मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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पंचदश विधान सभा चतुर्दश सत्र
फरवरी-मार्च, 2023 सत्र
सोमवार, दिनांक 20 मार्च, 2023
( 29 फाल्गुन, शक संवत् 1944 )
[ खण्ड- 14 ] [ अंक- 11 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
सोमवार, दिनांक 20 मार्च, 2023
( 29 फाल्गुन, शक संवत् 1944 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.01 बजे समवेत हुई.
{ अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}
11.01 बजे प्रश्नकाल में मौखिक उल्लेख
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न क्रमांक 1, श्री विजयराघवेन्द्र सिंह.
श्री पी.सी.शर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने एक स्थगन दिया है. पेपर लीक हो रहे हैं. पहले 10वीं का अंग्रेजी का पेपर लीक हुआ, उसके बाद 12 वीं के भी हुए. लगातार पेपर लीक हो रहे हैं और यह कहा गया है कि...
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्नकाल हो जाने दीजिए.
श्री पी.सी.शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, हमने उस पर स्थगन दिया है. उसमें लिया जाए.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्नकाल हो जाने दीजिए न. प्रश्नकाल के बाद हम सुन लेंगे. प्रश्न क्रमांक 1, श्री विजयराघवेन्द्र सिंह जी.
प्रश्न क्रमांक - 1 श्री विजयराघवेन्द्र सिंह (अनुपस्थित)
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न क्रमांक - 2 श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन जी.
11.02 बजे तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
प्रबंध संचालक के पद एवं कार्यों की जांच
[पशुपालन एवं डेयरी]
2. ( *क्र. 1114 ) श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन : क्या पशुपालन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम के वर्तमान में पदस्थ प्रबंध संचालक मूलतः किस विभाग के अधिकारी हैं? उनका मूल पद क्या है? वे मूल विभाग से पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम में कब से प्रतिनियुक्ति पर हैं? (ख) शासन द्वारा किसी व्यक्ति को अधिकतम कितने वर्ष के लिए प्रतिनियुक्ति दी जा सकती है? नियमावली सहित बताएं। (ग) उक्त विभाग में प्रबंध संचालक पद की स्वीकृति कब प्रदान की गई एवं क्या केबिनेट से उक्त पद की मंजूरी ली गई है? यदि हाँ, तो विस्तृत जानकारी देवें? यदि नहीं, तो उक्त पदस्थापना कैसे की गई? (घ) पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम के प्रबंध संचालक हेतु क्या-क्या सेवा शर्तें हैं? वर्तमान में पदस्थ प्रबंध संचालक के विरुद्ध 5 वर्षों में कितनी शिकायतें विभाग को प्राप्त हुईं? कितनों की जांचें की गई एवं किन-किन अधिकारियों के द्वारा जांच की गई? समस्त शिकायतों एवं जांच के निष्कर्ष का विवरण देवें।
पशुपालन मंत्री ( श्री प्रेमसिंह पटेल ) : (क) पशुपालन एवं डेयरी विभाग के आदेश दिनांक 23 अगस्त, 2012 के द्वारा डॉ. एच.बी.एस. भदौरिया, प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष पशु उत्पादन एवं प्रबंध आर.ए.के. कृषि महाविद्यालय सीहोर, राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय की सेवाएं प्रतिनियुक्ति पर लेकर प्रबंध संचालक, म.प्र. राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम के पद पर पदस्थ किया गया है। (ख) सामान्य प्रशासन विभाग के परिपत्र दिनांक 29 फरवरी, 2008 के अनुसार लोक सेवक की सेवाएं कम से कम दो वर्ष के लिए प्रतिनियुक्ति पर ली जानी चाहिए। कंडिका 2 के प्रावधान अनुसार ''प्रतिनियुक्ति अवधि बढ़ाने हेतु जिस विभाग में अधिकारी/कर्मचारी प्रतिनियुक्ति पर है, जिस विभाग से सेवाएं ली गई हैं, उन दोनों विभागों की सहमति होने पर विभाग स्तर पर निर्णय लिया जाने का प्रावधान है। (ग) मध्यप्रदेश राजपत्र (असाधारण) दिनांक 30 अक्टूबर, 1982 में प्रकाशित मध्यप्रदेश प्रदेश राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम अधिनियम 1982 (क्र. 37 सन् 1982) सहपठित (संशोधित) अधिनियम 1984 की धारा 10 अंतर्गत है। (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' एवं 'ब' अनुसार है।
श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन -- अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के उत्तर में माननीय मंत्री जी ने क, ख, ग तथा घ तक जो जानकारी दी है, वह एक सामान्य जानकारी है. मेरा जो मूल प्रश्न है कि इनके खिलाफ 4 और दूसरी 7 शिकायतें हैं. सभी शिकायतों की जो मुझे प्रविष्ठियां दी गईं, उसमें बताया गया है कि सक्षम अधिकारी द्वारा उल्लेखित बिन्दुओं के परीक्षणोपरांत नस्तीबद्ध की गईं. दूसरे में भी, तीसरे में भी, चौथे में भी बताया गया है. डॉक्टर उमेश शर्मा की शिकायत पर प्रारम्भिक स्तर पर अवलोकन करने के पश्चात् नस्तीबद्ध कर दिया गया. जांच ही नहीं हुई और पेपर को देखकर नस्तीबद्ध कर दिया गया. तीनों में ही यह लिखा है. प्रारम्भिक स्तर पर अवलोकन करने के पश्चात् नस्तीबद्ध कर दिया गया. फिर कह रहे हैं कि प्रारम्भिक स्तर पर अवलोकन करने के पश्चात् नस्तीबद्ध कर दिया गया. इसके बाद जो चौथी, पांचवीं, छठवीं और सातवीं शिकायतों में भी इन्हीं बातों का उल्लेख है.
अध्यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहूंगा. ऐसा कभी नहीं होता कि जांच में तथ्यात्मक प्रमाण के साथ में कोई शिकायत हो और बगैर जांच किये इसको नस्तीबद्ध कर दिया जाए तो मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से यह आग्रह करना चाहता हॅूं और उनसे प्रश्न करना चाहता हॅूं कि क्या आप इन सभी 11 शिकायतों की माननीय विधायकों की समिति बनाकर, भले ही उस समिति में प्रमुख सचिव उन्हीं के विभाग के रहें, हमें कोई आपत्ति नहीं, उसमें गौरीशंकर बिसेन का रहना आवश्यक नहीं है. उसमें कोई भी 2 सदस्य, 3 सदस्य, 4 सदस्यों की समिति बनाकर इनकी पुन: जांच करवाएंगे ?
श्री प्रेमसिंह पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जांच तो करवा ली गई है, अब जरूरत क्या है. जांच तो पूरी अधिकारियों के द्वारा ही किया गया है.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं. वह जो आपने उत्तर लिखा है, उस उत्तर के लिए वह कह रहे हैं कि आपने लिखा है कि, सब देखकर के कर लिया है. उसमें जांच में वह आया नहीं है. उत्तर में कहां है ?
श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन -- अध्यक्ष महोदय, जांच नहीं की गई है, अधिकारी की जांच को आप कह रहे हैं. अधिकारियों ने बिना देखे ही नस्तीबद्ध कर दिया. तो मैं माननीय मंत्री महोदय से और इस सरकार से जानना चाहता हूँ क्या आप मध्यप्रदेश विधान सभा के कोई दो सदस्य, कोई तीन सदस्यों की, समिति, जिसमें सचिव, पशुधन विभाग भी रहें, हमें कोई आपत्ति नहीं और उस जाँच को चाहें मंत्री जी अपने समक्ष करा लें. क्या पुनः सारे 7 बिन्दुओं पर और 4, 11 बिन्दुओं पर जाँच कराएँगे?
श्री प्रेमसिंह पटेल-- माननीय अध्यक्ष जी, अगर इस प्रकार से माननीय सदस्य क्योंकि वरिष्ठ भी हैं और मंत्री भी रह चुके हैं, अगर मतलब इस प्रकार से होगा तो जाँच करवा लेंगे.
श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन-- क्या माननीय अध्यक्ष महोदय....
अध्यक्ष महोदय-- कमेटी वाला नहीं...
श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन-- नहीं, नहीं, अध्यक्ष महोदय, आप हमारे संरक्षक हैं. आप यदि हमें संरक्षण नहीं देंगे तो हम किससे प्राप्त करेंगे?
अध्यक्ष महोदय-- मैं कह रहा हूँ ना जाँच, वो खुद कह रहे हैं, स्वीकार कर रहे हैं कि हम जाँच करा लेंगे.
श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन-- नहीं, मैं चाहता हूँ कि माननीय विधायकों की समिति बनाकर....
अध्यक्ष महोदय-- नहीं लगता इसमें समिति की आवश्यकता...
श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन-- क्यों नहीं बनाएँगे...
अध्यक्ष महोदय-- मैंने सिर्फ कहा जरूरी नहीं...
श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन-- क्यों नहीं बनना चाहिए?
अध्यक्ष महोदय-- आप जाँच होने दीजिए.
श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन-- मैंने अपना नाम नहीं लिया.
श्री लक्ष्मण सिंह-- अध्यक्ष महोदय, यह बहुत गंभीर मामला है, बहुत सारे भ्रष्टाचार के आरोप उस व्यक्ति के ऊपर हैं.
श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन-- मैं कहता हूँ उस समिति में सिर्फ मेरा नाम नहीं चाहिए. मेरा यह कहना है यदि 11 शिकायतें प्रथम दृष्टया में बिना जाँच के नस्तीबद्ध की जाती हैं इसका मतलब है बहुत बड़ी अनियमितताएँ हैं और इससे सरकार को इन्कार नहीं करना चाहिए. यदि सरकार चाहे दूध का दूध, पानी का पानी करे ना. मैं कहना चाहता हूँ किसी भी दल का कोई भी माननीय विधायक, आप समिति तय कर दें, माननीय मंत्री जी तय कर दें. समिति की आज घोषणा कर दें. मैंने इस 4 साल में पहला प्रश्न किया है और बड़ी मुश्किल से प्रश्न आया है, मुझे पता है कैसे आया है और इसलिए मैं चाहता हूँ कि इसकी जाँच हो.
अध्यक्ष महोदय-- ऊपर वाले की कृपा से आया है क्योंकि लॉटरी है...(व्यवधान)..नहीं ऊपर वाले की कृपा से आया है.माननीय मंत्री जी...
श्री लाखन सिंह यादव-- अध्यक्ष महोदय, काफी सीनियर मंत्री हैं, मैं चाहता हूँ यदि वे आग्रह कर रहे हैं तो फिर समिति बनाकर जाँच करा ली जाए.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, नहीं, आप बैठ जाइये.
श्री लाखन सिंह यादव-- चलो, हम लोगों की नहीं होती है, तो उधर वालों की तो हो जाए अध्यक्ष महोदय, जाँच.
अध्यक्ष महोदय-- बैठ जाइये. एक प्रवृत्ति यह आई है कि प्रत्येक विषय में जो विधायक जाँच की मांग करता है तो विधायक कमेटी की ही मांग कर रहा है. उसका परिणाम यह निकलेगा कि हमारे जितने विधायक हैं सबको किसी न किसी कमेटी में फिट करके रखना पड़ेगा, दूसरा काम वे कर ही नहीं पाएँगे इसलिए कृपया जाँच हो जाए, ऐसा करके करें. नेता प्रतिपक्ष जी कुछ कहना चाह रहे हैं.
नेता प्रतिपक्ष(डॉ.गोविन्द सिंह)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जब सरकार की नौकरशाही पूरी तरह से एकतरफा कार्रवाई कर रही हो. विधान सभा और शासन के नियम, प्रक्रियाओं की धज्जियाँ उड़ा रही हो. इन परिस्थितियों में अगर सच्चाई से न्याय, अगर कोई विधायक मांग करता है इसमे कौनसा अपराध है? (मेजों की थपथपाहट) अगर सच्चाई है, साफ-सुथरा काम, आप चाहते हैं कि सच्चाई उजागर हो, तो उसमें विधायक को रखने में कोई दिक्कत नहीं है. दिल्ली में भी जेपीसी (ज्वाईंट पार्लियामेंट्री कमेटी) बनाई जाती है, तो हम भी यहाँ देख रहे हैं लेकिन आज तक, पता नहीं क्यों, मैं भी कुछ दिन, ज्यादा दिन तो नहीं रहा, सरकार में रहा दो बार, हमने अपने आप, नहीं चाहा, बिना मांग के भी हमने कहा कि सदस्य को रखो ताकि भ्रष्टाचार का स्पष्ट हो जाएगा. फिर माननीय गौरीशंकर बिसेन जी शायद इस सदन में अभी बैठे हैं वर्तमान में, इनमें सबसे, लोकसभा और विधान सभा मिलाकर, सबसे वरिष्ठ सदस्य हैं और सभी का सम्मान करते हैं. ये पक्ष विपक्ष से ऊपर उठकर हैं, तो अगर इन्होंने कोई मांग की है तो हमारी आप से विनम्र प्रार्थना है कि उनका सम्मान करते हुए और नहीं है तो कम से कम अधिकारी हैं उनके जो प्रतिनिधि हैं उनको रख लें या उन्हें रख लें, इसमें कोई आपत्ति नहीं होना चाहिए.
श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन-- अध्यक्ष महोदय, मैं नहीं रहना चाहता जाँच में. जाँच समिति किसी भी सदस्य की हो.
अध्यक्ष महोदय-- बिसेन साहब, एक मिनट, संसदीय कार्य मंत्री जी, चूँकि नेता प्रतिपक्ष बोले हैं.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ.नरोत्तम मिश्र)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सम्मानित नेता प्रतिपक्ष ने दो बातें कहीं, जो मेरी समझ से परे थी, यह कि यहाँ पर नियम, कानून की, धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं. मेरे ख्याल से वह विषय अलग है और संदर्भित विषय है, सम्मानित सदस्य गौरीशंकर बिसेन जी सबके सम्माननीय हैं, पूरे सदन के सम्माननीय हैं, वे वरिष्ठ हैं और वे अगर जाँच की मांग कर रहे हैं तो जाँच करने में कोई दिक्कत नहीं है, पर जैसा आप स्वयं आसन्दी से बता चुके हैं कि सम्मानित सदस्य फिर इस मांग को उठाते रहेंगे और हरेक कोई न कोई सदस्य रहेगा, भाऊ, जो अधिकारी कहेंगे, जिस अधिकारी से कहेंगे, जैसी कहेंगे, वैसी भाऊ की जाँच करा दी जाएगी.
श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन-- मैं मंत्री था कई सदस्यों की समिति बनाकर जाँच करवाई मैंने आप भी मंत्री हैं, आपने भी सदस्यों का सोचा. मैं कहना चाहता हूँ हमारे यशपाल जी को रख दीजिए, अकेले सदस्य को, किसी भी सदस्य को रख दीजिए, मुझे समिति में नहीं रहना है, यशपाल सिंह जी को रख दीजिए, माननीय शर्मा जी जांच कर लें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- ठीक है, यशपाल सिंह जी को रख दीजिए.
श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन -- और सचिव रहें.
अध्यक्ष महोदय -- ठीक है. माननीय मंत्री जी जांच समिति बनाइए, सहमति हो गई है यशपाल सिंह सिसौदिया जी को जांच समिति में रखिए.
श्री प्रेम सिंह पटेल -- ठीक है.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न क्रमांक 3 श्रीमती कृष्णा गौर जी. (अनुपस्थित)
डॉ. हिरालाल अलावा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, कुक्कुट विकास निगम से संबंधित मेरा इसमें प्रश्न था.
अध्यक्ष महोदय -- आप किस प्रश्न के संबंध में बोल रहे हैं.
डॉ. हिरालाल अलावा -- श्रीमती कृष्णा गौर के प्रश्न पर बोल रहा हूँ यह कुक्कुट विकास निगम से संबंधित है.
अध्यक्ष महोदय -- कृष्णा गौर जी आई नहीं हैं और उन्होंने आपको अधिकृत भी नहीं किया है. मूल सदस्य ही नहीं है बाद के सदस्य का प्रश्न नहीं होगा.
श्री विश्वास सारंग -- माननीय अध्यक्ष महोदय, कांग्रेस के विधायकों का एकाध बार प्रबोधन कार्यक्रम करवा दीजिए. नेता प्रतिपक्ष जी करवाते नहीं हैं.
डॉ. गोविन्द सिंह -- संबोधन के प्रमुख वक्ता आप ही रहना. (हंसी)
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न क्रमांक 4 श्री धर्मेन्द्र भावसिंह लोधी (अनुपस्थित)
छात्रवृत्ति वितरण में की गई अनियमितताएं
[जनजातीय कार्य]
5. ( *क्र. 3220 ) श्री हर्ष यादव : क्या जनजातीय कार्य मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) विभाग अंतर्गत संचालित संस्थाओं के ऑडिट के संबंध में महालेखाकार ग्वालियर से ऑडिट कराये जाने के क्या प्रावधान हैं? विस्तृत विवरण देवें। प्रदेश में ऐसे कितने जिले हैं, जिनके द्वारा अनुसूचित जाति जनजातीय कार्य विभाग में वर्ष 2017-18 से 2019-20 तक महालेखाकार ग्वालियर द्वारा ऑडिट नहीं कराई गई है? जिलेवार बतावें। पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति में राशि संबंधी अनियमितता की गई? छात्र, छात्रा, संस्था, जिला अनुसार जानकारी देवें। (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार विभाग द्वारा कराए गए ऑडिट में पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति में अनियमितता संबंधी गड़बड़ियां पाई गईं हैं? विस्तृत विवरण देवें। संस्थावार/जिलावार जानकारी दें। (ग) क्या प्रश्नांश (ख) अनुसार अधिकांश जिलों में करोड़ों की अनियमितता, गबन फर्जी खाता, फर्जी छात्र प्रश्न दिनांक तक पाए गए हैं? जिलेवार/खातावार/छात्र-छात्रावार/संस्थावार विस्तृत विवरण देवें। (घ) क्या प्रश्नकर्ता द्वारा पत्र क्र. 995, दिनांक 01.12.2022 के माध्यम से विभाग में हुई अनियमितताओं के संबंध में लेख किया गया था? यदि हाँ, तो विभाग द्वारा उपरोक्त के संबंध में क्या कार्यवाही की गई है? विस्तृत विवरण देवें? यदि नहीं, तो विभाग इस संबंध में कब तक कोई कार्यवाही करेगा?
श्री हर्ष यादव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपका संरक्षण चाहता हूँ.
अध्यक्ष महोदय -- क्या संशोधित उत्तर मिल गया है.
श्री हर्ष यादव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे अभी-अभी मिला है. यह जवाब जो भेजा गया है कि जानकारी संकलित की जा रही है. जब मैं सदन में आया हूँ तब जवाब मिल रहा है. दूसरा कहा जा रहा है कि जानकारी पुस्तकालय में रखी गई है. विधान सभा का औचित्य है, विधान सभा प्रश्न लगाने का विधायकों का हक है. इस तरह की जानकारी यदि यहां पर रखी जाएगी, पुस्तकालय में जानकारी मिलेगी नहीं तो इसका औचित्य क्या रहेगा. सबसे बड़ा प्रश्न यह है. इस तरह का व्यवहार हो रहा है.
अध्यक्ष महोदय -- सबसे पहले सचिवालय पर जो प्रश्न चिह्न लगा है उसका स्पष्टीकरण ले लें.
श्री हर्ष यादव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, उसी का तो मैं कह रहा हूँ.
अध्यक्ष महोदय -- आपने अभी कहा कि पुस्तकालय में नहीं रखा है. जबकि परिशिष्ट रखा हुआ है.
श्री हर्ष यादव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें प्रश्नोत्तरी आई है इसमें लिखा है कि जानकारी संकलित की जा रही है. आज सुबह तक मेरे पास यही जानकारी थी. जब मैं सदन में आया तब यह जानकारी प्राप्त हो रही है. माननीय अध्यक्ष जी बड़ा घोटाला है. यह गंभीर मामला है.
अध्यक्ष महोदय -- यह प्रश्नोत्तरी संशोधित होकर के परिशिष्ट के साथ आपको रखी हुई मिली या नहीं मिली.
श्री हर्ष यादव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यहां मिली है, जब हाउस में आया हूँ तब मिली है. यह गंभीर मामला है. सवाल यह उठता है कि इतना बड़ा भ्रष्टाचार, छात्रवृत्ति घोटाला है. पहले भी सागर जिले में 113 करोड़ रुपए का घोटाला हो चुका है. अभी भी छात्रवृत्ति घोटाले का मामला मैंने जो उठाया था. मैंने एक पत्र लिखा खा मुख्य सचिव महोदय को 955 के माध्यम से दिनांक 1.12.2022 को उसकी जांच अभी तक नहीं हुई है. कोई जानकारी नहीं आई है. ऐसे छात्र जो अध्ययनरत् नहीं हैं उनके खाते में पैसा डाला जा रहा है. जिले का पूरा विभाग उसमें संलिप्त है. क्या इसकी जांच करवाएंगे, मेरा मूल प्रश्न यह है.
सुश्री मीना सिंह माण्डवे -- माननीय अध्यक्ष महोदय, विभाग के द्वारा पहले जाँच करवा ली गई है. जो व्यक्ति इसमें संलिप्त पाए गए थे, जाँच के दौरान लगा कि हाँ इन्होंने गलती की है तो उन पर कार्यवाही हुई है. एक व्यक्ति को नौकरी से पृथक भी किया गया है. बचे हुए लोगों पर एफआईआर दर्ज हुई है.
नेता प्रतिपक्ष (डॉ. गोविन्द सिंह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी 5 दिन पूर्व भिण्ड जिले में भी करीब 200 छात्रों को 20 करोड़ रुपए के लगभग,अनुसूचित जाति, जनजाति विभाग ने छात्रों को डबल पेमेंट दिखाकर आधी राशि उड़ा दी. घोटाला कर दिया. माननीय मंत्री जी आप इसकी थोड़ी समीक्षा करें अधिकांश जिलों में यह हो रहा है. मैंने आपको बताया भी था कि अनुसूचित जाति, जनजाति विभाग को जो राशि है विकास कार्य के लिए दी जाती है उस राशि में भी, शायद अध्यक्ष जी आपके यहां पहुंच जाती होगी. पहले परम्परा रही है आबादी के हिसाब से वितरण होता था लेकिन अब यह परम्परा लगभग 2-3 सालों से बंद हो गई है. भिण्ड जिले में आज तक पूछा नहीं गया पूरी की पूरी राशि अधिकारी सीधे एजेंसी को बुलाकर भुगतान कर रहे हैं. मैंने आपको चर्चा के दौरान अवगत भी कराया था. हमारा अनुरोध है कि आप सागर और जहां-जहां भी इस तरह के घोटाले आए हैं उनको एफआईआर दर्ज करवाकर गिरफ्तार करके जेल भेजें. अभी केवल जांच का नोटिस दे देते हैं और नोटिस के बाद केवल जांच चलती है.
अध्यक्ष महोदय-- इसमें इनका कहना है कि उनको बर्खास्त कर दिया है. विधायक जो इस प्रकरण को उठा रहे हैं उसमें एक को बर्खास्त कर दिया है और बाकी लोगों के खिलाफ एफआईआर हो गई है.
श्री हर्ष यादव-- अध्यक्ष महोदय, सागर जिलें में जो 36 लाख रुपए का छात्रवृत्ति घोटाला हुआ है वहां उन छात्रों के नाम पर पैसा डाला गया है जो छात्र हैं ही नहीं. वह छात्र, छात्राएं वहां अध्यनरत हैं ही नहीं. वह संस्थाएं रजिस्टर्ड हैं ही नहीं. फिर आनन-फानन में आप जो जांच की बात कर रहे हैं वह जांच हुई तो विभाग के अधिकारी, कर्मचारियों के द्वारा वह पैसा वापस किया गया है. जो अधिकारी, कर्मचारी इसमें संलिप्त हैं जिनके द्वारा पैसा वापस किया गया है उनमें से एक अधिकारी, कर्मचारी के द्वारा साढ़े आठ लाख रुपए वापस किया गया है, एक बाबू के द्वारा भी पैसा वापस किया गया है जो कि वहां लंबे समय से पदस्थ हैं. एक शहडोल का जो व्याख्याता है वह मूल अधीक्षक के पद पर पदस्थ होना चाहिए. जो छात्रावास अधीक्षक है वह कार्यालय में बैठकर सागर में घोटाला कर रहा है. क्या मंत्री महोदया ऐसे लोगों के खिलाफ कार्यवाही करेंगी?
सुश्री मीना सिंह माण्डवे -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो भी व्यक्ति छात्रवृत्ति से संबंधित अनियमितता में पाए जाएंगे उनके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी और हम उनकी जांच भी करा लेंगे.
श्री हर्ष यादव-- अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन यह है कि मैंने मुख्य सचिव महोदय को 1 दिसम्बर 2022 को पत्र लिखा था. उसकी जांच अभी तक नहीं हो पाई है. मेरा मूल प्रश्न यह है कि जो कर्मचारी उसमें पदस्थ हैं क्या आप उनके खिलाफ एफआईआर करेंगी? क्या उन्हें बर्खास्त करेंगी?
अध्यक्ष महोदय-- एफआईआर तो हो गई है.
सुश्री मीना सिंह माण्डवे-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अगर वह अधिकारी, कर्मचारी जांच के दौरान दोषी पाए जाएंगे तो उनके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी.
श्री हर्ष यादव-- यह साक्ष्य है कि उन्होंने विभाग को अपने खाते से छात्रवृत्ति का साढ़े आठ लाख रुपए ट्रांसफर किया है तो वह तो प्रथम दृष्ट्या दोषी हैं. क्या आप उसकी जांच करवाएंगे और कब तक जांच होती रहेगी? पहले भी सागर जिले में 13 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है, भ्रष्टाचार हुआ है. अब यह नया घोटाला सामने आया है. यह बहुत ही गंभीर मामला है. यह एससी, एसटी छात्रवृत्ति का मामला है.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी विधायक जी का यह कहना है कि उन अधिकारियों ने स्वयं स्वीकार करके पैसा लौटाया है आपको वापस किया है इसका अर्थ यह है कि उनके पास पैसा निकला है. उसके संबंध में क्या कार्यवाही है.
श्री हर्ष यादव-- जो अधिकारी इसमें संलिप्त हैं उन्होंने अपने खाते से पैसा वापस किया है.
सुश्री मीना सिंह माण्डवे-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके निर्देशानुसार उन पर कार्यवाही की जाएगी.
श्री हर्ष यादव-- क्या उनको सस्पेंड करके एफआईआर की जाएगी.
सुश्री मीना सिंह माण्डवे-- माननीय अध्यक्ष महोदय, ठीक है.
श्री हर्ष यादव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, क्या ठीक है?
सुश्री मीना सिंह माण्डवे-- आपने जो कहा उस बात को लेकर मैंने माननीय अध्यक्ष महोदय की अनुमति लेकर हां कहा.
अध्यक्ष महोदय--माननीय मंत्री महोदया ठीक है.
निजी चिकित्सा महाविद्यालयों में NRI कोटे में अनियमितता
[चिकित्सा शिक्षा]
6. ( *क्र. 3210 ) श्री महेश परमार : क्या चिकित्सा शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या वर्ष 2017 में NRI कोटे से प्रवेशित 114 छात्रों में से 107 छात्रों के प्रवेश अमान्य किये गए थे? यदि हाँ, तो उक्त मामले से संबंधित सभी दस्तावेज उपलब्ध कराएं एवं 107 छात्रों को अवैध रूप से प्रवेश देने वाली संस्थाओं के नाम, पते की सूची उपलब्ध कराएं। (ख) क्या अपात्र 107 छात्रों को प्रवेश देने वाली संस्थाओं के विरुद्ध संचालनालय द्वारा कार्यवाही की गयी है? यदि हाँ, तो प्रति उपलब्ध करावें और यदि नहीं, तो कारण स्पष्ट करें। (ग) माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर में wp/14826/2017 में पारित आदेश के अंतर्गत क्या विनियामक समिति को जांच कर अंतिम आदेश जारी करने हेतु निर्देशित किया गया था? यदि हाँ, तो मान. न्यायालय के निर्देश पर उक्त समिति द्वारा की गई जांच का प्रतिवेदन व अंतिम आदेश की प्रति उपलब्ध कराएं। (घ) उक्त प्रकरण में स्थगन आदेश को खाली कराने के लिए विभाग ने क्या क्या कार्यवाहियां की हैं? उनकी प्रतियाँ देवें। NRI कोटे से फर्जीवाड़े को रोकने के लिए विभाग द्वारा प्रदेश के सभी चिकित्सा महाविद्यालयों में कब कब जांच की गयी? क्या कमियां पायी गयी? जांच के मापदंड, नियम उपनियम की प्रतियां देते हुए जांच प्रतिवेदन सहित प्रस्तुत करें।
चिकित्सा शिक्षा मंत्री ( श्री विश्वास सारंग ) : (क) जी हाँ। कार्यालय द्वारा की गई जांच का जांच प्रतिवेदन एवं एन.आर.आई. कोटा में प्रवेशित अभ्यर्थियों के प्रवेश को तत्काल प्रभाव से निरस्त किए जाने के संबंध में जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 1 अनुसार है। (ख) एन.आर.आई. कोटा में प्रवेशित अभ्यर्थियों के प्रवेश को तत्काल प्रभाव से निरस्त किए जाने के संबंध में जारी पत्र क्रमांक 3307/4/प्रवेश/संचिशि/17 दिनांक 28.11.2017 की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 2 अनुसार है। (ग) जी हाँ। माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर में दायर डब्ल्यू.पी. 14826/2017 में पारित आदेश दिनांक 18.05.2018 में दिये गये निर्देशानुसार वर्ष 2017 में निजी चिकित्सा महाविद्यालयों में एन.आर.आई. कोटे में प्रवेशित 107 अभ्यर्थियों की जांच प्रवेश एवं शुल्क विनियामक समिति द्वारा की गई। जांच प्रतिवेदन एवं अंतिम आदेश की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 3 अनुसार है। 1. प्रवेश एवं शुल्क विनियामक समिति सचिवालय का आदेश क्रमांक 09, दिनांक 02.01.2019 में 96 वैद्य छात्रों से संबंधित है, जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 4 अनुसार है। 2. प्रवेश एवं शुल्क विनियामक समिति सचिवालय का आदेश क्रमांक 288, दिनांक 06.03.2019 जो 02 वैध छात्रों से संबंधित है, जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 5 अनुसार है। 3. माननीय अपीलीय प्राधिकारी का अपीलीय आदेश क्रमांक 20 से 28 तक दिनांक 12.03.2019 जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 6 अनुसार है, जो 07 वैध छात्रों से संबंधित है। इस प्रकार वैध छात्रों की संख्या 105 होती है। (घ) माननीय न्यायालय में दायर डब्ल्यू.पी.14826/2017, दिनांक 18.05.2018 को डिस्पोज्ड की जा चुकी है, जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 3 अनुसार है।
श्री महेश परमार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न था कि एनआरआई कोटे में किन-किन छात्रों को पूरे मध्यप्रदेश में प्रवेश दिया गया. माननीय चिकित्सा शिक्षा मंत्री जी से मेरा निवेदन है कि इसमें मैंने जो जानकारी चाही थी उस जानकारी से भिन्न जानकारी दी गई है. वर्ष 2017 से लेकर अभी तक जो निजी चिकित्सा महाविद्यालय हैं उन महाविद्यालयों में किन-किन छात्रों का एडमीशन हुआ, वह अप्रवासी भारतीय थे या उनका क्या नियम है. माननीय मंत्री जी इसका जवाब दें.
श्री विश्वास सारंग-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी ने यह कहा कि जो प्रश्न पूछा गया था उसका जवाब नहीं दिया गया. इन्होंने अपने प्रश्न में ही वर्ष 2017 का पूछा था कि वर्ष 2017 में एनआरआई कोटे से प्रवेशित 114 छात्रों में से 107 छात्रों के प्रवेश अमान्य किये गये थे. इन्होंने स्पेसिफिक पूछा हमने स्पेसिफिक जवाब दिया. यह बात सही है कि कि 107 छात्रों के जो प्रवेश थे वह हमारे विभाग द्वारा अमान्य किये गये थे. हमने जांच कमेटी बनाई थी और उन 107 के जो एडमीशन थे वह कैंसिंल किये. माननीय अध्यक्ष महोदय फिर एक रिट माननीय उच्च न्यायालय में लगी और वहां से आदेश हुआ कि FRC इस पूरे मामले की जांच करे. FRC ने जांच की और FRC ने 107 में से, 105 एडमिशन को मान्य माना और 2 छात्र उपस्थित नहीं हुए. इसलिए माननीय उच्च न्यायालय के आदेश पर उन 105 छात्रों को पुन: एडमिशन दिया गया. रिट पिटीशन, माननीय उच्च न्यायालय में निरस्त हो गई. ये पूरी जानकारी हमने उत्तर में दी है, बिल्कुल क्रिस्टल क्लियर है, कहीं कोई दिक्कत नहीं है.
श्री महेश परमार- अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि माननीय उच्च न्यायालय ने जांच कमेटी बनाई थी, उस कमेटी ने क्या जांच की ? वर्ष 2017 से लेकर अभी तक, किस नियम के तहत उज्जैन के आरडी गर्दी मेडिकल कॉलेज और पूरे मध्यप्रदेश में किस आधार पर जांच हुई, किन-किन लोगों का एडमिशन हुआ, किस आधार पर हुआ ?
अध्यक्ष महोदय- माननीय उच्च न्यायालय में रिट हुई, इसे तो आप भी मानते हैं न ?
श्री महेश परमार- जी, अध्यक्ष महोदय.
अध्यक्ष महोदय- माननीय उच्च न्यायालय, द्वारा जो कमेटी, FRC बनाई गई, उससे जांच करवाई गई. जांच के आधार पर 105 छात्रों को वैध पाया गया. माननीय उच्च न्यायालय में इसकी रिपोर्ट गई होगी, इसलिए वह रिट वहां से निरस्त हुई.
श्री महेश परमार- अध्यक्ष महोदय, इसमें मेरा निवेदन यह है कि माननीय उच्च न्यायालय ने जो निर्देश दिया, कमेटी ने क्या निर्णय लिया, वर्ष 2017 से लेकर आज तक NRI कोटे के तहत किन-किन छात्रों का इन महाविद्यालयों में एडमिशन हुआ, वह सूची मुझे चाहिए और उसकी जांच होनी चाहिए कि किस आधार पर उनका एडमिशन हुआ. अध्यक्ष महोदय, करोड़ो रुपये की फीस कौन भर रहा है ? यहां गरीब छात्रों की 2 हजार रुपये की फीस नहीं भरी जा रही है. माननीय मंत्री जी बताने का कष्ट करें.
श्री विश्वास सारंग- अध्यक्ष महोदय, इन्होंने वर्ष 2017 के 114 छात्रों के बारे में पूछा. उनमें से 107 छात्रों को हमने अमान्य किया था. FRC (प्रवेश एवं शुल्क विनियामक समिति) के निर्णय के बाद, माननीय उच्च न्यायालय के निर्णय के बाद, उनको एडमिशन दिया गया. यदि इसके बाद इन्हें कुछ और पूछना है, तो अगले सत्र में प्रश्न लगायें. अभी ये बात समझ नहीं रहे हैं. महेश भईया आप पुन: प्रश्न लगा दीजियेगा. अभी जो आप पूछ रहे हैं, वह इसमें उद्भुत नहीं होता है.
श्री महेश परमार- अध्यक्ष महोदय, मेरा मंत्री जी से हाथ जोड़कर निवेदन है कि निजी स्कूल-कॉलेज की, छात्र 2 हजार रुपये फीस नहीं भर पा रहे हैं. ये कौन छात्र हैं, जो इतनी फीस भर रहे हैं, किस आधार पर इनका एडमिशन हुआ.
अध्यक्ष महोदय- विधायक जी आपका प्रश्न केवल वर्ष 2017 का है.
श्री महेश परमार- अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि प्रश्न वर्ष 2017 का है. माननीय उच्च न्यायालय के निर्देश पर छात्र वापस हुए. इनके ही विभाग ने पहले उनको गंभीरता से अमान्य किया कि वे पात्र नहीं हैं. फिर वे किस आधार पर पात्र हुए. मेरा निवेदन है कि उन लोगों के दस्तावेज उपलब्ध करवा दें, जांच करवा दें, मुझे और सदन को बता दें.
अध्यक्ष महोदय- माननीय उच्च न्यायालय की जांच हो गई है, अब कौन सी जांच शेष रह गई.
श्री महेश परमार- अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि NRI का 15 % कोटा होता है. ये कौन हैं, उनकी सूची उपलब्ध करवाने में मंत्री जी और विभाग को क्या परेशानी है, ये निवेदन है.
श्री विश्वास सारंग- अध्यक्ष महोदय, मुझे लगता है कि महेश भाई ने पढ़ा नहीं है. उत्तर के परिशिष्ट में सारी जानकारी है. FRC की जांच रिपोर्ट, माननीय उच्च न्यायालय का निर्णय, 107 छात्रों की सूची और जो 2 छात्र उपस्थित नहीं हुए, वह जानकारी भी है. अब ये पढ़ना ही नहीं चाहते हैं तो मैं, क्या कर सकता हूं.
श्री महेश परमार- अध्यक्ष महोदय, मैंने पूरा उत्तर पढ़ा है. मेरे क्षेत्र में बहुत ओलावृष्टि हुई है. किसानों की फसलें बर्बाद हुई हैं लेकिन मेरा निवेदन है कि यह बहुत गंभीर प्रश्न है. NRI कोटे में बहुत भ्रष्टाचार हो रहा है.
श्री विश्वास सारंग- अध्यक्ष महोदय, इसका ओले से क्या लेना-देना है ?
अध्यक्ष महोदय- प्रश्न गंभीर है, हमने मान लिया है. लेकिन माननीय उच्च न्यायालय के निर्णय के बाद हम प्रश्न कैसे खड़ा कर सकते हैं ?
श्री महेश परमार- अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि इसमें मेरा एक और प्रश्न है कि आप वर्ष 2017 से लेकर आज तक निजी मेडिकल कॉलेजों में, जिनका प्रवेश हुआ, वह सूची क्यों नहीं उपलब्ध करवा रहे हैं, इसमें क्या दिक्कत है.
श्री विश्वास सारंग- अध्यक्ष महोदय, ये अगले सत्र में प्रश्न लगा दें.
श्री महेश परमार- अध्यक्ष महोदय, हमने कोरोना जैसी गंभीर महामारी देखी है और इस तरह के डॉक्टर, जो पीछे के दरवाजे से आते हैं, उससे भोली-भाली जनता की जान जाती है. सूची उपलब्ध करवाने में इनको क्या दिक्कत है.
(मेजों की थपथपाहट)
श्री सुनील सराफ- अध्यक्ष महोदय, ये पहली बार के विधायक हैं. यदि माननीय सदस्य की कोई मांग है तो मंत्री जी को उसे पूरा करना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय- आप सभी बैठ जायें. महेश जी आप इस बात को समझ लें. आपने कोई प्रश्न लगाया, प्रश्न का उत्तर आ गया. अब यहां आकर, आप दूसरा कुछ पूछने लगेंगे, तो ऐसे नहीं चलेगा. यदि आपका प्रश्न लगा हो तो आप बतायें, हम आपको उत्तर दिलवाते हैं. प्रश्न वर्ष 2017 का लगा है और आप अब वर्ष 2020-21 का पूछने लगे हैं.
श्री महेश परमार- अध्यक्ष महोदय, मैंने प्रश्न के अनुसार ही पूछा है. पहले आपके विभाग ने ही उन्हें अपात्र किया फिर वे पात्र कैसे हो गए ?
श्री विश्वास सारंग:- नेता प्रतिपक्ष जी, आप इनको समझाओं तो कुछ. आप हर चीज में बोलते है, इसमें तो बोल दो आप.
श्री महेश परमार:- माननीय अध्यक्ष महोदय, चिकित्सा शिक्षा में जो भ्रष्टाचार हुआ है. एनआरआई कोटे से, इसकी सूक्षमता से जांच होना चाहिये.गरीब भोले भाले परिवार के लोग मर रहे हैं. ऐसे डॉक्टरों के कारण उनकी सूची उपलब्ध होनी चाहिये.
श्री विश्वास सारंग:- माननीय अध्यक्ष महोदय, महेश परमार का तो मामला है. महेश परमार का तो यही मामला है कि मेरा टेसू यहीं हलाल, खाने को मांगे दहीवड़ा, आप टेसू को मत हलाओ, समझो तो बात को आप प्रश्न पूछ लो.
श्री महेश परमार :- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी बात को..
श्री विश्वास सारंग:- पढ़-लिखकर आया करो.
श्री महेश परमार:- मैं पढ़-लिखकर आया हूं. माननी मंत्री जी जो कह रहे हैं. माननीय मेरा आपसे निवेदन है कि ..
नेता प्रतिपक्ष( डॉ. गोविन्द सिंह):- माननीय अध्यक्ष अभी मंत्री जी ने कहा कि हमसे इशारा करके हर चीज में पूछते हो, इसमें क्यो नहीं पूछ रहे ? वैसे यह प्रश्न उद्भूत होता है.
श्री विश्वास सारंग:- क्या होता है ?
डॉ. गोविन्द सिंह:- क्यों नहीं होता. अगर उसमें कौन-कौन से लोग आये थे, अगर आपके पास सूची नहीं है तो आप..
अध्यक्ष महोदय:- नहीं, दिया हुआ है. वह दिया हुआ है. सारी सूची दी गयी है.
डॉ. गोविन्द सिंह:- आप बाद में दो, क्या दिक्कत है?
श्री विश्वास सारंग:-पूरी जानकारी परिशिष्ट में दी हुई. पूरी जानकारी इसमें दी गयी है.
डॉ. गोविन्द सिंह:- अगर आ गयी है तो ठीक है.
श्री विश्वास सारंग:- वह पढ़ ही नहीं रहे हैं. वह कह रहे हैं कि ओला पड़ा था इसलिये मैं नहीं पढ़ पाया.
अध्यक्ष महोदय:- सारी चीज आ गयी है.
श्री विश्वास सारंग:- यहां आकर यह बोलेंगे, बताओ आप. आप परिशिष्ट देख लो ना. मैं तो आपसे निवेदन कर रहा हूं.
श्री महेश परमार:- माननीय मंत्री जी, मेरा आपसे निवेदन यह है कि सब लोग समझ रहे हैं. सीधा सा प्रश्न है कि 2017 से लेकर कि किस की सिफारिश से किन-किन परिवार के लोग..
अध्यक्ष महोदय:- नहीं, आप बैठ जाइये.
श्री महेश परमार:- यह कौन लोग हैं, मध्य प्रदेश के लोगों का जो प्रवेश होना चाहिये, वह नहीं हो रहा है. बड़ा लेन-देन करके वहां एडमिशन हो रहा है.(व्यवधान)
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया:- महेश भाई...(व्यवधान)
श्री महेश परमार:- आप बहुत वरिष्ठ हैं..
श्री विश्वास सारंग:- बहुत अच्छा, हाथ जोड़ो,हाथ जोड़ो. मैं तो यह कह रहा हूं कि आप तो यह बता दो कि ओला नहीं गिरता तो पढ़कर आते क्या ? भैया आप पढ़ लो नहीं नहीं समझ में आये तो लक्ष्मण सिंह जी से समझ लें. यह भाई साहब बहुत वरिष्ठ हैं.क
अध्यक्ष महोदय:- नहीं, अब बहुत हो गया.
श्री लक्ष्मण सिंह:- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे एक अनुसूचित जाति सदस्य का आप अपमान कर रहे हैं. मजाक उड़ा रहे हैं, ऐसा मत करिये.
श्री विश्वास सारंग:- अच्छा आपका नाम लिया तो अपमान हो गया. वाह भाई साहब.
प्रश्न क्रमांक-7:- अनुपस्थित.
अन्य पिछडा वर्ग के अंतर्गत सम्मिलित जाति कुर्मी/कुरमी तथा कुडमी
[पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण]
8. ( *क्र. 2451 ) श्री संजय शाह (मकड़ाई) : क्या राज्यमंत्री, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मध्यप्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग के अंतर्गत सम्मिलित जाति कुर्मी/कुरमी तथा कुड़मी एक ही जातियां हैं, जिनकी सामाजिक स्थिति, रीति रिवाज, रहन सहन, बोलचाल समान है? (ख) क्या कुर्मी/कुरमी शब्द के अपभ्रंश रूपी शब्द कुड़मी तथा कुर्मी दोनों ही शब्द मूल रूप से एक ही हैं एवं राजस्व विभाग में कई जिलों में कुड़मी दर्ज हो जाने से एक ही जाति-समाज के लोग कहीं कुर्मी/कुरमी व कहीं कुड़मी जाति के सदस्य के रूप में जाति प्रमाण पत्र प्राप्त कर रहे हैं? (ग) क्या उक्त विषय के संबंध में बुन्देलखंडीय कुर्मी/कुरमी क्षत्रीय गौर समाज संगठन जिला हरदा के द्वारा राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग को दिनांक 11 मई, 2016 को कुड़मी जाति सूची क्रमांक 76 को विलोपित कर राज्य शासन की सूची के क्रमांक 39 में सम्मिलित करने की मांग करते हुए ज्ञापन पत्र दिया गया था? यदि हाँ, तो उक्त पत्र के संबंध में की गई समस्त कार्यवाही से अवगत कराएं। (घ) क्या शासन कुर्मी/कुरमी समाज में सम्मिलित उपजातियों को आ रही परेशानियों को दृष्टिगत रखते हुए अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची में दर्ज जाति कुर्मी/कुरमी तथा कुड़मी में आवश्यक विलोपन व सम्मिलन की कार्यवाही करेगा? यदि हाँ, तो कब? यदि नहीं, तो क्यों?
