मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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षोडश विधान सभा चतुर्थ सत्र
दिसंबर, 2024 सत्र
गुरूवार, दिनांक 19 दिसंबर, 2024
(28 अग्रहायण, शक संवत् 1946)
[खण्ड- 4 ] [अंक- 4 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
गुरूवार, दिनांक 19 दिसंबर, 2024
(28 अग्रहायण, शक संवत् 1946)
विधान सभा पूर्वाह्न 11.01 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए.}
11.02 बजे
निधन का उल्लेख
(1) श्री अग्नि चन्द्राकर, भूतपूर्व विधान सभा सदस्य,
(2) श्री सत्यभानु चौहान, भूतपूर्व विधान सभा सदस्य,
(3) श्री ई.वी.के.एस. इलेंगोवन, भूतपूर्व केन्द्रीय मंत्री,
(4) उस्ताद जाकिर हुसैन, सुप्रसिद्ध तबला वादक.
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, श्री अग्नि चन्द्राकर जी मध्यप्रदेश विधान सभा के भी सदस्य रहे हैं और निश्चित रूप से बहुत ही सहर्ष और सरल व्यक्तित्व के धनी थे. मध्यप्रदेश का जब विभाजन हुआ उसके बाद वह छत्तीसगढ़ से भी विधायक रहे. उनके व्यवहार से कभी लगता ही नहीं था कि वह कांग्रेस की राजनीति करते हैं. निश्चित रूप से हम सब उनके व्यवहार को आज याद कर रहे है, उनकी सरलता, सहजता को याद कर रहे हैं. उनके जाने से एक अच्छे नेता की कमी हमें हमेशा महसूस होगी.
श्री सत्यभानु चौहान जो कि श्योपुर कलां के बहुत ही जमीनी नेता थे और अलग-अलग संगठन के पदों पर भी रहे. कॉपरेटिव के क्षेत्र में भी उन्होंने काफी काम किया. उनके निधन पर हम सब लोग उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं.
श्री ई.वी.के. एस इलेंगोवन का जन्म 21 दिसम्बर 1948 को हुआ था. यह तमिलनाडु विधान सभा के सदस्य भी थे और अनेक बार उन्होंने केन्द्र के अनेक पदों को सुशोभित किया है. इनका निधन समाज की एक बहुत ही बड़ी क्षति है.
उस्ताद जाकिर हुसैन इस देश की आन बान शान थे. मैंने प्रत्यक्ष रूप से उनके कार्यक्रम में हिस्सा लिया है. इनका एक एलबम जो भगवान शिव पर उन्होंने बनाया था उसमें उन्होंने तबले से भगवान शिव का शंखनाद और भगवान शिव का डमरू किस प्रकार बजाया यह अद्भुत है. मैं तो सभी सदस्यों से यह कहूंगा कि वह इसे एक बार जरूर सुनें क्योंकि जाकिर हुसैन साहब के तबला वादन जैसा तबला वादन मैंने अपनी जिंदगी में नहीं देखा है. हमने एक बहुत बड़े कलाकार को खोया है, विश्वस्तरीय कलाकार को खोया है. जाकिस हुसैन, जाकिर हुसैन थे. अब दूसरा जाकिर हुसैन हमें मिलेगा कि नहीं मिलेगा हमें नहीं पता, लेकिन हमने एक बहुत ही बड़े कलाकार को खोया है और कला के क्षेत्र में एक बहुत ही बड़ी क्षति हुई है. मैं उनको अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं. सभी दिवंगत आत्माओं को मैं अपने विधायक दल की ओर से श्रद्धांजलि देता हूं.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, निश्चित तौर से सामाजिक, सांस्कृतिक और कलाकार की जो क्षति हमारे देश और प्रदेश को हुई है मैं समझता हूं कि यह अपूरणीय क्षति है. मैं स्वर्गीय अग्नि चन्द्राकर जी, स्वर्गीय सत्यभानु चौहान जी, स्वर्गीय ई.वी.के.एस. इलेंगोवन जी, उस्ताद जाकिर हुसैन जी के शोकाकुल परिवार को मेरे दल की ओर से संवेदना प्रकट करता हूं और दिवंगतों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.
अध्यक्ष महोदय-- मैं सदन की और से दिवंगतों के सम्मान में श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूं. दिवंगत परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट करता हूं. अब सदन कुछ समय मौन रहकर सम्मान प्रकट करेगा.
(सदन द्वारा दो मिनट मौन खड़े रहकर दिवंगतों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की गई.)
सदन की कार्यवाही दिवंगतों के प्रति सम्मान में 10 मिनट के लिए स्थगित.
(सदन की कार्यवाही प्रात: 11.09 बजे 10 मिनट के लिए स्थगित की गई.)
11.22 बजे
(विधान सभा पुन: समवेत् हुई.)
{अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए}
अध्यक्ष महोदय -- कृपया सभी सदस्य अपना स्थान ग्रहण कर लें.
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
प्रधानमंत्री
आवास योजना
में अधिक राशि
दी जाना
[नगरीय विकास एवं आवास]
1. ( *क्र. 1205 ) डॉ. सीतासरन शर्मा : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या नगरपालिका नर्मदापुरम के (पूर्व में होशंगाबाद) की जाँच में यह पाया गया था कि प्रधानमंत्री हाउस में निर्धारित 2.50 लाख की राशि से ज्यादा 3 लाख से 8 लाख तक करीब 30 व्यक्तियों को दी गई थी? (ख) यदि हाँ, तो क्या यह नियमानुकूल थी? (ग) यदि नहीं, तो ज्यादा राशि देने वाले दोषी व्यक्तियों के खिलाफ क्या कार्यवाही गई और अतिरिक्त राशि वसूलने के लिये क्या किया गया?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री कैलाश विजयवर्गीय ) : (क) जी नहीं। अपर संचालक, नगरीय प्रशासन एवं विकास, मध्यप्रदेश, भोपाल की अध्यक्षता में गठित जांच दल द्वारा प्रस्तुत किये गये जांच प्रतिवेदन के अनुसार नगर पालिका परिषद नर्मदापुरम में 45 हितग्राहियों को प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी के अंतर्गत निर्धारित राशि रू. 2.50 लाख से अधिक राशि जारी की गई थी। (ख) एवं (ग) जी नहीं। योजना के अंतर्गत निर्धारित राशि से अधिक राशि जारी किये जाने के लिये उत्तरदायी पाये गये अधिकारियों/कर्मचारियों के विरूद्ध कारण बताओ सूचना पत्र जारी किये गये हैं एवं शेष कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। अतिरिक्त राशि वसूली का विवरण संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
डॉ. सीतासरन शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने बहुत ही प्रीसाइज उत्तर दिया है इसके लिए उनका धन्यवाद.
श्री कमलेश्वर डोडियार -- माननीय अध्यक्ष, मैं कहना चाहता हूँ कि...
अध्यक्ष महोदय -- डोडियार जी, मैंने आपको कहा है न कि मैं आपको समय दूंगा. शून्यकाल का समय निश्चित है. आप निश्चिंत रहें, मैं आपको समय दूंगा.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, मैं सिर्फ यह जानना चाहता हूँ कि क्या माननीय मंत्री जी इसके लिए कार्यवाही की समय-सीमा बता देंगे.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, दो महीने के अन्दर कार्यवाही हो जाएगी, जिन्होंने भी अनियमितता की है उनके खिलाफ कार्यवाही हो जाएगी.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- माननीय मंत्री जी, धन्यवाद.
आयरन फैक्ट्री ग्राम भरतरी
[नगरीय विकास एवं आवास]
2. ( *क्र. 1347 ) श्री मोहन सिंह राठौर : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश में उद्योग स्थापित करने के लिए कौन-कौन से विभागों से अनुमति/अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना आवश्यक है? नियमों की प्रति उपलब्ध करायें। क्या आवास एवं पर्यावरण विभाग से अनापत्ति आवश्यक है? (ख) ग्वालियर जिले के भितरवार विधानसभा क्षेत्र में संचालित भरतरी आयरन फैक्ट्री को आवास एवं पर्यावरण विभाग द्वारा एन.ओ.सी. दी गई है? यदि हाँ, तो कब? आदेश की प्रति उपलब्ध करायें। (ग) ग्वालियर जिले के भितरवार विधानसभा क्षेत्र में संचालित भरतरी फैक्ट्री से आसपास के क्षेत्रों में प्रदूषण फैल रहा है? यदि हाँ, तो इसे रोकने के क्या-क्या प्रयास किये गये? यदि नहीं, तो क्यों? इसके लिए कौन-कौन जिम्मेदार है? (घ) प्रश्नांश (ग) में उल्लेखित औद्योगिक इकाई का विभाग के अधिकारियों द्वारा वर्ष 2023, 2024 में कब-कब एवं किस-किस अधिकारी द्वारा निरीक्षण किया गया? निरीक्षण रिपोर्ट की प्रति उपलब्ध करायें। यदि आसपास के क्षेत्र में प्रदूषण फैल रहा है तो फैक्ट्री मालिक पर विभाग कब तक कार्यवाही करेगा?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री कैलाश विजयवर्गीय ) : (क) प्रदेश में उद्योग स्थापित करने के लिए आवश्यकता अनुसार विभिन्न विभागों यथा औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग, पर्यावरण विभाग, नगरीय विकास एवं आवास विभाग, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, राजस्व विभाग, ऊर्चा विभाग, लोक निर्माण विभाग, श्रम विभाग, सहकारिता विभाग से अनुमत/ अनापत्ति प्रमाण-पत्र लेना आवश्यक है. नियमों की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट- "अ" एवं "ब" अनुसार है. जी हाँ, वर्तमान में आवास एवं पर्यावरण विभाग पृथक होकर "नगरीय विकास एवं आवास विभाग" तथा "पर्यावरण विभाग" में विभक्त हुआ है. (ख) ग्वालियर जिले के भितरवार विधानसभा क्षेत्र में ग्राम भरतरी, तहसील चिनोर में मेसर्स ओम स्मेल्टर्स प्रायवेट लिमिटेड को म.प्र. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम 1974 एवं वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम 1981 के प्रावधानों के अंतर्गत दिनांक 13.10.2014 को स्थापना की सम्मति जारी की गई है जो कि पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। उद्योग को स्थापना उपरांत दिनांक 14.10.2015 को संचालन की सम्मति जारी की गई है, जो कि पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-2 अनुसार है। कालान्तर में दिनांक 27.07.2018 को क्षमता विस्तार करने हेतु उद्योग को स्थापना सम्मति जारी की गई है, जो कि पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-3 अनुसार है। उद्योग को क्षमता विस्तार हेतु संचालन सम्मति दिनांक 21.12.2018 को जारी की गई है, जो कि पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-4 अनुसार है। वर्तमान में उद्योग की सम्मति दिनांक 30.11.2027 तक की अवधि हेतु नवीनीकृत होकर वैध है। सम्मति नवीनीकरण आदेश की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-5 अनुसार है। (ग) जी नहीं। फैक्ट्री के आस-पास के क्षेत्र में वायु प्रदूषण फैलने की स्थिति नहीं पाई गई है। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (घ) प्रश्नाधीन अवधि में मेसर्स ओम स्मेल्टर्स एण्ड रोलर्स प्रायवेट लिमिटेड उद्योग का दिनांक 19.12.2023 को क्षेत्रीय अधिकारी ग्वालियर श्री आर.आर. सिंह सेंगर द्वारा तथा दिनांक 04.12.2024 को रसायनज्ञ श्री के.एस. राठौर द्वारा निरीक्षण किया गया है। निरीक्षण रिपोर्ट की प्रतियां पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 6 एवं 7 अनुसार है। उद्योग के आस-पास के क्षेत्र में प्रदूषण फैलने की स्थिति निरीक्षणों में नहीं पाई गई है। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
श्री मोहन सिंह राठौर -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे द्वारा मेरी भितरवार विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत भरतरी में संचालित आयरन फैक्ट्री को स्थापित करने में प्रदूषण बोर्ड ने, एनओसी, फैक्ट्री में फैल रहे प्रदूषण और उसके आसपास के क्षेत्र में हो रही क्षति के संबंध में मैंने प्रश्न किया था. मेरे प्रश्न के जवाब में बताया गया कि वर्ष 2027 तक फैक्ट्री को अनुमति दी गई है और कोई प्रदूषण नहीं फैल रहा है ऐसा बताया गया है.
अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से मंत्री जी से अनुरोध है कि मेरे क्षेत्र में संचालित आयरन फैक्ट्री से भरतरी, मानपुर, बजैरा, कुरी फतेहपुर करीब 5-6 गांव प्रभावित हैं. इन गावों के हैण्डपम्प का पानी पूरी तरह से खराब हो गया है. यहां की फसलें धूल और प्रदूषण से पूरी तरह से नष्ट हो रही हैं. किसान परेशान है. किसान आन्दोलन के माध्यम से ध्यान आकर्षित करते रहे हैं. मैं मंत्री जी से जानना चाहता हूँ कि जब फैक्ट्री से कोई प्रदूषण नहीं हो रहा है तो आसपास के क्षेत्रों की फसलें कैसे खराब हो रही हैं. क्या मंत्री जी वरिष्ठ अधिकारियों से इसकी जांच करवाएंगे और उस जांच में स्थानीय प्रतिनिधि को साथ रखेंगे. यदि फैक्ट्री के प्रदूषण से फसलें नष्ट हो रही हैं तो उसके खिलाफ क्या कार्यवाही की जाएगी.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- माननीय अध्यक्ष महोदय, पहले भी इस उद्योग की शिकायत हुई थी, हमने दो-दो बार अधिकारियों को भेजा है वहां से यही रिपोर्ट आई है कि किसी प्रकार का प्रदूषण नहीं है. यदि माननीय सदस्य चाहते हैं तो मैं प्रदूषण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी को निर्देशित कर दूंगा कि वे आपके साथ जाकर फिर से इसकी एक बार जांच कर लें. अगर कुछ होगा तो उसको खिलाफ कार्यवाही की जाएगी.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय सदस्य, दूसरा पूरक प्रश्न करें.
श्री मोहन सिंह राठौर -- अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मैं यह कहना चाहता हूं कि इसके आसपास एक मेडिकल अपशिष्ट की भी फैक्ट्री है, उससे भी बहुत प्रदूषण फैल रहा है. जनता उससे बहुत परेशान है. अब उसको और विस्तृत और बड़ी फैक्ट्री करने की परमिशन मिल गई है और उस फैक्ट्री में पहले से चमड़ा फैक्ट्री भी है, तो पूरा क्षेत्र प्रदूषित हो रहा है. आंतरी नगर पंचायत है, उसके आसपास बहुत बड़ी बस्ती धीरे धीरे हो गई है. कृपया इस तरह की जो फैक्ट्रियां हैं वह बस्ती से बाहर होनी चाहिये एवं इनके खिलाफ कार्यवाही करने का भी माननीय मंत्री जी आदेश करें.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, वैसे यह प्रश्न मेरे विभाग का नहीं है, परंतु चूंकि आपने आदेशित किया है और मेरे यहां सूची में आ गया है, तो मैं इसका जवाब दे रहा हूं. माननीय सदस्य एक बार मुझे लिखित में बता दें कि वहां पर क्या-क्या शिकायतें हैं, तो मैं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी के साथ एक जांच कमेटी बनाकर आप स्वयं भी उसमें साथ रहें और वहां जो भी प्रदूषण हो रहा है उसके बारे में जानकारी दे देंगे, यदि कोई फैक्ट्री प्रदूषण फैला रही होगी, तो हम उनके खिलाफ कार्यवाही करेंगे.
श्री मोहन सिंह राठौर -- अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी का बहुत-बहुत आभार. बहुत-बहुत धन्यवाद.
मार्ग की स्वीकृति व निर्माण में अनियमितता
[लोक निर्माण]
3. ( *क्र. 1567 ) श्री देवेन्द्र पटेल : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) रायसेन जिलांतर्गत बेगमगंज से सुल्तानगंज मार्ग का निर्माण किस योजनांतर्गत कितनी लागत का कब स्वीकृत किया गया? इस मार्ग का निर्माण किस कार्य एजेंसी द्वारा किया जा रहा है? विभाग और निर्माण एजेंसी के मध्य हुए अनुबंध व डी.पी.आर. की प्रति उपलब्ध करावें। (ख) क्या निर्माण एजेंसी द्वारा मापदण्डानुसार गुणवत्तापूर्ण निर्माण कार्य किया जा रहा है? यदि नहीं, तो क्यों? यदि हाँ, तो अब तक निर्मित हिस्सों में जर्क क्यों है और घटिया कार्य क्यों कराया जा रहा है? कांक्रीट के हिस्सों के गुणवत्ताहीन व मापदण्डों के विपरीत कार्य हेतु कौन उत्तरदायी है? क्या गुणवत्ता नियंत्रण हेतु जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा कार्य का निरीक्षण नहीं किया जा रहा है, क्यों? इस हेतु कब तक जांच कर उत्तरदायित्व निर्धारित किया जावेगा? (ग) क्या बेगमगंज से महुआखेड़ा-करहौला-रजपुरा से जमुनिया के नवीन मार्ग के निर्माण का प्रस्ताव है? क्या विभाग जनहित में इस मार्ग को जिला मार्ग घोषित कर या नवीन निर्माण कार्य कर टूलेन सड़क में उन्नत/निर्माण करेगा? यदि हाँ, तो इस प्रस्ताव पर कब विचार किया जावेगा?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री राकेश सिंह ) : (क) बेगमगंज-सुल्तानगंज मार्ग का निर्माण ''म.प्र. रोड डेव्हलपमेंट प्रोग्राम 6 तथा 7'' योजना के अन्तर्गत दिनांक 04.05.2018 एवं 26.10.2021 को संयुक्त रूप से 60 मार्गों हेतु रू. 6156 करोड़ से स्वीकृत। मार्ग का निर्माण मेसर्स श्रीजी हैदरगढ़ बेगमगंज रोड प्रोजेक्ट प्रा.लि. द्वारा कराया जा रहा है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जी हॉं, कार्य गुणवत्तापूर्ण तरीके से कराया जा रहा है। अतः प्रश्न उपस्थित नहीं होता। गुणवत्ता हेतु पृथक से इंडिपेन्डेंट इंजीनियर मेसर्स ब्लूम कंपनीस एल.एल.सी. को नियुक्त किया गया है। मापदण्डों अनुसार जांच, निरीक्षण एवं परीक्षण किया जा रहा है। अतः शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) नवीन मार्गों का कोई प्रस्ताव नहीं है। विधिवत प्रस्तावित प्रक्रिया अनुसार प्रस्ताव प्राप्त होने पर मुख्य जिला मार्ग घोषित किए जाते हैं। वर्तमान में कोई प्रस्ताव नहीं है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री देवेन्द्र पटेल -- अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि हमारे सिलवानी विधान सभा की हैदरगढ़ से सुल्तानगंज यह मुख्य सड़क है, जिसका निर्माण करीब सवा सौ करोड़ से हो रहा है. लगभग दो वर्ष होने को है और उसके छोटे-छोटे हिस्सों का जो निर्माण हुआ है वह दोबारा से उखड़ गया है. उस पर रिपेयरिंग का काम होगा और अभी 25 परसेंट मात्र सड़क का काम हुआ है और उसका जो कॉंक्रीट है वह ग्राम पंचायत में सरपंच लोग जो कॉंक्रीट बनाते हैं उससे भी घटिया का निर्माण हुआ है. मेरा माननीय मंत्री जी से आग्रह है कि हमारे विधान सभा क्षेत्र के 3-4 लाख लोगों का उसी सड़क से निकलना होता है, तो उसकी जांच कराकर उस निर्माण एजेंसी के खिलाफ कार्यवाही हो और उसका गुणवत्तापूर्ण निर्माण हो जाए.
श्री राकेश सिंह -- धन्यवाद अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्य की चिंता से सहमत हूं. वह जो कार्य चल रहा है, सड़क के जिस हिस्से की माननीय सदस्य ने बात की है, उसमें सीमेंट कॉंक्रीट के कुछ हिस्सों में निश्चित रूप से जो जांच की गई उसमें 6 पैनल ऐसे पाये गये जिसमें क्रैक आये हैं. उनमें से 2 पैनल बदल गये हैं और जो बचे हुये 4 पैनल हैं उनको बदलने की प्रक्रिया भी प्रारंभ है. अभी सड़क निर्माणाधीन है. उसमें कुछ विलंब हुआ है यह बात बिल्कुल सही है, लेकिन कार्य शीघ्रतापूर्ण हो इसके निर्देश जारी कर दिये गये हैं और जहां उस सड़क के निर्माण में आपको यह ध्यान में आया है कि सड़क निर्माण कार्य घटिया हुआ है, उस पर जैसा मैंने अभी आपको जानकारी दी कि बाकी के बचे हुये 4 पैनल भी शीघ्र बदल जाएंगे, बाकी कुल मिलाकर सड़क का शेष 16 किलोमीटर का हिस्सा है जो डामर रोड का हिस्सा है, वह क्वालिटी के हिसाब से ठीक पाया गया है.
श्री देवेन्द्र पटेल -- अध्यक्ष महोदय, मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि उसमें जो जांच अधिकारी आपके जाएं कम से कम हमको बुलाएं. कम से कम हम सामने तो बता सकेंगे कि यह गुणवत्ता विहीन काम हो रहा है. मंत्री जी इतना निवेदन स्वीकार कर लें कि जो जांच के लिये अधिकारी जाएं हमको बुला लें और साथ में हम लोग चले जाएं, तो कम से कम यह तो पता लग जाएगा कि यह सही है या गलत है.
श्री राकेश सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मैं व्यक्तिगत रूप से खुद आपसे बात करूंगा और बात करने के बाद में उसकी गुणवत्ता को लेकर जो आपकी आशंकाएं हैं, वह दूर हों और अच्छे स्तर की सड़क बने हमारी यह कोशिश होगी. सड़कों के निर्माण को लेकर अगर माननीय अध्यक्ष जी की अनुमति हो, तो सदन के सामने कुछ बात भी मैं रखना चाहता हूं. यह बात सही है कि सड़कों को लेकर, उसके निर्माण को लेकर, उसकी गुणवत्ता को लेकर, प्रक्रिया को लेकर, तमाम सदस्यों के मन में समय समय पर आशंकाएं आती हैं और इसलिये कुछ बड़े परिवर्तन करने की भी योजना और प्रयास हमने किये हैं. पिछले दिनों तीन राज्यों में हमने अपने अध्ययन दल भेजे थे, जिनमें एक-एक चीफ इंजीनियर के साथ में बाकी एक पूरी टीम गई थी, ताकि उन राज्यों की जो अच्छी प्रेक्टिसेज हैं उनका भी अध्ययन हो और उसको हम अपने यहां पर कैसे लागू कर सकें उस दिशा में आगे बढ़ें. उस दिशा में आगे बढ़ें. सदन को जानकर यह अच्छा लगेगा कि जो अध्ययन दल गये थे उसमें से तेलंगाना वाला जो दल था उन्होंने कहा कि यहां तो जो बिटुमेन की सड़कें बनती हैं यह भी 6 साल और 7 साल चलती हैं लेकिन हमारे यहां पर वह क्वालिटी नहीं होती है तो इस तरह से मैंने उन लोगों से कहा कि जब वहां पर बन सकती हैं तो हमारे यहां क्यों नहीं बन सकती, तो उसको लेकर के निविदा में भी जो कमियां-खामियां रही हैं, प्रक्रिया में चलती चली आ रही हैं उनको दूर करने का भी हम प्रयास कर रहे हैं, बिटुमेन भी कहां से लिया जाये, भारत पेट्रोलियम, इंडियन आयल कारपोरेशन, केवल उनसे ही बिटुमेन लिया जाये इसको भी निर्धारित करने का काम हम लोग कर रहे हैं. इसके साथ ही निविदा की शर्तों में आम तौर पर जब टेण्डर होते हैं तो किसी भी तरह के रेट डल जाते हैं, लोएस्ट आने के लिये लोग कितना भी नीचे चले जाते हैं और उसका सीधा असर गुणवत्ता पर होता है और इसीलिये यह भी तय किया है कि हम उसको भी ठीक करेंगे. तीनों राज्यों के अध्ययन दल की रिपोर्ट हमारे पास में आ चुकी हैं. उसके आधार पर हम जल्दी ही निर्णय करने जा रहे हैं. गुजरात और महाराष्ट्र इन दो राज्यों में फिर से जाने की तैयारी है लेकिन यह सब कुछ इसी महीने के अंत तक हम कर लेंगे और अगले महीने कोशिश होगी, अध्यक्ष जी, इसमें इस सदन का भी सहयोग लगेगा कि निविदा की शर्तों में हम यह निर्धारित करके कड़े मापदण्ड बनायेंगे ताकि अच्छी गुणवत्ता की सड़कें बनें.
