट कोयला खपत में कमी की गई है. सभापति महोदय, बहुत-बहुत धन्यवाद, आपने मुझे बोलने का समय दिया.
श्री केदार चिड़ाभाई डाबर(भगवानपुरा) -- माननीय सभापति महोदया, आपने ऊर्जा विभाग की मांग पर बोलने का अवसर प्रदान किया, उसके लिये आपका धन्यवाद. मैं कहना चाहूंगा कि मांग संख्या 12 ऊर्जा विभाग की है, जिसमें 19 हजार करोड़ रूपये का प्रावधान है. मेरे क्षेत्र में आंछलवाड़ी ग्रिड जो बनने के लिये तैयार है, लेकिन उसकी स्वीकृति अभी तक नहीं मिल पाई है. ग्राम सिरवैल जो भगवानपुरा में है, ग्रिड खड़ा है और दो साल से खड़ा है, लेकिन उसकी कनेक्टेविटी के लिये जो लाईन डालना है, उसके लिये जो क्षतिपूर्ति वन विभाग को देना है, वह राशि नहीं मिल पाने के कारण, वह दो साल से अधूरा पड़ा है. मैं अनुरोध करूंगा कि वह क्षतिपूर्ति की राशि सिरवैल ग्रिड के लिये जो प्रावधानित है, वन विभाग और विद्युत विभाग के बीच में उसको स्वीकृत किया जाये और इसमें जोड़ा जाये ताकि क्षेत्र की जो लगभग 25 पंचायते हैं, उसमें क्षेत्रीय किसानों को लाभ मिले.
सभापति महोदय, दूसरी बात मैं कहना चाहूंगा कि ऊर्जा विभाग में जो किसानों को थ्री फेस और पांच हार्स पॉवर की जो मोटरे हैं, जिसमें किसानों को अनुदान पर कनेक्शन दिया जाता है, वह पिछले चार साल से बंद हैं, जिससे किसानों को थ्री फेस और पांच हार्स पॉवर विद्युत कनेक्शन नहीं मिल पा रहा है और किसान लाईन से परेशान है, मैं अनुरोध करूंगा कि जो अनुदान राशि विद्युत विभाग द्वारा बंद की गई है, उसको चालू किया जाये और किसानों को पांच हार्स पॉवर तीन हार्स पॉवर के मोटर कनेक्शन दिये जायें.
सभापति महोदया, साथ ही मैं यह अनुरोध करूंगा कि जो धरती आबा योजना के अंर्तगत जिन विद्युत लाईनों में सर्वे हुआ है, मेरे विधानसभा क्षेत्र में 273 ऐसे मजरे टोलें हैं, जहां पर विद्युत लाईन नहीं है, लंबे समय से मांग की जा रही है, यह काम जल्दी स्वीकृत हों और विधानसभा क्षेत्र का कुछ एरिया ऐसा है, जो आजादी के बाद अभी तक विद्युत से वंचित है और उन्होंने लाईट नहीं देखी है, ऐसे गांवों को उसमें जोड़ा जाये, जैसे ढोंगलया पानी है, देवनलिया है, कड़वापानी है, रोजड़ा, मोजड़ा हैं, यह कुछ ऐसे गांव हैं, जहां पर वन क्षेत्रों में लंबे समय से विद्युत लाईन नहीं हैं, इनको जोड़ा जाये और वहां पर विद्युत लाईन दी जाये.
सभापति महोदया, आपने बोलने के लिये अवसर दिया है, उसके लिये धन्यवाद देना चाहूंगा और कहना चाहूंगा कि ऊर्जा के साथ-साथ मेरी मांग नर्मदा घाटी विकास से भी है, नर्मदा घाटी विकास विभाग में जो अपरवेधा है,अपरवेधा की जो लाईनें जिसका पानी मेरी विधानसभा क्षेत्र में जाता है और जिसकी नहरें पक्की नहीं होने के कारण वहां पर किसानों को पानी सही उपलब्ध नहीं हो पा रहा है, तो मैं चाहूंगा कि मोंगर गांव, उमरिया, अंजन गांव, गड़ी, दाउतखेड़ी के क्षेत्र से गुजरने वाली लाईन को पक्का किया जाये, ताकि किसानों को लाभ मिल सके. मैं नांगलवाड़ी परियोजना की बात करूंगा कि यहां पर जो परियोजना संचालित है, किंतु काम गुणवत्ता का नहीं होता है, उस पर ध्यान दिया जाये और इस क्षेत्र में जो छूटे हुए गांव का एरिया जो तीरी, आंचलवाड़ी, सतावड़,चीचगढ़, कोठियाझिरा, देवली, केली, केली कलावरिया पानी, सांगवी का छितिन पानी, चिनखेड़ी, छितिपुरा और डालकी शिलोटिया तक के जो लाईनें हैं, जो ऊपरी हिस्से में हैं, जहां पानी नहीं पहुंच पाया इसको जोड़ा जाये साथ ही मैं कहना चाहूंगा कि जो नागंलवाड़ी परियोजना में जो गांव छूटे हैं और उनको सिंचाई का बता दिया गया है कि, इस तालाब से सिंचित है लेकिन वहां जो तलाब बने हुए हैं, जैसे बिकारखेड़ी जिसका गाठलाखेड़ी, भौंरापुरा और जो मुखातिपुरा उसको आज तक बखियारखेड़ी तालाब बनने से पानी नहीं मिला है, लेकिन उसको देखते हुए नर्मदा घाटी विकास की नागंलवाड़ली परियोजना से वंचित कर दिया गया है, उसको जोड़ा जाये. मैं लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की भी बात करूंगा. मुझे ऊर्जा विभाग पर भी बोलना है, लेकिन आगे समय नहीं मिलेगा.
सभापति महोदय -- माननीय सदस्य आप ऊर्जा विभाग की बात रखें.
श्री केदार चिड़ाभाई डाबर -- माननीय सभापति महोदय, मैं मेरे क्षेत्र की ऊर्जा विभाग की ही बात रख रहा हूं.
मैं कहना चाहूंगा कि मैंने ऊर्जा विभाग के जो नोट कराएं हैं, आंचलवाड़ी ग्रिड को स्वीकृति दिलवाए जाए. सिरवेल जो ग्रिड चालू है, जिसकी क्षतिपूर्ति के कारण दो साल से बंद पड़ा है उसके लिए इसमें राशि जोड़ी जाए, राशि दी जाए और किसानों की जो अनुदान राशि रोकी गई पिछले चार सालों से, उसमें 3 और पांच हॉर्स पावर की मोटरों के कनेक्शन के लिए अनुदान राशि दी जाए, ताकि किसानों को विद्युत लाइन मिल जाए, धन्यवाद, जय हिन्द.
श्री महेन्द्र रामसिंह यादव – अनुपस्थित.
श्री गौरव सिंह पारधी (कटंगी) – माननीय सभापति महोदया, मैं ऊर्जा विभाग की मांग सख्या 12 का समर्थन करता हूं और निश्चित तौर पर कठिनाइयों के इस दौर में ऊर्जा विभाग ने मध्यप्रदेश में नए आयाम स्थापित किये हैं. प्रदेश में संचालित विभिन्न ऊर्जा की योजना जो है, चाहे वह ट्रिपल आरडीएस योजना हो या फिर अन्य योजनाएं हैं, इसमें प्रदेश बहुमुखी आयाम स्थापित कर रहा है. मैं ऊर्जा विभाग को बधाई देना चाहूंगा कि ट्रांसमिशन लॉसेज पूरे देश में यदि किसी ने किया है तो वह मध्यप्रदेश की ऊर्जा विभाग ने किया है, इसके लिए आप बहुत बधाई के हकदार है, आप नंबर वन है इंडिया में. चर्चा बार बार आती है, कहना तो बार बार पड़ता ही है पिछले बीस वर्षों में विशेष तौर पर पिछले 10 से 12 वर्षों में ऊर्जा विभाग ने अपनी नई पहचान स्थापित की है. प्रदेश ने डोमेस्टिक लाइन में 24 घंटे की बिजली हो, या किसानों को ज्यादा से ज्यादा बिजली प्रदान करने का प्रयास हो, इस दिशा में निश्चित तौर पर ऊर्जा विभाग अच्छा कार्य कर रहा है. मैं विशेष रूप से ऊर्जा विभाग के बजट में बढ़ोत्तरी की मांग करता हूं. वर्तमान में लगभग प्रदेश में स्थापित ऊर्जा उत्पादन में लगभग 30 प्रतिशत क्षमता नवकरणीय है इसको आगे बढ़ाने का एक रोडमेप बना है, उसमें मैं समझता हूं कि बचट में बढ़ोतरी होना चाहिए, इसका मैं सहयोग, समर्थन और निवेदन भी करता हूं. साथ ही साथ आने वाले वर्षों में, प्रदेश में नवकरणीय ऊर्जा के नए स्त्रोत स्थापित हो और जो ट्रिपल आरडीएस योजना है यह और व्यवस्थित ढंग से चले इसका मैं निवेदन करते हुए मांग करता हूं कि मेरी विधान सभा क्षेत्र के पास में एक 132 केव्ही का सब-स्टेशन स्थापित किया जाए. एक 11/33 का सब स्टेशन स्थापित किया जाए और निश्चित तौर पर एक रोडमेप बना हुआ है, जिसमें ट्रांसफार्मर की क्षमताओं में वृद्धि हो रही है इस रोड मेप का अवलोकन करते हुए, आगे बढ़ते हुए, मैं पुन: अपनी तरफ से ऊर्जा विभाग के माननीय मंत्री जी और उनकी पूरी टीम को बधाई देता हूं कि आपने एक बहुत अच्छा बजट लाया है और पुन: वित्त विभाग को भी इसके लिए धन्यवाद करता हूं, अभार करता हूं. बहुत बहुत धन्यवाद .
श्री फूलसिंह बरैया – अनुपस्थित.
श्री अभय मिश्रा - अनुपस्थित.
श्री सुरेश राजे (डबरा) – माननीय सभापति महोदया, मैं मांग संख्या 12 ऊर्जा विभाग के विषय में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं. अभी हमारे तमाम सत्ता पक्ष के साथीगण लगातार इस सदन में ऊर्जा के क्षेत्र में हमने ये किया 2003 का रोना बहुत रोते हैं, तो मैं वहीं से शुरू करुंगा. 2003 में आप रोना रोते हैं कि बिजली की हालत ये थी, लेकिन कल्पना करो 2003 का ही वह दौर था कि एक बत्ती कनेक्शन मुफ्त था. 2003 का ही वह दौर था जब किसानों को 5 हॉर्स पावर तक की बिजली मुफ्त मिलती थी. 2003 का वह दौर था आम गरीब आदमी के घर में शादी होती थी, तब बिजली भी आती थी और उसका बिल नहीं आता था. आपके जमाने में हालात यह है कि बिजली तो आती नहीं है, लेकिन बिल जरूर आता है.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल—रात भर अंधेरा, दिन भर अंधेरा, वह गुल्ले, वह जनरेटर आप उनकी याद दिला रहे हैं. 2003 की याद मत दिलाओ. अभी की बात करो.
श्री सुरेश राजे—सभापति महोदया, मेरा यह कहना है कि सरकार के साथी कहते हैं कि हमारे पास सरप्लस बिजली है. हमारी बिजली से दूसरे प्रदेश लाभ ले रहे हैं. जब हमारे पास में सरप्लस बिजली है तो ऐसी क्या वजह है कि आप 24 घंटे अटल जी जैसे महान नेता के नाम पर बात करते हैं, लेकिन वहां पर 10 घंटे की बिजली नहीं पहुंचती. ऐसी क्या बात है कि आप किसान को 8 से 10 घंटे बिजली देने की बात करते हैं, पर किसान को पता ही नहीं रहता कि मेरी बिजली रात में आयेगी, दोपहर में आयेगी, कब आयेगी ? जैसे उनका बिजली का समय आता है तो कह दिया जाता है कि परमिट लिया है. रात को आपको 2 बजे बिजली मिलेगी. मैं सरकार के बंधुओं से पूछना चाहता हूं कि विशेषकर सरकार से पूछना चाहता हूं कि किसान को रात को 2 अथवा 3 बजे से बिजली देने की बात करते हैं. आप उद्योगों को 24 घंटे बिजली देने की बात करते हैं, हम उद्योगों को बिजली देने के लिये विरोधी नहीं हैं. लेकिन किसान की आय दुगनी कैसे होगी, यह तो बतायें आप किसानों को 10 घंटे बिजली नहीं दे सकते, समय पर बिजली नहीं दे सकते. तो फिर उनकी आय दुगनी केरेंगे कैस ? अब बात आती है कि हमने इतने ट्रांसफार्मर बदल दिये, हमने इतनी लाईनें बदल दीं, बहुत अच्छी बात है. आप कम से कम 20 साल में यहां तक पहुंच पाये हो कि आप लाईनों का सुधार कर रहे हैं, इससे ज्यादा नहीं बढ़ पाये हैं. आपको कितना समय और चाहिये, पता नहीं. ट्रांसफार्मर की हालत यह है कि अगर एक ट्रांसफार्मर 25 का विभाग से आता है वहां से आकर गांव में चढ़ेगा इसकी कोई गारंटी नहीं है कि वह दूसरे दिन तक भी चलेगा. जैसे ही वह ट्रांसफार्मर फुकता है तो उसकी अवधि का बहाना ले लिया जाता है. पैसा उसका जमा करने के बाद एक डेढ़ महीने तक यह ट्रांसफार्मर नहीं दे पाते हैं, यह तो सरकार की हालत है. अब बात करते हैं आपने कहा कि हम बिजली के क्षेत्र में बहुत तेजी से प्रगति कर रहे हैं, बहुत अच्छी बात है. मैं अपने डबरा का उदाहरण देता हूं वहां पर कम से कम शहरी क्षेत्र के 10 हजार उपभोक्ता ऐसे हैं जो अभी लाईन में लगे हैं कि हमको मीटर दे दिये जायें. लेकिन विभाग मीटर देने के नाम पर पता नहीं कौन कौन से इनको नये नये नियम बताता है. लोग चक्कर काट काट कर परेशान हो जाते हैं आखिरकार परेशान होकर जब बिजली की तार डायरेक्ट डालते हैं, हम मानते हैं कि वह गलत है. लेकिन आप उनको मीटर नहीं दे रहे हैं आप उनको खंबे उपलब्ध नहीं करा रहे हैं आखिरकार जनता जो शहर में रह रही है आसपास आकर के बस गई है. आखिरकार उनका कसूर क्या है ? वह चाहती है कि आप मीटर दें, लेकिन मीटर नहीं देना चाहते हैं. परिस्थितियां उससे भी बदतर कब हो जाती है, जब किसी का बिल 2 हजार रूपये है. उनके 2 हजार के बिल पर बिजली काटें, विभाग नहीं काटता बिल भी नहीं देना चाहता है. जैसे बिल उसका 2 हजार से 20-22 हजार तक पहुंचता है तो उनके खिलाफा कार्यवाही होती है. जिनका बिल 20-22 हजार रूपये बिल आता है वह गरीब है संभव ही नहीं है कि वह बिल का भुगतान कर सकें. उससे भी बदतर स्थिति यह है कि उन पर पैनल्टी लगाई उस पर बैंक का ब्याज तो समझ में आता है, पहले हम छोटे थे तो सुनते थे साहूकारों का ब्याज बहुत बड़ा होता था और कर्ज के तौर पर चाहे किसान हो या मजदूर हों, वह इतना दब जाता था कि उससे उबर नहीं पाता था. आज बिजली विभाग की यह स्थिति है इनका अगर एक बार ब्याज लग जाये उस ब्याज का ही पता नहीं लगता है कि किस तरह का ब्याज लगा कर उसको कहां तक पहुंचा रहे हैं, यह आपकी सरकार की उपलब्धियां हैं. दूसरा शहर में विद्युतीकरण की बात चल रही है कि हम विद्युतीकरण नये तौर पर कर रहे हैं, बहुत अच्छी बात है. हम उसका स्वागत करते हैं. जो अच्छा काम है उसका स्वागत करेंगे. लेकिन जब आप सीमेंट के खंबे हटाते हैं और लोहे के खंबे गाड़ने की बात करते हैं तो वहीं जब आसपास जो कॉलोनियां बस गई हैं वे लोग जब आपके पास आते हैं, तो आप सीधा-सा बहाना कर देते हो कि यह नियम में नहीं है. अगर आप लोहे के खंबे लगवाएंगे, तो ही आपको बिजली कनेक्शन मिलेगा. आप 5 रूपए में बिजली कनेक्शन देंगे, बहुत अच्छी बात है. सरकार का स्वागतयोग्य कदम है, हम उसकी सराहना करते हैं कि आप 5 रूपए में उनको बिजली कनेक्शन देंगे लेकिन इस पर यह भी विचार करें कि जो अस्थाई कनेक्शन किसान लेता है, उस अस्थाई कनेक्शन वाले किसान को आप 5 रूपए में स्थाई कनेक्शन दीजिए न. वह विभाग के चक्कर काट रहा है. वह कहते हैं कि साहब यह नहीं, पहले आप पर जो बिल बकाया है वह भरिए. उसके बाद आपको कनेक्शन मिलेगा. तब 5 रूपए की बारी आएगी. मेरा इस सरकार से अनुरोध है कि आप अपनी सरकार की तारीफ कीजिए, हमें इसमें कोई गुरेज नहीं है. लेकिन यह कहना भी गलत है कि पिछली सरकारों ने कुछ किया नहीं. मैं अपनी बात यही पर समाप्त करूंगा कि जिन्होंने बुनियाद रखी है, उनको आप भूलो मत. आपको 20 साल हो गए. आपका फर्ज है आप सरकार में हैं, आप क्यों नहीं करेंगे. आपको करना चाहिए. सभापति महोदया, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, धन्यवाद.
सभापति महोदया -- धन्यवाद.
श्री मोहन सिंह राठौर (अनुपस्थित)
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे -- माननीय सभापति महोदया जी, हमारे माननीय सदस्य श्री फूलसिंह बरैया जी का नाम पुकारा गया था, किन्तु वे बाहर पानी पीने गये थे, तो उन्हें बोलने का अवसर दिया जाए.
सभापति महोदया -- माननीय अनिरूद्ध मारू जी का हो जाए, उसके बाद आप बोलिएगा.
श्री अनिरूद्ध माधव मारू (मनासा) -- माननीय सभापति महोदया, ऊर्जा का विषय है और निश्चित रूप से हमारे विरोधी बार-बार बात करते हैं कि हमारी बात मत करो, हमारी बात मत करो. हम कैसे भूल जाएं उन अंधेरों को, कैसे भूल जाएं उन रातों को, जिसमें हमारा किसान रातभर खेत पर तड़पता था. किसी को सांप काट जाता था, किसी को बिच्छू कांट जाता था. घर पर महिलाओं, बच्चों को मच्छर खा जाते. ऐसी रातों को हम कैसे भूल जाएं. कभी भी खराब समय को नहीं भूलना चाहिए. उसको हमेशा इतिहास में दर्ज करना चाहिए. अगर ठोकर जहां खायी है, अगर वह याद नहीं रखे, तो फिर गिरोगे. उस स्थिति से बाहर लाने का काम भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किया. (मेजों की थपथपाहट) तब साढे़ तीन हजार मेगावाट बिजली हुआ करती थी और पूरा प्रदेश तरसता था कि बिजली कब आएगी. उन्होंने कहा कि हमने वह कनेक्शन मुफ्त दिया, जो था ही नहीं, वह बांट दिया. इनके एक साथी एक दिन आनंद फिल्म के एक सीन के बारे में सुना रहे थे कि देखो, उस दीवार पर घास उगी है और गाय चर रही है. उन्होंने कहा कि न घास है और न ही गाय है. वह बोले कि गाय चरकर चली गयी. वैसे ही किस्सा इनका बिजली का था. इनके पास बिजली थी ही नहीं और यह हल्ला कर रहे थे कि हमने बिजली बांट दी, बिजली बांट दी. मुफ्त दे दी. अरे, कहां बिजली दी, किसको दी. बिजली थी ही नहीं. जो था ही नहीं, उसको बांट दिया.
श्री लखन घनघोरिया -- सभापति महोदया, यह दोषारोपण नहीं था. यह हमने वृक्षारोपण पर कहा था. महाराज, यह वृक्षारोपण का है. वृक्षारोपण पर बोला था. आपका जवाब आया कि जानवर खा गए थे.
श्री अनिरूद्ध माधव मारू -- अरे, बात तो सब पर लागू होती है. आपकी हर चीज पर लागू होती है.
श्री लखन घनघोरिया -- सभापति महोदया, इसी पर बोला था हमने.
श्री अनिरूद्ध माधव मारू -- वह गाय का किस्सा तो आपकी हर बात पर लागू होता है.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल -- आपने वृक्षारोपण पर बोला था, माननीय मारू जी ने उदाहरण दिया है कि बिजली में ऐसा होता था.
श्री लखन घनघोरिया -- आपका तो जवाब आया था कि जानवर खा गये.
श्री अनिरूद्ध माधव मारू -- सभापति महोदया, हम तो किताब छपवाकर बांटने वाले हैं कि वास्तव में आप मिशन सच्चाई चलाएंगे, तो हम तो मिशन सच्चाई रोज बोलते हैं कि वास्तव में कुछ नहीं किया आपने. आपने कितने संकट पैदा कर दिए प्रदेश के लिए. 12-12 घंटे में हम आते थे. पता है याद है आपको. बिजली नहीं मिलती थी. लोग लालटेन के नीचे पढ़ते थे. तब यह हालात थे और आज परिस्थितियां बदली हैं. बिल्कुल परिस्थितियां पूरी बदल चुकी है. अब न ट्रांसफार्मरों की दिक्कत है, न लाईनों की दिक्कत है, न पॉवर की दिक्कत है, न वोल्टेज की दिक्कत है न बिलों की प्रॉब्लम है. प्रदेश में बहुत अच्छी व्यवस्था चल रही है और इनको देखना हो, तो आईये हमारे क्षेत्र में और देखिए. सारे खेतों में आपको एक इंच जमीन खाली नहीं मिलेगी. अगर बिजली नहीं मिलती तो किसान कहां से सिंचाई कर लेता. यह सिंचाई व्यवस्था की जो हरियाली पूरे प्रदेश में दिख रही है. आपके घर से निकलते हो और यहां तक आपको एक खेत खाली नहीं दिखता, यह सब कैसे हुआ ? यह हमारी भारतीय जनता पार्टी की व्यवस्था और जो यह बिजली का उत्पादन बढ़ा है, मैं निश्चित रूप से बधाई देता हूं डॉ. मोहन यादव जी को, भारतीय जनता पार्टी की सरकार को, माननीय मंत्री जी को कि उनके प्रयासों से मध्यप्रदेश में इस साल तो ट्रांसफार्मर और पावर का संकट ही नहीं आया. पता ही नहीं चला और सिंचाई व्यवस्था निपट गई. खेतों में फसलें तैयार खड़ी हैं. एक भी जगह शिकायत नहीं आई. न पूरे प्रदेश में कहीं ऐसा हाहाकार मचा, वास्तव में आपने बहुत चाक-चौबंद व्यवस्थाएं की है. मेरा निवेदन है और मैंने पूर्व में भी बजट में भी जिक्र किया था. एक बार पुनः जिक्र कर रहा हूं कि जितने हमारे पुराने प्लांट हैं, उनको अपग्रेड करना चाहिए. मेरे गांधी सागर डेम पर अभी भी 25 मेगावाट बिजली पैदा हो रही है. पड़ोस में ग्रीनको एक कंपनी बाहर की आई है, 300 हैक्टेयर का तालाब बनाकर (एक माननीय सदस्य के कुछ कहने पर) आप शांति रखो, मैं काम की बात कर रहा हूं. हम बिल्कुल कीर्तिमान बनाने जा रहे हैं उस क्षेत्र में बात कर रहा हूं, इसलिए आप मत बोलो. वह प्लांट उस समय जब कांग्रेस की सरकार थी तब बना था. एक बूंद पीने का पानी नहीं दिया. एक बूंद सिंचाई का पानी नहीं दिया. हमें एक बूंद पानी नहीं मिला. आप खाली योजनाएं बनाते हैं और सवा सौ मेगावाट का इतना बड़ा डेम बनाकर हमारे 180 गांव खाली करवा दिये. हम उसको अपग्रेड करने की बात कर रहे हैं. कुल मिलाकर उस प्लांट को अपग्रेड किया जाएगा तो हम बिना खर्चे के कम से कम वहां से 5000 मेगावाट बिजली हम ले पाएंगे. इनफ्रास्ट्रक्चर खड़ा हुआ है, डेम बना हुआ है. 650 एमसीएम पानी भरा हुआ है. सिर्फ उसकी क्षमता का उपयोग करना है और ऐसे अनेकों डेम जो पुराने उस जमाने के बने हुए हैं जो गलतियां कांग्रेस के समय में हुई, उनको यह ठीक करने का समय है. इन सबको अपग्रेड करके आज के वर्तमान समय के टर्बाइन्स अगर लगाये जायं तो निश्चित रूप से मध्यप्रदेश में विद्युत उत्पादन में हम एक नया कीर्तिमान बना सकते हैं. हम पूरे भारत में नम्बर वन हो सकते हैं, इसलिए माननीय मंत्री जी, माननीय मुख्यमंत्री जी से आपके माध्यम से निवेदन है कि प्रदेश में यह इन सब बातों का अपग्रेडेशन होना चाहिए. एक निवेदन और था कि जो पुराने स्कीम थी कि 32 हजार रुपये में हम ट्रांसफार्मर उपलब्ध करवाते थे, सारी व्यवस्था सरकार करती थी, उसी स्कीम को अनुदान योजना को फिर से लाना चाहिए ताकि किसानों को राहत देने का काम जिस तरह से डॉ. मोहन यादव जी की सरकार कर रही है उसमें एक और कीर्तिमान स्थापित होगा. सभापति महोदया, इस बजट का समर्थन करते हुए बधाई देता हूं, धन्यवाद देता हूं.