राज्यमंत्री, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण ( श्री रामखेलावन पटेल ) : (क) जी नहीं। (ख) जी नहीं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) जी हाँ। म.प्र. राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा उक्त पत्र पर कोई कार्यवाही नहीं की गई है। (घ) किसी भी जाति को पिछड़ा वर्ग की सूची में जोड़ने अथवा विलोपित करने की कार्यवाही के निर्धारित मापदण्ड हैं। पूर्ण जानकारी प्राप्त कर जाति के पिछड़ेपन का निर्धारण करने हेतु म.प्र. राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग विचार करता है।
श्री संजय शाह:- अनुसूचित जनजाति के एक सज्जन का प्रश्न भी चल रहा है, इसको भी सुन लें.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न में विभाग ने जो जानकारी उपलब्ध करायी. उसमें सभी में जी नहीं, जी नहीं करके आया है. मेरा उसमें सिर्फ इतना ही कहना था कि कुर्मी समाज और कुड़मी समाज का जो अंतर आया है, हमारे हरदा जिले में और ऐेसे तीन-चार जिले और भी हैं. होशंगाबाद, रायसेन और संभवत: भोपाल जिला भी है.
अध्यक्ष महोदय, इसमें कई युवाओं को नौकरी से वंचित भी होना पड़ रहा है. क्योंकि उनका पिछड़ा वर्ग का सर्टिफिकेट नहीं बन पा रहा है और 1984-85 में जब होशंगाबाद हमारा नर्मदापुरम था,उस पीरियड में कुर्मी समाज ओबीसी का सर्टिफिकेट दिया जा रहा था. लेकिन वर्ष 1999 में जब हमारा हरदा जिला बना तो उसके बाद जो है उसमें कुड़मी शब्द लिखा हुआ आ रहा है और उस वजह से सर्टिफिकेट नहीं बन पा रहा है और केन्द्र में उसको मान्यता नहीं मिल रही है. इसलिये जब केन्द्र की नौकरी के लिये कोइ एप्लाई करता है तो उसको उसका फायदा नहीं मिल पा रहा है तो इस कुड़मी शब्द को हटाकर कुर्मी शब्द किया जाये. मेरी आपसे ऐसी विनती है.
श्री रामखेलावन पटेल:- माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्य प्रदेश में पिछड़े वर्ग के 27 प्रतिशत के आरक्षण में, मध्य प्रदेश में जो 53 जातियां शामिल हैं उनका भारत सरकार को प्रस्ताव भेजा गया था और 21 जातियां शामिल कर ली गयी हैं. 32 जातियों के सर्वे का काम चल रहा है. माननीय विधायक जी ने जो प्रश्न उठाया है कि 76 में जो कुर्मी जाति है उसको 39 में दर्ज कर लिया जाये तो आने वाले समय में उसको 39 में दर्ज करा देंगे.
अध्यक्ष महोदय:- उनका दूसरा कहना है कि उनके जो पुराने राजस्व रिकार्ड हैं, उसमें जैसे किसी का नाम हरिशंकर कुर्मी लिखा हुआ है. फिर उसकी मृत्यु हो गयी, बाद में आपके राजस्व विभाग के कागजात आये, उसी में कुर्मी लिख दिया गया और आपका जवाब है कि कुड़मी पिछड़े वर्ग में नहीं है. तो कुर्मी को मिलता हुआ पिछड़े वर्ग का प्रमाण पत्र आरक्षण वह खत्म हो शायद उनका यह कहना है. आप खसरे में सुधार करवा दीजिये,क्यों ऐसा आया. किसके कहने से वह आदेश हो गया. भाई कुर्मी लिखा जा रहा है खसरे में कई वर्षों से.
श्री रामखेलावन पटेल:- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो 76 में कुड़मी दर्ज है, उनका सामाजिक और शैक्षणिक स्तर एक है और जो 39 में दर्ज है उनका भी सामाजिक और शैक्षणिक स्तर एक है. तो जो 76 में दर्ज है, दर्ज है उसको हम 39परिवर्तन में दर्ज करा देंगे. 39 में दर्ज करा देंगे. बाद में भारत सरकार को प्रस्ताव भेज देंगे तो भारत सरकार में भी उसका सुधार हो जायेगा.
टीकमगढ़ जिले में मेडिकल कॉलेज खोले जाना
[चिकित्सा शिक्षा]
9. ( *क्र. 3402 ) श्री हरिशंकर खटीक : क्या चिकित्सा शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्तमान में मध्यप्रदेश में प्रश्न दिनांक तक कहां-कहां के कौन-कौन से मेडिकल कॉलेज कितने-कितने सीटर कब से संचालित हैं? उनके नाम बताते हुए यह भी बताएं कि उसमें कौन-कौन से कर्मचारी/अधिकारी एवं अन्य कौन-कौन, कब से पदस्थ हैं? प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों की वर्तमान की अद्यतन स्थिति की जानकारी से अवगत कराएं। (ख) प्रश्नांश (क) के आधार पर बताएं कि प्रश्न दिनांक तक वर्तमान में जो मेडिकल कॉलेज खोले जा रहे हैं, वह क्या-क्या पात्रता की श्रेणी में आते हैं? (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के आधार पर कृपया सम्पूर्ण जानकारी देते हुए यह भी बताएं कि वर्तमान में टीकमगढ़ जिले की वर्षों की मांग को स्वीकारते हुए शासन कब तक मेडिकल कॉलेज खोल देगा? निश्चित समय-सीमा सहित बताएं।
चिकित्सा शिक्षा मंत्री ( श्री विश्वास सारंग ) : (क) प्रदेश में संचालित मेडिकल कॉलेजों एवं सीटों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 1 अनुसार है। चिकित्सा महाविद्यालयों में पदस्थ अधिकारी/कर्मचारियों की सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 2 अनुसार है। (ख) जी हाँ। (ग) आगामी चरणों में शासन द्वारा समय-समय पर लिए गये नीतिगत निर्णय अनुसार विभाग द्वारा कार्यवाही की जाएगी। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
श्री हरिशंकर खटीक--अध्यक्ष महोदय, सबसे पहले तो मैं आपको धन्यवाद देना चाहता हूं कि लगातार 4 वर्ष में कई बार विधान सभा में प्रश्न लगाये लेकिन बहस में नहीं आये. इस बार प्रश्न बहस में आया है. टीकमगढ़ जिले में मेडिकल खोलने के बात आपके बीच में रखना चाहता हूं कि यह खोला जाये. मैंने मंत्री जी से पूछा था कि जो नये मेडिकल कालेज खोले जा रहे हैं सरकार ने उसके लिये क्या क्या मापदण्ड बनाये हैं. मापदण्ड के साथ-साथ मेडिकल कालेज खोलने के लिये क्या क्या अहर्ताएं हैं यह मंत्री जी से पूछा था. मैं फिर से पूछना चाहता हूं उसमें जवाब आया है कि जी हां. मैं पूछना चाहता हूं कि क्या क्या अहर्ताएं हैं कैसे मेडिकल कालेज खोले जाते हैं उसमें कितनी जनसंख्या होनी चाहिये, कितनी दूरी होनी चाहिये ?
अध्यक्ष महोदय--यह तो मंत्री जी ने जवाब दिया है. अब आप प्रश्न करिये ना.
श्री हरिशंकर खटीक--अध्यक्ष महोदय, उसमें अकेला जी हां आया हूं. दूसरा प्रश्न मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि टीकमगढ़ जिले में जिला चिकित्सालय है, वह बरसों पुराना चिकित्सालय है. वहां के जिला चिकित्सालय में 24 लाख 89 हजार 715 जो हमारे टीकमगढ़ जिले की जनसंख्या है. प्रतिपुर, निवाड़ी, बड़ामिला, छतरपुर, मेहरोनी ललितपुर, मड़ावरा ललितपुर, एवं बालविकास खण्ड ललितपुर यहां के लोग भी जिला चिकित्सालय टीकमगढ़ में अपना इलाज कराने के लिये आते हैं. लेकिन हमारे यहां के जो मरीज हैं हमारे टीकमगढ़ में इतनी अधिक सुविधाएं न होने के कारण वह अपना इलाज कराने के लिये लोग झांसी जाते हैं, साथ ही ग्वालियर, दतिया भी जाते हैं और सागर भी जाते हैं. सागर के साथ साथ छतरपुर एवं सिवनी में भी जाते हैं. मेरा अनुरोध है कि छतरपुर की दूरी डेढ़ सौ किलोमीटर है, सागर की दूरी भी 200 किलोमीटर है, दतिया की दूरी 140 किलोमीटर से अधिक है, एवं ग्वालियर की दूरी भी 200 किलोमीटर से अधिक है. मैं आपके माध्यम से प्रार्थना करना चाहता हूं कि हमारे टीकमगढ़ जिले में मेडिकल कालेज खोला जाये.
विश्वास सारंग श्री --अध्यक्ष महोदय, माननीय श्री हरिशंकर जी हमारे सीनियर सदस्य हैं पूर्व में मंत्री भी रहे हैं. यह बात उचित है कि वह अपने क्षेत्र एवं जिले की पूरी चिन्ता कर रहे हैं मैं उनको बहुत साधुवाद दूंगा. मेडिकल कालेज खोलने की एक प्रक्रिया है. मैं यह बात जरूर उल्लेखित करना चाहता हूं कि पहले मध्यप्रदेश में केवल पांच मेडिकल कालेज थे. मैं मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी चौहान को बहुत बधाई दूंगा कि उनके प्रयास से मध्यप्रदेश में 24 मेडिकल कालेज हो गये हैं. मैं इस बात को यहां पर रखना चाहूंगा कि हमारे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने एक क्रांतिकारी निर्णय लिया है और जिस प्रकार से केन्द्र सरकार लगातार हर बजट में मेडिकल कालेज की प्रक्रिया को बहुत सुगमता के साथ आगे बढ़ रही है.
डॉ.विजय लक्ष्मी साधो--माननीय अध्यक्ष महोदय,
अध्यक्ष महोदय--आपका प्रश्न आने वाला है. आप हर प्रश्न पर खोड़ी हो जाती हैं.
डॉ.विजय लक्ष्मी साधो--माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बात ठीक नहीं है.
विश्वास सारंग श्री --अध्यक्ष महोदय, माननीय प्रधानमंत्री जी का विशेष साधुवाद के कारण पूरे देश में मेडिकल कालेज खुल रहे हैं. मैं बधाई दूंगा भारतीय जनता पार्टी की सरकार को माननीय नरेन्द्र मोदी जी को एवं शिवराज सिंह चौहान जी को.
डॉ.गोविन्द सिंह-- अध्यक्ष महोदय, आप तो प्रश्न का जवाब दीजिये जो खटीक जी ने पूछा है उसका जवाब दीजिये आप तो भाषण देने लग गये.
डॉ.विजय लक्ष्मी साधो--माननीय अध्यक्ष महोदय, यह तो पहले से ही प्रक्रिया चल रही थी.
डॉ.गोविन्द सिंह-- अध्यक्ष महोदय, आप तो प्रश्न का जवाब दीजिये.
विश्वास सारंग श्री --अध्यक्ष महोदय, इनको बीच में बोलने मत देना. मैं तो बोल ही रहा हूं. अध्यक्ष महोदय, हमने लगातार प्रयास किया है कि मेडिकल कालेज हमारे प्रदेश में खुलें. माननीय खटीक जी ने बोला है निश्चित रूप से इस प्रस्ताव को केन्द्र सरकार को एक हफ्ते के अंदर भिजवा देंगे.
श्री हरिशंकर खटीक--अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी को इसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद. लेकिन एक पूरक प्रश्न और पूछना चाहता हूं कि टीकमगढ़ जिले हमारा अनुसूचित बाहुल्य जिला है. जहां पर सांसद भी अनुसूचित जाति के हैं और हम लोग भी अनुसूचित जाति के हैं इसके साथ साथ पिछड़ा वर्ग के गरीब लोग भी रहते हैं सामान्य वर्ग के निर्धन लोग भी रहते हैं. वे भी अपना इलाज करवाने के लिए बाहर जाते हैं, उनका उपचार सही ढंग से नहीं हो पाता. हमारी विनम्र प्रार्थना है कि अभी टीकमगढ़ जिले में भी एक हस्ताक्षर अभियान पूरे जिले में चल रहा है. हस्ताक्षर अभियान के साथ साथ एक प्रार्थना है कि निश्चित समय सीमा हो जाए, जैसे कि वहां से आप प्रस्ताव बनाकर भेज देंगे, अनुशंसा सहित भेजना.
अध्यक्ष महोदय - 10 दिन में भेज रहे हैं, न.
श्री विश्वास सारंग- अध्यक्ष जी, मैं एक हफ्ते में भिजवा दूंगा.
श्री हरिशंकर खटीक - अनुशंसा सहित भेजना.
श्री विश्वास सारंग- अनुशंसा सहित ही होता है, खटीक जी आप जो जो बोलेंगे वह लिख देंगे.
अध्यक्ष महोदय - हरिशंकर जी, 10 दिन के अंदर भेज रहे हैं, बात खत्म.
श्री विश्वास सारंग- नरेन्द्र मोदी जी को और शिवराज सिंह चौहान जी को धन्यवाद तो दे दो जरा अच्छा से.
श्री हरिशंकर खटीक - बहुत बहुत धन्यवाद. आप भी बोल दीजिए कि टीकमगढ़ जिले में मेडिकल कॉलेज खुलेगा.
अध्यक्ष महोदय - नहीं, नहीं वे तो प्रस्ताव भेज सकते हैं.
श्री हरिशंकर खटीक - अध्यक्ष महोदय, जब सम्माननीय डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ जी मंत्री थीं, आपसे भी विनम्र प्रार्थना की थी, आपने हमारी प्रार्थना सुनी नहीं थी. लेकिन हम धन्यवाद देना चाहते हैं हमारे मंत्री जी को और भारतीय जनता पार्टी की सरकार को. मंत्री जी आप एक बार फिर से खड़े होकर कह दीजिए कि टीकमगढ़ जिले में मेडिकल कालेज खुलेगा(..व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - बैठ जाइए. डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ जी आपका प्रश्न है, प्रश्न क्रमांक 10.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ - अध्यक्ष जी, मेरे नाम का उल्लेख किया है, मुझे बोलने तो दीजिए.
अध्यक्ष महोदय - नहीं, नहीं, विजय लक्ष्मी जी, आप एक बात समझ लीजिए, आप दूसरे के प्रश्न में हर बार खड़ी होती हों, आपके प्रश्न में कोई खड़ा हो जाए तो कैसा लगेगा?
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ - कौन.
अध्यक्ष महोदय - कोई भी खड़ा हो जाए. इसलिए मेरा विनम्र आग्रह है कि अपना प्रश्न करिए प्रश्न क्रमांक 10 आपका है, आपका नाम पुकार रहा हूं.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपका संरक्षण चाहिए, आपने जो ये शब्द आसंदी से बोला है कि हर बार खड़ी हो जाती हैं, ये मेरा अधिकार है.
अध्यक्ष महोदय - है न आपका अधिकार, क्या दूसरे का अधिकार नहीं है. दूसरे का भी अधिकार उसी तरह का है. इस तरह से अधिकारों का प्रयोग होता रहेगा तो विधान सभा चलेगी क्या?
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ - माननीय अध्यक्ष महोदय, अगर सरकार की तरफ से कोई असत्य कथन कहा जाएगा तो मैं अपनी बात को रखूंगी.
अध्यक्ष महोदय - मैं दूसरी बात कह रहा हूं. नेता प्रतिपक्ष से आग्रह करता हूं कि इसको विनम्रतापूर्वक सुने. यदि इस तरह के अधिकारों का प्रयोग होगा कि हमारा अधिकार है, किसी के प्रश्न में हम खड़े हो जाएंगे, तो सारे इसी तरह के अधिकार का प्रयोग करेंगे तो विधान सभा चलेगी कैसे?(..मेजों की थपथपाहट) सवाल ये है.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं व्यवस्था चाहती हूं.
अध्यक्ष महोदय - आप प्रश्न करें, प्रश्न क्रमांक 10.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने आपसे निवेदन किया था कि मैं तभी उठती हूं, जब मेरे नाम का उल्लेख किया जाता है.
डॉ. विश्वास सारंग - प्रश्नकाल में व्यवस्था का प्रश्न नहीं होता, आप बहुत वरिष्ठ हो.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्नकाल में व्यवस्था का प्रश्न नहीं उठाया जाता.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ - इनको अधिकार दिया है, मैं तभी उठती हूं जब मेरे नाम का उल्लेख किया जाता है.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्नकाल में व्यवस्था का प्रश्न नहीं उठाया जाता. प्रश्न क्रमांक 10 विजय लक्ष्मी साधौ जी.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ - हम आपसे ही सीखेंगे, (XXX) आपने हमको प्रमाण पत्र दे दिया, महेश परमार को भी आपने ऐसे ही बोला कि आप पिछले दरवाजे से आए हो. मुझे भी बोल रहे हो.
श्री हरिशंकर खटीक - हमारे मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहिए कि उन्होंने बोला तो है और वे करके भी दिखाएंगे, आपको धन्यवाद देना चाहिए. (...व्यवधान)
श्री संजय शाह - अध्यक्ष महोदय, मुझे इस बात से आपत्ति है कि (XXX) इसे विलोपित किया जाए.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ - आपकी मानसिकता में जो घुसा हुआ है, वही आपके मुंह से निकला है कि एससी, एसटी के लोग पिछले दरवाजे से आते हैं.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न क्रमांक 10, विजय लक्ष्मी जी आपसे आग्रह है कि आप प्रश्न करें.
श्री हरिशंकर खटीक - माननीय अध्यक्ष महोदय, एससी, एसटी के लोग यूपीएससी में निकल रहे हैं (XXX) उसको विलोपित कराए.
अध्यक्ष महोदय - अपना प्रश्न करें.
आदिवासी विकास हेतु आवंटित राशि
[जनजातीय कार्य]
10. ( *क्र. 1922 ) डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ : क्या जनजातीय कार्य मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) वर्ष 2019-20 से प्रश्न दिनांक तक आदिवासी विकास के लिए केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकार से खरगोन जिले को कितनी राशि आवंटित हुई है, उसमें से महेश्वर विधानसभा क्षेत्र को कितनी राशि प्राप्त हुई? (ख) उक्त राशि किन-किन मदों-योजनाओं के लिए आवंटित की गई थी? यदि हाँ, तो उसमें से कितनी खर्च हुई है तथा कितनी राशि शेष है? वर्षवार, योजनावार पृथक-पृथक ब्यौरा देवें।
जनजातीय कार्य मंत्री ( सुश्री मीना सिंह माण्डवे ) : (क) एवं (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'एक' एवं 'दो'अनुसार है।
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ - माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रश्न के उत्तर में माननीय मंत्री जी ने जो यहां जवाब दिया है, अध्यक्ष महोदय आपकी इजाजत हो तो मैं बोलूं.
अध्यक्ष महोदय - आपका नाम पुकारा है, प्रश्न क्रमांक 10
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ - आपकी इजाजत से बोल रही हूं. माननीय अध्यक्ष महोदय, जो माननीय मंत्री जी ने मेरे प्रश्न के उत्तर में जो जवाब दिए हैं. आदरणीय विश्वास सारंग जी के अनुसार मैं इसको समझ नहीं पा रही हूं, तो मैं उम्मीद करती हूं कि शायद माननीय मंत्री.
अध्यक्ष महोदय - नहीं, नहीं, ये विश्वास सारंग जी के जवाब नहीं हैं इसमें.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ - उन्होंने जो आक्षेप आरोप लगाया है, उस पर मैं एक उद्धहरण दे रही हूं.
अध्यक्ष महोदय - नहीं, नहीं अपने प्रश्न पर आइए, नेता प्रतिपक्ष जी ये शायद ठीक नहीं है.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ - ये जो जवाब आया है, इसमें जो हार्डकॉपी खरगौन ट्रेजरी से निकालकर ये दी गई है. मैंने मांगा था कि केन्द्र सरकार और राज्य सरकार से कितना एलॉटमेंट, किस किस योजना में, किस किस मद में आया है, उसका उत्तर नहीं आते हुए, सिर्फ खरगौन ट्रेजरी का ये हार्ड कॉपी निकालकर मुझे दे दी गई है. मैं तो समझ नहीं पाई हूं कि मेरी बुद्धि बहुत छोटी हैं. माननीय मंत्री जी अगर समझ पा रही हों तो कम से कम मुझे इसको समझा दें ताकि मेरी बुद्धि में कुछ घुस जाए.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी. जवाब दो दिया है, इसमें आया है.
सुश्री मीना सिंह माण्डवे - माननीय अध्यक्ष जी, माननीय सदस्या जी का प्रश्न ही मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि वह पूछना क्या चाह रही हैं ?
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ - बहुत बढि़या. (हंसी)
श्री एन.पी. प्रजापति - अध्यक्ष महोदय, आप देखिये, ये दोनों समझदार हैं. (हंसी)
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ - यह भी इस बात का द्योतक है कि विश्वास सारंग जी की बात बिल्कुल सटीक बैठ गई है. आप एसटी से हैं, मैं एससी से हूँ, तो आपने जो बोला कि पिछले दरवाजे से आते हैं.
चिकित्सा शिक्षा मंत्री (श्री विश्वास सारंग) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपको बहुत धन्यवाद दूँगा कि आप हर दो सेंटेंस के बाद मेरा नाम ले रही हैं. बहुत धन्यवाद बहन आपको.
अध्यक्ष महोदय - आज विश्वास सारंग जी के प्रति उनका स्नेह है.
श्री विश्वास सारंग - वैसे वह बहुत स्नेह करती हैं. बहन करती हो न. अध्यक्ष जी, हमारा खास मामला है, बड़ी बहन, छोटा भाई.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ - दो-दो पीढि़यों का वास्ता है न.
डॉ. सीतासरन शर्मा - उसी कॉलेज से वह भी पढ़ी हैं. अब वह यदि कह रहे हैं कि मैं अंगूठा छाप हूँ, तो यह बात तो गलत है. हम भी उसी कॉलेज से पढ़े हैं, अध्यक्ष महोदय. (हंसी) वहीं से वह भी पढ़े हैं, उनके साथ-साथ हमारी भी वही हालत होगी.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) - माननीय अध्यक्ष महोदय, जिन्होंने उन्हें पढ़ाया है, उन गुरुओं का अभिनन्दन करने दोनों को जाना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी.
सुश्री मीना सिंह माण्डवे - माननीय अध्यक्ष जी, परिशिष्ट के माध्यम से पुस्तकालय में जानकारी दे दी गई है और माननीय सदस्या का यह कहना है कि यह राशि कब-कब केन्द्र सरकार और राज्य सरकार की राशि खरगोन जिले में और महेश्वर विधान सभा में दी गई है, तो मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्या को कहना चाहती हूँ कि जो राज्य सरकार का 80 प्रतिशत जो बजट है, वह जिले में सीधे भेज दिया जाता है और उसके बाद जिले में जो प्रभारी मंत्री की अध्यक्षता में समिति होती है, उसके द्वारा वह पैसा खर्च किया जाता है. जहां केन्द्र सरकार का सवाल है, तो केन्द्र सरकार का अगर कोई पैसा होता है तो वह सीधे पहुँचाया जाता है.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ - मेरा आपसे निवेदन है कि परिशिष्ट- ''दो'' में जो आपने बताया है, इसमें जो बजट हेड दिए हैं, इसमें एक्सपेंडिचर का, अलॉटमेंट का और कितनी शेष राशि है, इसका बताया है. ये जो हेड वास्तविकता में हैं, मैंने इसकी योजनाओं के नाम भी मांगे थे. इसमें योजनाओं के नाम नहीं आए हैं.
सुश्री मीना सिंह माण्डवे - माननीय अध्यक्ष जी, माननीय विधायिका जी खुद सदस्य हैं, अगर जो राज्य सरकार की राशि है, उसमें आप खुद मेम्बर हैं और मेम्बर खुद तय करते हैं कि किस विधान सभा में किस विधायक को कितनी राशि दी जाये ? यह मैं तय नहीं करती. जो वहां के विधायक रहते हैं, वह तय करते हैं, माननीय अध्यक्ष जी.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ - माननीय अध्यक्ष महोदय, मीटिंग हो तभी तो तय करें न. जब मीटिंग होगी, तभी तो तय करेंगे. अब मीटिंग ही नहीं होती है तो कहां से तय करें ? इसलिए मैं आपसे निवेदन करना चाहती हूँ कि आपने जो भी यहां बजट के हेड दिखाए हैं, जो यहां पर लिखा है. मैं इसमें चाहती हूँ कि इसमें योजनाएं कौन-कौन सी हैं ? हेड तो आपने दिखा दिया. लेकिन कौन-कौन सी योजनाओं में यह पैसा आया है, मुझे उसकी जानकारी चाहिए. मेरा यह स्पष्ट प्रश्न है, उसका उत्तर आ जाये, माननीय अध्यक्ष महोदय.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी. पर इसमें है, योजना हेड के साथ.
सुश्री मीना सिंह माण्डवे - माननीय अध्यक्ष जी, मैं आपके माध्यम से योजनानुसार माननीय सदस्या जी को उपलब्ध करा दूँगी.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ - बहुत-बहुत धन्यवाद और राशि का भी बता देना कि कैसी-कैसी राशि दी प्लीज. धन्यवाद.
नेता प्रतिपक्ष (डॉ. गोविन्द सिंह) - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी, आपने दो बातें कही हैं. एक तो आपने कहा है कि प्रभारी मंत्री जी की अध्यक्षता में बैठक होती है, अभी तक पिछले 10 वर्षों में एक भी बैठक भिण्ड जिले में प्रभारी मंत्री ने अनुसूचित जाति विभाग की नहीं ली. दूसरा प्रश्न यह है कि आपने कहा है कि विधायक को रखा जाता है, जब पूछा ही नहीं जाता है. मैंने आपसे विनम्र प्रार्थना की है कि कम से कम एक तो सरप्लस सबको दिलवा दें. दूसरा, जब जानकारी जाये तो प्रत्येक विधायक के क्षेत्र में उनको जानकारी मिल जाये कि आपको इतनी-इतनी मिली है. जब जानकारी ही नहीं है, तो आपके अधिकारी सांठ-गांठ करके डायरेक्ट बांट देते हैं, हो सकता है कि जहां तक जानकारी प्रभारी मंत्री के नॉलेज में ही न हो, कई जिलों में ही निकल आएंगी.
सुश्री मीना सिंह माण्डवे - माननीय अध्यक्ष जी, जो अनुसूचित जाति, जनजाति के जो विधायक होते हैं, उनको ही समिति में रखा जाता है.
डॉ. गोविन्द सिंह - नहीं हुई मीटिंग, नहीं रखा गया. पूरे 10 वर्षों से. मैं 10 वर्षों का कह रहा हूँ कि भिण्ड जिले में नहीं रखी गई.
अध्यक्ष महोदय - डॉ. अशोक मर्सकोले जी.
श्री मेवाराम जाटव - माननीय अध्यक्ष जी, माननीय मंत्री जी उसमें मैं भी सदस्य हूँ, भिण्ड जिले से. अभी पैसा बंटा था, बस्ती विकास योजना का. हमारे साईन नहीं कराए हैं और पैसा बांट दिया गया.
श्री एन.पी.प्रजापति (एन.पी.) - डॉक्टर साहब एक मिनट. आदरणीय अध्यक्ष महोदय, मैं बड़ा स्पष्ट कह रहा हूँ कि नरसिंहपुर जिले में एससी के नाम पर उस समिति में, मैं हूँ. पिछले 4 वर्ष से एक भी मीटिंग नहीं हुई है और अभी जब प्रस्ताव आए, तो माननीय प्रभारी मंत्री ने अपनी तरफ से दूसरी विधान सभाओं में पैसे पहुँचा दिये, लेकिन अनुसूचित जाति क्षेत्र जो गोटेगांव है, वहां पर एक धेला नहीं दिया. मेरा अनुरोध है कि माननीय मंत्री जी कृपया 25 तारीख के पहले क्योंकि मार्च जा रहा है, कृपया सभी जिलों में निर्देश दे दें, जो जिस जिले का विधायक अनुसूचित जाति, जनजाति का आता है, उसकी विधिवत मीटिंग हो और माननीय प्रभारी मंत्रीगण कम से कम जिस क्षेत्र में अनुसूचित जाति और जनजाति रिजर्व है, उसके प्रस्ताव जरूर शासन तक पहुंचायें. अध्यक्ष महोदय यह मेरा निवेदन है.
संसदीय कार्यमंत्री(डॉ.नरोत्तम मिश्र) -- अध्यक्ष महोदय, एक बात मैं कह दूं कि जो सम्मानित पूर्व विधानसभा अध्यक्ष जी और नेता प्रतिपक्ष जी ने कहा है कि पिछले चार साल में कोई बैठक नहीं हुई यह दोनों को ध्यान में रखना चाहिये कि चार साल में पंद्रह महीने आपके हैं, आप मंत्री थे, लेकिन इसके बावजूद भी जैसा माननीय श्री एन.पी.प्रजापति जी ने कहा कि मंत्री जी को निर्देश दे देना चाहिये, तो वह जरूर देंगे.
खसरा पंजी एवं पटवारी मानचित्र में दर्ज भूमि
[जनजातीय कार्य]
11. ( *क्र. 3231 ) डॉ. अशोक मर्सकोले : क्या जनजातीय कार्य मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) जनवरी 2008 से लागू वन अधिकार कानून 2006 के तहत मण्डला जिले के कितने राजस्व ग्रामों की खसरा पंजी एवं पटवारी मानचित्र में दर्ज भूमियों के कितने दावे मान्य एवं अमान्य किए गए? (ख) मण्डला जिले में मान्य किए गए दावों से संबंधित प्रविष्टि प्रश्नांकित दिनांक तक भी पटवारी मानचित्र एवं खसरा पंजी में दर्ज नहीं किए जाने का क्या-क्या कारण रहा है? मान्य दावों के प्रकरण जिला राजस्व अभिलेखागार या तहसील राजस्व अभिलेखागार में जमा नहीं करवाए जाने का क्या-क्या कारण रहा है? पृथक-पृथक बतावें। (ग) मण्डला जिले में पटवारी मानचित्र एवं खसरा पंजी तथा पटवारी मानचित्र में दर्ज करने प्रकरण राजस्व अभिलेखागार में जमा करवाए जाने के आदेश निर्देश अभिसूचना प्रश्नांकित दिनांक तक भी जारी नहीं किए जाने का क्या-क्या कारण रहा है? (घ) मण्डला जिले में पटवारी मानचित्र एवं खसरा पंजी में प्रविष्टि दर्ज कर प्रकरण राजस्व अभिलेखागार में जमा करवाए जाने के संबंध में क्या कार्यवाही की जा रही है? कब तक की जावेगी?
जनजातीय कार्य मंत्री ( सुश्री मीना सिंह माण्डवे ) : (क) पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार मण्डला जिले के राजस्व ग्रामों में 1974 दावे मान्य एवं 1337 दावे अमान्य किये गये हैं।(ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। सहायक आयुक्त, जनजातीय कार्य विभाग जिला मण्डला के पत्र क्रमांक 10534, दिनांक 05.11.2020 के द्वारा जिले के समस्त अनुविभागीय अधिकारी राजस्व को वन अधिकार पत्र राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करने के निर्देश दिये गये हैं। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। सहायक आयुक्त, जनजातीय कार्य विभाग जिला मण्डला के पत्र क्रमांक 10534, दिनांक 05.11.2020 के द्वारा जिले के समस्त अनुविभागीय अधिकारी राजस्व को वन अधिकार पत्र राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करने के निर्देश दिये गये हैं। (घ) उत्तरांश 'ख' एवं 'ग'अनुसार।
डॉ.अशोक मर्सकोले -- अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न में यह है कि मण्डला जिले के कितने राजस्व ग्रामों की खसरा पंजी एवं पटवारी मानचित्र में दर्ज भूमियों के कितने दावे मान्य और अमान्य किये गये हैं? इस जानकारी के उत्तर में यह है कि जो मान्य दावें हैं 1974 और 1337दावें अमान्य किये गये हैं.
अध्यक्ष महोदय, मेरा सदन के माध्यम से यह निवेदन है कि उनकी संख्या बहुत अधिक है और इनका पुन: परीक्षण कराया जाये, एक तो यह बात है, दूसरे प्रश्न ''ख'' के संदर्भ में यह उत्तर आया है कि जनजाति कार्य विभाग ने पत्र क्रमांक-10534, दिनांक-05/11/2020 के द्वारा अनुविभागीय अधिकारी राजस्व को यह पत्र लिखा गया है और वर्ष 2020 से यह पत्र लिखा गया है कि यह खसरा पंजी में इनको दर्ज किया जाये. यह वर्ष 2020 से अभी तक जहां 2006 की बात कर रहे हैं लेकिन वर्ष 2020 से पत्र लिखा गया है, उसमें उत्तर यह दिया गया है कि अभी दर्ज की जा रही है, निर्देश जारी किये गये हैं, यह क्या है?
सुश्री मीना सिंह माण्डवे -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह प्रश्न पहले भी आ चुका है, माननीय सदस्य को यह लगता है कि जो दावे आपत्ति लोगों के द्वारा किये गये थे और उसमें जब पाये जाते हैं तो उनको मान्य किया जाता है और अगर ऐसा लगता है कि अभी भी कुछ बचे हुए हैं तो उसका परीक्षण हम माननीय अध्यक्ष महोदय, जी विधिवत आपके निर्देशानुसार करा लेंगे और जो पात्र होंगे उनको दिया जायेगा.
अध्यक्ष महोदय -- उनका यह कहना है कि अमान्य 1137 हैं, यह एक बड़ी संख्या है और जो दावे आपने मान्य किया है वह 1974 है, इस प्रकार से जो दावे अमान्य किये हैं, वह 1337 हैं, तो अमान्य के इतने बड़े कारण हो सकते हैं कि 1337 खारिज किये हैं, तो उसका परीक्षण करा लें, वह यह कह रहे हैं.
सुश्री मीना सिंह माण्डवे -- माननीय अध्यक्ष महोदय, करा लेंगे और जो पात्र होंगे उनको दे दिया जायेगा.
अध्यक्ष महोदय -- ठीक है.
डॉ. अशोक मर्सकोले -- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न है कि वर्ष 2020 से जो खसरा पंजी और पटवारी मानचित्र में जो दर्ज होने चाहिये थे, यह अभी तक नहीं हो पाये हैं, न राजस्व रिकार्ड में, न तहसील विभाग में यह वर्ष 2020 से होना था और जानकारी यह है कि निर्देश जारी किये गये हैं, दर्ज की कार्यवाही की जा रही है, यही मेरा मूल प्रश्न है कि यह इतनी लेट लतीफी क्यों हो रही है, एक भी अभी तक क्यों नहीं किये हैं?
अध्यक्ष महोदय -- आपने निर्देश तो दे दिये हैं?
सुश्री मीना सिंह माण्डवे -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जी दर्ज करा लिये जायेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- अगर अमल नहीं हो रहा है तो थोड़ी तीव्रता से हो जायें. सुश्री मीना सिंह माण्डवे -- जी, माननीय अध्यक्ष महोदय.
डॉ. अशोक मर्सकोले -- अध्यक्ष महोदय, यह तो आ गया है कि दर्ज करा लिये जायेंगे. मेरा प्रश्न यह है कि वर्ष 2020 से आपने क्या कार्यवाही की है और क्यों नहीं कार्यवाही की है? यह आप मुझे बताने का कष्ट करें.
अध्यक्ष महोदय -- वह कह रहीं हैं कि हम कार्यवाही करा रहे हैं.
डॉ. अशोक मर्सकोले -- अध्यक्ष महोदय यह तो इसमें लिख दिया है न.
अध्यक्ष महोदय -- हां, तो ठीक तो है न.
डॉ. अशोक मर्सकोले -- नहीं, फिर यह प्रश्न तो नहीं आना चाहिये. क्यों यह लेट लतीफी वर्ष 2020 से हो रही है ?(व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय -- निर्देश भी जारी हो गये हैं. (व्यवधान..)
सुश्री मीना सिंह माण्डवे -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह निरंतर प्रक्रिया में है और निरंतर चलता रहता है. चूंकि यह लाखों लोगों का मामला है कोई ऐसे दो चार का मामला नहीं है.हमने तो 2 लाख 74 हजार वनाधिकार पत्र दे दिये हैं, इनने तो कानून बना थे दिये पर किसी राज्य में इनने वनाधिकार पट्टे भी नहीं दिये थे, अगर वनाधिकार पट्टे देने का काम हुआ है तो वह मध्यप्रदेश में सबसे पहले जनवरी 2008 से हुआ है, जबकि किसी भी राज्य में वनाधिकार पट्टे, इनकी जहां सरकार है, वहां तक नहीं हुआ है. (मेजों की थपथपाहट) (व्यवधान..)
डॉ. अशोक मर्सकोले -- माननीय अध्यक्ष महोदय, तो वह प्रक्रिया क्या है, (व्यवधान..) मंत्री जी मैंने संख्या पूछी थी, लाखों का मामला है तो कितने दावे दर्ज किये हैं, यही तो पूछ रहा हूं, (व्यवधान..) अध्यक्ष महोदय, मंत्री लाखों की कह रही हैं, लाखों के प्रकरण हैं (व्यवधान..) अध्यक्ष महोदय, मैंने मंडला का स्पेसिफिक पूछा है कि अगर यह मान्य दावे 1974 हैं तो 1974 में क्या एक भी अभी तक पंजीकृत नहीं किये गये हैं, दर्ज नहीं किये गये हैं? आपने कोई कार्यवाही की ही नहीं है? आप स्वीकार कर लें कि आपने कोई कार्यवाही नहीं की हैं और अगर नहीं की है तो क्यों नहीं की है और कब करेंगे?
(व्यवधान..)
सुश्री मीना सिंह माण्डवे-- माननीय अध्यक्ष जी, कार्यवाही हुई है तभी इतने लोगों को पट्टे दे दिये गये. अब आप अगर सुनना चाहते हैं तो माननीय अध्यक्ष जी के माध्यम से मैं पढ़कर सुना दूंगी ...(व्यवधान)... ऐसे गलत आरोप लगा रहे हैं. ...(व्यवधान)... अध्यक्ष जी, जो यह कह रहे हैं तो क्या हम सही मानेंगे. ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- आप बैठ जाइये अशोक मर्सकोले जी. माननीय मंत्री जी, आप अपनी बात कहें.
सुश्री मीना सिंह माण्डवे-- माननीय अध्यक्ष जी, अभी तक वर्ष 2006 के बाद से चूंकि वर्ष 2006 में भारत सरकार से कानून बना और उसके बाद वर्ष 2008 जनवरी में यह लागू हुआ वन अधिकार पत्र देने का. अभी तक जो लोगों की तरफ से 5 लाख आवेदन आये थे उसमें से 2 लाख 74 हजार पट्टे दिये जा चुके हैं और उसके बाद सामूदायिक पट्टे भी दिये गये हैं, 27429 कुछ ऐसा करके दिया गया है. मेरा यह कहना है कि लगातार छानबीन हो रही है और अभी जो लगातार आवेदन मिलते जा रहे हैं उनको भी पट्टे देने का काम हो रहा है, यह वनाधिकार पत्र देने का काम बंद तो हुआ नहीं है, प्रचलन में है, जांच चल रही है और कई प्रक्रियायें हैं माननीय अध्यक्ष जी, एक तो ब्लॉक स्तर की जो समिति होती है वहां से जांच होती है और उसके बाद अगर किसी को वहां से नहीं मिला तो उसके बाद जिला की कमेटी है उसमें एसडीएम और 5-6 अधिकारियों की समिति बनाई जाती है तो फिर वहां परीक्षण के लिये जाता है, उसके बाद वन अधिकार पट्टा दिया जाता है. इसका नियम भी है कि अगर कोई भी व्यक्ति वर्ष 2005 से पहले काबिज है 13 दिसम्बर 2005 से पहले और उनका जीवन यापन वन भूमि के तहत ही हो रहा है, यह पात्रता है और अगर यह भी नहीं मिल रहा है तो कोई 73 या 75 साल का व्यक्ति यह कह दे कि हां मैं इतने साल का व्यक्ति हूं और यह व्यक्ति बहुत दिनों से काबिज है, इनको दिया जाये, गांव का ही कोई बुजुर्ग प्रमाणित कर देता है तो वन अधिकार पट्टा दिया जाता है. माननीय अध्यक्ष जी, इसके सारे मापदण्ड हैं और मापदण्ड के अनुसार हमारी सरकार लगातार काम कर रही है और इतने सारे पट्टे दे दिये गये हैं तो जिन लोगों के निरस्त का भाई साहब कह रहे हैं तो उसकी भी हम जांच करा लेंगे और माननीय अध्यक्ष जी, पात्र होंगे तो निश्चित रूप से हमारी सरकार देगी.
डॉ. अशोक मर्सकोले-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने मंडला का स्पेशिफिक प्रश्न किया, इन्होंने मंडला की एक बात नहीं कहीं है. ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- आपका पूरा उत्तर आ गया, आप बैठ जाइये.
डॉ. अशोक मर्सकोले-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे मंडला का जवाब चाहिये. क्या हम मान लें कि आपने कुछ नहीं किया है. अध्यक्ष महोदय, मैं संरक्षण चाहूंगा.
अध्यक्ष महोदय-- आपका आ गया, पूरा आ गया, पूरा डिटेल आया है. (श्री जयवर्द्धन सिंह जी के बैठे-बैठे कुछ कहने पर) जयवर्द्धन सिंह जी इनका पूरा डिटेल में आ गया. 2 लाख 74 हजार आ गया, अब कितना बतायें वह.
डॉ. अशोक मर्सकोले-- खसरा पंजी राजस्व रिकार्ड में दर्ज नहीं किया है, यही बात तो पूछ रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय-- दर्ज करने का राजस्व अनुविभागीय अधिकारी को आदेश जारी कर दिये गये हैं, इसी उत्तर में है. ...(व्यवधान)...
सुश्री मीना सिंह माण्डवे-- माननीय अध्यक्ष जी, यह सब बता दिया गया है उसके बाद भी माननीय सदस्य वही-वही पूछ रहे हैं. माननीय अध्यक्ष जी, यह दूसरी, तीसरी बार लगाया है सदन के माध्यम से, बात वही है.
डॉ. अशोक मर्सकोले-- अगर आप काम नहीं करेंगे तो 50 बार लगायेंगे.
प्रश्न संख्या-12 (अनुपस्थित)
संस्था सदस्यों को भूखण्ड का आधिपत्य नहीं दिया जाना
[सहकारिता]
13. ( *क्र. 3366 ) डॉ. गोविन्द सिंह : क्या सहकारिता मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जय हिन्द गृह निर्माण सहकारी संस्था मर्या. इन्दौर 185, टेलीफोन नगर इन्दौर द्वारा (सियागंज गुमास्ता नगर) आवासीय भूखण्ड क्रमांक 185 आकार 30 X 50 वर्गफीट 1500 श्री राजेन्द्र कुमार व्यास पुत्र श्री बृजकिशोर व्यास निवासी सी 3-4 रूप रचना-अपार्टमेंट गोयल नगर इन्दौर को दिनांक 29 मई, 1998 को ड्रॉ पद्धति से आवंटित किया गया था? (ख) यदि हाँ, तो क्या उक्त भू-खण्ड का पंजीयन विक्रेता संस्था जय हिन्द गृह निर्माण सहकारी संस्था मर्या. द्वारा क्रेता श्री राजेन्द्र कुमार व्यास पुत्र श्री बृजकिशोर व्यास को राशि रूपये 18000/- में विक्रय कर दिनांक 04.01.1999 को क्रेता के पक्ष में रजिस्ट्री कराई गई थी? (ग) क्या जयहिन्द गृह निर्माण सहकारी संस्था इन्दौर द्वारा दिनांक 08.10.1998 को क्रेता श्री राजेन्द्र कुमार व्यास पुत्र श्री बृजकिशोर व्यास से व्यवस्था शुल्क एवं विकास व्यय के रूप में राशि रूपये 22650 रूपये रसीद क्रमांक 1571 से प्राप्त किए गए थे? (घ) यदि हाँ, तो क्रेता का भू-खण्ड का पूरा मूल्य अदा करने के उपरांत क्रेता के पक्ष में विक्रय पत्र निष्पादित होने एवं विक्रेता संस्था द्वारा व्यवस्था शुल्क एवं विकास व्यय की राशि लिए जाने के बाद भी संस्था के सदस्य एवं क्रेता श्री राजेन्द्र कुमार व्यास पुत्र श्री बृजकिशोर व्यास को अभी तक भू-खण्ड का आधिपत्य नहीं दिये जाने के क्या कारण हैं? (ड.) क्या उपरोक्त प्रश्नांश के परिप्रेक्ष्य में जांच कराई जाकर गृह निर्माण सहकारी संस्था के पदाधिकारियों के विरूद्ध कार्यवाही की जाएगी एवं क्रेता पक्ष को भू-खण्ड का आधिपत्य दिलाया जाएगा?