अध्यक्ष महोदय, आपको याद होगा इसी सदन में जब मैंने लोकपथ एप की बात की थी तब मैंने यह कहा था कि यह एक बड़ी चुनौति है. राजनैतिक क्षेत्र में आम तौर पर इस तरह की चुनौतियां लोग लेते नहीं हैं लेकिन अगर हमें परिवर्तन करना है और सकारात्मक परिवर्तन करना है तो हमें इस तरह की चुनौतियां लेना पड़ेंगी. हमने उसको लिया.
अध्यक्ष महोदय हमें यह बताते हुये खुशी है कि अभी पिछले कुछ दिनों पहले ही, आप सबके ध्यान में भी होगा क्योंकि मध्यप्रदेश का विषय है, कौन बनेगा करोड़पति जैसे शो में लोकपथ एप के बारे में पूछा गया जो यह बताता है कि लोकपथ एप कितना लोकप्रिय हुआ है, 97 प्रतिशत उसका सक्सेस रेट अभी है लेकिन हम तो चाहते हैं कि 100 प्रतिशत तक पहुंचे, और उसमें भी और क्या क्या बेहतर हो सकता है वह सब करने की कोशिश हमारी है, आने वाले समय में काफी सारे परिवर्तन होंगे जो आप सबके ध्यान में हैं.
उज्जैन नगर योजना 2021 आरक्षित भूमि
[नगरीय विकास एवं आवास]
4. ( *क्र. 708 ) श्री सतीश मालवीय : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) उज्जैन नगर योजना 2021 के अन्तर्गत ग्राम कमेड़ की भूमि सर्वे क्रमांक 442/1/1/1, 442/1/1/2, 442/1/1/3 एवं 449/1/2 कुल रकबा 1.64 हेक्टर भूमि यातायात नगर के लिए आरक्षित की गई थी? यदि हाँ, तो सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध करावें। (ख) उज्जैन नगर विकास योजना 2035 के लागू होने के पूर्व उक्त भूमि पर आदेश क्रमांक UJNLP14032681, दिनांक 01 जून, 2023 के तहत व्यवसायिक गतिविधि की अनुमति किस नियम के तहत दी गई? नियम सहित सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध करावें। (ग) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में उक्त प्रकरण के प्रश्न दिनांक के पूर्व संचालक, नगर तथा ग्राम निवेश को कितनी शिकायतें प्राप्त हुई हैं? उन शिकायतों पर क्या कार्यवाही की गई?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री कैलाश विजयवर्गीय ) : (क) जी नहीं, अपितु प्रश्नाधीन भूमि उज्जैन विकास योजना, 2021 में वर्तमान वाणिज्यिक उपयोग हेतु निर्दिष्ट थी। (ख) उज्जैन विकास योजना, 2035, म.प्र. राजपत्र में दिनांक 26 मई, 2023 से प्रभावशील होकर प्रश्नाधीन भूमि विकास योजना, 2021 एवं 2035 दोनों में ही वाणिज्यिक उपयोग हेतु निर्दिष्ट होने से उक्त प्रकरण का निराकरण म.प्र. नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम, 1973 की धारा-29 (1) के अंतर्गत किया गया है। (ग) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में उक्त प्रकरण के प्रश्न दिनांक के पूर्व संचालनालय, नगर तथा ग्राम निवेश, भोपाल में कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई। जिला कार्यालय नगर तथा ग्राम निवेश, उज्जैन में सी.एम. हेल्प लाईन के माध्यम से शिकायत प्राप्त हुई थी, जिसका निराकरण जिला कार्यालय द्वारा कर दिया गया है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है।
श्री सतीश मालवीय -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से जानना चाहूंगा कि जो मेरा (क) प्रश्न था उसका जवाब असत्य आया है, विभाग के अधिकारियों ने भ्रमित करने का काम किया है, जबकि उज्जैन नगर योजना 2021 के तहत जो मेरी विधानसभा का ग्राम कमेड़ है उसकी भूमि का सर्वे नंबर 442/1/1/1, 442/1/1/2, 442/1/1/3 एवं 449/1/2 कुल रकबा 1.64 हेक्टर भूमि जो कि यातायात नगर के लिये आरक्षित की गई थी..
अध्यक्ष महोदय- माननीय सतीश जी आप प्रश्न तो करें.
श्री सतीश मालवीय -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं प्रश्न ही कर रहा हूं. 2035 का मास्टर प्लान लागू होने के पूर्व ही इसको व्यवसायिक भूमि में उपयोग के लिये 1 जून 2023 के तहत परिवर्तन कर व्यवसाय़िक उपयोग हेतु आरक्षित कर दी गई है, और वहां पर वर्तमान में किसी को लाभ पहुंचाने का काम किया गया है. निश्चित रूप से मैं मंत्री जी से यह अनुरोध करना चाहूंगा कि बहुत बड़ी जमीन का हेर-फेर करके किसी एक व्यक्ति को लाभ पहुंचाने का काम अधिकारियों के द्वारा किया गया है. साथ ही इस मध्यप्रदेश की पारदर्शी सरकार और इस विभाग के मंत्री जो कि वरिष्ठतम मंत्री हैं उनके विभाग में भी इस प्रकार के भ्रमित जवाब देने का काम आज इस सदन में किया गया है. अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी का ध्यान दिलाना चाहता हूं कि सर्व प्रथम तो जो अनुबंध और अनुमति दी गई है उसको निरस्त की जाये, इसकी जांच भी की जाये और दोषी अधिकारियों के ऊपर कार्यवाही भी की जाये.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- माननीय अध्यक्ष महोदय, विभाग के द्वारा मुझे जो जानकारी प्राप्त हुई है उसमें मास्टर प्लान के अंतर्गत जिस प्रकार व्यवसायिक भूमि थी उसी को व्यवसायिक भूमि की परमीशन दी गई है. इसमें कहीं अनियमिता नहीं हुई है पर यदि माननीय सदस्य के पास कोई ऐसी बात है तो सदन को अवगत कराना चाहें तो करा सकते हैं. मास्टर प्लान ऐसी चीज नहीं है कि उसको कोई बदल कर परमीशन दे सके. कल मैंने स्वयं ने मास्टर प्लान देखा है उसमें व्यवसायिक क्षेत्र था और व्यवसायिक क्षेत्र में ही व्यवसाय करने की परमीशन दी गई है. अगर माननीय सदस्य के पास कोई ऐसा उदाहरण हो तो आप मुझे बता दीजिये, मैं उसकी जांच करवा दूंगा.
श्री सतीश मालवीय—अध्यक्ष महोदय, मेरे पास सभी तमाम वह मास्टर प्लान की कापी भी उपलब्ध है, जिसमें यह इंडिकेशन है कि यह यातायात एवं परिवहन विभाग के लिये आरक्षित की गई थी. दूसरा, यहां पर जवाब में भ्रमित भी किया गया कि नजूल की अगर अनुमति भी आपने दी है, तो नजूल की अनुमति क्यों नहीं ली आपने. इसमें जो आर्डर हुआ है, उसमें अधिकारी के द्वारा किया गया है कि नजूल का अनापत्ति प्रमाण पत्र, जो कि इनको प्राप्त नहीं हुआ है. तो उसके बिना तो हो ही नहीं सकती किसी भी चीज की अनुमति. तो कुल मिलाकर उन्होंने उनके पत्र में आदेश के अन्दर यह लिखा है, तो निश्चित ही यह बड़ा घालमेल है और मैं चाहूंगा कि इसकी उच्च स्तर पर, यहां पर प्रदेश स्तरीय अधिकारियों के माध्यम से इसकी जांच की जाये.
श्री कैलाश विजयवर्गीय—अध्यक्ष महोदय, मैं विधायक जी जैसा चाहते हैं जांच, तो मैं यहां से हमारे टाउन एण्ड कंट्री प्लानिंग के डायरेक्टर और ज्वाइंट डायरेक्टर दोनों को भेज दूंगा. आप भी उसमें सम्मिलित होकर जो आपके पास जानकारी हो, उन्हें देंगे, तो जांच आने के बाद यदि कहीं गलती पाई गई, तो हम अधिकारी को दण्डित करेंगे.
डॉ. चिन्तामणि मालवीय—अध्यक्ष महोदय, मैं केवल इसमें कुछ जोड़ना चाहता हूं कि पूरा सिंहस्थ क्षेत्र उसमें जो जमीन की हेराफेरी है, वह पूरे सदन की चिंता का विषय होना चाहिये,पूरी सरकार की चिंता का विषय होना चाहिये, क्योंकि सिंहस्थ का जो क्षेत्र यदि रकबा कम होता है, तो सिंहस्थ हमारे लिये गौरव की चीज है इस मध्यप्रदेश के लिये और सिंहस्थ की जमीन में जिस तरह हेराफेरी हो रही है, वह पूरे मध्यप्रदेश के एक एक व्यक्ति की चिंता का विषय होना चाहिये. इसमें संज्ञान लें और हमारे प्रभारी मंत्री, तो सिंहस्थ मंत्री भी रहे हैं. मैं तो कहता हूं कि उनके हाथ में ही सारा देकर के इसमें दिखवाना चाहिये कि कहां जमीन को किस तरह उसको खुर्द-बुर्द किया जा रहा है,हेरफेर की जा रही है और अधिकारियों के माध्यम से जिस तरह उसको किया जा रहा है, वह एक स्वस्थ तरीका नहीं है.
अध्यक्ष महोदय-- चिन्तामणि जी बैठ जायें, विषय आ गया. मंत्री जी, आप कुछ कहना चाहेंगे. (मंत्री जी द्वारा इशारे से मना करने पर) प्रश्न संख्या-5.
श्री सतीश मालवीय – अध्यक्ष महोदय..
अध्यक्ष महोदय-- नहीं सतीश जी, आपके दो पूरक प्रश्न हो गये. सतीश जी, कृपया बैठ जायें.
श्री सतीश मालवीय—अध्यक्ष महोदय, बहुत बहुत धन्यवाद.
दतिया नगर में रिंग रोड निर्माण
[नगरीय विकास एवं आवास]
5. ( *क्र. 1351 ) श्री राजेन्द्र भारती : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या दतिया नगर में चारों ओर नगर की सुरक्षा हेतु प्राचीन समय में मजबूत दीवार थी? यदि हाँ, तो उस मजबूत दीवार को तोड़कर रिंग रोड का निर्माण किसके आदेश पर किया गया? आदेश की प्रति प्रदान करें। (ख) दीवार तोड़ने के कारण कितने मकानों को तोड़ा गया एवं कितने परिवार प्रभावित हुये? संपूर्ण की सूची प्रदान करें। मकानों को तोड़कर उनके निवासियों को शहर से दूर ग्राम चितुवा में व्यवस्थापन में किया गया है? यदि हाँ, तो पानी, सड़क बिजली की व्यवस्था क्यों नहीं की गई है तथा निर्मित टंकी से पेयजल व्यवस्था प्रारंभ क्यों नहीं की गई? क्या जनहित में पानी, सड़क, बिजली की समुचित व्यवस्था की जायेगी? यदि नहीं, तो क्यों और यदि हाँ, तो कब तक? (ग) क्या नगरपालिका एवं प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही के कारण जीर्ण-शीर्ण नगरपालिका की दीवार को समय पूर्व नहीं गिराये जाने से अतिवृष्टि के कारण घटित घटना के कारण क्या पांच व्यक्तियों की सितम्बर माह में हुई घटित घटना से पांच व्यक्तियों की मृत्यु हुई थी? यदि हाँ, तो क्या उक्त काण्ड की शासन-प्रशासन द्वारा जांच कराई गई? यदि नहीं, तो क्यों और यदि हाँ, तो दोषी अधिकारियों के विरूद्ध शासन द्वारा क्या कार्यवाही की गई?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री कैलाश विजयवर्गीय ) : (क) जी हाँ। परन्तु प्रश्नांकित दीवार लगभग 400 वर्ष पुरानी होने के कारण मजबूत स्थिति में नहीं थी। नगर पालिका परिषद दतिया द्वारा पुरानी दीवार को तोड़कर रिंग रोड निर्माण करने का संकल्प पारित किया गया था, जिसके आधार पर मुख्यमंत्री शहरी अधोसंरचना विकास योजना के द्वितीय चरण में उक्त रिंग रोड निर्माण की तकनीकी एवं प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की गई है। परिषद एवं पी.आई.सी. संकल्प की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) 318 मकानों को तोड़ा गया है, जिसमें प्रभावित 496 परिवारों की सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। जी हाँ, व्यवस्थापन स्थल ग्राम चितुवा में पानी, सड़क एवं बिजली की व्यवस्था की गई है, तकनीकी कारणों से टंकी भरने में कठिनाई होने के कारण सीधे ट्यूबवेल एवं पाईप लाईन के माध्यम से जलप्रदाय किया जा रहा है। (ग) जी नहीं, नगर पालिका की दीवार प्रश्नांकित अनुसार गिरने से कोई घटना नहीं हुई है, अपितु प्रश्नांकित दुर्घटना पुरातत्व विभाग के अधीन राजगढ़ पैलेस की नींव को सुरक्षित रखने हेतु बनाई गई दीवार को इसके आसपास रहने वाले निवासियों द्वारा मिट्टी, मुरम खोदकर क्षतिग्रस्त किये जाने से तेज बारिश के कारण घटना घटित हुई। उक्त दुर्घटना के लिए निकाय स्तर पर प्रथम दृष्टया कोई लापरवाही नहीं पाये जाने के कारण शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
श्री राजेन्द्र भारती-- अध्यक्ष महोदय, विजयवर्गीय जी के विभाग के द्वारा सदन को जो अपूर्ण, असत्य और अस्पष्ट, गुमराह करते हुए भ्रमपूर्ण जानकारी दी गई है, उससे संबंधित जानकारी से उद्भूत प्रश्न मैं आपके माध्यम से पूछना चाहता हूं कि मेरे प्रश्न में मैंने पूछा था कि इस रिंग रोड से जो दीवाल टूटी है और उससे जो दुखद पूर्ण घटना घटी है, उसकी जांच की गई क्या. तो इसमें उत्तर में दिया गया है कि कोई जांच नहीं की गई. जब जांच नहीं की गई, तो फिर इससे दीवाल गिरने से जो वह राजगढ़ है, पुरातत्व विभाग का, उसके मिट्टी मुरम गिरने से फिर यह कैसे कह दिया गया कि उसके कारण यह घटना घटी और 7 लोगों की मृत्यु हुई.
श्री कैलाश विजयवर्गीय—अध्यक्ष महोदय, मैंने अपने उत्तर में स्पष्ट किया है उसमें कि यह बात सही है कि वहां पर कुछ लोगों ने अतिक्रमण किया था और वह लोग वहां पर रह रहे थे और बारिश के कारण दीवाल कमजोर हुई है. वहां जो मुझे प्रत्यक्ष रुप से जानकारी मिली है, वहां पर मैंने अधिकारी को भेजकर जानकारी ली है. वह दीवाल काफी मोटी थी, पर वहां के जो अतिक्रमणकर्ता थे, वह उसमें से ईंट निकाल रहे थे. इसलिये वह दीवाल कमजोर हो गई. तो जांच नहीं हुई, ऐसा नहीं है. जांच हुई है उसकी, पर जांच में यह पाया गया कि हां वहां पर कुछ लोगों ने दीवाल को कमजोर किया था और चूंकि वह गरीब लोग थे, इसलिये उनकी जो मृत्यु हुई, सरकार ने उसको बहुत गंभीरता से लिया और उनको मुआवजा भी दिया.
श्री राजेन्द्र भारती-- अध्यक्ष महोदय, यह स्टेट टाइम की पूरी दीवाल थी, पूरे शहर के अन्दर और 400 वर्ष पुरानी थी. 6 किलोमीटर लम्बी दीवाल और लगभग 20-25 फीट चौड़ाई उस दीवाल की थी. यदि नगरपालिका द्वारा रिंग रोड बनाये जाने के नाम पर उस दीवाल को तोड़ा नहीं गया होता और अधूरा नहीं छोड़ा गया होता, तो यह दुखदपूर्ण घटना घटती ही नहीं. दूसरी बात मैं आपकी जानकारी में लाना चाहता हूं कि जब सागर की दुखदपूर्ण घटना घटी और उसके बाद शासन ने जो निर्देश दिये. शासन के निर्देशों के बाद क्या जिला प्रशासन द्वारा उस रिंग रोड जो अधूरी दीवार था इसके गिरने के कारण यह घटना घटी. क्या अतिवृष्टि होने के बाद उस दीवार को गिराया गया, यदि नहीं गिराया गया तो फिर इसमें अधिकारी और प्रशासन दोषी है और जिनकी लापरवाही और उदासीनता और असावधानी के कारण यह जो दुखदपूर्ण घटना घटी है और 7 लोगों की मृत्यु हुई है, क्या उसकी जांच कराते हुए आप दोषियों के खिलाफ कार्यवाही करेंगे ?
श्री कैलाश विजयवर्गीय- अध्यक्ष महोदय, यह एक आकस्मिक दुर्टघटना है और इसमें जितने भी तथ्य मिले हैं, उसमें बहुत साफ है कि बारिश हुई थी और बारिश होने के कारण, वह पुरानी दीवार थी वह गिर गयी और ढहने का कारण भी मैंने बता दिया है. वहां पर जब मैंने प्रत्यक्ष जानकारी ली है तो लोग वहां पर उस पुरानी दीवार की ईंट निकाल रहे थे , उसके कारण वह दीवार कमजोर हो गयी और गिर गयी उस समय जो लोग वहां पर थे, उनके साथ दुर्घटना हुई है, उनके प्रति हमारी सहानुभूति भी थी और इसलिये हम यह नहीं कह सकते कि वही जिम्मेदार हैं. पर घटना इस प्रकार की हुई है और इसलिये पूरा स्पष्ट है कि दीवार क्यों गिरी. इसलिये इसकी जांच की कोई आवश्यकता नहीं है.
श्री राजेन्द्र भारती- अध्यक्ष महोदय, सागर की घटना के बाद जिसमें 9 बच्चों की मृत्यु हुई थी, अतिवृष्टि में जीर्णशीर्ण मकानों और सरकारी बिल्डिंग गिरने के बाद स्कूल की बिल्डंग गिरने के बाद शासन ने आदेश दिया था कि जहां भी प्रायवेट या सरकारी जीर्णशीर्ण दीवारें और मकान हैं, उनकी जांच करके उनको गिराया जाये, जिससे दुर्घटना नहीं घट सके और इसके बावजूद भी यदि प्रशासन के अधिकारियों ने शासन के आदेशों का पालन नहीं किया और यह घटना घटी. यह घटना केवल अधिकारियों की लापरवाही और उदासीनता का कारण है. यह आकस्मिक घटना नहीं है.
अध्यक्ष महोदय- मंत्री जी, कुछ कहना चाहेंगे ?
श्री कैलाश विजयवर्गीय- अध्यक्ष महोदय, मैं कुछ दोहराना नहीं चाहूंगा. इसमें किसी प्रकार की अनियमितता या लापरवाही नहीं दिखाई दे रही है. यह एक एक्सीडेंट है.
अध्यक्ष महोदय- डॉ. रामकिशोर दोगने.
श्री राजेन्द्र भारती- अध्यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहता हूं. एक प्रश्न और पूछना चाहता हूं कि ..
अध्यक्ष महोदय- डॉ. रामकिशोर जी. प्लीज़ राजेन्द्र जी आप बैठ जायें. रामकिशोर जी जो बोलेंगे वही लिखा जायेगा.
पिछड़ा वर्ग के छात्र/छात्राओं को छात्रवृत्ति का भुगतान
[पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण]
6. ( *क्र. 32 ) डॉ. रामकिशोर दोगने : क्या राज्यमंत्री, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) म.प्र. के समस्त महाविद्यालय में अध्ययनरत पिछड़ा वर्ग के छात्र/छात्राओं को शासन की ओर से दी जाने वाली छात्रवृत्ति का भुगतान प्रश्न दिनांक तक क्यों नहीं किया गया है? (ख) पिछड़ा वर्ग के छात्र/छात्राओं को शासन की ओर से दी जाने वाली छात्रवृत्ति का भुगतान कब तक कर दिया जावेगा? (ग) क्या पिछड़ा वर्ग के छात्र/छात्राओं को छात्रवृत्ति दिए जाने हेतु शासन के पास बजट नहीं है? (घ) प्रश्नांश (ग) अनुसार यदि बजट नहीं है तो उसका क्या कारण है?
राज्यमंत्री, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण ( श्रीमती कृष्णा गौर ) : (क) मध्यप्रदेश के समस्त महाविद्यालय में अध्ययनरत पिछड़ा वर्ग के पात्र छात्र/छात्राओं को विभाग की ओर से दी जाने वाली छात्रवृत्ति भुगतान की अद्यतन स्थिति अनुसार वर्तमान वित्तीय वर्ष 2024-25 में 5.08 लाख विद्यार्थियों को राशि रूपये 653.78 करोड़ का भुगतान किया गया है। नियमानुसार एवं पात्रता अनुसार छात्रवृत्ति राशि का भुगतान सतत् जारी है। (ख) पिछड़ा वर्ग के छात्र/छात्राओं को विभाग की ओर से दी जाने वाली छात्रवृत्ति का भुगतान सतत् जारी है। (ग) जी नहीं। पिछड़ा वर्ग के छात्र/छात्राओं को छात्रवृत्ति दिये जाने हेतु विभाग के पास पर्याप्त बजट उपलब्ध है। (घ) उत्तरांश 'ग' के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
डॉ. रामकिशोर दोगने- अध्यक्ष महोदय, मेरा पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री जी से आग्रह है कि जो कालेजों में छात्रवृत्तियां दी जाती हैं. वह समय पर नहीं मिलती है. इसीलिये छात्रों को भी बहुत दिक्कतें आती हैं उसमें यदि समय पर छात्रवृत्ति मिल जाये तो बच्चे पढ़ाई से दूर नहीं रह सकते हैं, इसलिये छात्रवृत्ति का समय पर भुगतान हो, क्योंकि अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग के बच्चों को बहुत तकलीफ आती है. वह बाहर रहते हैं और बाहर रहकर उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं रहती है, इसलिये उनकी छात्रवृत्तियां समय पर दी जाये. यह मेरे प्रश्न में है. तो मंत्री जी अभी तक छात्रवृत्ति मिली नहीं है. आप उस संबंध में बतायें कि क्या स्थिति है ?
राज्य मंत्री, पशुपालन एवं डेयरी (श्री लखन पटैल)- अध्यक्ष महोदय, सबसे पहले तो मैं सदस्य का धन्यवाद करना चाहता हूं कि उन्होंने बड़ा सकारात्मक प्रश्न पूछा. मैं उनको अवगत कराना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश में लगभग सात हजार, पांच सौ, बावन कालेज हैं, उनमें चार सौ पांच कोर्स के लिये लगभग सात लाख, पच्चीस हजार विद्यार्थियों के लिये प्रतिवर्ष दी जाती थी. आपने पूछा है देरी का कारण. आज दिनांक तक, वैसे तो मैंने उत्तर दिया है, लेकिन आप चाहें तो मैं फिर से आपको पढ़कर भी बता सकता हूं. प्रश्न दिनांक तक पांच लाख, आठ हजार विद्यार्थियों के लिये 653 करोड़ रूपये का भुगतान कर दिया गया है तथा आपके प्रश्न के बाद पांच लाख, इक्यासी हजार, सात सौ इन्क्यानवे विद्यार्थियों के लिये 842 करोड़ रूपये की छात्रवृति का भुगतान कर दिया गया है, जो विलम्ब का कारण होता है तो वह तकनीकी कारणों से भी विलम्ब हो जाता है. अकाउंट फेल हो जाते हैं, ट्रांजेक्शन फेल्ड हो जाता है, कई बार विद्यार्थियों की के.वाय.सी नहीं होती है, कई बार अकांउंट्स एक्टिव नहीं होता है, इस वजह से भी विलम्ब हो जाता है.