श्री फूलसिंह बरैया (भाण्डेर) - अध्यक्ष महोदय, बिजली जीवन का एक अभिन्न अंग बन गई है. ग्रामीण और शहरी दोनों प्रकार से उसे देखा जाय तो शहर में अगर बिजली न रहे तो शहर के लोग परेशान हो जाते हैं और ग्रामीण एरिया में बिजली न रहे तो किसानों की फसल सूख जाती है और किसानों की कई जगह पर तो ऐसा रहा कि बिजली न होने के कारण फसल सूख गई. ग्रामीण एरिया में कई जगह पर असत्य बिल भी आ रहे हैं और जब यह बिल बढ़ाकर दे देते हैं. कई बार हम लोगों ने ऐसा भी किया कि 1 लाख रुपये का बिल है और उसके घर में तार लगे नहीं हैं. अब इसका संशोधन कराने के लिए जब हम आगे बढ़ते हैं तो उनका कहना होता है कि यह संशोधन तो भोपाल से होगा. अब भोपाल में कहां गांव का आदमी संशोधन कराने के लिए आएगा? इसलिए काफी जो तकलीफ इस मसले में आ रही है, निश्चित रूप से सभापति महोदया, आपके माध्यम से मैं चाहूंगा कि मंत्री जी को इसको गंभीरता से लें. कई जगहों पर सब-स्टेशन जो होते हैं वहां पर जो सब-स्टेशन होना चाहिए वह अब नहीं हैं. पहले कम जनसंख्या रही होगी, उस समय के लिए तो ठीक है. आज सब-स्टेशन बढ़ाए जाने चाहिए. जो कई जगहों पर तो बहुत लगे हुए हैं और जो हमारे जैसी पिछड़ी विधान सभा है, वहां पर बहुत कम लगे हैं. यही नहीं एक और बड़ी जो समस्या अभी पैदा हो रही है कि आउट सोर्स के जो लोग लगाये जा रहे हैं तो आउट सोर्स के लोग कर्मचारी जैसा काम नहीं करते हैं. वह तो अपना एक अलग से ही धंधा करते हैं. माननीय मंत्री महोदय इसकी जांच करायें. क्योंकि वह गांव में अपने आप कहते हैं कि बिजली किसको देना है, किसको नहीं देना है तो उसी हिसाब से वह गांव में बात करके, बिजली सप्लाई करते हैं कि आप हमें पैसा दे देंगे तो हम आपको, आपकी लाइन बंद करके, उनकी लाइन बंद करके आपको बिजली दे देंगे. ऐसा भी होता है. यही नहीं है ट्रांसफामर्स की बात करूंगा कि 25 के.वी और 63 के.वी के संबंध में. मैं समझता हूं कि 25 के.वी के ट्रांसफामर्स की अब किसी को जरूरत नहीं है. जिससे बात करें तो वह 63 के.वी. का मांगते हैं. तो बहुत कम ऐसी जगह होगी जहां 25 के.वी की जरूरत है, बहुत ही कम है. 63 के.वी. के टांसफार्मर की जरूरत ज्यादा है और अभी चंबल और ग्वालियर संभाग में बसूली की जा रही है तो अभी वसूली की जरूरत इसलिये नहीं है कि चंबल संभाग में हमेशा फसल पीछे से होती है और पछाई फसल हो गयी तो अगर उसमें बिजली नहीं मिली तो उसकी फसल लास्ट में सूख जायेगी. आप एक टाइम रखें, अभी वसूली की जरूरत नहीं है और ऐसा ही नहीं वसूली अगर ना दी तो बिजली वाले आउट सोर्स वाले कर्मचारी एक अधिकारी के साथ जायेंगे और उसका तार काट देते हैं. इससे किसान बहुत परेशान हैं. चंबल और ग्वालियर संभाग में निश्चि रूप से मंत्री महोदय किसानों का हाल इतना बिगड़ गया है, यदि आप उसको देखेंगे तो इसको सुधारने का कष्ट करेंगे.
सभापति महोदया, मैं भाण्डेर विधान सभा से हूं और भाण्डेर विधान सभा में, अभी माननीय स्वास्थ्य मंत्री जी निकल गये हैं. वहां पर यह पोजीशन है कि 50 बिस्तर का अस्पताल है उसमें बिजली नहीं है और वहां एक महिला की डिलेवरी हुई तो टार्च से डिलेवरी हुई. मैंने भी सोचा तो फिर देखने के लिये गया तो वास्तव में टार्च से डिलेवरी हुई. जब मैं अस्पताल का दौरा करने गया तो मैंने कहा कि बिजली क्यों नहीं है और वास्तव में देखा, जब ताला खुलवाया तो उसमें कुत्ते सो रहे थे. मैंने उनसे कहा की बिजली क्यों नहीं है तो मजाक से कोई चपरासी बोलता है कि कुत्तों के लिये बिजली की जरूरत कहां है तो यह बिजली की स्थिति है. मेरा कहने का तात्पर्य यह है कि यदि बिजली की व्यवस्था सही तरीके से मंत्री महोदय करें तो किसानों के लिये भी और गरीब, कमजोर लोगों के लिये भी और गांव में बिजली इसलिये जरूरी है, क्योंकि वहां पर गरीब ज्यादा निवास करते हैं. शहरों में इतने गरीब नहीं हैं. उन्होंने तो अपने सोलर के प्लांट भी लगा लिये हैं. मैं आपसे अनुरोध करूंगा कि मंत्री महोदय इस काम की तरफ ध्यान देंगे. धन्यवाद, जय भीम, जय भारत.
श्री राजेन्द्र मेश्राम- अनुपस्थित.
श्री कमल मर्सकोले( बरघाट) - माननीय सभापति महोदया, वर्ष 2025-2026 के अनुदान की मांग संख्या- 12 ऊर्जा विभाग के समर्थन में, मैं अपनी बात रखने के लिये खड़ा हुआ हूं.
सभापति महोदया, भाजपा सरकार के इन वर्षों में बिजली के क्षेत्र में एतिहासिक और उल्लेखनीय कार्य हुए हैं. जब हम पिछले 20-22 साल के पूर्व की बिजली की व्यवस्था देखते हैं तो बिजली नाम की कोई चीज मध्य प्रदेश में नहीं थी. ना तो खम्बे थे, खम्बे थे तो तार और तार में करंट भी नहीं था. ट्रांसफामर्स जले हुए थे, मध्य प्रदेश अंधकार में डूबा था और वर्ष 2003 में बिजली का जो उत्पादन था वह 5163 मेगावाट था. लेकिन मध्यप्रदेश की जनता जनार्दन ने जब भाजपा को जनादेश दिया, तो 2003 में सरकार बनने के उपरांत जिस प्रकार से भाजपा ने पूरे वित्तीय प्रबंधन और पूरे प्रबंधन को साधते हुए बिजली की व्यवस्था को ठीक करने की दिशा में काम करना प्रारंभ किया और बिजली बनाने के जितने भी संयंत्र थे, चाहे कोयले से बनने वाली बिजली हो, चाहे पानी से बनने वाली बिजली हो, चाहे सौर ऊर्जा से बनने वाली बिजली हो और इसके लिये पावर प्लांट लगाकर के निरन्तर काम करने का इन वर्षों में काम हुआ और आज इन 20-22 वर्षों में जहां 5173 मेगावाट बिजली थी, उसको बढ़ाकर के 24346 मेगावाट बिजली का उत्पादन करने का काम आज हो रहा है. फीडर विभक्तिकरण के माध्यम से आज 24 घंटे बिजली गांव को, 10 घंटे बिजली कृषि के लिये देने का काम निरन्तर मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार कर रही है. आज हम बिजली बेचने वाले राज्यों की श्रेणी में मध्यप्रदेश है और इसके लिये मैं भाजपा की सरकार और हमारे यशस्वी मुख्यमंत्री,डॉ. मोहन यादव जी को बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहता हूं. मेरे बरघाट विधान सभा क्षेत्र में बिजली से संबंधित कुछ समस्याएं हैं, मांगें हैं. मेरे विधान सभा क्षेत्र में धान और गेहूं उत्पादन क्षेत्र है और धान की मिलिंग के लिये राइस मिलों की संख्या भी बहुत ज्यादा है, जिससे वोल्टेज की समस्या हमेशा बनी रहती है. जहां पर 25 केवी ट्रांसफार्मर लगे हैं, मैं मंत्री जी से आग्रह करना चाहता हूं कि 25 केवी के स्थान पर 63 केवी ट्रांसफार्मर लगाया जाये. जहां पर 63 केवी के ट्रांसफार्मर लगे हैं, वहां 100 केवी के ट्रांसफार्मर लगाने का मैं आग्रह करता हूं. मेरे विधान सभा क्षेत्र के ग्राम गोपालगंज सब स्टेशन से 11 केवी तारों का नवीनीकरण के लिये आपसे अनुरोध करता हूं. गोपालगंज सब स्टेशन के अंतर्गत ग्राम परतापुर,लावासर्रा,बकौड़ी,बटामा,दमझिर, बड़गांव इनमें हमेशा वोल्टेज की समस्या बनी रहती है तथा 11 केवी तारों की हालत जर्जर अवस्था में है. मैं इनके सुधार कार्य के लिये आपसे निवेदन करता हूं. मेरे विधान सभा क्षेत्र के ग्राम मोहगांव सड़क 132 पावर ट्रांसमिशन अडानी से ग्राम बादलपार तक, 12 किलोमीटर तक 33 केवी लाइन विस्तारीकरण करने का मैं अनुरोध करता हूं. बादलपार सब स्टेशन से ग्राम डुंगरिया तक 11 केवी 2 किलोमीटर विस्तारीकरण करने का भी अनुरोध करता हूं. बादलपार सब स्टेशन के अंतर्गत ग्राम चक्की खमरिया में नवीन सब स्टेशन का विस्तारीकरण एवं पुराने 11 केवी तारों का नवीनीकरण किये जाने का मैं आपसे अनुरोध करता हूं. कुरई क्षेत्र के ग्राम पीपरवानी में पावर ट्रांसमिशन का विस्तारीकरण का काम बहुत धीमी गति से चल रहा है, इसमें तेजी लाये जाने का मैं निवेदन करता हूं. मेरे विधान सभा क्षेत्र के ग्राम अरी सब स्टेशन के अंतर्गत इस क्षेत्र में राईस मिल अधिक होने के कारण वोल्टेज की समस्या आ रही है एवं आष्टा उप स्टेशन, जिसमें पावर ट्रांसमिशन की क्षमता को दोगुना किये जाने का मैं आपसे अनुरोध करता हूं. इसी प्रकार से धारना सब स्टेशन के अंतर्गत मलारा सब स्टेशन के ट्रांसमीटर की क्षमता को दोगुना किया जावे या एक ट्रांसमीटर अतिरिक्त लगाये जाने का भी अनुरोध करता हूं. विधान सभा बरघाट मुख्यालय में ट्रांसमिशन , ट्रांसफार्मर की क्षमता बढ़ाई जाने का भी मैं आपसे अनुरोध करता हूं. माननीय सभापति महोदय, सिवनी ग्राम के सब स्टेशन अंतर्गत आमागढ क्षेत्र में वोल्टेज की समस्या है इस क्षेत्र में ट्रांसफार्मर की क्षमता बढाई जाये, यह मैं अनुरोध करता हूं. विद्युती एवं फीडर विभक्तीकरण योजना में किसानों के लिये 10 घंटे की बिजली देने का प्रावधान किया गया है 10 घंटे बिजली किसानों को देना पर्याप्त नहीं है, इसलिये मेरी मांग है कि कम से कम किसानों को 12 से 15 घंटे बिजली देने के लिये प्रावधान करना चाहिये. यही मेरा अनुरोध था सभापति महोदय आपने मुझे बोलने के लिये अवसर प्रदान किया इसके लिये मैं हृदय से आपका आभारी हूं. बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री पंकज उपाध्याय-- माननीय सभापति महोदय, मैं कमल मर्सकोले जी का बहुत बहुत धन्यवाद करना चाहता हूं कि सत्ता में होने के बाद भी आपने इतने गंभीर मसलों को इमानदारी से सदन में रखा है और सरकार के दावों को झूठा बताया है इसके लिये आपका बहुत बहुत आभार.
श्रीमती सेना महेश पटेल(जोबट) धन्यवाद माननीय सभापति महोदय जी. मैं मांग संख्या 12 , 27 और 22 के विरोध में बोलने के लिये खड़ी हुई हूं.
सभापति महोदय-- सेना जी अभी आपको मांग संख्या 12 ऊर्जा पर बोलना है.
श्रीमती सेना महेश पटेल-- जी. सभापति महोदय, सदन में जिस प्रकार बिजली की चर्चा हो रही है , भाषण दिये जा रहे है लेकिन मैं आपको हकीकत बताने जा रही हूं. मेरा विधानसभा क्षेत्र जोबट और जिला अलीराजपुर है. भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने 24 घंटे किसानों को बिजली देने का प्रावधान किया था इन्होंने यह भी कहा था कि किसानों आय दुगनी होगी. मैं आपको बताना चाहती हूं कि मेरी विधानसभा क्षेत्र में न जो बिजली मिल रही है और न ही पानी मिल रहा है. किसानों की फसलें खड़ी खड़ी सूख गई हैं, अतिवर्षा के कारण भी फसलें बर्बाद हुई हैं और अभी वाली भी फसलें खराब हो गई हैं. मात्र किसानो को 4 से 5 घंटे बिजली दी जा रही है उसमें भी समस्या यह है कि बिजली का वोल्टेज अत्याधिक कम होने के कारण किसान पंप का उपयोग नहीं कर पा रहा है और खेतों में पानी नहीं पहुंचा पा रहा है. इसी से फसलें प्रभावित हो रही है. बिजली से हमारे क्षेत्र का किसान बहुत परेशान है और वह पलायन करने को मजबूर हो रहा है.
माननीय सभापति महोदय, मेरे क्षेत्र अंतर्गत अमवा से लेकर के चन्द्रशेखर आजाद नगर के बीच में 123 केवी का नया ग्रिड स्थापित किये जाने की मैं ऊर्जा मंत्री जी से मांग करती हूं. इसके स्थापित होने से ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को बिजली सुलभ हो सकेगी. सभापति महोदय, मैं सदन में इस बात को कहना चाहती हूं कि हमारे क्षेत्र का किसान सिर्फ बिजली के कारण परेशान है, ग्रामीण क्षेत्र में यह हाल किसानों के हो रहे हैं कि वे अपने घरों में ताले लगाकर के दूसरी जगह के लिये पलायन करने को मजबूर हैं. न बिजली मिल रही है न पानी मिल रहा है उन्हें बहुत परेशानी हो रही है इसलिये सभापति महोदय, इसकी पर्याप्त व्यवस्था मंत्री जी करेंगे इस बजट में अगर व्यवस्था न हो सके तो आगामी अनुपूरक बजट में इसको शामिल करके मेरे क्षेत्र की बिजली की समस्या का हल किया जाये. आपने मुझे अपनी बात रखने का अवसर प्रदान किया उसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री महेन्द्र नागेश (गोटेगांव)-- माननीय सभापति महोदय, मांग संख्या 12 ऊर्जा विभाग के समर्थन में बोलने के लिये मैं खड़ा हुआ हूं. सभापति महोदय, अटल गृह ज्योति योजना में घरेलू उपभोक्ताओं को सस्ती दर पर बिजली दी जा रही है. 150 यूनिट की मासिक खपत वाले उपभोक्ताओं को प्रथम 100 यूनिट पर 100 रूपये का बिल दिया जाता है. सरकार प्रतिवर्ष 5800 करोड़ रूपये की सबसीडी दे रही है.अटल कृषि ज्योति योजना में कृषकों को सस्ती बिजली दी जा रही है. 5 एचपी के कृषि पम्प उपभोक्ताओं का 5-5 हजार रुपये का बिल बनता है, किंतु उसे मात्र 3,750 रुपये ही दो किश्तों में देना होता है. शेष राज्य सरकार द्वारा दिया जाता है. नि:शुल्क विद्युत प्रदाय योजना में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के एक हेक्टेयर भूमि वाले 5 एचपी के कृषक उपभोक्ताओं को नि:शुल्क विद्युत प्रदाय किया जा रहा है. राज्य सरकार द्वारा प्रतिवर्ष 5,000 करोड़ की सब्िसिडी दी जा रही है. इसमें 9 लाख से अधिक कृषक लाभान्वित हो रहे हैं. शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में 24 घंटे बिजली दी जा रही है. किसानों को 10 घंटे बिजली दी जा रही है. जिस विधान सभा क्षेत्र गोटेगांव से मैं आता हूं, मैं कह सकता हूं कि जब हम प्रत्याशी के रूप में काम कर रहे थे और आज विधायक बने हैं, हम जब भी अधिकारियों से जनता की मांग अनुसार मांग करते हैं निश्चित ही 25 से 63, 63 से 100 और 100 से 200 के.व्ही. के ट्रांसफार्मर रखवाये जा रहे हैं. अभी पावर हाउस की जरूरत है. हमने माननीय मुख्यमंत्री जी के माध्यम से ऊर्जा मंत्री जी को भी पत्र लिखा है. मुझे उम्मीद है कि गोटेगांव विधान सभा में यह सौगात हमें मिलेगी. जिस क्षेत्र से मैं आता हूं वहां के पूर्व में ऊर्जा मंत्री थे जिन्होंने लालटेन घोटाला किया था. उसके माध्यम से हम कह सकते हैं कि उस समय लालटेन युग था, लेकिन आज हम कह सकते हैं डॉक्टर मोहन यादव जी की सरकार में माननीय वित्तमंत्री जी ने जो बजट पेश किया है उसमें अभी ऊर्जा विभाग को भी अधिक बजट दिया है और हम माननीय मुख्यमंत्री जी से, माननीय ऊर्जा मंत्री जी से सभापति जी, आपके माध्यम से कह सकते हैं कि और अधिक हमको बिजली की जरूरत है. कभी हम सुना करते थे कि बिन पानी सब सून, लेकिन आज हम कह सकते हैं कि बिन बिजली सब सून. बिना बिजली के कोई आदमी एक मिनट भी नहीं जी सकता. हम कह सकते हैं कि हमारी प्रदेश की सरकार, केन्द्र की मोदी जी की सरकार ने और भी अधिक ऊर्जा के क्षेत्र में प्रयास किया है. आने वाले समय में निश्चित ही हम लोग ऊर्जा के माध्यम से और अभी सौर ऊर्जा के माध्यम से हम और अधिक प्रयास कर रहे हैं. आपने मुझे बोलने का मौका दिया इसके मैं आभार व्यक्त करता हूं.
श्री महेश परमार (तराना) -- धन्यवाद सभापति महोदया. मैं मांग संख्या 12 के विरोध में बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. आज मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा अगर संकट है तो वह बिजली का संकट है. सबसे बड़ा विषय हमारे ग्रामीण उपभोक्ता हैं, शहरी उपभोक्ता हैं.
श्री आशीष गोविंद शर्मा -- सभापति महोदया, आज महेश भैया माननीय मुख्यमंत्री जी के साथ थे. बहुत सी समस्याओं का समाधान हो गया होगा.
श्री महेश परमार -- सभापति महोदया, मुख्यमंत्री जी मेरी विधान सभा में आज मेरे साथ थे. मुख्यमंत्री जी तराना विधान सभा में जहां से मैं विधायक हूं वह आज मेरे साथ थे. यह हमारे आदरणीय ऊर्जा मंत्री जी यहां विराजमान हैं और यह नये-नये प्रयोग करने के लिये जाने जाते हैं. विभाग का क्या हो रहा है, क्या नहीं हो रहा है इस विषय में तो यह नये-नये प्रयोग करते नहीं हैं. मैं अपनी विधान सभा तराना के बारे में और जैसा कि आदरणीय हमारे भैया आशीष शर्मा जी ने बताया मैं पूछना चाहता हूं सबसे पहले उस तरफ बहुत सारे वरिष्ठ विधायक बैठे हैं, माननीय मंत्री बैठे हुये हैं और जितने भी लोग सदन में बैठे हैं, अभी जो विधायक यहां विराजमान हैं, लगभग 80 प्रतिशत् विधायक ग्रामीण क्षेत्र से चुनाव जीतकर आते हैं. मैं आपके माध्यम से पूछना चाहता हूं कि आप बड़ी-बड़ी बातें बड़े-बड़े दावे कर रहे थे, ईमानदारी से अपने दिल पर हाथ रखकर यह बताइये कि जिन किसान भाइयों को जो बिजली मिल रही है वह पोल कब लगे थे. दावे, मेज थपथपाना, वाहवाही लूटना. लगभग 2003 के पहले ट्रांसफार्मर लगे थे. केबल लगी थी या पोल लगे थे. माननीय ऊर्जा मंत्री जी बैठे है. दावे के साथ अगर इस पटल पर रख दें कि पिछले 2003 से लेकर आपके इस 15 महीने के कार्यकाल में कितने 11 के.व्ही. के पोल, कितने 33 के.व्ही. के पोल या कितनी केबल आपने बदलीं.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल -- सभापति महोदया, महेश भैया, थोड़ा सा ब्रेक ले लो. 2003 से तुलना कर रहे हो आज की. महेश भैया, थोड़ी देखो आपके हाथ जोड़ें. कम से कम सदन में तो सच बोलो. 2003 की तुलना कर रहे हैं उस समय ट्रांसफार्मर लगे थे. उस समय केबल लगी थी. ..(व्यवधान)..
श्री महेश परमार -- सभापति महोदया, मनोज भैया, आप लोग क्षेत्र में जाकर देखो आज स्थिति यह है. सुन लो. हर साल, हर विधान सभा में 2-2, 4-4, 6-6 दुर्घटनाएं हो रही हैं. टूटे पोल के कारण उनकी मृत्यु हो रही है. 2-2, 3-3 दिन तक ट्रांसफार्मर नहीं बदले जा रहे हैं. आज किसान भाई स्वयं ट्रांसफार्मर लेकर जाता है. आपका ऊर्जा विभाग इतना बदतर हो चुका है. (व्यवधान)
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल -- आज की बात करो वर्ष 2003 की नहीं. (व्यवधान)
श्री महेश परमार -- आप तो विधान सभा क्षेत्र में जाते नहीं हैं.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल -- आप नहीं जाते हो इसलिए सीएम साहब आपको लेकर गए थे. (व्यवधान)
श्री महेश परमार -- यह हमारे पड़ौसी, पास के जिले के विधायक हैं आपकी पार्टी के वरिष्ठ मंत्री जी ने कहा था. अरे मनोज कैसे जीत गया. आप तो भैया क्षेत्र में जाते नहीं हो.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल -- फिर भी ऐसे ही जिता दिया. महेश भैया कुछ भी.
श्री महेश परमार -- मुझे बीच-बीच में क्यों टोक रहे हो, माननीय कैलाश जी ने बोला था कि मनोज जीत गया रे वह बात तो रिकार्ड में है. मुझे किसानों की बात, विद्युत मंडल की समस्या तो रखने दो.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल -- आप एक आखिरी बात सुन लो आप क्षेत्र में नहीं जाते हो तो आज सीएम साहब आपको ले गए.
श्री महेश परमार -- सीएम साहब मेरे विधान सभा क्षेत्र में आए थे. तराना की जनता ने मुझे जिताकर विधायक बनाया है.
श्री गौतम टेटवाल -- महेश भैया मैं भी साथ में था. कभी सच बोल लिया करो.
श्री महेश परमार -- प्रभारी मंत्री जी आप तो पिछले 15 महीने में एक भी बैठक नहीं ले पाए हैं जिले की समस्या के लिए. आप प्रभारी मंत्री हैं. आप तो रहने दीजिए. मेरा मुंह मत खुलवाइए आप. क्या पिछले 15 महीने में आपने एक भी बैठक ली है. अगर रिकार्ड में हो तो अभी एक मिनट में बैठ जाऊंगा.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- महेश जी आराम से अपनी बात बोलिए.
