मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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पंचदश विधान सभा चतुर्थ सत्र
दिसम्बर, 2019 सत्र
गुरुवार, दिनांक 19 दिसम्बर, 2019
(28 अग्रहायण, शक संवत् 1941 )
[खण्ड- 4 ] [अंक- 3]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
गुरुवार, दिनांक 19 दिसम्बर, 2019
(28 अग्रहायण, शक संवत् 1941 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.05 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) पीठासीन हुए.}
बड़वानी क्षेत्र के माननीय सदस्य,श्री प्रेमसिंह पटेल को जन्म दिन की शुभकामनाएं
श्री विश्वास सारंग -- अध्यक्ष महोदय, अध्यक्षीय दीर्घा में मामला कुछ ज्यादा रौनक वाला है.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- अध्यक्ष महोदय, आज अपने बड़वानी से विधायक जी, माननीय प्रेमसिंह पटेल जी का जन्म दिन है, उनको जन्म दिन की शुभकामानाएं हैं. आज उनका जन्म दिन है.
अध्यक्ष महोदय -- नरोत्तम जी, नन्हा मुन्ना राही हूं देश का सिपाही हूं. ..(हंसी)..
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष जी, मैं तो आपकी ड्रेस एवं जैकेट देखकर समझ गया था कि आज भाभी जी जरुर आई होंगी.
अध्यक्ष महोदय -- भैया सबकी जो स्थिति घर में है..
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष जी, क्या है कि एक शायरी है कि हुस्न के कसीदे तो पढ़ती रहेंगी महफिलें, झुर्रियां प्यारी लगें, तो मान लेना इश्क है. ..(हंसी)..
मुख्यमंत्री (श्री कमलनाथ) -- अध्यक्ष जी, मैं अपनी ओर से और इस पूरी साइड की ओर से भी प्रेमसिंह जी को बधाई एवं शुभकामनाएं देता हूं. (मैजों की थपथपाहट)
श्री शिवराज सिंह चौहान -- मुख्यमंत्री जी, आप एक साइड के नहीं हैं, आप पूरे प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं, सदन के नेता हैं.
श्री कमलनाथ -- क्योंकि आप खड़े हो गये थे वहां और आपने तो उस साइड का कर दिया, मैंने कहा कि बाकी बचे रहे गये, मैं उनका कर दूं.
श्री शिवराज सिंह चौहान --नहीं, आप सदन के नेता हैं, यह आप ध्यान रखना.
अध्यक्ष महोदय -- मैं समूचे सदन की ओर से आपको जन्म दिन की शुभकामनाएं देता हूं. (मैजों की थपथपाहट) नरोत्तम जी, आपका बहुत बहुत शुक्रिया, अच्छा शेर पढ़ने का. शेर यहां बैठा है, शेरनी वहां बैठी है. ..(हंसी)..
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष जी, आप आते ही दहशत में दिखे तो मैं समझ गया था कि शेरनी है. ..(हंसी)..
11.06 बजे स्वागत उल्लेख
श्री विवेक तन्खा , राज्य सभा सांसद का अध्यक्षीय दीर्घा में उपस्थित होने पर स्वागत.
वित्त मंत्री (श्री तरुण भनोत)-- अध्यक्ष महोदय, अध्यक्षीय दीर्घा में सांसद महोदय, श्री विवेक तन्खा जी भी हैं.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय विवेक तन्खा जी, राज्यसभा सांसद आज सदन में अध्यक्षीय दीर्घा में उपस्थित हैं, उनका हम स्वागत करते हैं. (मैजों की थपथपाहट)
11.07 बजे तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर.
रीवा जिलान्तर्गत खरीफ फसल का सर्वे
[राजस्व]
1. ( *क्र. 1242 ) श्री राजेन्द्र शुक्ल : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) रीवा जिले में कंडो रोग से धान की फसल व भारी बारिश से दलहनी फसलों को हुये नुकसान का सर्वे कार्य क्यों नहीं कराया गया? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में फसलों की नुकसानी का सर्वे तीन माह बीत जाने के बावजूद क्यों नहीं कराया गया? स्पष्ट करें कि क्या फसल नुकसानी का सर्वे कराया जावेगा? यदि हाँ, तो सर्वे की समयावधि सहित विवरण स्पष्ट करें।
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) रीवा जिले में कंडो रोग से धान की फसल व भारी बारिश से दलहनी फसलों के हुए नुकसान का सर्वे कार्य कराया गया। फसल नुकसानी 25 प्रतिशत से कम पायी गयी। (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में फसलों की नुकसानी का सर्वे रीवा जिले में कराया जा चुका है। शेष प्रश्न उदभूत नहीं होता।
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- अध्यक्ष महोदय, रीवा जिले में और रीवा संभाग में धान में कंडो रोग लगा, जिसके कारण बहुत बड़ी मात्रा में धान की फसल नष्ट हुई है. स्वयं पूर्व मुख्यमंत्री जी रीवा गये थे और कई खेतों में जाकर के उन्होंने धान की फसलों को लाकर जो प्रदर्शन किया था, उसमें गांव-गांव से लोग धान की फसल लेकर आये थे और पूरी धान सफेद कुर्ते में जब उन्होंने धान को झाड़ा तो पूरा कुर्ता काला पड़ गया था, इतना गंभीर कंडो रोग लगा. मेरे प्रश्न के जवाब में मंत्री जी ने कहा है कि सर्वे हुआ है और 25 प्रतिशत से कम की नुकसानी हुई है और इसलिये कोई भी राहत देने का प्रावधान आरबीसी में नहीं है. मेरा यह कहना है कि प्रामाणिक सर्वे का प्रमाण क्या है. आपने सर्वे कराया नजरी तरीके से, सर्वे उन राजस्व के लोगों से आपने कराया, जो यह कहते घूम रहे थे कि हमें निर्देश हैं कि 25 प्रतिशत से ज्यादा शो ही नहीं करना है. आमतौर पर जब प्राकृतिक आपदा आती है, तो एक टीम बनाई जाती है. जिसमें पटवारी होता है,ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी होता है, सरपंच, सचिव होता है और फिर उसके बाद प्रामाणिक सर्वे होता है और फिर यह तय होता है कि 25 प्रतिशत से कम नुकसानी है कि ज्यादा नुकसानी है. सिर्फ नजरी तरीके से खेतों में, किसानों को मालूम ही नहीं पड़ा कि सर्वे हो गया. व्यापक नुकसान हुआ, 40 से 50 प्रतिशत का नुकसान हुआ त्यौंथर तहसील में. तो पूरी तरीके से 60 प्रतिशत से ज्यादा धान नष्ट हो गई कंडो रोग के कारण. इसलिये मेरा मंत्री जी से कहना है कि आपका यह जवाब कि सर्वे हुआ है, 25 प्रतिशत से कम की नुकसानी हुई है. यह सर्वे बिलकुल नहीं हुआ है. कोई प्रामाणिक सर्वे नहीं हुआ है, कोई टीम नहीं बनाई गई है. इसलिये किस प्रकार से किसानों को राहत देने की योजना आपके पास है. हमारी जब सरकार थी, तो धान में 200 रुपये का बोनस देने का प्रावधान किया था. समय रहते आपने सर्वे नहीं कराया, किसानों का नुकसान हुआ. पानी गिरा, जिससे धान गीली हो गई. आज खरीदी केन्द्रों में किसान धान लेकर जा रहे हैं, उनकी खरीदी नहीं हो पा रही है. धान इसलिये लौटाया जा रहा है कि गीला है, इसको अभी नहीं खरीदेंगे. तो दोनों तरफ से किसानों को मार हो रही है. अब किसानों को राहत देने के लिये, अब मुख्यमंत्री जी भी यहां पर उपस्थित हैं, राजस्व मंत्री जी भी हैं, किस तरीके से आप किसानों की क्षति की भरपाई करेंगे, मेरा यह प्रश्न है.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- अध्यक्ष महोदय, यह सही है कि रीवा में धान में कंडो रोग लग गया था, लेकिन वहां, जैसा कि माननीय सदस्य ने कहा कि सर्वे नहीं कराया गया है. सर्वे विधिवत कराया गया और जो सर्वे की टीम बनती है, उसमें राजस्व के अधिकारी होते हैं, कृषि के अधिकारी होते हैं, पंचायत एवं ग्रामीण विकास के अधिकारी होते हैं. इन सभी अधिकारियों की टीम गयी, लेकिन 25 प्रतिशत से कम नुकसान पाया गया. इसलिए वहां मुआवजा देने की स्थिति नहीं बनी. जैसा कि माननीय सदस्य ने कहा कि पानी अधिक गिर गया होगा, पानी अधिक गिरने से कंडो रोग लगा तो पानी तो अधिक वहां गिरा नहीं है. यह सच है कि पूर्व मुख्यमंत्री जी वहां गए थे, कमिश्नर भी वहां आए थे, लेकिन सरकार ने गंभीरता से सर्वे कराया और आरबीसी 6(4) के प्रावधान के अनुसार जहां नुकसानी 25 प्रतिशत से कम होती है, वहां मुआवजा देने का प्रावधान नहीं है.
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इस जवाब से तो कुछ मतलब निकला नहीं. मैंने यह कहा था कि आपका जो सर्वे हुआ है, उसमें क्या दो, चार, पांच, दस पंचायतों में भी उस टीम के सामूहिक रूप से संयुक्त हस्ताक्षर हैं, जिसमें पटवारी हो, सचिव हो, सरपंच हो और ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी हो. मैंने तो प्रशासनिक अधिकारियों से पूछा कि कैसा सर्वे कराया है तो उन्होंने कहा नजरी सर्वे कराया है और नजरी सर्वे में 25 प्रतिशत से कम आया, पता नहीं उनकी कौन सी नजर है कि उस नजरी सर्वे में उनको 25 प्रतिशत से कम दिखा. जहां पर हम लोग गए, वहां पर पूरे के पूरे गांवों में नजरी हिसाब से पूरा का पूरा खेत साफ दिखा तो इस प्रकार से यह तो खानापूर्ति है. इससे तो यह समझ में आता है कि सरकार की राहत देने की मंशा ही नहीं है.
अध्यक्ष महोदय -- आप प्रश्न क्या करना चाहते हैं ?
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- अध्यक्ष महोदय, मेरा यह सवाल है कि अब चूँकि खेत में गेहूँ की बोवाई का काम चल रहा है. जो धान नष्ट होनी थी, वह हो गई. अब उनको राहत की राशि आप बेक डेट में नहीं कर सकते, तो कम से कम आप किसानों को 200 रुपये प्रोत्साहन राशि, जो हमारी सरकार में दी जाती थी, क्या वह प्रोत्साहन राशि देकर कंपनसेट करेंगे ?
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य बहुत वरिष्ठ मंत्री रहे हैं. ये समझते हैं कि आरबीसी 6(4) में जो प्रावधान होता है, उस प्रावधान के अनुसार ही मुआवजा दिया जाएगा. यह स्पष्ट है कि आपके यहां सर्वे हुआ, सर्वे की टीम गई, सारी टीम के सदस्य गए, पूरा दल गया और उसमें कंडो रोग हो या अतिवृष्टि हो, 25 प्रतिशत से कम नुकसानी पाई गई. अध्यक्ष महोदय, वैसे भी देखा जाए तो इनके यहां जो धान का उत्पादन हुआ है, वह 12.15 क्विंटल प्रति एकड़ हुआ है, तो धान का उत्पादन भी औसतन अच्छा हुआ है. इतना खराब भी नहीं हुआ है. ....(व्यवधान)....
श्री शिवराज सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, चूँकि सम्माननीय विधायक राजेन्द्र शुक्ल जी के साथ, रीवा जिले के विधायकों और सांसद जी के साथ मैं स्वयं उन खेतों में गया था. गोविन्द सिंह जी, कंडो रोग में धान के बालों में पूरा काला-काला लग जाता है, हम खेत में घुसे तो जैसा माननीय राजेन्द्र शुक्ल जी ने कहा पूरे कपड़े काले हो गए. फसल पूरी तरह से नष्ट थी. माननीय अध्यक्ष महोदय, यहां पर माननीय मुख्यमंत्री जी बैठे हुए हैं, अपनी सरकार रहते हुए हमने एक व्यवस्था बनाई थी कि सर्वे में निष्पक्षता रहे, इसलिए केवल एक विभाग सर्वे नहीं करेगा, राजस्व विभाग, कृषि विभाग, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, ये तीन विभाग और वहां के सरपंच और बाकी लोग मिलकर सर्वे करेंगे और जो सर्वे में आंकलन होगा, वह सूची नुकसान सहित पंचायत के कार्यालय में टांगेंगे ताकि किसी को आपत्ति अगर हो तो वह बता भी सके कि मेरे खेत का सर्वे ठीक हुआ है या नहीं हुआ है और वह आपत्ति भी सुनकर अंतिम फैसला करते थे. अध्यक्ष महोदय, मैं मुख्यमंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूँ, सचमुच में धान की फसल को बहुत नुकसान हुआ है. मालवा के हमारे साथी यहां बैठे हुए हैं, जानते हैं एक बार सोयाबीन में फसल अच्छी दिखती थी, लेकिन जब उसका उत्पादन हुआ तो पता चला 50 किलो और 1 क्विंटल निकला. सर्वे नहीं हुआ था, फसल कट गई थी, उस समय आऊट ऑफ वे जाकर हमने यह तय किया था कि 5 पंचों की कमेटी बनाकर, और वे जो लिखकर दे देंगे कि नुकसान हुआ, उसके आधार पर ही हमने राशि बांटी थी. देवास जिले में लगभग 400 करोड़ रुपये बांटे थे, उज्जैन जिले में लगभग 360 करोड़ रुपये बांटे थे और इंदौर जिले में भी बांटे थे. ऐसी स्थिति में जहां नुकसान हुआ है, सर्वे प्रामाणिक नहीं है, वहां के किसानों ने प्रदर्शन और आंदोलन किया था. मैं आग्रह करना चाहता हूँ कि किसानों के साथ अन्याय न हो और मुख्यमंत्री जी के रहते हुए तो अन्याय किसी भी कीमत पर नहीं होना चाहिए, उन किसानों को न्याय दें और जो व्यवस्था हमने मालवा के सोयाबीन किसानों के लिये बनायी थी कि सर्वे न होने के बावजूद भी उनको राहत राशि दी थी उनको राहत राशि प्रदान करें, यही मेरा निवेदन है. माननीय मुख्यमंत्री जी यहां बैठे हैं, मैं उनसे निवेदन करना चाहूंगा कि वह किसानों को न्याय दें.
मुख्यमंत्री (श्री कमल नाथ) -- माननीय अध्यक्ष जी, हमारी सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता हमारा कृषि क्षेत्र है क्योंकि कृषि क्षेत्र से ही मध्यप्रदेश की अर्थव्यवस्था मजबूत होती है. आपने किसानों के न्याय की बात की, मैं इतिहास में जाना नहीं चाहता हॅूं क्योंकि इस प्रकार की बहस से कुछ निकलने वाला नहीं है पर इसमें कोई शक नहीं कि हमारे किसानों के साथ न्याय हो और मुझे तो खुशी होगी. आप मेरा ध्यान आकर्षित करते रहिये जहां आपकी नजर में किसानों के साथ अन्याय हो रहा है. हमें जो भी पहल करनी है इसमें हम अवश्य करेंगे. जहां तक रीवा का मामला है मुझे इसकी जानकारी नहीं है पर अगर आवश्यक है तो हम फिर से इसमें जॉंच कराने के लिये तैयार हैं दूसरे तरीक से, क्योंकि यह तो नहीं है कि एक दफा सर्वे हो गया कि यह अंतिम सर्वे है. तरह-तरह की सूचनाएं/जानकारी मिल सकती हैं. उसके बाद भी इसमें हम अवश्य करने को तैयार हैं क्योंकि अगर ऐसा हुआ है, ऐसी गलत रिपोर्ट या गलत सर्वे हुआ है तो यह परम्परा गलत सर्वे की अभी की नहीं है, बहुत समय से चलती रही है तो इसमें यह परम्परा हमें समाप्त करनी है यह कोई अच्छी बात नहीं है. (मेजों की थपथपाहट) इसमें हम फिर से जॉंच करने को तैयार हैं.
अध्यक्ष महोदय -- धन्यवाद. प्रश्न क्रमांक 2
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा सिर्फ इतना कहना है कि आप कह रहे हैं कि सर्वे हुआ है, हम कह रहे हैं कि सर्वे नहीं हुआ है. मेरी तो सिर्फ इतनी मांग है कि जो प्रोत्साहन राशि किसानों को धान पर...
अध्यक्ष महोदय -- वह बाद में आयेगी माननीय विधायक जी, जब माननीय मुख्यमंत्री जी ने कह दिया है.
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- मैं माननीय मुख्यमंत्री जी से यह निवेदन कर रहा हॅूं कि प्रोत्साहन राशि की घोषणा यदि आप कर देंगे, तो सारी चीजें जो सर्वे में...
अध्यक्ष महोदय -- वह उसके बाद में आएगी. (माननीय नागेन्द्र सिंह नागौद जी के खडे़ होने पर) माननीय नागेन्द्र सिंह जी दादा भाई.
( कई सदस्यों के खडे़ होकर बोलने पर) भई, यह क्या चीज है. आप लोगों को किसने आज्ञा दी खडे़ होने की.
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, फसल कटने के बाद सर्वे कैसे होगा ?
अध्यक्ष महोदय -- बैठ जाइए. यह प्रश्नोत्तर काल है. मूल प्रश्नकर्ता प्रश्न कर रहा है आपको किसने आज्ञा दे दी. बैठ जाइए अपनी जगह पर. ऐसा मत करिएगा. आपका प्रश्न आए और दस लोग खडे़ हो जाएं फिर आपको कैसा लगेगा.
श्री नागेन्द्र सिंह नागौद -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से यह जानना चाहता हॅूं कि सर्वे का केन्द्र बिन्दु क्या है ? सर्वे का केन्द्र बिन्दु किसान है, गांव है, पंचायत है या तहसील है. जब तक हम केन्द्र बिन्दु निश्चित नहीं करेंगे, तब तक हम उसको सही सर्वे नहीं मान सकते हैं क्योंकि मेरे क्षेत्र में भी यह हुआ है कई किसानों की पूरी फसल नष्ट हो गई है और उसी के पड़ोस के गांव में वह कंडो रोग नहीं लगा है और इसलिए हम किसानों के साथ न्याय नहीं करेंगे, जब तक हम यह निश्चित नहीं करेंगे कि सर्वे का केन्द्र बिन्दु क्या होगा. मैं मंत्री जी से यह जानना चाहता हॅूं कि क्या वह किसान को केन्द्र बिन्दु बनाकर के उन्होंने यदि सर्वे किया है तो बता दें और यदि नहीं किया है तो क्या अब करवाएंगे ?
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आरबीसी 6(4) में प्रावधान हैं उसके तहत सर्वे किया गया है और कहीं शंका है तो हम उसको, जो माननीय मुख्यमंत्री जी ने कहा है, उस शंका का समाधान कर देंगे.
श्री नागेन्द्र सिंह नागौद -- माननीय अध्यक्ष महोदय, उसमें किसान केन्द्र बिन्दु है उसी की बात कर रहा हॅूं कि किसान केन्द्र बिन्दु है न कि गांव या पंचायत.
अध्यक्ष महोदय -- चलिए, प्रश्न क्रमांक 2 श्री विष्णु खत्री जी. एक प्रश्न के लिये मैंने दस मिनट दे दिए हैं, कृपया बैठिएगा.
बैरसिया विधान सभा क्षेत्रांतर्गत अतिवृष्टि से क्षतिग्रस्त हुई फसल का मुआवजा
[राजस्व]
2. ( *क्र. 24 ) श्री विष्णु खत्री : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्नकर्ता के विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत वर्ष 2019 में अतिवृष्टि से हुई फसल क्षति का आंकलन किया गया अथवा नहीं? कितनी राशि का आंकलन किया गया है? (ख) प्रश्नांश (क) में दर्शित आंकलन का मुआवजा वितरण कितने कृषकों को प्रश्न दिनांक तक किया गया है?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) जी हाँ। विधानसभा क्षेत्र के अन्तर्गत कुल राशि रूपये 60,71,51,166/- का आंकलन किया गया है, (ख) प्रश्न दिनांक तक विधानसभा क्षेत्रांतर्गत कुल 13072 कृषकों को राहत राशि वितरण 10.12.2019 तक किया गया है।
श्री विष्णु खत्री -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने अपने बैरसिया विधानसभा में अतिवृ़ष्टि के कारण फसलों को जो क्षति पहुंची है उसके आंकलन से संबंधित माननीय मंत्री जी से प्रश्न किया था. उसके उत्तर में मुझे बताया गया कि कुल 60,71,51,166/- राशि का आंकलन किया गया है. इसमें मैं यह जानना चाहता हॅूं कि यह राशि कितने किसानों को वितरित की जाएगी. दूसरी बात यह है कि साथ में 13072 किसानों को राशि वितरित की जा चुकी है, यह कुल कितनी राशि वितरित की जा चुकी है ? सम्राट अशोक डेम बैरसिया विधानसभा से लगा हुआ डेम है और इसमें अतिवृष्टि के कारण जो इसका वाटर लेविल बढ़ गया था हमने 1508 तक का मुआवजा किसानों को दिया है लेकिन इस बार यह 1518 के आसपास तक 16 और 18 के बीच में रहा है. पूर्व मुख्यमंत्री माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान जी भी उस जल भराव क्षेत्र का भ्रमण करने के लिये फसल का आकलन करने के लिए, नुकसान का आंकलन करने के लिए मेरे साथ गए थे. क्या इसके अंतर्गत आने वाले जो 15 गांव हैं इसमें विशेष रूप से मोमनपुरा, करोंद, छीरखेड़ा, कोटरा, चोपड़ा, पिपलिया, जुन्नारदार, बर्री, बगराज, ऊंटखेड़ा, बरोड़ी, पीपलखेड़ी इन गांवों के अंदर फसलों की क्षति का आंकलन करके क्या राशि का वितरण किया गया है ?
श्री गोविंद सिंह राजपूत - अध्यक्ष महोदय, विधान सभा क्षेत्र में 60 करोड़, 71 लाख, 51 हजार 166 आंकलन किया गया था. इसमें अभी तक हमने कुल 13,072 किसानों को दिनांक 10.12.2019 तक वितरण किया गया है. इसमें आज तक की स्थिति में लगभग 24 हजार किसानों को लगभग 5 करोड़ रुपया बांटा जा चुका है.
श्री विष्णु खत्री - अध्यक्ष महोदय, सम्राट अशोक डेम में अति जल भराव के कारण जो किसानों की फसलें बरबाद हुई हैं उसका जवाब माननीय मंत्री जी ने नहीं दिया है और कुल 60 करोड़ रुपये की राशि में...
अध्यक्ष महोदय - खत्री जी, विराजिए. प्रश्न क्रमांक 2 उनका डेम के जल भराव के बारे में है. उसका जवाब सदस्य चाह रहे हैं.
श्री गोविंद सिंह राजपूत - अध्यक्ष महोदय, जहां तक राशि की बात है तो राशि बांटी जा चुकी है और जो शेष राशि है वह बंटने में प्रचलित है और अगर ऐसी कोई विधायक जी की मंशा है तो वह मुझसे बात कर लें मैं उनको पूरी जानकारी दे दूंगा.
अध्यक्ष महोदय - खत्री जी, आप बात कर लीजिएगा.
श्री विष्णु खत्री - अध्यक्ष महोदय, मेरा यह निवेदन है कि 60 करोड़ रुपये की राशि आंकलन की गई है उसमें केवल 5 करोड़ रुपये की राशि बांटी है ऐसा मंत्री जी ने कहा है दूसरा, जो डेम के जल भराव के कारण 5 हजार एकड़ से अधिक की फसल बरबाद हुई है और 100 प्रतिशत नुकसान हुआ है उस क्षेत्र में आज तक एक रुपये की राशि का वितरण नहीं हुआ है, कल भी मेरा प्रश्न था कि हमारे बैरसिया विधान सभा क्षेत्र में 2 लाख रुपये की राशि किन-किन किसानों को दी गई है तो आज तक एक भी किसान को माननीय मुख्यमंत्री जी बैठे हैं 2 लाख रुपये की राशि का कर्जा माफ नहीं हुआ है. यह सरकार 2 लाख तक का कर्जा माफ और आधा बिल माफ कहकर बनी है.
