मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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पंचदश विधान सभा तृतीय सत्र
जुलाई, 2019 सत्र
शुक्रवार, दिनांक 19 जुलाई, 2019
(28, आषाढ़, शक संवत् 1941)
[खण्ड- 3 ] [अंक- 8 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
शुक्रवार, दिनांक 19 जुलाई, 2019
(28 आषाढ़, शक संवत् 1941)
विधान सभा पूर्वाह्न 11:06 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति) (एन.पी.)पीठासीन हुए.}
11.06 बजे प्रश्नकाल में उल्लेख एवं अध्यक्षीय व्यवस्था
भारतीय जनता पार्टी के पूर्व विधायक श्री सुरेन्द्रनाथ सिंह द्वारा श्री कमलनाथ, मुख्यमंत्री के संबंध में की गई आपत्तिजनक टिप्पणी का उल्लेख किया जाना
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री (श्री सुखदेव पांसे)--अध्यक्ष महोदय, इस पर पहले चर्चा होना चाहिए.. (व्यवधान)
संस्कृति मंत्री (डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मरने मारने की खून करने की बात हो रही है, इनका चरित्र सामने आ गया है... (व्यवधान)
विधि एवं विधायी कार्य मत्री (श्री पी.सी. शर्मा)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री का खून बहाने की बात हो रही है यह चरित्र है भारतीय जनता पार्टी के पूर्व विधायक और नेताओं का...(व्यवधान) गिरफ्तार किया जाए (व्यवधान)
11.07 बजे गर्भगृह में प्रवेश
इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा गर्भगृह में प्रवेश किया जाना.
(इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा भारतीय जनता पार्टी के पूर्व विधायक श्री सुरेन्द्रनाथ सिंह द्वारा मुख्यमंत्री, श्री कमलनाथ के संबंध में सार्वजनिक तौर पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी पर माफी मांगने की मांग करते हुए गर्भगृह में प्रवेश किया गया एवं नारे लगाए गए.)
अध्यक्ष महोदय--मैं आपकी बात सुनुंगा कृपया अपनी सीट पर जाएं. (व्यवधान)
(इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा नारेबाजी की जाती रही) (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--कृपया अखबार न लहराएं (इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा के सदस्य द्वारा गर्भगृह में खड़े होकर अखबार दिखाए जाने पर). अखबार न लहराएं, कृपया अपनी सीट पर जाएं. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित.
(11.08 बजे सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित की गई)
12:20 बजे (विधान सभा पुन: समवेत हुई.)
{अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी) पीठासीन हुए.}
कुटीर एवं ग्रामोद्योग मंत्री (श्री हर्ष यादव)-- अध्यक्ष महोदय, भारतीय जनता पार्टी का चरित्र उजागर हो रहा है. 15 वर्ष के कुशासन के बाद जब कांग्रेस की विचारधारा लागू हुई है उसके बाद... (व्यवधान) ...
अध्यक्ष महोदय-- आप लोग एक-एक करके बोलें. आप लोगों को जो बात करनी है प्रश्नकाल के बाद करिए. (व्यवधान)....
श्री हर्ष यादव-- अध्यक्ष महोदय-- मुख्यमंत्री जी के बारे में जो टिप्पणी की गई है वह बहुत ही गंभीर विषय है. (व्यवधान)....
लोक निर्माण मंत्री (श्री सज्जन सिंह वर्मा)-- भारतीय जनता पार्टी का चेहरा सामने आ रहा है. मारने की धमकी दी जा रही है. (व्यवधान)...
श्री हर्ष यादव-- अध्यक्ष महोदय, यह कोई संस्कृति है. (व्यवधान)...
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष महोदय, आप एक-एक करके दोनों पक्षों को सुन लें क्या दिक्कत है. आप चर्चा करा ही दीजिए. (व्यवधान)..
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- अध्यक्ष महोदय, सुनने की जरूरत नहीं है. भारतीय जनता पार्टी घिनौनी साजिश कर रही है. (व्यवधान)...
11:22 बजे गर्भगृह में प्रवेश
इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा गर्भगृह में प्रवेश किया जाना
(इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा श्री सुरेन्द्रनाथ सिंह, पूर्व विधायक द्वारा मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ के संबंध में सार्वजनिक तौर पर सड़क पर की गई टिप्पणी पर माफी मांगने की मांग करते हुए गर्भगृह में प्रवेश किया गया एवं नारे लगाए गए.)
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष महोदय, आप चर्चा करा लीजिए. (व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- चर्चा के लिए समय होता है. अभी प्रश्नकाल चलने दीजिए (व्यवधान)...
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- अध्यक्ष महोदय, एक मुख्यमंत्री को जान से मारने की धमकी दी जा रही है. यह अराजकता है, यह भय का वातावरण निर्मित करने की भारतीय जनता पार्टी की घिनौनी साजिश है. (व्यवधान)..
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) -- अध्यक्ष महोदय, आप चर्चा करा लीजिए.
श्री हर्ष यादव--भारतीय जनता पार्टी अराजकता का माहौल पैदा करना चाहती है. यह बहुत ही गंभीर विषय है. (व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- आप लोग कृपया अपने स्थान पर जाएं. मेहरबानी करके प्रश्नकाल चलने दें. (व्यवधान)...
श्री सज्जन सिंह वर्मा--यह भारतीय जनता पार्टी का घिनौना षड्यंत्र है. (व्यवधान)..
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, जो चर्चा कराना हो, आप करा लें. (व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- सदन की कार्यवाही 15 मिनट के लिए स्थगित.
(11:23 बजे सदन की कार्यवाही 15 मिनट के लिए स्थगित की गई)
11.41 बजे
विधान सभा पुन: समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) पीठासीन हुए.}
श्री महेश परमार- माननीय अध्यक्ष महोदय, जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल भारतीय जनता पार्टी के सुरेन्द्रनाथ सिंह जी, जो कि पूर्व विधायक रह चुके हैं ने किया है, वह गलत है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र- माननीय अध्यक्ष महोदय, आप इस पर चर्चा करवा लीजिये.
श्री महेश परमार- इसमें किस बात की चर्चा होनी है.
(...व्यवधान...)
श्री महेश परमार- माननीय अध्यक्ष महोदय, जिस तरह की बात भारतीय जनता पार्टी के पूर्व विधायक कर रहे हैं यह शर्मनाक है. इस गांधी के देश में यह नाथूराम गोडसे की विचारधारा नहीं चलेगी. हमारे मुख्यमंत्री जी के बारे में जिस प्रकार की बात भारतीय जनता पार्टी के पूर्व विधायक ने की है यह नहीं चलेगी, यह निंदनीय है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश के इतिहास में पहली बार किसी ने मुख्यमंत्री जी के खून से होली खेलने की बात की है.
(...व्यवधान...)
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)- माननीय अध्यक्ष महोदय, हम इस प्रकरण पर चर्चा के लिए तैयार हैं.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह पहली बार हो रहा है कि सत्तापक्ष को गर्भगृह में आना पड़ रहा है. आप लोग सारे जरूरी काम छोड़ दो और गर्भगृह में आ जाओ.
डॉ.नरोत्तम मिश्र- माननीय अध्यक्ष महोदय, ये लोग क्या चाहते हैं ?
लोक निर्माण मंत्री (श्री सज्जन सिंह वर्मा)- माननीय अध्यक्ष महोदय, भारतीय जनता पार्टी ने ऐसा काम किया है कि हमें गर्भगृह में आना पड़ रहा है. आपके लोगों द्वारा जिस प्रकार हमारे मुख्यमंत्री जी को धमकी दी गई है, उस पर पुलिस को कार्यवाही करनी चाहिए.
(...व्यवधान...)
अध्यक्ष महोदय- मैं समझता हूं कि सार्वजनिक रूप से किसी भी वरिष्ठ नेता को, चाहे वे किसी भी दल के हों ऐसी टिप्पणियां नहीं होनी चाहिए.
डॉ.नरोत्तम मिश्र- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बिल्कुल सच है परंतु ये लोग सरकार में बैठे हैं. यदि ये लोग हो-हल्ला करेंगे तो विपक्ष क्या करेगा ? सज्जन भाई, मेरी पूरी बात तो सुन लीजिये, आप भी अपनी बात रखिये.
श्री सज्जन सिंह वर्मा- हमने अपनी बात रखी है कि इस प्रकरण में पुलिस को स्वत: संज्ञान लेना चाहिए.
श्री गोपाल भार्गव- माननीय अध्यक्ष महोदय, हम इस पर चर्चा के लिए तैयार हैं.
(...व्यवधान...)
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. गोविन्द सिंह)- माननीय अध्यक्ष महोदय, जब नेता प्रतिपक्ष खड़े हैं तो कृपा करके नरोत्तम भाई आप बैठ जाइये.
डॉ.नरोत्तम मिश्र- लो बैठ गए.
खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री (श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर)- माननीय अध्यक्ष महोदय, क्या ये लोग मध्यप्रदेश में गुंडाराज कायम करना चाहते हैं? क्या ये प्रदेश में भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना चाहते हैं ?
(...व्यवधान...)
श्री गोपाल भार्गव- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि आपने देखा, प्रश्नकाल सत्तापक्ष के सदस्यों ने बाधित किया. हम पर अक्सर यह आरोप लगता था कि हम प्रश्नकाल नहीं चलने देते हैं लेकिन पहली बार शायद ऐसा हुआ है कि प्रश्नकाल सत्तापक्ष के लोगों ने नहीं चलने दिया.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि हमें विषय ही समझ में नहीं आ रहा है.
श्री मनोज नारायण सिंह चौधरी:- जो गुंडा गर्दी करते हैं और यह कहते हैं कि सरेआम नंगा करके पीटेगें. आप आज का दैनिक भास्कर पढ़ें. उसके अंदर लिखा हुआ है यदि हम खुलकर इस गुंडागर्दी के खिलाफ अगर खड़े नहीं होंगे तो हम जन-प्रतिनिधि नहीं हुए.
श्री गोपाल भार्गव:- अध्यक्ष महोदय, स्थायी नियम है और परम्परा है कि जब नेता प्रतिपक्ष खड़े हों या सदन के नेता खड़े हों तो अन्य सदस्यों को बीच में नहीं बोलना चाहिये.
अध्यक्ष जी, माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी या जो वरिष्ठ मंत्री हैं या जो भी वरिष्ठ मंत्री चाहें तो पहले विषय रख दें. विषय क्या और किस विषय पर दो-दो बार गर्भगृह में आ रहे हैं और पूरे घण्टे भर की कार्यवाही को बाधित कर रहे हैं. इसके बाद यदि हम लोगों को कुछ कहना होगा तो हम अपनी बात कह देंगे. लेकिन यदि इस तरह से होगा तो फिर जितनी चर्चा करवानी हो तो फिर मैं, कहता हूं कि सारी घटनाओं पर दिन भर चर्चा करायी जाये. मैं इसके लिये तैयार हूं. आप दिन भर चर्चा करायें.
श्री सज्जन सिंह वर्मा:- किस बात की चर्चा, यह गलत तरीका है. अध्यक्ष जी, हमने विषय को सदन में रखा कि मुख्यमंत्री जी को जान से मारने की धमकी सरेआम राजधानी की सड़कों पर दी जा रही है और इस बात पर विपक्ष मौन है. उनका प्रतिनिधि सरेआम मुख्यमंत्री को धमकी दे, यह विषय नहीं है तो क्या है. यह विषय हमने रखा है. उस पर आपका जवाब आ जाये, उस पर चर्चा किस बात की ? आप तो हमारी पुलिस को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं कि पुलिस को संज्ञान लेना चाहिये. मुख्यमंत्री का खून बहेगा. हम अपनी पुलिस को बोल रहे हैं कि अभी तक संज्ञान क्यों नहीं लिया.(व्यवधान)
डॉ. नरोत्तम मिश्र:- माननीय अध्यक्ष जी, एक मिनट मेरी बात भी सुन लें.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर:- माननीय अध्यक्ष जी मुझे भी एक मिनट सुना जाये.
अध्यक्ष महोदय:- आप लोग सुनिये, तोमर जी आप बैठ जाईये. मैं कुछ बात कहने जा रहा हूं.
किसी भी दल के कोई भी ऐसे वरिष्ठ नेता के ऊपर सार्वजनिक रूप से अगर ऐसी टिप्पणी आती है तो यह समूचे सदस्यों को विचार करना होगा कि ऐसी घटनाएं न हों. ऐसी बातें न बोली जायें, जिससे किसी भी दल विशेष या उस व्यक्ति को बुरा लगे. क्योंकि उनकी अपनी ऊचांईयां जन सेवा में करते हुए आयी हैं.अब ऐसी बातें सार्वजनिक आयेंगी तो निश्चित रूप से दल उद्ववेलित होते हैं, वह चाहें आपके होंये या आपके होंये. आप ध्यान में रखियेगा कि हम विषय उठायें लेकिन समय देखकर उठायें ताकि आपकी बात भी आये. प्रश्नकाल का जो महत्वपूर्ण विषय चलना है, वह भी चले. आप भी ऐसा कर देंगे, आप भी ऐसा कर देंगे तो मैं एक घण्टा ऐसे ही बैठा रहूंगा. हां, अगर ऐसी कोई घटना हुई है और पेपरों में छपी है तो निश्चित रूप से यह दु:खद है.इस पर हम सबको एक-रूपता निर्धारण करना चाहिये, इसमें दल विशेष की बात नहीं करना चाहिये.
श्री गोपाल भार्गव:- अध्यक्ष महोदय, यह जो आपने व्यवस्था दी है, यह व्यवस्था सर्वमान्य है. मैं मानकर चलता हूं कि सभी पक्ष हमारे भी और सत्ता पक्ष के सदस्य भी इसको स्वीकार करेंगे. चूंकि यह सदन के अन्दर की बात नहीं है, यह सदन के बाहर कही गयी बात है. माननीय सज्जन वर्मा जी और भी अन्य सदस्यों ने इस बात को कहा. आप लोग गर्भगृह में आये, मैं, चाहता था कि आप प्रश्नकाल में या शून्यकाल में कोई सदस्य या संसदीय कार्य मंत्री जी इस बात पर चर्चा करता. हमें जो कुछ कहना होता, वह हम कहते. अध्यक्ष महोदय, यह जो विषय सामने आया, जो अखबार में आया. क्योंकि मेरे सामने तो कोई घटना हुई नहीं, लेकिन अखबारों के माध्यम से मुझे भी जानकारी मिली और अभी जो दो बार सत्ता पक्ष के सदस्य लोग गर्भगृह में आये.
अध्यक्ष महोदय, हमारे प्रधान मंत्री जी ने संसदीय दल की बैठक में इस बात को बहुत दृढ़ता और चेतावनी के साथ में हमारे सदस्यों और कार्यकर्ताओं के लिये, सांसदों और विधायकों के लिये यह कहा था कि हमें एक श्रेष्ठ और उत्तम संसदीय जीवन भी, विधायी जीवन भी, हमारे लिये निर्वहन करना है.
श्री प्रदीप जायसवाल:- ऐसे लोगों को आप पार्टी से बाहर करो.
अध्यक्ष महोदय:- प्रदीप जी, आप बैठ जायें.
श्री गोपाल भार्गव:- अध्यक्ष महोदय, पूरे देश के अखबारों ने, देश के टी.व्ही चैनलों ने प्रधानमंत्री जी की बात को पूरी से प्रचारित किया, पूरी बात की जानकारी दी और मध्यप्रदेश में एक दो घटनाएं जो घटित हुईं, उनके बारे में आप सभी लोगों को जानकारी होगी कि प्रधान मंत्री जी का क्या मत है. प्रधानमंत्री जी देश के सर्वमान्य नेता हैं और भारत के प्रधान मंत्री हैं. मैं यह मानकर चलता हूं कि हमारी पार्टी कभी भी इस प्रकार के मत से सहमत नहीं है, इस प्रकार के विचारों से सहमत नहीं है, इस प्रकार के भाषणों से सहमत नहीं है. अध्यक्ष महोदय, मैं यही कहना चाहता हूं कि यदि सदन के बाहर कोई ऐसी बात कही गयी है तो ..
श्री गोपाल भार्गव--जो कुछ भी हमारी पार्टी निर्णय करेगी, हमारा संगठन निर्णय करेगा. हम लोग कार्यवाही करेंगे. मैं इतना ही कहना चाहता हूं कि सदन की कार्यवाही को चलने दिया जाये.
अध्यक्ष महोदय--प्रश्न क्रमांक 1
लोक निर्माण मंत्री (श्री सज्जन सिंह वर्मा)--अध्यक्ष महोदय, इस बात को स्वीकार करना पड़ेगा इस तरह की घटनाएं सही नहीं हैं.
डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ--अध्यक्ष महोदय,
अध्यक्ष महोदय-- माननीय सज्जन सिंह जी की बात आ गई है. माननीय नेता प्रतिपक्ष जी की बात आ गई है. मैं प्रश्नों से कार्यवाही चालू कर रहा हूं. श्री निलय डागा. इनके अलावा जो भी बोलेगा उनका नहीं लिखा जायेगा. (व्यवधान)
डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ (xxx)
श्री मनोज नारायण सिंह चौधरी (xxx)
अध्यक्ष महोदय--किसी विषय पर गंभीरता से चर्चा हो चुकी है उस पर आप अपने ज्ञान-चक्षु खोलकर रखिये उसको ग्राह्य करिये कि क्या चर्चा चल रही है. तदुपरांत कहीं कोई ऐसी बात करनी हो तो करियेगा. बात पूरी आ चुकी है. मैं प्रश्नकाल शुरू कर रहा हूं.
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
बैतूल शहर हेतु अमृत नलजल योजना की स्वीकृति
[नगरीय विकास एवं आवास]
1. ( *क्र. 1274 ) श्री निलय डागा : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नगर पालिका परिषद बैतूल द्वारा बैतूल शहर के लिये अमृत नलजल योजना अन्तर्गत कौन सी परियोजना स्वीकृत की गई है? लागत एवं पेयजल स्त्रोत जहाँ से पानी लाना प्रस्तावित है, का विवरण देवें? (ख) उक्त योजना कितने वर्षों के लिये डिजाईन कर पाइप लाइन प्रस्तावित की गई है? (ग) क्या उक्त परियोजना से सम्पूर्ण शहर की आबादी में जल प्रदाय किया जाना प्रस्तावित है? यदि नहीं, तो क्यों? जिन अधिकारियों द्वारा डी.पी.आर. तैयार की गई है? उनके विरूद्ध क्या कार्यवाही प्रस्तावित है? यदि नहीं, है तो क्यों? (घ) इस परियोजना से सम्पूर्ण शहर में पेयजल व्यवस्था नहीं हो पाने की स्थिति में शासन की क्या योजना है? किस-किस वार्ड में कितनी-कितनी पाइप लाइन किस-किस व्यास की बिछाई जाना है?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री जयवर्द्धन सिंह ) : (क) अमृत योजनांतर्गत नलजल योजना बैतूल शहर के लिए ताप्ती नदी पर बैराज बनाकर 22.406 किलोमीटर रॉ-वॉटर राईजिंग मेन, इंटेकवेल एवं 41.896 किलोमीटर डिस्ट्रीब्यूशन पाइप लाइन की योजना स्वीकृत की गई है। योजना की स्वीकृत लागत राशि रू. 3817.00 लाख एवं पेयजल स्रोत ताप्ती नदी है। (ख) यह योजना 30 वर्षों तक के लिए डिजाईन कर पाइप प्रस्तावित की गई है। (ग) बैतूल शहर के लिए यू.आई.डी.एस.एस.एम.टी. योजनांतर्गत लाखापुरा तालाब से 1.5 एम.सी.एम. जल प्राप्त करने के लिए ग्रेविटीमेन से जल शोधन संयंत्र तक जल लाने का कार्य प्रगति पर है। माचना नदी में स्थित बैराज का सुदृढ़ीकरण कार्य भी इसी योजना में किया जा रहा है। जिससे 2.00 एम.सी.एम. जल का प्रदाय होगा। अमृत योजनांतर्गत ताप्ती नदी पर बनाये गये बैराज से पारसडोह परियोजना के माध्यम से वर्ष भर में 5.00 एम.सी.एम. जल प्राप्त होगा। इस प्रकार बैतूल शहर के लिए दोनों परियोजनाओं के अंतर्गत 8.5 एम.सी.एम. जल की उपलब्धता सभी कार्य पूर्ण होने के बाद होगी। यह मात्रा बैतूल शहर के लिए पर्याप्त होगी। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) उत्तरांश (क) अनुसार कार्य पूर्ण होने पर सम्पूर्ण शहर में पेयजल की व्यवस्था हो जावेगी। वार्डवार पाइप लाइन की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
श्री निलय विनोद डागा--अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न नगरीय विकास एवं नगरीय प्रशासन मंत्री से है कि बैतूल शहर में अमृत नलजल योजना बाबत् जानकारी नगरपालिका परिषद् बैतूल द्वारा बैतूल शहर के लिये अमृत नलजल योजना कौन सी परियोजना स्वीकृत की गई लागत एवं पेयजल स्रोत जहां से पानी लाना प्रस्तावित है, का विवरण देवें ? दूसरा प्रश्न उक्त योजना कितने वर्ष के लिये डिजाइन कर पाइप लाइन प्रस्तावित की गई है. परियोजना की प्रति उपलब्ध करावें. तीसरा प्रश्न क्या उक्त परियोजना से सम्पूर्ण शहर की आबादी को जल प्रदाय किया जाना प्रस्तावित है.
अध्यक्ष महोदय--आप प्रश्न करिये उसको पढ़िये मत कल आप बहुत अच्छा बोल रहे थे. आपकी स्पीड अच्छी हो गई है.
श्री निलय विनोद डागा--अध्यक्ष महोदय, प्रश्न यह है कि क्या अमृत नलजल योजना बैतूल शहर के लिये डिजाइन की गई उसमें जो पैसा 38 करोड़ रूपये क्या यह योजना बैतूल शहर को रोज पानी पिलाने के लिये पर्याप्त है ?
श्री जयवर्धन सिंह--अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी की जो चिन्ता है इससे मैं भी सहमत हूं कि पिछले कुछ सालों से बैतूल शहर में पानी की काफी समस्या रही है. इसमें विधायक जी ने उल्लेख किया है कि अमृत योजना के माध्यम से जो काम किया जा रहा है उसमें अभी दिसम्बर माह में ही अमृत मिशन के द्वारा बैराज का काम पूरा किया गया था. उसके साथ में पारसडोह जलाशय के द्वारा जो सिंचाई विभाग की है उसमें सनू 2015 में कमिटमेंट दी गई थी कि उस योजना से 5 एम.सी.एम पानी बैतूल शहर को दिया जायेगा, लेकिन किसी कारण से वह कमिटमेंट पूरा नहीं हो पाया है. हमने इसके बारे में सिंचाई विभाग से भी बात की है. हम आपको आश्वासन देते हैं कि इसमें प्राथमिकता पर 5 एम.सी.एम पानी पारसडोह डेम से बैतूल शहर के लिये उपलब्ध कराया जायेगा ताकि जो जल की समस्या है वह खत्म हो. इसके आगे अगर और कोई बात है जिससे माननीय विधायक जी चिन्तित है, वह बतायें तो उनका भी निराकरण करवा देंगे.
श्री निलय विनोद डागा--अध्यक्ष महोदय, पारसडोह से 5 एम.सी.एम. पानी डब्ल्यू.आर.डी. डिपार्टमेंट देने की बात कर रहा है. पारसडोह जलाशय जो बना है उसकी केपेसिटी 72 एम.सी.एम है जिसमें 20400 हैक्टेयर को सिंचाई करने के लिये पानी की व्यवस्था की गई है. 1 एम.सी.एम. में 300 हैक्टेयर जमीन की सिंचाई की जा सकती है. माननीय मंत्री जी अगर 72 एम.सी.एम. का जलाशय है जिसमें से 68 एम.सी.एम.सिंचाई के लिये पानी चला जायेगा. 2 एम.सी.एम.डेड स्टॉक है 1 से डेढ़ एम.सी.एम.पानी वाष्पीकरण हो जायेगा. तो 5 एम.सी.एम का पानी वहां कैसे लायेंगे.
श्री जयवर्धन सिंह--अध्यक्ष महोदय, ऐसी कोई भी योजना में पहला अधिकार पेयजल योजना के लिये होता है. जैसा की माननीय विधायक जी ने कहा कि कुल क्षमता 72 एम.सी.एम की है, लेकिन उसमें से पहला अधिकार बैतूल शहर के लिये रखेंगे तथा उसकी हम डिमांड करेंगे उसकी बात भी हो गई है. सबसे पहले उस 72 एम.सी.एम. की क्षमता में से 5 एम.सी.एम.पानी बैतूल शहर को मिले. इसके बारे में इरिगेशन विभाग से बात हो चुकी है. जैसे कि सदन जानता है कि माननीय मुख्यमंत्री कमलनाथ जी की प्राथमिकता है कि जल का अधिकार प्रदेश के हर व्यक्ति को मिले, चाहे वह शहर का हो, या गांव का हो, इसके लिए माननीय मुख्यमंत्री जी लगातार बैठक ले रहे हैं, जिसमें नगरीय प्रशासन के साथ-साथ, ग्रामीण विकास विभाग, पीएचई एवं इरिगेशन भी शामिल है, तो मैं माननीय विधायक जी को आश्वासन देता हूं कि इनकी जो चिंता है वह संज्ञान में आ चुकी है, अगर विधायक जी चाहे तो विभाग के जो अधिकारी हैं, मैं उनको भी आदेश दूंगा कि वे बैतूल शहर में मौके पर जाकर पूरी कार्यवाही करेंगे और जो-जो समस्या है उसका हल हम निकालेंगे.
अध्यक्ष महोदय - धन्यवाद निलय जी.
श्री निलय विनोद डागा - अध्यक्ष जी, एक और सवाल रह गया है.
अध्यक्ष महोदय - नहीं-नहीं बिलकुल समय नहीं दूगा.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - अध्यक्ष जी, बैतूल से संबंधित.
अध्यक्ष महोदय - बैतूल से संबंधित नहीं, आपको मंदसौर से संबंधित करना हो तो करो.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - माननीय अध्यक्ष जी, कल एक महिला ने पानी को लेकर के आग लगा ली, उसको रेफर किया गया.
अध्यक्ष महोदय - सिसौदिया जी, अच्छी बात नहीं है, नया विधायक, मूल प्रश्नकर्ता प्रश्न नहीं नहीं कर पा रहा है. आप वरिष्ठ हो, विश्वास जी जरा बाजू में बैठकर इनकी सीट चैक करो(..हंसी)
श्री निलय विनोद डागा - यशपाल जी मैं विधायक हूं, मुझे बहुत चिन्ता है.
अध्यक्ष महोदय - प्रभु जी, मूल प्रश्नकर्ता को तो बोलने दीजिए. आप कैसे कर रहे हो.
श्री निलय विनोद डागा - माननीय अध्यक्ष जी, मैं मंत्री जी से एक और चीज पूछना चाहता हूं कि जो ताप्ती में बैराज बना है, जिससे पाइप लाइन आयी है, बैतूल शहर को पानी पिलाने के लिए क्या वह रोज दो घंटा पूरे बैतूल शहर को पानी पिलाने के लिए पर्याप्त है या नहीं?
श्री जयवर्द्धन सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रोजेक्ट इसी आधार पर बना था कि प्रतिदिन पानी की आपूर्ति पूरे शहर में हो पाएं. जैसे मैंने पहले भी कहा है अगर इसमें कुछ भी संदेह विधायक जी को है तो मैं पूरी टीम बैतूल भेजूंगा वह माननीय से चर्चा करें और उसमें जो भी इनकी समस्या है, उसका निराकरण करवाएंगे.
श्री निलय विनोद डागा - धन्यवाद मंत्री जी.
कृषि समृद्धि योजनांतर्गत पौध वितरण
[वन]
2. ( *क्र. 2718 ) श्री प्रेमसिंह पटेल : क्या वन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधान सभा क्षेत्र बड़वानी में वन विभाग के द्वारा वित्तीय वर्ष 2018-19 में कृषि समृद्धि योजना के तहत कितने किसानों को कब पौधे वितरित किये गए? ग्राम का नाम, पौधों की संख्या एवं कौन-कौन से पौधे वितरित किये गए हैं? जानकारी उपलब्ध करावेंl (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार वितरित किये गए पौधों को किसानों के द्वारा कहाँ-कहाँ लगाया गया है? इसका सत्यापन किसके द्वारा कब किया गया? दिनांकवार विवरण देवेंl (ग) वित्तीय वर्ष 2018-19 में कृषि समृद्धि योजना के क्रियान्वयन में कितना व्यय किया गया? वर्तमान में पौधों की अद्यतन स्थिति क्या है?
वन मंत्री ( श्री उमंग सिंघार ) : (क) जिला बड़वानी के विधान सभा क्षेत्र बड़वानी अन्तर्गत वित्तीय वर्ष 2018-19 में 1,962 किसानों को 1,61,130 पौधे वितरित किये गये हैं। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''1'' अनुसार है। (ख) किसानों को वितरित किये गये पौधे उनके द्वारा स्वयं के खेतों एवं मेढ़ों में लगाये गये। शेष जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''1'' अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''2'' अनुसार है।
श्री प्रेमसिंह पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय जी, पूर्व में विभाग द्वारा प्राप्त सूची अनुसार जिन किसानों के नाम है, उनके द्वारा बताया गया कि उन्हें कोई पौधे वन विभाग द्वारा नहीं दिए गए हैं. जानकारी सत्य है. सूची द्वारा शासकीय कर्मचारियों को भी पौधे वितरण किए गए हैं, जो गलत है. स्थल पर एक भी पौधा नहीं है, क्या जांच की जाकर दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही की जाएगी?
श्री उमंग सिंघार - अध्यक्ष महोदय, चूंकि कृषि समृद्धि योजना के तहत पौधारोपण है, इसमें केन्द्र सरकार का 100 प्रतिशत हिस्सा रहता है. यह योजना 2016 में बनाई गई थी और 2018 के बाद कैम्पा की नई गाईडलाइन आने के बाद यह योजना केन्द्र से बंद हो गई थी. रही बात जो सदस्य महोदय ने कही है, इस प्रकार की अगर वहां पर अनियमितता हुई किसानों की सूची के अलावा आपको लगता है इनको पौधे नहीं मिले हैं तो उसकी एक बार जांच करवा लेंगे.
श्री प्रेमसिंह पटेल - अध्यक्ष महोदय, ठीक है, जांच करवा लीजिए.
कोचिंग संचालित करने के मापदण्ड
[नगरीय विकास एवं आवास]
3. ( *क्र. 782 ) श्री आरिफ मसूद : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शासन द्वारा प्रतियोगी परीक्षा एवं उच्च शिक्षा कोचिंग संचालित करने के मापदण्ड निर्धारित किये गये हैं? (ख) यदि हाँ, तो राजधानी भोपाल एम.पी. नगर क्षेत्रान्तर्गत प्रतियोगी परीक्षा एवं उच्च शिक्षा हेतु कितनी निजी कोचिंग संचालित हैं? प्रत्येक कोचिंग का नाम, पता एवं ऑनर के नाम सहित जानकारी उपलब्ध करायें? (ग) प्रश्नांश (ख) के परिप्रेक्ष्य में प्रत्येक कोचिंग में कितने-कितने छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं? (घ) क्या कोचिंग की फीस शासन के निर्धारण के अनुरूप ही वसूली जा रही है? यदि नहीं, तो क्यों?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री जयवर्द्धन सिंह ) : (क) विभाग द्वारा प्रतियोगी परीक्षा एवं उच्च शिक्षा कोचिंग संचालित करने के संबंध में कोई मापदण्ड निर्धारित नहीं किए गए हैं। (ख) राजधानी भोपाल एम.पी. नगर क्षेत्रांतर्गत जोन क्रमांक 9 के अंतर्गत वार्ड क्रमांक 43 में 26 एवं वार्ड क्रमांक 45 में 36 कोचिंग संचालित हैं। शेष के संबंध में जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (घ) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। परिशिष्ट -''दो''
श्री आरिफ मसूद - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न जो कोचिंग सेन्टर है, उसको लेकर के है और एक महत्वपूर्ण विषय पर है. क्योंकि शिक्षा को आगे बढ़ाने की बात हमेशा हम लोग करते हैं. मैं चाहता हूं कि पूर्व में भी इस तरह की कुछ व्यवस्था आयी है, लेकिन शायद वह सही नहीं है, जो स्कूल और कॉलेज चलाते हैं उसका क्या मापदंड है, कितनी संख्या में बच्चे बैठेंगे उस कमरे में.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न कर लीजिए, एक मिनट बचा है.
श्री आरिफ मसूद - अध्यक्ष महोदय, इसीलिए मैंने कहा कम समय में माननीय मंत्री जी इसका जवाब दे दें.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न कर लीजिए, समय क्यों जाया कर रहे है.
श्री आरिफ मसूद - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं व्यवस्था चाहता हूं, क्या इसके लिए नियम बनाया जाएगा, क्या फीस निर्धारण और मापदंड बनाने के लिए मैं चाहता हूं कि माननीय मंत्री जी अपना उत्तर दें और इस मामले में आपसे व्यवस्था चाहता हूं.
श्री जयवर्द्धन सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, जहां तक सवाल पॉलिसी का है और फीस नियंत्रण का है क्योंकि यह सब यह पूरा विषय मेरे विभाग में नहीं आता है, वह आयेगा शिक्षा विभाग में लेकिन अगर आप अनुमति दें और भविष्य में जब भी माननीय विधायक जी चाहे हम एक संयुक्त बैठक कर सकते हैं.
अध्यक्ष महोदय - आप दोनों मंत्री बैठकर और माननीय विधायक जी आप बैठ कर चर्चा कर लें.
श्री जयवर्द्धन सिंह - लेकिन जहां तक, हम इसमें आपको कुछ भी सहयोग कर सकते हैं तो माननीय अध्यक्ष महोदय, हम एक फायर सेफ्टी पॉलिसी जरूरी बनवा रहे हैं क्योंकि सिर्फ दो वार्डों में अकेले लगभग 1200 कोचिंग सेन्टर्स हैं.
श्री आरिफ मसूद - अध्यक्ष जी, इस पर सिर्फ इतना करा दें कि एक कमेटी गठित हो जाए.
अध्यक्ष महोदय - मैंने पहले ही बोल दिया है. दोनों मंत्रियों के साथ आप बैठ जाएं.
(प्रश्नकाल समाप्त)
12.00 बजे शून्यकाल में मौखिक उल्लेख एवं अध्यक्षीय व्यवस्था
डॉ. नरोत्तम मिश्र (दतिया) - अध्यक्ष महोदय, वित्त मंत्री जी बैठे हुए हैं, बजट पर चर्चा चल रही है. एक छोटा सा प्वाईंट ऑफ ऑर्डर आपसे यह है कि पिछले 17 दिन से मध्यप्रदेश में आर्थिक आपातकाल लगा हुआ है. एक भी पैसे का भी भुगतान वर्क्स डिपार्टमेंट के अन्दर नहीं हो रहा है. पूरे प्रदेश के अन्दर, एक पैसे का भुगतान नहीं हो रहा है.
अध्यक्ष महोदय - यह प्वाईंट ऑफ ऑर्डर कहां से हो गया ?
डॉ. नरोत्तम मिश्र - यह इसीलिए है, अध्यक्ष जी. प्रदेश में आर्थिक संकट है, प्रदेश में ऊहा-पोह की स्थिति है.
अध्यक्ष महोदय - यह प्वाईंट ऑफ ऑर्डर नहीं हुआ, आप शून्यकाल में उठा लें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - यह शून्यकाल ही तो है.
अध्यक्ष महोदय - हां तो यह प्वाईंट ऑफ ऑर्डर नहीं होगा. शून्यकाल में प्वाईंट ऑफ ऑर्डर नहीं होता, माननीय पूर्व संसदीय मंत्री जी.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, तो कब होता है ? शून्यकाल में ही होता है.
अध्यक्ष महोदय - नहीं, विषय-वस्तु जब होती है तब होता है.
लोक निर्माण मंत्री (श्री सज्जन सिंह वर्मा) - जब विषय चलता है, उस पर कोई बात आ जाये तो प्वाईंट ऑफ ऑर्डर उस समय उठता है.
अध्यक्ष महोदय - जब वित्त की सामान्य चर्चा चल रही है तब आपने क्यों नहीं कहा ?
डॉ. नरोत्तम मिश्र - आप शून्यकाल में मान लें, अध्यक्ष जी.
अध्यक्ष महोदय - ठीक है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा यह कहना है कि प्रदेश में आर्थिक आपातकाल आ गया है, सारे के सारे वर्क्स डिपार्टमेंट में भुगतान रुका हुआ है. यह बरसात का समय है, सारे अधूरे काम पड़े हुए हैं.
अध्यक्ष महोदय - आपका ध्यानाकर्षण आने वाला है.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) - अध्यक्ष जी, एक मिनट सुन लें. हमारे धर्म और संस्कृति पर बहुत बड़ा प्रश्नचिह्न खड़ा हो गया है. पिछले दिनों मैंने जो अखबार में देखा. श्रीलंका में सीताजी का मन्दिर बनाने के बारे में निर्णय हुआ था, एक करोड़ रुपये की राशि भी उस मद में दे दी गई थी. अब प्रश्न यह उठाया जा रहा है कि रामजी थे कि नहीं थे, सीताजी थीं कि नहीं थीं, सीताजी अशोक वाटिका में रहीं कि नहीं रहीं.
अध्यक्ष महोदय - तीनों थे.
श्री गोपाल भार्गव - तीनों थे. अध्यक्ष महोदय, लेकिन अब जो जानकारी है कि यहां से एक जांच दल जाएगा, जो मालूम करेगा कि सीताजी थीं कि नहीं थीं और अशोक वाटिका में किस स्थान पर रहीं ?
अध्यक्ष महोदय - गोपाल जी, यह बात किसने कही ?
श्री गोपाल भार्गव - शासन की तरफ से आई.
श्री गोपाल भार्गव - पी.सी. शर्मा जी.
अध्यक्ष महोदय - शर्मा जी, इसमें प्रश्नोत्तर नहीं है. मैं तो सिर्फ यह कह रहा हूँ, गोपाल जी.
श्री गोपाल भार्गव - मुझसे कई लोगों ने कहा, गुरुजी ने भी कहा कि इस प्रकार की बातें क्यों हो रही हैं ?
अध्यक्ष महोदय - मंत्री और आप दोनों आपस में चर्चा कर लें.
श्री गोपाल भार्गव - कर लेंगे, अध्यक्ष जी.
धार्मिक न्यास और धर्मस्व मंत्री (श्री पी.सी.शर्मा) - अध्यक्ष महोदय, यह बात बिल्कुल गलत है. यह बात नहीं आई है. मीडिया में जब यह पूछा, यह असत्य है कि एक करोड़ रुपया दे दिया गया. यह बिल्कुल असत्य है. मैंने यह कहा था और उसमें अगर चर्चा होगी तो चर्चा का जवाब हम दे देंगे लेकिन यह बात कहीं नहीं कही गई है. हम तो बोलते हैं, जय सियाराम और आप बोलते हैं, जय जय श्रीराम, वहीं फर्क है. सवाल इस बात का नहीं है. सीताजी का मंदिर वहां बने और इसमें कोई दो राय नहीं है कि यह बने. यह सब शून्यकाल में उठाया गया है तो सब शून्य है.
श्री गोपाल भार्गव - आप बता दें कि आपको अशोक वाटिका मिली कि नहीं. आपने अशोक वाटिका का स्थान चिन्ह्ति कर लिया कि नहीं किया (...व्यवधान...)
12.03 बजे नियम 267-क के अधीन विषय
श्री शैलेन्द्र जैन - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे विधानसभा क्षेत्र में बहुत समय से आन्दोलन चल रहा है. मैं चाहता हूँ कि आप मेरी बात को शून्यकाल में सुनें.
अध्यक्ष महोदय - अब इनका नहीं लिखा जायेगा. जो मैं बोल रहा हूँ, वह लिखा जायेगा.
श्री शैलेन्द्र जैन - (XXX)
12.05 बजे
पत्रों का पटल पर रखा जाना.
(1) (ख) मध्यप्रदेश स्टेट इंडस्ट्रियल डेव्हलपमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड का 49 वां वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखा वर्ष 2014-2015.
(2) अधिसूचना क्रमांक एफ-बी-04-05-2018.2-पांच(08), दिनांक 28 जून, 2019.
(3) जिला खनिज प्रतिष्ठान सीधी, कटनी एवं छतरपुर के वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017- 2018.
(4) मध्यप्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, जबलपुर का 16 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017-2018 .
श्री भूपेन्द्र सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपको धन्यवाद देता हूं. हमारे माननीय विधायक श्री शैलेन्द्र जैन जी ने एक विषय की ओर आपका ध्यान आकर्षित किया है, मेरा आग्रह है कि उस पर स्थगन भी है.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय सदस्य मैंने सुन लिया है. मैं किसी न किसी रूप में उस विषय को ले लूंगा.मेरे पास आपके साथ यह भी आये थे, तब मैंने कहा था कि इस विषय को मैं किसी रूप में ले लूंगा. कभी-कभी यहां पर बोलने की जरूरत नहीं, जब हम तुम एक कमरे में बंद हों और चाबी खो जाये, उसको यहां पर नहीं बोला जाता है...(हंसी)
श्री भूपेन्द्र सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपकी व्यवस्था आ गई इसके लिये बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री शैलेन्द्र जैन -- अध्यक्ष महोदय बहुत-बहुत धन्यवाद .
श्री अजय विश्नोई -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके साथ होता यह है कि हम तुम जब एक कमरे में बंद हों तो चाबी मिल जाये...(हंसी)
अध्यक्ष महोदय -- यह आप नरोत्तम मिश्रा जी से पूछ सकते हैं. ..(हंसी)..धन्यवाद, अब आगे बढ़ते हैं.
श्री हरिशंकर खटीक -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने तीन ध्यान आकर्षण लगाये हैं.
अध्यक्ष महोदय -- श्री गोपाल भार्गव जी का ध्यान आकर्षण हैं. आपको भी सुन लेंगे, आपके ध्यानाकर्षण पर भी विचार कर लेंगे.
12.07बजे ध्यान आकर्षण
अगर सहयोग यथोचित लगा तो, मैं चार के स्थान पर छ: ध्यानाकर्षण भी ले सकता हूं. यह आपके ऊपर निर्भर करता है कि आपकी कुशलता कैसे आगे बढ़ती है, उस ओर मुझे आगे बढ़ायेगी, ऐसा मेरा मानना है. मैं समझता हूं कि सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई)
(1) सागर जिले के ग्राम परासिया निवासी कृषक द्वारा आत्महत्या किया जाना
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव ) -- माननीय अध्यक्ष महोदय परंपरा का और अधिक पुष्टिकरण करते हुये, आपने दो की जगह चार ध्यानाकर्षण लेना प्रतिदिन स्वीकार किया है और आपने अभी छ: ध्यानाकर्षण लेने का भी कहा है. मैं मानकर चलता हूं कि यह आपका बड़प्पन है क्योंकि हमारे जो सदस्य हैं, उनके क्षेत्र की समस्याएं हैं, उनको निवारण करने में आपकी यह व्यवस्था बहुत ज्यादा सहायक होगी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इस गंभीर विषय पर सदन की कार्यवाही रोककर चर्चा कराई जाये ताकि प्रदेश में आगे ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो सके.
गृह मंत्री (श्री बाला बच्चन)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष जी, हम सभी लोग जानते हैं कि भारत एक कृषि प्रधान देश है और किसान को सबसे अधिक प्रेम अगर किसी चीज से होता है और उसकी आवश्यकता जमीन है. एक लघु कृषक है जिसके पास पूरे 32 लोगों का परिवार है और 8 एकड़ जमीन है. उसकी लोगों ने चालाकी करके 2 एकड़ जमीन लिखा ली. इससे बड़ा साक्ष्य और क्या हो सकता है. मेरे पास पेन ड्राईव है. (पेन ड्राईव दिखाई गई) आप चाहें अपने कक्ष में, मंत्री जी चाहें अपने कक्ष में, डी.जी.पी. चाहें, सी.एम. साहब चाहें, अपने कक्ष में देख सकते हैं.स्पष्ट रूप से उसका स्टेटमेंट है कि यदि मुझे न्याय नहीं मिला तो मैं सुसाईड कर लूंगा. यह उसने पेन ड्राईव में स्पष्ट रूप से कहा है. लिखित में भी कहा है. सुसाईड नोट में भी कहा है. शायद यह पहली घटना होगी कि इतनी प्रशासनिक लापरवाही के कारण एक किसान को आत्महत्या को विवश होना पड़ा. जब यह घटना हुई तो उसके शव को, जब मामले में कोई कार्यवाही नहीं हुई, कायमी नहीं हुई उसका लड़का गया थाने में रिपोर्ट लिखाने, तो उसको भगा दिया गया. उससे कहा गया कि ऐसे तो मरते ही रहते हैं. तो उन लोगों ने लाश को सड़क पर लाकर रख दिया. 5 कि.मी. से ज्यादा इस तरफ लाईन, 5 कि.मी. से ज्यादा उस तरफ लाईन बसों, ट्रकों की लगी रही, स्टेट हाईवे पर. मुझे सूचना मिली सुबह-सुबह कि ऐसा हो गया. मैं वहां पर गया तो मैंने देखा वहां चूंकि बच्चे रो रहे थे, महिलाओं को पानी की दिक्कत, दूध की दिक्कत, सारी समस्याएं. लोगों ने मुझसे कहा कि अन्याय हो रहा है तो मैंने उनसे कहा कि आप जाम खोलें मैं आपको न्याय दिलाऊंगा. मैंने पुलिस के कर्मचारियों से भी कहा कि आप स्पष्ट मामले की कायमी करें.प्रथम दृष्टया साक्ष्य हैं, प्रमाणित साक्ष्य हैं. सारी बातें हैं. तो इस कारण से आप मामले को दर्ज करें. उसकी भी वीडियो रिकार्डिंग है, जो पुलिस के अधिकारियों, कर्मचारियों ने कहा. उन्होंने कहा कि हम एक सप्ताह के अंदर मामले की कार्यवाही करके गिरफ्तारी करेंगे. मैं इतना ही कहना चाहता हूं कि हम जैसे लोग जो आश्वासन दे चुके. इसके बाद भी इस घटना के बाद आज की तारीख तक, यह घटना 27.6.19 की है. लगभग एक महीना होने को आ रहा है तो हम लोगों की प्रामाणिकता भी खत्म होती है. इस प्रकार की घटनाएं प्रदेश में घटित न हों. मंत्री जी पेन ड्राईव देख लें, शायद ही ऐसा कोई वाकया, उदाहरण हो, जिसमें आदमी अपने सुसाईड नोट, अपने डाईंग स्टेटमेंट को वीडियो पर रिकार्डिंग करके, सुसाईड नोट देकर, उसके बाद सुसाईड कर ले, यह हमारे लिये बड़ी अमानवीय बात है. उस परिवार को न्याय मिलना चाहिये. आरोपी गिरफ्तार होने चाहिये. जो 3 आरोपी बनाये गये उनके अतिरिक्त इसमें जिन भी व्यक्तियों के बारे में उसने कहा कि ये सारे लोग इसमें जुड़े हुए हैं तो उनकी भी गिरफ्तारी जांच के उपरांत हो, लेकिन जो 3 आरोपी जो नामजद हुए हैं उनकी गिरफ्तारी 3 दिन में हो, जिससे उस परिवार को न्याय मिलेगा. उनको तसल्ली मिलेगी. अन्यथा इस प्रकार के प्रमाणिक तथ्य होने के बावजूद यदि ढिलाई चलती रहेगी तो हमारी कानून-व्यवस्था के सामने प्रश्न चिह्न लग सकता है.
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, ढिलाई बिल्कुल भी नहीं, किसी भी अपराध में, किसी भी मामले में नहीं बरती जाएगी. कानून अपना काम करेगा, जो भी कानून को हाथ में लेने का काम करेगा, कानून उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही करेगा, कानून से बड़ा और कानून से ऊपर कोई भी नहीं है.
अध्यक्ष महोदय, यह जो सोसाइड नोट मिला है, हम इसकी हैंड राइटिंग एक्सपर्ट से जांच करा रहे हैं और कहीं पर भी यह नहीं कहा गया है कि मैं इस कारण से आत्म हत्या कर रहा हूं. जो आत्महत्या के 6 महीने पहले लोकसभा के चुनाव थे , उसके पहले कहीं किसी टीवी चैनल पर यह बोला गया था और उसकी सीडी जो सामने आई हैं, तो हम यह भी नहीं चाहेंगे कि निर्दोष व्यक्ति को सजा मिल जाए, उनके खिलाफ कार्यवाही हो जाय और वह जेल में चले जायं. हम पूरी तरह से जो सोसाइड नोट है उसको जांच करा लेते हैं वह हमारे पास विवेचना में है और जांच के बाद हम आगे कार्यवाही करेंगे. अगर इसमें यह आरोप सिद्ध होता है तो हम उनको तत्काल गिरफ्तार करेंगे, जेल में पहुंचाएंगे और उसके बाद और भी कोई जुड़े हैं तो हम उनके खिलाफ भी कार्यवाही करेंगे.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, मैंने वहां पर लोगों को आश्वासन दिया था, वहां पर जाम खुलवाया था. मैं इतना ही कहना चाहता हूं कि मंत्री जी इसको प्रतिष्ठा का प्रश्न न बनाएं. यह जो मैं कह रहा हूं इसको आप देख लें. आप देख लें, आपके अधिकारी देख लें. सोसाइड नोट की जब तक जांच होती रहेगी, मैं नहीं कह सकता कि यह कब तक होगी, क्या होगी, कितनी प्रामाणिक होगी? लेकिन यह जो है इसके बारे में यह कहना चाहता हूं कि कोई भी अधिकारी, आप इसके लिए झुठला नहीं सकते, यह सामने पूरा का पूरा उसने बयान देकर उसके बाद में यह घटनाक्रम हुआ है. मैं इतना ही कहना चाहता हूं और उसको मैं पढ़कर सुनाता हूं. उसकी बात को हार्डकापी में लिखवाया है - "परासिया में हमारे जमीन है पत्नी के नाम, पत्नी खत्म हो गई है, हमारे 3 बच्चे और 1 बच्ची है. फलां फलां आरोपियों के नाम जो लिखे हैं बच्ची को फुसलाकर फलां फलां लोगों के नाम जमीन कर ली है. हमें अपनी जमीन वापस चाहने, जो बुन्देलखण्डी में है हमारे, अगर ऐसा नहीं हुआ तो हम आत्महत्या करेंगे. एको जवाबदार फलां फलां आरोपी हैं वह होंगे. अब हम कहां जायं, का करें, कमलेश साहू वकीलों के अध्यक्ष है, हमें केस हरा दिया तो गुंडा लोग हैं, पैसे के दम पर झूठे गवाह किये हैं, जैसे भी किये हों पैसे के दम पर करे हैं." अध्यक्ष महोदय. यह उसका सार है
मैं माननीय मंत्री महोदय से जानना चाहता हूं कि हम लोग यहां पर क्यों बैठे हैं? अध्यक्ष महोदय, यदि हम इसको न्याय नहीं दिला पाए तो वह जो प्रेमचंद की कहानी थी जो दो बीघा जमीन की थी, इसी प्रकार का घटनाक्रम घटित होता रहेगा और ऐसे सीधे-सादे किसान, ऐसे चालाक और भू-माफिया के चंगुल में फंसते जाएंगे और सोसाइड करते जाएंगे.
माननीय मंत्री महोदय आपसे आग्रह करना चाहता हूं आप उस परिवार के प्रति सहृदयता का परिचय दें. 32 लोग उस परिवार में हैं. यह जमीन भी उन लोगों ने ले ली बाकी जमीन भी वह लोग हड़प रहे हैं. आजू-बाजू में पूरा भू-माफिया काम कर रहा है, जिसने कम से कम 50 लोगों की जमीनों पर कब्जा करके रखा हुआ है. यदि हम लोग यहां पर इस बात को नहीं उठाएंगे तो अध्यक्ष महोदय, धीरे-धीरे यह पूरी व्यवस्था ही भंग हो जाएगी. इस कारण से मैं आपसे विनम्र निवेदन करना चाहता हूं कि जल्दी से जल्दी गिरफ्तारी करवाएं.
अध्यक्ष महोदय - यह जो पेन ड्राइव बता रहे हैं, आपके पुलिस विभाग में इन चीजों को चैक करने के लिए कोई इसका कोई सेल है? वह कौन-सा है?
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, माननीय नेता प्रतिपक्ष जी के पास इससे संबंधित कोई भी अगर साक्ष्य है..
अध्यक्ष महोदय - नहीं, मैं पूछ रहा हूं कि आपके यहां पर यह सेल कौन-सा है?
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, हमारे यहां पर सेल है. आप उसको उपलब्ध करा दें.
अध्यक्ष महोदय - वह सेल के मुखिया, आप और नेता प्रतिपक्ष, आप तीनों बैठकर पेन ड्राइव देखिएगा, जो साक्ष्य आते हैं तद्नुसार कार्यवाही करिएगा.
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, आपके आदेश का पालन किया जाएगा.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, प्राइमाफेसी में जो लोग आरोपी बने..
अध्यक्ष महोदय - आप पेन ड्राइव लेकर कल ही बैठ जाइए.
श्री गोपाल भार्गव - ठीक है, आज बैठ जाते हैं.
अध्यक्ष महोदय - ताकि तत्काल बात हो, गिरफ्तारी की बात हो. सब कुछ हो.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, जो प्रथम दृष्टया जो आरोपी हैं..
अध्यक्ष महोदय - अरे, कल ही प्रथम दृष्टया हो जाएगा.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, ठीक है.
अध्यक्ष महोदय - अब विश्वास जी कुछ बचा है क्या? कौन-सा विश्वास बचा है?
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, यदि हो जाएगा तो फिर आप कितने दिन में गिरफ्तार करवाएंगे?
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, तत्काल.
श्री गोपाल भार्गव - आपका धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय -- ऐसी ड्रेस पहनकर नहीं आया करें, हमें जलन होती है.
श्री विश्वास सारंग -- आप जो सिलवाकर दे रहे हैं वही पहन रहे हैं . अध्यक्ष महोदय माननीय गृह मंत्री जी ने अपने जवाब में जो बात बोली है कि हम जांच करवा रहे हैं और सोसाइड नोट की हम हैण्ड राइटिंग एक्सपर्ट से जांच करवा रहे हैं. इस पूरे प्रकरण में दो तरह के साक्ष्य हैं. एक तो उसका सोसाइड नोट है दूसरा उसकी पेन ड्राइव में वीडियो रिकार्डिंग भी है, हो सकता है कि वह किसी चैनल की हो, पर है तो, यह बात आप भी संज्ञान में ले रहे हैं. उसके बाद में जांच कराने की क्या जरूरत है. यदि पुलिस और सरकार इस मामले को गंभीरता से लेती तो सबसे पहले उनकी गिरफ्तारी होना चाहिए थी. जब तक गिरफ्तारी नहीं होगी तब तक जांच का कोई औचित्य नहीं निकलेगा. मेरा यह निवेदन है कि यह जांच, माननीय नेता प्रतिपक्ष जी के साथ में बैठकर होगी, सब होगा, उससे पहले निश्चित रूप से गिरफ्तारी होना चाहिए. मेरी बात से शायद नेता प्रतिपक्ष जी भी सहमत होंगे.
श्री गोपाल भार्गव-- मैं यह बात माननीय मंत्री जी के विवेक पर, उनकी आत्मा की आवाज अगर बोल रही हो, वास्तव में यह बहुत गरीब किसान है उसके परिवार में 32 लोग है उसकी भूमि हड़प ली गई है. यदि आपकी आत्मा कह रही हो कि यह गलत हुआ है तो आप तत्काल उनकी गिरफ्तारी करवायें, तब ही हम लोगों का यहां पर बैठने का, प्रश्नोत्तर करने का, ध्यानाकर्षण लगाने का कोई महत्व है, नहीं तो ऐसा फिर चलता ही रहेगा.
अध्यक्ष महोदय -- पूरी विषय वस्तु आ गई. उसका निचोड़ मैंने दे दिया है. मैने व्यवस्था दे दी है. मैं बहुत कम व्यवस्थाएं देता हूं. मेरा कहना है कि कल यह कर लीजिए आप, कल यह सब देख लीजिए, इनकी जो स्पेशल टीम है.
श्री गोपाल भार्गव -- मैं यह चाहूंगा. आपसे निवेदन करूंगा कि कल फिर से आपकी अनुमति हो कि मै इस मुद्दे को उठा पाऊं मै रात तक इसकी रिपोर्ट ले लूंगा,
अध्यक्ष महोदय -- जब उसमें तीया पांचा हो ही जायेगा.
श्री विश्वास सारंग -- अध्यक्ष महोदय मेरा मंत्री जी से कहना है कि केवल 8 एकड़ जमीन थी जिसमें से दो एकड़ चली गई है और 32 लोगों का परिवार है, मुखिया की मृत्यु हो गई है तो क्या किसी मुआवजे की घोषणा यहां सदन में करेंगे.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय आपने घोषणा कर दी है. मैं समझता हूं कि हमारी सहानुभूति, और हमारी जो कमलनाथ जी की सरकार उस परिवार के साथ में है, यथासंभव जो हो सकता है, माननीय आसंदी से व्यवस्था आयी है कल देख लेने दीजीए उसके बाद में जो भी मदद हो सकती है वह करेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- धैर्य पूर्वक मैंने पूरा समय दिया है.
श्री गोपाल भार्गव -- सहृदयता का परिचय देते हुए सरकार करे.
अध्यक्ष महोदय -- जो आप चाह रहे हैं, कल आप देख लीजिए, उसके बाद में वह भी होगा.
खरगोन जिले में पॉली हाऊस निर्माण में अनियमितता किये जाने से उत्पन्न स्थिति
श्रीमती झूमा सोलंकी ( भीकनगांव )-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
कृषि तथा उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण मंत्री ( श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव )-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्रीमती झूमा सोलंकी -- अध्यक्ष महोदय, खरगोन जिले में जितने भी पॉली हाउस के निर्माण हुए हैं, करीब लागत उसकी 38 से 40 लाख रुपये है. इसमें 50 प्रतिशत की सबसिडी है. मेरे विधान सभा क्षेत्र की ही बात करें, तो पिछले वर्ष 2017-18 में पॉली हाउस बोरुठ ग्राम में बनाया गया और अभी फिलहाल उस स्थान पर वह पॉली हाउस नहीं है. 3 साल की बात मंत्री जी कह रहे हैं कि 3 साल तक की मियाद तक वह चलता है, किन्तु वर्ष 2017-18 में उसका निर्माण हुआ और आज वह हट गया है, इससे तो सीधा जाहिर होता है कि अधिकारी, बैंकर्स एवं एजेंट सीधा हमारे कृषकों को फायदा नहीं पहुंचाते हैं और उनको फायदा मिल रहा है. तो ऐसी योजना किस काम की है. अनियमितताएं तो हो रही हैं. मंत्री जी, मेरा निवेदन है कि आप इसकी जांच करायें.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव -- अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्या को यह आश्वस्त करना चाहता हूं कि अगर आपके पास किसी प्रकार की ऐसी कोई अनियमितता की जानकारी है, तो आप मुझे दे दीजिये, हम उसका परीक्षण कराकर के उसके ऊपर उचित कार्यवाही करने का काम करेंगे.
श्रीमती झूमा सोलंकी -- अध्यक्ष महोदय, ठीक है. माननीय मंत्री जी को धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय -- चलिये धन्यवाद. मैं यह माननीय मंत्रीगण, जो आश्वस्त या आश्वासन देते हैं, अपने संबंधित अधिकारी जो आपके दीर्घा में बैठते हैं, इसकी जानकारी आश्वासन पूरा होने की एक महीने के अंदर यहां आ जाना चाहिये, कुछ विशेष प्रकरणों को छोड़कर, इस बात को ध्यान में रखते हुए आश्वासन दें.
12.33 बजे (3) कटनी जिले के सिंचाई जलाशयों एवं नहरों की स्थिति जर्जर होना.
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक (विजयराघवगढ़) -- अध्यक्ष महोदय,
जल संसाधन मंत्री (श्री हुकुम सिंह कराड़ा) -- अध्यक्ष महोदय,
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक -- अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी के जवाब से संतुष्ट नहीं हूं और संभवतः विभाग द्वारा मंत्री जी को गलत जानकारी दी गई है. किसी प्रकार का कोई रख-रखाव कई वर्षों से किसी पुरानी नहरों में नहीं किया गया है, न ही पुराने जलाशयों में किया गया है. अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे आग्रह है. आपने तो सभी की एक से एक व्यवस्थाएं कराई हैं. मैं अभी भी देख रहा था कि लगातार आपकी व्यवस्थाएं आसंदी से आ रही थीं. मेरा आपसे एक आग्रह है और माननीय मंत्री जी से भी आग्रह है तथा एक सुझाव भी है, सुझाव पहला मैं इनको यह देना चाहता हूँ कि आपने कल अपने भाषण में बोला था कि 1 लाख 35 हजार करोड़ रुपये के नए जलाशयों और डैम्स के निर्माण के कार्य आपने प्रारंभ किए हुए हैं, जो चल रहे हैं. मैं आपसे यह आग्रह करना चाहता हूँ कि 1 लाख 35 हजार करोड़ रुपये नई परियोजनाओं पर खर्च कर रहे हैं, यह आपके अपने जवाब में भी है और हमारी चर्चा अनुसार भी, कई ऐसे जलाशय हैं जो 50 साल, 60 साल पुराने हैं, ब्रिटिशर्स के जमाने के भी हैं. अगर अभी उनका ठीक से मेंटेनेंस कर दिया जाए, उनका गहरीकरण करा दिया जाए, उनका जीर्णोद्धार करा दिया जाए और जो टूटी-फूटी नहरें हैं, इनका अगर सुधार कार्य करा दिया जाए, इन कार्यों के लिए अगर 1 लाख 35 हजार करोड़ रुपये का 0.01 प्रतिशत भी बजट हमारे क्षेत्र में देते हैं, 13 करोड़, तो इतने में ही हमारी विधान सभा का पूरा भला हो जाएगा और 9 के 9 जो पुराने जलाशय हैं, इनका भी जीर्णोद्धार हो जाएगा. साथ ही साथ करीब-करीब साढ़े 3-4 हजार हेक्टेयर जमीन भी सिंचित हो जाएगी. अत: मेरा आपसे आग्रह है कि आगामी खरीफ की फसल को देखते हुए इनमें तत्काल नहरों का सुधार कार्य कर दिया जाए और गहरीकरण के कार्य के लिए आपकी तरफ से आश्वासन भी आ जाए.
