मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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पंचदश विधान सभा द्वितीय सत्र
फरवरी,2019 सत्र
बुधवार, दिनांक 20 फरवरी, 2019
(1 फाल्गुन, शक संवत् 1940 )
[खण्ड- 2 ] [अंक- 2 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
बुधवार, दिनांक 20 फरवरी, 2019
(1 फाल्गुन, शक संवत् 1940 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.07 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) पीठासीन हुए.}
औचित्य का प्रश्न एवं अध्यक्षीय व्यवस्था
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)--माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रदेश में अभूतपूर्व संवैधानिक संकट उत्पन्न हो गया है. संवैधानिक संकट इस तरह से है कि हमारे माननीय मंत्रि-मंडल के सदस्य हैं उन्होंने संविधान की शपथ, पद तथा गोपनीयता की शपथ लेकर इन्होंने मंत्री पद ग्रहण किया है. विधान सभा में प्रश्नों के उत्तर इनके विभाग के लोग तैयार करते हैं उसका उत्तर यह लोग देते हैं. कल देखने में यह आया है कि तीन चार मंत्रियों के प्रश्नों के उत्तर थे उनके बारे में संविधान से इतर व्यक्तियों ने हस्तक्षेप करने का प्रयास किया है और उन्होंने मंत्रियों को बुलाकर डांटा और यह कहा कि पी.सी.सी. से उत्तर तैयार होकर के जायेंगे उसके बाद आप उसको एप्रूव करेंगे, क्या यह सही है? अध्यक्ष महोदय.
अध्यक्ष महोदय--गोपाल भाई आप विराजिये.
श्री गोपाल भार्गव--माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बहुत गंभीर विषय है. यह विशेषाधिकार तो है, विशेषाधिकार का उल्लंघन है. डॉ. गोविन्द सिंह जी मैं अपनी बात पूरी कर लूं.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ.गोविन्द सिंह)--माननीय अध्यक्ष महोदय, यह सूचना समाचार पत्र या किसी ने भी आपको सूचना दी है तो गलत सूचना दी गई है. वहां पर न तो कोई मीटिंग हुई है, न ही पी.सी.सी. में कोई बैठा है, न ही इस प्रकार की कोई बात हुई है.
श्री गोपाल भार्गव--(XXX) माननीय अध्यक्ष महोदय, यह प्रश्नकाल से जुड़ा हुआ मामला है.
अध्यक्ष महोदय--माननीय नेता प्रतिपक्ष जी मैं समझ रहा हूं. यह रिकार्ड में नहीं आयेगा.
श्री गोपाल भार्गव--माननीय अध्यक्ष महोदय, इस कारण से मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं. माननीय सदन के नेता माननीय मुख्यमंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं. इस बारे में पहले से कोई व्यवस्था है. पहले तो मैं यह कहूंगा कि यदि कोई उत्तर सही नहीं आया है तो उसका संशोधन भी दे सकते हैं. लेकिन संविधान का इत्तर व्यक्ति बुलाकर यदि कमरे में बुलाकर यदि डाटेंगे और यदि कहेंगे तो मैं मानकर चलता हूं कि वह मंत्री के पहले सदस्य भी हैं.
श्री लक्ष्मण सिंह --माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा व्यवस्था का प्रश्न है. जो व्यक्ति इस सदन का सदस्य नहीं है. उसका सदन में नाम लेना असंवैधानिक है.
श्री गोपाल भार्गव--यह मैं वापस लेता हूं.
डॉ.गोविन्द सिंह-- जब वहां डांट रहे थे तो आप वहां पर क्या मौजूद थे क्या ? आप कह रहे हैं कि डांटा तो आप वहां पर क्या कर रहे थे.
अध्यक्ष महोदय-- मैं खड़ा हुआ हूं.
श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन सुन लीजिये. मंत्री सकते में हैं, मंत्री भौचक हैं. हाउस में एक उत्तर आ गया है, और हाउस के बाहर मंत्री को डांटा जा रहा है.
डॉ. गोविन्द सिंह - अध्यक्ष महोदय, इस तरह का रवैया उनकी पार्टी का कार्य है. कांग्रेस पार्टी पूरी प्रजातांत्रिक पार्टी है.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, बाहर मंत्री कह रहे हैं उत्तर सही नहीं था, अंदर कह रहे सही था. यह कैसी व्यवस्था है. यह अभूतपूर्व स्थिति है. ऐसी स्थिति कभी आज तक उत्पन्न नहीं हुई और एक नहीं चार-चार मंत्रियों के विभागों के प्रश्नों के बारे में.
अध्यक्ष महोदय - मैंने आपको सुन लिया.
डॉ गोविन्द सिंह - अध्यक्ष महोदय, यह पूर्णत: असत्य है.
डॉ नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, एक एक करके सुन लेते हैं, दोनों का उत्तर साथ साथ आ रहा है.
अध्यक्ष महोदय - मैं अब खड़ा हूं, आप लोग बैठ जाए.
डॉ नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, आपने आदेश किया तो मैं बैठ गया हूं.
अध्यक्ष महोदय - हम परम्पराओं का निर्वहन करें, अभी मैं खड़ा हूं. कृपया आप बैठने का कष्ट करें. नरोत्तम जी मैंने बोला था, दो में से किसी एक को सुनूं, मैंने एक को सुन लिया.
डॉ नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, आप सुन लेते उसके बाद आप व्यवस्था दे देते. अध्यक्ष जी, आप तो सर्वशक्तिमान है. आपकी बात मानेंगे हम. हमारी सिर्फ व्यवस्था सुन लीजिए.
अध्यक्ष महोदय - आप मेरी बात तो सुनिए, एक मिनट, एक मिनट बैठिएगा. मैंने नेता प्रतिपक्ष को सुना. प्रश्नकाल के पहले वैसे सुना नहीं जाता है. प्रश्नकाल ही शुरू किया जाता है, लेकिन उन्होंने बात उठाई, मैंने सुनी. संसदीय मंत्री ने अपनी बात कही. अब मैं आप सबसे अनुरोध करता हूं, कृपापूर्वक अब प्रश्नकाल चलने दें.
डॉ नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, यह सच है कि प्रश्नकाल में नहीं उठाया जाता. प्रश्नकाल में व्यवस्था का प्रश्न ही नहीं उठाया जाता, लेकिन आप सर्वाधिकार सुरक्षित है. आपकी अनुमति से नेता प्रतिपक्ष बोले हैं. मैं आपकी अनुमति से कह रहा हूं कि मेरे प्रश्न को भी सुनिए.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्नकाल के बाद.
डॉ नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, नियम प्रक्रिया को तो सुन लीजिए. हमें आप प्रश्नकाल के बाद इस विषय पर बोलने देंगे?
अध्यक्ष महोदय - नरोत्तम जी, प्रश्नकाल में कोई विषय नहीं उठाया जाता.
डॉ नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, यह सच है लेकिन क्या प्रश्नकाल के बाद शून्यकाल में इस विषय पर हमें बोलने की अनुमति देंगे?
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, इसका उत्तर अभी इसलिए आना मौजूं है क्योंकि प्रश्नकाल शुरू हो रहा है और यह प्रश्नकाल से ही जुड़ा हुआ विषय है और मैं विनम्र निवेदन करता हूं कि आप देखिए मंत्रीगण ने जो शपथ ली है यह संवैधानिक व्यवस्था है. अध्यक्ष महोदय, मैं अमुक ईश्वर की शपथ लेता हूं सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान करता हूं कि हम विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा एवं निष्ठा रखूंगा एवं भारत की प्रभुता एवं अखंडता अक्षुण रखूंगा.
वित्त मंत्री(श्री तरूण भनोत) - माननीय भार्गव जी, आप अनुमति से बोल रहे हैं. (व्यवधान)
लोक निर्माण मंत्री (श्री सज्जन सिंह वर्मा) - माननीय अध्यक्ष महोदय, बार बार रिपीट हो रहा है. बार बार एक बात को रिपीट करके सदन का समय नष्ट किया जा रहा है. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी, इस संबंध में अपनी बात स्पष्ट कर चुके हैं. कृपापूर्वक अब सदन को चलने दें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, मैं बात की बात नहीं कर रहा हूं, मैं बात कर रहा हूं कि मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया, इस विषय को लेकर मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया. अकेले मंत्रियों की बात नहीं है. मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया और उन्होंने ने भी इस विधानसभा के प्रश्न का उन्होने भी खंडन किया है. यह हमारा विशेषाधिकार है, अगर हम असत्य कहेंगे तो हम कहेंगे, अगर हम सत्य कहेंगे तो हम कहेंगे. अगर इस प्रदेश का मुख्यमंत्री ट्वीट करके यह बात कहते हैं तो यह बहुत गंभीर संवैधानिक संकट है. अध्यक्ष जी, हम मंत्रियों की बात नहीं कर रहे हैं, हम मुख्यमंत्री की बात कर रहे हैं. आप उसको गंभीरता से लीजिए, आप इस संवैधानिक संस्था के सर्वोच्च है. आपसे मेरी प्रार्थना है. मैं नियम प्रक्रिया की बात कर रहा हूं. अध्यक्ष जी हम विशेषाधिकार भंग की सूचना देंगे, मुख्यमंत्री के खिलाफ भी और दिग्विजय सिंह जी के खिलाफ भी. हम आज सूचना देंगे आपको विशेषाधिकार भंग की. आप सूचना ग्राह्य करेंगे? हम मुख्यमंत्री के खिलाफ विशेषाधिकार भंग की सूचना देंगे आप ग्राह्य करेंगे?
अध्यक्ष महोदय - नहीं. (व्यवधान)
पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री (श्री आरिफ अकील) - माननीय अध्यक्ष महोदय पर आप दबाव डाल रहे हो. (व्यवधान)
डॉ. गोविन्द सिंह - आपको विशेषाधिकार का अधिकार है, दीजिए न आप, आपको जवाब मिल जाएगा, दीजिए न आप, कौन रोक रहा आपको. (व्यवधान)
श्री सोहनलाल बाल्मीक - अध्यक्ष जी, ये जबर्दस्ती की बात कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - नरोत्तम जी, आपकी बात आ गई न.
डॉ नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, मेरी बात नहीं आई, आप अनुमति तो दें.
अध्यक्ष महोदय - एक तो प्रश्नकाल में आपको बुला लिया. आप मेरी बात कृपापूर्वक समझिएगा. मैंने केवल गोपाल भार्गव जी को परमीशन की थी.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, यह उससे जुड़ा हुआ विषय था.
अध्यक्ष महोदय - मेरी बात सुन लीजिएगा. यह होगा, मैंने आपसे कृपापूर्वक कहा एवं आपको सुना, स्नेहपूर्वक सुना. आपको विधिवत् मौका दिया और मैं आपसे प्रार्थना कर रहा हूँ कि जो विद्यमान नियम-प्रक्रियाएं हैं. अब कृपया प्रश्नकाल चलने दीजिए. जो मुझे सुनना था, मैंने सुन लिया. यह हस्तक्षेप का ज्यादा कारण नहीं है.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, मैं आपका बहुत आभारी हूँ लेकिन विषय ऐसा था.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्नकाल को बाधित न करें. अब मैं किसी को अनुमति नहीं दे रहा हूँ.
श्री गोपाल भार्गव - आप मेरे ही नहीं, यहां के भी संरक्षक हैं. आप माननीय मंत्रियों को संरक्षण देते हैं और हमें भी देते हैं.
अध्यक्ष महोदय - आप मेरी बात सुनिये. वैसे भी समाचार के आधार पर कोई चर्चा नहीं होती है. उसके बाद भी मैंने कृपापूर्वक आपको सुना. प्रश्नकाल चलने दें.
डॉ. नरोत्तम मिश्रा - वैसे भी यहां प्रश्नकाल हो कहां रहा है ? (XXX)
डॉ. नरोत्तम मिश्रा - माननीय अध्यक्ष महोदय, विधानसभा के बाहर प्रेस वार्ता बुला रहे हैं.
श्री सोहनलाल बाल्मीक - अध्यक्ष महोदय, कार्यवाही को आगे बढ़ाएं.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - प्रश्नकाल बाधित करना जनता का अपमान है.
श्री तरुण भनोत - अध्यक्ष महोदय, सदन के नेता खड़े हैं. सब बैठ जाइये.
मुख्यमंत्री (श्री कमलनाथ) - माननीय अध्यक्ष जी, मैं समझ रहा हूँ कि मेरे साथी क्या कह रहे हैं ? बहुत दिनों के बाद इन्हें विपक्ष में बैठने का मौका मिला है (मेजों की थपथपाहट). आपकी यात्रा सुखद एवं लम्बी रहे, मैं यह कामना करता हूँ. मुझे संविधान की समझ है, आवश्यकता नहीं है कि कोई मुझे संविधान का पाठ पढ़ाए. मैं तो बड़ी गम्भीरता से संविधान को लेता हूँ, अपने राजनीतिक जीवन में संविधान का हम सबने केवल शपथ ही नहीं ली बल्कि सम्मान किया है तो संवैधानिक बात और संविधान का पाठ मुझे कोई पढ़ाए, इसकी आवश्यकता नहीं है. जो यह बात उन्होंने उठाई तो यह गैर संवैधानिक है. मैं इसे बिल्कुल स्वीकार नहीं करता हूँ क्योंकि यह अखबारों की खबरों और टिप्पणियों में, इन सबके आधार पर इस सदन की गंभीरता हम सबका कर्तव्य है. हम सबका कर्तव्य है कि हम मध्यप्रदेश की विधानसभा को पूरे देश में उदाहरण बनाएं, जो हम देखते हैं और सब प्रदेशों में क्या हो रहा है ? हम उन सबकी नकल न करें. हम अपना उदाहरण बनाएं, यही मेरी आप सबसे प्रार्थना है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, यह सही है कि मुख्यमंत्री जी को संविधान की समझ है. बहुत लम्बा राजनीतिक अनुभव है. मैं अखबार की कटिंग की नहीं, ट्वीट की बात कर रहा हूँ. जो उन्होंने ट्वीट किया है, मैं उसकी बात कर रहा हूँ.
(....व्यवधान....)
श्री तरुण भनोत - अध्यक्ष महोदय, ये प्रश्नकाल बाधित कर रहे हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, ये अपनी बात से मुकर रहे हैं.
(....व्यवधान....)
अध्यक्ष महोदय - माननीय नरोत्तम जी, आप अनुभवी व्यक्तित्व के धनी हैं, आप नियमों-प्रक्रियाओं से ओत-प्रोत रहे हैं. आप कृपापूर्वक अब अध्यक्ष महोदय की आसंदी को सहयोग करें. प्रश्नकाल चलने दें ताकि जिन माननीय विधायकों ने प्रश्न लगाए हैं, उनकी बातें सदन में आने दें, आप सभी से अनुरोध है.
डॉ. सीतासरन शर्मा - अध्यक्ष महोदय, प्रश्न का उत्तर यहां से आएगा कि वहां से आएगा. यह बता दें. प्रश्न तो पूछ लेंगे, उत्तर कहां से आएगा ?
11.19 बजे तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
प्रश्न संख्या.1- अनुपस्थित
प्रश्न संख्या.2- अनुपस्थित
पन्ना में शास. इंजीनियरिंग महाविद्यालय की स्थापना
[तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास एवं रोज़गार]
3. ( *क्र. 225 ) श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शासन द्वारा जिला मुख्यालय पन्ना एवं रायसेन में नवीन शासकीय इंजीनियरिंग महाविद्यालय खोले जाने के आदेश प्रसारित किये हैं? (ख) यदि हाँ, तो पन्ना में शासकीय इंजीनियरिंग महाविद्यालय कब से प्रारंभ हो जायेगा? शैक्षणिक कार्य किस शिक्षा सत्र से प्रारंभ होगा एवं कौन-कौन से संकाय महाविद्यालय में स्वीकृत किये गये हैं?
मुख्यमंत्री ( श्री कमलनाथ ) : (क) जी हाँ। (ख) समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने एक इंजीनियरिंग कॉलेज को जिसके संबंध में मंत्रिपरिषद से एक निर्णय हुआ था और उसी के तहत माननीय गर्वनर जी ने इंजीनियरिंग कॉलेज के लिये आदेश प्रसारित किये थे उसमें उन्होंने यह तो स्वीकार किया है कि यह आदेश हुये थे लेकिन समय सीमा बताना संभव नहीं है यह माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब है. मैं यह चाहता हूं कि मुख्यमंत्री कोई भी रहे यदि उनकी कोई घोषणायें हैं और गर्वनर के ऐसे आदेश हुये हैं तो यदि आप उसकी समय सीमा नहीं बतायेंगे तो कौन बतायेगा ? इसलिये मैं माननीय मुख्यमंत्री जी से पूछना चाहता हूं आप इसकी समय सीमा निश्चित करे कि कितने समय के अंदर इसको संचालित करेंगे ?
गृह मंत्री( श्री बाला बच्चन) - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी ने जो प्रश्न पूछा है मैं आपके माध्यम से माननीय विधायक जी की जानकारी में लाना चाहता हूं कि आपने रायसेन और पन्ना में शासकीय इंजीनियरिंग महाविद्यालय खोलने से संबंधित जो प्रश्न पूछा है, उस संबंध में मैं आपके माध्यम से बता देना चाहता हूं कि 04 अक्टूबर, 2018 को इसकी एक सैद्धांतिक स्वीकृति पूर्व की सरकार ने दी है और उसके दो दिन बाद में आचार संहिता लग गई थी, अब यह प्रश्न आ गया है, इसकी डी.पी.आर. तैयार होना है, प्रशासकीय अनुमोदन लगना है फिर मंत्रिपरिषद की जो स्वीकृति होना है इस प्रकार इसमें जितना जो भी वक्त लगेगा उसके बाद हम जो पूर्व की सरकार ने जैसा प्रस्ताव किया है, उसके अनुसार हम आपकी भी भावनाओं को ध्यान में रखते हुये इस पर अगली कार्यवाही करेंगे और अतिशीघ्र महाविद्यालय खोलेंगे.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, जो शीघ्र की बात है उसकी समय सीमा निश्चित कर दी जाये क्योंकि यह छात्र, छात्राओं का मामला है और आजकल वैसे भी शैक्षणिक क्षेत्र में सभी सरकारें ध्यान दे रही हैं, इसलिये आप इसकी समय सीमा तय कर दें.
श्री बाला बच्चन - माननीय विधायक जी, आप भी पूर्व मंत्री रहे हैं, मैंने जितनी प्रक्रिया से आपको अवगत करवाया है और बताया है, इसमें जो समय लगना है, उसके अनुसार हम इसको स्वीकृत करेंगे और अतिशीघ्र करेंगे.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह - आप अतिशीघ्र की समय सीमा तय कर दें.
श्री बाला बच्चन - अतिशीघ्र का मतलब आने वाले समय में.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, आने वाले समय में नहीं आप एक समय सीमा तय करा दें कि आप कितने समय के अंदर यह कर पायेंगे ?
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी, आपकी प्रक्रिया लगभग कब तक पूरी हो जायेगी ?
श्री बाला बच्चन - माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा माननीय विधायक जी चाहते हैं मैं उस संबंध में यह अवगत करा देना चाहता हूं कि पूरे मध्यप्रदेश में शासकीय और अशासकीय सब मिलाकर 160 इंजीनियरिंग कॉलेज हैं और 62 हजार विद्यार्थियों के एडमीशन होना था परंतु मात्र 29 हजार विद्यार्थियों के एडमीशन हुये हैं, इस प्रकार इस पूरी रिपोर्ट की जानकारी सरकार के पास आ जाये, क्योंकि बहुत सारे इंजीनियरिंग कॉलेज लगभग 50 प्रतिशत इंजीनियरिंग कॉलेजों में और पॉलीटेक्निक कॉलेजों में एडमीशन नहीं हो रहे हैं, इन तमाम पहलुओं को ध्यान में रखते हुये, और इस बात को ध्यान में रखते हुये कि आचारसंहिता लगने के दो दिन पहले पूर्व की सरकार ने जो इसकी सैद्धांतिक स्वीकृति दी है हम इसको डी.पी.आर. बनाकर प्रशासकीय अनुमोदन लेकर मंत्रिपरिषद से स्वीकृति लेने में जितना समय लगेगा, हम अतिशीघ्र महाविद्यालय खोलेंगे.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सिर्फ पन्ना की बात कर रहा हूं मैं बाकी जहां एडमीशन खाली हैं, वहां की बात नहीं कर रहा हूं. पन्ना में आज भी ओवर क्राउड चल रहा है और वहां पर एडमीशन हो रहे हैं इसलिये मैं चाहता हूं कि एक समय सीमा तय की जाये नहीं तो यह तो काल्पनिक बातें हैं क्योंकि अगर यह समय सीमा तय नहीं करेंगे तो आप कभी भी करते रहें, यह तो कोई निश्चित बात नहीं हुई.
श्री बाला बच्चन - मेरे पास पन्ना की भी जानकारी है मैं आपकी जानकारी में लाना चाहता हूं कि पन्ना के आसपास जो इंजीनियरिंग कॉलेज हैं जैसे छतरपुर है, सतना है, रीवा है, नौ गांव है और दमोह है इस प्रकार 20 इंजीनियरिंग कॉलेज है और 5110 प्रवेश होना था, उसमें से मात्र 2138 विद्यार्थी ने एडमीशन लिये हैं.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह - अभी पन्ना में तो इंजीनियरिंग कॉलेज खुला भी नहीं है मैं तो यह कह रहा हूं. माननीय मंत्री महोदय आप उसे खोलने की समय सीमा तय कर दें, जब खुला ही नहीं है तो एडमीशन कैसे चालू होंगे ?
श्री बाला बच्चन - अतिशीघ्र करेंगे.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह - अतिशीघ्र की कोई परिभाषा नहीं है. मेरा यह कहना है कि आप उसकी समय सीमा एक साल, दो साल, छ: माह आप क्या तय कर रहे हैं. (व्यवधान).......
अध्यक्ष महोदय - अब आप बैठ जायें प्रश्न क्रं-4 श्री संजीव सिंह(संजू).
श्री रामपाल सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, रायसेन का भी इसमें मामला है आप समय सीमा बता दें.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, आप इसकी समय सीमा तय करवायें, यह मैं आपसे आग्रह कर रहा हूं और मैं आपका संरक्षण चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय - आप इस संबंध में माननीय मंत्री जी से अलग से जाकर चर्चा कर लें.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह - अलग से कोई बात नहीं होगी जब यहां पर नहीं कर रहे हैं तो अलग से क्या चर्चा करेंगे.
अध्यक्ष महोदय - श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह जी आप बैठ जायें.
श्री रामपाल सिंह - आसंदी के निर्देश के बाद समय सीमा तो बताईयें मंत्री जी.
अध्यक्ष महोदय - देखिये मूल प्रश्नकर्ता खड़ा हुआ है, आप दोनों से प्रार्थना है कि बैठ जायें. श्री रामपाल जी आप व्यवस्था को सहयोग करें और मेहरबानी करें.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय आपसे प्रार्थना है कि एक समय सीमा निर्धारित करवा दें.
अध्यक्ष महोदय - माननीय विधायक जी मैंने आपको इशारा कर दिया है आप जाकर चर्चा कर लीजिये मेरा इशारा पर्याप्त है.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) - माननीय अध्यक्ष महोदय, एक शब्द हमेशा उपयोग होता है अतिशीघ्र. मैं सोचता हूं कि अब इस शब्द के लिये विधानसभा में माननीय ट्रेजरी की बैंचे जो हैं वह विचार करें.
श्री आरिफ अकील - माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने आईना दिखाया तो बुरा मान गये. (हंसी)
अध्यक्ष महोदय - ठीक बात है, ठीक बात है आरिफ भाई बिल्कुल ठीक बोल रहे हैं.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय एक व्यवस्था आसंदी से दे दें.
अध्यक्ष महोदय - क्या करें गोपाल भाई आप लोग भी सब मंत्री रहे हो आप लोग भी यही शब्द उपयोग करते रहे हो.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, इसीलिये मैं ऐसा कह रहा हूं कि कुछ शब्द ऐसे होते है जो हर जगह उपयोग होते हैं मैं चाहता हूं कि ऐसे शब्दों का विधानसभा में उपयोग न किया जाये.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अतिशीघ्र का मतलब अगले सत्र के पहले हो जायेगा कि नहीं हो जायेगा.
खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण,मंत्री(श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर) माननीय अध्यक्ष महोदय,जब इनकी सरकार थी तब इन्होंने मुझे आश्वासन दिया था कि जे.सी. मिल के श्रमिक और मजदूर जो भूख से चिल्ला रहे हैं उनको गरीबी की रेखा के कार्ड बनाये जायेंगे, अध्यक्ष महोदय आज तक उस पर अमल नहीं हो पाया है.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय तोमर जी भूल गये हैं कि अब यह मंत्री हैं.
अध्यक्ष महोदय- अरे कोई बात नहीं, होता है.
जिला भिण्ड में सैनिक स्कूल की स्थापना
[सामान्य प्रशासन]
4. ( *क्र. 114 ) श्री संजीव सिंह (संजू) : क्या सामान्य प्रशासन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारा मुख्यालय भिण्ड में सैनिक स्कूल खोले जाने की घोषणा की गई थी? यदि हाँ, तो कब एवं इस संबंध में क्या-क्या कार्यवाही पूर्ण कर ली गई? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में क्या भिण्ड मुख्यालय के करीब ग्राम डिडि में सरकार द्वारा सैनिक स्कूल के लिए भूमि आरक्षित की गई है? यदि हाँ, तो विवरण सहित बतावें? यदि नहीं, तो भिण्ड जिले में किस स्थान पर भूमि चयनित कर आरक्षित की गई? भूमि रकबा सहित कितनी भूमि आरक्षित की गई? (ग) क्या औद्योगिक क्षेत्र जहां प्रदूषण का स्तर काफी ज्यादा होता है, ऐसे वातावरण में सैनिक स्कूल जैसा संस्थान खोला जा सकता है?
सामान्य प्रशासन मंत्री ( डॉ. गोविन्द सिंह ) : (क) जी हाँ। दिनांक 27.02.2016 को भिण्ड जिले में सैनिक स्कूल खोले जाने की घोषणा क्रमांक बी-1747 की गई है। घोषणाओं का क्रियान्वयन एक सतत् प्रक्रिया है। क्रियान्वयन किया जा रहा है। (ख) जी हाँ। (1) ग्राम डिडि में कुल किता 9 कुल रकबा 22.70 हैक्टर भूमि कलेक्टर भिण्ड के प्रकरण क्र. आदेश 12/16-17/अ-59, दिनांक 18.02.2017 से आरक्षित की गई थी। (2) औद्योगिक क्षेत्र मालनपुर में उदयोग विभाग की हॉटलाईन लिमिटेड ईकाई के समीप 50 एकड़ भूमि का निरीक्षण किया गया था तथा उक्त भूमि को सैनिक स्कूल की टीम द्वारा सैद्धांतिक आवंटन हेतु उपयुक्त बताया था। (ग) औद्योगिक इकाइयां मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल द्वारा अनुमति प्रदाय उपरांत ही क्रियाशील होती हैं। अत: प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री संजीव सिंह(संजू)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपका ध्यान बहुत ही महत्वपूर्ण विषय की तरफ आकर्षित करना चाहता हूं .27 फरवरी, 2016 को तत्कालीन मुख्यमंत्री जी ने भिंड में सैनिक स्कूल की स्थापना की मांग जो बहुत अर्से से चलती आ रही थी, उसकी घोषणा भिंड में आकर के की थी. चूंकि भिंड वीरों की भूमि है वहां प्रत्येक घर से एक सैनिक इस देश की रक्षा में अपनी जान लड़ा देता है तो ऐसी भूमि पर सैनिक स्कूल की स्थापना की मांग पर 27 फरवरी, 2016 को तत्कालीन मुख्यमंत्री ने सैनिक स्कूल की स्थापना की घोषणा की थी. इसके बाद भिंड के कलेक्टर के द्वारा भूमि का आवंटन किया गया 23 फरवरी 2017 को , डिडि गांव है भिंड मुख्यालय में. 22 हैक्टेयर भूमि का आरक्षण इसके लिये किया गया. लेकिन उसके बाद समाचार पत्रों के माध्यम से मुझे पढ़ने में आय़ा है कि प्रदेश का दूसरा सैनिक स्कूल मालनपुर में शुरू होगा. मिनिष्ट्री आफ डिफेंस की तरफ से जो सैनिक स्कूल सोसायटी है उसका पत्र आया है 3 अक्टूबर, 2018 को कि इसी साल हमें सैनिक स्कूल प्रारंभ करना है और मालनपुर में प्रारंभ करना है. मेरा प्रश्न है कि जब भिंड में इसको डिडि में खोले जाने की घोषणा हुई थी उसके बाद में स्थान परिवर्तित कर मालनपुर कैसे हो गया, सरकार ने इसकी सैद्धांतिक स्वीकृति कैसे दे दी. अध्यक्ष महोदय, मालनपुर एक औद्योगिक क्षेत्र है वहां पर प्रदूषण का वातावरण है, वहां प्रदूषण का स्तर बहुत ज्यादा है सैनिक स्कूल जैसा संस्थान जिसमें इस देश की रक्षा करने वाले वीर लोग पढेंगे ऐसे संस्थान का वहां पर होना कितना जायज है ? अध्यक्ष महोदय, मैं इस मामले में आपका संरक्षण चाहता हूं और मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि आखिर सैनिक स्कूल कहां पर बनेगा. क्योंकि घोषणा हुई थी भिंड मुख्यालय के डिडि में बनेगा, तो कहां पर बनेगा यह बताने का कष्ट करें.
डॉ. गोविंद सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह जी की घोषणा का हम सम्मान करते हैं और उनकी घोषणा का सम्मान करते हुये भिंड में सैनिक स्कूल की स्थापना बात की गई है, तो भिंड में ही बनेगा. दूसरी बात मैं सदस्य को बताना चाहता हूं कि मुरैना में जो डी.आर.डी. DRDO, डिफेंस रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट ऑर्गैनाइज़ेशन) को जमीन दी गई थी उसमें वर्तमान रक्षा मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमन जी ने कहा था कि अगर भिंड में जमीन मिल जाती है तो सैनिक स्कूल की स्थापना हेतु 100 करोड़ रूपये भारत सरकार देगी. हम भारत के 100 करोड़ रूपये आने का इंतजार कर रहे हैं जिस दिन भी यह राशि मिल जायेगी, चूंकि अभी राशि आई नहीं है इसलिये सैनिक स्कूल बनना इस वर्ष संभव नहीं हो रहा है. जैसे ही राशि आ जायेगी भवन बना देंगे और भवन बनाने के लिये भिंड के सभी जनप्रतिनिधियों ने, प्रभारी मंत्री जी ने और सभी की यह मांग है, मालनपुर में प्रदूषण का स्तर जानने के लिये, प्रदूषण निवारण मंडल की रिपोर्ट अभी नहीं मिली है, जब तक यह रिपोर्ट हमें नहीं मिलती तब तक ऐसे स्थान पर जहां औद्योगिक क्षेत्र है वहां पर सैनिक स्कूल को बनाना संभव नहीं है, इसलिये छात्रहित में प्रदूषण को देखते हुये भिंड के डिडि में ही बनाने की मैं घोषणा करता हूं लेकिन तब जब भारत सरकार से पैसा आ जायेगा.
श्री संजीव सिंह (संजू) -- अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी को बताना चाहता हूं कि अभी जो मिनिष्ट्री आफ डिफेंस से पत्र आया है कि इसी सत्र में वह स्कूल प्रारंभ करना चाहते हैं भले ही आप रेंट पर भवन ले लें. मालनपुर में वह एक बंद पड़ी हुई फैक्ट्री की बिल्डिंग देखने आये, एक प्रायवेट बिल्डिंग है उसको भी वह किराये पर लेना चाहते हैं तो भिंड में नंबर-2 स्कूल है, सरकारी स्कूल है फ्री आफ कास्ट में वह मिल सकता है तो उसको क्यों नहीं देखा जा रहा है. इस बात को मैंने कलेक्टर के माध्यम से भी कहा और मंत्री जी को भी बताया लेकिन उस पर कोई कार्यवाही नहीं की गई. जब वहां पर जगह है, बिल्डिंग है, वहां स्पेस है और फ्री आफ कास्ट है तो उस पर सैनिक स्कूल क्यों चालू नहीं करना चाहते हैं. जहां तक भारत सरकार के पैसे की बात है तो भवन तो बनता रहेगा 2-4 साल में जब पैसा आयेगा.
श्री अरविंद भदौरिया-- अध्यक्ष महोदय, यह मेरी विधानसभा का प्रश्न है इसलिये मैं इस पर बोलना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय- मूल प्रश्नकर्ता अभी प्रश्न कर रहे हैं.
श्री अरविंद सिंह भदौरिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं इस प्रश्न के संबंध में बोलना चाहता हूं, यह वास्तव में मेरी विधान सभा का विषय भी है, हमारे पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी ने घोषणा भी की थी कि भिण्ड में संजीव सिंह संजू ने जो विषय उठाया है, पहले भी भिण्ड के साथ धोखा हो चुका है. इंडस्ट्री एरिया मालनपुर 95 प्रतिशत भिण्ड से पूरी तरह अछूता रहता है, इसलिये 50 करोड़ रूपये मध्यप्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री जी से मैं विनम्र प्रार्थना करना चाहता हूं, छात्रों के हित में, सैनिकों के हित में, सैनिकों के बच्चों के हित में कि 50 करोड़ रूपये अगर आप स्वीकृत करेंगे तो इसी सत्र से उसकी शुरूआत हो जायेगी. दूसरा अगर किराये की बिल्डिंग लेकर भी शुरूआत करते हैं तो भी इस सत्र से शुरूआत हो जायेगी, केन्द्र सरकार अभी से शुरूआत करने के लिये तैयार है.
श्री संजीव सिंह (संजू)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह सही बात है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री जी ने इसकी घोषणा की थी, लेकिन इसकी घोषणा के तत्काल बाद निर्मला सीतारमन जी जो रक्षा मंत्री हैं उन्होंने मुरैना के लिये इसी घोषणा कर दी, भिण्ड के साथ विश्वासघात करने का उस वक्त भी आप ही लोगों के द्वारा प्रयास किया गया. मैं मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि भिण्ड के डिडि गांव में ही यह स्कूल बनना चाहिये, उसमें जमीन का भी आवंटन हो चुका है.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय सदस्य जी, मंत्री जी बोल चुके हैं कि भिण्ड में ही खुलेगा.
श्री संजीव सिंह (संजू)-- लेकिन रेंटेड, जो अभी खुलने वाला है, इस सत्र में खुलने वाला है वह भिण्ड में ही खोला जाये. नंबर 2 स्कूल की बिल्डिंग फ्री ऑफ कास्ट है, सरकारी बिल्डिंग है, वहां पर जगह भी है, उसमें खोला जाये.
डॉ. गोविंद सिंह-- माननीय अध्यक्ष जी, अभी इस सत्र में खुलना इसलिये संभव नहीं है क्योंकि जो जमीन मध्यप्रदेश सरकार ने भारत सरकार के रक्षा विभाग को दी है उसमें केन्द्र सरकार ने 100 करोड़ की राशि देने का वचन दिया है वह राशि जैसे ही मिल जायेगी या अभी आप खोलना चाहें तो पूरी व्यवस्था जैसे फंड है, टीचर्स हैं, स्टॉफ है यह सारी व्यवस्था भारत सरकार के फंड से होगी और फंड अभी मिला नहीं है तो इस साल यह कार्य संभव नहीं है. मैं माननीय तत्कालीन मुख्यमंत्री जी से अनुरोध करना चाहूंगा कि आप इसके लिये प्रयास करें, आप कुछ फंड दिलवा दें तो हम इसी साल से कार्य प्रारंभ कर देंगे.
श्री गिर्राज डण्डौतिया-- माननीय अध्यक्ष जी, एक सेकेण्ड चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय-- एक मिनट मेरी बात सुनियेगा, आप जो नये विधायकगण आये हैं, कृपापूर्वक जब मूल प्रश्नकर्ता खड़ा रहता है और उसकी बात पूरी नहीं होती है और जब तक अध्यक्ष महोदय किसी को नहीं कहते हैं, कृपापूर्वक सिर्फ ऐसा करियेगा जब मैं परमीशन दूं तभी खड़े होइएगा ताकि आगे के भी प्रश्न को न्याय मिल सके. आप लोगों से प्रार्थना है कि कृपापूर्वक बैठियेगा.
श्री संजीव सिंह (संजू)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, क्या डिडि गांव में ही सैनिक स्कूल खुलेगा जो पहले से निर्धारित किया जा चुका है ?
डॉ. गोविंद सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसका मैं पहले उत्तर दे चुका हूं जैसे ही फंड उपलब्ध होगा प्रारंभ किया जायेगा.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- माननीय अध्यक्ष महोदय, बार-बार तत्कालीन मुख्यमंत्री की बात हो रही है, यह बात सही है कि भिण्ड, मुरैना वीरों की और शूरों की भूमि है. देश की सीमाओं की सुरक्षा करने सबसे ज्यादा नौजवान सेना में भर्ती भिण्ड, मुरैना जिले से होते हैं. हमारे प्रदेश के बाकी जिलों से भी होते हैं ऐसा मेरा कहना नहीं है और इसलिये एक सैनिक स्कूल खुले यह हम सबकी भावना थी, डीआरडीए को जमीन देना थी, हमारा रक्षा मंत्रालय अगर जमीन किसी प्रदेश से मांगता है तो हम अपने देश की सीमाओं की सुरक्षा के खातिर कोई मोल भाव नहीं करते कि तुम यह दोगे तो हम वह देंगे, लेकिन हमने यह जरूर आग्रह किया था कि हम डीआरडीए को जमीन देंगे, मुरैना जिले में काफी सारी जमीन उपलब्ध थी लेकिन हमने प्रार्थना यह की थी कि उसके बदले एक सैनिक स्कूल आम तौर पर एक प्रदेश में ही था, एक सैनिक स्कूल और खोला जाये, बात यह हुई थी, उन्होंने आश्वस्त किया था कि हम सैनिक स्कूल एक और देंगे, लेकिन सैनिक स्कूल खोलने में प्रदेश को भी कुछ योगदान देना पड़ेगा, भवन का और बाकी दूसरी चीजों का. उसका अपना एक फार्मूला है जैसे रीवा में सैनिक स्कूल है, समय-समय पर राज्य सरकार उसको वित्तीय मदद करती है और इसलिये यह कहना कि वह 100 करोड़ रूपया उन्होंने कह दिया था और वह जब तक नहीं आयेगा तब तक हम बिलकुल नहीं करेंगे. राज्य सरकार एकदम इस जिम्मेदारी से न बचे. केन्द्र सरकार हो, राज्य सरकार हो दोनों की ड्यूटी है आप चर्चा करके, अभी तो वर्तमान मुख्यमंत्री जी बैठे हैं तत्कालीन मुख्यमंत्री उनसे यह आग्रह करता है कि केन्द्र और राज्य के बीच के वजाय सैनिक स्कूल खुलना चाहिये और बातचीत करके केन्द्र जो दे सकता है वह केन्द्र देगा, हम भी पहल करेंगे, हमारा प्रदेश है हम पहल करने में प्रदेश के हित में कभी भी नहीं चूकेंगे, लेकिन राज्य सरकार भी गोविंद सिंह जी एकदम हाथ खड़े न करे कि हम कुछ नहीं, हम कुछ नहीं, वह तो जब पैसा आयेगा तभी देखेंगे, यह न किया जाये, जिस सहयोग की आवश्यकता होगी वह हम भी करेंगे.
मुख्यमंत्री (श्री कमलनाथ) - माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें कोई शक नहीं है कि इस प्रदेश में दूसरा सैनिक स्कूल खुलना चाहिये. मैं इस बात से पूरी तरह सहमत हूं. इस पर जरूर विचार किया जायेगा. मेरा और मेरे मंत्रिमण्डल का प्रयास रहेगा मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि जल्दी से जल्दी खुले पर मैं भी आपसे आग्रह करूंगा कि केन्द्र से जो आप अपने प्रभाव से मदद करवा सकें आप करवाएं. आप तो जानते हैं कि प्रदेश के खजाने की क्या हालत है. किस प्रकार का खजाना आपने हमें दिया था तो मुझे पूरा विश्वास है कि इसका महत्व समझकर और भावनाओं की कदर करते हुए आप भी पूरा जोर केन्द्र सरकार पर लगाएंगे.
श्री शिवराज सिंह चौहान - रेवेन्यू सरप्लस छोड़कर गये हैं लेकिन प्रदेश के हित का और सहयोग का सवाल है पूरा सहयोग करेंगे.
श्री अरविन्द भदौरिया - मेरे विधान सभा क्षेत्र में में सैनिक स्कूल खोलने के लिये मैं माननीय मुख्यमंत्री जी का बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूं और डॉ.गोविन्द सिंह का भी हृदय से आभार व्यक्त करता हूं.
श्री ओ.पी.एस.भदौरिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह हमारे जिले से जुड़ा हुआ मामला है.
अध्यक्ष महोदय - आप कृपापूर्वक विराजिये.
श्री ओ.पी.एस.भदौरिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह मेरे लिये बहुत महत्वपूर्ण है.
अध्यक्ष महोदय - आप कृपापूर्वक विराजिये.
श्री ओ.पी.एस.भदौरिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, नये सदस्यों को क्या बोलने का अधिकार नहीं है. जनता ने हमें चुनकर भेजा है.
अध्यक्ष महोदय - यह अच्छा तरीका नहीं है. आपको अपने जिले की इतनी चिंता है तो आपको खुद प्रश्न लगाना था. यह अच्छा तरीका नहीं है. आप विराजिये.
प्रश्न संख्या - 5 अनुपस्थित.
प्रश्नकर्ता के पत्र पर कार्यवाही
[लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण]
6.
( *क्र.
585 ) श्री
जालम सिंह पटेल
(मुन्ना भैया) : क्या लोक
स्वास्थ्य
परिवार
कल्याण
मंत्री महोदय
यह बताने की
कृपा करेंगे
कि (क) विगत दो
माह के
दरमियान जिला
अस्पताल
नरसिंहपुर के
सिविल सर्जन
द्वारा भ्रष्टाचार
एवं
अनियमितताएं
किये जाने के
संबंध में प्रश्नकर्ता
सदस्य
द्वारा कलेक्टर
नरसिंहपुर को
प्रेषित
पत्रों के
संबंध में क्या
कार्यवाही की
गई है? (ख) प्रश्नकर्ता
सदस्य
द्वारा
पत्रों में
उल्लेखित
बिंदुओं के
संबंध में
बिंदुवार की
गई कार्यवाही से
अवगत करावें।
लोक
स्वास्थ्य
परिवार
कल्याण
मंत्री ( श्री
तुलसीराम
सिलावट ) : (क) जानकारी
संलग्न
परिशिष्ट अनुसार
है। (ख)
जानकारी
उत्तरांश (क) अनुसार
है।
श्री जालम सिंह पटेल(मुन्ना भैया) - माननीय अध्यक्ष महोदय, जिला अस्पताल नरसिंहपुर का मामला है. सिविल सर्जन ने जो भ्रष्टाचार एवं अनियमितता की थीं उसकी जांच कलेक्टर महोदय ने की थी और उसमें अनियमितताएं पाई गईं हैं. मेरे प्रश्न के उत्तर में भी माननीय मंत्री जी ने स्वीकार किया है कि अनियमितताएं हैं. मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि जो अनियमितताएं हैं, उसमें कब तक कार्यवाही होगी और क्या कार्यवाही होगी ?
श्री तुलसीराम सिलावट - माननीय अध्यक्ष महोदय, जो हमारे सम्माननीय सदस्य ने 3 पत्र सम्मानित जिलाधीश महोदय को दिये थे उसकी गंभीरता को देखते हुए आपकी भावनाओं के अनुरूप कार्यवाही की जा रही है.
श्री जालम सिंह पटेल(मुन्ना भैया) - माननीय अध्यक्ष महोदय, क्या कार्यवाही हुई है और क्या हो रही है यह मंत्री जी बता दें. अध्यक्ष महोदय, जो अभी सिविल सर्जन पदस्थ किये गये हैं वे पूर्व में सी.एम.एच.ओ. जिला नरसिंहपुर में थे और अनियमितता और भ्रष्टाचार के कारण उनको हटा दिया गया था और पुन: एक व्यक्ति को हटाकर दूसरे को फिर बना दिया गया. बनाने की कोई गाईडलाईन होती है क्या मुझे नहीं मालूम कि एक भ्रष्टाचारी को हटाकर दूसरे को बना दिया. सी.एम.एच.ओ. के चलते उसने भ्रष्टाचार किया था उसको हटाया गया था फिर उसे सिविल सर्जन बना दिया गया.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी, जो माननीय सदस्य कह रहे हैं वहां यह कृत्य पिछले पांच साल से चल रहे हैं. यह गंभीर विषय है. ऐसे व्यक्तियों को तत्काल हटाईये. नये पदस्थ कीजिये ताकि वहां मानव सेवा चल सके. माननीय मंत्री जी ध्यान रखियेगा.
श्री तुलसीराम सिलावट - माननीय अध्यक्ष महोदय ने जो व्यवस्था दी है उस पर पूरी कार्यवाही की जायेगी,समुचित कार्यवाही की जायेगी. मैं सम्मानित सदस्य को यह अवगत करा दूं कि जो पहला पत्र आपने सम्माननीय जिलाधीश महोदय को दिया था तो अमित तिवारी को भी आपकी शिकायत पर निलंबित कर दिया और राजकुमार त्रिवेदी,प्रभारी स्टोर कीपर को भी हमने निलंबित कर दिया. आयुक्त,जबलपुर द्वारा 6 जनवरी,2019 को डॉ.विजय मिश्रा,तत्कालीन सिविल सर्जन को भी निलंबित किया जा चुका है क्योंकि आपकी बात को इतनी गंभीरता से हम लोग ले रहे हैं और दूसरी जो आपने शंका व्यक्त की है तो स्वास्थ्य आयुक्त द्वारा जांच गठित कर दी गई है. डॉ.विजय मिश्रा एवं डॉ.सागरिया को भी आरोपपत्र हमने जारी कर दिये हैं.
श्री जालम सिंह पटेल (मुन्ना भैया) - अध्यक्ष महोदय, मैं निवेदन करना चाहता हूं कि वर्तमान में जो अभी श्री प्रदीप धाकड़, सिविल सर्जन बनाए गये हैं, वह पहले सीएमएचओ थे. भ्रष्टाचार और अनियमितता के कारण उनको हटाया गया था. अब पुनः उनको सिविल सर्जन बना दिया गया है. मैं इस पर आपत्ति कर रहा हूं तो क्या उनको हटाया जाएगा, किसी दूसरे व्यक्ति को सिविल सर्जन बनाया जाएगा?
श्री तुलसीराम सिलावट -सम्माननीय अध्यक्ष महोदय, जब व्यवस्था दे दी है, आप निश्चिंत रहें, आपकी भावनाओं के अनुरूप कार्य किया जाएगा.
श्री जालम सिंह पटेल (मुन्ना भैया) - अध्यक्ष महोदय, एक भ्रष्टाचारी को हटाकर पुनः दूसरे भ्रष्टाचारी को बना दिया गया है? और जो अभी हैं, व्याभिचार का भी उन पर आरोप था.
श्री तुलसीराम सिलावट -सम्माननीय अध्यक्ष महोदय, कोई भी भ्रष्टाचारी को प्रोत्साहन नहीं दिया जाएगा, यह हमारे स्वास्थ्य विभाग का संकल्प है. आप निश्चिंत रहें.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी. देखिए, बिन्दु बिल्कुल साफ है. जिस व्यक्ति ने पूर्व में ऐसे कृत्य किये हैं, उस व्यक्ति को पुनः उसका चार्ज दिलाया जाय, यह कहीं न कहीं प्रश्न-चिह्न लगाता है? मैंने पहले भी आपसे कहा, यह मामला मेरे जिले का है, वहां पर ये चीजें चल रही हैं. कलेक्टर द्वारा जांच करवा ली गई, जिनको दोषी पाया गया, उनको हटाइए, नये व्यक्तियों को लाइए, स्पष्ट करिए.