सहकारिता मंत्री ( डॉ. अरविंद सिंह भदौरिया ) : (क) जय हिन्द गृह निर्माण सहकारी संस्था मर्यादित इंदौर में वर्तमान में प्रशासक नियुक्त है। उपायुक्त सहकारिता, जिला-इन्दौर की जानकारी अनुसार संस्था की सियागंज गुमास्ता नगर कॉलोनी में आवासीय भूखण्ड क्रमांक 185 आकार 30 X 50 कुल 1500 वर्गफीट का आवंटन श्री राजेन्द्र कुमार व्यास पुत्र श्री बृजकिशोर व्यास को ड्रॉ पद्धति से करने संबंधी आवंटन पत्र तत्कालीन संचालक मण्डल से बहिर्गामी कमेटी को प्रदत्त अभिलेखों में उपलब्ध नहीं होने से जानकारी दी जाना संभव नहीं है। (ख) जी हाँ, रजिस्ट्री की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 01 अनुसार है। (ग) प्रशासक को प्राप्त अभिलेखों में बहिर्गामी संचालक मण्डल को तत्कालीन संचालक मण्डल से प्राप्त अभिलेखों में संस्था द्वारा दिनांक 08.10.1998 को जारी रसीद क्रमांक 1571 की प्रति उपलब्ध नहीं होने से श्री राजेन्द्र कुमार व्यास पुत्र श्री बृजकिशोर व्यास से व्यवस्था शुल्क एवं विकास व्यय के रुप में राशि रुपये 22,650/- प्राप्त करने संबंधी जानकारी दी जाना संभव नहीं है। (घ) जयहिन्द गृह निर्माण सहकारी संस्था मर्यादित इंदौर की स्वामित्व एवं आधिपत्य की ग्राम देवगुराडिया स्थित भूमि पर भवन निर्माण की अनुमति संबंधी प्रकरण में कलेक्टर जिला इंदौर के पत्र क्रमांक/46/अकरी-2/2016, दिनांक 27.04.2016 के द्वारा संस्था को समस्त विकास कार्य पूर्ण कराये जाने के निर्देश दिये गये थे, पत्र की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 02 अनुसार है, जिसके अनुपालन में संस्था की आमसभा दिनांक 04.09.2016 में कॉलोनी के विकास हेतु संचालक मण्डल को टेण्डर/कोटेशन हेतु अधिकृत किया गया, आमसभा का कार्यवाही विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 03 अनुसार है। संचालक मण्डल द्वारा डेव्हलपमेंट एजेन्सी को अधिकृत किया गया। संस्था द्वारा सदस्यों से कॉलोनी के पुनर्विकास राशि की मॉंग की गई। श्री राजेन्द्र कुमार व्यास पुत्र श्री बृजकिशोर व्यास के द्वारा पुनर्विकास राशि जमा नहीं करने के कारण संस्था द्वारा म.प्र. सहकारी सोसाइटी अधिनियम, 1960 की धारा 64 के अंतर्गत उनके विरुद्व न्यायालय उप रजिस्ट्रार सहकारी संस्थाएं, जिला इंदौर के समक्ष विवाद प्रकरण क्रमांक/ई/डी.आर.डी./आई.एन.डी./64/2019/895 प्रस्तुत किया गया। प्रकरण में माननीय न्यायालय द्वारा दिनांक 12.03.2021 को आदेश जारी कर श्री राजेन्द्र कुमार व्यास पुत्र श्री बृजकिशोर व्यास को कुल राशि रुपये 6,51,360.00 की डिक्री एवं उस पर दिनांक 01.04.2016 से भुगतान तिथि तक 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर सहित राशि एकमुश्त भुगतान आदेश दिनांक से तीन माह में करने के आदेश दिये गये, आदेश की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 04 अनुसार है। न्यायालयीन आदेश उपरांत भी श्री बृजकिशोर व्यास द्वारा संस्था को वांछित राशि का भुगतान नहीं किया गया है। उक्त डिक्री की बजावरी हेतु संस्था द्वारा माननीय सिविल न्यायालय इंदौर के समक्ष बजावरी प्रकरण दिनांक 07.05.2022 को प्रस्तुत किया गया है, प्रस्तुत प्रकरण की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 05 अनुसार है, इस कारण संस्था द्वारा भूखण्ड आधिपत्य नहीं दिया गया है। (ड.) उत्तरांश (घ) में उल्लेख अनुसार म.प्र. सहकारी सोसाइटी अधिनियम, 1960 की धारा 64 के अंतर्गत सक्षम न्यायालय के द्वारा आदेश जारी होने से शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है।
डॉ. गोविन्द सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारा जवाब आ गया और माननीय मंत्री जी ने उत्तर भी दे दिया कृपया कर इतना बता दें कि जय हिन्द गृह निर्माण सहकारी संस्था मर्या. इंदौर, राजेन्द्र कुमार व्यास पुत्र बृजकिशोर व्यास को जो प्लाट आवंटित हुआ था वह कब तक दे देंगे.
औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन मंत्री (श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगांव)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें वैसे डिटेल जवाब दे रखा है. आप एग्जेक्ट चाह रहे हैं कि कब तक प्लॉट मिल जायेगा.
डॉ. गोविन्द सिंह-- अब ऐसा है कि आप जवाब नहीं दे पा रहे हैं तो मैं ही दे देता हूं. प्लॉट तो हम दिलवा देंगे, आपको धन्यवाद, आप जल्दी बैठ जाइये. अब कृपा कर सिसोदिया जी को मौका दे रहे हैं ताकि गृह मंत्री जी ज्यादा न बोल पायें, अब आप पूछिये सिसोदिया जी.
श्री विश्वास सारंग-- अध्यक्ष महोदय, विधान सभा गोविन्द सिंह जी चलायेंगे क्या, अध्यक्ष जी से चलवाओ साहब ऐसा मत करो.
डॉ. गोविन्द सिंह-- आप बैठ जाईये, प्लॉट तो हमें मिल जायेगा, हमें आश्वासन मिल गया है.
श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगांव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अब डॉक्टर साहब खुद ही संतुष्ट हैं तो धन्यवाद.
प्रदेश में बढ़ते सायबर अपराध
[गृह]
14. ( *क्र. 3300 ) श्री यशपाल सिंह सिसौदिया : क्या गृह मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या परिक्षेत्रीय सायबर थानों पर 'बेसिक फोरेंसिक लैब' एवं सायबर मुख्यालय पर 'एडवांस्ड डिजिटल सायबर फोरेंसिक लैब' की स्थापना की जा रही है? क्या सायबर मुख्यालय भोपाल पर तकनीकी रूप से जटिल विवेचनाओं में सहयोग हेतु 'सायबर एक्सपर्ट' की नियुक्ति की जा रही है? यदि हाँ, तो 'सायबर एक्सपर्ट' किस योग्यता के रहेंगे? क्या पूर्ण रूप से जानकार IT एक्सपर्ट इंजीनियरों की नवीन नियुक्ति की जायेगी? यदि हाँ, तो कब तक? (ख) प्रश्नकर्ता के प्रश्न क्रमांक 44, दिनांक 29 जुलाई के उत्तर में बताया गया की प्रतिवर्ष सायबर अपराध/ऑनलाइन ट्रांजेक्शन में औसतन 33 % की वृद्धि हो रही है, विभाग द्वारा लगातार प्रयास के बावजूद सायबर अपराध में अपेक्षा से अधिक वृद्धि का मुख्य कारण क्या है? (ग) दिनांक 01 जनवरी, 2018 से प्रश्न दिनांक तक प्रतिवर्ष ऑनलाइन ट्रांजेक्शन सायबर अपराध के कुल कितने प्रकरण, कितनी राशि के सामने आये? कितने प्रकरणों का निराकरण किया गया? वर्ष अनुसार जानकारी देवें।
गृह मंत्री ( डॉ. नरोत्तम मिश्र ) : (क) परिक्षेत्रीय स्तर पर सायबर फोरेंसिक यूनिट एवं सायबर मुख्यालय पर डिजिटल सायबर फोरेंसिक लैब की स्थापना की गई है। कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। (ख) आम जनता द्वारा आम जीवन में बढ़ते सायबर तकनीकी का उपयोग, अपराधियों द्वारा सायबर तकनीकी का दुरुपयोग एवं आम जनता में सायबर अपराधों के प्रति जागरुकता का अभाव सायबर अपराधों को बढ़ने के मुख्य कारण है, सायबर अपराध की सूचना प्राप्त होने पर तत्काल विधिसम्मत कार्यवाही की जाती है। सायबर अपराधों की रोकथाम एवं बचाव हेतु प्रदेश की जनता हेतु लगातार जागरूकता कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं, विगत वर्षों में लगभग 1071994 लोगों को जागरूक किया गया है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है।
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - माननीय अध्यक्ष महोदय,मेरे प्रश्न के जवाब में आदरणीय मंत्री जी ने जो बात स्वीकार की है और जो प्रयास किये हैं उसके लिये मैं उन्हें धन्यवाद देता हूं. आपने सायबर क्राईम के बढ़ते अपराध को लेकर,ठगी को लेकर 10 लाख 71 हजार 994 लोगों को जागरूक किया लेकिन माननीय अध्यक्ष जी, 60 थाना क्षेत्रों में 1 जनवरी,2018 से प्रश्न दिनांक 17 फरवरी,2023 तक माननीय मंत्री महोदय, कुल 1643 प्रकरण ठगी को लेकर दर्ज हुए हैं,सायबर क्राईम को लेकर और उसके अंतर्गत जो ठगी हुई है वह राशि है 71 करोड़ 7 लाख 17498 रुपये. अध्यक्ष महोदय,मैं आपका संरक्षण चाहता हूं. इसमें सबसे ज्यादा ठगी हुई है 1 जनवरी,2021 से 31 दिसम्बर,2021 तक. जब कोविड का समय था और कोविड के कार्यकाल में 29 करोड़ 1 लाख 60 हजार 800 रुपये की सायबर ठगी हुई है. कुल 444 प्रकरण उस एक साल में दर्ज हुए हैं. माननीय मंत्री जी, आपके विभाग में सायबर फारेंसिंक यूनिट एवं सायबर मुख्यालय पर डिजिटल सायबर फारेंसिंक लैब की स्थापना की गई है उसके लिये मैं पुन: आपको धन्यवाद देना चाहता हूं लेकिन माननीय मंत्री महोदय, सायबर एक्सपर्ट की नियक्ति का जो मेरा प्रश्न था. आपके विभाग से, आपके माध्यम से उत्तर मिला कि कार्यवाही प्रक्रियाधीन है. अब माननीय मंत्री जी, इतने बड़े सिस्टम में, इतनी बड़ी व्यवस्था में अगर सायबर एक्सपर्ट ही नहीं है तो माननीय अध्यक्ष जी, कैसे काम चलेगा. मैं माननीय मंत्री जी से सिर्फ यह निवेदन करूंगा छोटे से प्रश्न के माध्यम से कि आप कब तक सायबर एक्सपर्ट की नियुक्तियां कर देंगे. प्रक्रिया तो प्रचलन में है. मैं स्वीकार करता हूं. आपने भी स्वीकार किया. आम जनता द्वारा आम जीवन में बढ़ते हुए सायबर तकनीकों का उपयोग, अपराधियों द्वारा सायबर तकनीक के दुरुपयोग, आम जनता में सायबर अपराधों के प्रति जागरूकता का अभाव आदि-आदि को लेकर मुझे विभाग से जानकारी मिली है. मैं तो आपके माध्यम से सिर्फ यह जानना चाहूंगा कि यह ठगी कैसे रुकेगी, किस प्रकार से अपराध कम होंगे और आप कब सायबर एक्सपर्ट की नियुक्तियां कर देंगे ?
डॉ.नरोत्तम मिश्र - माननीय अध्यक्ष महोदय, सामयिक और गंभीर विषय है. बदली हुई परिस्थितियों में सायबर क्राईम तेजी से बढ़ रहा है. सम्मानित सदस्य समय-समय पर इस विषय पर ध्यान आकर्षित करते रहे हैं. इसके पूर्व में भी सम्मानित सदस्य ने इस विषय पर प्रश्न उठाया. जहां तक सम्मानित सदस्य का जो मूल प्रश्न है कि एक्सपर्ट की नियुक्ति कब तक हो जायेगी तो अगले तीन महीने में मैं एक्सपर्ट की नियुक्ति कर दूंगा.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत-बहुत धन्यवाद.
विद्यालय में अनियमितता करने वालों के विरूद्ध कार्यवाही
[अनुसूचित जाति कल्याण]
15. ( *क्र. 3381 ) श्री अजब सिंह कुशवाह : क्या जनजातीय कार्य मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) शासकीय ज्ञानोदय विद्यालय महाराजपुर मुरैना को पत्र क्रमांक 153, दिनांक 30.5.2022 को अवगत कराया गया कि वित्तीय वर्ष 2020-21 में शासकीय अवकाश एवं कोविड-19 आपदा के दौरान छात्रावास बन्द होकर कोविड-19 सेंटर के रूप में उपयोग हेतु संचालित किया गया था? यदि हाँ, तो उक्त अवधि के दौरान शिष्यवृत्ति की राशि का आहरण किया गया था? किन्तु व्यय से ज्यादा राशि आहरण की गई थी? वर्ष 2021-22 में विद्यालय/छात्रावास 190 कार्य दिवस की राशि रूपये 2064128/- आहरण किया जाना था, जबकि 243 कार्य दिवस की राशि 2541718/- आहरण की गई? जो कि व्यय से ज्यादा 53 कार्य दिवस का आहरण किया गया, जिसमें आपके खाते में स्टेटमेंट एवं केशबुक की राशि में भिन्नता पाई गई? (ख) क्या दोषियों के विरूद्ध कोई कार्यवाही की गई? नहीं की गई तो कब तक कर दी जावेगी?
जनजातीय कार्य मंत्री ( सुश्री मीना सिंह माण्डवे ) : (क) जी हाँ। उक्त अवधि में शिष्यवृत्ति की राशि का आहरण किया गया है। वर्ष 2021-22 में विद्यालय उपस्थित पत्रक अनुसार 190 कार्य दिवस एवं छात्रावास पंजी अनुसार 243 कार्य दिवस में भिन्नता शासकीय अवकाश एवं स्थानीय अवकाश होने से रही है, उक्त अवकाश अवधि में विद्यार्थी छात्रावास में नियमित रूप से रहते हैं। इस कारण छात्रावास 243 दिन कार्य दिवस की राशि 25,41,718/- आहरण की गई है। (ख) प्रश्नांश (क) के उत्तर के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
श्री अजब सिंह कुशवाह - अध्यक्ष महोदय, क्या जनजातीय कार्य मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगे कि जो मेरा प्रश्न क है उसके अंतर्गत जब कोविड,2019 में वही विद्यालय में कोविड सेंटर बनाया गया. वहां छात्र नहीं रहे फिर भी आप व्यय राशि जो यहां से आप उपलब्ध कराते हैं. वह राशि वहां खर्च की गई है. जब बच्चे ही नहीं है तो वह राशि किस पर खर्च की गई है ?
सुश्री मीना सिंह माण्डवे - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह कोरोना काल के समय का माननीय सदस्य पूछ रहे हैं कि बच्चे छात्रावास में नहीं थे और उनकी राशि निकाल ली गई. जो दर्ज संख्या होती थी उसके आधी संख्या में बच्चों को वहां सोशल डिस्टेंसिंग के साथ पढ़ने के लिये रखा जाता था. तो ऐसी कोई अनियमितता नहीं हुई है. जो बच्चे छात्रावास में थे उनको भोजन दिया गया तो उनकी छात्रवृत्ति निकलेगी. बाद में शासन का आदेश हुआ कि आधी संख्या में बच्चों को छात्रावास में रखा जा सकता है. तो उस समय बच्चे छात्रावास में आए और वहां रहते भी थे.
श्री अजब सिंह कुशवाह - अध्यक्ष महोदय, मैंने एक पत्र लिखा है विद्यालय को 30 मई,2022 को, उस पत्र के माध्यम से विद्यालय ने खुद स्वीकार किया है कि कोविड,2019 की वजह से कोई छात्र-छात्राएं नहीं हैं.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्नकाल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त)
..(व्यवधान)..
12.00 बजे नियम 267-क के अधीन विषय
अध्यक्ष महोदय --
12.01 बजे शून्यकाल में मौखिक उल्लेख
श्री कुणाल चौधरी-- अध्यक्ष महोदय, शून्यकाल में एक महत्वपूर्ण विषय है ओलावृष्टि,अतिवृष्टि का.
अध्यक्ष महोदय-- हो गया. ध्यानाकर्षण की सूचनाएं. (व्यवधान).. यह कोई प्रश्नकाल थोड़ी है, जबरदस्ती थोड़ी है. ..(व्यवधान).. कृपया बैठ जायें. ..(व्यवधान).. क्या है ये. पहले आप लोग बैठ तो जायें. ..(व्यवधान).. ऐसे नहीं लिया जा सकता है. पहले बैठ तो जायें सब. ..(व्यवधान).. कृपया बैठ जाइये. ..(व्यवधान).. कृपया बैठ जाइये, ध्यानाकर्षण आने दीजिये. ध्यानाकर्षण की सूचना. ..(व्यवधान)..
12.03 बजे बहिर्गमन
इण्डियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा सदन से बहिर्गमन.
नेता प्रतिपक्ष (डॉ. गोविन्द सिंह)-- अध्यक्ष महोदय, पिछले दो दिनों से लगातार 10वीं और 12वीं की कक्षा के पेपर आउट हो रहे हैं. लगातार कुछ लोगों को पकड़ा गया, अभी कई जिलों में और तीसरे विषय का भी पेपर लीक हो गया गणित और विज्ञान के अलावा. प्रदेश के 20 लाख छात्रों के जीवन के साथ खिलवाड़ हो रहा है. हमारा शासन से अनुरोध है कि इस प्रक्रिया को रोकें और जो बच्चों की फीस ली गई है, दोबारा फीस उनसे न ली जाये और इसके साथ ही साथ पूरे प्रदेश में भारी पैमाने पर 13-14 जिलों में ओले पड़े हैं. दतिया में भी पड़े हैं और कई जिलों में तो आपने भी देखा होगा, समाचार पत्रों में, टी.वी. पर पूरी तरह से किसान बर्बाद हो गया है. वहां पर शासन की तरफ से अभी तक न तो सर्वेक्षण प्रारम्भ हुआ है और न ही जो अधिकारी, राजस्व अधिकारी हैं, उनकी हड़ताल रोकने की कार्यवाही की गई है. आज नायब तहसीलदार, तहसीलदार सभी हड़ताल पर हैं. प्रदेश में सरकार नाम की कोई व्यवस्था बची नहीं है. किसानों में हा-हाकर मचा हुआ है. सरकार की तरफ से कोई कदम नहीं उठाया गया है. इसलिये प्रतिपक्षी दल कांग्रेस पार्टी दोनों मुद्दों के लेकर सदन से बहिर्गमन करती है.
(डॉ. गोविन्द सिंह, नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में इण्डियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा 10वीं और 12वीं की परीक्षा के पेपर लीक होने और प्रदेश के कई जिलों में ओले गिरने से सरकार द्वारा सर्वेक्षण की कार्यवाही प्रारम्भ नहीं किये जाने के विरोध में सदन से बहिर्गमन किया गया.)
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र)-- अध्यक्ष महोदय, यह भी तरीका अच्छा नहीं है कि जवाब सुने बिना चले जायें. यह बहिर्गमन करना इनका अधिकार है. यह इनका एक नेता नहीं गया. न कमलनाथ, न दिग्विजय सिंह जी एक नेता नहीं गया ओला पीड़ितों के बीच में. इनके नेता दिग्विजय सिंह जी ओला पीड़ित क्षेत्र दतिया में थे, लेकिन ओला पीड़ित स्थान पर नहीं गये. (XXX) यह किस तरह का तरीका है. आरोप लगाना और जवाब नहीं सुनना और चले जाना. हमारे मुख्यमंत्री जी अभी भी ओला पीड़ित की बैठक मुख्यमंत्री जी इस वक्त ले रहे हैं और यह इस तरह से बहिर्गमन करते हैं. अध्यक्ष महोदय, इनके दोनों नेता श्री कमलनाथ जी और श्री दिग्विजय सिंह जी, अभी तक एक ओला पीड़ित के बीच में नहीं गये हैं, (XXX) यह पॉलिटिकल फोरम के लिए सदन का दुरुपयोग करते हैं, इस कांग्रेस को जनता के हितों से कोई मतलब नहीं है.
12.06 बजे ध्यान आकर्षण
(1) सिवनी जिले के पेंच नेशनल पार्क के कोर एरिया क्षेत्र में व्यवसाय करने हेतु लगे प्रतिबंध को हटाया जाना
श्री अर्जुन सिंह काकोड़िया (बरघाट), श्री संजय सत्येन्द्र पाठक, श्री नारायण सिंह पट्टा - अध्यक्ष महोदय,
डॉ. कुंवर विजय शाह - अध्यक्ष महोदय,
अध्यक्ष महोदय – माननीय विधायक जी, एक प्रश्न पूछेंगे.
श्री अर्जुन सिंह काकोडि़या – अध्यक्ष महोदय, जो स्थानीय लोग हैं, जिनकी भूमि कोर एरिया से लगी हुई है वहां पर वे लोग कृषि कार्य भी नहीं कर सकते हैं, किसी काम की नहीं है. अगर कृषि करते हैं तो पूरे जंगली जानवर उजाड़ देते हैं. अगर वहां पर यह लोग काम नहीं करेंगे, किसी तरीके से रोजगार धंधा नहीं करेंगे तो वह तो भूखे मरेंगे. कहां जाएंगे यह लोग ? यहां पर स्पष्ट बता भी रहे हैं कि किसी तरीके से कोई आदेश नहीं है, लेकिन उसके बावजूद भी प्रतिबंध है. अगर माननीय उच्चतम न्यायालय के इस तरीके के निर्देश हैं तो स्थानीय परिस्थितियों को देखकर सरकार और हमारे माननीय मंत्री जी हमारे आदिवासी वर्ग से ही आते हैं और बड़े दयालु भी हैं, बहुत अच्छे हैं राजा साहब हैं, तो हम चाहते हैं कि वह स्थानीय लोगों को कहां जाएंगे वह लोग, अन्य कहीं कुछ कर नहीं सकते, उनकी जमीन है, तो उनको मानवता के आधार पर और स्थानीय लोगों का किस तरीके से जीवन चले क्योंकि वह बाहर जा रहे हैं और बाहर के लोग यहां काम कर रहे हैं, यहां वह लोग करोड़पति हो रहे हैं और स्थानीय लोग बाहर जा रहे हैं, तो यह मेरा निवेदन है कि इसे मानवता की दृष्टि से स्थानीय लोगों को कैसे रोजगार मिले, अगर सर्वोच्च न्यायालय ने पक्के निर्माण की बात की है तो आप अस्थाई करवा सकते हैं और यहां की जो आर्थिक स्थितियां हैं, हमारे आदिवासी क्षेत्र की क्योंकि यह सिर्फ पेंच का मामला नहीं है यह तमाम पूरे नेशनल पार्कों का है.
अध्यक्ष महोदय – हो गया, और दो लोग पूछने वाले हैं.
श्री अर्जुन सिंह काकोडि़या – अध्यक्ष महोदय, मेरा मंत्री जी और पूरी सरकार से निवेदन है कि गरीब आदिवासियों के हितों का ध्यान रखा जाए.
कुँवर विजय शाह – अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मैं इस पूरे सदन को, माननीय सदस्य को और पूरे प्रदेश के जनजातीय बंधु जो तमाम नेशनल पार्क के आसपास रहकर अपना रोजगार, व्यवसाय कर रहे हैं, उनको आश्वस्त कर देना चाहता हूं कि उनके मन में किसी प्रकार का भय और शंका ना रहे. उनको किसी तरीके से वंचित नहीं किया जाएगा. उनको पूरा संरक्षण दिया जाएगा. उनके रोजगार के अवसर बढ़ाए जाएंगे. स्थाई कंस्ट्रक्शन पर रोक है. जैसा कि आपने कहा अस्थाई कंस्ट्रक्शन पर कोई रोक नहीं है और भविष्य में न्यायालय में हमने जनता की तरफ से, आपकी तरफ से हमारा पक्ष रखा हुआ है और पूरी तरीके से जब सर्वोच्च न्यायालय में मौका आएगा तो आपकी भावनाओं के अनुरूप राज्य शासन का पक्ष रखेंगे.
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक – अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने अपने जवाब में लिखा है कि यह सही नहीं है कि सिवनी जिले में नेशनल पार्क के एरिया से एक किलोमीटर की परिधि में व्यापार, व्यवसाय किये जाने पर किसी भी प्रकार की रोक का कोई प्रस्ताव है. साथ में इन्होंने यह भी लिखा है कि यह सही नहीं है कि किराने की दुकान, बिजली के सामान, चाय नाश्ते की दुकान, लॉज होटल और अन्य आजीविका के साधन में रोक लगाने का कोई प्रस्ताव है. इसका मतलब हम इस जवाब से यह मानें कि किसी प्रकार की कोई रोक वहां पर नहीं है क्योंकि माननीय मंत्री जी ने स्पष्ट लिखा है.
अध्यक्ष महोदय – नहीं-नहीं, उन्होंने यह कहा है कि कोई सलाहकार समिति का प्रस्ताव नहीं है, बाकी सेंट्रल का अलग से आया है. उस आर्डर को, आप दोनों को एक साथ पढि़ये ना. एक साथ दोनों को पढि़ये.
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक – सलाहकार समिति का कोई प्रस्ताव..
अध्यक्ष महोदय – सलाहकार समिति का जो आपने पूछा है कि सलाहकार समिति का निर्णय है, उन्होंने कहा है सलाहकार समिति का ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है, परंतु जो सेंट्रल का आदेश है वह पढ़ा है उन्होंने आगे. उसको आप पढ़ ही नहीं रहे हैं.
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक – जी, उसमें केन्द्र सरकार से क्योंकि इन्होंने यह लिखा है कि सलाहकार समिति में, इसमें दो प्रश्न हैं अध्यक्ष महोदय, आपकी अनुमति से क्योंकि इससे क्या हो रहा है बांधवगढ़ सहित, यह सिर्फ पेंच का मुद्दा नहीं है, यह आपके रीवा में भी नेशनल पार्क है, बांधवगढ़ है, कान्हाकिसली है, संजय गांधी है, पन्ना है, सभी जगह यह हो रहा है कि ईको सेंसिटिव जोन बना दिया गया है और उसमें कहीं पर एक किलोमीटर रखा है, कहीं दो किलोमीटर की परिधि है, कहीं चार किलोमीटर की, कहीं सौ मीटर की है, कहीं पचास मीटर की भी है, एक तो पहली बात जो ईको सेंसिटिव जोन बनाया गया है इसमें कोई एकरूपता नहीं है. हर नेशनल पार्क के उन्होंने अलग-अलग नियम बना लिये हैं. अपनी सुविधा के अनुसार बना लिये हैं. जहां कहते हैं कि यह शहरी क्षेत्र से लगा है तो उसको सौ मीटर कर दिया. जब ईको सेंसिटिव जोन है तो वह सभी जगह यूनिफॉर्म होना चाहिये, एक जैसा होना चाहिये. यह गलत है. अध्यक्ष महोदय, इसमें क्या एल.ए.सी. फाइनल अथॉरिर्टी है ? मैं आपके माध्यम से जवाब चाहूंगा. दूसरा, इन्होंने जो लिखा है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय दिनांक 3 जून, 2022 के अनुसार ईको सेंसिटिव जोन के भीतर किसी भी उद्देश्य से कोई भी नया निर्माण नहीं किया जाएगा.
अध्यक्ष महोदय – स्थाई निर्माण.
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक – जी हां, स्थाई निर्माण नहीं किया जाएगा, तो किसी भी उद्देश्य से अगर कोई परिवार वहां बसा हुआ है एक किलोमीटर की परिधि के अंदर, उसका घर बना हुआ है, एक नया कमरा भी अगर वह चाहे कि अगर नई बहू आ रही है, एक नया कमरा बना लेंगे, तो वह एक नया कमरा भी नहीं बना सकता. तो यह तो सर्वथा अनुचित है. अध्यक्ष महोदय, इसमें मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से जानना चाहूँगा कि ...
अध्यक्ष महोदय -- संजय जी, मंत्री जी का स्पष्ट उत्तर आया है. उन्होंने कहा है कि आप सबकी भावनाओं को उच्चतम न्यायालय में जब वे पैरवी कर रहे हैं तो उसको रखेंगे. आपके पक्ष की ही तो बात वे कर रहे हैं.
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह तो केवल पेंच नेशनल पार्क की सीमा से लगे लोगों के व्यवसाय को लेकर था..
अध्यक्ष महोदय -- वे सारी जगहों का कह रहे हैं.
डॉ. कुँवर विजय शाह -- अध्यक्ष महोदय, पूरे मध्यप्रदेश के नेशनल पार्कों की बात कह रहा हूँ.
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक -- अध्यक्ष महोदय, केवल व्यवसाय को लेकर मैं बात कर रहा हूँ. अध्यक्ष महोदय, वे तो खुद के मकान में भी एक कमरा नहीं बना सकते. अपने घर के अंदर एक कमरा नहीं बना सकते.
अध्यक्ष महोदय -- यही तो वे कह रहे हैं, यही पक्ष तो वे सुप्रीम कोर्ट के सामने रखेंगे कि यह अनुमति हमको दी जाए. यही तो वे आपके पक्ष में रखने जा रहे हैं.
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक -- माननीय अध्यक्ष महोदय, फिर मंत्री जी से सिर्फ इतना ही मेरा प्रश्न है कि क्या अस्थाई निर्माण करके क्षेत्रीय लोग, चाहे बांधवगढ़ हो या अन्य कोई भी नेशनल पार्क हो, पन्ना हो या कोई भी हो, अस्थाई निर्माण करके अपना रोजगार या व्यवसाय वे चला सकते हैं ?
डॉ. कुँवर विजय शाह -- माननीय अध्यक्ष जी, रोजगार पहले भी चल रहे थे, अभी भी चल रहे हैं. किसी प्रकार की कोई रोक नहीं है, केवल नए स्थाई निर्माण की रोक लगी है और उसमें भी हम लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखा है. जैसा कि मैंने पहले ही निवेदन किया था कि सारे मुद्दों को लेकर के सुप्रीम कोर्ट में हम लोग गए हैं. अब सुप्रीम कोर्ट को हम यह नहीं कह सकते कि जल्दी सुनवाई करे.
खनिज साधन मंत्री (श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह) -- अध्यक्ष महोदय, इसमें एक आग्रह यह है कि जैसे प्रधानमंत्री आवास आ रहे हैं, प्रधानमंत्री आवास यदि वहीं पर अपने घर गिराकर भी बना रहे हैं तो नहीं बनने दिए जा रहे हैं. जहां पर ऑलरेडी मकान बना हुआ है, कच्चा है, यदि वह पक्का मकान बनाने का काम कर रहा है तो इको सेंसेटिव जोन के कारण वे बनने नहीं दे रहे हैं. इसमें थोड़ी सी रोक लगाई जाए, जहां पर ऑलरेडी मकान था, उसी जगह पर यदि बना रहे हैं तो क्या दिक्कत हो रही है.
अध्यक्ष महोदय -- यही सब पक्ष तो सुप्रीम कोर्ट में रखेंगे. करना तो सुप्रीम कोर्ट को ही है. हो गया संजय जी ?
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा उत्तर नहीं आया. मैंने सिर्फ इतना निवेदन किया था कि क्या इको सेंसेटिव जोन के अंदर अस्थाई निर्माण करके लोग अपना व्यवसाय कर सकते हैं, चाहे वह होटल हो, रिजॉर्ट हो, लॉज हो, किराने की दुकान हो, बिजली के सामान की दुकान हो, कपड़े की दुकान हो, किसी भी प्रकार का व्यवसाय हो, क्या अस्थाई निर्माण करके वे व्यवसाय कर सकते हैं या नहीं ?
अध्यक्ष महोदय -- आ तो गया उनका उत्तर.
डॉ. कुँवर विजय शाह -- माननीय अध्यक्ष जी, चूँकि मामला सुप्रीम कोर्ट में है, माननीय मुख्यमंत्री जी और सभी लोगों से बैठ कर के चर्चा करके, निर्णय करके, इस मुद्दे को, जो माननीय सदस्य ने शामिल किया है, उस पर निर्णय करेंगे.
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि इन्हीं के जवाब में लिखा है कि स्थाई निर्माण नहीं कर सकते तो मैं कह रहा हूँ कि ठीक है, गांव के लोग स्थाई निर्माण नहीं करना चाहते, अस्थाई निर्माण, घपरा, घरिया के मकान बनाकर के अगर कोई निर्माण करके वे व्यवसाय करना चाहते हैं तो उसका जवाब देवें, जो लिखा है इन्होंने अपने जवाब में कि स्थाई नहीं कर सकते तो क्या अस्थाई में कर सकते हैं या नहीं, माननीय अध्यक्ष महोदय, इतना बता दें ?
अध्यक्ष महोदय -- सुप्रीम कोर्ट में मामला है, इसलिए वे सीधे कुछ नहीं कह सकते.
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला इसमें है कि स्थाई निर्माण नहीं कर सकते और सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट लिखा है कि...
अध्यक्ष महोदय -- वे बैठकर के सरकार से चर्चा करेंगे.
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक -- अध्यक्ष महोदय, मेरा इतना सा निवेदन है कि ....
श्री कांतिलाल भूरिया -- आदिवासियों के साथ अत्याचार हो रहा है, जिसका मकान गिर गया है, उसकी वह जुड़ाई नहीं कर सकता, उसके ऊपर भी प्रतिबंध...
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक -- भूरिया जी, आपके यहां नेशनल पार्क नहीं है, बैठ जाओ ना भाई..
श्री कांतिलाल भूरिया -- गरीब आदमी को थोड़ी राहत मिलनी चाहिए...
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक -- दादा, मेरा आग्रह है..
अध्यक्ष महोदय -- भूरिया जी, संजय जी, विजय शाह जी ऐसे मंत्री हैं कि कुछ भी कह सकते हैं कि हम ये करेंगे, इसमें नहीं कह रहे हैं तो कुछ समझ लो ना प्रॉब्लम सुप्रीम कोर्ट वाली.
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सुप्रीम कोर्ट के आदेश की प्रति मेरे पास भी है, माननीय मंत्री जी के पास भी है. माननीय सुप्रीम कोर्ट ने कहीं पर यह नहीं लिखा कि अस्थाई, उन्होंने स्पष्ट लिखा है स्थाई निर्माण नहीं किया जा सकेगा तो मेरा स्पष्ट प्रश्न अस्थाई निर्माण के बारे में है.
अध्यक्ष महोदय -- उन्होंने कहा है कि मुख्यमंत्री जी से चर्चा करेंगे, आपकी बातों को रखेंगे और निर्णय करेंगे.
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो नियम है, उसमें भी मुख्यमंत्री जी से चर्चा करेंगे...
अध्यक्ष महोदय -- करनी चाहिए, क्यों नहीं करनी चाहिए.
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक -- नहीं, वह तो नियम है, इनके हाथ में है.
अध्यक्ष महोदय -- चर्चा करनी चाहिए. श्री नारायण सिंह पट्टा जी, सीधा प्रश्न करें.
श्री नारायण सिंह पट्टा (बिछिया) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सीधा ही प्रश्न करूंगा. हम तीनों माननीय सदस्यों की एक ही मंशा है और सरकार उसका दो लाइन में जवाब दे दे. सवाल है कि समूचे मध्यप्रदेश में जितने भी नेशनल पार्क हैं...
अध्यक्ष महोदय -- सरकार आपकी मंशा के साथ है. माननीय वन मंत्री जी ने सीधे कहा है कि मैं आपकी सारी मंशा के साथ हूँ.
श्री नारायण सिंह पट्टा -- अध्यक्ष महोदय, हमारी भी वही मंशा है. पूरे मध्यप्रदेश में जितने भी नेशनल पार्क हैं, इन नेशनल पार्कों में सबसे ज्यादा अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोग निवास करते हैं...
अध्यक्ष महोदय -- आ गया, उनका भी कहना है कि 80 प्रतिशत से ज्यादा है..
श्री नारायण सिंह पट्टा -- अध्यक्ष महोदय, पहले आदिवासियों को विस्थापित किया जाता है, उनको घर बनाने के लिए, रोजगार करने के लिए मुआवजा दिया जाता है. फिर इस तरह से यदि प्रतिबंधित या सेंसेटिव एरिया घोषित करके और उनको अगर अस्थाई मकान हों या होम स्टे हों या टेंट हाउस हों, अगर इनकी अनुमति इस तरह की न दी जाए, तो यह तो बेरोजगार होंगे तो मंत्री जी से हमारा यह आग्रह है और वे इतने काबिल मंत्री हैं, आप भी आसंदी से उनकी प्रशंसा कर चुके हैं और हम लोग भी प्रशंसा कर चुके हैं. मेरा भी प्रश्न 3 तारीख को था, आपका संरक्षण था. मैंने तो प्रमाण देने के लिये, नाम देने तक के लिये बात कही थी. बाहर के लोग आकर के पक्के स्थायी लॉज, रिसॉर्ट बना रहे हैं. मैंने उस दिन भी कहा था कि उनके खिलाफ एफआईआर कब करेंगे. जब पक्के रिसॉर्ट निर्माण कराए जा रहे हैं तो मंत्री जी यह जवाब दे दें कि भई, वहां के जनजाति वर्ग के अलावा सभी वर्गों के जो अस्थायी निवासी हैं, उनको आप सदन से अनुमति दे दें. मैं अपने कान्हा नेशनल पॉर्क की बात बता रहा हॅूं कि जो केन्द्र का हवाला दिया जा रहा है कि वहां के अनुसूचित जनजाति के लोगों को कान्हा प्रबंधन के लोग डरा-धमका कर 1 किलोमीटर की बजाय, 2 किलोमीटर से बाहर करने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसे में वहां के अनुसूचित जाति, जनजाति और सभी वर्गों के लोग कहां जाएंगे, यह आदेश माननीय मंत्री महोदय जी से करवा दीजिए.
डॉ. कुंवर विजय शाह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, पहली बात तो, जो माननीय विधायक जी ने कहा है कि किसी को हटाया जा रहा है, किसी को धमकाया जा रहा है, 2 किलोमीटर से बाहर भगाया जा रहा है. माननीय विधायक जी, मैं 26 तारीख को चलूंगा, आप मेरे साथ में चलिएगा.
अध्यक्ष महोदय -- हां, बस ठीक है.
श्री नारायण सिंह पट्टा -- अध्यक्ष महोदय, एक और मेरा निवेदन है. मजदूरों से जुड़ा हुआ विषय है,
श्री दिव्यराज सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मुझे भी इस विषय पर कुछ कहना है.
श्री नारायण सिंह पट्टा-- अध्यक्ष महोदय, गाइडों से जुड़ा हुआ विषय है. सिर्फ नेशनल पॉर्क का विषय है.
अध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी तो आपके साथ जा ही रहे हैं.
श्री नारायण सिंह पट्टा -- जी अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देता हूँ. मैं उनके साथ रहूंगा ही, मैं तो उनका वेलकम करूंगा.
अध्यक्ष महोदय -- श्री शरदेन्दु तिवारी जी.
श्री नारायण सिंह पट्टा -- अध्यक्ष महोदय, एक प्वाइंट है.
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक -- अध्यक्ष महोदय, एक लाईन की बात है..
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं. मैंने इसको विशेष तौर पर....
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक -- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक लाईन की बात सुन लीजिए. हजारों परिवारों और हजारों लोगों के विश्वास की बात है....
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं. मैंने मान लिया..
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक -- अध्यक्ष महोदय, एक लाईन की बात है. मेरा निवेदन है कि आप सुन लीजिए. गरीब लोगों की तरफ से एक निवेदन है, एक लाईन की बात है.
अध्यक्ष महोदय -- वे तो उनके पक्ष में बोल रहे हैं न.
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक -- अध्यक्ष महोदय, छोटी-सी बात बोल रहा हॅूं, सुन लीजिए. पहले लोगों को कोर एरिया से निकाल कर पूरे गांव सहित उनकी जमीन, खेत, मकान सब लेकर बाहर विस्थापित किया गया. अब जब वे बाहर विस्थापित हो गए, उन्होंने बाहर आकर मकान, जमीन ले लिया, तो अब बाहर भी कह रहे हैं कि अब 2 किलोमीटर और बाहर जाओ तो कितनी बार गरीबों को भगाया जाएगा ? कब तक उनको काम नहीं करने दिया जाएगा ? रोजगार करने नहीं दिया जाएगा, व्यवसाय नहीं करने दिया जाएगा ? माननीय मंत्री जी ने बोला कि मुख्यमंत्री जी से चर्चा करके बता देंगे, तो उसकी कोई समय-सीमा तय कर लें.
अध्यक्ष महोदय -- अभी तो आपके साथ में जा रहे हैं तो पहले वहां दिखा दो, उसके बाद वे चर्चा करेंगे.
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक -- जी अध्यक्ष महोदय, लेकिन एक समय-सीमा तय करवा दें, मेरा निवेदन है.
अध्यक्ष महोदय -- अभी तो माननीय मंत्री जी ने कहा कि हम 26 तारीख को जा रहे हैं तो 26 तारीख को ठीक से और भी व्यवस्था कर लेना.
श्री सुखदेव पांसे -- उसके बाद तुम्हारे रिसॉर्ट ले जाना.
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक -- अध्यक्ष महोदय, नारायण पट्टा जी तो मंत्री जी के साथ जा रहे हैं.
श्री नारायण सिंह पट्टा -- संजय भैया, आप भी हमारे साथ सादर आमंत्रित हैं.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, हो गया, हो गया.
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक -- अध्यक्ष महोदय, आप बोलेंगे, तो वे तत्काल समय-सीमा बता देंगे.
अध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी, आप संजय पाठक जी को अपनी तरफ से आमंत्रित कर लीजिए. चलने में बढ़िया हो जाएगा.
डॉ. कुंवर विजय शाह -- जी माननीय अध्यक्ष महोदय.
श्री विश्वास कैलाश सारंग -- अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी संजय जी को लेकर जाएंगे, तो फायदे में ही रहेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- हां, बढ़िया रहेगा.
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक -- साहब, आपको टाइगर बोलते हैं, चीता बोलते हैं, तो कुछ समय-सीमा तो बता दीजिए.
डॉ. कुंवर विजय शाह -- माननीय अध्यक्ष जी, वास्तव में संजय जी तो अपनी जगह ठीक हैं लेकिन जो हमारे जनजाति बंधु, माननीय काकोडि़या जी और नारायण सिंह पट्टा जी ने, जो वहां के माननीय सदस्य हैं, विधायक हैं और उन्होंने जो चिन्ता व्यक्त की. यह गरीब लोगों के पेट का सवाल है. संजय जी, पेट का आपसे कोई लेना-देना नहीं है...(हंसी)
श्री दिव्यराज सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक बात मैं भी बोलना चाहता हॅूं.
श्री नारायण सिंह पट्टा -- अध्यक्ष महोदय,...
अध्यक्ष महोदय -- उनको उत्तर तो देने दीजिए. वे उत्तर तो दे ही रहे हैं न. भई, आपका प्रश्न है, उनका उत्तर भी दे देंगे. अरे, आपने प्रश्न कर लिया, वे उत्तर देने के लिए खडे़ हैं न.
श्री नारायण सिंह पट्टा -- अध्यक्ष महोदय, मैं सलाहकार समिति का सदस्य हॅूं. वहां के गाइडों का बार-बार सवाल उठता है, मंत्री जी को भी अवगत करा चुके हैं. किसी को 600 रूपए मिलते हैं, किसी को 500 रूपए मिलते हैं किसी को 450 रूपए मिलते हैं, तो यह समस्त नेशनल पॉर्कों का विषय है...
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी, एक मिनट दिव्यराज सिंह जी का भी सवाल सुन लीजिए, फिर उत्तर दीजिए.
