मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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षोडश विधान सभा चतुर्थ सत्र
दिसंबर, 2024 सत्र
गुरूवार, दिनांक 19 दिसंबर, 2024
(28 अग्रहायण, शक संवत् 1946)
[खण्ड- 4 ] [अंक- 4 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
गुरूवार, दिनांक 19 दिसंबर, 2024
(28 अग्रहायण, शक संवत् 1946)
विधान सभा पूर्वाह्न 11.01 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए.}
11.02 बजे
निधन का उल्लेख
(1) श्री अग्नि चन्द्राकर, भूतपूर्व विधान सभा सदस्य,
(2) श्री सत्यभानु चौहान, भूतपूर्व विधान सभा सदस्य,
(3) श्री ई.वी.के.एस. इलेंगोवन, भूतपूर्व केन्द्रीय मंत्री,
(4) उस्ताद जाकिर हुसैन, सुप्रसिद्ध तबला वादक.
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, श्री अग्नि चन्द्राकर जी मध्यप्रदेश विधान सभा के भी सदस्य रहे हैं और निश्चित रूप से बहुत ही सहर्ष और सरल व्यक्तित्व के धनी थे. मध्यप्रदेश का जब विभाजन हुआ उसके बाद वह छत्तीसगढ़ से भी विधायक रहे. उनके व्यवहार से कभी लगता ही नहीं था कि वह कांग्रेस की राजनीति करते हैं. निश्चित रूप से हम सब उनके व्यवहार को आज याद कर रहे है, उनकी सरलता, सहजता को याद कर रहे हैं. उनके जाने से एक अच्छे नेता की कमी हमें हमेशा महसूस होगी.
श्री सत्यभानु चौहान जो कि श्योपुर कलां के बहुत ही जमीनी नेता थे और अलग-अलग संगठन के पदों पर भी रहे. कॉपरेटिव के क्षेत्र में भी उन्होंने काफी काम किया. उनके निधन पर हम सब लोग उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं.
श्री ई.वी.के. एस इलेंगोवन का जन्म 21 दिसम्बर 1948 को हुआ था. यह तमिलनाडु विधान सभा के सदस्य भी थे और अनेक बार उन्होंने केन्द्र के अनेक पदों को सुशोभित किया है. इनका निधन समाज की एक बहुत ही बड़ी क्षति है.
उस्ताद जाकिर हुसैन इस देश की आन बान शान थे. मैंने प्रत्यक्ष रूप से उनके कार्यक्रम में हिस्सा लिया है. इनका एक एलबम जो भगवान शिव पर उन्होंने बनाया था उसमें उन्होंने तबले से भगवान शिव का शंखनाद और भगवान शिव का डमरू किस प्रकार बजाया यह अद्भुत है. मैं तो सभी सदस्यों से यह कहूंगा कि वह इसे एक बार जरूर सुनें क्योंकि जाकिर हुसैन साहब के तबला वादन जैसा तबला वादन मैंने अपनी जिंदगी में नहीं देखा है. हमने एक बहुत बड़े कलाकार को खोया है, विश्वस्तरीय कलाकार को खोया है. जाकिस हुसैन, जाकिर हुसैन थे. अब दूसरा जाकिर हुसैन हमें मिलेगा कि नहीं मिलेगा हमें नहीं पता, लेकिन हमने एक बहुत ही बड़े कलाकार को खोया है और कला के क्षेत्र में एक बहुत ही बड़ी क्षति हुई है. मैं उनको अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं. सभी दिवंगत आत्माओं को मैं अपने विधायक दल की ओर से श्रद्धांजलि देता हूं.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, निश्चित तौर से सामाजिक, सांस्कृतिक और कलाकार की जो क्षति हमारे देश और प्रदेश को हुई है मैं समझता हूं कि यह अपूरणीय क्षति है. मैं स्वर्गीय अग्नि चन्द्राकर जी, स्वर्गीय सत्यभानु चौहान जी, स्वर्गीय ई.वी.के.एस. इलेंगोवन जी, उस्ताद जाकिर हुसैन जी के शोकाकुल परिवार को मेरे दल की ओर से संवेदना प्रकट करता हूं और दिवंगतों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.
अध्यक्ष महोदय-- मैं सदन की और से दिवंगतों के सम्मान में श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूं. दिवंगत परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट करता हूं. अब सदन कुछ समय मौन रहकर सम्मान प्रकट करेगा.
(सदन द्वारा दो मिनट मौन खड़े रहकर दिवंगतों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की गई.)
सदन की कार्यवाही दिवंगतों के प्रति सम्मान में 10 मिनट के लिए स्थगित.
(सदन की कार्यवाही प्रात: 11.09 बजे 10 मिनट के लिए स्थगित की गई.)
11.22 बजे
(विधान सभा पुन: समवेत् हुई.)
{अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए}
अध्यक्ष महोदय -- कृपया सभी सदस्य अपना स्थान ग्रहण कर लें.
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
प्रधानमंत्री
आवास योजना
में अधिक राशि
दी जाना
[नगरीय विकास एवं आवास]
1. ( *क्र. 1205 ) डॉ. सीतासरन शर्मा : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या नगरपालिका नर्मदापुरम के (पूर्व में होशंगाबाद) की जाँच में यह पाया गया था कि प्रधानमंत्री हाउस में निर्धारित 2.50 लाख की राशि से ज्यादा 3 लाख से 8 लाख तक करीब 30 व्यक्तियों को दी गई थी? (ख) यदि हाँ, तो क्या यह नियमानुकूल थी? (ग) यदि नहीं, तो ज्यादा राशि देने वाले दोषी व्यक्तियों के खिलाफ क्या कार्यवाही गई और अतिरिक्त राशि वसूलने के लिये क्या किया गया?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री कैलाश विजयवर्गीय ) : (क) जी नहीं। अपर संचालक, नगरीय प्रशासन एवं विकास, मध्यप्रदेश, भोपाल की अध्यक्षता में गठित जांच दल द्वारा प्रस्तुत किये गये जांच प्रतिवेदन के अनुसार नगर पालिका परिषद नर्मदापुरम में 45 हितग्राहियों को प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी के अंतर्गत निर्धारित राशि रू. 2.50 लाख से अधिक राशि जारी की गई थी। (ख) एवं (ग) जी नहीं। योजना के अंतर्गत निर्धारित राशि से अधिक राशि जारी किये जाने के लिये उत्तरदायी पाये गये अधिकारियों/कर्मचारियों के विरूद्ध कारण बताओ सूचना पत्र जारी किये गये हैं एवं शेष कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। अतिरिक्त राशि वसूली का विवरण संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
डॉ. सीतासरन शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने बहुत ही प्रीसाइज उत्तर दिया है इसके लिए उनका धन्यवाद.
श्री कमलेश्वर डोडियार -- माननीय अध्यक्ष, मैं कहना चाहता हूँ कि...
अध्यक्ष महोदय -- डोडियार जी, मैंने आपको कहा है न कि मैं आपको समय दूंगा. शून्यकाल का समय निश्चित है. आप निश्चिंत रहें, मैं आपको समय दूंगा.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, मैं सिर्फ यह जानना चाहता हूँ कि क्या माननीय मंत्री जी इसके लिए कार्यवाही की समय-सीमा बता देंगे.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, दो महीने के अन्दर कार्यवाही हो जाएगी, जिन्होंने भी अनियमितता की है उनके खिलाफ कार्यवाही हो जाएगी.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- माननीय मंत्री जी, धन्यवाद.
आयरन फैक्ट्री ग्राम भरतरी
[नगरीय विकास एवं आवास]
2. ( *क्र. 1347 ) श्री मोहन सिंह राठौर : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश में उद्योग स्थापित करने के लिए कौन-कौन से विभागों से अनुमति/अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना आवश्यक है? नियमों की प्रति उपलब्ध करायें। क्या आवास एवं पर्यावरण विभाग से अनापत्ति आवश्यक है? (ख) ग्वालियर जिले के भितरवार विधानसभा क्षेत्र में संचालित भरतरी आयरन फैक्ट्री को आवास एवं पर्यावरण विभाग द्वारा एन.ओ.सी. दी गई है? यदि हाँ, तो कब? आदेश की प्रति उपलब्ध करायें। (ग) ग्वालियर जिले के भितरवार विधानसभा क्षेत्र में संचालित भरतरी फैक्ट्री से आसपास के क्षेत्रों में प्रदूषण फैल रहा है? यदि हाँ, तो इसे रोकने के क्या-क्या प्रयास किये गये? यदि नहीं, तो क्यों? इसके लिए कौन-कौन जिम्मेदार है? (घ) प्रश्नांश (ग) में उल्लेखित औद्योगिक इकाई का विभाग के अधिकारियों द्वारा वर्ष 2023, 2024 में कब-कब एवं किस-किस अधिकारी द्वारा निरीक्षण किया गया? निरीक्षण रिपोर्ट की प्रति उपलब्ध करायें। यदि आसपास के क्षेत्र में प्रदूषण फैल रहा है तो फैक्ट्री मालिक पर विभाग कब तक कार्यवाही करेगा?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री कैलाश विजयवर्गीय ) : (क) प्रदेश में उद्योग स्थापित करने के लिए आवश्यकता अनुसार विभिन्न विभागों यथा औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग, पर्यावरण विभाग, नगरीय विकास एवं आवास विभाग, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, राजस्व विभाग, ऊर्चा विभाग, लोक निर्माण विभाग, श्रम विभाग, सहकारिता विभाग से अनुमत/ अनापत्ति प्रमाण-पत्र लेना आवश्यक है. नियमों की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट- "अ" एवं "ब" अनुसार है. जी हाँ, वर्तमान में आवास एवं पर्यावरण विभाग पृथक होकर "नगरीय विकास एवं आवास विभाग" तथा "पर्यावरण विभाग" में विभक्त हुआ है. (ख) ग्वालियर जिले के भितरवार विधानसभा क्षेत्र में ग्राम भरतरी, तहसील चिनोर में मेसर्स ओम स्मेल्टर्स प्रायवेट लिमिटेड को म.प्र. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम 1974 एवं वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम 1981 के प्रावधानों के अंतर्गत दिनांक 13.10.2014 को स्थापना की सम्मति जारी की गई है जो कि पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। उद्योग को स्थापना उपरांत दिनांक 14.10.2015 को संचालन की सम्मति जारी की गई है, जो कि पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-2 अनुसार है। कालान्तर में दिनांक 27.07.2018 को क्षमता विस्तार करने हेतु उद्योग को स्थापना सम्मति जारी की गई है, जो कि पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-3 अनुसार है। उद्योग को क्षमता विस्तार हेतु संचालन सम्मति दिनांक 21.12.2018 को जारी की गई है, जो कि पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-4 अनुसार है। वर्तमान में उद्योग की सम्मति दिनांक 30.11.2027 तक की अवधि हेतु नवीनीकृत होकर वैध है। सम्मति नवीनीकरण आदेश की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-5 अनुसार है। (ग) जी नहीं। फैक्ट्री के आस-पास के क्षेत्र में वायु प्रदूषण फैलने की स्थिति नहीं पाई गई है। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (घ) प्रश्नाधीन अवधि में मेसर्स ओम स्मेल्टर्स एण्ड रोलर्स प्रायवेट लिमिटेड उद्योग का दिनांक 19.12.2023 को क्षेत्रीय अधिकारी ग्वालियर श्री आर.आर. सिंह सेंगर द्वारा तथा दिनांक 04.12.2024 को रसायनज्ञ श्री के.एस. राठौर द्वारा निरीक्षण किया गया है। निरीक्षण रिपोर्ट की प्रतियां पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 6 एवं 7 अनुसार है। उद्योग के आस-पास के क्षेत्र में प्रदूषण फैलने की स्थिति निरीक्षणों में नहीं पाई गई है। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
श्री मोहन सिंह राठौर -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे द्वारा मेरी भितरवार विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत भरतरी में संचालित आयरन फैक्ट्री को स्थापित करने में प्रदूषण बोर्ड ने, एनओसी, फैक्ट्री में फैल रहे प्रदूषण और उसके आसपास के क्षेत्र में हो रही क्षति के संबंध में मैंने प्रश्न किया था. मेरे प्रश्न के जवाब में बताया गया कि वर्ष 2027 तक फैक्ट्री को अनुमति दी गई है और कोई प्रदूषण नहीं फैल रहा है ऐसा बताया गया है.
अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से मंत्री जी से अनुरोध है कि मेरे क्षेत्र में संचालित आयरन फैक्ट्री से भरतरी, मानपुर, बजैरा, कुरी फतेहपुर करीब 5-6 गांव प्रभावित हैं. इन गावों के हैण्डपम्प का पानी पूरी तरह से खराब हो गया है. यहां की फसलें धूल और प्रदूषण से पूरी तरह से नष्ट हो रही हैं. किसान परेशान है. किसान आन्दोलन के माध्यम से ध्यान आकर्षित करते रहे हैं. मैं मंत्री जी से जानना चाहता हूँ कि जब फैक्ट्री से कोई प्रदूषण नहीं हो रहा है तो आसपास के क्षेत्रों की फसलें कैसे खराब हो रही हैं. क्या मंत्री जी वरिष्ठ अधिकारियों से इसकी जांच करवाएंगे और उस जांच में स्थानीय प्रतिनिधि को साथ रखेंगे. यदि फैक्ट्री के प्रदूषण से फसलें नष्ट हो रही हैं तो उसके खिलाफ क्या कार्यवाही की जाएगी.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- माननीय अध्यक्ष महोदय, पहले भी इस उद्योग की शिकायत हुई थी, हमने दो-दो बार अधिकारियों को भेजा है वहां से यही रिपोर्ट आई है कि किसी प्रकार का प्रदूषण नहीं है. यदि माननीय सदस्य चाहते हैं तो मैं प्रदूषण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी को निर्देशित कर दूंगा कि वे आपके साथ जाकर फिर से इसकी एक बार जांच कर लें. अगर कुछ होगा तो उसको खिलाफ कार्यवाही की जाएगी.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय सदस्य, दूसरा पूरक प्रश्न करें.
श्री मोहन सिंह राठौर -- अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मैं यह कहना चाहता हूं कि इसके आसपास एक मेडिकल अपशिष्ट की भी फैक्ट्री है, उससे भी बहुत प्रदूषण फैल रहा है. जनता उससे बहुत परेशान है. अब उसको और विस्तृत और बड़ी फैक्ट्री करने की परमिशन मिल गई है और उस फैक्ट्री में पहले से चमड़ा फैक्ट्री भी है, तो पूरा क्षेत्र प्रदूषित हो रहा है. आंतरी नगर पंचायत है, उसके आसपास बहुत बड़ी बस्ती धीरे धीरे हो गई है. कृपया इस तरह की जो फैक्ट्रियां हैं वह बस्ती से बाहर होनी चाहिये एवं इनके खिलाफ कार्यवाही करने का भी माननीय मंत्री जी आदेश करें.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, वैसे यह प्रश्न मेरे विभाग का नहीं है, परंतु चूंकि आपने आदेशित किया है और मेरे यहां सूची में आ गया है, तो मैं इसका जवाब दे रहा हूं. माननीय सदस्य एक बार मुझे लिखित में बता दें कि वहां पर क्या-क्या शिकायतें हैं, तो मैं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी के साथ एक जांच कमेटी बनाकर आप स्वयं भी उसमें साथ रहें और वहां जो भी प्रदूषण हो रहा है उसके बारे में जानकारी दे देंगे, यदि कोई फैक्ट्री प्रदूषण फैला रही होगी, तो हम उनके खिलाफ कार्यवाही करेंगे.
श्री मोहन सिंह राठौर -- अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी का बहुत-बहुत आभार. बहुत-बहुत धन्यवाद.
मार्ग की स्वीकृति व निर्माण में अनियमितता
[लोक निर्माण]
3. ( *क्र. 1567 ) श्री देवेन्द्र पटेल : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) रायसेन जिलांतर्गत बेगमगंज से सुल्तानगंज मार्ग का निर्माण किस योजनांतर्गत कितनी लागत का कब स्वीकृत किया गया? इस मार्ग का निर्माण किस कार्य एजेंसी द्वारा किया जा रहा है? विभाग और निर्माण एजेंसी के मध्य हुए अनुबंध व डी.पी.आर. की प्रति उपलब्ध करावें। (ख) क्या निर्माण एजेंसी द्वारा मापदण्डानुसार गुणवत्तापूर्ण निर्माण कार्य किया जा रहा है? यदि नहीं, तो क्यों? यदि हाँ, तो अब तक निर्मित हिस्सों में जर्क क्यों है और घटिया कार्य क्यों कराया जा रहा है? कांक्रीट के हिस्सों के गुणवत्ताहीन व मापदण्डों के विपरीत कार्य हेतु कौन उत्तरदायी है? क्या गुणवत्ता नियंत्रण हेतु जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा कार्य का निरीक्षण नहीं किया जा रहा है, क्यों? इस हेतु कब तक जांच कर उत्तरदायित्व निर्धारित किया जावेगा? (ग) क्या बेगमगंज से महुआखेड़ा-करहौला-रजपुरा से जमुनिया के नवीन मार्ग के निर्माण का प्रस्ताव है? क्या विभाग जनहित में इस मार्ग को जिला मार्ग घोषित कर या नवीन निर्माण कार्य कर टूलेन सड़क में उन्नत/निर्माण करेगा? यदि हाँ, तो इस प्रस्ताव पर कब विचार किया जावेगा?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री राकेश सिंह ) : (क) बेगमगंज-सुल्तानगंज मार्ग का निर्माण ''म.प्र. रोड डेव्हलपमेंट प्रोग्राम 6 तथा 7'' योजना के अन्तर्गत दिनांक 04.05.2018 एवं 26.10.2021 को संयुक्त रूप से 60 मार्गों हेतु रू. 6156 करोड़ से स्वीकृत। मार्ग का निर्माण मेसर्स श्रीजी हैदरगढ़ बेगमगंज रोड प्रोजेक्ट प्रा.लि. द्वारा कराया जा रहा है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जी हॉं, कार्य गुणवत्तापूर्ण तरीके से कराया जा रहा है। अतः प्रश्न उपस्थित नहीं होता। गुणवत्ता हेतु पृथक से इंडिपेन्डेंट इंजीनियर मेसर्स ब्लूम कंपनीस एल.एल.सी. को नियुक्त किया गया है। मापदण्डों अनुसार जांच, निरीक्षण एवं परीक्षण किया जा रहा है। अतः शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) नवीन मार्गों का कोई प्रस्ताव नहीं है। विधिवत प्रस्तावित प्रक्रिया अनुसार प्रस्ताव प्राप्त होने पर मुख्य जिला मार्ग घोषित किए जाते हैं। वर्तमान में कोई प्रस्ताव नहीं है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री देवेन्द्र पटेल -- अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि हमारे सिलवानी विधान सभा की हैदरगढ़ से सुल्तानगंज यह मुख्य सड़क है, जिसका निर्माण करीब सवा सौ करोड़ से हो रहा है. लगभग दो वर्ष होने को है और उसके छोटे-छोटे हिस्सों का जो निर्माण हुआ है वह दोबारा से उखड़ गया है. उस पर रिपेयरिंग का काम होगा और अभी 25 परसेंट मात्र सड़क का काम हुआ है और उसका जो कॉंक्रीट है वह ग्राम पंचायत में सरपंच लोग जो कॉंक्रीट बनाते हैं उससे भी घटिया का निर्माण हुआ है. मेरा माननीय मंत्री जी से आग्रह है कि हमारे विधान सभा क्षेत्र के 3-4 लाख लोगों का उसी सड़क से निकलना होता है, तो उसकी जांच कराकर उस निर्माण एजेंसी के खिलाफ कार्यवाही हो और उसका गुणवत्तापूर्ण निर्माण हो जाए.
श्री राकेश सिंह -- धन्यवाद अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्य की चिंता से सहमत हूं. वह जो कार्य चल रहा है, सड़क के जिस हिस्से की माननीय सदस्य ने बात की है, उसमें सीमेंट कॉंक्रीट के कुछ हिस्सों में निश्चित रूप से जो जांच की गई उसमें 6 पैनल ऐसे पाये गये जिसमें क्रैक आये हैं. उनमें से 2 पैनल बदल गये हैं और जो बचे हुये 4 पैनल हैं उनको बदलने की प्रक्रिया भी प्रारंभ है. अभी सड़क निर्माणाधीन है. उसमें कुछ विलंब हुआ है यह बात बिल्कुल सही है, लेकिन कार्य शीघ्रतापूर्ण हो इसके निर्देश जारी कर दिये गये हैं और जहां उस सड़क के निर्माण में आपको यह ध्यान में आया है कि सड़क निर्माण कार्य घटिया हुआ है, उस पर जैसा मैंने अभी आपको जानकारी दी कि बाकी के बचे हुये 4 पैनल भी शीघ्र बदल जाएंगे, बाकी कुल मिलाकर सड़क का शेष 16 किलोमीटर का हिस्सा है जो डामर रोड का हिस्सा है, वह क्वालिटी के हिसाब से ठीक पाया गया है.
श्री देवेन्द्र पटेल -- अध्यक्ष महोदय, मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि उसमें जो जांच अधिकारी आपके जाएं कम से कम हमको बुलाएं. कम से कम हम सामने तो बता सकेंगे कि यह गुणवत्ता विहीन काम हो रहा है. मंत्री जी इतना निवेदन स्वीकार कर लें कि जो जांच के लिये अधिकारी जाएं हमको बुला लें और साथ में हम लोग चले जाएं, तो कम से कम यह तो पता लग जाएगा कि यह सही है या गलत है.
श्री राकेश सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मैं व्यक्तिगत रूप से खुद आपसे बात करूंगा और बात करने के बाद में उसकी गुणवत्ता को लेकर जो आपकी आशंकाएं हैं, वह दूर हों और अच्छे स्तर की सड़क बने हमारी यह कोशिश होगी. सड़कों के निर्माण को लेकर अगर माननीय अध्यक्ष जी की अनुमति हो, तो सदन के सामने कुछ बात भी मैं रखना चाहता हूं. यह बात सही है कि सड़कों को लेकर, उसके निर्माण को लेकर, उसकी गुणवत्ता को लेकर, प्रक्रिया को लेकर, तमाम सदस्यों के मन में समय समय पर आशंकाएं आती हैं और इसलिये कुछ बड़े परिवर्तन करने की भी योजना और प्रयास हमने किये हैं. पिछले दिनों तीन राज्यों में हमने अपने अध्ययन दल भेजे थे, जिनमें एक-एक चीफ इंजीनियर के साथ में बाकी एक पूरी टीम गई थी, ताकि उन राज्यों की जो अच्छी प्रेक्टिसेज हैं उनका भी अध्ययन हो और उसको हम अपने यहां पर कैसे लागू कर सकें उस दिशा में आगे बढ़ें. उस दिशा में आगे बढ़ें. सदन को जानकर यह अच्छा लगेगा कि जो अध्ययन दल गये थे उसमें से तेलंगाना वाला जो दल था उन्होंने कहा कि यहां तो जो बिटुमेन की सड़कें बनती हैं यह भी 6 साल और 7 साल चलती हैं लेकिन हमारे यहां पर वह क्वालिटी नहीं होती है तो इस तरह से मैंने उन लोगों से कहा कि जब वहां पर बन सकती हैं तो हमारे यहां क्यों नहीं बन सकती, तो उसको लेकर के निविदा में भी जो कमियां-खामियां रही हैं, प्रक्रिया में चलती चली आ रही हैं उनको दूर करने का भी हम प्रयास कर रहे हैं, बिटुमेन भी कहां से लिया जाये, भारत पेट्रोलियम, इंडियन आयल कारपोरेशन, केवल उनसे ही बिटुमेन लिया जाये इसको भी निर्धारित करने का काम हम लोग कर रहे हैं. इसके साथ ही निविदा की शर्तों में आम तौर पर जब टेण्डर होते हैं तो किसी भी तरह के रेट डल जाते हैं, लोएस्ट आने के लिये लोग कितना भी नीचे चले जाते हैं और उसका सीधा असर गुणवत्ता पर होता है और इसीलिये यह भी तय किया है कि हम उसको भी ठीक करेंगे. तीनों राज्यों के अध्ययन दल की रिपोर्ट हमारे पास में आ चुकी हैं. उसके आधार पर हम जल्दी ही निर्णय करने जा रहे हैं. गुजरात और महाराष्ट्र इन दो राज्यों में फिर से जाने की तैयारी है लेकिन यह सब कुछ इसी महीने के अंत तक हम कर लेंगे और अगले महीने कोशिश होगी, अध्यक्ष जी, इसमें इस सदन का भी सहयोग लगेगा कि निविदा की शर्तों में हम यह निर्धारित करके कड़े मापदण्ड बनायेंगे ताकि अच्छी गुणवत्ता की सड़कें बनें.
अध्यक्ष महोदय, आपको याद होगा इसी सदन में जब मैंने लोकपथ एप की बात की थी तब मैंने यह कहा था कि यह एक बड़ी चुनौति है. राजनैतिक क्षेत्र में आम तौर पर इस तरह की चुनौतियां लोग लेते नहीं हैं लेकिन अगर हमें परिवर्तन करना है और सकारात्मक परिवर्तन करना है तो हमें इस तरह की चुनौतियां लेना पड़ेंगी. हमने उसको लिया.
अध्यक्ष महोदय हमें यह बताते हुये खुशी है कि अभी पिछले कुछ दिनों पहले ही, आप सबके ध्यान में भी होगा क्योंकि मध्यप्रदेश का विषय है, कौन बनेगा करोड़पति जैसे शो में लोकपथ एप के बारे में पूछा गया जो यह बताता है कि लोकपथ एप कितना लोकप्रिय हुआ है, 97 प्रतिशत उसका सक्सेस रेट अभी है लेकिन हम तो चाहते हैं कि 100 प्रतिशत तक पहुंचे, और उसमें भी और क्या क्या बेहतर हो सकता है वह सब करने की कोशिश हमारी है, आने वाले समय में काफी सारे परिवर्तन होंगे जो आप सबके ध्यान में हैं.
उज्जैन नगर योजना 2021 आरक्षित भूमि
[नगरीय विकास एवं आवास]
4. ( *क्र. 708 ) श्री सतीश मालवीय : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) उज्जैन नगर योजना 2021 के अन्तर्गत ग्राम कमेड़ की भूमि सर्वे क्रमांक 442/1/1/1, 442/1/1/2, 442/1/1/3 एवं 449/1/2 कुल रकबा 1.64 हेक्टर भूमि यातायात नगर के लिए आरक्षित की गई थी? यदि हाँ, तो सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध करावें। (ख) उज्जैन नगर विकास योजना 2035 के लागू होने के पूर्व उक्त भूमि पर आदेश क्रमांक UJNLP14032681, दिनांक 01 जून, 2023 के तहत व्यवसायिक गतिविधि की अनुमति किस नियम के तहत दी गई? नियम सहित सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध करावें। (ग) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में उक्त प्रकरण के प्रश्न दिनांक के पूर्व संचालक, नगर तथा ग्राम निवेश को कितनी शिकायतें प्राप्त हुई हैं? उन शिकायतों पर क्या कार्यवाही की गई?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री कैलाश विजयवर्गीय ) : (क) जी नहीं, अपितु प्रश्नाधीन भूमि उज्जैन विकास योजना, 2021 में वर्तमान वाणिज्यिक उपयोग हेतु निर्दिष्ट थी। (ख) उज्जैन विकास योजना, 2035, म.प्र. राजपत्र में दिनांक 26 मई, 2023 से प्रभावशील होकर प्रश्नाधीन भूमि विकास योजना, 2021 एवं 2035 दोनों में ही वाणिज्यिक उपयोग हेतु निर्दिष्ट होने से उक्त प्रकरण का निराकरण म.प्र. नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम, 1973 की धारा-29 (1) के अंतर्गत किया गया है। (ग) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में उक्त प्रकरण के प्रश्न दिनांक के पूर्व संचालनालय, नगर तथा ग्राम निवेश, भोपाल में कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई। जिला कार्यालय नगर तथा ग्राम निवेश, उज्जैन में सी.एम. हेल्प लाईन के माध्यम से शिकायत प्राप्त हुई थी, जिसका निराकरण जिला कार्यालय द्वारा कर दिया गया है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है।
श्री सतीश मालवीय -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से जानना चाहूंगा कि जो मेरा (क) प्रश्न था उसका जवाब असत्य आया है, विभाग के अधिकारियों ने भ्रमित करने का काम किया है, जबकि उज्जैन नगर योजना 2021 के तहत जो मेरी विधानसभा का ग्राम कमेड़ है उसकी भूमि का सर्वे नंबर 442/1/1/1, 442/1/1/2, 442/1/1/3 एवं 449/1/2 कुल रकबा 1.64 हेक्टर भूमि जो कि यातायात नगर के लिये आरक्षित की गई थी..
अध्यक्ष महोदय- माननीय सतीश जी आप प्रश्न तो करें.
श्री सतीश मालवीय -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं प्रश्न ही कर रहा हूं. 2035 का मास्टर प्लान लागू होने के पूर्व ही इसको व्यवसायिक भूमि में उपयोग के लिये 1 जून 2023 के तहत परिवर्तन कर व्यवसाय़िक उपयोग हेतु आरक्षित कर दी गई है, और वहां पर वर्तमान में किसी को लाभ पहुंचाने का काम किया गया है. निश्चित रूप से मैं मंत्री जी से यह अनुरोध करना चाहूंगा कि बहुत बड़ी जमीन का हेर-फेर करके किसी एक व्यक्ति को लाभ पहुंचाने का काम अधिकारियों के द्वारा किया गया है. साथ ही इस मध्यप्रदेश की पारदर्शी सरकार और इस विभाग के मंत्री जो कि वरिष्ठतम मंत्री हैं उनके विभाग में भी इस प्रकार के भ्रमित जवाब देने का काम आज इस सदन में किया गया है. अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी का ध्यान दिलाना चाहता हूं कि सर्व प्रथम तो जो अनुबंध और अनुमति दी गई है उसको निरस्त की जाये, इसकी जांच भी की जाये और दोषी अधिकारियों के ऊपर कार्यवाही भी की जाये.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- माननीय अध्यक्ष महोदय, विभाग के द्वारा मुझे जो जानकारी प्राप्त हुई है उसमें मास्टर प्लान के अंतर्गत जिस प्रकार व्यवसायिक भूमि थी उसी को व्यवसायिक भूमि की परमीशन दी गई है. इसमें कहीं अनियमिता नहीं हुई है पर यदि माननीय सदस्य के पास कोई ऐसी बात है तो सदन को अवगत कराना चाहें तो करा सकते हैं. मास्टर प्लान ऐसी चीज नहीं है कि उसको कोई बदल कर परमीशन दे सके. कल मैंने स्वयं ने मास्टर प्लान देखा है उसमें व्यवसायिक क्षेत्र था और व्यवसायिक क्षेत्र में ही व्यवसाय करने की परमीशन दी गई है. अगर माननीय सदस्य के पास कोई ऐसा उदाहरण हो तो आप मुझे बता दीजिये, मैं उसकी जांच करवा दूंगा.
श्री सतीश मालवीय—अध्यक्ष महोदय, मेरे पास सभी तमाम वह मास्टर प्लान की कापी भी उपलब्ध है, जिसमें यह इंडिकेशन है कि यह यातायात एवं परिवहन विभाग के लिये आरक्षित की गई थी. दूसरा, यहां पर जवाब में भ्रमित भी किया गया कि नजूल की अगर अनुमति भी आपने दी है, तो नजूल की अनुमति क्यों नहीं ली आपने. इसमें जो आर्डर हुआ है, उसमें अधिकारी के द्वारा किया गया है कि नजूल का अनापत्ति प्रमाण पत्र, जो कि इनको प्राप्त नहीं हुआ है. तो उसके बिना तो हो ही नहीं सकती किसी भी चीज की अनुमति. तो कुल मिलाकर उन्होंने उनके पत्र में आदेश के अन्दर यह लिखा है, तो निश्चित ही यह बड़ा घालमेल है और मैं चाहूंगा कि इसकी उच्च स्तर पर, यहां पर प्रदेश स्तरीय अधिकारियों के माध्यम से इसकी जांच की जाये.
श्री कैलाश विजयवर्गीय—अध्यक्ष महोदय, मैं विधायक जी जैसा चाहते हैं जांच, तो मैं यहां से हमारे टाउन एण्ड कंट्री प्लानिंग के डायरेक्टर और ज्वाइंट डायरेक्टर दोनों को भेज दूंगा. आप भी उसमें सम्मिलित होकर जो आपके पास जानकारी हो, उन्हें देंगे, तो जांच आने के बाद यदि कहीं गलती पाई गई, तो हम अधिकारी को दण्डित करेंगे.
डॉ. चिन्तामणि मालवीय—अध्यक्ष महोदय, मैं केवल इसमें कुछ जोड़ना चाहता हूं कि पूरा सिंहस्थ क्षेत्र उसमें जो जमीन की हेराफेरी है, वह पूरे सदन की चिंता का विषय होना चाहिये,पूरी सरकार की चिंता का विषय होना चाहिये, क्योंकि सिंहस्थ का जो क्षेत्र यदि रकबा कम होता है, तो सिंहस्थ हमारे लिये गौरव की चीज है इस मध्यप्रदेश के लिये और सिंहस्थ की जमीन में जिस तरह हेराफेरी हो रही है, वह पूरे मध्यप्रदेश के एक एक व्यक्ति की चिंता का विषय होना चाहिये. इसमें संज्ञान लें और हमारे प्रभारी मंत्री, तो सिंहस्थ मंत्री भी रहे हैं. मैं तो कहता हूं कि उनके हाथ में ही सारा देकर के इसमें दिखवाना चाहिये कि कहां जमीन को किस तरह उसको खुर्द-बुर्द किया जा रहा है,हेरफेर की जा रही है और अधिकारियों के माध्यम से जिस तरह उसको किया जा रहा है, वह एक स्वस्थ तरीका नहीं है.
अध्यक्ष महोदय-- चिन्तामणि जी बैठ जायें, विषय आ गया. मंत्री जी, आप कुछ कहना चाहेंगे. (मंत्री जी द्वारा इशारे से मना करने पर) प्रश्न संख्या-5.
श्री सतीश मालवीय – अध्यक्ष महोदय..
अध्यक्ष महोदय-- नहीं सतीश जी, आपके दो पूरक प्रश्न हो गये. सतीश जी, कृपया बैठ जायें.
श्री सतीश मालवीय—अध्यक्ष महोदय, बहुत बहुत धन्यवाद.
दतिया नगर में रिंग रोड निर्माण
[नगरीय विकास एवं आवास]
5. ( *क्र. 1351 ) श्री राजेन्द्र भारती : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या दतिया नगर में चारों ओर नगर की सुरक्षा हेतु प्राचीन समय में मजबूत दीवार थी? यदि हाँ, तो उस मजबूत दीवार को तोड़कर रिंग रोड का निर्माण किसके आदेश पर किया गया? आदेश की प्रति प्रदान करें। (ख) दीवार तोड़ने के कारण कितने मकानों को तोड़ा गया एवं कितने परिवार प्रभावित हुये? संपूर्ण की सूची प्रदान करें। मकानों को तोड़कर उनके निवासियों को शहर से दूर ग्राम चितुवा में व्यवस्थापन में किया गया है? यदि हाँ, तो पानी, सड़क बिजली की व्यवस्था क्यों नहीं की गई है तथा निर्मित टंकी से पेयजल व्यवस्था प्रारंभ क्यों नहीं की गई? क्या जनहित में पानी, सड़क, बिजली की समुचित व्यवस्था की जायेगी? यदि नहीं, तो क्यों और यदि हाँ, तो कब तक? (ग) क्या नगरपालिका एवं प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही के कारण जीर्ण-शीर्ण नगरपालिका की दीवार को समय पूर्व नहीं गिराये जाने से अतिवृष्टि के कारण घटित घटना के कारण क्या पांच व्यक्तियों की सितम्बर माह में हुई घटित घटना से पांच व्यक्तियों की मृत्यु हुई थी? यदि हाँ, तो क्या उक्त काण्ड की शासन-प्रशासन द्वारा जांच कराई गई? यदि नहीं, तो क्यों और यदि हाँ, तो दोषी अधिकारियों के विरूद्ध शासन द्वारा क्या कार्यवाही की गई?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री कैलाश विजयवर्गीय ) : (क) जी हाँ। परन्तु प्रश्नांकित दीवार लगभग 400 वर्ष पुरानी होने के कारण मजबूत स्थिति में नहीं थी। नगर पालिका परिषद दतिया द्वारा पुरानी दीवार को तोड़कर रिंग रोड निर्माण करने का संकल्प पारित किया गया था, जिसके आधार पर मुख्यमंत्री शहरी अधोसंरचना विकास योजना के द्वितीय चरण में उक्त रिंग रोड निर्माण की तकनीकी एवं प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की गई है। परिषद एवं पी.आई.सी. संकल्प की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) 318 मकानों को तोड़ा गया है, जिसमें प्रभावित 496 परिवारों की सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। जी हाँ, व्यवस्थापन स्थल ग्राम चितुवा में पानी, सड़क एवं बिजली की व्यवस्था की गई है, तकनीकी कारणों से टंकी भरने में कठिनाई होने के कारण सीधे ट्यूबवेल एवं पाईप लाईन के माध्यम से जलप्रदाय किया जा रहा है। (ग) जी नहीं, नगर पालिका की दीवार प्रश्नांकित अनुसार गिरने से कोई घटना नहीं हुई है, अपितु प्रश्नांकित दुर्घटना पुरातत्व विभाग के अधीन राजगढ़ पैलेस की नींव को सुरक्षित रखने हेतु बनाई गई दीवार को इसके आसपास रहने वाले निवासियों द्वारा मिट्टी, मुरम खोदकर क्षतिग्रस्त किये जाने से तेज बारिश के कारण घटना घटित हुई। उक्त दुर्घटना के लिए निकाय स्तर पर प्रथम दृष्टया कोई लापरवाही नहीं पाये जाने के कारण शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
श्री राजेन्द्र भारती-- अध्यक्ष महोदय, विजयवर्गीय जी के विभाग के द्वारा सदन को जो अपूर्ण, असत्य और अस्पष्ट, गुमराह करते हुए भ्रमपूर्ण जानकारी दी गई है, उससे संबंधित जानकारी से उद्भूत प्रश्न मैं आपके माध्यम से पूछना चाहता हूं कि मेरे प्रश्न में मैंने पूछा था कि इस रिंग रोड से जो दीवाल टूटी है और उससे जो दुखद पूर्ण घटना घटी है, उसकी जांच की गई क्या. तो इसमें उत्तर में दिया गया है कि कोई जांच नहीं की गई. जब जांच नहीं की गई, तो फिर इससे दीवाल गिरने से जो वह राजगढ़ है, पुरातत्व विभाग का, उसके मिट्टी मुरम गिरने से फिर यह कैसे कह दिया गया कि उसके कारण यह घटना घटी और 7 लोगों की मृत्यु हुई.
श्री कैलाश विजयवर्गीय—अध्यक्ष महोदय, मैंने अपने उत्तर में स्पष्ट किया है उसमें कि यह बात सही है कि वहां पर कुछ लोगों ने अतिक्रमण किया था और वह लोग वहां पर रह रहे थे और बारिश के कारण दीवाल कमजोर हुई है. वहां जो मुझे प्रत्यक्ष रुप से जानकारी मिली है, वहां पर मैंने अधिकारी को भेजकर जानकारी ली है. वह दीवाल काफी मोटी थी, पर वहां के जो अतिक्रमणकर्ता थे, वह उसमें से ईंट निकाल रहे थे. इसलिये वह दीवाल कमजोर हो गई. तो जांच नहीं हुई, ऐसा नहीं है. जांच हुई है उसकी, पर जांच में यह पाया गया कि हां वहां पर कुछ लोगों ने दीवाल को कमजोर किया था और चूंकि वह गरीब लोग थे, इसलिये उनकी जो मृत्यु हुई, सरकार ने उसको बहुत गंभीरता से लिया और उनको मुआवजा भी दिया.
श्री राजेन्द्र भारती-- अध्यक्ष महोदय, यह स्टेट टाइम की पूरी दीवाल थी, पूरे शहर के अन्दर और 400 वर्ष पुरानी थी. 6 किलोमीटर लम्बी दीवाल और लगभग 20-25 फीट चौड़ाई उस दीवाल की थी. यदि नगरपालिका द्वारा रिंग रोड बनाये जाने के नाम पर उस दीवाल को तोड़ा नहीं गया होता और अधूरा नहीं छोड़ा गया होता, तो यह दुखदपूर्ण घटना घटती ही नहीं. दूसरी बात मैं आपकी जानकारी में लाना चाहता हूं कि जब सागर की दुखदपूर्ण घटना घटी और उसके बाद शासन ने जो निर्देश दिये. शासन के निर्देशों के बाद क्या जिला प्रशासन द्वारा उस रिंग रोड जो अधूरी दीवार था इसके गिरने के कारण यह घटना घटी. क्या अतिवृष्टि होने के बाद उस दीवार को गिराया गया, यदि नहीं गिराया गया तो फिर इसमें अधिकारी और प्रशासन दोषी है और जिनकी लापरवाही और उदासीनता और असावधानी के कारण यह जो दुखदपूर्ण घटना घटी है और 7 लोगों की मृत्यु हुई है, क्या उसकी जांच कराते हुए आप दोषियों के खिलाफ कार्यवाही करेंगे ?
श्री कैलाश विजयवर्गीय- अध्यक्ष महोदय, यह एक आकस्मिक दुर्टघटना है और इसमें जितने भी तथ्य मिले हैं, उसमें बहुत साफ है कि बारिश हुई थी और बारिश होने के कारण, वह पुरानी दीवार थी वह गिर गयी और ढहने का कारण भी मैंने बता दिया है. वहां पर जब मैंने प्रत्यक्ष जानकारी ली है तो लोग वहां पर उस पुरानी दीवार की ईंट निकाल रहे थे , उसके कारण वह दीवार कमजोर हो गयी और गिर गयी उस समय जो लोग वहां पर थे, उनके साथ दुर्घटना हुई है, उनके प्रति हमारी सहानुभूति भी थी और इसलिये हम यह नहीं कह सकते कि वही जिम्मेदार हैं. पर घटना इस प्रकार की हुई है और इसलिये पूरा स्पष्ट है कि दीवार क्यों गिरी. इसलिये इसकी जांच की कोई आवश्यकता नहीं है.
श्री राजेन्द्र भारती- अध्यक्ष महोदय, सागर की घटना के बाद जिसमें 9 बच्चों की मृत्यु हुई थी, अतिवृष्टि में जीर्णशीर्ण मकानों और सरकारी बिल्डिंग गिरने के बाद स्कूल की बिल्डंग गिरने के बाद शासन ने आदेश दिया था कि जहां भी प्रायवेट या सरकारी जीर्णशीर्ण दीवारें और मकान हैं, उनकी जांच करके उनको गिराया जाये, जिससे दुर्घटना नहीं घट सके और इसके बावजूद भी यदि प्रशासन के अधिकारियों ने शासन के आदेशों का पालन नहीं किया और यह घटना घटी. यह घटना केवल अधिकारियों की लापरवाही और उदासीनता का कारण है. यह आकस्मिक घटना नहीं है.
अध्यक्ष महोदय- मंत्री जी, कुछ कहना चाहेंगे ?
श्री कैलाश विजयवर्गीय- अध्यक्ष महोदय, मैं कुछ दोहराना नहीं चाहूंगा. इसमें किसी प्रकार की अनियमितता या लापरवाही नहीं दिखाई दे रही है. यह एक एक्सीडेंट है.
अध्यक्ष महोदय- डॉ. रामकिशोर दोगने.
श्री राजेन्द्र भारती- अध्यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहता हूं. एक प्रश्न और पूछना चाहता हूं कि ..
अध्यक्ष महोदय- डॉ. रामकिशोर जी. प्लीज़ राजेन्द्र जी आप बैठ जायें. रामकिशोर जी जो बोलेंगे वही लिखा जायेगा.
पिछड़ा वर्ग के छात्र/छात्राओं को छात्रवृत्ति का भुगतान
[पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण]
6. ( *क्र. 32 ) डॉ. रामकिशोर दोगने : क्या राज्यमंत्री, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) म.प्र. के समस्त महाविद्यालय में अध्ययनरत पिछड़ा वर्ग के छात्र/छात्राओं को शासन की ओर से दी जाने वाली छात्रवृत्ति का भुगतान प्रश्न दिनांक तक क्यों नहीं किया गया है? (ख) पिछड़ा वर्ग के छात्र/छात्राओं को शासन की ओर से दी जाने वाली छात्रवृत्ति का भुगतान कब तक कर दिया जावेगा? (ग) क्या पिछड़ा वर्ग के छात्र/छात्राओं को छात्रवृत्ति दिए जाने हेतु शासन के पास बजट नहीं है? (घ) प्रश्नांश (ग) अनुसार यदि बजट नहीं है तो उसका क्या कारण है?
राज्यमंत्री, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण ( श्रीमती कृष्णा गौर ) : (क) मध्यप्रदेश के समस्त महाविद्यालय में अध्ययनरत पिछड़ा वर्ग के पात्र छात्र/छात्राओं को विभाग की ओर से दी जाने वाली छात्रवृत्ति भुगतान की अद्यतन स्थिति अनुसार वर्तमान वित्तीय वर्ष 2024-25 में 5.08 लाख विद्यार्थियों को राशि रूपये 653.78 करोड़ का भुगतान किया गया है। नियमानुसार एवं पात्रता अनुसार छात्रवृत्ति राशि का भुगतान सतत् जारी है। (ख) पिछड़ा वर्ग के छात्र/छात्राओं को विभाग की ओर से दी जाने वाली छात्रवृत्ति का भुगतान सतत् जारी है। (ग) जी नहीं। पिछड़ा वर्ग के छात्र/छात्राओं को छात्रवृत्ति दिये जाने हेतु विभाग के पास पर्याप्त बजट उपलब्ध है। (घ) उत्तरांश 'ग' के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
डॉ. रामकिशोर दोगने- अध्यक्ष महोदय, मेरा पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री जी से आग्रह है कि जो कालेजों में छात्रवृत्तियां दी जाती हैं. वह समय पर नहीं मिलती है. इसीलिये छात्रों को भी बहुत दिक्कतें आती हैं उसमें यदि समय पर छात्रवृत्ति मिल जाये तो बच्चे पढ़ाई से दूर नहीं रह सकते हैं, इसलिये छात्रवृत्ति का समय पर भुगतान हो, क्योंकि अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग के बच्चों को बहुत तकलीफ आती है. वह बाहर रहते हैं और बाहर रहकर उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं रहती है, इसलिये उनकी छात्रवृत्तियां समय पर दी जाये. यह मेरे प्रश्न में है. तो मंत्री जी अभी तक छात्रवृत्ति मिली नहीं है. आप उस संबंध में बतायें कि क्या स्थिति है ?
राज्य मंत्री, पशुपालन एवं डेयरी (श्री लखन पटैल)- अध्यक्ष महोदय, सबसे पहले तो मैं सदस्य का धन्यवाद करना चाहता हूं कि उन्होंने बड़ा सकारात्मक प्रश्न पूछा. मैं उनको अवगत कराना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश में लगभग सात हजार, पांच सौ, बावन कालेज हैं, उनमें चार सौ पांच कोर्स के लिये लगभग सात लाख, पच्चीस हजार विद्यार्थियों के लिये प्रतिवर्ष दी जाती थी. आपने पूछा है देरी का कारण. आज दिनांक तक, वैसे तो मैंने उत्तर दिया है, लेकिन आप चाहें तो मैं फिर से आपको पढ़कर भी बता सकता हूं. प्रश्न दिनांक तक पांच लाख, आठ हजार विद्यार्थियों के लिये 653 करोड़ रूपये का भुगतान कर दिया गया है तथा आपके प्रश्न के बाद पांच लाख, इक्यासी हजार, सात सौ इन्क्यानवे विद्यार्थियों के लिये 842 करोड़ रूपये की छात्रवृति का भुगतान कर दिया गया है, जो विलम्ब का कारण होता है तो वह तकनीकी कारणों से भी विलम्ब हो जाता है. अकाउंट फेल हो जाते हैं, ट्रांजेक्शन फेल्ड हो जाता है, कई बार विद्यार्थियों की के.वाय.सी नहीं होती है, कई बार अकांउंट्स एक्टिव नहीं होता है, इस वजह से भी विलम्ब हो जाता है.
अध्यक्ष महोदय- सदस्य कोई दूसरा प्रश्न करना चाहते हैं.
डॉ. रामकिशोर दोगने - माननीय मंत्री जी धन्यवाद. मैंने भी अभी पत्र लगाया है. दिनांक 14 दिसम्बर को बजट आया था, उसके बाद भुगतान हुआ है उसके लिए तो धन्यवाद, परन्तु आगे आने वाली स्थिति में सुधार कर लेंगे तो ज्यादा अच्छा रहेगा. स्कालरशिप समय पर बच्चों को मिल जाय तो सुविधा मिलेगी. धन्यवाद.
श्री लखन पटैल - अध्यक्ष महोदय, बिल्कुल समय से प्रक्रिया चल रही है. जो बचे हुए छात्र हैं लगभग 1 माह, डेढ़ माह के अंदर उनको सारी छात्रवृत्ति दे दी जाएगी. धन्यवाद.
अवैध कॉलोनियों की जानकारी
[नगरीय विकास एवं आवास]
7. ( *क्र. 980 ) श्री विष्णु खत्री : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बैरसिया विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत वर्ष 2014 से आज दिनांक तक कुल कितनी अवैध कॉलोनियां विकसित हुई हैं? अवैध कॉलोनियां एवं कॉलोनाईजरों के नाम की सूची उपलब्ध करायें। (ख) कितने कॉलोनाइजरों पर प्रश्न दिनांक तक एफ.आई.आर. दर्ज की गई है एवं ऐसे कितने कॉलोनाइजर हैं, जिन पर प्रश्न दिनांक तक एफ.आई.आर. दर्ज नहीं हुई है? (ग) बैरसिया विधानसभा क्षेत्र में अवैध कॉलोनियों के निर्माण को रोकने के संबंध में विभाग की क्या कार्ययोजना है?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री कैलाश विजयवर्गीय ) : (क) बैरसिया विधानसभा क्षेत्र के नगर पालिका परिषद बैरसिया क्षेत्र में प्रश्नांकित अवधि में विकसित 19 अनधिकृत कॉलोनियां चिन्हित की गई हैं। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) 13 अनधिकृत कॉलोनी के विकासकर्ताओं के विरूद्ध एफ.आई.आर. की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार दर्ज कराई गई है। शेष 06 अनधिकृत कॉलोनी के विकासकर्ताओं के विरूद्ध एफ.आई.आर. दर्ज कराने की कार्यवाही प्रचलित है। (ग) राज्य सरकार द्वारा म.प्र. नगर पालिका (कॉलोनी विकास) नियम, 2021 बनाए गए हैं, जिसमें नगरीय क्षेत्र अन्तर्गत स्थित अनधिकृत कॉलोनियों के विरूद्ध दण्डात्मक कार्यवाही करने एवं इनके निर्माण पर रोक लगाने की प्रक्रिया विहित की गई है, जिसके लिए जिला कलेक्टर को सक्षम प्राधिकारी बनाया गया है।
श्री विष्णु खत्री - अध्यक्ष महोदय, मैंने माननीय मंत्री जी से पूरे विधान सभा क्षेत्र से संबंधित प्रश्न पूछा था, उसमें जो जानकारी मुझे प्राप्त हुई है, वह केवल नगरपालिका क्षेत्र की प्राप्त हुई है. बैरसिया विधान सभा में कृषि भूमि पर लगातार अवैध कालोनियां विकसित हो रही हैं और इन अवैध कालोनियों के कारण वहां पर लगातार कृषि का रकबा कम हो रहा है और साथ ही इन कालोनियों में मूलभूत सुविधाओं का अभाव होने के कारण नागरिकों को भी असुविधा का सामना करना पड़ता है. केवल कृषि भूमि पर ही नहीं, परेवाखेड़ा मेरी विधान सभा का एक गांव हैं, उसमें शासकीय भूमि पर भी लगातार अतिक्रमण हो रहा है. मैं माननीय मंत्री जी से इस संबंध में आश्वासन चाहता हूं कि वहां पर अवैध कालोनियों का निर्माण है, यह रुके और साथ में जो शासकीय भूमि पर कब्जा हो रहा है वह भी तत्काल प्रभाव से मुक्त होकर दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही हो, जो अधिकारी इसमें लिप्त हैं उन पर कार्यवाही हो और यह अतिक्रमण रुके.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो प्रश्न पूछा था वह बैरसिया नगरपालिका का है उसकी जानकारी तो मैंने दे दी है परन्तु बाकी भी शिकायतें मुझे लिखित में दे देंगे तो मैं उसकी जांच करवा दूंगा. मैं आपके माध्यम से सदन को यह भी अवगत कराना चाहता हूं कि निश्चित रूप से जो अवैध कालोनियां हैं वह अर्बनाईजेशन में एक तरीके से नासूर हैं. अवैध कालोनियां नहीं बने, इसके लिए हम कड़क नियम बना रहे हैं . अभी अवैध कालोनाइजर के खिलाफ शिकायत होती है और 3 साल की उसमें सजा है, जमानत हो जाती है, प्रकरण चलता रहता है. हम अभी इस पर अध्ययन कर रहे हैं और इसमें सजा का प्रावधान बढ़ाएंगे. प्रदेश में अवैध कालोनियां नहीं बनें, इसके ऊपर आने वाले समय में हम बहुत कड़ी कार्यवाही करने वाले हैं.
श्री विष्णु खत्री - अध्यक्ष महोदय, यह परेवाखेड़ा में जो शासकीय भूमि पर जो अतिक्रमण हो रहा है, उस पर भी कठोर कार्यवाही होगी, यह भी माननीय मंत्री जी आश्वस्त करेंगे.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्यक्ष महोदय, यह इस प्रश्न में नहीं है, परन्तु मुझे वह लिखित में दे देंगे तो मैं कलेक्टर को निर्देश दे दूंगा.
सड़क निर्माण की जानकारी
[लोक निर्माण]
8. ( *क्र. 1497 ) श्री चैन सिंह वरकड़े : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मंडला जिले में लोक निर्माण विभाग के अन्तर्गत वर्ष 2019-20 से प्रश्न दिनांक तक कितने सड़क निर्माण कार्यों की स्वीकृति व प्रत्येक सड़क निर्माण कार्य हेतु कितनी-कितनी राशि की स्वीकृति कब-कब प्रदान की गई है? (ख) प्रश्नांश (क) यदि हाँ, तो कितने निर्माण कार्य पूर्ण हो चुके हैं, कितने निर्माण कार्य अपूर्ण हैं? यदि निर्माणाधीन हैं तो कब तक पूर्ण कर लिये जायेंगे? प्रत्येक सड़क निर्माण कार्य पूर्ण होने की अवधि क्या है? प्रत्येक निर्माण कार्य की अनुबंध की प्रति उपलब्ध करावें।
लोक निर्माण मंत्री ( श्री राकेश सिंह ) : (क) विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' एवं 'अ-1' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' एवं 'अ-1' अनुसार है। अनुबंध की प्रतियां पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '1' एवं '2' अनुसार है।
श्री चैन सिंह वरकड़े - अध्यक्ष महोदय, मैंने माननीय मंत्री लोक निर्माण विभाग से प्रश्न पूछा था कि विगत वर्ष, 2019-20 से प्रश्न दिनांक तक मंडला जिले में कितनी सड़कों की स्वीकृति प्रदान की गई है. माननीय मंत्री के उत्तर में जो मुझे जानकारी प्राप्त हुई है कि विगत वर्ष 2019-20 के बाद इन 4 सालों में मंडला जिले में कोई भी रोड की स्वीकृति नहीं मिली है. मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि मंडला जिले से जो प्रस्ताव आते हैं, सड़कों के, पुलों के उनकी स्वीकृति क्यों नहीं दी जा रही है?
श्री राकेश सिंह - अध्यक्ष महोदय, मुझे लगता है कि माननीय सदस्य ने उत्तर का अध्ययन करने में कुछ कमी छोड़ दी है. स्पष्टता के साथ यह बताया गया है कि 28 सड़कें इस बीच में बनी हैं, स्वीकृत हुई है, जिनमें 24 मार्ग जो हैं वह लोक निर्माण विभाग के द्वारा स्वीकृत हुए थे. 2 मार्ग एडीबी योजना में मध्यप्रदेश शासन लोक निर्माण विभाग के द्वारा स्वीकृत हुए थे और भारत सरकार के द्वारा 2 राष्ट्रीय राजमार्ग मंडला डिंडौरी मार्ग और बरैरा मंडला मार्ग, ये भी स्वीकृत हुए हैं, उसके अलावा जो जानकारी दी है. इसमें से 20 कार्य पूर्ण हो चुके हैं. 4 कार्य प्रगति पर हैं एक कार्य में भू-अर्जन के कारण कुछ विलंब है और 3 कार्यों की जो निविदा है, उसकी प्रक्रिया चल रही है यह विस्तार से उनको जानकारी दी है. इसके अलावा प्रश्न से हटकर यदि उनके मन में कुछ और प्रश्न भी होगा, वह मुझे लिखकर दे दें, हम उसका उत्तर उनको देंगे.
श्री चैनसिंह वरकडे़ -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंडला जिले में 3 उच्च स्तरीय पुलों का जो प्राक्कलन विभाग में जमा है मैं माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हॅूं कि उनकी स्वीकृति कब प्राप्त होगी. जिसमें पोड़ीघटेरी गुबरिया मार्ग, चकरघटा थावर नदी में पुल निर्माण 120 मीटर, दूसरा है करेगांव ठेवा भानपुर मार्ग में बुड़नेर नदी पर पुल निर्माण 180 मीटर, तीसरा है खैरी झुरगी पोड़ी मार्ग पर बुड़नेर नदी पर पुल निर्माण 150 मीटर यह प्राक्कलन आपके विभाग में पेंडिंग है. इनकी स्वीकृति कब प्राप्त हो पाएगी.
श्री राकेश सिंह -- माननीय अध्यक्ष जी, मूल प्रश्न में इन्होंने इसको समाहित नहीं किया था, इसलिए उसकी अभी इस समय पर तो जानकारी नहीं दे सकता. लेकिन इसके बारे में इसका स्टेटस क्या है, यह मैं इन्हें जरूर बताऊंगा. आपको भी और सदन को भी यह जानकारी देना चाहता हॅूं कि लगभग 32 हजार करोड़ रूपए से ज्यादा के प्रस्ताव लोक निर्माण विभाग के पास में कार्यों की स्वीकृति के लिए हैं लेकिन माननीय डॉ.मोहन यादव जी के नेतृत्व में विभाग लगातार यह कोशिश कर रहा है कि प्राथमिकता के आधार पर अधिक से अधिक कार्य स्वीकृत हों और निर्धारित समयावधि में पूर्ण हों. विस्तार से थोड़ी देर पहले जब मैंने अपनी बात कही थी, तो उसमें बाकी सारी बातों का समावेश भी किया था.
10 मीटर छोड़कर रेलवे मेट्रो डिपो का कार्य प्रारंभ करना
[नगरीय विकास एवं आवास]
9. ( *क्र. 1759 ) श्री हरिशंकर खटीक : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला भोपाल के अरेरा हिल्स पर स्थित हाउसिंग बोर्ड, भोपाल द्वारा निर्मित ग्रीन मेडोज़ कॉलोनी की कुल भूमि कितनी-कितनी, किस-किस खसरा नंबर में कितने-कितने रकबा के आधार पर स्थित है? कृपया छायाप्रति प्रदाय कर सम्पूर्ण जानकारी देते हुए यह भी बताएं कि शासन द्वारा अलॉट भूमि पर बने आवासों का एकमुश्त लीज़ रेंट कराने का प्रावधान प्रश्न दिनांक तक क्यों नहीं है? (ख) प्रश्नांश (क) के आधार पर बताएं कि कॉलोनी हेतु अलॉट भूमि के संशोधन हेतु फाईल जिला कलेक्टर भोपाल या संभागीय कमिश्नर भोपाल के पास कब से रखी है? निश्चित समय-सीमा सहित बताएं कि उपरोक्त भूमि का संशोधन करके पत्र की छायाप्रति प्रश्नकर्ता को कब तक भेज दी जावेगी? (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के आधार पर बताएं कि उपरोक्त कॉलोनी के लिए अलॉट भूमि कितनी थी और हाउसिंग बोर्ड भोपाल द्वारा चारों ओर कितनी-कितनी भूमि छोड़कर उपरोक्त कॉलोनी बनाई गई है? (घ) प्रश्नांश (क), (ख) एवं (ग) के आधार पर बताएं कि कॉलोनी के उत्तर की ओर निर्माणाधीन मेट्रो रेलवे डिपो का जो कार्य कराया जा रहा है, उसमें कितने ऊंचाई के किसके कितने-कितने पेड़ काटकर निर्माण किया जा रहा है? वहां कितने मीटर छोड़कर नाली का निर्माण मेट्रो डिपो रेलवे का कार्य प्रारंभ करने जा रहे हैं? कृपया स्पष्ट बताएं एवं यह भी जानकारी दें कि आवासों के किनारे से अगर मेट्रो का कार्य प्रारंभ हुआ तो आवासों के एवं उससे जो जनहानि भविष्य में होगी, उसका जिम्मेवार कौन होगा?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री कैलाश विजयवर्गीय ) : (क) अरेरा हिल्स भोपाल में नजूल शहर वृत्त भोपाल खसरा क्र. 959/1 कुल रकबा 62.92 एकड़ भूमि में से 5.15 एकड़ भूमि पर ग्रीन मेडोज कॉलोनी मण्डल द्वारा निर्मित की गई है। राजस्व विभाग के पत्र क्र. एफ-6-7/2007/सात-नजूल दिनांक 06.06.2008 द्वारा कलेक्टर जिला भोपाल को म.प्र. गृह निर्माण मण्डल को अरेरा हिल्स भोपाल स्थित खसरा क्र. 959/1 में से 5.15 एकड़ भूमि आवंटन करने के आदेश जारी किये गये हैं, जो पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। मण्डल को आवंटित उक्त भूमि के खसरे एवं रकबे में विसंगति का सुधार राजस्व विभाग द्वारा किये जाने के उपरान्त पट्टा निष्पादन की कार्यवाही प्रचलन में है, जिसके कारण उक्त भूमि पर बने आवासों के स्वामियों से एकमुश्त लीजरेन्ट नहीं लिया जा रहा है। (ख) कॉलोनी हेतु आवंटित भूमि के संशोधित भूमि आवंटन हेतु राजस्व विभाग के पत्र क्र. एफ-6-7/2007/सात-3, दिनांक 27.09.2023 द्वारा संशोधित आदेश कलेक्टर जिला भोपाल को जारी किया गया है, जिसमें आदेशित किया गया है कि राज्य शासन द्वारा निर्णय लिया गया है कि जिला कलेक्टर, भोपाल के संदर्भित प्रस्तावों के अनुसार म.प्र. गृह निर्माण मण्डल के आधिपत्य की भूमि (समान रकबा, समान मूल्य) खसरा क्र. 958/1/1 का अंश भाग 0.78 एकड़ को लीज में संशोधित किया जाये एवं 0.78 एकड़ भूमि वर्तमान अंकित खसरा क्र. 959/1 से कम की जाये, जो पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। कलेक्टर, भोपाल के प्रभारी अधिकारी आर.आर.एम. शाखा भोपाल ने पत्र क्र. 254, दिनांक 05.08.2024 द्वारा अनुविभागीय अधिकारी नजूल शहर वृत्त भोपाल को राजस्व विभाग ने पत्र क्र. एफ-6-7/2007/सात-3, दिनांक 27.09.2023 के परिपालन में कार्यवाही करने हेतु निर्देशित किया गया है, जो पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'स' अनुसार है। (ग) शासन द्वारा आवंटित 5.15 एकड़ भूमि पर ग्रीन मेडोज कॉलोनी नगर तथा ग्राम निवेश विभाग एवं नगर निगम भोपाल से अनुज्ञा प्राप्त करने के उपरान्त विकसित एवं निर्मित की गई है। (घ) यूकेलिप्टस एवं करंज के 56 विविध उंचाई के वृक्ष काटकर निर्माण कराया जाना प्रस्तावित है। ग्रीन मिडोज कॉलोनी के बाउण्ड्री/रिटेनिंग वॉल से न्यूनतम 1 मीटर दूर नाली का निर्माण प्रस्तावित है। संबंधित कार्य की डिजाइन भारतीय प्रौद्योगिक संस्थान दिल्ली के विशेषज्ञ के सलाह के अनुरूप तैयार किया जा रहा है, जिसमे सुरक्षा के सभी मानकों का समावेश होगा। अतः प्रश्नांश का शेष भाग उपस्थित नहीं होता है।
श्री हरिशंकर खटीक -- माननीय अध्यक्ष महोदय, भोपाल शहर के अरेरा हिल्स में ग्रीन मेडोस कॉलोनी स्थित है. ग्रीन मेडोस कॉलोनी की जो जमीन है वह दिनांक-6.6.2008 को आवंटित की गई थी. जो जमीन आवंटित की गई थी, उसमें विसंगति थी. उसके खसरा और रकबे में सुधार के लिए लगातार वर्ष 2008 से अभी तक फाईल चलती रही लेकिन उसमें सुधार नहीं हो पाया, जिससे वहां के जो रहवासी हैं वे लीज़ रेंट पूरी जमा करना चाहते हैं लेकिन उनकी लीज़ रेंट जमा नहीं हो पा रही है. मैं माननीय मंत्री जी अनुरोध करना चाहता हॅूं मेरा पहला प्रश्न इसकी लीज़ रेंट जमा करने के लिए है और उसमें जो विसंगति है उसमें कमिश्नर महोदय ने भी लिखा, भोपाल कलेक्टर ने भी लिखा और एसडीएम तक फाईल पहुंची, लेकिन उसमें अभी तक सुधार नहीं हो पाया. मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हॅूं कि उसमें कब तक सुधार करा दिया जाएगा.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बात सही है और माननीय सदस्य ने बिल्कुल सही कहा कि उसमें विसंगति थी और उस विसंगति को सुधार लिया गया है और जिलाधीश को निर्देश भी दिये गये हैं कि तत्काल इसको सुधार कर और जो लीज़ रेंट भरना चाहें, उनको भरने की कार्यवाही करें. कलेक्टर को निर्देश दिया है. अतिशीघ्र उस पर काम हो जाएगा.
श्री हरिशंकर खटीक -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी को बहुत-बहुत धन्यवाद. मेरा दूसरा प्रश्न यह है कि अरेरा हिल्स पर जो ग्रीन मेडोस कॉलोनी है उसके ठीक पीछे मेट्रो रेल डिपो का काम चल रहा है. वहां पर ठीक पीछे हजारों पेड़ लगे हुए थे. यूकेलिप्टस के और अन्य पेड़ भी लगे थे. वे पूरे पेड़ काट दिये गये और पेड़ काटने के बाद ठीक कॉलोनी के बिल्कुल किनारे से, क्योंकि वह कॉलोनी पहाड़ पर बनी हुई है. लगभग 20 फुट बेसमेंट एरिया से भी ऊपर उसमें नाली निर्माण का कार्य 1 मीटर छोड़कर के वहां प्रारम्भ कराया जा रहा है तो इसमें मेरा माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि कम से कम उसमें 10 मीटर छोड़कर के उस जमीन पर पेड़ लगाने का भी काम किया जाए और नाली निर्माण कराने का भी काम किया जाए.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, गृह निर्माण मंडल ने इस कॉलोनी को काटा है. उसमें एमओएस 4.5 मीटर छोड़ना था, पर इसमें पीछे की साइड में 7 मीटर छोड़ा गया है और उसके बाद फिर दीवार बनायी गई है. उसके बाद नाली बन रही है. माननीय सदस्य यह चाहते हैं कि नाली थोड़ी-सी पीछे से बने. यदि जगह की गुंजाइश होगी, तो मैं अधिकारी को निर्देश कर दूंगा कि अगर वहां जगह है तो थोड़ा-सा पीछे हटा लें. वैसे ऑलरेडी एमओएस 4.5 मीटर का था, वह हमने 7 मीटर कर रखा था. पहले ही काफी दूरी है. उसके बाद फिर कंपाउड वाले, तो सुरक्षा में किसी भी प्रकार की कमी नहीं है और नाली बनने से उस कॉलोनी में कोई फर्क नहीं आएगा क्योंकि बहुत दूर है. 7 मीटर दूर है.