श्री तुलसीराम सिलावट -माननीय अध्यक्ष महोदय, जब एक बार आपने व्यवस्था दे दी. मैंने कहा कि उस व्यवस्था को दोबारा दोहराने की आवश्यकता नहीं है. सशब्द उसका पालन किया जाएगा. कोई भी भ्रष्टाचारी व्यक्ति को वहां नहीं रखा जाएगा.
अध्यात्म विभाग में संचालित योजनायें
[अध्यात्म]
7. ( *क्र. 25 ) श्री संजय सत्येन्द्र पाठक : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शासन द्वारा अध्यात्म विभाग का गठन किया गया है? (ख) यदि हाँ, तो इस विभाग में कौन-कौन सी जनहितैषी योजनायें सम्मिलित की गईं हैं? (ग) क्या विभाग द्वारा तीर्थदर्शन योजना एवं मंदिर मस्जिद के पुजारियों को वेतन भत्ते का भुगतान किया जायेगा तथा इसी क्रम में साधु-संतों की सुरक्षा के संबंध में निर्णय लिये जायेंगे? यदि हाँ, तो कब तक? नहीं तो क्यों?
मुख्यमंत्री ( श्री कमलनाथ ) : (क) जी हाँ। (ख) मध्यप्रदेश शासन अध्यात्म विभाग द्वारा संचालित योजनाओं की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) तीर्थ दर्शन योजनान्तर्गत एवं मस्जिद में मानदेय भुगतान का कोई प्रावधान नहीं है। पुजारियों को मानदेय भुगतान किया जाता है। शेष के संबंध में कोई योजना विचाराधीन नहीं है।
श्री विश्वास सारंग - अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि उन्होंने उत्तर में कहा है कि अध्यात्म विभाग का गठन किया गया है. मैं पूछना चाहता हूं कि किन-किन विभागों को तोड़कर, मरोड़कर यह विभाग बनाया गया है और ऐसा क्या हुआ कि इस विभाग को बनाने में इतनी जल्दी की गई? दूसरा, उन्होंने कहा है कि पुजारियों को वेतन दिया जा रहा है. अध्यक्ष महोदय, कुछ पुजारियों की सूची मेरे पास में है, जो विजयराघौगढ़ विधान सभा के हैं तो क्या उन पुजारियों को भी वेतनमान देने में सम्मिलित किया जाएगा?
श्री पी.सी. शर्मा - अध्यक्ष महोदय, किसी भी विभाग को तोड़ा नहीं गया है, न किसी को मोड़ा गया है. यह अध्यात्म विभाग का गठन धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग और आनन्द विभाग को मिलाकर किया गया है क्योंकि इसमें खास बात यह थी कि इन दोनों के बीच में जो पूरकताएं हैं और अन्तःनिर्भरताएं हैं वह पहचानी गई और उसमें एक चीज और मैं बताना चाहूंगा कि आनन्द विभाग अलग से होने की आवश्यकता नहीं है. "अध्यात्म से ही आनंद आएगा." (मेजों की थपथपाहट)..और एक खास बात बताना चाहूंगा कि हमारे जो मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ जी हैं, वर्ष 1985 में पॉर्लियामेंट में आपने कहा था कि अध्यात्म विभाग का गठन होना चाहिए, वहां तो हुआ नहीं, लेकिन यहां उनके मुख्यमंत्री बनते ही, इसका गठन किया गया है और यह धर्म की, अध्यात्म की जितनी चीजें हैं इन सबका परिपालन करेगा. जो आपने पुजारियों के बारे में कहा है तो पुजारियों को इस विभाग से पूरा मानदेय दिया जाता है और कमलनाथ जी की सरकार ने 3 गुना अभी उनकी राशि भी बढ़ाई है. (मेजों की थपथपाहट)..
श्री विश्वास सारंग - अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने इस बात का जिक्र नहीं किया, जो मैंने कहा है कि बाकी पुजारियों की जो लिस्ट है क्या उनको भी सम्मिलित किया जाएगा? दूसरा, माननीय मंत्री जी ने यह भी नहीं बताया कि ऐसा क्या कारण था कि सब विभागों को मिलाकर आनन-फानन में यह बनाया गया, इसका भी जवाब मुझे नहीं मिल पाया है?
श्री पी.सी. शर्मा - अध्यक्ष महोदय, मैंने इसका जवाब दिया है कि धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग और आनन्द विभाग, ये दो अलग विभाग जो हैं, इनका जो काम है. मैंने यह कहा है कि अध्यात्म का काम है, अध्यात्म से ही आनन्द आएगा, इन दोनों विभागों को मर्ज करके मैं समझता हूं कि ज्यादा अच्छे तरीके से जो हम चाहते हैं, जो सरकार चाहती है, जो आम-जन चाहते हैं, उसको पूरा किया जा सकेगा. दूसरी बात जो पुजारियों के बारे में उन्होंने कही है तो पुजारियों का जो शासकीय उसमें नाम है, उसमें अगर ये छूट रहे होंगे तो उनको निश्चित तौर पर लिया जाएगा.
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने अपने प्रश्न के उत्तर में बताया है आध्यात्म विभाग में तीर्थ दर्शन योजना भी शामिल की गई है. मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि पिछले दो माह में, हमारी तीर्थदर्शन योजना के जो स्थान थे चाहे वह रामेश्वरम हो, चाहे वह पुरी हो, चाहे वह वैष्णो देवी हो या द्वारिका हो, दो माह में एक भी ट्रेन , या एक भी यात्री इन स्थानों पर भेजा गया है. यदि भेजा गया है तो वह तारीख बता दें, और यात्रियों की संख्या कितनी थी वह बतायें.
अध्यक्ष महोदय -- यह प्रश्न इसमें उद्भूत हो रहा है क्या ?
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय इसमें लिखा है कि क्या विभाग द्वारा तीर्थदर्शन योजना एवं मंदिर मस्जिद के पुजारियों के वेतन के बारे में है.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, इसमें केवल वेतनमान की बात है.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय इसमें शतप्रतिशत उद्भुत होता है. क्योंकि इस योजना को इस विभाग के अंतर्गत किया गया है.
श्री पी. सी. शर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय अगर नेता प्रतिपक्ष चाहते हैं तो मैं इसका भी जवाब दे देता हूं. इन दो माह में, मैं समझता हूं कि महाकुंभ से बढ़कर कोई तीर्थ आज की तिथि में नहीं है.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय यह हमारी सूची के स्थान नहीं थे..(व्यवधान).. अब जैसे उज्जैन में कुंभ लगेगा तो कहने लगेंगे कि हमने वहां पर ट्रेन चला दी है...(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- मेरा आप दोनों से निवेदन है.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय यह पुण्य का काम है, इस सरकार को उसका पुण्य मिलेगा, यह योजना बंद नहीं करना चाहिए, यह योजना यथावत चालू रहना चाहिए. हमारे 18 स्थान सूचीबद्ध थे, उन 18 स्थानों के लिए यह योजना चालू रखना चाहिए.
श्री पी सी शर्मा -- अध्यक्ष महोदय यह प्रयाग, बनारस भी इस सूची में है, जहां पर यह ट्रेनें गई हैं और जा रही हैं. एक 26 तारीख को फिर से ट्रेन जा रही है, अभी एक परासिया से गई है, बुरहानपुर से गई है और शिवपुरी, ब्यावरा से जा रही है, आप कहेंगे तो आपको भी इसमें शामिल किया जायेगा.
श्री गोपाल भार्गव -- मेरा कहना है कि आप इन बातों का जवाब दे दें, क्या पुरी, रामेश्वरम, वैष्णो देवी साथ ही हमारे अनेक स्थान हैं , वहां पर हमारे प्रदेश के वृद्ध लोग जाते थे,धार्मिक लोग जाते थे.
श्री पी. सी. शर्मा -- अभी हमारी प्राथमिकता प्रयागराज की थी और बनारस इस सूची में शामिल है.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर -- अभी नेता प्रतिपक्ष जी ने बार बार मंत्री शब्द बोला है, सदन की यह गरिमा, परंपरा रही है चाहे छोटा सदस्य हो या मंत्री हो माननीय मंत्री जी या माननीय सदस्य बोलते हैं. नेता प्रतिपक्ष जी ने दो बार सीधा मंत्री बोला है. तो क्या इसमे सुधार करेंगे.
श्री गोपाल भार्गव -- आदरणीय मंत्री जी सम्माननीय मंत्री जी.
अध्यक्ष महोदय -- यहां पर मैं भी हूं बीच में.
श्री विश्वास सारंग -- माननीय अध्यक्ष महोदय मंत्री जी ने अभी कहा है कि प्रयागराज से बड़ा कोई कुंभ नहीं है. अभी तीर्थ दर्शन योजना का मामला है तो उसका उत्तर आप दे दें.
अध्यक्ष महोदय -- आप देखें कि मूल प्रश्न क्या है. वेतनमान से संबंधित है. हमारी चर्चा किस बिंदू पर हो रही है, हम कहां पर जा रहे हैं.
श्री विश्वास सारंग -- यह मंत्री जी जा रहे हैं, हम नहीं जा रहे हैं. अध्यक्ष महोदय आप उनको सलाह दें, आप उन लोगों के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम रखिये.
अध्यक्ष महोदय -- मूल प्रश्न तो आपने ही उठाया है.
श्री विश्वास सारंग -- हम नहीं जा रहे हैं, मंत्री जी ही इधर से उधर जा रहे हैं, हम तो सीधी लाइन पर चल रहे हैं...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- अभी नेता जी और विधायक जी जुड़े हैं. आपने संजय पाठक का प्रश्न अपने ऊपर लिया है. मूल प्रश्न पर जाइये उसमें वेतनमान से संबंधित बात कही गई है. अब मैं अगला प्रश्न लेता हूं.
शैक्षणिक पदों पर भर्ती में प्राप्त शिकायतों पर कार्यवाही
[चिकित्सा शिक्षा]
8. ( *क्र. 464 ) श्री के.पी. सिंह "कक्काजू" : क्या चिकित्सा शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय शिवपुरी में शैक्षणिक, पैरा मेडिकल स्टाफ एवं अन्य पदों पर नियुक्तियां की गई हैं? यदि हाँ, तो किन-किन पदों पर नियुक्तियां की गई हैं? पदवार, नामवार जानकारी दें। क्या उक्त नियुक्तियां म.प्र. चिकित्सा महाविद्यालय आदर्श सेवा भर्ती नियम, 2018 के तहत की गई हैं? (ख) क्या आदर्श सेवा भर्ती नियमों में लिखित/साक्षात्कार अथवा दोनों का प्रावधान है? यदि हाँ, तो क्या सीधी भर्ती के पदों पर उक्त प्रावधान अनुसार भर्ती की गई है? यदि नहीं, तो क्यों? (ग) शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय, शिवपुरी में विभिन्न पदों पर की गई भर्ती के लिए अपनाई गई सम्पूर्ण प्रक्रिया संबंधी दस्तावेजों की छायाप्रतियां उपलब्ध करावें? (घ) क्या गैर शैक्षणिक पदों की भर्ती के संबंध में आपत्तियां चयन उपरांत प्राप्त हुईं हैं? यदि हाँ, तो क्या इन शिकायतों/आपत्तियों के निराकरण हेतु कोई कार्यवाही की गई है?
चिकित्सा शिक्षा मंत्री ( डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ ) : (क) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-एक अनुसार है। जी हाँ। (ख) जी हाँ। जी हाँ। दोनों विकल्प उपलब्ध हैं। पैरामेडिकल एवं अन्य स्टाफ की नियुक्ति मेरिट सूची के आधार पर की गई है। पैरामेडिकल एवं अन्य स्टाफ के पदों पर नियुक्ति हेतु अत्यधिक आवेदन प्राप्त होने से निर्धारित मापदण्डों के अनुसार मेरिट सूची बनाकर भर्ती की गई है। (ग) छायाप्रतियां पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-दो अनुसार है। (घ) शिकायतें प्राप्त हुईं, जिनकी जाँच महाविद्यालय की कार्यकारिणी समिति के अध्यक्ष एवं संभागायुक्त, ग्वालियर द्वारा कराई जा रही होना प्रतिवेदित है।
श्री के पी सिंह"कक्काजू" -- अध्यक्ष महोदय मेरा आपसे अनुरोध है कि 49 मिनट हो गये हैं और 3 या 4 प्रश्न ही हो पाये हैं, और इनके जमाने में अध्यक्ष महोदय बैठे हैं. एक प्रश्न से ज्यादा नहीं करने देते थे. मेरी आपसे प्रार्थना है कि थोड़ा सा आप लिबरल रहेंगे तो बाकी सदस्य के प्रश्न आ ही नहीं पायेंगे. तो मेहरबानी करके आगे ध्यान रखें कि ये लोग जो बेवजह का समय व्यतीत करते हैं, उसमें आपको सख्त होना पड़ेगा, नहीं तो सदन के अन्य सदस्यों के प्रश्न इसी तरह से गुम होते रहेंगे. अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न शिवपुरी चिकित्सा महाविद्यालय को लेकर है और बड़ी मुश्किल से जब हमारे केंद्र के मंत्री आदरणीय गुलाम नबी आजाद जी इसका शिलान्यास करने आये. तो यहां बैठे हुए लोगों ने उसका बड़ा हंसी मजाक उड़ाया और कई वक्तव्य आये कि एक कागज के टुकड़े पर कहीं कॉलेज खुलता है क्या. ले-देकर किसी तरह से जब नये चुनाव की संभावना बनी आचार संहिता के पहले आनन-फानन में, इसकी प्रक्रिया को अंजाम दिया गया. उसी प्रक्रिया के तहत मेरा यह प्रश्न है कि जो आनन-फानन में ऐसे- ऐसे काम हुए और उसकी शिकायतें भी हुईं, लेकिन आचार संहिता का हवाला देकर वह सारे गलत काम किये गये, जिनको नहीं होना चाहिये था. तो मैं मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि एक तो इस प्रश्न के उत्तर में यह बता दें कि कुल पद कितने थे और आपके द्वारा कितनी भर्तियां उसमें की गई हैं. अध्यक्ष महोदय, मैं सारे सवाल एक बार में ही कर लूं कि अलग अलग करुं.
अध्यक्ष महोदय -- एक-एक प्रश्न करिये.
श्री के.पी.सिंह "कक्काजू" -- जी हां. एक एक प्रश्न करता हूं.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -- अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो प्रश्न पूछा है, मैं धन्यवाद करना चाहती हूं श्री गुलाम नबी आजाद जी का कि मध्यप्रदेश में हमें इतने मेडिकल कॉलेजेस मिले, जिसकी आवश्यकता है, प्रदेश की जनता को स्वास्थ्य की सुविधा के लिये. अलग अलग संवर्ग में अलग अलग पदों का विज्ञापन जारी किया गया था. शैक्षणिक संस्था में कुल पद 155 थे, क्योंकि मेडिकल कॉलेज का हर वर्ष एलओपी जारी होता है और पांच वर्षों तक के पदों की भर्ती होती है. तो कुल शैक्षणिक पद 155 थे, जिसमें विज्ञप्ति 153 पर जारी हुई. फर्स्ट एलओपी जब देनी होती है, उसमें 59 पद थे और फर्स्ट एलओपी से जो फिफ्थ एलओपी तक आते हैं 96 पद उसके भरे जाते हैं. कुल पद जो अभी भरे गये शैक्षणिक इसमें 74 पद भरे गये हैं. जिसमें से फर्स्ट एलओपी में 48 और सैकण्ड एलओपी में जो हमें अतिरिक्त भी 26 पद मिले, उसको भी हमारे द्वारा भर दिया गया. यह तो हो गया शैक्षणिक. इसके साथ चिकित्सीय परिचिका और सह चिकित्सीय पद हमारे 503 पद थे. 503 के विरुद्ध विज्ञप्ति हमारी 214 की जारी हुई और 2014 की विज्ञप्ति के बाद कुल पद भरे गये 52 और 52 पदों में से 47 लोगों ने ज्वाइन किया. तीसरा जो संवर्ग आता है, वह गैर-शैक्षणिक आता है. गैर-शैक्षणिक में हमारे 35 पद थे, विज्ञप्ति हमने जारी की 29, चूंकि यह अभी ऑनगोइंग प्रोसेस है ,इसमें स्क्रूटनिंग चल रही है और स्क्रूटनिंग खत्म होने के बाद हम इन पदों की भर्ती करेंगे.
श्री के.पी.सिंह "कक्काजू" -- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने अपने जवाब में खुद स्वीकार किया है और अभी कुछ बताया जा रहा है. इन्होंने जो मुझे उत्तर भेजा है, उसमें जो टोटल संख्या दी है, उसमें शैक्षणिक है 74 और 52 हैं बाकी. टोटल 126 की भर्ती की है, जो मुझे आपने जवाब दिया है. अब जवाब भर्ती का 126 का है, जो मेरे पास गया है और मंत्री जी संख्या कुछ दूसरी बता रही हैं. मुझे यह समझ में नहीं आ रहा है कि मुझे जो जवाब भेजा गया है, वह सही है या यह सही है. इसको जरा आप देख लें कि सही क्या है. अब चूंकि आपको ज्यादा जानकारी नहीं है, तो इसलिये मैं ज्यादा आपको कुछ नहीं कहना चाहूंगा. मैं आपसे सीधी सीधी एक बात कहना चाहता हूं कि आदर्श सेवा भर्ती के जो नियम हैं, उसमें सीधा सीधा लिखा गया है कि या तो परीक्षा मौखिक होगी या लिखित होगी या फिर दोनों होंगी. इस भर्ती प्रक्रिया में आपने कौन सी प्रक्रिया अपनाई दोनों में से, जो आदर्श सेवा भर्ती नियम में है.
डा. विजयलक्ष्मी साधौ -- माननीय अध्यक्ष महोदय, राज्य शासन द्वारा स्थापित स्वशासी चिकित्सा महाविद्यालयों के संबंध में चिकित्सालयों में चिकित्सकीय संवर्ग के लिए जो आदर्श सेवा भर्ती नियम बनाए गए हैं, उसके क्लॉज-6 में पैरा 6.2 में यह दर्शाया गया है कि सीधी भर्ती के रिक्त पदों की पूर्ति के लिए कार्यकारिणी समिति संकल्प पारित कर यथावश्यक लिखित परीक्षा अथवा साक्षात्कार अथवा दोनों नियत कर सकेगी. पैरा 6.3 में यह दर्शाया गया है कि चयन समिति मेरिट के आधार पर एवं मेरिट क्रम में अभ्यर्थियों के चयन हेतु अनुशंसा देगी, तो मेरिट के आधार पर भी ये नियुक्तियां की जा सकती हैं. इसमें यह दर्शाया गया है.
श्री के.पी. सिंह ''कक्काजू'' -- अध्यक्ष महोदय, न तो लिखित परीक्षा हुई, न मौखिक परीक्षा हुई, सीधे-सीधे मेरिट बना ली गई और मेरिट बनाने का अंदाज मैं एक उदाहरण के द्वारा आपको बताता हूँ. मंत्री जी, इस उदाहरण से आपको प्रक्रिया का अंदाजा लग जाएगा कि आपके विभाग में हुआ क्या है ? एक प्रोफेसर थीं ऋतु चतुर्वेदी आई डिपार्टमेंट में, उनका जो अनुभव प्रमाण पत्र था, आप इसको नोट कर लेना, गुना में साक्षी चिकित्सा महाविद्यालय है, जो अभी प्रारंभ ही नहीं हुआ है, इस महाविद्यालय का है. जो महाविद्यालय अभी चालू ही नहीं हुआ है, उसके अनुभव का लाभ उनको दिया गया. नंबर दो, उसी दौरान वे उत्तर प्रदेश में चंदौसी में सोहन लाल मेडिकल कॉलेज है, जो रोटरी द्वारा चलाया जाता है, उन्हीं तिथियों में वे वहां काम कर रही हैं और अनुभव प्रमाण पत्र पेश हो रहा है साक्षी चिकित्सा महाविद्यालय, गुना का, जो आज तक चालू ही नहीं हुआ है. मेरिट में आपके विभाग में जो बेईमानी हुई है, उसका मैं यह उदाहरण दे रहा हूँ. इसमें एक तमाशा और क्या हुआ, जब शिकायतें हुईं, तो शिकायतों के लिए सिर्फ दो दिन का समय दिया गया और आवेदन कहां आमंत्रित किए गए, ग्वालियर में जो एक मानसिक चिकित्सालय है, मानसिक चिकित्सालय में आवेदन पत्र लिए गए. शिवपुरी में आवेदन ही नहीं लिए गए. ऑनलाइन आवेदन लेने की जो प्रक्रिया थी, उसके बजाय आवेदन ले लिए. अध्यक्ष महोदय, इसके बाद क्या हुआ कि यह जो मेरिट बनी थी, उसकी शिकायतों के लिए दो दिनों का समय दिया गया था, बीच में एक रविवार भी पड़ गया, एक तो लोगों को पता ही नहीं लगा कि शिकायत कहां करना है, फिर भी लोगों ने आनन-फानन में किसी तरह से शिकायतें कीं, शिकायतें मिलीं और शिकायतों की जांच का अधिकार किसको दिया गया, मैं मंत्री जी से जानना चाहता हूँ कि शिकायतें जो टोटल प्राप्त हुई थीं, एक तो समय नहीं मिला, और उन शिकायतों की जांच कौन कर रहा है, उस अधिकारी का नाम बताएंगी ?
श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया -- अध्यक्ष महोदय, एक मिनट.
श्री के.पी. सिंह ''कक्काजू'' -- मेरे प्रश्न का जवाब आ जाए, उसके बाद आप प्रश्न कर लीजिएगा. केवल दो मिनट का समय बचा है, नहीं तो जवाब ही नहीं आ पाएगा.
अध्यक्ष महोदय -- मेरे ख्याल से माननीय सदस्य जो कह रहे हैं, बात सही है, और माननीय मंत्री जी से मैं यह कहना चाहता हूँ कि माननीय सदस्य को बुला लें. विस्तृत इसकी जानकारी ले लें और तद्नुसार अगर परीक्षण हो जाएगा तो शायद जो विधायक जी चाह रहे हैं..
श्री के.पी. सिंह ''कक्काजू'' -- अध्यक्ष जी, मैं मंत्री जी के ध्यान में लाना चाहता हूँ कि कमिश्नर्स के अनुमोदन से जो नियुक्तियां हुईं, वे उस समिति के चेयरमेन हैं, और जांच करने करने वाले अधिकारी का नाम मैंने पूछा, पता नहीं मंत्री जी के पास वह नाम है या नहीं, परंतु यह मेरी जानकारी में है, इसलिए मैं आपको बता देता हूँ कि कमिश्नर के अनुमोदित समिति की जांच कर रहे हैं एडीएम. कमिश्नर के खिलाफ कोई एडीएम क्या जांच करेगा ? एडीएम जांच कर रहे हैं. (विपक्ष के माननीय सदस्यों द्वारा शेम-शेम के नारे लगाने पर) शेम की बात नहीं है, यह आप ही के जमाने का मामला है. यह आपने ही किया है, यह सारी भर्तियां आपने की हैं और एडीएम जांच कर रहे हैं, कमिश्नर ने कलेक्टर को जांच के लिए कहा, कलेक्टर ने एडीएम को दे दिया. मैं मंत्री जी से जानना चाहता हूँ कि क्या एडीएम किसी कमिश्नर के खिलाफ कोई जांच कर सकता है. अध्यक्ष महोदय, समय खत्म हो रहा है, इसलिए मैं मंत्री जी से कहना चाहता हूँ कि इस पूरी प्रक्रिया में बहुत बड़ा भ्रष्टाचार हुआ है, बहुत लोग इसमें शामिल हैं, तो मैं आपसे यह चाहता हूँ कि मेरी उपस्थिति में या मेरे प्रतिनिधि की उपस्थिति में आपके विभाग के पीएस और डायरेक्टर या जिसको आप उचित समझें, भोपाल स्तर से कमेटी बनाएं और मेरी उपस्थिति में यह जांच हो, तब आपको सही स्थिति का पता लग पाएगा कि हुआ क्या है ?