श्री दिव्यराज सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें केवल एक समस्या बार-बार आती है कि सुप्रीम कोर्ट से ऐसे आदेश आ जाते हैं क्योंकि उसमें समस्या यह है कि हमारी तरफ से कोई ढंग के नियम नहीं बनाए गए हैं. अगर सदन से इसके नियमों की गाइडलाईंस बन जाएंगीं, तो सुप्रीम कोर्ट इस तरह के आदेश नहीं कर पाएगा क्योंकि हमारी तरफ से कोई आदेश नहीं हैं. हमारी तरफ से वेगनेस है. हमारे यहां के कोई नियम-कानून सही ढंग से बने नहीं हैं इसलिए सुप्रीम कोर्ट इसमें तरह-तरह के आदेश कर देता है. इसलिए मैं माननीय मंत्री जी चाहता हॅूं कि इसकी प्रॉपर गाइड लाइन बनाई जाए. जिससे सुप्रीम कोर्ट इसमें बार बार ऐसे आदेश न कर पाए.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी, सारे लोगों का एक साथ जवाब आ जाए.
श्री संजय पाठक-- अध्यक्ष महोदय, इसमें यह और बता देंगे कि क्या अस्थायी निर्माण में कोई रोक तो नहीं है, बस इतना और बता दीजिए.
कुँवर विजय शाह-- अध्यक्ष महोदय, आप अपना घर बनाइये, कोई उस पर रोक नहीं है, अस्थायी निर्माण में और जहाँ तक आपने व्यावसायिक की बात की माननीय मुख्यमंत्री जी से चर्चा करके और सुप्रीम कोर्ट में आपकी भावनाओं का पक्ष रखा जाएगा, नंबर एक, नंबर दो, जो माननीय सदस्य ने कहा है कि वहाँ स्थायी समस्या है, हटा रहे हैं, 6 तारीख नहीं, मैं 26 तारीख को चल रहा हूँ. 26 तारीख को जाकर के, ऐसी कोई बात...
श्री दिव्यराज सिंह-- अध्यक्ष महोदय, इसको प्लीज़ बता दें कि माननीय मंत्री जी इसमें कब एक कोई गाइड लाइन बना लेंगे, सदन से एक गाइड लाइन बना लें तब जाकर के हमारे सॉल्यूशन निकल कर आएँगे. वरना सुप्रीम कोर्ट रोज कुछ भी आदेश कर देता है.
कुँवर विजय शाह-- माननीय अध्यक्ष जी, सुप्रीम कोर्ट को न तो मैं चैलेंज कर सकता हूँ....
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, कुछ नहीं कर सकते.
कुँवर विजय शाह-- न मैं सुप्रीम कोर्ट को लिख कर दे सकता हूँ.
श्री दिव्यराज सिंह-- अध्यक्ष महोदय, नियम कानून हमारे सदन से बनाए जाते हैं, उसी को सुप्रीम कोर्ट को फॉलो करना चाहिए.....(व्यवधान)..
कुँवर विजय शाह-- अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश की विधान सभा से कोई ऐसे कानून नहीं बनते कि सुप्रीम कोर्ट उसका पालन करे.
श्री नारायण सिंह पट्टा-- अध्यक्ष महोदय....(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- ठीक है. हो गया. यह कोई सवाल नहीं है. एक तो हमने 6 ले लिये उस पर भी आप दो घंटे लगाएँगे तो कैसे करेंगे. नहीं, आप बैठ जाइये, आपके सारे प्रश्न आ गए, आपके गाइड के भी आ गए, उनके मानदेय के आ गए, सब आ गया. माननीय मंत्री जी, उत्तर दें.
श्री लक्ष्मण सिंह-- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी, इसमें विशेषज्ञों की भी राय अवश्य लें.
कुँवर विजय शाह-- बिल्कुल. माननीय अध्यक्ष जी, ईको सेंसेटिव झोन का जो मैटर आपने बताया है उसके लिए हमारा जो पर्यावरण विभाग है, टूरिज्म विभाग है, बहुत दिनों से उसमें एक काम कर रहे हैं. लेकिन 2-3 महीने के अन्दर सारे पार्कों का मास्टर प्लान हम लोग सुप्रीम कोर्ट में जमा करवा रहे हैं.
12.27 बजे
स्वागत उल्लेख
छत्तीसगढ़ के सांसद, पूर्व मंत्री, श्री रामविचार नेताम का स्वागत उल्लेख.
अध्यक्ष महोदय-- आज सदन की दीर्घा में छत्तीसगढ़ के सांसद, पूर्व मंत्री श्री रामविचार नेताम जी उपस्थित हैं और यह हम सबका सौभाग्य है कि मध्यप्रदेश विधान सभा के भी वे सदस्य रहे हैं. सदन की ओर से उनका स्वागत है.
(मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय-- अब यह दूसरा ध्यानाकर्षण है सर्वश्री शरदेन्दु तिवारी जी, पंचूलाल प्रजापति जी, कुँवर सिंह टेकाम जी, शरदेन्दु तिवारी जी अपने ध्यानाकर्षण की सूचना पढ़ें.
12.27 बजे
(2) श्यामशाह चिकित्सा महाविद्यालय रीवा के डीन द्वारा पद का दुरपयोग किया जाना.
श्री शरदेन्दु तिवारी (चुरहट) {श्री पंचूलाल प्रजापति,कुँवर सिंह टेकाम}-- धन्यवाद माननीय अध्यक्ष महोदय.
अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यानाकर्षण की सूचना का विषय इस प्रकार है—
12.31 बजे {सभापति महोदय (श्री हरिशंकर खटीक) पीठासीन हुए.}
चिकित्सा शिक्षा मंत्री (श्री विश्वास सांरग) -- माननीय सभापति महोदय,
श्री शरदेन्दु तिवारी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने बहुत लम्बा जवाब दिया है. बहुत सारा काम पहले कर भी दिया है. श्रीमती अनीता तिवारी के प्रकरण में जांच की है इसके लिए उनका बहुत-बहुत धन्यवाद. इसके पहले एक प्रकरण आया था जिसमें लाइट न होने के कारण ऑक्सीजन आपूर्ति की कमी थी और एक मरीज की मृत्यु हो गई थी. काफी पहले इसी सदन में मैंने वह प्रश्न उठाया था. यहां पर महत्वपूर्ण मामला यह है कि कैंसर जैसे गंभीर रोग में जहां हमारे मुख्यमंत्री जी..
12.35 बजे {अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}
श्री शरदेन्दु तिवारी -- ...हम लोगों के जाने पर, सभी विधायकों के जाने पर स्वेच्छानुदान देने को भी तैयार होते हैं. दिसम्बर 2020 को विभाग के द्वारा तीन लाख रुपए का आवेदन किया गया कि हमको इस अस्पताल में इलाज कराना है. हमारी प्रक्रिया लेट होती चली गई. हम 20 तारीख को आवेदन करते हैं और 22 को आवेदन पहुंच जाता है. उसके बाद उसमें कोई कार्यवाही नहीं होती है. मामला चल रहा होता है. कैंसर का पेशेंट है. वह पहले जाकर दवाई करवाकर आ जाते हैं उसके बाद वह कार्योत्तर स्वीकृति के लिए आवेदन लगाते हैं. आज हम 20 तारीख को यहां सदन में बैठे हुए हैं अभी तक उसमें कोई कार्यवाही नहीं हुई है. जांच चल रही है, पैसा नहीं आ रहा है. आपको मालूम है कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारी पर पूरा घर परेशान होता रहता है और आर्थिक बोझ भी छोटे कर्मचारी के ही ऊपर आता है. सुदामा प्रसाद पांडे जी के ऊपर भी आया. मुझे एक पत्र मिला है कि इस विषय पर माननीय अध्यक्ष्ा महोदय ने भी स्वयं संज्ञान लेते हुए इस पर डीन को एक पत्र लिखा था और इस लापरवाही के बारे में आपने उनका ध्यान खींचा था कि इस पर तुरंत कार्यवाही करें, लेकिन इस पर अभी तक कार्यवाही नहीं हुई है. सबसे पहली बात तो यह है कि इनका जो कैंसर के इलाज में खर्चा लगा है इसमें इनको इनका पैसा कब तक दे दिया जाएगा और दूसरी बात यह है कि यह जो गंभीर अव्यवस्था का विषय है लगातार सदन में गंभीर अव्यवस्था का विषय संजय गांधी मेडिकल कॉलेज, श्यामशाह मेडिकल कॉलेज के लिए आ रहा है. उस पर माननीय मंत्री जी पूरी की पूरी कार्यवाही जिस पर हम यह कहें कि वास्तव में यह कार्यवाही हो गई है या जांच चल रही है ऐसा न हो. माननीय मंत्री महोदय, इसमें यह बताने का कष्ट करें कि पूरी कार्यवाही कब तक हो जाएगी?
श्री विश्वास सारंग-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा माननीय विधायक जी ने अपने वक्तव्य के शुरुआत में ही कहा कि जब भी इस सदन में कोई प्रकरण आया है हमने तुरंत कार्यवाही की है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपको भी धन्यवाद दूंगा कि आपने आसंदी से मेरी तारीफ की हमने तुरंत कार्यवाही भी की. जहां तक सुदामा प्रसाद पांडे जी का प्रकरण है मैंने पूरा जवाब विस्तृत रूप से दे दिया है. यह एक प्रक्रिया है जिसके तहत यदि कोई सरकारी कर्मचारी राज्य के बाहर या राज्य के अंदर निजी अस्पताल में इलाज कराता है तो वह अस्पताल सूचीबद्ध होना चाहिए. सुदामा प्रसाद पांडे जी ने नागपुर के जिस संस्थान में अपना इलाज कराया वह राज्य सरकार की जो सूची है उसमें सूचीबद्ध नहीं है. परंतु ऐसे प्रकरण होते हैं कि बहुत बार बीमारी के कारण ऐसी स्थिति बनती है कि सूचीबद्ध जो अस्पताल हैं उसके बाहर भी इलाज करवाना पड़ता है तो शासन ने हर विषय पर विचार करके प्रक्रिया बनाई है. उस हिसाब से रीवा मेडिकल कॉलेज में यह प्रकरण गया क्योंकि वह अस्पताल सूचीबद्ध नहीं था इसलिए वह रिजेक्ट हो गया. दूसरी बार उन्होंने फिर से आवेदन प्रस्तुत किया. जो अस्थी रोग के विभागाध्यक्ष थे उनकी अध्यक्षता में एक समिति बनी. उन्होंने उनसे फिर से पूरी जानकारी मांगी और उसका औचित्य क्या था इस पर विचार करके उन्होंने रिकमण्ड किया. परंतु महाविद्यालय स्तर पर उस पर निर्णय नहीं लिया जा सकता इसलिए जो उनका संबंधित विभाग है उसको वह प्रकरण भेजा गया है. संबंधित विभाग वह राज्य शासन को भेजेगा और क्योंकि आपने भी लिखा है तो मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि वह जैसे ही विभाग में आएगा क्योंकि यह कर्मचारी सिंचाई विभाग से संबंधित कर्मचारी है तो सिंचाई विभाग का प्रकरण जैसे ही आएगा हम उस पर विचार करके जो भी निर्णय होगा जरूर करेंगे.
श्री पंचूलाल प्रजापति (मनगवां)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो रीवा मेडिकल कॉलेज की बात है, जो वहां के डीन साहब हैं वह डीन साहब जो प्राईवेट अस्पताल के लिए काम किया करते हैं इस तरह से इनका अस्पताल है और वहां इनका शुल्क भी लिखा है कि इनका परामर्श शुल्क 400 रुपए है और तत्काल शुल्क 600 रुपए है. इनका इतना अधिक रेट चल रहा है और इन्होंने बहुत बड़ी बिल्डिंग बनाई है. नीचे इनका अस्पताल है और ऊपर रिहायशी है. यह अस्पताल में ओपीडी में कभी नहीं बैठते हैं और जो जूनियर डॉक्टर बैठते हैं तो वह सीधे कहते हैं कि आप वहां चले जाइए और जब मरीज वहां जाते हैं तो मरीजों की लुटाई करते हैं. हमारा इस संबंध में आपसे यह निवेदन है कि इनको उस पद से हटा दिया जाए और उनके ऊपर शीघ्र से शीघ्र कार्यवाही की जाए.
अध्यक्ष महोदय-- कुंवर सिंह टेकाम जी की बात भी आ जाए.
श्री कुँवर सिंह टेकाम (धौहनी)- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे क्षेत्र में 4-5 जिलों में, यह एकमात्र शासकीय महाविद्यालय है, जहां स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध होती है. वहां अव्यवस्थाओं का इतना अंबार लग गया है कि उन्हें ठीक करने की आवश्यकता है. जैसा कि अभी तिवारी जी और पंचूलाल जी ने कहा कि रीवा में एकमात्र चिकित्सा महाविद्यालय है. वहां पर जो अव्यवस्थायें हैं, उन्हें ठीक किया जाये. वहां से मरीजों को, जो प्राइवेट अस्पतालों में रिफर किया जाता है, यह गंभीर विषय है. क्या वहां सुविधायें नहीं हैं या वह लुटाई का अड्डा बन गया है. इस पर आपका ध्यान चाहूंगा.
श्री संजय यादव- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, बार-बार यही कह रहा हूं कि पूरे प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है. 108 एम्बुलेंस वाले, प्राइवेट अस्पताल में भेज देते हैं.
अध्यक्ष महोदय- आप बैठ जायें. अभी रीवा का चल रहा है. रीवा संभाग के 3-3 विधायक लगे हुए हैं, मंत्री जी थोड़ा-सा सुनेंगे.
इसमें गंभीरता इसलिए है कि उनको अधिकारिता है या नहीं, यह प्रश्न अब गौण हो गया है. प्रश्न यह है, जब उनका पत्र 20-12-2022 को, कार्यपालन यंत्री के यहां से पत्र गया, 3 लाख रुपये के एस्टीमेट के साथ कि आप इन्हें स्वीकृति दें. उन्होंने स्वीकृति नहीं दी. आगे किस कमेटी को भेजा, कहां भेजा, उसको कोई जानकारी नहीं है. उनसे जाकर कैंसर का इलाज करवा लिया तो कार्योत्तर स्वीकृति का आपका एक नियम है, उस नियम के तहत फिर भेजा. जब मैंने, 16 तारीख को आपको पत्र भेजा, यदि आपने मेरा पत्र देखा होगा तो उसमें मैंने स्पष्ट लिखा है कि इसी तरह से कई घटनायें हुई हैं. 3 लाख रुपये की स्वीकृति भेजी गई थी परंतु अभी तक न तो स्वीकृत किया गया, न ही निरस्ती की कोई सूचना दी गई है. यदि आपने निरस्त किया है तो सूचना कर देना चाहिए था.
उल्टा यह हुआ, आप देखियेगा सामान्य प्रशासन विभाग का एक आदेश है, जिसमें स्पष्ट उल्लेख है कि समय-समय पर माननीय संसद सदस्यों, विधायकों के पत्रों की पावती देने, उनके पत्रों पर कार्यवाही का निर्धारित अवधि में उत्तर देने, शासकीय अधिकारियों-कर्मचारियों द्वारा सौहार्दपूर्ण व्यवहार करने, उन्हें सार्वजनिक समारोह कार्यक्रमों में आमंत्रित करने, उनसे प्राप्त पत्रों के लिए पृथक पंजी संधारित करने, निर्देश पालन करने, संबंधी निर्देश जारी किय गए हैं.
आगे यह मार्क किया गया है सुविधा समिति की बैठक 11-10-2021 को, माननीय अध्यक्ष द्वारा, माननीय सदस्यों के पत्रों के निराकरण होने में विलंब होने पर, विभाग द्वारा, जारी निर्देश का उल्लंघन करने पर, अप्रसन्नता व्यक्त की गई है. उक्त स्थिति को दृष्टिगत रखते हुए पुन: निर्देशित किया जाता है, शासन द्वारा जारी निर्देशों को अपने अधीन, जिला कार्यालयों, अधिकारियों के ध्यान में लाया जाये और उनका कड़ाई से पालन सुनिश्चित किया जाये. इससे यह तय होगा कि हमारा सामान्य विधायक, सांसद पत्र लिखता है, 15 दिनों के भीतर आपने क्या कार्यवाही की, उसकी जानकारी देना है.
उल्टा उन्होंने क्या किया, उन्होंने प्रेस को बुलाकर वार्ता की. प्रेस-वार्ता लेते हुए उन्होंने कहा कि यह प्रकरण कार्यालय में 2 फरवरी को प्राप्त हुआ. अगले दिन उसकी मार्किंग की गई, ऐसे प्रकरणों की स्वीकृति के लिए, एक कमेटी बनी हुई है. कमेटी द्वारा ऐसे प्रकरणों में निर्णय लिया जाता है. ऐसे किसी भी प्रकरण में कोई हीला-हवाली नहीं की जाती, प्रकरण प्रक्रिया में है. ये नेता की तरह अपना बयान दे रहे हैं और वह भी असत्य कथन कह रहे हैं. वे कह रहे हैं कि हमें 2 फरवरी को पत्र प्राप्त हुआ. तो यह जो रसीद है, आपने शायद रसीद देखी होगी. इसमें 22-12 को आपके डीन कार्यालय की पावती है. 22-12 को आपने पावती दी कि वह पत्र आपको मिल गया. 22-12 से 2 फरवरी तक क्या हुआ ? हमने तो यह नहीं लिखा, हमने तो केवल यह लिखा कि आप निर्णय कर दो, स्वीकृत हुआ या जो कुछ करना है कर दो.
मेरा आग्रह है कि उनके विरूद्ध तमाम् शिकायतें हैं. इसके पूर्व भी अनीता मिश्रा के प्रकरण में, मैंने आपको धन्यवाद इसलिए दिया कि आपने त्वरित कार्यवाही की. इसमें मेरा आग्रह है, मैं, आसंदी से कह रहा हूं आप इसे आग्रह समझ लें या निर्देश समझ लें. आप उस डीन को वहां से हटा लो, आप सरकार की क्यों बदनामी करवा रहे हैं ? मेरा केवल इतना कहना है. (मेजों की थपथपाहट)
श्री विश्वास सारंग- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने यहां आसंदी से जो निर्देश या आग्रह, जो भी आप कहें किया है, हम उस पर विचार करेंगे.
अध्यक्ष महोदय- ठीक है.
12.44 बजे
(3) पांचवीं एवं आठवीं की परीक्षा को बोर्ड पैटर्न से मुक्त रखा जाना
श्री शैलेन्द्र जैन (सागर)- अनुपस्थित
12.44 बजे
(4) वर्ष 2006 से 2008 तक जन्म लेने वाली बालिकाओं को लाड़ली लक्ष्मी योजना का लाभ न मिलना
सुश्री हिना लिखीराम कावरे (लांजी)- माननीय अध्यक्ष महोदय,
राज्यमंत्री, उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण (श्री भारत सिंह कुशवाह):- माननीय अध्यक्ष महोदय,
सुश्री हिना लिखीराम कावरे:-माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा ध्यानाकर्षण लगाने का उद्देश्य ही यह था कि जिनको संशोधन आपने करवा लिया. बहुत अच्छी बात है कि विभाग ने 2006 में योजना प्रारंभ करी और उसके बाद जैसे ही समझ में आया कि परिवार नियोजन, चूंकि हमारी संस्कृति है कि हमारे पहली बालिका होती है तो परिवार नियोजन नहीं अपनाया जाता है. आपने इसको बहुत जल्दी स्वीकार कर लिया और वर्ष 2008 में संशोधन भी आप लेकर आ गये लेकिन उन बच्चियों का क्या जो लाड़ली लक्ष्मी योजना की जब शुरूआत हुई थी तब से लेकर जो प्रथम बालिका है, जिसने परिवार नियोजन नहीं अपनाया वह बालिकाएं अभी भी इस योजना के लाभ से वंचित हैं. मैं, माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मैं मंत्री जी से जानना चाहती हूं कि ऐसी कितनी बच्चियां हैं, जिनके परिवार ने परिवार नियोजन नहीं अपनाया है, वह प्रथम बालिकाएं उनकी संख्या क्या माननीय मंत्री जी आप मुझ बतायेंगे ? और क्या आप उनको इस योजना का लाभ देंगे, यह भी बतायेंगे.
अध्यक्ष महोदय:- आपने क्या यह पूछा था कि कितनी संख्या है ?
सुश्री हिना लिखीराम कावरे:- हां, माननीय अध्यक्ष पूछा था कि कितनी संख्या है.
अध्यक्ष महोदय:- अभी पूछा ना.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे:- मैंने संख्या पूछी है.
अध्यक्ष महोदय:- संख्या है ?
श्री भारत सिंह कुशवाह:- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य का यह कहना बिल्कुल गलत है. योजना के प्रारंभ में वित्तीय वर्ष 2007-2008 में 40 हजार, 854 बालिकाओं को लाभांवित किया गया है, उस समय भी.
अध्यक्ष महोदय:- वह यह पूछ रही हैं कि प्रथम बालिका जिनको अपात्र किया गया है, वह कितनी हैं ? उनकी संख्या आपके पास है.
श्री भारत सिंह कुशवाह:- अध्यक्ष महोदय, जिनको लाभांवित किया गया है, उनकी संख्या मेरे पास नहीं है.
अध्यक्ष महोदय:- उनका प्रश्न यह नहीं है. उनका प्रश्न यह है कि नियम यह बना कि संशोधन किया कि प्रथम बालिका को ही दिया जायेगा, एक बालिका पर यदि वह फेमिली प्लानिंग सर्टिफिकेट है तो दिया जायेगा. यह वर्ष 2008 तक चला आया. वर्ष 2008 में एक नियम आपने पास किया कि वह प्रथम बालिका हो उसमें फेमिली प्लानिंग की आवश्यकता शायद नहीं है और वह बीच वाले लोग वंचित हो गये.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे:- जी, माननीय अध्यक्ष महोदय, जो आप पूछ रहे हैं, वही है.
अध्यक्ष महोदय:- यदि एक ही बालिका है तो परिवार नियोजन की आवश्यकता नहीं पड़ी तब भी एक बालिका है, वह रह गयी. उसकी संख्या जानना चाहती हैं, क्या उनको भी किस तरह से फायदा पहुंचाया जायेगा ?
श्री भारत सिंह कुशवाह:- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक तो मैं यह स्पष्ट करना चाहूंगा कि जैसा माननीय सदस्या कह रही हैं कि प्रथम संतान बालिका पर परिवार नियोजन की बाध्यता थी, ऐसा कुछ नहीं था. यदि प्रथम संतान बालिका है तो द्वितीय संतान के जन्म के एक वर्ष के अंदर, परिवार योजना का,कर योजना का लाभ ले सकती थी, उस समय भी. इसलिये थोड़ी भ्रांति हुई, जिसका हमने वर्ष 2008 में सरलीकरण किया. व्यापक एक सुधार करते हुए 2008 में प्रथम बालिका के जन्म पर योजना का लाभ परिवार नियोजन के बिना दिये जाने का स्पष्ट उल्लेख किया गया है.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे--अध्यक्ष महोदय, यही बात तो मैं आपसे कह रही हूं कि जिस दिन से आपने यह योजना शुरू की. आपने इसमें संशोधन लाये ही इसलिये कि क्योंकि आपको समझ में आ गया कि परिवार नियोजन की बाध्यता को खत्म करना पड़ेगा. तो उस बीच जो बच्चियां छूट गई हैं. मैं उनकी संख्या को जानना चाह रही हूं. क्या उन बच्चियों को लाभ देंगे क्या वह आंकड़ा आपके पास है.
श्री भारत सिंह कुशवाह-- अध्यक्ष महोदय, मैं यह कहना चाहूंगा कि योजना को विस्तार देने के लिये हमें जो आवश्यकता लगी 2008 में इस योजना को विस्तार देना चाहिये और अगर 2008 के हम पहले जायेंगे. आज 17 वर्ष हो गये हैं इस योजना को प्रारंभ हुए. तो 2008 में जाने का कोई प्रश्न ही नहीं है. हमें आगे बढ़ना है और प्रदेश को आगे बढ़ाना है.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे-- अध्यक्ष महोदय, यह जो योजना है जिसका आप जिक्र कर रहे हैं, यह योजना मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री आदरणीय श्री शिवराज सिंह चौहान जी इस योजना के नाम से मामा शब्द की उनको पदवी मिली है. यह योजना जिस दिन से शुरू हुई है न केवल मध्यप्रदेश में बल्कि पूरे देश में शिवराज सिंह चौहान को मामा के रूप में बोला जाता है. मैं आपको पीछे जाने के लिये नहीं कह रही हूं. मैं आपसे यही कह रही हूं कि जो बच्चियां छूट गई हैं. आपने संशोधन लाया क्यों ? लाया तो जब से आपने योजना शुरू की है उस संशोधन के पहले जितनी बच्चियां छूटी हैं केवल उन्हीं को लाभ देने के लिये कह रहे हैं. मंत्री जी अगर आप कोई सकारात्मक उत्तर नहीं दे सकते हैं तो मैं आपसे दूसरा प्रश्न कर लूं. क्योंकि मैं जानती हूं कि माननीय मुख्यमंत्री जी के संज्ञान में यह बात आ गई तो यह मेरा विश्वास है कि निश्चित रूप से शिवराज सिंह चौहान जी यह बच्चियां जो अभी वंचित रह गई हैं, निश्चित रूप से उनको लाभ दिलवाएंगे ? आज एक ऐसा इत्तफाक है कि माननीय मुख्यमंत्री जी मेरी विधान सभा में गये हैं. लांजी विधान सभा में उनका आगमन है. पर चूंकि यह ध्यानाकर्षण लगा हुआ था इसलिये आज मुझे इस सदन में उपस्थित होना पड़ा. लेकिन मैं आपके माध्यम से कहना चाहती हूं कि क्या उनके संज्ञान में यह बात लायेंगे ? और यदि लायेंगे तो निश्चित रूप से इसमें जो बच्चियां छूट गई हैं उनको लाभ देंगे. क्योंकि इनकी संख्या भी कम नहीं है 60 हजार के लगभग है.
अध्यक्ष महोदय--उनकी यह मांग नहीं है कि उनको क्या देना है ? यह जानकारी उनकी भावना हैं कि माननीय मुख्यमंत्री जी संज्ञान में ले जायें, यह कह रही हैं.
श्री भारत सिंह कुशवाह-- अध्यक्ष महोदय, बिल्कुल ले जायेंगे ?
सुश्री हिना लिखीराम कावरे--इस योजना का लाभ इनको देंगे क्या ?
अध्यक्ष महोदय--आपका कहना है कि उनके संज्ञान में लाना है. आप यह बात खुद कह रही हैं ना. आप कह रही हैं कि माननीय शिवराज सिंह जी के संज्ञान में आ जाये, वह खुद करेंगे, तो वह संज्ञान में ला देंगे.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे-- अध्यक्ष महोदय, सकारात्मक रूप से लेकर के जायें.
अध्यक्ष महोदय--सकारात्मक रूप से लेकर के जायें.
श्री भारत सिंह कुशवाह--सकारात्मक मंत्री हूं. इसी रूप में ही ले जाऊंगा.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे-- अध्यक्ष महोदय, जितना भी उत्तर माननीय मंत्री जी ने दिया है एक का भी कार्यान्यन जमीनी स्तर पर नहीं है.
अध्यक्ष महोदय--आप हमारे मुख्यमंत्री जी पर भरोसा कर रही हैं उसको मानिये ना भरोसा कर रही हैं तो हो ही जायेगा. उस भरोसे को आप तो कायम रखिये. मंत्री जी आप उनके सामने ले जाईये.
(5) बैतूल जिले के मुलताई-हतनापुर रेल्वे क्रासिंग पर ओवर ब्रिज का निर्माण कार्य प्रारंभ न किये जाना
श्री सुखदेव पांसे (मुलताई)--अध्यक्ष महोदय,
लोक निर्माण मंत्री (श्री गोपाल भार्गव) :- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री सुखदेव पांसे - अध्यक्ष महोदय, ये रेलवे ट्रेक हिन्दुस्तान का मुख्य ट्रेक है और यहां से हर 10-15 मिनट में सुपर फास्ट ट्रेन गुजरती हैं, मालगाडि़या गुजरती हैं, जब हर 10-15 मिनट में ट्रेन गुजरती हैं तो वह गेट कंटीन्युटी खुलता ही नहीं और ये जिले का मुख्य सड़क हैं. बैतूल, मुलताई, छिन्दवाड़ा मुख्य मार्ग है, इस पर 100-200 गांवों का आवागमन है. एक तरफ ये बीच शहर में है, ये मुख्य सड़क है, इसके अलावा कोई सड़क ही नहीं है. एक तरफ हास्पिटल है, एक तरफ कॉलेज है. कभी कभी वह गेट घंटों नहीं खुलता है, क्योंकि हिन्दुस्तान के मुख्य ट्रेक पर यह गेट है. इसके कारण कई परीक्षार्थी कॉलेज में परीक्षा नहीं दे पाते, वहां पर एंबुलेंस रुकी रहती है, वह गेट घंटों नहीं खुल पाता, लोग इलाज के लिए हास्पिटल नहीं जा पाते, ये जिले का मुख्य सड़क हैं. अध्यक्ष जी, आपके माध्यम से अनुरोध है, माननीय मंत्री जी ने मुझे 2 साल पहले एक पत्र भेजा, आपका बड़ा सुन्दर और गरिमामय पत्र होता है, प्रिय सुखदेव जी, आपका हमने ये ओवरब्रिज बजट में शामिल कर लिया. मेरा आपसे अनुरोध है कि बजट की कुछ तो गरिमा होती होगी और आपके पत्र की भी गरिमा होती होगी. मैंने क्षेत्र में वह पत्र दिखाया कि भार्गव जी ने बड़ा अच्छा पत्र भेजा है कि इसमें ओवरब्रिज सेंक्शन हो गया, आपके नाम से जनता खुश हुई, तो कम से कम आपके पत्र की गरिमा, बजट की गरिमा, दो साल पहले ही यह बजट में आ चुका है. कब तक कितना इंतजार करेंगे, इससे विश्वसनीयता घटती है, जनहित का मामला है, सर्वहित का मामला है, सब लोगों का मामला है. मेरा आपसे करबद्ध निवेदन है कि आज आप यहां सदन में आश्वस्त करें कि उस ओवरब्रिज की कब से आप शुरुवात करेंगे, टेण्डर कब लगाएंगे और कब से उसके निर्माण का कार्य शुरू करेंगे.
अध्यक्ष महोदय - आपको भूमिपूजन के लिए आग्रह करना चाहिए. अब कर रहे हैं, दो साल पहले करना चाहिए था.
श्री सुखदेव पांसे - मैं पुन: आपसे निवेदन करता हूं कि मां ताप्ती का उद्गम स्थल हैं. आप एक बार दर्शन करने आइए. मध्यप्रदेश सरकार ने उसको पवित्र नगरी घोषित किया है, इसलिए आप दर्शन करने आइए और पुण्यप्रताप पाइए, भूमि पूजन भी करने आइए. मैं आपका स्वागत करुंगा.
श्री गोपाल भार्गव - मां ताप्ती नदी में स्नान भी करेंगे.
श्री सुखदेव पांसे - जरुर.
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष जी, मुझे सदन को और माननीय सदस्य पांसे जी को अवगत कराते हुए खुशी हो रही है कि मध्यप्रदेश राज्य का जब गठन हुआ, जब से लेकर आज तक 105 आरओबी पहली बार, पहले साल में एक बनता था, तो लोग वाहवाह करते थे. हमने 105 आरओबी स्वीकृत किया. कुछ वित्तीय सीमाएं होती हैं जो विभाग के सूचकांक होते हैं, इसके कारण से ये आरओबी एक साथ नहीं लिए जा सकते. 15 आरओबी की एसएफसी हो गई है, प्रशासकीय स्वीकृति हो गई है. 36 प्रक्रियाधीन है. मैं यह कहना चाहता हूं कि आपकी जो ध्यानाकर्षण सूचना है, जो प्रस्ताव है, आपकी जो अपेक्षा है इस पर हम शीघ्र अतिशीघ्र निर्णय करवाकर और आपके निर्माण के कार्य के लिए हम आगामी जैसे ही वित्तीय स्वीकृति मिल जाएगी, हम इसको करवा देंगे.
श्री सुखदेव पांसे - अध्यक्ष महोदय, मैं करबद्ध प्रार्थना करता हूं कि कब तक आप इसका काम शुरु करवा देंगे. एक समय सीमा निर्धारित कर दीजिए, ताकि आश्वस्त हो जाएं क्योंकि आपने ही हमें स्वीकृति का पत्र भेजा है. बजट में सन् 2020-21 में यह आपने स्वीकृति दी है, आपने प्रायोरिटी पर ध्यानाकर्षण लिया है तो आप केवल इतना आश्वस्त कर दीजिये कि कब तक इसका काम शुरू करवा देंगे ? यह मेरा निवेदन है.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष जी, जैसी माननीय सदस्य की अपेक्षा है, तो मैं फिर यह कहना चाहता हूँ कि पहली बार ऐसा हुआ कि पूरे मध्यप्रदेश में 105 आरओबी एक साथ लिये गये, क्रमश: जैसे-जैसे बजट में प्रिन्ट छपना, बजट में आना इसका अर्थ यह है कि काम होगा. अध्यक्ष महोदय, सिर्फ इसमें दिक्कत यह आ रही है कि पहले 4 प्रतिशत जो हमारे विभाग का सूचकांक था, जिसे बढ़ाकर अब हमारी सरकार ने, भारत सरकार ने भी अनुमति दे दी उसमें, अब इसके लिए 4.25 प्रतिशत कर दिया गया है और मुझे विश्वास है कि जल्दी से जल्दी इस दायरे में आ जायेगा, उसके लिए हम कर रहे हैं.
श्री सुखदेव पांसे - इस विधान सभा चुनाव के पहले उसका भूमिपूजन कर देंगे कि नहीं. क्या आप बस वाहवाही लूटते रहते हैं कि हमने इतने कर दिये, उतने कर दिये. कम से कम, यह सन् 2020-21 के बजट में है तो विधान सभा चुनाव के पहले आप इसका भूमिपूजन कर देंगे कि नहीं ?
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यथासंभव कोशिश करूँगा. मैं आपको अलग से बता दूँगा, थोड़ी सी समस्या है, वह आपको बता दूँगा.
अध्यक्ष महोदय - ध्यानाकर्षण सूचना. श्री रमेश मेन्दोला.
(6) श्री रमेश मेन्दोला - (अनुपस्थित).
1.12 बजे आवेदनों की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय - आज की कार्य सूची में सम्मिलित सभी आवेदन प्रस्तुत किये गए माने जाएंगे.
नेता प्रतिपक्ष (डॉ. गोविन्द सिंह) - माननीय अध्यक्ष जी, एक प्रार्थना है. माननीय डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ जी, एक मिनट में अपनी बात कहना चाहती हैं.
अध्यक्ष जहोदय - नहीं. कल शून्यकाल में करवा लीजिये.
डॉ. गोविन्द सिंह - अध्यक्ष जी, सिर्फ आधा मिनट की बात है. इनके क्षेत्र की कोई समस्या है, उसके बारे में कहना चाह रही हैं.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ (महेश्वर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, बजट का महत्वपूर्ण सत्र चल रहा है. मैं आपके संज्ञान में यह लाना चाहती हूँ कि लॉ एण्ड ऑर्डर की स्थिति जो बन रही है, मैंने मेरे अपने क्षेत्र की घटना के बारे में मामला उठाया था. (XXX)
चिकित्सा शिक्षा मंत्री (श्री विश्वास सारंग) - अध्यक्ष महोदय, यह ठीक नहीं है. व्यवस्था का प्रश्न है, माननीय अध्यक्ष महोदय.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ - (XXX) (..व्यवधान..)
श्री विश्वास सारंग - माननीय अध्यक्ष महोदय, इसको विलोपित करवाइये. यह ठीक नहीं है. ..(..व्यवधान..) यह लिखा नहीं जाये, माननीय अध्यक्ष महोदय.
डॉ. हिरालाल अलावा - माननीय अध्यक्ष महोदय, ..(..व्यवधान..)
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ - (XXX)
अध्यक्ष महोदय - मैंने आपको अनुमति नहीं दी है. यह नहीं लिखा जायेगा. (..व्यवधान..) अब किसी का कुछ नहीं लिखा जायेगा.
डॉ. हिरालाल अलावा - (XXX)
सुश्री हिना लिखीराम कावरे - (XXX)
श्री ओमकार सिंह मरकाम - (XXX)
श्री जयवर्द्धन सिंह - (XXX)
श्री सुनील सराफ - (XXX)
श्री हर्ष यादव - (XXX)
..(..व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय - आप व्यवस्था सुन लीजिये. आप लोग बैठ जाइये. हर्ष यादव जी, बैठ जाइये. आप भी बैठ जाइये. हल्ला करने से कोई मतलब नहीं निकलता है. आप लोग बैठ जाइये. .(..व्यवधान..)
एक माननीय सदस्य - इनकी एक भी बात दर्ज न की जाये, अध्यक्ष महोदय. ये सारी बातें विलोपित की जायें.
..(..व्यवधान..)
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- अध्यक्ष महोदय (व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय --(एक साथ कई माननीय सदस्यों द्वारा आपने आसन पर खड़े होने पर)आप सभी बैठ जायें, नहीं आवाज नहीं आ रही है. (व्यवधान..) अभी नेताप्रतिपक्ष जी ने भी मुझसे कहा, इसलिये यह प्रावधान नहीं है, यह आप सब जानते हैं कि ध्यानाकर्षण के बाद इस तरह के अवसर मिलते नहीं है. (एक माननीय सदस्य द्वारा आपने आसन पर खड़े होने पर) आप बैठ जायें, सुन तो लीजिये. हर बार खड़ा होना है तो फिर मैं क्यों खड़ा हूं. हर बार, हर शब्द में खड़ा हो जाना, इसलिये नेता प्रतिपक्ष जी ने कहा तो मैंने तो विषय पूछा तो यह कोई दूसरा है, अब वह जिस विषय को आपने पटाक्षेप कर दिया. आप यहां से निकलकर चली गईं, जो दृश्य बनना था बन चुका, उसको फिर खड़ा करने की अनुमति कैसे दे दूं. कल कोई विषय आयेगा, तो आप शून्यकाल में उसे उठाना. (व्यवधान..)
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- अध्यक्ष महोदय, उसके बाद भी सरकार गंभीर नहीं है, कल झुकर गांव में विदिशा जिले में (व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय -- नहीं हो गया, श्री दिलीप सिंह परिहार जी. (व्यवधान..)
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- एक घटना के बाद, दूसरी घटना के बाद लगातार घटना घट रही है. (व्यवधान..) मारपीट किये और उन्हीं के ऊपर मुकदमा दर्ज करने का काम किया जा रहा है. यह पूरी तरह से आदिवासियों को डराने का काम किया जा रहा है. मेरा अनुरोध है (व्यवधान..)
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -- माननीय अध्यक्ष महोदय, घटना होने के बाद पुनरावृत्ति हुई है, (व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय -- श्री राम दांगोरे जी आप बोलें, बाकी किसी का नहीं लिखा जायेगा. (व्यवधान.)
श्री संजय पाठक ------[XXX]
श्री ओमकार सिंह मरकाम ----[XXX]
श्री सुनील सर्राफ -- --[XXX]
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ ----[XXX]
श्री हर्ष यादव --[XXX]
अध्यक्ष महोदय --(श्री ओमकार सिंह मरकाम, सदस्य द्वारा आपने आसन पर खड़े होने पर) आपकी बात आ गई है, आप सभी बैठ जायें. श्री राम दांगोरे जी आप बोलें. (व्यवधान..)
1.07 बजे वर्ष 2023-2024 की अनुदानों की मांगों पर मतदान ..... (क्रमश:)
(1) |
मांग संख्या – 1 |
सामान्य प्रशासन |
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मांग संख्या – 2 |
विमानन |
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मांग संख्या – 20 |
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी |
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मांग संख्या – 32 |
जनसम्पर्क |
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मांग संख्या – 41 |
प्रवासी भारतीय |
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मांग संख्या – 45 |
लोक परिसम्पत्ति प्रबंधन |
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मांग संख्या – 48 |
नर्मदा घाटी विकास |
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मांग संख्या – 55 |
महिला एवं बाल विकास |
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मांग संख्या – 57 |
आनंद.
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श्री राम दांगोरे (पंधाना) -- अध्यक्ष महोदय, स्वेच्छानुदान अंतर्गत कुल 1 अरब 80 करोड़ 10 लाख 57 हजार 730 रूपये की अस्पतालों में गरीबों के इलाज के लिये बच्चों की फीस के लिये स्वेच्छानुदान से इतनी राशि स्वीकृत की है और स्वतंत्रता की लड़ाई में भाग लेने वाले सेनानियों को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का दर्जा दिया है और उनको 25 हजार रूपये प्रति माह पेंशन भी स्वीकृत की है, साथ ही 5 हजार 273 पदों पर मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग में वेंकेंसियां निकालने का भी काम किया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, साथ ही कुल 4857 लोकायुक्त को शिकायतें प्राप्त हुई हैं, जिनमें 4608 प्रकरणों का निराकरण भी हो चुका है, कुल 17 छापों में 11 करोड़ 15 लाख 22 हजार रूपये की राशि मिली और 210 चालान पेश भी हो गये हैं साथ ही विशेष न्यायालय के द्वारा कुल 110 प्रकरणों में दण्ड भी दिया गया है और मैं मांग करता हूं कि पंधाना का राजस्व है, दो एस.डी.एम. कार्यालय हमें लगते हैं, एक पंधाना जिसमें पूरी विधानसभा का 30 प्रतिशत हिस्सा आता है और एक खण्डवा उसमें 70 प्रतिशत राजस्व के कार्य के लिये हमको खण्डवा जाना पड़ता है, जिससे जनता को कई सारी समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है और पंधाना क्षेत्र के कामों के लिये खण्डवा जाना पड़ता है.
1.09 बजे { सभापति महोदय (श्री दिव्यराज सिंह) पीठासीन हुए }
सभापति महोदय, इसलिये इसका अनुभाग एक किया जाना चाहिये, साथ ही जी.आर.एस. और सचिवों के लिये भी कोई त्वरित निर्णय लिया जाना चाहिये ताकि उनको भी कोई न कोई फायदा मिल सके, उनको भी स्थायित्व नौकरी में मिल सके और सिंचाई परियोजनाओं में मध्यप्रदेश में यह जो बोलते हैं कि ऐसा नहीं हो रहा है वैसा नहीं हो रहा है, किसान परेशान है, हैरान है, तो जब आपकी सरकार थी, आपकी सरकार में सिंचाई के लिये मात्र 7 लाख हेक्टेयर जमीन सिंचित थी पूरे मध्यप्रदेश में और आज हमारी सरकार में 47 लाख हेक्टेयर जमीन किसानों के लिये सिंचित की जा चुकी है और इसको बढ़ाकर हम 65, 67 लाख तक ले जाने के लिये लगातार युद्धस्तर पर प्रयास कर रहे हैं और वर्ष 2005 में राष्ट्र गौरव अटल जी नदी से नदी को जोड़ने की परियोजनाओं के ऊपर उन्होंने अपना प्रस्ताव रखा था तो केन वेतवा लिंक परियोजना बुंदेलखंड में है उसको स्वीकृत कर दिया गया है इसमें, 10 जिलों को पानी मिलेगा और 8 लाख 11 हजार हेक्टेयर जमीन इसमें सिंचित होगी और साथ ही 41 लाख लोगों को पीने का पानी भी दिया जायेगा. साथ ही हम नर्मदा क्षेत्र से आते हैं नर्मदा क्षिप्रा बहुद्देशीय परियोजना जिसमें उज्जैन शाजापुर के 30 हजार हेक्टेयर जमीन सिंचित होना है. छीपानेर सिंचाई परियोजना, सीहोर, नसरूल्लागंज, देवास, खातेगांव 35 हजार हेक्टेयर जमीन सिंचित हुई है. बिस्टॉन उद्वहन माइक्रो परियोजना खरगौन में 22 हजार हेक्टेयर जमीन सिंचित हुई है, नागलवाड़ी उद्वहन माइक्रो परियोजना इसमें खरगोन बड़वानी की 47 हजार हेक्टेयर जमीन सिंचित हुई है और छैगांव माखन उद्वहन माइक्रो सिंचाई परियोजना इसमें मेरी ही विधान सभा की 35 हजार हेक्टेयर जमीन सिंचित हुई है और जो गांव छूट गये थे उनको भी जोड़ने का काम किया जा रहा है, जो वरूण का क्षेत्र छूट गया था उसको भी उसमें जोड़ लिया गया है. अलीराजपुर उद्वहन परियोजना इसमें 35 हजार हेक्टेयर जमीन सिंचित होना और इसका कार्य भी युद्धस्तर पर चल रहा है. सरदार उद्वहन परियोजना इसमें 57 हजार हेक्टेयर जमीन सिंचित होना है. वरगी नहर परियोजना, जबलपुर, कटनी, सतना, रीवा की ढाई लाख हेक्टेयर जमीन इसमें सिंचित होना है, 104 किलोमीटर की लंबी नहर बनना है. बहोरीबंद माइक्रो उद्वहन परियोजना इसमें कटनी के 151 गांव को 32 हजार हेक्टेयर जमीन को सिंचित होना है, 1100 करोड़ रूपये की यह परियोजना है. शहीद इलापसिंह माइक्रो परियोजना इसमें हरदा जिले के इसमें 118 गांव है.
