मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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पंचदश विधान सभा त्रयोदश सत्र
दिसम्बर, 2022 सत्र
सोमवार, दिनांक 19 दिसम्बर, 2022
(28 अग्रहायण, शक संवत् 1944 )
[खण्ड- 13 ] [अंक- 1]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
सोमवार, दिनांक 19 दिसम्बर, 2022
(28 अग्रहायण, शक संवत् 1944 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.05 बजे समवेत् हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}
हास-परिहास
अध्यक्ष महोदय -- आप उधर देखकर प्रणाम कर रहे हैं कमल नाथ जी. मेरी तरफ नहीं देख रहे हैं आप. वहां तो कर लिया आपने, हमारी तरफ देखो न. (हंसी)
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- कमल नाथ जी बहुत होशियार हैं इस मामले में, कहां कब देखना है, यह मालूम है उनको.
अध्यक्ष महोदय -- अच्छा. (हंसी)
राष्ट्रगीत "वन्देमातरम्" का समूहगान
अध्यक्ष महोदय - अब, राष्ट्रगीत "वन्दे मातरम्" होगा. सदस्यों से अनुरोध है कि वे कृपया अपने स्थान पर खडे़ हो जायें.
(सदन में राष्ट्रगीत "वन्दे मातरम्" का समूहगान किया गया.)
11.06 बजे निधन का उल्लेख
(1) श्री फूलचंद वर्मा, भूतपूर्व विधान सभा सदस्य,
(2) श्री मनोज सिंह मण्डावी, भूतपूर्व विधान सभा सदस्य,
(3) श्री भगवत प्रसाद गुरू, भूतपूर्व विधान सभा सदस्य,
(4) श्री मुलायम सिंह यादव, पूर्व केन्द्रीय मंत्री,
(5) श्री आर.मुथैया, पूर्व केन्द्रीय मंत्री,
(6) श्री माणिकराव होडल्या गावित, पूर्व केन्द्रीय राज्यमंत्री,
(7) श्री वेंकट कृष्णमराजु उप्पलपति, पूर्व केन्द्रीय राज्यमंत्री तथा
(8) श्री वाय.के.अलघ, पूर्व केन्द्रीय राज्यमंत्री.
मुख्यमंत्री (श्री शिवराज सिंह चौहान) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश और विशेषकर मालवा में भारतीय जनसंघ का काम खड़ा करने में, बीज बोने में और फिर जड़ें सींचने में जिन नेताओं ने सर्वाधिक योगदान दिया, उनमें से एक स्वर्गीय श्री फूलचंद वर्मा जी थे. सामान्य दलित परिवार से आने के बाद बचपन से ही वे सार्वजनिक जीवन में सक्रिय हुए थे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, संघर्षशील, जुझारू, धैर्यवान, कठिन परिस्थितियों का भी सहजता से मुकाबला करने वाले फूलचंद वर्मा जी की लोकप्रियता का अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि वे न केवल विधान सभा के सदस्य निर्वाचित हुए, बल्कि सरकार में राज्य के उपमंत्री भी रहे और फिर लगातार पांचवीं, छठवीं, सातवीं, नौवीं और दसवीं लोकसभा के भारी बहुमत से सदस्य निर्वाचित होते रहे. ऊपर राजनीति में अच्छा स्थान पाने के बावजूद भी उन्होंने अपनी जड़ों को कभी नहीं छोड़ा. चाहे इन्दौर हो, शाजापुर हो, देवास हो या मालवा हो, अपने ऐसे संघर्षशील और जुझारू नेता को कभी भूल नहीं पाएगा. एक कुशल प्रशासक, जनसमस्याओं के समाधान में सदैव सक्रिय और विशेषकर गरीब और दलितों के कल्याण के लिए श्रीमान फूलचंद वर्मा जी का जीवन समर्पित था. उनके चरणों में मैं श्रद्धा के सुमन अर्पित करता हूँ. उनके जाने से जो स्थान रिक्त हुआ है, उसकी पूर्ति आसानी से की नहीं जा सकती. वे केवल भारतीय जनता पार्टी परिवार में नहीं, राजनीति से उठ के सबके बीच लोकप्रिय थे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, श्री मनोज सिंह मण्डावी जी हमारे अत्यंत लोकप्रिय नेता आज छत्तीसगढ़ जिसको हम कहते हैं, जो कभी मध्यप्रदेश का भाग था, वहां उन्होंने अपनी राजनीति की. आदिवासी कल्याण के लिए लगभग पूरा जीवन उन्होंने समर्पित किया. आदिवासी विकास परिषद् के अध्यक्ष के नाते उन्होंने जनजातीय समाज के कल्याण में कोई कसर नहीं छोड़ी. विधान सभा के सदस्य के बाद छत्तीसगढ़ सरकार में मंत्री के नाते उन्होंने कुशल प्रशासक होने का परिचय दिया और अनेक विभाग गृह, जेल, परिवहन, लोक निर्माण, नगरीय प्रशासन, विधि विधाई, आवास, ये मंत्रालय संभालने का काम किया. उनके निधन से भी हमने एक वरिष्ठ नेता और कुशल प्रशासक को खोया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, श्री भगवत प्रसाद गुरू पाटन जबलपुर से आते थे और सरपंच से लेकर अनेक पदों पर रहे. वे सरपंच भी बने, वे विधायक भी बने और कांग्रेस पार्टी के संगठन के कार्यकर्ता के नाते भी उन्होंने अपने संगठन कौशल का परिचय दिया था. उनके निधन से भी सार्वजनिक जीवन में अपूरणीय क्षति हुई है.
अध्यक्ष महोदय, श्री मुलायम सिंह यादव जी एक ऐसा नाम है जिन्होंने देश की राजनीति की एक जमाने में दिशा बदल दी थी. गरीब और पिछड़े समाज को राजनीति के केन्द्र में लाने का श्रेय अगर कुछ नेताओं को जाता है तो उनमें से एक प्रमुख स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव जी भी थे. जमीन से जुड़े नेता, उनकी राजनीति और कार्यप्रणाली से सचमुच में माटी की सोंधी सुगंध आती थी. ग्रामीण परिवेश, किसान, गरीब, पिछड़े, उनके लिये वह सदैव काम करते रहे और वह जो सही मानते थे फिर उसको पूरी ताकत से वह करते थे और किसी बात की परवाह नहीं करते थे. वर्षों तक उन्होंने उत्तरप्रदेश की राजनीति की दिशा तो बदल ही दी थी देश की राजनीति को भी प्रभावित किया. उनकी लोकप्रियता और पकड़ का अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि 8 बार उत्तरप्रदेश विधान सभा के सदस्य रहे, 2 बार नेता प्रतिपक्ष रहे, 3 बार उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे, विधान परिषद के सदस्य और लोक सभा के भी लगातार सदस्य रहे. रक्षा मंत्री के रूप में भी उन्होंने हमारे देश की बड़ी सेवा की. हमने एक वरिष्ठ राजनेता, एक कुशल प्रशासक, जमीन से जुड़े एक लोकप्रिय नेता को हमने खोया है और मैं सचमुच कहता हूं कि उनकी रिक्तता को जिस ढंग से वह राजनीति कर रहे थे उस क्षेत्र में कोई भर नहीं सकता.
अध्यक्ष महोदय, श्री आर. मुथैया जी तमिलनाडु के लोकप्रिय नेता थे. वह तमिलनाडु विधान सभा के अध्यक्ष भी रहे, 9 वीं और 12 वीं लोकसभा के सदस्य रहकर केन्द्रीय मंत्री जल और भूतल परिवहन रहे. उनके निधन से भी हमने एक वरिष्ठ नेता और कुशल प्रशासक को खोया है.
श्री माणिकराव होडल्या गावित जी बहुत लोकप्रिय नेता थे. महाराष्ट्र विधान सभा के सदस्य और उसके बाद लगातार, 7 वीं, 8 वीं, 9 वीं, 10 वीं, 11 वीं, 12 वीं, 13 वीं, 14 वीं और 15 वीं लोकसभा के सदस्य निर्वाचित हुये. इससे ही उनकी लोकप्रियता का अंदाज लगाया जा सकता है. उनके निधन से भी हमने एक अत्यंत लोकप्रिय नेता को खोया है.
अध्यक्ष महोदय, श्री वेंकट कृष्णमराजु उप्पलपति जी आन्ध्रप्रदेश से आते थे, लोकसभा में आन्ध्रप्रदेश से बी.जे.पी. के सदस्य के नाते उन्होंने प्रतिनिधित्व किया था. वह बहुत कुशल कलाकार थे. तमिलनाडु के बेहद लोकप्रिय सिने अभिनेता, उन्होंने 180 से अधिक तेलगु फिल्मों में काम किया था. वह तमिलनाडु में बहुत लोकप्रिय थे और कला के क्षेत्र में कई पुरस्कार, अभिनय के क्षेत्र में कई पुरस्कार उन्होंने प्राप्त किये थे. उनके निधन से भी हमने एक प्रसिद्ध सिने अभिनेता और लोकप्रिय नेता को खोया है.
श्री वाय. के. अलघ हमारे पंजाब से आते थे. योजना आयोग भारत के सदस्य रहे. कई पदों पर रहकर उन्होंने देश की सेवा की. परिप्रेक्ष्य योजना सलाहकार, उद्योग मंत्रालय में सचिव, जेएनयू नई दिल्ली के कुलपति ऐसे अनेकों पदों को उन्होंने सुशोभित किया है. राज्य सभा के सदस्य के रूप में सदन के सदस्य बने और केन्द्र सरकार में विभिन्न विभागों के मंत्री रहे. उनके निधन से हमने एक प्रमुख अर्थशास्त्री को खोया है, एक कुशल प्रशासक को खोया है.