श्री महेश परमार -- सभापति महोदय, आज मेरी विधान सभा तराना में सबसे बड़ा संकट है. मैं बताना चाहता हूँ माननीय मंत्री जी यहां पर उपस्थित हैं. मंत्री जी आपसे विशेष निवेदन है. सबसे ज्यादा संकट में किसान है. केबल टूटी हुई है, पोल आड़े हो रहे हैं, टूट रहे हैं और सबसे बड़ी समस्या 25 और 63 के ट्रांसफार्मर का भ्रष्टाचार है. मैं माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूँ क्या आपका विभाग जब किसान भाई का ट्रांसफार्मर जलता है तो क्या आपके विद्युत विभाग के पास ऐसी व्यवस्था है कि वह ट्रांसफार्मर लेकर आए. किसान स्वयं के ट्रेक्टर से अपनी जान जोखिम में डालकर ट्रांसफार्मर लेकर विद्युत विभाग के आफिस में आता है. एक दिन चंदा करके लेकर आता है फिर विभाग जिले में भेजेगा. फिर दूसरे दिन कहेंगे आज 25 का ट्रांसफार्मर नहीं है फिर कहेंगे 63 का ट्रांसफार्मर नहीं दे सकते हैं. फिर कहेंगे कि 100 का ट्रांसफार्मर नहीं दे सकते हैं. मेरा निवेदन है मंत्री जी से कि 25 का ट्रांसफार्मर बंद कर दीजिए. 63 और 100 का ट्रांसफार्मर रखिए. बिजली के बढ़े हुए बिल और सबसे बड़ी बात विजलेंस के नाम पर हमारे घरेलू उपभोक्ता और किसानों को डराया जा रहा है. असत्य प्रकरण दर्ज किए जा रहे हैं. अचानक टीम आती है किसान भाइयों और घरेलू उपभोक्ताओं के घर जाकर असत्य पंचनामें बनाए जाते हैं. 50-50 हजार के असत्य पंचनामे और उसके बाद लोक अदालत में हमारा वो उपभोक्ता, हमारा भाई बार-बार चक्कर लगाता है, परेशान होता है.
4.43 बजे {अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए}
श्री महेश परमार -- अध्यक्ष महोदय, हेल्प लाइन नंबर बंद हैं.
अध्यक्ष महोदय -- महेश जी कृपया समाप्त करें समय पूरा हो गया है.
श्री महेश परमार -- आदरणीय अध्यक्ष महोदय, दो मिनट का समय दे दें. जबरन वसूली की जा रही है. मेरे तराना विधान सभा क्षेत्र और उज्जैन जिले में किसान भाइयों के ट्रेक्टर, मोटर साइकिल, घर की गैस की टंकी तक उठाए जा रहे हैं. दादागिरी की जा रही है. जिन उपभोक्ताओं ने बिजली के बिल जमा किये हैं उनको बिजली दी जाए जो उपभोक्ता बिजली के बिल जमा नहीं कर रहे हैं उसके कारण पूरे गांव की बिजली न काटी जाए. आउटसोर्स के कर्मचारियों के भरोसे पूरा विभाग चल रहा है वो सुनते नहीं हैं. लेकिन उन आउटसोर्स के कर्मचारियों की भी एक समस्या बताना चाहता हूँ. उन्हें कोई प्रशिक्षण नहीं दिया जाता है. आउटसोर्स के कर्मचारी भी हमारे भाई हैं उनकी जानें जा रही हैं. उनसे स्थाई लाइनमेन से ज्यादा काम कराया जा रहा है उनका शोषण हो रहा है. उन्हें केवल 8-8, 10-10 हजार रुपए महीना दिया जा रहा है. आउटसोर्स कर्मचारियों को स्थायी किया जाए. स्थाई लाइनमेन के बराबर उनकी सेलरी की जाए. यह मेरा आपसे निवेदन है. मैं दावे के साथ ऊर्जा मंत्री जी मैं दावे के साथ यह बात करना चाहता हूं कि पिछले 15 महीने में आप पटल पर रखते कि आपने कितने ट्रांसफॅार्मर लगाए आपने एक भी ट्रांसफार्मरनये नहीं लगे हैं. किसान स्वयं अपने खर्चे पर, चंदा करके ट्रांसफार्मर लगा रहा है. आपके विभाग की यह स्थिति है कि आपके विभाग में हम डीई को, सुपरवाईजर को, सीई को फोन करते हैं तो आगे से स्थिति ठीक नहीं है, बजट नहीं है हमेशा यही बात होती है और विद्युत मण्डल का एक ही काम है कि सिर्फ और सिर्फ वसूली का धंधा बन गया है. आपके माध्यम से ऊर्जा मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि मेरे विधान सभा में घरेलू उपभोक्ता ओर किसान दोनों परेशान हैं. पोल टूटे हुए हैं. केबल टूटी हुई है. बहुत सारे छोटे, मजरे हैं वहां तत्काल उनका सर्वे कराया जाए और उनको बिजली दी जाए यही मेरा मेरा निवेदन है. धन्यवाद. मनोज जी आप क्षेत्र में जाया करो.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल-- आप भी जब सीएम साहब आये तभी मत जाया करो वैसे भी चले जाया करो.
श्री महेश परमार-- वहां की स्थिति आपको देखने को मिलेगी क्योंकि किसानों ने आपको जिताया है और किसान बिजली के कारण बहुत ही संकट में है यही मेरा निवेदन है.
अध्यक्ष महोदय-- मनोज जी आप टोका टाकी न करें अभी दो विभागों की चर्चा बाकी है.
डॉ. प्रभुराम चौधरी (अनुपस्थित)
डॉ. योगेश पण्डाग्रे (आमला) --माननीय अध्यक्ष महोदय, किसी भी क्षेत्र में विकास के लिए बिजली, सड़क और पानी तीनों की आवश्यकता होती है और पिछले 20 वर्षों में मध्यप्रदेश सरकार ने जिस तरह से इन क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति की है निश्चित ही प्रशंसनीय है. जिस प्रदेश में कभी बिजली का उत्पादन 5173 मेगावाट होता था आज उसमें हम लोगों ने लगभग साढ़े चार गुना वृद्धि कर 24 हजार 346 मेगावाट के उत्पादन का लक्ष्य हासिल किया है और मोदी जी का जो विजन है 2070 तक के जीरो कार्बन का हम उसके साथ कंधे से कंधा मिलाते हुए इस प्रदेश में लगभग 6 हजार मेगावॉट रिनेवल एनर्जी का प्रोडक्शन कर रहे हैं और मैं ऊर्जा विभाग को धन्यवाद देता हूं हमारे क्षेत्रों के किसान और गरीब भाइयों को लगभग 27 हजार 636 करोड़ रुपए की सब्सिडी देकर उनको राहत प्रदान की जा रही है जिसमें हमारे 35 लाख कृषि उपभोक्ता तथा 1 करोड़ 8 लाख घरेलू उपभोक्ताओं को राहत प्रदान की जा रही है.
अध्यक्ष महोदय, आरडीएसएस स्कीम के माध्यम से बिजली कंपनियों की वाणिज्यिक हानियों को कम करने के लिए भी सरकार के द्वारा लगभग 24 हजार 170 करोड़ रुपए की कार्ययोजना को स्वीकृति दी गई है. हम यहीं नहीं रुके, हम बढ़ती हुई ऊर्जा की आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए और विकसित मध्यप्रदेश 2047 में बढ़ी हुई मांग की पूर्ति करने के लिए मध्यप्रदेश पॉवर जनरेटिंग कंपनी ने केपिटल इनवेस्टमेंट में 586 करोड़ रुपए की राशि आवंटित की है जिसके लिए मैं सरकार को ऊर्जा मंत्री जी को बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं जिसमें सिंघाजी के लिए 13 करोड़ रुपए, अमरकंटक के लिए 220 करोड़ रुपए, गांधी सागर जल परियोजना के लिए 30 करोड़ रुपए और मेरा क्षेत्र सारणी जिसमें नई कोयला खदान की स्वीकृति मिली थी जिस पर अभी काम चल रहा है. अतिरिक्त कोल की उपलब्धता को देखते हुए सारणी में 323 करोड़ रुपए 660 मेगावॉट की नई सुपर क्रिटिकल टेक्नोलॉजी पर आधरित ताप विद्युत इकाईयों की स्थापना के लिए राशि निविदा जारी की इसके लिए मैं सरकार को धन्यवाद देता हूं. बेहतर निवेशकों के लिए मध्यप्रदेश में माहौल है और वहां पर रॉ मटेरियल की उपलब्धता को देखते हुए और उत्सर्जित राख के बेहतर प्रबंधन के लिए सरकार ने निर्णय लिया था कि वहां पर सीमेंट फैक्ट्री डाली जाए और देश के कुछ बड़े औद्योगिक घरानों में से एक औद्योगिक घराने ने वहां पर सीमेंट फैक्ट्री डालने का निर्णय लिया उसके लिए भी सरकार को धन्यवाद. ट्रांसपोर्ट की बढ़ती हुई आवश्यकता को देखते हुए रेलवे ने भी एक गुड्स रेलवे स्टेशन वहां पर डालने का निर्णय लिया है. हम बढ़ती हुई ऊर्जा की आवश्यकताओं के साथ-साथ नये रोजगार के संसाधन वहां पर उपलब्ध कर रहे हैं. यह ऊर्जा क्षेत्र के माध्यम से ही संभव हुआ इसके लिए मैं सरकार को बहुत धन्यवाद देता हूं. लेकिन मेरे यहां रमली सबस्टेशन, कुटखेड़ी सबस्टेशन, बेहड़ी सबस्टेशन और तेवड़ा बुजुर्ग सबस्टेशन प्रस्तावित है, वहां किसानों को बिजली की समस्या का सामना करना पड़ रहा है, उसका जल्द से जल्द निराकरण करें. सरकार बहुत अच्छा कार्य कर रही है, मैं, धन्यवाद देता हूं और इस मांग का समर्थन करता हूं.
अध्यक्ष महोदय- डॉ. राजेन्द्र जी, आप भी क्या इस पर बोल रहे हैं ?
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह (अमरपाटन)- अध्यक्ष महोदय, मैं, ऊर्जा मंत्री जी द्वारा प्रस्तुत मांग संख्या 12 का विरोध करने के लिए खड़ा हुआ हूं.
अध्यक्ष महोदय- राजेन्द्र जी, मुख्य बजट पर बोल चुके हैं इसलिए मैंने कहा कि छोटी-मोटी जगह क्या बोलना ?
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह- अध्यक्ष महोदय, जब बोलना था तो आपने वहां बैठा दिया था, आपने कोई व्यवस्था भी नहीं दी, अब तो बोल लेने दीजिये.
अध्यक्ष महोदय- बोलिये, बोलिये, आपका स्वागत है.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह- अध्यक्ष महोदय, यह एक नई परंपरा शुरू हो गई है, हालांकि इसकी शुरूआत पिछली विधान सभाओं से हुई है, पीछे की बातें किया करते हैं. शायद यहां बैठे बहुत से लोगों को नहीं मालूम है कि वर्ष 1948 में जब भारत सरकार का पहला बजट पेश हुआ तो वह 1 सौ 76 करोड़ रुपये का था, अब आप उस पर हंसेंगे कि आज भोपाल नगर निगम का बजट ही 3.5 हजार करोड़ रुपये का है. क्यों हमारे दादा-बाबा लोग बैलगाड़ी में बैठा करते थे.
श्री प्रदीप अग्रवाल- उस समय कुल्फी 2 पैसे की आती थी.
अध्यक्ष महोदय- कृपया आपस में टोका-टाकी न करें. अभी एक विभाग पर और चर्चा होनी है, उसके बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम भी है, उसका भी ध्यान रखें.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह- अध्यक्ष महोदय, अब तो बोल लेने दीजिये. कितने मूर्ख थे हमारे पूर्वज, कि बैलगाड़ी में बैठते थे, आज हम कारों में, हवाई जहाज में बैठते हैं. प्रगति धीरे-धीरे होती है और बाद में तेजी से होती है, आज स्थापित क्षमता निश्चित रूप से बढ़ी है.
अध्यक्ष महोदय- राजेन्द्र जी बहुत अच्छा बोलते हैं, इनको शांति से सुनना चाहिए, ज्यादा नहीं 5 मिनट ही बोलेंगे.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह- अध्यक्ष महोदय, कम ही बोलेंगे. हमें लोग बोलने नहीं देते हैं, बीच में टोकने लगते हैं. आज कैलाश भाई को हमने बहुत बड़ा तमगा दे दिया है, सब गुरू खोज रहे थे, हमने कहा कि गुरू क्यों खोज रहे हो, सबसे बड़े गुरू-घंटाल बाजू में ही बैठे हैं.
श्री तुलसीराम सिलावट- आप इन्हें गुरू तो मानते हैं न ?
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह- सारी कलाकारी, सारी शिफ़ा, सारी योग्यता, सबकुछ है इनके पास.
अध्यक्ष महोदय- आप रीवा के हैं और कैलाश भाई इंदौर के हैं. मैंने देखा है कि राजेन्द्र जी की दोस्ती इंदौर वालों से ज्यादा है, उतनी रीवा वालों से नहीं है.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह- असल में अध्यक्ष जी कहना तो नहीं चाहिए जो आपके परंपरागत भाजपा वाले हैं, परिवार हैं, जो आपके जनसंघ से आते हैं और भाजपा में आ गए हैं, तब्दील हो गए पार्टी बदल गई, उनमें तो सहनशक्ति होती है लेकिन जो हमारे दल से गए हैं, कांग्रेस से गए हैं, उनमें सहनशक्ति नहीं है, इधर-उधर देखते रहते हैं कि कहीं कोई देख न ले, कोई भाजपा का नेता देख न ले कि हम किसी कांग्रेसी के साथ खड़े हैं, यह बीमारी है. (मेजों की थपथपाहट)
श्री तुलसीराम सिलावट- अध्यक्ष महोदय, मुझे आपत्ति है.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह- तुलसी, मैंने आपका नाम नहीं लिया है.
श्री सोहनलाल बाल्मीक- आपका नाम थोड़ी लिए हैं, आप इतना बुरा क्यों मान रहे हैं ?
अध्यक्ष महोदय- तुलसी, संसदीय कार्य मंत्री जी कुछ कह रहे हैं.
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय)- अध्यक्ष महोदय, सुधरने में थोड़ा समय तो लगता है. (हंसी)
अब ऐसा है कि एकदम बिगड़ी हुई जगह से, एकदम साफ-सुथरी जगह आना, थोड़ा समय तो लगता ही है. (मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय, मेरे पिताजी एक किस्सा सुनाते थे कि एक बच्चा स्कूल से आया तो उससे पूछा कि क्या पढ़ के आया तो बोला पहाड़ा, तब उससे पूछा दो दुना कितना हुआ तो बच्चा बोला 12. उससे कहा गधा है तू, कल मास्टर से फिर पढ़ के आना, दूसरे दिन उससे पूछा दो दुना कितना हुआ तो बोला 8, तो पिताजी बोले आज थोड़ा ठीक है. (हंसी)
थोड़ा ठीक है, बाकी हो ही जायेंगे. राजेन्द्र जी, आप रीवा के हैं, रीवा के लोग आपसे अच्छे संबंध रखें न रखें, परंतु हम आपका बहुत सम्मान करते हैं, मैं, तो आपका बहुत सम्मान करता हूं.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह- अध्यक्ष महोदय, ये अपनी कहानी सुना रहे हैं कि 2 और 2 मिलकर हुए 8 हुए, 6 और 6 मिलकर हुए 17 हुए.
अध्यक्ष महोदय- कैलाश जी कह रहे हैं कुछ तो ठीक हुआ.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह- मुझे बोलने तो दे दीजिये, मुझे केवल 4 मिनट मिले हैं.
श्री कैलाश विजयवर्गीय- राजेन्द्र जी, मैं, आपको बहुत सम्मान से सुनता भी हूं. आप मुझे गुरू बोलें, घंटाल बोलें, कुछ भी बोलें, पर मैं आपका बहुत सम्मान करता हूं.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह- इसमें आपत्ति क्या है, कोई असंसदीय शब्द नहीं है. आप हमारे गुरू के भी मित्र हैं.
श्री कैलाश विजयवर्गीय- कोई आपत्ति नहीं है, आप जो बोलें उसमें आपत्ति कैसे हो सकती है. हम आपका इतना सम्मान करते हैं कि आप जो बोलते हैं, उसको स्वीकार कर लेते हैं.
अध्यक्ष महोदय- राजेन्द्र जी, अब भाषण जारी करें.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, तो निश्चित ही स्थापित क्षमता में वृद्धि हुई है, ऐसा मैंने कहा है, समय बढ़ता है. मेरे पास वर्ष 2024 के आंकड़े हैं. मेरे पास वर्ष 2025 का एक्जेक्ट आंकड़ा नहीं है. 17,614 मेगावाट तक की आपूर्ति आपने दिनांक 26 जनवरी, 2024 को की है. यह कुछ अच्छे काम है, आगे बढ़ाइये, तेजी से बढ़ाइये और जो आपका मिक्स ताप बिजली, नवकरणीय ऊर्जा है, यह स्क्िवड है थोड़ा सा, इसको थोड़ा सा और संतुलित करने की जरूरत है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमें उम्मीद है कि बजट में इसका प्रोविजन होगा, यह बहुत बढ़ा तो नहीं है. अब आप देख लीजिये. एक दो स्थानीय चीजें, मैं आपको बता देता हूँ. आज जो बिजली मिल रही है, उससे लोगों को लाभ तो है, कुछ प्रसन्न भी हैं, नाराज ज्यादा है. आप भी जानते हैं, सब माननीय सदस्य यहां जानते हैं, सब जनप्रतिनिधि हैं, सब सीनियर नेता हैं. जो बहुत सुख भोगते हैं, बिजली का बिल नहीं देते हैं, इसमें कुछ आदतन होते हैं, कुछ की परेशानियां हैं, कुछ की मजबूरियां हैं. ''कुछ तो मजबूरियां रही होंगी, यूं कोई वेवफा नहीं होता'' उनकी भी मजबूरी रही होगी. लेकिन विभाग की जो नीति है कि जो बेचारा बिजली का बिल दे भी रहा है, कभी डिफॉल्टर नहीं रहा, उसकी भी बिजली ये काट देते हैं. मैं यह सुझाव देता हूँ कि आप ट्रांसफॉर्मर से बिजली मत काटिये. आप उस उपभोक्ता की लाइट काटिये, जो निरन्तर आपका बिजली का बिल नहीं दे रहा है. (मेजों की थपथपाहट) लोगों में नाराजगी है. हम बिल दे रहे हैं. हम भले ही विपक्ष में हैं. विपक्ष के मतदाता जो मानने को तैयार नहीं हैं कि आप तो करवा सकते हो. आपके ऊपर एक बड़ी भारी तलवार लटकी रहती है. मैं यह समझता हूँ कि दोनों पक्ष के लोगों की इससे सहमति बननी चाहिए कि बिजली कटे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय ऊर्जा मंत्री जी भी संवेदनशील हैं, आज उनके हाव-भाव से देखकर कुछ लग रहा है कि अच्छी बातें करेंगे. एक तो यह मेरा यह सुझाव है कि उन लोगों को पिनेलाइज कीजिये, जो बिल जमा नहीं करते हैं. दूसरा, क्या हो रहा है कि 100 यूनिट 100 रुपये बिजली वाली योजना चलती थी, हम लोगों ने चलाई, आपने चलाई, लेकिन अब चूंकि एक डेफिसिट है, इनके यहां एक घाटे वाला मामला है, सरकार को प्रतिपूर्ति बहुत करनी पड़ती है, लाइन लॉस तो कुछ कम किए हैं, लेकिन फिर भी इनके अधिकारियों की कोशिश रहती है कि अधिक से अधिक लोगों को 100 रुपये, 100 यूनिट के दायरे से बाहर ले जाएं. आप सब कोई बताइये, यह सही है कि नहीं और जनता को जवाब तो देना पड़ेगा. क्या है इसमें कलाकारी ? उसके लिए नियम हैं कि एक किलोवाट का लोड होना चाहिए, अगर लाईनमैन ने दो किलोवाट का लिख दिया, तो वह इस योजना से बाहर हो जाता है, तो जो 100 रुपये दे रहा था या उससे भी कम दे रहा था, अब वह 300 रुपये देता है, 400 रुपये देता है, ठीक है. हम लोगों को फर्क नहीं पड़ता है, लेकिन जो समाज का कमजोर तबका है, उससे इसको बहुत फर्क पड़ता है. मैं बड़ी व्यवहारिक और छोटी-छोटी बातें कर रहा हूँ. मैं कहीं ऊपर नहीं जा रहा हूँ.
माननीय अध्यक्ष महोदय, तीसरी बात, मैं कहना चाहता हूँ. आज जो हमारे कृषि उपभोक्ता हैं, वह भी परेशान हैं, उसने 2 एचपी की मोटर लगाई, लाईनमैन घर पहुँचे मीटर से नापा और उसने कहा कि यह तो 3 एचपी का है और फिर जो बिलिंग आई, तो 2 एचपी का रेट अलग है और 3 एचपी का रेट अलग है. जो फिक्स चार्जेस हैं. ग्रामीण उपभोक्ताओं के फिक्स मिलते हैं. 3 एचपी को 5 एचपी कर दिया जाता है, तो कुछ तकनीकी परेशानी मैं समझ सकता हूँ. मैं भी इंजीनियर हूँ. क्योंकि अगर एक बार, दो बार मोटर जलती है और रिवाइंडिंग होती है, मंत्री जी, आप इस बात को समझिये. आपके अधिकारियों ने ब्रीफ तो शायद किया होगा. अगर रिवाइंडिंग हो जाती है तो वह कुछ करेंट ज्यादा ड्रा करने लगता है. जो कि कम्पनी की वाइंडिंग और देशी वाइंडिंग जो आम बाजार में होती है, उसमें बहुत फर्क होता है. लेकिन इस पर भी ध्यान देने की जरूरत है कि अनावश्यक रूप से उनके बिल न बढ़ें. एक से दो, दो से तीन, तीन से चार, चार से पांच न किया जाये. इसको भी थोड़ा गंभीरता से लें और कहने को और ज्यादा था, लेकिन आप जल्दी में हैं. हां, एक चीज है. एक तो मैं ग्रिड व्यवस्था पर बात करूंगा. इनकी ग्रिड व्यवस्था में सुधार की बहुत बड़ी गुंजाइश है क्योंकि वह बहुत पुरानी हो गई है. आप तारें जाते हुए देखेंगे तो एक पोल से दूसरे पोल के बीच में लगभग 60 मीटर की दूरी होती है. मंत्री जी, आप ज्यादा जानेंगे, मैंने कभी नापा भी नहीं है. वहां पर बीसों गठानें लगी रहती हैं. टूटता है तो लाइनमैन जाकर फिर जोड़ देता है. अब उसको बदलने की जरूरत है. टूट जाती हैं, नीचे कुछ रखा है, आग लग जाती है. कहीं भैंस मर गई, कहीं गाय मर गई, कहीं फसल जल गई. एक तो ग्रिड के सुधार की इसमें बहुत बड़ी आवश्यकता है.
अध्यक्ष जी, एक दु:खदायी पहलू यह है कि तार नीचे लटक रही है. आदमी खड़े होकर उनको पकड़ ले. अभी ढाई महीने पहले एक बहुत बड़ी दुर्घटना हमारे यहां हुई. वैसे हाथी हमारे इलाके में नहीं पाए जाते. हमारा इलाका शेर तक ही सीमित है. लेकिन वह जो सरगुजा से छत्तीसगढ़ वाला कॉरिडोर है, जिससे बांधवगढ़ में आ गए. बांधवगढ़ में लगभग 80-90 हाथियों का झुण्ड हो गया है. उनमें से कुछ हाथी टहलते-घूमते हुए, शायद उनको लगा यहां ज्यादा अच्छे गन्ने मिल जाएंगे, सोन नदी क्रॉस करके हमारे क्षेत्र में आ गए. बड़ा हा-हाकार मचा. क्या करें, उस समस्या के समाधान की दिशा में कभी किसी ने तो कदम उठाया नहीं क्योंकि कभी ऐसी समस्या आई नहीं. एक हाथी वहां से गया, जहां तार लटक रही थी. हाथी का बच्चा तो निकल गया, लेकिन जो मादा हाथी थी, जो मां थी, वह इलेक्टिट्यूड हो गई, वहां पर मर गई. अब जब ये हुआ, तमाम आंदोलन हुए. हम भी मौके पर पहुँचे. हमने दिलीप अहिरवार जी को भी फोन किया. माननीय मंत्री जी को फोन किया. पीसीसीएफ को फोन किया. बड़े मुश्किल से तो अधिकारी फोन उठाते हैं. माननीय अध्यक्ष जी, सबसे पहले तो आप इनको कहिए, सरकार को कहिए कि इन अधिकारियों को निर्देश हों कि अगर विधायक फोन करते हैं तो फोन उठाएं. बेवजह विधायक थोड़ी फोन करेंगे. कौन सी उनको पार्टी में बुलाना है या कौन सी रिश्तेदारी में जाना है. फोन उठाया करें. बहरहाल, दिलीप जी ने हमारा फोन उठाया, वे नेता हैं, बात को समझते हैं. फिर तरीके निकाले गए. किसी तरह पांच-छ: दिन तो वह झुण्ड रहा, फिर उस पार बांधवगढ़ की तरफ चला गया. अब हमने उस अवसर को, दिल्ली से एक नारा चला है ना, आपदा में अवसर, कैलाश भाई, माननीय प्रधानमंत्री जी ने नारा दिया था, आपदा में अवसर, तो हमने भी सोचा, हमारे दिमाग में नारे की बात, नारे की पंक्तियां तो गूंज रही थी, तो हमने एसई साहब को, चीफ इंजीनियर, रीवा को फोन किया. हमने कहा कि साहब, ये आपकी लाइनें लटक रही हैं, इनमें शीघ्र सुधार करवाइये, नहीं तो यहां पर बड़ा आंदोलन खड़ा होगा. तत्काल चीफ इंजीनियर ने चिट्ठी एसई को लिखी, एसई ने डीई को लिखी, काम शुरू हुआ. तीन-चार दिन तो ऐसा लगा कि ये लोग बहुत ज्यादा सतर्क हो गए हैं, तीन-चार दिन कुछ किया, उसके बाद फिर वही ढाक के तीन पात. अहिरवार जी, हाथी आने की सूचना फिर आ गई है. परसों ही बात कर रहे थे. अध्यक्ष जी, कम से कम हमारे गजराज का बलिदान व्यर्थ न जाए. गजराज मरे हैं, हम लोग गणेश जी को क्या-क्या मानते हैं. बेचारा मरा. माननीय अध्यक्ष जी, आपके माध्यम से मैं माननीय मंत्री जी से कहना चाहूँगा, माननीय मंत्री जी, आप मुझे सुन रहे हैं ना, जी हां, यह दोपहर का वक्त है, पोस्ट मील का समय है. कम से कम अमरपाटन क्षेत्र में जहां यह समस्या बनी है, लाइन बिल्कुल टाइट कर दें, जितनी हो सकती हैं, उतनी कर दें.