श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया -- नए सिरे से भर्तियां हों.
श्री के.पी. सिंह ''कक्काजू'' -- पहले पुरानी भर्ती निरस्त होंगी, तभी तो नए सिरे से भर्तियां होंगी.
श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सारी भर्तियों को नष्ट करके पुरानी भर्तियां फिर से हों.
श्री के.पी.सिंह "कक्काजू" -- सारी भर्तियों को आप निरस्त करेंगे तो इससे अच्छा क्या होगा.
डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ -- यह सब आपके जमाने में ही हुआ है, आपकी सरकार में ही हुआ है. जब हमें बाद में पता चला तो हमने माननीय मुख्यमंत्री जी को और मुख्य सचिव को चिट्ठी लिखी है.
श्री के.पी.सिंह "कक्काजू" -- आपने माननीय मुख्यमंत्री जी को किस समय पत्र दिया था ?
डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ -- जब हमें पता चला तब 5 जनवरी को ही हमने जांच समिति बिठायी है. प्रश्न तो बाद में आया है उसके पहले ही हम जांच करवा रहे हैं.
श्री के.पी.सिंह "कक्काजू" -- मैं दिसम्बर में माननीय मुख्यमंत्री जी को इस संबंध में पत्र भी दे चुका हॅूं. मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहूंगा कि क्या उसकी कमेटी बनाकर उस संबंध में जांच करवाएंगे ? क्या मैंने जो प्रमाण दिए हैं उस आधार पर सारी भर्तियां निरस्त करेंगे ?
डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आसंदी से आदेश प्राप्त हुआ है. आपने कहा कि संबंधित विधायक महोदय ने यहां पर पाइंट आउट किया है उसके ऊपर जो सक्षम अधिकारी हैं उनसे हम लोग इसका परीक्षण करवा लेंगे और इसकी जांच करवा लेंगे और संबंधित विधायक जी को उससे अवगत करवा देंगे.
श्री के.पी.सिंह "कक्काजू" -- माननीय मंत्री जी, यदि उसमें मैं या मेरा प्रतिनिधि रहे तो उसमें क्या परेशानी है. इसमें क्या दिक्कत है. मेरे जिले का मामला है. मेरे सामने जांच कराने में क्या आपत्ति है ? हमारे विधायक भी कह रहे हैं उनको भी आप साथ में रख लें, अगर आपको कोई परेशानी है तो. क्या दिक्कत है.
डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ -- माननीय विधायक जी ने जो मामला उठाया है एक व्यक्ति विशेष के बारे में पर्टिकुलर पाइंट आउट किया है और हम लोग माननीय विधायक जी की उपस्थिति में उसको दिखवा लेंगे. भोपाल से वरिष्ठ अधिकारी को भेजकर जांच करा लेंगे.
श्री के.पी.सिंह "कक्काजू" -- धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्नकाल समाप्त.
( प्रश्नकाल समाप्त )
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपसे निवेदन है.
अध्यक्ष्ा महोदय -- शून्यकाल हो जाने दीजिए. माननीय सदस्यों ने जो शून्यकाल की सूचनाएं दी हैं उनको पढ़ लेने दीजिए. तदोपरांत हम ले लेंगे. श्री शरदेन्दु तिवारी आप अपनी शून्यकाल की सूचना पढे़ं.
12.02 बजे नियम 267 क के अधीन विषय
1. चुरहट विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत भितरी को भितरी डांडी टोला मार्ग निर्माण प्रारंभ किया जाना
श्री शरदेन्दु तिवारी (चुरहट) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, बजट सत्र 2018-19 में सीधी जिले की चुरहट विधानसभा के अंतर्गत ग्राम पंचायत भितरी की मुख्य मार्ग भितरी डांडी टोला मार्ग स्वीकृत किया गया था. बजट स्वीकृति के बाद इस मार्ग के संबंध में विभाग द्वारा आज तक कोई प्रक्रिया अपनाई नहीं गई. जबकि डांडी टोला से हरिजन बस्ती एवं शासकीय रास्ता अमरही टोला होते हुये सड़क बन जाना थी. प्रस्तावित मार्ग की लम्बाई 5 कि.मी. के लगभग है. इस मार्ग से दलित एवं पिछडे़ वर्ग के लोग लाभांवित होंगे. सड़क के बिना इनका आवागमन ठीक ढंग से नहीं हो पा रहा है. जनता में उक्त सड़क को लेकर आक्रोश व्याप्त है.
2. होशंगाबाद जिले के इटारसी में रेल्वे स्टेशन से न्यूयार्ड जाने वाला मार्ग चौड़ीकरण किया जाना
डॉ.सीतासरन शर्मा (होशंगाबाद) -- माननीय अध्यक्ष महोदय,
अध्यक्ष महोदय -- माननीय सदस्यगण, जो आप माननीय नेता जी के पास आ गए हैं कृपया अपनी-अपनी व्यवस्था बनाएं. अपनी-अपनी कुर्सियों पर जाएं.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- माननीय अध्यक्ष जी, बाहर भी मेला और अंदर भी मेला है.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय सदस्यगण, मेरी तरफ तो पीठ मत दिखाइए. कृपया, आप लोग अपनी-अपनी जगह पर जाइए, व्यवस्था बनाइए. जो असेम्बली का डेकोरम है उसको बरकरार रखिएगा.
3. सिवनी में ऑडिटोरियम भवन का निर्माण कराये जाने संबंधी
श्री
दिनेश राय
मुनमुन
(सिवनी) - अध्यक्ष
महोदय,
मेरी शून्यकाल
की सूचना इस
प्रकार है कि-
4. मऊगंज विधान सभा क्षेत्र में गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे
लोगों को विभिन्न योजनाओं का लाभ न मिलना
श्री प्रदीप पटेल (मऊगंज) - अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना इस प्रकार है कि-
5. जनपद पंचायत फंदा जिला भोपाल में बीपीएल धारकों को राशन, मेडिकल
एवं स्कूलों में एडमीशन की सुविधाएं न मिलना
श्री सिद्धार्थ सुखलाल कुशवाहा (सतना) - अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना इस प्रकार है कि कार्यालय जनपद पंचायत फंदा जिला भोपाल के पत्र क्रमांक ज.पं./ग्रा.उ.से.मा. उ./2016 दिनांक 06.05.16 के द्वारा ग्रामोदय से भारत उदय अभियान में आयोजित ग्राम संसद में ग्राम पंचायत बरखेड़ी बाज्यारन के बीपीएल की सूची जिसमें 59 हैं, उन्हें न्यायालय, तहसील हुजूर के 25.05.16 के आदेश के बाद भी पात्रता पर्ची नहीं मिल रही है जिससे राशन, मेडिकल की सुविधा, स्कूलों में एड. एवं अन्य सभी सुविधाओं से वंचित रहना पड़ रहा है. तत्काल उक्त आदेश का पालन हो. पात्रता पर्ची का वितरण हो. जनहित में इस सूचना को ग्राह्य किया जाए.
6. महिदपुर विधानसभा क्षेत्र झारड़ा स्थित बड़ा राम मंदिर प्रकरण में
विभाग द्वारा कार्यवाही न किया जाना
श्री बहादुर सिंह चौहान (महिदपुर) - अध्यक्ष महोदय मेरी शून्यकाल की सूचना इस प्रकार है कि-
7. सागर जिले के बम्होरी तिगड्डा से मकरोनिया शनि मंदिर गढ़पहरा
सड़क मार्ग कार्य धीमी गति से होना
इंजीनियर प्रदीप लारिया (नरयावली) - अध्यक्ष महोदय,
8. मुरैना जिले की दतहरा नल जल योजना को प्रारंभ न किया जाना.
श्री गिर्राज डण्डौतिया(दिमनी)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे विधान सभा क्षेत्र दिमनी दतहरा की नल जल योजना जो लम्बे समय से स्वीकृत होकर निर्माणाधीन है. इस
श्री राहुल सिंह लोधी-- (अनुपस्थित)
जिला नरसिंहपुर, दमोह एवं छतरपुर क्षेत्र के किसानों का पंजीयन न होना एवं खरीदे गए अनाज का भुगतान न किया जाना.
श्री जालम सिंह पटेल(नरसिंहपुर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
डॉ नरोत्तम मिश्र(दतिया)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रदेश में कानून व्यवस्था ध्वस्त हो गई है. 12 दिन हो गए बन्दूक की नोक पर दिन दहाड़े स्कूल के दो बच्चों का अपहरण हो गया. आपका ध्यानाकर्षित करने के लिए हमने स्थगन भी दिया है, हमने ध्यानाकर्षण भी दिया है. पूरे प्रदेश में अपहरण उद्योग पनप रहा है, अपराधी पनप रहे हैं, दिन दहाड़े हत्याएँ हो रही हैं. लेकिन ऐसा लगता है कि पूरे प्रदेश में स्थानान्तरण उद्योग के बाद में अपहरण उद्योग प्रारंभ हो गया है. एक उद्योगपति मुख्यमंत्री बने तो उम्मीद थी उद्योग आएँगे...(व्यवधान)..
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री(श्री सुखदेव पांसे)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, (XXX)...(व्यवधान)..
डॉ नरोत्तम मिश्र-- माननीय अध्यक्ष जी, मेरा आप से निवेदन है..(व्यवधान)..जिसमें 12 दिन से..(व्यवधान)..एक माँ अपने बच्चों का इन्तजार कर रही है. 12 दिन हो गए लेकिन...
अध्यक्ष महोदय-- मैं इसको देखता हूँ.
डॉ नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष महोदय, ध्यानाकर्षण भी दिया है, स्थगन भी दिया है.
अध्यक्ष महोदय-- मेरी बात पर ध्यान दें, मैं इसको देखूँगा. बाकी जो मुख्यमंत्री जी के बारे में बोला वह विलोपित किया जाता है. माननीय गोपाल जी, आप बोलिए.
डॉ नरोत्तम मिश्र-- माननीय अध्यक्ष जी, 12 दिन हो गए, बहुत गंभीर विषय है.
अध्यक्ष महोदय-- आपने विषय उठा दिया है, मैं बिल्कुल ध्यान दूँगा.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)---अध्यक्ष महोदय, महत्वपूर्ण विषय है इसे किसी रुप में ले लीजिए.
अध्यक्ष महोदय--मैं जब धैर्यता से सुन रहा हूँ तो आप भी तो धैर्य रखें.
श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष महोदय, मेहरबानी. मैं एक बहुत ही लोक महत्व के प्रश्न पर सदन का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ. इसके बारे में मैंने स्थगन प्रस्ताव एवं ध्यानाकर्षण की सूचना भी दी है. यह विषय प्रश्नोत्तरी में भी आया है, लेकिन पीछे आया है इसलिए समाधानकारक उत्तर नहीं मिला है, चर्चा नहीं हो सकी है.
अध्यक्ष महोदय, भारत सरकार ने संविधान में संशोधन करके जो कि 103 वां संशोधन था. देश के सामान्य वर्ग के जो गरीब लोग हैं उनके लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की है. इस आरक्षण की विशेषता यह है कि किसी दूसरे वर्ग को छुए बिना, उसका आरक्षण कम किए बिना, देश का ऐसा निर्धन वर्ग जो कि सामान्य वर्ग का है और आज तक सारी सुविधाओं से वंचित है. उस वर्ग के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था भारत सरकार ने की है. गुजरात, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, झारखण्ड, असम, बिहार, महाराष्ट्र जैसे अनेकों राज्यों ने इसे लागू कर दिया है. भारत सरकार ने संविधान में संशोधन के साथ ही पदों की संख्या में भी 10 प्रतिशत की वृद्धि कर दी है. अब कोई दिक्कत नहीं है. बहुत बड़ी संख्या में सामान्य वर्ग के ऐसे लोग हैं जो निर्धन हैं, गरीब हैं, भिक्षावृत्ति भी करते हैं. पढ़े लिखे हैं लेकिन फिर भी चतुर्थ श्रेणी की नौकरी भी उन्हें नहीं मिली है. ऐसे दर्जनों युवक आत्महत्या कर चुके हैं या फिर आत्महत्या के लिए उद्यत हैं. यह बहुत ही मानवीय संवेदना का विषय है. मुख्यमंत्री जी सदन में नहीं हैं लेकिन डॉ. गोविन्द सिंह जी ने उत्तर दिया था. मैं सदन से बहुत विनम्र आग्रह करता हूँ जैसा कि दूसरे राज्यों ने इसको गरीबों के हित में अपनाया है. गरीब की कोई जाति नहीं होती है, गरीब का कोई धर्म भी नहीं होता है, गरीब का कोई पंथ भी नहीं होता है, कोई सम्प्रदाय नहीं होता है. मैं इतना ही कहना चाहूँगा कि भारत सरकार ने जो संविधान संशोधन किया है, माननीय मुख्यमंत्री जी भी आ गए हैं. (माननीय मुख्यमंत्री जी के सदन में आने पर) उनसे भी अपेक्षा करूंगा. लम्बे समय से युवक हम लोगों से कह रहे हैं, वे व्यथित हैं, झुब्ध हैं. जब भारत के संविधान में संशोधन हो गया है. माननीय मुख्यमंत्री जी मैं आपसे एक विनम्र निवेदन करना चाहता हूँ, भारत सरकार ने संविधान में संशोधन करके जो कि 103 वाँ संशोधन था. इसके द्वारा 10 प्रतिशत आरक्षण सामान्य वर्ग के ऐसे लोग जो बेरोजगार हैं, जो गरीबी रेखा के नीचे हैं, जो विपन्न हैं जो भिक्षावृत्ति भी कर रहे हैं, शिक्षित हैं लेकिन उन्हें चतुर्थ श्रेणी तक की नौकरी नहीं मिल रही है, उनके परिवार में किसी को नहीं मिल रही है. यदि इसको आप संविधान संशोधन की मंशा के अनुसार लागू करेंगे तो आपको पुण्य मिलेगा. ऐसे बेरोजगार नौजवानों का धन्यवाद आपको मिलेगा, आपको कीर्ति मिलेगी, यश मिलेगा. अनेकों राज्य इसे लोगू कर चुके हैं.
अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मुख्यमंत्री जी से बहुत ही विनम्र निवेदन करना चाहूँगा. मैंने जो प्रश्न दिया था डॉ. गोविन्द सिंह जी ने उसका उत्तर भी दिया है, उस उत्तर में उन्होंने लिखा है कि यह "विचाराधीन" है. मैं कहना चाहता हूँ कि अनेकों राज्यों ने इसे तत्काल लागू कर दिया है. भारत सरकार ने भी पदों में वृद्धि कर दी है. इसमें किसी प्रकार की कोई अड़चन नहीं है. मुख्यमंत्री जी से आग्रह करूंगा कि इसके बारे में जल्दी से जल्दी विचार कर गरीब नौजवानों के हित में इसे लागू करने का आदेश जारी करें. बहुत-बहुत धन्यवाद.
मुख्यमंत्री (श्री कमलनाथ)--माननीय अध्यक्ष जी, मैं माननीय सदस्य का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ कि कांग्रेस के घोषणा-पत्र में कई दफे गरीबी के आधार पर आरक्षण का मुद्दा हमने भी रखा था. सैद्धांतिक रुप से हम सहमत हैं. हमने यह तय किया है कि मंत्रिमंडल की एक सब-कमेटी बनाकर उसका कैसे क्रियान्वयन किया जाए, इसका क्या रुप-स्वरुप होगा इस पर कार्यवाही करेंगे.
श्री गोपाल भार्गव--मुख्यमंत्री जी निवेदन है कि अनेकों राज्यों ने इसे लागू कर दिया है उन्होंने कोई कमेटी नहीं बनाई है. आपका बड़प्पन है आप घोषणा कर दें, आपको इसमें वोट भी मिलेंगे. घोषणा कर दें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--माननीय अध्यक्ष महोदय, घोर आपत्ति है. इस पर हमारी घोर आपत्ति है.
अध्यक्ष महोदय--आपत्ति मत करो भाई. मिश्र जी आपके ऊपर बाबूलाल गौर कब से आने लगे हैं ? घोर आपत्ति क्या है. बाबूलाल गौर कब से आने लगे हैं आपके ऊपर. (हंसी)
डॉ. नरोत्तम मिश्र--माननीय अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री जी ने जो कथन किया है. हमारी आपत्ति इसलिए है कि हिन्दुस्तान के जिन राज्यों...
श्री सुखदेव पांसे--आप हर बार नेता प्रतिपक्ष की बात काटते हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--यह कांग्रेस में होता है हमारे यहां ऐसी परम्परा नहीं है.
श्री सुखदेव पांसे--मेरा आपसे निवेदन है कि आप भार्गव जी को विपक्ष का नेता बने रहने दीजिए. आप हमेशा कॉम्पिटीशन में लगे रहते हो.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--देखिए, दिग्विजय सिंह जी ने कमलनाथ गुट के बाला बच्चन जी पर आपत्ति की, आपने सिंधिया गुट के वन मंत्री पर आपत्ति की. हमारे यहां इस तरह से नहीं होता है.
अध्यक्ष महोदय-- नरोत्तम जी विषय कुछ और चल रहा था जो नेता प्रतिपक्ष ने कहा था. (व्यवधान)....
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- मैं उसी बात को कह रहा हूं. कि उन्होंने समिति बनाने का कहा है यह आपत्तिजनक है. इससे यह लंबे समय के लिए टल जाएगा.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं टलेगा.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- टल जाएगा. आप समय सीमा बता दीजिए. आप उस समिति की रिपोर्ट की समय सीमा बता दें तो मैं बैठ जाऊंगा. अध्यक्ष जी सिर्फ समय सीमा आ जाए.
श्री गोपाल भार्गव-- माननीय मुख्यमंत्री जी मैं आपसे बहुत ही विनम्र निवेदन करता हूं कि आप समय सीमा तय कर दें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष जी, आप समय सीमा तय कर दें लोकसभा चुनाव के पहले लागू हो जाएगा. आचार संहिता के पहले आ जाएगा क्या बता दें?
डॉ. गोविन्द सिंह- माननीय मुख्यमंत्री जी ने सहमति दी है और हमारी कांग्रेस पार्टी के घोषणा पत्र में भी इस बात का उल्लेख है कि हम आरक्षण देंगे इसमें गरीबी के आधार पर सवर्णों को भी आरक्षण दिया जाएगा. हम इससे अलग नहीं हैं.
श्री गोपाल भार्गव-- आज एक शब्द की घोषणा कर दें. आपको एक वाक्य बोलना है.
श्री तरुण भनोत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, थोड़ी देर पहले नेता प्रतिपक्ष महोदय कह रहे थे कि शब्दकोष में कुछ शब्द बदलने चाहिए तो सबसे पहला शब्द तो घोषणा बदलना चाहिए. पिछली बार की घोषणा 16, 18 हजार थी. हम घोषणा पर भरोसा नहीं करते हैं हम वचन पूरा करने में विश्वास रखते हैं.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- हमने तो दृष्टिपत्र किया है हम तो दृष्टि पत्र कर चुके हैं. (व्यवधान)
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष जी मैं मुख्यमंत्री जी से सहमत हूं. मैं तो इतनी सी बात कह रहा था कि मंत्री जी क्या आचार संहिता के पहले.. (व्यवधान) ....
अध्यक्ष महोदय-- शून्यकाल में प्रश्नोत्तर नहीं होता है. (व्यवधान)
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- पूरे प्रदेश के नौजवानों का मामला है. बहुत ही गंभीर विषय है. (व्यवधान)...
श्री गोपाल भार्गव-- इतना बड़ा घोषणा पत्र है पूरी शताब्दी में लागू नहीं हो सकता इतना बड़ा घोषणा पत्र है.
अध्यक्ष महोदय-- जानकारी मांगी गई है आप दोनों कृपया मेरे कमरे में आ जाइए.इस बारे में चर्चा कर लूंगा इसकी जानकारी मांगी गई है. आपको कृपापूर्वक उल्लेख किया है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--जानकारी की बात ही नहीं कर रहे हैं. मुख्यमंत्री जी ने समिति की घोषणा की है उस समिति की रिपोर्ट आचार संहिता के पहले आ जाएगी क्या. यह इस मामले को भटकाने की कोशिश है, षड्यंत्र है. यह गंभीर किस्म का षड्यंत्र है. सवर्णों के साथ भेदभाव किया जा रहा है. पूरे प्रदेश के नौजवान सवर्णों के साथ भेदभाव होगा. यह ऐसा विषय नहीं है, यह बहुत ही गंभीर विषय है. (व्यवधान)..
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- यह दबाव बनाकर गलत काम करवाने की कोशिश कर रहे हैं. (व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- क्या शून्यकाल में ऐसा होता है क्या शून्यकाल में माननीय सदस्यों के प्रश्नों के उत्तर दिए जाते हैं. (व्यवधान)..
श्री गोपाल भार्गव-- आप चर्चा करवा लें, यही निवेदन है. (व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- मैंने कहा है आप आ जाइएगा. मैं आपसे कह रहा हूं. इस रूप में इसका क्या किया जा सकता है आप आकर मेरे से चर्चा कर लीजिए. निर्णय ले लेंगे मैं कह तो रहा हूं
श्री गोपाल भार्गव-- बहुत-बहुत धन्यवाद. आप कल चर्चा करवा लें. बड़ी मेहरबानी.
अध्यक्ष महोदय-- कृपा. आप कृपा पूर्वक विराजिए. शून्यकाल में आपकी सूचना नहीं आई है. माफ करिएगा मैंने नेता प्रतिपक्ष को सुन लिया है. शून्यकाल में न तो प्रश्न होते हैं न तो जवाब होता है.
डॉ. सीतासरन शर्मा-- यह विषय नहीं है दूसरा विषय है.
अध्यक्ष महोदय-- विषय की गंभीरता को देखते हुए मैंने यह कर लिया लेकिन शून्यकाल में यह नहीं है 12, 13 शून्यकाल पढ़ चुके हैं मेरा शासकीय कार्य भी बहुत है मेरे को आगे बढ़ने दीजिए.
डॉ. सीतासरन शर्मा-- अध्यक्ष महोदय वही विषय है आपने आज कार्यसूची में सारे विषय ले लिए और अभी आप बोल रहे हैं कि आप अपहरण पर चर्चा कराने का विचार कर रहे हैं. सरकार की नीयत क्या है. (व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- कार्यमंत्रणा समिति में जो निर्णय होते उनकी कृपया यहां पर चर्चा न करें. (व्यवधान)...
12:23 बजे पत्रों का पटल पर रखा जाना
(1) मध्यप्रदेश औद्योगिक केन्द्र विकास निगम (जबलपुर) लिमिटेड का 32 वां वार्षिक प्रतिवेदन एवं वार्षिक लेखा वित्तीय वर्ष 2013-2014
(2) मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का वार्षिक लेखा परीक्षण प्रतिवेदन वर्ष 2017-2018
(3) मध्यप्रदेश राज्य सहकारी बैंक मर्यादित का संपरीक्षित वित्तीय पत्रक वर्ष 2017-2018 एवं मध्यप्रदेश राज्य लघु वनोपज (व्यापार एवं विकास) सहकारी संघ मर्यादित का संपरीक्षित वित्तीय पत्रक वर्ष 2015-2016
12.25 बजे
विशेष उल्लेख
वेतन एवं वेतन भत्तों का समर्पण किया जाना
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे माननीय सदस्य श्री चेतन्य कुमार काश्यप जी अपनी सूचना पढ़ना चाहते हैं. इन्होंने पिछली बार भी अपना वेतन नहीं लिया था और ये इस बार भी पूरे पांच साल का वेतन राजकोष में जमा करना चाहते हैं.
अध्यक्ष महोदय- माननीय सदस्य, अपनी सूचना, अपने स्थान पर जाकर पढ़ लें.