अध्यक्ष महोदय, आज 19 दिसम्बर है, सहज ही मेरे मन में आया कि मैं पंडित रामप्रसाद बिस्मिल और अश़फाक उल्ला खां, जिनको आज के दिन ही फांसी दी गई थी, ''इलाही वह दिन भी आएगा जब अपना राज देखेंगे, जब अपनी जमीं होगी और अपना आसमां होगा''. एक बार आजादी के तराने गाते हुये आज मुझे याद आ रहा है ''सरफरोश़ी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है जोर कितना बाजुएं कातिल में है''. ''वक्त आने दे बता देंगे तुझे आसमां, हम अभी से क्या बताएं क्या हमारे दिल में है''. देश के लिये उन्होंने सर्वस्व न्यौछावर कर दिया और 19 दिसम्बर के दिन ही दोनों को फांसी दी गई थी. मैं उनके चरणों में भी श्रद्धा के सुमन अर्पित करता हूं. परम् पिता परमात्मा से यह प्रार्थना करता हूं कि दिवंगत जो हमारे नेता हैं उनकी आत्मा को शांति दें और उनके परिजनों, उनके अनुयायिओं को यह गहन दु:ख सहन करने की क्षमता दें. ओम शान्ति.
नेता प्रतिपक्ष (डॉ. गोविन्द सिंह) - अध्यक्ष महोदय, माननीय श्री फूलचंद जी वर्मा, वह जब जनसंघ के बड़े नेता थे, उस समय मैं जबलपुर में पढ़ता था और उन्होंने वहां एक सभा ली थी. वास्तव में वे एक बहुत अच्छे वक्ता थे और बड़े परोपकारी थे, जो भी उनके पास में जाता था, वह उससे बड़े प्रेम से मिलते थे. उस समय विपक्ष में होने के बाद भी जो कोई भी समस्या उनके पास लेकर जाता था, वह बिना किसी राग-द्वेष के हर व्यक्ति की सेवा में संलग्न रहते थे. वे आज हमारे बीच में नहीं हैं. मैं उनके चरणों में प्रणाम और श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.
माननीय श्री मनोज सिंह मण्डावी जी, मध्यप्रदेश की विधान सभा में हमारे साथ वर्ष 2000 तक रहे. उसके बाद वे छत्तीसगढ़ में जाकर अनेक विभागों के मंत्री रहे. अभी माननीय श्री मण्डावी जी, हमारे पंडोखर सरकार के शिष्य थे. पंडोखर सरकार में मंदिर परिसर में रहने के लिए इनका आश्रम भी बन रहा है. इसी वर्ष दो बार लहार विधान सभा में दौरा निकालकर वह आए क्योंकि महाराज पंडोखर सरकार जो हैं, वह हमारी विधान सभा लहार के बरागांव के निवासी हैं, वहां भी उनका एक मंदिर है, उसमें पूजा पाठ करने के लिए वह आते थे.
अभी अप्रैल के महीने में जब हमारे परिवार के सभी सदस्यों ने एक भागवत कथा कराई, उन्होंने उस समय भी वहां आकर एक दिन का पूरा प्रवचन सुना. हमने सोचा ही नहीं था कि अचानक इतनी कम उम्र में और इतने स्वस्थ रहने के बाद भी इतनी जल्दी वह हमारे बीच में नहीं रहेंगे. आज उनके निधन से मुझे बहुत दुःख है. मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि उनके परिवार को इस दारुण दुःख सहने करने की क्षमता प्रदान करे और उनकी आत्मा को शांति पहुंचाए.
माननीय श्री भगवत प्रसाद गुरू जी भूतपूर्व विधान सभा सदस्य, माननीय श्री आर. मुथैया पूर्व केन्द्रीय मंत्री, श्री माणिकराव होडल्या गावित पूर्व केन्द्रीय राज्यमंत्री, माननीय श्री वेंकट कृष्णमराजु उप्पलपति पूर्व केन्द्रीय राज्यमंत्री, माननीय श्री वाय.के. अलघ पूर्व केन्द्रीय राज्यमंत्री, यह सब भी अपने सामाजिक क्षेत्र में, सामाजिक जीवन में जनसेवा में लगे रहे. वे आज हमारे बीच में नहीं हैं. ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि उन सबकी आत्मा को शांति प्रदान करे और उनके परिवार को इस दुःख को सहन करने की क्षमता प्रदान करे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय श्री मुलायम सिंह यादव जी, हमारे पड़ोसी भिण्ड जिले के रहने वाले थे और वह हमारे नेता भी थे. हमारे लहार में आज भी अप्रैल के महीने में वहां पर मंगला देवी का मेला भरता है. उस समय वह पहलवानी करते थे, तब वह राजनीति में नहीं थे. वह साधारण परिवार में रहते हुए, पूरे परिवार को एक साथ लेकर चलते थे, 5 भाई, भतीजे, सब परिवार को एक सूत्र में बांधकर रखने वाले थे. उनकी संगठन क्षमता इसी से प्रतीत होती है. लहार में पहलवानी के लिए एक झंडी लगती थी कि कौन बड़ी झंडी उखाड़ेगा. हम उस समय गांव में मेला देखने जाते थे, गांव में रहते थे. उन्होंने दो बार झंडी उखाड़ी. जिले के आसपास के क्षेत्र जालौन, झांसी, इटावा, भिण्ड इन 4-5 जिलों के लोग वहां पहलवानी में भाग लेने आते थे. लेकिन श्री मुलायम सिंह जी वहां दो बार झंड़ी उखाड़ी. पहलवानी में तो उखाड़ी, इसके बाद शिक्षक थे. वे निजी स्कूल में शिक्षक रहे और धीरे धीरे राजनीति में लगातार जैसे माननीय मुख्यमंत्री जी ने कहा कि बरसों तक, 8 बार विधान सभा में सदस्य रहे, 2 बार विपक्ष के नेता तथा 3 बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे . मैं 1990 से यहां पर हूं, तो उनकी कृपा से हूं. मुलायम सिंह जी के यहां मेरा आना जाना था. शादी में, कथा भागवत कोई होती थी, तो हमको वहां से पत्र मिलता था, सूचना मिलती थी, मैं जाता था, वे हमारे यहां भी आते थे. इसके बाद जब वे हमारे यहां आये, तो उन्होंने हमें चुनाव का टिकट दिलवाया, मुख्यमंत्री रहते हुए दो सभाएं कीं, दो बार उन्होंने हमारे क्षेत्र में हमारे लिये सहयोग किया और उन्होंने उस समय कहा कि आप, जबकि जनता दल में हम 28 लोग जीतकर आये थे,लेकिन उसके पहले उन्होंने कहा, जनता से आवाज लगाई कि आप इनको विधायक बनाओ, मैं इनको मंत्री बनाऊंगा. लेकिन दुर्भाग्य से हमारी सरकार नहीं बनी, पटवा जी मुख्यमंत्री बने. इसलिये हम मंत्री नहीं बने, लेकिन उन्होंने मंत्री बनाने का वायदा किया था. आज वे हमारे बीच में नहीं हैं, वे हमारे पारिवारिक सदस्य के रुप में रहे. अध्यक्ष महोदय, सबसे बड़ी बात थी कि उनमें तत्काल निर्णय लेने की क्षमता थी, आदेश तत्काल होते थे, जैसे माननीय अर्जुन सिंह जी के बारे में सुना है कि वे तत्काल निर्णय लेते थे और बहुत जल्दी आदेश निकलते थे. मुलायम सिंह जी तो उनसे भी ज्यादा आगे थे. एक बार हमारे क्षेत्र के एक कार्यकर्ता का काम था, उनका कोई बहनोई था, उनका तबादला करवाना था. वे डिप्टी कलेक्टर थे. तो वे बोले कि आप चलो. मैं उस समय कांग्रेस में होते हुए भी. कांग्रेस में हम शामिल हो गये थे 26 जनवरी, 1993 में सदस्यता ली और जब हम वहां गये बताकर स्लिप दी, उन्होंने ठहरने की, रहने की, खाने की,होटल की, सब सूचना पर व्यवस्था करवाई और जैसे ही हमने उनको पत्र दिया, मैं वहां से लहार तक नहीं पहुंचा था और मेसेज आ गया कि उनका ट्रांसफर हो गया. इतने तत्काल निर्णय लेने वाले मुलायम सिंह जी आज हमारे बीच में नहीं हैं. उनके चले जाने से व्यक्तिगत क्षति हमें और हमारे सभी क्षेत्र के लोगों को हुई है. इटावा और उत्तर प्रदेश के साथ साथ भिण्ड जिले से उनका बड़ा लगाव था. उनकी हमारे क्षेत्र में रिश्तेदारियां भी हैं. तो वे हमारे बहुत ज्यादा नजदीक थे. आज वे हमारे बीच में नहीं हैं. हम बेहद दुखी हैं और मुलायम सिंह जी की यादगार उत्तर प्रदेश के लोग बनाये रखें और इसके साथ ही साथ मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि वे उनकी आत्मा को शांति पहुंचायें. उनके परिवार को इस दुख को सहन करने की क्षमता प्रदान करें. मैं उनके चरणों में प्रणाम करता हूं. ओम शांति, शांति.
