मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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चतुर्दश विधान सभा त्रयोदश सत्र
फरवरी-मार्च, 2017 सत्र
सोमवार, दिनांक 20 मार्च, 2017
(29 फाल्गुन, शक संवत् 1938)
[खण्ड- 13 ] [अंक- 14 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
सोमवार, दिनांक 20 मार्च, 2017
(29 फाल्गुन, शक संवत् 1938 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.02 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (डॉ.सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
बधाई
होली और रंग पंचमी पर्व की बधाई
डॉ नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष महोदय, होली और रंग पंचमी की बधाई तथा उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और अन्य राज्यों में भाजपा की जीत पर दीवाली के जश्न की बधाई. (मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय-- आप सभी को होली और रंग पंचमी की बधाई.
डॉ नरोत्तम मिश्र- पहली बार देश में होली और दीवाली साथ-साथ मनायी गई. देश में लोकतंत्र का महापर्व था.
श्री बाबूलाल गौर--अध्यक्ष जी योगी, राजयोगी बन गए.
श्री जितू पटवारी-- होली और रंग पंचमी की सबको बधाई. देश में संविधान के अनुरुप सरकार चले, इस भावना के साथ उनको शुभकामनाएं.
डॉ नरोत्तम मिश्र-- आप तो उनकी सोचो जो आप डूबन के पंडा ले डूबे जजमान. (हंसी)
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
प्रश्न संख्या- 1 (अनुपस्थित)
भोपाल में अवैध नामांतरण पर कार्यवाही
[राजस्व]
2. ( *क्र. 5996 ) श्री हर्ष यादव : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्र.क्र. 2076, दिनांक 29.07.2016 के (ग) उत्तर अनुसार रोक के बावजूद 5 ग्रामों में नामांतरण की कार्यवाही कैसे हो गई? (ख) इन अधिकारियों पर अब तक की गई कार्यवाही की अद्यतन स्थिति बतावें? यदि कार्यवाही नहीं की गई तो क्यों? (ग) विधि विरूद्ध नामांतरण को ठीक करने के लिए पुनर्विलोकन की अनुमति क्या प्रदान कर दी गई है? यदि हाँ, तो इसकी छायाप्रति देवें? यदि नहीं, तो कारण बतावें। प्र.क्र. 2076, दि. 29.07.2016 के (घ) उत्तर अनुसार बतावें? (घ) यदि (घ) उत्तर (उपरोक्तानुसार) में यह माना गया है कि नामांतरण नियम विरूद्ध है तो फिर इसे निरस्त क्यों नहीं किया गया? इसे कब तक निरस्त कर दिया जाएगा? निरस्त न करने वाले अधिकारियों पर शासन कब तक कार्यवाही करेगा?
मंत्री, संसदीय कार्य,जल संसाधन एवं जनसंपर्क (डॉ नरोत्तम मिश्र)- अध्यक्ष महोदय, |
श्री हर्ष यादव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, राजस्व विभाग का बहुत गंभीर मामला पुनः आया है. यह भोपाल से जुड़ा हुआ है. यह मर्जर भूमि के नामांतरण और बंटवारे के संबंध में है. अध्यक्ष महोदय, 2002 में कलेक्टर ने एक आदेश जारी किया था कि मर्जर भूमि का नामांतरण और बंटवारा नहीं किया जाएगा. उसका पालन नहीं करते हुए मध्यप्रदेश सरकार के जो राजस्व अधिकारी हैं उसमें कलेक्टर, एसडीएम और तहसीलदार भी इन्वाल्व हैं. वर्ष 2002 से 2009 तक 13 गांवों के 149 नामांतरण, बंटवारे किए गए. इसमें अरबों रुपये का भ्रष्टाचार हुआ है. यह बहुत गंभीर मामला है. ऐसे मामले पूरे प्रदेश में लगातार हो रहे हैं. सागर के बाद यह दूसरा मामला है जिसमें अरबों रुपये का भ्रष्टाचार राजस्व विभाग के अधिकारियों/कर्मचारियों की मिलीभगत से किया जा रहा है.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न क्या है?
श्री हर्ष यादव--अध्यक्ष जी, मर्जर की भूमि का नामांतरण, बंटवारा नहीं होता है. इसके लिए स्पष्ट प्रावधान है. कलेक्टर ने आदेश भी जारी किए थे. पिछली बार 29 जुलाई 2016 को इसी सदन में मंत्रीजी ने आश्वासन दिया था कि रजिस्ट्रियां, नामांतरण और बंटवारे हुए हैं, वह सब शून्य किए जाएंगे और संबंधितों पर कार्रवाई की जाएगी. उसके बावजूद भी आज दिनांक तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है. मुझे जो जवाब दिया गया है वह बिलकुल भी संतोषजनक नहीं है. मेरा प्रश्न यह है कि मर्जर भूमि के जो नामांतरण, बंटवारे हुए हैं वह निरस्त किए जाएं, शून्य घोषित किए जाएं और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए, निलंबित किए जाएं और जो रिटायर हो गए हैं, उनके पेंशन की राशि जब्त की जाए, रोकी जाए.
संसदीय कार्य मंत्री(डॉ.नरोत्तम मिश्र) - माननीय अध्यक्ष जी, जैसा सम्मानित सदस्य ने कहा है, कुछ लोग रिटायर हो गये हैं, कुछ लोग जीवित भी नहीं हैं, कुछ लोग जी.ए.डी. के कर्मचारी हो गये हैं. यह मामला वर्ष 1950 का है. त्रुटि प्रारम्भ में ही हो गई थी जब 1950 में मर्जर एग्रीमेंट पर अमल होना था. वह अमल उस समय नहीं हो पाया. उसके बाद से यह विसंगति चलती रही. जहां तक इन्होंने कार्यवाही की बात कही है. निश्चित रूप से हमको भी इस मामले में प्रथम दृष्टया दोष प्रतीत होता है. अभी पिछले हफ्ते ही कलेक्टर का पत्र आया है और हम इन सभी अधिकारियों,कर्मचारियों को नोटिस जारी करने वाले हैं.
श्री हर्ष यादव - माननीय अध्यक्ष महोदय, कलेक्टर महोदय ने जो आदेश जारी किया है जो प्रमुख सचिव,राजस्व को लिखा गया है. वह मेरे प्रश्न लगाने के बाद दिनांक 8.3.2017 को लिखा गया है जबकि यह मामला जुलाई में विधान सभा में भी उठा था और राजस्व मंत्री,माननीय उमाशंकर गुप्ता जी ने जो आश्वासन दिया था. मेरे पास उस प्रश्न की कापी भी है जिसमें उल्लेख किया गया था कि शीघ्र कार्यवाही की जायेगी. 8 महीने तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है. यह सरकार कितनी गंभीर है यह इस बात से प्रतीत होता है. मैं कैसे मान लूं कि उनके खिलाफ कार्यवाही होगी. जब भोपाल कलेक्टर ने दिनांक 8.3.2017 को प्रमुख सचिव,राजस्व को पत्र लिखा उसके बाद अभी तक कार्यवाही क्यों नहीं की गई ? मेरा पहला प्रश्न यह है कि जो नामांतरण,बटवारे जो हुए हैं उनको शून्य घोषित किया जाये ?
डॉ.नरोत्तम मिश्र - माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें पुनर्विलोकन के लिये कर दिया है और एक एन.जी.ओ. हाईकोर्ट में गया हुआ है. इस कारण से उसकी प्रतीक्षा में विलंब हो रहा है.
श्री हर्ष यादव - अध्यक्ष महोदय, मुझे जो जानकारी दी गयी है उसमें कहीं हाईकोर्ट का उल्लेख नहीं किया गया है. आज ही मुझे जवाब मिला है तो मैं कैसे मान लूं कि एन.जी.ओ. हाईकोर्ट गया है.
अध्यक्ष महोदय - जब हाऊस में कहा है तो मानना पड़ेगा.
श्री हर्ष यादव - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा दूसरा प्रश्न यह है कि यह 29 जुलाई का मामला है.
अध्यक्ष महोदय - माननीय गौर साहब,
श्री हर्ष यादव - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न पूरा नहीं हुआ.
अध्यक्ष महोदय - वह आपके ही विषय को आगे बढ़ा रहे हैं.
श्री बाबूलाल गौर - मैं आपकी ही मदद कर रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय - चलिये हर्ष यादव जी आप एक प्रश्न पूछ लीजिये आप भाषण दे रहे हैं एक प्रश्न पूछ लीजिये उसके बाद नहीं पूछने देंगे.
श्री हर्ष यादव - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा सीधा प्रश्न यह है कि नामांतरण,बटवारे शून्य घोषित किये जायें, संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही हो और एक विधान सभा की कमेटी बनाकर इसकी जांच कराई जाये ?
डॉ.नरोत्तम मिश्र - माननीय अध्यक्ष महोदय, बिल्कुल पूरी जांच होगी और जो दोषी होगा उस पर कार्यवाही होगी.
श्री बाबूलाल गौर - माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में प्रायवेट जमीन को सरकारी कैसे घोषित कर दिया गया ? मेरे पास यह रिकार्ड है और आपकी अनुमति होगी तो मैं उसको पटल पर रख दूंगा कि किस प्रकार से मर्जर के नाम पर लोगों का नामांतरण कर दिया गया, प्रायवेट जमीन का. जो भूमि स्वामी है उसकी वह सम्पत्ति है, वे लोग पाकिस्तान चले गये थे. उसके बाद उनकी जो कस्टोडियन की संपत्ति है, यह वह संपत्ति है. इसको कैसे घोषित कर दिया गया ? और वह संपत्ति अभी भी उन्हीं के नाम दर्ज है जिनका नाम मेरे पास जो सूची है, इसमें लिखा है - हलका-हलालपुर,तहसील-हुजूर निवासी आलतिया हजरत,सुरैया नवाब,गोहर ताज,बेगम ताज ,इस तरह के 18 जो खसरा नम्बर हैं और उसकी जो जमीन है 84 एकड़ 40 डेसीमल, यह प्रायवेट जमीन होते हुए भी इसको मर्जर के अंदर कैसे घोषित कर दिया गया ? क्या उन अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की जायेगी जिन्होंने विधान सभा को गलत उत्तर दिया ? प्रश्न जांच का तो है ही नहीं. प्रश्न यह है कि विधान सभा को सही जानकारी भेजनी चाहिये थी वह क्यों नहीं भेजी गई ?
डॉ.नरोत्तम मिश्र - माननीय अध्यक्ष महोदय, दोनों अलग-अलग विषय हैं.
अध्यक्ष महोदय - एक दूसरे के विपरीत हैं.
डॉ.नरोत्तम मिश्र - माननीय अध्यक्ष महोदय, एकदम एक दूसरे के विपरीत हैं इसलिये मैंने यह बात कही थी कि मामला न्यायालय में भी है और इस मामले की जांच करवा लेते हैं कि वास्तविकता क्या है. जो रिपोर्ट आयेगी और जो दोषी पाया जायेगा वह दण्डित होगा.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न क्र.3 श्रीमती शकुंतला खटीक..(..व्यवधान..) उस पर बहुत लंबी चर्चा हो गई.
श्री जितू पटवारी - माननीय अध्यक्ष महोदय, समय-सीमा क्या होगी ?
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाएं. आपका प्रश्न नहीं है.
श्री जयवर्द्धन सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, आठ महीने हो चुके हैं इस पर कोई निर्णय नहीं हुआ है. यह बहुत बड़ा मुद्दा है. इसमें बहुत बड़ा भ्रष्टाचार है.
श्री बाला बच्चन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हर्ष यादव जी के लगातार प्रश्न लग रहे हैं और इससे संबंधित ही लग रहे हैं और सरकार हमेशा जवाब में भ्रमित करती है, गुमराह करती है. सही उत्तर सरकार के द्वारा नहीं आता है. मंत्री जी, आपको समय सीमा बताना चाहिये, आप संसदीय कार्यमंत्री भी हैं. हमारा केवल एक ही सवाल है, एक ही आर्ग्यूमेंट है कि इसकी समय सीमा क्या रहेगी जिससे कि इस तरह की पुनरावृत्तियां मध्यप्रदेश में न हों, इस तरह की घटनायें रूक सकें.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र)-- न्यायालय का निर्णय आते ही कर देंगे.
ओलावृष्टि से क्षतिग्रस्त फसलों का मुआवज़ा
[राजस्व]
3. ( *क्र. 4588 ) श्रीमती शकुन्तला खटीक : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) तहसील करैरा एवं नरवर जिला शिवपुरी में माह जनवरी 2017 में किन-किन ग्रामों में ओलावृष्टि होकर क्षति के आंकलन हेतु सर्वेक्षण किया गया। सर्वेक्षण के दौरान अधिकारी/कर्मचारियों के नाम व विभाग बताते हुए कहाँ-कहाँ कितने कृषकों की ओलावृष्टि से फसल की क्षति हुई? क्षति का आंकलन (प्रतिशत में) बतायें। (ख) क्या दैवीय प्रकोप से क्षति के आंकलन की प्रतिशत नुकसान की जानकारी संबंधित कृषक एवं सार्वजनिक स्थानों पर चस्पा भी करने का प्रावधान है? (ग) यदि हाँ, तो क्या प्रश्नांश (ख) के प्रकाश में सभी कृषक एवं सार्वजनिक स्थल पर क्षति की प्रति चस्पा व कृषकगणों को दी गई थी।
राजस्व मंत्री ( श्री उमाशंकर गुप्ता ) : (क) तहसील करैरा में ओलावृष्टि से ग्रामों में हुई क्षति एवं क्षति के प्रतिशत के संबंध में जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र "क" अनुसार है एवं ओलावृष्टि से हुई क्षति में सर्वेक्षण में संलग्न अधिकारी/कर्मचारियों से संबंधित जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र "ख" अनुसार है। तहसील नरवर के ग्राम अंदोरा के 28 एवं रायपहाड़ी के 41 कृषकों की 10 प्रतिशत तक फसल ओलावृष्टि से नुकसान हुआ है। तहसील नरवर के ग्राम अंदौरा एवं रायपहाड़ी में माह जनवरी 2017 में ओलावृष्टि से हुई क्षति के सर्वेक्षण से संबंधित अधिकारी/कर्मचारियों की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र "ग" अनुसार है। (ख) प्रश्नांश ''ख'' के प्रकाश में सार्वजनिक स्थल पंचायत के नोटिस बोर्ड पर सूची चस्पा की गई है । (ग) उत्तरांश (ख) के अनुसार प्रश्न उद्भूत नहीं होता ।
श्रीमती शकुन्तला खटीक-- माननीय अध्यक्ष महोदय, इस वर्ष जनवरी माह में ओलावृष्टि से जिन गांवों में नुकसान हुआ है और जो जानकारी मुझे उपलब्ध कराई गई है उसमें से दो गांव छूट गये हैं. माननीय मंत्री महोदय, करैरा तहसील के ग्राम टोढ़ा और बदरखा के कई किसानों का 25 से 30 प्रतिशत नुकसान हुआ है. इन गांवों में मैंने स्वयं जाकर नुकसान देखा है. माननीय मंत्री महोदय, क्या इन दो गांवों को जोड़ने की कृपा करेंगे ?
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अगर पुन: उस गांव का सर्वे होता है तो दिखवा लेंगे, लेकिन फिर भी बहन ने कहा है तो मैं आज ही किसी को भिजवा कर पुन: उन दोनों गांवों का सर्वे करा दूंगा.
श्रीमती शकुन्तला खटीक-- माननीय मंत्री महोदय, मैंने उधर जाकर के देखा है, वहां बहुत नुकसान हुआ है. माननीय मंत्री जी, गोरा, बदरखा दोनों गांव आप उसमें जुड़वा दें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- मैं आपकी बात से सहमत हूं.
अध्यक्ष महोदय-- उसकी जांच के लिये आज ही भेज रहे हैं.
उचित मूल्य की दुकानों का निर्माण
[खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण]
4. ( *क्र. 1669 ) श्री शंकर लाल तिवारी : क्या खाद्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्नकर्ता के विधान सभा क्षेत्र सतना अंतर्गत किन-किन ग्राम पंचायतों में उचित मूल्य की दुकानों के निर्माण को पूर्ण कराया जा चुका है? ग्राम पंचायतवार पूर्णता दिनांक के साथ विवरण दें। (ख) किन-किन ग्राम पंचायतों में स्वयं की उचित मूल्य की दुकानों में खाद्यान्न वितरण किया जा रहा है तथा किन-किन ग्राम पंचायतों में दुकान का निर्माण पूर्ण होने के बाद भी बंद पड़ी हैं? (ग) किन-किन ग्राम पंचायतों में शासनादेश के बाद भी उचित मूल्य की दुकान ग्राम पंचायत मुख्यालय में नहीं खोली गयी है? इसके लिए दोषी कौन है? (घ) दोषी अधिकारी को दण्डित करते हुए कब तक उचित मूल्य की दुकान ग्राम पंचायत मुख्यालय में खोलना सुनिश्चित कर दिया जायेगा?
खाद्य मंत्री ( श्री ओम प्रकाश धुर्वे ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) ग्राम पंचायत कुंआ एवं नीमीवृत्त की शासकीय उचित मूल्य दुकानों में स्वयं के भवन में खाद्यान्न वितरण किया जा रहा है। ग्राम पंचायत मांद की दुकान का निर्माण कार्य पूर्ण होने के बाद ग्राम पंचायत द्वारा निर्मित भवन समिति को हस्तांतरित नहीं किया गया है। हस्तान्तरण की प्रक्रिया प्रचलन में है। (ग) विधानसभा सतना के प्रत्येक ग्राम पंचायत अंतर्गत शासकीय उचित मूल्य दुकान स्थापित हैं। मध्यप्रदेश सार्वजनिक वितरण प्रणाली (नियंत्रण) आदेश, 2015 के 7 (2) के अंतर्गत प्रत्येक ग्राम पंचायत के अंतर्गत न्यूनतम 1 उचित मूल्य दुकान खोलने का प्रावधान है। नियंत्रण आदेश के प्रावधान अनुसार उचित मूल्य दुकान के स्थान का निर्धारण जिला पंचायत द्वारा किया जाना है। शेष भाग का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) उत्तरांश (ग) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री शंकर लाल तिवारी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के उत्तर को इस ढंग से दिया गया है कि मैं उसी को पढ़-पढ़ कर परेशान हूं. मैंने प्रश्न में पूछा था कि मेरे विधान सभा क्षेत्र के ग्रामीण अंचल में कौन-कौन सी दुकानें स्वयं की दुकान में संचालित हो रही हैं और कौन-कौन सी दुकानें मुख्यालय में संचालित हो रही हैं. मुख्यालय में धारा बता दी गई है कि सब पंचायतों में एक-एक दुकान खोलना है, पर मैंने पूछा है मुख्यालय में कितनी जगह दुकान चल रही हैं. दूसरा मेरा प्रश्न था कि कौन सी दुकानें स्वयं की बिल्डिंग में चल रही हैं. इसमें दो नाम बताये गये कुंआ व नीमीवृत्त, बाकी क्षेत्र में कोई दुकान नहीं बनी हैं, यह कब तक बन जायेंगी ? दूसरा एक असत्य उत्तर आया है, मैंने मंत्री जी को भी यह कागज दिया है. असत्य उत्तर यह आया है कि रामस्थान, मांद और मटेहना इन तीन गांवों में बीआरजीएफ की तरफ से भवन बनाये गये हैं. उत्तर में आया है कि वह भवन अपूर्ण हैं, उत्तर में आया है कि हस्तानांतरण की कार्यवाही चल रही है, जबकि वर्ष 2015 में मांद पंचायत का भवन हस्तानांतरित किया जा चुका है और उसके बाद आज वर्ष 2017 चल रहा है, आज उत्तर में आ रहा है कि वह हस्तानांतरण की प्रक्रिया में है, यह गलत है. मेरी यह बिनती है कि जो भवन मेरे यहां नहीं बने हैं वह बनवाये जायें, पंचायत मुख्यालय में दुकानें खोली जायें और यह जो मांद का असत्य उत्तर आया है कि वर्ष 2015 में तो भवन मिल गया.
अध्यक्ष महोदय-- आप एक-एक करके पूछेंगे तो वह क्लीयर होगा.
श्री शंकर लाल तिवारी-- मेरा कहना यही है कि मांद वाले मामले में जो यह कहा गया है कि हस्तानांतरण की कार्यवाही चल रही है, इस तरह के कपोल कल्पित उत्तर क्यों आ रहे हैं. वर्ष 2015 का हस्तानांतरण का पत्र मैंने स्वयं माननीय मंत्री जी को दिया है.
श्री ओम प्रकाश ध्रुर्वे-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी ने मुझे वर्ष 2015 के हस्तांतरण वाले आदेश की प्रति उपलब्ध कराई है. मैं माननीय सदस्य को आश्वस्त करना चाहता हूं कि एक हफ्ते में आपसे उसका शुभारंभ करवा लिया जायेगा और वहां पर दुकान चालू करवा दी जायेगी.
श्री शंकर लाल तिवारी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह तो केवल मांद की बात आई. चूंकि मैंने कागज बताये कि हस्तानांतरण वर्ष 2015 में हुआ है पर आपके परिशिष्ट में जो उत्तर आया है उसमें रामस्थान है, मटेहना है यहां के भी भवन पूर्ण हो गये हैं. समिति सेवक जो राशन की दुकान के हैं वह अपने स्वार्थों के कारण, अपनी काली कमाई के कारण पंचायत मुख्यालय में दुकान खोलना नहीं चाहते, शासन के बार-बार निर्देश के बाद भी अधिकारी वहां दुकान नहीं खुलवा पा रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि मेरे पूरे क्षेत्र में जिला पंचायत के मुख्यालयों में दुकान कब तक खोल दी जायेगी मंत्रीजी, यह बता दे और इनके भवन कब तक बन जायेंगे? मांद गांव का मंत्री जी ने बता दिया है लेकिन रामस्थान और मटेहना इन दो गांव में भी भवन पूर्ण हो गये हैं यहां भी दुकाने कब तक खुलवा दी जायेंगी ?
श्री ओम प्रकाश धुर्वे--माननीय अध्यक्ष महोदय, तीनों में एक हप्ते में चालू करवा देंगे.
श्री शंकर लाल तिवारी- अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न का उत्तर नहीं आया है, 2015 में दुकान का हस्तानांतरण हो चुका है 2017 तक दुकान नहीं खुली है तो इसके लिये दोषी लोगों को कब तक दंडित कर दिया जायेगा ? इसका उत्तर नहीं आय़ा है.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न का उत्तर आ गया है. आगे और भी सदस्य के प्रश्न हैं. प्रश्न क्रमांक 5
चारागाह की भूमि का आवासीय उपयोग
[राजस्व]
5. ( *क्र. 5128 ) श्री वीरसिंह पंवार : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शासन को ज्ञात है कि कुरवाई विधान सभा क्षेत्र में ग्राम महलुआ चौराहा की भूमि सर्वे नंबर 363/2 रकबा 1.275 मद चारागाह में थी। उसे वर्ष 2011 में रकबा 0.405 आवासीय भूमि क्यों बदला गया था? इसमें किन-किन लोगों को आवासीय पट्टे दिये गये? इनका नाम विवरण सहित बतावें। इस भूमि पर किन लोगों ने दुकानें, शोरूम बनाये हैं? (ख) क्या शासकीय भूमि के पट्टेधारियों द्वारा भूमि का विक्रय किया गया है जबकि नियमानुसार पट्टे वाली भूमि का विक्रय नहीं किया जा सकता है? जो इस तरह की भूमि खरीद कर व्यवसाय, धंधा कर रहे हैं, शासन उनके विरूद्ध क्या कार्यवाही करेगा? क्या उक्त भूमि का पट्टा निरस्त कर भूमि शासन द्वारा वापिस की जावेगी? (ग) इस मुख्य स्थान और बेशकीमती जमीन को गौचर के स्थान पर आवासीय घोषित क्यों किया गया? क्या यह व्यक्ति विशेष को लाभ पहुंचाने के लिये किया गया था?
राजस्व मंत्री ( श्री उमाशंकर गुप्ता ) :
श्री वीर सिंह पंवार-- अध्यक्ष महोदय, मैंने प्रश्न में जो जानकारी चाही थी उसमें मंत्री जी ने उत्तर बहुत स्पष्ट कर दिया है. पहला प्रश्न यह है कि मेरे क्षेत्र में जो महलुआ चौराहा पाईंट है वहां पर जो व्यवसायिक भूमि थी उसको पट्टे के रूप में पंचायत द्वारा गलत तरीके से दिया गया है और अपात्र लोगों को दिया गया है जिससे पात्र लोग वंचित रह गये हैं. मंत्री जी से अनुरोध है कि अपात्र लोगों को जो पट्टे दिये गये हैं वह निरस्त किये जायें क्योंकि शासन की बेशकीमती जमीन है वहां पर शासकीय भवन या अन्य चीजों के लिये भूमि की आवश्यकता होती है उसके उपयोग के लिये यह जमीन छोड़ी जाये. दूसरा प्रश्न मेरा यह है कि जो आवासीय पट्टे दिये गये हैं इसमें आवासीय उपयोग होना चाहिये किंतु वहां पर शो रूम बनाकर के उसका व्यवसायिक उपयोग किया जा रहा है. मंत्री जी आवासीय पट्टे निरस्त करते हुये गलत तरीके से जिन्होंने पट्टा वितरण किया है उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही की जाये.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ.नरोत्तम मिश्र) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सम्मानित सदस्य ने जैसा कहा है कि अपात्र लोगों को पट्टे दिये गये हैं और आवासीय के स्थान पर व्यवसायिक उपयोग किया जा रहा है हम भोपाल से एडिशनल कमिश्नर को भेजकर के उसकी जांच करा लेंगे. अगर पट्टे गलत दिये गये हैं तो उनका अतिक्रमण हटायेंगे.
श्री वीर सिंह पंवार- मंत्री जी इसके लिये आपको धन्यवाद. एक निवेदन और है कि जो जांच कमेटी जांए वह मुझे एक बार सूचना अवश्य कर दें.
डॉ.नरोत्तम मिश्र - सम्मानित विधायक को सूचना करके जायेंगी.
श्री वीरसिंह पंवार- बहुत बहुत धन्यवाद.
पूर्व जिला प्रबंधक कटनी के विरूद्ध दण्डात्मक कार्यवाही
[खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण]
6. ( *क्र. 6106 ) श्रीमती शीला त्यागी : क्या खाद्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या नागरिक आपूर्ति निगम कटनी एवं रीवा में पदस्थ जिला प्रबंधक श्री शम्भू प्रसाद गुप्ता द्वारा अपने विभाग की महिला कर्मचारी श्रीमती रश्मि जायसवाल के साथ किये गये अभद्र व्यवहार की घटना पश्चात् दिनांक 11-09-2015 को इनके विरूद्ध कोतवाली कटनी में अपराधिक प्रकरण क्र. 861/15 पंजीबद्ध किया गया है, तत्पश्चात् उक्त अधिकारी द्वारा न्यायालय में चालान प्रस्तुत पश्चात् जमानत करा ली गई है? (ख) प्रश्नांश (क) यदि हाँ, तो क्या उक्त प्रकरण में प्रमुख सचिव, खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण द्वारा पत्र क्र. आर./4129/2775/2015, दिनांक 13-10-2015 से विभाग के प्रबंध संचालक को विभागीय अनियमितता एवं भ्रष्टाचार की जाँच तथा अनुशासनात्मक कार्यवाही हेतु निर्देशित किया गया था? (ग) प्रश्नांश (ख) के संदर्भ में यह बतायें की उपरोक्त प्रकरण में कार्यवाही न करते हुए प्रबंध संचालक नागरिक आपूर्ति निगम भोपाल द्वारा श्री गुप्ता को संभागीय मुख्यालय रीवा में दण्ड के बजाय पुरस्कृत कर पदस्थापना दी गई है? पदस्थापना आदेश की प्रति देवें। (घ) प्रश्नांश (क) (ख) एवं (ग) के संदर्भ में उक्त प्रकरण में शासन द्वारा क्या कार्यवाही की गई है। ऐसे भ्रष्ट अधिकारी के विरूद्ध कौन-सी दण्डात्मक कार्यवाही करेंगे तथा ऐसे अधिकारी को संरक्षण देने वाला कौन अधिकारी है? दोनों के विरूद्ध कौन-सी कार्यवाही की जावेगी? समय-सीमा बतायें।
खाद्य मंत्री ( श्री ओम प्रकाश धुर्वे ) : (क) कार्पोरेशन में आउटर्सोसिंग से पूर्व में पदस्थ श्रीमती रश्मि जायसवाल द्वारा श्री एस.पी. गुप्ता के विरूद्ध थाना कोतवाली जिला कटनी में शिकायत करने पर थाना कोतवाली जिला कटनी द्वारा प्रथम सूचना प्रतिवेदन क्रमांक 861/2015 दिनांक 11.09.2015 पंजीबद्ध की गई है। श्री गुप्ता द्वारा माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर से दिनांक 14.10.2015 को अग्रिम जमानत प्राप्त की गई है। (ख) प्रबंध संचालक को विभाग द्वारा पत्र क्रमांक आर. 4129/2775/2015/29-2 दिनांक 13.10.2015 से कटनी जिले में खरीफ विपणन वर्ष 2014-15 में उपार्जित धान का भंडारण, भंडारण नीति के विपरीत कराये जाने के संबंध में प्राप्त शिकायत का जाँच प्रतिवेदन प्रेषित करते हुए जिला प्रबंधक मध्यप्रदेश स्टेट सिविल सप्लाईज कार्पोरेशन कटनी के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही करने हेतु निर्देशित किया गया था। (ग) प्रश्नांश (ख) में उल्लेखित प्रमुख सचिव के पत्र दिनांक 13.10.2015 के परिपालन में प्रबंध संचालक द्वारा कार्यवाही करते हुए श्री एस.पी. गुप्ता, तत्कालीन जिला प्रबंधक कटनी को कार्पोरेशन के ज्ञाप क्रमांक/स्था./2016/2026 दिनांक 23.02.2016 द्वारा कारण बताओ सूचना पत्र जारी किया गया, श्री गुप्ता द्वारा प्रस्तुत प्रति उत्तर दिनांक 09.03.2016 समाधान कारक नहीं पाये जाने पर कार्पोरेशन के आदेश क्रमांक/स्था./2016/124 भोपाल दिनांक 25.04.2016 द्वारा श्री गुप्ता के विरूद्ध एक वार्षिक वेतन वृद्धि असंचयी प्रभाव से रोके जाने की शास्ति अधिरोपित कर दंडात्मक कार्यवाही की गई। श्री गुप्ता को कार्पोरेशन के आदेश क्रमांक/स्था./2016/2244, दिनांक 22.03.2016 के द्वारा जिला कार्यालय कटनी से मुख्यालय भोपाल पदस्थ किया गया, इसके बाद मुख्यालय भोपाल से जिला कार्यालय बैतूल पदस्थ किया गया। आदेश क्रमांक स्थापना/2016/540, दिनांक 10.06.2016 से श्री गुप्ता को बैतूल से जबलपुर पदस्थ करने का आदेश जारी किया गया। जिसे आदेश क्रमांक स्थापना/2016/636 दिनांक 25.06.2016 से निरस्त किया गया। पश्चात् में आदेश क्रमांक/स्था./टी-2/2016/2064 दिनांक 18.11.2016 के द्वारा श्री गुप्ता को जिला कार्यालय बैतूल से जिला कार्यालय रीवा पदस्थ किया गया है। उक्त सभी स्थानांतरण प्रशासनिक तौर पर किये गये हैं। आदेश की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (घ) प्रश्नांश (क) प्रकरण न्यायालयीन है। प्रश्नांश (ख) एवं (ग) के परिप्रेक्ष्य में नियमानुसार विभागीय दण्डात्मक कार्यवाही की गई है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्रीमती शीला त्यागी-- माननीय अध्यक्ष महोदय,मैं आपके माध्यम से मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहती हूं कि मेरे प्रश्न का जवाब थोड़ा संतोषजनक दिया है.लेकिन मेरे दो पूरक प्रश्न हैं. पहला यह है कि रीवा जिले में खाद्य, नागरिक एवं आपूर्ति उपभोक्ता संरक्षण विभाग में हो रहे भ्रष्टाचार को रोकने के लिये क्या कोई विशेष जांच समिति का गठन करेंगे. दूसरा प्रश्न है कि जांच के उपरांत दोषी अधिकारी एवं कर्मचारी के विरूद्ध क्या कार्यवाही करेंगे.
अध्यक्ष महोदय- पहले जांच कमेटी की बात पर मंत्री जी हां तो करें. फिर जांच उपरांत की बात आयेगी.
श्रीमती शीला त्यागी-- अध्यक्ष महोदय, वह तो हां करेंगे ही, बहुत अच्छे हैं मंत्री जी.(हंसी).
श्री ओम प्रकाश धुर्वे-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्या का पिछले समय में प्रश्न था उसमें उत्तर आ गया है.जांच करके दोनों पर कार्यवाही की जा चुकी है.
श्रीमती शीला त्यागी--अध्यक्ष महोदय, कार्यवाही तो हुई लेकिन हटाया नहीं गया है.मंत्री जी बतायें कि आप उनको कब तक निलंबित करेंगे. आप सदन में घोषणा तो कर देते हैं, आप गंभीर हैं, चिंतनीय हैं, समाज के प्रति अच्छी सोच है आपकी, लेकिन आपका विभाग बिल्कुल आपके स्वभाव के विपरीत कार्य कर रहा है. अभी तक विभाग ने उनको निलंबित क्यों नहीं किया. वे अभी तक क्यों नहीं हटाये गये.
अध्यक्ष महोदय- यह कोई प्रश्न नहीं है.
श्रीमती शीला त्यागी- मंत्री जी , बतायें कि आपने अभी तक क्यों नहीं हटाया.इसी सदन में आपने घोषणा की और अभी तक कोई कार्यवाही विभाग ने क्यों नहीं की ?
श्री ओम प्रकाश धुर्वे--अध्यक्ष महोदय,दो तीन दिन में हटा देंगे. प्रमुख सचिव अवकाश पर हैं.
श्रीमती शीला त्यागी- दो तीन दिन क्यों, 15 लगाये हुये 15 से अधिक दिन हो गये हैं. भ्रष्टाचार मुक्त करना चाहते हैं तो जो विधानसभा में मंत्री जी के द्वारा घोषणा होती है उसका पालन क्यों नहीं होता है. मैं आपका संरक्षण चाहती हूं कि भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्यवाही की जाये और यह जो मेरा आज का प्रश्न है उसमें जांच के समय मुझे रखा जायेगा.
अध्यक्ष महोदय- कार्यवाही तो उसमें हो गई है. आपके प्रश्न का समाधान हो गया है.
श्रीमती शीला त्यागी- अध्यक्ष महोदय, उसके लिये आपको और मंत्री जी को धन्यवाद.
तहसील चीनोर में नामांतरण प्रकरणों की प्रविष्टि
[राजस्व]
7. ( *क्र. 6353 ) श्री लाखन सिंह यादव : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) अनुविभागीय अधिकारी राजस्व अनुविभाग भितरवार जिला ग्वालियर द्वारा प्रकरण क्रमांक 17/14-15/अपील आदेश दिनांक 21/7/2016 को मिश्रोबाई वेबा छत्रपाल कुशवाह वगैराह निवासी ग्राम चीनोर तहसील चीनोर को वसीयत के आधार पर नामान्तरण किये जाने का आदेश पारित किया था? क्या आदेश का पालन तत्कालीन तहसीलदार ने अमल किया था? यदि हाँ, तो किस तारीख में स्पष्ट करें? क्या प्रश्न दिनांक तक कम्प्यूटर पर अमल किया गया है? यदि नहीं, तो क्यों? क्या वर्तमान तहसीलदार द्वारा कम्प्यूटर पर अमल न करने के पीछे कोई भ्रष्टाचार की मंशा है? यदि नहीं, तो फिर अभी तक अमल न करने का क्या कारण है? स्पष्ट करें। (ख) क्या (क) प्रकरण में अभी तक अमल न कराने में वर्तमान तहसीलदार दोषी है? यदि हाँ, तो क्या दोषी के प्रति कोई दण्डात्मक कार्यवाही की जावेगी? यदि हाँ, तो क्या और कब तक? यदि नहीं, तो क्यों? (ग) तहसील चीनोर में नामान्तरण तथा बंटवारे से सम्बंधित प्रश्न दिनांक तक कितने प्रकरण किस कारण से लंबित हैं, इन लंबित प्रकरणों का कब तक निराकरण कर नामान्तरण एवं बंटवारा करा दिया जावेगा?
राजस्व मंत्री ( श्री उमाशंकर गुप्ता ) : (क) जी हाँ। उक्त आदेश का तत्कालीन तहसीलदार द्वारा अमल नहीं किया गया, क्योंकि अनुविभागीय अधिकारी भितरवार द्वारा प्रकरण क्रमांक 17/14-15/अपील में पारित आदेश दिनांक 21.07.2016 की प्रति के साथ तहसील चीनोर की नामांतरण पंजी वापिस की जाना थी, किन्तु इसी नामांतरण पंजी की आवश्यकता अनुविभागीय दण्डाधिकारी न्यायालय में प्रचलित एक अन्य प्रकरण क्रमांक 10/15-16/अपील में होने के कारण यह पंजी प्रवाचक द्वारा इस प्रकरण में संलग्न कर दी गई, इस कारण प्रकरण क्रमांक 17/14-15/अपील आदेश दिनांक 21.07.2016 का कम्प्यूटर में अमल होने में विलंब हुआ। भष्टाचार की कोई मंशा नहीं है। (ख) जी नहीं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) तहसील न्यायालय चीनोर में वर्तमान में नामांतरण के 23 एवं बंटवारा के 07 प्रकरण विवादित होने के कारण लंबित हैं, जिनमें जाँच एवं युक्तियुक्त सुनवाई उपरांत विधि अनुकूल निराकरण किया जायेगा।
श्री लाखन सिंह यादव - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं बड़ी बिडम्बना के रूप में आपके बीच में बात रख रहा हूं. आज रात को 10 बजे माननीय मंत्री जी ने एक छोटी झींगा मछली के रूप में उसकी हत्या कर दी है और जो बड़ी बड़ी व्हेल और मगरमच्छ रूपी मछली है, उन्हें चुनने और चरने के लिए मेरे विधान सभा क्षेत्र में छोड़ रखा है. आज रात को आपने जिस छोटे से कर्मचारी को सस्पेंड कर दिया, मुझे नहीं लगता कि आपने सही किया है. एक बड़े स्तर के अधिकारी को सस्पेंड करना चाहिए था, जिन्होंने बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार किया है लेकिन एक पटवारी को आपने सस्पेंड किया है, उसको 100 प्रतिशत आपने गलत सस्पेंड किया है. माननीय अध्यक्ष महोदय मेरा प्रश्न था कि भितरवार तहसील में प्रकरण क्रमांक 17/14-15 एक अपील नामांतरण के लिए की गई थी. मैं यह जानना चाहता हूं कि वह नामांतरण आज दिनांक तक हुआ है या नहीं हुआ, यदि हुआ है तो किस तारीख को हुआ है. पहले आप यह बता दें बाकी दो तीन प्रश्न मैं बाद में कर लूंगा.
अध्यक्ष महोदय - दो तीन.
श्री लाखन सिंह यादव - अध्यक्ष महोदय, बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न है.
संसदीय कार्यमंत्री (डॉ नरोत्तम मिश्र) - माननीय अध्यक्ष महोदय, जो पटवारी थे, उन्होंने इस नामांतरण को नीचे से पुष्टि करते हुए, जो छत्रपाल सिंह जी दिवंगत हो गए थे तो 13 खसरे थे, उनको 14 खसरे करके तहसीलदार को भेजा, इसलिए पटवारी ने जो एक अतिरिक्त खसरा जोड़ा है प्रारंभिक त्रुटि वहीं से हुई है, इस कारण से पटवारी को निलंबित किया गया है. हम यह नहीं कर रहे कि ऊपर त्रुटि नहीं हुई है.
श्री लाखन सिंह यादव - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने एक बात और रखी थी, पूरा उत्तर तो दे दें माननीय मंत्री जी. मैंने यह कहा था कि यह नामांतरण हो गया है कि नहीं हुआ है.
डॉ नरोत्तम मिश्र - माननीय अध्यक्ष महोदय, जब यह संज्ञान में आ गया कि यह गलत हो गया है तो इसको कलेक्टर से पुन: अनुमति लेने के लिए रोका गया है कि खसरा 13 और 14 को अलग किया जा सके, जिससे गलती न हो.
श्री लाखन सिंह यादव - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी असत्य जानकारी दे रहे हैं. मैंने मंत्री जी को रात को भी इस बात के लिए अवगत कराया था कि आपको गलत जानकारी दी गई है. मेरे पास प्रूफ है, दिनांक 11/08/2016 को यह नामांतरण हो गया है और आप सदन में असत्य जानकारी दे रहे हैं कि नामांतरण हुआ ही नहीं है.
अध्यक्ष महोदय - कलेक्टर से अनुमति मांगी है.
श्री लाखन सिंह यादव - माननीय अध्यक्ष, आप मेरी बात तो सुन लें यह नामांतरण दिनांक 11/08/2016 को हो चुका है, साढ़े छ: महीने हो गए अभी तक आपके तहसीलदार ने सिर्फ 30 हजार रूपए के चक्कर में इसको पेंडिंग रखा है और पर्टिक्यूलर उसी को डिलीट करा दिया है. मेरे पास रसीद है.
अध्यक्ष महोदय - आपका प्रश्न क्या है.
श्री लाखन सिंह यादव - माननीय अध्यक्ष्ाय, मेरा प्रश्न यह है कि जब दिनांक 11/08/2016 को इसका नामांतरण हो चुका है तो अभी तक यह अमल में क्यों नहीं आया. इसलिए अमल में नहीं आया क्योंकि उस तहसीलदार को अभी तक 30 हजार रूपए नहीं मिले. मैं यह निवेदन करना चाहता हूं कि ऐसे भ्रष्ट अधिकारी के विरूद्ध तत्काल कार्यवाही होनी चाहिए.
श्री रामनिवास रावत - माननीय अध्यक्ष महोदय, सुधार करके कब तक अमल करवा देंगे यही उत्तर दिलवा दीजिए.
डॉ नरोत्तम मिश्र - माननीय अध्यक्ष्ा महोदय, एक सप्ताह में अमल करवा देंगे.
श्री लाखन सिंह यादव - माननीय अध्यक्ष महोदय, आप मेरी बात सुनना नहीं चाहा रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - आपकी बात सुनी जा रही है, लेकिन आप भाषण दे रहे हैं, आप प्रश्न पूछिए, आप भाषण देते हैं (हंसी ...)
श्री लाखन सिंह यादव - माननीय अध्यक्ष महोदय, भाषण नहीं दे रहा हूं, मुझे आपका संरक्षण चाहिए, यह अधिकारी बहुत बड़ा भ्रष्टाचारी है, यदि मंत्री जी उसको हटा नहीं रहे हैं, उसके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं करना चाहा रहे हैं और यदि वह इतना अच्छा अधिकारी है तो दतिया ले जाओ न उसको, (XXX). माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न का जबाव नहीं आया है.
डॉ नरोत्तम मिश्र - माननीय अध्यक्ष महोदय, एक बात यह कहना चाहा रहा हूं कि माननीय सदस्य ने कहा कि यह मामला साढ़े छ: महीने से लंबित है, जबकि तहसीलदार को वहां गए 6 महीने ही हुए हैं.
श्री लाखन सिंह यादव - माननीय अध्यक्ष महोदय, तहसीलदार को वहां गए 6 महीने से ज्यादा हो गए हैं. अध्यक्ष महोदय, इसका कुछ तो जबाव दिलवा दीजिए, उसको हटवा दीजिए वहां से. (XXX)
अध्यक्ष महोदय - आप इस तरह से आरोप नहीं लगा सकते, आपको बहुत समय दिया है .
श्री लाखन सिंह यादव - अध्यक्ष महोदय, मैं और क्या कहूं. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - आप दस रूप से प्रश्न पूछ रहे हैं और भी सदस्यों के प्रश्न हैं. सबके महत्वपूर्ण हैं. इस तरह से आप आरोप नहीं लगा सकते. क्या और सदस्यों के प्रश्न महत्वपूर्ण नहीं हैं. आपका ही प्रश्न महत्वपूर्ण है. आप एक ही प्रश्न पर बहस करेंगे. प्रश्न संख्या 8. श्री सुखेन्द्र सिंह. आप प्रश्न पूछिये.
..(व्यवधान)..
श्री लाखन सिंह यादव -- (xxx)
अध्यक्ष महोदय -- आप भाषण दे रहे हैं.
श्री लाखन सिंह यादव -- अध्यक्ष महोदय, हम यह कह रहे हैं कि उसकी जांच करवा लें. जांच कराने में क्या दिक्कत है.
अध्यक्ष महोदय -- यह सब रिकार्ड में नहीं आयेगा. प्रश्न संख्या 8. श्री सुखेन्द्र सिंह.
श्री लाखन सिंह यादव -- अध्यक्ष महोदय, यह तो बहुत गलत हो रहा है. हम लोगों के प्रश्न करने का फिर कोई मतलब ही नहीं है. फिर हम प्रश्न काहे के लिये लगा रहे हैं.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, कृपया उनको उत्तर दिलवा दीजिये.
अध्यक्ष महोदय -- आप बताइये कि उनको बहुत समय दिया कि नहीं दिया.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, आपने वक्त दिया, लेकिन उनका उत्तर नहीं आ पाया.
अध्यक्ष महोदय -- उन्होंने बजाये प्रश्न के भाषण किया. आप उनको वहां ले जायें, यहां ले जायें. मैं कह रहा हूं कि आप पाइंटेड प्रश्न पूछिये. वह पूछते नहीं हैं.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, एक प्रश्न का भी उत्तर नहीं आया. आप प्रश्न का उत्तर दिलवा दीजिये.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं सब प्रश्न के उत्तर आये हैं. प्रश्न संख्या 8.
..(व्यवधान)..
डॉ. गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष महोदय, जब इसमें तहसीलदार ने गलत जानकारी दी, तो क्या उसकी आप जांच नहीं करा सकते. आप जांच तो करा सकते हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- गोविन्द सिंह जी, हां जांच करा सकते हैं, जांच करायेंगे.
श्री लाखन सिंह यादव -- अध्यक्ष महोदय, क्या जांच करायेंगे.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- जो गोविन्द सिंह जी ने कहा और आपने जांच कराने का कहा , वह मैं कह रहा हूं कि जांच करायेंगे.
श्री लाखन सिंह यादव -- अध्यक्ष महोदय, जो जांच करायेंगे, उसमे हमें भी शामिल करेंगे.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- आपको शामिल नहीं करेंगे.
श्री रामनिवास रावत -- जांच कौन करेगा.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न संख्या 8. श्री सुखेन्द्र सिंह.
''द्वार प्रदाय योजना'' अंतर्गत खाद्यान्न वितरण
[खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण]
8. ( *क्र. 3491 ) श्री सुखेन्द्र सिंह : क्या खाद्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) गरीबों का सस्ता खाद्यान्न राशन की दुकान तक पहुंचाने के वाहनों में जी.पी.एस. सिस्टम लगाने का आदेश शासन एवं जिला प्रशासन को कब जारी किया गया था? आदेश की प्रति उपलब्ध करावें। क्या विधानसभा चुनाव के समय इन वाहनों से जी.पी.एस. सिस्टम निकाल दिये गये जो दुबारा वाहनों में नहीं लगाये गये? (ख) क्या प्रश्नांश (क) के प्रकाश में नागरिक आपूर्ति निगम ''द्वार प्रदाय योजना'' में खाद्यान्न दुकान तक पहुँचा रहा है? यदि हाँ, तो यह नियम कब से प्रारंभ किया गया? आदेश की प्रति उपलब्ध करावें। क्या लीड समितियों के परिवहन के दौरान इन्हीं परिवहनकर्ताओं के वाहन पर जी.पी.एस. सिस्टम लगे थे? यदि हाँ, तो ''द्वार प्रदाय योजना'' के प्रारंभ पर जी.पी.एस. क्यों नहीं लगे? कारण स्पष्ट करें। (ग) प्रश्नांश (ख) के प्रकाश में ''द्वार प्रदाय योजना'' प्रारंभ होने के बाद 8 महीने में खाद्यान्न चोरी के दो बड़े मामले हुये, जिसमें नागरिक आपूर्ति निगम से निकला राशन मई में लालगांव सेवा सहकारी समिति की दुकान में गेहूँ नहीं पहुंच कर वापस वेयर हाउस में पहुंच कर खरीदी के गेहूँ में बदलकर जमा हो रहा था? जिसे खाद्य विभाग ने पकड़ा था? अक्टूबर में खाद्यान्न रायपुर कर्चुलियान एवं गंगेव के लिये निकला जो सीधे मिर्जापुर जा रहा था, जिसे पुलिस ने हनुमना बार्डर में पकड़ा था? (घ) प्रश्नांश (ग) के प्रकाश में क्या पुलिस द्वारा एफ.आई.आर. दर्ज की गयी है एवं प्रश्न दिनांक तक (दोनों प्रकरण) में की गई कार्यवाही की जानकारी उपलब्ध करावें? प्रश्नांश (क) एवं (ख) के प्रकाश में जी.पी.एस. सिस्टम नहीं लगवाने के लिये कौन से कर्मचारी अधिकारी जिम्मेदार हैं? जिम्मेदार के विरूद्ध क्या कार्यवाही प्रस्तावित की गई? अगर नहीं हुई तो प्रकरण की जाँच का आदेश देकर जाँच करायेंगे? यदि हाँ, तो समय-सीमा बतावें? यदि नहीं, तो क्यों?
खाद्य मंत्री ( श्री ओम प्रकाश धुर्वे ) : (क) जी हाँ, सार्वजनिक वितरण प्रणाली अंतर्गत खाद्यान्न परिवहन के लिये वाहनों में जी.पी.एस. सिस्टम लगाने हेतु म.प्र. शासन, खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग के आदेश क्र. 997 दिनांक 04.02.2012 एवं कार्यालय जिला कलेक्टर (खाद्य) जिला रीवा के आदेश क्र. 317 दिनांक 23.02.2012 द्वारा जारी किया गया था। आदेश की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। जिला रीवा में विधानसभा चुनाव के समय लीड संस्था द्वारा परिवहन कार्य में लगे वाहनों से चुनाव कार्य में उपयोग हेतु जी.पी.एस. सिस्टम निकाले गये थे, जो दुबारा वाहनों में नहीं लगाये गये। (ख) जी हाँ, शासन निर्देश क्र. एफ-7-17/2014/29-1 दिनांक 02.07.2014 के अनुपालन में जिला रीवा में मध्यप्रदेश स्टेट सिविल सप्लाईज कारपोरेशन लिमिटेड द्वारा माह सितम्बर 2014 से ''द्वार प्रदाय योजना'' के अंतर्गत खाद्यान्न उचित मूल्य दुकानों तक पहुंचाया जा रहा है। आदेश की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। जी हाँ, पूर्व में लीड समितियों के परिवहन के दौरान वर्तमान में संचालित ''द्वार प्रदाय योजना'' के परिवहनकर्ताओं के कुछ वाहन परिवहन कार्य में लगे थे, जिनमें जी.पी.एस. सिस्टम लगे थे। विभागीय समीक्षा बैठक दिनांक 23.05.2014 में लिये गये निर्णय अनुसार परिवहन हेतु उपयोग में लाये गये वाहनो में जी.पी.एस. सिस्टम लगाने का विचार प्रासंगिक नहीं होने के कारण वाहनो में जी.पी.एस. सिस्टम लगाने हेतु निर्देश ''द्वार प्रदाय योजना'' के अंतर्गत जारी नहीं किये गये। (ग) जी हाँ। (घ) जी हाँ, प्रश्नांश (ग) के परिप्रेक्ष्य में पुलिस द्वारा प्राथमिकी दर्ज की गई है। प्रश्न दिनांक तक लालगाँव सेवा सहकारी समिति की उचित मूल्य दुकान को भेजा गया गेहूँ, जो लालगाँव खरीदी केन्द्र के माध्यम से चोरहटा एग्रोटेक गोदाम में जमा कराया जा रहा था, के प्रकरण में माननीय उच्च न्यायालय में अग्रिम जमानत हेतु प्रस्तुत याचिका में माननीय न्यायालय द्वारा विवेचक को मय-केस डायरी तलब की जाकर आरोपियों को अग्रिम अन्तरिम जमानत दी गई थी। तत्पश्चात् पुलिस द्वारा मय-केस डायरी माननीय न्यायालय में विवेचना हेतु प्रस्तुत किये गये थे, जिसमें माननीय उच्च न्यायालय द्वारा आरोपियों की अग्रिम जमानत खारिज कर गिरफ्तारी के आदेश जारी किये गये हैं। उक्त में वर्तमान में पुलिस द्वारा फरार आरोपी की तलाश एवं प्रकरण की विवेचना की जा रही है। हनुमना थाने में दर्ज प्राथमिकी में 17 आरोपी में से 11 आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं, शेष में पुलिस द्वारा विवेचना की जा रही है। उपरोक्त दोनों प्रकरणों में मध्यप्रदेश स्टेट सिविल सप्लाईज कारपोरेशन लिमिटेड द्वारा संबंधित परिवहनकर्ताओं को काली सूचीबद्ध किया गया। उत्तरांश (ख) के उत्तर के आधार पर शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री सुखेन्द्र सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न खाद्यान्न की काला बाजारी में पकड़े गये बिना जीपीएस सिस्टम से संबंधित है, जिसमें मंत्री जी ने जितने भी हमने प्रश्न किये थे, उसमें सबका जवाब जी हां में दिया है, निश्चित रुप से स्वीकार किया है. लेकिन इसमें मेरा प्रश्न यह है कि खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्रालय, भोपाल के दिनांक 23 जनवरी,2012 के आदेश में स्पष्ट उल्लेख है कि जीपीएस सिस्टम स्थापित किया जावेगा, जो सदैव सुरक्षित तथा चालू हालत में रहेगा, किन्तु रीवा जिले में विधान सभा चुनाव,2013 के पहले जीपीएस यंत्र निकाले गये थे और चुनाव समाप्ति के बाद फिर उनको नहीं लगाया गया. यह भी मंत्री जी ने स्वीकारा है. तो जीपीएस यंत्र नहीं लगाने में कौन दोषी है, उन पर क्या कार्यवाही हुई, मैं इसका जवाब मंत्री जी से चाहता हूं.
श्री ओमप्रकाश धुर्वे -- अध्यक्ष महोदय, विभागीय समीक्षा बैठक दिनांक 23.5.2014 में लिये गये निर्णय अनुसार परिवहन वाहनों में जीपीएस सिस्टम को व्यावहारिक नहीं माना गया था, इसलिये वाहनों में पुनः जीपीएस सिस्टम नहीं लगे.
श्री सुखेन्द्र सिंह -- अध्यक्ष महोदय, तो क्या समीक्षा बैठक में निर्धारित कर दिया गया कि शासन से कोई निर्देश ऐसा हुआ. जब यह शासन का निर्देश था कि यह सिस्टम चलेगा और उसके कारण काला बाजारी रुकी थी. तो यह यंत्र क्यों निकाला गया, यही तो मेरा प्रश्न है. व्यावहारिक सिस्टम से ऐसा चलेगा कि शासन का आदेश माना जायेगा. अगर ऐसा नहीं किया गया तो जिसने ऐसा किया था, उसके खिलाफ क्या कार्यवाही होगी.
श्री ओमप्रकाश धुर्वे -- अध्यक्ष महोदय, नहीं, तात्कालिक समय में मैंने जैसा बताया कि दिनांक 23.5.2014 को समीक्षा बैठक हुई थी, उसमें सभी अधिकारी थे, संबंधित मंत्री जी भी थे, उस समय बैठक में यह निर्णय लिया गया होगा कि इसकी अब उतनी उपयोगिता नहीं है, व्यावहारिकता नहीं है, इसलिये संभवतः इस सिस्टम को पुनः लागू नहीं किया गया.
श्री सुखेन्द्र सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मेरा पहला प्रश्न यह है कि क्या पूरे प्रदेश में यह है कि सिर्फ रीवा जिले में है,व्यावहारिक तौर पर.
श्री ओमप्रकाश धुर्वे -- अध्यक्ष महोदय, यह तो पूरे प्रदेश के लिये था, लेकिन अब हम लागू कर रहे हैं.
श्री सुखेन्द्र सिंह -- अध्यक्ष महोदय, यह अकेले पहले रीवा में व्यावहारिक तरीके से हो गया और इतनी बड़ी घटना घटी.
अध्यक्ष महोदय -- अब लागू कर रहे हैं.
श्री सुखेन्द्र सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मेरा दूसरा प्रश्न यह है कि अक्टूबर,2016 में खाद्यान्न जो रायपुर कर्चुलियान एवं गंगेव के लिये निकला और हनुमना बार्डर पर पकड़ा गया और परिवहनकर्ता के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं की गयी, बल्कि जिसकी ट्रक थी, सिर्फ उसके ऊपर एफआईआर दर्ज हुई. मेरा मंत्री जी से अनुरोध है कि जो इसके टेंडर लेने वाले व्यक्ति हैं, उनको क्यों छोड़ा गया. क्या उनके ऊपर कार्यवाही होगी. मैं नाम नहीं लेना चाहता हूं, जिन्होंने इसका टेंडर लिया है, जो इनको चला रहे हैं, उनके ऊपर कार्यवाही होगी कि सिर्फ जिनकी गाड़ियां थीं, उनके ऊपर कार्यवाही होगी.
श्री ओमप्रकाश धुर्वे -- अध्यक्ष महोदय, न्यायालय में 17 लोगों के खिलाफ मामला चल रहा है, 11 अपराधी गिरफ्तार भी हो चुके हैं. कुछ फरार हैं, सब पर कार्यवाही प्रचलन में है.
श्री सुखेन्द्र सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा कहना यह है कि जो असली दोषी है, उनको छोड़ा गया है. यह मेरे विधानसभा क्षेत्र का मामला है. उत्तरप्रदेश गल्ला जाता है, उसमें अगर मैं नहीं बोलूँगा तो भी यह गलत बात है. मेरा कहना यह है कि जो असली दोषी हैं, उनको छोड़ दिया गया है. माननीय मंत्री जी बताएं कि उन पर कार्यवाही करेंगे कि नहीं करेंगे. आप कहें तो मैं नाम बता दूँ.
श्री ओम प्रकाश धुर्वे - उन पर कार्यवाही करेंगे.
श्री सुखेन्द्र सिंह - ठीक है.
भवन एवं संनिर्माण कर्मकार मण्डल योजनान्तर्गत छात्रवृत्ति वितरण
[श्रम]
9. ( *क्र. 2542 ) कुँवर सौरभ सिंह : क्या खाद्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार मण्डल योजनान्तर्गत श्रम विभाग द्वारा छात्रवृत्ति प्रदत्त की गई है? यदि हाँ, तो वर्ष 2012-13 से किस-किस को कितनी-कितनी राशि, कब-कब प्रदान की गई? कटनी जिले का विकासखण्डवार वर्षवार विवरण दें। (ख) क्या छात्रवृत्ति की राशि बैंक खातों के माध्यम से या चेक के माध्यम से प्रदाय किये जाने के निर्देश हैं? यदि हाँ, तो किन-किन छात्रों को नगद भुगतान किया गया? कटनी जिले का विकासखण्डवार वर्षवार विवरण दें। (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) अनुसार क्या छात्रवृत्ति वितरण में विलम्ब हुआ? शासन द्वारा प्राप्त छात्रवृत्ति की राशि से कितना-कितना ब्याज अर्जित किया गया? वर्षवार अवितरित शेष राशि को ब्याज सहित वापस न करने के लिये कौन उत्तरदायी है? इनके विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई है?