सभापति महोदय-- राम दांगोरे जी, समाप्त करें.
श्री राम दांगोरे-- दो मिनट और लेना चाहूंगा.
सभापति महोदय-- एक मिनट.
श्री राम दांगोरे-- ठीक है, मैं इसको शार्ट करता हूं. मेरा आपसे आग्रह है कि जो खंडवा लिफ्ट इरिगेशन है, लंबे समय से हम इसकी मांग कर रहे हैं माननीय मंत्री महोदय और लगातार उसके लिये हम लोग प्रयास भी कर रहे हैं, बार-बार आवेदन भी देते हैं. मेरा आपसे आग्रह है कि इसी सत्र में इसकी स्वीकृति देकर के हम पर बहुत बड़ा एक उपकार करने का कष्ट करें ताकि उस क्षेत्र के किसानों को भी सिंचाई के लिये पर्याप्त पानी मिले और इसकी स्वीकृति की मैं मांग करता हूं. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री नारायण सिंह पट्टा (बिछिया)-- सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 1, 2, 20, 32, 41, 45, 48, 55, 57 के विरोध में बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. सभापति महोदय, सामान्य प्रशासन विभाग एक बहुत ही महत्वपूर्ण विभाग है जिसके दिशा निर्देशों से समूची सरकार चलती है, लेकिन जिस तरह से सामान्य प्रशासन विभाग में लंबे समय से खामियां विसंगतियां देखने को मिल रही हैं, आज मैं माननीय सभापति महोदय आपके माध्यम से मेरे विधान सभा क्षेत्र में ही 1 वर्ष का अधिक समय हो चुका, 3 जनपद आते हैं तीनों जनपदों में मुख्य कार्यपालन अधिकारी स्थाई रूप से नहीं है. इसी तरह लंबे समय से जो हमारे रोजगार सहायक मनरेगा जैसी स्कीम को एक मजदूर किसान तक पहुंचाने का काम करते हैं.
जिसकी घोषणा माननीय मुख्यमंत्री जी ने नियमित करने की की थी. आज भी वह घोषणा पूरी नहीं हो सकी है. सचिव लंबे समय से अपनी वेतन वृद्धि की मांग को लेकर बार-बार अपील कर रहे हैं. निवेदन कर रहे हैं लेकिन इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. विभाग के द्वारा जो नियुक्तियां हो रही हैं. 95 प्रतिशत अनारक्षित वर्ग के लोगों की भी नियुक्तियां हो रही हैं लेकिन एस.सी./एस.टी.वर्ग को संविदा नियुक्तियां देने में जो परहेज किया जा रहा है. आरक्षण का पालन करते हुए मैं मांग करता हूं कि लाभ दिया जाये. सभापति महोदय,अनुसूचित क्षेत्र में ऐसे अधिकारियों की भी नियुक्ति की जाए जो आदिवासियों के संवैधानिक अधिकार,संस्कृति,रीति-रिवाज को समझ सकें. मैं लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की बात करना चाहता हूं. प्रदेश की 58 फीसदी ग्रामीण आबादी अभी तक स्वच्छ पेयजल से वंचित है. मध्यप्रदेश सरकार एक तरफ जल जीवन मिशन के तहत पानी की किल्लत दूर करने में जोर-शोर से लगी हुई है वहीं जिले के कई गांव आज भी पानी की कमी से जूझ रहे हैं और भारत सरकार की यह महत्वाकांक्षी योजना,घर-घर पानी पहुंचाने की, वह सपना भी अधूरा नजर आ रहा है. आज 1 करोड़ 32 लाख 9 हजार 394 परिवार हैं जिनमें जुलाई,2022 तक 51 लाख 13 हजार 461 परिवारों को नलजल कनेक्शन देने की बात कही गई है. जबकि 70 लाख 95 हजार 933 परिवारों के घर तक पानी अभी तक नहीं पहुंच सका है. प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में बड़े पैमाने पर नलजल योजना में आधा-अधूरा काम करके, पूरा होना बताया और अधिकांश जगह यह पूरा होने की बात कहकर भुगतान भी करा दिया गया लेकिन नलजल परियोजना का लाभ मेरे क्षेत्र के लोगों को नहीं मिल पा रहा है. मैं बताना चाहता हूं अभी आने वाला जो समय है वह बहुत ही भीषण जल संकट की स्थिति निर्मित होगी. मेरे विधान सभा क्षेत्र में हालोन परियोजना स्वीकृत हुए 4 वर्ष हो गये. 446 गांवों के लिये 11 हजार करोड़ से ज्यादा का प्रोजेक्ट था. लगभग 8 हजार करोड़ रुपये की स्वीकृति प्रदाय की गई है लेकिन समय-सीमा में शुरुआत न होने से जो दूरस्थ अंचल के गांव हैं उन गांवों में जो टैंकरों से जल आपूर्ति की जाती थी. लंबे समय से उनका भुगतान न हो पाने की वजह से वह काम भी आज नहीं हो पा रहा है. मेरे क्षेत्र में भी कुछ ऐसे गांव हैं अभी एक सप्ताह पहले एक पंचायत में ताला लगा दिया गया. लगभग 5-6 महीने से जहां से पानी सप्लाई हुआ करता था वह पूरा ड्राई हो गया. बार-बार पी.एच.ई. और जिला प्रशासन को आगाह करने के बाद भी ध्यान नहीं दिया गया. ककैया ग्राम पंचायत भी है और गांव भी है जहां आज पूरी तरह से पेयजल वहां पर बाधित है.
मैं सदन के माध्यम से पीएचई विभाग के मंत्री जी से आग्रह करना चाहता हूं कि इसको अविलम्ब संज्ञान में लेकर के और तत्काल चालू कराया जाये. इसी तरह विकास खण्ड घुघरी के ग्राम किसली, खमतरा,ऐरी, खोंड़ाखुदरा एन, कूम्ही, नाहरवेली, इलाही,उमरिया, नैजर, ईश्श्वरपुर, जोगीलुड़िया, लाटो, भैंसवाही, चोबा, सहजर, पिपरियाकला, डोंगरमंडला,गुल्लूखोह,डूंडादेही, बम्हनी, पटनीपानी, विकासखण्ड मवई, जो हमारा वनांचल क्षेत्र है, छत्तीसगढ़ की सीमा से लगा हुआ है के ग्राम रुसा, पटपरा, बीजा, कुटरवानी, सलवाह,समनापुर,खम्हरिया, दाढ़ीभानपुर, कूम्हा, मैनपुरी,मनौरी, देवगांव, बैला,लुटरा आदि अनेक ऐसे गांव हैं, जहां पर भीषण जल संकट निर्मित होता है. मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से आग्रह करना चाहता हूं कि जब भी वे अपना वक्तव्य दें, तो कम से कम यह जो गांव हैं, इन गांवों में तत्काल पेयजल पूर्ति के निर्देश दें. सभापति महोदय, आपने समय दिया, इसके लिये धन्यवाद.
श्री दिलीप सिंह परिहार (नीमच) -- सभापति महोदय, आपको बहुत बहुत धन्यवाद. मैं मांग संख्या 1,2,20,32,41,45,48,55 एवं 57 का समर्थन करता हूं. जल जीवन, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के बारे में मैं कहना चाहता हूं कि ''जिसे अब तक न समझे वो कहानी हूँ मैं, मुझे बर्बाद मत करो पानी हूँ मैं.'' मैं जल संसाधन विभाग के मान्यवर मंत्री जी और हमारे मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद दूंगा कि वे जल जीवन मिशन के माध्यम से गांव-गांव में पानी पहुंचाने का काम कर रहे हैं. नदियां, सरोवर, बांध, जलाशय, जिनकी नीयत साफ होती है, वह आज लबालब भरे हुए हैं. प्रचुर मात्रा में इन्द्र देवता ने प्रसन्न होकर मध्यप्रदेश में पानी की व्यवस्था की है और मुख्यमंत्री जी के द्वारा 2012 में मध्यप्रदेश जल निगम की स्थापना की गई और इसके माध्यम से पेय जल योजना का निर्माण हुआ है और उस जल जीवन मिशन में 117 समूह योजनाएं, लागत राशि 45 हजार 65 करोड़ रुपये की स्वीकृत की है, इसके लिये मैं उन्हें धन्यवाद देता हूं, जिसमें लगभग 26768 गांवों में जल पहुंचेगा. मैं हमारे गांधी सागर से भी जो यह योजना लागू की है 1800 करोड़ रुपये की, हमारे नीमच और मंदसौर जिले में पर्याप्त मात्रा में पानी की व्यवस्था जल जीवन निगम के माध्यम से हो रही है. अब माताओं और बहनों को हैण्डपम्प नहीं चलाना पड़ेंगे और न पानी सिर पर रख कर लाना पड़ेगा. नीमच में भी इसमें लगभग 54 टंकियों का निर्माण हो रहा है और 51583 परिवारों को इस योजना का लाभ मिलेगा. 1800 करोड़ रुपये की यह जो योजना मंजूर की है, इसके लिये मैं बहुत बहुत धन्यवाद देता हूं. अब हमारे यहां बड़ी बड़ी पाइप लाइन वहां डाली जा रही हैं और पानी की व्यवस्था नीमच एवं मंदसौर जिले में अब पर्याप्त हो रही है. इसके लिये भी मैं धन्यवाद देता हूं. महिला एवं बाल विकास विभाग के माध्यम से भी आज हमारी लाड़ली बहनों के लिये भी योजना स्वीकृत हुई है. महिला एवं बाल विकास विभाग, मुस्कराकर दर्द भुलाकर रिश्तों में बंद थी दुनिया सारी, हर पग को रोशन करने वाली शक्ति है एक नारी. तो नारी के लिये मुख्यमंत्री जी ने बजट में बहुत प्रावधान किये हैं. बजट में मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना के लिये 8 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, उससे हमारी बहनें लाभान्वित होंगी. इसलिये भी मैं इन मांगों का समर्थन करता हूं. लाड़ली लक्ष्मी योजना, जो 2007 में मध्यप्रदेश की धरती पर बालिकाओं के लिये लागू हुई थी. आज 44 लाख 17 हजार बालिकाएं लाड़ली लक्ष्मी बनी हैं और उसका फायदा हमारी बेटियों को मिल रहा है. बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ यह अभियान मध्यप्रदेश की धरती पर लागू हुआ है. हमने बेटियों के पांव पूजे हैं और बेटियों को आने दो. बीच के काल खण्ड में बेटियों की संख्या कम हो गई थी और उसकी वजह से आज बेटियां, सरकार ने जो सुविधायें दी हैं, उसकी वजह से आज बेटियां सभी क्षेत्रों में कहीं न कहीं अपना परचम फहरा रही हैं और सरकार हमेशा मां, बहन, बेटी का सम्मान करती है और इसके लिये अनेक योजनाएं उन्होंने चलाई हैं.
सभापति महोदय, मेरे क्षेत्र में जो आंगनवाड़ी कार्यकर्ता बहने हैं, उनके लिए तनख्वाह में कहीं न कहीं बजट में प्रावधान है तो वह वृद्धि होना चाहिए. सभापति महोदय, मुख्यमंत्री जी ने हमारे स्वेच्छानुदान में भी वृद्धि की है, इसके लिए भी मैं उनको धन्यवाद देता हूं. आयुष्मान योजना के माध्यम से भी जनता की चिंता माननीय मुख्यमंत्री जी ने की है. स्वतंत्रता संग्राम सेनानी जिन्होंने हमारे देश के लिए प्राणों की आहूति दी है. सभापति महोदय, जिस क्षेत्र से मैं आता हूं हमारे पुरखा को नीमच में फांसी के फंदे पर वर्ष 1857 में चढाया था. हमारे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के लिए भी जो मुख्यमंत्री जी ने 25 हजार रुपये की व्यवस्था की है, दिनांक 25 जून, 1975 को जो इंदिरा गांधी जी ने जो आपातकाल लगाया था, उसमें प्रजातंत्र का गला घोंटा गया था और जो हमारे सेनानी हैं उनको भी सम्मान निधि दी जा रही है, उनके परिवार की जो विधवाएं हैं, उनको भी स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएं उपलब्ध हों, यह मांग मैं आपसे करता हूं. लोक सेवा गारंटी में सरकार ने अनेक कार्य किये हैं. हम देखते हैं कि प्रदेश में कहीं भ्रष्टाचार होता है तो उसमें लोकायुक्त के माध्यम से केस दर्ज हो रहे हैं और उसकी वजह से भी कहीं न कहीं सुशासन हमारे मध्यप्रदेश की धरती पर है.
सभापति महोदय, मैं एक यह मांग भी करना चाहता हूं कि मेरे यहां पर प्रशासन की एक भी कालोनी नहीं है क्योंकि एसडीएम, तहसीलदार और अन्य शासकीय सेवक हैं, उनको किराए के मकान में रहना पड़ता है तो एक कालोनी बने. पुलिस विभाग में हमारे यहां पर जमीन उपलब्ध है. पेट्रोल पंप उपलब्ध हो, इसके लिए शासन व्यवस्था करे.
सभापति महोदय, मुख्यमंत्री जी शासकीय कर्मचारियों को उत्कृष्ट पुरस्कार देकर सम्मानित करने का काम करते हैं, मैं इन मांगों का समर्थन करता हूं. प्रवासी भारतीयों का जो सम्मेलन इंदौर की धरती पर हुआ. वहां 3 देशों के राष्ट्राध्यक्ष इंदौर की धरती पर पधारे थे. लगभग 42 देशों के प्रवासी भारतीय जब इंदौर की धरती पर आए तो इंदौर की जनता ने उनका पलक पावड़े बिछाकर स्वागत किया है. 8,9,10 जनवरी को यह जो प्रवासी भारतीयों का सम्मेलन हुआ, उसमें 17वां प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन का आयोजन सफल रहा है, इसके लिए भी मैं मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देता हूं. मुख्यमंत्री जी ने जो वृक्ष लगाने का काम किया है. यह अद्भुत कार्य किया है. पेड़ कटते जा रहे थे, हम चाहते हैं कि वृक्ष लगें. देश हमें देता है सब कुछ, हम भी तो कुछ देना सीखें, सूरज हमें रोशनी दे रहा है, पेड़ हमें छाया दे रहे हैं, फल दे रहे हैं तो हमने जो मानव जीवन लिया है तो हम भी कहीं न कहीं वृक्ष लगाने के लिए कार्य करें. प्रवासी भारतीयों ने भी वृक्ष लगाने का काम किया है. पुनः दूसरे दिन मान्यवर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी और 3 देशों के राष्ट्राध्यक्ष इस प्रवासी भारतीय सम्मेलन में पधारे थे, इंदौर बिल्कुल दुल्हन की तरह सजा था. आनंद विभाग जिसके लिए 7 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. नीमच में भी आनंद विभाग के अंतर्गत जो वृद्धजन हैं उनके साथ में कैरम खेलने का या अन्य गतिविधियों में भाग लेने का अवसर लगातार मिला है. सीएम राइज स्कूल के माध्यम से भी बेटा-बेटियों का बहुत लाभ हुआ है. यह आनंद विभाग, वर्ष 2016 में इस विभाग का गठन किया गया था. देश में यह अपनी तरह का पहला विभाग है जिसमें 1 लाख 26 हजार से अधिक नागरिकों ने इसमें सहभागिता की है. खेलकूद में, सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी आनंद विभाग का महत्वपूर्ण कार्य है. सभापति महोदय, मैं पुनः इन मांगों का समर्थन करता हूं, आपने मुझे बोलने का जो अवसर दिया है, मैं हृदय की गहराइयों से आपको बहुत बहुत धन्यवाद देता हूं. बहुत बहुत धन्यवाद.
सभापति महोदय - सदन की कार्यवाही अपराह्न 3 बजे तक के लिए स्थगित.
(अपराह्न 1.30 बजे से 3.00 बजे तक अंतराल)
3.06 बजे {अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए}
अध्यक्ष महोदय – श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव जी. थोड़ा संक्षेप में करें जिससे थोड़ा निपट जाए. अभी कई विभाग हैं.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव (विदिशा) – अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 48 के विरोध में बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. मैंने मांग संख्या 20 और 55 का लिखित उत्तर दे दिया है, तो उसे भी रिकार्ड करने की कृपा करेंगे.
अध्यक्ष महोदय, विदिशा से बेतवा नदी गुजरती है. एक बहुप्रतीक्षित मांग मकोडि़या डेम की कई वर्षों से चली आ रही है. मकोडि़या डेम की साध्यता पहले थी. इसके बाद कुछ उसमें राजनीति हुई, कुछ रसूखदार लोगों की उसमें जमीन आने की वजह से उसकी साध्यता को कैंसिल किया गया, लेकिन मेरे द्वारा वर्ष 2019 में उसका पुनर्विलोकन माननीय कमलनाथ जी की सरकार में कराया गया. उस समय मुझे जल संसाधन विभाग ने यह जवाब दिया कि इसकी उंचाई कम करके हम इस डेम का निर्माण कर सकते हैं, यह विचाराधीन है. उसके बाद मैंने पुन: माननीय मुख्यमंत्री जी से भी इस मामले में निवेदन किया. उन्होंने इसको आगे बढ़ाया, लेकिन साध्यता के आधार पर इसे निरस्त करने के लिये कहा गया. मेरा आपके माध्यम से सदन से, माननीय मंत्री जी से और मुख्यमंत्री जी से आग्रह है कि राष्ट्रीय जल अभिकरण द्वारा नर्मदा नदी से 5 एमसीएम जल लिफ्ट कर बेतवा नदी में डाला जाए. जैसा कि हम सब जानते हैं कि वर्ष 2024 तक राष्ट्रीय जल अभिकरण और मध्यप्रदेश सरकार के बीच अनुबंध होना तय है. उस अनुबंध के अंतर्गत 5 एमसीएम जल 3 माह तक अगर मकोडि़या डेम में नर्मदा नदी से लाकर डाला जाएगा तो इसमें करीब 1 लाख, 57 हजार हैक्टेयर की सिंचाई हो सकेगी. इसको बेतवा लिंक प्रोजेक्ट से जोड़ दिया गया है. बेतवा लिंक प्रोजेक्ट का जो भी लाभ मिल रहा है वह विदिशा से आगे, गंजबासौदा के आगे कुरवई जो कोठा बैराज बन रहा है वहां 20 हजार हैक्टेयर में सिंचाई हो रही है. भोपाल और विदिशा के बीच में जो बेतवा नदी बहती है वह करीब-करीब दिसम्बर के बाद सूखना शुरू हो जाती है और जनवरी में एंड हो जाता है. अगर हम नर्मदा जी का जल विदिशा तक ले जाएंगे तो पीने के पानी की रायसेन जिले को, विदिशा जिले के बड़े शहरों को मिलेगी और सिंचाई का साधन भी उपलब्ध हो सकेगा. यह मेरी इसमें मांग है. आपने कहा कि कम समय में बोलना है. उसमें विस्तृत जानकारी यह है कि अगर हम मकोडि़या डेम के ऊपर एक छोटा एनीकट बना दें तो निश्चित रूप से वहां पानी का भराव होगा और डूब में आने की वजह से जिस जमीन की साध्यता नहीं आ रही है, वह भी समाप्त हो जाएगी. वहां का मैंने स्वयं दौरा किया है और मेरा देखा हुआ स्पॉट है, करीब उसमें 20 से 25 एमसीएम जल का भराव हो सकता है. नर्मदा नदी से जल आएगा तो निरंतर उसमें फ्लो बना रहेगा और विदिशा की बेतवा नदी में भी बारहों महीने धार बहती रहेगी. अध्यक्ष महोदय, इसलिए आपके माध्यम से सरकार से मेरा आग्रह है कि इस मामले को टेक अप किया जाए और इस पर आगे काम किया जाए और बजट में इसे शामिल किया जाए, यह मेरी मांग है.
अध्यक्ष महोदय, दूसरी बात, इस साल पानी की बहुत कमी है और आप जानते हैं कि जिन नल-जल योजनाओं की बात राज्यपाल महोदय ने अपने अभिभाषण में कही हैं या मांग में आई हैं, वे पूरी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी हैं. पूरे विदिशा जिले में कोई भी ऐसा गांव नहीं है, जिस गांव से आज तक यह खबर आई हो कि हमको पीने का पानी उपलब्ध हो रहा है. कई जगहों की तो मैंने शिकायतें की हैं. टंकी बनते-बनते से लीक हो रही हैं. कहीं प्लॉस्टर उखड़ रहा है. जहां लोहे की टंकियां बनाई गई हैं, वह बेण्ड हो गई हैं. उनको सुधारने का काम चालू है. सरकार अधिकारियों की कोई जवाबदेही फिक्स नहीं करती. जो लोग इन्सपेक्शन कर रहे हैं, उनके ऊपर कोई जवाबदेही नहीं है. वे यह कह देते हैं कि ठेकेदार ने ऐसा कर दिया, इसलिए हम उसका पेमेंट रोक देंगे या उसे ब्लैकलिस्ट कर देंगे. यह समाधान नहीं है. समाधान यह है कि अगर गुणवत्ता में कमी है तो उसको दोबारा से कराया जाए, जिससे कि ठेकेदारों को नसीहत मिले. पूरे गांव की सड़कें खोद कर पटक दी है, जहां-जहां नल-जल योजनाएं हैं. पचासों बार चिट्टी लिखने के बाद और मीटिंगों में इंस्ट्रक्ट करने के बाद भी कोई काम अधिकारियों द्वारा नहीं किया जा रहा है. ठेकेदारों के ऊपर काम छोड़ दिया जाता है कि साहब, ठेकेदार गलत कर रहे हैं. अब इसमें मेरा आग्रह यह है कि प्रत्येक विधायक को आपकी आसंदी से यह आदेश हो कि गर्मियों में जिन गांवों में पीने के पानी की कमी हो, वहां पर 50-50, 60-60 ट्यूबवेल एलॉट किए जाएं, जो विधायकों की मर्जी से लगें, जहां पर पानी की एक्चुअल कमी है. सरकारी अधिकारी एक्चुअल कमी तो देखते नहीं हैं. उन्हें तो जहां से सोर्स आ गया, उन्होंने वहां लगा दिया. यह भी देखा जा रहा है कि कार्यकर्ताओं के घरों पर बोर लग जाते हैं और गांव के लोग परेशान रहते हैं. इसलिए आसंदी से मैं यह निवेदन करूंगा कि आप आदेश करने की कृपा करें कि 60-60 ट्यूबवेल एक-एक विधायक को दिए जाएं, जिससे कि पानी की समस्या का निराकरण हो, यही मेरी प्रार्थना है. धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय -- श्री सूबेदार सिंह रजौधा जी, आपके पहले उन्होंने जितना बोला, उतना ध्यान में रखना, समय का ध्यान रखना.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा (जौरा) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जितना वे बोले हैं, उतना तो मुझे समय मिल जाएगा ना.
अध्यक्ष महोदय -- मिलेगा पूरा, इसलिए कह रहे हैं कि समय का ध्यान रखना, टोकना न पड़े.
अध्यक्ष महोदय -- अध्यक्ष महोदय, जी हां, जरूर. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी का, माननीय पीएचई मंत्री जी वहीं हैं, उनका धन्यवाद करते हुए मांग संख्या 1, 2, 20, 32, 41, 45, 48, 55 और मांग संख्या 57 का समर्थन करता हूँ. इस सदन में स्वेच्छानुदान की मांगें काफी उठीं. मैं इसके लिए भी माननीय मुख्यमंत्री जी का बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूँ. स्वेच्छानुदान के तहत हजारों लोगों को, जो बेबस थे, जो लाचार थे, जिनके पास कोई साधन नहीं थे, उनको तत्काल इलाज कराने के लिए माननीय मुख्यमंत्री जी ने स्वेच्छानुदान के तहत किसी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं किया. माननीय अध्यक्ष जी, जब कोरोना का समय था, तब माननीय मुख्यमंत्री जी को मैंने एक दिन 11.00 बजे फोन लगाकर बात की. एक मरीज था, कोरोना से पीड़ित था, ग्वालियर के सब अस्पतालों ने हाथ उठा लिए. तब मुझे किसी ने सलाह दी कि चिरायु हॉस्पिटल इस कोरोना महामारी के लिए बहुत अच्छा हॉस्पिटल है. मैंने मुख्यमंत्री जी को फोन लगाया, उन्होंने मुझे कहा कि मरीज को ले आइये, वहां पर डॉक्टर मंगल गिरी आपका इंतजार करते मिलेंगे. मैं यह कह रहा हूँ कि बिल्कुल मरणासन्न मरीज को लाए और वहां पर डॉक्टर तैयार मिले. वह मरीज ठीक तो हुआ ही, स्वेच्छानुदान से माननीय मुख्यमंत्री जी ने 2 लाख रूपए की तत्काल मदद की. ऐसे लोगों की दुआएं हमारे मुख्यमंत्री जी के साथ हैं.
अध्यक्ष महोदय, जल जीवन मिशन की बात चल रही है. जल जीवन मिशन में जो काम हो रहे हैं, मैं यह कह सकता हॅूं कि हैण्डपंपों की बहुत पुरानी गंभीर समस्या थी. लोग कहीं भी जाते, हर आदमी हैण्डपंप की मांग करता लेकिन माननीय मुख्यमंत्री जी ने पीएचई का ही एक भाग जल निगम बनाया है. जल निगम से तालाब हो, नदियां हों, जलाशय हों, बडे़-बडे़ बांध हों, उनमें से एक समूह नल-जल योजना बनाकर के लागू की और इसकी स्थापना भी वर्ष 2012 में की है लेकिन इतनी तीव्र गति से जल निगम काम कर रहा है कि मेरे विधान सभा क्षेत्र में जल निगम से 26 गांवों को शुद्ध पानी मिल रहा है और निरंतर मिल रहा है. मैं इसमें अनुरोध करता हॅूं कि उसी योजना में उसी से मेरा गांव लगा हुआ है. बिल्कुल 500 मीटर की दूरी होगी. चौक धोरेरा और धनाकापुरा के किनारे से पानी उठ रहा है. उन गांवों को पानी नहीं मिल रहा है. वहां लोग गंदा पानी पी रहे हैं. मेरे कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जिन 26 गांवों को भी पानी मिल रहा है, उनकी जमीन में पानी नहीं है. उसी प्रकार मेरे 10-15 गांव ऐसे हैं, उनमें भी पानी का कोई स्त्रोत नहीं है. 500-600 फुट तक हैण्डपंपों का, ट्यूबवेल खनन होता है लेकिन जमीन में पानी नहीं है. मैं आज इन अनुदान मांगों के समर्थन में माननीय मुख्यमंत्री जी से मांग करता हॅूं कि जिस प्रकार से वहां जमीन में पानी नहीं था, उन 26 गांवों को बढि़या बिसलेरी पानी पिलाने का काम किया है, उसी प्रकार से 8-10 गांव हैं. मोठियापुरा है, निरारमाता है, निचली बैराई है, ऊपरी बैराई है, मालपुर है, गुलापुरा है. इन सब गांवों में हैण्डपंपों में पानी नहीं निकलता. निरारमाता गांव में एक निरारमाता का मेला लगता है तो वहां ट्रांसपोर्टेशन से पानी पहुंचाने का काम करते हैं लेकिन हजारों की संख्या में वहां यात्री जाते हैं, तो बड़ी समस्या होती है. मैं आग्रह करता हॅूं कि जिस प्रकार से नरेला प्रोजेक्ट बनाया गया है उसी प्रकार से एक छोटा प्रोजेक्ट बनाकर के और इन गांवों के लिए भी पानी की व्यवस्था करेंगे. पीएचई के जल जीवन मिशन के तहत जो काम हो रहे हैं मैं दावे से यह कह रहा हॅूं कि हर घर में पानी पहुंचाने के लिये सरकार पूरी तरह से प्रयास कर रही है और हम साक्षी भी हैं. काफी ऐसी योजनाओं में पानी निरंतर चल रहा है लेकिन मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से यह आग्रह करूंगा कि जिस प्रकार से किसी प्रकार की कोई गड़बड़ी न हो, वहां उसी गांव में जिस गांव में योजना बनायी जा रही है, उसी गांव में समिति बनाकर के एक नोडल अधिकारी बनाकर के उस काम को अच्छी गुणवत्ता से बनाया जाए. यह जरूर आपसे आग्रह करते हुए अपनी वाणी को विराम देता हॅूं, धन्यवाद.
श्री सुखदेव पांसे (मुलताई) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या-1 और मांग संख्या- 20 पर बोलने के लिये खड़ा हुआ हॅूं. पानी पिलाने का सबका दायित्व होता है. पानी के लिये निस्वार्थ भाव से कोई टैंकर लगाता है, पुण्य का काम करता है और अब तो सरकार ने इसके ऊपर बजट की भी अच्छी व्यवस्था की है लेकिन उस बजट का दुरुपयोग हो, हमारे बजट का सदुपयोग न हो, उसकी नीयत में खोट नजर आती है तब आत्मा कलपती है कि इतना पैसा हम पानी पिलाने के लिए वहन कर रहे हैं, लेकिन उसका सदुपयोग नहीं हो रहा है. मैं सबसे बड़ा उदाहरण इस प्रदेश के मुखिया आदरणीय शिवराज सिंह जी की विधान सभा का देना चाहता हूँ. उन्होंने बड़ी नेक नीयत से, साफ-सुथरी मंशा से, 2012 में जल निगम की स्थापना की थी, किसलिए की थी क्योंकि हम हैण्डपम्प करते हैं, बोर करते हैं, ट्यूबवेल करते हैं, पाइप लाइन बिछी दिखती है, हमारी टंकी दिखती है और हम इतराते हैं कि हमारे गाँव में नलजल योजना है. पानी का स्थायी स्रोत नहीं मिलता है इसीलिए एक समूह नल जल योजना जल निगम के माध्यम से कि नर्मदा से हम पानी लेंगे, नर्मदा जी में पानी कभी खत्म होगा नहीं और हमारा नल कभी बन्द होगा नहीं. लेकिन दुर्भाग्य यह है कि जिस योजना पर करोड़ों रुपये खर्च किए कि हमारी माताओं, बहनों को, शुद्ध पानी मिले, ट्रीटमेंट प्लांट लगाकर पानी मिले, वो पूरी योजनाओं पर खर्च किया, मर्दानपुर, बुधनी विधान सभा में मर्दानपुर-उदयपुरा योजना 2012 से शुरू हुई थी. आज 2023 है, 2012 में काम शुरू हुआ था, दो वर्ष का टाइम था, लेकिन वो पूरी पाइप लाइन नहीं थी, करोड़ों रुपये उस पर खर्च किया. उस योजना में आज तक घरों में पानी नहीं पहुँच पाया. मुख्यमंत्री जी दिवाली के समय अपने गाँव जैत जाते हैं और सारी जनता तथा माताएँ बहनें, उनके सामने खड़ी होती हैं तो मुख्यमंत्री जी झल्ला जाते हैं और मुख्यमंत्री हाउस आते हैं और सुबह-सुबह सारे पीएचई के अधिकारियों को तलब किया जाता है कि ये कब तक मैं तुम्हारा रोना गाना सुनते रहूँगा. ये हालात मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी के क्षेत्र की है, तो बाकी विधायकों के यहाँ क्या हालात होंगे, अध्यक्ष महोदय, आप समझ सकते हो. अध्यक्ष महोदय, उस योजना पर खर्च किया, आज भी वह योजना पूरी तरह से सक्सेस नहीं हुई. ट्यूबवेल खोदकर टंकियाँ भरी जा रही हैं. एक योजना पर करोड़ों रुपये आपने समूह नल जल योजना पाइप लाइन, नर्मदा जी का पानी लाकर खर्च किया उसी योजना पर डबल पैसा खर्च किया जा रहा है. ट्यूबवेल खोदकर पानी की टंकियाँ भरी जा रही हैं, तो यह तो आर्थिक अपराध है और वह एल एण्ड टी कंपनी, जो बहुत नामी-गिरामी है, उसको किस बात का संरक्षण है कि उससे वह पैसा वसूल किया जाना चाहिए था, जिसके कारण वह योजना असफल हुई और जिसके कारण फिर से बोरिंग करके टंकियाँ भरी जा रही हैं, इससे बड़ा भ्रष्टाचार कौनसा हो सकता है कि मुख्यमंत्री जी की विधान सभा में ही एक योजना पर डबल पैसा खर्च हो रहा, भ्रष्टाचार हो रहा. भ्रष्टाचार की गंगोत्री जब मुखिया के घर से ही निकल रही है तो नीचे तो अधिकारी, कर्मचारी, बेलगाम हो जाएँगे. अध्यक्ष महोदय, ये हालात इस प्रदेश के हैं, इस बात को आपको गंभीरता से लेना पड़ेगा.
अध्यक्ष महोदय, मेरी विधान सभा में 2 समूह नल जल योजना सेंग्शन की थी. एक वरदा और गोगरी, दो सौ गाँवों को पानी पिलाने के लिए यह योजना सेंग्शन की है. उस योजना की टेण्डर में ऐसी अर्हताएँ लागू कीं कि वो पानी से संबंधित वो ठेकेदार न आकर दूसरे, इलेक्ट्रिक कंपनी, जिसने इलेक्ट्रिक का काम किया, पानी का एक रुपये का काम नहीं किया, उस ठेकेदार कंपनी को, मुंबई की कंपनी को वह काम मिला. अध्यक्ष महोदय, यह अर्हता भी लागू की कि जिस ठेकेदार ने एक रुपये का भी काम पूरा नहीं किया है उसको भी वह ठेके दे दिए गए. आज ये हालात हैं, पूरे मध्यप्रदेश में 2012 से समूह नल जल योजना, जल निगम है, 25 योजना, जल निगम वाले बताते हैं कि समूह नल जल योजना पूरी की. एक का भी पूर्णता का प्रमाण पत्र आज तक जारी नहीं किया. इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है, अध्यक्ष महोदय, यह देखिए. अध्यक्ष महोदय, मेरे कहने का आशय यह नहीं है, आत्मा कलपती है जब हम गाँव में जाते हैं, आप जाते हों, विपक्ष के साथी जाते हैं, सत्ता के लोग जाते हैं और हम भाषण देते हैं कि हमने तुम्हारे लिए नल जल योजना बना दी, समूह नल जल योजना बना दी, अब तो पानी की कोई कमी नहीं है. उधर से पब्लिक के बीच में से आवाज आती है भैय्या, एक सप्ताह से पानी नहीं मिल पा रहा है, सिंगल विलेज स्कीम बन्द है, पूरी सड़कें उखड़ी हैं, बोर बन्द हो गया है, तो इसकी सुनिश्चित व्यवस्था, पानी की, स्रोत की, नहीं की जा रही है. केवल अधिकारी चेक काटने में लगे हैं और भारत सरकार को असत्य आँकड़े पेश करने की होड़ लगी है. इससे हमारा और आपका जीवन तो पूरी जिन्दगी भर उन गलियों में कटेगा, कोई हारेगा, कोई जीतेगा, फिर हारेगा, कोई जीतेगा, हम लोगों के लिए वो सरदर्द योजना बन जाएगी. मुख्यमंत्री जी ने तो स्पेशल पावर का उपयोग करके एक योजना पर डबल पैसा खर्च कर दिया लेकिन आप और हम जैसे विधायक एक योजना पर डबल पैसा खर्च नहीं कर सकते हैं. जिंदगी भर उस गांव में जब-जब जाएंगे हमारे लिए वह योजना सरदर्द बनकर रह जाएगी. हम पानी नहीं पिला पाएंगे इसके बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है. इस बात को गंभीरता से लेना चाहिए मुख्यमंत्री जी की रात भर नींद खराब हुई. सबेरे-सबेरे आए और अधिकारियों से पूछले इस योजना को 15-18 साल हो गए हैं. मुख्यमंत्री जी अपने क्षेत्र में पेयजल व्यवस्था सुनिश्चित नहीं कर पाए. मैं पक्ष विपक्ष की बात नहीं करना चाहता हूँ इसलिए मैं हमारे राज्यमंत्री जी से अनुरोध कर रहा हूँ. हमारे जो राज्यमंत्री हैं उन्हें राज्यमंत्री तो बना दिया है लेकिन उनको कोई पॉवर नहीं है. मुख्यमंत्री जी पूरा प्रदेश चलाते हैं उन्हें चिंता ही नहीं है कि इस विभाग में क्या हो रहा है.
राज्यमंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं यांत्रिकी (श्री बृजेन्द्र सिंह यादव) --- माननीय सदस्य महोदय, मुझे फुल पॉवर हैं. आपको किस बात की चिंता है. आप तो अपनी चिंता करो.
श्री सुखदेव पांसे -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे अनुरोध है कि यह जो समूह नल जल योजना का आज तक पूर्णता का प्रमाण-पत्र जारी नहीं किया गया है. मेरे विधान सभा क्षेत्र में जिनको तकनीकी वित्तीय क्षमता नहीं है उसके बावजूद एक एल एन मालवीय, कंसलटेंट को टेंडर दे दिया, ज्वाइंट वेंचर करके. अगर सही काम नहीं होगा तो मैं किसी भी कीमत पर नहीं होने दूंगा. अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे अनुरोध है मैं सामान्य प्रशासन विभाग पर बोलना चाहूंगा. एक गायकी समाज है जो आदिवासी है. जिनके परम्परागत तरीके से जाति प्रमाण-पत्र जारी हो रहे थे. मैंने प्रश्न भी किया था, आपने संरतक्षण भी दिया था और शासन ने जवाब भी दिया लेकिन आज भी उस गायकी समाज के आदिवासियों को जाति प्रमाण-पत्र एसडीएम, तहसीलदार द्वारा मेरे विधान सभा क्षेत्र में जारी नहीं कर रहे हैं. यह व्यवस्था सुनिश्चित की जाए, क्योंकि ओबीसी में भी उनकी जाति नहीं है. इनके लिए आदिवासी का जाति प्रमाण-पत्र लागू किया जाए.
अध्यक्ष महोदय, मुलताई को बहुत समय से जिला बनाने की मांग विभिन्न संगठनों के द्वारा की जा रही है. जन आन्दोलन भी हुए हैं, धरना प्रदर्शन भी हुए, मुलताई बंद भी हुआ. मुतलाई को जिला बनाने की मांग मैं आपके माध्यम से करता हूँ.
अध्यक्ष महोदय, अंत में मेरी एक जिज्ञासा है. माननीय मुख्यमंत्री जी ने स्वेच्छानुदान की घोषणा की थी उसमें ढाई करोड़ जो हमारी विकास निधि है इसके अतिरिक्त 25 लाख रुपए की राशि दी जाएगी या जो विकास निधि है उसी में से 25 लाख रुपए दिए जाएंगे. ऐसी जानकारी मुझे मिली है. मेरा कहना है कि मुख्यमंत्री जी की गरिमा के अनुरुप यह घोषणा अलग से की जाए जो राशि पहले से थी उसमें से न दी जाए.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मुख्यमंत्री जी ने जो घोषणा की थी वह आप देख लीजिएगा. उन्होंने कहा था कि जो आप पा रहे हैं उसके अतिरिक्त होगा. उसमें यही छपा है.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी इसी विषय से संबंधित एक मीटिंग थी. उस समय भी यह बात आई थी अभी कि यह श्योर नहीं हुआ है. कल ही मैंने पीएस मनीष रस्तोगी जी से बात की थी उन्होंने स्पष्ट किया है कि पहले से जो विधायक निधि है उसी में से 25 लाख रुपए और आप दे सकते हैं.
अध्यक्ष महोदय -- अभी किसी दूसरे की बात पर मत जाइए. सीएम साहब से बात होगी तब आप कहिएगा.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- माननीय अध्क्ष महोदय, अगर आसंदी बोल रही है तब तो कोई बात ही नहीं है.
अध्यक्ष महोदय -- हम नहीं कह रहे हैं, उन्होंने जो कहा है वह कह रहे हैं. बातचीत होने दीजिए, अभी फायनल तो हुआ नहीं है.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- उनकी घोषणा हो चुकी है.
अध्यक्ष महोदय -- घोषणा में देखिए क्या लिखा हुआ है. उसमें क्या लिखा है कि 25 लाख आपको दिया जा रहा है, जो पा रहा है उसके अतिरिक्त है. उसमें यह है. अब उसका अर्थ निकालेंगे कि क्या होगा.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आसंदी से कहने का यही मतलब वही था कि वह स्पष्ट हो जाए कि जो मिल रहा है उसके अतिरिक्त है या उसी में से दिया जाएगा. वित्त मंत्री जी बैठे हुए हैं. पूरी जानकारी उनको भी नहीं है कि क्या हो रहा है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- हिना जी देवड़ा जी की अध्यक्षता में जो अपनी बैठक हुई थी. यह बात वहां पर भी उद्भभुत हुई थी. यदि आपको याद हो तो, आप थी अजय विश्नोई जी भी थे, मैं भी था. बात हुई थी वह प्रोसेस में है, कोई दिक्कत नहीं है, जो होगा वो ठीक ही होगा.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- ठीक कैसे होगा यशपाल जी यह तो बात ही नहीं हुई, ठीक कैसे होगा. 25 लाख रुपए अतिरिक्त देंगे तब तो बहुत ठीक होगा लेकिन ढाई करोड़ में से ही 25 लाख रुपए कम कर देंगे कैसे ठीक होगा. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं इसलिए कह रही हूं कि क्योंकि यह विधान सभा का अंतिम बजट है और हम सारे विधायकों ने..
अध्यक्ष महोदय -- कल का दिन भी है.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- सत्र तो अंतिम है न. मैं अपनी बात पूरी कर लू्ं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अपनी बात पूरी कर लूं. मेरी भावना गलत नहीं है परंतु मैं यह कहना चाह रही हूं कि हम ढा़ई करोड़ रुपए की विधायक निधि बांटते हैं. चूंकि निश्चित रूप से यह अंतिम वर्ष है और हमें अप्रैल के बाद इसकी तैयारी करनी पड़ती है. हमने अपनी ढ़ाई करोड़ रुपए की व्यवस्था बना ली है. अब यदि उसी ढ़ाई करोड़ रुपए में से 25 लाख रुपए अलग से स्वेच्छानिधि में बाटेंगे तो फिर जो हमारे 25 लाख रुपए हैं उसका हम क्या करेंगे इसलिए मेरी यह जिज्ञासा है.
अध्यक्ष महोदय-- ठीक है.
श्री सुखदेव पांसे-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा यह निवेदन है कि जब घोषणा हुई है तो वह घोषणा पूरी भी हो जाना चाहिए. आपने मुझे बोलने का मौका दिया. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री देवेन्द्र वर्मा--(अनुपस्थित)
श्रीमती कृष्णा गौर--(अनुपस्थित)
श्री मेवाराम जाटव--(अनुपस्थित)
अध्यक्ष महोदय-- पांचीलाल जी समय सीमित है.
श्री पांचीलाल मेढ़ा (धरमपुरी)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 1, 20, 48, 55 एवं 32 के विरोध में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं. सामान्य प्रशासन विभाग के आदेशानुसार संविदाकर्मियों को नियमित नहीं किया जा रहा है और न ही उन्हें 90 प्रतिशत वेतन दिया जा रहा है. इसके अलावा स्थानीय विधायकों को जिला स्तरीय कार्यक्रमों में नहीं बुलाया जाता है और जो भी उद्घाटन होते हैं, शिलान्यास, भूमिपूजन होते हैं तो उनका वचुर्अल उद्घाटन किया जाता है इसमें विधायकों का अपमान हो रहा है. हमारा उसमें कोई महत्व नहीं है इसलिए मेरा निवेदन है कि माननीय अध्यक्ष महोदय, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा मेरे विधान सभा क्षेत्र में नलजल योजना के अंतर्गत कार्य आधे अधूरे हैं उनको समय-सीमा में पूरा नहीं किया जा रहा है. मनमाने तरीके से ठेके दिये जा रहे हैं. जिसके कारण ठेकेदारों और अधिकारियों की मिलीभगत होने के कारण कार्य समय पर नहीं किया जा रहा है. क्षेत्र में अभी गर्मी का समय है और पेयजल का भीषण संकट बना हुआ है.