अध्यक्ष महोदय- सदस्य कोई दूसरा प्रश्न करना चाहते हैं.
डॉ. रामकिशोर दोगने - माननीय मंत्री जी धन्यवाद. मैंने भी अभी पत्र लगाया है. दिनांक 14 दिसम्बर को बजट आया था, उसके बाद भुगतान हुआ है उसके लिए तो धन्यवाद, परन्तु आगे आने वाली स्थिति में सुधार कर लेंगे तो ज्यादा अच्छा रहेगा. स्कालरशिप समय पर बच्चों को मिल जाय तो सुविधा मिलेगी. धन्यवाद.
श्री लखन पटैल - अध्यक्ष महोदय, बिल्कुल समय से प्रक्रिया चल रही है. जो बचे हुए छात्र हैं लगभग 1 माह, डेढ़ माह के अंदर उनको सारी छात्रवृत्ति दे दी जाएगी. धन्यवाद.
अवैध कॉलोनियों की जानकारी
[नगरीय विकास एवं आवास]
7. ( *क्र. 980 ) श्री विष्णु खत्री : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बैरसिया विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत वर्ष 2014 से आज दिनांक तक कुल कितनी अवैध कॉलोनियां विकसित हुई हैं? अवैध कॉलोनियां एवं कॉलोनाईजरों के नाम की सूची उपलब्ध करायें। (ख) कितने कॉलोनाइजरों पर प्रश्न दिनांक तक एफ.आई.आर. दर्ज की गई है एवं ऐसे कितने कॉलोनाइजर हैं, जिन पर प्रश्न दिनांक तक एफ.आई.आर. दर्ज नहीं हुई है? (ग) बैरसिया विधानसभा क्षेत्र में अवैध कॉलोनियों के निर्माण को रोकने के संबंध में विभाग की क्या कार्ययोजना है?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री कैलाश विजयवर्गीय ) : (क) बैरसिया विधानसभा क्षेत्र के नगर पालिका परिषद बैरसिया क्षेत्र में प्रश्नांकित अवधि में विकसित 19 अनधिकृत कॉलोनियां चिन्हित की गई हैं। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) 13 अनधिकृत कॉलोनी के विकासकर्ताओं के विरूद्ध एफ.आई.आर. की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार दर्ज कराई गई है। शेष 06 अनधिकृत कॉलोनी के विकासकर्ताओं के विरूद्ध एफ.आई.आर. दर्ज कराने की कार्यवाही प्रचलित है। (ग) राज्य सरकार द्वारा म.प्र. नगर पालिका (कॉलोनी विकास) नियम, 2021 बनाए गए हैं, जिसमें नगरीय क्षेत्र अन्तर्गत स्थित अनधिकृत कॉलोनियों के विरूद्ध दण्डात्मक कार्यवाही करने एवं इनके निर्माण पर रोक लगाने की प्रक्रिया विहित की गई है, जिसके लिए जिला कलेक्टर को सक्षम प्राधिकारी बनाया गया है।
श्री विष्णु खत्री - अध्यक्ष महोदय, मैंने माननीय मंत्री जी से पूरे विधान सभा क्षेत्र से संबंधित प्रश्न पूछा था, उसमें जो जानकारी मुझे प्राप्त हुई है, वह केवल नगरपालिका क्षेत्र की प्राप्त हुई है. बैरसिया विधान सभा में कृषि भूमि पर लगातार अवैध कालोनियां विकसित हो रही हैं और इन अवैध कालोनियों के कारण वहां पर लगातार कृषि का रकबा कम हो रहा है और साथ ही इन कालोनियों में मूलभूत सुविधाओं का अभाव होने के कारण नागरिकों को भी असुविधा का सामना करना पड़ता है. केवल कृषि भूमि पर ही नहीं, परेवाखेड़ा मेरी विधान सभा का एक गांव हैं, उसमें शासकीय भूमि पर भी लगातार अतिक्रमण हो रहा है. मैं माननीय मंत्री जी से इस संबंध में आश्वासन चाहता हूं कि वहां पर अवैध कालोनियों का निर्माण है, यह रुके और साथ में जो शासकीय भूमि पर कब्जा हो रहा है वह भी तत्काल प्रभाव से मुक्त होकर दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही हो, जो अधिकारी इसमें लिप्त हैं उन पर कार्यवाही हो और यह अतिक्रमण रुके.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो प्रश्न पूछा था वह बैरसिया नगरपालिका का है उसकी जानकारी तो मैंने दे दी है परन्तु बाकी भी शिकायतें मुझे लिखित में दे देंगे तो मैं उसकी जांच करवा दूंगा. मैं आपके माध्यम से सदन को यह भी अवगत कराना चाहता हूं कि निश्चित रूप से जो अवैध कालोनियां हैं वह अर्बनाईजेशन में एक तरीके से नासूर हैं. अवैध कालोनियां नहीं बने, इसके लिए हम कड़क नियम बना रहे हैं . अभी अवैध कालोनाइजर के खिलाफ शिकायत होती है और 3 साल की उसमें सजा है, जमानत हो जाती है, प्रकरण चलता रहता है. हम अभी इस पर अध्ययन कर रहे हैं और इसमें सजा का प्रावधान बढ़ाएंगे. प्रदेश में अवैध कालोनियां नहीं बनें, इसके ऊपर आने वाले समय में हम बहुत कड़ी कार्यवाही करने वाले हैं.
श्री विष्णु खत्री - अध्यक्ष महोदय, यह परेवाखेड़ा में जो शासकीय भूमि पर जो अतिक्रमण हो रहा है, उस पर भी कठोर कार्यवाही होगी, यह भी माननीय मंत्री जी आश्वस्त करेंगे.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्यक्ष महोदय, यह इस प्रश्न में नहीं है, परन्तु मुझे वह लिखित में दे देंगे तो मैं कलेक्टर को निर्देश दे दूंगा.
सड़क निर्माण की जानकारी
[लोक निर्माण]
8. ( *क्र. 1497 ) श्री चैन सिंह वरकड़े : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मंडला जिले में लोक निर्माण विभाग के अन्तर्गत वर्ष 2019-20 से प्रश्न दिनांक तक कितने सड़क निर्माण कार्यों की स्वीकृति व प्रत्येक सड़क निर्माण कार्य हेतु कितनी-कितनी राशि की स्वीकृति कब-कब प्रदान की गई है? (ख) प्रश्नांश (क) यदि हाँ, तो कितने निर्माण कार्य पूर्ण हो चुके हैं, कितने निर्माण कार्य अपूर्ण हैं? यदि निर्माणाधीन हैं तो कब तक पूर्ण कर लिये जायेंगे? प्रत्येक सड़क निर्माण कार्य पूर्ण होने की अवधि क्या है? प्रत्येक निर्माण कार्य की अनुबंध की प्रति उपलब्ध करावें।
लोक निर्माण मंत्री ( श्री राकेश सिंह ) : (क) विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' एवं 'अ-1' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' एवं 'अ-1' अनुसार है। अनुबंध की प्रतियां पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '1' एवं '2' अनुसार है।
श्री चैन सिंह वरकड़े - अध्यक्ष महोदय, मैंने माननीय मंत्री लोक निर्माण विभाग से प्रश्न पूछा था कि विगत वर्ष, 2019-20 से प्रश्न दिनांक तक मंडला जिले में कितनी सड़कों की स्वीकृति प्रदान की गई है. माननीय मंत्री के उत्तर में जो मुझे जानकारी प्राप्त हुई है कि विगत वर्ष 2019-20 के बाद इन 4 सालों में मंडला जिले में कोई भी रोड की स्वीकृति नहीं मिली है. मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि मंडला जिले से जो प्रस्ताव आते हैं, सड़कों के, पुलों के उनकी स्वीकृति क्यों नहीं दी जा रही है?
श्री राकेश सिंह - अध्यक्ष महोदय, मुझे लगता है कि माननीय सदस्य ने उत्तर का अध्ययन करने में कुछ कमी छोड़ दी है. स्पष्टता के साथ यह बताया गया है कि 28 सड़कें इस बीच में बनी हैं, स्वीकृत हुई है, जिनमें 24 मार्ग जो हैं वह लोक निर्माण विभाग के द्वारा स्वीकृत हुए थे. 2 मार्ग एडीबी योजना में मध्यप्रदेश शासन लोक निर्माण विभाग के द्वारा स्वीकृत हुए थे और भारत सरकार के द्वारा 2 राष्ट्रीय राजमार्ग मंडला डिंडौरी मार्ग और बरैरा मंडला मार्ग, ये भी स्वीकृत हुए हैं, उसके अलावा जो जानकारी दी है. इसमें से 20 कार्य पूर्ण हो चुके हैं. 4 कार्य प्रगति पर हैं एक कार्य में भू-अर्जन के कारण कुछ विलंब है और 3 कार्यों की जो निविदा है, उसकी प्रक्रिया चल रही है यह विस्तार से उनको जानकारी दी है. इसके अलावा प्रश्न से हटकर यदि उनके मन में कुछ और प्रश्न भी होगा, वह मुझे लिखकर दे दें, हम उसका उत्तर उनको देंगे.
श्री चैनसिंह वरकडे़ -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंडला जिले में 3 उच्च स्तरीय पुलों का जो प्राक्कलन विभाग में जमा है मैं माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हॅूं कि उनकी स्वीकृति कब प्राप्त होगी. जिसमें पोड़ीघटेरी गुबरिया मार्ग, चकरघटा थावर नदी में पुल निर्माण 120 मीटर, दूसरा है करेगांव ठेवा भानपुर मार्ग में बुड़नेर नदी पर पुल निर्माण 180 मीटर, तीसरा है खैरी झुरगी पोड़ी मार्ग पर बुड़नेर नदी पर पुल निर्माण 150 मीटर यह प्राक्कलन आपके विभाग में पेंडिंग है. इनकी स्वीकृति कब प्राप्त हो पाएगी.
श्री राकेश सिंह -- माननीय अध्यक्ष जी, मूल प्रश्न में इन्होंने इसको समाहित नहीं किया था, इसलिए उसकी अभी इस समय पर तो जानकारी नहीं दे सकता. लेकिन इसके बारे में इसका स्टेटस क्या है, यह मैं इन्हें जरूर बताऊंगा. आपको भी और सदन को भी यह जानकारी देना चाहता हॅूं कि लगभग 32 हजार करोड़ रूपए से ज्यादा के प्रस्ताव लोक निर्माण विभाग के पास में कार्यों की स्वीकृति के लिए हैं लेकिन माननीय डॉ.मोहन यादव जी के नेतृत्व में विभाग लगातार यह कोशिश कर रहा है कि प्राथमिकता के आधार पर अधिक से अधिक कार्य स्वीकृत हों और निर्धारित समयावधि में पूर्ण हों. विस्तार से थोड़ी देर पहले जब मैंने अपनी बात कही थी, तो उसमें बाकी सारी बातों का समावेश भी किया था.
10 मीटर छोड़कर रेलवे मेट्रो डिपो का कार्य प्रारंभ करना
[नगरीय विकास एवं आवास]
9. ( *क्र. 1759 ) श्री हरिशंकर खटीक : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला भोपाल के अरेरा हिल्स पर स्थित हाउसिंग बोर्ड, भोपाल द्वारा निर्मित ग्रीन मेडोज़ कॉलोनी की कुल भूमि कितनी-कितनी, किस-किस खसरा नंबर में कितने-कितने रकबा के आधार पर स्थित है? कृपया छायाप्रति प्रदाय कर सम्पूर्ण जानकारी देते हुए यह भी बताएं कि शासन द्वारा अलॉट भूमि पर बने आवासों का एकमुश्त लीज़ रेंट कराने का प्रावधान प्रश्न दिनांक तक क्यों नहीं है? (ख) प्रश्नांश (क) के आधार पर बताएं कि कॉलोनी हेतु अलॉट भूमि के संशोधन हेतु फाईल जिला कलेक्टर भोपाल या संभागीय कमिश्नर भोपाल के पास कब से रखी है? निश्चित समय-सीमा सहित बताएं कि उपरोक्त भूमि का संशोधन करके पत्र की छायाप्रति प्रश्नकर्ता को कब तक भेज दी जावेगी? (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के आधार पर बताएं कि उपरोक्त कॉलोनी के लिए अलॉट भूमि कितनी थी और हाउसिंग बोर्ड भोपाल द्वारा चारों ओर कितनी-कितनी भूमि छोड़कर उपरोक्त कॉलोनी बनाई गई है? (घ) प्रश्नांश (क), (ख) एवं (ग) के आधार पर बताएं कि कॉलोनी के उत्तर की ओर निर्माणाधीन मेट्रो रेलवे डिपो का जो कार्य कराया जा रहा है, उसमें कितने ऊंचाई के किसके कितने-कितने पेड़ काटकर निर्माण किया जा रहा है? वहां कितने मीटर छोड़कर नाली का निर्माण मेट्रो डिपो रेलवे का कार्य प्रारंभ करने जा रहे हैं? कृपया स्पष्ट बताएं एवं यह भी जानकारी दें कि आवासों के किनारे से अगर मेट्रो का कार्य प्रारंभ हुआ तो आवासों के एवं उससे जो जनहानि भविष्य में होगी, उसका जिम्मेवार कौन होगा?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री कैलाश विजयवर्गीय ) : (क) अरेरा हिल्स भोपाल में नजूल शहर वृत्त भोपाल खसरा क्र. 959/1 कुल रकबा 62.92 एकड़ भूमि में से 5.15 एकड़ भूमि पर ग्रीन मेडोज कॉलोनी मण्डल द्वारा निर्मित की गई है। राजस्व विभाग के पत्र क्र. एफ-6-7/2007/सात-नजूल दिनांक 06.06.2008 द्वारा कलेक्टर जिला भोपाल को म.प्र. गृह निर्माण मण्डल को अरेरा हिल्स भोपाल स्थित खसरा क्र. 959/1 में से 5.15 एकड़ भूमि आवंटन करने के आदेश जारी किये गये हैं, जो पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। मण्डल को आवंटित उक्त भूमि के खसरे एवं रकबे में विसंगति का सुधार राजस्व विभाग द्वारा किये जाने के उपरान्त पट्टा निष्पादन की कार्यवाही प्रचलन में है, जिसके कारण उक्त भूमि पर बने आवासों के स्वामियों से एकमुश्त लीजरेन्ट नहीं लिया जा रहा है। (ख) कॉलोनी हेतु आवंटित भूमि के संशोधित भूमि आवंटन हेतु राजस्व विभाग के पत्र क्र. एफ-6-7/2007/सात-3, दिनांक 27.09.2023 द्वारा संशोधित आदेश कलेक्टर जिला भोपाल को जारी किया गया है, जिसमें आदेशित किया गया है कि राज्य शासन द्वारा निर्णय लिया गया है कि जिला कलेक्टर, भोपाल के संदर्भित प्रस्तावों के अनुसार म.प्र. गृह निर्माण मण्डल के आधिपत्य की भूमि (समान रकबा, समान मूल्य) खसरा क्र. 958/1/1 का अंश भाग 0.78 एकड़ को लीज में संशोधित किया जाये एवं 0.78 एकड़ भूमि वर्तमान अंकित खसरा क्र. 959/1 से कम की जाये, जो पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। कलेक्टर, भोपाल के प्रभारी अधिकारी आर.आर.एम. शाखा भोपाल ने पत्र क्र. 254, दिनांक 05.08.2024 द्वारा अनुविभागीय अधिकारी नजूल शहर वृत्त भोपाल को राजस्व विभाग ने पत्र क्र. एफ-6-7/2007/सात-3, दिनांक 27.09.2023 के परिपालन में कार्यवाही करने हेतु निर्देशित किया गया है, जो पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'स' अनुसार है। (ग) शासन द्वारा आवंटित 5.15 एकड़ भूमि पर ग्रीन मेडोज कॉलोनी नगर तथा ग्राम निवेश विभाग एवं नगर निगम भोपाल से अनुज्ञा प्राप्त करने के उपरान्त विकसित एवं निर्मित की गई है। (घ) यूकेलिप्टस एवं करंज के 56 विविध उंचाई के वृक्ष काटकर निर्माण कराया जाना प्रस्तावित है। ग्रीन मिडोज कॉलोनी के बाउण्ड्री/रिटेनिंग वॉल से न्यूनतम 1 मीटर दूर नाली का निर्माण प्रस्तावित है। संबंधित कार्य की डिजाइन भारतीय प्रौद्योगिक संस्थान दिल्ली के विशेषज्ञ के सलाह के अनुरूप तैयार किया जा रहा है, जिसमे सुरक्षा के सभी मानकों का समावेश होगा। अतः प्रश्नांश का शेष भाग उपस्थित नहीं होता है।
श्री हरिशंकर खटीक -- माननीय अध्यक्ष महोदय, भोपाल शहर के अरेरा हिल्स में ग्रीन मेडोस कॉलोनी स्थित है. ग्रीन मेडोस कॉलोनी की जो जमीन है वह दिनांक-6.6.2008 को आवंटित की गई थी. जो जमीन आवंटित की गई थी, उसमें विसंगति थी. उसके खसरा और रकबे में सुधार के लिए लगातार वर्ष 2008 से अभी तक फाईल चलती रही लेकिन उसमें सुधार नहीं हो पाया, जिससे वहां के जो रहवासी हैं वे लीज़ रेंट पूरी जमा करना चाहते हैं लेकिन उनकी लीज़ रेंट जमा नहीं हो पा रही है. मैं माननीय मंत्री जी अनुरोध करना चाहता हॅूं मेरा पहला प्रश्न इसकी लीज़ रेंट जमा करने के लिए है और उसमें जो विसंगति है उसमें कमिश्नर महोदय ने भी लिखा, भोपाल कलेक्टर ने भी लिखा और एसडीएम तक फाईल पहुंची, लेकिन उसमें अभी तक सुधार नहीं हो पाया. मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हॅूं कि उसमें कब तक सुधार करा दिया जाएगा.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बात सही है और माननीय सदस्य ने बिल्कुल सही कहा कि उसमें विसंगति थी और उस विसंगति को सुधार लिया गया है और जिलाधीश को निर्देश भी दिये गये हैं कि तत्काल इसको सुधार कर और जो लीज़ रेंट भरना चाहें, उनको भरने की कार्यवाही करें. कलेक्टर को निर्देश दिया है. अतिशीघ्र उस पर काम हो जाएगा.
श्री हरिशंकर खटीक -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी को बहुत-बहुत धन्यवाद. मेरा दूसरा प्रश्न यह है कि अरेरा हिल्स पर जो ग्रीन मेडोस कॉलोनी है उसके ठीक पीछे मेट्रो रेल डिपो का काम चल रहा है. वहां पर ठीक पीछे हजारों पेड़ लगे हुए थे. यूकेलिप्टस के और अन्य पेड़ भी लगे थे. वे पूरे पेड़ काट दिये गये और पेड़ काटने के बाद ठीक कॉलोनी के बिल्कुल किनारे से, क्योंकि वह कॉलोनी पहाड़ पर बनी हुई है. लगभग 20 फुट बेसमेंट एरिया से भी ऊपर उसमें नाली निर्माण का कार्य 1 मीटर छोड़कर के वहां प्रारम्भ कराया जा रहा है तो इसमें मेरा माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि कम से कम उसमें 10 मीटर छोड़कर के उस जमीन पर पेड़ लगाने का भी काम किया जाए और नाली निर्माण कराने का भी काम किया जाए.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, गृह निर्माण मंडल ने इस कॉलोनी को काटा है. उसमें एमओएस 4.5 मीटर छोड़ना था, पर इसमें पीछे की साइड में 7 मीटर छोड़ा गया है और उसके बाद फिर दीवार बनायी गई है. उसके बाद नाली बन रही है. माननीय सदस्य यह चाहते हैं कि नाली थोड़ी-सी पीछे से बने. यदि जगह की गुंजाइश होगी, तो मैं अधिकारी को निर्देश कर दूंगा कि अगर वहां जगह है तो थोड़ा-सा पीछे हटा लें. वैसे ऑलरेडी एमओएस 4.5 मीटर का था, वह हमने 7 मीटर कर रखा था. पहले ही काफी दूरी है. उसके बाद फिर कंपाउड वाले, तो सुरक्षा में किसी भी प्रकार की कमी नहीं है और नाली बनने से उस कॉलोनी में कोई फर्क नहीं आएगा क्योंकि बहुत दूर है. 7 मीटर दूर है.
श्री हरिशंकर खटीक -- माननीय अध्यक्ष महोदय, कॉलोनी के बिल्कुल ठीक लगाकर ही वे काम प्रारम्भ कर रहे हैं तो आज ही निर्देश जारी करें कि 10 मीटर छोड़कर नाली का निर्माण कराया जाए और जो जमीन है उसमें जो पेड़ काट दिये गये हैं वहां पेड़ लगाने का भी काम किया जाए. भले ही वह जमीन मेट्रो रेल डिपो के नाम से है तो वह जमीन उनके पास रहे. लेकिन पीछे कॉलोनी के लोगों के जब पाईप फूट जायेंगे या कुछ हो जायेगा तो पीछे जाने का रास्ता ही बंद कर दिया गया है. 10 मीटर छोड़कर के नाली का निर्माण कराया जाये.
श्री कैलाश विजयवर्गीय—अध्यक्ष महोदय, अगर पीछे स्पेस होगा तो हम नाली को पीछे हटवा देंगे. जहां तक वृक्षों को काटने की बात है. आप सभी जानते हैं कि मैं खुद वृक्ष प्रेमी हूं इसलिये मैं शासन को निर्देश देता हूं कि जितने भी पेड़ काटे हैं उससे ज्यादा पेड़ लगायें. क्योंकि विकास के लिये कई बार मजबूरी में पेड़ काटने पड़ते हैं. हम एक पेड़ कटता है तो दस पेड़ लगाते हैं. इसलिये अगर उस नियम का पालन नहीं किया होगा तो उसका पालन करवाएंगे.
प्रश्न संख्या-10
ट्रांसफार्मरों की जानकारी
[ऊर्जा]
10. ( *क्र. 114 ) श्री मनोज नारायण सिंह चौधरी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि प्रश्नकर्ता के विधानसभा क्षेत्र हाट पिपल्या में वित्तीय वर्ष 2023-24 एवं 2024-25 में अक्टूबर 2024 तक विद्युत वितरण कंपनी द्वारा कितने विद्युत वितरण ट्रांसफार्मर असफल होने के कारण बदले गए हैं एवं उनमें से कितने विद्युत वितरण ट्रांसफार्मर का परिवहन कृषकों द्वारा स्वयं के वाहन से किया गया है, की वित्तीय वर्षवार संख्यात्मक जानकारी देवें।
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ) : विधानसभा क्षेत्र हाट पिपल्या अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2023-24 एवं वित्तीय वर्ष 2024-25 में माह अक्टूबर, 2024 तक क्रमश: 906 एवं 308 वितरण ट्रांसफार्मर जले/खराब होने के कारण बदले गये हैं तथा उक्त जले/खराब वितरण ट्रांसफार्मरों में से क्रमश: 172 एवं 63 वितरण ट्रांसफार्मरों का परिवहन कृषकों द्वारा स्वयं के वाहन से किया गया है।
श्री मनोज नारायण सिंह चौधरी—अध्यक्ष महोदय, मेरा सवाल किसानों के ट्रांसफार्मर को लेकर के था. मेरी विधान सभा में माननीय मंत्री जी ने जवाब दिया है कि पिछले वर्ष में और इस वर्ष में कुल मिलाकर के 1214 ट्रांसफार्मर बदले गये हैं. मेरा प्रश्न है कि इसमें कितने किसान ट्रांसफार्मर अपनी गाड़ियों से वितरण केन्द्र पर आये, कितने विभाग के द्वारा भेजे गये ? मात्र 235 किसानों ने ट्रांसफार्मर लाया हुआ बताया गया है कि उनको हमने राशि डाली बाकी 979 ट्रांसफार्मर बदले गये हैं उसके बारे में मंत्री जी से सवाल है कि क्या उसमें कितने ट्रांसफार्मर किसानों के द्वारा लाये गये हैं ? कितने वितरण कम्पनी के वाहन के द्वारा भेजे गये हैं ? मैं एक बात की तरफ आपका ध्यानाकर्षित करना चाहता हूं कि घरेलू हमारे जितने भी उपभोक्ता है उनके ट्रांसफार्मर जलते हैं तो कम्पनी के विभाग की गाड़ी चली जाती है. लेकिन किसानों के लिये हमने जब गाड़ी के लिये फोन किया होगा या किसानों ने वितरण केन्द्र पर फोन लगाया होगा तो उनको एक ही सधासधाया जवाब आता है कि हमारी गाड़ी या तो इन्दौर गई है या उज्जैन गई है. आप अपने वाहन से ट्रांसफार्मर लेकर के आ जायें. तो कृषि उपभोक्ताओं के द्वारा लगभग 80 से 90 प्रतिशत स्वयं के वाहनों के माध्यम से ट्रांसफार्मर लाये जाते हैं. मेरा सीधा प्रश्न है कि 979 ट्रांसफार्मर जो बदले गये हैं उनमें से कितने विभाग के द्वारा लाये गये हैं या उनमें से किसानों के द्वारा कितने लाये गये हैं? और इसी के साथ एक मिलता जुलता प्रश्न यह है कि जब किसान अपना वाहन लेकर के विभाग के पास जाता है तो दो कारण होते हैं एक तो उनकी एन्ट्री होती है कि यह कितने किसानों के द्वारा ले जाया गया लाया गया. या यह एन्ट्री होती है कि किसान एक दिन रुका अथवा दो दिन रूका या वाहन से उनको दो बार लाना पड़ा.