श्री हरिशंकर खटीक -- माननीय अध्यक्ष महोदय, कॉलोनी के बिल्कुल ठीक लगाकर ही वे काम प्रारम्भ कर रहे हैं तो आज ही निर्देश जारी करें कि 10 मीटर छोड़कर नाली का निर्माण कराया जाए और जो जमीन है उसमें जो पेड़ काट दिये गये हैं वहां पेड़ लगाने का भी काम किया जाए. भले ही वह जमीन मेट्रो रेल डिपो के नाम से है तो वह जमीन उनके पास रहे. लेकिन पीछे कॉलोनी के लोगों के जब पाईप फूट जायेंगे या कुछ हो जायेगा तो पीछे जाने का रास्ता ही बंद कर दिया गया है. 10 मीटर छोड़कर के नाली का निर्माण कराया जाये.
श्री कैलाश विजयवर्गीय—अध्यक्ष महोदय, अगर पीछे स्पेस होगा तो हम नाली को पीछे हटवा देंगे. जहां तक वृक्षों को काटने की बात है. आप सभी जानते हैं कि मैं खुद वृक्ष प्रेमी हूं इसलिये मैं शासन को निर्देश देता हूं कि जितने भी पेड़ काटे हैं उससे ज्यादा पेड़ लगायें. क्योंकि विकास के लिये कई बार मजबूरी में पेड़ काटने पड़ते हैं. हम एक पेड़ कटता है तो दस पेड़ लगाते हैं. इसलिये अगर उस नियम का पालन नहीं किया होगा तो उसका पालन करवाएंगे.
प्रश्न संख्या-10
ट्रांसफार्मरों की जानकारी
[ऊर्जा]
10. ( *क्र. 114 ) श्री मनोज नारायण सिंह चौधरी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि प्रश्नकर्ता के विधानसभा क्षेत्र हाट पिपल्या में वित्तीय वर्ष 2023-24 एवं 2024-25 में अक्टूबर 2024 तक विद्युत वितरण कंपनी द्वारा कितने विद्युत वितरण ट्रांसफार्मर असफल होने के कारण बदले गए हैं एवं उनमें से कितने विद्युत वितरण ट्रांसफार्मर का परिवहन कृषकों द्वारा स्वयं के वाहन से किया गया है, की वित्तीय वर्षवार संख्यात्मक जानकारी देवें।
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ) : विधानसभा क्षेत्र हाट पिपल्या अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2023-24 एवं वित्तीय वर्ष 2024-25 में माह अक्टूबर, 2024 तक क्रमश: 906 एवं 308 वितरण ट्रांसफार्मर जले/खराब होने के कारण बदले गये हैं तथा उक्त जले/खराब वितरण ट्रांसफार्मरों में से क्रमश: 172 एवं 63 वितरण ट्रांसफार्मरों का परिवहन कृषकों द्वारा स्वयं के वाहन से किया गया है।
श्री मनोज नारायण सिंह चौधरी—अध्यक्ष महोदय, मेरा सवाल किसानों के ट्रांसफार्मर को लेकर के था. मेरी विधान सभा में माननीय मंत्री जी ने जवाब दिया है कि पिछले वर्ष में और इस वर्ष में कुल मिलाकर के 1214 ट्रांसफार्मर बदले गये हैं. मेरा प्रश्न है कि इसमें कितने किसान ट्रांसफार्मर अपनी गाड़ियों से वितरण केन्द्र पर आये, कितने विभाग के द्वारा भेजे गये ? मात्र 235 किसानों ने ट्रांसफार्मर लाया हुआ बताया गया है कि उनको हमने राशि डाली बाकी 979 ट्रांसफार्मर बदले गये हैं उसके बारे में मंत्री जी से सवाल है कि क्या उसमें कितने ट्रांसफार्मर किसानों के द्वारा लाये गये हैं ? कितने वितरण कम्पनी के वाहन के द्वारा भेजे गये हैं ? मैं एक बात की तरफ आपका ध्यानाकर्षित करना चाहता हूं कि घरेलू हमारे जितने भी उपभोक्ता है उनके ट्रांसफार्मर जलते हैं तो कम्पनी के विभाग की गाड़ी चली जाती है. लेकिन किसानों के लिये हमने जब गाड़ी के लिये फोन किया होगा या किसानों ने वितरण केन्द्र पर फोन लगाया होगा तो उनको एक ही सधासधाया जवाब आता है कि हमारी गाड़ी या तो इन्दौर गई है या उज्जैन गई है. आप अपने वाहन से ट्रांसफार्मर लेकर के आ जायें. तो कृषि उपभोक्ताओं के द्वारा लगभग 80 से 90 प्रतिशत स्वयं के वाहनों के माध्यम से ट्रांसफार्मर लाये जाते हैं. मेरा सीधा प्रश्न है कि 979 ट्रांसफार्मर जो बदले गये हैं उनमें से कितने विभाग के द्वारा लाये गये हैं या उनमें से किसानों के द्वारा कितने लाये गये हैं? और इसी के साथ एक मिलता जुलता प्रश्न यह है कि जब किसान अपना वाहन लेकर के विभाग के पास जाता है तो दो कारण होते हैं एक तो उनकी एन्ट्री होती है कि यह कितने किसानों के द्वारा ले जाया गया लाया गया. या यह एन्ट्री होती है कि किसान एक दिन रुका अथवा दो दिन रूका या वाहन से उनको दो बार लाना पड़ा.
जल संसाधन मंत्री (श्री तुलसीराम सिलावट)—अध्यक्ष महोदय,माननीय सदस्य ने जो प्रश्न किया है इसमें 906 हमारे बिजली विभाग के द्वारा लाये गये हैं. 172 निजी किसान अपने वाहन से लाये गये हैं. मैं अवगत कराना चाहता हूं कि जो उनकी भावना है वह 100 प्रतिशत सारे अधिकारियों को निर्देश दिये जाते हैं जो भी ट्रांसफार्मर खराब हो उनका पंजीयन हो और उनका भुगतान बिजली विभाग के द्वारा किया जाये.
श्री मनोज नारायण सिंह चौधरी—अध्यक्ष महोदय, मेरा इसके साथ एक और प्रश्न था कि बारिश के समय ट्रांसफार्मर में से आयल चोरी हो जाता है. तार चोरी होते, तार काट लिये जाते हैं. हम और आप आम आदमी तो कभी भी उस ट्रांसफार्मर के पास जाने पर भी डरता है, यह हम लोग समझते हैं. आयल चोरी करने वाले कौन लोग हैं, क्या वह विभाग से संबंधित है ? या ठेकेदार से संबंधित हैं या आऊटसोर्स से संबंधित हैं ? उसमें जितनी भी हमारी एफ.आई.आर दर्ज हुई उसकी जानकारी कम दी गई है. मात्र 7 एफआईआर इस वर्ष की बताई है. जबकि हमने एसपी साहब के माध्यम से एक ही एफआईआर में 11 जगहों की रिपोर्ट दर्ज करवाई थी. इसके ऊपर कितने लोगों पर कार्यवाही हुई.
श्री तुलसीराम सिलावट—अध्यक्ष महोदय,गंभीर प्रश्न माननीय सदस्य जी ने किया है ट्रांसफार्मर के आयल चोरी के अब तक 74 मामलों में एफआईआर की गई है. विभाग के द्वारा जो भी इसमें दोषी पाये जायेंगे उन पर हम कड़ी कार्यवाही करेंगे.
अध्यक्ष महोदय—प्रश्नकाल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त)
अध्यक्ष महोदय -- शून्यकाल की सूचनाएं बाद में ली जायेंगी.
12.00 बजे
पत्रों का पटल पर रखा जाना.
(1) परिवहन विभाग की निम्नलिखित अधिसूचनाएं :-
(क) क्रमांक एफ 22-02/2019/आठ, दिनांक 01 जनवरी, 2024,
(ख) क्रमांक 353-1813970/2024/आठ, दिनांक 23 फरवरी, 2024, एवं
(ग) क्रमांक एफ 22-13/2018/आठ, दिनांक 03 अक्टूबर, 2024
परिवहन मंत्री (श्री उदय प्रताप सिंह) -- अध्यक्ष महोदय, मैं म.प्र. मोटरयान कराधान अधिनियम, 1991 की धारा 212 की उपधारा (3) की अपेक्षानुसार परिवहन विमाग की निम्नलिखित अधिसूचनाएं :-
(क) क्रमांक एफ 22-02/2019/आठ, दिनांक 01 जनवरी, 2024,
(ख) क्रमांक 353-1813970/2024/आठ, दिनांक 23 फरवरी, 2024, एवं
(ग) क्रमांक एफ 22-13/2018/आठ, दिनांक 03 अक्टूबर, 2024 पटल पर रखता हूं.
(2) मध्यप्रदेश राज्य सूचना आयोग का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2023 (01 जनवरी, 2023 से 31 दिसम्बर, 2023)
राज्यमंत्री, पशुपालन एवं डेयरी (श्री लखन पटेल, राज्यमंत्री पशुपालन एवं डेयरी)-- अध्यक्ष महोदय, मैं सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 25 की उपधारा (4) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश राज्य सूचना आयोग का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2023 (01 जनवरी, 2023 से 31 दिसम्बर, 2023) पटल पर रखता हूं.
(3) (क) प्रतिकारात्मक वनरोपण निधि अधिनियम, 2016 (क्रमांक 38 सन् 2016) की धारा 29 की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश प्रतिकारात्मक वनरोपण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (कैम्पा) के वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2021-2022 एवं 2022-2023, तथा
(ख) जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1974 की धारा 40 की उपधारा (7) एवं वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 की धारा 36 की उपधारा (7) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का वार्षिक लेखा परीक्षण प्रतिवेदन वर्ष 2023-2024
संसदीय कार्यमंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय)-- अध्यक्ष महोदय में (क) प्रतिकारात्मक वनरोपण निधि अधिनियम, 2016 (क्रमांक 38 सन् 2016) की धारा 29 की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश प्रतिकारात्मक वनरोपण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (कैम्पा) के वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2021-2022 एवं 2022-2023, तथा (ख) जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1974 की धारा 40 की उपधारा (7) एवं वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 की धारा 36 की उपधारा (7) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का वार्षिक लेखा परीक्षण प्रतिवेदन वर्ष 2023-2024 पटल पर रखता हूं.
अध्यक्ष्ा महोदय -- श्री उमंग जी आप कुछ कह रहे थे.
12.02 बजे
जनता के विकास कार्यो हेतु राशि आवंटन में भेदभाव किये जाने से इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा अपने वेतन का समर्पण.
नेता प्रतिपक्ष्ा(श्री उमंग सिंघार) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि हमारे विधायक दल में सब साथियों ने तय किया है कि विधानसभा क्षेत्र में विकास नहीं हो पा रहा है, न ट्रांसफार्मर के लिये पैसे मिल रहे हैं, न सीमेंट क्रांकीट रोड के लिये पैसे मिल रहे हैं और न स्कूल, अस्पताल के लिये पैसे मिल रहे हैं, तो हम सभी माननीय विधायक कांग्रेस दल के, हमें विकास के लिये पैसा चाहिए, जनता के विकास के लिये पैसा चाहिए, उसमें भेदभाव हो रहा है, तो हम सभी को जो तनख्वाह मिलती है, वह हम सभी वापस ट्रेजरी में जमा कराना चाहते हैं, तो इसमें आपसे अनुरोध है और यह मैं पटल पर रख रहा हूं (मेजों की थपथपाहट) इस पर सरकार विचार करे, नहीं तो हमारी पूरी तनख्वाह ले ले. हम आज से बिल्कुल बगैर पैसे, बगैर वेतन के जनता के लिये काम करेंगे, यह मैं आपको देना चाहता हूं.
12.03 बजे
ध्यान आकर्षण.
(सदन
द्वारा सहमति
प्रदान की गई)
(1) कटनी नगर
निगम अंतर्गत
घण्टाघर से
जगन्नाथ चौक
सड़क मार्ग
जर्जर होना.
श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल (मुड़वारा) --
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- अध्यक्ष महोदय, मान. उच्च न्यायालय म.प्र. जबलपुर में याचिका क्रमांक 1590/2018 (पीआईएल) श्री नाजिम खान विरूद्ध म.प्र. शासन एवं अन्य में पारित अंतरिम आदेश दिनांक 20.01.2023 के अनुसार जगन्नाथ चौक से खिरहनी फाटक तक मास्टर प्लान के अनुसार अन्य मार्गों के साथ इस मार्ग को 12 मीटर चौड़ीकरण कराने के निर्देश प्रदान किये गये ।
अध्यक्ष महोदय, यह हाईकोर्ट के निर्देश पर 12 मीटर सड़क के लिये किया गया. माननीय सदस्य चाहते हैं कि 12 मीटर नहीं करके अभी जितनी चौड़ाई है उसी पर कर दिया जाये तो यह शायद माननीय उच्च न्यायालय के निर्देश की अवमानना होगी.
श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने कहीं भी यह नहीं कहा कि सड़क का चौड़ीकरण न हो मेरा कहना यह है कि सड़क के दोनों ओर चौड़ीकरण होना है और वही माननीय मंत्री जी का भी जवाब है माननीय उच्च न्यायालय में जो भू-अर्जन की राशि है उसको लेकर प्रकरण लंबित है. इन सब में समय लग रहा है और जैसा मंत्री जी ने कहा कि डब्लूबीएम रोड बनाई गई है उससे जो धूल,मिट्टी उड़ रही है 3 साल से उससे लोग प्रभावित हो रहे हैं और आपको अभी कम से कम 2 से 3 साल लगेंगे. वहां पर स्वच्छता मित्रों की बस्ती है.सामने स्कूल में महात्मा गांधी जी का रात्रि विश्राम हुआ था. किनारे की बस्तियां नीचे हो गई हैं और दूसरी बात स्कूल बसों से लेकर लोगों का आवागमन होता है जब तीन साल लगने हैं तो क्या 2 से 3 साल तक उस सड़क पर धूल,मिट्टी पर लोग चलेंगे. मेरा कहना यह है कि जो अभी वर्तमान सड़क है अभी उस पर एक परत डामरीकरण कर दिया जाये बाकी सड़क चौड़ीकरण की कार्यवाही समानान्तर चलती रहे.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - माननीय अध्यक्ष महोदय, ठीक है जैसा माननीय सदस्य चाहते हैं वैसे मैं निर्देश कर दूंगा.
श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल - बहुत-बहुत धन्यवाद.
(2) भिण्ड जिले में विद्युत संकट होने विषयक
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह (भिण्ड) -
जल संसाधन मंत्री (श्री तुलसीराम सिलावट) -- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह - माननीय अध्यक्ष महोदय, पहली बात तो यह है कि इन्होंने पूरी रामायण पढ़ दी है. यह असत्य छिपाने के लिए बहुत देर तक उत्तर पढ़ते रहे. मेरा आपके माध्यम से एक निवेदन है कि वर्ष 2023 में योजना स्वीकृत हुई. 50-56 ट्रांसफार्मर भिण्ड में रखे हुए हैं. एक वर्ष में केवल 14 ट्रांसफार्मर लगे. जब योजना स्वीकृत है, भिण्ड में ट्रांसफार्मर रखे हुए हैं, खंभे लगे हुए हैं, 40 किलोमीटर लाईन बिछनी है, लेकिन केवल 4 किलोमीटर लाईन बिछी हुई है. यह मनमानी नहीं है, तो क्या है ? आप सदन को गुमराह कर रहे हैं. उन्होंने आपको पढ़ने को दे दिया, तो आपने पढ़ दिया.
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाइये. आपका प्रश्न आ गया है. मंत्री जी उत्तर दे रहे हैं.
श्री महेश परमार - माननीय अध्यक्ष महोदय, सदस्य की पीड़ा को समझिए. इनकी पीड़ा बहुत गंभीर है.
अध्यक्ष महोदय - माननीय सदस्य, आप बैठ जाइये. सदन की मर्यादा का सवाल है. नरेन्द्र जी, आप अपना प्रश्न कीजिये कि आप क्या चाहते हैं ? मंत्री जी उस पर जवाब देंगे.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह - अध्यक्ष महोदय, हम यह चाहते हैं कि अधिकारी को सस्पेंड करें. एक वर्ष हो गया है, हड़ताल हो रही हैं, धरना दे रहे हैं. मैंने एम.डी. महोदय को 25 तारीख को शिकायत की थी. आदरणीय प्रहलाद सिंह पटैल जी को जिला योजना समिति, मुरैना में समीक्षा बैठक में शिकायत की थी, उसके बाद भी कार्यवाही नहीं हो रही है. आप असत्य जानकारी दे रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाइये. मंत्री जी जवाब देंगे. आपका प्रश्न आ गया है.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह - अध्यक्ष महोदय, अधिकारी को सस्पेंड करें.
श्री महेश परमार - माननीय अध्यक्ष महोदय, तुलसी भाई का घोर अपमान हो रहा है. आप क्या इसलिए उधर गये थे, घोर अपमान करवाने के लिए. यह क्या हो रहा है ? तुलसी भाई का बहुत ज्यादा अपमान हो रहा है.
अध्यक्ष महोदय - माननीय अध्यक्ष महोदय, महेश जी आप बैठ जाइये.
श्री तुलसीराम सिलावट - माननीय अध्यक्ष महोदय, सम्मानीय सदस्य ने जो पीड़ा व्यक्त की है. मैं इसकी सम्पूर्ण जांच करवाकर दोषी पाये गये, तो कार्यवाही करूँगा.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह - तीन ट्रांसफार्मर रखे नहीं गए हैं. आजादी के बाद 74 वर्ष हो गए हैं, वह परमिशन नहीं दे रहे हैं. मैंने आपसे शिकायत की, प्रभारी मंत्री जी से शिकायत की, एम.डी. से शिकायत कर रहे हैं. माननीय जो हमारे प्रभारी मंत्री हैं, उनसे शिकायत कर रहे हैं, हम कहां शिकायत करें ? हम यहां नहीं बोलें, तो कहां पर बोलें ? आप सस्पेंड कीजिये.
अध्यक्ष महोदय - आप कृपया बैठ जाइये.
श्री तुलसीराम सिलावट - माननीय अध्यक्ष महोदय, सम्माननीय सदस्य ने जो कहा है, उनको निर्देशित करवाकर अतिशीघ्र लगवा दिये जाएंगे.
अध्यक्ष महोदय - नरेन्द्र सिंह जी, आपका विषय पूरा आ गया है.
श्री भूपेन्द्र सिंह दांगी- अध्यक्ष महोदय, नरेन्द्र सिंह जी बहुत वरिष्ठ विधायक हैं. वे यहां सारे तथ्य और सारी बातें रख रहे हैं, मेरा आसंदी से आग्रह है कि कम से कम उसे निलंबित करके जांच करने में क्या आपत्ति है ? (मेजों की थपथपाहट)
मंत्री जी को भी इसमें कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए. मेरा आसंदी से आग्रह है कि आप कोई व्यवस्था दे दीजिये.
अध्यक्ष महोदय- भूपेन्द्र सिंह जी, आप बहुत वरिष्ठ सदस्य हैं. मेरा अनुरोध है कि प्रश्न यहां आ गया, मंत्री जी ने बहुत ही विस्तृत उत्तर दिया है, कार्यवाही और जांच का आश्वासन भी दिया है. मैंने पूर्व में भी कहा था कि आज 4 ध्यानाकर्षण हैं इसलिए जिनके नाम हों, कृपया केवल वे ही बोलेंगे तो चारों ध्यानाकर्षण ठीक से हो पायेंगे.
श्री भूपेन्द्र सिंह दांगी- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपका संरक्षण भी तो चाहिए.
अध्यक्ष महोदय- कृपया बैठ जायें.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह- अध्यक्ष महोदय, आपसे आग्रह है कि उसे निलंबित करवाकर जांच करा लें.
श्री केशव देसाई (जाटव)- माननीय अध्यक्ष महोदय
अध्यक्ष महोदय- आप बैठ जायें, आपका नाम इसमें नहीं है. भूपेन्द्र सिंह जी बहुत वरिष्ठ सदस्य हैं, मैंने उनसे भी आग्रह किया है.
12.26 बजे
(3) रीवा जिले के सेमरिया थाना अंतर्गत एक व्यक्ति की हत्या किया जाना
श्री अभय मिश्रा (सेमरिया)- अध्यक्ष महोदय, मेरा यह ध्यानाकर्षण मध्यप्रदेश पुलिस की संदिग्ध, स्वेच्छाचारिता युक्त कार्यप्रणाली का एक ज्वलंत उदाहरण है. एक गरीब केवट परिवार दिनांक 17.10.2021, 27.08.2022, 14.08.2024 और 31.08.2024 को नामज़द FIR करवा रहा है कि दोषी व्यक्ति द्वारा मेरी हत्या हो जायेगी. कैमरे के सामने वहां का TI कह रहा है कि जब मर जाना तब आना और फिर 11.11.2024 को सरेआम बाजार में उसकी हत्या कर दी गई.
अध्यक्ष महोदय- अभय जी, आप पुराने सदस्य हैं, आप पहले अपनी ध्यानाकर्षण की सूचना पढ़ें.
श्री अभय मिश्रा-
लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री (श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
अध्यक्ष महोदय -- माननीय सदस्य पहला प्रश्न करें.
श्री अभय मिश्रा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी मैं प्रश्न नहीं कर रहा हूँ. पहले मैं यह कह रहा हूँ कि यह क्या कलयुग है, यह क्या गलत जानकारी दी जा रही है. मंत्री के जवाब में लिखा है कि मैंने पत्र लिखा है जिसमें मैं देवेन्द्र त्रिपाठी को हत्या के आरोप से पृथक करने के संबंध में उल्लेख कर रहा हूँ. मैं यहां कह रहा हूँ कि मुख्य आरोपी वही है जो मध्याह्न भोजन का बहुत बड़ा कॉकस है. उसके नाम से खाता खोला था. पैसे के लेन देन से नाराज था और ले जाकर उसने हत्या करवा दी. यह बता रहे हैं कि पत्र मैंने लिखा था, पृथक करने के लिए यह पढ़ रहे हैं यह इनकी रायटिंग है. इन्होंने मेरे विरुद्ध सिरमौर में भी एक मामला दर्ज कर दिया है. यह बता रहे हैं कि दिनांक 11.12.2024 के दरमियान मृतक अजय केवट की हत्या की थी जिसके संबंध में सिरमौर में चक्काजाम किया गया था. कौन सा चक्काजाम किया गया. मैं सवा साल से सिरमौर नहीं गया हूँ. इस संबंध में थाना सिरमौर में दिनांक 17.11.2024 को अपराध क्रमांक 629/24, धारा 189(2), 351 (2), 126 (2) बी.एन.एस. 27 लोगों के विरुद्ध कायम होकर विवेचनाधीन है. यह सब क्या हो रहा है.
अध्यक्ष महोदय -- आप पूरक प्रश्न तो करें, आप चाहते क्या हैं.
श्री अभय मिश्रा -- यह गलत जानकारी कैसे दी जा रही है.
अध्यक्ष महोदय -- भाषण से रास्ता नहीं निकलेगा.
श्री अभय मिश्रा -- यह हमारे ऊपर मामला दर्ज कर दिए हैं. मैं सिरमौर गया ही नहीं हूँ.
अध्यक्ष महोदय -- आप प्रश्न करें, मंत्री जी बताएंगे.
श्री अभय मिश्रा -- मैं अपना प्रश्न करता हूँ, दिनांक 14 नवम्बर, 2024 को मृतक की पत्नी ज्योति केवट द्वारा थाना प्रभारी सेमरिया को आवेदन पत्र देकर पावती ली गई थी जिसमें देवेन्द्र त्रिपाठी द्वारा हत्या के आरोपियों से समझौते के नाम पर घर से मोटरसाइकिल पर बैठाकर ले जाने व मौके पर उपस्थित रहकर घटना क्रियान्वित कराए जाने पर देवेन्द्र त्रिपाठी को अभियुक्त बनाया जाए. इस संबंध में चश्मदीद गवाह मनोज केवट ने थाने में पुलिस को दिए गए अपने प्रथम कथन में कहा है कि मैंने निम्न आरोपियों के साथ देवेन्द्र त्रिपाठी को लात-घूंसों से मारा..
अध्यक्ष महोदय -- अभय जी आप प्रश्न तो करें.
श्री अभय मिश्रा -- मैं प्रश्न कर रहा हूँ बस एक मिनट. एवं पुलिस की साइबर जांच में भी देवेन्द्र त्रिपाठी का मोबाइल घटना स्थल पर ट्रेस हुआ. एडीजे कोर्ट में धारा 164 के तहत दर्ज कराए गए बयान में सभी चश्मदीद गवाहों ने अपने कथन में कहा है कि त्रिपाठी मौके पर अजय केवट को लात घूंसों से मार रहा था जिसकी प्रति जांचकर्ता पुलिस निरीक्षक श्री पटेल के पास है. गरीबों को आपने फंसा दिया. जितने यह मुजरिम बता रहे हैं उसमें से कोई ठेला लगा रहा है, कोई चाट बेच रहा है उनको आपने फंसा दिया है. असली मुजरिम जिसने पैसे के लेनदेन में ले जाकर मरवा दिया उसको आप बचा रहे हैं. ऊपर से हमारे लेटर को आप गलत कह रहे हैं. मेरा प्रश्न है कि इसमें जिस टीआई ने कहा था कि मर जाए तब आना. आपके अन्दर थोड़ी भी संवेदना हो, पुलिस विभाग के यहां बड़े अधिकारी मौजूद हैं, वे सोचें कि ऐसे टीआई के विरुद्ध क्या कार्यवाही करेंगे. दूसरा रीवा की पुलिस से हटकर, राज्य स्तरीय टीम से इसकी जांच करा दी जाए. रीवा की पुलिस से इसकी जाँच न कराई जाए. मैं जानता हूँ इसमें क्या हो रहा है.
अध्यक्ष महोदय -- आपके दोनों प्रश्न आ गए हैं.
श्री अभय मिश्रा -- अध्यक्ष महोदय, अभी एक प्रश्न आया है. मेरा दूसरा प्रश्न अभी बचा है.
अध्यक्ष महोदय -- ठीक है, एक प्रश्न हो गया है, अब आप दूसरा प्रश्न कर लें.
श्री अभय मिश्रा -- पहले का जवाब आ जाए.
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल -- अध्यक्ष महोदय, जैसा कि माननीय सदस्य बोल रहे थे कि मैंने अपने उत्तर में उल्लेख किया है तो मैंने ऐसा नहीं कहा कि उन्होंने पृथक करने का कहा है, उन्होंने उस पत्र के माध्यम से ऐसा आरोप लगाया था कि आरोपियों ने ले जाकर 1 लाख रुपये देकर हत्या में शामिल करने से किसी को पृथक करने का कहा है. ऐसा उनके पत्र में लिखा हुआ है ऐसा कहा है. दूसरा, हमारी एसआईटी वहां पर जांच कर रही है. माननीय विधायक जी के कहने पर ही तत्कालीन थाना प्रभारी अविनाश पाण्डे को वहां से हटा दिया गया था और अभी एसआईटी जांच हो रही है. वह निष्पक्ष रूप से काम कर रही है.
श्री अभय मिश्रा -- अध्यक्ष महोदय, रीवा पुलिस से जांच नहीं कराना है.
अध्यक्ष महोदय -- अभय जी, कृपया मंत्री जी का जवाब आने दीजिये बीच में नहीं, आपको दूसरा एक अवसर मिलेगा. मंत्री जी पूरा हो गया, तो सदस्य दूसरा प्रश्न करें.
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल -- अध्यक्ष महोदय, यह पूरा हो गया है.
श्री अभय मिश्रा -- अध्यक्ष महोदय, यह बहुत गंभीर मामला है, यह रोज होता है. मध्यप्रदेश में गरीबों को रोज मार दिया जाता है. सोचिये 18 घंटे अनशन में बैठने के बाद वही चाट ठेला वालों के विरुद्ध करके आज भी पूरी कार्यवाही नहीं की गई है. डेढ़ महीना होने को आया है, एक आरोपी को भी गिरफ्तार नहीं किया, उसने जाकर सरेण्डर कर दिया था बाकी किसी को गिरफ्तार करने की इन्होंने कोशिश नहीं की. पूरे आरोपी बाजार में सरेआम घूम रहे हैं. उनको लेकर लोग भयभीत हैं. मैं यह पूछना चाहता हूं कि इसमें जब 164 का बयान दर्ज है, सब कुछ है, कैमरे में ट्रेस है, पूरे फरियादी और गवाहों ने बताया है, यही तो पुलिस की कार्यवाही है, ऐसे ही तो मामला बनता है. बाकी का काम तो कोर्ट का है. आप देवेन्द्र त्रिपाठी को क्यों बचा रहे हैं ? वह किसका रिश्तेदार है मैं आपसे यह पूछना चाहता हूं ? और उसके विरुद्ध कार्यवाही क्यों नहीं कर रहे हैं ? आप मुझे कहिये कि रीवा से बाहर प्रदेश स्तर की किसी पुलिस से आप इसकी जांच कराएंगे. मैं आपसे यह उम्मीद करता हूं. दूसरा, सिरमौर में जो आपने हमारे नाम से यह मामला चक्काजाम को लेकर दर्ज कर दिया यह तो बड़ी खतरनाक बात है. क्या आप यहां गलत जानकारी दे रहे हैं या अगर ऐसा किसा है तो बहुत गलत बात है ? इतनी भी निरंकुशता उचित नहीं है.
अध्यक्ष महोदय -- अभय जी, आपका प्रश्न आ गया. आप बैठिये जवाब आने दीजिये.
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल -- अध्यक्ष महोदय, सिरमौर नहीं वह सेमरिया है.
श्री अभय मिश्रा -- इसमें लिखा है सिरमौर. आप पढ़ लीजिये. मैं फिर से पढ़ देता हूं. यह लिखा है कि जिसके संबंध में सिरमौर में चक्काजाम किया गया.
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल -- अध्यक्ष महोदय, वह प्रिंटिंग मिस्टेक है.
श्री अभय मिश्रा -- अध्यक्ष महोदय, फिर आप यह गलत जानकारी दे रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- अभय जी, आपने अपनी बात रख ली ना, मंत्री जी को बोलने दीजिये.
श्री अभय मिश्रा -- अध्यक्ष महोदय, नहीं साहब, यह कितनी बड़ी बात है कि एक माननीय मंत्री, गृह मंत्री महोदय उत्तर दे रहे हैं और कह रहे हैं कि प्रिंटिंग मिस्टेक है. यह क्या तरीका हुआ. अरे राम ! राम राम राम, बहुत बुरा है. बहुत बुरी स्थिति है. आप इसको राज्य स्तरीय पुलिस से रीवा के बाहर के राज्य स्तरीय अधिकारी से जांच करा दीजिये तो मैं संतुष्ट हूं. रीवा की पुलिस से मामला हटा लीजिये. इतना तो कर सकते हैं ना, अगर आप लोगों का उसमें संरक्षण नहीं है.
अध्यक्ष महोदय -- बैठिये. अभय जी प्रश्न आ गया. आप बैठिये, नहीं तो मैं दूसरा ध्यानाकर्षण बुला लूंगा अगर आप खड़े रहेंगे.
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल -- अध्यक्ष महोदय, उसमें पुलिस निष्पक्ष जांच कर रही है. एसआईटी उसमें गठित हो गई है. एसआईटी की रिपोर्ट आ जाने दीजिये, उसके बाद यदि आप संतुष्ट नहीं होंगे तो पुन: विचार कर लेंगे.
श्री अभय मिश्रा -- अध्यक्ष महोदय, रीवा पुलिस से हटकर, जब मैं बार-बार विरोध कर रहा हूं तो जांच करा लीजिये.
श्री अजय अर्जुन सिंह (चुरहट) -- अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक महोदय बार-बार कह रहे हैं कि रीवा जिले से बाहर की टीम से जांच करा लें, तो मेरा आपसे अनुरोध है कि आप आसंदी से निर्देश दे दें कि ना सही एसआईटी, सीआईडी की जांच करा लें, दूध का दूध, पानी का पानी हो जाएगा. पता चलेगा कि किसका संरक्षण है, किसका हाथ है.
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल -- अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि एसआईटी की जांच आ जाने दें, उसके बाद यदि संतुष्ट नहीं होंगे तो विचार कर लेंगे.
श्री अभय मिश्रा -- अध्यक्ष महोदय, संतुष्ट नहीं हूं तभी तो ध्यानाकर्षण लगाया है. संतुष्ट होता तो क्यों लगाता. संतुष्ट नहीं हूं, तो कैसे संतुष्ट कर देंगे. नहीं साहब.
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल -- अध्यक्ष महोदय, एसआईटी की जांच तो आने दीजिये ना. आप संतुष्ट नहीं थे, आप थाना प्रभारी को हटाना चाहते थे, तो थाना प्रभारी को हटा दिया है. एसआईटी की जांच तो आने दीजिये.
श्री अभय मिश्रा -- अध्यक्ष महोदय, नहीं मैं उससे संतुष्ट नहीं हूं. डेढ़ महीना से देख रहा हूं कि वहां अपराधी खुले आम मारपीट कर रहे हैं. माननीय मंत्री महोदय, करबद्ध निवेदन है कि इतना न्याय करिये, रीवा के बाहर की किसी पुलिस को जांच सौंप दीजिये, कितनी छोटी चीज मांग रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय -- अभय जी, उन्होंने बता दिया है.
श्री अभय मिश्रा -- अध्यक्ष महोदय, आप भी जानते हैं कि रीवा में कौन संरक्षण दे रहा है. कौन रोज अपराध करवा रहा है. रोज लोग अपराधियों को लेकर, हम लोग कैसे जी रहे हैं, हमें पता है ना. रीवा से हटाइये. रीवा के बाहर की पुलिस से कराइये. यह उचित नहीं है.
श्री अभय मिश्रा-- माननीय मंत्री जी, इतना निवेदन है कि न्याय करिये और रीवा के बाहर की पुलिस से जांच करा लीजिये. व्यवधान...
अध्यक्ष महोदय--अभय जी.. ..व्यवधान..
श्री अभय मिश्रा-- माननीय अध्यक्ष जी, वहां के टीआई को निलंबित करने के लिये आप तैयार नहीं हैं. उस टीआई के बारे में कुछ नहीं कहा जिसने कहा कि वह मर जाये तब आना,..व्यवधान..
श्री पंकज उपाध्याय -- मंत्री जी ने आश्वासन दिया था अपहरण और लूट के मामले में उस पर आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई. 13 महिने में आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई, अध्यक्ष महोदय, ऐसा ही मामला है मंत्री जी उसको संज्ञान में लें.
..व्यवधान..
श्री अभय मिश्रा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, रीवा के बाहर की पुलिस से जांच करा लीजिये.
अध्यक्ष महोदय-- अभय जी कृपया बैठें. अब इस प्रश्न पर चर्चा नहीं होगी.
(4) प्रदेश के कई आदिवासी जिलों में बच्चों में कुपोषण होने से उत्पन्न स्थिति
श्री कैलाश कुशवाह (पौहरी)--
मंत्री,महिला एवं बाल विकास विभाग (कुमारी निर्मला दिलीप सिंह भूरिया) - माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री कैलाश कुशवाह—मंत्री जी, एक बार आप इसकी दोबारा सही जानकारी लेकर के देखेंगे, तो आपको सही जानकारी मिल जायेगी. अभी मैं यही कहना चाह रहा हूं कि इसमें कहीं न कहीं धरातल पर कम कागजों में ज्यादा काम हुआ है. इसमें आप विशेष ध्यान दें, क्योंकि गरीब बच्चों का सवाल है. यह एक महत्वपूर्ण बात है, इसलिये मैं आपसे विशेष रुप से कह रहा हूं. माता के लिये गर्भवती से लेकर शिशु के जन्म तक सरकार की कई योजनाएं चल रही हैं. आंगनवाड़ियां, मिनी आंगनवाड़ियां चल रही हैं, मगर विभाग के आंकड़े ही बताते हैं कि अधिक उपस्थित बच्चियों को नर्क में भर्ती कराया जाता है, इससे यह स्पष्ट होता कि सरकार योजनाओं का क्रियान्वयन करने में पूर्णतः अक्षम, असफल साबित हो रही है, जबकि सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में अगर खासकर शिवपुरी की बात करें, तो 2400 से अधिक मिनी आंगनवाड़ियां और आंगनवाड़ियां कार्यरत् हैं..
अध्यक्ष महोदय—कैलाश जी, आप प्रश्न तो करें.
श्री कैलाश कुशवाह— अध्यक्ष महोदय, इसी में प्रश्न भी आ रहा है, वह लास्ट में है.
अध्यक्ष महोदय--इसका जवाब नहीं आयेगा, प्रश्न करेंगे, तो जवाब आयेगा. मंत्री जी, वैसे माननीय सदस्य का प्रश्न है, कुल मिलाकर उन्होंने जो शुरु किया, उनको ऐसा लगता है कि कागजों में ज्यादा काम हो रहा है, धरातल पर नहीं हो रहा है. तो मुझे लगता है कि इसका जवाब आपको दे देना चाहिये.
कुमारी निर्मला भूरिया-- अध्यक्ष महोदय, जो आंकड़े मैंने बताये हैं, वह हमारी राष्ट्रीय एजेंसी है, उसके द्वारा सर्वे किये गये हैं और जो आंकड़े मैंने दिये हैं, वह सही आंकड़े हैं. सरकार कुपोषण के प्रति गंभीर है और इसमें सार्थक प्रयास कर रही है.
श्री कैलाश कुशवाह— अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी से यह पूछना चाहता हूं कि जो आपने जवाब में दिया है और पूरी जानकारी है, तो संख्या क्यों बढ़ रही है, संख्या तो घटनी चाहिये. हमारे बच्चों की संख्या दिन ब दिन बढ़ रही है, ऐसा क्या कारण है.
कुमारी निर्मला भूरिया-- अध्यक्ष महोदय, विभाग द्वारा अटल बिहारी वाजपेयी बाल आरोग्य एवं पोषण मिशन अंतर्गत, मुख्यमंत्री बाल आरोग्य संवर्द्धन कार्यक्रम अंतर्गत गंभीर कुपोषित बच्चों का बहुत अच्छे से पोषण प्रबंधन किया जा रहा है. चिकित्सकीय जटिलता वाले सेम बच्चों के उपचार हेतु एनआरसी में भर्ती कराया जाता है और बाकी बच्चों का समुदाय पर प्रबंधन किया जा रहा है और पोषण ट्रेक जो हम लोगों ने साल भर से शुरु किया है, उसमें जो एक्चुअल कुपोषित बच्चे हैं, उसका आंकड़ा हमारे पास आ रहा है, लेकिन प्रतिशत में हम लोग घट रहे हैं लगातार और अच्छा काम कर रहे हैं.
12.53 अध्यक्षीय घोषणा
श्री दिनेश राय मुनमुन, सदस्य द्वारा सम्पादक, दैनिक महाकौशल एक्सप्रेस समाचार पत्र, सिवनी के विरुद्ध दी गई विशेषाधिकार भंग की सूचना को विशेषाधिकार समिति को सौंपा जाना.
अध्यक्ष महोदय—ध्यान आकर्षण पूर्ण हुए. मैंने श्री दिनेश राय मुनमुन, सदस्य द्वारा सम्पादक, दैनिक महाकौशल एक्सप्रेस समाचार पत्र, सिवनी के विरुद्ध दी गई विशेषाधिकार भंग की सूचना को विशेषाधिकार समिति को जांच, अनुसंधान एवं प्रतिवेदन हेतु सौंप दिया है, कृपया सदन सूचित हो.
12.54 बजे प्रतिवेदनों की प्रस्तुति एवं स्वीकृति
(1) गैर-सरकारी सदस्यों के विधेयकों तथा संकल्पों संबंधी समिति का तृतीय प्रतिवेदन.
12.55 बजे प्रत्यायुक्त विधान समिति का प्रथम एवं द्वितीय प्रतिवेदन
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक(सभापति)- अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रत्यायुक्त विधान समिति का प्रथम एवं द्वितीय प्रतिवेदन प्रस्तुत करता हूं.
अध्यक्ष महोदय- श्री प्रहलाद पटेल जी.
12.56 बजे वक्तव्य
श्रद्धेय अटल बिहारी बाजपेयी जी की जन्मशताब्दी के अवसर पर '' अटल'' ग्राम सुशासन भवन के संबंध में.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री( श्री प्रहलाद सिंह पटेल)- धन्यवाद,माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे पटल पर अपनी बात रखने का मौका
दिया है.
अत: अनुरोध है कि कृपया दिनांक 25.12.2024 को जब श्रद्धेय अटल बिहारी बाजपेयी जी का जन्म शताब्दी दिन है. उसी दिन सिंगल क्लिक से सभी सरपंचों के खातों में यह राशि जायेगी और मैं, इस सदन के सामने यह बाद बड़ी विनम्रतापूर्वक कहना चाहता हूं कि हम सभी दूसरे चरण में जो भी पंचायत भवन होंगे.
हम इस लक्ष्य के प्रति आगे बढ़ें इसलिये मैंने पटल पर यह बात रखने की, यह बात मैंने कही है कि हम अगले पंचायत के चुनाव होने के पूर्व मध्यप्रदेश में, इसी सदन में खड़े होकर यह कह सकें की मध्यप्रदेश की कोई भी पंचायत, भवनविहीन नहीं है. अगर कोई 25-30 वर्ष पुराना भी कोई भवन है तो हमने यह किया है कि ( मेजों की थपथपाहट) हम जिला स्तर पर एक समिति का निर्माण करेंगे, जो डिस्मेंटल करने का अधिकार देगी और उस खाली स्थान पर तत्काल राशि देकर उस पर भवन बनाने का काम करेंगे. यह सभी माननीय सदस्यों को सूचित हो. इस नाते मैंने अपनी बात को रखा है. मैं इस पत्र को सभा पटल पर रखने की अनुमति भी चाहता हूं.
12.59 बजे अध्यक्षीय घोषणा
विधेयक के भारसाधक सदस्य द्वारामानीय संसदीय कार्य मंत्री जी को अधिकृत किये जाने संबंधी.
अध्यक्ष महोदय- आज की कार्यसूची के पद 7 के ऊपर 6 में अंकित विधेयक के भारसाधक सदस्य द्वारा उक्त विधेयक के संबंध में प्रस्ताव किये जाने हेतु माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी को अधिकृत किेया गया है.
अत: मैं, विधान सभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियमावली, के नियम- 66 के परन्तुक के अधीन माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी को उक्त विधेयक पर प्रस्ताव प्रस्तुत करने की अनुमति प्रदान करता हूं.
12.49 बजे याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय- आज की कार्य सूची में सम्मिलित सभी याचिकाएं प्रस्तुत की हुई मानी जायेंगी. श्री जगदीश देवड़ा.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत - अध्यक्ष महोदय, जब पंचायत मंत्री जी भवन की घोषणा कर रहे थे, विपक्ष ने ताली नहीं बजाई, आपको भवन नहीं चाहिए क्या?
(मेजों की थपथपाहट)
श्री ओमकार सिंह मरकाम - अध्यक्ष महोदय, सबकी तरफ से आपको वहां भेज दिया है. आप कांग्रेसी तो हो न.
श्री अभय कुमार मिश्रा - ताली हम लोगों ने ही बजाई है, उधर वालों ने नहीं बजाई है.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - देखो, जितने मंत्री बने हो कांग्रेस से जाकर, सब वहां सही समय में ड्यूटी निभाना. ताली बजाते रहना.
श्री बाला बच्चन (राजपुर)- अध्यक्ष महोदय, अभी उसी अनुपात में ताली बजी है. माननीय मंत्री जी, ताली उस अनुपात में बजी है. हमको अंदेशा है कि कहीं ऐसा नहीं हो कि माननीय मुख्यमंत्री जी ने पहले बोल दिया था कि हरेक विधायक को 15-15 करोड़ रुपये दिये जाएंगे. बाद में वह बदल गये और मुकर गये तो अभी मंत्री जी ने जो प्रस्ताव रखा है, वह स्वागत योग्य है लेकिन मिल जाने के बाद इससे ज्यादा डबल मात्रा ताली बजेगी और स्वागत होगा परन्तु मिले तो सही, अंदेशा है.
1.01 बजे शासकीय विधि विषयक कार्य
मध्यप्रदेश माल और सेवा कर (तृतीय संशोधन) विधेयक, 2024 (क्रमांक 29 सन् 2024)
उप मुख्यमंत्री वाणिज्यिक कर (श्री जगदीश देवड़ा) - अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश माल और सेवा कर (तृतीय संशोधन) विधेयक, 2024 पर विचार किया जाय.
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा (जावद) - अध्यक्ष महोदय, जीएसटी काउंसिल के निर्णय के अनुक्रम में केन्द्र सरकार के केन्द्रीय माल और सेवा कर अधिनियम 2017 में समस्त राज्य सरकारों को अपने अपने राज्य में माल एवं सेवा कर अधिनियम 2017 को संशोधन किया जाना होता है. इसी अनुक्रम में केन्द्र सरकार द्वारा वित्त अधिनियम के माध्यम से केन्द्रीय माल और सेवा कर अधिनियम 2017 में संशोधन किया गया है, जिसके तारतम्य में मध्यप्रदेश शासन द्वारा भी माल एवं सेवा कर अधिनियम 2017 में आवश्यक संशोधन के लिए मध्यप्रदेश माल एवं सेवा कर (तृतीय संशोधन) विधेयक, 2024 जारी किया जाना है. उक्त विधेयक के माध्यम से करदाताओं को निम्न सुविधाएं प्रदान की गई हैं.
अध्यक्ष महोदय, करदाता द्वारा पूर्व में विवादास्पद स्थिति होने के कारण कोई कर राशि जमा नहीं की गई हो और बाद में उक्त सप्लाई को कर मुक्त कर दिया गया हो तो करदाता को पूर्व अवधि से संबंधित कर जमा करने से छूट प्रदान करने हेतु प्रावधान लाया गया है. पहले यह प्रावधान नहीं था. रेट्रोस्पेक्टिव डेट में उसका टैक्स पूरा क्लेम करा जाता था, इसलिए उसमें एक न्याय दिया कि किसी ने अगर डिसप्युटेड टैक्स किसी भी प्रेशर में जमा कर दिया तो उसको वापस करने का अधिकार भी है और जमा करने से छूट रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स में भी मिलेगी. यह बहुत जरूरी था क्योंकि टैक्स में एक बैलेंसिंग और पूरे ट्रेड को भारत में एक जैसा करने के लिए केन्द्रीय अधिनियम जो भी आता है उसका करेक्शन स्टेट को भी तुरन्त करना चाहिए. कई राज्यों ने यह कर दिया है.
अध्यक्ष महोदय, मैं वास्तव में वित्तमंत्री जी का बहुत अभिनंदन करता हूं कि उन्होंने समय रहते हुए समय पर सब किया है. दूसरा इसमें महत्वपूर्ण है कि पूर्व में करदाताओं द्वारा धारा 74 के अंतर्गत कार्यवाही के पश्चात् कर राशि जमा कराए जाने की स्थिति में माल एवं सेवा प्राप्तिकर्ता को आईटीसी की पात्रता नहीं होती थी, उक्त विधेयक के माध्यम से वर्ष 2024-25 के पश्चात् की अवधि में उक्त आईटीसी की पात्रता प्रदान किये जाने का भी प्रावधान किया है कि अगर अब भविष्य में उसने किसी डिसप्युट और किसी दबाव में टैक्स जमा कर दिया तो उसको उसका रियम्बर्समेंट या उसको उसका बेनिफिट मिलना शुरू हो जाएगा. एक तरीके से यह ट्रेड में पारदर्शिता के साथ समान अवसर और किसी अलग अलग डिस्ट्रिक्ट में, अलग अलग तरीके से व्याख्या करके कहीं डिसप्युट हो तो उसको वहीं से सेटल करने का इस एक्ट में प्रावधान है, इसलिए इसके समर्थन में मैं खड़ा हुआ हूं. मुझे आशा है कि सभी सहयोग करेंगे, धन्यवाद.
श्री ओमकार सिंह मरकाम (डिण्डौरी) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह जो मध्यप्रदेश माल और सेवा कर (तृतीय संशोधन) विधयेक है, इसके संबंध में मैं कहना चाहता हॅूं कि इसमें एक तो सरकार लगातार करों में वृद्धि करती है, उसमें कोई विचार तो किया नहीं गया, पर जिस व्यक्ति ने कर अधिक दे दिया और देने वाले को उसकी जानकारी नहीं है पर विभाग को तो यह पता हो गया कि उसका कर कितना बनता था और उसको कर कितना देना था. मैं आपके माध्यम से इसमें कुछ जोड़ना चाहता हॅूं कि जो करदाता हैं जिसको जानकारी नहीं है कि मैंने ज्यादा कर दे दिया लेकिन विभाग के पास तो उसकी जानकारी है क्योंकि आपके पास तो अधिकारी /वरिष्ठ अधिकारी हैं सब गणना करते हैं तो क्या माननीय मंत्री जी आप इसमें और जोड़ेंगे कि विभाग के पास जानकारी है कि इसने ज्यादा कर दे दिया है.
अध्यक्ष महोदय, इस संबंध में मैं कहना चाहता हॅूं कि स्वयं विभाग का एक पत्र चला जाए कि आपका इतना ज्यादा कर आ गया है कृपया, इसको आप संज्ञान में लें और इसकी प्राप्ति के लिए आपका यह माध्यम है. माननीय मंत्री जी अगर आप यह करेंगे, तो आपका भी विश्वास बढे़गा और जानकारी के अभाव में जो लोग ज्यादा कर देते हैं, तो उनका भी विश्वास बढे़गा. दूसरी बात यह है कि किसी ने कर ज्यादा दे दिया, उसको वापिस करने की कितने दिन में क्या प्रक्रिया है और जितने दिन आपके पास कर जमा रहेगा, मान लीजिए किसी ने 10 हजार ज्यादा कर दे दिया, तो जितने दिन आपके पास जमा रहेगा, उससे आपको तो इंटरेस्ट मिलेगा लेकिन क्या जिस व्यक्ति का कर ज्यादा जमा है क्या उस व्यक्ति को आप ब्याज भी प्रदान करेंगे. क्योंकि 10 हजार रूपए तो उसने ज्यादा जमा कर दिया. आपके पास जमा है तो आप उसका ब्याज ले रहे हैं तो उसके ब्याज की जो राशि है वह राशि भी उसको देने का प्रावधान हो.
अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय वित्त मंत्री जी से कहना चाहता हॅूं कि आप मेरी बात समझ गए हैं. एक तो जो कर है वह कितना है. दूसरी बात यह है कि जो कर जमा है उस जमा पीरियड की जो इन्टरेस्ट राशि है वह राशि भी अगर उसको आप उपलब्ध कराएंगे, तो मैं समझता हॅूं कि हमारे लिए और आपके लिए भी एक विश्वास पैदा होगा कि विभाग हमारे साथ न्यायसंगत काम कर रहा है. तीसरी बात यह है कि अगर कर की राशि की गणना करने में आपके जो अधिकारी हैं कि किसको कितना स्तर का अधिकार है, इसके लिए अभी संभाग स्तर पर जो आपके संबंधित कार्यालय हैं, खासकर के ग्रामीण क्षेत्रों के जिलों में वह अधिकारी उपलब्ध नहीं हो पाते हैं. हमारा करदाता यदि कर की वापसी के लिए प्रयास करता है तो वहां पर वह सीए के पास जाएगा, उससे बात करेगा. उसने जो प्रस्ताव दिया, उसको एक्सेप्ट नहीं किया, तो बार-बार जाता है, तो इसमें मेरा अनुरोध है कि अगर किसी ने ज्यादा राशि जमा कर दी है तो आपके वित्तीय वर्ष में तो गणना होती है. क्लोजिंग इयर डेट पर आप गणना करते हैं तो उसके बाद आप कितने दिन में उन्हें ब्याज सहित राशि वापस कर देंगे, यह भी अगर आप सम्मिलित कर लें, तो बड़ी कृपा होगी.
अध्यक्ष महोदय, मैं एक बात और कहना चाहता हॅूं, मान लीजिए किसी कारण कोई जानकारी के अभाव में कर देने के लिए इच्छुक भी है, खासकर के ग्रामीण क्षेत्रों में और सीए से संपर्क न होने के कारण यह जानकारी नहीं मिल पाती है तो ऐसे प्रकरणों में क्या आप उनके पक्ष को सुनकर के थोड़ी रियायत भी देने की कृपा करेंगे, ताकि आपके प्रति लोगों का विश्वास बढे़. लोग खुले मन से आपके पास आकर के अपनी जो राशि है वह भी आपको दे सकें और आपसे सहयोग की भावना रख सकें, तो मैं समझता हॅूं कि लोगों में उत्साह भी बढे़गा और जागरूकता भी आएगी. माननीय वित्त मंत्री जी से मेरा अनुरोध है कि इसमें जरूर मेहरबानी करें क्योंकि आपका नाम सुनकर ही सब लोगों में बड़ा विश्वास पैदा होता है क्योंकि आपका नाम ही भगवान का नाम है तो कर देने वालों पर भी कृपा करें. ऐसा मेरा अनुरोध है. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री गौरव सिंह पारधी (कटंगी) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में कर कानून में लाए गए संशोधन के लिए मैं माननीय वित्त मंत्री जी को बहुत-बहुत बधाई देता हॅूं और धन्यवाद करता हॅूं कि आपने इस पूरी व्यवस्था को सरलीकरण करने का जो प्रयास किया है, उसके लिए आप बधाई के हकदार हैं. आपने समझते हुए कि अपीलेट ट्रिब्यूनल जो है, उसका कम्पोजीशन नहीं हो पाया था. तो बिना किसी निवेदन से खुद से फर्स्ट अपील से सेकंड अपील के बीच में जो टाईम गेप होता था उसकी आपने समय सीमा बढ़ा दी है. इसके लिये मैं समझता हूं कि जितने करदाता हैं वह आपको धन्यवाद देंगे. मैं भी अपनी तरफ से आपका धन्यवाद करता हूं. साथ ही साथ जब कोई भी करदाता अपील में जाता था और उसको जो राशि जमा करनी पड़ती थी. चूंकि अपील है करदाता मानता है कि मुझे एक्स अमाऊंट जमा करना है विभाग मानता है कि वाय उस झगड़े में कई बार करदाता परेशान हो जाता था. उस परेशानी को भी समझते हुए आपने पहले अपीली राशि 20 प्रतिशत होती थी डिमाण्ड की उसको कम करके आपने 10 प्रतिशत कर दिया. जिसकी अपर लिमिट 25 करोड़ होती थी उसको आपने 20 करोड़ कर दिया इसके लिय पुनः हृदय से आपको धन्यवाद देता हूं. इस संशोधन के पास करने की इस सदन से अनुभूति करता हूं. बहुत बहुत आभार है.
1.12 बजे मध्यप्रदेश माल और सेवा कर (तृतीय संशोधन) विधेयक, 2024
अध्यक्ष महोदय--प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश माल एवं सेवा कर तृतीय संशोधन विधेयक 2024 पर विचार किया जाये. इसमें मंत्री जी कुछ कहना चाहते हैं.
उप मुख्यमंत्री वाणिज्यिक कर, (श्री जगदीश देवड़ा)—जी हां.
अध्यक्ष महोदय—माननीय मंत्री जी.
श्री जगदीश देवड़ा—अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश माल एवं सेवा कर (तृतीय संशोधन) विधेयक, 2024 पर माननीय सदस्य श्री ओमप्रकाश सखलेचा, श्री ओमकार सिंह मरकाम, तथा हमारे साथी गौरव पारधी जी ने भी अपने विचार रखे हैं. चूंकि यह संशोधन जीएसटी काउंसिल के द्वारा किया गया है और केन्द्र सरकार ने भी इसकी स्वीकृति दे दी है और वहां पर लागू भी कर दिया है. अन्य राज्यों में भी यह लागू हो चुका है. यह मध्यप्रदेश में भी आज यहां पर इसको लागू करेंगे. इसमें मैं सभी माननीय सदस्यों का धन्यवाद करता हूं. जीएसटी काउंसिल के निर्णय के अनुक्रम में केन्द्र सरकार को केन्द्रीय माल और सेवा कर अधिनियम 2017 एवं समस्त राज्य सरकार को अपने राज्य के माल एवं सेवाकर अधिनियम , 2017 में संशोधन किया जाना अपेक्षित होता है. इसी अनुक्रम में केन्द्र सरकार द्वारा वित्त अधिनियम के माध्यम से केन्द्रीय माल और सेवा कर अधिनियम, 2017 में संशोधन किया गया है. जिसके तारतम्य में मध्यप्रदेश शासन द्वारा भी मध्यप्रदेश माल एवं सेवाकर अधिनियम, 2017 में यथा आवश्यक संशोधन के लिये मध्यप्रदेश माल एवं सेवाकर (तृतीय संशोधन) विधेयक, 2024 लाया गया है. मध्यप्रदेश माल एवं सेवाकर (तृतीय संशोधन) विधेयक, 2024 मध्यप्रदेश माल एवं सेवाकर अधिनियम, 2017 की 30 धाराओं में तथा अनुसूची 111 में संशोधन किया गया है एवं 3 नई धाराओं का अंतःस्थापन किया गया है. उक्त विधेयक के माध्यम से करदाताओं को निम्न सुविधाएं प्रदान की गई हैं. मैंने उसको संक्षिप्त में लिखा है कि करदाता द्वारा पूर्व में विवादास्पद स्थिति होने के कारण कोई कर राशि जमा नहीं किया गया हो तथा बाद में उक्त सप्लायी को कर मुक्त किया गया हो तो करदाता को पूर्व अवधि से संबंधित कर जमा करने से छूट से प्रदान करने हेतु प्रावधान लाया गया है. इस हेतु नवीन धारा-11 (क) अंतःस्थापित की गई है. करदाता द्वारा अधिनियम में निर्धारित समय-सीमा में विवरण पत्र प्रस्तुत नहीं किये जाने से इनपुट टेक्स क्रेडिट की पात्रता नहीं होती है. वर्ष 2017-18, 2018-19, 2019-20 तथा 2020-21 से संबंधित विवरण पत्रों को 30 नवम्बर 2021 तक प्रस्तुत किये जाने पर उक्त वर्षों से संबंधित आईटीसी को मान्य किया जाकर करदाताओं को सुविधा प्रदान की गई है. इस हेतु धारा-16 (5) एवं धारा-16 (6) अंतःस्थापित की गई है. वर्ष 2017-18, 2018-19 तथा 2019-20 से संबंधित मांग के प्रकरणों में कर राशि जमा किये जाने की स्थिति में ब्याज एवं शास्ति की राशि से छूट प्रदान करने का प्रावधान लाया गया है. इस हेतु धारा-128(क) अंतःस्थापित की गई है. प्रथम अपील जैसा कि माननीय सदस्य ने भी बताया है कि प्रथम अपील के आदेश के विरूद्ध द्वितीय अपील प्रस्तुत करने हेतु अपीलेट ट्रिब्यूनल की स्थापना नहीं होने से करदाताओं की सुविधा के लिये अपीलेट ट्रब्यूनल में अपील प्रस्तुत करने की समय सीमा को धारा 112 के अंतर्गत ट्रिब्यूनल स्थापित होने के 3 माह तक बढ़ाया गया है. करदाताओं की सुविधा के लिये प्रथम अपील एवं द्वितीय अपील आवेदन के साथ जमा की जाने वाली करराशि में कमी की गई है. इस हेतु धारा 107 एवं धारा-112 में परिवर्तन किया जाकर प्रथम एवं द्वितीय अपील के समय जमा की जाने वाली राशि को कम किया गया है.
अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य श्री ओमकार सिंह मरकाम जी ने कुछ सुझाव दिये हैं, अभी परसो ही जी.एस.टी. कांउसिल होने वाली है, तो मैं इन सुझावों को जरूर जी.एस.टी. काउंसिल में रखूंगा, क्योंकि यह सारा जो भी परिवर्तन करना है, कर घटाने का, कर बढ़ाने का या और कोई समस्या होती है, तो जी.एस.टी. कांउसिंल में ही उसको लाना पड़ता है और जी.एस.टी. काउंसिल ही उसको स्वीकृति देती है, तो मैं जरूर आपने जो भी सारगर्भित सुझाव दिये हैं, उनको मैं जरूर उसमें रखूंगा. अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे निवेदन करूंगा कि लाये गये विधेयक को सर्वसम्मति से पारित किया जाये.
श्री अभय मिश्रा -- माननीय मंत्री जी, मैं भी आपको लिखकर कुछ सुझाव दूंगा, आप उनको शामिल कर लें.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश माल और सेवा कर (तृतीय संशोधन) विधेयक, 2024 पर विचार किया जाय.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2 से 36 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2 से 36 इस विधेयक का अंग बने.
प्रश्न यह है कि खण्ड 1,पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1,पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र इस विधेयक का अंग बना.
उप मुख्यमंत्री,वाणिज्यिक कर (श्री जगदीश देवड़ा )-- अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश माल और सेवा कर (तृतीय संशोधन) विधेयक, 2024 पारित किया जाये.
अध्यक्ष महोदय --प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश माल और सेवा कर (तृतीय संशोधन) विधेयक, 2024 पारित किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ
विधेयक पारित हुआ.
(2) मध्यप्रदेश विधान सभा अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष (वेतन तथा भत्ता) संशोधन विधेयक, 2024 (क्रमांक 20 सन् 2024)
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) --अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश विधान सभा अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष (वेतन तथा भत्ता) संशोधन विधेयक, 2024 पर विचार किया जाय.
अध्यक्ष महोदय-- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
श्री ओमकार सिंह मरकाम (डिण्डौरी) -- अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश की आठ करोड़ जनता के बीच में न्याय पालिका, कार्यपालिका और विधायिका के बीच में मैं समझता हूं, सबसे जिम्मेदार अगर कोई संस्था है, तो वह विधानसभा है और माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके सानिध्य में अनुरोध करना चाहूंगा कि जिस तरह से हमारे माननीय अध्यक्ष जी का कुल वेतन 1 लाख 85 हजार है, जिसमें 47 हजार, 45 हजार, 48 हजार और 15 सौ रूपये पर डे है. मुझे ऐसा लग रहा है कि संशोधन जब आता है, तो माननीय मंत्री जो कद्दावर मंत्री हैं, आपके प्रति दिन के जो 15 सौ रूपये दे रहे हैं, उसके विषय में शायद माननीय मंत्री जी ने इंदौर के हिसाब से गणना कर लिया है. हमें पता है, आप मुरैना से बहुत दूर से आते हैं, आपके पास अतिथि आते हैं, आपके पास वह गरीब लोग भी आते हैं, वह उम्मीद करके आते हैं. आप सदन के संरक्षक हैं, 15 सौ रूपये तो कम है और वेतन के संबंध में भी मैं माननीय मंत्री जी से पूछना चाहूंगा कि चीफ सेकेट्ररी का वेतन कितना है ? जरा आप बतायें, हमारे अध्यक्ष महोदय, चीफ सेकेट्ररी से ऊपर है कि नहीं है तो वेतन क्यों कम? आप यहां जनसेवा कर रहे हैं, बैठकर लोगों के हित कर रहे हैं, अभी अध्यक्ष महोदय, आप अनुमति देंगे तो मैं दो हजार गरीबों को रोज आपके घर खाने के लिये भेज दूंगा क्योंकि भोपाल में वह भूखे सोते हैं(हंसी). मैं भेज दूंगा और माननीय मंत्री जी, आप बता देंगे तो मैं इंदौर में भेज दूंगा.
संसदीय कार्यमंत्री( श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- आप पांच हजार लोगों को भेजें, मेरे यहां वैसे ही दो हजार लोगों का भण्डारा चलता है.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- माननीय मंत्री जी, आप पीछे न हटना मैं ईमानदारी से भेजूंगा. माननीय अध्यक्ष महोदय, आप संरक्षण करियेगा. माननीय अध्यक्ष जी, उपाध्यक्ष जी हमारे आप देखिये ब्यूरोक्रेटस के जो सीनियर मोस्ट ऑफिसर हैं, जो 7th पे आपने दिया है, 7th पे पर आपने गणना क्या की है, आपको माननीय अध्यक्ष जी की सुविधाओं पर ध्यान देना चाहिये. माननीय अध्यक्ष महोदय जी, जो दूरगामी क्षेत्र के विधायक हैं भौगोलिक दृष्टि से जितना आप वेतन भत्ता देते हैं उतना तो डीजल में चला जाता है, आने-जाने में बहुत कठिनाई होती है. अब बात यह है कि जिस विधायक का व्यवसाय है वह थोड़ा सा लोड संभाल लेता है, जैसे चेतन्य काश्यप साहब संभाल लेते थे, माननीय विजयवर्गीय जी भी संभाल ले जाते हैं, बाकी गरीब जनप्रतिनिधि भी चुनकर आते हैं, बहुत कठिनाई होती है, 300 किलोमीटर का अपडाउन कैसे करें. माननीय मंत्री जी आप वरिष्ठ हैं, आप कृपा करके इस विषय में विचार करें और इसमें मैं एक अनुरोध माननीय अध्यक्ष जी चाहता हूं कि अगर जो माननीय अध्यक्ष जी टैक्स अपने से देना चाहें उनके विवेक पर छोड़ा जाये, यह क्या है कि आप अधिनियम लाकर के बंदिश कर रहे हैं. मेरा अनुरोध है कि माननीय अध्यक्ष जी, उपाध्यक्ष जी अगर स्वविवेक से कहेंगे, अब भाई चेतन्य काश्यप जी मंत्री जी ने छोड़ दिया तो बाकी को सब लपेट लिये, अरे हमारे एससी, एसटी के जो विधायक आते हैं ग्रामीण क्षेत्र से आते हैं, बहुत सिरदर्द होता है.
श्री कमलेश्वर डोडियार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, ग्रामीण क्षेत्रों में वैसे ही गाडि़यां कम एवरेज देती हैं.
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- माननीय मंत्री जी, मेरा अनुरोध है हमारा प्रोटोकॉल तो चीफ सेक्रेट्री से ऊपर है विधायक का पर बाकी चीजों में, हमारे क्षेत्र के लोग मिलने आते हैं तो हमारे यहां कोई व्यवस्था नहीं है, लेकिन वहीं किसी अधिकारी के घर पर जाते हैं तो 4 से 6 लोग रहते हैं और सिर्फ एक अधिकारी के प्रबंधन में लगे रहते हैं. हमारे यहां लोग आते हैं हम उनका सम्मान करना चाहते हैं पर प्रबंधन होता ही नहीं है. माननीय अध्यक्ष महोदय जी, मेरा अनुरोध है माननीय मंत्री जी आप यह जो अध्यक्ष जी के ऊपर बंदिश लगाने की जो प्रक्रिया चलाये हैं कि कर अपने से भरें, इसमें हाथ जोड़कर निवेदन है कि आप संशोधन करें, जो अध्यक्ष जी अपने से छोड़ देना चाहें, नहीं भरना चाहें आप विवेकाधिकार पर दे दीजिये, आप अधिनियम संशोधन लाकर के आप हमारे अध्यक्ष जी का अपमान न करें, ऐसा मेरा अनुरोध है. जो भी अध्यक्ष जी रहेंगे दोनों हाथ जोड़कर अनुरोध है और विधायकों के वेतन बढ़ाने के लिये अभी बोल दें.
अध्यक्ष महोदय-- ओमकार जी, इस पर कुल 10 मिनट ही हैं.
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- माननीय अध्यक्ष महोदय जी, आपके बाद जो अध्यक्ष बनकर आयेंगे उनका भी दर्द है हो सकता है कोई गरीब आदमी गांव से आ जाये.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत-- दया याचिका ही लगाते रहोगे तो बात कब करोगे, बात करो.
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- आप लोग तो जुगाड़ जमा लिये उधर जाकर ...(हंसी)... अब हम क्या करें भाई. तुलसी सिलावट जी तो देखते ही नहीं हैं बड़े भाई होकर तो हम लोग क्या करें, याचिका ही बोल सकते हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय जी, आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से जानना चाहूंगा कि हमारे विधायकों के वेतन के लिये आज ही घोषणा कर दें, हम इतना स्वागत करेंगे कि कभी नहीं हुआ होगा, बंगाल गये थे प्रभारी बनकर तब भी नहीं हुआ होगा जितना स्वागत हम कर देंगे, आप दिलेरी दिखा दें. वैसे हमें गर्व है कि इस समय माननीय अध्यक्ष जी, माननीय विजयवर्गीय जी, माननीय पटेल जी ऐसा सदन में कभी नहीं हुआ कि केन्द्र से इतने अनुभवी नेता हैं तो आप लोग जरूर कृपा करें साहब हम लोग ग्रामीण क्षेत्र के हैं, इंदौर के नहीं हैं, आप लोग कृपा करके इसका जरूर ध्यान रखें, इंदौर, भोपाल और ग्वालियर वाले अपने चश्मे से न देखें. इसमें मेरा अनुरोध है माननीय अध्यक्ष जी कि इसको माननीय अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पर ही छोड़ दिया जाये कि अगर वह चाहेंगे तो टैक्स स्वयं भरेंगे नहीं चाहेंगे तो सरकार भर देगी ऐसा मेरा अनुरोध है कृपया कर इतना बंधन तो न लगायें, यही मेरा अनुरोध है और विधायकों के लिये जरूर घोषणा कर दें यह मेरा अनुरोध है दिल्ली वालों का वेतन अधिक है और बाकी जगह भी बहुत है, हम लोगों को क्यों मुसीबत में डालते हो. माननीय अध्यक्ष जी यही निवेदन है.