श्री चैतन्य कुमार काश्यप (रतलाम-सिटी)- माननीय अध्यक्ष महोदय, राष्ट्र हित एवं जनहित मेरा ध्येय है. इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए मैं राजनीति में आया हूं. मैं किशोर अवस्था से ही समाज सेवा के कार्यों में अग्रसर हूं तथा कई सेवा प्रकल्पों का संचालन कर रहा हूं. ईश्वर ने मुझे इस योग्य बनाया है कि मैं जनसेवा में थोड़ा सा योगदान कर सकूं. इसी तारतम्य में, मैंने विधायक के रूप में प्राप्त होने वाले वेतन-भत्तों एवं पेंशन को नहीं लेने का निश्चय किया है. पिछली विधान सभा में भी मैंने वेतन-भत्ते ग्रहण नहीं किए थे. मैं चाहता हूं कि मुझे प्राप्त होने वाले वेतन-भत्तों एवं पेंशन की राशि का राजकोष से ही आहरण न हो, ताकि उस राशि का सदुपयोग प्रदेश के विकास एवं जनहित के कार्यों में हो सके. मेरा अनुरोध है कि आप मेरे निवेदन को स्वीकार कर मुझे अनुग्रहित करने की कृपा करेंगे. धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय- संबंधित विभाग इसको देख लेगा.
12.27 बजे
पत्रों का पटल पर रखा जाना (क्रमश:)
4. (क) मध्यप्रदेश जिला खनिज प्रतिष्ठान नियम, 2016 के नियम 18 (3) की अपेक्षानुसार –
(i) जिला खनिज प्रतिष्ठान झाबुआ, अलीराजपुर, सागर, बैतूल, बालाघाट, जबलपुर, नीमच, पन्ना, छिन्दवाड़ा, दमोह, शहडोल एवं धार के वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2016-2017,
(ii) जिला खनिज प्रतिष्ठान रीवा एवं अलीराजपुर के वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017-2018, तथा
(ख) कंपनी अधिनियम, 2013 (क्रमांक 18 सन् 2013) की धारा 395 की उपधारा (1) (ख) की अपेक्षानुसार मैग्नीज ओर इंडिया लिमिटेड (मॉयल लिमिटेड) की 56 वीं वार्षिक रिपोर्ट वर्ष 2017-2018
5. मध्यप्रदेश राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम अधिनियम, 1982 (क्रमांक 37 सन् 1982) की धारा 27 की उपधारा (3) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2015-2016 एवं 2016-2017
6. मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता, 1959 की धारा 258 की उपधार (4) की अपेक्षानुसार अधिसूचना क्रमांक एफ 2-13-2018-सात-शा.7, दिनांक 28 जनवरी 2019
7. (क) विद्युत अधिनियम, 2003 (क्रमांक 36 सन् 2003) की धारा 104 की उपधारा (4) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग के वर्ष 2017-2018 के अंकेक्षित लेखे,
(ख) विद्युत अधिनियम, 2003 (क्रमांक 36 सन् 2003) की धारा 105 की उपधारा (2) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017-2018,
(ग) विद्युत अधिनियम, 2003 (क्रमांक 36 सन् 2003) की धारा 182 की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग की :-
(i) अधिसूचना क्रमांक 1030-म.प्र.वि.नि.आ-2018, दिनांक 17 जुलाई, 2018 एवं
(ii) अधिसूचना क्रमांक 1052-म.प्र.वि.नि.आ.-2018, दिनांक 20 जुलाई, 2018, तथा
(घ) कम्पनी अधिनियम, 2013 (क्रमांक 18 सन् 2013) की धारा 395 की उपधारा (1) (ख) की अपेक्षानुसार एम.पी. पावर मेनेजमेंट कम्पनी लिमिटेड, जबलपुर का एकादश वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2016-2017
(8) मध्यप्रदेश जल निगम मर्यादित का पांचवां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2016-2017.
(9) मध्यप्रदेश ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड का 34वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2015-2016
(10) मध्यप्रदेश वित्त निगम का 63 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017-2018
11.33 बजे
राज्यपाल की अनुमति प्राप्त विधेयकों की सूचना.
11.34 बजे
12.35 बजे सभापति तालिका की घोषणा
12.36 बजे समितियों का निर्वाचन
(1)
(2)
12:40 बजे वर्ष 2018-19 के तृतीय अनुपूरक अनुमान का उपस्थापन.
अध्यक्ष महोदय - वर्ष 2018-19 के तृतीय अनुपूरक अनुमान का उपस्थापन.
वित्त मंत्री (श्री तरूण भनोत) - आदरणीय अध्यक्ष महोदय, मैं राज्यपाल महोदया के निदेशानुसार वर्ष 2018-19 के तृतीय अनुपूरक अनुमान का उपस्थापन करता हूं.
अध्यक्ष महोदय - मैं, इस तृतीय अनुपूरक अनुमान पर चर्चा और मतदान के लिए आज दिनांक 20 फरवरी, 2019 को 2 घंटे का समय नियत करता हूं.
12:40 बजे वर्ष 2004-2005 के आधिक्य व्यय के विवरण का उपस्थापन.
वित्त मंत्री (श्री तरूण भनोत) - अध्यक्ष महोदय, राज्यपाल महोदया, के निर्देशानुसार वर्ष 2004-2005 के दत्तमत अनुदान और भारित विनियोग पर आधिक्य के विवरण का उपस्थापन करता हूं.
12:41 बजे वर्ष 2019-2020 के वार्षिक वित्तीय विवरण का उपस्थापन.
वित्त मंत्री (श्री तरूण भनोत) - अध्यक्ष महोदय, मैं, वर्ष 2019-2020 के वार्षिक वित्तीय विवरण का उपस्थापन करता हूं.
अध्यक्ष महोदय - मैं, वर्ष 2019-2020 के वार्षिक वित्तीय विवरण पर चर्चा के लिए आज 2 घंटे का समय नियत करता हूं.
12:41 बजे वर्ष 2019-2020 के आय-व्ययक(लेखानुदान) का उपस्थापन.
वित्त मंत्री (श्री तरूण भनोत)) - अध्यक्ष महोदय, मैं राज्यपाल महोदया के निर्देश के अनुसार वर्ष वर्ष 2019-2020 के आय-व्ययक(लेखानुदान) का उपस्थापन करता हूं.
12:42 बजे ध्यान आकर्षण
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई)
(1.)हरदा एवं होशंगाबाद जिला सहकारी बैंक द्वारा कृषकों के नाम पर फर्जी ऋण निकाला जाना.
श्री कमल पटेल (हरदा)- धन्यवाद, अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यानाकर्षण की सूचना का विषय इस प्रकार है.
सहकारिता मंत्री (डॉ. गोविन्द सिंह) - अध्यक्ष महोदय,
श्री कमल पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने बहुत विस्तृत में और तथ्यात्मक उत्तर दिया है, मैं इसके लिये उनका धन्यवाद देता हूं. माननीय अध्यक्ष महोदय, लेकिन आप देखें कि 2 करोड़ 77 लाख रूपये बैंक में जमा है परंतु किसानों को पांच- पांच हजार रूपये भी नहीं देते हैं, इन्होंने 2 करोड़77 लाख रूपये बैंक से निकाल लिये हैं और ब्याज पर बाजार में चला दिये हैं और धन्ना सेठों को दे दिये हैं. इस तरह का यह गोरखधंधा चल रहा है और आपने उत्तर में आखिर में यह लिख दिया है कि विभाग की कोई मिली भगत नहीं है. अगर विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की मिली भगत न हो तो क्या कैशियर या ब्रांच मैनेजर की इतनी हिम्मत है कि वह 2 करोड़ 77 लाख रूपये बैंक से निकाल ले और उसके बाद में वर्षों तक वह पैसा ब्याज से चलता रहे और इसको कोई देखने वाला नहीं है. इसलिये इसमें पूरा बैंक, सिर्फ हरदा, होशंगाबाद जिले का बैंक ही नहीं बल्कि भोपाल के वरिष्ठ अधिकारी प्रमुख सचिव स्तर, सहकारिता कमिश्नर सभी मिले हुये हैं. अब उत्तर में दे रहे हैं कि इसमें 91-91 कर्मचारी दोषी पाये गये हैं, 62 कर्मचारी दोषी पाये गये हैं, चार मर गये हैं, एक सेवानिवृत्त हो गया परंतु कोई कार्यवाही नहीं हुई है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2011 से 26 लोगों पर ई.ओ.डब्ल्यू. में जांच चल रही है, जांच अभी तक जारी है न चालान पेश किया गया है और न ही जांच का कुछ किया गया है. (XXX) इस प्रकार पूरा विभाग भ्रष्टाचार में लिप्त है और इसलिये मैं माननीय मंत्री जी आपसे बहुत उम्मीद करता हूं कि आप इनकी जांच मेरे समक्ष करायें. मैं आपको एक एक प्रमाण दूंगा और प्रमाण के साथ समय सीमा निश्चित करें कि एक माह के अंदर ये जितने दोषी अधिकारी हैं जो वर्षों से बचे हुये हैं, उन सबके खिलाफ कार्यवाही करके उनको जेल भेजें.
माननीय अध्यक्ष महोदय, एक सहायक प्रबंधक जिसकी तनख्वाह तीन हजार रूपये है और एक-एक करोड़, दो-दो करोड़ रूपये के बंगले हरदा में, भोपाल में, इंदौर में और मुंबई तक मैं फ्लैट हैं, इन्होंने किसानों का खून चूसकर इतनी संपत्ति अर्जित की है. गरीब किसान जिन्होंने ऋण लिया ही नहीं है. मैं प्रश्न करना चाहता हूं कि उनको कर्जदार बना दिया है, उनको डिफाल्टर बना दिया है. वह न खाद ले सकते हैं न बीज ले सकते हैं न खेती कर सकते हैं, वह आत्महत्या करने के लिये उतारू हैं. इसलिये माननीय मंत्री महोदय, मैं आपसे प्रश्न करना चाहता हूं और मेरी आपसे उम्मीद भी है कि आप तत्काल एक समिति बनायें और वह समिति सहकारिता विभाग की न हो वह राजस्व विभाग की हो और उसमें आईएएस अधिकारी भोपाल से या आप कमिश्नर होशंगाबाद की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाकर एक माह के अंदर जांच कर उस कमेटी में हरदा जिले के और होशंगाबाद जिले के जनप्रतिनिधियों को रखें, सभी 6 विधायकों को रखें और उसके बाद दूध का दूध और पानी का पानी होगा तब जाकर सहकारिता के बैंक बचेंगे नहीं तो यह दीमक की तरह पूरा खा गये हैं. क्या माननीय मंत्री महोदय कार्यवाही करेंगे ?
श्री गिर्राज डण्डौतिया (दिमनी) - माननीय अध्यक्ष महोदय, जब यह विषय आ गया है मैंने ध्यानाकर्षण लगाया था, इस संबंध में मैं भी कुछ बोलना चाहता हूं मेरी विधानसभा दिमनी उसमें इसी तरह का बहुत बड़ा घोटाला हुआ है.
अध्यक्ष महोदय - श्री डण्डौतिया जी मेहरबानी करिये हर चीज की एक प्रक्रिया होती है.
श्री गिर्राज डण्डौतिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, जब विषय आ ही गया है इसलिये यदि आपका आदेश होगा तो मैं भी थोड़ा बोल लूं.
अध्यक्ष महोदय - श्री डण्डौतिया जी ऐसा नहीं होता है यह विषय अलग है. श्री के.पी.सिंह जी आप माननीय सदस्य को नियम एवं प्रक्रिया समझाईये मेहरबानी होगी.
डॉ. गोविन्द सिंह - आप इस संबंध में अलग से लगा दें.
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री (श्री तुलसीराम सिलावट) - माननीय अध्यक्ष महोदय, श्री डण्डौतिया जी आपका संरक्षण चाहते हैं.
डॉ. गोविन्द सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं पूरी तरह से माननीय विधायक जी द्वारा उठाये गये प्रश्नों से सहमत हूं. वास्तव में पिछले 10-12 वर्षों में पूरा सहकारी आंदोलन भ्रष्टाचार के गर्त में रहा, सहकारी संस्थाओं में बैठे हुये अध्यक्ष, कर्मचारी और अधिकरियों की मिली भगत से यह हुआ है.जहां तक ई.ओ डब्ल्यू. का सवाल है, प्रकरण दर्ज है. मैं आर्थिक ब्यूरो अनुसंधान को निर्देशित करता हूं कि उन्होंने प्रकरण दर्ज किया है उस प्रकरण में तीन माह के अंदर पूरी जांच करके कार्यवाही करें, चालान प्रस्तुत करें.
श्री कमल पटेल-- धन्यवाद.
डॉ.गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष महोदय, दूसरी बात जहां तक सवाल अन्य कर्मचारियों के दोषी होने का है, जो कर्मचारी दोषी थे और संचालक मंडल, यह संचालक मंडल तो आपकी पार्टी के सब जगह थे, उन संचालक मंडल ने जो गड़बड़ी की है, संचालक मंडल के विरूद्ध भी जितनी कानूनी, वैधानिक रूप से कार्यवाही हो सकती है वह करेंगे और साथ ही हमने अपने उत्तर में इस बात को स्वीकार किया है कि जांच की आवश्यकता हुई तो अलग से भी जांच करायेंगे और जो भी दोषी होगा जो कर्मचारी और अधिकारी विभाग के हैं, चूंकि विभाग को यह जानकारी नहीं है,प्रमाण नहीं है तब तक कोई कार्यवाही करना संभव नहीं है. अगर विभाग की जानकारी में कोई प्रमाण देता है तो विभाग के जिन अधिकारियों ने जांच नहीं कराई, जो मौन समर्थन रहकर के भष्टाचार में शामिल रहे उनके विरूद्ध भी उस कार्यकाल की जांच करवाकर के कार्यवाही की जायेगी और कार्यवाही निष्पक्ष और बिना भेदभाव के होगी. हम आपसे यह भी कहना चाहते हैं कि सहकारी समितियों से लेकर के जो पिछले कई वर्ष में, इसमें 2008 का भी ऋण माफी का मामला है उस समय भी इन्होंने ऐसे ही किया था. बाद में इस संबंध में मैंने भी प्रश्न लगाये थे और आपने भी लगाये थे. मामले को विधानसभा में उठाया था तो कई लोगों के द्वारा जो राशि गबन की गई थी वह जमा की गई थी.ऐसे लोगों की आदत बिगड़ रही है . हम इस संबंध में सदन से और आप सभी सदस्यों से राय लेना चाहते हैं कि इस संबंध में आप अपने महत्वपूर्ण सुझाव दें, ताकि जो सहकारी क्षेत्र में अधिकारी और कर्मचारी दीमक की तरह चाट रहे हैं उनको भी प्रतिबंधित करने के लिये नियमों में संशोधन करना पड़ा तो हम वह भी करेंगे, यदि कानून में संशोधन करना पड़ा तो वह भी किया जायेगा. यह हमारी निष्पक्ष राय है. मैं भी पूरी तरह से सहकारी आंदोलन के भ्रष्टाचार से व्यथित हूं.
श्री कमल पटेल -- अध्यक्ष महोदय, मेरा दूसरा प्रश्न है.
अध्यक्ष महोदय -- (विपक्ष के एक दो सदस्यों द्वारा प्रश्न के लिये हाथ उठाने पर ) मैंने जब ध्यानाकर्षण पढ़े उसके पहले नियम प्रक्रिया के बारे में उल्लेख किया था. मैं नियमों को शिथिल करके यह ध्यानाकर्षण ले रहा हूं मूल प्रश्नकर्ता को ही मैं प्रश्न करने की अनुमति दूंगा. माफी चाहूंगा. समय सीमा को ध्यान में रखते हुये मैं किसी को अनुमति नहीं दूंगा.
डॉ.सीतासरन शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, होशंगाबाद जिले का नाम लिया, वहां का मामला है इसलिये एक प्रश्न पूछने की अनुमति दे दें.
अध्यक्ष महोदय--मूल प्रश्नकर्ता को तो आप प्रश्न करने दीजिये.
डॉ.सीतासरन शर्मा- अध्यक्ष जी, मूल प्रश्नकर्ता के प्रश्न के बाद एक प्रश्न सिर्फ.
अध्यक्ष महोदय- अभी केवल मूल प्रश्नकर्ता .
श्री कमल पटेल -- अध्यक्ष महोदय, माननीय सहकारिता मंत्री जी ने जो उत्तर दिया है उसी आधार पर मैं कह रहा हूं कि इसमे 31 लोगों को चेतावनी देकर के छोड़ दिया है. 62 कर्मचारियों को चेतावनी देकर के छोड़ दिया , यह कोई सजा है क्या ? और इसलिये माननीय मंत्री जी मेरा कहना है कि जितने लोग दोषी पाये गये हैं उनको चेतावनी न देते हुये उनको निलंबित किया जाये, नौकरी से बर्खास्त किया जाये क्योंकि इन्होंने किसानों को बर्बाद कर दिया है. और इसलिये मेरी मांग है कि अभी सदन में आप घोषणा करे कि जितने भी लोग दोषी पाये गये हैं, जांच का विषय तो बाद का है , जो दोषी पाये गये हैं जिनको चेतावनी देकर के पहले छोड़ा गया था क्या मंत्री उन लोगों को तत्काल इसी समय निलंबित करने की आप घोषणा करेंगे ? और जिन अधिकारियों ने उनको संरक्षण दिया उनके खिलाफ जांच बैठायेंगे ? जांच में जनप्रतिनिधियों को शामिल रखें , हम जांच नहीं करेंगे किंतु हम जांच में सहयोग करेंगे . हम तथ्य देंगे, हम प्रमाण देंगे . हम चाहते हैं कि दोषी के विरूद्ध कार्यवाही हो तब जाकर के सहकारिता से भ्रष्टाचार खत्म होगा.
डॉ.गोविन्द सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने अपने वक्तव्य में स्पष्ट कर दिया है कि अधिकारी और कर्मचारी के विरूद्ध प्रमाण मिलने पर दुबारा जांच भी हो सकती है. आप प्रमाण देंगे हम दुबारा जांच करायेंगे और जो भी दोषी है.
श्री कमल पटेल -- माननीय मंत्री जी आपने अपने उत्तर में ही इस बात को लिखा है कि दोषी पाये गये हैं लेकिन उनको चेतावनी देकर के छोड़ दिया है, उनको दंडित करना चाहिये. उनको निलंबित करना चाहिये.
डॉ. गोविंद सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, उनका अपराध देखा जायेगा, आपने पढ़ा नहीं है, उसमें लिखा है कि जरूरत हुई तो दोबारा जांच भी हम करायेंगे और आप बतायेंगे कि कौन-कौन दोषी हैं, हो सकता है कि बैंक में बैठे हुये संचालक मंडल के सदस्य, यह सब मिलीभगत करके, भ्रष्टाचार करके किसानों को लूटते रहे और किसानों को लूटने वाले संचालक मंडल के सदस्य अगर वह भी अध्यक्ष सहित इसमें शामिल थे या इन्होंने कोई कार्यवाही नहीं की, चेतावनी देकर छोड़े गये तो हम प्रयास करेंगे और विभाग को निर्देशित करेंगे कि इनके विरूद्ध भी जिन लोगों ने संरक्षण दिया चाहे अधिकारी हों, चाहे बैंक के सदस्य हों और चाहे सहकारिता विभाग के हों, उनके खिलाफ भी 120 की कार्यवाही कर एफआईआर दर्ज कराई जाये.
श्री कमल पटेल-- यह सब ठीक है, बिलकुल करें लेकिन यह 208.28 लाख राशि वसूली हेतु शेष है अभी कुल 1 करोड़ 30 लाख ही वसूल किये गये हैं और जिन अधिकारियों ने वसूल नहीं किये हैं उन्होंने उनसे माल ले लिया है तो उनके खिलाफ भी कार्यवाही करें न, क्यों नहीं अभी तक वसूल किये गये और किसानों को मैंने बीमा दिलवाया, वह बीमा भी अधिकारी हड़प कर गये, एक किसान को बीमा नहीं मिला और उसकी भी वर्ष 2011 से जांच चल रही है और टीआई ने जांच में क्या बोला है, साक्ष्य नहीं मिलने के कारण कोर्ट को खात्मा भेज दिया पैसा लेकर और इसलिये जिन अधिकारियों ने चाहे कोई भी हो, चाहे संचालक मंडल हो, चाहे अधिकारी कर्मचारी हों, कितना ही बड़ा अधिकारी क्यों न हो सबके खिलाफ एफआईआर कराई जाये और आज उन अधिकारियों को निलंबित करने की घोषणा करें तब जाकर मैं मानूंगा कि मंत्री जी कार्यवाही कर रहे हैं.
डॉ. सीतासरन शर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे होशंगाबाद जिले का सवाल है और उन्होंने नाम भी लिया है होशंगाबाद, हरदा जिला सहकारी बैंक एक ही है. इस घोटाले से बड़ा घोटाला यह है कि ऋण को तो कागज में जोड़ दिया, आप कागज दे देंगे माफ हो जायेगा, किंतु सेविंग एकाउंट में अपनी मेहनत का पैसा जिन्होंने 5 लाख, 10 लाख, 15 लाख जमा किया था वह पैसा बैंक के अधिकारियों ने निकाल लिया अब किसान भटक रहे हैं, क्या मंत्री जी उनको पैसा वापस दिलवायेंगे, रायपुर सोसायटी का प्रकरण है ?
अध्यक्ष महोदय-- अब आप दोनों कृपापूर्वक बैठ जाइये, मंत्री जी को जवाब देने दीजिये.
डॉ. गोविंद सिंह-- पहले तो आपने जो कहा है आप प्रमाण देते जायें, लिखकर दें, अगर सही होगा तो कठोर कार्यवाही होगी, कोई पक्षपात नहीं किया जायेगा. हमारी ओर से न मंशा खराब है और न ही नीयत खराब है, जो दोषी हैं मैं स्वयं अपनी तरफ से भी प्रयास कर रहा हूं, लेकिन एक बात और देखो आप 12-15 वर्षों से सरकार चलाते रहे, आपके ही लोग बैंकों में बैठे रहे, तब आपने कोई कार्यवाही नहीं की, उस समय भी तो आपको कुछ करना था. (सत्तापक्ष द्वारा मेजो की थपथपाहट) मैं तो करूंगा.
श्री पी.सी.शर्मा-- मंत्री जी, हरदा, होशंगाबाद में इन्हीं के लोग हैं जो फंसे हुये हैं.
डॉ. सीतासरन शर्मा-- माननीय मंत्री जी, कार्यवाही की है, सस्पेंड पड़े हैं, किंतु पैसा तो वापस दिलवाइये.
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी जब बोल रहे हैं तो उनको बोलने दीजिये, जब आप बोल रहे थे तब मंत्री जी चुपचाप सुन रहे थे और जब मंत्री बोल रहे हैं तो उनको बोलने दीजिये.
डॉ. गोविंद सिंह-- माननीय शर्मा जी, आपने संज्ञान में यह बात लाई है कि पैसा नहीं मिला है, उन पर कार्यवाही होगी. अब मान लीजिये कोई गबन कर जाता है तो जेल में भी तो डाले जाते हैं, पुलिस कार्यवाही करेगी और अगर आवश्यक हुआ तो पुलिस को निर्देशित करेंगे कि इनकी सम्पत्ति जप्त करने के नियमों में प्रावधान होंगे तो वह भी किया जाये और जांच बिलकुल होगी, आप बतायें अगर आप सहकारिता विभाग से अतिरिक्त जांच चाहते हैं तो वह जांच कराने के भी हम निर्देश देंगे.
श्री कमल पटेल-- कमिश्नर को आप जांच अधिकारी बना दें और हमारे समक्ष जांच करें. दूसरा माननीय अध्यक्ष महोदय, जिन किसानों का, मैंने ऋण लिया ही नहीं और मेरे ऊपर 15 लाख रूपये निकाल दिये, किसान ने ऋण लिया नहीं उसके ऊपर 5 लाख रूपये निकाल दिये, उनको न तो बैंक से ऋण मिल रहा, तो क्या पहले उनके ऊपर जीरो ऋण करेंगे ताकि उनको खाद, बीज मिल सके, वह खेती कर सके, वह आत्महत्या न करे, वह देश के उत्पादन में अपना योगदान दे सके. क्या माननीय मंत्री महोदय, यह निर्देश देंगे कि जितने किसानों की शिकायत है और जांच में दोषी पाये गये उनको ऋणमुक्त करेंगे, उनको डिफाल्टर घोषित कर दिया है, वह वर्षों से खाद, बीज नहीं ले पा रहे.