जल संसाधन मंत्री (श्री तुलसीराम सिलावट)—अध्यक्ष महोदय,माननीय सदस्य ने जो प्रश्न किया है इसमें 906 हमारे बिजली विभाग के द्वारा लाये गये हैं. 172 निजी किसान अपने वाहन से लाये गये हैं. मैं अवगत कराना चाहता हूं कि जो उनकी भावना है वह 100 प्रतिशत सारे अधिकारियों को निर्देश दिये जाते हैं जो भी ट्रांसफार्मर खराब हो उनका पंजीयन हो और उनका भुगतान बिजली विभाग के द्वारा किया जाये.
श्री मनोज नारायण सिंह चौधरी—अध्यक्ष महोदय, मेरा इसके साथ एक और प्रश्न था कि बारिश के समय ट्रांसफार्मर में से आयल चोरी हो जाता है. तार चोरी होते, तार काट लिये जाते हैं. हम और आप आम आदमी तो कभी भी उस ट्रांसफार्मर के पास जाने पर भी डरता है, यह हम लोग समझते हैं. आयल चोरी करने वाले कौन लोग हैं, क्या वह विभाग से संबंधित है ? या ठेकेदार से संबंधित हैं या आऊटसोर्स से संबंधित हैं ? उसमें जितनी भी हमारी एफ.आई.आर दर्ज हुई उसकी जानकारी कम दी गई है. मात्र 7 एफआईआर इस वर्ष की बताई है. जबकि हमने एसपी साहब के माध्यम से एक ही एफआईआर में 11 जगहों की रिपोर्ट दर्ज करवाई थी. इसके ऊपर कितने लोगों पर कार्यवाही हुई.
श्री तुलसीराम सिलावट—अध्यक्ष महोदय,गंभीर प्रश्न माननीय सदस्य जी ने किया है ट्रांसफार्मर के आयल चोरी के अब तक 74 मामलों में एफआईआर की गई है. विभाग के द्वारा जो भी इसमें दोषी पाये जायेंगे उन पर हम कड़ी कार्यवाही करेंगे.
अध्यक्ष महोदय—प्रश्नकाल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त)
अध्यक्ष महोदय -- शून्यकाल की सूचनाएं बाद में ली जायेंगी.
12.00 बजे
पत्रों का पटल पर रखा जाना.
(1) परिवहन विभाग की निम्नलिखित अधिसूचनाएं :-
(क) क्रमांक एफ 22-02/2019/आठ, दिनांक 01 जनवरी, 2024,
(ख) क्रमांक 353-1813970/2024/आठ, दिनांक 23 फरवरी, 2024, एवं
(ग) क्रमांक एफ 22-13/2018/आठ, दिनांक 03 अक्टूबर, 2024
परिवहन मंत्री (श्री उदय प्रताप सिंह) -- अध्यक्ष महोदय, मैं म.प्र. मोटरयान कराधान अधिनियम, 1991 की धारा 212 की उपधारा (3) की अपेक्षानुसार परिवहन विमाग की निम्नलिखित अधिसूचनाएं :-
(क) क्रमांक एफ 22-02/2019/आठ, दिनांक 01 जनवरी, 2024,
(ख) क्रमांक 353-1813970/2024/आठ, दिनांक 23 फरवरी, 2024, एवं
(ग) क्रमांक एफ 22-13/2018/आठ, दिनांक 03 अक्टूबर, 2024 पटल पर रखता हूं.
(2) मध्यप्रदेश राज्य सूचना आयोग का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2023 (01 जनवरी, 2023 से 31 दिसम्बर, 2023)
राज्यमंत्री, पशुपालन एवं डेयरी (श्री लखन पटेल, राज्यमंत्री पशुपालन एवं डेयरी)-- अध्यक्ष महोदय, मैं सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 25 की उपधारा (4) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश राज्य सूचना आयोग का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2023 (01 जनवरी, 2023 से 31 दिसम्बर, 2023) पटल पर रखता हूं.
(3) (क) प्रतिकारात्मक वनरोपण निधि अधिनियम, 2016 (क्रमांक 38 सन् 2016) की धारा 29 की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश प्रतिकारात्मक वनरोपण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (कैम्पा) के वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2021-2022 एवं 2022-2023, तथा
(ख) जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1974 की धारा 40 की उपधारा (7) एवं वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 की धारा 36 की उपधारा (7) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का वार्षिक लेखा परीक्षण प्रतिवेदन वर्ष 2023-2024
संसदीय कार्यमंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय)-- अध्यक्ष महोदय में (क) प्रतिकारात्मक वनरोपण निधि अधिनियम, 2016 (क्रमांक 38 सन् 2016) की धारा 29 की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश प्रतिकारात्मक वनरोपण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (कैम्पा) के वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2021-2022 एवं 2022-2023, तथा (ख) जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1974 की धारा 40 की उपधारा (7) एवं वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 की धारा 36 की उपधारा (7) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का वार्षिक लेखा परीक्षण प्रतिवेदन वर्ष 2023-2024 पटल पर रखता हूं.
अध्यक्ष्ा महोदय -- श्री उमंग जी आप कुछ कह रहे थे.
12.02 बजे
जनता के विकास कार्यो हेतु राशि आवंटन में भेदभाव किये जाने से इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा अपने वेतन का समर्पण.
नेता प्रतिपक्ष्ा(श्री उमंग सिंघार) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि हमारे विधायक दल में सब साथियों ने तय किया है कि विधानसभा क्षेत्र में विकास नहीं हो पा रहा है, न ट्रांसफार्मर के लिये पैसे मिल रहे हैं, न सीमेंट क्रांकीट रोड के लिये पैसे मिल रहे हैं और न स्कूल, अस्पताल के लिये पैसे मिल रहे हैं, तो हम सभी माननीय विधायक कांग्रेस दल के, हमें विकास के लिये पैसा चाहिए, जनता के विकास के लिये पैसा चाहिए, उसमें भेदभाव हो रहा है, तो हम सभी को जो तनख्वाह मिलती है, वह हम सभी वापस ट्रेजरी में जमा कराना चाहते हैं, तो इसमें आपसे अनुरोध है और यह मैं पटल पर रख रहा हूं (मेजों की थपथपाहट) इस पर सरकार विचार करे, नहीं तो हमारी पूरी तनख्वाह ले ले. हम आज से बिल्कुल बगैर पैसे, बगैर वेतन के जनता के लिये काम करेंगे, यह मैं आपको देना चाहता हूं.
12.03 बजे
ध्यान आकर्षण.
(सदन
द्वारा सहमति
प्रदान की गई)
(1) कटनी नगर
निगम अंतर्गत
घण्टाघर से
जगन्नाथ चौक
सड़क मार्ग
जर्जर होना.
श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल (मुड़वारा) --
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- अध्यक्ष महोदय, मान. उच्च न्यायालय म.प्र. जबलपुर में याचिका क्रमांक 1590/2018 (पीआईएल) श्री नाजिम खान विरूद्ध म.प्र. शासन एवं अन्य में पारित अंतरिम आदेश दिनांक 20.01.2023 के अनुसार जगन्नाथ चौक से खिरहनी फाटक तक मास्टर प्लान के अनुसार अन्य मार्गों के साथ इस मार्ग को 12 मीटर चौड़ीकरण कराने के निर्देश प्रदान किये गये ।
अध्यक्ष
महोदय, यह
हाईकोर्ट के
निर्देश पर 12 मीटर सड़क के
लिये किया
गया. माननीय
सदस्य चाहते
हैं कि 12
मीटर नहीं
करके अभी
जितनी चौड़ाई
है उसी पर कर
दिया जाये तो
यह शायद
माननीय उच्च
न्यायालय के
निर्देश की
अवमानना होगी.
श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने कहीं भी यह नहीं कहा कि सड़क का चौड़ीकरण न हो मेरा कहना यह है कि सड़क के दोनों ओर चौड़ीकरण होना है और वही माननीय मंत्री जी का भी जवाब है माननीय उच्च न्यायालय में जो भू-अर्जन की राशि है उसको लेकर प्रकरण लंबित है. इन सब में समय लग रहा है और जैसा मंत्री जी ने कहा कि डब्लूबीएम रोड बनाई गई है उससे जो धूल,मिट्टी उड़ रही है 3 साल से उससे लोग प्रभावित हो रहे हैं और आपको अभी कम से कम 2 से 3 साल लगेंगे. वहां पर स्वच्छता मित्रों की बस्ती है.सामने स्कूल में महात्मा गांधी जी का रात्रि विश्राम हुआ था. किनारे की बस्तियां नीचे हो गई हैं और दूसरी बात स्कूल बसों से लेकर लोगों का आवागमन होता है जब तीन साल लगने हैं तो क्या 2 से 3 साल तक उस सड़क पर धूल,मिट्टी पर लोग चलेंगे. मेरा कहना यह है कि जो अभी वर्तमान सड़क है अभी उस पर एक परत डामरीकरण कर दिया जाये बाकी सड़क चौड़ीकरण की कार्यवाही समानान्तर चलती रहे.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - माननीय अध्यक्ष महोदय, ठीक है जैसा माननीय सदस्य चाहते हैं वैसे मैं निर्देश कर दूंगा.
श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल - बहुत-बहुत धन्यवाद.
(2) भिण्ड जिले में विद्युत संकट होने विषयक
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह (भिण्ड) -
जल संसाधन मंत्री (श्री तुलसीराम सिलावट) -- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह - माननीय अध्यक्ष महोदय, पहली बात तो यह है कि इन्होंने पूरी रामायण पढ़ दी है. यह असत्य छिपाने के लिए बहुत देर तक उत्तर पढ़ते रहे. मेरा आपके माध्यम से एक निवेदन है कि वर्ष 2023 में योजना स्वीकृत हुई. 50-56 ट्रांसफार्मर भिण्ड में रखे हुए हैं. एक वर्ष में केवल 14 ट्रांसफार्मर लगे. जब योजना स्वीकृत है, भिण्ड में ट्रांसफार्मर रखे हुए हैं, खंभे लगे हुए हैं, 40 किलोमीटर लाईन बिछनी है, लेकिन केवल 4 किलोमीटर लाईन बिछी हुई है. यह मनमानी नहीं है, तो क्या है ? आप सदन को गुमराह कर रहे हैं. उन्होंने आपको पढ़ने को दे दिया, तो आपने पढ़ दिया.
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाइये. आपका प्रश्न आ गया है. मंत्री जी उत्तर दे रहे हैं.
श्री महेश परमार - माननीय अध्यक्ष महोदय, सदस्य की पीड़ा को समझिए. इनकी पीड़ा बहुत गंभीर है.
अध्यक्ष महोदय - माननीय सदस्य, आप बैठ जाइये. सदन की मर्यादा का सवाल है. नरेन्द्र जी, आप अपना प्रश्न कीजिये कि आप क्या चाहते हैं ? मंत्री जी उस पर जवाब देंगे.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह - अध्यक्ष महोदय, हम यह चाहते हैं कि अधिकारी को सस्पेंड करें. एक वर्ष हो गया है, हड़ताल हो रही हैं, धरना दे रहे हैं. मैंने एम.डी. महोदय को 25 तारीख को शिकायत की थी. आदरणीय प्रहलाद सिंह पटैल जी को जिला योजना समिति, मुरैना में समीक्षा बैठक में शिकायत की थी, उसके बाद भी कार्यवाही नहीं हो रही है. आप असत्य जानकारी दे रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाइये. मंत्री जी जवाब देंगे. आपका प्रश्न आ गया है.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह - अध्यक्ष महोदय, अधिकारी को सस्पेंड करें.
श्री महेश परमार - माननीय अध्यक्ष महोदय, तुलसी भाई का घोर अपमान हो रहा है. आप क्या इसलिए उधर गये थे, घोर अपमान करवाने के लिए. यह क्या हो रहा है ? तुलसी भाई का बहुत ज्यादा अपमान हो रहा है.
अध्यक्ष महोदय - माननीय अध्यक्ष महोदय, महेश जी आप बैठ जाइये.
श्री तुलसीराम सिलावट - माननीय अध्यक्ष महोदय, सम्मानीय सदस्य ने जो पीड़ा व्यक्त की है. मैं इसकी सम्पूर्ण जांच करवाकर दोषी पाये गये, तो कार्यवाही करूँगा.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह - तीन ट्रांसफार्मर रखे नहीं गए हैं. आजादी के बाद 74 वर्ष हो गए हैं, वह परमिशन नहीं दे रहे हैं. मैंने आपसे शिकायत की, प्रभारी मंत्री जी से शिकायत की, एम.डी. से शिकायत कर रहे हैं. माननीय जो हमारे प्रभारी मंत्री हैं, उनसे शिकायत कर रहे हैं, हम कहां शिकायत करें ? हम यहां नहीं बोलें, तो कहां पर बोलें ? आप सस्पेंड कीजिये.
अध्यक्ष महोदय - आप कृपया बैठ जाइये.
श्री तुलसीराम सिलावट - माननीय अध्यक्ष महोदय, सम्माननीय सदस्य ने जो कहा है, उनको निर्देशित करवाकर अतिशीघ्र लगवा दिये जाएंगे.
अध्यक्ष महोदय - नरेन्द्र सिंह जी, आपका विषय पूरा आ गया है.
श्री भूपेन्द्र सिंह दांगी- अध्यक्ष महोदय, नरेन्द्र सिंह जी बहुत वरिष्ठ विधायक हैं. वे यहां सारे तथ्य और सारी बातें रख रहे हैं, मेरा आसंदी से आग्रह है कि कम से कम उसे निलंबित करके जांच करने में क्या आपत्ति है ? (मेजों की थपथपाहट)
मंत्री जी को भी इसमें कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए. मेरा आसंदी से आग्रह है कि आप कोई व्यवस्था दे दीजिये.
अध्यक्ष महोदय- भूपेन्द्र सिंह जी, आप बहुत वरिष्ठ सदस्य हैं. मेरा अनुरोध है कि प्रश्न यहां आ गया, मंत्री जी ने बहुत ही विस्तृत उत्तर दिया है, कार्यवाही और जांच का आश्वासन भी दिया है. मैंने पूर्व में भी कहा था कि आज 4 ध्यानाकर्षण हैं इसलिए जिनके नाम हों, कृपया केवल वे ही बोलेंगे तो चारों ध्यानाकर्षण ठीक से हो पायेंगे.
श्री भूपेन्द्र सिंह दांगी- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपका संरक्षण भी तो चाहिए.
अध्यक्ष महोदय- कृपया बैठ जायें.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह- अध्यक्ष महोदय, आपसे आग्रह है कि उसे निलंबित करवाकर जांच करा लें.
श्री केशव देसाई (जाटव)- माननीय अध्यक्ष महोदय
अध्यक्ष महोदय- आप बैठ जायें, आपका नाम इसमें नहीं है. भूपेन्द्र सिंह जी बहुत वरिष्ठ सदस्य हैं, मैंने उनसे भी आग्रह किया है.
12.26 बजे
(3) रीवा जिले के सेमरिया थाना अंतर्गत एक व्यक्ति की हत्या किया जाना
श्री अभय मिश्रा (सेमरिया)- अध्यक्ष महोदय, मेरा यह ध्यानाकर्षण मध्यप्रदेश पुलिस की संदिग्ध, स्वेच्छाचारिता युक्त कार्यप्रणाली का एक ज्वलंत उदाहरण है. एक गरीब केवट परिवार दिनांक 17.10.2021, 27.08.2022, 14.08.2024 और 31.08.2024 को नामज़द FIR करवा रहा है कि दोषी व्यक्ति द्वारा मेरी हत्या हो जायेगी. कैमरे के सामने वहां का TI कह रहा है कि जब मर जाना तब आना और फिर 11.11.2024 को सरेआम बाजार में उसकी हत्या कर दी गई.
अध्यक्ष महोदय- अभय जी, आप पुराने सदस्य हैं, आप पहले अपनी ध्यानाकर्षण की सूचना पढ़ें.
श्री अभय मिश्रा-
लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री (श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
अध्यक्ष महोदय -- माननीय सदस्य पहला प्रश्न करें.
श्री अभय मिश्रा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी मैं प्रश्न नहीं कर रहा हूँ. पहले मैं यह कह रहा हूँ कि यह क्या कलयुग है, यह क्या गलत जानकारी दी जा रही है. मंत्री के जवाब में लिखा है कि मैंने पत्र लिखा है जिसमें मैं देवेन्द्र त्रिपाठी को हत्या के आरोप से पृथक करने के संबंध में उल्लेख कर रहा हूँ. मैं यहां कह रहा हूँ कि मुख्य आरोपी वही है जो मध्याह्न भोजन का बहुत बड़ा कॉकस है. उसके नाम से खाता खोला था. पैसे के लेन देन से नाराज था और ले जाकर उसने हत्या करवा दी. यह बता रहे हैं कि पत्र मैंने लिखा था, पृथक करने के लिए यह पढ़ रहे हैं यह इनकी रायटिंग है. इन्होंने मेरे विरुद्ध सिरमौर में भी एक मामला दर्ज कर दिया है. यह बता रहे हैं कि दिनांक 11.12.2024 के दरमियान मृतक अजय केवट की हत्या की थी जिसके संबंध में सिरमौर में चक्काजाम किया गया था. कौन सा चक्काजाम किया गया. मैं सवा साल से सिरमौर नहीं गया हूँ. इस संबंध में थाना सिरमौर में दिनांक 17.11.2024 को अपराध क्रमांक 629/24, धारा 189(2), 351 (2), 126 (2) बी.एन.एस. 27 लोगों के विरुद्ध कायम होकर विवेचनाधीन है. यह सब क्या हो रहा है.
अध्यक्ष महोदय -- आप पूरक प्रश्न तो करें, आप चाहते क्या हैं.
श्री अभय मिश्रा -- यह गलत जानकारी कैसे दी जा रही है.
अध्यक्ष महोदय -- भाषण से रास्ता नहीं निकलेगा.
श्री अभय मिश्रा -- यह हमारे ऊपर मामला दर्ज कर दिए हैं. मैं सिरमौर गया ही नहीं हूँ.
अध्यक्ष महोदय -- आप प्रश्न करें, मंत्री जी बताएंगे.
श्री अभय मिश्रा -- मैं अपना प्रश्न करता हूँ, दिनांक 14 नवम्बर, 2024 को मृतक की पत्नी ज्योति केवट द्वारा थाना प्रभारी सेमरिया को आवेदन पत्र देकर पावती ली गई थी जिसमें देवेन्द्र त्रिपाठी द्वारा हत्या के आरोपियों से समझौते के नाम पर घर से मोटरसाइकिल पर बैठाकर ले जाने व मौके पर उपस्थित रहकर घटना क्रियान्वित कराए जाने पर देवेन्द्र त्रिपाठी को अभियुक्त बनाया जाए. इस संबंध में चश्मदीद गवाह मनोज केवट ने थाने में पुलिस को दिए गए अपने प्रथम कथन में कहा है कि मैंने निम्न आरोपियों के साथ देवेन्द्र त्रिपाठी को लात-घूंसों से मारा..
अध्यक्ष महोदय -- अभय जी आप प्रश्न तो करें.
श्री अभय मिश्रा -- मैं प्रश्न कर रहा हूँ बस एक मिनट. एवं पुलिस की साइबर जांच में भी देवेन्द्र त्रिपाठी का मोबाइल घटना स्थल पर ट्रेस हुआ. एडीजे कोर्ट में धारा 164 के तहत दर्ज कराए गए बयान में सभी चश्मदीद गवाहों ने अपने कथन में कहा है कि त्रिपाठी मौके पर अजय केवट को लात घूंसों से मार रहा था जिसकी प्रति जांचकर्ता पुलिस निरीक्षक श्री पटेल के पास है. गरीबों को आपने फंसा दिया. जितने यह मुजरिम बता रहे हैं उसमें से कोई ठेला लगा रहा है, कोई चाट बेच रहा है उनको आपने फंसा दिया है. असली मुजरिम जिसने पैसे के लेनदेन में ले जाकर मरवा दिया उसको आप बचा रहे हैं. ऊपर से हमारे लेटर को आप गलत कह रहे हैं. मेरा प्रश्न है कि इसमें जिस टीआई ने कहा था कि मर जाए तब आना. आपके अन्दर थोड़ी भी संवेदना हो, पुलिस विभाग के यहां बड़े अधिकारी मौजूद हैं, वे सोचें कि ऐसे टीआई के विरुद्ध क्या कार्यवाही करेंगे. दूसरा रीवा की पुलिस से हटकर, राज्य स्तरीय टीम से इसकी जांच करा दी जाए. रीवा की पुलिस से इसकी जाँच न कराई जाए. मैं जानता हूँ इसमें क्या हो रहा है.
अध्यक्ष महोदय -- आपके दोनों प्रश्न आ गए हैं.
श्री अभय मिश्रा -- अध्यक्ष महोदय, अभी एक प्रश्न आया है. मेरा दूसरा प्रश्न अभी बचा है.
अध्यक्ष महोदय -- ठीक है, एक प्रश्न हो गया है, अब आप दूसरा प्रश्न कर लें.
श्री अभय मिश्रा -- पहले का जवाब आ जाए.
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल -- अध्यक्ष महोदय, जैसा कि माननीय सदस्य बोल रहे थे कि मैंने अपने उत्तर में उल्लेख किया है तो मैंने ऐसा नहीं कहा कि उन्होंने पृथक करने का कहा है, उन्होंने उस पत्र के माध्यम से ऐसा आरोप लगाया था कि आरोपियों ने ले जाकर 1 लाख रुपये देकर हत्या में शामिल करने से किसी को पृथक करने का कहा है. ऐसा उनके पत्र में लिखा हुआ है ऐसा कहा है. दूसरा, हमारी एसआईटी वहां पर जांच कर रही है. माननीय विधायक जी के कहने पर ही तत्कालीन थाना प्रभारी अविनाश पाण्डे को वहां से हटा दिया गया था और अभी एसआईटी जांच हो रही है. वह निष्पक्ष रूप से काम कर रही है.
श्री अभय मिश्रा -- अध्यक्ष महोदय, रीवा पुलिस से जांच नहीं कराना है.
अध्यक्ष महोदय -- अभय जी, कृपया मंत्री जी का जवाब आने दीजिये बीच में नहीं, आपको दूसरा एक अवसर मिलेगा. मंत्री जी पूरा हो गया, तो सदस्य दूसरा प्रश्न करें.
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल -- अध्यक्ष महोदय, यह पूरा हो गया है.