श्री हुकुम सिंह कराड़ा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, ये रख-रखाव की जो व्यवस्था है, ये तो हम प्रतिवर्ष करते ही हैं और नहर की संस्थाओं के माध्यम से 120 रुपये प्रति हेक्टेयर मरम्मत के लिए दिए जाते हैं. यह हम लोग करते हैं, पर अध्यक्ष महोदय, दिक्कत यह है कि ये तालाब इतने वर्ष पुराने हैं कि इनमें थोड़ा-बहुत पानी का क्षरण होना आवश्यक हुआ है. घंसूर जलाशय 33 वर्ष पुराना है, गुड़ेहा-पिपरिया जलाशय वर्ष 2012 में जरूर नया बना है, इंदौर-देवरी जलाशय 35 वर्ष पुराना है, खितौला जलाशय 111 वर्ष पुराना है. इसी तरह से पथरेहटा जलाशय 101 वर्ष पुराना है, मोहास जलाशय 53 वर्ष पुराना है, संकरी-रजवारा जलाशय 44 वर्ष पुराना है. सबसे पुराना सिजैनी जलाशय है जो 102 वर्ष पुराना है. हम प्रयास करेंगे इसमें कि संस्थाओं के माध्यम से इस वर्ष की जो रबी और खरीफ की फसल है, खासकर खरीफ की फसल कटनी क्षेत्र में ज्यादा है, इसलिए इसको तो हम जैसे-तैसे व्यवस्थित करा देंगे और इसके लिए आगे हम लोग और कार्यवाही करेंगे और जो एक जलाशय में सीपेज बेसिन हो रहा है, इसके लिए हम लोगों को थोड़ा समय चाहिए क्योंकि एस्टीमेट की आवश्यकता होगी और तमाम कार्य करने पड़ेंगे. माननीय अध्यक्ष महोदय, यह हम लोग कराएंगे अभी.
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं फिर आपसे आग्रह कर रहा हूँ कि माननीय मंत्री जी को भ्रमित किया गया है. अगर रख-रखाव किया गया था तो कुछ न कुछ राशि तो खर्च की गई होगी, कृपया राशि बताने का कष्ट करें कि कितनी राशि पिछले वर्षों में नहरों के रख-रखाव या जलाशयों के जीर्णोद्धार में खर्च की गई है ? अगर आपके पास पूरे तथ्य नहीं हैं तो मैं माननीय अध्यक्ष महोदय से आग्रह करूंगा कि एक समिति का गठन कर दें जो जाकर जांच कर ले.
श्री हुकुम सिंह कराड़ा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे पास सारे आंकड़े हैं और न ही मुझे भ्रमित किया गया है. हमारी संस्थाओं के माध्यम से घंसूर जलाशय में 20,520 रुपये खर्च किए गए हैं. गुड़ेहा-पिपरिया जलाशय में 17,040 रुपये संस्था को प्रदान किए गए हैं. इंदौर-देवरी जलाशय में 21,440 रुपये, जगुआ जलाशय में 1,21,800 रुपये, खितौला जलाशय में 2,02,800 रुपये, पथरेहटा जलाशय में 55,090 रुपये, मोहास जलाशय में 3,040 रुपये, संकरी-रजवारा जलाशय में 45,960 रुपये और सिजैनी जलाशय में 20,160 रुपये रख-रखाव के लिए संस्थाओं को पिछले समय दिया गया है.
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जिन जलाशयों की क्षमता 200-400 हेक्टेयर सिंचने की है, वहां पर 20 हजार, 3 हजार, 17 हजार रुपये में जलाशयों की मरम्मत और नहरों की मरम्मत हो जाएगी ? अध्यक्ष महोदय, जो समितियां हैं और जो उनके कर्मचारी हैं, ये सब उनकी तनख्वाहों पर खर्च हुआ पैसा है. आप तो 1 लाख 35 हजार करोड़ रुपये की नई परियोजनाएं ले रहे हैं. मैं तो पूरे प्रदेश के लिये आपसे आग्रह करना चाहता हूं कि 10 परसेंट राशि पुराने जलाशयों के जीर्णोद्धार के लिये खर्च करेंगे, तो पूरे प्रदेश का भला हो जायेगा. आप नई-नई परियोजनाओं में हमको एक भी नहीं दे रहे हैं, तो मेरा आपसे यह आग्रह है कि कम से कम ये जो आपने आंकड़े दिये हैं, 20 हजार, 17 हजार, 18 हजार, 34 हजार, माननीय मंत्री जी, आप स्वयं मुस्कुरा रहे हैं, तो मेरा आपसे आग्रह है कि जो आावश्यक है, वह कार्य वहां पर तत्काल हो जाए.
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी, तालाब या नहर से जमीन की सिंचाई की जितनी क्षमता होती है, तद्नुसार आप समितियों को राशि उपलब्ध कराते हैं. यह राशि उपलब्ध कराने का जहां तक मुझे जानकारी है, मापदण्ड 20 साल, 25 साल पुराना है. वर्तमान समय में यह राशि बढ़ाने के लिये मापदण्ड बदलने होंगे. क्या आप मापदण्ड बदलने में भी कार्यवाही कर लेंगे ? और जो जितना पुराना है, उसको उतनी ज्यादा राशि मिलनी चाहिये. 70 साल, 80 साल वाले को ज्यादा दवाई लगती है, 45 साल वाले को कम लगती है. अगर इस तरीके से आप इसे उत्तरोत्तर नया स्वरूप देने का कष्ट करेंगे, तो केवल यहां नहीं, सभी जगह, पूरे मध्यप्रदेश में जो तालाब हैं, अगर उनकी नई नीति बना देंगे, तो उनको राशि भी ज्यादा मिलेगी, समिति को राशि ज्यादा मिलेगी. वह राशि सिर्फ अपनी स्वयं की तनख्वाह में उपयोग नहीं करेंगे, ऐसा मैं सोचता हूं. इस पर कृपया ध्यान दे दीजियेगा.
श्री सोहनलाल बाल्मीक - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह कह रहा था कि यह जो राशि मिली है वह किस वर्ष में मिली है ? वह भी बता दें.
अध्यक्ष महोदय - मैंने स्पष्ट कर दिया है कि यह ध्यानाकर्षण इसलिये ही लिये हैं कि बीच में कोई नहीं पूछेगा
श्री हुकुम सिंह कराड़ा - माननीय अध्यक्ष महोदय, इस वर्ष में खरीफ की फसल के लिये हम मरम्मत कर लेंगे और आगामी वर्ष के लिये इन 9 तालाबों के लिये नई नीति भी बनायेंगे और इन 9 तालाबों के रखरखाव के लिये भी कार्य करायेंगे.
श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल - माननीय अध्यक्ष महोदय, एक बात..
अध्यक्ष महोदय - नहीं, मैं परमिट नहीं करूंगा. मैंने शुरू में ही पढ़ दिया है. यह बात नहीं है कि चोली है तो दामन भी चाहिये. बिल्कुल नहीं, यह नहीं चलेगा. भाई, मैंने स्पष्ट कर दिया कि मैं ध्यानाकर्षण 4 ले रहा हूं, मैं किसी को पूछने की अनुमति नहीं दूंगा. आप कम से कम अध्यक्ष को तो बीच में मत टोको. आप विराजिये.
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा सिर्फ इतना आग्रह है कि आज माननीय मंत्री जी का आश्वासन मुझे मिल जाए कि जो बहुत पुराने और बड़े तालाब हैं, और जिनमें सिंचाई की क्षमता बहुत अच्छी है, उनका थोड़ा जीर्णोद्धार करा दिया जाए और नहरों का लाइनिंग कार्य, सुधार कार्य करा दिया जाए, जो अभी हो सकता है, अभी करा दें और जो सीजन के बाद हो सकता है, बरसात के बाद हो सकता है, उसको बरसात के बाद करा दें. यह आश्वासन चाहता हूं कि जगुआ, खितौली, पथरहटा, सिजैनी इनको अगर आप प्राथमिकता पर करा देंगे, तो आने वाले समय में हमारे यहां के किसानों का भला हो जायेगा और क्षेत्र में सिंचाई की क्षमता भी बढ़ जायेगी. यह चारों-पाचों जलाशयों और नहरों का आश्वासन देने का कष्ट करेंगे.
श्री हुकुम सिंह कराड़ा - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बात सही है कि यह बहुत पुराने तालाब हैं और इनके रखरखाव की आवश्यकता है, इसको मैं महसूस करता हूं. जैसा माननीय अध्यक्ष जी ने निर्णय दिया है कि इसकी नीति के अनुसार भी हम बदलाव करेंगे और इन तालाबों के रखरखाव के लिये हम अगले समय में पूरा काम करायेंगे.
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक - अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी अभी का तो बोल दें कि अभी खरीफ में बोवाई लगनी है. अभी का तो आश्वासन दे दीजिये.
अध्यक्ष महोदय - बस, आपका हो गया. हमें प्रसन्नता है कि आपको बहुत पुराने तालाबों को ठीक करवाने की आदत है.
श्री हुकुम सिंह कराड़ा - अध्यक्ष महोदय, हर एक तालाब के लिये अभी हम वैकल्पिक व्यवस्था कर रहे हैं और आपकी खरीफ की फसल का हम करा देंगे. इसके बाद विस्तृत रूप से इसका प्राक्कलन बनाकर इस कार्य को पूरा करायेंगे.
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक - अध्यक्ष महोदय, जो 4 जलाशयों के जीर्णोद्धार का मैंने आपसे आग्रह किया है, बस उसका आश्वासन दे दीजिये.
श्री हुकुम सिंह कराड़ा - अध्यक्ष महोदय, देखिये, वर्ष 2012 में आपकी सरकार ने बनाया है, अभी उसमें से ही पानी बह रहा है.
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक - अध्यक्ष महोदय, मैं छोटे तालाबों की बात नहीं कर रहा हूं.
श्री हुकुम सिंह कराड़ा - अध्यक्ष महोदय, 90 साल पुराने वाले की बात तो समझ में आती है.
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक - अध्यक्ष महोदय, मैं उन्हीं की बात कर रहा हूं कि उनके जीर्णोद्धार का आश्वासन कृपया करके दे दीजिये. मेहरबानी होगी.
श्री हुकुम सिंह कराड़ा - अध्यक्ष महोदय, जरूर करायेंगे.
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक - अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
पन्ना-छतरपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर विभाग द्वारा बैरियर लगाकर अवैध वसूली.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह(पन्ना)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से आग्रह है कि आपका 1980 का कंजर्वेशन एक्ट बहुत बाद में आया है और पूर्व के कई वर्षों से उनकी पीढ़ी दर पीढ़ी अनुसूचित जनजाति के लोग वहाँ पर निवासरत हैं. वहाँ पर कई पंचायतें हैं और उन पंचायतों के माध्यम से भी, यह हमें सरपंचों ने भी लिखकर दिया है और जहाँ तक आप बैरियर की वसूली की बात करते हैं कि कोई अवैध वसूली नहीं हो रही है. यह हमारे पास रसीदें भी हैं जिसमें वसूली की जा रही है. मेरा आप से आग्रह है कि मैंने पिछली बार प्रश्न भी लगाया था और आप ही का जवाब मेरे पास आया था कि 24 घंटे वह बैरियर खुला रहता है. मेरा आप से आग्रह यह है कि वहाँ के सरपंच, वहां की जनता बहुत ज्यादा आक्रोशित है क्योंकि वहाँ पर शाम 8 बजे के बाद बीमार व्यक्ति को भी नहीं निकलने दिया जाता है. कई शादियाँ टूट गईं क्योंकि बारातियों को अन्दर नहीं जाने दिया जाता है. रात के 8 बजे के बाद निकलने नहीं दिया जाता है. आप लोकल की बात कर रहे हैं उनको 50-60 किलोमीटर का चक्कर काटकर अन्दर जाना पड़ता है. आपने यह भी कहा कि रोड की मरम्मत के लिए कोई रोक नहीं है. जबकि आपके विभाग के अपर सचिव का एक पत्र है जिसके जरिए उन्होंने इस पर रोक लगाई हुई है. पत्र में लिखा है कि गगऊ अभ्यारण्य का प्रस्तावित क्षेत्र बाघों के लिए संवेदनशील रहवास क्षेत्र है एवं शीघ्र ही नष्ट होने वाला इको सिस्टम है इसलिए ऐसा प्रोजेक्ट जिससे रहवास को हानि पहुंचती हो तथा अव्यवस्था का अस्थाई स्त्रोत हो, को दृष्टिगत रखते हुए क्षेत्र संचालक द्वारा प्रस्तावित मार्ग के लिए अनुशंसित नहीं किया जाता. यह आपके ही विभाग का पत्र है. मेरा आपसे आग्रह है कि वर्ष 2007 में लोक निर्माण विभाग द्वारा रोड को स्वीकृत किया था वहां से हमारी 20-25 पंचायतें जुड़ती हैं, शॉर्ट-कट है. यह बहुत पहले से चले आ रहे हैं. आपके बफर जोन में ऐसी कोई नीति या नियम नहीं है कि वहां रोड न बनवाएं. बफर जोन में आप रोड बनवा सकते हैं, नियम में कहीं मनाही नहीं है. मैं यह कहना चाहता हूँ कि बफर जोन की स्वीकृति के लिए उन्हीं सरपंचों ने प्रस्ताव दिए थे तब बफर जोन स्वीकृत हुआ है यदि वे प्रस्ताव नहीं देते तो बफर जोन वहां पर स्वीकृत नहीं हो सकता था.
मंत्री जी मेरा आपसे आग्रह है कि वहां पर लोगों की मूलभूत सुविधाएं छीनी जा रही हैं, उनका आवागमन रोका जा रहा है, उनकी बारातें रुक रही हैं, शादियां बंद हो गई हैं, बीमार आदमी वहां से नहीं निकल सकता है. पिछली बार भी आपके लिखित ध्यानाकर्षण में यही जवाब आया था. वह ध्यानाकर्षण बहस में नहीं था. यदि आपको मुझ पर विश्वास नहीं है तो आप एक समिति गठित कर दें. मैं तो कह रहा हूँ कि खजुराहो, राजनगर के आपके दल के विधायक हैं उनकी अध्यक्षता में एक समिति गठित कर दें. यदि आप वहां नहीं जा सकते हैं तो समिति जाकर वहां के गांव के लोगों के हालात पूछ ले. उनकी पीड़ा ऐसी है जैसे कि वे जेल के अन्दर हैं.
अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से मंत्री जी से आग्रह है कि उन्होंने अपने जवाब में कहा है कि रास्ता 24 घंटे घुला रहता है. क्या आप इसकी जांच एक समिति गठित करके करवाएंगे कि वहां पर 24 घंटे मार्ग खुला रहता है या रात को आवागमन बंद कर दिया जाता है. दो बैरियर क्यों लगाए गए हैं. हमारी पुरानी रोड पर ही फॉरेस्ट डिपार्टमेंट ने बैरियर लगा दिए. अपनी अलग से रोड बना लेते उस पर बैरियर लगा लेते. वहां पर लेफ्ट साइड में कोई जंगल भी नहीं है, राइट साइट में जंगल है वहां पर फेन्सिंग कर लें, जानवर सुरक्षित कर लें. लेकिन 25 गांव के लोगों का आवागमन कैसे रोक सकते हैं. मूलभूत सुविधाएं कैसे छीन सकते हैं. मेरा माननीय मंत्री जी से आग्रह है कि एक तो रोड की परमीशन दी जाए दूसरा कोई कमेटी गठित करके इसकी जांच करा ली जाए. वहां पर मकान बनाने के लिए सामान तक नहीं ले जाने दिया जाता है. वहां का रास्ता 24 घंटे चालू रहे. दो बार ऐसा जवाब आ चुका है इसलिए मेरा माननीय अध्यक्ष महोदय आपसे आग्रह है कि इस पर निश्चित रुप से विचार किया जाए. मुझे इसका कांक्रीट उत्तर चाहिए.
श्री उमंग सिंघार--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार विभाग द्वारा यह समय निर्धारित किया गया है. वह मैं माननीय सदस्य को बताना चाहूँगा. माननीय सर्वोच्च न्यायालय की रिट पिटीशन सी-2002, 1995 के अन्तर्गत आई.ए. 262, 263 में पारित आदेश दिनांक 15.2.2013 में राष्ट्रीय उद्यान, अभ्यारण्य में सूर्योदय के पश्चात् ही प्रवेश करेंगे एवं सूर्यास्त के पूर्व अभ्यारण्य से निर्गम करेंगे. माननीय सर्वोच्च न्यायालय के इसी आदेश में वाहन की गति सीमा 20 किलोमीटर प्रति घंटा रखी गई है. स्थानीय व्यक्तियों के लिए जो ग्रामीण हैं उनसे कोई शुल्क नहीं लिया जाता है यह मैं स्पष्ट कह चुका हूँ. इसके अलावा भी कोई इमरजेंसी होती है तो इमरजेंसी में वहां पर जो नाकेदार है उनको मनाही नहीं है कि आप अनुमति नहीं दे सकते हैं. चूंकि न्यायालय का निर्णय है उसके आदेश के तहत हम व्यवस्था करते हैं.
अध्यक्ष महोदय--क्या सुप्रीम कोर्ट ने यह भी बोल दिया है कि लोगों की मूलभूत सुविधाएं रोक दी जाएं.
श्री उमंग सिंघार--आने जाने की बात है, समय का उल्लेख है.
अध्यक्ष महोदय--मूलभूत सुविधाएं उसी से रुक रही हैं. मूलभूत सुविधाएं क्या आमजन को नहीं मिलना चाहिए. क्या सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा लिखा है.
श्री उमंग सिंघार--अध्यक्ष महोदय, ऐसा नहीं लिखा है.
अध्यक्ष महोदय--फिर मूलभूत सुविधाएं क्यों रोकी जा रही हैं.
श्री उमंग सिंघार--सुप्रीम कोर्ट ने आने जाने के बारे में व्यवस्था दी है. रास्ता आने जाने का है इसके अलावा कोई मूलभूत सुविधाओं की बात तो उसमें आती नहीं है.
अध्यक्ष महोदय--जरूरतें आती हैं. रात में किस को क्या जरूरत है जैसे कि विधायक का मूल प्रश्न आ रहा है अगर कोई गंभीर है, किसी के साथ कोई अन्य चीज है, कोई बीमार हो गया है, अटैक आ गया है. शादी रात में होती है सिर्फ दिन में नहीं होती है. किसी का शादी ब्याह में खाना कम पड़ गया तो क्या करोगे? क्या यह मूलभूत सुविधा नहीं है? हम तो सिर्फ यह जान रहे हैं कि क्या सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा है कि आमजन की मूलभूत सुविधाएं रोक दी जाएं. मैं बस यहीं पर रुक रहा हूं. कृपया आप सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का अक्षरश: फिर से विधि विभाग से परीक्षण करवा लें.
श्री उमंग सिंघार-- अध्यक्ष महोदय, मैंने जवाब में स्पष्ट कहा है कि अगर कोई इमरजेंसी होती है तो ऐसा नहीं है कि किसी को रोकने की बात है. परमीशन लेकर जा सकते है.
अध्यक्ष महोदय-- यह प्रमाण बता दीजिए कि मूलभूत सुविधाओं के कारण आपने किसी को छोड़ा हो. एक भी प्रमाण हो तो आप बता दीजिए.
श्री उमंग सिंघार-- आप यह बताएं अध्यक्ष जी कि ऐसी स्थिति में वहां पर किस को रोका हैं.
अध्यक्ष महोदय-- यह तो आप बताइए.
श्री उमंग सिंघार-- यह तो माननीय सदस्य बताएं.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय सदस्य आप बताइए.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह-- मंत्री जी आप विराजें मैं बताता हूं. आपने कहा कि लोकल की कोई वसूली ग्रामवासियों से नहीं हो रही है. दुलीचन्द्र भापतपुर का रहवासी है. उनसे वसूली की गई है. यह उसकी रसीद है. (आसंदी की तरफ रसीद को दिखाते हुए) यह वसूली रोज हो रही है. यह आपका एक बैरियर नहीं है, दो बैरियर हैं एक अनुज्ञा पत्र जारी हो रहा है. अध्यक्ष महोदय, मैं खुद भुक्तभोगी हूं. मैं खुद वहां गया था तो मुझसे बैरियर वाले यह कह रहे थे कि छ: बजे के पहले आप बाहर चले जाओ. मंत्री जी यदि आप मुझ पर विश्वास कर रहे हैं और यदि यह सब चीजें नहीं हो रहीं हैं तो आप मुझ पर भी विश्वास न करें एक कमेटी गठित करें और मैं कह रहा हूं कि आपके राजनगर के विधायक हैं उनकी अध्यक्षता में एक कमेटी गठित कर दें. आप किसी पर भी विश्वास करें. अध्यक्ष महोदय, आप नहीं जा सकते हैं मैं तो आप से ही आग्रह कर रहा हूं.
श्री उमंग सिंघार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा सदस्य का आग्रह है, कुंवर विक्रम सिंह जी की अध्यक्षता में समिति गठित कर देते हैं. वह जाकर दिखवा लेंगे.
अध्यक्ष महोदय-- आप आखिरी प्रश्न कर लें.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह-- अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से मंत्री जी से आग्रह है कि जो रोड निर्माण रुका हुआ है जिससे कि लोगों का आवागमन है. आप कह रहे हैं कि कोई रोक नहीं है. आपने जवाब दिया है, पिछली बार के प्रश्न के जवाब में आया था और उसके बाद भी आपका विभाग लिख रहा है कि आप रोड नहीं बना सकते. मेरा यह कहना है कि दोहरे जवाब कैसे आ रहे हैं. विभाग लिख रहा है कि आप रोड नहीं बना सकते. मंत्री जी कह रहे हैं इसमें कोई रोक नहीं है और प्रश्न के जवाब में भी आया तो यह कांट्राडिक्ट्री क्यों हो रहा है.
श्री उमंग सिंघार-- चूंकि डायरेक्टर पन्ना ने दिनांक 12.02.2016 को पत्र लिखा था कि आपका जो आवेदन आया है उसमें कमियां हैं. वह कमियां पूरी करें और आजकल तो पत्र की जरूरत ही नहीं है. ऑनलाइन है. अगर ऑनलाइन है तो उसको करवा देते हैं.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह--ऑनलाइन आवेदन है. मैं तो यह कह रहा हूं कि उन्होंने ऑनलाइन की बात ही नहीं की वह तो सीधा यह कह रहे हैं कि अनुशंसित नहीं की जाती. उन्हीं के विभाग के अपर सचिव लिख रहे हैं.
श्री उमंग सिंघार-- मैं आपसे कह रहा हूं कि अगर आप ऑनलाइन पी.डब्ल्यू.डी. से करवा दें तो मैं उनको भी बोल दूंगा.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह-- मंत्री जी आवेदित है हमें तो परमीशन चाहिए कि वह रोड निर्माण हो जाए और मैं जनहित के लिए बात कर रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय-- यह रोकी किसने है.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह--फॉरेस्ट डिपार्टमेंट ने रोकी है.
श्री उमंग सिंघार--फॉरेस्ट ने कहा था कि आप यह कमियां पूरी कर दें हम इसको स्वीकृति देते हैं. वहां से वापस रिप्लाए नहीं आया है इस कारण काम रुका हुआ है. अगर वह कमियां पूरी कर दें तो हम कर देते हैं.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह-- अध्यक्ष महोदय, मैं आपको विश्वास से कह रहा हूं कि वह वर्ष 2007 से चल रहा है और आपके पूर्व विधायक रीवा वाले अभय मिश्रा जी जो थे वह इसके कॉन्ट्रेक्टर थे. उन्होंने यह रोड बनाई थी. मेरा कहना यह है कि उसी समय यह रोक दी गई थी. यह वर्ष 2007 का लेटर है कि इसको अनुशंसित नहीं किया जाता है, परमीशन नहीं देते हैं.
श्री उमंग सिंघार--यह वर्ष 2007 की बात कर रहे हैं, मैं वर्ष 2016 की बात कर रहा हूं.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह-- ठीक हैं, मैं आप पर विश्वास कर रहा हूं.
श्री उमंग सिंघार-- वर्ष 2016 के हिसाब से कह रहा हूं. कंपलीट हो जाए परमीशन दे देते हैं. मना कहां किया है.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह-- अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से आश्वासन चाहता हूं कि वह आश्वासन दे दें. मेरा एक और आग्रह है कि जो वसूली के दो बैरियर लगाए हैं क्या माननीय मंत्री जी इनको हटाएंगे? जो आम आदमी से, स्थानीय निवासियों से वसूली की जा रही है.
श्री उमंग सिंघार-- चूंकि संवेदनशील क्षेत्र है. चाहे वन्य प्राणियों के लिए, चाहे अवैध कटाई के लिए, चाहे अवैध रेत उत्खनन के लिए तो नाके तो रहेंगे. अगर आपको नाकेदारों से परेशानी है तो उन नाकेदारों को हटाकर नए नाकेदारों को रखा जाएगा.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह-- नाकेदारों की बात ही नहीं है. वसूली निरंतर चल रही है. यह रसीदें बनी हुई हैं. आपके लोकल के गांव हैं. मैं तो सीधे-सीधे प्रमाण दे रहा हूं. अध्यक्ष महोदय, जवाब क्या आ रहा है. मैं आसंदी से चाहता हूं कि व्यवस्था दें.
श्री उमंग सिंघार- माननीय अध्यक्ष महोदय, पहले तो मैं यह कहना चाहता हूं कि वहां कोई अवैध वसूली नहीं हो रही है और मैंने आश्वासन दे दिया है कि कुँवर विक्रम सिंह जी के नेतृत्व में वहां जांच करवायी जायेगी. मैंने पहले ही स्पष्ट कह दिया है.
श्री गोपाल भार्गव- माननीय अध्यक्ष महोदय, आप और हम तो शहरों में रहते हैं लेकिन प्रदेश के अभ्यारण्यों के अंतर्गत जो वन-ग्राम एवं राजस्व-ग्राम आते हैं वहां रहने वाले लोगों का जीवन नर्क से भी ज्यादा कष्टदायी हो गया है. वहां स्थिति ऐसी है कि एक माचिस नहीं ले जा सकते, लाठी नहीं ले जा सकते और जैसा कि आपने स्वयं कहा माननीय अध्यक्ष महोदय शादी हो, ब्याह हो, बीमारी हो या कुछ और हो तो हम वहां रात में आवागमन नहीं कर सकते. वाहन नहीं ले जा सकते, हॉर्न नहीं बजा सकते, अनेक प्रकार के प्रतिबंध वहां लगे हैं. अब चाहे ये प्रतिबंध उच्चतम न्यायालय के हों, उच्च न्यायालय के हों या विभागीय हों. मैं केवल इतना कहना चाहता हूं कि वहां रहने वाले लोगों का अपराध क्या है ? क्या हमने यह तय कर लिया है कि हम नागरिकों के प्राण हर के, उनको मरने छोड़कर, अपने वन्यप्राणियों की रक्षा करेंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमें इस बारे में विचार करने की आवश्यकता है. दूसरी बात यह है कि यदि हम विधायक निधि या किसी और निधि से वहां कोई सी.सी. रोड, आंगनबाड़ी, सामुदायिक भवन बनवाना चाहते हैं या कोई और विकास कार्य करवाना चाहते हैं, हैण्डपंप भी लगवाने चाहते हैं तो वहां किसी भी बात की कोई अनुमति इन अभ्यारण्य क्षेत्रों में नहीं दी जाती है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, कोई ऐसा व्यावहारिक तरीका निकाला जाना चाहिए जिससे न्यायालय के आदेश की अवमानना भी न हो लेकिन वहां लाखों की संख्या में जो लोग रह रहे हैं, जिनका जीवन नर्क बन चुका है, उन्हें भी जीने का अधिकार है. इसलिए मेरा आग्रह है कि यह एक मानवीय समस्या है. जहां-जहां इस प्रकार के अभ्यारण्य क्षेत्र हैं और वहां जो पहुंच मार्ग हैं, मैं समझता हूं कि पहुंच मार्ग बनाने में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए.
अध्यक्ष महोदय- मंत्री जी, संबंधित क्षेत्र के डिप्टी कलेक्टर, पी.डब्लू.डी. के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर और आपके विभाग के जिस उच्च अधिकारी ने, वन विभाग का यह पत्र लिखा है कृपया वे सभी 15 दिन वहां जाकर रहें और फिर उसके अनुसार कार्य योजना बनायें कि वास्तविक रूप में क्या दिक्कतें आ रही हैं. (मेजों की थपथपाहट)
श्री गोपाल भार्गव- माननीय अध्यक्ष महोदय, यदि पूरे प्रदेश के अभ्यारण्य क्षेत्रों के लिए कोई सामान्य पॉलिसी बन जाये तो यह आपकी ओर से एक बहुत अच्छी नज़ीर होगी.
श्री विश्वास सारंग- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने जो व्यवस्था दी है वह बहुत अच्छी है लेकिन दो अलग-अलग तरह उत्तर आये हैं कृपया उसके बारे में भी कोई व्यवस्था दे दीजिये.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं कुछ कहना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय- अब आप लोग इस विषय में विभागीय मांगों पर चर्चा कर लीजियेगा. बृजेन्द्र जी, मैंने आपका पूरा विषय ले लिया है. जिससे ज्यादा बोल सकता था As a O.D.A I favoured you.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
श्री कुँवर विक्रम सिंह (नातीराजा)- माननीय अध्यक्ष महोदय, कृपया मुझे एक मिनट दें.
अध्यक्ष महोदय- नातीराजा जी, आपको समिति में बिठा दिया गया है. इनको भी वहां 15 दिन के लिए पहुंचाया जाए.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं केवल इतना जानना चाहता हूं कि कुँवर विक्रम सिंह जी के नेतृत्व में जो जांच रिपोर्ट आयेगी उसका पालन तो होगा कि नहीं ?
अध्यक्ष महोदय- कृपया बैठ जाइये.
1.02 बजे
याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय- आज की कार्यसूची में सम्मिलित माननीय सदस्यों की सभी याचिकायें प्रस्तुत मानी जायेंगी.
1.03 बजे
अध्यक्षीय घोषणा
अध्यक्ष महोदय- आज भी भोजनावकाश नहीं होगा. भोजन की व्यवस्था सदन की लॉबी में की गई है, माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि सुविधानुसार भोजन ग्रहण करने का कष्ट करें.
1.04 बजे
वर्ष 2019-2020 की अनुदानों की मांगों पर मतदान......(क्रमश:)
अध्यक्ष महोदय- अब पुलिस, गृह एवं जेल विभाग की मांगों पर चर्चा का पुनर्ग्रहण होगा. माननीय मंत्री श्री बाला बच्चन जी चर्चा का उत्तर देंगे.
गृह मंत्री (श्री बाला बच्चन)- माननीय अध्यक्ष महोदय, बजट की अनुदान मांगें, जो कि मेरे विभाग की हैं, अनुदान मांग संख्या 3 जो पुलिस से संबंधित है. मांग संख्या 4 जो गृह विभाग से संबंधित है और अनुदान मांग संख्या 5 जो कि जेल से संबंधित है. कल हमारे इस सदन के माननीय 20 सदस्यों ने इन अनुदान मांगों की चर्चा में हिस्सा लिया है. उन सभी के द्वारा मेरे इन विभागों से संबंधित बहुत महत्वपूर्ण सुझाव सुझाये गए हैं. मैं उन सभी का धन्यवाद करते हुए अपनी बात प्रारंभ करता हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे विभागों की अनुदानों की मांगों पर चर्चा की शुरूआत पूर्व गृह मंत्री आदरणीय भूपेन्द्र सिंह जी ने की थी. मैंने उनकी हर एक बात नोट की है. छोटे-छोटे शब्दों या वाक्यों में मैंने लिखा है और यह लगभग एक पूरा पेज भर है जो कि मेरे पास नोट की हुई है. दूसरे नंबर पर हमारी ओर से श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगांव ने शुरूआत की थी. तीसरे नंबर पर कुँवर विजय शाह जी ने अपनी बात रखी थी. इसी प्रकार क्रमश: श्री विनय सक्सेना, श्री उमाकांत शर्मा, श्री नीलांशु चतुर्वेदी, श्री बहादुर सिंह चौहान, श्री महेश परमार, श्री हरिशंकर खटीक, श्री गिर्राज डण्डौतिया, श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल, श्रीमती झूमा सोलंकी, श्री दिलीप सिंह परिहार, श्री लक्ष्मण सिंह, श्री ग्यारसी लाल रावत, श्री बीरेन्द्र रघुवंशी, श्री प्रताप ग्रेवाल, श्री अनिरूद्ध (माधव) मारू, श्री मुरली मोरवाल और अंत में बीसवें नंबर पर श्री हरदीपसिंह डंग जी ने अपनी बात रखी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने इन सभी को सुना है और इन सभी के सुझावों को नोट भी किया है मैं इन सभी के सुझावों का स्वागत भी करता हूं. मध्यप्रदेश में कानून व्यवस्था में और अधिक कसावट लाने के लिए हमें क्या करना चाहिए, इस हेतु मैंने इन सभी की बातों को ध्यानपूर्वक सुना है. मध्यप्रदेश में कानून व्यवस्था मजबूत हो, अपराधिक न्याय-प्रणाली और अधिक सुदृढ़ हो, इससे संबंधित हमारा विभाग में गंभीर अपराधों को चिन्हित करके उनकी निगरानी के लिए एक विशेष टीम बनाई गई है. यह टीम जिले, संभाग और प्रदेश स्तर पर उन अपराधों की समीक्षा करती है और समीक्षा के बाद जो व्यवस्था होनी चाहिए, उस पर हम कार्यवाही कर रहे हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, इससे संबंधित जानकारी मैं आपको देना चाहता हूं. अभी तक जो अपराध प्रदेश में हुए हैं और उनको रोकने के लिए हमने जो कार्यवाही की है, उसे मैं सदन की जानकारी में लाऊंगा. हम गंभीर अपराधों की जो निगरानी कर रहे हैं और उसके लिए हमने जो विशेष टीम बनाई है उसका यह परिणाम है कि वर्ष 2019 में ऐसे प्रकरण जो गंभीर अपराध की श्रेणी में है ऐसे कुल 369 प्रकरणों में प्रदेश के विभिन्न न्यायालयों के द्वारा वर्ष 2019 में 213 आरोपियों को आजीवन कारावास एवं 7 प्रकरणों में 7 आरोपियों को मृत्युदण्ड के दण्ड से दण्डित किया गया है. ऐसे ही कुछ चिन्हित प्रकरणों में सजा होने का प्रतिशत 68 प्रतिशत रहा है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे छ: माह के कार्यकाल वाली इस सरकार ने यह काम किया है जो मैंने आप सभी के सामने रखा है. विगत लोकसभा चुनावों में हमारे विभाग द्वारा जो बड़ी कार्यवाही की गई है, वह मैं आपके माध्यम से सदन की जानकारी में ला देना चाहता हूं. लोकसभा के चुनाव चार चरणों में हुए और चुनावों के दौरान हमारे विभाग ने जो कार्यवाही की है, उसकी मोटी-मोटी और बड़ी-बड़ी बातें मैं आपकी जानकारी में लाना चाहता हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने सर्वप्रथम तो ये चुनाव निष्पक्ष एवं शांतिपूर्ण तरीके से करवाये ही हैं इसके अतिरिक्त भी हमारे सम्मुख कई चुनौतियां थीं जिनका हमने सामना किया. मैं समझता हूं कि शासन और प्रशासन के सम्मुख बड़ी चुनौतियां थीं. इस चुनाव के दौरान हम जिन अपराधों को रोक पाये और इस दौरान हमने जो जप्तियां की हैं, उसे भी मैं आपके माध्यम से सदन के संज्ञान में लाना चाहता हूं. चुनाव के दौरान हमारे द्वारा लगभग 77 हजार 183 गैरजमानती वारंट तामील किए गए. 3 लाख 57 हजार 910 प्रकरणों में प्रतिबंधात्मक कार्यवाही की गई. 9 हजार 250 अवैध हथियार जब्त किए गए. ऐसे ही बड़ी मात्रा में नकद राशि भी जब्त की गई. 34 लाख 74 हजार लीटर अवैध शराब, ड्रग्स-नारकोटिक्स 20 हजार 588 किलो जब्त की गई. सोना,चांदी और अन्य मूल्यवान वस्तुएं 1 हजार 719 किलो एवं अन्य सामग्रियां लगभग 100 करोड़ रूपये से अधिक की हमने जप्त की है. मध्य प्रदेश में जप्ती की गयी अवैध शराब, ड्रग्स,सोना, चांदी एवं अन्य मूल्यवान वस्तुओं में जो हमारा प्रदेश है वह देश में दृतीय स्थान पर रहा है. ऐसे ही हमारी सरकार बनने के बाद 6 महीने के कार्यकाल में जो त्यौहार गये हैं, वह त्यौहार भी हमारे प्रदेश में शांतिपूर्ण तरीके से मने हैं. ऐसे ही एक बड़ी कार्यवाही दिनांक 9 एवं 10 जुलाई की दरम्यानी रात्रि जिला बालाघाट के थाना लांजी के अंतर्गत ग्राम नेवरवाही में पुलिस और नक्सलियों में जो मुठभेड़ हुई थी, जिसमें 2 नक्सली मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र सरकारों के द्वारा अवार्डी बड़े नक्सली एक अशोक उर्फ मंगेश और एक महिला नक्सली नंदे करके जो पुलिस मुठभेड़ में मारे गये हैं. इनके ऊपर मध्यप्रदेश सरकार के द्वारा 3-3 लाख, महाराष्ट्र सरकार के द्वारा 6-6 लाख रूपये का और छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा 5-5 लाख रूपये का ईनाम, कुल मिलाकर 14-14 लाख रूपये का ईनाम इन दोनों नक्सली के ऊपर रखा गया था. वह दोनों पुलिस मुठभेड़ में मारे गये हैं, यह भी हमारी और पुलिस विभाग की एक बड़ी कामयाबी है. अध्यक्ष महोदय, यह एक लेटेस्ट घटना थी इसलिये मैंने सोचा कि आपके माध्यम से सदन की जानकारी में ला दूं.
अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्यों ने जो बोला है कि ऐसी ही अपराधों पर नियंत्रण करने हेतु समय-समय पर जो विशेष अभियान हमने चलाया है, उसकी जानकारी भी आपके माध्यम से सदन के सामने रखना चाहता हूं . दिनांक 18.12.2018 से 17.1.2019 तक अवैध जुंआ-सट्टे के विरूद्ध चलाये गये विशेष अभियान के तहत कुल 5057 प्रकरणों में लगभग 90 लाख रूपये की राशि बरामद की गयी है. इसी प्रकार मादक पदार्थों की रोक-थाम हेतु चलाये गये विशेष अभियान के दौरान 473 प्रकरणों में लगभग 1 करोड़ 90 लाख रूपये के मादक पदार्थ जप्त किये गये हैं. दिनांक 15.2.2019 से 13.3.2019 तक चलाये गये विशेष अभियान के अंतर्गत 722 आग्नेय शस्त्र, 1301 कारतूस 3401 धारदार हथियार जप्त किये गये हैं. अवैध शराब के 20 हजार 868 प्रकरणों में लगभग 2लाख लीटर, जिसकी कुल कीमत 4 करोड़ 90 लाख रूपये थी, जप्त की गयी है. प्रतिबंधात्मक कार्यवाहियों के 30895 प्रकरणों में 32919 आरोपियों के विरूद्ध कार्यवाही की गयी है. मादक पदार्थों के 485 प्रकरणों में 596 आरोपियों को गिरफ्तार किया जाकर कुल कीमत लगभग 6 करोड़,58 रूपये के मादक पदार्थ जप्त किये गये हैं. गिरफ्तारी वारण्ट कुल 27,442 तथा स्थायी वारण्ट कुल 8,777 तामील कराये गये हैं. ऐसे ही विगत वर्ष के 6 माह की तुलना में इस वर्ष के 6 माह में कुल भारतीय दण्ड विधान के अपराधों में चार प्रतिशत की कमी आयी है. लघु अधिनियम में 15 प्रतिशत एवं प्रतिबंधात्मक धाराओं में 29 प्रतिशत गतवर्ष के 6 माह की तुलना में इस वर्ष के 6 माह में हमने अधिक कार्यवाही की है.
अध्यक्ष महोदय, प्रदेश में बालक-बालिकाओं के गुमने की घटनाओं को पुलिस द्वारा अत्यधिक गंभीरता से लिया गया है. समय-समय पर गुम बालक-बालिकाओं को ढूंढने के लिये विभिन्न अभियान चलाये गये हैं. वर्ष 2019 में शासन के निर्देश में 15 मार्च, 2019 15 अप्रैल, 2019 तक गुम बच्चों को खोजने के लिये विशेष अभियान चलाया गया और इस अभियान के दौरान 1054 बालक-बालिकाओं का पता लगाया गया, प्रदेश के सभी जिलों में विशेष किशोर पुलिस इकाईयों का गठन किया जाकर इनके कार्य को सुचारू बनाया जा रहा है. ऐसे ही वतर्मान परिदृश्य में महिलाओं और बालकों के विरूद्ध जो जघन्य अपराधों को दृष्टिगत रखते हुए डीएनए परीक्षण में सुविधावृद्धि के उद्देश्य से भोपाल में डीएनए लैब प्रारंभ किये जाने की कार्यवाही त्वरित की जा रही है. आरएफएसएल भोपाल के अंतर्गत डीएनए लैब के अलावा बैलेस्टिक शाखा, सायबर लैब की स्थापना का कार्य भी निकट भविष्य शीघ्र ही करने जा रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय, महिलाओं एवं बालकों के ऊपर घटित हो रहे अपराधों के प्रति पुलिस विभाग अत्यंत संवेदनशील है, ऐसे प्रकरणों को उच्चतम प्राथमिकता दी जा रही है. महिला अपराधों की रोक-थाम एवं घटित अपराधों के त्वरित अनुसंधान पूर्ण कर निर्धारित दो माह की समयावधि में आरोप-पत्र सक्षम न्यायालय में प्रस्तुत करने एवं अधिकाधिक प्रकरणों में दोष-सिद्धी कराये जाने हेतु हम लोग प्रतिबद्ध हैं. इसके अतिरिक्त 12 वर्ष से कम उम्र की बच्चियों के साथ घटित बलात्संग के वीभत्स एवं जघन्य प्रकरणों चिह्नित अपरोध की श्रेणी में रखा जाकर, अनुसंधान से विचारण स्तर तक दिन-प्रतिदिन पर्यवेक्षण किया जा रहा है. 1 जनवरी, 2019 से 31 मई, 2019 तक 146 प्रकरणों में आजीवन कारावास, 301 प्रकरणों में 10 वर्ष या उससे अधिक दण्ड या दण्ड से दण्डित, 135 प्रकरणों में 10 वर्ष से कम व 5 वर्ष से अधिक दण्ड से दण्डित एवं 934 प्रकरणों में 5 वर्ष से कम के दण्ड से दण्डित किया गया है. इसके अतिरिक्त 7 प्रकरणों में मृत्यु दण्ड से दण्डित किया गया है. महिलाओं और बालिकाओं के विरूद्ध घटित यौन अपराधों में सतत् सूक्ष्म स्तरीय समीक्षा के परिणाम स्वरूप ही माह दिसम्बर, 2017 से मई, 2018 में घटित अपराधों की तुलना में वर्ष 2018- 19 की समान अवधि में पंजीबद्ध अपराधों में 6 प्रतिशत की कमी आयी है.
अध्यक्ष महोदय, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अत्याचार निवारण अधिनियम, 1989 के क्रियान्वयन हेतु प्रदेश के 51 जिलों में अजाक विशेष पुलिस थाने स्थापित हैं. पंजीबद्ध अपराधों के अनुसंधान हेतु प्रदेश के 51 जिलों में उप-पुलिस अधीक्षक, अजाक की स्थापना की गयी है. अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग की रिपोर्ट पर पंजीबद्ध प्रकरणों की संख्या को दृष्टिगत रखते हुए, निरीक्षकों को वन- स्टेप प्रमोशन दिया जाकर उप-पुलिस अधीक्षक, अजाक द्वितीय के पद पर पदस्थ कर अनुसंधान के अधिकार सौंपे गये हैं. रेंज पुलिस अधीक्षक, अजाक के कार्यालयों में जिला लोक अभियोजन अधिकारी के 10 पद स्वीकृत किये गये हैं.
अध्यक्ष महोदय, पुलिस आधुनिकीकरण योजना के अंतर्गत आधुनिक शस्त्र, गोला-बारूद, सायबर लैब प्रशिक्षण में उन्नयन हेतु साधन एवं वाहन आदि उपलब्ध कराये गये हैं. एटीएस एवं आर्म्स फोर्स को अत्याधुनिक बनाया गया है. पुलिस आधुनिकीकरण योजना में पुलिस विभाग के नये प्रशासकीय भवन, नये पुलिस थाना भवन एवं चौकी भवनों का निर्माण कराया गया है. जिससे पुलिस को अपने कर्तव्यों का निष्पादन करने में सुविधा होगी, पुलिस आधुनिकीकरण योजना के अंतर्गत नये 10500 आवासीय भवनों का निर्माण कराया गया है. जिससे पुलिस बल की आवासीय समस्या में कुछ राहत मिल रही है. मध्यप्रदेश पुलिस हॉऊसिंग कॉर्पोरेशन द्वारा प्रदेश के बड़े शहरों में इंदौर, भोपाल, ग्वालियर में बहुमंजिला आवासों का निर्माण कराया जा रहा है. बहुमंजिला आवास निर्माण की श्रंखला में गत माह प्रदेश में पहली बार 236 बहुमंजिला आवास गृहों का माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा इंदौर में लोकार्पण किया गया है. वित्तीय वर्ष 2018 -19 में कॉर्पोरेशन 628 आवास गृह तथा 62 प्रतिशत भवनों एवं अन्य कार्यों का निर्माण कार्य पूर्ण करने के साथ ही 622.85 करोड़ का वित्तीय लक्ष्य प्राप्त किया गया है, जो अभी तक प्राप्त वित्तीय लक्ष्य में सर्वाधिक है. आवासों के निर्माण के अतिरिक्त कॉर्पोरेशन द्वारा महत्वपूर्ण कार्य, जैसे श्यामला हिल्स, भोपाल में होम लैण्ड सिक्योरिटी कॉम्प्लेक्स का निर्माण, डॉयल 100 हेतु प्रशासकीय भवन का निर्माण, सीसीटीव्ही कंट्रोल रूम के अंतर्गत इंदौर एवं भोपाल में सर्वसुविधायुक्त कंट्रोल रूम निर्माण के साथ ही आंतरिक सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण 36 वीं वाहिनी, बालाघाट का निर्माण कार्य प्रगति पर है.
श्री बाला बच्चन--कार्य प्रगति पर है. मध्यप्रदेश में बढ़ते हुए सायबर अपराध को ध्यान में रखते हुए मध्यप्रदेश पुलिस के अंतर्गत राज्य सायबर पुलिस मुख्यालय भोपाल का पृथक से गठन किया गया है तथा जनता की सायबर से संबंधित शिकायतों को त्वरित निराकरण के लिये जोनल कार्यालय भोपाल, इन्दौर, ग्वालियर, जबलपुर एवं उज्जैन खोला गया है. राज्य सायबर पुलिस मुख्यालय भोपाल के अंतर्गत सायबर एवं उच्च तकनीकी थाना भोपाल की स्थापना की गई है. सायबर अपराधों का त्वरित निराकरण किया जा रहा है.
डॉ.सीतासरन शर्मा--अध्यक्ष महोदय, माननीय गृहमंत्री जी 66 ए जो सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दिया था उसके बारे में आपसे पहले भी अनुरोध किया था कि इसके बारे में पुनरीक्षण याचिका लगाई जाये या इसका स्पष्टीकरण मांगा जाये. अनेक हाईकोर्ट ने इस धारा के पक्ष में भी निर्णय किये हैं, किन्तु सुप्रीम कोर्ट के कारण इस पर कोई कार्यवाही नहीं होती है इसलिये सायबर अपराध बढ़ रहे हैं. तो कृपया इस पर भी विचार कर लेंगे.
श्री बाला बच्चन--अध्यक्ष महोदय, माननीय पूर्व अध्यक्ष महोदय विधान सभा ने जो बोला है इस पर बिल्कुल ध्यान देंगे यह हमारे भी संज्ञान में है और निश्चित ही इसमें निकट भविष्य में इस पर त्वरित कार्यवाही करेंगे. मध्यप्रदेश पुलिस दूरसंचार शाखा द्वारा भी पुलिस बल को कानून व्यवस्था एवं सुरक्षा हेतु संचार माध्यम उपलब्ध कराया जा रहा है. वर्तमान में महत्वपूर्ण गतिविधियों के अंतर्गत डॉयल 100, सी.सी.टी.वी. सर्वलाइन जैसी महत्वपूर्ण योजनाओं का राज्य स्तर पर संचालन किया जा रहा है. उक्त दोनों योजनाएं सीधे तौर पर आम जनता से संबंधित है इनके सशक्तिकरण हेतु राज्य मुख्यालय भोपाल के राज्य स्तरीय कंट्रोल एवं कमांड सेंटर को अत्याधुनिक कर अपग्रेड किया जा रहा है. माननीय पूर्व गृहमंत्री जी ने कल इस बात को बोला था कि हम लोगों ने इसे 100 डॉयल को स्टार्ट किया है. हम भी इसके रिजल्ट एवं इसके परिणाम पूरे मध्यप्रदेश में अच्छे आये हैं. जनता के हित में यह काफी अच्छे साबित हो रहे हैं. आपकी जानकारी में लाना चाहता हूं कि इनकी संख्या को हम लोग भी बढ़ाने जा रहे हैं. सी.सी.टी.वी.केमरों,100 डॉयल को को भी हम बढ़ाने जा रहे हैं जिससे कि घटनाएं कम हों इस पर हमारा भी ध्यान है, इसको हम आगे बढ़ा रहे हैं. प्रदेश की जनता को शीघ्र पुलिस की सहायता पहुंचाने हेतु डायल 100 का मोबाइल एप भी लॉच किया जा रहा है. डॉयल 100 कॉल सेन्टर पर प्रतिदिन 30 हजार कॉल प्राप्त हो रहे हैं. प्रतिदिन लगभग 7 हजार स्थानों पर मौके पर पहुंचकर जनता को सहायता पहुंचायी जा रही है तो मैं समझता हूं कि पुलिस से संबंधित रिजल्ट ओरिएंटेड में इसके अच्छे परिणाम आ रहे हैं. योजना के प्रारंभ से 31 मई, 2019 तक 70.11 लाख से भी अधिक पीड़ितों को पुलिस सहायता प्रदान की गई है. इनमें 7.33 लाख महिलाओं को मदद पहुंचाई गई है. 4.50 लाख सड़क दुर्घटना पीड़ितों को मौके पर जाकर सहायता दी गई है. 5.89 नवजात शिशुओं को बचाया गया है. 10175 बच्चों को ढूंढा गया है, 7 हजार अवसादग्रस्त व्यक्तियों को एवं 40 हजार वरिष्ठ नागरिकों को सहायता पहुंचाई गई है. प्रदेश के शहरों को संवेदनशील एवं महत्वपूर्ण स्थानों पर सी.सी.टी.वी. सिस्टम स्थापित किये गये हैं जो दो चरणों में मध्यप्रदेश के 60 शहरों के 2 हजार स्थानों पर लगभग 11500 कैमरे स्थापित किये गये हैं. ऐसा ही यातायात व्यवस्था में दुर्घटनाओं को रोकने के लिये पुलिस द्वारा बिर्थ एनालॉयजर तथा स्पीड रॉडार जैसे उपकरणों से भी पुलिस को अत्याधुनिक बनाया गया है और इससे संबंधित और साधनों की जरूरत पड़ रही है यह अनुदान मांगों पर जो हमारा बजट पास होगा उससे पुलिस को और अत्याधुनिक यह हमारे लिये मददगार होगा. ऐसा ही सड़क दुर्घटनाओं पर नियंत्रण हेतु मध्यप्रदेश के समस्त जिलों में ब्लैक स्पाट चिन्हित किये गये हैं वहां पर भी हम लोग काम कर रहे हैं जिससे कि एक्सीडेंट बिल्कुल ही न हो. दिनांक 1 जनवरी 2019 से 31 मई, 2019 की अवधि में विगत वर्ष की समान अवधि की तुलना में सड़क दुर्घटनाओं में लगभग कमी 1.4 प्रतिशत आयी है जो कि संख्या 128 है. विधान सभा के चुनावों में हमने जो वचन दिया था उस कमिटमेंट पर हम लोग कार्य कर रहे हैं. पुलिस से संबंधित उनका जो साप्ताहिक अवकाश जो था वह भी हमने शुरू कर दिया है. निश्चित ही कोई नयी योजना की बात आती है तो उसमें कुछ कमियां और कुछ ड्राबेक्स भी होते हैं. उन कमियों को समाप्त करके हम लोग उस पर भी काम कर रहे हैं. पुलिस के साप्ताहिक अवकाश की बात कही थी उस पर काम किया है. वर्तमान में मध्यप्रदेश के पुलिस के अधिकारियों, कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिये जाने हेतु 10 प्रशिक्षण संस्थान कार्यरत् हैं. समस्त प्रशिक्षण संस्थानों के जो ट्रेनीज हैं, के लिये योग अनिवार्य है जिससे ट्रेनीज को बौध्दिक एवं शारीरिक क्षमता में वृद्धि हो सके तथा जीवन में वह तनाव मुक्त हो सकें. इसी कारण से हमने साप्ताहिक अवकाश भी दिया था तथा इसके लिये ट्रेनिंग कार्यक्रम भी चल रहे हैं. सहायक उप निरीक्षक कम्प्यूटर, प्रधान आरक्षक कम्प्यूटर, आरक्षक संवर्ग भर्ती वर्ष 2019 के लिये कुल 3272 रिक्त पदों एवं आरक्षित रेडियो के लिये कुल 493 रिक्त पदों की भर्ती हेतु विज्ञापन जारी कर ऑन लाइन परीक्षा प्रारंभ करने हेतु परीक्षा कार्यवाही कर दी गई है. मध्यप्रदेश के नक्सल प्रभावित जिलों में मुख्यतः बालाघाट, मंडला, डिंडोरी, उमरिया, सिंगरौली आदि में नक्सली रोकथाम के लिये भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा 36 वीं एस.आई.आर.बी. भारत रक्षित वाहिनी का गठन किया गया है. यह वाहनी बालाघाट में स्थापित है इस वाहिनी के लिये वित्तीय वर्ष 2019-20 में शासन द्वारा आवंटित राशि 4 करोड़ 40 लाख का आवंटन प्रथम चातुर्मास में जारी कर दिया गया है, जिसकी प्रथम किस्त वृहद निर्माण कार्य के लिये राशि 2 करोड़ का आहरण कर प्रबंध संचालक मध्यप्रदेश पुलिस हाऊसिंग कारपोरेशन भोपाल को उपलब्ध की जा चुकी है जिससे हम इसमें त्वरित गति से आगे हम काम कर सकेंगे. मध्यप्रदेश विशेष शस्त्र बल की प्रशिक्षण संस्थाओं की 8 वीं वाहिनी विशेष शस्त्र बल छिन्दवाड़ा में 1969 आरक्षकों का मासिक प्रशिक्षण दिनांक 1.6.19 से प्रारंभ किया जा रहा है. इसके अतिरिक्त पुलिस वाहन प्रशिक्षण शाला रीवा में आरक्षकों का डी.आर.कोर्स दिनांक 29.6.19 से प्रारंभ किया जा रहा है. आर.ए.पी.टी.सी. इन्दौर में पी.सी.कोर्स, यू.एस.ई.कोर्स एवं प्रायमरी इंडक्शन कोर्स तथा पी.टी.एस.आर्म्स भोपाल में आरमोरक कंडेस कोर्स संचालित किये जा रहे हैं. वर्ष 2019 में विशेष शस्त्र बल की 20 कम्पनियां लोक सभा चुनाव सम्पन्न कराने हेतु बिहार, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना तथा पंजाब राज्यों में भेजी गई. विशेष शस्त्र बल के अधिकारी एवं कर्मचारियों द्वारा उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए चुनाव ड्यूटी भलिभांति की है. इस तरह से हमारे विभाग की उपलब्धियां जो हैं वह सदन में अवगत करायी हैं. अपराध अनुसंधान विभाग जो है वर्ष 2018 की तुलना में वर्ष 2019 जनवरी से अभी मई तक काम किये वह सदन को अवगत कराना चाहता हूं. कुल भादवि अपराध 5. 05 प्रतिशत कमी आई है. गंभीर अपराध जैसे हत्या के प्रकरणों में 3.81 प्रतिशत की कमी आयी है. हत्या का जो प्रयास है उसमें लगभग 10. 46 प्रतिशत की कमी आयी है. डकैती में लगभग 64.86 कमी आयी है. लघु अधिनियमों के अंतर्गत कुल 13.64 प्रतिशत अधिक कार्यवाही हुई है. आर्म्स एक्ट में अधिक कार्यवाही हुई है वह 112.69 प्रतिशत है. एन.डी.पी.एस.एक्ट के अंतर्गत जो अधिक कार्यवाही हुई है उसका प्रतिशत 117.57 है. विस्फोटक एक्ट के अंतर्गत 90 प्रतिशत अधिक कार्यवाही हुई है.
मोटर व्हीकल एक्ट के अंतर्गत 11.15 प्रतिशत अधिक कार्यवाही हुई है. विशेष अभियान जो हमने चलाया था, वर्ष 18 दिसम्बर 2018 से 17 जनवरी 2019 तक जिसके अंतर्गत हमने जो कार्यवाही की है वह भी जानकारी आपके माध्यम से सदन में लाना चाहता हूं. अवैध जुआं, सट्टा कुल 5 हजार 57 प्रकरणों में 90 लाख 54 हजार 983 रूपए बरामद किए गए. मादक पदार्थों के कुल 473 प्रकरण जो मैं आपको पहले बता चुका हूं, उसमें 1 करोड़ 91 लाख 2 हजार 520 रूपए के मादक पदार्थ जप्त किए गए हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, दिनांक 15.02.2019 से 31.03.2019 तक का यह मैं बता चुका हूं, इसको मैं रिपीट नहीं करना चाहता हूं. माननीय अध्यक्ष महोदय, ऐसे ही लोक अभियोजन से संबंधित जो कार्यवाही हुई है उसको एक-दो मिनट में आपके माध्यम से सदन की जानकारी में लाना चाहता हूं, जो हमारे विभाग की महत्वपूर्ण उपलब्धियां हैं, उनमें से एक यह भी है. राज्य सरकार अपराध मुक्त समाज की स्थापना हेतु कृत संकल्पित है. न्यायालय के समक्ष प्रकरणों में उत्तरदायीपूर्ण अभियोजन कार्यवाही सुनिश्चित की जा रही है. प्रदेश में चिन्ह्ति जघन्य सनसनीखेज प्रकरणों में वर्ष 2019 में जनवरी माह से दोषसिद्धी की दर 68 प्रतिशत अधिक रही है. तीसरा पाइंट भ्रष्टाचार मुक्त समाज की स्थापना सरकार की प्राथमिकता में है, इसी उद्देश्य से कार्य करते हुए भ्रष्टाचार संबंधित मामलों में 70 प्रतिशत से अधिक दोषसिद्धी प्राप्त की है. महिलाओं एवं बालिकाओं के साथ हुए अपराध जो गंभीरतापूर्ण अनुंसधान एवं अभियोजन सुनिश्चित किया गया. गंभीर अपराधों में वर्ष 2018 में कुल 21 मामलों में तथा वर्ष 2019 में 7 मामलों में विचारण न्यायालय से मृत्यु दंडादेश प्राप्त किए गए हैं. भादवि के तहत कुल 60 प्रतिशत से अधिक दोषसिद्धी प्राप्त की गई है. नशामुक्त समाज की स्थापना के उद्देश्य से.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) - अध्यक्ष जी, मंत्री जी यह जो प्रतिवेदन दे रहे हैं सांख्यिकी के हिसाब से, आप सत्यनारायण कथा जैसी वांच रहे हैं. मैं माननीय मंत्री जी से कह रहा हूं कि आप आगे क्या करेंगे, आपकी कार्ययोजना क्या है, इसके बारे में कृपा करके बताएं.
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी कितना समय और लेंगे.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, बालिकाओं के साथ राजधानी में, शासन और प्रशासन की नाक के नीचे जो रेप हो रहे हैं, जिन्दा मासूमों को जलाया जा रहा है, हत्या की जा रही है. चाहे उज्जैन हो, चाहे भोपाल हो. अध्यक्ष महोदय क्या हो रहा है कि लगातार जो स्थानांतरण हो रहे हैं, इसमें मुखबिर नहीं मिल रहे हैं, वहां के स्थानीय पुराने जो कर्मचारी थे सूचना देने वाले, जानकारी देने वाले, रैकी करने वाले वह कहीं आपको उपलब्ध नहीं हो रहे हैं और लगातार जो अव्यवस्था आपने स्थानांतरण के कारण फैलाई हुई है, यह सारा का सारा आपके अपराधों की वृद्धि है.
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी आप कितना समय और लेंगे.
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, बस पांच मिनट.
अध्यक्ष महोदय - जल्दी करिए.
श्री गोपाल भार्गव - यह तो इन्होंने पूरा बॉच लिया और हमने सुन लिया. यह तो वैसे भी लिखित में दे देते तो अखबार में छप जाता, उससे क्या होना है? आप आगे क्या करेंगे? आपकी कार्ययोजना क्या है? उसके बारे में नहीं बताया.
श्री बाला बच्चन - हमारे विभाग ने जो किया है वह भी जरा आपको बता दें.
अध्यक्ष महोदय - बताने दो.
श्री गोपाल भार्गव - हम यह सुनने थोड़ी बैठे हैं.
श्री बाला बच्चन - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने पुलिस और गृह मंत्रालय से संबंधित जो बातें आपकी संज्ञान में लायी है.
श्री हरिशंकर खटीक - माननीय अध्यक्ष महोदय.
अध्यक्ष महोदय- मत बोलो भाई. मैं परमीशन नहीं दे रहा हूं. जो बीच में उठे उनका कुछ नहीं लिखा जाएगा. बिना मेरी अनुमति के कुछ नहीं होगा. (..व्यवधान)
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, इसके अलावा कल जो बातें आई हैं मैं उसका बाद में उल्लेख करूंगा. मेरे पास जेल विभाग भी है, जेल विभाग के जो दायित्व है उन दायित्वों का हम लोग ठीक ढंग से निर्वहन कर रहे हैं और मैं उससे संबधित उल्लेख करना चाहता हूं, बहुत जल्द उस बात को रखना चाहता हूं. जेल विभाग के जो मुख्य दायित्व हैं, बंदियों को सुरक्षित अभिरक्षा में रखने का, उनको निर्वहन करने के साथ साथ उनके स्वास्थ्य, शिक्षा एवं प्रशिक्षण से संबंधित हम विधिक प्रयास कर उन्हें समाज उपयोगी बनाने में सतत् प्रयत्यशील है.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, यह तो विभाग का प्रतिवेदन मिला है, विभाग का प्रतिवेदन होगा उसमें पढ़ लेंगे. मैं जानना चाहता हूं कि आप आगे क्या कर रहे हैं? आप आगे क्या करेंगे? यह तो हम रिपोर्ट पढ़ लेंगे और उस पर चर्चा भी कर लेंगे.