अध्यक्ष महोदय, मेरे विधान सभा क्षेत्र के किनारे नर्मदा मैय्या बहती हैं और वहां पर उन गांवों में धरमपुरी क्षेत्र के अंतर्गत विस्थापितों का पुनर्वास नहीं हुआ है, उनको मुआवजा भी नहीं दिया जा रहा है एवं बिजली की व्यवस्था भी नहीं है तथा सड़कों का निर्माण कार्य प्रारम्भ नहीं हुआ है. धरमपुरी विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत मांडू जल संसाधन विभाग के द्वारा माण्डू एवं नालसा विकासखण्ड के लिए बजट में प्रावधान नहीं रखा गया है. सूखाग्रस्त क्षेत्र में पीने के पानी की व्यवस्था भी नहीं है. धरमपुरी एवं नालसा ग्रामीणों में सिंचाई एवं पीने के पानी की व्यवस्था भी अपूर्ण है. जो नलजल योजना क्षेत्र में चलाई जा रही है वहां पर कई योजनाएं बंद पड़ी हैं किसान काम नहीं कर पा रहे हैं. नर्मदा जी में बने डेम के बैक वॉटर से पीने के पानी की समस्या उत्पन्न हो गई है, क्योंकि गांव का जो गंदा पानी है वह वहां पर जमा हो जाता है. नर्मदा घाटी में डेम बनने से जो ऐतिहासिक घाट डूब गए हैं उनको नर्मदा घाट बैक वॉटर के कारण उनके स्थान पर नवीन घाट, सड़क, मार्ग धर्मशालाएं एवं प्रतीक्षालय बनाना चाहिए क्योंकि नर्मदा परिक्रमावासियों को काफी असुविधा हो रही है जिससे श्रद्धालु बद्दुआएं दे रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय, आज हमारे धार जिले में विगत माह में सबसे ज्यादा बच्चे कुपोषित पाए गए हैं. बच्चों को कुपोषण आहार वितरण में अनियमिताएं हो रही हैं. कोरोनाकाल में भी कागजों पर पोषण आहार बांटा गया है. उसकी जांच होना चाहिए, क्योंकि आज तक उसका कोई हिसाब-किताब नहीं है और पैसे निकल चुके हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे अधिमान्य पत्रकारों को जो सुख-सुविधायें मिलनी चाहिए, वे नहीं मिल रही हैं. छोटे अखबारों एवं पत्रिकाओं को विज्ञापन नहीं दिये जाने से पत्रकारों की, रोजी-रोटी की व्यवस्था नहीं हो पा रही है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे मुख्यमंत्री जी जगह-जगह घोषणायें कर रहे हैं लेकिन विपक्षी दल के नेताओं के प्रति, उनमें डर के मारे दुर्भावना उत्पन्न हो गई है. अब वे मार देंगे, गाड़ देंगे, इस प्रकार के शब्दों का प्रयोग कर रहे हैं. मेरा निवेदन है कि आदिवासी क्षेत्रों में जो अन्याय हो रहे हैं, अत्याचार हो रहे हैं, जो महू की घटना हुई है, एक लड़की के साथ गलत हुआ है.
अध्यक्ष महोदय- पांचीलाल जी आपका हो गया है, आपके 5 मिनट हो गए हैं. अब आपका कुछ नहीं लिखा जायेगा.
श्री पांचीलाल मेड़ा- (XXX)
श्री राकेश मावई (मुरैना)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, मांग संख्या 13, 14, 20 और 27 का विरोध करता हूं. वर्ष 2020 में जब उपचुनाव हुए थे तो 28 विधानसभाओं में एक साथ चुनाव हुए थे. तब संपूर्ण मध्यप्रदेश का बजट, उस चुनाव में हैण्डपंप लगाने के लिए लगाया गया. उस दिनांक से लेकर आज दिनांक तक मेरे विधान सभा क्षेत्र, मुरैना जिले में किसी हैण्डपंप का खनन नहीं किया गया क्योंकि निश्चित तौर पर जो जल जीवन मिशन योजना है, वह केवल बड़े गांवों तक सीमित है. लेकिन छोटे-छोटे मजरे-टोलों में कोई हैण्डपंप नहीं लगाया गया. मैं, शासन से मांग करता हूं कि उनका भी ध्यान रखा जाये.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जल जीवन मिशन पर मेरा यह कहना है कि कोई भी योजना होती है. उस योजना का पैसा सरकार से आता है, चाहे मध्यप्रदेश सरकार से आये या केंद्र सरकार से आये, चाहे किसी भी दल की सरकार हो, उस योजना का क्रियान्वयन सही तरीके से जमीन स्तर पर होना चाहिए. उस योजना का पूरा लाभ आम जनता को होना चाहिए. चूंकि यह बहुत बड़ी योजना है और इस योजना में जो पानी की टंकियां बनी हैं, वे लीकेज हो रही हैं, पाइप लाइन मात्र एक डेढ़ फुट पर डली हैं, उसमें जो ज्वाईंट लगे हैं, वे ज़रा से प्रेशर पर खुल जाते हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जहां टंकी होती है वहां सबमर्सिबल बनाया जाता है, उसमें पानी एकत्रित हो जाता है, उससे पानी ऊपर पहुंचाया जाता है. हमें दर्द इस बात का होता है कि सरकार का पैसा है और सरकार के पास आम जनता के टैक्स से पैसा पहुंचता है और उसी जनता के लिए सरकार से पैसा आता है, यदि उससे विकास कार्य ठीक ढंग से न हो तो बहुत दर्द होता है. मेरा आग्रह है कि इस पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि यह ऐसी योजना है, जो बार-बार नहीं आती है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा एक और आग्रह है कि पूर्व में हैण्डपंप की मरम्मत का कार्य विभाग करता था. लेकिन मेरे मुरैना जिले में एक अजीब सी बात हो गई है कि हैण्डपंप की मरम्मत का कार्य ठेके पर दे दिया गया है. इससे कैसे साबित होगा कि उस पर कितना बजट लगा है कि नहीं लगा है. मेरा आग्रह है कि यह कार्य पूर्व की भांति विभाग को ही करना चाहिए क्योंकि पता ही नहीं चलता की कौन ठेकेदार है, कहां काम करके आया, क्या करके आया ? इसमें पूरा घपला दिख रहा है.
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XXX : आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
अध्यक्ष महोदय, मैं प्रदेश के आवारा गौवंश की बात करता हूं. मेरे प्रश्न के उत्तर साढ़े आठ लाख आवारा गौवंश की पूरे मध्यप्रदेश में है और हमारे मुरैना जिले में 20 हजार 862 बतायी गयी है, जिसमें से 5 हजार 951 गौवंश स्थानीय निकायों के सहयोग से..
अध्यक्ष महोदय:- यह कौन सी मांग संख्या पर बोल रहे हैं.
श्री राकेश मावई:- अशासकीय स्वयं सेवी संस्थाओं द्वारा गौशालाओं में रखने का बताया गया है और 1 हजार,63 गौवंश स्थानीय निकायों के द्वारा रखे गये हैं. मेरा निवेदन यह है कि 13 हजार मुरैना जिले में जो गौवंश है, उसके बारे में मेरे प्रश्न के उत्तर में बताया गया है कि ये किसानों की फसलों का नुकसान नहीं कर रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, मैं पूछना चाहता हूं कि आपने 13 हजार गौवंश के लिये कौन सी गौशालाएं स्थापित कर दी हैं. बात मुरैना जिले की नहीं है, यह बात पूरे मध्यप्रदेश की है इसलिये मेरी मांग है कि प्रदेश में निराश्रित गौवंश के लिये एक अभ्यारण बनाया जाये, जिसमें उनको विस्थापित किया जाये.
अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से निवेदन करना चाहता हूं कि प्रदेश में कृषि में प्रदेश में 265 मृदा प्रयोशालाएं हैं, इनको करोड़ों रूपये खर्च करके बनाया गया है. लेकिन यह प्रयोगशालाएं अधिकारी/कर्मचारी नहीं होने के कारण बंद पड़ी हुई है. मेरे गृह जिले मुरैना में भी मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं बनायी गयी हैं. वहां पर आवास पशु जाकर बैठते हैं. इन मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं के लिये अधिकारियों/ कर्मचारियों की नियुक्ति होनी चाहिये.
अध्यक्ष महोदय, आपको पता है की वर्तमान में प्रदेश के साथ-साथ मेरे मुरैना जिले में ओलावृष्टि हुई है और किसानों की हजारों बीघा फसल नष्ट हुई है, उसमें गेहूं, सरसों और चने की फसल है. मैं उनके मुआवजे की मांग करता हूं. आपने मुझे बोलने का समय दिया, इसके लिये बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री अजय कुमार टंडन:- अनुपस्थित.
श्री फुन्देलाल मार्को(पुष्पराजगढ़) :- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 20, 55, 24 , 23, 10, 22 और 23 का विरोध करता हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे विधान सभा क्षेत्र में, मेरा एक जंगल पहाड़ों से भरा हुआ है, यह पुष्पराजगढ़ विधान सभा में है. वहां पीने के पानी की सबसे ज्यादा समस्या है और करीब पांच साल से अनवरत, हमने समूह जल प्रयाय योजना के बारे में सदन के माध्यम से, विभाग से मांग की कि जौहिला नदी पर आधारित समूह जल प्रदाय योजना, दूसरा नर्मदा नदी पर आधारित समूह जल प्रदाय योजना करौंदा टोला, तीपान नदी पर आधारित जल प्रयाय योजना गोधन और जौहिला नदी पर आधारित समूह जल प्रदाय योजना बसही, की हमेशा हमने मांग की है. क्योंकि पहाड़ होने के कारण सतही जल बहुत तेजी से गिरते जा रहा है. आज सतही जल करीब 400 फिट पर पहुंच गया है और भू-कटाव के कारण जल स्तर बहुत तेजी से डाउन हो रहा है. मेरा सदन के माध्यम से अनुरोध है कि यदि समूह जल प्रदाय योजना वहां पर लागू कि जाये तो वहां के जनजातीय समुदाय और रहवासी लोगों को लाभ मिलेगा.
अध्यक्ष महोदय, हमारा एक शोभापुर बांध, जो शहडोल, अनूपपुर और डिंडौरी जिले बीच में बन रहा है और पुष्पराजगढ़, अनूपपुर और हमारा डिंडौरी जिला हमारा अनुसूचित क्षेत्र है और अनुसूचित क्षेत्र होने के कारण संविधान के अनुच्छेद 244(1) के तहत जनजातीय समुदाय को संवैधानिक अधिकार प्राप्त हैं और वहां यदि नर्मदा नदी पर बांध बनता है तो तमाम जैव विविधता और वहां के 10 ग्राम पंचायत जो कि हमारे अनुपपूर जिला पुष्पराजगढ़ के और 17 ग्राम पंचायत डिंडौरी जिले के प्रभावित होगें, जिससे लगभग 50 हजार जनजातीय समुदाय के लोग प्रभावित होंगे. मैं आपके माध्यम से अनुरोध करना चाहता हूं कि अब पेसा एक्ट लागू हो चुका है और जब तक ग्राम पंचायतों से स्वीकृति प्राप्त न हो जाये तो बांध का निर्माण किया जाना उचित नहीं होगा. वहां की उपजाऊ मिट्टी है. वहां काफी लोग विस्थापित होंगे. मेरा अनुरोध है की इसको पुन: ग्राम पंचायत से सहमति के पश्चात ही निर्माण कराया जाना उचित होगा.मध्यप्रदेश नगरीय विकास एवं आवास विभाग द्वारा 1926 दिनांक 29.5.22 को जारी हुआ जिसके तहत पूरे मध्यप्रदेश में प्लास्टिक की थैलियां प्रतिबंधित की गईं. इस पोलीथिन के उपयोग से निर्माण उपयोग प्रतिबंधित किया गया. आज धड़ल्ले से पूरे मध्यप्रदेश में पोलीथिन का उपयोग किया जा रहा है, उसके बैगों का उपयोग किया जा रहा है. सुबह जैसे ही उठते हैं जो बची हुई सामग्रियां खाद्य पदार्थ हैं वह उसी पोलीथिन की थैली में भरकर बाहर फेंक देते हैं. जो हमारी गौमाताएं हैं उसी बचे हुए खाद्य पदार्थ को खा करके बहुत सारी गौमाताएं हमारी काल-कवलित हो रही हैं. दूसरा हमारे नदी-नाले जाम हो रहे हैं. हमारी मिट्टी छार होती जा रही है, उसकी उर्वरा शक्ति नष्ट हो रही है. जिसके कारण मिट्टी का उपजाऊपन कम हो रहा है. मध्यप्रदेश शासन के इस आदेश के तहत सरकार से अनुरोध करता हूं कि आपके जारी आदेश का सख्ती के साथ पालन होना चाहिये, ऐसा आपके माध्यम से अनुरोध करना चाहता हूं. कोरोनाकाल में आप हमने सबने देखा कि कितना भयावह समय था. लोग बिना ऑक्सीजन के अपने प्राणों को त्याग दिया. इस भयावह रोग से जो स्थिति प्रदेश और देश एवं विश्व में हुई उसका एक ही कारण था कि हमारे कटते हुए वनों का हमारे पर्यावरण का प्रदूषण हुआ उससे काफी हमारी नुकसान हुआ. उसमें शहरों की बजाय गांव में मृत्यु दर कम रही है. बढ़ते हुए गैस के दामों से हमारे वनों की अवैध कटाई भी बढ़ेगी. सदन के माध्यम से मैं चाहता हूं कि बढ़े हुए जो गैस के दाम हैं उसको कम करें. सस्ता गैस हमको उपलब्ध करवाएं. वैसे भी माननीय कमलनाथ जी ने घोषणा की है कि हमारी सरकार बनेगी तो हम 500 रूपये में गैस सिलेण्डर देंगे. इसके पूर्व सत्ताधारी सरकार गैस के दाम कम कर दें तो बहुत अच्छी बात है. दूसरा एक हमारा केफवा फंड वन विभाग का फंड है. इसमें केन्द्र सरकार की जो राशि है जो हमारे विभिन्न उद्योगों से, हमारे सड़क निर्माण इत्यादि से जो राशियां हमको मिलती हैं उससे केफवा फंड का निर्माण हुआ. अधिक ब्याज केन्द्र में इकट्ठा हो गया, वह राशि बिगड़े वनों के सुधारने के मिली. लेकिन दुःख इस बात का है कि वनों की कटाई के साथ इस केफवा फंड का उपयोग हमारे मध्यप्रदेश के जो 900 रेंज हैं उन 900 रेंजों में अच्छे लग्ज़री वाहन इस फंड से खरीद लिया गया. इसमें लगभग प्रतिवर्ष करीबन 27 लाख रूपये उसका किराया दिया जा रहा है, अभी जांच में आया है. मेरा सदन के माध्यम से अनुरोध है कि जिस उद्देश्य से केन्द्र सरकार हमें पैसा दे रही है. बिगड़े वनों का सुधार, हमारे नर्सरियों का इत्यादि के उपयोग के लिये राशि दी जा रही है. उस राशि का उसी में उपयोग हो, ऐसा मैं आपके माध्यम से निवेदन करता हूं. आदिवासी सब प्लान की जो हमारी राशि है उसमें पूरे शहरों के विकास के लिये राशि का उपयोग किया जाता है. कहीं राशि का उपयोग दूसरे कार्यों में लगाया जाता है. जिस उद्देश्य के लिये जनजाति कार्य विभाग की राश जनजाति कार्य विभाग में लगे. इसमें ऐसा न हो कि जनजाति कार्य विभाग की राशि जनजाति विभाग के कार्यों में खर्चों हों, दूसरे शहरों व अन्य में उपयोग किया जाता है, उससे हमारे विकास के कार्य प्रभावित होते हैं. मेरा आपसे यही अनुरोध है कि जो आदिवासी विकास की परियोजनाएं हैं, उसमें तीन साल से राशियां नहीं दी जा रही हैं. आपसे निवेदन है कि आदिवासी विकास की परियोजनाओं के लिये राशियां दी जायें ताकि जिस उद्देश्य से आदिवासी विकास की परियोजनाएं संचालित हैं उस उद्देश्य की प्राप्त हो. आपने समय दिया इसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद.
डॉ. हिरालाल अलावा(मनावर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का समय दिया है, आपको बहुत बहुत धन्यवाद. मैं समझ पा रहा हूं मैं आखिरी वक्ता हूं मांग संख्या पर बोलने वाला.
अध्यक्ष महोदय - अभी आप आखिरी वक्ता नहीं हो.
डॉ. हिरालाल अलावा - अध्यक्ष महोदय, पिछले चार साल से इस विषय पर नहीं के बरा बर चर्चा हुई है, मुझे कम से कम 10 मिनट बोलने का समय दिया जाए.
अध्यक्ष महोदय - ऐसे कैसे होगा.
डॉ. हिरालाल अलावा - अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश देश का ऐसा राज्य है, जिसमें सबसे ज्यादा वन क्षेत्र हैं और इस वन क्षेत्र में सबसे ज्यादा आदिवासी समाज का बड़ा वर्ग निवास करता. मैं आपको बताना चाहता हूं कि हमने सदन पर चर्चा करने के लिए प्रदेश सरकार को, आपको कई बार पत्र भी लिखे कि फॉरेस्ट पर चर्चा कराई जाए. मध्यप्रदेश में 35 से 40 लाख हेक्टेयर जो जमीन का, राजस्व का विवाद है, उस पर हमारी तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने मई 2019 में टास्क फोर्स कमेटी भी बनाई थी, और कमेटी ने फरवरी 2020 में 13 महत्वपूर्ण विषयों पर रिपोर्ट पेश की थी, महत्वपूर्ण सुझाव दिए थे, लेकिन आज दिनांक तक सरकार ने उन सुझावों को नहीं माना. 1950 से लेकर 1975 तक संरक्षित वन भूमि के नाम पर जो भी कार्यवाही की गई है, उसे माननीय सर्वोच्च न्यायालय, अदालत में सिविल याचिका क्रमांक 202/95 में लगातार अदालत से छिपाया गया. मध्यप्रदेश में जो छोटे पेड़, घास, चरनोई भूमि और जो निजी वन भूमि थी, इनको वन अधिकार कानून 1927 की धारा 4 के तहत अधिसूचित किया गया. जबकि धारा 5 से लेकर धारा 19 तक की जांच वर्तमान में लंबित है, 1975 तक धारा 4 एवं धारा 34 में अधिसूचित वन भूमियों को वन विभाग 1996 में एक बार फिर नारंगी भूमि वन खंड में शामिल कर लिया गया, माननीय अध्यक्ष महोदय, वन विभाग प्रजातांत्रिक व्यवस्था को बार बार चुनौती दे रहा है, जो भविष्य में राज्य के ऊपर वैधानिक संकट खड़ा कर सकता है. बड़वाहा, वन मंडल 9, वन ग्रामों को वन ग्राम बता रहा है, जबकि 1928-29 से राष्ट्रीय मुद्रांक शुल्क विभाग पंजीबद्ध करते आया है और इन्हीं रजिस्ट्रियों के आधार पर इन जमीनों का नामांतरण होते आया है, लेकिन 1955-1922 तक खसरा पंजी भी राजस्व विभाग के पास है, जिससे कि भू स्वामी हक की भूमि दर्ज हुई उसमें शामिल है, लेकिन बिना किसी अभिलेख, बिना किसी भूमि अर्जन और बिना मुआवजे के इन ग्रामों को वन विभाग वन ग्राम में शामिल कर रहा है. आज मध्यप्रदेश में 200 से अधिक राजस्व ग्रामों को वन ग्राम माना जा रहा है. मध्यप्रदेश के हमारे माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी के सिहोर जिले में 50 वन ग्रामों को राजस्व ग्राम बनाने का अभियान चलाया जा रहा है. लेकिन ये वन ग्राम वही ग्राम है, जिन्हें वर्ष 1962 में राजपत्रक में अधिसूचित किया गया है और 1975 में जिन्हें हस्तांतरित किया जाना था, उन्हीं गांवों को दोबार वन ग्राम में शामिल किया जा रहा है. माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे मध्यप्रदेश में नर्मदा नदी जिसे मां गंगा भी हम कहते हैं. आज नर्मदा नदी के दोनों तटों पर रात दिन उत्खनन हो रहा है, उसके लिए हमने कई बार प्रशासन को अवगत कराया है. हमारे धार, झाबुआ, अलीराजपुर, खरगौन और बड़वानी जिलों में लगातार पुलिस अधीक्षकों को चिट्टी लिखने के बावजूद अवैध उत्खनन वहां पर नहीं रुक पाया, इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर जल्द से जल्द कार्यवाही होनी चाहिए. माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे नर्मदा नदी में प्रदूषण का लेबल आज इस कदर बढ़ चुका है कि पानी पीने के लायक नहीं बचा है. हमारे पीथमपुर जो बड़ा औद्योगिक क्षेत्र है, सारा कैमीकल अजनार नदी और अजनार से कारम नदी और कारम नदी से, नर्मदा नदी में छोड़ा जा रहा है, जिसके कारण वहां पर मछलियां बड़ी संख्या में मरी हैं. मैं चाहता हूं कि नर्मदा नदी में बढ़ते पदूषण को रोकने के लिए नर्मदा नदी के तट के आसपास जो बड़े बड़े शहर बसे हैं. वहां पर सीवरेज, बड़े-बड़े एसटीपी प्लांट बनने चाहिए. माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश एक आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है. यहां पर सन् 2003 के बाद हर ब्लॉक, तहसील और जिले में आदिवासियों की संख्या बढ़ी है, लेकिन नये अधिसूचित क्षेत्रों के गठन की प्रक्रिया सन् 2003 के बाद, जो होनी चाहिए थी, पिछले 20 वर्षों से अधिसूचित क्षेत्रों के गठन की कोई प्रक्रिया नहीं हुई है. अगर नये अधिसूचित क्षेत्रों का गठन होता है तो निश्चित ही प्रदेश में, केन्द्र सरकार ने मिलने वाली राशि बढ़ेगी और प्रदेश के आदिवासियों के विकास में ज्यादा से ज्यादा पैसा हम खर्च कर सकते हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक और महत्वपूर्ण विषय महिला एवं बाल विकास पर आपका ध्यान आकर्षण कराना चाहता हूँ. हमारे प्रदेश में जब मैंने विधान सभा में प्रश्न पूछा तो 84,000 आंगनबाड़ी भवनों में से, लगभग 30,000 आंगनबाड़ी भवन ही हमारे प्रदेश में नहीं हैं. ऐसे में मेरी विधान सभा में 70 आंगनबाड़ी केन्द्र ऐसे हैं, जो आंगनबाड़ी भवनविहीन हैं, तो मैं आपके माध्यम से मांग करता हूँ कि आंगनबाड़ी भवन का निर्माण होना चाहिए. मेरे विधान सभा क्षेत्र में, धार जिले में 400 स्कूल ऐसे हैं, जिनकी छतों से पानी टपक रहा है, वहां विद्यार्थियों को पढ़ने में बहुत असुविधा का सामना करना पड़ता है, ऐसे में जो हमारे ट्रायबल सब प्लान का पैसा आ रहा है, अभी तो पिछले कई दिनों से हम देख रहे हैं कि आदिवासी उप योजना का पैसा नियम नहीं बनने के कारण, अन्य कार्यों में और ऐसे क्षेत्रों में खर्च हो रहा है कि जहां पर आदिवासी नहीं रहते हैं. आदिवासी उपयोजना के पैसा का सही जगह इस्तेमाल हो, आदिवासियों पर ही खर्च हो, उसके लिए आदिवासी सब प्लान एक्ट बनना चाहिए, ताकि आदिवासियों का समुचित विकास हो सके.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे आदिवासी क्षेत्रों में चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में आज भी बहुत ज्यादा पिछड़ा है. अभी हमारे इलाकों में पीएससी और सीएससी में एक भी विशेषज्ञ डॉक्टर मौजूद नहीं है. ऐसे में हम कैसे अपेक्षा करें कि यहां पर आदिवासियों को अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं मिलेंगी ? हमारे आदिवासी बाहुल्य इलाकों में एक भी मेडिकल कॉलेज नहीं है, हमारे धार, बड़वानी, अलीराजपुर एवं खरगोन जिले में जो आदिवासी बाहुल्य एरिये हैं, आज दिनांक तक एक भी मेडिकल कॉलेज वहां नहीं है. मैं आपके माध्यम से, सदन के माध्यम से और सरकार से यह मांग करता हूँ कि सरकार प्राथमिकता से आदिवासी क्षेत्र, जहां पर आदिवासियों की संख्या ज्यादा हो, ऐसे क्षेत्रों में मेडिकल कॉलेज खोले. शहरी क्षेत्रों में मेडिकल कॉलेज खोलने में हमें कोई दिक्कत नहीं है. लेकिन मेरी आपसे मांग है कि कम से कम आदिवासी इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर बनें, आदिवासी इलाकों में मेडिकल कॉलेज आएं. यह आपके माध्यम से, मैं मांग रखना चाहता हूँ.
अध्यक्ष महोदय, मेरी अंतिम मांग यह है कि मैं आपको बताना चहता हूँ कि हमारे धार जिले के महू में हाल ही जो घटना घटी कि आदिवासी बेटी को बर्बरतापूर्वक मार दिया गया. कल ही धार के सागौर में भी घटना हुई. मैं आपके माध्यम से गृह मंत्री जी से भी मांग करता हूँ कि आदिवासियों पर बर्बरता बन्द हो. इसके लिए प्रदेश में कड़े से कड़ा कानून बनाया जाना चाहिए, ताकि आदिवासी बेटियों को न्याय मिले. अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का समय दिया, आपको बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्रीमती रामबाई गोविंद सिंह (पथरिया) - धन्यवाद, अध्यक्ष महोदय. आपने मुझे बोलने का मौका दिया. मैं अपने विधान सभा दमोह जिले की, बुन्देलखण्ड की बात करना चाहती हूँ. अभी ओलावृष्टि में हमारे यहां किसानों को बहुत ज्यादा दिक्कत आई हैं, समस्या आई हैं, उनकी फसलें नष्ट हो चुकी हैं. मेरा आपसे निवेदन है कि उनका सर्वे कराया जाये और उनको उचित मुआवजा दिलाया जाये क्योंकि किसान बहुत ज्यादा पीडि़त हैं. किसानों की स्थिति ओलावृष्टि से खराब हो गई है, उनकी फसलें नष्ट हो चुकी हैं. धन्यवाद, मैं अपने भाई गृह मंत्री जी का भी धन्यवाद करना चाहती हूँ कि उन्होंने मुझे समय दिलवाया.
अध्यक्ष महोदय - धन्यवाद हमको देना चाहिए कि समय हम दे रहे हैं. आप धन्यवाद वहां दे रही हैं.
श्रीमती रामबाई गोविंद सिंह - आपने उन्हीं के कहने से तो समय दिया है. (हंसी)
अध्यक्ष महोदय - धन्यवाद हमको देना चाहिए. संसदीय कार्य मंत्री जी, वह धन्यवाद केवल आपको दे रही हैं, हमको धन्यवाद नहीं दे रही हैं.
श्रीमती रामबाई गोविंद सिंह - अध्यक्ष महोदय, आपके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) - माननीय अध्यक्ष महोदय जी, आपका ही आभार है. (हंसी)
श्री ओमकार सिंह मरकाम (डिण्डोरी) - अध्यक्ष महोदय जी, मैं मांग संख्या 1, 2, 20, 32, 41, 45, 48, 55 एवं 57 का विरोध करता हूँ.
माननीय अध्यक्ष महोदय जी, सामान्य प्रशासन विभाग में, मैं सबसे पहले तो आपको धन्यवाद दूँगा कि आपने भी चिन्ता जाहिर की है कि सामान्य प्रशासन विभाग की जो कार्यप्रणाली है
उसमें सुधार हो, सामान्य प्रशासन विभाग मध्यप्रदेश के संपूर्ण विभागों में से एक समन्वय बनाने की एक रीढ़ की हड्डी है और व्यवस्थित सामान्य प्रशासन के काम चलना चाहिये, इसमें जिस तरह से स्थिति है, वह आज आप और हम सब लोग देख रहे हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय,(संसदीय कार्यमंत्री,डॉ.नरोत्तम मिश्र जी को ओर देखकर) मैं माननीय मिश्रा जी को बहुत-बहुत धन्यवाद दूंगा कि आप एक नंबर पर बैठ जायें तो हमारी समस्या को पंडित जी आप सुन लें तो कुछ कृपा कर दें. डिण्डोरी जिले में सबसे ज्यादा कल ओला की बारिश हुई, जिसके कारण किसानों की फसल को बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है और वहां सबसे बड़ी समस्या यह है कि अधिकारी है नहीं, मात्र कलेक्टर साहब हैं, डिप्टी कलेक्टर के पद खाली हैं, अपर कलेक्टर अभी एक गये हैं, सी.ई.ओ. अभी पोस्ट हो पायें हैं, डिप्टी कलेक्टर है ही नहीं, न वहां राजस्व का सही अमला है, कैसे सही समय पर वहां पर आंकलन किया जायेगा यह गंभीर विषय?
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से एक निवेदन है कि खासकर अनुसूचित जाति, जनजाति बाहुल्य जिले में जो सामान्य प्रशासन विभाग के माध्यम से डिप्टी कलेक्टर की पदस्थापना होना चाहिये. ( संसदीय कार्यमंत्री,डॉ.नरोत्तम मिश्र जी को ओर देखकर) पंडित जी काहे नाराज हैं, आप लोग हमारे जो क्षेत्र हैं, माननीय मुख्यमंत्री जी गये थे, तब भी हमने रिक्वेस्ट किये थे, महामहिम जी गये थे तब भी हम रिक्वेस्ट किये थे, पर आपने वहां पर पदों की पूर्ति नहीं किया है. मेरा आपसे अनुरोध है कि जब आपका इसका जवाब देंगे और हम पंडित जी आपसे अनुरोध कर रहे हैं कि आप एक नंबर पर बैठ जायें, कोई आपत्ति नहीं है, हम लोग तो चाह रहे हैं, अभी तो आप लोग बैठे थे, तो हम लोग प्रसन्न थे कि वहां पर लाईन लगी है. डॉ.गोविन्द सिंह जी और पंडित जी बैठे थे, आपका एक नंबर है, तो आप एक नंबर पर बैठ जायें तो कुछ कृपा हो जाये.
अध्यक्ष महोदय -- चलिये आप आगे बोलें.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा दूसरा अनुरोध है कि यह जो जनसंपर्क विभाग है. जन संपर्क विभाग के माध्यम से जो प्रचार प्रसार की प्रक्रिया अपनायी जाती है, मेरा अनुरोध है कि स्थानीय विधायकों के संज्ञान में भी इस तरह से प्रचार प्रसार की जो प्रक्रिया है, अभी जनसंपर्क विभाग ने जो विकास यात्रा में जिस तरह से प्रचार प्रसार किया, स्थानीय विधायकों के साथ जिस तरह वहां पर भेद भाव किया. मैं समझता हूं कि स्थानीय विधायकों की जानकारी में तो यह बात रहना चाहिये, ऐसा मेरा अनुरोध जन संपर्क विभाग में है कि कम से कम उसमें यह सुधार करें.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यह जो नर्मदा घाटी का विषय है, हमारे यहां बरगी बांध बना हुआ है, बरगी बांध के बाद हमारे यहां नर्मदा जी में कई जगह बांध बने हैं और खासकर आदिवासी वर्ग के लोग हमारे ज्यादा विस्थापित हुए हैं. हम जब जाते हैं और देखते हैं तो हर समय वह मांग करते हैं कि हमारी समस्याओं का निराकरण नहीं हुआ है, उनका पुनर्विस्थापन सही नहीं हुआ है, उनको मुआवजा सही नहीं मिला है, इसके लिये नर्मदा घाटी से जुड़े हुए जो विकास कार्य में जो बांध बनाये गये हैं, वहां जो आदिवासी विस्थापित हुए हैं, उसके लिये नर्मदा विकास के जो यह अधिकारी हैं, एक बार उसका सही आंकलन कर लें. जहां जहां लोग विस्थापित हुए हैं, उनकी सही व्यवस्था बन जाये, इसके लिये कोई प्रावधान इसमें नहीं है. मैं अनुरोध करूंगा कि इसमें जरूर यह होना चाहिये.
माननीय अध्यक्ष महोदय, दूसरी बात यह जो हमारा महिला एवं बाल विकास है. मैंने शुरू से अनुरोध किया था कि माता पिता के बाद प्रथम अगर शिक्षा की शुरूआत होती है तो वह आंगनवाड़ी में होती है, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता लगातार मांग कर रहे हैं, लेकिन उनकी मांगों के निराकरण के लिये सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, दूसरी तरफ मैंने यह निवेदन किया था कि आंगनवाड़ी के कार्यकताओं के नाम बदलकर अगर हम उनको प्रथम गुरू के नाम से पुकारें तो उनका मनोबल भी बढ़ेगा और बच्चों के अंदर एक अच्छा उनके प्रति भाव भी प्रकट होगा और प्रथम गुरू अगर हम आंगनवाड़ी कार्यकताओं को दे रहे हैं. एक तरफ महिलाओं के सम्मान की बात सरकार कर रही है, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता पूरे मध्यप्रदेश में पूरी महिलाएं हैं, कहीं पर पुरूष कार्यकर्ता नहीं है तो कृपया करके एक महिलाओं के सम्मान में अगर मुख्यमंत्री जी और मिश्रा जी आपकी सिफारिश, आपकी नोटशीट चली जाये, आप कह दें कि महिलाओं के सम्मान में आंगनवाड़ी कार्यकताओं को प्रथम गुरू के रूप में आप उन्हें पदांकित करके उनके वेतन भी और क्योंकि वही प्रारंभिक शिक्षा का एक निर्धारण करते हैं तो हम इसमें आपसे अनुरोध कर रहे हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आनंद विभाग के बारे में कहना चाहता हूं कि पूरा आनंद सरकार के विधायक, मंत्री और सरकार के अधिकारी मंत्रालय वाले, पूरे आनंद वहीं हैं. अब हम लोगों से जनता पूछती है कि आनंद विभाग में आप लोगों का क्या है, तो हमारा अनुरोध यह है कि आनंद विभाग के माध्यम से जो आपकी कार्ययोजना है, जो उसमें आनंद के लिये आप लोगों ने कार्य निर्धारित किया है, इसमें हमारे सभी क्षेत्रों के लिये भी आप लोग थोड़ा-थोड़ा आनंद दे दीजिये, आप इस तरह से पटेल साहब आप तो कृषि विभाग में बढि़या मुस्कुरा रहे हैं (श्री कमल पटेल, कृषि मंत्री की ओर देखते हुये) पर आनंद आप ही आप लोग ले रहे हैं तो मेरा अनुरोध है माननीय अध्यक्ष महोदय जी और सामान्य प्रशासन विभाग के माध्यम से ....
श्री तुलसीराम सिलावट-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अरे ओमकार जी, आ जाओ आनंद दे देंगे.
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- भैया आप ही तो बता रहे थे कि आप ही का हिसाब अभी नहीं हुआ है. माननीय अध्यक्ष महोदय जी आपसे मेरा एक अंतिम निवेदन है कि जिस तरह से निर्वाचित विधायकों के प्रति जनता की जो एक बहुत बड़ी उम्मीद है. मैं आपको बता दूं माननीय अध्यक्ष महोदय जी इस समय विधायकों का आप एक सर्वे करा लीजिये कि उनकी सामाजिक वेल्यूएशन क्या है, बहुत स्थिति खराब होती जा रही है, अधिकारी मौके पर कह देते हैं कि यह तो 5 साल के हैं कभी भी आते जाते रहते हैं, हम तो जो है वह करेंगे, मतलब स्थिति यह है. हम तो कोशिश करते हैं और मेरी प्रार्थना है कि अभी जहां-जहां ओला बारिस हुआ है मुझे पता है, अगर मैं दौरा करूंगा, मैं जाऊंगा तो अधिकारी जानकर काट देंगे, उनका सही सर्वे नहीं करायेंगे इसलिये किसानों के हित में मेरा निवेदन है कि अधिकारी चले जाये, अगर यह प्रसन्न हो जाते हैं तो ज्यादा मिल जाता है, हम लोग अगर कहते हैं तो करते नहीं हैं. सामान्य प्रशासन विभाग में इसमें जरूर सुधार कराने के लिये माननीय अध्यक्ष महोदय जी आपसे अनुरोध करूंगा. आपने बोलने का समय दिया मैं आपको बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं.
श्रीमती रामबाई गोविंद सिंह-- अध्यक्ष महोदय मैं आपके माध्यम से हमारे कृषि मंत्री जी के लिये हृदय से धन्यवाद देना चाहती हूं, मैंने अपना प्रश्न लगाया था, मेरी विधान सभा में 75 रोडें जर्जर स्थिति में थीं, हमारे कृषि मंत्री जी ने 75 रोड़ें स्वीकृत भी कर दीं, टेण्डर भी लगवा दिया, मैं उनको हृदय से धन्यवाद देती हूं, अध्यक्ष महोदय, आपके लिये भी बहुत-बहुत धन्यवाद.
सामान्य प्रशासन, राज्यमंत्री (श्री इंदर सिंह परमार)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सामान्य प्रशासन विभाग, विमानन, प्रवासी भारतीय एवं आनंद विभाग के लिये चर्चा में भाग लेने वाले हमारे सभी बंधु लंबी सूची है आदरणीय कमलेश्वर पटेल जी, आदरणीय आशीष शर्मा जी, हिना कावरे जी, शैलेन्द्र जैन जी, अशोक जी, मर्सकोले जी, बहादुर सिंह चौहान जी, संजय यादव जी, राजेन्द्र पाण्डेय जी, पी.सी. शर्मा जी, आकाश विजयवर्गीय जी, जालम सिंह जी पटेल साहब, श्री राम दांगोरे जी, नारायण सिंह पट्टा जी, दिलीप सिंह परिहार जी, सूबेदार सिंह जी, सुखदेव सिंह पांसे जी, पांचीलाल मेढ़ा जी, फुंदेलाल मार्को जी, ओमकार सिंह मरकाम जी मैं सबको धन्यवाद देता हूं. कई महत्वपूर्ण सुझाव आये हैं उन सुझावों को आवश्यकता के अनुसार हम विभाग में और अच्छा काम हो उसके लिये उपयोग करेंगे. मैं आप सबको धन्यवाद देना चाहता हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हम सब जानते हैं कि सामान्य प्रशासन विभाग सभी विभागों के बीच में समन्वय बनाने का काम करता है, साथ में समय-समय पर जो नियम बनते हैं उनका भी काम पूरा करता है और इसलिये पूरे सरकार के तंत्र का एक प्रकार से सब दूर इसमें हस्तक्षेप होता है, नियम प्रक्रिया से लेकर समन्वय बनाने का तो सामान्य प्रशासन का होता है और इसलिये मध्यप्रदेश में सामान्य प्रशासन विभाग अपने कर्तव्यों की पूर्ति करते हुये अपने जिम्मे जो कार्य हैं उनका निराकरण करना और अच्छी सरकार देने का काम, सुशासन देने का काम भी मध्यप्रदेश में लगातार हो रहा है. हम जानते हैं हमारे प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री जी ने जिसके बारे में कुछ सदस्यों ने कहा कि हमारे पत्र पर नहीं होता है, हमारे पत्र पर नहीं होता है.
माननीय मुख्यमंत्री जी ने जो स्वेच्छानुदान की व्यवस्था की है. व्यवस्था पहले भी थी लेकिन उसमें बहुत कम राशि पहले होती थी लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उस स्वेच्छानुदान की राशि को गरीबों के इलाज में लगाने का निर्णय लिया. आज पूरे मध्यप्रदेश में जो जनप्रतिनिधि आवेदन दें या नहीं दें.
श्री रामलाल मालवीय - अध्यक्ष महोदय, मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि पिछले दो सालों में जो आप कह रहे हैं एक भी स्वेच्छानुदान का प्रकरण हम लोगों का स्वीकृत नहीं हुआ. जैसा आप कह रहे हैं.
श्री इन्दर सिंह परमार - मैं जवाब दे रहा हूं. स्वेच्छानुदान में एक व्यवस्था बनाई कि जो चिन्हित अस्पताल हैं चिन्हित बीमारियां हैं और जो बी.पी.एल. कार्ड धारी नहीं हैं और जो जिनके पास आयुष्मान कार्ड नहीं हैं क्योंकि उनको आयुष्मान कार्ड और बी.पी.एल.कार्ड के माध्यम से ऐसे मरीजों को पैसा वहां से मिल जाता है और जो अन्य लोग हैं जो उससे छूट जाते हैं लेकिन वे भी बहुत ज्यादा सक्षम लोग नहीं हैं उनको इस योजना के तहत इलाज के लिये माननीय मुख्यमंत्री जी के यहां से पैसा दिया जाता है. समस्या यह है कि न तो कोई यह देखता है कि यह चिन्हित अस्पताल है न कोई यह देखता है कि यह चिन्हित बीमारी है. जो बीमारी चिन्हित की गई हैं. जो अस्पताल चिन्हित किये गये हैं उन सारे अस्पतालों में चाहे कोई विधायक, चाहे कोई जनप्रतिनिधि आवेदन में अपना पत्र लगाए या न लगाए यदि सीधे-सीधे मरीज के परिजन भी हमारे मुख्यमंत्री जी के यहां आवेदन देते हैं तो उनके लिये भी इलाज का पैसा स्वीकृत करने का काम मुख्यमंत्री जी करते हैं और बड़ी संख्या में लोग इसका लाभ लेने वाले हैं. इसलिये मेरा कहना है कि कई बार हम भी आवेदन भेजते हैं.हमारे यहां से भी आवेदन जाते हैं किन्तु वे चिन्हित अस्पताल नहीं होते हैं तो हमारे यहां भी बड़ी संख्या में प्रकरण नस्तीबद्ध होते हैं. इसीलिये वह एक के साथ नहीं सभी लोगों के साथ होता है. (..व्यवधान..) हर व्यक्ति को पैसा मिले इसके लिये यह जरूरी नहीं है कि विधायक का पत्र लगेगा. मंत्री की नोटशीट लगेगी. जो चिन्हित अस्पताल हैं. उसमें स्वेच्छानुदान का जो प्रावधान किया गया है उन सबको देने का काम किया गया है और इसलिये मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं.
श्री विनय सक्सेना - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी, विधान सभा में असत्य बोल रहे हैं.