श्री अभय मिश्रा -- अध्यक्ष महोदय, यह बहुत गंभीर मामला है, यह रोज होता है. मध्यप्रदेश में गरीबों को रोज मार दिया जाता है. सोचिये 18 घंटे अनशन में बैठने के बाद वही चाट ठेला वालों के विरुद्ध करके आज भी पूरी कार्यवाही नहीं की गई है. डेढ़ महीना होने को आया है, एक आरोपी को भी गिरफ्तार नहीं किया, उसने जाकर सरेण्डर कर दिया था बाकी किसी को गिरफ्तार करने की इन्होंने कोशिश नहीं की. पूरे आरोपी बाजार में सरेआम घूम रहे हैं. उनको लेकर लोग भयभीत हैं. मैं यह पूछना चाहता हूं कि इसमें जब 164 का बयान दर्ज है, सब कुछ है, कैमरे में ट्रेस है, पूरे फरियादी और गवाहों ने बताया है, यही तो पुलिस की कार्यवाही है, ऐसे ही तो मामला बनता है. बाकी का काम तो कोर्ट का है. आप देवेन्द्र त्रिपाठी को क्यों बचा रहे हैं ? वह किसका रिश्तेदार है मैं आपसे यह पूछना चाहता हूं ? और उसके विरुद्ध कार्यवाही क्यों नहीं कर रहे हैं ? आप मुझे कहिये कि रीवा से बाहर प्रदेश स्तर की किसी पुलिस से आप इसकी जांच कराएंगे. मैं आपसे यह उम्मीद करता हूं. दूसरा, सिरमौर में जो आपने हमारे नाम से यह मामला चक्काजाम को लेकर दर्ज कर दिया यह तो बड़ी खतरनाक बात है. क्या आप यहां गलत जानकारी दे रहे हैं या अगर ऐसा किसा है तो बहुत गलत बात है ? इतनी भी निरंकुशता उचित नहीं है.
अध्यक्ष महोदय -- अभय जी, आपका प्रश्न आ गया. आप बैठिये जवाब आने दीजिये.
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल -- अध्यक्ष महोदय, सिरमौर नहीं वह सेमरिया है.
श्री अभय मिश्रा -- इसमें लिखा है सिरमौर. आप पढ़ लीजिये. मैं फिर से पढ़ देता हूं. यह लिखा है कि जिसके संबंध में सिरमौर में चक्काजाम किया गया.
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल -- अध्यक्ष महोदय, वह प्रिंटिंग मिस्टेक है.
श्री अभय मिश्रा -- अध्यक्ष महोदय, फिर आप यह गलत जानकारी दे रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- अभय जी, आपने अपनी बात रख ली ना, मंत्री जी को बोलने दीजिये.
श्री अभय मिश्रा -- अध्यक्ष महोदय, नहीं साहब, यह कितनी बड़ी बात है कि एक माननीय मंत्री, गृह मंत्री महोदय उत्तर दे रहे हैं और कह रहे हैं कि प्रिंटिंग मिस्टेक है. यह क्या तरीका हुआ. अरे राम ! राम राम राम, बहुत बुरा है. बहुत बुरी स्थिति है. आप इसको राज्य स्तरीय पुलिस से रीवा के बाहर के राज्य स्तरीय अधिकारी से जांच करा दीजिये तो मैं संतुष्ट हूं. रीवा की पुलिस से मामला हटा लीजिये. इतना तो कर सकते हैं ना, अगर आप लोगों का उसमें संरक्षण नहीं है.
अध्यक्ष महोदय -- बैठिये. अभय जी प्रश्न आ गया. आप बैठिये, नहीं तो मैं दूसरा ध्यानाकर्षण बुला लूंगा अगर आप खड़े रहेंगे.
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल -- अध्यक्ष महोदय, उसमें पुलिस निष्पक्ष जांच कर रही है. एसआईटी उसमें गठित हो गई है. एसआईटी की रिपोर्ट आ जाने दीजिये, उसके बाद यदि आप संतुष्ट नहीं होंगे तो पुन: विचार कर लेंगे.
श्री अभय मिश्रा -- अध्यक्ष महोदय, रीवा पुलिस से हटकर, जब मैं बार-बार विरोध कर रहा हूं तो जांच करा लीजिये.
श्री अजय अर्जुन सिंह (चुरहट) -- अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक महोदय बार-बार कह रहे हैं कि रीवा जिले से बाहर की टीम से जांच करा लें, तो मेरा आपसे अनुरोध है कि आप आसंदी से निर्देश दे दें कि ना सही एसआईटी, सीआईडी की जांच करा लें, दूध का दूध, पानी का पानी हो जाएगा. पता चलेगा कि किसका संरक्षण है, किसका हाथ है.
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल -- अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि एसआईटी की जांच आ जाने दें, उसके बाद यदि संतुष्ट नहीं होंगे तो विचार कर लेंगे.
श्री अभय मिश्रा -- अध्यक्ष महोदय, संतुष्ट नहीं हूं तभी तो ध्यानाकर्षण लगाया है. संतुष्ट होता तो क्यों लगाता. संतुष्ट नहीं हूं, तो कैसे संतुष्ट कर देंगे. नहीं साहब.
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल -- अध्यक्ष महोदय, एसआईटी की जांच तो आने दीजिये ना. आप संतुष्ट नहीं थे, आप थाना प्रभारी को हटाना चाहते थे, तो थाना प्रभारी को हटा दिया है. एसआईटी की जांच तो आने दीजिये.
श्री अभय मिश्रा -- अध्यक्ष महोदय, नहीं मैं उससे संतुष्ट नहीं हूं. डेढ़ महीना से देख रहा हूं कि वहां अपराधी खुले आम मारपीट कर रहे हैं. माननीय मंत्री महोदय, करबद्ध निवेदन है कि इतना न्याय करिये, रीवा के बाहर की किसी पुलिस को जांच सौंप दीजिये, कितनी छोटी चीज मांग रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय -- अभय जी, उन्होंने बता दिया है.
श्री अभय मिश्रा -- अध्यक्ष महोदय, आप भी जानते हैं कि रीवा में कौन संरक्षण दे रहा है. कौन रोज अपराध करवा रहा है. रोज लोग अपराधियों को लेकर, हम लोग कैसे जी रहे हैं, हमें पता है ना. रीवा से हटाइये. रीवा के बाहर की पुलिस से कराइये. यह उचित नहीं है.
श्री अभय मिश्रा-- माननीय मंत्री जी, इतना निवेदन है कि न्याय करिये और रीवा के बाहर की पुलिस से जांच करा लीजिये. व्यवधान...
अध्यक्ष महोदय--अभय जी.. ..व्यवधान..
श्री अभय मिश्रा-- माननीय अध्यक्ष जी, वहां के टीआई को निलंबित करने के लिये आप तैयार नहीं हैं. उस टीआई के बारे में कुछ नहीं कहा जिसने कहा कि वह मर जाये तब आना,..व्यवधान..
श्री पंकज उपाध्याय -- मंत्री जी ने आश्वासन दिया था अपहरण और लूट के मामले में उस पर आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई. 13 महिने में आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई, अध्यक्ष महोदय, ऐसा ही मामला है मंत्री जी उसको संज्ञान में लें.
..व्यवधान..
श्री अभय मिश्रा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, रीवा के बाहर की पुलिस से जांच करा लीजिये.
अध्यक्ष महोदय-- अभय जी कृपया बैठें. अब इस प्रश्न पर चर्चा नहीं होगी.
(4) प्रदेश के कई आदिवासी जिलों में बच्चों में कुपोषण होने से उत्पन्न स्थिति
श्री कैलाश कुशवाह (पौहरी)--
मंत्री,महिला एवं बाल विकास विभाग (कुमारी निर्मला दिलीप सिंह भूरिया) - माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री कैलाश कुशवाह—मंत्री जी, एक बार आप इसकी दोबारा सही जानकारी लेकर के देखेंगे, तो आपको सही जानकारी मिल जायेगी. अभी मैं यही कहना चाह रहा हूं कि इसमें कहीं न कहीं धरातल पर कम कागजों में ज्यादा काम हुआ है. इसमें आप विशेष ध्यान दें, क्योंकि गरीब बच्चों का सवाल है. यह एक महत्वपूर्ण बात है, इसलिये मैं आपसे विशेष रुप से कह रहा हूं. माता के लिये गर्भवती से लेकर शिशु के जन्म तक सरकार की कई योजनाएं चल रही हैं. आंगनवाड़ियां, मिनी आंगनवाड़ियां चल रही हैं, मगर विभाग के आंकड़े ही बताते हैं कि अधिक उपस्थित बच्चियों को नर्क में भर्ती कराया जाता है, इससे यह स्पष्ट होता कि सरकार योजनाओं का क्रियान्वयन करने में पूर्णतः अक्षम, असफल साबित हो रही है, जबकि सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में अगर खासकर शिवपुरी की बात करें, तो 2400 से अधिक मिनी आंगनवाड़ियां और आंगनवाड़ियां कार्यरत् हैं..
अध्यक्ष महोदय—कैलाश जी, आप प्रश्न तो करें.
श्री कैलाश कुशवाह— अध्यक्ष महोदय, इसी में प्रश्न भी आ रहा है, वह लास्ट में है.
अध्यक्ष महोदय--इसका जवाब नहीं आयेगा, प्रश्न करेंगे, तो जवाब आयेगा. मंत्री जी, वैसे माननीय सदस्य का प्रश्न है, कुल मिलाकर उन्होंने जो शुरु किया, उनको ऐसा लगता है कि कागजों में ज्यादा काम हो रहा है, धरातल पर नहीं हो रहा है. तो मुझे लगता है कि इसका जवाब आपको दे देना चाहिये.
कुमारी निर्मला भूरिया-- अध्यक्ष महोदय, जो आंकड़े मैंने बताये हैं, वह हमारी राष्ट्रीय एजेंसी है, उसके द्वारा सर्वे किये गये हैं और जो आंकड़े मैंने दिये हैं, वह सही आंकड़े हैं. सरकार कुपोषण के प्रति गंभीर है और इसमें सार्थक प्रयास कर रही है.
श्री कैलाश कुशवाह— अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी से यह पूछना चाहता हूं कि जो आपने जवाब में दिया है और पूरी जानकारी है, तो संख्या क्यों बढ़ रही है, संख्या तो घटनी चाहिये. हमारे बच्चों की संख्या दिन ब दिन बढ़ रही है, ऐसा क्या कारण है.
कुमारी निर्मला भूरिया-- अध्यक्ष महोदय, विभाग द्वारा अटल बिहारी वाजपेयी बाल आरोग्य एवं पोषण मिशन अंतर्गत, मुख्यमंत्री बाल आरोग्य संवर्द्धन कार्यक्रम अंतर्गत गंभीर कुपोषित बच्चों का बहुत अच्छे से पोषण प्रबंधन किया जा रहा है. चिकित्सकीय जटिलता वाले सेम बच्चों के उपचार हेतु एनआरसी में भर्ती कराया जाता है और बाकी बच्चों का समुदाय पर प्रबंधन किया जा रहा है और पोषण ट्रेक जो हम लोगों ने साल भर से शुरु किया है, उसमें जो एक्चुअल कुपोषित बच्चे हैं, उसका आंकड़ा हमारे पास आ रहा है, लेकिन प्रतिशत में हम लोग घट रहे हैं लगातार और अच्छा काम कर रहे हैं.
12.53 अध्यक्षीय घोषणा
श्री दिनेश राय मुनमुन, सदस्य द्वारा सम्पादक, दैनिक महाकौशल एक्सप्रेस समाचार पत्र, सिवनी के विरुद्ध दी गई विशेषाधिकार भंग की सूचना को विशेषाधिकार समिति को सौंपा जाना.
अध्यक्ष महोदय—ध्यान आकर्षण पूर्ण हुए. मैंने श्री दिनेश राय मुनमुन, सदस्य द्वारा सम्पादक, दैनिक महाकौशल एक्सप्रेस समाचार पत्र, सिवनी के विरुद्ध दी गई विशेषाधिकार भंग की सूचना को विशेषाधिकार समिति को जांच, अनुसंधान एवं प्रतिवेदन हेतु सौंप दिया है, कृपया सदन सूचित हो.
12.54 बजे प्रतिवेदनों की प्रस्तुति एवं स्वीकृति
(1) गैर-सरकारी सदस्यों के विधेयकों तथा संकल्पों संबंधी समिति का तृतीय प्रतिवेदन.
12.55 बजे प्रत्यायुक्त विधान समिति का प्रथम एवं द्वितीय प्रतिवेदन
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक(सभापति)- अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रत्यायुक्त विधान समिति का प्रथम एवं द्वितीय प्रतिवेदन प्रस्तुत करता हूं.
अध्यक्ष महोदय- श्री प्रहलाद पटेल जी.
12.56 बजे वक्तव्य
श्रद्धेय अटल बिहारी बाजपेयी जी की जन्मशताब्दी के अवसर पर '' अटल'' ग्राम सुशासन भवन के संबंध में.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री( श्री प्रहलाद सिंह पटेल)- धन्यवाद,माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे पटल पर अपनी बात रखने का मौका
दिया है.
अत: अनुरोध है कि कृपया दिनांक 25.12.2024 को जब श्रद्धेय अटल बिहारी बाजपेयी जी का जन्म शताब्दी दिन है. उसी दिन सिंगल क्लिक से सभी सरपंचों के खातों में यह राशि जायेगी और मैं, इस सदन के सामने यह बाद बड़ी विनम्रतापूर्वक कहना चाहता हूं कि हम सभी दूसरे चरण में जो भी पंचायत भवन होंगे.
हम इस लक्ष्य के प्रति आगे बढ़ें इसलिये मैंने पटल पर यह बात रखने की, यह बात मैंने कही है कि हम अगले पंचायत के चुनाव होने के पूर्व मध्यप्रदेश में, इसी सदन में खड़े होकर यह कह सकें की मध्यप्रदेश की कोई भी पंचायत, भवनविहीन नहीं है. अगर कोई 25-30 वर्ष पुराना भी कोई भवन है तो हमने यह किया है कि ( मेजों की थपथपाहट) हम जिला स्तर पर एक समिति का निर्माण करेंगे, जो डिस्मेंटल करने का अधिकार देगी और उस खाली स्थान पर तत्काल राशि देकर उस पर भवन बनाने का काम करेंगे. यह सभी माननीय सदस्यों को सूचित हो. इस नाते मैंने अपनी बात को रखा है. मैं इस पत्र को सभा पटल पर रखने की अनुमति भी चाहता हूं.
12.59 बजे अध्यक्षीय घोषणा
विधेयक के भारसाधक सदस्य द्वारामानीय संसदीय कार्य मंत्री जी को अधिकृत किये जाने संबंधी.
अध्यक्ष महोदय- आज की कार्यसूची के पद 7 के ऊपर 6 में अंकित विधेयक के भारसाधक सदस्य द्वारा उक्त विधेयक के संबंध में प्रस्ताव किये जाने हेतु माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी को अधिकृत किेया गया है.
अत: मैं, विधान सभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियमावली, के नियम- 66 के परन्तुक के अधीन माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी को उक्त विधेयक पर प्रस्ताव प्रस्तुत करने की अनुमति प्रदान करता हूं.
12.49 बजे याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय- आज की कार्य सूची में सम्मिलित सभी याचिकाएं प्रस्तुत की हुई मानी जायेंगी. श्री जगदीश देवड़ा.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत - अध्यक्ष महोदय, जब पंचायत मंत्री जी भवन की घोषणा कर रहे थे, विपक्ष ने ताली नहीं बजाई, आपको भवन नहीं चाहिए क्या?
(मेजों की थपथपाहट)
श्री ओमकार सिंह मरकाम - अध्यक्ष महोदय, सबकी तरफ से आपको वहां भेज दिया है. आप कांग्रेसी तो हो न.
श्री अभय कुमार मिश्रा - ताली हम लोगों ने ही बजाई है, उधर वालों ने नहीं बजाई है.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - देखो, जितने मंत्री बने हो कांग्रेस से जाकर, सब वहां सही समय में ड्यूटी निभाना. ताली बजाते रहना.
श्री बाला बच्चन (राजपुर)- अध्यक्ष महोदय, अभी उसी अनुपात में ताली बजी है. माननीय मंत्री जी, ताली उस अनुपात में बजी है. हमको अंदेशा है कि कहीं ऐसा नहीं हो कि माननीय मुख्यमंत्री जी ने पहले बोल दिया था कि हरेक विधायक को 15-15 करोड़ रुपये दिये जाएंगे. बाद में वह बदल गये और मुकर गये तो अभी मंत्री जी ने जो प्रस्ताव रखा है, वह स्वागत योग्य है लेकिन मिल जाने के बाद इससे ज्यादा डबल मात्रा ताली बजेगी और स्वागत होगा परन्तु मिले तो सही, अंदेशा है.
1.01 बजे शासकीय विधि विषयक कार्य
मध्यप्रदेश माल और सेवा कर (तृतीय संशोधन) विधेयक, 2024 (क्रमांक 29 सन् 2024)
उप मुख्यमंत्री वाणिज्यिक कर (श्री जगदीश देवड़ा) - अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश माल और सेवा कर (तृतीय संशोधन) विधेयक, 2024 पर विचार किया जाय.
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा (जावद) - अध्यक्ष महोदय, जीएसटी काउंसिल के निर्णय के अनुक्रम में केन्द्र सरकार के केन्द्रीय माल और सेवा कर अधिनियम 2017 में समस्त राज्य सरकारों को अपने अपने राज्य में माल एवं सेवा कर अधिनियम 2017 को संशोधन किया जाना होता है. इसी अनुक्रम में केन्द्र सरकार द्वारा वित्त अधिनियम के माध्यम से केन्द्रीय माल और सेवा कर अधिनियम 2017 में संशोधन किया गया है, जिसके तारतम्य में मध्यप्रदेश शासन द्वारा भी माल एवं सेवा कर अधिनियम 2017 में आवश्यक संशोधन के लिए मध्यप्रदेश माल एवं सेवा कर (तृतीय संशोधन) विधेयक, 2024 जारी किया जाना है. उक्त विधेयक के माध्यम से करदाताओं को निम्न सुविधाएं प्रदान की गई हैं.
अध्यक्ष महोदय, करदाता द्वारा पूर्व में विवादास्पद स्थिति होने के कारण कोई कर राशि जमा नहीं की गई हो और बाद में उक्त सप्लाई को कर मुक्त कर दिया गया हो तो करदाता को पूर्व अवधि से संबंधित कर जमा करने से छूट प्रदान करने हेतु प्रावधान लाया गया है. पहले यह प्रावधान नहीं था. रेट्रोस्पेक्टिव डेट में उसका टैक्स पूरा क्लेम करा जाता था, इसलिए उसमें एक न्याय दिया कि किसी ने अगर डिसप्युटेड टैक्स किसी भी प्रेशर में जमा कर दिया तो उसको वापस करने का अधिकार भी है और जमा करने से छूट रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स में भी मिलेगी. यह बहुत जरूरी था क्योंकि टैक्स में एक बैलेंसिंग और पूरे ट्रेड को भारत में एक जैसा करने के लिए केन्द्रीय अधिनियम जो भी आता है उसका करेक्शन स्टेट को भी तुरन्त करना चाहिए. कई राज्यों ने यह कर दिया है.
अध्यक्ष महोदय, मैं वास्तव में वित्तमंत्री जी का बहुत अभिनंदन करता हूं कि उन्होंने समय रहते हुए समय पर सब किया है. दूसरा इसमें महत्वपूर्ण है कि पूर्व में करदाताओं द्वारा धारा 74 के अंतर्गत कार्यवाही के पश्चात् कर राशि जमा कराए जाने की स्थिति में माल एवं सेवा प्राप्तिकर्ता को आईटीसी की पात्रता नहीं होती थी, उक्त विधेयक के माध्यम से वर्ष 2024-25 के पश्चात् की अवधि में उक्त आईटीसी की पात्रता प्रदान किये जाने का भी प्रावधान किया है कि अगर अब भविष्य में उसने किसी डिसप्युट और किसी दबाव में टैक्स जमा कर दिया तो उसको उसका रियम्बर्समेंट या उसको उसका बेनिफिट मिलना शुरू हो जाएगा. एक तरीके से यह ट्रेड में पारदर्शिता के साथ समान अवसर और किसी अलग अलग डिस्ट्रिक्ट में, अलग अलग तरीके से व्याख्या करके कहीं डिसप्युट हो तो उसको वहीं से सेटल करने का इस एक्ट में प्रावधान है, इसलिए इसके समर्थन में मैं खड़ा हुआ हूं. मुझे आशा है कि सभी सहयोग करेंगे, धन्यवाद.
श्री ओमकार सिंह मरकाम (डिण्डौरी) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह जो मध्यप्रदेश माल और सेवा कर (तृतीय संशोधन) विधयेक है, इसके संबंध में मैं कहना चाहता हॅूं कि इसमें एक तो सरकार लगातार करों में वृद्धि करती है, उसमें कोई विचार तो किया नहीं गया, पर जिस व्यक्ति ने कर अधिक दे दिया और देने वाले को उसकी जानकारी नहीं है पर विभाग को तो यह पता हो गया कि उसका कर कितना बनता था और उसको कर कितना देना था. मैं आपके माध्यम से इसमें कुछ जोड़ना चाहता हॅूं कि जो करदाता हैं जिसको जानकारी नहीं है कि मैंने ज्यादा कर दे दिया लेकिन विभाग के पास तो उसकी जानकारी है क्योंकि आपके पास तो अधिकारी /वरिष्ठ अधिकारी हैं सब गणना करते हैं तो क्या माननीय मंत्री जी आप इसमें और जोड़ेंगे कि विभाग के पास जानकारी है कि इसने ज्यादा कर दे दिया है.
अध्यक्ष महोदय, इस संबंध में मैं कहना चाहता हॅूं कि स्वयं विभाग का एक पत्र चला जाए कि आपका इतना ज्यादा कर आ गया है कृपया, इसको आप संज्ञान में लें और इसकी प्राप्ति के लिए आपका यह माध्यम है. माननीय मंत्री जी अगर आप यह करेंगे, तो आपका भी विश्वास बढे़गा और जानकारी के अभाव में जो लोग ज्यादा कर देते हैं, तो उनका भी विश्वास बढे़गा. दूसरी बात यह है कि किसी ने कर ज्यादा दे दिया, उसको वापिस करने की कितने दिन में क्या प्रक्रिया है और जितने दिन आपके पास कर जमा रहेगा, मान लीजिए किसी ने 10 हजार ज्यादा कर दे दिया, तो जितने दिन आपके पास जमा रहेगा, उससे आपको तो इंटरेस्ट मिलेगा लेकिन क्या जिस व्यक्ति का कर ज्यादा जमा है क्या उस व्यक्ति को आप ब्याज भी प्रदान करेंगे. क्योंकि 10 हजार रूपए तो उसने ज्यादा जमा कर दिया. आपके पास जमा है तो आप उसका ब्याज ले रहे हैं तो उसके ब्याज की जो राशि है वह राशि भी उसको देने का प्रावधान हो.
अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय वित्त मंत्री जी से कहना चाहता हॅूं कि आप मेरी बात समझ गए हैं. एक तो जो कर है वह कितना है. दूसरी बात यह है कि जो कर जमा है उस जमा पीरियड की जो इन्टरेस्ट राशि है वह राशि भी अगर उसको आप उपलब्ध कराएंगे, तो मैं समझता हॅूं कि हमारे लिए और आपके लिए भी एक विश्वास पैदा होगा कि विभाग हमारे साथ न्यायसंगत काम कर रहा है. तीसरी बात यह है कि अगर कर की राशि की गणना करने में आपके जो अधिकारी हैं कि किसको कितना स्तर का अधिकार है, इसके लिए अभी संभाग स्तर पर जो आपके संबंधित कार्यालय हैं, खासकर के ग्रामीण क्षेत्रों के जिलों में वह अधिकारी उपलब्ध नहीं हो पाते हैं. हमारा करदाता यदि कर की वापसी के लिए प्रयास करता है तो वहां पर वह सीए के पास जाएगा, उससे बात करेगा. उसने जो प्रस्ताव दिया, उसको एक्सेप्ट नहीं किया, तो बार-बार जाता है, तो इसमें मेरा अनुरोध है कि अगर किसी ने ज्यादा राशि जमा कर दी है तो आपके वित्तीय वर्ष में तो गणना होती है. क्लोजिंग इयर डेट पर आप गणना करते हैं तो उसके बाद आप कितने दिन में उन्हें ब्याज सहित राशि वापस कर देंगे, यह भी अगर आप सम्मिलित कर लें, तो बड़ी कृपा होगी.