श्री कमल नाथ -- अध्यक्ष जी, श्री फूलचंद वर्मा जी , मेरे साथ संसद में बहुत सारे साल रहे. वे सरल स्वभाव के एक साधारण व्यक्ति थे. हम सेण्ट्रल हॉल में बैठकर जब मध्यप्रदेश के सांसद बैठते थे, हम बैठकर उनके साथ चाय- कॉफी पिया करते थे. ऐसे सरल स्वभाव के व्यक्ति जो राजनीति से ऊपर उठकर समाज सेवा में जिनकी ज्यादा दिलचस्पी थी. वे हमारे बीच में नहीं रहे. हम तो उन्हें याद करते हैं. मैं उन्हें याद करता हूं. उतना समय हमने उनके साथ लोकसभा में और सेण्ट्रल हॉल में बिताया. अध्यक्ष जी, मुलायम सिंह जी से मेरे बहुत पुराने संबंध थे. लगभग 35 साल पुराने संबंध थे. मैं तो उस समय एक नौजवान था, अभी भी हूं. ..(हंसी).. गलतफहमी न हो. तो मुलायम सिंह जी के बारे में बहुत सारी बातें अभी माननीय मुख्यमंत्री जी और नेता प्रतिपक्ष जी ने कही हैं, पर मैं दो बातें कहना चाहता हूं. एक दिन मेरे ख्याल में 22 साल पहले मेरे साथ वे बैठे थे. उन्होंने कहा कि मैं कुछ और लोगों को कल दिन के भोजन में बुलाना चाहता हूं, तो आप आइयेगा. तो मैंने उन्हें कहा कि मैं तो कल हूं नहीं. मैं छिन्दवाड़ा जा रहा हूं कहने लगे कि छिन्दवाड़ा जाते कैसे हैं आप. मैंने कहा कि लगातार तो हम नागपुर जाते हैं और वहां से तीन-साढ़े तीन घंटे का रास्ता है. हम बाय रोड जाते हैं तो उन्होंने अपना फोन लगाया उनके विभाग में कहा कि कमलनाथ को कल प्लेन छिन्दवाड़ा छोड़ने जाएगा और जब भी उनको प्लेन की आवश्यकता हो उनको प्लेन उपलब्ध करा दिया जाए. यह उनका बड़प्पन था. जब मैं संसदीय कार्य मंत्री था रोजाना ऐसे मौके आते जब हमारी सहमति नहीं बनती थी पर मुलायम सिंह जी ने हमेशा उन मुद्दों का समर्थन किया जो जनसेवा के मुद्दे थे. मुझे याद है जब जमीन अधिग्रहण का कानून पास हो रहा था. कई दल उसके समर्थक नहीं थे. मुलायम सिंह जी ने कहा कि यह और कड़ा होना चाहिये. सुषमा स्वराज जी हमारी प्रतिपक्ष की नेता थीं. वे इसे और सरल बनाना चाहती थीं. हम तीनों बैठे और हमने रास्ता निकाला और यह अधिग्रहण का कानून पास हुआ. तो आज मुझे वह बातें याद हैं जो मैंने मुलायम सिंह जी से सीखीं. बहुत कुछ मुझे उनसे सीखने को मिला. उनका टाईम का कोई हिसाब-किताब नहीं होता था. कोई अप्वायमेंट वाली पर्ची नहीं होती थी. अधिकारी हो, शासकीय कर्मचारी हो, उनका मंत्री हो. आ जाओ और दिन भर इसी में सरकार चल जाती थी उनकी पार्टी चल जाती थी और उनका दिन निकल जाता था. ऐसे व्यक्ति थे. जो नार्मल तरीका है उसमें उनका स्टाईल नहीं था. उन्होंने जैसे मुख्यमंत्री जी ने कहा कि देश की राजनीति को एक नया मोड़ दिया. कोई नहीं सोचता था. मुझे याद है 1957-58 में कोई नहीं सोचता था कि मुलायम सिंह जी कोई हस्ती बनेंगे. कभी आगे समाजवादी पार्टी के नाम पर कोई पार्टी चलेगी या मुलायम सिंह जी कभी मुख्यमंत्री बनेंगे पर उन्होंने साबित किया अपनी लोकप्रियता से. एक ऐसी लोकप्रियता उनकी हो गई थी कि वे एक दिन के नोटिस पर दौरा भी कर लेते थे और हजारों की भीड़ जमा हो जाती थी. यह उनकी लोकप्रियता थी. वह आज हमारे बीच में नहीं रहे. मुझे बहुत सारी बातें उनके बारे में याद आती हैं.
हमारे आर.मुथैया,पूर्व केन्द्रीय मंत्री. हमारे मनोज सिंह मण्डावी, हमारे माणिकराव होडल्या गाबित, मुझे याद है माणिकराव गाबित लोकसभा में इतने साल रहे. गांधी टोपी पहनकर आते थे. छोटे से कद के व्यक्ति थे और इतना कम बोलते थे. मैं तो सोचता था कि ये ऐसे व्यक्ति हैं, यह 5-6 बार चुनाव कैसे जीत जाते हैं. जो यहां बाहर बैठे भी बोलते नहीं थे. परंतु एक बहुत महत्वपूर्ण समाज सेवक थे. हमारे वेंकट कृष्णमराजू उप्पलपति,पूर्व केन्द्रीय राज्यमंत्री रहे मैं भी इनके साथ उस समय संसद में थी. श्री वाय.के.अलघ, एक बुद्धिजीवी और प्रसिद्ध इकॉनामिस्ट रहे और बहुत सारे जब हमारे रीफार्म्स आये 1991 में. उसमें बहुत बड़ा हाथ उनका था और आज जो हमारी अर्थव्यवस्था है, अर्थव्यवस्था की आज की नींव वाय.के.अलघ ने डाली थी. आज मैं सभी दिवंगत नेताओं को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं और प्रार्थना करता हूं कि उनकी आत्मा को शांति मिले.
अध्यक्ष महोदय - मैं सदन की ओर से शोकाकुल परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट करता हूं. अब सदन दो मिनट मौन खड़े रहकर दिवंगतों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करेगा.
( सदन द्वारा दो मिनट मौन खड़े रहकर दिवंगतों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की गई.)
ओम शांति...शांति...
दिवंगतों के सम्मान में सदन की कार्यवाही दस मिनट के लिये स्थगित.
पूर्वाह्न 11 बजकर 35 मिनट बजे सदन की कार्यवाही दस मिनट के लिये स्थगित की गई.
विधान सभा पुन: 11.48 बजे समवेत हुई.
11.48 बजे अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुये.
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
राजगढ़ विधानसभा अंतर्गत स्कूलों में शिक्षकों की पदपूर्ति
[स्कूल शिक्षा]
1. ( *क्र. 519 ) श्री बापूसिंह तंवर : क्या राज्य मंत्री, स्कूल शिक्षा महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) राजगढ़ विधानसभा क्षेत्र में कितने प्राथमिक, माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक विद्यालय हैं? सूची उपलब्ध करायें। (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार उपलब्ध सूची में समस्त विद्यालयों में समस्त वर्ग के कितने शिक्षक के पद स्वीकृत हैं? स्वीकृत पदों की संख्या बताएं। (ग) प्रश्नांश (ख) अनुसार उपलब्ध स्वीकृत शिक्षक के पद अनुसार क्या प्रश्नांश (क) अनुसार उपलब्ध शिक्षण संस्थानों में शिक्षक पदस्थ हैं? (घ) प्रश्नांश (ग) अनुसार स्कूलों में पदस्थ शिक्षक प्रश्नांश (क) अनुरूप स्वीकृत पद अनुसार समस्त शिक्षण संस्थाओं में पदों की पूर्ति है? यदि नहीं, तो शासन शिक्षक विहीन अथवा स्वीकृत पद से कम शिक्षक वाले स्कूलों में शिक्षकों की पदस्थापना कर देगा? यदि हाँ, तो समय-सीमा बताएं, नहीं तो कारण बताएं।
राज्य मंत्री, स्कूल शिक्षा ( श्री इन्दर सिंह परमार ) : (क) राजगढ़ विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत 413 प्राथमिक शाला, 151 माध्यमिक शाला एवं 16 उच्चतर माध्यमिक शालाएं हैं। सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) समस्त वर्ग के 1498 पद स्वीकृत है। (ग) जी नहीं। (घ) जी नहीं। पद पूर्ति एक सतत् प्रक्रिया है, समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। शिक्षक विहीन अथवा शिक्षकों की कमी वाली शालाओं में अतिथि शिक्षक की व्यवस्था प्रावधानित है।
श्री बापूसिंह तंवर-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न यह था कि राजगढ़ विधान सभा के अंतर्गत शिक्षक विहीन शालायें और बच्चों के भविष्य का प्रश्न उठता है. माननीय मंत्री जी माध्यमिक, प्राथमिक और हाईस्कूल मिलाकर 580 स्कूल हैं और उसमें स्वीकृत पद 1498 हैं, लेकिन कुछ शालायें ऐसी हैं जिनमें शिक्षक विहीन शालायें हैं और उनके कारण बच्चों का भविष्य अंधकार में है. इसलिये माननीय मंत्री जी से मैं यह चाहता हूं कि कब तक ऐसी शिक्षक विहीन शालाओं में शिक्षकों की पूर्ति कर देंगे. दूसरा माननीय मंत्री जी ने यह कहा कि हम अतिथि शिक्षक नियुक्त कर रहे हैं, लेकिन वह क्षेत्र ऐसा है जहां पर अतिथि शिक्षक ही नहीं मिल रहे हैं तो माननीय मंत्री जी उस जगह क्या करेंगे ?