अध्यक्ष महोदय-- अध्यक्ष ने और नेता प्रतिपक्ष ने स्वयं होकर ही घोषित किया है चूंकि एक प्रक्रिया है जो घोषणा है उसको क्रियान्वयन करना है तो एक्ट आता है इसलिये वह एक्ट आया.
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- अध्यक्ष जी, मैं चाहूंगा कि यह नियम न बने, आपके विवेकाधिकार पर रहे, जो अध्यक्ष छोड़ना चाहें वह छोड़ दें जो नहीं चाहें वह न छोड़ें, नियम बन जायेगा तो आने वाले अध्यक्ष के लिये झंझट होगी.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्यक्ष महोदय,आपने कह दिया मैं माननीय सदस्य को बताना चाहता हूं कि इस आसंदी से ही आपने 1 जुलाई को घोषणा की थी कि मैं अपने वेतन पर लगने वाला इनकम टैक्स,अब सरकार नहीं भरेगी अपने हिस्से का मैं भरूंगा. नेता प्रतिपक्ष ने भी घोषणा की थी. यह आपकी सहृदयता थी. आपकी घोषणा के बाद उसको बिल में लाना बहुत जरूरी था इसलिये बिल आया है बाकी नेता प्रतिपक्ष ने भी घोषणा की, आपने भी घोषणा की और हम सब मंत्रीगणों ने भी घोषणा की है इसलिये जबर्दस्ती पर लागू किया जा रहा है यह आपका कहना है.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - अध्यक्ष महोदय, नियम नहीं बनाएं. आपने दिया आपका स्वागत है. आपका हम समर्थन करते हैं आप कानून बनाओगे तो दूसरा अध्यक्ष आएगा अगर वह नहीं देना चाहेगा तो उसको लाना पड़ेगा.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - आप सरकार की, विधान सभा की नियम,प्रक्रिया को समझें ऐसा है कि उन्होंने घोषणा की उसके बाद उस घोषणा के क्रियान्वयन के लिये बिल लाना बहुत ज्यादा जरूरी है.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - व्यक्तिगत रूप से ला दें. आने वाले समय में हो सकता है कोई गरीब आदमी अध्यक्ष बन जाए तब बड़ा मुश्किल हो.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - अच्छा-अच्छा सोचो ना.
श्री उमंग सिंघार - अध्यक्ष महोदय, आपने जो पूर्व में व्यवस्था दी हम उसका स्वागत करते हैं और उसी का पालन कर रहे हैं हमें शिरोधार्य है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - सभी मंत्रीगणों ने पहले मंत्रिमण्डल में घोषणा की फिर अध्यक्ष महोदय, आपने इस आसंदी से की थी. नेता प्रतिपक्ष ने भी अपनी आसंदी से घोषणा की थी कि मैं भी इनकम टैक्स अपने भत्ते में से भरूंगा और आपकी स्वीकृति के बाद ही यह बिल लाया गया है और इसलिये मैं समझता हूं कि सर्वानुमति से यह बिल पारित हो जाये यह मेरा सदन से आग्रह है.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश विधान सभा अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष(वेतन तथा भत्ता) संशोधन विधेयक,2024 पर विचार किया जाय.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2 इस विधेयक का अंग बना.
प्रश्न यह है कि खण्ड 1,पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1,पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र इस विधेयक का अंग बने.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्यक्ष महोदय, मैं,प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश विधान सभा अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष(वेतन तथा भत्ता) संशोधन विधेयक,2024 पारित किया जाय.
प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश विधान सभा अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष(वेतन तथा भत्ता) संशोधन विधेयक,2024 पारित किया जाय.
सर्वसम्मति से प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
(3) मध्यप्रदेश विधान सभा नेता प्रतिपक्ष(वेतन तथा भत्ता)संशोधन विधेयक,2024
श्री कैलाश विजयवर्गीय,मंत्री,संसदीय कार्य - अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश विधान सभा नेता प्रतिपक्ष(वेतन तथा भत्ता)संशोधन विधेयक,2024 पर विचार किया जाय.
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्यक्ष महोदय, मैं सिर्फ इतना ही कहना चाहता हूं कि आपने और नेता प्रतिपक्ष ने सहृदयता से यहां सदन में घोषणा की थी और इसीलिये यह बिल लाया गया है मुझे लगता है कि इसे सर्वानुमति हो तो बहुत अच्छा होगा.
श्री उमंग सिंघार - अध्यक्ष महोदय, सर्वसम्मति से इसको पारित किया जाय.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश विधान सभा नेता प्रतिपक्ष(वेतन तथा भत्ता)संशोधन विधेयक,2024 पर विचार किया जाय.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2 इस विधेयक का अंग बना.
अध्यक्ष महोदय -- एक आग्रह मैं करना चाहता हूँ कि बिल के पश्चात् शून्यकाल की सूचनाएं भी आएंगी और नियम 139 के अधीन फर्टिलाइजर पर भी चर्चा आएगी. जो सदस्य बोलना चाहते हैं, वे दो मिनट में अपनी बात पूरी करेंगे, क्योंकि इस पर डेढ़ घण्टे का समय निश्चित है. बहुत धन्यवाद.
सदन की कार्यवाही भोजनावकाश हेतु 3.00 बजे तक के लिए स्थगित.
(1.31 बजे से 3.00 बजे तक अंतराल)
3.06 बजे {अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए.}
3.07 बजे नियम 267-क के अधीन विषय
(1) नर्मदापुरम् जिले में सड़कें खराब गुणवत्ता और
मंथर गति से बनाई जाना.
डॉ. सीतासरन शर्मा (होशंगाबाद) - माननीय अध्यक्ष महोदय, नर्मदापुरम् जिले के नर्मदापुरम् विधान सभा क्षेत्र में आने वाली (1) पांजरा से रैसलपुर (2) रैसलपुर से निटाया (3) बरंडुआ-रंढ़ाल (4) डोंगरवाड़ा-हासलपुर सड़क का निर्माण कार्य अत्यन्त खराब गुणवत्ता एवं प्रकृति का किये जाने के कारण निर्माण के कुछ ही समय बाद वह खराब हो गई है. करोड़ों रुपये की लागत से बनी उक्त सड़कों के खराब गुणवत्ता के बनाये जाने के कारण उक्त सड़कें अनेक स्थानों पर आवागमन के योग्य नहीं हैं. शिकायत के बाद भी उक्त सड़कों की जांच नहीं की जा रही है. इसके साथ ही निर्माणाधीन मालाखेड़ी-रायपुर एवं रैसलपुर मार्ग का कार्य मंथरगति से चल रहा है, जिसके कारण उक्त मार्ग निर्धारित समयावधि में पूरा नहीं हो सकेंगे. विभाग द्वारा बनाई जा रही सड़कों की खराब गुणवत्ता एवं मंथर गति से बनाई जाने वाली सड़कों पर अधिकारियों का निरीक्षण न होने के कारण शासकीय धन का अपव्यय हो रहा है.
(2) सिवनी के स्कूलों में शिक्षकों की पदस्थापना के संबंध में
अनियमितता बरती जाना.
श्री दिनेश राय मुनमुन (सिवनी) - माननीय अध्यक्ष महोदय, जिला सिवनी अंन्तर्गत स्कूल शिक्षा विभाग एवं जनजातीय कार्य विभाग के अन्तर्गत गत माहों में हुई शिक्षकों की काउंसलिंग में लापरवाही बरते जाने की शिकायतें प्राप्त हुई हैं. शिक्षकों को काउंसलिंग के आधार पर स्कूलों में पदस्थ किया जाना चाहिए था, किन्तु ऐसा नहीं किया गया है. कहीं-कहीं तो पद रिक्त नहीं हैं, बताकर किसी और की पदस्थापना कर दी गई, किसी की पदस्थापना करने के बाद निरस्त कर दिया गया. काउंसलिंग में बुलाये गये शिक्षकों के साथ पदस्थापना को लेकर अनियमिततायें बरती गई हैं. कहीं-कहीं तो विषयों के अनुरूप रिक्त पदों में भर्ती/पदस्थापना नहीं की गई है, कुछ शिक्षकों को लेन-देन कर उनकी मनमर्जी के स्कूलों में विषय अनुरूप पद रिक्त न होने के बाद भी पदस्थापना कर दी गई है.
(3) श्री अरविन्द पटैरिया (राजनगर) - अनुपस्थित
(4) श्री प्रताप ग्रेवाल (सरदारपुर) - अनुपस्थित
(5) प्रदेश में सड़कों की स्थिति अत्यंत दयनीय होने से सड़क दुर्घटनायें होना
श्री कैलाश कुशवाहा (पोहरी)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है-
(6) मनावर विधान सभा क्षेत्र के अजंदा स्थित शासकीय हाई स्कूल भवन की हालत जर्जर होना
डॉ. हिरालाल अलावा (मनावर)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है-
(7) छतरपुर की कृषि भूमि की खरीदी में क्रेताओं के नामों में पटवारी द्वारा शासकीय रिकॉर्ड में हेर-फेर किया जाना
श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर (खरगापुर)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है-
(8) रतलाम जिला अस्पताल में पदस्थ चिकित्सा अधिकारी द्वारा अभद्र व्यवहार किया जाना
श्री कमलेश्वर डोडियार (सैलाना)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है-
दिनांक 05.12.2024 को लगभग रात को 10 बजे मैं जनहित के विषयों को लेकर जिला चिकित्सालय रतलाम गया, जहां पदस्थ चिकित्सा अधिकारी द्वारा मुझसे अभद्र व्यवहार किया गया और [XX] दी गईं एवं मुझे चिल्ला-चिल्लाकर अपमानजनक शब्दों के साथ बाहर जाने को कहा. जिला चिकित्सालय में विगत कई वर्षों से यह चिकित्सा अधिकारी पदस्थ है एवं अन्य मरीजों के साथ भी आय दिन अभद्र व्यवहार करते रहते हैं एवं [XX] गालियां देते रहते हैं जिसकी सूचना पर ही मैं वहां वस्तुस्थिति देखने गया था, मरीजों से मिलने गया था. मैं भी वहां अपना इलाज कराने गया था, मेरा भी इलाज नहीं किया गया. [XX] डॉक्टर को तत्काल बर्खास्त करते हुए इनके द्वारा किये गये अभद्र व्यवहार एवं भ्रष्टाचार की निष्पक्ष जांच पुलिस मुख्यालय स्तर भोपाल से एसआईटी के माध्यम से कराई जाकर बर्खास्त करने की कार्यवाही करने का कष्ट करें क्योंकि मेरे साथ हुई घटना कोई सामान्य घटना नहीं है. मेरे साथ में जाति अत्याचार हुआ है और सरकार ने उल्टा मेरे खिलाफ दो मुकदमें दर्ज कर मुझे ही जेल में डाल दिया था इसलिए स्पष्ट है कि सामान्य आदिवासियों के साथ लगातार अत्याचार हो रहा है. सदन के अंदर भी न्यायपूर्ण चर्चा नहीं हो पा रही है. बहुत-बहुत धन्यवाद.
(9) रीवा जिले में महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना अंतर्गत स्वीकृत कार्यों में सुदूर संपर्क/ खेत सड़क का निर्माण कार्य अधूरा बताया जाना
श्री अभय मिश्रा (सेमरिया)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
(10) डिण्डोरी में कृषक हितग्राहियों को रबि फसल के लिए बीज वितरण में अनियमितता किया जाना
श्री नारारण सिंह पट्टा (बिछिया) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे शून्यकाल का विषय इस प्रकार है.
3. 19 बजे बहिर्गमन
इंडियन नेशनल कांगेस के सदस्यगण द्वारा सदन से बहिर्गमन
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, [XX] हम चाहते हैं कि इस पर भी चर्चा होना चाहिए और इस बात को लेकर हम बहिर्गमन भी करना चाहेंगे कि जिस प्रकार से यह चल रहा है.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय नेता प्रतिपक्ष जी आप बहुत ही अनुभवी सदस्य हैं आपको यह मालूम है कि दूसरे सदन के किसी भी विषय पर यहां चर्चा नहीं होती है.
श्री उमंग सिंघार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, इस प्रकार से बातें नहीं कहीं जाती, जिस प्रकार से चर्चा नहीं कराई जाती. माननीय अध्यक्ष महोदय [XX] इसको लेकर कांग्रेस पार्टी बहिर्गमन करती है.
(इंडियन नेशनल कांगेस के सदस्यों द्वारा नेता प्रतिपक्ष श्री उमंग सिंघार के नेतृत्व में सदन से बहिर्गमन किया गया)
अध्यक्ष महोदय -- माननीय नेता प्रतिपक्ष जी आप जानते हैं कि दूसरे सदन की चर्चा यहां नहीं होती है.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री प्रहलाद पटेल) -- अध्यक्ष महोदय, मेरा पाइंट ऑफ ऑर्डर है. मैं चाहता हूँ कि यह चीजें कार्यवाही से बाहर होनी चाहिए. विधान सभा की जो नियम प्रक्रिया है उसके 251 और 250 दोनों में स्पष्ट उल्लेख है कि किसी दूसरे सदन का या किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति का उल्लेख भी नहीं कर सकते हैं. उन्होंने दोनों बातें की हैं मेरी आपसे प्रार्थना है कि इसे कार्यवाही से बाहर किया जाना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय -- इसे कार्यवाही से बाहर किया जाए.
लोक निर्माण मंत्री (श्री राकेश सिंह) -- अध्यक्ष महोदय, मुझे बस इतना कहना है कि अभी-अभी यहां नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया. वस्तुस्थिति यह है, तमाम मीडिया में चल रहा है कि वहां पर जो नेता प्रतिपक्ष हैं उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के सांसद को धक्का दिया और वे चोटिल हुए. यह एक शर्मनाक बात है. बजाए इसके कि उस बात को स्वीकार करते हुए. उस पार्टी के नेता प्रतिपक्ष होने के नाते उस मामले में वे माफी मांगे, बल्कि वे आरोप लगा रहे हैं जो निंदनीय है. मैं इस बात से सहमत हूँ कि उनकी इस बात को कार्यवाही से विलोपित किया जाना चाहिए.
श्री बाला बच्चन -- (XXX)
अध्यक्ष महोदय -- बाला बच्चन जी, नेता प्रतिपक्ष के बोलने के बाद मुझे लगता है आपका बोलना उचित नहीं है और यह कार्यवाही के अनुरूप भी नहीं है, नियम प्रक्रिया के भी अनुरुप नहीं है.
3.22 बजे शासकीय विधि विषयक कार्य (क्रमश:)
मध्यप्रदेश नगरपालिक निगम (संशोधन) विधेयक, 2024 (क्रमांक 23 सन् 2024)
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूँ कि मध्यप्रदेश नगरपालिक निगम (संशोधन) विधेयक, 2024 पर विचार किया जाए.
अध्यक्ष महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
श्री अभय मिश्रा (सेमरिया) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश नगरपालिक अधिनियम 1956 की धारा 23 (क) में उपधारा.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, यह वर्ष 2024 वाला है यह नगर पालिका निगम का है.
श्री अभय मिश्रा -- मैंने नगरपालिक निगम ही बोला है. उपधारा (1) में संशोधन आया है यह केवल अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के लिए है. मुझे यह समझ में नहीं आ रहा है, हालांकि मोटे तौर पर आ रहा है. चूंकि आपको लगता है कि सभी जगह पर भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष हैं उनकी स्थितियां खराब हैं, उनके कार्य अच्छे नहीं हैं, उन पर अविश्वास की संभावना है इसलिए आप इसे दो तिहाई के स्थान पर तीन चौथाई रखना चाहते हैं. यह संभव न हो पाएगा. यह अच्छी नीयत से लाया गया प्रस्ताव नहीं है. इसमें आपने एक चूक कर दी है. यह जो प्रस्ताव आप लाए हैं यह Retrospective नहीं है. आप इसमें लिखना भूल गए हैं. आपने इसमें लिखा है-- (एक) प्रारंभिक पैरा में, शब्द "दो तिहाई" के स्थान पर शब्द "तीन चौथाई" स्थापित किए जाएं.
(दो) परन्तुक के खण्ड (एक) में, शब्द "दो" वर्ष के स्थान पर शब्द "तीन वर्ष "
स्थापित किए जाएं.
इसी तरह आपको तीसरा लिखना था इसका भूतकालिक प्रभाव हो. Retrospective effect आपको लिखना चाहिए. मैंने हाई कोर्ट से लेकर सभी बड़े वकीलों से पता कर लिया है. इस चूक की वजह से कानून के नैसर्गिक सिद्धांत के अनुरूप इसका इफेक्ट प्रास्पेक्टिव है. मतलब आज की दिनांक के बाद यह लागू होगा. इसका मतलब यह है कि जो अध्यक्ष, जिसका वर्तमान में कार्यकाल है उन पर लागू नहीं होगा. अब जो नए चुनाव होंगे. जो नए अध्यक्ष चुने जाएंगे उन पर लागू होगा. आपका बहुमत है. आप इसको पास कर लेंगे लेकिन यह उच्च न्यायालय में रिजेक्ट हो जाएगा. क्योंकि आपने इसमें मांगा ही नहीं है, आपको इसमें मांगना था. आपकी मंशा इससे पूर्ण नहीं हो रही है. धन्यवाद.
श्री फूलसिंह बरैया (भाण्डेर) -- अध्यक्ष महोदय, यह जो संसोधन विधेयक लाया गया है अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के बारे में, इसको ऐसे देख रहा हूं कि जो अध्यक्ष नगर पालिक निगम, नगर पालिका परिषद वह बहुत नजदीक रहते हैं, पब्लिक इन अध्यक्षों के इर्द गिर्द रहती है तो उनमें संबंध भी बिगड़ जाते हैं और संबंध जब उनके बीच में बिगड़ जाते हैं तो एक दूसरे दबाव से काम कराते हैं. आपने जो विधेयक आज लाया है इसमें अध्यक्ष और उपाध्यक्षों को आपने सख्ती दे दी है और जनता की सख्ती आपने काट दी है. अब जनता का उनके ऊपर कोई दबाव नहीं रह पायेगा और यही नहीं निर्वाचन के ठीक दो साल बाद उनके अविश्वास का प्रस्ताव आ सकता था, आपने 3 साल कर दिया, तो 3 के बाद तो सिर्फ चुनाव ही आने वाला होता है, लोगों का मन उधर चला जाता है. आपने यह पर्मानेंट कर दिया है. जनता का अधिकार काटकर अध्यक्षों को मजबूत किया है और ऐसा संशोधन विधेयक लोकतंत्र को भी कहीं न कहीं डैमेज करता है. आपने जनता के अधिकार काटे हैं. इसका मैं विरोध करता हूं. धन्यवाद.
श्री राजन मण्डलोई (बड़वानी) -- धन्यवाद अध्यक्ष महोदय, नगर पालिका, नगर निगम में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष के कार्यकाल के दो वर्ष के बजाय तीन वर्ष में उनके विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव आ सकता है, साथ में अविश्वास प्रस्ताव पास करने के लिये दो तिहाई की बजाय तीन चौथाई का प्रस्ताव आया है, जबसे नगर पालिका में यह चुनाव हो रहे हैं, वह अप्रत्यक्ष प्रणाली से हो रहा है, पार्षद अध्यक्ष चुनते हैं और अध्यक्ष की जो पीआईसी है, पहले परिषद को पूरे पावर होते थे, अब वह प्रशासकीय और वित्तीय स्वीकृति देने का अधिकार पीआईसी में निहित कर दिये हैं. पीआईसी में निहित करने से अध्यक्ष इतना पावरफुल हो गया है कि वह अध्यक्ष अपनी मनमर्जी से पीआईसी के सदस्य जब चाहे तब बदल सकता है, तो वह अपने स्वयं के तानाशाही निर्णय लेता है. ऐसी स्थिति में अध्यक्ष को और मजबूत और ताकत देंगे तो वह किसी की सुनेगा नहीं. जो निर्वाचित पार्षद हैं, उनका भी कोई महत्व नहीं रह जायेगा और जनता का भी अविश्वास प्रस्ताव लाने का उद्देश्य समाप्त हो जायेगा. इसलिये हम इस बिल का विरोध करते हैं. नगर पालिका अध्यक्ष को इतना सक्षम बनाया जा रहा है, क्योंकि सरकार का ऐसा सोचना है कि सभी अध्यक्ष अधिकतर उनकी पार्टी के हैं, चूंकि चुने भी इसीलिये हैं, जो पार्षद लोग थे उनके बाहुबल और धनबल के आधार पर ही अध्यक्ष बने हैं. आपके भाजपा के ही ज्यादा बने हैं, तो उनको ताकत देने के लिये यह संशोधन लाया जा रहा है. जो पुराना कानून था वह सही था. उसके हिसाब से पार्षदों को भी अपनी बात रखने का मौका मिलता था और यह जो पीआईसी में अधिकार निहित किये हैं उसको भी खत्म करना चाहिये. वित्तीय और प्रशासकीय स्वीकृति का अधिकार वापस परिषद को दिया जाना चाहिये.
श्री सोहनलाल बाल्मीक (परासिया) -- अध्यक्ष महोदय, नगर पालिक निगम का जो विधेयक यहां पर लाया गया है निश्चित रूप से मैं इसका विरोध करता हूं और जैसा हमारे साथियों ने कहा यह बात सही है कि जिस तरीके से विधेयक में जिस चीज का उल्लेख किया गया है उससे अध्यक्षों को ज्यादा समय मिल जायेगा अविश्वास प्रस्ताव के संबंध में, तो जनता का अधिकार निश्चित रूप से इसमें कम होगा और पीआईसी में इतने सारे अधिकार दे दिये गये हैं कि अध्यक्ष, परिषद की बैठक नहीं बुलाते हैं. जो उनको करना होता है पीआईसी में कर लेते हैं बाकी जो पार्षदों का मान सम्मान होता है या उनके कामों को रोक दिया जाता है. यह कहीं न कहीं उचित नहीं है. मेरा इस संबंध में और एक प्रस्ताव है, मैंने माननीय मंत्री जी को पत्र भी लिखा है कि दल बदल कानून का प्रस्ताव भी नगर पालिका के अंदर लाना चाहिये. नगर पालिका के अंदर अध्यक्ष, उपाध्यक्ष या पार्षद डी फॉर्म में राजनीतिक दल से चुनाव लड़ते हैं. दल बदल का इसमें कानून लागू नहीं होता है. आने वाले विधेयक में दल बदल कानून नगर पालिका में भी लागू किया जाए ताकि जिस तरीके से जो बदलाव तुरंत जाकर कर लेते हैं, इसमें कहीं न कहीं रोक लगेगी और खासतौर पर हमारे जितने भी मेयर हैं, नगर पालिका अध्यक्ष हैं, भारतीय जनता पार्टी उनसे जबरदस्ती दबाव बनाकर, उनको ब्लैकमेल करके, उनको कांग्रेस से हटाकर बीजेपी में परिवर्तित कर दिया गया है, तो इस तरीके की कार्यवाही में कहीं न कहीं रोक लगेगी. मेरा आपसे ऐसा निवेदन है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय (संसदीय कार्य मंत्री) -- अध्यक्ष महोदय, शायद माननीय सदस्यों ने इस बिल को ठीक तरीके से पढ़ा नहीं है. अध्यक्ष महोदय, यह नगर निगम के अध्यक्षों के लिये है.नगर निगम के अध्यक्षों के लिये है. महापौर तो सीधे चुने जाते हैं . अध्यक्ष जी, यह नगर निगम अध्यक्षों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आया है इसलिये इसको सदन में लाया गया है क्योंकि पहले तो नगर पंचायत, नगर पालिका सबमें डायरेक्ट चुनाव होते थे पर जब आप लोगों की सरकार थी, आप लोगों को डर था कि जनता हमें डायरेक्ट में हरा देगी आपने जोड़ तोड़ की राजनीति के कारण, प्रत्यक्ष प्रणाली के चुनाव को समाप्त कर दिया. यह वास्तव में संविधान के 73वी और74वीं धारा है जिसमें जनता के द्वारा जनता का प्रतिनिधि होना चाहिये, उस पर कुठाराघात था और इसलिये जब पार्षदों के चुनाव हुये, फिर उसमें से नगर पालिकाओं में अध्यक्ष चुने गये तो उसकी कथा मैं, बाद में सुनाऊंगा, अभी सिर्फ यह नगर निगम के अध्यक्ष का है क्योंकि अध्यक्ष को हटाने के लिये दो तिहाई बहुमत पार्षदों का होगा तो अध्यक्ष ठीक तरीके से काम करेगा, क्योंकि अध्यक्ष का काम सिर्फ परिषद् के संचालन का है, इसके अलावा और कुछ भी नहीं है, और यदि बार बार अध्यक्ष के खिलाफ में इस प्रकार का प्रस्ताव आयेगा तो परिषद् का संचालन ठीक तरीके से नहीं हो सकता है, और इसलिये जरूरी था कि नगर निगम के अध्यक्षों को भी पूरे पांच साल तक काम करने का मौका मिले और इसलिये इस प्रस्ताव को लाया गया है, यह महापौर या अध्यक्ष का नहीं है यह सिर्फ नगर निगम के अध्यक्ष का प्रस्ताव है.
अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से सदन के सभी सदस्यों से निवेदन करना चाहूंगा कि प्रजातंत्र का यह पहला स्तंभ है . आज सांसद से किसी आम जनता को काम नहीं पड़ता, विधायक से बहुत कम काम पड़ता है पर सुबह 6 बजे से रात को सोने तक पार्षद से काम पड़ता है.यदि आप सुबह उठे और पानी नहीं है तो आप पार्षद को (xx), आप घर से बाहर निकलें स्कूटर से और सड़क पर गढ्ढा आ जाये कहीं आप टकरा गये, तो आप किसको (xx). रात को अगर आप सो रहे हैं और मच्छर काटे तो मतदाता किसको (xx), अध्यक्ष महोदय, पार्षद सबसे महत्वपूर्ण इकाई है. प्रजातंत्र की सबसे छोटी है पर सबसे महत्वपूर्ण इकाई है क्योंकि हर व्यक्ति को पानी भी चाहिये, साफ सफाई भी चाहिये, अच्छी नींद भी चाहिये और इसलिये अध्यक्ष महोदय इन नगर पालिका, नगर निगम को सक्षम करना और इनके जनप्रतिनिधियों को अधिकार देना यह हमारी इच्छा है और इसलिये यह नगर निगम के अध्यक्षों के लिेये लाया गया प्रस्ताव है, मैं समझता हूं कि माननीय सदस्यों ने शायद इसको ठीक तरीके से पढ़ा नहीं था, उन्होंने नगर पालिका का जिक्र कर दिया. नगर पालिका का प्रस्ताव इस प्रस्ताव के बाद में आयेगा. तो मैं सदन से निवेदन करूंगा कि इस प्रस्ताव को सर्वानुमति से पारित किया जावे.
श्री अभय मिश्रा -- अध्यक्ष महोदय, यह बात तो इसमें उल्लेखित धारा में ही है इतना तो हम लोगों ने पढ़ लिया है लेकिन मैं यह जानना चाह रहा हूं कि इसको लागू कब से किया जायेगा, अभी से या आगे जो चुनकर के आयेंगे तब..
अध्यक्ष महोदय-- अभय मिश्रा जी, इस पर आप पहले बोल चुके हैं..
श्री अभय मिश्रा -- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी को क्लीयर तो करना होगा कि यह कब से लागू होगा..
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- अभय जी आपके राय बहादुर ठीक नहीं हैं, जो आपको राय देते हैं, देखिये यह अधिनियम जैसे ही पारित हो जायेगा, तो लागू हो जायेगा, पूरा सदन जब अनुमति दे देगा तो लागू हो जायेगा.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न यह है कि मध्य प्रदेश नगर पालिक निगम (संशोधन) विधेयक, 2024 पर विचार किया जाय.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
खण्ड -2 इस खण्ड में एक संशोधन है.
श्री हेमंत सत्यदेव कटारे (अटैर)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि खण्ड-2 में इस प्रकार का संशोधन किया जाये :-
(एक) प्रारंभिक पैरा में, शब्द ''दो-तिहाई'' के स्थान पर, ''तीन चौथाई'' का लोप किया जाय.
(दो) परन्तुक के खण्ड (एक) में शब्द ''दो वर्ष'' के स्थान पर, शब्द ''तीन वर्ष'' का लोप किया जाय.
अध्यक्ष महोदय— अभी कुछ बोलना है, संशोधन तो आ ही गया है, अब क्या बोलना है. चलिये बोलिये.
श्री
हेमंत
सत्यदेव
कटारे—अध्यक्ष
महोदय, मैं
उसका तर्क दे
दूं, मैं क्यों
संशोधन चाहता
हूं. मैं
संक्षिप्त
में ही कह
देता हूं, आप
बोलें, इससे
पहले मैं आपका
आदेश मान लेता
हूं. मैं यह
संशोधन लेकर
आये हैं, उसका
विरोध करता
हूं. मेरा
मानना है कि
लोकतांत्रिक
प्रक्रिया
में सबसे
मजबूत और
सशक्त तरीका
अविश्वास
प्रस्ताव है,
यदि आपको किसी
अध्यक्ष को जनता
के प्रति
उसका उत्तरदायित्व,
जिम्मेदारी
तय करना है तो.
वह जनता के प्रति
जिम्मेदारी
से काम करे.
यदि दो तिहाई
के स्थान पर
तीन चौथाई
बहुमत कर
दिया, एक
उदाहरण के तौर
पर जैसे अगर 15
मान लेते हैं, 15
पार्षद हैं, 15
पार्षद में
से दो तिहाई
केलकुलेशन
होता है 10. अगर 10
का ही हम लोग
मानकर चलें,
तो 5 लोग ही
बचते हैं.
अध्यक्ष को
हटा दें, तो
मात्र उसको 4
लोग चाहिये
रहते हैं,
अपने साथ करने
के लिये. यदि
उससे एक
संख्या भी
ज्यादा हो
जायेगी, तो यह
अविश्वास
प्रस्ताव
पारित नहीं
हो पायेगा. तो
पहले से ही जो
संख्या है, वह
इतनी ज्यादा
है कि वह
अध्यक्ष को
एक स्टेबल
स्थान पर
पहुंचाने के
लिये
पर्याप्त है,
परन्तु अब इसको
तीन चौथाई
करने का क्या
उद्देश्य है,
यह समझ नहीं आ
रहा है. मैं
समझता हूं कि
जनसंघ ने पुराने
आंदोलनों में
साथ दिया था.
जब जयप्रकाश
नारायण जी ने 1974
में आंदोलन
किये थे,
जिनका उल्लेख
है राइट टू
रिकॉल के
लिये और राइट
टू रिकॉल की
बहुत मांगें
उठी थीं उस
समय पर. बहुत
आंदोलन उठे
थे, उस समय पर
जनसंघ ने खुद
समर्थन किया
था. जब जन संघ
ने समर्थन किया
था, तो आज आप उस
विचारधारा का
कैसे विरोध कर
सकते हैं. यह
बात तब से आई
और राइट टू
रिकॉल को
मजबूत करने की
बात सुप्रीम
कोर्ट ने कई
बार कही.
लेकिन यह तो
सिर्फ
अध्यक्षों को
मजबूत कर रही
है. आप दो वर्ष की
जगह 3 वर्ष के
कार्यकाल को
ले जा रहे हैं,
अविश्वास
प्रस्ताव
लाने के लिये.
मुझे लगता है
कि यह एक
घबराई हुई सरकार
का कमजोर
निर्णय
प्रतीत हो रहा
है. जो सिर्फ
और सिर्फ
अध्यक्षों को
सहानुभूति दे
रहा है. यदि यह
निर्णय
पारिता होता
है, तो अध्यक्ष
खुलकर
भ्रष्टाचार
करेंगे, फिर
उनको मालूम है
कि कोई माई का
लाल उन्हें
नहीं हटा
पायेगा. दूसरी
बात, जैसा
आदरणीय कैलाश
विजयवर्गीय
जी ने कहा कि
यदि कोई भी
छोटी सी जन
समस्या होगी,
निश्चित ही यह
बात सही है कि
पार्षद के घर
पर जनता
जायेगी. लेकिन
फिर उन्होंने
पूछा कि उनको
कौन (xx)
बकेगा,पहले
उन्होंने कहा
कि आप (xx) बकेंगे.
फिर उन्होंने
बोला कि जो
दूसरा आयेगा,
फिर वह भी (xx) बकेगा.
तो पार्षद
विकास करने के
लिये चुना गया
है कि जो घर
आये, (xx)
बकेगा,
यह कृपया
स्पष्ट करे,
क्योंकि मुझे
लगता है कि यह
भाषा, पार्षद
जहां जा रहा
है या लोग घर
उसके जा रहे
हैं, (xx)
बकेंगे. हम
अगर, मैं अपनी
बात कर रहा
हूं, मुझे जो
संस्कार मिले
हैं, अगर मुझे
किसी पार्षद
से कोई समस्या
होगी, तो मैं
घर जाऊंगा,
लेकिन (xx) नहीं
बकूंगा. मैं
उनसे आग्रह
करुंगा कि
माननीय
पार्षद जी यह
मेरा काम है,
यदि आप
स्वीकृत करें
या मदद कर
सकते होंगे, (xx)
तो नहीं
बकूंगा.
अध्यक्ष जी,
मुझे मालूम
है कि आप भी
नहीं बकेंगे,
तो आपको भी इस
चीज को हटाना
चाहिये
रिकार्ड से.
अध्यक्ष महोदय—इस शब्द को विलोपित किया जाये.
श्री हेमंत सत्यदेव कटारे—अध्यक्ष महोदय, मैं अपनी बात को सिर्फ इतना ही कहकर समाप्त कर रहा हूं इस पूरे संशोधन पर एक बार पुनर्विचार करना चाहिये. यह हमारी जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया है, जिनका बाबा साहब का चित्र पीछे, जिनको हम लोग सदैव प्रणाम करते हैं, उनके आदर्शों के खिलाफ है यह निर्णय, हम इस संशोधन का विरोध करते हैं और मैं चाहता हूं कि जैसी स्थिति थी पहले यथावत् स्थिति रखी जाये. बहुत बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय— मंत्री जी कुछ कहना चाहेंगे.
श्री कैलाश विजयवर्गीय—अध्यक्ष महोदय, मैं इतना सा कहना चाहता हूं कि जो नगर निगम का एक्ट है, 1956 का. उसमें नगर निगम के अध्यक्ष को कोई प्रशासनिक पावर ही नहीं है. वह सिर्फ परिषद् का संचालन करता है. वह कहां से भ्रष्टाचार करेगा. पहले आप समझिये तो सही नगर निगम के अध्यक्ष की भूमिका क्या है. (श्री अभय कुमार मिश्रा, सदस्य के खड़े होने पर) अब आप हमको रास्ता दिखा देना, हम आपकी क्लास लगवा देंगे. मैं नगर निगम में महापौर भी रहा.
श्री अभय कुमार मिश्रा—आप बोलने भी नहीं देंगे.
श्री कैलाश विजयवर्गीय—अध्यक्ष महोदय, आप जब बोले, मैं तो नहीं खड़ा हुआ ना. अभी बीच में पता नहीं कोई स्प्रिंग लगा रखी है आपने. कभी भी खड़े हो जाते हैं आप.
श्री अभय कुमार मिश्रा— हम ऐसे ही नहीं बोलते हैं, पर अगर हम क्वालिटी की बात नहीं लायेंगे, तो कैसे होगा.
अध्यक्ष महोदय— अभय जी, आप कृपया बैठ जाइये.
श्री कैलाश विजयवर्गीय—अध्यक्ष महोदय, मैं यह कह रहा हूं कि मैं चाहता हूं कि इसमें सर्वानुमति हो जाये तो बहुत अच्छा है, क्योंकि हम एक जन प्रतिनिधि को प्रोटेक्ट कर रहे हैं और वह ठीक तरीके से काम कर सके. उसको काम करने का अवसर दे रहे हैं. इसमें इतनी ही हमारी बिलकुल साफ नीयत है. मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश नगरपालिक निगम (संशोधन) विधेयक,2024 पारित किया जाये.
3.40 बजे
3.41 बजे
5. मध्यप्रदेश नगरपालिका (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2024(क्रमांक 24 सन् 2024)
मेरे पास चर्चा के लिये कोई नाम नहीं हैं. माननीय मंत्री जी कुछ कहना चाहते हैं क्या ?
श्री कैलाश विजयवर्गीय- अध्यक्ष महोदय, मैं इतना ही निवेदन करना चाहता हूं कि प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव हो, जिससे जनता अपने सही प्रतिनिधि चुन सके और 2022 में (मेजों की थपथपाहट) अप्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव हुए और चुनाव के बाद, जिस तरीके से नगरपालिका के अध्यक्ष बने हैं, सारा सदन जानता होगा कि किस प्रकार बने हैं. इसलिये बहुत जरूरी है कि यह प्रत्यक्ष प्रणाली से हो और इसीलिये हमारी मान्यता है कि प्रजातंत्र तभी मजबूत होगा, जब प्रत्यक्ष प्रणाली से हमारा जनप्रतिनिधि चुनकर जाये.
अध्यक्ष महोदय- यह नगरपालिका अध्यक्ष को, जब बन जाते हैं उसके बाद, पहले प्रावधान यह था कि दो साल में दो तिहाई बहुमत से उनके खिलाफ अविश्वास का प्रस्ताव आ सकता था और इसलिये अध्यक्षों का एक प्रतिनिधिमण्डल माननीय मुख्यमंत्री जी से भी मिला था और मुझसे भी मिला था, उन्होंने कहा कि हमें इस संकट से बचायें, क्योंकि हम बहुत दबाव में होकर काम करते हैं. एक चुने हुए जनप्रतिनिधि को स्वतंत्र काम करने का अधिकार मिलना चाहिये, दबाव नहीं होना चाहिये. चाहे पार्षद का हो या किसी का भी हो. पार्षदों के दल संगठित होकर अध्यक्ष को स्वतंत्र रूप से काम करने से रोकते थे और इसलिये यह प्रस्ताव लाया गया है कि अब यदि अध्यक्ष के खिलाफ दो तिहाई बहुमत की जगह तीन चौथाई पार्षदों का चाहिये और दो साल की जगह तीन साल का समय, समय ठठतीन साल के बाद ही आ सकता है.
मैं समझता हूं कि इससे हमारी जो छोटी इकाई है नगरपालिका, उसके अध्यक्ष स्वतंत्र रूप से काम कर सकेंगे, बिना दबाव के काम कर सकेंगे और अपने क्षेत्र में विकास कर सकेंगे और इसलिये प्रस्ताव लाया गया है. मैं सदन के सभी माननीय सदस्यों से निवेदन करूंगा कि प्रजातंत्र को मजबूत करने के लिये और हमारे पहली सीढ़ी के जनप्रतिनिधि को स्वतंत्र रूप से काम करने का अधिकार देने के लिये, आप सब इस प्रस्ताव का समर्थन करें.
श्री अभय कुमार मिश्रा - अध्यक्ष महोदय, मैं अनुमति चाहता हूं. थोड़ा बोलने दीजिए.
अध्यक्ष महोदय - प्लीज, मंत्री जी का जवाब हो गया है. अभय जी, प्लीज, मर्यादाओं का ख्याल रखें.
3.49 बजे मध्यप्रदेश जन विश्वास (उपबंधों का संशोधन) विधेयक, 2024
(क्रमांक 25 सन् 2024)
श्री ओमकार सिंह मरकाम (डिण्डौरी) - अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश की विधान सभा में प्रदेश हित में हम विधायकों को सबसे बड़ा अधिकार है तो वह है नियम और कानून बनाने का और यह जो जन विश्वास संशोधन विधेयक है. मेरा ऐसा मानना है कि विभिन्न कानूनी पहलुओं को ध्यान में रखकर अधिकारियों ने इसको तैयार किया है और पहले जो मंत्री जी प्रस्तुत करने वाले थे, उसकी जगह में माननीय संसदीय कार्यमंत्री जी प्रस्तुत कर रहे हैं. क्या बारिकी से अध्ययन किये हैं? जन विश्वास एक शब्द ऐसा है, अगर हम कहीं भी बोलेंगे तो लोगों का सीधा जुड़ाव होने लगता है जनता का विश्वास. आपका जो इसमें मध्यप्रदेश विद्युत शुल्क अधिनियम 2012 है इसमें आपने 5000 रुपये तक दंडित करने के लिए जो प्रावधान किया है, इसमें क्या आपने इसकी बारिकी देखी है कि किस तरह के लोगों के ऊपर आप दंडित करेंगे? किसके पास अधिकार होगा? क्या उसकी प्रक्रिया होगी, क्या हमारे गुणदोषों के आधार पर हमारे देश के जनमानस की वास्तविक जो परिस्थितियां हैं उसको आंकलन करके आपने उसमें क्या किया है?
अध्यक्ष महोदय, एकदम से यह सीधा पैसा को बढ़ाने के लिए आपने संशोधन लाने का काम किया है. एक तरफ आप बात करते हैं कि गरीबों की हम मदद करेंगे. दूसरी तरफ आप ऐसा कानून लाते हैं , जिसमें नेताओं का सबसे बड़ा जन विश्वास का एक प्रमाण होता है कि अधिकारी उनको तंग करते हैं और नेता उनको न्याय दिला दे. इसी पर विश्वास तय होता है और आज यह राशि बढ़ाने का काम है. कहीं न कहीं माननीय मंत्री जी मेरे ख्याल से श्री कैलाश विजयवर्गीय जी, पहले आप कभी ऊर्जा मंत्री थे कि नहीं थे, मुझे तो ध्यान नहीं है. आप इसको थोड़ा समझ तो लें दादा कि इसमें आप करना क्या चाह रहे हैं? दूसरी बात यह है कि असंगठित कर्मकार कल्याण अधिनियम 2003 में आप जो संशोधन ला रहे हैं आपने सोचा ही नहीं. एक तरफ तो आप असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, जो संगठित नहीं हैं. आप अगर इसमें यह संशोधन लाते कि संगठित क्षेत्र के मजदूरों के हित का कोई पालन नहीं किया गया है, उसके लिए अगर आप करते, तो पूरा सदन आपको और पूरी जनता भी कहती कि असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए आपने प्रयास किया. वहां पर भी आपने नहीं दिया.
अध्यक्ष महोदय, तीसरी बात यह है कि मध्यप्रदेश सहकारी सोसायटी अधिनियम 1960 है. सहकारिता के क्षेत्र में जिस तरह से वर्तमान समय में जो दृष्य आ रहा है उसमें सहकारिता के क्षेत्र से जुडे़ हुए विभिन्न संस्थाओं पर अभी धान खरीदी के जिस तरह के हालात बने हैं और जिस तरह से सहकारिता के क्षेत्र में निजी क्षेत्र में कार्य करते हैं उनके लिए जो परिस्थितियां निर्मित हो रही हैं, उस पर आपने कुछ भी नहीं किया है. पता नहीं कोई अधिकारी होंगे, जिनका सहकारिता क्षेत्र में उनका कोई झुकाव होगा. आप समझ तो गए होंगे कि मंत्री ज्यादा पढे़गें नहीं, हम लोग जो लिखेंगे, उसको बोल देंगे. मैं भी मंत्री था. तब यह कहा जाता था कि मंत्री तो केवल दस्तखत करते हैं लेकिन असल में तो हम ही अंदर काम करते हैं. ऐसा भी कहते थे. तब मैंने उस समय मुख्यमंत्री जी से कहा था कि गांधी जी की फोटो हटाकर इनकी फोटो लगा दूं, तो शायद हमारा काम होने लगे. मैं उस समय निश्चित रूप से कहा था क्योंकि मुझे सही काम करना है.
अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश औद्योगिक अधिनियम 1907 है. आपके पास यह इतनी बड़ी पुस्तक तो आ गई. मेरा यह अनुरोध था कि इसको तीन दिन पहले ही सभी सदस्यों को दिया जाना चाहिए था, जिससे बहुत से सदस्य इस पर बोलते. पता ही नहीं चला, कि इसमें क्या आ रहा है. मैंने इसे ढूंढकर निकाला. यह इतनी बड़ी पुस्तक है. अब इसमें मध्यप्रदेश नगर पालिक अधिनियम 1959 है. नाली बनाने के लिए है. इसमें बात यह आ रही है कि सीधे-सीधे 500 के स्थान पर 5000 अधिरोपित करने का अधिकार आप दे रहे हैं. माननीय संसदीय कार्यमंत्री जी, आपको भी परेशानी होगी. इसमें आपके इंदौर का ही ज्यादा है. लोग आएंगे, फिर अधिकारी परेशान करेंगे. खैर, अभी आप मंत्री हैं तो आपकी बात सुनी जायेगी और बाकियों का क्या हाल होगा. बाकियों की क्या स्थिति होगी.
अध्यक्ष महोदय, कोई सरकारी काम नहीं कर पा रहा है. प्राइवेट लोगों ने चंदा करके काम कर लिया. अब उसकी अनुमति के लिए आपने उनको बाध्य कर दिया. निजी क्षेत्र में जो हमारे लोग जनसहयोग से काम कर रहे हैं, अब जब वे अनुमति लेने के लिए जाएंगे, तो सबको पता है कि एक तकनीकी स्वीकृति के लिए हम विधायक जैसे 20 बार पत्र लिखते हैं और मुझे पता है, मंत्री जी भी बोलते हैं कि यह प्राक्कलन ले आओ तो कहते हैं साहब अभी रूको, हमारे पीडब्ल्यूडी मिनिस्टर मुस्कुरा रहे हैं तंग रहते हैं कि सही समय पर एस्टीमेट नहीं आ पाता. इसके निदान के लिए आप लोग प्राइवेट कॉन्ट्रेक्ट में लाते हैं तब जाकर के वे डीपीआर बनाते हैं. कंसल्टेंट स्थापित रहता है. अब इसको दीवार में लेखन और पेंटिंग में आप फिर 500 को 5000 कर रहे हैं. अब चुनाव में आप का ही कोई कार्यकर्ता गया, उस समय एक तो निर्वाचन का नियम तो चलता ही है. आप का ही कार्यकर्ता गया, वह लिखकर आ गया. अब कार्यकर्ता तो सीधे-साधे हैं. उनको तो अपने नेताओं का प्रचार करना है. लिखकर आ गए, पर वहां भी यह जो लेखन और पेंटिंग है इसमें भी 500 को 5000 बढ़ा रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय, यहां मकान निर्माण के लिए एक गरीब आदमी की बात कर रहा हॅूं. मुझे इस बात का अहसास है कि जिस शहर में जाओ, बहुत लोग हैं जो जन्म लेते हैं, तरस जाते हैं उनको एक व्यवस्थित जमीन कोई नहीं बताता. वह कहीं यहां मकान बनाएंगे, कोई वहां मकान बनाएंगे. योजनाएं तो बहुत हैं. पर धरातल में सच्चाई भी, आज हम भोपाल में देख लें आप गांधी नगर में चले जायें वहां के हालात आपको अलग मिलेंगे. आप जाकर के किसी भी क्षेत्र में चले जायें इसमें जो मकान बनाने के लिये जो व्यवस्थाएं हैं. जब कोई कॉलोनी बनाते हैं उनकी रजिस्ट्री हो जाती है. पर निर्माण माननीय नगरीय प्रशासन मंत्री जी आप खुद ही देख लें क्या हालात होते हैं. अब उसमें आप संशोधन ला रहे हैं कि कहां पर नियमानुसार निर्माण होना चाहिये ? क्या प्रक्रिया होनी चाहिये. गरीब आदमी की जमीन की कोई सुरक्षा नहीं है. गरीब आदमी आज भी हम महसूस करते हैं कि राजनीतिक परिदृश्य यहां पर ऐसा हो गया है कि सही चीज को भी हमारे लोग बोलने में झिझकते हैं. सत्तापक्ष के साथी के मन में तो रहता है कि हम मदद करें. पर सही बात यहां पर नहीं आ पाती.
श्री प्रहलाद पटेल—आप अधिनियम पर तो बोल ही नहीं रहे हो. कुछ का कुछ बोल रहे हो.
श्री ओमकार सिंह मरकाम—अध्यक्ष महोदय, मैं अधिनियम में बता रहा हूं माननीय पटेल साहब यह नगर पालिका का है. इसमें आपने संशोधन में प्रावधान किये हैं सीधे पांच सौ को पांच हजार मतलब इनकम टेक्स माननीय पटेल साहब यह एक में नहीं है सभी में है. मैं अधिनियम की बात कर रहा हूं. हमारी सरकार बड़ी ही पीठ थपथपा रही थी हिन्दी-हिन्दी-हिन्दी अब इसमें लिखा है कि is of living is of doing बड़े बड़े नेतागिरी के लिये हिन्दी हिन्दी फिर इसमें is of living is of doing अभी भी आप निकल नहीं पा रहे हो फंसे हो अधिकारियों की अंग्रेजी में इससे आप निकलो. इसकी सीधी शब्दावली है जन-विश्वास कैसे विश्वास करेंगे लोग अब ऐसा है कि सरकार के लिये एक कहावत है “जबरा मारे रोवन ना दे”. गांव के लोग कहते हैं कि क्या करें साहब सरकार है. मेरा यह कहना है कि इसमें जन चर्चा करवा लीजिये शहरों में, विद्युत के लिये गांवों में तथा सभी विधायकों से फीड बेक ले लीजिये. सत्तापक्ष के विधायकों एवं विपक्ष के विधायकों को इसको पढ़ने का तो अवसर दे दीजिये. बहुत मोटा अधिनियम है. मैं तो कहूंगा कहूंगा कि आप ही पढ़ोगे. मैं इसमें एक शर्त को रखता हूं अगर आप अनुमति दे दें तो एक घंटे के अंदर सबको समझ में आये ऐसा ही मंत्री जी इसको पढ़ दे तब पारित कर लो जरा. आप खुद ही पढ़ लो फिर पारित कर लो इसलिये मेरा अनुरोध है कि कृपया कर इस संशोधन विधेयक सभी सदस्यों को एक बार दिया जाये उसका अध्ययन कराया जाये उसके विधायकों को लगे कि हमें इस विषय में जानकारी है. हमने इस बात को रखा, यह किया जाये. आपके उदाहरण तो जबरदस्त हैं. दिल्ली में थे तो आप हिला देते थे. यहां पर कैसे कमजोर पड़ रहे हो थोड़ा.
अध्यक्ष महोदय—कृपया आप समाप्त करें.
श्री कैलाश विजयवर्गीय—हिलाने की कोशिश वहां से कर रहे हैं, लेकिन आप हैं कि हिल ही नहीं रहे हैं.
श्री ओमकार सिंह मरकाम—अध्यक्ष महोदय,माननीय कैलाश जी, पटेल साहब, माननीय राकेश सिंह जी बड़े ही धुरंधर हैं दिल्ली वाले हमें इसकी उम्मीद थी, लेकिन क्या करें आप भी यहां पर दब जाते हैं क्या करें हम जायें कहां पर बड़ी मुसीबत है. तो मेरा अनुरोध है कि सरकार को सही लाईन में लायें. हमारे जबलपुर वाले आपकी विद्वता पर हमें कोई शक नहीं है. पर लोग आपको बहुत टार्चर कर रहे हैं. बजट नहीं दे रहे हैं, काम नहीं करने दे रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय—कृपया आप बैठ जाएं.
श्री राकेश सिंह—अभी आपको उसी बजट से दिया है.
श्री ओमकार सिंह मरकाम—अध्यक्ष महोदय, माननीय राकेश सिंह जी आप डरो नहीं हम हैं भाई. मेरा अनुरोध है कि इसको अगल सत्र में लायें ताकि अध्ययन करने की अनुमति मिल जाये.आपने समय दिया धन्यवाद.
श्रीमती रीती पाठक(सीधी) -- अध्यक्ष महोदय, मैं हृदय से आपका धन्यवाद करती हूं कि आपने मुझे आज मध्यप्रदेश जन विश्वास विधेयक पर बोलने का अवसर दिया है, यह विधेयक जो उपबंधों के संशोधन का विधेयक है. अध्यक्ष महोदय, कुछ कहने से पहले मैं कहना चाहती हूं कि यह मेरे लिये सौभाग्य का विषय है, यह विधेयक जब आदरणीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी जी ने सदन में लोकसभा में रखा था, तो सदन के सदस्य के रूप में मुझे साक्षी बनने का अवसर मिला था, उस समय यह विधेयक रखा गया था और आज भी मेरे लिये सौभाग्य का विषय है कि मध्यप्रदेश सरकार के द्वारा माननीय मंत्री जी के माध्यम से इस विधेयक को संशोधन के लिये जो आज सदन में पेश किया जा रहा है, उस पर भी मुझे बोलने का अवसर मिल रहा है.
अध्यक्ष महोदय, सबका साथ और सबका विश्वास यह प्रेरणा है, देश को चलाने के लिये और मध्यप्रदेश को चलाने के लिये और इसी विश्वास के साथ आज यह जन विश्वास का विधेयक इस सदन में लेकर हम लोग आये हैं. अध्यक्ष महोदय, इस विधेयक में पांच विभागों को शामिल किया गया है. जिनमें आठ प्रमुख अधिनियमों के 64 उपबंधों का संशोधन का प्रस्ताव हैं, वह पांच विभाग नगरीय विकास एवं आवास विभाग है, श्रम विभाग है, ऊर्जा विभाग है, सहकारिता विभाग है, औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग है.
अध्यक्ष महोदय अगर मैं अपनी बातों को कहूं तो बहुत सारे वक्ता हैं और आपने मुझे बोलने का समय दिया है, अगर मैं कम शब्दों में कहूं तो मैं ऊर्जा विभाग के लिये अपनी बात को यहां पर कहना चाहती हूं. अभी हमारे सदन के सदस्य यह कह रहे थे कि ''ईज ऑफ डूईंग और ईज ऑफ लिविंग'' की बात कर रहे थे, तो इस बात को हम सबको समझना भी पड़ेगा कि यही एक लाईन है, जिसने बिजनेस को बहुत आसान कर दिया है, लोगों के विश्वास को बहुत आसान किया है, सरकार के प्रति विश्वास करने के लिये आसान किया है और जनता आत्मनिर्भर हुई है और यह देश भी आत्मनिर्भरता की ओर आगे बढ़ रहा है और इसी के तहत जब आदरणीय प्रधानमंत्री जी कोई भी विधेयक, कोई भी योजना इस देश के लागू करते हैं, तो सबसे बड़े गौरव की बात यह है कि मध्यप्रदेश उसमें अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और मध्यप्रदेश की सरकार उसमें महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है और उस योजना को या उस कार्य को क्रियान्वित करने के लिये और सफल बनाने के लिये जो जनता के हित के लिये साबित हो सके और आज भारत सरकार ने जन विश्वास अधिनियम 2023 को लागू किया था और जिसके माध्यम से विभिन्न केंद्रीय कानूनों में व्यापक सुधार किये गये और विश्वास आधारित शासन को बढ़ावा दिया गया है और इस पहल से प्रेरित होकर हमारी सरकार औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग के माध्यम से मध्यप्रदेश जन विश्वास उपबंधों में संशोधन वाला विधेयक लेकर आज यहां पर आई है.
अध्यक्ष महोदय, यह विधेयक मध्यप्रदेश को आर्थिक विकास, निवेश के आकर्षण को बढ़ावा देने के लिये एक क्रांतिकारी कदम साबित होगा. राज्य के कुल आठ अधिनियमों में जैसा कि मैंने पहले भी बताया है 64 प्रावधानों का संशोधन इस विधेयक में किया गया है, लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि जिसमें गौण अपराधों का गैर अपराधिकरण इसमें सुनिश्चित किया गया है.
अध्यक्ष महोदय, ऊर्जा विभाग के द्वारा जो पेनाल्टी की प्रक्रिया थी, विद्युत शुल्क अधिनियम अगर हम 2012 की धारा 11 की बात करें तो वर्तमान में शास्ति को जब वह जुर्माने में 5 हजार रूपये का होता था, जिसकी चर्चा मरकाम जी कर रहे थे, उसके स्थान पर 5 हजार रूपये की शास्ति अधिरोपित की जायेगी, उसकी प्रक्रिया को दूसरी तरह से यहां पर किया गया है और मुझे लगता है कि यह एक विशेष पहल है, इस विधेयक को प्रस्तुत करने के लिये जो आवश्यक भी था, उक्त धारा के अंतर्गत फ्रेंचाइजी उत्पादक, केपटिप उत्पादक संयत्र, उत्पादन कंपनी द्वारा उपभोक्ताओं के लेखाओं तथा अभिलेखों को रखने में असफल होने तथा उपभोक्ता द्वारा किसी विरक्षक को इस अधिनियम या इसके अधीन बनाये गये नियमों के अधीन उसके कर्तव्यों का पालन करने या शक्तियों का प्रयोग करने में अगर कोई बाधा पहुंचाने का काम किया जायेगा अध्यक्ष महोदय तो इसमें दण्ड का प्रावधान भी है, यह भी एक बड़ा बदलाव है इसके लिये मैं हृदय से धन्यवाद देती हूं हमारे मुख्यमंत्री जी को और आदरणीय मंत्री जी को जिन्होंने इस विधेयक को यहां पर प्रस्तुत किया है. प्रस्तावित संशोधन में अध्यक्ष महोदय व्यापार अनुकूल वातावरण को बढ़ावा देने का प्रावधान यहां पर किया गया है और अगर हम कानूनी विवादों से छुटकारे की बात करें तो ऐसे बहुत सारे विषय ऐसे लगातार आते ही रहते हैं लेकिन इस विधेयक को लाने का प्रमुख उद्देश्य यह है कि कानूनी विवादों से जो छोटे-छोटे विवाद हैं उनसे हमको छुटकारा मिलेगा और इसमें संशोधन के अनुसार जुर्माना विभाग द्वारा संचालित किया जा सकेगा और अदालत जाने की जिसमें आवश्यकता नहीं रहेगी और मुझे लगता है कि आम जनता के लिये सामान्य जनमानस के लिये इससे अच्छी बात और क्या हो सकती है और इससे व्यापारी और अन्य संबंधित पक्षों को समय और संसाधनों की बचत भी होगी और सरल प्रशासनिक व्यवस्था इसमें सुनिश्चित की गई है और यह संशोधन प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सरल भी बनायेगा और यही हमारा मुख्य उद्देश्य है, इस विधेयक को पास करने के लिये, इस विधेयक को रखने के लिये. इसलिये मैं इस विधेयक के पक्ष में आज अपनी बातों को रखी हूं. बहुत धन्यवाद.
डॉ. हिरालाल अलावा (मनावर)-- आदरणीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे मध्यप्रदेश जनविश्वास (उपबंधों का संशोधन) विधेयक, 2024 पर बोलने के लिये समय दिया, मैं धन्यवाद प्रकट करता हूं. माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे पूरा विश्वास है कि जिस प्रकार इस विधेयक का नाम ही विश्वास है तो आप भी मेरे ऊपर थोड़ा विश्वास रखें क्योंकि मैं जो बातें इस विधेयक के नाम से बोलना चाह रहा हूं वह प्रदेश के हित में हैं और देश के हित में हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि इस विधेयक का उद्देश्य ईज ऑफ लिविंग और डूइंग बिजनेस के लिये एक विश्वास आधारित शासन को बढ़वा देना, इस लोकतांत्रिक व्यवस्था को बढ़ावा देना और इस संविधान के प्रति आमजन और हम सबका विश्वास बढ़ाना इसका उद्देश्य है. माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि 5 प्रमुख विभागों में संशोधन लाया गया है जिसमें मध्यप्रदेश विद्युत शुल्क अधिनियम 2012, मध्यप्रदेश असंगठित कर्मकार कल्याण अधिनियम 2003, मध्यप्रदेश सहकारी सोसायटी अधिनियम 1960, मध्यप्रदेश औद्योगिक संबंध 1960 और मध्यप्रदेश नगर पालिका निगम अधिनियम 1956. माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि मैं देख रहा हूं इस सदन के अंदर कोई भी विधेयक आता है और इन विधेयकों में समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े वर्ग के लिये भारत के संविधान में जो विशेष सुरक्षा कवच दिया गया उन क्षेत्रों का, उन कोचों का, उन अधिकारों का यहां पर कहीं जिक्र नहीं रहता है. जैसा कि इसमें आपके इस शासन के माध्यम से जिक्र कर दिया गया है कि इन विधेयक संशोधनों के माध्यम से वर्तमान विद्यमान प्रथा रूढि़ एवं विशेष अधिकार इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. माननीय अध्यक्ष महोदय, अगर इन्हीं शब्दों की बजाय जिन्होंने भी यह संशोधन विधेयक तैयार किया है इसमे रूढ़ी प्रथा और विशेष अधिकार की बात की गई, इसमें रूढि़ प्रथा की इस बजाय संविधान के आर्टिकल 13(3) की रूढि़प्रथा इसमें आदिवासियों को विशेष अधिकार मिला है इसका जिक्र होना चाहिये था क्योंकि आदिवासी समाज रूढि़ और प्रथाओं से संचालित होने वाला समाज है, इसमें विशेष अधिकार का जिक्र किया गया था. शेड्यूल 5 शेड्यूल एरिया इस विधेयक के माध्यम से शेड्यूल एरिये में वहां रहने वाले लाखों करोड़ों आदिवासियों को कोई फर्क नहीं पड़ेगा, इसका इस विधेयक में जिक्र होना चाहिये था. माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि इस विधेयक के माध्यम से जनता का विश्वास शासन के प्रति बढ़ाने के लिये यह विधेयक लाया गया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, आज मध्यप्रदेश में विकसित भारत इस अमृतकाल में विकसित भारत के लिये पूरे देश में हम 5 ट्रिलियन इकोनॉमी तक ले जाने की बात कर रहे हैं. लेकिन माननीय अध्यक्ष महोदय,इसी विकसित भारत,2047 के लिये मध्यप्रदेश के 2 हजार आदिवासी गांवों को विभिन्न सरकारी परियोजना के नाम पर उजाड़ने की भी तैयारी चल रही है. संसद में कानून बना,पैसा आया, पैसे के नियम 2022 में सरकार ने बनाए लेकिन आज भी ग्राम सभाओं की अनुमति के बिना आदिवासियों की जमीन जबरन ली जा रही है जब आदिवासियों की जमीन उनसे जबरन छीनी जायेगी तो कैसे आदिवासियों का विश्वास इस लोकतंत्र के प्रति,इस सरकार के प्रति आयेगा.हम चाहते हैं कि प्रदेश का विकास हो, प्रदेश में उद्योग बढ़ें. विकसित भारत बने लेकिन कम से कम आदिवासियों की कब्र खोदकर तो यह विकास न हो. जिन-जिन गांवों का व्यव्स्थापन होने जा रहा है. इस विधेयक का प्रमुख उद्देश्य यह है कि निवेश और उद्योग को बढ़ावा देना. हमारे धार,झाबुआ,बड़वानी में वेनेडियम खोदने के नाम पर,ग्रेफाईट खोदने के नाम पर,डोलामाईट के नाम पर 70 से 80 गांवों को उजाड़ा जा रहा है. अभी सिंगरौली,सीधी में सोना खनन के नाम पर कम से कम 50 गांवों को उजाड़ा जा रहा है. मण्डला,डिण्डौरी,सीधी में विभिन्न बांध परियोजाओं के नाम पर 100 से 150 गांवों को उजाड़ा जा रहा है. हाल ही में प्रधानमंत्री जी ने कई राष्ट्रीय टाईगर रिजर्वों की घोषणा की. कम से कम 500 आदिवासी गांव उजड़ रहे हैं इन टाईगर रिजर्वों के नाम पर तो मेरा आपके माध्यम से मैं पूछना चाहता हूं कि क्या विकास के लिये क्या इन आदिवासियों को,इन गांवों को खत्म करना जरूरी है. एक उदाहरण मैं बताना चाहता हूं अगर आदिवासियों को खत्म करोगे, उनको उजाड़ोगे तो कोई भी नहीं बचेगा इस बात की भी गारंटी देना चाहता हूं. बड़े पैमाने पर आदिवासियों को उजाड़ा जा रहा है और अनुसूचित क्षेत्रों में न तो पांचवीं अनुसूची का अनुपालन किया जा रहा है न छठवीं अनुसूची का अनुपालन किया जा रहा है. जनता का विश्वास,आदिवासियों का विश्वास और प्रदेश के हर गरीब का विश्वास इस सरकार के प्रति तभी बढ़ेगा जब यह सरकार गरीब की सुनेगी,किसान की सुनेगी,मजदूरों की सुनेगी,बेरोजगारों की सुनेगी,युवाओं की सुनेगी. आज जब विश्वास की बात हुई तो यह भी बता दूं कि अभी इन्दौर में पीएससी परीक्षा के लिए हमारे हजारों बेरोजगार युवा ठंड में आंदोलन कर रहे हैं कि 2019 की मुख्य परीक्षा की कापी दिखाई जाए और मार्कशीट जारी की जाए. एम.पी.,पीएससी 2025 में राज्य सेवा में 700 और वन सेवा में 100 पदों का नोटिफिकेशन जारी हो. 2023 राज्य मुख्य परीक्षा का परिणाम जारी किया जाए और 87/13 फार्मूला खत्म करके सभी परिणाम 100 प्रतिशत जारी किये जायें. जन विश्वास की बात जब आती है तो हमारे विधान सभा के हमारे विधायक साथी कमलेश्वर डोडियार को एक डाक्टर खुले आम गाली देता है. डाक्टर के ऊपर आज दिनांक तक कोई कार्यवाही नहीं हुई लेकिन हमारे विधायक साथी के ऊपर गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया गया. जेल में 3 दिन तक डाला गया लेकिन गाली देने वाला गालीबाज डाक्टर आज भी आजादी से घूम रहा है जब एक विधायक अपने को इस राज्य में सुरक्षित नहीं कर पा रहा है तो जनता का विश्वास इस सरकार के प्रति,इस लोकतंत्र के प्रति कैसे बढ़ेगा. सरकार युवाओं की सुने,बेरोजगारों की सुने और खासकर पिछड़े इलाकों में रहने वाले आदिवासियों का विशेष ध्यान रखे. यह जो व्यवस्थापन बड़े पैमाने पर हो रहा है तो व्यवस्थापन के लिये सरकार पहले पुनर्वास नीति बनाए. व्यवस्थापन के लिये मुआवजा निर्धारित करे सरकार.व्यवस्थापन के लिये कानून बने उसके बाद ही व्यवस्थापन हो.
अध्यक्ष महोदय - हीरालाल जी कानून पर बहस हो रही है तो कृपा करके विषय पर रहें विषय से इधर-उधर न बोलें.
डॉ.हीरालाल अलावा - अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे मध्यप्रदेश जनविश्वास (उपबंधों का संशोधन) विधेयक,2024 पर बोलने का अवसर दिया उसके लिये आपको धन्यवाद.
डॉ. सीतासरन शर्मा (होशंगाबाद) -- अध्यक्ष महोदय, सबसे पहले तो हमारे प्रधानमंत्री माननीय मोदी जी के प्रति और हमारे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के प्रति आभार, जिन्होंने जनता की, काम करने वालों की और उद्यमियों की समस्याओं को समझते हुए इस जन विश्वास (उपबंधों का संशोधन) विधेयक, 2024 को लाए. अध्यक्ष जी, जैसा कि हमारी पूर्व वक्ता आदरणीया दीदी रीती पाठक जी ने भी कहा कि वे जब संसद में थीं, तब उन्होंने वहां इस विधेयक को पास किया. अध्यक्ष जी, आपके सहित पांच सांसद इस विधान सभा में बैठे हैं, जिन्होंने इस विधेयक को वहां भी पास किया और यहां भी पास कर रहे हैं. (मेजों की थपथपाहट).
अध्यक्ष महोदय, उसी विधेयक के अनुरूप इस विधेयक को लाया गया है. अब इस विधेयक की मूल भावना क्या है. जैसा कि इसका नाम है, जन विश्वास, ईज ऑफ डुईंग और ईज ऑफ लिविंग. जन विश्वास यानि जनता में सरकार का विश्वास. हर किसी काम के लिए दण्डित करके जेल भेजना, यह सरकार का काम नहीं है. इसलिए जनता में भरोसा करते हुए कुछ मामलों में जो भूल हुई है, किसी कानून का यदि उल्लंघन हुआ है तो उसको अपराध न मानते हुए उसको भूल या गलती माना जाए, ये इस विधेयक का मूल उद्देश्य है. इसलिए इस विधेयक में अपराधों के समन के लिए बहुत सी धाराओं को कम्प्वाउन्डेबल बनाया गया है.