खाद्य मंत्री ( श्री ओम प्रकाश धुर्वे ) : (क) म.प्र. भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मंडल के अंतर्गत पंजीकृत निर्माण श्रमिक के पुत्र/पुत्री/पत्नी को शिक्षा हेतु प्रोत्साहन राशि योजना, मेधावी छात्र/छात्राओं को नगद पुरूस्कार योजना में लाभ प्रदाय किये जाने का प्रावधान है। प्रश्नांकित अवधि में कटनी जिले में शिक्षा हेतु प्रोत्साहन राशि योजना के अंतर्गत वितरित हितलाभ राशि की विकासखण्डवार एवं वर्षवार विवरण की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जी हाँ। शिक्षा हेतु प्रोत्साहन राशि योजना, मेधावी छात्र/छात्राओं को नगद पुरूस्कार योजना की राशि बैंक खातों के माध्यम से प्रदाय किए जाने के निर्देश हैं। शेष प्रश्नांश की जानकारी का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) जी नहीं। म.प्र भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मंडल द्वारा विभिन्न निर्माण कार्यों की कुल लागत का 1 प्रतिशत की दर से उपकर जमा कराया जाता है। इस प्रकार जमा उपकर राशि से पंजीकृत निर्माण श्रमिकों के लिए विभिन्न कल्याणकारी योजनाएं संचालित की जाती हैं। अतः प्रश्नांश (क) एवं (ख) के परिप्रेक्ष्य में किसी के विरूद्ध कार्यवाही का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री सुन्दरलाल तिवारी - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से हमारे सम्मानित मित्र कुँवर सौरभ सिंह जी ने एक प्रश्न किया था. यह प्रश्न था कि भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार मण्डल योजना के अंतर्गत, जो छात्रवृत्ति वितरित की जाती है, इसमें शासन का आदेश यह है कि चेक के द्वारा छात्रवृत्ति छात्रों को वितरित की जाये, लेकिन कटनी जिले के कुछ स्कूलों में जो छात्रवृत्ति वितरित की गई, वह नकद राशि के रूप में वितरित की गई है. उसमें चेक नहीं दिया गया है, जबकि नकद राशि वितरित किये जाने का कोई प्रोवीजन नहीं था, यह हमारा प्रश्न था. लेकिन इसका जवाब माननीय मंत्री जी के यहां से नहीं आया कि यह कैश क्यों दिया गया, कितने लोगों को दिया गया है और किस-किस स्कूल में यह कैश वितरित किया गया है और किसके आदेश से इन्होंने कैश दे दिया है ? जबकि शासन के आदेश चेक के द्वारा दिये जाने के हैं. इसमें स्पष्ट नहीं है. आपने प्रश्न का जवाब नहीं दिया है. जो नकद देने की बात है, इसमें कहीं जवाब नहीं है. आप इसमें देखें.
श्री ओम प्रकाश धुर्वे - माननीय अध्यक्ष महोदय, जब नकद नहीं दिया गया है, जो जवाब कैसे आएगा. कैश नहीं दिया गया है, बैंक के द्वारा दिया गया है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से कहना है कि हम आपको स्कूलें और जनपदें बता रहे हैं. आपने इसमें यह नहीं लिखा है कि हालांकि कैश नहीं दिया गया है, यह प्रश्न आया नहीं है लेकिन आपने कहा है तो हम उसको स्वीकार कर रहे हैं. अब हमारा यह कहना है कि यह चेक नहीं, कैश दिये गये हैं और ये ब्लॉक हैं, जनपद भौंरीबन्द में प्राथमिक शाला छपरा, फेड़ा, जजावल और रीठी जनपद में नेगमा, बिलहरी और इस तरह की अन्य स्कूलें हैं, यहां कैश वितरित किया गया है. कैश या चैक वितरित किया गया है, क्या आप इसकी जांच करवाएंगे और वहां के स्थानीय विधायक उस जांच में रहें ? ऐसी अपेक्षा है.
श्री ओम प्रकाश धुर्वे - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी जानकारी में नकद भुगतान नहीं किया गया है. चेक के द्वारा, बैंक के द्वारा भुगतान किया गया है. अगर माननीय सदस्य कह रहे हैं, अगर हमारे संज्ञान में यह बात आती है तो निश्चित रूप से कार्यवाही करेंगे.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - धन्यवाद.
सोनकच्छ विधान सभा क्षेत्रांतर्गत संचालित पशुपालन केन्द्र
[पशुपालन]
10. ( *क्र. 4067 ) श्री राजेन्द्र फूलचंद वर्मा : क्या पशुपालन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सोनकच्छ विधान सभा क्षेत्र में मान्यता प्राप्त गोसेवा/पशुपालन केन्द्र हैं। यदि हैं तो कहाँ-कहाँ पर तथा इसका संचालन कौन करता है। (ख) क्या इन केन्द्रों को शासन द्वारा कोई राशि अथवा अनुदान दिया जाता है? यदि हाँ, तो वर्षवार कितनी राशि अथवा अनुदान दिया जाता है तथा उसकी प्रक्रिया क्या है? (ग) क्या सोनकच्छ विधानसभा क्षेत्र में शासन द्वारा उत्तम गोवंश/भैंस आदि किसानों को उचित दामों पर दी जाती है? यदि हाँ, तो उसकी क्या प्रक्रिया है? यदि नहीं, तो क्यों नहीं।
पशुपालन मंत्री ( श्री अंतर सिंह आर्य ) : (क) जी हाँ। जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार। (ख) जी हाँ। जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार। (ग) जी हाँ। विभागीय योजनाएं ''नन्दीशाला योजना'' में गौवंशीय सांड तथा ''सम्मुनत पशु प्रजनन योजना'' में मुर्रा सांड, मध्यप्रदेश पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम के माध्यम से प्रदाय किये जाते हैं। ग्रामसभा में हितग्राही का नाम, अनुमोदित होने पर वह नजदीकी पशु चिकित्सा संस्था में आवेदन कर सकता है। आवेदक के पात्र होने पर प्रकरण स्वीकृत कर लाभ दिया जाता है।
श्री राजेन्द्र फूलचंद वर्मा - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न मेरी विधानसभा में चलने वाली गौशालाओं से संबंधित है. उसमें माननीय मंत्री जी ने उत्तर में कहा है कि ग्रामसभा से इसका अनुमोदन होना चाहिए. लेकिन मैं माननीय मंत्री जी को बताना चाहता हूँ कि अभी भी ग्रामसभाएं जागरूक नहीं हैं. हम कई बार जब दौरे करते हैं तो ग्रामसभाएं तो होती ही नहीं हैं, कई बार उनकी औपचारिकता हो जाती हैं. मेरा माननीय मंत्री जी से यह अनुरोध है कि यह जो प्रत्येक गौशाला के लिये 40,000 रुपये प्रतिवर्ष की राशि है. यह राशि 'ऊँट के मुँह में जीरा' के समान है तो क्या माननीय मंत्री जी इसमें बढ़ोत्तरी करेंगे. दूसरा, मण्डी बोर्ड से गौशाला के लिए 20 करोड़ रुपये पूरे प्रदेश में आता है और उसमें जिला गोपाल एवं पशु संवर्धन समिति में केवल कलेक्टर और डायरेक्टर, पशुपालन होते हैं तो मेरा माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि क्या निर्वाचित जन-प्रतिनिधियों को उसमें स्थान देंगे ? हम लोग बार-बार दौरे करते हैं और लोग हमसे कहते हैं कि गौशाला खोलना है तो क्या उसमें हम लोगों की भागीदारी होगी ?
श्री अंतर सिंह आर्य - माननीय अध्यक्ष जी, माननीय सदस्य जी ने जो गौशाला में सहायता राशि दी जाती है, उसको बढ़ाने की मांग की है और इस विषय में शासन भी विचार कर रहा है कि यह राशि कम होती है क्योंकि मण्डी बोर्ड के माध्यम से हमको पैसा मिलता है.15 से 20 करोड़ रुपए पूरे मध्यप्रदेश के लिए मिलते हैं. हम विचार करके इस प्रकार का प्रयास करेंगे कि कुछ मण्डी बोर्ड का पैसा और कुछ शासन का पैसा मिलाकर बढ़ोतरी हो. दूसरी बात जिले के अंदर जो समितियां हैं उसके जनप्रतिनिधि भी इसके विचार-विमर्श में शामिल होने चाहिए. यह अच्छा सुझाव है. इसके ऊपर शासन विचार करेगा.
श्री राजेन्द्र फूलचन्द वर्मा-- अध्यक्ष महोदय, आपका बहुत बहुत धन्यवाद.
बीना में अनुविभागीय कार्यालय/स्टॉफ की पदस्थापना
[राजस्व]
11. ( *क्र. 5264 ) श्री महेश राय : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या बीना को अनुविभागीय का दर्जा प्रदान कर दिया गया है? (ख) यदि हाँ, तो क्या अनुविभागीय कार्यालय एवं स्टॉफ की पदस्थापना कर दी गयी है? यदि हाँ, तो कार्यालयों में पदस्थ अधिकारियों के नाम सहित जानकारी उपलब्ध करावें? (ग) यदि नहीं, तो कब तक अनुविभागीय अधिकारियों की पदस्थापना कर दी जावेगी?
राजस्व मंत्री ( श्री उमाशंकर गुप्ता ) : (क) जी हाँ। (ख) जी हाँ। श्रीमती रजनी सिंह (आई.ए.एस.) अनुविभागीय अधिकारी बीना में पदस्थ हैं। तहसील कार्यालय बीना में पदस्थ स्टाफ से कार्य लिया जा रहा है। (ग) प्रश्नांश (ख) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री महेश राय-- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न बीना ब्लॉक में अनुविभागीय कार्यालय एवं स्टॉफ की पदस्थापना करने बावत् था. इसको लंबे समय से पूर्ण अनुविभाग का दर्जा प्राप्त है इसके बावजूद भी यहां पर कार्यालय और स्टॉफ की कमी बनी हुई है. मंत्री जी कृपया इस संबंध में जानकारी दें.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, निश्वित रूप से स्टॉफ की कमी है. भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ हो गई है. शीघ्र ही भर्ती करके उसकी कमी को दूर करेंगे.
श्री महेश राय-- अध्यक्ष महोदय, 20 साल पहले इसको अनुविभाग का दर्जा प्राप्त हुआ था. उसके बाद 8 साल पहले इसको पूर्ण दर्जा प्राप्त हुआ. इरीगेशन के एस.डी.ओ., पी.एच.ई. के एस.डी.ओ. और भी अन्य विभागों के एस.डी.ओ यहां पर नहीं बैठते हैं. यह बड़ा ब्लॉक है. रिफायनरी, जे.पी.पॉवर, पॉवर हब जैसे बड़े-बडे़ कारखाने यहां पर हैं. यहां के लोगों को दिक्कत का सामना करना पड़ता है. कृपया समय सीमा बता दें ताकि वहां कामकाज अच्छी तरह से चलने लगे?
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष महोदय, बाकी विभागों का प्रश्न तो इसमें उद्भूत नहीं हो रहा है. फिर भी बाकी के विभागों की उन विभागों से भी चर्चा करके जल्दी पदस्थापना करा देंगे.
श्री महेश राय-- धन्यवाद मंत्री जी.
प्रश्न संख्या 12- (अनुपस्थित)
प्रश्न संख्या 13- (अनुपस्थित)
विभाग द्वारा संचालित योजनाओं का क्रियान्वयन
[श्रम]
14. ( *क्र. 3562 ) डॉ. रामकिशोर दोगने : क्या खाद्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) हरदा जिला अन्तर्गत श्रम विभाग द्वारा कौन-कौन सी योजनाओं का संचालन किया जा रहा है? योजनावार पूर्ण विवरण देवें। (ख) हरदा जिले में विगत पाँच वर्षों में संचालित योजनाओं पर कितना व्यय हुआ व कितने हितग्राहियों को लाभान्वित किया गया? (ग) विगत पाँच वर्षों में श्रम विभाग के अधिकारियों द्वारा बाल श्रम व बाल शोषण रोकने हेतु क्या-क्या कार्यवाही की गई व कितनी व कौन-कौन सी जगहों पर जाँच व आकस्मिक निरीक्षण किस अधिकारी के द्वारा किया गया? (घ) प्रश्नांश (ग) अनुसार की गई कार्यवाही में कौन-कौन दोषी पाये गये व उन पर क्या कार्यवाही की गई?
खाद्य मंत्री ( श्री ओम प्रकाश धुर्वे ) : (क) म.प्र. भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मंडल के अंतर्गत हरदा जिले में वर्तमान में संचालित विभिन्न 22 योजनाओं का योजनावार पूर्ण विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) म.प्र. भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मंडल के अंतर्गत हरदा जिले में विगत पाँच वर्षों में योजनावार लाभान्वित हितग्राहियों एवं वितरित राशि की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (ग) बाल श्रम व बाल शोषण रोकने हेतु श्रम निरीक्षक एवं टास्क फोर्स समिति द्वारा अधिनियम 1986 के अंतर्गत निरीक्षण किये जाते हैं, गत पाँच वर्षों में बाल श्रम अधिनियम 1986 के अंतर्गत अनुभाग हरदा, टिमरनी एवं खिरकिया क्षेत्र में श्री जी.के. श्रीवास्तव व श्री एस.के. लोध तथा श्री आर.बी. पटेल श्रम निरीक्षकों द्वारा कुल 314 निरीक्षण किये गये हैं। (घ) निरीक्षण के दौरान किसी भी संस्थान में बाल श्रमिक नियोजित नहीं पाये गये हैं। अभिलेखों के संधारण में अनियमितता पाये जाने पर 86 दोषी संस्थानों/नियोजकों के विरूद्ध न्यायालय में अभियोजन दायर किये गये हैं। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''स'' अनुसार है, जिसमें न्यायालय द्वारा 52 प्रकरणों में 1,10,500/- रूपये का अर्थदण्ड अधिरोपित किया गया है।
डॉ. रामकिशोर दोगने-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न श्रम विभाग से संबंधित है और मेरे प्रश्न के जवाब में कुछ रिकार्ड दिया गया है, परंतु रिकार्ड की जो कॉपी उपलब्ध कराई गई है वह कॉपी अस्पष्ट है. कृपया दूसरी कॉपी उपलब्ध करा दी जाए तो ज्यादा अच्छा रहेगा. इसके साथ ही मैंने पूछा था कि श्रम विभाग में बाल श्रमिक और बाल शोषण के संबंध में हरदा जिले में कितने प्रकरण पंजीबद्ध हुए हैं. मंत्री जी द्वारा बताया गया है कि कोई प्रकरण पंजीबद्ध नहीं हुए हैं. यह बड़ी ही गम्भीर बात है इससे ऐसा प्रतीत होता है कि हरदा में बाल श्रमिक हैं ही नहीं या फिर पूरे मध्यप्रदेश में नहीं हैं जबकि बाल श्रमिक हर दुकान पर मिल जाएंगे. हर कल- कारखाने में मिल जाएंगे, हर जगह काम करते हुए मिल जाएंगे, परंतु उस पर कोई कार्यवाही नहीं की गई है. मुझे लगता है कि यह गलत जानकारी दी गई है. इसके साथ ही निरीक्षण की बात की गई है. निरीक्षण में 314 संस्थानों के निरीक्षण किए हैं. उसमें 86 दोषी पाए गए हैं. यह भी बड़ी विडंबना की बात है. मैं मंत्री महोदय से जानना चाहता हूं कि बाल श्रमिक पूरे मध्यप्रदेश में नहीं हैं या सिर्फ हरदा जिले में नहीं हैं.
श्री ओम प्रकाश धुर्वे -- अध्यक्ष महोदय, यह कहना गलत है कि निरीक्षण नहीं किया गया है. 314 निरीक्षण किए गए हैं. उनमें से 86 प्रकरण न्यायालय में दायर भी किए गए हैं और 52 प्रकरणों का न्यायालय द्वारा निराकरण भी किया गया है.
डॉ. रामकिशोर दोगने-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से बाल श्रमिक संबंधी प्रश्न पूछ रहा हूं आपने उसमें अभिलेखों संबंधी जानकारी दी है. बाल श्रमिक के संबंध में आपने बताया है कि कोई प्रकरण पंजीबद्ध नहीं हुआ है. अभी तक कोई बाल श्रमिक नहीं पकड़े गए हैं. क्या यह संभव है आप भी विधायक हैं आप भी क्षेत्र में घूमते हैं. आपको कहीं बाल श्रमिक नहीं दिखते हैं. जैसे हरदा भी होगा क्या.
अध्यक्ष महोदय-- यह काल्पनिक प्रश्न है.
डॉ. रामकिशोर दोगने-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बता रहे हैं कि बाल श्रमिक हैं ही नहीं, पाए ही नहीं गए हैं. कोई केस ही नहीं बना. क्या यह संभव हो सकता है?
अध्यक्ष महोदय-- यह काल्पनिक प्रश्न है आप कुछ सीधा प्रश्न करना हो तो करें.
श्री ओम प्रकाश धुर्वे-- अध्यक्ष महोदय, कोई शिकायत करे कोई संज्ञान में हो हमारे पास कोई उपलब्ध हो तो बताइए कार्यवाही करेंगे.
डॉ. रामकिशोर दोगने-- माननीय मंत्री महोदय, आपके अधिकारी गलत जानकारी दे रहे हैं. मेरे यहां अभी केस बना है. 7 बच्चे बोरिंग मशीन पर काम करते हुए पकड़े गए और पुलिस में भी केस बना है. आपके अधिकारियों ने बाल श्रमिक संबंधी कोई कार्यवाही नहीं की है. न गए हैं, न जांच की है. इसी तरह के बहुत सारे केस हैं. हर होटलों पर आपको बाल श्रमिक मिल जाएंगे.
अध्यक्ष महोदय--आपका प्रश्न क्या है.
डॉ. रामकिशोर दोगने--मैंने प्रश्न के भाग (ग) में पूछा है कि विभाग के अधिकारियों द्वारा बाल श्रम व बाल शोषण रोकने हेतु क्या कार्यवाही की गई है. मेरा यह कहना है कि विभाग द्वारा गलत जानकारी दी गई है. क्या मंत्री जी फिर से जाँच कराएंगे और जिन अधिकारियों ने गलत जानकारी दी है क्या उन पर कार्यवाही करेंगे.
श्री ओम प्रकाश धुर्वे--अध्यक्ष महोदय, निश्चित रुप से करेंगे. सदस्य द्वारा संज्ञान में लाया गया है कि पुलिस द्वारा उनको पकड़ा गया है या जिस संस्था या जिन लोगों द्वारा संज्ञान में लाया गया है और कार्यवाही नहीं हुई है तो हम भी कार्यवाही करेंगे.
डॉ. रामकिशोर दोगने--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं संज्ञान की बात नहीं कर रहा हूं, मैं सबूत सहित बता रहा हूँ कि पुलिस में अपराध पंजीबद्ध है. क्या आप अपने अधिकारियों पर कार्यवाही करेंगे.
अध्यक्ष महोदय--बोल दिया है मंत्री जी ने पहले उन्हें जांच तो कर लेने दें.
मछुआ समितियों को मुआवजा वितरण
[मछुआ कल्याण तथा मत्स्य विकास]
15. ( *क्र. 1742 ) श्रीमती चन्दा सुरेन्द्र सिंह गौर : क्या पशुपालन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या टीकमगढ़ जिले सहित खरगापुर विधानसभा क्षेत्र में विगत वर्षों में भारी सूखा पड़ने के कारण तालाबों में पानी सूख गया था और मछली पालन करने वाली मछुआ समितियों द्वारा लागत लगाकर कई तालाबों में मछली का बीज (यानि बच्चा) डाला गया था, जिसके कारण उन समितियों की पूंजी नष्ट हो गई? (ख) क्या उन समितियों पर कर्ज भी है और तालाबों की लीज़ चुकाने में वे असमर्थ हैं? क्या मछुआ समितियों को शासन स्तर पर सूखा राहत राशि दिये जाने की ऐसी कोई योजना थी या है? यदि हाँ, तो उक्त समितियों को कब तक सूखा राहत राशि प्रदाय कर दी जावेगी? यदि नहीं, तो क्यों? कारण स्पष्ट करें। (ग) क्या खरगापुर विधानसभा सहित टीकमगढ़ जिले के अलावा प्रदेश में किसी भी मछुआ समिति को सूखा राहत राशि नहीं दी गई?
पशुपालन मंत्री ( श्री अंतर सिंह आर्य ) : (क) जी हाँ। समितियों की पूंजी नष्ट होने की जानकारी नहीं है। (ख) समितियों पर कर्ज की स्थिति नहीं है। प्राकृतिक आपदा से जिस वर्ष तालाब/जलाशय में मत्स्य बीज संचयन न होने एवं मत्स्य बीज तथा संबंधित मत्स्य की क्षति होती है, तो उस वर्ष की पट्टा राशि हितग्राही को देय नहीं होगी तथा राजस्व पुस्तक परिपत्र की धारा 6 (4) के प्रावधान अनुसार नैसर्गिक आपदा से मछली फार्म क्षतिग्रस्त होने पर मरम्मत के लिये रूपये 6000/- प्रति हेक्टेयर एव मछली पालने वालों को मछली बीज नष्ट होने पर रूपये 4000/- प्रति हेक्टेयर सहायता अनुदान दिये जाने का प्रावधान है। प्राप्त आवेदनों पर पात्र पायी गयी समितियों/समूहों को राहत सहायता प्रदाय कर दी गई है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) जी हाँ।
श्रीमती चन्दा सुरेन्द्र सिंह गौर--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न इस प्रकार है कि दो वर्ष पहले टीकमगढ़ जिले के खरगापुर विधान सभा क्षेत्र में मछली पालन करने वाली सोसायटियों, मछुआ समितियों द्वारा लागत लगाकर मछली का बीज (बच्चा) डाला गया था. सूखा पड़ जाने के कारण वहां के तालाब सूख जाने पर मछुआ समितियों को शासन स्तर पर सूखा राहत राशि नहीं दी गई है. क्या उनको मुआवजा राशि दिए जाने का कोई प्रावधान है.
श्री अंतर सिंह आर्य--माननीय अध्यक्ष महोदय, नैसर्गिक आपदा, अतिवृष्टि, बाढ़, भूस्खलन, भूकंप आदि से मछली फार्म क्षतिग्रस्त होने पर मरम्मत के लिए प्रभावित को रुपए 6000 प्रति हेक्टेयर के मान से सहायता अनुदान दिया जाता है. दूसरा नैसर्गिक आपदा, सूखा, अतिवृष्टि, बाढ़, भूस्खलन आदि से मछली पालने वाले को मछली का बीज नष्ट हो जाने पर 4000 रुपए प्रति हेक्टेयर के मान से आरबीसी 6 (4) के अन्तर्गत राहत राशि दी जाती है.
श्रीमती चन्दा सुरेन्द्र सिंह गौर--माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी तक खरगापुर विधान सभा क्षेत्र में यह राहत राशि नहीं पहुंची है. माननीय मंत्री जी से पूछना चाहती हूँ कि राहत राशि नहीं पहुंची है तो क्या आप सूखा राहत राशि वहां भेजेंगे.
श्री अंतर सिंह आर्य--माननीय अध्यक्ष महोदय, जिले में 113 समितियां पंजीकृत हैं 34 समितियों को राहत राशि दी गई है. खरगापुर विधान सत्रा क्षेत्र में 6 समितियों को 1,82,400 रुपए दिए गए हैं. माननीय सदस्या की चिंता है कि कुछ सोसायटियां छूट गईं हैं वे किस कारण छूट गई हैं इसका परीक्षण कराकर हम इस पर कार्यवाही करेंगे.
श्रीमती चन्दा सुरेन्द्र सिंह गौर--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी को धन्यवाद.
दतिया जिले में शस्त्र लायसेंस के लंबित प्रकरण
[गृह]
16. ( *क्र. 5016 ) श्री घनश्याम पिरोनियाँ : क्या गृह मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) दतिया जिले में दिनांक 01-01-2013 से प्रश्न दिनांक तक कितने शस्त्र लायसेंस वर्षवार बनाये गये हैं? (ख) दतिया जिले हेतु कितने शस्त्र लायसेंस का वार्षिक कोटा नियत है और उसमें किस-किस वर्ग के लिए आरक्षण है या नहीं। (ग) दतिया जिले में वर्तमान में कितने शस्त्र लायसेंस आवेदन किन कारणों से लंबित हैं। (घ) दतिया जिले में वर्तमान में कितने फौती लायसेंस एवं कितने वृद्धों के वारिसान के लायसेंस किस कारण लंबित हैं एवं कितने निलंबित लायसेंस हैं और कितने बहाल किये गये हैं।
गृह मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ठाकुर ) : (क) दतिया जिले में दिनांक 01.01.2013 से प्रश्न दिनांक तक वर्षवार निम्नानुसार शस्त्र लायसेंस स्वीकृत किये गये - वर्ष 2013 में 106, वर्ष 2014 में 18, वर्ष 2015 में 63, वर्ष 2016 में 26, वर्ष 2017 में 05, इस प्रकार प्रश्न दिनांक तक कुल 218 लायसेंस जारी किये गये। (ख) जी नहीं शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) 795 आवेदन पत्र थाना/अनुभाग स्तर पर जाँच में होने के कारण लंबित हैं। (घ) फौती के 89 प्रकरण एवं वृद्धावस्था के 63 प्रकरण लायसेंस विधिवत जाँच हेतु विचाराधीन हैं। 2- लायसेंसधारियों पर विभिन्न धाराओं में प्रकरण पंजीबद्ध होने से प्राप्त प्रतिवेदन के अनुसार 88 लायसेंसधारियों के लायसेंस निलंबित किये गये तथा निलंबित लायसेंसों में से 34 लायसेंसियों के लायसेंस बहाल किये गये।
श्री घनश्याम पिरोनियाँ--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय गृह मंत्री जी का आभार व्यक्त करता हूँ कि उन्होंने मुझे संतुष्ट किया है. मैं इतना ही निवेदन करना चाहता हूँ कि प्रश्न के (ग) भाग के उत्तर में उन्होंने जो उत्तर दिया है कि 795 आवेदन पत्र थाना/अनुभाग स्तर पर जाँच में होने के कारण लंबित हैं. प्रश्न के(घ) भाग में मैंने पूछा था कि दतिया जिले में वर्तमान में कितने फौती लायसेंस एवं कितने वृद्धों के वारिसान के लायसेंस किस कारण लंबित हैं. मैं यह चाहता हूँ कि इन लोगों का काम शीघ्र हो जाए ऐसा आदेश माननीय मंत्री जी कर दें.
श्री भूपेन्द्र सिंह ठाकुर--माननीय अध्यक्ष महोदय, आर्म्स लायसेंस में मुख्य रुप से पुलिस वेरीफिकेशन ही महत्वपूर्ण होता है इसके आधार पर आर्म्स लायसेंस जारी किए जाते हैं. माननीय विधायक जी ने कुछ लायसेंसों के बारे में ध्यान आकर्षित किया है. मैं वहाँ के पुलिस अधीक्षक को कह दूंगा कि वे माननीय विधायक जी से चर्चा कर लें और जो ऐसे लायसेंस हैं जो पुलिस वेरीफिकेशन के अनुसार हो सकते हैं उनको प्राथमिकता के आधार पर करेंगे.
श्री घनश्याम पिरोनियॉ- मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि सभी कार्य नियम-कायदों के अनुसार होने ही चाहिए. लेकिन कभी-कभी स्थिति बड़ी विचित्र हो जाती है. मेरे पास एक व्यक्ति का फोन आया कि मैं समाजवादी पार्टी का सदस्य बोल रहा हूं. SDO(P) साहब ने कहा है कि यदि विधायक जी फोन करेंगे तो वे लायसेंस का काम कर देंगे. मैंने उस व्यक्ति से कहा कि पहले के जो आवेदन हमने भेजे हैं, उनका निराकरण आज तक SDO(P) द्वारा नहीं किया गया है. इस प्रकार से जो लोग गड़बड़ी करते हैं, उन पर हमें सख्ती करनी चाहिए.
श्री गोपाल भार्गव- दतिया में नरोत्तम मिश्र जी हैं. जब वहां इतनी बड़ी तोप रखी है तो फिर अन्य शस्त्रों की क्या जरूरत है ?
श्री घनश्याम पिरोनियॉ- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा मंत्री जी से आग्रह है कि वहां के अधिकारियों-कर्मचारियों पर थोड़ी सख्ती की जाए और दूसरी बात मैं यह कहना चाहता हूं कि अतारांकित प्रश्नों में भी मेरा एक प्रश्न है कि मेरे बंशकार समाज के एक बच्चे की हत्या बडौनी में हुई है और इसके अतिरिक्त एक और हत्या भी वहां हुई है. एक समुदाय विशेष के लोग उन्हें अभी भी धमका रहे हैं. मैं मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि वहां थोड़ी और सख्ती की आवश्यकता है. मंत्री जी का आर्शीवाद रहेगा तो वहां कानून-व्यवस्था की स्थिति और भी बेहतर हो जाएगी. इस संबंध में मैं मंत्री जी से आश्वासन चाहता हूं.
श्री भूपेन्द्र सिंह ठाकुर- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह प्रश्न यहां उद्भूत नहीं होता है फिर भी मैं विधायक जी से चर्चा कर लूंगा और जहां कार्यवाही आवश्यक होगी, वहां हम कार्यवाही करेंगे.
श्री घनश्याम पिरोनियॉ- धन्यवाद, मंत्री जी.
डॉ.गोविन्द सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं कहना चाहता हूं कि जब माननीय बाबूलाल गौर जी प्रदेश के गृह मंत्री थे तो आपने पूरे प्रदेश के लिए एक आदेश जारी किया था. जिसमें वृद्धावस्था के कारण जो लोग बच्चों के लिए लाइसेंस बदलवाना चाहते हैं और जो फौती लायसेंस हैं, उनके लिए यदि कुछ विचाराधीन न हो तो कोई समय-सीमा यहां से निर्धारित कर दी जाए क्योंकि नियमों का कहीं अनुपालन नहीं हो पा रहा है. पुलिस के वेरीफिकेशन के बाद, वह थाने जाता है. सबसे पहले तो कलेक्टर के पास आवेदन दो, फिर एस.पी. के यहां आवेदन जाता है वहां से थाने और फिर SDO(P) के पास जाकर फिर एस.पी. और फिर कलेक्टर के पास जाता है. 7-8 प्रक्रियाओं के बाद आवेदन पहुंचता है. उसके बाद भी आवेदन साल-साल भर पड़े रहते हैं.
मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि पहले जो प्रक्रिया जारी की गई थी, उसका पालन किया जाए. जिनके पुलिस वेरीफिकेशन आ चुके है, उन्हें कम से कम 15 दिनों या महीने भर की समय-सीमा के भीतर लायसेंस जारी कर दिया जाना चाहिए.
श्री भूपेन्द्र सिंह ठाकुर- माननीय अध्यक्ष महोदय, हम इसका परीक्षण करवा लेंगे.
डॉ.गोविन्द सिंह- माननीय मंत्री जी, इसमें परीक्षण करवाने के लिए क्या रखा है. जिनका पुलिस वेरीफिकेशन पहुंच चुका है, उन्हें लायसेंस जारी करने हेतु एक-दो महीने की कोई समय-सीमा तो निर्धारित करनी ही चाहिए.
अध्यक्ष महोदय- लायसेंस जारी करने हेतु कोई समय-सीमा तो अवश्य ही निर्धारित होनी चाहिए. वृद्धजनों के भी लायसेंस रहते हैं. प्रक्रिया पूर्ण होने तक कई बार वे दुनिया में ही नहीं रहते हैं और फिर मामला फौती हो जाता है.
श्री भूपेन्द्र सिंह ठाकुर- अध्यक्ष जी, मैं यही निवेदन कर रहा हूं कि मेरी जानकारी में इस प्रकार का कोई नियम नहीं है. मैं इसका परीक्षण करवा लूंगा यदि ऐसे कोई निर्देश होंगे तो उनका हम पालन करेंगे.
श्री घनश्याम पिरोनियॉ- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं कहना चाहता हूं कि यह मुख्यत: मेरा प्रश्न था और मंत्री जी मुझे आश्वासन दे चुके हैं.
अध्यक्ष महोदय- आपका प्रश्न आ गया है और आपके प्रश्न का समाधान भी हो चुका है.
सिवनी जिलान्तर्गत खाद्यान्न से वंचित हितग्राही
[खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण]
17. ( *क्र. 6111 ) श्री दिनेश राय (मुनमुन) : क्या खाद्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सिवनी जिलान्तर्गत खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत कितने प्रकार के कूपन की पात्रता है और कितनों को मिल रही है? (ख) सिवनी जिले में कितने अनुसूचित जाति/जनजाति हितग्राही कूपन प्राप्त कर रहे हैं और कितनों की मेपिंग शेष है और कितनों को खाद्यान्न नहीं मिल रहा है? (ग) पात्र हितग्राही जो खाद्यान्न से वंचित हैं, उन्हें कब तक लाभान्वित किया जावेगा? (घ) क्या विभाग द्वारा सिवनी जिले में विगत सितम्बर-अक्टूबर 2016 माह से मेपिंग का कार्य न किये जाने के कारण हजारों की संख्या में पात्र हितग्राहियों को खाद्यान्न पर्ची अप्राप्त होने के कारण खाद्यान्न नहीं मिल पा रहा है? यदि हाँ, तो ऐसे दोषी अधिकारी-कर्मचारी के विरूद्ध शासन कोई कार्यवाही करेगा? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो कारण स्पष्ट करें?
खाद्य मंत्री ( श्री ओम प्रकाश धुर्वे ) : (क) राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के अंतर्गत सम्मिलित 25 पात्र परिवार श्रेणियों के परिवारों को सत्यापन उपरांत पात्रता पर्ची प्राप्त करने की पात्रता है। सिवनी जिले में पात्रता पर्चीधारी परिवारों श्रेणी एवं संख्या की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) सिवनी जिले में अनुसूचित जाति/जनजाति की श्रेणी अंतर्गत 54,266 परिवारों को सत्यापन उपरांत पात्रता पर्ची जारी की गई है। इन परिवारों में अनुसूचित जाति/जनजाति के वह परिवार सम्मिलित नहीं हैं, जिनको अन्य पात्र परिवार श्रेणी के अंतर्गत सत्यापित किया जाकर पात्रता पर्ची जारी की गई है। जिले में अनुसूचित जाति/जनजाति के परिवारों की मेपिंग की जाना शेष नहीं है। अनुसूचित जाति/जनजाति के पात्रता पर्चीधारी समस्त 54,266 परिवारों को खाद्यान्न का वितरण किया जा रहा है। (ग) सिवनी जिले में अनुसूचित जाति/जनजाति श्रेणी के समस्त सत्यापित पात्र परिवारों को पात्रता पर्ची जारी कर खाद्यान्न का लाभ दिया जा रहा है। पात्र परिवारों का सत्यापन एक सतत् प्रक्रिया है। (घ) प्रदेश को भारत सरकार द्वारा निर्धारित खाद्यान्न आवंटन की सीमा से अधिक खाद्यान्न की आवश्यकता होने के कारण माह अगस्त, 2016 के पश्चात् सत्यापित नवीन परिवारों को पात्रता पर्ची जारी नहीं की गई है। पात्र परिवार के रूप में सम्मिलित परिवारों के डी-डुप्लीकेशन की कार्यवाही प्रचलित है, उसके उपरांत अपात्र परिवारों को हटाने पर निर्धारित खाद्यान्न आवंटन की सीमा के अंतर्गत ही नवीन सत्यापित परिवारों को सम्मिलित कर पात्रता पर्ची जारी की जा सकेगी। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री दिनेश राय (मुनमुन)- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मंत्री जी से आग्रह है कि आपके विभाग से मेरे प्रश्न का जो उत्तर मिला है, इसमें मेरे प्रश्न के बिंदु (ग) और (घ) के उत्तरों को घूमा दिया गया है. दोनों बिंदुओं पर असत्य जानकारी विभाग द्वारा दी गई है. सर्वप्रथम मैं बताना चाहता हूं कि मेरे यहां के सैकड़ों-हजारों लोगों को पर्चियां नहीं मिल रही हैं. 6-6 महीनों से ज्यादा समय हो गया है और पात्र व्यक्तियों को पर्चियां नहीं दी गई हैं. सोसायटियों का अवैध माल हमारे यहां बड़े-बड़े कार्यालयों में पकड़ा जा रहा है. मेरा आग्रह है कि मेरे प्रश्न के बिंदु (ग) के उत्तर में आपने बताया है कि सभी को खाद्यान्न मिल रहा है और प्रचलित है. इसी बात को जब मैंने प्रश्न के बिंदु (घ) में पूछा कि जिन्हें खाद्यान्न पर्ची नहीं मिल रही है, तो इस हेतु दोषी अधिकारियों-कर्मचारियों पर आप क्या कार्यवाही करेंगे तो आपने उत्तर में बता दिया कि केंद्र शासन से हमें इतना ही बजट-फण्ड मिल रहा है. इतने ही हितग्राहियों को हमें देना है. इसका मतलब हमारे यहां के जो सैकड़ों लोग गरीबी रेखा में हैं और पात्र हैं, अगर केंद्र शासन मध्यप्रदेश सरकार को खाद्यान्न नहीं देगा तो क्या पात्र व्यक्ति भूखे रहेंगे ? उन्हें आप खाद्यान्न कैसे उपलब्ध करायेंगे. क्या आप पात्र व्यक्ति को काटकर ही उन्हें खाद्यान्न उपलब्ध करायेंगे. विभाग के जिन दोषी अधिकारियों-कर्मचारियों द्वारा असत्य जानकारी दी गई है क्या आप उनकी जांच करवायेंगे और क्या आप उन पर कार्यवाही करेंगे ?
श्री ओम प्रकाश धुर्वे- माननीय अध्यक्ष महोदय, सदस्य जी द्वारा किए गए एक-एक प्रश्न का बिल्कुल सटीक एवं सत्यता से परिपूर्ण जवाब दिया गया है. हमारी एक सिलिंग है. हम अधिनियम के अंतर्गत जनसंख्या के 75 प्रतिशत को इसका लाभ दे सकते हैं. लगभग 5 करोड़ 44 लाख लोगों को हम लोग दे रहे हैं. हमारा जो आवंटन है 5 करोड़ 30 लाख मिलता है. लेकिन इसके बाद भी 64 लाख से ज्यादा लोगों को हम इसका राशन दे रहे हैं. निश्चित रूप से मध्यप्रदेश के हमारे यशस्वी माननीय मुख्यमंत्री जी का कहना है कि जो भी गरीब लोग हैं, जो पात्रता रखते हैं, उसके साथ कोई भूखा न रहे इसलिए ही हम लोग, जो हमारी सीलिंग है, उससे ज्यादा पात्र व्यक्तियों को हम इसका लाभ दे रहे हैं.
श्री दिनेश राय-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे यहाँ जो पात्र व्यक्ति हैं उनको जब आपने पर्ची ही नहीं दी है तो खाद्यान्न कैसे देंगे? आप से आग्रह है कि पर्ची तो उपलब्ध करा दें और सीलिंग हटा दें और ज्यादा फिर आप कहाँ से दे रहे हैं, आप उत्तर में ही दे रहे हैं कि केन्द्र से प्राप्त होने पर ही दिया जाएगा. ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- वैसे उसका साफ उत्तर आ गया है.
श्री दिनेश राय-- आप 64 लाख को कहाँ से दे रहे हैं? ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- इसमें आपका प्रश्न क्या है? आप सब बैठ तो जाएँ, उनको प्रश्न पूछने दीजिए. ..(व्यवधान)..
श्री दिनेश राय-- अध्यक्ष महोदय, आप पात्र व्यक्तियों को पर्ची उपलब्ध करा दें. आप उत्तर में ही खुद बोल रहे हैं कि 6 माह से पर्ची नहीं दी गई है. माननीय मंत्री जी, आप उत्तर में ही दे रहे हैं सम्मिलित परिवारों के लिए डी-डुप्लीकेशन की कार्यवाही प्रचलित है. माननीय मंत्री जी, आप डी-डुप्लीकेशन टेक्निकल वर्ड डाल कर इसमें क्यों गुमराह रहे हैं? आप बता दें डी-डुप्लीकेशन क्या है?
अध्यक्ष महोदय-- आप प्वाईंटेड प्रश्न पूछिए इसमें सब उत्तर है.
श्री दिनेश राय-- अध्यक्ष महोदय, पात्र व्यक्तियों को पर्चियाँ देंगे और डी-डुप्लीकेशन क्या है, यह बता दें.
श्री ओम प्रकाश धुर्वे-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बात भी सही है कि माह सितंबर से, चूँकि हमारी जो सीलिंग है 75 प्रतिशत से ज्यादा होने के कारण से वह हम जारी नहीं कर पा रहे हैं.
श्री दिनेश राय-- अध्यक्ष महोदय, वही तो पूछ रहे हैं. वही तो जारी नहीं हो रही हैं. समय पर जारी कर दें. दे दें, वे 6-6 माह से घूम रहे हैं. आप उनको दिलवा दें. अध्यक्ष महोदय, आप समय सीमा बता दें, समय सीमा में जारी करा दें. गरीबों का एक रुपये का दाना है. ..(व्यवधान)..मैं पूछ लेता हूँ मेरा भी यही है.. ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न क्रमांक 18 श्री लखन पटेल अपना प्रश्न पूछें.
श्री दिनेश राय-- अध्यक्ष महोदय, मेरा समय सीमा का जवाब दिलवा दें.
अध्यक्ष महोदय-- आपका जवाब आ गया. मंत्री जी उत्तर दे रहे हैं, उत्तर ले लें.
श्री ओम प्रकाश धुर्वे-- अध्यक्ष महोदय, सत्यापन की सतत् प्रक्रिया है. ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- उनका तो प्रश्न आ ही नहीं रहा है. ..(व्यवधान)..
श्री ओम प्रकाश धुर्वे-- सीलिंग से अधिक होने के कारण से पोर्टल बंद है.
श्री मुकेश नायक-- अध्यक्ष महोदय, 8-8 महीने से पोर्टल बंद है. ..(व्यवधान)..
श्री दिनेश राय-- 6 माह से पर्ची नहीं मिल रही. ..(व्यवधान)..एक एक सोसायटी वाले के पास अनाज है. ..(व्यवधान)..
श्री ओम प्रकाश धुर्वे-- पोर्टल खोल दिया जाएगा और पुनः नाम जोड़े जाएँगे. ..(व्यवधान)..
श्री दिनेश राय-- उनको पर्ची मिले. उनको 6 माह का अनाज तत्काल दिलाएँ. ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- कृपया बैठ जाएँ, आपका स्पष्ट उत्तर आ गया है. अब इसके बाद में कोई पूरक की गुंजाईश नहीं है.
श्री मुकेश नायक-- अध्यक्ष महोदय, मेरे पवई तहसील मुख्यालय पर 6 महीने से गरीबों को अनाज नहीं बँटा है. ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- इससे ज्यादा स्पष्ट क्या है?
श्री दिनेश राय-- 6 माह से अनाज नहीं मिला, आप 15 दिन या 1 माह के अन्दर वितरित करा दें. ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न क्रमांक 18 श्री लखन पटेल अपना प्रश्न पूछें. कुछ नहीं लिखा जाएगा सिर्फ लखन पटेल जी का लिखा जाएगा. आप अपना प्रश्न पूछिए, उसका उत्तर आएगा. ..(व्यवधान)..
श्री मुकेश नायक-- (xxx) ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- सब बात आ गई, आप बैठ जाइये.
श्री मुकेश नायक-- (xxx) ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- आप प्रश्न का उत्तर पढ़िए और उनका उत्तर सुनिए. बिल्कुल स्पष्ट कहा है.
श्री दिनेश राय-- (xxx)
श्री मुकेश नायक-- (xxx) ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- कृपया सब बैठ जाएँ. लखन पटेल जी, आप अपना प्रश्न करें.
श्री दिनेश राय-- (xxx) ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- आपका जवाब आ गया. ..(व्यवधान)..
श्री दिनेश राय -- (XXX)....
श्री मुकेश नायक -- (XXX)....
खाद्य सुरक्षा अधिनियम अंतर्गत राशन वितरण
[खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण]
18. ( *क्र. 144 ) श्री लखन पटेल : क्या खाद्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) पथरिया विधानसभा क्षेत्र की किस ग्राम पंचायत के कितने परिवारों को राशन दुकान से खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत लाभ प्राप्त हो रहा है? प्रश्न दिनांक तक की स्थिति से अवगत करावें। (ख) उक्त क्षेत्रान्तर्गत कितने परिवारों को खाद्य सुरक्षा पर्चियों का वितरण किया गया? कितने परिवारों को राशन कार्ड, प्राधिकृत अधिकारियों द्वारा जारी किए गये हैं एवं कितने शेष हैं? (ग) पथरिया विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत कितने परिवारों को समग्र सामाजिक सुरक्षा मिशन के तहत सर्वेक्षित किया गया है? वर्तमान में कितने हितग्राही कार्ड/कूपन से वंचित हैं और इनके कूपन कब तक बनेंगे? (घ) उक्त क्षेत्र में खाद्यान्न सुरक्षा मिशन अ.जा./अ.ज.जा. वर्ग में कितने परिवारों को लाभ दिया जा चुका है व कितने शेष हैं? शेष को कब तक लाभान्वित किया जावेगा?
खाद्य मंत्री ( श्री ओम प्रकाश धुर्वे ) : (क) राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के अंतर्गत पथरिया विधानसभा क्षेत्र में ग्रामवार लाभ प्राप्त करने वाले पात्र परिवारों की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) पथरिया विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत वर्तमान में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 में 73,023 पात्र परिवारों को प्राधिकृत अधिकारियों द्वारा पात्रता पर्ची जारी की गई है। माह अगस्त, 2016 के पश्चात् सत्यापित 619 नवीन परिवारों को पात्रता पर्ची जारी नहीं की जा सकी है। (ग) समग्र सामाजिक सुरक्षा मिशन के पोर्टल पर प्रदेश के सभी निवासियों का सर्वेक्षण उपरांत डाटाबेस तैयार किया गया है, जिसमें पथरिया विधानसभा क्षेत्र के 93,901 परिवारों का डाटाबेस उपलब्ध है, इनमें से 619 परिवारों को पात्रता पर्ची जारी की जाना शेष है एवं 20,259 परिवार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के अंतर्गत सम्मिलित पात्रता श्रेणी के अंतर्गत न आने के कारण पात्रता पर्ची हेतु पात्र नहीं है। प्रदेश को भारत सरकार द्वारा निर्धारित खाद्यान्न आवंटन की सीमा से अधिक खाद्यान्न की आवश्यकता होने के कारण दमोह जिले में माह अगस्त, 2016 के पश्चात् सत्यापित नवीन 619 परिवारों को वर्तमान में सम्मिलित परिवारों के डी-डुप्लीकेशन की कार्यवाही पूर्ण होने एवं अपात्र परिवारों को हटाए जाने पर निर्धारित खाद्यान्न आवंटन की सीमा के अंतर्गत ही सम्मिलित कर पात्रता पर्ची जारी की जा सकेगी। (घ) पथरिया विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति श्रेणी (आयकर दाता एवं प्रथम, द्वितीय व तृतीय श्रेणी के अधिकारी/कर्मचारियों के परिवार छोड़कर) अंतर्गत 26,351 परिवारों को पात्रता पर्ची जारी कर लाभान्वित किया जा रहा है, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति श्रेणी के 83 परिवारों को पात्रता पर्ची जारी किया जाना शेष है। शेष प्रश्न का उत्तर प्रश्नांश (ग) के उत्तर अनुसार है।
श्री लखन पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी विधानसभा पथरिया में कितने पात्र परिवार रह गए हैं जिनकी पर्चियां अभी तक नहीं दी गई हैं ? इनकी पर्चियां कब तक दी जाएंगी ? ....... (व्यवधान)......
अध्यक्ष महोदय -- आप लोग बैठ तो जाएं.
श्री ओमप्रकाश धुर्वे -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जवाब देने के लिए मैं स्वयं सक्षम हॅूं. ...(व्यवधान)......
अध्यक्ष महोदय -- कृपया आप लोग बैठ तो जाएं. दूसरे वक्ताओं के प्रश्न ही नहीं आए, यह कोई तरीका है ? ....(व्यवधान)......
श्री ओमप्रकाश धुर्वे -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं तो माननीय सदस्य का जवाब दे रहा हॅूं कि आप जवाब ले लें. क्या मैं सक्षम नहीं हॅूं ? मैं आपसे भी ज्यादा सक्षम हॅूं. इसलिए इधर बैठा हॅूं.
श्री मुकेश नायक -- कम से कम इतना बता दें.....(व्यवधान)......
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ.नरोत्तम मिश्र) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सम्मानित हमारे मंत्री जी ने स्पष्ट कर दिया है मैं उसी बात को कह देता हॅूं जिससे सारा समाधान हो जाएगा. उन्होंने कहा है कि जो पात्र हितग्राही हैं उनको अनाज बंट रहा है....(व्यवधान).....पूरी बात तो सुन लें. उन्होंने कहा कि जो पात्र हितग्राही हैं जिनकी पर्ची है उन सबको अनाज मिल रहा है जिनको नहीं मिल रहा है ऐसे छ: लाख लोग हैं चूंकि आवंटन उसका नहीं आया है. जहां तक सम्मानित नायक जी ने कहा है उसकी समय-सीमा बता दें. एक महीने में वह कम्प्लीट हो जाएगी. माननीय मंत्री जी ने कहा है कि उन सबको सम्मिलित कर दिया जाएगा.
श्री दिनेश राय -- समय-सीमा ही तो मांग रहा हॅूं. एक माह में छ: माह का बचा हुआ बांट देंगे ?
अध्यक्ष महोदय -- कृपया आप लोग बैठ जाएं.
श्री लखन पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न भी पर्ची से संबंधित है.....(व्यवधान).....
अध्यक्ष महोदय -- श्री लखन पटेल जी आप तो पूछिए. कार्यवाही में अब किसी का नहीं लिखा जाएगा. केवल पटेल जी का ही लिखा जाएगा.
11.58 बजे गर्भगृह में प्रवेश एवं वापसी
श्री दिनेश राय, सदस्य द्वारा गर्भगृह में प्रवेश एवं वापसी
( श्री दिनेश राय, सदस्य अपनी बात कहते हुए गर्भगृह में आए एवं अध्यक्ष महोदय की समझाइश पर वापस अपने आसन पर गए)
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर (क्रमश:)
श्री लखन पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न भी खाद्यान्न पर्ची ये संबंधित है. मेरी विधानसभा क्षेत्र में माननीय मंत्री जी ने उत्तर में कहा है कि 619 परिवार एक में और अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के 83 परिवारों की पर्ची नहीं दी गई है तो मैं यह जानना चाहता हॅूं कि ये पर्चियां कब तक दे दी जाएंगी और मेरी जानकारी के हिसाब से तो जो पात्र परिवार हैं जो उत्तर में आया है यह ये पर्चियां कम हैं. इससे ज्यादा पात्र परिवार हैं जिनके पास पर्चियां नहीं हैं तो उनकी जाँच कराकर उनको पर्चियां कब तक देंगे?
अध्यक्ष महोदय -- आप फिर से प्रश्न बोल दीजिए.
श्री लखन पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न खाद्यान्न पर्ची से संबंधित है. माननीय मंत्री जी ने उत्तर में दिया है कि 619 परिवार हैं जो पात्र हैं और उनकी पर्चियां नहीं दी गईं. ऐसे ही एसटी/एसटी वर्ग में 83 परिवार हैं जिनकी पर्चियां नहीं दी गईं. पहले तो आप यह बता दीजिए कि इन्हें कब तक पर्चियां देकर खाद्यान्न वितरण हो जाएगा ? दूसरा प्रश्न यह है कि मेरे विधान सभा क्षेत्र में बहुत सारे पात्र परिवार हैं जिनको पर्चियॉं आवंटित नहीं की गईं तो क्या उनकी जाँच कराकर उनको पर्चियॉं दी जाएंगी ?
श्री ओमप्रकाश धुर्वे -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अगल महीने पर्चियॉं दे दी जाएंगी.
श्री रामनिवास रावत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, ये अगले महीने दूसरों को छोड़ देंगे. इनको दे देंगे.
श्री लखन पटेल -- अध्यक्ष महोदय, मेरी विधानसभा का मामला है. मेरी विधानसभा पथरिया में ......(व्यवधान).......
श्री बाला बच्चन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, 19 नंबर पर मेरा प्रश्न है.
श्री रामनिवास रावत -- हर माह छोड़ते हैं. छ: लाख गरीब परिवारों को पर्चियॉं नहीं दी गई हैं. छ: लाख गरीब परिवारों को बीपीएल का अनाज नहीं मिल रहा है....(व्यवधान)......
श्री लखन पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हॅूं हालांकि...(व्यवधान)......
श्री रामनिवास रावत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह गरीबो के साथ अन्याय है. आपके विधानसभा क्षेत्र में भी यही स्थिति है. सभी विधानसभा क्षेत्रों में भी यही स्थिति है.
श्री ओमप्रकाश धुर्वे -- माननीय अध्यक्ष महोदय, कोई अन्याय नहीं है. पूरे देश में मध्यप्रदेश एक ऐसा राज्य है जहां एक रूपये किलो दिया जा रहा है.....(व्यवधान).....आपके समय में ....(व्यवधान)......यह भारतीय जनता पार्टी की सरकार है .
अध्यक्ष महोदय -- कृपया दूसरा प्रश्न पूछने दें, समय हो गया है.
श्री ओमप्रकाश धुर्वे -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश एकलौता राज्य है जहां एक रूपया किलो दिया जा रहा है.
अध्यक्ष महोदय -- आप अपना प्रश्न करो.
श्री लखन पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी विधानसभा में नगर पंचायत पथरिया है जहां की जनसंख्या लगभग 23 हजार है. मैंने पूर्व में शिकायत की थी कि यहां पर साढ़े तेइस हजार लोगों को खाद्यान्न पर्ची दी जा रही है. उसकी जाँच भी हुई. लेकिन आज तक उस जाँच का मुझे कोई सूचना मिली है और न ही मेरे इस प्रश्न में आया है कि कितने लोगों को पर्ची दी जा रही है. मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हॅूं कि पथरिया नगर पंचायत की पर्चियों में जो गड़बड़ी है क्या उसकी जाँच फिर से कराएंगे और मुझे उस जाँच में शामिल करेंगे ?
श्री ओम प्रकाश धुर्वे-- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसको दिखवा लेंगे.
श्री लखन पटेल-- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी मुझे भी जाँच में शामिल करेंगे क्या?
श्री ओम प्रकाश धुर्वे-- माननीय अध्यक्ष महोदय, वैसे जाँच हो चुकी है और जो अपात्र परिवार हैं उनको हटा दिया गया है. आप कह रहे हैं तो हम पुनः एक बार इसको दिखवा लेंगे.
श्री लखन पटेल-- धन्यवाद मंत्री जी.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्नकाल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त)
12.01 बजे नियम 267-क के अधीन विषय
अध्यक्ष महोदय-- निम्नलिखित माननीय सदस्यों की सूचनायें सदन में पढ़ी हुई मानी जाएंगी.
1. श्री केदारनाथ शुक्ल
2. श्री कालू सिंह ठाकुर
3. श्री पुष्पेन्द्रनाथ पाठक
4. श्री के.पी. सिंह
5. श्री नारायण सिंह पंवार
6. श्री गोवर्धन उपाध्याय
7. श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल
8. श्री रामनिवास रावत
9. श्री प्रताप सिंह
10. श्री रजनीश सिंह
12.02 बजे शून्यकाल में उल्लेख
(1) श्री कमलेश्वर पटेल (सिहावल)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे सिहावल विधानसभा क्षेत्र के कई ग्रामों की बिजली डिस्कनेक्ट कर दी गई है जबकि अभी दसवीं और बारहवीं की बोर्ड परीक्षायें चल रही हैं और लगभग सभी कक्षाओं की परीक्षायें स्कूलों में संचालित है. छात्रों में भारी आक्रोश है और दूसरी तरफ खेती किसानी का गेहूँ उत्पादन का अंतिम दौर चल रहा है किसान भारी परेशान हैं. इस विषय में हमने स्थगन और ध्यानाकर्षण भी दिया है. आपसे मेरा निवेदन है कि इस पर चर्चा कराई जाये.
(2) श्री बहादुर सिंह चौहान (महिदपुर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मालवा क्षेत्र में गेहूँ की बम्पर आवक है और मंडियों में जो किसान को समय पर पैसा देना चाहिए, आरटीजीएस नहीं होते हुए चेक दिये जा रहे हैं और चेक के कारण 15 से 20 दिन तक किसानों को पेमेंट नहीं हो पा रहा है.
(3) श्री निशंक कुमार जैन (बासौदा)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, गंज बासौदा ग्यारसपुर विधानसभा क्षेत्र के 1200 पात्र व्यक्ति पिछले आठ महीने से पर्ची के लिये परेशान हैं. एनआईसी के अधिकारियों का कहना है कि शासन के निर्देश पर हमने पर्ची जनरेट करना बंद कर रखा है इससे लोगों में रोष व्याप्त है.
(4) श्री यशपाल सिंह सिसौदिया (मंदसौर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में नित नये अजूबे सामने आ रहे हैं मेरी विधानसभा क्षेत्र मंदसौर के कन्या महाविद्यालय में बीएससी प्रथम सेम की 131 छात्राओं में से 127 छात्राओं को एटिकेटी प्रदत्त कर दी गई है.अध्यक्ष महोदय, जीरो नंबर से लेकर के 11 नंबर कुल अधिकांश छात्राओं को प्राप्त हुए हैं जिसके कारण से छात्राओं में असंतोष है, छात्राओं के द्वारा प्रदर्शन किया जा रहा है, वह ज्ञापन दे रही हैं और विश्वविद्यालय द्वारा सिर्फ यह कह देना कि एटिकेटी के लिए आगामी वर्ष में वह पूरक परीक्षा दे देंगी यह कतई न्यायोचित नही हैं.
(5) श्री मधु भगत (परसवाड़ा)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी बालाघाट विकासखंड के अंतर्गत टवेझरी मंझारा में प्रधानमंत्री सड़क योजना के अंतर्गत बनाई गई रोड है जिसमें सड़क के मध्य नाला बनाया गया है उसमें थोड़ा सा भी पानी आने पर वह नाला हमेशा भर जाता है उसमें तीन मौतें हो चुकी हैं. कृपा करके उस नाले का पुनर्निर्माण कराया जाये.
(6) श्री बाबूलाल गौर (गोविन्दपुरा)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी विधानसभा क्षेत्र में एक भी शासकीय कन्या महाविद्यालय नहीं है 6 लाख की आबादी के बाद भी गरीब छात्राओं को पढ़ने के लिए निजी महाविद्यालयों में जाना पड़ता है. मैं माननीय शिक्षा मंत्री जी से अनुरोध करूँगा कि गोविन्दपुरा क्षेत्र के अंदर एक शासकीय कन्या महाविद्यालय खोला जाये.
(7) श्री मुकेश नायक (पवई)-- अध्यक्ष महोदय, मेरी विधानसभा क्षेत्र रैपुरा से लगे हुए एक माध्यमिक शाला में जो 15 वर्षों से संचालित था जिसमें 100 से अधिक विद्यार्थी अध्ययनरत् हैं उसमें एक व्यक्ति ने ताला डाल दिया है कि यह स्कूल मेरा है और पिछले 15 दिन से स्कूल बंद है जनता में असंतोष है. बच्चे पढ़ नहीं पा रहे हैं. मैं शिक्षा मंत्री जी से अनुरोध करता हूं कि तत्काल इस पर प्रभावी कार्यवाही करें.
(8) श्री सुखेन्द्र सिंह (मऊगंज) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, नोटबंदी से आज भी सभी बैंकों में लाइनें लगी हुई हैं, ए.टी.एम. मशीनों पर भी लाइनें लगी हुई हैं. इसी तारतम्य में रीवा जिले के मऊगंज विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत मध्यांचल बैंक, शाहपुर में नोटबंदी से परेशान किसान श्री वाल्मिकी मिश्रा पिता श्री मनमोहन मिश्रा, निवासी ग्राम-राजाधौ, उम्र-70 वर्ष की दोपहर डेढ़ बजे लाइन में लगे रहने से गिरकर मौत हो गई. इस घटना में मौत के जिम्मेदार कौन हैं, इसमें जो भी दोषी हों, उनके विरुद्ध कार्यवाही हो तथा मृतक को मुआवजा दिया जाए. सरकार की इस नीति से क्षेत्र में व्यापक असंतोष है.
(9) डॉ. मोहन यादव (उज्जैन-दक्षिण) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, उज्जैन में श्री सिंथेटिक के कर्मचारी, अधिकारी और साथ ही साथ इंदौर टैक्सटाइल मिल में कार्यरत अधिकारी, कर्मचारियों का बकाया भुगतान का मसला लगभग 10 साल से पेंडिंग है. मैं आपके माध्यम से माननीय श्रम मंत्री जी से निवेदन करना चाहूँगा कि ऐसे जो बकाएदार हैं जो बूढ़े हो गए हैं, वृद्ध हो गए हैं, उनको पैसों की अत्यंत आवश्यकता है, अत: शासकीय योजनाओं का भी उनको लाभ दिलाया जाए, साथ ही साथ उनका जो बकाया भुगतान है, वह भी उन्हें दिलाने का कष्ट करें.
(10) श्री दिनेश राय (सिवनी) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, 29 मार्च को हिंदू नववर्ष का शुभारंभ हो रहा है जिसमें हमारे क्षेत्र में प्रतिवर्ष एक विशाल जुलूस निकलता है. इसकी अनुमति के लिए हमारे क्षेत्र के लोगों ने मांग की है किंतु अनुमति शर्तों के आधार पर दी जा रही है कि फोर व्हीलर रहेंगे तो टू व्हीलर नहीं रहेंगे. मेरा आग्रह है कि यह एक धार्मिक कार्यक्रम है और इसमें हमारे तमाम् हिंदू समाज के लोग जुड़े हुए हैं, यह एक परंपरा के आधार पर है अत: इसमें कोई अनुमति की आवश्यकता न हो बल्कि प्रशासन की उसमें सहभागिता हो और वह मदद करे.