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, एकाध दो बात जेल विभाग की रख दूं, उसके बाद मैं बताना चाहता हूं. आप जो चाहते हों, हम क्या करेंगे, उसके लिए हम कमिटेड है. पहले मेरे विभाग ने जो काम किए हैं, उनको मैं बता दूं उसके बाद फिर मैं उस पर भी आऊंगा जो आप चाहते हो, उस पर भी बताऊंगा.(.मेजो की थपथपाहट) माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश राज्य में जो 11 केन्द्रीय जेल एवं 41 जिला जेलें हैं, 73 सब जेलें हैं और 6 खुली जेलें हैं, 131 जेलें संचालित हो रही हैं. इन जेलों की क्षमता लगभग 28 हजार 578 कैदियों की हैं, लेकिन इसके विरूद्ध हमारे पास कैदियों की संख्या 31.05.2019 तक वह 41 हजार 328 के करीब है, जो ज्यादा है इसके लिए भी हम लोग भवन बनाने जा रहे हैं. ऐसे ही प्रदेश की जेलों में बंदियों के सुधार एवं तनाव को कम करने के उद्देश्य को लेकर भी हम लोग काम कर रहे हैं, इनमें शिक्षा एवं इनको साक्षर बनाया जाए इससे संबंधित भी हमारा जेल विभाग कार्य कर रहा है, उसमें लगभग हमने विभिन्न कक्षाओं में 2514 पुरुष एवं 191 महिला बंदियों को पढ़ने की सुविधा उपलब्ध कराई है, जिसके अंतर्गत 8709 पुरुष एवं 461 महिला बंदियों को साक्षर बनाया गया है. हम इनके स्वास्थ्य से संबंधित ध्यान भी रखते हैं. प्रदेश की जेलों में निरूद्ध होने वाले प्रत्येक बंदी का प्रतिमाह नियमित रूप से जेल में स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता है. वर्ष 2018 में 4 लाख 79 हजार 111 बंदियों का स्वास्थ्य परीक्षण कराया गया था और आगे भी यह जारी रहेगा. बंदियों के कौशल विकास हेतु भी हम लोग काम कर रहे हैं, जैसे कि बंदी काम करते हैं, टेलरिंग का, कारपेंटिंग का, कुकिंग का, बुनाई का, खिलौने का ये काम भी उन्हें वहां जेलों में दिया जाता है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जेलों में आईटीआई की स्थापना एवं जेलों में नेशनल काउंसिल ऑफ वोकेशनल ट्रेनिंग के मापदंड अनुसार केन्द्रीय जेल उज्जैन, भोपाल, जिला बैतूल एवं धार में आईटीआई की स्थापना की गई है. उज्जैन में पुरुष बंदियों हेतु 4 ट्रेडों जिनमें इलेक्ट्रॉनिक मैकेनिक, वायरमैन, टू व्हीलर मैकेनिक एवं ट्रैक्टर मैकेनिक, 47 बंदियों जिला जेल बैतूल में तीन ट्रेडों में ट्रैक्टर मैकेनिक, वायरमैन एवं कार पेंट्री ऐसे 19 एवं जिला जेल धार में तीन ट्रेडों में और प्रदेश की अन्य जेलों में भी इस तरह के कार्यक्रम चल रहे हैं. बंदियों के पारिश्रमिक दरों में वृद्धि हुई है, वर्ष 2018-19 में जेल उद्योग कार्य में लगे कुशल बंदियों के लिए पारिश्रमिक राशि को हमने 110 रूपए से बढ़ाकर 120 रूपए की है और जेल सेवा उद्योग कार्य में लगे अंकुश बंदियों के लिए 62 रूपए से बढ़ाकर 72 तथा कृषि कार्यों में लगे बंदियों के लिए 62 से बढ़ाकर 69 रूपए की है. बंदियों की पेशी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कराई जाती है जो संबंधित न्यायालयों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जोड़ा गया है तथा बंदियों की पेशी एवं सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से की जा रही है. ई-फ्रीजन कार्यक्रम भी चलते हैं, इसका डिटेल मैं बाद में बताऊंगा. जेलों की सुरक्षा सुदृढ़ करने के उद्देश्य से प्रदेश की जेलों में इलेक्ट्रिक फैंसिंग की स्थापना एमपीएसईडीसी के माध्यम से कराई जा रही है. इलेक्ट्रिक फैंसिंग जेल के आऊटर वॉल के ऊपर स्थापित कराई जाएगी, जिससे कि सुरक्षा और मजबूत हो सके. विधिक सहायत से संबंधित कार्यक्रम भी राज्य शासन द्वारा प्रदेश के केन्द्रीय जेलों के बंदियों को विधिक सहायता उपलब्ध कराने का काम भी समय समय पर किया जाता है. कर्मचारियों को प्रशिक्षण भी दिया जाता है. जेल विभाग में कल्याण कोष की स्थापना की गई है उसको मैं बताना चाहता हूं कि जेल विभाग के लगभग 10 हजार जेल कर्मियों एवं उनके परिवारों के कल्याणार्थ कार्यक्रमों की लंबे समय से आवश्यकता महसूस की जा रही थी. शासन स्वीकृति प्राप्त कर जेल कल्याण कोष की स्थापना जेल मुख्यालय एवं प्रत्येक इकाई में की गई है. इसमें प्रतिवर्ष जेलकर्मी अपने वेतन का एक प्रतिशत अंशदान देकर सदस्य बनेंगे तथा शासकीय योगदान के रूप में एक बार में 50 लाख रूपए प्राप्त किए जाएंगे. इस कोष से जेलकर्मियों एवं परिवारजनों के शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता, मनोरंजन आदि से संबंधित कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. छिन्दवाड़ा में नया जेल काम्पलेक्स एवं इंदौर में नवीन केन्द्रीय जेल का निर्माण किया जा रहा है. ऐसे ही नवीन पदों की पूर्ति के बारे में भी कार्यवाही की जा रही है और नवीन वॉकी-टॉकी सेट्स की प्रदायगी की गई है और वर्कशॉप बैरकों का निर्माण भी वर्ष 2019-20 में प्रदेश की 14 जेलों में 22 बैरकों का निर्माण किया गया है. इस हेतु वर्ष 2019-20 के बजट में राशि 4 करोड़ 80 लाख रूपए का प्रावधान किया गया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, शिवपुरी एवं भिण्ड में नई जेलों का निर्माण कराया जा रहा है. शिवपुरी जेल का कार्य पूर्ण कराया जाकर उसे भी प्रारंभ किया जा चुका है. कल हमारे कुछ विधायकगण ने जो बात उठाई थी उस बारे में मैं बताना चाहता हूं महिलाओं एवं बच्चों के विरूद्ध अपराध इस वर्ष 1 जनवरी 2019 से 31 मई 2019 तक 1407 मामलों में सजा हुई है, जबकि गत वर्ष इसी अवधि में केवल 1290 प्रकरणों में सजा हुई थी. अध्यक्ष महोदय, इस प्रकार हम लोग सजायाबी में भी बराबर काम कर रहे हैं. वर्ष 2018 के प्रथम 6 माह में नाबालिग बालिकाओं के साथ दुराचार के 1,873 प्रकरण हुए थे जबकि इस वर्ष 2019 के प्रथम 6 माह में नाबालिग बालिकाओं के साथ दुराचार के 1,568 प्रकरण हुए हैं और इस प्रकार 16.20 प्रतिशत की कमी इसमें आई है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जिला नीमच में महिला की दुराचार की रिपोर्ट पर संबंधित आरोपी प्रधान आरक्षक को गिरफ्तार कर निलंबित कर दिया गया है. हमारे किसी एक विधायक साथी ने इस बात को उठाया था. बहादुर जी और दिलीप जी ने यह बात उठाई थी. आप पता कर लीजिये, हमने उसको निलंबित कर दिया है.
श्री दिलीप सिंह परिहार - माननीय मंत्री जी, धन्यवाद.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - जेल ब्रेक बार-बार क्यों हो रहे हैं ?
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, ऐसा ही छतरपुर एस.पी.कार्यालय के सामने कन्हैयालाल अग्रवाल की आत्महत्या का जो मामला आया था. हमने आरोपी अमन दुबे को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है. एक जो ट्रेंड पुलिस डॉग की घटना घटी थी.
श्री हरिशंकर खटीक - माननीय अध्यक्ष महोदय, एस.पी. ऑफिस के सामने घटना हुई थी, उसकी फरियाद नहीं सुनी गई थी. उसने पेट्रोल डालकर आग लगा ली थी तो फरियादी की बात क्यों नहीं सुनी गई थी ?
श्री बाला बच्चन - खटीक जी, यह नहीं होना चाहिए था.
श्री हरिशंकर खटीक - यह गलत हुआ कि नहीं हुआ.
श्री बाला बच्चन - इसका मलाल, इसका दु:ख हमको भी है.
श्री हरिशंकर खटीक - अध्यक्ष महोदय, एस.पी.ऑफिस के ठीक सामने उसने अपने आपको पेट्रोल डालकर आग लगा ली थी. उसके आवेदन पर कोई सुनवाई नहीं की गई थी तो ऐसी घटना क्यों हुई ?
श्री बाला बच्चन - नहीं होना चाहिए.
श्री हरिशंकर खटीक - फिर वहां क्या विभागीय कार्यवाही की गई है ?
श्री गोपाल भार्गव - माननीय मंत्री जी, मेरी ध्यानाकर्षण सूचना थी. मैं यह कहना चाहता हूँ कि इस प्रकार की घटनाएं घटित नहीं हों, जिसमें लोग एसपी या कलेक्टर के सामने कहा और सुसाइड कर लिया. यहां पर उसने साक्ष्य दी, कहा उसके बाद कोई सुनवाई नहीं हुई और सुसाइड कर लिया. माननीय मंत्री जी, कितने लोगों के ऐसे ही प्राण जाएंगे ?
श्री बाला बच्चन - मैं उस पर आ रहा हूँ.
श्री हरिशंकर खटीक - आप कार्यवाही का बताइये.
अध्यक्ष महोदय - कार्यवाही सुन लीजिये, आप विराजिए. मंत्री जी ने कुछ कार्यवाही की है, सुन लीजिये.
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, घटना नहीं होना चाहिए, घटनाएं बिल्कुल भी नहीं घटनी चाहिए, अपराध बिल्कुल भी नहीं होना चाहिए, इस बात की हम भी और सरकार भी पक्षधर है. अध्यक्ष महोदय, तमाम कोशिशों के बावजूद भी कोई घटना घट जाती है, बहुत जल्द हम उन घटनाओं का पर्दाफाश भी करते हैं और उन दरिन्दों को हम जेल के सींखचों में पहुँचाते हैं. हमारी कोशिश है कि नई घटनाएं न घटें लेकिन घट जाती हैं तो बहुत जल्द हम उन घटनाओं का पर्दाफाश भी करते हैं.
श्री गोपाल भार्गव - घटनाएं घट नहीं जाती, सुनवाई नहीं होती है. इस कारण से इस प्रकार के कदम उठाने के लिए बाध्य हो जाते हैं.
श्री बाला बच्चन - हम सुनवाई भी कराएंगे. आप सुन लीजिये.
श्री हरिशंकर खटीक - माननीय मंत्री जी, आपने बोला, हम सुन रहे हैं.
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, एक रेन्ट पुलिस डॉग की बात आई थी जो तीन प्रकार के होते हैं, जहां तक मैं आपको बताना चाहता हूँ जो ट्रेकर डॉग अपराधियों को ढूँढ़ने का काम करते हैं, स्नीफर डॉग नारकोटिक्स से संबंधित काम करते हैं, दूसरे स्नीफर एक्स्प्लोसिव से संबंधित जो डॉग काम करते हैं, तीनों प्रकार के ट्रेंड डॉग हमारे पास पर्याप्त मात्रा में है, जहां जैसी जरूरत लगती है, उस मुताबिक हम कार्यवाही कराते हैं और उनको वहां लगाते हैं.
श्री गोपाल भार्गव - मंत्री जी, मेरा एक सुझाव है. यह जो आपने पुलिस डॉग के सिखाने वालों का ट्रांसफर किया है. अध्यक्ष महोदय, यह जो घटना में वरुण की हत्या हुई है, अगर आपके डॉग यहां पर होते तो मैं यह मानकर चलता हूँ कि जितना समय पुलिस को उसको ढूँढ़ने में लगा और बाद में उसका शव मिला. अगर आपका डॉग वहां पर होता तो हो सकता है कि उसी दिन वह डिेटेक्ट हो जाता है. इस कारण से मैं कहना चाहता हूँ कि यह कुत्तों के ट्रांसफर आप बन्द करवाओ. यह अच्छा नहीं लगता है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, जब मैं आसंदी पर था तो मैंने यह प्रश्न माननीय मंत्री जी से किया था. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से उम्मीद और अपेक्षा करूँगा कि सन् 2016 में भी 60-65 डॉग्स के स्थानान्तरण हुए थे, उनको होल्ड कर दिया गया था, रिलीव नहीं किया गया था और पूरी की पूरी लिस्ट खारिज कर दी गई थी. आप इसको दिखवा लीजिये. उसी व्यवस्था को पुन: करें. जलवायु का भी प्रश्न उठता है.
विधि और विधायी कार्य मंत्री (श्री पी.सी.शर्मा) - माननीय अध्यक्ष जी. एक मिनट दें.
अध्यक्ष महोदय - जिस जिस मंत्री का जब समय आए तब वे बोलेंगे. मैं चर्चा खत्म करवाऊँ.
श्री बहादुर सिंह चौहान - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा एक आग्रह था.
अध्यक्ष महोदय - जो पहले बोल चुके हैं, वे नहीं बोलेंगे. आप बैठ जाइये, सिर्फ भूपेन्द्र सिंह जी बोलेंगे.
श्री भूपेन्द्र सिंह (खुरई) - माननीय अध्यक्ष जी, मैंने कल माननीय मंत्री जी से बहुत प्वाइंटेड निवेदन किया था कि यह सदन हमारे प्रदेश में जो अपराध बढ़ रहे हैं, जैसा माननीय नेता प्रतिपक्ष जी ने भी कहा. गंभीर श्रेणी के जो अपराध बढ़ रहे हैं, इस संबंध में सरकार की, गृह विभाग की क्या कार्ययोजना है ? एक यह निवेदन कल किया था. एक तो वह कार्ययोजना आप बताएं, जिससे एक संदेश प्रदेश में लोगों को विश्वास का जाये एवं दूसरा निवेदन यह किया था कि आपका जब उत्तर आए तो कृपया कर यह बताने का कष्ट करें कि इस अवधि में 6 माह में गृह विभाग में किस श्रेणी के कितने अधिकारियों के ट्रांसफर किए गए हैं. मैंने आपसे ये दो निवेदन किये थे और दोनों उत्तर आ जाएंगे तो अच्छा रहेगा.
श्री पी.सी.शर्मा - माननीय अध्यक्ष जी, पुलिस की बहुत बात हो रही है. बहुत सी चीजें विपक्ष के लोगों ने कहीं लेकिन मंत्री जी उसका भी करें. माण्डवा बस्ती मेरे क्षेत्र में आता है. वहां बच्ची के साथ जो हुआ, 24 घण्टे में पुलिस ने अपराधी को पकड़ा, 48 घण्टे में उसका चालान प्रस्तुत किया और एक महीने के अन्दर दोषी को फांसी की सजा हो गई तो यह भी बात होनी चाहिए. (मेजों की थपथपाहट) पुलिस की केवल हम बुराई ही करते रहें, उसका भी यहां पर उल्लेख आना चाहिए.
श्री भूपेन्द्र सिंह - शर्मा जी, यह हमने 5 दिन में किया है. आप तो एक महीने की बात कर रहे हैं. हमने 5 दिन में सजा दिलाई है. यदि कोई घटना हो, यह चिन्ता का विषय है. सवाल सजा दिला दी, इससे क्या होता है ? घटना क्यों हो रही है ?
श्री पी.सी.शर्मा - अपराधी को सजा होगी तभी तो यह बन्द होगा. मैं एक निवेदन और करना चाहता हूँ.
श्री भूपेन्द्र सिंह - आप सजा दिलवा दो और गलत कार्य होते रहें.
अध्यक्ष महोदय - गृह मंत्री जी, आप अपनी चर्चा समाप्त करेंगे.
श्री गोपाल भार्गव - अच्छी पुलिस उसी को माना जाता है, जिसमें घटना के पहले ही हम आभास कर लें और घटना न हो पाये, इसे अच्छी पुलिसिंग कहते हैं.
श्री बाला बच्चन - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी आपसे इस बात की विनती है कि जिन अनुदान मांगों का जो मैंने उल्लेख किया है, उन अनुदान मांगों को, मैं सदन से आग्रह करता हूँ कि उसको सर्वानुमति से पास किया जाये. सभी की सर्वानुमति से इसमें समर्थन मिले, सपोर्ट मिले और सर्वानुमति से सदन इसको पास करें. ऐसा मेरा आपके माध्यम से सदन के सभी सदस्यों से आग्रह है.
अध्यक्ष महोदय - (श्री बीरेन्द्र रघुवंशी की ओर देखते हुए) मत बोलो. यह जितने नये विधायक बोल रहे हैं. मैं आपको कैसे समझाऊँ, प्रबोधन दिया है. ऐसा कृत्य मत किया करो. आपकी बड़ी गन्दी आदत है.
श्री रामबाई गोविन्द सिंह (पथरिया) - अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है.
अध्यक्ष महोदय - आप कैसा कर रहे हैं ? ऐसा नहीं होता है.
श्री रामबाई गोविन्द सिंह - होता है. (हंसी)
अध्यक्ष महोदय - नहीं, यह तरीका नहीं होता है.
श्री रामबाई गोविन्द सिंह - बीच में सभी बोलते हैं. (हंसी)
अध्यक्ष महोदय - आप रुक जाइये. एक मिनट रुक जाइये.
श्री रामबाई गोविन्द सिंह - मैं यह बोल रही थी.
अध्यक्ष महोदय - इनको बोलने की अनुमति नहीं है. इनका न लिखा जाये. इनका कुछ नहीं लिखा जाये.
श्री रामबाई गोविन्द सिंह - (XXX)
अध्यक्ष महोदय -आपको समय पर उपस्थित रहना चाहिए. आप नहीं रहती हैं, आपका नाम पुकारते हैं, आप आती नहीं हैं. आप बीच में खड़ी हो जाती हैं. यह आदत अच्छी नहीं है.
श्री रामबाई गोविन्द सिंह - मैं पहली बार बीच में खड़ी हुई हूँ और हम आपसे बोलना चाहते हैं कि खाने की व्यवस्था जेल में है.
अध्यक्ष महोदय - इनका माइक बन्द कर दो. मंत्री जी, मैंने आपसे कल यह बोला था कि माननीय विधायक ने चरस, स्मैक, ब्राउनशुगर वगैरह-वगैरह की बातें वहां से आई थीं. मैंने खुद नरसिंहपुर और कटनी की बात की थी. हम यह चाहते हैं अगर आप मंदसौर, रतलाम तरफ नारकोटिक्स की कोई टीम बनाते हैं, जिन जगह पर चिन्ह्ति हो गए हैं कि यहां सबसे ज्यादा ऐसी हरकतें हो रही हैं.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - नारकोटिक्स की जेल बनी हुई है.
अध्यक्ष महोदय - यह मुझे भी मालूम है. ज्ञानवर्धन के लिए धन्यवाद. आप कुछ ऐसा करियेगा कि इन स्थानों पर हम इन्हें कैसे पकड़ें ? आप लोग पता नहीं कितने ग्राम ये चीजें पकड़ते हैं, उन्हें 2 दिन में जमानत मिल जाती है, यह सहयोग हो जाता है और कितने ग्राम इन चीजों को पकड़ें कि वह जेल में बन्द रह आएं, उस ओर अग्रसर क्यों नहीं हो रहे हैं? यहां पर कहीं न कहीं गलतियां महकमे की हैं. ध्यान रखियेगा. आप इस पर अवश्य ध्यान देंगे.
श्री ओमप्रकाश सकलेचा - अध्यक्ष महोदय, एक मिनट दीजिये. यह केवल किसानों को परेशान करने वाली दिशा में न चलाया जाये. यह जो बड़े ऑपरेटर हैं, उनकी तरफ इसका ध्यान जाना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय - मैं, पहले कटौती प्रस्तावों पर मत लूँगा.
प्रश्न यह है कि मांग संख्या - 3, 4 एवं 5 पर प्रस्तुत कटौती प्रस्ताव स्वीकृत किये जायें.
कटौती प्रस्ताव अस्वीकृत हुए.
अब, मैं मांगों पर मत लूँगा.
01.51 बजे.
वर्ष 2019-2020 की अनुदानों की मांगों पर मतदान ....... (क्रमश:)
(2) |
मांग संख्या 1 |
सामान्य प्रशासन |
|
मांग संख्या 2 |
सामान्य प्रशासन विभाग से संबंधित अन्य व्यय |
|
मांग संख्या 17 |
सहकारिता |
|
मांग संख्या 28 |
राज्य विधान मण्डल.
|
उपस्थित सदस्यों के कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुये. अब मांगों और कटौती प्रस्तावों पर एक साथ चर्चा होगी.
01.54 बजे
{उपाध्यक्ष महोदया (सुश्री हिना लिखीराम कावरे) पीठासीन हुईं.}
श्री गौरीशंकर चतुर्भज बिसेन (बालाघाट) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं मांग संख्या 1 सामान्य प्रशासन, मांग संख्या 2 सामान्य प्रशासन विभाग से संबंधित अन्य व्यय, मांग संख्या 17 सहकारिता और मांग संख्या 28 राज्य विधान मण्डल के मांगों पर कटौती प्रस्तावों के समर्थन में और मांगों के विपक्ष में अपने विचार रखूंगा. माननीय उपाध्यक्ष महोदया, इस सरकार को बने लगभग छ: महीना हुआ है और छ: महीने के पूर्व 13 मार्च 2018 को मेरे बड़े भाई विद्वान मंत्री डॉ. गोविन्द सिंह जी ने जो सामान्य प्रशासन की मांगों पर कहा था, उसका मैं उल्लेख करना चाहूंगा. माननीय मंत्री जी आपने 13 मार्च को अपनी डिमांड की बात पर अपना विषय रखते हुये कहा था कि सामान्य प्रशासन विभाग के अंतर्गत जो अनुकंपा नियुक्ति के नियम हैं, उन नियमों के तहत राज्य के लोगों को लाभ नहीं मिल पा रहा है, मैं पूरा विषय नहीं पढ़ना चाहूंगा परंतु जो भाव है उसको रखना चाहूंगा. मैं जानना चाहता हूं कि अनुकंपा नियुक्ति का मतलब है, यह सरकार की कृपा है, कोई इसके लिये अधिकार नहीं है, यही आपने कहा था. मैं एक बात आपसे जानना चाहता हूं कि किसी भी कर्मचारी की अचानक मृत्यु होती है ऐसी स्थिति में अब आप सरकार में हैं, आप उस विभाग के मंत्री हैं, आप इसमें सरलीकरण करिये और जिस बात को आपने कहा था, उस बात का पालन हो, जिससे कि हमारे राज्य के कर्मचारी के परिवार में उनके माता-पिता की मृत्यु होने के बाद उनके उत्तराधिकारियों को शासकीय सेवा में तत्काल नियुक्ति मिल सके. आपने यह भी कहा था कि शिक्षा विभाग में भर्ती के लिये बी.एड. और डी.एड. की पात्रता है, उसमें समयावधि की वृद्धि हो. मैं इससे सहमत हो कि समय अवधि की वृद्धि होनी चाहिये और कम से कम पांच साल तक इनको डी.एड. अथवा बी.एड. की परीक्षा उत्तीर्ण करने का अवसर मिलना चाहिये. इसी के साथ-साथ ऊर्जा विभाग में बिजली के खंबों पर काम करने वाले कई कर्मचारी ऐसे हैं, जिनका निधन हो जाता है, उनको अनुकंपा का प्रावधान है लेकिन ड्यूटी के बाद यदि घर जाते समय उनकी मृत्यु हो जाये तो उनके लिये कहीं पर भी अनुकंपा नियुक्ति का प्रावधान नहीं है. इसी के साथ-साथ टीचर की एलीजिबिल्टी टेस्ट का जो बंधन रखा गया है, मैं समझता हूं कि इसको भी रिलेक्स करने की आवश्यकता है. मैं एक बात और आपसे कहना चाहता हूं कि चूंकि सरकार का बमुश्किल छ: सात महीने का कार्यकाल हुआ है, मैं बहुत सी बातें करूं यह उचित नहीं होगा. मैं यही चाहूंगा कि जब आप विपक्ष में थे और जिन बातों को आपने भाषण में रखा उनका यदि पालन हो जायेगा तो मैं समझता हूं कि राज्य के कई लोगों का भला हो जायेगा. इसी के साथ-साथ मैं एक बात कहना चाहूंगा कि हमारे आउटसोर्सिंग का सिस्टम भर्ती का है, उस सिस्टम को समाप्त करके जो नये पदे बने, तब पुराने पदों को समाप्त न करते हुये, जब कोई कर्मचारी रिटायर्ड होता है तो उस पद को समाप्त कर दिया जाता है, ऐसी स्थिति में पद न समाप्त करते हुये उसको यथावत रखा जाये और उसके स्थान पर नये को भर्ती दी जाये.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं एक बात आपसे कहना चाहूंगा कि आपकी सरकार भाग्यशाली है, हमने नया मंत्रालय बनाया लेकिन माननीय कमलनाथ जी ने उसका उद्घाटन किया है. अब सरकार आप कम से कम ठीक से चलायें. सरकार ठीक से चलायें, क्योंकि दिवालिया सरकार चल रही है, कहीं पर कोई भुगतान नहीं हो रहा है, आज मैं आपको बताना चाहूंगा कि अकेले हमारे फारेस्ट विभाग में जितने भी वन मण्डल हैं, उनका एक रूपये का भुगतान नहीं हुआ है, किसानों ने लकड़ी बेची है, डिपो में उनका माल बिक गया जो व्यापारी ने खरीदा.
संसदीय कार्यमंत्री ( डॉ. गोविन्द सिंह) -- कृपया करके जब आप खजाना सफाचट कर गये तो हम कहां से दे दें, हम धीरे-धीरे करके ही देंगे. (हंसी)
श्री गौरीशंकर चतुर्भज बिसेन -- देखिये सरकार में आप हैं, आपकी जवाबदारी है कि किसानों ने अपनी उपज को सेल डिपों में बेचा, खरीददार ने उसको खरीद लिया, खरीदने के बाद में उसका पेमेंट कर दिया, लेकिन सरकार ने खजाने में पैसा रखा है. आज छ:-छ: महीने से किसानों को उनकी बिक्री की गई लकड़ी का भुगतान नहीं हुआ है, ऐसे में हरियाली मंत्र सफल कैसे होगा. लोग क्यों प्लांटेशन करेंगे, क्यों वनों की रक्षा करेंगे ? आज बरसात का समय है और इस समय में बड़े पैमाने पर सभी विभागों के द्वारा और विशेष तौर से वन विभाग के द्वारा वृक्षारोपण का काम होता है ऐसे में इनको प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है. आप इस संबंध में तत्काल वित्त मंत्रालय से बात करें क्योंकि आपका विभाग पूरे शासन का रिमोट कंट्रोल है. जी.ए.डी. के पास में पूरी सरकार का रिमोट कंट्रोल रहता है, इसलिये आप इस पर बात करें और उनको भुगतान करायें. इसके साथ-साथ मैं एक बात कहना चाहता हूं रसोईया, हमने रसोईया के वेतन बढ़ाने की बात की है. अभी तक नहीं बढ़ा है, तीन सौ रूपये उनके नहीं बढ़ रहे हैं. यह सब बाते वहीं हैं जो इसके पहले आई थी मैं नई कोई बात नहीं करना चाहूंगा. इसी के साथ-साथ मैं एक बात और कहना चाहूंगा कि स्थानांतरण में तो आपने खुला उद्योग खोल दिया. आओ आवेदन दो, न दो माल दे दो और ट्रांसफर लेकर चले जाओ. हमारे समय में हम ऑन लाईन आवेदन लेते थे, ऑनलाईन उसका परीक्षण होता था, लोगों को आना नहीं पड़ता था सीधे उनके ट्रांसफर होते थे. यह ट्रांसफर उद्योग बंद करिये इससे किसी का भला नहीं होने वाला है.
महिला एवं बाल विकास मंत्री (श्रीमती इमरती देवी) -- माननीय सदस्य एक बात सुन लें मेरा निवेदन है कि हर बार आपके हर विधायक ट्रांसफर की बात करते हैं. आप यह क्यों नहीं कहते हैं कि इतने दिनों से आपने जिनको अच्छी-अच्छी जगह बैठा रखा था, उनको हमने हटाया है, इसलिये आपको दुख है.
श्री गौरीशंकर चतुर्भज बिसेन-- ट्रांसफर हो रहे हैं इसलिये कह रहे हैं. हमे कोई आपत्ति नहीं है लेकिन उद्योग न चले. मैं तो जब आपका प्रभारी मंत्री था, तब जैसा आपने कहा मैंने वैसा किया है. मैं आपके हित में रहा हूं, मैं यह नहीं कहना चाहता हूं. लेकिन यह उद्योग बंद हो. ट्रांसफर करना सरकार का अधिकार है, लेकिन ट्रांसफर की नीति बनाई जाये.
डॉ.गोविन्द सिंह -- मेरी बात सुन लें. मैं आपसे यह कहना चाहता हूं कि आपने आरोप लगाया है और आप सामान्य प्रशासन और सहकारिता विभाग पर बोल रहे हैं. अगर हमारे विभाग में आमने सामने एक भी व्यक्ति पूरे मध्यप्रदेश में यह कह दे कि हमारे द्वारा विभाग में एक रूपये भी रिश्वत ली गई हो तो मैं आज ही मंत्री पद से और विधायक पद से इस्तीफा दे दूंगा.
श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैंने तो सहकारिता की बात नहीं की. मैंने कहा कि आप पूरे विभागों के रिमोट कंट्रोल हैं, मैं जीएडी विभाग की बात कर रहा हूं. सहकारिता पर जब आऊंगा, तब बात करूंगा और इतना ज्यादा दुखी मत होइये और इतना ज्यादा गंभीर भी मत होइये. माननीय उपाध्यक्ष महोदया, सदन में बहुत महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा चल रही है. सरकार में आप सहकारिता मंत्री हैं, लेकिन मंत्री की जवाबदारी पूरे विभागों की होती है और किसी विभाग में कोई कमी होती है तो उसे इस सदन के माध्यम से हम रख सकते हैं. मैं एक बात और कहना चाहूंगा, मैं सीधे-सीधे आपको कुछ सुझाव देना चाहूंगा. मुझे नहीं लगता कि 6 महीने की आपकी सरकार है और हम बहुत लंबी चर्चा करें. मैं एक बात आपसे कहना चाहूंगा कि जो हमारे पेंशनर्स हैं इनके बढ़े हुये महंगाई भत्ते का भुगतान नहीं हुआ, अब पेंशनर्स का भुगतान नहीं होगा तो उनके सामने क्या स्थिति बनेगी इसके बारे में आपको विचार करना चाहिये. दूसरा आपके विभाग की बात करते हुये मैं यह कहना चाहूंगा कि सेल्समेन लंबे समय से को-ऑपरेटिव में काम कर रहे हैं और जब उनको पूरा वेतन नहीं मिलता तो परिवार चलाने के लिये वह गलत रास्ते पर चलने के लिये मजबूरी में उनको वह रास्ता अख्तियार करना पड़ता है, सेल्समेनों के वेतन में वृद्धि होना चाहिये. इसी के साथ-साथ संविदा और दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के पदों को नियमित करना, आपके विभाग के पास अनेकों नस्तियां हैं. हमारे माननीय मंत्री परिषद के साथियों के बीच वह आपके विभाग में काम कर रहे हैं और मंत्री परिषद के साथियों के पास हैं. मंत्री के विभाग में या उनके गृह में उनके काम में जो लोग दैनिक वेतन में लगे थे उनकी एक नस्ती विचाराधीन है, उनको नियमित किया जाना चाहिये. इसी के साथ-साथ मैं एक बात कहना चाहता हूं कि जो समर्थन मूल्य पर धान के खरीदी केन्द्र अथवा गेंहू के खरीदी केन्द्र खोले गये हैं उनमें कोई भी व्यवस्था ठीक से नहीं रहती, अगर आप अभी से व्यवस्था को सुधारेंगे तो बरसात में इन चीजों का नुकसान नहीं होगा. हमारे यहां पर सिवनी, बालाघाट जिले में लाखों टन अनाज खुले आसमान में सड़ गया, बरबाद हो गया, क्योंकि उसके परिवहन की व्यवस्था समय पर नहीं हो सकी तो आप इसकी चिंता करें इससे आर्थिक हानि होती है और किसान का भी नुकसान होता है और सरकार को भी वित्तीय नुकसान होता है. इसी के साथ-साथ में एक बात और कहना चाहूंगा कि जो प्राकृतिक आपदा में आर.बी.सी.6.4 के तहत मृत्यु होने पर 4 लाख का प्रावधान है. कृषि उपज मंडी बोर्ड में भी हमने 4 लाख का प्रावधान कर दिया कृषि कार्य करते हुये किसी की मृत्यु होने पर, जब मैं कृषि मंत्री था तो उसको बढ़ाकर हमने 4 लाख किया, लेकिन सड़क दुर्घटना में अभी भी आप देखेंगे, मैंने प्रतिवेदन में देखा है कि 15 हजार रूपया मृत्यु होने पर दिया जाता है और गंभीर घायल होने पर साढ़े सात हजार रूपया दिया जाता है. जब प्राकृतिक आपदा में 4 लाख का प्रावधान है, जब मंडी बोर्ड में 4 लाख का प्रावधान है तो इस तरह की दुर्घटना में जहां पर सामने के वाहन की जानकारी न हो सके इसमें भी 4 लाख किया जाना चाहिये. माननीय मंत्री जी, मैं एक बात और कहना चाहता हूं विधायकों को जो आवास गृह के लिये 25 लाख रूपये का ऋण दिया जाता है उस 25 लाख के ऋण पर ब्याज अनुदान है. मैं समझता हूं कि सभी माननीय विधायक सहमत होंगे. रचना नगर में सहकारिता विभाग, आवास संघ के द्वारा भवन बन रहे हैं, उसकी कीमत का अगर आप अनुमान लगायें तो 1 करोड़ रूपये से कम उसकी लागत नहीं आ रही है. ऐसी स्थिति में 25 लाख रूपये पर ब्याज अनुदान कम है, इसको बढ़ाकर कम से कम 50 लाख किया जाना चाहिये. इसी के साथ साथ वाहन ऋण पर 15 लाख रूपये तक ब्याज अनुदान है इसको बढ़ाकर 25 लाख किया जाये 15 लाख के वाहन पर तो कोई बैठता ही नहीं है, सब लोग चाहते हैं कि हमको एसी वाहन मिले और उस पर ब्याज अनुदान 10 प्रतिशत सरकार वहन करती है उसके ऊपर हमको देना पड़ता है तो ब्याज अनुदान की नीति को बढ़ाकर के 50 लाख किया जाये. इसी के साथ-साथ कम्प्यूटर क्रय के लिये सभी माननीय सदस्य चाहते हैं कि 50 हजार रूपये का प्रावधान किया जाना चाहिये. इसी के साथ-साथ जो हमें निजी सहायक मिलते हैं वह एक ही मिलता है, अब काम बढ़ गया है ऐसी स्थिति में 2 निजी सहायक हों और उनको आने-जाने के लिये टीए, डीए की पात्रता दी जाये. इसी के साथ-साथ मैं समझता हूं कि जीएडी में और ज्यादा कहने की आवश्यकता नहीं है, आप तो नये भवन में बैठे हो, ठीक से सरकार चलाओ, मध्यप्रदेश का कल्याण करो और मध्यप्रदेश की जनता के जनकल्याणकारी कामों को पूरा करो, वरना यह जनता है किसी को माफ करने वाली नहीं है.
श्री हरिशंकर खटीक-- वित्त मंत्री जी विधायक विकास निधि 5 करोड़ रूपये कर रहे हैं बढ़ना चाहिये न.
श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन-- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, विधायक निर्वाचन क्षेत्र की विकास निधि 1 करोड़ 85 लाख है उसको बढ़ाकर दोगुना किया जाना चाहिये माननीय मंत्री जी. विधायक निर्वाचन क्षेत्र विकास निधि 1 करोड़ 85 लाख है और अनुदान के रूप में 15 लाख है उसको बढ़ाकर 4 करोड़ किया जाना चाहिये. इसी के साथ-साथ मैं सहकारिता के बारे में कहना चाहूंगा. मैं वही चीज आपके सामने रखना चाहूंगा जिसको आपने सदन में कहा है. आपने कहा है कि सहकारिता में जो चुनाव हैं वह चुनाव अभिकरण के द्वारा होते हैं जो निष्पक्ष नहीं होते. यह आपका 23.3.2017 का भाषण है, इसमें आपने पिछली बार कहा था कि अभिकरण के चुनाव पर विश्वास नहीं है तो अब आप सत्ता में आ गये, आप इसे राज्य चुनाव आयोग को दे दें और राज्य चुनाव आयोग के माध्यम से जिस तरह से हमारे पंचायतीराज के और स्थानीय निकायों के चुनाव होते हैं उस तरह से सहकारिता सेक्टर के भी चुनाव हों. मैं कोई नई बात नहीं कह रहा हूं, जो माननीय गोविंद सिंह जी ने कहा है उसी को कह रहा हूं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं एक बात और कहना चाहूंगा राज्य जिला सहकारी ग्रामीण विकास बैंक, इस बैंक की जो माइनस मार्किंग शुरू हुई उस समय से हुई जब आप सहकारिता मंत्री थे, मेरे पूर्व आप सहकारिता मंत्री थे और तब से यह परिसमापन में चला गया. लेकिन आज भी सारे कर्मचारियों का दूसरे अन्य को-ऑपरेटिव सेक्टर में संविलियन नहीं हुआ है, इसको प्राथमिकता पर करने की आवश्यकता है. इसी के साथ-साथ इसमें ऋण समाधान योजना हमनें चालू की थी कि जो किसान अपना ब्याज पूरा-पूरा अदा कर दे उनका 1, 2, 3 स्टॉलमेंट था, मुझे लगता है को-ऑपरेटिव सेक्टर में जो राज्य सहकारी कृषि ग्रामीण विकास बैंक हैं इसका ऋण देने की स्थिति किसानों की नहीं बची. आप जब पूरे प्रदेश के किसानों का ऋण माफ कर रहे हैं तो बमुश्किल तीन, चार सौ करोड़ रूपये का मामला है उसका आप परीक्षण करा लें और जो राज्य सहकारी ग्रामीण विकास बैंक जिसको भूमि विकास बैंक कहते थे इसके पहले उसका नाम मॉडगेज बैंक था, इसके किसानों का सारा ऋण माफ होना चाहिये क्योंकि किसान की जमीन नीलाम नहीं की जा सकती, रहन जमीन की गई है और यह बड़ा निर्णय लेने की आज आवश्यकता है. इसी के साथ-साथ एलडीव्ही का ऋण पूरा माफ किया जाये और उनकी बंधक भूमि को मुक्त किया जाये, जो कर्मचारी हैं उनका सहकारिता सेक्टर में अन्य स्थानों पर संविलियन किया जाये. हमारे वित्तमंत्री के भाषण को मैंने बड़ी गंभीरता से पढ़ा, माननीय वित्तमंत्री जी ने कहा कि हम को-ऑपरेटिव सेक्टर में पिछली बार हमने 7 हजार करोड़ रूपये का प्रावधान किया और इस बार बजट में 8 हजार करोड़ का प्रावधान किया गया है. मैं एक बात पूछना चाहता हूं कि 7 और 8 हजार करोड़ में क्या को-ऑपरेटिव सेक्टर का सारा ऋण माफ होगा. यदि आप ईमानदारी से ऋण माफ करना चाहते हैं तो मैं यह कहना चाहता हूं कि अन्य खर्चों में कटौती करके एक साथ राज्य के किसानों का कर्जा माफ करिये जिससे किसान नया ऋण ले सके और किसान फिर से नई अपनी फसल लेने के लिये एक कार्य योजना बना सके. इसके साथ-साथ मैं एक बात और कहना चाहूंगा कि हमारे माननीय वित्तमंत्री जी, यहां बैठे हुये हैं, आपने एक हजार करोड़ की अंशपूंजी का प्रावधान पिछली बार किया और अभी आपने एक हजार करोड़ का प्रावधान किया है लेकिन वास्तव में जो शेयर और अमानत की राशि है आपने मुझे कटौती प्रस्ताव के उत्तर में बताया कि जो हमने सर्कुलर जारी किया था कि 50 प्रतिशत ऋण उन किसानों का देना होगा जो दो वर्ष से अधिक के हैं और वह पैसा सेवा सहकारी समिति की अमानत और शेयर के पैसे से अदा होगा, फिर आपने उसको विड्रा किया और आप कह रहे हैं कि किसानों के शेयर का पैसा हम समायोजित करेंगे. मैं इस बात का स्वागत करना चाहूंगा, लेकिन हम यह चाहेंगे कि आप पूरे पैसे का प्रबंधन करें वरना किसान की स्थिति यह है, आप यहां बैठे हैं, आप अपने भिण्ड चले जाइये, आप ग्वालियर चले जाइये, आप अपने अकेले संभाग में जाकर देखिये, आज भी किसानों को को-ऑपरेटिव सेक्टर से ऋण नहीं मिल रहा है और उसके कारण जो हमने 1200 करोड़ के ऋण को 16 हजार करोड़ तक पहुंचाया था. 1200 करोड़ वर्ष 2003-04 का ऋण था वह बढ़कर के 16 हजार करोड़ हो गया और उसके बाद में आज आप देखेंगे कि इस वर्ष कम ऋण वितरित हुआ है, इसकी आपको व्यवस्था करनी होगी और इसके लिये यह जरूरी है कि किसानों के शेयर, अमानत का पैसा पूरा-पूरा वित्त मंत्रालय एक साथ अगली सप्लीमेंट्री में उसका प्रबंधन करे, लेकिन उसका पैसा देने की आवश्यकता है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं एक बात कहना चाहता हूं कि एक बार आप फैसला कर लीजिये दमदार, वजनदार और एकदम विषय पर पकड़ रखने वाले मेरे मित्र मंत्री जी, आप राज्य चुनाव आयोग से सहकारिता के चुनाव करा दो. दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा. आप आईये मैदान में,जो आपने कहा पूरा करिये, आज मुझे ज्यादा नहीं कहना है. मैं यह कहना चाहूंगा कि हमारे युवा सहकारिता मंत्री ने कई नीतियां राज्य में लागू कीं जिसके कारण सहकारिता के क्षेत्र में तरक्की हो रही है . उनका आप परीक्षण करें. इस बात को नजरअंदाज करें कि सरकार किसकी थी, मंत्री कौन था. सरकार आना, मंत्री का बदलना, लोकतंत्र की प्रक्रिया है. कई सरकार आयेंगी, कई सरकार जायेंगी लेकिन जिस सहकारिता के माध्यम से हम किसान की आय को दुगना करना चाहते हैं और राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत करना चाहते हैं तो हमको खुले चश्मे से देखना होगा और जिस सरकार ने अच्छा काम किया है उस सरकार के अच्छे कामों का अनुसरण करके, उस मंत्री के सुझावों का, उसमें आपकी भी सहभागिता है. यदि हम लोग मिलकर काम नहीं करेंगे. यही सदन है यहां पर आपने की सुझाव दिये. उन सुझावों को हम लोगों ने स्वीकार किया. यही सदन है जहां पर बैठकर हमने बहुत से नीतिगत निर्णय लिये हैं. इसीलिये मैं कहना चाहूंगा कि ये जो तुलाटी हैं, वजन करने वाले, जो हमारे मजदूर हैं सिलाई करने वाले उनको प्रति बैग 10 रुपये मिलता है. तागे की कीमत लगा लीजिये. उसकी मजदूरी लगा लीजिये. अंततोगत्वा सोसायटी के लोगों को गलत रास्ता अख्तियार करना पड़ता है और इसलिये वह पैसा अपर्याप्त है और 10 रुपये को बढ़ाकर 20 रुपये आपको करना चाहिये. इससे ईमानदारी से हमारी सोसायटियां चल सकें. उनको किसी तरह का नुकसान न हो. अंत में मैं आपका अभिनंदन करते हुए एक बात कहना चाहूंगा कि जब हम 2003 में सरकार में आये तब बैंकों की क्या हालत थी. यह बात सही है कि वैद्यनाथन कमेटी का कुछ पैकेज मिला लेकिन उनके नियम, शर्तें बहुत कठिन थीं. हमको जब तक इसमें नया सिस्टम नहीं लायेंगे हम सफल नहीं होंगे. हम यह कह दें कि जो 38 बैंकें थीं तो मैंने 30 कहा था. प्रिंटिंग मिस्टेक है. आज की स्थिति है कि वास्तव में अनेक बैंकें एन.पी.ए. की स्थिति में आ गई हैं. यदि सरकार ने सहायता नहीं दी तो राज्य की 38 बैंकें बंद हो जायेंगी जैसे भूमि विकास बैंक बंद हो गई. इसलिये सतर्कता के साथ काम करने की आज आवश्यकता है. मुझे पूरा विश्वास है कि हमारे सहकारिता मंत्री कापरेटिव्ह सेक्टर को मजबूत करेंगे और जिस उद्देश्य से कापरेटिव का हमारे देश में, महात्मा गांधी और दूसरे कापरेटिव्ह सेक्टर के लोगों ने काम किया, हम दूसरे राज्यों के कापरेटिव्ह सेक्टर का अध्ययन करें. हम कर्नाटर जाएं, हम गुजरात जाएं, हम महाराष्ट्र जाएं और वहां जाकर वहां के कापरेटिव्ह सेक्टर का अध्ययन करके नये कापरेटिव्ह सेक्टर का स्वरूप लाएं और राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत करें. किसानों की हालत को मजबूत करें. यही निवेदन करते हुए मैं आपको धन्यवाद देना चाहूंगा. बहुत-बहुत धन्यवाद. वंदे मातरम्, जय किसान, जय विज्ञान, जय जवान.
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह (पथरिया) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सभी विधायकों ने मांग रखी है अपनी पेमेंट बढ़ाने की पर मैं आपसे निवेदन करना चाहती हूं कि सभी विधायकों की पेमेंट घटा दी जाये और जो विकलांग, वृद्धावस्था पेंशन जिनको मिलती है उनकी बढ़ा दी जाये क्योंकि विधायकों को और मंत्रियों को जरूरत नहीं है. इनकी घटाकर गरीबों के लिये दी जाय.
उपाध्यक्ष महोदय - धन्यवाद. बैठ जाईये.
श्री घनश्याम सिंह (सेवढ़ा) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 1,2,17,28 को स्वीकृत करने के लिये खड़ा हुआ हूं. हमारे सम्मानित वरिष्ठ सदस्य का भाषण सुन रहा था. सामान्य प्रशासन के क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौती जो हमारी सरकार को विरासत में मिली वह था कर्मचारियों में असंतोष. पिछले 15 सालों में जो सरकार थी उसने इस तरह की नीतियां बनाईं. कर्मचारी विरोधी नीतियों के कारण कर्मचारियों का हर वर्ग असंतुष्ट था. और सरकारी कर्मचारी प्रशासन की एक धुरी होती है. आप यह देखें कि कोटवारों से लेकर A&M, स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी, शिक्षक, तहसीलदार, सबने आंदोलन किया. शायद ही ऐसा कोई वर्ग बचा हो जिसने आंदोलन नहीं किया और जो कर्मचारियों से वायदे किये गये थे जब यह सत्ता में आये थे उन सब वायदों से ये पीछे हट गये उसके कारण कर्मचारी असंतुष्ट हुए. अध्यापक और पेंशनर्स इसके खास उदाहरण हैं. उनके साथ धोखाधड़ी की गई. पदोन्नति के प्रकरण में भी सरकार ने गफलत भरी नीति अपनाई जिससे सभी वर्गों के लोग प्रताड़ित हुए. संविदा कर्मी, अतिथि शिक्षक, रोजगार सहायक, लगभग सभी सरकारी कर्मचारियों ने सरकार के प्रति नाराजगी व्यक्त की और शर्म की बात है कि शासकीय कर्मचारियों ने सामूहिक रूप से मुंडन कराया. इससे ज्यादा शर्म की बात यह है कि उनमें महिला कर्मचारी भी शामिल थीं. कितना आक्रोश होगा, कितना असंतोष होगा सरकारी कर्मचारियों में. आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, A&M, राजस्व अधिकारी, शिक्षा कर्मी, पेंशनर्स, दैनिक वेतन भोगी, मजदूर, कौन सा ऐसा वर्ग है जो असंतुष्ट नहीं था. न्याय की गुहार लगा रहा था और सबसे बड़ी बात कर्मचारी संघों ने जब भोपाल में सम्मेलन किये, आंदोलन किये. यहां धरना देने की बात कही. पूरे प्रदेश से लोग इकट्ठा होकर आये, अलग-अलग वर्गों के. शिक्षा विभाग के, स्वास्थ्य विभाग के, जिस विभाग के भी लोग आये. यहां उनका पुलिस ने लाठी, डण्डों से स्वागत किया. सरकार ने लगे लट्ठ, लगे लट्ठ, सबको भगा दिया. आप बताईये, कि एक तो उनको प्रताड़ित किया जा रहा है और लोग लोकतांत्रिक तरीके से अपना विरोध भी प्रकट न कर सकें. आखिर सभी सरकारी कर्मचारी थे कोई असमाजिक तत्व नहीं थे. उनकी बात सुन लेते. धरना, प्रदर्शन कर रहे थे. उनको धरने पर बैठ जाने देते. 4-5 घंटे, दिन भर धरना चलता, भाषण होते, वे ज्ञापन देते, वे वापस चले जाते लेकिन हर वर्ग के साथ यह दुर्व्यवहार किया गया. सबको पुलिस ने लट्ठों से मार-मारकर खदेड़ा. यह बड़े शर्म की बात है. हमारी सरकार को ऐसा कर्मचारी वर्ग मिला जो असंतोष से भरा हुआ था और सबसे बड़ी बात कि कर्मचारी वर्ग के हर वर्ग ने यह नारा लगाया कि (XXX)
श्री विश्वास सारंग - माननीय उपाध्यक्ष महोदया, इसे विलोपित करवा दें.
उपाध्यक्ष महोदया - इसको विलोपित कर दें.
श्री घनश्याम सिंह - और उन्होंने उस भूल को सुधार भी दिया जिसके कारण आज आप विपक्ष में बैठे हैं और हमारी पार्टी सत्ता में है.
श्री रामपाल सिंह - अब आपके खिलाफ इतने नारे लग रहे हैं जितने कभी नहीं लगे. आपके खिलाफ नारे शुरू हो गये हैं.
(..व्यवधान..)
श्री जालम सिंह पटेल - आपके वचनपत्र का पालन तो कर लो. 19 बिन्दु हैं.
उपाध्यक्ष महोदया - जालम सिंह जी कृपया बैठ जाईये.
इंजी. प्रदीप लारिया - वचनपत्र में आपने कहा था कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को 1500 रुपये देंगे. यह भी नहीं दिया.
उपाध्यक्ष महोदय - घनश्याम जी, आप अपनी बात कहिये.
डॉ.गोविन्द सिंह - आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के लिये नहीं किया, आपने कहा, तो क्या जादू है. 5 वर्ष के लिये है वचनपत्र 6 महीने के लिये नहीं है. बार-बार दोहराते हो. आपने तो 30 साल में नहीं किया.
(..व्यवधान..)
इंजी. प्रदीप लारिया - 10 दिन में कर्जा माफ नहीं तो मुख्यमंत्री साफ.
(..व्यवधान..)
श्री प्रवीण पाठक - साढ़े पांच साल में 15 लाख दे पाए क्या. 2 करोड़ रोजगार दे पाए हम लोगों से 7 महीने में हिसाब मांगते हो.
उपाध्यक्ष महोदय - प्रवीण जी, कृपया बैठ जाईये.
श्री घनश्याम सिंह - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं वचनपत्र पर भी आ रहा हूं.
श्री रामेश्वर शर्मा - हम वचनपत्र तो नहीं समझते लेकिन गोविन्द सिंह जी हाऊस में कुछ कह दें तो मान लें कि बात पूरी हो जायेगी.
उपाध्यक्ष महोदय - कृपया बैठ जाईये.
श्री घनश्याम सिंह - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अभी हमारे जी.ए.डी. और सहकारिता मंत्री गोविन्द सिंह जी ने बताया कि वचनपत्र हमेशा 5 साल के लिये होता है लेकिन हमारे मुख्यमंत्री जी यह भावना से नहीं चल रहे. वह तुरंत कदम उठा रहे हैं धीरे-धीरे, एक-एक करके सारे वचन पूरे किये जा रहे हैं. अनुकम्पा नियुक्ति के संबंध में वायदा किया गया था कि निराकरण हेतु अभियान चलायेंगे. सभी विभागों पर सभी स्तरों पर संयुक्त परामर्शदात्री समिति की प्रत्येक 4 माह में बैठक अनिवार्य की जायेगी. बैठक में उपस्थित सक्षम प्राधिकारी अपने अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत प्रकरणों का निराकरण बैठक में करते हुए समिति को अवगत कराएंगे यह वायदा किया गया था इसके लिये 14.1.2019 को ही आदेश जारी हो गये. प्रक्रिया आरंभ हो गई. शासकीय सेवक और स्थाई कर्मियों,पंचायत सचिवों,पेंशनर्स,परिवार पेंशनर्स को सातवें वेतमान के भत्ते, राहत में 1 जनवरी, 2019 से 3 प्रतिशत की वृद्धि की गई है.मंत्रिपरिषद् द्वारा 3 जून,2019 को निर्णय ले लिया गया. निर्देश जारी कर दिये गये और सारे वायदे जो भी शासकीय कर्मियों से संबंधित हैं जितने पूरे हो सकें धीरे-धीरे पूरे कर रहे हैं जिनमें वित्तीय भार बहुत ज्यादा है उनके लिये भी रास्ता निकाला जा रहा है. उससे पीछे नहीं हट रही है हमारी सरकार. सबसे बड़ी बात अतिथि शिक्षक, संविदा कर्मी और रोजगार सहायक ये तीन ऐसे वर्ग हैं जिनके नियमितिकरण का वायदा भी वचनपत्र में किया गया था और सही बात है कि यह बहुत बड़ा इश्यू है और रातों रात पूरा नहीं हो सकता है. यह भी सही है कि आपने खजाना खाली छोड़ा है, उसके लिए विचार करना पड़ेगा और हमारी सरकार ने विचार मंथन प्रारंभ कर दिया है. हमारी सरकार, माननीय मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ जी ने हमारे माननीय मंत्री डॉ. गोविन्द सिंह जी की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई है जो भी इन वर्गों से ज्ञापन प्राप्त हुए हैं, उन पर कमेटी विचार करेगी और प्राथमिकता के आधार पर चरणबद्ध तरीके से इनको पूरा किया जाएगा, सबको नियमित किया जाएगा. मेरा इसमें थोड़ा शासन को भी सुझाव है कि अतिथि शिक्षक, संविदा कर्मी और रोजगार सहायक ये 3 बड़े वर्ग हैं जिनका नियमितिकरण किये जाने के लिए हम वचनबद्ध हैं. इनमें जहां फाइनेंश्यल बर्डन कम है या नहीं हैं उनको थोड़ा जल्दी लिया जाय. कमेटी के अध्यक्ष भी डॉ. गोविन्द सिंह है इसलिए उनसे निवेदन है और खासतौर से रोजगार सहायक, रोजगार सहायकों को जो 9000 रुपये महीना मिलता है, जिसमें मनरेगा से 5000 रुपये, 2000 रुपये स्वच्छ भारत अभियान से और 2000 रुपये प्रधानमंत्री आवास योजना से मिलता है तो उनको इसी वेतन पर नियमित किया जा सकता है. भविष्य में धीरे-धीरे वेतन भी बढ़ाया जाय. यह कमेटी निश्चित रूप से विचार करेगी. जहां फाइनेश्यल बर्डन कम हैं वहां प्राथमिकता से जल्दी उनका नियमितिकरण करेंगे बाकी जहां पर फाइनेंश्यल बर्डन ज्यादा है वह भी चरणबद्ध तरीके से नियमित करने के लिए हमारी सरकार वचनबद्ध है.
उपाध्यक्ष महोदया, विधायकों के निजी सहायकों के संबंध में चर्चा आई, मेरा यहां पर यह कहना है, मेरी यह मांग है कि सरकार से विधायकों के लिए जो निजी सचिव अटैच होते हैं. उनके लिए नियम है कि उनको स्टेनोग्राफी आनी चाहिए और वे सहायक वर्ग के होने चाहिए, क्लर्क होने चाहिए, उसमें बहुत से विधायकों की यह मांग आई कि ज्यादातर विधायक शिक्षक वर्ग से भी निज सहायक चाहते हैं तो मैं धन्यवाद दूंगा हमारे मंत्री डॉ. गोविन्द सिंह जी ने पूर्व में घोषणा की थी कि विशेष परिस्थितियों में विशेष स्वीकृति देकर कई विधायकों को शिक्षक वर्ग से या अन्य वर्गों से भी निज सहायक दे दिये गये हैं. इस पर नीतिगत निर्णय लेकर एक आदेश भी वह जारी कर रहे हैं तो उसके लिए भी मैं उनको बहुत बहुत धन्यवाद दूंगा.
उपाध्यक्ष महोदया, यहां मैं ध्यान आकर्षित कराना चाहूंगा यह जो प्रतिनियुक्ति पर विधायकों के पास निज सहायक आते हैं उनको वर्ष 1990 में एक नियम बना था उनको विशेष भत्ता 200 रुपये प्रतिमाह दिया जाता है जो कि बहुत ही कम है. मैं समझता हूं कि आज के जमाने में तो हास्यास्पद है तो उसको बढ़ाकर कम से कम 2000 रुपये प्रतिमाह विशेष भत्ता दिया जाय तो जो टीए, डीए की बात थी वह भी उसमें कवर होगी. यह मैं शासन से मांग करता हूं.
उपाध्यक्ष महोदया, अब मैं सहकारिता विभाग के संबंध में कहना चाहता हूं. सहकारिता विभाग में भी वही हाल है. अब मैं कहूंगा तो आप फिर यह कहेंगे कि आपको 15 साल का भूत सवार है. लेकिन यह बात बिल्कुल सही है. यह तथ्य है कि सहकारिता आन्दोलन को तो मुझे ऐसा लगता है कि मुझे यह कहने में कोई संशय नहीं है कि पिछले 15 सालों में जैसे षड्यंत्रपूर्वक योजनाबद्ध तरीके से जानबूझकर उसे ध्वस्त किया गया. आज सहकारी संस्थाओं की स्थिति कंगाल की तरह हो गई है, तमाम हमारे बैंक खत्म हो गये हैं. भूमि विकास बैंक खत्म हो गया है. तमाम को-आपरेटिव बैंक आरबीआई के नियमों के अनुसार खत्म होने की कगार पर हैं. मुश्किल से प्रदेश में 3 या 4 ऐसे बैंक हैं जो सही चल रहे हैं. ऐसी स्थिति हमको विरासत में मिली है.यह पिछली सरकार ने छोड़ी है. यह बड़ी शर्म की बात है.
निजी स्वार्थों और भ्रष्ट नीतियों के कारण सहकारिता आन्दोलन भ्रष्ट हो गया है. सहकारी संस्थाएं और बैंक चेहतों को उपकृत करने का माध्यम बन गये हैं. किसानों की बजाय भारतीय जनता पार्टी के लोगों को लाभ पहुंचाया गया. यह भी आरोप लगाने में मुझे कोई संकोच नहीं है. बैंक की आर्थिक स्थिति बदतर हो गई है. वैद्यनाथन कमेटी, केन्द्र सरकार ने वैद्यनाथन कमेटी की अनुशंसा पर करोड़ों अरबों रुपये का अनुदान सहकारी संस्थाओं के लिए दिया था लेकिन बड़े दुःख की बात है कि सहकारिता अधिनियम में संशोधन किया गया है. जिसमें चेहतों को बगैर चुनाव के सहकारी संस्थाओं की बागडोर सौंपने की बात कही गई है. बिना चुनाव के सहकारी संस्थाओं की बागडोर चेहतों को दे दी गई . यह जो वैधनाथन कमेटी की शर्तें थी, जो एमओयू था जो केन्द्र सरकार से एमओयू हुआ था उसका खुल्लमखुल्ला उल्लंघन था. इसके कारण बाद की किश्तें नहीं मिल पाई करीब 625 करोड़ रुपये जो मध्यप्रदेश सरकार को मिलते वैद्यनाथन कमेटी की अनुशंसा के अनुसार वह नहीं मिल सके, उसकी जिम्मेदार पूर्व की भाजपा सरकार है. इसके कारण सहकारिता क्षेत्र में आज जो स्थिति उत्पन्न हुई है. अब मैं सम्मान करूंगा आदरणीय श्री गौरीशंकर बिसेन जी का उन्होंने भी स्वीकार किया. उन्होंने भी अपने भाषण में कहा कि अभी इस सरकार को 6-7 महीने हुए हैं इसलिए हम ज्यादा बात नहीं कर सकते हैं. वह स्वीकार कर रहे हैं तो सही भी बात है. मैं उनको धन्यवाद दूंगा 6 महीने, 7 महीने हुए हैं जिसमें 15 साल से जो शासन चला आ रहा था, उसके बाद नया शासन आया, बहुत से आवश्यक निर्णय लेने पड़ते हैं. कई चीजें पॉलिसी मेटर्स की होती है, उनको डिसाइड करने के लिए समय चाहिए. सरकारिता क्षेत्र के सुधार के लिए भी हमारी सरकार मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ के नेतृत्व में वचनबद्ध है. हमारे सहकारिता मंत्री डॉ. गोविन्द सिंह जी इस क्षेत्र के बहुत अनुभवी खिलाड़ी हैं और हमारी सरकार की नीयत साफ है. हम सहकारिता को पुनः मजबूत करना चाहते हैं और इस दिशा में निश्चित रूप से हम काम करेंगे. लेकिन जो स्थिति विरासत में मिली उसको सुधारने में समय तो हमें चाहिएगा. जो किसानों की अंशपूंजी और उसकी बात अभी हुई थी उसमें पहले ही हमारे मंत्री जी स्पष्ट कर चुके हैं कि हमारी सरकार बिल्कुल किसानों की जो अंशपूंजी है उसे नहीं लेगी और जहां किसी गफलत के कारण ली भी गई है उसे वापस लौटाया जाएगा. यह हमारी सरकार ने वायदा किया है.