अध्यक्ष महोदय, हम सब जानते हैं कि बहुत से व्यापारी, बहुत से उद्योगपति कई कानूनों के भय से व्यापार ही नहीं कर पाते. हर समय तलवार लटकी रहती है. कोई कागज धोखे से भी गलत हो गया तो कहीं सजा न हो जाए. इसीलिए इस विधेयक को यहां प्रस्तुत किया गया है. इसकी एक और खासियत है कि बहुत से मामले अदालतों में नहीं जाएंगे. वे प्रशासनिक स्तर पर ही सुलझ जाएंगे. इससे अदालतों का भी भार कम होगा. हम हर दिन अखबारों में पढ़ते हैं कि इतने केसेज पेंडिंग हैं, उतने केसेज पेंडिंग हैं. उनका भी भार कम होगा और जो काम करने वाले लोग हैं, उनको वहीं त्वरित न्याय मिल जाएगा. हम हमेशा कहते हैं कि जस्टिस डिलेड इज जस्टिस डिनाइड, तो अब जस्टिस जल्दी मिलेगा. अध्यक्ष महोदय, इसके अलावा कुछ केसेज जो चल रहे हैं, उनको रेट्रोस्पेक्टिव इफेक्ट से, यदि उनकी कार्यवाही प्रशासनिक स्तर पर पूरी हो जाती है तो उनको हटा दिया जाएगा. यह भी एक ईज ऑफ डुईंग और ईज ऑफ लिविंग के हिसाब से बहुत बड़ा स्टेप है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, औद्योगिक नीति और निवेश प्रोत्साहन, हमारी केन्द्र की सरकार और हमारी मध्यप्रदेश की सरकार, हमारे मुख्यमंत्री जी निरंतर औद्योगिक निवेश यहां हमारे प्रदेश में लाने के लिए प्रयत्नशील हैं, जैसा कि हमारे पूर्व वक्ता ने भी कल अनुपूरक बजट पर बोलते हुए कहा था कि संभागीय स्तर पर भी बैठकें कर रहे हैं. पर वे उद्योगपति काम कैसे करेंगे तो उनको वैसी ही सुविधाएं देनी पड़ेंगी. इसलिए यह असंगठित कर्मकार कल्याण अधिनियम की धारा 36 और 35 में संशोधन किया गया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, अब यह बहुत से विधेयक हैं. ये 5 कानून हैं, इसलिए उनकी बहुत बारीकियों पर नहीं जाऊँगा. सब मिलाकर के 5 कानूनों की कुल 64 धाराओं पर काम किया है, 4 धाराएं हटाई गई हैं, 13 कम्पाउण्डिंग लिखी हैं और 47 में शास्ति लगाई है, दण्ड नहीं है. भाषा का भी फर्क होता है. यदि किसी व्यक्ति को दण्ड दिया, तो उसकी सोसायटी में एस्टीम गिरती है और यदि उस पर शास्ति अधिरोपित की, तो उसकी एस्टीम बराबर बनी रहती है, तो समाज में उसकी प्रतिष्ठा बनी रहे, यह भी इस विधेयक का उद्देश्य है.
अध्यक्ष महोदय, जैसा कि मैंने पहले भी कहा कि इसमें विश्वास को इस विधेयक का पहला आधार बनाया गया. मैं एक-दो धाराओं के बारे में बात करूँगा, 93क, यह धारा 93 के बाद में जोड़ी गई है, सोसायटी रजिस्ट्रेशन औद्योगिक अधिनियम में और उसमें 6 धाराओं को 86, 87, 88, 89, 90, 91, 92 और 93 इनके कम्पाउण्डेबिल को बनाया गया है, क्योंकि यह सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट समाज में इतना व्यापक हो गया है क्योंकि ढेर सारी को-ऑपरेटिव्ह सोसायटीज बन गई हैं और इनके सैकड़ों मुकदमे चल रहे हैं और उनके निर्णय नहीं हो पा रहे हैं, तो उसके कारण इसमें भी कम्पाउण्डेबिल बहुत सी धाराओं को बनाया गया है. 39 क में उसका उल्लेख है. अध्यक्ष महोदय, इसी प्रकार अन्य जो हमारे कानून हैं, उनकी धाराओं में भी संशोधन करके और हमारे प्रदेश में निवेश बढ़े, हमारे प्रदेश में आम व्यक्ति, आम व्यापारी बिना भय के जी सके, इस विश्वास के साथ, यह मध्यप्रदेश जन विश्वास (उपबंधों का संशोधन) विधेयक, 2024 लाया गया है. मैं इसका समर्थन करता हूँ. (मेजों की थपथपाहट)
श्री फूल सिंह बरैया (भाण्डेर) - अध्यक्ष महोदय, यह जो मध्यप्रदेश जन विश्वास संशोधन विधेयक लाया गया है. यह विधेयक वास्तव में बहुत महत्वपूर्ण भी है और बड़ा भी है. लेकिन सत्ता पक्ष ने इसको गंभीरता से नहीं लिया है, अगर गंभीरता होती, तो वास्तव में इसमें समय देकर डिस्कशन होना चाहिए था. यह बहुत ही ज्यादा फैला हुआ है, इसकी धाराएं और आर्टिकल्स को संजोना, तब कहीं जाकर इसका मंथन होता, तो एक बहुत अच्छा कानून बन सकता था. मुझे इसमें एक बात जो इस रूप में दिखाई दे रही है कि जिन विभागों को इसमें शामिल किया गया है, उन विभागों के जो भी अपराधी, कारोबारी एवं भ्रष्टाचारी हैं, जिनका कोर्ट में डिसीजन होता था, लेकिन अब कोर्ट से हटाकर विभागों के अधिकारियों को पावर दी जा रही है. इसमें यह तो स्पष्ट किया जाये कि वह कितना बड़ा अपराध कर देगा ? उस विभाग का कोई कारोबारी तो कोर्ट लायक होगा, तो उसका भी क्या वहीं फैसला हो जायेगा. यह भी एक बात है, जो मुझे दिख रहा है. मैं वही कह रहा हूँ कि फैक्ट क्लियर होना चाहिए.
डॉ. सीतासरन शर्मा- यह केवल छोटे अपराधों के लिए है.
श्री फूलसिंह बरैया- अध्यक्ष महोदय, इसके पहले सजा कोर्ट द्वारा दी जाती थी और जुर्माने की राशि भी कोर्ट द्वारा वसूली जाती थी. अब उस जुर्माने की राशि को कोर्ट की जगह विभागीय अधिकारी वसूलेगा. क्या आप एक आदमी को अधिकार दे देंगे कि आप वसूली करें, आपके बीच में कोर्ट नहीं होगा तो क्या भ्रष्टाचार नहीं बढ़ेगा?
अध्यक्ष महोदय, यह भ्रष्टाचार की तरफ बहुत तेजी से बढ़ा हुआ कदम दिख रहा है. मैं यह नहीं कह रहा हूं विधेयक सही नहीं है, मैंने पहले ही कहा है कि यह बहुत ही वृह्द संशोधन वाला विधेयक है, इसका बहुत बड़ा महत्व है. अब संशोधन के नाम पर इसमें जुर्माने को पैनाल्टी कहा गया है, 5 हजार रुपये को फलाना कहा जायेगा, ये महत्व की बातें नहीं है. बात यह है कि क्या आप कोर्ट से अलग होकर न्याय दे पायेंगे ? छोटी बातों में भी क्या आप न्याय दे पायेंगे ?
एक रुपये की चोरी पर भ्रष्टाचार का कौन सा कानून लगेगा, क्या वहां कोई छोटा कानून लगेगा ? इसमें चोरी करने वाले को अधिकारी वहीं माफ कर देगा, वहां से बात कोर्ट तक जायेगी ही नहीं. वहां चोरी होगी 10 करोड़ रुपये की लेकिन आपकी गाईडलाईन है कि छोटे प्रकरणों का आप वहीं फैसला करेंगे, वह तो फिर 5 हजार की चोरी ही कहेगा, कौन इसका फैसला करेगा, कौन देखेगा कि उसमें कितनी बड़ी चोरी हुई है. इसमें बचने का रास्ता निकाल लिया जायेगा.
अध्यक्ष महोदय, मैं, समझता हूं कि इस बड़े विधेयक को इस तरह आनन-फानन में नहीं लाना चाहिए. आपका कहना है कि छोटे-छोटे प्रकरणों को हम वहीं निपटायेंगे, उन्हें कोर्ट में नहीं जाने देंगे. यदि हम छोटे-छोटे प्रकरणों को वहां निपटायेंगे तो इसका फैसला कैसे और कौन करेगा कि कौन-सा प्रकरण छोटा है और कौन-सा प्रकरण बड़ा है. क्योंकि वह तो बड़ा करके आया है और दोनों मिलकर उसे छोटा कहेंगे, जिससे प्रकरण कोर्ट न जाये.
मेरा कहने का तात्पर्य यह है कि भारत का संविधान, भारत के संविधान की नियति, मुझे सत्तापक्ष डेमोक्रेसी की तरफ, एक प्रहार करता हुआ दिख रहा है जो कि उन्हें नहीं करना चाहिए. (मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय, उन्हें यह नहीं करना चाहिए क्योंकि डेमोक्रेसी है, तभी आप यहां बैठे हैं और मैं यहां खड़ा हूं. डेमोक्रेसी यदि नहीं होती तो हम और आप यहां नहीं होते. अभी लग रहा है कि डेमोक्रेसी समाप्त कर देंगे तो बहुत आनंद आ जायेगा लेकिन नहीं, डेमोक्रेसी समाप्त होगी तो सबसे ज्यादा जिसके पास संसाधन होंगे, वे सबसे ज्यादा कमजोर बन जायेंगे. (मेजों की थपथपाहट)
इसलिए मैं कहना चाहूंगा कि कोर्ट का डर न हो तो एक लाईन उधर के लिए कह रहा हूं हमारे विधायक डोडियार जी के प्रकरण में उस डॉक्टर को कोर्ट का डर नहीं होगा, उस डॉक्टर को पुलिस का डर नहीं होगा, तभी तो [XX] दी हैं. एक विधायक को [XX] दी हैं, एक विधायक यहां [XX] खा सकता है, भाजपा की सरकार में क्या आपके विधायक को कोई ऐसे [XX] दे देगा तो वह अभी तक कुर्सी पर रहता क्या? (मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय, मैं, यह कहना चाहता हूं कि आप सभी के अध्यक्ष हैं, सभी के मुख्यमंत्री हैं, आप कोई हमको छोड़कर नहीं हैं. आज जो मुख्यमंत्री हैं, हमारे भी मुख्यमंत्री हैं, वे डोडियार जी के भी मुख्यमंत्री हैं तो क्या डोडियार जी को जो व्यक्ति गाली दे रहा है और जाति की गाली दे रहा है, क्या उसको निलंबित नहीं किया जा सकता है ? क्या डोडियार जी आपके आदमी नहीं है ? उल्टा FIR करके उन्हें ही जेल भेज दिया, कितना बुरा मामला है.
अध्यक्ष महोदय- बरैया जी पूरा करें.
श्री फूलसिंह बरैया- जी, मैं पूरा कर रहा हूं. मैं कहना चाहता हूं कि इतना बड़ा शानदार विधेयक इतने आनन-फानन में लाया गया, इसके ऊपर बेहतरीन तरीके से बहस होनी चाहिए. तब इस विधेयक का फायदा जनता को जाता, तब जनता का विश्वास हम पर होता लेकिन ऐसा कुछ नहीं दिखाई दिया, इसलिए मैं, इस विधेयक का विरोध करता हूं, धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय- प्रहलाद पटेल जी अपनी बात रखना चाहते हैं.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री प्रहलाद सिंह पटेल)- अध्यक्ष महोदय, मैं, आपका आभारी हूं कि आपने मुझे मध्यप्रदेश जन विश्वास (उपबंधों का संशोधन) विधेयक, 2024 की इस चर्चा में हस्तक्षेप करने का अधिकार दिया है. मुझे आश्चर्य हो रहा था कि जिस विधेयक को लेकर माननीय सदस्यों ने कहा कि इतने गंभीर विषय पर कम समय दिया. अच्छी बात यह है कि उनने गंभीर माना और यह गंभीर है भी लेकिन समय नहीं दिया यह कहना वह अपने आपको स्वयं पर लांछन लगा रहे हैं. वर्ष 2022 में जब बिजनेस रिफार्म प्लान की बात हुई थी तभी मध्यप्रदेश सरकार ने सबसे पहले न्यूनतम वेतन अधिनियम 1948, वेतन भुगतान अधिनियम 1936 यह देश की आजादी से पहले का है. मातृत्व लाभ अधिनियम 1961, अंतरराज्जीय प्रवासी कर्मकार अधिनियम 1979, उपादान भुगतान अधिनियम 1972, मध्यप्रदेश स्थाई आज्ञा अधिनियम 1961, मध्यप्रदेश दुकान स्थापना अधिनियम 1958, मध्यप्रदेश श्रम कल्याण नीधि अधिनियम 1982, मध्यप्रदेश स्थित पेंशन कर्मकार अधिनियम 1982 इनको वर्ष 2022 में पहले से ही रिपील कर दिया गया है और इसका हिस्सा बना दिया गया है. यदि हमने पलटकर कार्यवाही पढ़ी होती, हमने अपनी पिछली कार्यवाहियों को देखा होता तो शायद हम यह नहीं कहते और मुझे लगता है कि मध्यप्रदेश सरकार को जब यह प्रयास उसने शुरू किया तो उसको राष्ट्रीय स्तर पर टॉप अचीवर्स अवार्ड की श्रेणी में नंबर एक का स्थान मिला. जिस अंग्रेजी का मजाक उड़ाया जा रहा है चूंकि वह एक प्रचलन का शब्द है लेकिन यह सच्चाई है कि यदि हम मानकर चलते हैं कि हमें कुछ सुधार करने है, हमारी अर्थव्यवस्था अगर पांचवे पायदान पर पहुंची है, सरकार में हम बैठे हैं इसलिए अस्वीकार नहीं करेंगे ऐसा नहीं हो सकता है. जहां दुनिया स्वीकार कर रही है हमें भी स्वीकार करना पड़ेगा, लेकिन हम जो परिवर्तन कर रहे हैं वह क्या सिर्फ उद्योगपतियों के हैं, क्या अधिकारियों के हैं नहीं हम उन परिवर्तनों में हम यह तो देखें कि हमें लाभ क्या मिल रहा है. अगर आपको उस पर अंदेशा है तो आपको जरूर प्रहार करना चाहिए, लेकिन अगर हमें यह नहीं पता है कि इस कानून का फायदा कहां पर होने वाला है और यदि हम उसके बाद भी आलोचना करेंगे तो मुझे लगता है कि यह इस सदन के स्तर की चर्चा नहीं होगी. इसलिए मैं बहुत ही जिम्मेदारी के साथ कहता हूं कि जब जैसा कि डॉक्टर साहब ने कहा जब यह कानून भारत सरकार ने पास किया सन् 2023 में उस समय जो कानून थे वह कानून अंग्रेजों के बनाए हुए कानून थे. जिनका कोई महत्व नहीं था लेकिन हम उनको लिये घूम रहे थे और एक बार में ही 1400 कानूनों को.....
श्री फूलसिंह बरैया--अंग्रेजों के बनाए हुए कानून कहकर संविधान का अपमान मत करो.
श्री प्रहलाद सिंह पटेल--मैं अपमान नहीं कर रहा हूं मुझे संसदीय भाषा आती है. अंग्रेजों के बनाए हुए कानूनों को जिनको हमें रिपील करना था हमने किया और उसकी भाषा बदलनी थी तो उसकी भाषा भी बदली और इस बात का हमको गर्व है और आपको भी होना चाहिए. मुझे लगता नहीं कि यह बातें ठीक हैं. हमने बहुत सारे कानूनों को स्वीकार किया है.
श्री फूलसिंह बरैया-- अध्यक्ष महोदय,
अध्यक्ष महोदय-- बरैया जी यह बहुत विचार का विषय नहीं है. वह अपनी जगह बोल रहे हैं. आप बोल रहे थे तब उन्होंने सुना था. अब आप सुनो.
श्री प्रहलाद सिंह पटेल-- अध्यक्ष महोदय, मैंने आपको टोका नहीं था बल्कि डॉक्टर साहब ने कहा था तो मैंने उन्हें मना किया.
श्री फूलसिंह बरैया-- हम तो हाथ जोड़कर बात करते हैं आप हमें क्या टोकोगे. टोकने के लिए तो आप हैं.
अध्यक्ष महोदय-- कृपया आप बैठ जाइए.
श्री प्रहलाद सिंह पटेल-- अध्यक्ष महोदय, मैं एक सामान्य जानकारी सदन के सामने रखना चाहता हूं कि राज्य के द्वारा अनुपालन बोझ कम करने के लिए प्रक्रिया के तहत राज्य के 37 विभागों में 2483 अनुपालनों को समाप्त एवं सरलीकृत किया जिसमें 831 व्यवसायों से संबंधित हैं और 1622 नागरिकों से संबंधित हैं और इस प्रक्रिया के तहत जो 920 अप्रचलित अधिनियमों को भी समाप्त किया है जिसकी चर्चा मैं आपसे कर रहा था. मुझे लगता है कि अधिनियमों और नियमों में जितने भी गैर अपराधीकरण की बातें उनको कम किया जाएगा जिसका एक संकेत माननीय डॉ. शर्मा जी ने दिया है. अगर हम अपराधों का गैर अपराधीकरण कर रहे हैं तो किसका फायदा है. छोटे अपराध किसी ने किये है और जेल की सजा की बजाय अगर उसको आर्थिक दण्ड दिया जाए तो किसका नुकसान होगा. कोई गरीब आदमी धारा 54 और 151 में 34 में दो दो साल रहता है. हम भी जानते हैं और जो जेल जाते रहे हैं यह भी जानते हैं. मुझे लगता है कि अगर हम क्रिमिनल लॉ की बात न भी करें तो भी हम इन बातों को तो स्वीकार करें कि हम समय भी खराब कर रहे हैं.
बाकी लोगों को भी परेशान कर रहे हैं. इसका प्रत्यक्ष अगर कोई लाभ है जो छोटे-मोटे अपराध हैं जो आर्थिक अपराध की श्रेणी में आते हैं उनको तत्काल समाप्त किया जा सकता है, न्यायालय में जाने की जरुरत नहीं है यह इसका पहला लाभ है. दूसरा है दण्ड प्रणाली का पुनर्गठन. यदि दण्ड को अधिक न्यायसंगत बनाना है तो फिर न्यायालय पर बोझ भी आपको कम करना पड़ेगा. यह भी आपको ध्यान में रखना होगा. प्रशासनिक दक्षता में सुधार. यदि अपराधों के तुरंत निपटान के लिए प्रक्रिया को सरल बनाया जाए तो मुझे लगता है किसी को आपत्ति नहीं होना चाहिए. सरलीकरण की प्रक्रिया के उपबंधों को देखने में जरुर आपको बारीकी से ध्यान देना चाहिए. लेकिन प्रक्रिया सरल बनाई जाए इसका तो विरोध नहीं हो सकता है. व्यापार अनुकूल वातावरण, जो बात शर्मा जी ने कही थी मैं उसको रिपीट नहीं करना चाहता हूँ. यह सच है कि इसके आर्थिक प्रभाव होंगे, इसके सामाजिक प्रभाव भी होंगे, इसके प्रशासनिक प्रभाव भी होंगे. लेकिन प्रशासनिक प्रभावों को इस दृष्टि से लेकर मत जाइए कि इससे सबकुछ अधिकारियों के हाथ में चला जाएगा.
अध्यक्ष महोदय, मैं सिर्फ अपने विभाग तक इस बहस को सीमित रखूंगा. पांच विभागों में एक श्रम विभाग है. बाकी किसी विभाग की चर्चा मैं नहीं करुंगा. हमारे यहां जो कानून रीपील के लिए आए हैं जिन्हें हम अलग करेंगे. उसमें किसी कर्मचारी की गलत बर्खास्तगी और उसका जुर्माना जो 86 के तहत है. अब इसमें किसी को आपत्ति नहीं होना चाहिए. अवैध ताला घोषित करने पर जु्र्माना, अब यह तो कोई कर्मचारी करेगा उसी के विरुद्ध कार्यवाही होगी. उसमें वह जेल जाएगा, न्यायालय की प्रक्रिया से गुजरेगा, लेकिन इसमें नहीं है. अवैध हड़ताल और अवैध ठहराव. यह तो कोई ट्रेड यूनियन वाला करेगा, कोई मजदूर ही करेगा. इसमें मुझे लगता है किसी व्यापारी या अधिकारी का हित होने वाला नहीं है. अवैध हड़ताल, तालाबंदी, बंद ठहराव, भड़काने के लिए जुर्माना. यह कौन करेगा ? यह इससे मुक्त हो रहा है. यह मजदूर के क्षेत्र के आन्दोलन के हैं. गोपनीय जानकारी प्रकट करने पर जुर्माना, अवैध परिवर्तन के लिए जुर्माना. यदि हमने कोई दस्तावेज बदल दिया या कोई ऐसी गलती की है उसके लिए जुर्माने का प्रावधान है. मुझे लगता है कि मेरे विभाग में यह जो परिवर्तन हैं जो श्रम मंत्रालय के संशोधन हैं उससे मैं सहमत हूँ. किसी व्यक्ति के कर्तव्यों के पालन में बाधा डालना, यह कौन करता है, इसी की बातें अभी आप कर रहे थे. मुझे लगता है इसमें एक भी ऐसी चीज नहीं है. लेकिन यह एक आश्चर्यजनक बात है कि इतने कानून होने के बाद इस कानून का कभी उपयोग नहीं किया गया. क्या इसको समाप्त नहीं करना चाहिए, इसको सरल नहीं बनाना चाहिए. यह महत्वपूर्ण चीजें हैं. इस अवसर पर मुझे इतना ही कहना है कि हम सब यहां कानून बनाने के लिए बैठे हैं. कानूनों की उपयोगिता कितनी है, कानूनों को हम किस नजरिए से देखते हैं. इस पर यहां जरुर बहस होना चाहिए, लेकिन इस पर तो बहस हुई नहीं है. बल्कि जन विश्वास अधिनियम उस कड़ी का हिस्सा है, जब भारत सरकार ने इसको कानून के तौर पर पारित किया तो लगभग डेढ़ हजार एक किस्त में किए दूसरी बार में फिर 700 किए. उसके बाद मध्यप्रदेश पहला राज्य है जो इस कानून को लेकर आ रहा है. इसके लिए तो बधाई देना चाहिए. मुझे लगता है कि यदि हम अध्ययन करते तो वर्ष 2022 और 2023 दो वर्षों में हम इन बातों को अच्छी तरह से समझ सकते थे और लोगों को समझा भी सकते थे.
अध्यक्ष महोदय, मैं, अंत में इतना ही कहूंगा कि दण्ड और जुर्माना को शास्ति में परिवर्तित करना जैसा डॉक्टर साहब ने कहा एक शालीन और समृद्ध समाज की अवधारणा है. जिनको हम दुश्मन मानकर लड़ रहे थे वे हम पर दण्ड का प्रावधान करते थे लेकिन आज समाज इस तेजी के साथ आगे बढ़ रहा है, हम जिस दौर में चल रहे हैं, हमारा कोई दुश्मन नहीं है. हम मिल बैठकर यदि चीजों को समझा सकते हैं शास्ति के तौर पर, हाँ किसी ने गलती की है तो उस गलती का अहसास उसे कराया जाना चाहिए. लेकिन उसे दंडित करना जरुरी नहीं है. जरुरी नहीं है कि हम उसके लिए न्यायालय में जाएं उसको उसमें घसीटते रहें, पैसा और समय बर्बाद करते रहें. मैं मानता हूँ उस दृष्टि से यह बहुत महत्वपूर्ण कानून है. समन का प्रावधान करना जिसको हम अंग्रेजी में कम्पाउंडिंग कहते हैं या धाराएं हटाना. यह तीनों काम मध्यप्रदेश की सरकार ने किए हैं. मैं मध्यप्रदेश की सरकार को धन्यवाद दूंगा. मुख्यमंत्री जी को भी हृदय से धन्यवाद दूंगा. माननीय मंत्री जी का धन्यवाद करता हूँ. आपने तीन बड़े काम किए वर्ष 2022 में जिस प्रकार से कदम उठाया वह कदम ही इज ऑफ डूइंग बिजनेस के लिए महत्वपूर्ण था. लेकिन वर्ष 2023 के भारत सरकार के कानून के परिप्रेक्ष्य में अपने कदम को फिर से तालमेल के साथ बैठाना इसका मतलब है कि जब भारत आर्थिक ऊंचाइयों को छुएगा, मध्यप्रदेश भी उसमें बराबरी पर खड़ा रहेगा. यह संदेश हमें इस अधिनियम से लेना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे समय दिया उसके लिए मैं धन्यवाद करता हूँ.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) -- अध्यक्ष महोदय, मैं जब चर्चा सुन रहा था, मध्यप्रदेश नगर पालिक अधिनियम 1961, मध्यप्रदेश विद्युत शुल्क अधिनियम 2012, मध्यप्रदेश असंगठित कर्मकार अधिनियम 2003, मध्यप्रदेश औद्योगिक संवर्द्धन अधिनियम 1960, मध्यप्रदेश नगर पालिका अधिनियम 1956, मध्यप्रदेश नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम 1973, मध्प्रदेश सोसायटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम 1973 और नगर पालिका निगम अधिनियम 1956. अध्यक्ष महोदय, दण्ड और आरोप आरोपित करना ठीक है. इतना बड़ा विधेयक है और हर धारा, उपधारा पर चर्चा होनी चाहिये. मुझे नहीं लगता कि 2 दिन में इस पर चर्चा होती है. मेरे सदस्यों ने जो बात कही, मैं उसको दोहराना चाहता हूं. माननीय पंचायत मंत्री जी ने भी कहा कि प्रदेश के हित में इन कानूनों के अंदर ऐसी कई पेचीदगियां हैं जो आम जनता से दूर है. ऑनलाइन आप परमिशन की बात करते हैं. प्रदेश के अंदर कितनी परमिशन ऑनलाइन आम व्यक्ति को मिलती हैं. बार-बार उसको नगर पालिका, नगर निगम में चक्कर काटना पड़ता है. मेरा आपसे कहना है कि इसमें सबसे पहले अगर आप डिजिटलाइजेशन करना चाहते हैं, तो हर आम व्यक्ति को चाहे घर बनाने की परमिशन हो या पेड़ काटने की, पेड़ काटने में तो आपके नगर पालिका अधिनियम में लिखा है कि आयुक्त से परमिशन लेनी है. आयुक्त से कौन बड़े शहर का व्यक्ति आराम से मिल सकता है. शांति से, और कौन सी परमिशन के लिये वह खड़े रहते हैं, एक पेड़ काटने के लिये. मेरा आपसे अनुरोध है कि मैं सदन का भाषणबाजी में अधिक समय नहीं व्यर्थ करता हूं, इसे माननीय प्रवर समिति को भेजा जाना चाहिये. इन्हीं सब पर विचार होना चाहिये. उसके बाद यह हो तो ठीक है. मेरा और मेरे सदस्यों की भी यही मांग थी, इसलिये मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हूं. धन्यवाद.
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- अध्यक्ष महोदय, इस महत्वपूर्ण विधेयक पर इस सदन के बहुत ही जवाबदार माननीय सदस्य ओमकार जी, बहन रीती पाठक जी, डॉ. हिरालाल जी, वरिष्ठ विधायक सीतासरन जी, आदरणीय फूलसिंह बरैया जी, हमारे वरिष्ठ मंत्री जिनका संसदीय ज्ञान बहुत अच्छा है, ऐसे प्रह्लाद पटेल जी, हमारे नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार जी, मैं सबको धन्यवाद देता हूं कि आपके बड़े बहुमूल्य सुझाव भी आये और इससे हमको मार्गदर्शन भी मिलेगा. वर्ष 2014 में जब इस देश के प्रधानमंत्री ने इस देश की बागडोर हाथ में ली थी, तो उन्होंने देश की अर्थ व्यवस्था पर विशेष फोकस किया था कि कैसे भारत एक विकसित भारत बने. कैसे भारत एक आत्मनिर्भर भारत बने. कैसे हम बाहर के निवेश को हमारे यहां लाकर रोजगार के अवसर पैदा करें और वर्ष 2014 से इसके प्रयास केन्द्र सरकार कर रही थी. अध्यक्ष महोदय, मुझे यह कहते हुये बहुत प्रसन्नता है कि आप भी उस सदन के सदस्य थे. उस वक्त जब मध्यप्रदेश जन विश्वास विधेयक आया था, उस समय प्रधान मंत्री जी ने कहा था, चूंकि इसमें बहुत सारे विभाग हैं, जब यह विधेयक लाया गया था तब केन्द्र सरकार के 19 मंत्रालय थे, 42 केन्द्रीय अधिनियम थे और 183 प्रावधानों को अपराध मुक्त इसको अण्डर लाईन करना चाहिये अध्यक्ष जी, क्योंकि व्यक्ति अगर गलती करता है तो उसको दण्ड देना और उस पर पेनाल्टी लगाना, दोनों में अंतर है. अध्यक्ष महोदय, मुझे याद है एक माननीय सदस्य ने कहा कि आपने बढ़ा दी, भाई राशि तो बढ़ाना पड़ेगी, कोई 1956 का प्रावधान है, कोई 1957 का प्रावधान है . मैं जब 2000 में महापौर बना , दुकानों के लाईसेंस की फीस 5 रूपये थी, ताज होटल को लाईसेंस लेना तो भी 5 रूपये और कल्लू चाय वाले को लाईसेंस लेना तो भी 5 रूपये फीस, सिर्फ 5 रूपये और यदि वह लाईसेंस नहीं लेता है तो नगर निगम का दरौगा जाकर के उसका चालान बना देता है, वह चालान कोर्ट में जाता है और कोर्ट में एक-दो साल केस चलता और उसके बाद में अधिकतम दंड उसमें 50 रूपये था. वो भी दो तीन साल के बाद. पर कोर्ट से उसको इस बात का अपराधी घोषित किया जाता है कि आपने यह काम नहीं किया था, अध्यक्ष महोदय, अपराधी की आवश्यकता नहीं है, हमने अपराध मुक्त समाज में वातावरण बनाने की कोशिश की है, अगर कोई गलती करता है तो उसको हम पेनाल्टी देंगे.
अध्यक्ष महोदय, मैं रिपीट नहीं करूंगा, रीती पाठक जी और डॉ.सीतासरन जी ने बहुत अच्छी बात कही है परंतु मैं बताना चाहता हूं कि उसके बाद में यह कोई पहला प्रयास नहीं है. माननीय प्रधानमंत्री जी लोक सभा में यह बिल लेकर के आये थे तो मुझे याद है कि ऐसे ऐसे प्रावधान थे जिनको उन्होंने खतम किया, उन्होंने लोक सभा में उदाहरण दिया था कि यदि किसी पांच सितारा होटल में, 6 महिने में बाथरूम की व्हाइटवॉश नहीं होगी तो 6 महीने की सजा. अब यह ऐसा प्रावधान था जो कि बहुत ही आश्चर्यचकित करने वाला था लेकिन बहुत पुराने समय से चला आ रहा था. ऐसे बहुत सारे प्रावधान थे उनको समाप्त किया और दण्डात्मक नहीं पैनाल्टी देंगे. हमारे एक भाई को बड़ी आपत्ति थी कि आप अंग्रेजी में बात कहते हैं ईज आफ डुइंग बिजनेस, मैं हिन्दी में बोल देता हूं, व्यापार के लिये उचित वातावरण बनाना. अध्यक्ष महोदय, कुछ शब्द ऐसे होते हैं जो कि प्रचलन में आ जाते हैं , जैसे रेल. रेल हिन्दी शब्द नहीं है, अंग्रेजी शब्द है. हिन्दी में रेल को कहते हैं लोहपथ गामनी.
श्री उमंग सिंघार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आप दण्ड और पैनाल्टी को लेकर के सदन को गुमराह कर रहे हैं, पैनाल्टी का मतलब ही अर्थदण्ड होता है.जुर्माना..
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- जुर्माना नहीं होता है, शास्ति होता है. पैनाल्टी का हिन्दी शास्ति होता है. कोई बात नहीं . अब आप नेता प्रतिपक्ष हैं तो आपका सम्मान करता हूं.
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- अंग्रेजी को हिन्दी करके आप हंस दिये इसका मतलब हिन्दी के लिये आपके मन में सम्मान नहीं है, हम जानते हैं क्योंकि भाजपा वाले कभी सम्मान नहीं करेंगे(हंसी)
श्री कैलाश विजयवर्गीय - (हंसी) तो ओमकार तुमने अगर रेल बोला तो तुम्हारे कान पकडूंगा मैं, लोह पथ गामनी बोलना पड़ेगा, रेल नहीं बोलोगे (हंसी) क्यों. लोह पथ गामनी.
अध्यक्ष महोदय, हमारे देश के प्रधानमंत्री जी ने कहा कि हम देश को विकसित राष्ट्र बनायेंगे उसमें राज्यों की भूमिका भी महत्वपूर्ण होनी चाहिये जब इस बिल को लोक सभा में लाया गया था तब सब राज्यों से भी अपेक्षा की गई थी कि वे अपने प्रदेशों के अंदर किस प्रकार उद्योग के अनुकूल वातावरण बनायें . अब तो किसी भाई को आपत्ति नहीं है. उद्योग के अनुकूल वातावरण बनाये ऐसा प्रधान मंत्री जी ने सभी राज्यों से अपेक्षा की थी, मुझे गर्व है कि हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी ने अभी पूरे प्रदेश में इन्वेस्टर मीट की, विदेशो में भी जाकर के इन्वेस्टर मीट की और बड़े बड़े औद्योगिक संकट सीआईआई, बड़े बड़े औद्योगिक संस्थान उनसे बात की कि भाई आज आपको हिन्दुस्तान में इन्वेस्टमेंट करने में क्या तकलीफ है. तो उन्होंने कहा कि आपके यहां दण्डात्मक कार्यवाही बहुत होती है, हम कोर्ट के चक्कर लगा लगाकर परेशान हो जाते हैं, आपको निवेश के लिये आकर्षित करना पड़ेगा . मुझे कहते हुये गर्व है कि 2014 में दुनियां की अर्थ व्यवस्था में भारत 10वें नंबर पर था. अब इस डूइंग बिजनेस के कारण और बहुत सारे कारणों में आज भारत विश्व की अर्थ व्यवस्था में पांचवें नम्बर पर है और हम तीसरे नम्बर पर जाने के लिये इस प्रकार का प्रावधान ला रहे हैं. उसमें राज्यों की भी भूमिका होगी. राज्य में यदि इन्वेस्टमेंट नहीं आयेगा, तो राज्य का देश के लिये क्या सहयोग होगा और मुझे गर्व है कि डॉ. मोहन यादव जी की सरकार में इस प्रकार देश को प्रोग्रेसिव बनाने के लिये यह बिल लाया गया है. मुझे यह कहते हुए भी बहुत प्रसन्नता है कि इस बिल की मूल भावना क्या है. हालांकि हमारे दोनों, तीनों सदस्यों ने बात कह दी, पर मुझे लगातार सारे शब्दों का रिकार्ड मिलाना जरुरी है. कुछ प्रावधानों में कारावास था, जुर्माना दोनों को हटा दिया गया है और उसकी जगह पैनाल्टी दी गई है. मतलब अपराध को समाप्त करने की कोशिश की गई. कारवास को हटाने के कुछ प्रावधान किये. नहीं तो व्यापारी को सजा हो जाती थी, उद्योगपति को सजा हो जाती थी, जनता के लोगों को सजा हो जाती थी. कुछ प्रावधानों में कारावास के बदले हमने पैनाल्टी देने का काम किया है और इसी लिये यह जो बिल है, यह प्रोग्रेसिव बिल है. यह प्रदेश के विकास का बिल है. यह मध्यप्रदेश में निवेश आकर्षित करने वाला बिल है. मुझे याद आता है कि वर्ष 2014 में इस देश की अर्थ व्यवस्था और आज की अर्थ व्यवस्था की मैं तुलनात्मक अध्ययन सदन को बताऊं, तो 2004 मे हमारे देश का बजट, देश के बजट की बात कर रहा हूं, लगभग 7 लाख करोड़ के आस पास था. 2014 में 10 साल में यह बजट हो गया लगभग 13 लाख करोड़ के आस पास. मतलब 10 साल में डबल हो गया. मुझे कहते हुए गर्व है और बहुत जिम्मेदारी और जवाबदारी से बात इस सदन में रखना चाहता हूं कि आज 2014 के बाद देश का बजट लगभग 40 लाख करोड़ से ज्यादा है. उसका कारण है कि विदेशी मुद्रा हमारी बढ़ी है. हमारा स्वर्ण भण्डार बढ़ा है. हमारा एक्सपोर्ट बढ़ा है. यह जो मेक इन इंडिया, ये मेक इन इंडिया के जो प्रावधान प्रधानमंत्री जी ने किये हैं इस बिल के माध्यम से, इससे हमारे यहां का उद्योगपति भी व्यापार कर रहा है. मैं सिर्फ भोपाल की बात करना चाहता हूं. भोपाल शहर से जब मैं उद्योग मंत्री था तो बमुश्किल 100 से 150 करोड़ रुपये का एक्सपोर्ट होता था, आज 1 हजार करोड़ से ज्यादा का एक्सपोर्ट होता है भोपाल शहर से. यह हमारी सरकार की उपलब्धि है. यह जो इस प्रकार के बिल के माध्यम से हम व्यापार के लिये अनुकूल वातावरण बनाने का प्रदेश में प्रयास कर रहे हैं. यह बिल इसलिये लाया गया है. मुझे याद आता है, मैं आईटी मिनिस्टर था. आईटी कम्पनी को हम लोग न्यौता देने गये.तो उन्होंने कहा कि आपके लेबर लॉ में महिलाएं रात में काम नहीं कर सकती हैं. हमारे यहां तो लड़कियां काम करती हैं. हमने लेबर लॉ को बदला और प्रावधान किया कि बच्चियां भी सुरक्षित वातावरण में रात को जा सकती हैं. आईटी सेक्टर के अंदर मध्यप्रदेश में 10 लाख बच्चों को रोजगार दिया, सिर्फ इस प्रावधान के बदलने के कारण. आज इन्फोसिस,टीसीएस हमारे प्रदेश के अन्दर है. ऐसी 100 आईटी कम्पनियां हैं, यदि हम यह प्रावधान नहीं करते, तो शायद आईटी कम्पनीज नहीं आतीं और 10 लाख लोगों को रोजगार प्राप्त करने से बच जाते, वंचित रह जाते. इसलिये यह बहुत प्रोग्रेसिव बिल है और इस बिल के माध्यम से प्रदेश की आर्थिक स्थिति अच्छी होगी और जो प्रधानमंत्री जी का जो सपना है कि देश की स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे हों, तब भारत एक सशक्त राष्ट्र बने. दुनिया का सबसे ताकतवर राष्ट्र बने उसमें मध्य प्रदेश की भूमिका भी बहुत महत्वपूर्ण होगी और इसलिये मैं आप सब से निवेदन करना चाहता हूं कि इस बिल पर सर्वानुमति से आप सब सहयोग प्रदान करें. अपना समर्थन दें, बहुत-बहुत धन्यवाद.
4.56 बजे
अध्यक्ष महोदय- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश जन विश्वास( उपबंधों का संशोधन) विधेयक, 2024 पर विचार किया जाय्
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अध्यक्ष महोदय- अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
अध्यक्ष महोदय- प्रश्न यह है कि खण्ड 2,3 तथा अनुसूची इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2,3 तथा अनुसूची इस विधेक के अंग बने.
अध्यक्ष महोदय- प्रश्न यह है कि खण्ड 1, पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र इस विधेयक का अंग बने.
श्री कैलाश विजयवर्गीय- अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश हन विश्वास(उपबंधों का संशोधन) विधेयक पारित किया जाय.
अध्यक्ष महोदय- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
अध्यक्ष महोदय- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश जन विश्वास( उपबंधों का संशोधन विधेयक , 2024 पारिया जाय.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
4.57 बजे
मध्यप्रदेश निजी विद्यालय ( फीस तथा संबंधित विषयों का विनियमन) संशोधन विधेयक, 2024( क्रमांक 26 सन् 2024)
स्कूल शिक्षा मंत्री (श्री उदय प्रताप सिंह)- अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश निजी विद्यालय (फीस तथा संबंधित विषयों का विनियमन) संशोधन विधेयक, 2024 पर विचार किया जाय.
अध्यक्ष महोदय- प्रस्ताव प्रस्तुत.
श्री फूलसिंह बरैया(भाण्डेर)- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह निजी स्कूल, इसका कंट्रोल, इसकी फीस कई नियमावली इसको कंट्रोल करने के लिये यह विधेयक लाया गया है. मैं इसमें यह कहना चाहूंगा कि इसमें 25 हजार रूपये की जो फीस सालाना की जो देगा, वह इस दायरे में नहीं आयेगा. यह थोड़ी सी गड़बड़ी हो जाती है. अब वह फीस तो लेगा 50 हजार रूपये और आपको बतायेगा 25 हजार रूपये तो वह दायरे में आयेगा ही नहीं. अगर प्रायवेट स्कूल है तो उस पर सारा का सारा कंट्रोल होना चाहिये, उसको कोई मौका नहीं मिलना चाहिये और इसमें सबसे बड़ी बात यह कही गयी है कि वह अपनी मर्जी से फीस 15 प्रतिशत बढ़ाता है तो उसको कमेटी दंडित करेगी और यही नहीं इसमें एक समिति भी बनेगी. उस समिति के मंत्री अध्यक्ष रहेंगे तो मैं, आपसे कहना चाहूंगा कि उस समिति में कांग्रेस पार्टी के सदस्यों को भी शामिल किया जाये.
अध्यक्ष महोदय, मैं सरकार का आपका और सरकार का आकर्षित करना चाहूंगा कि जो प्रायवेट स्कूल हैं उसमें सबसे बड़ी समस्या अनुसूचित जाति और जनजाति के बच्चों की. अनुसूचित जाति के बच्चे जब भर्ती होते हैं और एडमिशन करा कर के घर आते हैं और अपने माता-पिता से कहते हैं कि स्कूल के जो संचालक हैं कि आप अपनी स्कालरशिप हमको दे देना और हम आपको पढ़ाते रहेंगे.
अध्यक्ष महोदय, स्कालरशिप सरकार यहां से नहीं दे रही है. प्रायवेट स्कूल वाला कह रहा है कि स्कालरशिप दो और परीक्षा आने वाली हो और यहां से स्कालरशिप नहीं गयी तो प्रायवेट का संचालक उस बच्चे को स्कूल से निकाल देता है.
5.00 बजे {सभापति महोदय (डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय) पीठासीन हुए.}
श्री फूलसिंह बरैया-- ...कई जगहों पर कई बार इस बात को लेकर झगड़े भी हुए हैं, अगर आपका कंट्रोल उसमें ऐसा हो, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग के जो बच्चें हैं इनकी स्कालरशिप सही समय पर पहुंचे तो वह अपनी स्कालरशिप देते हैं संचालक को और फिर वह परीक्षा दे सकता है. परीक्षा में वह पास हो सकता है. दूसरी बड़ी बात है कि प्राइवेट स्कूलों में व्याभिचार बहुत हो रहे हैं. इसकी भी थोड़ी जांच करा लीजिए क्योंकि अकेले हम कंट्रोल ही कंट्रोल नहीं देखते रहें, या हम यही नहीं करते रहें कि कितनी फीस हम इस पर कितनी बढ़ाएंगे या कहीं कंट्रोल हमारे हाथ में है. प्राइवेट स्कूलों में इतना व्याभिचार हो रहा है. यहां तक कि बच्चों की हत्या भी हो जाती है और बच्चियों के साथ वहां पर बहुत बुरा व्यवहार होता है. यह करते वही हैं जो सरकार के मुंह लगे हैं और अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग के बच्चे बच्चियों के साथ यह अपराध करते हैं तो मैं चाहूंगा कि इसमें यह जोड़ा जाय.
सभापति महोदय, इस संशोधन विधेयक में यह नहीं आया है. इसमें जोड़ा जाय कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग के बच्चे बच्चियां सुरक्षित भी रहें और इनको सरकार की तरफ से सुरक्षा मिले और इसमें यह निश्चित किया जाय कि जब हम कोई शिकायत करेगा तो उसका निराकरण कितने दिनों में होगा, यह भी संशोधन में स्पष्ट किया जाय तो मैं आपसे यही बात कहूंगा कि यह जो विधेयक है, यह विधेयक पास हो जाय जैसा कहा है अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग बच्चे बच्चियों के साथ यह त्रासदी होती रहे, वह मारे जायं, उनकी इज्जत लूटी जाय और फिर यह विधेयक पास हो जाय और यह चलता रहे, ऐेसे विधेयक का मैं विरोध करता हूं, ऐसा विधेयक नहीं आना चाहिए, धन्यवाद.
श्री अभिलाष पाण्डेय (जबलपुर उत्तर) - सभापति महोदय, सबसे पहले तो आपका आभार कि आपने मुझे इतने महत्वपूर्ण विषय में जो एजूकेशन सिस्टम के रिफार्म का विषय है उस विषय पर बोलने के लिए अवसर दिया. जब भी एजूकेशन सिस्टम के रिफार्म की बात आती है और एजूकेशन सिस्टम के अंदर कुछ अच्छी गुणवत्ता और उसके विकास की बात आती है तो मुझे बड़ी प्रसन्नता इस बात के लिए होती है. मैं एक नहीं दो शिक्षकों का बेटा हूं. मेरे माता-पिता दोनों प्रिंसिपल रहे हैं इसलिए एजूकेशन सिस्टम में जब भी गुणवत्ता की बात आती है और सुधार की बात होती है तब इस बात को लेकर मुझे हमेशा प्रसन्नता होती है.
सभापति महोदय, वैसे भी मैं जिस राजनीतिक दल का हूं, उस राजनीतिक पार्टी ने एजूकेशन सिस्टम के रिफार्म का काम लगातार देश के अंदर किया है. आज इस सदन के माध्यम से मुझे कहते हुए यह प्रसन्नता है कि जो बिल माननीय शिक्षा मंत्री जी के माध्यम से यहां पर लागया है और मध्यप्रदेश के जन नायक मुख्यमंत्री और कठोर परिश्रमी मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी के मार्गदर्शन में जो यह बिल यहां पर लाया गया है. हम उस राजनीतिक पार्टी के लोग हैं, जिस राजनीतिक पार्टी ने इस देश के अंदर लॉर्ड मैकाले जैसी शिक्षा पद्धति के द्वारा पढ़ाए जाने वाली उस शिक्षा नीति के रिफार्म का काम इस देश के अंदर किया है.
सभापति महोदय, आज के इस बिल के दौरान में देश के यशस्वी प्रधानमंत्री आदरणीय श्री नरेन्द्र मोदी जी को इस बात के लिए भी बधाई देना चाहता हूं कि एनईपी के माध्यम से जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति देश के प्रधानमंत्री जी लेकर आए हैं . वह निश्चित तौर पर हमारी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से हमारी भारतीय ज्ञान परंपरा को एक प्लेटफार्म देने का काम किया है. इस एजूकेशन सिस्टम के रिफार्म के माध्यम से हमारे आने वाले भविष्य को न सिर्फ दिशा मिलेगी, बल्कि उनको अलग अलग प्रकार से इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से उन्हें अपने अलग- अलग सब्जेक्ट को चुनने का भी अवसर प्रदान हो रहा है. आज मैं जिस बिल के संदर्भ में बात कर रहा हूं. उस बिल के अंतर्गत आज हमारे स्कूल शिक्षा मंत्री जी ने हम सब के समक्ष जो बात रखी है वह मध्यप्रदेश निजी विद्यालय (फीस तथा संबंधित विषयों का विनियमन) संशोधन विधेयक, 2024 (क्रमांक 26 सन् 2024) है. मैं आपका ध्यान उस तरफ आकृष्ट करना चाहता हॅूं कि इस विधेयक को लाने की आवश्यकता और प्रासंगिकता क्यों साबित हुई. मैं आपको बताना चाहता हॅूं कि दिनांक-1.4.2024 को मध्यप्रदेश के जननायक मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव जी ने एक ट्वीट किया. उस ट्वीट के माध्यम से उन्होंने इस बात को कहा कि मुझे कई जगह यह शिकायत ध्यान में आती है कि कई जगह फीस स्ट्रक्चर कैसे ज्यादा फीस वसूली जा रही है और इसके साथ-साथ कुछ ऐसी कॉपी-किताब की दुकानें हैं जिनके साथ वे विद्यालय क्लब होकर और अलग तरीके से उन स्पेसिफिक दुकानों के अंदर ही उन पुस्तकों को खरीदने का एक व्यापार है, जिसकी सांठ-गांठ उस स्कूल के माध्यम से हो रही है. जैसे ही यह ट्वीट आया, मैं इसके लिए हमारे स्कूल शिक्षा मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हॅूं. यह जबलपुर की घटना है. इसलिए मैं इस बात का उल्लेख करना चाहता हॅूं कि जबलपुर के हमारे प्रशासन ने तत्काल प्रभाव से इस घटना को संज्ञान में लेकर और इतनी कठोर और कठिन कार्यवाही करने का काम किया है. यह विषय जैसे ही संज्ञान में आया, 25 स्कूलों की जांच प्रारम्भ कर दी गई. उन स्कूलों के माध्यम से जिस प्रकार की जो घटनाएं वहां पर चल रही थीं, उन पर तत्काल लगाम लगाने के लिए उन पर आपराधिक प्रकरण भी दर्ज हुए. जिनमें 12 स्कूल के 84 व्यक्तियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज हुए. साथ ही 25 स्कूलों के अंदर जो अनियमितताएं पायी गईं, 150 करोड़ रूपए की राशि जो विद्यार्थियों से अलग तरीके से वसूली गई थी, उस राशि को वापिस करने का भी आदेश दिया गया और मैं यह मानता हॅूं कि जबलपुर संस्कारधानी है. मैं कहना चाहता हॅूं कि मध्यप्रदेश के इतिहास का ऐतिहासिक निर्णय यदि कहीं पर हुआ है, तो वह मध्यप्रदेश की धरती पर डॉ.मोहन यादव जी की सरकार में हो पाया है. मैं इसके साथ-साथ इस पूरी घटना का जिक्र आपसे करना चाहता हॅूं कि जब उन्होंने यह ट्वीट किया, उसके बाद अभिभावकों ने ऐसे 76 निजी विद्यालय की शिकायतें दर्ज करायीं. इसमें ऑडिट को लेकर हेराफेरी थी. मैं अभी देख रहा था कि माननीय सदस्य जो कह रहे थे. ऑडिट की हेराफेरी जिस तरह के स्कूल प्रबंधन करते थे, उस पर भी नकेल लगाने का काम किया गया. साथ ही हमारे यहां बिना अनुमति के जो फीस बढ़ाने की बात कही जाती थी, उस तरह से कई बातें, कई जगह ध्यान में आती हैं. न सिर्फ जबलपुर के संदर्भ में, बल्कि संपूर्ण मध्यप्रदेश के परिदृश्य में यदि हम देखेंगे, तो अलग-अलग स्थानों पर, अलग-अलग तरह से फीस बढ़ाकर, अलग-अलग हेड्स और अलग-अलग मदों की फीस बढ़ाकर स्कूल के बच्चों के ऊपर हमेशा दबाव बनाने का काम करते हैं.
सभापति महोदय, मुझे ध्यान है जब मैं मध्यप्रदेश युवा मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष था, तब कई ऐसे बच्चे हमारे पास आते थे. उनके अभिभावक आते थे और मुझे इस बात को कहते हुए पूर्ण विश्वास भी है कि इस सदन में बैठा हुआ एक-एक सदस्य इस बात को स्वीकार करेगा कि आपके पास भी कई अभिभावक आते होंगे और चिट्ठियां लिखवाते होंगे कि बच्चों की फीस कम कर दीजिए, बच्चों की फीस माफ करवा दीजिए, बच्चों की फीस को कम कर दीजिए. इस प्रकार की घटनाएं, इस प्रकार की बातें निरंतर मध्यप्रदेश के परिदृश्य में हम सबके ध्यान में आती हैं.
सभापति महोदय, इसके साथ-साथ कई जगह पाठ्यपुस्तक दुकानों के साथ सांठ-गांठ करने का विषय भी ध्यान में आता है. मैं पूछना चाहता हॅूं कि यह कहां का न्याय है कि एक स्कूल की ड्रेस एक ही दुकान पर मिलेगी. क्या अन्य दुकानों से ड्रेस नहीं ली जा सकती. यह जो पुस्तकें हैं, मुझे ध्यान है क्योंकि हम बहुत सामान्य और गरीब परिवार के लोग हैं. हमारे मोहल्ले में जब पड़ोस के कोई एक बडे़ भैया पढ़ते थे, तो उनकी किताबों से पूरा मोहल्ला पढ़ लिया करता था और वही शिक्षा हम अध्ययन करते थे लेकिन अब छोटे-छोटे रिफॉर्म, छोटे-छोटे बदलाव किताबों के अंदर करके नयी किताबों को दिलाने का काम जिस तरह से किया जा रहा था, मुझे लगता है कि इन सारे विषयों को संज्ञान में लेकर आदरणीय स्कूल शिक्षा मंत्री जी ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है. इसी तरह से आईएसबीएन डुप्लीकेसी के नाम पर किताबों की धोखाधड़ी का जो काम किया जा रहा था, यह भी बहुत दुर्भाग्यपूर्ण था. मैं आज इस सदन को यह बताना चाहता हॅूं कि मध्यप्रदेश सरकार ने जो निर्णय लिये हैं उस निर्णय के खिलाफ जो कार्यवाहियां लोगों पर हुई हैं. तब जबलपुर के स्कूल प्रबंधक संचालक जब न्यायालय में जाते हैं तो यह मध्यप्रदेश सरकार के लिये बड़ी प्रसन्नता का विषय है कि सम्मानीय न्यायालय जिसे हम सर्वोच्च मानते हैं उन न्याय प्रक्रिया के अंदर भी मध्यप्रदेश की सरकार के द्वारा लिये हुए निर्णय और उस स्कूल प्रबंधन के खिलाफ की कार्यवाहियों को जब वह जमानत याचिका के लिये जाते हैं तब न्यायालय रिजेक्ट करने का काम करते हैं. क्योंकि सही निर्णय मध्यप्रदेश की सरकार लेती है. आदरणीय शिक्षामंत्री जी के द्वारा आज जो बात हम सबके लायी गई है और जिस तरह का विधेयक संशोधन के नाम पर लाया गया है. मैं यह मानता हूं कि अभी तक हमने स्कूल के अंदर जो बसों का संचालन हम देखते थे वह किसी शिक्षा एवं किसी फीस का हिस्सा नहीं होती थी. इसी तरह से हमारे यहां पर जो अलग अलग तरह से जो बच्चों के ट्रांसपोर्टेशन के नाम पर अलग तरह से फीस वसूलने का काम स्कूल करते थे. आज वह ट्रांसपोर्टेशन भी इस विधेयक में परिवर्तन आने के कारण वह भी फीस का हिस्सा होने वाला है. 25 हजार रूपये से ज्यादा यदि किसी स्कूल की तरफ से वार्षिक रूप से ली जायेगी वह इस विधेयक के अंतर्गत आते हैं. इसके साथ साथ हमारे यहां पर तीन स्तरीय समिति बनी है. अभी तक स्कूल एज्यूकेशन के नाम पर दो स्तरीय समितियां हुआ करती थीं. एक वह होती थी जो जिला स्तर पर होती थी, लेकिन जिला स्तर की समिति के बाद अपील की समिति राज्य स्तर पर होती थी. यह सारी समितियां प्रशासकीय अधिकारियों के मार्गदर्शन पर चलती थी. लेकिन मैं धन्यवाद देना चाहता हूं राव उदय प्रताप सिंह जी का मैं धन्यवाद देना चाहता हूं मध्यप्रदेश के जननायक कठोर परिश्रमी हमारे मुख्यमंत्री आदरणीय मोहन यादव जी का और मुझे यह लगता है कि वह खुद भी शिक्षाविद् हैं, साथ ही हमारे हायर एज्यूकेशन के मिनिस्टर होने के नाते उस समय मध्यप्रदेश के परिदृश्य में परिस्थितियां देखी थीं आज आपने तीन स्तरीय समितियां बनायी. पहली समिति जो जिला स्तर पर बनायी जायेगी उस जिला स्तर की समिति पर स्कूल अपनी अपील कर सकेगा. इसके बाद दूसरी जो समिति बनायी जा रही है वह विभाग स्तर की समिति है. जब जिला स्तर की समिति के विनिश्चयों के किसी तरह से उस पर उसके विरोध पर अपीलीय कोई समिति होगी तो वह विभाग स्तरीय समिति होगी. विभाग स्तरीय समिति जब हमारे विभाग स्तरीय समिति के विनिश्चयों के विरोध में राज्य स्तरीय समिति बनेगी तो मुझे यह कहते हुए प्रसन्नता है कि इस समिति माननीय शिक्षामंत्री जी उस समिति के अध्यक्ष के रूप में समिति का संचालन करेंगे. इसमें मिनीमम पांच सदस्यों के साथ मिलकर इस पूरे हमारे एज्यूकेशन रिफार्म जो है इस पूरे सिस्टम के अंदर सरकार काम करेगी तो मेरा यह मानना है कि मध्यप्रदेश के अंदर 652 स्कूल संचालित होते हैं इन स्कूलों के अंदर नकेल लगाने का काम भी मध्यप्रदेश की सरकार करेगी. मैं यह मानता हूं कि हमारा जो विधेयक है वह 2017 के अंतर्गत आने वाले विधेयक में धारा-1-2-3-5 एवं 7 में जो संशोधन किया जायेगा यह मध्यप्रदेश के शिक्षा के सिस्टम पर मील का पत्थर साबित होगा. इसलिये मैं इस बात के लिये पूर्ण रूप से आदरणीय शिक्षामंत्री जी के प्रति आभार व्यक्त करता हूं. इस संशोधन का पूर्ण रूप से समर्थन करता हूं. आपने मुझे बोलने का समय दिया धन्यवाद.
श्री राजेन्द्र भारती (दतिया)—सभापति महोदय, शासन द्वारा यदि सरकारी स्कूलों का गुणवत्तापूर्ण स्तर रखा होता और सात लाख बच्चे स्कूल से ड्राप नहीं हुए होते तो यह बिल लाने की आवश्यकता ही नहीं पड़ती. यह बिल इसलिये लाया गया है कि जो प्रदेश में शिक्षा माफिया है उस पर अंकुश एवं नियंत्रण कैसे रखा जाये. अंकुश एवं नियंत्रण रखने के लिये आपने इस बिल के माध्यम के विभिन्न प्रावधान रखे हैं. माननीय सभापति महोदय, जो प्रायवेट स्कूल हैं, उन स्कूलों में केंद्र सरकार का आर.टी.ई. (राईट टू एज्यूकेशन) जो कानून है, उस आर.टी.ई में बहुत सारे प्रायवेट स्कूल हैं, जो उस आर.टी.ई. कानून का पालन नहीं करते हैं और जो निर्धारित संख्या है और जो उनको सुविधाएं उन स्कूलों में मिलना चाहिए व न तो उस निर्धारित संख्या के अनुसार एडमीशन बच्चों के करते हैं और न ही उन बच्चों को सुविधाएं देते हैं.
माननीय सभापति महोदय, इसमें जो बिल में प्रावधान है, उसमें जो पढ़ने को मिल रहा है, यदि कोई स्कूल अनियमितताएं करता हैं, गड़बडि़यां करता हैं, फीस के स्तर पर पेरेंटस से चीटिंग करता है, धोखाधड़ी या हेराफेरी करता है, परीक्षाओं में अनियमितताएं करता है, वह आर.टी.ई. कानून का पालन नहीं करता है, वह शिक्षा संहिता के जो नियम और कानून हैं, उनका पालन नहीं करता है तो उस पर आप किस तरह की कार्यवाही करेंगे. आपने इसमें यह लिखा है, आपने पेज नंबर दो पर पांचवे बिंदु पर लिखा है कि फीस तथा संबंधित विषयों के विनियमन हेतु राज्य स्तरीय समिति फीस तथा संबंधित विषयों के विनियमन हेतु विभागीय समिति द्वारा अधिरोपित शास्ति को घटा या बढ़ा सकेगी. अब शास्ति किस प्रकार की होगी? इसमें यह उल्लेख नहीं है, इसमें आपको स्पष्ट उल्लेख यह करना चाहिए था कि इसमें स्पष्ट रूप से जो यह गड़बडि़यां करते हैं, या अनियमितताएं करते हैं, उन पर अर्थदण्ड के साथ ही आपराधिक कार्यवाही का प्रावधान इसमें होना चाहिए.
माननीय सभापति महोदय, आपने दो स्तरीय जो समिति हैं, उनको त्रिस्तरीय कर दिया है, पहले संशोधन के माध्यम से विषयों के विनियमन के लिये जिला समिति फीस और संबंधित विषयों के विनियमन हेतु जिला स्तरीय समिति और राज्य स्तरीय समिति अब इसमें एक समिति का आपने और प्रावधान कर दिया है, जिसमें माननीय मंत्री महोदय स्वयं उसके अध्यक्ष होंगे.माननीय सभापति महोदय, इसमें जो अपील होगी वह कोई प्रायवेट स्कूल ही करेगा, या प्रायवेट स्कूल के खिलाफ जिला स्तरीय समिति कोई कानूनी कार्यवाही करेगी और उसकी अपील वह स्कूल करेगा और उसके बाद अगर वहां से संतुष्ट नहीं है तो इस त्रिस्तरीय समिति के पास वही स्कूल जायेगा, लेकिन इसमें फीस देने वाला कौन है? फीस देने वाले पेरेंटस हैं, बच्चे हैं, उसमें स्पष्ट से इस बात का उल्लेख करना चाहिए कि यह अपील और शिकायत पेरेंटस भी कर सकते हैं और फीस देने वाले बच्चे भी कर सकते हैं, यदि उनको आपने यह सुविधा नहीं दी और यह कानूनन प्रावधान आपने नहीं किया तो यह उस स्कूल की और अधिकारियों की सांठ-गांठ हो जायेगी और फिर अपील जहां होगी, वहां फिर सांठ गांठ हो जायेगी, तो कुल मिलाकर जो शोषण होगा, वह शोषण पेरेंटस का होगा, बच्चों का होगा, उस शोषण को रोकने के लिये मैं आपसे विनम्र प्रार्थना करता हूं कि इसमें अपील करने के लिये आपको खुले तौर पर पेरेंटस को और बच्चों को प्रावधानिक अधिकार देना चाहिए. माननीय सभापति महोदय, बिल निश्चित रूप से आप लाये हैं और बिल में प्रावधान भी बहुत अच्छे हैं. आपने नियंत्रण रखने के लिये यह सब किया है, लेकिन शिक्षा माफिया आपसे बहुत ज्यादा आगे है, आप यदि '' डाल-डाल हैं, तो वह पात-पात हैं,'' आप उस पर नियंत्रण नहीं कर सकते हैं, फिर चाहे वह आपके मेडिकल कॉलेज में इसी तरह से जो फीस लेने की बात है, चाहे वह नर्सिंग कॉलेज की बात है, यह सारे के सारे प्रायवेट जो माफिया हैं, शिक्षा माफिया हैं, यह सब शिक्षा के नाम पर शोषण करते हैं और इसको नियंत्रण करने का काम यदि सरकार कर रही है, खुले मन से कर रही है तो निश्चित रूप से यह स्वागत योग्य है, सभापति महोदय, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री फुंदेलाल सिंह मार्को (पुष्पराजगढ़)-- माननीय सभापति महोदय, जिस तरीके से शिक्षा और शिक्षा को दो भागों में बांटने का जो काम किया जा रहा है ये बहुत बड़ी खाई, दरार बनती जा रही है. मुझे याद है कि बहुत पहले शासकीय विद्यालय से मैं पढ़कर आया हूं उस समय और जितने वरिष्ठ माननीय सदस्यगण हैं अधिकांश शासकीय विद्यालयों में ही अध्ययन करे होंगे. उस समय ऐसी व्यवस्था थी कि चाहे पटवारी का बच्चा हो, कलेक्टर का बच्चा हो, तहसीलदार का हो यदि ब्लॉक में हैं तो ब्लॉक में जितने अधिकारियों के बच्चे हैं उसी शासकीय विद्यालय में पढ़ते थे. जिला स्तर पर संभाग स्तर पर नेताओं के बच्चे अधिकारियों के बच्चे, सांसदों के बच्चे भी शासकीय विद्यालयों में विद्या अध्ययन करते थे. माननीय सभापति महोदय, उस समय उसका असर यह रहा कि जो वहां अध्यापन कार्य कर रहे थे, हमारे जो टीचर थे उनके मन में यह भय रहता था कि इस विद्यालय में हमारे कलेक्टर के बच्चे पढ़ रहे हैं, एसडीएम के बच्चे पढ़ रहे हैं, तहसीलदार के बच्चे हैं, कर्मचारियों के बच्चे भी अध्ययन कर रहे हैं, इससे गांव के जो प्रवेशी बच्चे थे उनको भी लाभ मिला करता था. धीरे-धीरे समयानुसार परिवर्तन हुआ, इस परिवर्तन में सबसे ज्यादा नुकसान यदि कहीं शिक्षा में गिरावट आई है तो वह शासकीय विद्यालयों में हुआ. आज शासकीय विद्यालयों की यह हालत है माननीय शिक्षा मंत्री जी का मैं ध्यान आकृष्ट करना चाहूंगा कि कई ऐसे गांव के विद्यालय, प्राथमिक विद्यालय बंद होने की स्थिति में है. एक बच्चे, दो बच्चे, चार बच्चे यदि उसी गांव में कोई निजी विद्यालय यदि संचालित हो गया तो वहां पर 50-50, 100-100 बच्चे उनको बैठने की जगह नहीं है, यह अंतर क्यों आ रहा है, हमारी व्यवस्था के कारण यह अंतर आ रहा है. जो हमारे शिक्षक हैं उनको हम 1 लाख वेतन देते हैं वहां ऐसे विद्वान शिक्षकों की हम भरती करते हैं और बच्चों की संख्या 2, टीचर दो, वेतन दो लाख, लेकिन वहां भी हम बच्चों को और अभिभावकों को आकर्षित क्यों नहीं कर पा रहे हैं. हम अपने शासकीय विद्यालयों में बच्चों को अधिक प्रवेश क्यों नहीं दिला पा रहे हैं, लोगों का विश्वास, शासकीय विद्यालयों में अभिभावकों का विश्वास हम नहीं जीत पा रहे हैं, जिसके कारण आज 34 हजार निजी विद्यालाय प्रदेश में संचालित हैं. आज यह हो गया है कि मनमर्जी फीस ली जाती है, इनके वाहनों में शुल्क लिये जाते हैं, अच्छे चमक दमक इनके ड्रेस हो जाते हैं, अभिभावक उस पर आकर्षित होते हैं. इससे जो हमारा गांव का व्यक्ति है, किसान का जो बेटा है, गांव में जो रह रहे हैं वह पैसा देकर शिक्षा अध्ययन नहीं कर सकते. इस दिशा में भी हमको परसेंटेज निर्धारित करना पड़ेगा कि इतने परसेंट एससी, एसटी के बच्चे अशासकीय विद्यालयों में अध्ययन करेंगे यह भी हमको यहां निश्चित करना पड़ेगा. हमारे कितने परसेंट किस समुदाय के बच्चे वहां पढ़ेंगे जो फीस नहीं दे सकते हैं, चूंकि हमारे मध्यप्रदेश में निशुल्क शिक्षा की व्यवस्था है. आज फीस की बात आ रही है जब निशुल्क शिक्षा मध्यप्रदेश में लागू है, हम पहली से लेकर उच्च शिक्षा तक हम लोग दे रहे हैं तो यह पहली दूसरी और निजी विद्यालयों में आप फीस की बात कर रहे हैं उसके निर्धारण की और नियंत्रण की बात हम कर रहे हैं कैसे आप करोगे, उसकी चकाचौंध में आप उसका नियंत्रण नहीं कर सकते हो. संचालन करने वाले हमारे इसमें बहुत सारे लोग हैं, कोई दूसरा थोडी़ न है वह. मैं आपके माध्यम से इस बिल को जो लाये हैं माननीय मंत्री जी को मैं बताना चाहूंगा कि पहले राजीव गांधी शिक्षा मिशन लागू हुआ था.