(11) श्री कैलाश चावला (मनासा) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रधानमंत्री आवास योजना में जो सर्वे किया गया है, उस सर्वे में बहुत से गाँव छूट गए हैं, अत: मेरा अनुरोध है कि जो गाँव छूट गए हैं उन गाँवों का पुन: सर्वे कराके उनको जोड़ा जाए ताकि वहाँ के हितग्राहियों को लाभ मिल सके.
(12) श्री घनश्याम पिरौनियाँ (भांडेर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी भांडेर विधान सभा में उनाव है और वहाँ मेले लगते हैं, मैंने निवेदन किया था और कलेक्टर महोदय को भी लिखकर दिया था लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है. वहाँ पर शमशान घाट में जब लोग अंतिम संस्कार करने के लिए जा रहे थे तो सड़क में पानी भरने के कारण एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई. जो मर गया उसको ठिकाने लगाने जा रहे थे लेकिन एक व्यक्ति और मर गया. अत: मैं आपके माध्यम से निवेदन करना चाहता हूँ कि पैदल निकलने के लिए वहाँ पर एक रास्ता जिसे कि फुटपाथ बोलते हैं वह बनाने की कृपा करें.
(13) श्री शैलेन्द्र जैन (सागर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सागर विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत शहरी क्षेत्र में जो पट्टों का सर्वे हुआ है, वह प्रॉपर नहीं हो पाया है, उस सर्वे को पुन: कराने के आदेश यहाँ से जारी हो जाएँ ताकि मुख्यमंत्री जी की जैसी इच्छा है उस इच्छा के अनुरूप सारे लोगों को पट्टे प्राप्त हो जाएँ.
12.08 बजे पत्रों का पटल पर रखा जाना
1. (क) मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड, जबलपुर का चौदहवाँ वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2015-2016, तथा
(ख) मध्यप्रदेश मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, भोपाल का 14वाँ
वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2015-16.
2. संत रविदास मध्यप्रदेश हस्तशिल्प एवं हाथकरघा विकास निगम लिमिटेड, भोपाल का 34वाँ वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखा 31 मार्च, 2015.
3. महाराजा छत्रसाल बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, छतरपुर (म.प्र.) का प्रथम
वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2015-2016.
डॉ. गोविन्द सिंह(लहार) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यानाकर्षण की सूचना में एनकाउंटर से संबंधित बात आई है, लेकिन उसमें मैंने इस बात का उल्लेख नहीं किया था कि एनकाउंटर नहीं किया गया है. यह तथ्य शायद और किसी सदस्य का जोड़ा गया है.
अध्यक्ष महोदय - उसे समेकित कर दिया गया है और विभाग को सूचना पूरी भेजी है.
डॉ. गोविन्द सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, लेकिन अगर कोई सरेंडर करता है तो उसका एनकाउंटर करना अमानवीय है. उन्हें पकड़ने से जानकारी मिलती है और उनका एनकाउंटर करने पर वह जानकारी नहीं मिल पाती है.
अध्यक्ष महोदय - उसे समेकित कर दिया गया है.
श्री रामनिवास रावत - मैंने भी जो ध्यानाकर्षण दिया था, उसमें मेरे द्वारा एनकाउंटर की बात नहीं लिखी गई है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - माननीय अध्यक्ष महोदय, ऐसे बहुत से लोग हैं, जिनके द्वारा यह बात नहीं लिखी गई है. आप पूछोगे तो हम बता भी देंगे.
श्री रामनिवास रावत - आप सफाई दे रहे हैं तो उनके नाम बता दें ?
डॉ. नरोत्तम मिश्र - श्री आरिफ अकील जी ने लिखी थी.
12.12 बजे ध्यानाकर्षण
डॉ. गोविन्द सिंह (लहार), (सर्व श्री रामनिवास रावत, शैलेन्द्र पटेल)- माननीय अध्यक्ष महोदय,
गृहमंत्री (श्री भूपेन्द्र सिंह ठाकुर) - माननीय अध्यक्ष महोदय,
डॉ. गोविन्द सिंह - अध्यक्ष महोदय, एटीएस ने आईएसआईएस के संबंध में और ट्रेन विस्फोट करने वालों के विरुद्ध कार्यवाही की, उन्हें गिरफ्तार किया, इसके लिए तो आप धन्यवाद के पात्र हैं. लेकिन मैं यह कहना चाहता हूं कि लगातार 10 वर्षों से क्या कारण है कि पूरे प्रदेश में सिमी की, आईएसआई की गतिविधियां लगातार बढ़ रही है? जो आपका खुफिया तंत्र है, जो सुरक्षा तंत्र है, क्या वह पूरी तरह असफल नहीं है? लगातार घटनाएं घटने के बाद फिर आप एक्शन लेते हैं. आपने घटना के पूर्व एक्शन लेने के कौन-कौन से काम किये? दूसरा, जितने अपराधी आपके संज्ञान में आए, जिनके विरुद्ध आपने प्रकरण दर्ज किये, जो उनके परिवार के लोग, जो उनसे संबंधित लोग थे, जो एक-दूसरे को सूचनाएं पहुंचाने का काम करते थे, उनके घर में आपने छापामारी की तो यह छापामारी कहां-कहां की? जो अपराधियों के अतिरिक्त लोग थे, जो अपराधियों से संबंधित थे, क्या उनके भी गतिविधियों में शामिल होने की जानकारी प्राप्त हुई है? अगर जानकारी है तो उनके नाम बता दें? अभी तक आपने दोनों घटनाओं में कितने अपराधी जेल भेजे हैं? एनआईए जांच कर रही है तो अब क्या आपकी जांच बंद हो गई है?
श्री भूपेन्द्र सिंह ठाकुर - अध्यक्ष महोदय, आतंकवाद पूरे देश के लिए एक चुनौती है. परन्तु मैं यह कहना चाहूंगा कि पूरे देश में आतंकवाद के विरुद्ध जितनी सख्त कार्यवाही मध्यप्रदेश में हुई है, देश के किसी राज्य में आज तक इतनी सख्त कार्यवही नहीं हुई. (मेजों की थपथपाहट)
माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा माननीय सदस्य गोविन्द सिंह जी ने इंटेलीजेंस के बारे में कहा मैं उनसे निवेदन करूंगा कि मध्यप्रदेश के सूचनाओं के आधार पर तथा उनकी सक्रियता के कारण हम पिछली तीन घटनाएं जो आतंकवाद से जुड़ी हुईं थीं उन घटनाओं में जिस तरह की सफलता मध्यप्रदेश को मिली है उसमें इंटेलीजेंस, सूचनाओं की बहुत बड़ी भूमिका है. जहां तक आपने कहा कि पैरेलल एक्सचेन्ज वाला मामला हुआ है उसमें जिन लोगों के नाम थे, जब तक जांच हमारे पास में थी उसमें सारे के सारे लोगों की गिरफ्तारी की गई. जो उसमें सख्त कार्यवाही हो सकती थी जिन धाराओं में कार्यवाही हो सकती थी वह सारी की सारी कार्यवाही की गई. अब चूंकि पूरा मामला एन.आई.ए.के पास है उसमें आगे की कार्यवाही के बारे में यहां पर बताना संभव नहीं है. परन्तु इसके पूर्व जितनी भी कार्यवाहियां की गई हैं वह पूरी कार्यवाही के बारे में हमने निवेदन किया है.
डॉ.गोविन्द सिंह--अध्यक्ष महोदय, उसमें कितने आरोपी पकड़े गये ?
श्री भूपेन्द्र सिंह ठाकुर--माननीय अध्यक्ष महोदय, जिन 15 लोगों के नाम शुरू में आये थे उन सारे आरोपियों की गिरफ्तारी की गई है.
डॉ.गोविन्द सिंह--अध्यक्ष महोदय, जो लोग उनको सहयोग पहुंचा रहे थे उनके ऊपर क्या कार्यवाही की गई ?
श्री भूपेन्द्र सिंह ठाकुर--माननीय अध्यक्ष महोदय, यह 15 लोग हैं उसमें वह लोग भी हैं जो सहयोगी थे, वह लोग भी हैं जो कि सीधे तौर पर इनवाल्व थे अब चूंकि मामला एन.आई.के पास है वह डिटेल में इन्क्वायरी करेंगे उसमें जो भी नाम आयेंगे उन पर कार्यवाही होगी.
श्री रामनिवास रावत--माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रदेश की सवा सात करोड़ जनता का काफी गंभीर विषय तथा उनकी सुरक्षा से जुड़ा हुआ मामला है. जैसा कि माननीय मंत्री जी ने उत्तर में बताया कि नवम्बर 2016 में जम्मू-कश्मीर के थाना आरएसपुरा में अपराध पंजीबद्ध कर दो अपराधी श्री सतवेन्द्र सिंह एवं श्री दादू उनकी जांच में यह पाया गया कि इनके बैंक एकाऊंट्स सतना में संचालित होते हैं उस आधार पर इनके बारे में जानकारी मिली उसके बाद से कार्यवाही शुरू की. मंत्री जी के जवाब में ही प्रश्न पूछना चाहता हूं कि प्रकरण तो आपने दर्ज किया है फरवरी, 2017 में जो सिमी के लोग सामान्तर एक्सचेन्ज चला रहे थे. जांच आपकी पहले शुरू हो गई. आपको, मध्यप्रदेश की पुलिस को जानकारी कब मिली कि संदिग्ध पाकिस्तानी आतंकवादियों को सूचनाएं उपलब्ध कराने के एवज में राशि सतना के बैंक खातों से उपलब्ध करायी गई.क्योंकि इसमें कहीं न कहीं विलंब हुआ है. पुलिस ने इसमें कार्यवाही की है हम इसके लिये धन्यवाद भी देंगे, लेकिन जानकारी मिलने के बाद तथा प्रकरण दर्ज होने के प्रक्रिया में कहीं न कहीं विलंब हुआ है. यह सब लेनदेन तथा सम्पत्ति का मामला है. उन्होंने अवैध सम्पत्ति प्राप्त करने के लिये ऐसी सूचनाएं क्यों उपलब्ध करायीं? आपने इन लोगों को गिरफ्तार किया. सूचनाएं देने तथा सामान्तर एक्सचेंज चलाने के एवज में कितनी कितनी राशि, सम्पत्ति प्राप्त की क्या इसकी जांच की गई? अगर प्राप्त की है तो उसकी सम्पत्ति को जप्त करने के लिये अभी तक क्या कार्यवाही की? यह मेरा दूसरा प्रश्न है. तीसरा मेरा प्रश्न यह है---
अध्यक्ष महोदय--बहुत लंबा प्रश्न हो जाएगा इसमें दो प्रश्न पूछने का अधिकार है.
श्री भूपेन्द्र सिंह ठाकुर--माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि पूर्व में अपने उत्तर में बताया है कि नवम्बर में जब जम्मू-कश्मीर में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया उनसे पूछताछ के दौरान हमारी पुलिस को जो जानकारी मिली उस जानकारी के आधार पर उसकी विवेचना प्रारंभ की गई. शुरूआत में सिर्फ इतनी जानकारी थी कि सतना में राशि का लेनदेन हुआ है इस जानकारी के आधार पर हम गहराई तक गये और एक ऐसा एक्सचेंज का पता चला जो आतंकवादियों को या जो विदेशी कॉल हैं उनका ट्रांसफर करके और जानकारियां देने का काम करते थे. यह एक्सचेंज अकेले मध्यप्रदेश में नहीं चल रहे थे यह पूरे देश में चल रहे थे. यह काम पूरे में अगर किसी ने किया है तो मध्यप्रदेश पुलिस ने किया है. पुलिस ने पेरेलल एक्सचेंज पकड़ने का काम किया है. पूरे देश में जो पेरेलल एक्सचेंज चल रहा था इससे भारत सरकार के अकेले टेलिफोन डिपार्टमेंट को लगभग 3 हजार करोड़ रुपये की राशि का नुकसान हुआ है. इसका पता लगाने का काम मध्यप्रदेश की पुलिस ने किया. हम लोगों ने सारी की सारी कार्रवाई की इसके लिए आप लोगों को हमारा धन्यवाद ज्ञापित करना चाहिए कि हमने पता लगा लिया और पता लगाने के बाद जो देशद्रोही काम हो रहा था, उसमें जो लोग लिप्त थे, उनको पकड़ लिया. एक्सचेंज का पता लगा लिया. सारी कार्रवाई हमने कर दी तो आपको तो हमारा धन्यवाद करना चाहिए, पुलिस का और सरकार का धन्यवाद करना चाहिए.
श्री रामनिवास रावत--अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद करने में मुझे कोई आपत्ति नहीं है. डॉ गोविन्द सिंह जी ने भी धन्यवाद किया और हम भी कर रहे हैं. अध्यक्ष जी, पहले जेल ब्रेक की घटना हुई उसके बाद यह समानान्तर एक्सचेंज मिला. मेरा सीधा सा प्रश्न था कि वहां सतविंदर और दादू को पकड़ने के बाद किस दिनांक को मध्यप्रदेश को सूचना मिली और उस दिनांक से कब जांच में प्रकरण आया. आपने नवम्बर से लेकर फरवरी में प्रकरण दर्ज किया है. आपने डॉ गोविन्द सिंह के प्रश्न के उत्तर में बताया कि यह प्रकरण भी एनआईए को ट्रांसफर कर दिया जबकि आपके उत्तर में यह कहीं नहीं है कि यह प्रकरण एनआईए को ट्रांसफर किया है. आखरी में भी केवल ट्रेन विस्फोट का प्रकरण आपने एनआईए को ट्रांसफर किया है. इस प्रकरण का कहीं उल्लेख नहीं किया. आप अपना उत्तर देख लें, पढ़ लें. जबकि आपने मौखिक जवाब में बताया कि एनआईए को दिया.
अध्यक्ष महोदय, मेरा दूसरा प्रश्न था कि जो जो वॉयस ओवर इंटरनल प्रोटोकॉल GSM एक्सचेंज चलाने की व्यवस्था है क्या इसका लायसेंस लेना पड़ता है? या इसका अवैध रुप से चल रहा था? और इसका साफ्टवेयर किसने तैयार किया था? क्या इन पकड़े गए 15 अपराधियों में से किसी ने स्वीकार किया कि इन्होंने साफ्टवेयर तैयार किया है. या साफ्टवेयर तैयार करने वाले तक आप पहुंच नहीं पाये यह स्पष्ट कर दें.
श्री भूपेन्द्र सिंह-- अध्यक्ष जी, जैसे नवम्बर में यह घटना हुई हमने सारी की सारी कार्रवाई तीन महीने में कर ली.
श्री रामनिवास रावत--इसके लिए तो आपको और पुलिस को धन्यवाद.
श्री भूपेन्द्र सिंह-- अध्यक्ष जी, मैंने पहले भी कहा कि यह पेरेलल एक्सचेंज चला रहे थे. इसकी चेन पूरे देश में भी थी और पूरे देश में चेन के माध्यम से चल रहा था. इसमें सारी कार्रवाई जब्ती आदि की वह सारी कार्रवाई की है. अब साफ्टवेयर कहां से बना, पैसा कहां से आया चूंकि पूरे देश में यह काम कर रहा था और इसके तार पाकिस्तान से जुड़े थे. पाकिस्तान के हैंडलर से तार जुड़े थे इसलिए डिटेल इंवेस्टीगेशन चल रहा है उसके आधार पर बाकी चीजें सामने आएंगी.
श्री रामनिवास रावत--अध्यक्ष महोदय, इसका मुख्य अपराधी साफ्टवेयर निर्माण करने वाला है. जिसने यह पूरा सिस्टम बनाया और पूरा सिस्टम चलाया. इससे हमारे प्रदेश ही नहीं पूरे देश को खतरा है. सभी जगह कार्रवाईयां हुई है, सभी जगह लोग पकड़े गए हैं. हम देश की सभी जगहों की पुलिस को भी धन्यवाद देंगे की सभी लोग सुरक्षा व्यवस्था में लगे हुए हैं वह अलग विषय है लेकिन मेरा पर्टिकुलर प्रश्न था साफ्टवेयर तैयार करने वाले व्यक्ति तक आप पहुंच पाये कि नहीं पहुंच पाये और कितने समानान्तर एक्सचेंज और जानकारी भेजने के माध्यम से कितनी संपत्ति इन 15 लोगों ने प्राप्त की और उस संपत्ति के विरुद्ध आपने क्या कार्रवाई की?
श्री भूपेन्द्र सिंह-- अध्यक्ष महोदय, जिन लोगों के भी बैंक खाते थे और जिनको पकड़ा गया सब सील कर दिए?
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, उन्होंने संपत्ति कितनी प्राप्त की? उस धनराशि की जांच नहीं करायी. अवैध कामों में लिप्त होकर संपत्ति एकत्रित करने की प्रवृत्ति इसीलिए बढ़ती जा रही है कि अवैध कामों के द्वारा संपत्ति प्राप्त करने के बाद उस संपत्ति के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं हो पाती. उनके घर वाले उस संपत्ति का उपयोग करते हैं. अगर उस संपत्ति को जब्त करने की कार्रवाई होगी तो आगे आने वाले समय में भी कोई इस तरह के कामों में लिप्त होने की हिम्मत नहीं करेगा. मैं यह बात कहना नहीं चाहूंगा कि पकड़े गए लोग किस पार्टी के थे और किससे नहीं जुड़े थे. यह कहलवाने के लिए क्यों मजबूर कर रहे हैं? संपत्ति के विरुद्ध भी कार्रवाई करें.
डॉ.नरोत्तम मिश्र - इतने गंभीर विषय को ऐसे कहकर ट्विस्ट करोगे तो कैसे चलेगा. (XXX) कितना गंभीर विषय चल रहा है.
श्री रामनिवास रावत - माननीय नरोत्तम जी,कतई ट्विस्ट नहीं कर रहा हूं. यह बात न डाक्टर गोविन्द सिंह ने ने कही न मैं कह रहा हूं. मेरा जवाब आ जाये.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी.
श्री भूपेन्द्र सिंह ठाकुर - आप बताएं क्या चाहते हैं ?
अध्यक्ष महोदय - इनका प्रश्न यह है कि जो संपत्ति ट्रांसफर हुई हैं उसमें से क्या कोई जप्त हुई हैं और क्या उनको सील किया गया ?
श्री भूपेन्द्र सिंह ठाकुर - अध्यक्ष महोदय, मैंने पहले ही निवेदन किया कि 5 लोगों के बैंक खाते सील कर दिये गये हैं.
अध्यक्ष महोदय - रावत जी आप विस्फोट के बारे में एक प्रश्न और पूछ लीजिये.
श्री रामनिवास रावत - साफ्टवेअर किसने तैयार किया इसकी जांच जारी है कि नहीं.
श्री भूपेन्द्र सिंह ठाकुर - इसकी जांच मैंने पूर्व में भी कहा कि इसकी जांच चल रही है और यह मामला हमने एन.आई.ए. को नहीं दिया हमारी ए.टी.एस. जांच कर रही है.
श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश शांति का टापू कहा जाता है. इन सब चीजों को हम देखें तो धीरे-धीरे पुलिस कार्यवाही कर रही है लेकिन ये आतंकी गतिविधियां भी कहीं न कहीं बढ़ रही हैं. उसके कारण हमारा पूरा प्रदेश असुरक्षा के माहौल में रह रहा है. आपने कार्यवाही की है उसके लिये धन्यवाद देने में हम कोताही नहीं बरतेंगे लेकिन सारे विषय सुरक्षा से संबंधित हैं. अगर हम जेल ब्रेक की बात करेंगे तो जेल ब्रेक की जांच रिपोर्ट भी अभी तक नहीं आई है कि उस दिन सी.सी.टी.वी. कैमरे क्यों बंद थे, किस तरह से उन्होंने जेल ब्रेक किया ? यदि उस समय इन पर कंट्रोल किया जाता तो जेल ब्रेक नहीं होता और बम विस्फोट जैसी घटनाएं नहीं होतीं. बम विस्फोट से ज्यादा नुकसान नहीं हुआ क्योंकि बम ऊपर की सीट पर रखा हुआ था.आपने बम विस्फोट के अपराधियों को जल्दी पकड़ा उसके लिये धन्यवाद लेकिन हमारे प्रदेश में जो आतंकी गतिविधियां बढ़ती जा रही हैं तो इस तरह की घटनाएं रोकने के लिये विशेष निर्देश देकर प्रयास करेंगे और जो घायल हुए हैं उनको आपने क्या-क्या सहायता दी यह बता दें.
श्री भूपेन्द्र सिंह ठाकुर - अध्यक्ष महोदय, देश में जितनी भी आतंकी घटनाएं हुईं उसमें शाजापुर में जो घटना हुई वह देश के इतिहास में पहली ऐसी आतंकी घटना है जिसमें 5 घंटे में मध्यप्रदेश पुलिस ने आतंकवादियो को पकड़ने का काम किया. यह देश के इतिहास की सबसे त्वरित कार्यवाही हुई है जो मध्यप्रदेश पुलिस ने की है और जितनी कार्यवाही हो सकती थी उतनी मध्यप्रदेश पुलिस ने की है और आगे इस तरह की घटनाएं हमारे प्रदेश में न हो पाएं इसके लिये हम लोग पूरी तरह से सतर्क हैं और कोई ऐसी घटना मध्यप्रदेश में आगे नहीं होने देंगे.
श्री रामनिवास रावत - पहले रेलवे थाने में प्रकरण कायम हुआ उसके बाद ए.टी.एस. में प्रकरण कायम हुआ उसके बाद आपने एन.आई.ए. को भेजा. यह प्रकरण एन.आई.ए. को कब ट्रंसफर किया गया ?
श्री भूपेन्द्र सिंह ठाकुर- दिनांक 16 मार्च को.
श्री रामनिवास रावत - दिनांक17 मार्च को रेलवे थाने में प्रकरण कायम हुआ है.
श्री भूपेन्द्र सिंह ठाकुर - रेलवे में तो उसी दिन हो गया था.
अध्यक्ष महोदय - दिनांक 16 मार्च का उत्तर में भी दिया है.
श्री शैलेन्द्र पटेल(इछावर) - अध्यक्ष महोदय, आपको धन्यवाद और सरकार को भी धन्यवाद देता हूं. सारी बात हमारे काबिल मंत्री जी ने बड़ी साफगोई से कही है और एक बात सीधी समझ में आती है किसी भी क्राईम में इंवेस्टीगेशन और इंटेलीजेंस दोनों की भूमिका होती है. रावत जी ने जैसा कहा और सारी बातें जो जवाब में आई उसमें इंवेस्टीगेशन की सारी बातें आई हैं कि क्राईम की घटना घटित हुई. इंटेलीजेंस घटना की रोकथाम करता है. तीन घटनाओं की यहां बात हो रही है चाहे वह जेल ब्रेक की बात हो,चाहे ट्रेन विस्फोट की बात हो,चाहे पेरलल एक्सचेंज की बात हो, तीनों घटनाओं में घटना घटित होने के बाद कार्यवाही का हवाला सरकार दे रही है. मेरा प्रश्न यह है कि जो सरकार पिछले तीन वर्षों में अपना बजट पुलिस के आधुनिकीकरण के ऊपर खर्च कररही है उसमें कितना खर्च गाड़ियां खरीदने पर हुआ और कितना इक्यूपमेंट्स पर खर्च हुआ ? दूसरी बात जितने भी क्राईम हो रहे हैं उसमें साईबर क्राईम ज्यादा हैं. साईबर सेल के लिये सरकार क्या प्रक्रिया अपना रही है और क्या इस वर्ष के बजट में पुलिस आधुनिकीकरण में यह राशि बढ़ी है या घटी है यह मंत्री जी बता दें ?
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र)-- अध्यक्ष जी, इसमें मेरा निवेदन है कि गृह विभाग के बजट पर अभी चर्चा होगी, यह बहुत गंभीर विषय है. कितनी गाड़ी खरीदी गईं, कितनी नहीं खरीदी गईं, कितना पैसा खर्च हुआ, कितना नहीं हुआ, यह बजट में मंत्री जी बता देंगे. इसकी गंभीरता को बनाये रखने की प्रार्थना कर रहा हूं.
श्री शैलेन्द्र पटेल-- माननीय अध्यक्ष जी, गंभीरता इसलिये है कि सारी बातें जो मंत्री जी ने कहीं वह इन्वेस्टीगेशन की बात की है.
श्री रामनिवास रावत-- आप गंभीर होते तो इसको स्थगन के रूप में स्वीकार करते. यह तो अध्यक्ष जी की कृपा है, आप तो चर्चा ही नहीं चाहते.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- रामनिवास जी इसी विषय पर आपने पहले आरिफ भाई की बात कराई और इस विषय को किस रूप में लेना है इस पर हमने नेता प्रतिपक्ष से बात की थी.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री गोपाल भार्गव)-- जिस तरह से आप प्रश्नोत्तर कर रहे हैं, लगता है यह न स्थगन लायक था और न ध्यानाकर्षण के लायक.
श्री शैलेन्द्र पटेल-- अध्यक्ष जी, सीधी सी बात है सारी कार्यवाही हुई, पुलिस ने कार्यवाही की उसके लिये धन्यवाद देते हैं, लेकिन जो चिंता का विषय है कहीं न कहीं मध्यप्रदेश में इंटेलीजेंस की कमी है. सरकार इसमें क्या कदम उठा रही है. माननीय मंत्री जी इंटेलीजेंस के लिये आप आगे क्या प्रक्रिया अपना रहे हैं ताकि आगे ऐसी घटना न हो, यह सदन को अवगत करायें.
अध्यक्ष महोदय-- आपकी चिंता रिकार्ड में आई है.
श्री रामनिवास रावत-- (श्री गोपाल भार्गव जी की तरफ इशारा करते हुये) बिना आरोप लगाये आपको मजा नहीं आया.
श्री गोपाल भार्गव-- आरोप का विषय नहीं है, एक मरी हुई बंदरिया को कब तक चिपकाये रहोगे.
श्री शैलेन्द्र पटेल-- माननीय अध्यक्ष जी, मैं सिर्फ यह चाहता हूं कि आगे सरकार क्या कदम उठायेगी ताकि ऐसी घटनायें न हों, सरकार ने क्या रोडमेप बनाया है, कम से कम यह तो बता दें.
गृह मंत्री (श्री भूपेन्द्र सिंह)-- माननीय अध्यक्ष जी, अगर हमारे मध्यप्रदेश का इंटेलीजेंस सक्रिय और सक्षम न होता, जैसा मैंने कहा कि देश में सबसे पहले आतंकवाद के विरूद्ध अगर इतने कम समय में कार्यवाही हुई है तो वह मध्यप्रदेश में हुई. माननीय अध्यक्ष महोदय, जेल ब्रेक हुआ, अभी रामनिवास जी ने जेल ब्रेक की बात कही, जेल ब्रेक के 5-6 घंटे में हमारी पुलिस ने आठों के आठों आतंकवादियों को एनकाउंटर में मार गिराने का काम किया है और स्थिति यह हो गई कि अब लोग यह कहते हैं कि जेल के गेट भी खोल दोगे तो आतंकवादी बाहर निकलकर नहीं जायेंगे, इतनी सक्षम है हमारी मध्यप्रदेश की पुलिस.
श्री रामनिवास रावत-- जेल ब्रेक होना आपकी असफलता नहीं है ?
श्री सुन्दर लाल तिवारी-- आपने उन आठों को आतंकवादी कैसे कह दिया जो जेल से भागे थे.
अध्यक्ष महोदय-- तिवारी जी, यह गंभीर मामला है इसमें हर कुछ न बोलें, बैठ जायें आप.
श्री भूपेन्द्र सिंह-- यह कानूनी विषय नहीं है. आप बैठिये.
स्कूल शिक्षा मंत्री (कुंवर विजय शाह)-- (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- यह कार्यवाही से निकाल दीजिये. तिवारी जी आप बैठ जायें.
श्री भूपेन्द्र सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारी पुलिस ने पूरे देश के लिये जो एक खतरा था, जो पेरेलल एक्सचेंज चल रहा था उस पूरे पेरेलल एक्सचेंज को ध्वस्त करने का काम मध्यप्रदेश की पुलिस ने किया. आतंकवादियों के तार तोड़ने का काम मध्यप्रदेश की पुलिस ने किया. अगर ट्रेन में कोई ब्लास्ट हुआ तो क्या इससे पहले कभी देश में 5 घंटों में आतंकवादियों को पकड़ा गया. यह हमारे इंटेलीजेंस के कारण ही तो हुआ है. इसलिये देश में अगर सबसे सक्षम इंटेलीजेंस है तो वह मध्यप्रदेश का है.
श्री के.पी सिंह (पिछोर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी का जो जवाब आया है उसमें इन्होंने साफ-साफ कहा है कि दो आरोपियों सतबिन्दर और दादू को स्थानीय पुलिस जम्मू द्वारा गिरफ्तार किया गया है तब जाकर कहीं मध्यप्रदेश पुलिस की जानकारी में यह सब आया. मैं माननीय मंत्री जी, आपसे जानना चाहता हूं कि यह एक्सचेंज जो चल रहा था, यह कब से चल रहा था और जिनके संचालनकर्ता जो पकड़े गये हैं इनके अलावा इनके तार क्या मध्यप्रदेश के बाहर, उत्तर प्रदेश में सैफुल्ला वाली एक घटना अभी हुई, या जो पिपरिया में आपने गिरफ्तार किये या गुजरात में जो लोग गिरफ्तार हुये. चूंकि जबलपुर, सतना, भोपाल और ग्वालियर के अलावा बहुत सारी जगहों पर इनका नेटवर्क था तो क्या इन सब लोगों का लिंक होना आपकी जांच में होना पाया गया ?
श्री भूपेन्द्र सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मैंने पूर्व में भी इस बात को कहा है कि यह पेरेलल एक्सचेंज मध्यप्रदेश में नहीं पूरे देश में चल रहा था. इसकी डिटेल्स में जांच एटीएस कर रही है कि यह कब से चल रहा था, कौन कौन से लोग इसमें और थे, जो दूसरे राज्यों में हैं वहां की पुलिस को इंटेलीजेंस को सूचना देने का काम मध्यप्रदेश की एटीएस के माध्यम से हम कर रहे हैं. इनका पूरे देश में नेटवर्क था. इसकी डिटेल्स जांच एटीएस के द्वारा जारी है.
श्री के.पी.सिंह -- दो मामले प्रकाश में आये. एक मामला आपने सौंपा एनआईए को, दूसरा जो एक्सचेंज वाला मामला है वह आपके पास में है, एक्सचेंज वाले मामले में आपको कोई जानकारी नहीं है कि कब से यह एक्सचेंज चल रहे थे.मंत्री जी इसका यही अर्थ निकालें ? अध्यक्ष महोदय, यह मामला पूरे प्रदेश की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है. हमारा सौभाग्य है कि जरा-सी दुर्घटना हुई. एक तरफ आप कह रहे हैं कि हमारे प्रदेश में इस तरह का कोई नेटवर्क नहीं है, कुछ नहीं है. एक तरफ आप कह रहे हैं कि घटना के 5 घंटे में पुलिस द्वारा सबको गिरफ्तार कर लिया, सभी ने इसके लिये पुलिस को धन्यवाद भी दिया. लेकिन यह लंबे समय से जो एक्सचेंज चल रहा था, क्योंकि ऐसी गतिविधियां दो चार माह में हो गई ऐसा नहीं है, इस घटना से यह साबित हो रहा है कि अब कोई धर्म के नाम पर कोई विशेष वर्ग मात्र इसमें शामिल नहीं है, इसमें सीधा सीधा लगता है कि पैसा इसमें इन्वाल्व है. पैसे की खातिर हमारे आसपास के लोग जिन पर हम कभी शंका नहीं करते, मैं आप पर कोई आरोप नहीं लगा रहा हूं, किसी के साथ कोई भी हो सकता है तो ऐसे लोग भी इन गतिविधियों में अब शामिल होने लगे हैं जो हमारे आसपास रहते हैं. मेरा मंत्री जी से सीधा प्रश्न है कि क्या ऐसे लोगों के बारे में हमारी कोई नीति बनी है, क्योंकि अब यह विशेष वर्ग से जुड़ा हुआ मामला नहीं रह गया, एक्सचेंज का मामला जब से सामने आया है तब से ऐसा लगता है कि पैसे की खातिर, निजी स्वार्थ की खातिर कोई भी व्यक्ति चाहे वह किसी भी धर्म का हो वह कुछ भी कर सकता है. मंत्री जी, क्या ऐसे मामलों में आप ऐसे डायरेक्शन देंगे जिसकी जांच हो और यह पता लगे कि जितने पकड़े गये हैं उसके अलावा भी मध्यप्रदेश में और कितने लोग थे जो पैसे या स्वार्थ की खातिर इस तरह की गतिविधियों में इन्वाल्व रहे हैं.
श्री भूपेन्द्र सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि माननीय के.पी.सिंह जी ने कहा है. यह बात सही है कि इसमें पैसे का इन्वाल्वमेंट बहुत बड़ी मात्रा में है. एक बड़ा कारण इसमें पैसा है और यह आज भी पूरे देश में इस तरह का फ्रॉड चल रहा है. आपने भी देखा होगा कि आपके ही फोन पर कभी वाइस कॉल आ जायेगा, एसएमएस आ जायेगा जिसमें लिखा होगा कि इस कंपनी में इतना पैसा डाल दें तो इतना गुना हो जायेगा, आज भी यह पूरे देश में चल रहा है. कई लोगों के फोन पर इस तरह के मैसेज लगातार आते रहते हैं इसलिये पैसे का लेनदेन भी इसमें एक बड़ा कारण है. पैसे की लालच में भी लोग इस काम में बड़ी मात्रा में जुड़े . इसलिये मेरा कहना है कि विस्तार से इस मामले में जांच चल रही है. जांच में और भी फेक्ट्स सामने आयेंगे . कुछ बातें ऐसी हैं कि सुरक्षा की दृष्टि से यहां पर बताना उचित नहीं है इसलिये जांच में जितनी चीजें आवश्यक हैं, उतना मैंने आपको बताया है.
श्री दिनेश राय "मुनमुन" -- (अनुपस्थित)
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा(मुगावली)- माननीय अध्यक्ष महोदय, सरकार इसके लिये बधाई की पात्र है. मेरा अनुरोध सिर्फ यह है कि किसी भी पार्टी से जुड़ा हुआ कोई भी व्यक्ति हो, उसको बख्शा नहीं जाना चाहिये, सरकार का साफ्ट कार्नर नहीं होना चाहिये.इन पर बिल्कुल दया मत करें और सख्ती से इस कार्य को करें. यही अनुरोध है.
अध्यक्ष महोदय- मंत्री जी चाहें तो आश्वस्त कर दें.
श्री भूपेन्द्र सिंह -- अध्यक्ष महोदय, कोई भी हो किसी को भी मध्यप्रदेश पुलिस बख्शेगी नहीं.
श्री बाला बच्चन - माननीय अध्यक्ष महोदय, इससे बड़ा मैं समझता हूं कि और क्या अपराध हो सकता है कि फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज खोलकर हमारे प्रदेश और देश की खुफिया जानकारी पाकिस्तान को देना और वहां की आईएसआई एजेंसी के एजेंट के रूप में काम करना. मैं समझता हूं कि इनको पूरी तरह से जब तक हमारे कहीं न कहीं इनका प्रभाव किसी भी रूप से पूरी तरह किसी भी पाइंट आफ व्यू से समाप्त नहीं होगा, तब तक ऐसी गतिविधिया चलने की फिर संभावना बनी रहेगी. भोपाल जेल ब्रेक, मुरैना जेल ब्रेक होना, रेलवे बम विस्फोट होने वाली घटना, भविष्य में ऐसी घटनाओं का पुनरावृत्तियां न हो और माननीय गृहमंत्री जी ने अभी तक जो कड़ी कार्यवाही की है, उसके लिए हम धन्यवाद करते हैं, लेकिन इस तरह की पुनरावृत्ति न हो और इससे संबंधित वातावरण एवं ऐसे आसामाजिक तत्वों पर भय भी बनाना पड़ेगा, हमारा आपसे यह आग्रह है, जो एक्शन आपने लिया है, उसके लिए धन्यवाद. लेकिन भविष्य में इस तरह की पुनरावृत्ति न हो. आप हमें और मध्यप्रदेश की जनता को इस संबंध में आश्वस्त करें.
श्री भूपेन्द्र सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्य बाला बच्चन जी को और इस सदन के माध्यम से सभी माननीय सदस्यों को और मध्यप्रदेश की जनता को यह आश्वस्त करना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश पुलिस, जो भी लोग इस तरह की गतिविधियों में शामिल होंगे, उनके विरूद्ध सख्ती से कार्यवाही करेंगी, किसी भी कीमत पर हम मध्यप्रदेश में आतंकवाद को पनपने नहीं देंगे, आतंकवाद को कुचलने का काम हमारे हमारे राज्य में मध्यप्रदेश की पुलिस करेगी.
(2) छतरपुर तहसील में पदस्थ तहसीलदार द्वारा दुर्भावनावश की जा रही कार्यवाही से उत्पन्न स्थिति.
श्री शंकर लाल तिवारी (सतना) - माननीय अध्यक्ष महोदय,
और असुरक्षा की भावना है.
संसदीय कार्यमंत्री (डॉ नरोत्तम मिश्र) - माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री शंकर लाल तिवारी - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह जो बाउंड्रीबाल तोड़ी गई है, मेरे ध्यानाकर्षण में था कि इसमें साजिशन और राजनैतिक षडयंत्र है. अध्यक्ष महोदय, आप मुझे कृपया संरक्षण दें क्योंकि यह बाउंड्रीवाल शुद्ध तरीके से षडयंत्रपूर्वक तोड़ी गई है. पटवारी का प्रतिवेदन है कि जिस जमीन पर बाउंड्रीवाल बनी है, उस जमीन पर भूमि स्वामी के स्वयं के हक है, उसमें बाउंड्रीवाल बनी है, यह पटवारी का प्रतिवेदन है. नगर परिषद के चुनाव के समय फर्जी जाति प्रमाण पत्र तहसीलदार महोदय ने बनाकर दिया गया था, इस आधार पर वहां पर चुनाव लड़ा गया था, इसकी शिकायत इस पार्टी ने सीजेएम की कोर्ट में की थी और वहां से आदेश हुआ था कि तहसीलदार और जो फर्जी प्रमाण पत्र लेकर के नगरपरिषद में देता है वह इनके विरुद्ध धारा 468, 471,420,467 एवं 120 का मामला चलाया जाये, फर्जी प्रमाण पत्र के कारण और उससे प्रभावित होकर के नगर परिषद् और तहसीलदार दोनों ने मिल करके षडयंत्र किया. पटवारी का प्रतिवेदन है कि भूमि स्वामी की जमीन है. यदि नगर परिषद् से मंजूरी नहीं ली गई थी, तो उसमें सीधे तोड़ने का नियम नहीं था, बल्कि नियम यह था कि 15 गुना जमीन की कीमत की राशि जमा करवाकर, जुर्माना करवाकर के बहाल किया जाये.यह शासकीय जमीन नहीं थी. इसको शासकीय जमीन कहना पूर्णतः असत्य है. मेरा कहना है कि श्री राकेश शुक्ला को क्या हटायेंगे, क्योंकि इससे वहां पूरी असुरक्षा की भावना है. ये टीकमगढ़ जिले में ही निरन्तर रहे हैं और ये इस तरह के काम के कारण और सीजीएम का आदेश है कि इनके ऊपर 420 का प्रकरण चलायें. ऐसे व्यक्ति को हटायेंगे क्या. अध्यक्ष महोदय, इस तरहसे निरीह आदमी का 20 लाख रुपये का नुकसान हो गया.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, विवाद किसी से है, हटाना किसी को कह रहे हैं. तोड़ी नगरपालिका ने, तहसीलदार को हटवाने की कह रहे हैं. कागज में ही नहीं है, तहसीलदार का कोई आदेश हो, तो सम्मानित सदस्य बतायें.
श्री शंकरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, तहसीलदार के आदेश पर ही स्टे दिया था पहले और स्टे के बाद फैसला नहीं आया और तहसीलदार तथा नगर परिषद् के लोगों ने खड़े होकर तोड़ दिया.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, फिर भी सम्मानित सदस्य, वरिष्ठ सदस्य हैं, अगर इनके मन में कोई जिज्ञासा या भ्रम है,तो मैं यहां से अधिकारी भेज करके पूरे केस की जांच करा लेता हूं. उस जांच में जो भी दोषी पाया जायेगा, हम उसके ऊपर कार्यवाही करेंगे.
श्री शंकरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी को धन्यवाद देता हूं, पर यह विनती करता हूं कि नगरीय निकाय और साथ में राजस्व यह दोनों के वरिष्ठ अधिकारी भेजे जायें और उनसे जांच कराई जाये.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, जी हां.
12.52 बजे याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय -- आज की कार्य सूची में सम्मिलित सभी याचिकायें प्रस्तुत की हुई मानी जायेंगी.
12.52 बजे वक्तव्य
राज्य वन सेवा में चतुर्थ स्तरीय वेतनमान स्वीकृत करने के संबंध में वन मंत्री का वक्तव्य.
वन मंत्री (डॉ. गौरीशंकर शेजवार) -- अध्यक्ष महोदय,
12.53 बजे अध्यक्षीय घोषणा
भोजनावकाश विषयक
अध्यक्ष महोदय -- आज भोजनावकाश नहीं होगा. भोजन की व्यवस्था सदन की लॉबी में की गई है. माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि सुविधानुसार भोजन ग्रहण करने का कष्ट करें.
12.54 बजे वर्ष 2017-2018 की अनुदानों की मांगों पर मतदान ....... (क्रमश:).
(1) |
मांग संख्या – 12 |
ऊर्जा |
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मांग संख्या – 68
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नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा.
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उपस्थित सदस्यों के कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए.
अब मांगों और कटौती प्रस्तावों पर एक साथ चर्चा होगी.
इन मांगों पर चर्चा हेतु डेढ़ घण्टे का समय नियत है. तद्नुसार दल संख्यावार भारतीय जनता पार्टी के लिये 1 घण्टा 4 मिनट, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लिये 21 मिनट, बहुजन समाज पार्टी के लिये 3 मिनट एवं निर्दलीय सदस्यों हेतु 2 मिनट का समय आवंटित है. मंत्री का उत्तर भी इसी समय में शामिल है. मैं समस्त सदस्यों से अनुरोध करता हूं कि वे समय सीमा का ध्यान रखकर संक्षेप में अपने क्षेत्र की समस्याएं रखने का कष्ट करेंगे.
श्री जितू पटवारी (राऊ) -- अध्यक्ष महोदय, आपने मांग संख्या 12 एवं 68 पर बोलने के लिये मुझे अवसर दिया, इसके लिये मैं आपको धन्यवाद देता हूं.आदरणीय वित्त मंत्री जी ने अपने बजट भाषण में एक शेर पढ़ा था कि पंछी ने जब जब किया पंखों पर विश्वास,दूर-दूर तक हो गया उसका ही आकाश. बिजली विभाग ने पंखों से आकाश में कैसे उड़ान भरी है, मैं उसको 10-15 मिनट में बताने की कोशिश करुंगा. विद्युत वितरण कम्पनियों के ऋण के भार को लेकर 7361 करोड़ रुपये की मांग की गई है, जिसमें 3 हजार करोड़ रुपये के लगभग अनुदान, जो देय नहीं होगा और बाकी देय राशि का प्रावधान किया गया है. ऊर्जा मंत्री जी को कोयले को लेकर शायद इतना पता है कि कोयला काला होता है और यह भी पता है कि वह जलता भी है. पर यह नहीं पता कि इस कोयले ने कैसे भ्रष्टाचार के रुप में सरकार का मुंह काला किया है, यह मैं बताने की कोशिश करुंगा. लागत से 3 गुनी महंगी आप बिजली जनता को देते हैं. सरकारी बिजली घर में बनी बिजली 2.57 रुपये प्रति यूनिट उत्पादित होती है. आप जो बिजली खरीदते हैं, आपके प्रश्नों के उत्तर से सारी बातें कहना चाहता हूं. सरकार जो बिजली खरीदती है, वह 4 रुपये से 6 रुपये प्रायवेट कम्पनियों से लगभग खरीदती है और जो जनता को अलग अलग श्रेणी में आप देते हैं, उसकी भी सूची मैं लेकर आया हूं कि किस बिजली को किस संदर्भ में, किस तरीके से आप देते हैं.
12.58 बजे {उपाध्यक्ष महोदय (डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए.}
उपाध्यक्ष महोदय, घरेलू वाणिज्य बिजली 6 रुपये 58 पैसे एवं 7 रुपये 84 पैसे अधिभार मिलाकर 2015-16 की. घरेलू बिजली 5 रुपये 56 पैसे पर यूनिट. आप कृषि में उपयोग करने की, जिसको 24 घण्टे और 15 घण्टे की बात अभी ये सब सदस्य करेंगे, मैं समझता हूं कि यह सभी सदस्यों की पीड़ा भी है 4 रुपये 74 पैसे, 7 रुपये 30 पैसे औद्योगिक बिजली और औद्योगिक उच्च दाब 7 रुपये 20 पैसे और आप बनाते कैसे हैं, उसका भी आंकड़ा लेकर आया हूं. आप जो बनाते हैं, वह 2013-14 में आपने 4 रुपये 90 पैसे का आंकड़ा दिया, उससे पहले 2 रुपये 57 पैसे का दिया, फिर 4 रुपये 69 पैसे का दिया, 2014-15 में 4 रुपये 84 पैसे का और 2015-16 में 5 रुपये 29 पैसे का. जब आप इतनी सस्ती बिजली बनाते हैं और इतनी महंगी बिजली बेचते हैं, फिर भी 5 हजार करोड़ रुपये का घाटा, मंत्री जी आपका कैसा मेनेजमेंट है ,यह मुझे समझ में नहीं आया. मैं आपसे एक अनुरोध करना चाहता हूं कि इसका मूल कारण है कि आपकी विद्युत इकाई, जो मध्यप्रदेश शासन की है, आप ही के उत्तर में आपने कहा है कि हम जितनी उसकी बिजली क्षमता पैदा करने की है, उससे 20 से 25 प्रतिशत बिजली ही आप पैदा कर पा रहे हैं. मैं समझता हूं कि आपके मंत्री बनने के बाद आप इतने कर्मठ आदमी हैं, बचपन से लेकर आज तक इतनी मेहनत की है, खुद के दम पर राजनीति में आपने अपना स्थान बनाया है, मैं समझता हूं कि विद्युत सुधार के लिये भी आप प्रयास करेंगे, इसकी मैं आपसे कल्पना करता हूं कि सरकार 35 प्रतिशत से 40 प्रतिशत क्षमता से ही प्लांटों पर अपना उत्पादन कर पा रही हैं. यह सरकार का फैल्युअर है और साथ ही इसका भी फैल्युअर है कि जो कोयला इन कम्पनियों को मंत्री जी आप देते हैं और खासकर जो अधिकारी इधर बैठे हैं. मैं आपके माध्यम से अनुरोध करना चाहता हूँ, उसमें भारी मात्रा में भ्रष्टाचार है.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार - उपाध्यक्ष महोदय, सामान्य तौर पर परम्परा यही है कि अधिकारी दीर्घा, अध्यक्षीय दीर्घा या दर्शक दीर्घाओं का उल्लेख सदन में नहीं किया जाता.
उपाध्यक्ष महोदय - आप ठीक कह रहे हैं.
श्री जितू पटवारी - उपाध्यक्ष जी, मैंने कहा है कि अधिकारियों का भ्रष्टाचार.....
उपाध्यक्ष महोदय - पटवारी जी, आपने कहा है. आप उनके माध्यम से अधिकारियों को बता रहे हैं. यह उचित नहीं है.
श्री जितू पटवारी - ठीक है. मैं यह अनुरोध करना चाह रहा था कि क्षमता जितनी कम हो रही है, उसके पीछे कोयले का जो उपयोग किया जाता है. कितने ग्रेड का कोयला खरीदना चाहिए, कितने ग्रेड का कोयला उसमें उपयोग करना चाहिए. कितनी ग्रेड का है, वह 9 ग्रेड का कोयला है, 10 ग्रेड का कोयला है. कितनी क्षमता उस उत्पादन करने वाली इकाई में उस कोयले के ग्रेड की है. उसके ग्रेड की क्षमता 3600 रुपये प्रति टन का जो कोयला आता है, उसकी खपत कर सकता है, उसमें आपने 4500, 5000 एवं 7800 कर दिया. 10 ग्रेड से 11 ग्रेड का ऐसे कोयले का आपने उपयोग करने की कोशिश की, उसकी क्षमता ही नहीं थी हालांकि एक कारण यह भी है कि यह मिस मैनेजमेंट का परिणाम है.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं कोयले को लेकर एक अनुरोध करना चाहता हूँ कि आप तीन गुना महंगा कोयला खरीदते हैं और इसका भार जनता और उपभोक्ता पर डालते हैं. पहले मंत्री जी ने एक चिट्टी लिखकर इसी वर्ष 2017 में यह कहा कि कोयला हम पास से खरीदें, हम दूर से क्यों खरीद रहे हैं ? मैं वह चिट्ठी भी लाया हूँ.
आपने भी इस पर चिन्ता जाहिर की है. मैं समझता हूँ कि आपकी चिट्ठी का 3 महीने में किसी प्रकार की कोई कार्यवाही, कोई सोच-विचार, उस पर कोई गम्भीरता, इस शासन ने इस सरकार ने, आपके विभाग ने नहीं ली है. आप कोयले की गुणवत्ता को लेकर, देशी कोयला विदेशों से जो कोयला खरीदते हैं, वह उससे अच्छा है. फिर भी आप विदेशों से खरीदते हैं क्योंकि हमने अडानी जी की सहायता करनी है, उनकी कम्पनी है. आपको इन्दौर के एक और बड़े कोल व्यापारी की कम्पनी की मदद करनी है. मैं आपसे अनुरोध यह करना चाहता हूँ कि जिस तरीके से विद्युत ताप इकाइयों में बॉयलरों की क्षमता 3600 से 4000 जी.सी.व्ही. की है, उसी में आप 6500 जी.सी.व्ही. का कोयला डालते हैं. एक तरफ आप महंगा कोयला लेते हैं, उसका खर्चा होता है और दूसरी तरफ उस इकाई की क्षमता ही नहीं है, जिसका आपको उपयोग करना पड़ता है. इसमें सुधार करेंगे तो मैं समझता हूँ कि बहुत अच्छी कोशिश होगी पर वह हो कैसे ? क्योंकि उसमें पैसा बीच में नहीं जायेगा. खेल नहीं जमेगा और कुछ न कुछ, किसी न किसी प्रकार का भ्रष्टाचार नहीं होगा.
उपाध्यक्ष महोदय - पटवारी जी, आप आसंदी के माध्यम से बोलेंगे और इधर मुखातिब भी होंगे.
श्री जितू पटवारी - उपाध्यक्ष जी, धन्यवाद. कोयले को ढोना, एक सबसे महत्वपूर्ण बात इसमें यह भी आई है. सारणी में जो कोयला उपयोग होता है, सारणी के पास ही कोयले की भी खदानें हैं, वहीं के वहीं उत्पादन और वहीं के वहीं खपत हो सकती है पर जो 1000 किलोमीटर दूर से कोयला आता है. उस कोयले को बीच में कम्पनी को डालकर ढोया जाता है और वही कम्पनी पिछले 10 वर्षों से, 12 वर्षों से जबसे शिवराज जी मुख्यमत्री बने हैं, आपने एक ही कम्पनी को काम दिया है. टेण्डर 2 वर्ष के होते हैं, 5 वर्ष तक काम करते रहते हैं, टेण्डर एक वर्ष का होता है, 8 वर्ष तक काम करना पड़ता है. एक ही कम्पनी की जगह दो कम्पनी कर दी तो दो कम्पनी में, एक ही कम्पनी के डायरेक्टर्स हैं और दोनों का मिला-जुला खेल कैसे शासन कर रहा है, कम से कम 3,000 करोड़ रुपये सालाना विद्युत उत्पादन कम्पनियों को इससे नुकसान होता है और मैं समझता हूँ कि इसमें जिस तरीके से चूँकि बाहर के लोगों के नाम नहीं लिये जाने चाहिए पर भारतीय जनता पार्टी से जुड़े हुए एक दिल्ली के नेता हैं, उनकी कम्पनी है. वह पिछले 10 वर्षों से वही खेल चल रहा है. उसमें अधिकारी, पॉलिटिकल लोग भी मिले हुए हैं और जो संबंधित लोग हैं, उसमें भारी भ्रष्टाचार है.
श्री दिलीप सिंह परिहार - जितू भाई, आपको बस कुछ भी बोलना है.
श्री जितू पटवारी - मैं सच कह रहा हूँ. मैं कभी गलत नहीं बोलता हूँ. सरकार ने जो आंकड़े दिए हैं. मैं उसके अंतर्गत कहना चाहता हूँ कोयले के हमारे प्लाण्ट 10 किलोमीटर से 200 किलोमीटर दूरी की उपलब्धता होती है. सरकार भ्रष्टाचार के लिए 990 किलोमीटर दूर से वहां पर कोयला लाती है, सारणी, खण्डवा जितने भी हैं. उनकी लम्बी दूरी कैसे हो ? मैं समझता हूँ कि यह भी एक भ्रष्टाचार का मुख्य तरीका है और उसका भार उपभोक्ताओं पर पड़ता है. मैंने जैसे कहा कि यह एक जटिल प्रश्न भी है और थोड़ा रोचक भी है. मैंने जैसा कहा कि जो खण्डवा के प्लाण्ट के लिए 165 रुपये और सारणी के प्लाण्ट के लिए 140 रुपये ढोने का काम दिया. आप देखें कि उसी एक कम्पनी को एक जगह 165 रुपये और 140 रुपये अलग-अलग दो भाव दिए. पहले 140 रुपये में टेण्डर हुआ, साल पर साल बढ़ाते जा रहे हैं, इसमें कोई टेण्डर नहीं, कोई प्रक्रिया नहीं, कोई नियम नहीं, अद्भुत भ्रष्टाचार की भेंट यह विभाग चढ़ रहा है. इसमें बहुत सी ऐसी बातें हैं, जो मैं करना चाहता हूँ और ढोने के बाद फिर अन्दर एक अलग टेण्डर दिया, उसके पत्थर निकालने का. जब आप ढुले हुए कोयला का पैसा देते हैं तो फिर पत्थर अलग से और पत्थर कितना, साल का एक लाख टन पत्थर, 6500 रुपये, 7800 रुपये, 6200 रुपये टन के कोयले के पत्थर के आपने इतने रुपये दे दिये. यह प्रश्न के उत्तर में हैं. मंत्री जी आपका कैसा मैनेजमेंट है. मैं समझता हूँ कि यह आप तक नहीं होती है. सरकार को भी कहना पड़ेगा. आप तक तो कुछ नहीं आ रहा है इसलिए आपको बनाया है, नहीं तो समझदार इस विभाग के स्पेशलाईजेशन को बनाते. इसलिए आप मंत्री क्यों बने ? इसमें आपकी गलती नहीं है, आपने तो कहा कि मैंने चिट्ठी लिखी.
उपाध्यक्ष महोदय - जितू जी, आप 2 मिनट में समाप्त करें.
श्री जितू पटवारी - उपाध्यक्ष जी, मैं ओपनिंग में हूँ. यह आपसे अनुरोध है.
उपाध्यक्ष महोदय - यह ओपनिंग जरूर है. अध्यक्ष जी आसंदी से यह कह गए हैं कि आपके दल को कुल 21 मिनट हैं.
श्री जितू पटवारी - हां, ठीक है.
उपाध्यक्ष महोदय - आपको 10 मिनट हो गए हैं. अब आप 2 मिनट में समाप्त करें. अभी 6 लोग और बोलने वाले हैं.
श्री जितू पटवारी - उपाध्यक्ष जी, मैं समझता हूँ कि भ्रष्टाचार हटाने में आप भी मदद करें.
उपाध्यक्ष महोदय - आप एक ही विषय को ले रहे हैं.
श्री जितू पटवारी - मैं एक ही विषय को नहीं ले रहा हूँ. इससे संबंधित बातें हैं, अलग-अलग आ रही हैं.
उपाध्यक्ष महोदय - आप 2 मिनट में समाप्त की कीजिए.
श्री जितू पटवारी - आपको एक संबंध दिखा कि कोयले की ढुलाई है और ढुलाई के बाद पत्थर निकालना है, पत्थर और ढुलाई के टेण्डर अलग-अलग हुए. उसमें भ्रष्टाचार ज्यादा हुआ और फिर इसमें भी हुआ एवं आपको एक ही दिख रहा है. उपाध्यक्ष महोदय, मैं तो समझता हूँ कि यह अलग-अलग हैं.
उपाध्यक्ष महोदय - आप तब से कोयला ढुलाई की बात ही किये जा रहे हैं. आप 2 मिनट में दूसरी बात करके समाप्त कीजिये.
श्री जितू पटवारी - उपाध्यक्ष महोदय, मेरा अनुरोध यह है कि जितनी भी विद्युत ताप उत्पादन इकाईयां हैं.
उपाध्यक्ष महोदय - वह आपकी बात आ गई है.
श्री जितू पटवारी - (तेज आवाज में बोलने पर) मेरा अनुरोध है कि आप मेरी बात सुनिये.
उपाध्यक्ष महोदय - आप इस तरह से आसंदी को नहीं कह सकते हैं. (बाला बच्चन जी को देखकर) उप नेता जी, इनको थोड़ा समझाएं. 11 मिनट हो गए हैं, 15-20 सेकेण्ड का इन्टरवेंशन है. अध्यक्ष जी, शुरू में ही आसंदी से कह गए हैं कि 21 मिनट हैं तो कैसे मैनेज होगा ? 6 लोग कैसे बोलेंगे. जितू जी आपने आज की कार्यसूची देखी होगी आज बहुत सारे विभाग हैं. आप 2-3 मिनट में बोल लीजिये.
श्री जितू पटवारी - उपाध्यक्ष महोदय, ओपनिंग में मुझे पता होता है.
उपाध्यक्ष महोदय - जी हां, अगर ओपनिंग में समय ज्यादा होता है. डेढ़ घण्टे होता .....
श्री जितू पटवारी - उपाध्यक्ष महोदय, कुल मिलाकर भ्रष्टाचार का बोलबाला है. दोनों हाथों से सरकार लूटने में लगी हुई है, उन्हीं अधिकारियों की नियुक्ति होती है, जो इसमें सहायता कर सकते हैं तो यह बात सदन में अगर आपके माध्यम से मैं नहीं बताऊँगा तो कहां बताऊँगा. मुझे यह समझ में नहीं आता कि जिस तरीके से, इनके प्रश्नों के उत्तर में भ्रष्टाचार अलग-अलग माध्यम से क्लीयर हो रहा है, वितरण से, उत्पादन से, कोयले खरीदी, कोयले में ढुलाई और कोयले में पत्थर से 100 जगह भ्रष्टाचार जगह-जगह होता है. इस बात के लिए सदन के पास समय नहीं है तो कैसे होगा. आपकी विधानसभा, मेरी विधानसभा और माननीय सदस्यों की विधानसभा में जिस तरीके से भ्रष्टाचार ....
उपाध्यक्ष महोदय - आप विषय पर नहीं बोल रहे हैं.
श्री सुदर्शन गुप्ता - उपाध्यक्ष महोदय, इनके पास बोलने के लिए कुछ नहीं है. यह एक ही टेप बजा रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय - बैठ जाइये. बैठ जाइये.
श्री सुदर्शन गुप्ता - जितू पटवारी के पास कोई विषय बोलने के लिए नहीं है. उसी बात को बार-बार घुमाकर, रिपीट कर रहे हैं. वे पन्ने पलटाते जा रहे हैं और एक ही बात को बार बार रिपीट कर रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय - सुदर्शन जी, आप बैठ जाइये.
श्री वैलसिंह भूरिया - जितू भैया, उठकर नींद में आ गए हैं. कुछ बोलने की तैयारी नहीं है.
श्री सुदर्शन गुप्ता - सही बात बोल रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय - सदन के अन्दर कुछ बोलने का तरीका होता है. सदन के बाहर का अलग तरीका होता है. सदन की एक शैली होती है.
श्री जितू पटवारी - उपाध्यक्ष जी, आपकी मेहरबानी होगी, आपका संरक्षण होगा बजाय इन्टरवेंशन के. आप कहें तो बोलूँ.
उपाध्यक्ष महोदय - नहीं, ऐसा नहीं है. यह अंतहीन तो नहीं हो सकता है. आप जोर से बोलेंगे तो आसंदी पर उसका कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला है. आप यह जान लीजिये. अब आप 2 मिनट में समाप्त कीजिये.