श्री इन्दर सिंह परमार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य की विधान सभा में जो पद खाली हैं वह आंकड़े बताये हैं, उस अनुसार अतिथि शिक्षक की व्यवस्था की है. अभी हमारे अतिथि शिक्षक उच्च माध्यमिक शिक्षक 90, माध्यमिक शिक्षक 278 और प्राथमिक शिक्षक 101 इनके क्षेत्र में काम कर रहे हैं, लेकिन साथ ही हम भर्ती प्रक्रिया को भी आगे बढ़ा रहे हैं. पिछले वर्ष भी हमने जो भर्ती प्रक्रिया की है उसमें 20326 ऐसे जनजातीय और स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षकों की मध्यप्रदेश में भर्ती हुई है उसमें से कुछ शिक्षक राजगढ़ जिले में भी गये हैं. अभी फिर वर्ष 2022-23 में हमने भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है. इसमें भी लगभग इतने ही पदों पर हम भर्ती करने वाले हैं, उसमें से हमने जहां-जहां ऐसे अतिथि शिक्षक रखे गये हैं वहां पर हम उनकी पूर्ति कर देंगे.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी, उनकी चिंता यह है कि आपने जो नीति बनाई है कि स्कूल को खाली नहीं होने देंगे, यदि ट्रांसफर हो गया है तो वह ट्रांसफर निरस्त माना जायेगा या भरी हुई स्कूल में कोई जाता है, तो उसको भी निरस्त माना जायेगा, उनकी चिंता यह है कि वह संख्या नहीं पूछ रहे हैं, उनके कुछ पर्टिकुलर स्कूल हैं, जहां शिक्षक किसी तरह से नहीं है और अतिथि शिक्षक भी नहीं मिल रहे हैं, क्योंकि वह थोड़ा सा दूरस्थ एरिया है, तो वहां के स्कूलों का पर्टिकुलर दे दें, वहां कोई पोस्टिंग की व्यवस्था हो सके.
श्री इन्दर सिंह परमार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे कुछ जिले ऐसे हैं, जहां पर विद्यार्थी हमारे जिन शालाओं में कम हैं, वहां कम शिक्षक की जरूरत हैं. हम उसका सारा मिलान कर रहे हैं और माननीय सदस्य से हम बात करके ऐसी शालाओं में जहां हैं, वहां हम उनमें से भी व्यवस्था कर देंगे, जब स्थायी नियुक्त होंगे तब उनको कर देंगे. अभी हम डी.ओ. को बताकर वहां के उन स्कूलों की व्यवस्था कर देंगे जहां अतिथि शिक्षक भी जाना नहीं चाहते हैं, मैं माननीय सदस्य से वह सूची ले लूंगा.
श्री बापूसिंह तंवर -- माननीय अध्यक्ष महोदय, चिंता इस बात की है कि पूरे स्कूल खाली कर दिये हैं, इनकी जो ट्रांसफर नीति है, उसमें भेजा ही नहीं है और कई स्कूल में बच्चे कम शिक्षक ज्यादा हो गये हैं.
अध्यक्ष महोदय -- ठीक है, आपका हो गया है, माननीय सदस्य जी आपका हो गया है, उन्होंने कह दिया है कि आप सूची दे दीजिये वह तत्काल व्यवस्था कर देंगे, बाद में भर्ती होगी, अब आगे बढ़ने दीजिये. (श्री बापूसिंह तंवर, सदस्य द्वारा अपने आसन से कुछ कहने पर) आपका हो गया है, आपका उत्तर पूरा आ गया है.
प्रश्न संख्या -- 2 (अनुपस्थित)
सिवनी मालवा स्थित कृषि फार्म
[किसान कल्याण एवं कृषि विकास]
3. ( *क्र. 333 ) श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा : क्या किसान कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सिवनी मालवा विधानसभा क्षेत्र स्थित सिवनी मालवा बीज विकास निगम का कृषि फार्म का कुल रकबा कितने एकड़ का है? (ख) उक्त फार्म में सिंचाई के क्या साधन हैं? (ग) वर्ष 2018-19 से लगाकर वर्ष 2022 -23 तक उक्त कार्य में रबी फसल, खरीफ फसल एवं ग्रीष्म की फसल कितने-कितने एकड़ में बोई गई एवं उनसे वर्षवार अलग-अलग सीजन में अलग-अलग फसल का कितना उत्पादन हुआ?
किसान कल्याण मंत्री ( श्री कमल पटेल ) : (क) म.प्र. राज्य बीज एवं फार्म विकास निगम के अधीनस्थ जिला नर्मदापुरम (होशंगाबाद) में प्रक्षेत्र सिवनी मालवा है। जिसका कुल रकबा 77.5 एकड़ है। (ख) उक्त फार्म में तवॉ नहर एवं कुंआ सिंचाई का साधन है। (ग) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने हमारे माननीय किसान कल्याण मंत्री जी से यह जानना चाहा था कि सिवनी मालवा विधानसभा क्षेत्र जो नर्मदापुरम जिले में है, उसमें कृषि बीज फार्म निगम में कितने एकड़ में खेती होती है और सिंचाई के साधन क्या-क्या हैं? माननीय मंत्री जी ने बताया है कि 77 एकड़ का फार्म है और 59 एकड़ में खेती होती है और उसमें सिंचाई के साधन कुंआ ट्यूबवेल भी है और तवा डेम की नहर से भी सिंचाई है, सिंचाई के पूरे-पूरे साधन हैं. मैं माननीय मंत्री जी से मैं यह जानना चाहता हूं कि 77 एकड़ में से सिर्फ 59 एकड़ में ही खेती क्यों होती है, बाकी की जमीन में खेती क्यों नहीं होती है ?
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा दूसरा प्रश्न यह है कि प्रति एकड़ जो पैदावार बताई है, वहां हमारा किसान 20 क्विंटल प्रति एकड़ पैदा कर रहा है और बीज निगम के फार्म में 15 क्विंटल प्रति एकड़ भी पैदा नहीं हो रहा है, माननीय मंत्री जी बताने की कृपा करें.
श्री कमल पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी ने प्रश्न पूछा था, उसकी जानकारी मैंने दी है और यह जो बीज निगम का क्षेत्र है, इसमें बीज उत्पादन किया जाता है और सोयाबीन की फसल पिछली बार वर्ष 2020-21 में जरूर कम हुई थी, लेकिन इस बार अच्छी हुई है और गेहूं भी अच्छा हो रहा है और 7 लाख 4 हजार 391 का लाभ भी हुआ है, पहले तो बीच निगम और कृषि फार्म घाटे में चलते थे, लेकिन हमने इसको प्रॉफिट में लाये हैं और लाभ में चल रहे हैं.
श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, चूंकि बीच निगम के फार्म में सिंचाई के पूर्ण साधन है, ट्यूबवेल कुंआ भी है और तवा नहर सिंचाई भी है, सिवली मालवा क्षेत्र का किसान एक-एक एकड़ में खरीफ की फसल बोता है, ग्रीष्म की फसल बोता है और रबी की फसल तो बोता ही है, लेकिन बीज निगम के फार्म में जो परिशिष्ट में दिखाया गया है कि वर्ष 2018-19 में मूंग इन्होंने सिर्फ पांच एकड़ में बोई बाकी के रकबे में क्यों नहीं बोई ? उससे हमारी पैदावार बढ़ती है, वर्ष 2019-20 में सिर्फ मूंग सिर्फ 9.3 एकड़ में बोई, वर्ष 2020-21 में मात्र 11एकड़ में मूंग बोई है. ऐसे ही सन् 2021-22 में सिर्फ 13 एकड़ में पैदावार 30 क्विंटल हुई है. हम यह मान लें कि 2.5 क्विंटल प्रति एकड़ पैदावार हुई, जबकि हमारा किसान 5 से 6 क्विंटल प्रति एकड़ पैदावार लेता है. हमारे पास बीज निगम में सारे साधन होने के बावजूद, कृषि विशेषज्ञ होने के बावजूद इतना कम उत्पादन क्यों हो रहा है ? मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूँ.
श्री कमल पटेल - माननीय विधायक जी, मैं आपके समक्ष एक कमेटी बनाकर इसकी जांच करवा दूँगा. अगर इसमें कोई अधिकारी/कर्मचारी दोषी होगा, तो उसके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जायेगी.
श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा - अध्यक्ष जी, सिर्फ एक प्रश्न.
अध्यक्ष महोदय - विधायक जी, आपके कहने से कर दिया है. जांच कमेटी बना दी, आपको अवसर दे दिया है. इससे ज्यादा क्या हो सकता है ?