अध्यक्ष महोदय, एक बात और है कि माननीय मुख्यमंत्री जी ने घोषणा की है कि 5 रुपये में टीसी परमानेंट करेंगे. एक योजना पहले चला करती थी, जिसमें किसानों को 25 हॉर्सपॉवर का ट्रांसफार्मर देते थे, मिलकर तीन-तीन किसान ले लेते थे. उसमें ट्रांसफार्मर भी मिलता था, तीन-चार पोल जो लगते थे, वे मिल जाते थे. लेकिन जहां तक मेरी जानकारी है, वह योजना अभी बंद है. मंत्री जी इस पर रोशनी डालेंगे.
श्री गौरव सिंह पारधी -- वह योजना कमलनाथ जी ने ही बंद की थी.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह -- नहीं, नहीं.
अध्यक्ष महोदय -- गौरव जी, बैठें, डिस्टर्ब मत करो.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह -- माननीय पारधी जी, गलत बयान है, आप चेक कर लीजिएगा. अब मुख्यमंत्री जी ने घोषणा की है, उन्होंने कहा कि सारे टीसी परमानेंट हो जाएंगे. सुनकर बहुत अच्छा लगता है. 17 लाख टीसी हैं. टीसी में पैसा भी बहुत लगता है, 3 एचपी के लिए 3 महीने के लिए शायद 6-7 हजार रुपये लगते हैं. सुनने में बहुत अच्छा लगता है. बड़ी वाहवाही हुई. माननीय मुख्यमंत्री जी की और वह जिस अंदाज में बोलते हैं तो उनका अंदाज ही निराला है मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि बजट में कहीं कोई प्रावधान नहीं है उसके लिये आप टीसी को परमानेंट कहां बना सकते हो,मंत्री जी जानते होंगे अधिकारी उनको बताएंगे कि पोल से अगर सोर्स से 45 मीटर से ज्यादा है जहां से कोई भी पंप है तो आपको नया खम्भा नहीं देता है विभाग आपको उसके अंदर होना चाहिये.जहां दूरी हुई तो कहेगा कि आप पोल लीजिये अगर मान लीजिये कि एक कि.मी पर है तो एक कि.मी. पर 15 पोल लग गये. 15 पोल का मतलब है साढ़े तीन चार लाख रुपये तो आप वाहवाही लूट लेते हैं पीठ थपथपा लेते हैं.यह दौर चल रहा है चलता रहेगा. थोड़ी सी कसावट लाएं माननीय मंत्री जी. कुछ शिकायतें भी आती हैं. हम पावर सरप्लस स्टेट हैं जैसा कहते हैं कभी-कभी और डिमांड और खपत बढ़ती घटती रहती है. हम सरप्लस होते हैं तो हम बाहर बेचते हैं. हमारे यहां कम होती है तो बाहर से खरीदते हैं. वीलिंग पावर ट्रेडिंग कहते हैं उसको लेकिन जब आप चार्ट उठाकर देखोगे तो अक्सर जब बाहर बिजली सस्ती रहती है तो मध्यप्रदेश सरकार बेचती है और जब बाहर महंगी मिलती है तो मध्यप्रदेश सरकार खरीदती है अब इसमें वह ठेकेदार करता है जिसको आपने टेंडर दिया है. विभाग करता है इस पर थोड़ा आप ध्यान दें क्योंकि करप्शन में जीरो टालरेंस वाली बात होती है. एक आक्षेप है आपके सीएजी का. बहुत बड़ा नहीं है. उसमें 87.02 करोड़ रुपये के अपव्यय की बात कही है सीएजी ने अब वह पढ़ने की आवश्यकता नहीं है. यह गलत खर्च किया गया है. यह अपव्यय है. ऐसी बहुत सारी चीजें हैं. चूंकि कम बोलना था इसलिये मैंने ज्यादा शो ध नहीं किया और मैं अपेक्षा करता हूं कि जो मैंने आपको सुझाव दिये हैं सभी सदस्य सहमत होंगे "एक्रास द पार्टी लाईन,दिस इज फार द वेलफेयर आफ द पीपुल्स,एण्ड द कंज्यूमर" यह कोई राजेन्द्र सिंह की एक क्षेत्र की मांग नहीं है यह सबकी मांग है तो हमको एबव द पार्टी लाईन से हटकर हमको एकमत होना चाहिये और इस हाऊस की अनूठी परंपराएं हैं हिन्दुस्तान में तो कभी-कभी यह शो करें कि सत्ता पक्ष,विपक्ष किसी मुद्दे पर एक हैं. आपने बोलने का मौका दिया बहुत-बहुत धन्यवाद अध्यक्ष जी.
नेता प्रतिपक्ष(श्री उमंग सिंघार) - माननीय अध्यक्ष महोदय,आपके माध्यम से मंत्री जी से कहना चाहता हूं. हमारे दादा भाई राजेन्द्र सिंह जी ने कई बातें कहीं कि किस प्रकार से पावर ट्रेड हो रही है इसको मय प्रमाण के साथ और कितने आपके बिजली में करोड़ों के घोटाले हो रहे हैं वह मैं आपको प्रमाण के साथ अगले सत्र में दूंगा. महत्वपूर्ण बात मैं यह कहना चाहता हूं कि दो महिने पहले मेरी विधान सभा में हाई टेंशन लाईन से 4 बच्चे झुलसकर घायल हो गये. आदिवासी परिवार के थे. दो महिने से ज्यादा होने को आया आज तक उनको एक पैसे का मुआवजा नहीं मिला. उनको अस्पताल में मैंने मदद की जब उनका ईलाज हुआ और नाम के लिये दे रहे हैं 10 हजार 5 हजार कलेक्टर की तरफ से. मैंने माननीय मंत्री जी से भी बात की थी. वीडियो काल पर आपको दिखाया भी था. बच्चों की क्या स्थिति थी. छोटे-छोटे बच्चे,तीन-चार साल के और उसके पहले वहीं पर घटना हो चुकी है. वहां पर एक व्यक्ति मर चुका है. हाईटेंशन लाईन है और 10 साल से है. मैं चाहता हूं कि यह घटनाएं बार-बार हो रही हैं.हाईटेंशन लाईन कब ऊपर होंगी. इस प्रकार के संवेदनशील मुद्दे पर अगर बिजली विभाग दो महिने में कार्यवाही नहीं करता तो बड़े दुख की बात है और न इनकी तरफ से कोई गया तो मेरा आपसे निवेदन है कि घर के पीछे से लाईन जा रही हैं जो 40-50 फिट ऊपर होना चाहिये वह 20 फिट पर लाईन जा रही है तो इस पर तत्काल कार्यवाही होना चाहिये और मंत्री जी और इनका विभाग संवेदनशील रहना चाहिये कि इस प्रकार की पुन: घटना न हो.
श्री रामनिवास शाह (सिंगरौली)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अनुदान संख्या 12, ऊर्जा विभाग के समर्थन में खड़ा हूं, आपका संरक्षण प्राप्त हो, आपका कार्यकर्ता भी हूं. प्रदेश सरकार की ओर से ऊर्जा का जो बजट प्रस्तुत हुआ है, मैं ऊर्जा के क्षेत्र से ही विधायक हूं जहां सिंगरौली में कोयला, पानी, विद्युत का क्षेत्र ही है इसीलिये जन्म से ही जानता हूं कि विद्युत के क्षेत्र में कौन सी सरकार ने कब कितना अपनी उत्पादन क्षमता को आगे किया. हम बता सकते हैं कि आज के समय में वर्ष 2003 के बाद जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार आई तब से लेकर जो विद्युत उत्पादन में क्षमता बढ़ी है, आज हम 12 हजार 313 मेगावाट बिजली सिंगरौली से मध्यप्रदेश की सरकार उत्पादन कर रही है, जो रिलायंस पॉवर, अडानी पॉवर, जे.पी. पावर कंपनी, हिंडाल्को एवं केन्द्र की एनटीपीसी नेशनल थर्मल पॉवर कंपनी जो हमारा उपक्रम है उसके माध्यम से उत्पादन हो रहा है. देश में अनन्य प्रकार के और प्रदेश में अनन्य प्रकार के वर्ष 2003 के बाद आप कह रहे थे कि माननीय राजेन्द्र कुमार सिंह की रीवा के लोगों से नहीं पटती. मैं तो कार्यकर्ता हूं, आपको पहले से भी जानता हूं, आप हमारे क्षेत्र के इलाकेदार हैं.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह-- देखिये, मैंने यह नहीं कहा, मेरी सबसे पटती है भैया, क्षेत्र के लोगों से, आपसे, सबसे पटती है.
श्री रामनिवास शाह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, वह तो बात आई इसलिये मैं कह रहा हूं, हम तो आप ही से सीख रहे हैं, सीखने का मतलब कि हमारा जन्म ही उस समय हुआ जब विद्युत की एनटीपीसी की स्थापना हुई, लेकिन उत्पादन की क्षमता के क्षेत्र में जब जक सरकार भारतीय जनता पार्टी की नहीं आई, इसके पहले इतनी वृद्धि नहीं हुई जब फीडर सेपरेशन और विद्युतीकरण का काम प्रारंभ हुआ, उसके माध्यम से तमाम क्षेत्रों में वर्ष 2003 के पहले तो यह हो जाता था कि विद्युत की बात आती थी...
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह-- माननीय अध्यक्ष जी, यह फीडर सेपरेशन की बात कर रहे हैं उस समय मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार थी, खूब पैसा मिला, लेकिन केन्द्र में जो मंत्री थे कांग्रेस के ही थे और श्रीमान ज्योतिरादित्य सिंधिया जी थे वहां से लोग पैसे ले आते थे, वह दिया करते थे जब कांग्रेस में थे, अब वह नहीं देंगे, पहले दिया करते थे.
श्री रामनिवास शाह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हम उत्पादन की बात कर रहे थे तो और भी सौर ऊर्जा के क्षेत्र में माननीय का हमारे यहां भ्रमण नहीं हुआ होगा, चूंकि आप हमारे कांग्रेस के समय के लीडर भी रहे हैं, हम लोग मिले जरूर नहीं होंगे, लेकिन टीव्ही और रेडियो के माध्यम से तो सुनते रहे हैं, लेकिन आज के समय में एनसीएल की ओर से सौर ऊर्जा का जिसका केन्द्रीय कोयला मंत्री ने लोकार्पण किया, 50 हजार किलोवाट विद्युत उत्पादन वहां से हो रहा है. इस विद्युत का उत्पादन एनसीएल अपने ही प्रयोग में कर रहा है, पहले वह विद्युत मंडल की ओर से लिया करता था. नि:शुल्क जनजाति पीएम जनमन योजना के माध्यम से हमारी सरकार देश की और प्रदेश की सरकार नि:शुल्क विद्युत प्रदाय राज्य शासन द्वारा एक हेक्टेयर भूमि एवं 5 हार्स पॉवर कृषि पम्प को अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के समाज के कृषकों को नि:शुल्क प्रदान किया जा रहा है, इसीलिये तो कृषि के क्षेत्र में जो उत्पादन क्षमता मध्यप्रदेश की बढ़ी हुई है इससे स्पष्ट होता है कि क्षेत्र में हमारी विद्युत आपूर्ति ठीक ढंग से हो रही है. इसी तरह अटल गृह योजना के माध्यम से 100 वाट तक की 30 यूनिट तक खपत करने वाले उपभोक्ताओं को भी हमारी सरकार जनजाति गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले उपभोक्ताओं को 25 रूपये का बिल दिया जा रहा है.
अध्यक्ष महोदय -- आप बिजली के क्षेत्र के हैं, इसलिए बोलने को तो आपके पास बहुत कुछ है, लेकिन समय की सीमा है, इसलिए अपनी बात एक मिनट में समाप्त करें.
श्री रामनिवास शाह -- अध्यक्ष महोदय, आपने युवा मोर्चा से संरक्षण दिया और विधानसभा तक पहुंचा दिया है. अभी थोड़े ही दिन पूर्व हमारे क्षेत्र में पांच सौ के.वी. के चार-चार ट्रांसफार्मर लगे हैं, जो ओवर लोडेड हैं, जिससे यह हो जाता था कि ओवर लोडेड ट्रांसफार्मर होने के कारण लोड सेटिंग के कारण विद्युत की आपूर्ति रोक दी जाती थी, अब अभी पिछली बार हमारी प्रभारी मंत्री माननीय श्रीमती संपतिया दीदी गई थीं, उन्होंने एक का लोकार्पण किया, दूसरे के लोकार्पण के लिये जो मंझोली में स्थापित हो रहा है, यह चार अभी वर्तमान में स्थापित हो गये हैं, जिनका एक का लोकार्पण हो गया है, दूसरे का माननीय विधायक जी ने किया, सिंगरोलिया, मंझोली, हरफरी,अमिलवान. हम मंझोली के लिये माननीय ऊर्जा मंत्री जी को आग्रह भी करेंगे कि माननीय प्रद्युम्न सिंह जी आयेंगे और उसका लोकार्पण करेंगे, तो हम सबको अच्छा लगेगा, इस क्षेत्र में विद्युत आपूर्ति के लिये प्रदेश की सरकार के माननीय डॉ. मोहन यादव मुख्यमंत्री जी को और माननीय ऊर्जा मंत्री जी को बहुत-बहुत बधाई देना चाहूता हूं.
अध्यक्ष महोदय, स्मार्ट मीटर के जो बिल आ रहे हैं, उसके प्रति थोड़ा सा आग्रह है कि हमारे क्षेत्र में एक जूनियर इंजीनियर प्रमोद राय जी है, उन्होंने एक क्षेत्र में बिना क्षेत्र का भ्रमण किये, जांच किये किलोवॉट बढ़ा दिये हैं, तो हम चाहेंगे कि क्षेत्र में आपूर्ति भी हो रही है, फीडर सेपरेशन भी हो गया है, एक गांव हैं ग्राम पंचायत बसौड़ा, जहां बिना सेपरेशन के ही सेपरेशन कागज में हो गया, क्षेत्र में हुआ ही नहीं है, उसके कारण वहां पांच, छ: वर्षों से परेशानी है, यह सुधार करने योग्य है और किलोवॉट स्थल पर जाकर लाईन मेन द्वारा कराया जाये, यह हमारी अपेक्षा है. इस क्षेत्र में अच्छे काम करने के लिये आपका संरक्षण प्राप्त करते हुए, प्रदेश के ऊर्जा मंत्री, प्रभारी मंत्री और प्रदेश के मुख्यमंत्री जी और देश के यशस्वी प्रधानमंत्री जी जिन्होंने कहा है सबका साथ, सबका विकास, सबका प्रयास बहुत-बहुत बधाई, बहुत बहुत शुभकामनाएं.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा(जावद) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आधा मिनट में सिर्फ एक नीतिगत बात बतानी है. मैं बिजली मंत्री जी का आपके माध्यम से ध्यान दिलाना चाहता हूं कि तीन साल हो गये, हम स्ट्रगल कर रहे हैं, एक पंचायत ने आत्मनिर्भर होने के लिये दो मेगावॉट का सोलर प्रोजेक्ट अवार्ड करवा लिया, रेवेन्यू डिपार्टमेंट ने जमीन जो एलॉट की है, रेवेन्यू डिपार्टमेंट और बिजली डिपार्टमेंट वह जमीन प्लेज करने की परमीशन नहीं दे रहे हैं, पंचायत के बीस लाख रूपये, दस लाख रूपये की एफ.डी., बीस लाख रूपये खर्च करवाकर जो आत्मनिर्भर हो रही थी, जिससे कि साल भर में पंचायत आसानी से बीस, तीस लाख रूपया कमाकर, हर साल अपना काम आत्मनिर्भरता पर चलाये. प्रधानमंत्री तक ने उस योजना की तारीफ की थी, कि भारत की पहली किसी पंचायत ने आत्मनिर्भरता के लिये किया है, तो आप उसमें कुछ संशोधन करके उसका कुछ हल निकलवा पायेंगे क्या? बाकी बातें तो सब आ गईं हैं, मैं ओर भी बातें कर सकता था, लेकिन सिर्फ इतना ही कहना चाहता हूं, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री अभय मिश्रा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक मिनट हम थोड़ा अनुपस्थित हो गये थे.
अध्यक्ष महोदय -- अभी बाला बच्चन जी बोल रहे हैं.
श्री बाला बच्चन(राजपुर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मांग संख्या -12 जो कि ऊर्जा विभाग से संबंधित है, मेरा आग्रह है कि मैं जिस जिले से आता हूं, बड़वानी जिला एक ट्रायबल डिस्ट्रिक्ट है. हम बड़वानी की बात कर लें, धार, अलीराजपुर, झाबुआ की बात कर लें, खरगौन, खण्डवा, बुरहानपुर की बात कर लें, मध्यप्रदेश में और भी जो ट्रायबल एरिया हैं, उसके लिये मैं आपका ध्यानाकर्षित कराना चाहता हूं कि जैसा बड़वानी जिले की राजपुर विधानसभा क्षेत्र जिससे मैं चुनकर आता हूं, जिसमें सेंधवा हैं, बड़वानी हैं, पांछेमल है, यह जो अनुसूचित जनजाति के लोग हैं, इनकी बड़ी बसावटें नहीं होती हैं.
खेतों में ही ये अपना घर बनाकर निवास करते हैं और इनका बिजली का फीडर सेपरेशन का कार्य हुआ नहीं है, तो जितने घंटे इरीगेशन की जो लाइन मिलती है, उतने ही घंटे उन्हें डोमेस्टिक लाइट भी मिलती हैं. बहुत दिनों से हम सुन रहे हैं बड़वानी में लगभग 900 गांव ऐसे हैं कि धरती आभा योजना के अंतर्गत उनको लिया गया है, लेकिन अभी तक उनका काम स्टार्ट नहीं हुआ है, तो हम यह चाहते हैं कि उनका बहुत बड़ा वर्ग है जो 24 घंटे बिजली मिलने से वे वंचित हैं. मैं यह चाहता हूं कि वहां 24 घंटे की बिजली प्रदाय की जाए. मैं आपको बताना चाहता हूं कि मेरी राजपुर विधान सभा की ही 10 से 12 ऐसी ग्राम पंचायतें हैं जिनमें लफनगांव, बोवलवाड़ी, भोरवाड़ा, घुसगांव, नागलवाड़ी, नांदेड़, कालापानी, देवनली, पानवा, नागलवाड़ी खुर्द, नागलवाड़ी बुजुर्ग, आझर, जुलवानिया, कुसमरी, मोयदा पंचायत इस तरह तलवाड़ा, डेब, रई, कादवी, टाकली, सालीकलां, बघाड़, टैमली, मातमूर ऐसे ही पूरे ट्रायबल एरिया की जहां जहां भी बसाहटें हैं, वहां बहुत जल्दी ये योजना शुरू करें जिससे कि उनको 24 घंटे बिजली मिल सके और वे भी बिजली का उपयोग कर सकें. यही मेरा आपसे आग्रह है बाकी की बात मैन बजट में मैंने कही है, लेकिन ये मेरा विशेष स्पेशल आपके माध्यम से सरकार का ध्यान आकर्षित कराने के लिए वक्त लिया गया, कृपा करके आप इन क्षेत्रों में कार्य चालू करवा दें जिससे 24 घंटे बिजली की सप्लाइ उनको मिलने लगे. अध्यक्ष महोदय आपको बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री अभय मिश्रा – अध्यक्ष महोदय, बस आधा मिनट आपने मेरा नाम पुकारा था, मैं लॉबी में चला गया था, मेरी सिमरिया विधान सभा क्षेत्र में ग्राम पंचायत बहड़ा में नवीन विद्युत सब स्टेशन का प्रावधान भी था उसका अनुरोध..
अध्यक्ष महोदय – आपको हमेशा बोलने का अवसर देते हैं, अभी आगे बढ़ने दीजिए, दूसरा एक विभाग है, पीएचई का आप उस पर बोलिए, अगर बोलना है तो.
ऊर्जा मंत्री (श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर) – माननीय अध्यक्ष महोदय, सर्वप्रथम मैं आपके माध्यम से पक्ष और विपक्ष के सभी सम्माननीय साथी, जो ऊर्जा विभाग की मांग में शामिल हुए. आदरणीय हरिशंकर खटीक जी, मधु भाई भगत जी, श्रीकांत चतुर्वेदी जी, केदार चिड़ार भाई, गौरव सिंह जी, सुरेश राजे जी, अनिरुद्ध माधव जी, फूल सिंह बरैया जी, कमल मर्सकोले जी, श्रीमती सेना महेश पटेल, महेश नागेश जी, महेश परमार जी, योगेश पंडाग्रे जी, डॉ राजेन्द्र कुमार सिंह जी, उमंग सिंघार जी, रामनिवास शाह जी, ओमप्रकाश सकलेचा साहब, आदरणीय बाला बच्चन जी सभी का मैं धन्यवाद और आभार करता हूं. मैं सबसे पहले यशस्वी मुख्यमंत्री और हमारे प्रदेश के उप मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री जी का साधुवाद और धन्यवाद करता हूं कि वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट में ऊर्जा विभाग हेतु कुल रुपए 37 हजार 734 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है, जो पिछले वर्ष से 47 प्रतिशत अधिक है. इसके लिए मैं उनका धन्यवाद करता हूं. माननीय, मैं आपके माध्यम से सदन के सभी सम्माननीय सदस्यों से, सच जो हो उसको जरुर स्वीकार करना चाहिए. हम और आप सब वर्तमान के साथ साथ आने वाले पीढ़ी के भविष्य के लिए काम कर रहे हैं. हम और आप मेरे सामने मित्र बैठे हैं, वर्ष 2002 और 2003 की बातें करते हैं मैं आलोचनात्मक बात नहीं करुंगा, मैं यह बात करुंगा कि प्रगति किस तेज रफ्तार से हुई है और प्रगति जो हुई उस प्रगति में डेढ़ साल का जो व्यवधान बीच में आया उसका एक उदाहरण मैं देना चाहता हूं कि बिजली की दरों में वृद्धि...(..व्यवधान)
श्री सोहन बाल्मीक – 15 महीने का व्यवधान उस समय ऊर्जा मंत्री कौन था आप ही थे व्यवधान किसने पैदा किया. ...(..व्यवधान)
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर – अब बात सुन तो लो, मेरी पूरी बात सुन लो, आप नाराज क्यों हो रहे हो.
अध्यक्ष महोदय – मंत्री जी ने सभी को सुना है. अब मंत्री जी को भी सुनिए मंत्री जी बहुत स्नेह और समझाकर बोल रहे हैं, आपको धैर्य धारण करके सुनना चाहिए.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर – वर्ष 2028-19 में 7 प्रतिशत बिजली की विद्युत दरों में वृद्धि हुई . आदरणीय डॉ. राजेन्द्र कुमार साहब मैं जो कहना चाहता हूं पूरी बात को समझेंगे और हमारे काल में मैं जब हमारे माननीय शिवराज सिंह जी की सरकार आई. अभी तक डॉ.मोहन यादव जी की सरकार का हमने 6.1 प्रतिशत कुल वृद्धि की, इतने वर्षों में जो कि 1 प्रतिशत से कुछ ज्यादा है. आपने एक वर्ष में 7 प्रतिशत की हमने 1 वर्ष में इसको आप मानिये कहीं ना कहीं कांग्रेस सरकार का कुप्रबंधन था, यह मैं कहना चाहता हूं.
श्री दिनेश गुर्जर—उस समय यह बात क्यों नहीं बोली, बिजली मंत्री तो आप भी थे. जनता से इतना प्यार था तो उस समय इस्तीफा दे देते.
श्री प्रद्युम्नसिंह तोमर—जब हमको लगा इस्तीफा देना है तो देकर के यहां आये.
अध्यक्ष महोदय—मंत्री जी जवाब दे रहे हैं. आप बैठिये.