पहले राजीव गांधी शिक्षा मिशन लागू हुआ था. उसमें प्रत्येक मजरा,टोला,गांवों में जहां 40 बच्चे मिले वहां शिक्षा की गारंटी के तहत् विद्यालय खोल दिये गये. वहां के जो पढ़े लिखे बच्चे हैं सरपंच ने उनकी नियुक्ति कर दी और वे वहीं पढ़ाने का काम करते थे उसका नतीजा यह हुआ कि उस समय निजी विद्यालयों की संख्या कम होती गई.जैसे-जैसे इसमें कमी आती गई ऐसा लगता है जो बरसात में पिहरी निकल आती है उसी तरह से आपके प्रति दिन निजी विद्यालय संचालित हो रहे हैं. इसमें मैं दो सुझाव दूंगा एक तो फीस का निर्धारण कौन करेगा,दूसरा मैं मानता हूं कि निजी विद्यालयों का जो संचालक होगा तो यह जो संशोधन विधेयक आया है वह स्वतंत्र हो जायेगा उस पर हम लगाम लगाने की बात कर रहे हैं जहां 25 हजार रुपये कम पड़ता है इसमें लिखा है कि निजी विद्यालयों के समक्ष आने वाली विशिष्ट समस्याएं और उनके संसाधनों में कमी आने के कारण यह संशोधन को लाया गया है तो मैं माननीय शिक्षा मंत्री जी से चाहता हूं कि आप उन्हीं विद्यालयों की स्वीकृति प्रदान करें जिसके पास बैठने के लिये पर्याप्त व्यवस्था हो,खेलने का मैदान हो,पीने के पानी की व्यवस्था हो,भवन हो और अन्य चीजें जो विद्यालय के संचालन के लिये आवश्यक हैं उसको आप देखें. इससे एक प्रदेश में अच्छा संदेश जायेगा.
श्री सोहनलाल बाल्मीक(परासिया) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी का ध्यान दिलाना चाहता हूं कि जो आर.टी. के तहत बच्चों की भर्ती होती है प्रायवेट स्कूलों में तो ऐसे बहुत सारे प्रायवेट स्कूल हैं जिनको समय पर राशि नहीं मिल पाती और उसके चलते आने वाले समय में प्रायवेट स्कूल वाले ऐसे बच्चों को लेना बंद कर देते हैं या उनके पेरेंट्स से पैसा वसूलने की बात करते हैं तो थोड़ा इस पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाए.
श्री ओमकार सिंह मरकाम(डिण्डोरी) - सभापति महोदय जी, किसी भी समाज का,प्रदेश के विकास की बुनियाद शिक्षा है. मानवीय मूल्यों को ऊंचाईयों तक ले जाते हुए विकास की प्रगति पर जो सरकार बात करती है हम आप सब बात करते हैं उसका मूल आधार है शिक्षा और शिक्षा का जो यह शुल्क है उस पर हमारे विद्वान शिक्षा मंत्री जी,संशोधन कराने के लिये यह जो विधेयक लाये हैं सबसे पहले मंत्री जी जो आपने 34652 निजी विद्यालयों की बात कही है इसमें दो तरह के विद्यालय होते हैं एक शासकीय अनुदान प्राप्त और एक आपके सीधे जो शासन के द्वारा संचालित होते हैं.
5.27 बजे अध्यक्षीय घोषणा
सदन के समय में वृद्धि विषयक
सभापति महोदय - आज की कार्यसूची में सम्मिलित कार्य पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाय. मैं समझता हूं सदन इससे सहमत है.
सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.
माननीय सदस्यों से मेरा आग्रह है बहुत से आपके नाम हैं थोड़ा संक्षिप्त में उल्लेख कर लें. मूल भावना विषय की आ चुकी है. मूल बिन्दु आ चुके हैं तो थोड़ा आप सहयोग करें.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - सभापति जी, आप समय बढ़ा देते हैं तो स्वल्पाहार की भी व्यवस्था कर दें. मैं यह कहना चाह रहा था कि मूल विषय पर ताज्जुब यह होता है कि समय की वृद्धि होती है परंतु अच्छे विषयों पर चर्चा नहीं होती. लोग कहते हैं इस समय नेता बिगड़ गये हैं. इनको चुनकर भेज दो तो यह सही बात नहीं करते. ऐसा बोलते हैं. मेरा अनुरोध है कि समय आदि में वृद्धि कर लीजिए, इसमें क्या परेशानी होती है.
माननीय शिक्षा मंत्री महोदय, मैं यह कहना चाह रहा था कि आपने फीस के निर्धारण से जुड़े हुए विषय पर उद्देश्यों और कारणों के कथन में इसमें जो गहरा लेख किया है, आपको निजी विद्यालयों की इतनी चिंता है कि कहीं फीस कम है, कहीं फर्नीचर कम है, मैं आपसे पूछना चाहता हूँ और मैं धन्यवाद दूंगा पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह जी को, जिन्होंने राइट टू एजुकेशन एक्ट दिया. इस एक्ट के तहत आपके जो 34 हजार विद्यालय हैं, इसमें आपके 10 हजार विद्यालय भी मापदण्ड पूरे नहीं कर रहे हैं. उस एक्ट में आपको अधिकार मिला हुआ है. आप उसके अधिनियम निकालिए कि राइट टू एजुकेशन एक्ट क्या कहता है. उसको आपने संज्ञान में नहीं लिया और न ही आप ऐसा कर रहे हैं. अब आप विद्यालयों की व्यवस्था के लिए ज्यादा चिंतित हैं. वैसे इस समय बड़े-बड़े नेताओं से लेकर बड़े-बड़े अधिकारियों का आज एक ही धंधा है, अच्छा स्कूल खोल लो. नेता, अफसर, बड़े अधिकारी सब इस काम में लगे हुए हैं. माननीय मंत्री जी, मैं यह कहना चाहता हूँ कि क्या आपने सोचा है कि एक प्रतिभावान विद्यार्थी को हम खुला अवसर दें. आप अभी तत्काल हां कहेंगे तो सदन छूटने के बाद आप मेरे साथ रेलवे स्टेशन चलें, रेलवे स्टेशन से मैं आपको प्रतिभावान बच्चे दे दूंगा, आप पढ़ाने की व्यवस्था कर दीजिएगा. रेलवे स्टेशन से लेकर भोपाल के चौराहों में भी जब हम जाते हैं तो लालघाटी के पास हम देखते हैं. मैं तो सभी विधायकों से अनुरोध करना चाहूँगा, नेतागिरी बाद की चीज है, पहले हमारा सम्मान है. आप, हम, सब चलें, चौराहों पर छोटे-छोटे बच्चे कटोरा लेकर आ जाते हैं. उनमें टैलेंट इतना होता है कि वे गाड़ियों से बचते हुए आते हैं. सारंग जी, आप तो समय दे ही दें, यहीं से वोट लेना है.
सभापति महोदय -- बस अब समाप्त करें मरकाम जी. काफी समय हो गया है. अगले साथी आपका ही इंतजार कर रहे हैं.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- सभापति महोदय, अच्छा मैं यह कह दूँ, मैं अपने साथियों से पूछ लूँ कि मैं बैठ जाऊँ तो मैं बैठ जाता हूँ. सब जब सुन रहे हैं.
सभापति महोदय -- सारे साथी कह दें तो आपके बाद में भगवानदास जी को बुला लेते हैं, फिर समाप्त करते हैं. अपनी बात जल्दी समाप्त करें.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- माननीय शिक्षा मंत्री महोदय, हम आपसे यह कहना चाहते हैं कि जरा इसको गंभीरता से सोचें. मुझे कहने में जरा भी शंका नहीं है. आप ही बस प्राईमरी स्कूल नहीं चलाते हैं, आप ही बस हायर सेकेण्डरी स्कूल नहीं चलाते हैं. ट्राईबल डिपार्टमेंट भी प्राईमरी और हायर सेकेण्डरी स्कूल चलाता है, आपकी इस कमेटी में आप ही आप बैठ जाते हैं, जनजातीय कार्य विभाग में भी सीनियर पीएस होते हैं, सीनियर मिनिस्टर होते हैं, अगर उनको भी साथ रख लेंगे तो आपको क्या दिक्कत हो जाएगी. पर सरकार की मंशा ही नहीं है कि आदिवासियों को सम्मान दें, उपयोग बस कर लें.
माननीय सभापति महोदय, आपके माध्यम से मैं माननीय शिक्षा मंत्री जी से अनुरोध करूंगा, यह बहुत गंभीर विषय है, आप एक घोषणा कर दें, मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि दलगत नीति से ऊपर उठकर मैं आपका सार्वजनिक सम्मान करूंगा क्योंकि मैंने राजनीति में अपने सिद्धांत तय किए हैं, जो मेरे लिए सर्वोपरि हैं.
सभापति महोदय -- अब आप तत्काल समापन करें.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- एक मिनट मैं बोल रहा हूँ. अब हम बोल रहे हैं, उसको तो सुन लें, आप ही नहीं सुन पाते हैं, बंद करें, बंद करें.
सभापति महोदय -- सभी सुन रहे हैं आपको दिन भर से. बस इस विषय को आप समाप्त करें.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- माननीय सभापति जी, मैं एक चीज तो बोल दूँ.
सभापति महोदय -- हां, बोल दें.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- मेरा माननीय मंत्री जी से, माननीय सरकार से, माननीय हमारे विजयवर्गीय जी, माननीय पटेल जी, सभी सदस्यों से अनुरोध है कि इस मध्यप्रदेश की जमीन पर जो भी विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त करना चाहें, उनके माता-पिता को आंसू न बहाना पड़े, उनको जमीन न बेचनी पड़े, उन्हें कर्जा न लेना पड़े.
सभापति महोदय - आपका बहुत धन्यवाद, प्लीज बैठिये. कृपया सहयोग करें. आप तो वरिष्ठ हैं, सब जानते हैं. आप बैठ जाइये.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - सभापति महोदय, आपसे मेरा अनुरोध है कि आप यह जरूर करें और यह जो निजी विद्यालय हैं, उनको फायदा पहुंचाने का जो गणित है, आप कई बार सांसद बन गए हैं, अब यह झंझट छोड़ें.
सभापति महोदय - आप बैठ जाइये.
डॉ. रामकिशोर दोगने (हरदा) - अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश निजी विद्यालय संशोधन विधेयक, 2024 पर आपने मुझे बोलने का मौका दिया, उसके लिए मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूँ.
माननीय सभापति महोदय, हमारे यहां मध्यप्रदेश में 34,652 प्रायवेट स्कूल्स हैं, इसमें प्ले स्कूल्स तो छूटे हुए हैं, प्ले स्कूल्स काफी होंगे. इसमें हम प्रत्येक स्कूल में देखें कि अगर हम 300 बच्चों की गणना करें तो एक करोड़ से ऊपर बच्चों को शिक्षा दी जाती है. अगर यह प्रायवेट स्कूल अच्छी शिक्षा दे रहे हैं और उनके लिए अधिनियम बनाया जा रहा है. सबको संविधान के अनुसार चलना चाहिए, तब तो बिल्कुल सही बात है. प्रायवेट स्कूल हमारी सरकार की शिक्षा व्यवस्था का 75 प्रतिशत भाग इस प्रदेश को दे रहे हैं, इन बच्चों को, यहां की जनता को. पर उनको माफिया कहा जा रहा है. यह बड़े दुख की बात है. इसमें कौन माफिया है ? कोई पता तो लगाये शिक्षा विभाग में. शिक्षा विभाग वालों को माफिया कहा जा रहा है. यहां पर बैठे हुए जितने भी विधायक, मंत्री, यहां बैठे हुए प्रशासनिक अधिकारी एवं सभी लोगों के बच्चे प्रायवेट स्कूलों में पढ़ते हैं, तो क्या आप बच्चों को माफियाओं के यहां पढ़ाते हैं ? यह सोचने की बात है. आप हर जगह शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को हमेशा प्रताडि़त करते हैं, हर आदमी प्रताडि़त करता है.
सभापति महोदय, अगर स्कूल में 300 बच्चे हैं, 500 बच्चे हैं, तो उसमें से 10 प्रतिशत पेरेंट्स हमेशा तकलीफ देते हैं और यह शिकायत करते हैं कि यह हो रहा है, वह हो रहा है, ऐसा हो रहा है, वैसा हो गया और उसके कारण परेशान करते रहते हैं और उनकी परेशानी कोई नहीं सुनता है. प्रशासनिक अधिकारी उसके ऊपर कार्यवाही करने के लिए बैठे हुए हैं और हमारे राजनैतिक लोग भी कार्यवाही करने के लिए बैठे हुए हैं, यह नहीं होना चाहिए. आप किसी का भाग भी देखें कि वह कितनी सेवा कर रहा है.
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) - सभापति जी, माफिया शब्द भी सामने की तरफ से आया है, हमारी तरफ से नहीं आया है. माफिया शब्द भी इनके मित्रों ने कहा है. आप बड़ा अच्छा बोल रहे हैं, आपका स्कूल भी बड़ा अच्छा है, आप अच्छा संचालन करते हैं. आप स्कूल का अच्छा प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, इसलिए मैं आपका स्वागत करता हूँ.
डॉ. रामकिशोर दोगने - सभापति महोदय, माननीय यह व्यक्तिगत बात नहीं है. मैं आपको बताना चाहता हूँ, हम मध्यप्रदेश की स्थिति देखें. आप लोग खुद बताइये, स्वीकार कीजिये कि आप सब लोग बच्चों को प्रायवेट स्कूल्स में पढ़ाते हैं कि नहीं. आप माफिया उनको बोलो कि जो वर्ष की 12 लाख रुपये, 15 लाख रुपये फीस लेते हैं.
सभापति महोदय - माननीय मंत्री जी का यह आशय है कि आप जल्दी समाप्त करें.
डॉ. रामकिशोर दोगने - सभापति महोदय, मैं अच्छा बोल रहा हूँ, अभी हमारे मंत्री जी ने भी कहा है. मुझे बोलने दीजिये, क्योंकि इनकी बात कोई नहीं रखती है, वह हमेशा पीडि़त रहते हैं. मेरा आपसे और सरकार से निवेदन है कि नियम कानून बनाना चाहिए और संविधान का सबको पालन करना चाहिए. आप देखिये कि जब प्राथमिक स्कूल की मान्यता लेते हैं या मिडिल स्कूल की मान्यता लेते हैं तो जिला शिक्षा अधिकारी मान्यता देते हैं और जब बोर्ड कक्षाओं की मान्यता लेते हैं तो यहां भोपाल में बैठे हुए बोर्ड के अधिकारी मान्यता देते हैं और सब जगह समितियां बनी हैं, सबके लिए मान्यता के कानून बने हुए हैं. फिर भी नई-नई समितियां बनाने की जरूरत क्या है और नीचे से चन्दा वसूली की कार्यवाही और चालू हो जायेगी. एक समिति, दो समिति, तीन समिति एवं चार समिति बनती है, स्कूल वालों को उसकी भरपाई करनी पड़ती है. यह चीजें नहीं होनी चाहिए, शिक्षा अच्छी हो, आप मापदण्ड रखिये कि आपकी पांच एकड़ भूमि में स्कूल है, तो यह फीस रहेगी, आपकी दो एकड़ भूमि में स्कूल है, तो यह फीस रहेगी.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल - सभापति महोदय, दोगने जी, आप बता दो कि आपके यहां स्कूल की फीस कितनी है ? 12 वीं कक्षा में कितनी फीस है ?
डॉ. रामकिशोर दोगने - सभापति महोदय, मेरी फीस एक लाख रुपये है. छात्रावास सहित फीस है. आप जाकर पता कर सकते हैं.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल - सभापति महोदय, यह एक लाख रुपये बहुत ज्यादा है. गरीब विद्यार्थियों के हिसाब से तो एक लाख रुपये बहुत ज्यादा होते हैं.
डॉ. रामकिशोर दोगने - सभापति महोदय, मेरा यह कहना है कि इनका भी संरक्षण किया जाये. आप उद्योगपतियों को इतना लाभ दे रहे हैं, उद्योगपतियों को सबसिडी दे रहे हैं, 40 प्रतिशत पर लोन दे रहे हैं. शिक्षा विभाग वालों को क्या दे रहे हैं ? जो शिक्षा विभाग में काम कर रहे हैं. वह भी रोजगार देते हैं. वह लोगों को शिक्षा भी दे रहे हैं, सेवा भी कर रहे हैं. उसके बाद भी उनको कुछ नहीं दिया जाता है. इसलिए मेरा सरकार से आपके माध्यम से निवेदन है कि यह समितियां जो बन रही हैं, वह इस पर काम करें और लोगों को लाभ दें, जिससे ये शिक्षा के क्षेत्र में अच्छा काम करें, आप प्रोत्साहित करें तो ज्यादा अच्छा रहेगा. इस पर ध्यान दें. आपने बोलने का मौका दिया, उसके लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद.
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय)- दोगने जी ने बहुत अच्छा कहा है. इन्होंने जो कहा कि आजकल मिडिल क्लास के बच्चे प्राइवेट स्कूलों में पढ़ते हैं और उनको बहुत परेशानी होती है, आपने बहुत अच्छे से स्कूल वालों का विषय यहां रखा है, मैं, आपकी बात का समर्थन करता हूं.
डॉ. रामकिशोर दोगने- निश्चित रूप से शिक्षा के क्षेत्र में सुधार होगा, धन्यवाद.
सभापति महोदय- दोगने जी धन्यवाद.
श्री राजन मण्डलोई (बड़वानी)- सभापति महोदय, मेरा सरकार से आग्रह है कि जब जनकल्याणकारी सरकारें बन रही हैं तो उस सरकार का दायित्व है और बजट भी पर्याप्त है तो उस बजट को बढ़ाकर क्यों नहीं निजी स्कूलों को पूरी तरह से बंद कर दिया जाये क्योंकि समस्या यह है कि आज आर्थिक रूप से सक्षम लोग अपने बच्चों को निजी स्कूलों में पढ़ा लेते हैं लेकिन गरीब तबके के बच्चे, आदिवासी, दलित वर्ग के बच्चे छोटे स्कूलों में जहां शिक्षक नहीं हैं, शासकीय स्कूलों में जाते हैं. वे बच्चे उन बच्चों के साथ, जो लाखों रुपये की वार्षिक फीस देकर पढ़ रहे हैं, उनसे क्या प्रतियोगिता कर पायेंगे ? क्या इतने समय के पश्चात् भी यह संभव नहीं है कि देश में एक जैसी शिक्षा प्रणाली सभी के लिए लागू हो. एक ही क्षेत्र के स्कूल में वहां के कलेक्टर और चपरासी के बच्चे, किसान और मजदूर, गरीब-अमीर सभी के बच्चे, एक ही छत के नीचे, एक साथ पढ़ें, जिससे सभी को समान शिक्षा और व्यवस्था मिल सकेगी. (मेजों की थपथपाहट)
सभापति महोदय, निजी स्कूलों में हम RTE एक्ट के तहत बच्चों का एडमिशन करवाते हैं लेकिन वहां बहुत दिक्कतें होती हैं. वहां केवल शैक्षणिक शुल्क माफ होता है, इसके अलावा पुस्तकालय शुल्क, प्रयोगशाला शुल्क, सांस्कृतिक गतिविधि, खेलकूद शुल्क, कंप्यूटर शुल्क के नाम पर अलग-अलग रूप में राशि ली जाती है. इसके अतिरिक्त एक ही जगह से किताबें, स्कूल ड्रेस आदि लेनी होती है, सब कुछ तय होता है. स्कूल संचालकों की ही दुकानें हैं, जहां से आपको सब लेना होता है. यदि गरीब तबके का बच्चा, जिसका RTE में एडमिशन हुआ है, वह शुल्क नहीं दे पाता है तो उसकी CoC (Certificate of Completion) नहीं दी जाती है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय- सभापति महोदय, कांग्रेस के विधायक तय कर लें कि निजी विद्यालय होने चाहिए कि नहीं ? उनको संरक्षण मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए ? हमारे दोगने जी कह रहे हैं कि निजी विद्यालयों को संरक्षण मिलना चाहिए, ये कह रहे हैं कि उनकी दुकान बंद ही कर देनी चाहिए.
श्री राजन मण्डलोई- बिलकुल, यदि जनकल्याणकारी सरकारें हैं और पर्याप्त बजट है तो हमें सभी तबके के बच्चों को एक जैसी शिक्षा देनी चाहिए.
श्री दिलीप सिंह परिहार- हमारी सरकार सी.एम. राइस स्कूल इसलिए ही खोल रही है.
सभापति महोदय- राजन जी, विषय को दोहरायें नहीं, सिर्फ मुख्य बिंदु रख दें.
श्री राजन मण्डलोई- सभापति महोदय, मेरा यह कहना है कि बच्चों को प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक, पूरी तरह से नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा मिलनी चाहिए. फीस सुधार हेतु जो कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं तो मेरा कहना है कि पहले ही RTE के अंतर्गत बहुत सारे प्रावधान हैं, उनका पालन भी करवाया जाये. समितियां बार-बार बनाने से निश्चित रूप से निजी विद्यालयों की ठेकेदारी चलेगी और फीस की राशि उनसे रिश्वत के रूप में मांगी जायेंगी, तभी उन्हें अनुमतियां मिलेंगी और कई रूकावटें आयेंगी, धन्यवाद.
श्री देवेन्द्र रामनारायण सखवार- सभापति महोदय, मेरा कहना है कि सभी निजी विद्यालयों और शासकीय विद्यालयों का सिलेबस एक ही होना चाहिए, जिससे पालकों पर पड़ने वाला बोझ कम हो जाये.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे (अटेर)- सभापति महोदय, ये जो विधेयक लाये जाते हैं या विधेयकों में जो संशोधन लाये जाते हैं, उनका उद्देश्य बड़ा पवित्र होता है. निश्चित ही यह शिक्षा के स्तर के सुधार हेतु लाया गया है, ऐसी आशा है. विभाग के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर स्थापित आदरणीय मंत्री जी, शिक्षा मंत्री जी का मैं बहुत सम्मान करता हूं परंतु सर्वोच्च पद पर स्थापित व्यक्ति, उस पद पर रहते हुए जब यह बात अतिथि शिक्षकों के लिए कहे कि मेहमान बनकर आओगे तो घर पर कब्ज़ा करोगे क्या ?
5.45 बजे
{ अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए.}
अध्यक्ष महोदय- कटारे जी आप बोलिये.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह कह रहा था कि जो शिक्षा मंत्री हैं वह उस विभाग का सर्वोच्च पद होता है और सर्वोच्च संवैधानिक पद पर बैठे हुए व्यक्ति जिनका मैं सम्मान करता हूं परंतु कुछ ऐसी बातें उन्होंने कहीं, वक्तव्य मीडिया के सामने दिया और उन्होंने अतिथि शिक्षकों के लिए कहा कि मेहमान बनकर आओगे तो घर पर कब्जा करोगे क्या. इस बात के लिए मैं सदन के अंदर निंदा करता हूं और मैं आग्रह करता हूं कि स्लिप ऑफ टंग सब से हो सकता है. कई बार हमसे भी बड़बोलापन हो जाता है या जबान फिसल जाती है, लेकिन अतिथि शिक्षकों के सम्मान में मुझे लगता है कि उनको सदन के अंदर खेद व्यक्त करना चाहिए मैं उनसे ऐसी आशा करूंगा. जो वायदे पहले अतिथि शिक्षकों से किये थे. मैं इस बिल में यह बात क्यों कर रहा हूं यह बात मैं आपको बता दूं क्योंकि शिक्षा का स्तर तब बेहतर होगा जब शिक्षक बेहतर होंगे.
अध्यक्ष महोदय-- हेमन्त जी आप प्रतिपक्ष के उपनेता हो. आपको तो बिल पर केन्द्रित करना चाहिए.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं बिल पर ही केन्द्रित होकर के बात कर रहा हूं लेकिन जब तक शिक्षक अच्छे नहीं होंगे तो क्या शिक्षा का स्तर बेहतर हो सकता है क्योंकि शिक्षा का स्तर तभी अच्छा हो सकता है जब शिक्षक अच्छे हो मैं आपसे बिल के संबंध में भी एक दो बिंदु कह दूंगा, लेकिन जब तक शिक्षक अच्छे नहीं होंगे तो क्या शिक्षा का स्तर बेहतर हो सकता है. मैं आपसे बिल के भी एक दो बिंदु कह दूंगा लेकिन शिक्षा का स्तर अगर सुधारना है तो शिक्षक अच्छे होना चाहिए और अतिथि शिक्षकों को जो चुनाव के पहले वायदे किये थे पूर्व मुख्यमंत्री जी ने बडी़ बड़ी बाते कहीं थीं कि अतिथि शिक्षकों को हम रेग्युलर करेंगे इतने प्रतिशत लिया जाएगा अब वह वादा खिलाफी नहीं होना चाहिए. मेरा आपसे आग्रह है कि उन सभी वादों को पूरा किया जाना चाहिए. मैं बिल के अंदर के दो बिंदु कह देता हूं क्योंकि माननीय सदस्यों ने लगभग सारी बातें कह दी हैं. प्राईवेट स्कूल इनमें दो चीज में मुझे लगता है जिन पर गंभीरता से विचार होना चाहिए जो बिंदु अभी शामिल नहीं हुए हैं मैं बस वह बता रहा हूं कि जो गणवेश और पुस्तकें हैं इनमें कमीशनखोरी खुलेआम चलती है. स्कूल की दुकानें पहले से ही बंधी हुई हैं यदि उन दुकानों से पुस्तकें और गणवेश नहीं ली जाती हैं तो उन बच्चों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं होता है. या उनको लेना बाध्य किया जाता है और मोटे-मोटे कमीशन बंधे होते हैं. इसके लिए आपको विचार करना चाहिए. दूसरी बात जो मैं कहना चाहता हूं कि इस संशोधन के अंदर पढ़ा तो इसमें दो तरह की फीसों का उल्लेख था वैसे तो तमाम सारी फीसों का उल्लेख था लेकिन दो तरह की फीस का अलग-अलग विशेष उल्लेख किया गया. एक थी वाचनालय फीस और एक थी पुस्तकालय फीस. मैंने आज तक जितनी भी लाइब्रेरी देखी हैं चाहे यह विधान सभा की लाईब्रेरी हो चाहे बाहर की लाईब्रेरी हो. मैंने कम से कम पचासों लाईब्रेरी देखीं लेकिन मैंने कभी भी यह कल्चर नहीं देखा है कि लाईब्रेरी के अंदर ही वाचनालय शामिल होता है. उसकी अलग से फीस वसूली जाए मैं समझता हूं इसको बिल में संशोधन करना चाहिए क्योंकि अगर वाचनालय की फीस अलग से हो क्योंकि वाचनालय क्या होता है दो टेबल लगा दी चार कुर्सी लगा दी वहां पर बैठकर वह अपनी स्टडी करेंगे. इसकी फीस का अलग से प्रावधान नहीं होना चाहिए. यह एक तरह की लूट की छूट है मैं समझता हूं कि इस पर माननीय मंत्री जी को विचार करना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय, प्राईवेट स्कूलों पर जितना ध्यान है पहले हम अपने घर को साफ करें फिर हम दूसरे के घर को देखें. शासकीय स्कूलों की बात तो कर ही नहीं रहे हैं. सीएम राईज़ स्कूलों की बात नहीं कर रहे हैं. शिक्षा का क्या स्तर हैं पहले सभी लोग सरकारी स्कूलों मे पढ़ते थे मैं आज पूछना चाहता हूं कि आज 230 विधायक हैं यहां सभी उपलब्ध नहीं है लेकिन क्या 230 विधायकों में से किसी का भी बेटा शासकीय स्कूल में पढ़ रहा हो तो कृपया मुझे अवगत कराइएगा. शासकीय स्कूल में कोई भी व्यक्ति अपने परिवार के लोगों को भर्ती करने से बच रहे हैं. हमारे सदस्य फुंदेलाल मार्को जी ने भी यह बात कही थी लेकिन मैं चाहूंगा कि उनका स्तर बेहतर करने के लिए हमको कदम उठाने चाहिए और यदि आप इसमें हमारी भी मदद चाहेंगे तो ऐसा नहीं है कि हम आरोप लगा रहे हैं आप हमें कहेंगे तो हम भी शामिल होकर सुझाव देंगे लेकिन मेरा आग्रह है कि मैं इस संशोधन का आंशिक समर्थन करता हूं यदि इसमें और बेहतर सुझाव करके लाएंगे तो मैं इसका पूर्ण रूप से समर्थन करूंगा. आपने मुझे बोलने का मौका दिया. बहुत-बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय-- आंशिक का मूल्यांकन कैसे होगा यह विचार करना होगा.
श्री भगवानदास सबनानी (भोपाल दक्षिण पश्चिम)-- अध्यक्ष महोदय, आज मध्यप्रदेश निजी विद्यालय संशोधन विधेयक 2024 के समर्थन में मैं अपनी बात रखने के लिए खड़ा हुआ हूं. इस विधेयक के माध्यम से जो जानकारी है कि मध्यप्रदेश में 34 हजार 652 निजी विद्यालय हैं. इन विद्यालयों के वर्गीकरण उनकी फीस उनके परिवहन इस पर सरकार का ध्यान गया है. स्वागत योग्य है देश की आजादी के बाद जब शिक्षा हमारा मौलिक अधिकार था तब से लेकर ऐसी हमारी क्या कमी रही होंगी कि निजी विद्यालय न केवल आए वरन धीरे-धीरे पूरे शिक्षा में जिन-जिन शब्दों का इस्तेमाल मेरे से पूर्व के वक्ताओं ने किया ऐसे रुप में उन्होंने अपने आप को स्थापित किया. आज देश को आजाद हुए 77 साल हो गए हैं. हमने मध्यप्रदेश में कभी प्रायवेट स्कूलों को देखा भी नहीं था कभी एकाध कोई स्कूल दिखता था. हम शासकीय विद्यालय में पढ़े, प्राथमिक शाला, माध्यमिक शाला, उच्चतर माध्यमिक शाला में पढ़े. कॉलेज भी शासकीय व्यवस्थाओं के अन्तर्गत किया. लेकिन धीरे-धीरे निजी विद्यालय का जाल सा बन गया है. लोगों को लगने लगा कि अच्छी पढ़ाई केवल निजी विद्यालय में हो सकती है. बस यहीं से स्थितियां बिगड़ना शुरु हुईं उसके कारण निजी विद्यालय न केवल अपनी मनमानी करने लगे बल्कि वे बाध्य करने लगे कि आपको इतनी ही फीस लगेगी, यहीं से आपको किताबें खरीदनी पड़ेंगी, यहां से बस्ते खरीदने होंगे यह तमाम चीजें चलने लगीं. मैं माननीय स्कूल शिक्षा मंत्री जी को धन्यवाद देता हूँ समय रहते उन्होंने बहुत सारी चीजों को ठीक किया है. निश्चित स्थान से किताबें खरीदने के मामले पर भी अंकुश लगाने का साहसिक काम किया है. अभी जो मनमानी फीस लेने का काम निजी विद्यालय करते हैं उसमें एक बहुत छोटी आय वाले व्यक्ति को भी लगता है कि मैं अपने बच्चे को शिक्षा दूं तो वह प्रायवेट स्कूल में भेजना चाहता है. यह उस कमजोरी का लाभ उठाते हैं. निजी विद्यालयों ने जो मनमानी की है यह उसको रोकने का प्रयास है. मैं मानता हूँ कि सरकारों की कमियों के चलते निजी विद्यालयों ने अपना स्थान बनाया, लेकिन शिक्षा में जो उन्होंने योगदान दिया उसको भी नहीं भुलाया जा सकता है. आज आवश्यकता इस बात की है कि हम कैसे अंकुश लगाकर उनको सीमा में बाध्य करें कि वे परिवहन की फीस मनमाने तरीके से नहीं लेंगे, स्कूल से निश्चित स्थान से पाठ्यक्रम खरीदने को कहेंगे, ऐसा नहीं होगा. इसके साथ ही जो विसंगतियां आती थीं. जिला स्तर की समिति अपना एक विचार कर रही है, उसके बाद आयुक्त के स्तर पर प्रदेश स्तरीय समिति है. उसमें भी अगर कहीं दिक्कत आती है तो उसको दूर करने के लिए मध्यप्रदेश स्तर की माननीय मंत्री जी के नेतृत्व में जो एक समिति बनी है वह उन परेशानियों को दूर करेगी. इसमें अभिभावक भी संतुष्ट होंगे और विद्यालय की परेशानियां भी दूर होंगी. मैं मानता हूँ कि मध्यप्रदेश में आज 290 सीएम राइज स्कूल हैं जिनकी शिक्षा की गुणवत्ता बाकी निजी विद्यालयों से भी कहीं बेहतर होगी. मैं माननीय मंत्री जी के साथ अपने क्षेत्र में एक विद्यालय में गया था उस सीएम राइज स्कूल में एक बच्ची जो निजी विद्यालय छोड़कर यहां आई थी और उसने अपना अनुभव माइक पर खड़े होकर बताया. माननीय मंत्री जी भी उपस्थित थे. उसने कहा हमारी जो पढ़ाई वहां पर भारी भरकम फीस के साथ होती थी, अब यहां फीस नहीं लगती है और उसके बाद पढ़ाई का स्तर इतना बेहतर है. उसने अंग्रेजी में अपना भाषण दिया और कहा इसी विद्यालय से मुझे यह विद्या अर्जित हुई है. मुझे लगता है क्या यह समय एक बड़े परिवर्तन के रुप में आया है.
माननीय प्रधानमंत्री जी को इस सदन के माध्यम से धन्यवाद करना चाहता हूं कि शिक्षा के अधिकार के साथ ही हमारा जो मौलिक अधिकार है. एक्सीलेंस कॉलेज के रुप में मध्यप्रदेश के 55 जिलों में पीएम एक्सीलेंस कॉलेज दिया है. मध्यप्रदेश की सरकार सीएम राइज स्कूल को बढ़ाना चाहती है. हम धीरे-धीरे शिक्षा के स्तर को बेहतर करते जा रहे हैं. उसमें निजी स्कूलों की मनमानी रोकने का यह प्रयास है. मैं इसकी प्रशंसा करते हुए इस विधेयक का समर्थन करता हूँ. इसमें जो भी कमियां हैं उन्हें भी दूर किया जाना चाहिए. खेल का मैदान है या नहीं है, अन्य गतिविधियों के लिए स्थान है या नहीं है. कितना बड़ा कमरा होना चाहिए, कितने बच्चे पढ़ना चाहिए. बच्चों का मन-मष्तिस्क अच्छा बना रहे इसको भी माननीय मंत्री जी देखेंगे. मध्यप्रदेश को जिस ऊंचाई पर ले जाने का कार्य डॉक्टर मोहन यादव जी की सरकार में हो रहा है, शिक्षा मंत्री जी उसमें और गुणवत्ता लाने का काम कर रहे हैं. बहुत-बहुत धन्यवाद.
स्कूल शिक्षा मंत्री (श्री उदय प्रताप सिंह) -- धन्यवाद माननीय अध्यक्ष जी. मध्यप्रदेश निजी विद्यालय (फीस तथा संबंधित विषयों का विनियमन) संशोधन विधेयक 2024 एक छोटा विधेयक सदन में आंशिक संशोधन के साथ आया है, लेकिन स्वभाविक रूप से शिक्षा माननीय प्रधान मंत्री जी के नेतृत्व में, हमारे मुख्यमंत्री माननीय मोहन यादव जी का भी प्राथमिकता के क्रम में एक विषय है. मुझे इस बात की खुशी है कि माननीय सदस्यों ने भी इसे बहुत प्राथमिकता के क्रम में रखा है. फूलसिंह बरैया जी से लेकर आदरणीय अभिलाष पाण्डेय जी, आदरणीय राजेन्द्र भारती जी, फुंदेलाल मार्को जी, ओमकार मरकाम जी, दोगने जी, मण्डलोई जी, हेमंत कटारे जी और आखिरी में आदरणीय सबनानी जी ने बहुत विस्तार से उन विषयों को छुआ है.
अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से एक बात बहुत जिम्मेदारी से कह सकता हूं कि इस देश में वर्ष 2014 के पहले की मान्यताएं और कार्यपद्धति और 2014 के बाद की मान्यताएं और कार्यपद्धति में जमीन आसमान का अंतर है. पिछले 30 वर्षों के सार्वजनिक निर्वाचन के जीवन के उस अनुभव के आधार पर मैं कह सकता हूं कि शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता को सामने रखकर माननीय प्रधानमंत्री जी ने नई शिक्षा नीति जो इस देश में लेकर आये, मैकाले की सैकड़ों साल पुरानी शिक्षण पद्धति, ऐसी जंग लगी पद्धति, जो ज्ञान तो दे रही थी, लेकिन रोजगार और अनुभव बच्चों को देने में नाकामयाब थी, उस पद्धति को अलग करके नई शिक्षा नीति लाये हैं और देश में मध्यप्रदेश वह महत्वपूर्ण राज्य है जो लगातार नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन पर काम कर रहा है. हमारे माननीय सदस्यों ने दो तरह से हमारे कांग्रेस के साथियों ने भी जो बात रखी, उसमें आधे सदस्यों का मत था कि इसमें प्रायवेट इंस्टीट्यूशन को लेकर आक्रामक रवैया अपनाना चाहिये. आधे लोग कह रहे थे चूंकि वह बच्चों को ज्ञान देने का काम करते हैं, शिक्षण देने का काम करते हैं इसलिये उनके साथ नरमी का रुख होना चाहिये, उनके साथ आदर का भाव होना चाहिये. हमारे साथी सदस्यों ने भी कहा कि शिक्षण व्यवस्था के मामले में किसी किस्म का कोई कॉम्प्रोमाइस नहीं होना चाहिये. बच्चों की सुरक्षा, बच्चों की शिक्षा का स्तर, उनको उपलब्ध होने वाली सुविधाओं में किसी किस्म की कोताही नहीं बरती जानी चाहिये. इस बात की चिंता हमारे माननीय सदस्यों ने बहुत विस्तार से रखी है. मैं सदस्यों को बहुत जिम्मेदारी से अवगत कराना चाहता हूं कि जो हमारा नया विधेयक सदन में लेकर आये हैं, पहले मैं उसके विषयों को थोड़ा सा विस्तार से बताने की कोशिश करूंगा, जिससे अगर आपके मन में किसी किस्म का संदेह और शंका है, तो उसका निराकरण हो सके.
अध्यक्ष महोदय, वर्तमान में लगभग 34,000 के आसपास निजी विद्यालय हमारे प्रदेश में शिक्षण देने का काम कर रहे हैं. हमारे मध्यप्रदेश में 1 करोड़, 25-27 लाख बच्चे हैं, जिनमें 85-86 लाख बच्चे शासकीय स्कूलों में पढ़ते हैं और बाकी के 35-36 लाख बच्चे प्रायवेट स्कूलों में पढ़ते हैं, तो निजी संस्थाओं का योगदान जैसे दोगने जी कह रहे थे, उसको हम नजरंदाज नहीं कर सकते हैं, लेकिन सरकार की जिम्मेदारी है कि वह निरंकुश न हों. निजी संस्थान चलाना एक समिति का दायित्व है, उसका व्यवसायीकरण न हो इस बात की चिंता सरकार के विभागों को करनी चाहिये, जो माननीय मुख्यमंत्री जी नेतृत्व में इस प्रदेश में हमारा शिक्षा विभाग कर रहा है. हम जो विधेयक लेकर आये हैं, पिछले वर्ष आपने देखा होगा जैसे अभिलाष पाण्डेय जी ने बहुत विस्तर से इस बात को रखा है कि कोई भी विद्यालय कितनी भी फीस बढ़ाता था, कानून का पालन नहीं होता था, माननीय मुख्यमंत्री जी ने चूंकि पहले वह उच्च शिक्षा विभाग में मंत्री रहे हैं, उन्होंने कहा कि इनकी बहुत सतर्कता से मॉनीटरिंग करने की आवश्यकता है. मध्यप्रदेश के इतिहास में शायद पहला हमारा एकेडमिक इयर जो खत्म होने जा रहा है इसमें पहला वर्ष है, जैसा बरैया जी ने कहा था कि पालकों की चिंता नहीं होती, पहली बार मध्यप्रदेश में स्कूल के खाते से 200 करोड़ रुपये से अधिक की राशि पालकों के खाते में वापस करने का काम अगर किसी ने कराया है, तो हमारे माननीय मोहन यदव जी की सरकार ने कराया है. स्कूलों की किस तरह की वित्तीय व्यवस्था है, एक वह स्कूल हैं जो बच्चों को राइट टू एजूकेशन के तहत या वह बेरोजगार नोजवान जो गांव में छोटी सी शाला खोल लेता है, अपना पेट पालन भी करता है, रोजगार भी देता है, बच्चों को शिक्षा देने का काम करता है. एक इस तरह का विद्यालय है और एक ऐसे विद्यालय हैं जिनकी फीस लाखों रूपये में है.
अध्यक्ष महोदय, हमारी सरकार ने यह तय किया है कि मध्यप्रदेश के वह 21 हजार स्कूल जो छोटे-छोटे कस्बों में, गांव में चलते हैं जिनकी फीस कहीं 10 हजार है, कहीं 12 हजार है, कहीं 24 हजार है, एक निर्धारण किया कि 25 हजार के नीचे के जो फीस लेने वाले स्कूल हैं उनकी हर जानकारी अपलोड करना, छोटी छोटी जानकारी देना ,अधिकारियों का बार बार उनको जाकर के किसी किस्म की जानकारी के मामले में हस्ताक्षेप करना और मानीटरिंग भी नहीं हो पाती थी. 35 हजार प्रायवेट स्कूलों को लगातार मानीटरिंग करना साथ में जो हमारे शासकीय स्कूल हैं उनकी भी चिंता करना यह दोनों काम नहीं हो सकते थे, तो हम लोगों ने इनको एग्जम्सन दिया है लेकिन वह केवल फीस के मापदण्डों के लिये, 25 हजार से कम फीस आप ले रहे हो लेकिन अनियमितता करोगे इस बात की हमने उनको छूट नहीं दी है, उन पर लगातार नजर रहेगी और जो हमारा विभाग है, हमारे जो स्कूल चल रहे हैं, उनको फीस अधिनियम के दायरे से बाहर होने वाले विद्यार्थी यह नहीं समझें कि हम उनको पूरी छूट दे रहे हैं, जो मर्जी हो वह काम करते रहें, उन शालाओं की मान्यता नियम 2017 यथा संशोधित 2020 तथा निशुल्क बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2011 संशोधित अधिनियम 2023 को प्रावधान उन पर लागू होंगे, और इन विद्यालयों पर भी पर्याप्त नियंत्रण के साथ उनको संचालित कराने का काम विभाग पूर्व के वर्षों की तरह करता रहेगा. उनको किसी किस्म की इसमें रियायत नहीं दी जायेगी.
अध्यक्ष महोदय, दूसरा एक महत्वपूर्ण इसमें संशोधन है. एक नया नियम हम लोग लेकर के आये हैं जो बच्चों का परिवहन है उसका नियमों में कहीं पर भी प्रावधान नहीं था. वह बगैर विधानसभा के अनुमोदन के कानून के दायरे में नहीं ला पा रहे थे, स्कूल फीस लेते थे, फीस कम ले ली, ट्रांसपोटेशन सिस्टम खुद का डेवलेप कर लिया उसमें बहुत ज्यादा पैसा लेने लगे. तो उसको भी हमने नियंत्रण के दायरे में लिया है. अगर स्कूल की परिवहन व्यवस्था नहीं है, प्रायवेट रूप में लोग कर रहे हैं वह विषय अलग है लेकिन अगर स्कूल परिवहन व्यवस्था संचालित करता है तो उसको पोर्टल के ऊपर में जाकर के जानकारी को अपलोड करना पड़ेगा, जानकारी देना पड़ेगी, अनावश्यक उसकी फीस नहीं ले सकता यह मापदण्ड सरकार निर्धारित करेगी. आज विधेयक पास होने के बाद में जो नियम, उप नियम बनेंगे जिसमें आप सबके सुझाव के शामिल होने की संभावना रहेगी लेकिन जब वृहद रूप में यह कानून बनकर के जायेगा तो उसमें उन सुझावों को भी हम शामिल करेंगे जिसमें परिवहन व्यवस्था में भी स्कूल्स निरंकुश न होने पाये.
माननीय अध्यक्ष महोदय, तीसरी महत्वपूर्ण बात जो इस विधेयक में थी कि किसी भी किस्म की अनियमितता के लिये जिला स्तर पर सुनवाई होती थी, अगर वहां पर उसको न्याय नहीं मिला तो राज्य स्तर पर प्रकरण जाता था, कमिश्नर की अध्यक्षता में एक कमेटी होती थी वह निर्णय करती थी, लेकिन अगर यहां भी उसको न्याय नहीं मिले तो वह कहां जाये, खासकर वह पालक जो फीस की वृद्धि को लेकर के शिकायत करते हैं उनका निराकरण नहीं होता है तो वह कहां पर जाये, तो इस विधेयक में और इस व्यवस्था में हम लोगों ने आंशिक परिवर्तन किया है कि इसको तीन स्तरीय बनाया जाये, क्योंकि लोकतंत्र में जितने भी सुनवाई के अवसर होंगे उनको न्याय मिलेगा. जैसे हमारे न्यायालय होते हैं न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी (जेएमएफसी कोर्ट) से लेकर डीजे फिर हाईकोर्ट और आखिर में सुप्रीम कोर्ट तक मामला जाता है, ऐसे ही सुनवाई का अंतिम अवसर व्यक्ति को मिलना चाहिये चाहे वह पालक हो, चाहे वह स्कूल संचालक हो, या हमारा कर्मचारी हो तो उसको ध्यान में रखते हुये हम लोगों ने एक तीसरे स्तर का मैकेनिज्म डेवलेप किया है जिसमें हमारे सर्वोच्य स्तर के चार पांच अधिकारी होंगे और मंत्री की अध्यक्षता में उसका निराकरण किया जायेगा .
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक बात आपके माध्यम से सदन में कहना चाहता हूं कि हमारे आदरणीय साथी ओमकार सिंह मरकाम जी ने बहुत जोश में कही तो मुझे ऐसा लगा कि यह सदन है या चुनावी सभा में बोल रहे हैं. उन्होंने कुछ मुद्दे ऐसे रखे हैं जिसमें मुझे लगता है कि उनका निराकरण भी होना चाहिये. आदरणीय फूल सिंह बरैया जी ने योन उत्पीड़न का मामला उठाया, हम लोग लगातार स्कूल को बड़ी बारीकी से मानिटरिंग कर रहे हैं, सिस्टम में सुधार भी कर रहे हैं और जो नीचे स्कूलों की सतत् मानीटरिंग होती रहे उसके लिये भी कुछ अन्य व्यवस्थायें कर रहे हैं और जहां पर भी अगर दुर्भाग्य से भी इस तरह की कोई घटना घटित होती है तो उसको सर्वोच्य प्राथमिकता के क्रम में उस संस्था को दोषी व्यक्तियों को दंडित करने का काम हमारी मोहन यादव जी की सरकार हमारे मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में कर रही है. अगर इस तरह कहीं पर उल्लंघन होता है तो उनकी मान्यतायें निरस्त करना, उनके खिलाफ कार्यवाही करना यह हमारी सरकार की प्राथमिकता के क्रम में है. राजेन्द्र भारती जी ने एक विषय रखा था कि 40 प्रतिशत बच्चे प्रायवेट स्कूल्स में जाते हैं और वह शिक्षा देने का काम करते हैं, गरीब बच्चे वंचित है. जैसा कि राइट टू एजूकेशन में, शिक्षा के अधिकार में यह प्रावधान है कि कोई भी प्रायवेट स्कूल है, वहां पर एससी,एसटी, ओबीसी यह कोई विषय नहीं है. बच्चा बच्चा है, चाहे किसी वर्ग का हो. यह हमारी सरकार यह सुनिश्चित करती है कि जाति के आधार पर किसी बच्चे के साथ व्यवहार नहीं होना चाहिये. सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर बालक हमारे देश का नागरिक, इस प्रदेश का नागिरक है. उसके साथ इस तरह का व्यवहार हो, यह हमारी प्राथमिकता है. हर स्कूल में आने वाले बच्चे को राइट टू एजूकेशन में 25 फीसदी बच्चे स्कूल की पेरीफेरी के अगर एडमिशन लेना है उनको, तो वह बाध्य है स्कूल उसको एडमिशन देने के लिये. अगर वह नहीं देता है, तो इसके लिये हमने एक शिकायत के प्रकोष्ठ की व्यवस्था कर रखी है, जहां उसका हम निराकरण करने का काम करते हैं. ऑफ लाइन भी करते हैं और ऑन लाइन भी करते हैं. चूंकि समय भी बहुत हो गया और मुझे लगता है कि हमारे संसदीय कार्य मंत्री जी भी चाह रहे होंगे, अभी एकाध विषय महत्वपूर्ण और हैं. मैं तो केवल एक चीज और बताना चाहता हूं कि एक वर्ष में, मतलब हम लोगों ने जो प्रयास किया है, एक शिक्षण, चूंकि शिक्षा पीढ़ियों को प्रभावित करने वाला विषय है. तो एक साल के अन्दर अभी ड्रॉप आउट की समस्या थी. हमारे उप नेता प्रतिपक्ष को बताना चाहता हूं कि पांचवीं पास होकर बच्चा जब जाता था, वह कहां जायेगा, किसी की जिम्मेदारी नहीं होती थी सरकार की. हम लोग सिस्टम विकसित कर रहे हैं आगामी सत्र से. पांचवीं का बच्चा पास होगा, उस प्रिंसिपल की जिम्मेदारी होगी कि उस बच्चे को लेकर जायेगा. छठवीं में शासकीय स्कूल में भर्ती करायेगा और उसकी आगे की पढ़ाई की व्यवस्था करेगा. इस बात की चिंता प्राचार्य करेगा, बच्चे के पालक नहीं करेंगे. आठवीं से नौवीं में बच्चा जब जायेगा, तो वह आठवीं का प्राचार्य चिंता करेगा. हम लोगों ने प्रयास किया है. जैसे आठवीं के बाद बच्चा पढ़ने नहीं जाता है, काम पर चला जाता है. तो उस मिडिल स्कूल के प्राचार्य की जिम्मेदारी होगी कि वह उस बच्चे को इंसिस्ट करे, नौवीं में एडमिशन कराने की व्यवस्था करे, मार्कशीट है, टीसी है,क्या व्यवस्था करना है इस बात की चिंता वह प्रिंसिपल करेगा, पालक नहीं करेंगे. इससे जो ड्रॉप ऑउट की समस्या होती थी, कई बार पालकों को स्कूल के चक्कर लगाने के कारण जो एक समस्या पैदा हो जाती थी, उससे निराकरण करने के लिये हम लोगों ने प्रिंसिपल की बाध्यता इसमें रखी है कि वह प्राचार्य ही बच्चे की चिंता करेगा और अगली क्लास में एडमिशन के लिये उसको प्रेरित करेगा. छात्रवृत्ति की बात हमारे एक माननीय सदस्य ने यहां पर की थी. मैं बताना चाहता हूं कि 14 दिसम्बर,2024 को, अभी पिछले दिनों 335 करोड़ रुपये की राशि मुख्यमंत्री जी ने सिंगल क्लिक से बच्चों के खाते में लगभग 61 लाख बच्चों के खाते में सिंगल क्लिक से यह राशि उनके खातों में डालने का काम किया. बच्चों की छात्रवृत्ति किसी किस्म से कोई पेंडिंग नहीं है. दूसरा, मेरा एक अनुरोध है कि जैसे अतिथि शिक्षकों की चिंता आपने की. आप इसके आंकड़े निकलवा कर देखें कि पिछले 6 सालों में, 6 साल मैं इसलिये कह रहा हूं कि उसमें डेढ़ साल का कार्यकाल आपका भी था. उस समय अतिथि शिक्षक कब लगे, कब बाहर हुए, संख्या कितनी थी. आज हमने मध्यप्रदेश में जो हमारे अतिथि शिक्षक काम कर रहे हैं, हमने लगभग 42 हजार लोग शिक्षक का, या तो उनको हमने उच्च पद पर प्रभार में प्रमोट किया है या युक्तियुक्तकरण में जो हमारे सदस्यों ने चिंता की है, कहीं दो बच्चे हैं, 3 शिक्षक हैं. कहीं 40 बच्चे हैं, एक शिक्षक हैं. मध्यप्रदेश के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि टीचर्स की उनकी पर्सनल कंसर्न लेकर के पूरा पोर्टल के ऊपर उनकी च्वाइस के आधार पर 42 हजार लोगों को या तो प्रमोट किया है या उनको युक्तियुक्तकरण से खाली शालाओं में भेजने का काम किया है. इसके बाद भी जो पिछले वर्ष हमारे अतिथि शिक्षक थे, वह लगभग 68 हजार अतिथि शिक्षक काम कर रहे थे. युक्तियुक्तकरण के बाद हमने 70 हजार से ज्यादा अतिथि शिक्षकों को एकोमोडेट किया है, उनको अलग अलग शालाओं में व्यवस्था देने का काम किया है, वे पढ़ाने का काम कर रहे हैं. एक चीज का और मैं आग्रह करना चाहता हूं कि हम लोगों ने आगामी वर्षों में जो एक सिस्टम विकसित करने जा रहे हैं, जैसे अतिथि शिक्षक है. हम जुलाई में जाकर सोचते थे इसको लगाना है. अगस्त में लग जाता था, वह खुश हो जाता था. हमने तैयारी की कि अतिथि शिक्षक को अप्रैल के महीने में हम तय कर देंगे कि आपको यहां पढ़ाने जाना है, उसके पास पूरा एकेडमिक ईयर उसके सामने होगा कि वह पढ़ाई के लिये इस सत्र में इस स्कूल में जाने वाला है. यह सारी तैयारी अप्रैल में करेंगे. हमारी जो नये साल की बुक्स हैं. साल शुरू होने से पहले पाठ्य पुस्तक निगम हर स्कूल में किताबें जो फ्री में दी जाती हैं वह भेजने का काम करेगा. यूनिफार्म, इस साल हमने यूनिफार्म, चूंकि हम उस समय लेट हो रहे थे, खरीदकर देने में समय लगता इसलिये माननीय मुख्यमंत्री जी के मार्गदर्शन में यूनिफार्म का पैसा हमने डी.बी.टी से हमने बच्चों के पालकों के खाते में ट्रांसफर किया, लेकिन अगले साल से सत्र चालू होने से पहले, हर बच्चे को जो गणवेश फ्री में मिलती है, वह हम उसको उपलब्ध करायें, इस बात की चिंता भी सरकार कर रही है. उस पर हमने काम चालू किया है. तो बच्चों का जो सत्र है वह अप्रैल के महीने से शुरू हो और पूरा सीज़न सारी बुक्स समय पर मिले, सायकिल समय पर मिले, उसकी स्कालरशिप समय पर मिले. इसको सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर जो गुड गवर्नेंस हमारे प्रधान मंत्री जी का सपना है उसको साकार करते हुए हम लोग मध्य प्रदेश में काम कर रहे हैं.
अध्यक्ष जी, विषय तो बहुत हैं. मैं केवल एक अनुरोध करना चाहता हूं कि शिक्षा के बेहतरीकरण के लिये, चूंकि यह अकेले सरकार का विषय नहीं है. इसमें आप सबका सहयोग, आप सबकी सलाह और आप सबका मार्गदर्शन भी बच्चों के आगे आने वाले सिस्टम में हमको लाभकारी होता है. मैं तो यही कहते हुए कि आप सब सर्वानुमति से बेहतर शिक्षा के लिये, पालकों के बेहतर सहयोग के लिये, बच्चों की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिये मध्य प्रदेश की हमारी सरकार ने माननीय मोहन यादव जी के नेतृत्व में एक बिल लेकर आयी है. आप सर्वानुमति से इसको पास कराने में हमारा सहयोग करें. ऐसी प्रार्थना करते हुए, मैं, अध्यक्ष जी का बहुत-बहुत धन्यवाद ज्ञापित करता हूं.
श्री ओमकार सिंह मरकाम- मैंने आपसे 18 स्कूलों का आपसे कहा था, आपने उनकी स्वीकृति को निरस्त कर दिया है. आपका दिमाग सिर्फ परिवहन विभाग में चलता है.
अध्यक्ष महोदय- मरकाम जी कृपया आप बैठिये.
अध्यक्ष महोदय- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश निजी विद्यालय (फीस तथा संबंधित विषयों का विनियमन) संशोधन विधेयक, 2024 पर विचार किया जाय.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अध्यक्ष महोदय- अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
अध्यक्ष महोदय- प्रश्न यह है कि खण्ड 2 से 7 इस विधेयक के अंग बनें.
खण्ड 2 से 7 इस विधेयक के अंग बनें.
6.09 बजे बधाई
गोवा मुक्ति दिवस की बधाई
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय)- अध्यक्ष महोदय, पाईंट ऑफ इंफार्मेशन है. आज गोवा मुक्ति दिवस है और भारतीय जनसंघ ने गोवा मुक्ति के लिये आंदोलन किया था, जिसमें हमारे उज्जैन के एक प्रचारक थे राजा भाऊ महाकाल, वहां उन्होंने अपने प्राणों की आहूति दी थी. मैं उनको श्रद्धांजलि भी अर्पित करता हूं और गोवा की जनता को मध्यप्रदेश विधान सभा की ओर से बधाई भी देता हूं.
अध्यक्ष महोदय- सदन भी उनके प्रति सम्मान प्रकट करता है.
3.10 बजे
नियम 139 के अधीन अविम्बनीय लोक महत्व के विषय पर चर्चा
अध्यक्ष महोदय- अब नियम 139 के अधीन अविम्बनीय लोक महत्व के विषय पर चर्चा लगी हुई है. प्रदेश के किसानों को रबी फसल हेतु खाद नहीं मिलने से उत्पन्न स्थिति के संबंध में. इसके लिये डेढ़ घण्टे का समय तय है और मैं, समझता हूं कि आज ही इस चर्चा को पूर्ण करना है.
श्री रजनीश हरवंश सिंह - अध्यक्ष महोदय, सबकी नहीं है. इसके लिए पर्याप्त समय चाहिए.
अध्यक्ष महोदय, - सभी सदस्य जिन्होंने अपने नाम दिये होंगे, वह चर्चा में भाग ले सकें इसलिए यह समय सीमा का ध्यान रखना निश्चित रूप से आवश्यक है इसलिए मेरा अनुरोध है कि अपने अपने क्षेत्र की बात को दो-दो मिनट में पूर्ण करेंगे तो सदन की कार्यवाही आगे चलाने में सहयोग होगा.
श्री सोहनलाल बाल्मीक - अध्यक्ष महोदय, यह विषय सबके लिए बहुत महत्वपूर्ण है. मेरा आपसे निवेदन है कि आज विषय को चालू करके इसको कल तक भी चलाया जाय. हमारे पास बहुत सारे सदस्य हैं जो बोलने के लिए तैयार हैं और उनकी अपनी समस्याएं हैं तो मेरा आपसे आग्रह है कि इस नियम 139 की चर्चा को आगे तक चलाने की कृपा करेंगे.
अध्यक्ष महोदय - उमंग जी आप प्रारंभ करेंगे क्या?
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) - अध्यक्ष महोदय, कल हमारे माननीय वरिष्ठ सदस्य बोल नहीं पाए थे तो मैं चाहूंगा कि श्री बाला बच्चन जी प्रारंभ करें.
संसदीय कार्यमंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) - अध्यक्ष महोदय, बाला बच्चन जी को समय बता दीजिए कितने मिनट बोलेंगे क्योंकि वह बिना ब्रेक की गाड़ी है. (हंसी)..
श्री बाला बच्चन (राजपुर) - अध्यक्ष महोदय, वह पहले समय निर्धारित हो गया है. अध्यक्ष महोदय, मैं आपको धन्यवाद देता हूं. प्रदेश में किसानों को रबी फसल हेतु खाद नहीं मिल रही है..
अध्यक्ष महोदय - दोनों पक्षों के जो प्रथम वक्ता हैं वह कोशिश करें कि 5 से 7 मिनट में उनकी बात पूरी हो.
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, ठीक है, मैं कोशिश करूंगा.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - अध्यक्ष महोदय, आपकी कृपा हो जाय, चाय नाश्ता भी कुछ मिल जाय. यह सभी लोगों का दर्द है.
अध्यक्ष महोदय - सदन की लॉबी में आप जाएंगे तो आपको चाय मिलेगी. श्री बाला बच्चन जी चर्चा प्रारंभ करें.
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, प्रदेश में किसानों को रबी फसल हेतु खाद नहीं मिलने से उत्पन्न स्थिति के संबंध में हमारे नेता प्रतिपक्ष आदरणीय श्री उमंग सिंघार जी ने जो चर्चा सदन में मांगी है, आपने चर्चा को स्वीकार किया है और नियम 139 के अधीन अविलम्बनीय लोक महत्व के विषय को आपने माना और उस पर आपने हमको चर्चा के लिए जो समय दिया और मुझे भी उसमें बोलने का अवसर दिया, उसके लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूं.
अध्यक्ष महोदय, वैसे हम लोगों की जानकारी में है. पूरे मध्यप्रदेश में खाद की बड़ी दिक्कत है, बड़ी समस्या है, बड़ी किल्लत है और किसानों को बहुत समस्याओं से जूझना पड़ रहा है, मैं समझता हूं कि अभी विधान सभा में जो प्रश्न लगे हैं, लगभग 1766 प्रश्न लगे हैं, उसमें बहुत सारे खेती किसानी और खाद की किल्लत से संबंधित प्रश्न थे. 200 करीब ध्यानाकर्षण लगे हैं, वह खाद की दिक्कत से संबंधित थे तो मैं समझता हूं कि पूरे प्रदेश को इस तरह से खाद की समस्या ने कवर किया है और आपने इस विषय को स्वीकार किया है और चर्चा करने के लिए आपने हम लोगों को जो अवसर दिया है यह बड़ी बात है.
अध्यक्ष महोदय, मैं निमाड़ के बड़वानी जिले से आता हूं. मैं आपको बताना चाहता हूं. मेरी विधान सभा से ही मैं शुरू करता हूं. राजपुर विधान सभा क्षेत्र में लगभग 16-17 सोसाइटियां हैं. पहले सोसाइटियों में भरपूर खाद मिलता था. किसानों के पास पहले जो साधन थे, बैलगाड़ियां हुआ करती थी. बैलगाड़ियां भर भरकर खाद ले जाते थे. बाद में ट्रेक्टर हुए, ट्रेक्टर की ट्रालियां भर-भर कर खाद ले जाते थे लेकिन अब वह सोसाइटियों में खाद मिलना बिल्कुल बंद हो गया है.
अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से सदन की जानकारी में लाना चाहता हूं कि निमाड़ और मालवा में भी बांध बनकर खूब पानी उपलब्ध हो गया है, अभी 2 नहीं, 3-3 फसलें किसान लेते हैं लेकिन खाद की दिक्कत के कारण जो उपज आना चाहिए, जो उत्पादन फसलों का होना चाहिए, वह उत्पादन नहीं हो पा रहा है, इस कारण सरकार इस ओर ध्यान दे, खाद उपलब्ध कराए. खाद, बीज, दवाई उपलब्ध कराएं तो निश्चित ही किसानों की उम्मीदें पूरी होगी और आप सब इस बात को जानते हैं. आप सब जो कहते हैं कि खेती को लाभ का धंधा बनाने की बात करते हैं, अगर समय पर खाद नहीं मिलेगा, बिजली नहीं मिलेगी, पानी नहीं मिलेगा, अच्छा बीज नहीं मिलेगा तो खेती लाभ का धंधा कैसे बन पाएगी, यह मोटी समस्या है और इस बात को लेकर कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व में 16 तारीख को विधान सभा का घेराव भी हुआ है जिसमें हमारे प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष आदरणीय श्री जितू भाई पटवारी जी के नेतृत्व में हमारी विधान सभा के नेता प्रतिपक्ष आदरणीय श्री उमंग भाई सिंघार जी के नेतृत्व में यहां विधान सभा का घेराव भी हुआ है और जगह-जगह भी किसानों के द्वारा प्रदर्शन भी किया जा रहा है और धरना भी दिये जा रहे हैं, उसके बावजूद भी खाद नहीं मिल पा रहा है. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी की जानकारी में यह बात लाना चाहता हॅूं. माननीय मंत्री जी का बयान आता है. खाद की कालाबाजारी करने वाले और उनके हौसले बुलंद करने वाले बयान आते हैं. माननीय मंत्री जी बयान देते हैं कि खाद की किल्लत, खाद की दिक्कत या खाद का संकट इसलिए हो रहा है क्योंकि रूस और यूक्रेन का युद्ध हो रहा है. युद्ध शुरू होने को लगभग 3 साल हो गए हैं. 3 साल होने के बाद माननीय मंत्री जी अब बयान देते हैं. अगर रूस और हिन्दुस्तान की सरकारों की बात करें, तो जो हमारे समझौते हैं उन समझौतों के अंतर्गत हमारी भारत सरकार और रूस की सरकारों के काम हो रहे हैं तो माननीय मंत्री जी आप भी सोच-समझकर बयान दें.
अध्यक्ष महोदय, दूसरी बात यह है कि आप जो बोलते हैं कि यह विभाग मेरे पास नहीं आता, यह विषय मेरे पास नहीं है तो इससे किसानों में भी मायूसी हो रही है वे कन्फ्यूज हो रहे हैं. जहां तक मैं समझता हॅूं कि मंत्री जी खुद भी डबल माइंडेड हो रहे हैं. यदि यह विषय आपके अंतर्गत नहीं आता है तो जब विधानसभा चलती है तो विधानसभा में जवाब कौन देता है. आज इसको कौन सुनेगा. इसका जवाब कौन देगा. इसकी रिस्पांसिबिलिटी किसकी है. माननीय मंत्री जी, मैं समझता हॅूं कि जब आप इस तरह के बयानबाजी करते हैं वह बिल्कुल भी ठीक नहीं है. प्रदेश में खाद की जो विकराल स्थिति बनी हुई है, उसके ताजे उदाहरण हम लोगों के सामने हैं. आजकल मीडिया इतना स्ट्रांग हो गया है कि कोई भी बात, कोई भी घटना अगर प्रदेश, देश या विदेशों में होती है, तो कोई भी घटना छिपती नहीं है.
अध्यक्ष महोदय, पूर्व मुख्यमंत्री सुश्री उमा भारती जी का गांव डूंडा टीकमगढ़ जिले में है. डूंडा से एक महिला सुश्री नेहा लोधी जी खाद लेने आयी थी. नेहा लोधी जी को एक महिला कांस्टेबल ने मारा है. यह सब की जानकारी में है. खाद के कारण उनको मारा गया था. माननीय कृषि मंत्री जी और मुख्यमंत्री जी यह कहकर किसानों से पल्ला झाड़ रहे हैं. मैं समझता हॅूं कि किसानों को और नुकसान पहुंचाने की बात न करें. इससे कालाबाजारी करने वालों के हौसले बुलन्द होते हैं. जहां तक मेरी जानकारी है, प्रदेश की राजधानी भोपाल के बैरसिया विधानसभा क्षेत्र में एक कृषि सेवा केन्द्र के संचालक कमल सिंह गौर के विरूद्ध कालाबाजारी की एफआईआर हुई है. इसके बाद हम सतना की बात करें, टीकमगढ़ की बात करें, शिवपुरी जिले की बात करें, कोलारस की बात करें, जबलपुर की बात कर लें, जगह-जगह खाद की समस्या को लेकर और खाद की कालाबाजारी को लेकर समस्याएं आ रही हैं. मैं बताना चाहता हॅूं कि दिल्ली और यूपी के कालाबाजारी करने वाले गाड़ियां भर- भरकर, ट्रक भर-भरकर खाद ले जा रहे हैं लेकिन सरकार का बयान आता है कि यह हमारा विषय नहीं है, हमारा विभाग नहीं है तो माननीय मंत्री जी, इसको आप गंभीरता से लें. मैं समझता हॅूं कि खाद की जो कमी है, जो कालाबाजारी है उस पर रोक लग सकेगी, जिससे किसानों को खाद मिल पायेगा. उसके बाद किसान अपनी खेती को लाभ का धंधा बना पाएंगे.
अध्यक्ष महोदय, दूसरी बात यह है कि नकली खाद का चलन बहुत हो गया है. नकली खाद बाजार में आ गया है. कम खाद मिलता है. पहले 50 किलो खाद मिलता था. उसके बाद में 45 किलो की बोरी हो गई है. 45 किलो के खाद की बोरी के बाद अब 40 किलो का भी खाद मिलने लगा है तो किसान को चारों तरफ से मार पड़ती है इसलिए माननीय मंत्री जी, आप इस बात की ओर ध्यान दें.