विद्यालयों में मूलभूत सुविधाएं
[स्कूल शिक्षा]
4. ( *क्र. 236 ) श्री प्रवीण पाठक : क्या राज्य मंत्री, स्कूल शिक्षा महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) ग्वालियर जिले की ग्वालियर दक्षिण विधान सभा क्षेत्र में शिक्षा विभाग द्वारा कितने प्राथमिक, माध्यमिक, हाईस्कूल एवं उ.मा.वि. संचालित हैं? प्रत्येक विद्यालय में अध्ययनरत छात्र संख्या कितनी है? क्या छात्र संख्या अनुसार आवश्यक फर्नीचर, भवन उपलब्ध हैं? कितने विद्यालयों में फर्नीचर, भवन की कमी है? विद्यालयवार जानकारी दें। (ख) इन विद्यालयों में नियमित शुद्ध पेयजल व्यवस्था किस प्रकार की उपलब्ध है? यदि नहीं, तो किस कारण? कितने विद्यालयों में आर.ओ. वॉटर प्लांट उपलब्ध है? आर.ओ. वॉटर प्लांट कब स्थापित किया गया? कितनी राशि व्यय हुई? उनकी गारन्टी अवधि क्या है? वर्तमान में कितने वॉटर प्लांट चालू हैं, कितने कब से बन्द हैं? बन्द होने के कारण की विद्यालयवार जानकारी दें। (ग) कितने विद्यालयों में छात्र-छात्राओं को कम्प्यूटर क्लासेस के माध्यम से पढ़ाई की जाती है? प्रत्येक विद्यालय में कितने कम्प्यूटर स्थापित हैं? उन्हें कब क्रय किया गया? कितनी राशि व्यय हुई? उनकी गारन्टी अवधि क्या है? उत्तर दिनांक तक कितने चालू हैं एवं कितने कब से बन्द हैं? विद्यालयवार जानकारी दें।
राज्य मंत्री, स्कूल शिक्षा ( श्री इन्दर सिंह परमार ) : (क) ग्वालियर जिले की ग्वालियर दक्षिण विधान सभा क्षेत्र में 20 प्राथमिक, 20 माध्यमिक, 05 हाईस्कूल तथा 08 उ.मा.वि. संचालित हैं। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 01 अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 02 अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 03 अनुसार है।
श्री प्रवीण पाठक - माननीय अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद. मैंने माननीय मंत्री जी से अपनी विधान सभा ग्वालियर दक्षिण के विषय में जो कि पूर्णत: इस प्रदेश की अर्बन विधान सभा है. मैंने स्कूल के विषय में प्रश्न पूछा था और माननीय मंत्री जी के माध्यम से, जो मुझे उत्तर मिला है. मैं बहुत क्षमा के साथ आपसे कहना चाहता हूँ कि यह उत्तर धरातल से कोसों दूर है. आपका यह उत्तर यदि मैं इसको सत्य मान लेता हूँ, जो कि अपूर्ण है, तो भी यह मध्यप्रदेश की सरकार के लिये आइना है कि किस प्रकार से मध्यप्रदेश में स्कूलों की स्थिति है और कितना बुरा हाल है ? आपके द्वारा दिये गये उत्तर में मेरी विधान सभा में 20 प्राथमिक विद्यालय हैं, जिसमें से 17 में फर्नीचर नहीं हैं, आपके द्वारा दिये गये उत्तर में मेरे यहां 20 माध्यमिक विद्यालय हैं, जिनमें से 20 के 20 में फर्नीचर नहीं हैं. आपके द्वारा दिये गये उत्तर में मेरे यहां 5 हाई स्कूल हैं, जिनमें से 5 में से 5 में फर्नीचरों की कमी है. आपके द्वारा दिये गये उत्तर में मेरे यहां 8 उच्चतर माध्यमिक विद्यालय हैं, जिसमें से 6 विद्यालयों में फर्नीचर की कमी है.
मैं माननीय मंत्री जी से यह पूछना चाहता हूँ कि सीएम राइज के बड़े-बड़े दावों के बाद, मध्यप्रदेश के नौनिहालों के साथ, आप किस तरह का खिलवाड़ कर रहे हैं ?
अध्यक्ष महोदय - विधायक जी, आप सीधे प्रश्न कीजिये.
श्री प्रवीण पाठक - जी, माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने लगातार कई बार मंत्री जी को भी पत्र लिखे हैं, विभाग को भी पत्र लिखे हैं, हर बार यह विषय उठाया है. मुझे बहुत दु:ख के साथ यह बोलना पड़ रहा है कि आपके विभाग की तरफ से एक तो अर्बन विधान सभा है, उसमें अभी तक क्यों कोई कार्यवाही नहीं की गई है ? मैं माननीय मंत्री जी से यह जानना चाहता हूँ कि कब तक सारे विद्यालयों में फर्नीचर की उपलब्धता हो जायेगी, कब तक नये भवनों का निर्माण हो जायेगा, कब तक सारे विद्यालयों में विद्यार्थियों के लिये स्वच्छ पानी पीने के लिए व्यवस्था हो जायेगी और कब तक नई शिक्षा नीति के तहत विद्यार्थियों को कम्प्यूटर की शिक्षा मिलने लगेगी ?
श्री इन्दर सिंह परमार - माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे जितने भी विद्यालय संचालित हैं, सब स्कूलों में पेयजल की व्यवस्था है, जहां पर ट्यूबवेल लगे हैं, वहां ट्यूबवेल से पानी आता है, जहां ट्यूबवेल नहीं हैं, कुछ स्थान पर नलों से पानी आता है, कुछ जगहों पर ट्यूबवेल भी नहीं हैं, नल भी नहीं हैं, वहां पर हमने वैकल्पिक व्यवस्था की है, पर विद्यालयों में विद्यार्थियों को पेयजल उपलब्ध होता है. जहां तक फर्नीचर का सवाल है, तो हम फर्नीचर की हायर सेकेण्डरी स्कूल में पूर्ति कर रहे हैं, हाई स्कूल में पूर्ति कर रहे हैं, अब धीरे-धीरे मिडिल और प्राथमिक स्कूलों में भी उसकी पूर्ति करेंगे क्योंकि वह पूरे मध्यप्रदेश की स्थिति में हमको इसकी कमी लगती है, लेकिन हम उसको प्राथमिकता के साथ करेंगे. हम हायर सेकेण्डरी स्कूलों में, उसको पूरा करने जा रहे हैं, भवनों का निर्माण भी जहां आवश्यकता पड़ती है क्योंकि भारत सरकार से जो राशि आती थी, आरटीई और इस सब प्रावधानों से राज्य शिक्षा केन्द्र में, उसका हम बराबर सभी विद्यालयों में, छात्र संख्या देखकर कुछ स्कूल ऐसे हैं, जिसमें छात्र संख्या बहुत कम है, हम प्राथमिकता के साथ जिसमें छात्र संख्या पर्याप्त है, उनको हम सुविधाएं उपलब्ध करवा रहे हैं, हमने पिछले वर्ष भी उपलब्ध करवाई, इस वर्ष भी हमने प्रावधान किया है, उपलब्ध करवाने वाले हैं और जहां तक हायर सेकेण्डरी और हाई स्कूल का सवाल है, हम देखकर जो आपके क्षेत्र के हैं और बाकी पूरे मध्यप्रदेश में भी हैं, उनको हम प्राथमिकता से इस वर्ष देने वाले हैं.
श्री प्रवीण पाठक - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं बहुत विनम्रता से आपसे कहना चाहता हूँ कि चूँकि मध्यप्रदेश के भविष्य का विषय है. माननीय मंत्री जी, आप ही के द्वारा उत्तर में लिखा गया है कि कई विद्यालयों में पानी के पीने की व्यवस्था नहीं है. कम्प्यूटर की जहां तक बात करें, 18 वर्ष से हम यह सुनते आ रहे हैं कि फर्नीचर मिलेगा, फर्नीचर मिलेगा. आज भी मेरे विधान सभा क्षेत्र में 14,362 विद्यार्थियों में से 5,742 विद्यार्थियों के पास बैठने के लिये फर्नीचर नहीं है. मैं चाहता हूँ कि मध्यप्रदेश की सरकार, जिसमें मुख्यमंत्री तथाकथित मामा बनना चाहते हैं, भांजे एवं भांजियों के.
अध्यक्ष महोदय - आप उत्तर ले लीजिये.
श्री इन्दर सिंह परमार - माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में हमने सीएम राइज योजना में, जो स्कूलों को नये सिरे से स्थापित करने का...
श्री प्रवीण पाठक - आप कब तक सीएम राइज का रोना रोयेंगे.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्नकाल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त)
12.00 बजे नियम 267 (क) के अधीन विषय
अध्यक्ष महोदय-- निम्नलिखित माननीय सदस्यों की शून्यकाल की सूचनाएं सदन में पढ़ी हुई मानी जाएंगी.
1. श्री आरिफ अकील.
2. श्री सतीश सिंह सिकरवार.
3. श्री हिरालाल अलावा.
4. डॉ. गोविन्द सिंह.
5. श्री पी.सी. शर्मा.
6. डॉ. सीतासरन शर्मा.
7. श्री ओमकार सिंह मरकाम.
8. श्री दिलीप सिंह गुर्जर.
9. श्री संजय यादव.
10. श्री रामपाल सिंह.
12:01 बजे. शून्यकाल में मौखिक उल्लेख.
मध्यप्रदेश में भारत जोड़ों यात्रा के दौरान प्रशासन और पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था करने के संबंध में धन्यवाद.
श्री कमल नाथ (छिन्दवाड़ा) - माननीय अध्यक्ष जी, तेरह दिनों के लिए भारत जोड़ों यात्रा मध्यप्रदेश से गुजरी थी. मैं और नेता प्रतिपक्ष दोनों ने मुख्यमंत्री जी से निवेदन किया था, उनके पास गए थे कि पूरी व्यवस्था और पुलिस संरक्षण का इंतजाम किया जाए. मैं मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि पुलिस सुरक्षा की पूरी व्यवस्थाएं की गई थीं और बाकी जो आवश्यकताएं थीं, उसकी पूर्ति हुई, इसलिए मैं उन्हें धन्यवाद देना चाहता हूं. अध्यक्ष जी एक आखिरी बात जो है कि अगले साल, इसी समय, इसी सदन में एक सत्र चलेगा. हमारे में से कौन अगले साल इसी समय यहां बैठे होंगे, मेरी तो सभी को शुभकामनाएं हैं और मैं तो इतना ही कहता हूं कि हमने पिछले सालों में जो संबंध बनाए हैं, इसलिए सभी को मैं शुभकामनाएं देता हूं. आखिरी बात, मुख्यमंत्री जी सदन में नहीं है, कृपा करके आपके माध्यम से उन्हें संदेश दे दीजिएगा कि ये कुर्सी भी मैं उनके लिए गर्म रख रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय - आपने अभी सभी को शुभकामनाएं दीं.