श्री जितू पटवारी - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जिस तरीके से एक ही कम्पनी को ढुलाई का काम दिया है. मैं यह बताने की कोशिश कर रहा था, उसके बाद भी फिर पत्थर का अलग से ठेका देना पड़ा उसी उत्पादन कम्पनी में, यह विषय तो सामने है. आपसे अनुरोध करना चाहता हूँ कि माननीय विभाग के मुख्य सचिव, इसमें एक लाइजनिंग का पार्ट है कि कोयला खरीद कर ट्रेन से आता है तो उसको सही तरीके से इकाई तक पहुँचा दो. 9 रुपए से 12 रुपए टन पर 3 हजार रुपए टन हमें उस पर बच जाता है. यदि आप कहो तो मैं यह प्रश्न पटल पर रख सकता हूं. उपाध्यक्ष महोदय, इसमें गम्भीरता यह है कि एक तरफ तो जो कोयला हम 2500 रुपए का खरीदते हैं उसमें लाइजनिंग करके 3000 हजार रुपए कैसे बचा सकते हैं. इसके लिए सरकार कोई जवाब नहीं देगी और यदि मैं भी नहीं पूछूंगा, सदन में भी चर्चा नहीं होगी तो और कहां होगी? मैं आपसे यह भी अनुरोध करना चाहता हूं कि जिस तरीके से रेलवे से कोयला आता है. कोयले के सुपरवीजन के साथ जब कोयला उतरता है. इस साल 10 करोड़ रुपए सरकार ने उसकी पेनाल्टी दी है. इसका भार अन्ततोगत्वा तो आम जनता पर पड़ता है. इस कारण से यह हानि हो रही है और हमने बजट में प्रोवीजन किया है. यह आपत्तिजनक है, आपका मेनेजमेंट खराब है तो उसकी सजा जनता को क्यों मिले? मैं सरकार से एक और अनुरोध करना चाहता हूं कि आज की विद्युत वितरण कंपनी बिजली उपयोग भोपाल में जो लाईन लॉस है इनके प्रश्न के उत्तर में 31.35 प्रतिशत लाइन लॉस इतना है तो फिर 12 साल से.....
उपाध्यक्ष महोदय-- आपको बोलते हुए 15 मिनट हो गए हैं. आप एक मिनट में समाप्त करें.
श्री जितू पटवारी-- सरकार ने क्या किया एक तरफ आपके पास भरपूर बिजली है और हर बार विनियामक आयोग की मीटिंग जगह जगह चलने लग जाती हैं कि आज ऐसा हो गया आज फिर 60 पैसे बढ़ेंगे. आप एक तरफ आपकी कीमतें बढ़ाते जाते हैं और एक तरफ कहते हैं कि हमारे पास सरप्लस बिजली है. आपने 5500 करोड़ रुपया बिना बिजली खरीदे कंपनियों को दे दिया है. माननीय मंत्री जी ने एक बार वक्तव्य दिया कि यह एग्रीमेंट कैंसिल हो जाना चाहिए. एक तरफ आप (XXX) और हमारे आस पास के जितने प्रदेश हैं सबसे महंगी बिजली भी हम ही देते हैं. मंत्री जी ऐसा क्यों हैं? मैं माननीय उपाध्यक्ष जी से अनुरोध करना चाहता हूं कि बिना खरीदे 5500 करोड़ प्राइवेट लोगों को आपने ओब्लाइज किया, क्यों किया? इसमें क्या घालमेल है? क्या भ्रष्टाचार है? यह जनता पूछना चाहती है. मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हूं कि यह सब वह बातें हैं जिसका सीधा भार जनता पर पड़ता है. आपसे अनुरोध है आप अच्छे व्यक्ति हैं, भले व्यक्ति हैं आप तक वह सब नहीं आ रहा होगा क्योंकि आप अभी-अभी बने हैं. विद्युत वितरण कंपनी हो, उत्पादन कंपनी हो या विद्युत से जुड़ी हुई सारी कंपनियां 20,000 करोड़ रुपए का हर वर्ष गबन है और आप नहीं मानोगे तो मैं कोर्ट से साबित करूंगा. यहां तो मेरा हक है फिर भी मुझे बात करने का अवसर नहीं मिल रहा है लेकिन जब मैं कोर्ट जाउंगा तो सरकार को जवाब देना ही होगा कि 20,000 करोड़ रुपए अलग अलग सेक्टर में भ्रष्टाचार है.
श्री वैल सिंह भूरिया--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इन्हें रोक कौन रहा है. यह असत्य बातें सदन में कर रहे हैं. इन्हें आज तक रोका किसने है. जितू जी हर बार ऐसे ही बोलते हैं.
श्री जितू पटवारी-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
श्री हेमन्त विजय खण्डेलवाल (बैतूल) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 12 और 56 के समर्थन में अपनी बात रखना चाहता हूं और कटौती प्रस्ताव का विरोध करता हूं. हमारी सरकार ने बिजली के क्षेत्र में बहुत अच्छा काम किया है. अगर हम वर्ष 2003 से तुलना करें जब 5100 मेगावॉट का कुल उत्पादन था और 8000 मेगावॉट की डिमांड रहती थी और उस समय पूरा प्रदेश अंधकार में डूबा रहता था. हमारी सरकार ने बिजली के क्षेत्र में कायापलट कर दी है. आज हमारी सरकार का कुल उत्पादन 18000 मेगावॉट का है. सरकार ने घरेलू उपभोक्ताओं को 24 घंटे और किसानों को 10 घंटे बिजली देने का काम किया है. हमारी सरकार ने कृषि उपभोक्ताओं को नि:शुल्क और सस्ती बिजली देने के लिए 8736 करोड़ रुपए सब्सिडी का प्रावधान रखा. इसके साथ ही साथ सरकार ने एक और बड़ा काम किया जो अस्थायी कनेक्शन हैं इन्हें स्थायी करने का काम सरकार कर रही है. अभी तक पांच लाख कनेक्शनों को सरकार स्थायी कर चुकी है. बिजली की बचत हो इसके लिए सरकार पूरा प्रयास कर रही है. सरकार ने 9 वॉट के एल.ई.डी. बल्ब, ट्यूबलाईट और फाईव स्टार रेटिंग के पंखे कम दर पर जनता को उपलब्ध कराए हैं. रीवा में अल्ट्रा मेगा सोलर पॉवर परियोजना है जो दुनिया की सबसे बड़ी सोलर परियोजना है. जिसमें 750 मेगावॉट का उत्पादन होगा उसमें लागत मात्र 2.97 पैसे बिना सब्सिडी के आ रही है. जबकि देश भर में दूसरी यूनिट में यह लागत साढ़े चार रुपए यूनिट की है और इसके लिए मैं आपके माध्यम से हमारे मुख्यमंत्री और उर्जा मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहूंगा. हमारे विपक्षी साथी जैसा बता रहे थे यह बात सच है कि आज कांग्रेस के समय से हमारा उत्पादन तीन गुना बढ़ गया है. आज हमारी स्थिति बिजली बचाने की नहीं बल्कि बिजली खर्च कैसे हो इसकी है. मैं आपके माध्यम से बताना चाहूंगा कि अब बिजली खर्च कैसे हो इस नीति पर हमें काम करना होगा ताकि हमारे पॉवर प्लांट बचाये जा सकें और उनके कर्मचारियों का संरक्षण हो सके. साथ ही साथ हमारे विद्युत मंडल को जो विद्युत के एग्रीमेंट हुए हैं वह फिक्स कॉस्ट न देनी पड़े. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से बताना चाहूंगा कि सारणी पॉवर प्लांट और दीगर पॉवर प्लांट हैं उनकी उत्पादन लागत लगभग 3 रुपए 40 पैसे पर यूनिट आती है. हमारी सरकार ने जो दूसरे एग्रीमेंट किए हैं. रिलायंस से 2 रुपए, जे.पी. दिगरी से 3 रुपए 10 पैसे, हिन्दुस्तान पॉवर से चार रुपए 10 पैसे प्रति यूनिट की कॉस्ट आती है. पॉवर एग्रीमेंट के कारण अगर हम बिजली का उत्पादन जितना कर रहे हैं और उसे खर्च नहीं कर पाते तो हमें 1 रुपए यूनिट की फिक्स कॉस्ट देनी पड़ती है. हमारे पास लगभग 18000 मेगावॉट की क्षमता है. पीक सीजन में 11500 मेगावॉट ही हम कंज्यूम कर पाते हैं. 6500 मेगावॉट हमारे पास सरप्लस बिजली रहती है.
उपाध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से अनुरोध है जब हमारे पास सरप्लस बिजली है तो हम किसानों को 24 घंटे बिजली दें. हम जो फीडर सेपरेशन का काम कर रहे हैं उसकी भी 9000 करोड़ की राशि हम बचाएं क्योंकि आज समस्या इस बात की है कि हम बिजली कैसे कंज्यूम कर सकें. दूसरा मेरा अनुरोध है कि हमारी सरकार जो उत्पादन लागत होती है उस हिसाब से इंडस्ट्रीज को 7 रुपए 20 पैसे यूनिट पर बिजली देती है. कोल्ड स्टोरेज को भी 7 रुपए यूनिट से बिजली देती है. मेरा अनुरोध है कि हमारी जो उत्पादन लागत है वह 3 रुपए 40 पैसे यूनिट है. हम लाईन लॉस 30 प्रतिशत जोड़ लें तो साढ़े चार रुपए यूनिट से हम उद्योगों को बिजली दे सकते हैं. कोल्ड स्टोरेज को दे सकते हैं और इसमें सरकार को कोई भी खर्चा नहीं आएगा. क्योंकि न इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ेगा और न ही हमारे कर्मचारियों की संख्या बढ़ेगी. लागत मूल्य पर अगर हम उद्योगों को बिजली देते हैं तो हजारों उद्योग दूसरे राज्यों की अपेक्षा हमारे यहां स्थापित हो पाएंगे. हजारों कोल्ड स्टोरेज हमारे यहां बन पाएंगे ताकि सब्जी के क्षेत्र में हमारा प्रदेश देश में अग्रणी हो पाए, हम सब्जियों का संरक्षण कोल्ड स्टोरेज में लागत के माध्यम से कर पाएंगे. उपाध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से एक और अनुरोध है हमारी सरकार किसानों को प्रति हार्स पॉवर नॉन पीक सीजन में 80 हार्सपॉवर प्रति यूनिट की दर से गणना करती है और पीक सीजन में 170 वॉट प्रति हार्सपॉवर की दर से खपत मांगती है. कुल 75000 खपत प्रति यूनिट सालभर में मानकर 34 हजार का बिल सरकार किसानों से लेती है. जिसमें 7000 किसान देता है और लगभग 27000 की सब्सिडी मध्यप्रदेश सरकार देती है. मेरा आपके माध्यम से अनुरोध है कि ऐसे बहुत से किसान हैं जो 7500 यूनिट बिजली नहीं जला पाते हैं. मेरे अपने जिले बैतूल में मात्र दो या तीन पानी के अवसर किसानों के पास रहते हैं और वह मात्र दो से तीन हजार यूनिट बिजली ही जला पाते हैं. अगर सरकार उनकी मांग पर मीटर लगा दे तो उनको भी 7000 की जगह ढा़ई तीन हजार बिल देना होगा और सरकार को भी 27000 की जगह 7000 सब्सिडी देना पड़ेगी. साढ़े तीन रुपए प्रति यूनिट की दर से सब्सिडी देना पड़ेगी. सरकार को भी 20000 हजार बचेंगे. कहीं न कहीं सरकार पर भी सब्सिडी का बोझ कम होगा. अंत में, मैं आपके माध्यम से सरकार से अनुरोध करना चाहूंगा कि यदि हम बिजली सस्ती करते हैं तो हमारी जो खपत है वह साढ़े ग्यारह हजार मेगावॉट से बढ़कर 15-16 हजार मेगावॉट हो सकती है. और हजारों उद्योग हमारे यहां लग सकते हैं जिनसे युवाओं को रोजगार मिलेगा. कोल्ड स्टोरेज के माध्यम से हम अपनी खेती को बचा सकते हैं. गेहूँ के साथ-साथ सब्जी के क्षेत्र में हम नंबर वन बन सकते हैं. सारणी जैसे पॉवर प्लांट जिसकी 650 मेगावॉट की दो यूनिट बनकर तैयार होना है जिसका डीपीआर तैयार है. ऐसी कई यूनिट हम शुरु कर सकते हैं. मैं आपके माध्यम से मंत्री जी और सरकार से यही अनुरोध करना चाहूँगा कि विद्युत के क्षेत्र में पूरे देश में हमने जो उदाहरण पेश किया है. अब हम नई नीति पर काम करें. कैसे बिजली खर्च हो और कैसे सस्ती बिजली हम उद्योगों और कृषि को उपलब्ध कराएं. इस नीति पर काम करें तो हम इस प्रदेश में किसानों और उद्योगों का भविष्य दोनों सुधार पाएंगे. आपने मुझे बोलने का मौका दिया इसके लिए धन्यवाद करते हुए पुन: मध्यप्रदेश सरकार को इस बात के लिए धन्यवाद करते हुए कि अगर हमारी सरकार नहीं आती तो यह अँधेरा आज भी जारी रहता. आपको इस बात के लिए धन्यवाद करते हुए कि आपने बिजली के क्षेत्र में जो अभूतपूर्व काम किया है वैसा कोई भी नहीं कर सकता है. हम नई नीति पर काम करें. हम यूरोप से सीखें, हम चीन से सीखें और पुन: पूरे देश में उदाहरण बनकर सामने आएं. मैं अपनी बात समाप्त करने की इजाजत चाहूंगा. धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय--डॉ. गोविन्द सिंह जी. डॉक्टर साहब 21 मिनट में से 17 मिनट पटवारी जी ने ले लिए हैं.
डॉ. गोविन्द सिंह--तो फिर हम बैठ जाते हैं किसी और को बोल लेने दीजिए.
उपाध्यक्ष महोदय--यह गलत बात है आप लोग आसंदी के प्रति ऐसा व्यवहार करते हैं.
डॉ. गोविन्द सिंह--यह गलत बात नहीं, पटवारी जी ने ले लिए.
उपाध्यक्ष महोदय--आपको सिर्फ सूचना दे रहा हूँ, मैं आपको बता रहा हूँ. आप शुरु करिए फिर हम बाद में व्यवस्था देंगे.
डॉ. गोविन्द सिंह--अभी चार-पांच मिनट कम से कम पांच सात लोगों को...
उपाध्यक्ष महोदय--कार्य मंत्रणा समिति में आप भी रहते हैं तो समय क्यों नहीं बढ़वाते हैं.
श्री जितू पटवारी--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरा अनुरोध है कि बिजली का मूल्य..
उपाध्यक्ष महोदय--आप बैठ जाएं, अभी वे बोल रहे हैं आप बैठ जाएं.
श्री जितू पटवारी--मैं आपसे अनुरोध तो कर सकता हूँ यह मेरा अधिकार है.
उपाध्यक्ष महोदय--वे बोल रहे हैं उनको बोलने दीजिए.
श्री जितू पटवारी-- सर, मेरा यह अधिकार है कि मैं आपसे अनुरोध तो कर ही सकता हूं कि विद्युत मंत्रालय बहुत बड़ा असर करता है प्रदेश की जनता पर अगर इसमें डेढ़ घण्टे का समय निर्धारित है यह यदि 2-3 घण्टे भी हो जाएगा, भोजन भी नहीं कर रहे हैं, बढ़ भी जाएगा तो क्या नुकसान हो जाएगा. जरा आप भी आत्म मंथन करें तो अच्छा होगा प्रदेश की जनता के लिए. किसान जेल जा रहे हैं उसमें कृपा होगी, कुछ तो होगा इससे, कुछ सार्थक निर्णय निकलेगा.
उपाध्यक्ष महोदय--नहीं-नहीं आपके इनपुट अच्छे हैं बैठ जाइए. लेकिन कार्यमंत्रणा समिति में डाक्टर गोविन्द सिंह जी रहते हैं और वहाँ समय तय हुआ है. अब अगर यह ज्यादा बढ़वा लेते तो उचित रहता क्यों नहीं बढ़वाया.
डॉ. गोविन्द सिंह--इतना समय देती कहां है सरकार, इतना बजट पेश होना है आप भी रहते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय--डेढ़ घण्टा तय हुआ था आप कहते कि ढाई घण्टा होना है और सब लोग मान जाते तो ढाई घण्टा समय निर्धारित होता. आप भी भागीदार थे.
डॉ. गोविन्द सिंह--उस समय दूसरे विभागों में समय कम कर रहे थे.
उपाध्यक्ष महोदय--यह तो कार्यमंत्रणा समिति में तय होता है उसके बाद सदन अनुमोदित करता है.
डॉ. गोविन्द सिंह--हमारा आपसे अनुरोध है कि आप संख्या निर्धारित कर दें.
उपाध्यक्ष महोदय--इस पक्ष से तीन लोग बोलें.
डॉ. गोविन्द सिंह--अगले विभाग में तीन से ज्यादा नहीं बोलेंगे.
उपाध्यक्ष महोदय--अब आप शुरु करिए.
डॉ. गोविन्द सिंह (लहार)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, चूंकि समय कम है तो ज्यादा तो नहीं बोल पाउंगा लेकिन मैं अपने क्षेत्र के बारे में बता देना चाहता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय, राजीव गाँधी विद्युतीकरण योजना प्रारंभ हुई और उस विषय में मैंने विधान सभा में प्रश्न भी लगाये. उसमें बताया गया कि 169 गाँवों में से 50-55 गाँवों में यह काम पूर्ण कर दिया गया है. मैंने फिर विधान सभा में प्रश्न लगाया 23 फरवरी को उसमें उत्तर आया है कि हुए नहीं हैं. कंपनियां काम छोड़कर भाग गई हैं पूरा नहीं कर रही हैं. हमने कंपनी के ठेकेदार से पूछा कि आप काम क्यों छोड़ रहे हो. लगातार तीन-तीन बार निविदाएं हो गईं लेकिन निविदाओं के बाद भी कंपनियां काम करने को तैयार नहीं हैं. भिण्ड और मुरैना यह दो जिले ऐसे हैं जहाँ कोई कम्पनी काम करने को तैयार नहीं है. जो बाहर की कंपनी थी हमने उनसे पूछा तो उन्होंने कहा कि हमसे इतना ज्यादा कमीशन पहले ले लेते हैं कि हमें घाटा हो रहा है. हम बाहर से माल लाते हैं इस कारण हम नहीं कर पाते हैं. आपकी योजनाएं दीनदयाल उपाध्याय योजना, राजीव गाँधी विद्युतीतकरण योजना, उदय योजना है किसी भी योजना में भिण्ड जिले में पिछले तीन वर्ष से कोई काम नहीं हो रहा है. ठीक है आपने एमडी, पोरवाल जी को हटा दिया है. लेकिन वह आदमी आपका पूरा विद्युत विभाग चौपट करके चला गया है. वह नंबर एक का भ्रष्टाचार शिरोमणी था. ग्वालियर में लाइन लॉस कम करने के लिए ठेका दिया अगर लाइन लॉस कम नहीं होता तो मान्टी कार्लो कम्पनी से पैसा काटना चाहिए था लेकिन नहीं काटा गया. 25 करोड़ रुपए का उसको भुगतान कर दिया. लोकायुक्त और ईओडब्लूय में शिकायतें हुईं. ग्वालियर हाईकोर्ट ने निर्देश दिए कि ईओडब्ल्यू इसकी जाँच करे. ऐसे अधिकारियों और कर्मचारियों को नियम के विपरीत जो विद्युत मंडल का परिपत्र दिनांक 20.2.2017 जारी था. इसमें जूनियर अधिकारियों को वरिष्ठ का चार्ज दिया गया. पद खाली पड़े हैं. यहां से उसने किसी से 1 लाख किसी से 2 लाख रुपए लेकर दो-दो पद ऊपर चार्ज दे दिया. करोड़ों का भ्रष्टाचार किया. लहार क्षेत्र में भर्ती हुआ. हमने मय सीडी के प्रमाण सहित लेन-देन की बात तत्कालीन एमडी को दी थी. बेरोजगारी बढ़ी हुई है, रोजगार मिल नहीं रहे हैं.कम्प्यूटर ऑपरेटर, मीटर रीडर लाईन हेल्पर का विज्ञापन पेपर में निकाल दिया. लड़के गये. तमाम आईटीआई जो हैं ही नहीं उनके फर्जी प्रमाण-पत्र लगाकर पैसे लेकर भर्ती किया. वे लड़के सोचते हैं कि हम परमानेंट हो जाएंगे. इसमें पैसा मांगा जिसकी सीडी हमने पोरवाल जी को मय प्रमाण के दी थी उसकी जाँच नहीं की गई. दबाकर बैठ गया. सहायक यंत्री को अस्सिटेंट इंजीनियर का चार्ज दे दिया. वे एक महीने में लाइन मेन का ट्रांसफर कर देते हैं और 5000 रुपए ले लेते हैं. यह भ्रष्टाचार चल रहा है. इसको रोकने का काम करें. पहलवान जी आप जरा ठीक-ठाक हो ईमानदार आदमी हो. नए एमडी आ गए हैं उनकी हमको ज्यादा जानकारी नहीं है. लेकिन जो विभाग चौपट कर गए उसको ठीक करने में इन्हें समय लगेगा.
उपाध्यक्ष महोदय, विद्युत अधिनियम की धारा 135 और 138 है. अगर कोई चोरी करता है उस पर कार्यवाही करें हमें कोई आपत्ति नहीं है. लेकिन धारा 138 में ऐसा प्रावधान कर दिया है कि जो बिल नहीं चुकाएं. हमारे यहां एक गाँव है कुरथर 10 वर्ष पहले आँधी आई थी. ट्रांसफार्मर नहीं, बिजली नहीं, तार नहीं, खंबे टूट गए. किसी के घर 2 लाख, किसी के घर ढाई लाख, किसी के घर 3 लाख रुपए के बिल गए हैं. किसानों ने आवेदन दे दिया कि हमारे यहां पिछले 10 वर्ष से बिजली नहीं है. विद्युत कर्मचारियों ने अदालत में प्रकरण पहुंचा दिया. मजिस्ट्रेट ने गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया. दीपावली के ठीक पहले 24 में से 6 लोगों को गिरफ्तार कर लिया. बाकी के लोग पैसे देकर चले गए, पांच दिन बाद उनकी जमानत हुई. जबकि 10 साल से वहां ट्रांसफार्मर वगैरह नहीं थे. मैंने वकील के माध्यम से निवेदन किया एडीजे कोर्ट में मैं स्वयं गया और कहा कि आप किसानों से जमानत ले लिया करो. तो वे बोले कि इसमें जमानत का प्रावधान नहीं है, गिरफ्तारी वारंट है. हमसे कहा कानून आप लोग बनाते हो. मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि इस धारा में संशोधन करें. अधिकांश एवरेज बिल आ रहे हैं. आपने जो विद्युत कर्मचारी भर्ती कर रखे हैं उन्होंने 50-50 हजार रुपए दिए हैं. यह लोग जो पैसा दे देते हैं उनका 100 रुपए का बिल बना देते हैं जो पैसा नहीं देते हैं उनके 30 हजार रुपए, 50 हजार रुपए, लाख रुपए डेढ़ लाख रुपए के हर महीने बिल भेज रहे हैं. आपने अनट्रेंड लोगों को भर्ती किया है. नियमित भर्ती करिए. अस्सिटेंट इंजीनियर, सहायक यंत्री सब की डेली वेजेस पर भर्ती की है इसलिए वे मनमानी कर रहे हैं. जितने दिन हैं उतने दिन लूट कर रहे हैं. वरिष्ठ पदों पर भी घोटाला किया गया है. ट्रांसफार्मर सुधरवाने के नाम पर न पुताई हुई न रंगाई हुई. ग्वालियर डिवीजन में करोड़ों रुपए के बिल बन गए. किसानों के लिए यह कर दिया गया है कि वे अपने पैसों से बिजली लगाएं. तार, खंबा, ट्रांसफार्मर लगाएं. कई लोगों ने लगा लिए थे लेकिन कनेक्शन टेम्परेरी दिए थे अब उनको नियमित करना है. इस साल फिर कनेक्शन मांगने गए तो कहने लगे थ्री स्टार का ले आओ. किसानों द्वारा पहले 40 से 50 हजार रूपये के ट्रांसफार्मर लगाए गए थे, अब आपने थ्री स्टार कंपनी के ट्रांसफार्मर के आदेश निकाल दिए हैं. इस आदेश के बाद जो किसान पैसे देते हैं उनके ट्रांसफार्मर तो लग जाते हैं. आपके द्वारा पूर्व में ही थ्री स्टार कंपनी के ट्रांसफार्मर लगाने के आदेश क्यों नहीं जारी किए गए थे ? अब किसानों द्वारा पहले लगाए गए पुराने ट्रांसफार्मर बेकार हो गए हैं और अब उन्हें नए ट्रांसफार्मर लगवाने होंगे. आपने नए ट्रांसफार्मरों पर ही लाखों रूपये बर्बाद कर दिए हैं. मैं एक-दो बातें और कहकर अपनी बात समाप्त करूंगा.
उपाध्यक्ष महोदय, मेरे विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत रूरई गांव है. मध्य क्षेत्र विद्युत कंपनी के माध्यम से आपके द्वारा इस गांव में 33/11 का विद्युत उपकेंद्र मंजूर किया गया था. इसे बिना मंजूरी के प्रारंभ नहीं किया गया और फिर बंद भी कर दिया गया. मैंने पता लगाया कि इसे क्यों निरस्त किया गया तो जवाब मिला कि गांव में जगह नहीं है. उन्हें गांव में जमीन नहीं मिली. (XXX). उन्होंने इस संबंध में कोई सुनवाई नहीं की और कह दिया कि जमीन नहीं है. हमने उसी समय के दस्तावेज कलेक्टर से लाकर दिए. पूरी जमीन राजस्व विभाग द्वारा विद्युत कंपनी को ट्रांसफर कर दी गई और उसके खसरे, खतौनी भी प्रस्तुत किए गए. फिर पोरवाल साहब ने कहा कि अब हम काम कर देंगे. इसके बाद भी हमने इस बारे में प्रश्न लगाया तो बताया गया कि गांव वालों में झगड़ा है. यदि गांव वालों का झगड़ा था तो हमें बताना चाहिए था कि कौन सा झगड़ा है ? हम क्या विदेशी हैं ? आपके यहां से हमेशा गलत जवाब भिजवाये जाते हैं. आपने ऐसे अधिकारियों को विभाग में बिठा रखा है. आपने लहार में भी असिस्टेंट इंजीनियर को चार्ज दिया है. आप उसके कारनामों की भी जांच करवा लीजिए. (XXX) आपने पोरवाल को तो हटा दिया, (XXX). हम नहीं कह रहे हैं कि आप असिस्टेंट इंजीनियर को हटाईये. आप यदि उसे नहीं हटायेंगे तो जनता स्वयं आपको जवाब देगी.
उपाध्यक्ष महोदय, इसी तरह से हमने लिलवारी गांव के संबंध में भी दिनांक 23 फरवरी को प्रश्न लगाया था. हमें दिए गए जवाब में आपने कहा कि लिलवारी पूर्व से ही विद्युतीकृत गांव है. मैं मंत्री जी से पूछना चहता हूं कि हम लगभग 26-27 वर्षों से विधायक हैं. हम यदि कोई प्रश्न लगा रहे हैं तो क्या हम गलत प्रश्न लगायेंगे? क्या आपके विभाग के सभी अधिकारी-कर्मचारी ''हरिशचंद्र'' हो गए हैं (XXX). आप अपने जवाब में कह रहे हैं कि गांव विद्युतीकृत है, हम क्या पागल हैं जो कह रहे हैं कि गांव में विद्युत नहीं है और इस संबंध में प्रश्न लगा रहे हैं. हमने जब प्रश्न लगाया तो आप कह रहे हैं कि गांव पूर्व से ही विद्युतीकृत है. अपने जवाब में ही आगे आपने बताया है कि ग्राम में सघन विद्युतीकरण, ''दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण ज्योति योजना'' के अंतर्गत प्रस्तावित है. ये दोनों जवाब सत्य कैसे हो सकते हैं ? इन कुछ गांवों के लिए हमारा आपसे अनुरोध है. हम आपसे ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, अभी पटवारी जी ने कहा था कि कोयला धुला नहीं है और हमारी जानकारी के अनुसार धुलाई के नाम पर पिछले एम.डी. ने 155 करोड़ रूपये का भुगतान कर दिया है. आप इसे दिखवाईये. लाईन-लॉस कंपनियों द्वारा किया जा रहा है. लाईन-लॉस हो नहीं रहा है, बढ़ रहा है. इस पर भी आप नियंत्रण रखें. इसके अतिरिक्त विद्युत विभाग में ठेका-पद्धति है. हमने आपके विभाग में एक शिकायत की थी. मंत्री जी आपको बताया जाता है कि काम हो गया है. मैं बताना चाहता हूं कि नौजवान लड़कों ने उधार लेकर, ब्याज पर पैसे लेकर ठेकेदारी की है. उन्होंने काम ले लिया, काम पूरा भी हो गया, लेकिन उन्हें 2-2 वर्षों से भुगतान नहीं किया गया है. हमने मंत्री जी से भी कहा, लेकिन पोरवाल तो मंत्री जी की भी नहीं सुनता है. आपके कई बार कहने पर भी वह कुछ सुनने को तैयार नहीं है. फिर हमने प्रमुख सचिव को पत्र भेजा और उनसे बात की तो उन्होंने इसकी जांच करवाई. उपाध्यक्ष महोदय, ठेके के संबंध में न तो यहां से ऑर्डर हुआ था और न ही भुगतान करने के लिए पैसा था, लेकिन ठेकेदारों से काम करा लिया गया और उन्हें करोड़ो रूपये का भुगतान नहीं किया गया है. मंत्री जी आपने निर्देश जारी कर संजय कंस्ट्रक्शन कंपनी को सस्पेंड कर दिया, लेकिन उनका क्या होगा, जिनसे आपने करोड़ों का काम करा लिया. उन्होंने सरकार पर विश्वास करके टेण्डर डाला था. माननीय मुख्यमंत्री जी ने घोषणा की है कि रजिस्टर्ड ठेकेदार पूरे प्रदेश में सभी विभागों में टेण्डर डाल सकता है. लेकिन आपके यहां बिजली कंपनियों के जो पुराने रजिस्टर्ड ठेकेदार हैं, उनसे ही मनमाने रेट पर टेण्डर बुलवाये जाते हैं. इस पर भी आपको अंकुश लगाना चाहिए. उपाध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का समय दिया, इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय- धन्यवाद.
श्री दुर्गालाल विजय (श्योपुर)- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं ऊर्जा विभाग की मांग संख्या 12 एवं नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा की मांग संख्या 68 का समर्थन करने के लिए खड़ा हुआ हूं. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह बात सत्य एवं सार्वजनिक है. डॉ. साहब ने भी बहुत सी बातें कही हैं. आज सभी अंदर से इस बात को मानते हैं कि पिछले 12 वर्षों में बिजली की व्यवस्था को सुधारने की दृष्टि से जो ऐतिहासिक कार्य किए गए हैं, उसकी सर्वत्र प्रशंसा होती है. जब कभी ग्रामीण अंचलों में सरकार के काम-काज की समीक्षा की बात आती है या कोई चर्चा होती है अथवा जब हम शहरी क्षेत्रों में बातचीत करते हैं, तब यह बात सभी की ओर से निकलकर आती है कि 12 वर्षों के अंदर मध्यप्रदेश की सरकार एवं मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में बहुत अधिक विकास कार्य हुए हैं. संभवत: उपाध्यक्ष महोदय, का ध्यान दूसरी ओर है.
उपाध्यक्ष महोदय- आप बोलिये. मैं आपको सुन रहा हूं.
डॉ. गोविंद सिंह- आप कहिये.
श्री दुर्गालाल विजय- मुझे तो आसंदी को संबोधित करते हुए ही कहना है.
श्री रामनिवास रावत- आप संबोधित आसंदी को करें, परंतु मंत्री जी को सुनाईये. सच-सच बताईये. क्या मंत्री जी आपकी सुनते हैं ?
श्री दुर्गालाल विजय- मंत्री जी हमारी सुनते है और काम भी करते हैं. वे बहुत ही अच्छा काम कर रहे हैं.
श्री के.पी.सिंह- आपने अपनी बात में दो बातें कही हैं. आपने कहा कि डॉ. साहब ने जो कहा वो सही है और 12 वर्षों में हुए काम को भी सही कह रहे हैं. आप बताईये कौन सी बात सही है ?
श्री दुर्गालाल विजय- डॉ. साहब तो सही बोलते ही नहीं है. उन्होंने सही बोलना सीखा ही नहीं है.
डॉ.गोविंद सिंह- आपने तो हरीशचंद्र के घर से ठेका लेकर प्रमाण-पत्र प्राप्त किया है.
उपाध्यक्ष महोदय- ये सभी आपका ध्यान भटका रहे हैं. दुर्गालाल जी आप जारी रखें.
डॉ.गोविंद सिंह- दुर्गालाल जी, आपके द्वारा विद्युत विभाग के खिलाफ दिए गए स्टेटमेंट मेरे पास अभी रखे हुए हैं. मेरे पास पेपर कटिंग है, क्या हम आपको अभी दिखायें ?
श्री दुर्गालाल विजय- मैं इसके संबंध में भी चर्चा करूंगा. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पिछले 12 वर्षों में राज्य में दो व्यवस्थायें ठीक करने का कार्य सरकार द्वारा किया गया है. बहुत लंबे अरसे से बिजली की व्यवस्था राज्य में बहुत ही नाजुक स्थिति में थी. राज्य को इस नाजुक स्थिति से अच्छी स्थिति में लाने के लिए जो प्रयत्न किए गए हैं, उनमें खामियां निकालना तो बहुत ही आसान है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं कहना चाहता हूं कि सरकार द्वारा जो कार्य किए गए हैं, वे वास्तव में बहुत ही सराहनीय है. पहली बात तो यह है कि हमारे विद्युत उत्पादन को बढ़ाने में सरकार ने बहुत महत्वपूर्ण कार्य किया है. पहले राज्य में लगभग 5 हजार मेगावॉट विद्युत का उत्पादन होता था. इसके स्थान पर अब राज्य में 17 हजार मेगावॉट से अधिक बिजली का उत्पादन होता है. बिजली का उत्पादन बढ़ने से राज्य में लगभग सभी क्षेत्रों में लोगों को बिजली की सप्लाई ठीक से हो पाने की परिस्थिति का निर्माण हुआ है.
1.39 बजे {सभापति महोदय (श्री के.पी.सिंह) पीठासीन हुए.}
माननीय सभापति महोदय, मैं कहना चाहता हूं कि जब बिजली का उत्पादन नहीं होगा तो लोगों को निर्बाध रूप से बिजली कैसे मिलेगी. इसी वजह से सरकार ने बिजली की पर्याप्त उपलब्धता कराने की दृष्टि से बिजली का उत्पादन बढ़ाया और बिजली का उत्पादन बढ़ जाने के कारण गांव में लोगों को अपने घरेलू उपयोग हेतु 24 घंटे बिजली देने का काम सरकार ने किया है. इसके अलावा किसानों को उनके ट्यूब-वेल पर 10 घंटे बिजली दिए जाने का काम सरकार द्वारा किया गया है. सरकार लगातार किसानों के हक में सब्सिडी दे रही है. किसानों को अलग-अलग बहुत सारे कार्यों जैसे- पंप कनेक्शन, बिलों के भुगतान हेतु सरकार सब्सिडी देती है. 5 हॉर्सपावर के पंप हेतु 32,000 रूपये की लागत आती है. इस 32,000 रूपये की लागत को कम करके सरकार ने अपनी ओर से सब्सिडी देकर किसानों के इस भार को कम करने का प्रयत्न किया है. इसी प्रकार जो अस्थाई कनेक्शन थे, उन अस्थाई कनेक्शनों को स्थाई करने के लिए सरकार ने इस वर्ष बजट में भी प्रावधान किया है और उनको स्थायी करने की दृष्टि से होने वाले खर्चे में सबसिडी देने का काम जो सरकार ने किया है उसके कारण से भी किसानों को बहुत बेहतर लाभ मिलने की परिस्थिति निर्मित हुई है. माननीय सभापति महोदय, इसके अलावा बहुत लंबे अरसे तक अधोसंरचना की दृष्टि से जिन कार्यों को किए जाने की आवश्यकता होती थी वे कार्य धनाभाव या बजट की कमी के कारण से संभव नहीं हो पाते थे. सभापति महोदय, आप तो स्वयं मंत्री रहे हैं वास्तविकता यह है कि पहले ऊर्जा विभाग में जितने बजट की आवश्यकता रहती थी उस हिसाब से बहुत नगण्य बजट प्राप्त होता था, लेकिन अब सरकार ने अपनी ओर से सबसिडी देने का जो कार्य किया है, उस सबसिडी देने के कार्य के कारण से बहुत सारा काम ठीक करने की दृष्टि से कंपनी भी आगे बढ़ी है. सभापति महोदय, मैं प्रदेश का उदाहरण तो नहीं देना चाहता, लेकिन यह तो मैं कह सकता हूँ कि मेरे श्योपुर क्षेत्र में वर्ष 2003 के पहले जहाँ पर 5 सब स्टेशन से काम चलाया जा रहा था उसके स्थान पर आज 24 सब स्टेशन काम कर रहे हैं. 132 का एक स्टेशन होता था, जिससे पूरे श्योपुर क्षेत्र की बिजली सप्लाई होती थी. उसके स्थान पर बड़ोदा में एक अलग से उन्होंने निर्मित करके और बड़ोदा क्षेत्र की बिजली को अलग किया, श्योपुर क्षेत्र की बिजली को अलग किया, जिसके कारण से सप्लाई पूरी तरह से ठीक चल पाई.
माननीय सभापति महोदय, श्योपुर में जो कार्य हुआ है उसके लिए तो मैं मंत्री जी को धन्यवाद देता ही हूँ, लेकिन 2-3 कार्यों की और वहाँ पर आवश्यकता है. एक तो 220 केव्हीए का बड़ा स्टेशन लगने के लिए वर्षों से वहाँ के लोग मांग कर रहे हैं और जो कंपनी है उनके लोग भी प्रस्ताव बना करके भेज चुके हैं, उसकी बड़ी आवश्यकता है, ट्रांसमिशन कंपनी ने उसका परीक्षण वगैरह करके और उसको आगे बढ़ाने का काम किया है, उसको जल्दी स्वीकृति मिलेगी तो वह कठिनाई दूर हो जाएगी. इसके अलावा हमारे उस श्योपुर क्षेत्र में 5-6 स्थान ऐसे हैं जहाँ और सब स्टेशन बनाए जाने की आवश्यकता है, उनमें पाड़लिर, राजपुरा, चकासन, अलापुरा और जवासा ढोंढपुर, इन गाँवों में सब स्टेशन बनाने के बाद और 220 केव्हीए का स्टेशन बनने के बाद श्योपुर में बिजली की समस्या का स्थायी रूप से एक अच्छा समाधान हो जाएगा.
सभापति महोदय, मैं निवेदन कर रहा था कि कृषि उपभोक्ताओं को 10 घंटे बिजली देने का काम सरकार ने किया है और यह काम इस कारण से संभव हो पाया है क्योंकि जिनमें कार्य करने की क्षमता होती है, जिनके मन के अन्दर ललक होती है, जो इसके लिए प्रयत्नशील रहते हैं, वे निश्चित रूप से इस कार्य को करने में सक्षमता के साथ आगे बढ़ जाते हैं. अब यह जो बिजली की उपलब्ध क्षमता बढ़ाई है और इस बिजली की उपलब्ध क्षमता के बढ़ने के कारण से इसकी आपूर्ति भी बहुत अधिक ठीक तरीके से हो पाई है.
सभापति महोदय, हमारे मध्यप्रदेश में 11,421 मेगावॉट तक बिजली की आपूर्ति करने का काम बिजली कंपनियों के माध्यम से सरकार ने किया है और यह जो काम हुआ है इसके कारण से किसानों को भी और घरेलू उपभोक्ताओं को भी समय पर बिजली मिलने की परिस्थिति बनी है. सभापति महोदय, सरकार ने टैरिफ सबसिडी.....
सभापति महोदय-- माननीय दुर्गालाल जी, आप कितना समय और लेंगे?
श्री दुर्गालाल विजय-- माननीय सभापति जी, बस 2-3 मिनट और लूंगा.
सभापति महोदय-- आप प्रदेश से श्योपुर पहुँचे और श्योपुर से लौट कर फिर प्रदेश पर आ गए.
श्री दुर्गालाल विजय-- सभापति महोदय, बीच में बात आ गई थी तो मैंने अपना भी थोड़ा सा उल्लेख कर दिया था.
सभापति महोदय-- आपके दल के 15 लोगों को बोलना है.
श्री दुर्गालाल विजय-- बहुत संक्षेप में मैं अपनी बात कह देता हूँ. सभापति महोदय, ऊर्जा में बहुत सारा काम है, लेकिन मैं बहुत संक्षेप में, जो बजट के प्रावधान किए हैं, 8,735 करोड़ रुपये की सबसिडी देने के लिए उन्होंने ये टैरिफ मद में प्रावधान किया है. दीनबन्धु योजना के अंतर्गत 116 करोड़ रुपये का जो अनुदान देने का फैसला किया है यह भी गरीबों के हित में बहुत अच्छा प्रावधान है और इसके कारण से गरीब लोगों को बहुत सारी राहत मिलेगी, अच्छा कार्य संभव हो सकेगा. सभापति महोदय, जैसा मैंने पहले निवेदन किया....
सभापति महोदय-- आपको पूरे 10 मिनट हो गए.
श्री दुर्गालाल विजय-- बस मैं समाप्त ही कर रहा हूँ. लेकिन इसमें बहुत सारी बातें हैं और मैं तो यही कहना चाहूँगा.....
श्री जसवन्त सिंह हाड़ा-- माननीय सभापति जी, ऊर्जा 24 घंटे है और बार-बार अगर ऊर्जा को थोड़ा सा बंद चालू करेंगे तो उनको बोलने में...
श्री दुर्गालाल विजय-- सभापति महोदय, आपके बैठने से हमको बहुत बड़ी...
श्री जसवन्त सिंह हाड़ा-- राहत मिली है साहब वे पड़ोस के होने के कारण.
श्री दुर्गालाल विजय-- माननीय सभापति महोदय, अगर एक-एक करके सब बातों को देखें तो हिन्दुस्तान में यह पहली सरकार है जिसने पिछले तीन वर्षों में साढ़े बारह हजार करोड़ रुपये से अधिक सबसिडी इस ऊर्जा के क्षेत्र में देने का काम किया है. हिन्दुस्तान में और कोई सरकार नहीं है. यह किसान, गाँव, गरीब, की सरकार होने के कारण से ही हुआ है. माननीय सभापति महोदय, जो पुराने बिल होते थे उन बिलों को कम करके और किसानों के ऊपर उस पैसे को माफ करने की दृष्टि से करोड़ों रुपये की सहायता देने का काम इस सरकार के माध्यम से किया गया. सभापति महोदय, सरकार ने यह भी काम किया है कि जो 5 हॉर्स पावर से.....
सभापति महोदय-- माननीय सदस्य, अब कृपया समाप्त करें.
श्री दुर्गालाल विजय-- सभापति महोदय, ठीक है. मैं आपको बहुत-बहुत धन्यवाद देते हुए अपनी बात को समाप्त करता हूँ.
श्री घनश्याम पिरोनियॉ-- माननीय सभापति महोदय, मेरा नाम नहीं है लेकिन मैं माननीय पारस जैन जी को....
सभापति महोदय-- आपका नाम है.
श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया-- (अनुपस्थित)
श्रीमती ऊषा चौधरी-- (अनुपस्थित)
श्रीमती शीला त्यागी(मनगवां)-- माननीय सभापति महोदय, मध्यप्रदेश सरकार का जैसा उद्देश्य है कि, "सबका साथ, सबका विकास", सभापति महोदय, मेरे रीवा जिले में विश्व का पहले नंबर का सोलर प्लांट स्थापित किया जा रहा है. इसके लिए मैं जो पूर्व में इस विभाग के मंत्री रहे हैं माननीय राजेन्द्र शुक्ल जी, उनको धन्यवाद दूँगी, लेकिन रीवा जिले में "दीपक तले अँधेरा" वाली कहावत साबित हो रही है क्योंकि राजीव गाँधी विद्युतीकरण के तहत जिन टोले, मजरे और गाँवों का सर्वे किया गया था, जो एससी, एसटी, ओबीसी, की बस्तियाँ हैं, आज भी वहाँ बिजली नहीं पहुँची है. आज भी बच्चे चिमनी में मिट्टी का तेल जलाकर उसमें पढ़ाई कर रहे हैं और महिलाएँ अँधेरे में खाना बना रही हैं. सभापति महोदय, मैं यह भी कहना चाहती हूँ कि सिरमौर तहसील में जो भमड़ा प्लांट लगा हुआ है, वहाँ एक पमारी गाँव है, वहाँ भी यही कहावत चरितार्थ हो रही है. पमारी गाँव जस्ट उस प्लांट से लगा हुआ है, दिन रात बिजली उत्पादन होता है, पूरे जिले और प्रदेश को बिजली जा रही है, लेकिन उस गाँव में आज तक बिजली के खंबे नहीं हैं, वहाँ भी बिजली पहुँचाई जाए और साथ ही साथ मेरे मनगवां विधान सभा क्षेत्र में जो पीएस का काम होता है, फीडर सेपरेशन का, उसकी जो केबल हैं वे काफी घटिया दर्जे की हैं और जली हुई हैं, वह आज तक नहीं बदली गईं, जिसके कारण वोल्टेज में बहुत ज्यादा प्रेशर बनता है और बस्तियों में रात में अँधेरा रहता है, उसमें भी सुधार किया जाए, वहाँ नई केबल लगाई जाए. सभापति महोदय, रीवा जिले के नईगढ़ी विकासखण्ड में एक देवगना है, मेरे मनगवां विधान सभा क्षेत्र से लगा हुआ है, वहाँ पर चूँकि 15-20 किलोमीटर दूर पड़ता है, हमारे रामपुर आरआई सर्किल की 36 पंचायतें जो हैं उनमें बिजली दी जाती है और चूँकि 15-20 किलोमीटर से आते आते वहाँ बिजली का जो वोल्टेज होता है वह डाउन हो जाता है इसलिए गांव में बिजली नहीं पहुंच पा रही है जिसके कारण किसान, छोटे-मोटे उद्योग धंधे करने वाले लोग हैं वे प्रभावित होते हैं. माननीय मंत्री जी से मेरी गुजारिश है कि देवगना के साथ-साथ जो रामपुर है उसको सब-विद्युत स्टेशन बनाया जाए जिससे कि खर्रा, रामपुर, नयीगढ़ी, कोटकुसा, हकरिया और बलवा गांवों को फायदा होगा. देवगना जो 20 किलोमीटर दूर है उससे भी दूसरी जो विधानसभा है देवतला, उसका भी उसके ऊपर बोझ कम होगा और हमारी मनगंवा विधानसभा की जो 36 पंचायतें हैं इसका लाभ लोगों को मिलेगा. रामपुर में सब-विद्युत स्टेशन बनाए जाए. अगर वहां पर नहीं बनाया जाता है तो कम से कम बन्धवा ग्राम पंचायत, जो कि बीच में है वहां बनाया जाए. साथ ही साथ नवकरणीय ऊर्जा के संबंध में मैंने शुरू में ही कहा है कि विश्व का सबसे बड़ा अच्छा प्लांट हमारे यहां बन रहा है. यह बड़ी खुशी की बात है कि रीवा जिले को इतना बड़ा प्लांट मिला.
श्री वैलसिंह भूरिया -- आप सरकार को बधाई दो.
श्रीमती शीला त्यागी -- माननीय सदस्य जी, मैं पहले ही बोल चुकी हॅूं. माननीय मंत्री जी जो पूर्व में रहे हैं राजेन्द्र शुक्ला जी उनको धन्यवाद दे चुकी हॅूं कि काफी अच्छा उन्होंने प्रयास किया जिससे यह सौगात हमारे रीवा जिले को मिली लेकिन मैं माननीय मंत्री जी को आपके माध्यम से कहना चाहती हॅूं कि आज भी आजादी के 70 साल बाद भी एसटी, एससी, ओबीसी की बस्तियॉं जो हमारी मनगंवा विधानसभा क्षेत्र में हैं आज तक वहां पर लाईट नहीं है बिजली नहीं है और वे लोग काफी परेशान हैं. हम लोग उस क्षेत्र में जाते हैं तो हमें शिकायतें मिलती हैं कि आप हमें कुछ मत दीजिए, सड़क मत दीजिए, नाली मत दीजिए लेकिन हमारे गांव में बिजली जरूर पहुंचा दीजिए. एक ऐसी मढ़ी धवइयॉं आदिवासी बस्ती है वहां पर भी तालाब के किनारे बसे हुए कम से कम सौ, डेढ़ सौ परिवार हैं वहां पर आज तक लाइट नहीं पहुंची है. मढ़ी धवइयॉं की एक आदिवासी बस्ती के साथ-साथ एससी बस्ती है वहां सिर्फ 5 खंभे की जरूरत है. वहां आज तक बिजली विभाग के द्वारा 5 खंभे नहीं दिए गए.
माननीय सभापति महोदय, अंत में मैं एक बात कहना चाहती हॅूं कि मढ़ी एक ऐसी बस्ती है वहां से जो मेन लाइन जाती है एक तरफ एसटी बस्ती है दूसरी तरफ एससी बस्ती है और बीच से मेन लाइन जाती है जब कोई आंधी तूफान आता है तो उस मेन लाइन में आग की लपटें इतनी ज्यादा तेज रहती हैं कि वहां की महिलाओं, बच्चों के हाथ जल गए. यह मुझे दिखाया गया है. मैंने विभाग को आवेदन किया लेकिन आज तक उसमें कोई कार्यवाही नहीं हुई. उस मेन लाइन को दूसरी जगह शिफ्ट किया जाए. काफी पुरानी है और वहां के बांस, आम के पेड़ काफी बडे़ हैं जो उस लाइन से टच होते हैं जिसकी वजह से वहां का जन-जीवन खतरे में है इसको भी दूसरी जगह शिफ्ट करने के लिए माननीय मंत्री जी से गुजारिश करती हॅूं.
माननीय सभापति महोदय, आपने मुझे अपने क्षेत्र की मांग रखने का, अपनी बात कहने का अवसर दिया, उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद देती हॅूं.
श्री कमलेश्वर पटेल (सिहावल) -- माननीय सभापति महोदय, समझ में नहीं आ रहा है कि कहां से शुरू करें. जब आप बिजली विभाग के आफिस में फोन लगाइए, बहुत बढि़या धुन बजती है और क्या बढिया धुन बजाकर आम जनता को कैसा चूना लगा रहे हैं. मध्यप्रदेश में किसान पूर्वी वितरण कंपनी से बात करें कि मध्य से बात करे कि पश्चिम से बात करें.
श्री वैलसिंह भूरिया -- माननीय सभापति महोदय, चूना खाने के काम में आता है लगाने के काम में नहीं आता है.
श्री कमलेश्वर पटेल -- आप बैठ जाइए. आपके विधानसभा क्षेत्र में भी यही दिक्कत है. हम जाकर बताएंगे कि आप बिजली के मामले में गंभीर नहीं हैं. जिस तरह से मध्यप्रदेश में विद्युत वितरण कंपनियॉं जिस तरह से आम जनता, हितग्राही, गरीब किसान पूरे मध्यप्रदेश में एक-एक व्यक्ति को जिस तरह से चूना लगाने का काम कर रही है हम समझते हैं कि मध्यप्रदेश की जनता के सामने बहुत बड़ा संकट है. एक तरफ मध्यप्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री से लेकर ऊर्जा मंत्री से लेकर पूरी सरकार बात करती है कि हम बिजली के मामले में सरप्लस है और हम सरप्लस में भी हैं और हम बिजली खरीद भी रहे हैं. हम बिजली बेच भी रहे हैं और जब हम सरप्लस में हैं तो फिर हम साल में दो बार विद्युत दरें क्यों बढ़ा रहें हैं, यह चिन्ता का विषय है ? इसकी हम बात कर रहे हैं यह चूना लगाने की बात कर रहे हैं किस तरह से बहुत ही मीठे तरीके से. आप अधिकारियों को फोन लगाइए. अधिकारियों का फोन नहीं लगता. हमारे पूर्वी वितरण कंपनी के कोई एमडी साहब हैं हमने सौ बार फोन लगाया होगा, धुन सुनकर और कई बार लगाने के बाद डिस्कनेक्ट कर देते हैं आज तक मेरी बात नहीं हो पायी है. इसी तरह अन्य अधिकारी भी हैं इतने अगंभीर लोग हैं इतने असंवेदनशील हो गए हैं इतना बड़ा कुप्रबंधन है, कुप्रशासन है हम तो कहेंगे विद्युत वितरण कंपनी में आज वसूली के नाम पर एक ही काम चल रहा है कहीं यदि बिजली बाधित है 6-6, 9-9 महीने से उसको सुधार करने के लिए समय नहीं है. हम तो आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करेंगे कि आप दो टीम बनाइए. बिजली बिल वसूली के लिए अलग टीम बनाइए और संधारण के लिए, ठीक करने के लिए अलग अधिकारियों को रखिए. अधिकारी और कर्मचारी सिर्फ एक ही काम कर रहे हैं मनमानी बिलिंग, घर बैठे-बैठे बिलिंग, डबल बिलिंग यहां तक कि अभी तो आश्चर्य की बात है कि पति-पत्नी को भी अलग-अलग बिल मिलने लगा है. हमारे क्षेत्र का हम बता रहे हैं यह तात्कालिक घटना बता रहे हैं. संयुक्त परिवार है अगर 6 सदस्य एक परिवार में रह रहे हैं तो 6 बिल, यह क्या है. सामूहिक परिवार में कोई अलग नहीं है. यहां तक कि समाधान योजना में जिन लोगों ने बिल जमा कर दिया उनको फिर से सारी राशि जोड़कर दे दी. यह क्या हो रहा है ? कहां जाएं, किसके पास जाएं ? लोक अदालत की नोटिस के साथ-साथ आए दिन इतनी कार्यवाहियॉं कर रहे हैं. एक तरफ छात्रों की परीक्षाएं चल रही हैं. हमारे विधानसभा क्षेत्र के कई गांवों की बिजली बाधित कर दी गई है. दसवीं और बारहवीं की बोर्ड परीक्षाऍं चल रही हैं किसानों के गेहॅूं उत्पादन का अंतिम समय चल रहा है. पानी की आखिरी में भी जरूरत होती है. अभी धान की खेती ठीक हुई. किसानों ने बिल अदा किया. हमने बात की तो कहा कि मार्च महीना चल रहा है ऊपर से बहुत प्रेशर है. हमने एक बार माननीय मंत्री जी से भी अलग से चर्चा की थी माननीय मंत्री जी कहते हैं कि हमारे हाथ में कुछ नहीं है. माननीय मुख्यमंत्री जी से बात करिए. सॉरी यह तो ऑफ रिकार्ड की बात है हमको चर्चा नहीं करना चाहिए. पर बहुत दुख के साथ चर्चा करना पड़ रहा है. क्योंकि माननीय सभापति महोदय, बिजली विभाग में वर्तमान में इतना बड़ा भ्रष्टाचार है कि आप सोच नहीं सकते हैं. गरीबों के हाथ में जब 10 हजार का, 20 हजार का बिल देखते हैं, उनके फटे कपडे़ देखते हैं तो बहुत दया आती है, कहीं समझ में नहीं आ रहा है जिनके यहां कनेक्शन नहीं है जैसा अभी माननीय डॉ. गोविन्द सिंह जी बोल रहे थे सिर्फ राजीव गांधी विद्युतीकरण के तहत पेपर में तैयार किया और गांव के गांव दिखा दिया और बिजली के बिल आना शुरू हो गए. लोक अदालत की नोटिस उनको मिलना शुरू हो गए. बेचारे डर के मारे कि कहीं जेल न हो जाए, उन्होंने अपना सब कुछ बेचकर बिजली बिल जमा किया है. किसान परेशान है.
माननीय सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से निवेदन करना चाहता हॅूं कि मध्यप्रदेश विद्युत वितरण कंपनी है, बातें बहुत हैं प्वाइंट टू प्वाइंट भी हैं पर समय का अभाव है. हमारे विधानसभा क्षेत्र में जिन गांवों में बिजली डिस्कनेक्ट कर दी गई है अभी बच्चों के दसवीं, बारहवीं की बोर्ड परीक्षाएं चल रही हैं. नौवीं, ग्यारहवीं की भी परीक्षाएं भी चल रही हैं. कम से कम उन गरीब के बच्चों को भी पढ़ने का अवसर मिलना चाहिए. एक तरफ हम बात तो बड़ी-बड़ी करते हैं और जब सुविधा देने की बात आती है तो मार्च एंडिंग गरीब नहीं समझता, उसे नहीं पता कि साल का लेखा-जोखा का अंतिम समय चल रहा है. उसको तो अपनी सुविधा चाहिए. हमारे कई गांवों में ट्रांसफॉर्मर जले हुए हैं. साल-साल भर से ट्रांसफॉर्मर जले पडे़ हैं. पैसा भी जमा कर रहे हैं और यहां तक कि बिल बराबर आ रहे हैं. दो-दो साल से ट्रांसफॉर्मर जले हुए है, लोक अदालत की नोटिस जारी हो गई. हमने कई बार अधीक्षण यंत्री से लेकर सारे लोगों से निवेदन किया और कई बार तो जब जनता गाली देती है तो उनकी पीड़ा देखकर जनप्रतिनिधि भी असंसदीय हो जाते हैं. हम आपको बताना चाहते हैं कि जो तीन वर्षों से विधायक हैं मैंने अपने जीवनकाल में किसी से अशिष्टता नहीं की होगी पर मजबूरीवश मुझे जनता की परेशानी देखकर, छात्रों की परेशानी देखकर फोन लगाते हैं कि विधायक जी लाइट नहीं है. अघोषित कटौती है. 24 घंटे बिजली देने की बात कहते हैं. क्या हो रहा है. कई ऐसे गांव हैं जहां 24 घंटे बिजली मिलती थी उसे कृषि वाली बिजली से जोड़ दिया, कॉमर्शियल बिजली से जोड़ दिया. अब उनको सिर्फ 10 घंटे बिजली मिल रही है. बच्चों की परीक्षाएं चल रही हैं बातें बहुत सारी हैं. आपके माध्यम से मेरा निवेदन है कि एक हमारे यहां गेरूआ में अमिलिया डीसी अंतर्गत 132 केवीए का सब-स्टेशन स्वीकृत हुआ था. एक तो वह बहुत दिन से पेंडिंग है. पिछले साल ही टेंडर होना था अभी तक उसका कहीं अता-पता नहीं है. अधिकारी सर्वे भी कर गए थे, रिपोर्ट भी तैयार हो गई थी तो जो लो वोल्टेज रहता है वह अगर लग जाता है क्योंकि अभी देवसर से सप्लाई होती है काफी दूर से बिजली आती है तो हमारे सिहावल विधानसभा क्षेत्र, सिंगरौली जिले का चितरंगी विधानसभा क्षेत्र वहां भी इसका फायदा मिलेगा. इसके साथ-साथ जो ट्रांसफॉर्मर जले हैं, जिन गांवों की बिजली बाधित है, राजीव गांधी विद्युतीकरण का नाम ठीक है आप बदल दीजिए यह राशि आयी और गई कहां फीडर सेपरेशन के नाम पर बहुत सारा खर्चा कर दिया उसका कहीं पता नहीं है और इतना घटिया काम हुआ है कि एक अंधड़ आती है तो पोल नीचे गिर जाता है. उसको सुधारने के लिए कोई जाता नहीं है. कहीं तो मनुष्य भी खत्म हो गये हैं और पशु पक्षी तो आए दिन खत्म हो जाते हैं. सहजी गाँव में सात महीने से करंट आ रहा है,कई बार कंपलेंट की.
सभापति महोदय-- आप कितना समय और लेंगे?
श्री कमलेश्वर पटेल-- माननीय सभापति महोदय, दो मिनट में समाप्त कर दूंगा. सभापति आपके माध्यम से मेरा निवेदन है कि जोकीगाँव में मुसलमान बस्ती में अंधड़ से सात महीने से पोल टूटा हुआ है लेकिन उसको आज तक दुरुस्त नहीं किया है. बघोड़ी में आदिवासी बस्ती, सहजी,गेरुआ, तरका,बारपाल, भैंसाहुड़, पोखरा, पखरा, नकजा, टिटहरी, दाड़ी आदि कई गांवों में बिजली डिस्कनेक्ट कर दी है. इसी तरह से अन्य गाँवों में भी यही स्थिति है. मंत्री जी, इस तरह की बहुत सारी परेशानी है. मंत्री जी, आप बहुत अच्छे इंसान हैं और आपको पता भी नहीं चलता कितनी बिजली पैदा हो रही है और कितनी बेच रहे हैं.
सभापति महोदय-- मंत्री जी को आप लिखकर दे देना.