उपाध्यक्ष महोदया, विधानमंडल के संबंध में अभी विधायकों की सुविधा के बारे में बात रखी गई. मेरे ख्याल से सभी सदस्य सहमत होंगे, चाहे विधायक निधि हो, चाहे स्वेच्छानुदान हो, यह सब जो मंहगाई बढ़ रही है उसके अनुसार बढ़ाया जाना चाहिए और माननीय उपाध्यक्ष महोदया मैं कहना चाहूंगा कि इसमें थोड़ी सी जिम्मेदारी हमारे अध्यक्ष महोदय ने मुझे भी दी है, मुझे सदस्य सुविधा समिति का सभापति बनाया है और कल हमने बैठक की थी, उसमें प्रारंभिक चर्चा हुई. बहुत सार्थक चर्चा हुई, बहुत अच्छे सुझाव आए उसमें खासतौर से वरिष्ठ विधायक श्री नागेन्द्र सिंह जी और श्री जगदीश देवड़ा जी थे, उन्होंने भी बहुत अच्छे सुझाव दिये है, उस पर विचार करके जल्दी ही हम बैठक करेंगे. मैं तो सभी विधायकों से अनुरोध करूंगा कि हमारी समिति को जो भी सुझाव हैं वह लिखित में दें, उसमें विधायक निधि बढ़ाना, स्वेच्छानुदान राशि बढ़ाना यह तो अलग बात है.
एक महत्वपूर्ण बात हम लोगों के सामने आई उसका प्रयास किया जाना चाहिए, वह करेंगे. शासन को हम लोग सलाह भी देंगे, अपनी रिपोर्ट देंगे कि कूपन की व्यवस्था बदलकर कार्ड की व्यवस्था की जाय जैसे सासंदों की होती है, उससे बहुत असुविधा हमारे सदस्यों की दूर होगी.
क्षेत्र में या जिला मुख्यालय पर एक विधायक निवास बनाया जाय. जैसे कलेक्टर निवास, पुलिस अधीक्षक निवास होता है, जो भी विधायक हो, उसे अपने कार्यालय के रूप में या अगर वहां निवास नहीं करता है गांव में निवास करता है तो अपने निवास के रूप में भी उसका उपयोग कर सके. इस तरह के बहुत अच्छे उपयोगी सुझाव आए हैं.
एक यह भी सुझाव आया था कि संसद में जिस तरह से सेंट्रल हॉल है या अन्य स्थान हैं, जहां सदस्य लोग कुछ समय के लिए बैठ सकते हैं. चाय काफी ठंडा पी सकते हैं. आपस में गंभीर चर्चाएं कर सकते हैं. ऐसा विधान सभा भवन में भी होना चाहिए. ऐसा क्षेत्र जहां प्रतिबंधित हो, और कोई न आ सके. केवल विधायक बैठकर आपस में बातचीत कर सकें. यहां तो हम लोग आमने-सामने टेंशन में रहते हैं. लेकिन वहां बैठकर मित्रतापूर्वक वातावरण में बात हो सकती है. विपक्ष और सत्ता दल के लोग भी आपस में राय मश्विरा कर सकते हैं. ऐसे बहुत उपयोगी सुझाव आए उसकी रिपोर्ट हम जल्दी से जल्दी प्रस्तुत करेंगे. इसी के साथ माननीय उपाध्यक्ष महोदया, आपने मुझे जो बोलने की अनुमति दी इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद. मैं इन सभी मांगों का समर्थन करता हूं. (मेजों की थपथपाहट)...
श्री रामपाल सिंह - उपाध्यक्ष महोदया, माननीय श्री घनश्याम सिंह जी बहुत सीनियर सदस्य हैं मंत्रिमंडल में इनका नाम आ रहा था इनको कहां सभापति में उलझा दिया. ऐसा इनके साथ में अन्याय हो रहा है. हम बहुत पुराने साथी हैं. बहुत प्रतिष्ठित परिवार है.
उपाध्यक्ष महोदय - वहां भी बहुत अच्छा रिजल्ट देंगे. बहुत शानदार. डॉ. मोहन यादव जी, श्री बहादुर सिंह चौहान जी..
श्री बहादुर सिंह चौहान (महिदपुर) - उपाध्यक्ष महोदया, मैं मांग संख्या 1, 2, 17 और 28 ..
श्री विश्वास सारंग - उपाध्यक्ष महोदया, वैसे जोड़ अच्छी है, यहां बहादुर सिंह जी, वहां प्रद्युम्न सिंह जी. बराबरी का मामला है.
श्री बहादुर सिंह चौहान- वही बराबरी कर पाएंगे. दूसरे नहीं कर पाएंगे.
श्री विश्वास सारंग - पर भारी हमारा बहादुर ही पड़ेगा, ध्यान रखना.
श्री रामपाल सिंह - और यहां श्री उमाकांत शर्मा जी और वहां श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव जी विदिशा वाले, बराबरी है.
खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री (श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर) - हमसे भारी हो, हम तो जानते हैं पहले से ही. हर बात में आप भारी हो.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर - विश्वास सारंग जी, हमारे पास भी मुरैना के श्री गिर्राज डण्डौतिया जी हैं आप चिंता मत करना.
श्री बहादुर सिंह चौहान-वह हैवी पड़ेंगे, उनसे मैं लड़ नहीं सकता. वे चंबल के व्यक्ति हैं. मैं मालवा का हूं.
उपाध्यक्ष महोदया मैं मांग संख्या 1,2,17 और 28 का विरोध करता हूं और कटौती प्रस्तावों का समर्थन करता हूं. उपाध्यक्ष महोदया माननीय मंत्री जी सामान्य प्रशासन विभाग के भी मंत्री हैं. जब वह विपक्ष में बैठते थे और बोलते थे तो आपसे मैं बहुत सीखता था. गोविन्द सिंह जी हमारे सहकारिता मंत्री भी हैं. वह अंदर से और बाहर से दोनों तरफ से एक जैसे ही हैं. इसे कहने में कोई संकोच नहीं है, कोई दूसरे मंत्री आयेंगे तो उनके बारे में भी बोलेंगे इस बात की चिंता नहीं है. सहकारिता के ज्ञान के बारे में आप पहले से बहुत वरिष्ठ हैं. मेरा आग्रह है कि इस बार सहकारिता में जो भण्डार गृह का जो अनुदान था वह आपने समाप्त कर दिया है. मंत्री जी मैं आपसे कहना चाहता हूं कि गांवों में एक लीड संस्था होती है उसमे हमारा यूरिया, हमारा डीएपी, बीज का भण्डार हो जाता है और उस लीड संस्था में 6 से 8 तक अन्य संस्थाएं भी होती हैं तो किसान वहां से आराम से अपना खाद और बीज लेकर जा सकता था हमारे पूर्व सहकारिता मंत्री जी ने हमारे क्षेत्र में 7 ऐसे भण्डार गृह बनवाए थे और आपने इसको बंद कर दिया है विभाग के अधिकारियों ने आपको क्या सलाह दी है पता नहीं. मैं चाहता हूं कि इस अनुदान को खत्म नहीं करें और अगली बार इसको जोड़ें, ताकि यह छोटे छोटे 500 मैट्रिक टन के, 1000 मैट्रिक टन के वेयर हाऊस बन जायेंगे तो किसान को बहुत अधिक सुविधा हो जायेगी मेरा आपसे इसमें इतना ही आग्रह है.
दूसरा मेरा आपसे यह आग्रह है कि किसान फसल ऋण माफी योजना के अंतर्गत सरकार का उद्देश्य साफ है. मध्यप्रदेश के किसानों का कर्जा आप माफ करना चाह रहे है. हमारे 55 लाख किसान हैं और लगभग 54 से 55 हजार करोड़ का कर्ज वह माफ करना चाहते हैं. आपने पहले 5 हजार करोड़ और अभी 8 हजार करोड़ इस प्रकार से 13 हजार करोड़ दिये हैं. निचले स्तर पर जो संस्था के प्रबंधक हैं वह किसानों को सही जानकारी नहीं दे रहे हैं. किसान वहां तक आते है और वापस चले जाते है किसान का ऋण माफ हुआ है, इनका नियम के हिसाब से नीचे के स्तर पर ऋण माफ हुआ है. लेकिन किसानों को जो सुविधा मिलना चाहिए वह संस्थाएं वहां के प्रबंधक और सहायक प्रबंधक द्वारा नहीं दिये जाने के कारण किसान वहां पर चक्कर लगाकर वापस चला जाता है. मेरा आपसे आग्रह है कि आप प्रदेश स्तर पर एक बार इसका परीक्षण करवा लें और जिन जिन किसानों का कर्ज माफ हो गया है उनको सही जानकारी दी जावे और जिनका कर्ज माफ नहीं हुआ है उनको क्या करना है यह जानकारी भी वहां पर किसानों को देंगे तो बहुत अच्छा होगा. मेरा कहना है कि आपने भूत बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन जिले में ही सेवाएं समाप्त की हैं आपने ऐसा क्या हमसे आपका प्रेम है. प्रदेश के अन्य जिलों में कहीं पर भी आपने सेवाएं समाप्त नहीं की हैं. मैं सहकारिता मंत्री जी को याद दिलाना चाहता हूं कि यह संस्थाएं कितना गंभीर काम करती हैं पूरा उपार्जन का काम यह सहकारी संस्थाएं करती हैं, कोई 50 हजार क्विंटल गेहूं खरीदती है, कोई 75 हजार क्विंटल खरीदती है और कोई लाख से ऊपर भी गेहूं खरीदती है. वहां पर सेल्स मेन कम्पयूटर आपरेटर की आवश्यकता होती है, उनका वेतन वह संस्था ही दे रही है क्योंकि उस संस्था के पास में 30 से 40 लाख कमीशन आ रहा है तो संस्था के ऊपर कोई भार नहीं पड़ रहा है. लेकिन मंत्री जी आपके ऐसे कौन से अधिकारी हैं कि उन्होंने उन सभी की सेवाएं समाप्त कर दी हैं. हमारे यहां पर 56 उपार्जन केन्द्र हैं वहां पर सेल्स मेन न होने के कारण गेहूं और चावल बांटने की समस्या खड़ी हो गई है. आप देखें वहां पर किसी संस्था में 3 कर्मचारी काम कर रहे हैं किसी संस्था में 5 कर्मचारी काम कर रहे हैं. मेरा कहना है कि आप कार्यवाही करें तो पूरे मध्यप्रदेश में करें हमारे भूत बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन से ही क्यों शुरूवात की है . यदि आपको सेवाएं समाप्त करना है तो आपके जो भी वरिष्ठ अधिकारी हैं जो यहां पर बैठे भी हैं तो ऐसी भर्तियां यहां पर पूरे मध्यप्रदेश में संचालक मण्डलों ने की है तो उज्जैन जिले की 172 संस्थाओं की केवल सेवाएं समाप्त की हैं इसके पीछे कोई न कोई कारण है. मेरा कहना है कि आप इसको दिखवा लें, इसका परीक्षण करवा लें, अभी आपने वहां से हटा दिया है तो उस संस्था में काम कैसे करवायें. आपने हटा दिया है ठीक है लेकिन काम चलाने के लिए कलेक्टर रेट पर उनसे ही अभी काम करवा लें. मेरा प्रश्न आयेगा मेरा ध्यानाकर्षण आयेगा कि इस तरह की कार्यवाही उज्जैन जिले में हुई है तो पूरे मध्यप्रदेश में क्यों नहीं की है. मैं प्रश्न और ध्यानाकर्षण के माध्यम से आपसे पूछ लूंगा तो फिर पूरे प्रदेश की नियुक्तियां समाप्त होंगी, और सहकारिता का आपका काम ठप्प हो जायेगा आप काम नहीं करवा पायेंगे. अभी बिसेन जी ने जो एक मुद्दा उठाया है वह बहुत ही महत्वपूर्ण है. यह जरूर केन्द्र सरकार जैसा मामला है इसको आप ही करवा सकते हैं. एक बोरा खरीदने पर हम केवल 10 रूपये दे रहे हैं, उसको ट्राली में से भरना, फिर तुलावटी उस पर 2 या 3 रूपये लेता है फिर लोड करके वेयर हाऊस तक पहुंचाना यह सब काम केवल 10 रूपये में होता है. आज यह काम कोई भी करने को तैयार नहीं है. 10 रूपये में यह काम संभव ही नहीं है. मैं तो कह रहा हूं कि 20 रूपये या उससे अधिक प्रति बोरा दी जाय ताकि संस्थाओं को कमीशन मिल सके, कई संस्थाएं घाटे में चली जाती हैं, चूंकि यह मामला केन्द्र से जुड़ा हुआ मामला है और इसको आप हल करवा सकते है. मैं चाहता हूं कि आप इसको निश्चित रूप से हल करवायेंगे.
मेरा आपसे एक आग्रह और है कि प्रदेश की 38 बैंक में, पहले 12 हजार करोड़ रूपये से 16 हजार करोड़ रूपये पर ऋण चला गया था. अब इतना ऋण किसानों को नहीं दिया जा रहा है. यह जो विभाग है यह गांवों से किसानों से जुड़ा हुआ विभाग है. मेरी इस बात को अन्यथा न लें जिसकी भी सरकार आती है इस विभाग का सब शोषण करते हैं. यह विभाग इस कारण से समाप्त होते जा रहा है. मैं यह सही बात कह रहा हूं. इससे पार्टी के आयेजन करवाना, बसें भरवाना, भीड़ इकट्ठी करवाना. मैं जो बात कह रहा हूं वह निष्पक्षता के साथ कह रहा हूं. यहां पर जो विधायक बैठे हैं वह अधिकांश गांव के विधायक हैं, हमारे गांव मे ही किसान की आत्मा टिकी हुई है. मैं यहां पर यह इसलिए कह रहा हूं कि इस विभाग को आप ही ठीक कर सकते हैं मुझे पूरी उम्मीद है कि इस विभाग को मजबूत बनाने के लिए ऋण की और बढोत्री करेंगे, अभी जो ऋण दिया जा रहा है वह कम है इसको और बढ़ाया जाय ताकि किसानों को क्षेत्र में सरलता से ऋण उपलब्ध हो सके. यह मेरा आपसे आग्रह है.
मेरा यह भी कहना है कि आपने सूचना और प्रौद्योगिकी का बजट शून्य कर दिया है. माननीय मुख्यमंत्री जी ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की बात कल ही की है तो इसका बजट तो अधिक से अधिक करें ताकि प्रदेश के युवाओं को इसका लाभ मिल सके.
मैं एक दूसरा महत्वपूर्ण विषय आपके सामने रखना चाहता हूं कि जो उपार्जन केन्द्र हैं वहां पर किसी उपार्जन केन्द्र को तो बहुत लाभ होता है और किसी उपार्जन केन्द्र को बहुत हानि होती है तो जहां पर हानि हुई है उसकी वसूली उस संस्था से की जा रही है, उस संस्था के पास में तो पैसा ही नहीं है. घाटा तो गेहूं खरीदने में या चावल खरीदने में हुआ है तो संस्था पैसा कहां से लायेगी, उस घाटे की भरपाई आप सरकार से करवाएं ताकि वह संस्था उस क्षेत्र में जिंदा रह सके. इस बार समय पर बीज खाद नहीं मिला है. मालवा में बोनी पूरी हो गई है और समय से पूर्व जो भण्डारण होता है वह समय से पूर्व नहीं हुआ है इस कारण समय पर जो चीजें किसानों को मिलना चाहिए वह नहीं मिल पा रही हैं.
अब एक विषय मैं सामान्य प्रशासन विभाग के बारे में लेना चाहता हूं. मैं जो बात कहना चाहता हूं उसके कहने पर सब खड़े हो जायेंगे, मेरी बात सुन लें उसके बाद में खड़े हो जाना, मैं सुझाव दे रहा हूं उसको किस रूप में लेंगे पहले सुन लें, स्थानांतरण करना आपका अधिकार है. आप वल्लभ भवन के बड़े बड़े अधिकारियों का रोज स्थानांतरण करें कोई समस्या नहीं है दूसरी लाइन का करें.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को -- चौहान साहब, इतनी अच्छी चर्चा कर रहे हैं, कहां आप लाइन से भटक रहे हैं. आपकी मुद्दे पर चर्चा थी..
उपाध्यक्ष महोदया -- कृपया आप बैठ जायें.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- उपाध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि यह जो चतुर्थ श्रेणी के जो, कलेक्टर एवं एसपी के आप ट्रांसफर करेंगे, तो सबको बंगले मिल जायेंगे. द्वितीय श्रेणी एवं तृतीय श्रेणी अधिकारी/ कर्मचारियों के आप ट्रांसफर करेंगे, तो उनको आवास मिल जायेंगे. यह चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के विषय में जरुर आप दिखवा लें, वह बहुत असहाय होता है. मैं सुझाव दे रहा हूं, कोई विरोध नहीं कर रहा हूं. चतुर्ण श्रेणी के कर्मचारियों के स्थानान्तरण करने के बाद उसका परिवार अस्त-व्यस्त हो जाता है, इसलिये यदि करने योग्य हैं, तो करें,लेकिन उसमें कोई सुधार हो सकता है, तो मेरे इस सुझाव पर आप विचार करें.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को -- चौहान जी, स्वेच्छा से स्थानांतरण हुए हैं. सारे लोगों ने आवेदन स्वेच्छा से दिये हैं, उन्हीं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के ट्रांसफर हो रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदया -- आप कृपया बैठ जायें. बहादुर सिंह जी, कृपया समाप्त करें.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- उपाध्यक्ष जी, मैं समाप्त कर रहा हूं. अंत में मैं एक विषय रखना चाहता हूं, यह सदन में लाना बहुत जरुरी है. हमारे जिले के,तहसील के जो विधायक हैं, वह मेरे छोटे भाई हैं. बहुत अच्छे तराना के विधायक जी हैं. कल जो उन्होंने आरोप लगाया है और मैं बता रहा हूं. हम दोनों मित्र हैं, लेकिन कल इस सदन के अन्दर उनको चिट्ठी भिजवाकर एक मंत्री जी द्वारा यह कृत्य करवाया गया, जिसका मुझे यह विरोध है.
उपाध्यक्ष महोदया -- कृपया आप बैठ जायें.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- उपाध्यक्ष जी, उस मंत्री जी का भी रिकार्ड हम ढूण्ड रहे हैं. इस बात की हमको कोई तकलीफ नहीं है. वे विधायक जी हमारे साथ हैं, हम एक जिले के विधायक हैं. साथ में उठते-बैठते हैं. उनसे आरोप लगवाया गया और वह मंत्री जी (XXX) कर रहे हैं, उनके खिलाफ भी प्रश्न लगाना मुझे अच्छी तरह से आता है.
उपाध्यक्ष महोदया -- बहादुर सिंह जी, आप विषय से हट रहे हैं.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- उपाध्यक्ष जी, मैं वक्त आने पर बताऊंगा कि वे कौन मंत्री जी हैं.
श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगांव -- उपाध्यक्ष जी, कृपया यह शब्द कार्यवाही से विलोपित करवा दें.
उपाध्यक्ष महोदया -- इसको विलोपित कर दें. बहादुर सिंह जी, कृपया बैठ जाइये. आप विषय से हट रहे हैं.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- उपाध्यक्ष जी, मेरा यह कहना है कि वे नये विधायक जी हैं, उनसे यह मिसयूज करवाया गया. उनसे गलत बात बुलवाई गई. यह सदन में गलत परम्परा है, हम इसका विरोध करते हैं और वह जो भी मंत्री जी है, वह मेरे से डायरेक्ट बात करें. धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदया -- बहादुर सिंह जी, कृपया बैठ जाइये. कल की बात समाप्त हो गई.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव (विदिशा) -- उपाध्यक्ष महोदया, मैं मांग संख्या 1,2,17 एवं 28 के समर्थन में अपनी बात प्रस्तुत करता हूं. मैं बात शुरु करने से पहले सबसे माफी मांग लूं, नहीं तो फिर 15 साल की बात आयेगी, तो फिर खड़े हो जायेंगे.
उपाध्यक्ष महोदया -- आप बात शुरु तो करें.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव -- उपाध्यक्ष महोदया, गत सरकार द्वारा प्रदेश के सहकारी आंदोलन को तहस नहस कर दिया गया है तथा इससे लाभ लेकर भारती जनता पार्टी के पदाधिकारियों ने इस संस्था का शोषण एवं दुरुपयोग किया. अपने पार्टी पदाधिकारियों द्वारा सहकारी संस्थाओं की पूंजी को हड़पा गया, वहीं सहकारी संस्थाओं की सुख सुविधाओं का निजी हित में उपयोग किया गया है, जिससे प्रदेश का सहकारी आंदोलन अंतिम सांसें ले रहा है. प्रदेश के किसानों की आवश्यकता की पूर्ति के लिए सहकारिता ही एकमात्र साधन है, जहां कमजोर वर्ग के किसानों को बेरोक-टोक ऋण सुविधा आसानी से मिल जाती है. ..
उपाध्यक्ष महोदया -- भार्गव जी, आप तो बिना पढ़े भी ऐसे ही बोल सकते हैं. आप बिना पढ़े बोलेंगे, तो ज्यादा अच्छा बोलेंगे.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव -- जी अच्छी बात है. उपाध्यक्ष महोदया, प्रदेश में कृषकों को अल्पावधि फसल ऋण जिला सहकारी केन्द्रीय बैंकों तथा पैक्स द्वारा दिया जाता है, परन्तु कृषि उपकरणों तथा अन्य आवश्यकताओं के लिये मध्यावधि एवं दीर्घावधि ऋण देने वाले राज्य एवं जिला कृषि एव ग्रामीण विकास बैंकों को गत सरकार द्वारा बंद कर दिया गया. इससे आर्थिक रुप से कमजोर कृषकों को ऋण मिलने में कठिनाइयां हुईं, वहीं इन 39 बैंकों के हजारों कर्मचारी बेरोजगार होकर अपने परिवार का लालन पालन करने में असमर्थ हो गये हैं. मंत्री जी से अनुरोध है कि पिछली सरकार द्वारा जो बैंक बंद किये गये हैं, लैंड मोरगेज बैंक और सहकारी बैंक, उनके तमाम कर्मचारियों का संविलियन तुरन्त किया जाये. प्रदेश की हमारी सहकारी समितियां भी तहस नहस हो चुकी हैं. मैं आपको विदिशा का एक किस्सा बताता हूं कि सहकारी समिति में वहां पर एक बहुत अच्छी प्रापर्टी है, उसकी दुकानें नीलाम होना थीं, लेकिन कोई प्रक्रिया का पालन न करते हुए जो तत्कालीन अध्यक्ष महोदय थे, उन्होंने उसको अपने लोगों को दे दिया, अपने लोगों को फायदा पहुंचा दिया. मेरा मंत्री जी से यह निवेदन है कि वहां की जांच कराई जाये और उसमें दूध का दूध पानी का पानी किया जाये. उपाध्यक्ष महोदया, पूर्व सरकार द्वारा प्रदेश के विपणन एवं उपभोक्ता आंदोलन को मृतप्रायः कर दिया गया है. प्रदेश में विपणन सहकारी संस्थाओं के पास स्वयं की बड़ी बड़ी अचल सम्पत्तिया हैं, किन्तु शासन की सहकारिता विरोध नीतियों के कारण अधिकांश विपणन संस्थाएं बंद हो गई हैं. प्रदेश की विपणन सहकारी संस्थाओं को उनसे छीने गये व्यवसाय दिलाए जाएं तथा विपणन संस्थाओं को सुदृढ़ करने के लिये एक कार्य योजना लागू की जाए. विपणन संघ जैविक उर्वरक, बीजोपचार,कीटनाशक जैसे कृषि आदान के टेण्डर समय पर नहीं करता है, इसका उत्तरदायित्व निर्धारित किया जाए. प्रमाणित बीज की उपलब्धता बढ़ाने में बीज संघ का महत्वपूर्ण योगदान रहा है, जिसे प्रदेश के कृषक अपनी सहकारी संस्थाओं के माध्यम से उत्पादित कर प्रदाय करते हैं, परन्तु कुछ निहित स्वार्थी अधिकारियों द्वारा साजिश कर प्रदेश के किसानों, बीज उत्पादक समितियों तथा बीज संघ को बीज प्रदाय व्यवस्था से हटाने का षडयंत्र किया गया, जिसका उत्तरदायित्व निर्धारित कर कार्यवाही की जाए. मंत्री जी से अनुरोध है कि प्रदेश के साख तथा विपणन आंदोलन को कृषक हित में सुदृढ़ किया जाए, जिससे किसानों को ऋण एवं कृषि आदान सामग्री आसानी से मिल सके. मैं इस संबंध में मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि जैसा कि आपने देखा कि पिछली बार जब गेहूं की खरीदी हुई, उस समय मैं विदिशा जिले की बात करुं, तो कुल 118 सोसाइटियां खरीदी के लिये तय की गई थीं. उसमें से मात्र 45 सोसाइटियां ऐसी थीं, जिन्हें वैध किया गया, बाकी सब सोसाइटियों को अवैध कर दिया गया. कारण हमें यह दिया गया कि .025 परसेंट की शार्टेज की वजह से इन समितियों को ब्लैक लिस्ट कर दिया गया है. ब्लैक लिस्ट सोसाइटियों की गलती हो यागलती सहकारी समिति के कर्मचारियों की हो या ट्रांसपोर्टर की हो, लेकिन उसका खामियाजा हमारे किसान भाइयों ने भुगता, क्योंकि कुल मात्र 45 सोसाइटियों की जब खरीदी करेंगे 118 की जगह, तो उसमें अव्यवस्था हो गई. इसके बाद मैंने मुख्यमंत्री जी से, मुख्य सचिव जी से निवेदन करके कुछ सोसाइटियों को ब्लैक की जगह व्हाइट करवाया, इसके बाद भी सही प्रतिपूर्ति नहीं हुई. लाल फीताशाही उस पर सवार रही उस पूरे खरीदी कार्यक्रम में. बार बार प्रयत्न करने के बाद कुछ सोसाइटियों को खुलवाया. मंत्री जी से मेरा निवेदन है कि इस मामले में अभी आप ध्यान दें, क्योंकि जब समय आ जाता है, उस समय आप लोग व्यवस्था करते हैं. तो एक शब्द हमको बाद में फूड ऑफिसर से, आपके संस्था के संस्थापकों से भी सुनने को मिलता है कि पी.एस. जानें, उनको हमने भेज दिया है और जवाब लौटकर नहीं आता है. पूरी गर्मी भर हम परेशान होते रहे. लोगों ने अपने रजिस्ट्रेशन कराये मात्र 45 सोसाइटियों में. जब खरीदी शुरु हुई तो 45 सोसाटियों में से जब दोबारा हमने ट्रांसफर करवाये कुछ नई सोसाइटियां खुलवाकर तो उनका मालूम पड़ा कि गल्ला तुलना है अहमदपुर में और नाम निकल रहा है विदिशा में. यह बहुत विसंगति हुई है पिछली खरीदी में और उसका कारण सिर्फ यह है कि पिछली सरकार ने जो विसंगतिपूर्ण नीतियां बनाकर दी थीं. जो भ्रष्टाचार हुआ था समितियां में, जिसकी वजह से वह ब्लैक लिस्ट हुई थीं, उन सबकी जांच करके जो दोषी कर्मचारी हैं, उन्हें भी सजा दी जाये और एक मामला ट्रांसपोर्टर का है, जो मैं समझता हूं कि इसमें ज्यादा लिप्त है. उनका भी ध्यान रख करके उनको भी सजा दी जाये. मेरी एक प्रार्थना है कि जो खरीदी की प्रक्रिया है, इसमें एक इंग्लिश में कहावत है कि - so many cooks spoil the food. उसमें आपका खाद्य विभाग भी आ जाता है, आपका विभाग भी आ जाता है, कृषि विभाग भी आ जाता है और तीनों के पी.एस. की और तीनों विभागों के मंत्रियों की बैठक नहीं होती है. मेहरबानी करके मेरा आपसे अनुरोध है कि अगली बार से जब भी खरीदी शुरु हो सरकारी तौर पर उसमें आप सब लोग पहले ही व्यवस्था करें, जिससे कि किसान भाइयों को तकलीफ न हो. उपाध्यक्ष महोदया, मैं सभी मांगों का समर्थन करता हूँ. आपने मुझे बोलने का समय दिया, उसके लिए मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूँ. धन्यवाद.
श्री इन्दर सिंह परमार (शुजालपुर) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं मांग संख्या 1, 2, 17 और 28 का विरोध करता हूँ. अभी हमारे सम्माननीय गौरीशंकर बिसेन जी द्वारा जो विषय प्रारंभ किया गया, उसमें जिन बातों का उल्लेख उन्होंने किया, ट्रांसफर आदि का उल्लेख किया था, मैं उन बातों का उल्लेख नहीं करना चाहता हूँ. वह तो सरकार खूब करे, खूब वाह-वाही लूटे. उसका परिणाम भुगतने के लिए भी सरकार को तैयार रहना होगा.
उपाध्यक्ष महोदया, सामान्य प्रशासन विभाग से संबंधित मेरे कुछ सुझाव हैं. सड़क दुर्घटनाओं में मृत्यु पर जो बात बिसेन जी कही थी, उसी बात को मैं दोहरा रहा हूँ कि 15 हजार रुपये कलेक्टर के माध्यम से राशि उसमें स्वीकृत होती है. 15 हजार रुपये में आज की स्थिति में कुछ नहीं होता है. इसलिए इस राशि को बढ़ाया जाना चाहिए. जैसा आरबीसी 6-4 में 4 लाख रुपये का प्रावधान है, इसी प्रकार से कृषि कार्य करते हुए भी किसी किसान की खेत में मृत्यु हो जाती है, करेंट लग जाता है या अन्य दुर्घटना हो जाती है, उसको भी 4 लाख रुपये देने का प्रावधान है, उसी प्रकार की व्यवस्था सड़क दुर्घटनाओं के लिए भी करना चाहिए. इसके अलावा यदि दुर्घटना में कोई गंभीर रूप से घायल हुआ है तो उसको केवल साढ़े 7 हजार रुपये देने का प्रावधान है, मैं समझता हूँ कि साढ़े 7 हजार रुपये तो उसकी मरहम-पट्टी पर ही लग जाएंगे, यदि वह गंभीर रूप से घायल हुआ है तो उसका इलाज भी सही ढंग से नहीं हो सकता है, इसलिए उस राशि को भी बढ़ाकर कम से कम 1 लाख रुपये किया जाना चाहिए.
उपाध्यक्ष महोदया, हम सब लोगों के लिए विधान सभा क्षेत्रवार 2 लाख 75 हजार रुपये की जो माननीय मंत्रियों के जनसंपर्क से राशि निर्धारित की गई है, 75 हजार रुपये सांसदों की अनुशंसा से करना है, यह तो क्लियर है, लेकिन 2 लाख रुपये प्रभारी मंत्री स्व-विवेक से करेंगे, इसमें मेरा मंत्री जी से अनुरोध है कि इसको भी उस क्षेत्र के विधायक की अनुशंसा के आधार पर बांटने का प्रावधान किया जाना चाहिए ताकि सभी विधायकों के साथ न्याय हो सके.
उपाध्यक्ष महोदया, तत्कालीन माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह जी चौहान द्वारा इलाज के लिए बहुत राशि गरीबों को देने का प्रावधान पहले प्रारंभ किया गया था, उसका लाभ हम गरीब से गरीब तबके तक को देने की कोशिश करते थे. वर्तमान में वह चालू है, लेकिन आयुष्मान योजना के तहत बहुत सारे अस्पतालों को और अन्य योजनाओं में पैसा कुछ मिल जाता है, फिर भी इन योजनाओं से भिन्न यदि कोई गरीब आता है, सामान्यत: अस्पताल चिह्नित नहीं है, एक्सीडेंट हुआ, यदि तत्काल किसी पास के अस्पताल में भर्ती हो गया है तो उनको कुछ न कुछ राशि देने का प्रावधान निरंतर रखें, बगैर भेदभाव के रखें. भारतीय जनता पार्टी के मुख्यमंत्री जब शिवराज सिंह चौहान जी थे, बगैर भेदभाव के काम होता था, जाति, धर्म, कौन पार्टी के, कौन विधायक, कौन सांसद, सबके अनुरोध पर जो उस प्रक्रिया में आते थे, उन सबको राशि देने का प्रावधान किया गया था. अत: मेरा निवेदन है कि मुख्यमंत्री स्वेच्छा अनुदान को गरीब से गरीब व्यक्ति के लिए खोल देंगे तो उन लोगों को, जिनको कि अन्य योजनाओं में लाभ नहीं मिल पाता है और गरीब हैं, इस योजना का लाभ मिल सकेगा. यही मेरी आपसे विनती है.
उपाध्यक्ष महोदया, हमारे क्षेत्र के लिए 2 करोड़ रुपये की विकास निधि जो निर्धारित है, जिसमें से 15 लाख रुपये स्वेच्छा अनुदान के रूप में हैं, उस राशि को भी निश्चित रूप से आज के संदर्भ में बढ़ाना चाहिए. यदि 4 करोड़ रुपये यह की जाती है तो मैं समझता हूँ कि विधायक अपने-अपने क्षेत्र में ज्यादा विकास पर ध्यान दे सकेंगे.
उपाध्यक्ष महोदया, सहकारिता के विषय में मैं कहना चाहता हूँ. आपने कहा कि वचन-पत्र 5 साल के लिए है, हम भी यही कह रहे हैं कि वचन-पत्र 5 साल के लिए है, 10 दिन हमने नहीं गिनाए थे. 10 दिन आपने गिनाए तो लोग बोल रहे हैं कि 10 दिन में आप माफ करो. दूसरी बात उसमें यह है कि 2 लाख रुपये तक का सब किसानों का कर्जा माफ करेंगे, लेकिन सारे किंतु-परंतु फिर शुरू हो गए हैं. 50 हजार रुपये तक का माफ करेंगे, ऐसा करेंगे, वैसा करेंगे, किंतु-परंतु की जो शर्तें हैं, उन्हें समाप्त करके जैसी भी सुविधा हो, 2 लाख रुपये तक का सबका कर्ज माफ किया जाना चाहिए. यह मांग मैं आज इस सदन में माननीय मंत्री जी से करता हूँ.
उपाध्यक्ष महोदया, एक विषय और है कि सहकारिता विभाग के आयुक्त के द्वारा पत्र देकर पैक्स सोसाइटी में जो प्रशासक बैठाए हैं, उनसे प्रस्ताव बुलवाए गए थे कि आप ये प्रस्ताव दो कि जो 2 साल से ज्यादा के कालातीत ऋण हैं, उनका 50 परसेंट शासन देगा तो 50 परसेंट हम भुगतेंगे. इसी प्रकार से जो 2 साल से कम के हैं, उनसे 25 परसेंट के प्रस्ताव बुलाए गए हैं. मेरी इस पर सैद्धांतिक आपत्ति है. प्रशासक जो होते हैं, वे नीतिगत फैसले कैसे कर सकते हैं, लेकिन अपर आयुक्त के पत्र के माध्यम से दबाव बनाकर सब सोसाइटियों से प्रस्ताव प्राप्त करने की प्रक्रिया अपनाई गई. आज स्थिति यह है कि आपके 2 लाख रुपये तक के कर्ज माफ वाली स्थिति में 50 परसेंट राशि शासन देगी, भविष्य में, अभी नहीं दी है, लेकिन 50 परसेंट राशि पैक्स सोसाइटी कहां से भुगतेगी. 25 परसेंट राशि पैक्स सोसाइटी कहां से भुगतेगी. इसका मतलब प्रशासक नियुक्त करके हमने पैक्स सोसाइटियों को समाप्त करने का बीड़ा उठा लिया है क्या, माननीय मंत्री जी इसका खण्डन करें और मैं समझता हूँ कि इसका समायोजन सरकार कब और कैसे करेगी, यह भी स्पष्ट करने की जरूरत है, क्योंकि पूरे कर्ज माफी में जो भ्रम की स्थिति नीचे तक है, आज नकद पैसे भी कोई लेकर जाएगा, तो कहेगा यह छलावा है, धोखा है. इस प्रकार का वातावरण किसानों के बीच में बन चुका है. माननीय मंत्री जी इसका भी स्पष्ट उल्लेख करेंगे.
उपाध्यक्ष महोदया, मार्च, 2018 की स्थिति में कर्ज माफी के लिए ऋण की सारी व्यवस्था करने की गणना की गई है, जबकि आपने कहा था कि हम 12 दिसंबर, 2018 तक की स्थिति के कर्ज को भी जोड़ेंगे. जो भी हो, ऋण माफी योजना में बहुत भ्रम है. सरकार पर भी अविश्वास है और अब किसानों को कर्ज की दिक्कतें आ रही हैं. किसानों पर दबाव बना करके जिस प्रकार से कहा कि आप खाद, बीज का पैसा भर दीजिए, तो बाकी पैसा हम वापस कर देंगे. नया ऋण नहीं दिया है, आप कह रहे हैं कि हम ऋण दे रहे हैं, नया ऋण नहीं दिया गया है. उनसे खाद, बीज का पैसा जमा कराया गया है. पुराने पैसों को खातों में इधर से उधर करके पुराने कर्ज को नए कर्ज के रूप में दर्ज किया गया है्. इस प्रकार की व्यवस्था शाजापुर जिले में की गई है.
उपाध्यक्ष महोदया, मेरे यहां शुजालपुर में एक मार्केटिंग सोसाइटी है, जिसमें वर्ष 2012-13 में उन्होंने सोयाबीन खरीदी थी, अधिकतम भाव जब 4800 रुपये मण्डियों में आया तब उसको नहीं बेची, उसकी शिकायत हुई है. मैं चाहता हूँ कि उसकी व्यापक जांच कराई जाए, उसको दबाने का प्रयास कुछ लोग कर रहे हैं, मेरी आपसे प्रार्थना है, क्योंकि उसमें सीधा सीधा जो लॉस हुआ उस सोयाबीन में, जब कम भाव आया, तब मार्केट में बेचा, उसमें भी लॉस दिखाकर बेचा है और आधी सोयाबीन को खराब बताकर बेचा है, मैं समझता हूँ उसमें दाल में काला जरूर है, उसमें जो दोषी हैं, उनके खिलाफ जरूर कार्यवाही की जानी चाहिए. माननीय उपाध्यक्ष महोदया, आपने बोलने का समय दिया, धन्यवाद.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव -- उपाध्यक्ष महोदया...
उपाध्यक्ष महोदया -- भार्गव जी, आपका समय खत्म हो गया, अब आप दूसरों को अवसर दीजिए.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव -- उपाध्यक्ष महोदया, ऋण माफी की बात सभी सदस्य उठाते हैं, मैं उसे क्लियर करना चाहता हूँ. 10 दिन की बात को.
उपाध्यक्ष महोदया -- मंत्री जी जवाब दे देंगे, आप बैठ जाइये.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव -- उपाध्यक्ष महोदया, मात्र 2 मिनट का समय दें, ये 10 दिन का रोना इनका बंद करा दूंगा, क्योंकि मैं यहां रोजाना सुनता हूँ.
उपाध्यक्ष महोदया -- भार्गव जी, मंत्री जी जवाब देंगे, आप बैठ जाइये.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव -- मेरा निवेदन है कि एक मिनट...
उपाध्यक्ष महोदया -- भार्गव जी, कृपया आप बैठ जाइये. श्री बैजनाथ कुशवाह जी अपनी बात बोलें.
श्री दिलीप सिंह परिहार -- आप क्यों जवाब देंगे, मंत्री जी हैं ना.
श्री प्रवीण पाठक (ग्वालियर-दक्षिण) - माननीय उपाध्यक्ष महोदया, आपको धन्यवाद. यशपाल जी को पहले ही प्रणाम कर लेता हूं, वंदन कर लेता हूं, अभिनंदन कर लेता हूं. मैं धन्यवाद देना चाहता हूं मध्यप्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री महोदय का, जिन्होंने पूरे विश्व में लोकतंत्र में एक ऐसा उदाहरण पेश किया है. सरकार बनने के 48 घंटे के भीतर उन्होंने मध्यप्रदेश में किसानों की कर्ज माफी का जो वायदा किया था, उस वायदे को पूरा किया है. 73 दिन के कार्यकाल में हमारी सरकार ने 85 वायदे पूरे किये हैं. बार-बार बात उठती है ट्रांसफर्स पर, पोस्टिंग्स पर, चूंकि बहुत ही महत्वपूर्ण विषयों पर आज चर्चा है, महत्वपूर्ण विभागों पर चर्चा है, मध्यप्रदेश का जो सामान्य प्रशासन विभाग है, वह पिछले 15 सालों से असामान्य बना हुआ था. मध्यप्रदेश का जो सहकारिता विभाग है, वह पिछले 15 सालों से स्वयं-कार्यता विभाग बना हुआ था. मुझे आश्चर्य होता है और मैं बहुत विनम्रता और माफी के साथ यह बोलना चाहता हूं कि वह आप ही की सरकार थी, जहां पर मरे हुये लोगों के नाम पर भी ऋण निकालकर आप लोगों ने उसको खा लिया. हमारी सरकार ने कभी ऐसा नहीं किया. वह आप ही की सरकार थी, जहां आप लोगों ने व्यापम में डॉक्टर बना लिये. हमारी सरकार ने कभी ऐसा नहीं किया. चूंकि बहुत महत्वपूर्ण विषय है, मैं माननीय मंत्री जी का ध्यान इस ओर आकर्षित करना चाहूंगा और मैं चाहूंगा कि माननीय मंत्री जी के संज्ञान में रहे.
उपाध्यक्ष महोदया - आप बोल दीजिये. रिकॉर्ड में आ जायेगा.
श्री प्रवीण पाठक - उपाध्यक्ष महोदया, मैं बहुत विनम्रता पूर्वक एक प्रार्थना करना चाहता हूं कि पिछले 15-20 सालों से तृतीय श्रेणी और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की भर्ती लगभग बंद है. केवल बैकलॉग के द्वारा भर्ती हो रही है. मध्यप्रदेश सरकार में ऐसा कोई विभाग नहीं होगा जहां तृतीय श्रेणी और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की कमी के कारण कार्य प्रभावित नहीं हो रहा होगा. मैं माननीय मंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हूं कि वे इस ओर विशेष ध्यान दें और उनसे मेरा यह अनुरोध है कि जो अन्य विभागों में भी तृतीय श्रेणी और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की भर्ती काफी लंबे समय से पेंडिंग पड़ी है, उसको हम जल्द से जल्द पूरा कराने का प्रयास करें. दूसरा विषय है कि मध्यप्रदेश में सेक्रेटेरिएट, डायरेक्टोरेट और मिनिस्ट्री, इन तीनों के बीच समन्वय की भारी कमी है. डायरेक्टोरेट से जब भी कोई प्रस्ताव बनकर जाता है, ऐसे कई सारे प्रस्ताव होते हैं जो सेक्रेटेरिएट में अनिश्चित समय के लिये थम जाते हैं, बंद हो जाते हैं, उन फाइलों पर धूल जमने लगती है. पिछले 15 सालों में ऐसा होता रहा है कि जब-जब सेक्रेटेरिएट को लगा है कि यह प्रस्ताव उनके हित के हैं, उन्होंने वह फाइलें आगे बढ़ा दी हैं और जो जनहित की फाइलें थीं उनको अब तक रोककर रखी हैं. मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि डायरेक्टोरेट से जब कोई प्रस्ताव चले, जब कोई फाइल चले, सेक्रेटेरिएट होते हुये जब मिनिस्ट्री में जाए, तो उस पर भी एक समय सीमा तय होनी चाहिये. यह मेरा माननीय मंत्री जी से अनुरोध है.
उपाध्यक्ष महोदया, मध्यप्रदेश में जहां तक बात है सहकारिता की, जैसे कि पिछली सरकार ने हमारी एक महत्वपूर्ण संस्था तिलहन संघ को बंद कर दिया था. पूरे मध्यप्रदेश में जितनी बैंक थीं, लगभग सारी बैंक करप्ट हो गईं थीं. मैं चाहता हूं कि इस बार हम लोग व्यवस्था को सुधारें और इसमें विशेष रूप से जो बहुत मजबूत कड़ी है, जो प्रथम श्रेणी की कड़ी है सहकारिता की, वह है, समिति सेवक और सेल्समेन. यह लोग अपने स्थानों पर जमे हुए हैं. मैं माननीय मंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हूं कि समिति सेवक और सेल्समेन के ट्रांसफर की भी एक पॉलिसी बनाई जाए, क्योंकि एक व्यक्ति एक पंचायत में बहुत लंबे समय तक जमा रहता है. खाद, बीज सब देने की जिम्मेदारी उसकी होती है और जब उसको पता होता है कि वहां से उसको कोई नहीं हटाने वाला, तो जैसे पिछले 15 साल से चल रहा था, वह बहुत ही अनिश्चित कालीन भाव के साथ काम करता है और अपनी मनमानी करता है. यदि इस ओर आप कुछ प्रयास करेंगे, समिति सेवक और सेल्समेन के ट्रांसफर की भी एक पॉलिसी बनायेंगे, तो मुझे लगता है कि किसानों के हित में एक बेहतर कदम होगा और इससे आगे आने वाले समय में किसानों को बहुत लाभ होगा. मैंने माननीय मंत्री जी से विशेषकर जो अनुरोध किया है वह सेक्रेटेरिएट, डायरेक्टोरेट और मिनिस्ट्री को लेकर, तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को लेकर किया है. मैं चाहता हूं कि माननीय मंत्री जी उन पर गम्भीरता से विचार करें और मैं मांग संख्या 1, 2, 17 और 28 का समर्थन करता हूं. धन्यवाद.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) - उपाध्यक्ष महोदया, मंत्री जी अपने उत्तर में एक बात जरूर बताएं. डिप्टी कलेक्टर्स की सभी जिलों में बहुत कमी है. खासतौर से आपने इन्दौर और भोपाल में डिप्टी कलेक्टर्स बहुत ज्यादा पदस्थ कर दिये हैं और बाकी जिलों में बहुत कम है, जिससे पूरे काम प्रभावित हो रहे हैं. अभी माननीय सदस्य ने तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के बारे में बताया. मैं आपसे उत्तर में यह जानना चाहूंगा कि कितने पद स्वीकृत हैं और कहां-कहां हैं ? इन 2-3 बड़े शहरों में कितने अतिरिक्त पदस्थ हैं ? इसकी थोड़ी सी जानकारी जरूर आप दें. इनको भोपाल और इन्दौर में पदस्थ होना बहुत अच्छा लगता है और सुदूर जिलों में वह लोग नहीं जाना चाहते हैं. अगर कलेक्टर से कोई बात कहें, तो कलेक्टर कहते हैं कि मेरे पास आदमी नहीं हैं, कर्मचारी नहीं हैं.
श्री प्रेमशंकर कुन्जीलाल वर्मा (सिवनी मालवा) - माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं मांग संख्या 1, 2 और 17 का विरोध करता हूं और कटौती प्रस्ताव के पक्ष में अपनी बात रखना चाहता हूं. पक्ष के कई हमारे मित्र विधान सभा सदस्य साथियों ने यह बात बार-बार कही कि सहकारिता विभाग का बंटाढार कर दिया, उसका खजाना खाली कर दिया. मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि एक सहकारिता विभाग ही ऐसा है जिसने पूरे मध्यप्रदेश के किसानों की दशा और दिशा सुधारी है. कृषि के क्षेत्र में भारी उन्नति की है. जब कांग्रेस की सरकार हुआ करती थी, मुझे यह बात कहना नहीं चाहिये. मैं किसी भी पार्टी का..
श्री प्रवीण पाठक - उपाध्यक्ष महोदया, तभी मंदसौर में आपको गोली चलाने की आवश्यकता पड़ी. किसानों की आत्महत्या के नाम पर मध्यप्रदेश नंबर एक पर है. यह 15 साल की सरकार की उपलब्धि है ?
श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा - उपाध्यक्ष महोदया, जब इनकी बारी थी तब मैंने नहीं बोला. अब मेरी बारी है.
उपाध्यक्ष महोदया - आप अपनी बात जारी रखिये.
श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा - मैं प्रसंगवश यह बातें कह रहा हूं.
श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा - जब बीजेपी की सरकार नहीं थी, कांग्रेस की सरकार थी, तब किसान भाइयों को 18 प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण मिलता था. कितना होता है 18 प्रतिशत ? जब बीजेपी की सरकार बनी, माननीय शिवराज सिंह जी चौहान मुख्यमंत्री बने, तो किसानों की यह ब्याज दर घटाकर 7 प्रतिशत की, फिर 5 प्रतिशत की. फिर 3 की, फिर जीरो की और फिर जीरो से भी कम, 100 परसेंट ऋण लो और 90 परसेंस जमा करो, उस पर भी 10 परसेंट का बोनस दिया गया.
चिकित्सा शिक्षा मंत्री (डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ) - उपाध्यक्ष महोदया, यह जो ब्याज दर की बात शिवराज सिंह जी की कह रहे हैं, यह भूल जाते हैं कि केन्द्र सरकार में जब माननीय प्रणव मुखर्जी वित्त मंत्री थे, उन्होंने 12 परसेंट घटाकर 7 परसेंट किया था और 7 परसेंट में भी कहा था कि जो रेग्युलर पैसा जमा कर रहे हैं उनका और 4 परसेंट कम करके 3 परसेंट पर ले आए थे. यह 3 परसेंट का जीरो परसेंट करके खामखां हीरो बन रहे हैं.
श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा - माननीय मंत्री जी, जब आपकी बारी आए तब आप बताना.
श्री विश्वास सारंग - माननीय उपाध्यक्ष जी, यह बड़े आश्चर्य की बात है. आप जो बात कर रही हैं वह वित्त में किया था बहन जी, यह कृषि और सहकारिता में आता है. आप थोड़ा अपना ज्ञान तो बड़ा करिये. आपको मालूम ही नहीं है कि आप क्या बोल रही हैं.
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री जितु पटवारी) - आप सच्चाई सुनने की आदत डालिये. माननीय मंत्री जी जो बोल रही हैं वह सच्चाई है..(व्यवधान)..
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ - आपका ज्ञान बहुत सही है ? आप पुराने रिकार्ड उठाकर देख लो. हमने 12 परसेंट का 7 परसेंट किया था और 7 परसेंट से 3 परसेंट पर ले आए. ...(व्यवधान)...
श्री विश्वास सारंग - आप राष्ट्रीयकृत बैंक की बात कर रहे हैं. ..(व्यवधान)...
..(व्यवधान)..
डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ-- आप पुराना रिकार्ड उठाकर देख लें. ..(व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदया-- वर्मा जी, आप अपनी बात जारी रखें. वर्मा जी के अलावा कोई बातें नोट नहीं होंगी. विश्वास जी, कृपया बैठ जाइये. उनको बोलने दीजिए.
श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा-- उपाध्यक्ष महोदया, मैं यह जानना चाहता हूँ कि हमारे सहकारिता मंत्री जी अब इस प्रकार से सहकारिता विभाग में किसान को इससे ज्यादा और क्या रियायत देने वाले हैं, क्या दस परसेंट बोनस की जगह बीस परसेंट करेंगे? पच्चीस परसेंट करेंगे? ये अपने भाषण में बताने का कष्ट करें. उपाध्यक्ष महोदया, इस सहकारिता विभाग का सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा यदि कोई है तो वह है जय किसान ऋण माफी योजना, यह बात कहाँ से उत्पन्न हुई, जय किसान ऋण माफी योजना, 2018 के विधान सभा चुनाव से. गलत नहीं कह रहा हूँ. काँग्रेस पार्टी के वचन पत्र में यह साफ लिखा था...
श्री प्रवीण पाठक-- (XXX)
उपाध्यक्ष महोदया-- प्रवीण जी, कृपया बीच में न बोलें.
श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा-- जब इनकी बारी आए तब बोल लें कोई दिक्कत नहीं है. मुझे बोलने दें.
उपाध्यक्ष महोदया-- उनकी बारी जा चुकी है. आप जल्दी बोल लें.
श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा-- जी, उपाध्यक्ष महोदया, इनके वचन पत्र में साफ लिखा था कि सारे किसान, ये फिर से पढ़ सकते हैं और इनको यह बात मालूम भी है. ये भी जानते हैं यह बात, कि सारे किसानों का कर्ज दो लाख रुपये तक का और सारी राष्ट्रीयकृत बैंकों का माफ करेंगे. अब ये क्या कर रहे हैं, यह किसी से छिपा नहीं है. कभी बात करते हैं.....(व्यवधान)..मेरी बात तो पूरी होने दें महोदय. फिर आपको जो कहना हो कह लेना.
उपाध्यक्ष महोदया-- संजय जी, बैठ जाइये. वर्मा जी, आप सामान्य प्रशासन विभाग पर बोल ही नहीं रहे हैं. एक मिनिट में अपनी बात समाप्त करिए.
श्री संजय यादव-- (XXX)
श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा-- उपाध्यक्ष महोदया, मैं आपका संरक्षण चाहता हूँ...(व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदया-- संरक्षण पूरा है. सामान्य प्रशासन पर कोई सुझाव दे दीजिए.
श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा-- ये जो बीच में बोल रहे हैं, इनको शांत करिए.
उपाध्यक्ष महोदया-- कृपया बैठ जाइये.
श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा-- उपाध्यक्ष महोदया, अब इन्होंने जय किसान ऋण माफी योजना कैसे लागू की. इन्होंने डेड लाइन बनाई कि 31 मार्च 2018 के बाद के किसानों का ऋण माफ नहीं करेंगे. क्या यह इनके वचन पत्र में लिखा था? ..(व्यवधान)..मेरी बात तो पूरी होने दें.
श्री कुणाल चौधरी-- (XXX)
उपाध्यक्ष महोदया-- कुणाल जी, कृपया बैठ जाइये. इस तरह से बीच-बीच में टीका-टिप्पणी मत करिए.
श्री वाल सिंह मैड़ा-- (XXX)
श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा-- फिर इन्होंने डेड लाइन बढ़ाई कि ..(व्यवधान)..2007 से पहले के किसानों के कर्ज हम माफ नहीं करेंगे. क्या यह इन्होंने वचन पत्र में कहा था? फिर इन्होंने कहा कि हम सिर्फ सहकारी समितियों के कर्ज माफ करेंगे. ..(व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदया-- कुणाल जी, कृपया बैठ जाइये. वर्मा जी, आप एक ही बात बोलेंगे या सामान्य प्रशासन पर भी आप बोलने वाले हैं?
श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा-- उपाध्यक्ष महोदया, मेरी बात तो पूरी हो. ये बीच में कितनी टोकाटाकी करते हैं. मैं आपका संरक्षण चाहता हूँ.
उपाध्यक्ष महोदया-- मैं आपको संरक्षण दे रही हैं. आप एक मिनिट में अपनी बात खत्म करें.
श्री रामेश्वर शर्मा-- (XXX)
उपाध्यक्ष महोदया-- शर्मा जी, आप बैठ जाइये. वर्मा जी, बोलें. यह कौनसा तरीका हुआ. ..(व्यवधान)..किसी की बात नोट नहीं होगी. केवल वर्मा जी की बातें ही नोट होंगी...(व्यवधान)..
श्री रामेश्वर शर्मा-- (XXX)
श्री कुणाल चौधरी-- (XXX)
श्री प्रवीण पाठक-- (XXX)
श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा-- उपाध्यक्ष महोदया, मैं मध्यप्रदेश के किसान के हित की बात करना चाहता हूँ. कोई भाषण नहीं दे रहा हूँ. फिर इन्होंने कहा कि हम 50,000 तक का ऋण माफ करेंगे. फिर कहा हम दो लाख रुपये तक कालातीत अकालातीत, तरह तरह की बातें जोड़ दी. कालातीत ऋण माफ करेंगे, अकालातीत ऋण माफ करेंगे. यह करना क्या चाहते हैं जय किसान कर्ज माफी में, इनकी स्पष्ट नीति क्या है? हमारे माननीय मंत्री जी बताएँगे अपने भाषण में.
श्री कुणाल चौधरी-- (XXX)
उपाध्यक्ष महोदया-- कुणाल जी, कृपया बैठ जाइये.
श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा-- कभी ये हरे फार्म भरवाते हैं. लाल पीले फार्म भरवाते हैं.
उपाध्यक्ष महोदया-- आप कर्ज से हट ही नहीं रहे हैं. कृपया समाप्त करें.
श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा-- मैं हमारे माननीय सहकारिता मंत्री जी से कहना चाहता हूँ कि तू इधर उधर की न बात करे, पहले यह बता कि किसान लुटा कैसे?
श्री प्रवीण पाठक-- (XXX)
डॉ.अशोक मर्सकोले-- (XXX)
श्री पाँचीलाल मेड़ा-- (XXX)
श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा-- यह बताना होगा कि किसान कैसे लुट गया. इनकी बातों में आकर ..(व्यवधान)..
श्री संजीव सिंह “संजू”-- (XXX)
उपाध्यक्ष महोदया-- वर्मा जी, कृपया समाप्त करें. आपने काफी समय ले लिया.
श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा-- मेरी बात पूरी नहीं हुई. कुछ महत्वपूर्ण सुझाव हैं.
श्री पांचीलाल मेड़ा-- (XXX)
उपाध्यक्ष महोदया-- अब सुझाव का समय नहीं बचा.
श्री विश्वास सारंग-- (XXX)
उपाध्यक्ष महोदया-- वे कर्ज से हट ही नहीं रहे हैं.
श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा-- पूरी मांग संख्या के बारे में बोल ही नहीं पाया हूँ. सामान्य प्रशासन के बारे में एक बात और बोल लेने दें.
उपाध्यक्ष महोदया-- एक ही बात.
श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा-- उपाध्यक्ष महोदया, काँग्रेस की सरकार मुख्यमंत्री जी कहते हैं कि हम रोजगार सृजित करेंगे. मैं सिर्फ इतना निवेदन करना चाहता हूँ कि उद्योग धंधे तो लाएँ, उसकी कोई मनाही नहीं है, रोजगार सृजित करने के लिए, वह भी ठीक है. लेकिन हर विभाग में जो पहले से पद रिक्त हैं उनमें हमारे कितने बेरोजगार साथियों को काम मिलेगा. वह पद जरूर भरें. ऐसा कोई सा विभाग नहीं है जिसमें रिक्त पद नहीं हैं. चाहे वह कृषि हो, सिंचाई हो, शिक्षा हो...
उपाध्यक्ष महोदया-- आपकी बात आ गई, अब आप बैठ जाइये.
श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा-- सहकारिता से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण सुझाव हैं. उपाध्यक्ष महोदया, सहकारी समितियों में पारदर्शिता की बहुत कमी है. आज डिजिटल जमाना है. सहकारी समितियों के सारे खाते ऑन लाइन किए जाएँ. सहकारी बैंकों के सारे खाते ऑन लाइन किए जाएँ, उसमें बहुत ज्यादा भ्रष्टाचार होता है. इनको आप ऑन लाइन करें. एक एक किसान को सहकारी समिति का सदस्य बनाया जाए. अभी बहुत सारे किसान सहकारी समिति के सदस्य नहीं हैं. ताकि उनको जीरो प्रतिशत ब्याज दर का फायदा मिल सके. माननीय उपाध्यक्ष महोदया, आपने इतना संरक्षण दिया इसके लिए धन्यवाद.
श्री संजीव सिंह “संजू”(भिण्ड)—माननीय उपाध्यक्ष महोदया, बहुत बहुत धन्यवाद. मैं यहाँ पर मांग संख्या 1, 2, 17 और 28 का समर्थन करने के लिए खड़ा हुआ हूँ. उपाध्यक्ष महोदया, हमारे बड़े भाई साहब बहादुर सिंह जी बैठे हुए हैं. मैं उनको धन्यवाद देना चाहता हूँ कि उन्होंने हमारे जिले के मंत्री को काबिल समझा और यह भरोसा दिलाया कि आप ही इस विभाग को सही कर सकते हैं. पिछले कुछ मंत्री रहे उन्होंने तो इस विभाग को सही नहीं किया. (मेजों की थपथपाहट) उनकी काबिलियत पर उन्होंने भरोसा किया, मैं उनको बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहता हूँ. बार बार किसान ऋण माफी योजना की बात आती है, आप बड़ा ही गलत करते हों, इसका नाम बदल दीजिए. पता नहीं रात में नींद आ भी रही है कि नहीं आ रही है हमारे साथियों को, कि जैसे ही किसान ऋण माफी योजना की बात आती है तो सभी लोग खड़े हो जाते हैं. (मेजों की थपथपाहट)सरकार ने, माननीय मुख्यमंत्री जी ने मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के दो घंटे के बाद इस फाइल पर दस्तख्त किए कि किसानों के ऋण माफ किए जाएँ और..
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- जैसे ही दस्तख्त किए वैसे ही हो गए?
श्री संजीव सिंह “संजू”-- पहले उसमें प्रावधान भी किए, माननीय विश्वास जी, प्रावधान किए सात हजार करोड़ का. बस एक गलती कर दी लेकिन..(व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदया-- संजीव जी, कृपया आपस में बात न करें. आप आसन्दी की तरफ देखकर बात करें.
श्री संजीव सिंह “संजू”-- जी, 7 हजार करोड़ का प्रावधान किया. सरकार ने इसमें एक गलती कर दी उसमें प्रावधान होना चाहिए था 17 हजार करोड़ का. 7 हजार करोड़ का तो प्रावधान ठीक था, किसानों का ऋण माफ करने के लिए और 10 हजार करोड़ का प्रावधान करना चाहिए था उस ऋण माफी योजना के प्रचार प्रसार के लिए, (मेजों की थपथपाहट) जो कि हमारे साथी हमेशा से करते रहे हैं. सरकार की मंशा अच्छी थी. सरकार की नीयत अच्छी थी और सरकार की नीति भी अच्छी है. रामेश्वर शर्मा जी, हमारे बड़े भाई बोल रहे थे कि सब के ऋण माफ हो गए. निश्चित तौर पर हो गए, आपके लोगों के भी हो गए, आपके कार्यकर्ताओं के भी हो गए. आपको कष्ट इस बात का है कि हम उन लोगों को पकड़ रहे हैं, चिह्नित कर रहे हैं, उन पर मुकदमा कायम करवा रहे हैं, एफआईआर करवा रहे हैं, जिन लोगों ने उन किसानों के नाम पर ऋण लिया है, जो लोग इस दुनिया में ही नहीं हैं. ऐसे लोगों के नाम पर भी ऋण लेकर अपनी जेबों में रख लिया और सरकार को करोड़ों रुपए की क्षति पहुंचाई. आपको कष्ट इस बात का है कि उनकी जांच क्यों हो रही है. यह बात भी आई कि तरह-तरह के फॉर्म भरवाए गए. लाल फॉर्म, गुलाबी फॉर्म, पीला फॉर्म यह तो बताइए कि इससे आपको क्या परेशानी है.
श्री देवेन्द्र वर्मा--(XXX)
उपाध्यक्ष महोदया--वर्मा जी कृपया बैठ जाइए. संजीव जी के अलावा किसी की बात रिकार्ड नहीं होगी. संजीव जी आप अपनी बात जारी रखें.