श्री इन्दर सिंह परमार - इस योजना के माध्यम से नर सेवा से नारायण सेवा का लक्ष्य पूरा हो रहा है. गरीब लोगों के इलाज करने का काम मध्यप्रदेश की सरकार कर रही है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे पास सब रिकार्ड हैं. पूरे इस साल में 15 अगस्त,2022 से आज तक की स्थिति में हमने जो भर्ती अभियान चला रखा है वह बहुत बड़ी संख्या में है. 1 हजार पदों पर हम परीक्षा परिणाम घोषित कर चुके हैं और कुल मिलाकर कर्मचारी चयन मण्डल द्वारा 1 लाख से अधिक पदों की भर्ती की प्रक्रिया प्रारंभ की जा चुकी है साथ ही लोग सेवा आयोग द्वारा भी 5253 पदों को भरने हेतु विज्ञापन जारी किया जा चुका है. लगातार मध्यप्रदेश में पिछले एक साल से कर्मचारियों की भर्ती का काम, चाहे शिक्षकों की भर्ती हो, लगातार प्रक्रिया में है और पूरे साल में जो लक्ष्य निर्धारित किया गया है लगभग 1 लाख 24 हजार भर्तियों को हम भर देंगे. यह मध्यप्रदेश के इतिहास में पहला साल ऐसा होगा जिसमें इतनी बड़ी संख्या में भर्तियां होने वाली हैं. मध्यप्रदेश में पहले से कई पुरस्कार चलते हैं लेकिन 3 नये पुरस्कार और प्रारंभ किये हैं. उनका विशेष रूप से उल्लेख करना चाहता हूं कि जो सामाजिक कार्यकर्ता हैं. अन्य लोग हैं जो उल्लेखनीय कार्य करते हैं. वीरतापूर्ण,साहसिक और सामाजिक कार्यों में, उसके लिये मध्यप्रदेश गौरव सम्मान 2022 से प्रारंभ किया गया है और उसमें 5 लाख रुपये तक का पुरस्कार हम देने का काम करते हैं ऐसे 10 नये पुरस्कार हमने बनाए हैं. इसी प्रकार से शासकीय कार्यों में क्योंकि हमारे शासन में बैठे हुए अधिकारी,कर्मचारी लगातार काम करते हैं.परिश्रम करते हैं. मेहनत करते हैं और इसलिये माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी की मंशा के अनुसार कि काम करने वालों को प्रोत्साहित किया जायेगा उनको आगे बढ़ाने का काम किया जाएगा इसलिये मुख्यमंत्री उत्कृष्टता पुरस्कार और जो नवाचार करते हैं उनके लिये भी 15 पुरस्कारों का सृजन किया है. 10 लाख रुपये प्रत्येक पुरस्कार में दिये जाते हैं. इसी प्रकार से शासकीय योजनाओं में भी जो उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हैं उनके लिये भी 5 पुरस्कारों का सृजन किया गया है. 10 लाख रुपये प्रत्येक पुरस्कार में दिये जा रहे हैं. उनके लिये भी 15 पुरस्कार का सृजन किया है. 10 लाख रुपये प्रत्येक पुरस्कार में दिये जाते हैं. इसी प्रकार से शासकीय योजनाओं में भी जो उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हैं, उनके लिये भी 5 पुरस्कार का सृजन किया गया है. 10 लाख प्रत्येक पुरस्कार में इसमें भी दिये जा रहे हैं. पहले से जो पुरस्कार चल रहे हैं स्वर्गीय देवी प्रसाद शर्मा पुरस्कार, महाराणा प्रताप शौर्य राज्य पुरस्कार, भैया श्री मिश्रीलाल गंगवाल सद्भावना पुरस्कार, संत महापुरुषों के नाम पर जो पुरस्कार हैं अलग अलग, वह अलग हैं. इन्दिरा गांधी साम्प्रदायिक सौहार्द्र पुरस्कार, सुशील चन्द्र वर्मा पुरस्कार, राज्य स्तरीय वीरता पूर्ण कार्य पुरस्कार, अशोक चक्र श्रृंखला पुरस्कार, प्रादेशिक सैनिक पुरस्कार, यह पुरस्कारों की श्रृंखला लम्बे समय से मध्यप्रदेश में चल रही है और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री जी ने उनमें लगातार लोग लाभ लें, इसके लिये प्रयास किया है. हम सब जानते हैं कि कोविड के साल में कई सारे हमारे लोग जो शासन की नौकरी में थे, अलग अलग जगह पर थे, उनके आश्रितों को बड़ी संख्या में अनुकम्पा नियुक्ति देने का काम किया है. लगभग 800 अनुकम्पा नियुक्ति दी है एवं 370 अभी और प्रकरण प्रक्रिया में हैं, उन पर जल्दी निराकरण होने वाला है. एक और बड़ा परिवर्तन हमने मध्यप्रदेश में अनुकम्पा नियुक्ति में किया है. अभी तक विवाहित पुत्रियों को अनुकम्पा नियुक्ति का लाभ नहीं मिलता था. लेकिन अब मध्यप्रदेश की सरकार ने तय किया है कि पुत्र के साथ में विवाहित पुत्री को भी अनुकम्पा नियुक्ति का लाभ दिया जायेगा. मैं मुख्यमंत्री जी को इसके लिये धन्यवाद देना चाहता हूं. सामान्य प्रशासन विभाग में लगातार यह काम चल रहा है. हमारे सारे 54 विभागों में 97 विभागाध्यक्ष कार्यालयों में, 3 संभागीय कार्यालयों में, 22 जिलों एवं 65 तहसील कार्यालयों में यह काम किया जा रहा है. नियुक्ति के संबंध में आरक्षण की खूब चर्चा होती है. मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग में चयन हेतु विभिन्न स्तर पर मेरिट लिस्ट बनाई जाती है. पूर्व में अंतिम स्तर पर ही आरक्षण का लाभ दिया जाता था. हमारी सरकार में अब यह व्यवस्था की गई है कि चयन के हर स्तर पर आरक्षण की सुविधा प्रदान की जाये. हमारे एक साथी ने यह भी कहा था कि संविदा नियुक्तियों में आरक्षण नहीं दिया जाता है. मैं समझता हूं कि यह शायद जानकारी उनकी गलत थी. हमने जो सामान्य प्रशासन विभाग का परिपत्र है, उसमें संविदा नियुक्तियों में भी आरक्षण का प्रावधान किया गया है, जो मध्यप्रदेश में सबको मिल रहा है. हम सब जानते हैं कि हमारे देश में प्रवासी भारतीयों कि एक महत्वपूर्ण भूमिका रही है और यह केवल भूमिका आजादी के बाद से नहीं, यह भूमिका जब भारत कभी विश्व गुरु कहलाता था, जब भारत कभी सोने की चिड़िया कहलाता था, ऐसे समय में भी भारत के लोगों ने अपने व्यपार के माध्यम से, अपने काम की दृष्टि से दुनिया के कई देशों में जाते थे और एक बड़ी छाप छोड़ते थे. भारत का जो वासुदेव कुटुम्ब का संदेश है, वह भी हमारे प्रवासी भारतीय दुनिया के देशों में लेकर जाते थे और वही परम्परा फिर से देश के प्रधानमंत्री जब नरेन्द्र मोदी जी बने, उन्होंने देश के सारे ऐसे प्रवासी भारतीय, जिनके पुरखे कभी भारत में रहते थे या बाद में जो दुनिया के मंच पर गये हैं, दुनिया के देशों में गये हैं, उन सबसे संवाद स्थापित करते हुए उन सबको उनकी भारत भमि की ओर फिर से आकर्षित करने का काम किया है और इसलिये हम देखते हैं कि जब देश में स्वच्छता अभियान प्रारम्भ किया था, दुनिया के लोगों ने अपने अपने गांव को भारत में आकर ढूण्ढने का काम किया है और स्वच्छता अभियान में हमारे देश में जो सहयोग बन सकता है, उन अप्रवासी भारतियों ने सहयोग किया है. एक प्रकार से आज हमारे अप्रवासी भारतीय अपने देश के एम्बेसेडर ब्राण्ड बन चुके हैं और मध्यप्रदेश के भी जो अप्रवासी भारतीय हैं और मध्यप्रदेश की प्रतिष्ठा दुनिया में बढ़ाने का काम कर रहे हैं. हमने पिछले साल इन्दौर में प्रवासी भारतीय जो सम्मेलन हुआ था, बड़ी संख्या में दुनिया के लोग आये थे और उसके कारण से मध्यप्रदेश की प्रतिष्ठा दुनिया में बढ़ी है. मैं समझता हूं कि उसमें एक बड़ा प्रयोग हमारे मुख्यमंत्री जी ने किया था, होम रिश्ते की अवधारणा को साकार करने के लिये कई प्रवासी भारतीयों को अपने परिवार में ठहराने का काम किया था. लोगों को लगे कि ये भारत के लोग आज भी हमसे उसी आत्मीयता के साथ हमारे परिवार जैसा व्यवहार करते हैं और भारत के प्रति, अपने देश के प्रति और उनका प्रगाढ़ भाव हमेशा के लिये बना रहे और अपने देश के लिये, अपने मूल देश के लिये भी अपना योगदान सुनिश्चित करते रहें. इस प्रकार की व्यवस्था के भागीदार बनते जा रहे हैं. मैं समझता हूं कि फ्रेंड्स ऑफ एमपी पोर्टल, दुनिया के सभी देशों में जो हमारे मध्यप्रदेश के प्रवासी भारतीय हैं, उनको जोड़ने का एक अच्छा मंच बन चुका है. आने वाले समय में और हमारे प्रवासी भारतीयों का योगदान चाहे वह निवेश के क्षेत्र में होगा या भारत के सांस्कृतिक आदान-प्रदान करने की जो हमारी व्यवस्था है, उसमें होगा, उनका ज्यादा योगदान हमको मिलता रहेगा.
अध्यक्ष महोदय, विमानन विभाग, हमने अभी मध्यप्रदेश में रीवा में नवीन एयरपोर्ट के निर्माण हेतु 206 करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान किया है. प्रदेश की जो समस्त हवाई पट्टियां हैं, उनके जीर्णोद्धार के लिए भी 40 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है, सिंगरौली में नवीन हवाई पट्टी का निर्माण किया जा रहा है. खास बात यह है कि जितनी हमारी हवाई पट्टियां पुरानी हैं, उन सबसे रोजगार कैसे मिले क्योंकि कई हवाई पट्टी ऐसी है, जिनका रोज उपयोग नहीं होता है. लेकिन हमने प्राइवेट सेक्टर के लोगों को इसको देकर उस पर ट्रेनिंग दिलाने का काम किया है ताकि हमारे यहां के नौजवान वह ट्रेनिंग लें, पायलट बनें और उनको रोजगार का अवसर मिलता रहे, इस प्रकार की व्यवस्था मध्यप्रदेश की धरती पर की गई है. मैं समझता हूं कि इससे काफी लोगों को लाभ मिलेगा.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - आप स्कूल नहीं बना पा रहे हैं और हवाई पट्टी की बात कर रहे हैं?
श्री इन्दर सिंह परमार- अध्यक्ष महोदय, स्कूल शिक्षा विभाग की जब बात आएगी तब उसका भी जवाब दूंगा. हम क्या कर रहे हैं, हम क्या नहीं कर रहे हैं और मैं उसमें यह भी बताऊंगा कि आपकी सरकारों का आजादी के बाद में देश की शिक्षा में क्या क्या बदलाव करना चाहिए था.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को - हमारी सरकार ने आपको पढ़ाकर यहां भेजा है. (व्यवधान)..
श्री इन्दर सिंह परमार- आपकी शिक्षा ने बर्बाद करने का काम किया है. लेकिन उस समय में उसका जवाब दूंगा. अध्यक्ष महोदय, अभी मैं जिस विभाग का जवाब दे रहा हूं, उसके लिए मैं खड़ा हूं, इसलिए बीच में नहीं बोलेंगे तो बहुत अच्छा होगा. आप इस विषय पर कोई बात करेंगे तो चलेगा.
अध्यक्ष महोदय, मैं आनंद विभाग की बात करता हूं. हमारे बहुत सारे लोग चर्चा कर रहे थे. एक समय ऐसा वातावरण बनता है कि हर व्यक्ति के जीवन में कभी न कभी निराशा आती है, मायुसी आती है. हमारी सरकार की व्यवस्था में ऐसे लोगों को उबारने के लिए कोई मंच नहीं था, इसलिए हमारे मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने पिछले कार्यकाल के समय आनंद विभाग का गठन किया है और उसकी कार्य रचना बनाई है. इस विभाग की महत्वपूर्ण बात यह है कि इसमें समाज के सामाजिक कार्यकर्ताओं की सहभागिता तय करते हुए चाहे स्कूल शिक्षा विभाग के हमारे स्कूल होंगे या ऐसे सामाजिक केन्द्र होंगे, उन सब में हमने काम करने का निर्णय किया है और विभाग के द्वारा कई लोगों के जीवन में उत्साह का, आनंद का अनुभव होता है और इसलिए हम सब जानते हैं कि हमारे देश में, हमारे समाज में कई ऐसे लोग रहते हैं जिनकी छोटी-छोटी आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं होती है, लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं, जिनके पास अपने घर की आवश्यक सामग्री में से कई चीजें ऐसी बचती हैं, जिनका उनके घर में उपयोग नहीं होता है और इसलिए हमने ऐसे केन्द्र स्थापित किये हैं, 172 ऐसे केन्द्रों की स्थापना की है. इन स्थानों पर अपने घर से जिसके पास ज्यादा सामान है, वह रख देगा और जिसको आवश्यकता हो, वह स्वतः उठा ले जाएगा, यानी समाज की जन भागीदारी की एक कल्पना, एक कंसेप्ट कि जिसके पास में ज्यादा है, वह समाज के ऐसे गरीब तबके के लिए देने का काम करे, लेकिन दिखाकर देने का काम नहीं करे, यह स्वतः ही काम होता जाय, देने वाला भी प्रकट नहीं हो और लेने वाला भी प्रकट नहीं हो, इस प्रकार की व्यवस्था मध्यप्रदेश की सरकार के माध्यम से समाज में की जा रही है. मैं आज इन विषयों पर अपनी बात यहीं समाप्त करता हूं, जय हिन्द, जय भारत.
श्री उमाकांत शर्मा - अध्यक्ष महोदय, आनंद विभाग माननीय मुख्यमंत्री जी ने प्रारंभ किया है. मैं माननीय मंत्री महोदय से निवेदन करना चाहता हूं कि एक आनंद मण्डपम विधायकों के लिए विधान सभा में बनवाकर योग, शांति, आनंद की व्यवस्था करवाने की कृपा करें.
औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन मंत्री (श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगांव )- अध्यक्ष महोदय, मांग संख्या 45 लोक परिसम्पत्ति प्रबंधन पर जिन भी हमारे माननीय सदस्यों ने अपनी-अपनी बात रखी है, उनका आभार व्यक्त करते हुए विभाग की कुछ बातों को मैं रेखांकित करना चाहता हूं. विभाग के गठन का उद्देश्य मुख्यतः मध्यप्रदेश राज्य अंतर्गत विभिन्न विभागों तथा एजेंसियों के आधिपत्य में अनेक महत्वपूर्ण और शासकीय परसंपत्तियां हैं. जिनका आवश्यकता अनुरूप युक्तियुक्तकरण एवं व्यावसायिक उपयोग नहीं हो पा रहा और ऐसी परिसम्पत्तियों के प्रबंधन हेतु लोक परिसम्पत्ति प्रबंधन विभाग द्वारा सतत् रूप से कार्य किया जा रहा है. विभाग द्वारा विभाग की अनुपयोगी जितनी भी परिसम्पत्तियां थीं उनके प्रबंधन हेतु आवश्यकतानुसार हम अन्य विभागों को सौंपे जाने की र्कावाही भी कर रहे हैं और वह प्रगतिशील है. मध्यप्रदेश राज्य परिसम्पत्ति कंपनी का गठन भी किया गया है और राज्य शासन द्वारा अनुपयोगी परिसम्पत्तियों के और अधिक बेहतर प्रबंधन हेतु लोक परिसम्पत्ति प्रबंधन विभाग के अंतर्गत मध्यप्रदेश राज्य परिसम्पत्ति प्रबंधन कंपनी एसपीव्ही (स्पेशल पर्पज़ व्हीकल) का भी हम लोगों ने गठन किया है.
अध्यक्ष महोदय, जिला प्रोत्साहन योजना अभी महत्वपूर्ण है जिसका मैं उल्लेख अवश्य करना चाहता हूं. जिले से प्राप्त परिसंपत्तियों के जो निवर्तन से प्राप्त हमें राशि होती है उसका तकरीबन 25 प्रतिशत उसी जिले की आधारभूत संरचना को विकसित किये जाने हेतु शासन द्वारा जिला प्रोत्साहन योजना प्रगतिशील है. जिसमें जिले में मूलभूत सुविधाओं के कार्य सुगमता से हो सकेंगे इसका प्रयत्न किया जा रहा है. वर्तमान में जिला प्रोत्साहन योजनांतर्गत 15 जिलों को तकरीबन 48 करोड़ रुपये प्रदान किये जा रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, परिसम्पत्तियों का प्रबंधन करते वक्त हम परिसमापन परिसम्पत्तियों का प्रबंधन भी कर रहे हैं. कई वर्षों से परिसमापित परिसम्पत्तियों का निवर्तन नहीं किये जाने से शासन की देनदारियां लगातार बढ़ रही थीं, फलस्वरूप विभाग द्वारा ऐसी परिसम्पत्तियों का निवर्तन प्राप्त राशि का परिसमापकों को भुगतान भी हमने किया है. इस प्रकार लगभग 50 करोड़ रुपये का भुगतान परिसमापकों को किया जा चुका है और विभाग लगभग 145 शासकीय अनुपयोगी परिसम्पत्तियों का प्रबंधन कर चुका है जिसका अनुमानित मूल्य राशि लगभग ढाई हजार करोड़ रुपये है.
अध्यक्ष महोदय, वित्तीय वर्ष 2022-23 में कुल हम लोगों ने 65 परिसम्पत्तियों का निवर्तन किया. जिनका अवार्ड मूल्य राशि लगभग 616 करोड़ रुपये है. शासन द्वारा वर्षों से अतिक्रमित भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराया और मुक्त कराकर भूमि को अन्य प्रयोजन हेतु निवर्तन एवं प्रबंधन योग्य बनाया गया जो मैं समझता हूं शासन की एक अहम उपलब्धि है. इस प्रबंधन के सिलसिले में भी शासन द्वारा अनुपयोगी भूमि कई जिलों में जैसे सिवनी मालवा, कटनी, इंदौर, बालाघाट, खंडवा, सागर में हरित क्षेत्र एवं उद्यान के रूप में भी विकसित किया जा रहा है. मध्यप्रदेश सड़क परिवहन निगम की भूमि को अन्य प्रयोजन में उपयोग हेतु संबंधित विभाग को भी हम लोगों ने दिया है. बंद 13 उद्योगों के प्लाट और मशीनरी का निवर्तन कर मुक्त हुई भूमि को औद्योगिक क्लस्टर के रूप में विकसित कर भूमि का प्रबंधन भी शासन द्वारा किया जा रहा है. भारत सरकार की जो अनुदान योजना है उसका भी हम लोग लाभ ले रहे हैं और हमारा राज्य इसमें नंबर वन है. यह हम गर्व के साथ कह सकते हैं. भारत सरकार की योजना स्कीम फॉर स्पेशल असिस्टेंस ऑफ स्टेट्स फॉर कैपिटल इन्वेस्टमेंट के अंतर्गत मध्यप्रदेश को 46 करोड़ रुपये प्राप्त हुये हैं. मध्यप्रदेश भारत सरकार में अकेला राज्य है जिसको परिसम्पत्तियों के निवर्तन पश्चात् उक्त योजना के अंतर्गत अनुदान राशि अब तक प्राप्त हुई है. उक्त योजना के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2022-23 में लगभग सवा दो सौ करोड़ रुपये की हमें प्राप्ति संभावित है और अनुमानित 400 करोड़ का जो हमारा टारगेट है उसमें हम अचीव करेंगे तो हमें एडीशनल, गवर्नमेंट ऑफ इंडिया 50 परसेंट बोनस देगा जो राशि करीब सवा दो सौ करोड़ रुपये जिसका मैंने आपसे जिक्र किया है. राजस्व मद बजट वित्तीय वर्ष 2023-24 हेतु राजस्व मद में कुल राशि 55 करोड़, 76 लाख, 13 हजार का व्यय प्रस्तावित किया गया है. राशि 50 करोड़ का प्रावधान परिसम्पत्तियों के निवर्तन से प्राप्त कुल राजस्व में से पात्रता अनुसार परिसमापक को भुगतान की जाने वाली राशि का भी किया गया है. कुल राजस्व में से पात्रतानुसार परिसमापक को भुगतान की जाने वाली राशि का भी किया गया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, परिसंपत्तियों की मूल्यवृद्धि हेतु भी हमारा विभाग कार्य कर रहा है और विभाग द्वारा निर्वर्तन योग्य परिसंपत्तियों की मूल्यवृद्धि हेतु तथा आधारभूत अधोसरंचनाओं को विकसित किया जाना, ये कार्य भी हम निरंतर कर रहे हैं. भू-उपयोग परिवर्तन आदि का कार्य भी किया जा रहा है, जिससे परिसंपत्तियों के निर्वर्तन से शासन को अधिकतम राजस्व की प्राप्ति हो रही है. यह एक तरह से उनका वेल्यू-एडिशन का कार्य भी हमारा विभाग कर रहा है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, निविदा प्रक्रिया हेतु विभाग द्वारा परिसंपत्तियों का निर्वर्तन ई-टेण्डर कम ऑक्शन प्रक्रिया के तहत किया जा रहा है, जिसमें अधिकतम निविदाकार पारदर्शी ढंग से भाग ले पा रहे हैं. फलस्वरूप शासन को अधिकतम राजस्व की प्राप्ति भी हो रही है.
माननीय अध्यक्ष जी, इस मांग संख्या में राशि करीब 5 करोड़ रुपये का प्रावधान मध्यप्रदेश राज्य परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी को अनुदान के रूप में वेतन-भत्ते एवं अन्य व्यय हेतु प्रस्तावित भी किया जा रहा है. लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग के कार्यालयीन एवं अन्य मद पर व्यय हेतु राशि तकरीबन 76.11 लाख रुपये का प्रावधान भी किया जा रहा है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, कैपिटल एक्सपेंडिचर, पूंजीगत मद, बजट वित्तीय वर्ष 2023-24 में कुल राशि रुपये 85 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित किया जा रहा है. बजट वित्तीय वर्ष 2023-24 में जिला प्रोत्साहन विभाग 98, 48 की लागू की गई, जिसके अंतर्गत राशि 50 करोड़ रुपये बजट में प्रस्तावित की गई है.
अध्यक्ष महोदय, परिसम्पत्तियों को अधिक उपयोगी बनाने हेतु उनकी अधोसरंचना के विकास हेतु राशि लगभग 25 करोड़ रुपये प्रस्तावित की जा रही है.
अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश राज्य परिसम्पत्ति प्रबंधन कंपनी की गतिविधियों के विस्तार हेतु राशि 10 करोड़ रुपये का प्रावधान धन वेस्टर्न निवेश मद में प्रस्तावित किया जा रहा है.
अध्यक्ष महोदय, राजस्व प्राप्तियां, बजट वित्तीय वर्ष 2023-24 में परिसम्पत्तियों के निर्वर्तन से राशि 500 करोड़ रुपये राजस्व प्राप्त होने का अनुमान प्रस्तावित किया जा रहा है. यह लक्ष्य प्राप्ति करने पर हमें अनुमान है, जैसा मैंने पहले कहा, जो केन्द्र सरकार हमें बोनस के रूप में ग्रांट देगी, वह लगभग 250 करोड़ रुपये भारत सरकार से हमें मिलने की आशा है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इन सभी बातों को दृष्टिगत रखते हुए मैं आपके माध्यम से सदन से अनुरोध करूंगा कि इस मांग संख्या को अनुमोदित करने की कृपा करें.
राज्य मंत्री, उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण तथा नर्मदा घाटी विकास (श्री भारत सिंह कुशवाह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मांग संख्या - 32, जनसम्पर्क, मांग संख्या - 48, नर्मदा घाटी विकास और मांग संख्या - 55, महिला एवं बाल विकास पर काफी माननीय सदस्यों ने विस्तार से सुझाव दिए हैं. मुझे यह कहने में भी अति प्रसन्नता है कि कुल मिलाकर 15 माननीय सदस्यों के सुझाव तीनों विभाग के लिए आए हैं. निश्चित रूप से हम इनका परीक्षण कराएंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मुख्य रूप से मांग संख्या - 32, जनसम्पर्क विभाग पर मैं बोलने के लिए खड़ा हुआ हूँ. जनसम्पर्क विभाग एक ऐसा विभाग है जो शासन और नागरिकों के बीच में शासन के माध्यम से जो भी योजनाएं संचालित हैं, जो भी कार्यक्रम शासन के रहते हैं, उन कार्यक्रमों को विस्तार से बताने का कार्य करता है. साथ ही जनता से सतत संवाद बनाए रखने का काम जनसम्पर्क विभाग के द्वारा किया जाता है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे यह कहते हुए प्रसन्नता है कि जनसम्पर्क विभाग एक ऐसा विभाग है, जिस तरह से समय की आवश्यकता को देखते हुए प्रचार-प्रसार भी शासकीय योजनाओं का करना बहुत आवश्यक है. जैसा कि हम सब जानते हैं कि जनसम्पर्क विभाग से जुड़े हुए हमारे पत्रकार मित्र भी काफी मेहनत करते हैं, परिश्रम करते हैं. खराब परिस्थिति में भी पत्रकार मित्र हमें खबर देने का काम करते हैं तो जिस तरह से जनसम्पर्क विभाग के माध्यम से पत्रकार मित्रों के लिये सम्मान निधि के रूप में वरिष्ठ पत्रकारों के लिये 10 हजार रूपए सालाना जनसम्पर्क विभाग के माध्यम से दिये जाते हैं और अभी तक 252 पत्रकार मित्रों को सम्मान निधि के रूप में यह राशि प्रदान की गई है. साथ ही माननीय मुख्यमंत्री जी ने जनसम्पर्क विभाग के माध्यम से उपचार के लिये 228 पत्रकारों के लिये 1 करोड़ 38 लाख रूपए की आर्थिक सहायता देने के काम जनसम्पर्क विभाग के माध्यम से किया है.
अध्यक्ष महोदय, इसी प्रकार से पत्रकार मित्रों के बीमा की चिन्ता अगर किसी ने की है तो वह हमारे प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने की है. जनसम्पर्क विभाग के माध्यम से स्वास्थ्य एवं दुर्घटना समूह बीमा योजना संचालित है. इस योजना में प्रीमियम की 85 प्रतिशत तक की राशि विभाग द्वारा वहन की जाती है. वर्तमान में हमने 3684 पत्रकारों को बीमा योजना से जोड़ने का काम किया है.
अध्यक्ष महोदय, इसी प्रकार से आवास के लिये भी ऋण देने का काम हमारी सरकार कर रही है. अधिमान्य पत्रकारों के लिये 25 लाख रूपए तक के आवास ऋण पर 5 प्रतिशत ब्याज और अनुदान 5 वर्ष तक दिये जाने की योजना में इस वित्त वर्ष में 78 पत्रकारों को रूपए 1 करोड़ 51 लाख का ब्याज अनुदान हमारी सरकार के माध्यम से दिया गया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, संचार माध्यमों के प्रभावी उपयोग के लिये लोक महत्व की सरकारी सूचनाओं को प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों तक पहुंचाया जा रहा है. हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू भाषा में सूचना और समाचार मीडिया को भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जनसम्पर्क विभाग के माध्यम से विज्ञापन प्रदाय और विज्ञापन देयकों के भुगतान के लिये भी हमने ऑनलाईन व्यवस्था की है. साथ ही प्रचार-प्रसार के लिये बहुत ही एक अभिनव पहल करते हुए सरकार की नीतियों को और रीतियों को जनता के बीच में परोसने का काम हमारे जनसम्पर्क विभाग के माध्यम से हुआ है. मैं सदन से यह भी अनुरोध करता हॅूं कि यह विभाग बहुत महत्वपूर्ण है और इस प्रकार से शासन की और सबका प्रचार-प्रसार करने में जो महत्वपूर्ण भूमिका जनसम्पर्क विभाग निभाता है, इसके लिए मांग संख्या-32 के अंतर्गत प्रावधानित बजट रूपए 700 करोड़ 30 लाख पारित किए जाएं, ऐसा मैं अनुरोध भी करता हॅूं.
अध्यक्ष महोदय, साथ ही मैं मांग संख्या-48 के संबंध में यह भी कहना चाहूंगा, जैसा कि हम सब जानते हैं कि जिस तरह से मध्यप्रदेश को सिंचाई के क्षेत्र में, उत्पादन के क्षेत्र में जो सम्मान और पुरस्कार मिला है, इसमें मां नर्मदा मैया का बहुत बड़ा योगदान है. जैसा कि हम सब जानते हैं मां नर्मदा मैया के माध्यम से खेतों तक सिंचाई की भी व्यवस्था अगर किसी ने की है, तो वह हमारी भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने की है. सिंचाई के साथ-साथ उद्योगों को भी पानी की आवश्यकता पड़ती है, तो उद्योगों के लिये भी मां नर्मदा से पानी पहुंचाने का काम माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी की सरकार ने किया है.
अध्यक्ष महोदय, इसी प्रकार से सिंचाई के साथ-साथ, उद्योगों के साथ-साथ कई शहरों की पेयजल व्यवस्था के लिये भी नर्मदा मैया से पाइपलाईन डालकर पेयजल व्यवस्था हमारी सरकार ने की है. मुख्य रूप से मुझे बताते हुए प्रसन्नता होती है कि जिस तरह से वर्ष 2003 के मध्यप्रदेश को देखा जाए, तो वर्ष 2003 के बाद निरंतर सिंचाई का रकबा भी बढ़ा है और मध्यप्रदेश के किसानों का उत्पादन भी बढ़ा है. यह नर्मदा मैया की वजह से, किसानों के परिश्रम की वजह से एक बार नहीं, बल्कि कई बार कृषि कर्मण पुरस्कार मध्यप्रदेश में हमारी सरकार को मिला है.
अध्यक्ष महोदय, जिस तरह से मध्यप्रदेश के हक में हमें जल बंटवारे का जितने पानी का दोहन मां नर्मदा मैया से हमें करना था, उतने हिस्से का पानी 18 पौंड 25 एमएएफ हमारे हिस्से में मिला था, जिसके लिये आज वर्तमान में मुझे कहते हुए प्रसन्नता हुई है कि 60 से अधिक परियोजनाओं पर हमारी सरकार काम कर रही है और वर्तमान में 22 परियोजनाएं पूरी तरह से शत-प्रतिशत् पूर्ण हो चुकी हैं और इनके माध्यम से 6 लाख 75 हजार हैक्टेयर में सिंचाई की सुविधा मिल रही है और अन्य जो योजना है, वह कहीं अधूरी है, कहीं पूर्ण होने की ओर है. इस प्रकार से 18.25 एमएएफ पानी का उपयोग करने के लिए हमारी सरकार ने 27 लाख 61 हजार हैक्टेयर के लिए सिंचाई रुपांकित की व्यवस्था की है. अध्यक्ष महोदय, मुझे यह कहते हुए प्रसन्नता होती है कि माँ नर्मदा के माध्यम से हमारे प्रदेश की प्रगति हो रही है. हमें इस बात की भी प्रसन्नता है और इन परियोजनाओं को पूर्ण करने के लिए अध्यक्ष महोदय जी, जिस तरह से बजट में 3 हजार 8 सौ करोड़ से अधिक का भी प्रावधान किया है इसलिए मैं सदन से भी मांग करता हूँ कि इस बजट को भी, परियोजना को पूर्ण करने के लिए दिया जाए.
साथ ही अध्यक्ष महोदय, मांग संख्या 55, महिला बाल विकास विभाग.....
श्री बहादुर सिंह चौहान-- माननीय अध्यक्ष जी, नर्मदा घाटी विकास की डिमांड पर मैंने अपना वक्तव्य भी दिया था. मेरा आग्रह है कि मेरी विधान सभा के 249 गाँवों में से 222 गाँवों में अलरेडी जल संसाधन विभाग से सिंचाई हो रही है. मैं माननीय मंत्री जी से आपके माध्यम से निवेदन कर रहा हूँ, उस क्षेत्र की जनता की ओर से आग्रह कर रहा हूँ कि नर्मदा-लिंक परियोजना उज्जैन-शाजापुर मेरे महिदपुर होकर निकली है 35 गाँवों में वो जोड़ने की कृपा करेंगे, मैं आपके माध्यम से चाहता हूँ.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी....
श्री भारत सिंह कुशवाह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने पूर्व में भी कहा...(व्यवधान)..
श्री बहादुर सिंह चौहान-- मेरी बात आने दी जाए.
अध्यक्ष महोदय--- मंत्री जी, आप अपनी बात रखो...,(व्यवधान)..
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, मैंने निवेदन किया था नर्मदा नदी का पानी बेतवा में डालने के लिए....(व्यवधान)..
श्री संजय यादव-- मंत्री जी, कहीं कुछ नहीं कर रहे आप...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी, आप अपनी बात पूरी करो...(व्यवधान)..
श्री भारत सिंह कुशवाह-- अध्यक्ष महोदय, मैंने पूर्व में भी कहा है कुछ विधायकों के जो सुझाव आए थे..(व्यवधान)..उद्वहन परियोजना से..(व्यवधान)..कुछ गाँवों को जोड़ने की बात की है तो पानी की यदि उपलब्धता होगी तो निश्चित रूप से हम इसका सर्वे करा लेंगे....(व्यवधान)...साध्य होगा तो निश्चित रूप से जोड़ने का प्रयास करेंगे...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- नहीं हो गया, आ गया.
श्री भारत सिंह कुशवाह-- अध्यक्ष महोदय, मेरा सभी सदस्यों से यह अनुरोध है कि एक एक करके...(व्यवधान)..
श्री बहादुर सिंह चौहान-- अध्यक्ष जी, यह पाइप लाइन उनके यहाँ जा ही नहीं रही है. मैं कौनसी योजना की बात कर रहा हूँ, वह दूसरी योजना है, मेरे क्षेत्र से होकर गुजर रही है, मैं उसकी बात कर रहा हूँ.
श्रीमती नीना विक्रम वर्मा-- अध्यक्ष जी, मेरा भी है उद्वहन सिंचाई योजना....(व्यवधान)..
श्री संजय यादव-- आदिवासी क्षेत्रों में आपका आश्वासन है आज तक आपने पूरा नहीं किया. कम से कम जाँच तो करवा लेते, लिफ्ट इरीगेशन बरगी.....(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- संजय यादव जी, बैठ जाइये.
श्री संजय यादव-- वहाँ के आदिवासी सिंचाई नहीं कर पा रहे.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, नर्मदा जी का जल बेतवा नदी में डालने का माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि बोलें.
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी, आप अपनी बात पूरी करिए.
श्री भारत सिंह कुशवाह-- अध्यक्ष महोदय, जितने भी विधायकों के जो सुझाव आए हैं. हम उनका परीक्षण करके अगर साध्य होगा तो हम जरूर विचार करेंगे और साध्य नहीं होगा तो हम कहाँ से विचार करेंगे इसलिए सबके सुझाव इसमें समायोजित करते हुए इसमें हम परीक्षण करके विचार करने का काम करेंगे...(व्यवधान)..
साथ ही अध्यक्ष महोदय, मांग संख्या 55, महिला बाल विकास विभाग की मैं जानकारी यह देना चाहूँगा. अध्यक्ष महोदय, महिला बाल विकास विभाग एक ऐसा विभाग है जिसने हमेशा निरन्तर प्रदेश को सम्मानित करने का, गौरवान्वित करने का काम, हमारे महिला बाल विकास के माध्यम से हुआ है. मुझे यह कहते हुए यह प्रसन्नता है कि माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में राष्ट्रीय स्तर पर भी महिला बाल विकास विभाग की प्रशंसा हुई है. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी महिला बाल विकास विभाग की कई योजना ऐसी हैं जिनको सम्मान पूर्वक, एक सम्मान, ..(व्यवधान)..महिला बाल विकास विभाग को मिला है. अध्यक्ष महोदय, मैं यह भी जानकारी देना चाहूंगा कि महिला बाल विकास विभाग एक ऐसा विभाग है, एक नहीं, कई योजना में भारत सरकार से सम्मान इस मध्यप्रदेश सरकार को मिला है. मुझे कहते हुए प्रसन्नता है कि माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में महिला बाल विकास विभाग के द्वारा प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश लगातार पिछले 5 वर्षों से प्रथम स्थान पर है. (मेजों की थपथपाहट) अध्यक्ष महोदय, भारत सरकार के द्वारा 2018-19 एवं 2019-20 में समारोह का आयोजन कर प्रदेश को पुरस्कृत करने का काम भारत सरकार के द्वारा किया गया है. इसी प्रकार...
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को-- माननीय अध्यक्ष महोदय, 24 हजार आँगनवाड़ी केन्द्र भवन विहीन हैं क्या बनवाएँगे? इसको समाहित कर लें...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- कितना बोलेंगे, हर बार बोलेंगे क्या? उस समय नहीं बोले, बोलना चाहिए था ना.
श्री भारत सिंह कुशवाह-- 2018-19 में पोषण अभियान अंतर्गत राष्ट्रीय पोषण माह 2018 के सफल आयोजन हेतु प्रदेश को तीन विभिन्न श्रेणियों में 2 करोड़ 75 लाख का पुरस्कार भारत सरकार के द्वारा दिया गया है. अध्यक्ष महोदय, मैं यह भी कहना चाहूँगा कि प्रदेश की तरक्की में महिला बाल विकास विभाग का बहुत योगदान है और मुझे यह कहते हुए प्रसन्नता है कि महिला बाल विकास विभाग के माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री जी ने लाड़ली बहना योजना को भी प्रारंभ करने का जो ऐतिहासिक काम किया है देश के अन्दर पहली सरकार भारतीय जनता पार्टी की सरकार है मध्यप्रदेश में जिसने महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए, महिलाओं को आत्म निर्भर बनाने के लिए माननीय मुख्यमंत्री जी ने लाड़ली बहना योजना प्रारंभ की है. इसी प्रकार से मुझे यह कहते हुए प्रसन्नता होती है कि महिला बाल विकास विभाग के लिए जो बजट में प्रावधान किया गया है उसको भी पूरा सदन पारित करने का काम करे. माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया उसके लिए धन्यवाद.
राज्यमंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं यांत्रिकी (श्री बृजेन्द्र सिंह यादव) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे लिए प्रसन्नता की बात है कि लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की मांग पर आज चर्चा में सत्तापक्ष एवं विपक्ष के माननीय सदस्यगणों ने उत्साह से भाग लिया एवं अपने अमूल्य सुझाव दिए. चर्चा में भाग लेने वाले सभी माननीय सदस्यों के प्रति मैं आभार प्रकट करता हूं उन्होंने विभाग के लिए जो सकारात्मक सुझाव दिए उन पर गहराई से विचार किया जाएगा. मैं यह भी आश्वस्त करना चाहता हूँ कि स्थानीय एवं क्षेत्रीय समस्याओं के बारे में जो बिंदु माननीय सदस्यों द्वारा उठाए गए हैं उन पर भी पूरी गंभीरता से विचार किया जाएगा. भूमि, गगन, वायु, अग्नि और पानी यह पंचतत्व हैं जिनके बिना जीवन की कल्पना व्यर्थ है. हमारी संस्कृति में इन सभी को किसी न किसी स्वरुप में पूजा जाता है. इन पंच तत्वों में से जल हमारी धरती माता द्वारा प्रदत्त सबसे मूल्यवान संसाधन है. जल ही जीवन है अर्थात जल ही जीवन का आधार है. जल के बिना जगत की कल्पना भी नहीं की जा सकती है. आप सभी अवगत है कि 15 अगस्त, 2019 को लालकिले की प्राचीर से माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में जल जीवन मिशन का क्रियान्वयन कर घर में ही नल के माध्यम से शुद्ध पेयजल प्रत्येक ग्रामीण परिवार को पहुंचाने का संकल्प लिया गया है. हमारी सरकार द्वारा मिशन के कार्य को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है. जिन क्षेत्रों में पर्याप्त मात्रा के पेयजल स्त्रोत उपलब्ध हैं उन क्षेत्रों में से अधिकांश क्षेत्रों की नल जल योजना स्वीकृत कर दी गई है. जो क्रियान्वयन के विभिन्न चरणों में है. जल स्त्रोतों की उपलब्धता के आधार पर वर्ष 2024 तक जल जीवन मिशन के अन्तर्गत समस्त ग्रामीण परिवारों को घरेलू नल कनेक्शन के माध्यम से शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य हमारी सरकार के द्वारा रखा गया है. प्रदेश सरकार द्वारा मिशन के अन्तर्गत प्रदेश के कुल 51414 ग्रामों में से 44633 ग्रामों के लिए लागत रुपए 61576 करोड़ रुपए की नल जल योजनाएं स्वीकृत की जा चुकी हैं. इनसे प्रदेश के कुल 119.88 लाख परिवारों में से लगभग 108.31 लाख यानि 90.35 प्रतिशत परिवार लाभान्वित होंगे. शेष बचे ग्रामों के लिए भी हम जल जीवन मिशन के प्रावधान अनुसार प्लानिंग कर रहे हैं. मिशन के प्रारंभ में प्रदेश में मात्र 13.53 लाख यानि 11 प्रतिशत परिवारों को नल से जल प्राप्त हो रहा था. मिशन के कार्य प्रारंभ होने के उपरांत वर्तमान तक लगभग 57.30 लाख, लगभग 48 प्रतिशत परिवारों को नल से जल उपलब्ध कराया जा चुका है. साथ ही प्रदेश के 7 हजार से अधिक ग्रामों के शत प्रतिशत घरों में नल कनेक्शन देते हुए इन ग्रामों को हर घर जल ग्राम बनाया गया है. प्रदेश की समस्त शालाओं एवं आंगनवाड़ियों में नल से जल उपलब्ध कराने के कार्य को प्राथमिकता पर किया जा रहा है वर्तमान तक प्रदेश में स्थापित 93419 शालाओं में से 72221 यानि 77 प्रतिशत तथा 66896 आंगनवाड़ियों में से 42004 यानि 63 प्रतिशत को नल से जल उपलब्ध करा दिया गया है. इस मिशन के कार्यों को समय पर पूर्ण कराने के लिए पर्याप्त राशि का बजट में प्रावधान किया गया है. वित्तीय वर्ष 2023-2024 में राशि 10192 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- अधिकारियों के द्वारा लिखा हुआ भाषण आप न पढ़ें, अपनी तरफ से भी कुछ बोलें.
अध्यक्ष महोदय -- बोलने दीजिए.
श्री बृजेन्द्र सिंह यादव -- आप भी तो पढ़कर सुनाते हैं. वर्ष 2022-2023 में भारत सरकार से केन्द्रांश के रूप में 2820 करोड़ रुपए की राशि प्राप्त हुई है और वर्ष 2023-2024 में इन से भी ज्यादा राशि भारत सरकार से प्राप्त होने की संभावना है. देश में मध्यप्रदेश वित्तीय वर्ष 2022-2023 में केन्द्रांश और राज्यांश व्यय करने में मध्यप्रदेश 5 हजार 701 करोड़ रुपए देश में तृतीय स्थान पर है. भारत सरकार ने बुरहानपुर को देश का प्रथम हर घर जल जिला प्रमाणित किया गया है जो कि हमारे लिए गर्व की बात है तथा महामहिम राष्ट्रपति महोदया के द्वारा मध्यप्रदेश को सम्मानित किया गया है. इसी क्रम में जून वर्ष 2023 तक एकल ग्राम नल-जल योजनाओं से इंदौर जिला तथा समूह नल जल प्रदाय योजनाओं से निवाड़ी जिला हर घर नल बनने की ओर अग्रसर है. योजनाओं में लगने वाली सामग्री की गुणवत्ता सुनितश्चित करने हेतु स्थल पर प्रदाय के पूर्व फैक्ट्री मे थर्ड पार्टी एजेंसी द्वारा सामाग्री का निरीक्षण एवं परीक्षण किया जा रहा है. निर्माण कार्यों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए प्रथक से एक थर्ड पार्टी निरीक्षण एजेंसी को लगाया गया है. भुगतान के पूर्व निर्माण कार्यों की गुणवत्ता का परीक्षण विभागीय अधिकारियों के साथ-साथ इस थर्ड पार्टी संस्था द्वारा भी किया जा रहा है. हमारी सरकार द्वारा योजनाओं से प्रदाय होने वाले पेयजल की गुणवत्ता का ग्राम में ही परीक्षण करने हेतु फील्ड टेस्ट किट वितरण किये जा रहे हैं तथा ग्रामीणों को टेस्ट करने हेतु प्रशिक्षित भी किया जा रहा है. प्रयोगशालाओं में होने वाली पेयजल परीक्षण की गुणवत्ता सुनिश्चित करने हेतु प्रयोगशालाओं का एनएबीएल प्रमाणीकरण कराया जा रहा है. प्रसन्नता का विषय है कि मध्यप्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य है जहां की सभी जिला स्तरीय प्रयोगशालाएं एनएबीएल प्रमाणित हुई हैं.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री आप या तो इसे संक्षेप में कर दें या इसे पटल पर रख दें.
श्री बृजेन्द्र सिंह यादव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, केवल थोड़ा सा बचा है. कम से कम सभी लोग सुन तो लें. यह लोग आरोप लगाते हैं तो इसे थोड़ा सा सुन तो लें.
अध्यक्ष महोदय-- सामने रखकर बोलना चाहिए.
श्री बृजेन्द्र सिंह यादव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं केवल दो मिनट का समय और लूंगा और मैं इसे जल्दी समाप्त कर दूंगा.
श्री सुनील सराफ-- हम तो सुन भी रहे हैं लेकिन आप इसे जल्दी से खत्म कीजिए. (व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- आप सभी बैठ जाइए. सुनील जी, मर्सकोले जी आप भी बैठ जाइए. (व्यवधान)...
श्री सुनील सराफ-- 80 प्रतिशत नल जल योजनाएं बंद पड़ी हैं. (व्यवधान)...
श्री बृजेन्द्र सिंह यादव-- जो भी हमारा काम चल रहा है, जो भी नलजल योजनाएं चल रही हैं माननीय सदस्य महोदय सुन लें. सुनने की क्षमता रखें. (व्यवधान)...
श्री सुनील सराफ-- हम सुन रहे हैं ठीक है परंतु यह नलजल योजनाओं की दुर्दशा है. हम अभी तक सुन ही रहे थे. (व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- कृपया कर आप सभी बैठ जाइए. गोपाल भार्गव जी खड़े हुए हैं. थोड़ा सुन लीजिए. मर्सकोले जी बैठ जाइए. मंत्री जी रुक जाइए. (व्यवधान)...
श्री गोपाल भार्गव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत महत्वपूर्ण बात खासतौर से जब से जल जीवन मिशन और जल निगम ने काम शुरू किया है राज्य का विकास का लगभग आधा बजट जितने भी डिपार्टमेंट हैं वह एक तरफ हैं और हमारा पीएचई एक तरफ है. इतना बड़ा बजट है इसके बारे में मैं सोचता हूं कि पर्याप्त चर्चा हो जाना चाहिए. (व्यवधान)...
श्री बाला बच्चन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं कहना चाहूंगा कि माननीय मंत्री जी ने जो बोला है क्षेत्र में उससे एकदम उल्टा है. जो सीमेंट, कांक्रीट की अच्छी गलिया बन गईं थीं उनको भी खोद डाला है. नलजल योजना का घटिया काम हो रहा है. अच्छी क्वालिटी का काम नहीं है. (व्यवधान)...