श्री कमलेश्वर पटेल-- सभापति महोदय, अभी विद्युत वितरण कंपनी लोन भी ले रही है पर यह वसूलेंगे कहाँ से? जनता से, मुझे तो कई बार लगता है कि यह आम जनता से वसूल कर और मध्यप्रदेश सरकार जो कर्ज में डूबी है, वह विद्युत विभाग के माध्यम से कर्ज पटाना चाहती है और सरकार चलाना चाहती है मेरा यह आरोप है. सभापति महोदय, आपने इस तरह से पदस्थापना कर दी है कि वहीं के स्थानीय अधिकारी कर्मचारी, एई, जेई पदस्थ कर दिये हैं जो गुंडागर्दी करते हैं, गरीबों को प्रताड़ित करते हैं, बदले की भावना से काम कर रहे हैं. मेरा आपके माध्यम से निवेदन है कि जो हमने सुझाव दिये हैं,इसको गंभीरता से लेंगे.बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री बहादुर सिंह चौहान (महिदपुर)-- माननीय सभापति महोदय, मैं माँग संख्या 12 और 68 का समर्थन करते हुए कटौती प्रस्ताव का विरोध करता हूं. मध्यप्रदेश को विकासशील बनाने में जितने विभाग हैं उसमें विद्युत विभाग महत्वपूर्ण विभाग है. जब मैं वर्ष 2003 में प्रथम बार विधायक बनकर आया था उस समय मध्यप्रदेश में बिजली की उपलब्धता 2900 मेगावाट हुआ करती थी और आज पूरे मध्यप्रदेश में, थर्मल हो, हाइड्रल हो, सब स्त्रोतों से मिलाकर 17412 मेगावाट की बिजली उपलब्धता है.वर्ष 2004 में पूरे मध्यप्रदेश में अति उच्च दाब के उपकेन्द्रों की संख्या 162 हुआ करती थी और आज पूरे मध्यप्रदेश में अति उच्च दाब उपकेन्द्रों की संख्या 314 है. वर्ष 2004 में अति उच्च दाब की लाइनें 18048 सर्किट किलोमीटर हुआ करती थीं. आज 31844 सर्किट किलोमीटर पूरे मध्यप्रदेश में उच्च दाब की लाइनें हैं.
माननीय सभापति महोदय, वर्ष 2004 में 33 केवीए के उपकेंद्रों की संख्या 1802 थी और आज पूरे मध्यप्रदेश में 33 केवीए के उपकेन्द्रों की संख्या 3144 है. माननीय सभापति महोदय, 33 केवीए लाइनों की लंबाई 29656 हुआ करती थी आज इन 12-13 वर्षों में 33 केवीए की लाइन 48037 किलोमीटर पूरे मध्यप्रदेश में है.11 केवीए की जो लाइनें हैं पूरे मध्यप्रदेश में 1.6 लाख किलोमीटर वर्ष 2004 में हुआ करती थीं. आज वह बढ़कर 3.3 लाख किलोमीटर पूरे मध्यप्रदेश में है. उस समय 2004 में पूरे मध्यप्रदेश में 25 केवीए, 100 केवीए, 200 केवीए के ट्रांसफार्मरों की संख्या मात्र 1.68 लाख पूरे मध्यप्रदेश में थी इन 1.68 लाख की तुलना में 12-13 वर्षों में 5.35 लाख ट्रांसफार्मर पूरे मध्यप्रदेश में आज हैं. वर्ष 2003 में ट्रांसफार्मरों के जलने का जो प्रतिशत था वह लगभग 20 से 25 प्रतिशत हुआ करता था और आज मैं इसी विधानसभा में कह रहा हूं कि मध्यप्रदेश में समस्त ट्रांसफार्मरों के जलने का जो प्रतिशत है वह 2.88 है, जो 5.35 लाख ट्रांसफार्मर जो लगे हुए हैं उनके जलने का जो प्रतिशत है वह 2.88 है. माननीय सभापति महोदय, मैं एक किसान हूँ वर्ष 2003 में क्या स्थिति थी उसका चित्रण करने का समय नहीं है लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि कृषि और हमारे निशुल्क विद्युत प्रदाय करने के लिए जो टेरिफ सब्सिडी है उसके लिए 5549 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा गया है. निशुल्क बिजली के लिए 3138 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा गया है. मैं कहना चाहता हूं कि जो स्वर्णिम मध्यप्रदेश बना है उसमें एमपीईबी का बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान है.
सभापति महोदय-- अपने क्षेत्र की बात कर लें.
श्री बहादुर सिंह चौहान-- मैं एक योजना के बारे में कहकर मेरे क्षेत्र की बात कर लूंगा. आपने जितना समय दिया है उतने में समाप्त कर दूंगा. मैं एक कृषक होने के नाते कहना चाहता हूं कि अभी तक जितनी भी योजना किसानों के पंप कनेक्शन के लिए दी गई है उसमें से अति महत्वपूर्ण योजना, जो अब आई है. जिसको मैं बहुत ही महत्वपूर्ण योजना व्यक्तिगत रूप से मानता हूं वह मुख्यमंत्री स्थाई कृषि पंप कनेक्शन योजना है. इसमें पूरे मध्यप्रदेश के जो 5 लाख अस्थाई कनेक्शन है, उनको जून 2019 तक स्थाई में बदल दिया जाएगा यह एक बहुत बड़ा परिवर्तन होगा और विभाग ने यह बहुत ही अच्छा निर्णय लिया है. इसमें 4 हजार 100 करोड़ रुपये का प्रावधान इस बजट में रखा गया है. माननीय सभापति महोदय, एक ट्रांसफार्मर लगाने के लिए कितनी समस्या होती है, मैं इस योजना के लिए विभाग को धन्यवाद देता हूं कि आपने इस ट्रांसफार्मर को स्वीकृत करने का जो प्रावधान दिया है वह डिवीजन लेवल पर है. सिर्फ इनका डीई ही इसमें सेंक्शन देगा, जिला लेवल पर फाइल नहीं जाएगी इसके लिए मैं माननीय मुख्यमंत्री जी , माननीय ऊर्जा मंत्री को बहुत बधाई देना चाहता हूं.
सभापति महोदय, अनुसूचित जाति और जनजाति के व्यक्ति के पास 2 हेक्टेयर जमीन या उससे कम जमीन है और वह 25 हजार रुपये जमा कर देगा तो मुख्यमंत्री स्थाई कृषि पंप कनेक्शन योजना के तहत शासन उसमें 1 लाख, 2 लाख, ढाई लाख तक का खर्च करके उसका ट्रांसफार्मर स्थापित करेगा और यदि पिछड़ा वर्ग या सामान्य वर्ग का व्यक्ति है तो उसको 35 हजार रुपये देना है. यदि 2 हेक्टेयर से अधिक भूमि है तो अनुसूचित जाति, जनजाति को 35 हजार रुपये देना है और सामान्य व पिछड़ा वर्ग को 55 हजार रुपये देना है. इस प्रकार यह योजना बहुत ही महत्वपूर्ण है.सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हूं कि मेरा यह मानना है कि कहीं-न-कहीं थोड़ी बहुत कमियाँ जरूर रहती हैं क्योंकि बिजली कब बंद हो जाये इसके लिए कुछ नहीं कह सकते हैं, यह हार्ट अटैक जैसा मामला है. कहीं तार टूट जाता है, कुछ और संभावनायें बन जाती हैं. लेकिन उन 50 वर्षों की तुलना में यदि यह बिजली विभाग की इतनी उपलब्धता नहीं होती तो आज मध्यप्रदेश चार-चार बार जो कृषि कर्मण अवार्ड प्राप्त कर रहा है उसमें सबसे बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका यदि किसी विभाग की है तो वह ऊर्जा विभाग की है. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी और मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं.
सभापति महोदय, मैं मेरे क्षेत्र की बात करना चाहता हूं. मैं उज्जैन जिले से विधायक हूं और ऊर्जा मंत्री जी मेरे क्षेत्र के ही हैं और उनका नाम पारस है रिश्ते में मैं इनका साला लगता हूं. यह महिदपुर के जमाई साहब भी हैं.
सभापति महोदय-- फिर तो आपको कुछ कहने की जरूरत ही नहीं है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- यह तो पारस हैं और यह बहादुर हैं.
श्री बहादुर सिंह चौहान-- माननीय सभापति जी, मैं सौभाग्यशाली हूं कि मेरे विधानसभा क्षेत्र में 132 केवीए के तीन सब स्टेशन हैं. पावर की दृष्टि से यह मेरी विधानसभा के लिए पर्याप्त है लेकिन वितरण प्रणाली में थोड़ी सी समस्या है मेरे 33/11 केवीए के दो ग्रिड, जो फिजिबिलिटी में आ रहे हैं, जो साध्यता में आ रहे हैं, उसकी फाइल सीएमडी साहब के पास पड़ी है. एक गाँव का नाम है बोल्खेड़ानाऊ जहाँ मैं 33 का ग्रिड चाहता हूं. और एक गाँव का नाम है पेटलावद, इन दोनों गाँवों में 33 केवीए के ग्रिड बनाने के लिए मैं अनुरोध करना चाहता हूँ. एक और बात करके मैं अपनी बात को समाप्त करूंगा, एक नई योजना विभाग ने प्रारंभ की है - आई.पी.डी.एस. (इंटीग्रेटेड पॉवर डेव्हलपमेंट स्कीम), मैं बताना चाहता हूँ कि मेरी विधान सभा में दो कस्बे बहुत ही महत्वपूर्ण हैं जिनकी जनसंख्या 15 से 20 हजार है, एक कस्बा झालड़ा और एक कस्बा मेहदपुर रोड, माननीय सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूँ कि इन दोनों कस्बों को नवीन योजना आई.पी.डी.एस. से इसलिए जोड़ लिया जाए क्योंकि वहाँ के पोल और वहाँ के तार 35 से 40 वर्ष पुराने हो गए हैं. कहना तो मुझे बहुत कुछ है लेकिन समय का अभाव है, अत: अंत में एक बात कहकर मैं अपनी बात को समाप्त करूंगा कि बहुत से विपक्ष के हमारे मित्र बिजली विभाग के बारे में बोल रहे हैं, हम उन्हें सुन रहे हैं, वर्ष 2003 से यदि वर्ष 2017 की तुलना की जाए तो उस समय उपकेन्द्र जला ही दिए जाते थे और कहीं भी बिजली नहीं मिलती थी लेकिन आज बिजली में आमूलचूल परिवर्तन हुए हैं जो भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किया है. मैं आपके माध्यम से भारतीय जनता पार्टी की सरकार को, माननीय मुख्यमंत्री जी को, माननीय ऊर्जा मंत्री जी को बधाई देते हुए अपनी बात समाप्त करता हूँ. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री सत्यप्रकाश सखवार (अम्बाह) -- माननीय सभापति महोदय, ऊर्जा विभाग पर चर्चा चल रही है. बिजली की समस्या आज पूरे प्रदेश में है. बिजली की समस्या से आज पूरे प्रदेश के किसान और आम नागरिक बेहद परेशान हैं क्योंकि बिजली के बिल खपत का आंकलन कर दिए जाते हैं. बिजली के बिल घर तक नहीं पहुँचाए जाते हैं और वे मीटर्स के हिसाब से भी नहीं होते हैं. बिल पर इतनी पेनॉल्टी होती है कि बिल की रकम बहुत मोटी हो जाती है और किसान और आम नागरिक के लिए ऐसे बिजली के बिल को भर पाना मुश्किल हो जाता है. इसके अलावा पेनॉल्टी पर पेनॉल्टी चलती रहती है जिसके कारण बिल की राशि और बढ़ जाती है और लोग भर नहीं पाते हैं फिर बिजली विभाग उनके खिलाफ कार्यवाही करता है. बिजली विभाग में कोई सुनने वाला होता नहीं है. जो बिजली का बिल बन गया, जितने पैसे का बिल आ गया, वह पक्का माना जाता है. आज पूरे प्रदेश में बिजली की समस्या है और मैं समझता हूँ कि किसी और चीज की समस्या इतनी बड़ी नहीं है जितनी कि बिजली की है. अधिकारियों और ठेकेदारों की मिली-भगत के कारण भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है. गाँवों में ट्रांसफार्मर लगाने के लिए ठेकेदार किसानों से पैसा मांगता है. बिना पैसे के कोई भी ठेकेदार काम नहीं करना चाहता है, ऐसी स्थिति में बिजली के विषय में मैं कहूँगा कि पूरे मध्यप्रदेश में लोग बहुत दु:खी हैं, बिजली से बहुत परेशान हैं. सरकार को इसके लिए कोई ऐसी सरल नीति तैयार करनी चाहिए जिससे सरकार का पैसा जो बकाया है वह सरकार को मिल सकता है और राजस्व की पूर्ति हो सकती है. काफी लंबे समय से बिल पड़े हुए हैं और आज तक कोई सुनने को तैयार नहीं है और लोग परेशान हैं.
माननीय सभापति महोदय, 24 घंटे बिजली देने की बात की जाती है लेकिन बिजली की अघोषित कटौती होती है. बिजली कब चली जाए, कोई पता नहीं होता है. किसानों को भी 10 घंटे बिजली देने की बात कही गई थी लेकिन उन्हें 10 घंटे बिजली नहीं मिली है. किसानों के तमाम् नुकसान हुए हैं, उनकी तमाम् फसलें भी सूखी हैं और कोई सुनने वाला नहीं है. बिजली की समस्या एक गंभीर समस्या बनी हुई है. जो अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की बस्तियाँ हैं उनमें आज भी बिजली नहीं है, कोई सुनने वाला नहीं है. मैंने भी कई बार शिकायत की कि पूरे गाँव में बिजली है लेकिन अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों की बस्तियों में बिजली क्यों नहीं है तो कहते हैं कि साहब दिखवाते हैं और आज तक उनकी समस्या का निदान नहीं हुआ है. बिजली की कई कंपनियाँ आती हैं, कई ठेकेदार आते हैं, आकर चले जाते हैं लेकिन बिजली के काम आज भी अधूरे पड़े हुए हैं, बिजली पर्याप्त मात्रा में लोगों को नहीं मिल रही है. अत: लोगों को पर्याप्त मात्रा में बिजली मिलनी चाहिए, छात्र परेशान हैं क्योंकि उनकी परीक्षा का समय है, वे कई बार मांग करते रहते हैं कि उनके यहाँ लाइट नहीं आ रही है अत: मैं चाहूँगा कि बिजली में सुधार हो, आपने बोलने का समय दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्रीमती ऊषा चौधरी (रैगाँव) -- माननीय सभापति महोदय, मेरा नाम निकल गया था.
सभापति महोदय -- अब नाम निकल गया तो फिर कैसे आएगा.
श्रीमती ऊषा चौधरी -- सभापति महोदय, क्षेत्रीय समस्याओं पर एक मिनट बोलना है.
सभापति महोदय -- एक मिनट का मतलब केवल एक मिनट ठीक है, बोलिए.
श्रीमती ऊषा चौधरी -- माननीय सभापति महोदय, ऊर्जा विभाग पर मैं अपनी बात बोलने के लिए खड़ी हुई हूँ. मेरे विधान सभा क्षेत्र रैगाँव के अंतर्गत गिन्जारा और अमेलिया ग्राम पंचायत हैं यहाँ के लिए पिछले साल से सब-स्टेशन स्वीकृत है लेकिन आज तक वह नहीं बन पाया है. अत: मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहूँगी कि इसको तुरंत बनवाएँ क्योंकि पूरे क्षेत्र में सिद्धपुरा का एक ही पॉवर ग्रिड है और उसी से पूरे जिले में बिजली जाती है. लोड ज्यादा होने के कारण कहीं तार टूट जाते हैं, कहीं ट्रांसफार्मर जल जाते हैं इसलिए किसानों को बिजली नहीं मिल पा रही है और छात्रों को पढ़ाई करने के लिए भी बिजली नहीं मिल पा रही है इसलिए मैं मंत्री जी से आग्रह कर रही हूँ.
माननीय सभापति महोदय, दूसरी बात मेरी यह है कि कई बार विधान सभा में बजट सत्र के दौरान कटौती प्रस्ताव पर मैंने बोला है कि ग्राम पंचायत पैकोरी और कोठरा में छोटा सब-स्टेशन बना दिया जाए जिससे बिजली का लोड कम हो जाएगा और ट्रांसफार्मर भी कम जलेंगे. सब-स्टेशन स्वीकृत तो हुए हैं लेकिन वे आज तक बन नहीं पाए हैं. इसके अलावा करसरा ग्राम पंचायत में भी ट्रांसफार्मर और खंभे स्वीकृत हुए थे, जाँच के लिए भी गए, लेकिन आज तक ट्रांसफार्मर नहीं लग पाया.
सभापति महोदय -- एक मिनट से ज्यादा हो गए आपको.
श्रीमती ऊषा चौधरी -- माननीय सभापति महोदय, इसी प्रकार नयागाँव में मुस्लिम और अनुसूचित जाति की बस्तियों में लाइट नहीं है और आज तक ग्राम पंचायत पूरवा में जिसमें कि 40 घर की आबादी अनुसूचित जाति की है इसमें आज तक बिजली गई ही नहीं, खंभे नहीं गए, यहाँ भी बिजली पहुँचा दी जाए. कई समस्याएं और हैं जिस तरह से बिजली का बिल लोगों के यहां आता है उसमें भी समस्या है, जैसे मनकहरी एक ग्राम पंचायत है जहां 25 घरों की अनुसूचित जाति की बस्ती है उनके घरेलू कनेक्शन को काटकर कृषि कनेक्शन कर दिया गया है जिससे उनको काफी परेशानी हो रही है, जिन किसानों से पॉवर ग्रिड हेतु जमीन ली गई थी उन किसानों को आज तक मुआवजा नहीं मिला है. इस पर गौर किया जाना चाहिए.
माननीय सभापति महोदय, इसके अलावा मेरे विधान सभा क्षेत्र में ग्राम पंचायत रामपुर चौरासी है इसमें एक ग्राम गांधीग्राम है वहाँ पर बिजली का तार टूटने से दो लोगों की मृत्यु हो गई. एक दिन एक महिला तार में फँस गई और तीन-चार दिन तक तार नहीं जोड़े गए, जब तार जोड़े गए फिर लोड बढ़ने के कारण तार टूट गया. बिजली की समस्या बहुत है इसलिए पूरे क्षेत्र में इस हेतु सुधार किया जाए. एक ग्राम पंचायत पवई है जहाँ पर बस्ती में बिल्कुल घर के किनारे ट्रांसफार्मर लगा हुआ है, वहाँ पर पानी भी भर जाता है और बरसात के समय पूरा करेंट फैल जाता है, अत: उस ट्रांसफार्मर को हटाकर दूसरी जगह लगवा दिया जाए. आपने बोलने का मौका दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री शैलेन्द्र पटेल (इछावर) -- माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 12 और 68 के विरोध में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूँ. बहुत सारी बातें पूर्व में माननीय सदस्यों ने कही हैं परंतु जो मोटी बात है वह यह है कि मध्यप्रदेश में बहुत महंगी बिजली प्रदान की जा रही है. समय कम है मैं कोशिश करूंगा कि कम से कम समय में अपनी बात रख सकूँ. आज वह समय आ गया है कि सरकार को इस पर निर्णय करना होगा कि कैसे इसकी कीमत कम की जाए क्योंकि कुछ चीजें ऐसी हैं जो बहुत महत्वपूर्ण हैं, एक तो सरकार ने ऊर्जा खरीदी अनुबंध (पी.पी.ए.) किया है, इसमें कई बार यह होता है कि जितने परचेस का हमने अनुबंध किया है उतनी बिजली हम खरीद नहीं पाते हैं. अगर हमारा एग्रीमेंट है तो हम ले लें और उसको किसानों और आम नागरिकों को देंगे तो फायदा होगा क्योंकि खेती के क्षेत्र में हम 10 घंटे बिजली दे रहे हैं. लगभग 3028 करोड़ रुपये का पिछली बार बिजली का परचेस एग्रीमेंट था, वह बिजली हम ले नहीं पाए और वह राशि फिजूल में चली गई. सरकार को इस ओर भी देखने की आवश्यकता है. दूसरी बात यह है कि सरकार ने नियामक आयोग तो बना दिया है निश्चित रूप से यह बात होती है कि बिजली की दरें जब नियामक आयोग के अंतर्गत तो जो आंकड़े बिजली कंपनियां देती हैं, वह अस्पष्ट होते हैं, इतने स्पष्ट नहीं होते हैं. इनका सरलीकरण किया जाए ताकि आम नागरिक समझ सके और नियामक आयोग उस तरह से उनकी दरों का निर्धारण कर सके.
माननीय सभापति महोदय, दूसरी बात यह कहना चाहता हूं कि हम सोलर एनर्जी की बात करते हैं. लेकिन एक और हमने आने वाले बीस वर्षों का अभी से एग्रीमेंट कर लिया है कि बिजली हम किस-किस से खरीदेंगे, लेकिन मध्यप्रदेश में मात्र एक हजार मेगावाट बिजली की आपूर्ति सोलर प्लांट से की गई है. यह विरोधाभासी बात हो गई है कि बीस साल का एग्रीमेंट किया है, लेकिन उस बीस साल के एग्रीमेंट में मात्र एक हजार सोलर प्लांटों से बिजली की आपूर्ति की है. सरकार की इस बारे में क्या नीति है स्पष्ट होनी चाहिए.
माननीय सभापति महोदय, एक मामला केग की रिपोर्ट में आया था कि बिना जरूरत के ही पांच करोड़ रूपये के उपकरण खरीदे थे. वह उपकरण खरीद तो लिये थे लेकिन बाद में उन उपकरणों को कबाड़ में बेच दिया, इस तरह के व्यय से सरकार बचे ताकि बिजली सस्ती हो सके.
माननीय सभापति महोदय, बिजली विभाग का जो हाल है उसके बारे में मुझे एक छोटा सा शेर याद आ रहा है:-
रोशनी फैली तो सबका रंग काला हो गया ।
रोशनी फैली तो सबका रंग काला हो गया ।
कुछ दिये ऐसे जले कि बाद में अंधेरा हो गया ।।
इस प्रकार कहीं कुछ लोगों को इसका बहुत ज्यादा फायदा हो रहा है. मैं टेक्नीकल बातों के अलावा एक बात और मीटर रीडिंग के बारे में करना चाहता हूं. हम मीटर तो खरीद रहे हैं, लेकिन मीटर रीडिंग हो ही नहीं पा रही है. इस संबंध में कभी न कभी तो निर्णय लेना पड़ेगा कि हम मीटर रीडिंग से बिजली के बिल वसूले. बिल जो आते हैं, उसमें तरह-तरह के सरचार्ज और न जाने किस-किस तरह के चार्ज लगा दिये जाते हैं, इस संबंध में आम आदमी से पूछेंगे तो कोई भी नहीं बता पायेगा कि बिल में क्या लिखा हुआ होता है और किस-किस के चार्ज आप वसूल रहे हैं.
माननीय सभापति महोदय, दूसरी बहुत महत्वपूर्ण बात मैं सदन और आपके माध्यम से रखना चाहता हूं कि फीडर सेपरेशन का काम निश्चित रूप से हो रहा है, लेकिन किस तरह से हो रहा है वह आपको और हमको पता है. वह काम बहुत ही घटिया तरीके का हो रहा है. हम सिर्फ 24 घण्टे की लाईट देने के लिये फीडर सेपरेशन का काम करवा लें लेकिन उसकी क्वालिटी ठीक नहीं होगी तो काम ठीक तरीके से नहीं चलेगा. फीडर सेपरेशन का काम जो हो रहा है, उसमें गांव से लगी हुई नवविकसित कॉलोनियां हैं, या जो आबादी लगी हुई हैं, जिनके पास पहले मीटर था उनको फीडर सेपरेशन के काम से बजट के अभाव में छोड़ दिया गया है. आपके और विभाग के माध्यम से अभी जो आदेश गये हैं, उसमें कहा गया है कि तेजी से काम पूरा कर दें. लेकिन उस तेजी से काम करने के चक्कर में जो गांव से लगी हुई कॉलोनियां हैं, उनमें 24 घण्टे की लाईट नहीं मिल रही है, यह सभी की समस्या है. एक ही गांव में कुछ लोगों को 24 घण्टे लाईट मिल रही है और कुछ लोगों को दस घण्टे लाईट मिल रही है, इस कारण बहुत ज्यादा टकराव की स्थिति उत्पन्न हो रही है और लोगों में असंतोष है.
माननीय सभापति महोदय, मैं अगर इस प्रकार से उदाहरण देना चाहूं तो कई गांवों के नाम हैं पांगड़ाखाती, खेलड़ी, चैनपुरा, गोलूखेड़ी, जमुना, फतहपुर, मुसकुरा और चतुर्याइलाका है. इस प्रकार यदि मैं नाम लूंगा तो मेरे विधानसभा क्षेत्र में करीब- करीब 50 से 60 ऐसे गांव और आएंगे जहां इस तरह की परेशानी है.
02.21 बजे {उपाध्यक्ष महोदय (डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए}
माननीय उपाध्यक्ष महोदय महोदय, सीहोर जिले में एक धामनखेड़ा गांव है वहां आज तक लाईट नहीं पहुंची है. आज मैं इस सदन के माध्यम से यह कहना चाहता हूं कि उस गांव में भी लाईट पहुंचाने का प्रयास किया जाए.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, दीन दयाल योजना के अंतर्गत जो सौ जनसंख्या का आधार लिया है, उस काम को तेजी से चालू करें. गांव में बहुत से मजरे टोले दूर-दूर हैं और आबादी के मान से हमने उनको नहीं किया तो उनको 24 घण्टे लाईट पूरी करने में मुझे लगता है कि हमें चार-पांच साल लग जाएंगे, इस और भी सरकार प्रयास करे कि उस बजट को अभी महीने दो महीने पहले एलाट किया है, टेंडर हुए हैं, हम तेजी उस काम में लाए ताकि तेजी से हम जल्दी से जल्दी उन सारे लोगों को बिजली दे सकें.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय महोदय, लाईनमेनों के स्थानांतरण का एक निर्णय पूर्व में लिया गया था जिसमें उनका स्थानांतरण एक डिवीजन से दूसरी डिवीजन में कर दिया था . पहले यह होता था कि उसी गांव का लाईनमेन होने से वह रात में जाकर भी लाईट ठीक कर देता था. अब रात में कोई लाईनमेन गांव में नहीं रूकता है. वह जहां का होता है वहां चला जाता है. गांव में लाईट जाती है तो लाईनमेन नहीं मिलता है और अगले दिन लाईट ठीक होती है. इस बात पर भी विचार हो क्योंकि लाईनमेन बहुत वृद्ध हो गये हैं. दूसरी बात यह है कि सर्विस प्रोवाईडर से बहुत सारे काम किये जा रहे हैं. आज यह देखने की बात है कि सर्विस प्रोवाईडर कौन-कौन हैं और किस तरीके से वह काम कर रहे हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय महोदय, श्री बहादुर सिंह चौहान जी ने जो अस्थायी से स्थायी कनेक्शन की बात की है, वह बहुत अच्छी योजना है. लेकिन किसानों को लाभ देने की तरफ जो ट्रांसफामर्स की बात है, कुछ कनेक्शन में आप यह भी देखें कि खंभे कितने हम दे पायेंगे और कहां तक केबिल दे पायेंगे, इस बारे में भी विचार आये. मैं दो सुझाव और दो मांगों के साथ मैं अपनी बात खत्म कर दूंगा. एक तो मेरी विधानसभा में बहूलिया एक ऐसा गांव है, जहां डी.सी. नहीं है. लगभग 25 से 30 गांव उसके आसपास हैं, जहां पर हमेशा पॉवर जो आना चाहिए, उस तरह का पॉवर नहीं आ पाता है. वहां पर डी.सी. स्वीकृत किया जाए. एक बाहोंखेड़ी अम्लाह के बीच में दोरखपुरा गांव है, वहां पर भी डी.सी. स्वीकृत की जाए और एक सुझाव माननीय उपाध्यक्ष महोदय मैं आपके माध्यम से सरकार को देना चाहता हूं कि कृषि का कार्य करते समय करंट से मृत्यु होने पर हम उसमें आर.बी.सी. एक्ट के अंतर्गत लाभ पहुंचा देते हैं. लेकिन बहुत से मामले ऐसे आते हैं कि जब घरेलू कनेक्शन में या घर में कोई गरीब आदमी की करंट से मृत्यु हो जाने पर उसके घर के लोगों को बहुत दिक्कत आती है और उनको कहीं से कोई लाभ नहीं मिल पाता है. बिजली कंपनी इस संबंध में कुछ नियम बनायें अगर एक-एक रूपये प्रत्येक कनेक्शन पर लेते हैं और उसके लिये सबका इंश्योरेंस कर देते हैं तो इस तरह की मृत्यु होने पर उसे वह लाभ अगर सरकार दिला सके तो एक बहुत बड़ा फायदा होगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय महोदय, मैं आपके माध्यम से अंत में एक और आग्रह करना चाहता हूं कि जो कृषि कार्य के लिये रात को बिजली मिलती है उससे बहुत ज्यादा पानी बर्बाद होता है. उस लाईट को हम कैसे दिन में लेकर आये और कम से कम रात में 12 से 3 के बीच में लाईट होती नहीं है, अगर उस लाईट को दिन में दें तो निश्चित रूप से किसानों का फायदा होगा. उपाध्यक्ष महोदय आपने बोलने का मौका दिया बहुत बहुत धन्यवाद.
श्रीमती ममता मीना (चाचौड़ा) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 12 और 68 के समर्थन में बोलने के लिये खड़ी हुई हूं और कटौती प्रस्तावों का मैं विरोध करती हूं. मैं सबसे पहले माननीय मंत्री जी को और माननीय मुख्यमंत्री जी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं देती हूं कि आपके द्वारा जो प्रदेश में बिजली के लिये हमारे किसानों और उपभोक्ता के लिये जो प्रावधान रखे गये हैं , वह बहुत सराहनीय है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय श्री शैलेन्द्र पटेल साहब बोल रहे थे, लेकिन मैं थोड़ा पीछे ले जाना चाहूंगी उसके बाद मैं मेरे क्ष्ोत्र की बात पर आउँगी. 2002-03 की बात करें उस जमाने में कहा जाता था कि ''मंत्री लाल बत्ती में और जनता मोम बत्ती में '' ऐसा नारा दिया जाता था. यह सही बात है क्योंकि प्रदेश की जनता इस चीज से इन बातों को लेकर पूरी तरह से त्रस्त और अवगत थी और अगर अभी वर्तमान की बात करें तो मैं दो लाईन से अपनी बात को शुरू करना चाहती हूं :-
यह समय नदी की धार है,
इसमें सब मिलकर बह जाया करते हैं,
पर इनमें से कुछ लोग ऐसे होते हैं,
जो कि एक इतिहास बनाया करते हैं ।।
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, क्योंकि पांच लाख लोगों के अस्थायी कनेक्शनों को मुख्यमंत्री जी की घोषणा के अनुसार जून 2019 तक स्थायी करने जा रही है. यह मध्यप्रदेश की सरकार का बहुत ही सराहनीय कदम है कि जब पांच लाख लोगों को अस्थायी कनेक्शन के स्थान पर स्थायी कनेक्शन मिलेगा. उसके बाद किसान अपने आप इस चीज को महसूस कर सकते हैं कि कृषि के क्षेत्र में किसानों का कितना बड़ा सम्मान है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इसी तरह से कांग्रेस की जमाने की बात करें तो सब जगह से कुल 2900 मेगावाट बिजली उत्पादित होती थी आज हम नवकरणीय ऊर्जा की अगर बात करें तो 3200 मेगावाट नवकरणीय ऊर्जा में उत्पादन हमारी सरकार और माननीय मंत्री जी के माध्यम से हो रहा है. जैसे पवन ऊर्जा, सौर ऊर्जा इनके माध्यम से उत्पादन हो रहा है क्योंकि हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी ने और माननीय मंत्री जी ने एक प्रावधान और रखा है कि हमारे किसानों को सौर ऊर्जा के के माध्यम से पंप कनेक्शन भी दिये जाएंगे.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, साथ ही साथ अटल ज्योति अभियान के अंतर्गत घरेलू उपभोक्ताओं के लिये सभी जगह 24 घण्टे बिजली दी जा रही है. थोड़ा सा इस बात को मैं मानती हूं कि 31 मार्च होने की वजह से कहीं न कहीं कुछ समस्याएं आ रही हैं. मैं भी माननीय मंत्री जी अपने सुझाव में यह कहना चाहूंगी कि 31 मार्च का लोड हमारे बिजली विभाग के अधिकारी कर्मचारियों पर न रहे. क्योंकि परीक्षाएं भी साथ में है तो इसलिए इसको इसमें न जोड़ा जाए. हमारा मध्यप्रदेश किसान आधारित प्रदेश है और इसमें सबसे ज्यादा बड़ी समस्याएं हमारे किसानों को आती हैं. जैसे मान लीजिए हम किसानों को दस घण्टे बिजली उपलब्ध करा रहे हैं और अगर उसी में कटौती हो जाती है, तो उसमें कहीं न कहीं किसानों को एक परेशानी का सामना करना पड़ता है क्योंकि अभी बहुत जगह गेहूं खड़े हुए हैं. इसलिए इस पर मेरा माननीय मंत्री जी से विशेष आग्रह है कि वह विशेष ध्यान दें.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय,इसी तरह से मैं अपने क्षेत्र की समस्याओं पर आना चाहती हूं. मेरे चाचौड़ा विधानसभा का एक दुर्भाग्य भी कह सकते है क्योंकि उस जमाने में सबसे पहले पूर्व में उस विधानसभा से दिग्विजय सिंह जी मुख्यमंत्री रहे. वह सबसे पहले चाचौड़ा विधानसभा से विधायक थे लेकिन उस क्षेत्र में 132 के.वी. का सब स्टेशन नहीं है और आज तक नहीं है, यह बड़े दुर्भाग्य की बात है. लेकिन पिछली बार जब मैंने मांग संख्या में भाग लिया था तो माननीय मंत्री जी ने उसका 132 के.वी. के सब स्टेशन का सर्वे तो करा ही लिया है, लेकिन मैं माननीय मंत्री जी से आग्रह करना चाहूंगी कि चाचौड़ा विधानसभा पूरे गुना जिले में सबसे बड़ी विधानसभा है और वहां पर 132 के.वी. का एक भी सब स्टेशन नहीं है. वहां पर 132 के.वी. का सब स्टेशन का सर्वे हुआ है, उसका टेंडर जल्दी लगा दें. तो 132 के.व्ही. का सब-स्टेशन मेरी चाचौड़ा विधान सभा में हो जाय. साथ ही साथ तीन, 33 के.व्ही. के सब-स्टेशनों की भी माननीय मंत्री महोदय से मांग करना चाहती हूं. एक, बासाहेड़ा का तो टेंडर लग रहा है, लेकिन बीच-बीच में पता नहीं किस टेक्नीकल कारण से बार-बार वह निरस्त हो जाता है तो मेरा यह आग्रह है कि जो बासाहेड़ा का 33 के.व्ही. सब-स्टेशन का टेंडर लग रहा है, उसकी कार्यवाही करके उसका काम जल्दी करवाया जाय. साथ में एक मोहम्मदपुर में काफी समस्या है, वहां काफी दूरी पर लाइन है, इसलिए मोहम्मदपुर में भी 33 के.व्ही. का सब-स्टेशन बनाया जाय. मुरैला के आसपास काफी आदिवासी लोग रहते हैं और चाचौड़ा से काफी दूरी होने के कारण से वहां भी बिजली की समस्या आती है, इसलिए मुरैला में भी 33 के.व्ही का सब-स्टेशन बनाया जाय.
उपाध्यक्ष महोदय, इसी तरह से मकसूदन क्षेत्र में नसीलपुर में जो फीडर है, उस फीडर को सेपरेट कर दिया जाय क्योंकि वह छोटा फीडर होने से आसपास के गांवों में बिजली की समस्या रहती है, इसलिए नसीलपुर को भी सेपरेट 33 के.व्ही. का सब-स्टेशन बनाया जाय, ऐसा मेरा माननीय मंत्री जी से सुझाव के तौर पर आग्रह है. उपाध्यक्ष महोदय, जो आपने बोलने के लिए समय दिया, उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री पुष्पेन्द्रनाथ पाठक (बिजावर) - उपाध्यक्ष महोदय, मैं ऊर्जा विभाग और नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग के समर्थन में यहां सदन में उपस्थित हुआ हूं. इन विभागों की मांगों के जो कटौती प्रस्ताव आए हैं, उनको भी मैं सिरे से खारिज करते हुए आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि यह मध्यप्रदेश के ऊर्जा विभाग की उपलब्धि है कि उत्तरप्रदेश में उत्तरप्रदेश की जनता ने जो भरपूर आशीर्वाद के साथ समर्थन दिया है, उसमें मध्यप्रदेश के ऊर्जा विभाग का भी योगदान है. मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी के नेतृत्व में बिजली की आपूर्ति, बिजली की जो सप्लाई जनता के बीच में गई है, उसका उत्तरप्रदेश में बड़ा असर हुआ है.
उपाध्यक्ष महोदय, विशेषकर 2-3 बातों की तरफ आपका ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा. एक महत्वपूर्ण बात यह हुई है कि जो साधनहीन तबके हैं, इन मांगों में सब्सिडी टैरिफ के मद में 5549 करोड़ रुपए, निःशुल्क विद्युत प्रदाय में 3186 करोड़ रुपए की मांग हुई है, इसलिए मैं इन मांगों का समर्थन करता हूं. दीन बंधु योजना के अंतर्गत गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाले लोगों के लिए, ऐसे बिलों के भुगतान के लिए 116 करोड़ रुपए की मांग हुई है, इसलिए मैं इन मांगों का समर्थन करता हूं. किसानों को इस बात से परेशानी होती थी कि वे हर महीने बिल जमा करें और महीने में बिल जमा न कर पाएं तो उनको उसकी जो पेनॉल्टी लगती थी, इसका बचाव करते हुए सरकार ने जो साल में दो बार बिल भुगतान करने की व्यवस्था की है, इससे किसानों को लाभ हुआ है. इसमें जो सब्सिडी दी जा रही है, जैसा कि 1400 रुपए प्रति हार्स पावर के हिसाब बिलिंग की व्यवस्था की गई है, जबकि खर्च उसमें ज्यादा आता है. शेष भुगतान शासन की ओर से होता है. लगभग 7000 रुपए किसान 5 हार्स पावर के लिए देता है और 27000 रुपए शासन के द्वारा दिये जाते हैं. इस तरह से शासन जो किसानों की मदद कर रहा है, इसलिए मैं इन मांगों का समर्थन करता हूं. एक विशेष बात की ओर ध्यान आकर्षित करूंगा कि ऊर्जा विभाग ने जितने काम किये हैं, उससे सामान्य गति से सब तरफ विकास स्वतः गति से चल रहा है. विशेषकर कोई मांग अपने क्षेत्र में करने की आवश्यकता मुझे लगती नहीं है क्योंकि विभाग ने जो काम किये हैं उससे सीधा लाभ मेरे विधान सभा क्षेत्र को भी हुआ है, जिसका उल्लेख मैं आपके बीच में करना चाहूंगा. ट्रांसफार्मर गत 12 वर्षों में 1.68 लाख की जगह अब 5.35 लाख हो गये हैं. इनमें से 184 तो केवल हमारे विधान सभा क्षेत्र के दो डीसी में लगे हैं. 11 के.व्ही. की लाइन्स 1.6 लाख कि.मी. बनी थी, इनमें से 3.3 लाख कि.मी. की जो लाइन बढ़ी है, उसमें 80 कि.मी. का लाभ बिजावर विधान सभा क्षेत्र को हुआ है. 33 के.व्ही. के उप केन्द्र 1802 से बढ़कर 3344 हुए हैं, इसमें मेरे लिए प्रसन्नता की बात यह है कि झमटुली, बिजावर, हटवाह, खेराकलां, मातागवां सहित 7 नये सब-स्टेशन हमारे विधान सभा क्षेत्र को मिले हैं. वर्ष 2019 तक सभी कनेक्शन स्थाई करने का जो लक्ष्य रखा गया है, इसमें वर्ष 2017-18 में 1 लाख का नियमितीकरण होना है, इसमें जो खर्च आएगा, इसलिए मैं विभाग की इन मांगों का समर्थन करता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय, हमारे यहां 11 के.व्ही. के 8 फीडर थे, अब जो बढ़कर 24 हो गये हैं. एलटी लाइन भी 114 कि.मी. हमारे विधान सभा क्षेत्र में विकसित हुई है. एक बात की ओर मैं और ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा कि सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति की बैठक में जबलपुर जाना हुआ था. वहां पर अधिकारियों ने बताया कि जो बिजली का वितरण होता है, उसकी कई जगह से मीटरिंग होती है. मीटर के माध्यम से उन्हें पता चलता है कि कितनी बिजली की खपत हुई है. इसके साथ एक और व्यवस्था होनी चाहिए कि जो बिल जा रहे हैं, उनका भी समायोजन होता रहे कि जितनी बिजली जा रही है, उसी हिसाब से बिल जाएं. देखने में आया है कि कई गांवों में जहां बिजली नहीं जा रही है और उसकी भी बिलिंग हो रही है. अधिकारी उस चीज को नियंत्रित करेंगे तो ठीक रहेगा. उनको यह ठीक तरह से जानने में आ जाएगा कि वहां जो लाइट जा रही है और जो बिल जा रहे हैं तो दोनों का समायोजन कैसे हो सकता है, तकनीकी रूप से सारी व्यवस्थाएं बहुत विकसित हो गई हैं तो मुझे लगता है कि इसको ठीक कर लेंगे. विद्युत वितरण के लिए अलग-अलग डिस्ट्रीब्यूशन सेंटर्स जो बनाए गये हैं, उनमें मुझे एक जगह लगता है कि थोड़े से परिवर्तन की आवश्यकता है. कई जगह अलग-अलग हिस्सों में बंटा हुआ हमारा क्षेत्र है. मातागवां एक नया स्थान है, जहां पर एक डीसी बनना चाहिए, उसके लिए थोड़ा-सा छतरपुर ग्रामीण का हिस्सा, कुछ गुलगंज का हिस्सा, कुछ इशानगर डीसी का हिस्सा निकालकर यदि एक नयी डीसी बना देंगे तो वितरण के दृष्टिकोण से किसानों के बाहुल्य वाले उस क्षेत्र में बड़ी सुविधा हो जाएगी.
उपाध्यक्ष महोदय, नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में बहुत काम हुआ है क्योंकि इस क्षेत्र में बड़े ऊर्जावान अधिकारी हैं, जिनसे मेरा मिलना भी हुआ है. बिजावर विधान सभा क्षेत्र में सौर ऊर्जा के लिए बड़े विशेष प्रयास हुए हैं. कई हजारों एकड़ जमीन वहां पर है, यह विचाराधीन विषय है, उसके लिए डिमांड भी यहां से गई है. पवन ऊर्जा के लिए भी पत्राचार हुआ है. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से और आग्रह करूंगा कि नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा में भी हमारे क्षेत्र को कुछ सौगात मिलेगी तो मुझे बड़ी प्रसन्नता होगी. उपाध्यक्ष महोदय, जो आपने मुझे बोलने का समय दिया, सबने मनोयोग से सुना, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री दिनेश राय (सिवनी) - उपाध्यक्ष महोदय, मांग संख्या 12 और 68 का मैं समर्थन करता हूं. साथ ही मैं माननीय मंत्री जी से आग्रह करता हूं कि हमारे जिले में झाबुआ पावर प्लांट एक साल से चालू हो गया है. वह बनकर पूरा तैयार है. लेकिन वहां पर जो सुनने को मिल रहा है कि मध्यप्रदेश सरकार हमसे बिजली खरीदना नहीं चाहती है और दूसरे प्रदेशों से, दूसरे प्लांटों से उन्होंने बिजली खरीद ली है या आगे पुनः एग्रीमेंट कर लिया है. जो इतना बड़ा उद्योग हमारे जिले में लगा है. अगर उससे आप विद्युत लेंगे तो वास्तव में कम कीमत में भी बिजली मिल रही है और हम दूसरे प्रदेशों से जो बिजली खरीद रहे हैं वह काफी महंगी है. एक और आग्रह मेरा आपसे यह है कि आपका फीडर सेपरेशन का काम काफी जगह अधूरा है, जिसके कारण से कई जगह कई गांवों की लाइट एक साथ बंद कर दी जाती है. आपको किसानी क्षेत्र में 10 घंटे बिजली देना है. लेकिन उनमें भी 6 घंटे और शहर में भी 4 घंटे और गांवों में भी यही स्थिति है वहां भी आप सुधार करें. बच्चों की परीक्षा चल रही हैं और अंतिम 15 दिन की और खेती का काम है, जिसके लिए मैं आपसे आग्रह करता हूं. एक मुंगवानी में गणेशगंज फीडर है.
वन मंत्री (डॉ. गौरीशंकर शेजवार) - उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपका एक मिनट लूंगा. श्री दिनेश राय जी ने एक बहुत अच्छा कीर्तिमान स्थापित किया है कि उन्होंने कटौती प्रस्ताव भी दिये हैं और मांगों का समर्थन भी कर रहे हैं तो मैं उनका धन्यवाद करना चाहता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय--वे दुविधा में हैं.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार--वे दुविधा में नहीं हैं उन्होंने स्पष्ट रूप से समर्थन किया है.
श्री दिनेश राय --उपाध्यक्ष महोदय, मैंने तो क्षेत्र में भी कहा था कि जिसकी सरकार उसके हम, आप हमारे क्षेत्र का विकास करा दें.
उपाध्यक्ष महोदय--. आप समर्थन कर रहे हैं तो आपको कटौती प्रस्ताव नहीं देने थे.
श्री दिनेश राय --उपाध्यक्ष महोदय, समर्थन के साथ कटौती की मांग भी कर रहा हूं.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा--उपाध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री जी ने बिहार में कहा था कि 1200 रूपये में पूरे साल भर चौबीस घंटे बिजली दे रहे हैं.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार--उपाध्यक्ष महोदय, कालूखेड़ा जी बहुत अच्छी बात कर रहे हैं. वह हमेशा न्यायसंगत बात करते हैं आपसे ही मैंने बात सीखी है. संभवतः आपकी वजह से यह बात कही है. कहीं ऐसा न हो जाए कटौती प्रस्ताव भी रखें कालूखेड़ा जी फिर मांगों का समर्थन भी करें.
उपाध्यक्ष महोदय--उनसे उम्मीद मत करिये.
श्री दिनेश राय--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हमारे यहां पर लाईन मेन बहुत कम हैं एक लाईन मेन 70 से 80 गांवों को संभाल रहा है. जब किसी गांव में लाईट खराब होगी तो वहां पर कैसे पहुंचेगा. आप लाईन मेनों की भर्ती करवा लें जिससे व्यवस्थित रूप से लाईट मिल सके.
उपाध्यक्ष महोदय, जिन गांवों में वॉटर सप्लाई होती है उन गांवों में बिजली काटने के लिये मना किया है, उन गांवों की बिजली काटी जा रही है वहां पर बिजली के बिल भी कम आ रहे हैं. आपको जिन गांवों में बिजली के बिल वसूलना है उसमें जो डिफाल्टर हैं जो10 महीनों से बिल नहीं पटा पा रहे हैं. आपके विभाग के कर्मचारी उनको भी सम्मिलित करके उसमें से 100 प्रतिशत बिल में से 50-75 बिल मांगते हैं. जो डिफाल्टर हैं जो एक माह पहले से ही बिल नहीं दे रहे हैं उनको उस गिनती से अलग कीजिये जो विधिवत् बिल दे रहे हैं वह एक दो माह से बिल का भुगतान नहीं कर रहे हैं उनसे आप 25 से 50 प्रतिशत बिल लीजिये. धन्यवाद.
श्री मुकेश चौधरी (अनुपस्थित)
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया (अनुपस्थित)
डॉ.मोहन यादव (अनुपस्थित)
श्री प्रदीप अग्रवाल(सेवढ़ा)--उपाध्यक्ष महोदय, अभी बहुत सारे वक्ताओं ने जो बात कही है. मैं वास्तव में मांग संख्या 12 तथा 68 का समर्थन करता हूं. यह कहते हुए मुझे अति प्रसन्नता हो रही है कि हमने पिछले 13 वर्षों में प्रत्येक घर, ग्राम, खेत तक बिजली पहुंचाने का काम किया है. सभी विपक्ष के साथी कह रहे थे इससे यह साबित होता है कि कहीं मेरे एक गांव में बिजली नहीं है. हम 2003 में यदि जाएं तो 50 से 60 प्रतिशत गांवों में बिजली ही नहीं हुआ करती थी. आज जब हम कहते हैं कि हमारे एक दो गांवों में बिजली की उपलब्धता नहीं है तो इससे यह साबित होता है कि हमने बहुत अच्छा काम किया है प्रत्येक घर तक बिजली पहुंचाने का काम किया है. पूर्व में नगरीय क्षेत्रों में 8 से 10 घंटे बिजली देते थे उसमें ग्रामों की तो बात ही दूर है. लेकिन इसके साथ साथ लोगों की अपेक्षाएं भी बढ़ी हैं, समस्याएं भी उत्पन्न हुई हैं. मंत्री का ध्यानाकर्षित करना चाहता हूं कि कुछ समस्याएं हैं तथा कुछ सुझाव हैं. मेरे क्षेत्र में 132/133 केवीएस का विद्युत सब स्टेशन जो कि 2012 से बन रहा है लेकिन अभी तक उसका कार्य पूर्ण नहीं हुआ है हालांकि मंत्री जी ने उसमें आश्वासन दिया था और कहा था कि दो महीने के अंदर यह शुरू हो जाएगा. मैं मंत्री को धन्यवाद अदा करना चाहता हूं कि दो महीने में शुरू हो जाए जिससे किसानों को विद्युत मिलने लगे. मेरे क्षेत्र के ग्राम भरोजी, देवई, जुझारपुर आदि ग्रामों में 33/11 के.वी.ए.के विद्युत सब स्टेशन लगाये जाने की आवश्यकता है, क्योंकि वहां पर वोल्टेज की बहुत समस्या है यदि वह लग जाता है तो विल्टोज कम आता है उस समस्या से उनको निजात मिलेगी.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, किसान अनुदान योजना में सरकारी खर्चे से डी.पी. रखते हैं, जबकि एक योजना में निजी खर्चे से भी डी.पी.रखी जाती है. लगभग उस योजना को वर्तमान में बंद कर दिया गया है या उस पर कम काम हो रहा है. मैं चाहता हूं कि उस योजना को पुनः चालू किया जाये उसमें सरलीकरण किया जाए जिससे हर खेत तक डी.पी. रखने का काम कर सकें तथा किसानों को इसका लाभ दे सकें. हमारी सरकार स्थायी कनेक्शन का 6 हजार रूपये प्रतिवर्ष के हिसाब से बिल देती है इसके लिये हमारी सरकार बधाई की पात्र है. किन्तु अस्थायी कनेक्शन में लगभग हम वही राशि 4 से 5 गुना लेते हैं, जबकि किसान स्थायी कनेक्शन लेने के लिये तैयार हैं. पहले स्थिति थी कि किसान स्थायी कनेक्शन नहीं लेता था वह अस्थायी कनेक्शन के रूप में उनसे ज्यादा बिल की वसूली करते थे. आज स्थाही कनेक्शन लेने के लिये तैयार हैं हम उनको दे नहीं पा रहे हैं चूंकि माननीय मुख्यमंत्री जी ने कहा है 2019 तक 5 लाख कनेक्शन स्थायी कर देंगे. मेरा अनुरोध है कि जो किसान स्थायी कनेक्शन लेने के लिये तैयार हैं उनसे स्थायी कनेक्शन के हिसाब से 6 हजार रूपये प्रति कनेक्शन के हिसाब से बिल लिया जाए, क्योंकि सारे किसान खेती करते हैं. खेती में दो तरह के बिल हैं तो निश्चित रूप से उनकी खेती महंगी होगी तो हम कृषि को लाभ का धन्धा नहीं बना पाएंगे. आज प्रत्येक किसान से एक साल में 6 हजार रूपये का बिल ही लिया जाये उसमें कनेक्शन स्थाही हो अथवा अस्थायी हो. मेरे क्षेत्र में पहले 70 प्रतिशत लोग बिल जमा करते थे धीरे धीरे उनकी संख्या घटती जा रही है. उसका कारण यह है कि जो उपभोक्ता बिल जमा कर रहे हैं उनके ऊपर विभाग के जेई एई अनुमानित खपत का रीडिंग से 2 से 3 गुना बिल देते हैं जो विद्युत की चोरी कर रहे हैं उनसे कुछ वसूली नहीं हो रही है जो बिल दे रहे हैं उनसे ही वसूली कर रहे हैं. इसमें सुधार करवाया जाए. मीटर रीडिंग के हिसाब से बिल दिया जाए जिससे उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त भार न पड़े. मेरे कुछ ग्रामों में विद्युत सप्रेषण का काम रह गया है उन्हें पूर्ण कराया जाये. विभाग के अधिकारी 31 मार्च की बात कहकर ग्रामों में लाईट काट रहे हैं चूंकि कहते हैं कि हमको टारगेट पूरा करना है. एक तो बच्चों की परीक्षाएं चल रही हैं. दूसरा अभी फसल भी नहीं आयी है. तो किसानों के पास में देने के लिये पैसे नहीं है. इसको आगे बढ़ाकर ग्रामों की विद्युत न काटी जाए जिससे छात्रों के भविष्य को बर्बाद होने से रोका जा सके .आपने समय दिया धन्यवाद.
श्री सुदर्शन गुप्ता (अनुपस्थित)
श्री वेलसिंह भूरिया(सरदारपुर)-- उपाध्यक्ष महोदय, जिस प्रकार से जिस गति से हमारी सरकार समाज और जनता के लिए काम कर रही है. यह ऐतिहासिक काम है. हम 2001-2002 की बात करें या 1995-96 की बात करें जब मैं कॉलेज में पढ़ता था और छात्रावास में रहता था. बिजली के लिए आंदोलन करते करते नेता बन गया और यहां विधान सभा तक पहुंच गया. कांग्रेस के राज में यह हालत थी. देश को आजाद हुए 70 साल हो गए लेकिन इन 70 सालों में 2004 तक बिजली का कोई अता-पता नहीं था. हमारी एक सदस्या बोल कर गई हैं. कांग्रेस के राज में मंत्री लाल बत्ती में और जनता मोम बत्ती में यह हालत थी.
उपाध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में 24 घंटे बिजली सभी आदिवासी जिलों में दी जा रही है. इसमें से 10 घंटे बिजली लगातार किसानों को दी जा रही है. कांग्रेस के शासन काल में मैंने विद्युत गृह का घेराव भी किया. आंदोलन,प्रदर्शन किए. कांग्रेस के नेताओं ने बहुत मुकदमें भी कायम करवाये थे. लेकिन आज भारतीय जनता पार्टी की सरकार में किसी भी किसान के खिलाफ एक भी मुकदमा कायम नहीं होता. हमारा प्रदेश दीपों की तरह जगमगा रहा है. कमल के फूल की तरह किसानों का चेहरा खिल रहा है. बिजली की समस्या लगभग समाप्त होते जा रही है. आने वाले समय में जिस प्रकार से हमारे मंत्री जी ने और हमारी सरकार ने जो प्रावधान किया है उसमें लाखों अस्थायी कनेक्शन को स्थायी कर दिया जाएगा जिससे आने वाले समय में बिजली की समस्या खत्म हो जाएगी.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं एक शेर कहना चाहता हूं अंगूर की डाली पर अंगूर लटक रहे थे, उत्तरप्रदेश में रिजल्ट भाजपा के पक्ष में आये तो कांग्रेस के आंसू टपक रहे थे.
एक माननीय सदस्य--ईवीएम क्रांति की वजह से आया है.
श्री वेलसिंह भूरिया--उपाध्यक्ष महोदय, हाथी भटक गया और सायकल पंचर हो गई.
श्री बहादुर सिंह चौहान-- वेलसिंह जी अनुसूचित जाति के भविष्य के बहुत अच्छे नेता बनने वाले हैं.
डॉ गोविन्द सिंह--अगले साल नजर नहीं आएंगे.
श्री वेलसिंह भूरिया-- 16 गांवों में से लगभग सभी ग्रामों में 24 घंटे बिजली आ चुकी है. उसके लिए मैं माननीय मंत्री जी और भारतीय जनता पार्टी की सरकार को बहुत बहुत बधाई देना चाहता हूं. 800 मजरे-टोलों में से 400-500 मजरे-टोलों में बिजली आयी है शेष जो मजरे-टोले बाकी हैं, उसमें माननीय मंत्री जी और सरकार से मैं निवेदन करुंगा कि उसका सर्वे करवा कर जल्दी से जल्दी उन मजरे-टोलों में 24 घंटे बिजली लगायी जाये.
उपाध्यक्ष महोदय, 24 घंटे बिजली की शुरुआत मेरे सरदारपुर विधानसभा में 12.4.2013 से की थी. मैं इसके लिए सरकार को धन्यवाद देता हूं. लेकिन निवेदन करता हूं कि जल्दबाजी में जो केबल लगायी गई थी वह केबल पुरानी हो गई है और उसके कारण पंचर हो रही है. जिससे कोई घटना घटित होने की संभावना है. पूरे प्रदेश में 24 घंटे बिजली दी जा रही है उसमें केबल पंचर हो रही है मंत्री जी
सब जगह सर्वे कराके उसको मंत्री जी बदलवा देंगे तो वह केबल ज्यादा दिनों तक चलेंगी.
उपाध्यक्ष महोदय, फी़डर सेपरेशन के अंतर्गत कुछ मजरे-टोले बच गए हैं उनको पूर्ण करें. अभी हमारी सरकार ने जो नए 19 राजस्व ग्राम घोषित किए हैं उनमें 24 घंटे बिजली अभी नहीं मिल रही है. धन्यवाद.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा(जौरा )-- उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 12 और 68 का समर्थन करते हुए कटौती प्रस्ताव का विरोध करता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय, उर्जा विभाग ने जो प्रगति की है एक इतिहास रचा है जिसमें कोई भी कहीं भी ऐसा गांव नहीं बचा जहां लाईट नहीं है और 24 घंटे लाइट नहीं है. मेरे विधानसभा क्षेत्र में कम से कम जब मैं विधायक चुन कर आया था 150-200 गांवों में बिजली नहीं थी. सभी गांवों में आज बिजली और 24 घंटे लाइट मिल रही है.
डॉ गोविन्द सिंह-- सूबेदार सिंह जी, मुख्यमंत्री जी ने 13 मई 2013 को संपूर्ण प्रदेश में बिजली सप्लाय करना घोषित कर दिया तो आप सही बोल रहे हैं कि मुख्यमंत्री जी सही बोल रहे हैं.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा--उपाध्यक्ष महोदय, डॉक्टर साहब मेरे सम्मानीय नेता है. औरंगजेब ने अपने पिताजी को जेल में डाल दिया लेकिन उनके राज करने की क्षमता और अकड़ नहीं गई. उन्होंने अपने बेटे को बुलाकर कहा कि 10-20 छात्र भेज दो तो मैं पढ़ा दूंगा इसी प्रकार इनकी राज करने की क्षमता खत्म नहीं हुई. (XXX)
उपाध्यक्ष महोदय-- यह विलोपित करें.
श्री वेलसिंह भूरिया-- उपाध्यक्ष महोदय, (XXX)
उपाध्यक्ष महोदय-- यह भी विलोपित करें.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा-- उपाध्यक्ष महोदय, वास्तव में बिजली विभाग ने जो प्रगति की है. आज उत्तरप्रदेश में हमारी सरकार बनी है. उत्तरप्रदेश हमारे भिंड और मुरैना से लगा हुआ है. 24 घंटे बिजली देखकर वहां की जनता ने यह विश्वास किया कि मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है और तीसरी बार सरकार है यहां पर 24 घंटे बिजली मिलती है. वहां की जनता ने मुख्य मुद्दा बिजली का माना और 1990 में जब हमारी सरकार बनी थी तो उस समय कर्ज माफ किया था. उपाध्यक्ष महोदय, बिजली 24 घंटे मिल रही है. 2003 में कभी-कभार 2 घंटे, 4 घंटे बिजली आती थी.
उपाध्यक्ष महोदय-- इतना समय नहीं है. आप अपने क्षेत्र की बातें कर लें.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा-- उपाध्यक्ष महोदय, किसान इतना संतुष्ट है. उसको फ्लेट रेट पर बिल मिल रहा है. इनको तो पहले यह भी नहीं मालूम था कि किसान के पास कब पैसा आता है लेकिन जब किसान की सरकार बनी, भाजपा की सरकार बनी तो उन्होंने पता किया कि कार्तिक और चैत्र में दो बार पैसा आता है उस किसान का बिल फ्लेट रेट 1400 प्रति हार्स पॉवर करके, दो बार में भराया जाता है. किसान 100 प्रतिशत खुशहाल है. प्रदेश सरकार के चार बार कृषि कर्मण पुरस्कार ले चुकी है. मैं उम्मीद करता हूं कि आगे भी इसमें कोई शंका नहीं है.