श्री संजीव सिंह "संजू"-- उपाध्यक्ष महोदया, दो लाख रुपए का कर्ज माफ किया जाएगा बिलकुल सीधी बात थी. हमारे साथी ने बिलकुल सही बात कही. आप यह क्यों चाहते हैं कि बिना जांच के कर्ज माफ किया जाए, यह बताइए मुझे. मामला सिर्फ यही नहीं है, सिर्फ कर्ज माफी का मामला नहीं है. संबल योजना को भी ले लीजिए मैं थोड़ा सा विषय से रिलेट कर रहा हूँ. ऐसी जितनी योजनाएं इन्होंने चलाईं सभी में व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार किया गया. कागजों के साथ, रिकार्ड के साथ सबूत दूंगा. माननीय मैं आपका संरक्षण भी चाहूंगा कि मैं सबूत दूंगा तो उन अधिकारियों के ऊपर कार्यवाही भी होना चाहिए और आपके उन कार्यकर्ताओं के ऊपर भी मुकदमे दर्ज होने चाहिए जिन्होंने इन योजनाओं के फर्जी कार्ड बनाकर, फर्जी रिपोर्ट बनाकर उसका फायदा उठाया.
श्री दिलीप सिंह परिहार --(XXX)
उपाध्यक्ष महोदया--किसी की बात नोट नहीं होगी केवल संजीव जी का नोट किया जाएगा. खटीक जी बैठ जाइए. (व्यवधान)
श्री संजीव सिंह "संजू"-- उपाध्यक्ष महोदया, हम इन्हें बताएंगे कि कैसे भ्रष्टाचार किया गया.
श्री हरिशंकर खटीक--(XXX)
श्री आलोक चतुर्वेदी--(XXX)
श्री वालसिंह मैड़ा--(XXX)
श्री संजीव सिंह "संजू"-- उपाध्यक्ष महोदया, मैं यही निवेदन करना चाहता हूँ कि लगातार उन लोगों को चिह्नित किया जा रहा है, उसमें कुछ समय जरुर लग रहा है, इसी वजह से आप लोगों को परेशानी हो रही है. उन लोगों को चिह्नित किया जा रहा है जिन्होंने किसानों के नाम पर पैसा निकालकर खाने का काम किया है. हमारे जिले में भी कई एफआईआर ऐसे लोगों पर हो चुकी हैं.
श्री अनिरुद्ध (माधव) मारू--(XXX)
उपाध्यक्ष महोदया--आप बैठ जाइए, इस तरह जिद नहीं करते हैं. (व्यवधान)
श्री मनोज चावला--(XXX)
श्री संजीव सिंह "संजू"-- उपाध्यक्ष महोदया, अभी हमारे एक साथी सदस्य बोल रहे थे.
श्री प्रवीण पाठक--(XXX)
उपाध्यक्ष महोदया--प्रवीण जी कृपया बैठ जाएं.
श्री संजीव सिंह "संजू"-- उपाध्यक्ष महोदया, अभी हमारे एक साथी सदस्य बोल रहे थे कि यह जो विभाग है इसका राजनीतिकरण कर दिया गया है. किसने किया ? 15 साल से किसकी सरकार थी, रैली में लोग कौन लेकर जाता था, किसकी संस्थाएं काम कर रहीं थीं. अगर भोपाल में रैली है तो सोसायटी का सेक्रेटरी कहता था 10 गाड़ी तुम लाओगे, 5 गाड़ी तुम लाओगे, 3 गाड़ी तुम लाओगे, इतना डीजल तुम भरवाओगे, इस बस में डीजल तुम भरवाओगे. ऐसा माहौल बना दिया था. इन सहकारी संस्थाओं को किसने बर्बाद किया, आपने बर्बाद किया. आज आप कह रहे हैं कि यह चुनाव राज्य निर्वाचन आयोग से कराए जाएं. वाह, बिलकुल कराए जाएं. आपने क्या किया, वह राज्य निर्वाचन आयोग आपके घर पर था. आपने घर पर बैठकर सहकारी संस्थाओं के चुनाव कराए. कमरे में बंद करके सहकारी संस्थाओं के चुनाव कराए. (मेजों की थपथपाहट) आज आपको निष्पक्षता और पारदर्शिता की याद आ रही है. आज आप छह महीने में राज्य निर्वाचन आयोग से चुनाव कराने की बात कर रहे हैं. अगर आपने यह कराया होता तो निश्चित तौर पर मैं भी मंत्री जी से निवेदन करता कि आप भी राज्य निर्वाचन आयोग से चुनाव करवाएं. (मेजों की थपथपाहट) लेकिन आपने पारदर्शिता, निष्पक्षता नहीं रखी और आज आप उम्मीद कर रहे हैं. मैं आपको माननीय मंत्री जी की तरफ से भरोसा दिलाता हूँ कि आपने तो किया नहीं लेकिन अब जो चुनाव होंगे वे निष्पक्ष होंगे और पारदर्शिता के साथ होंगे. (मेजों की थपथपाहट)
उपाध्यक्ष महोदया--संजीव जी कृपया समाप्त करें.
श्री संजीव सिंह "संजू"-- उपाध्यक्ष महोदया, भाजपा के और कांग्रेस के कई सदस्य बोल चुके हैं और अपने दल से बोलने वाला मैं पहला सदस्य हूँ तो मुझे थोड़ा समय दिया जाए.
उपाध्यक्ष महोदया, मैं सामान्य प्रशासन विभाग के बारे में कुछ बोलना चाहता हूँ. यह मांग हमारे एक वरिष्ठ सदस्य ने भी उठाई थी. अनुकम्पा नियुक्ति के जो नियम हैं वे निश्चित तौर पर जटिल हैं. हमारे पास लगातार क्षेत्र के कई लोग आते हैं जिनके परिवार में कोई काम करने वाला होता है उसकी मृत्यु हो जाती है और उसके बाद वे सालों तक चक्कर लगाते रहते हैं. मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि इन नियमों को सरल बनाया जाए और ऐसे लोग जो मुखिया के ऊपर निर्भर थे और ऐसे परिवार दर-दर की ठोकरें खा रहा है उस परिवार के किसी भी सदस्य को सरकारी नौकरी मिल जाए तो उसका जीवनयापन आसानी से हो सके.
उपाध्यक्ष महोदया, विधायकों के ऋण की बात की गई थी. मैं इस पर ज्यादा बात नहीं करना चाहता हूँ लेकिन एक दो बातें कहूंगा कि विधायकों को निजी सहायक दिए जाते हैं उसकी संख्या बढ़ा दी जाए, एक दिया जाता है उसकी जगह दो कर दिए जाएं. क्षेत्र के काम के लिए हम लोगों के ऊपर ज्यादा प्रेशर रहता है वे काम समय पर हो सकेंगे. वाहन ऋण 15 लाख है इसे 25 लाख कर दिया जाए.
वित्त मंत्री (श्री तरुण भनोत)--(XXX)
श्री संजीव सिंह "संजू"-- विधायक निधि की राशि भी निश्चित तौर पर बढ़नी चाहिए क्योंकि यह बहुत कम है. एक और महत्वपूर्ण बात मैंने अखबार में पढ़ी कि मंत्रालय में जो कर्मचारी बहुत सालों से डटे हुए हैं और एक ही विभाग में हैं. एक ही सेक्शन में हैं, ऐसे कर्मचारियों को चिह्नित करके जिन्हें 3 साल, 5 साल, 10 साल हो गए हैं उन्हें फील्ड में भेजने का काम करें. जब किसी कर्मचारी को एक ही जगह इतना समय हो जाता है तो वे कर्मचारी मोनोपॉली बना लेते हैं और मनमानी का वातावरण निर्मित कर देते हैं. यह ट्रांसपोर्ट, एरिगेशन, पीडब्ल्यूडी, सामान्य प्रशासन विभाग किसी भी विभाग के हो सकते हैं. उपाध्यक्ष महोदया, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूँ कि राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के प्रमोशन के साथ उनका पदनाम भी बदल जाता है, यह सुविधा सभी विभागों में लागू होना चाहिए. अन्य विभाग के कर्मचारी इससे परेशान होते रहते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, पीएससी में जितने भी राजपत्रित चयनित होते हैं उसमें डिप्टी कलेक्टर के समान पांच स्तरीय वेतनमान लागू किया जाना चाहिए. एक और महत्वपूर्ण बात कहना चाहता हूँ कि राजस्व विभाग के अधिकारियों का प्रमोशन सामान्य प्रशासन विभाग करता है. यह बड़ा ही विरोधाभासी है. कर्मचारी राजस्व विभाग के हैं प्रमोशन करता है सामान्य प्रशासन विभाग, इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है. राज्य प्रशासनिक सेवा के जो अधिकारी हैं वे अपनी मर्जी से अपना गृह जिला चेंज करा रहे हैं. जब उन्होंने सर्विस ज्वाइन की थी तब उन्होंने अपनी सर्विस बुक में जो गृह जिला लिखा होगा, लेकिन अब वे मनमाने तरीके से अपना गृह जिला चेंज कराने का काम कर रहे हैं. इस पर रोक लगना चाहिए. दूसरी बात बहुत सारे जांच आयोग पिछले पंद्रह सालों में पूर्ववर्ती सरकारों ने बनाए. हो सकता है कि मैं गलत भी हूं लेकिन मुझे नहीं लगता कि किसी भी जांच आयोग की रिपोर्ट यहां सदन में या पटल पर रखी गई. अगर ऐसा नहीं हुआ है तो जांच आयोग हम बनाते हैं तो इसकी समय सीम तय होनी चाहिए और कितने समय में वह रिपोर्ट पटल पर रखेंगे इसकी भी समय सीमा तय होना चाहिए. उपाध्यक्ष महोदया, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि वे उसको भी गंभीरता से लें.
उपाध्यक्ष महोदया-- संजीव जी मुझे आपके हाथ में काफी सारे कागज दिख रहे हैं यदि आपने नोट किया हुआ है तो आप मंत्री जी को मिलकर दे दीजिएगा.
श्री संजीव सिंह संजू-- मैं ऐसे ही नोट नहीं करता हूं जो भी हमारे साथी विधायक बोलते हैं, बस उसी को थोड़ा सा लिख लेता हूं और मैं तो पहली बार का विधायक हूं, उन्हीं से सीख रहा हूं. मैं अपने साथियों के लिए कहना चाहता हूं कि
''ले मशालें चल पड़े हैं लोग मेरे गांव के
अब अंधेरा जीत लेंगे लोग मेरे गांव के''
आप चिंता मत करिए. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री जालम सिंह पटेल ''मुन्ना भैया''-- उपाध्यक्ष महोदय, मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि अभी अपेक्स बैंक के अध्यक्ष नियुक्त हुए हैं. कौन से नियम कानून हैं.
उपाध्यक्ष महोदया-- कृपया आप बैठ जाइए.
श्री शैलेन्द्र जैन-- मशालों से ही प्रकाश होने वाला है. लाईट आने वाली है. मशालों से ही प्रकाश हो जाए तो हो जाए. (व्यवधान)...
उपाध्यक्ष महोदया-- जालम सिंह जी कृपया आप बैठ जाइए. (व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदया-- जो अनिरूद्ध जी बोलेंगे वही बात नोट होगी बाकी किसी का भी नहीं लिखा जाएगा.
श्री देवेन्द्र वर्मा--- (XXX)
श्री प्रवीण पाठक-- (XXX)
उपाध्यक्ष महोदया-- आप सभी कृपया सहयोग करें.
श्री अनिरूद्ध (माधव) मारू (मनासा)-- उपाध्यक्ष महोदया, मैं मांग संख्या 1, 2, 27, 28 का विरोध करता हूं.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. गोविन्द सिंह)-- (XXX)
श्री जालम सिंह पटेल ''मुन्ना भैया''-- (XXX)
श्री अनिरूद्ध (माधव) मारू-- पिछले सात माह में विभाग बेलगाम हो गया है. विभाग को सुधारने की आवश्यकता है.
श्री प्रवीण पाठक-- (XXX)
श्री अनिरूद्ध (माधव) मारू-- पंद्रह साल में तो हमने विभाग को सुधारा है. आपने पिछले इतने सालों में दिग्विजय सिंह जी के समय पर छोड़ा था तब..
श्री प्रवीण पाठक-- (XXX)
श्री गिर्राज डण्डौतिया-- (XXX)
उपाध्यक्ष महोदया-- प्रवीण जी कृपया आप बैठ जाइए. आप कृपया एक दूसरे की तरफ देखकर बातें नहीं कीजिए आप आसंदी की तरफ देखकर बात कीजिए.
श्री अनिरूद्ध (माधव) मारू-- जो प्रदेश का इंफ्रास्ट्रक्चर बदला है वह पंद्रह साल में बदला है. आप उसकी तुलना करें. आप बार-बार अभी की बात करते हैं.
सुश्री कलावती भूरिया-- (XXX)
उपाध्यक्ष महोदया-- कलावती जी कृपया आप बैठ जाएं. अनिरूद्ध जी कृपया आसंदी की तरफ देखकर बात करें. आप सदस्य आपस में बात न करें.
श्री अनिरूद्ध (माधव) मारू-- आपने छोड़ा था आप उस समय की बात करो. उसके पहले बहुत सारे मुख्यमंत्री जी रहे हैं. हमारे यहां नीमच जिले में एक तृतीय श्रेणी कर्मचारी बैंक का मैनेजर है जो कि उस पद के लायक नहीं है वह वहां का मैनेजर है. उसने खरीदी में जितने घोटाले पूरे जिले में करवाए उसका उदाहरण जिले में खरीदी हुई जांच के आदेश माननीय प्रभारी मंत्री ने दिए थे कि खरीदी का स्टेंडर्ड क्या रहा. उसमें लगभग 10 प्रतिशत अधिक अशुद्धियां पाईं गईं. सारी जाचं रिपोर्ट्स मेरे पास हैं और जो लोग दोषी पाए गए उनको फिर से खरीदी का इंचार्ज बना दिया गया है और उन्होंने फिर जो खरीदी की है उसमें फिर उनके खिलाफ केस बना है. जगदीश गायरी नाम का एक कर्मचारी है उसके खिलाफ भी उस खरीदी में 10 प्रतिशत घोटाला पाया गया, नॉन इफेक्यू था और उसके बाद उसको फिर से खरीदी का जिम्मा दिया गया. वहां उसने किसानों के साथ फिर से धोखाधड़ी की. उसके खिलाफ कार्यवाही नहीं हुई उसकी गिरफ्तरी नहीं हुई. यह को-आपरेटिव विभाग की स्थिति है कि वहां पर खरीदी में इतने बड़े घोटाले हुए. एक तृतीय श्रेणी व्यक्ति बैंक का मैनेजर बना हुआ है. सभी जिला सहकारी बैंकों में जो संविदा आधारित कम्प्यूटर ऑपरेटरों को रखा गया था. तीस जून 2019 को उनकी सेवाएं समाप्त कर दी गईं. एक तरफ आपकी सरकार कह रही है कि हम रोजगार सृजन कर रहे हैं और दूसरी तरफ आपने इतने सारे कर्मचारियों को बेरोजगार कर दिया. जो दस से पंद्रह साल के अनुभवी लड़के थे आपने उनको तो निकाल दिया और उसकी वजह से आपकी ऋण माफी भी प्रभावित हो गई है. आप जानकारी ले लें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- उपाध्यक्ष महोदय, अगर गोविन्द सिंह जी छात्र जीवन में इतना पढ़ लिख लेते तो आज इनकी यह स्थिति नहीं होती. जब से आया हूं तब से सर झुकाए बैठे हुए हैं. ऐसा काम क्यों करते हैं कि सर झुकाना पड़े.
डॉ. गोविन्द सिंह-- आप कह रहे हैं क्या जवाब नहीं दें इनका आपके विधायक जी जो बोल रहे हैं उसका जवाब देना है, वही लिख रहा हूं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- क्या आपने किसी को जवाब दिया.
श्री अनिरूद्ध (माधव) मारू-- क्या आपने जिन कम्प्यूटर आपरेटरों का काम बंद किया है.
डॉ. गोविन्द सिंह-- आप नकल से पास हुए हो. हम गोल्ड मेडेलिस्ट हैं. मैं गोल्ड मैडल दिखा दूंगा.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--यह तो जाहिर है कि आप अक्ल से पास हुए हो क्योंकि पूरा प्वाईंट ही स्लीपिंग प्वाईंट हो गया है.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर-- अगर ऊंट सर नहीं झुकाता तो क्या काम का नहीं होता.
डॉ. नरोत्तम मिश्र—(XXX)
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर-- आप विद्वान हो आप समझो किस से कर दी.
श्री अनिरूद्ध (माधव) मारू-- नए लोग कुछ कर नहीं पा रहे हैं आपका पूरा कर्जमाफी वाला प्रोग्राम इससे गड़बड़ा गया है. आप थोड़ी सी जानकारी अपडेट करेंगे तो आपको समझ में आएगा कि कहां गड़बड़ हो रही है. ऐसे ही रोजगार सृजन की बात कर रहे हैं तो इन्हें एम.पी.ई.बी. में, विद्युत मण्डल में जितने ऑपरेटर भर्ती थे इतने सालों से उन सभी को निकाल दिया गया. नए-नए ऑपरेटर अपने-अपने राजनैतिक आधार पर भर्ती करा दिए और उसकी वजह से पूरे मध्यप्रदेश की बिजली व्यवस्था गड़बड़ा गई है. मूल कारणों में कोई नहीं गया. कितना उत्पादन है मध्यप्रदेश में बिजली का माफ करे मैं दूसरे विषय पर बोल गया. यहां सहकारिता में सुधार की बहुत सारी गुंजाइश है सुधार की आपकी जितनी खरीदियां हो रहीं हैं उनको परदर्शी बनाया जाए वहां व्यवस्था ठीक की जाए. क्वालिटी चैक करने की व्यवस्था ठीक की जाए. यहां तक कि किसानों के ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन में भी जब वह किसान टैक्टर वेयर हाऊस पर माल तोलने जाता है उनके सीरियल में गड़बड़ की जाती है. वहां पैसे लेकर व्यवस्थाएं की जाती हैं जो पैसे देगा उस का माल पहले तुल जाता है. बरसात में इसी तरह बहुत सारे किसानों का इन्होंने माल खराब कर दिया. सभी जांच के विषय हैं. सारी शिकायतें की गई हैं अगर वास्तव में जांच होगी तो यह सुधार आप अपने रिकार्ड में एड करें कि पूरी व्यवस्था को कैसे पारदर्शी बनाया जाए. मैं कटौती प्रस्ताव का समर्थन करता हूं. आपने बोलने का अवसर दिया धन्यवाद.
श्री ओ.पी.एस. भदौरिया (मेहगांव)-- उपाध्यक्ष महोदया, मैं वर्ष 2019-2020 की अनुदान मांग संख्या 1, 2, 17 और 28 के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं. निश्चित रूप से मैं इन मांग संख्याओं का समर्थन इसलिए कर रहा हूं कि यह बहुत ही महत्वपूर्ण विभाग हैं और इनमें किसी भी तरह की कटौती शासन और प्रशासन के पक्ष में नहीं है. निश्चित रूप से जो कुछ हम यहां सदन में तय करते हैं जो विधायिका तय करती है उसको मूर्त रूप देने का और उसको जमीन पर लाने की जो भूमिका महत्वपूर्ण होती है वह प्रशासन की होती है और यह बडे़ दुर्भाग्य की बात है आप निश्चिंत रहिए मैं 15 वर्षों की बात नहीं करूंगा लेकिन पिछले कुछ सालों में जिस तरह से एक भयपूर्ण वातावरण प्रशासन के बीच में बना उससे कहीं न कहीं प्रशासन की कार्यक्षमता प्रभावित हुई है और जब प्रशासन की कार्यक्षमता प्रभावित होती है तो निश्चित रूप से जो लक्ष्य हम निर्धारित करते हैं जनता के हित और हक के लिए कहीं न कहीं वह लक्ष्य भी प्रभावित होते हैं. इसलिए मैं इन अनुदान मांगों का समर्थन करता हूं और मेरा यह सुझाव भी है कि अधिकारियों को पूरी तरह से कर्तव्यनिष्ठ, ईमानदार और कुशल प्रशासक और संवेदनशील बनाने के लिए इस बात की आवश्यकता है कि उनको बेहतर ट्रेनिंग दी जाए, उनको पूरा संरक्षण दिया जाए. और उनको पूरी तरह से भयमुक्त किया जाए और हम यह माननीय मंत्री जी से आशा करते हैं कि वह इन लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में प्रयास करें. दूसरा मैं कॉपरेटिव से संबंधित बात करना चाहता हूं सबसे पहले मैं बहादुर सिहं जी की बहादुरी का धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने बड़ी साफगोई से इस बात का स्वीकार किया कि पिछले कुछ वर्षों में सहकारी संस्थाओं का किस तरह से राजनीतिकरण किया गया. एक तरह से इन संस्थाओं का व्यवसायीकरण कर दिया गया है. इसका परिणाम यह हुआ कि जिन लक्ष्यों की पूर्ति के लिए हमने मध्यप्रदेश में सहकारी आंदोलन की स्थापना की थी, वह सहकारी आंदोलन अपने मूल रास्ते से ही भटक गया. आज हम जब दूसरे राज्यों चाहे गुजरात हो या महाराष्ट्र को देखते हैं तो वहां सहकारी आंदोलन के माध्यम से एक बड़ी मदद जनता को और खासतौर से कृषक वर्ग को प्राप्त हुई है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, कैलाशवासी माधव महाराज जब केंद्र में मानव संसाधन मंत्री थे तब मुझे जापान जाने का मौका मिला. वहां मुझे एक दिन के लिए किसानों के बीच रहना था और वहां की सहकारी संस्थाओं का अध्ययन भी करना था. जब मैं वहां की सहकारी संस्था के दफ्तर में गया तो मैंने जानना चाहा कि वहां किसान कौन है तो एक किसान खड़ा हुआ, जो टाई और सूट पहने हुए था, अपने सिंह साहब जी की तरह. मेरे दिमाग में तो किसान की वही छवि थी जो वास्तविक हालात हमारे देश में हैं और दूसरी जो सबसे महत्वपूर्ण बात है वह यह है कि उस सहकारी संस्था में दो हेलीकॉप्टर खड़े हुए थे. मुझे लगा कि शायद वहां से खेत काफी दूर होंगे इसलिए ये लोग मुझे लेने के लिए आये हैं लेकिन आपको यह जानकार आश्यर्च होगा कि वहां की सहकारी संस्थाओं को हेलीकॉप्टर इसलिए उपलब्ध करवाये गए थे ताकि नि:शुल्क किसानों के खेतों में दवाई का छिड़काव किया जा सके, बीज बोया जा सके और किसानों को तमाम् तरह की सुविधायें दी जा सकें. इस तरह के सहकारी आंदोलन भी इस दुनिया में हैं, जिससे हमें सबक लेना चाहिए. मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि देश के अन्य राज्यों में जो सहकारी संस्थायें हैं यदि उनसे हमें कुछ सीखने को मिलता है तो निश्चित रूप से हम उस दिशा में प्रयास करें.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मेरा तीसरा सुझाव यह है कि निश्चित रूप से विधान मण्डल, विधायकों को सुविधायें हैं लेकिन इसका फण्ड बहुत ही कम है क्योंकि जब हम जनता के बीच में जाते हैं तो इतने मद होते हैं, खर्च करने के लिए कि फण्ड की कमी हो जाती है. कोई हैण्डपंप की मांग करता है, कोई आर.सी.सी. की मांग करता है, कोई स्लम् एरिया को विकसित करने की मांग करता है. ऐसी अनेक चीजें हैं. यदि हम एक औसत भी निकालें तो लगभग 150 पंचायतें एक विधान सभा क्षेत्र में आती हैं और यह संभव नहीं है कि इतने कम फण्ड में हम जनता की ठीक से सेवा कर सकें. इस दिशा में मेरा निवेदन है कि फण्ड में वृद्धि की जाये.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, इसके अतिरिक्त मेरा एक और विनम्र निवेदन है कि सभी विधान सभा क्षेत्रों के अधिकारियों को विधायकों और जनप्रतिनिधियों के प्रति उत्तरदायी बनाना पड़ेगा क्योंकि निश्चित रूप से जब तक वे इस बात को महसूस नहीं करेंगे कि हमारा कोई उत्तरदायित्व है तो जनप्रतिनिधि की मान्यता को कैसे बहाल किया जायेगा और कैसे उनको संरक्षण मिलेगा. इसलिए इस बात की बहुत आवश्यकता है कि अधिकारी वर्ग, जनप्रतिनिधि को महत्व दें, चुने हुए लोगों की बातों को महत्व दें और जो पत्र-व्यवहार उनके द्वारा किया जाता है उसे प्रत्यक्ष रूप से माना जाए, उसका पालन किया जाए. यह मेरा आपसे निवेदन है. मैं पहली बार यहां चुनकर आया हूं, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, धन्यवाद.
श्री आशीष गोविंद शर्मा (खातेगांव)- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं मांग संख्या 1, 2 एवं 17 का विरोध करता हूं. मैं सामान्य प्रशासन और सहकारिता के क्षेत्र में अपनी बातों को यहां प्रस्तुत करना चाहता हूं. निश्चित ही सामान्य प्रशासन विभाग के माध्यम से प्रशासनिक व्यवस्थाओं को अंजाम देने का कार्य किया जाता है. मैं अपने क्षेत्र से बात शुरू करूंगा. मेरे क्षेत्र में पिछले 1 वर्ष से एस.डी.एम. का पद रिक्त है. नया सब-डिवीज़न खातेगांव बना है. उसी के एक एस.डी.एम. द्वारा कन्नौद और खातेगांव दोनों सब-डिवीज़न का काम चलाया जा रहा है. एक तरफ हम कह रहे हैं कि हमारे पास मध्यप्रदेश राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी पर्याप्त मात्रा में हैं लेकिन उसके बाद भी एस.डी.एम. का पद रिक्त है, यह बड़ा चिंता का विषय है. जन समस्याओं का निवारण नहीं हो पा रहा है और जनता की सुनवाई भी ठीक से नहीं हो पा रही है. इस सरकार द्वारा बेतहाशा ट्रांसफर किए गए हैं. कई जिलों में यदि पांच अधिकारी बाहर भेजे गए हैं तो उसके बदले पांच अधिकारी पुन: उन जिलों में नहीं भेजे गए हैं. तहसीलदार हो, नायब तहसीलदार हो, पुलिस अधिकारी हो, इस कारण जिला एवं तहसील मुख्यालयों में उन अधिकारियों के पद लंबे समय से रिक्त बने हुए हैं. चाहे नई ट्रांसफर नीति सरकार द्वारा लागू की जाये लेकिन उसमें इस बात का निश्चित रूप से प्रावधान होना चाहिए कि जितने अधिकारी-कर्मचारी किसी जिले से लिए जा रहे हैं, उतने अधिकारी-कर्मचारी उस जिले को वापस दिए जायें. अन्यथा मुख्यालय से दूर जो क्षेत्र हैं वहां पर अधिकारी-कर्मचारियों की पोस्टिंग नहीं हो पाती और इस कारण कार्य प्रभावित होते हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, जन समान्य में एक चर्चा का विषय है. माननीय शिवराज सिंह जी की सरकार ने मीसाबंदियों को, जिन्होंने आपातकाल के दौरान आंदोलन, प्रदर्शन किया था, उन्हें मध्यप्रदेश की सरकार ने, लोकतंत्र सेनानी मानकर 25 हजार रूपये प्रतिमाह देने का काम करती थी. इस सरकार ने वह पेंशन बंद कर दी है. इस मामले में मंत्री जी स्थिति स्पष्ट करें. यदि पेंशन बंद की गई है तो क्यों बंद की गई है और यदि बंद नहीं की गई है, कोई जांच कमेटी इसकी जांच कर रही है तो जांच कमेटी कब तक इन लोकतंत्र सेनानियों के बारे में निर्णय लेकर, विधिवत उनकी पेंशन चालू करेगी क्योंकि इस देश में आपातकाल लगा था जो कि लोकतंत्र पर एक बदनुमा दाग था. उसके खिलाफ आंदोलन करने वाले लोगों को मध्यप्रदेश की पूर्ववर्ती शिवराज सिंह जी की सरकार ने यह सम्मान निधि देना प्रारंभ किया था. उस समय कई लोग 2-2 वर्षों तक जेल में थे. उनके परिवार पर बड़ी विपत्ति आई थी. इसलिए कृपया इस निधि के बारे में मंत्री जी अपने वक्तव्य में स्थिति स्पष्ट करें.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, सरकार की नीति है कि प्रदेश के प्रत्येक कमिश्नर को अपने क्षेत्र में 5 रात्रि विश्राम और प्रत्येक कलेक्टर को अपने जिले में 3 रात्रि विश्राम करना चाहिए लेकिन इस नियम का पालन नहीं हो पा रहा है. इसे भी देखा जाए क्योंकि यदि कलेक्टर और कमिश्नर जैसे अधिकारी निचले स्तर पर जाकर रात्रि विश्राम करेंगे तो कहीं न कहीं शासन की योजनाओं को बहुत बारीकी से नीचे तक देखा जायेगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, जहां तक बात है प्रमाण-पत्रों को बनाने की तो एस.डी.एम. और तहसीलदार के माध्यम से बहुत से प्रमाण-पत्र जारी किए जाते हैं. चाहे जाति प्रमाण-पत्र हों, घुमक्कड़-अर्द्धघुमक्कड़ के प्रमाण-पत्र हों. मेरे अपने क्षेत्र में भी घुमक्कड़-अर्द्धघुमक्कड़ समाज के प्रमाण-पत्र नहीं बन पा रहे हैं. लोगों को कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं. जाति प्रमाण-पत्र के लिए भी बहुत सारा डाटा मांगा जा रहा है. स्कूलों में बच्चों के जाति प्रमाण-पत्र एक साथ बनाये जाते थे उनको अतिशीघ्र पूर्ण किया जाये क्योंकि शैक्षणिक सत्र प्रारंभ हो चुका है. माननीय उपाध्यक्ष महोदया, स्थानीय निवासी प्रमाण-पत्र के लिए 50 सालों का रिकॉर्ड मांगा जा रहा है. जो कि बिल्कुल उचित नहीं है. यदि रिकॉर्ड मांगा भी जा रहा है तो कम से कम 20-25 वर्ष का मांग लिया जाये क्योंकि वह आसानी से उपलब्ध हो जाता है. 50 वर्ष का रिकॉर्ड किसी भी व्यक्ति के लिए लाना बहुत मुश्किल होता है. इसलिए प्रमाण-पत्रों की व्यवस्था को सरकार ठीक से देखे.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, आधार-कार्ड बनाने के लिए पूरे मध्यप्रदेश में जनता को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. लोग सड़कों पर चक्का जाम कर रहे हैं. बैंकों और जहां आधार-कार्ड बनाने के सेंटर हैं वहां 100-200 लोगों की लाइन अपनी बारी के इंतजार में सुबह 5 बजे से लग जाती है लेकिन एक दिन में केवल 20-25 आधार-कार्ड ही उन सेंटरों में बन पाते हैं. इसलिए आधार-कार्ड के सेंटर बढ़ाये जायें या आधार-कार्ड जल्दी से जल्दी बन सके इसके लिए चिंता की जाये.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, प्रत्येक मंगलवार को जन सुनवाई, मध्यप्रदेश की पूर्ववर्ती सरकार द्वारा चालू की गई थी. मैं अपने और अन्य जिलों के संबंध में बताना चाहूंगा कि जन सुनवाई के प्रति अधिकारी-कर्मचारी गंभीर नहीं हैं. समाचार-पत्रों में भी कई बार ऐसी खबरें आती हैं कि जन सुनवाई चल रही है और अधिकारी मोबाईल चलाने में व्यस्त हैं. जन सुनवाई की व्यवस्था को ज्यादा जवाबदेह बनाया जाये.
3.47 बजे
{अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) पीठासीन हुए.}
माननीय अध्यक्ष महोदय, मानव अधिकार आयोग के अंतर्गत जिला समितियों का गठन किया गया है लेकिन जिलों में मानव अधिकार समिति की बैठक बहुत कम होती है मैं स्वयं यह नहीं जानता कि ये बैठकें कब हुई हैं और मानव अधिकारों का हनन एक बहुत बुरी बात है. जिस भी व्यक्ति के मानव अधिकारों का हनन किया जाता है उस परिवार की क्या स्थिति होती है, यह हम सभी जानते हैं. इसलिए मानव अधिकार समितियों को ज्यादा सशक्त बनाया जाये.
माननीय अध्यक्ष महोदय, ग्राम पंचायतों में कार्यरत जी.आर.एस. (ग्राम रोजगार सेवक) और अतिथि शिक्षक, ये दोनों इस समय मध्यप्रदेश की दो व्यवस्थाओं का संचालन बहुत अच्छे से कर रहे हैं. अतिथि शिक्षक न हों तो स्कूलों में पढ़ाई बंद हो जाये और जी.आर.एस. यदि ठीक से काम न करें तो ग्राम पंचायतों की पूरी व्यवस्था ठप्प हो जाये. इसलिए इन दोनों को जो मानदेय वर्तमान में दिया जा रहा है इसमें बढ़ोत्तरी की जाए. साथ ही साथ इन्हें नियमित करने की कार्यवाही का भी आश्वासन मंत्री जी द्वारा मिलना चाहिए.
माननीय अध्यक्ष महोदय, विधायकों को जो सहायक मिलते हैं, वे किसी न किसी विभाग के होते हैं और उसके विधायक के पास आने से, विभाग का कार्य बाधित होता है इसलिए विधायकों को निजी तौर पर ऐसा कोई जो इस काम का जानकार हो, जो ऐसी योग्यता रखता हो कि विधायक का सहायक बन सकता है ऐसे व्यक्ति को अपने पास नौकरी में पांच वर्षों के लिए, जब तक विधायक का कार्यकाल है, निजी सहायक रखने की व्यवस्था हो और उसके वेतन-मानदेय का भुगतान विभाग के माध्यम से हो. इसके लिए भी कुछ न कुछ नियम बने ताकि हम निजी सहायक रख सकें.
माननीय अध्यक्ष महोदय, सहकारिता के क्षेत्र में कहना चाहता हूं कि अभी जो सहकारी समितियां हैं वे 35 हजार रूपये प्रति हेक्टेयर के लगभग एक किसान को खाद और बीज एक वर्ष में दे सकती है. इसकी सीमा बढ़ाई जानी चाहिए. मेरे देवास जिले की जो सहकारी बैंक है उसकी भी सीमा बढा़ई जानी चाहिए. सहकारी सोसायटी में जो कर्मचारी कार्यरत हैं, उनका कॉडर बनाया जाए और एक ही जिले में उनके स्थानांतरण की व्यवस्था होनी चाहिए.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अनुकंपा नियुक्ति का प्रावधान सोसायटी के सेवा एवं भर्ती नियमों में होना चाहिए क्योंकि ऐसा कोई व्यक्ति जो कम वेतन में सोसायटी में काम करता है और यदि उसके परिवार में कोई मृत्यु हो जाती है तो उसके परिवार के सामने आजीविका का संकट खड़ा हो जाता है. इसलिए अनुकंपा नियुक्ति के प्रावधान होने चाहिए. मध्यप्रदेश भूमि विकास बैंक जिसका संविलियन किया गया है, जिसे बंद किया गया है उसके कई कर्मचारियों को आज मात्र 1000-1200 रूपये की प्रतिमाह पेंशन मिल रही है. जिसने 25-30 साल अपनी सेवा दी है उसका 1000-1200 की पेंशन में क्या हो रहा होगा ? इस विषय में कुछ न कुछ नियम अवश्य बनने चाहिए. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया इसके लिए धन्यवाद.
श्री जालम सिंह पटेल(नरसिंहपुर):- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से बोलना चाहता हूं कि जनवरी की खरीफ की फसल का 25 जनवरी तक का भुगतान नहीं हुआ है और उसके बाद 15 मई के बाद से चने की फसल का नरसिंहपुर जिले के किसानों का भुगतान नहीं हुआ है. आपसे निवेदन है कि आप मंत्री जी को जरूर निर्देशित करेंगे.
श्री संजय यादव(बरगी):- अध्यक्ष महोदय, सबसे पहले मैं माननीय कमलनाथ जी को और डॉ. गोविन्द सिंह जी को बधाई देता हूं कि सहकारिता विभाग में विगत 6 महीने से जो नियंत्रण करने का जो डॉक्टर साहब ने प्रयास किया. क्योंकि मैं तो ग्रामीण क्षेत्र में जब चुनाव लड़ने गया और चुनाव जीता तो मुझे खुद को सहकारिता समझ में नहीं आ रहा था. लेकिन जब सहकारिता में अंदर तक गया तो पता चला कि पूर्व सरकार को सहकारिता में....
अध्यक्ष महोदय:- इसके बाद में जिस विभाग की चर्चा आने वाली है, यह उसकी तड़क है. (आसमानी बिजली कड़कड़ाने पर) ( हंसी )
डॉ. नरोत्तम मिश्र:- इसके बाद आबकारी विभाग की चर्चा आने वाली है और अपने यहां पर मान्य परम्परा ऐसी है कि जैसे वन विभाग पर चर्चा होती है तो वह अपने-अपने विभाग से शहद वगैरह भिजवाता है. दूसरे विभागों की चर्चा होती है तो.. (हंसी)
श्री जालम सिंह पटेल:- मौसम के अनुसार.
डॉ. नरोत्तम मिश्र:- हां, ऐसा भी कह लो, वह भी ठाकुर ही हैं. आपने मौसम के अनुसार विभागवार चर्चा रखी है, मैं उसके लिये अध्यक्ष जी आपका आभार व्यक्त करता हूं. (हंसी)
वाणिज्यिक कर मंत्री(श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर):- माननीय अध्यक्ष महोदय, इनको पता नहीं है, इनके घर में हम शहद की शीशी भेज चुके हैं. (हंसी)
डॉ. नरोत्तम मिश्र:- अब यदि मौसम के हिसाब से और विभाग के अनुसार बोलें तो समझ में आये. अब बोलने में भी इतनी कंजूसी तो कैसा ठाकुर है.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया:- वाणिज्यिक मंत्रालय में शहद का कोई काम नहीं है.
श्री विश्वास सारंग:- यह मंत्री जी ने संसदीय भाषा में बोला है.
अध्यक्ष महोदय:- नहीं राठौर साहब, मैं आपकी इस बात से सहमत नहीं हूं कि मौसम के अनुसार आपने शहद की शीशी कैसे पहुंचा दी. (हंसी)
डॉ. नरोत्तम मिश्र:- मेरा क्या संबंध है, शहद से.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर:- अध्यक्ष महोदय, शहद की शीशी इसलिये भेजी है कि जब यह हमसे बात करेंगे तो मिठास के साथ करेंगे.
डॉ. नरोत्तम मिश्र:- अध्यक्ष महोदय, मैं कड़वा बोलता ही नहीं हूं.
अध्यक्ष महोदय:- आज तक कड़वा नहीं बोला.
श्री शैलेन्द्र जैन:- अध्यक्ष जी, बृजेन्द्र सिंह जी कूटनीतिक भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं.
डॉ. गोविन्द सिंह:-माननीय अध्यक्ष जी, यदि आप मुझे निर्देशित करें तो मैं खाद की बोरी पहुंचा दूंगा. (हंसी)
श्री संजय यादव:- अध्यक्ष महोदय, निश्चित रूप से मैंने जब अभी सहकारिता को समझा तो 15 वर्षों में, क्योंकि जो पूर्व सरकार थी उसको सहकारिता समझ में ही नहीं आया कि सहकारिता क्या होता है. मैं जब सहकारिता में अंदर तक गया तो मैंने देखा कि जितना घोटाला और लूट-मार, इन 15 वर्षों में सहकारिता के क्षेत्र में इन्होंने किया है. उसका परिणाम यह हुआ कि जब आचार- संहिता लग गयी तो उस समय बहुत सी सोसाइटियां डिफाल्टर थीं. मजबूरीवश उन सोसाइटियों से पुन: गेहूं बेचने का काम कराया गया. लेकिन उन्होंने आचार - संहिता का फायदा उठाते हुए, क्योंकि वह विगत 15 सालों से मोटी- चमड़ी के हो गये थे. वह पिछले 15 सालों से जिस तरह से किसानों का खून चूस रहे थे, घोटाले कर रहे थे तो उनकी आदत इतनी जल्दी जायेगी नहीं. लेकिन जब डॉक्टर साहब इंजेक्शन लगेगा और हमारे डॉक्टर साहब जबलपुर के पढ़े हैं तो निश्चित रूप से सहकारिता के क्षेत्र में एक नई क्रांति आयेगी, हमें पूर्ण उम्मीद है.
अध्यक्ष महोदय, मेरे अपने बरगी विधान सभा क्षेत्र की एक सोसाइटी है जो मेरे बरगी विधान सभा से 70 किलोमीटर की दूरी पर है. डॉक्टर साहब जबलपुर को जानते हैं, बरगी विधान सभा क्षेत्र की जो 6 सोसाइटी हैं, वह गोहलपुर सहकारी बैंक के अंतर्गत आती हैं और गोहलपुर और बरगी की दूरी करीब 50-60 किलोमीटर पड़ती है. बरगी विधान सभा की 6 सोसाइटी गोहलपुर में जुड़ी हैं तो वह गोहलपुर का जो सहकारी बैंक है उसको बरगी विधान सभा क्षेत्र के ही सिवनी-टोला क्षेत्र में खोला जाये. ताकि जो केश लेकर 50-60 किलोमीटर दूर सोसाइटी वालों को जाना पड़ता है, उसकी परेशानी से बचाया जा सके.
मेरा आपसे और मंत्री जी से निवेदन है कि आप हमारे बरगी विधान सभा क्षेत्र के सिवनी-टोला क्षेत्र में सहकारी बैंक की एक शाखा खुलवाने का कष्ट करें या गोहलपुर की जो शाखा है उसको सिवनी-टोला में ट्रांसफर करवाने का कष्ट करें. दूसरा एक छोटा सा निवेदन है कि बरगी विधान सभा क्षेत्र में परिसीमन के बाद राजस्व विभाग के जो एसडीएम होते हैं, वह एक पाटन और जबलपुर में बैठते हैं. विगत 6 महीने से मैं प्रयास कर रहा हूं कि शहपुरा में तो एसडीएम बैठने लगा है, लेकिन पद स्वीकृत नहीं हुआ है और बरगी विधान सभा क्षेत्र का जो एसडीएम है, वह जबलपुर शहर में बैठता है तो वहां आने के लिये गांव के लोगों को 70 किलोमीटर की दूरी तय करना पड़ती है. मैं इसलिये मंत्री महोदय जी से निवेदन करूंगा कि अभी जो बरगी विधान में दो अनु-विभाग बनना है, उनको जल्द से जल्द बनाया जाये. आपने बोलने का समय दिया, धन्यवाद.
श्री प्रताप ग्रेवाल,(सरदारपुर):- अध्यक्ष महोदय, मैं आपके संरक्षण में एक महत्वपूर्ण सुझाव देना चाहता हूं. क्योंकि यह मध्यप्रदेश के उन शासकीय कर्मचारियों के भविष्य का सवाल है, जो अपना जीवन प्रदेश की शासकीय सेवाओं में लगा देते हैं. जब उनके परिवार में अनुकंपा नियुक्ति की बात आती है तो उनको अनुकम्पा नियुक्ति नहीं दी जाती है. इसके पहले की सरकार ने लोक शिक्षण संचालनालय ने पत्र क्रमांक- स्थापना-4/सी/अनुकंपा नियुक्ति/100/ 2014/2205, भोपाल दिनांक 9.5. 2014 द्वारा संविदा शिक्षक पर बीएड, डीएड और टीआईटी की परीक्षा उत्तीर्ण होना आवश्यक है. लेकिन सब जानते हैं कि मध्यप्रदेश की पिछली सरकार के द्वारा पात्रता परीक्षा आयोजित नहीं की जाती थी और जब पात्रता परीक्षा और टीआईटी की परीक्षा आयोजित नहीं की जाती थी तो अनुकंपा में जो शर्त रखी जाती थी तो मृतक परिवार का जो अभ्यर्थी होता था, उसे अनुकंपा नियुक्ति का लाभ नहीं मिल पाता था. विगत 5-6 वर्षों से हजारों अनुकंपा नियुक्ति के प्रकरण हैं तो उन परिवारों को 1 लाख रूपये देकर प्रकरण नस्तीबद्ध कर दिया जाता था.
अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे यही अनुरोध है कि परिवीक्षा अवधि में जब हम अतिथि शिक्षकों को बगैर कोई पात्रता के नियुक्ति देते हैं तो एक अनुकंपा नियुक्ति के लिये हम क्यों नहीं परिवीक्षा अवधि के दौरान ही प्रतिभा शिक्षक पात्रता परीक्षा आयोजित की जाये. आपने बोलने का समय दिया, धन्यवाद.
श्री रामलाल मालवीय(घट्टिया):- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 1, 2, 17 और 28 का समर्थन करने के खड़ा हूं और कटौती प्रस्तावों का विरोध करता हूं.
अध्यक्ष महोदय, सामान्य प्रशासन विभाग प्रदेश की प्रशासनिक व्यवस्थाओं का आधार स्तंम्भ है. किसी भी सरकार की प्रशासनिक व्यवस्थाओं का आंकलन सामान्य प्रशासन विभाग से किया जाता है. भाजपा की पिछली 15 वर्षों की सरकार में प्रदेश में अनेकों ऐसी संवेलनशील घटनाएं हुईं और उन घटनाओं को दबाने के लिये जांच समितियां भी बनीं, उनका प्रतिवेदन भी प्राप्त हुआ. लेकिन आज तक उन प्रतिवेदनों को विधान सभा के पटल पर नहीं रखा गया. उसका नतीजा मध्यप्रदेश की जनता को देखने को मिला, जब इंदौर नगर निगम में पेंशन घोटाला हुआ तो उसका जांच प्रतिवेदन भी आया और यहां तक हमने समाचार पत्रों में पढ़ा कि माननीय न्यायाधीश महोदय द्वारा जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत किया.
श्री रामलाल मालवीय--उनको भी दबाया गया. वर्तमान सरकार की पारदर्शी व्यवस्था का समर्थन करता हूं. पिछले 15 वर्षों में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने जो जांच समितियां बनायीं उन जांच समितियों से निष्पक्ष रूप से जांच करायी जाये तथा जो जांच हुई है उनकी समितियों का प्रतिवेदन विधान सभा के पटल पर रखा जाये. विधायकों के जो निज सहायक हैं उनका मानदेय पिछले कई वर्षों से नहीं बढ़ाया है उनको 200 रूपये मानदेय मिल रहा है. मैं मंत्री जी से अनुरोध करता हूं कि कम से कम उनका मानदेय 2000 रूपये किया जायें. कल जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक का एक प्रश्न विधान सभा में था मेरा उस प्रश्न के माध्यम से सेवा सहकारी संस्थाओं के 250 नियम विरूद्ध की गई भर्तियों के कर्मचारियों को सेवा सहकारी संस्था ने निकाला है, यह तो एक जिले की बात थी. मध्यप्रदेश में ऐसे कई हैं जहां इस प्रकार की नियुक्तियां हुई हैं. हम लोगों ने इसलिये प्रश्न लगाया था कि उनकी नियुक्ति नियम के साथ की जाये, लेकिन जो नियुक्ति हुई है, वह नियम के विरूद्ध हुई है. मेरा मंत्री जी से आग्रह है कि जो कर्मचारी लगे थे. चाहे सेल्समेन हो, चाहे ऑपरेटर हो, या सहायक सचिव हो, उनको निकालने से उनके परिवार के लालन-पालन में कठिनाई हो रही है. उसमें ऐसा नियम बनायें कि उन नियम के माध्यम से उनकी नियुक्ति वापस जिस प्रकार से हम लोग कर सकें ताकि उनके परिवार का लालन-पालन हो सके तथा आने वाला परिवार चल सके. 8 जुलाई को सामान्य प्रशासन विभाग के माननीय मंत्री जी ने एक पत्र दिया है उसमें अनुसूचित जाति, जनजाति एवं विमुक्त घुमक्कड़ अर्ध-घुमक्कड़ व्यक्तियों को जाति प्रमाण पत्र बनाने के लिये मैं इसके लिये मंत्री जी को धन्यवाद देता हूं. इसके पहले जो जाति प्रमाण पत्र बनते थे तो चाहे अनुसूचित जाति का व्यक्ति हो, जनजाति का हो, पिछड़ा हो, घुमक्कड़ हो, उनके प्रमाण पत्र बनाने के लिये उनसे 50 वर्षों का रिकार्ड मांगा जाता था. माननीय मंत्री जी ने उस बाध्यता को समाप्त करते हुए अगर उनका जाति प्रमाण पत्र बनाना है अनुसूचित जाति, जनजाति एवं विमुक्त घुमक्कड़ अर्ध-घुमक्कड़ का तो संबंधित क्षेत्र का तहसीलदार, राजस्व अधिकारी अथवा पटवारी वह गांव जाकर संबंधित की जांच करेंगे, जांच कर उनका जाति प्रमाण पत्र बनाएंगे इसके लिये मंत्री जी को धन्यवाद देता हूं और आशा करता हूं कि मध्यप्रदेश की सेवा सहकारी संस्थाओं में जितनी नियम विरूद्ध भर्तियां हुई हैं. उन कर्मचारियों को किस प्रकार से नियम बनाकर नियमित कर सकते हैं, उनको नियमित करें. आपने समय दिया धन्यवाद.
जनसम्पर्क मंत्री (श्री पी.सी.शर्मा)--अध्यक्ष महोदय, जब तक 50 साल वाला सर्टिफिकेट बनाये तब तक अस्थायी सर्टिफिकेट जारी हो जाये नहीं तो बच्चों के स्कूल भर्ती में बड़ी दिक्कत होती है, यह प्रक्रिया लंबी है. उनके सर्टिफिकेट बनाने के तुरंत आदेश जारी किये जाये.
अध्यक्ष महोदय--माननीय मंत्री डॉ.गोविन्द सिंह जी.
डॉ.नरोत्तम मिश्र--आरिफ अकील जी को हाजिर-नाजिर मानकर कसम खाओ जो कुछ कहोगे सच कहोगे सच के अलावा कुछ नहीं कहोगे. यह भी बताओ कि आपके कहने से एकाध स्थानान्तरण आई.ए.एस. अथवा आई.पी.एस. का हुआ सच सच बोलना. (हंसी)
डॉ.गोविन्द सिंह--इनके ऊपर हाथ रखकर इनसे क्या होगा (हंसी)
श्री विश्वास सारंग--आपका जवाब दे दिया है साहब.
अध्यक्ष महोदय--दस्तखत उन्हीं के थे. (हंसी)
डॉ.नरोत्तम मिश्र--इतने (XXX) हो गये हैं उनसे पूछते ही नहीं है.
अध्यक्ष महोदय--यह शब्द विलोपित करें.
सहकारिता मंत्री (डॉ.गोविन्द सिंह)--अध्यक्ष महोदय, मैं सहकारिता विभाग एवं संसदीय कार्य विभाग एवं सामान्य प्रशासन के बजट मांग पर विभागीय पक्ष सदन के सामने रख रहा हूं. हमारे विभाग की चर्चा में जिन माननीय सदस्यों ने भाग लिया है उनमें सर्व श्री माननीय गौरीशंकर बिसेन, घनश्याम सिंह, बहादुर सिंह, शशांक भार्गव, इन्द्र सिंह परमार, प्रवीण पाठक, प्रेमशंकर, संजीव सिंह, अनुरूद्ध माधव मारू, ओ.पी.भदौरिया, आशीष गोविन्द शर्मा, संजय यादव, प्रताप ग्रेवाल तथा रामलाल मालवीय जी इसके साथ ही साथ जिन सदस्यों ने कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत किये थे उनमें भी माननीय सदस्य सर्व श्री गौरीशंकर बिसेन, रामपाल, कमल पटेल, यशपाल सिंह सिसौदिया, दिनेश राय, बहादुर सिंह चौहान, प्रभात पांडे तथा श्री आशीष शर्मा जी इन सभी माननीय सदस्यों ने हमारे विभाग में कटौती प्रस्ताव के माध्यम से चर्चा में रूचि दिखाई है उन सबको बधाई तथा धन्यवाद देना चाहता हूं कि कम से कम प्रजातंत्र के मंदिर में अपनी बात साफ-सुथरी कहने का प्रयास किया. कुछ लोगों ने पक्ष एवं विपक्ष के रूप में अपनी बात कही. मैं कहना चाहता हूं कि जो परम्परा भारतीय जनता पार्टी ने बंद कर रखी थी जब मैं पहली बार विधायक चुनकर आया तब से लेकर कई वर्षों तक अगर कोई माननीय सदस्य कटौती प्रस्ताव लगाते थे तो उनका उत्तर विभागीय मंत्री देता था, परन्तु हमारी सरकार बनने के बाद किसी भी सदस्य को कटौती प्रस्ताव के उत्तर नहीं मिले हैं. शायद हमें उम्मीद है कि हमारे विभाग के कई मंत्रियों ने कटौती प्रस्ताव के उत्तर नहीं दिये होंगे. मैं चाहता हूं कि जो भी माननीय सदस्य कटौती प्रस्ताव लगाते हैं तो हमारे सभी माननीय मंत्री आगे भविष्य में जवाब दें तो उनका लिखा है इतनी मेहनत की है उनका उत्तर तो उनको मिलना चाहिये इस प्रकार का सबसे निवेदन करूंगा. पूर्व सहकारिता मंत्री जी बैठे हैं. सहकारिता विभाग का मतलब है क्या जहां व्यक्ति वहां सहकार, बिन सहकार नहीं उद्धार तथा बिना संस्कार के नहीं सहकार. महात्मा गांधी जी ने भी कहा था कि अगर पानी की बूंद पड़ती है और सूख जाती है तो उसका अस्तित्व खत्म हो जाता है, परन्तु कई बूंदे मिल जाती हैं तो समुन्द्र बन जाता है और सब इकट्ठे होकर समुन्द्र में जहाज तक चलते हैं.
डॉ.नरोत्तम मिश्र--आज कैसी बातें कर रहो हो. आपकी उम्र अब हावी होने लगी है.
डॉ.गोविंद सिंह--अध्यक्ष महोदय, सचाई न कहूं. सहकारिता आंदोलन के जनक इंग्लैड से प्राप्त हुए वहां एक बुनकर सोसाइटी थी उस सोसाइटी के 28 सदस्य थे वहां पर एक गांव था उसका नाम रोकडेल उस गांव से सहकारी सोसाइटी प्रारंभ हुई है. वहीं से पूरा सहकारी आंदोलन आज विश्व में फैला हुआ है. सहकारिता के बजट के बारे में पूरा लिखा हुआ है आप सब लोगों ने इसको पढ़ा है तो उसके बारे में बोलने का कोई मतलब नहीं है. हमारे मध्यप्रदेश में कभी 51 हजार 794 सहकारी संस्थाएं पंजीयन हैं जिसका नियमन सहकारिता विभाग करता है. सहकारी संस्थाओं में अंकेक्षण प्रथा पहले विभागीय रूप में होती थी, लेकिन कुछ वर्षों में वैद्यनाथन कमेटी लागू हुई उस समय से कुछ संविधान में संशोधन भी हुए तथा उनके कुछ नियमों का पालन भी किया गया इसमें चार्टर्ड अकाउंटेंट को भी ऐसे अधिकार दिये गये हैं कि वह बाहर से भी करा सकते हैं, परन्तु मैं देख रहा हूं कि इस प्रथा में कुछ गड़बड़ियां हो रही हैं. चार्टर्ड अकाउंटेंट ज्यादा उनको समझ नहीं पाते उनके पास जो पेपर पहुंचते हैं उनको देख कर केवल वह ठप्पा लगा देते हैं तथा अपनी फीस ले लेते हैं. सहकारिता में जो गड़बड़ियां हुई हैं उनका मूल कारण उनका समय पर अंकेक्षण न होना तथा अंकेक्षण विभाग के हमारे पास कर्मचारी अधिकारियों की कमी होना भी है. सहकारी संस्थाओं में किसानों के लिये बिना ब्याज की फसल ऋण योजना माननीय शिवराज जी के समय में चालू हुई थी तथा आज भी चालू है. बीमा फसल योजना, प्राकृतिक आपदाओं में अल्पमत ऋण को मध्यावधि ऋण में परिवर्तित करना, सार्वजनिक वितरण प्रणाली, बीज वितरण प्रणाली तथा उर्वरक वितरण प्रणाली यह सब काम इसमें हो रहे हैं. कृषकों की खाद की नीति के बारे में बताना चाहता हूं कि जब पहले माननीय दिग्विजय सिंह जी की सरकार थी उस समय भी मैं सहकारिता मंत्री था. जो उर्वरक है, उसमें व्यापारियों के लिए छूट थी 20 प्रतिशत, सरकार ने 80 प्रतिशत का प्रतिबंध लगाया था कि सोसायटी मार्कफेड के द्वारा जाएगी, ताकि किसानों को अच्छी गुणवत्ता का खाद मिल सके, परन्तु जब माननीय गोपाल भार्गव जी आए तो उन्होंने व्यापारियों को लाभ पहुंचाने के लिए इस नीति को बदलकर 50-50 प्रतिशत कर दिया. मैंने उसका घोर विरोध भी किया था, लेकिन उस समय सरकार ने सुनी नहीं लेकिन उसके नतीजे बाद में बहुत गंभीर निकले, गंभीर नतीजे आए. मुरैना जिले के आंदोलन के कारण किसानों को 2-2 एवं 3-3 महीने खाद न मिलने के कारण उन्होंने पूरा रेस्ट हाउस जलाकर राख कर दिया, आज भी बर्बाद है. कई जगह आंदोलन हुए, झगड़े हुए, लाठियां चलीं. माननीय नरोत्तम जी उस समय जिले से विधायक नहीं थे इसलिए उन्हें जानकारी नहीं होगी. इंदरगढ़ में भी भारी आंदोलन हुआ था, लाठी चार्ज हुआ था, लेकिन इस वर्ष को जो 80-20 का है हम अब चाहते हैं कि सभी विभागों की समीक्षा करेंगे तब इस नीति को दोबार ताकि व्यापारी..
श्री अनिरूद्ध (माधव) मारू - माननीय अध्यक्ष जी, जिन खाद कंपनियों ने 100 प्रतिशत प्रायवेट सेक्टर में सप्लाई कर दिया उनके खिलाफ भी कोई प्रावधान होना चाहिए.
डॉ. गोविन्द सिंह - आप बैठ जाइए न, बीच बीच में डिस्टर्ब मत करो, आपने जो कहा हमने सुन लिया, हमने मान लिया. आपने कहा सोसायटियों में गड़बड़ी है, भ्रष्टाचार हुआ है. आप लिखकर दे देना हम एफआईआर कराएंगे, ठीक है. (...मेजों की थपथपाहट) अगर गड़बड़ी है, कोई भी बताए हम तो उनका स्वागत करेंगे. हमारी और आपकी नीति भ्रष्टाचार समाप्त करना है तो, हम तो कहेंगे कि आप हमारी कमियां को बताए, जितना हो सकेगा हम प्रयास करेंगे, इसमें कोई पक्ष विपक्ष की बात नहीं है.
अध्यक्ष महोदय, हमारे सहकारी आंदोलन, वास्तव में आरोप तो नहीं लगा रहे लेकिन सच्चाई है, थोड़ा आप लोगों को बताना चाहते हैं कि आपकी दिशाहीनता के कारण 15 वर्षों में मध्यप्रदेश के अंदर सहकारिता को काफी क्षति हुई है, सहकारिता में गुजरात के बाद मध्यप्रदेश की गिनती आती थी, जिसमें काफी गिरावट हुई है. क्योंकि हमारा जो तिलहन संघ था, यह मैं मान रहा हूं कि जब हमारी सरकार थी उसी समय से घाटे में था, लेकिन उसको बंद नहीं करना चाहिए था. आज करोड़ों रूपए की उसकी सम्पत्तियां अलग अलग जिलों में फैली हुई है, उनको बेचकर, उनको एक साथ करके दो-चार जगह कुछ अच्छी है वहां पर उनको चलाना था, लेकिन पूरी तरह बंद कर दिया, जिससे हमारे किसानों को बहुत नुकसान हुआ है. आपने बुनकरों की सोसायटियां जो मध्यप्रदेश राज्य बुनकर सहकारी संघ था, उसको बंद कर दिया. कृषि ग्रामीण विकास बैंक जो लंबे समय तक का ऋण देती थी, वह आपके समय बंद हो गई, जबकि हमने 2003 में सरकार छोड़ी थी, विभाग छोड़ा था, तब उस समय मध्यप्रदेश की एक बैंक को छोड़कर सभी बैंक लाभ में थी. लेकिन ऐसी स्थिति आ गई, उसका एक मूल कारण है कि किसानों के कर्ज माफी की प्रथा में भी इसको थोड़ी गिरावट की है. इसी प्रकार आपके समय में नारायणपुर, केलारस, बुरहानपुर के जो शक्कर कारखाने थे वे आज पूरी तरह से बंद हो गए हैं. हमने अभी प्रयास किया आपके केन्द्रीय कृषि मंत्री माननीय नरेन्द्र सिंह जी तोमर एक ट्रेन में अचानक मिल गए थे तो उनसे बात हुई, मैंने उनसे कहा कि आप कृषि मंत्री हो कम से कम हम नहीं चाहते कि ये शक्कर के कारखाने बंद हो उन पर करोड़ों रूपए के कर्ज है, उस पर ब्याज बढ़ रहा है और महाराष्ट्र में कई ऐसे लोग हैं जो शक्कर के कारखाने चलाने वाले हैं उनसे बात करो अगर एमओयू हो सकता है, पार्टनरशिप हो सकती है तो उसमें सरकार तैयार है और सरकार तैयार नहीं है तो हम माननीय मुख्यमंत्री जी से मार्गदर्शन लेकर उनसे सहमति लेकर प्रयास करेंगे. हम चाहते हैं कि जो लोग मिलें चला सकते हैं, उनको किसी भी क्षेत्र में, किसी भी पार्टी के हो, जो व्यापारी अच्छा काम करके मिल चला सकते हैं, तो कम से कम हमारे किसानों को जो गन्ना खरीदते हैं, गन्ना उत्पादन बंद हो चुका है तो उस गन्ने से किसानों को लाभ मिलेगा और गन्ना बहुत कम नुकसान की फसल है और ज्यादा फायदा देती है. इसलिए इसमें भी हम पूरा पूरा प्रयास करेंगे. मैं यह भी कहना चाहता हूं कि आपने कई गलत निर्णय किए हैं, इससे सहकारी आंदोलन को क्षति पहुंची है. उस समय मैंने भंडार क्रय नियम में उपभोक्ता भंडार को खरीदी में दर्ज कराया था, ताकि जो भी सरकारी खरीदी होती है, उसको उपभोक्ता भंडार खरीदे और जो कमीशन से बाहर के लोग फायदा उठाते थे, वह फायदा हमारे सहकारी क्षेत्र में कार्य करने वाले लोगों को मिले. परन्तु वह नहीं मिल पाया और आज उससे अधिकांश जिले के उपभोक्ता भंडार भी कमजोर हो रहे हैं, बैंक भी बंद होने की कगार में है इस स्थिति पर पहुंच गए हैं. आपने एक भी नई नागरिक सहकारिता बैंक तो बनाई नहीं, लेकिन बर्बादी पर उतारु हो गए, 12 खत्म कर दी, बंद कर दी एक नई अगर पैदा करते तो भी ठीक था.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - सो हम इते आ गए. आपने कितिक देर रहनो है, ये तो बताओ कि 7 महीना में तुमने का करो है, सब हमारी हमारी, आपने क्या करा 7 महीने वह बताओ एकाध. (...हंसी)
अध्यक्ष महोदय - हमें जा बताओ नरोत्तम बी जो बीच में काहेका टोक लेते हो तुम, हमें जा बताओ, हमें बिलकुल अच्छौ नहीं लगत है.(...हंसी)
डॉ. नरोत्तम मिश्र - बैचेनी सी हो जाती है. (...हंसी)
अध्यक्ष महोदय - हमें जा तो बता दो काय बैचेनी हो जाथे. (...हंसी)
डॉ. गोविन्द सिंह - मैं बता दूंगा, क्या करूंगा, आपका सहयोग मिले, आप हमें बताइए क्या और कर सकते हैं वह भी कर लेंगे.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर - अध्यक्ष जी, नरोत्तम भैया को छुकुर-छुकुर करवै की आदत बहोत है(...हंसी)
अध्यक्ष महोदय - जै छुकुर-छुकुर कर रहे आप कुचुर-कुचुर काहै कर रहे. (...हंसी)
डॉ. गोविन्द सिंह - जै कहां से कौन सा शब्द आ गया भाई, पहली बार सुन रहे. (...हंसी)
डॉ. नरोत्तम मिश्र - आपने चालू किया था न वही वाला शब्द आ गया(...हंसी)
डॉ. गोविन्द सिंह - अध्यक्ष महोदय, आज बैंकों की केवल हमारी सहकारी 38 बैंक हैं, उनमें भी हमारे माननीय बिसेन साहब कह रहे थे कि हमने खराब करके छोड़ी. मैं बिसेन साहब बताना चाहता हूं, जब मैंने मध्यप्रदेश की बैंक छोड़ी उनमें एक भी बैंक ऐसी नहीं थी, जो धारा 11 में लागू होती है. बाद में आपके कार्यकाल में आधी आई फिर जब बैद्यनाथन कमेटी की राशि मिली उससे फिर बैंकों की हालत ठीक हुई थी और 2007 में जब भारत सरकार ने मनमोहन सिंह जी ने ऋण मुक्ति की थी उस समय भी ऋण मुक्ति में भारी पैमाने पर जो राशि आई है, उस राशि से बैंकों की हालत अच्छी हो गई थी, लेकिन आज फिर 11 ऐसी सहकारी बैंक हैं, जिनमें धारा 11 का पालन नहीं कर पा रही, 13 बैंक आरबीआई द्वारा निर्धारित सीआरआर का पालन नहीं कर पा रही. कई बैंकों ने मार्कफेड का जिले में जो खाद लेते हैं, उसका मूल्य अदा नहीं कर पाया, 10 बैंकों ने अपैक्स बैंक का ऋण अदा नहीं कर पाया डिफाल्टर है. इस प्रकार केन्द्रीय जिला सहकारी बैंक 38 है, 35 एनपीए में. अभी हमने जो प्रयास किया है, ऋण मुक्ति के माध्यम से या संस्थाओं को शेयर कैपीटल देकर उसमें एक बैंक आ गई है प्रयास कर रहे हैं कि हमारी अधिकांश बैंक, एक दो बैंक को छोड़ दे बाकी करीब करीब सभी बैंक 5-6 महीने के अंदर ऐसी स्थिति में आ जाएगी जो लाभ की ओर हो जाएगी, धारा 11 से अलग हो जाएगी. अभी आपने ऋण माफी योजना का कहा है. बिसेन साहब आपके कार्यकाल की बात बाद में बताएंगे कि पहले बता दूं, अब बाद में ही बता देंगे. विजय किसान फसल ऋण माफी योजना में सहकारी बैंक जो हमारी सोसायटियां थीं, सहकारिता बैंक के कारण अभी तक 28 लाख 71 हजार किसानों को ऋण माफी योजना में सहकारिता क्षेत्र में जिन्होंने ऋण लिया था वह 28 लाख 71 हजार और इनमें से ...