अध्यक्ष महोदय, मैं एक बात और कहना चाहता हॅूं, मान लीजिए किसी कारण कोई जानकारी के अभाव में कर देने के लिए इच्छुक भी है, खासकर के ग्रामीण क्षेत्रों में और सीए से संपर्क न होने के कारण यह जानकारी नहीं मिल पाती है तो ऐसे प्रकरणों में क्या आप उनके पक्ष को सुनकर के थोड़ी रियायत भी देने की कृपा करेंगे, ताकि आपके प्रति लोगों का विश्वास बढे़. लोग खुले मन से आपके पास आकर के अपनी जो राशि है वह भी आपको दे सकें और आपसे सहयोग की भावना रख सकें, तो मैं समझता हॅूं कि लोगों में उत्साह भी बढे़गा और जागरूकता भी आएगी. माननीय वित्त मंत्री जी से मेरा अनुरोध है कि इसमें जरूर मेहरबानी करें क्योंकि आपका नाम सुनकर ही सब लोगों में बड़ा विश्वास पैदा होता है क्योंकि आपका नाम ही भगवान का नाम है तो कर देने वालों पर भी कृपा करें. ऐसा मेरा अनुरोध है. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री गौरव सिंह पारधी (कटंगी) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में कर कानून में लाए गए संशोधन के लिए मैं माननीय वित्त मंत्री जी को बहुत-बहुत बधाई देता हॅूं और धन्यवाद करता हॅूं कि आपने इस पूरी व्यवस्था को सरलीकरण करने का जो प्रयास किया है, उसके लिए आप बधाई के हकदार हैं. आपने समझते हुए कि अपीलेट ट्रिब्यूनल जो है, उसका कम्पोजीशन नहीं हो पाया था. तो बिना किसी निवेदन से खुद से फर्स्ट अपील से सेकंड अपील के बीच में जो टाईम गेप होता था उसकी आपने समय सीमा बढ़ा दी है. इसके लिये मैं समझता हूं कि जितने करदाता हैं वह आपको धन्यवाद देंगे. मैं भी अपनी तरफ से आपका धन्यवाद करता हूं. साथ ही साथ जब कोई भी करदाता अपील में जाता था और उसको जो राशि जमा करनी पड़ती थी. चूंकि अपील है करदाता मानता है कि मुझे एक्स अमाऊंट जमा करना है विभाग मानता है कि वाय उस झगड़े में कई बार करदाता परेशान हो जाता था. उस परेशानी को भी समझते हुए आपने पहले अपीली राशि 20 प्रतिशत होती थी डिमाण्ड की उसको कम करके आपने 10 प्रतिशत कर दिया. जिसकी अपर लिमिट 25 करोड़ होती थी उसको आपने 20 करोड़ कर दिया इसके लिय पुनः हृदय से आपको धन्यवाद देता हूं. इस संशोधन के पास करने की इस सदन से अनुभूति करता हूं. बहुत बहुत आभार है.
1.12 बजे मध्यप्रदेश माल और सेवा कर (तृतीय संशोधन) विधेयक, 2024
अध्यक्ष महोदय--प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश माल एवं सेवा कर तृतीय संशोधन विधेयक 2024 पर विचार किया जाये. इसमें मंत्री जी कुछ कहना चाहते हैं.
उप मुख्यमंत्री वाणिज्यिक कर, (श्री जगदीश देवड़ा)—जी हां.
अध्यक्ष महोदय—माननीय मंत्री जी.
श्री जगदीश देवड़ा—अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश माल एवं सेवा कर (तृतीय संशोधन) विधेयक, 2024 पर माननीय सदस्य श्री ओमप्रकाश सखलेचा, श्री ओमकार सिंह मरकाम, तथा हमारे साथी गौरव पारधी जी ने भी अपने विचार रखे हैं. चूंकि यह संशोधन जीएसटी काउंसिल के द्वारा किया गया है और केन्द्र सरकार ने भी इसकी स्वीकृति दे दी है और वहां पर लागू भी कर दिया है. अन्य राज्यों में भी यह लागू हो चुका है. यह मध्यप्रदेश में भी आज यहां पर इसको लागू करेंगे. इसमें मैं सभी माननीय सदस्यों का धन्यवाद करता हूं. जीएसटी काउंसिल के निर्णय के अनुक्रम में केन्द्र सरकार को केन्द्रीय माल और सेवा कर अधिनियम 2017 एवं समस्त राज्य सरकार को अपने राज्य के माल एवं सेवाकर अधिनियम , 2017 में संशोधन किया जाना अपेक्षित होता है. इसी अनुक्रम में केन्द्र सरकार द्वारा वित्त अधिनियम के माध्यम से केन्द्रीय माल और सेवा कर अधिनियम, 2017 में संशोधन किया गया है. जिसके तारतम्य में मध्यप्रदेश शासन द्वारा भी मध्यप्रदेश माल एवं सेवाकर अधिनियम, 2017 में यथा आवश्यक संशोधन के लिये मध्यप्रदेश माल एवं सेवाकर (तृतीय संशोधन) विधेयक, 2024 लाया गया है. मध्यप्रदेश माल एवं सेवाकर (तृतीय संशोधन) विधेयक, 2024 मध्यप्रदेश माल एवं सेवाकर अधिनियम, 2017 की 30 धाराओं में तथा अनुसूची 111 में संशोधन किया गया है एवं 3 नई धाराओं का अंतःस्थापन किया गया है. उक्त विधेयक के माध्यम से करदाताओं को निम्न सुविधाएं प्रदान की गई हैं. मैंने उसको संक्षिप्त में लिखा है कि करदाता द्वारा पूर्व में विवादास्पद स्थिति होने के कारण कोई कर राशि जमा नहीं किया गया हो तथा बाद में उक्त सप्लायी को कर मुक्त किया गया हो तो करदाता को पूर्व अवधि से संबंधित कर जमा करने से छूट से प्रदान करने हेतु प्रावधान लाया गया है. इस हेतु नवीन धारा-11 (क) अंतःस्थापित की गई है. करदाता द्वारा अधिनियम में निर्धारित समय-सीमा में विवरण पत्र प्रस्तुत नहीं किये जाने से इनपुट टेक्स क्रेडिट की पात्रता नहीं होती है. वर्ष 2017-18, 2018-19, 2019-20 तथा 2020-21 से संबंधित विवरण पत्रों को 30 नवम्बर 2021 तक प्रस्तुत किये जाने पर उक्त वर्षों से संबंधित आईटीसी को मान्य किया जाकर करदाताओं को सुविधा प्रदान की गई है. इस हेतु धारा-16 (5) एवं धारा-16 (6) अंतःस्थापित की गई है. वर्ष 2017-18, 2018-19 तथा 2019-20 से संबंधित मांग के प्रकरणों में कर राशि जमा किये जाने की स्थिति में ब्याज एवं शास्ति की राशि से छूट प्रदान करने का प्रावधान लाया गया है. इस हेतु धारा-128(क) अंतःस्थापित की गई है. प्रथम अपील जैसा कि माननीय सदस्य ने भी बताया है कि प्रथम अपील के आदेश के विरूद्ध द्वितीय अपील प्रस्तुत करने हेतु अपीलेट ट्रिब्यूनल की स्थापना नहीं होने से करदाताओं की सुविधा के लिये अपीलेट ट्रब्यूनल में अपील प्रस्तुत करने की समय सीमा को धारा 112 के अंतर्गत ट्रिब्यूनल स्थापित होने के 3 माह तक बढ़ाया गया है. करदाताओं की सुविधा के लिये प्रथम अपील एवं द्वितीय अपील आवेदन के साथ जमा की जाने वाली करराशि में कमी की गई है. इस हेतु धारा 107 एवं धारा-112 में परिवर्तन किया जाकर प्रथम एवं द्वितीय अपील के समय जमा की जाने वाली राशि को कम किया गया है.
अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य श्री ओमकार सिंह मरकाम जी ने कुछ सुझाव दिये हैं, अभी परसो ही जी.एस.टी. कांउसिल होने वाली है, तो मैं इन सुझावों को जरूर जी.एस.टी. काउंसिल में रखूंगा, क्योंकि यह सारा जो भी परिवर्तन करना है, कर घटाने का, कर बढ़ाने का या और कोई समस्या होती है, तो जी.एस.टी. कांउसिंल में ही उसको लाना पड़ता है और जी.एस.टी. काउंसिल ही उसको स्वीकृति देती है, तो मैं जरूर आपने जो भी सारगर्भित सुझाव दिये हैं, उनको मैं जरूर उसमें रखूंगा. अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे निवेदन करूंगा कि लाये गये विधेयक को सर्वसम्मति से पारित किया जाये.
श्री अभय मिश्रा -- माननीय मंत्री जी, मैं भी आपको लिखकर कुछ सुझाव दूंगा, आप उनको शामिल कर लें.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश माल और सेवा कर (तृतीय संशोधन) विधेयक, 2024 पर विचार किया जाय.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2 से 36 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2 से 36 इस विधेयक का अंग बने.
प्रश्न यह है कि खण्ड 1,पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1,पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र इस विधेयक का अंग बना.
उप मुख्यमंत्री,वाणिज्यिक कर (श्री जगदीश देवड़ा )-- अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश माल और सेवा कर (तृतीय संशोधन) विधेयक, 2024 पारित किया जाये.
अध्यक्ष महोदय --प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश माल और सेवा कर (तृतीय संशोधन) विधेयक, 2024 पारित किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ
विधेयक पारित हुआ.
(2) मध्यप्रदेश विधान सभा अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष (वेतन तथा भत्ता) संशोधन विधेयक, 2024 (क्रमांक 20 सन् 2024)
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) --अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश विधान सभा अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष (वेतन तथा भत्ता) संशोधन विधेयक, 2024 पर विचार किया जाय.
अध्यक्ष महोदय-- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
श्री ओमकार सिंह मरकाम (डिण्डौरी) -- अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश की आठ करोड़ जनता के बीच में न्याय पालिका, कार्यपालिका और विधायिका के बीच में मैं समझता हूं, सबसे जिम्मेदार अगर कोई संस्था है, तो वह विधानसभा है और माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके सानिध्य में अनुरोध करना चाहूंगा कि जिस तरह से हमारे माननीय अध्यक्ष जी का कुल वेतन 1 लाख 85 हजार है, जिसमें 47 हजार, 45 हजार, 48 हजार और 15 सौ रूपये पर डे है. मुझे ऐसा लग रहा है कि संशोधन जब आता है, तो माननीय मंत्री जो कद्दावर मंत्री हैं, आपके प्रति दिन के जो 15 सौ रूपये दे रहे हैं, उसके विषय में शायद माननीय मंत्री जी ने इंदौर के हिसाब से गणना कर लिया है. हमें पता है, आप मुरैना से बहुत दूर से आते हैं, आपके पास अतिथि आते हैं, आपके पास वह गरीब लोग भी आते हैं, वह उम्मीद करके आते हैं. आप सदन के संरक्षक हैं, 15 सौ रूपये तो कम है और वेतन के संबंध में भी मैं माननीय मंत्री जी से पूछना चाहूंगा कि चीफ सेकेट्ररी का वेतन कितना है ? जरा आप बतायें, हमारे अध्यक्ष महोदय, चीफ सेकेट्ररी से ऊपर है कि नहीं है तो वेतन क्यों कम? आप यहां जनसेवा कर रहे हैं, बैठकर लोगों के हित कर रहे हैं, अभी अध्यक्ष महोदय, आप अनुमति देंगे तो मैं दो हजार गरीबों को रोज आपके घर खाने के लिये भेज दूंगा क्योंकि भोपाल में वह भूखे सोते हैं(हंसी). मैं भेज दूंगा और माननीय मंत्री जी, आप बता देंगे तो मैं इंदौर में भेज दूंगा.
संसदीय कार्यमंत्री( श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- आप पांच हजार लोगों को भेजें, मेरे यहां वैसे ही दो हजार लोगों का भण्डारा चलता है.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- माननीय मंत्री जी, आप पीछे न हटना मैं ईमानदारी से भेजूंगा. माननीय अध्यक्ष महोदय, आप संरक्षण करियेगा. माननीय अध्यक्ष जी, उपाध्यक्ष जी हमारे आप देखिये ब्यूरोक्रेटस के जो सीनियर मोस्ट ऑफिसर हैं, जो 7th पे आपने दिया है, 7th पे पर आपने गणना क्या की है, आपको माननीय अध्यक्ष जी की सुविधाओं पर ध्यान देना चाहिये. माननीय अध्यक्ष महोदय जी, जो दूरगामी क्षेत्र के विधायक हैं भौगोलिक दृष्टि से जितना आप वेतन भत्ता देते हैं उतना तो डीजल में चला जाता है, आने-जाने में बहुत कठिनाई होती है. अब बात यह है कि जिस विधायक का व्यवसाय है वह थोड़ा सा लोड संभाल लेता है, जैसे चेतन्य काश्यप साहब संभाल लेते थे, माननीय विजयवर्गीय जी भी संभाल ले जाते हैं, बाकी गरीब जनप्रतिनिधि भी चुनकर आते हैं, बहुत कठिनाई होती है, 300 किलोमीटर का अपडाउन कैसे करें. माननीय मंत्री जी आप वरिष्ठ हैं, आप कृपा करके इस विषय में विचार करें और इसमें मैं एक अनुरोध माननीय अध्यक्ष जी चाहता हूं कि अगर जो माननीय अध्यक्ष जी टैक्स अपने से देना चाहें उनके विवेक पर छोड़ा जाये, यह क्या है कि आप अधिनियम लाकर के बंदिश कर रहे हैं. मेरा अनुरोध है कि माननीय अध्यक्ष जी, उपाध्यक्ष जी अगर स्वविवेक से कहेंगे, अब भाई चेतन्य काश्यप जी मंत्री जी ने छोड़ दिया तो बाकी को सब लपेट लिये, अरे हमारे एससी, एसटी के जो विधायक आते हैं ग्रामीण क्षेत्र से आते हैं, बहुत सिरदर्द होता है.
श्री कमलेश्वर डोडियार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, ग्रामीण क्षेत्रों में वैसे ही गाडि़यां कम एवरेज देती हैं.
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- माननीय मंत्री जी, मेरा अनुरोध है हमारा प्रोटोकॉल तो चीफ सेक्रेट्री से ऊपर है विधायक का पर बाकी चीजों में, हमारे क्षेत्र के लोग मिलने आते हैं तो हमारे यहां कोई व्यवस्था नहीं है, लेकिन वहीं किसी अधिकारी के घर पर जाते हैं तो 4 से 6 लोग रहते हैं और सिर्फ एक अधिकारी के प्रबंधन में लगे रहते हैं. हमारे यहां लोग आते हैं हम उनका सम्मान करना चाहते हैं पर प्रबंधन होता ही नहीं है. माननीय अध्यक्ष महोदय जी, मेरा अनुरोध है माननीय मंत्री जी आप यह जो अध्यक्ष जी के ऊपर बंदिश लगाने की जो प्रक्रिया चलाये हैं कि कर अपने से भरें, इसमें हाथ जोड़कर निवेदन है कि आप संशोधन करें, जो अध्यक्ष जी अपने से छोड़ देना चाहें, नहीं भरना चाहें आप विवेकाधिकार पर दे दीजिये, आप अधिनियम संशोधन लाकर के आप हमारे अध्यक्ष जी का अपमान न करें, ऐसा मेरा अनुरोध है. जो भी अध्यक्ष जी रहेंगे दोनों हाथ जोड़कर अनुरोध है और विधायकों के वेतन बढ़ाने के लिये अभी बोल दें.
अध्यक्ष महोदय-- ओमकार जी, इस पर कुल 10 मिनट ही हैं.
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- माननीय अध्यक्ष महोदय जी, आपके बाद जो अध्यक्ष बनकर आयेंगे उनका भी दर्द है हो सकता है कोई गरीब आदमी गांव से आ जाये.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत-- दया याचिका ही लगाते रहोगे तो बात कब करोगे, बात करो.
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- आप लोग तो जुगाड़ जमा लिये उधर जाकर ...(हंसी)... अब हम क्या करें भाई. तुलसी सिलावट जी तो देखते ही नहीं हैं बड़े भाई होकर तो हम लोग क्या करें, याचिका ही बोल सकते हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय जी, आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से जानना चाहूंगा कि हमारे विधायकों के वेतन के लिये आज ही घोषणा कर दें, हम इतना स्वागत करेंगे कि कभी नहीं हुआ होगा, बंगाल गये थे प्रभारी बनकर तब भी नहीं हुआ होगा जितना स्वागत हम कर देंगे, आप दिलेरी दिखा दें. वैसे हमें गर्व है कि इस समय माननीय अध्यक्ष जी, माननीय विजयवर्गीय जी, माननीय पटेल जी ऐसा सदन में कभी नहीं हुआ कि केन्द्र से इतने अनुभवी नेता हैं तो आप लोग जरूर कृपा करें साहब हम लोग ग्रामीण क्षेत्र के हैं, इंदौर के नहीं हैं, आप लोग कृपा करके इसका जरूर ध्यान रखें, इंदौर, भोपाल और ग्वालियर वाले अपने चश्मे से न देखें. इसमें मेरा अनुरोध है माननीय अध्यक्ष जी कि इसको माननीय अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पर ही छोड़ दिया जाये कि अगर वह चाहेंगे तो टैक्स स्वयं भरेंगे नहीं चाहेंगे तो सरकार भर देगी ऐसा मेरा अनुरोध है कृपया कर इतना बंधन तो न लगायें, यही मेरा अनुरोध है और विधायकों के लिये जरूर घोषणा कर दें यह मेरा अनुरोध है दिल्ली वालों का वेतन अधिक है और बाकी जगह भी बहुत है, हम लोगों को क्यों मुसीबत में डालते हो. माननीय अध्यक्ष जी यही निवेदन है.
अध्यक्ष महोदय-- अध्यक्ष ने और नेता प्रतिपक्ष ने स्वयं होकर ही घोषित किया है चूंकि एक प्रक्रिया है जो घोषणा है उसको क्रियान्वयन करना है तो एक्ट आता है इसलिये वह एक्ट आया.
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- अध्यक्ष जी, मैं चाहूंगा कि यह नियम न बने, आपके विवेकाधिकार पर रहे, जो अध्यक्ष छोड़ना चाहें वह छोड़ दें जो नहीं चाहें वह न छोड़ें, नियम बन जायेगा तो आने वाले अध्यक्ष के लिये झंझट होगी.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्यक्ष महोदय,आपने कह दिया मैं माननीय सदस्य को बताना चाहता हूं कि इस आसंदी से ही आपने 1 जुलाई को घोषणा की थी कि मैं अपने वेतन पर लगने वाला इनकम टैक्स,अब सरकार नहीं भरेगी अपने हिस्से का मैं भरूंगा. नेता प्रतिपक्ष ने भी घोषणा की थी. यह आपकी सहृदयता थी. आपकी घोषणा के बाद उसको बिल में लाना बहुत जरूरी था इसलिये बिल आया है बाकी नेता प्रतिपक्ष ने भी घोषणा की, आपने भी घोषणा की और हम सब मंत्रीगणों ने भी घोषणा की है इसलिये जबर्दस्ती पर लागू किया जा रहा है यह आपका कहना है.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - अध्यक्ष महोदय, नियम नहीं बनाएं. आपने दिया आपका स्वागत है. आपका हम समर्थन करते हैं आप कानून बनाओगे तो दूसरा अध्यक्ष आएगा अगर वह नहीं देना चाहेगा तो उसको लाना पड़ेगा.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - आप सरकार की, विधान सभा की नियम,प्रक्रिया को समझें ऐसा है कि उन्होंने घोषणा की उसके बाद उस घोषणा के क्रियान्वयन के लिये बिल लाना बहुत ज्यादा जरूरी है.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - व्यक्तिगत रूप से ला दें. आने वाले समय में हो सकता है कोई गरीब आदमी अध्यक्ष बन जाए तब बड़ा मुश्किल हो.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - अच्छा-अच्छा सोचो ना.
श्री उमंग सिंघार - अध्यक्ष महोदय, आपने जो पूर्व में व्यवस्था दी हम उसका स्वागत करते हैं और उसी का पालन कर रहे हैं हमें शिरोधार्य है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - सभी मंत्रीगणों ने पहले मंत्रिमण्डल में घोषणा की फिर अध्यक्ष महोदय, आपने इस आसंदी से की थी. नेता प्रतिपक्ष ने भी अपनी आसंदी से घोषणा की थी कि मैं भी इनकम टैक्स अपने भत्ते में से भरूंगा और आपकी स्वीकृति के बाद ही यह बिल लाया गया है और इसलिये मैं समझता हूं कि सर्वानुमति से यह बिल पारित हो जाये यह मेरा सदन से आग्रह है.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश विधान सभा अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष(वेतन तथा भत्ता) संशोधन विधेयक,2024 पर विचार किया जाय.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2 इस विधेयक का अंग बना.
प्रश्न यह है कि खण्ड 1,पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1,पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र इस विधेयक का अंग बने.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्यक्ष महोदय, मैं,प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश विधान सभा अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष(वेतन तथा भत्ता) संशोधन विधेयक,2024 पारित किया जाय.
प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश विधान सभा अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष(वेतन तथा भत्ता) संशोधन विधेयक,2024 पारित किया जाय.
सर्वसम्मति से प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
(3) मध्यप्रदेश विधान सभा नेता प्रतिपक्ष(वेतन तथा भत्ता)संशोधन विधेयक,2024
श्री कैलाश विजयवर्गीय,मंत्री,संसदीय कार्य - अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश विधान सभा नेता प्रतिपक्ष(वेतन तथा भत्ता)संशोधन विधेयक,2024 पर विचार किया जाय.
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्यक्ष महोदय, मैं सिर्फ इतना ही कहना चाहता हूं कि आपने और नेता प्रतिपक्ष ने सहृदयता से यहां सदन में घोषणा की थी और इसीलिये यह बिल लाया गया है मुझे लगता है कि इसे सर्वानुमति हो तो बहुत अच्छा होगा.
श्री उमंग सिंघार - अध्यक्ष महोदय, सर्वसम्मति से इसको पारित किया जाय.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश विधान सभा नेता प्रतिपक्ष(वेतन तथा भत्ता)संशोधन विधेयक,2024 पर विचार किया जाय.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2 इस विधेयक का अंग बना.
अध्यक्ष महोदय -- एक आग्रह मैं करना चाहता हूँ कि बिल के पश्चात् शून्यकाल की सूचनाएं भी आएंगी और नियम 139 के अधीन फर्टिलाइजर पर भी चर्चा आएगी. जो सदस्य बोलना चाहते हैं, वे दो मिनट में अपनी बात पूरी करेंगे, क्योंकि इस पर डेढ़ घण्टे का समय निश्चित है. बहुत धन्यवाद.
सदन की कार्यवाही भोजनावकाश हेतु 3.00 बजे तक के लिए स्थगित.
(1.31 बजे से 3.00 बजे तक अंतराल)
3.06 बजे {अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए.}
3.07 बजे नियम 267-क के अधीन विषय
(1) नर्मदापुरम् जिले में सड़कें खराब गुणवत्ता और
मंथर गति से बनाई जाना.
डॉ. सीतासरन शर्मा (होशंगाबाद) - माननीय अध्यक्ष महोदय, नर्मदापुरम् जिले के नर्मदापुरम् विधान सभा क्षेत्र में आने वाली (1) पांजरा से रैसलपुर (2) रैसलपुर से निटाया (3) बरंडुआ-रंढ़ाल (4) डोंगरवाड़ा-हासलपुर सड़क का निर्माण कार्य अत्यन्त खराब गुणवत्ता एवं प्रकृति का किये जाने के कारण निर्माण के कुछ ही समय बाद वह खराब हो गई है. करोड़ों रुपये की लागत से बनी उक्त सड़कों के खराब गुणवत्ता के बनाये जाने के कारण उक्त सड़कें अनेक स्थानों पर आवागमन के योग्य नहीं हैं. शिकायत के बाद भी उक्त सड़कों की जांच नहीं की जा रही है. इसके साथ ही निर्माणाधीन मालाखेड़ी-रायपुर एवं रैसलपुर मार्ग का कार्य मंथरगति से चल रहा है, जिसके कारण उक्त मार्ग निर्धारित समयावधि में पूरा नहीं हो सकेंगे. विभाग द्वारा बनाई जा रही सड़कों की खराब गुणवत्ता एवं मंथर गति से बनाई जाने वाली सड़कों पर अधिकारियों का निरीक्षण न होने के कारण शासकीय धन का अपव्यय हो रहा है.