उपाध्यक्ष जी,मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करता हूं कि मेरे क्षेत्र में कन्हार सब स्टेशन प्रस्तावित है, स्वीकृत है लेकिन किन्हीं कारणों से उसका पैसा नहीं दिया गया. इस पर मंत्री जी निश्चित रुप से ध्यान देंगे. मेरे क्षेत्र में जो बिजली आ रही है वह श्योपुर-विजयपुर से आ रही है, वह कभी भी बंद कर देते हैं. इसलिए कन्हार का अतिशीघ्र काम शुरु होने के लिए पैसा दिया जाए. बघेल और चमरगवां, बघरौली इन तीन गांवों में पहले से काम प्रस्तावित है. मंत्री से उम्मीद है कि मेरे क्षेत्र में कांग्रेस और बीएसपी के एमएलए रहे हैं उन्होंने कइस पर मंत्री जी निश्चित रुप से ध्यान देंगे. मेरे क्षेत्र में जो बिजली आ रही है वह श्योपुर-विजयपुर से आ रही है, वह कभी भी बंद कर देते हैं. इसलिए कन्हार का अतिशीघ्र काम शुरु होने के लिए पैसा दिया जाए. बघेल और चमरगवां, बघरौली इन तीन गांवों में पहले से काम प्रस्तावित है. मंत्री से उम्मीद है कि मेरे क्षेत्र में कांग्रेस और बीएसपी के एमएलए रहे हैं उन्होंने कभी सब स्टेशन का सोचा नहीं. जब देश आजाद हुआ तब से पहली बार वहां भारतीय जनता पार्टी जीती है. मैं मंत्री जी से आग्रह करता हूं कि 60 साल की भरपाई आप 5 साल में करेंगे. ऐसी उम्मीद करता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय, मेरे उत्तमपुरा ग्राम का शैलपुरा गांव है. वहां 60-70 गांवों का बेल्ट है वहां सब स्टेशन नहीं है. मैं मंत्री जी से इसके लिए मांग करता हूं और उम्मीद करता हूं कि इसे जरुर स्वीकृत करेंगे. धन्यवाद.
श्री वीरसिंह पंवार(कुरवाई)-- उपाध्यक्ष महोदय, मेरी कुरवाई विधानसभा क्षेत्र में भौंरासा से लेकर मल्हारगढ़ रोड़ की विद्युत सप्लाय की व्यवस्था है वह काफी पुरानी व्यवस्था है. तार जीर्ण-शीर्ण स्थिति में हो गए हैं. वोल्टेज़ की काफी प्राब्लम है. तार बार-बार टूटते रहते हैं. मंत्री जी से निवेदन है कि वहां कांकण के बीच में एक छोटा सा सब स्टेशन का निर्माण किया जाए तो वहां के 25-30 गांवों को वोल्टेज़ की समस्या से निजात मिलेगी और बा-बार तार टूटने की जो समस्या होती है, उस समस्या से भी लोगों को निजात मिलेगी और लाभ होगा.
उपाध्यक्ष महोदय, ऐसा ही एक पठारी तहसील है. वहां पर एक बंदरावथा गांव है, उसको करवासा सब स्टेशन से सप्लाय दी गई है. उसकी दूरी लगभग 25 से 30 किमी होती है. वहां भी यही स्थिति होती है चूंकि 40-50 साल पुराने तार लगे हुए हैं. बार-बार लाईन टूट जाती है. वोल्टेज़ के कारण वहां पर दिक्कत आती है. सिंचाई के समय सारे लोग परेशान होते हैं. मंत्री जी से निवेदन है कि बंदरावथा में छोटा सब स्टेशन बनवाया जाए जिससे मेरे क्षेत्र में विद्युत और वोल्टेज़ की समस्या है उससे निजात मिलेगी. धन्यवाद.
डॉ.कैलाश जाटव - अनुपस्थित
श्री गोविन्द सिंह पटेल(गाडरवारा) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं ऊर्जा विभाग की मांग संख्या 12 एवं नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा की मांग संख्या 68 का समर्थन करता हूं. सन् 2003 से 13 वर्षों से हमारी सरकार है और सब क्षेत्रों में सरकार ने काम किया है लेकिन सबसे ज्यादा संतोषप्रद काम बिजली के क्षेत्र में किया है क्योंकि बिजली की हालत प्रदेश में बहुत खराब थी. बिजली के मामले में आज 24 घंटे बिजली गांवों में मिल रही है. खेत के लिये 10 घंटे बिजली दे रहे हैं. ट्रांसफार्मर योजना एवं स्थायी कनेक्शन योजना और कई योजनाएं सरकार ने चलाई हैं उसके लिये मैं मंत्री जी और मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं. मैं अपने क्षेत्र की बात रखना चाहता हूं एवं कुछ सुझाव भी देना चाहता हूं. मेरे क्षेत्र में जब मैं वर्ष 2003 में विधायक बना था तब वहां 9 सबस्टेशन थे आज 16 और नये सबस्टेशन वहां बने हैं लेकिन आज मांग बढ़ती जा रही है, सिंचाई का रकबा बढ़ता जा रहा है, इसलिये 33/11 के 3 सबस्टेशनों की वहां आवश्यक्ता है. एक बरेली-बरेहटा-कौड़िया डी.सी. के अंतर्गत और एक मिड़वानी-सांईखेड़ा डी.सी. के अंतर्गत और एक झिकौली-सांईखेड़ा डी.सी. के अंतर्गत आवश्यक्ता है और रकबा ज्यादा होने से वोल्टेज की समस्या आ रही है. 132 के.वी.ए. का एक मात्र सबस्टेशन गाडरवारा में है तो मैं चाहता हूं कि सांईखेड़ा में 132 केवीए का सबस्टेशन बन जाये, जिससे वोल्टेज की समस्या का समाधान वहां हो जाये.बिजली के क्षेत्र में मध्यप्रदेश में बहुत काम हुआ है इसीलिये 4 बार कृषि कर्मण पुरस्कार मध्यप्रदेश सरकार को मिला है. यह बिजली की आपूर्ति के कारण ही संभव हुआ है. हमारे क्षेत्र में गांवों में विद्युतीकरण हेतु पहले जो सर्वे हुए थे उसमें कुछ मजरे,टोले विद्युतीकरण हेतु छूट गये हैं, उसका सर्वे कराकर यदि 5 मकान भी कहीं हैं तो उनको भी अटल ज्योति योजना के अंतर्गत ले लें ताकि फीडर सेपरेशन से वह जुड़ जायें क्योंकि मजरे,टोले वाले कहते हैं कि हमारे यहां 24 घटे बिजली नहीं मिल रही है, तो छोटे-छोटे मजरे,टोलों में भी बिजली की उपलब्धता हो जाये. हमारे क्षेत्र में कहीं-कहीं फीडर सेपरेशन का कार्य नहीं हुआ है वहां 24 घंटे बिजली चलाई तो जा रही है लेकिन वह भी सिंचाई के फीडरों से, तो उससे दिक्कत आती है. उसी से लोग पंप चलाते हैं इसलिये दिक्कत आती है. कुछ गांव जंगल के क्षेत्र में हैं. मेरे यहां 18 जंगल के अंतर्गत गांव थे, मैंने मंत्री जी से निवेदन किया था तो उन दुर्लभ स्थानों पर भी बिजली पहुंच गई है. दो-चार-पांच गांव वहां शेष बचे हैं, वहां बिजली की व्यवस्था करा दी जाये. मैंने एक प्रश्न लगाया था,मंत्री जी ने जवाब भी दिया है कि जो ट्रांसफार्मर बदलते समय जल जाता है, उस समय बात आती है कि उसकी 75 परसेंट राशि किसान जमा करे या 40 परसेंट बकाया राशि जमा करे तब ट्रांसफार्मर लगेगा. उसमें जो किसान राशि जमा करते हैं उन्हें परेशानी आती है क्योंकि ट्रांसफार्मर विलंब से लगने से उनकी फसल का नुकसान होता है. इसलिये मेरा निवेदन है कि आप जिन पर बिल बकाया है उनसे बिल वसूल करें लेकिन जिनका 30-35 परसेंट भी बिल जमा है उन्हें बिजली उपलब्ध कराएं. इसमें यह बात आती है कि जो लोग बिल नहीं दे रहे हैं उनके कारण हम परेशान हो रहे हैं, अगर 5 किसान भी बिल जमा कर रहे हैं तो उन्हें तो हम बिजली उपलब्ध कराएं. बिजली के क्षेत्र में सरकार ने अच्छा काम किया है. बिजली के क्षेत्र में रामराज्य जैसी स्थिति है. काम अच्छा है लेकिन जो थोड़ी दिक्कतें हैं उन्हें दूर करें. धन्यवाद. जय हिन्द.
उपाध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी..
श्री रजनीश सिंह - माननीय उपाध्यक्ष महोदय,
श्री रामनिवास रावत - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, कांग्रेस पक्ष के भी नाम थे.
उपाध्यक्ष महोदय - मेरी बात सुन लीजिये. 12 बजकर 56 मिनट से चर्चा शुरू हुई है. 3 बजकर 4 मिनट हो गये हैं मंत्री जी को बोलना है. आज की कार्यसूची में 5 विभाग हैं.आप लोगों का मेरे पास नाम नहीं आया है.
श्री रामनिवास रावत - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, 5 विभाग हैं ऐसे ही पारित करना है तो वैसे ही कर लो. पूरे कार्य एक ही कार्यसूची में डालोगे तो कैसे चलेगा.
श्री रजनीश सिंह - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, दो मिनट.
उपाध्यक्ष महोदय - रावत जी आप बताएं क्या बोल रहे हैं.
श्री रामनिवास रावत - उपाध्यक्ष महोदय, निवेदन है सदस्य बोलना चाहते हैं अपने क्षेत्र की समस्या रखना चाहते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय - मतलब एक ही विषय पूरे दिन चलता रहे रावत जी. टाईम मेनेजमेंट भी कोई चीज होती है.
श्री रामनिवास रावत - एक ही दिन में पूरी विधान सभा निपटाएंगे तो एक ही दिन में निपटेगी क्या.
श्री रजनीश सिंह - माननीय उपाध्यक्ष महोदय,रात को 12-12,1-1 बजे तक विधान सभा चली है. त्यौहार के बाद अभी तो शुरुआत है.
श्री रामनिवास रावत - यह तो अधिकार है.
उपाध्यक्ष महोदय - ऐसा कोई अधिकार नहीं है.
श्री रामनिवास रावत - सदस्यों को बोलने का अधिकार नहीं है. तो काहे के लिये विधान सभा आते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाएं. आप जब बोलना चाहें आपको बोलने दिया जाये ऐसा कोई अधिकार नहीं है. नियम-प्रक्रिया में नहीं है.
श्री रामनिवास रावत - हमने नाम दिये हुए हैं.
उपाध्यक्ष महोदय - आपका नाम नहीं आया.
श्री रजनीश सिंह - माननीय उपाध्यक्ष महोदय,निवेदन है एक मिनट का अवसर दे दें.
उपाध्यक्ष महोदय - आप एक मिनट तक सीमित रहेंगे.
श्री रजनीश सिंह (केवलारी) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय,सीमित रहूंगा. आपको धन्यवाद.बहुत सारी बातें हुईं. कब आई,कब चली गई,कितने घंटे में चली गई,कितने दिन के लिये चली गई,कितने दिन के लिये चली गई,कहां-कहां से आई,किस-किसको झटका मारकर आई.किसके ऊपर गिरी,किसके ऊपर चमकी,आखिर में मेरे मामा की पारस बिजली आखिर में आ ही गई. मेरा अनुरोध है मेरे डूब क्षेत्र में बिजली की व्यवस्था करदी जाये. मेरे डूब क्षेत्र में ट्रांसफार्मर लगा दिये जायें ताकि मुख्यमंत्री जी की जो मंशा है कि खेती को लाभ का धंधा बना सकें तो उस डूब क्षेत्र की जमीन का उपयोग हो जाये वहां बिजली पहुंच जाए. हमारा सिंचाई विभाग सिंचाई करता है बिजली विभाग डीसी कनेक्शन देता है तो मंत्री जी से मेरा निवेदन है कि उस डूब क्षेत्र के किनारे-किनारे ट्रांसफार्मर लगा दिये जायें.आपने समय दिया धन्यवाद.
श्री रामनिवास रावत(विजयपुर) - उपाध्यक्ष महोदय, मांगों पर समर्थन और कटौती प्रस्ताव यह सब चलता रहता है सत्ता पक्ष समर्थन करता है मांगों का और विपक्ष कटौती प्रस्तावों का समर्थन करता है. मैं केवल एक-दो बिन्दु उठाना चाहता हूं चाहे वह सत्ता पक्ष के लोग हों या विपक्ष के लोग हों. जो एवरेज बिल उपभोक्ताओं को भेजे जा रहे हैं इससे उपभोक्ताओं को दिक्कत आ रही है. यह हिटलरशाही तरीका है. कम से कम इस बात को सोचें कि जो व्यक्ति का संवैधानिक अधिकार है कि जितनी बिजली हमले रहे हैं उतना पैसा हम दें.
उपाध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी, यह बड़ी बात है कि जहां मीटर लगे हुए हैं वहां एवरेज बिल नहीं देना चाहिये जहां मीटर्स नहीं हैं वहां एवरेज बिल दे सकते हैं.
श्री रामनिवास रावत - उपाध्यक्ष महोदय, एक प्वाइंट पर और ध्यान दिलाना चाहूंगा.जिस तरह से आपने ट्रांसफार्मर की व्यवस्था की है कि 40 परसेंट बिल जमा हो या 75 परसेंट उपभोक्ता जमा करे. किसी भी व्यक्ति को पूरा पैसा जमा करकर विद्युत लेना उसका संवैधानिक अधिकार है. कई ऐसे किसान हैं जहां एक ट्रांसफार्मर पर 10 कनेक्शन होते हैं. 4 बंद हो चुके होते हैं उनके लगातार बिल आते रहते हैं उन्हें बिजली की कोई जरूरत नहीं है. 2 लोग बिल जमा नहीं करते और 4 लोग लगातार जमा करते हैं तो उन 6 लोगों के बकाया की वजह से वे 4 उपभोक्ता परेशान होते रहते हैं जो ईमानदार हैं. इस पर ध्यान नहीं दिया जाता.मैं एक घटना की ओर ध्यान दिलाना चाहता हूं. हाल ही में श्योपुर जिले की श्योपुर तहसील के कमरसली गांव में एक किसान था सत्यनारायण माली,इसके ट्रासंफार्मर पर 2 विद्युत कनेक्शन थे. इसका पूरा बिल जमा था और 1 व्यक्ति पर 35 हजार रुपये बकाया थे जो बिल जमा नहीं करना चाहता था. उन 35 हजार रुपयों की वजह से इस व्यक्ति सत्यनारायण माली का ट्रांसफार्मर उठा लिया गया. इसकी फसल को अंतिम पानी देना था, वह पानी नहीं दे पाया,फसल सूखने लगी. उपाध्यक्ष महोदय, वह आदमी 12 तारीख को होली वाले दिन खेत पर गया और खेत की फसल के नुकसान को देखकर खेत में ही उसका हार्टअटैक हो गया, मौत हो गई. यह कितनी गंभीर बात है, यहां पर विधायक श्योपुर भी बैठे हुये हैं उनसे इसकी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं यह बहुत ही गंभीर बात है. कम से कम जो विद्युत बिल जमा करता है उसको विद्युत प्रवाह मिले उसको कैसे भी बिजली मिले. क्या हम पूरी तरह हिटलरशाही व्यवस्था लागू करना चाहेंगे विद्युत बिल वसूल करने के लिये ? एक तरफ तो हमने किसानों पर बिजली का रेट बढ़ा दिया और दूसरी तरफ हम बिल भी लेते हैं और बकाया के कारण उसको परेशान भी किया जाता है. एक व्यक्ति की मौत हो गई. क्या बिजली विभाग उसके बच्चों को खड़ा करने के लिये कुछ सहयोग प्रदान करेगी ? मैं यह कहना चाहता हूं. दूसरा यह निवेदन करना चाहता हूं कि मेरे यहां राजीव गांधी विद्युतीकरण का पैसा आया अभी तक काम नहीं हुआ. फीडर सेपरेशन का कार्य वर्ष 2014 में पूर्ण होना था आज तक पूर्ण नहीं हुआ. इसी तरह से वाटर सप्लाई जहां-जहां है उन गांवों की भी लाइट काट दी गई है, जबकि आपके आदेश हैं कि नहीं काटी जाये. बीपीएल की बस्तियों में भी जहां पीटीजी ग्रुप है हमारे यहां शहरी आदिवासी, कितने भी बिल भेजते रहो वह बिल जमा करने वाले नहीं हैं. जो पीटीजी ग्रुप है उनको कैसे लाइट पहुंचायें, इसकी भी व्यवस्था कर दी जाये और मेरे क्षेत्र कराहल में जहां उपभोक्ता पूरा पैसा जमा करता है वहां 132 के.व्ही.ए. का प्रस्ताव गया हुआ है उसे अगर स्वीकृत कर देंगे, थोड़ी सी ताकत दिखाकर तो बड़ी कृपा होगी और 33 के.व्ही.ए. का ट्रांसफार्मर सबस्टेशन टर्राकला में और 33 केव्हीए का सबस्टेशन बलावनी में अगर आप स्वीकृत कर देंगे तो बड़ी कृपा होगी और मैंने जो प्वाइंट उठाये हैं उन पर गंभीरता से विचार कर लें क्योंकि पूरे प्रदेश का किसान बहुत ज्यादा पीढि़त हो रहा है. आपने समय दिया, इसके लिये बहुत-बहुत धन्यवाद.
ऊर्जा मंत्री (श्री पारस चन्द्र जैन)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, 20 माननीय सदस्यों ने मेरी मांग पर अपने-अपने सुझाव रखे, मैं उन सबको धन्यवाद देना चाहता हूं. क्योंकि बहुत महत्वपूर्ण सुझाव है, जो सामने बैठे हैं और इधर बैठे हैं वह व्यक्ति नीचे तक जाते हैं जब ही कोई समस्या इनके पास आती है तब वह उसे सुझाव के रूप में सदन में रखते हैं. मैं प्रयास करूंगा कि जो भी सुझाव आये हैं उनका परीक्षण कराकर पूरा करने की कोशिश करेंगे. आदरणीय जितू भाई ने भी कोयले की बात की है और वह रिकार्ड में आई है. मैं विधिवत सभी सदस्यों को उनके जवाब भेजने की चेष्टा करूंगा. अध्यक्ष महोदय, यहां अगर मैं सबके जवाब दूंगा तो मेरे विभाग की बातें रह जायेंगी इसलिये मैं सब सदस्यों को अपने जवाब भेजने की कोशिश करूंगा. कुछ सदस्यों ने फोन से मुझसे चर्चा की थी, कई लोगों ने मुझे यह भी कहा कि प्रदेश में ग्राम पंचायत में नल जल योजना चल रही है उनके कनेक्शन बकाया के कारण वितरण कंपनी द्वारा काटे गये थे आज मैं आदेशित कर रहा हूं कि वह सभी कनेक्शन तुरंत जोड़ दिये जायेंगे जो नल जल योजना के हैं और विभाग आपस में समन्वय करके उनके बिलों का निराकरण करेगा. यह प्रदेश की बहुत बड़ी समस्या थी उस समस्या का निराकरण करने का काम हम कर रहे हैं. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मुझसे 132 केव्हीए एवं 33 केव्हीए के उपकरण स्थापित करने संबंधित अनुरोध किया गया है. मेरे विपक्षी मित्रों ने भी, कटौती प्रस्ताव में भी विद्युतीकरण का उपकेन्द्र स्थापित करने की मांग की है. मैं आपको यह बताना चाहूंगा कि भारत सरकार द्वारा दीनदयाल ग्राम ज्योति योजना लागू की है जिसमें 100 से अधिक आबादी के मजरे टोलों को सघन विद्युत योजना हमारे मुख्यमंत्री जी के आदेश पर प्रदेश के सभी जिलों में बिना भेदभाव लागू की गई है जिसमें 33 केव्हीए उपकेन्द्र भी शामिल है.
श्री कमलेश्वर पटेल-- राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना का नाम बदला है, नई योजना चालू नहीं की है, सिर्फ नाम बदला है.
श्री पारस चन्द्र जैन-- आपने इतनी बात की, जरा धीरज रखो मेरी बात भी सुनो. 5000 से अधिक आबादी के नगरीय क्षेत्रों में आईपीडीएस योजना लागू की है जिसमें केवलीकरण, मीटर स्थापना एवं नगरीय क्षेत्र में विद्युतीकरण कार्य किये जा रहे हैं. जहां तक 132 केव्हीए उपकेन्द्र स्वीकृत करने की मांग की गई है उसमें सबसे पहले ऐसे अति उच्च दाब केन्द्र जिनका निर्माण कार्य प्रगति पर है उनको अगले वर्ष तक पूर्ण किये जाने पर जोर दिया जायेगा. मेरे द्वारा आपकी मांग को नोट किया गया है और मैं आप सभी को आश्वस्त करता हूं कि इनकी तकनीक साध्यता और वित्तीय उपलब्धता के आधार पर प्राथमिकता के आधार पर इनको स्वीकृत करने का कार्य किया जायेगा. अभी अनुसूचित जाति की भी बहुत सारी समस्यायें थीं. अनुसूचित जाति एवं जनजाति के विद्युतीकरण योजना में कुछ दिक्कते आ रही थीं उनको भी निराकरण कर दिया जायेगा इस हेतु तीनों वितरण कंपनियों को निर्देशित किया गया है. समिति के अनुमोदन में लंबित आवेदनों पर कार्यवाही की जायेगी जो अनुसूचित जाति और जनजाति के हैं. कई माननीय विधायकों ने अस्थाई कनेक्शन की भी बात कही है. विभाग कृषि कार्य हेतु स्थाई कनेक्शन 3 माह में देते हैं, यहां के.पी. सिंह साहब नहीं बैठे उन्होंने भी बात कही थी मैंने उनका भी निराकरण कराने की 3 महीने की बात कही है.
श्री जितू पटवारी (राऊ)-- मंत्री जी क्या कहा है आपने, स्थाई कनेक्शन में क्या कहा है क्या 3 महीने में स्थाई या अस्थाई क्या कर देंगे.
श्री पारस चन्द्र जैन-- जो अस्थाई कनेक्शन लेते हैं उनकी सीमा 3 महीने, पहले ऐसा कहा था कि 5 महीने, उनको शंका थी तो मैंने कहा कि हम 3 महीने में भी उनको अस्थाई कनेक्शन दे रहे हैं जो मांगते हैं.
श्री जितू पटवारी-- इसमें व्यवहारिक रूप से यह होता है कि जिसकी 2 महीने की फसल हो, किसी की 1 महीने की मैथी, पालक की हो, आप तो गांव के हो, आपकी भी खेती है.
श्री पारस चन्द्र जैन-- मेरी कहां खेती है, आपकी होगी जितू भाई.
श्री जितू पटवारी-- आपकी तो इतनी खेती है उसमें तो मैं आना ही नहीं चाह रहा हूं पर इसमें अनुरोध है कि अस्थाई 2 महीने का भी क्यों न हो यह सवाल है.
श्री पारस चन्द्र जैन-- इस वर्ष नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग द्वारा सोलर पम्प एवं रीवा की अल्ट्रा मेगा पावर परियोजना के टेंडर पूर्ण पारदर्शिता से कर देश में सबसे कम दरों में आये हैं यह हमारी सबसे बड़ी उपलब्धता है. मुख्यमंत्री सोलर पम्प योजना से अविद्युतीकरण ग्रामों के कृषकों को सर्वाधिक लाभ मिलेगा. विद्युत एक महत्वपूर्ण कार्यक्षेत्र है एवं प्रदेश के सामाजिक एवं आर्थिक विकास हेतु राज्य शासन गैर कृषि उपभोक्ता को 24 घंटे बिजली देने का काम हमारी सरकार गुणवत्ता के आधार पर कर रही है और घरेलू किसानों के लिये 10 घंटे बिजली देने का काम हमारी सरकार की एक बहुत बड़ी उपलब्धि है. इस योजना को सुचारू रूप से बनाये रखने हेतु सभी कंपनियों को वित्तीय साध्यता सुनिश्चित करने के साथ-साथ सेवा में उतरोत्तर बढ़ोत्तरी लाते हुये उपभोक्ताओं को संतुष्ट करने का प्रयास किया जा रहा है. वर्ष 2004 में विद्युत उपलब्धता जैसी की सभी ने बात कही है 5173 मेगावाट थी आज हमारी सरकार द्वारा उसे बढ़ाकर 17500 मेगावाट बिजली का हम मध्यप्रदेश के अंदर उत्पादन कर रहे हैं. इस प्रकार विगत 12 वर्षों से विद्युत वितरण प्रणाली में अभूतपूर्व सुधार आया है. अति उच्च दाब केन्द्रों की संख्या में 94 प्रतिशत की वृद्धि हुई है वहीं अति उच्च दाब लाईनों में 76 प्रतिशत की वृद्धि करने का काम हमारी सरकार द्वारा किया गया है. 33 केव्हीए उपकरणों की संख्या जो कि वर्ष 2000 में मात्र 1800 थी वह वर्तमान में 12 वर्षों में बढ़कर 3344 हो गई है. यह 86 प्रतिशत वृद्धि हमारे मध्यप्रदेश में हुई है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इस प्रकार वितरण ट्रांसफार्मरों की संख्या जो कि 12 वर्ष पूर्व 1 लाख 68 हजार थी वह वर्तमान में 5 लाख 35 हजार हो गई है, इसमें लगभग 219 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. राज्य शासन द्वारा विगत 5 वर्षों में लगभग 23 हजार करोड़ रूपये की सब्सिडी हमारी सरकार द्वारा दी जा रही है. इन कारणों से हम 24 घंटे गैर कृषि एवं 10 घंटे कृषि क्षेत्र में गुणवत्तापूर्वक विद्युत सप्लाई सुनिश्चित कर रहे हैं. आगे भी भविष्य की मांग को दृष्टिगत रखते हुये उपलब्धता में वृद्धि एवं अधोसंरचना के क्षेत्र में व्यापक कार्य किये जा रहे हैं. जहां ट्रांसमीशन क्षेत्र में ग्रीन एनर्जी का निर्माण किया जा रहा है वहीं विभिन्न क्षेत्रों में अति उच्च दाब केन्द्रों का निर्माण भी विभिन्न माध्यमों से सुनिश्चित कराया जा रहा है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, वितरण प्रणाली के सुधार हेतु ग्रामीण क्षेत्र में दीनदयाल ग्राम ज्योति योजना, फीडर विभक्तिकरण योजना का कार्य प्रगति पर है. 5 हजार की आबादी के नगरीय क्षेत्रों में आईपीडीएस योजना के माध्यम से वितरण प्रणाली के सुदृढीकरण का कार्य भी किया जा रहा है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इसके अतिरिक्त राज्य शासन के द्वारा एसएसटीडी योजना में वितरण कंपनी को विभिन्न कार्य हेतु राशि उपलब्ध कराई जा रही है. वर्ष 2017-18 में ऊर्जा विभाग के बजट में 16232 करोड़ रूपये का प्रावधान था. पूंजीगत कार्य हेतु 7352 करोड़ रूपये एवं राजस्व हेतु 8880 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है. पूंजीगत कार्यों में जहां पॉवर जनरेटिंग कंपनी के सिंघाजी ताप विद्युत गृह खण्डवा में 2x660 मेगावॉट के संयंत्रों हेतु 300 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है . ट्रांसमिशन कंपनियों में विभिन्न अति उच्चदाब केन्द्र एवं लाईनों के निर्माण कार्य हेतु 915 करोड़ रूपये का प्रावधान भी सरकार के द्वारा किया गया है. इस प्रकार तीनों वितरण कंपनियों की प्रणाली के सुधार हेतु 1452 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, राज्य शासन के द्वारा कृषि उपभोक्ता एवं गरीब तबके के उपभोक्ताओं हेतु टेरिफ सबसीडी में 5549 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है.नि:शुल्क विद्युत प्रदाय की क्षतिपूर्ति हेतु 3186 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है. राज्य शासन द्वारा पिछले पांच वित्तीय वर्षों में टैरिफ सब्सिडी मद में 15800 करोड़ रूपये एवं नि:शुल्क विद्युत प्रदाय क्षतिपूर्ति मद में 7452 करोड़ रूपये की राशि आवंटित की गई है. वहीं कार्यशील पूंजी ऋण मद में 5303 करोड़ रूपये की राशि आवंटित की गई है. किसानों के लिये फ्लेट रेट योजना के तहत कृषि उपभोक्ताओं को 1400 रूपये प्रति हार्स पॉवर प्रति वर्ष के हिसाब से वर्ष में दो किश्तों में देय है. इस वित्तीय वर्ष में 4690 करोड़ रूपये की राशि दी गई है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, ऊर्जा विभाग द्वारा उपभोक्ताओं के हित में इस वित्तीय वर्ष में कई निर्णय इस सरकार ने लिये हैं . ग्रामीण क्षेत्र में खराब ट्रांसफार्मर बदलने हेतु बकाया राशि की बाध्यता 50 प्रतिशत के स्थान पर 40 प्रतिशत करते हुये अगर 75 प्रतिशत उपभोक्ताओं ने देयक भरा है तो भी खराब ट्रांसफार्मर बदलने का काम हमारी सरकार कर रही है. इसके लिये हर विधानसभा के सदस्य और सांसद को एक पत्र भी लिखा गया था. इसमें यह भी प्रावधान किया गया है कि अगर कोई उपभोक्ता तीन वर्ष से अधिक समय से गांव छोड़कर चला गया हो तो उसके बकाया को भी कुल बकाया से हटाया जायेगा.यह भी हमारी सरकार के द्वारा किया गया है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जिला स्तरीय विद्युत सलाहकार समिति जो पहले होती थी बाद में नहीं थी, उसका भी हमने गठन किया है . इनकी बैठक हर 3 माह में होगी जिसमें सांसद और हमारे सदन के सभी सदस्य रहेंगे और उनकी समस्याओं का निराकरण उसी बैठक में कर दिया जायेगा तो अधिकतर समस्याओं का निराकरण उस बैठक में ही हो जाया करेगा. घरेली कनेक्शन हेतु समाधान योजना की अवधि में हमारी सरकार के द्वारा वृद्धि की गई थी जिसमें बीपीएल कार्डधारक को बाकाया राशि 50 प्रतिशत राशि एवं पूरा सरचार्ज माफ करने का काम किया था . इसके अलावा सामान्य वर्ग के लिये भी सरचार्ज माफ करने का काम हमारी सरकार ने किया है. एक माननीय विधायक महोदय ने अपने कटौती प्रस्ताव में उल्लेख किया है कि बिजली के बिल हिन्दी में और बिल की स्याही नहीं उड़े इसके लिये भी हमने आदेशित किया है और हमारी सरकार चाहती है कि बिजली के बिल हिन्दी में ही आये इसकी व्यवस्था भी हमारी सरकार करने जा रही है.माननीय विधायकगणों ने अपने कटौती प्रस्तावों में उनके क्षेत्र में विद्युत के उप केन्द्र स्थापित करने एवं विद्युतीकरण करने के बहुत सारे प्रस्ताव दिये हैं . उपाध्यक्ष महोदय,मैं आपके माध्यम से सभी विधायकगणों का आश्वस्त करना चाहता हूं कि प्रस्ताव का तकनीकी परीक्षण करके वित्तीय उपलब्धता के आधार पर करने का हमारी सरकार प्रयास करेगी.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, राज्य शासन के द्वारा सितम्बर, 2016 से मुख्य मंत्री स्थायी कृषि पंप कनेक्शन योजना लागू की गई है. योजना के अंतर्गत जून 2019 तक सभी अस्थायी कृषि पंप कनेक्शनों को स्थायी पंप कनेक्शनों में परिवर्तित करने का कार्यक्रम है. कनेक्शन के लिये अधोसंरचना में होने वाले खर्च में से, 2 हेक्टेयर से कम भूमि वाले सीमांत किसानों द्वारा मात्र रूपये 5000 प्रति पार्स पॉवर एवं अन्य सीमांत किसान द्वारा मात्र 7000 रूपये प्रति पार्स पॉवर देय होगा. शेष खर्चे का वहन वितरण कंपनी द्वारा अथवा अन्य किसानों द्वारा 11000 रूपये प्रति हार्स पावर की राशि देय होगी.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, योजना के अंतर्गत लगभग 5 लाख स्थायी कनेक्शन दिया जाना आंकलित है. योजना की कुल अनुमानित लागत 4100 करोड़ रूपये में से 40 प्रतिशत राशि राज्य शासन द्वारा अंशपूंजी के रूप में वितरण कंपनियों को उपलब्ध कराई जायेगी. वित्तीय वर्ष 2017-18 में इस योजना हेतु 851 करोड़ रूपये का बजट प्रावधान किया गया है. योजना के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2017-18 में लगभग एक लाख कनेक्शन दिया जाना अनुमानित है. योजना में आन लाईन आवेदन करने तथा कार्य हेतु ठेकेदार का चयन करने की सुविधा भी किसानों को दी गई है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, विद्युत वितरण कंपनियों की वित्तीय साध्यता के लिये तथा कंपनियों की बैंलेसशीट सुदृढ़ करने हेतु भारत सरकार के साथ हस्ताक्षरित उदय योजना के अंतर्गत राज्य शासन द्वारा वितरण कंपनियों पर बकाया ऋण राशि रूपये 26055 करोड़ का अधिग्रहण आगामी 5 वर्षों में किया जायेगा.
श्री कमलेश्वर पटेल -- उपाध्यक्ष महोदय, बिजली सस्ती करने के लिये कोई प्रयास सरकार के द्वारा नहीं किये जा रहे हैं. जिन गांव में बिजली काट दी गई है उनके बारे में सरकार क्या कर रही है यह भी मंत्री जी बतायें.
श्री पारस चन्द्र जैन -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, उदय योजना के अंतर्गत इसमें से 7568 करोड़ रूपये का परिवर्तन अंशपूंजी में किया जायेगा. शेष 18787 करोड़ रूपये के अनुदान में परिवर्तन किया जायेगा. योजना के अंतर्गत वितरण कंपनियों की संचालन दक्षता में सुधार लाने हेतु लक्ष्य निर्धारित किया गया है. वितरण कंपनियों द्वारा योजना में स्मार्ट मीटर की स्थापना का भी कार्यक्रम है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय ग्रामीण विद्युतीकऱण, विभक्तिकरण हेतु चिन्हित नये फीडर, ग्राणीण क्षेत्र में अधोसंरचना सुदृढ़ीकरण व मीटर स्थापित किये जाने के कार्य दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के अंतर्गत प्रारंभ है. इस योजना के अंतर्गत सभी जिलों में 50 योजनाओं के लिये रूपये 2865 करोड़ की राशि स्वीकृत की है. निविदा एवं कार्यादेश जारी करने की कार्यवाही प्रगति पर है. शहरी क्षेत्रों में प्रणाली सुदृढ़ीकरण व मीटर लगाये जाने के कार्य आईपीडीएस योजना के अंतर्गत प्रारंभ कर दिये गये हैं. योजना के अंतर्गत 309 नगरों के लिये लगभग रूपये 1500 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई है. इस हेतु निविदा एवं कार्यादेश जारी करने की कार्यवाही भी प्रगति पर है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मध्य एवं पूर्व क्षेत्र मे कंपनी द्वारा फीडर विभक्तिकरण के शेष कार्य प्रगति पर है. जून 2018 तक शेष कार्य पूर्ण करने का लक्ष्य है. इन योजनाओं सहित आगामी 3 वर्षों में उप पारेषण एवं वितरण के क्षेत्र में लगभग रूपये 7000 करोड़ के कार्य किये जाने का कार्यक्रम है. इन कार्यों के क्रियान्वयन से प्रदेश में विद्युत की बढ़ती हुई मांग की पूर्ति के लिये अधोसंरचना के विकास के साथ साथ विद्युत प्रदाय की गुणवत्ता में भी सुधार होगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, कुछ नवाचार विभाग द्वारा किये गये हैं. उपभोक्ताओं की सुविधा हेतु राज्य शासन संकल्पित है एवं विभिन्न नवाचार किये जा रहे हैं. नये विद्युत कनेक्शन के आवेदन आनलाईन जमा करने की सुविधा दी गई है. मुख्यमंत्री स्थायी कृषि पंप योजना के आवेदन आनलाईन लेने की सुविधा दी गई है. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा फोटो मीटर रीडिंग प्रारंभ की गई है जिसमें मीटर रीडिंग का फोटो देयक में दिखता है.यह व्यवस्था भी की गई है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पश्चिम क्षेत्र वितरण कंपनी द्वारा मोबाइल एप्प उर्जस प्रारंभ किया गया है, मध्य क्षेत्र की वितरण कंपनी द्वारा आनलाइन सेन्ट्रालाइज कॉल सेन्टर 'संपक' प्रारंभ किया गया है, जिसमें उपभोक्ताओं की शिकायताओं का तुरंत निराकरण किया जाएगा पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा कॉल सेन्टर प्रारंभ किए गए हैं, जिसमें 1912 अथवा 18002331912 नंबर के माध्यम से शिकायतों को दर्ज कर उपभोक्ताओं की संतुष्टि के बाद शिकायत बंद की जाएगी. जले एवं खराब ट्रांसफर को बदलने हेतु एसएमएस आधारित योजना भी विद्युत वितरण कंपनी चला रही है. इस वर्ष रबी मौसम में 11 हजार मेगावाट अधिक बिजली सुनिश्चित की गई है. 23 दिसम्बर 2016 को अभी तक सर्वाधिक 11421 मेगावाट विद्यत आपूर्ति की गई है. वित्तीय वर्ष 2004 की अधिकतम विद्युत मांग 4984 आपूर्ति की तुलना में इस वर्ष अधिकतम 11421 मेगावाट आपूर्ति की जो लगभग 129 प्रतिशत अधिक है. वित्तीय वर्ष 2004 में 28599 मिलियन यूनिट की विद्युत आपूर्ति थी, जबकि वित्तीय वर्ष 2015-16 में 64149 मिलियन यूनिट विद्युत की आपूर्ति जो लगभग 124 प्रतिशत अधिक है. द्वितीय वर्ष 2016-17 में लगभग 65 हजार मिलियन यूनिट विद्युत आपूर्ति संभावित है, जो कि अब तक की सर्वाधिक है. माननीय अध्यक्ष महोदय, ईज आफ डूइंग बिजनेस के अंतर्गत नए औद्योगिक विद्युत कनेक्शन के लिए आवश्यक दस्तावेज 14 से घटाकर 2 तक सीमित किए गए हैं. औद्योगिक कनेक्शन प्राप्त करने के लिए पर्यावरण विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र की आवश्यकता भी समाप्त कर दी गई है. 33 केव्ही वोल्ट तक के नए स्थापनाओं के चार्जिंग हेतु विद्युत निरीक्षक द्वारा चार्जिंग परमीशन दिए जाने की अनिवार्यता समाप्त की है. इस कार्य हेतु स्वप्रमाण पत्र की व्यवस्था, चार्टर्ड सुरक्षा इंजीनियर अधिकृत किया है. इस बिजनेस के अंतर्गत मध्यप्रदेश द्वारा की गई कार्यवाही को वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट में सराहा गया है, तथा टीप दी गई है देश में मध्यप्रदेश एक ऐसा राज्य हे, जिसने विद्युत कनेक्शन दिए जाने के लिए सभी मापदंडों को पूर्णत: पालन किया गया है. विद्युत वितरण कंपनी एटीएमसी में लाने हेतु व्यापक प्रयास किए जा रहे हैं, अधोसूचना कार्यों के लिए निष्पादन में तकनीकी हानियों में कमी लाने की कार्यवाही की जा रही है. विद्युत के अनाधिकृत उपयोग को रोकने के लिए विगत तीन वर्षों में कुल 35 हजार किलोमीटर एरियल बंच केबल स्थापित किए जा रहे हैं, विद्युत चोरी के क्षेत्र में चिन्हित करना तथा नियमित रूप से एनर्जी आडिट के लिए 33 एवं 11 केव्ही के फीडरों पर मीटर स्थापित करने का कार्य लगभग पूर्ण हो गया है. विद्युत वितरण ट्रांसफार्मरों में मीटर लगाने की कार्यवाही प्रगति पर है. 500 यूनिट से अधिक मासिक की खपत वाले उपभोक्ताओं के परिसर में स्मार्ट मीटर लगाए जाने का कार्यक्रम है. उपरोक्त के अलावा विद्युत कनेक्शन को नियमित चेकिंग के द्वारा विद्युत चोरी रोकने के प्रयास किए जा रहे हैं. विगत 6 साल में ए.टी एंड सी हानियों के विस्तार में लगभग 14 प्रतिशत की कमी आई है. सीएम हेल्पलाइन हमारे मुख्यमंत्री जी ने प्रारंभ की थी, हमारे ऊर्जा विभाग में 5 लाख 93 हजार 193 शिकायतें प्राप्त हुई थीं, वर्तमान में सिर्फ 9558 शिकायतें ही लंबित हैं, बाकी सभी शिकायतों के निपटारे का काम हमारे विभाग ने किया है, नवकरणीय ऊर्जा के मामले में दो तीन बातें कहना चाहता हूं, सोलर परियोजना भारत सरकार द्वारा रूपटाप परियोजना के लिए 2200 मेगावाट का लक्ष्य रख, 2022 तक पूर्ण करने का लक्ष्य दिया गया है. इसी क्रम में प्रथम चरण में 100 मेगावाट क्षमता का काम इसी वर्ष प्रस्तावित है, जिनकी निविदाएं चरणबद्ध की जा रही है. 30 मेगावाट क्षमता की निविदाएं अंतिम की जा चुकी हैं, इसमें उत्कर्ष एवं पारदर्शिता निविदा पत्रक के कारण प्राप्त दरें भारत सरकार की बैंचमार्क दरों में 25 प्रतिशत कम एवं पूर्व के वर्ष से 38 प्रतिशत दरें कम प्राप्त हुई है. निविदा प्रक्रिया में राष्ट्रीय स्तर की 30 टाटा अडानी, हीरो जैसी कंपनियों ने भाग लिया है. प्रदेश के सभी 38 जिला कलेक्टर कार्यालय, कमिश्नर कार्यालय एवं भवनों में, 21 अदालतों में बीएसएनएल के 33 टेलीफोन, तहसील एवं जनपद भवन इत्यादि में रूफटॉप सोलर सिस्टम स्थापित किए जा रहे हैं. राज्य शासन में मुख्यमंत्री सोलर पंप योजना प्रारंभ की गई है, इसकी नीति बनाई गई है, निविदा 10 मार्च को खुल गई है, इस योजना में 85 प्रतिशत से 90 प्रतिशत के अनुदान का प्रावधान है. सोलर पम्पों की उपयोगिता को देखते हुए अगले दो वर्ष में प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्रों में डीजल पम्पों के माध्यम से सिंचाई वाले क्षेत्रों में 10 हजार नग सोलर पम्प स्थापित किए जाएंगे. इससे डीजल के खपत में कमी होने से प्रदूषण कम होगा एवं कृषि उत्पादन में वृद्धि होगी. रीवा की सबने बात की है वहां 750 मेगावाट की विद्युत जल्दी चालू की जाएगी, उसके रेट 2.97 पैसे आए हैं.
श्री जितू पटवारी - आप उपभोक्ताओं को किस भाव से दे रहे हों, यह भी बताओ.
श्री पारस चन्द्र जैन - जो एग्रीमेंट पहले किए गए हैं, उनकी तो लेना पड़ेगा, बीस साल पहले आपके राज में तो बिजली मिलती नहीं थी, आपके जो पहले थे उन्होंने एक आदेश निकाल दिया था कि 8 बजे के बाद दुकानें बंद करों.
श्री जितू पटवारी - आपने चिट्ठी क्यों लिखी, अगर वह लेना पड़े तो, आपने चिट्ठी क्यों लिखी, इसका भी उत्तर लेना पड़ेगा, इस तरह का भ्रष्टाचार है, इस पर बोलना पड़ेगा. मध्यप्रदेश की खून पसीने की कमाई का दुरूपयोग होता है.
उपाध्यक्ष महोदय - जितू जी आपकी बात आ गई, बैठ जाइए.
उपाध्यक्ष महोदय - मैं पहले कटौती प्रस्तावों पर मत लूंगा.
प्रश्न यह है कि मांग संख्या 12 एवं 68 पर प्रस्तुत कटौती प्रस्ताव स्वीकृत किए जाएं,
कटौती प्रस्ताव अस्वीकृत हुए.
अब मैं मांगों पर मत लूंगा.
(2) |
मांग संख्या – 14 |
पशुपालन |
|
मांग संख्या – 16 |
मछली पालन |
|
मांग संख्या – 56 |
ग्रामोद्योग.
|
उपस्थित सदस्यों के कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए.
अब मांगों और कटौती प्रस्तावों पर एक साथ चर्चा होगी.
मांग संख्या 14,16 एवं 56 पर चर्चा हेतु एक घण्टे का समय नियत है. तद्नुसार दल संख्यावार चर्चा हेतु भारतीय जनता पार्टी के लिये 43 मिनट, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लिये 14 मिनट, बहुजन समाज पार्टी के लिये 2 मिनट एवं निर्दलीय सदस्यों के लिये एक मिनट का समय आवंटित है. इस समय में माननीय मंत्री जी का उत्तर भी सम्मिलित है. अतः माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि वे समय सीमा को ध्यान में रखकर संक्षेप में अपने क्षेत्र की समस्याएं रखकर सहयोग प्रदान करने का कष्ट करें.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा (मुंगावली) -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं कटौती प्रस्तावों के समर्थन में और मांगों के विरोध में खड़ा हुआ हूं. मंत्री जी के विभाग का नाम पशुपालन विभाग है. मनुष्य के स्वास्थ्य की तरह पशुओं के के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी भी आपकी और सरकार की है. आप न तो पशुपालन कर रहे हैं, न पशु का स्वास्थ्य का ख्याल रख रहे हैं. अगर आप यहां से विदिशा एवं अशोक नगर चले जायें तो सैकड़ों गायें आपको रास्ते में खड़ी मिलेंगी, कई बार एक्सीडेंट भी हुए हैं. यही हाल मध्यप्रदेश के सभी शहरों का है, जहां आपको हर जगह सड़क पर बैठी हुई गायें मिल जायेंगी. आप इन गायों का न तो स्वास्थ्य का ध्यान रख रहे हैं और न ही इन पशुओं के पालन का ध्यान रख रहे हैं. वैसे तो आप एवं आपकी सरकार बड़े गौपालक बन रहे हैं, गौहत्या का विरोध करते हैं, गायों की बात करते हैं,लेकिन गायों की जो दुर्दशा आपकी सरकार में हो रही है, उसका वर्णन नहीं किया जा सकता है. मैंने मुख्यमंत्री जी को चिट्ठी लिखी है कि सैकड़ों गायें जो हैं, ये घूम रही हैं और इनको आप कहीं एक जगह रखिये. इनकी देखभाल करिये. आर्टिफिशियल इंसेमिनेशन से और नस्ल सुधार करिये.लेकिन अभी तक सरकार इसके बारे में कोई सोच नहीं रही है. मैं मंत्री जी से अपेक्षा करुंगा कि वे इन गायों की देखभाल के लिये कुछ करें और यहां वक्तव्य दें. गायों को बचाने की बजाए यह सरकार गायों को काटने और पशुओं को काटने के लिये ज्यादा इच्छुक दिखती है. आप भोपाल में ही 500 पशु प्रति दिन काटने का एक लायसेंस दे रहे हैं और झगड़ा हो रहा है कि उसको कहां लगाया जाये और कहां नहीं लगाया जाये. तो यह कत्लखाने आप इसलिये खोल रहे हैं कि यह जो गायें घूमती हैं, इनकी देखभाल करने की बजाए कत्लखाने में लोग ले आयें. आपको इस बारे में सोचना चाहिये, क्योंकि आप बाकी उत्पादन तो नहीं बढ़ा रहे हैं, पर मांस का उत्पादन और निर्यात खूब बढ़ा रहे हैं. मेरा आपसे यह अनुरोध है कि आपके यहां पंजीकृत गौशालाएं हैं 1245, उसमें से क्रियाशील गौशालाएं 595 हैं और अक्रियाशील 607 हैं. तो आप इन अक्रियाशील गौशालाओं को अनुदान दीजिये और उनको प्रेरित करिये कि यह जो सड़कों पर, शहरों में गायें घूम रही हैं,रोड्स पर दिखती हैं, इनको वह देखें, इनकी देखभाल करें और उनकी अपनी गौशाला में रखें.
3.44 बजे {सभापति महोदया (श्रीमती नीना विक्रम वर्मा) पीठासीन हुईं.}
सभापति महोदया, एक काम जरुर आपने अच्छा किया है कि कामधेनु गौअभ्यारण्य सुसनेर में बनाया है. तो आप उस अभ्यारण्य में इन गायों को क्यों नहीं ले जाते हैं और इस तरह के और भी अभ्यारण्य आपको नेशनल पार्क के निकट बनाने चाहिये, ताकि इन गायों को वहां ले जाया जाये और उनकी देखभाल की जाये. यह आपके गौवंशी पशुओं की संख्या क्यों घटती जा रही हैं. पशु संगणना 2012 में 2 करोड़ 19 लाख और कुछ हजार थी और 2017 की संगणना में 1 करोड़ 46 लाख हो गई. तो यह गौवंशीय पशु कम हो रहे हैं, भैंसवंशीय पशु भी कम हो रहे हैं. सन् 2007 में 91 लाख थे, अब 81 लाख रह गए हैं. भेड़-बकरियां भी कम हो रहे हैं, घोड़े भी कम हो रहे हैं, खच्चर जरूर बढ़ रहे हैं. आप खच्चर को क्यों बढ़ा रहे हैं ? यह मेरी समझ में नहीं आ रहा है. ये सन् 2007 में 2,617 थे, अब आपने बढ़ाकर 6,989 कर दिए हैं. इनकी जरूरत नहीं थी. जिनकी उपयोगिता नहीं है, आप उनको बढ़ा रहे हैं. मैं यह इसलिए कह रहा हूँ कि जनसंख्या में मनुष्यों को तो कम होना चाहिए, लेकिन पशुओं को तो बढ़ना चाहिए क्योंकि आप खेती को लाभ का धंधा बनाना चाह रहे हैं. आप खेती को लाभ का धंधा बनाना चाहते हैं और आप जैविक खेती बढ़ाना चाहते हैं तो इसके लिए पशुओं की जरूरत है, उनके गोबर और गौ-मूत्र की कीटनाशक के लिए जरूरत है. इसलिए मैं आपसे अनुरोध कर रहा हूँ कि आप इनकी संख्या को बढ़ाने पर विचार करें और ये घट रहे हैं. इससे आपके विभाग की अक्षमता दिखती है.
सभापति महोदया, मैं दुग्ध उत्पादन के संबंध में कुछ आंकड़े देना चाहूँगा कि यह भी आपका कम हो रहा है. आपके ही विभाग की पुस्तिका में कार्यशील दुग्ध सहकारी समितियों की संख्या सन् 2014-15 में 6,300 थी और अगले वर्ष 6,315 ही है. इतनी कम दुग्ध समितियां क्यों बढ़ रही हैं ? जबकि आपको ज्यादा बनानी चाहिए. कार्यशील दुग्ध सहकारी समिति के सदस्य भी कम हो रहे हैं. पहले 23 लाख थे फिर 24 लाख हो गए हैं, ये बहुत कम हैं. दुग्ध संकलन किलोग्राम प्रतिदिन 11 लाख था, जो 10 लाख एवं कुछ हजार हो गया है. दुग्ध उत्पादकों को कम भुगतान हो रहा है, सन् 2014-15 में 1243 करोड़ रुपये हुआ था, सन् 2015-16 में 1,057 करोड़ रुपये रह गया. इसका मतलब यह है कि आपकी संख्या कम हो रही है, दुग्ध उत्पादकों को कम पैसा मिल रहा है. यह बहुत चिन्तनीय बात है. दूसरी तरफ, एनडीटीवी की जो रिपोर्ट है, उसके अनुसार मध्यप्रदेश में 17 प्रतिशत गांव दुग्ध संघों से बाहर हैं.
सभापति महोदया, 27,000 गांवों में दुग्ध उत्पादन सिर्फ 29 प्रतिशत है यानि 71 प्रतिशत गांवों दुग्ध संघों के दायरे से बाहर हैं. वर्तमान में 6,524 समितियों के माध्यम से 8,000 गांवों में 9,44,500 लीटर दूध क्रय किया जा रहा है. आपको बल्क कूलर, चील्ड कूलर की संख्या भी बढ़ानी चाहिए. दूसरा, इस अमूल पैटर्न के अनुसार दुग्ध संघों में सहकारिता अधिनियम 1960 की धारा 73 में स्पष्ट है कि सहकारी दुग्ध संस्था सिर्फ अपने सदस्यों से व्यापार या कारोबार करेगी और जो धारा 14 की उपधारा 1 (2) का उल्लंघन करेगा, उसको दण्डनीय अपराध होगा. लेकिन आपका दुग्ध संघ, एमपीएससीडीएफ, भोपाल से आदेश जा रहा है कि सहकारिता के विरुद्ध निजी व्यवसायी से दुग्ध संग्रहण कर दुग्ध एकत्रित किया जाये, यह तो बहुत गलत बात है. इसमें तो सहकारिता भी खत्म है और अमूल पैटर्न भी खत्म. आप निजी संग्राहकों को क्यों प्रावधान देना चाहते हैं ? आप सहकारिता को मजबूत करें. डेयरी मूवमेंट को मजबूत कीजिये. आप उसे कमजोर कर रहे हैं और तोड़ रहे हैं. एक दुग्ध उत्पादक अमूल पैटर्न का सबसे क्लीन मूवमेंट है. इसमें एक दुग्ध उत्पादक, जो 180 दिनों में 700 लीटर दूध या 180 दिन दूध दे या 700 लीटर दूध दे. वह वोटर बन सकता है, लेकिन उज्जैन दुग्ध संघ में एक आदमी ने 750 लीटर दूध एक ही दिन में दे दिया तथा आपने उसको वोटर बना दिया और डायरेक्टर बना दिया. यह बड़ी शर्मनाक बात है. सहकारिता के लोग और डेयरी के लोग चुपचाप बैठे रहे हैं और इस प्रकार का काम कर रहे हैं जो सहकारिता के विरुद्ध है. मंत्री जी, आप इसको देखिये. कैसे कोई आदमी जेन्यूइन मिल्क प्रोड्यूसर नहीं है, उसने दूध बाजार से खरीदकर 750 लीटर दूध एक ही दिन में डाल दिया और सब नियम-कानूनों को भंग किया.
सभापति महोदया, चारा विकास और पशु आहार भी आपकी जिम्मेदारी है. आप पशु आहार संयंत्र को शिवपुरी में ले गए हालांकि वह मेरे लोकसभा क्षेत्र का भाग था. लेकिन वहां इसकी जरूरत नहीं थी. आपको इसको उज्जैन में खोलना चाहिए. यह उज्जैन एरिये में रतलाम या मंदसौर में खोलना चाहिए और चूँकि भोपाल और इन्दौर में पशु आहार संयंत्र हैं, लेकिन उज्जैन में नहीं हैं. एनडीटीवी की एक रिपोर्ट थी, उसमें उज्जैन को सबसे बढि़या मिल्क शेड माना गया है. जहां सबसे ज्यादा पोटेन्शियल दुग्ध उत्पादन का है. यह एनडीटीवी की रिपोर्ट में 20 वर्ष पहले बताया गया है. लेकिन आप उज्जैन को बराबर नजरअंदाज कर रहे हैं. वहां पॉउडर प्लांट भी नहीं हैं. आपने भोपाल को पॉउडर प्लांट दे रखा है, इंदौर को दे रखा है. आपको उज्जैन को भी पॉउडर प्लांट देना चाहिए और आपको वहां केटल फीड प्लांट भी देना चाहिए.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--आप शिवपुरी का विरोध क्यों कर रहे हैं.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा-- मैं विरोध नहीं कर रहा हूं आप वहां बाद में खोलिए.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- दोनों जगह खुल जाए.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा-- वहां पर मिल्क शेड नहीं है. शिवपुरी के आसपास दुग्ध समितियां नहीं हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- ऐसे ही तो निर्माण होती हैं. शिवपुरी का विरोध क्यों कर रहे हैं.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा-- मेरा लोकसभा क्षेत्र रहा है मैं क्यों विरोध करूंगा.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- इसीलिए मैं आपको कह रहा हूं. वह अभी महाराज का लोकसभा क्षेत्र है.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा-- सभापति महोदया, सिन्थेटिक दूध को आप रोक नहीं पा रहे हैं. दूध का भाव बहुत कम हो रहा है. दूध का भाव भी आप किसानों को नहीं दे रहे हैं. धड़ाधड़ निजी दुग्ध प्लांट खुल रहे हैं, रिलायंस आ रहे हैं, महिन्द्रा, सौरभ सब आ रहे हैं. आप राजस्थान की तरह दुग्ध समिति प्रति लीटर क्यों नहीं देते हैं? आपको देना चाहिए. दूसरा, दुग्ध संघों की आपने स्वायत्तता खत्म कर दी है. दुग्ध संघों को आपने पंगु कर दिया है. उनकी ऑटोनॉमी खत्म कर दी है जबकि दुग्ध संघों की ऑटोनॉमी रहनी चाहिए. उनके सी.ई.ओ. का अपॉइंटमेंट वह करें, चयन वह करें, भाव भी वही लोग तय करें. भोपाल में बैठे-बैठै आप भाव तय कर रहे हैं. आपके दुग्ध संघों का मार्केटिंग पक्ष बहुत कमजोर है और व्यापम में भ्रष्टाचार हुआ तो दुग्ध संघ में भी लोग गलत भर्ती कर लिए गए. उसका नतीजा है कि हमारी मार्केटिंग कमजोर है. एक बात और है, ओला-पाला पड़ता है, सूखा पड़ता है अगर आप दुग्ध संघों को प्रोत्साहन देंगे, लोगों को गाय खरीदने का मौका देंगे, प्रोत्साहित करेंगे तो ओला-पाला में वह आपके मुआवजे पर निर्भर नहीं रहेगा जो कि बहुत मामूली होता है. वह किसान एक साल का दु:ख बर्दाश्त कर लेगा इसीलिए आपको दुग्ध संघों को मजबूत कर देना चाहिए. इससे इनको जैविक खेती भी मिलेगी. आपको अधिक से अधिक पशु चिकित्सक रखना चाहिए. जो रिक्त स्थान हैं उनको भरना चाहिए. अनुबंध के आधार पर पशु चिकित्सा इकाइयां 98 विकासखण्डों में हैं उनको प्रत्येक विकासखण्ड में करिए. भ्रूण प्रत्यारोपण, पशु चिकित्सालय की स्थापना करिए. पशु आश्रय स्थल को बढ़ाइए. यह तो दुग्ध संघ की बात थी. भोपाल दुग्ध संघ में बहुत गड़बड़ है. भोपाल दुग्ध संघ में 480 दिन तक दुग्ध संघ में प्लांट में 5 लाख 76 हजार लीटर पानी पहुंचा और 2 करोड़ 30 लाख 40 हजार की हानि हुई है. ब्लैक लिस्टेट टैंकर मालिकों को आप प्रोत्साहन देते हैं. ब्लैक लिस्ट लोगों के नाम बदलवाकर उनसे दूध ढुलवाते हैं. 200 लीटर का एक अलग चेंबर बनाया गया है वह पकड़ा गया. चिलिंग सेंटर में डेयरी समिति प्लांट मे फैट की मात्रा घटती जा रही है. यह टेंकर वाले चोरी करते हैं और समितियों को उसका नुकसान भुगतना पड़ता है. मछलीपालन को आप ठेकेदारों से मुक्त करिए. को-ऑपरेटिव सोसायटीज फिशर बैंक की बनाइए, उनको प्रोत्साहन दीजिए. ग्रामोद्योग में आप काफी रोजगार दे सकते हैं लेकिन आपका ग्रामोद्योग विभाग अक्षम है, कोई काम नहीं कर रहा है, कोई रोजगार नहीं दे रहा है. धन्यवाद.
श्री
बहादुर सिंह
चौहान
(महिदपुर) --
सभापति महोदया,
मैं मांग संख्या
14,
16 और 56 का
समर्थन करते
हुए कटौती
प्रस्ताव का
विरोध करता
हूं. पशुपालन
विभाग हम सबके
लिए महत्वपूर्ण
विभाग है. इस
पर जिस सजगता के
साथ कार्य
होना चाहिए.
पूर्व की
तुलना में अभी
अच्छा हो रहा
है. चूंकि मैं
मालवा
क्षेत्र से
हूं माननीय
सभापति
महोदया,
आप भी मालवा
से ही आती हैं.
धीरे-धीरे
देखने में यह
आ रहा है कि
मालवा की जो
नस्ल है वह
समाप्त होती
जा रही है. इस
पर विभाग को
बहुत ध्यान
देना चाहिए.
मालवीय गाय,
मालवीय बैल
बहुत ही
शक्तिशाली
हुआ करते हैं
परंतु
धीरे-धीरे वह
कम होते जा
रहे हैं. दूध
से हम सब लोग
जुड़े हुए हैं
प्रतिदिन हम
सबको दूध की
आवश्यकता
होती है. मैं
कालूखेड़ा जी
की एक बात की सराहना
करता हूं कि
दुग्ध की
समितियों से
ही दूध लिया
जाए. यदि हम
प्राइवेट
सेक्टर से
दूध खरीदेंगे
तो सहकारिता
समाप्त हो जाएगी.
सहकारिता का
मुख्य
उद्देश्य
समाप्त हो जाएगा.