अध्यक्ष महोदय - खत्री जी, मैं आगे बढ़ जाऊंगा. प्रश्न के बाहर मत जाइए. अपने दायरे में रहिए. आप अपना सवाल करिए रामायण मत पढि़ए.
श्री विष्णु खत्री - मेरा सवाल यही है कि जो जल भराव हुआ है.
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी, सदस्य तालाब के जल भराव की बात कर रहे हैं उसके बारे में आपका क्या वक्तव्य है ?
श्री गोविंद सिंह राजपूत - अध्यक्ष महोदय, किसानों का जो भी नुकसान हुआ है उसका पैसा पहुंच चुका है. मैंने माननीय सदस्य से कहा कि जल भराव की बात है, जल भराव में जहां-जहां नुकसान हुआ है उसको भी हम दिखवाएंगे और जहां यह लोग बात करते हैं मैं आपके सामने स्पष्ट कर दूं कि अभी तक यह सरकार करीब 1,550 करोड़ रुपया किसानों को राहत राशि में बांट चुकी है और ऐसा नहीं है केन्द्र सरकार की जो राशि 1,000 करोड़ रुपये हमको मिली है वह हमको 23 नवम्बर को मिली है और 22 नवम्बर को ही कम से कम 680 करोड़ रुपया मध्यप्रदेश सरकार से किसानों को बांटा जा चुका था. यह सरकार संवेदनशील है. यह सरकार किसानों की है और यह सरकार किसानों के साथ अहित होते नहीं देखना चाहती है इसलिए यह कहना गलत है. यह सरकार पूरी तरह से जहां-जहां किसानों का नुकसान हुआ है वहां-वहां हमने 25 प्रतिशत की राशि के अनुसार पैसा डालना शुरू कर दिया है.
श्री रामेश्वर शर्मा - अध्यक्ष महोदय, 80 करोड़ के बदले केवल 5 करोड़ रुपये की राशि वितरित की गई. ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय - जिसको मैं परमीशन न दूं वह नहीं लिखा जाएगा.
श्री कमल पटेल - अध्यक्ष महोदय, एक प्रश्न ..
अध्यक्ष महोदय - नहीं, जिसको खड़े होकर बोलना है मैं जब तक परमीशन नहीं दूं बिलकुल नहीं लिखा जाएगा.
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री जितु पटवारी)-- (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी, विराजिए.
श्री जितु पटवारी-- (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी, विराजिए. प्रश्न क्रमांक 3 श्री राजेश कुमार प्रजापति.
श्री कमल पटेल-- अध्यक्ष महोदय, एक प्रश्न.
अध्यक्ष महोदय-- मैं एक प्रश्न पर 10 मिनिट से ज्यादा नहीं दे सकता. कमल जी, आप बैठ जाइये. प्रश्न क्रमांक 3.
श्री कमल पटेल-- (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- यह नहीं लिखा जाएगा. कमल जी, यह हस्तक्षेप मत करिए. आप इतने वरिष्ठ सदस्य हैं, आपको अच्छा नहीं दिखता है.
श्री कमल पटेल-- (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, बिल्कुल नहीं. मैंने परमीशन नहीं दी है. आप बैठ जाइये. राजेश जी, आप प्रश्न करिए नहीं तो मैं आगे बढ़ जाऊँगा. प्रश्न करिए.
श्री कमल पटेल-- (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- भैय्या सब जानते हैं. आपने नहीं किया है पहले से बनी है 6 (4). राजेश जी, प्रश्न करिए.
श्री कमल पटेल-- (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न क्रमांक 4 देवेन्द्र वर्मा. मैं आगे बढ़ते जाऊँगा, आप लोग खड़े रह जाएँगे.
श्री राजेश कुमार प्रजापति-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं बोल रहा हूँ.
अध्यक्ष महोदय-- बोलिए. माननीय सदस्यगण अपने ही दल के प्रश्नकर्ता को अगर प्रश्न करने देना नहीं चाहते हैं तो यह मेरी आसन्दी की गलती नहीं है. श्री राजेश प्रजापति.
तत्कालीन अनुभागीय अधिकारी पर कार्यवाही
[खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण]
3. ( *क्र. 1286 ) श्री राजेश कुमार प्रजापति : क्या खाद्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रश्नकर्ता के प्रश्न क्रमांक 1019, दिनांक 10.07.2019 को खाद्य मंत्री द्वारा उत्तर दिया था कि तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी पर सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा प्रकरण में विभागीय कार्यवाही की जा रही है? यदि हाँ, तो क्या उक्त विभाग द्वारा उक्त अधिकारी पर विभागीय कार्यवाही को पूर्ण कर लिया गया है? यदि हाँ, तो संपूर्ण दस्तावेजों की प्रति उपलब्ध करायें। यदि नहीं, तो क्यों? (ख) क्या प्रशासनिक अधिकारी द्वारा पद एवं शक्ति का दुरूपयोग कर अधिकारिता विहीन आदेश जारी करने वाले अधिकारी के विरूद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज करने के प्रावधान हैं? यदि हाँ, तो क्या विभाग तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी पर आपराधिक प्रकरण दर्ज करने के आदेश जारी करेगा? यदि हाँ, तो समय-सीमा बतायें? यदि नहीं, तो कारण स्पष्ट करें। (ग) क्या प्रश्न क्रमांक 1019, दिनांक 10.07.2019 के संबंध में प्रेम गुप्ता के नाम से सूचना के अधिकार का आवेदन लोक सूचना अधिकारी प्रमुख सचिव, मध्यप्रदेश शासन (कार्मिक) सामान्य प्रशासन विभाग मंत्रालय भोपाल में विचाराधीन है? यदि हाँ, तो क्या आवेदक को जानकारी प्रदाय कर दी गयी है? यदि हाँ, तो कब? यदि नहीं, तो क्यों?
खाद्य मंत्री ( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ) : (क) जी हाँ। जी नहीं। सामान्य प्रशासन विभाग में प्रकरण प्रचलित है। (ख) जी नहीं, मध्यप्रदेश सार्वजनिक वितरण प्रणाली नियंत्रण आदेश, 2009 में ऐसा प्रावधान नहीं था। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) जी नहीं। सामान्य प्रशासन विभाग (कार्मिक) द्वारा मूल आवेदन पर आदेश दिनांक 07.11.2019 को पारित कर आवेदक को दिनांक 08.11.2019 को अवगत कराया गया है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री राजेश कुमार प्रजापति-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने पहली बार मुझे बोलने का मौका दिया इसके लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूँ और आपका संरक्षण भी चाहता हूँ. अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से यह पूछना चाहता हूँ कि तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी जो बिजावर के थे उनके ऊपर अनुशासनात्मक कार्यवाही करने के लिए आयुक्त महोदय के द्वारा कलेक्टर को लिखा गया कलेक्टर ने अपनी रिपोर्ट 24 जून 2019 को अपनी रिपोर्ट सागर कमिश्नर को प्रस्तुत की. इनके विरुद्ध आरोप-प्रत्यारोप और विवरण पत्र अभिलेख एवं साक्ष्य सूची आदि सागर आयुक्त को यदि प्रस्तुत कर दी गई है तो इनके ऊपर अभी तक कार्यवाही क्यों नहीं की गई है?
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर-- माननीय अध्यक्ष जी, मैं सदस्य को बताना चाहूँगा कि उनके खिलाफ विभागीय जाँच शुरू हो गई है और उसका आरोप पत्र भी जारी कर दिया गया है. कार्यवाही प्रचलन में है.
श्री राजेश कुमार प्रजापति-- अध्यक्ष महोदय, यह 2012 का प्रकरण है और 2012 से लगाकर अभी तक इनके ऊपर कोई भी कार्यवाही नहीं की गई जबकि आरोप पत्र भी 24 जून 2019 को सागर कमिश्नर को प्राप्त हो चुका है तो मैं यह जानना चाहता हूँ कि यह कार्यवाही कब तक चलेगी, कब तक इनके ऊपर कार्यवाही की जाएगी?
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर-- अध्यक्ष महोदय, जैसे ही सदस्य ने हमारी जानकारी में दिया, अध्यक्ष महोदय, 2012 से 2018 तक तो माननीय सदस्य की पार्टी सत्ता में विराजमान थी. हमें तो अभी मात्र एक साल ही हुआ है और जैसा ही दिया वैसे ही हमने उसमें कार्यवाही की है...(व्यवधान)..मेरी बात प्रेम से सुन लें.
अध्यक्ष महोदय-- उनको मत छेड़ो भाई. आप समझा करो.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर-- अध्यक्ष महोदय, मेरा आग्रह है कि हमारी कार्यवाही प्रचलन में है और हमने उसको विभागीय जाँच.....
श्री राजेश कुमार प्रजापति-- माननीय, एक समय सीमा निर्धारित कर दें. नहीं तो ऐसे अधिकारी आगे भी भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते रहेंगे. ऐसे अधिकारी को बचाने की कोशिश की जा रही है.
अध्यक्ष महोदय-- ठीक है. राजेश जी, विराजिए. माननीय जीएडी मंत्री जी, इस प्रश्न में जाँच सामान्य प्रशासन विभाग कर रहा है तो जो सदस्य प्रश्न कर रहे हैं इसमें मैं ऐसा मानता हूँ कि आप सामान्य प्रशासन विभाग को जरा आगाह कर दीजिए ताकि इसमें जो कार्यवाही त्वरित होना है वह हो जाए. ठीक है भैय्या, आपकी बात पूरी कर दी है.
सामान्य प्रशासन मंत्री(डॉ.गोविन्द सिंह)-- आप पूरा मामला डिटेल में लिखित में दे दीजिए.
अध्यक्ष महोदय-- राजेश जी, आप दे दीजिए त्वरित कार्यवाही हो जाएगी. धन्यवाद.
11.24 बजे
स्वागत उल्लेख.
सदन की दीर्घा में अमेरिका के मुंबई स्थित दूतावास से उपायुक्त रॉबर्ट पॉल्सन हाउज़र का स्वागत उल्लेख.
अध्यक्ष महोदय-- आज सदन की दीर्घा में अमेरिका के मुंबई स्थित दूतावास से उपायुक्त रॉबर्ट पॉल्सन हाउज़र उपस्थित हैं. सदन की ओर से उनका स्वागत है.
(मेजों की थपथपाहट)
11.30 बजे तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर (क्रमश:)
खण्डवा जिले में अतिवृष्टि से क्षतिग्रस्त फसलों का मुआवजा
[राजस्व]
4. ( *क्र. 142 ) श्री देवेन्द्र वर्मा : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश के कितने जिलों में इस वर्ष औसत से अधिक वर्षा होने से अतिवृष्टि की स्थिति निर्मित हुई है? (ख) क्या अतिवृष्टि प्राकृतिक आपदा की श्रेणी में आती है? यदि हाँ, तो खण्डवा जिले में अतिवृष्टि से प्रभावित खरीफ फसलों का रकबा कितना है एवं कितने किसानों की फसलों के नुकसान का सर्वे शासन द्वारा कराया गया है? (ग) किसानों को फसल नुकसान के सर्वे में कितनी राशि का मुआवजा शासन द्वारा अब तक भुगतान किया गया है? यदि नहीं, तो क्यों? (घ) प्रदेश के किसानों को अतिवृष्टि से हुए नुकसान का मुआवजा एवं गत वर्ष के देय गेहूँ का बोनस का भुगतान कब तक किया जाएगा? (ड.) क्या किसानों ने कर्जा माफ होने के भ्रम में फसलों का मुआवजा नहीं कराया एवं जिन किसानों ने बीमा कराया है उन्हें बीमा राशि आज दिनांक तक प्राप्त नहीं हुई है? इन किसानों को कब तक राहत दी जाएगी?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) मानसून वर्ष 2019-20 में बाढ़/अतिवृष्टि से 41 जिले प्रभावित हुए हैं। (ख) जी हाँ। खण्डवा जिले में खरीफ फसल का कुल 233845.97 हेक्टेयर रकबा प्रभावित है एवं समस्त प्रभावित क्षेत्र के किसानों की फसल का सर्वे कराया गया। (ग) खण्डवा जिले में किसानों को नुकसान के सर्वे में राशि रूपये 44,38,84,575/- (रूपये चवालीस करोड़ अड़तीस लाख चौरासी हजार पाँच सौ पिचहत्तर) का भुगतान किया गया है। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) अतिवृष्टि से हुए नुकसान के मुआवजा वितरण की समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। गत वर्ष गेहूँ का बोनस का प्रावधान नहीं था। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ड.) जी नहीं। फसल बीमा एवं राहत का मुआवजा भुगतान पृथक प्रक्रिया है। मुआवजा भुगतान फसल बीमा से संबंधित नहीं है। अतिवृष्टि से प्रभावित समस्त पात्र किसानों को राहत स्वीकृत है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
श्री देवेन्द्र वर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न भी मध्यप्रदेश के किसानों से संबंधित है जिनके साथ प्रदेश सरकार भेदभाव कर रही है. मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से जानना चाहता हूँ कि खण्डवा जिले में केन्द्रीय दल द्वारा कहां पर सर्वे किया गया. प्रभारी मंत्री द्वारा कहां पर सर्वे किया गया. कलेक्टर व स्थानीय प्रशासन द्वारा कहां पर सर्वे किया गया. खण्डवा जिले में प्रत्येक विकासखण्डवार या तहसीलवार प्रति हेक्टेयर कितना मुआवजा दिया जा रहा है. कितने किसानों को मुआवजे में छोड़ा गया है उसकी जानकारी माननीय मंत्री जी दे दें.
अध्यक्ष महोदय -- आपका बड़ा व्यापक प्रश्न है. बहुत लम्बा प्रश्न है, मंत्री जी जवाब दें. प्रभारी मंत्री जी आप बैठ जाएं अभी माननीय मंत्री जी को बोलने दीजिए. {श्री तुलसीराम सिलावट, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री (प्रभारी मंत्री, खण्डवा) के उत्तर देने के लिए खड़े होने पर}
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- अध्यक्ष महोदय, पहले तो माननीय सदस्य को बताना चाहूंगा कि प्रभारी मंत्री सर्वे नहीं करते हैं, प्रभारी मंत्री सर्वे करवाते हैं. सर्वे की प्रक्रिया के बारे में मैंने पहले ही बोला है कि कृषि विभाग के लोग, पंचायत विभाग के लोग, उद्यानिकी विभाग के लोग सारी टीम मिलकर सर्वे करने जाती है. जहां तक खण्डवा की बात है यहां पर 300 करोड़ रुपए का वितरण होना है जिसमें से आज दिनांक तक 70 करोड़ रुपए वितरित किया जा चुका है.
श्री देवेन्द्र वर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा सीधा-सा प्रश्न था. मैंने माननीय मंत्री जी से यह पूछा था कि केन्द्रीय दल को कहां पर लेकर गए, प्रभारी मंत्री को कहां पर लेकर गए, स्थानीय प्रशासन और कलेक्टर कहां पर फसलें देखने गए.
अध्यक्ष महोदय -- उन्होंने आपके प्रश्न का आगे तक का जवाब दे दिया.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- अध्यक्ष महोदय, केन्द्रीय दल आया था. मैं सदस्य की जिज्ञासा खत्म कर दूं. यह सच है कि केन्द्रीय दल एक बार नहीं दो बार आया. केन्द्रीय दल मुझसे व माननीय मुख्यमंत्री जी से मिला. केन्द्रीय दल कहीं-कहीं हम लोगों को बताकर गया. बहुत सी जगह वे सीधे कलेक्टर से मिले और उन्होंने दौरा किया. केन्द्रीय दल से हम लोगों का समन्वय भी होता रहा. केन्द्रीय दल खण्डवा में जहां-जहां बहुत नुकसान हुआ वहां पर भी गया. जहां-जहां कम नुकसान हुआ वहां पर भी गया. अब माननीय सदस्य क्या पूछना चाहते हैं. जहां तक मेरी जानकारी में है करीब 20 जिलों का दौरा केन्द्रीय दल ने किया है.
श्री देवेन्द्र वर्मा--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि सिर्फ एक ही क्षेत्र में और एक ही जगह पर ले जाकर इनके द्वारा सर्वे कराया गया है. पूरे जिले में किसी भी प्रकार का कोई सर्वे नहीं किया गया. किसी गांव में न तहसीलदार गया, न पटवारी गया. जैसा माननीय शुक्ला जी ने बताया है सिर्फ नजरी सर्वे किया गया है. एक ही क्षेत्र में जहां पर 25 प्रतिशत से कम नुकसान हुआ है वहां पर मुआवजा दिया गया है जबकि उसके अतिरिक्त अन्य क्षेत्रों में ज्यादा नुकसान हुआ है वहां पर अभी तक मुआवजे की राशि का वितरण नहीं किया गया है. इस बारे में माननीय मंत्री जी बताएं.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- अध्यक्ष महोदय, सदस्य महोदय यह भूल रहे हैं कि केन्द्र में भाजपा की सरकार है, उस पर आरोप मत लगाइए.
श्री देवेन्द्र वर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, भाजपा की सरकार का इससे क्या मतलब है.
श्री विश्वास सारंग -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह आपत्तिजनक है. मंत्री जी उत्तर नहीं दे पा रहे हैं कि केन्द्रीय दल सर्वे के लिए कहां गया था. आप इस तरह से राजनीति कर रहे हैं माननीय अध्यक्ष जी. पहले आप उत्तर तो दीजिए.
अध्यक्ष महोदय -- विश्वास जी, आप बोल रहे थे माननीय अध्यक्ष जी, मैं नहीं कर रहा हूँ भैय्या (हंसी).
श्री विश्वास सारंग -- आप नहीं कर सकते, माननीय अध्यक्ष महोदय आपकी तो कृपा है.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- अध्यक्ष महोदय, केन्द्रीय दल आया, केन्द्रीय दल पर हम लोगों ने पूरा विश्वास किया, केन्द्रीय दल को पूरा सहयोग किया, सम्मान किया. दल ने 20 जिलों का दौरा किया. जैसा माननीय सदस्य कह रहे थे कि केन्द्रीय दल वहीं-वहीं गया जहां हमने दिखाया, ऐसा नहीं था. केन्द्रीय दल अपने मन से गया और उसने सर्वे किया. सर्वे से हम लोग संतुष्ट थे वह अलग बात है कि हमें उतनी राशि नहीं मिल पाई जितनी अपेक्षा हमको थी.
श्री देवेन्द्र वर्मा-- अध्यक्ष महोदय.
अध्यक्ष महोदय-- आपकी तरफ से मैं बोल लूं.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत-- करीब 67 करोड़ रुपए का आंकलन केन्द्रीय दल ने किया है.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी विराजिए.
श्री देवेन्द्र वर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा यह निवेदन है कि सभी दलों ने कहां पर सर्वे किया?
अध्यक्ष महोदय-- आप विराजिए. मैं संबंधित विभाग के अधिकारियों से कहना चाहता हूं कि जब आप मंत्रियों की ब्रीफिंग करें तो जो प्रश्न पूछा जा रहा है आप वैसी ही ब्रीफिंग करवाया करें. प्रश्न बिलकुल प्वाइंटेड है कि कहां-कहां गए. खामखेड़ा गए, आमखेडा़ गए, नीमखेड़ा गए कहां गए? धन्यवाद. देवेन्द्र जी आप मेरी बात सुनिए कि आपके मन में जो जिज्ञासा है जिन-जिन गांव में जो सर्वे नहीं गए उन सभी गांव की सूची आप क्रमबद्ध तरीके से जमाकर आज दो घण्टे बाद माननीय मंत्री जी को दे दीजिए. विधायक जी मैं आपकी बात बोल रहा हूं. मैं आपको सहयोग कर रहा हूं. आपको मतलब आपकी क्षेत्र की जनता को जिनको नुकसान हुआ है मैं उनकी बात कर रहा हूं. कृपा पूर्वक मंत्री जी उन सभी जगह का आप दोबारा सर्वे करवाइए. अधिकारी यहां भोपाल से जाना चाहिए और दो दिन बाद आपको आकर रिपोर्ट दें आप विधायक जी को बुलाकर जो प्रश्न है उसका समाधान कर दीजिए.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत-- अध्यक्ष महोदय, अब सर्वे कहां से होगा, परंतु जो इनकी जिज्ञासा है कि केन्द्रीय दल कहां-कहां गया वह सूची इनको दे देंगे.
अध्यक्ष महोदय-- दे देंगे बस ठीक है. देवेन्द्र जी दस मिनट से ज्यादा हो गए हैं गोपाल जी आपका अंतिम प्रश्न है.
श्री देवेन्द्र वर्मा-- अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि मैंने इसमें प्रश्न किया था कि गेहूं का बोनस देने के लिए आपने प्रावधान किया था. मेरे प्रश्न में जवाब दिया है कि किसी प्रकार का प्रावधान नहीं किया गया था जबकि पिछले सत्र में सोलह सौ करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया था. अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी जवाब दें कि सोलह सौ करोड़ रुपए का प्रावधान किया था कि नहीं किया?
श्री शिवराज सिंह चौहान-- यह सीधे नकार रहे हैं बोनस देंगे कि नहीं देंगे. आपने अपने उत्तर में कहा है कि बोनस का कोई प्रावधान नहीं है और सरकार ने एक सौ साठ रुपए प्रति क्विंटल बोनस देने का वचन दिया. इस उत्तर में आप साफ नकार रहे हैं कि बोनस का कोई प्रावधान ही नहीं है. अध्यक्ष महोदय, यह क्या है? इसका उत्तर देना चाहिए.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत--अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी ने घोषणा की है कि किसान समृद्धि योजना के अंतर्गत हमने उसको लिया है और इसकी कार्यवाही प्रचलित है और शीघ्रातिशीघ्र यह वितरण किया जाएगा.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)-- अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो प्रश्न किया है इससे दो प्रश्न जुड़े हुए थे. एक तो राहत राशि का है और दूसरा बोनस का है. मामला थोड़ा विषयांतर हो गया कि केन्द्रीय दल आए कि नहीं आए. प्रश्न में कहीं केन्द्रीय दल का उल्लेख नहीं है. माननीय सदस्य ने प्रश्न किया था कि कौन-कौन से कर्मचारी किस-किस हल्के में गए और उसकी रिपोर्ट क्या है. जो आनावारी हुई, जो क्षति का आंकलन हुआ उसकी रिपोर्ट क्या है इसके बारे में कोई जानकारी माननीय मंत्री महोदय ने नहीं दी. मैं मंत्री जी से यही जानना चाहता हूं कि क्या प्रदेश में इसी प्रकार की आनावारी हुई है और यदि हुई है तो क्या दोबारा उसका आंकलन करवाएंगे? दूसरी बात यह है कि जो पिछले वर्ष हमने बोनस की राशि घोषित की थी उसकी कितनी राशि का वितरण आप किसानों में जो गेहूं उत्पादक किसान हैं उनके लिए करेंगे इसकी जानकारी आप दे दें और कब तक कर देगे?
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर-- अध्यक्ष महोदय, मुझे इस मेटर पर बोलने के लिए एक मिनट का समय दे दीजिए.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, आप विराजिए.
(खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री) श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर-- अध्यक्ष महोदय, किसानों का मामला है आप एक बार मेरी बात सुन तो लें माननीय नहीं सुनना चाहते हैं तो ठीक है.
श्री सोहनलाल बाल्मीक-- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न अठारहवें नंबर पर है क्या मेरा प्रश्न आएगा? एक ही प्रश्न पर यदि बीस मिनट लग जाएंगे तो फिर कैसे काम चलेगा.
श्री गोपाल भार्गव- माननीय अध्यक्ष महोदय, केवल 2 मिनट में उत्तर आ जाये. मंत्री जी, हमारा प्रश्न साधारण सा बोनस के बारे में है. किसान समृद्धि योजना के तहत आप कितनी राशि देंगे, पिछले वर्ष के शेष बोनस की, जो आपने बिल्कुल नहीं दिया है. आप किसानों को कितनी राशि देंगे और कब तक देंगे और देंगे कि नहीं देंगे ? इसकी जानकारी दे दीजिये.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत- माननीय अध्यक्ष महोदय, खण्डवा जिले में खरीफ फसल का कुल 2 लाख 33 हजार 845 हेक्टेयर रकबा प्रभावित है.