(संसदीय कार्य मंत्री) डॉ. नरोत्तम मिश्र- अध्यक्ष जी इसको दिवास्वप्न कहते हैं.
अध्यक्ष महोदय - एक सेंकेड, अभी आपने सभी को शुभकामनाएं दी, अगले साल सभी चुनाव जीतकर आएंगे तब तो आपकी कुर्सी वहीं रहेगी, बदलेगी कैसे, जब आपने सभी को शुभकामनाएं दे दी और यही पोजिशन रहेगा ती आपकी कुर्सी इधर कैसे आएगी.
श्री अजय विश्नोई(पाटन) - आपने जो शुभकामनाएं दी है, वह अच्छे मन से दी है कि वैसे ही दे दी है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - अध्यक्ष जी बिल्कुल ठीक कह रहे हैं, संख्या तो इधर ज्यादा है. शुभकामनाएं तो इधर ज्यादा ज्ञापित होगी. (हंसी..)
श्री कमल नाथ - मेरी शुभकामनाएं नहीं स्वीकार करना चाहते तो नहीं करें.
श्री पी.सी. शर्मा - अध्यक्ष महोदय, भाभी जी और पूरा परिवार यहां पर है, उन सभी का हम स्वागत करते हैं, जो आपकी दीर्धा से यहां पर संचालन देख रहे हैं. मैं समझता हूं आपकी सजगता बहुत अच्छी है, आपको बधाई.
अध्यक्ष महोदय - बहुत बहुत धन्यवाद.
12:03 बजे
अध्यादेश का पटल पर रखा जाना.
मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि(संशोधन) अध्यादेश, 2022 (क्रमांक 6 सन् 2022) (विधि और विधायी कार्य मंत्री) डॉ. नरोत्तम मिश्र - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, भारत के संविधान के अनुच्छेद 213 की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि(संशोधन) अध्यादेश, 2022 (क्रमांक 6 सन् 2022) पटल पर रखता हूं.
12:04 बजे
सितम्बर 2022 सत्र की स्थगित बैठकें, यथा दिनांक 16 सितम्बर, 2022(दिनांक 28.07.2022) एवं 17 सितम्बर, 2022 (दिनांक 29.07.2022) की प्रश्नोत्तर सूचियां तथा प्रश्नों के अपूर्ण उत्तरों के पूर्ण उत्तरों का संकलन खंड-11
अध्यक्ष महोदय - सितम्बर 2022 सत्र की स्थगित बैठकें, यथा दिनांक 16 सितम्बर, 2022(दिनांक 28.07.2022) एवं 17 सितम्बर, 2022 (दिनांक 29.07.2022) की प्रश्नोत्तर सूचियां तथा प्रश्नों के अपूर्ण उत्तरों के पूर्ण उत्तरों का संकलन खंड-11 पटल पर रखा गया.
12:05 बजे.
नियम 267-क के अधीन सितम्बर, 2022 सत्र में पढ़ी गई सूचनाओं तथा
उनके उत्तरों का संकलन पटल पर रखा जाना.
अध्यक्ष महोदय - नियम 276-क के अधीन ध्यानाकर्षण की सूचना. सितम्बर 2022 सत्र में सदन में पढ़ी गई शून्यकाल की सूचनाएं तथा उनके संबंध में शासन से प्राप्त उत्तरों का संकलन पटल पर रखा गया है.
राज्यपाल की अनुमति प्राप्त विधेयकों की सूचना
अध्यक्ष महोदय - विधान सभा के विगत सत्र में पारित विधेयकों को माननीय राज्यपाल महोदय की अनुमति प्राप्त हुई है. अनुमति प्राप्त विधेयकों के नाम दर्शाने वाले विवरण की प्रतियां माननीय सदस्यों को वितरित कर दी गई है. इन विधेयकों के नाम कार्यवाही में मुद्रित किए जाएंगे.
अध्यक्षीय घोषणा.
मध्यप्रदेश विधान सभा के प्रमुख सचिव द्वारा लिखित ''विधान मंडल पद्धति एवं प्रक्रिया'' पुस्तक का विमोचन.
अध्यक्ष महोदय - माननीय सदस्यगण, मुझे सूचित करना है कि आज 19 दिसम्बर 2022 को सदन की बैठक के तत्काल बाद मानसरोवर सभागार में मध्यप्रदेश विधान सभा के प्रमुख सचिव द्वारा लिखित ''विधान मंडल पद्धति एवं प्रक्रिया'' पुस्तक का विमोचन कार्यक्रम आयोजित है, कार्यक्रम उपरांत माननीय सदस्यों के लिए सदन की लॉबी में दोपहर के भोजन की व्यवस्था की गई है. सभी माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि उक्त गरिमामय कार्यक्रम के लिए सदन की बैठक के पश्चात् मानसरोवर सभागार में पधारने का कष्ट करें.
नेता प्रतिपक्ष (डॉ.गोविन्द सिंह)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने आज आपके समक्ष मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह सरकार के प्रति अविश्वास प्रस्ताव रखा है.
अध्यक्ष महोदय-- पहले ध्यानाकर्षण हो जाये.
12.06 ध्यान आकर्षण
(1) श्री पंचूलाल प्रजापति (अनुपस्थित)
(2) दतिया जिले में सिंध नदी का पुल क्षतिग्रस्त होना
श्री घनश्याम सिंह (दतिया)--माननीय अध्यक्ष महोदय,
लोक निर्माण मंत्री (डॉ.गोपाल भार्गव)--माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री घनश्याम सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, सबसे पहले तो मैं माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने अभी 3 दिन पूर्व निविदा जारी कर दी है. पुल को टूटे हुए डेढ़ साल हो गये थे. देर आये दुरूस्त आये. यह पहले हो जाता तो इसमें दुर्घटनाएं कम होंती.
अध्यक्ष महोदय--अब तो आपका काम हो गया है.
श्री घनश्याम सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, इसी से संबंधित ही एक प्रश्न पूछना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय--आपका ध्यानाकर्षण तो यह था कि आपके यहां की पुलिया बन जाये.
श्री घनश्याम सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें वैकल्पिक व्यवस्था का भी था संकीर्ण पुल के बारे में. मैं माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि 100 वर्ष पुराना जो रपटा है जो संकीर्ण है जो आपने अभी बताया उसको मरम्मत के नाम पर और संकीर्ण कर दिया गया है. व्हील गार्ड के बहाने एक एक फीट चौड़ी मुडिया दोनों तरफ बना दी गई है. वह 11 फीट चौड़ा था वह 9 फीट रह गया है. उसका सरफेस भी परफेक्ट नहीं है उसके कारण गाडि़यां फिसल जाती हैं,वहां पर आवागमन बहुत ज्यादा है.
मैं माननीय मंत्री जी से पूछना चाहूंगा ट्रैफिक ज्यादा होने के कारण, क्या वर्षाकाल के बाद, जो 8-9 महीने के लिये पीपों का पुल बनाया जाता है तो क्या वह समानान्तर बनवायेंगे, जिससे एक साइड से जाने का रास्ता हो और एक साइड से आने का रास्ता हो. यह मैं, माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूं.
श्री गोपाल भार्गव:- माननीय अध्यक्ष जी जैसा कि मैंने अपने उत्तर में बताया कि नये पुल के निर्माण की प्रक्रिया पूरी हो गयी है, टेण्डर इत्यादि की प्रक्रिया और होना है और अल्प समय में इसको पूरा कर लिया जायेगा.
श्री घनश्याम सिंह:- मंत्री जी इसको बनने में तीन वर्ष लगेंगे. तब तक वैकल्पिक व्यवस्था सुनिश्चित की जाये.
श्री गोपाल भार्गव:- अध्यक्ष महोदय, जब तक पुल का निर्माण नहीं होता है, मैं परीक्षण करा लेता हूं. मेरे पास भी वहां के दल के लोग आये, हमारी पार्टी के भी सभी लोग आये थे, उन्होंने समस्या के बारे में बताया था. विधायक जी ने भी अभी प्रश्न किया. मैं आश्वस्त करना चाहता हूं कि यहां से एक अधिकारी को भेजकर के जो कुछ भी वैकल्पिक व्यवस्था कुछ समायवधि के लिये हो सकेगी, जिससे सुचारू रूप से आवागमन बना रहे, मैं इसको करवा दूंगा.
अध्यक्ष महोदय:- अब आप माननीय मंत्री जी को धव्यवाद कर दो.
श्री घनश्याम सिंह:- माननीय मंत्री जी, बहुत-बहुत धन्यवाद.
नेता प्रतिपक्ष( डॉ. गोविन्द सिंह):- माननीय अध्यक्ष जी, मैंने भी इस संबंध में ध्यानाकर्षण लगाया था तो उसके विषय तो इसमें आये ही नहीं है. घनश्याम सिंह जी के क्षेत्र का मामला था और मेरा ध्यानाकर्षण पहले का था. दतिया हमारा क्षेत्रीय जिला है.
अध्यक्ष महोदय:- आप ध्यानाकर्षण के बारे में बोल रहे हैं ना तो आप प्रश्न कर लीजिये.
डॉ. गोविन्द सिंह:- मैं पहली बात तो मंत्री जी से यह जानना चाहता हूं कि आपने उसमें मरम्मत का काम बताया है...
अध्यक्ष महोदय:- इस ध्यानाकर्षण में आपका नाम है, आपने देखा नहीं और मैंने आपका नाम लिया था.