अध्यक्ष महोदय-- चलिये कमल भाई हो गया, आपको मैंने चौथा प्रश्न अलाऊ कर दिया है, अब प्लीज बैठ जाइये.
(1.05 बजे) अध्यक्षीय घोषणा
भोजनावकाश न होने विषयक
अध्यक्ष महोदय - आज भोजनावकाश नहीं होगा. सदन की लाबी में भोजन की व्यवस्था की गई है. माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि अपनी सुविधानुसार भोजन ग्रहण करने का कष्ट करें.
ध्यानाकर्षण(क्रमश:)
डॉ.नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, मैं प्रश्न नहीं पूछ रहा हूं. मैं यह कह रहा हूं कि प्रश्नकाल और ध्यानाकर्षण बड़ा महत्वपूर्ण होता है. हमारी आपसे प्रार्थना है कि एक बार माननीय उपाध्यक्ष महोदया आसंदी पर आएं.
अध्यक्ष महोदय - इसके बाद.
डॉ.नरोत्तम मिश्र - हम ध्यानाकर्षण पर ही चाहते थे. एक ध्यानाकर्षण उनके द्वारा भी होता तो सदन को अच्छा लगता.
अध्यक्ष महोदय - आपकी भावनाओं की कद्र करता हूं.
गैस राहत एवं पुनर्वास मंत्री(श्री आरिफ अकील) - देर आए दुरुस्त आए.
डॉ.नरोत्तम मिश्र - देर से तो आप आए हो. हम तो पंद्रह साल से यहीं थे.
डॉ.गोविन्द सिंह - मैंने पूरा विस्तार से जवाब दे दिया है. आप प्रमाण सहित दीजिये हम उस पर कार्यवाही करेंगे. निर्देश देंगे.
अध्यक्ष महोदय - मैंने आप लोगों से प्रार्थना की कि कृपापूर्वक सदन के संचालन में उतना ही हस्तक्षेप करें जिससे कि अन्य सदस्यों के भी प्रश्न हैं वह रुकावट का कारण न बने. आपको मैं पर्याप्त समय दे रहा हूं. माननीय मंत्री जी जब बोल रहे हैं कि वे हर प्रकार की जांच करूंगा. आप साक्ष्य लाकर दें. बात वहीं समाप्त हो जाती है कमल भाई,
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह - अध्यक्ष महोदय, मेरा इतना आग्रह मंत्री जी से कि हर जिले में यह जांच करा लें.
अध्यक्ष महोदय - विषय वस्तु पर ही जांच होगी.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह - आलरेडी एफ.आई.आर.रजिस्टर्ड है उस पर कार्यवाही नहीं हो रही है.
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी विराजिये, जो विषयवस्तु होती है उसी दायरे में बात करें. आप लोगों की मेहरबानी होगी. यह जिस जगह का प्रश्न है वहीं तक सीमित रहे.
श्री हर्ष विजय गेहलोत(गुड्डू) - अनुपस्थित
(1.07 बजे) (3)उज्जैन जिले के महिदपुर तहसील अंतर्गत अवैध उत्खनन के प्रकरण में अर्थदण्ड की वसूली न किये जाने
श्री बहादुर सिंह चौहान(महिदपुर) - अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यान आकर्षण सूचना का विषय इस प्रकार है :-
राजस्व मंत्री (श्री गोविन्द सिंह राजपूत) - माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री बहादुर सिंह चौहान (महिदपुर) - अध्यक्ष महोदय, यह प्रकरण 3 विभागों विधि और विधायी कार्य, खनिज साधन और राजस्व विभाग से जुड़ा हुआ है. मैं विधि और विधायी कार्य विभाग को धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने दिनांक 10.1.19 को परिरक्षण आदेश जारी कर दिया और अब जो यह मामला है वह राजस्व विभाग और खनिज साधन विभाग के बीच में हैं. एसडीएम न्यायालय से दिनेश पिता मांगीलाल के विरुद्ध आदेश पारित हुआ. कमिश्नर न्यायालय से, राजस्व मंडल से आदेश पारित हुआ. हाईकोर्ट की सिंगल बैंच से और हाईकोर्ट की डबल बैंच से आदेश पारित हुआ. किसी भी न्यायालय के आदेश का पालन दिनेश पिता मांगीलाल द्वारा नहीं किया गया है. अंतिम आदेश डबल बेंच ने यह किया है कि दिनेश पिता मांगीलाल ने राहत मांगी और माननीय न्यायालय ने केस को रिमांड करके कहा कि इसकी 20 प्रतिशत राशि अर्थात् 6 करोड़ 5 लाख 85 हजार 120 रूपये जमा करायें और जमा कराने पर ही कलेक्टर उज्जैन सुनेंगे. लेकिन आज दिनांक तक दिनेश पिता मांगीलाल के द्वारा शासकीय खजाने में कोई राशि जमा नहीं की गई है.
माननीय अध्यक्ष महोदय जब जब भी न्यायालय के आदेश हुए हैं. लेकिन विभाग के अधिकारियों के द्वारा स्टे के लिए अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है. तीन माह चार माह करके इस तरह से चार साल व्यतीत कर दिये हैं. अब विधि विभाग के द्वारा 10-1-2019 को यह आदेश दिया गया है कि एसएलपी क्रमांक28983/2018 के विरूद्ध आप सुप्रीम कोर्ट में जवाब पेश करें. लेकिन आज 40 दिन हो गये हैं लेकिन खनिज साधन विभाग के द्वारा आज दिनांक तक जवाब इसलिए पेश नहीं किया है कि उसको स्टे मिल जाय और इधर 30 करोड़ 29 लाख 25 हजार 600 रूपये की वसूली नहीं हो सके. यह दोनों विभाग के बीच में चल रहा है. तहसीलदार महिदपुर के द्वारा कहा गया कि दिनेश पिता मांगीलाल को अंतिम सूचना पत्र दिया जाता है कि 10-9-2018 तक राशि जमा करें. यदि वह जमा नहीं करते हैं तो उनकी चल अचल संपत्ति कुर्क कर ली जायेगी. मैं आपके माध्यम से सीधा सीधा प्रश्न करना चाहता हूं इसमें मुझे आपका पूर्ण संरक्षण चाहिए और आपकी बड़ी दया है. मैं चाहता हूं कि खनिज विभाग के दोषी अधिकारी जिन्होंने 40 दिन तक एसएलपी का जवाब पेश नहीं किया है. उसके खिलाफ 15 दिन में निलंबित कर कार्यवाही करेंगे, नंबर दो राजस्व विभाग के तहसीलदार के द्वारा 6 माह तक कुर्की का आदेश जारी करने के बाद में भी आज तक राजस्व विभाग के द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई है. मुझे पता है कि तीन तहसीलदारों को निलंबित करने के कारण प्रदेश में क्या स्थिति है. मैं इतना चाहता हूं कि क्या मंत्री जी आप भोपाल स्तर से एक समिति बनाकर खनिज साधन विभाग के अधिकारी, या राजस्व विभाग के जो भी दोषी अधिकारी हैं उन पर 15 दिवस में जांच करके उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही करेंगे.
डॉ नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय आरिफ अकील जी को बैठे बैठे बोलने की अनुमति दे दी जाय.
श्री गोविंद सिंह राजपूत -- आप दोनों से समय मिल जाय तब ना. माननीय गोपाल भार्गव और नरोत्तम मिश्रा जी से समय मिल जाय तब आरिफ अकील जी बोलें.
अध्यक्ष महोदय -- गोविंद जी आप आरिफ अकील और नरोत्तम मिश्रा जी के बीच में बिल्कुल न आयें. आप तो उत्तर दें.
श्री गोपाल भार्गव -- मैं प्रस्ताव करता हूं कि एक जेसीबी मशीन लगाई जाय.
श्री गोविंद सिंह राजपूत -- अध्यक्ष महोदय माननीय सदस्य ने जो तहसीलदार द्वारा इस प्रकरण में देरी होने के कारण जांच की बात की है. मैं कमिश्नर के स्तर पर समिति बनाकर एक माह में जांच करा दूंगा.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- यह तो अधिकारियों के खिलाफ में कार्यवाही हो गई है. मेरा मूल प्रश्न है कि 30 करोड़ 29 लाख 25 हजार 600 रूपये की वसूली अगर सरकार करेगी तो यह किसानों की ऋण माफी में काम आयेंगे. मेरा आग्रह आपके माध्यम से यह है कि यह बड़ी मछली है और इसके खिलाफ में कार्यवाही करने के लिए मुझे क्या क्या तकलीफें उठाना पड़ रही हैं उसके बारे में तो मैं आपको अकेले में आकर बताऊंगा. मेरा आपके माध्यम से यह प्रश्न है कि क्या मंत्री जी आपके तहसीलदार जिसने 6 माह से नोटिस जारी कर रखा है 30 करोड़ 29 लाख 25 हजार 600 रूपये का क्या एक माह में दो माह में तीन माह में जिसकी कुर्की का आदेश जारी है इसकी वसूली 3 माह के अंदर करवा लेंगे.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- अध्यक्ष महोदय, उत्खननकर्ता जो था, उसकी सम्पत्ति कुर्क की जा चुकी है.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- अध्यक्ष महोदय, यह असत्य जानकारी है.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय सदस्य शांति रखिये, विचलित न हों.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- माननीय सदस्य मैं जवाब दे रहा हूं. कुर्क सम्पत्ति की नीलामी का जब प्रयास किया गया, तो कोई बोलीदार नहीं आया. जब बोली लगाने वाला नहीं आता है, तो जमीन को शासकीय घोषित किया जाता है..
श्री बहादुर सिंह चौहान -- अध्यक्ष महोदय, मेरी आपत्ति है. बोली लगाने के लिये हजारों लोग तैयार हैं. यह असत्य बात है. अध्यक्ष महोदय, राजसात कैसे करेंगे, कुर्की का आदेश आलरेडी है और बोली लगाने के लिये हजारों लोग तैयार हैं.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय सदस्य, आप सुन लें. एक बार उत्तर आने दीजिये. उसके बाद मैं भी बैठा हूं ना. आप जरा धीरज रखेंगे. शासन के कोष का विषय है. मैं भी समझ रहा हूं.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- अध्यक्ष महोदय, मैं सदस्य की भावनाएं समझ रहा हूं. पहले मुझे पूरा उत्तर तो देने दीजिये. अध्यक्ष महोदय, शासकीय जमीन जब घोषित हो जायेगी, शासकीय जमीन घोषित होने के उपरांत कार्यवाही की जाकर वसूली की जायेगी. आप समय सीमा चाहते हैं, शासकीय जमीन घोषित होने के उपरांत थोड़ा समय लग सकता है. आप 3-4 माह कह रहे हैं, मैं कह रहा हूं कि एक माह के अंदर कुर्की की कार्यवाही कर इसकी जांच प्रारम्भ कर दी जायेगी.
अध्यक्ष महोदय -- आखिरी प्रश्न.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- अध्यक्ष महोदय, मैं 2003 से विधायक हूं और मंत्री जी के साथ विधायक बनकर हम पहली बार आये थे. मैं इतना आग्रह कर रहा हूं कि कुर्की का चल, अचल सम्पत्ति का आदेश तो विभाग ने कर रखा है. यह राजसात करने का नया नियम कहां से ले आये. मंत्री जी, आप अच्छे मंत्री जी हैं. आप 247(2) को पढ़ लें, उसमें यह राजसात करने का कहां प्रावधान है. आप सीधा -सीधा देख लें कि गरीब पर यदि 20 हजार का लोन हो, तो उसकी मोटर साइकिल उठा लेते हैं और इतने बड़े मगरमच्छ, जिन्होंने अरबों में भ्रष्टाचार किया है, क्या उसकी चल,अचल सम्पत्ति जो आपने आदेश किया है, मेरा कहना है कि राजसात करने की बजाये एक महीने के अन्दर इसकी चल अचल सम्पत्ति कुर्क करके इस राशि को जमा कर लिया जाये, मैं यह चाहता हूं एक माह में.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- अध्यक्ष महोदय, मैंने कहा है, माननीय सदस्य समझने का प्रयास करें. माननीय न्यायालय के आदेश के अधीन रहते हुए, मैंने कहा ना कि एक माह के अंदर कार्यवाही प्रारम्भ कर दी जायेगी.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- अध्यक्ष महोदय, मैं जो चाह रहा हूं और यह तहसीलदार का जो..
अध्यक्ष महोदय -- आप एक मिनट रुकेंगे. मंत्री जी, माननीय सदस्य की सिर्फ यह पीड़ा है कि राज्य शासन के कोष का जो घाटा हो रहा है, आपकी नियम प्रक्रिया ऐसी हो, ताकि एक महीने में जितने यह प्रश्न इतने वर्षों से उठ रहे हैं, उनका समाधान हो जाये, ऐसी कार्यवाही करियेगा.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- अध्यक्ष महोदय, गोपाल भार्गव जी कह रहे थे कि यथाशीघ्र विलोपित कर दिया जाये. मैंने यथाशीघ्र न बोल करके एक महीने का समय माननीय सदस्य को दे दिया. अब तो उन्हें धन्यवाद देना चाहिये.
अध्यक्ष महोदय -- चलिये. आप मंत्री जी को धन्यवाद दीजिये.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- अध्यक्ष महोदय, मैं धन्यवाद दे रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय -- श्री संजय यादव, अपने ध्यान आकर्षण की सूचना पढ़ें.
1.24 बजे (4) प्रदेश में रेत खदानों में पर्यावरण संरक्षण हेतु स्थानीय समितियों का गठन न किया जाना.
श्री संजय यादव (बरगी)-- अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यान आकर्षण सूचना का विषय इस प्रकार है :-
खनिज
साधन मंत्री
(श्री प्रदीप
अमृतलाल
जायसवाल) -- अध्यक्ष
महोदय,
श्री संजय यादव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आप भी नर्मदा किनारे के हैं, मैं भी नर्मदा किनारे का हूँ और (XXX)
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष जी, यह विलोपित करवाएं.
अध्यक्ष महोदय -- विलोपित कर दें.
श्री संजय यादव -- अध्यक्ष महोदय, मैं नर्मदा से संबंधित बात कर रहा हूँ. पूर्व की जो खनिज नीति थी, आज भी बाहुबलियों का कब्जा माँ नर्मदा की रेत खदानों पर है. राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल का आदेश है, माननीय उच्च न्यायालय का आदेश है कि पूरे प्रदेश में मशीनों से उत्खनन नहीं किया जाएगा और बड़े-बड़े हाईफाई डिवाइस से रेत नहीं खोदी जाएगी, लेकिन सबसे ज्यादा यह हो रहा है. आपको याद होगा कि पिछले साल पूर्व मुख्यमंत्री जी के भतीजे के 8 डम्पर पकड़े गए थे क्योंकि माननीय उच्च न्यायालय ने आदेश किया था कि रेत का खनन हाईवा से, बड़ी-बड़ी मशीनों से नहीं होगा. बड़ी मशीनों से रेत का खनन होने से जलीय जीव-जन्तु मारे जा रहे हैं, जिसमें नर्मदा के स्तर का विपरीत प्रभाव पड़ रहा है. आज पूरे प्रदेश में रेत माफिया इस कदर हावी हैं ..
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, फिर एक विषय आया, मेरी आपत्ति है कि ये फ्री स्टाइल भाषण माननीय सदस्य न करें.
श्री संजय यादव -- पहली बार आया हूँ, दादा आपसे सिखूंगा ना.
अध्यक्ष महोदय -- सीखने दो, सीखने दो, गोपाल भाई, सीखने दो.
श्री संजय यादव -- अध्यक्ष महोदय, मैं पहली बार बोल रहा हूँ. मैंने आपकी बात स्वीकार कर ली है.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने कहा है पूर्व मुख्यमंत्री के भतीजे, मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूँ, एक तो वे सदस्य सदन में भी नहीं हैं. दूसरी बात, कोई ऐसी नामजद रिपोर्ट, शिकायत, जप्ती, राजसात होना, ऐसा कुछ हुआ है क्या.
श्री संजय यादव -- हुआ था, गाड़ियां पकड़ी गई थीं.
श्री गोपाल भार्गव -- कोई प्रमाण है क्या, क्या आपने पटल पर रखकर पूछा ? क्या आपने अनुमति मांगी ?
श्री संजय यादव -- इसी विषय से संबंधित है.
श्री गोपाल भार्गव -- यादव जी, आप अनुमति ले लें, फिर इसके बाद आप बोलें.
श्री संजय यादव -- अगली बार ले लेंगे दादा.
अध्यक्ष महोदय -- गोपाल भार्गव जी, आपको दादा बोल रहे हैं.
वित्त मंत्री (श्री तरुण भनोत) -- माननीय नेता प्रतिपक्ष जी, हमारे सदस्य महोदय ने पूर्व मुख्यमंत्री का उल्लेख किया, नाम तो नहीं लिया, आप कौन से पूर्व मुख्यमंत्री के बारे में इंगित कर रहे हैं कि न बोलें ?
श्री गोपाल भार्गव -- देखो, एक वे भी हैं जिन्होंने आप लोगों को कल डांट लगाई है हाऊस के बाहर. मैं चर्चा नहीं करना चाहता, इन सब विषयों की, आप मुद्दे पर आ जाएं.
अध्यक्ष महोदय -- मूल विषय चलने दीजिए.
श्री संजय यादव -- अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे विनम्र निवेदन है कि हमें नर्मदा जी को बचाना है. उसके लिए जो राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल के नियम हैं, रेत में हाईवा चलने से, डम्पर चलने से स्थानीय मजदूरों को रोजगार नहीं मिल रहा है. माननीय उच्च न्यायालय का आदेश भी है कि प्रदेश में रेत का खनन हाइवा डंपर से नहीं होगा. माननीय उच्च न्यायालय का आदेश है कि प्रदेश के अंदर नदियों से या नर्मदा नदी से हाईफाई डिवाइस, बड़ी मशीनों से रेत का उत्खनन नहीं होगा. लेकिन पिछले 5, 10 सालों में जितना तांडव नर्मदा नदी के साथ हुआ है और जितनी क्रूरता नर्मदा नदी के साथ बरती गई है. इस संबंध में मैं आपसे निवेदन करना चाहूंगा कि वर्तमान में अगर जनप्रतिनिधि किसी शिकायत से परेशान हैं.
अध्यक्ष महोदय -- आप प्रश्न पर आइए.
श्री संजय यादव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे इसमें निवेदन है कि माननीय उच्च न्यायालय के आदेश का पालन करवाते हुए तत्काल नदियों से यदि 24 घण्टे के अंदर चोरी रुकवाना है तो वह खनिज मंत्री जी रुकवा सकते हैं. क्योंकि हाइवा भरने के लिए मशीन की जरुरत होती है. उस 6 चका ट्रक भरने के लिए मजदूरों की जरुरत होती है. हाइवा मजदूरों से नहीं भरा जाता. हाइवा नदी के अंदर जाएगा तो मशीन उसको लोडिंग करने जाएगी और मशीन लोडिंग करने जाएगी तो स्वाभाविक रुप से रेत निकालेगी. अगर 6 चका ट्रक जो फुल बॉडी रहता है मजदूरों को काम मिलता है जब रेत भरते हैं खाली करने में भी मजदूरों का उपयोग होता है. श्रमिकों को रोजगार मिलता है. मशीनें नदी के अंदर एलाउ नहीं हैं. लेकिन आज भी बिना मशीनों के नहीं निकाली जा रही है.
अध्यक्ष महोदय -- यादव जी, प्रश्न करिए.
श्री संजय यादव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे निवेदन है कि शासन को राजस्व की जो क्षति हो रही है जल्द से जल्द पुरानी नीति बदलते हुए तत्काल स्टेट निगम के अंतर्गत खदानों का ठेका करवाएं. रेत में हाइवा का प्रयोग बंद करवाएं और मशीनों का प्रयोग रेत में बंद करवाएं. माननीय मंत्री जी, आप कब इसका पालन करवाएंगे ?
श्री प्रदीप अमृतलाल जायसवाल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं श्री संजय यादव जी की भावनाओं से अवगत हॅूं. मेरी अपनी भावनाएं भी उनसे जुड़ी हुई हैं और माता नर्मदा जी के बारे में पिछले 15 वर्षों में राजनीतिकरण हुआ, उसको देखते हुए माननीय उच्च न्यायालय से कहें या एनजीटी से, इस बात का आदेश हुआ है कि नर्मदा नदी में खदानों पर मशीनों के खनन पर प्रतिबंधित किया गया है. बाकी अन्य नदियों पर जब पर्यावरण की अनुमति लेने जाते हैं तब उस अनुमति में मशीनों की अनुमति का उल्लेख होता है कि वहां किन मशीनों का उपयोग किया जाए लेकिन माँ नर्मदा नदी के बारे में स्पष्ट है कि वहां किसी भी प्रकार की मशीनों का उपयोग नहीं होगा. यह बात सही है कि इतने प्रतिबंध के बावजूद आज भी जो पिछले 15 वर्षों से लगातार इन कार्यों में लगे हैं वह आज भी किसी न किसी राजनीतिक संरक्षण से हट चुका है. चूंकि 15 वर्षों का नेटवर्क है कहीं न कहीं उनका संपर्क है इसलिए मात्र सवा महीने की सरकार है उसके बावजूद नर्मदा नदी में शिकार करते हैं. आज भी नाव का उपयोग जब पहले होता रहा, चोरी छिपे अभी भी कहीं न कहीं हो रहा है और हाइवा के उपयोग के बारे में जैसा कहा गया है तो निश्चित रुप से...(व्यवधान)...
एक माननीय सदस्य -- तो उसके जिम्मेदार कौन हैं, आप हैं.
श्री प्रदीप अमृतलाल जायसवाल -- 15 वर्ष तो आप लोग रहे. हमें तो सवा महीने हुए हैं. हम तो सुधारने के लिए आए हैं. आप अपना काम कर चुके हैं....(व्यवधान)...
श्री रामेश्वर शर्मा -- माननीय मंत्री जी. ....(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- यह तरीका ठीक नहीं है.
श्री रामेश्वर शर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय,...(व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय -- यह तरीका ठीक नहीं है. मूल प्रश्नकर्ता अपना प्रश्न कर रहा है. मंत्री जी जवाब दे रहे हैं. आप बीच में हस्तक्षेप कर रहे हैं. यह अच्छी बात नहीं है.
श्री प्रदीप अमृतलाल जायसवाल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जनता ने सरकार को 15 साल बहुत दे दिए. अब हमें काम करने दीजिए, कुछ सोचने दीजिए. मैं माननीय संजय यादव जी की भावनाओं का सम्मान करता हॅूं. यादव जी ने स्वयं माननीय उच्च न्यायालय तक याचिका के माध्यम से प्रयास किया कि नर्मदा नदी पर अवैध उत्खनन न हो. वहां पर माता नर्मदा का महल रहे और माता नर्मदा का सम्मान बना रहे. इस बात का माननीय यादव जी ने प्रयास किया, मैं उनकी भावनाओं का सम्मान करता हॅूं और मैं उनके साथ ही सभी से यह निवेदन करता हॅूं कि अवैध उत्खनन शब्द जो खनिज विभाग से जुड़ा हुआ है इसको हटाने के लिए आने वाले समय में जो नई रेत नीति के बारे में उन्होंने उल्लेख किया है मैं चाहूंगा कि यादव जी का भी बहुमूल्य सुझाव हमको प्राप्त हो और सदन में बैठे हर सदस्य जो भी अपनी राय देना चाहते हैं क्योंकि आप लोग 15 साल में रहे हैं तो कुछ राय मुझे दें तो निश्चित रुप से नई रेत नीति हम लाएंगे जो जनहित में होगी और उसमें जो बाहुबली, जन और धनबली शब्द का इस्तेमाल किया गया है ऐसे सारे व्यक्तियों का एकाधिकार समाप्त करके एक के बदले 10 लोगों को काम दिया जाए. स्थानीय लोगों को काम दिया जाए, युवाओं को काम दिया जाए और जो जरुरतमंद हैं उनको काम दिया जाए.(मेजों की थपथपाहट) एकाधिकार समाप्त हो, ऐसी नीति बनाने का हम प्रयास कर रहे हैं और हम चाहेंगे कि दलगत राजनीति से उठकर आप लोग भी अपना सुझाव दें, अपना अनुभव दें. उसका इस्तेमाल करके हम जनता के हित में, प्रदेश के हित में ऐसी नीति बनाएंगे जिससे सरकार का राजस्व बढे़गा, स्थानीय पंचायतों को भी राजस्व प्राप्त होगा और स्थानीय लोगों को काम मिलेगा. उत्तरप्रदेश और राजस्थान के लोगों ने बहुत काम कर लिया.