श्री प्रद्युम्नसिंह तोमर—अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2003-04 की बात करना चाहूंगा तथा 2024-25 की भी बात करना चाहूंगा कि उस समय बिजली की जो मांग थी 6 हजार 63 मेगावाट थी 2002-03 में जिसकी वजह से बिजली के कारण दिग्विजय सिंह जी की सरकार गई थी, इस बात के सारे लोग साक्षी हैं. 1200 से 1300 मेगावाट की बिजली की कमी के कारण नौनिहाल जब चीखते थे तो मां पल्लू से हवा करती थी.
अभय मिश्रा—आप खम्बे पर भी चढ़े थे.
श्री प्रद्युम्नसिंह तोमर—मैं खम्बे पे चढ़ा नहीं चढ़ा वह अलग विषय है, पर सत्य को स्वीकार करो. मैंने क्या किया उसका उदाहरण आप बाद में दोगे. मैं आज बात करना चाहता हूं आज 24346 मेगावाट का हम बिजली की आपूर्ति कर रहे हैं. हमारी मांग अभी तक प्रदेश के गठन से अभी तक की 18913 की मांग को बिना कटोती के पूरा किया. प्रदेश के मापने का प्रतिव्यक्ति बिजली की खपत एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. 2003-04 में 486 यूनिट बिजली की प्रतिव्यक्ति खपत थी. आज 2024-25 में 1332 यूनिट प्रतिव्यक्ति खपत है, यह अंतर है. यह विकास की गति का द्योतक है. मैं आपसे एक बात और करना चाहता हूं कि हमने टीएनडी हानिया, एटीएस हानिया इनमें भी कमी की है. 2003 में जहां 44 प्रतिशत थी वहां हमने 25 प्रतिशत की जहां 49 प्रतिशत थी वहां 22 प्रतिशत की. मैं कुछ आंकड़े जरूर देना चाहूंगा कि वर्ष 2003-04 में ट्रांसफार्मर की क्षमता थी 19469 मेगावाट आज 2024-25 में हो गई है 82335 मेगावाट.
श्री सोहनलाल बाल्मीक—2003-04 में प्रदेश की कुल कितनी जनसंख्या थी.
श्री प्रद्युम्नसिंह तोमर —आप जनसंख्या के हिसाब से गणित कर लें.
श्री सोहनलाल बाल्मीक—मैं तो आपसे पूछ रहा हूं. मांग बढ़ेगी तो स्वाभाविक रूप से होगा उसमें इतनी उपलब्धि बताने की आवश्यकता नहीं है. उस समय कनेक्शन कम थे.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा—प्रतिव्यक्ति कितने यूनिट बिजली की खपत कर रहा है. इस बात का उत्तर मंत्री जी पहले दे चुके हैं.
अध्यक्ष महोदय—आप लोग कृपया बैठिये. मंत्री जी आप बोलिये.
श्री प्रद्युम्नसिंह तोमर—अध्यक्ष महोदय, वितरण अधोसंरचना में पॉवर ट्रांसफार्मरों की संख्या 2003-04 में 5753 थी कुल. आज उसकी संख्या 7 हजार 8 सौ 75 है. मैं पॉवर ट्रांसफॉर्मरों की संख्या की बात कर रहा हॅूं. (मेजों की थपथपाहट) ट्रांसफॉर्मरों की संख्या की बात नहीं कर रहा हॅूं. ट्रांसफॉर्मरों की संख्या उस समय 1 लाख 68 हजार 346 थी, जो आज 10 लाख 61 हजार हो गई है. औसतन आबादी का रेश्यो निकालिएगा. मैं आपसे बात करूंगा और उसके बाद हम टेबल पर बैठकर बात भी करेंगे. मैं आपकी बात का साधारणत: जवाब दूंगा और मैंने उपभोक्ताओं की बात की. सबके संज्ञान में है. यह आंकडे़ं हैं. मुझे आपको बताने की जरूरत नहीं है. अगर आप जानना चाहेंगे, तो मैं बताऊंगा.
अध्यक्ष महोदय, मैं सदन में बडे़ गर्व से यह अवगत कराना चाहता हॅूं कि जो मैं अभी पहले कह चुका हॅूं और फिर कह रहा हॅूं कि वर्ष 2019-20 में, मैं यह बात क्यों कह रहा हॅूं कि बजट में बढ़ोत्तरी होना, यह समय के हिसाब से हो सकती है. प्रबंधन और कुप्रबंधन में बहुत अंतर है. छोटी चीज का भी प्रबंधन किस तरह से हो. कम चीजों से भी हम प्रबंधन कैसे ज्यादा अच्छे से कर सकते हैं और हमारे पास सब कुछ होने के बाद भी हम व्यवस्था को सही ढंग से न कर पाएं, वह हैं कुप्रबंधन, तो मैं फिर यह दावे के साथ कहना चाहता हॅूं कि हमारे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हमारी सरकार माननीय मुख्यमंत्री आदरणीय डॉ.मोहन यादव जी के मार्गदर्शन में मैं सदन में बडे़ गर्व के साथ के साथ यह कहना चाहता हॅूं कि वर्ष 2020-21 से अभी तक विद्युत प्रदाय दरों में केवल 6.95 परसेंट वृद्धि हुई है, जो औसतन केवल 1.39 परसेंट है. (मेजों की थपथपाहट) वर्ष 2019-20 में यह वृद्धि 7 प्रतिशत हुई थी. यह आपके संज्ञान में है.
अध्यक्ष महोदय, हमारे प्रदेश के अन्नदाताओं को दिन में बिजली मिले, उसे रात में ठंड में खेत में परेशान न होना पडे़, इसके लिए माननीय डॉ.मोहन यादव जी की सरकार 2 लाख सोलर पंप पहले दौर में प्रदान करने जा रही है और यही नहीं, उनको आर्थिक रूप से और ताकतवर बना सकें. जब सीजन हो, वह बिजली खुद उपयोग करें. सीजन के बाद वह बिजली को बेचकर के आय का स्रोत भी बनाएं. यह काम हमारी सरकार कर रही है. हम आपको एक चीज और बताना चाहते हैं कि अभी मेरे कई साथी कह रहे थे. अवैध बस्तियों में कांग्रेस के समय में तो कोई नीति नहीं थी कि विद्युतीकरण होगा. हमने रास्ता खोला और हमने रास्ता खोला कि उन अवैध बस्तियों में भी विद्युतीकरण किया जाये और आम उपभोक्ता से पैसा लेकर, पर हमने कहा कि उपभोक्ता इतना पैसा नहीं दे सकता. आप मेरी पूरी बात सुन लें.
श्री सुनील उइके -- माननीय मंत्री जी, आप यह जो अपडेट दे रहे हैं उसमें राजीव गांधी विद्युतीकरण को भी शामिल कर लीजिए. फीडर सेपरेशन, ट्रांसफॉर्मर बढ़ोत्तरी, मजरे-टोले में बिजली की कितनी आपकी सरकार में राजीव गांधी विद्युतीकरण में कितनी हुई. उसका भी आप कैल्कुलेशन बता दीजिए.
अध्यक्ष महोदय -- उइके जी, कृपया बैठिए.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- अध्यक्ष महोदय, हमने अवैध बस्तियों में यह किया है कि हमने 2 साल के लिए अगर 1 किलोवॉट पर 10 हजार रूपए लगेगा, तो उसका 25 परसेंट जमा कर दें. फिर 2 साल की किश्तें करके वह पैसा जमा कर सकते हैं. यह बात मैं इनको बताना चाहता हॅूं. उद्योगों के लिए सस्ती बिजली उपलब्ध कराने हेतु हमारे यहां उद्योग ज्यादा स्थापित हों, आप देख रहे होंगे कि उद्योग ज्यादा आकर्षित हो रहे हैं. वर्तमान में सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक हम सौर ऊर्जा प्रवाह में 20 प्रतिशत तक की छूट प्रदान कर रहे हैं. हमारी सरकार उद्योगों को लाने की बात कर रही है. इससे मध्यप्रदेश में नये उद्योग आएंगे. आपके और हमारे बेटे-बेटी को रोजगार का स्थान मिलेगा. वह बाहर पलायन नहीं करेंगे.
अध्यक्ष महोदय, सारणी और अमरकंटक ताप विद्युत गृह में 2X607 मेगावॉट की सुपर क्रिटिकल टेक्नॉलाजी पर नवीन ताप विद्युत इकाईयों की स्थापना हेतु हमने निविदा आमंत्रित कर दी है, जिससे भविष्य में विद्युत की मांग बढ़ रही है. उसमें बिजली मिले. पीएम जन-मन योजना के तहत अभी हमारे आदरणीय बाला बच्चन साहब कह रहे थे. पीएम जन-मन योजना के तहत अब आप इसे कांग्रेस और बीजेपी पर न ले जाएं, पर मैं यह कहना चाहता हॅूं कि इससे पहले उनकी खबर, उनकी सुध किसने ली. उनकी खबर और सुध देश के यशस्वी प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी ने ली है. इसके लिए आपको ताली बजाना चाहिए, खडे़ होकर गर्व से कहना चाहिए.(मेजों की थपथपाहट)
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, मैं आधा मिनट चाहता हूं. अटल कृषि ज्योति योजना के अंतर्गत 9262 करोड़ रुपये का प्रावधान था, उसको आपने 1000 रुपये क्यों कर दिया? क्या किसानों को मिलने वाला अनुदान जो वर्ष 2023-24 में 1702 करोड़ रुपये था और वर्ष 2024-25 में 9262 करोड़ रुपये था, लेकिन अभी आपने 1000 रुपये कर दिये, यह क्या किसानों के साथ छलावा नहीं है? आप कैसा वक्तव्य दे रहे हैं, कहां 9262 करोड़ रुपये और कहां मात्र 1000 रुपये और यह धरती आभा के नाम से आप बोलते हैं मांग संख्या 1038, धरती आभा जनजाति ग्राम उत्कर्ष अभियान के अंतर्गत आपने 2000 रुपये रखे हैं.
अध्यक्ष महोदय - श्री बाला जी आप अपनी बात रख चुके हैं प्लीज.
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, बिरसा मुंडा जी हमारे भगवान उनका भी अपमान. आपने ही मुझे याद दिलाया है, आपने छेड़ा है, 9262 करोड़ रुपये की जगह मात्र 1000 रुपये, यह किसानों के साथ कितना बड़ा छलावा है?
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर - अध्यक्ष महोदय, प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाअभियान के अंतर्गत प्रदेश में चिह्नित विशेष रूप से जनजाति समूह भारिया, बैगा एवं सहरिया समुदाय के अविद्युतीकृत घरों का विद्युतीकरण किये जाने के लिए ऐसी बसाहटें जिन घरों में विद्युत नहीं हैं उनमें पीवीटीजी योजना अंतर्गत घर तक का विद्युतीकरण का कार्य विद्युत वितरण कंपनी द्वारा किया जा रहा है. योजना के अंतर्गत प्रदेश में लगभग 27000 घरों में कनेक्शन दिये जा चुके हैं. कार्य योजना को विद्युत मंत्रालय भारत सरकार द्वारा स्वीकृति प्रदान की जा चुकी है एवं विद्युत वितरण कंपनी द्वारा फरवरी, 2025 तक लगभग 16745 घरों में विद्युत कनेक्शन प्रदान किये जा चुके हैं. धरती आभा जनजाति ग्राम उत्कर्ष अभियान इसका उद्देश्य आदिवासी क्षेत्रों में स्थायी परिवर्तन लाने के लिए विभिन्न सरकारी योजनाओं को एकीकृत करना इसके अंतर्गत 11377 जनजाति बाहुल्य क्षेत्रों में जनजाति घरों में विद्युतीकरण के कार्य हेतु सर्वे कार्य किया जा रहा है.
श्री बाला बच्चन - इसकी आप मद संख्या बताइए. अध्यक्ष महोदय, मेरे पास में मद संख्या है, इसमें केवल 1000 रुपये रखे हैं.
संसदीय कार्यमंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय)- अध्यक्ष महोदय, ऐसे तो मंत्री जी का भाषण ही नहीं हो पाएगा.
अध्यक्ष महोदय - आप बाद में अलग से माननीय मंत्री जी से मिल लीजिएगा.
श्री बाला बच्चन - परन्तु इन्होंने कौन-सी मांग में, कौन-से मद में रखे हैं?
श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि जो बीच में बोलें, वह रिकॉर्ड में नहीं आए. ऐसे तो मंत्री जी का भाषण ही पूरा नहीं होगा. अभी एक मंत्रालय और लेना है.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर - अध्यक्ष महोदय, मैं कुछ लाइनें कहना चाहता हूं कि हम ऊर्जा के हर क्षेत्र में चहूमुखी विकास कर रहे हैं और आने वाले समय में आपके संज्ञान में भी होगा. हमारे सम्मानीय नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री जी भी बताएंगे कि हम उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश में पहला प्रयोग कर रहे हैं, जब हमारी मांग की जरूरत होगी तब हम और जब उत्तर प्रदेश को जरूरत होगी तो उत्तर प्रदेश, सौर ऊर्जा प्लांट हम चंबल के बीहड़ों में लगा रहे हैं जहां से माननीय वहां का प्रतिनिधित्व करते हैं.
श्री पंकज उपाध्याय - (XXX)
श्री कैलाश कुशवाह - (XXX)
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी जो बोलेंगे वही लिखा जाएगा.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर - अध्यक्ष महोदय, इन लाइनों के साथ अपनी बात खत्म करूंगा.
"मेहनत करो, मेहनत करो,
जी तोड़कर मेहनत करो,
हर शौक से मुहं मोड़कर मेहनत करो,
जो चाहोगे मिल जाएगा,
ईनाम मिले, इकरार मिले,
जो चाहोगे मिल जाएगा,
मेहनत करो, मेहनत करो जी तोड़कर."
साथियों, इस सिद्धांत पर हम काम करना शुरू करें. निश्चित रूप से सफलता हमारे चरण-चुंबन करेगी, इन्हीं शब्दों के साथ अध्यक्ष महोदय, आपको और सदन को प्रमाण करता हूं. धन्यवाद. (मेजों की थपथपाहट)
5.39 बजे अध्यक्षीय व्यवस्था
अध्यक्ष महोदय - संसदीय कार्यमंत्री जी यहां पर बैठे हुए हैं. मुझे लगता है कि सामान्य तौर पर ऊर्जा पर चर्चा हो रही है और चर्चा काफी लम्बी भी हुई है. पक्ष और विपक्ष के दोनों सदस्यों नें इसमें भाग लिया है तो इस पूरी चर्चा को एक बार मंत्रालय निकलवा ले और जो जमीनी कठिनाइयां हैं, उन पर जो काम किया जा सकता है, उनका तत्काल निराकरण हो जाय तो मुझे लगता है कि अच्छा रहेगा. (मेजों की थपथपाहट)
मैं, पहले कटौती प्रस्तावों पर मत लूंगा.
प्रश्न यह है कि मांग संख्या - 012 पर प्रस्तुत कटौती प्रस्ताव स्वीकृत किये जायें.
कटौती प्रस्ताव अस्वीकृत हुए.
अब, मैं, मांग पर मत लूंगा.
अध्यक्ष महोदय- प्रश्न यह है कि 31 मार्च, 2026 को समाप्त होने वाले वर्ष में राज्य की संचित निधि में से प्रस्तावित व्यय के निमित्त राज्यपाल महोदय को-
अनुदान संख्या- 012 ऊर्जा के लिये अठारह हजार पांच सौ पच्चीस करोड़, बयासी लाख, अठासी हजार रूपये
तक की राशि दी जाय.
मांगों का प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
5.42 बजे मांग संख्या- 20 लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री (श्रीमती संपतिया उइके)- अध्यक्ष महोदय, मैं, राज्यपाल महोदय की सिफारिश के अनुसार प्रस्ताव करती हूं कि 31 मार्च, 2026 को समाप्त होने वाले वर्ष में राज्य की संचित निधि में से प्रस्तावित व्यय के निमित्त राज्यपाल महोदय को -
अनुदान संख्या- 020 लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी के लिये बीस हजार करोड़, उनासी लाख, सतावन हजार रूपये
तक की राशि दी जाय.
अध्यक्ष महोदय- अब, इस मांग पर कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत होंगे. कटौती प्रस्तावों की सूची पृथकत: वितरित की जा चुकी है. प्रस्तावत सदस्य का नाम पुकारे जाने पर जो माननीय सदस्य हाथ उठाकर कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत किये जाने हेतु सहमति देंगे, उनके कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए माने जायेंगे.
मांग संख्या-020 लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी
श्री उमंग सिंघार 01
श्री मधु भाऊ भगत 02
श्री देवेन्द्र रामनायण सखवार 03
श्री यादवेन्द्र सिंह 04
श्री हमन्त सत्यदेव कटारे 05
श्री पंकज उपाध्याय 06
डॉ. हिरालाल अलावा 07
श्री बाला बच्चन 08
श्री अभिजीत शाह(अंकित बाबा) 09
श्री राजेन्द्र भारती 10
श्री कैलाश कुशवाह 11
श्री बाबू जण्डेल(श्योपुर)- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह जो पी.एच.ई विभाग का जल जीवन मिशन है. यह प्रधान मंत्री मोदी जी और मध्य प्रदेश की राज्य सरकार यह वादा कर रही है कि घर-घर पानी पिलायेंगे. हर टोंटी में जल मिलेगा और जब हम क्षेत्र में घूमते हैं तो देखते हैं कि नलों में टोंटी नहीं है, कई जगह मोटरें फूकी हुई है, कई जगहें डी.पी. फूकी हुई हैं और जो ठेकेदार काम करते हैं तो सबसे अच्छे स्त्रोत की जनहित के लिये सही जांच करके कि कौन सी जगह अच्छा पानी है. पहले पानी की जांच करना चाहिये. इसके बाद में पाइप लाइन का काम करना चाहिये और यह जो प्रकृति को छेड़ रहे हैं. जगह-जगह गड्डा कर रहे हैं. एक दिन स्थिति यह आयेगी कि एक दिन जमीन में पानी नहीं रहेगा. पानी का पूरा दुरूपयोग हो रहा है, लोग मोटर चलाते हैं. मैं वर्ष 1994 में सरपंच बना था. मैंने हर गली में सी.सी.रोड बनायी. वह गांव पूरी तरह से बर्बाद है, वहां से निकलने में परेशानी होती है वहां जगह-जगह कीचड़ है और यह जो हैंड पंप लगाने की जो योजना चली थी, इससे हमारी माता बहनें जो पानी भरती थी तो उससे एक व्यायाम होता था. आज महिलाओं के बच्चा-बच्ची आपरेशन से अस्पतालों में हो रहे हैं. ऑपरेशन अस्पतालों में हो रहे हैं. मैं मंत्री जी से निवेदन कर रहा हूं कि ये हैंडपम्प होना चाहिये. जिस गांव के अंदर नल जल योजना है, मेरे विधान सभा क्षेत्र में 149 योजनाएं लागू हैं, उसमें से मंत्री जी ने 80 योजनाएं चालू बताईं और 70 का कार्य चालू होना बताया है. मैं मंत्री जी को भी धन्यवाद देता हूं कि जब हम मिलते हैं, तो हमारा सम्मान होता है, हमारी वे बात सुनती हैं, पर यह जो आप बजट की बात कर रहे हैं, जो बजट पंचायतों को हैंड ओव्हर किया जाता है, नल जल योजना चालू हो गई, वह पंचायतों को हैंड ओव्हर किया जाता है, सरपंच में वह दम नहीं है कि वह वसूली कर सकते हैं. कौन वसूली करेगा. गांव वालों से सरपंच वसूली नहीं कर सकता है. इसलिये मेरा निवेदन है कि पीएचई विभाग को ही हैंडओव्हर किया जाये, जिससे कि जो मोटर फुकी हुई है या तकनीकी की कोई बात है या डीपी की बात है, तो हमारे विधायक प्रतिनिधि विभागीय अधिकारी से बात तो कर सकते हैं, सरपंचों से जब बात करते हैं, तो वह गांव वालों से कहते हैं कि जाओ विधायक के पास जाओ. वह भी प्रतिनिधि होते हैं. जब वह एक छोटी सी जवाबदारी पंचायतें नहीं सम्भाल पाती हैं, तो यह पीएचई विभाग को ही देना चाहिये. आज मैं विधान सभा क्षेत्र क्र. 1 से विधायक हूं और नम्बर एक पार्लियामेंट से भी हमारे माननीय अध्यक्ष, नरेन्द्र सिंह तोमर जी, वहां से 10 साल कृषि मंत्री रहे हैं और मैं बहुत भाग्यशाली हूं कि हमारे नेता का जो क्षेत्र है, उसी से मैं विधायक हूं. यह पाइप की जो बीमारियां हैं, 35 गांव में 400 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट, स्वच्छ जल मिशन योजना लागू किया है. उससे केवल पाइप ही पाइप खरीद करके पूरे खेतों में गाढ़ दिये. जब टेस्ट होता है, तो पाइप निकल करके जमीन से ऊपर बाहर आता है और किसानों की जमीनों में गड्ढा कर देता है. अभी भी मेरे क्षेत्र में कनापुर गांव में 10-12 किसानों की खेतों में टेस्ट किया गया, पूरे पाइप बाहर निकल गये और उनकी खेतों में गड्ढे ही गड्ढे हो गये. आज उनके लिये कोई मुआवजे की बात नहीं है. मुझे इस बात का दुख है कि जो मजरे टोले के गांव होते हैं, उसमें पहले कुएं भी रहते थे. पानी का साधन भी रहता था, परन्तु जमीन की कमी होने के कारण वहां पर मजरे टोले बस गये हैं. वहां पर हैंडपम्प नहीं हैं. खीचूए नहीं है. बार बार जब हम गांवों में जाते हैं, तो एक ही मांग होती है, आंदोलन होता है. अध्यक्ष महोदय, अभी गर्मी का मौसम आ चुका है, इसके पहले मैं मंत्री जी से भी अनुरोध करुंगा कि हैंडपम्प की व्यवस्था समय से पहले की जाये, नहीं तो लोग प्यासे मर जायेंगे. गांव में जो जल मिशन योजना है, उसमें कम से कम एक गांव के अऩ्दर एक दो हैंडपम्प तो होना जरुरी है. कभी लाइट चली जाती है. बिजली की तो यह हालत है कि बिजली कम्पनी किसी चीज को नहीं देख रही है, चाहे बच्चा-बच्ची पढ़ रहे हैं अभी, परीक्षा चल रही है और लोगों की लाइन काट रहे हैं. अभी रात को मेरे पास फोन आया, गांव के बच्चा-बच्ची चिल्ला रहे हैं और एफआईआर की धौंस देते हैं. एक मिस्त्री, ये बड़े अधिकारी बिजली वाले हैं, उनको 5-5 हजार, 10-10 हजार रुपये गांव वाले दे देते हैं, जो पैसे देते हैं, वे उसकी बिजली नहीं काटते हैं. जो पैसा नहीं देते हैं, उनकी बिजली काट देते हैं. एक मेरे श्योपुर में वार्ड 11 के अन्दर एसई एक बहुत बड़ा अधिकारी होता है, वह एक बाल्मीकि समाज के घर में बिजली काटने गया. उसमें एफआईआर हुई. उस महिला ने उसको पीटा है, क्योंकि वह उसके मन्दिर में घुसा था. उसने घर में एक शंकर भगवान जी का मन्दिर बनाकर रखा था. मन्दिर में वह जूता पहनकर गया. महिलाओं ने निवेदन किया कि साहब यह हमारा मन्दिर है, इसमें जूता पहनकर मत आओ. उसने बाल्मीकि समाज से मारपीट की, उल्टे उनके विरुद्ध एफआईआर हुई. तो यह जो अत्याचार मध्यप्रदेश में हो रहा है, ऐसा मैंने कभी नहीं देखा. मैं बहुत दुखी हूं, क्योंकि मैंने राजनीति बाद में की है,पहले मैं संयासी रहा हूं, संत रहा हूं. अब मुझे कुछ नहीं दिख रहा है. मेरे क्षेत्र के लिये बजट में एक रुपया भी नहीं है, जबकि मुझे खुशी होनी चाहिये कि अध्यक्ष महोदय हमारे क्षेत्र के हैं, तो कुछ रोड के लिये मदद देंगे. अध्यक्ष जी, आपसे भी मैंने कई बार निवेदन किया, मेरा जूता टूट गया, आपको मैंने दंडवत दी कि 12 गांव का ऐसा रोड है, जिसमें किसान न खाद ले जा पा रहा है, न ट्रेक्टर ले जा पा रहा है. मेरे क्षेत्र के लिये कोई बजट नहीं है और मैं आपके सामने जो संत था, उसी दिशा में मैं संत गिरी करुंगा. विधायक होने से तो मेरे क्षेत्र के लिये बजट नहीं दिया.
(श्री बाबू जण्डेल, माननीय सदस्य अपनी सीट से बाहर आकर शीर्षासन में आ गये.)
अध्यक्ष महोदय-- बाबू जण्डेल जी, आज पहली बार अच्छा भाषण दिया है मैं आपकी प्रशंसा करना चाह रहा था, लेकिन आप तो शीर्षासन करने लगे.(हंसी) आप अपने स्थान पर जायें.
(कांग्रेस पार्टी के विधायकों की समझाईस पर श्री बाबू जण्डेल पुन: अपने आसन पर गये )
एक माननीय सदस्य -- कल अखबार में छप जायेंगे. जिसके लिये इन्होंने किया है.