डॉ. गोविन्द सिंह:- आपने मेरा नाम नहीं लिया था.
अध्यक्ष महोदय:- मैंने आप दोनों का नाम लिया था.
डॉ. गोविन्द सिंह:- नहीं नाम तो दिया है, लेकिन मेरे ध्यानाकर्षण में जिन विषयों का उल्लेख था...
अध्यक्ष महोदय:- अभी तो मैंने केवल उनको धन्यवाद करने के लिये कहा था.
डॉ. गोविन्द सिंह:- उनका तो धन्यवाद हो गया. हमारा तो रह गया.
अध्यक्ष महोदय:- अब आप भी धन्यवाद करोगे, गोपाल जी हैं ना.
डॉ. गोविन्द सिंह:- हम भी धन्यवाद कर देंगे. माननीय अध्यक्ष जी, सेवढ़ा नदी जहां से पुल निकलता है, घनश्याम सिंह जी को तो उस पर से चार महीने में एक बार निकलता पड़ता है. हमें हर दूसरे-तीसरे दिन उस पुल से निकलना पड़ता है.
अध्यक्ष महोदय:- आप ऐसा तो नहीं कह रहे हैं कि घनश्याम सिंह जी वाला गलत हो गया ?
डॉ. गोविन्द सिंह:- इस रास्ते से हमारा निकलना ज्यादा होता है. यह रास्ता ग्वालियर जाने के लिये लहार से शार्टकट है और हम सेवढ़ा होकर जाते हैं. पहले तो मंत्री जी ने अपने जवाब में बताया कि हमने मरम्मत करायी है, मरम्मत तो हुई नहीं है. जैसे गड्डे थे वह वैसे ही हैं. गड्डों के कारण ही वह खराब हो रही है. यहां पर डेढ़ वर्ष में 16 लोग मरे हैं. एक तो गलती यह रही की पुल टूट गया तो हमारे क्षेत्र का कार्यकर्ता गुजरात से आ रहा था, वह मजदूरी करता है. उसको पता नहीं था कि रहेला पुल टूटा है और कुछ वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है. इस कारण वह सीधा 30 फुट उपर से मय मोटर साइकल से नदी में गिरा और मर गया. नवम्बर माह में हमारे क्षेत्र के पांच लोगों की मौत हुई, जो अभी रतनगढ़ माता के दर्शन करने आये थे. उत्तरप्रदेश और जालौन लगा हुआ है ,वहां के भी दो लोगों की मौत हुई थी. उनका रास्ता भी जालौन,झांसी का वहीं से है.
अब, मैं यह कहना चाहता हूं कि पहले तो आपने खर्च किया और यह सच्चाई है, जो अभी घनश्याम सिंह जी ने कहा कि 11 फुट का पुल और इतनी बड़ी-बड़ी मुड्डी बना दी है तो वह और संकरा हो गया है. उसी में से भैंसे,बकरी और मोटर साइकल निकल रही है, तो उनको बचाने के चक्कर में वह पुल गिर जाता है, इसलिये दुर्घटानाएं एक को छोड़कर, इसी कारण हुई हैं. तो सुरक्षा के हिसाब से मरम्मत ठीक बना सकते हैं और वास्तव पीपों में ज्यादा खर्च नहीं है. यदि आप उसको बनवा देंगे तो सभी के लिये सुविधा हो जायेगी, जिसमें एक तरफ से आना और दूसरी तरफ से जाने की व्यवस्था रहे, उसी आप मरम्मत करवा दें.
दूसरी, मेरी मुख्य बात यह है कि लहार विधान सभा में कमलनाथ जी की सरकार के समय नारद देव-अजनार-मगरौर मार्ग में पुल स्वीकृत हुआ. उसके चार बार टेण्डर हो गये और चार बार टेण्डर होने के बाद भी, हर बार टेण्डर को बढ़ा देते हैं, इसका आप कारण बतायें की हर बार क्यों बढ़ा रहे हैं ? एक चीज और की मेरे क्षेत्र में जख्मौली- नारौल का पुल बह गया. मंत्री जी का जवाब थोड़ा असत्य है. वहां वर्षा हुई नहीं है, वर्षा शिवपुरी-गुना में हुई और तीन बांधों के गेट बिना सोचे-समझे खोल दिए गए. बांधों के पानी से यह समस्या हुई है. यदि धीरे-धीरे पानी छोड़ते तो ऐसा नहीं होता. बांध के पानी की वजह से एक साथ 6 पुल टूटे हैं, 3 भिण्ड जिले में और 3 दतिया जिले में. ये पुल बजट में आ गए हैं. मैं, मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि आपकी सरकार के समय इदूरकी घाट के पुल, जख्मौली घाट के पुल, का टेण्डर एक बार हो गया, स्वीकृति हो गई. स्वीकृति के बाद भी लगातार 3-4 वर्षों से क्यों देरी हो रही है, आप इसकी निविदा कब फाइनल करेंगे, कब तक इसका कार्य प्रारंभ करेंगे, किस चक्कर में यह कार्य रूका हुआ है, कृपया इसका जवाब दे दें.
अध्यक्ष महोदय- वैसे होना तो यह चाहिए कि डॉ. गोविन्द सिंह जी के सारे प्रश्नों का डॉ. नरोत्तम मिश्र जी को देना चाहिए, चाहे प्रश्न किसी भी विभाग का हो.
डॉ. गोविन्द सिंह- नरोत्तम जी, को सब पता है कि वहां कितने पुल टूटे हैं.
लोक निर्माण मंत्री (श्री गोपाल भार्गव )- आसंदी की जानकारी में यह भी है कि आप दोनों का याराना ऐसा है कि जिससे ऐसे प्रश्न बहुत जल्दी आ जाते हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र- गोविन्द सिंह जी, गोपाल जी को आप एक बरनॉल भिजवा दें.
श्री गोपाल भार्गव- हम तो मक्खन लगाने वाले हैं, बरनॉल नहीं.
"सलामत रहे दोस्ताना हमारा, बने चाहे दुश्मन ज़माना हमारा"
माननीय अध्यक्ष महोदय, डॉ. गोविन्द सिंह एवं घनश्याम सिंह जी ने अपने क्षेत्र से संबंधित विषय यहां रखे हैं. स्थिति बड़ी विचित्र है क्योंकि उत्तर वही है क्योंकि पुल एक ही है और विधान सभा दो हैं. एक नदी के इस पार और दूसरी नदी के उस पार.
डॉ. गोविन्द सिंह- पुल एक नहीं है. 3 पुल लहार में टूटे हैं. आपने उनको बजट में भी ले लिया है.
श्री गोपाल भार्गव- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि सभी को पता है कि विगत वर्ष ग्वालियर-चंबल संभाग में अतिवृष्टि हुई थी. इसमें ब्रिटिश समय के 100-90-80 वर्ष पुराने पुलों को क्षति हुई और यह क्षति इसलिए भी हुई क्योंकि इसमें ऊपर की ओर बड़े-बड़े डैम बना दिए गए और जब अतिवृष्टि हुई तो डैम के गेट खोलने से बहुत ज्यादा बहाव आ गया और उससे पुल क्षतिग्रस्त हुए.
इसका पूरा सर्वे हो चुका है, ऑडिट भी हो चुका है और उसके बाद ही शासन एवं विभाग ने स्वयं संज्ञान लेते हुए, 8 क्षतिग्रस्त पुल, जो कि भिण्ड, दतिया एवं शिवपुरी जिले में थे, उन्हें हमने स्वीकृत किया है. हमने इनकी प्रशासनिक स्वीकृति भी कर दी, इनके टेण्डर की प्रक्रिया चालू है. डॉक्टर साहब जल्दी से जल्दी ये पुल बन जायेंगे, आप चिंता न करें. हमारी पार्टी के लोग भी आये थे और उन्होंने भी इस संबंध में चिंता व्यक्त की थी.
डॉ. गोविन्द सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक पुल तो 3 वर्ष पहले ही बजट में आ चुका है, उसके 4 टेण्डर लग चुके हैं और टेण्डर के बाद फिर इसे निरस्त कर दिया जाता है. मेरा प्रश्न यह है कि जो 3 पुल टूटे हैं, वे ब्रिटिशकाल के नहीं है. इनमें से एक पुल इदूरकी घाट का तो केवल 2 वर्ष पूर्व बना था, मुकेश चौधरी जी के आग्रह पर, यह पुल बना था.
एक दूसरा पुल, 5 वर्ष पूर्व ही बना था. वह भी आपके समय ही बना था. पुराना कोई पुल नहीं टूटा है. अर्जुन सिंह जी के समय के, दिग्विजय सिंह जी के समय का पुल नहीं टूटा है लेकिन आपके समय बने हुए नए पुल ही धराशायी हुए हैं. इसलिए आप इसकी जांच करवा लें. हमने कार्यमंत्रणा बैठक में मुख्यमंत्री जी से भी कहा था कि आप बतायें कि आपके समय के पुल ही क्यों टूटे ? आपके समय बने पुलों की गुणवत्ता कैसी है, ये आप बतायें, ये पुल किसलिए टूटे ?
एक पुल 5 वर्ष पूर्व का है और एक 3 वर्ष पूर्व का है और एक पुल पुराना था, वह भी हमने ही बनवाया था, अपनी विधायक निधि से, वह टूटा है. सभी पुलों के 3-4 बार टेण्डर हो चुके हैं इसलिए हमारा निवेदन है कि आप बतायें कि आप कब तक टेण्डर स्वीकृत करवाकर कार्य प्रारंभ करवा देंगे ?