भोपाल से
तरह-तरह के
आदेश निकल रहे
हैं इस बात को
मैं अच्छी तरह
से जानता हूँ.
जो सहकारिता
समितियां बनी
हुई हैं उनको
और ताकतवर बनाया
जाए और नई-नई
समितियां
बनाई जाएं.
बहुत सारे ऐसे
गांव हैं जहां
बहुत संभावना
है वहां कार्य
किया जा सकता
है. दुग्ध संघ
के जो
इंस्पेक्टर हैं
जिनको अच्छे
से काम करना
चाहिए वे उतने
अच्छे से काम
नहीं कर रहे
हैं. वित्तीय
वर्ष 2015-16 में देश
में कुल दुग्ध
उत्पादन में 6.27
प्रतिशत की
वृद्धि हुई
है.
हिन्दुस्तान
की तुलना में
मध्यप्रदेश
में 12.7 प्रतिशत
की इस वर्ष
वृद्धि हुई
है. इसके लिए
मंत्री जी और
विभाग बधाई के
पात्र हैं.
मैं महेन्द्र
सिंह जी को भी
यह जानकारी
देना चाहता
हूँ. दूध का
राष्ट्रीय
औसत 337 ग्राम है
जबकि मध्यप्रदेश
का औसत 428 ग्राम
है. अन्य
राज्यों की
तुलना में
दुग्ध
उत्पादन में
हम काफी आगे
हैं. दूध
उत्पादन तो हो
रहा है पर
किसानों को और
ग्राहकों को
जो भाव मिलना
चाहिए वह नहीं
मिल रहा है.
मैं किसान
होने के नाते
दु:ख
के साथ कह रहा
हूँ कि कृषि
करने वाले
व्यक्ति के
पास आय का
अन्य साधन
पशुधन होता
है. यदि कृषि
असफल हो गई तो
उसके पास यदि
अच्छी भैंस
होगी, बैल
होगा, बकरियां
होंगी तो उनको
बेचकर वह अपना
जीवनयापन कर
सकता है वह
उसका सहारा
है.
सभापति महोदया, देखने में यह आ रहा है कि कृषि की तो तरक्की हो रही है लेकिन पशुधन हर क्षेत्र में कम होता जा रहा है. इस पर सरकार को गंभीरता से विचार-विमर्श करना चाहिए. माननीय मंत्री जी को विचार करना चाहिए. पिछले साल की तुलना में इस वर्ष 40 करोड़ रुपए अधिक का प्रावधान रखा है इसकी मैं सराहना करता हूँ. इसमें और अधिक कार्य करने की आवश्यकता है. जो ऊर्वरक हैं, यूरिया है इसको जमीन में लगातार डालते रहने से जमीन की ऊर्वरा शक्ति कमजोर होती जा रही है, जमीन कड़क होती जा रही है. उत्पादन घटता जा रहा है. आज नहीं तो कल इस खाद को बंद करके हमें देशी पद्धति पर फिर आना पड़ेगा. फिर वह गोबर वाला खाद हमें खेतों में डालना पड़ेगा. आज जैविक खेती की ओर शासन बहुत ध्यान दे रहा है. जैविक खेती हम तब ही कर पाएंगे जब हमारे पास पशुधन होगा पशुधन नहीं होगा तो जैविक खेती कैसे करेंगे. इसलिए इस क्षेत्र में बहुत काम करने की आवश्यकता है.
सभापति महोदया, हम सब जानते हैं कि सड़कों पर गायें घूम रही हैं. यह विकराल समस्या है. इस समस्या के समाधान के लिए सरकार के प्रयासों के अलावा हमें इसे जन आन्दोलन से जोड़ना पडे़गा. बिना जन आन्दोलन के यह समस्या हल नहीं होगी. 595 गौशालाएँ हैं यह बहुत कम हैं. मैं चाहता हूँ कि मंत्री जी केबिनेट में प्रस्ताव ले जाएं. गौशालाओं की संख्या 5 हजार भी करें तो कम है. आज के प्रश्नकाल में भी यह मुद्दा था, इसमें और पैसा दिया जाए. सरकार के हित में मेरा सुझाव है कि जब तक आप प्रत्येक ग्राम पंचायत में या 10 पंचायतों में एक गौशाला नहीं खोलेंगे तब तक हम गौ-माता की रक्षा नहीं कर सकते हैं. इसके लिए बहुत सारे धन की आवश्यकता है, विभाग के बहुत सारे अधिकारी बैठे हैं. आप प्रस्ताव बनाकर दीजिए. माननीय मुख्यमंत्री जी से इस बारे में बात करिए, माननीय मुख्यमंत्री जी बहुत उदारवादी हैं. इस विभाग को हम बहुत सरलता से ले रहे हैं. समय कभी किसी को माफ नहीं करेगा. यदि यही स्थिति रही तो आज से 50 साल बाद पशुधन समाप्ति की ओर चला जाएगा और हमें दूध पीने के लिए नहीं मिलेगा.
सभापति महोदया, माननीय मंत्री जी ने एक काम बहुत अच्छा किया है आचार्य विद्यासागर गौ-धन योजना प्रारंभ की है. यह बहुत ही महत्वपूर्ण योजना है, इसमें आपने 17 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है. इसमें कोई भी डेयरी खोलकर 10 लाख रुपए तक का लोन लेकर दुग्ध का उत्पादन कर सकता है. मैं चाहता हूँ कि इसको और बढ़ावा दिया जाए. इसको बढ़ावा देने से पशुधन में वृद्धि होगी.
सभापति महोदया, मैं कहना चाहता हूँ कि मालवा का गेहूँ बहुत ही प्रसिद्ध है उसका कारण यह है कि मालवा में जो खेती हुआ करती थी वह जैविक खाद से हुआ करती थी.परंतु आज प्रतिस्पर्धा के इस युग में हर किसान चाहता है कि वह अधिक से अधिक उत्पादन प्राप्त करे. इसलिए आज सभी उर्वरकों का प्रयोग खेती में कर रहे हैं. उर्वरकों के प्रयोग से किसानों को उत्पादन तो अधिक मिल रहा है, लेकिन इससे जमीन की उर्वरा शक्ति कम होती जा रही है. इस हेतु हमें गंभीरता के साथ सोचना होगा. सागर में सरकार द्वारा दुग्ध संघ खोला गया है. मैं माननीय कालूखेड़ा जी की बात का समर्थन करता हूं. हजार मीट्रिक टन का शिवपुरी में जो संयंत्र खोला जाना है, उसका हम समर्थन करते हैं. मैं कहना चाहता हूं कि मालवा में जो दुग्ध संघ है, वहां पाउडर बनाने का संयंत्र दिया जाना चाहिए. इसके साथ ही वहां पशु आहार बनाने का भी संयंत्र दिया जाना चाहिए क्योंकि यह संभागीय स्थान है. वहां का दूध एवं दुग्ध संघ बहुत ही अच्छा है. माननीय कालूखेड़ा जी दुग्ध संघ के कई बार चेयनमैन रहे हैं. उन्हें इस विषय में बहुत अधिक अनुभव है. मैं माननीय मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि हमें पाउडर बनाने के लिए संयंत्र दिया जाये. पशु आहार बनाने के लिए अन्य जगहों पर खोले गए केंद्रों का हम समर्थन करते हैं, लेकिन हमारे मालवा क्षेत्र, जो कि संभागीय स्तर का है और संभाग का क्षेत्र है, यदि आप वहां केंद्र खोलेंगे तो उज्जैन संभाग के जितने भी जिले और तहसीलें वहां से लगती हैं, वहां से किसानों को पशु आहार ले जाने में सहूलियत होगी और परिवहन व्यय भी कम से कम लगेगा.
माननीय सभापति महोदया, मैं अपना अंतिम सुझाव देकर अपनी बात समाप्त करूंगा. मंत्री महोदय, प्रदेश में हमारी जो 595 गोशालायें हैं, उनके विषय में हमें विचार करना होगा.
4.02 बजे { उपाध्यक्ष महोदय (डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए.}
मैं सदन में उपस्थित सभी सदस्यों की ओर से मंत्री महोदय से आग्रह करना चाहता हूं कि गोशालाओं की संख्या हमें बढ़ानी पड़ेंगी. मैंने देखा है कि जहां गोशालाओं की क्षमता 50 की होती है, वहां 125 गायों को रखा जाता है. ऐसी स्थिति में गायों को चारा-घास कैसे मिल पायेगा क्योंकि राज्य में गोशालाओं की कमी है. गोशालाओं की संख्या में यदि बढ़ोत्तरी नहीं की गई तो असली नस्ल की गायें समाप्त हो जायेंगी.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मैं कहना चाहता हूं कि मंत्री जी बहुत ही अच्छे हैं, बहुत ही दयालु हैं और माननीय मुख्यमंत्री जी के बहुत ही प्रिय भी हैं. मैं सुझाव देना चाहता हूं कि माननीय मंत्री जी के माध्यम से प्रदेश में वर्तमान में स्थित गोशालाओं की संख्या कम से कम दोगुनी हो जाये. इतना ही कहकर मैं अपनी बात समाप्त करता हूं. धन्यवाद.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं कहना चाहता हूं कि बहादुर सिंह जी के क्षेत्र में समितियां नहीं बनने दी जा रही हैं. दुग्ध उत्पादकों को रजिस्टर्ड नहीं किया जा रहा है, इस अव्यवस्था को तो कम से कम आप रोकिये.
श्री जसवंत सिंह हाड़ा- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, बहादुर सिंह जी ने मछली पालन से संबंधित मांग संख्या पर कुछ नहीं बोला है. उन्होंने कहा कि मैं मछली पर कम बोलूंगा. इन्हें मछली के विषय में कृपया बोलने दीजिए, इनका मछली के विषय में अच्छा अध्ययन है. इन्हें मछली के तेल की भी जरूरत पड़ती है.
उपाध्यक्ष महोदय- चौहान जी को मछली खाना पसंद है, पर वे मछली पर बोलते नहीं हैं.
श्री शैलेन्द्र पटेल (इछावर)- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 14, 16 और 56 के विरोध में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं. मेरे पूर्व वक्ता आदरणीय महेंद्र सिंह जी ने बहुत ही अच्छी बातें कही हैं और बहुत से बिंदु उन्होंने कवर किए हैं, लेकिन आपके माध्यम से मैं भी चाहता हूं कि कुछ बातें सदन के बीच में आयें. अभी बहादुर सिंह जी कह रहे थे कि देश में प्रतिव्यक्ति दूध की उपलब्धता के क्षेत्र में मध्यप्रदेश का स्थान बढ़ा है. निश्चित रूप से उनकी बात सत्य है. मुझे एक बात समझ में नहीं आती है, कि दूध का उत्पादन निश्चित रूप से प्रदेश में बढ़ा है. मध्यप्रदेश में जानवरों की संख्या भी बढ़ी है. यदि उसके अनुपात में हम देखें कि प्रति जानवर कितने दूध का उत्पादन होता है तो यहां मध्यप्रदेश का स्थान देश में बहुत ही नीचे है. दूध की उपलब्धता बढ़ने के पीछे का सबसे बड़ा कारण यह है कि दूध देने वाले जानवरों की संख्या मध्यप्रदेश में बहुत तेजी के साथ बढ़ी है और दूध की पर्याप्त उपलब्धता हुई है. हम सभी यहां अधिकतर किसान हैं. जो किसान आज जानवर के माध्यम से दूध का उत्पादन कर रहा है, उस किसान को वह फायदा नहीं मिल पा रहा है, जो उसे मिलना चाहिए. हम इस बात पर अपनी पीठ थपथपा सकते हैं कि हम देश में बहुत ज्यादा दूध का उत्पादन कर रहे हैं, मध्यप्रदेश की दूध की जरूरत को हम पूरा कर रहे हैं, लेकिन उन किसानों का क्या दोष है जो जानवर को पालकर दूध पैदा कर रहे हैं. आज गांव में दूध का धंधा कोई किसान करना नहीं चाहता है. किसान इस धंधे को मजबूरी में अपनाता है क्योंकि दूध की कीमत 20-22 रूपये लीटर और डेयरी पर लगभग 24 रूपये लीटर फैट के अनुरूप ही मिल पाती है. हम कई बार बात करते हैं कि जिस देश में बिसलरी का पानी 20 रूपये का बिकता है, वहां दूध भी 20-22 रूपये का ही बिकेगा तो न्याय कहां तक होता है ? जब भी दूध के भाव बढ़ने की बात आती है तो शहरों से यह बात निकल कर आती है कि इतना महँगा दूध नहीं लेंगे. लेकिन उस दूध को पैदा करने में जो खर्चा निकलता है उसको कैसे पूरा किया जाए, इसे भी सरकार को देखना होगा. उपाध्यक्ष महोदय, अभी जो दाना प्लांट के दाने हैं सरकारी, उनके भाव बढ़ रहे हैं, तो एक तरफ जो उत्पादन लागत है वह लगातार बढ़ती जा रही है. लेकिन उसका मूल्य नहीं मिल रहा है. उपाध्यक्ष महोदय, मेरा सरकार से यह अनुरोध है कि हम अगर दूध की सप्लाई करना चाहते हैं तो कहीं न कहीं दूसरे प्रदेशों में, कर्नाटक और दूसरे राज्यों में स्थिति यह है कि वहाँ पर सरकार दो रुपये का, तीन रुपये का, अनुदान, बोनस, भी दूध उत्पादकों को देती है, जो अपनी डेयरियों के माध्यम से दूध देते हैं, ताकि उन किसानों के हितों की रक्षा की जाए. उपाध्यक्ष महोदय, आज महेन्द्र सिंह जी ने जो दुग्ध संघ की कार्यप्रणाली पर विस्तार पूर्वक कहा है कि नये खाते खोलने नहीं दिए जा रहे हैं. बहुत अच्छे अच्छे नियम बने थे कि जो दूध पैदा करता है वही दूध सप्लाई करेगा, वही मेंबर होगा, वह गाँव होंगे, जो चेन बनी थी, आज कहीं न कहीं प्रायवेट सेक्टर्स उसमें बहुत तेजी से काम करने लगा है और हमारा सहकारिता का जो सेक्टर है वह पीछे रह रहा है. इसमें जो बैठे हुए संबंधित लोग हैं उनको देखने की बात है.
उपाध्यक्ष महोदय, एक और बात सदन में कई बार आ रही है कि गाय को छोड़ क्यों रहे हैं. गाय की समस्या इसलिए आ रही है कि जानवर रोड पर आ रहे हैं. चरनोई भूमि बच नहीं रही है. आज इस सदन के माध्यम से सरकार को इस ओर निर्णय लेना पड़ेगा कि जो गाँव में चरनोई भूमि है उन्हें चिन्हित करके जानवरों के लिए निश्चित रखें ताकि..(व्यवधान)..कोई बात नहीं, वह पुरानी बात हो गई. 13 साल पीछे नहीं जा सकते. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पहले आप बोल लीजिए फिर मैं जवाब देता हूँ.
उपाध्यक्ष महोदय-- नहीं, यह प्रश्नकाल नहीं है.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा-- काँग्रेस ने चरनोई जमीन पूरी बाँट दी है, वह बची नहीं है और गाय दर-दर घूम रही है, मुख्य कारण यह है, उनको बैठने तक के लिए जगह नहीं है. चरने के लिए कोई जगह नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदय-- शैलेन्द्र जी, आप अपना भाषण जारी रखें. सूबेदार सिंह जी, आपकी बात आ गई. बैठ जाइये.
श्री शैलेन्द्र पटेल-- माननीय उपाध्यक्ष जी, मैं बड़ी विनम्रता से यह बात कहना चाहता हूँ कि हम बार बार 13 साल पीछे ले जाएँगे तो आप भी फिर शायद पीछे चले जाएँगे. जमाना आगे बढ़ता है हम आगे की सोचें. पीछे की बात करेंगे तो पीछे जाएँगे. उपाध्यक्ष जी, मैं बड़ी विनम्रता से यह बात कहना चाहता हूँ कि इसीलिए हम सत्ता से बाहर हैं, हमें मालूम है. (मेजों की थपथपाहट) लेकिन हम वही बात करेंगे तो काम नहीं चलेगा. कोई बात नहीं इसमें. हो गए 13 साल, तभी जनता ने बाहर किया है. लेकिन आप बार बार पीछे ले जाएँगे 13 साल पहले क्या था, हम तो फिर आदम हौवा के जमाने में चले जाएँ, पहले क्या हुआ करता था.
श्री जसवन्त सिंह हाड़ा-- शैलेन्द्र जी, बहुत पीछे चले गए.
श्री शैलेन्द्र पटेल-- आप चिन्ता न करें, हमारी चिन्ता हम कर लेंगे. उपाध्यक्ष महोदय, मेरा आप से यह निवेदन है कि आज अगर जानवर रोड के ऊपर है तो उसके क्या कारण हैं. हम गौ की चिन्ता तो कर रहे हैं लेकिन इसमें बहुत बड़ी बात है कि आज गौ रक्षा के लिए क्या कदम यह सरकार उठा रही है. हर जगह विधायक अगर यह मांग कर रहे हैं कि गौ शाला होना चाहिए तो जिस गाय के नाम से आपने सरकार बनाई उसके लिए ही कुछ कर दीजिए. प्रत्येक गाँव में या एक सेक्टर बनाकर गौशालाओं को बना दें. जो गौशालाएँ हैं उनकी हालत क्या है, कितनी बार हम जाकर उन गौशालाओं में देखेंगे तो हालत बद से बदतर है और गाँव के लोग जो आज जानवर को इसलिए रखना पसन्द नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि इतने खर्च बढ़ गए हैं कि उनको रखना संभव नहीं हो पाता है और गौशालाओं की तरफ वे छोड़ आते हैं और गौशालाओं में भी पता नहीं क्या गोरख धंधे चल रहे हैं, वहाँ पर भी गाएँ बचती नहीं हैं फिर बाद में रोड पर आ जाती हैं और सब लोग उससे परेशान हैं. उपाध्यक्ष महोदय, अभी तक पिछले 10-12 वर्षों में हम चारे का ठीक विकल्प नहीं दे पा रहे हैं. बहुत पहले बरसीम आया था और बरसीम के बाद जितने भी चारे के विकल्प आए हैं, वह कहीं न कहीं अभी फेल ही हुए हैं. अभी तक लोग उसको उस तरह से अपना नहीं पाए हैं और उस तरह से प्रेक्टिस में नहीं आ पाए हैं, जिससे दूध का उत्पादन बढ़े और लागत कहीं न कहीं कम हो, इस ओर भी सरकार को ध्यान देने की आवश्यकता है.
उपाध्यक्ष महोदय, जब हम वेटनरी डॉक्टर्स की बात करते हैं, जिला स्तर पर जो अस्पताल हैं, उन अस्पतालों में जो एक्स-रे मशीनें भेजी गई हैं, आज कितनी चालू हैं, कितनी बंद हैं, मैं चाहता हूँ कि माननीय मंत्री जी इसकी भी समीक्षा कर लें. कितने जानवरों का वहाँ एक्स-रे हो रहा है, कितने जानवरों की वहाँ पर जाँच हो पा रही है, यह भी एक बहुत जरूरी काम है और मैं निश्चित रूप से आचार्य विद्या सागर गौ संवर्धन योजना के अंतर्गत जो लोन दिया जाता है, उसके लिए मैं सरकार को भी धन्यवाद देता हूँ. लेकिन मैं यह भी जानना चाहता हूँ कि कितने लोगों ने वह लोन लिया है. आज लोगों का इंट्रेस्ट दूध के धंधे से खत्म होता जा रहा है. सरकार को इस ओर गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है. मैं अंत में एक सुझाव के साथ एक बात कहना चाहता हूँ कि जिस तरीके से आरबीसी एक्ट में किसी इन्सान को साँप काटने से जो राहत की राशि मिलती है. वही नियम इन जानवरों के लिए भी होना चाहिए कि दुधारू जानवरों की मृत्यु अगर साँप या किसी जहरीले जन्तु के काटने से होती है तो गाँव में जो किसान होते हैं उनके ऊपर बहुत बड़ा दुःख का पहाड़ टूटता है तो उसके बारे में सरकार विचार करे और दूसरा एक और मैंने सुझाव दिया था कि जिस तरह से पोस्टमार्टम रूम होते हैं जानवरों के पोस्ट मार्टम की कोई व्यवस्था नहीं होती, खुले में पोस्टमार्टम होते हैं. कहीं न कहीं जिला स्तर पर, ब्लॉक स्तर पर पोस्टमार्टम की एक जगह हो, जहां पर जानवरों का पोस्टमार्टम हो ताकि संक्रमण न फैले. माननीय उपाध्यक्ष जी, आपने बोलने का अवसर दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष्ा महोदय -- धन्यवाद.
श्री रणजीत सिंह गुणवान (आष्टा) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं एक मिनट से आधे मिनट में अपनी बात कर लूं.
उपाध्यक्ष महोदय -- आपका नाम नहीं है. आप कृपया बैठ जाइए. अनुशासन बनाए रखिए. जिनका नाम है वे बोल लें, उसके बाद मैं आपको बोलेने के लिए समय दूंगा.
श्री रणजीत सिंह गुणवान -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, केवल दो शब्द कहूंगा. पशुधन की जो बात आई है. माननीय शैलेन्द्र पटेल जी ने भी कहा है, श्री बहादुर सिंह जी ने भी कहा है हकीकत है. हर गांव में गौशाला खोली जाए. उसके खाने की समस्या है, गोचर तो है नहीं, लेकिन हर काश्तकार के पास गेहॅूं का इतना भूसा पैदा हो जाता है यदि वह दो साल तक भी न कूटे. माननीय उपाध्यक्ष्ा महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करता हॅूं कि आप एक नया नियम बनाएं कि जो गेहूँ की नलाई है उसको न जलाया जाए. उस भूसे को जला देते हैं इसलिए अगर यह व्यवस्था हो जाए तो उससे मवेशी को खाने की व्यवस्था हो जाएगी.
उपाध्यक्ष्ा महोदय -- श्री रणजीत सिंह जी बैठ जाइए. धन्यवाद.
श्री दुर्गालाल विजय (श्योपुर) -- माननीय उपाध्यक्ष्ा महोदय, मैं पशुपालन विभाग की मांगों का समर्थन करता हॅूं. मध्यप्रदेश की सरकार ने और पशुपालन विभाग ने पशुपालन के क्षेत्र में बहुत सारे काम करके और हमारे इस प्रदेश को पशुधन से समृद्ध बनाने का कार्य ठीक तरीके से करने का प्रयास किया है. अभी जिक्र किया गया था सरकार की ओर से जो योजना प्रारम्भ की गई है उस योजना के अंतर्गत डेयरी लगाने की दृष्टि से और सरकार की तरफ से 5 गाय देने का जो फैसला किया गया है उसमें बहुत सारे किसानों ने अपने पशुधन को बढ़ाने की दृष्टि से काम किया है. विद्यासागर गो-संवर्धन योजना के अंतर्गत जो गाय किसानों को दी जा रही है उसके अंतर्गत किसानों ने उस पशुधन को बढ़ाने की दृष्टि से शासन से और भी सहयोग प्राप्त किया है. अभी जैसा इसमें प्रावधान किया गया है. लगभग 17 करोड़ रूपये का उसमें 10 लाख रूपये तक का सहयोग करने का शासन ने निर्णय किया है और उसके अंतर्गत किसानों को इसका लाभ मिल रहा है. वर्षों से हमारे प्रदेश में भी और पूरे देश में किसान खेती करने के साथ-साथ पशु संवर्धन को बढ़ाकर रखता था और उससे जो फायदे होते हैं उसको हम सभी लोग जानते हैं. दुग्ध का उत्पादन भी होता है और संकट के समय भी पशुधन काम आता है, क्योंकि खेती से सब कुछ पूरा नहीं हो सकता है इस कारण उद्यानिकी और पशुधन के माध्यम से किसान अपने कार्य को ठीक से सफल संचालन की दृष्टि से आगे बढ़ाता है. अभी कुछ समय से गांव के लोग भी पढ़ाई-लिखाई करने लगे और जो कम पढे़-लिखे हैं उनको पशुधन का पूरा संरक्षण करने की दृष्टि से जो काम करने की आवश्यकता होती है वह काम नहीं करते. यह बात सब लोगों के सामने है. इसके कारण से उसका ठीक तरीके से संरक्षण नहीं हो पाता है. दूसरी बात यह है कि चारे का संकट सब जगह विद्यमान है.
माननीय उपाध्यक्ष्ा महोदय, मेरा माननीय मंत्री से आग्रह है कि जिन स्थानों पर गौशालाएं खोली गई हैं उन स्थानों पर चारे के लिए विशेष प्रबंध करके आपके यहां से सब्सिडी दी जाती है, जो अनुदान दिया जाता है उसको और बढ़ाने की आवश्यकता है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी का ध्यान आकृष्ट करना चाहता हॅूं कि मध्यप्रदेश में श्योपुर जिला एकमात्र ऐसा जिला है जहाँ जिले की जनसंख्या से अधिक पशु हैं. साढ़े सात लाख की जनसंख्या का हमारा श्योपुर जिला है और जनगणना के आधार पर 8 लाख से अधिक पशु वहाँ पर हैं और हम सौभाग्यशाली है कि मध्यप्रदेश में ही नहीं हिंदुस्तान में भी बिरले गाँव होंगे, एक गाँव में 10 हजार से अधिक गायें हैं अगर मैं गोरस का उल्लेख करूँ, गाँव का नाम भी गोरस है, वहाँ गिरी नस्ल की 10 हजार से ऊपर गायें हैं. चाहे वह कलमी गाँव हो,ककरदा गांव हो,बुड़ेरा गाँव हो, बहुत सारे गाँव हैं, इनमें कोई गाँव ऐसा नहीं है जिसमें 5 हजार से कम गाय ना हों. लेकिन माननीय मंत्री को यह बताना चाहता हूं और आग्रह भी करना चाहता हूं कि दुग्ध के उत्पादन में मध्यप्रदेश में श्योपुर का स्थान नंबर एक पर है लेकिन दुग्ध को विक्रय करने की दृष्टि से शासन की तरफ से वहाँ कम ध्यान दिया गया है. बार-बार निवेदन और आग्रह के बाद भी यह संभव नहीं हो पाया कि जिस जिले में दूध सबसे अधिक उत्पादित होता है, वहाँ पर पशु संवर्धन का कार्य किसान बहुत अच्छे तरीके से करते हैं और अच्छी नस्ल की गाय भी वहाँ पर हैं तो ऐसी अवस्था मे दुग्ध संयंत्र वहाँ स्थापित किया जाना चाहिए. अभी जो चर्चा आ रही थी कि वहाँ पर पशुओं के लिए जो चारे का संयंत्र लगाने का काम शिवपुरी या अन्य स्थान पर किया है वह अपने स्थान पर ठीक है उसके जो भी तकनीकी कारण रहे होंगे लेकिन श्योपुर में तो इसकी प्रथम आवश्यकता थी वहाँ पर पशुओं के चारे की दृष्टि से और विशेषकर के गायों के लिए जो हम सब लोग चिंता कर रहे हैं और प्रदेश की सरकार और माननीय मुख्यमंत्री जी इस मामले में संवेदनशील हैं ऐसी स्थिति में वहाँ पर उन गायों को चारा ना मिल पाने के कारण से उत्तरप्रदेश, हरियाणा, पंजाब की तरफ जाना पड़ता है और तीन-तीन महीने तक दूसरे स्थानों पर रहकर फिर लौट कर आते हैं इसके कारण उनका पूरा व्यवसाय बिगड़ जाता है. बेहतर हो कि उनको वहीं पर चारे, पानी की व्यवस्थायें ठीक से हो जाये यह मेरा एक निवेदन है.
उपाध्यक्ष महोदय, दूसरी बात मैं यह निवेदन करना चाहता हूं कि जो सहकारी संस्थाओं के माध्यम से आपका कार्य संचालित होता है और दुग्ध संघ के माध्यम से भी उस काम को कर रहे हैं, खामी थोड़ी-बहुत कहीं हो सकती है लेकिन इन समितियों को प्रदेश में और बढ़ाया जाये और खासकर के श्योपुर जिले में अभी समितियों का काम भी बहुत धीमा है. वहाँ पर दुग्ध संघ की दो-तीन समितियों ही बनी हैं तो वहाँ पर समितियों की संख्या बढ़ायें. दुग्ध संघ का काम उस स्थान पर और अधिक ठीक करें तो यह बहुत बेहतर होगा. मैं मंत्री जी को, मध्यप्रदेश की सरकार को, मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देता हूँ कि वर्षों के बाद पशुधन के बारे में विचार करने का एक अच्छा मौका आ गया है, अच्छी सरकार बन गई है जो गायों के बारे में ठीक से विचार कर रही है और उनके बारे में जो अभी चिंता व्यक्त की जा रही है उसको दूर करने का प्रयत्न यह सरकार निश्चित रूप से करेगी और हमें विश्वास है कि आज जैसा कहा गया कि हमारा प्रति व्यक्ति 428 ग्राम है जो केंद्र के और राष्ट्रीय स्तर से अधिक है और आगे चलकर के हम पूरे हिंदुस्तान में नंबर एक दुग्ध उत्पादन में बन सके यह हमारी आकांक्षा है, अभिलाषा है और इसी अभिलाषा के साथ मैं मंत्री जी को बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं. उपाध्यक्ष महोदय, आपको भी बहुत-बहुत धन्यवाद कि आपने समय दिया.
श्री दिनेश राय-- (अनुपस्थित)
श्रीमती शीला त्यागी (मनगवां)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जैसा कि सब जानते हैं कि भारत विश्व के उन राष्ट्रों में से है जिनकी आर्थिक साझेदारी में पशुधन का महत्वपूर्ण स्थान है और निर्भरता में सर्वाधिक है. भैंस वंश, गौ वंश वाला यह देश है और प्रदेश का दुग्ध उत्पादन भी चौथे स्थान पर है. इसके बावजूद भी पशुपालकों को सुचारू रूप से दुधारू पशुओं से संबंधित जो सबसिडी दी जाती है वह बहुत कम है. पशु औषधालय नहीं है और जो कुछ हैं भी तो वहाँ चिकित्सक नहीं हैं. हितग्राहियों की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए जितना ध्यान सरकार की तरफ से और विभाग की तरफ से दिया जाना चाहिए, वह नहीं दिया जा रहा है. ज्यादातर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के जो हितग्राही हैं, जैसे जो बकरी पालन करते हैं,..
04.20 बजे {अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
श्रीमती शीला त्यागी- ......मुर्गी पालन, सुअर पालन करते हैं उनको कर्ज न देकर अनुदान दिया जाना चाहिए क्योंकि हमारे पशु चिकित्सालय गुणवत्ताविहीन हैं, भवन है तो चिकित्सक नहीं है, न तो दवाइयाँ वितरित की जाती हैं और न ही पशुओं को टीके लगाए जाते हैं. इसके अलावा समयजनित बीमारियाँ हैं जो कि समय-समय पर पशुओं को होती हैं उन बीमारियों की रोकथाम के लिए भी विभाग की तरफ से उचित कार्यवाही नहीं की जाती है और लापरवाही बरती जाती है. इसलिए ज्यादातर एस.सी.एस.टी. के जो हितग्राही हैं उनका कर्ज माफ किया जाना चाहिए और उसकी जगह उन्हें अनुदान दिया जाना चाहिए.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे रीवा जिले में ही नहीं, हमारे मनगवां विधान सभा क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश में सबसे बड़ी समस्या ऐरा प्रथा है. माननीय सदस्य भी सरकार को अवगत करा रहे थे कि ऐरा प्रथा को रोकने के लिए कोई कार्यवाही नहीं हो रही है. जैसे पहले ग्राम पंचायतों के बीच में कांजी-हाऊस बनाया जाता था, अब गौशाला बनाने का प्रावधान है, नंदीशाला बनाने का प्रावधान है, लेकिन हमारा सरकार को और माननीय मंत्री जी को यह सुझाव है कि 10 से 12 पंचायतों के बीच में ऐसी गौशाला का निर्माण किया जाए जहाँ बांझ पशुओं को, आवारा पशुओं को रखने की व्यवस्था की जाए और साथ ही साथ वहाँ पर भूसे और पानी की भी व्यवस्था की जाए. ऐरा प्रथा की वजह से सड़कों में जब पशु आ जाते हैं, कोई दुर्घटना हो जाती है तो समाज में भाईचारा तो खत्म हो ही रहा है और हिंदू मुस्लिम के विवाद से, गाय-गोवंश के विवाद से, गाय मांस के विवाद से आम जन भी प्रभावित है और दुर्घटनाएं होती हैं तो प्रदेश की और हमारे जिले की जो सबसे बड़ी समस्या है ऐरा प्रथा, इसको रोकने के लिए कोई पुख्ता इंतजाम नहीं है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मछली विभाग के संबंध में मैं यह कहना चाहती हूँ कि मछली हमारे भोजन का मुख्य आहार है. मछली उत्पादन हेतु मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहती हॅूं कि हमारे मनगवां विधान सभा में बहुत सारे गांवों में जो शासकीय तालाब हैं, उनका गहरीकरण मनरेगा के तहत पन्नों पर तो किया गया है लेकिन आज तक गहरीकरण हेतु वहां एक तगाड़ी मिट्टी नहीं डाली गई और न ही कोई सफाई की गई. मनगवां विधान सभा में बहुत से ऐसे तालाब हैं जहां 20-20, 30-30 सालों से सामन्तियों ने कब्जा कर रखा है उनको अतिक्रमण मुक्त करवा कर गहरीकरण का कार्य कर मछली पालन किया जाना चाहिए. जैसा कि मैं कह रही थी कि हमारी विधान सभा में एक-दो तालाब हैं जैसे कनैला ग्राम पंचायत में नीवीसागर तालाब है जो शासकीय है उसका गहरीकरण करके मछली पालन का कार्य किया जा सकता है, यह बहुत अच्छा तालाब है. उसको अगर नहर से जोड़ दिया जाए तो भूजल स्तर में भी सुधार होगा और मछली पालन भी होगा तथा जो वहां के छोटे किसान हैं उनको भी लाभ प्राप्त होगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मनगवां नगर पंचायत में जो मलकपुर तालाब है उसका भी गहरीकरण किया जाना चाहिए. वैसे नगर सौंदर्यीकरण के लिए जो मैंने मांग की थी उसे माननीय मंत्री जी ने मान लिया है और उसका काम भी शुरू हो गया है, इसके लिए मैं माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहूंगी, लेकिन अगर मछली पालन का भी प्रावधान उसमें किया जाए तो क्षेत्रीय लोगों को लाभ मिलेगा और विभाग की मंशा के अनुसार मछली का उत्पादन होगा जो प्रदेश के विकास में बड़ी भूमिका निभाएगा. आपने मुझे अपनी बात रखने का समय दिया, इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री वैलसिंह भूरिया (सरदारपुर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, वास्तव में हमारी सरकार में जितना अच्छा पशुपालन विभाग काम कर रहा है, उतना अच्छा पहले हमको कभी देखने को नहीं मिला. अभी हर चीज किताब के पन्नों पर, इतिहास के पन्नों पर लिखी जा रही है. वर्ष 2015-16 में प्रदेश की दुग्ध उत्पादन की वृद्धि दर 12.70 प्रतिशत रही जबकि राष्ट्र की दुग्ध उत्पादन की वृद्धि दर 6.27 प्रतिशत रही यानि दिनोंदिन हमारा मध्यप्रदेश दुग्ध उत्पादन में बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है. वर्ष 2015-16 में मध्यप्रदेश दुग्ध उत्पादन में देश में चौथे स्थान पर था, यह हमारे लिए, इस सदन के लिए, हमारी सरकार के लिए और प्रदेश की 7 करोड़ जनता के लिए गर्व का विषय है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, दुग्ध उत्पादन में हमारा मध्यप्रदेश बहुत आगे चल रहा है. 2015-16 में दुग्ध उत्पादन कई हजारों मैट्रिक टन से बढ़कर 12,148 मैट्रिक टन हुआ है. वर्ष 2015-16 में प्रति व्यक्ति प्रति दिन दुग्ध उपलब्धता 386 ग्राम से बढ़कर 428 ग्राम हो गई है, जो कि राष्ट्रीय औसत 337 ग्राम से अधिक है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं इतना जरूर बता देना चाहता हूं कि हमारी भारतीय जनता पार्टी की सरकार में पशु भी अपने आपमें सुरक्षित महसूस कर रहा है. हमारी सरकार में समाज और जनता के लिये विधि कानून की व्यवस्था तो बहुत अच्छी है, लेकिन पशुपालन के क्षेत्र में भी विधि कानून की व्यवस्था बहुत अच्छी है. यदि चार-पांच पशु से ज्यादा कोई भी किसी ट्रक के अंदर भरकर ले जाता है तो हमारी सरकार द्वारा पशु क्रूरता अधिनियम के अंतर्गत उसके ट्रक मालिक के खिलाफ या उसे ले जाने वाले के खिलाफ कार्यवाही की जाती है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मछली पालन के क्षेत्र में बात करना चाह रहा हूं. मछली पालन में जितनी भी जल संसाधन की परियाजनाएं अधिसूचित क्षेत्र में है, फिफ्थ शिड्यूल एरिये में है, वहां पर जितने भी अनुसूचित जाति और जनजाति के भाई लोग रहते हैं, उनको ही मछलीपालन का ठेका दिये जाने की योजना बनाई जाए. उदाहरण के लिये दो हजार हेक्टेयर से अधिक और तीन हजार हेक्टेयर से अधिक की जो परियोजनाएं होती हैं, उसमें प्रदेश से ही टेंडर हो जाता है. उस टेंडर में कोई दिल्ली से आता है, कोई मुंबई, भोपाल और इंदौर से आता है. आजकल बड़े बड़े दारू माफिया भी मछली के क्षेत्र में कूद पड़े हैं. मछलीपालन का वास्तविक अधिकार उस क्षेत्र में रहने वाले आदिवासियों भाईयों का ही है और वह अधिकार उन्हें दिया जाए, ऐसा मेरा सुझाव सरकार और माननीय मंत्री जी को है. मछली पालन का ठेका स्थानीय समिति को दिया जाए.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा यह निवेदन है कि मध्यप्रदेश के अंदर जितनी भी गौशालाएं अर्धशासकीय हैं, उनको शासकीय घोषित किया जाए और गौ अभयराण्य बनाया जाए, इससे सुरक्षा की दृष्टि से भी काफी सुविधा मिलेगी. उदाहरण के लिये जैसे हम इंदौर से गाड़ी लेकर आये या जब गाड़ी से धार से इंदौर जा रहे होते हैं तो रास्ते में बहुत पशु मिल जाते हैं. उस समय गाड़ी की गति बहुत तेज होने एवं अचानक पशु के आ जाने के कारण कई दुर्घटनाएं होती है, इस पर भी सरकार और माननीय मंत्री जी ध्यान दें. इतना ही मेरा कहना था, वंदे मातरम भारत माता की जय.
श्री कमलेश्वर पटेल (सिहावल) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 14, 16, 56 और कटौती प्रस्ताव पर बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. मध्यप्रदेश पशु संपदा के मामले में भारत में अग्रणी राज्य है, लेकिन पिछले आठ या दस वर्षों में राज्य में पशुओं की संख्या में कमी आई है. वर्ष 2007 की पशु गणना के अनुसार राज्य में कुल पशुधन की संख्या 4 करोड़ 7 लाख थी, जो 2012 में घटकर 3 करोड़ 63 लाख रह गई है. इस प्रकार दुधारी पशुओं के मामले में अग्रणी राज्य होने के बाद भी हम भारत में दुग्ध उत्पादन में दसवें नंबर पर है, यह शायद हमारे लिये शर्म की बात है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री इसके पहले जो थी वह कई बार कहती थी कि हम मांस उत्पादन पर बहुत प्रोत्साहन कर रहे है, बहुत संरक्षण दे रहे हैं पर बाते ज्यादे हैं काम कम हैं. राज्य में मांस उत्पादन और कारोबार को सरकार का कोई संरक्षण और प्रोत्साहन न होते हुए भी राज्य में मांस, अण्डा आदि का उत्पादन तेजी से बढ़ रहा है. 2011-12 में चालिस हजार मैट्रिक टन की तुलना में 2015-16 में 17 हजार मैट्रिक टन मांस का उत्पादन हुआ और 79 करोड़ 71 लाख अण्डों के उत्पादन के तुलना में 144 करोड़ अण्डों का उत्पादन हुआ. इसी प्रकार मछली का उत्पादन और उसका बाजार भी तेजी से बढ़ा है. अतः गरीब पशुपालकों और मछुआरों के हित में सरकार को मांस, मछली और अंडा के कारोबार को बढ़ाने के लिए कोई सुनियोजित व्यवस्था करनी चाहिए. मध्यप्रदेश से मांस और मांसाहार के काम आने वाले पशु-पक्षियों का धड़ल्ले से व्यापार हो रहा है. यह हमारे लिए दुःख की बात है. अध्यक्ष महोदय, इसके लिए सरकार की ओर से कोई प्रोत्साहन और पशुपालकों के लिए संरक्षण नीति नहीं है. जबकि महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना राज्यों से वहां की सरकार के प्रोत्साहन से देश भर में मांसाहार के लिए सामग्री और कच्चा माल भेजा जाता है. क्या कारण है कि हमसे कम दुधारू पशु होते हुए भी गुजरात की अमूल सहकारी संस्था का दूध और दुग्ध उत्पाद हमारे राज्य के गांव-गांव में बिकता है और हमारे यहां के कुप्रबंधन की वजह से, सरकार के कुप्रबंधन के कारण हमारी दुग्ध सहकारी संस्थाओं में घाटा बढ़ता ही जा रहा है? इस पर गंभीरता से विचार होना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय, मेरा माननीय मंत्री जी को एक सुझाव है कि पूरे मध्यप्रदेश के हर जिले में दुग्ध सहकारी समितियों का गठन करना चाहिए, उसके माध्यम से जहां एक तरफ नौजवानों को, किसानों को रोजगार का अवसर उपलब्ध होगा. मेरा सुझाव है कि हमारे विधान सभा क्षेत्र में भी दुग्ध सहकारी समिति नहीं है, जबकि वहां पूरे किसान हैं. अगर वहां सिंहावल विकासकण्ड में भी दुग्ध सहकारी समिति का गठन किया जाता है. हम समझते हैं कि इससे वहां युवाओं को रोजगार भी मिलेगा, रोजगार के अवसर भी उपलब्ध होंगे. दूसरी तरफ जो दुग्ध उत्पादन के केन्द्र हैं, जो किसान दूध का उत्पादन करते हैं, उनको जो उचित मूल्य मिलना चाहिए, वह नहीं मिलता है. इस पर भी सरकार को चिंता करनी चाहिए. एक तरफ हम दारू सस्ती बेच रहे हैं. जैसा श्री वैल सिंह जी बोल रहे थे कि जितने भी दारू के कारोबारी हैं, वे मछली उत्पादन से भी जुड़े हुए हैं. अध्यक्ष महोदय, जो हमारे यहां कुटीर उद्योग हैं. मैं अपने क्षेत्र की बात कर रहा हूं. हमारे यहां जितने भी कुटीर उद्योग थे, जो कड़ाई, बुनाई, कलाई के केन्द्र थे, बांस से बहुत सारी सामग्री बनती थी, वे बहुत सारी संस्थाएं बंद हो गई हैं. आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि जैसे हमारे यहां हटवा है, बेहरी है, कई ऐसे केन्द्र थे जो बंद हो गये हैं, उनको फिर से चालू करवाएं. जो कारीगर हैं, वे परेशान हैं. यदि ये केन्द्र चालू होते हैं तो लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री गोविन्द सिंह पटेल (गाडरवारा) - अध्यक्ष महोदय, मैं पशुपालन विभाग की मांग संख्या 14,16 एवं 56 का समर्थन करता हूं. आज पशुपालन के क्षेत्र में देशी नस्ल के प्रोत्साहन के लिए सरकार ने एक योजना चलाई है, उससे देशी नस्ल की गायों के पालन का चलन बढ़ा है क्योंकि देशी नस्ल की गाय का दूध स्वास्थ्यवर्द्धक होता है बजाय जर्सी गाय के, तो ब्लाक स्तर पर पहला इनाम 10000 रुपए, दूसरा 7500 रुपए, तीसरा 5000 रुपए है. जिला स्तर पर पहला इनाम 50000 रुपए, दूसरा 25000, जो गायें ज्यादा दूध देती हैं, ऐसे ही प्रदेश स्तर पर भी 2 लाख रुपए, 1.50 लाख रुपए और 1 लाख रुपए इनाम दिया जाता है, उससे देशी नस्ल को पालने का किसानों में रुझान बढ़ा है और उससे किसानों को फायदा भी हो रहा है.
अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी को सुझाव देना चाहता हूं कि जो फालतू पशुओं की बात है तो पंचायत स्तर पर गौशालाओं के लिए ज्यादा से ज्यादा ऐसी योजनाएं बनाई जायं जो फालतू पशुओं के कारण दुर्घटनाएं भी होती है और किसानों को नुकसान होता है, इसलिए गौ के संरक्षण के लिए गौशालाएं ज्यादा से ज्यादा बनाई जायं. दूसरा सुझाव यह है कि भोपाल दुग्ध संघ में कुछ अनियमितताएं हैं, उनकी तरफ में मैं आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं. ग्रामीण मार्ग के दुग्ध परिवहन की निविदा 2 वर्ष से अब 1-1 वर्ष कर तीन बार बढ़ाने का अनुबंध की कंडिका 34 में प्रावधान है. लेकिन आपके विभाग द्वारा 2 वर्ष के बाद ही निविदा कराई जाती है, जिससे परिवहनकर्ता को काफी हानि होती है. दिनांक 21.3.17 को इन्हीं की निविदा है, कृपया इन्हें निरस्त कर जिनके अनुबंध की अवधि शेष है, उनकी एक वर्ष की अवधि बढ़ाई जाय, यह मंत्री महोदय को एक सुझाव देना चाहता हूं. अध्यक्ष महोदय, आपने जो बोलने का मौका दिया, बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया (दिमनी)--- अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 14, 16, 56 पर अपनी बात प्रारंभ करते हुए आपके माध्यम से विधान सभा क्षेत्र दिमनी जिला मुरैना से संबंधित समस्याओं की चर्चा करूंगा. खेती की आय को दुगना करने में पशुपालन का बहुत बड़ा महत्व है. शासन का खण्ड 8 जो कृषि बजट के रूप में जाना जाता है. पशुपालन को बढ़ावा देने के लिये मुरैना पशुपालन विभाग बड़ा निष्क्रिय है शासन की तरफ से कोई अनुदान पशुपालन के लिये नहीं दिया जाता है. मंत्री जी से निवेदन है कि मुरैना पशुपालन विभाग के लिये राशि बढ़ायी जाये. अनुदान के माध्यम से किसानों का भी भला हो सके. माननीय मुख्यमंत्री जी सक्रिय हैं. प्रत्येक किसान को एक एक गाय दी जाये. मुरैना जिले में सबसे ज्यादा दूध का व्यापार है मेरी पूरी विधान सभा में हर किसान 2-4 भैंस तथा गायें भी रखता है. किसान द्वारा दूध को बेचकर ही बच्चों की पढ़ाई-लिखाई तथा अपने बच्चों का पालन पोषण करता है. मंत्री जी से आग्रह है कि मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा दूध मुरैना जिले में होता है. वहां पर दूध का रेट बढ़ाया जाये.
अध्यक्ष महोदय, मेरे यहां पर गाय-बछड़ों की संख्या में बहुत अधिक बढ़ोतरी हो गई है. कोई भी किसान अगर फसल लगाता है तो ज्यादा पशुओं के कारण उसकी फसल चौपट हो जाती है. मंत्री जी से मैंने अपने क्षेत्र में कहा था कि हर किसान को एक एक, दो दो गायें दी जाएं. अगर जो किसान गाय नहीं रखे उसको शासन की तरफ से किसी भी प्रकार की कोई सहूलियत न दी जाये. मध्यप्रदेश में आज गाय की बड़ी दुर्दशा है. अगर किसानों के पास गायें हैं उनकी दुर्दशा देख ली जाएगी तो उस पर कार्यवाही होगी. गाय की रक्षा होगी तभी किसान आगे बढ़ेगा. पहले तो किसान खेती के लिये ज्वार रखता था. वहां पर जो गौशाला खोली गई है. सरकारी जो चरनोई की जगह है वहां पर गौशाला खोली जाये तथा गाय के लिये भूसे की व्यवस्था की जाये. आपने समय दिया धन्यवाद.
डॉ.मोहन यादव (उज्जैन दक्षिण)--अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 14, 16, 56 के समर्थन में बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. यद्यपि पशुपालन की बहुत अच्छी बातें इसमें जुड़ी हुई हैं. मेरी विधान सभा में ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र है. मैं पशुपालन में आ चुकी पूर्व की बातों को दोहराना नहीं चाहता हूं. लेकिन इसके साथ साथ शहरी क्षेत्र से जोड़कर के जो हमारा पक्ष बना उसकी तरफ मैं आपका ध्यानाकर्षित कराना चाहूंगा. उदाहरण के तौर पर हमारे यहां जबलपुर के पास बड़ी बड़ी गौशालाएं हैं वहां पर 500 से 800 गायें हैं वहां पर इस धन्धे से बहुत ज्यादा लाभ कमा रहे हैं. पूरा प्रदेश ऐसी गौशालाएं खुलें इससे वह वंचित है. जहां पर ऐसी कोई गौशालाएं चल रही हैं. मैं, आपके माध्यम से निवेदन करना चाहूंगा कि संभाग केन्द्रों पर हर इसको प्रोत्साहन दें ताकि माहौल बन सके. इन गौशालाओं से आय भी की जा सकती है. इससे न केवल दूध कमा रहे हैं बल्कि गौ मूत्र और गोबर से भी बिजली उत्पन्न करने का अनूठा प्रयास किया है.
अध्यक्ष महोदय, मैं जब ग्रामीण क्षेत्र में घूमता हूं तो आपने अनुसूचित जाति,जनजाति के लोगों को निशुल्क चूजे देने की जो योजना बनायी है वह बहुत अच्छी योजना है जिसके माध्यम से हम उनको 40-40 चूजे उनको दे रहे हैं जिससे बाकी समय वह उसका उपयोग कर सकते हैं. लेकिन पिछड़े वर्ग और सामान्य वर्ग में भी इनको जोड़ कर देखा जाए तो यह बहुत अच्छी योजना का लाभ हमको मिलेगा.
अध्यक्ष महोदय, विभाग ने चारा से अचार बनाने की नई विधि बतायी है. जिसके माध्यम से हरे चारे को 3-4 महीने तक सुरक्षित रखने की बात आती है. यह पशुपालन की दृष्टि से बहुत अच्छा प्रयोग है. इस प्रयोग को भी प्रचारित करने की आवश्यकता है. इसका प्रचार प्रॉपर नहीं होने से इसमें थोड़ी गुंजाइश है.
अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से पशुपालन मंत्री को बधाई देना चाहूंगा जिन्होंने 5 गाय और 20 गाय की योजना बनायी है और आगे कहा कि हम इसको उद्योग-रोजगार के रुप में भी ले सकते हैं. लेकिन मैं शहरी क्षेत्र की दृष्टि से बताना चाहूंगा कि खासकर महानगरों के लिए उज्जैन,इंदौर,भोपाल,जबलपुर,ग्वालियर में पशुपालन की इस योजना के प्रचार-प्रसार और सावधानी के बीच हमको एक विकल्प बनाने की आवश्यकता है. अभी उज्जैन में पशुपालकों पर कार्रवाई का विषय उठा कि जो गायें सड़क पर घूमती हैं. पशुपालन कोई अपराध नहीं है. अंदर जो गायें बंधी हुई हैं, नगर निगम उनके भी मकान तोड़ने चली गई है. इससे पशुपालन के लिए जो अच्छा माहौल बना है, उसमें व्यवधान आ रहा है.
अध्यक्ष महोदय, इंदौर में भी यह स्थिति बनी है. हमको इससे बचने की आवश्यकता है कि पशुपालन अपराध नहीं है पशुपालन से लोगों को काम धंधा मिलता है. लेकिन इसके समझने-समझने में अंतर आ रहा है इसका नुकसान हमको हो रहा है. ऐसे पशुपालकों को हम आइडेंटिफाई कराएं.
अध्यक्ष महोदय, इन योजनाओं का लाभ शहरी क्षेत्र में बढ़ा है. हमारी इतनी अच्छी योजना का, अच्छा लाभ मिलेगा. मैं उम्मीद करता हूं कि आपके माध्यम से आने वाले समय में प्रदेश में बेरोजगारी को दूर करने के लिए. पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए, खासकर देसी नस्ल के मामले में क्योंकि मैं स्वयं गोपालपुरा अंतर्गत और गोकुल योजना के अंतर्गत अलग अलग योजनाओं के उस अभियान में शामिल हुआ हूं. देसी नस्ल को बढ़ावा देने का जो काम सरकार ने किया है, वह अद्भूत है. पहले जर्सी और विदेशी जैसी दूसरी नस्लों को ही प्रोत्साहन देते थे लेकिन देसी नस्लों को प्रोत्साहन देकर जो माहौल बनाया है यह पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए निश्चित रुप से सार्थक सिद्ध होगा. अध्यक्ष महोदय, मैं अपनी ओर से मंत्री जी को बधाई देना चाहता हूं. धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी बोलेंगे. बैठिये.
श्री हरदीप सिंह डंग( सुवासरा)--अध्यक्ष महोदय, एक बहुत अच्छा सुझाव है कि जिसके पास 5 बीघा जमीन है, उसको गाय पालने की अनिवार्यता की जाए उसके बाद ही रजिस्ट्री और नामांतरण किया जाए.
अध्यक्ष जी, दूसरा जिसके पास 25 हजार रुपये वेतन का कर्मचारी है उनका 500 रुपये प्रतिमाह गौशाला में देना अनिवार्य किया जाए. सरपंच, जनपद पंचायत सदस्य और विधान सभा, लोक सभा के जो चुनाव लड़ते हैं उनका एक गाय पालना अनिवार्य किया जाए.
अध्यक्ष महोदय-- अब इनका नहीं लिखा जाएगा. केवल माननीय मंत्री जी का भाषण रिकार्ड में आएगा.
श्री हरदीप सिंह डंग-- XXX
पशुपालन मंत्री(श्री अंतर सिंह आर्य) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे तीनों विभागों की अनुदान मांगों के ऊपर बारह माननीय सदस्यों ने महत्वपूर्ण सुझाव रखे हैं. हमारे वरिष्ठ माननीय सदस्य महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा जी ने बहुत अच्छे सुझाव रखे हैं. इसी प्रकार से सभी सदस्यों ने अपने-अपने विधान सभा क्षेत्र से संबंधित या मध्यप्रदेश से संबंधित बातें रखी हैं. उसके ऊपर हम गंभीरतापूर्वक विचार करेंगे और जो आवश्यक होगा वैसा हम सुधार करने की कोशिश करेंगे. कुछ माननीय सदस्यों ने बात रखी कि सरकार मछली पालन के लिये 10 वर्षों के लिये जलाशय लीज पर देती है. 22 जलाशय हमारे मत्स्य महासंघ के हैं. उसकी ई टेंडरिंग होती है, इसलिये उसमें बाहर के लोग एंट्री नहीं कर सकते हैं. कुछ सदस्यों ने दूध के भाव के बारे में बात कही कि किसानों को दूध का ज्यादा भाव मिलना चाहिये .मैं जानकारी देना चाहूंगा कि आज किसानों को भैंस के दूध का उच्चतम मूल्य औसतन 36 रुपये प्रति लीटर और गाय के दूघ का 32 रुपये प्रति लीटर का भाव दिया जा रहा है. कुछ सदस्यों ने यह बात रखी कि सभी गांव दुग्ध समितियों के कवरेज में आना चाहिये. वर्तमान में केवल 33 गांव ही दुग्ध समितियों से जुड़े हैं शेष 67 प्रतिशत गांव जहां से दूध मिल सकता है उनका दूध संकलित करने के लिये दुग्ध संकलन केन्द्र खोले जा रहे हैं. उन्हें 1 वर्ष में समिति में पंजीकृत किया जायेगा यह व्यवस्था सहकारिता के प्रावधान के अनुरूप ही है. दुग्ध संकलन केन्द्र गांव के पशुपालक सदस्यों के माध्यम से ही चलाए जा रहे हैं. भविष्य में समिति गठित होने पर होने वाली समिति में यही सदस्य होंगे. पशुपालन विभाग की बहुत सी योजनाएं चल रही हैं उनके बारे में मैं बताना चाहूंगा. प्रदेश में दुग्ध उत्पादन 335 लाख लीटर है. वर्ष 2015-16 में दुग्ध उत्पादन 12.14 मिलियन टन रहा तथा दुग्ध उत्पादन में मध्यप्रदेश राष्ट्रीय स्तर पर चौथे स्थान पर है जबकि कुछ माननीय सदस्यों ने कहा कि मध्यप्रदेश दसवें स्थान पर है लेकिन मध्यप्रदेश चौथे स्थान पर है. वर्ष 2016 की दुग्ध उत्पादन की वृद्धि दर 12.70 प्रतिशत रही जो देश के प्रमुख दुग्ध उत्पादक राज्यों में सर्वाधिक है जबकि राष्ट्रीय दुग्ध उत्पादन वृद्धि दर 6.27 प्रतिशत रही. प्रदेश की प्रति व्यक्ति दुग्ध उत्पादन क्षमता 428 ग्राम प्रति दिन है वहीं राष्ट्र की 337 ग्राम प्रतिदिन है. हमारे देश के माननीय प्रधानमंत्री जी और हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री जी प्रयास कर रहे हैं कि कृषि को आने वाले पांच सालों में कैसे दुगुना लाभ प्राप्त करने वाला बना सकें. इस प्रकार के प्रयास भारत सरकार और मध्यप्रदेश शासन निरंतर कर रहा है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए हमारे विभाग ने इस साल मध्यप्रदेश में पहले जानवरों के ईलाज की हर जगह व्यवस्था नहीं होती थी उसके लिये हमने 31 अक्टूबर 2016 को मध्यप्रदेश के अंदर गोकुल महोत्सव की योजना प्रारंभ की है. यह योजना एक महीने तक चली. इसका द्वितीय चरण हमने 14 मार्च,2017 से प्रारंभ किया जो 14 अप्रैल 2017 तक चलेगा. इसी विषय को लेकर मैंने सदन के सभी माननीय सदस्यों को एक अनुरोध पत्र भेजा है कि अपने-अपने विधान सभा क्षेत्र के अंदर गोकुल महोत्सव के जो शिविर आयोजित हो रहे हैं उसमें माननीय सदस्यों की सहभागिता रहे, इसके लिये हमने माननीय सदस्यों से अनुरोध किया है.
श्री कमलेश्वर पटेल-- गोकुल ग्राम में गोकुल महोत्सव होगा, गोकुल ग्राम का तो पता ही नहीं है.
श्री अंतर सिंह आर्य-- हम प्रत्येक गांव के अंदर जायेंगे, हर गांव के अंदर हमारे डॉक्टर, पशुपालन विभाग के अधिकारी पहुंचेगे और इलाज की व्यवस्था करेंगे. माननीय अध्यक्ष जी, दूध उत्पादन में वृद्धि हेतु संचालित योजना पर बहुत से माननीय सदस्यों ने यहां पर चर्चा की है. मध्यप्रदेश के अंदर अभी गत साल से आचार्य विद्यासागर गौ-संवर्धन योजना की शुरूआत की है. वर्ष 2017-18 में 26 करोड़ 15 लाख प्रावधानित किया है जिसमें 1535 हितग्राहियों को इस योजना का लाभ दिया जाना प्रस्तावित है. नंदीशाला योजना में देशी नस्ल के उन्नत गौ सॉड़ प्रदान किये जाते हैं इसके लिये वर्ष 2017-18 में 547.50 लाख प्रावधानित हैं, इससे 2652 हितग्राहियों को लाभांवित किया जाना प्रस्तावित है. सुमुन्नत योजना के अंदर मूर्रा पाड़ा प्रदाय किया जाता है. वर्ष 2017-18 में राशि रूपये 886.30 लाख प्रावधानित है जिसमें 2461 हितग्राहियों को लाभ दिया जाना प्रावधानित है. बकरी पालन के अंतर्गत हमारे यहां जो योजना है, मध्यप्रदेश में 80.13 लाख बकरियां हैं. बकरियों में राज्य का राष्ट्र में 8वां स्थान है. गरीब लोगों को बकरी देने की योजना भी हमारे पशुपालन विभाग में है. बकरीपालन को बढ़ावा देने हेतु बैंक ऋण अनुदान योजना पर बकरी प्रदाय की योजना संचालित है जिसके अंतर्गत 10 बकरियां एवं 1 बकरा प्रदाय किया जाता है. यह योजना की इकाई लागत राशि रूपये 77456 है. वर्ष 2017-18 में राशि 514.97 लाख का प्रावधान है जिसमें 2365 हितग्राहियों को लाभांवित किया जाना है. बकरियों की नस्ल सुधार हेतु अनुदान पर बकरा प्रदाय योजना संचालित है. योजना की इकाई लागत 8300 है जिसके लिये वर्ष 2017-18 में 294.64 लाख का प्रावधान हैं जिसमें 4436 हितग्राहियों को देने का प्रावधान है.