श्री संजय यादव - अध्यक्ष महोदय, धारा 133 के अंतर्गत 28.03.2011 को रेत उत्खनन एवं व्यापार के संबंध में कुछ आदेश पारित किए गए थे. याचिका क्रमांक डब्ल्यू.पी.11704/2015 में माननीय उच्च न्यायालय ने लिखा है कि पूर्व में पारित आदेश 28.03.2011 को सही पाया है एवं यह कहा कि मंडला जिला मजिस्ट्रेट द्वारा पारित आदेश दिनांक 28.03.2011 पूर्णत: उचित है. इसमें श्री विनोद सिसौदिया, अधिवक्ता द्वारा याचिका क्रमांक डब्ल्यू.पी.10489/2016 दायर की गई थी, जिसमें मंडला जिले के कलेक्टर के आदेश को सही पाया था. वह आदेश पूरे प्रदेश के हर जिले में पारित किया जाना चाहिए, किंतु मंडला जिले को छोड़कर पूरे प्रदेश में 10 चका ट्रक, हाईवा एवं डम्पर से रेत का उत्खनन हो रहा है. जिस पर माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर ने डब्ल्यू.पी.10489/2016 में दिनांक 10.04.2017 को आदेश पारित कर पूरे प्रदेश के जिला दण्डाधिकारियों को पालन करने हेतु निर्देश प्रदान किया था. उस आदेश में 10 चका ट्रक, हाईवा, डम्पर, पोकलेन एवं जे.सी.बी. मशीन से होने वाले नुकसान बताए गए थे. माननीय उच्च न्यायालय के उक्त आदेश का पालन नहीं हो रहा है. आज भी प्रदेश में 10 चका ट्रक, हाईवा और डम्पर से रेत उत्खनन हो रहा है.
अध्यक्ष महोदय - आप मंत्री जी से यह बोलिए कि इसका पालन कब करवाएंगे. आप प्रश्न करिये और उत्तर लीजिये.
श्री संजय यादव - मंत्री जी, आप उस आदेश का पालन करवाइए क्योंकि माननीय उच्च न्यायालय ने मशीनें पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दी हैं.
श्री प्रदीप जायसवाल - अध्यक्ष महोदय, मैंने सबकी भावनाओं से अवगत होते हुए कहा कि जैसा माननीय उच्च न्यायालय ने नर्मदा नदी के बारे में आदेश दिया है आज उसका पालन हो रहा है और अन्य नदियों के बारे में जैसा उन्होंने कहा कि हाईवा और बड़ी मशीनों का प्रयोग नहीं होना चाहिए, तो जैसा आप सबका सुझाव होगा, हम नई रेत नीति में इन सारी चीजों को समाहित करेंगे.
श्री संजय यादव - अध्यक्ष महोदय, आप आज आदेश कर दें कि रेत में हाईवा और डम्पर नहीं चलेंगे तो कल 24 घण्टे में चोरी रुक जाएगी. क्या माननीय मंत्री जी इस पर विचार करेंगे ?
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी, माननीय सदस्य का जो प्रश्न है क्या इस पर विचार होगा ?
श्री प्रदीप जायसवाल - अध्यक्ष महोदय, निश्चित रूप से इस पर विचार किया जाएगा और इसका परीक्षण कराकर हमें लगेगा तो हम इसे लागू करेंगे.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) - अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो प्रश्न किया है इस प्रश्न के बारे में केवल इतना ही कहना चाहूंगा कि ग्रीन ट्रिब्यूनल, उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट से भी समय-समय पर आदेश होते रहे हैं. प्रदेश की नर्मदा जी सहित विभिन्न नदियों के अवैध उत्खनन के ऊपर समय-समय पर दर्जनों ध्यानाकर्षण, स्थगन, सूचनाएं, तारांकित, अतारांकित प्रश्न विधानसभा में लगे. कई बार इस उत्खनन के बारे में पालिसी भी बनी. मुझे स्वीकार करने में कोई हर्ज नहीं है कि वह सटीक और सफल पालिसी नहीं बनी. पिछली बार पंचायतों के जिम्मे भी यह काम दिया गया था लेकिन हमने यह देखा कि गरीब सरपंच, सचिव इन सबको बड़े-बड़े रेत माफिया ने दबा लिया और उसके बाद यह हाईवा, डम्पर वगैरह सब चल रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय, मेरी चिंता इस बात की है कि 10 साल, 5 साल या 15 साल की बात मैं नहीं करता. उसके पहले भी यह सब होता होगा और अभी भी जो हो रहा था इसमें भी मैं बहुत विनम्रता पूर्वक कहना चाहता हूं, हम कोई दलगत बात नहीं कहते, सारी पार्टियों के लोग इसमें शामिल थे और ऐसे लोग जिनकी कोई पार्टी नहीं है वह भी शामिल थे. यह सारे के सारे सुविधा के साथ चलते हैं. कल हो सकता है हमारे साथ हों और आज आपके साथ हो गए हों. मैं सिर्फ इतना ही कहना चाहता हूं कि लगभग दो महीने आपकी सरकार के हो गए. माननीय सदस्य की जो चिंता है वह पूरे सदन की पूरे प्रदेश की चिंता है. अभी दो महीने के अंदर आपने कितने हाईवा, कितने डम्पर, कितनी यंत्रगत मशीनें जप्त की हैं, इसके बारे में आप अपने अधिकारियों से पूछें और यदि आपको उनके पास समाधानकारक रिकार्ड नहीं मिलता तो आप मान के चलिये यह सारे लोग वही काम कर रहे हैं जो पहले भी होता था. इस कारण से जैसा माननीय सदस्य ने कहा कि आज आप आदेश जारी करें रेवेन्यू अधिकारियों के लिए, जिला प्रशासन, पुलिस अधिकारियों के लिए और जो भी संबंधित हों उन सबसे कि जितने भी हाईवा, डम्पर इत्यादि चल रहे हैं, अवैध रूप से उत्खनन कर रहे हैं उनका रिकार्ड देखें. अब यह समझ में नहीं आ रहा है कि अवैध उत्खनन किसको कहा जाए. वहीं ट्रांजिट पास 10 जगह उपयोग होता है और फर्जी तरीके से भी बना लिया जाता है. उसके लिए जब आप कमेटी बनाएंगे. जब उसका प्रतिवेदन आएगा, जब सिफारिशें आएँगी, फिर उसको आप लागू करेंगे और इसी सिस्टम को लागू करना है, जो सिस्टम अभी काम कर रहा है तो इस कारण से मैं कहना चाहता हूँ कि यदि आप व्यापक रूप से, सारे विभागों का समन्वय करके, यदि आप इस काम को अभी इस महीने कर लेंगे, व्यापक पैमाने पर जप्ती का काम आप करेंगे, तो हो सकता है कि जो हमारी पवित्र नदियाँ हैं, हमारी श्रद्धा का वह एक प्रकार से स्थान है, केन्द्र है, उनकी शुद्धता बनी रहेगी और वे सलामत रहेंगी, तो मैं यही कहना चाहता हूँ कि आप रिकार्ड दिखवा लें कि दो महीने में कितने जप्त किए गए. यदि नहीं किए गए तो इसका अर्थ यह है कि वह माफिया आज भी इस प्रदेश में काम कर रहा है, उस माफिया को रोकने का दायित्व आपका है, यदि आपके मन में वास्तव में मंशा है, इस काम को करने की तो, आज ही आप आदेश जारी करें और मैं मानकर चलता हूँ कि अगले महीने हमें अखबारों में पढ़ने को मिलेगा कि इतनी इतनी मशीनें और हाइवा वगैरह जप्त हो गए. धन्यवाद.
पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री(श्री कमलेश्वर पटेल)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी एक आपत्ति है माननीय नेता प्रतिपक्ष जी ने सारी पार्टियों के लोगों का अवैध कारोबार में शामिल होने की बात कही है, हम यह कह सकते हैं हमारी पार्टी के लोग कोई अवैध कारोबार नहीं कर रहे हैं. कोई भी मायनिंग के कारोबार में शामिल नहीं है. पिछली सरकार का कारोबार था.
श्री गोपाल भार्गव-- मैं नाम लूँगा तो आपको आपत्ति होगी. सारे भिण्ड मुरैना से लेकर और आपके पूरे जबलपुर संभाग से लेकर, मैं इसलिए इसको नहीं फैलाना चाहता.
श्री कमलेश्वर पटेल-- पिछली सरकार का कारोबार था हमारी सरकार नहीं कर रही है न हमारी पार्टी के लोग कर रहे हैं इसलिए इस पर हमारी आपत्ति है.
श्री विश्वास सारंग-- माननीय अध्यक्ष जी, निवेदन है कि एक बार मंत्रियों का प्रबोधन तो करवा दीजिए.
श्री कमलेश्वर पटेल-- पिछला प्रबोधन हम लोगों ने खूब देखा है इसलिए सारी चीजें बहुत अच्छे से जानते हैं इसलिए प्रबोधन की आवश्यकता विपक्ष को है.
विधि एवं विधायी कार्य मंत्री(श्री पी.सी.शर्मा)-- हम लोग ट्रेण्ड हैं. आप जैसे लोगों को हमने ट्रेनिंग दी है.
श्री रामेश्वर शर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं संजय भाई के प्रश्न का इसलिए समर्थन करता हूँ कि जो दस चक्के...(व्यवधान)..
श्री शरदेन्दु तिवारी-- काँग्रेस के जिला महामंत्री के ऊपर कई प्रकरण दर्ज हैं...(व्यवधान)..
श्री रामेश्वर शर्मा-- उन पर तत्काल प्रतिबंध लगाएँगे तो मंत्री जी हम आपको धन्यवाद देंगे क्योंकि दस चक्के...(व्यवधान)..
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, दो सेकण्ड के लिए बात करना चाहती हूँ. प्लीज, मेरा आप से निवेदन है...
अध्यक्ष महोदय-- राम बाई जी, आप बैठ जाइये. अभी अनुपूरक पर चर्चा होगी तब मैं आपको मौका दूँगा. आप बैठ जाइये. अभी इस पर चर्चा होगी.
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह-- मैं इस पर चर्चा नहीं करना चाहती.
श्री गोपाल भार्गव-- उनका दमोह जिले का भी एक प्रश्न था इसलिए उनको बोलने दीजिए.
अध्यक्ष महोदय-- भार्गव जी, आप और राम बाई दोनों से मैं हाथ जोड़ूँ. (हँसी)
श्री गोपाल भार्गव-- राम, गोपाल.
अध्यक्ष महोदय-- राम और गोपाल, क्या बात है? बोल लीजिए.
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी जो हमारे यहाँ एक बहुत बड़ी घटना हुई है, हमारे यहाँ जो जवान शहीद हुए हैं, हमारे सदन में उपस्थित सभी विधायकों और मंत्रियों से मेरा निवेदन है कि अश्विनी कुमार जो शहीद हुए हैं उनके यहाँ हम सभी विधायकों की एक महीने की सैलरी पहुँचाई जाए.(मेजों की थपथपाहट) जिसके हृदय में देश भक्ति होगी वह कोई ना नहीं बोलेगा. मेरा सभी विधायकों से निवेदन है, हमारे प्रतिपक्ष के नेता गोपाल दादा हैं, उनसे भी, अध्यक्ष जी हैं, उनसे भी, सभी विधायकों से मेरा हाथ जोड़कर निवेदन है कि उस परिवार के लिए एक महीने की सैलरी दी जाए.
अध्यक्ष महोदय-- ठीक है, आपकी बात आ गई, बहुत बहुत धन्यवाद. विराजिए.
वित्त मंत्री(श्री तरूण भनोत)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, चूँकि एक विषय पर माननीय सदस्या ने चर्चा रखी है, मैं बताना चाहता हूँ कि मध्यप्रदेश सरकार ने पूर्व से चली आ रही परंपरा के अनुसार किसी शहीद परिवार को जो कि हमारे जबलपुर जिले का ही है तत्काल एक करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध कराई है और यह बहुत अच्छी भावना सदस्य महोदया ने यहाँ रखी है कि हमें ऐसा करना चाहिए. यदि सभी सदस्य इस पर विचार करेंगे..(व्यवधान)..
श्री गोपाल भार्गव-- मैं सोचता हूँ इस पर चर्चा नहीं होना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय-- अब क्या यह प्रश्न ध्यानाकर्षण के बीच में जरूरी है? कम से कम आप वरिष्ठ हैं.
श्री तरूण भनोत-- आपने एलाऊ किया.
अध्यक्ष महोदय-- मैं समझ गया, मैंने एलाऊ कर दिया इसका मतलब क्या है कि सब लोग बोल पड़ें...(व्यवधान)..अगर नई सदस्य हैं और नई सदस्य की भावनाओं को रखने के लिए अगर मैंने एलाऊ कर दिया, वरिष्ठ सदस्य तो समझें इस बात को कम से कम. माननीय गोपाल भार्गव जी ने कोई बात की है मंत्री जी जवाब दीजिए. फिर मैं आगे बढ़ूँगा.
श्री गोपाल भार्गव-- माननीय मंत्री तरूण जी ने जो बात कही है, पहले ही हम लोगों ने अपनी सरकार में प्रावधान करके रखा था कि जो ऐसी मृत्यु होगी, शहीद होंगे, उनके लिए, एक करोड़ रुपया, एक फ्लैट और उनके परिवार में एक नौकरी हम देंगे. आप सब ने यह काम किया, आपके लिए धन्यवाद क्योंकि पहले से नियम बना हुआ था इसलिए धन्यवाद देता हूँ.
अध्यक्ष महोदय-- क्या मैं ध्यानाकर्षण से आगे बढ़ जाऊं ?
श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष महोदय, मैं सिर्फ यह कहना चाहता था कि पूरा सदन इस बात से सहमत है कि हमारी नदियों का जो छेदन हो रहा है, हमारी नदियों का उत्खनन हो रहा है.
अध्यक्ष महोदय--वे समझ गए हैं उनको उत्तर देने दीजिए.
श्री गोपाल भार्गव--उत्तर आ गया है मैं सिर्फ इतना ही कहना चाहता हूँ कि माननीय विधायक ने जो कहा है उससे भी सदन सहमत है. वैसे भी हमारे एक विधायक ने तो पांच साल का पूरा का पूरा वेतन 60 लाख रुपए दे दिया है.
अध्यक्ष महोदय--मंत्री जी आप जवाब दीजिए.
श्री प्रदीप जायसवाल--अध्यक्ष महोदय, नेता प्रतिपक्ष भार्गव जी ने और अन्य सदस्यों ने उनके अनुभव के आधार पर सुझाव दिए हैं, उसके अनुरूप इस विषय को समझकर एक महीने के अन्दर जो संभव हो सकेगा वह कार्यवाही करुंगा. इसके अलावा जो नीति बनेगी उसमें सारी चीजों का समावेश किया जाएगा. जिस कार्यवाही की बात माननीय भार्गव जी ने की है, आपने देखा होगा कि सभी जगह चाहे हाइवा हो, चाहे ट्रक हों, चाहे मशीनें हों, चाहे नावें हों, चाहे पनडुब्बी हों सभी की जप्ती की गई है सभी पर कार्यवाही की गई है. करोड़ों रुपयों का जुर्माना किया गया है. सारी कार्रवाई अखबारों में छप रही है. लेकिन इस बीमारी को दूर करने में थोड़ा सा समय लगेगा, आप सभी समझते हैं. आप सब के जो सुझाव आए हैं उनके अनुरुप कार्यवाही करने का मेरा पूरा प्रयास रहेगा. धन्यवाद.
श्री कमल पटेल--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं हरदा जिले का विधायक हूँ, कुछ कहना चाहता हूँ.
अध्यक्ष महोदय--मैं अनुमति नहीं दूंगा. यह अच्छी परम्परा नहीं है. मेरे लिबरल होने का कृपापूर्वक फायदा न उठाएं. मैं आप लोगों को सुन रहा हूँ. कृपा करके आगे की कार्यवाही चलाने में सहयोग करिए.
1.47 बजे शासकीय विधि विषयक कार्य
(1) मध्यप्रदेश नगरपालिका (संशोधन) विधेयक, 2019
नगरीय विकास और आवास मंत्री (श्री जयवर्द्धन सिंह)--अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश नगरपालिका (संशोधन) विधेयक, 2019 के पुर:स्थापन की अनुमति चाहता हूँ.
अध्यक्ष महोदय--प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश नगरपालिका (संशोधन) विधेयक, 2019 के पुर:स्थापन की अनुमति दी जाए.
अनुमति प्रदान की गई.
नगरीय विकास और आवास मंत्री (श्री जयवर्द्धन सिंह)--अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश नगरपालिका (संशोधन) विधेयक, 2019 का पुर:स्थापन करता हूँ.
(2) मध्यप्रदेश आधार (वित्तीय और अन्य सहयिकियों, प्रसुविधाओं और सेवाओं का लक्ष्यित परिदान) विधेयक, 2019
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री (श्री पी. सी. शर्मा)--अध्यक्ष महोदय, मैं. मध्यप्रदेश आधार (वित्तीय और अन्य सहयिकियों, प्रसुविधाओं और सेवाओं का लक्ष्यित परिदान) विधेयक, 2019 के पुर:स्थापन की अनुमति चाहता हूँ.
अध्यक्ष महोदय--प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश आधार (वित्तीय और अन्य सहयिकियों, प्रसुविधाओं और सेवाओं का लक्ष्यित परिदान) विधेयक, 2019 के पुर:स्थापन की अनुमति दी जाए.
अनुमति प्रदान की गई.
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री (श्री पी. सी. शर्मा)--अध्यक्ष महोदय, मैं. मध्यप्रदेश आधार (वित्तीय और अन्य सहयिकियों, प्रसुविधाओं और सेवाओं का लक्ष्यित परिदान) विधेयक, 2019 का पुर:स्थापन करता हूँ.
(3) मध्यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम-स्वराज (संशोधन) विधेयक, 2019
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री कमलेश्वर पटेल)--अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम-स्वराज (संशोधन) विधेयक, 2019 के पुर:स्थापन की अनुमति चाहता हूँ.
अध्यक्ष महोदय--प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम-स्वराज (संशोधन) विधेयक, 2019 के पुर:स्थापन की अनुमति दी जाए.
अनुमति प्रदान की गई.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री कमलेश्वर पटेल)--अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम-स्वराज (संशोधन) विधेयक, 2019 का पुर:स्थापन करता हूँ.
1.48 बजे अध्यक्षीय घोषणा
अनुमान तथा लेखानुदान की मांगों को आज ही उपस्थापन, विचार एवं पारण
किया जाना.
अध्यक्ष महोदय--मध्यप्रदेश विधान सभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन सम्बन्धी नियमावली के नियम 150 में यह प्रावधान है कि आय-व्ययक पर उस दिन चर्चा नहीं होती है जिस दिन कि वह सभा में उपस्थापित किया जाए. किन्तु सदन में कार्य की स्थिति एवं विषय के महत्व को दृष्टिगत रखते हुए मेरे द्वारा कार्यसूची में शामिल तृतीय अनुपूरक अनुमान तथा लेखानुदान की मांगों को आज ही उपस्थापन, विचार एवं पारण हेतु अनुज्ञा प्रदान की गई है.
मैं, समझता हूँ कि सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.)
1.49 बजे वर्ष 2018-2019 की तृतीय अनुपूरक मांगों पर मतदान
अध्यक्ष महोदय--अब, अनुपूरक अनुमान की मांगों पर चर्चा होगी. सदन की परम्परा के अनुसार सभी मांगें एक साथ प्रस्तुत की जाती हैं और उन पर एक साथ चर्चा होती है.
अत: वित्त मंत्री जी सभी मांगें एक साथ प्रस्तुत कर दें. मैं समझता हूँ कि सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.)
वित्त मंत्री (श्री तरुण भनोत)--अध्यक्ष महोदय, मैं राज्यपाल महोदया की सिराफिश के अनुसार प्रस्ताव करता हूँ कि--
“ दिनांक 31 मार्च, 2019 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष में अनुदान संख्या 1, 3, 5, 6, 8, 10, 12, 14, 22, 24, 27, 47, 48 तथा 51 के लिए राज्य की संचित निधि में से प्रस्तावित व्यय के निमित्त राज्यपाल महोदया को कुल मिलाकर बहत्तर करोड़, तीन हजार, दो सौ रुपये की अनुपूरक राशि दी जाये. ”
अध्यक्ष महोदय--प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
डॉ. नरोत्तम मिश्र (दतिया)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, पिछले कार्यकाल, पिछले सत्र और इस सत्र का यह पहला दिन है जब चर्चा हो रही है जिसमें विपक्ष की भागीदारी हो रही है. यह हमारे लोकतंत्र की खूबसूरती है कि जनादेश किसी को मिला, वोट किसी को ज्यादा आए, सीट किसी की ज्यादा आई लेकिन बहुतमत किसी को नहीं मिला. माननीय अध्यक्ष महोदय खंडित जनादेश के साथ यह सत्र चल रहा है. यह पंद्रहवीं विधान सभा लगी हुई है.
1:52 बजे {उपाध्यक्ष महोदया (सुश्री हिना लिखीराम कावरे) पीठासीन हुईं.}
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- माननीय उपाध्यक्ष जी मैं आपका बहुत स्वागत करता हूं. बहुत-बहुत शुभकामनाएं.
उपाध्यक्ष महोदया-- धन्यवाद.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- उपाध्यक्ष महोदया, आपके यशस्वी होने की और सदन के सफल संचालन की और मेरा सौभाग्य है कि 15 वीं विधान सभा में आपके संरक्षण में मैं बोलने जा रहा हूं और इसलिए आपसे प्रार्थना करूंगा कि मुझे आपका संरक्षण भी मिले. अभी एक सम्मानित सदस्य हमारे साथी आदरणीय विश्वास सारंग जी ने एक विषय उठाया उन्होंने कहा कि मंत्रियों का प्रबोधन करा दें. उधर से हमारे पटेल साहब और आदरणीय पी.सी. शर्मा जी बोले हम तो ट्रेंड हैं. मुझे नहीं मालूम वह ट्रेंड हैं कि नहीं हैं और किस में ट्रेंड हैं मैं उसकी गहराई में भी नहीं जाना चाहता हूं लेकिन माननीय उपाध्यक्ष जी, मैं आपका ध्यान जरूर आकर्षित करना चाहता हूं अगर यह ट्रेंड हैं तो इनको टी.व्ही. के माध्यम से क्यों ट्रेनिंग दी जा रही है. इनकी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कल टी.व्ही. से इनको ट्रेनिंग दे रहे थे कि इनको ऐसा जबाव देना चाहिए ऐसा नहीं देना चाहिए. शायद पी.सी. शर्मा उस गुट को बिलांग करते होंगे अब प्रबोधन की आवश्यकता किसको है उपाध्यक्ष महोदय, संसदीय मर्यादाओं को अगर इस तरह से तार-तार किया जाएगा, सदन के अंदर जो जवाब आए उपाध्यक्ष जी आप उन्हें देख लें मंदसौर गोलीकाण्ड का जवाब हो, चाहे वन मंत्री के द्वारा नर्मदा पर पेड़ लगाने का जवाब हो उस पर सदन के बाहर टिप्पणी आती है और फिर गृहमंत्री दौड़ते हैं. कल तीन जवाब आए थे मैं इस पर भी आपका ध्यानाकर्षित करूंगा. एक सिंहस्थ का भी आया था लेकिन जिस नेता ने बयान दिया, उस नेता ने वन मंत्री पर बयान दिया क्योंकि वह सिंधिया गुट के थे, गृहमंत्री पर बयान दिया क्योंकि वह कमलनाथ गुट के थे लेकिन जयवर्द्धन सिंह ने जो जवाब दिया था उस पर उनने बयान नहीं दिया. (XXX) वह वरिष्ठ हैं लेकिन ऐसा क्यों इसलिए प्रबोधन की आवश्यकता है. पहले दिन से यह सरकार किंकर्तव्यविमूढ़ की स्थिति में काम कर रही है. अभी तक के आदेश आप देखेंगे, तो उसमें इतने ज्यादा यू-टर्न लिए गए हैं. इनके नेता मध्यप्रदेश में विधान सभा चुनाव के दौरान आये और कहा कि हम 10 दिनों के अंदर किसानों का कर्जा माफ कर देंगे और असत्य पर असत्य बोलकर बहुमत प्राप्त करने की कोशिश की गई. बड़े दल के रूप में ये स्थापित हो गए. माननीय उपाध्यक्ष महोदया, असत्य बोलकर इस प्रदेश की जनता को गुमराह किया गया और आदेश क्या निकला, पहले दिन आदेश निकाला गया कि जो पात्र हितग्राही किसान होंगे, उनका कर्जा माफ किया जायेगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मेरे पास इनका वचन पत्र है और कांग्रेस के वचन पत्र में स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि सभी किसानों का, हर किसान का दो लाख रुपये तक का कर्जा माफ किया जायेगा. या तो प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ जी असत्य बोल रहे हैं या फिर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष (XXX) जी ने असत्य कहा था. दोनों में से किसी ने तो असत्य कहा था कि दस दिनों के अंदर कर्जा माफ करेंगे.