श्री गोपाल भार्गव- माननीय अध्यक्ष महोदय, टेण्डर की एक निश्चित प्रक्रिया होती है. मैं डॉक्टर साहब को बताना चाहता हूं कि यदि किसी दूसरे पुल का 10 प्रतिशत नीचे आता है और यदि 10 प्रतिशत ऊपर जाता है तो हमें उसको जस्टिफाई करना पड़ता है. और जब नहीं होता है तो कभी-कभी आरोप भी होता है कि इसका तो आपने इतने में स्वीकृत कर दिया है तो फिर सवाल जवाब होते हैं और इसी कारण से मैं आज परीक्षण करवा लेता हूं और कल आपको उत्तर दे देंगे कि यह किस कारण से नहीं हो पा रहा है. कोई न कोई बात तो होगी. मैं कल यहीं सदन में आकर आपको जवाब दे दूंगा, आपको चिंता करने की आवश्यकता नहीं है.
डॉ. गोविन्द सिंह-- धन्यवाद, कल आप जवाब दे देना और इसे करवा भी देना.
12:21 बजे शून्यकाल में मौखिक उल्लेख (क्रमश:)
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष महोदय, आपने नेता प्रतिपक्ष जी की बात पर क्या कहा जो उन्होंने अविश्वास का कहा था मैं समझ नहीं पाया हूं. उन्होंने ध्यानाकर्षण के बीच में अविश्वास प्रस्ताव के संबंध में विषय उठाया था. आपका उसमें क्या था चूंकि उस संबंध में मैं यह कहना चाहता हूं कि अभी सदन समवेत होने के पहले 11 बजे तक आरोप पत्र विपक्ष के नेता जी के द्वारा सदन को नहीं दिया गया था. हालांकि दिया तो उनके द्वारा अविश्वास प्रस्ताव भी नहीं था. सम्मानित सदस्यों ने दिया था. वह दे सकते हैं यह नियम प्रक्रिया का एक हिस्सा है, लेकिन उनकी उदासीनता क्यों थी? यह मुझे नहीं मालूम है और न ही मैं इस पर चर्चा करना चाहता हूं. ऐसा मैं मानता हूं कि वह स्वयं पढ़े-लिखे डॉक्टर हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, वह पढ़-लिखकर ही बने हैं मैं बिलकुल नहीं मानता हूं कि वह नकल से बने हैं पर क्यों नहीं पढ़ते हैं यह मैं आज तक नहीं समझ पाया हूं.
अध्यक्ष महोदय-- वह पढ़-लिखकर विधायक बने हैं या डॉक्टर बने हैं.
डॉ. गोविन्द सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय,
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- आप मुझे पूरा बोल लेने दीजिए फिर आप बोल लेना.
डॉ.
गोविन्द
सिंह-- कृपया
करके आप सुन
लीजिए .
डॉ. नरोत्तम
मिश्र-- आपको
बोलने का अवसर
मिलेगा. आप
बोलना आपको
कौन रोकेगा.
श्री तरुण भनोत-- अध्यक्ष महोदय, आप तो यह व्यवस्था दे दें कि दोनों चेम्बर में बात कर लें.
डॉ. गोविन्द सिंह -- यह मामला चेम्बर का नहीं है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- यह मामला चौड़े का है.
डॉ. गोविन्द सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह मामला सदन का है और मैंने 13 दिसम्बर को विधिवत सूचना सचिवालय में जमा की थी. आज मैंने स्वयं हमारे सम्माननीय सज्जन सिंह वर्मा जी और विधान सभा के पूर्व अध्यक्ष प्रजापति जी, लक्ष्मण सिंह जी एवं चालीस, पचास लोगों के हस्ताक्षर लेटर पेड पर लेकर आपको सदन के पहले प्रस्तुत कर दिये हैं. आपको जानकारी नहीं है तो आप कृपया जानकारी ले लिया करें.
श्री तरुण भनोत-- आप सुनिश्चित करना चाह रहे हैं डॉक्टर साहब ने पूरी व्यवस्था की है.
डॉ. गोविन्द सिंह -- आपके एक मंत्री जी के विरुद्ध भ्रष्टाचार के आरोप भी लगा दिये हैं.
अध्यक्ष महोदय-- गोविन्द सिंह जी उन्होंने केवल यह कहा है कि जब सदन यहां समवेत हुआ तब तक आपने आरोप पत्र नहीं दिया था. वह यह कह रहे हैं. उन्होंने यह कहा है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष महोदय, दिक्कत क्या है कि उम्र हावी हो रही है तो इसलिए कोई दिक्कत है तो आप पड़ोस से थोड़ा टॉनिक लिया करो.
डॉ. गोविन्द सिंह -- क्रीम लगाते हो, मसाज कराते हो, पार्लर जाते हो. मैं तो गांव का आदमी हूं. आप माल-टाल खाते हो.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- हम तो खा रहे हैं आप तो पड़ोस से थोड़ा उधार ले लिया करो. इन्हें कभी कमलनाथ जी की डॉई नहीं दिखी.
श्री प्रियव्रत सिंह-- यह तो बता दो कि कौन से पार्लर जाते हो बहुत लोगों को जिज्ञासा है ?
डॉ. गोविन्द सिंह -- माई के दरबार में जाता हूं कभी आकर देखो. आपकी तो रिश्तेदारी है माथा टेक लिया करो आपके लिए ठीक रहेगा.
श्री प्रियव्रत सिंह-- मैं तो वहां बहुत पहले हो आया वहां पार्लर नहीं है.
अध्यक्ष महोदय-- आपने एक प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया है. आपने कहा कि गोविन्द सिंह जी पढ़े लिखे हैं तो पढ़े-लिखे होने के कारण विधायक हैं कि पढ़े-लिखे होने के कारण यह डॉक्टर हैं यह आपने स्पष्ट नहीं किया है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष महोदय, यह पढ़े लिखे तो हैं, लेकिन पढ़ते-लिखते नहीं हैं.
श्री कमलेश्वर पटेल-- गोविन्द सिंह जी व्यापम घोटाले वाले डॉक्टर नहीं हैं.
डॉ. गोविन्द सिंह --अध्यक्ष महोदय, यह विषय दूसरी तरफ ले जा रहे हैं. मेरी आपसे प्रार्थना है कि हमने विधिवत और समय के पूर्व दिया है कृपया कर आप इसे कब लेंगे यह बता दें.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय नेता प्रतिपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव की सूचना प्राप्त होकर मेरे विचाराधीन है. आरोप पत्र आज अभी 11 बजकर 50 मिनट पर प्राप्त हुआ है. मैं शीघ्र ही इसके संबंध में विचार कर निर्णय लूंगा.
12.25 बजे अनुपस्थिति की अनुज्ञा
श्री के.पी. सिंह "कक्काजू" सदस्य, निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक-26-पिछोर
अध्यक्ष महोदय -- निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक-26-पिछोर के सदस्य श्री के.पी. सिंह "कक्काजू" की ओर से मध्यप्रदेश विधान सभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियमावली के नियम 277 (1) के अधीन आवेदन पत्र प्राप्त हुआ है. जिसमें उन्होंने दिसम्बर, 2022 सत्र में सभा की बैठकों से अनुपस्थित रहने की अनुज्ञा चाही है.
श्री के.पी. सिंह "कक्काजू", सदस्य की ओर से प्राप्त निवेदन इस प्रकार है :-
"निवेदन है कि विधान सभा सत्र की दिनांक 19.12.2022 से 23.12.2022 की बैठकों में अपरिहार्य कारणों से उपस्थित नहीं रह सकूंगा. कृपया उक्त सत्र में अनुपस्थित रहने की अनुमति प्रदान करें"
क्या सदन की इच्छा है कि निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक -26-पिछोर के सदस्य श्री के.पी.सिंह "कक्काजू" को इस सत्र की बैठकों से अनुपस्थित रहने की अनुज्ञा प्रदान की जाये ?
अनुज्ञा प्रदान की गई.
12.26 बजे सभापति तालिका
अध्यक्ष महोदय -- मध्यप्रदेश विधान सभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियमावली के नियमावली के 9 के उपनियम (1) के अधीन मैं निम्नलिखित सदस्यों को सभापति तालिका के लिए नाम निर्दिष्ट करता हूँ.
1. श्री लक्ष्मण सिंह,
2. श्रीमती झूमा सोलंकी,
3. सुश्री हिना लिखीराम कावरे,
4. श्री देवेन्द्र वर्मा,
5. श्री यशपाल सिंह सिसोदिया तथा
6. श्री दिव्यराज सिंह
12.26 बजे
12.27 बजे
12.28 बजे निर्वाचन कार्यक्रम
12.29 बजे मंत्री का वक्तव्य
दिनांक 8 मार्च, 2022 को पूछे गए परिवर्तित अतारांकित प्रश्न संख्या 92 (क्रमांक 856) के उत्तर के संशोधन में खेल एवं युवा कल्याण मंत्री का वक्तव्य.
अध्यक्ष महोदय -- विधान सभा की कार्यवाही मंगलवार, दिनांक 20 दिसम्बर, 2022 को प्रात: 11.00 बजे तक के लिए स्थगित.
अपराह्न 12.30 बजे विधान सभा की कार्यवाही मंगलवार, दिनांक 20 दिसम्बर, 2022 (29 अग्रहायण, शक संवत् 1944) के प्रात: 11:00 बजे तक के लिये स्थगित की गई.
भोपाल, ए.पी. सिंह,
दिनांक 19 दिसम्बर, 2022 प्रमुख सचिव
मध्यप्रदेश विधान सभा