श्री गोपाल भार्गव- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न सभी 52 जिलों का है, पूरे प्रदेश का प्रश्न है.
अध्यक्ष महोदय- पहले उनको सुन लीजिये.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत- समस्त जिलों में पैसा बांटा गया है. जहां तक आपका प्रश्न है तो 70 करोड़ रुपया बांट दिया गया है. मैंने पूर्व में भी कहा कि किसान समृद्धि योजना प्रचलित है और सरकार किसानों को पैसा देगी.
(...व्यवधान...)
श्री गोपाल भार्गव- अध्यक्ष महोदय, यहां बोनस की बात हो रही है. हमारे प्रश्न का उत्तर नहीं आया है. किसानों को बोनस दिया जायेगा कि नहीं ? माननीय कृषि मंत्री जी बतायें.
श्री विश्वास सारंग- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह किसान विरोधी सरकार है. बोनस नहीं दे रहे, यूरिया नहीं दे रहे, कर्ज माफ नहीं किया, ये किसान विरोधी सरकार है.
श्री जालम सिंह पटेल- बोनस कब दिया जायेगा ? गेहूं की दुबारा बुआई हो गई है. (...व्यवधान...)
श्री गोविन्द सिंह राजपूत- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री जी ने घोषणा की है, 160 रुपये प्रति क्विंटल बोनस दिया जायेगा, जिसे हमने किसान समृद्धि योजना का नाम दिया है. (मेजों की थपथपाहट)
डॉ. नरोत्तम मिश्र- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक नजर इधर भी. मेरे पास इस वर्ष के अनुपूरक बजट की पुस्तक है और पिछले आम बजट की भी पुस्तक है, (पुस्तक दिखाते हुए) जो माननीय वित्त मंत्री जी ने पढ़ी थी, वह भी है. यहां बार-बार मंत्री जी जिस किसान समृद्धि योजना का जिक्र कर रहे हैं, मैं केवल उसका जिक्र करना चाह रहा हूं. इस पुस्तकों में राजस्व और कृषि विभाग में कहीं भी किसान समृद्धि योजना में बोनस का जिक्र नहीं है. ये आसंदी को गुमराह कर रहे हैं और सदन को गुमराह कर रहे हैं. अगर मैं गलत कह रहा हूं तो ये उठें और बतायें कि किस पेज और किस कॉलम में बोनस का जिक्र है. मैं पेज नंबर 61 देख के बता रहा हूं. (प्रतिपक्ष की ओर से शेम-शेम की आवाज)
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने दोनों पुस्तके पढ़ने के बाद आपसे अनुमति ली है. यहां सदन को गुमराह किया जा रहा है. इस मध्यप्रदेश में किसान के साथ ऐसा व्यवहार किया जा रहा है, उसे बोनस नहीं दिया जा रहा है.
(...व्यवधान...)
श्री गोविन्द सिंह राजपूत- माननीय अध्यक्ष महोदय, जब सदन में अनुपूरक बजट पर चर्चा होगी तब वित्त मंत्री जी जवाब देंगे.
श्री गोपाल भार्गव- माननीय अध्यक्ष महोदय, सरकार का किसानों के प्रति वादा था कि 160 रुपये प्रति क्विंटल बोनस दिया जायेगा.
श्री जितु पटवारी- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रश्न को विषयांतर करने की आवश्यकता नहीं है. जब बजट पर बहस होगी, तब यह प्रश्न निकलेगा अभी कौन सा प्रश्न है और ये उसे कहां लेकर जा रहे हैं ? बजट की जब बात आयेगी, तब यह सवाल खड़ा कीजियेगा.
(...व्यवधान...)
डॉ. नरोत्तम मिश्र- माननीय अध्यक्ष महोदय, आसंदी के सम्मुख लगातार असत्य बोलने की इनको आदत पड़ी हुई है.
श्री शिवराज सिंह चौहान- माननीय अध्यक्ष महोदय, बजट में बोनस का कोई प्रावधान नहीं है.
(...व्यवधान...)
अध्यक्ष महोदय- सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित.
(11.45 बजे सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित की गई.)
11.53 बजे (विधान सभा पुन: समवेत हुई.)
{अध्यक्ष महोदय, श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति(एन.पी.) पीठासीन हुए. }
डॉ. नरोत्तम मिश्र:- माननीय अध्यक्ष महोदय, पूरे प्रदेश के किसान आपकी तरफ बड़ी हसरत भरी निगाह से देख रहे हैं. इतनी हसरत भरी निगाह से आपकी तरफ देख रहे हैं, क्योंकि अब इनसे तो कोई उम्मीद नहीं बची है, जिस तरह की अकर्मण्य सरकार है उससे उम्मीद नहीं है. अब हम आसंदी से उम्मीद कर रहे हैं. मैं जो बोल रहा हूं वह वापस थोड़े ही ले रहा हूं.
लोक निर्माण और पर्यावरण मंत्री (श्री सज्जन सिंह वर्मा):- यह क्या बोल रहे हैं.(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय:- आप लोग बीच में जरा ना बोलें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र:- अध्यक्ष जी, यह किसानों का बोनस..
अध्यक्ष महोदय:- देवेन्द्र जी, पांसे जी आप जरा बैठ जायेंगे ना, यह क्या है.
लोक स्वास्थ्य मंत्री(श्री सुखदेव पांसे):- (XX) इसलिये हसरत भरी नजरों से देखते हैं, लोग आपको.
नेता प्रतिपक्ष(श्री गोपाल भार्गव):- माननीय अध्यक्ष जी, चार नंबर पर जो प्रश्न था वह बहुत ही सुस्पष्ट प्रश्न था.
डॉ. नरोत्तम मिश्र:- एक तो आप वह विलोपित करवा दो, जो आपके बारे में बोला है..
अध्यक्ष महोदय:- क्या बोला है ?
डॉ. नरोत्तम मिश्र:- आपके बारे में उन्होंने जो बोला है वह टिप्पणी आसंदी के लिये ठीक नहीं है. अध्यक्ष जी, आप कोई हास्य की वस्तु नहीं हैं.
अध्यक्ष महोदय:- पांसे जी आप बैठ जायें. उन्होंने जो शब्द बोला है उसको विलोपित किया जाये.
वित्त मंत्री (श्री तरूण भनोत):- मैं सदन के सभी माननीय से बोलना चाहता हूं कि अनुपूरक मांगों पर चर्चा होनी है. हमारे विद्वान साथी नरोत्तम जी ने अभी उसकी चर्चा भी छेड़ी, अभी प्रश्नकाल हो जाये, जब अनुपूरक पर चर्चा होगी तो हम उसका जवाब भी देंगे. जहां तक बोनस की बात है....
श्री गोपाल भार्गव:- माननीय वित्त मंत्री जी...
डॉ. नरोत्तम मिश्र:- अध्यक्ष जी, आपसे तो उम्मीद है, लेकिन इनसे उम्मीद ही नहीं है.
अध्यक्ष महोदय:- आप सब लोग बैठ जाइये, माननीय मुख्यमंत्री जी बोल रहे हैं.
मुख्यमंत्री (श्री कमलनाथ)--अध्यक्ष महोदय, बोनस का विषय उठा, पर मैं सदन को जानकारी देना चाहता हूं कि पिछले साल जो बोनस दिया गया था उसका परिणाम क्या था कि केन्द्र सरकार ने हमें पत्र लिखा कि आपने बोनस दिया है इसलिये हम आपकी 7 लाख टन खरीदी घटा रहे हैं और अगर हम बोनस का इसमें लिख देते तो यह साफ सबूत हो जाता कि हम बोनस दे रहे हैं यह केन्द्र सरकार ने मुझे लिखित में दिया है. मैंने इस बारे में दिल्ली में बात की, यह बोनस नहीं आप बोनस के कारण आप खरीदी घटा रहे हैं 7 लाख टन. पता नहीं इस साल हम बोनस देते तो कितना घटा देते. मैं तो आप सबसे निवेदन करूंगा कि आप भी केन्द्र सरकार से टेकअप करिये कि अगर जो बोनस मध्यप्रदेश में दिया गया उसके पत्र की कापी मुझे दे दीजियेगा तब बात स्पष्ट होगी और यह बात पूरे प्रदेश को समझ आयेगी कि आप केवल सदन में ही नहीं आप बाहर भी केन्द्र सरकार से भी चर्चा करने को तैयार हैं. दूसरी चीज हमारे यहां कितने सांसद हैं. आज अतिवृष्टि हुईम अतिवृष्टि में क्या किसी सासंद ने यहां पर 28 सांसद हैं. क्या 28 सांसदों में से किसी एक ने भी यह विषय उठाया हो कि हमें जो 8 हजार करोड़--
डॉ.नरोत्तम मिश्र--अध्यक्ष महोदय, जी इसमें आप हमको भी सुनिये.
अध्यक्ष महोदय--सदन के नेता को बोलने दीजिये उसके बाद. आप लोग विराजिये सदन के नेता खड़े हैं आप लोग विराजिये उनको सुन लीजिये.
श्री कमलनाथ--अध्यक्ष महोदय, यहां पर सदन में खड़े होकर यह बात कह देंगे और कर देंगे एक बात याद रखियेगा कि मुंह चलाना और सरकार चलाने में अंतर होता है. (व्यवधान)
श्री शिवराज सिंह चौहान--अध्यक्ष जी यह आपत्तिजनक है. (व्यवधान)
श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष जी यह घोर आपत्तिजनक है. (व्यवधान)
डॉ.नरोत्तम मिश्र--अध्यक्ष जी माननीय मुख्यमंत्री जी ने कहा कि अगर हम लिख देते. लिखने का हमने जिक्र नहीं किया है इनके मंत्री जी ने जिक्र किया है कि किसान समृद्धि योजना के मद से दिया है. दूसरी बात इन्होंने कहा केन्द्र सरकार ने कहा था तो इन्होंने घोषणा क्यों की. यह बात बिल्कुल सच है कि मुंह चलाने में और सरकार चलाने में अंतर है. (व्यवधान) इनसे सरकार नहीं चल रही है सिर्फ इनका मुंह चल रहा है और कुछ नहीं चल रहा है, क्यों मुंह चलाया 160 का (व्यवधान)
श्री जितु पटवारी--अगर आपकी पीड़ा जायज है तो नरेन्द्र मोदी जी के खिलाफ धरना दो, आंदोलन करो. (व्यवधान) राजनीतिकरण करेंगे, राजनीतिक रोटियां सेकेंगे. मुख्यमंत्री जी ने संकल्प किया कि मैं किसानों का 2 लाख रूपये तक का कर्जा माफ करूंगा. आज माफ करने की स्थिति में हैं, परिस्थिति में हैं, बजट नहीं हैं, फिर भी लगे हुए हैं. आप लोग किसानों के नाम पर राजनीतिक रोटियां सेंक रहे हैं.
डॉ.नरोत्तम मिश्र--एक सवाल करना चाहता हूं कि बोनस देना हैं तो हां करों नहीं देना है तो ना करो. आप लोगों को बोनस देना या नहीं देना हैं. एक लाइन का स्पेसिफिक प्रश्न है. (व्यवधान)
श्री जितु पटवारी--आप लोगों ने केन्द्र सरकार को एक पत्र भी नहीं लिखा है. आप लोगों को मध्यप्रदेश के हितों की रक्षा करनी चाहिये, यह तो क्लियर कर देते. शिवराज सिंह जी मैं बोल रहा हूं अध्यक्ष जी की अनुमति से.(व्यवधान)
श्री शिवराज सिंह चौहान--माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे बोलने दें मैं अध्यक्ष जी की अनुमति से बोल रहा हूं. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--मैंने दोनों को खड़े होने की अनुमति नहीं दी है. मैंने दो दो खड़े नहीं किये हैं. मैं ऐसा नहीं कर सकता. (व्यवधान)
श्री शिवराज सिंह चौहान--अध्यक्ष महोदय, हमने भी मुंह नहीं चलाया, सरकार ही चलायी. जब भी हमने...(व्यवधान)
श्री जितु पटवारी--इतना मुंह चलाया कि किसी ने नहीं चलाया. (व्यवधान) आपके पास मुंह चलाने के अलावा कुछ था ही नहीं. आपने जितना मुंह चलाया उतना किसी ने नहीं चलाया.
अध्यक्ष महोदय--प्रश्नकाल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त)
श्री शिवराज सिंह चौहान (बुधनी)- बिना इधर-उधर की बात कर, सीधा बताओ 160 रूपए देंगे कि नहीं देंगे, एक ही सवाल है. (..व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - प्रश्नकाल समाप्त.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, ये कांग्रेस का घोषणा पत्र है, आप मुझे घोषणा पत्र की एक लाइन पढ़ लेने दीजिए (..व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - रूक, जाइए, नरोत्तम जी, कृपापूर्वक विराजिए. माननीय नेता प्रतिपक्ष भी एक मिनट विराजिए. प्रश्नकाल समाप्त हो गया है.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) - अध्यक्ष महोदय, समाप्त हो जाए प्रश्नकाल और हो जाए पूरा सत्र. मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं यदि इस सदन ने यदि हमारे बोलने के लिए यह कहा जाए कि बोलने में और सरकार चलाने में अंतर है इसका अर्थ यह है कि हमारी स्वतंत्रता पर हमला हुआ है, हमारे बोलने पर हमला हुआ है, यह हमारी अभिव्यक्ति पर हमला हुआ है. (..व्यवधान)
लोक निर्माण मंत्री(श्री सज्जन सिंह वर्मा) - आप अपने ऊपर क्यों ले रहे हों.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, हम इसको बर्दाश्त नहीं कर सकते, मुख्यमंत्री जी को इस पर खेद व्यक्त करना चाहिए. (..व्यवधान)
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, घोषणा पत्र की एक लाइन पढ़ लेने दो. उसके बाद मुख्यमंत्री जी बोलेंगे. (..व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - आप इसको बजट में पढ़ लेना. (..व्यवधान)
डॉ. नरोत्तम मिश्र - मैं पढ़ लूंगा अध्यक्ष जी, मुख्यमंत्री जी खड़े हैं. मुख्यमंत्री जी बोल रहे है, इसलिए.
अल्पसंख्यक मंत्री(श्री आरिफ अकील) - घर से पढ़कर आया करो..
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष जी, मुख्यमंत्री जी इस सदन के नेता है.
श्री शिवराज सिंह चौहान - अध्यक्ष जी, 160 रूपए देंगे कि नहीं देंगे, यह तो बता दें. (..व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - विराजो, विराजो. (..व्यवधान)
डा. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, कांग्रेस का घोषणा पत्र में बिन्दु क्रमांक 4
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष जी, जो अभी बात हुई यह मर्माहत करने वाली बात हुई. अध्यक्ष महोदय, हम सभी यहां पर मूक दर्शक, मूक श्रोता, मूक वक्ता बनकर नहीं बैठ सकते हैं. हम बोलते हैं, यहां भी बोलते हैं, आमसभाओं में भी बोलते हैं, कार्यक्रमों में भी बोलते है. अध्यक्ष महोदय, आप भी केबिनेट में बोलते हैं. मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं हम यदि यहां बोलते हैं और उसके लिए यह कहा जाए एक हास्य के रूप में कि आप बोलते हैं और हम सरकार चलाते हैं, सरकारें तो सभी चला रहे, केन्द्र में भी चल रहे हम भी चला रहे. आप सदन के नेता है, आप इतने वरिष्ठ सदस्य है. अध्यक्ष महोदय मैं सोचता हूं कि शायद इस प्रकार की शब्दावली का उपयोग माननीय सदन के नेता को नहीं करना चाहिए था, क्योंकि अभिव्यक्ति के बिना तो संभव ही नहीं है. (..व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - बैठ जाओ, बैठ जाओ, जब नेता खड़े हैं तो आप बैठ जाओ.
मुख्यमंत्री (श्री कमल नाथ) - माननीय अध्यक्ष जी, जब मैंने मुंह चलाने की बात की, मैंने किसी को टारगेट नहीं किया, अगर आप टारगेट बनना चाहते हैं, उसका मेरे पास कोई उपाय नहीं है और .. (..मेजों की थपथपाहट)
श्री शिवराज सिंह चौहान - ये तो बता दो 160 देंगे कि नहीं.
श्री कमल नाथ - शिवराज राज जी, मैं खत्म कर लूं, शिवराज जी को बड़ा एतराज हुआ, जैसे कि मैं उन्हें टारगेट कर रहा हूं. मैंने टारगेट नहीं किया, क्योंकि अगर आपके दिल में कुछ है तो मैं नहीं बता सकता.
श्री गोपाल भार्गव - मुख्यमंत्री जी, 160 का बता दें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - ''तू इधर उधर की बात न कर, यह बता कि काफिला क्यों लुटा, तेरी रहजनी से गिला नहीं, तेरी रहवरी पर सवाल है''(..व्यवधान)
श्री गोपाल भार्गव - किसान क्यों लुटा.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - प्रदेश का किसान क्यों लुटा, अध्यक्ष जी मुझे घोषणा पत्र का बिन्दु क्रमांक 4 पढ़ने दो. (..व्यवधान) माननीय अध्यक्ष जी, एक अनुमति उसके बाद माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब आ रहा है. मेरा यह कहना है, उसमें लिखा है बिन्दु क्रमांक 4 पर गेहूं, धान, कपास, अरहर, सरसों, सोयाबीन, लहसून, प्याज, टमाटर और गन्ने पर बोनस देंगे, जब इन्होंने अपने घोषणा पत्र में लिखा तो केन्द्र सरकार से पूछकर लिखा था क्या, कि यह बोनस देंगे(..व्यवधान) अध्यक्ष महोदय, वोट लेने के लिए लगातार असत्य बोला. (..व्यवधान)
श्री सोहन बाल्मीक - 15 साल का हिसाब तो दो. (..व्यवधान)
डॉ. नरोत्तम मिश्र - हर चीज का हिसाब देने के लिए तैयार है, कोई ले तो सही. (..व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - कृपया आप लोग बैठ जाए, नरोत्तम जी आप भी बैठ जाइए. (..व्यवधान) बाल्मीकी जी बैठ जाइए. ये सदन चलने देंगे या नहीं, भाई एक तरीका होता है.
ऊर्जा मंत्री (श्री प्रियव्रत सिंह) - जब सीएम खड़े थे तब....
अध्यक्ष महोदय - आप रुक जाइये. प्रियव्रत जी आप भी बैठ जाइये. मखौल बनाकर रख दिया है. This is not done. यह ठीक तरीका नहीं है. मैंने प्रश्नकाल समाप्त बोला, ठीक है न. उसके बाद अगर कोई बात उठानी है तो आप शून्यकाल में उठा सकते थे. दूसरा, हम सदन की गरिमा बनाये रखने के लिए मुद्दे जरूर उठायें. लेकिन एक साथ 10-10 सदस्य मुद्दे उठायेंगे, इधर (विपक्ष) से 10 माननीय सदस्य खड़े हो गये, उधर से (सत्ता पक्ष) 10 सदस्य खड़े हो गये. घड़ी चलती जा रही है, वह तो रुकने का नाम नहीं ले रही है. आप प्रश्नकाल में देखिये कि जब माननीय राजेन्द्र शुक्ल जी अकेले बोल रहे थे और वहां से माननीय मंत्री जी अकेले बोल रहे थे, तब हाउस बढि़या चल रहा था. जहां राजेन्द्र शुक्ल जी के पीछे चार सदस्य खड़े हो गये, तो वहां (सत्ता पक्ष से) से भी चार सदस्य खड़े हो गये, हाउस गड़बड़ा गया. मेरा आपसे अनुरोध है कि आप तीनों माननीय सदस्य (श्री गोपाल भार्गव, श्री शिवराज सिंह चौहान एवं डॉ. नरोत्तम मिश्र को देखते हुए) भी आपस में यह तय कर लिया करें कि पहले किसको बोलना है ? जितु भाई, प्रियव्रत जी या प्रद्युम्न सिंह जी आप भी तय कर लें, अगर मंत्री जवाब दे रहा है तो आपको बीच में खड़ा नहीं होना चाहिए. इस व्यवस्था को बनाकर आप चलेंगे तो अच्छा रहेगा. हाउस आपका है, मुझे तो सिर्फ संचालक बनाकर बैठा दिया है. आपको अपना हाउस कैसे चलाना है ? यह आप पर निर्भर करेगा. आपकी कार्यप्रणाली पर निर्भर करेगा. हां, हम कोई प्रश्न करते हैं, आपको भी मालूम है नरोत्तम जी, आप संसदीय कार्यमंत्री रहे हैं, आपने कई मर्तबा यहां कहा था कि आप मंत्री को विवश नहीं कर सकते है. ठीक है. यह हमारी परिपाटी रही है, प्रचलन रहा है. हम जो करें, प्रश्न जरूर करें, मैं उसको मना नहीं कर रहा हूँ. मंत्री जी जितना जवाब दे दें, अच्छी बात है. हां, कोई बात आई है, मैंने तीन बार कहा कि बजट आयेगा, आप उसमें उल्लेख कर लेना और हम भी चाहेंगे, जो आप उल्लेख कर रहे हैं, उसका माननीय वित्त मंत्री जी जवाब दें. लेकिन मंत्री जी, जब जवाब दें, उसके अन्दर क्या चीज छिपी हुई है, उसको भी जरा अच्छे से ध्यान दे देना. अब अनुरोध है, हाउस को चलने दीजियेगा. अभी हमारे और भी ऐसे चर्चा के विषय आ रहे हैं, उसमें आप उठा लीजिये और माननीय मंत्रियों से अनुरोध है कि उसका न्यायोचित उत्तर दे दें. कभी -कभी आप भी चोंटियां ले देते हैं, यहां से भी चोंटियां ले देते हैं. उस पर आप दिल पर मत लिया करो. दूसरी और अंतिम महत्वपूर्ण बात जो इस सदन की हमेशा गरिमा रही है, जब सदन में नेता खड़े होते हैं, चाहे पक्ष के सदस्य हों या विपक्ष के सदस्य हों, आप कृपया बैठ जाइये, उनको अपनी बात कहने दीजिये, ठीक इसी प्रकार जब सदन में नेता प्रतिपक्ष खड़े हों, चाहे पक्ष के सदस्य हों या विपक्ष के सदस्य हों, कृपापूर्वक बैठ जाइये. यही परिपाटी रही है और यही हमारे हाउस का डेकोरम रहा है, उसको सुचारू रूप से चलने दीजिये ताकि व्यवस्थाएं भी बनी रहें, प्रश्न-उत्तर भी चलते रहें, समाधान भी आते रहें, जिज्ञासा भी बढ़ती रहे, यही तो हमारा हाउस है. माननीय शिवराज जी, अब प्रश्नकाल समाप्त हो गया है (श्री शिवराज सिंह चौहान के खड़े होने पर). आप सुनिये, आप मेरा अनुरोध सुन लीजियेगा. (श्री करण सिंह वर्मा जी के बैठे-बैठे कुछ बोलने पर) वर्मा जी, मैंने आपको नहीं बोला है, आपको मैं न बुलाऊँ. वर्मा जी, माननीय शिवराज जी और आपके शरीर में ढाई गुना का अन्तर है, मैं आपको कैसे भूल जाऊँगा और कैसे नहीं बुलाऊँगा ? मैं इतने बढि़या शरीर को कैसे अनदेखा कर सकता हूँ. मुझे शून्यकाल की सूचनाएं पढ़ने दें.
श्री शिवराज सिंह चौहान - माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारा कितना भी मजाक उड़ा लें ? लेकिन पूरे प्रदेश का किसान जानना चाहता है, आज यह विषय आया है. हम केवल माननीय मुख्यमंत्री जी से यह जानना चाहते हैं कि 160 रुपये प्रति क्विंटल गेहूँ का बोनस देंगे कि नहीं देंगे. यह छोटा सा लेकिन बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न है, इसका उत्तर आना चाहिए. मेरा निवेदन है. पूरा प्रदेश जानना चाहता है.