अध्यक्ष महोदय, जहां तक मैं उपचुनाव की बात करूं, तो अभी दो जगहों पर उपचुनाव हुए. उपचुनाव में आपने भरपूर खाद उपलब्ध कराया लेकिन आसपास के किसान खाद के लिए तरस रहे थे. उपचुनाव के बावजूद भी दोनों जगह रिजल्ट देखने को मिल गए हैं. रिजल्ट क्या मिले हैं, आप जानते ही हैं. मैं माननीय कृषि मंत्री जी को याद दिलाना चाहता हॅूं कि माननीय कृषि मंत्री जी, जिस तरह से माननीय रामनिवास रावत जी के हाल हुए हैं, वे हम लोगों को छोड़कर गए और उधर जाकर के मंत्री रहते हुए चुनाव लडे़ हैं और चुनाव हार गए हैं. आप भी जब हमसे वर्ष 2020 में अलग हुए थे, आप पीएचई मंत्री बने थे और आप भी हारे थे. अब आप ध्यान रखिएगा कि अगर आपने खाद की पूर्ति नहीं की, तो किसान भूलने वाले नहीं हैं. जब भी आप विधानसभा क्षेत्र में जाएंगे, तो आप इस बात को ध्यान रखिएगा. अवसर सबका आता है. हमने ध्यानाकर्षण लगाया है, प्रश्न लगाया है. उसके बाद भी खाद की पूर्ति सरकार ने नहीं की, तो इस बात के लिए आप खाद की पूर्ति सुनिश्चित कराएं. खेती को लाभ का धंधा बनने से न रोक पाएं.
अध्यक्ष महोदय, मैं आपको बताना चाहता हॅूं कि राज्य सरकार और केन्द्र सरकार दोनों बंदरबांट करने में लगी हैं. 20 सितम्बर 2024 को उर्वरक कंपनियों को अनुमोदित और अधिसूचित दरों के अनुसार सब्सिडी प्रदान करने का केन्द्र सरकार ने निर्णय लिया है. क्या सब्सिडी सिर्फ कंपनियां, जो खाद बनाती है, उनके लिए है? यह सबसिडी इसलिये केन्द्र सरकार ने दी है. आप तो केन्द्र सरकार में रहे हैं. हमारे किसानों को कम दर पर खाद-उर्वरक मिल सके. मैं सदन के सभी सदस्यों से यह जानना चाहता हूं कि आपको कम दर पर खाद मिल रहा है. किसानों को कम दर पर आपकी विधान सभा में खाद मिल रहा है. जबकि 20 सितम्बर 2024 को केन्द्र सरकार ने कम्पनियों को, खाद बनाने वाली कम्पनियों को सबसिडी दी है. तो कम दर पर हम लोगों को भी खाद मिलना चाहिये. जहां तक मैं आपको बताना चाहता हूं कि केन्द्र सरकार ने एक और निर्णय कर दिया है कि 1 जनवरी, 2025 से 12 से 15 प्रतिशत खाद के रेट और बढ़ जायेंगे. यह तमाम मुद्दे हैं इसलिये मैंने इस बात को कहा है. चाहे वह राज्य सरकार हो, केन्द्र सरकार हो, डबल इंजन की सरकार अपने आप को कहते हैं दोनों सरकारें बंदरबांट करने में लगी हैं. किसानों के साथ छलावा कर रही है. इसलिये आने वाले समय में खाद की पूर्ति करें, किसानों को खाद मिले. किसान अच्छा उत्पादन ले सकें तथा खेती लाभ का धन्धा बन सके. यही हमारा आग्रह है और कांग्रेस पार्टी के माननीय सदस्यों का आपसे आग्रह है. लेकिन आपको सत्ता का चश्मा चढ़ा हुआ है. इस चश्मे में आप लोग मस्त हो. माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी आपको खाद की कम जरूरत पड़ती है, क्योंकि आप नगर निगम इन्दौर से आते हैं. हमने किसानों का जो ज्वलंत मुद्दा उठाया है खाद की पूर्ति करें. यही मेरा आग्रह है धन्यवाद.
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय (जावरा)—अध्यक्ष महोदय, अभी मैं माननीय बाला बच्चन जी का वक्तव्य सुन रहा था. कल से, परसों से सदन में यह बात आ रही है कि जितना बार बार से जोर जोर से बोला जा रहा है, ऐसा तो कहीं मध्यप्रदेश में दिखाई दे नहीं रहा है. हमें तो यह लग रहा है कि कांग्रेस के पास में कोई मुद्दा ही नहीं है. शायद कांग्रेस के पास में कोई विषय नहीं है. पूरी तरह से विषयहीन हो चुकी है कांग्रेस न कोई मुद्दा लेकर के आयें.
श्री दिनेश जैन बोस—जावरा में भी खाद की कमी है. जावरा के पास महिदपुर में भी खाद की कमी है. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय—कृपया दिनेश जी आप बैठ जायें .
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय —अध्यक्ष महोदय, किसानों को फिर से छलावा देने का फिर से षड़यंत्र किया जा रहा है. किसानों को फिर से अंधेरे में रखने का षड़यंत्र किया जा रहा है. किसान भाई एक बार तो आपसे धोखा खा चुके हैं. ऋण माफी माफी आप लोग छलावे में आ गये. अरे सुनिये तो सही सुनने में आप लोगों को बड़ी तकलीफ हो रही है. अभी तो मैंने बोलना शुरू किया है और आप लोग बड़े परेशान हो रहे हैं. थोड़ा आप लोग धैर्य से सुने. मैं सच बोलूं पहले आप लोग आंकड़े देख लीजिये.
अध्यक्ष महोदय—माननीय सदस्य जी अपनी बात रख रहे हैं आपका समय आये तो आप भी अपनी बात रख लेना.
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय —अध्यक्ष महोदय, कांग्रेस के पास में मुद्दे नहीं हैं. अगर उपलब्धता की बात हो रही है तो सबसे अधिक इन पांच वर्षों में अगर उर्वरक की उपलब्धता रही है तो इसी वर्ष रही है. वर्ष 2024-25 में 60.71 लाख मीट्रिक टन का उर्वरक कराया गया है यह सर्वाधिक सबसे बड़ा आंकड़ा है. वर्ष 2019-20 में 50.17 लाख मीट्रिक टन उर्वरक का वितरण हुआ, 2020-21-22 में 46.49 लाख मीट्रिक टन का हुआ, वर्ष 2022-23 में 48.79 लाख मीट्रिक टन, तथा वर्ष 2023-24 में 54.5 लाख मीट्रिक टन उर्वरक का वितरण हुआ था. सर्वाधिक जो खाद का वितरण हुआ है इसी वर्ष में 60.71 लाख मीट्रिक टन उर्वरक का वितरण हुआ है. आप किस आधार पर कह रहे हैं इन पांच वर्षों में श्री बाला बच्चन जी यदि आप कालाबाजारी की बात कर रहे हैं, तो मैं तो आपके सामने तथ्यात्मक बात रख रहा हूं, मैं तो आंकड़े सहित बात रख रहा हूं. सर्वाधिक जो वितरण हुआ, सर्वाधिक खाद का जो वितरण हुआ, पूरा प्रदेश इस बात को जानता है, पूरे प्रदेश भर के समस्त जिलों में वितरण किया जा रहा है, लगातार वितरण हो रहा है, हो सकता है कि राज्य से लगी हुई सीमाओं में कुछ हमारे यहां का भी खाद जा रहा हो.
अध्यक्ष महोदय, अभी बाला बच्चन जी चिंता कर रहे थे कि कालाबाजारी हो रही है, चोरी हो रही है, अवैध भण्डारण हो रहा है, अवैध परिवहन हो रहा है, तो मैं आपको बताना चाहता हूं कि उर्वरक पर अवैध भण्डारण के लिये, अवैध परिवहन के लिये कालाबाजारी के लिये,नकली उर्वरक विक्रय के लिये अमानक उर्वरक नमूना आदि पर इन आठ से दस माह में ही 86 एफ.आई.आर.दर्ज हुई हैं, किसी को भी छोड़ा नहीं गया है, किसी से सांठ गांठ नहीं की गई है, किसानों के हित का संरक्षण किया गया है. अध्यक्ष महोदय, किसानों को कोई नुकसान न हो, किसानों को कोई हानि न पहुंचाई जाये इसके लिये 86 एफ.आई.आर. दर्ज हुई हैं और यह 34 जिलों में कार्यवाही की गई है. इसी के साथ-साथ जब परिवहन की कठिनाई आईं, आप हम सभी जानते हैं, लगातार सिंचित रकबा मध्यप्रदेश का बढ़ता जा रहा है, पहले जो 7 लाख हेक्टेयर एक जमाने में हुआ करता था, आज हम 48 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गये हैं, लगातार सिंचाई संसाधनों की व्यवस्थाएं बढ़ती जा रही हैं, लगातार तालाब डेम बनाये जा रहे हैं, लगातार सिंचाई योजनाएं बनाई जा रही हैं, किसानों को अनेक प्रकार के अनुदान दिये जाकर के प्रोत्साहित किया जा रहा है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, एक समय हुआ करता था, मैं स्वयं गांव में जाता था और तब ऐसी बुरी हालत थी, तब जब हम कहते थे कि दादा कितने बीगा जमीन है तो वह कहते थे 50 बीगा जमीन है, सिंचाई कितने में कर रहे हो? तो वह कहता था कि भईया तीस बीगा में कर रहा हूं, जब हम पूछते थे कि भाई बीस बीगा खाली क्यों छोड़ रहे हो? बीस बीगा किस बात के लिये खाली छोड़ रहे हो, तो वह कहता था कि भईया एक तो ऊपर वाला परीक्षा ले रहा है कि पानी नहीं आ रहा है और पानी आ भी जाये तो बिजली तो है ही नहीं, तो उसकी मैं सिंचित सिंचाई कैसे करूं, सिंचाई किस चीज से करूं और हालात यह रहा करते थे कि अगर सिंचाई का समय आता था, जब थोड़े समय घण्टे, दो घण्टे जो बिजली आती थी, उस समय हर माता पिता अपने बेटे को खेत पर भेजा करते थे कि जाओ खेत पर जाकर बैठो और बेटा स्टार्टर के पास बैठे रहने वहां से उठ मत जाना और जैसे ही बिजली आये झट से स्टार्टर का बटन दबा देना, ऐसा नहीं हो कि पड़ोसी रामलाल मोटर का बटन दबा दे और हम लोग पिछड़ जायें और अपनी वैसी ही सूनी जमीन पड़ी रह जाये, खाली जमीन रह जाये. आज एक इंच जमीन भी असिंचित नहीं रखी जाती है और सिंचित रकबा लगातार बढ़ता जा रहा है और सिंचित रकबा बढ़ने के कारण निश्चित रूप से खाद की आवश्यकता बढ़ती जाती है, लेकिन इसी के साथ-साथ मैं सदन के माध्यम से धन्यवाद देना चाहता हूं हमारे देश के यशस्वी प्रधानंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी को कि उन्होंने किसानों को संरक्षण देने के लिये हम सबका ध्यानाकर्षण किया है.
अध्यक्ष महोदय, हम हालात देख रहे हैं पंजाब के, हम हालात देख रहे हैं हरियाणा के, वहां पर जमीनों की जो हालत हो गई है, उसकी उर्वरा शक्ति समाप्त हो गई है, उसकी क्षमता समाप्त हो गई है, उर्वरा शक्ति लगातार उस तरह के खाद का अधिकतम उपयोग किये जाने के कारण खराब हो रही है. एक ओर इसी के साथ साथ में अनेक प्रकार की बीमारियां हो रही है, उन्होंने नेनो खाद लाने का काम किया, नेनो खाद देने का काम किया है और जहां-जहां पर जिन-जिन क्षेत्रों में नेनो खाद का उपयोग किया गया है, प्रारंभ किया गया है, जैविक खेती करने वाले कई लोग इस बात को जानते हैं, देशी खाद के बारे में कई जानते हैं और देशी खाद के साथ-साथ में इस तरह की नेनो खाद का भी अगर उपयोग उन्होंने किया है, वहां की जमीन की उर्वरा शक्ति भी बढ़ी है और उसी के साथ-साथ उनका उत्पादन भी बढ़ा है और उत्पादन की गुणवत्ता भी बढ़ी है और वह बीमारियों से भी दूर हो गये हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, लगातार इस तरह के प्रयास किये जा रहे हैं और जब कठिनाई आई थी क्योंकि लगातार उत्पादन बढ़ता रहा, अभी रबी की फसल आ गई, मक्का की फसल आ गई, मक्का की फसल आने के कारण भी निश्चित रूप से परिवहन की आवश्यकता हुई, दो तीन हमारे जो जिले हैं, छिंदवाड़ा जिला है, सिवनी जिला है, शिवपुरी जिला है, बैतूल जिला है, वहां पर वेग का मूवमेंट प्रभावित हुआ है और इसके कारण भी थोड़ा सा खाद लाने, ले जाने में कठिनाई हुई और इसके लिये मैं माननीय मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव जी को धन्यवाद देना चाहता हूं और माननीय मंत्री जी को भी धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने तत्काल केन्द्रीय रेल मंत्रालय से चर्चा की, इसी के साथ-साथ केन्द्रीय विभागों से वहां पर चर्चा की, रेक की व्यवस्था की, एक ओर खाद्यान्न का परिवहन भी किया जा सके और साथ-साथ में खाद का भी परिवहन किया जा सके, ऐसी सुगमता करते हुये.
अध्यक्ष महोदय-- राजेन्द्र जी पूर्ण करें.
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- अध्यक्ष महोदय टेन, 10 मिनट हो गए.
श्री विश्वास सारंग-- अध्यक्ष महोदय संसदीय कार्यमंत्री जी की निष्पक्षता देखिये, इसके लिये तो तारीफ होना चाहिये.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय-- अध्यक्ष महोदय 28 हजार मीट्रिक टन प्रतिदिन उर्वरक का वितरण किया गया है आप रिकार्ड देख लें, आखिरकार आप कैसे कह रहे हैं कि खाद की कमी है, कैसे आप कह रहे हैं कि खाद का संकट है. इसलिये मैं कहना चाहता हूं कि विपक्ष के द्वारा यह अनावश्यक वातावरण बनाने की कोशिश की जा रही है, पूरे प्रदेश के किसानों को फिर से गुमराह करने की कोशिश की जा रही है, उनके साथ छलावा करने की कोशिश की जा रही है, एक असत्य आरोप लेकर के, एक असत्य मुद्दा लेकर के कांग्रेस ने फिर से सदन में इस तरह का काम किया है, मैं इसका विरोध करता हूं और मैं माननीय मंत्री जी के द्वारा, माननीय मुख्यमंत्री जी के द्वारा और शासन के द्वारा जो प्रस्ताव रखा गया उसका बहुत-बहुत समर्थन करता हूं. माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत-बहुत धन्यवाद, आपने मुझे समय दिया.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव (कसरावद)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने इस लोक महत्व के विषय को आज सदन में रखा और आज चर्चा का अवसर दिया, मैं इसके लिये आपको अपने दल की तरफ से धन्यवाद देना चाहता हूं. माननीय अध्यक्ष महोदय, यह जो डबल इंजन की सरकार है इस सरकार की किसान विरोधी नीतियों के कारण आज पूरे देश का किसान और प्रदेश का किसान आंदोलनरत है. आज आप देखें कि वह अपनी वाजिब मांगों को पूरी करने के लिये एक लंबे समय से हमारे देश का किसान हरियाणा और दिल्ली की बार्डरों पर जमा हुआ है, लेकिन उसकी जो सुनवाई है वह नहीं हो पा रही है. एक अन्नदाता, एक किसान आदमी क्या चाहता है. हम सब किसान कल्याण की बात करते हैं. हम पिछले कई वर्षों से दो-तीन नारे सुन रहे हैं, कभी हम सुनते हैं कि किसानों की आय को वर्ष 2022 तक दोगुना किया जायेगा, कभी हमें सुनाई देता है कि खेती को लाभ का धंधा बनाने का काम किया जायेगा, लेकिन यह काम कब होगा, यह काम जब होगा जब किसानों की जो आवश्यकता है विशेष रूप से उसे जो आदान लगता है, उसे जो इनपुट लगता है उन इनपुटों की व्यवस्था यदि हम समय पर और गुणवत्तापूर्वक नहीं करेंगे तब तक वह कल्पना को किसान कल्याण की जो हम बातें करते हैं उन बातों पर हम खरे नहीं उतर पायेंगे. माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी बड़े विस्तार से आदरणीय बाला बच्चन जी ने पूरे प्रदेश में जो खाद का संकट जिसने एक विकराल रूप ले लिया उसके ऊपर बड़े विस्तार से चर्चा की, मैं उसके विस्तार में नहीं जाऊंगा. आज जिस प्रकार से पूरे प्रदेश में खाद का अभाव देखा गया, लंबी-लंबी कतारें देखी गईं एक खाद की बोरी के लिये मेरे अन्नदाताओं को अधिकारियों के आगे गिड़गिड़ाता देखा गया, उसके पैर छूते देखा गया यह हम सबके लिये बहुत ही चिंता का विषय है. माननीय अध्यक्ष महोदय, बड़े पैमाने पर खाद की कालाबाजारी हो रही है, जो खाद 700 रूपये में मिलना चाहिये वह 1300 रूपये में मिल रहा है. नकली खाद, नकली बीज, किसानों को दिया जा रहा है, नकली दवाईयां किसानों को दी जा रही हैं और एक षड़यंत्र पूरे प्रदेश में चल रहा है और मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें कहीं न कहीं सत्ता पक्ष के लोगों का संरक्षण ऐसे लोगों को है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं खंडवा का उदाहरण देना चाहता हूं ...(XX) ....
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्वाइंट ऑफ आर्डर है, ऐसा व्यक्ति जो सदन में आकर अपना स्पष्टीकरण नहीं दे सके उसका नाम सदन के अंदर नहीं लिया जा सकता. इसलिये इसको आप विलोपित करें तो बड़ी कृपा होगी.
अध्यक्ष महोदय-- इसको विलोपित करें.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव - उसके ऊपर कार्यवाही हुई है. क्यों विलोपित किया जाए उसने गुनाह किया है.उसने किसानों को ठगने का काम किया है. जिसकी 50 एकड़ भूमि है उसको 2-2 बोरी खाद दिया जा रहा है. डीएपी जो मांग रहा है उसको नैनो खाद दिया जा रहा है.एनपीके दिया जा रहा है तो हम यह किस तरह से किसानों के कल्याण की बात कर रहे हैं और इसके साथ-साथ देश का जो किसान आज आंदोलन कर रहा है उसको उसकी फसल का उचित मूल्य उसे मिले इसलिये वह कर रहा है. इस विषय पर भारतीय जनता पार्टी का संकल्प पत्र है मेरे पास.
अध्यक्ष महोदय - सचिन जी, पूर्ण करें.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव - इसमें पेज नंबर 26 पर सरकार ने अपने संकल्प पत्र में लिखा है हम गेहूं की फसल पर एमएसपी के ऊपर बोनस प्रदान करके 2700 रुपये प्रति क्विंटल करेंगे.
अध्यक्ष महोदय - श्री आशीष गोविन्द शर्मा जी
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव - हम धान की फसल को एमएसपी के ऊपर बोनस प्रदान करके 3100 रुपये में खरीदने का काम करेंगे.
अध्यक्ष महोदय - आशीष जी शुरू करें.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव - मैं जानकारी के लिए बताना चाहता हूं कि नदी जोड़ो अभियान की बात कल सदन में हुई थी. यह जो कल्पना थी इस कल्पना को आज से दशकों पहले मेरे स्वर्गीय पिताजी ने इस कल्पना को हकीकत में उतारने का काम किया था. उन्होंने इंदिरा सागर परियोजना के माध्यम से मॉं नर्मदा पर निमाड़ के अंदर जितनी भी महत्वपूर्ण नदियां थीं परियोजनाएं थीं.
अध्यक्ष महोदय - आशीष जी आप प्रारंभ करें. अब आशीष जी जो बोलेंगे वही रिकार्ड में आएगा.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव - xxx
श्री आशीष गोविन्द शर्मा(खातेगांव) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हूं कि इस देश में पारंपरिक खेती,गोबर खाद और अन्य जो हमारी वनस्पतियां हैं उसके माध्यम से प्राचीन समय से भारत का किसान खेती करता आ रहा था लेकिन जब 1960 में हरित क्रांति का इस देश में आगमन हुआ और खेती और अनाज के प्रचुर उत्पादन के लिये किसानों को प्रेरित किया गया. सिंचाई के साधनों का, बिजली का विकास किया गया. सड़कें अच्छी बनाई गईं उपज का सही मूल्य मिलने लगा तब से लगातार खेती के ऊपर कीटनाशकों का और रसायनों का बढ़ा. पूर्व वक्ता आदरणीय राजेन्द्र पाण्डेय बहुत कुछ विषय रख चुके हैं. मैं आदरणीय बाला भाई की एक बात से जरूर सहमत हूं. उन्होंने कहा कि अब किसान 3 फसल ले रहे हैं. बड़वानी,झाबुआ,अलिराजपुर जैसे जिले जहां पर पीने के पानी की किल्लत होती थी आज वहां किसान 3 फसल ले रहे हैं यही नया भारत मोदी जी का और भारतीय जनता पार्टी का प्रदेश में है.
श्री बाला बच्चन - इसकी शुरुआत श्रीमती इंदिरा गांधी जी ने 1984 में की थी. पुनासा बांध का नाम इंदिरा सागर नाम रखा गया है
(..व्यवधान..)
श्री आशीष गोविन्द शर्मा - 11 सितम्बर,1995 को इसी सदन में खाद,बीज पर चर्चा हो रही थी, उस समय कांग्रेस की सरकार थी और विपक्ष ने जो तीखे प्रहार खाद की कालाबाजारी को लेकर तत्कालीन कृषि मंत्री,सहकारिता मंत्री जो उस समय थे उन पर आरोप लगाए थे उसकी आप
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XXX : आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
कापी लीजियेगा वास्तव में खाद की किल्लत तो उस समय थी. आज भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने इस देश से गैस की टंकियों के लिये लगने वाली लाईनों को समाप्त किया. राशन की लाईनों को समाप्त किया. बिजली का बिल भरने वाली लाईनों को समाप्त किया और भरोसा रखिये अतिशीघ्र अगर इक्का-दुक्का जगह खाद के लिये लाईन लग रही है तो वह भी हमारी सरकार समाप्त करेगी क्योंकि यह किसान हितैषी सरकार है और जिस तरह से कृषि के क्षेत्र में अनुसंधान हो रहे हैं. वैज्ञानिकों का यह मत है कि उर्वरकों और रसायनों का प्रयोग फसलों के लिये नुकसानदेह है. मानव प्रजाति इससे खतरे में पड़ रही है. कैन्सर के बड़े-बड़े केस उन राज्यों से आ रहे हैं, जहां पर कीटनाशकों का सर्वाधिक प्रयोग हुआ करता था और आज हमें इस बात का गर्व है कि भारत में जैविक खेती की तरफ 6 प्रतिशत लोग बढ़ चुके हैं. किसान बढ़ चुके हैं. सिक्किम देश का एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां पर सौ प्रतिशत जैविक खेती हो रही है. आज समाज का जो संभ्रान्त वर्ग है, वह भी जैविक उत्पादों की तरफ अपने कदम बढ़ा रहा है क्योंकि हर कोई स्वस्थ रहना चाहता है. लेकिन इस धरती के प्रति, इस मिट्टी के प्रति भी हमारी जवाबदेही है. ये मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं जो हैं, उनके माध्यम से हमारी मिट्टी की उर्वरा शक्ति का आज हमको और किसान भाइयों को पता लग पा रहा है. आज हम यह कह सकते हैं कि चाइना में सर्वाधिक प्रति एकड़ में कीटनाशकों और उर्वरकों का उपयोग हो रहा है. हमारे भारत देश में भी 35 से 40 किलोग्राम खाद एक एकड़ जमीन में हमारे किसान भाई डाल रहे हैं, जो कि निर्धारित अनुपात से ज्यादा है. उसका ज्यादा उपयोग कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय, मैं जिस क्षेत्र से आता हूँ, वह कृषि प्रधान क्षेत्र है और इस बार लगभग 10-15 वर्षों से विभाग के द्वारा सहकारिता के माध्यम से खाद का अग्रिम भण्डारण किया जाता है. किसान को मई, जून महीने में ही सूचना कर दी जाती है कि आप अपने हिस्से का खाद उठाकर ले जाइये. जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर युद्ध की स्थिति बनी है, हमारा जो समुद्री मार्ग है, लाल सागर का, स्वेज नहर का, उसके बाधित होने के कारण लगभग 7 हजार किलोमीटर का फेरा लगाकर खाद लेकर आना पड़ रहा है. 500 डॉलर में जो रेक मिला करती थी, आज उसके लिए 650 डॉलर का भुगतान सरकार कर रही है. खाद पर बेतहाशा सब्सिडी केन्द्र सरकार और राज्य सरकार दे रही है. उसके बाद भी लगातार प्रयास करके केन्द्र सरकार ने मध्यप्रदेश के हिस्से का खाद मध्यप्रदेश को दिलाने का काम किया है. हमें इस बात की संतुष्टि है कि गत वर्ष की तुलना में न सिर्फ अच्छे खाद का वितरण हुआ है, बल्कि हम खाद वितरण का 90 प्रतिशत से अधिक लक्ष्य प्राप्त कर चुके हैं. लेकिन कुछ लोग हैं जो खाद के नाम पर भी राजनीति करना चाहते हैं. यह किसानों का अधिकार है. हर कोई चाहता है कि उसकी फसल का अच्छे से उत्पादन हो और वह यह भी चाहता है कि उसका उपार्जन भी अच्छे से हो. हमारी सरकार बिजली भी दे रही है, खाद भी दे रही है, जीरो परसेंट ब्याज पर ऋण भी दे रही है. फसल का नुकसान होने पर उसका मुआवजा और उसका बीमा दिलाने का काम भी कर रही है. उसकी उपज का उचित भाव मिले, इसलिए सोयाबीन जैसी फसल, जो कि मालवा, निमाड़ की प्रमुख फसल है, उसका उपार्जन भी मध्यप्रदेश की सरकार कर रही है.
अध्यक्ष महोदय -- आशीष जी, समाप्त करें.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, मैं सरकार को धन्यवाद देना चाहता हूँ और यह विश्वास व्यक्त कर सकता हूँ कि कुछ मुद्दे ऐसे होते हैं, जिन पर राजनीति नहीं होनी चाहिए. किसान सबका है. किसान के कारण ही आज हमारे प्रदेश की समृद्धि है और इसलिए किसानों को खाद मिले, यह सबकी भावना होनी चाहिए. मैं विश्वास के साथ कह सकता हूँ कि हमारी सरकार और विभाग ने पूरी जवाबदेही के साथ खाद का वितरण किया है. राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर परिस्थितियां कुछ भी निर्मित हों, उसके कारण व्यवधान अगर कुछ समय के लिए आया है तो हमको सबको दिलासा देना चाहिए, न कि आग को भड़काना चाहिए. आज हम खाद निर्माण में भी आत्मनिर्भर हो रहे हैं. यूरिया हम बना रहे हैं, लेकिन डीएपी और एनपीके का प्रयोग इस बार बहुत सफल रहा है. जो किसान डीएपी डाला करते थे, उनको एनपीके देकर सरकार ने एक बहुत बड़ी मांग की पूर्ति की है. मुझे विश्वास है कि आने वाले समय में किसी भी अखबार में, किसी भी समाचार-पत्र में, किसी भी सोशल मीडिया पर खाद की इस तरह की अप्रिय स्थिति हमें देखने के लिए नहीं मिलेगी, लेकिन हम सबको सामूहिक रूप से प्रयास करके सरकार और विभाग को वितरण में मदद करनी होगी. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री नितेन्द्र बृजेन्द्र सिंह राठौर (पृथ्वीपुर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे बोलने का अवसर देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद. अध्यक्ष महोदय, किसानों के प्रति सरकार का रवैया काफी उदासीन है. सरकार किसानों को बोवनी के समय खाद उपलब्ध नहीं कराती और मैंने अपने विधान सभा क्षेत्र के लिए 18 अक्टूबर को माननीय मुख्यमंत्री जी, माननीय कृषि मंत्री जी और कलेक्टर महोदय को पत्र लिखा था कि खाद का संकट है, क्योंकि पिछली बार भी खाद का संकट हुआ था और इस बार न दोहराया जाए, इसकी पर्याप्त व्यवस्था की जाए. लेकिन उसके बाद भी खाद की समस्या मेरे जिले में, मेरे विधान सभा क्षेत्र में रही.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जब सिंचाई का समय आता है तो बिजली गायब हो जाती है. बिजली विभाग वाले उस समय किसान की मोटर कुंए से उठा लाते हैं. किसान परेशान होता है. जब फसल बाजार में बिकने को आती है तो किसान को फसल के दाम नहीं मिलते. जब हम सवाल करते हैं कि गेहूँ के दाम 2700 और धान के दाम 3100 रुपये आपके संकल्प पत्र में थे. तब सरकार के ही लोग कहते हैं कि 5 वर्ष का संकल्प-पत्र है, यह वर्ष 2028 तक होगा. मैं पूछना चाहता हूँ कि क्या महोदय वर्ष 2028 तक खेती की लागत नहीं बढ़ेगी, साथ ही अगर किसान इन सभी चीजों से परेशान होकर धरना-प्रदर्शन करता है, तो उस पर लाठी चार्ज किया जाता है.
6.51 बजे
{सभापति महोदया (श्रीमती झूमा डॉ. ध्यानसिंह सोलंकी) पीठासीन हुईं.}
सभापति महोदया, समूचे बुन्देलखण्ड में खाद वितरण एक बहुत बड़ी समस्या रही है. खास तौर पर मेरा जिला टीकमगढ़ और निवाड़ी, जिसमें यह समस्या बहुत ज्यादा रही. सहकारी नेता ऐसे हैं, जो खुद बड़ी संख्या में खाद की कालाबाजारी करते हैं, ट्रांसपोर्टेशन का उचित इन्तजाम न होने के कारण लगभग 60 प्रतिशत किसानों को खाद समय पर नहीं मिल पाती है, बाजार से तीन गुने दाम पर खाद खरीदनी पड़ती है और ऐसे में आप खाद की बोरी पर 190 रुपये बढ़ा रहे हैं, जो खाद की बोरी पहले 1,400 रुपये की थी, उसको 1,590 रुपये की सरकार करने जा रही है. कृपया इस पर भी विचार करे. इसके दाम न बढ़ायें क्योंकि बुन्देलखण्ड का किसान पहले भी खाद की कमी से जूझता रहा है, उसकी परेशानी और ज्यादा बढ़ेगी.
माननीय सभापति महोदया, हमारा प्रदेश पूरे देश के लहसुन का 65 प्रतिशत अकेले ही पैदा करता है, लेकिन लहसुन के मामले में एक बार फिर प्रदेश का किसान बुरी तरह से ठगा जा रहा है, जो लहसुन 4 दिन पहले खुदरा बाजार में 40,000 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा था, वह लहसुन आज 12,000 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गया है, क्योंकि चीन से लहसुन बहुत ही सस्ते दाम पर देश से प्रदेश में आ रही है. जिससे इस प्रदेश का एवं देश का किसान आने वाले समय में बर्बाद होगा और लहसुन की फसल को सड़कों को फेंकने के लिए किसान मजबूर होगा, क्योंकि 50,000 रुपये प्रति क्विंटल का तो उसने बीज ही लगाया है और आप बाजार में देखें तो लहसुन का भाव 500 रुपये प्रति किलो मिलता है, तो उसकी कालाबाजारी और चीन के माल की आवक को रोकने का सरकार कष्ट करे.
सभापति महोदया - नितेन्द्र जी, आपका समय 3 मिनट है, आपका 2 मिनट का समय हो गया है और अब केवल एक मिनट में समाप्त कीजिये.
श्री नितेन्द्र बृजेन्द्र सिंह राठौर - जी, सभापति महोदया. सरकार ने किसानों को स्वाइल हेल्थ कार्ड बनवाये और मिट्टी की जांच की बात कही, आर्गेनिक और बायो खेती का भी ढोल पीटा गया, अभी हमारे एक साथी बोल भी रहे थे. लेकिन आज भी प्रदेश में माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की जांच नहीं हो पाती, क्योंकि इनपुट क्वालिटी टेस्ट की लैब नहीं है और यह समस्या प्रदेश के पूरे किसानों की है. बुन्देलखण्ड में यह समस्या और भी जटिल है, क्योंकि बुन्देलखण्ड में किसानों का पलायन गांव छोड़कर बड़े शहर की ओर रोजगार की तलाश में जाना भी इस समस्या को और भी जटिल बनाता है.
माननीय सभापति महोदया, बुन्देलखण्ड में किसान मूंगफली की खेती बड़ी संख्या में करता है और प्रदेश में लगभग 15 लाख किसान मूंगफली की खेती करते हैं लेकिन मूंगफली की बिक्री के लिए पोर्टल की व्यवस्था हीं है. यही कारण है, जिस वजह से मूंगफली की एमएसपी 65,000 रुपये प्रति क्विंटल है व मूंगफली की बिक्री उचित ढंग से नहीं हो पा रही है. उसको वह खुले बाजार में बेचने के लिए मजबूर है, जहां बमुश्किल उसको 5,000 रुपये प्रति क्विंटल का भाव मिल पाया है. इससे मेरे बुन्देलखण्ड का किसान बहुत ही बड़ी संख्या में आहत और परेशान है. मैं, अन्त में अपनी बात समाप्त करने के पहले केवल इतना कहूँगा कि हमारे क्षेत्र में जमीन के नीचे होने वाली सब्जियां जैसे अदरक, हल्दी एवं मूंगफली इत्यादि अधिक तादाद में होती है. मैं सरकार से यह मांग करूँगा कि सरकार इस बात पर विचार करे कि हमारे क्षेत्र में, हमारे जिले निवाड़ी-टीकमगढ़ में एक बड़ा फूड प्रोसेसिंग यूनिट सरकार खोले या किसी प्रायवेट एजेंसी के माध्यम से खुलवाये. जिससे किसान अपनी पैदावार को वहीं बेच सके और वहीं पर उसको उचित दाम मिल सके, तो अति कृपा होगी. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री दिव्यराज सिंह (सिरमौर) - माननीय सभापति महोदया, आज हम देख रहे हैं कि कांग्रेस पार्टी के साथीगण किसानों के लिए जो लड़ाई लड़ रहे हैं, लेकिन इनको अपने अतीत में जाकर देखना चाहिए कि उनके समय में किसानों की क्या हालत थी ? खासकर हमारे विन्ध्य क्षेत्र रीवा में. आज कांग्रेस कहती है कि हमने योजनाएं बनाई थीं. एक योजना बाणसागर भी बनाई थी, उसको 50 वर्ष हो गए, लेकिन वह योजना कभी धरातल पर उतरकर नहीं आई जैसे ही भारतीय जनता पार्टी की सरकार आई तो बाणसागर की योजना आज पूरे रीवा जिले और मेरे क्षेत्र सिरमौर विधान सभा, वह रीवा जिले का टेल है, वहां तक बाणसागर का पानी पहुंचाने का काम भारतीय जनता पार्टी की सरकार कर रही है. (मेजों की थपथपाहट)
सभापति महोदया, कांग्रेस के समय किसानों को खाद तो छोड़ दीजिये, उसे बिजली भी नहीं मिलती थी, जब उसे खेत में पानी लगाना होता था तो उसे डीज़ल पंप का इस्तेमाल करना पड़ता था, तब वह खेत में सिंचाई कर पाता था. आज भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने खेतों में पानी पहुंचाने के लिए नहरें भी दी हैं और बिजली की भी व्यवस्था की है. खाद की भी पूरी आपूर्ति करने का काम भारतीय जनता पार्टी की सरकार कर रही है.
सभापति महोदया, मेरे पहले के साथियों ने कहा हमारा प्रदेश कृषि के क्षेत्र में आगे बढ़ता जा रहा है, हमारा कृषि का रकबा बढ़ता जा रहा है और उत्पादन बढ़ता जा रहा है. आज हम गर्व के साथ कह सकते हैं कि हमारा मध्यप्रदेश ऐसा प्रदेश है जो लगातार "कृषि कर्मण अवॉर्ड" जीत रहा है, निश्चित रूप से इसके लिए हमें सभी व्यवस्थायें करने की आवश्यकता है.
सभापति महोदया, इसके अतिरिक्त हम उस ट्रेंड में न चले जायें कि हमारे खेत इस प्रकार के हो जायें कि वे खेत दुबारा कभी इस्तेमाल करने लायक ही न बचें. हमारी सरकार ने कई प्रयोग किए हैं. पूर्व में डीएपी इस्तेमाल की जाती थी, उसे बदलकर अब एनपीके खाद का इस्तेमाल हो रहा है. जिसमें पोटेशियम की मात्रा होती है, जिससे किसानों का फायदा होता है. किसानों को गुमराह हमारे कांग्रेस के साथी करते हैं कि डीएपी इस्तेमाल करो लेकिन डीएपी से खेत खराब होता है और एनपीके से लाभ प्राप्त होता है.
हमारी सरकार और माननीय मोदी जी ने नया प्रयास प्रारंभ किया है कि हम यूरिया और डीएपी जो पहले विदेशों से आयात करते थे, वह देश में ही बनाई जाये. हमने सस्ते दाम में नैनो यूरिया और नैनो डीएपी का प्रयोग प्रांरभ किया है, जिसमें पहला छिड़काव नॉर्मल डीएपी और एनपीके से होता लेकिन दुबारा छिड़काव में नैनो यूरिया और डीएपी का प्रयोग कर सकते हैं. इसमें बहुत बड़ा लाभ यह है कि जिस खाद को पहले हम आयात करते थे, जिसमें हमारे हजारों रुपये लगते थे, आज उसे हमने केवल 250 रुपये में देश में बनाना प्रारंभ कर दिया है. पहले हम 2500-3000 रुपये की यूरिया विदेश से क्रय करते थे और अब मात्र 250 रुपये में देश में नैनो यूरिया और डीएपी बन रही है. इससे हमारे देश की मुद्रा जो खाद आयात करने में बाहर चली जाती थी, हमारा पैसा डॉलर में खर्च होता था, वह नहीं होता है. मध्यप्रदेश में भी डीएपी और यूरिया बनना प्रांरभ हो गया है.
सभापति महोदया, हमारी सरकार ने नैनो ड्रोन महिलाओं का समूह प्रारंभ किया है, हम इसके माध्यम से महिला स्वसहायता समूहों को रोजगार देने का काम कर रहे हैं. निश्चित रूप से मोहन यादव जी की सरकार महिलाओं को रोजगार और किसानों का उत्पादन बढ़ाने का कार्य कर रही है.
सभापति महोदया- दिव्यराज जी आपका समय हो रहा है. जल्दी समाप्त करें.
श्री दिव्यराज सिंह- नैनो यूरिया का आज लगभग 13 लाख लीटर का खपत मध्यप्रदेश में हुआ है. आप कहते हैं कि डीएपी और खाद की कमी है लेकिन हमारे रीवा जिले में विगत वर्ष हमें 48 हजार टन किसानों को दिया और इस वर्ष उसे बढ़ाकर लगभग 60 हजार टन यूरिया किसानों को दिया है. हमने हर चीज़ में हर वर्ष की तरह यूरिया और डीएपी रीवा जिले और रीवा संभाग में वृद्धि की जा रही है. आने वाले समय के लिए भी हमारे पास पर्याप्त स्टॉक है जिससे किसानों को डीएपी यूरिया की कोई समस्या न आये धन्यवाद (मेजों की थपथपाहट)
7.00 बजे
श्री दिनेश जैन (बोस) (महिदपुर)--माननीय सभापति महोदया, जब हम चुनाव लड़ते हैं जब किसान और मतदाता हमें वोट देते हैं तो उनको पता नहीं होता है कि हमारा विधायक पक्ष में बैठेगा या विपक्ष में बैठेगा, लेकिन किसान की यह मंशा जरूर होती है कि विधान सभा में जाकर हमारा विधायक हमारे लिए लड़ाई लड़े हमारे लिए बीमे की लड़ाई लड़े, हमारे लिए मुआवजे की लड़ाई लड़े, हमारे लिए राहत राशि की लड़ाई लड़े, हमारे लिए खाद, बीज की लड़ाई लड़े, लेकिन विधान सभा के अंदर भारतीय जनता पार्टी को 29 में से 29 सीटें संसद में मिलीं और यहां पर पूर्ण बहुमत होने के बाद भी आज मध्यप्रदेश का किसान खाद, बीज, मुआवजे, राहत राशि और बीमे के लिये भटक रहा है. वह हमसे बोलता है कि विपक्ष में जाकर हमारी आवाज उठाओ और हमें यहां कुल दो मिनट बोलने का मौका मिला है इस दो मिनट के अंदर मैं केवल राहत राशि, मुआवजा और बीमा जो एक बहुत ही बड़ी समस्या है और तीन मिनट के अंदर ही मैं अपनी बात को समाप्त करूंगा. कल मैंने पूरक बजट में देखा था कि आपदा प्रबंधन के अंदर काफी बड़ा अमाउंट बजट में है. आपदा प्रबंधन के अंदर प्राकृतिक रूप से अगर बाढ़ आ जाए, ओले गिर जाएं, बारिश हो जाए, अतिवृष्टि हो जाए और फसलों को नुकसान हो जाए तो उस आपदा प्रबंधन से हमको हाथों हाथ किसान की मदद करना है, लेकिन पंद्रह से बीस साल के मेरे राजनीतिक जीवन में एक या दो बार राहत राशि मिली है. वह प्रबंधन किस काम का जिसमें बजट भी है लेकिन राहत राशि नहीं और उसका सबसे बड़ा खराब प्रभाव यह पड़ता है कि वह राहत राशि नहीं मिलती है तो उस किसान को बीमा भी नहीं मिलता है. क्योंकि राहत राशि नहीं मिली तो इसका मतलब है कि फसल खराब ही नहीं हुई और फसल खराब नहीं हुई तो बीमा भी नहीं मिलेगा. मैं बड़ी मुश्किल से बीमा अधिकारियों के पास गया और बात की कि भाई यह बीमा होता कैसे है. तुम क्या लेते हो, तुम्हारी सरकार तुमको क्या देती है. पांच दिन की लगातार मेहनत के बाद एक कागज मुझे मिला है. यह कागज मैं आपको पढ़कर बताता हूं कि इसमें कितना अंश सरकार दे रही है और कितना अंश किसान दे रहा है. यह सुनकर और देखरक मेरी जमीन खिसक गई. इसके अंदर लिखा है कि किसानों के लिए अनूठी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना ''हर मौसम में खुश रहे किसान'' ''इफ्को टोकिया का यही अरमान''. इस कंपनी ने उज्जैन जिले के अंदर पूरे किसानों का बीमा किया है. इसके अंदर यह लिखा है कि एक हेक्टेयर जमीन के अंदर 47 हजार रुपए बीमा कंपनी लेगी उसमें केवल दो प्रतिशत 940 रुपए किसान देगा और 46 हजार 60 रुपए सरकार देगी. केवल एक हेक्टेयर पर. 46 हजार रुपए हेक्टेयर सरकार प्रीमियम दे रही है और लगतार कई सालों से किसानों को एक भी रुपया बीमा नहीं मिला है यह एक बहुत ही बड़ा मुद्दा है. इसी तरीके से एमएसपी मिनिमम सपोर्ट प्राईज़ 4890 रुपए मिलना चाहिए. सरकार ने बोला है कि मिनिमम सपोर्ट प्राईज़ इतना है लेकिन मंडी कमेटी, अर्द्धशासकीय, सरकारी संस्था है और उसी के अंदर 4200 रुपए में सोयाबीन तौली जाती है तो मेरा सरकार से और सदन से यह निवेदन है कि उनको भावांतर दिया जाए और उनको मिनिमम सपोर्ट प्राईज़ मिलना चाहिए. आपने मुझे बोलने का मौका दिया. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री गौरव सिंह पारधी (कटंगी) -- माननीय सभापति महोदया, आपका संरक्षण लेते हुए कहना चाहता हूँ कि चर्चा खाद पर होनी चाहिए लोगों ने बीमा पर शुरु कर दी. अब विषय इसलिए आ जाता है कि जब बोलने को कुछ नही रहता है और उसमें कोई दुख की बात नहीं है. कांग्रेस की सरकारें सदा से यही करती रही हैं. इसलिए मैं आपके ध्यान में लाना चाहूंगा खाद के लिए ...(व्यवधान)
श्री दिनेश जैन बोस -- किसानों के हित में बात कर रहे हैं, किसान आपसे भी रुबरु होगा, जरुर पूछेगा कि आपने किसानों के लिए क्या बात की विधायक बनने के बाद. आप उज्जैन में भी बीमा दिलवा दो.
श्री सुरेन्द्र सिंह गहरवार -- माननीय सभापति महोदया, मैं पारधी जी के पक्ष में दो लाइनें कहना चाहता हूँ --
चमन को सींचने में कुछ पत्तियां झड़ गई होंगीं,
यह इल्जाम लग रहा है मुझ पर बेवफाई का.
कलियों को रौंद दिया जिसने पांव से,
वही दावा कर रहा है रहनुमाई का.
श्री गौरव सिंह पारधी -- मैं कहना चाहूंगा कि खाद की आपूर्ति मुख्य रुप से केन्द्र सरकार द्वारा की जाती है. इसलिए मैं वहां ले जाना चाहूंगा जहां से शुरुआत होती है. जब केन्द्र में पूर्ववर्ती सरकारें रहीं तब इस देश में 40 प्रतिशत से ज्यादा खाद इम्पोर्ट किया जाता था. माननीय नरेन्द्र मोदी जी की सरकार आई. हम न्यू इनवेस्टमेंट पॉलिसी फॉर यूरिया लाए. यह योजना लाकर जो बंद पड़े उद्योग थे. एफसीआईएल, एचएफसीआईएल इन उद्योगों को फिर से शुरु करके पुन: बड़े स्तर पर देश में ही खाद का उत्पादन शुरु किया. यहां से शुरुआत होती है सरकार की और सरकार की बातें मैं आपको बताना चाहूंगा. मध्यप्रदेश भौगोलिक दृष्टि से देश के मध्य में स्थित है. खाद इम्पोर्ट होती है तो पोर्ट से हमारे प्रदेश की दूरी ज्यादा है. हम लैंड लॉक्ड स्टेट हैं. फिर भी डॉक्टर मोहन यादव जी की सरकार है. मैं कृषि मंत्री जी और सहकारिता मंत्री जी को बधाई देना चाहूंगा कि उन्होंने प्रयास किया और इस प्रदेश के किसानों को समय पर यूरिया की उपलब्धता कराई. खाद की पूरी उपलब्धता कराई. यह बहुत विपरीत समय था. वर्तमान की जिओ पॉलिटिकल सिचुएशन में चीन हमको सहयोग नहीं कर रहा है. पहले हम वहीं से फास्फोरस लेते थे. शिप से माल लाने में तकलीफ हो रही है क्योंकि वहां पर रेड सी में दिक्कत जा रही है. खाद आने में पहले जो समय लगता था आज उसमें 25 से 30 दिन ज्यादा लग रहा है, क्योंकि वह अफ्रीका से घूम कर आ रहा है. विश्व में पिछले एक साल में 500 डॉलर से बढ़कर 630 डॉलर डीएपी की कीमत चली गई है. फिर भी सरकार ने डीएपी की कीमत नहीं बढ़ाई है उसी कीमत पर केन्द्र सरकार सबसीडी देते हुए राज्य सरकार को उपलब्ध करवा रही है वहां से किसानों को खाद उपलब्ध हो रही है. इसके लिए मैं सरकार को बधाई देना चाहूंगा. मैं सिर्फ यह नहीं कह रहा हूँ कि केन्द्र सरकार ने उपलब्ध कराई. आंकड़ों के साथ मैं आपको बताऊंगा. पिछले साल यूरिया की खपत प्रदेश में 11.82 एलएमटी (लाख मेट्रिक टन) हुई थी. फिर भी हमारी सरकार ने 15.59 एलएमटी उपलब्धता कराई. 32 प्रतिशत ज्यादा उपलब्धता कराई है. ऐसा नहीं है कि सिर्फ यूरिया उपलब्ध करवाई डीएपी और काम्पलेक्स मिलाकर भी जो पिछले साल उपलब्धता थी वह 8.44 एलएमटी थी उसको इस बार बढ़ाकर 8.75 तक ले गए हैं. साथ ही साथ एनपीके को बढ़ावा देने के लिए क्योंकि उससे सारे पोषक तत्व मिलते हैं सरकार ने प्रयास किया और आज हम देख रहे हैं कि एनपीके की खपत 4.67 जहां पिछली बार थी उसको 9 एलएमटी तक हम पहुंचाकर ले गए हैं. इस नए मध्यप्रदेश के मॉडल का जिसका पूरा देश अनुसरण कर रहा है. इसको धरातल पर उतारने के लिए मैं पुन: कृषि मंत्री और सहकारिता मंत्री जी को बधाई देता हूँ कि आपने इस प्रदेश के किसानों को विपरीत परिस्थितियों में भी समय पर खाद उपलब्ध कराने का पूरा प्रयास किया है. आज किसान को खाद मिल रहा है आप हृदय से धन्यवाद के आभारी है. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री दिनेश गुर्जर (मुरैना) -- धन्यवाद सभापति महोदया. अभी जिस तरह से हमारे सभी भाइयों ने बोला कि खाद मिल रहा है, ईमानदारी से मेरा अनुभव है, मैं लगभग 10 वर्षों से किसान कांग्रेस का अध्यक्ष बनकर संपूर्ण मध्यप्रदेश का ऐसा कोई ब्लॉक, तहसील नहीं है जहां मैंने जाकर किसानों के आंदोलन में भाग नहीं लिया. किसान भाइयों का फसलों के समय हर साल का यह मुद्दा रहता है कि खाद नहीं मिलता. मैं सभी से पूछना चाहता हूं कि जब फसल का समय आता है तब किसान भाइयों के ट्रांसफार्मर क्यों हटाये जाते हैं ? क्यों उनके बिजली के कनेक्शन काटे जाते हैं ? वसूली के नाम पर उनको दबाने का काम किया जाता है. अगर आपको अपनी वसूली करना है तो जब उसकी फसल हो जाये, उसके एक महीने बाद आप उससे रुपये की वसूली करें, परंतु जब किसान को अपनी फसल के समय सिंचाई की जरूरत है, उस समय उसके सिंचाई के साधनों को रोकने का काम होता है. खाद समय पर बिल्कुल नहीं मिला है. यह असत्य बातें पूरे सदन में हो रही हैं. अगर कोई भी सदस्य मेरे साथ चले, वह अपनी इच्छा से मध्यप्रदेश का कोई जिला छांट ले, हम लोग चलने को तैयार हैं, अगर वहां के किसान यह कह दें कि हमको खाद पर्याप्त मिला है, तो हम आपको इसी सदन में धन्यवाद देंगे.
सभापति महोदया, सभी लोग बोल चुके हैं. चूंकि मेरा पहला अनुभव है, मुझे अपने क्षेत्र की बातें रखने का अवसर नहीं मिला था, इसलिये मैं अपने क्षेत्र की बातें रखना चाहता हूं. किसान को बीज, खाद नहीं मिला, किसान परेशान रहा. अभी हाल ही में दो-तीन माह पहले मुरैना के अंदर वर्षा हुई और किसानों की 80 प्रतिशत् फसलें नष्ट हुईं. हमने मांग की, जिला प्रशासन ने सर्वे किया, परंतु आज दिनांक तक मुरैना जिले के अंदर एक भी किसान भाई को फसलों का मुआवजा नहीं मिला है. ऐसे ही हमारे मुरैना क्षेत्र के अंदर कई ऐसी पंचायतें हैं जिनमें आज श्मशान घाट नहीं हैं और विकास के दावे किये जाते हैं. श्मशान घाट पर रास्ते नहीं हैं. जो एडेड शालाएं मुरैना विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत् थीं, लगभग 8-10 जगह की जहां एडेड शालाएं बंद हो गईं. आज तक लगभग एक वर्ष से दो वर्ष हो गये, वहां के छात्र-छात्राएं पढ़ नहीं पा रहे हैं, पढ़ाई बंद हो गई है, परंतु इस सरकार को कई बार हमने पत्र लिखे परंतु आज तक एडेड शालाओं के विकल्प के रूप में कोई ऐसे विद्यालय खोलने की सरकार द्वारा पहल नहीं की गई, जिसके माध्यम से वहां के बच्चों को शिक्षा मिल सके.
डॉ. योगेश पण्डाग्रे -- सभापति महोदया, आप किसानो के मुद्दे पर बात नहीं कर रहे हैं.
श्री दिनेश गुर्जर -- सभापति महोदया, यह भी किसानों के ही मुद्दे हैं. मैं किसानों के मुद्दों पर ही बात कर रहा हूं. मैं मोदी जी के मुद्दे पर बात नहीं कर रहा हूं. आज हालात यह है मध्यप्रदेश के अंदर और मेरे खुद के अनुभव हैं कि नामांतरण के नाम पर आप ईश्वर को साक्षी मानकर बताइये किसान परेशान है कि नहीं है, गरीब परेशान है कि नहीं है. सीमांकन नहीं हो रहे हैं, नामांतरण नहीं हो रहे हैं, किसान परेशान है. उरहाना पंचायत मेरे यहां है, पिपरसेवा है, कई ऐसे गांव हैं जो ग्वालियर सीमा से लग गये हैं, वहां बाइपास बन गया है, करोड़ों की जमीनें हो गई हैं, तो वहां पटवारी किसानों से नामांतरण करने के 2-2 लाख, 5-5 लाख रुपये की मांग करते हैं. एक-एक साल से किसान परेशान हैं. उनके नामांतरण नहीं हो रहे हैं, सीमांकन नहीं हो रहे हैं.
सभापति महोदय -- दिनेश जी, आधा मिनट आपका शेष है. आप आधे मिनट में समाप्त करें.
श्री दिनेश गुर्जर -- सभापति महोदया, मेरे विधान सभा क्षेत्र में बामोर नगर पंचायत है, वहां मैं माननीय खेल मंत्री जी से मिला था, एक लाख की आबादी है और कई बार हमने आवेदन दिये हैं, मांग की है कि वहां पर एक खेल मैदान दिया जाए जिससे वहां के नौजवानों को लाभ मिले, परंतु सरकार ने कोई पहल उस पर नहीं की है. मेरी मांग है कि खेल मैदान बामोर में दिया जाए. रनछौली मुख्य मार्ग से हटाने के पुरा पर आज सड़क नहीं है. कई वर्षों से किसान बेचारा वहां पैदल जाता है. बरसात में निकल नहीं पाता है. हमने इसीलिये मांग भी की है और हमारी सरकार से मांग है कि वहां रोड बनाई जाए.
सभापति महोदय -- दिनेश जी, आपका समय पूरा हो गया. आपकी बात आ गई है.
श्री दिनेश गुर्जर -- सभापति महोदया, मैं उसी बात पर आ रहा हूं. रनछौली पंचायत, पहाड़ी पंचायत, धनेला पंचायत, कई ऐसी पंचायतें हैं जिनमें आज भी बिजली के तार नहीं हैं, डीपी नहीं है, बिजली के कनेक्शन नहीं हैं. आज उन गांवों में बिजली नहीं है.
डॉ. योगेश पण्डाग्रे -- गुर्जर जी, सिर्फ खाद पर बात रखिये. आप खाद पर बात करने के लिये खड़े हुये हैं. यह आपकी दिक्कत है. यह आपके वक्तव्य से समझ में आ रहा है कि खाद की दिक्कत नहीं थी.
श्री दिनेश गुर्जर -- सभापति महोदया, मजरे टोलों पर बिजली नहीं है. किसान खेती कैसे करेगा. आज कई ऐसे क्षेत्र हैं. खेती तो तब करेगा जब उसको बिजली पानी मिलेगा.
डॉ. योगेश पण्डाग्रे -- बिजली पानी सब मिल रहा है. आप खाद पर बात करें. श्मशान घाटों पर, रोडों पर बात कर रहे हैं.
श्री दिनेश गुर्जर -- सभापति महोदया, बिजली नहीं है तो वह कहां से करेगा. मैं यह प्रार्थना करना चाहता हूं कि हमारी मुरैना विधान क्षेत्र के धनेला पंचायत में, पहाड़ी में और जो अन्य हमारे क्षेत्र हैं, रनछौली क्षेत्र जहां आज भी बिजली नहीं है. भारत को आजाद हुये इतने साल हो गये, उन मजरे-टोलों पर बिजली की व्यवस्था सरकार द्वारा कराई जाये. सभापति जी, आपने मुझे अपने विचार रखने का अवसर दिया उसके लिये हृदय की गहराइयों से धन्यवाद.
श्री हरिशंकर खटीक (जतारा) -- माननीय सभापति महोदय, किसानों से संबंधित खाद की समस्या को लेकर के मैं अपनी बात रखना चाहता हूं. सभापति महोदय, मैं बताना चाहता हूं कि यह भारतीय जनता पार्टी की सरकार है जिसने सर्वहारा वर्ग की चिंता की है, किसानों के उत्थान के लिये काम किया है. प्रदेश में 2003 में क्या स्थिति थी यह हमारे कांग्रेस के मित्र बता सकते हैं. पहले मध्यप्रदेश में कितने कुंए खुदे था आज क्या स्थिति है, पहले स्टाप डेम कितने बने थे , आज कितने स्टाप डेम मध्यप्रदेश में बने हैं, यह हमारे साथियों को पता है. हमारी सरकार ने नदी से नदी जोड़ने की योजना लागू करने का जो संकल्प लिया है, यह भी प्रदेश के किसानों के लिये हमारी सरकार की एक पहल है. हमारे देश के तत्कालीन प्रधान मंत्री आदरणीय अटल बिहारी वाजपेई जी का सपना था कि देश में नदियों को नदियों से जोड़ा जाये तो उनके सपने को मध्यप्रदेश की सरकार ने साकार किया है. अभी देश के प्रधान मंत्री आदरणीय श्री नरेन्द्र मोदी जी मध्यप्रदेश में 25 दिसम्बर 2024 को, यह दिन बुंदेलखंड की धरती के लिये और मध्यप्रदेश के लिये ऐतिहासिक दिन होने जा रहा है जहां पर केन-बेतवा लिंक सिंचाई परियोजना जिसकी लागत 44 हजार 605 करोड़ है, उससे केन और बेतवा नदी को जोड़ने का काम होने जा रहा है. इस दिन भूमि पूजन होने जा रहा है.
माननीय सभापति महोदय, हम कांग्रेस के मित्रों से पूछना चाहते हैं कि एक जमाना वह था कि मध्यप्रदेश में किसी प्रकार की गिनती नहीं होती थी, आज हम गर्व से कह सकते हैं कि मध्यप्रदेश में गेहूं का उपार्जन इतना होता है कि हमने पंजाब राज्य को भी गेहूं उपार्जन के मामले में पीछे छोड़ दिया है. हिन्दुस्तान में सबसे अधिक गेहूं का उपार्जन मध्यप्रदेश की धरती पर हो रहा है. इस प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार, सम्माननीय मोहन यादव जी की सरकार है, जिसने किसानों को सुविधा देने का काम किया है, खाद की अगर बात करें तो हम बताना चाहते हैं कि 30 लाख 20 हजार 173 मे.टन यूरिया खाद का वितरण पिछले वर्ष प्रदेश में हुआ था. इसके अलावा भी जितनी खाद की आवश्यकता प्रदेश के किसानों को पड़ी 10 प्रतिशत बढ़ाकर के भारत शासन से मांग करने पर प्रदेश के किसानों को खाद उपलब्ध कराया गया. यूरिया इस वर्ष 2024 में जो आया वह 34 हजार 944 मेट्रिक टन यूरिया मध्यप्रदेश में आया और 30 लाख 56 हजार 505 मे.टन का विक्रय हुआ . आज भी मध्यप्रदेश में 3 लाख 78 हजार 439 मे.टन यूरिया मध्यप्रदेश की सोसायटियों में रखा हुआ है.
माननीय सभापति महोदय, मध्यप्रदेश में डीएपी खाद पिछले वर्ष 14 लाख 88 हजार 547 मे.टन आया था इस बार अर्थात वर्ष 2024 में 11 लाख 82 हजार 862 मे. टन आया, इसके साथ 10 लाख 54 हजार 547 डीएपी किसानों को बाटा जा चुका है और अभी भी 1 लाख 28 हजार 324 मे. टन हमारे यहां पर डीएपी रखा हुआ है. कांग्रेस के मित्र लगातार आरोप लगा रहे थे कि म.प्र. में खाद का संकट है , एक जिले को टारगेट करके माननीय सदस्य श्री बाला बच्चन जी कह रहे थे कि टीकमगढ़ जिले में ऐसी घटना घटित हुई थी. हम आपको बताना चाहते हैं कि सच्चाई वहां की यह है कि हमारे जो कांग्रेस पार्टी के मित्र हैं इन लोगों ने अपने आदमियों को सोसायटी की लाइन में जहां पर खाद बाटने का काम चल रहा था वहां किसानों से अंगूठा लगवाकर के वहां पर अव्यवस्था फैलाने का काम किया. मध्यप्रदेश में पर्याप्त डीएपी है, पर्याप्त उर्वरक है, खाद की व्यवस्था है , कहीं कोई कमी नहीं है. हम कांग्रेस पार्टी के मित्रों से पूछना चाहते हैं कि आपने ऐसा क्यों किया, टीकमगढ़ जिले को बदनाम करने की साजिश क्यों आपने रखी,..
श्री जितेन्द्र बृजेन्द्र सिंह राठौर -- सभापति महोदय, माननीय सदस्य प्रदेश के किसानों को बदनाम करने का काम कर रहे हैं. आपको ऐसा नहीं बोलना चाहिये.
सभापति महोदया-- खटीक जी कृपया समाप्त करें.
श्री हरिशंकर खटीक -- माननीय सभापति महोदय, टीकमगढ़ के किसानों को पर्याप्त खाद मिला है. लगातार सरकार का प्रयास है, सरकार लगातार चिंता कर रही है कि कोई भी किसान भटके नहीं, किसानों को पर्याप्त मात्रा में खाद मिले , लेकिन हम कांग्रेस के मित्रों से कहना चाहते हैं कि वह खाद बंटवाने में सहयोग करें. उधम -अव्यवस्था नहीं फैलायें. पहले इनकी सरकार के समय प्रदेश में कितना गेहूं का उत्पादन होता था, इनके खेतों में कितने गेहूं का उपार्जन होता था. प्रदेश में किसानों को डीएपी और यूरिया खाद मिल रहा है और अगर उधम कराने का काम अगर प्रदेश में किसी ने किया है तो वह हमारे कांग्रेस पार्टी के मित्रों ने किया है. अब कांग्रेस के मित्र कोई भी हो सकते हैं. यह हम आपसे बोलना चाहते हैं.उसके ऊपर कार्यवाही भी हुई. मध्यप्रदेश में एफआईआर दर्ज भी हुई और जो मध्यप्रदेश में कानून व्यवस्था को तोड़ने का काम करेगा, उसके विरुद्ध वैधानिक कार्यवाही भी होगी, एफआईआर दर्ज भी होगी और वे जेल की सलाखों के अंदर भी होंगे. जिस प्रकार से कृत्य करेंगे, जो किसानों को ठगने का काम करेंगे, उनके विरुद्ध हमारी सरकार कार्यवाही भी करेगी. सभापति महोदय, आपने बोलने के लिये समय दिया, धन्यवाद.
श्री कैलाश कुशवाह (पोहरी)-- सभापति महोदया, मैं आपको धन्यवाद देता हूं कि आपने बोलने का अवसर दिया है. जय जवान, जय किसान. दोनों एक ही सिक्के के पहलू हैं. किसान पेट भरता है और जवान रक्षा करता है. लेकिन किसान का बेटा ही रक्षा करता है, हम जैसे नेताओं का बेटा नहीं करता है, न अधिकारी का करता है. इसलिये किसानों की बात चल रही है, तो उसमें सम्मान होना चाहिये हमारे माननीय पूर्व प्रधानमंत्री, लाल बहादुर शास्त्री जी का. मैं उनके चरणों में नमन करता हूं. मैं यह कहना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश की सरकार 120 करोड़ हर दिन कर्जा ले रही है, किसानों के नाम पर और अन्य कार्यों के नाम पर और यह पैसा कहां जा रहा है, यह तो सरकार ही जाने और सरकार के मंत्री जानें. तो मैं यह कहना चाहता हूं कि हमारे किसानों के साथ कितना अन्याय हो रहा है कि वे सुबह 4 बजे से खाद के लिये लगते हैं, न सर्दी देख रहे हैं, न कुछ देख रहे हैं और एक दो कट्टे देकर उन्हें भगा दिया जाता है. उसी में उन्हें लट्ठ खाना पड़ते हैं पुलिस वालों के. किसान फिर भी सहन करता है. फिर उनके ऊपर एक और मार देखें. जैसे तैसे वह बीज बोता है, खाद बोता है. फिर बिजली वाले हरकत करते हैं. कभी डीपी उठा ले जायेंगे, कभी लाइट काट देंगे, कहीं कहीं कहेंगे कि छोटी डीपी है, 10 घण्टे की जगह 2 घण्टे बिजली देंगे. तो उसके कारण वह भी फसल सूख गयी. किसान के साथ कितना अत्याचार कर रही है सरकार. मैं यह बात कहना चाहता हूं कि धरातल पर अभी कोई बात नहीं हुई. किसान फिर फसल बोता है और जब ऊपर वाला कुदरत उसके साथ चाहे ओला वृष्टि हो, चाहे वर्षा अधिक हो, चाहे बाढ़ आ जाये. सरकार पटवारियों के द्वारा सर्वे करवाती है, लेकिन मुझे आप यह बता दें कि किसानों के खाते में कितने सर्वे का पैसा गया है. किसानों के साथ अत्याचार पर अत्याचार हो रहे हैं. फिर भी सरकार सो रही है. मैं यह कहना चाहता हूं कि किसान जब बंटवारे, नामांतरण के लिये जाता है, अपने हक की लड़ाई के लिये जाता है, तो पटवारी तो पहले 5-7 चक्कर लगवाता है. फिर कहेगा कि तहसीलदार, एसडीएम पैसे मांग रहा है. किसानों को बिलकुल ही मारेंगे क्या. मैं किसान का बेटा हूं, सब जानता हूं. यह किसान है, जो पेट भरता है.
सभापति महोदया—कैलाश जी, एक मिनट में अपनी बात पूरी करिये.
श्री कैलाश कुशवाह—सभापति महोदया, आज तो समय दे दें. किसान के नाम पर करोड़ों रुपये आते हैं, यह पैसे कौन कौन डकार रहा है. लेकिन जनता आने वाले समय में सब जवाब देगी आपको. मैं कहना चाहता हूं कि किसानों के साथ कितना अत्याचार होता है. खेत लगे हुए होते हैं, किसानों के लिये रास्ता नहीं होता है, तो पीछे वाले से पटवारी वसूलता है, फिर उसे रस्ता भी नहीं देते हैं और किसानों में आपसी विवाद होते हैं, इसके कारण हत्याएं होती हैं. लास्ट तक किसान के खेत के लिये रास्ता देने के लिये नियम बनाया जाये. इस कारण किसानों की कितनी हत्याएं हो रही हैं, किसानों में कितने विवाद हो रहे हैं. उसके लिये मैं आपसे निवेदन करता हूं कि नियम बनाये जायें, आखिरी खेत वाले तक रास्ता आसानी से मिल जाये, नहीं तो पटवारी और तहसीलदार उनको चूस डालेंगे. आज मुझे मौका मिला है, मेरे किसान के लिये बोलने के लिये मैं आपको भी धन्यवाद देता हूं कि आपने बोलने का मौका दिया. लेकिन आज मुझे बोलने दो. क्योंकि किसान की वजह से सबका पेट भरता है. मैं यह कहना चाहता हूं कि हमारे किसानों के बेटों में भी प्रतिभा है. मेरी पोहरी विधान सभा में किसानों के बेटों के लिये एक स्टेडियम भी नहीं है. मैं चाहता हूं कि वहां के लिये एक स्टेडियम दिया जाये.
सभापति महोदय- आप आधे मिनिट में खत्म करिये.