श्री विनय सक्सेना (जबलपुर-उत्तर)- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, जो इस सदन के सदस्य नहीं हैं उनके बारे में चर्चा न की जाये. क्या अनुपूरक बजट में सदन के माननीय वरिष्ठ सदस्य इसी प्रकार बात करते हैं ?
पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग (श्री कमलेश्वर पटेल)- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, 15 लाख रूपये आज तक नहीं दिए गए उस पर भी चर्चा कर ली जाये. आज तक 15 लाख रूपये किसके खाते में आये हैं ? आप अपने प्रधानमंत्री जी को भी समझाईये कि ऐसी बयानबाजी न करें. फिर केन्द्रीय मंत्री जी को कहना पड़ता है कि गले की फांस बन गई. अच्छे दिन आये क्या ? दो करोड़ लोगों को रोजगार देने की बात कही गई थी, रोजगार दिया क्या ? फिर आप इधर-उधर की बातें न करें. अपनी कमियां छुपाने के लिए ऐसी बातें न करें. उपाध्यक्ष महोदया, आप कृपया व्यवस्था दीजिये कि जिस विषय पर चर्चा हो रही है उससे ही संबंधित बात हो.
उपाध्यक्ष महोदया- कृपया आप सभी बैठ जायें.
श्री विनय सक्सेना- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, हम इस सदन में पहली बार आये हैं. हम आज सुबह से देख रहे हैं कि जब कोई पहली बार वाला विधायक कुछ कहता है तो आसंदी से निर्देश आते हैं कि आप नियमों का पालन करें. जब गोपाल भार्गव जी बोलते हैं तो बीच में नरोत्तम जी जरूर बोलते हैं. उपाध्यक्ष महोदया, सदन के जो वरिष्ठ सदस्य हैं जिनके बारे में हम सुनते थे कि वे बड़ा अच्छा बोलते हैं वे ही नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं. अभी सदन में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज जी की बात आई तो इन्हें दिक्कत हो रही थी. उन्हें टाइगर बोला तो आपत्ति आ रही थी, तो फिर ये हमारे पूर्व मुख्यमंत्रियों के बारे में यहां क्यों बात कर रहे हैं. माननीय नरोत्तम जी को अपनी पार्टी की चिंता करनी चाहिए. इन्हें इस सदन में कांग्रेस पार्टी की चिंता क्यों हो रही है. क्या पार्टियों का चिंतन इस सदन का विषय है ? यह सदन जनता के लिए बात करने का स्थान है. यहां पर इन्हें पार्टी की गुटबाजी की चिंता क्यों हो रही है. आप अपने यहां की गुटबाजी देखें. जब भार्गव जी बात कहते हैं तो नरोत्तम जी उसे जरूर काटते हैं. यह सदन नियमावली पर चलना चाहिए.
(...व्यवधान...)
श्री विश्वास सारंग (नरेला)- क्या आप सिखायेंगे नियमावली ? आप अपने वरिष्ठ सदस्यों से कहें. माननीय उपाध्यक्ष महोदया, सक्सेना जी अपनी सीट से नहीं बोल रहे हैं. आप उन्हें नियम तो बतायें. आप नियम से बोलिये. आप मंत्री जी की सीट से बोल रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदया- सभी माननीय सदस्यों से निवेदन है कि कृपया वे आसंदी की तरफ से बात करें.
(...व्यवधान...)
श्री विश्वास सारंग- उपाध्यक्ष महोदया, आप इन्हें आदेश दें कि वे अपनी सीट से बोलें. इन्हें प्रबोधन की अत्यंत आवश्यकता है.
उपाध्यक्ष महोदया- कृपया आप सभी बैठ जायें और आसंदी का ध्यान रखें.
(...व्यवधान...)
श्री विनय सक्सेना- यहां नियमों को कौन मानता है ? आप लोग भार्गव जी की बात नहीं मानते हैं और नियमों की बात कर रहे हैं. हम अपनी सीट पर आ गए हैं. आप अपनी बातों का ध्यान रखें.
उपाध्यक्ष महोदया- आप सभी से मेरा निवेदन है कृपया सदन की कार्यवाही चलने दें. आप लोग बिना अनुमति के अपनी बात सदन में रख रहे हैं. आपकी कोई बात रिकॉर्ड नहीं होगी.
श्री रामेश्वर शर्मा- (XXX)
श्री हरिशंकर खटीक- (XXX)
इंजीनियर प्रदीप लारिया- (XXX)
श्री मनोहर ऊंटवाल- (XXX)
उपाध्यक्ष महोदया- माननीय सदस्यों से निवेदन है कि उनकी कोई बात रिकॉर्ड नहीं हो रही है. कृपया सदन में शांति बनाये रखें.
श्री आरिफ अकील- आज तो मदद करो.
श्री नरोत्तम मिश्र- मैं तो खामोश खड़ा हूं.
श्री मनोहर ऊंटवाल:- उपाध्यक्ष महोदया, मैं आपसे केवल दो सेकंड का निवेदन करना चाहता हूं कि ....
उपाध्यक्ष महोदया:- आप निवेदन करिये जब आपको बोलने का अवसर मिले तब. आप पहले मेरा निवेदन मान लीजिये, उसके बाद में विचार करूंगी.
श्री मनोहर ऊंटवाल:- उपाध्यक्ष महोदया, क्या विपक्ष की भूमिका भी सरकार निभायेगी ? क्या सरकार विपक्ष की बातों को सुनना पसंद नहीं करती है ?
उपाध्यक्ष महोदया:- माननीय नरोत्तम मिश्र जी अपनी बात रखेंगे और मेरा आपसे अनुरोध है कि जो इस सदन के सदस्य नहीं हैं, उनके विषय में यहां सदन में चर्चा न हो.
डॉ. नरोत्तम मिश्र:-. जो सदस्य हैं और दूसरी सीट से बोलते हैं, आप उन्हें तो बेंच पर खड़ा करो.
उपाध्यक्ष महोदया:- जब ऐसा अवसर आयेगा तो खड़ा करेंगे. अभी तो आप अपनी बात जारी रखिये. (व्यवधान) आप अपनी बात जारी रखिये.
2.01 बजे { अध्यक्ष महोदय, (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति) (एन.पी)पीठासीन हुए}
श्री आरिफ अकील:- अध्यक्ष महोदय, आपको पानी भी नहीं पीने दिया.
डॉ. नरोत्तम मिश्र:- माननीय अध्यक्ष महोदय, आप आ गये, आपकी बड़ी जरूरत महसूस हो रही थी.
अध्यक्ष महोदय:- आरिफ भाई, हमें मालूम नहीं था कि हमारे अपने भी हमसे ऐसा व्यवहार करेंगे कि पानी भी न पीने देंगे, हमें नहीं मालूम था. होता है ऐसा अक्सर, हमारे अपने ऐसा व्यवहार करेंगे. नरोत्तम जी बोलिये.
डॉ. नरोत्तम मिश्र:- माननीय अध्यक्ष महोदय, जब आप गये थे उस समय भी मैंने आप से कहा था कि पहली बार ऐसा समय आया है, पिछली बार अनुपूरक पर चर्चा नहीं हुई, इस बार दोनों पर एक साथ चर्चा हो रही है. इसलिये मैंने उपाध्यक्ष महोदया से भी प्रार्थना की थी और आपसे भी की थी कि आप यह देखें कि मध्यप्रदेश में जो आदेश निकला कि पात्र हितग्राही होंगे, उनके लिये, ऊहापोह में सरकार, यू-टर्न वाली सरकार की तरफ जा रहा हूं. दूसरा आदेश फिर निकाल दिया और दूसरे आदेश में फिर किसान की कर्जमाफी के साथ में एक मखौल उड़ाया गया, 56 हजार किसानों को पात्र माना. जबकि यह वचन पत्र जो कांग्रेस पार्टी का है इसमें स्पष्ट रूप से लिखा हुआ है कि सभी किसानों के 2 लाख रूपये तक के कर्जे माफ होंगे और अध्यक्ष महोदय, बजट में प्रावधान कितने का किया सिर्फ 5 हजार करोड़ रूपये का, जबकि उसमें चाहिये थे 56 हजार करोड़ रूपये. अब ये 2 लाख रूपये तक का कर्ज माफ कैसे होगा ? अध्यक्ष महोदय, प्रदेश के अंदर सरकार के बनते ही किसानों पर खाद के लिये लाठी चार्ज होने लगा. पूरे प्रदेश के अंदर किसान हा-हाकार कर रहा था. पहली बार लाइनें लग गयी, पहली बार पिछले पांच साल में हमारा मुख्यमंत्री खाद रेडियो में बेचता था कि आप खाद ले जाओ, खाद रखने का ब्याज हम देंगे. लेकिन लाठी चार्ज हुआ और वह निपट भी नहीं पाया था कि लाल, नीले,पीले और हरे फार्म भरने चालू हो गये और फिर किसान लाईन में लग गया. उसके बावजूद आज दिनांक तक 60 दिन हो गये, वह नेता जिसने कहा था कि 10 दिन के अंदर मुख्यमंत्री बदल देंगे, अगर किसान का कर्जा माफ नहीं हुआ तो. 60 दिन हो गये तो अभी तक 6 मुख्यमंत्री बदल जाने थे. अभी तक एक मुख्यमंत्री नहीं बदला और एक पैसा किसी मध्यप्रदेश के किसी किसान के खाते में नहीं आया.
श्री प्रताप ग्रेवाल :- आज तक भावांतर के प्याज और लहसुन के पैसे नहीं डले.
गृह मंत्री (श्री बाला बच्चन) :- अब ये मुख्यमंत्री परमानेंट हो गये हैं. अब हम कभी नहीं बदलेंगे. अब 6 मुख्यमंत्री छोडि़ये, हम एक मुख्यमंत्री भी नहीं बदल सकते हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र:- बाला भाई तुम्हारा मुख्यमंत्री बोल रहा था कि गृह मंत्री को ढ़ूढंने के लिये रिपोर्ट डालनी पड़ेगी.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री(श्री कमलेश्वर पटेल):- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह इधर-उधर की बात कर रहे हैं. पहले आप पिछले 15 साल का हिसाब दो. इधर-उधर की बात मत करो. हमारी सरकार ने वचन पत्र में जिन बातों का उल्लेख किया था उनमें से एक-एक बात को कर के बतायेंगे और कर रहे हैं. इसलिये इधर-उधर की बात मत करिये आप तो अपना बताइये.
श्री विश्वास सारंग:- आप वरिष्ठों का भी तो ध्यान रखिये, (श्री के.पी.सिंह सदस्य के खड़े होने पर)
श्री के.पी.सिंह:- अध्यक्ष महोदय, वरिष्ठ भी तो ध्यान नहीं रखते हैं. आप एक वरिष्ठ हैं. अरे भाई बालने दो आप हर दो मिनट में तो खड़े हो जाते हो.
डॉ. नरोत्तम मिश्र:- के.पी. सिंह जी यह आपको मंत्री नहीं बनायेंगे, मैं आपको विश्वास दिला रहा हूं. आप मेरे पर विश्वास करो. मैं आपका पड़ोसी विधायक हूं. यह कभी नहीं बनायेंगे. 6 बार के नहीं 8 बार के विधायक हो जाओ.
श्री के.पी.सिंह--आप मेरी चिन्ता मत करों अपनी चिन्ता करो. आप तो सुन लो वह क्या बोल रहे हैं.
डॉ.नरोत्तम मिश्र--बाला भाई कुछ बोल रहे हैं उनका जवाब दे दूं.
श्री के.पी.सिंह--बाला भाई का नहीं आप पहले कमलेश्वर पटेल जी का जवाब दे दो. उन्होंने पूछा है कि तू इधर उधर की बात न कर, बता कारवां लुटा कैसे.
श्री विश्वास सारंग--हम भी तो यही पूछ रहे हैं कि आपका कारवां कैसे लुट गया.
डॉ.नरोत्तम मिश्र--आप अगर पूरी शायरी बोल देंगे तो मैं बता दूंगा.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री कमलेश्वर पटेल)--अध्यक्ष महोदय,आप लोग 1 लाख 78 हजार करोड़ रूपये का कर्जा मध्यप्रदेश पर छोड़ के गये हैं. उसके बाद भी हमारी सरकार अपने वचन पत्र पर काम कर रही है. किसानों की कर्ज माफी की बात कही थी तो वह भी करके देंगे.
डॉ.नरोत्तम मिश्र--अध्यक्ष महोदय,ऐसे ही यह बोलेंगे तो मैं किन किन के जवाब दूं. मैं विपक्ष में हूं. यह लोग मंत्री हैं. मैं जवाब क्यों दूंगा, जब मैं मंत्री था तो जवाब देता था. पटेल साहब की माननीय के.पी.सिंह जी की 6 बार वकालत की है. 6 बार का विधायक है विपक्ष की स्थिति में है उसका भी जवाब दें.
अध्यक्ष महोदय--हमारा भाई है उनकी आपको क्यों चिन्ता है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र--अध्यक्ष जी मेरे भी बड़े भाई हैं.
वाणिज्यिक कर मंत्री (श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर)--अध्यक्ष महोदय, आप भी पहले नंबर पर आने वाले थे आप खुद ही नहीं पहुंच पाये आप खुद तीसरे नंबर पर आ गये.
डॉ.नरोत्तम मिश्र--आपकी वजह से के.पी.सिंह जी मंत्री नहीं बने.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर--आप पहले नंबर पर क्यों नहीं आये. आप लोगों ने गोपाल भार्गव जी को क्यों छोड़ा.
श्री विश्वास सारंग--आप वहां कैसे रहे वह तो बता दो. आप चाहते हैं. आप समर्थन करो तो हो जाएगा. आप और के.पी.सिंह जी समर्थन कर दें तो पहुंच जाएंगे पहले नंबर पर.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर--अध्यक्ष महोदय, जनता ने आप लोगों को भेज दिया उधर अब आप उधर से पहले नंबर पर आकर के बताओ, बात वह हो रही ही.
डॉ.नरोत्तम मिश्र--अध्यक्ष महोदय, आदरणीय पटेल साहब कह रहे थे कि हमने खजाना खाली छोड़ा है. आदरणीय पटेल साहब हमने खजाना सरप्लस में छोड़ा है. अगर हमने सरप्लस में नहीं छोड़ा होता तो मुख्यमंत्री आवास पर 18 करोड़ रूपये की डेंटिंग पेंटिंग नहीं हो रही होती. आप मंत्रियों के बंगलों पर करोड़ो रूपये खर्च नहीं हो रहे होते. यह जो पूंजी आप लोग खर्च कर रहे हो खजाना खाली खाली के नाम पर प्रदेश की जनता को गुमराह कर रहे हो. पी.डब्ल्यू.डी. के अधिकारी से क्या रिपोर्ट मंगाई कि दीमक लग गई. कल तक शिवराज सिंह जी रहते थे तो सही था. शिवराज सिंह जी हटे तो उस बंगले पर दीमक लग गई. बरसों से जो फर्नीचर लगा था उस पर दीमक लग गई. यह कार्पोरेट कल्चर के मुख्यमंत्री हैं, यह उद्योगपति मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बन गये हैं. आप फिर रिनोवेशन देखिये कि किस तरह का हो रहा है. वह पैसा कहां से आ रहा है जब हमने खजाना खाली छोड़ा है तो. आपके बंगले पर जो करोड़ो रूपये खर्च हो रहे हैं वह पैसा कहां से आ रहा है.
अध्यक्ष महोदय, मैं विषय पर आना चाहता हूं कि प्रदेश के अंदर खाद की कमी हो गई है. खाद की कमी हो गई तो कह दिया कि केन्द्र से खाद नहीं आ रही है. अगर केन्द्र से खाद नहीं आ रही थी तो ब्लैक में कहां से खाद आ रही थी. दुकानों पर खाद ब्लैक में कैसे मिल रही थी ? खाद तो थी उसमें सिर्फ व्यवस्थाओं की कमी थी और व्यवस्थाओं की कमी इसलिये थी. आप मंत्री जी आपको अवसर मिले तो आप भी खूब छीलना आप लोगों ने 15 साल तक छीला तो हम लोगों ने सुना कि नहीं सुना.
श्री प्रदीप अमृतलाल जायसवाल--अध्यक्ष महोदय, पहले जैसी ब्लैक मार्केटिंग नहीं हो रही है. हमने कुछ बदला नहीं है, वैसा ही चल रहा है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र--अध्यक्ष महोदय,भईया अब बदलों ना कब बदोलोगे अब तो 60 दिन हो गये हैं.
श्री प्रदीप अमृतलाल जायसवाल--अध्यक्ष महोदय, हम एक एक करके सबको बाहर कर रहे हैं.
डॉ.नरोत्तम मिश्र--अध्यक्ष महोदय,आप तो सठिया जाओगे. सब वैसा ही चल रहा है.
अध्यक्ष महोदय--नरोत्तम जी एक मिनट मैं कुछ अनुरोध करना चाहता हूं. ऐसा है अगर चर्चा में भाग लेने वाला वरिष्ठ सदस्य बोल रहा है. आप लोग तो ठीक है, लेकिन आप लोग भी धीरज रखिये. आपके दल का वरिष्ठ सदस्य बोल रहा है तो आपके दल के सदस्य भी बीच बीच में खड़े हो रहे हैं. इस तरफ से भी मेरा अनुरोध है कि आप लोग भी जरा धैर्य रखिये जब आपकी बारी आये तो बोल लीजिये. अभी वित्तमंत्री जी आप जरा ध्यान लगाईये, आप ध्यान से सुनिये आपको सम्पूर्ण विषयों पर कोई टिप्पणी करनी हो तो जब आप अपनी बात करें तब कहें. हम लोगो यहां पर प्रश्नोत्तर का विषय क्यों बना रहे हैं. अच्छी चर्चा सदन में चलने दीजियेगा. प्रश्नोत्तर न बनाईयेगा. हर सदस्य को बोलने दीजिये उसमें ही लाभ है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, तहेदिल से शुक्रिया.
श्री कमलेश्वर पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, अगर विषय से हटकर बात होगी तो बोलना तो पड़ेगा ही.
अध्यक्ष महोदय - क्या आप मेरी व्यवस्था पर व्यवस्था देंगे.
श्री कमलेश्वर पटेल - माननीय अध्यक्ष जी, माननीय राहुल गांधी का नाम भी लिया था, विलोपित कराइए इसको.
अध्यक्ष महोदय - यह तरीका ठीक नहीं है, यह गलत बात है, मेरी व्यवस्था पर आप व्यवस्था नहीं दे सकते. यह तरीका ठीक नहीं है. मैं कोई व्यवस्था दे रहा हूं, आप मेरी व्यवस्था पर व्यवस्था देंगे, यह कौन सा तरीका है. सभी सम्मानित सदस्यों से अनुरोध है, जब ऊपर से कोई व्यवथा आ जाती है, पराम्परा रही है, उसका अनुसरण हुआ है. आप धीरज रखिए और उनको बोलने दीजिए, ऐसा नहीं होता है. मानकर चलिए, मैं सहमत हूं अगला जब वित्तीय पूर्ण बजट आएगा उसमें तीन दिन नहीं कम से कम 6 दिन का प्रबोधन कार्यक्रम करना पड़ेगा. (मेजो की थपथपाहट)
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, बहुत धन्यवाद. लेकिन उस समय तक सरकार कौन सी रहेगी.
अध्यक्ष महोदय - हम ही रहेंगे, चिन्ता मत करो.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - जलते घर को देखने वालों, फूंस का छप्पर आपका है, और आपके पीछे तेज हवा है, आगे मुकद्दर आपका है. (मेजो की थपथपाहट)
वाणिज्यिक कर विभाग मंत्री (श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर) - पैसा लुटा लो लेकिन कुछ होने वाला है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी प्रार्थना सिर्फ इतनी है कि यह सरकार पहले दिन से यू-टर्न ले रही है, हर आदेश को पलटा है. माननीय अध्यक्ष महोदय, कर्ज माफी पर यू-टर्न, वंदे मातरम् पर यू-टर्न, मीसबंदी के आदेश पर यू-टर्न, भावांतर पर यू-टर्न, तबादलों पर यू-टर्न. माननीय अध्यक्ष महोदय, 42 स्थानांतरण एक दिन में हुए 42 में से 38 कैंसिल हो गए, यू-टर्न. उद्योगपति मुख्यमंत्री बना तो सोचा कि कोई उद्योग नए लगेंगे. अध्यक्ष महोदय स्थानांतरण उद्योग प्रारंभ हो गया. भोपाल भरा पड़ा है, अटा पड़ा है होटलों में, रोजगार दे दिया है दलालों को. अपराध उद्योग, इस प्रदेश के अंदर दूसरा उद्योग प्रारंभ हुआ. सतना में दिन दहाड़े बंदूक की नोक पर दो मासूम बच्चों को डकैत उठा ले गए 12 दिन हो गए, 12 दिन. आज तक पता नहीं है माननीय अध्यक्ष महोदय, उन दोनों मासूम बच्चों का, उनकी मां बिलख रही है, बिलख बिलखकर उस मां क्या हाल होगा, उसकी आंखें पथरा गई रास्ता देखते देखते, लेकिन मुख्यमंत्री और गृह मंत्री को स्थानांतरणों से फुर्सत नहीं है. ऐसा एक दिन नहीं है, एक दिन, हमने 5 साल में जितने स्थानांतरण नहीं किए उतने 2 महीने के अंदर ट्रांसफर कर दिए गए. स्थानांतरण उद्योग की यह हालत हो गई कि अधिकारी और कर्मचारी का काम में मन नहीं लग रहा है, इसलिए अपराध बढ़ रहे हैं. दिन दहाड़े बलात्कार हो रहे हैं, दिन दहाड़े हत्या हो रही है, दिनदहाड़े डकैती हो रही है और फिरौती हो रही है, इनका बजट किस हिसाब से पास कर रहे हैं, (XXX)
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री जितू पटवारी) - आदरणीय अध्यक्ष जी, मेरा अनुरोध यह है कि माननीय सदस्य सम्मानित भी हैं, वरिष्ठ भी हैं और विषय के अंतर्गत जो बातें कहे आप देखों की सरकार वसूली में लग गई है, यह भाषा बोलना मैं समझता हूं विलोपित करने जैसी बात है.
अध्यक्ष महोदय - यह विलोपित किया जाए.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - ये बातें क्यों नहीं बताएंगे जी, बजट मांग रहे हैं खर्च करने को. कानून व्यवस्था में बजट खर्च हो न, किसान पर बजट खर्च हो. मैं भी मानता हूं अध्यक्ष महोदय कि दुर्घटनावश सरकार बन गई है यह, ये एक एक्सीडेंटल गवर्मेंट है. आपको बहुमत नहीं दिया, इतना न इतराए कम से कम बहुमत की सरकार आपकी आज भी नहीं है. ह&