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाइये. आप रुकिये.
श्री शिवराज सिंह चौहान - पूरे प्रदेश का किसान जानना चाहता है.
...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- (एक साथ कई माननीय सदस्यों के अपने आसन पर खड़े होकर कहने पर) आप सभी बैठ जायें. आपने इस भीड़ में इस प्रश्न की प्रतिध्वनि नहीं सुनी थी. अगर इसको अंकित करते हैं और इसको सार्वजनिक करते हैं तो ऊपर से जो राशि मिलना है, उस पर रोक लग जायेगी.(श्री शिवराज सिंह चौहान के अपने आसन पर खड़े होकर कहने पर) आप मेरी बात सुन लीजिये श्री शिवराज जी मैं चाहूंगा कि इस संबंध में आप और माननीय मुख्यमंत्री जी साथ में बैठ जायें.(श्री राजेन्द्र शुक्ल के अपने आसन पर खड़े होकर कहने पर) श्री राजेन्द्र जी कृपया आप बैठ जायें. हमको भी भगवान ने कान दिये हैं, हमको भी भगवान ने कृपा पूर्वक थोड़ी सी बुद्धि दी है, जब बंट रही थी तो लाईन में हम भी खड़े थे. हमने प्रश्न सुन लिया है.
वित्तमंत्री(श्री तरूण भनोत) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने अपने वचन पत्र में जो-जो लिखा है, वह हम किसानों को देंगे.(मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय -- बस अब बात खत्म हो गई, वित्तमंत्री जी ने बोल दिया है कि हम देंगे तो बात अब खत्म हो गई है. नेताजी आप बोलें.
मुख्यमंत्री( श्री कमलनाथ) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, क्योंकि यह बात यहां पर उठी है और आप यहां पर यह प्रदर्शित कर रहे हैं कि हमने यह मांग रखी है, यह बात सही नहीं है. मैं आपके माध्यम से यह बात श्री शिवराज जी को यह कहना चाहता हूं कि हमने पहले ही इसकी घोषणा कर दी थी (मेजों की थपथपाहट). श्री शिवराज सिंह चौहान जी मैं आज आपको और आपके साथियों को जो इसकी मांग कर रहे थे, उस पत्र की कॉपी भेजूंगा जहां केंद्र सरकार ने कहा है कि अगर आप बोनस देंगे या आपने बोनस दिया है तो जो आपकी खरीदी थी, वह हम नहीं कर रहे हैं और सात लाख टन घटा रहे हैं, इसकी कॉपी आप पढ़ लेना उसके बाद हम इस पर चर्चा करेंगे.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- आप नुकसान राशि ही दे दें. माननीय मुख्यमंत्री जी हमने भी दी है और 265 रूपये प्रति क्विंटल हमने भी दिया है. आप देंगे कि नहीं देंगे यह बता दें.
श्री कमलनाथ -- यह आपने दिया है इसलिये यह सात लाख टन घट गया है. मैं उसी का पत्र आपको देने वाला हूं.
....(व्यवधान)...
श्री सीतासरण शर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इससे किसान को क्या करना है ....(व्यवधान)...
श्री शिवराज सिंह चौहान -- माननीय मुख्यमंत्री जी किसान को मिलेगा कि नहीं मिलेगा आप यह बता दें. आप किसी और नाम से दे दें, किसान प्रोत्साहन राशि के नाम से ही दे दें, ....(व्यवधान)..
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक साल हो गया है नई फसल आने में, एक साल हो गया है. ....(व्यवधान)..
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, वचन पत्र में स्पष्ट रूप से उल्लेख है और अगर वचन पत्र में स्पष्ट रूप से उल्लेख है तो इसमें न तो भारत सरकार, न अन्य कोई सरकार, न अन्य कोई व्यवस्था ....(व्यवधान)..
लोक निर्माण एवं पर्यावरण मंत्री(श्री सज्जन सिंह वर्मा) -- आप यहां पर बैठकर किसानों का नुकसान करवा रहे हैं. ....(व्यवधान)..
ऊर्जा मंत्री (श्री प्रियव्रत सिंह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह मुख्यमंत्री जी को विवश करेंगे. ....(व्यवधान)..
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- किसानों का नुकसान हो रहा है. ....(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिये स्थगित की जाती है.
(12.13 बजे से सदन कार्यवाही 5 मिनट के लिये स्थगित की गई)
12.18 बजे विधान सभा की कार्यवाही पुन: समवेत हुई.
(अध्यक्ष महोदय, श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) पीठासीन हुये)
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)-- माननीय अध्यक्ष जी, एक विषय को लेकर दो बार व्यवधान हुआ, वह है किसानों को बोनस की मांग को लेकर. अध्यक्ष महोदय, चुनाव के वक्त, जब विधान सभा चुनाव हुये थे कांग्रेस पार्टी ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में कहा था कि स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करेंगे एवं गेहूं, धान, कपास, अरहर, सरसों, सोयाबीन, लहसुन, प्याज, टमाटर, गन्ने पर बोनस देंगे. .... (व्यवधान).... अध्यक्ष महोदय, मेरा एक निवेदन है.... .... (व्यवधान)....
जनजातीय कार्य मंत्री (श्री ओमकार सिंह मरकाम)-- आप अपने घोषणा पत्र को देखें .... (व्यवधान).... नेता प्रतिपक्ष जी, आप अपना घोषणा पत्र देखें. हमने अपना घोषणा पत्र बहुत जिम्मेदारी के साथ जारी किया है, आप अपना घोषणा पत्र देखिये, आप नरेन्द्र मोदी का घोषणा पत्र देखिये. .... (व्यवधान).... आप हर जगह गलत लिख रहे हैं. आपने 2 करोड़ नौजवानों को रोजगार देने का बोला था, आपने कहां दिया. .... (व्यवधान).... आप असत्य बात करते हैं.
श्री गोपाल भार्गव-- जब आपके घोषणा पत्र में, आपके वचन पत्र में यह बात कही गई थी उस समय कहीं भी यह बात नहीं दर्शाई गई थी कि जब भारत सरकार अनुमति दे देगी तब हम देंगे. .... (व्यवधान)....
12.19 बजे बहिर्गमन
(भारतीय जनता पार्टी के सदस्यगण द्वारा सदन से बहिर्गमन)
नेता प्रतिपक्ष, श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, यह घोषणा पत्र किसान विरोधी है, यह किसानों को बोनस नहीं दे रहे इसलिये हम सदन से बहिर्गमन करते हैं.
(नेता प्रतिपक्ष, श्री गोपाल भार्गव के नेतृत्व में किसानों को बोनस न दिये जाने के कारण भारतीय जनता पार्टी के सदस्यगण द्वारा सदन से बहिर्गमन किया गया).
12.20 बजे नियम-267-क के अधीन विषय
अध्यक्ष महोदय - निम्नलिखित माननीय सदस्यों की शून्यकाल की सूचनाएं सदन में पढ़ी हुई मानी जाएंगी :-
1. श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह
2. श्री हीरालाल अलावा
3. डॉ.मोहन यादव
4. श्री देवेन्द्र वर्मा
5. श्री जालम सिंह पटेल
6. श्री श्यामलाल द्विवेदी
7. श्री शैलेन्द्र जैन
8. श्री के.पी.त्रिपाठी
9. श्री हरदीप सिंह डंग
(10)जिला सिवनी के ग्राम सोनाडोंगरी में 6 वर्ष की मासूम के साथ हुए बलात्कार की घटना को स्थानीय पुलिस द्वारा छुपाया जाना
श्री दिनेश राय मुनमुन(सिवनी) - विगत दिनों सिवनी जिला सिवनी में दि.13.12.19 को थाना क्षेत्र शहडोल के ग्राम सोनडोंगरी में 6 वर्ष की मासूम बच्ची के साथ दुष्कृत्य(बलात्कार) की घटना हुई है. उक्त घटना के संबंध में पुलिस द्वारा जानकारी को छुपाया गया. यहां तक कि जिला कलेक्टर को भी तत्संबंध में तुरंत जानकारी नहीं दी गई. यहां तक कि मुझ को भी अन्य सूत्रों से जानकारी प्राप्त हुई. पुलिस ने बच्ची के माता-पिता एवं पारिवारिक जनों तथा स्वयं मुझे भी पीड़ित बच्ची से मिलने नहीं दिया. पीड़ित मासूम बच्ची आदिवासी समाज की है. इस घिनौनी घटना से आदिवासी समुदाय में रोष व्याप्त है. आदिवासी समुदाय द्वारा पीड़ित बच्ची का उपचार विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा कराये जाने की मांग की गई है. इस संवेदनशील घटना पर संज्ञान न लेने वाले अधिकारियों पर कठोर दण्डात्मक कार्यवाही होनी चाहिये तथा पीड़ित परिवारजनों को शासन की तरफ से 1 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की जावे साथ ही पीड़ित परिवार व मासूम बच्ची को सुरक्षा प्रदान की जावे और आरोपित को मृत्युदण्ड(फांसी) की सजा दी जावे. आरोपी कोई भी हो किसी भी उम्र का हो आरोपी तो आरोपी ही होता है.
संसदीय कार्य मंत्री(डॉ.गोविन्द सिंह) - माननीय अध्यक्ष जी, माननीय कमलनाथ जी के नेतृत्व में बनी सरकार का सफलतापूर्वक एक वर्ष पूर्ण हो चुका है. इस दौरान सरकार द्वारा कई नयी योजनाएं एवं प्रशंसनीय कार्य किये हैं इसलिये मैं सदन में यह प्रस्ताव रखता हूं कि सदन सरकार द्वारा किये गये कार्यों की सराहना करता है मुख्यमंत्री जी को बधाई देता है और उनका अभिनंदन करता है.
श्री कुणाल चौधरी - एक साल बेमिसाल.
(..व्यवधान..)
श्री कमल पटेल - अध्यक्ष महोदय...
(..व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय - कमल पटेल जी अब अगर बीच में बोलें उनको बिल्कुल नहीं लिखा जायेगा. ये क्या तरीका है आपका.
नेता प्रतिपक्ष(श्री गोपाल भार्गव) - माननीय अध्यक्ष महोदय, पिछले पंद्रह वर्षों तक हमने भी सरकार चलाई. लगातार 15 वर्षों तक मैं सरकार में मंत्री रहा. मुझे स्मरण नहीं कि कभी इस प्रकार का प्रस्ताव किसी वर्ष के पूर्ण होने के बाद इस सदन में रखा गया हो. मत-विमत होते हैं और यह कोई परंपरा नहीं है.
(..व्यवधान..)
डॉ.नरोत्तम मिश्र - संसदीय कार्य मंत्री जी ने जो मत रखा है वह कांग्रेस पार्टी का मत है.सदन का नहीं है. हम उसके खिलाफ है.
अध्यक्ष महोदय - ठीक है.
डॉ.गोविन्द सिंह - सर्वसम्मति से पास करते हैं.
( भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्यगणों द्वारा हाथ उठाया गया.)
(..व्यवधान..)
12.24 बजे शून्यकाल में मौखिक उल्लेख
जबलपुर जिले में धान खरीदी के केन्द्र खोले जाना
श्री अजय विश्नोई(पाटन) - माननीय अध्यक्ष महोदय, जबलपुर में पिछले साल से इस बार धान ज्यादा पैदा हुई है परंतु तुलाई के केन्द्र कम बने हुए हैं. कई गांव के गांव छूट गये हैं. जबलपुर जिले के सरकारी अधिकारियों ने एक प्रस्ताव भेजा है कि और केन्द्र खोले जाएं. समितियों को अनुमति दी जाय. किसान मझौली के बरगी में और पाटन के परलीखेड़ा में धरने पर बैठे हैं. अनेकों स्थान पर किसान धरना दे रहे हैं. धान तुलाई नहीं जा रही है. आपसे अनुरोध है कि मंत्री जी को निर्देशित करें कि वह केन्द्रों को अनुमति दें. समितियों को अनुमति दें और धान की तुलाई सुनिश्चित करें.
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी, ध्यान दीजिएगा. अगर धान खरीदी में दिक्कत है. (खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर के खड़े होने पर) नहीं, आपको बोलना नहीं है. आपको सिर्फ सुनना है, कृपया अपने विभाग से यह बात कर लें जो नियम प्रक्रिया है, अगर वहां के अधिकारी केन्द्र खोलने के लिए लिख रहे हैं तो उसके ऊपर आप लोगों को ध्यान देना चाहिए, ऐसा मेरा अनुरोध है.
श्री अजय विश्नोई - अध्यक्ष महोदय, उसका जवाब तो आ जाय.
अध्यक्ष महोदय - वह मैंने बोल दिया, आप चिंता मत करिए.
श्री ओमप्रकाश सकलेचा (जावद) - अध्यक्ष महोदय, अभी परसों नीमच में जावद विधान सभा की 7 नगर पंचायतों में से 6 भाजपा की हैं. इन 6 नगर पंचायतों के लिए एक आदेश निकाला कि काम बंद करके सब पैसा रोक दिया जाय. यह प्रजातंत्र में किसी भी चुने हुए जनप्रतिनिधि के अधिकार का हनन का मामला है. यह कौन-सी नीति के तहत किसने आदेश किये? मैंने कल नगरीय विकास मंत्री जी, प्रभारी मंत्री जी से सबसे कहा है. इन्होंने ऐसे ही एक चीज और की, प्रधानमंत्री आवास की भी दो बार जांच के बाद सब पेमेंट रोक दी गई, लिखित में कलेक्टर आदेश देता है कि माननीय प्रभारी मंत्री जी के निर्देशानुसार सभी प्रधानमंत्री आवास की नयी कोई पेमेंट न की जाय. सदन के नेता माननीय मुख्यमंत्री जी यहां बैठे हैं, मैं पूछना चाहता हूं कि क्या ऐसे नियम उनकी नॉलेज में हैं, क्या वह इस सबको स्वीकारते हैं और अगर ऐसी सहमति है तो सड़कों की लड़ाई के लिए वह खुद जिम्मेदार होंगे.
श्री अशोक ईश्वरदास रोहाणी (जबलपुर केन्टोनमेंट) - अध्यक्ष महोदय, सबसे पहले तो आपको धन्यवाद कि आपने वर्ष में पहली बार मुझे बोलने का मौका दिया.
अध्यक्ष महोदय - अशोक भाई, आपको पूरा मौका दिया जाएगा. आपको देखता हूं तो मैं जहां बैठा हूं उनकी याद आती है.
श्री अशोक ईश्वरदास रोहाणी - यह विधायकों के मान-सम्मान की बात है. अध्यक्ष महोदय, विगत माह आप लैब के भूमि पूजन में मेरी विधान सभा में आए थे. आपको मैं जानकारी दे दूं कि अध्यक्ष महोदय, उस कार्यक्रम की मुझे कोई सूचना नहीं थी, लेकिन मुझे लगा कि प्रोटोकॉल के हिसाब से विधान सभा अध्यक्ष अगर हमारी विधान सभा में आ रहे हैं तो उनका स्वागत करना चाहिए और मैं आपके स्वागत के लिए उस कार्यक्रम में पहुंचा लेकिन जब मैं वहां पहुंचा तो सभी विधायकों के फोटो थे, मेरा फोटो जानबूझकर उसमें नहीं था, लेकिन मैंने आपसे उसकी शिकायत नहीं की. यह क्रम लगातार जारी रहा. ओशो महोत्सव का कार्यक्रम जबलपुर में हुआ, हमको दूसरे दिन फोन करने के बाद आमंत्रण पत्र मिले. अध्यक्ष महोदय, विपक्ष के विधायकों की उपेक्षा का यह क्रम लगातार चल रहा है. विधान सभा अध्यक्ष को विधायकों के संरक्षण के लिए जाना जाता है. आज मैं आपसे इस आसंदी के माध्यम से निवेदन करता हूं कि ऐसी व्यवस्था दीजिए कि विधायकों की उपेक्षा न की जाय. उनको सम्मान मिले, उनका अपमान न किया जाय.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, यह बडा गंभीर विषय है. हम चाहते हैं कि इस पर आपकी व्यवस्था आए.
श्री शिवराज सिंह चौहान (बुधनी) - अध्यक्ष महोदय, यह सदन केवल ईंट और गारों का भवन नहीं है. लोकतंत्र का पवित्र मंदिर है और इसमें बैठे हुए जनप्रतिनिधि विधायक चाहे वह सत्ता पक्ष के हों और चाहे वह विपक्ष के हों. लाखों लोग उनको चुनकर यहां पर भेजते हैं, उनके संवैधानिक और विधायी दायित्व होते हैं. मैं आपके माध्यम से आपसे निवेदन करना चाहता हूं क्योंकि मुख्यमंत्री भी पूरे सदन के नेता हैं. एक पार्टी के नेता नहीं हैं. मुख्यमंत्री पूरे प्रदेश का होता है, पूरे सदन के होते हैं और अध्यक्ष महोदय भी न पक्ष के हैं, न विपक्ष के हैं, वह निष्पक्ष हैं. यह बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न है.
अध्यक्ष महोदय, कई जगह ऐसी घटनाएं हुई हैं कि विधायक को अपमानित होना पड़ा है, विधायक को सूचना नहीं दी जाती. कार्यक्रम अगर आयोजित होता है तो जो हारा हुआ मित्र है, उसका नाम कार्ड में छपता है, उसका भाषण होता है. विधायक टुक-टुक देखता रहता है, या तो वह जाय ही नहीं और वह जाय तो वह अपमानित न हो तो यह सत्ता पक्ष और विपक्ष का सवाल नहीं है, सरकारें आती जाती हैं. हम उधर थे, अब इधर आ गये, यह होता रहता है. लेकिन विधायक किसी भी पक्ष का हो, उसका सम्मान रहना चाहिए, उसकी गरिमा रहनी चाहिए.
अध्यक्ष महोदय - (श्री रामलाल मालवीय सदस्य के खड़े होने पर) श्री रामलाल मालवीय जी, यह गलत बात है.
श्री कृणाल चौधरी - आपको बड़वानी की घटना याद है कि नहीं? बड़वानी में वर्तमान गृह मंत्री के साथ धक्का-मुक्की की थी.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय मैं आपकी अनुमति से बोल रहा हूं.
श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल -- ( X X X )
अध्यक्ष महोदय -- यह हनी बघेल जी जो बोल रहे हैं वह नहीं लिखा जायेगा.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- आपकी अनुमति हो तो मैं अपनी बात पूरी कर लूं.(--व्यवधान) (श्री सुरेन्द्र सिह बघेल जी लगातार जोर जोर से बोलते रहे )
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय एक मंत्री सदन का इस तरह से मजाक उड़ा रहा है.
अध्यक्ष महोदय --अब ऐसा है कि हम स्वयं ही तो नियम तोड़ रहे हैं. हम किसी दूसरे को क्या बोलें. ( एक माननीय सदस्य के बैठे बैठे बोलने पर ) यह देखें यह बैठे बैठे बोल रहे हैं. यह आप नियम तोड़ रहे हैं. मैं एक एक को निकालना शुरू करूं क्या. ताकि जो सदन को चलने देना चाहते हैं, वह चलने दें, और बाकी निकल जायें. हनी जी आप बिना पूछे ही बोलना शुरू कर दिये थे. आप आवेश में आ गये कम से कम इधर भी तो देख लिया करें. ऐसा है कि शिवराज जी आपकी बात आ गई है. माननीय मंत्री जी आपका जो नियम है उसका आप उल्लेख कर दीजिये ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों. कृपापूर्वक आप बता दीजिए.
डॉ गोविन्द सिंह -- माननीय शिवराज सिंह जी और माननीय विधायक जी ने...
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष जी एक बात मैं बोल लूं उसके बाद मंत्री जी बोल लें.
अध्यक्ष महोदय -- गोपाल जी, मैं मंत्री को नहीं बैठाल सकूंगा कैसा कर रहे हैं आप, उनका पूरा उत्तर आ जायेगा.
संसदीय कार्य मंत्री ( डॉ गोविन्द सिंह ) -- माननीय अध्यक्ष महोदय माननीय सदस्य रोहाणी जी और पूर्व मुख्यमंत्री जी ने जो अपनी बात कही है. वास्तव में हमारी विधान सभा लोकतंत्र का मंदिर है. मैं स्वीकार करता हूं कि अगर ऐसी घटना घटी है, वैसे अभी हमने 15 दिन पहले अपने विभाग की ओर से समूचे प्रदेश के अधिकारियों के लिए इस प्रकार के निर्देश जारी किये हैं कि शासकीय कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं तो इसमें पक्ष और विपक्ष का भेद न किया जाय, सभी माननीय निर्वाचित सदस्यों को सम्मान दिया जाय. उनके नाम कार्ड में छपें, उनके लिए मंच पर बैठने की व्यवस्था की जाय. यह समूचे निर्देश हमने जारी किये हैं. इसके बाद भी अगर यह घटना घटी है तो मैं माननीय सदस्य श्री रोहाणी जी से अनुरोध करता हूं कि आप पूरी घटना लिखित में हमें दें, जो भी अधिकारी दोषी होंगे उऩके विरूद्ध भी अनुशासनहीनता की कार्यवाही करूंगा, ताकि आपका और इस सदन का सम्मान रहे, इसमें हम आपसे अलग नहीं हैं, पक्ष - विपक्ष, सरकारें आती जाती रहती हैं, लेकिन अगर यह परंपरा प्रजातंत्र में, लोकशाही में, अगर नौकरशाही हावी रहती है तो फिर हमारा यहां पर निर्वाचित होकर बैठने का कोई मतलब नहीं रहता है. आपकी बात से हम पूरी तरह से सहमत हैं, आपसे प्रार्थना करते हैं अनुरोध करते हैं कि आप लिखित रूप में दीजिये मैं एक्शन लूंगा.
अध्यक्ष महोदय -- धन्यवाद्.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय मेरी बात सुन लें. सामान्य प्रशासन विभाग के द्वारा समय समय पर इस प्रकार के परिपत्र जारी किये गये हैं. पूर्व में भी किये गये हैं.अध्यक्ष महोदय आज भी बहुत अच्छी बात, आप हमारे संरक्षक हैं, मैं नहीं मानता कि शासन संरक्षक होता है हम सभी लोगों के इस सदन में आप संरक्षक हैं, तो अध्यक्ष महोदय इस कारण से आपसे ही निवेदन कर सकते हैं. मंत्री जी ने बहुत सकारात्मक उत्तर दिया है. लेकिन मैं जब देखता हूं कि परिपत्र नीचे पहुंचते हैं, तो जो भी ब्यूरोक्रेसी है..
अध्यक्ष महोदय -- आप शिकायत दे दीजिये. मंत्री जी ने कहा कि उस अधिकारी पर कार्यवाही की जायेगी.
श्री गोपाल भार्गव -- नहीं, एक व्यक्ति विशेष के बारे में आपने कहा.
अध्यक्ष महोदय --एक बात और कह दूं गोपाल जी. गोपाल जी, एक चीज और बोल दूं. जिन माननीयों के नाम निमंत्रण पत्र में छपते हैं, उनसे भी कहिये कि वे भी आया करें.
श्री गोपाल भार्गव -- बिलकुल जाया करें.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं. जो जाते हैं, मैं उनसे नहीं बोल रहा हूं, जो नहीं जाते हैं, मैं उनसे बोल रहा हूं.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, आपने बात कही है. इसका भी एक प्रोटोकाल जो है, जो सीक्वेंस है, जो क्रम है, यदि वह सम्मानजनक रहेगा, तो मैं नहीं सोचता कि हमारे विधायक दल में से कोई भी सदस्य अनुपस्थित रहेगा.
श्री शैलेन्द्र जैन -- अध्यक्ष महोदय, सम्मान पूर्वक बुलाने की व्यवस्था की जाये.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं. पत्रों का पटल पर रखा जाना. श्री तरुण भनोत, वित्त मंत्री जी.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय,एक मिनट का समय दें. बहुत आवश्यक है.
अध्यक्ष महोदय -- (प्रतिपक्ष के सदस्यों के खड़े होने पर) अपने सदस्यों को तो समझाओ, खड़े हो रहे हैं. आप खड़े हैं और वह खड़े हो रहे हैं.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, पूरे प्रदेश में युवा आंदोलन कर रहे हैं, भारतीय युवा मोर्चा के नेतृत्व में लाखों की संख्या में छात्र आंदोलन कर रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, 4 हजार रुपये महीना बेरोजगारी भत्ता देने का इस सरकार ने अपने वचन पत्र में वादा किया था...