श्री प्रेमशंकर कुन्जीलाल वर्मा - माननीय मंत्री जी, अभी कितने किसान ऋण माफी से रह गए हैं, यह भी बताएं प्लीज.
डॉ. गोविन्द सिंह - धारा प्रवाह बोल तो रहे हैं (...हंसी) अभी तक 28 लाख 71 हजार में से 17 लाख 72 हजार को हमने 6 हजार 179.32 करोड़ रूपए की राशि माफ कर दी है, शेष किसानों को भी हम अतिशीघ्र अब बजट सत्र पास हो जाने दो, बजट पास होने के बाद. (...मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय - जो बीच में टोकेंगे न लिखा जाएगा.
श्री विश्वास सारंग - आपकी आज्ञा से पूछ लेता हूँ.
अध्यक्ष महोदय - आप बीच में बहुत टोकेंगे. मैं बिल्कुल परमीशन नहीं दे रहा हूँ. डॉक्टर साहब, आप कन्टिन्यू करियेगा एवं मेहरबानी करके डॉक्टर साहब को बिल्कुल न छेडि़येगा. उनको धारा प्रवाह से बोलने दीजिये.
श्री गोपाल भार्गव - क्या माननीय मंत्री जी यह बताने की कृपा करेंगे कि प्रदेश में कितने कृषक हैं, जिन पर 2 लाख रुपये तक का ऋण को-ऑपरेटिव्ह सोसायटियों का, ग्रामीण बैंकों का और राष्ट्रीकृत बैंकों का शेष है. आप पूरी संख्या बता दें. आपने नीले, पीले एवं हरे फॉर्म भरवाये थे, उससे आपके पास वास्तविक गणना तो आ गई होगी. आप कुल संख्या बता दें कि दो लाख तक के कितने ऋणी कृषक हैं ?
डॉ. गोविन्द सिंह - मैंने सहकारिता का बताया है. सहकारिता विभाग पर चर्चा है.(हंसी) यह किसान ऋण माफी योजना की योजना कृषि विभाग की है, अब कृषि विभाग के माननीय मंत्री जब बताना हो, बताएंगे.
श्री विश्वास सारंग - माननीय मंत्री जी, सहकारिता में कितने लोगों का 2 लाख रुपये का ऋण है ? एक से दो लाख रुपये तक का ऋण है. आपने कितने का माफ किया ?
अध्यक्ष महोदय - इस मांग संख्या पर चर्चा के लिए मैंने डेढ़ घण्टे का समय निर्धारित किया था और अभी तक चर्चा सवा दो घण्टे की हो चुकी है. आप कितना समय और लेंगे ? आप लोग टोका-टाकी बहुत करते हैं.
अजय विश्नोई - माननीय मंत्री जी, सहकारिता विभाग की चर्चा जरूर है (...व्यवधान) मगर इसमें आधा-आधा वजन डाला गया है क्योंकि औकात नहीं है कि वह आधा वजन सह सके. आपकी अनावश्यक योजना से सारी सहकारी समितियां समाप्त हो जाएंगी.
डॉ. गोविन्द सिंह - अध्यक्ष महोदय, मतलब की बात कर लें बाकी छोड़ रहे हैं. अब बुराई वाली बातें खत्म हो गई है. सच्चाई यह है कि अभी हमने पचास हजार रुपये तक के ऋण माफ किए हैं और अब बजट पास होने पर, जो बजट में हमने 8,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है, उसमें भी सहकारिता क्षेत्र के किसानों की लगभग सम्पूर्ण ऋण मुक्ति हो जायेगी, ऐसी हमें उम्मीद है. 8,000 करोड़ रुपये में हो जाएगी, ऐसा हमें अनुमान है. लेकिन इसके बाद मैं यह भी कहना चाहता हूँ कि अन्य जो बैंक हैं, उनके अधिकांश लोगों को नो ड्यू प्रमाण-पत्र तभी दिए हैं, जब उनको एनओसी मिल गई है. दूसरी बात, जहां तक किसानों को खाद, बीज वितरण करने की है, तो जो सोसायटियां रह गई हैं, उनको भी ऋण वितरण के आदेश दिए गए हैं, उनको ऋण मिल रहा है और 13.46 लाख किसानों को अभी तक 5,303 करोड़ रुपये का ऋण 30 जून के बाद भी वितरण हो चुका है. हमने यह भी तय किया है कि जिन किसानों के ऋण हम जमा करेंगे, सरकार जमा करेगी, उसका जो इन्ट्रेस्ट होगा, वह किसानों से नहीं लिया जायेगा, सरकार पूरा इन्ट्रेस्ट जमा करेगी. (मेजों की थपथपाहट)
श्री गोपाल भार्गव - डॉक्टर साहब, आपने बात का घुमा दिया है. मैं यह जानना चाहता हूँ कि चलो आप कृषि विभाग का टोटल छोड़ दो, वैसे ठीक है पैतृक विभाग ऋण माफी का कृषि विभाग कहलाया. लेकिन को-ऑपरेटिव्ह संस्थाओं ने कुल कितना ऋण प्रदाय किया था, 2 लाख रुपये तक की लिमिट का और आपने कुल कितना माफ कर दिया ? दूसरी बात, आपने क्या जो माफी की राशि है, वह सोसायटियों को या बैंकों को प्रतिपूर्ति कर दी है, जमा कर दी. आप इतना बता दें क्योंकि उनके पास खाद एवं बीज के लिए पैसा नहीं है, इस कारण से उनकी लिमिट एक्जिट हो गई है.
डॉ. गोविन्द सिंह - इस प्रकार के निर्देश दिए गए हैं. जहां-जहां की हमें जानकारी मिलेगा, हम वहां भी कोई न कोई रास्ता निकालेंगे और यदि होगा तो हम अपेक्स बैंक से भी अनुरोध करेंगे कि वह कुछ व्यवस्था करें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - वह आपकी मानेगी क्या ?
डॉ. गोविन्द सिंह - मानेगी. मैं और आप हम सब एक हैं. (हंसी) (श्री जालम सिंह के खड़े होने पर) अब प्रश्न-उत्तर आएगा तो उसमें परसों प्रश्न कर लेना.
श्री जालम सिंह पटेल - बाकी डिफाल्टर हो रहे हैं तो उसके लिए कुछ व्यवस्था है. जैसे आपने 2 लाख रुपये का कर्ज लिया, 50,000 रुपये माफ कर दिए.
डॉ. गोविन्द सिंह - आपने अभी सुना नहीं. अगर देरी हो रही है, डिफाल्टर होने के कारण उनको ऋण (...व्यवधान...)
श्री जालम सिंह पटेल - यदि वह जमा नहीं कर पा रहा है तो वह डिफाल्टर हो जाएगा. मैं यह कह रहा हूँ कि जो जमा करेंगे तो उसका ब्याज आप देंगे.
डॉ. गोविन्द सिंह - हम डिफाल्टर नहीं होने देंगे.
श्री जालम सिंह पटेल - जी, ठीक है. मैं यही कह रहा था.
डॉ. गोविन्द सिंह - अब ऐसा है कि से 2 लाख रुपये से ऊपर वाले हैं. यदि आप विधायक हैं, आपने ऋण लिया है तो आप उसमें थोड़े ही हैं. जो हमारे घोषणा-पत्र में हैं, हमने जो वचन दिया है.
श्री जालम सिंह पटेल - मैं 2 लाख रुपये तक की बात कर रहा हूँ, उससे ज्यादा की बात नहीं की है.
डॉ. गोविन्द सिंह - तो उसमें हम करेंगे. अभी आप सुनें कि हमने जो वचन पत्र जारी किया था, उसके 12 वचन पूरे कर दिये हैं. अभी हर जगह हमारे कई मित्र साथियों ने, भाजपा के साथियों ने यह मांग उठाई है कि बैंकों में भ्रष्टाचार दूर करने के लिए जरूरी है- कम्प्यूटरीकरण, पारदर्शिता और ऑन लाइन. हम, आपसे सदन में घोषणा करते हैं कि एक वर्ष के अन्दर हम सम्पूर्ण मध्यप्रदेश की सहकारी सोसायटियों को कम्प्यूटरीकृत कर देंगे एवं ऑनलाइन भी होगा. हर ऐसी व्यवस्था की जायेगी ताकि भविष्य में आने वाले लोग भी भ्रष्टाचार की सोच न पाएं. हम पूरी कोशिश करेंगे और जिन लोगों ने करोड़ों रुपये का भ्रष्टाचार किया है. जो बिसेन साहब ने अपने समय में अपनी 2007 की ऋण-पुस्तिका श्वेत-पत्र जारी किया था. आपने करीब 3,500 कर्मचारियों को दोषी पाया था, उसमें से करीब 5 कर्मचारी निकाले, आपने उसमें हमारे भिण्ड में एक लैचुरा सोसायटी थी, उसमें 1.25 करोड़ रुपये का घाटा किया था, वहां गांव में किसान नहीं थे. आपने ज्वाइंट रजिस्ट्रार, 3 संयुक्त पंजीयकों की जांच करवाई और जांच में यह पाया था कि इसके मुख्य दोषी वहां के बैंक का संचालक मण्डल है, उन पर एफआईआर कराएंगे, अपराधिक प्रकरण दर्ज करें, वह भी आपने नहीं किया. आप हमारे भाई हो, आपके वचन मैं पूरा करूँगा.(हंसी)
श्री गोपाल भार्गव - डॉक्टर साहब, दो बहुत महत्वपूर्ण बातें हैं. एक तो पैक्स तक का कंप्यूटराइजेशन भ्रष्टाचार को रोकने में सहायक होगा. कुल एक तिहाई कर्मचारी बैंकों में और सोसायटियों में बचे है. इनके कारण से ही बहुत गड़बड़ी होती है और वे ओवरलोड हो रहे हैं. अब एक तरफ रोजगार भी मिलेगा और इन कर्मचारियों की नियुक्ति कर देंगे तो मैं मानकर चल रहा हूँ कि जो लोग भटकते हैं, एक सोसायटी के प्रभार में 3-3 सोसायटियों के प्रभार में एक-एक समिति प्रबन्धक है, इस कारण से मैं चाहता हूँ कि इसकी भर्ती की प्रक्रिया भी आप जल्दी से जल्दी पूरी कर लें.
डॉ. गोविन्द सिंह - माननीय नेता प्रतिपक्ष जी ने जो सुझाव दिया है. मैं यह मानता हूँ कि आदेश दिया है, उस आदेश का पालन होगा. एक, आपने कहा कि वास्तव में यह कमी है, सच्चाई है. हम अपने भिण्ड जिले में 168 सोसायटियां हैं, और उसमें से 15-16 समिति सेवक रह गए हैं, हम अतिशीघ्र भर्ती प्रक्रिया चालू करेंगे, पूरे मध्यप्रदेश में कुछ पदों को प्रमोशन से भरेंगे. हम यह नहीं कहेंगे कि आपने बंटाधार किया है तो हम भी करेंगे. हम आपके आदेश का पालन करेंगे.
श्री गोपाल भार्गव - डॉक्टर साहब, ऐसे प्रमोशन से नहीं. जो वित्तीय मामलों के जानकार होंगे, जो फाइनेन्शियल अफेयर्स में थोड़े से अच्छे हों क्योंकि सब बदल रहा है. कारपोरेट कल्चर बदला है, बैंकों का कल्चर बदला है, इस कारण यह जरूरी है.
अध्यक्ष महोदय - ये दोनों पुराने बल्लेबाज एम्पायर की तरफ देख ही नहीं रहे हैं, सीधे-सीधे चल रहे हैं.
डॉ. गोविन्द सिंह - आपकी चिंता है, उससे हम चिन्तित हैं. आपने कहा है कि अच्छे लोग आएं, इसके लिए हम नियम बना रहे हैं. हम 100 प्रतिशत नहीं कर रहे हैं. जो छोटे कर्मचारी हैं, उससे प्रमोशन की गति रुकती है. बहादुर सिंह चौहान जी ने भी यह मुद्दा उठाया था.
श्री बहादुर सिंह चौहान - सोसायटी वालों को मौका दिया जाये.
डॉ. गोविन्द सिंह - हम चाह रहे हैं कि आपने जो परीक्षा कराई थी, हम उसी पद्धति को अपनाएं ताकि अच्छी क्वालिटी वाले और छने हुए योग्य लोग आएं. कुछ हमारे कर्मचारी जो वर्षों से कार्य कर रहे हैं तो इससे उनका प्रमोशन रुकेगा. इसलिए कुछ लोगों को हम विभागीय भर्ती के माध्यम से भरेंगे.
श्री विश्वास सारंग - मंत्री जी, उसके साथ-साथ कैडर सिस्टम भी लागू कर दें.
डॉ. गोविन्द सिंह - एक सप्ताह के अन्दर कैडर सिस्टम के आदेश लागू हो जाएंगे. पूरा कैडर सिस्टम तैयार हो गया है.
श्री विश्वास सारंग - हम करके गए थे, बस इसको लागू ही होना है.
डॉ. गोविन्द सिंह - अब हमने उसको बदल दिया है, यह सच्चाई है. आपने पूरा ऐसा बना दिया था कि पूरी तरह से उस पर नौकरशाही हावी हो गई थी. हमने उसको जनता के द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों को सम्मान देने का काम हिन्दुस्तान में प्रजातांत्रिक तरीके से यदि चुने हुए अध्यक्ष बनेंगे, उनको देने का काम कर रहे हैं. हमने सभी सहकारी आन्दोलन से जुड़े हुए नेताओं की राय मंगाई थी, उनकी राय प्राप्त हुई. हमने कहा कि पक्ष में सबको पत्र लिखो. आप लोगों ने जो राय के अनुरूप सुझाव दिये हैं, उन्हीं सुझावों को हम लागू कर रहे हैं. दूसरी बात मैं यह कहना चाहता हूं कि आपने अभी बताया था कि कम्प्यूटर ऑपरेटर निकाल दिये गये हैं. यह बात सच है, वैसे कम्प्यूटर ऑपरेटरों ने सुप्रीमकोर्ट तक लड़ाई लड़ी है, पर वह वहां से भी हार गये हैं क्योंकि वह नियमित नहीं थे. लेकिन मैं चाहता हूं और उनके लिये विचार भी कर रहा हूं, वास्तव में कई लोग हमसे बोलते हैं और कहते भी हैं कि हम तो भाजपाईयों के रिश्तेदार थे, हमें उन्होंने ने ही भरा है. हमने उनसे कहा कि आप भाजपाई हों, चाहे सफाई हों, वह एक व्यक्ति है, वह बेरोजगार है. अगर वह आठ दस साल नौकरी में रहा है तो उसको रोजगार मिलना चाहिये. हमारे मुख्यमंत्री कमलनाथ जी का निर्देश है कि ऐसे लोगों की चिंता करें और उन नौजवानों को ज्यादा से ज्यादा रोजगार दें. हम सदन में आप लोगों द्वारा दी गई मांग के अनुसार तय कर रहे हैं कि जो लोग निकाले गये थे, हम उनका दोबारा छ: महीने का कार्यकाल उनका बढ़ा देंगे. हम एक अगस्त से उनको ज्वाईन करायेंगे और नियम भी बनायेंगे.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- बहुत-बहुत धन्यवाद.
डॉ. गोविन्द सिंह -- आपकी मांग थी इसलिये हमने कर दिया है.
श्री गोपाल भार्गव -- क्या जो एल.डी.बी. कर्मचारियों को भी इसमें मर्ज कर दिया है ?
डॉ.गोविन्द सिंह -- अभी मैं उसके बारे में भी बता रहे हॅू.
श्री रामलाल मालवीय -- कल 250 कर्मचारियों को हटाया गया है. आप उनको भी आप व्यवस्थित करवा दीजिये.
डॉ. गोविन्द सिंह -- आप सुनिये, सब धीरे-धीरे हो रहा है. आज दो बातें आई हैं. माननीय नेताप्रतिपक्ष जी ने एल.डी.बी. के कर्मचारियों के बारे में कहा है. अभी आचार संहिता लगने के बाद उसके लिये जो एक वर्ष का समय आप लोगों ने तय किया था, वह निकल चुका है. हम दोबारा मंत्रिमंडल में प्रस्ताव ले गये थे, वहां से छ: महीने का समय बढ़ाने की मंजूरी हमने ले ली है. हमने इसकी प्रक्रिया हेतु निर्देश दे दिये हैं, जो जोरों से चल रहे हैं. हम ज्यादा से ज्यादा और जल्दी से जल्दी से प्रयास करेंगे कि मध्यप्रदेश में जो योग्य कर्मचारी हैं, उन्हें लाभ दें. अब एक दो ऐसे कर्मचारी हैं, जिनका छ: महीने और चार महीने में रिटायरमेंट हो रहा है तो उनको रखना मैं भी उचित नहीं समझता हूं. लेकिन हम अधिकांश लोगों को जल्दी से जल्दी से निपटाकर प्रक्रिया पूरी करेंगे. हम कम्प्यूटराईज्ड करेंगे और कैडर सिस्टम जल्दी से जल्दी लागू कर रहे हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक बात जरूर कहना चाहता हूं कि बीज संघ की वास्तव में मध्यप्रदेश में बहुत कमी थी, इसके लिये मैं माननीय नेता प्रतिपक्ष जी को धन्यवाद देता हॅूं और बधाई भी देता हूं कि मध्यप्रदेश में पहले ऐसी सहकारी बीज की सहकारी संस्थायें नहीं थी, लेकिन जब माननीय गोपाल भार्गव जी थे, तब इन्होंने मध्यप्रदेश राज्य बीज सहकारी संघ बनाया और आज इसमें भारी पैमाने पर इतना बीज हो रहा है. पहले बाहर से बीज बुलाने पर भी पूर्ति नहीं होती थी, बीज जब एन.एस.सी. वाले नेशनल सीट कारर्पोरेशन से आता था, प्रायवेट लोग नकली बीज बेचते थे, किसान ढगे जाते थे. इन्होंने बीज संघ की सोसायटियां बनाई हैं, उससे भारी पैमाने पर बीज हो रहा है. बीज संघ की करीब दो हजार पांच सौ तैइस सोसायटियां रजिस्टर्ड हुई हैं, इनमें से आठ सौ छियालीस संस्थायें चल रही हैं और यह संस्थायें अच्छा काम कर रही हैं और आज 70 से 75 प्रतिशत पूरे मध्यप्रदेश के लिये बीज सप्लाई कर रहे हैं, बाकी के 20-25 प्रतिशत में सब हैं. मैं इसलिये कह रहा हूं कि यह काम आपने बहुत अच्छा किया था, उसके लिये धन्यवाद. श्री बिसेन जी ने भी बहुत प्रयास किये थे, अच्छे-अच्छे सहकारिता आंदोलन में मजबूती लाने के लिये इन्होंने प्रयास किये थे, लेकिन आप लोगों ने उनकी एक नहीं चलने दी है. वह आपके पास सुझाव लेकर जाते थे लेकिन आप उनकी नहीं मानते थे. आप लोग सहयोग करते तो वह भी भले आदमी हैं, वह आगे होकर काम करते. मैं केवल इतनी बात कहना चाहता हूं कि हम ई-टेडरिंग का काम भी कर रहे हैं और सोसायटियों के कम्प्यूटरीकरण का काम सोसायटी स्तर तक करेंगे. आप लोगों का अनुभव है वह अनुभव ज्यादा से ज्यादा आप हमें बताना कि हम क्या कर सकते हैं ? जिन-जिन माननीय सदस्यों का पक्ष विपक्ष का सहकारी आंदोलन में अनुभव है, वह आप हमें बतायें.
श्री गोपाल भार्गव -- हाउसिंग सोसायटियों के बारे में मेरे पास जब विभाग था, मैंने कहा था कि बहुत शिकायतें आती थीं और कई लोग तो ऐसे हैं जिनके 25 वर्ष पहले से वहां पर पैसे जमा है और आज तक न तो उनको प्लाट मिला है न ही मकान मिला है. बहुत व्यथा है ऐसे लोगों की जो रिटायर्ड हो चुके हैं और कई लोगों की मृत्यु हो चुकी है. मैंने कहा था कि इसमें जो गड़बडि़यां होती हैं, हम एस.टी.एफ. से इसकी जांच करवायेंगे तो एस.टी.एफ. से इसकी जांच शुरू नहीं हुई है. यदि आप एस.टी.एफ. को टेकअप कर लेंगे तो कम से कम उन गरीबों का भला हो जायेगा, जो लोग वृद्ध हो चुके हैं, जो लोग मृत हो चुके हैं, यदि उनके परिवार के लोग अभी हैं तो उनके लिये अगर एक प्लॉट मिल जायेगा या मकान मिल जायेगा तो उनके लिये अच्छा हो जायेगा.
डॉ. गोविन्द सिंह -- यह बात सच है कि कई लोगों ने सोसायटी में पैसे जमा कर रखे हैं.
श्री देवेन्द्र वर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आवास संघ के बारे में भी थोड़ा बता दीजिये.
डॉ.गोविन्द सिंह -- आवास संघ विभाग मेरे पास ही है और मैं उसका अध्यक्ष भी हूं. लेकिन आवास संघ का जो काम है, वह मूल रूप से सोसायटियों को ऋण उपलब्ध कराना था. लेकिन एल.आई.सी. से जो ऋण लिया था, वह चुका नहीं पाये. अब प्रयास कर रहे हैं कि अन्य संस्थाओं के जो निर्माण कार्य हैं, उन कार्यों को विभाग के द्वारा तत्कालीन आपके पार्टी के अध्यक्ष श्री भार्गव साहब जी ने प्रारंभ किये थे, उनको बढ़ावा दे रहे हैं, उससे संस्था को कुछ लाभ भी हुआ है और हम संस्था को लाभ में पहुंचाकर पहले उनका एल.आई.सी. का ऋण चुकायेंगे. अभी आपके विधायकों के आवास बन रहे हैं, अभी मुझे इतना समय नहीं मिला है और न ही मैं उन्हें देख पाया हूं, न ही बैठ पाया हूं. मैं सोच रहा हॅूं कि गृह निर्माण सोसायटियों के संबंध में पूरी जानकारी प्रदेश के पूरे लोगों को हो और इनके संबंध में जानकार लोगों को बुलायेंगे क्योंकि शिकायतें बहुत आ रही है. कई लोगों ने दस-दस लाख रूपये प्लॉट के लेकर रखे हैं और उनके बाद उन्होंने प्लाट और जमीन बेच दी हैं. एक अभियान चलाकर उनके खिलाफ कार्यवाही भी करेंगे इसमें थोड़ा समय लगेगा और प्रयास करेंगे कि जो संस्थाओं के पास जमीन बची है और जिन लोगों को उन्होंने अभी प्लॉट नहीं दिया है, तो उनको भी प्लॉट देने का प्रयास करेंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अब इसके साथ ही मैं दूसरे विभाग पर आना चाहता हूं. माननीय बिसेन जी ने अनुकंपा नियुक्ति बात की थी, यह बात बहुत महत्वपूर्ण है और सार्वजनिक हित की है. अनुकंपा नियुक्ति में वास्तव में परेशानी है.
श्री सोहनलाल बाल्मीक -- एक विषय गंभीर है. स्थायी जाति प्रमाण पत्र के बारे में आप जरूर विचार करें.
डॉ.गोविन्द सिंह -- अनुकंपा नियुक्ति के बारे में हम भी बहुत चिंतित है. लेकिन एक बात है जिन विभागों ने खाली जगह पड़ी है और वर्षों से भर्ती नहीं हुई है. आज पूरे प्रदेश का सिस्टम कोलेप्स हो चुका है. 70 प्रतिशत, 80 प्रतिशत, 90 प्रतिशत कर्मचारियों के पद खाली पड़े हैं, वह भर नहीं पाये हैं. हम अभियान चलाकर सभी विभागों को निर्देश देंगे कि जल्दी से जल्दी अभियान चलाकर भर्ती कर पदों की पूर्ति की जाये. पहले जहां पर जगह खाली हैं, वहां पर अनुकंपा नियुक्ति के लोगों को नौकरी दी जाये. (मेजों की थपथपाहट). नियमों में जितना हो सकता है, सरलीकरण किया जाये.
माननीय अध्यक्ष महोदय,दूसरी दिक्कत केवल शिक्षकों की आ रही है. यह सबसे ज्यादा बड़ा विभाग है क्योंकि भारत का राईट टू एज्यूकेशन, आर.टी.ई. लागू हो गया है, उसमें निर्देश भारत सरकार के चलते हैं. भारत सरकार ने एन.सी.आर.टी.सी. ने यह निर्देश दे दिया है कि शिक्षकों के लिये अनिवार्य रूप से डी.एड. और बी.एड. होना आवश्यक है. अब जब तक वहां से नियमों में छूट नहीं मिलेगी, हम प्रयास करेंगे. हम बैठकर चर्चा करेंगे और हमारे दिमाग में है कि हम उनको निवेदन करें कि वह इस प्रकार की छूट दें दे कि वह तीन साल का अवसर दे दें. डी.एड. के लिये चार वर्ष का और बी.एड. के लिये चार वर्ष का अवसर दें, जिनको भर्ती होना है. अगर वहां से छूट मिल गई तो यह भी काम हम अभियान चलाकर करेंगे, लेकिन उसमें हमारी मजबूरी है कि हम शिक्षकों के लिये अभी हम कुछ नहीं कर पा रहे हैं. सबसे ज्यादा अनुकंपा नियुक्ति के प्रकरण शिक्षा विभाग में शिक्षकों के पड़े हुये हैं लेकिन उन पर प्रतिबंध लग गया है. जहां तक आपका व्यापमं है, इसको हमनें अभी बंद नहीं किया है,वह बंद होना वाला है. व्यापमं का छोटा भाई नई पी.ई.बी. हो गया है, हम उसमें भी कोशिश करेंगे कि भर्ती के नियम भी ऐसे बने ताकि मध्यप्रदेश के आम लोगों को फायदा हो.
श्री गोपाल भार्गव -- मैंने बीच में आपसे डिप्टी कलेक्टर के बारे में कहा था, उस बारे में बता दें.
डॉ. गोविन्द सिंह -- मेरे पास उसका पर्चा रखा है, मैं उसी को देख रहा हूं. (हंसी)...
श्री गोपाल भार्गव -- मैं इस संबंध में कहना चाहता हूं कि भोपाल, इंदौर इनके कुछ शार्ट नेम चलते हैं, जैसे जी.ए.एस. मतलब ग्वालियर एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस, भोपाल एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस, इंदौर एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस, यहां पर कुछ लोग नियुक्त होते हैं और वहीं पर रिटायर होते हैं. मैं यह कहना चाहता हूं कि आप तो क्रांतिकारी नेता है कभी इंदौर वाले को रीवा भी भेज दिया करें. कभी भिंड मुरैना वाले को आप अपने यहां भी बुला लिया करें, कभी उनको शिवपुर तरफ भी जाना दिया करें क्योंकि जिन लोगों ने जहां से नियुक्ति ली है वह वहीं पर रिटायर हो रहे हैं. हम लोगों के पास ऐसे लोग भेज दिये जाते हैं जो पटवारी से डिप्टी कलेक्टर बने हैं और यहां पर सीधे एस.ए.एस. (स्टेट एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस) वाले होते हैं और इस कारण से उनकी क्षमताओं में और इनकी क्षमताओं में अंतर होता है. इसलिये हमें पटवारियों से जो अधिकारी बने हैं, कृपया उनसे मुक्त करवाकर थोड़े ढंग के अधिकारी दें, कलेक्टर बैठे रहते हैं, वह बिचारे कहते हैं कि हमें जो उपलब्ध हैं, उन्हीं से हम काम करवा रहे हैं.
डॉ. गोविंद सिंह-- माननीय नेता जी, आपका सुझाव तो मान्य है और मैं पहले से ही प्रयास कर रहा हूं, मैंने ऐसे निर्देश भी दिये हैं कि 3 वर्ष से अधिक जो भी जहां पदस्थ है उसे बदला जाये और अभी हम समीक्षा नहीं कर पाये अब देखेंगे कि उसका पालन कितना हुआ, कितना नहीं हुआ है, प्रयास करेंगे, कई जगह ऐसी स्थिति भी है, अब हम उसमें असफल हो गये, आपने कहा कि हमारा भाई है कर दो तो हमें चुप रहना पड़ा, यह मजबूरी है, राजनीतिक मजबूरी भी रहती है वैसे हमारा प्रयास जो आपकी सोच है उससे भी अधिक करना चाहते हैं, लेकिन अब आप आ गये कि यह हमारा रिश्तेदार है इसको परेशानी है तो मानना पड़ता है, मानव स्वभाव है, लेकिन ज्यादातर यह होगा नहीं, प्रयास करेंगे. आपने पूछा था राज्य प्रशासनिक सेवा में कितने लोग हैं.
श्री प्रवीण पाठक-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपका संरक्षण चाहता हूं. माननीय मंत्री जी आपसे विनम्र अनुरोध है कि वैसे तो मैं शहरी विधान सभा क्षेत्र से आता हूं पर बड़ा महत्वपूर्ण विषय मैंने आपके समक्ष रखा था समिति सेवक वाला, यदि इसमें कोई ट्रांसफर पॉलिसी बनाने की आप कृपा करेंगे.
डॉ. गोविंद सिंह-- पॉलिसी बन गई है, बस जारी होना है, लेकिन इसलिये नहीं बोल पाये कि अध्यक्ष महोदय जी का निर्देश है कि जल्दी से जल्दी खत्म करना है, तो अब क्या करें. बन गई है और जल्दी से जल्दी नीति जारी हो रही है.
श्री प्रवीण पाठक-- धन्यवाद, मंत्री जी.
श्री गोपाल भार्गव-- लेकिन उसको आप कैसे बना सकते हो, आपको तो अधिकार ही नहीं है.
डॉ. गोविंद सिंह-- जिला बैंक करेगी. जिला बैंक को अधिकार दे रहे हैं, समिति सेवक के ट्रांसफर और उनको नियुक्ति के लिये कुछ अधिकारी दे रहे हैं.
श्री गोपाल भार्गव-- लेकिन ऑटोनामी खत्म हो जायेगी, इसमें तो आप नहीं कर सकते. आपको आरबीआई और नाबार्ड की परमीशन कैसे मिलेगी.
डॉ. गोविंद सिंह-- भरती के अधिकार तो उनको रहेंगे. लेकिन इधर से उधर करने के अधिकार दे रहे हैं केवल, उनको निकाल नहीं सकते, जो समिति सेवक हैं, सेल्समेन वगैरह हैं. भार्गव जी आपने पदों के बारे में पूछा था, हमारे विभाग में राज्य प्रशासनिक सेवा के 873 पद हैं, इनमें 50 प्रतिशत सीधी भरती से और 50 प्रतिशत प्रमोशन से होते हैं. वर्तमान में 873 में से 600 अधिकारी कार्यरत हैं, बाकी के रिक्त हैं. प्रस्ताव पब्लिक सर्विस कमीशन को भेजा गया है और प्रयास करेंगे जल्दी से जल्दी भरती हो. इंदौर में अभी जो आपने कहा था ज्यादा है, इंदौर में स्वीकृत पद 13 हैं, एक कम है 12 हैं, भोपाल में 11 में 11 हैं, जबलपुर में 13 में 12 हैं, ग्वालियर में 12 में 11 हैं.
श्री गोपाल भार्गव-- सागर में बता दो.
डॉ. गोविंद सिंह-- सागर में स्वीकृत पद हैं 11 अभी 8 कार्यरत हैं.
श्री गोपाल भार्गव-- इसमें दो सब डिवीजनों में तो आर.आर. हैं जो ट्रेनी हैं तो उनको तो आप निकाल कर ही चलें.
डॉ. गोविंद सिंह-- हां तो वह भी इसी गिनती में हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, सामान्य प्रशासन विभाग की चूंकि आपने कहा खास-खास बातें बता देता हूं. पहले तो यह बता दूं जो प्रमाण पत्र की बात आ रही है उन प्रमाण पत्रों के लिये निर्देश जारी हो गये हैं और माननीय पी.सी.शर्मा जी को भी आदेश की प्रति भेजी गई थी, यह रखी हुई है. जाति प्रमाण पत्र दिये जा रहे हैं, इनके निर्देश 2-3 महीने पहले ही जारी हो चुके हैं.
एक माननीय सदस्य-- मंत्री जी, इसमें समय लगता है यह अस्थाई जाति प्रमाण पत्र की पता है, अस्थाई जारी होना चाहिये. स्थाई में टाइम लगता है.
डॉ. गोविंद सिंह-- इसमें दिक्कत यह आ रही है कि सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा एक आदेश जारी किया है कि 1950 के पूर्व के जो निवासी हैं उनको ही जाति का प्रमाण पत्र स्टेट में दिया जाये. यह बाधा संविधान संशोधन से केन्द्र से हो सकेगी.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को-- माननीय अध्यक्ष महोदय, समाज पूरा वंचित हो जायेगा यदि हम ...
डॉ. गोविंद सिंह-- आदेश जारी हो गये हैं, मिल रहे हैं.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को-- डॉ. साहब मेरी बात तो सुन लें. एक जाति बैगा, सहारिया, भारिया एक पहाड़ से दूसरे पहाड़, दूसरे पहाड़ से तीसरे पहाड़ पर वह हमेशा घूमते रहे और आज भी घूम रहे हैं.
डॉ. गोविंद सिंह-- आप बता देना वैसा कर दूंगा, बैठ जाइये.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को-- धन्यवाद. मतलब जाति प्रमाण पत्र दे दें, यह मेरा निवेदन है.
अध्यक्ष महोदय-- डॉ. साहब, वैसे तो मैं आपको टोकता नहीं, लेकिन यह बात सही है कि इन प्रमाण-पत्रों की वजह से स्कूल के छात्र और छात्राओं को सबसे ज्यादा दिक्कत जा रही है और कृपा पूर्वक आप अपने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ-साथ हर जिला कलेक्टरों को यह निर्देशित करने का कष्ट करें, क्योंकि इसमें गफलतबाजी करते हैं वह लोग एसडीएम और तहसीलदार के बीच में, यह बनायेगा, यह बनायेगा. ये दिशा निर्देश स्पष्ट यहीं से जायें.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय....
अध्यक्ष महोदय-- भार्गव जी, नर्मदा के बीच में गोपाल जी न आया करो, अभी नर्मदा बोल रही है. लिंक टूट जाती है. अनुरोध यह है यहीं से स्पष्ट करके पहुंचायें कि कौन अधिकारी देगा. तहसीलदार देगा या एसडीएम देगा. अन्यथा दिन-दिन भर 50 किलोमीटर दूर से लोग आते हैं, माता-पिता आते हैं, दिनभर भटक कर चले जाते हैं और उनके हाथ में प्रमाण-पत्र नहीं आता है. जरा इस पर बड़ी सूक्ष्मता से आप दिशा-निर्देश देंगे.
श्री गोपाल भार्गव-- आपने 10 प्रतिशत आरक्षण दिया है, भारत सरकार ने और आपने. अध्यक्ष महोदय, सामान्य जाति के प्रमाण-पत्र की आवश्यकता क्या है.
अध्यक्ष महोदय-- इस पर चर्चा न करें.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, अभी जो विषय आया, माननीय सदस्य ने किया, एससी, एसटी, ओबीसी के लिये तो आवश्यक है. सामान्य जाति के लिये तो मैं मानकर चलता हूं सेल्फ अटेस्टेशन उसमें चला जाना चाहिये यदि डिक्लेरेशन यह है कि मैं सामान्य जाति का हूं. मैं मानकर चलता हूं कि वह एसडीएम और तहसीलदार के यहां क्यों भटके.
अध्यक्ष महोदय-- जो अनुसूची में दर्ज हैं विभिन्न जातियां उनके विषय में मैं बात कर रहा हूं.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, क्रीमीलेयर के लिये यह हो सकता है कि वह डिक्लेरेशन दें और शपथ पत्र दे दे.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, अभी टोटल बंद कर रखा है, ऊपर से ही बंद करने के निर्देश हैं. आप गंभीरता से विषय पर तो जायें. अभी कहीं नहीं बन रहे. मैं वही बयां कर रहा था कि इसमें आप बहुत सूक्ष्मता से ध्यान दीजिये, इसमें तत्काल निर्णय लेने की बात है, नहीं तो बच्चे भटक रहे हैं, प्रमाण-पत्र नहीं बन रहे हैं. हम जमाने भर के जितने भी नियम कानून बनाकर छूट दे रहे हैं, पैसों की, धेलों की, फलाने की ठिकाने की, यह कुछ नहीं हो पा रही हैं. मैं उस ओर आकर्षित कर रहा था.
श्री संजीव सिंह ''संजू''-- माननीय अध्यक्ष महोदय..
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, हो गया संजय जी, आपकी बात मैंने कह दी.
श्री संजीव सिंह ''संजू''-- बस थोड़ा सा जोड़ना चाह रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय-- अरे यह विषय तीन घंटे जा रहा है, डेढ़ घंटे की चर्चा थी 3 घंटे जा रही है.
श्री हरिशंकर खटीक-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो लोग अनुसूचित जाति वर्ग के हैं जैसे प्रजापति समाज में हैं तो कई जिले मध्यप्रदेश में ऐसे हैं जहां...
अध्यक्ष महोदय-- अरे भाई, सब मालूम है विभागों को, 11 जिले हैं बाकी नहीं हैं, यह सब मालूम है.
श्री हरिशंकर खटीक-- यह पूरे मध्यप्रदेश के लिये होना चाहिये.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय यह चर्चा का विषय नहीं है, मेहरबानी करके बैठिये. जो चीज अधूरे में छोड़ दी है उसको पूरा करने की बात है, वह बात पर चर्चा हो रही है.
श्री हरिशंकर खटीक-- अध्यक्ष महोदय, ठीक है.
श्री संजीव सिंह ''संजू''-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह जो प्रमाण पत्र पहले जारी भी किये गये थे अभी बीच में उन प्रमाण-पत्रों को कैंसिल भी किया गया, एसडीएम के द्वारा, अधिकारियों के द्वारा तो कम से कम ऐसे लोगों को चिन्हित करके उनको दंड का प्रावधान भी करें. पहले तो नये बनाये नहीं जा रहे और उसमें सन् 1950 की बात आ रही है तो उसमें सुप्रीम कोर्ट का एक निर्णय यह भी है...
अध्यक्ष महोदय-- संजय भाई, मैं आपके साथ सहमत हूं. बात सुन लीजिये, सुप्रीम कोर्ट के कानून का गलत इंटरपिटेशन हो रहा है, जो वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट का हवाला दे रहे हैं यह पूर्व से ही प्रचलन में है 50 साल वाला, लेकिन उसका रूपांतरण करने में जो गफलतबाजी की जा रही है उसके कारण यह एससी, एसटी के लोग भोग रहे हैं.
डॉ. गोविंद सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी ने निर्देशित किया था और लगभग 1 माह पूर्व यह आदेश जारी हो गये हैं. हमने अपने विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि उस आदेश की एक-एक प्रति माननीय विधायकों को भेजी जाये और वह आदेश हो गये हैं, जहां भी गड़बड़ी की शिकायत मिले अब हम दोबारा सोमवार को पूरे मध्यप्रदेश के कलेक्टरों को और संबंधित अधिकारियों को निर्देशित करायेंगे कि इस तरह का पालन हो, जहां भी इस प्रकार की शिकायत आये वहां कड़ी कार्यवाही की जायेगी उसमें परेशान करने वाले लोगों को सजा भी देंगे. आप लिखित शिकायत देना और शिकायत में गड़बड़ी पाई गई तो भले डिप्टी कलेक्टर हो उसे सस्पेंड करेंगे. माननीय उच्च न्यायालय से भर्ती पर रोक लगी है. हमने एस.सी., एस.टी., ओ.बी.सी. और महिलाओं के लिये 45 वर्ष किया है. सामान्य वर्ग के लिये 35 वर्ष किया था लेकिन कई जगह ज्ञापन मिले तो दोबारा 40 वर्ष कर दिया लेकिन एक प्रतिबंध हमने लगा दिया है. प्रतिबंध नहीं है उसमें कर दिया कि मध्यप्रदेश के रोजगार कार्यालयों में पंजीयन अनिवार्य है. तो रोजगार कार्यालय में पंजीयन मध्यप्रदेश से बाहर का व्यक्ति नहीं कर पाएगा. इसीलिये सुप्रीम कोर्ट का भी आदेश मानना है और अपने लोगों को कैसे लाभ मिले, वह प्रयास है और कोशिश है कि वह प्रयास सफल होगा. अभी मुख्यमंत्री जी ने एक घोषणा की है कि निजी उद्योगों में जो नये उद्यमी कारखाने खोलने आयेंगे उनको 70 प्रतिशत प्रदेश के लोगों को रोजगार देना अनिवार्य है. कर्मचारियों के कल्याण के लिये उप समिति बनी है. मांग आई है कि जो रोजगार सहायक हैं तो उनके लिये समिति बना दी गई है लेकिन वास्तविकता यह है कि अभी खजाना खाली है. हम धीरे-धीरे प्रयास करेंगे जो वचन दिये हैं पूरा करेंगे. 14 से बढ़ाकर 27 प्रतिशत कर दिया है. 10 प्रतिशत आरक्षण आर्थिक रूप से, कमजोर वर्ग के, सामान्य वर्ग के लोगों के लिये कर दिया है. हमने कुछ ऐसे भी संशोधन किये हैं जो केन्द्र सरकार ने आदेश दिये थे कि इस प्रकार कर सकते हो तो वह भी हमने किया है कि ज्यादा से ज्यादा लाभ मिले. प्रभारी व्यवस्था कर दी गई है. अभी माननीय सदस्य ने कहा था कि पहले मुख्यालय पर रखना चाहिये तो हम विकासखण्ड मुख्यालय स्तर पर भी केम्प लगाएंगे.
श्री जालम सिंह पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी से निवेदन है 27 प्रतिशत आरक्षण पर हाईकोर्ट ने स्टे दिया है उसमें कुछ कार्यवाही सरकार कर रही है. उसके लिये आप क्या कर रहे हैं. उसका लाभ कैसे मिलेगा ?
डॉ.गोविन्द सिंह - अध्यक्ष महोदय, केवल लोकायुक्त और आर्थिक अपराध ब्यूरो में वर्षों से पेंडिंग जो शिकायतें हैं, जांच रिपोर्टें आई हैं विभाग में कार्यवाही नहीं हुई हम विभागों को निर्देशित करेंगे कि उनका निराकरण हो. ई.ओ.डब्लू. को हम मजबूत करने का प्रयास कर रहे हैं. 2011 में एक संशोधन कर दिया था शिवराज सिंह जी की सरकार द्वारा कि ई.ओ.डब्लू. में पुलिस वालों के लिये, डी.जी.पी. वगैरह गृह विभाग में भर्ती कर रहे हैं तो ई.ओ.डब्लू. पुलिस विभाग का भी एक अंग बन गया है और नियुक्तियां, तबादला, सब वह कर रहे हैं इसलिये पुलिस और उसमें कोई अंतर नहीं है इसके लिये हम मुख्यमंत्री जी से चर्चा करेंगे कि जो संशोधन आपने किया था उसको समाप्त करें दोबारा ई.ओ.डब्लू को इतनी ताकत दें कि वह अपनी स्वयं की ताकत से काम करें ताकि वह जब जरूरत हो 6 महीने में डी.जी.पी. और दूसरों का तबादला वह कर सके इसके लिये हम मुख्यमंत्री जी से चर्चा करके करने का प्रयास करेंगे. मुख्य तकनीकी परीक्षक, निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार को रोकने के लिये है वह अपंग बना बैठा है वह जांच कर लेता है जिस विभाग की जांच होती है उस विभाग के प्रमुख को अधिकार है चालान करने की वह देते नहीं है उसको भी हम संशोधन करके सामान्य प्रशासन विभाग को निर्देश देंगे कि वह इस तरह का संशोधन करें ताकि जिसका भ्रष्टाचार होगा वह अपने खिलाफ कहां से परमीशन देगा तो उसमें भी सुधार करेंगे.
संसदीय कार्य विभाग में माननीय घनश्याम जी ने कहा था कि जो माननीय विधायकों को निज सहायक मिलते हैं क्लर्क, एल.डी.सी., स्टेनोग्राफर. कई बातें इसमें उठ रही हैं कि हम किसी दूसरे विभाग का भी निज सहायक चाहते हैं तो हम उसमें भी संशोधन करने के आदेश जारी करेंगे ताकि कलेक्टरों के यहां आपको न भटकना पड़े. आप अपनी पसंद से योग्य,कम्प्यूटर ट्रेंड, किसी भी विभाग का लेना चाहते हैं तो उसको भी ले सकते हैं.
श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन - एक की जगह दो देने का कहा था और वाहन ऋण और आवास ऋण का भी कहा था.
डॉ. गोविन्द सिंह - बोल रहा हूं. आप ही की बात रह गई है. जो आपने कहा है एक की जगह दो तो एक ही मिलेगा. इसलिये नहीं मिलेगा क्योंकि 15 हजार रुपये हर महीने आपको दूसरे के लिये भत्ता दिया जा रहा है. दूसरा सहायक रखने के लिये यह आपके वेतन में शामिल है. आप उसी से रखो. वह पैसा बचाकर आप कहां ले जाते हो वह खर्च करो. जिन सहायकों को वर्ष,1990 से प्रतिनिधि भत्ता 200 रुपये मिल रहा है. आज हमने वित्त मंत्री जी से सहमति ले ली है. हम उनको हर महीने 200 की जगह 1 हजार रुपये कर रहे हैं.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया - हमारा कटौती प्रस्ताव आपने स्वीकार कर लिया. धन्यवाद.
डॉ.गोविन्द सिंह - धन्यवाद. आप नहीं लगाते तो कहां से जगते हम. आप जगाते रहिये हम सचेत रहेंगे. माननीय वित्त मंत्री जी ने कहा कि हम उसकी सहमति देंगे मंजूर करेंगे. आपने कहा है ऋण के लिये कि वाहन ऋण बढ़ाना चाहिये तो वाहन ऋण के प्रस्ताव आपके कहने के पहले ही बढ़ा दिया है. उस पर जैसे ही मंजूरी मिल जायेगी तो 15 की जगह 25 लाख करने का प्रयास है. 20 लाख मिल जाये भले लेकिन हम कोशिश 25 लाख की कर रहे हैं और जो मकान ऋण है उसको भी हम 20 लाख से बढ़ाकर 50 लाख नहीं लेकिन कोशिश करेंगे कि ज्यादा से ज्यादा बढ़ सके. इनके लिये प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजे हैं जैसे ही वित्त विभाग की परमीशन मिल जायेगी उस समय से लागू हो जायेगा. आप सबने जो महत्वपूर्ण सुझाव दिये हैं.
श्री दिलीप सिंह परिहार - विधायक निधि का नहीं बताया ?
डॉ.गोविन्द सिंह - विधायक निधि हमारे कार्य क्षेत्र में नहीं है. जो हमारे कार्यक्षेत्र में है, आपने मांग की लेपटाप की राशि में वृद्धि की जाये. बिसेन साहब ने कहा कि 35 हजार दें लेकिन हम 50 हजार दे रहे हैं. एक महीने के अंदर मिलना चालू हो जायेगा. लेपटाप के लिये 50 हजार रुपये की स्वीकृति प्रदान कर दी जायेगी और आपको जहां से खरीदना हो खरीदें. आपकी ज्यादातर मांगें हमने मान ली हैं. आपने तो एक भी हमारी नहीं मानी लेकिन हम तो मान रहे हैं. अब बातें तो बहुत थीं अध्यक्ष महोदय, वक्ता ज्यादा हो गये थे. आपने कहा था कि 5-5 बोलेंगे तो कृपा करके निवेदन है कि 5 ही 5 रखें. आप बढ़ा देते हो. आपकी सहृदयता है लेकिन लोग 1 मिनट की जगह 10-10 मिनट बोलने लगते हैं. आगे से यह करें ताकि सभी विभाग जल्दी से जल्दी निपट जाएं. मेरा अनुरोध है कि जिन सदस्यों ने चर्चा में भाग लिया उन सबको धन्यवाद. जिन्होंने नहीं लिया उनको भी धन्यवाद. सब मिलकर हमारे विभागों में सहयोग दो. सुझाव दो. जो होने लायक काम होंगे हम हर प्रकार काम करने का प्रयास करेंगे और करेंगे. आप सबको बहुत-बहुत धन्यवाद. जय हिन्द.
श्री अजय विश्नोई - अध्यक्ष महोदय, डॉक्टर साहब के लिये हां और ना की जरूरत नहीं है सभी हां कह देंगे.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) - नहीं, सभी की तरफ से हां नहीं है. हमारे कटौती प्रस्ताव हैं वह परंपरा गलत हो जाएगी.
अध्यक्ष महोदय - मैं, पहले कटौती प्रस्ताव पर मत लूंगा.
प्रश्न यह है कि मांग संख्या 1, 2, 17 एवं 28 पर प्रस्तुत कटौती प्रस्ताव स्वीकृत किये जायं.
कटौती प्रस्ताव अस्वीकृत हुए.
अब, मैं, मांगों पर मत लूंगा.
1 घंटे 5 मिनट की बल्लेबाजी की है. आप लोग जरा ध्यान रखिएगा.
5.01 बजे
मांग संख्या - 7 वाणिज्यिक कर
अध्यक्ष महोदय - बड़े अदब से श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर ..
वाणिज्यिक कर मंत्री (श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर) - अध्यक्ष महोदय, मैं आपकी नजरों की तरफ ही निगाह लगाए था.
उपस्थित सदस्यों के कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए.
अब मांगों और कटौती प्रस्तावों पर एक साथ चर्चा होगी.
श्री अजय विश्नोई ( पाटन ) - अध्यक्ष महोदय, डॉक्टर हूं मैं और गोविन्द सिंह जी अच्छे से जानते हैं. हम दोनों साथ-साथ पढ़ते थे, गोविन्द सिंह जी आयुर्वेदिक कॉलेज में पढ़ा करते थे. मैं वेटनरी कॉलेज में पढ़ता था. यह बीमार पढ़ते थे तो मैं इलाज करता था, जब मैं बीमार पढ़ता था तो यह इलाज करते थे. (हंसी) पुरानी दोस्ती है हम लोगों की.
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री (श्री सुखदेव पांसे) - आप इनका इलाज कैसे करेंगे?
श्री अजय विश्नोई - कैसे इलाज करते थे यह उनसे पूछो.
श्री सुखदेव पांसे - वेटनरी वाले डॉक्टर साहब कैसे इलाज करेंगे?
श्री अजय विश्नोई - यह उनसे पूछो. हम कैसे करते थे. पांसे जी इलाज, पुरानी बातें हैं तब आप राजनीति में नहीं हुआ करते थे.
श्री गोपाल भार्गव - इसी कारण यह हाल है.
डॉ. गोविन्द सिंह - आप पशुओं के छात्र नेता थे और हम आदमियों के छात्र नेता थे. (हंसी)..
श्री अजय विश्नोई - आप छात्र नेता थे, हम भी छात्र नेता थे.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - सुबह उठकर घोड़े सा दौड़ते हैं. दिन भर उसी जैसा लदे रहते हैं रात को शेरनी के संग सोते हैं, बताओ यह इलाज नहीं करेगा तो कौन करेगा? (हंसी)..
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर - यह हमारे भी मित्र हैं. पेरिस में एक बार रात को खो गये थे, दूसरे दिन सुबह मिले थे बड़ी मुश्किल से. (हंसी)..
डॉ. नरोत्तम मिश्रा - आपके विभाग के कारण से.
श्री अजय विश्नोई - अध्यक्ष महोदय, वाणिज्यिक कर विभाग की इस चर्चा में मैं मांग संख्या 7 के विरोध में और कटौती प्रस्तावों के समर्थन में खड़ा हुआ हूं और यह अत्यधिक महत्वपूर्ण विभाग है. बजट की आत्मा है वाणिज्यिक कर. यदि यह नहीं होगा तो बजट कहां से होगा? और जब इसका अध्ययन किया तो एक बात समझ में आई कि वाणिज्यिक कर को फुला फुलाकर इतना बड़ा बना दिया गया कि वास्तविक से बहुत ऊपर निकल गया. इसको फुलाने की जरूरत क्यों पड़ी, क्योकि बजट बहुत बड़ा बना लिया गया. संसाधनों से ज्यादा बड़ा बना लिया गया. बजट में जितने प्रावधान रखना थे, मजबूरी थी, कुछ वचनपत्र पूरा करने के लिए प्रावधान रखना थे, कुछ साथ के विधायकों को संतुष्ट करने के लिए जरूरी थे. हरेक मंत्री की डिमांड थी उनको भी पूरा करना था, इसलिए बजट के प्रावधान लगातार बढ़ते चले गये. परन्तु संसाधन वैसे दिख नहीं रहे थे और एक तकलीफ थी कि हमको फिस्कल डिफिसिट जो राजकोषीय घाटा है उसको भी साढ़े तीन परसेंट के नीचे दिखाना भी जरूरी था तो उसके लिए वाणिज्यिक कर का सहारा लिया गया और वाणिज्यिक कर में जितने प्रावधान दिखाए गए वह इतने अनरियलिस्टिक हो गये कि आज की तारीख में यह समझ में नहीं आ रहा है और यह खतरा बहुत स्पष्ट दिख रहा है, मैं चाहता हूं कि आज की इस चर्चा को खास तौर से हमारे मंत्रीगण और तमाम वे विधायक जो यह अपेक्षा लिये बैठे हैं कि विभागों में उनके काम पूरे होने वाले हैं, बजट में ले लिये हैं. श्री सज्जन सिंह वर्मा जी ने जो लोक निर्माण विभाग की सड़कें ले ली हैं या श्री हुकुम सिंह कराड़ा जी ने जो नहरों के लिए काम ले लिये हैं, उनके लिए पैसा इस बजट से मिलने वाला नहीं है. वह काम पूरे होने वाले नहीं हैं. यह आप जब आंकड़ें देखेंगे तो आपको स्पष्ट हो जाएगा कि बहुत खतरनाक स्थिति में हमारा यह बजट है. अच्छा बाद में यह तय है कि दोष सिर्फ दो चीजों को दिया जाएगा. 15 साल बीजेपी की सरकार के कारण नहीं हो पाया, दिल्ली में बीजेपी की सरकार से करों में जो अंश हमको मिलना चाहिए था वह अंश नहीं मिल पाया या कम मिला, ये दो चीजों के लिए ही बराबर दोष दिया जाएगा. परन्तु सच्चाई कुछ उससे अलग है.
अध्यक्ष महोदय, केन्द्रीय करों में हिस्सों की चर्चा हो रही है और इस बार के बजट भाषण में जो है यह बताया गया कि इस बार वर्ष 2019-20 में जो केन्द्रीय करों में हिस्सा था वह वर्ष 2018-19 में तो था 57486 करोड़ रुपये, इस बार संभावित था 63750 करोड़ रुपये, परन्तु अब यह बात सच हो गई कि वह मिलेगा सिर्फ 61073 करोड़ रुपये, मतलब 2677 करोड़ रुपये की कमी आई है . यह 5 तारीख को जब भारत सरकार का बजट आया तब यह आंकड़ें स्पष्ट हो गये थे. देशभर में ट्रेंड समझ में आ रहा था कि दिल्ली में जीएसटी का कलेक्शन कम हो रहा है इसलिए हरेक राज्य का हिस्सा कम आने वाला है. आपके भी राज्य का हिस्सा कम आएगा यह आपको पता था, उसके बाद भी बजट बनाते समय आपने इस बात की चिंता नहीं की और बजट में जब हमने लिखा है कि केन्द्रीय करों में जो हिस्सा मिलेगा तो वह 63750 करोड़ रुपये लिखा है, जबकि मिलने वाला 61073 करोड़ रुपये है, इसकी भरपाई कहां से होगी? यह आने वाले समय में जो बजट में अलाटमेंट कर दिये हैं, उसकी कटौती के अलावा और कोई रास्ता इसकी भरपाई का नहीं है. केन्द्र सरकार के ग्रांट एवं एड पिछली बार आई थी 31244 करोड़ रुपये, इस बार मिलने वाली है 36360 करोड़ रुपये मध्यप्रदेश को उसके लिए बधाई दी जा सकती है.
अध्यक्ष महोदय, इसका पूरा लब्बो-लवाब यह है कि आमदनी अट्ठनी है और खर्चा रुपय्या और बजट में बड़ी बड़ी बातें बता गये तरुण भैया, अब वह पूरी करें तो कैसे करें उसके लिए यह ओव्हर इनफ्लेटेड बजट वाणिज्यिक कर की तरफ से प्रस्तुत किया गया है जिसकी जानकारी मैं आपके माध्यम से सदन को दे रहा हूं. चर्चा में इसीलिए कटौती प्रस्तावों का समर्थन कर रहा हूं. हर जगह ओव्हर इनफ्लेशन है. राज्य का जो जीएसटी है राज्य का जीएसटी पिछली बार मिला था 21108 करोड़ रुपए और अबकी बार इन्होंने कहा है कि अगले साल हमको जो मिलेगा वह 24100 करोड़ रुपये मिलेगा.
5.09 बजे उपाध्यक्ष महोदया (सुश्री हिना लिखीराम कावरे) पीठासीन हुईं.
उपाध्यक्ष महोदया, पिछले सालों की औसत वृद्धि देख लें माननीय मंत्री जी, तो औसत वृद्धि कभी भी 12 परसेंट से अधिक नहीं थी. आपने आंकड़ें पूरे करने के लिए इस बार वृद्धि अनुमानित 20 परसेंट कर दी है. तकरीबन 1000 करोड़ रुपए को ओव्हर इनफ्लेट किया है. यह 1000 करो़ड़ रुपये की कमी साल के अंत में समझ में आ जाएगी. जब आप लोगों को पैसा बजट के माध्यम से नहीं दे पाएंगे और काम आपके अधूरे रह जाएंगे. हर विभाग के काम अधूरे रह जाने वाले हैं. आबकारी पर बहुत चर्चा होती रहती है कुछ इशारों में कुछ सीधे सीधे,आबकारी को कमाई का स्त्रोत मानते हैं, मानिये उसके रेट बढाइये कोई एतराज नही है और इस बार आपने किया भी है कि ठेके आपने 20 प्रतिशत बढ़ाकर किये हैं ताकि आपको आय ज्यादा हो जाय. इसका तो गणित बहुत ही सीधा सीधा है जितनी पिछले साल हुई थी उस पर 20 प्रतिशत बढ़ा दें. आपको कितनी आय होने वाली है यह स्पष्ट नजर आ जायेगा. यहां पर आपने जो आंकड़े दिखाये हैं आंकड़ो में फिर ओवर इंफ्लेशन है अपने आप में स्पष्ट दिख रहा है. यदि हमें पिछले साल में 9500 करोड़ रूपये की आय हुई थी और 20 प्रतिशत अगर बढ़ा देंगे तो 11500 करोड़ आना चाहिए, लेकिन आपके बजट की किताब बता रही है कि हमें तो आबकारी के माध्यम से 13 हजार करोड़ रूपये मिलेंगे. अब यह 11500 करोड़ रूपये और 13 हजार करोड़ के बीच में 2500 करोड़ रूपये का अंतर है, जो 20 प्रतिशत होना चाहिए था वह हम 37 प्रतिशत का ओवर स्टीमेट दिखा रहे हैं, इसकी भरपाई कहां से होने वाली है, निश्चित रूप से बजट के प्रस्ताव जो दिये हैं उनमें कटौती होगी और राजकोषीय घाटा हमारा बढ़ने वाला है.