(2) सिवनी के स्कूलों में शिक्षकों की पदस्थापना के संबंध में
अनियमितता बरती जाना.
श्री दिनेश राय मुनमुन (सिवनी) - माननीय अध्यक्ष महोदय, जिला सिवनी अंन्तर्गत स्कूल शिक्षा विभाग एवं जनजातीय कार्य विभाग के अन्तर्गत गत माहों में हुई शिक्षकों की काउंसलिंग में लापरवाही बरते जाने की शिकायतें प्राप्त हुई हैं. शिक्षकों को काउंसलिंग के आधार पर स्कूलों में पदस्थ किया जाना चाहिए था, किन्तु ऐसा नहीं किया गया है. कहीं-कहीं तो पद रिक्त नहीं हैं, बताकर किसी और की पदस्थापना कर दी गई, किसी की पदस्थापना करने के बाद निरस्त कर दिया गया. काउंसलिंग में बुलाये गये शिक्षकों के साथ पदस्थापना को लेकर अनियमिततायें बरती गई हैं. कहीं-कहीं तो विषयों के अनुरूप रिक्त पदों में भर्ती/पदस्थापना नहीं की गई है, कुछ शिक्षकों को लेन-देन कर उनकी मनमर्जी के स्कूलों में विषय अनुरूप पद रिक्त न होने के बाद भी पदस्थापना कर दी गई है.
(3) श्री अरविन्द पटैरिया (राजनगर) - अनुपस्थित
(4) श्री प्रताप ग्रेवाल (सरदारपुर) - अनुपस्थित
(5) प्रदेश में सड़कों की स्थिति अत्यंत दयनीय होने से सड़क दुर्घटनायें होना
श्री कैलाश कुशवाहा (पोहरी)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है-
(6) मनावर विधान सभा क्षेत्र के अजंदा स्थित शासकीय हाई स्कूल भवन की हालत जर्जर होना
डॉ. हिरालाल अलावा (मनावर)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है-
(7) छतरपुर की कृषि भूमि की खरीदी में क्रेताओं के नामों में पटवारी द्वारा शासकीय रिकॉर्ड में हेर-फेर किया जाना
श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर (खरगापुर)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है-
(8) रतलाम जिला अस्पताल में पदस्थ चिकित्सा अधिकारी द्वारा अभद्र व्यवहार किया जाना
श्री कमलेश्वर डोडियार (सैलाना)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है-
दिनांक 05.12.2024 को लगभग रात को 10 बजे मैं जनहित के विषयों को लेकर जिला चिकित्सालय रतलाम गया, जहां पदस्थ चिकित्सा अधिकारी द्वारा मुझसे अभद्र व्यवहार किया गया और [XX] दी गईं एवं मुझे चिल्ला-चिल्लाकर अपमानजनक शब्दों के साथ बाहर जाने को कहा. जिला चिकित्सालय में विगत कई वर्षों से यह चिकित्सा अधिकारी पदस्थ है एवं अन्य मरीजों के साथ भी आय दिन अभद्र व्यवहार करते रहते हैं एवं [XX] देते रहते हैं जिसकी सूचना पर ही मैं वहां वस्तुस्थिति देखने गया था, मरीजों से मिलने गया था. मैं भी वहां अपना इलाज कराने गया था, मेरा भी इलाज नहीं किया गया. [XX] डॉक्टर को तत्काल बर्खास्त करते हुए इनके द्वारा किये गये अभद्र व्यवहार एवं भ्रष्टाचार की निष्पक्ष जांच पुलिस मुख्यालय स्तर भोपाल से एसआईटी के माध्यम से कराई जाकर बर्खास्त करने की कार्यवाही करने का कष्ट करें क्योंकि मेरे साथ हुई घटना कोई सामान्य घटना नहीं है. मेरे साथ में जाति अत्याचार हुआ है और सरकार ने उल्टा मेरे खिलाफ दो मुकदमें दर्ज कर मुझे ही जेल में डाल दिया था इसलिए स्पष्ट है कि सामान्य आदिवासियों के साथ लगातार अत्याचार हो रहा है. सदन के अंदर भी न्यायपूर्ण चर्चा नहीं हो पा रही है. बहुत-बहुत धन्यवाद.
(9) रीवा जिले में महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना अंतर्गत स्वीकृत कार्यों में सुदूर संपर्क/ खेत सड़क का निर्माण कार्य अधूरा बताया जाना
श्री अभय मिश्रा (सेमरिया)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
(10) डिण्डोरी में कृषक हितग्राहियों को रबि फसल के लिए बीज वितरण में अनियमितता किया जाना
श्री नारारण सिंह पट्टा (बिछिया) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे शून्यकाल का विषय इस प्रकार है.
3. 19 बजे बहिर्गमन
इंडियन नेशनल कांगेस के सदस्यगण द्वारा सदन से बहिर्गमन
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, [XX] हम चाहते हैं कि इस पर भी चर्चा होना चाहिए और इस बात को लेकर हम बहिर्गमन भी करना चाहेंगे कि जिस प्रकार से यह चल रहा है.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय नेता प्रतिपक्ष जी आप बहुत ही अनुभवी सदस्य हैं आपको यह मालूम है कि दूसरे सदन के किसी भी विषय पर यहां चर्चा नहीं होती है.
श्री उमंग सिंघार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, इस प्रकार से बातें नहीं कहीं जाती, जिस प्रकार से चर्चा नहीं कराई जाती. माननीय अध्यक्ष महोदय [XX] इसको लेकर कांग्रेस पार्टी बहिर्गमन करती है.
(इंडियन नेशनल कांगेस के सदस्यों द्वारा नेता प्रतिपक्ष श्री उमंग सिंघार के नेतृत्व में सदन से बहिर्गमन किया गया)
अध्यक्ष महोदय -- माननीय नेता प्रतिपक्ष जी आप जानते हैं कि दूसरे सदन की चर्चा यहां नहीं होती है.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री प्रहलाद पटेल) -- अध्यक्ष महोदय, मेरा पाइंट ऑफ ऑर्डर है. मैं चाहता हूँ कि यह चीजें कार्यवाही से बाहर होनी चाहिए. विधान सभा की जो नियम प्रक्रिया है उसके 251 और 250 दोनों में स्पष्ट उल्लेख है कि किसी दूसरे सदन का या किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति का उल्लेख भी नहीं कर सकते हैं. उन्होंने दोनों बातें की हैं मेरी आपसे प्रार्थना है कि इसे कार्यवाही से बाहर किया जाना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय -- इसे कार्यवाही से बाहर किया जाए.
लोक निर्माण मंत्री (श्री राकेश सिंह) -- अध्यक्ष महोदय, मुझे बस इतना कहना है कि अभी-अभी यहां नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया. वस्तुस्थिति यह है, तमाम मीडिया में चल रहा है कि वहां पर जो नेता प्रतिपक्ष हैं उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के सांसद को धक्का दिया और वे चोटिल हुए. यह एक शर्मनाक बात है. बजाए इसके कि उस बात को स्वीकार करते हुए. उस पार्टी के नेता प्रतिपक्ष होने के नाते उस मामले में वे माफी मांगे, बल्कि वे आरोप लगा रहे हैं जो निंदनीय है. मैं इस बात से सहमत हूँ कि उनकी इस बात को कार्यवाही से विलोपित किया जाना चाहिए.
श्री बाला बच्चन -- (XXX)
अध्यक्ष महोदय -- बाला बच्चन जी, नेता प्रतिपक्ष के बोलने के बाद मुझे लगता है आपका बोलना उचित नहीं है और यह कार्यवाही के अनुरूप भी नहीं है, नियम प्रक्रिया के भी अनुरुप नहीं है.
3.22 बजे शासकीय विधि विषयक कार्य (क्रमश:)
मध्यप्रदेश नगरपालिक निगम (संशोधन) विधेयक, 2024 (क्रमांक 23 सन् 2024)
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूँ कि मध्यप्रदेश नगरपालिक निगम (संशोधन) विधेयक, 2024 पर विचार किया जाए.
अध्यक्ष महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
श्री अभय मिश्रा (सेमरिया) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश नगरपालिक अधिनियम 1956 की धारा 23 (क) में उपधारा.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, यह वर्ष 2024 वाला है यह नगर पालिका निगम का है.
श्री अभय मिश्रा -- मैंने नगरपालिक निगम ही बोला है. उपधारा (1) में संशोधन आया है यह केवल अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के लिए है. मुझे यह समझ में नहीं आ रहा है, हालांकि मोटे तौर पर आ रहा है. चूंकि आपको लगता है कि सभी जगह पर भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष हैं उनकी स्थितियां खराब हैं, उनके कार्य अच्छे नहीं हैं, उन पर अविश्वास की संभावना है इसलिए आप इसे दो तिहाई के स्थान पर तीन चौथाई रखना चाहते हैं. यह संभव न हो पाएगा. यह अच्छी नीयत से लाया गया प्रस्ताव नहीं है. इसमें आपने एक चूक कर दी है. यह जो प्रस्ताव आप लाए हैं यह Retrospective नहीं है. आप इसमें लिखना भूल गए हैं. आपने इसमें लिखा है-- (एक) प्रारंभिक पैरा में, शब्द "दो तिहाई" के स्थान पर शब्द "तीन चौथाई" स्थापित किए जाएं.
(दो) परन्तुक के खण्ड (एक) में, शब्द "दो" वर्ष के स्थान पर शब्द "तीन वर्ष "
स्थापित किए जाएं.
इसी तरह आपको तीसरा लिखना था इसका भूतकालिक प्रभाव हो. Retrospective effect आपको लिखना चाहिए. मैंने हाई कोर्ट से लेकर सभी बड़े वकीलों से पता कर लिया है. इस चूक की वजह से कानून के नैसर्गिक सिद्धांत के अनुरूप इसका इफेक्ट प्रास्पेक्टिव है. मतलब आज की दिनांक के बाद यह लागू होगा. इसका मतलब यह है कि जो अध्यक्ष, जिसका वर्तमान में कार्यकाल है उन पर लागू नहीं होगा. अब जो नए चुनाव होंगे. जो नए अध्यक्ष चुने जाएंगे उन पर लागू होगा. आपका बहुमत है. आप इसको पास कर लेंगे लेकिन यह उच्च न्यायालय में रिजेक्ट हो जाएगा. क्योंकि आपने इसमें मांगा ही नहीं है, आपको इसमें मांगना था. आपकी मंशा इससे पूर्ण नहीं हो रही है. धन्यवाद.
श्री फूलसिंह बरैया (भाण्डेर) -- अध्यक्ष महोदय, यह जो संसोधन विधेयक लाया गया है अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के बारे में, इसको ऐसे देख रहा हूं कि जो अध्यक्ष नगर पालिक निगम, नगर पालिका परिषद वह बहुत नजदीक रहते हैं, पब्लिक इन अध्यक्षों के इर्द गिर्द रहती है तो उनमें संबंध भी बिगड़ जाते हैं और संबंध जब उनके बीच में बिगड़ जाते हैं तो एक दूसरे दबाव से काम कराते हैं. आपने जो विधेयक आज लाया है इसमें अध्यक्ष और उपाध्यक्षों को आपने सख्ती दे दी है और जनता की सख्ती आपने काट दी है. अब जनता का उनके ऊपर कोई दबाव नहीं रह पायेगा और यही नहीं निर्वाचन के ठीक दो साल बाद उनके अविश्वास का प्रस्ताव आ सकता था, आपने 3 साल कर दिया, तो 3 के बाद तो सिर्फ चुनाव ही आने वाला होता है, लोगों का मन उधर चला जाता है. आपने यह पर्मानेंट कर दिया है. जनता का अधिकार काटकर अध्यक्षों को मजबूत किया है और ऐसा संशोधन विधेयक लोकतंत्र को भी कहीं न कहीं डैमेज करता है. आपने जनता के अधिकार काटे हैं. इसका मैं विरोध करता हूं. धन्यवाद.
श्री राजन मण्डलोई (बड़वानी) -- धन्यवाद अध्यक्ष महोदय, नगर पालिका, नगर निगम में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष के कार्यकाल के दो वर्ष के बजाय तीन वर्ष में उनके विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव आ सकता है, साथ में अविश्वास प्रस्ताव पास करने के लिये दो तिहाई की बजाय तीन चौथाई का प्रस्ताव आया है, जबसे नगर पालिका में यह चुनाव हो रहे हैं, वह अप्रत्यक्ष प्रणाली से हो रहा है, पार्षद अध्यक्ष चुनते हैं और अध्यक्ष की जो पीआईसी है, पहले परिषद को पूरे पावर होते थे, अब वह प्रशासकीय और वित्तीय स्वीकृति देने का अधिकार पीआईसी में निहित कर दिये हैं. पीआईसी में निहित करने से अध्यक्ष इतना पावरफुल हो गया है कि वह अध्यक्ष अपनी मनमर्जी से पीआईसी के सदस्य जब चाहे तब बदल सकता है, तो वह अपने स्वयं के तानाशाही निर्णय लेता है. ऐसी स्थिति में अध्यक्ष को और मजबूत और ताकत देंगे तो वह किसी की सुनेगा नहीं. जो निर्वाचित पार्षद हैं, उनका भी कोई महत्व नहीं रह जायेगा और जनता का भी अविश्वास प्रस्ताव लाने का उद्देश्य समाप्त हो जायेगा. इसलिये हम इस बिल का विरोध करते हैं. नगर पालिका अध्यक्ष को इतना सक्षम बनाया जा रहा है, क्योंकि सरकार का ऐसा सोचना है कि सभी अध्यक्ष अधिकतर उनकी पार्टी के हैं, चूंकि चुने भी इसीलिये हैं, जो पार्षद लोग थे उनके बाहुबल और धनबल के आधार पर ही अध्यक्ष बने हैं. आपके भाजपा के ही ज्यादा बने हैं, तो उनको ताकत देने के लिये यह संशोधन लाया जा रहा है. जो पुराना कानून था वह सही था. उसके हिसाब से पार्षदों को भी अपनी बात रखने का मौका मिलता था और यह जो पीआईसी में अधिकार निहित किये हैं उसको भी खत्म करना चाहिये. वित्तीय और प्रशासकीय स्वीकृति का अधिकार वापस परिषद को दिया जाना चाहिये.
श्री सोहनलाल बाल्मीक (परासिया) -- अध्यक्ष महोदय, नगर पालिक निगम का जो विधेयक यहां पर लाया गया है निश्चित रूप से मैं इसका विरोध करता हूं और जैसा हमारे साथियों ने कहा यह बात सही है कि जिस तरीके से विधेयक में जिस चीज का उल्लेख किया गया है उससे अध्यक्षों को ज्यादा समय मिल जायेगा अविश्वास प्रस्ताव के संबंध में, तो जनता का अधिकार निश्चित रूप से इसमें कम होगा और पीआईसी में इतने सारे अधिकार दे दिये गये हैं कि अध्यक्ष, परिषद की बैठक नहीं बुलाते हैं. जो उनको करना होता है पीआईसी में कर लेते हैं बाकी जो पार्षदों का मान सम्मान होता है या उनके कामों को रोक दिया जाता है. यह कहीं न कहीं उचित नहीं है. मेरा इस संबंध में और एक प्रस्ताव है, मैंने माननीय मंत्री जी को पत्र भी लिखा है कि दल बदल कानून का प्रस्ताव भी नगर पालिका के अंदर लाना चाहिये. नगर पालिका के अंदर अध्यक्ष, उपाध्यक्ष या पार्षद डी फॉर्म में राजनीतिक दल से चुनाव लड़ते हैं. दल बदल का इसमें कानून लागू नहीं होता है. आने वाले विधेयक में दल बदल कानून नगर पालिका में भी लागू किया जाए ताकि जिस तरीके से जो बदलाव तुरंत जाकर कर लेते हैं, इसमें कहीं न कहीं रोक लगेगी और खासतौर पर हमारे जितने भी मेयर हैं, नगर पालिका अध्यक्ष हैं, भारतीय जनता पार्टी उनसे जबरदस्ती दबाव बनाकर, उनको ब्लैकमेल करके, उनको कांग्रेस से हटाकर बीजेपी में परिवर्तित कर दिया गया है, तो इस तरीके की कार्यवाही में कहीं न कहीं रोक लगेगी. मेरा आपसे ऐसा निवेदन है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय (संसदीय कार्य मंत्री) -- अध्यक्ष महोदय, शायद माननीय सदस्यों ने इस बिल को ठीक तरीके से पढ़ा नहीं है. अध्यक्ष महोदय, यह नगर निगम के अध्यक्षों के लिये है.नगर निगम के अध्यक्षों के लिये है. महापौर तो सीधे चुने जाते हैं . अध्यक्ष जी, यह नगर निगम अध्यक्षों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आया है इसलिये इसको सदन में लाया गया है क्योंकि पहले तो नगर पंचायत, नगर पालिका सबमें डायरेक्ट चुनाव होते थे पर जब आप लोगों की सरकार थी, आप लोगों को डर था कि जनता हमें डायरेक्ट में हरा देगी आपने जोड़ तोड़ की राजनीति के कारण, प्रत्यक्ष प्रणाली के चुनाव को समाप्त कर दिया. यह वास्तव में संविधान के 73वी और74वीं धारा है जिसमें जनता के द्वारा जनता का प्रतिनिधि होना चाहिये, उस पर कुठाराघात था और इसलिये जब पार्षदों के चुनाव हुये, फिर उसमें से नगर पालिकाओं में अध्यक्ष चुने गये तो उसकी कथा मैं, बाद में सुनाऊंगा, अभी सिर्फ यह नगर निगम के अध्यक्ष का है क्योंकि अध्यक्ष को हटाने के लिये दो तिहाई बहुमत पार्षदों का होगा तो अध्यक्ष ठीक तरीके से काम करेगा, क्योंकि अध्यक्ष का काम सिर्फ परिषद् के संचालन का है, इसके अलावा और कुछ भी नहीं है, और यदि बार बार अध्यक्ष के खिलाफ में इस प्रकार का प्रस्ताव आयेगा तो परिषद् का संचालन ठीक तरीके से नहीं हो सकता है, और इसलिये जरूरी था कि नगर निगम के अध्यक्षों को भी पूरे पांच साल तक काम करने का मौका मिले और इसलिये इस प्रस्ताव को लाया गया है, यह महापौर या अध्यक्ष का नहीं है यह सिर्फ नगर निगम के अध्यक्ष का प्रस्ताव है.
अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से सदन के सभी सदस्यों से निवेदन करना चाहूंगा कि प्रजातंत्र का यह पहला स्तंभ है . आज सांसद से किसी आम जनता को काम नहीं पड़ता, विधायक से बहुत कम काम पड़ता है पर सुबह 6 बजे से रात को सोने तक पार्षद से काम पड़ता है.यदि आप सुबह उठे और पानी नहीं है तो आप पार्षद को (xx), आप घर से बाहर निकलें स्कूटर से और सड़क पर गढ्ढा आ जाये कहीं आप टकरा गये, तो आप किसको (xx). रात को अगर आप सो रहे हैं और मच्छर काटे तो मतदाता किसको (xx), अध्यक्ष महोदय, पार्षद सबसे महत्वपूर्ण इकाई है. प्रजातंत्र की सबसे छोटी है पर सबसे महत्वपूर्ण इकाई है क्योंकि हर व्यक्ति को पानी भी चाहिये, साफ सफाई भी चाहिये, अच्छी नींद भी चाहिये और इसलिये अध्यक्ष महोदय इन नगर पालिका, नगर निगम को सक्षम करना और इनके जनप्रतिनिधियों को अधिकार देना यह हमारी इच्छा है और इसलिये यह नगर निगम के अध्यक्षों के लिेये लाया गया प्रस्ताव है, मैं समझता हूं कि माननीय सदस्यों ने शायद इसको ठीक तरीके से पढ़ा नहीं था, उन्होंने नगर पालिका का जिक्र कर दिया. नगर पालिका का प्रस्ताव इस प्रस्ताव के बाद में आयेगा. तो मैं सदन से निवेदन करूंगा कि इस प्रस्ताव को सर्वानुमति से पारित किया जावे.
श्री अभय मिश्रा -- अध्यक्ष महोदय, यह बात तो इसमें उल्लेखित धारा में ही है इतना तो हम लोगों ने पढ़ लिया है लेकिन मैं यह जानना चाह रहा हूं कि इसको लागू कब से किया जायेगा, अभी से या आगे जो चुनकर के आयेंगे तब..
अध्यक्ष महोदय-- अभय मिश्रा जी, इस पर आप पहले बोल चुके हैं..
श्री अभय मिश्रा -- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी को क्लीयर तो करना होगा कि यह कब से लागू होगा..
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- अभय जी आपके राय बहादुर ठीक नहीं हैं, जो आपको राय देते हैं, देखिये यह अधिनियम जैसे ही पारित हो जायेगा, तो लागू हो जायेगा, पूरा सदन जब अनुमति दे देगा तो लागू हो जायेगा.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न यह है कि मध्य प्रदेश नगर पालिक निगम (संशोधन) विधेयक, 2024 पर विचार किया जाय.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
खण्ड -2 इस खण्ड में एक संशोधन है.
श्री हेमंत सत्यदेव कटारे (अटैर)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि खण्ड-2 में इस प्रकार का संशोधन किया जाये :-
(एक) प्रारंभिक पैरा में, शब्द ''दो-तिहाई'' के स्थान पर, ''तीन चौथाई'' का लोप किया जाय.
(दो) परन्तुक के खण्ड (एक) में शब्द ''दो वर्ष'' के स्थान पर, शब्द ''तीन वर्ष'' का लोप किया जाय.
अध्यक्ष महोदय— अभी कुछ बोलना है, संशोधन तो आ ही गया है, अब क्या बोलना है. चलिये बोलिये.
श्री
हेमंत
सत्यदेव
कटारे—अध्यक्ष
महोदय, मैं
उसका तर्क दे
दूं, मैं क्यों
संशोधन चाहता
हूं. मैं
संक्षिप्त
में ही कह
देता हूं, आप
बोलें, इससे
पहले मैं आपका
आदेश मान
लेता हूं. मैं
यह संशोधन
लेकर आये हैं,
उसका विरोध
करता हूं.
मेरा मानना है
कि
लोकतांत्रिक
प्रक्रिया
में सबसे
मजबूत और
सशक्त तरीका
अविश्वास प्रस्ताव
है, यदि आपको
किसी अध्यक्ष
को जनता के
प्रति उसका
उत्तरदायित्व,
जिम्मेदारी
तय करना है तो.
वह जनता के
प्रति जिम्मेदारी
से काम करे.
यदि दो तिहाई
के स्थान पर
तीन चौथाई
बहुमत कर
दिया, एक
उदाहरण के तौर
पर जैसे अगर 15
मान लेते हैं, 15
पार्षद हैं, 15
पार्षद में
से दो तिहाई
केलकुलेशन
होता है 10. अगर 10
का ही हम लोग
मानकर चलें,
तो 5 लोग ही
बचते हैं.
अध्यक्ष को
हटा दें, तो
मात्र उसको 4
लोग चाहिये
रहते हैं,
अपने साथ करने
के लिये. यदि
उससे एक
संख्या भी
ज्यादा हो
जायेगी, तो यह
अविश्वास
प्रस्ताव
पारित नहीं
हो पायेगा. तो
पहले से ही जो
संख्या है, वह
इतनी ज्यादा
है कि वह
अध्यक्ष को
एक स्टेबल
स्थान पर
पहुंचाने के
लिये
पर्याप्त है,
परन्तु अब
इसको तीन चौथाई
करने का क्या
उद्देश्य है,
यह समझ नहीं आ रहा
है. मैं समझता
हूं कि जनसंघ
ने पुराने
आंदोलनों में
साथ दिया था.
जब जयप्रकाश
नारायण जी ने 1974
में आंदोलन
किये थे,
जिनका उल्लेख
है राइट टू
रिकॉल के
लिये और राइट
टू रिकॉल की
बहुत मांगें
उठी थीं उस
समय पर. बहुत
आंदोलन उठे
थे, उस समय पर
जनसंघ ने खुद समर्थन
किया था. जब जन
संघ ने समर्थन
किया था, तो आज
आप उस
विचारधारा का
कैसे विरोध कर
सकते हैं. यह
बात तब से आई
और राइट टू
रिकॉल को
मजबूत करने की
बात सुप्रीम
कोर्ट ने कई
बार कही.