श्री कैलाश कुशवाह- किसानों के बेटों के लिये जो किसान पैसे लगाकर उनको मेहनत करके पढ़ाता है और उनके लिये कोई रोजगार नहीं है. पोहरी में तो नहीं हमारे जिले में भी नहीं है. मैं मांग करना हूं कि हमारे जिले के लिये और पोहरी विधान सभा के लिये कोई उद्योग दिया जाये. आपने बोलने के लिये मौका दिया, मैं आपका सम्मान करता हूं. बहुत-बहुत धन्यवाद. जय जवान, जय किसान.
श्री बाबू जण्डेल (श्योपुर)- माननीय सभापति महोदया जी, मेरे विधान सभा क्षेत्र में खाद की बड़ी दिक्कत है और किसान भाई रातभर खड़े होकर लाइन में लगे रहते हैं और मेरा विधान सभा क्षेत्र राजस्थान बार्डर से लगा हुआ है.
नेता प्रतिपक्ष(श्री उमंग सिंघार)- माननीय सभापति महोदया, इतनी महत्वपूर्ण चर्चा किसान और खाद को लेकर चल रही है. सदन में न तो मुख्यमंत्री जी हैं न ही कृषि मंत्री हैं. ( शेम शेम) यह क्या स्थिति है.
श्री विश्वास सारंग- सभापति महोदया, अभी तक यहीं पर थे. (व्यवधान)
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय- सभापति महोदया, उप मुख्यमंत्री महोदय बैठे हैं, (व्यवधान) सहकारिता मंत्री बैठे हुए हैं और मंत्रिमण्डल के वरिष्ठ लोग बैठे हुए है. सारे मंत्री बैठे तो हुए हैं.
श्री सोहनलाल बाल्मीक- सभापति जी, यह किसानों का अपमान है. यह सदन का अपमान है. (व्यवधान)
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय- सभापति महोदया, उप मुख्यमंत्री जी बैठे हैं, सहकारिता मंत्री बैठे हैं और संबंधित समस्त मंत्री बैठे हैं.
( कृषि मंत्री, श्री एदल सिंह कंसाना के सदन में आने पर.)
सभापति महोदया- वह आ गये हैं. आप अपनी बात शुरू किजिये बाबू जण्डेल जी.
श्री बाबू जण्डेल- सभपति महोदया, किसान अपने घर से रोटी लेकर आते हैं और सुबह से शाम तक खाद का इंतजार करते हैं, लाइन में लगे रहते हैं और मेरा क्षेत्र राजस्थान बार्डर से लगा हुआ है. राजस्थान से पूरा खाद सप्लाई हुआ है. किसान 12-12 घण्टे खाद का इंतजार करते हैं और हमारे खटीक साहब कह रहे हैं कि कांग्रेस के कार्यकर्ता बदनाम कर रहे हैं और यह किसानों को पैसा देकर खड़े कर रहे हैं. मेरी विधान सभा में कृषि मंत्री जी ,श्री नरेन्द्र सिंह तोमर जी रहे थे और वह परियोजना का उद्घाटन करके आये हैं, 35 गांव की चंबल सूक्ष्म परियोजना, वह 380 करोड़ रूपये की स्वीकृत हुई थी. 5 वर्ष में मैंने जो विधान सभा सत्र में विषय लगाया था तो उसमें जवाब मिला की 2200 एकड़ जमीन सिंचित हो चुकी है. मैं कहना चाहता हूं कि 2200 हैक्टेयर नहीं, 22 हैक्टेयर में भी सिंचाई नहीं हुई है. यह सरकार बिल्कुल असत्य आंकड़ा दे रही है. हमारे श्योपुर विधान सभा क्षेत्र के किसान हर रोज आंदोलन करते हैं , ज्ञापन देते हैा पर कोई सुनने वाला नहीं है. पर कोई सुनने वाला नहीं है और जो पाइप लाईन करोड़ों की लाकर किसानों के जिन 35 गांवों में लगायी है, वह कम गहराई में गाड़ी गयी है, जैसे ही पानी का बटन दबाया जाता है तो पाइप बाहर निकल जाते हैं. यह सरकार जो आंकड़ा दे रही है कि हमने साढ़े सात हजार एकड़ से हमने पचास हजार एकड़ भूमि की सिंचाई की है. यह 400 करोड़ की परियोजना से 22 एकड़ में पानी नहीं दे पा रहे हैं. जो आवदा डेम का पानी लग रहा है, उस आवदा डेम को इस परियोजना का आंकड़ा दे रहे हैं. बिजली कम्पनी के जैसे फिल्म में बदमाश जाते हैं, वैसे ही बिजली कंपनी के पचास-पचास लोग बदमाशों की तरह गांव में जाते हैं और एक दलित के घर में घुसकर, एक दलित को मारा है उसके मंदिर को तोड़ा है और उल्टी उसके ऊपर एफ.आई.आर हुई है, उस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है. उसकी कोई कार्यवाही नहीं हुई, यह सरकार फिल्म की तरह (XX) पर आ चुकी है, हमारे किसान बिजली का बिल भरते हैं फिर भी डीपीआर 8 दिन में फुंक जाती है, फिर डीपीआर उतारने जाते हैं.
संसदीय कार्यमंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) - सभापति महोदया, मैं नेता प्रतिपक्ष से कहना चाहता हूं न इनके भाषण में बीज है न खाद है. यह क्या है यह तो बताएं. आप अच्छा भाषण दे रहे हैं जो विषय है उस पर तो बोलें.
श्री सोहनलाल बाल्मीक - आप लेट आए हैं. आपके लोग भी ऐसी भाषा बोल रहे थे.
श्री बाबू जण्डेल - किसानों का गेहूं, चना यह लोग तोड़ते हैं और हमारे किसानों की फसलों को नष्ट करते हैं. सभापति महोदया, मैं विषय पर ही बोल रहा हूं. मैं किसान हूं, मैं विषय पर बोल रहा हूं.
सभापति महोदया - आप एक मिनट में समाप्त करिए.
श्री बाबू जण्डेल - सभापति महोदया, जो खेत सड़क योजना है जो केन्द्र सरकार, राज्य सरकार खेत सड़क योजना की बात कर रही है, मैं कह रहा हूं किसानों को खेत में जाने के लिए खाद बीज ले जाने के लिए रास्ता नहीं है. अपने सिर पर कट्टा ले जाकर खेतों में खाद देते हैं. यह खेत सड़क योजना जो बंद की गई है इसे शीघ्र खुलवाया जाय, मनरेगा योजना को जो बंद किया है, इससे खेत सड़क योजना का काम ठप्प हो गया है. पंचायतों का काम ठप्प हो चुका है. सभापति महोदया, हमारे भाजपा के नेता शेरो शायरी कहते हैं तो मैं भी कहना चाहता हूं.
"बनकर हादसा बाजार में आ जाएगा
जो नहीं होगा, वह अखबार में आ जाएगा
और लफंगों की करो कद्र
न जाने कब सरकार में आ जाएगा. "
श्री कैलाश विजयवर्गीय - हम सब आपकी कद्र करते हैं. आप बहुत कद्रवान है.
श्रीमती रीती पाठक (सीधी) - सभापति महोदया, आपका धन्यवाद. अभी बहुत सारी बातें हुई, कई माननीय सदस्यों ने अपनी बातों को रखा और काफी लोगों ने ऊंची आवाज में कहा, मैंने सुना था एक बार कि बहुत जोर जोर से बोलने से असत्य को सच करने की कोशिश की जा सकती है लेकिन यह जो कोशिश थी.
श्री चैन सिंह वरकड़े - यह भाजपा के लोगों की ही बात है कि जो असत्य को भी जोर जोर से बोलकर यहां सबको भ्रमित करते हैं.
श्रीमती रीती पाठक - सभापति महोदया, जो सच है वह आपके सामने है. यह आत्मनिर्भर भारत का दौर है. यह हमारे देश की पहचान है किसान, उस किसान की पहचान को व्यवस्थित करने के लिए सुरक्षित करने के लिए उस किसान को समृद्ध करने के लिए 2047 के आत्मनिर्भर की भारत की रूपरेखा आज तैयार हो चुकी है और वह आप सब देख रहे हैं. अब वह कहना नहीं चाहती वह अलग बात है, लेकिन इस बात को मानना भी चाहिए अगर कुछ चीजें अच्छी हों क्योंकि देश के विकास में या प्रदेश के विकास में अगर किसी का योगदान होता है तो उन योगदानों को स्वीकार करना चाहिए.
सभापति महोदया, हमारे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री आदरणीय श्री नरेन्द्र मोदी जी, उनको हृदय से धन्यवाद देती हूं कि किसानों की आय दोगुनी करने के लिए चाहे एमएसपी की बात कहूं, चाहे किसान के सम्मान की निधि की बात कहूं, जिन्होंने यह नहीं देखा कि वह कांग्रेस के किसान की जेब में जा रहा है या भाजपा के किसान की जेब में जा रहा है उनके लिए पूरे देश के किसान, किसान है, उनकी सम्मान निधि को देने के लिए व्यवस्थाएं की, उसमें प्रदेश सरकार का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा.
सभापति महोदया, मैं नैनो खाद की बात करूं, बीमा के तहत किसानों की सुरक्षा की बात करूं और मृदा स्वास्थ्य परीक्षण करके किसानों की चिंता की बात करूं लेकिन इसमें सबसे बड़ी बात यह होती है कि जो संवेदना का विषय है कि मैं भी एक महिला हूं और आप भी एक महिला है आप आसन पर बैठी हैं. मैं ऐसा मानती हूं कि घर की व्यवस्था को जब हम चलाते हैं तो वह सारी चीजों को इकट्ठा करके रखते हैं, चाहे वह आर्थिक रूप से हो, चाहे वह घर की सामग्री हो, चाहे संसाधन हो तो इस तरह से एक संवेदना का भाव हमारे प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री में देखा जा रहा है और प्रदेश में पिछले 15 सालों से जिस तरह से किसानों को सुचारू रूप से उर्वरक उपलब्ध हो, उसकी व्यवस्था करने के लिए उर्वरक के अग्रिम भण्डारण की जो व्यवस्था हुई है वह काबिले तारीफ है और मुझे इसके लिए गर्व है कि किसानों की चिंता करना सिर्फ बातों में नहीं है. किसानों की चिंता करना व्यावहारिक रूप से आज हमारी सरकार ने करके दिखाया है.
सभापति महोदया, प्रदेश में उर्वरक की व्यवस्था सुनिश्चित की जाय और किसानों के ऊपर किसी भी तरह का ब्याज और किसी भी तरह की कठिनाई का भार न हो. इसके लिए हमारी सरकार ने अग्रिम भण्डारण की योजना चलाई. उर्वरकों का अग्रिम भण्डारण योजना के अंतर्गत जो कृषि सीज़न होता है, उसकी आवश्यकतानुसार कई सारे उर्वरक जो किसानों को खेती के लिए आवश्यक संसाधन कहलाते हैं, उनका भण्डारण किया जा रहा है और जो लगने वाले ब्याज हैं, इस ब्याज को पूरी तरह से हमारे प्रदेश की सरकार, हमारे प्रशासन की व्यवस्था इसको ग्रहण कर रही है, वहन कर रही है.
सभापति महोदया, वर्ष 2023 से 2024 में अग्रिम खाद भण्डारण योजना के अंतर्गत अगर मैं राशि की बात करूं, तो 45.83 करोड़ का व्यय इसमें लिखा हुआ है और यह आंकड़ों के साथ है. इस वर्ष 2024 में खरीफ की फसल की बात करूं, तो 10.04 लाख मीट्रिक टन उर्वरक का अग्रिम भण्डारण हमारे प्रदेश की सरकार ने करके रखा है. यदि मैं रबी की फसल की बात करूं, तो वर्ष 2024 से 2025 में 6.54 लाख मीट्रिक टन उर्वरकों का अग्रिम भण्डारण कराया गया है. हम इसके लिए बहुत जिम्मेदारी से काम कर रहे हैं और हमारे प्रदेश की सरकार काम कर रही है. इसमें माननीय मुख्यमंत्री जी की संवेदना बेहतरीन ढंग से दिखाई दे रही है और इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि पहले के वक्ता ने भी इस बात का उल्लेख किया है कि डीएपी के स्थान पर बेहतर उर्वरक हमारी सरकार चाहती है कि किसानों के लिए बेहतर उर्वरक का उपयोग हो और इसको प्रोत्साहित करने के लिए गत वर्ष की तुलना एनपीके के उर्वरकों का भण्डारण भी किया गया है. इसलिए मुझे आपको यह बताते हुए बड़ी खुशी भी हो रही है कि दूसरे राज्यों की तुलना में जो देश के अन्य राज्य हैं इसमें हमारा मध्यप्रदेश कम से कम 70 प्रतिशत मात्रा सहकारी क्षेत्र जिसको मार्कफेड भी बोलते हैं, सहकारी समितियों के माध्यम से खाद का वितरण कर रही हैं. जबकि अन्य समकक्ष प्रदेशों में या मुख्यत: निजी क्षेत्र के द्वारा प्राइवेटाइजेशन के रूप में किया जाता है.
सभापति महोदया, बोवाई के समय कृषकों को आसानी से खाद उपलब्ध हो सके, इस उद्देश्य के अतिरिक्त 244 मतलब 761 उर्वरक विक्रय केंद्र काउंटर बनाये गये हैं ताकि सुचारू रूप से, व्यवस्थित रूप से टोकन को उपलब्ध कराकर पंक्तिबद्ध रूप से हमारे किसानों को उर्वरक की व्यवस्था करायी जा सके.
सभापति महोदया, विपणन संघ के कुल 288 वितरण केन्द्रों के अतिरिक्त, जिन वितरण केन्द्रों पर 200 से अधिक किसान प्रतिदिन आ रहे हैं उनमें 162 अतिरिक्त नगद वितरण केन्द्र एवं काउंटर स्थापित कर दिये गये हैं. मैं अपनी सरकार की व्यवस्था पर बहुत नाज़ करती हॅूं और मुझे बहुत गर्व है. चिल्लाने से और किसी सच विषय को असत्य बना देने से नहीं होता. मैं फिर से आंकड़ों के साथ में बात करना चाहती हॅूं कि प्रदेश में एमपी एग्रो के 60 केन्द्रों से नगद खाद वितरण किया जा रहा है और प्रदेश में कुल 169 विपणन समितियों द्वारा नगद खाद वितरण किया जा रहा है. जहां किसानों की ज्यादा भीड़ है वहां पर 82 अतिरिक्त नवीन वितरण केन्द्र खोले गए हैं और इसमें अतिरिक्त वितरण केन्द्रों पर विपणन संघ द्वारा 300 से अतिरिक्त कर्मचारी उपलब्ध कराए गए हैं.
सभापति महोदया, यह सिर्फ व्यवस्था की बात है और इस विषय को सदन में रखते हुए मैं अपनी सरकार की तरफ से जिम्मेदारी ले रही हॅूं. इसके अतिरिक्त जिला कलेक्टरों द्वारा कृषि विभाग एवं सहकारिता विभाग के माध्यम से अतिरिक्त अमला भी उपलब्ध कराया गया है. सिर्फ एक छोटा-सा उदाहरण मैं अपने सीधी विधानसभा की तरफ से देना चाहती हॅूं. चूंकि मैं सीधी विधानसभा से हॅूं. मैं अपने जिले का आंकड़ा देना चाहती हॅूं. सीधी में पिछले वर्ष 1 अप्रैल से 17 दिसम्बर तक 22 हजार 260 मीट्रिक टन उर्वरक वितरण किया गया. सिर्फ यह आंकड़ा समझ लें. इस आंकडे़ के हिसाब से आप यह तय कर लेंगे कि आज उर्वरक की क्या स्थिति है. कहीं भी उर्वरकों की कमी नहीं है. किसानों को व्यवस्थित रूप में उर्वरक उपलब्ध कराया जा रहा है. इस वर्ष में 1 अप्रैल से 17 दिसम्बर तक 31 हजार 323 मीट्रिक टन की उपलब्धता करायी गई है, जिसमें से 25 हजार 868 मीट्रिक टन इसमें खर्च करने के बाद भी आज हमारे जिलों में वर्तमान में 5 हजार 455 मीट्रिक टन उर्वरक शेष बचा है. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री विपीन जैन (मंदसौर)—सभापति महोदया, किसान दिन रात मेहनत सर्दी में गर्मी में तथा बारिश में करता है. उसके बाद कभी अतिवृष्टि, अनावृष्टि, कभी उसकी फसल का दाम मिलता है, नहीं मिलता है. इसी प्रकार से ईश्वर की कृपा से किसानों को लहसुन के भाव अच्छे मिले हैं. लेकिन अभी अभी एक माह के अंदर लहसुन के भाव 15 से 20 हजार रूपये क्विंटल कम हो गये हैं. लहसुन के जो दाम कम हुए हैं उसका मुख्य कारण है चाईना की लहसुन मैं आपके माध्यम से बताना चाहता हूं कि चाईना की लहसुन पर बेन है. लेकिन उसके बाद भी चाईना की लहसुन अफगानिस्तान के रास्ते भारत में आ रही है. 2-3 दिन पहले जावरा के अंदर 2 ट्रक चाईना के लहसुन के खुद किसानों ने पकड़े हैं. वहां बहुत सारे किसानों ने इकट्ठे होकर के रोष भी व्यक्त किया है. ट्रक के ड्राईवर से ट्रक के अंदर कागज देखे उसके अंदर बिल्टी थी कस्टम ड्यूटी के दस्तावेज थे. उसमें स्पष्ट लिखा था कि लहसुन अफगानिस्तान में पैदा हई है. काबुल से भारत के लिये आयी हुई है. मैं आपके माध्यम से माननीय कृषि मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी से उनसे मैं मांग करता हूं कि और निवेदन करता हूं कि यह लहसुन जिसका भारत में बेन है. लेकिन अफगानिस्तान के रास्ते से आ रही है. इस पर पूर्णतः रोक लगाई जाये वरना हमारे किसान भाईयों का बहुत सारा नुकसान हो जायेगा. क्योंकि बड़ी मुश्किल से तो किसानों को कभी कभी अपनी फसल के भाव मिलते हैं. धन्यवाद.
श्री विवेक विक्की पटेल (वारासिवनी)—सभापति महोदया, इस समय प्रदेश का किसान खाद के संकट तथा नकली खाद बीज से जूझ रहा है. अभी हमारे भाजपा के साथीगण कह रहे थे कि खाद का संकट नहीं है. मैं चाहता हूं कि इनका वीडियो इनके क्षेत्र में चलाया जाये. मैं वारासिवनी से आता हूं मेरा जिला बालाघाट धान का कटोरा है. पिछली 2 तारीख से हमारे जिले में धान उपार्जन केन्द्र में धान की खरीदी शुरू हुई है. लगातार हमारे क्षेत्र के किसान धान उपार्जन केन्द्र के सामने धरना देकर के बैठे हैं कोई अपना धान लेकर के नहीं आ रहा है. 9 दिसम्बर को हमारी तहसील को किसानों ने बंद रखा था. 10 दिसम्बर को हमारा बालाघाट जिले को भी किसानों ने बंद किया था. बंद करने का कारण था कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने चुनाव के पहले कहा था कि हमारा वचन पत्र है, मोदी जी की गारंटी है, हमारी सरकार बनते ही किसानों की उपज का सही मूल्य 3100 रूपये देंगे. इनकी दोनों जगहों पर सरकार बन गई बहुमत आ गया उसके बाद भी इन्होंने अपना वचन नहीं निभाया. इस बात का दुःख है. इसके कारण जिले के किसान बहुत आक्रोषित हैं. अभी दूसरी बार हमारे जिले में धान की खरीदी हो रही है. इसके पहले 2183 रूपये में खरीदी हुई थी उस खरीदी में 917 रूपये का जो गैप था. लोक सभा चुनावों में सम्मानीय मंत्री जी हमारे जिले में आये थे उन्होंने कहा था कि जुलाई के बजट के पश्चात् किसानों को उनका बोनस 917 रूपये दिया जायेगा. उनका बोनस उनको आज तक नहीं मिला है. इस बार पुनः खरीदी शुरू हुई है. पर हमारे जिले के किसानों को धान का सिर्फ 2300 रूपये मूल्य दे रही है. मुझे इस बात का दुःख है कि सरकार अपना वायदा पूरा नहीं कर रही है. इन्होंने कहा था कि हमारी डबल इंजन की सरकार है. हम भगवान राम को लाये हैं. मैं चाहता हूं कि आप भगवान राम जी को माने पर भगवान राम के आदर्शों को भी माने. जिस दिन भगवान राम का राजतिलक होना था अपने पिता के वचन को पूरा करने के लिये 14 वर्षों तक वनवास में चले गये. आप भी अपने वचन को निभाएं. आपने जो वायदा किया था किसानों से वह पूरा करें. इन्होंने कहा था कि हमारी सरकार आने पर 2022 में किसान की आय डबल हो जायेगी. किसान की आय डबल नहीं हुई. लागत डबल हो गई है. हर चीज महंगी हो गई है. डीजल, खाद, बिजली महंगी हो गई है. मैं चाहता हूं कि यह सरकार ने किसानों से जो वायदा किया है उसको पूरा करें. अभी 1 जनवरी से डीएपी 1350 के स्थान पर 1590 रूपये होने वाली है. खाद के रेट बढ़ रहे हैं, किसानों को उनकी उपज का मूल्य नहीं मिल रहा है. दूसरी बात हमारे क्षेत्र का किसान खेती के साथ साथ सबसे ज्यादा परेशान होता है वह तहसील कार्यालय में घूमता है. उनके नामांतरण, बंटवारे, फौती पास नहीं होते हैं. एक नाम अगर गलत छप जाये तो उसको संशोधन करने के लिये एक साल लग जाता है. जब हमारी कांग्रेस की सरकार थी नामांतरण एवं बंटवारे पंचायतों में होते थे. आज इनकी सरकार में कई कई दिनों तक घूमना पड़ता है. मैं चाहता हूं कि यह सरकार इनका समय निश्चित करें नामांतरण का, बंटवारे का, फौती पास का आज पिता की मृत्यु के पश्चात् बच्चों को नामांतरण के लिये घूमना पड़ता है.
माननीय सभापति महोदय, मेरा यह कहना था कि यह सरकार अपना वचन निभाये, चूंकि हमारा जिला धान का जिला है, हम धान उगाते हैं, धान बेचते हैं और जीवन चलाते हैं, बच्चों को पढ़ाते हैं, इस प्रकार से पूरे किसानों का जीवन स्तर धान पर निर्भर करता है, इसलिए सरकार अपना वादा निभाये और हमारे बालाघाट जिले के किसानों को, हमारे वारासिवनी क्षेत्र के किसानों को धान का 3100 रूपये दे और हमारे किसानों से किया हुआ वादा निभाये, सरकार किसानों से वादा खिलाफी न करे. माननीय सभापति महोदय, बहुत- बहुत धन्यवाद, जय हिन्द, जय भारत, जय किसान.
सभापति महोदय -- माननीय सभी सदस्यों से अनुरोध है कि चर्चा हेतु निर्धारित डेढ़ घण्टे का समय पूर्ण हो गया है, इसलिये माननीय सदस्य अपनी बात दो मिनट में ही संक्षिप्त रूप से कहें, ताकि सभी सदस्यों को पर्याप्त अवसर मिल जाये, इसमें आप सभी सहयोग करें. श्री अनिरूद्ध मारू जी आप बोलें और समय का ध्यान रखें.
श्री अनिरूद्ध (माधव) मारू (मनासा) -- माननीय सभापति महोदय, आपका धन्यवाद. सबसे पहले तो मैं देश के मान्यवर प्रधानमंत्री जी को और प्रदेश के मुख्यमंत्री मान्यवर डॉ. मोहन यादव जी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि आज खाद की डिमांड इतनी बढ़ी है कि 60 लाख टन सप्लाई होने के बाद भी सार्टेज बता रहे हैं. 60 लाख टन खाद की डिमांड होने का मतलब प्रदेश के किसान ने अपना रकबा बढ़ाया है, किसान ने सिंचाई का रकबा बढ़ाया है, क्योंकि उसको बिजली भी मिली, उसको पानी भी मिला, उसका उत्पादन बढ़ा और इसलिए मंडियों में माल नहीं आ रहा है, हालत यह है कि मंडियां भरी पड़ी हैं और वहां पर माल बेचने के लिये लाईनें लगी हैं.
माननीय सभापति महोदय, हमारा नीमच जिला जहां पर पूरे प्रदेश में सबसे ज्यादा गेहूं तोला गया है. आप आंकड़े उठाकर देख सकते हो कि नीचम जिला सबसे ज्यादा गेहूं तोलने वाला जिला है और वहां पर खाद की कोई किल्लत नहीं आई है. आपने कोई आवाज नीमच और मंदसौर से नहीं सुनी होगी कि वहां पर खाद नहीं मिल रहा है. अभी यहां पर विपिन जैन जी बैठे हैं, यह दूसरी बातें करते रहेंगे, पर किसानों को खाद तो बराबर मिला है, यह बात इनको भी पता है कि खाद तो मिला है, ऐसा कोई खेत बता दें, जिसमें किसानों को खाद न मिला हो, यदि खाद नहीं मिला होता तो उसकी फसल कैसे खड़ी हैं, इतनी अच्छी फसलें कैसे खड़ी हैं, अगर खाद नहीं मिला है तो, वह कहीं से तो खाद लाया होगा, वह यहीं से खाद लाया है.
श्री विपीन जैन -- चाईना लहसुन कैसे आ रहा है? लहसुन चाईना से आ रही है, आपके यहा भी बहुत लहसुन होती है. 20 हजार क्विंटल के भाव अभी घट गये हैं.
श्री अनिरूद्ध(माधव)मारू -- वह यहीं से खाद लाया है, वह कोई चाईना से खाद नहीं लाया है, उसको खाद अपने आसपास से ही मिला है. यह चाईना लहसुन की बात का विषय नहीं है, हम खाद पर बात कर रहे हैं. सबसे ज्यादा लहसुन भी हम पैदा करते हैं और खाद बराबर मिलता है, इसलिए लहसुन पैदा होता है.
माननीय सभापति महोदय, मेरा आपके माध्यम से कृषि मंत्री जी से निवेदन है कि गेप कहां हैं, इसको समझा जाये, इस पर किसी ने चर्चा नहीं की है. खाद की सप्लाई सरकार पूरी कर रही है, सब जगह रेट बराबर लग रहे हैं, लेकिन फिर भी बाजार में सार्टेज क्यों हो रही हैं? आरोप क्यों लगते हैं कि ब्लेक हो रहा है, उसका मूल कारण यह है कि जो डिफाल्टर किसान है, वह सोसाइटी के माध्यम से खाद नहीं खरीद पाते हैं और उसकी वजह से उसको ओपन बाजार से खाद लेना पड़ रहा है, सबसे बड़ा संकट इस बात का है कि अगर उसको वहां से खाद खुला मिलने लग जाये, पैसा देकर नगद के आधार पर मिलने लग जाये, तो उसका संकट समाप्त हो जायेगा और चूंकि वह खाद वहां से नहीं ले पा रहा है, इसलिए सोसाइटियों में खाद डंप रहता है और उसके बाद कंपनियों को बाजार में खाद ब्लेक कराने का अवसर मिल जाता है. कंपनियों ने अगर दस डीलर बना रखे हैं तो एक डीलर को उन्होंने अपना एजेंट बना लिया है और सारा खाद उस एजेंट को सप्लाई कर देते हैं और उनकी मोनापॉली हो जाती है, इसमें कंपनियों की मोनापॉली हो जाती है.मैंने आंकड़ों के साथ पिछली बार माननीय कृषि मंत्री जी को पांच साल के आंकड़े दिये थे कि नीमच जिले में चंबल फर्टिलाईजर एंड कंपनी ने सौ प्रतिशत खाद प्रायवेट सेक्टर में बांट दिया, जबकि 70 और 30 के रेश्यों में बांटा जाना था और इस बात को गंभीरता से लिया जाना चाहिए, इनकी मानिटरिंग होगी, क्योंकि यहां से बराबर खाद के रेट लग रहे हैं. आप लोग यह समझ लेंगे कि खाद बंट रहा है, लेकिन वह खाद प्रायवेट सेक्टर में जाकर वह ब्लेक कर देते हैं, इसलिए उनकी मानिटरिंग आवश्यक है, उनकी चिंता करना आवश्यक है. (एक माननीय सदस्य द्वारा अपने आसन पर बैठे-बैठे ताली बजाने पर) यह ताली बजाने वाली बात नहीं है, मैं व्यवस्था ठीक करने की बात कर रहा हूं. कुल मिलाकर अगर यह व्यवस्था ठीक करना ही है, तो मेरा एक निवेदन ओर माननीय कृषिमंत्री जी से है कि इस फर्टिलाइजर की व्यवस्था यूरिया और डी.ए.पी. आप सरकारी सोसाइटियों के माध्यम से कर दें.
माननीय सभापति महोदय, मैं अपनी बात को खत्म कर रहा हूं और मैं सॉल्यूशन दे रहा हूं, आप मेरी बात को गंभीरता से लीजिये कि अगर यह खाद सरकारी सोसाइटियों के माध्यम से बेच दिया जाता है और यह प्रायवेट सेक्टर में बंद कर दें तो हमारे यूरिया और डी.ए.पी. की तो निश्चित रूप से व्यवस्था भी ठीक हो जायेगी. आप उन सब किसानों को नगद पर खाद लेने के लिये एलाउ कर दें, जिनको खाद चाहिए, तो वह नगद पर खाद खरीद लेंगे, तो निश्चित रूप से आपकी सार्टेज खत्म हो जायेगी और बाजार से ब्लेक खत्म हो जायेगा, सारे आरोप प्रत्यारोप समाप्त हो जायेंगे और हमारी सोसाइटियां मजबूर हो जायेंगी, सोसाइटियों का व्यापार बढ़ जायेगा. मेरा यह कहना है कि कुल मिलाकर व्यवस्था को ठीक करना है और कुछ नहीं करना है, फिर इनको बोलने का अवसर नहीं मिलेगा.
माननीय सभापति महोदय, निश्चित रूप से खाद की कमी नहीं है. हमारे किसान को खाद भी खूब मिल रहा है. हमारे यहां तो मुआवजे इतने आ रहे हैं, इतने बीमे के पैसे आ रहे हैं कि किसान के खाते में कब घंटी बजती है, पता ही नहीं लगता है, अब पता नहीं आपके यहां के किसानों के खाते में घंटी बजती है कि नहीं बजती है, यह मुझे भी समझ नहीं आया है. कुल मिलाकर सिर्फ व्यवस्था ठीक करना है, मेरा निवेदन है कि इसकी मानिटरिंग बराबर की जाये, आपका बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री मधु भगत (परसवाड़ा)-- माननीय सभापति महोदया, बहुत-बहुत धन्यवाद, 139 के मुद्दे पर चर्चा के लिये आपने समय दिया. बात किसान की हो रही है और खाद की हो रही है तो निश्चित तौर पर समर्थन मूल्य की भी बात होनी चाहिये. बात हो रही है इस भारत की अर्थव्यवस्था की तो भारत की अर्थव्यवस्था 72 प्रतिशत किसान के दम पर है और आज जो भारत समृद्ध है वह किसान के कर्म से, किसान की मेहनत से, किसान के उत्पादन से समृद्ध है. आज बात हो रही है यहां के बहुत सारे लोगों ने भारतीय जनता पार्टी के पक्ष के लोगों ने बोला कि उर्वरक पूरी तरह से सम्पन्न है, उर्वरक की क्षमता पूरी है, उर्वरक हर सोसायटी में उपलब्ध है. एक तरफ कृषि मंत्री अपना आंकड़ा दे रहे हैं कि पूरी तरह से उपलब्ध है. मैं पूछना चाहता हूं कि प्रशासन मंत्री के दवाब में है या शासन के दवाब में है या सरकार के दवाब में प्रशासन है और प्रशासन यह पूरी तरह से गलती कर रहा है. मैं बालाघाट जिले के 6 विधायकों में से एक हूं एक विधायक कटंगी से जो भारतीय जनता पार्टी के लांजी से एक विधायक जो भारतीय जनता पार्टी के, हम 4 विधायक कांग्रेस से हैं. मेरे यहां पेपर में कटिंग में आया है कि सिर्फ परसबाड़ा में ही कमी क्यों है. कहीं न कहीं पक्षपात ऐसा तो नहीं हो रहा है कि उर्वरक खाद का बालाघाट में चिन्हित करके 4 विधान सभाओं में खाद की कमी की जा रही है. अगर प्रशासन ने किसानों के साथ पक्षपात किया तो निश्चित तौर पर भारत की अर्थव्यवस्था बिगड़ेगी और किसान जो आपका पेट भरता है वह कहीं न कहीं आपको बहुत अच्छी दुआयें नहीं देगा. भारत के लिये, इस मध्यप्रदेश के लिये, बालाघाट जिले के लिये हर किसान हमारा एक है इस बात को हमको ध्यान देना पड़ेगा. दूसरा मैं कहना चाहता हूं कि किसान की जो गिरदावरी हुई है संपूर्ण मध्यप्रदेश में जो गिरदावरी की गई है जिसमें अनियमिततायें की गई हैं इसमें किसानों की सिंचित भूमि को भी असिंचित रिकार्ड में दर्शा दिया गया है क्योंकि जो किसान होते हैं सिंचित भूमि में ज्यादा उनकी पैदावार बेंची जा सकती है असिंचित में उनकी कम इस बात को भी बहुत ध्यान हमको रखना पड़ेगा. दूसरी बात मैं कहना चाहता हूं कि किसान के साथ इस बात को हमेशा से समर्थन अगर सरकार ने लिया है कि समर्थन मूल्य....
सभापति महोदया-- मधु जी आधे मिनट में अपनी बात खत्म कीजिये.
श्री मधु भगत-- आधे मिनट में अपनी बात रख रहा हूं. सभापति महोदया निश्चित तौर पर बालाघाट का किसान जो धान का कटोरा चिन्नौर चावल, जीआई टेग चावल जो हमारे यहां बहुत मशहूर है उसकी आज उत्पादन है लेकिन किसान की जो उत्पादन है उसकी क्षमता जो है उसका समर्थन नहीं है. मैं बहुत छोटी सी बात रखना चाहता हूं इस बात को आधे मिनट के अंदर ही मैं बोल दूंगा. मैं कहना चाहता हूं कि एक रूपये किलो था नमक जो आज 30 रूपये किलो बिक रहा है इस प्रदेश के अंदर, इस देश के अंदर, लेकिन किसान का धान आज 3000 रूपये क्विंटल तक नहीं पहुंच पाया है तो कहीं न कहीं इस बात को समझना पड़ेगा कि नमक का रेट बढ़ सकता है तो किसान के धान का समर्थन मूल्य 3100 रूपये क्यों नहीं हो सकता इसको सरकार को 3500 रूपये तक कर देना चाहिये. सरकार बहुत संवेदनशील है, मोहन सरकार बहुत संवेदनशील है, मोहन सरकार किसान की बात करती है इस बात का भी बहुत ध्यान रखेंगे धन्यवाद.
श्री रजनीश हरवंश सिंह (केवलारी)-- माननीय सभापति महोदया, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद और आपका संरक्षण चाहूंगा. बहुत देर से सदन में खाद की चर्चा चल रही है. सरकार की मंशा है कि किसान अपनी खेती को लाभ का धंधा बनाये पर कहीं न कहीं सरकार से चूक हो रही है अन्नदाता किसानों की रक्षा सुरक्षा व्यवस्था के तहत. माननीय सभापति महोदया एक ओर सरकार कह रही है कि खाद का संकट नहीं है और दूसरी ओर पूरे बाजार में 1400 रूपये की डीएपी और लगभग साढ़े तीन सौ और चार सौ रूपये में यूरिया खुले बाजार में मिल रही है. समय कम है आपने दो मिनट का समय दिया है मैं कैसे सागर को गागर में भरने का काम करूं. जब इस सदन में इस देश के इस प्रदेश के अन्न दाता किसानों की चर्चा हो रही हो हम अपने-अपने क्षेत्र से कृषि प्रधान जिले से हम आते हैं, हम कैसे इतने कम समय में अपने किसानों की वेदना और पीड़ा को सामने बैठे सरकार के हमारे माननीय मंत्रीगणों के सामने प्रदेश के मुख्यमंत्री के सामने हम कैसे व्यथा रख पाएंगे. मैं आपका संरक्षण चाहता हूं. मेरी आपसे विनती है कि न केवल प्रदेश का,देश का एशिया का सबसे बड़ा मिट्टी का बांध संजय सरोवर मेरे विधान सभा क्षेत्र में आता है. जिसकी आरबीसी,एलबीसी,टीएलबीसी,अपर तिलवारा कुल मिलाकर 700 कि.मी. की माइनर,सब माइनर केनालें हैं. हमारी सरकारें कहती हैं कि हमारे अन्नदाता किसान भाई खेती को लाभ का धंधा बनाओ जब हमारी सरकार समय पर न खाद देगी, न समय पर बिजली देगी न समय पर बांध की नहरों की मरम्मत कराएगी तो हमारा अन्नदाता किसान कैसे सक्षम हो पाएगा कैसे उन्नति और प्रगति कर पाएगा जबकि हमारी सरकार का ध्येय है कि हम किसानों को सहायता प्रदान करें. मेरे विधान सभा क्षेत्र के संजय सरोवर में समय पूर्व मेंटेनेंस नहीं हुआ. अतिवृष्टि हुई तो सरकार ने मुआवजा देने का काम किया लेकिन हमारे सिंचाई विभाग के अधिकारी,कर्मचारी सोते रह गये उनको यह चिंता नहीं रही कि एक ओर हमारी सरकार अतिवृष्टि के चलते इस जिले को मुआवजा दे रही है तो अतिवृष्टि में नहरों की,केनालों की भी क्षति हुई होगी. समय से पूर्व मैंने अवगत कराने का काम किया लेकिन सरकारी अमले ने उस पर ध्यान नहीं दिया और उसकी यह परिणिति है कि आज 19 दिसम्बर है आज तक आखिरी के किसानों की बोहनी नहीं हुई है. इसका जिम्मेवार कौन है, इसका जिम्मेवार हमारे सिंचाई विभाग के अधिकारी हैं. इतने बड़े पौने दो लाख एकड़ में सिंचाई होती है और हमारे पास अमला क्या है. एक ई.ई. है, तीन एसडीओ हैं जो सबइंजीनियर से प्रमोट होकर अतिरिक्त चार्ज में बैठे हुए हैं और 2 से 3 सब इंजीनियर हैं और जबकि कितना होना चाहिये लगभग 5 एसडीओ,एक ई.ई.,21 सब इंजीनियर,5 सुपरवाईजर,42 टाईम कीपर और 42 चौकीदार लगभग 22 संस्थाएं इस बांध में आती हैं. इतने बड़े अमले की व्यवस्था होनी चाहिये और मात्र 3 एसडीओ और 2-3 सब इंजीनियर और 700 कि.मी. की केनालें कैसे संरक्षण हो पाएगा. गेटों का भी संधारण नहीं किया गया. जो सरकार पैसा देती है मेंटेनेंस के लिये झाड़ी तक नहीं कटी और उसकी परिणिति यह हुई कि इससीजन में 3 बार आरबीसी और टीएलबीसी केनाल फूटी. हमारे अन्नदाता किसानों को लगभग 15 दिन पानी नहरों में कम मिला. इन नहरों के सीमेंटीकरण की बात हम लंबे समय से सदन में उठाते आ रहे हैं लेकिन इसका टेण्डर हर समय बढ़ जाता है मैंने जब प्रश्न लगाया तो माननीय सिंचाई मंत्री महोदय ने 332 करोड़ रुपये की योजना को स्वीकार किया उत्तर में उन्होंने कहा लेकिन आज दिनांक तक उसके टेण्डर नहीं लगे हैं जब सरकार ने पैसा स्वीकृत कर दिया तो उसके टेण्डर लगने चाहिये कोई एक दिन में यह काम थोड़े पूरा हो जायेगा. माइक्रो इरीगेशन हमारे यहां सरकार ने स्वीकृत किया 27.2.2024 को. 31.3.2024 को सिर्फ पाईप आकर गिरे और 9 करोड़ 86 लाख रुपये विभाग के ठेकेदार को उपकृत करते हुए विभाग ने राशि उसको दे दी. इतना ही नहीं दूसरी किश्त के माध्यम से 11 करोड़ 80 लाख रुपये भी ठेकेदार को दे दिये गये और धरातल पर काम कुछ नहीं है और 87.82 प्रतिशत राशि का भुगतान 28 करोड़ 45 लाख रुपये की माइक्रो स्कीम का सरकार के द्वारा ठेकेदार को पैसा दे दिया गया उसके बाद ठेकेदार का पेट नहीं भरा उसने और एक केस तैयार किया मुख्य अभियंता भोपाल को 58 करोड़ रुपये अतिरिक्त स्वीकृत कराने की बात कही मैं कहना चाहूंगा कि इस महती माइक्रो इरीगेशन योजना में हमारे 2 आदिवासी गांव आते हैं जामुनपानी और झूनापानी रैयत जहां पर कि पूरे आदिवासी रहते हैं. जहां हैण्ड पम्पों में फ्लोराईड निकलता है. कुंआ और बावली से ही पानी छानकर वह पी रहे हैं. मेरा निवेदन सरकार से है कि इन दोनों गांवों को उस माइक्रो इरीगेशन योजना में जोड़ने का काम करें. आज राजस्व विभाग की हालत यह हो गई है कि आज नामांतरण के लिये 6-6 महिने लग रहे हैं. आज नक्शा सुधार के लिये 1-1 साल लग रहा है. सीमांकन में एक-एक साल लग रहा है. मैं आपने समय दिया उसके लिेय आपको धन्यवाद देता हूं.
श्री प्रीतम लोधी (पिछोर) -- सभापति महोदया, आपने जो मुझे बोलने के लिए समय दिया, मैं आपको बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूँ. छोटी सी बात है मेरी, सौ बात की एक बात, हमारी विधान सभा सर्वसम्पन्न विधान सभा है. मोदी जी के राज में, हमारे मोहन सरकार के राज में सब सम्पन्न हैं. हमारे भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता भी, वहां के मतदाता तो लाभ ले ही रहे हैं, साथ-साथ में हमने एक नारा दिया था, सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास, हमारे यहां कांग्रेसी भी उन योजनाओं का लाभ ले रहे हैं, भरपूर लाभ ले रहे हैं. (हंसी). पैदा होने से मरने तक लाभ ले रहे हैं. हमारी विधान सभा में तीस साल से कांग्रेस का राज रहा था, तीस साल में हमारे लोगों को कांग्रेस के विधायक ने इतने जख्म दिए थे, इतना अत्याचार, अन्याय किया था, उसको भरने के लिए, मरहम लगाने के लिए केवल सौ बात की एक ही बात बोलूंगा कि एक काम सिर्फ हमारे यहां रह गया है, सब सम्पन्न विधान सभा है, आप तो हमारे पिछोर को जिला बनवा दो. हमको और कुछ नहीं चाहिए. आप अगर जिला बनवा देंगे तो हम इतना निवेदन करना चाहते हैं कि जितने तीस साल से जख्म दिए हैं, वह सब हमारे जख्म मरहम से भर जाएंगे. सभापति महोदया, हमारी पिछोर विधान सभा में जलवा हो जाएगा. थोड़ा मेरा भी जलवा हो जाएगा.(हंसी).
श्री सोहनलाल बाल्मीक -- माननीय सभापति जी, यदि जिला बनाने से खाद की समस्या हल हो जाती है तो फिर ऐसे सभी क्षेत्रों को जिला बना दें. हमारी विधान सभा को भी जिला बना दें.
श्री प्रीतम लोधी -- हमारा बनाने लायक है. (श्री रजनीश हरवंश सिंह के अपने आसन पर खड़े होने पर) अरे बैठ जाओ, बैठ जाओ, तुम भी हमारी मोदी जी की योजनाओं का लाभ ले रहे हो. हर महीने में किसान निधि के 12 हजार रुपये आप गिनते हो, 12 सौ रुपये लाडली बहना के भी गिनते हो, हमारे मोदी जी के पैसों को आप लोग गिनते हो. अगर ऐसी बात है तो हमारे मोदी जी के पैसे मत लिया करो. अगर ऐसी बात वाले हो तो मोदी जी की योजनाओं का पैसा मत लिया करो आप लोग. लौटा दो, वापस कर दो. हमारे पैसे वापस कर दो तुम.
श्री बाला बच्चन -- माननीय विधायक जी, लाडली बहना की इस महीने की किश्त अभी तक डली नहीं है.
श्री प्रीतम लोधी -- डलेगी, हर महीने डलेगी, आप निश्चिंत रहिए.
सभापति महोदया -- प्रीतम जी, आप अपनी बात रखिए, आपका समय खत्म हो रहा है.
श्री प्रीतम लोधी -- सभापति महोदया, मैं ज्यादा नहीं कहना चाहता क्योंकि हमारी भारतीय जनता पार्टी सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास के तौर पर काम करती है. भारतीय जनता पार्टी भेदभाव नहीं करती है. हमारे मोदी जी के राज में पैदा होने से मरने तक की व्यवस्था बनाई गई है. आते भी लो, जाते भी लो, यह हमारी मोदी सरकार है और हमारी मोहन सरकार का लक्ष्य है. जब बच्चा पैदा होता है तो आप यह मानकर चलिए कि पढ़ाई फ्री, कपड़े भी फ्री, खाना भी फ्री, साइकल भी फ्री, थोड़ा बड़ा हुआ तो लैपटॉप भी फ्री और बड़ा हुआ तो शादी फ्री और बड़ा हुआ तो आजकल हमारा आयुष्मान कार्ड चल गया है, ईलाज भी फ्री. कितनी योजनाएं हैं हमारी भारतीय जनता पार्टी की सरकार में...
सभापति महोदया -- प्रीतम जी, आपकी बात आ गई है.
श्री प्रीतम लोधी -- सभापति महोदया, सौ बात की एक बात, मेरा तो एक निवेदन है कि हमारा जिला बनवा दो. हमारी पिछोर विधान सभा खुश हो जाएगी. (हंसी).
सभापति महोदया -- धन्यवाद. डॉ. हिरालाल अलावा जी.
डा. हिरालाल अलावा (मनावर) -- आदरणीया सभापति महोदया, आपने किसानों के मुद्दे पर मुझे बोलने का अवसर दिया, आपको बहुत-बहुत धन्यवाद.
सभापति महोदया, किसान परेशान हैं और आपको मैं बताना चाहता हूँ कि मैं मध्यप्रदेश के आदिवासी बाहुल्य मनावर विधान सभा क्षेत्र से आता हूँ. वहां पर आज की स्थिति में सोसाइटी में न तो यूरिया है, न डीएपी है और न ही किसानों को समय पर बिजली मिल रही है. सभापति महोदया, किसान सुबह चार बजे से लाइन में लगता है. आज ही मेरी बात किसानों से हुई, उन्होंने बताया कि हम पांच दिन से लगातार सोसाइटी में आ रहे हैं, हमें खाद नहीं मिल पा रहा है. हमारे सत्ता पक्ष के कई साथियों ने कहा है कि हजारों टन खाद आ रहा है. मैं मानता हूँ कि खाद आ रहा है, लेकिन ये खाद सोसाइटियों तक नहीं पहुँच रहा है, ये खाद किसानों तक नहीं पहुँच रहा है. ये खाद कालाबाजारी के माध्यम से सीधे व्यापारियों तक पहुँच रहा है. यह गंभीर समस्या है. इसका निराकरण किया जाना चाहिए.
सभापति महोदया, हमारे विधान सभा क्षेत्र में उमरबन ब्लॉक है और मनावर ब्लॉक है. यहां पर सोसाइटियों की संख्या सीमित है और किसानों को सोसाइटियों तक पहुँचने के लिए 20 से 30 किलोमीटर तक सफर करना पड़ता है तो सभापति जी, मैं आपके माध्यम से चाहता हूँ कि हमारी मनावर विधान सभा क्षेत्र में सोसायटियों की संख्या बढ़ाई जाये और साथ में जो छोटे किसान होते हैं. जिनका पंजीयन नहीं हो पाता है, उनको नकद खाद देने की भी व्यवस्था की जाये.
आदरणीय सभापति महोदया, मेरी विधान सभा क्षेत्र में जो कुछ ग्राम हैं, जो अभी भी आजादी के बाद 75 वर्ष से सूखाग्रस्त ग्राम हैं, तो इसके लिए वृहद सिंचाई परियोजना लाई जाये, इसमें मैं कुछ ग्रामों के नाम का जिक्र करना चाहता हूँ, काकड़दा, बहादरा, लवाणी, सुराणी, पाठामोटी, छोटी उमरबन, करोंदियाखुर्द, बडि़या अमसी, पाडला, लिमदा, खड़लाई, टेमरिया, सीतापुरी, भगियापुर, लाखनकोट, बनेडि़या, आंजनिया, औरनतड़ाऊ और पलासी इन गांवों में सिंचाई के लिए वृहत परियोजना लाई जाये और किसानों को सिंचाई परियोजना के माध्यम से लाभ दिया जाये और साथ ही जो विधान सभा क्षेत्र के उमरबन ब्लॉक में लवानी केसरपुरा डेम अभी वहां मंजूर किया जाये, खैरवा-बैराज उमरबन ब्लॉक में मंजूर किया जाये, राजुखेड़ी तालाब, जामन्यामोटा तालाब, बडि़याबैराज और निलदा बैराज यह ऐसे महत्वपूर्ण गांव हैं, यहां पर अगर तालाब और गैराज बनते हैं तो किसानों को इसका लाभ मिलेगा. मेरी मनावर विधान सभा क्षेत्र किसान बाहुल्य क्षेत्र है और आये दिन वहां पर जाम लगा रहता है, तो मैं आपके माध्यम से, सरकार से मांग करता हूँ कि मनावर विधान सभा क्षेत्र का बाय पास मंजूर किया जाये.
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) - सभापति महोदया, मैं निवेदन करना चाहता हूँ कि आसन्दी से आदेश हुए थे कि डेढ़ घण्टे की चर्चा है, अभी दो घण्टे हो गए है, आखिर एक सीमा तो होगी न कि कितने देर तक चलेगा ? कुछ बताएं. इसकी तो कोई सीमा ही नहीं है.
सभापति महोदया - अभी सत्ता पक्ष की ओर से 2 नाम शेष हैं और विपक्ष से 3 नाम शेष हैं. अभी 5 वक्ता हैं.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - सभापति महोदया, सिर्फ 5 नाम हैं.
सभापति महोदया - आप लोग आपस में तय कर लीजिये.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - 5 नाम हैं, तो ठीक है. 5 नाम से ज्यादा नहीं होने चाहिए. आसन्दी से आ गया है, अब 5 नाम से ज्यादा नहीं होंगे.
डॉ. हिरालाल अलावा - सभापति महोदया, मेरी विधान सभा क्षेत्र में अल्ट्राटेक कम्पनी द्वारा हमारे किसान साथियों के ऊपर फर्जी एफआईआर की गई है और तीन महीने से उनको जमानत नहीं मिली है और उन किसान भाइयों पर एनएसए लगाई गई है. मैं आपके माध्यम से मांग करता हूँ कि उसकी उच्चस्तरीय जांच करके किसानों को, युवाओं को न्याय दिया जाये. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद और आपका बहुत-बहुत आभार.
सभापति महोदया - मैं सभी माननीय सदस्यों से कहना चाह रही हूँ कि पीछे की पृष्ठ पर और भी कुछ नाम हैं. नेता प्रतिपक्ष की तरफ से लम्बी सूची है, 4 और पीछे 7 नाम हैं, लगभग 10 नाम हैं.
श्री सोहनलाल बाल्मीक - माननीय सभापति महोदया, सबको दो-दो मिनट दे दीजिये.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - सभापति महोदया, 2 मिनट का बोलकर 10-10 मिनट हो रहे हैं.
सभापति महोदया - अगर दो-दो मिनट में माननीय सदस्य भाषण दें तो जल्दी हो जाये.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - सभापति महोदया, हम लोग तो ठीक हैं लेकिन बेचारे अधिकारी-कर्मचारी और चपरासी तक परेशान हो रहे हैं. हमें सबकी चिन्ता करनी चाहिए.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - सभापति महोदया, पहले आपने 5 नाम बताए थे.
सभापति महोदया - उसमें एक सूची पीछे भी थी.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) - माननीय सभापति महोदया, मेरा सरकार के सभी मंत्री एवं माननीयों से अनुरोध है कि माननीय अपने-अपने क्षेत्र की बात कह रहे हैं, मैं भी अपने सदस्यों से कहना चाहूँगा कि आप सिर्फ अपने क्षेत्र की बात करें, ताकि हम इसको जल्द पूरा कर सकें.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - सभापति महोदया, मेरा यह आग्रह है कि कोई नई बात हो, तो बहुत अच्छा है, हम स्वागत करेंगे. मैं चर्चा का सबसे ज्यादा स्वागत करता हूँ. सब रिपिटेशन है. आप उठाकर देख लीजिये. एक ही बात यदि सब सदस्य बार-बार बोलेंगे तो ऐसी चर्चा क्या सार्थक चर्चा है क्या ? इसलिए मैं आग्रह करना चाह रहा हूँ कि किसी की कोई नई बात हो, अपनी विधान सभा से संबंधित कोई चर्चा करना चाहे तो कहे, बाकि प्रदेश में यह हो रहा है, फलां जगह यह हो रहा है.
श्री साहब सिंह गुर्जर (ग्वालियर ग्रामीण) - सभापति महोदया, जय जवान, जय किसान कहते हुए मैं इतना कहना चाहता हूँ कि धरती माता का सीना चीरकर फसल उगाने का काम किसान करता है. देश की सीमाओं पर जान न्यौछावर करने वाला कोई और नहीं वह किसान का बेटा है, जिसे हम जवान कहते हैं. अभी भारतीय जनता पार्टी के सदस्य श्री प्रीतम लोधी जी कह रहे थे कि मोदी से जो पैसा आता है, वह वापस दे दो परंतु मैं कहना चाहता हूं कि हम अपनी सैलरी वापस दे देंगे. सरकार की ओर से कहा जाता है- सबका साथ, सबका विकास, सबका सम्मान लेकिन आप इसमें भेदभाव करते हैं, जब 15-15 करोड़ रुपये भारतीय जनता पार्टी के विधायकों को दिये जाते हैं तो कांग्रेस के विधायकों को भी दिये जायें. (मेजों की थपथपाहट)
सभापति महोदया, प्रदेश में किसानों को खाद समय पर उपलब्ध न होने के कारण उन्हें अपनी कृषि उपज पर लाभ नहीं मिल पा रहा है. उन्हें या तो खाद समय पर मिली ही नहीं और अगर मिली भी तो नकली खाद मिली, जो कि निर्धारित मानक मूल्य से कहीं अधिक मूल्य पर किसानों को बेची गई, यह सरकार की सबसे बड़ी असफलता है. खाद न मिलने के कारण किसान खेत में बुवाई नहीं कर पाये हैं. सोसाइटियों में खाद नहीं मिल रहा है लेकिन निजी दुकानदारों के पास खाद आसानी से मिल रहा है, क्या खाद की कालाबाज़ारी हो रही है, यदि ऐसा है तो क्या सरकार इसकी जांच करवाकर, दोषियों के खिलाफ कार्यवाही करेगी. किसानों को खेती के लिए मूलभूत सुविधाओं पानी, बिजली, खाद, अपनी उपज के सही दाम मिलने का भी अभाव है, प्रदेश का अन्नदाता परेशान है. चुनाव के समय वादा किया गया कि 2700 रुपये में गेहूं खरीदे जायेंगे और 3100 रुपये में धान की खरीदी होगी लेकिन ये अपने वादे से मुकर गये. हमें विधायक निधि 5 करोड़ रुपये दी जाये, धन्यवाद.
श्री मोन्टू सोलंकी (सेंधवा)- सभापति महोदया, मेरी विधान सभा सेंधवा में खाद की दिक्कत की बात यहां कहूंगा. हमारे यहां खाद के लिए बने गोदाम, वितरण केंद्र बहुत ही कम हैं, जिसकी वजह से कम से कम 70-80 किलोमीटर दूर से आदिवासी गरीब किसान खाद लेने आते हैं. मेरा मंत्री महोदय से आग्रह है कि वे हमारे क्षेत्र में खाद के गोदाम अधिक से अधिक बनायें, जिससे किसानों को खाद ले जाने में सुविधा हो.
साथ ही मेरी विधान सभा से महाराष्ट्र का बॉर्डर लगता है, उधर और इधर से खाद की जो कालाबाजारी होती है, उस पर अंकुश लगाने का प्रावधान किया जाये. जिससे हमारे किसानों को शासन की योजना के अनुरूप, जो हमारे सत्तापक्ष के साथी अभी बता रहे थे, किसानों को सही ढंग से, खाद वहीं आसानी से मिल सके. हमारे किसान सोसाइटियों के माध्यम से खाद लेते हैं, हमारे यहां सोसाइटियों की कमी है इसलिए सरकार वहां खाद की व्यवस्था करे और खाद नगद लेने की व्यवस्था भी करे, जिससे किसान आसानी से खाद ले सकें. हमारे वहां कालाबाज़ारी इतनी ज्यादा है कि 267 रुपये के यूरिया की बोरी, हमें 750 रुपये में मिली, जो कि 2-2 दिन तक लाईन लगाने के बाद, नंबर लगाकर मिली है, धन्यवाद
श्री चैन सिंह वरकड़े (निवास)- सभापति महोदया, अभी सदन में कृषि और किसानों को लेकर खाद की बात हो रही थी, जहां तक मैं समझता हूं, खाद, बीज और पानी के बिना कृषि की बात अधूरी है निश्चित तौर पर अभी जिस तरीके से सत्तापक्ष के हमारे सहयोगियों ने कहा कि हमारे क्षेत्र में खाद की कोई कमी नहीं है, मुझे लगता है कि बस वही बात है कि अंधा बांटे रेवड़ी चीन चीन के दे.
मतलब कांग्रेस पक्ष के विधायक जहां हैं, वहां खाद की समस्या बनी हुई है. मैं आज भी कहता हूं कि आप मण्डला कलेक्टर से पूछ लें, मैंने उनसे बात करके लगभग 8-10 दिन बाद खाद की व्यवस्था करवाई. आप आंकड़ों में जायेंगे तो निश्चित रूप से सरकार के पास भंडारण है, सब कुछ है पर वह फील्ड में जाकर देखेंगे तो खाद नहीं पहुंच पा रही है कृषि मंत्री इस व्यवस्था को सुधारने का कष्ट करें. अभी सिंचाई योजनाओं की बात हुई, रकबा बढ़ रहा है, लेकिन मैं आपको बताना चाहता हूं कि जो पुराने जलाशय हैं उनकी नहरों की मरम्मत न होने से लगभग 10 प्रतिशत सिंचाई हो पा रही है. जो प्रस्तावित रकबा है उससे भी हमारे किसानों का नुकसान हो रहा है. मैं आपके माध्यम से निवास विधान सभा क्षेत्र के गजगांव, लावर, भटगांव, और कोहानी नहर है और साथ ही साथ बरगी जलाशय हमारे निवास विधान सभा में है लेकिन बरगी जलाशय से दो उद्वाहन सिंचाई योजना का प्राक्कलन जमा है यदि उनकी स्वीकृति मिल जाए तो निवास क्षेत्र का किसान भी समृद्ध हो जाएगा मैं यही मांग करना चाहता हूं. धन्यवाद.
दिलीप सिंह परिहार (नीमच)-- सभापति महोदया, मैं भी यहीं कहूंगा कि आज जिस मध्यप्रदेश में अन्न का भंडार भरा है उस मध्यप्रदेश के मालवा से हम आते हैं जहां यह कहा जाता है कि 'मालवा माटी गहन गंभीर, पग-पग रोटी, डग-डग नीर' की कहावत चरितार्थ हो रही है और देश के सम्माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी और मध्यप्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी सहकारिता मंत्री और हमारे कृषि मंत्री जी की आने वाले समय में केन बेतवा और कालीसिंध को जोड़ने की योजना है. हम आज अन्न के भंडार भर रहे हैं. 28 हजार मेट्रिक टन खाद प्रतिदिन दिया जा रहा है इसीलिए अन्न के भंडार भरे हैं. आज हम देख रहे हैं कि लगभग 60.31 लाख मेट्रिक टन उर्वरक बंटा है और वह आज 34 जिलों के सभी किसानों को खाद मिला है. खाद आज उपलब्ध है इसीलिए अन्न के भंडार भरे हैं और आने वाले समय में देश के प्रधानमंत्री जी का सपना है कि हर खेत में पानी और हर व्यक्ति को काम तो वह सपना निश्चित ही साकार होगा और हम देख रहे हैं कि देश ऐसा है कि ''जहां डाल-डाल पर सोने की चिडि़या करती है बसेरा, यह भारत देश है मेरा'' तो यह कृषि प्रधान देश वापस आज अपनी उंचाईयों को छुएगा. मैं आपके माध्यम से कृषि मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि हमारे यहां जो चायना लहसुन आ रहा है उसकी वजह से किसान कहीं न कहीं प्रभावित हुआ है. जैन साहब जी ने भी उस बात को उठाया है. मैंने केन्द्रिय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान जी को भी पत्र लिखा है तो आपसे निवेदन है कि कहीं न कहीं किसान के हित को यह प्रभावित कर रही है. खाद उपलब्ध है. रोना रोने का काम केवल कांग्रेस का है, यह रोते रहेंगे और किसान कहीं न कहीं प्रसन्न हैं आपने बोलने का मौका दिया इसके लिए धन्यवाद.
श्री अभिजीत शाह (अंकित बाबा) (टिमरनी)-- माननीय सभापति महोदया, यहां पर कृषि मंत्री महोदय मौजूद हैं मैंने पिछली बार भी कहा था कि अगर मैं कुछ मांग करता हूं और सरकार पूरी करती है तो इसी पटल के माध्यम से सरकार को धन्यवाद भी दूंगा. मैंने चार मांगे की थीं एक रहट गांव मंडी को चालू कराया जाए. मेरे क्षेत्र में दो नगद खाद वितरण केन्द्र चालू किये जाएं, मोरगढ़ी से रतनपुर पुलिया बनाई जाएं और सिंधखेड़ा रोड़ बनाई जाए. मैं धन्यवाद देना चाहूंगा कि मेरी यह चारों मांगे पूरी हो गईं. मैं विपक्ष का विधायक जरूर हूं लेकिन उससे पहले मैं एक किसान हूं और किसान होने के नाते मैं यह कहना चाहता हूं कि अब तक मैंने पक्ष की बात भी सुनी और विपक्ष की बात भी सुनी. पक्ष का कहना है कि खाद की मात्रा बहुत अधिक है, भण्डारण बहुत अधिक है और विपक्ष का कहना है कि भण्डारण नहीं है, खाद की कमी है. आपने बहुत से आंकड़े बताए लेकिन मैं आपसे स्पेसिफिक पूछना चाहता हूं कि जो भण्डारण है वह डीएपी का कितना किया. मैं कुछ आंकड़े रखना चाहता हूं कि 2023 के मुकाबले 3 लाख 51 हजार मेट्रिक टन डीएपी का भण्डारण कम किया गया जिसके कारण किसानों को भुगतना पड़ा. अब चाहे कहें कि यूक्रेन युद्ध हो रहा है, रशिया युद्ध हो रहा है पर यह विफलता सरकार की है. मैं एक चीज और कहना चाहता हूं क्योंकि लाईनों में किसान खड़े रहे और जो लाईनें थीं वहां पर पुलिस द्वारा लाठी चार्ज भी किया गया. यह जो लाईनें थी यह वर्ष 2016 की नोटबंदी की याद दिला रही थीं. मध्यप्रदेश कृषि प्रधान प्रदेश है. यहां का जो जीएबी में योगदान है वह 45.54 प्रतिशत है उसके बाद भी किसानों को अपनी मांगे मनवाने के लिए दर-दर की ठोकरें खानी पड़ती हैं. अभी सोयाबीन का मुद्दा गरमाया हुआ है, किसानों ने आन्दोलन किए हैं, उनकी मांग थी कि सोयाबीन का भाव 6000 रुपए प्रति क्विंटल किया जाए. हमारे प्रभारी मंत्री यहां मौजूद हैं मैं उनसे कहना चाहता हूँ हमारे यहां पर प्लेट कांटे नहीं चल रहे हैं जिसके कारण किसानों को लंबी-लंबी लाइनों में लगना पड़ा रहा है. जब कलेक्टर साहब से बात करते हैं तो वे कहते हैं कि प्रभारी मंत्री आदेश कर देंगे तो हम कर देंगे. प्रभारी मंत्री से मेरा हाथ जोड़कर आग्रह है कि किसानों की तरफ देखिए और प्लेट कांटे चालू करवा दीजिए. मैं एक घटना बताना चाहता हूँ. दिनांक 18 नवम्बर, 2024 जिला गुना, डबरा मंडी में एक महिला किसान थी वो 24 घंटे खाद के लिए लाइन में लगी रही और जब उसका नंबर आया तो खाद नहीं मिला, उसे चप्पल चलानी पड़ी थी. यह सच्चाई है आप देख लीजिएगा. मैं आखिरी मांग कर रहा हूँ यह मैंने पिछले सत्र में भी की थी कि जो विधायकों की विधायक निधि है मध्यप्रदेश में ढाई करोड़ रुपए है उसको कृपया बढ़ाकर 5 करोड़ रुपए कर दिया जाए. यदि आप 5 करोड़ रुपए देंगे तो हमारे यहां बहुत सारी समस्याएँ हैं वो ठीक हो जाएंगी. जैसे रोलका का पुल टूटा हुआ है, रातामाटी, बिटिया, जूनापानी, लाखादेव वहां सड़क नहीं है वह हम बनवा पाएंगे. प्रभारी मंत्री जी से मेरा निवेदन है कि एक बार मेरे साथ लाखा से जो रातामाटी की सड़क है उसको देखने चल दीजिएगा. बनाना है या नहीं बनाना है वह आप फैसला कर लीजिएगा. धन्यवाद.
श्री केशव देसाई (गोहद) -- मैं, मेरे विधान सभा क्षेत्र के किसानों के बारे में बताना चाहता हूँ. कृषि मंत्री मौजूद हैं उनके पास मान लो कैमरा लगा हुआ है हमारे क्षेत्र में चाहे आलोरी पूछ लें, चाहे गुनगांव पूछ लें, चाहे इटाना पूछ लें. यहां सबेरे 4 बजे से लाइन लगती है और 2 बजे तक लाइन लगी रहती है, तो भी आपस में झगड़ा हो जाता है. झगड़ा होने के बाद फिर से पर्ची कटती हैं उसके बाद सैंकड़ों लोग वंचित होकर घर को चले जाते हैं. अभी भी लगातार खाद की परेशानी चली आ रही है. पूर्व सरकार में रतनगढ़ मां नहर परियोजना का भूमि पूजन हो चुका है अभी उस नहर के बारे में कोई जानकारी नहीं है. इसके कारण सैंकड़ों गांव सिंचाई से वंचित हैं. कांग्रेस सरकार में जब पंचायती राज था उस समय किसानों के नामांतरण हर पंचायत में घर बैठे हो जाते थे. माननीय कमलनाथ जी मुख्यमंत्री की 15 महीने की सरकार थी उस समय कई गौशालाएं बनवाई गईं. जब से आपकी सरकार बनी है गौशालाएं बंद पड़ी हैं, यह किसानों के लिए नुकसान है. गौ मां सबकी मां होती है सबसे ज्यादा नुकसान तो किसानों का गौ-माता कर रही हैं. उनके भोजन की व्यवस्था की जाए. धन्यवाद.
श्री ऋषी अग्रवाल (बमोरी) -- माननीय सभापति महोदया, हमारे प्रदेश की लगभग 75 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है. बार-बार इस सदन में ग्रामीण विकास को लेकर, किसान कल्याण को लेकर और कृषि विकास को लेकर बात की जाती है. जो 75 प्रतिशत आबादी है वह मुख्य रुप से खेती पर निर्भर करती है और सरकार किसान हितों की बात करती है. किसान हितैषी होने का दावा करती है. किसान की आय वर्ष 2022 में दोगुनी करने का वादा किया था आज तक किसान की आय दोगुनी नहीं हो पाई है. सरकार पर्याप्त मात्रा में किसानों को डीएपी उपलब्ध नहीं करवा पा रही है. मैं, मेरे गृह जिले गुना की बात करूंगा वहां पर 15 हजार मेट्रिक टन ही खाद उपलब्ध हो पाया जबकि मांग 25 हजार मेट्रिक टन डीएपी की थी. आज सरकार द्वारा कहीं न कहीं किसानों को डीएपी की जगह एनपीके, एससपी और अन्य जो खाद है वह उपयोग करने के लिए बाध्य किया जा रहा है. कृषि मापदंड के अनुसार एक एकड़ में जब किसान डीएपी का उपयोग करता है तो 30 से 40 किलो डीएपी का उपयोग होता है, तो उसकी लागत 1,100 रुपये प्रति एकड़ के आस पास आती है. वहीं अगर वह अन्य उर्वरक का उपयोग करता है, तो उसकी लागत जस्ट डबल 2,400 रुपये प्रति एकड़ हो जाती है.