अध्यक्ष महोदय -- भनोत जी, आप बोलिये.
..(व्यवधान)..
12.37 बजे पत्रों का पटल पर रखा जाना.
(1) (क) भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक का राज्य के वित्त पर लेखा परीक्षा प्रतिवेदन 31 मार्च, 2018 को समाप्त हुए वर्ष के लिए मध्यप्रदेश शासन का वर्ष 2019 का प्रतिवेदन संख्या-1,
(ख) मध्यप्रदेश सरकार के वित्त लेखे वर्ष 2017-2018 के खण्ड I एवं II , एवं
(ग) विनियोग लेखे वर्ष 2017-2018,
(घ) त्रिस्तरीय पंचायतराज संस्थाओं का संचालक स्थानीय निधि संपरीक्षा का वार्षिक संपरीक्षा प्रतिवेदन वर्ष 2014-2015 एवं 2015-2016, तथा
(ङ) नगरीय निकायों का संचालक स्थानीय निधि संपरीक्षा म.प्र. का वार्षिक संपरीक्षा प्रतिवेदन वर्ष 2014-2015 एवं 2015-2016.
..(व्यवधान)..
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, आज युवाओं के साथ अतिथि विद्वानों के साथ, अतिथि शिक्षकों के साथ मध्यप्रदेश की पूरी नौजवानों की पीढ़ी के साथ मजाक हो रहा है.
..(व्यवधान)..
श्री शिवराज सिंह चौहान -- अध्यक्ष महोदय, 4 हजार रुपये बेरोजगारी भत्ता देना चाहिये,यह युवाओं के साथ धोखा है, छल है. यह उनकी पीठ में छुरा घोपना है. पूरा प्रदेश का युवा परेशान है. 7 लाख बेरोजगार एक साल में बढ़ गये हैं और इसलिये 4 हजार रुपये बेरोजगारी भत्ता दें या नौजवानों को रोजगार दें.
..(व्यवधान के मध्य भारतीय जनता पार्टी के सदस्यगण द्वारा नारे लगाये गये.) ..
अध्यक्ष महोदय - डॉ. गोविन्द सिंह जी.
(2)
(क) |
मध्यप्रदेश राज्य सहकारी बैंक मर्यादित, भोपाल का संपरीक्षित वित्तीय पत्रक वर्ष 2018-2019, |
(ख) |
मध्यप्रदेश राज्य सहकारी विपणन संघ मर्यादित, भोपाल का संपरीक्षित वित्तीय पत्रक वर्ष 2017-2018, |
(ग) |
मध्यप्रदेश राज्य सहकारी उपभोक्ता संघ मर्यादित, भोपाल का संपरीक्षित वित्तीय पत्रक वर्ष 2017-2018, एवं |
(घ) |
मध्यप्रदेश राज्य लघु वनोपज (व्यापार एवं विकास) सहकारी संघ मर्यादित, भोपाल का संपरीक्षित |
वित्तीय पत्रक वर्ष 2016-2017.
(3) (क) मध्यप्रदेश स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डेव्लपमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड का 33वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2016-17,
(ख) जबलपुर इलेक्ट्रॉनिक्स मेन्युफेक्चरिंग पार्क लिमिटेड का प्रथम वार्षिक प्रतिवेदन (दिनांक 18/01/2016 से 31/03/2017), तथा
(ग) भोपाल इलेक्ट्रॉनिक्स मेन्युफेक्चरिंग पार्क लिमिटेड का प्रथम वार्षिक प्रतिवेदन (दिनांक 18/01/2016 से 31/03/2017)
(4) मध्यप्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, इन्दौर का सोलहवां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017-18
(5) मध्यप्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम मर्यादित का 38वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2015-16
(6) (क) मध्यप्रदेश राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017-2018, एवं
(ख) नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय, जबलपुर का वार्षिक लेखा वित्तीय वर्ष 2018-2019
12.43 बजे ध्यान आकर्षण
सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.
(1) सागर जिले की गढ़ाकोटा पुलिस द्वारा अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों के साथ अत्याचार की घटनाओं पर कार्यवाही न किया जाना
नेता
प्रतिपक्ष (श्री
गोपाल भार्गव)
(रहली) -- अध्यक्ष
महोदय,
गृह मंत्री (श्री बाला बच्चन) -- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्यक्ष जी, मेरी ध्यानाकर्षण सूचना का जो मज़मून है प्रश्न संभवत: छोटा हो सकता है आपकी नजर में, इसके फलतार्थ बहुत दूर तक जाएंगे. मैं माननीय गृह मंत्री जी से इतना ही जानना चाहता हॅू कि क्या इस राज्य में दो कानून चल रहे हैं ? एक कानून ऐसा है जिसमें कोई भी गरीब आदमी यदि इन धाराओं के अंतर्गत आरोपित होता है उसके खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट पुलिस थाने में दर्ज की जाती है. 24 घंटे के अंदर आप उसको गिरफ्तार कर लेते हैं, तत्पश्चात् आप विवेचना करते हैं. इस प्रकरण में लगभग 3 महीने होने को है और वह कोई सामान्य व्यक्ति नहीं है बल्कि एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट है जो अनुसूचित वर्ग से आता है बुजुर्ग है, एक प्रकार से अनुभवी है. उसका कैरियर भी कभी इस प्रकार का नहीं रहा. आप उसकी इमेज़ देख सकते हैं. उसके बावजूद भी और एक ऐसे विषय को लेकर जो उससे संबंधित नहीं है यदि जैसा इसमें कहा गया है कि राशन से संबंधित जो तहसीलदार का विषय भी नहीं है वह फूड कंट्रोलर, फूड इंस्पेक्टर से संबंधित विषय है, उसको लेकर उसका वीडियो बना हुआ है. मैं इतना ही कहना चाहता हॅूं कि दो नियम, दो कानून यदि आप चलाएंगे तो राज्य में अनुसूचित वर्ग के लोग अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के लोग सुरक्षित नहीं रह पाएंगे. मैं बहुत लंबा प्रश्न नहीं करना चाहता. इसलिए मैं माननीय मंत्री महोदय से यह कहना चाहता हॅू कि लगभग तीन महीने हो गए और इस वर्ग के जो भी कर्मचारी हैं, वह भय से ग्रसित हैं. वह कह रहे हैं कि जब हमारे साथ ऐसा व्यवहार हो सकता है तो फिर अन्य लोगों के साथ छोटे समाज से आने वाले अन्य व्यक्ति के साथ भी हो सकता है. इसलिए मैं माननीय मंत्री जी से जाना चाहता हूं कि आप इसमें कार्यवाही करेंगे कि नहीं करेंगे ? 3 महीने हो गए सामान्यत: एक दो दिन में कार्यवाही हो जाती है क्योंकि इसमें नियम है. सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग के बाद जो अमेंडमेंट भारत सरकार ने किया है जिस एक्ट में आपने जिन धाराओं में आरोपित किया है धारा 3(1)(द), 3(1)(ध), 3(2)5(क) इसमें पहले गिरफ्तारी बाद में इन्वेस्टीगेशन होता है. मैं यह जानना चाहता हूं कि क्या मंत्री जी इसमें गिरफ्तारी करने के बाद इस प्रकरण में आरोपित करके चार्जशीटेड करने का काम करेंगे ? और यदि नहीं करेंगे तो क्यों नहीं करेंगे ? यदि करेंगे तो इसको आप कब तक कर लेंगे ?
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य जो इस सदन के नेता प्रतिपक्ष भी हैं और मैं समझता हूं कि बहुत लंबा तजुर्बा और अनुभव उनका इस विधान सभा का है. वह इस हाऊस के सीनियर मोस्ट सदस्य हैं और बहुत लंबे समय से विधायक चुनते आए हैं. यह मामला सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत खाद्यान्न से जुड़ा हुआ है. इसमें जिनको आरोपी बनाया गया है उन आरोपियों के पास उस गांव के जिन लोगों को पिछले तीन महीने से राशन नहीं मिला था उसको लेकर आए थे और जिनको आरोपी बनाया गया है उन दोनों आरोपियों ने कलेक्टर, एस.डी.एम. को भी आवेदन दिए और कलेक्टर, एस.डी.एम. ने जांच के लिए तहसीलदार को डेप्यूट किया था. तहसीलदार ने जांच करने के बाद भी जो तीन महीने का खाद्यान्न लोगों को नहीं मिला इससे संबंधित कोई कार्यवाही नहीं की तो लोग तहसीलदार के पास आए और तहसीलदार के पास आने के बाद यह बातचीत और चर्चा हुई जिसमें वीडियो तैयार हुआ. वीडियो की सी.डी. हमारे पास है. माननीय नेता प्रतिपक्ष ने जो प्रकरण उठाया है उसमें कहीं पर भी ऐसा स्पष्ट नहीं होता है कि उनके ऊपर कोई अपराध बनता है. इसकी विवेचना जारी है और अगर कहीं भी जो फरियादी है जो खुद भी तहसीलदार है अगर कहीं थोड़ा बहुत तो साक्ष्य में कोई बात स्पष्ट आ जाए कि आरोपियों ने कोई अपराध किया है, ऐसी कोई साक्ष्य नहीं है और विवेचना जारी है. मैं आपके माध्यम से माननीय नेता प्रतिपक्ष जी को बताना चाहता हूं कि मेरी तरफ से मेरे विभाग को साफ निर्देश दे दिए गए हैं कि बहुत जल्द विवेचना पूर्ण कर वैधानिक कार्यवाही तत्काल करें.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, मैं पुन: मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि आप विषयांतर हो गए. आप राशन के विषय पर आ गए. राशन एक अलग विषय है. अधिकारी के साथ में दुर्व्यवहार करना, मारपीट करना, शासकीय कार्य में बाधा उत्पन्न करना और भी अनेकों विषय इसके साथ जुड़े हुए हैं उसके साथ जाति सूचक शब्दों का उपयोग करना. आपके पास में जो कुछ भी होगा हो सकता है उसमें टेम्पिरिंग की गई हो, मैं आपको ओरिजनल दे दूंगा. मैं इतना ही जानना चाहता हूं कि क्या दो नियम, दो कानून चल रहे हैं ? क्या आपके विधान में यह सुस्पष्ट रूप से नहीं कहा गया है कि अनुसूचित जाति और जनजाति के किसी आरोप पर यदि एफ.आई.आर. होती है तो उसके लिए तत्काल गिरफ्तार करके उसके बाद अनुसंधान होना चाहिए ? यह कार्य क्यों नहीं हो रहा है इसके बारे में दो नियम, दो कानून, दो विधान क्यों चलाये जा रहे हैं ? क्या किसी व्यक्ति विशेष को लाभ पहुंचाने के लिए किसी राजनीतिक कारण से यदि हो तो मैं प्रश्न बंद कर दूंगा मुझे पूछने की कोई आवश्यकता नहीं है. बहुत स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूं क्योंकि इससे फर्क नहीं पड़ना है. फर्क पड़ेगा तो आपके लोगों के लिए और जिन लोगों को आप बचाना चाहते हैं वह तो पहले हमारे आर.एस.एस. में रहे हैं अब आपके साथ में हो गए हैं इससे क्या फर्क पड़ना है ? मैं इतना ही कहना चाहता हूं कि एक बहुत बड़े वर्ग के लिए संदेश जाना चाहिए कि यदि इस प्रकार का उनका अपमान किया जाता है, एक एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट का जो आदेश पारित करता है, तो मैं मानकर चलता हूं कि फिर इस राज्य में दो प्रकार के नियम, कानून चल रहे हैं. इसलिए बहुत ही आग्रह के साथ मंत्री महोदय से कहना चाहता हूं कि इसमें जल्द से जल्द गिरफ्तारी की कार्यवाही करें ताकि दोबारा इस प्रकार की घटनाएं राज्य में घटित नहीं हों, यहां घटित नहीं हों, कहीं नहीं हों. मैं इसलिए कहना चाहता हूं मैं कोई आरोप-प्रत्यारोप में नहीं पड़ना चाहता, मैं वाद-प्रतिवाद में भी नहीं पड़ना चाहता.
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, माननीय नेता प्रतिपक्ष ने स्टार्टिंग में भी यह बात कही है कि मध्यप्रदेश में क्या दो कानून चल रहे हैं, ऐसा बिलकुल भी नहीं है आप ध्यान रखना. जो कानून बना है वह एक ही कानून है और उसका शख्ती से पालन कराया जा रहा है. दूसरी बात, जहाँ तक आपने जो बोला है, जो फरियादी है उन्होंने अभी तक इतने समय की जाँच में, विवेचना में, अभी तक इससे संबंधित जो घटना घटी है, अपराध जो हुआ है, अपराध जो किया है, उससे संबंधित कोई साक्ष्य नहीं दिया है और जिनको आरोपी बनाया है उन्होंने वह फिर से कलेक्टर, एसडीएम, एसपी, आईजी, इनको सबको आवेदन दिया है. वीडियो की सीडी भी प्रस्तुत की है और यह बोला है कि हम जो खाद्यान्न वितरण की मांग कर रहे थे, जो नहीं किया जा रहा था, वही जनता जनार्दन के साथ, तहसीलदार के पास गए, तहसीलदार से एक सौम्य वातावरण में बातचीत चल रही है, उसका वीडियो और उसकी सीडी बनी हुई है. एकदम किसी के ऊपर आरोप इस तरह के रोप देना और उनके खिलाफ गिरफ्तारी कर लेना, मैं आपको बताना चाहता हूँ कि ऐसा निर्णय हो चुका है, एक अर्नेश कुमार जो है, अर्नेश कुमार वर्सेस स्टेट आफ बिहार सर्वोच्च न्यायालय का यह निर्णय है कि कोई सा भी अगर ऐसा अपराध है, सात साल तक जिसमें दण्ड का प्रावधान है. उसको नोटिस देकर सुनकर कार्यवाही करना, ऐसा कानून आ चुका है. यह बिहार की सर्वोच्च न्यायालय ऐसा निर्णय दे चुकी है. अगर कोई अपराध किया नहीं और उसको हम अपराधी बना देंगे और उसको हम गिरफ्तार कर लेंगे और कार्यवाही कर देंगे तो माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं समझता हूँ कि न्यायसंगत नहीं होगा.
अध्यक्ष महोदय-- आखरी प्रश्न कर लीजिए.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, कुल मिलाकर यह किसी को बचाने के लिए, किसी को संरक्षण देने के लिए, यह सारा का सारा उत्तर है. अध्यक्ष महोदय, क्या पुलिस के अधिकारी या कोई कर्मचारी जो अनुसंधान कर रहे हैं वह एग्जिकेटिव मजिस्ट्रेट के पास में कथन लेने के लिए, बयान लेने के लिए, साक्ष्य इकट्ठा करने के लिए, कभी गए, तो आप उन उन तारीखों का बता दें, रोजनामचे में दर्ज हुईं, कब गए, कितने समय गए और क्या वहाँ पर वे उपस्थित मिले या नहीं मिले? आप इसकी जानकारी दे दें.
श्री बाला बच्चन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं पूरी जानकारी आपको उपलब्ध करा दूँगा. दूसरा, मैं आपको बताना चाहता हूँ, आप मेरी बात को सुन लीजिए. यह तहसीलदार के साथ जिस समय ऑफिस में जो बैठे थे, जो घटना हो रही थी, बातचीत जो चल रही थी, उस समय वहाँ, घटना के समय, पटवारी सुशील कुमार, ऑपरेटर विराट पटेरिया, स्वतंत्र साक्षी, शत्रुघ्न दुबे, ये सब भी थे और इन्होंने अपने बयान में भी यह बात कही है कि कोई गाली-गलौच और फरियादी को कोई अपमानित नहीं किया गया है.
श्री गोपाल भार्गव-- मैं उनके बयान दे दूँ आपके लिए? सारे लोगों ने कहा है, थाने से जो लिखकर आ गया और एसपी के मार्फत आ गया आप उस पर विश्वास न करें और यदि यही सब करना है तो प्रदेश की जैसी लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति है, लगातार रेप हो रहे हैं...
अध्यक्ष महोदय-- चलिए, चलिए.
श्री गोपाल भार्गव-- गुंडागर्दी हो रही है, अपराध बढ़ रहे हैं, अनुसूचित जाति पर और अनुसूचित जनजाति पर अत्याचार हो रहे हैं.
श्री बाला बच्चन-- इसे आप जानना, मैं जवाब दूँगा...
महिला एवं बाल विकास मंत्री (श्रीमती इमरती देवी)-- माननीय, आप यह शब्द न कहें.
श्री बाला बच्चन-- जब इससे संबंधित बात उठाएंगे, इसका जवाब देने के लिए मैं तैयार हूँ, आपकी सरकार में जितने अपराध इससे संबंधित होते थे, उसमें गिरावट आई है. अध्यक्ष महोदय, जब ये जानना चाहेंगे मैं सारे आँकड़े इस सरकार के एक साल के कार्यकाल के उपलब्ध करा दूंगा.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, इसी प्रकार के संरक्षण से प्रदेश में अपराध बढ़ रहे हैं और मध्यप्रदेश अपराधों का एक प्रकार से टापू बन गया है.
श्री बाला बच्चन-- अध्यक्ष महोदय, आपकी 15 साल की सरकार में जो अपराध होते थे, उनकी जो संख्या थी उसमें काफी गिरावट हुई है. हमारी सरकार ने कंट्रोल किया है. पहले मध्यप्रदेश अपराधियों का गढ़ बन चुका था.
श्री गोपाल भार्गव-- मंत्री जी, आप तो एक लाइन में उत्तर दे दीजिए.....
अध्यक्ष महोदय-- भार्गव जी, आपके पास जो जो साक्ष्य उपलब्ध हैं, आप कृपया गृहमंत्री जी को उपलब्ध करा दें और उसके बाद फिर हम देख लें.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, एससी, एसटी एक्ट में स्पष्ट प्रोविजन है.....
अध्यक्ष महोदय-- वह सब समझ गया. आप बोल रहे हैं कि मेरे पास साक्ष्य हैं, वे कह रहे हैं मेरे पास साक्ष्य हैं. मैं यह अनुरोध कर रहा हूँ कि आपके पास जो जो साक्ष्य हैं आप उपलब्ध करा दीजिए कार्यवाही तुरन्त हो जाएगी.
श्री गोपाल भार्गव-- आप मुझे यह बता दीजिए एससी, एसटी, एक्ट में मामला दर्ज होने के बाद पहले अनुसंधान का प्रावधान है या फिर बाद में अनुसंधान का प्रावधान है?
श्री भूपेन्द्र सिंह(खुरई)-- माननीय मंत्री जी, आपने अपने उत्तर में कहा है कि राशन को लेकर यह शिकायत हुई थी....
12.54 बजे
अध्यक्षीय घोषणा.
भोजनावकाश न होने संबंधी.
अध्यक्ष महोदय-- भूपेन्द्र भाई, एक मिनिट. आज भोजन अवकाश नहीं होगा माननीय सदस्यों के लिए भोजन की व्यवस्था सदन की लॉबी में की गई है. माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया सुविधानुसार भोजन ग्रहण करने का कष्ट करें.
श्री भूपेन्द्र सिंह-- अध्यक्ष महोदय, आपने कहा कि ऐसी कोई घटना नहीं हुई है. जिससे यह सिद्ध हो कि कोई इस तरह का एट्रोसिटी का मामला हुआ है. अब जब आप स्वयं इस बात को कह रहे हैं कि ऐसी कोई घटना होनी प्रतीत नहीं होती है तब इसके बाद, गृह मंत्री के उत्तर के बाद इसमें क्या जांच होगी ? यह मेरा पहला प्रश्न है. जब आप स्वयं स्वीकार कर रहे हैं कि कोई ऐसा अपराध घटित होना नहीं पाया गया है. दूसरा प्रश्न, मैं आपसे पूछना चाहता हूँ क्या इसमें जो एक आरोपी है क्या वह उस विधान सभा क्षेत्र से कांग्रेस का प्रत्याशी था या नहीं था. यह दो उत्तर मुझे दे दें.
श्री बाला बच्चन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जिस आरोपी कमलेश साहू का नाम आ रहा है वह कांग्रेस पार्टी का उम्मीदवार था.
श्री भूपेन्द्र सिंह -- क्या इसका मतलब यह है कि कोई कांग्रेस पार्टी का प्रत्याशी है तो उसको आपने यह अधिकार दिया हुआ है कि वह अनुसूचित जाति के लोगों के साथ मारपीट करे, अनुसूचित जनजाति के लोगों के साथ मारपीट करे और उसके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होगी. अगर ऐसा कोई नियम आपने बनाया है तो स्पष्ट करें.
श्री बाला बच्चन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य पूर्व गृह मंत्री रहे हैं. वे इन सब बातों को जानते हैं. ऐसा अधिकार किसी भी प्रत्याशी तो क्या चुने हुए जनप्रतिनिधियों को या बड़े से बड़े ओहदों पर हैं उनको भी इस तरह का अधिकार नहीं है.
श्री गोपाल भार्गव -- तो फिर क्या कारण है.
अध्यक्ष महोदय-- गोपाल भाई मैं आपसे वही बोल रहा हूँ. मंत्री जी का कहना है कि उन्होंने 2-2 बार, 3-3 बार पूछ लिया है कोई साक्ष्य नहीं दिए गए हैं, बयान नहीं दिए गए हैं. आपके पास जो साक्ष्य हैं वे आप उपलब्ध करा दें आगे बात हो जाएगी.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, मैं नहीं कहना चाहता था भूपेन्द्र जी ने बहुत सी बातें स्पष्ट कर दी हैं.
अध्यक्ष महोदय -- मैं समझ गया हूँ. मैं इसलिए बोल रहा हूँ कि साक्ष्य मंत्री जी को दे दीजिए.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, कितने ऐसे लोग हैं जो हार चुके हैं और उन्हें मारने पीटने का अधिकार मध्यप्रदेश में दे दिया जाएगा. जो हार गए हैं उन्हें आप अनुसूचित जाति के लोगों को, जनजाति को लोगों को पीटने का..
अध्यक्ष महोदय -- यह प्रश्न इससे उद्भूत नहीं होता है.
श्री गोपाल भार्गव -- इनको मारो, इनको पीटो, क्यों रह रहे हैं मध्यप्रदेश में, क्यों रह रहे हैं इस राज्य में. (XX)
अध्यक्ष महोदय -- यह विलोपित किया जाए.
श्री गोपाल भार्गव -- (XX) (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- यह विलोपित किया जाता है. (व्यवधान)
श्री कमलेश्वर पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह विलोपित कराइए यह आपत्तिजनक है. यह आपके कार्यकाल में होता था...(व्यवधान)
श्री भूपेन्द्र सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें क्या आपत्तिजनक है. (व्यवधान)
श्री विश्वास सारंग -- पार्टी देखकर कार्यवाही हो रही है. (व्यवधान)
श्री गोपाल भार्गव -- क्या आपकी तरफ से व्यवस्था दे दी गई है, क्या आपकी तरफ से स्थायी आदेश हो गए हैं कि कांग्रेस पार्टी का जो सदस्य होगा उस सदस्य को मारने का, पीटने का, लूटने का, रेप करने का सारा अधिकार मिल जाएगा क्या अध्यक्ष महोदय .. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- गोपाल भार्गव जी आप हल्के हो गये हैं क्या ? आपका पद हल्का हो गया है क्या ?
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी का उत्तर कतई संतोषजनक नहीं है.
अध्यक्ष महोदय -- मैं आपसे अनुरोध कर रहा हूँ. मैंने पूरे सदन को बोला कि नेता प्रतिपक्ष खड़े हैं, उनका प्रश्न है. आपको आपके दल के लोगों ने इतना हल्का बना दिया, 10-10 खड़े हो गए, चिल्लाने लगे. यह प्रश्न करने का तरीका नहीं है. मैं बार-बार बोल रहा हूँ कि यदि आप संतुष्ट नहीं हैं, कृपया मंत्री जी आप इनके साथ बैठ जाइए. जो-जो यह साक्ष्य बता रहे हैं उस पर पुनर्विचार कर लीजिए.