श्री बाबू जण्डेल -- अध्यक्ष महोदय, राजनीति मे पेट भरने के लिये विधायक नहीं बने हैं, किसानों के विकास के लिये विधायक बने.
अध्यक्ष महोदय- बाबू भाई बैठो.
श्री अनिरूद्ध (माधव) मारू (मनासा) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री माननीय जगदीश देवड़ा जी के नेतृत्व में और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री महोदया श्रीमती संपतिया उईके के द्वारा जो विभाग का बजट प्रस्तुत किया गया है मैं उसके समर्थन में बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, भारत हमारा नदियों का देश रहा है. देश आजाद हुआ उस समय हमारी सबसे पहले प्राथमिकता होना थी कि हर घर में नल से जल मिलेगा. इस देश में जो भी राजनैतिक दल सत्ता में था उसकी यह प्राथमिकता होना थी कि सबसे पहले लोगों का प्यासा कंठ बुझायेंगे, और हर खेत को सिंचित करेंगे अगर यह उस समय प्लान कर लिया होता तो हम सबसे आगे खड़े होते लेकिन 60 साल तक इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया, विचार नहीं हुआ कि प्रदेश के नागरिकों को शुद्ध जल मिल जाये. किसी योजना में शुद्ध पेयजल के लिये प्रावधान भी तत्कालीन सरकार ने नहीं किया.
समय 5.52 बजे { सभापति महोदय (डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय ) पीठासीन हुए }
माननीय सभापति महोदय, मेरे क्षेत्र में वर्ष 1960 में गांधी सागर डेम बना लेकिन पूरे क्षेत्र के लिये जहां 650 एमसीएम (मिलियन क्यूबिक मीटर) पानी भरा था लेकिन एक बूंद पीने के लिये उसमें प्रावधान नहीं किया गया, न सिंचाई का प्रावधान उस डेम से किया गया.ऐसी अनेक योजनायें बनीं होंगी लेकिन किसी भी योजना में जनहित के लिये कंठों को प्यास बुझाने के लिये एक बूंद पानी का भी प्रावधान नहीं किया गया लेकिन उसके बाद अवसर आया भारत के प्रधान मंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी का तब उन्होंने 15 अगस्त 2019 को लाल किले की प्राचीर से जल जीवन मिशन की घोषणा की और इस देश के हर व्यक्ति को नल से जल , हर परिवार को नल से जल उपलब्ध कराने का संकल्प किया उसके बाद से लगातार हम इसमें उपलब्धि हासिल करते जा रहे हैं. जहां 2010 में कुल 13 लाख नल के कनेक्शन हुआ करते थे, आज लगभग 75 लाख परिवारों को नल से जल मिलना शुरू हो गया है. इतनी बड़ी उपलब्धि, इतने बड़े संकल्प की पूर्ति इस योजना के माध्यम से मैं धन्यवाद देता हूं माननीय प्रधानमंत्री जी को, माननीय मुख्यमंत्री जी को और माननीय मंत्री जी को कि जल जीवन मिशन कार्यक्रम के अंतर्गत लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी द्वारा ग्रामीण क्षेत्र के हर घर को नल से जल का कनेक्शन देने हेतु कार्य किया जा रहा है.
माननीय सभापति महोदय, मैं कहना चाहता हूं कि प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में इस योजना के तहत अनेक कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं, जल जीवन मिशन के क्रियान्वयन से एक ओर ग्रामीण परिवार को घर में शुद्ध जल प्राप्त हो सकेगा और हरेक को शुद्ध जल उपलब्ध कराना यह संकल्प है. साथ ही जल से पैदा होने वाली सभी बीमारियों से भी मुक्ति मिलेगी.
सभापति महोदय, प्रदेश में सामुदायिक स्तर पर पेयजल गुणवत्ता के परीक्षण के लिये भी महिलाओं को प्रशिक्षण दिया गया, उसके लिये फील्ड पर टेस्ट करने के लिये किट उपलब्ध कराये गये, देश में सबसे पहले सभी जिलों में जल प्रशिक्षण प्रयोगशाला का एनएबीएल( परीक्षण और अंशांकन प्रयोगशालाओं के लिए राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड ) से प्रमाणीकरण कराया गया जो कि एक विशिष्ट उपलब्धि है और यह गौरव की बात है कि हमारी सरकार ने मध्यप्रदेश ने इतनी बड़ी उपलब्धि हासिल कर पूरे देश में अपना परचम लहराया है, मैं इस बात के लिये बधाई देता हूं.
माननीय सभापति महोदय, इस बजट में खास बात यह है कि इसमें जेण्डर बजटिंग (एक रणनीति है जो सरकारी बजट को लैंगिक समानता के दृष्टिकोण से तैयार करती है, यह सुनिश्चित करती है कि सभी के लिए समान अवसर और लाभ हो) उसके माध्यम से महिलाओं और बालिकाओं को लाभान्वित करने की दृष्टि से उनकी स्रक्रिय भागीदारी का विशेष ध्यान रखा गया जिससे महिलायें और बालिकायें लाभान्वित हो रही हैं, और इसी दिशा में श्रीमती अनीता चौधरी ग्राम गढ़मऊ, ब्लाक मोहखेड़ जिला छिंदवाड़ा को दिनांक 4.3.2023 को माननीय राष्ट्रपति महोदय द्वारा स्वच्छ सुजल शक्ति सम्मान से सम्मानित किया गया. हमारी सरकार सभी को पर्याप्त मात्रा में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की दिशा में गंभीरतापूर्वक कार्यवाही कर रही है. हमारी सरकार सभी को पर्याप्त मात्रा में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की दिशा में गंभीरता पूर्वक कार्यवाही कर रही है. हमारी पार्टी द्वारा सरकार बनाने के उपरांत विशेष प्रयास कर 68.24 प्रतिशत् परिवारों को नल से जल उपलब्ध करा दिया गया है. इसीलिये इस वित्तीय वर्ष के बजट में राजस्व मद में 1,442 करोड़, पूंजीगत मद में 18,558 करोड़, इस प्रकार कुल 20 हजार करोड़ का प्रावधान किया गया है जो कि विगत वर्ष की तुलना में दोगुने से अधिक है. इस बजट से प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में नलकूप खनन, पाइप पेयजल व्यवस्था, अन्य संधारण कार्य किये जा सकेंगे. निश्चित रूप से जल जीवन मिशन में प्रदेश के 76, लाख 22 हजार से अधिक ग्रामीण परिवारों को पेयजल सुविधा दी जा चुकी है. आज मुख्यमंत्री महोदय और मंत्री महोदय के प्रयासों से मध्यप्रदेश देश में तीसरे स्थान पर है, जिसमें 5,145 करोड़ रुपये खर्च कर लिये गये हैं और राज्यांश 2,561 करोड़ रुपये खर्च कर हम तीसरे स्थान पर हैं. निश्चित रूप से एक बड़ी उपलब्धि मध्यप्रदेश के लिये है. आज मेरा निवेदन मैं अगर अपने क्षेत्र की बात करूं तो जितनी योजनाओं पर काम चल रहा है अगर उन में कहीं नुकसान हो रहा है, कहीं तोड़फोड़ हो रही है, क्योंकि पाइपलाइनें डालने के लिये खुदाई भी करनी पड़ रही है, रिस्टोरेशन समय पर हो जाय. खुदाई होने के साथ ही टेस्टिंग होकर, लाइनें डलकर, रिस्टोरेशन हो जाय ताकि किसी को तकलीफ नहीं आये. इस बात का भी विशेष प्रावधान इस योजना में किया जाय. रिस्टोरेशन का प्रावधान तो है लेकिन वह तुरंत हो जाय ताकि दिक्कतें नहीं आएं, परेशानियां नहीं आएं, किसी को यह नहीं लगे कि मैं तकलीफ देख रहा हूं. अगर यह करेंगे तो निश्चित रूप से एक बहुत अच्छा काम होगा और साथ ही हमारी लोकसभा क्षेत्र के माननीय सभापति महोदय, आदरणीय डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय जी के क्षेत्र की बात कर रहा हूं कि जावरा और पिपलोदा पूरी लोकसभा क्षेत्र में सिर्फ यही दोनों क्षेत्र इन योजनाओं से वंचित हैं, जबकि उधर से नर्मदा का पानी आना है और इधर से चम्बल का पानी आना है. अगर दोनों योजनाओं को मिलाते हुये जावरा और पिपलोदा की व्यवस्था कर दी जाएगी तो निश्चित रूप से एक बहुत बड़ी उपलब्धि हासिल होगी. मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि इन योजनाओं में इन दोनों क्षेत्रों को भी जोड़ लिया जाएगा तो निश्चित रूप से एक बड़ी उपलब्धि हमें हासिल होगी. आज में इस परिपेक्ष में हमारी सरकार और माननीय मंत्री महोदय को धन्यवाद देता हूं, माननीय मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देता हूं कि इस जल जीवन योजना के माध्यम से हम लगातार जो संकल्प माननीय प्रधानमंत्री जी के हर घर नल से शुद्ध जल की पूर्ति के लिये मध्यप्रदेश की हमारी पूरी कैबिनेट लगी हुई है. मुख्यमंत्री जी लगे हुये हैं. हमारी मंत्री महोदया लगी हुई हैं. मैं उन सबका स्वागत करता हूं. बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं. जय हिन्द, जय भारत.
श्री रजनीश हरवंश सिंह (केवलारी) -- सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 20 के विरोध में बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. आपका संरक्षण चाहता हूं. गर्मी प्रारंभ हो चुकी है और निश्चित रूप से लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की लगभग यह तीन महीने बहुत बड़ी जिम्मेदारी लोगों को पेयजल उपलब्ध कराने की रहती है. समय रहते अगर विभाग इस पर चिंता व्यक्त कर ले तो निश्चित रूप से हम गांव के अंतिम पंक्ति में रह रहे व्यक्ति को पानी दिलाने में समर्थ हो पाएंगे. 2018 में उस समय की तत्कालीन मंत्री सम्माननीया कुसुम महदेले जी मंत्री हुआ करती थीं. मैं उस समय 2013 से 2018 तक उनके साथ इस सदन में सदस्य के रूप में था. मैंने तीन-तीन योजनाएं उनसे स्वीकृत कराईं. आज 7 वर्ष हो गये, करोड़ों रुपये की शासन की योजना जहां की तहां लंबित पड़ी हुई है. चाहे वह हिर्री संगम क्षेत्र हो, चाहे जल जीवन मिशन के तहत हिर्री संगम हो, चाहे बंडोल समूह नलजल योजना हो और चाहे सकरी मोरचा की समूह नलजल योजना हो, कागज में कंपनियों के द्वारा लगभग पूर्ण कर दी गईं कि सुचारू रूप से पेयजल की व्यवस्था चल रही है पर वास्तविकता यह है कि आज दिनांक तक गांवों में सुचारु रुप से समूह नलजल योजना का लाभ जनता को नहीं मिल पा रहा है. एक टंकी बनी है उसमें चार-चार गांव जोड़ दिए गए हैं. आधे गांवों में पानी आता है आधे गांवों में पानी नहीं आता है. टोला, मजरा, पारा जो गांव से लगे हुए हैं वहां तक विस्तारीकरण नहीं किया गया है. सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से प्रार्थना करता हूँ कि जो प्राक्कलन आपका गांव के लिए बना है उसी में अतिरिक्त प्राक्कलन बनाकर उन टोले और मजरों को भी उस मुख्य पाइप लाइन से जोड़ने का काम होना चाहिए. यदि चार गांव के बीच में एक टंकी है, कई किलोमीटर दूर से उन टंकियों में पानी आ रहा है. पानी आने का स्त्रोत बडे़ प्रोजेक्ट से एक ही जगह पर है. उसी गांव के बोर से पानी लाने का स्त्रोत नहीं है. हम उसमें गांव की संख्या कम करें ताकि एक ही समय पर पूरे गांव को पानी उपलब्ध करा सकें.
सभापति महोदय, मेरी आपके माध्यम से मंत्री जी से प्रार्थना है कि जो तीनों महती योजनाएं, यहां तक नहीं चाहे हमारे पास का लखनादौन क्षेत्र हो वहां पर भी समूह नलजल योजना स्वीकृत हुई. वहां भी बरगी का जो प्रोजेक्ट था उसमें भी सुचारु रुप से पानी की व्यवस्था नहीं है.
सभापति महोदय, मैं दूसरी बात पर आता हूँ. पीएचई विभाग के पास पूरा अमला है. इनके पास गाड़ी है, इनके पास ब्लाक स्तर पर दफ्तर हैं. एसडीओ हैं, ईई हैं. इनके पास सारा अमला है. पहले पीएचई विभाग गांव की नलजल योजनाओं का संधारण करता था. आज सबसे बड़ी दिक्कत यह आती है कि ग्राम पंचायत के सरपंच जी, सचिव जी इनके पास इतना बड़ा अतिरिक्त फंड नहीं है कि यदि ट्रांसफार्मर जल गया हो तो यह उसको तुंरत बदलवा दें. खंभा टूट गया हो तो उसको बदल दें. यदि कोई पाइप लाइन टूट गई हो तो तुरंत उसका संधारण कर सकें.
सभापति महोदय, मेरा आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन है कि इसको पीएचई विभाग ही देखे तो बहुत अच्छे ढंग से गांव की हमारी योजना चल सकती है. क्योंकि जनप्रतिनिधि ऑफिस में आकर शिकायत करे तो शासन उसमें पैसा मुहैया करवा सकता है. एक समय था जब पीएचई विभाग के पास में खुद की गाड़ी में झुर्री लगी होती थी अगर कोई मोटर जल गई, अगर हैण्ड पम्प का पाइप सड़ गया या पाइप को गर्मी के मौसम में और नीचे उतारना है तो एक सुसज्जित गाड़ी पीएचई विभाग के पास तैयार रहती थी. आज उस गाड़ी में खड़े-खड़े जंग लग रहा है. आज यह काम पंचायतों को हैण्डओवर कर दिया गया है. जो संधारण नहीं कर पा रही हैं. इससे गांवों में वैमनस्यता अलग हो रही है. सरपंच के ऊपर लोग चढ़ रहे हैं कि आप व्यवस्था नहीं कर पा रहे हैं. उनके पास उतना फण्ड नहीं है. यदि कोई भारी वाहन गांव के अन्दर से जा रहा है और पाइप लाइन टूट रही है उसमें अतिरिक्त व्यय लग रहा है. सरपंच जी उसमें सक्षम नहीं हो पा रहे हैं. मेरा शासन से अनुरोध है कि ग्राम पंचायत की नलजल योजना का संधारण पीएचई विभाग खुद अपने पास में रखे ताकि शासन और सरकार की मंशा के अनुरुप गांव में पेयजल की व्यवस्था सुचारु रुप से हो सके.
सभापति महोदय, माननीय मंत्री महोदय के क्षेत्र मंडला से ही मेरा विधान सभा क्षेत्र भी लगा हुआ है. आज कई गांवों में ऐसी परिस्थितियां हैं कि 2-2 किलोमीटर दूर से गर्मी के समय पर पानी नदी से लाना पड़ रहा है. आपने हमारी विनती पर नलजल योजना स्वीकृत तो कर दीं पर वे अधूरी हैं. जब स्त्रोतों में पानी नहीं है, नीचे खनन करने पर भी पानी नहीं निकल रहा है कुँओं में भी पानी नहीं निकल रहा है. तो 4-5 किलोमीटर पास से एक नदी बह रही है उससे आप एक लघु योजना दे सकते हैं. हमारा आदिवासी अंचल का इलाका है आप उसमें छोटा सा इंटेकवेल बनाकर 7-8-10 गांव जो उसी नदी से लगे हैं जहां पर कि खनन पर भी पानी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है उनकी योजना स्वीकृत कर दें. आज उसकी परिणिति क्या हो रही है कि नदी से दो-दो, तीन-तीन किलोमीटर दूर से जैसा कि आप पुराने जमाने में देखते थे कि माताएं बहनें घघरा, घघरे के ऊपर बहरा, बहरे के ऊपर तेहरा तीन-तीन चीजें अपने सिर के ऊपर रखकर चुमरी मेरे क्षेत्र में जो चुमरी होती है जो सर के ऊपर गोल-गोल बनाकर रखा जाता है ताकि घघरा और मटका है उसका वजन डायरेक्ट सिर पर न आये तो उस चुमरी को गांव में 15 दिन मे चेंज करना होता है. जहां चार किलोमीटर दूर से सिर के ऊपर रखकर पानी आ रहा हो तो क्या स्थिति होगी और आज भी उन गांवों में जो शासन ने पैसा स्वीकृत किया है चाहे बिछुआ हो, चाहे सुनजीर हो चाहे उसके आसपास का सालीवाड़ा हो ऐसे कई गावं हैं जहां विभाग के द्वारा ठेकेदार नियत था उसने काम नहीं किया है.
सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री महोदया से प्रार्थना करता हूं कि ऐसे ठेकेदार पर कार्यवाही होना चाहिए. फिर पीएचई विभाग के अधिकारियों को हम जनप्रतिनिधियों के साथ में मीटिंग लेनी चाहिए कि अब गर्मी आ रही है बताइये कि कहां कितने हैंण्डपम्प लगेंगे, आपकी कौन सी योजना लंबित है. पहले माननीय विधायकों को अधिकार होता था लगभग 25 से 50 हैण्डपम्प उनकी अनुशंसा पर माननीय पीएचई विभाग की मंत्री उसको स्वीकृत करती थीं. यह विषय बहुत ही गम्भीर है और अभी ही इसकी आवश्यकता है. आज के एक या दो माह बाद इसकी इतनी आवश्यकता नहीं रहेगी स्त्रोत फिर खुल जाएंगे.
सभापति महोदय-- कृपया आप समाप्त करें. सहयोग करें.
श्री रजनीश हरवंश सिंह-- मेरा आग्रह है कि माननीय विधायकों से प्रस्ताव लेना चाहिए और उनकी अनुशंसा पर उनके क्षेत्र में विभाग को हैण्डपम्प देना चाहिए. विभाग के अतिरिक्त यह व्यवस्था होनी चाहिए. मेरी जो छपारा नगर परिषद है यहां पर दो दिन में एक बार पानी दिया जाता है. यह नगर परिषद की आबादी वाला क्षेत्र है. पैसा वर्ष 2010 में स्वीकृत हुआ और अभी कुछ दिन पहले जाकर के योजना कार्यरूप में परिणीत हुई और उसमें भी क्या गलती हो गई कि टंकी की जो जलभराव की केपेसिटी है वह कम हो गई उसके कारण से लोगों को पानी नहीं मिल रहा है. फिर सरकार की जो दूसरी महती योजना, अमृत-2 चालू हुई तो इसके तहत 20 करोड़ रुपया स्वीकृत हुआ है. मैं उसके लिए शासन का आभारी हूं, धन्यवाद देता हूं परंतु यह कब बनेगी टेंडर लग गए, ठेकेदार आ ही नहीं रहा है. यह गर्मी भी पूरी निकल जाएगी और बरसात में काम नहीं होगा और फिर वर्ष 2026 में इसी समय पर उसकी याद दिलानी पड़ेगी. मेरा आग्रह है कि तत्काल इस योजना को लेकर जिले में कलेक्टर महोदय की अध्यक्षता में बैठक हो और हम इस शासन की महती योजना को धरातल पर तत्काल लागू करवाए यह मेरी आपसे विनती है. जो पाइपलाइन फूट गई हैं उसमें गंदा पानी जा रहा है तो इससे उल्टी, दस्त हैजा की बीमारियां हो रही हैं. मण्डला और सिवनी जिले का जो मेरा केवलारी विधान सभा क्षेत्र है दोनों जगह सबसे ज्यादा पेयजल की दिक्कतें होती हैं और बीमारियां होती हैं. मंत्री महोदया का क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है. उसमें मैं इनको दोषी नहीं मानता अब वहां पर जल स्त्रोत ही बहुत ही गहराई पर है तो अब उसमें किसी का बस नहीं चलता परंतु मेरी आपसे प्रार्थना है कि आपके माध्यम से मंत्री महोदया मेरा निवेदन स्वीकार करें कि पीएचई विभाग के ही द्वारा ग्राम पंचायतों में ग्रामों में नल-जल योजनाओं का संधारण संरक्षण उन्हीं के द्वारा हो, ग्राम पंचायत सिर्फ चालू करने का काम करे बंद करने का काम करे समय पर कोई कठिनाई आ रही है तो अपना जो डिवीजन है उस शिकायत करने का काम करे और दूसरा यह कि जरूरत पड़ने पर विधायकों की अनुशंसा पर हैण्डपम्प की स्वीकृति का अधिकार उनको दे दें. देंगे तो आप ही पर कम से कम हमारी चिट्ठी गांव के लोगों को उपलब्ध हो जाए यही मेरी प्रार्थना थी, आपने बोलने का समय दिया इसके लिए मैं आपका आभारी हूं.
श्री नारायण सिंह पट्टा (बिछिया)- सभापति महोदय, मैं केवल एक मिनट में अपनी बात रखना चाहता हूं, मेरा अनुरोध है कि मंत्री महोदया, पहले इसी सरकार में तत्कालीन लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री आदरणीय गौरीशंकर बिसेन जी थे, आप भी उसमें साक्षी हैं कि ऐसे भीषण जल संकट के समय, जो मजरे-टोले-पारे आते हैं, वहां हमारी पाईप लाईन नहीं है, वहां हम नल-जल नहीं पहुंचा पा रहे हैं, ऐसे स्थानों के लिए जैसा अभी विधायक जी ने कहा, कम से कम 25-25 हैण्डपंप, हर विधायक की अनुशंसा पर, उनकी इच्छानुसार, उनकी स्वीकृति हो, ऐसा मेरा प्रस्ताव है.
श्री गौरव सिंह पारधी (कटंगी)- सभापति महोदय, मैं, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की मांग संख्या 20 के समर्थन में कहना चाहूंगा कि इस बजट में इस विभाग के लिए 30 हजार करोड़ रुपये से अधिक का प्रावधान किया गया है. जिसमें 93 प्रतिशत से ज्यादा पूंजीगत व्यय है यानि capital asset बनाने के लिए है. खुशी की बात यह है कि पिछले बजट से इस बजट में लगभग 95 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी, इस विभाग के लिए की गई है, इसके लिए मैं माननीय वित्त मंत्री जी और मंत्री महोदया को धन्यवाद देता हूं और आभार करता है.
सभापति महोदय, अनेक चर्चायें हुईं लेकिन जब लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की चर्चा होती है तो हमें यह ध्यान देना चाहिए कि लगभग 28 हजार एकल नल-जल योजनायें, 147 समूह नल-जल योजनायें, इन सभी की प्रशासकीय स्वीकृति के साथ, कार्यों को आगे बढ़ाने का प्रावधान किया गया है, इतनी वृह्द स्तर की परियोजनायें चलती हैं, इसके लिए मैं, पूरे विभाग और मंत्री महोदया को धन्यवाद देता हूं कि इतनी विपरित परिस्थिति में भी आप लोग सफल तौर पर आगे बढ़ रहे हैं. कठिनाइयां हैं, हम सभी जानते हैं, परेशानियां हैं, हम सभी उससे गुजर रहे हैं फिर भी आप बधाई के पात्र हैं कि इतने बड़े स्तर की योजनायें, जो पूरे देश में चल रही हैं, जिसके लिए हम अपने प्रधानमंत्री जी का धन्यवाद करेंगे कि ये योजनायें चल रही हैं.
सभापति महोदय, मैं, दो बातें उल्लेखित करना चाहूंगा कि 3 सौ 56 करोड़ रुपये का प्रावधान सिंचाई एवं पेयजल के सौर ऊर्जीकरण के लिए किया गया है. मैं समझता हूं कि यह भविष्य को ध्यान में रखकर एक अच्छी पहल है, आने वाले समय में इसके लिए प्रावधान और बढ़ाया जा सकता है. लगभग 17 हजार 135 करोड़ रुपये इन योजनाओं के क्रियान्वयन हेतु हमें केंद्र से प्राप्त होगें, इसके लिए भी आपको धन्यवाद देता हूं कि आपने बड़ा प्रावधान किया क्योंकि 50-50 प्रतिशत के अनुपात से केंद्र और राज्य सरकार द्वारा संचालित योजनायें हैं, हमने प्रावधान किया, केंद्र से भी हमें राशि मिलेगी तो निश्चित तौर पर प्रदेश में ज्यादा कार्य होगा.
सभापति महोदय, दो बातें मैं ध्यान में लाना चाहूंगा, अटल भू-जल योजना का कार्य किया जा रहा है, इसका दायरा प्रदेश स्तर पर और बढ़ाया जा सकता है. जिससे अन्य क्षेत्रों को भी इसका लाभ मिले. पानी की जांच होती है, मैं, देखता हूं हमारे क्षेत्र में पानी की लगातार जांच होती है लेकिन इसको और अच्छा किया जा सकता है.