लेकिन यह तो
सिर्फ अध्यक्षों
को मजबूत कर
रही है. आप दो
वर्ष की जगह 3
वर्ष के
कार्यकाल को
ले जा रहे हैं,
अविश्वास
प्रस्ताव
लाने के लिये.
मुझे लगता है
कि यह एक
घबराई हुई
सरकार का
कमजोर निर्णय
प्रतीत हो रहा
है. जो सिर्फ
और सिर्फ
अध्यक्षों को
सहानुभूति दे
रहा है. यदि यह
निर्णय
पारिता होता
है, तो
अध्यक्ष खुलकर
भ्रष्टाचार
करेंगे, फिर
उनको मालूम है
कि कोई माई का
लाल उन्हें
नहीं हटा
पायेगा.
दूसरी बात,
जैसा आदरणीय
कैलाश
विजयवर्गीय
जी ने कहा कि
यदि कोई भी
छोटी सी जन
समस्या होगी,
निश्चित ही यह
बात सही है कि
पार्षद के घर
पर जनता
जायेगी. लेकिन
फिर उन्होंने
पूछा कि उनको
कौन (xx) बकेगा,पहले
उन्होंने कहा
कि आप (xx)
बकेंगे. फिर
उन्होंने
बोला कि जो
दूसरा आयेगा,
फिर वह भी (xx) बकेगा.
तो पार्षद
विकास करने के
लिये चुना गया
है कि जो घर
आये, (xx) बकेगा,
यह कृपया
स्पष्ट करे,
क्योंकि मुझे
लगता है कि यह
भाषा, पार्षद
जहां जा रहा
है या लोग घर
उसके जा रहे
हैं, (xx)
बकेंगे. हम
अगर, मैं अपनी
बात कर रहा
हूं, मुझे जो
संस्कार मिले
हैं, अगर मुझे
किसी पार्षद
से कोई समस्या
होगी, तो मैं
घर जाऊंगा,
लेकिन (xx)
नहीं बकूंगा.
मैं उनसे
आग्रह करुंगा
कि माननीय
पार्षद जी यह
मेरा काम है,
यदि आप
स्वीकृत करें
या मदद कर
सकते होंगे, (xx)
तो नहीं
बकूंगा.
अध्यक्ष जी,
मुझे मालूम
है कि आप भी
नहीं बकेंगे,
तो आपको भी इस
चीज को हटाना
चाहिये रिकार्ड
से.
अध्यक्ष महोदय—इस शब्द को विलोपित किया जाये.
श्री हेमंत सत्यदेव कटारे—अध्यक्ष महोदय, मैं अपनी बात को सिर्फ इतना ही कहकर समाप्त कर रहा हूं इस पूरे संशोधन पर एक बार पुनर्विचार करना चाहिये. यह हमारी जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया है, जिनका बाबा साहब का चित्र पीछे, जिनको हम लोग सदैव प्रणाम करते हैं, उनके आदर्शों के खिलाफ है यह निर्णय, हम इस संशोधन का विरोध करते हैं और मैं चाहता हूं कि जैसी स्थिति थी पहले यथावत् स्थिति रखी जाये. बहुत बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय— मंत्री जी कुछ कहना चाहेंगे.
श्री कैलाश विजयवर्गीय—अध्यक्ष महोदय, मैं इतना सा कहना चाहता हूं कि जो नगर निगम का एक्ट है, 1956 का. उसमें नगर निगम के अध्यक्ष को कोई प्रशासनिक पावर ही नहीं है. वह सिर्फ परिषद् का संचालन करता है. वह कहां से भ्रष्टाचार करेगा. पहले आप समझिये तो सही नगर निगम के अध्यक्ष की भूमिका क्या है. (श्री अभय कुमार मिश्रा, सदस्य के खड़े होने पर) अब आप हमको रास्ता दिखा देना, हम आपकी क्लास लगवा देंगे. मैं नगर निगम में महापौर भी रहा.
श्री अभय कुमार मिश्रा—आप बोलने भी नहीं देंगे.
श्री कैलाश विजयवर्गीय—अध्यक्ष महोदय, आप जब बोले, मैं तो नहीं खड़ा हुआ ना. अभी बीच में पता नहीं कोई स्प्रिंग लगा रखी है आपने. कभी भी खड़े हो जाते हैं आप.
श्री अभय कुमार मिश्रा— हम ऐसे ही नहीं बोलते हैं, पर अगर हम क्वालिटी की बात नहीं लायेंगे, तो कैसे होगा.
अध्यक्ष महोदय— अभय जी, आप कृपया बैठ जाइये.
श्री कैलाश विजयवर्गीय—अध्यक्ष महोदय, मैं यह कह रहा हूं कि मैं चाहता हूं कि इसमें सर्वानुमति हो जाये तो बहुत अच्छा है, क्योंकि हम एक जन प्रतिनिधि को प्रोटेक्ट कर रहे हैं और वह ठीक तरीके से काम कर सके. उसको काम करने का अवसर दे रहे हैं. इसमें इतनी ही हमारी बिलकुल साफ नीयत है. मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश नगरपालिक निगम (संशोधन) विधेयक,2024 पारित किया जाये.
3.40 बजे
3.41 बजे
5. मध्यप्रदेश नगरपालिका (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2024(क्रमांक 24 सन् 2024)
मेरे पास चर्चा के लिये कोई नाम नहीं हैं. माननीय मंत्री जी कुछ कहना चाहते हैं क्या ?
श्री कैलाश विजयवर्गीय- अध्यक्ष महोदय, मैं इतना ही निवेदन करना चाहता हूं कि प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव हो, जिससे जनता अपने सही प्रतिनिधि चुन सके और 2022 में (मेजों की थपथपाहट) अप्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव हुए और चुनाव के बाद, जिस तरीके से नगरपालिका के अध्यक्ष बने हैं, सारा सदन जानता होगा कि किस प्रकार बने हैं. इसलिये बहुत जरूरी है कि यह प्रत्यक्ष प्रणाली से हो और इसीलिये हमारी मान्यता है कि प्रजातंत्र तभी मजबूत होगा, जब प्रत्यक्ष प्रणाली से हमारा जनप्रतिनिधि चुनकर जाये.
अध्यक्ष महोदय- यह नगरपालिका अध्यक्ष को, जब बन जाते हैं उसके बाद, पहले प्रावधान यह था कि दो साल में दो तिहाई बहुमत से उनके खिलाफ अविश्वास का प्रस्ताव आ सकता था और इसलिये अध्यक्षों का एक प्रतिनिधिमण्डल माननीय मुख्यमंत्री जी से भी मिला था और मुझसे भी मिला था, उन्होंने कहा कि हमें इस संकट से बचायें, क्योंकि हम बहुत दबाव में होकर काम करते हैं. एक चुने हुए जनप्रतिनिधि को स्वतंत्र काम करने का अधिकार मिलना चाहिये, दबाव नहीं होना चाहिये. चाहे पार्षद का हो या किसी का भी हो. पार्षदों के दल संगठित होकर अध्यक्ष को स्वतंत्र रूप से काम करने से रोकते थे और इसलिये यह प्रस्ताव लाया गया है कि अब यदि अध्यक्ष के खिलाफ दो तिहाई बहुमत की जगह तीन चौथाई पार्षदों का चाहिये और दो साल की जगह तीन साल का समय, समय ठठतीन साल के बाद ही आ सकता है.
मैं समझता हूं कि इससे हमारी जो छोटी इकाई है नगरपालिका, उसके अध्यक्ष स्वतंत्र रूप से काम कर सकेंगे, बिना दबाव के काम कर सकेंगे और अपने क्षेत्र में विकास कर सकेंगे और इसलिये प्रस्ताव लाया गया है. मैं सदन के सभी माननीय सदस्यों से निवेदन करूंगा कि प्रजातंत्र को मजबूत करने के लिये और हमारे पहली सीढ़ी के जनप्रतिनिधि को स्वतंत्र रूप से काम करने का अधिकार देने के लिये, आप सब इस प्रस्ताव का समर्थन करें.
श्री अभय कुमार मिश्रा - अध्यक्ष महोदय, मैं अनुमति चाहता हूं. थोड़ा बोलने दीजिए.
अध्यक्ष महोदय - प्लीज, मंत्री जी का जवाब हो गया है. अभय जी, प्लीज, मर्यादाओं का ख्याल रखें.
3.49 बजे मध्यप्रदेश जन विश्वास (उपबंधों का संशोधन) विधेयक, 2024
(क्रमांक 25 सन् 2024)
श्री ओमकार सिंह मरकाम (डिण्डौरी) - अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश की विधान सभा में प्रदेश हित में हम विधायकों को सबसे बड़ा अधिकार है तो वह है नियम और कानून बनाने का और यह जो जन विश्वास संशोधन विधेयक है. मेरा ऐसा मानना है कि विभिन्न कानूनी पहलुओं को ध्यान में रखकर अधिकारियों ने इसको तैयार किया है और पहले जो मंत्री जी प्रस्तुत करने वाले थे, उसकी जगह में माननीय संसदीय कार्यमंत्री जी प्रस्तुत कर रहे हैं. क्या बारिकी से अध्ययन किये हैं? जन विश्वास एक शब्द ऐसा है, अगर हम कहीं भी बोलेंगे तो लोगों का सीधा जुड़ाव होने लगता है जनता का विश्वास. आपका जो इसमें मध्यप्रदेश विद्युत शुल्क अधिनियम 2012 है इसमें आपने 5000 रुपये तक दंडित करने के लिए जो प्रावधान किया है, इसमें क्या आपने इसकी बारिकी देखी है कि किस तरह के लोगों के ऊपर आप दंडित करेंगे? किसके पास अधिकार होगा? क्या उसकी प्रक्रिया होगी, क्या हमारे गुणदोषों के आधार पर हमारे देश के जनमानस की वास्तविक जो परिस्थितियां हैं उसको आंकलन करके आपने उसमें क्या किया है?
अध्यक्ष महोदय, एकदम से यह सीधा पैसा को बढ़ाने के लिए आपने संशोधन लाने का काम किया है. एक तरफ आप बात करते हैं कि गरीबों की हम मदद करेंगे. दूसरी तरफ आप ऐसा कानून लाते हैं , जिसमें नेताओं का सबसे बड़ा जन विश्वास का एक प्रमाण होता है कि अधिकारी उनको तंग करते हैं और नेता उनको न्याय दिला दे. इसी पर विश्वास तय होता है और आज यह राशि बढ़ाने का काम है. कहीं न कहीं माननीय मंत्री जी मेरे ख्याल से श्री कैलाश विजयवर्गीय जी, पहले आप कभी ऊर्जा मंत्री थे कि नहीं थे, मुझे तो ध्यान नहीं है. आप इसको थोड़ा समझ तो लें दादा कि इसमें आप करना क्या चाह रहे हैं? दूसरी बात यह है कि असंगठित कर्मकार कल्याण अधिनियम 2003 में आप जो संशोधन ला रहे हैं आपने सोचा ही नहीं. एक तरफ तो आप असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, जो संगठित नहीं हैं. आप अगर इसमें यह संशोधन लाते कि संगठित क्षेत्र के मजदूरों के हित का कोई पालन नहीं किया गया है, उसके लिए अगर आप करते, तो पूरा सदन आपको और पूरी जनता भी कहती कि असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए आपने प्रयास किया. वहां पर भी आपने नहीं दिया.
अध्यक्ष महोदय, तीसरी बात यह है कि मध्यप्रदेश सहकारी सोसायटी अधिनियम 1960 है. सहकारिता के क्षेत्र में जिस तरह से वर्तमान समय में जो दृष्य आ रहा है उसमें सहकारिता के क्षेत्र से जुडे़ हुए विभिन्न संस्थाओं पर अभी धान खरीदी के जिस तरह के हालात बने हैं और जिस तरह से सहकारिता के क्षेत्र में निजी क्षेत्र में कार्य करते हैं उनके लिए जो परिस्थितियां निर्मित हो रही हैं, उस पर आपने कुछ भी नहीं किया है. पता नहीं कोई अधिकारी होंगे, जिनका सहकारिता क्षेत्र में उनका कोई झुकाव होगा. आप समझ तो गए होंगे कि मंत्री ज्यादा पढे़गें नहीं, हम लोग जो लिखेंगे, उसको बोल देंगे. मैं भी मंत्री था. तब यह कहा जाता था कि मंत्री तो केवल दस्तखत करते हैं लेकिन असल में तो हम ही अंदर काम करते हैं. ऐसा भी कहते थे. तब मैंने उस समय मुख्यमंत्री जी से कहा था कि गांधी जी की फोटो हटाकर इनकी फोटो लगा दूं, तो शायद हमारा काम होने लगे. मैं उस समय निश्चित रूप से कहा था क्योंकि मुझे सही काम करना है.
अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश औद्योगिक अधिनियम 1907 है. आपके पास यह इतनी बड़ी पुस्तक तो आ गई. मेरा यह अनुरोध था कि इसको तीन दिन पहले ही सभी सदस्यों को दिया जाना चाहिए था, जिससे बहुत से सदस्य इस पर बोलते. पता ही नहीं चला, कि इसमें क्या आ रहा है. मैंने इसे ढूंढकर निकाला. यह इतनी बड़ी पुस्तक है. अब इसमें मध्यप्रदेश नगर पालिक अधिनियम 1959 है. नाली बनाने के लिए है. इसमें बात यह आ रही है कि सीधे-सीधे 500 के स्थान पर 5000 अधिरोपित करने का अधिकार आप दे रहे हैं. माननीय संसदीय कार्यमंत्री जी, आपको भी परेशानी होगी. इसमें आपके इंदौर का ही ज्यादा है. लोग आएंगे, फिर अधिकारी परेशान करेंगे. खैर, अभी आप मंत्री हैं तो आपकी बात सुनी जायेगी और बाकियों का क्या हाल होगा. बाकियों की क्या स्थिति होगी.
अध्यक्ष महोदय, कोई सरकारी काम नहीं कर पा रहा है. प्राइवेट लोगों ने चंदा करके काम कर लिया. अब उसकी अनुमति के लिए आपने उनको बाध्य कर दिया. निजी क्षेत्र में जो हमारे लोग जनसहयोग से काम कर रहे हैं, अब जब वे अनुमति लेने के लिए जाएंगे, तो सबको पता है कि एक तकनीकी स्वीकृति के लिए हम विधायक जैसे 20 बार पत्र लिखते हैं और मुझे पता है, मंत्री जी भी बोलते हैं कि यह प्राक्कलन ले आओ तो कहते हैं साहब अभी रूको, हमारे पीडब्ल्यूडी मिनिस्टर मुस्कुरा रहे हैं तंग रहते हैं कि सही समय पर एस्टीमेट नहीं आ पाता. इसके निदान के लिए आप लोग प्राइवेट कॉन्ट्रेक्ट में लाते हैं तब जाकर के वे डीपीआर बनाते हैं. कंसल्टेंट स्थापित रहता है. अब इसको दीवार में लेखन और पेंटिंग में आप फिर 500 को 5000 कर रहे हैं. अब चुनाव में आप का ही कोई कार्यकर्ता गया, उस समय एक तो निर्वाचन का नियम तो चलता ही है. आप का ही कार्यकर्ता गया, वह लिखकर आ गया. अब कार्यकर्ता तो सीधे-साधे हैं. उनको तो अपने नेताओं का प्रचार करना है. लिखकर आ गए, पर वहां भी यह जो लेखन और पेंटिंग है इसमें भी 500 को 5000 बढ़ा रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय, यहां मकान निर्माण के लिए एक गरीब आदमी की बात कर रहा हॅूं. मुझे इस बात का अहसास है कि जिस शहर में जाओ, बहुत लोग हैं जो जन्म लेते हैं, तरस जाते हैं उनको एक व्यवस्थित जमीन कोई नहीं बताता. वह कहीं यहां मकान बनाएंगे, कोई वहां मकान बनाएंगे. योजनाएं तो बहुत हैं. पर धरातल में सच्चाई भी, आज हम भोपाल में देख लें आप गांधी नगर में चले जायें वहां के हालात आपको अलग मिलेंगे. आप जाकर के किसी भी क्षेत्र में चले जायें इसमें जो मकान बनाने के लिये जो व्यवस्थाएं हैं. जब कोई कॉलोनी बनाते हैं उनकी रजिस्ट्री हो जाती है. पर निर्माण माननीय नगरीय प्रशासन मंत्री जी आप खुद ही देख लें क्या हालात होते हैं. अब उसमें आप संशोधन ला रहे हैं कि कहां पर नियमानुसार निर्माण होना चाहिये ? क्या प्रक्रिया होनी चाहिये. गरीब आदमी की जमीन की कोई सुरक्षा नहीं है. गरीब आदमी आज भी हम महसूस करते हैं कि राजनीतिक परिदृश्य यहां पर ऐसा हो गया है कि सही चीज को भी हमारे लोग बोलने में झिझकते हैं. सत्तापक्ष के साथी के मन में तो रहता है कि हम मदद करें. पर सही बात यहां पर नहीं आ पाती.
श्री प्रहलाद पटेल—आप अधिनियम पर तो बोल ही नहीं रहे हो. कुछ का कुछ बोल रहे हो.
श्री ओमकार सिंह मरकाम—अध्यक्ष महोदय, मैं अधिनियम में बता रहा हूं माननीय पटेल साहब यह नगर पालिका का है. इसमें आपने संशोधन में प्रावधान किये हैं सीधे पांच सौ को पांच हजार मतलब इनकम टेक्स माननीय पटेल साहब यह एक में नहीं है सभी में है. मैं अधिनियम की बात कर रहा हूं. हमारी सरकार बड़ी ही पीठ थपथपा रही थी हिन्दी-हिन्दी-हिन्दी अब इसमें लिखा है कि is of living is of doing बड़े बड़े नेतागिरी के लिये हिन्दी हिन्दी फिर इसमें is of living is of doing अभी भी आप निकल नहीं पा रहे हो फंसे हो अधिकारियों की अंग्रेजी में इससे आप निकलो. इसकी सीधी शब्दावली है जन-विश्वास कैसे विश्वास करेंगे लोग अब ऐसा है कि सरकार के लिये एक कहावत है “जबरा मारे रोवन ना दे”. गांव के लोग कहते हैं कि क्या करें साहब सरकार है. मेरा यह कहना है कि इसमें जन चर्चा करवा लीजिये शहरों में, विद्युत के लिये गांवों में तथा सभी विधायकों से फीड बेक ले लीजिये. सत्तापक्ष के विधायकों एवं विपक्ष के विधायकों को इसको पढ़ने का तो अवसर दे दीजिये. बहुत मोटा अधिनियम है. मैं तो कहूंगा कहूंगा कि आप ही पढ़ोगे. मैं इसमें एक शर्त को रखता हूं अगर आप अनुमति दे दें तो एक घंटे के अंदर सबको समझ में आये ऐसा ही मंत्री जी इसको पढ़ दे तब पारित कर लो जरा. आप खुद ही पढ़ लो फिर पारित कर लो इसलिये मेरा अनुरोध है कि कृपया कर इस संशोधन विधेयक सभी सदस्यों को एक बार दिया जाये उसका अध्ययन कराया जाये उसके विधायकों को लगे कि हमें इस विषय में जानकारी है. हमने इस बात को रखा, यह किया जाये. आपके उदाहरण तो जबरदस्त हैं. दिल्ली में थे तो आप हिला देते थे. यहां पर कैसे कमजोर पड़ रहे हो थोड़ा.
अध्यक्ष महोदय—कृपया आप समाप्त करें.
श्री कैलाश विजयवर्गीय—हिलाने की कोशिश वहां से कर रहे हैं, लेकिन आप हैं कि हिल ही नहीं रहे हैं.
श्री ओमकार सिंह मरकाम—अध्यक्ष महोदय,माननीय कैलाश जी, पटेल साहब, माननीय राकेश सिंह जी बड़े ही धुरंधर हैं दिल्ली वाले हमें इसकी उम्मीद थी, लेकिन क्या करें आप भी यहां पर दब जाते हैं क्या करें हम जायें कहां पर बड़ी मुसीबत है. तो मेरा अनुरोध है कि सरकार को सही लाईन में लायें. हमारे जबलपुर वाले आपकी विद्वता पर हमें कोई शक नहीं है. पर लोग आपको बहुत टार्चर कर रहे हैं. बजट नहीं दे रहे हैं, काम नहीं करने दे रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय—कृपया आप बैठ जाएं.
श्री राकेश सिंह—अभी आपको उसी बजट से दिया है.
श्री ओमकार सिंह मरकाम—अध्यक्ष महोदय, माननीय राकेश सिंह जी आप डरो नहीं हम हैं भाई. मेरा अनुरोध है कि इसको अगल सत्र में लायें ताकि अध्ययन करने की अनुमति मिल जाये.आपने समय दिया धन्यवाद.
श्रीमती रीती पाठक(सीधी) -- अध्यक्ष महोदय, मैं हृदय से आपका धन्यवाद करती हूं कि आपने मुझे आज मध्यप्रदेश जन विश्वास विधेयक पर बोलने का अवसर दिया है, यह विधेयक जो उपबंधों के संशोधन का विधेयक है. अध्यक्ष महोदय, कुछ कहने से पहले मैं कहना चाहती हूं कि यह मेरे लिये सौभाग्य का विषय है, यह विधेयक जब आदरणीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी जी ने सदन में लोकसभा में रखा था, तो सदन के सदस्य के रूप में मुझे साक्षी बनने का अवसर मिला था, उस समय यह विधेयक रखा गया था और आज भी मेरे लिये सौभाग्य का विषय है कि मध्यप्रदेश सरकार के द्वारा माननीय मंत्री जी के माध्यम से इस विधेयक को संशोधन के लिये जो आज सदन में पेश किया जा रहा है, उस पर भी मुझे बोलने का अवसर मिल रहा है.
अध्यक्ष महोदय, सबका साथ और सबका विश्वास यह प्रेरणा है, देश को चलाने के लिये और मध्यप्रदेश को चलाने के लिये और इसी विश्वास के साथ आज यह जन विश्वास का विधेयक इस सदन में लेकर हम लोग आये हैं. अध्यक्ष महोदय, इस विधेयक में पांच विभागों को शामिल किया गया है. जिनमें आठ प्रमुख अधिनियमों के 64 उपबंधों का संशोधन का प्रस्ताव हैं, वह पांच विभाग नगरीय विकास एवं आवास विभाग है, श्रम विभाग है, ऊर्जा विभाग है, सहकारिता विभाग है, औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग है.
अध्यक्ष महोदय अगर मैं अपनी बातों को कहूं तो बहुत सारे वक्ता हैं और आपने मुझे बोलने का समय दिया है, अगर मैं कम शब्दों में कहूं तो मैं ऊर्जा विभाग के लिये अपनी बात को यहां पर कहना चाहती हूं. अभी हमारे सदन के सदस्य यह कह रहे थे कि ''ईज ऑफ डूईंग और ईज ऑफ लिविंग'' की बात कर रहे थे, तो इस बात को हम सबको समझना भी पड़ेगा कि यही एक लाईन है, जिसने बिजनेस को बहुत आसान कर दिया है, लोगों के विश्वास को बहुत आसान किया है, सरकार के प्रति विश्वास करने के लिये आसान किया है और जनता आत्मनिर्भर हुई है और यह देश भी आत्मनिर्भरता की ओर आगे बढ़ रहा है और इसी के तहत जब आदरणीय प्रधानमंत्री जी कोई भी विधेयक, कोई भी योजना इस देश के लागू करते हैं, तो सबसे बड़े गौरव की बात यह है कि मध्यप्रदेश उसमें अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और मध्यप्रदेश की सरकार उसमें महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है और उस योजना को या उस कार्य को क्रियान्वित करने के लिये और सफल बनाने के लिये जो जनता के हित के लिये साबित हो सके और आज भारत सरकार ने जन विश्वास अधिनियम 2023 को लागू किया था और जिसके माध्यम से विभिन्न केंद्रीय कानूनों में व्यापक सुधार किये गये और विश्वास आधारित शासन को बढ़ावा दिया गया है और इस पहल से प्रेरित होकर हमारी सरकार औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग के माध्यम से मध्यप्रदेश जन विश्वास उपबंधों में संशो