श्री गोपाल भार्गव -- कोई सार नहीं निकलना है, न मैं बैठूंगा, न मैं बताऊंगा आपको.
अध्यक्ष महोदय-- मत बैठिएगा.
श्री गोपाल भार्गव – (XXX)
अध्यक्ष महोदय -- यह कुछ भी नहीं लिखा जाएगा.
श्री बाला बच्चन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा आपने निर्देश दिया है उसके अनुसार मैं और सरकार तैयार है.
श्री गोपाल भार्गव -- (XXX)
अध्यक्ष महोदय -- दिलीप सिंह गुर्जर अपनी ध्यानाकर्षण की सूचना पढ़ें.
1.04 बजे (2)नागदा स्थित ग्रेसिम उद्योग के ठेका श्रमिकों का वर्गीकरण न किये जाने से उत्पन्न स्थिति
श्री दिलीप सिंह गुर्जर (नागदा-खाचरोद)--माननीय अध्यक्ष महोदय,
1:05 बजे {उपाध्यक्ष महोदया (सुश्री हिना लिखीराम कावरे) पीठासीन हुईं }
श्रम मंत्री (श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया)--उपाध्यक्ष महोदया,
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया--उपाध्यक्ष महोदया, सर्वप्रथम मैं हमारे सम्माननीय सदस्य को धन्यवाद दूंगा कि उन्होंने श्रमिकों के हित में आज ध्यानाकर्षण प्रस्ताव उठाया. मैंने अपने पत्र के जवाब में जो एडवाइजरी जारी की गई थी जिसमें 6 बिंदु लिये गए थे उसके संदर्भ में उल्लेख किया है. चूंकि इसमें वर्गीकरण भी होना है और साथ में जो सत्यापन की स्थिति बनी है जो हमारे ठेका श्रमिक थे उन्हें जो जानकारी देनी थी वह प्रपत्र के माध्यम से सही समय पर नहीं दी है. इसमें यह देरी मैं स्वीकार करता हूं और अब हमारे विभाग ने दिनांक 17.12.2019 से सत्यापन का कार्य प्रारंभ कर दिया है. अगर आप चाहेंगे तो एक शिविर के माध्यम से हम खुले रूप से आपकी अध्यक्षता में एक सत्यापन का कार्यक्रम रख सकते हैं. उसमें जो आपकी सभी परेशानी हैं हम उसको दूर करने का प्रयास करेंगे.
श्री दिलीप सिंह गुर्जर-- उपाध्यक्ष महोदया, मेरा अनुरोध है कि जो एडवाइजरी की बात यहां कर रहे हैं इसी प्रकार यह एडवाइजरी दिनांक 18.12.2014 में भी जारी की गई थी उसका पालन आज तक नहीं हुआ है. जो बिंदु आज है वह बिंदु वर्ष 2014 में भी थे. मेरा माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि ठेकेदार श्रमिकों द्वारा जो जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई है आप शिविर के माध्यम से जानकारी ले लें और जब उनका भौतिक सत्यापन करें तो उद्योग अधिकारी उनके समक्ष नहीं रहना चाहिए.
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया-- उपाध्यक्ष महोदय, सदस्य जी की मंशा अनुसार हम शिविर में इसका सत्यापन करेंगे.
श्री दिलीप सिंह गुर्जर-- उपाध्यक्ष महोदया, भौतिक सत्यापन करना है. भौतिक सत्यापन करें.
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया--उपाध्यक्ष महोदया, भौतिक सत्यापन करेंगे, शिविर लगाकर करेंगे जो शायद प्रथम बार होगा और उसके बाद माननीय सदस्य की जो भी परेशानी होगी उनको दूर किया जाएगा.
श्री दिलीप सिंह गुर्जर-- उपाध्यक्ष महोदया, मेरा दूसरा प्रश्न है कि एडवाइजरी में 20 प्रतिशत जो ठेका श्रमिक हैं जो कि पांच-पांच, दस-दस, पंद्रह-पंद्रह, बीस-बीस साल से ठेका श्रमिक के रूप में काम कर रहे हैं उनको स्थाई काम करने का जो श्रम नियमों के अधीन भी है उनको स्थाई करने की प्रक्रिया अभी तक प्रारंभ नहीं हुई है. दिनांक 18.12.2014 में समझौता हुआ उसमें भी यह प्रक्रिया अपनाई गई थी परंतु आज तक उसका पालन नहीं हुआ. मैं मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि दिनांक 18.12.2014, 12.10.2019, 9.10.2012 को जो एडवाइजरी जारी की है क्या उसका सख्ती से पालन करवाएंगे?
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया--उपाध्यक्ष महोदया, मैं हमारे माननीय सदस्य जी को विश्वास दिलाता हूं कि उस पर सख्ती से पालन किया जाएगा.
श्री ओमप्रकाश सकलेचा--उपाध्यक्ष महोदया, मैं एक मिनट का समय चाहता हूं. इसी कंपनी का एक सीमेंट प्लांट जो जावद में भी है वहां पर भी पिछले पंद्रह दिन से 250 मजदूरों को बाहर बैठा रखा है और विवाद में पूरे दिन पूरा नगर भी बंद रहा. उनके पक्ष में वहां पर भी कोई कार्यवाही नहीं हो रही है वहां पर भी ऐसे ही वर्गीकरण में वर्कर्स को डालकर ठेकेदारों के माध्यम से प्रताडि़त किया जा रहा है. क्या मंत्री जी वहां पर भी यह सेम नियम लागू करवाकर वहां पर भी आप उनकी कमेटी को, प्रबंधन को यह आदेश कि वह बैठकर इस व्यवस्था को लागू करें और मजदूरों के प्रति हो रहे अन्याय को रोकने में सहयोग करेंगे.
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया--उपाध्यक्ष महोदया, हमारे पूर्व सदस्यगण ने जो मामला उठाया है ठेका श्रमिकों को स्थाई करने का प्रावधान हमारे पास नहीं है. प्रावधान करने के पश्चात ही उसको कर पाएंगे. दूसरा जो मामला माननीय सकलेचा जी ने उठाया है निश्चित रूप से उस पर भी हम कार्यवाही करवाएंगे.
श्री दिलीप सिंह गुर्जर-- उपाध्यक्ष महोदया, श्रम संगठनों और उद्योग प्रबंधक के बीच में जो समझौता हुआ उसमें स्पष्ट प्रावधान है उसकी मेरे पास आदेश की कॉपी भी है. वहां उद्योग प्रबंधक और यूनियन में जो समझौता कराया उसका पालन होना चाहिए.
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया--उपाध्यक्ष महोदया, मैं माननीय सदस्य जी से सदन के बाहर मिल लूंगा और उनकी जो भी परेशानियां हैं उनको हम नियमों के तहत निश्चित रूप से करेंगे.
श्री दिलीप सिंह गुर्जर-- उपाध्यक्ष महोदया, जो एडवाइजरी जारी की गई है उसका पालन होना चाहिए.
उपाध्यक्ष महोदया-- मंत्री जी बोल रहे हैं कि वह पालन करेंगे. आप उनसे अलग से मिल लीजिए.
श्री ओमप्रकाश सकलेचा-- यही स्थिति वहां पर भी ठेके मजदूरों में है.
उपाध्यक्ष महोदया-- सकलेचा जी, अब इसको खत्म करते हैं.
श्री ओमप्रकाश सकलेचा-- धन्यवाद.
1.10 बजे
{अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) पीठासीन हुए.}
(3) कटनी जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में किये जा रहे विकास कार्यों में अनियमितता होना
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक (विजयराघवगढ़)- माननीय अध्यक्ष महोदय,
पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री
(श्री कमलेश्वर पटेल)-
माननीय
अध्यक्ष
महोदय,
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक- माननीय अध्यक्ष महोदय, उपरोक्त राशि परफॉरमेंस ग्रांट की राशि है. जिसकी राशि लगभग 300 करोड़ के ऊपर पूरे प्रदेश में होती है. मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि उन्हें जो ब्रीफिंग की गई है, वह पूर्णत: असत्य पर आधारित है. परफॉरमेंस ग्रांट की राशि ग्राम पंचायतों को दिए जाने के कुछ नियम बनाये गए हैं. उन नियमों के अंतर्गत ही यह राशि दी जाती है. जिस ग्राम पंचायत ने सौ प्रतिशत टीकाकरण पूर्ण कर लिया हो, जो कर की वसूली घटते से बढ़ते क्रम में कर रहे हों, जो ग्राम पंचायत सौ प्रतिशत ओ.डी.एफ. (ओपन डेफिकेसन फ्री) हो गई हो, इन सारी चीजों को देखा जाता है और देखा जाता है कि पंचायत का परफॉरमेंस कैसा रहा है और उसके आधार पर ही पंचायतें चिह्नित की जाती है. फिर उन्हें परफॉरमेंस ग्रांट की राशि दी जाती है. मेरा आग्रह है कि इस प्रकार की बहुत सी शिकायतें मंत्री जी के पास भी आई हैं. कटनी में जो शिकायत की जांच हो रही है, उस जांच को करने वाले अधिकारी ने ही पूर्व में परफॉरमेंस ग्रांट की राशि को वितरित किया है. उनसे लेनदेन करके ऐसी पंचायतों को पैसा दिया है जो न उस समय तक ओ.डी.एफ. हुई थीं, न सौ प्रतिशत टीकाकरण हुआ था और न ही वे बढ़ते क्रम में कर की वसूली कर रही थीं. केवल मिली-भगत करके पंचायतों को पैसा दे दिया गया है. मैं यहां केवल कटनी जिले की तीन जनपदों की बात कर रहा हूं. अगर इसे पूरे प्रदेश के स्तर पर देखा जाए तो यह 300 करोड़ रुपये से ऊपर का घपला और घोटाला है. इसकी गहन और सूक्ष्मता से इन्हें जांच करनी चाहिए और कटनी में जो जिला अधिकारी बैठा है. उस अधिकारी ने जिसने इस प्रकार से राशि बांटी है और वही अधिकारी आज जांच कर रहा है, उसी अधिकारी ने सारे रिकार्ड गायब कर दिये हैं तो क्या माननीय मंत्री जी ऐसे अधिकारी को जिसने बगैर परफार्मेंस को देखे हुए, नियमों का पालन न करते हुए राशि वितरित की है, लेन-देन करके तो क्या आप उस अधिकारी को निलंबित करके जांच करेंगे और क्या जांच पूरे प्रदेश स्तर पर होगी ?
श्री कमलेश्वर पटेल:- अध्यक्ष महोदय, यह बात सच है कि परफार्मेंस ग्रांट की राशि जारी करने के लिये केन्द्र सरकार ने कुछ नियम बनाये थे और जो नियम थे उसमें वित्तीय वर्ष में ग्राम पंचायत के स्वयं के स्त्रोत के राजस्व की मात्रा में वृद्धि. दूसरा, कार्य-निष्पादन, अनुदान, दावा, वित्तीय वर्ष की तुलना में चौदहवें वित्त आयोग अंतर्गत पिछले वर्ष मूल अनुदान के संदर्भ में स्वयं के स्त्रोत के राजस्व का प्रतिशत जीरो से अधिक 10 प्रतिशत तक, 10 प्रतिशत से अधिक 20 प्रतिशत तक और 20 प्रतिशत से अधिक 30 प्रतिशत तक, इस तरह का क्राइटेरिया था. तीसरा क्राइटेरिया था- कार्य निष्पादन, अनुदान, दावा वित्तीय वर्ष की तुलना में पिछले वित्तीय वर्ष में ग्राम पंचायत की खुले में शौच मुक्त, यह बाद में दो शर्तें जोड़ी. पहले भारत सरकार ने चार शर्तें निर्धारित की थीं और दो पुरानी शर्तों को हटाकर दो नयी शर्तें जोड़ दी. जब वर्ष 2018 में इसका प्रपोजल तैयार हुआ था तो ग्राम पंचायतों से सर्वेक्षण होकर जनपद और जिला पंचायतों के माध्यम से यह सूचियां तैयार हुई थीं. उस समय जो नीति थी उस नीति ने परिवर्तन तो केन्द्र सरकार ने किया पर पूरे प्रदेश की ग्राम पंचायतों को इसमें शामिल होने का मौका नहीं दिया. उसकी वजह से जैसा कि माननीय सदस्य जी बोल रहे हैं, विसंगतियां तो हुई हैं और इसकी शिकायत भी पूरे प्रदेश से आयी है. केन्द्र सरकार ने जो नयी नीति बनायी थी ग्राम पंचायत ओडीएफ होने की और दूसरी शिशुओं का पूर्ण टीकाकरण होने की. यह दो नयी शर्तें जोड़ी और दो शर्तें हटा दीं. जिसकी वजह से बहुत सारी पंचायतें इससे वंचित हो गयी, जिस समय यह सर्वे कराया गया था उस समय कुछ और नियम था और जो राशि जारी हुई है वह पुराने नियम के तहत जो सर्वे हुआ था, उसके तहत जारी हुई है. इसमें अनियमितता होने की शिकायत तो पूरे प्रदेश से आयी है. परन्तु आपके जिले में कोई ऐसा विषय है तो उसकी जांच करा लेंगे.
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक:- अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी का धन्यवाद देता हूं कि इन्होंने स्वीकार किया है कि विसंगतियां हुई हैं. अब गड़बड़ी इतनी गहरी है कि जिस अधिकारी ने पैसा दिया, वही अधिकारी जांच भी कर रहा है और उसी अधिकारी ने पूरे रिकार्ड भी गायब कर दिये हैं और मंत्री जी स्वयं स्वीकार भी कर रहे हैं कि विसंगतियां हैं,गड़बडि़यां हुई हैं तो मेरा आपके माध्यम से मंत्री जी से आग्रह है कि उस अधिकारी को तत्काल प्रभाव से निलंबित करें और जिले से हटायें और इसकी जांच निष्पक्षता से करायें, इसकी व्यापक जांच होनी चाहिये, प्रदेश स्तरीय जांच होनी चाहिये, यह 300 करोड़ रूपये का घोटाला है. एक तरफ मैं माननीय मुख्यमंत्री का बयान रोज पेपर में पढ़ रहा हूं कि माफिया राज समाप्त किया जायेगा तो माफिया क्या केवल जनता में बैठे हैं, नेताओं में बैठे हैं, अधिकारियों के अंदर भी तो थोड़े-बहुत माफिया होंगे जो करोड़ो रूपये का घोटाला कर रहे हैं, उनको हम माफिया की संज्ञा क्यों नहीं दे सकते हैं ? ऐसे माफिया जो सरकार को बदनाम कर रहे हैं, मध्यप्रदेश को बदनाम कर रहे हैं, गरीब जनता का करोड़ो रूपये खा रहे हैं उनके ऊपर कार्यवाही क्यों नहीं हो रही है?
श्री कमलेश्वर पटेल:- माननीय अध्यक्ष महोदय, पहली बात तो यह कि जो पहले सर्वे हुआ था और पहले केन्द्र सरकार को जो प्रपोजल गया था वह 10 जनवरी, 2018 के निर्धारित प्रपत्र के अनुसार गया था. यह जो भी विसंगति और गड़बड़ी हुई है यह पूर्व सरकार की है, हमारी सरकार की नहीं है. (व्यवधान)
श्री अजय विश्नोई:- यह ना पूर्व सरकार की है ना आपकी सरकार की, यह है अधिकारियों की और जांच मांग रहे हैं अधिकारियों के विरूद्ध, आप अधिकारियों को क्यों बचाना चाह रहे हैं ? (व्यवधान)..
श्री बहादुर सिंह चौहान:- आप उस अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही क्यों नहीं कर रहे हैं. हमने गलती की है तो आप क्यों कर रहे हैं ?
श्री कमलेश्वर पटेल:- माननीय अध्यक्ष महोदय:- जो विसंगति आयी है वह जो केन्द्र सरकार ने जो संशोधित परिपत्र जारी किया है, वह अधिसूचित किया है क्रमांक-109, दिनांक 7.3.2019 इसमें दो नये सब्जेक्ट को जोड़कर, पुराने दो सब्जेक्ट को मायनस कर दिया है उसकी वजह से यह विसंगति आयी है और हम यह मानते हैं कि अगर वहां से यह सब्जेक्ट मायनस किये थे तो दोबारा से पूरे मध्यप्रदेश की ग्राम पंचायतों को एक मौका देना था कि फिर से सर्वे होता और इस परिपत्र के अनुरूप जो पंचायतें शामिल होती तो उनको सबको मौका मिल जाता, पर कहीं न कहीं यह विसंगति केन्द्र सरकार की नीति की वजह से हुई है.
श्री अजय विश्नोई--वहां से चिट्ठी आ जानी चाहिये.
अध्यक्ष महोदय--विश्नोई जी आप विराजिये.
श्री बहादुर सिंह चौहान--(XX)
श्री कमलेश्वर पटेल --जिसने भी लिया है यह पहले चलता था, यह हमारी सरकार में 10 प्रतिशत अथवा 15 प्रतिशत नहीं चल रहा है, यह हम आपको बता रहे हैं. (व्यवधान)
श्री जालम सिंह पटेल--(XX) (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--भईया यह बीच में परसंटेज कहां से आ गया एक बात. दूसरी जितनी बात आयी है उसको विलोपित किया जाये. दूसरी बात माननीय मंत्री जी एक बात बता दीजिये जिस अधिकारी ने पैसे बांटे, क्या वही जांच कर रहा है.
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक--जी माननीय अध्यक्ष महोदय.
अध्यक्ष महोदय--मैं मंत्री जी से पूछ रहा हूं. आप बैठ जाईये.
श्री विश्वास सारंग--अध्यक्ष जी इनको गलतफहमी है कि अभी भी वह मंत्री हैं.
श्री तरूण भनोत--यह गलतफहमी अकेले को नहीं है और भी हैं. आप लोगों का दर्द समझ में आ रहा है.
श्री कमलेश्वर पटेल-- अध्यक्ष महोदय वित्तीय अनियमितता करने का किसी को अधिकार नहीं है.
अध्यक्ष महोदय--मैंने प्रश्न किया है जिस अधिकारी ने राशि बांटी है क्या वही जांच कर रहा है. मैं सीधा पाइंटेड प्रश्न कर रहा हूं कि जिस अधिकारी ने राशि बांटी है क्या वही जांच कर रहा है. यह प्रश्न प्रश्नकर्ता ने पूछा है वही प्रश्न मैं दोहरा रहा हूं, ऐसा है क्या ?
श्री कमलेश्वर पटेल-- अध्यक्ष महोदय फरमार्मेंस ग्रांट की राशि सीधे पंचायतों के खाते में गई है, न किसी अधिकारी ने बांटा है.
अध्यक्ष महोदय--आप ही ने बोला कि पहले नीति कुछ और थी उसके बाद बदल गई है. जिस समय यह राशि गई है उस समय डायरेक्ट खातों में राशि नहीं जाती थी और अगर जाती भी थी तो ऐसे खाताधारियों का चयन किसने किया, ऐसे ब्लाकों का चयन किसने किया जो वहां की निधि में ज्यादा आगे थे उन ब्लाकों को देना चाहिये था उनको न देकर यह मैं बैठे बैठे सुन रहा था अब मुझे गुमाइये मत. मैं सिर्फ इतना बोल रहा हूं कि क्या वही अधिकारी जांच कर रहा है.
श्री विश्वास सारंग--मंत्री जी जवाब नहीं दे पा रहे हैं.
श्री कमलेश्वर पटेल-- अध्यक्ष महोदय ऐसा नहीं है मंत्री जवाब देने के लिये सक्षम है. हम इस बात से बिल्कुल सहमत नहीं हैं. मैं आपको बताना चाहूंगा कि जो हमने विसंगति की बात की है, यह सारी की सारी समस्या हुई है.
श्री विश्वास सारंग--माननीय अध्यक्ष महोदय, आपको भी जवाब नहीं दे पा रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय--आप लोग बैठ जाईये.
श्री कमलेश्वर पटेल-- अध्यक्ष महोदय माननीय विधायक जी ने जिस अधिकारी के बारे में शंका जाहिर की है, उसको निलंबित करके निष्पक्ष जांच कराएंगे.
अध्यक्ष महोदय‑-निलंबित करना ही पर्याप्त नहीं है निलंबित करके उनको स्थानांतरित वहां से करिये उसके बाद जांच कराइये.
श्री कमलेश्वर पटेल-- अध्यक्ष महोदय ठीक है.
श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष महोदय, मैं यही तो कह रहा था.
श्री तरूण भनोत-- अध्यक्ष महोदय इतना समय यह दोनों बहस करते रहे अंतिम व्यवस्था जो आपने दी वह पहले दे देते तो समय ही सदन का खराब नहीं होता.
अध्यक्ष महोदय--उन्होंने मौका ही नहीं दिया.
श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष महोदय, इसलिये घोषणा कर दी, (XX)
अध्यक्ष महोदय--यह बात नहीं थी यह विलोपित किया जाये. आप लोग बैठ जायें. मैंने इसलिये व्यवस्था दी कि जो पहले कांग्रेसी विधायक था अब बीजेपी का हो गया है इसलिये मैंने व्यवस्था दी है.
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय पंचायत मंत्री कमलेश्वर जी को, आपको, सदन को धन्यवाद देता हूं.
अध्यक्ष महोदय - चलिए धन्यवाद -
(4) प्रदेश में सहारा इंडिया सहित अनेक चिटफंड कंपनियों पर कार्यवाही न होना.
श्री मनोज चावला (आलोट)- माननीय अध्यक्ष जी, बहुत बहुत धन्यवाद आपको. आज पहली बार मुझे ध्यानाकर्षण के माध्यम से बोलने का मौका मिला,
श्री मनोज चावला - अध्यक्ष महोदय, दिनांक 01.01.2019 से दिनांक 20.11.2019 तक ग्वालियर में 4 शिकायतें प्राप्त हुई, अशोकनगर में 1, देवास में 1, शाजापुर में 4, रतलाम में 46, मंदसौर में 2, नीमच जिले में 1, जबलपुर में 34, कटनी में 17, नरसिंहपुर में 10, सागर में 7, टीकमगढ़ में 2, शहडोल में 3, भोपाल में 1 और विदिशा में 2, कुल 135 शिकायतें प्राप्त हुईं, सहारा इंडिया के खिलाफ और प्रकरण केवल 3 में दर्ज हुआ, ऐसा क्यों? और जो राशि 57,25,448 रूपए जो उपभोक्ताओं को दी है, वह किन किन शिकायतकर्ताओं को दी गई हैं और बाकी जो शिकायतकर्ता हैं उनको राशि कब मिलेगी?
श्री बाला बच्चन - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जैसा जो जानना चाहा है कि किन-किन को 57,25,448 रूपए की राशि जो वापस की गई है, उनके जो नाम चाहिए वह मैं उपलब्ध करवा दूंगा.
अध्यक्ष महोदय - एक सौ कितने बताए हैं?
श्री बाला बच्चन - 135 में दो. दिनांक 1/1/2019 से 20/11/2019 तक 135 शिकायतें आई हैं, जिसमें से 2 शिकायतों पर प्रकरण कायम हुए हैं और यह सहारा कंपनी का है और उसके बाद दूसरे जो केसेस हैं. मैं आपको बताना चाहता हूँ, इसमें जो निराकरण हो चुका है. वह मैं आपके माध्यम से माननीय सदन को एवं माननीय सदस्य को बताना चाहता हूँ कि कुल 135 शिकायतें हुई थीं, दिनांक 1/1/2019 से 20/11/2019 तक, इसमें 29 शिकायतों को थाना आलोट, जिला रतलाम में पंजीबद्ध अपराध क्रमांक 430/2018 धारा 420, 406, 409, 120(बी) भारतीय दण्ड विधान एवं म.प्र. निक्षेपकों के हितों का संरक्षण अधिनियम, 2000 की धारा 6(1) के अंतर्गत पंजीबद्ध किया गया है और प्रकरण विवेचनाधीन है. दूसरा, 34 शिकायतों को थाना रांझी, जिला जबलपुर में पंजीबद्ध अपराध क्रमांक 255/2019 अंतर्गत धारा 420, 406 भारतीय दण्ड विधान एवं म.प्र. निक्षेपकों के हितों का संरक्षण अधिनियम 2000 की धारा 6(1) के अंतर्गत पंजीबद्ध किया गया है और प्रकरण विवेचनाधीन है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, तीन शिकायतों को थाना सिंहपुर, जिला शहडोल में पंजीबद्ध अपराध क्रमांक 343/2019 धारा 420 भारतीय दण्ड विधान के अंतर्गत पंजीबद्ध किया गया है और प्रकरण विवेचनाधीन है. जो 12 शिकायतें थीं, उनमें शिकायकर्ता जिला रतलाम का राजीनामा हो चुका है, 5 शिकायतों में माननीय न्यायालय में जाने की समझाइश दी गई है. और ऐसे कुल 135 शिकायतों में 83 शिकायतों का निराकरण किया जा चुका है, केवल 52 शिकायतें बची हैं, इनका भी हम बहुत जल्दी ही रास्ता और उपाय निकाल लेंगे.