मैं, दो निवेदन मंत्री जी के ध्यान में लाना चाहूंगा कि मेरे विधानसभा क्षेत्र में एक सीतेकसा बांध परियोजना है, जिसमें लगभग 6 MCM पानी है, वह पीने के पानी के उपयोग के लिए निर्धारित है, मेरा निवेदन है कि उस बांध परियोजना के, इस 6 MCM पानी का उपयोग कर, आस-पास का क्षेत्र, जहां भू-जल उपलब्ध नहीं है, वहां के लिए एक वृह्द समूह नल-जल योजना, पीने के पानी की योजना बनाई जाये, ऐसा मेरा निवेदन है.
सभापति महोदय, चर्चा चल रही है हैण्डपंप की, बिलकुल सही है कि और हैण्डपंप होने चाहिए. मैं, इसका समर्थन करता हूं, फिर भी बताना चाहूंगा कि 80 करोड़ रुपये हैण्डपंप खनन के लिए और 102 करोड़ रुपये पुराने हैण्डपंप के रिनोवेशन के लिए रखा गया है. साथ ही साथ दो और चीजें ध्यान में लाना चाहूंगा कि रेट्रोफिटिंग के कार्य चल ही रहे हैं लेकिन कहीं न कहीं हमें जरूरत है कि हमारी वर्तमान में संचालित नल-जल योजनाओं में, कभी-कभी पानी और बिजली का दुरूपयोग होता तो क्यों नहीं हम AI और ऑटोमेशन का उपयोग करके, किसी न किसी रूप में हम बिजली और पानी को बचा सकते हैं जो आने वाले समय में हम सभी के लिए उपयोगी होगा, मेरा निवेदन है कि इसके लिए भविष्य में प्रावधान किया जा सकता है. इन्हीं बातों के साथ पूरे विभाग, मंत्री महोदया, वित्त मंत्री जी और हमारे प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी का आभार करते हुए, इस बजट को दुगुना करने के लिए धन्यवाद करते हुए, मांग संख्या 20 का समर्थन करता हूं, धन्यवाद.
श्री राजन मण्डलोई (बड़वानी) - माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 20 लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के विरोध में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूँ.
माननीय सभापति महोदय, मैं नल जल योजना में हमारे क्षेत्र की बात करूँ तो वह पूरी तरह से विफल है. नल जल योजना में पाईप जरूर गाड़ने की बात हो रही है, कई जगह काम दिख रहा है लेकिन अभी तक किसी भी गांव में पूरी तरह से नल जल योजना लागू नहीं हुई है. मैं, जहां हमारे क्षेत्र की बात करता हूँ तो हमारा क्षेत्र बड़ा दुर्गम और पहाड़ी क्षेत्र है और महाराष्ट्र से सीमा भी शेयर करता है. वहां पर आप विश्वास नहीं करेंगे कि आज भी गधों के ऊपर खाई में जाकर पानी लाया जाता है और अब भीषण गर्मी पड़ने वाली है, तो बड़ी विषम परिस्थितियां वहां पैदा हो गई हैं. वहां लोग नीचे खाई में जाकर गंदा पानी गधों के माध्यम से नदी-नाले से झिरी बनाकर आता है, वह उस पानी का उपयोग पीने के रूप में करते हैं, वहां शुद्ध पेयजल की कोई बात ही नहीं है. यदि हम आगे बात करें तो महिलाएं पूरे-पूरे दिन केवल पानी की व्यवस्था में लगी रहती हैं, यदि किसी के परिवार में कोई कार्यक्रम आ जाये या गमी का कार्यक्रम आ जाये तो गांव के 20 से 25 युवाओं को एल्युमीनियम के मटके माथे पर लेकर 10-10, 15-15 किलोमीटर दूर से पानी लेकर व्यवस्था करनी पड़ती है, वहां ऐसी व्यवस्था होती है. हम संबधित विभाग में बार-बार बोलते भी हैं कि साहब हैंडपम्प, ट्यूबवेल करवाइये, लेकिन अधिकारी कहते हैं कि हमारे पास इतना लक्ष्य है. इस लक्ष्य से हम आगे नहीं जा सकते हैं, फिर भी हम प्रयास करेंगे. लेकिन लक्ष्य 50 का मिलता है तो हमारी 50 के लक्ष्य में पूर्ति नहीं होती है. मेरा जो क्षेत्र है, उसमें एक पंचायत के अन्दर 10-10, 20-20 मजरे, फलिए हैं और वह पहले पूरे पहाड़ी और दुर्गम क्षेत्र हैं, तो वहां पर यदि आबादी वाला गांव होगा, तो वहां दो ट्यूबवेल करवा देंगे तो पानी की व्यवस्था हो जायेगी, लेकिन दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र में जो मजरे, टोले, फलिए बसे हैं, वहां पर 2 हैंडपम्प से काम नहीं चलता है और वहां आवागमन के साधन भी नहीं हैं, सड़क भी नहीं हैं, आप बड़वानी जिले के पीएचई अधिकारी से बात करेंगे तो वहां पर ट्यूबवेल खनन के लिए उन्होंने जिस प्रकार टैंक के अन्दर चैन चलती है, वैसे ही उन्होंने एक चैन मशीन बनवाई है, उस चैन मशीन के माध्यम से दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र में कई जगह ट्यूबवेल हुए भी हैं, पर अभी गर्मी आने वाली है और पूरे क्षेत्र में पीने के पानी की बहुत बुरी स्थिति होगी. नल जल परियोजना चले, नल जल परियोजना सफल हो, घर घर पानी मिले, हर घर में जल आये, लेकिन यह हमारे क्षेत्र में आने में, हमें अभी बहुत लम्बा समय इन्तजार करना पड़ सकता है. मैं माननीय पीएचई मंत्री महोदय से निवेदन करता हूँ कि मेरी बड़वानी विधान सभा के खासकर पार्टी विकासखण्ड के अन्दर अभी अधिक से अधिक ट्यूबवेल की स्वीकृति प्रदान करें और लोगों को पीने के पानी से राहत दिलवायें. धन्यवाद.
सभापति महोदय - मण्डलोई जी, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री दिनेश जैन बोस (महिदपुर) - माननीय सभापति महोदय, मैं एक बात कहना चाहता हूँ कि यह इतनी बड़ी हजारों, करोड़ों रुपये की परियोजना है. इसमें केन्द्र सरकार का भी पैसा भी लगा हुआ है और राज्य सरकार का भी पैसा लगा हुआ है. गुणवत्ता के बारे में बार-बार बात की जा रही है. हमने एक बार भी केन्द्रीय जांच समिति से जांच नहीं करवाई, यह काफी बड़ा घोटाला है. बड़ा ठेकेदार छोटे ठेकेदार को दे देता है, छोटा ठेकेदार और छोटे ठेकेदार को दे देता है. गुणवत्ता के नाम पर कुछ भी काम नहीं हो रहा है.
सभापति महोदय - दिनेश जी, आपकी बात आ गई है. धन्यवाद. श्री नीरज सिंह ठाकुर.
श्री नीरज सिंह ठाकुर (बरगी) - माननीय सभापति महोदय, मैं अनुदान संख्या 20 लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूँ. मैं अपनी बात कहूँ, उससे पहले मैं दुष्यन्त कुमार जी की दो पंक्तियां कहना चाहूँगा, ''कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों''.
माननीय सभापति महोदय, मैं अनुदान मांग संख्या 20 का समर्थन करूँ, इससे पहले मैं हमारे वित्त मंत्री जी और हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी को धन्यवाद देना चाहता हूँ और यह कहना चाहता हूँ कि उनकी स्पष्ट नीति, नीयत और नेकदिली की वजह से जो असंभव सा लक्ष्य लगता है, उसको हम जरूर प्राप्त करेंगे. पीएचई विभाग ने 20,017 करोड़ रुपये अनुदान मांग रखी है. इसमें, मैं यह बताना चाहता हूँ कि लगभग 14,040 करोड़ रुपये के समथिंग राजस्व व्यय है और लगभग 18,500 करोड़ रुपये वह पूंजीगत व्यय है. जो प्रोडक्टिव वर्क्स में यूज होगा, जो आगे आने वाले समय में हम इसको कह सकते हैं कि इससे सब जगह, हर घर में पीने का शुद्ध पानी मिलेगा. यह कुल बजट का लगभग 93 प्रतिशत होता है, जैसा मेरे साथी विधायक ने भी कहा था. इसमें एक बात और महत्वपूर्ण है कि पिछले वर्ष जहां हमारा 10,279 करोड़ रुपये का था, इस वर्ष का हमारा बजट बढ़कर 20 हजार करोड़ के ऊपर है, जो कि स्पष्ट दिखाता है कि लगभग 95 प्रतिशत, 100 प्रतिशत की वृद्धि इसमें की गई है. उसके लिए भी मैं हमारे मंत्री जी को धन्यवाद देता हूँ. एक महत्वपूर्ण बात और है, जिस पर मैं आप सबका ध्यान आकृष्ट करना चाहता हूँ कि वर्ष 2018 में नीति आयोग ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसमें कहा गया था कि हमारे देश में लगभग ढाई सौ से ज्यादा जिलों में भीषण जल संकट की स्थिति थी. उस समय की यदि मैं बात करूँ तो सिर्फ 15 प्रतिशत घरों में नल से शुद्ध जल आया करता था. इसको ध्यान में रखते हुए हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने 15 अगस्त, 2019 को जल जीवन मिशन की घोषणा की थी. यह बहुत महत्वाकांक्षी योजना है. इसके तहत अभी तक लगभग 5-6 वर्षों में ढाई लाख करोड़ रुपये का बजट आवंटन हो चुका है. बीच में जो कोविड काल था, उसमें यह प्रभावित हुआ है, इस वजह से इस कार्य की कार्यपूर्णता के समय में भी वृद्धि की गई है और हम वर्ष 2028 तक इस कार्य को पूर्ण कर सकते हैं. इसके लिए भी हमारे प्रधानमंत्री और हमारी केन्द्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण जी को धन्यवाद देना चाहता हूँ कि उन्होंने इसके समय में वृद्धि की क्योंकि इस समय में हम इस कार्य को अच्छे से कर पाएंगे. हर ग्रामीण घर से जुड़ा हुआ है, यह मुद्दा है. जब बात मैं जल जीवन मिशन की कर रहा हूँ तो इसमें एक बात बताना बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है कि वर्ष 2019 में जब इस योजना की शुरुआत हुई थी तो सिर्फ लगभग तीन करोड़ घरों में जहां पीने का शुद्ध जल जाता था, आज नल के माध्यम से 16 करोड़ से ज्यादा घरों में पेयजल हम दे रहे हैं. लगभग 80 प्रतिशत की वृद्धि इसमें दर्ज की गई है. जल जीवन मिशन में हमारी सरकार के द्वारा 17,135 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. इतनी ही लगभग राशि हमें केन्द्र सरकार से मिलेगी तो आप देख सकते हैं कि इफेक्टिवली डबल पैसा 35 हजार करोड़ हम अगले वित्तीय वर्ष में खर्च करेंगे.
सभापति महोदय -- नीरज सिंह जी, अपने क्षेत्र की बात कहकर थोड़ा संक्षिप्त कर दें.
श्री नीरज सिंह ठाकुर -- सभापति महोदय, मैं एक बात कहना चाहूँगा कि हमें सबसे ज्यादा धन्यवाद केन्द्रीय मंत्री जी को देना चाहिए, जिन्होंने इस वर्ष 67 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान केन्द्रीय बजट में किया है, ताकि तेज गति से कार्य हो सके. इस वजह से हम जिन कार्यों में पिछड़े हुए हैं, उन कार्यों को तेज गति से पूरा कर पाएंगे. जल जीवन मिशन के अंतर्गत अभी लगभग 31 हजार करोड़ रुपये की 27,990 एकल और 147 समूह मल्टी विलेज स्कीम्स की प्रशासकीय स्वीकृति जारी की जा चुकी है. वर्ष 2010 की तुलना में हम अभी तक मध्यप्रदेश में लगभग 75 लाख घरों में नल से जल दे चुके हैं. मैं यहां पर एक बात और कहना चाहूँगा कि प्रावधान बजट में होता है और विभाग उसमें कितना व्यय करता है, यह भी एक बहुत महत्वपूर्ण बात होती है. जैसा कि निर्धारित है कि हमारे यहां विगत कई वर्षों से पीएचई विभाग में जो प्रावधानित और अनुमानित बजट होता है, उसके 90 प्रतिशत के ऊपर हम यूटिलाइजेशन कर रहे हैं तो मैं इसके लिए भी माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहूँगा कि उन्होंने इस ओर ध्यान दिया और बहुत तेजी से हम इस दिशा में काम कर रहे हैं. जो समस्याएं हैं, रोड रेस्टोरेशन वगैरह के लिए उसको लेकर मंत्री जी ने अधिकारियों को निर्देशित किया है कि वे जनप्रतिनिधियों के साथ जाएं और उसमें जनपद स्तर के जनप्रतिनिधियों को भी शामिल करें और उनके साथ हर 10-15 दिनों में जाएं और यह जल जीवन मिशन जो प्रधानमंत्री जी की महत्वाकांक्षी योजना है, इसको अच्छे से अच्छे ढंग से हम पूर्ण करें.
सभापति महोदय -- नीरज सिंह जी, अब आप समाप्त करें.
श्री नीरज सिंह ठाकुर -- सभापति महोदय, जल निगरानी समिति का भी गठन किया गया है, जिसके माध्यम से इस योजना का संधारण होगा. थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन की भी बात कही गई है. थर्ड पार्टी एजेंसी से भी इस कार्य की बेहतर मॉनिटरिंग करने के प्रावधान किए गए हैं. इससे जहां टंकी निर्माण, पाइप लाइन लीकेज आदि कार्यों का इंस्पेक्शन और बेहतर मॉनिटरिंग हो पाएगी. बजट में जो मेंटेनेंस के लिए प्रावधान किया गया है, लगभग 680 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. जिससे कि हमारे पूर्व की स्वीकृत योजनाएं टंकी निर्माण,पाईप लाईन आदि लीकेज हैं तो उसके मेंटेनेंस का भी प्रावधान है लेकिन इसमें भविष्य में और प्रावधान किया जा सकता है. सोलर पंप के माध्यम से हम जो अभी पंप चलाते हैं उसे यदि हम सोलर पंप से संचालित करेंगे उसमें जो बजट में आवंटन किया गया है 3 करोड़ 56 लाख का इसको भी बढ़ाया जा सकता है क्योंकि मध्यप्रदेश नवकरणीय ऊर्जा का बेहतर इस्तेमाल कर रहा है और हम लगभग टोटल ऊर्जा प्रोडक्शन का 30 परसेंट प्रोडक्शन मध्यप्रदेश में नवकरणीय ऊर्जा से हो रहा है. मैं अपनी बात समाप्त करूं उसके पहले मैं कुछ पहले की स्थिति भी बताना चाहूंगा 2003 के पहले की, हमारे साथी महोदय अभी कह रहे थे कि महिलाओं की हैंडपंप से एक्सरसाईज भी हो जाती थी यह बात सही है कि पहले हैंडपंप से पानी नहीं आता था पानी की तुलना में हवा निकला करती थी और जो हैंडपंप की मशीन को व्यायाम के लिये इस्तेमाल किया जाता था आज हमारे मध्यप्रदेश में और हमारे देश के भीतर माननीय नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में हर घर में शुद्ध पेयजल पहुंचाने के लक्ष्य के लिये हम बेहतर काम कर रहे हैं मैं पुन: मांग संख्या 20 का समर्थन करता हूं जय हिन्द धन्यवाद.
सभापति महोदय - श्री भैंरो सिंह जी बापू (अनुपस्थित)
श्री सोहनलाल बाल्मीक - सभापति महोदय,
सभापति महोदय - नहीं समय की मर्यादा है कृपया बैठें आप पहले बोल चुके हैं.ठीक है आधा मिनट में बोल लें.
श्री सोहनलाल बाल्मीक(परासिया) - इस पर मैं नहीं बोला हूं सभापति महोदय. मैं हमारे पीएचई मंत्री महोदय का ध्यान आकर्षित कराना चाहता हूं कि मैंने जो उन्हें पत्र दिया था कि मेरी चार पंचायतें हैं तो आपने मुझे बताया था कि आपने ई.ई. को बोल दिया है तो आप उसको आप जरूर इसमें जुड़वा दें दूसरे,अभी बहुत ज्यादा संकट पानी का आने लगा है और पीएचई को निर्देश दें कि जितने बोर बैठे जा रहे हैं उनके एवज में दूसरे बोर कराने की कृपा करेंगे.
श्री विश्वनाथ सिंह "मुलायम भैया" (तेंदूखेड़ा) - माननीय सभापति तमहोदय, मैं मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री सम्माननीय डॉ.मोहन यादव जी का,वित्त मंत्री जी का,हमारी लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री जी का भी अभिवादन करता हूं. सबसे पहले एक बात कहना चाहता हूं कि मैं गांव का रहने वाला हूं. मैं बचपन में देखता था कि हमरी माताएं,बहनें कुंए से पानी लाती थीं. अभी हमारे बालाघाट के विधायक बता रहे थे कि महिलाएं दो-दो बर्तन पानी की लाती थीं नलों में पानी नहीं निकलता था. 2003 के पहले का मध्यप्रदेश कहीं छिपा नहीं है. 2003 के बाद इस प्रदेश में जो बदलाव आया हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के मन में यह पीड़ा थी कि हमारी माताएं,बहनें पानी ढो-ढोकर परेशान हैं. उन्होंने हमारी माताओं,बहनों के कष्ट को दूर करने के लिये घर-घर नलजल योजना के तहत् पानी पहुंचाने की योजना बनाई और 2019 में उसकी शुरुआत की. मैं बड़े गर्व के साथ कह सकता हूं कि किसी भी विधान सभा में उन गांवों को छोड़कर जहां वाटर लेबल कम है पानी की व्यवस्था नहीं है वहां इस योजना का लाभ नहीं मिल रहा है वहां भी हम पानी पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं पानी जायेगा नहीं तो हर गांव में नलजल योजना के तहत घर-घर पानी पहुंचाने की व्यवस्था यदि किसी ने की है तो भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने की है. मेरे मित्रों,सच्चाई की तारीफ करना सीखो. हम यह नहीं कहते कि हमने एकदम से हमने किया आपने भी किया था. तो तारीफ करना सीखो. मेरा आप लोगों से बड़ा विनम्र अनुरोध है. हर बात में बुराई. हमारे कैलाश विजयवर्गीय जी सरीखे वरिष्ठ नेता इस सदन को चला रहे हैं उनसे सीखो मैं उनको भी बधाई देता हूं. हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी और मंत्री को बधाई देता हूं कि भारतीय जनता पार्टी के नेता कोई नेता नहीं है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- सभापति महोदय, विश्वनाथ जी ने कांग्रेस पार्टी के संजय शर्मा जो कि एक दमदार नेता थे, उनको हराया है इन्होंने.
श्री विश्वनाथ सिंह ''मुलाम भैया''-- आप सबका आशीर्वाद है, जनता का आशीर्वाद है. मैं एक बात कहना चाहता हूं कि भारतीय जनता पार्टी का चाहे मुख्यमंत्री हो चाहे प्रधान मंत्री हो...
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह-- 3 साल पहले वह आप ही की पार्टी में थे, भूल जाते हो आप कैलाश जी.
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- आजकल पार्टी का ज्यादा रहा नहीं, जिसको जहां दम दिखता है वह उधर चला जाता है, शेखावत जी उधर बैठे हैं, तुलसी भैया इधर बैठे हैं.
श्री विश्वनाथ सिंह ''मुलाम भैया''-- भारतीय जनता पार्टी का चाहे प्रधान मंत्री हो, चाहे मुख्यमंत्री हो, चाहे मंत्री हो, चाहे विधायक हो वह कोई नेता नहीं है, वह जनता का सेवक है और जनता की सेवा हम पूरी ईमानदारी के साथ कर रहे हैं उसके लिये हम लोग प्रतिबद्ध हैं. (श्री हेमन्त कटारे जी के कुछ कहने पर) भैया हेमन्त कटारे जी, आप बहुत नौजवान हैं यार, बहुत तेज बोलते हैं, हर किसी के बारे में बोलने लगते हैं, जरा आदत सुधारो, कभी बुजुर्गों का सम्मान करना भी सीखो.
सभापति महोदय-- दादा आप तो इधर देखकर बात करें.
श्री विश्वनाथ सिंह ''मुलाम भैया''-- मेरी बात पूरी हो गई, मैं मंत्री महोदया को बधाई देता हूं, वित्तमंत्री महोदय को बधाई देता हूं. जय हिन्द, जय भारत.
श्री भैरो सिंह बापू (सुसनेर)-- माननीय सभापति जी, जलजीवन मिशन की यह महत्वकांक्षी योजना जो आदरणीय प्रधानमंत्री जी ने जनता को दी है और इसकी वास्तविक स्थिति आज से एक साल पहले विधान सभा के अंदर ही जब सभी ने जल जीवन मिशन के लिये आवाज उठाई तब माननीय मंत्री महोदय ने यह आश्वासन दिया था कि हर महीने कलेक्ट्रेट में मीटिंग होगी, लेकिन उसके बाद भी आज आगर जिले की जो हालत है 480 गांव में जल जीवन मिशन की जो योजना है जिसमें से 108 पीएचई के पास हैं और 480 में से 130 गांव जो ऑन रिकार्ड पीएचई विभाग बता रहा है कि हमने चालू कर दी हैं. माननीय सभापति महोदय, पेयजल की जो व्यवस्था है वह ग्रामीण क्षेत्र में इतनी स्थिति खराब है कि हर गांव के अंदर मतलब 5-5 किलोमीटर तक भी कम से कम सबा सौ गांव पूरे जिले के अंदर हैं मेरी विधान सभा में भी हैं और जहां में रहता हूं 166 में आगर में वहां की स्थिति उससे भी ज्यादा भयावह है. मेरे साथी विधायक ने भी परसों के दिन कहा था कि बहुत पानी है आगर में, लेकिन यह हालत है आगर की बड़ौद के अंदर पानी पी भी नहीं सकता है आदमी, मैं बड़ौद नगर पंचायत की बात कर रहा हूं और सुसनेर नवोदय स्कूल जो बच्चियों का मध्यप्रदेश का एक हाईलेबल का स्कूल है उस नवोदय स्कूल में पानी पीने के लिये बच्चों के लिये टेंकर की व्यवस्था, वह भी हमने की है, हमने पर्सनल स्वयं ने अभी की है. माननीय सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री महोदय से निवेदन करूंगा कि उस नवोदय स्कूल के बच्चों के लिये वहां पर खनन भी करवाया लेकिन पानी नहीं निकलता है तो उन बच्चों के लिये पेयजल की व्यवस्था करें. बात करें नलखेड़ा की मां बगलामुखी का दर्शनीय स्थल है, पर्यटक बाहर से आते हैं और वहां नदी का इतना गंदा पानी कि पूरे नगर के अंदर उस पानी को जनता किस तरह से पी रही है उसकी जांच माननीय मंत्री जी करवायें और पेयजल की व्यवस्था सुनिश्चित करें. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से यह भी निवेदन करूंगा कि कम से कम विधायकों को 25 ट्यूबबेल का अधिकार, मैं हेण्डपम्प की नहीं कहूंगा क्योंकि हेंडपम्प में तो पानी ही नहीं निकलता है, हेण्डपम्प हम लगाते हैं 300 फीट, 400 फीट ज्यादा से ज्यादा और पानी का स्तर गिर गया 600 से 700 फीट पर तो हेण्ड पम्प को लगाकर हम करेंगे क्या, सरकार के पैसे का दुरूपयोग होगा. अगर हमको देना ही चाहते हैं आप तो कम से कम 25 ट्यूबबेल दें ताकि पेयजल की व्यवस्था हम कर सकें. यही आपके माध्यम से मैं निवेदन कर रहा हूं कि नवोदय स्कूल के ऊपर ध्यान दिया जाये खासकर के और मैं आपसे उम्मीद करूंगा आपके माध्यम से मंत्री जी से कि ऐसे स्कूल के लिये कम से कम एक सप्ताह में आपने उस स्कूल में पानी की व्यवस्था कर दी तो मैं आपको प्रणाम करने आऊंगा. सभापति महोदय, आपने समय दिया इसके लिये बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री हरदीप सिंह डंग(सुवासरा) -- माननीय सभापति महोदय, मैं माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहूंगा कि आपने बजट के माध्यम से जो प्रदेश की सेवा करने के लिये संकल्प लिया है, उसके लिये आपको बहुत-बहुत बधाई. माननीय वित्तमंत्री जी और मुख्यमंत्री जी को भी बहुत बहुत बधाई.
सभापति महोदय, मेरे दो, तीन सुझाव हैं, काम बहुत बेहतरीन हो रहा है और कोई भी यह सोच नहीं सकता था कि घर-घर नल आ जायेंगे, यह काम माननीय प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में हो रहा है. मेरा निवेदन है कि जो पी.एच.ई. ने रेट्रो फिटिंग के काम किये हैं और अभी जल समूह के माध्यम से जो काम हो रहे हैं. अभी जब यह जल समूह का काम स्टार्ट हुआ था, उसके ठीक पहले छ: महीने के अंदर पी.एच.ई. ने जो काम गांव-गांव में किये हैं, उसमें जल समूह वाले की पांच साल की गारंटी है, पर जो पी.एच.ई. ने काम किये हैं, उनकी कोई गारंटी नहीं है, तो मेरा निवेदन है कि जब यह दोनों कंबाईंड हों, पी.एच.ई. के काम और जल समूह के, इनकी गारंटी जल समूह वालों को दी जाये, जिससे जो पी.एच.ई. के पुराने काम हो, वह भी उससे मिक्स हो सकें, एक तो यह महत्वपूर्ण काम है. दूसरा मेरा निवेदन है कि रास्ते में जितनी भी गौशालाएं आती हैं, उसमें अगर कनेक्शन पेयजल के लिये दे दिये जायें, तो वह भी एक बहुत महत्वपूर्ण रहेगा, जिससे जिन गौशाओं में पानी की कमी होती है, उससे उसकी पूर्ति की जा सके.