श्री बृजेन्द्र सिंह यादव--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि जहां भी लाईन डलेगी तो सड़क तो खोदी जाएगी. बगैर सड़क खोदे लाईन कहां से डलेगी. आप तो सब जानते हैं. आरोप मत लगाओ कम से कम तारीफ भी तो कर लो. थोड़ी सी तारीफ कर लो. (व्यवधान)..
श्री बाला बच्चन -- मंत्री जी यहां बोला जाता है. (व्यवधान)..
श्री बृजेन्द्र सिंह यादव-- आप कल्पना कीजिए कि आज हमारी माता बहनें कुओं से, हैण्डपम्पों से सर पर चार-चार मटकी भरकर पानी लाती थी. धन्यवाद दीजिए माननीय प्रधानमंत्री जी को, धन्यवाद दीजिए माननीय शिवराज सिंह जी को कि इतनी बड़ी योजना 61 हजार करोड़ रुपए के काम चल रहे हैं. कम से कम अगर आप तरीफ नहीं कर सकते हैं तो बुराई भी मत कीजिए. (व्यवधान)...
श्री आलोक चतुर्वेदी-- मंत्री जी आपके टेंडर नहीं लग पाए हैं. तीन साल के टेंडर आज लगे हैं. (व्यवधान)..
श्री सुनील सराफ-- सुन लीजिए हम तारीफ करेंगे. (व्यवधान)...
श्री बृजेन्द्र सिंह यादव-- 103 उपखण्ड स्तरीय प्रयोगशालाओं में से 87 प्रयोगशालाओं का अभी एनएबीएल प्रमाणीकरण कर लिया गया है. शेष के लिए कार्यवाही प्रक्रियाधीन है. विभाग प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल सुविधा उपलब्ध कराने हेतु प्रतिबद्ध है. प्रदेश में गिरते भू-जल स्तर के कारण सरकार द्वारा सतही स्त्रोत आधारित नल-जल योजनाओं का क्रियान्वयन प्राथमिकता के आधार पर किया जा रहा है. मध्यप्रदेश जल निगम के माध्यम से जल जीवन मिशन के अंतर्गत 117 समूह जल प्रदाय योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है.
श्री लक्ष्मण सिंह- अध्यक्ष महोदय, आपने व्यवस्था दी है कि वे जानकारी पटल पर रख दें, आपकी बात नहीं मान रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय- केवल एक-दो लाईन और है.
श्री बृजेन्द्र सिंह यादव- माननीय अध्यक्ष महोदय, सम्मिलित 26 हजार 7 सौ ग्रामों की, लगभग 69.26 लाख जनसंख्या को घरेलू नल कनेक्शन के माध्यम से पेयजल उपलब्ध करवाया जायेगा. सूचना, शिक्षा एवं प्रशिक्षण आदि सहायक गतिविधियों से ग्राम पंचायतों में प्रशिक्षण एवं प्रचार-प्रसार का कार्य किया जाता है, साथ ही विभागीय फील्ड अमले की क्षमता वृद्धि का कार्य भी किया जाता है. ग्रामीणों में मिशन के कार्य एवं नल-जल योजना के प्रति स्वामित्व एवं अपनत्व का भाव उत्पन्न करने एवं मिशन को एक जन आंदोलन का रूप देने के लिए माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा हर घर जल ग्रामों के, ग्रामीणों, स्व-सहायता समूहों तथा ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति के पदाधिकारियों से नियमित रूप से जनसंवाद किया जाता है. अत:, मैं, सदन से अनुरोध करता हूं कि सर्वसम्मिति से विभाग के बजट का अनुमोदन करें, धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय- माननीय मंत्री जी, सभी साथियों की चिंता वाजिब है. आपके ठेकेदार के एग्रीमेंट में लिखा हुआ है कि खोदें, क्योंकि बिना खोदे तो पाइप जायेगा नहीं लेकिन खोदने के बाद वे उसको पाटते नहीं हैं और वाकई में सड़कें ठीक नहीं रह जाती हैं. आपके एग्रीमेंट में लिखा हुआ है जो सड़क खोदेगा, वही सड़क को बनायेगा तो आप उन्हें बाध्य करें कि वे सड़क बनायें.
श्री बृजेन्द्र सिंह यादव- माननीय अध्यक्ष महोदय, पहले मशीन से सड़कें खोदी जाती थीं लेकिन अब हमने इसमें प्रावधान रखा है कि मशीन के कटर से केवल उतनी जगह खोदा जायेगा और तुरंत पाइप डालने के बाद रेस्टोरेशन का काम किया जायेगा.
4.58 बजे
मांग संख्या - 24 लोक निर्माण कार्य
मांग संख्या - 56 कुटीर एवं ग्रामोद्योग
अध्यक्ष महोदय- अब अनुदान संख्या 24 लोक निर्माण कार्य एवं अनुदान संख्या 56 कुटीर एवं ग्रामोद्योग के लिए अनुदान मांगों का प्रस्ताव माननीय गोपाल भार्गव जी रखेंगे.
उपस्थित सदस्यों के कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए.
अब मांगों और कटौती प्रस्तावों पर एक साथ चर्चा होगी.
श्री विनय सक्सेना (जबलपुर-उत्तर) :- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं लोक निर्माण विभाग की मांग संख्या 24 के लिये जिस राशि की मांग मंत्री जी ने की है, उसके विरोध में, मैं अपने कुछ पक्ष रखना चाहता हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, पिछले साल जो पीडब्ल्यूडी का बजट था वह 10 हजार करोड़ का था और 10 10 हजार करोड़ से ज्यादा का रखा था. इस बार 9 हजार करोड़ का है. यह दर्शाता है कि मध्यप्रदेश में जितनी बातें विकास की चल रही हैं. वह कहीं ना कहीं वास्तविकता से परे है. एक समय पीडब्ल्यूडी विभाग मध्यप्रदेश का सबसे भारी-भरकम मंत्रालय कहलाता था.धीरे-धीरे जिस तरह से पेड़ की शाखाएं काटती जाते हैं, इसमें से कहीं एमपीआरडीसी बना, कहीं पुलिस हाऊसिंग कॉपोरेशन बना, कहीं पीआईयू बना, कहीं एम.पी हाउसिंग बोर्ड और धीरे-धीरे पीडब्ल्यूडी के हाथ से बहुत से काम जाते रहे. अभी थोड़ी देर पहले सामान्य प्रशासन विभाग के मंत्री जी कह रहे थे कि हम बड़ा तालमेल बनाकर काम कराते हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, एक ऐसा ही सामान्य प्रशासन का पीडब्ल्यूडी से तालमेल का बड़ा जीता-जागता उदाहरण सामने आया है. माननीय मुख्य मंत्री जी के नाम से 26 करोड़ रूपये का एक प्रस्ताव सामान्य प्रशासन विभाग ने भेजा. जबकि यह काम पीडब्ल्यूडी करता है. उसी 26 करोड़ के प्रस्ताव में 1 करोड, 94 लाख रूपये का प्रस्ताव श्यामला हिल्स बी-8 बंगले के लिये किया गया था. जबकि बी-8 बंगला पहले से ही माननीय मुख्य मंत्री के नाम से स्वीकृत है और वहां पर ऑलरेडी मकान बना हुआ है, उससे भी गंभीर बात आप देखिये, बी-8 बंगले में जो प्रस्तावित निर्माण है वह 3 हजार स्क्वायर मीटर, भूतल, वर्ग मीटर लिखा हुआ है, वर्ग मीटर का मतलब 3 हजार x 10 बराबर 30 हजार वर्गफुट का ऐसा कौन सा भूतल बनने वाला है. अगर इतना बड़ा भूतल वर्तमान मकान में बन रहा होता तो बात समझ में आती. इसका मतलब वर्तमान में जो मकान है उसमें नहीं बनाया जा रहा है.
माननीय मंत्री जी, पीडब्ल्यूडी के बैठे हुए हैं या इनकी जानकारी में है, उसी के ऊपर जो आधार तल है, वह भी इतना ही प्रस्तावित है. इसका मतलब यह है कि वर्तमान में जो बी-8 बंगला है उसमें तो इतना बड़ा निर्माण नहीं हो सकता. जब सामान्य प्रशासन विभाग के मंत्री जी कह रहे थे, बिल्कुल सही कह रहे थे और मेरे पास जो कुछ प्रमाण हैं वह भी दर्शाते हैं कि पीडब्ल्यूडी को दरकिनार करके किस तरह से काम किया जा रहा है.
अध्यक्ष महोदय, मैं बताना चाहता हूं, इसमें लिखा है कि दिनांक 17.6.2022 के पत्र में कि मध्यमंत्री निवास श्यामला हिल्स, भोपाल में कार्यालय साज-सज्जा के लिये 1986 लाख रूपये, पहले यह राशि कितनी थी 1986 लाख रूपये, जितनी राशि थी उससे दोगुनी पुनरीक्षित राशि आ गयी. वह राशि कितनी आ गयी 2676 लाख रूपये. इसका मतलब है कि मध्य प्रदेश में पीडब्ल्यूडी और दूसरे विभाग मिल जुलकर के जनता के पैसे की कैसे बर्बादी कर रहे हैं, इसका उदाहरण इस पत्र के माध्यम से स्पष्ट समझ में आता है.
माननीय लोक निर्माण विभाग के मंत्री जी का भी मैं, ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं. यह दूसरा पत्र है, जिसमें लिखा है कि एक और तो श्यामला हिल्स का उल्लेख है और इसी में दूसरी तरफ उल्लेख है कि बी-8, 74 बंगले मुख्य मंत्री निवास के निर्माण कार्य के संबंध में.
5.04 बजे {सभापति महोदय( श्री लक्ष्मण सिंह) पीठासीन हुए.}
माननीय सभापति महोदय, मैं इस सदन को स्पष्ट करते हुए प्रमाण के साथ कहना चाहता हूं कि बी 8 में कोई निर्माण नहीं हो रहा है. मैं चुनौती के साथ कहना चाहता हूं कि बी 8 बंगले में कोई निर्माण नहीं किया जा रहा है. जो निर्माण किया जा रहा है. वह बी.9 बंगले में किया जा रहा है. यह बी.9 बंगला--
श्री गोपाल भार्गव--सभापति महोदय, मैं माननीय सदस्य विनय सक्सेना जी जो अभी उल्लेख कर रहे हैं मुझे इसके कागज उपलब्ध करवा दें, यह दस्तावेज हैं.
श्री विनय सक्सेना--अध्यक्ष महोदय, मैं इसको पटल पर रख रहा हूं.
श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष महोदय, यह उपलब्ध करवा दें. आप जो मुख्यमंत्री जी निवास के बारे में इसकी पूर्व सूचना आपको देनी चाहिये थी तो इसका उत्तर भी आपको मिल जाता. खैर आप ही उपलब्ध करवा दें.
डॉ.गोविन्द सिंह--यह आपके विधान सभा के प्रश्न के उत्तर के तहत बोल रहे हैं. आपने जो विधान सभा में दिया है आपको तो पता ही नहीं है. विभाग सीधा चल रहा है या नहीं.
श्री गोपाल भार्गव--सभापति महोदय, जहां तक मुझे जानकारी है इस प्रकार का कोई उत्तर विधान सभा में जितनी राशि का यह उल्लेख कर रहे हैं लोक निर्माण विभाग द्वारा ऐसा नहीं किया गया है.
सभापति महोदय--जब आपका समय आयेगा तब बोलें.
डॉ.गोविन्द सिंह--आपका ही जवाब है दे देना भईया.
श्री विनय सक्सेना-- सभापति महोदय, यह मैं प्रस्तुत कर दूंगा. सभापति महोदय जहां पर कहेंगे मैं पटल पर रख दूंगा. सभापति महोदय, और भी गंभीर देखिये इसमें लिखा है कि मुख्यमंत्री निवास बी-8 /74 बंगले में आज इस बात को गंभीरता के साथ इस सदन में कह रहा हूं कि भविष्य में जब भी कभी भी आप चाहें इस बात को मध्यप्रदेश की भारतीय जनता पार्टी की सरकार स्थापित कर पाये कि यह जो निर्माण बी.8 में चल रहा है. आप जो कहेंगे सुजा भुगतने के लिये तैयार हूं. यह जो निर्माण चल रहा है जो जानकारी है यह बी-9 बंगले में चल रहा है. सभी माननीय सदस्यों से यह कहना चाहता हूं कि जब यहां से निकलें तो कृपया बी-9 बंगला जिसको अंदर डिसमेंटल कर दिया गया है. जिसके चारों तरफ बड़ी बड़ी चार दीवारी बना दी गई है, जिसके अंदर झांकने की भी अभी अनुमति नहीं है. यह पूरा निर्माण अपने मकान को विस्तार करने के लिये. लेकिन मैं यह नहीं समझ पा रहा हूं कि अगर यह करना ही था तो सीधे रास्ते से करते. माननीय लोक निर्माण मंत्री जी बड़े जिम्मेदार मंत्री हैं इनके माध्यम से करते. जब सामान्य प्रशासन विभाग के मंत्री कह रहे थे कि बहुत जगह पर जरूरत पड़ती है तो हमारा सामान्य प्रशासन विभाग तालमेल बनाता है. यह सामान्य प्रशासन विभाग यह तालमेल बनाता है कि जो गड़बड़ियां करनी होती हैं लोक निर्माण विभाग के मंत्री जी के माध्यम से नहीं हो सकती तो तालमेल बिठाने का काम सामान्य प्रशासन विभाग करता है. मैं यह कहना चाहता हूं कि यह जो बी-9 बंगला है यह माननीय नन्द कुमार जी चौहान का पहले था. यह नन्दकुमार चौहान जी भारतीय जनता पार्टी के बड़े स्थापित नेता हैं जिनकी अभी मूर्ति का अनावरण करते समय बड़े सम्मान की बात माननीय मुख्यमंत्री जी कर रहे थे. लेकिन उस बंगले में पिछले कई सालों में किसका कब्जा रहा है, किसके गेस्ट रूकवाए जाते रहे हैं, यह पूरा सबको पता है. मैं आपको मंत्री जी कहना चाहता हूं कि आपने कहा कि यह पत्र आपके पास प्रस्तुत कर दिये जायें. यह विधान सभा के प्रश्नों के उत्तर में जवाब आया है. यह पत्र आपकी सरकार का है. यह मैं कहां पर रख दूं. यह सभापति महोदय जी से आदेश चाहता हूं.
श्री गोपाल भार्गव--आप मेरे पास पत्र को भिजवा देना.
डॉ.गोविन्द सिंह--व्यवस्था यह है कि आगे नाव डोल रही है. पता है कि आगे हमें कहां पर रहना है ? मुख्यमंत्री तो रहना नहीं है इसलिये पहले से ही लंबी चौड़ी व्यवस्था पुराने 14-15 साल से बड़े बंगले में रहे हैं उसकी पूर्ति हो रही है, सच्चाई यह है.
श्री विनय सक्सेना-- सभापति महोदय, क्योंकि मैं इतने छोटे मुंह बड़ी बात नहीं कर सकता हूं. माननीय गोविन्द सिंह जी ने पूरी बात कह दी है. क्योंकि मुख्यमंत्री जी जो हैं वह पूर्व में होंगे पूर्व मुख्यमंत्री अब चूंकि आदत पड़ चुकी है. लेकिन सभापति महोदय इस प्रदेश में कहा जाता है कि दीनदयाल जी कहते थे कि अंतिम पंक्ति में बैठे हुए व्यक्ति की चिन्ता रही है. लेकिन जब यह पूर्व मुख्यमंत्री जी होंगे तो उनका जो भूतल रहेगा वह 30 हजार इस्क्वायर फीट का रहेगा यह अपने आप में आश्चर्यजनक है कि इतनी बड़ी बिल्डिंग की आवश्यकता किसको क्यों पड़ती है. इसकी राशि मध्यप्रदेश सरकार की खुद की कमाई नहीं है. जीएसटी एवं विभिन्न माध्यम से--
श्री गोपाल भार्गव--सभापति महोदय, यह काल्पनिक बातें कर रहे हैं कौन कहां पर रहेगा, कौन नहीं रहेगा ? क्या है, क्या नहीं है. यह मन से लड्डू खा रहे हैं डॉ.साहब कोई कुछ खाये, कोई कुछ-कुछ. कमलनाथ जी ने कितना व्यय किया था आप सबको मालूम है.
श्री बाला बच्चन--सभापति महोदय, माननीय मंत्री जी की अनुदान मांगों पर चर्चा हो रही है. यह चार बार सदन में खड़े हो चुके हैं.
श्री गोपाल भार्गव--सभापति महोदय, बाला भाई मैं चर्चा करने के लिये इसलिये खड़ा हूं कि परोक्ष रूप से आप मुख्यमंत्री जी के निवास के बारे में चर्चा कर रहे हैं इसलिये मैं कह रहा हूं. इसमें प्रमाणिकता चाहिये नंबर एक, दूसरी बात यह भविष्यवाणी कि कौन कहां रहेगा, कौन नहीं रहेगा, यह मैं मानकर के चलता हूं कि यह लोकतंत्र है. आपने ऐसा कुछ नहीं किया है.
सभापति महोदय--मंत्री जी आप इतने विचलित न हों, आप बैठें आप इनको बोलने दीजिये. अभी इनको बोलने दीजिये. जब आपका समय आयेगा तब बोलना.
श्री गोपाल भार्गव--सभापति महोदय, यह भविष्यवक्ता बन रहे हैं. इनको कुछ पता ही नहीं है.
श्री विनय सक्सेना - माननीय सभापति महोदय, माननीय मंत्री जी आप नाराज मत हो, ये प्री रिटायरमेंट प्लान है.
नेता प्रतिपक्ष(डॉ. गोविन्द सिंह) - माननीय सभापति जी, मुझे नहीं पता, आप ज्योतिषी भी है, पंडित है, ज्ञानी है. आप बता दो काहे के लिए खर्च हो रहा है, एक करोड़ 96 लाख हो चुका है और आपने ही लिखकर दिया है.
श्री बाला बच्चन - और ये जवाब भी तो आपने ही दिलवाया है, उसी को तो विधायक जी कोट कर रहे हैं.
श्री गोपाल भार्गव - बाला भाई, देखिए आपको स्मरण हो, जब नई सरकार बनी थी और हमारे कमलनाथ जी मुख्यमंत्री बने थे, जिनके मंत्री परिषद में आप भी थे. मैं अभी रिकार्ड निकलवाकर दिखवा दूंगा. एक एक करोड़ से ज्यादा व्यय आप लोगों ने उस समय बंगले पर किए.
सभापति महोदय - आप अपने उत्तर में कह सकते हो.
श्री गोपाल भार्गव - सभापति जी, मैं इस बात को नहीं करना चाहता था, लेकिन आप इस बात को करने के लिए बाध्य कर रहे. मैंने उस समय एक बात कहा था कि आप बंगले बनवा रहे हो, आप बंगलों में काम करवा रहे हो, पुतवा रहे हो, लेकिन रहेंगे हम लोग और वही बात सामने आई.
सभापति महोदय - विधायक जी, समय का ध्यान रखिए.
श्री विनय सक्सेना - माननीय सभापति जी, पीडब्ल्यूडी मंत्री आप नाराज न हो, उनके ही विभाग का ये जवाब है, मैं पटल पर रखूंगा. माननीय सज्जन वर्मा जी ने जब प्रश्न किया था तो आपने जवाब दिया, लेकिन सरकार ने जवाब गलत दिया, असत्य दिया, इसमें बी-9 बंगले का उल्लेख कहीं नहीं किया. उसको घुमा फिराकर जवाब दिया. माननीय सभापति जी एक और आरोप करता हूं पीडब्ल्यूडी विभाग में और सामान्य प्रशासन विभाग में.
सभापति महोदय - 10 मिनट हो गए आपको.
श्री विनय सक्सेना - आधा तो माननीय मंत्री जी कह रहे. मैं एक और आरोप लगाना चाहता हूं कि एक करोड़ 94 लाख से कुछ होने वाला नहीं है. 30 हजार स्केवरफीट भूतल का बनना, दुनिया की कोई भी पीडब्ल्यूडी और कोई भी अफसर 1 करोड़ 94 लाख में नहीं बना सकता. इतना निर्माण होने में कम से कम 25 से 30 करोड़ रुपए खर्च होंगे. ये मध्यप्रदेश की जनता के पैसे की बरबादी है, जो माननीय मुख्यमंत्री जी अपने निवास के लिए करने वाले हैं, ये भी आपसे कहना चाहता हूं. पीडब्ल्यूडी विभाग जिसने पिछले साल से इस साल कम बजट रखा. एक समय भारी भरकम बजट हुआ करता था. हम लोग जब छोटे थे तो सुनते थे कि जो आरटीओ में जो गाड़ी खरीदते हैं, उसका जो हम टैक्स देते हैं, उससे सड़कें बनती हैं, ये सरकार अपनी बहुत पीठ थपथपा रही थी कि हमने बहुत बढि़या-बढि़या सड़कें बना दीं. मैं पूछना चाहता हूं ऐसी कौन सी अच्छा सड़क है जो पीडब्ल्यूडी विभाग ने बनाई या मध्यप्रदेश सरकार ने बनाई हो, सब सड़कें बीओटी पर चल रही हैं, टोल वसूली पर चल रही हैं, जब प्रायवेट कंपनी सड़कें बना रही है, टोल वसूली जनता का हो रहा है तो ये सरकार को अपनी पीठ थपथपाने का कोई भी हक नहीं बनता, मैं कहना चाहता हूं और उन सड़कों की बात कहना चाहता हूं, जो सड़कें बनाई जा रही है. जबलपुर से मंडला की सड़क, माननीय गड़करी जी ने उसके लिए अपने आप सॉरी कहा है, वे एक महान व्यक्ति हैं, मैं ये मानता हूं, उन्होंने अपनी आंखों से जो देखा, या सुना और स्वीकार कर लिया. जबलपुर-मंड़ला सड़क में अभी बबेहा का पुल टूट गया है, जो करोड़ों, अरबों की सड़क बनाई गई थी, वह सड़क आज बंद हो गई आज. अब उसका जो पुल है, जो सड़क चल रही है वह निवास होकर चल रही है. हमारे अशोक मर्सकोले जी इस बात को कई बार उठा चुके हैं. माननीय सभापति जी, मैं पूछना चाहता हूं जब माननीय अटल बिहारी जी की सरकार थी, पेट्रोल और डीलज पर दो रुपए का सेस लगाया गया था, ये कहा गया था कि गोल्डन कॉरीडोर बनेगा, अटल योजना से सड़कें बनेगी. वे सब चीजें भूल गए, जनता से आपने दो रुपए लिया और फिर आज आप टोल किस बात का वसूल रहे हो. गोल्डन कॉरीडोर, अपने कहा था कि पेट्रोल, डीजल पर दो रुपए लेंगे, हम आपको अच्छी सड़कें देंगे. आज सरकार अपनी पीठ किस आधार पर थपथपा रही है. वह 2 रुपए भी आपने ले लिए और टोल वसूली भी आप कर रहे हो और मध्यप्रदेश का दुर्भाग्य है कि जबलपुर से लेकर मध्यप्रदेश के जितने बड़े शहर है, जितने भी पुराने फ्लाय ओवर बन चुके थे, जिन पर टोल वसूली हो रही थी जिन पर सड़कों पर टोल वसूली हो रही थी, उनकी लागत से चार गुना आप वसूल चुके हैं. उसके बाद भी मध्यप्रदेश की जनता को निचोड़ने का काम आप कर रहे हैं. ये अगर ईमानदारी से काम कर रहे होते तो जहां लागत वसूली हो चुकी थी, उन पीडब्ल्यूडी की सड़कों को टोल से मुक्त होना था. आज एमपीआरडीसी की सड़कें बन रही हैं, जबलपुर से मंडला जोड़ने वाली सड़क हो या जबलपुर से भोपाल जोड़ने वाली सड़क हो. आज ये हालत है रीवा से लखनादौन की चाहे सड़क हो सब सड़क बीच से फट रही है, इतनी घटिया सड़कें बन रहीं है, लेकिन सरकार ये नहीं कहेगी कि हम सड़कें खराब देंगे तो उस पर टोल वसूलना बंद करेंगे, या उस कंपनी के ऊपर पैनाल्टी लगाएंगे कि हम जनता से जो टोल वसूली नहीं करेंगे, जब तक सड़कें बेहतर नहीं होगी. आज सड़कें जो दो-पांच साल पहले बनी है, उनको देखकर लगता है कि 100 साल पुरानी सड़क हैं, परन्तु सरकार तब भी बार बार पीठ थपथपाएंगी कि हमने तो बहुत बेहतर सड़क बना दी. सभापति महोदय, हमारा आग्रह है कि जो भी टोल वसूली सड़कों की हो चुकी है, उनकी लागत निकल चुकी है, उनकी वसूली बंद की जाए. सभापति जी, एक और आग्रह करना चाहता हूं, सुखदेव पांसे जी के प्रश्न, सुखदेव पांसे साहब ने जब बोला तो माननीय मंत्री जी ने स्वीकार कर लिया, यह अच्छे आदमी हैं, इसलिए इन्होंने स्वीकार कर लिया है कि 105 आरओबी हम पहली बार बनाने जा रहे हैं, 18 वर्ष बाद सरकार 105 आरओबी बनाने जा रही है. लेकिन उन्होंने यह बात भी स्वीकार कर ली है कि वित्तीय प्रबंधन न होने से अभी हम काम नहीं कर सकते. इसीलिए माननीय पांसे जी को कहा कि मैं तारीख नहीं बता सकता. इसका मतलब यह है कि सरकार की जो वास्तविक हालत हैं, वह बुरी हैं. माननीय मंत्री जी अभी कह रहे थे कि जल मिशन में 61,000 करोड़ रुपया मिला, तो पीडब्ल्यूडी को भी 60,000 करोड़ रुपये क्यों नहीं मिलना चाहिए था ? यह पीडब्ल्यूडी के हालात हैं कि इनसे विभाग छुड़वाये जा रहे हैं. हर विभाग का काम, दूसरा विभाग कर रहा है. पुलिस आवास, बालाघाट के संबंध में, गौरीशंकर बिसेन जी का एक पत्र था, जिसमें उन्होंने एक अधिकारी को निलंबन के लिए लिखा है कि उसने ऐसी जगह मकान बना दिए हैं कि जो पानी की डूब में आ गए. मैं तो चाहूँगा कि सरकार उसके ऊपर भी कड़ी कार्यवाही करे, उस अधिकारी की चर्चा सब जगह मध्यप्रदेश में है. लेकिन माननीय दो-दो पूर्व मंत्री रामलाल सिंह जी ने पत्र लिखा, गौरीशंकर बिसेन जी ने भी पत्र लिखा, लेकिन उस पर कार्यवाही करने की हिम्मत सरकार के किसी भी अधिकारी की नहीं है, माननीय मुख्यमंत्री जी की भी नहीं है.
माननीय सभापति महोदय, मैं यह भी कहना चाहता हूँ कि जबलपुर में दो फ्लाईओवर्स, मैं दोनों मंत्रियों से हाथ जोड़कर निवेदन करता हूँ. शास्त्री ब्रिज का फ्लाईओवर, जब कांग्रेस सरकार थी, तब स्वीकृत कर दिया गया, हमारे माननीय लखन घनघोरिया जी बैठे हैं, इनकी विधान सभा के रद्दी चौकी से हाई कोर्ट का फ्लाईओवर उस समय स्वीकृत हो गया था. लेकिन आज तक इन दोनों फ्लाईओवर्स के टेण्डर नहीं किेए गए, जान-बूझकर रुकावट पैदा कर रहे हैं. अगर इतना ही अच्छा परिदृश्य है, अमृतकाल चल रहा है, सरकार के इतने ही अच्छे हालात हैं कि अमृतकाल में जो पूरा हरा-भरा मध्यप्रदेश है, तो दोनों फ्लाईओवर्स को इस बार माननीय वित्त मंत्री जी, माननीय पीडब्ल्यूडी मंत्री से आग्रह करना चाहता हूँ कि शास्त्री ब्रिज से आप बचपन में कार से निकले होंगे. उसकी स्वीकृति इस बजट में आप देने की कृपा करें. मैं आपका एक और कारनामा आखिर में बता देता हूँ कि जबलपुर का सबसे बड़ा फ्लाईओवर इन्हीं का विभाग ब्रिज कार्पोरेशन बना रहा है, आज जबलपुर के जो दो अन्य ब्रिज बन रहे हैं, वह ब्रिज कार्पोरेशन बना रहा है. लेकिन विशेष अधिकारियों की कृपा के चलते, आप ही का विभाग ब्रिज कार्पोरेशन, जो आज मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा फ्लाईओवर बना रहा है, वह जबलपुर में पीडब्ल्यूडी बना रहा है. ऐसे-ऐसे कारनामे आपके विभाग के देखने को मिल रहे हैं. मैं ज्यादा कुछ न कहते हुए, कहने को तो बहुत कुछ है, लेकिन मैं सभापति महोदय का इशारा समझता हूँ, आपको धन्यवाद देता हूँ कि आपने मुझे बोलने का मौका दिया. धन्यवाद.
श्री हरिशंकर खटीक (जतारा) - माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 24 एवं मांग संख्या 56 के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूँ. माननीय सभापति महोदय, हम सब जानते हैं कि हमारी सड़कें अच्छी होती हैं, इन्वेस्टर्स वहां पर उद्योग लगाने के लिए सक्षम हो जाते हैं और पहुँचते भी हैं. जब हमारे उद्योग वहां पहुँचते हैं, तो हमारे हजारों बेरोजगार भाइयों को वहां पर रोजगार मिलता है.
माननीय सभापति महोदय, जब हमारी सड़कें अच्छी होती हैं तो कम समय में हम जल्दी से जल्दी अपने मुकाम पर पहुँच जाते हैं. जहां सुगम सड़कें होती हैं, सरल मार्ग होता है, तो वहां हमारी यात्रा भी कम समय में पूरी हो जाती है. हम मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान जी और हमारे लोक निर्माण विभाग के मंत्री माननीय श्री गोपाल भार्गव जी को बहुत-बहुत धन्यवाद देते हैं कि उन्होंने सड़कों का जाल पूरे मध्यप्रदेश की धरती पर बिछाने का काम किया है. मांग संख्या 24 के अंतर्गत, उसमें विभाग की जो योजना है, योजना क्रमांक 2427 में ग्रामीण सड़कों एवं मार्गों के निर्माण हेतु इसमें 153 सड़कों को बजट में लिया गया है, इसके साथ-साथ योजना क्रमांक 4727 में भी हमारी दो बड़ी सड़कें इस बजट में ली गई हैं, योजना क्रमांक 3115 में 8 सड़कों को इसमें लिया गया है, कई और हमारी महत्वपूर्ण सड़कें हैं, जिसमें योजना क्रमांक 4149 में 69 सड़कों के निर्माण के लिए बजट में प्रावधान किया गया है.
माननीय सभापति महोदय, जो वर्तमान बजट सत्र है, उसमें हमारा लक्ष्य था कि हमें 2,450 किलोमीटर की सड़कों का निर्माण करना है. उसमें 2,056 किलोमीटर की सड़कें हमें नवीनीकरण करनी हैं, उसमें 25 पुलों का निर्माण करना है, इस वित्तीय वर्ष में, जो पूर्ण हो गया है. आगामी वर्षों में 7,000 किलोमीटर की सड़कें, नवीन सड़कें 12,379 किलोमीटर की सड़कों का नवीनीकरण कराने का प्रावधान इस बजट में किया गया है. सी.आर.एफ. से हमें जो लक्ष्य दिया गया है, उसमें 625 किलोमीटर की नवीन सड़कें इसमें प्रस्तावित की गई हैं. इसके साथ-साथ इस बार सरकार ने लक्ष्य निर्धारित किया है कि हम 105 रेलवे ओवर ब्रिज के साथ 324 पुलों का निर्माण करेंगे. आपने यह रेलवे क्रासिंग के ब्रिज क्यों नहीं बनाये? कांग्रेस को अपनी आत्मा में झांककर देखना चाहिये कि उन्होंने क्यों नहीं बनाये? इसके साथ-साथ चाहे हमारा उज्जैन हो, चाहे महाकाल भगवान का मंदिर हो, जब हम भगवान के दर्शन करने के लिये जाते हैं तो वहां पर पहले अपार भीड़ हो जाती थी.वहां पहुंचने में कठिनाई और परेशानियां होती थीं, भगवान महाकाल के हम दर्शन करके तो आते थे, लेकिन आज हम सौभाग्यशाली हैं कि वहां पर उज्जैन में, ग्वालियर में, पचमढ़ी और पातालकोट जहां पर हमारे जनजाति समुदाय के भाई लोग छिदंवाड़ा जिले में रहते हैं. हम भी वहां पर गये हैं, पहाड़ से नीचे लगभग वहां पर एक-एक, दो-दो, तीन-तीन किलोमीटर नीचे पहाड़ पर हमारे जनजाति समुदाय के हमारे भाई लोग रहते हैं, जब हम शाम के समय का वहां दृश्य देखते हैं और जब रात होती है तो देखते हैं कि नीचे अगर कोई खाना बना रहा है तो ऐसे लगता है कि एक जुगनू जैसा वहां पर एक छोटा सा एक बल्व जल रहा हो, उसके लिये हमारे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने छिंदवाड़ा की धरती पर भी रोपवे बनाने का फैसला किया है.
सभापति महोदय, हम मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी को बहुत - बहुत धन्यवाद देते हैं कि हमारा अटल प्रगतिपथ जो 229 किलोमीटर का चंबल नदी के किनारे-किनारे, आप बोलते थे चंबल नदी के किनारे विकास नहीं होता है, लेकिन आज हमारे देश के प्रधानमंत्री और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने और भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने यह दिखा दिया है कि हम चंबल में पहले जो बीहड़ हुआ करते थे वहां पर, जहां पर पहले डाकू हुआ करते थे, कई लोग वहां पर डाकू हुआ करते थे, वह डाकू अब चंबल के उसमें वहां खो गये हैं और माननीय सभापति महोदय वहां पर एक आदमी सुख चेन का जीवन व्यतीत करने लगा है और वहां पर सड़कों पर जाल बिछाने का काम भी चालू हुआ, चंबल नदी के किनारे किनारे 299 किलोमीटर का वहां पर अटल प्रगतिपथ का कार्य भी जल्दी से जल्दी प्रारंभ हो रहा है.
माननीय सभापति महोदय, हमारे नर्मदा नदी जिसको हम लोग जीवनदायिनी मां बोलते हैं, उसके किनारे-किनारे 900 किलोमीटर नर्मदा नदी के समानांतर, नर्मदा प्रगति पथ का निर्माण भी इस बार हमारी सरकार ने लेने का काम किया है. 900 किलोमीटर नर्मदा जी के किनारे-किनारे जब सड़क बनेगी तो पूरी दुनिया में भी लोग देखने के लिये आयेंगे कि नदी के समानांतर भी सड़कें बनाने का काम सरकार करती है. आपने क्यों नहीं बनवाई यह सोचने की बात है, यह चिंता की बात है.
सभापति महोदय, हमारे मध्यप्रदेश की धरती पर अपने भोपाल से सबसे ज्यादा अधिकतम दूरी पर यदि कोई जिला है तो वह सिंगरौली है और सिंगरौली जाने के लिये, हम लोग ट्रेन से भी जाते हैं कई हमारे साथी भाई रीवा पहुंचते हैं, फिर रीवा से ओर कहीं होकर जाते हैं फिर लास्ट में सिंगरौली पहुंच पाते हैं, तो बहुत परेशान होते थे. भोपाल से प्रदेश की पूर्वी सीमा में सबसे ज्यादा दूर जो हमारा जिला सिंगरौली जिला है, उस सिंगरौली जिले के लिये विंध्य एक्सप्रेस वे के माध्यम से 676 किलोमीटर का एक सड़क मार्ग विंध्य एक्सप्रेस वे अब हमारे यहां स्वीकृत होने के लिये जा रहा है, इससे बड़ी खुशी हमारे मध्यप्रदेश में हम सब लोगों के बीच में और क्या हो सकती है.
माननीय सभापति महोदय, चाहे फॉस्ट टेग की बात करें, चाहे सी.आर.एफ. की बात करें, चाहे मण्डी की बात करें, चाहे ए.डी.बी. की बात करें, चाहे मध्यप्रदेश सरकार की किसी भी मद की बात करें, हर मदों के माध्यम से प्रदेश में सड़कों का जाल बिछाने का काम किसी सरकार ने किया है, तो वह भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किया है.
माननीय सभापति महोदय, इसके साथ साथ प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के माध्यम से भी 4हजार किलोमीटर की सड़कें, 197 पुल, 5हजार किलोमीटर सड़क का नवीनीकरण यह प्रस्ताव, 280 किलोमीटर की सड़क का उन्नयन का लक्ष्य इस बार सरकार ने किया है. वर्ष 2023-24 में इस बार 1700 किलोमीटर की सड़कें और तीन सौ पुलों का निर्माण भी हमारी भारतीय जनता पार्टी की सरकार करने के लिये जा रही है. हम मध्यप्रदेश के लोक निर्माण विभाग के मंत्री जी को बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहते हैं कि आपने बहुत अच्छा बजट इस बार दिया है, इसके साथ साथ महत्वपूर्ण चीज यह है कि प्रदेश में जो हमारे सेंट्रल से हमारे देश के प्रधानमंत्री जी ने भी चिंता की और प्रदेश में जो राष्ट्रीय राजमार्ग हैं, उसमें 15 हजार करोड़ के सड़क निर्माण के कार्य किये जा रहे हैं वह प्रारंभ भी हो गये हैं. यह ऐतिहासिक फैसला हमारी सरकार ने किया है.
माननीय सभापति महोदय, हम आपसे अनुरोध करना चाहते हैं कि अभी जो सड़क स्वीकृत हुई है, एक हमारी टीकमगढ़ जिले की जतारा विधानसभा में एक सड़क 539 करोड़ रूपये की स्वीकृत हुई है. वह हमारा हाईवे है, हमारा राजमार्ग है, उस राजमार्ग में सड़क स्वीकृत की गई है.
सभापति महोदय -- श्री हरिशंकर खटीक जी एक मिनिट, 6 मिनिट बचे हैं, 9 मिनिट आपने बोल लिये हैं. एक मिनिट और बोलकर आप समाप्त करें, उसके बाद सदन स्थगित होगा.
श्री हरिशंकर खटीक-- माननीय सभापति महोदय, हमारे जतारा में एक सड़क स्वीकृत हुई है उसमें 29 किलोमीटर की जो सड़क स्वीकृत हुई है, 43 करोड़ 50 लाख की जो सड़क स्वीकृत की है, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी को और हमारे पीडब्ल्यूडी मंत्री माननीय गोपाल भार्गव जी को हम बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहते हैं. एक-दो सुझाव और हैं हमारे विधान सभा क्षेत्र में 141 करोड़ 95 लाख की सड़कें स्वीकृत हुई हैं इसके लिये हम माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी को और माननीय गोपाल भार्गव जी भाई साहब को, लेकिन हमारा सुझाव है कि कुछ सड़कें ऐसी हैं जिनकी अभी एसएससी नहीं हुई है, कुछ सड़कें ऐसी हैं जिनकी एफसी नहीं हुई है और कई सड़कें ऐसी हैं जो 7 करोड़ से ऊपर की सड़कें हैं जिनके टेण्डर भोपाल से स्वीकृत होना है तो उनके टेण्डर तो हो चुके हैं, लेकिन उनके टेण्डर सेंग्शन होने के लिये यहां पर फाइलें आई हैं वह जल्दी से जल्दी टेण्डर स्वीकृत होकर के हमारे टीकमगढ़ जिले के ईई के पास पहुंच जायें जिससे हम जल्दी से जल्दी कार्य प्रारंभ कर सकें. माननीय सभापति महोदय, आपने हमें बोलने का समय दिया इसके लिये बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री नीलांशु चतुर्वेदी (चित्रकूट)-- माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 24 के विरोध में यहां बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. विरोध में बोलने का कारण भी है, क्योंकि लगातार हम लोग बात करते हैं, चित्रकूट क्षेत्र की बात करते हैं कि वहां की सड़कें टूटी हैं, वहां पर भी सड़कों की आवश्यकता है, लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि पिछले 5 साल में आज तक चित्रकूट के नाम पर कोई बजट अलॉट नहीं किया गया है. माननीय मंत्री जी बुंदेलखंड से आते हैं, बहुत वृहद सोच है और बुंदेलखंड का आधे से ज्यादा 100 प्रतिशत लोग चित्रकूट में कामतानाथ की परिक्रमा लगाने जरूर जाते हैं. हर अमावस्या को 10 से 15 लाख लोग वहां परिक्रमा के लिये जाते हैं. दीपावली में 25 से 30 लाख लोग वहां दर्शन के लिये जाते हैं और लगातार वहां पर दर्शनार्थियों का आवागमन रहता है. इसलिये रहता है क्योंकि भगवान राम की तपोभूमि है, भगवान राम का 14 साल में से साढ़े 11 साल का वनवास काल पूरे चित्रकूट के चौरासी कोस में बीता है और उस 84 कोस चित्रकूट का हाल यह है कि वहां पैदल चलने की स्थिति नहीं है अंदर की सड़क भी टूटी हुई है और आज ही एक टूरिस्ट बस थी वह हनुमान धारा रोड में मिट्टी में धस गई. दुर्भाग्य देखिये आप कि केन्द्र से जो सड़क पास होती है रामपथ के नाम पर वह उत्तर प्रदेश के चित्रकूट तक पास होती है न कि वह मध्यप्रदेश के चित्रकूट होते हुये मैहर तक जाती है और जो एक्सप्रेस-वे बनता है दिल्ली का वह भी उत्तरप्रदेश के चित्रकूट से दिल्ली तक का एक्सप्रेस-वे बनता है और चित्रकूट के अंदर की जो 7 से 8 किलोमीटर की रोड है जो ग्रामोदय विश्वविद्यालय से लेकर कामतानाथ होते हुये और यू.पी. के बार्डर तक जाती है और उसको आखिरी बार पूज्य नानाजी देशमुख जी ने अपनी राज्यसभा निधि से बनाया था उसके बाद आज तक उस रोड में कोई काम नहीं हुआ आज भी वह जीर्णशीर्ण हालात में पड़ी हुई है. लाखों लाख लोग आते हैं, करोड़ों लोग आते हैं और यहां सदन में बैठे हुये सभी लोग दर्शन करने भी जाते हैं और सत्ता से जुड़े हुये जो भी मंत्रिपरिषद के लोग हैं मुझे लगता है महीने में 2-4 मंत्री तो चित्रकूट जाते हैं, लेकिन चित्रकूट के नाम पर ध्यान देने का कोई काम नहीं किया जाता है. ध्यान क्यों नहीं दिया जा रहा है चाहे वह पिंडरा से बरोंदा होते हुये जवालिन रोड हो, चाहे वह चित्रकूट के अंदर की रोड हो, चाहे बिरसिंहपुर में जो गैवीनाथ का धाम है वहां पर कोई भी एक सरकारी गेस्ट हाउस नहीं है कि वहां आने वाले अतिथि अपनी मीटिंग कर सकें, मंत्री, विधायक कोई भी व्यक्ति जाकर वहां पर बैठ सके, तीर्थयात्री को सुविधा मिल सके. जैतवारा बाईपास की बात है, पूरे जैतवारा में जाम की स्थिति लगी रहती है, बड़े ट्रकों का आना जाना रहता है लेकिन वहां पर भी कोई बाईपास की बात नहीं की गई है और लगातार चित्रकूट क्षेत्र को उपेक्षा की दृष्टि से ही देखा गया है. रामपथ की बात करेंगें तो अभी बोला जायेगा कि हम लोगों ने घोषणा की है कि हम चित्रकूट में वनवासी राम लोक बनायेंगे, 20 साल में रामपथ का तो पता नहीं है वनवासी राम लोक बनेगा कि क्या होगा यह तो भगवान राम ही जाने क्योंकि हमारे और आपके राम में मुझे फर्क दिखता है. आपके राम अयोध्या के राजा राम हैं और हमारे राम वनवासी राम हैं जो समभाव देखते हैं, जो प्रेम, सद्भावना और सौहार्द फैलाते हैं जो शबरी को भी गले लगाते हैं, विद्वेष और द्वेष नहीं फैलाते हैं.
सभापति महोदय-- नीलांशु जी, एक मिनट. विधान सभा की कार्यवाही मंगलवार, दिनांक 21 मार्च, 2023 को प्रात: 11 बजे तक के लिये स्थगित.
अपराह्न 5.30 बजे विधान सभा की कार्यवाही मंगलवार, दिनांक 21 मार्च 2023 (फाल्गुन 30, शक संवत 1944) के पूर्वाह्न 11.00 बजे तक के लिये स्थगित की गई.
भोपाल : अवधेश प्रताप सिंह
दिनांक : 20 मार्च, 2023. प्रमुख सचिव
मध्यप्रदेश विधान सभा