अध्यक्ष महोदय - आप नरसिंहपुर भी जल्दी ले लीजिये.
श्री बाला बच्चन - जी हां.
श्री मनोज चावला - माननीय अध्यक्ष जी, जो छोटे-छोटे गरीब मजदूर लोग हैं, जो चाय के ठेले लगाते हैं, जो सब्जी के ठेले लगाते हैं, उनका रोज का कलेक्शन 50 रुपये, 100 रुपये है, उन्होंने उस राशि को इकट्ठा करके सहारा इंडिया में पैसा जमा किया था और उनको पैसा लेने के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है. उनको पुलिस वाले रोज तारीख पर बुलाते हैं और उनको ऐसा लगता है कि हम लोग फरियादी नहीं हैं, हम लोग आरोपी हैं और लगातार जो अधिकारी वहां पर उपस्थित हैं, जो अधिकारी इन चीजों को देख रहे हैं, वे सहारा इंडिया वाली कंपनी से मिले हुए हैं और उन पर कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है और उनका पैसा उनको वापस नहीं किया जा रहा है.
अध्यक्ष महोदय - आप क्या चाहते हैं ?
श्री मनोज चावला - अध्यक्ष महोदय, जितने भी उपभोक्ता हैं, जितने भी शिकायतकर्ता हैं, उनका पैसा तुरन्त या जल्दी से जल्दी उनको दिलाया जाये. समय-सीमा बता दें.
श्री बाला बच्चन - जी, माननीय अध्यक्ष महोदय. बिल्कुल हमारी कार्यवाही चल रही है, कन्टिन्यू आगे भी जारी रहेगी.
अध्यक्ष महोदय - कार्यवाही और कड़ी कर दीजिये.
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, इस तरह की पुनरावृत्ति मध्यप्रदेश में न हो. ऐसा हमारा सख्त कानून है, इसको सख्ती से पालन भी करवायेंगे और शिकायतकर्ताओं की राशि, माननीय सदस्य जैसा जो जानना चाह रहे हैं, हम उनको राशि वापस लौटायेंगे.
श्री शैलेन्द्र जैन (सागर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, ऐसा ही ध्यानाकर्षण मैंने भी दिया था. इस तरह की घटनाएं सागर में भी हुई हैं और भिन्न-भिन्न नामों से इस तरह की घटनाएं हो रही हैं.
अध्यक्ष महोदय - मूल प्रश्नकर्ता को प्रश्न करने दें. सागर में जांच करवा लीजिये.
श्री बाला बच्चन - जी.
श्री मनोज चावला - माननीय अध्यक्ष जी, सहारा के अलावा जो चिटफंड कंपनियां हैं, उसमें 53 शिकायतें प्राप्त हुई थीं, 41 शिकायतों पर प्रकरण दर्ज हुआ है और 25 शिकायतों पर चालान पेश हुए हैं. उन पर चालान तो पेश हो गए हैं लेकिन जो शिकायतकर्ता उपभोक्ता है, उसको राशि नहीं मिल रही है. आपने जो समिति मध्यप्रदेश में बनाई है. मेरा यह सदन से निवेदन है.
अध्यक्ष महोदय - माननीय सदस्य, आप एक मिनट रुकें. माननीय मंत्री जी, इस सम्पूर्ण विषय में स्पेशल कुछ टास्क फोर्स बना दीजिये क्योंकि स्वाभाविक है कि बहुत गरीब लोगों का पैसा है, सब्जी के ठेले एवं पान के ठेले वालों का पैसा इसमें लगा होता है और उसमें तुरन्त कार्यवाही होनी भी चाहिए. आपकी भी यही मंशा है, आपके विभाग की भी यही मंशा है तो जो विधायक जी चाह रहे हैं, इसमें जितनी तेजी से और कड़ाई से पालन होगा तो गरीबों के हित की रक्षा हो जायेगी.
श्री मनोज चावला - बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री शैलेन्द्र जैन - माननीय अध्यक्ष महोदय, पैसे लेकर कंपनी वाले भाग गये और एजेन्टों की जान पर आ पड़ी है.
अध्यक्ष महोदय - शैलेन्द्र जी, मैंने सागर का कह दिया है.
श्री शैलेन्द्र जैन - अध्यक्ष महोदय, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री उमाकांत शर्मा (सिरोंज) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं तीन दिन से लगातार शून्यकाल, ध्यानाकर्षण और स्थगन के माध्यम से निवेदन कर रहा हूँ.
अध्यक्ष महोदय - इनका ध्यानाकर्षण आया था न. आपका ध्यानाकर्षण आ चुका है.
श्री उमाकांत शर्मा - नहीं, यह राष्ट्रीय महत्व का बिन्दु है.
अध्यक्ष महोदय - अभी वह छोडि़ये. अभी यह उठाने का समय नहीं है.
श्री उमाकांत शर्मा - (XXX)
अध्यक्ष महोदय - यह कुछ नहीं लिखा जायेगा.
श्री उमाकांत शर्मा - (XXX)
अध्यक्ष महोदय - (साउंड रूम की ओर देखकर) इनका माइक बन्द कर दीजिये.
श्री अजय विश्नोई - माननीय अध्यक्ष महोदय, विषय गंभीर है. इसमें भारत की अस्मिता शामिल है.
अध्यक्ष महोदय - नहीं. उनके कमरे में मैंने कुछ बोल दिया है.
श्री राजेन्द्र शुक्ल - अध्यक्ष महोदय, इस पर तो व्यवस्था देनी चाहिए.
अध्यक्ष महोदय - नहीं, कोई व्यवस्था नहीं दूँगा.
श्री राजेन्द्र शुक्ल - यह गंभीर मामला है.
अध्यक्ष महोदय - यह कोई विषय नहीं आयेगा.
1.34 बजे
प्रतिवेदनों की प्रस्तुति
अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा पिछड़े वर्ग के
कल्याण संबंधी समिति का पंचम प्रतिवेदन
1.35 बजे
2. महिलाओं एवं बालकों के कल्याण संबंधी समिति का प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय (कार्यान्वयन) प्रतिवेदन.
1.36 बजे
याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय -- आज की कार्यसूची में सम्मिलित सभी माननीय सदस्यों की याचिकायें प्रस्तुत की गई मानी जायेंगी.
1.37 बजे
1.38 बजे
शासकीय विधि विषयक कार्य
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई)
अध्यक्ष महोदय -- आज की कार्यसूची के पद 7 के उपपद 8 एवं 9 में उल्लेखित विधेयकों को क्रमश: 30 एवं 15 मिनट का समय चर्चा हेतु आवंटित किया गया है. मैं समझता हूं कि सदन इससे सहमति है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई)
1.38 बजे
1. मध्यप्रदेश स्थानीय प्राधिकरण (निर्वाचन अपराध) संशोधन विधेयक, 2019 (क्रमांक 37 सन् 2019) का पुर:स्थापन
1.39 बजे
2. मध्यप्रदेश मोटरयान कराधान (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2019 (क्रमांक 32 सन् 2019) का पुर:स्थापन
1.40 बजे
3. मध्यप्रदेश स्थानीय प्राधिकरण (निर्वाचन अपराध) संशोधन विधेयक, 2019 (क्रमांक 37 सन् 2019)
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री( श्री जयवर्द्धन सिंह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश स्थानीय प्राधिकरण (निर्वाचन अपराध) संशोधन विधेयक, 2019 (क्रमांक 37 सन् 2019) पर विचार किया जाये.
अध्यक्ष महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश स्थानीय प्राधिकरण (निर्वाचन अपराध) संशोधन विधेयक, 2019 (क्रमांक 37 सन् 2019) पर विचार किया जाये.
श्री शैलेन्द्र जैन (सागर) --- माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश स्थानीय प्राधिकरण (निर्वाचन अपराध) संशोधन विधेयक, 2019 के विषय में जो प्रावधान उन्होंने प्रस्तावित किया है, ऐसे अभ्यार्थियों के संबंध में जो जानबूझकर मिथ्या के आधार पर अपने फैक्ट, फिगर्स को छिपाते हैं इन सारे विषयों को लेकर उसमें 6 माह तक की अवधि तक का कारावास अथवा 25 हजार रूपये तक जुर्माना अथवा दोनों से दंडित करने का प्रावधान है. मैं मूलत: इससे सहमति व्यक्त करता हूं लेकिन माननीय अध्यक्ष महोदय साथ में यह बात भी कहना चाहता हूं कि जैसे कि विधायकों/सांसदों के लिये उनकी सदस्यता समाप्त करने के संबंध में भी प्रावधान है. मैं चाहता हूं कि स्थानीय समितियों, स्थानीय निकायों में भी जो चुने हुए प्रतिनिधि हैं अगर यह सिद्ध होता है कि उनके द्वारा यह तथ्यात्मक जानकारियां छिपाई गई हैं, मिथ्या कहा है तो उनकी सदस्यता भी समाप्त की जाये ऐसा भी प्रावधान इसमें आप जोड़ेंगे ऐसा मैं मंत्री जी से चाहता हूं. इससे शुद्धता और सुचिता की राजनीति का श्रीगणेश होगा लेकिन साथ में यह भी कहना चाहता हूं कि इसमें किसी तरह का राजनीतिकरण न हो, बिल्कुल निष्पक्षता के साथ अगर विचार इसमें किया जायेगा तो निश्चित रूप से यह स्वागत योग्य है मैं इस संशोधन विधेयक का स्वागत करता हूं.
अध्यक्ष महोदय - कुं. विजय शाह जी..श्री नीरज दीक्षित
श्री जयवर्द्धन सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय शैलेन्द्र जी का आभार व्यक्त करता हूं कि उन्होंने इस विधेयक पर चर्चा की और अपने सुझाव दिये. जैसा कि इस विधेयक में उल्लिखित है कि कोई भी ऐसा प्रत्याशी जो उनके नामांकन के समय पूरी जानकारी नहीं देंगे या ऐसी जानकारी देंगे जो सत्य नहीं है तो उनको 6 माह के कारावास के साथ-साथ 25 हजार का जुर्माना हो सकता है या फिर 6 माह का कारावास या फिर जुर्माना. इसमें मूल बात यह है कि यह जो संशोधन किया गया है. स्टेट इलेक्शन कमीशन ने ही रिकमंड किया था और साथ में पीपुल्स रीप्रजेंटेटिव एक्ट 1959 के आधार पर ही किया गया है जो कि वर्तमान में विधान सभा चुनाव और लोक सभा चुनाव में लागू है उस आधार पर ही हम यह संशोधन सदन में लाये हैं. जो एक बात माननीय सदस्य ने कही थी कि इस पनिशमेंट के साथ-साथ उस व्यक्ति की मेंबरशिप भी समाप्त होनी चाहिये. वह स्वाभाविक है कि अगर उनको 6 महीने का जेल टर्म मिलेगा तो साथ में जो उनकी सदस्यता है वह भी समाप्त की जायेगी.
श्री अजय विश्नोई - अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि विधेयक जो लाये हैं उसमें यह प्रावधान नहीं है कि सदस्यता समाप्त हो जायेगी. यह संशोधन जोड़ा जाना चाहिये ऐसा निवेदन हमारी तरफ से सदस्य ने कहा है.
श्री जयवर्द्धन सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, जब उनकी गल्ती प्रूव होगी तो आटोमेटिकली सदस्यता समाप्त हो जायेगी.
श्री शैलेन्द्र पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, इस विधेयक में लिखा नहीं है.
श्री जयवर्द्धन सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, निरर्हता में पहले से लिखा हुआ है.
अध्यक्ष महोदय - आपकी शंका समाधान हो गई. लिखा हुआ है.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश स्थानीय प्राधिकरण(निर्वाचन अपराध) संशोधन विधेयक,2019 पर विचार किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अध्यक्ष महोदय - अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2 तथा 3 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2 तथा 3 इस विधेयक का अंग बने.
प्रश्न यह है कि खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बना.
प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
नगरीय विकास और आवास मंत्री(श्री जयवर्द्धन सिंह) - अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश स्थानीय प्राधिकरण(निर्वाचन अपराध) संशोधन विधेयक,2019
पारित किया जाए.
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश स्थानीय प्राधिकरण(निर्वाचन अपराध) संशोधन विधेयक,2019 पारित किया जाए.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश स्थानीय प्राधिकरण(निर्वाचन अपराध) संशोधन विधेयक,2019 पारित किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
1.45 बजे (4) मध्यप्रदेश माल और सेवा कर (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2019 (क्रमांक 39 सन् 2019) का पुरःस्थापन
1.46 बजे (5) मध्यप्रदेश विद्युत प्रदाय उपक्रम (अर्जन) निरसन विधेयक, 2019 (क्रमांक 36 सन् 2019) का पुरःस्थापन
1.47 बजे
(6)
डॉ. सीतासरन शर्मा (होशंगाबाद) - अध्यक्ष महोदय, पता नहीं कौन-से मुहुर्त में यह मध्यप्रदेश माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2019 लाया गया?
राजस्व मंत्री (श्री गोविन्द सिंह राजपूत) - पंडित जी, मुहुर्त वाले तो आप हो, आप दोनों ही मुहुर्त निकालने वाले हैं. हम लोग तो मुहुर्त का पालन करने वाले हैं.
डॉ. सीतासरन शर्मा - वह हमारे प्रभारी मंत्री भी हैं, उनसे मुहुर्त दिखवाकर सब करना ही पड़ता है. अध्यक्ष महोदय, पहले यह पास हो गया. फिर पता नहीं कौन-सी खबर आई? और खबर आने के बाद में फिर रिवर्स गियर लग गया, फिर रिवर्स गियर लगकर पास हुए-हुए विधेयक को फिर से ले लिया? फिर उसको पास किया तो फिर उसमें रिवर्स गियर लग गया, इसलिए माननीय मंत्री जी मैंने यह कहा कि पता नहीं कौन-से मुहुर्त में आपने इसको लाया.
अध्यक्ष महोदय, आपत्तियां तो हमारी कई थीं. महामहिम ने इसको वापस भेजा है और उसके आधार पर एक संशोधन भी किया है, किन्तु मैं कुछ और बात भी कहना चाहता हूं, उस समय भी ये आपत्तियां उठाई गई थीं. मेरा तो अनुरोध है कि फिर से रिवर्स गियर आप लगा दें. जैसे, मध्यप्रदेश राज्य का एक संसद सदस्य, जो राज्य सरकार द्वारा नाम-निर्देशित किया जाएगा. पहले यह था - "लोकसभा के अध्यक्ष द्वारा नॉमिनेट किया जाएगा." आपने इसको राज्य सरकार कर दिया. इसी प्रकार से "राजसभा का सदस्य, राजसभा के सभापति द्वारा नॉमिनेट किया जाएगा," पूर्व में यह था. आपने उसको राज्य सरकार कर दिया तो कल जो बात हो रही थी, विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक के समय वही बात फिर परिलक्षित हो रही है कि राज्य सरकार शिक्षा के हर क्षेत्र में अपना दखल जारी रखना चाहती है. कल मुझे मेरे साथियों ने बोला इसमें आपने उद्देश्यों, कारणों और कथन में बड़ी विचित्र बात रखी है मंत्री जी आज यहां पर हैं नहीं, उसमें आपने प्रबंधकारिणी की जगह राज्य सरकार क्यों लिखा है उसका कारण आपने यह लिखा है कि चूंकि वित्तीय साधन उपलब्ध कराती है, वित्तीय साधन तो आप हाई कोर्ट को भी उपलब्ध कराते हैं, इस विधान सभा में भी बजट से ही पैसा आता है, तो क्या इस पर भी आप अपना नियंत्रण कर लेंगे. इसलिए यह बात बिल्कुल बेमानी है कि जिनको आप वित्तीय साधन उपलब्ध कराते हैं, उनमें आप अपना दखल भी रखें,इसीलिए अब आप शिक्षा के पीछे पड़े तो पड़े, अब पत्रकारिता को भी नहीं छोड़ रहे है, अरे इसको तो स्वतंत्र रहने दो कम से कम. लेकिन इसमें भी लोक सभा का अध्यक्ष नामिनेट नहीं करेगा, राज्य सभा का सभापति नामिनेट नहीं करेगा, राज्य सरकार ही करेगी, और आपने कुलाधिपति की जगह भी अपना ही नाम रख दिया था, तो यह वापस हुआ था .
अध्यक्ष महोदय कल एक विषय और उठा था. वह विधेयक के बाहर का है, नहीं तो, आप बहुत जल्दी टोक देते हैं, इसलिए मैं पहले ही कह दूं, कल एक विषय छात्रों के बारे में उठा था. माननीय पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने और नेता प्रतिपक्ष जी ने यह मुद्दा उठाया था. उसके बारे में माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी ने भी कोई आश्वासन दिये थे, किंतु अभी तक उस पर कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई है. पत्रकारिता के छात्र हैं, पत्रकारिता उच्छृंखल तो नहीं हो सकती, लेकिन स्वतंत्र तो हो सकती है.
श्री कुणाल चौधरी -- पूरे देश में आपातकाल लगा हुआ है दिल्ली में फिर इंटरनेट सेवा बंद है.
अध्यक्ष महोदय -- कृपया इसे प्रश्नोत्तरकाल न बनायें.
डॉ सीतासरन शर्मा -- अध्यक्ष महोदय मेरा अनुरोध है कि उस पर भी आप विचार करें. कुल मिलाकर चाहे शिक्षा का क्षेत्र हो या पत्रकारिता का क्षेत्र हो राज्य शासन की दखलंदाजी उचित नहीं है. अध्यक्ष महोदय कल भी हम लोगों ने इसी बात का विरोध किया था और आज पुन: आपने एक संशोधन और कर दिया है कि कुलाधिपति द्वारा नाम निर्देशित एक सदस्य रखा जायेगा, किंतु इसके बाद में भी आपने इसमें अनेक ऐसे संशोधन किये हैं जिससे आपका दखल बढ़ रहा है. मैं इसी कारण से इस संशोधित विधेयक का यद्यपि यह संशोधन स्वीकार है किंतु इसमें अन्य और विषय थे उनका मैं समर्थन नहीं करता हूं. मैं ऐसा विश्वास करता हूं कि आप राज्य सरकार का दखल धीरे धीरे कम करेंगे और इस पत्रकारिता विश्वविद्यालय को कम से कम एक स्वतंत्र रूप में काम करने की स्थिति बनायेंगे तो ज्यादा अच्छा होगा. अध्यक्ष महोदय इसके संशोधन को स्वीकार करते हुए अन्य विषयों पर मेरी आपत्ति मैं दर्ज करता हूं.
डॉ गोविन्द सिंह-- अध्यक्ष महोदय माननीय पूर्व विधान सभा अध्यक्ष जी ने कहा कि आश्वासन दिया, आश्वासन दिये हुए अभी 24 घंटे नहीं हुए हैं. मैंने कहा था कि कार्यवाही होगी तो कार्यवाही हो रही है आप विश्वास रखिये, सकारात्मक कार्यवाही करने की हमारी सोच है और करेंगे.
डॉ सीतासरन शर्मा -- आप पर भरोसा हैं हमको.
श्री विनय सक्सेना ( जबलपुर उत्तर ) -- अध्यक्ष महोदय आदरणीय पीसीशर्मा जी द्वारा राज्यपाल को लौटाये गये मध्यप्रदेश माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय(संशोधन) विधेयक, 2019 (क्रमांक11 सन् 2019) पर पुनर्विचार का मैं समर्थन करता हूं. मैं यह भी कहना चाहता हूं कि कल भी मैंने बहुत सुना है विश्वविद्यालय के बारे में, हमारे जिम्मेदार नेताओं ने सदन में कहा कि राज्य सरकार का शिक्षा में दखल नहीं होना चाहिए. अध्यक्ष महोदय मेरा तो आपसे आग्रह है कि क्या राज्य सरकार जिसमें विपक्ष भी शामिल होता है क्या वह अपने आपको इस लायक या जिम्मेदार नहीं मानते हैं कि शिक्षा के क्षेत्र में उनका दखल रखा जाय. मेरा तो आपसे आग्रह है कि क्या राज्य सरकार जिसमें विपक्ष भी शामिल होता है, क्या वह अपने आपको इस लायक या जिम्मेदार नहीं मानते कि शिक्षा के क्षेत्र में उनका दखल रखा जाये. सरकारें इन्होंने भी चलाईं और अभी सदन में जब विपक्ष की हैसियत से हमारे आदरणीय नेता प्रतिपक्ष और जिम्ममेदार लोग हैं, तो क्या राज्य सरकार के दखल होने से शिक्षा का क्षेत्र दूषित हो जायेगा. मेरा आपसे आग्रह है कि कल विश्वविद्यालय वाले मामले में भी जो आपत्ति लगाई जा रही है और एक बात और कहना चाहता हूं कि एक सदस्य के निर्दिष्ट होने से बहुमत तो फिर भी हर हालत में जो सदस्य अन्य हैं, उन्हीं का रहता है. लेकिन कम से कम वह पक्ष तो आना चाहिये, जो शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव या क्रांति ला सकता है. इस लोकतांत्रिक व्यवस्था में दूसरे पक्ष की न सुनना यह भी कहना चाहिये कि उचित नहीं होगा. इसलिये जो आज बात आदरणीय शर्मा जी ने भी की, उससे भी मैं सहमत नहीं हूं. मैं तो चाहता हूं कि लोकतांत्रिक परम्पराओं में हर हालत में दूसरे पक्ष का सुनने का माद्दा होना चाहिये. इसलिये मैं इस विधेयक का समर्थन करता हूं और आपसे आग्रह करता हूं कि इसको सर्वसम्मति से सब सदस्यगण सहमति दें.
श्री राजेन्द्र शुक्ल (रीवा) -- अध्यक्ष महोदय, इस विधेयक में जो संशोधन प्रस्तुत हुआ है. इसमें माननीय सीतासरन शर्मा जी ने जो बात कही है कि लोकसभा के सदस्य का नाम लोक सभा अध्यक्ष की ओर से आना चाहिये. अध्यक्ष महोदय, मैं आपको इस बात के लिये बधाई देना चाहता हूं कि आप ही के हस्तक्षेप से पहले इस कार्य परिषद् में कोई विधायक नहीं होता था. लेकिन आपने हस्तक्षेप किया था और मध्यप्रदेश विधान सभा के एक सदस्य को आपने इसमें समावेश कराया था, जो संशोधन में दिखाई दे रहा है. उसके साथ ही यह भी दिख रहा है कि उस विधान सभा के सदस्य का नाम विधान सभा अध्यक्ष देंगे. तो जब विधान सभा के सदस्य का नाम विधान सभा के अध्यक्ष दे रहे हैं, तो फिर लोक सभा के सदस्य का नाम राज्य सरकार दे, यह समझ में नहीं आता है. इसलिये लोकसभा के अध्यक्ष के द्वारा और राज्य सभा के सभापति के द्वारा वह जो सदस्य के नाम आने हैं, जो पुरानी परम्परा पहले से रही है, उसका परिवर्तन अनावश्यक रुप से किया गया है. तो इसलिये उसको परिवर्तित नहीं किया जाये, यही मेरा सुझाव है.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश विधान सभा द्वारा दिनांक 24 जुलाई,2019 को यथापारित मध्यप्रदेश माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक,2019 (क्रमांक 11 सन् 2019) में राज्यपाल द्वारा उनके दिनांक 13 दिसम्बर,2019 के संदेश के आलोक में निम्नलिखित संशोधन पर विचार किया जाए :-
"खण्ड 2 में,- उपखण्ड (उनतीस) के स्थान पर, निम्नलिखित उपखण्ड स्थापित किया जाए, अर्थात् :-
(उनतीस) मध्यप्रदेश के किसी एक विश्वविद्यालय का कुलपित, जो कुलाधिपति द्वारा नामनिर्देशित किया जाएगा;" ..