स्टाम्प ड्यूटी की बात करें, यह मध्यप्रदेश या किसी भी राज्य सरकार के पास में राजस्व इकट्ठा करने के थोड़े बहुत ही स्त्रोत हैं आज की तारीख में तो हमें उनके बीच में ही चर्चा करना होगी और वह ही हमें यहां पर अतिरिक्त ओवर इंफिलेटेड नजर आ रहे हैं. स्टाम्प ड्यूटी के लिए बहुत श्रेय लिया गया. बहुत सारे होर्डिंग लगाये गये, बहुत से अखबारों में विज्ञापन छपे हैं कि हमने गाइड लाइन 20 प्रतिशत कम कर दी है. इसके कारण रजिस्ट्री बढ़ जायेंगी, क्षमा करें जितनी खरीद बिक्री होगी रजिस्ट्री उतनी ही बढ़ने वाली है. साथ ही आपने स्टाम्प ड्यूटी 2 से 2.5 प्रतिशत बढ़ा दी है, अब यह 12.5 प्रतिशत हो गई है. आप देखें कि स्टाम्प ड्यूटी में एक और दो ही राज्य होंगे जो कि हमसे ज्यादा महंगे होंगे, स्टाम्प ड्यूटी आज की तारीख में सबसे ज्यादा महंगी हो गई है. खरीददारों के ऊपर आपने सीधा सीधा भार उसके ऊपर डाल दिया है इसके कारण आपकी जो औसत वृद्धि हुआ करती थी 10 प्रतिशत रहती थी आप कल्पना करके चल रहे हैं कि इस बार आपकी वह वृद्धि 23 प्रतिशत हो जायेगी और 5300 करोड़ की रेवेन्यू बढ़कर 6500 करोड़ हो जायेगी एक बार यह फिर से काल्पनिक आंकड़ा है, इस काल्पनिक आंकड़े के चलते हमारे खजाने में पैसा आने वाला नहीं है खजाना खाली ही रहने वाला है और उसका असर बजट पर पड़ने वाला है. लेकिन बजट भाषण में वित्त मंत्री जी ने जो कुछ घोषणाएं की थी उनका स्वागत भी करना चाहता हूं. अगर संपत्ति में पत्नी और बेटी के बीच में नाम शामिल करना है खातेदारों के रूप में और उसके लिए पहले उन्होंने जो 1.8 ड्यूटी लगती थी उसको घटाकर 1100 रूपये किया है यह स्वागत योग्य कदम हैं मैं इसके लिए उनको साधुवाद देता हूं उनको धन्यवाद देता हूं. इसी प्रकार से पारिवारिक विभाजन के मामले में भी स्टाम्प ड्यूटी को 100 या 500 रूपये पर लेकर आये हैं या 0.5 प्रतिशत किया है यह भी स्वागत योग्य कदम है, मैं इसके लिए भी उनको साधुवाद देता हूं और सरकार को इसके लिए धन्यवाद देता हूं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया फिर से ओवर इंफ्लेशन परिवहन में दिख रहा है. परिवहन में यह कह रहे हैं कि हमारी कमाई 3 हजार करोड़ से बढ़कर सीधे 4 हजार करोड़ हो जायेगी तो इसमें 33 प्रतिशत का इंफ्लेशन, आपका कहना है कि 33 प्रतिशत एक साथ बढ़ जायेगी. यह हिन्दुस्तान में सबको पता है कि आज की तारीख में आल टाइम लो बिक्री है वाहनों की चाहे वह स्कूटर हो, चाहे वह मोटर सायकिल हो या कार हो किसी भी रेंज की हो. हमारे हिन्दुस्तान में 300 शो रूम बंद हो गये हैं पिछले तीन माह के अंदर गाड़ियां बिक नहीं रही हैं और हम यह कल्पना करके चल रहे हैं कि हमें परिवहन शुल्क से पैसा एकदम से 33 प्रतिशत से बढ़ जायेगा.
श्री तरूण भनोत -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, आदरणीय वरिष्ठ सदस्य बोल रहे हैं कि पूरे हिन्दुस्तान में आटोमोबाइल सेक्टर की बहुत चिंतनीय हालत है 300 से ज्यादा शोरूम बंद हो गये हैं, यह वास्तव में चिंतनीय विषय है मैं आग्रह करता हूं कि हम सबको यह चिंता केन्द्र सरकार के सामने प्रकट करना चाहिए कि क्यों ऐसी हालत आटोमोबाइल सेक्टर कि हिन्दुस्तान में हो रही है इसके ऊपर ध्यान दिया जाय.
श्री अजय विश्नोई -- धन्यवाद् विद्यमान वित्त मंत्री जी यह बात निश्चित रूप से वहां पर पता है मैं तो यह कह रहा हूं कि आपको भी पता है. उसके बाद में आप कल्पना कर रहे हैं और उस कल्पना के घोडे पर अपने बजट को बैठाए हुए हैं और प्रदेश के विकास को बढ़ाए हुए हैं, वह ओंधे मूंह गिरने वाला है मैं तो यहां पर उसकी चेतावनी आपको दे रहा हूं, और आप दिल्ली भोपाल के बीच में उलझे हुए हो. अभी तो चर्चा मध्यप्रदेश के बजट की हो रही है. मध्यप्रदेश के वाणिज्यिक कर की बात हो रही है उससे जो आय होने वाली है उसकी बात हो रही है, उस अनुमानित आय के भरोसे बजट के जो आपने वायदे किये हैं उसकी बात हो रही है. मेरी चिंता का विषय वह है. सदन में आज चर्चा का विषय यह है मैं इसके बारे में कह रहा हूं.
इसी प्रकार से हम डीजल और पैट्रोल की बात कर लें. इस पर पैसा केन्द्र सरकार ने बजट में बढ़ाया, 5 तारीख को उनका बजट आया और एक निश्चित काम के लिए बढ़ाया कि हमें इंफ्रास्ट्रक्चर में बढ़ाना है .एक लाख करोड़ रूपये पांच साल में हमें लगाना है, इसलिए दो दो रूपये करके उन्होंने बढ़ाया है. आपने भी लगे हाथ तुरंत ही बढ़ा दिया, 5 दिन के बाद में तो आपका भी बजट आ रहा था, 8 तारीख को बजट सेशन आ रहा था, 10 तारीख को आप बजट प्रस्तुत कर रहे थे जो बात आपने बजट के दो दिन पहले कर ली, वह बजट में की जा सकती थी और वास्तव में आपने इसमें बजट का अपमान किया है दो दिन पहले करके 412 करोड़ रूपये का सेस कमा रहे हैं वह किसी एक निश्चित काम के लिए ले रहे हैं ऐसा कहीं पर भी आपने उल्लेख नहीं किया है सिर्फ अपनी आय बढ़ाने के लिए आपने उसका उपयोग किया है.
उपाध्यक्ष महोदया इन चीजों के अलावा बहुत छोटे छोटे से मद हैं जिन मदों के माध्यम से सरकार को आय हुआ करती है. हर मद में ओवर इंफ्लुएट किया गया है, हर मद में आय को जरूरत से ज्यादा बढ़ाया गया है, काल्पनिक रूप से बढ़ाया गया है ताकि बजट का राजकीय घाटा न दिखे और बजट की आपूर्ति हो रही है ऐसा उसमें दिखता रहे.
श्री लक्ष्मण सिंह -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया डॉक्टर साहब जो बता रहे हैं कि इंफ्लेट किया गया है बजट और एक शंका व्यक्त कर रहे हैं कि राजस्व की बहुत कमी हो जायेगी, आप कैसे क्या करेंगे. मैं आपको यहा पर बताना चाहूंगा कि केन्द्र सरकार का 2018-19 का बजट का लक्ष्य था जो राजस्व उनको प्राप्त होना था 2019-20 में अभी जो बजट पेश हुआ है उसमें एक लाख सत्तर हजार करोड़ का कम राजस्व आया है. जीएसटी की प्राप्ति का जो लक्ष्य रखा गया था वह भी प्राप्त नहीं हो पाया है. अगर बजट इंफ्लिएशन की आप बात करते हैं तो ऊपर भी कहें वहां पर भी बजट इतना इंफिलेट नहीं किया जा सके और वहां का बजट इंफिलेट होगा तो फिर आप कैसे पूरा करेंगे और आपका पूरा नहीं होगा तो फिर हमारे यहां पर राज्यों को भी कम राशि मिलेगी. लेकिन मुझे विश्वास है कि जो मध्यप्रदेश सरकार ने बजट बनाया है वह पूरा राजस्व एकत्रित करेंगे. कृपा उसमें सहयोग करें, धन्यवाद्.
श्री अजय विश्नोई -- माननीय लक्ष्मण सिंह जी धन्यवाद आपको शंका है कि आपके मंत्री जी इतने विद्वान नहीं हैं कि वह इस बात का जवाब दे सकें इसलिए बीच में आपने इनपुट दिया है. आप विद्वान है, आप सीनियर हैं आप लोक सभा में भी रह चुके हैं. आपने दिल्ली में भी लोक सभा में बैठकर बजट देखे और सुने हैं.
मैंने अभी 5 मिनट पहले जो बात कही थी वह शायद आपने ध्यान से सुनी नहीं. मैं उसकी चर्चा कर चुका हूं और चर्चा का विषय वह ही था. 5 तारीख के बजट में हमें पता चल गया था कि हमें 63750 करोड़ रूपये नहीं मिलेंगे फिर भी आप उठाकर देख लें कि वाणिज्यिक कर में जो पावती लिखी है वह 63750 करोड़ लिखी है और खर्चो का जो ब्यौरा दिया है 63750 करोड़ रूपये आयेगे यह मानकर दिया है,यह बताया है बजट के भाषण में वित्त मंत्री जी ने कि इतने कम मिलने वाले हैं लेकिन उसके लेखा जोखा में उसका समाधान नहीं किया है इसी की हमने चिंता व्यक्त की है और आप उस चिंता को अन्यथा ले रहे हैं. मेरा अनुरोध है कि उसको सही अर्थों में लें और उसका प्रावधान यहां पर नहीं होना चाहिए था.
उपाध्यक्ष महोदया यह भू राजस्व, यह भू राजस्व के लिए मैं यह किताब पढ़ रहा था बजट अनुमान खण्ड 2 , भू राजस्व कैसे करेंगे हमें नहीं पता है. 5 हजार करोड़ से बढ़कर इस साल 10 हजार करोड़ आने वाला है, कहां से आयेगा क्या करेंगे माननीय मंत्री जी शायद अपने जवाब में यह बतायेंगे तो सदन की चिंता और हम सबकी चिंता उससे कम हो जायेगी. राजस्व उत्पाद शुल्क यह 95 करोड़ से बढ़कर 130 करोड़ रूपये हो जायेगा, यानि 37 प्रतिशत की वृद्धि एक साथ होने वाली है, कहां से होगी, किस तरीके से होगी यह हम सबके लिए चिंता और उत्सुकता का विषय है. बिक्री, व्यापार आदि पर जो कर हमें मिलता है वह इस बार 10211 करोड़ से बढ़कर 12 हजार करोड़ होने वाला है इसमें 20 प्रतिशत की वृद्धि होने वाली है, कौन सा व्यापार इस प्रदेश में तेज गति के साथ बढ़ेगा कि हमें कर 20 प्रतिशत ज्यादा मिलेगा और आपकी चीजों की पूर्ति कर पायेगा यह हम समझना चाहते हैं. पैट्रोल डीजल की जब मैं बात कर रहा था तो मैं उसमें एक बात और बताना चाहता हूं. जब प्रदेश में देश के लिए चिंता करने की जरूरत हुई तो माननीय शिवराज जी की सरकार यहां पर थी तब भाजपा की सरकार ने पैट्रोल डीजल में रेट कम भी किये थे 5 दिसम्बर 2018 को 4 रूपये लीटर से 1.5 रूपये लीटर पर लेकर आये थे पैट्रोल के टैक्स को और डीजल मे 22 प्रतिशत से कमी करके 18 प्रतिशत पर लेकर आये थे लेकिन यहां पर तो बिल्कुल उन्होंने मौका परस्ती दिखाई. इनको जीएसटी तो बढ़कर मिलने ही वाला है, परंतु बजट के दो दिन पहले फटाफट 412 करोड़ के सेस लगाने की उसमें व्यवस्थाएं कर दी थीं. अभी परसों, नरसों हमारे राजेन्द्र शुक्ल जी अपने भाषण में बता रहे थे कि हवाई पट्टियां बना दीं. हवाई पट्टियों के लिये पैसा आयेगा और हवाई पट्टी से मध्यप्रदेश सरकार कमायेगी, यह इसी को पढ़कर मुझे आज पता लगा कि हवाई पट्टी से पिछले साल में 20 लाख रुपये की कमाई हुई थी सरकार को, इस बार 6.7 करोड़ की कमाई हवाई पट्टी से होने वाली है राजेन्द्र जी, जरा यह अपने लिये भी चिंता का विषय है. अच्छी बात है, कमाई हो रही है, पर यह कहीं काल्पनिक आंकड़े तो नहीं हैं, मेरी यह चिंता का विषय है. वानिकी और वन्य जीवन से भी अच्छी खासी कमाई में इजाफा बताया गया है. आप कौन से वन काटने वाले हैं. किस तरीके से उसमें कमाई करने वाले हैं. 1200 करोड़ की पिछले साल की कमाई एकदम से बढ़कर इस साल 1500 करोड़ हो जायेगी. 300 करोड़ का इजाफा इसमें होने वाला है. पिछले साल सिर्फ 40 करोड़ की वृद्धि हुई थी, इस साल हमारी वृद्धि 300 करोड़ की हो जायेगी. इतनी वृद्धि 1200 करोड़ से 1500 करोड़ की,300 करोड़ की वृद्धि यह भी अपने आप में काल्पनिक नजर आती है. सिंचाई विभाग से कमाई होती है, सिंचाई के लिये आपके पास आता है और कितना वसूल होता है, वह आपको पता है. परन्तु मुझे एक नई चीज समझ में आई कि हरेक योजना पर लिखा गया है कि उसमें जो डूब में जमीन आ जाती है, वह डूब की जमीन से इस बार मध्यप्रदेश की सरकार कमाई करने वाली है और थोड़ी बहुत नहीं सैकड़ों करोड़ की कमाई होने वाली है मध्यप्रदेश सरकार को, उस डूब की जमीन से. मैंने तो अभी तक जितना देखा और समझा एवं जाना है कि जो जमीन डूब के लिये अधिग्रहित कर ली गई है. यदि वह जमीन डूब से बाहर आती है, तो उसी किसान को दे दी जाती है, जिससे वह जमीन अधिग्रहित की गई थी या फिर वह व्यक्ति नहीं है, तो अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग के गरीब लोगों को दे दी जाती है, सामान्य से शुल्क पर,परन्तु इसमें कमाई का इजाफा इसके पहले के सालों में नहीं दिख रहा है. इस साल दिख रहा है कि लघु सिंचाई वाली जो योनाएं हैं, उसमें 182 करोड़ रुपये डूब की जमीन से हमको मिल जायेगा. धसान में 100 करोड़, यमुना कछार में 10 करोड़, बेनगंगा कछार में 10 करोड़, नर्मदा ताप्ती कछार में 10 करोड़, चम्बल परियोजना में 133 करोड़, बारना परियोजना में 100 करोड़, तवा परियोजना में 11 करोड़, यह लम्बी लिस्ट है. यह इन्ही की किताब में बताई गई है. यह काल्पनिक आंकड़े आय के देकर और वास्तव में आपने बजट को ओवर इनफ्लेट किया है. मैं आपको यही बताना चाह रहा था. ग्राम तथा लघु उद्योग इसमें आय, यह भी बढ़ गई है. यदि आप आय बढ़ा पा रहे हैं, तो बड़ी खुशी की बात है पूरे प्रदेश के लिये कि प्रदेश इसी आय के भरोसे पर टिका हुआ है. आपके बजट की कल्पनाएं भी इसी आधार पर टिकी हुई हैं. ग्राम तथा लघु उद्योग जैसे के लिये 20 करोड़ से बढ़कर एकदम 30 करोड़ हो जायेगी. डेढ़ गुना होने वाला है. खनिज उद्योग. खनिज उद्योग से कमाई 38 करोड़ से बढ़ाकर आप 51 करोड़ करने वाले हैं. रेत, गिट्टी महंगी करेंगे. पहले से ही बहुत महंगी है. प्राधनमंत्री आवास का गरीब आदमी डेढ़ लाख रुपये में रेत और गिट्टी नहीं ले पा रहा है. यह रेत और गिट्टी जो है, इसको बढ़ाकर आप क्या गरीब आदमी का मकान बनाना भी मुश्किल करने वाले हैं. अवैध उत्खनन रोक नहीं पा रहे हैं. सारे के सारे लोग उसी कमाई में लगे हुए हैं और इसमें हम आय बढ़ने की संभावना व्यक्त कर रहे हैं. अन्य सामान्य आर्थिक सेवाएं एक हेड है. उस हेड में भी बढ़ोत्तरी 20 करोड़ से 30 करोड़ कर दी..
श्री लक्ष्मण सिंह -- उपाध्यक्ष जी, यहां पर सामान्य बजट पर चर्चा हो रही है कि वाणिज्यिक कर विभाग की मांगों पर चर्चा हो रही है.
श्री अजय विश्नोई -- उपाध्यक्ष जी, चलिये अच्छा है, आपका ज्ञानवर्धन हो रहा है, मुझे खुशी है. उपाध्यक्ष जी, क्योंकि इसकी वास्तविकता लोगों के सामने लाने की आवश्यकता थी और इसी से आप जोड़कर देखिये कि जब किसान ऋण माफी की बातचीत करते हैं, तो कभी कहते हैं कि 56 हजार करोड़ माफ करना है, फिर कहते हैं कि नहीं 38 हजार करोड़ माफ करना है. फिर 5 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान करते हैं और कहते हैं कि कर्जे सब माफ हो गये. अब 8 हजार करोड़ रुपये की बात कर रहे हैं. 8 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान हो जायेगा और आप 38 हजार करोड़ या 58 हजार करोड़ कैसे माफ करेंगे. आपने आधे से ज्यादा का भार तो डाल दिया सहकारी समिति के उन लोगों पर, जिनके पास पैसा है ही नहीं. यह सहकारी समितियां खत्म हो जायेंगी. बड़ी मुश्किल से यह समितियां खड़ी हुई हैं. सब की सब डिफाल्टर हो जायेंगी. इनके पास बैंक में पैसा है नहीं और आज ऐेसे एक नहीं अनेक उदाहरण हैं कि लोग कमलनाथ जी के दस्तखत वाले कागज लिये घूम रहे हैं, पर बैंक उसको मानने के लिये तैयार नहीं है कि उनके ऋण की माफी हो गई है. यह काल्पनिक आंकड़ों के आधार पर बनाया हुआ आज की तारीख में वाणिज्यिक कर का प्रस्ताव मंत्री जी लेकर आये हैं. मैं इसका विरोध इसी आधार पर करता हूं कि यह कल्पना के घोड़े से नीचे उतरें. इनको वास्तविक आंकड़ों में लायें, ताकि बजट में वास्तव में प्रदेश को आगे आने वाले एक साल में क्या भोगना पड़ेगा, यह चीजें लोगों के सामने स्पष्ट हो पायें. उपाध्यक्ष जी, आपने समय दिया, उसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री आरिफ मसूद (भोपाल मध्य) -- उपाध्यक्ष जी, मैं वाणिज्यिक कर विभाग की मांग के समर्थन पर अपनी बात रखना चाहता हूं. रियल एस्टेट और निर्माण क्षेत्र प्रदेश की अर्थ व्यवस्था का एक महत्पूर्ण हिस्सा है, जो सर्वाधिक रोजगार प्रदान करता है. प्रदेश में स्टाम्प एवं पंजीयन से मिलने वाला राजस्व रियल एस्टेट एवं निर्माण क्षेत्र का सूचक होता है, जो वर्ष 2018-19 में लक्ष्य 5300 करोड़ को बढ़ाकर 53476 करोड़ का राजस्व संग्रहण किया गया है, जो कि विगत् वर्ष की तुलना में 10 से 20प्रतिशत अधिक है. उपरोक्त उपलब्धि इसलिये और भी उल्लेखनीय है कि रियल एस्टेट के क्षेत्र में मंदी रही है. ..
श्री जालम सिंह पटेल "मुन्ना भैया " -- उपाध्यक्ष जी, माननीय सदस्य पढ़ रहे हैं.
श्री आरिफ मसूद --आप भी कभी कभी बहुत कुछ पढ़ते रहते हैं. मैं पढ़ रहा हूं, तो क्या दिक्कत है. पढ़ना मना तो नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदया -- आप थोड़ा बहुत देख सकते हैं.
श्री आरिफ मसूद -- उपाध्यक्ष महोदया, मैं असल में बहुत वरिष्ठ नेता का भाषण सुन रहा था और लिख रहा था. मेरा यह पहला अनुभव है. बहुत वरिष्ठ माननीय सदस्य बोल रहे थे, तो जाहिर है कि..
श्री सुनील सराफ -- उपाध्यक्ष महोदया, वरिष्ठ सदस्य पढ़कर बोल रहे हैं, वह तो पहली बार के विधायक हैं. हमने वरिष्ठों को पढ़कर बोलते देखा है, तीन दिन से देख रहे हैं. तो पहली बार के विधायक जी को संरक्षण दें.
उपाध्यक्ष महोदया --कृपया बैठ जायें.
श्री आरिफ मसूद -- उपाध्यक्ष महोदया, बार बार हमारे वरिष्ठ सदस्य यह कह रहे थे कि मुझे इस बजट में इस बात की चिंता है कि कहां से यह बढ़ा दिया, इसकी पूर्ति होगी. कृषि के क्षेत्र में भी कहा..
5.27 बजे अध्यक्षीय घोषणा
कार्यसूची के पद 5 के उप पद (4) में अंकित मांगों पर चर्चा पूर्ण होने के उपरांत अशासकीय कार्य लिया जाना
उपाध्यक्ष महोदया -- मसूद जी, एक मिनट. विधान सभा प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियम-23 के अनुसार शुक्रवार की बैठक के अंतिम ढाई घण्टे गैर-सरकारी सदस्यों के काम के सम्पादन के लिये नियत हैं. आज सदन की कार्यवाही सायं 8.00 बजे तक चलने से अशासकीय कार्य सायं 5.30 बजे से लिया जाना है, परन्तु कार्यसूची के पद 5 के उप पद (4) में अंकित मांगों पर चर्चा पूर्ण होने के उपरांत अशासकीय कार्य लिया जायेगा.
मैं समझती हूं, सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.)
5.28 बजे वर्ष 2019-2020 की अनुदानों की मांगों पर मतदान (क्रमशः)
श्री आरिफ मसूद -- उपाध्यक्ष महोदया, हमारी पार्टी ने वचन दिया था कि जब हम सरकार में आयेंगे, तो हम कलेक्टर गाइड लाइन में कटौती करेंगे और कलेक्टर गाइड लाइन में 20 प्रतिशत कटौती का साहस मैं समझता हूं कि कमलनाथ जी और वाणिज्यिक कर मंत्री जी ही दिखा सकते हैं. लगातार यह मांग उठ रही है कि मंदी का दौर चल रहा है. वरिष्ठ सदस्य जी भी बार-बार इसी बात का उल्लेख करना चाह रहे थे और चिंता व्यक्त कर रहे थे. लेकिन मैं मुख्यमंत्री जी और वाणिज्यिक कर मंत्री जी को बधाई देना चाहता हूं कि ऐसे मंदी के दौर में साहस किया और जनता को भी लाभ हो, रियल एस्टेट में किस तरह से मंदी के दौर में आगे बढ़ाया जाये. प्रदेश के अन्दर हमारे सरकारी खजाने में राशि आये. होना यह चाहिये था, हालांकि बाद में उन्होंने इसके लिये बधाई भी दी है. महिलाओं को जो स्टाम्प ड्यूटी में हमारी सरकार ने राहत दी, उसके लिये माननीय सदस्य ने बधाई दी और हम सब भी इसके लिये बधाई देते हैं कि मुख्यमंत्री जी का यह साहसिक निर्णय है. पहले कभी बाहर सुना करते थे कि किसान पुत्र के नाम से पूर्व मुख्यमंत्री जी विख्यात थे, लेकिन इस बार असल में अगर किसानों का दर्द किसी ने जाना तो वह माननीय कमलनाथ जी ने जाना. उन्होंने कृषि भूमि में स्लैब क्लब करके उसको भी कम किया, यह एक बहुत बड़ा काम उन्होंने किया. इसके लिए मैं माननीय मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ जी और माननीय वाणिज्यिक कर मंत्री जी को बधाई देता हूँ.
उपाध्यक्ष महोदया, स्टाम्प ड्यूटी के बारे में बोला जा रहा था तो मैं बताना चाहता हूँ कि होता यह है कि सड़क के एक किनारे का रेट कुछ होता था और दूसरे किनारे का रेट कुछ और होता था. इसकी वजह से बहुत सारी विसंगतियां थीं, परेशानियां थीं, लोग रजिस्ट्री नहीं कराते थे. मैं समझता हूँ कि इसका सरलीकरण करके सरकार ने साहसिक कदम उठाया और यह सारा का सारा काम सरकार के लिए अच्छा होगा और जनता को सुविधा यह मिलेगी कि जो लोग एक स्टाम्प पर लिखा-पढ़ी करके मकान की खरीद-फरोख्त करते थे, वे उससे भी बचेंगे. बेनामी संपत्ति से भी बचेंगे और सरकार को भी इसका फायदा होगा. मैं इस बात के लिए माननीय मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ जी और माननीय वाणिज्यिक कर मंत्री जी को बधाई देता हूँ.
उपाध्यक्ष महोदया, माननीय वरिष्ठ सदस्य के द्वारा बार-बार चिंता व्यक्त की जा रही थी कि खजाने में पैसा कहां से आएगा, ये इतने करोड़ का बजट है, सारे आंकड़े आपने देखे, उन्होंने बखूबी गिनाए. उन्होंने कहा कि कैसे आ जाएगा. मुझे नहीं पता, लेकिन मैं यह जानता हूँ कि शायद पहले कभी इधर-उधर बजट होता रहा होगा, लेकिन कमलनाथ जी की सरकार का पूरा का पूरा पैसा सरकारी खजाने में आएगा, क्योंकि हमारी नीयत बहुत साफ है इसलिए हमारा लक्ष्य भी साफ है. हमें पूरी उम्मीद है कि जो नीयत हमारे मुख्यमंत्री जी की और हमारी सरकार की है, उसमें हम लक्ष्य की तरफ अग्रसर होंगे. निश्चित रूप से जो बजट हमने यहां पर पेश किया है, जिसके बारे में कहा जा रहा है कि आंकड़े हमने घूमा-फिराकर पेश किए हैं, मालिक ने चाहा तो जब हम अगली बार बजट रखेंगे तो इन आंकड़ों को पार करके आगे जाएंगे. मैं सरकार को और वाणिज्यिक कर मंत्री महोदय को बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहता हूँ.
उपाध्यक्ष महोदया, मैं माननीय वरिष्ठ सदस्य महोदय को यह बताना चाहता हूँ कि हमारे मंत्री वास्तव में ज्ञानी हैं, उन्होंने अगर अपना ज्ञान और विभाग ने अपना ज्ञान लगाया है तो बहुत सोच और समझकर लगाया है. 15 साल में जो साहस आप नहीं कर सके रियल इस्टेट को कम करने का जो विकास की तरफ बढ़ाता है क्योंकि निश्चित रूप से जब रियल इस्टेट आगे बढ़ता है तो बहुत सारे लोगों को रोजगार मिलता है. जब काम बढ़ता है, मंदी खत्म होती है, तो मंदी खत्म ऐसे ही होगी कि जब कार्य आगे बढ़ेगा. इससे नौजवानों को भी रोजगार मिलेगा, मजदूर को भी रोजगार मिलेगा और बहुत निचले तबके के वे लोग, जिनके लिए कभी कोई ध्यान नहीं दे रहा था, उनको भी काम मिलेगा. इन तमाम चीजों के लिए मैं माननीय मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ जी और माननीय वाणिज्यिक कर मंत्री जी को बेइंतहा धन्यवाद देना चाहता हूँ और निश्चित रूप से यह बजट एक साहसिक बजट सिद्ध होगा. यह मध्यप्रदेश में मिसाल पेश करेगा क्योंकि हमारे विपक्षी सदस्य कह चुके हैं कि बहुत मंदी है. उन्होंने सारे आंकड़े बताए, आंकड़े बताते-बताते उन्होंने यह भी कह दिया कि अगली बार यह बात आएगी कि केन्द्र सरकार से कटौती हो गई, तो अगली बार नहीं, मैं इसी बार बता रहा हूँ कि आपने अभी हमारी सरकार को 2700 करोड़, जो केन्द्र सरकार से राशि मिलनी थी, वह आपने हमारा हक नहीं दिया है. इसके लिए मध्यप्रदेश की जनता अफसोस करेगी और हम चाहते हैं कि वास्तव में 2700 करोड़ रुपये, जो हमारी कटौती हुई है, तो माननीय वरिष्ठ सदस्य उस तरफ भी ध्यान दें. वह हमारा 2700 करोड़ रुपये, जो केन्द्र सरकार ने रोका है, मेहरबानी करके वह हमें दिला दें, हम आपको विकास करके दिखाएंगे. निश्चित रूप से कमलनाथ सरकार विकास की ओर अग्रसर होगी. ऐसे मुख्यमंत्री और मंत्री, वास्तव में जिनकी नियत साफ हो, जिनकी कथनी और करनी में कोई अंतर न हो, सबका साथ-सबका विकास वास्तव में करने का साहस जिनमें हो, वह सिर्फ कमलनाथ जी और हमारे मंत्रियों में है. धन्यवाद.
श्री शैलेन्द्र जैन (सागर) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं मांग संख्या 7 के विरोध में और कटौती प्रस्ताव के पक्ष में अपनी बात रखूंगा. अभी हमारे पूर्व वक्ता माननीय अजय विश्नोई जी ने जो इनफ्लेटेट फिगर्स के बारे में चर्चा की है, मैं उनसे सहमति व्यक्त करना चाहता हूँ. राज्य उत्पाद शुल्क से राजस्व प्राप्ति का अनुमान 37 प्रतिशत, अपने बजट भाषण में माननीय वित्त मंत्री जी ने जो कुछ कहा है, उससे परिलक्षित होता है कि यह बजट जो है, इनफ्लेटेट है. इसमें माननीय वित्त मंत्री का ये बजट भाषण है, मैं पढ़कर बता रहा हूँ - पूर्ववर्ती सरकार ने आबकारी ठेकों के वार्षिक नवीनीकरण के लिए 15 प्रतिशत दर तय की थी, परंतु हमने साहसिक निर्णय लेते हुए 15 प्रतिशत के स्थान पर 20 प्रतिशत अधिक दर पर नवीनीकरण किया है. जब 20 प्रतिशत की दर पर नवीनीकरण हुआ है तब ये 37 प्रतिशत की आय में वृद्धि कहां से होगी, यह मैं मंत्री महोदय से पूछना चाहता हूँ. यह बहुत ही काल्पनिक फिगर है. इन काल्पनिक फिगर्स के माध्यम से मध्यप्रदेश की जनता के साथ अन्याय होने वाला है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, वाणिज्यिक कर, जो पिछले वर्ष इसी अवधि में 13.76 प्रतिशत की वृद्धि थी, इस बार अनुमान है 19.85 प्रतिशत. पंजीयन, पिछले वर्ष इसी अवधि में 10.2 प्रतिशत, इन्होंने 22.64 प्रतिशत का इस्टीमेशन किया है, ओवर इस्टीमेशन है. यह इनफ्लेटेट फिगर है और मैं यह मानता हूँ कि पूरे बजट के डेबिट, क्रेडिट को बैलेन्स करने के लिए इस तरह के इमेजनरी फिगर का सहारा लिया गया है. इससे मध्यप्रदेश की जनता का लाभ नहीं होने वाला है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री महोदय का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ कि उप-दुकानें खोलने का जो सरकार का निर्णय है, मैं समझता हूँ कि यह निर्णय जनता के हित में नहीं है. उपाध्यक्ष महोदया, इससे पूरे के पूरे प्रदेश में शराब की दुकानों का अंबार लग जाएगा. पूरे प्रदेश को शराबी बनाने का यह एक प्रयास है, इस प्रयास को रोकने की आवश्यकता है. इस समय पूरे के पूरे प्रदेश में और मेरी विधान सभा में, मध्यप्रदेश के अनेक हिस्सों में, जहां मेरा जाना होता है, गली-गली, मोहल्ले-मोहल्ले और घर-घर तक अवैध रूप से शराब पहुँचाने का कार्य हो रहा है.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- आदरणीय जैन साहब, मध्य रात्रि तक शराब बेचने का निर्णय किसने लिया था. ये बता दो बस.
उपाध्यक्ष महोदया -- तोमर जी, कृपया बैठ जाएं.
श्री शैलेन्द्र जैन -- अभी बात करते हैं आपसे.
श्री विश्वास सारंग -- मंत्री जी को जवाब देना है. थोड़ा सा मोड चेंज करो तोमर जी, समझ में ही नहीं आ रहा है मंत्री बन गए हो.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- माननीय मंत्री जी, एक रुपये किलो का गेहूँ याद करो.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव -- साढ़े 11 बजे तक दारू की दुकान खुली है और बाजार 10 बजे बंद.
श्री शैलेन्द्र जैन -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, अभी गर्मी के दिनों में नगर पालिक निगम पानी नहीं दे पा रहा था, कभी 3 दिन में, कभी 4 दिन में, कभी 5 दिन में. दूध वाला इस समय बारिश की वजह से कभी-कभी दूध देने नहीं आता, लेकिन शराब की बिक्री निर्बाध रूप में अनवरत जारी है. घर-घर शराब पहुँचाने का काम हो रहा है और सबसे चिंता की बात यह है कि नौजवान साथी इस काम में लगा दिए गए हैं. नौजवान साथियों का जीवन नष्ट हो रहा है. मैं ये कोई आरोप नहीं लगा रहा हूँ. ये आपके, हमारे और पूरे सदन की चिंता का विषय है. यह मध्यप्रदेश की जनता का, नौजवानों का विषय है, इसलिए इस विषय को मैं आपके माध्यम से उठाना चाहता हूँ.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, शराब की दुकानें खोलने का निर्णय हुआ, उप-दुकानें खोलने का निर्णय हुआ. साथ में अहातों का भी निर्णय कर लिया. ये अहाते जहां-जहां खुल रहे हैं, वहां कानून-व्यवस्था की क्या स्थितियां बन रही हैं, यह पूरा सदन जानता है, पूरा प्रदेश जानता है. उपाध्यक्ष महोदया, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री महोदय से निवेदन करना चाहता हूँ कि इन दोनों विषयों पर, जो उप-दुकानें खोलने का विषय है और जो अहातों का विषय है, इन दोनों विषयों पर पुनर्विचार करना चाहिए. जो थाने हैं, जिनके जिम्मे अवैध शराब को रोकने की जिम्मेदारी है, वे थाने ठेके पर चल रहे हैं और शराब ठेके पर बिक रही है. जिनके जिम्मे इस महत्वपूर्ण काम को रोकने का, इन अवांछनीय तत्वों को रोकने का दायित्व है, वे कैसे रोक पाएंगे. मैं तो कहना चाहता हूँ कि '' मेरा कातिल ही मेरा मुंसिब है, क्या मेरे हक में फैसला देगा ''. उन थानों के थानेदारों से हम क्या अपेक्षा करें. मैं आपके माध्यम से ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ कि अभी मैं आपके माध्यम से ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं कि अभी जब मैं सागर से चलकर भोपाल विधान सभा सत्र में आ रहा था, बड़े-बड़े होर्डिंग्स, बड़े-बड़े पोस्टर्स लगे हुए थे, 20 प्रतिशत रियल स्टेट में कलेक्टर गाइडलाइंस में कटौती की. आपके माध्यम से मैं मंत्री महोदय से पूछना चाहता हूं कि पंजीयन शुल्क को .8 परसेंट से बढ़ाकर 3 परसेंट कर दिया. 3 परसेंट करने के बाद हम कह रहे हैं कि 20 परसेंट हमने गाइडलाइंन कम की हैं. वित्त मंत्री जी के बजट भाषण का मैं उल्लेख करना चाहूंगा कि ''रियल स्टेट सेक्टर को बढ़ावा देने के लिये सरकार ने पूरे राज्य में संपत्ति की गाइडलाइन दर को एक ही निर्णय में 20 प्रतिशत कम कर दिया है, परंतु इस 20 प्रतिशत की कमी के बावजूद यथा आवश्यक परिवर्तन कर यह सुनिश्चित किया गया है कि शासन के राजस्व में कोई कमी न आने पावे.'' उपाध्यक्ष महोदया, यह जनता के साथ छलावा है. यह वाहवाही लूटने का एक माध्यम बना लिया है और इसमें मैं आपके माध्यम से मंत्री महोदय से कहना चाहता हूं कि ''नहीं शिकवा मुझे कोई तुम्हारी बेवफाई का, गिला तो तब होता जब तुमने किसी से भी निभाई होती.''
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं इनके घोषणा पत्र की ओर भी इनका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं. इन्होंने अपने वचन पत्र में इस बात की घोषणा की थी कि महिलाओं को 5 एकड़ तक कृषि भूमि पर पंजीयन 3 प्रतिशत लगेगा. लेकिन इसका पालन नहीं हुआ. अभी भी साढ़े 6 प्रतिशत से अधिक दर पर हमारी महिलाओं को पंजीयन शुल्क देना पड़ रहा है. आवासहीन महिलाओं को 600 वर्गफिट तक का भूखण्ड पंजीयन कराने पर पंजीयन का कोई शुल्क नहीं लगेगा, वह नि:शुल्क किये जायेंगे यह भी उन्होंने अपने वचन पत्र में लिखा था. वचन पत्र में कही हुई बातों का पालन नहीं हो रहा है. 1,000 वर्गफिट तक के मकान के पंजीयन पर महिलाओं को 5 प्रतिशत स्टाम्प शुल्क पर यह काम करने की छूट देने का आश्वासन दिया गया था, यह काम भी नहीं हो रहा है. मैं आपके माध्यम से मंत्री महोदय से निवेदन करना चाहता हूं कि वह अपने वचन पत्र का ध्यान रखें. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री महोदय को कुछ सलाह जरूर देना चाहता हूं. मैं एक मिनट में अपनी बात समाप्त करूंगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, जैसे लोक सेवा केन्द्र हैं, लोक सेवा केन्द्र के माध्यम से लोगों को अनेक तरह के लाभ प्राप्त हो रहे हैं. ऐसे हमारी इच्छा है कि पंजीयन सुविधा केन्द्र भी आपके विभाग के द्वारा खोले जाएं, जहां पर पंजीयन से संबंधित समस्त जानकारी उनको उपलब्ध हो सके, ताकि ई-पंजीयन से संबंधित जो भी कठिनाइयां हैं, वह उनको न होने पाएं. वर्ष 1956 से लेकर 01 अगस्त, 2015 के पहले का सारा का सारा रिकार्ड मेन्युअल है. हमारी इच्छा है कि उसका डिजिटलाईजेशन होना चाहिये. इससे उस रिकॉर्ड का संधारण करने में सुविधा होगी. एम.पी.रजिस्ट्रेशन अधिनियम 1908 के अंतर्गत पंजीयन फीस से जो भी राशि प्राप्त होती है उसका उपयोग सारा का सारा पंजीयन की व्यवस्था का सुदृढ़ीकरण करने में किया जाना चाहिये. मैं अपेक्षा करता हूं कि जो सर्वर डाउन होने की हमारी समस्याएं आये दिन आती हैं, उनका सुदृढ़ीकरण किया जायेगा, कम्प्यूटराइजेशन जो हुआ है उसको और व्यवस्थित किया जायेगा ताकि जो गांव से चलकर पंजीयन कराने के लिये हमारा किसान भाई आता है और बगैर पंजीयन कराये चला जाता है उसको इस असुविधा से बचाया जा सके. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एक विषय और कहना चाहता हूं कि जिले में जो पंजीयक बैठे हुये हैं उन्हें यह अधिकार दे दिये गये हैं कि सब रजिस्ट्रार के बीच में वह कार्य का विभाजन कर सकते हैं. ऐसा करने से अपने चहेतों को वह अधिक काम दे रहे हैं और सामान्य रूप से काम का वितरण नहीं हो पा रहा है. इससे भी असुविधा हो रही है. इस संबंध में भी माननीय मंत्री महोदय जब अपना बजट भाषण अभी प्रस्तुत करेंगे, तो उसका उल्लेख करेंगे, उसको समायोजित करेंगे. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री प्रवीण पाठक (ग्वालियर-दक्षिण) - उपाध्यक्ष महोदया, मैं धन्यवाद देना चाहता हूं हमारे प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री जी को कि जिन परिस्थितियों में पूर्व सरकार ने जो बोझ प्रदेश के ऊपर डाला है, उससे उबरने के लिये उन्होंने इतने काबिल मंत्री को वाणिज्यक कर विभाग का मंत्री बनाया है. मैं सुन रहा था अजय विश्नोई साहब को भी, मैं सुन रहा था शैलेन्द्र जैन साहब को भी, हमारे वरिष्ठ हैं, हमसे ज्यादा सदन का अनुभव है, उनकी चिंता का मैं बहुत अदब करता हूं और सम्मान करता हूं. मैं बहुत विनम्रता पूर्वक यह बोलना चाहता हूं कि आज आपको लगता है कि यह जो बजट है यह काल्पनिक है. आज आपको लगता है कि यह जो बजट है यह वर्चुअल है. पिछले 15 सालों में आपने हर चीज पर दाम बढ़ाये. चाहे वह पेट्रोल की बात हो, चाहे वह डीजल की बात हो, चाहे रजिस्ट्री की बात हो, पहली बार किसी ने हिम्मत करके इन करों को कम करने की कोशिश की है, तो सराहने की जगह आप लोग उसका विरोध कर रहे हैं.
श्री शैलेन्द्र जैन - उपाध्यक्ष महोदया, वित्त मंत्री जी ने अपने बजट भाषण में कहा है कि हम प्रयास करके उस कमी को दूर कर रहे हैं. जो कुछ भी 20 प्रतिशत कम करने से लॉस होगा उसको कहीं न कहीं भरपाई कर रहे हैं. आपने अपने बजट भाषण में लिखा है, मैं तो पढ़कर बता रहा हूं.
श्री प्रवीण पाठक - उपाध्यक्ष महोदया, कांग्रेस पार्टी की जो सरकार है, कांग्रेस का हाथ आम आदमी के साथ, हम लोग इस विचाराधारा के साथ हमेशा चलते हैं, इसी विचारधारा को रात-दिन जीते हैं. आज तो आपको करना यह चाहिये था, जिस स्थिति में प्रदेश को आपने छोड़ा था, हम सभी लोग आपका बड़ा अदब और सम्मान करते, आपका बड़प्पन मानते कि जब आप सब मिलकर यह कहते कि आज हमारा मध्यप्रदेश इतने आर्थिक संकट से जूझ रहा है, 13,000 करोड़ रुपये का ब्याज हम पूरे साल भर देते हैं, मध्यप्रदेश का एक-एक नागरिक लगभग 23,000 रुपये का कर्जदार है, आज आपका बड़प्पन तब होता, आज आपकी जिम्मेदारी को हम तब मानते जब आप यह कहते कि इतनी विषम परिस्थितियों में जब आप मध्यप्रदेश को सम्भाल रहे हैं, तो हम सब भी आपके साथ मिलकर मध्यप्रदेश के कल्याण के लिये केन्द्र की सरकार से निवेदन करते हैं कि जो बजट मध्यप्रदेश में जनकल्याण के लिये प्रस्तुत हुआ है, हमारे बजट को और बढ़वाते. फिर हम लोग आपकी हृदय से तारीफ करते, खुले दिल से आपकी प्रशंसा करते. आप तो और उसको कम कराते जा रहे हैं. बात करते हैं कल्याणकारी योजनाओं की, बात करते हैं सिद्धांतों की. कब तक आपके चाल, चरित्र और चेहरे में हमको अंतर दिखता रहेगा ? हमेंशा आप लोग बोलते कुछ हैं करते कुछ हैं. बात एक नहीं, जब-जब बात आती है, हमेशा जब पूछा जाता है तो आप उसको जुमले में कन्वर्ट कर देते हैं. अरे यह कांग्रेस की सरकार है. मैं आपको बोलना चाहता हूं, मैं धन्यवाद देता चाहता हूं, साधुवाद देना चाहता हूं हमारे मंत्री महोदय को और मुख्यमंत्री महोदय को कि उन्होंने जो रजिस्ट्री पर 20 परसेंट कम किया है इससे आम जन को बहुत बड़ा फायदा होने वाला है और आप जो बार-बार कह रहे हैं कि यह बजट वर्चुअल है, निश्चित तौर पर यदि आपकी दृष्टि से देखूंगा, तो यह वर्चुअल ही लगेगा. उसका कारण है, मैं अपने साथियों को बताना चाहता हूं कि पिछले 15 साल से पैरलल डिपार्टमेंट चल रहे थे. इस सरकार में डिपार्टमेंट एक ही है. हमारे यहां कहीं मुख्यमंत्री के यहां नोट गिनने की मशीन नहीं लगी है. हमारे यहां तो जो आयेगा..
श्री बीरेन्द्र रघुवंशी - हमने भी टीवी पर आपका शासन देखा है. इस तरह की भाषा न बोलो. बजट पर आओ, बजट पर बोलिये तो अच्छा लगेगा. ..(व्यवधान)..
श्री प्रवीण पाठक - हमने भी दृश्य देखा है कि आपने लोगों के यहां से कैसे करोड़ों रुपये निकले हैं. आपके मंत्रियों के यहां से कैसे रुपये निकले हैं...(व्यवधान).. आपने किसानों का करोड़ों रुपये का कर्ज खाया है. हम 15 साल से यही तो देख रहे हैं भैया. अब जरा सा (XXX)
श्री बीरेन्द्र रघुवंशी - सच तो आप नहीं झेल पा रहे हो, ट्रांसफर उद्योग का और इनकम टैक्स के छापे पड़ रहे हैं. ...(व्यवधान).. बजट पर बात करो, विकास की बात करो, अच्छा लगेगा.
..(व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदया-- आप इस तरह आपस में बात न करें. आप आसंदी की तरफ देखकर अपनी बात कहें.
श्री प्रवीण पाठक-- जी, उपाध्यक्ष महोदया, मैं क्षमा चाहता हूँ, पर चूँकि जो वरिष्ठ सिखाते हैं वही हमको सीखना पड़ता है. उनका अनुसरण करना पड़ता है.
उपाध्यक्ष महोदया-- आप उनसे मत सीखिए.
श्री प्रवीण पाठक-- जब ये साठ साल को अभी तक रोते रहे तो 15 साल को क्या हम 7 महीने नहीं रो सकते. (मेजों की थपथपाहट)..(व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदया-- रघुवंशी जी, यह गलत है. ..(व्यवधान)..रघुवंशी जी, आपका यह कौनसा तरीका है? ..(व्यवधान)..रघुवंशी जी, मेरा आप से निवेदन है कि आप इस तरह से डायरेक्ट बात न करें. आपको जो बोलना है आसन्दी की तरफ देखकर बोलिए, पर इस तरह से आप बीच बीच में डिस्टर्ब न करें. मेरा निवेदन है आप बैठ जाइये और बिना अनुमति के न बोलें.
श्री हरिशंकर खटीक-- माननीय उपाध्यक्ष जी, लेकिन आप भी बताएँ कि छेड़ाछाड़ी नहीं करें नहीं तो हम लोग भी बोलेंगे.
श्री प्रवीण पाठक-- छेड़ने का काम हमारा थोड़े ही है. छेड़ने का काम तो उज्जैन में हो रहा है. ..(व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदया-- कुछ बात नोट नहीं होगी. ..(व्यवधान)..प्रवीण जी, आप अपनी बात पूरी कीजिए. ..(व्यवधान)..
सुश्री कलावती भूरिया-- (XXX)
उपाध्यक्ष महोदया-- कलावती जी, कृपया बैठ जाइये.
श्री प्रवीण पाठक-- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं तो आपके माध्यम से सबको प्रणाम करना चाहता हूँ कि किस बहादुरी के साथ, जुमले के बाद भी आप लोग अपनी लड़ाई लड़ते हों, हम लोगों को यह सीखना चाहिए. पिछले 5 साल में हम सबकी जेब में 15 लाख आ गए हैं, उसके बाद भी हम यहाँ सुन रहे हैं. संजय भैय्या, मैं फिर विषय पर आता हूँ बीजेपी का काम तो हमेशा विषय से भटकाना ही है. मैं आप से यह बोलना चाहता हूँ कि शैलेन्द्र जैन साहब ने दो शायरियाँ सुनाईं फिर आप कहेंगे कि शायरियाँ सुना देते हैं, दोहे और कविताएँ सुना देते हैं. यशपाल भैय्या कहेंगे कि देखिए किस तरीके से शायरियाँ सुनाई जा रही हैं.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- आज वाणिज्यिक कर पर चर्चा हो रही है, मौसम अच्छा है ..(व्यवधान)..आप चाहे जो करें.
श्री प्रवीण पाठक-- यह मौसम का ही असर है.
उपाध्यक्ष महोदया-- आप तो अपनी शायरी पूरी करिए.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- हाँ आप अपनी शायरी चलने दें.
श्री हरिशंकर खटीक-- (XXX)
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय-- (XXX)
उपाध्यक्ष महोदया-- खटीक जी, आप शांति से शायरी तो सुन लीजिए.
श्री हरिशंकर खटीक-- (XXX)
उपाध्यक्ष महोदया-- खटीक जी, बैठ जाइये.
श्री प्रवीण पाठक-- उपाध्यक्ष महोदया, मैं कहना चाहता हूँ कि—
“शहर बसाकर अब सुकून के लिए गाँव ढूँढते हैं, बड़े अजीब हैं लोग हाथ में कुल्हाड़ी लिए छांव ढूँढते हैं.” (मेजों की थपथपाहट)
उपाध्यक्ष महोदया, 15 साल से हम लोगों ने लगातार आपको कुल्हाड़ी लेते हुए देखा है, मध्यप्रदेश को काटते देखा है, मध्यप्रदेश के आम आदमी के खून को चूसते देखा है, पूरे 15 साल से हम लोग देख रहे हैं. (मेजों की थपथपाहट) मैं हमारे माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूँ कि उन्होंने ऐसी व्यवस्थाओं के बाद भी, मध्यप्रदेश पर जब कर्जा है उसके बावजूद भी, ऐसे ऐतिहासिक निर्णय लिए. हम सब मध्यप्रदेश का एक एक व्यक्ति, एक एक आम आदमी, माननीय मंत्री जी के साथ और माननीय मुख्यमंत्री जी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा हुआ है. (मेजों की थपथपाहट)
उपाध्यक्ष महोदया, अब मैं विषय पर आता हूँ. मैं बहुत ही विनम्रता पूर्वक माननीय मंत्री महोदय से एक दो निवेदन करना चाहता हूँ. चूँकि मध्यप्रदेश में हम लोग टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए लगातार कई काम कर रहे हैं. मैं अर्बन कांस्टिट्यूएंसी से आता हूँ ग्वालियर साउथ से, वहाँ पर एक जगह पड़ती है महाराज बाड़ा स्मार्ट सिटी के नाम पर पिछले 5 वर्षों से जो खोखली योजना है, जिसको टांग दिया है ऊपर बिल्कुल जुमेरे पर और उसको दिखा दिखा कर पूरे देश को लूट लिया, पिछले 5 साल में, लाखों करोड़ की योजना, पर एक भी स्मार्ट सिटी पिछले 5 साल में हम लोग नहीं बना पाए. इसको कोई नहीं बोलेगा. इसको कोई नहीं सुनेगा. मैं माननीय मंत्री जी से यह अनुरोध करना चाहता हूँ कि जो जो टूरिज्म के मुख्य स्थल हैं वहाँ पर आहाते जैसी चीजों को न खोला जाए, जो पिछली सरकार ने खोल दिए. जब जब वहाँ टूरिस्ट आता है, तो रात में एक बार अँग्रेजी वाले का थोड़ा बीयर बार हो तो समझ में आता है, पर जब देशी का आहाता होता है तो स्थिति बहुत गंभीर हो जाती है. मेरा आप से अनुरोध है कि अगर ऐसी कोई जगह है जहाँ पर विदेशों से टूरिस्ट आता है, विदेशी आते हैं, तो यहाँ आहातों पर और यह बीयर बार पर थोड़ा सा यदि आप अपनी पॉलिसी में कुछ संशोधन करेंगे तो बड़ी कृपा होगी.
उपाध्यक्ष महोदया-- प्रवीण जी, कृपया जल्दी समाप्त करें.
श्री शैलेन्द्र जैन-- विदेशियों की चिन्ता हो रही और देशवासियों के साथ, प्रदेशवासियों के साथ, ..(व्यवधान)..
श्री प्रवीण पाठक-- आप तो चाहते ही हैं कि पूरा मध्यप्रदेश ऐसा ही सोता रहे.
श्री शैलेन्द्र जैन-- मैं चाहता हूँ कि पूरे आहाते बन्द होने चाहिए. ..(व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदया-- प्रवीण जी, आप अपनी बात दो मिनिट में खत्म करें.
श्री प्रवीण पाठक-- उपाध्यक्ष महोदया, मैं परसों सुन रहा था माननीय गृह मंत्री जी को उन्होंने आँकड़े दिए कि जो अभी 7 महीने से हमारी सरकार बनी है...
डॉ.मोहन यादव-- (XXX)
उपाध्यक्ष महोदया-- यादव जी, कृपया बैठ जाइये.
श्री प्रवीण पाठक-- हमने गुजरात की भी शराबबंदी देखी है जो 15 साल से आप लोग पूरी शराब मध्यप्रदेश से भेज रहे गुजरात में.
उपाध्यक्ष महोदया-- प्रवीण जी, आपस में बातें न करें. आपको एक ही बात को बार बार बोलना पड़ रहा है.
डॉ.मोहन यादव-- (XXX)
श्री प्रवीण पाठक-- उपाध्यक्ष महोदया, मैं तो इनकी नीतियों के बारे में आपको बता रहा हूँ. गुजरात में शराब बंद करवा कर यहाँ से ब्लेक में शराब मध्यप्रदेश से पूरे 15 साल भिजवाते रहे गुजरात में, ऐसी पॉलिसी, ऐसा आडंबर, हमारा मध्यप्रदेश में नहीं होता. (मेजों की थपथपाहट)
डॉ.मोहन यादव-- (XXX)
उपाध्यक्ष महोदया-- यादव जी, कृपया बैठ जाएँ. यादव जी की बात नोट नहीं होगी.
श्री प्रवीण पाठक-- आपकी सरकार किस लिए बनी, युवाओं को पकौड़े बिकवाने के लिए? ..(व्यवधान)..क्या दिया आपने पिछले 5 साल में? ..(व्यवधान)..
डॉ.मोहन यादव-- (XXX) ..(व्यवधान)..
श्री हरिशंकर खटीक-- उपाध्यक्ष महोदया, अभी साढ़े छः बजे तक कर्नाटक की सरकार जाने वाली है.
उपाध्यक्ष महोदया-- खटीक जी, आप बैठ जाएँ. आप मध्यप्रदेश की बात करें. प्रवीण जी, आप अपनी बात जारी रखें.
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह-- उपाध्यक्ष महोदया, बीजेपी के शासन में घर घर शराब भिजवाई गई. बीजेपी के शासन में महिलाएँ तक परेशान रही हैं, पतियों के कारण, क्योंकि इन लोगों ने नुक्कड़ों पर शराब बिकवाई. (मेजों की थपथपाहट)
उपाध्यक्ष महोदया-- राम बाई कृपया बैठ जाइये. प्रवीण जी, आप अपनी बात जारी रखें. एक मिनिट में खत्म करिए आपको काफी समय हो गया.
श्री प्रवीण पाठक-- उपाध्यक्ष महोदया, 15 साल का घड़ा एक मिनिट में कैसे खत्म हो सकता है. आप मुझे बताइये. ये पूरा पाप का घड़ा है तो हमारे सिर पर ही बार बार फोड़ा जा रहा है. सच बोलते हैं तो बोलते हैं कि बोलता है. कैसे चलेगा? कैसी ऐतिहासिक सरकार थी पिछले 15 साल में. बेरोजगारी में हम नंबर एक पर, किसान आत्महत्या में हम नंबर एक पर, डॉक्टर बनाने में हम पूरे विश्व में नंबर एक पर, इतनी महान सरकार को मैं प्रणाम करता हूँ. धन्यवाद.
श्री अजय विश्नोई-- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, एक सत्र सिर्फ इसी के लिए बुला लिया जाए कि दोनों पक्षों की तरफ से 15 साल की चर्चा हो जाए.
श्री प्रवीण पाठक-- बिल्कुल बुला लेना चाहिए. आप साथ दीजिए हम तो चाहते हैं आमंत्रित करना...(व्यवधान)..
श्री अजय विश्नोई-- हम तो चुनौती दे रहे हैं आइये...(व्यवधान)..
श्री इंदर सिंह परमार-- रोड नहीं थे, रोड में गड्डे ही गड्डे थे, बिजली नहीं थी, 15 साल के पहले का मध्यप्रदेश कैसा था..(व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदया-- प्रवीण जी बैठ जाइये...(व्यवधान)..संजय जी की कोई बात नोट नहीं होगी. तिवारी जी, आप अपनी बात कहें.
श्री संजय यादव—(XXX)
........... (व्यवधान)..............
श्री संजय यादव--(XXX)
उपाध्यक्ष महोदया--यह कोई बात नोट नहीं होगी. तिवारी जी आप अपनी बात शुरु करिए. कृपया आप लोग आपस में बात न करें.
श्री शरदेन्दु तिवारी (चुरहट)--माननीय उपाध्यक्ष महोदया, वित्त मंत्री जी ने जिस दिन से बजट प्रस्तुत किया है. विनियोग विधेयक, वित्त विधेयक दोनों आए हैं उसी दिन से यह सरकार अनुदान मांग पर सदन की सहमति चाह रही है. कटौती प्रस्ताव आए हैं. इस सरकार ने जो सहमति चाही है उस पर सदन विचार कर रहा है कि पैसा कहां से आएगा, कितना आएगा, कैसे आएगा. इस पर अभी मेरे पूर्ववर्ती आदरणीय अजय जी ने, आदरणीय शैलेन्द्र जी ने यह कहा कि जिस पैसे के आने की बात हम कर रहे हैं, ओव्हर इनफ्लेटेड बजट है. अनुमान हमारे बहुत ज्यादा हैं. किसी भी घर को यदि चलाना है उसका अनुमान भी लगाएं तो वह वास्तविकता के धरातल पर होना चाहिए. चिन्ता स्वाभाविक है जब हमने इस कांग्रेस सरकार को मध्यप्रदेश सौंपा उस समय 3.2 प्रतिशत का जीडीपी राजकोषीय घाटा था. बजट अनुमान में 3.4 प्रतिशत का राजकोषीय घाटा है. माननीय मंत्री जी ने अपने भाषण में यह स्वीकार किया है कि पिछली सरकार ने 137 करोड़ रुपए का...
श्री कुणाल चौधरी-- (XXX)
उपाध्यक्ष महोदया--कुणाल जी कृपया बैठ जाएं.
श्री शरदेन्दु तिवारी--कुणाल भाई, आपके ही वित्त मंत्री ने यह कहा है कि 137 करोड़ रुपए...
उपाध्यक्ष महोदया--कुणाल जी यह कोई तरीका नहीं होता है बात करने का, कुणाल जी प्लीज आप बैठ जाइए. यह कोई भी बात नोट नहीं होगी जो बिना अनुमति के बोलेगा उसकी बात नोट नहीं होगी.
श्री कुणाल चौधरी-- (XXX)
उपाध्यक्ष महोदया--आपकी बात नोट नहीं हो रही है.
श्री प्रवीण पाठक-- (XXX)
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह --(XXX)
उपाध्यक्ष महोदया--रामबाई कृपया बैठ जाएं. पाठक जी बैठ जाएं. (व्यवधान)
श्री इन्दर सिंह परमार-- (XXX)
श्री कुणाल चौधरी-- (XXX)
उपाध्यक्ष महोदया--कुणाल जी मेरा आपसे निवेदन है कि बैठ जाएं. (व्यवधान)
श्री मुरली मोरवाल--(XXX)
उपाध्यक्ष महोदया--आप लोगों को किसी की अनुमति की जरुरत नहीं है तो आप लोग आपस में ही बात करिए. यह कौन-सा तरीका होता है. क्या सीखेंगे आपसे सारे लोग. नए सदस्य बोल रहे हैं आप उनको चर्चा नहीं करने दे रहे हैं, आप खुद भी पहली बार के सदस्य हैं. कृपया शांति बनाकर रखिए इसके बाद एक और विभाग की चर्चा आनी है. कृपया सहयोग करें.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--(XXX)
श्री शरदेन्दु तिवारी--उपाध्यक्ष महोदया, मैं उनका दर्द समझ सकता हूँ वित्त मंत्री जी ने अपने बजट भाषण में यह कहा है कि 137 करोड़ का राजस्व आधिक्य पिछली सरकार ने इस सरकार को सौंपा है. वह भी तब जब फरवरी और मार्च में राजस्व का कलेक्शन 10 प्रतिशत के आसपास कम हुआ है. यह आंकड़े आपके ही दिए हुए हैं. हम सरप्लस राजस्व दे रहे हैं. मैं सदन में जब से बैठा हूँ बार-बार यह सुन रहा हूँ कि पिछले 15 वर्ष में सरकार ने खाली खजाना छोड़ा है. मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि 137 करोड़ रुपए हम ज्यादा देकर जा रहे हैं उसके बाद भी आप कह रहे हैं कि सरकारी खजाना खाली छोड़ा है.