संसदीय कार्यमंत्री(श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- सरदार जी ने गौशालाओं वाला बड़ा अच्छा सुझाव दिया है, मेरा ख्याल है कि इसमें सभी को ताली बजाना चाहिए, मेज थपथपाना चाहिए(मेजों की थपथपाहट) आपका सुझाव बहुत अच्छा है.
श्री हरदीप सिंह डंग -- जी, धन्यवाद. अध्यक्ष महोदय, जितने भी प्राचीन मंदिर हैं, जहां पर पानी की व्यवस्था नहीं होती है, अगर वहां से पास से पाईप लाईन निकल रही हो, तो उसको भी दे सकते हैं और धर्मशाला को भी दे सकते हैं और बच्चों के जहां स्कूल हैं और जिन स्कूलों में पानी की व्यवस्था नहीं होती है, एक इस विषय पर भी ध्यान दिया जाये और मेरा निवेदन है जैसे हम ट्यूबवेल की बात करते हैं, तो उसमें छ: इंच का होल होता है और छ: इंच में सिंगल फेस की मोटर जाती है, जो ठेकेदार होता है, उसको पूरा पेमेंट किया जाता है. मेरा निवेदन है कि पी.एच.ई. इसमें चेंज करके छ: इंच की जगह इसको आठ इंच का होल कराये और इसकी सिंगल फेस की मोटर कोई काम में नहीं आती है, वह 150, 170 फिट के अंदर नीचे जाती है, इसलिए अगर वह आठ इंच की होगी, तो उसमें बड़ी मोटर जाकर उसका सदुपयोग हो पायेगा, तो मेरा निवेदन है कि इसकी पांच हार्स पॉवर की मोटर अंदर जा सके, इसलिए सिंगल फेस की मोटर का प्रावधान बंद करके, उसकी केपिसिटी रहती है, वह बहुत कम रहती है, उसमें हम थ्री फेस की मोटर भी अंदर पहुंचा सकते हैं. सभापति महोदय, यह मेरे निवेदन थे, मुझे विश्वास है कि इसमें कुछ अच्छा होगा और इसमें पी.एच.ई. ओर अच्छा काम करेगी.
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री(श्रीमती संपतिया उइके) -- माननीय सभापति महोदय, जी लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की मांगों में सम्मिलित हुए मेरे सम्माननीय सदस्यगण आदरणीय श्री अनिरूद्ध माधव मारू जी, आदरणीय श्री रजनीश जी, आदरणीय श्री नारायण पट्टा जी, आदरणीय श्री गौरव सिंह पारधी जी, आदरणीय श्री राजेन्द्र मण्डलोई जी, आदरणीय श्री दिनेश जी, आदरणीय श्री नीरज सिंह ठाकुर जी, आदरणीय श्री सोहनलाल बाल्मीक जी, आदरणीय श्री विश्वनाथ जी, आदरणीय श्री भैरव सिंह बापू जी, आदरणीय श्री हरदीप सिंह डंग जी, आप सभी के प्रति मैं आभार व्यक्त करती हूं और साथ में देश के यशस्वी प्रधानमंत्री आदरणीय नरेन्द्र मोदी और मध्यप्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव जी उन सबके प्रति भी मैं अभार व्यक्त करती हूं.
सभापति महोदय, इसके साथ मैं धन्यवाद देना चाहूंगी मध्यप्रदेश के उपमुख्यमंत्री और वित्तमंत्री जी और हमारे संसदीय कार्य मंत्री जी को आप सब लोगों के सहयोग से आजादी के बाद हमारे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री जी ने हर गांव में, हर गरीब को, हमारी बहनों को शुद्ध पानी देने का काम किया है. हमारे भाईगण अभी बता रहे थे, श्री विश्वनाथ जी अभी बोल रहे थे कि वह दिन भी हमने देखा है, आदरणीय हमारे वरिष्ठ नेता श्री रजनीश जी ने भी अभी कहा कि एक के बाद एक, एक के बाद एक यह सच्चाई है कि आजादी के 75 वर्ष के बाद भी किसी ने महिलाओं के बारे में नहीं सोचा है, किंतु एक ही शख्स ऐसे हैं, हमारे गौरव देश के यशस्वी प्रधानमंत्री जी ने लाल किले से वर्ष 2019 में घोषणा की थी और सिर्फ घोषणा ही नहीं की है. मध्यप्रदेश के अंदर वर्ष 2020 में इस मध्यप्रदेश की पवित्र धरती में इसको साकार होते हुए हम आप सब लोग देख रहे है. यह एक योजना नहीं है, यह एक क्रांति है और मैं तो हमारे सभी भाई बहनों से, सभी विधायकों से निवेदन करना चाहूंगी कि इस सामाजिक क्रांति में आप सब लागों का योगदान रहे, ताकि हम समाज में उन गरीब जनता को शुद्ध पानी दे सकें. हमारी गरीब जनता, हमारी बहनें अच्छा स्वस्थ जीवन जी सके. इसके लिए क्रांति के रूप में सभी विधायकगण, अधिकारीगण, इस योजना को नीचे धरातल पर काम करने के लिए संकल्प लिया है उस संकल्प में आप हम सब लोग एक जुट होकर के सभी लोग इसका प्रस्ताव पास करें. जिस तरह से मेरे माननीय विधायकगण कह रहे थे कि मध्यप्रदेश के अंदर 5154 ग्राम हैं और उन ग्रामों के अंदर मैं यह नहीं कह रही हूं कि हमने पूरा कर दिया है किन्तु हम और हमारी टीम धीरे धीरे माननीय मुख्यमंत्री जी के मार्गदर्शन पर हम लागों ने अभी 18 हजार से ज्यादा ग्रामों में शुद्ध पेयजल देने के लिए काम कर रहे हैं. जब माननीय यशस्वी प्रधानमंत्री जी ने वर्ष 2019 में इसका शुभारंभ किया उसके पहले, मध्यप्रदेश की यह स्थिति थी कि मात्र 13 प्रतिशत हमारे भाई बहनों को पानी मिल रहा था, आज की डेट में 76 प्रतिशत उन भाई बहनों को शुद्ध पेयजल मिलने के लिए आज हम सभी लोग काम कर रहे हैं. मैं हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री जी, मुख्यमंत्री जी को आपके माध्यम से बहुत बहुत धन्यवाद देती हूं और साथ में अभी आप सभी लोगों ने जिस तरह से अभी बोल रहे थे हमारे भाई सोहन जी कि हमारे यहां चार गांव छूटे हुए हैं, मैं बताना चाहूंगी कि काम करने के लिए बहुत ज्यादा स्कोप है और जिस तरह से हमारे इस पक्ष के हो, या उस पक्ष के सभी भाईयों का सहयोग मिलेगा तो मैं मानती हूं कि जिस तरह से हमारे प्रधानमंत्री जी की मंशा है, चाहे वह प्रधानमंत्री जन मन योजना के माध्यम से हो, अति पिछड़ी जनजातियों के लिए माननीय प्रधामंत्री जी ने 432 ऐसे ग्रामों को चिन्हित करके और आज जनमन योजना के माध्यम से हम लोग 100 ग्रामों से ज्यादा हम उन गरीब परिवारों को पानी देने का काम कर रहे हैं और आज हमारे आदरणीय सोहन जी कह रहे थे कि छिंदवाड़ा की स्थिति बहुत दयनीय है. छिंदवाड़ा की स्थिति इसलिए दयनीय है क्योंकि वहां पर आसपास कोई डैम नहीं है, जिससे हम पानी दे सके. अभी अभी माननीय मुख्यमंत्री जी के मार्गदर्शन पर माचागोरा के माध्यम से 732 ग्रामों को हम पानी देने का काम कर रहे हैं. माननीय सोहन जी वरिष्ठ विधायक भी हैं, उन्होंने जैसा कहा कि इन चार ग्रामों को भी जोड़ा जाए. मैं आपको विश्वास दिलाती हूं कि उन गांवों को भी हम जोड़ेंगे और हमारे एक एक घर तक पानी पहुंचाने का माननीय प्रधानमंत्री जी ने जिस अपेक्षा के साथ इस योजना का शुभारंभ किया है, उस पर हम सब लोग मिलकर काम करेंगे.
सभापति महोदय – बधाई हो सोहन जी आपको.
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) – सभापति महोदय, यह होती है राजनीति. राजनीति से ऊपर उठकर उधर से बोला गया और इधर से जल्दी से आदेश दे दिया गया, यह है भारतीय जनता पार्टी की सरकार और सबसे बड़ी बात यह है कि आप आदिवासी संस्कार अगर कहीं देखना चाहते हैं, इस सदन के अंदर, तो उसका जीता जागता उदाहरण हैं संपतिया जी. मुझे गर्व है कभी इनके सिर पर से पल्लू नहीं हटता है और इतना टू दि पाइंट बोलती हैं कि बस.. और ऐसा नहीं है कि खूब ज्यादा पढ़ी लिखीं हैं, सामान्य परिवार से आईं हैं, कोई पीछे की विरासत नहीं हैं. उसके बाद भी इतना अच्छा बोलती हैं मैं चाहता हूं कि सदन में उनकी प्रशंसा होनी चाहिए (...मेजों की थपथपाहट)
सभापति महोदय – निश्चित रूप से आपके भाव और भावनाओं की प्रशंसा की जाना चाहिए, त्वरित तत्काल आपने निर्णय ले लिया और त्वरित तत्काल सदस्य को संबोधित किया यह निश्चित रूप से बहुत सराहनीय है .
श्री सोहन बाल्मीक – सभापति महोदय, मैं माननीय बहन जी को बहुत बहुत धन्यवाद देता हूं. निश्चित रूप से ये बहुत काबिल मंत्री हैं और इनका व्यवहार भी बहुत अच्छा है. जब भी हम मिले हैं कोई काम के लिए, इन्होंने कभी नकारा नहीं है. मैं चाहता हूं कि बाकी मंत्री भी इनके पदचिन्हों पर चलें ताकि हम सभी के काम होते रहे.
सभापति महोदय – माननीय मंत्री जी, आप जारी रखें.
श्रीमती संपतिया उइके – धन्यवाद माननीय सदस्य महोदय जी.
श्री भंवर सिंह शेखावत – इतना अच्छा व्यवहार बाकी सब करने लग जाएंगे तो अच्छा होगा.
श्री कैलाश विजय वर्गीय – मैंने तो ऐसा नहीं बोला, पर आप यही समझे अभी, आपकी समझ को सैल्यूट हैं(..हंसी)
सभापति महोदय – मातृशक्ति तो वैसे ही वंदनीय होती हैं. आप निश्चित रूप से सम्माननीया हैं. आप जारी रखें.
श्री नारायण पट्टा – जो संसदीय कार्यमंत्री जी ने कहा वास्तव में मंत्री जी मंडला के बेटी हैं, वहां की शुद्ध आदिवासी है और मंडला के सारे आदिवासियों के पास आज भी सनातन और आदिवासियों का कल्चर विद्यमान है.
श्रीमती संपतिया उइके – धन्यवाद.
सभापति महोदय—हमारे आगर मालवा के माननीय विधायक भैरोसिंह बाबूजी ने अभी कहा कि हमारे यहां पर पानी का संकट है. मैं बताना चाहूंगी वहां पर पीएचई का काम पूरा 100 परसेंट हो गया है. जो सिंगल विलेज स्कीम है वह 100 परसेंट हुई. जल जीवन मिशन के माध्यम जो काम चल रहे हैं उस पर 480 ऐसे हमारे ग्राम हैं जहां पर कुंडलिया बांध से हम लोग पानी देने का काम कर रहे हैं. वह काम भी अतिशीघ्र पूर्ण होने की कगार में है. बहुत जल्दी पूरे गांव में पानी मिलेगा माननीय विधायक जी. साथ में हमारे माननीय हरदीप सिंह जी ने बहुत शानदार प्रस्ताव रखा. उन्होंने तथा माननीय संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि हमारी बहुत गौशालाओं में बहुत अच्छा पानी है, किन्तु बहुत सारी ऐसी हमारी गौशालाएं हैं जहां पर पानी के अभाव है वहां पर जितना पानी होना चाहिये, वहां पर नहीं है. हम लोग निश्चित ही आज इस सदन के माध्यम से हमारे सचिव जी को, हमारे अधिकारियों को मैं निर्देशित करूंगी कि जितनी भी गौशालाएं मध्यप्रदेश में हैं उसकी जांच करके परीक्षण करने के बाद वहां पर पानी की व्यवस्था बनायी जाये आज मैं आप सब लोग के बीच में बोलना चाहूंगी.
सभापति महोदय—बहुत ही प्रशंसनीय बहुत ही सराहनीय कार्य. निश्चित रूप से आज मातृशक्ति ने गौमाता का सम्मान किया.
श्री हरदीप सिंह डंग—धन्यवाद माननीय मंत्री जी.
श्रीमती संपतिया उइके—सभापति महोदय जिस तरीके से हमारे विधायकगण ने कहा कि हमारी सिंगल विलेज स्कीमों को हम दिसम्बर 2025 तक 100 परसेंट पूरा करेंगे. हमारी 27990 स्कीम हैं उसको मैं आज इस सदन के माध्यम से आप लोगों को आश्वस्त करना चाहती हूं कि हमारे 27990 स्कीम को हम दिसम्बर 2025 तक पूर्ण करके 100 परसेंट सदन में रखूंगी. रहा सवाल जल जीवन मिशन में चूंकि 147 योजनाएं हैं इन योजनाओं में थोड़ा समय जरूर लगेगा. चूंकि इसमें थोड़ा विलंब हुआ है. विलंब होने के कारण चाहे वह रेल्वे की जमीन हो, चाहे वन विभाग की जमीन हो, कई विभागों की जमीन के कारण से, उसमें डेम के कारण भी हम लोगों को थोड़ा विलंब हो रहा है. मैं आपको विश्वास दिलाती हूं कि जिस तरीके से देश के यशस्वी प्रधानमंत्री जी ने 2028 तक का समय बढ़ाया है, पर हम 2028 नहीं, 2027 तक पूर्ण करने का माननीय प्रधानमंत्री जी की योजनाओं को पूरा करेंगे, ऐसा मैं आप लोगों को विश्वास दिलाती हूं. जिस तरीके से आप सब लोगों का सहयोग लगातार मिल रहा है. उस पर मैं आपको बताना चाहूंगी कि हमारे माननीय सदस्यगण चाहे इस तरफ से हों अथवा उस तरफ के हों लगातार जो भी सूची उपलब्ध कराई हम लोगों ने विभाग के माध्यम से माननीय सदस्यों का सम्मान करते हुए जो भी हैंडपम्प आप लोगों ने मांगे हैं. उन हैंडपम्पों को परीक्षण के उपरांत उनको जरूर स्वीकृति प्रदान करेंगे. चूंकि हम भी समझ रहे हैं कि 2027 तक घर घर तक पानी पहुंचाने के लिये थोड़ा समय लगेगा. पर आप लोग जो हैंडपम्प देंगे उनके परीक्षण उपरांत आप सभी का सम्मान करते हुए हैंडपम्प की व्यवस्था हम लोग करेंगे. साथ में मैं अपेक्षा करना चाहूंगी कि जिस तरीके से हमारे माननीय मण्डला के विधायक आदरणीय पट्टा जी, माननीय वरकड़े जी हैं आप लोगों से विशेषकर निवेदन करना चाहूंगी जनजाति हमारा जिला है हमारा जनजाति जिला होने के नाते जिस तरह से चाहे वह बसनिया डेम हो, चाहे अपर पूरन डेम हो, चाहे पाला सुन्दर का डेम हो, हमारी सरकार दृड़ इच्छा शक्ति के साथ गरीबों के लिये जनजाति समाज के लिये लगातार काम कर रही है. वहां पर डेम स्वीकृत है. किन्तु लगातार आपके लोगों ने उसका विरोध करते हुए वहां पर डेम नहीं बनने दे रहे हैं. वहां की बेगा जनजाति, हमारे आदिवासी भाई-बहनों को शुद्ध पेयजल देने में आज विलंब हो रहा है. इस कारण से उनको हम पानी नहीं दे पा रहे हैं. मैं आप लोगों को सदन के माध्यम से निवेदन करना चाहती हूं कि आप इस काम में चूंकि जल ही जीवन है, इसमें राजनीति न करते हुए आप लोग सहयोग करें ताकि हम उन गरीब भाई-बहनों को पानी पिला सकें, यही आपके माध्यम से निवेदन करना चाहूंगी.
राज्यमंत्री कुटीर एवं ग्रामोद्योग (श्री दिलीप सिंह जायसवाल)—सभापति महोदय, मैं निवेदन करूंगा कि जिस सहहृदयता से हमारी माननीय मंत्री जी ने विपक्ष की सारी बातों को सुना है उसी प्रकार से माननीय मंत्री जी के आग्रह को दोनों तरफ के हमारे सम्मानीय विधायकगण वह भी यहां पर स्वीकृति दें हम डेम बनाने में पूरा सहयोग करेंगे. श्री नारायण सिंह पट्टा -- माननीय सभापति महोदय, हमारा पूरा सहयोग है. केवल इतना है कि विस्थापन के दायरे में जिन आदिवासी भाईयों की जमीन डूब में जा रही है, उनको बेतवा-लिंक परियोजना में जो कम्पंसेशन की राशि है, उसका प्रावधान किया जाए. बाकी पूरा हमारा सहयोग है और पानी जैसी चीज के लिए असहयोग करना तो दुर्भाग्य होगा.
सभापति महोदय -- आप माननीय मंत्री जी के साथ बैठकर और चर्चा कर लें. माननीय मंत्री जी, आप अपनी बात जारी रखें.
श्री चैनसिंह वरकडे़ (निवास) -- माननीय सभापति महोदय, माननीय मंत्री महोदया ने जो बात रखी है, निश्चित हम सब विकास के सहभागी हैं. हम विकास चाहते हैं और विकास करना है तो थोड़ा बहुत विनाश होगा. इस बात को हम सब समझते हैं. परन्तु वहां जो डूब में आ रहे हैं उनकी समस्याओं को भी नजरअंदाज करना ठीक नहीं है. वहां के लोग जो मांग कर रहे हैं, वे चूंकि मेरे ही विधानसभा क्षेत्र में बसनिया जलाशय का निर्माण होना है. उनकी मांग है कि बाजार के रेट से आप हमको 25-30 लाख दे देंगे, लेकिन जब हम मंडला में जमीन खरीदेंगे, तो हमको 1400 वर्गफुट मिलेगा. हम सिर्फ उतने पैसे में प्लॉट खरीद पाएंगे, तो वर्तमान बाजार मूल्य के हिसाब से यदि उनको मुआवजा मिल जाए, निश्चित वह सहयोग करेंगे और हमारा सहयोग भी निरंतर रहेगा.
माननीय सभापति महोदया, मैंने माननीय मंत्री महोदया के साथ लगभग वर्ष 2000 से साथ में काम किया है. माननीय मंत्री वर्ष 2005 में जिला पंचायत अध्यक्ष थीं, तो मैं उपाध्यक्ष था. वर्ष 2000 में सरपंच थीं, तो मैं जिला पंचायत सदस्य था. लगातार इस तरीके से माननीय मंत्री जी संघर्ष करके यहां तक आयीं हैं, वह आज दिख रहा है और निश्चित ही बहुत ही तारीफ के काबिल हैं. वे हमारे समाज के लिए भी एक गौरव हैं कि वे अपने संघर्ष के माध्यम से यहां तक पहुंची हैं. मैं आप सब के माध्यम से बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहता हॅूं.
सभापति महोदय -- माननीय मंत्री महोदया जी, आप जारी रखें.
श्रीमती संपतिया उइके -- माननीय सभापति महोदय जी, मैं आपके माध्यम से हमारे सभी सम्माननीय सदस्यों...
डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह -- माननीय सभापति महोदय, मैं सिर्फ 10 सेकेंड में का समय चाहता हॅूं.
सभापति महोदय -- आपने तो अपना नाम वापस ले लिया.
डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह -- मैं नाम वापस लेने के लिए नहीं गया.
सभापति महोदय -- मेरे पास सूचना आयी थी.
डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह -- सभापति महोदय, कहा गया ले लीजिए, तो मैं इतना ही चाहता हॅूं कि माननीय मंत्री जी, जिन्होंने प्रस्ताव दिये हैं जिनका वह कंसीडर कर रही हैं, आश्वासन दे रही हैं, वादा कर रही हैं तो हम लोगों से भी लिखित प्रस्ताव ले लेंगी. जो लोग बोलना चाह रहे थे, नहीं बोल पाए, तो हम लोगों से भी प्रस्ताव ले लेंगी. आप व्यवस्था दे दीजिए.
सभापति महोदय -- आप तो अत्यंत वरिष्ठ हैं. आप जब चाहें तब माननीय मंत्री जी से मिल सकते हैं.
डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह -- आप आसंदी से व्यवस्था दे दीजिए न.
सभापति महोदय -- आप अत्यंत वरिष्ठ हैं.
संसदीय कार्यमंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- माननीय डॉ.राजेन्द्र सिंह जी, उसकी व्यवस्था नहीं होती है. आप प्रस्ताव दे दीजिएगा. वह करेंगे. चेयर कैसे व्यवस्था देगा इस बात की. आप तो इतने वरिष्ठ हैं. आप प्रस्ताव दे दीजिएगा. उस पर विचार करेंगे.
डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह -- नहीं, नहीं कैलाश जी. यह व्यवस्था चेयर दे सकती है कि हमारे प्रस्ताव दे दिए जाएं.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- नहीं, नहीं, ऐसा नहीं है. आप प्रस्ताव दे देंगे, यह ले लेंगे. चेयर यह कह सकती है कि प्रस्ताव दे दें, पर यह नहीं कह सकती कि आप स्वीकृत कर लीजिए इसको.
सभापति महोदय -- फिर भी डॉ. साहब, आप तो माननीय मंत्री जी से मुलाकात कर लीजिएगा.
डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह -- नहीं, नहीं. मैंने स्वीकृत नहीं कहा.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- सभापति महोदय, चेयर की अपनी मर्यादा है.
डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह -- आप कार्यवाही निकलवाकर देख लीजिए.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- आप प्रस्ताव दे दीजिएगा.
डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह -- नहीं, नहीं. स्वीकृत ऐसा कैसे कह सकते हैं.
सभापति महोदय -- मैंने इसलिए कहा डॉ.साहब कि आप माननीय मंत्री महोदया जी से मिल लीजिएगा.
डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह -- मैं केवल उतना ही चाह रहा हॅूं. आप कैसी बात कर रहें हैं कैलाश जी.
सभापति महोदय- -- धन्यवाद डॉ.साहब. माननीय मंत्री महोदया जी आप अपनी बात जारी रखें.
श्रीमती संपतिया उइके -- माननीय सभापति महोदय जी, मैं तो आपके माध्यम से प्रार्थना करना चाहूंगी कि जिस तरीके से लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के अनुदान की मांगों पर 20 हजार करोड 79 लाख 57 हजार रूपए का बजट माननीय मुख्यमंत्री जी और वित्त मंत्री जी ने और हमारी पूरी कैबिनेट ने दिया है, तो उसको सर्वानुमति से सभी लोग प्रस्ताव पास करें, ऐसा मैं प्रार्थना करना चाहती हॅूं. बहुत-बहुत धन्यवाद. नमस्कार.(मेजों की थपथपाहट)
सभापति महोदय -- बहुत-बहुत धन्यवाद.
सभापति महोदय - इंजी. श्री प्रदीप लारिया, गैर-सरकारी सदस्यों के विधेयकों तथा संकल्पों संबंधी समिति का चतुर्थ प्रतिवेदन प्रस्तुत करेंगे.
6.56 बजे प्रतिवेदनों की प्रस्तुति एवं स्वीकृति
गैर-सरकारी सदस्यों के विधेयकों तथा संकल्पों संबंधी समिति का चतुर्थ प्रतिवेदन
सभापति महोदय - माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि होली पर कार्यक्रम हेतु कृपया सभागार में पहुंचाने का कष्ट करें.
विधान सभा की कार्यवाही शुक्रवार, दिनांक 21 मार्च, 2025 को प्रातः 11.00 बजे तक के लिए स्थगित.
अपराह्न 6.58 बजे विधान सभा की कार्यवाही, दिनांक 21 मार्च, 2025 (30 फाल्गुन, शक संवत् 1946) को प्रातः 11.00 बजे तक के लिए स्थगित की गई.
ए.पी.सिंह
भोपाल, प्रमुख सचिव,
दिनांक : 20 मार्च, 2025 मध्यप्रदेश विधान सभा