श्री पी.सी. शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, मुझे तो बोलने दीजिये.
अध्यक्ष महोदय -- अब चलो भाई हो गया.
श्री पी.सी. शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, इसमें दो तीन चीजें मुझे बोलना है.
अध्यक्ष महोदय -- राजेन्द्र जी आपकी जगह ज्यादा बोल दिये, इसलिये अब आप बैठ जाइये. मंत्री जी, आप बिराजिये.
श्री अजय विश्नोई -- शर्मा जी, हमारे अध्यक्ष जी अन्तर्यामी हैं, आपकी बात समझ गये. आपके अन्तर्मन की बातचीत कार्यवाही में शामिल भी हो गई.
अध्यक्ष महोदय -- (श्री पी.सी.शर्मा के खड़े होने पर) अभी आप जरा बैठिये तो. आप बैठिये, मैं आपको बोलने का मौका दूंगा. अभी आप जल्दबाजी में आ गये मेरे सामने, जरा आप पढ़ने दीजिये, फिर मैं आपको मौका दूंगा.
वित्त मंत्री (श्री तरुण भनोत) -- अध्यक्ष जी, यह मन की बात की बीमारी बहुत तेजी से फैल रही है.
अध्यक्ष महोदय -- वित्त मंत्री जी, यहां दिल की बात चल रही है.
ऊर्जा मंत्री (श्री प्रियव्रत सिंह) -- अध्यक्ष महोदय, यह दिल की बात सार्वजनिक नहीं होनी चाहिये.
श्री जालम सिंह पटेल -- अध्यक्ष महोदय, मन की बात प्रधानमंत्री जी हर महीने के आखिरी इतवार में बोलते हैं. सही बात बोलते हैं. वित्त मंत्री जी सुनिये आप.
अध्यक्ष महोदय -- जालम भाई, ये प्रियव्रत जी दिल पर उतर आये हैं.
जो प्रस्ताव के पक्ष में हों, वे कृपया "हां" कहें.
जो प्रस्ताव के विपक्ष में हों, वे कृपया "ना" कहें.
"हां" की जीत हुई,
"हां" की जीत हुई.
संशोधन स्वीकृत हुआ.
श्री पी.सी. शर्मा-- अध्ययक्ष महोदय, जो माननीय सीतासरन शर्मा जी और आदरणीय शुक्ल जी ने कहा एवं हमारे साथी सक्सेना जी ने जो बात रखी. मैं यह कहना चाहता हूं कि पहली बात तो यह है कि इस पूरे विधेयक को महामहिम राज्यपाल जी बाकी सब चीजों को पहले ही मंजूरी दे चुके हैं. उन्होंने उसको मंजूरी दे दी थी और उसके बाद फिर आप उसका विरोध कर रहे हैं. राज्यपाल जी ने सब प्वॉइंट पास कर दिए थे, एक बिंदु था, उस बिंदु पर उनका यह कहना था कि कुलपति जो भी हो, क्योंकि वह इसलिए रखा गया था कि कुलपति सभी उनके द्वारा अप्वॉइंटेड होते हैं. उसमें से एक, यह संशोधन किया गया था और जहां तक राज्य सभा और लोक सभा की बात आपने की है, तो यह मध्यप्रदेश के ही राज्य सभा और लोक सभा का कोई न कोई सदस्य इसमें जाएगा. एक विधायक को विधान सभा के अध्यक्ष जी नॉमिनेट करेंगे. एक राज्यपाल जी करेंगे. बाकी यह मुख्यमंत्री के तरफ से आया है, शासन की तरफ से आया है. यह केवल इसलिए किया गया था कि इसमें बहुत समय लगता था और महापरिषद् के गठन में दिक्कत आती थी और वहां से नाम आ नहीं पाते थे, इसलिए इसको संशोधित करके किया गया है. राज्यपाल जी ने एक बिंदु को छोड़कर सब बिंदुओं को पहले ही अनुमति दे दी थी, पास कर दिया था. मैं समझता हूँ कोई इसमें बात बनती नहीं है. दूसरा, मैं कहना चाहूँगा, जो उन्होंने विद्यार्थियों की बात की है, जैसा अभी हमारे सामान्य प्रशासन मंत्री जी ने कह दिया है, वहां जो कुछ भी हुआ, जिस तरह से तोड़-फोड़ हुई, जिस तरह से वहां हंगामा हुआ और जिस तरह से उसको एक राजनीतिक स्टंट बनाया गया है, इस वजह से यह सब स्थिति पैदा हुई है, लेकिन वहां विद्यार्थी जैसे-जैसे अपना माफीनामा लिखकर दे रहे हैं, सबको अनुमति दी जा रही है और मैं समझता हूँ कि एक-एक करके सब आ जाएंगे और सब परीक्षा में बैठेंगे. यह आदरणीय मुख्यमंत्री ने आदेश दिए हैं और उस हिसाब से वहां पर कार्यवाही हो रही है.
कुँवर विजय शाह -- अध्यक्ष महोदय, एक मिनट, आधा मिनट...
अध्यक्ष महोदय -- नहीं भाई, यह विधेयक है, कैसा कर रहे हो ? हम एक सेकण्ड नहीं देंगे, आधा सेकण्ड नहीं देंगे, पाव सेकण्ड नहीं देंगे.
कुँवर विजय शाह -- माननीय अध्यक्ष जी, मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूँ कि आपने कहा है कि राज्य सभा और लोक सभा से एक-एक प्रतिनिधि ....
अध्यक्ष महोदय -- अरे भाई, छोड़ो ना ये.
कुँवर विजय शाह -- यहां से तो लोकसभा में केवल एक ही प्रतिनिधि, क्या माननीय मुख्यमंत्री जी छिंदवाड़ा के सांसद को छोड़कर ....
श्री पी.सी. शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, आदरणीय महामहिम राज्यपाल जी ने ...
अध्यक्ष महोदय -- एक मिनट जरा, कुँवर विजय शाह जी, जिस विधेयक पर आपको बोलना था, तब आप एबसेंट थे, अब जिस पर नहीं बोलना है, जिस पर शर्मा जी बोल रहे हैं, उस पर आप बीच में कथा पढ़ने आ गए.
श्री विश्वास सारंग -- अध्यक्ष जी, आपके जूनियर हैं..(हंसी)
श्री पी.सी. शर्मा -- डॉ. सीतासरन शर्मा जी, ये जब विधेयक हमने रखा तो मैं नर्मदा जी के दर्शन करके आया था. उसके बाद ही रखा है, इसलिए उसमें गड़बड़ नहीं होगी.
अध्यक्ष महोदय -- शर्मा जी, अब प्रस्ताव पढ़ दीजिए.
जनसंपर्क मंत्री (श्री पी.सी. शर्मा) -- अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूँ कि यथासंशोधित रूप में मध्यप्रदेश माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2019 (क्रमांक 11 सन् 2019) पुन: पारित किया जाए.
अध्यक्ष महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि यथासंशोधित रूप में मध्यप्रदेश माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2019 (क्रमांक 11 सन् 2019) पुन: पारित किया जाए.
प्रश्न यह है कि यथासंशोधित रूप में मध्यप्रदेश माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2019 (क्रमांक 11 सन् 2019) पुन: पारित किया जाए.
विधेयक पुन: पारित हुआ.
श्री पी.सी. शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, मुझे अपने विभाग से संबंधित एक बात सदन को सूचित करना है.
अध्यक्ष महोदय -- जी.
श्री पी.सी. शर्मा -- आदरणीय अध्यक्ष महोदय, मैं सदन को बताना चाहता हूँ कि जिस तरह से आदरणीय मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ जी ने मध्यप्रदेश में आईटा (इंडियन टेलीविजन एकेडमी) अवार्ड, जो 18 साल तक मुम्बई में हुआ, इंदौर में पिछले महीने संपन्न हुआ, जिसमें पूरे देश के टेलीविजन कलाकार आए थे. वहां पर मध्यप्रदेश के कलाकारों ने स्टेज पर गायन, नृत्य का प्रदर्शन किया, जिससे हमारे प्रदेश के युवा कलाकारों को मौका मिला और इंटरनेशनल लेवल पर टेलीविजन के माध्यम से हमारे कलाकार वहां जा सके, इसका वहां पर वंचन हुआ और अब इस मार्च, अप्रैल में इंटरनेशनल इंडियन फिल्म एकेडमी अवार्ड का फेस्टीवल इंदौर और भोपाल में आयोजित होगा जो अभी तक हिंदुस्तान के केवल मुम्बई में हुआ है. बाकी लंदन, न्यूयार्क और दुनिया भर में जिस तरह से ऑस्कर एवार्ड होता है, उस तरह की यह एवार्ड सेरेमनी होती है, जिसको प्रसिद्ध अभिनेता अमिताभ बच्चन डील करते हैं. यह भोपाल और इंदौर में होगा. यह एक ऐसा एवार्ड है जिसमें 100 यूएस मिलियन डॉलर टोटल होता है, 700 करोड़ रुपये ...(व्यवधान)...
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष जी, ये क्या है.. ...(व्यवधान)...
श्री विश्वास सारंग -- अध्यक्ष जी, ये किस नियम से बोल रहे हैं ...(व्यवधान)...
श्री पी.सी. शर्मा -- अध्यक्ष जी की अनुमति से. ...(व्यवधान)...
श्री विश्वास सारंग -- अध्यक्ष जी, सब मंत्री अपनी-अपनी इस तरह से .... ...(व्यवधान)...
...(व्यवधान)..
श्री कुणाल चौधरी -- माननीय विश्वास सारंग जी, प्रदेश में पैसा आ रहा है, उससे तकलीफ क्या हो रही है.
श्री विश्वास सारंग -- अरे किस बात पर बोल रहे हैं भई.
श्री कुणाल चौधरी -- पैसा आ रहा है आपको तकलीफ क्या है, प्रोग्राम हो रहा है...(व्यवधान)..
श्री विश्वास सारंग -- यह कुछ ऐसा नहीं कि उठकर आए जब मौका मिला, कुल भी बोल रहे हैं...(व्यवधान)...
श्री कुणाल चौधरी -- महत्वपूर्ण प्रदेश में अगर कुछ होगा, बढि़या पैसा आ रहा है तो तकलीफ क्या है.
श्री विश्वास सारंग -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह सदन नियम कायदे से चलेगा.
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सदन में इस पर चर्चा नहीं हो रही है. आप फेस्टीवल करें. वह इंदौर में करें, भोपाल में करें. आप तो यह बतायें कि उसमें कितने मंत्री एक्टिंग करेंगे. आपके बहुत अच्छे मंत्री हैं.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- अध्यक्ष महोदय, नेता प्रतिपक्ष की बुलेट की...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- (कई सदस्यों के अपने आसन पर एक साथ बोलने पर) इतने सारे लोग एक साथ खडे़ हो जाएंगे....(व्यवधान)....
श्री विश्वास सांरग -- माननीय अध्यक्ष महोदय, किसान परेशान है...(व्यवधान)..
हास-परिहास
श्री गोपाल भार्गव -- (डॉ.गोविन्द सिंह के खडे़ होने पर) माननीय गोविन्द सिंह जी खड़े हो गए है. अध्यक्ष जी, माननीय गोविन्द सिंह जी अभी खडे़ हुए, आपने एक व्यवस्था बनाने का प्रयास किया था कि किसी एक दिन या पहले दिन इस विधानसभा सत्र में सभी सदस्यगण खादी का कुर्ता, पजामा, जैकेट पहनकर आएंगे. मैं तो पहनकर आ गया लेकिन आप इनकी जैकेट देखिए. (श्री गोविन्द सिंह राजपूत, राजस्व मंत्री की तरफ इशारा करते हुए) इनकी जैकेट ऐसी लग रही है जैसे पूरा बगीचा, पूरी फुलवारी है.(हंसी)
अध्यक्ष महोदय -- (श्री गोविन्द सिंह राजपूत, राजस्व मंत्री के खडे़ होने पर) आप बैठ जाइए. श्री गोपाल भार्गव जी, मैं तो आपकी अच्छी बात से धन्यवाद देता हॅूं कि आपने मुझे याद दिला दिया. मैं इस लघु सत्र में यह चीज चाहता था. महात्मा गांधी जी की 150 वीं जयंती चल रही है और मेरी ऐसी मंशा थी कि इस छोटे लघु सत्र में मैं चांपा की बढि़या खादी और कोसे का कपड़ा सभी माननीय सदस्यों को पजामा, कुर्ता, जैकेट के साथ और माननीय सदस्यायों को बढि़या साड़ी वहां की दूं और सभी लोग एक साथ उस दिन पहनकर आएं, एक साथ पूरी फोटोग्राफी फिर से हो जिसमें हम पूरे 40 सांसदों को भी न्यौता देंगे, पर भार्गव जी ने उसका पालन पहले से ही कर लिया, मैं उसके लिए आपको धन्यवाद देता हॅूं.
श्री अजय विश्नोई -- माननीय अध्यक्ष जी, धन्यवाद. आप 40 को बुला रहे हैं मतलब छत्तीसगढ़ को वापस जोड़ रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं भई 29 और 11. केलकुलेशन में हो सकता है.
श्री गोपाल भार्गव -- लेकिन यह कौन सा ड्रेस कोड है पूरी फुलवारी, पूरा बगीचा इनकी जैकेट पर लगा हुआ है. यह समझ में नहीं आ रहा है. मंत्रियों के लिये कुछ आचार संहिता तो होना चाहिए.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- गोपाल जहां खेले हैं ना, जहां कान्हा खेले हैं वहीं की तो यह ड्रेस है.(हंसी)
श्री पी.सी.शर्मा -- यह साउथ फिल्म के हीरों की तरह हैं. फिल्मों की बात हो रही है..(हंसी)
डॉ.गोविन्द सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने कहा कि खादी देंगे तो क्या यह साड़ी पहनकर आएंगे..(हंसी).
अध्यक्ष महोदय -- यह माननीय महिला विधायकों के लिए है. गोपाल भाई, मैंने सिर्फ नाम पुकारा बृजेन्द्र सिंह राठौड़, सिर्फ नाम भर पुकारा और असर देखिए सब यहां वहां हो गए. (हंसी) चलिए श्री बृजेन्द्र सिंह राठौड़, मध्यप्रदेश माल और सेवा कर (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2019 पर विचार का प्रस्ताव पढ़ दीजिए.
डॉ.सीतासरन शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, पाइंट ऑफ ऑर्डर है. दो दिन पहले प्रति देना था. कल रात में हमें इसकी प्रति मिली है.
वाणिज्यिक कर मंत्री (श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर) -- अरे, विद्वान लोगों के लिये तो 5 मिनट बहुत हैं आप तो विद्वान हैं शर्मा जी.
डॉ.सीतासरन शर्मा -- यह कर वाले विधेयक बहुत कठिन होते हैं.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर -- अरे, यह कोई कठिन नहीं है. यह तो वही का वही है.
श्री हरिशंकर खटीक -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह अंग्रेजी और देशी का कमाल है.
अध्यक्ष महोदय -- यह पंडित जी को बताओ. (हंसी)
श्री विश्वास सारंग -- अध्यक्ष जी, आप ऐसी बातों हर समय को अलाउ कर देते हैं.
डॉ.सीतासरन शर्मा -- पंडित जी बहुत दूर हैं इससे. अभी भी बहुत दूरी है.
श्री विश्वास सारंग -- एक्साइज मिनिस्टर भी दूर हैं.
अध्यक्ष महोदय -- शर्मा जी, एक मिनट विराजिए. मैंने इसकी पूर्व में ही घोषणा कर दी थी. पुन: पढ़कर बता देता हॅूं. इसके पहले मैं इसकी घोषणा कर चुका था. "आज की कार्यसूची के पद 7 शासकीय विधेयक विषयक कार्य उपपद (1) से (4) में उल्लिखित विधेयकों की महत्ता एवं उपादेयता के दृष्टिगत रखते हुए मैंने, मध्यप्रदेश विधान सभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालनसंबंधी नियमावली के नियम 65 (1) में विनिर्दिष्ट अपेक्षाओं को शिथिल कर आज ही पुर:स्थापना हेतु प्रस्ताव प्रस्तुत करने एवं उसे विचार में लिये जाने की अनुमति प्रदान की है". यह मैं पहले ही कर चुका था, आदरणीय.
डॉ.सीतासरन शर्मा -- आपने भोजन की व्यवस्था की थी.
अध्यक्ष महोदय - मैं कोशिश करता हूं कि मेरे पूर्व अध्यक्षों ने जो काम किया है मैं उसी पर चल सकूं.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, मैं इससे सहमत नहीं हूं. पूर्व अध्यक्षों ने किया नहीं किया मैं अभी रिकार्ड नहीं देखना चाहता न दिखाना चाहता लेकिन अध्ययन करने के लिए कम से कम रिफ्रेंस एक्शन में जाकर हम लोगों को यदि एक दिन पहले विधेयक की प्रति मिल जाए तो सार्थक चर्चा होगी, प्रामाणिक होगी, तथ्य परक होगी और इस कारण से आज मानकर चलें कि इसके बाद यदि कल चर्चा करवा लें तो और बेहतर होगा. आज बजट पर चर्चा शुरू हो जाए. आप तो सारे नियम शिथिल कर सकते हैं.
अध्यक्ष महोदय - कल भी लंबी लाईन है. वह तो करेंगे हम. भार्गव जी, अगर यह आपत्ति पहले आती तो कर सकते थे.
श्री गोविंद सिंह राजपूत - अध्यक्ष महोदय, इतने सीनियर विधायक हाऊस के सबसे सीनियर विधायक यह बात कहें यह गले नहीं उतरती. आपको तो कंठस्थ पूरी रामायण याद रहती है. कहां क्या बोलना है आप कभी भी बोल सकते हैं. सरस्वती आपकी जिह्वा में विराजमान हैं.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, रामायण भी याद रहती है, गीता भी याद है लेकिन यह विधेयक याद नहीं है. यह कलियुगी विधेयक याद नहीं है. मुझे त्रेता और द्वापर का सब याद है अभी कलियुग का नहीं है.
अध्यक्ष महोदय - नेता प्रतिपक्ष जी, कृपया सहयोग प्रदान करें ऐसा मेरा आपसे अनुरोध है.
शासकीय विधि विषयक कार्य (क्रमश:)
2.12 बजे मध्यप्रदेश माल और सेवा कर (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2019
(क्रमांक 39 सन् 2019)
वाणिज्यिक कर मंत्री (श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर) - अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश माल और सेवा कर (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2019 (क्रमांक 39 सन् 2019) पर विचार किया जाय.
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश माल और सेवा कर (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2019 (क्रमांक 39 सन् 2019) पर विचार किया जाय.
श्री अजय विश्नोई (पाटन) - अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश माल और सेवा कर (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2019 का समर्थन करने के लिए हम खड़े हुए हैं क्योंकि यह जो मध्यप्रदेश का जी.एस.टी. है यह और कुछ नहीं केन्द्र सरकार के जी.एस.टी. की प्रतिध्वनि है. केन्द्र सरकार ने यह जी.एस.टी. लगाई है और इस किताब में आपने लिखा भी है कि इस अधिनियम से करदाताओं को एक अच्छे वातावरण में कार्य करने की सुविधा प्राप्त हुई है. इस नियम को माननीय मोदी जी की सरकार ने लागू करवाया था और तब से लगातार व्यापार में बहुत से इजाफे़ होते जा रहे हैं. कर का संग्रहण ऑल इंडिया का बहुत अच्छा बढ़ रहा है. मोदी जी की सरकार प्रगतिशील भी है और संवेदनशील भी है इसलिए लगातार वह इस बात की चिंता करते हैं कि यदि हमारा कोई जी.एस.टी. कानून लागू हुआ है तो उसके कारण किसी प्रकार की असुविधा व्यापारियों को या प्रशासन को हो रही है तो उन दोनों विषयों को संभालते हुए और उसमें जो नियमित सुधार की जरूरत है वह सुधार करते हुए चलते हैं. उन्होंने जी.एस.टी. के नियम में एक सुधार प्रस्तावित किया है तो अब जो नियम कहता है कि मध्यप्रदेश सरकार को मध्यप्रदेश की विधान सभा में भी इसका अनुमोदन कराना आवश्यक है और इसलिए इस संशोधन को यहां पर सरकार लेकर आई है. केन्द्र सरकार जो संशोधन इस बार लेकर आई है कि जिनका टर्न ओवर 50 लाख तक का होता है उन व्यापारियों को एक कम्पोजिशन की सुविधा की अनुमति है कि वह एक बार में एक निश्चित दर पर कर जमा कर दें तो उनको बार-बार रिटर्न नहीं देना पड़ेगा परंतु यह सुविधा उन्हीं लोगों को प्राप्त थी जो गुड्स में डील करते हैं पर यदि गुड्स के साथ-साथ वह सर्विसेज में भी डील करते हैं तो उनको यह सुविधा प्राप्त नहीं थी. उदाहरण के लिए यदि कोई व्यक्ति ए.सी. बेचता है तो ए.सी. बेचने वाले को तो यह सुविधा प्राप्त है पर ए.सी. बेचने वाला यदि बाद में उसके सर्विस की भी सुविधा उपलब्ध कराता है और उसका थोड़ा सा भी अंश सर्विस का शामिल है तो उसको यह सुविधा प्राप्त नहीं है. इस असुविधा को समझते हुए केन्द्र सरकार ने जी.एस.टी. में इस प्रकार का परिवर्तन किया है कि अब जो आंशिक रूप से सर्विस देते हैं उनको भी यह कंपोजिशन की सुविधा उपलब्ध होगी और वह एक बार में इस प्रकार का रिटर्न भर देंगे और रिटर्न उनको बार-बार देने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी. यह सुधार इसमें चूंकि आप दे रहे हैं इसलिए मैं इसका समर्थन करता हूं. परंतु इस मौके पर मैं सदन का ध्यान इस ओर भी दिलाना चाहता हूं कि सारी प्रगति प्रदेश की हो या देश की हो वह अर्थ पर डिपेंड है और जो जी.एस.टी. का कलेक्शन है उसका कलेक्शन करने की जिम्मेदारी प्रदेश की सरकारों की भी है. मध्यप्रदेश में जब भाजपा की सरकार थी लास्ट हमने तब छोड़ा था तो जी.एस.टी. के कलेक्शन की ग्रोथ 14 परसेंट की थी और अपेक्षित यह था कि इस एक साल में यह ग्रोथ बढ़कर 20 परसेंट पहुंच जाएगी. पर दुःख के साथ मुझको कहना पड़ रहा है कि यह ग्रोथ 20 परसेंट तो छोड़ो, 14 परसेंट से भी नीचे आ गई और जो रिकार्ड आज की तारीख में आया है, देश भर की राज्य सरकारों में जो जीएसटी कलेक्शन का रिकार्ड है उसमें मध्यप्रदेश सबसे ज्यादा पीछे है, सबसे ज्यादा फिसड्डी साबित हुआ है, इसके कारण न सिर्फ मध्यप्रदेश की ग्रोथ पर असर पड़ेगा बल्कि इसके साथ साथ देश की ग्रोथ पर भी असर पड़ेगा. माननीय मंत्री जी से मैं अनुरोध करना चाहता हूँ कि वह अपने विभाग की चोरियों को रोके और विभाग को इस बात के लिए चुस्त-दुरुस्त करें कि वह चोरियाँ रोके, कलेक्शन बढ़ाए ताकि वह प्रदेश और देश की व्यवस्था से विकास में सहभागी बन सकें. मैं अपने इस सुझाव के साथ साथ इस संशोधन विधेयक का समर्थन करता हूँ.
श्री कुणाल चौê