सभापति महोदया -- ऋषि जी, आपका दो मिनट हो गया. अब आप समाप्त करें.
श्री ऋषि अग्रवाल -- सभापति महोदया, एक मिनट और लूंगा. आज किसान 4-4, 5-5 दिन पूरे परिवार के साथ दिन-रात लाइनों में लगा हुआ है, उसके बाद भी उसको खाद उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. भारत सरकार का एक आदेश है जिसमें उन्होंने टैगिंग के लिये मना किया है, उसके बाद भी किसानों को उर्वरक टैग करके दिया जा रहा है. सदन में यह बात चल रही थी कि डीएपी की कोई कमी नहीं है, लेकिन मैं आज आपसे कहना चाहूंगा कि जो हमारा कांग्रेस दल है, हमारे नेता प्रतिपक्ष जो बार-बार यह बात रखते हैं कि सदन का सेशन लाइव चलना चाहिये, उसका मेन कारण यह है कि अगर सेशन लाइव चलेगा, तो मध्यप्रदेश की जनता देखेगी कि आज मध्यप्रदेश में खाद की कितनी कमी है और यह सरकार को पता लगेगा, जिससे सरकार के आंख और कान दोनों खुलेंगे कि हमारा किसान पूरे मध्यप्रदेश में खाद को लेकर किस कदर परेशान है. सभापति महोदया, धन्यवाद.
श्री अमर सिंह यादव (राजगढ़) -- धन्यवाद सभापति महोदया. मैं राजगढ़ जिले से आता हूं. राजगढ़ जिला एक पिछड़ा जिला के रूप में जाना जाता था. वहां पर पानी की बहुत कमी थी, किसान और मजदूर पलायन करते थे, लेकिन जब हमारी सरकार आई तो राजगढ़ जिले में मोहनपुरा और कुंडलपुर परियोजना किसानों के लिये एक जीवन दायिनी बनकर आई और आज सरकार किसानों को खेत-खेत में पानी देने का काम कर रही है. राजगढ़ जिला, मोहनपुरा सिंचाई परियोजना से 85,000 हेक्टेयर सिंचाई भूमि की वृद्धि हुई है. परिणाम स्वरूप विगत वर्ष में किसान दो फसलों और इस समय तीन फसलों का भी उत्पादन कर रहे हैं. वर्ष 2014 में मोहनपुरा परियोजना का भूमि पूजन हुआ था जो समय सीमा में हमने बनाई है. गत वर्ष 1 अप्रैल से 10 दिसम्बर 2023 तक 90,605 मीट्रिक टन यूरिया हमें प्राप्त हुआ था. उसके बाद डीएपी 60,118 मीट्रिक टन हमें प्राप्त हुआ था. हमें आज यूरिया आवश्यकतानुसार 73,000 मीट्रिक टन उपलब्ध हुआ. पिछली बार की तुलना में हमें 16 परसेंट अधिक यूरिया और डीएपी प्राप्त हुआ है. आज राजगढ़ में हमारे पास 15,686 मीट्रिक टन यूरिया और डीएपी स्टॉक में है. हमारे शासन और प्रशासन के द्वारा जिस प्रकार की व्यवस्था की है, उनको मैं धन्यवाद देता हूं. सभापति महोदय, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री निलेश पुसाराम उईके (पांढुरना) -- सभापति महोदया, आपने बोलने का मौका दिया बहुत-बहुत धन्यवाद. मेरे क्षेत्र पांढुरना में संतरा, कपास, मक्का, गेहूँ और धान की खेती अधिक होती है. मेरे पांढुरना क्षेत्र में बरूड़ से अमरावती एक मार्ग जाता है, जहां रेलवे ब्रिज नहीं होने के कारण हमारे किसान, स्कूल के छात्र-छात्राएं, मरीज हमेशा एक-एक, दो-दो घंटे खड़े रहते हैं. मेरा आपसे निवेदन है कि किसानों की समस्या को देखते हुये पांढुरना से अमरावती मार्ग पर रेलवे ओवर क्रॉसिंग ब्रिज बनाया जाए. मेरा एक निवेदन और है कि हमारे क्षेत्र में खाद, बीज की समस्या हमेशा रहती है, जिसके कारण हमारे किसानों को लाभ नहीं मिल पाता है. मेरा आपसे निवेदन है कि खाद, बीज की समस्या को आप हल करेंगे.
माननीय सभापति महोदय, हमारे क्षेत्र के किसानों की मांग है कि कपास का रेट 10 हजार मिलना चाहिये, गेहूं का रेट 3 हजार मिलना चाहिये और मक्का का रेट 3 हजार रूपये मिलना चाहिये. इस तरह के किसानों को रेट मिलेंगे तो उनको लाभ मिलेगा, सभापति महोदय, मेरे क्षेत्र में डबललॉक सेन्टर, मेनीखापा, नांदनवाडी क्षेत्र में खुलना चाहिये धन्यवाद.
श्री केदार चिड़ाभाई डाबर (भगवानपुरा) --माननीय सभापति महोदय, आपने मुझे 139 पर हो रही चर्चा में भाग लेने के लिये अवसर प्रदान किया. सभापति महोदय, सदन में किसानों की बात हो रही है, चाहे सत्ता पक्ष के सदस्य हों या विपक्ष के सदस्य हों दोनों तरफ से अपने अपने दावे किये गये हैं. मैं इतना कहना चाहता हूं कि मेरी विधानसभा क्षेत्र में सेगांव ,गोलवाड़ी, तलकपुरा, गरोड़, सांघवी, धुलकोट, भगवानपुरा, मोहनपुरा, गढ़ी , वरूढ़ ऐसी समितियां हैं जब खाद पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है तो वहां के किसानों को लाइन में क्यों लगना पड़ रहा है, क्यों समय पर उनको खाद नहीं मिल रहा है. खाद समय पर नहीं मिल रहा है इस कारण से हमारे क्षेत्र का किसान बेहद परेशान है.
माननीय सभापति महोदय, किसानों से संबंधित बात है जिसको में कहना चाहता हूं कि मेरी विधानसभा क्षेत्र में एक भडवाली तालाब है जिसका एक्वाडेक बना है लेकिन उससे पानी आगे नहीं गया और उनको नर्मदा लाइन से वंचित कर दिया गया. वह एक्वाडेक बनाया जाये. सभापति जी खारक और देलवादेड़ा तालाब से लिफ्ट एरिगेशन बनाई जाये ताकि चौकन, कालापानी, भुलवानिया और बिलवा को पानी मिल सके.सिवपुरी को पानी मिल सके. साथ ही किसानो से ही संबंधित बात है कि किसानों की फसलों को मंडी में ले जाने के लिये आवागमन के साधन नहीं है, सड़कें नहीं है तो मैं कहना चाहूंगा कि काकडिया से भेरूपुरा स्कूल तक, सामरपाट से मुख्य सड़क चित्तौड भुसावल मुख्य सड़क तक धापरवान्या से धवलियावाड़ी सेगांव कांटे तक खामखेड़ा से लेस्कु मार्ग तक ग्राम अवास्या फाटक से केलीफाटा और कदवाली से चांदपुरा तक के मार्गों को बनाया जाये.साथ ही नागलवाड़ी परियोजना में जिन गांव को पानी नहीं मिला, किसानों को पानी नहीं मिला है वहां शेष रहे गावं को इसमें जोड़कर के पानी दिया जावे. साथ ही सेंधवा परियोजना जो चल रही है उसमें भगवानपुरा क्षेत्र के आमल्यापानी, धुल्यापानी, जलालाबाद, महादेव पड़ावा, लिपनी, आंससरी देवनलिया, टोगन-कान्यापानी से भुलवान्या,चोखंज, गुजखावड़ी,सुखपुरी बिल्वा को जोड़ा जाये. सभापति किसानों के हित की बात चल रही है तो कहना चाहता हूं कि किसानों के बच्चों को उच्च शिक्षा के लिये कॉलेज की व्यवस्था नहीं है सहगांव में जो प्रस्तावित कालेज है उसको स्वीकृत किया जाये. सभापति महोदय, आपने मुझे अपनी बात रखने का अवसर प्रदान किया उसके लिये आपको बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री राजेन्द्र भारती(दतिया)--माननीय सभापति महोदय, 139 की चर्चा पर भाग लेने के लिये आपने मुझे समय प्रदान किया इसके लिये आपको धन्यवाद. माननीय सभापति महोदय, हमारे देश को श्वेतक्रांति और हरितक्रांति देने वाली हमारी स्वर्गीय प्रधान मंत्री आदरणीय श्रीमती इंदिरा गांधी जी थीं. सभापति महोदय, आज जो खाद के संकट पर चर्चा हो रही है, वह संकट सरकार की तरफ से यह कहा जा रहा है कि पर्याप्त मांग के अनुसार खाद दी गई लेकिन मांग और आपूर्ति में कहां अंतर रहा यह सरकार को समझने की बात है. यदि आपने मांग के अनुसार किसानों को खाद उपलब्ध करवाई है तो फिर किसानों को लाईन में क्यों लगना पड़ा. खाद के लिये पुलिस के डंडे क्यों खाने पड़े, पुलिस से पर्चियां क्यों लेना पड़ी, और यहां तक स्थिति बिगड़ी है . मैं यह एक समाचार पत्र आपको दिखलाना चाहता हूं जिसमें खाद के लिये कलेक्टर के पेरों पर किसानों को गिरना पड़ा है. कलेक्टर के पेर छुना पड़े तब खाद मिल रही है. आप सोचियेगा कि इस लोकतंत्र में जहां किसान हमारा भगवान है, आप किसान को भगवान कहते हैं और भगवान को कलेक्टर के पेरों पर गिरना पड़ रहा है, खाद लेने के लिये यह हालात हैं, इसके बाद भी सरकार यह कहती है कि सरकार ने खाद किसानों को पर्याप्त मात्रा में दी है. माननीय सभापति महोदय, प्रदेश में अभी अतिवृष्टि हुई. अतिवृष्टि में किसानों की फसलों का नुकसान हुआ. मकान नष्ट हुए. पशु एवं जन हानि हुई.लेकिन सरकार ने आरबीसी के अनुसार न तो सर्वे करवाया और न मुआवजा राशि किसानों को दी और किसानों को फसलों की बीमा राशि भी नहीं मिली. बाजार में जब किसान अपनी फसलों को बेचने गया, तो उसको कीमत नहीं मिली. खाद 1355 में नहीं मिलता है किसान को. इनकी उपलब्धता है, हम मानते हैं और ब्लैक में किसान को खाद मिल जाता है. तो यह ब्लैक में किसान को खाद कहां से मिल रहा है. यदि आपकी व्यवस्थाएं ठीक होतीं, शासन, प्रशासन की व्यवस्थाएं ठीक होतीं, तो खाद की काला बाजारी नहीं होती. अभी तो डीएपी की काला बाजारी हुई है, अब यूरिया की जरुरत पड़ती है किसान को. यूरिया में काला बाजारी हो रही है. तो यह काला बाजारी इसलिये हो रही है कि आपकी सांठ-गांठ व्यापारियों से है. आप व्यापारियों को लाभ देने के लिये, आपके जो समर्थक व्यापारी हैं, उनको यह काला बाजारी के माध्यम से आप अवैध कमाई करने का अवसर दे रहे हैं.
8.36 बजे {अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए.}
अध्यक्ष महोदय, आपने खाद का वितरण सोसायटियों के माध्यम से क्यों नहीं किया और सोसायटियों में आपने नगद राशि के रुप में किसान को मौका क्यों नहीं दिया खाद लेने के लिये. आपने किसानों को राशन की व्यवस्था कर दी, लाइन में लगने के लिये आपने मजबूर कर दिया. यह जाम लगने की स्थिति बनी. थाने के सामने ढाई घण्टे चक्का जाम, यह स्थिति कर दी. यदि आपने व्यवस्थाएं खाद वितरण की दुरुस्त की होतीं, तो यह हालात खाद के लिये नहीं बनते. यह खाद का जो संकट हुआ, इसके कारण फसलों की पैदावार भी गिरी है. तो यह हमारे प्रदेश का नुकसान हुआ. किसानों का तो नुकसान हुआ ही है, प्रदेश का भी इसमें नुकसान हो रहा है. अध्यक्ष महोदय, आपके पूरे ग्वालियर चम्बल संभाग में यह स्थिति रही. हमारे दतिया जिले में भी यही स्थिति रही कि लोगों को लाइन के लिये लगना पड़ता है खाद के लिये, डण्डे खाना पड़ते हैं. तो यह हालात आपकी और इसके कारण कानून व्यवस्था बिगड़ी. कानून व्यवस्था बिगाड़ने वाला आपका शासन, प्रशासन है, जिसने लोगों को लाइनों में लगने के लिये मजबूर किया और पुलिस के डण्डे खाने के लिये मजबूर किया है. निश्चित रुप से इसके लिये यह आपकी असफलता है. अध्यक्ष महोदय, आपने समय दिया, इसके लिये धन्यवाद.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)-- अध्यक्ष महोदय, सर्व प्रथम आपको धन्यवाद कि इस महत्वपूर्ण चर्चा में आपने सब सदस्यों को मौका दिया और मैं समझता हूं कि सरकार इसको गंभीरता से लेगी और चर्चा निष्कर्ष में बदलेगी. नहीं तो आपसे, हमसे पूछेगी जनता प्रदेश की कि आप सिर्फ चर्चा करते हो, लेकिन काम नहीं करते हैं. प्रदेश के किसानों की ओर से मैं कहना चाहता हूं कि - “मत मारो गोलियों से मुझे, मैं पहले से एक दुखी इंसान हूं. मेरी मौत की वजह यही है कि मैं पेशे से एक किसान हूं.” सुबह मुख्यमंत्री जी का पत्र आया कि मैं नहीं रहूंगा और वे रहते कब हैं. इतने महत्वपूर्ण विषय पर मुख्यमंत्री जी नहीं हैं. तो यह एक बड़ी लज्जा की बात है कि प्रदेश का किसान मुख्यमंत्री जी को सुनना चाहता है कि वह प्रदेश के खाद संकट को लेकर क्या कहना चाहते हैं. लेकिन मुख्यमंत्री जी अपने उड़न खटोले में न मालूम कहां घूम रहे हैं. निश्चित तौर से इस देश और प्रदेश की रीढ़ की हड्डी किसान हैं. दिन-रात मेहनत करता है. वह प्रदेश और देशवासियों का पेट भरता है. लेकिन भाजपा सरकार की नीतियों के कारण खाद की कमी हो रही है. इस पर हमको मंथन करना चाहिये. रबी का सीज़न बुआइ के लिये तैयार. आज ही मैं रीवा गया था, वहां पर भी 60 प्रतिशत बुआइ नहीं हो पायी है. किसानों की लम्बी-लम्बी लाइनें, किसानों की क्यों लग रही है, आप कहते हैं कि हमारे पास खाद है, लेकिन खाद नहीं है.
मैं समझता हूं कि माननीय अध्यक्ष महोदय, कभी प्रधान मंत्री किसान योजना, प्रधान मंत्री किसान सम्मान निधि, किसानों के लिये चलती है. आप 5-6 हजार रूपये आप बी.बी.टी. से सीधे उस किसान को दे देते हैं. लेकिन किसान 6 हजार रूपये नहीं चाहता है. अगर उसकी फसल नहीं होगी तो उसका परिवार दुखी रहेगा. किसान सरकार से भीख नहीं मांगता है. किसान खाद मांगता है, ताकी उसकी फसल आये और उसका जीवन-यापन चल सके.
अध्यक्ष महोदय, एक और बहुत गंभीर विषय है, इस पर सरकार को विचार करना चाहिये. अभी आपने देखा सोयाबीन की बात चली, एम.एस.पी. की बात चली. देश का सबसे बड़ा सोयाबीन उत्पादक प्रदेश है और सरकार की तरफ से प्रस्ताव गया कि सिर्फ 40 प्रतिशत हम सोयाबीन खरीदेंगे बाकि किसान का क्या होगा. यह आपकी सरकार की नीति है. मैं समझता हूं कि इस पर भी सरकार को पुनर्विचार करना चाहिये. मेरे साथियों ने कहा है बुधनी और श्योपुर को लेकर खाद बट गयी. लेकिन आसपास के जिलों और पूरे प्रदेश में खाद नहीं बट पायी. मैं समझता हूं कि इस प्रकार से हम चुनाव की तरफ तो बात करते हैं लेकिन हम किसान और आम व्यक्ति के दर्द की बात नहीं करते हैं. मैं आत्महत्या कि आपसे बात करना चाहूंगा. प्रदेश में किसानों के आत्महत्या के आंकड़े. आप जब कृषि मंत्री थे, मंत्रालय में तो 30.11.2021 को आपने लोक सभा में आंकड़े दिये. मध्यप्रदेश के वर्ष 2017 में 429 आत्महत्याएं हुईं, प्रदेश चौथे स्थान पर रहा, वर्ष 2018 में 303 आत्महत्याएं हुईं, प्रदेश पांचवें स्थान पर रहा, वर्ष 2019 में 142 आत्महत्याएं हुईं, प्रदेश का सातवां स्थान रहा, वर्ष 2020 में 235 आत्महत्याएं हुई, पांचवां स्थान रहा, वर्ष 2021 में 117 आत्महत्या हुई, सातवां स्थान रहा. कुल पांच वर्षों में 1226 किसानों ने मध्यप्रदेश के अंदर आत्महत्या की. उसमें यदि औसतन देखा जाये तो हर तीसरे दिन प्रदेश के अंदर एक किसान आत्महत्या कर रहा है, क्यों कर रहा है ? अभी मेरे को किसी ने सोसाइड नोट भेजा की मेरी फसल नहीं पक पा रही है, मुझे खाद नहीं मिल पा रही है इसकी जवाबदार सरकार होगी.
अध्यक्ष महोदय, मैं समझता हूं कि इस पर भी हमें विचार करना चाहिये कि कर्ज और खाद को लेकर किसान आत्महत्या नहीं करें. इस पर विचार होना चाहिये. किसान की औसत मासिक आय राष्ट्रीय औसत से कम हैं, प्रदेश में. 16 दिसम्बर, 2022 को राज्य सभा में कृषि मंत्री ने बताया कि किसान की राष्ट्रीय औसत आय 10 हजार, 218 रूपये है और यहां प्रदेश में किसान को लेकर कई अवार्ड ले आये. लेकिन प्रदेश में किसान की औसत मासिक आय 8 हजार, 339 रूपये है, राष्ट्रीय औसत दर से भी कम है, तो यह दर्शाता है कि किसान की किस प्रकार से आमदनी कम हुई है.
अध्यक्ष महोदय, बार-बार डबल इंजन की सरकार की बात होती है और यहां के इंजन के अंदर मुख्यमंत्री जी गायब, कृषि मंत्री जी गायब हो गये. यह गंभीरता है.
अध्यक्ष महोदय - कृषि मंत्री जी यहीं पर हैं.
संसदीय कार्यमंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) - अध्यक्ष महोदय, पूरे समय कृषि मंत्री जी यहां पर थे. कुछ शारीरिक आवश्यकता भी होती है.
अध्यक्ष महोदय - चर्चा से संबंधित दो-दो मंत्री विराजमान हैं. सहकारिता मंत्री भी है, कृषि मंत्री भी हैं.
श्री उमंग सिंघार - अध्यक्ष महोदय, देश में, प्रदेश में एक नया सिस्टम चालू हो गया है. आंकड़ों का हेरफेर, डाटा छिपाने का काम हो रहा है, आजकल जो सरकारी वेबसाइट है उस पर डाटा ही नहीं मिलता, डाटा अपडेट नहीं होता है. वर्ष 2017 से 2021 तक पुलिस रिकार्ड के हिसाब से 50 परसेंट आत्महत्या का कारण बताया गया है, लेकिन डाटा गायब हो गया. मंदसौर गोली कांड की विफलता, प्रशासनिक चूक हुई, जे.के.जैन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार लेकिन मैं समझता हूं कि इस सरकार ने अभी तक उस पर इस सदन में चर्चा नहीं कराई तो किसानों की बात को लेकर किसानों पर गोलियां चल रही, किसान मर रहे, लेकिन सरकार बात नहीं कराना चाहती है, सदन में चर्चा नहीं कराना चाहती है, यह बड़ी गलत बात है. क्यों घबराते हो, जब आप वोट मांगने जाते हो किसानों से, आम जनता से तो आपका अधिकार है कि अगर किसी के साथ अन्याय हो रहा है तो उस पर आपको बात करना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय, कुछ उदाहरण देना चाहता हूं कि खाद के इंतजार में असामयिक मौतें हुई. जिला सीहोर में खाद के इंतजार में 7 घंटे लाइन में एक बुजुर्ग की मौत हो गई. छतरपुर में खाद की भगदड़ मची, किसान की पैर की ऊंगली टूट गई. सरकार की लापरवाही से दमोह, छतरपुर, विदिशा जैसे जिलों में खाद की कमी के कारण प्रदर्शन चक्काजाम हुए, क्यों चक्काजाम हो रहे? एक तरफ आप कहते हैं. कल आपके मध्यप्रदेश राज्य सहकारी विपणन संघ मर्यादित से मैंने जानकारी बुलवाई अध्यक्ष महोदय, आंकड़ें बहुत सारे हैं. यह जानकारी वर्ष 2024-25 के हिसाब से है कि उपलब्धता, जबलपुर में 44862 टन, सरकार कहती है यहां पर 35098 हमने बांट दिया और 9766 मी.टन हमारे पास पड़ा है. ऐसे हर जिले के आंकड़े हैं. आप चाहेंगे तो पटल पर दे दूंगा कि यह आपकी सरकार की रिपोर्ट है. आपके विभाग की रिपोर्ट है फिर क्यों नहीं, क्या कारण है, इसका मतलब कालाबाजारी हो रही है. खाद कहां जा रहा है? आम व्यक्ति परेशान है, आम किसान परेशान है. मैं समझता हूं कि सरकार को इस कालाबाजारी को रोकने के लिए इस पर तत्काल प्रयास करना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय, मैं यह भी कहना चाहता हूं कि अभी कुछ दिन पहले माननीय कृषि मंत्री जी का बयान आया कि युक्रेन युद्ध के कारण हम नहीं दे पाए तो माननीय कृषि मंत्री जी को बताना चाहता हूं, उसके बाद दूसरा एक बयान आया था कि खाद से मेरा वास्ता नहीं है. पेपरों में छपा है. मैं कहना चाहता हूं कि आपने चाइना, जार्डन, मोरक्को, रशिया, यूएई, यूएसएस, साऊदी अरेबिया से आपने वर्ष 2020-21, 2021-22, 2022-23 और 2023-24 में केन्द्र सरकार ने इम्पोर्ट किया. अब आप युक्रेन की बात करते हैं. 4 साल से युद्ध चल रहा है लेकिन इन देशों से खाद आ रही है मध्यप्रदेश को क्यों नहीं मिली? यह आप केन्द्र सरकार से पूछें, बात करें लेकिन 4 साल से आप सो रहे हैं, लेकिन प्रदेश के किसान के आप आंसू नहीं पोछ पाए. माननीय मंत्री जी जो कहा था कि उर्वरक विभाग का मामला है, मेरे विभाग का मामला नहीं है. अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हूं कि सामान्य प्रशासन विभाग का जो कार्य आवंटन नियम है, उसमें स्पष्ट है, नियम 14 के उप नियम 5 (6) में उल्लेख है कि खाद के वितरण का काम किसान कल्याण तथा कृषि विभाग करेगा. करेंगे? ऐसे मुस्करा के मत दो, गंभीरता से जवाब दो.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे कहना चाहता हॅू कि यह कृषि मंत्री जी हैं. यह पहले मीडिया में बोलते हैं कि मेरा कोई मामला नहीं है और कृषि मंत्री बने हुए हैं. इनको यही नहीं मालूम है. जीएडी के नियम हैं. इनके क्या अधिकार हैं. यह ऐसे मंत्री हैं तो मैं माननीय मंत्री जी से समझना चाहता हॅूं कि जो अपने नियम नहीं समझ सकते, अपनी कुर्सी का अधिकार नहीं समझ सकते, तो वे कहां प्रदेश की जनता को, किसानों को अधिकार दिलाएंगे. यह बड़े आश्चर्य की बात है. आपके मुख्यमंत्री जी ने नवंबर 2024 में कलेक्टर और कमिश्नर को निर्देश दिेये थे कि खाद की व्यवस्था प्रॉपर हो, नहीं तो कलेक्टर जिम्मेदार होंगे लेकिन मुख्यमंत्री जी यह कानून व्यवस्था और विकास कार्य को लेकर कलेक्टर कोई जिम्मेदार नहीं है. इसलिए खाद नहीं मिल पा रहा है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं कहना चाहता हॅूं कि इस खाद संकट के लिए मेरे कुछ सुझाव हैं. इसके लिए विशेष टॉस्क फोर्स बनायी जाये. खाद वितरण के लिए पारदर्शी कुशल प्रणाली विकसित की जाये. कालाबाजारी को किस प्रकार से रोका जाए, इस पर मैं एक और सुझाव देना चाहता हॅूं. मैंने कांग्रेस के मेनीफेस्टो में वर्ष 2023 में सुझाव दिया था कि सोसायटियों से जो खाद जाता है, ठीक है आपकी व्यवस्था है इतने समय से चली आ रही है लेकिन किसानों को उसकी पंचायत के अंदर खाद मिले, सोसायटी के माध्यम से वहां जाये, तो आपका खाद उस किसान को पहुंचेगा. (मेजों की थपथपाहट)
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, आपने आपके मेनिफेस्टो में दिया. जनता ने माना ही नहीं और आपको इधर बिठा दिया. हम समझदारी से काम ले रहे हैं. (हंसी)
श्री उमंग सिंघार -- अब आप इतने गंभीर विषय पर भी अगर मजाक करेंगे तो बड़े आश्चर्य की बात है. माननीय, मैं आपसे यह उम्मीद नहीं कर सकता हॅूं. मेरा आपसे सुझाव है कि यह ठीक है कि हम इधर बैठे हैं लेकिन हम बोल तो सकते हैं, आपको जगा तो सकते हैं. मेरा माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि किसान को अगर उसकी पंचायत में खाद सोसायटी भिजवाये, तो मुझे नहीं लगता कि खाद की कालाबाजारी होगी. इस बात पर एक बार विचार करना चाहिए. मेरा ऐसा सोचना है. आपने समय दिया, कई बातें हुईं. लेकिन अंत में मैं यही कहना चाहूंगा कि -
मेरे खेतों को जलाने से कुछ नहीं होगा,
हवा में राख उड़ाने से कुछ नहीं होगा,
मुझे खाद दे दो मेरी सरकार,
वरना अब तुम्हें खाने के लिए कुछ नहीं होगा.
बहुत-बहुत धन्यवाद. जय हिन्द-जय भारत. (मेजों की थपथपाहट)
कृषि मंत्री (श्री एदल सिंह कंषाना) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, पहले तो माननीय नेता प्रतिपक्ष ने जो कहा है, मैं उसका उत्तर देता हॅूं. इन्होंने कहा कि मैंने यह कहा कि यह विभाग मेरा नहीं है. यह मैंने कभी नहीं कहा. आज भी कह रहा हॅूं और पहले भी कहा है कि यह हमारी जिम्मेदारी है. यह मेरे विभाग के अंदर आता है. रहा सवाल डिस्ट्रीब्यूट का. हॉं, मैं आज भी कह रहा हॅूं कि जिले में जो खाद का वितरण होता है, उसमें सहकारिता भी वितरण करती है, प्राइवेट भी उपलब्ध कराते हैं.
अध्यक्ष महोदय, माननीय नेता प्रतिपक्ष जी ने यूक्रेन की बात कही है. यह खाद हमारा जो चायना से आता था, वह खाद 25 दिन देरी से इसलिए आया क्योंकि यूक्रेन का युद्ध हो रहा था. आपको भी मालूम है और 25 दिन चक्कर लगाकर हमें आना पड़ा, इसलिए यह खाद देरी से आ पाया. हमारे पास खाद की आज भी कोई कमी नहीं है. सिर्फ खाद देरी से आया. इस कारण खाद की थोड़ी कमी आयी. आज हमारे पास पर्याप्त मात्रा में खाद है. अध्यक्ष महोदय, आप चाहें तो मैं माननीय नेता प्रतिपक्ष जी को जिलेवार बता दूं और आप चाहें तो मैं पढ़कर बता दूं. मैं कहना चाहता हूँ कि ये लाठी की बात कर रहे थे. माननीय नेता प्रतिपक्ष जी, मैं आपसे आग्रह करना चाहता हॅूं कि किसानों पर लाठी उस जमाने में पड़ी, जब माननीय कमल नाथ जी की सरकार थी. आज मैं दावे के साथ कहता हॅूं कि मध्यप्रदेश में एक भी किसान को खरोंच तक नहीं आयी. आज मैं दावे के साथ मैं कहता हूं कि मध्यप्रदेश में एक भी किसान को लाठी नहीं पड़ी है. आप लाठी की बात कर रहे हैं उनको खंरोच तक नहीं आयी है. आप प्रदेश की जनता को गलत जानकारी दे रहे हैं. एक तरफ आप कहते हैं कि मध्यप्रदेश का यह एक पवित्र मंदिर है.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)—अध्यक्ष महोदय, मेरा मंत्री जी से अनुरोध है कि सच्चाई देखें. अगर वह पेपर नहीं पढ़ते हैं, मीडिया नहीं देखते हैं तो अलग बात है. मैं समझता हूं कि खाद का विषय है. आरोप प्रत्यारोप की बजाय खाद की कैसे व्यवस्था हो, खाद कैसे पहुंचे यह किसान के लिये महत्वपूर्ण है, मैं ऐसा समझता हूं.
श्री एदल सिंह कंषाना—अध्यक्ष महोदय, मैं यह मानता हूं कि नेता प्रतिपक्ष को थोड़ा दर्द है किसानों के लिये. आप कार्यवाही उठाकर के देख लें. हमारे कांग्रेस के मित्रों ने अभी तक जो बयान दिये उनमें 95 प्रतिशत सड़क, बिजली, पानी की बात कही है. इसके अलावा तो इन लोगों ने खाद का उल्लेख किया ही नहीं.
श्री बाला बच्चन—अध्यक्ष महोदय, मेरे द्वारा इस भाषण की शुरूआत की गई थी. मेरी सारी बातें ही खाद के ऊपर थी. मैंने उनके अलावा कोई बात ही नहीं की.
अध्यक्ष महोदय—बाला जी आप बैठें. मंत्री जी कृपया जारी रखें.
श्री एदल सिंह कंषाना—अध्यक्ष महोदय, आप गलत जानकारी दे रहे हैं आप वरिष्ठ सदस्य हैं. हमने किसी को प्रेरित नहीं किया या दबाव नहीं डाला कि डीएपी ले लो या यूरिया ले लो. आप लोग मध्यप्रदेश के किसानों को गुमराह कर रहे हैं. मैं इस पवित्र मंदिर में यह कहना चाहता हूं कि आप लोगों ने किसानों के खाद के बारे में 139 पर चर्चा रखकर आपने मध्यप्रदेश के किसानों का अपमान किया है. हमारे पास में खाद की न तो कमी थी और न ही आज भी खाद की कमी है माननीय नेता प्रतिपक्ष से आग्रह करना चाहता हूं. सरकार किसानों की मांग के अनुसार पर्याप्त उर्वरक उपलब्ध करवाने में सक्षम रही है. किसानों को फसल की बोवनी के समय के अनुसार उनको उर्वरक उपलब्ध कराया गया है. प्रदेश में उर्वरक की कमी नहीं रहेगी. सरकार किसानों की जरूरतों की पूर्ति के लिये बहुत ही संवेदनशील रही है. डॉ. मोहन यादव की सरकार के द्वारा किसानों को उचित दर पर बीज उपलब्ध कराया गया है. नहरों के माध्यम वर्ष 2007-08 में सिंचाई का क्षेत्र 7 लाख 50 हजार हेक्टेयर था. जो वर्ष 2024-25 में बढ़कर लगभग 50 लाख हेक्टेयर हो गया है. राज्य सरकार किसानों को अनुदान पर बिजली उपलब्ध करवा रही है. हमारे प्रदेश में किसानों को बहुत सस्ती बिजली उपलब्ध कराने वाली सरकार अन्य राज्यों में एक है. राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2023-24 गेहूं, धान, सरसों, चना, मसूर, मूंग 16 लाख 41 हजार 798 किसानों का उपार्जन किया गया है. जिनकी कुल कीमत राशि 29 हजार 3 सौ 53 करोड़ 58 लाख है. प्रदेश में पहली बार सोयाबीन का उपार्जन किया जा रहा है. अभी तक 1 लाख 43 हजार 733 किसानों को 3 लाख 74 हजार 594 मीट्रिक टन का उपार्जन किया गया है. जिसकी कीमत 1 हजार 8 सौ 32 करोड़ 52 लाख रूपये है. फसल बीमा योजना के अंतर्गत 2023 में 24 लाख 23 हजार किसानों को बीमा क्लेम राशि में 7 सौ 55 करोड़ रूपये का भुगतान किया है. 2023-24 में 183 करोड़ का बीमा क्लेम का भुगतान किया जाना प्रक्रियाधीन है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रदेश में किसानों के लिये उर्वरक आपूर्ति का प्रबंधन देश में अग्रणी है, यह माननीय प्रधानमंत्री एवं माननीय मुख्यमंत्री जी के कारण संभव हो सका है. कांग्रेस सरकार में 01 अप्रैल, 2019 से 13 दिसंबर, 2019 तक 44 लाख 80 हजार मीट्रिक टन उर्वरक का विक्रय किया गया था, इस वर्ष हमारी सरकार किसानों को 01अप्रैल, 2024 से 13 दिसंबर, 2024 तक 8 लाख 46 हजार मीट्रिक टन उर्वरक किसानों को वितरित किया गया है(मेजों की थपथपाहट) इसका तात्पर्य यह है कि आधे रबी मौसम तक ही हमने वर्ष 2019-20 की तुलना में अधिक उर्वरक उपलब्ध करवाया है, हमने पर्याप्त उर्वरक उपलब्ध करवाया है, जिसके कारण 15 लाख 66 हजार मीट्रिक टन अधिक विक्रय किया गया है, जो कि वर्ष 2019-20 की तुलना में अधिक विक्रय से प्रदेश में उर्वरकों की कमी है, इससे कहा जा सकता है कि देश में सहकारी क्षेत्रों के माध्यम से लगभग 70 प्रतिशत उर्वरक प्रदाय करने वाला मध्यप्रदेश एकलौता राज्य है. निर्धारित मूल्य पर कृषकों को उनके नजदीकी क्षेत्रों से उर्वरक उपलब्ध हो, यह सुनिश्चित कराने हेतु प्रयास किया गया है. अध्यक्ष महोदय, हमारा राज्य उर्वरक उपलब्ध करवाने के क्षेत्र में देश में अग्रणी राज्य है एवं किसानों को व्यक्तिगत ढंग से उर्वरक प्रदाय किया जाता है. रबी वर्ष 2024-25 के अंतर्गत प्रदेश में 01 अक्टूबर, 2024 से 10 दिसंबर, 2024 की अवधि में यूरिया 15 लाख 58 हजार मीट्रिक टन एवं डी.ए.पी. एन.पी.के. 10 लाख 89 हजार मीट्रिक टन उपलब्ध कराया गया है (मेजों की थपथपाहट) जिसमें से 11 लाख 72 हजार मीट्रिक टन यूरिया एवं 8 लाख 75 हजार मीट्रिक टन डी.ए.पी. एन.पी.के. के किसानों को विक्रय किया गया है. विगत वर्ष रबी वर्ष 2023-24 में इसी अवधि में 11 लाख 82 हजार मीट्रिक टन यूरिया एवं 8 लाख 44 हजार मीट्रिक टन डी.ए.पी. एन.पी.के.किसानों को विक्रय किया गया था, इससे यह स्पष्ट है कि इसी वर्ष रबी में कृषकों को गत वर्ष की तुलना में अधिक उर्वरक उपलब्ध तथा विक्रय कराया गया है. 11 दिसंबर, 2024 की स्थिति में प्रदेश में 3 लाख 87 हजार मीट्रिक टन यूरिया एवं 2 लाख 74 हजार मीट्रिक टन डी.ए.पी. एन.पी.के. स्टॉक शेष हैं. गतवर्ष 1 अप्रैल, 2023 से 10 दिसंबर, 2023 तक कुल 56 लाख 75 हजार मीट्रिक टन उर्वरक किसानों को वितरित किया गया था, जिसके विरूद्ध इस वर्ष 1 अप्रैल, 2024 से 10 दिसंबर, 2024 तक हम किसानों को 69 लाख 10 हजार मीट्रिक टन उर्वरक उपलब्ध करवाने में सफल रहे हैं, जो कि गतवर्ष की तुलना में अधिक है. (मेजों की थपथपाहट) अभी रबी मौसम समाप्त नहीं हुआ है और हम किसानों की आवश्यकतानुसार लगभग 28 हजार मीट्रिक टन उर्वरक प्रति दिन किसानों को उपलब्ध करवा रहे हैं, डी.ए.पी. की आपूर्ति के हिसाब से यह वर्ष कठिन रहा है, क्योंकिरू यूक्रेन युद्ध और इजराइल युद्ध के कारण डी.ए.पी. की सिपमेंट, पानी के जहाज भारत लाने के लिये अफ्रीका होते हुए काफी लंबा रास्ता लेना पड़ रहा है. डी.ए.पी. की अंतर्राष्ट्रीय कीमतों में भी 500 डालर प्रति मीट्रिक टन से बढ़कर 6 सौ 43 हजार मीट्रिक टन पहुंच गई है. प्रधानमंत्री जी के प्रयासों से डी.ए.पी. पर 35 सौ रूपये प्रति क्विंटल अतिरिक्त अनुदान देने से हम किसानों तक डी.ए.पी. उपलब्ध करवाने में सफल रहे हैं, कृषि वैज्ञानिक द्वारा एन.पी.के. उर्वरक डी.ए.पी. के मुकाबले एक अच्छा विकल्प के बारे में बताया है. जिसका व्यापक प्रचार-प्रसार किया गया जिससे किसानों को एवं एनपी का अधिक उपयोग किया गया है. एनपी के उर्वरकों का विक्रय 4 लाख 67 हजार मीट्रिक टन से बढ़कर इस वर्ष 9 लाख मीट्रिक टन हो गया है. भारत सरकार द्वारा मध्यप्रदेश शासन ने इस प्रयास की सराहना की है. इससे अतिरिक्त फसल मौसम से उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु विपणन संघ को उर्वरकों की अग्रिम भंडारण के लिये शासन द्वारा राशि उपलब्ध कराई जाती है. ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी, थोड़ा संक्षिप्त करेंगे, सहकारिता मंत्री जी को भी बोलना है. ...(व्यवधान)...
श्री एदल सिंह कंसाना-- माननीय अध्यक्ष महोदय...(व्यवधान)... 244 अतिरिक्त काउंटर सेंटर खोले गये हैं, आगामी वर्षों में और भी काउंटर सेंटर खोले जायेंगे.
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी स्वयं स्वीकार कर रहे हैं कि यूक्रेन से खाद लाने में 25 दिन विलंब हुआ है. ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी, आप जारी रखें. मरकाम जी कृपया बैठ जाइये.
श्री बाला बच्चन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी आपने क्या पढ़ा कुछ बोलकर बता सकते हैं, आपको कुछ याद है.
श्री एदल सिंह कंसाना-- इसको पटल पर रख देता हूं और मैं आपको भी दे दूंगा. ...(व्यवधान)...
श्री बाला बच्चन-- दो चार बात बोलकर बता दें. ...(व्यवधान)...
श्री एदल सिंह कंसाना-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे पास पूरा डाटा है अगर माननीय सदस्य चाहें तो मैं पटल पर भी रख सकता हूं और उनको व्यक्तिगत भी दे सकता हूं.
अध्यक्ष महोदय-- बच्चन जी बैठ जायें. ...(व्यवधान)...
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- देखो बाला, वह भिंड मुरैना के है. ...(व्यवधान)...
श्री एदल सिंह कंसाना-- यह कोई बनावटी मामला नहीं है, बनावटी मामला आपके यहां हो सकता है, हमारे यहां नहीं हो सकता ...(व्यवधान)... यह भारतीय जनता पार्टी की सरकार है, यह डॉ. मोहन यादव की सरकार है और यह सरकार वह सरकार है सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास देने वाली सरकार है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे कुल मिलाकर हमारे कांग्रेस के मित्रों के भाषण से यह लगा कि इन्हें किसान से कोई लेना देना नहीं, इन्हें सिर्फ सुर्खियों में आने की जरूरत है.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह घोर आपत्ति है. किसानों की बात हमने रखी और किसानों को खाद इनको देना है उसके बाद यह कह रहे हैं कि किसानों से मतलब नहीं. माननीय अध्यक्ष महोदय, यह कैसा जवाब दे रहे हैं. ...(व्यवधान)... हम तो किसानों पर चर्चा करना चाह रहे हैं, क्यों चर्चा नहीं कर रहे. ...(व्यवधान)... खाद की व्यवस्था नहीं कर पा रहे हैं माननीय अध्यक्ष महोदय ...(व्यवधान)... हमारा विषय है सिर्फ खाद. ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- नेता प्रतिपक्ष जी कृपया बैठिये. ...(व्यवधान)...
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- यह भागने का बहाना नहीं चलेगा, हमने आपको पूरा सुना, आप भी सरकार का पूरा जवाब सुनिये. ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी, जारी रखें, थोड़ा संक्षिप्त करिये.
श्री एदल सिंह कंसाना-- मेरा भाषण हो गया....(हंसी)... वक्तव्य हो गया. मैं अंत में यही कहना चाहूंगा कि मध्यप्रदेश में खाद की न तो कोई कमी थी, न आज कोई कमी है यही मैं आपसे कहना चाहता हूं.
सहकारिता मंत्री (श्री विश्वास सारंग)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आज यहां पर बहुत ही महत्वपूर्ण विषय पर लगभग 7 घंटे से चर्चा चल रही है. यह बात सही है कि किसान, खेत, खलिहान और खेती यह हमारे लिये भी बहुत महत्वपूर्ण है और प्रतिपक्ष के लिये भी बहुत महत्वपूर्ण है और माननीय अध्यक्ष महोदय इसीलिये प्रतिपक्ष के नेता जी ने 139 पर चर्चा मांगी. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपको सहृदयता के साथ धन्यवाद देता हूं कि आपने उसको स्वीकार किया और एक लंबी चर्चा हुई. लगभग 25 कांग्रेस के विधायकों ने यहां पर अपनी बात रखी. हमारी तरफ से भी लगभग 10 विधायकों ने बात रखी पर माननीय अध्यक्ष महोदय ऐसा लगता था कि खाद के संकट पर कोई बात होगी पर जैसा कंषाना जी ने बोला कि 25 में से प्रतिपक्ष के 5-7 विधायक ही थे जिन्होंने खाद की बात की पर ठीक है अब देसाई जी तो रेलवे की पटरी तक पहुंच गये अच्छी बात है.
श्री विश्वास सारंग - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं बहुत लंबी बात नहीं करूंगा क्योंकि काफी समय हो गया है लेकिन यहां पर इस चर्चा की शुरुआत हमारे बहुत ही वरिष्ठ नेता बाला बच्चन जी ने की,बाला भाई अभी एदल सिंह जी से कह रहे थे कि मैं तो खाद से इधर-उधर हुआ ही नहीं. मैं भी इधर-उधर नहीं होऊंगा.
श्री बाला बच्चन - मंत्री जी, आप तो सहकारिता मंत्री हैं केवल सोसायटियों में खाद उपलब्ध करा दो.
श्री विश्वास सारंग - अभी बता रहा हूं. खोदा पहाड़ और निकली चुहिया. बाला बच्चन जी ने बोला कि बहुत दिक्कत है. राजपुर विधान सभा है बाला भाई की, इन्होंने कहा कि खाद का बहुत संकट. मैं बाला भाई को बताना चाहता हूं कि बडवानी जिले में विगत वर्ष 85 हजार मीट्रिक टन हमने खाद का विक्रय किया था और अभी जबकि रबी का सीजन पूरा नहीं हुआ है. अभी तक लगभग 92 हजार मीट्रिक टन बड़वानी जिले में वितरित हो चुका है और वर्तमान में कह रहे थे कि हाहाकार मचा हुआ है. 10 हजार मीट्रिक टन अभी भी शेष है आप चले जाओ मिल जायेगा और राजपुर विधान सभा क्षेत्र में अभी तक लगभग 7405 मीट्रिक टन का भण्डारण था जिसमें से लगभग 5355 मीट्रिक टन का वितरण हो गया और अभी भी 2050 मीट्रिक टन है बाला भाई केवल इल्जाम लगाने की बात नहीं करिये.
श्री बाला बच्चन - किसानों को खाद नहीं मिल रहा है बड़वानी जिले के राजपुर विधान सभा के अंजड़ के लोगों को खरगोन और आसपास दूसरी जगह जाना पड़ता है.
(..व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय - आप सभी कृपया बैठ जाईये. मंत्री जी, आप किसी की बात का जवाब न दें. अपनी बात कहें.
श्री विश्वास सारंग - बाला भाई,आप एक बात बताईये. किसानों को यदि अभी खाद नहीं मिल रहा है तो क्या बुवाई हो सकती है. अभी तक 120 लाख हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी है रबी की. 90 प्रतिशत बुवाई कैसे हो गई. मैं केवल बड़वानी जिला नहीं, हमारे पूर्व कृषि मंत्री जी ने कहा खरगोन जिला 1.79 लाख मीट्रिक टन गत वर्ष दिया. इस वर्ष लगभग 1.86 लाख मीट्रिक टन हमने वितरित कर दिया है पिछले साल से ज्यादा और अभी लगभग 16 हजार मीट्रिक टन रखा हुआ है. सचिन भाई पता कर लेते.नितेन्द्र भाई बहुत सोबर हैं उन्होंने बहुत अच्छी बात कही लेकिन खटीक जी जब बोल रहे थे तब वह बहुत नाराज हो गये. निवाड़ी जिले में पिछले साल 16 हजार मीट्रिक टन दिया. इस बार 20 हजार मीट्रिक टन बांट दिया और 3 हजार मीट्रिक टन अभी भी है चले जाओ मिल जायेगा. उज्जैन जिला,दिनेश जैन जी ने कहा पिछले साल 1.89 लाख मीट्रिक टन था.
श्री सोहनलाल बाल्मीक - मंत्री जी यह डीपीए का, एनपीए किसका है ?
श्री विश्वास सारंग - पूरा है.
अध्यक्ष महोदय - सोहनलाल बाल्मीक जी, मंत्री जी को डिस्ट्रब न करें.
श्री विश्वास सारंग - मुरैना जिला,हमारे दिनेश गुर्जर जी कह रहे थे किसान कांग्रेस में काम करते हैं. दिनेश भाई अभी भी 4 हजार मीट्रिक टन है वहां पर.(..व्यवधान..) शिवपुरी में 12 हजार मीट्रिक टन है अभी. मंदसौर जिले में 16 हजार मीट्रिक टन है अभी. मैं पूरे मध्यप्रदेश का मैं बता सकता हूं.
किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री (श्री एदल सिंह कंषाना) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक सेंकड, चूँकि मैं आमने-सामने आरोप नहीं लगाना चाहता. अध्यक्ष महोदय, मैं दिनेश जी से कहना चाहता हूँ कि ये खाद की मुरैना की बात कर रहे हैं, ये कब गए, मुरैना में कौन-कौन से गांव में गए हैं. मैं परसों मुरैना से आया हूँ. ये चार-चार महीने तो मुरैना नहीं जाते. इनको गांव का नक्शा नहीं मालूम. ये गांव की बात कर रहे हैं. ...(व्यवधान)...
श्री दिनेश गुर्जर -- आप सोशल मीडिया से जुड़े हो क्या, फेसबुक चलाते हो ? ...(व्यवधान)...
श्री विश्वास सारंग -- माननीय अध्यक्ष महोदय, पूरे प्रदेश में उपलब्ध है. मैं यदि पूरी बात करूं तो लगभग 71 लाख टन फर्टिलाइजर हमने स्टोरेज किया, जिसमें से लगभग 60 लाख टन की हमने बिक्री की और अभी 11 लाख टन सोसाइटियों के पास है. कहीं कोई दिक्कत नहीं है. ...(व्यवधान)... ये कृत्रिम दिक्कत बता रहे हैं. ...(व्यवधान)...अध्यक्ष महोदय, जैसा मैंने कहा कि जबर्दस्ती का माहौल बनाया जा रहा है. अभी नेता प्रतिपक्ष जी ने समाप्त किया तो एक शेर पढ़ा, अध्यक्ष महोदय, आपकी आज्ञा से मैं भी एक शेर पढ़ लेता हूँ. जबर्दस्ती का कृत्रिम, बहुत दिक्कत, बहुत दिक्कत बता रहे हैं, अध्यक्ष महोदय, किसी ने कहा है कि सच मानिए हुजूर, चेहरे पर धूल है, इल्जाम आइने पर, लगाना भूल है. (मेजों की थपथपाहट).
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक-एक आंकड़ा बताऊँगा. बाल्मीक जी, सुन लेना बस. अभी हमारे सचिन भाई बोल रहे थे कि किसानों की बहुत स्थिति खराब है. 15 साल में किसान का ऐसा हो गया, वैसा हो गया. अध्यक्ष महोदय, कांग्रेस के समय क्या हाल था. हमारे राजेन्द्र भारती जी कोई पेपर दिखा रहे थे, अध्यक्ष महोदय, ये वही मध्यप्रदेश है, जब कांग्रेस की सरकार थी तो थानों से खाद बंटती थी, थानों से, सोसाइटियों से नहीं बंटती थी. राजगढ़ के किस्से आप भूल गए. हथियारों के दायरों में खाद का वितरण होता था. ये हमारी सरकार है, डॉ. मोहन यादव की सरकार है, हम पूरी तरह से ईमानदारी से खाद का वितरण कर रहे हैं. किसी किसान को कोई दिक्कत नहीं आ रही है.
अध्यक्ष महोदय, अभी बात हो रही थी कि पानी नहीं है. मैं यह बात नहीं करना चाहता था, परंतु बात आई, बिजली नहीं है, पानी नहीं है, सिंचाई नहीं है, तो मैं दो मिनट का समय लेना चाहता हूँ. अध्यक्ष महोदय, कृषि की बात यदि हम करें. निश्चित रूप से भारतीय जनता पार्टी की सरकार में पांच-पांच कृषि कर्मण अवार्ड हमें मिले और उसका कारण क्या था, पांच ही नहीं बल्कि सात अवार्ड हमें मिले, और हां, डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार ने दिया था और कह रहे हैं कि हमने कुछ नहीं किया. अध्यक्ष महोदय, यदि हम कृषि रकबे की बात करें... ...(व्यवधान)...
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- माननीय अध्यक्ष महोदय, कांग्रेस ने कभी भेदभाव नहीं किया, पर आप लोग संकीर्णता का परिचय देते हो, भेदभाव करते हो. डॉ. मनमोहन सिंह के लिए तो कम से कम धन्यवाद दे दें, उन्होंने प्रमाण पत्र दिया. आप होते तो ले लेते, कभी न देते. यह ध्यान रखिए, कांग्रेस और भाजपा में ये अंतर है.
श्री विश्वास सारंग -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यदि मैं कृषि रकबे की बात करूँ तो वर्ष 2003 में मध्यप्रदेश में 181 लाख हेक्टेयर का कृषि रकबा था. आज हमारी सरकार में वर्ष 2023-24 में 304 लाख हेक्टेयर का कृषि रकबा है. अभी बात हो रही थी, किसी ने बोला, तीसरी फसल, माननीय अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2002-03 में तीसरी फसल क्या होती थी, यह कोई जानता नहीं था, कोई सोच नहीं सकता था. नगण्य थी, और आज 2023-24 में 15 लाख हेक्टेयर से ज्यादा तीसरी फसल का रकबा हमारी सरकार ने उपलब्ध कराया है. सिंचाई की बात हुई, बहुत बातें हुईं, वर्ष 2003 तक, मैं जल्दी-जल्दी में पढ़ रहा हूँ. वर्ष 2003 तक मध्यप्रदेश में केवल 7 लाख हेक्टेयर भूमि में सिंचाई होती थी और आज 51 लाख हेक्टेयर में सिंचाई होती है. अभी नदी जोड़ो अभियान के बाद इस देश में मध्यप्रदेश की परिस्थिति और बदलने वाली है. मैं माननीय प्रधानमंत्री जी को, माननीय मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देता हूँ. ...(व्यवधान)...
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, ये असत्य आंकड़े दे रहे हैं. कभी खेत में तो गए नहीं. चले मेरे साथ आदिवासी क्षेत्रों में, बारिश की एक फसल हो जाए, बहुत है. तीन-तीन फसल की बात करते हैं.
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाइये
श्री विश्वास सारंग - माननीय अध्यक्ष महोदय, सहकारिता क्षेत्र में, यह वही मध्यप्रदेश है, जब कांग्रेस की सरकार थी तो 18 प्रतिशत पर ऋण मिलता था, हमारी सरकार में अब किसान जाता है तो उसको जीरो प्रतिशत ब्याज पर ऋण मिलता है. पहले केवल किसान को 1,274 करोड़ रुपये का ऋण मिलता था, आज 19,946 करोड़ रुपये का ऋण हम किसानों को दे रहे हैं. (मेजों की थपथपाहट)
माननीय अध्यक्ष महोदय, आज की जो सबसे महत्वपूर्ण बात है कि हम सहकारी आन्दोलन को डिस्टर्ब नहीं कर रहे हैं. यदि हम जीरो प्रतिशत ब्याज पर ऋण दे रहे हैं तो उसकी प्रतिपूर्ति डॉ. मोहन यादव की सरकार करती है, भारतीय जनता पार्टी की सरकार करती है. (मेजों की थपथपाहट) हमारे डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय जी ने बहुत अच्छी मीमांसा की कि पहले कैसे लाईट आती थी और कैसे लाईट जाती थी ? हाहाकार था, लालटेन युग था. माननीय अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2002-2003 में मध्यप्रदेश में केवल 4,834 मेगावट बिजली का उत्पादन होता था, आज वह बढ़कर 30,000 मेगावट का हमारा उत्पादन हो गया है. मध्यप्रदेश की तस्वीर बदल गई है. यह बात सही है कि किसी ने बोला है कि भावान्तर पर बात होनी चाहिए, हमारी सरकार ने प्रयोग किया था, आगे भी हम उस पर काम करेंगे. (मेजों की थपथपाहट)
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को - माननीय मंत्री जी, सहकारिता मंत्री, इधर भी सुन लें. सहकारिता में किसानों की राशि जमा है, वह आप कब तक किसानों को वापिस करेंगे ? वह भी थोड़ा बता दीजिएगा.
श्री विश्वास सारंग - माननीय अध्यक्ष महोदय, यदि हम खाद आपूर्ति की बात करें. वर्ष 2002-2003 में यह केवल 15 लाख मेट्रिक टन था, आज जैसा बताया गया था. आज लगभग 67 लाख मैट्रिक टन है. (मेजों की थपथपाहट)
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे - खाद किसानों को उपलब्ध नहीं हो रही है, उसकी कालाबाजारी हो रही है.
श्री विश्वास सारंग - माननीय अध्यक्ष महोदय, सब्सिडी की बात हो रही है. मैं इस सदन से, इस देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी को धन्यवाद देना चाहता हूँ कि केवल मध्यप्रदेश में लगभग 19,100 लाख करोड़ रुपये की सब्सिडी केन्द्र सरकार ने दी है. (मेजों की थपथपाहट)
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी खुद ही आंकड़ा बताने में कन्फ्यूज़ हैं. आप क्या बताना चाह रहे हैं, खुद ही कन्फ्यूज़ हो रहे हैं.
श्री विश्वास सारंग - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपको राजपुर का याद हुआ कि नहीं हुआ. आप केवल राजपुर का याद करो. ज्यादा इधर-उधर मत करो.
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, राजपुर का याद हो गया. लेकिन उसकी कालाबाजारी हो गई. अभी जो आप यह आंकड़ा बोल रहे हो, आप यही आंकड़ा असत्य बोल रहे हो. आप रिपीट करके बताओ.
श्री विश्वास सारंग - माननीय अध्यक्ष महोदय, 19,100 लाख करोड़ रुपये है. मैं चार बार बोलूँ, छ: बार बोलूँ क्या. यदि हम यूरिया की बात करें तो प्रति बोरी 2,233 रुपये की सब्सिडी केन्द्र सरकार दे रही है, डीएपी की बात करें, तो प्रति बोरी 1,450 रुपये की सब्सिडी, कॉम्प्लेक्स की बात करें तो लगभग 770 रुपये की सब्सिडी दी गई है. यह सब किसानों के हित के लिए हो रहा है. यदि कांग्रेस के समय की रबी सीजन की केवल खाद की उपलब्धता के बारे में बात करें तो जैसा हमारे श्री कंषाना जी ने बताया कि उसमें 35 प्रतिशत की बढ़ोतरी हमारी सरकार ने की है. अभी हमारे सोहन जी बोल रहे थे, अगर आप कहें तो मैं अलग-अलग आंकड़ा बता देता हूं. यूरिया की खरीफ के लिए उपलब्धता 23 लाख मैट्रिक टन है, जिसकी बिक्री हमने 17 लाख मैट्रिक टन की है और अभी भी हमारे पास लगभग 5 लाख मैट्रिक टन का स्टॉक था. इसी तरह डीएपी में 4 लाख मैट्रिक टन का था.
श्री सोहनलाल बाल्मीक- यहां रबी फसल की चर्चा हो रही है.
श्री विश्वास सारंग- ठीक है, रबी फसल का बता देता हूं. रबी की फसल के लिए यूरिया की उपलब्धता 16 लाख मैट्रिक टन थी, जिसमें से विक्रय 12 लाख मैट्रिक टन का किया और अभी भी 3 लाख 80 हजार मैट्रिक टन यूरिया शेष है. आप डीएपी पर बहुत शोर कर रहे थे, जो कि हमारे पास 11 लाख 50 हजार मैट्रिक टन था, जिसमें से विक्रय 2 लाख मैट्रिक टन किया और अभी भी हमारे पास लगभग 3 लाख मैट्रिक टन शेष है.
श्री उमंग सिंघार- माननीय अध्यक्ष महोदय, सहकारिता मंत्री जी असत्य आंकड़े दे रहे हैं. इनके विभाग से ही मुझे कल आंकड़े मिले हैं, ये अभी 16 लाख मैट्रिक टन यूरिया बता रहे हैं परंतु मेरे सामने लिखित में जो आंकड़े हैं, उसमें स्पष्ट लिखा है 8 लाख 3 हजार 822 टन यूरिया है.
श्री विश्वास सारंग- अध्यक्ष महोदय, यही तो दिक्कत है. नेता प्रतिपक्ष जी पढ़ते नहीं है, ये केवल विपणन संघ के आंकड़े दे रहे हैं. यह कार्य केवल विपणन संघ ही नहीं करता, एग्रो, प्राइवेट लोग भी यह कार्य करते हैं.
श्री उमंग सिंघार- क्या आपके घर से खाद सप्लाई हो रही है ?
श्री विश्वास सारंग- ऐसे चिल्लाने से नहीं चलेगा, आप पढ़ लिखकर आयें.
अध्यक्ष महोदय- आप लोग आपस में आंकड़े सही कर लें.
श्री विश्वास सारंग- अध्यक्ष महोदय, मैं, एक रोचक आंकड़ा सदन के समक्ष रखना चाहूंगा, यदि हम कृषि क्षेत्रफल की बात करें और हमारे खाद की उपलब्धता की बात प्रतिशत में करें.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी यहां बयान दे रहे हैं, ये जरूर बतायें जिन 10 जिला सहकारी बैकों की स्थिति प्रदेश में खराब है, उसे ठीक करने के लिए सरकार क्या कर रही है ?
अध्यक्ष महोदय- विश्वास जी आप जारी रखें.
श्री विश्वास सारंग- अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2003 में कृषि का रकबा 181 लाख हेक्टेयर था और कांग्रेस की सरकार केवल 15 लाख मैट्रिक टन खाद की बिक्री करती थी. हमारी सरकार में कृषि का रकबा बढ़ा है क्योंकि हमने वर्ष 2019-20 में रकबा 285 लाख हेक्टेयर किया, जिसमें लगभग 57 प्रतिशत की वृद्धि हुई लेकिन हमारी सरकार की दूरदर्शिता देखिये और हमारी सरकार की किसानों के हित के लिए जो नीति थी, उसमें हमने यूरिया की उपलब्धता लगभग 60 लाख मैट्रिक टन की थी जिसमें कांग्रेस के समय से लगभग 270 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई.
(मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2023-24 में हमने 3 सौ 3 लाख हेक्टेयर कृषि रकबा किया है, इसमें लगभग 60 प्रतिशत बढ़ोत्तरी की और इसमें जो खाद दिया वह लगभग 66 लाख मैट्रिक टन था, जो कि लगभग 14 प्रतिशत वृद्धि के साथ है.
अध्यक्ष महोदय, मैं, सदन को बताना चाहता हूं कि आज आसंदी पर जो अध्यक्ष महोदय बैठे हैं, वे विगत दिनों भारत सरकार के कृषि मंत्री थे और उन्होंने भी मध्यप्रदेश में खाद की सुचारू व्यवस्था करने के लिए बड़ा योगदान दिया, जिसके लिए मैं, आपको धन्यवाद देता हूं. (मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय, यहां आंकड़ें मैंने जिलों के हिसाब से बताये हैं लेकिन विषय यह है, यहां जो मुद्दा उठा और यहां यूक्रेन को लेकर बहुत मखौल उड़ाया गया, इसमें कोई शक नहीं है कि यदि केंद्र सरकार ने हमें खाद उपलब्ध करवाई तो यह बहुत ही चुनौतीपूर्ण कदम था क्योंकि यदि हम अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य की बात करें तो इज़राइल के मामले में कहीं न कहीं आपूर्ति को लेकर समस्या थी. रेड सी (लाल सागर) में जिस प्रकार से हमले हुए, जिस रूट से हमारा खाद आता था, वहां हमें देर लगी. अभी कंषाना जी ने बताया कि लगभग 25 दिन का विलंब हुआ, हमने अफ्रीका के रास्ते से खाद मंगवाया परंतु केंद्र सरकार की नीति की वजह से हमें खाद की दिक्कत नहीं हुई. चीन ने भी खाद देना बंद कर दिया, उसके दाम भी 500 डॉलर से बढ़कर 630 डॉलर हो गए और किराया भी ज्यादा लगा. अभी सदन में चर्चा हो रही थी, हमारे साथी कह रहे थे कि कंपनियों को सब्सिडी दे दी, हमने कंपनियों को सब्सिडी नहीं दी है. किसान को ही सब्सिडी दी है और यह सब्सिडी का इजाफा भी और सबसे बड़ी बात मोदी जी की मैं इस मंच से इस सदन में उनकी तारीफ करना चाहता हूं उनको बधाई देना चाहता हूं कि मेकइन इंडिया के माध्यम से नैनो खाद का मामला हो, ड्रोन का मामला हो हर जगह माननीय अध्यक्ष महोदय कृषि की उन्नति के लिए हमारी सरकार ने काम किया है.
अध्यक्ष महोदय, हमने इन चुनौतियों के साथ निश्चित रूप से मध्यप्रदेश में स्थिति को बहुत अच्छा किया है. मैं हमारे दोनों विभाग के अधिकारियों को भी बधाई दूंगा कि देश में पहली बार अग्रिम भण्डारण की हमने ... (व्यवधान)
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से आग्रह करूंगा कि माननीय मंत्री जी दया कर लें और बिना सिक्योरिटी के दौरा करें और जाकर देखें कि खाद उपलब्ध है कि नहीं. आप असत्य बोल रहे हैं, नौटंकी कर रहे हैं. (व्यवधान) ..
श्री विश्वास सारंग-- माननीय अध्यक्ष महोदय, विपणन संघ को सरकार के माध्यम से 450 करोड़ रुपए की नि:शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए हमने लगातार.... (व्यवधान)
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे-- माननीय अध्यक्ष महोदय, बाला बच्चन जी को आमंत्रित किया है तो क्या मुझे भी बुलाकर नर्सिंग समझाएंगे. अकेले तो मैं जाऊंगा. मुझे नर्सिंग भी समझना है. खाद तो आप उनको समझाइएगा. नर्सिंग के लिए समय बता दीजिए मैं आ जाउंगा. (व्यवधान)...
श्री विश्वास सारंग-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने बहुत बड़े स्तर पर काम किया है. लगभग मध्यप्रदेश में हमारे 14 हजार सेंटर हैं जहां से किसानों को खाद उपलब्ध हो सकता है. लगभग 4500 हमारी को-ऑपरेटिव सोसायटी हैं, अपेक्स हैं वहां से मिलता है पर उसके साथ जो हमारे कालातीत किसान हैं जो हो सकता है समय से पैसा न दे पाएं हों पर वह नगद में खाद लेना चाहते हैं तो यह हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी को मैं धन्यवाद दूंगा कि मोहन यादव जी ने इस पूरे मामले में लगभग चार बार व्ही.सी. के माध्यम से यह निर्देश दिया कि कहीं भी यदि डबल लॉक या नगद के काउंटर खोलने है तो उसमें सरकार ने निर्णय लिया और इसीलिए अब लगभग 470 हमारे पहले नगद के काउंटर थे वह बढ़कर 761 काउंटर मध्यप्रदेश में बन गए हैं और लगभग 9 हजार हमारे प्राईवेट सेक्टर के काउंटर हैं लगभग 14 हजार काउंटर थे.
श्री सोहनलाल बाल्मीक-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मैं मंत्री जी को कहना चाहता हूं कि एक बार जिलों का दौरा कर लें जहां किसानों की खाद बंटती है सोसायटी में वहां जाकर खड़े होकर देखें, जितने विधायक हैं उनके जिले में जाएं. जब खाद का सीज़न होता है तो हमारे किसनों के साथ खड़े होकर देखें कि क्या होता है (व्यवधान)....... सच्चाई जिले में जाकर देखें. (व्यवधान)
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह जिले में जाकर देखें. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय-- सोहन जी आप बैठ जाइए.
श्री उमंग सिंघार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, महत्वपूर्ण यह है कि किसान को खाद कैसे मिले उसकी बात होना चाहिए. यह बीस साल पुरानी बात कर रहे हैं. मुझे समझ नहीं आ रहा है कि सरकार आपकी है आप अभी की बात करें. चलो आप मेरे साथ मैं चल रहा हूं. (व्यवधान)
श्री सुरेश राजे-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सोयाबीन (व्यवधान)
श्री विश्वास सारंग-- अध्यक्ष महोदय, मैं सोयाबीन की बात नहीं कर रहा हूं बड़ी बातें कर रहे थे कि सोयाबीन को लेकर यह हो गया वो हो गया. केवल 40 प्रतिशत किसान.... (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय-- कृपया आप सभी बैठ जाइए. .... (व्यवधान)
श्री उमंग सिंघार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, असत्य आंकड़े हैं. सरकार खाद उपलब्ध नहीं करा पा रही है. (व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- आप सभी कृपया बैठ जाइए. (व्यवधान)
श्री उमंग सिंघार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, ये असत्य आंकड़े हैं. सरकार आंकड़े उपलब्ध नहीं करवा पा रही है. (व्यवधान)...
9.33 बजे बहिर्गमन
इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा सदन से बहिर्गमन
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सरकार असत्य आंकड़े पेश कर रही है, इसके विरोध में हम सदन से बहिर्गमन करते हैं.(व्यवधान)..
(श्री उमंग सिंघार, नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण ने सरकार द्वारा गलत आंकड़े पेश करने के विरोध में सदन से बहिर्गमन किया गया.) (व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- विधान सभा की कार्यवाही शुक्रवार, दिनांक 20 दिसम्बर, 2024 को प्रात: 11.00 बजे तक के लिए स्थगित.
अपराह्न 9.34 बजे विधान सभा की कार्यवाही शुक्रवार, दिनांक 20 दिसम्बर, 2024 (29 अग्रहायण, शक संवत 1946) के पूर्वाह्न 11.00 बजे तक के लिए स्थगित की गई.
ए.पी. सिंह
भोपाल : प्रमुख सचिव,
दिनांक:- 19 दिसम्बर, 2024 मध्यप्रदेश विधान सभा