माननीय अध्यक्ष जी, इसी प्रकार से कुक्कुट पालन में प्रदेश में अंडा उत्पादन 1441 मिलियन हो रहा है. अंडा उत्पादन की वृद्धि दर 22.41 है. अंडा उत्पादन में राष्ट्र में प्रदेश का 14वां स्थान है. माननीय अध्यक्ष जी, प्रदेश की प्रति व्यक्ति उपलब्धता 19 है, जबकि राष्ट्र की प्रति व्यक्ति उपलब्धता 68 है. अंडा उत्पादन वृद्धि में निरंतर प्रयास किये जा रहे हैं. प्रदेश की लोकप्रिय नस्ल कड़कनाथ को बढ़ावा देने के लिये विशेष योजना तैयार की जा रही है. हमारे इंदौर संभाग के अंतर्गत जो 4-5 जिले हैं, बड़वानी है, खरगोन है, धार है, जबलपुर है, अलीराजपुर और झाबुआ यह टोटल ट्राइबल जिले हैं इसके लिये हम कड़कनाथ के चूजे बांटने का एक नया प्रोजेक्ट तैयार कर रहे हैं. सबसे पहले इसकी शुरूआत हम इंदौर संभाग से करेंगे.
अध्यक्ष महोदय, कड़कनाथ की यह विशेषता है कि जो कड़कनाथ मुर्गा है उसकी मांग पूरे मध्यप्रदेश के अंदर है(हंसी) इसमें विशेषता यह है कि कड़कनाथ मुर्गा का पूरा शरीर काला होता है, उसके पंख काले होते हैं, उसकी हड्डी भी काली होती है, उसका मांस भी काला होता है और खाने में भी बड़ा स्वादिष्ट होता है. (हंसी)
श्री सुंदरलाल तिवारी-- मंत्री जी यह बताये कि काले मुर्गे का कैसा स्वाद है. बताईये.
संसदीय कार्य मंत्री(डॉ.नरोत्तम मिश्र)--अगर स्वाद बता देंगे तो तिवारी जी क्या आप खाओगे.
श्री सुंदरलाल तिवारी --बिल्कुल नहीं खायेंगे.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- फिर क्यों स्वाद की बात कर रहे हैं. क्या यह उम्र आपकी स्वाद की है. (हंसी) भजन गाने की उम्र है या गजल गाने की उम्र है आपकी (हंसी).
श्री बाला बच्चन -- वैसे भी सरकार खिला नहीं रही है क्योंकि सरकार ने सब बंद कर रखा है.
श्री अंतर सिंह आर्य-- यह सब अंदर की बात है. कौन क्या है अपने को उससे मतलब नहीं है लेकिन मैं वास्तविकता को सामने रख रहा हूं और हम इस योजना को आगे इंदौर संभाग में प्रारंभ कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी कितना समय आप और लेंगे. अभी एक विभाग और है.
श्री अंतर सिंह आर्य-- अध्यक्ष महोदय, मेरे पास में पशुपालन विभाग है, मछली पालन विभाग भी है. ज्यादा समय नहीं लूंगा. अध्यक्ष जी मैं हकीकत में बता रहा हूं तालाब के अंदर मछली मारने का काम हमने किया है. हम प्रेक्टिकल मंत्री हैं, ऐसा नहीं है कि पढ़कर मैं यह बात कह रहा हूं. इसमें कोई बुराई नहीं है जो है वो है इसमें कोई हिचक वाली बात भी नहीं है.
श्रीमती शीला त्यागी- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी कह रहे थे कि कड़कनाथ बहुत स्वादिष्ट होता है. हम चाहते हैं कि कड़कनाथ हम लोगों को आपकी तरफ से गिफ्ट में जरूर दिये जायें.
श्री अंतर सिंह आर्य-- माननीय अध्यक्ष महोदय अभी हमारा वह प्रोजेक्ट तैयार हो रहा है. जब प्रोजेक्ट तैयार हो जायेगा तो कोशिश करेंगे कि आप तक वह पहुंच जाये.
श्रीमती शीला त्यागी-- वैसे भी आपकी तरफ से कुछ नहीं दिया गया है. आपके मुंह से हम लोग सुन रहे हैं तो कड़कनाथ जरूर मिलना चाहिये भले ही आप इसकी दावत दे दें.
श्री अंतर सिंह आर्य-- आगे इस पर विचार करेंगे (हंसी) माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रदेश में दुध का उत्पादन बढ़े इसके लिये विभाग द्वारा नस्ल सुधार कार्यक्रम चल रहा है.गो-संरक्षण और संवर्धन के काम भी हम कर रहे हैं. भारतीय मूल के गोवंश को प्रोत्साहन देने हेतु हमारी योजनायें संचालित हैं. मध्यप्रदेश दुग्ध महासंघ के अंदर हमारे काम चल रहे हैं. कई माननीय सदस्यों ने यहां पर बात कही है कि जिले के अंदर में दुग्ध समिति का गठन होना चाहिये, यह हमारी भी चिंता है. हमने विभागीय समीक्षा बैठक में यह निर्णय लिया है कि मिल्क रूट ज्यादा से ज्यादा बढ़ाया जाये, दुग्ध संकलन केन्द्र समिति ज्यादा से ज्यादा बनाई जाये इस पर विभाग ध्यान दे रहा है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में दुग्ध उत्पादन की दृष्टि से केन्द्रीय वीर्य संस्थान भोपाल में है. 26.11.2016 को राष्ट्रीय दुग्ध दिवस के अवसर पर भारत सरकार के द्वारा केन्द्रीय वीर्य संस्थान, भोपाल को "ए"ग्रेड का प्रमाण पत्र दिया गया है. भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा केन्द्रीय वीर्य संस्थान को यह प्रमाण पत्र दिया गया है. केन्द्रीय वीर्य संस्थान, भोपाल के द्वारा गो एवं भेसवंशी 12 नस्लों का हिमीकृत वीर्य का उत्पादन किया जा रहा है जिससे प्रदेश के अलावा अन्य राज्यों में भी प्रदाय किया जाता है. केन्द्रीय वीर्य संस्थान, भोपाल के द्वारा वर्ष 2015-16 में 25.63 लाख सीमन डोजेज का उत्पादन किया गया है तथा इस वर्ष 2015-16 में अभी 25.7 लाख सीमन डोजेज का उत्पादन किया जा चुका है. प्रदेश के अंदर ग्राम पंचातयों के अंदर गौ सेवक को ट्रेनिंग देने का काम भी पशुपालन विभाग कर रहा है ताकि ग्राम पंचायत स्तर पर पशुओं का इलाज ठीक ढंग से हो सके.
श्री कमलेश्वर पटेल - मंत्री जी डाक्टर नहीं है, सपोर्टिंग स्टाफ नहीं है, तो फिर ट्रेनिंग कार्यक्रम कैसे होगा.
श्री अंतर सिंह आर्य - हम उस दिशा में भी काम कर रहे हैं, आप निश्चित रहित आने वाले समय में सभी जगह डाक्टर भेजने की व्यवस्था करेंगे. माननीय अध्यक्ष जी प्रदेश में नस्ल सुधार के कार्यक्रम क्रियान्वयन हेतु, कृत्रिम गर्भाधान को बढ़ाया देने एवं हिमीकृत वीर्य के संधारण हेतु तरल नत्रजन की आवश्यकता होती है, इसके लिए हमारी सरकार के द्वारा भोपाल, ग्वालियर, सागर, जबलपुर और इंदौर में तरल नत्रजन संयंत्र स्थापित किए गए हैं, माननीय अध्यक्ष जी बहुत से माननीय सदस्यों ने चिन्ता व्यक्त की है कि प्रदेश के बहुत से क्षेत्र में पशु आहार संयंत्र कारखाने लगना चाहिए. मैं सदन को बताना चाहूंगा कि पशु प्रजनन क्षेत्र कीरतपुर इटारसी में 100 मीट्रिक टन क्षमता, विस्तारितक क्षमता 200 मीट्रिक टन क्षमता का स्वचलित पशुआहार संयंत्र स्थापित किया गया है. 2 अक्टूबर को माननीय अध्यक्ष जी आपकी अध्यक्षता में कीरतपुर में इस कारखाने का हमने शुभारंभ किया है. माननीय सदस्यों ने उज्जैन के विषय में भी चिन्ता की है, उस विषय को हम गंभीरता से लेंगे, उसमें क्या हो सकता है वह करने की कोशिश करेंगे. एक जानकारी सदन को देना चाहूंगा कि भारत सरकार ने एक नया प्रोजेक्ट हमारे होशंगाबाद जिले के इटारसी के लिए स्वीकृत किया है, नेशनल कामधेनू बीडिंग सेन्टर भारत सरकार ने 30 अगस्त 2016 के द्वारा मध्यप्रदेश राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम के अधीन पशु प्रजनन क्षेत्र कीरतपुर में नेशनल कामधेनू बीडिंग सेन्टर की स्थापना हेतु स्थल चयन की स्वीकृति प्राप्त हुई है. केन्द्र की स्थापना हेतु भारत सरकार के द्वारा 25 करोड़ रूपए स्वीकृत हो चुके हैं, इस हेतु भी माननीय विधानसभा अध्यक्ष्ा जी के आतिथ्य में वहां पर भूमि पूजन का कार्य संपन्न हुआ. आने वाले समय में यह प्रोजेक्ट भी प्रारंभ हो जाएगा. माननीय अध्यक्ष जी अब मैं थोड़ा सा पशुपालन एवं मछलीपालन के ऊपर बोल लेता हूं. माननीय अध्यक्ष जी, मछली पालन विभाग, कुटीर ग्रामोद्योग और पुशुपालन विभाग ये कृषि आय को दोगुना बढ़ाने में इन तीनों विभागों की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है. उसी को ध्यान में रखते हुए मत्स्य पालन विभाग के मामले में कुछ बोलना चाहूंगा. राज्य में मछली पालन के विकास के लिये ग्रामीण तालाबों और जलाशयों में कुल उपलब्ध 4 लाख 5 हजार हेक्टेयर जल क्षेत्र में से 3 लाख 97 हजार हेक्टेयर में मछली पालन के अन्तर्गत लाया गया है, जो 98 प्रतिशत है. विजन 2018 के अनुसार मत्स्य बीज उत्पादन 100 करोड़ स्टेण्डर फ्राई के लक्ष्य निर्धारित हैं, जिन्हें 2016-17 में 107 करोड़ स्टेण्डर फ्राई उत्पादित कर विजन के लक्ष्य को पूर्ण कर लिया है. गत वर्ष मत्स्य बीज उत्पादन 95. 21 करोड़ के लक्ष्य की तुलना में 12 प्रतिशत अधिक है तथा अभी तक सर्वाधिक मत्स्य बीज उत्पादन है. 2017-18 हेतु 109 करोड़ स्टेण्डर फ्राई मत्स्य बीज उत्पादित किया जाना लक्षित है. वर्ष 2015-16 में 1 लाख 22 हजार टन मत्स्य उत्पादन लक्ष्य के विरुद्ध 1 लाख 15 हजार टन मत्स्य उत्पादन किया गया. वर्ष 2016-17 हेतु निर्धारित लक्ष्य 1 लाख 30 हजार टन मतस्य उत्पादन के विरुद्ध माह जनवरी,2017 तक 1 लाख 7 हजार 346 टन मत्स्य उत्पादन प्राप्त किया गया है. 2017-18 हेतु 1 लाख 45 हजार टन मत्स्य उत्पादन का लक्ष्य प्रस्तावित है. मछुआ सहकारिता के अन्तर्गत राज्य में पंजीकृत प्राथमिक मछुआ सहकारी समितियों की संख्या 2266 और सदस्य संख्या 84372 हो गई है, इसमें से 48 महिला सहकारी समितियों के 1332 सदस्य मत्स्य उद्योग में कार्य में संलग्न हैं. हमारी जो शिक्षण, प्रशिक्षण योजना है, इस योजना के अंतर्गत मछली पालन विभाग द्वारा मछुआरों को नवीन तकनीकी ज्ञान द्वारा मत्स्य पालन करने हेतु 5 दिवसीय मछुआ प्रशिक्षण तथा 2 दिवसीय अध्ययन भ्रमण पर भेजा जाता है. योजना अनुसार प्रत्येक प्रशिक्षणार्थी को प्रशिक्षण भत्ता, आने जाने का किराया, अध्ययन भ्रमण हेतु कुल राशि रुपये 2775 का व्यय सीमांकित है. वर्ष 2015-16 में 5518 मछुआरों को प्रशिक्षण दिया गया तथा वर्ष 2016-17 में माह जनवरी, 2017 तक 4031 मछुआरों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है. आगामी वर्ष 2017-18 के लिये 4805 मछुआरों को प्रशिक्षण दिया जाना प्रस्तावित है. फिशरमेन क्रेडिट कार्ड योजना प्रदेश में मछुआरों को मत्स्य पालन के लिये कार्यशील पूंजी हेतु अल्पकालीन ऋण के तहत वित्तीय वर्ष 2016-17 में 10 हजार फिशर मेन क्रेडिट कार्ड बनाये जाने के लक्ष्य के अंतर्गत माह जनवरी,2017 तक 5642 फिशरमेन क्रेडिट कार्ड बनाये गये हैं. योजना के अंतर्गत 53720 फिशरमेन क्रेडिट कार्ड बनाये जा चुके हैं. वर्ष 2017-18 के लिये 10 हजार फिशरमेन क्रेडिट कार्ड बनाये जाना प्रस्तावित हैं. क्रेडिट कार्ड बनाये जाना प्रस्तावित हैं. केन्द्र परिवर्तित योजना मछुआरों को व्यक्ति दुर्घटना बीमा कल्याणकारी कार्यक्रम के लिए, उनकी सुरक्षा दुर्घटना की स्थिति में बीमा योजना के अंतर्गत शत-प्रतिशत शासकीय प्रीमियम पर वर्ष 2016-17 में 1,84,933 मछुआरों को बीमा सुरक्षा दी गई, जिसमें 29 प्रतिशत महिलाएं हैं. आगामी वर्ष 2017-18 में 1,86,000 मछुआरों को दुर्घटना बीमा का लाभ दिया जाना प्रावधानित है.
अध्यक्ष महोदय, बचत राहत योजना राष्ट्रीय मछुआरा कल्याण निधि से राज्य के मछुआरों के लिये बचत सह राहत योजना के अंतर्गत सन् 2016-17 में 19,549 मछुआरों को राहत पहुँचाने के लिए निर्धारित लक्ष्य के पक्ष में माह जनवरी, 2017 तक 16,118 मछुआरों को राहत राशि उपलब्ध कराई गई है. सन् 2017-18 में 16,316 मछुआरों को राहत राशि देने का प्रस्तावित करें.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी, आप कितना समय और लेंगे ?
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - माननीय अध्यक्ष जी, माननीय मंत्री जी हिन्दुस्तान का सबसे बड़ा गौ अभ्यारण्य, जो आगर-मालवा के सुसनेर में हैं, उसके लोकार्पण की कोई तिथि या उसकी कोई व्यवस्था सुनिश्चित हो सकेगी.
श्री अंतर सिंह आर्य - जी हां. माननीय अध्यक्ष जी, यहां पर बहुत से माननीय सदस्यों ने गौ वंश पर चिन्ता भी की है.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार - माननीय अध्यक्ष जी, बड़ी मछली छोटी मछली को खाती है. मछली का जो चरित्र है, वह तो उन्होंने बताया ही नहीं है.
श्री अंतर सिंह आर्य - माननीय अध्यक्ष जी, प्रदेश के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने इन्हीं माननीय सदस्यों के सुझावों से चिन्तित होकर आगर के सुसनेर में करीब 4,000 गौ वंशों को वहां रखने के लिए गौ अभ्यारण्य का भूमि पूजन पहले किया है. वहां पर कार्य प्रगति पर है. मैं समझता हूँ कि हम आने वाले महीने, दो महीने के अन्दर उस गौ अभ्यारण्य का उद्घाटन करेंगे.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - धन्यवाद.
श्री अंतर सिंह आर्य - अध्यक्ष महोदय, जिन माननीय सदस्यों ने यह सुझाव दिये, उन सुझावों की भी पूर्ति होगी और भी बहुत सारे सदस्यों ने जो बातें यहां पर रखी हैं कि आवारा पशु घूमते हैं एवं इसी प्रकार की अन्य बातें सभी माननीय सदस्यों ने रखी हैं. इस विषय पर सरकार गंभीर है और आने वाले समय में इसका कहीं न कहीं हल होगा.
माननीय अध्यक्ष जी, मछलीपालन के बाद हमारा कुटीर ग्रामोद्योग है. यह भी कृषि से संबंधित है. इसमें रेशम विभाग के हमारे काफी काम हैं और हमारे विभाग का होशंगाबाद जिले में रेशम का काफी बड़ा बिजनेस है. इस संबंध में कुटीर एवं ग्रामोद्योग के मामले में, मैं थोड़ा सा बोलना चाहूँगा. यह विभाग रोजगार की दृष्टि से महत्वपूर्ण है.
श्री बाला बच्चन - माननीय मंत्री जी, होशंगाबाद वाला बहुत बड़ा रेशम घोटाला है.
अध्यक्ष महोदय - आप कृपया बैठ जाएं. मंत्री जी को बोलने दें.
श्री बाला बच्चन - उसका पर्दाफाश करें.
श्री अंतर सिंह आर्य - उसकी जांच चल रही है. हम आपकी चिन्ता से चिन्तित हैं.
माननीय अध्यक्ष जी, कुटीर और ग्रामोद्योग विभाग वास्तव में मध्यप्रदेश के ग्रामीण इलाकों में रोजगार की दृष्टि से यह बहुत ही महत्वपूर्ण विभाग है और माननीय मुख्यमंत्री जी भी समीक्षा के दौरान, हमारे तीनों विभागों के ऊपर गंभीर चिन्तन करते हैं. उसी को ध्यान में रखते हुए रोजगार की दृष्टि से सन् 2016-17 में 1,50,000 उद्मियों के लिये रोजगार सृजन करने की व्यवस्था थी, सन् 2017-18 में 1,60,000 उद्मियों को रोजगार सृजन एवं समर्थन किया जाना है. सन् 2016-17 में प्रशिक्षण का मामला है, 11,952 उद्मियों को प्रशिक्षित किया गया है. सन् 2017-18 में वर्ष 2017-18 में 16970 उद्यमियों को प्रशिक्षण प्रस्तावित हैं. माननीय मुख्यमंत्री जी की योजना के अंतर्गत वर्ष 2016-17 में मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के अंतर्गत 7000 भौतिक लक्ष्य के विरुद्ध अभी तक 6600 उद्यमी लाभान्वित किए जा चुके हैं. वर्ष 2017-18 में मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के अंतर्गत 800 भौतिक लक्ष्य प्रस्तावित हैं. इसी प्रकार से वर्ष 2016-17 में मुख्यमंत्री आर्थिक कल्याण योजना के अंतर्गत 3000 भौतिक लक्ष्य के विरुद्ध अभी तक 2600 उद्यमी लाभान्वित किए जा चुके हैं. वर्ष 2017-18 में मुख्यमंत्री आर्थिक कल्याण योजना के अंतर्गत 4000 भौतिक लक्ष्य प्रस्तावित हैं.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी यह विषय लंबा हो गया है. कृपया करके इसे संक्षिप्त कर दें.
श्री अंतर सिंह आर्य-- अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से सभी माननीय सदस्यों से अनुरोध करूंगा कि मेरे तीनों विभागों की अनुदान मांगों को परित करें. धन्यवाद.
5.18 बजे अध्यक्षीय घोषणा
महिला एवं बाल विकास विभाग की मांगे बाद में लिये जाने विषयक
अध्यक्ष महोदय-- आज की कार्यसूची के पद 6 (3) में उल्लेखित विभागीय मांग की प्रभारी मंत्री विदेश प्रवास पर हैं. उन्हें आज वापस आना था किन्तु कतिपय कारण से यात्रा विलंबित होने से वे रात्रि में ही भोपाल पहुंच सकेंगी. मेरा माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी से अनुरोध है कि विभागीय मांगें जब हों तो मंत्रीगण उपस्थित रहें. भविष्य में यह स्थिति न आए आप उसको देख लें. अत: महिला एवं बाल विकास विभाग की मांगें बाद में ली जाएंगी. मैं समझता हूं सदन इससे सहमत है. अब पद 6 (4) की मांगें ली जाएंगी.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई)
5.19 बजे वर्ष 2017-2018 की अनुदान की मांगों पर मतदान (क्रमश:)
श्री बाला बच्चन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सबकी राय है कि 12, 13 मिनट बाद सदन छूटने का टाइम हो जाएगा. यह बड़ा विभाग है, संसदीय कार्य मंत्री जी का विभाग है. इसको कल से शुरुआत कराएंगे तो ज्यादा अच्छा होगा. सभी की राय यही है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष महोदय, आधा आज करा लें, आधा कल करा लें.
श्री बाला बच्चन-- अध्यक्ष महोदय, कल करा लें आज लंच ब्रेक भी नहीं हुआ है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- लंच ब्रेक हुआ था, भोजन की व्यवस्था थी.
श्री बाला बच्चन-- अध्यक्ष महोदय, हम सभी की यह राय है कि यह बड़ा विभाग है, आपका पोर्ट फोलियो है. संसदीय कार्य मंत्री जी आपका विभाग है. इसे कल चर्चा में लेंगे तो ज्यादा अच्छा होगा.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष महोदय, आधी चर्चा आज करवा लीजिए.
श्री गोपाल भार्गव-- जब भोजन यहां किया है तो पानी भी यहीं पियो.
अध्यक्ष महोदय-- मांगे प्रस्तुत हो जाने दीजिए और चर्चा की शुरुआत कर दें. इसके बाद में यदि माननीय सदस्य ठीक समझेंगे, सदन ठीक समझेगा तो थोड़ा समय बढ़ा भी सकते हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- जी.
श्री बाला बच्चन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सुबह से बैठे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- अभी बहुत विभाग बाकी हैं और 23 तारीख तक पूरा करना है.
5.20 बजे (4) मांग संख्या-23 जल संसाधन
मांग संख्या-28 राज्य विधान मण्डल
मांग संख्या-32 जनसंपर्क
मांग संख्या-45 लघु सिंचाई निर्माण कार्य
मांग संख्या-57 जन संसाधन विभाग से संबंधित विदेशों
से सहायता प्राप्त परियोजनाएं.
अध्यक्ष महोदय--उपस्थित सदस्यों के कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए.
अब, मांगों और कटौती प्रस्ताव पर एक साथ चर्चा होगी.
श्री जितू पटवारी (राऊ)--अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे मांग संख्या 32 और 23 पर बोलने का अवसर दिया. मैं आपको धन्यवाद देता हूँ. मेरे पास जनसंपर्क विभाग का एक वार्षिक प्रतिवेदन है इसके एक पैरे की दो लाइनें सबसे पहले पढ़कर मैं सुनाना चाहता हूँ. 29 नवम्बर 2016 को मुख्यमंत्री के कार्यकाल के 11 वर्ष पूर्ण होने पर विशेष लेख प्रतिष्ठित लेखकों से लिखवाकर प्रकाशित करवाए गए. शाखा द्वारा इस अवसर पर रिकार्ड 28 आलेख तैयार कर बाहुल्यता से प्रकाशित करवाए गए. अन्य विशेष अवसरों पर समाचार-पत्रों के विशेष लेखों के संपादकीय प्रकाशन/ प्रसारण प्रख्यात पत्रकारों के जरिए संपादकीय लिखवाई गई. 1 करोड़ 50 लाख के कर्ज के बोझ के तले दबी हुई यह अर्थव्यवस्था और मुख्यमंत्री के लिए संपादकीय लिखवाने के लिए जनसंपर्क में प्रोवीजन.
अध्यक्ष महोदय, मैंने पूरा बजट पढ़ा वन विभाग का, पिछले के पिछले साल बजट कम किया गया पिछले साल से इस साल बजट कम किया गया. कृषि मंत्री हैं नहीं, कृषि विभाग का बजट कम किया गया. शिक्षा विभाग का बजट कम किया गया. स्वास्थ्य विभाग का बजट कम किया गया. पोषण आहार में भी कमी लाए.
वन मंत्री (डॉ. गौरीशंकर शेजवार)--अध्यक्ष महोदय, कहीं कोई बजट कम नहीं किया गया है. कागज देखो, यह गलत बयानी सदन में नहीं होना चाहिए.
श्री जितू पटवारी--डाक्टर साहब आप ही ने मुझे कहा था कि मेरा कम कर दिया है और तू बता नहीं रहा है. यह आप ही ने कहा और आप इस तरीके से कह रहे हैं यह गलत बात है.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार--मुख्यमंत्री के लिए संपादकीय लिखवाए गए तो उन्होंने 10-11 साल पूरे किए हैं यह कोई छोटी-मोटी बात है. अब तुम आपस में लड़ते रहो एक दूसरे की टांगें खींचो.
श्री बहादुर सिंह चौहान--माननीय अध्यक्ष महोदय, जितू भैय्या आप उठाकर देख लो. स्वास्थ्य विभाग का बजट विगत वर्ष से इस वर्ष 16.25 प्रतिशत बढ़ाया गया है. आप सुधार कर लो.
श्री जितू पटवारी- आदरणीय अध्यक्ष महोदय, मेरे कहने का आशय यह है कि मैंने जिन विभागों के संबंध में बोला है, वह पढ़कर ही बोला है. अलग-अलग मत की अलग-अलग बातें होती हैं. बहादुर भईया मैं बिना लिखे और बिना पढे़ सदन में नहीं आता हूं. मेरा अनुरोध है कि आपने जनसंपर्क हेतु 300 करोड़ रूपये रखे हैं. इससे पहले 327 करोड़ रूपये रखे गए थे और उससे पहले लगभग 200 करोड़ रूपये का प्रावधान था. ऐसा क्या हुआ कि आपको जनंसपर्क का बजट बढ़ाना पड़ा. मैं यह बात नहीं समझ पा रहा हूं, परंतु जनता और सदन सब कुछ समझ रहा है. केवल मुख्यमंत्री की ब्रॉण्डिंग की जा रही है. भोलेनाथ का फोटो छोटा और मुख्यमंत्री का फोटो बड़ा लगाया जाता है. अगर विपक्ष की कोई गतिविधि हुई तो उसे कैसे छापा जाए, इसके लिए पहले मनोज श्रीवास्तव बदले, फिर दूसरे जुलानिया बदले और अब कोई राजन आए हैं. उनका काम क्या है ? सिर्फ बात करो, कि किसका छपेगा, कैसे छपेगा, खबर कैसी बनेगी, किसकी खबर बनेगी, इस हेतु जनसंपर्क विभाग रखा गया है. हमारे विभागों के कितने विज्ञापनों का लाभ आम जनता को मिल रहा है. अभी यदि विधायकों से ही पूछा जाए कि किसी विभाग में संचालित विभिन्न योजनाओं के बारे में आपने क्या-क्या जानकारी अखबार के माध्यम से पढ़कर जानी, तो कोई कुछ बता नहीं पायेगा. मैं तो केवल इतना कहना चाहता हूं कि मुझे एक वक्तव्य पता है कि एक बार एक सम्माननीय मंत्री जी ने कहा था कि जनसंपर्क विभाग के होते हुए मुख्यमंत्री जी की तो छवि सुधरे, लेकिन मंत्रियों की छवि बिगड़े, यह ठीक नहीं है. मंत्रियों की छवि सुधरे और मुख्यमंत्री जी की भी छवि सुधरे, ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए. मैं संसदीय कार्य मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि जनसंपर्क विभाग मंत्रियों के भाव के अनुसार कार्य करे. केवल मुख्यमंत्री और संसदीय कार्य मंत्री की छवि सुधरे और बाकी मंत्रियों की छवि न सुधरे, तो यह सदन के लिए चिंता का विषय है. जनसंपर्क विभाग में अलग-अलग मदें हैं. इंदौर में इंवेस्टर्स मीट हुआ था. उसमें आपके द्वारा विज्ञापनों और ब्राण्डिंग पर जितना खर्च किया गया, उससे 20 प्रतिशत ज्यादा, आपके ही विभाग के अनुसार रोजगार और बाहर से इंवेस्ट हुआ. मैं समझता हूं कि यह भी एक चिंता का विषय है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया- पूरे देशभर की चिंता का विषय कांग्रेस कर ले.
श्री जितू पटवारी- अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हूं कि मुख्यमंत्री जी ने '' नमामि देवी नर्मदे '' यात्रा के लिए वक्तव्य दिया था और उनके वक्तव्य का भाव यह था कि यह एक राजनैतिक नहीं अपितु गैर राजनैतिक अभियान है. उन्होंने इसके साथ-साथ यह भी कहा था कि शासन इसमें खर्च नहीं करेगा. जन भागीदारी ये इस यात्रा और अभियान को चलाया जायेगा. आपने जनसंपर्क विभाग के तहत कितनी बार और कितनी जगहों पर नर्मदा यात्रा हेतु विज्ञापनों का प्रावधान किया है. मैं समझता हूं कि हम प्रदेश की जनता से कितना असत्य बोलेंगे, यह समझने की बात है. आप लोगों के पास उत्तर ज्यादा हैं.
मैं कहना चाहता हूं कि लोकहित में जनसंपर्क विभाग को पूरी ताकत से काम करना चाहिए. जनता को सरकार द्वारा बनाई गई सारी योजनाओं का लाभ भी मिलना चाहिए. सिर्फ समाचार-पत्रों के संस्थानों के मालिकों को खुश करने के बजाए, पत्रकारों को भी खुश करने की व्यवस्था होनी चाहिए. हमारे साथी बाला बच्चन जी का इस संबंध में पिछले साल एक प्रश्न था, उसमें फर्जी वेबसाइटों पर कितना पैसा खर्च किया गया और बेचारे ईमानदार पत्रकार जो, दिन-रात आपकी कार्यवाही प्रकाशित करवाते हैं, आपका ध्यान रखते हैं, मुख्यमंत्री जी का भी ध्यान रखते हैं. जिन पत्रकारों ने थोड़ा लेख बना दिया, थोड़ा बढि़या छाप दिया, उनका तो आप ध्यान रखते हैं और बाकी के पत्रकारों के लिए कोई जगह नहीं रहती है. यह भी न्याय संगत नहीं है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इस अवसर पर मैं यह भी कहना चाहता हूं कि 500 करोड़ रूपये से ज्यादा हर वर्ष आप लोग जिस तरीके से सिर्फ अपनी सरकार की छवि सुधारने के लिए जो पैसा बांटते हैं, उस पर भी आप लगाम कसेंगे तो ज्यादा बेहतर होगा. ''माध्यम'' यह भी जनसंपर्क विभाग में एक ऐसा माध्यम है. माननीय अध्यक्ष महोदय, जब जनसंपर्क विभाग है तो माध्यम की आवश्यकता क्या है ?
5.30 बजे अध्यक्षीय घोषणा
सदन के समय में वृद्धि विषयक
अध्यक्ष महोदय- विचाराधीन मांग पर दोनों पक्षों के प्रथम वक्ताओं के भाषण पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाए.
मैं समझता हूं, सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.)
यह माध्यम एक ऐसा विभाग है जो किए हुए कारनामो को कैसे ढँक सके, पिछले कई बार में वह सीएस के माध्यम से सरकारी खर्चे जो रोजमर्रा की खरीदी हुई, मैं समझता हूँ कि वह माध्यम के माध्यम से हुई और उसमें कितना भ्रष्टाचार हुआ डेली वेजेस पर खरीदी या अस्थायी खरीदी में लूट का एक माध्यम है. मंत्री जी, इसको जितनी जल्दी हो बन्द करें और जितने इसको संभालने वाले अधिकारी हैं, उन पर जाँच बिठाएँ तो ज्यादा बेहतर होगा क्योंकि यह भी एक प्रदेश की आम जनता की गाढ़ी कमाई का लूट का एक माध्यम बन गया है. अध्यक्ष महोदय, मैं इन सब बातों के साथ साथ आप से अनुरोध करना चाहता हूँ कि जनसंपर्क का जहाँ तक प्रश्न है वह तो अपनी जगह है, आपने अभी 10 साल के अनुभव के साथ राज्य स्तर के पत्रकारों के लिए पेंशन के लिए वक्तव्य दिया था, मुख्यमंत्री जी ने भी इस पर बात कही थी, सरकार ने भी कही थी. आप राज्य स्तर के सीनियर पत्रकारों के लिए तो पेंशन का प्रॉविजन कर रहे हैं पर जो फोटोग्राफर्स हैं, जो जिले स्तर के पत्रकार हैं, उन्होंने हमारा क्या बिगाड़ा? और पेंशन 6,000 रुपये, जो स्वतंत्रता संग्राम सेनानी हैं या आप लोगों के साथ जो गए थे मीसा में, जेल में, उनके तो 25,000 कर दिए, तो इन पत्रकारों की भी बेचारों की पेंशन 15,000 तो करो. ये भी हमारे लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ को कहीं न कहीं मदद ही करते हैं और राज्य स्तर तथा जिला स्तर से भेदभाव क्यों? इस पर हमारा दल आपत्ति लेता है. दोनों के साथ एक जैसा न्याय हो और उसमें फोटोग्राफर और केमरामेन को भी क्यों न जोड़ा जाए. मंत्री जी, इस पर भी आपका ध्यान होना चाहिए. यह मेरा सुझाव है.
अध्यक्ष महोदय, इस अवसर पर मैं आप से यह भी कहना चाहता हूँ कि..(व्यवधान)..ऐसा है कि चापलूस लोग तो पैसा कमा रहे हैं माध्यम के माध्यम से. मैं तो सच बात कर रहा हूँ. मेरा सरकार से अनुरोध है कि संपादकीय और मुख्यमंत्री के लिए लेख लिखवाने में जो पैसा खर्च होता है वह तो अपनी जगह है. फिर भी जनसंपर्क विभाग का काम है कि विपक्ष की भी थोड़ी बहुत खबरें आने दें. इस पर भी आपका ध्यान होना चाहिए. इतना मैनेजमेंट आप ना करें रोज जनसंपर्क का अधिकारी हर वर्ष नया न बनाएँ. कितनी भी कोशिश के बाद सत्ता बदलेगी ही उस समय फिर जनसंपर्क दूसरों के हाथ में रहेगा. जब आप भी सामने रहेंगे. मैं इस भाव को भी...
डॉ नरोत्तम मिश्र-- जब तक (XXX) है तब तक कुछ नहीं बदल रहा, आप मेरी बात का विश्वास रखो.
श्री जितू पटवारी-- चूँकि मेरे को अध्यक्ष जी ने इशारे में कहा कि अपनी बात विनम्रता से आपको कहनी है तो मैं इन बातों का जवाब न देते हुए इतना जरूर कहना चाहता हूँ कि जल संसाधन विभाग में पन्ना में 70 करोड़ की लागत से दो डेम विगत वर्ष पहली वर्षा में ही फूट गए, उसके लिए कौन दोषी है, किसकी जवाबदेही है, कितनों को आपने सजा दी, किसी को लाइन अटेच किया, एक अधिकारी, जिसके लिए उसकी जवाबदेही तय की हो, ऐसा क्यों नहीं हुआ मंत्री जी? खरगोन जिले में खारक परियोजना की नहरें, निर्माण के कुछ समय बाद ही टूटने लगी, इसमें दरारें पड़ने लगी. पानी खेतों में बहने लगा.
श्री गोपाल भार्गव-- लाइन अटेच करना कह रहे थे तो सिंचाई विभाग की लाइन कहाँ होती है?
श्री जितू पटवारी-- मंत्री आप रहे हैं, कहाँ कहाँ से लाइन और सोर्स है, आपको पता है. जब से भी मैं राजनीति में आया हूँ मैं तो बाहर ही हूँ.
श्री गोपाल भार्गव-- यह पुलिस जैसे महकमे में तो चलता है. लेकिन सिंचाई में लाइन अटेच क्या होता है?
श्री बाला बच्चन-- संसदीय कार्य मंत्री जी के पास सिंचाई विभाग आ गया.
श्री जितू पटवारी-- यह पनिशमेंट है. मैं बोलना नहीं चाह रहा था. इसके पहले कौन इसका मंत्री था और अब कौन है, किसने गबन किया और कौन पनिश्ड हुआ अब समझने की जरूरत है. भाव को समझो. बोलूँगा तो थोड़ा सा अच्छा नहीं लगेगा और जुलानिया कहाँ पहुँच गया, बताओ आप. अगर पनिश्ड नहीं हुआ तो, यह सब बातें.....
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- जुलानिया आपके पास भेजे गए हैं.
श्री गोपाल भार्गव-- मेरे पास भेजे गए हैं. लेकिन आप यह भी मान कर चलो उससे बड़ा विभाग है जिसमें भेजे गए हैं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- यह सही है. लेकिन किसलिए भेजे गए है?
श्री जितू पटवारी-- बड़े विभाग को संभालने के लिए.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- आपको संभालने के लिए.
डॉ गौरीशंकर शेजवार-- अजय सिंह जी नेता प्रतिपक्ष बने हैं तब से तिवारी जी लाइन अटेच हैं.
श्री जितू पटवारी-- माननीय अध्यक्ष जी, खरगोन जिले में भी जिस तरीके की नहरों के माध्यम में, बाँध के माध्यम में, करप्शन का बंदर बाँट हुआ, मैं समझता हूँ कि बड़ा गंभीर और चिन्ता का विषय है. मंत्री जी से अनुरोध करता हूँ कि करप्शन में जितनी लूट होती है अंतिम सोर्स तक जाती है. मैं समझता हॅूं इस भाव को, पर फिर भी एक न्याय होता है. उस न्याय के भाव को जीते हुए आप लोग न्याय करते हैं. मतदाताओं ने मत दे दिया, उसके अहंकार में इस तरीके की लूट से आप कैसे बचें. मैं माननीय अध्यक्ष जी के माध्यम से विनम्र प्रार्थना करना चाहता हॅूं. प्रतिवेदन 32 में स्पष्ट है कि जबलपुर स्थित मिट्टी, गिट्टी प्रशिक्षण प्रयोगशाला, रेत और सीमेन्ट के सेंपल ही नहीं लिये गये और इसकी जॉंच तो दूर की बात है किसी प्रकार की कोई ऐसी व्यवस्था सिर्फ आंकडे़ बनाने के लिए, इस तरह के भाव कि हम मिट्टी की जॉंच करवा रहे हैं, किसानों को लाभ पहुंचा रहे हैं, सिंचाई की परियोजना में इसका इतना सिंचित एरिया कवर हो रहा है, ये सब बातें इस बात का द्योतक है कि आप जिस तरीके से जनसंपर्क से अपनी इमेज चमकाना चाहते हैं और दूसरे विभागों में भ्रष्टाचार करना चाहते हैं आप कितना भी भ्रष्टाचार करें, कितना भी जनसंपर्क से दबाव दें, एक दिन आम जनता को पता चल जाएगा. मैं माननीय अध्यक्ष महोदय के माध्यम से अनुरोध करता हॅूं कि जनसंपर्क चूंकि हमारा प्रदेश कर्जे में है, थोड़ा-सा भाग कम करें और असली योजनाओं को इसका लाभ मिले, इस भावना के साथ आप काम करें. इस प्रदेश की जनता ने आपको मत दिया है अन्यथा मत वापस लेने में देर नहीं करेगी. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री दुर्गालाल विजय (श्योपुर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 23, 28, 32, 45 और 57 का समर्थन करने के लिए खड़ा हुआ हॅूं. मध्यप्रदेश में जब से भारतीय जनता पार्टी की सरकार है और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान जी हैं उन्होंने कृषि को लाभ का धंधा बनाने की दृष्टि से, इस प्रदेश को स्वर्णिम प्रदेश बनाने के लिए हमारे प्रदेश में 70 प्रतिशत् गांवों में रह रहे किसानों की खेती का व्यवसाय बढे़ और तरक्की हो, कृषि उत्पादन में वृद्धि हो इस संकल्प को मन में रखकर जब कार्य करना प्रारम्भ किया तो कृषि की उत्पादकता बढ़ाने के लिए जो सबसे पहला काम है वह सिंचाई का प्रबन्ध है. गांवों में रहने वाले किसानों को समय पर सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता हो सके और पानी की उपलब्धता के आधार पर वह अपना काम ठीक तरीके से करके कृषि उत्पादन बढ़ा सकें, इस दृष्टि से पिछले वर्षों में सरकार ने जो काम किए, निश्चित रूप से वह बहुत प्रशसंनीय है और उनकी सर्वत्र प्रशंसा हुई है. हमारे प्रदेश की सरकार को और माननीय मुख्यमंत्री जी को चार-चार बार केन्द्र की सरकार ने कृषि कर्मण पुरस्कार प्रदान किया है उस कृषि कर्मण पुरस्कार को प्राप्त करने में जल संसाधन विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका रही है और जल संसाधन विभाग की भूमिका के कारण ही सिंचाई का रकबा बढ़ाये जाने के कारण से किसानों को सिंचाई के लिए अधिक से अधिक जल उपलब्ध कराने की दृष्टि से जो काम किया है उस कार्य के कारण से हमारे प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री जी को, मध्यप्रदेश की सरकार को कृषि कर्मण पुरस्कार चार बार प्राप्त हुआ है. यह बात सब लोगों को विदित है. इसका उल्लेख बार-बार आता भी है कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के पहले जो सिंचाई का रकबा साढ़े सात लाख हेक्टेयर हुआ करता था, उस सिंचाई के रकबे को बढ़ाकर 37 लाख हेक्टेयर तक लाने का काम मध्यप्रदेश की सरकार ने किया है. मैं माननीय जल संसाधन मंत्री जी को बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहता हॅूं उनके प्रति क्षेत्र के किसानों की ओर से कृतज्ञता भी प्रकट करना चाहता हॅूं कि बहुत अच्छे प्रयत्नों के कारण से यह जो सिंचाई का रकबा बढ़ा है और सरकार लगातार इसके लिए अधिक से अधिक बजट उपलब्ध कराने का जो काम कर रही है उसके लिए हमारे सिंचाई मंत्री.....
5.40 बजे {उपाध्यक्ष महोदय (डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए}
श्री दुर्गालाल विजय- .........और हमारे मध्यप्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री जी बधाई के पात्र हैं. माननीय उपाध्यक्ष महोदय,वर्तमान समय में 9850 करोड़ रुपये का प्रावधान इस बजट में वर्ष 2017-18 की सिंचाई परियोजनाओं के लिए किया है. अभी कहा जा रहा था कि बजट को बार-बार घटाया जा रहा है लेकिन जो केवल हवा में भाषण करके चले जाते हैं, अंदर तक पढ़ते नहीं हैं उनको जानकारी होती नहीं है. सिंचाई का बजट भी 1 हजार 327 करोड़ इस वर्ष बढ़ाया गया है. इसके पहले 8613 करोड़ रुपये का बजट का प्रावधान हमारे सिंचाई विभाग के लिए और विभिन्न परियोजनाओं के लिए हुआ करता था और वर्तमान समय में इस बजट को बढ़ाने का उद्देश्य यह है कि सिंचाई का रकबा और बढ़े, कृषि की उत्पादकता बढ़े और इसके कारण सरकार ने यह भी संकल्प ले रखा है कि वर्ष 2025 तक इस रकबे को बढ़ाकर 60 लाख हेक्टेयर कर दिया जाएगा. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जहाँ साढ़े 7 लाख हेक्टेयर सिंचाई का रकबा बहुत वर्षों से हुआ करता था, राजाओं के जमाने, अंग्रेजों के जमाने और उसके बाद कांग्रेस की सरकार के जमाने में बहुत लंबे अर्से तक हम साढ़े 7 लाख हेक्टेयर सिंचाई का रकबा कर पाये लेकिन आज 37 लाख हेक्टेयर सिंचाई का रकबा 12 वर्षों में करने में यह सरकार सफल रही है वास्तव में सरकार को जितना धन्यवाद दिया जाये उतना कम है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, विभिन्न सारी परियोजनाओं के अंतर्गत जो सरकार के प्रयत्न हुए हैं चाहे वह चंबल का क्षेत्र हो, मालवा का क्षेत्र हो अथवा वह क्षेत्र जबलपुर या सागर का क्षेत्र हो या भोपाल का क्षेत्र हो, सभी जगह बहुत सारी अलग-अलग प्रकार की परियोजनायें प्रारंभ करके पानी को कहीं रोका गया,पानी को कहीं नहर के द्वारा आगे बढ़ाने का प्रयत्न किया गया, नदियों को जोड़ा गया. यह काम जो सरकार ने किया है वह वास्तव में बहुत ऐतिहासिक कार्य है. अभी नर्मदा-क्षिप्रा को लिंक करने का काम कुछ वर्ष पहले हुआ है. माननीय अटल जी ने जो आधार रखा था या उन्होंने जो कल्पना की थी कि नदियों को जोड़ने के माध्यम से हम अपने देश के अंदर सिंचाई के प्रबंध ठीक कर पाएंगे. पीने के पानी का ठीक से प्रबंध कर पाएंगे लेकिन वह योजना ठीक तरीके से समय पर क्रियान्वित नहीं हुई. मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आने के बाद माननीय शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्री बनने के बाद उस योजना को बहुत तेजी के साथ क्रियान्वित करने का काम किया गया और माननीय उपाध्यक्ष महोदय, करोड़ों-करोड़ जनता इस बात की साक्षी बनी, जब सिंहस्थ हमारे प्रदेश के अंदर हुआ उस समय पर नर्मदा का पानी क्षिप्रा में लाकर क्षिप्रा को प्रवाहित करने का जो कार्य किया और जो करोड़ों लोगों ने स्नान करने में अपने आपको धन्य समझा, मैं मध्यप्रदेश की सरकार को इसके लिए भी धन्यवाद देना चाहता हूं. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अगली नदियों को लिंक करने का बहुत तेजी के साथ प्रयास मध्यप्रदेश की सरकार कर रही है. केवल नदियों को लिंक करने का काम ही नहीं ऐसे स्थानों पर सिंचाई के स्त्रोतों को रोकने का, जहाँ पर पानी बेकार चला जाता है उन स्थानों पर ऐसी नदियों पर बड़े-बड़े स्टॉप-डेम बनाने का काम भी मध्यप्रदेश की सरकार ने अपने हाथ में लिया है. उन कामों को धीरे-धीरे कर के पूरा करने का प्रयत्न सरकार कर रही है और बहुत जल्दी हमारा यह प्रदेश इस मामले में श्रेष्ठ और सर्वश्रेष्ठ प्रदेशों के रूप में सामने आएगा और उससे निश्चित रूप से हमारा यह मध्यप्रदेश आगे बढ़ेगा और स्वर्णिम प्रदेश बन सकेगा. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जो पुराना स्ट्रक्चर था, बहुत सारी नहरें थीं,लंबे समय से बनी हुई थी लेकिन उनका मरम्मत और सुदृढ़ीकरण का काम ठीक से संभव नहीं हुआ और उसके कारण से किसानों को पानी लेते समय बहुत सारी कठिनाईयों का सामना करना पड़ा इसके कारण से सरकार ने उन नहरों में लाइनिंग करने का काम भी किया है और जो लाइनिंग करने का काम किया है उससे जल का प्रवाह भी ठीक से आगे बढ़ा है और बीच में नहरों का टूटना भी कम हुआ है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, लगभग 13 हजार 500 किलोमीटर क्षेत्र के अंदर लाइनिंग का काम सरकार ने सिंचाई विभाग के माध्यम से किया है और उसके कारण से लोगों को नीचे स्तर तक जिसको टेल पोर्शन कहते हैं, वहाँ तक पानी पहुँचने में सुविधा प्राप्त हुई है इस कार्य को और आगे बढ़ाने के लिए मध्यप्रदेश की सरकार और सिंचाई विभाग काम कर रहा है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सिंचाई हेतु जो जल है जिसको किसान के खेतों तक पहुँचना चाहिए, उसका अपव्यय न हो, उसमें रुकावट न आए, लोग उतना ही पानी लें जितने की आवश्यकता है, इसके लिए सरकार ने माइक्रो-इरिगेशन योजना जो प्रारंभ की है और पाइप से पानी ले जाकर फव्वारों के माध्यम से सिंचाई की जो व्यवस्था बनाई है इसके कारण भी निश्चित रूप से हमारे किसान इस योजना से लाभान्वित हुए हैं और पानी की बचत भी हुई है. अभी केन-बेतवा लिंक बहुउद्देशीय परियोजना की वैधानिक स्वीकृति की कार्यवाही तो हो गई है और इस काम को बहुत जल्दी हाथ में लेकर सरकार आगे बढ़ेगी, इसका लाभ भी निश्चित रूप से हमारे किसानों को होगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश की सरकार ने और जल संसाधन विभाग ने पेंच बांध का जो निर्माण कार्य किया है और उसमें पहली बार जो जल भराव किया है उस जल भराव के लिए मैं सरकार को बधाई देना चाहता हूँ, धन्यवाद देना चाहता हूँ कि लगभग 20 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में इससे सिंचाई संभव हुई है और आने वाले 2 वर्षों में लगभग 75 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इस पेंच परियोजना के लिए सवा दो सौ करोड़ रुपये का प्रावधान सरकार ने किया है और निश्चित रूप से इतने बड़े एरिए में जल का भराव होना, जल को रोकना और 75 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई का प्रबंध करना, इन सबके लिए भी माननीय सिंचाई मंत्री जी को बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहता हूँ.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आदिवासी क्षेत्र डिण्डोरी के अंतर्गत तीन मध्यम परियोजनाओं का कार्य तेज गति से चल रहा है, 245 करोड़ रुपये का प्रावधान इसके अंतर्गत किया गया है और इसमें खरबेयर, मुरकी और जलगाँव योजनाओं का कार्य बहुत जल्दी और शीघ्रता के साथ पूर्ण करने का सरकार का संकल्प है. जिन परियोजनाओं के माध्यम से किसानों के खेतों में पानी पहुँचेगा, ये कोई साधारण और सामान्य बात नहीं है, सैकड़ों वर्षों से लोगों ने जो अपेक्षाएँ की थीं और जो सोचा था और आजादी के बाद तो मध्यप्रदेश के विकास के लिए बहुत सारे सपने लोगों ने देखे थे और विचार किया था कि हमारे खेतों तक पानी आएगा लेकिन तत्कालीन सरकारें वे व्यवस्थाएं, वे प्रबंध नहीं कर पाईं, किसान देखता ही रहा, लेकिन आज जिन परिस्थितियों का निर्माण हुआ है, मैं धन्य मानता हूँ शिवराज सिंह चौहान जी को कि उनके मुख्यमंत्रित्वकाल में, प्रदेश के नेतृत्व करने के अवसर पर उन्होंने जिस प्रकार से सिंचाई और बिजली के क्षेत्र में ध्यान दिया है, इसके कारण कृषि उत्पादन बहुत तेजी से बढ़ा है और इसी कारण कृषि कर्मण पुरस्कार और अन्य बहुत सारे सम्मान मध्यप्रदेश की सरकार को और मध्यप्रदेश के किसानों को प्राप्त हो रहे हैं, वह इसी का परिणाम है और बजट में यह जो प्रावधान किए हैं निश्चित रूप से हमारा यह प्रदेश उनसे लाभान्वित होगा और जो सपना माननीय मुख्यमंत्री जी का है कि प्रदेश स्वर्णिम प्रदेश बने और इसमें चार चांद लगे, सिंचाई निश्चित रूप से प्रदेश में चार चांद लगाने में सफल होगी.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, बाणसागर परियोजना के अंतर्गत 1 लाख 70 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में हो रही सिंचाई से कृषकों को जो लाभ मिला है वह किसी से छुपा नहीं है और सिंहावल नहर, पूरवा नहर, चोटी नहर, आर.बी.सी. एवं भीतरी नहरों का जाल बिछाकर लगभग 800 गाँवों में पानी पहुँचाने का काम जल संसाधन विभाग ने, हमारे माननीय मंत्री जी ने, मध्यप्रदेश की सरकार ने किया है. इसके अलावा त्यौंथर, बहा और बहुति नहरों में भी तेजी से काम चल रहा है और जब ये काम पूरे होंगे तो बहुत फायदा होगा. बाणसागर जलाशय में मध्यप्रदेश के हिस्से के जल का पूर्ण उपयोग करने के लिए दो वृहद परियोजनाएँ भी संचालित की जा रही हैं, नईगढ़ी और रामनगर परियोजनाओं की स्वीकृति हो गई है और ये योजनाएँ शीघ्र ही प्रारंभ होंगी, यह विश्वास तो है ही और इसका लाभ भी जल्दी ही प्राप्त होगा.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - माननीय उपाध्यक्ष महोदय मैं इतना कह रहा था कि इतनी तथ्यात्मक बात आदरणीय सदस्य महोदय द्वारा की जा रही है. माननीय डॉ. नरोत्तम मिश्र जी इस विभाग का नेतृत्व कर रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय- आप बैठ जाईये.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एक मिनट मैं छोटा ठाकुर हॅूं, डॉ. गोविन्द सिंह जी बड़े ठाकुर हैं.
डॉ. गोविन्द सिंह – (XXX) अब आप कृपया करके बैठ जाएं.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - माननीय उपाध्यक्ष महोदय इसे विलोपित करवा दें.
उपाध्यक्ष महोदय - इसको रिकार्ड से निकाल दें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - आप बगल में खड़े हो, आप छोटे ठाकुर कैसे हो, यह बताएं ?
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - मैं हाईट में बड़ा हूं और अनुभव में वह बड़े हैं. मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूं कि इतनी गंभीर और इतनी तथ्यात्मक बात माननीय दुर्गालाल विजय जी सदन में रख रहे हैं. प्रतिपक्ष की तरफ से जो ओपनर थे ...(व्यवधान)
डॉ. गोविन्द सिंह - जो बोल रहे हैं वह सब किताब में लिखा है, कोई नई बात बताएं.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - कभी-कभी बात सुनना भी चाहिए.
डॉ. गोविन्द सिंह - आपका बांध टूट गया उसके बारे में आप कुछ नहीं बोल रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय - आपने ओपनर को पहले ही आउट कर दिया है, वह पवेलियन में चले गये हैं (हंसी)
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - माननीय उपाध्यक्ष महोदय वह तो पता नहीं अपनी कौन-कौन से बात कहकर चले गये हैं.
डॉ. गोविन्द सिंह - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इनके प्रतिवेदन में लिखा है कि 28 लाख 90 हजार हेक्टेयर और आप 33 लाख हेक्टेयर बोल रहे हैं, आप कहां से पढ़कर आये हैं ? (हंसी)...
श्री दुर्गालाल विजय - मैंने पढ़कर नहीं बोला है. (हंसी)... माननीय उपाध्यक्ष महोदय मैंने आज सुबह भी निवेदन किया था कि डॉक्टर साहब कभी सच बोलते नहीं है और डॉक्टर साहब सच सुनने के आदी भी नहीं है. डॉक्टर साहब में दोनों ही बाते नहीं है. (हंसी)...
डॉ. गोविन्द सिंह - आप खाना खाते वक्त कह रहे थे कि हमारा बांध टूट गया है (हंसी)...
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XXX : आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
श्री दुर्गालाल विजय - मैं उससे मना नहीं कर रहा हॅूं.
डॉ. गोविन्द सिंह - अच्छा आप भगवान की कसम खा लें. (हंसी)...
उपाध्यक्ष महोदय - डॉ. गोविन्द सिंह जी क्या यह आपने श्री यादवेन्द्र सिंह जी से सीख लिया है ? (हंसी)...
डॉ. गोविन्द सिंह - शिवपुर में नहर टूटने से कम से कम साढे़ पांच सौ गांव में किसानों की फसल बर्बाद हो गई है. यह नहर आपके क्षेत्र में टूटी है.
उपाध्यक्ष महोदय - श्री दुर्गालाल विजय आप समाप्त करें.
श्री दुर्गालाल विजय - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय उपाध्यक्ष महोदय, प्रदेश के बहुत सारे इलाकों में जैसे भोपाल संभाग,मालवा, बुंदेलखंड और चंबल अंचल में भी जो काम सरकार के द्वारा किये जा रहे हैं, वह वास्तव में प्रशसंनीय है.
श्री बाला बच्चन - आप कुछ मंत्री जी के लिये भी छोड़ दीजिये. बाकी जो रह जायेगा उस पर मंत्री जी बोलेंगे.
श्री दुर्गालाल विजय - मैं छोड़ दूंगा. मैं समझ रहा हूं कि सब जाना चाहते हैं. (हंसी)..
उपाध्यक्ष महोदय - आप आपस में पूछताछ न करें, आप समाप्त करें.
श्री दुर्गालाल विजय - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं दो बात कहकर समाप्त कर रहा हूं. अभी जनसंपर्क विभाग की बात आई थी. जनसंपर्क विभाग की जो जिम्मेदारी, जो काम है और जिस लक्ष्य और उद्देश्य को लेकर इस विभाग का गठन किया गया है, उसके अनुसार उस विभाग को कार्य तो करने ही होंगे. यह भी स्वाभाविक बात है कि जो प्रदेश का मुखिया है और जिनके नेतृत्व में काम हुआ है और जिनके संकल्पों से मध्यप्रदेश आगे बढ़ रहा है, निश्चित रूप से उनके बारे में विभाग भी लिखेगा और उसके बारे में उस पर चर्चा भी होगी और उसका प्रावधान भी किया जायेगा.
उपाध्यक्ष महोदय - अब आप समाप्त करें.
श्री दुर्गालाल विजय - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अपने क्ष्ोत्र की एक दो बात कहकर समाप्त कर रहा हूं. पहली बात यह है कि हमारे क्षेत्र में एक परियोजना की मंजूरी के लिये काफी समय से लंबित है, उसके लिये जल संसाधन विभाग ने तैयारी भी ठीक की है. माननीय मंत्री जी मेरे गुरू भाई है और मुझसे बहुत स्नेह रखते हैं. वैसे भी माननीय मंत्री जी को कार्य में बहुत दक्षता और सक्षमता है, मैं उनसे निवेदन करूंगा कि हमारी मूजरी बांध परियोजना को जल्दी स्वीकृति प्रदान करवाएं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, दूसरा बात यह है कि एक पार्वती लिफ्ट ऐरीगेशन योजना है, उसके बारे में भी मैंने माननीय मंत्री जी से निवेदन किया था कि दोनों योजनाओं के बारे में विचार करके उसको शीघ्र स्वीकृति प्रदान करा दें. एक बात और निवेदन करना चाहता हूं और माननीय मंत्री जी के ध्यान में लाना चाहता हूं कि अभी यह जो हमारी चंबल नहर है, उस चंबल नहर में 120 मीटर में ब्रेक आ गया था. मध्यप्रदेश की सरकार और माननीय मंत्री तो बहुत अच्छा नीचे तक सिंचाई का प्रबंध करना चाहते हैं, लेकिन नीचे के अधिकारियों की लापरवाही के कारण और उनकी निष्क्रियता के कारण से यह घटना घटित हुई. माननीय उपाध्यक्ष महोदय लगभग दिसंबर के महीने में अधिकारियों की जानकारी में ग्रामवासियों ने लाया था कि नहर में पानी रिसाव हो रहा है, इसका कोई प्रबंध करिये लेकिन उन्होंने कोई प्रबंध किया नहीं, फिर 6 जनवरी, 2017 को जन सुनवाई में कलेक्टर को भी उन्होंने लिखकर दिया कि वहां रिसाव ज्यादा हो रहा है, उसको रोक दें नहीं तो कई गांवों की फसलें डूबेंगी. लेकिन उसके बाद भी कोई ध्यान नहीं दिया. सिंचाई विभाग के कार्यपालन यंत्री को भी लिखकर दिया था, उसकी प्राप्ति भी है. लेकिन अकर्मण्यता के कारण, ध्यान नहीं दे पाने के कारण से लगभग 2 गांवों के 200-250 किसानों की फसलें जल मग्न हो गई और किसानों को बहुत कठिनाई आई. विभाग को भी दिक्कत आई. माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि उन किसानों के लिए भी थोड़ा प्रबंध करा देंगे तो बहुत अच्छा रहेगा और आप बहुत दयालु हैं, कृपालु हैं, उन पर भी कृपा कीजिए. 8-10 दिन में किसानों के हाथ में थाली आने ही वाली थी, लेकिन उनके हाथ से वह चली गई. उपाध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि उनको कुछ राहत मिलना चाहिए, बहुत अच्छा पका हुआ गेहूं उनके हाथ से निकल गया. उपाध्यक्ष महोदय, बहुत-बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय - विधान सभा की कार्यवाही मंगलवार, दिनांक 21 मार्च, 2017 को प्रातः 11.00 बजे तक के लिए स्थगित.
अपराह्न 5.56 बजे विधान सभा की कार्यवाही मंगलवार, दिनांक 21 मार्च, 2017 (30 फाल्गुन, 1938) के प्रात: 11.00 बजे तक के लिए स्थगित की गई.
भोपाल, अवधेश प्रताप सिंह
दिनांक : 20 मार्च, 2017 प्रमुख सचिव,
मध्यप्रदेश विधानसभा