उपाध्यक्ष महदोय, मुझे वह दिन याद आता है जब मैं रीवा स्टेट इंजीनियरिंग कॉलेज से इंजीनियरिंग कर रहा था. उस समय रीवा में दो गुट शराब के ठेकों के लिए बहुत लड़ा करते थे बांदा ग्रुप और बारा ग्रुप. बंदूकें ले-लेकर इनके लोग चलते थे. उस समय सरकार दिग्विजय सिंह जी की थी. वर्ष 2003 में आबकारी नीति में बदलाव हुआ. ऑक्शन हुआ, नए-नए ठेकेदार आए. लॉटरी से शराब मिलने लगी. मुझे नए आदमी के नाते यह लगा कि पहले बहुत ज्यादा राजस्व आता रहा होगा जब दिग्विदय सिंह जी सरकार में थे और अब इन्होंने फुटकर विक्रेता खोल दिए हैं तो हो सकता है राजस्व कम आए. लेकिन जब मैंने बजट देखा वर्ष 2003 में 864 करोड़ रुपए एकत्रित हुए थे. उसके बाद की सरकार में 968 करोड़ रुपए एकत्रित हुए थे. जो आज बढ़कर 9000 करोड़ रुपए से ज्यादा राजस्व की आय आबकारी विभाग से हो रही है. सरकार ने लोकसभा चुनाव का बहाना करके इसमें बदलाव किया है 20 प्रतिशत बढ़ाया है. 20 प्रतिशत बढ़ने के पहले जो नई आबकारी नीति लाई गई उसमें जो ठेकेदार हैं उनको दूरस्थ स्थानों पर भी दुकान खोलने की अनुमति दे दी गई है. वे और दुकानें खोल सकते हैं. जब वे और दुकानें खोल सकते हैं तो क्या यह सरकार घर-घर तक होम डिलेवरी के रुप में हमारे प्रदेश की जनता को शराब देना चाहती है. क्या हम युवाओं के भविष्य की चिन्ता नहीं कर रहे हैं. क्या हमको समाज की चिन्ता नहीं है. मुझे याद आता है सुभाष चन्द्र बोस जी ने कांग्रेस के एक सम्मेलन में कहा था जिसमें वे समिति के सदस्य थे कि अर्थ की व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए जिसमें सामाजिक सरोकारों का ध्यान रखा जाए. अर्थ की व्यवस्था हम करना चाह रहे हैं. 1234 करोड़ रुपए हमने ज्यादा लिए हैं लेकिन क्या हम पूरे प्रदेश को शराबी बना देना चाहते हैं. अफीम के लिए इस अनुदान में पैसे मांगे गए हैं. राजस्व व्यय मांगा गया है. बड़ी तकलीफ के साथ मुझे यह कहना पड़ रहा है, मेरी सदन से अपेक्षा है कि शराब को नियंत्रित किया जाए. आहातों के लिए प्रवीण जी चिन्ता कर रहे थे. विदेशी लोगों के लिए चिन्ता कर रहे थे, वास्तव में हमारे देश के युवाओं को भी इन आहातों से बचाने की जरुरत है.
उपाध्यक्ष महोदया, बड़ी-बड़ी बातें हो रही थीं कि 20 प्रतिशत पंजीयन शुल्क घटाया गया है. हालांकि बजट में बताया गया है कि पंजीयन से भी टर्न ओव्हर बढ़ाकर हम 23 प्रतिशत ज्यादा आय प्राप्त कर लेंगे. वित्त मंत्री जी ने एक बात बड़े जोरशोर से कही थी कि लैंड पूलिंग पॉलिसी लाएंगे. दिल्ली डेव्लपमेंट अथारिटी ने लैंड पूलिंग पॉलिसी की बात कही है पर दिल्ली सरकार ने उसको स्वीकार नहीं किया है. दिल्ली डेव्लपमेंट अथारिटी 6 वर्ष पहले से लगातार इसके प्रयास में हैं कि लैंड पूलिंग पॉलिसी आए. वे इसलिए नहीं ला रहे हैं क्योंकि इससे भू-माफिया के बढ़ने का खतरा है. जब भारतीय जनता पार्टी की शिवराज सिंह जी की सरकार आई तो पंजीयन के लिए दरें तय कर दी गईं, कम्प्यूटराइज्ड हो गया और पहले जो भू-माफिया एग्रीमेंट कराकर जमीनों की खरीद-फरोख्त करते थे वह बंद हो गया. अब लैंड पूलिंग पॉलिसी के माध्यम से हम निवेश के स्थान पर जमीन किसान से लेंगे उसको पार्टनरशिप देंगे और आधी जमीन हम उसको कहीं और दे देंगे. क्या इससे भू-माफिया में बढ़ोतरी नहीं होगी. क्या हम फिर से भू-माफिया राज मध्यप्रदेश में लाना चाहते हैं.
उपाध्यक्ष महोदया, मुझे चिन्ता इस बात की भी है कि जब अक्टूबर, 2018 में पेट्रोल और डीजल के दाम कम कर दिए गए थे. 22 प्रतिशत से 4 प्रतिशत डीजल का रेट कर दिया गया था जैसा अभी आदरणीय अजय जी बोल रहे थे हमने अचानक उसको बढ़ा दिया है. इससे गरीब पर बहुत भार पड़ने वाला है. नमक, तेल, सब्जी, दैनिक उपयोग की चीजें यह सब बहुत महंगी हो जाएंगी. मैं सदन से यह अपेक्षा करुंगा कि यह बजट गरीबोन्मुखी रहे. मैं मांग संख्या-7 का विरोध करता हूँ और कटौती प्रस्ताव का समर्थन करता हूँ. धन्यवाद.
श्री विनय सक्सेना (जबलपुर उत्तर)-- उपाध्यक्ष महोदया, मैं मांग संख्या 7 वाणिज्यिक कर का समर्थन करता हूं और समर्थन के साथ यह भी कहना चाहता हूं कि माननीय मुख्यमंत्री जी के द्वारा प्रदेश में हमारी जो सरकार है उन्होंने प्रदेश के विकास में नित नये आयाम तय करने का काम किया है और जो गरीबों की चिंता हमारे लोग कर रहे हैं यह चिंता इनकी नहीं है पूरे मध्यप्रदेश की है. हम जब यहां भाषण देते हैं मैं देख रहा था यहां कोई 15 साल की बात करता है, कोई 60 साल की बात करता है मेरी समझ में नहीं आता है हम पांच साल के लिए चुनकर आए हैं. 60 साल के लिए रोने से इनका भला नहीं होने वाला और 15 साल का रोना रोने से हमारा भला नहीं होने वाला. इस प्रदेश की जनता यह पूछेगी कि इन पांच सालों में तुम लोग क्या करके आए हो, यह बताओ. अगला वोट आप जब घर पर मांगने जाओगे तो प्रदेश की जनता पूछेगी आपने क्या किया यह बताओ. मैं देखता हूं यहां पर सीनियर जो हमारे पूर्व मंत्री रहे हैं जो प्रदेश के मुखिया रहे हैं वह भी यहां पर पुराना रोना रोते हैं और जब आपकी देखा देखी हम लोग यह बात करते हैं तो यहां वहां आदान-प्रदान चालू हो जाता है. उपाध्यक्ष जी कहती हैं आप हमारे तरफ तो देखो आप लोग तो एम्पायर को ही छोड़कर बैठ गए. मैं यह भी कहना चाहता हूं जिस किसान के घर का छप्पर टपकता रहता है, पानी चूता रहता है वह भी बारिश की उम्मीद करता है, भगवान से प्रार्थना करता है कि बारिश अच्छी होनी चाहिए. कभी सुना है कि किसान यह रोना रो रहा है कि बारिश न हो क्योंकि मेरे घर की छत चू रही है, लेकिन मैं पहली बार यह देख रहा हूं वास्तविक स्थिति सबको पता है. विपक्ष को भी पता है, सत्ता पक्ष को भी पता है. हमारे पूर्व वित्तमंत्री जी आखिर में कहकर गए कि हमने तो कुछ छोड़ा ही नहीं है. वित्त आयोग के भी सदस्य आए उन्होंने साफ-साफ कहा कि एक लाख 52 हजार करोड़ का जो लोन था अगर इस वर्ष और बढ़ेगा तो हो सकता है कि 180 पर पहुंच जाए. क्या हमारी चिंता कभी यह नहीं होना चाहिए कि विपक्ष और सत्ता के लोग बैठकर यह तय करें कि वास्तविक रूप से पुरानी सरकारों की अगर गलतियां रहीं हैं तो वह सत्ता से बाहर हो गए, उससे पुरानी सरकारों की गलतियां रहीं इसलिए वह सत्ता से बाहर हो गई. कभी हम औपचारिक रूप से न सही, अनौपचारिक रूप से बैठकर देख लें. वहां के वरिष्ठ सदस्य हमको सलाह दे दें, यहां के लोग आपसे सलाह ले लें और हम अपना स्वर्णिम मध्यप्रदेश बनाएं वह गाने वाला स्वर्णिम मध्यप्रदेश नहीं होना चाहिए. पिछली सरकार में एक गाना चलता था हमारा प्रदेश अजब है, गजब है. उसके दो अर्थ निकलते हैं. निकलते थे या नहीं? गजब है तो लगता था कि अजब है. मतलब जो कहा जाता वह सब अजब ही है, होना कुछ नहीं है. उस गाने के द्विअर्थी शब्द थे. जो सपने दिखाने वाली सरकार होती है एक सरकार होती है जो नींद में सपने देखती है.एक सरकार होती है जिसको नींद नहीं आती है बिना सपने पूरे किए हुए. मैं कहना चाहता हूं पिछली सरकारें जो भी रही हों जो सपने प्रदेश को दिखा रहीं थी और जनता सपने देख-देख के समय काट रही थी लेकिन मुझे उम्मीद है कि यह सरकार विपक्ष को साथ लेकर सपने नहीं देखेगी बल्कि उसे नींद नहीं आएगी जब तक हम इस प्रदेश की जनता के सपने पूरे न कर लें. मैं चाहता हूं हमारी यह उम्मीद होनी चाहिए. बहुत सारे वरिष्ठ जब वहां से कहते हैं आज हरिशंकर भैय्या को बड़ा आनंद आ रहा था कह रहे थे कि छेड़ छाड़ मत करो. मैं मजाक में कह रहा हूं अन्यथा मत लेना वे मेरे पड़ोसी हैं हमारे और हमारे आदरणीय लखन भैय्या के बड़े भाई हैं. क्या हरिशंकर भैय्या को कोई छेड़ सकता है आप देखकर बताइए. मगर सदन में आनंद लिया जाता है. आप नाराज मत होना खटीक भईया.
श्री हरिशंकर खटीक-- मैं बिलकुल नाराज नहीं हूं. वहां जबलपुर में पूछेंगे किसने छेड़ा. अंदर की बात है. जबलपुर संस्कारधानी शहर भी हमारे पास है और हमेशा से हमारे पास है.
श्री विनय सक्सेना-- मैं तो यह जानता हूं कि सदन में बहुत सारी सुरक्षा व्यवस्था है. किसी की हिम्मत नहीं है और यदि हमको ही कोई छेड़ने लगा तो प्रदेश की जनता का क्या हाल होगा. हमारे गृह मंत्री जी बैठे हुए हैं. उन्हें मालूम है कि कोई किसी को छेड़ नहीं सकता है और विधायक तो वैसे भी इतने मजबूत होते हैं कि उनसे लोगों को डर लगता है कि इनसे कोई पंगा न हो जाए. हमारी सरकार माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की दिशा में प्रदेश अग्रसर है और मैं यह भी कहना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश शासन को प्राप्त होने वाले सकल राजस्व में जी.एस.टी. पेट्रोल, डीजल ए.टी.एफ, पेट्रोलियम क्रूड और मदिरा के संबंध में केन्द्रीय कर विक्रय अधिनियम प्रशासित है. वित्तीय वर्ष 2018 में हमने 29 हजार 426 करोड़ रुपए का राजस्व संग्रहित किया था. इस वर्ष 2018-2019 में 33 हजार 476 का राजस्व प्राप्त है जो पूर्व वर्ष से 14 प्रतिशत अधिक है. अजय विश्नोई जी कह रहे थे वह मेरे से बहुत वरिष्ठ हैं. मैं उनका बहुत सम्मान करता हूं उन्होंने कहा कैसे प्राप्त कर लोगे. कैसे यह लक्ष्य प्राप्त होगा? अंतर 15 से 20 प्रतिशत का हो रहा है. मैं इस प्रदेश से कहना चाहता हूं कि अगर टैक्स की चोरी रोक ली जाए राजनैतिक दखलअंदाजी बंद हो जाए, क्या 20 प्रतिशत से ज्यादा की कर चोरी प्रदेश में की नहीं होती है. जबलपुर शहर में छत्तीसगढ़ से आने वाले ट्रकों की बिलिंग नहीं होती है. राजनीतिक लोगों के दबाव में अगर 100 ट्रक आते थे तो 40 से 50 ट्रक बिना बिल के आते थे. पिछले दिनों लोहे के एक-एक दिन में दस-दस, पंद्रह-पंद्रह ट्रक पकडे़ गए. जितनी वैध शराब बिकती है उतनी अवैध शराब बिकती है. कमल जी मैं कह रहा हूं दो गुना ज्यादा हो रही है और फिर मैं कहूंगा कब की तो फिर आप कहोगे कि पंद्रह साल की बात कह रहे हो. मेरा कहना है कि हमको यह आदतें सुधरना पड़ेंगी. मैं तो कह रहा हूं कमल जी चिंता की बात आप कह रहे हो अभी तो बहुत सारे मंत्री बहुत सारे विधायक बैठकर बात कर रहे थे और पता है क्या बोल रहे थे.
अध्यक्षीय व्यवस्था
उपाध्यक्ष महोदया-- माननीय सदस्यों के लिए सदन की लॉबी में चाय की व्यवस्था की गई है अनुरोध है कि सुविधानुसार चाय ग्रहण करने का कष्ट करें.
06:16 बजे वर्ष 2019-2020 की अनुदान की मांगों पर मतदान (क्रमश:)
श्री विनय सक्सेना-- उपाध्यक्ष महोदया, मैं कहना चाहता हूं कि आदरणीय अजय जी कह रहे थे कि कल्पना के घोड़े दौड़ाए जा रहे हैं. मैं कहना चाहता हूं कि कल्पना के घोड़े नहीं दौड़ रहे हैं बल्कि जो घोड़े दौड़ नहीं रहे थे उनको हमको दौड़ाना चाहिए. जो अधिकारी राजनीतिक दवाब में, डर के कारण कमरों से निकलते नहीं थे कि कहीं राजनैतिक दल से पिटाई न हो जाए क्योंकि पट्टे डालकर, गमछा डालकर कहीं पीटने वालों की टीम आ गई. जबलपुर शहर में कई घटनाएं ऐसी हुई हैं कि अगर ट्रक पकड़ा गया है तो गुण्डें लठ्ठ ले-ले कर पहुंच गए हैं. वह ट्रक छुड़वा लिया गया. मैं कहना चाहता हूं कि अधिकारियों में वह डर का माहौल कमलनाथ जी के नेतृत्व में खत्म होगा, अधिकारियों का मनोबल बढ़ेगा और अगर अधिकारियों ने चोरी रोक दी तो 20 प्रतिशत नहीं उससे ज्यादा प्रतिशत की रोक ली तो हमारा जो वाणिज्यिक विभाग है जिसके आंकडे़ आप सब लोग फेल करने की बात कर रहे हो मैं तो चाहता हूं कि विपक्ष भी शुभकामनाएं प्रेषित करे. घर का भी बजट फेल हो जाता है. हर व्यक्ति अपने बारे में अच्छा-अच्छा सोचता है.
उपाध्यक्ष महोदया-- कृपया समाप्त करें.
श्री विनय सक्सेना-- महोदया, मैं देख रहा था जब विवाद हो रहा था तब बहुत समय मिलता है. जब विवाद न हो किसी की टोका-टाकी न हो. आप क्या चाहती हैं कि मैं भी विपक्ष को पंद्रह-पंद्रह साल बोलूं. उनको एक एक मिनट करके ज्यादा समय मिल जाता है.
उपाध्यक्ष महोदया-- आप सीधी-सीधी बात कीजिए. वह सब रिकार्ड में नहीं आता है
श्री विनय सक्सेना-- रिकार्ड में आए न आए सदन का समय तो जाया गया. 20 लाख रुपए खर्च होते हैं एक दिन की विधान सभा की बैठक में. कम से कम कुछ सही बात हो उसको तो मौका मिलना चाहिए. मैं आपका संरक्षण चाहता हूं. मैं आदरणीय अजय जी की और शैलेन्द्र जी की बात भी सुन रहा था. वह कर रहे थे कि पेट्रोल डीजल की कीमतें बढ़ा दीं. केन्द्र ने बढ़ाई तो प्रदेश ने भी बढ़ा दीं. मैं आपको वह दिन याद दिलाना चाहता हूं कि केन्द्र सरकार ने कहा था कि अंतर्राष्ट्रीय कीमतों के चलते अब सरकार पेट्रोल डीजल की दरें नहीं बढ़ाएगी. कौन बढ़ाएगा ऑईल कंपनियां बढ़ाएंगी. इस पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं है. यह सबको याद होगा मैं यह भी याद दिलाना चाहता हूं प्रधानमंत्री जी का वक्तव्य जब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर क्रूड आईल की कीमतें कम हो रही हों उन्होंने कहा था कि यह जो दरें बढ़ रही हैं इसकी चिंता न करें जब अंतर्राष्ट्रीय क्रूड ऑईल की दरें बढ़ेंगी तो हम इसका फायदा आम नागरिक को देंगे. आज तक कभी मिला. अगर अंतर्राष्ट्रीय कीमतों के हिसाब से ऑईल कंपनियों को ही दरें तय करनी थीं तो फिर सरकारें क्यों तय कर रही हैं. अगर केन्द्र सरकार कहती हम एक निश्चित काम के लिए जैसा अजय जी ने कहा तो यह बताइए जितनी भी राशि खर्च होती है वह एक निश्चित काम के लिए तो होती है. ऐसा तो नहीं है कि प्रचार-प्रसार के लिए राशि खर्च की जाती है. यह बात और है कि कई सरकारों ने अपना पहला लक्ष्य प्रचार-प्रसार को बना लिया था और जिसके चलते जनता पर कम पैसा खर्च होता था. विभिन्न विभाग और परिषदें बना दी जाती हैं और उनमें पैसा ट्रांसफर करके अपना प्रचार-प्रसार और अपनी पार्टी के लिए काम किया जाता है. इसमें भी माननीय कमलनाथ जी ने कटौती की है. मैं जैन जी की उस बात के लिए कहना चाहता हूं, उन्होंने कहा कि हमने 20 प्रतिशत की जो कमी की है, जनता को उसका फायदा नहीं मिल रहा है. मैं पूछना चाहता हूं कि जनता को फायदा कैसे नहीं मिल रहा है ?
श्री भारत सिंह कुशवाह- माननीय सदस्य, कृपया विषय पर ही बोलें. इधर-उधर न बोलें.
श्री आशीष गोविंद शर्मा- विनय भइया, यहां बहुत सारे विषयों पर चर्चा हुई है.
श्री विनय सक्सेना- आदरणीय भारत जी, मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि यह 20 प्रतिशत वाला विषय किसने उठाया था ? अभी हमारे जैन भाई ने 20 प्रतिशत का विषय उठाया था, यह विषय हमारे वाणिज्यिक कर का नहीं है तो बता दीजिये, आप कह दीजिये, मैं अपनी गलती स्वीकार कर लूंगा.
उपाध्यक्ष महोदया- विनय जी, आप कृपया उनकी बातों का जवाब न दें और अपनी बात कहें.
श्री विनय सक्सेना- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं जानना चाहता हूं कि मैंने ऐसा क्या कह दिया ? मैं सदन के उन सदस्यों में से हूं, जब विपक्ष के लोग बोलते हैं तो मैं कुछ नहीं बोलता हूं. मुझे टोका-टाकी पसंद नहीं है लेकिन जो टोका-टाकी करते हैं, भविष्य में उनका ध्यान भी रखता हूं. यह भी सभी याद रखें.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मेरा आग्रह है कि पुरानी सरकारों की गलतियों को भूलें. 20 प्रतिशत की जो कटौती की गई है इससे मध्यप्रदेश में रियल स्टेट के काम में बढ़ोत्तरी होगी.सरकार द्वारा महिलाओं को जो फायदा दिया गया है इसके लिए मैं अजय विश्नोई जी को धन्यवाद देना चाहूंगा कि कम से कम वे जज़्बा दिखाते हैं और सरकार जो अच्छा काम करती है उसे धन्यवाद भी देते हैं. इसलिए अजय विश्नोई जी को शुभकामनायें देना चाहूंगा कि वे सच को स्वीकार कर लेते हैं. मैं कहना चाहता हूं कि आदरणीय बृजेन्द्र सिंह राठौर जी के नेतृत्व में यह विभाग बहुत अच्छा काम करेगा और यदि लक्ष्य की चिंता न करके हम सभी, पक्ष और विपक्ष के लोग इन लक्ष्यों की पूर्ति के लिए राजनैतिक दखलंदाजी यदि बंद कर दें तो सिर्फ चोरी को रोकने के माध्यम से ही हमारी 20-25 प्रतिशत आय बढ़ेगी और हमारा प्रदेश खुशहाली की ओर, माननीय कमलनाथ जी और श्री बृजेन्द्र जी के नेतृत्व में आगे बढ़ेगा. माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं आपको और विपक्ष के लोगों को भी धन्यवाद देना चाहता हूं कि मेरी बात के बीच में वहां के बस 1-2 लोगों ने ही टोका-टिप्पणी की और मैं सभी को धन्यवाद देना चाहता हूं, नमस्कार.
श्री के.पी. त्रिपाठी- (अनुपस्थित)
श्री बीरेन्द्र रघुवंशी (कोलारस)- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं मांग संख्या 7 के विरोध में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं. मुझसे पहले बहुत से विषय मेरे वरिष्ठजनों ने रख दिए हैं. आपके माध्यम से हमें केवल 2-3 मिनट का समय मिलता है. मैं समाज और प्रदेश के युवाओं की चिंता करते हुए कुछ सुझाव देने पर अधिक जोर दूंगा. टीका-टिप्पणी, 15 साल, 60 साल, 7 माह इन चर्चाओं से न तो सदन की गरिमा बढ़ रही है और न ही सदन से बाहर निकलने के बाद प्रदेश के लोग इसके लिए हमें शाबाशी देने वाले हैं. मेरा संपूर्ण सदन से निवेदन है कि मैं आबकारी पर मंत्री जी का ध्यान दिलाना चाहता हूं कि जिस तरह से हर बार सरकारें आबकारी पर टैक्स बढ़ाकर समाज और युवाओं को नशा करने के लिए मजबूर कर रही हैं. हमारे अबोध 15-16 साल के नाबालिग युवा नशे की गिरफ्त में लगातार जाते जा रहे हैं. पूरे समाज में यह चिंता का विषय है और मैं सदन से यह निवेदन करूंगा कि केवल और केवल पैसे से जीवन नहीं चल सकता. हम उन्हें संस्कार दें और यदि हम अपनी युवा पीढ़ी को संभाल के रखेंगे तो निश्चित रूप से इस देश का भला होगा. हमारी युवा आगे बढ़ेगी और जो विकास करके हम उन्हें दे जायेंगे, यदि हमारी युवा पीढ़ी नशे की आदि है तो हमारी वह कमाई, हमारी मेहनत, इस सदन द्वारा विकास की 2 लाख 33 हजार करोड़ की जो योजनायें हैं, जिन्हें हम मिलकर पूरा करने वाले हैं, उनका उपभोग करने वाला भी कोई नहीं मिलेगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं पूरे सदन से निवेदन करना चाहता हूं कि इस विषय पर मैंने माननीय सदस्यों, मंत्री जी, मुख्यमंत्री जी और मध्यप्रदेश की जनता-जनार्दन से भी आग्रह किया है. मेरे कुछ विधायक साथी यहां बैठे हैं. मैंने अपने पत्र के माध्यम से भी सभी से आग्रह किया है कि आप अनेक विभागों में टैक्स बढ़ाइए लेकिन मेहरबानी करके हमारे समाज की चिंता करें और आबकारी विभाग में नशाबंदी का कानून लेकर आयें. आज नहीं तो कल हमें प्रदेश और यहां की युवा पीढ़ी की चिंता करनी ही होगी. मैंने आप सभी को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि समाज के हित में, युवाओं के हित में नशा मुक्ति का कानून लाया जाये. माननीय शिवराज सिंह जी की जब सरकार थी. चुनाव के दौरान आप सबने भी देखा होगा और पढ़ा होगा कि उन्होंने खुले मंच से यह कहा था और नर्मदा मैया के आस-पास की शराब की दुकानों को बंद कराने के निर्देश भी दिये थे. यह भी वादा किया था कि जब हमारी सरकार बनेगी तो निश्चित रूप से हम नशाबंदी की ओर कदम बढ़ायेंगे. लेकिन जनता-जनार्दन में इस बात की जागरूगता, इस बात की जानकारी बढ़ाने की जरूरत है, हम सब पार्टी कार्यकर्ताओं को उन्होंने यह निर्देश दिये थे. मैं स्वयं भी नशा-मुक्ति, वृक्षा-रोपण और जल-संरक्षण का कार्य करता हूं. मैं सिर्फ एक ही विषय पर समाज और युवाओं की चिंता को लेकर आबकारी विभाग पर ही अपनी बात रखूंगा. मैं पूरे सदन को जगाना चाहता हूं कि आने वाली पीढि़यां आपको और हमको याद करेंगी, यदि आप नशाबंदी का कानून लेकर आयेंगे तो हमारा आने वाला भविष्य और आने वाले देश और प्रदेश का भविष्य निश्चित सुरक्षित रहेगा. गृह मंत्री और आबकारी मंत्री आप दोनों का यह विषय है कि मेरे विधान सभा में केवल 17 दुकानें मध्यप्रदेश सरकार की ओर से लायसेंस के रूप में चलती है. मैं सदन में बहुत जिम्मेदारी से कहना चाहता हूं कि पूरी विधान सभाओं में शायद यह हालात हों, लेकिन शिवपुरी जिले के मेरे कोलारस विधान सभा में कम से कम 500 जगह अवैध रूप से पुलिस- प्रशासन और आबकारी के लोग ठेकेदारों से मिलकर शराब का वितरण करा रहे हैं. इतनी जगह पर तो उपाध्यक्ष महोदय, दूध की डेयरी भी नहीं खुली, इतनी जगह पर तो आयुर्वेद की दुकानें भी नहीं खुलीं. हमारा आज का वर्तमान का जो वातावरण है, वह सब सोए हुए हैं. मैं सबको हाथ जोड़कर जगाना चाहता हूं कि नशा-मुक्ति कानून की ओर बढ़ें और अगर 9 हजार करोड़ का घाटा होगा तो 2 लाख, 33 हजार करोड़ की जगह 9 हजार करोड़ रूपये कम कर दीजिये. हम इस प्रदेश का एक साल में 2 लाख 24 हजार करोड़ से ही विकास करेंगे. मध्यप्रदेश में कोई भुख-मरी नहीं पड़ने वाली है. उपाध्यक्ष महोदय,मैं आपको धन्यवाद देता हूं कि आपने मुझे विषय रखने का मौका दिया. मैंने भविष्य की चिंता को करते हुए अपनी बात को रखा है. मैं इस निवेदन के साथ आश्वस्त होना चाहूंगा कि शायद मेरे सदन के सभी सदस्यगण इस पर चिंता करेंगे. यह हमारे भविष्य का सवाल है, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री सुनील सराफ(कोतमा):- उपाध्यक्ष महोदया, आदरणीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में व्यापार को आसान एवं सुविधाजनक बनाने के लिये कृत-संकल्पित है.
मैं बहुत देर से बोलना तो किसी और विषय पर चाह रहा था. परंतु आबकारी और अवैध शराब का विषय बहुत देर से चल रहा था. कुछ बातें मेरे दिमाग में आयी और मैं आप सब लोगों से भी निवेदन करता हूं कि कोई आरोप लगाने के लिये खड़ा नहीं हुआ हूं, बड़ी विनम्रतापूर्वक आप लोगों को कुछ बातें याद दिलाना चाहता हूं. आपकी सरकार ने अहाते बंद करने की बात कही थी. आप लोगों को अवैध शराब की बड़ी चिंता है, बड़ी चिंता कर रहे हैं, अवैध शराब को लेकर. आदरणीय रघुवंशी जी, कुछ ज्यादा ही चिंतित हैं. निश्चित रूप से हमें भी चिंता होनी चाहिये क्योंकि नशे की वजह से युवा पीढ़ी बर्बाद हो रही है पर इन तीन महीने में ही सारे चमत्कार की उम्मीद कर रहे हैं, आप लोग. मुझे बड़ा आश्चर्य हो रहा है, आपकी सरकार ने कहा था कि हम अहाते बंद कर देंगे. पूरे प्रदेश में 2600 अहाते हैं, जिसमें से 149 अहाते बंद करने का काम आपने किया था. 2600 में से 149 आप बहुत बधाई के पात्र हैं, और आपकी सरकार. (शेम-शेम की आवाज)
माननीय पूर्व मुख्यमंत्री जी ने नर्मदा यात्रा की और उन्होंने कहा कि नर्मदा मैया के आस-पास बौर अगल-बगल वाले गांवों में शराब पूर्णत: बंद रहेगी. शराब दुकान का संचालन वहां पर नहीं होगा. आप चलिये और देखिये कि नर्मदा मैया के अगल-बगल जो अवैध शराब की दुकानें चल रही हैं, वह कोई 3 और 6 महीने में नहीं बन गयी, वहां दसियों साल से नर्मदा मैया के किनारे अवैध शराब का कारोबार फल-फूल रहा है. हमारे पूर्व गृह मंत्री जी कल कह रहे थे कि इन्होंने बड़ी कार्यवाहियां की, हां आपने कार्यवाही की. आपने कैसे कार्यवाही की, उपाध्यक्ष महोदया,मैं अपने खुद की पीड़ा बताऊं मेरे विधान सभा क्षेत्र में पिछले 10-15 सालों से अधिकारियों की शराब माफिया के साथ मिलकर काम करने की जो एक आदत पड़ी है, इस 6 महीने में भी उनकी उस आदत को हम नहीं बदल पा रहे हैं. बहुत दबाव देने के बाद भी, मेरे खुद के विधान सभा क्षेत्र में, यहां हमारे प्रभारी मंत्री जी बैठे हैं, हम लोगों ने एसपी से बात की कि अवैध शराब पूरी तरह से बंद होनी चाहिये. शराब दुकान काऊंटर के अलावा कहीं से नहीं बिकना चाहिये.
श्री सुनील सराफ--उस पर कार्यवाही हुई जो बेचारे 2-4-10 पाव लेकर के गांव के लोग जो छोटा-मोटा काम कर रहे हैं उनको पकड़ कर खाना-पूर्ति कर ली गई. जो बड़े अवैध व्यापार चल रहे हैं उसमें हम चाह कर भी, क्योंकि पिछले 10-15 सालों से उनकी आदतें बिगड़ी हुई हैं हमें समय चाहिये हम दृढ़ संकल्पित हैं कि हम उसे बंद कर देंगे. लेकिन हुआ क्या यह आदत कैसे बुरी हुई, यहां तक आये कैसे, इस पर भी मेरा करबद्ध निवेदन है कि आप लोग भी जरा सोचें तथा देखें. माननीय जैन साहब कह रहे हैं कि थाने ठेके पर चल रहे हैं. थाने ठेके पर छः महीने से नहीं चल रहे हैं साहब, आदत पड़ गई है साहब. थानों की ठेके पर चलने की आदत पड़ गई है. अब कोई ठेकेदार नहीं मिल रहा है, क्योंकि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आ गई है तो भी अभी उनकी आदत ठीक से बदल नहीं पायी है. बदलने का काम हमारे मुख्यमंत्री जी तथा गृहमंत्री जी कर रहे हैं.
श्री वीरेन्द्र रघुवंशी--250 टी.आई. का ट्रांसफर आप लोगों ने किया, यह क्या है ?
श्री सुनील सराफ--उपाध्यक्ष महोदय, थानों के टी.आई. का स्थानांतरण इसलिये हुआ कि हर टी.आई. वहां के ऐसे भ्रष्टाचारियों से उसकी (XXX) थीं उनको यहां से वहां करना जरूरी था, नहीं तो हम लोग चाहकर के भी उनके ऊपर अंकुश नहीं लगा पा रहे थे इसलिये उस टी.आई. को दूसरी नयी जगह पर भेजना आवश्यक था. किसी भी सरकार के लिये यदि वह अच्छा काम करना चाहती है तो उसे ट्रांसफर करना पड़ेगा. आप लोगों को तकलीफ इस बात की है कि आपकी जिस टी.आई से (XXX) थी जो नया आया है उससे आपकी (XXX) बन नहीं पा रही है इसलिये आप लोग चिल्ला रहे हो.
उपाध्यक्ष महोदय--इस शब्द को विलोपित करें.
श्री सुनील सराफ--उपाध्यक्ष महोदय, आप व्यवस्था का थोड़ा साथ दो साहब. संदीप भईया आप मत खड़े हो पहली बार का विधायक हूं थोड़ा बोलने दो कोई गलत बात नहीं बोल रहा हूं. उज्जैन सिंहस्थ की अभी बात हो रही थी वहां पर बिना टिन नंबर वाली फर्मों को करोड़ो रूपये का कार्य दिया गया है इसके प्रमाण हैं. भारतीय जनता पार्टी के संरक्षण में हजारों फर्मे बिना नंबर वाली संचालित रहीं जिसका परिणाम यह रहा कि केन्द्र सरकार ने उसी आधार पर जी.एस.टी. राज्यांश का निर्धारण किया इस कारण से हमारे प्रदेश को जी.एस.टी की प्रतिपूर्ति भी कम प्राप्त हुई है. उस पर ध्यान देंगे तथा ऐसी फर्जी कम्पनियों को बंद कराने का तथा उसकी जांच कराकर दोषियों को सजा देने का भी काम करेंगे. मैं माननीय आबकारी, गृहमंत्री जी से यह प्रार्थना करना चाहूंगा कि जिस तरह से मेरे विधान सभा क्षेत्र में अवैध शराब के काम में माननीय गृहमंत्री तथा माननीय प्रभारी मंत्री जी ने रूचि ली है इसमें आबकारी मंत्री जी रूचि लेकर के थोड़ी मदद करेंगे तथा उनका विभाग भी मदद करेगा तो बहुत अच्छा होगा. आपने समय दिया धन्यवाद.
श्री तरबर सिंह (बण्डा)--उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 7 के समर्थन में खड़ा हुआ हूं. माननीय सुनील सराफ जी ने जो बात रखी उसी तरह से मैं अपनी विधान सभा क्षेत्र की बात रखना चाहता हूं. चाहे इसे मेरी मांग समझो या मेरा निवेदन समझो. बण्डा विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत जितनी भी शराब की दुकाने हैं तथा उनके ठेकेदार हैं. जो शराब की दुकानें हैं उनको वहीं से शराब बेचने की परमीशन है, लेकिन वास्तव में यह बात सही है कि अभी माननीय सुनील सराफ जी ने भी कहा और वहां से भी बोला गया था. लोग गांव गांव में अवैध शराब का व्यापार कर रहे हैं जैसे मोटर-सायकिलों से, कारों से, उससे ग्रामीण क्षेत्रों में अशांति का वातावरण फैला हुआ है. आज इसकी थाने में रिपोर्टें होती हैं यदि हम उनका जायजा लें तो उनमें से 50 प्रतिशत रिपोर्टें शराब पीकर लोगों को प्रताड़ित करते हैं, उन लोगों की रिपोर्टें थाने में आती हैं.
06:35 बजे {अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी) पीठासीन हुए}
श्री तरबर सिंह-- अध्यक्ष महोदय, ऐसी जो व्यवस्था बनी है और उस व्यवस्था में कहीं न कहीं पुलिस भी अनदेखी कर रही है. आज जो हमने आबकारी विभाग बनाकर बैठाया है, जिले में और तहसीलों में वह इसलिए बैठाया कि इस पर वह प्रतिबंध लगाए, लेकिन मुझे तो ऐसा लगता है कि वे मिलकर ठेकेदारों की मदद कर रहे हैं, जो भी आबकारी अधिकारी है वह मिलकर उन ठेकेदारों की मदद कर रहे हैं और उन्हें शराब बिकवाने में उनकी मदद कर रहे है, तो मेरा अध्यक्ष महोदय से निवेदन है कि इस पर प्रतिबंध लगाया जाए. मैं तो बिल्कुल शराब के विरोध में हूं, एक तरफ हमारी सरकार, सरकार कोई भी हो जो शासन का नियम है एक तरफ हम बीमार लोगों का इलाज भी करवाते हैं और एक तरफ हम शराब बिकवाने का काम भी करवाते हैं. इस चीज पर गौर किया जाए. मुझे बोलने का आपने मौका दिया आपका बहुत बहुत धन्यवाद.
वाणिज्यिक मंत्री (श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी बहुत सारे हमारे विद्वान सदस्य जो विधानसभा के हैं, माननीय अजय विश्नोई जी, आरिफ मसूद जी, शैलेन्द्र जैन जी, प्रवीण पाठक जी, शरदेन्दु तिवारी जी, बीरेन्द्र रघुवंशी जी, विनय सक्सेना जी, सुनील सराफ जी, तरबर सिंह जी बहुत अच्छे महत्वपूर्ण सुझाव आए हैं. मैं आपके माध्यम से यह कहना चाहता हूं कि आपके जो सुझाव आए हैं, निश्चित रूप से उन सुझावों पर सरकार की तरफ से चिन्ता रहेगी, और जो अच्छे सुझाव हैं हम भी उन सब सुझावों के साथ जुड़े हैं. माननीय अध्यक्ष जी, पूरा सदन जानता है, प्रदेश जानता है कि मध्यप्रदेश की जो वित्तीय स्थिति इन 15 वर्षों के बाद छोड़ी गई वह खजाना लगभग खाली छोड़ा गया और लगभग 2 लाख करोड़ रूपए के कर्जें के ऊपर छोड़ा गया. आज हमारी, आप सबकी चिन्ता का विषय है कि उस खजाने को पाटना भी है, प्रदेश के विकास को तीव्रगति से आगे भी ले जाना है और जो हमारा गरीब वर्ग प्रदेश के अंतिम छोर पर रहता है, उन सभी के लिए भी योजनाएं हमें बनाना है, क्रियान्वयन करना है और उसके लिए हमें एक राशि की आवश्यकता है. माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय कमलनाथ जी की सरकार में उनके नेतृत्व में हम सब लोगों ने बखूबी इस काम को करने का प्रयास किया है. खाली खजाना होने के बावजूद भी आप सभी जानते हैं, चाहे विधवा पेंशन हो, निराश्रित पेंशन हो, चाहे बच्चियों की शादियों की बात हो, चाहे विकास के काम हों वह सब निरंतर गति से आगे बढ़े हैं. अभी हमारे बहुत सारे विद्वान साथियों ने अपनी अपनी बातें कही हैं. समय के अभाव में सबका बिन्दुवार जवाब देना तो मुश्किल नहीं है, लेकिन अध्यक्ष जी जैसा आप परमिट करें, बकाया संक्षेप में.
अध्यक्ष महोदय - बिलकुल संक्षेप में 10 मिनट में खत्म करें.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर - बिलकुल संक्षेप में ही करूंगा, संक्षेप में कुछ बातों का जरूर में ध्यानाकर्षित करना चाहता हूं. हमारे मित्र साथियों ने अभी कहा डीजल, पेट्रोल के ऊपर बड़ी चिन्ता जाहिर की मैं तो आप सभी के सामने और सदन में सार्वजनिक रूप से कहना चाहता हूं कि हम लोग सहमत है, आप भी साथ चलिए और केन्द्र सरकार में जो आपके वचनपत्र में शामिल था कि डीजल और पेट्रोल को जीएसटी के दायरे में लाएंगे. अगर आप तैयार हैं तो सरकार तैयार है जीएसटी के दायरे में लाने के लिए (....मेजों की थपथपाहट)
श्री अजय विश्नोई - सहमति दे दें मध्यप्रदेश में. आप नहीं जा पाएंगे.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर - हमने आपको सुना, हम उठे नहीं. मैं खुद ही जाऊंगा, आप चिन्ता न करें.
श्री अजय विश्नोई - आप नहीं जा पाएंगे.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर - मैं चला जाऊंगा, आप बेफ्रिक रहिए आप नेता प्रतिपक्ष बन पाए न बन पाए, लेकिन मैं चला जाऊंगा, विश्वास करिए आप.
माननीय अध्यक्ष महोदय, वाणिज्यिक कर विभाग की बात आती है, चारों तरफ से टीका-टिप्पणियां शुरू हो जाती है. अध्यक्ष महोदय, आपकी नजरें कुछ बदली बदली सी दिखने लगती है. पता नहीं ऐसा क्या है ? अध्यक्ष महोदय, मैं आपके संरक्षण में कहना चाहता हूँ. ऐसा कौन व्यक्ति है ? जिसको नशा नहीं है. किसी को अध्यक्षीय पद का नशा है.
श्री गोपाल भार्गव - आपके कोटे में कौन-कौन से एमएलए हैं ? हम उनके लिए वंदना करना चाहते हैं.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर - सबसे पहले तो नेता प्रतिपक्ष जी को अपनी कुर्सी का नशा है, विधायकों को विधायकी का नशा है, अफसरों को अफसरी का नशा है, पत्रकारों को अपनी पत्रकारिता का नशा है, किसी में सुन्दरता का नशा है, जिसमें जो हुनर है, सबको अपने-अपने हुनर का नशा है. लेकिन यह सरकार जो बैठी है, हमको भी नशा है कि खजाना खाली हो या कुछ भी हो. हमको गरीबों की योजनाओं को संचालित करना है.
श्री गोपाल भार्गव - ऐसा लग रहा है कि यहां दार्शनिक भाषण हो रहा हो. सबको नशा है. मेरे पास तो नशा मुक्ति का विभाग भी रहा है और मैं चाहकर भी नशामुक्त नहीं करा सका.
अध्यक्ष महोदय - अच्छा, आप दो-चार नाम बता दो.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने पहले ही कहा था कि हर किसी को अपनी-अपनी बात का नशा है. मैं असत्य क्यों बोलूँगा ? मुझे अपने विभाग में चखने के नशे का सौभाग्य आज तक प्राप्त नहीं हुआ है, मुझे स्वाद के बारे में कुछ नहीं पता. लेकिन मुझे इतना पता है कि मेरा नशा है कि मैं गरीब की मदद करने के लिए खड़ा रहूँ. अपने क्षेत्र के लिए, अपने मध्यप्रदेश के विकास के लिए, जितनी शरीर की ताकत है, उसको खर्च करूँ.
श्री गोपाल भार्गव - ये खुद नहीं पीते लेकिन अपनी होटल ओरछा में एक हजार लोगों को जरूर पिला देते हैं.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर - हां, वह ठीक है. होटल का व्यवसाय अपनी जगह है. हमारा कोई होटल नहीं है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - अभी तो आपने होटल का हां बोला था.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर - मैं किसी भी होटल में पार्टनर नहीं हूँ. मुझे नहीं मालूम.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - आपने अभी होटल का 'जी' कहा था.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर - अरे भाई, परिवार में व्यवसाय है, वह कोई चोरी नहीं है. मैंने यह कहा कि मैं उस व्यवसाय से सीधे-सीधे नहीं जुड़ा हूँ. यह तकनीकी बात है. पंडित जी आप जरा ज्ञान दें.
श्री गोपाल भार्गव - राम राजा की कसम खाओ.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर - क्यों खाएं ? राम राजा के नाम पर जो लोग वोट मांगते हैं, हम उनके लिए सोचते नहीं हैं. हम वे लोग हैं, जो उनके नाम पर वोट नहीं मांगते लेकिन दिन और रात उनकी सेवा करते हैं और अपने मन में उनका अनुसरण करते हैं, उनके सिद्धान्तों पर चलते हैं.
श्री गोपाल भार्गव - आप अशोक वाटिका तो ढूँढ़ नहीं पा रहे हो और राम राजा की बात कर रहे हैं.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर - माननीय नेता प्रतिपक्ष जी, हम चाहते हैं कि आपको सब लोग गंभीरता से लें. माननीय मुख्यमंत्री जी को छोड़कर, आप हमारे सबसे वरिष्ठ सदस्य हैं, हमें आपका अनुसरण करना है. हम आपसे उम्र में भी छोटे हैं और अनुभव में भी छोटे हैं. आप न टोकेंगे तो ज्यादा ठीक रहेगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा मैंने कहा कि हमको भी गरीबों की मदद करने का नशा है और जो विभाग मुझे मिला है, मैंने उसमें छुट-पुट प्रयास किए हैं, मैं यह नहीं कहता कि सब कुछ हो गया. लेकिन मैं इतना दावे के साथ कह सकता हूँ कि इन 15 वर्षों में मध्यप्रदेश में चारों तरफ से आवाज आती रही. कलेक्टर गाइडलाइन आप इतना ज्यादा बढ़ाकर ले गए कि हिन्दुस्तान में सबसे ज्यादा कलेक्टर गाइडलाइन अगर आई तो मध्यप्रदेश में आपके समय पर आई. उसको घटाने का काम, गरीब की मदद, मध्यमवर्गीय परिवार की मदद हो, व्यापारियों की भी मदद हो, रियल स्टेट को बढ़ावा मिले, जिससे उससे जुड़े हुए जितने भी छोटे-मोटे व्यापारी हैं, उनका व्यापार चले क्योंकि अगर व्यापार चलेगा तो मध्यप्रदेश बढ़ेगा. हमने कलेक्टर गाइडलाइन घटाने का काम किया है, कई हमारे माननीय सदस्यों ने टीका-टिप्पणियां कीं. मैं उसमें नहीं जाना चाहता हूँ. लेकिन 20 प्रतिशत कलेक्टर गाइडलाइन घटाने का काम हमने किया है. हां, हमने यह भी तय किया है कि राजस्व का कहीं पर भी नुकसान न हो, इसलिए कहीं शुल्क के द्वारा तो कहीं लीकेज को रोकने के माध्यम से हम यह भी आपको आश्वस्त करना चाहते हैं कि राजस्व की चिंता सब लोग कर रहे हैं, आप बेफिक्र रहिये, राजस्व घटेगा नहीं राजस्व बढ़ेगा एवं 3 माह में बढ़ा है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत सारी बातें हमारे माननीय सदस्यों ने यहां पर कहीं. किसी ने कहा कि बड़े भारी-भारी पोस्टर लगे थे, हमारे मित्र, हमारे भाई सागर के हैं. 15 वर्ष में यह पहला मौका होगा, अगर पोस्टर लगे थे तो किसी पार्टी की तरफ से नहीं लगे थे, किसी कार्यकर्ता की तरफ से नहीं लगे थे. उद्योग जगत वाले क्रेडाई वालों की तरफ से लगे थे. यह अपने आप में प्रमाणित करता है कि आप अपने पोस्टर लगवाओ या लोग आपका पोस्टर लगवाएं. इस पर अगर आपको तकलीफ होती है तो इस पर तो हम कुछ नहीं कर सकते
''चलने वाले चला करें और जलने वाले जला करें'' माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने इस प्रकार से काम किया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, एक नहीं बहुत सारी और भी योजनायें हैं. अभी हमारे मित्रों ने कहा कि हमने काल्पनिक फिगर दे दिये हैं, राजस्व वृद्धि कैसे होगी ? श्री सराफ साहब ने अभी कहा कि एक जगह नहीं कई जगह ऐसी हैं, जहां से राजस्व सरकार के खजाने में आना चाहिये. मुझे कहने में कोई संकोच नहीं है कि इन पंद्रह वर्षों में वह सारा बिचौलियों के पास चला गया, हम उसको रोकने का काम करेंगे और उससे राजस्व बढ़ाने का काम करेंगे, इसके लिये माननीय अध्यक्ष महोदय, हमें आपके संरक्षण की आवश्यकता है और हम इसमें सफल भी होंगे. आप चिंता मत करिये अगर सरकार बनी है तो वह जनता के आशीर्वाद से बनी है. आप लोग लाख ताकत लगाते रहो, कुछ नहीं होगा. जैसा अभी हमारे एक साथी ने कहा कि छ: बजे तक अगर वह सरकार गिर जायेगी तो अगला नंबर यहां की सरकार का है. मैं बताना चाहता हूं कि कुछ नहीं होने वाला है, यहां का नंबर कभी नहीं आयेगा पांच साल तक आप बिल्कुल आराम से बैठे-बैठे इंतजार करिये. मुंगेरीलाल जी भी बहुत सपने देखते थे, सपनों पर किसी को रोक नहीं है, लेकिन वह हसीन सपने आपके कभी नहीं आयेंगे, मेरी बात को आप लिख लेना. यह सरकार जनता के द्वारा चुनी हुई सरकार है. (श्री यशपाल सिंह सिसौदिया जी की ओर देखकर) श्री यशपाल जी आप मुस्कुराते रहो कुछ नहीं होने वाला है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- क्या अब मुस्कुराने पर भी आपकी सरकार टैक्स लगा देगी ?
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुस्कुराने पर कोई टैक्स नहीं लगाया जायेगा. जैसा कि मैंने कहा बीस प्रतिशत कलेक्टर गाईडलाइन को घटाने का काम हुआ है. केवल कलेक्टर गाईडलाइन हटाने का काम ही नहीं हुआ है, हमने इसके साथ ही महिला सशक्तिकरण की बात अपने वचन पत्र में कही थी और वचन पत्र के अनुसार महिलाओं को अधिकार मिले, इसके लिये हमने यह तय किया कि जो भी अपनी पत्नी और अपनी बेटी को सह खातादार बनाना चाहते हैं, बना सकते हैं. इसके लिये आपके समय में पहले जो 1.8 प्रतिशत फीस लगती थी, वह शुल्क हमने घटाकर मात्र एक हजार रूपये कर दिया है. केवल एक हजार रूपये का स्टाम्प और सौ रूपये के पंजीयन शुल्क, इस प्रकार ग्यारह सौ रूपये में अपनी पत्नी,अपनी बेटी को आप रजिस्टर्ड सह खातादार बना सकते हो, हम लोगों ने यह ऐतिहासिक निर्णय माननीय कमलनाथ जी के नेतृत्व में लिया है.
श्री अजय विश्नोई -- माननीय मंत्री जी इसके लिये हमने आपको और आपकी सरकार को बधाई दी है.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर-- आपने बधाई दी है, इसलिये निश्चित रूप से हम आपको धन्यवाद करते हैं और आपका आभार व्यक्त करना चाहते हैं. इसके साथ ही जिन मित्रों ने अच्छे सुझाव दिये और बधाई दी है, उनका भी हम आदर करते हुये उनका भी सम्मान करना चाहते हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, पारिवारिक बंटवारा में कई बार ऐसा होता है कि आपस में भाई-भाई परिवार में रहते थे और जब बुजुर्गों का साया सिर पर से उठ जाता था, तो लोगों के आपस में कई बार झगड़े होने लगते हैं. जब झगड़े होते थे, तब चाहे एस.डी.एम. का कार्यालय हो या चाहे कलेक्टर का कार्यालय हो, चाहे कोई अदालत हो वहां पर एक ही बात आती थी कि आपका रजिस्टर्ड बंटवारा नहीं है, इसलिये आपकी बात को मान्यता नहीं है. रजिस्टर्ड बंटवारा इसलिये नहीं होता था क्योंकि फीस बहुत ज्यादा वसूल की जाती थी उसको हमने संशोधित करने का काम किया है. हमने ढाई प्रतिशत जो फीस आप पंद्रह वर्षों में कम नहीं कर पाये, उसे 0.5 प्रतिशत अर्थात सीधे दो प्रतिशत का घटाने का माननीय कमलनाथ जी की सरकार, कांग्रेस पार्टी की सरकार ने काम किया है.
श्री अजय विश्नोई -- माननीय मंत्री जी उसको भी ग्यारह सौ रूपये कर दीजिये बहुत नेक काम होगा.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर-- हम करेंगे आप चिंता न करें, हम पांच साल के लिये आये हैं यह तो अभी तीन महीने हैं, अभी आपने देखा ही क्या है, इंतजार करिये.
श्री गोपाल भार्गव -- यह आपका बार-बार पांच साल, पांच साल कहना कहीं न कहीं आपका खोखलापन दर्शाता है. आप बार-बार क्यों कहते हो, पांच साल, पांच साल के लिये आये हैं, यह आपका खोखलापन दर्शाता है. अभी यह आप मानकर चलो कि पांच साल के लिये चुनाव होते हैं, यह हम सब मान रहे हैं.
श्री विश्वास सारंग -- ये डर क्यों रहे हैं?
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर-- आप मानकर नहीं चलो, पांच साल तो यह है ही और बीस साल और हैं.
श्री गोपाल भार्गव -- यह आप जितनी बार कहोगे, उतनी बार आपका खोखलापन जाहिर होगा. आप दृढ़ता के साथ में कहो, आप बार-बार मत कहो.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर-- अरे हम दृढ़ता से इस बात को कह रहे हैं कि यदि आपको अपने धनबल पर इतना ही भरोसा है कि हम सब कुछ कर सकते हैं तो आप बार-बार प्रेस में क्यों कहते हो कि हम दस दिन में सरकार गिरा देंगे, एक महीने में सरकार गिरा देंगे. कई लोग कहते हो, एक बार नहीं पचास बार कहते हो.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- दस दिन में तो हम कर्ज माफी की बात का कह रहे हैं.
श्री रामपाल सिंह -- आपके मन में भय है और अस्थिरता है.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि मैंने आपके सामने पारिवारिक बंटवारे की बात की, इसी प्रकार चल संपत्ति के दान की बात है. अगर आप चल संपत्ति अपने परिवार के लोगों के लिये दान करना चाहते थे तो उस वक्त आपके समय में ढाई प्रतिशत लगता था, और पंजीयन शुल्क 0.8 प्रतिशत लगता था, इसलिये कोई जाता ही नहीं था, नंबर जीरो था. हमने उसको घटाकर जैसा श्री विश्नोई जी ने कहा है ग्यारह सौ रूपये नहीं मात्र पांच सौ रूपये, सौ रूपये पंजीयन शुल्क, इस प्रकार केवल छ: सौ रूपये में चल संपत्ति को आप रजिस्टर्ड करवा सकते हो यह हमना निर्णय किया है.
पुराने जो मकान थे, आपका 20 साल पुराना मकान है, 40 साल पुराना मकान है, 60 साल पुराना है, आप 15 साल में जबर्दस्ती उससे वसूली करते चले जा रहे थे, आपका मन जरा सा भी द्रवित नहीं हुआ. जो बुजुर्ग लोग हैं, आज वह नहीं हैं, उनके बच्चे हैं, आप जबर्दस्ती टेक्स वसूलते चले जा रहे थे, हमने उसको घटाने का काम किया है और 3 स्लेब में उसको किया है तो यह निर्णय ऐतिहासिक निर्णय हुये हैं जो मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार ने लिये हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हूं जो हमारे कुछ लोगों के सुझाव आये हैं रजिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट पर आपने कहा सर्वर डाउन हो जाता है. मैं स्वीकार करता हूं, कई बार यह परिस्थितियां बनती हैं. मैं भी गांव से आता हूं, मुझे मालूम है और यह परिस्थितियां आज से नहीं बनती हैं, पहले भी बनती थीं और पहले के पहले भी बनती होंगी, जब कम्प्यूटर नहीं था तब अलग बात है, क्योंकि यह स्वाभाविक प्रक्रिया है, लेकिन केवल इससे हम खुश होने वाले नहीं हैं. हम आधुनिक तकनीकी का इस्तेमाल करके नये सिरे से इसके ऊपर विचार कर रहे हैं और फिर से कुछ ऐसे निर्णय करेंगे ताकि आम आदमी की तकलीफ को हम दूर कर सकें.
माननीय अध्यक्ष महोदय, एक्साइज डिपार्टमेंट की बहुत सारी बात होती हैं. अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से सदन में यह बात कहना चाहता हूं, एक जमाना था कि आपने जानते हुये भी आने वाली जो सरकार है वह किसकी होगी आपको पता नहीं लेकिन पिछली सरकार ने निर्णय कर दिया कि इस साल भी जो एक्साइज का रिन्यूअल होगा वह 15 प्रतिशत के ऊपर आपको करना पड़ेगा, ऐसा आपने निर्णय कर दिया. मेरा अनुभव आपके बराबर नहीं है, क्योंकि मैं तो 25 साल से ही विधायक हूं लेकिन आपका अनुभव मुझसे ज्यादा है. मैं आपसे पूछना चाहता हूं माननीय अध्यक्ष महोदय, ऐसा होता है कि अगली सरकार अगले उसका भी आप निर्णय कर दोगे, क्या वजह थी. कई बार जब मैंने रेट बढ़ाया, कई बार अखबारों में आप लोगों ने टीका-टिप्पणियां कीं, आज तत्कालीन मुख्यमंत्री जी यहां पर नहीं हैं, उन्होंने खुद टी.व्ही.के ऊपर कहा, मैं आपसे पूछना चाहता हूं आखिर ऐसा क्या कारण था आप किस बात से ऐसे बाध्य थे कि आपने 15 प्रतिशत में ही रिन्यूअल बढ़ाने का काम किया. हां मैं कहता हूं, मैंने बढ़ाया और 15 प्रतिशत के ऊपर 20 प्रतिशत पर रिन्युअल हमनें किया, एक हजार से ऊपर 1234 करोड़ रूपये की आय हुई जो गरीबों के हित में खर्च होगी, मध्यप्रदेश के विकास में खर्च होगी, हमने कौन सा गुनाह किया माननीय अध्यक्ष महोदय. आप 15 साल सरकार में थे मैं आपसे पूछना चाहता हूं. आप कहते हो पर्यटन को बढ़ावा देना है, यदि हमारे होटल चल रहे हैं, कहीं का भी होटल हो, आपका होटल चलता है और अगर आपको बार का रिन्युअल कराना है, आप सब जानते हैं, हम भी जानते हैं यह पूरा सदन जानता है. एक्साइज डिपार्टमेंट, आज मैं उस विभाग का मंत्री हूं, लेकिन जिला कार्यालय से लेकर कमिश्नर आफिस से लेकर, वल्लभ भवन से लेकर, मंत्री के बंगले तक 6 महीने पांव घिस जाते थे, चप्पल घिस जाती थीं लोगों की और बार का लाइसेंस नहीं हो पाता था. माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके आशीर्वाद से हम लोगों ने यह निर्णय किया, कोई चक्कर काटने की जरूरत नहीं है, आप ऑनलाइन आवेदन करिये, 7 दिन के अंदर अगर आपका बार लाइसेंस रिन्युअल नहीं होगा तो आठवें दिन स्वत: हम आपका रिन्युअल मानेंगे, यह क्या बुरा है. आप बताइये अच्छा निर्णय है कि नहीं है और है तो जरा ताली बजाइये. बजाओ, अरे बजाओ न अच्छा नहीं है. अरे कमाल है एक तरफ आप कहते हो कि अच्छे निर्णय का हम स्वागत करेंगे, दूसरी तरफ आप कंजूसी दिखाना चाहते हैं.
श्री विश्वास सारंग-- आप तो दारू पूरी तरह बंद कर दो हम स्वागत करेंगे. बृजेन्द्र भैया भोपाल में आपका नागरिक अभिनंदन करेंगे.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर-- आप तो पहले यह बताओ.
श्री विश्वास सारंग-- आप अभी की बात करो, आप दारूबंदी की अभी घोषणा करो, हम आपका नागरिक अभिनंदन करेंगे, आप स्वागत की बात कहां कर रहे हो.
एक माननीय सदस्य-- विश्वास जी, 15 साल तक आप भी रहे हो, आपने क्यों नहीं की.
श्री जालम सिंह पटेल ''मुन्ना भैया''-- नर्मदा जी के किनारे बंद हुई थीं, हमारे जिले में 7 शराब की दुकानें बंद हुई हैं.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर-- जालम सिंह जी, हमारी भी रिश्तेदारी नरसिंहपुर में है सबका पता है काहे के लिये आप ऐसी बात कर रहे हैं.
श्री जालम सिंह पटेल ''मुन्ना भैया''-- नर्मदा जी के किनारे हुई हैं.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर-- हमें पता है, उसके आगे का भी हमें पता है, आप चिंता न करो. श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, जो सबसे महत्वपूर्ण बात है वह है होम डिलेवरी की, इसके बारे में अमला बढ़ाने का काम करें प्रभावी कार्यवाही करने का काम करें. सबसे ज्यादा मध्यप्रदेश में जो परेशानी है वह है होम डिलेवरी की. गांवों में दूध नहीं मिल रहा है लेकिन दारू मिल रही है.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर - अध्यक्ष महोदय, विपक्ष बहुत परेशान है. अभी नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि खाओ राम राजा की कसम, हम आपसे पूछते हैं खाओ राम राजा की कसम, 15 साल आपने बंद क्यों नहीं की ? कोई उत्तर नहीं है आपके पास तो ऐसी बातें करने से कोई मतलब नहीं है लेकिन मैं इतना कह सकता हूं. अभी बहुत सारे लोगों ने कहा कि गली-गली में शराब बंटवाने की व्यवस्था कर दी. होम डिलेवरी का आर्डर कर दिया. आपके संरक्षण में इतना कहना चाहता हूं कि वर्तमान कांग्रेस की सरकार ने एक भी नया अहाता नहीं खोला है. जो कुछ भी है आपका ही विरासत में है. होम डिलेवरी करने का निर्णय मध्यप्रदेश की सरकार ने अभी नहीं किया.
श्री गोपाल भार्गव - आप नहीं समझे. जो मोटरसाईकलों की डिग्गी में रखरखकर अवैध शराब बांट रहे हैं. मोबाईल से फोन करो आपके घर पहुंच जायेगी पांच मिनट में.उधार मिल जायेगी. हर ब्रांड मिल जायेगा. इसको आप बंद करें. अपना अमला बढ़ाएं, उसे अधिकार सम्पन्न बनाएं और प्रभावी कार्यवाही करवाएं.
श्री अजय विश्नोई - जो गांव-गांव में मिल रही है वह शराब अवैध नहीं है उस पर आपको बिक्री का टैक्स मिल रहा है पर जो बेचने की प्रक्रिया है वह अवैध है.(..व्यवधान..) जो नेटवर्क है वह चाहे हमारी सरकार में हुआ हो या आपकी सरकार में हो रहा हो वह दुखदायी है. हम लोग नहीं कर पाये आप उसको करें ये निवेदन है.
श्री हरिशंकर खटीक - अध्यक्ष महोदय, एक निवेदन है कि आज यह अंग्रेजी और देशी सस्ती करेंगे या महंगी करेंगे और जो घर-घर दुकानें चल रही हैं वह चलेंगी या बंद होंगी.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर - आपको फ्री में देंगे.
श्री हरिशंकर खटीक - हम पीते ही नहीं है तो हमें क्या. जैसे आप हैं वैसे हम हैं. इनको इस विभाग पर बोलने में बहुत कष्ट है. यह चाहते थे कि हमें कोई विकास विभाग मिले लेकिन अंग्रेजी,देशी का विभाग मिल गया.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर - अध्यक्ष महोदय, जो आप लोगों की चिंताएं हैं. कोई निर्णय ऐसा नहीं है और आपकी, हमारी चिंता है कि हमारे नौजवान खराब लतों से दूर रहें. पूरी सख्ती के साथ आपकी जानकारी में हो आप भी लिखकर दीजिये. विभाग पूरी सख्ती से अवैध शराब की जहां से भी शिकायत आयेगी कितना भी जिम्मेदार अधिकारी वहां पर क्यों न हो, उस पर सख्त से सख्त कार्यवाही मध्यप्रदेश सरकार करेगी. सब लोगों की शिकायतें रहती हैं जो भी मंत्री खड़ा होता है कि जितू भाई ने हमें कालेज नहीं दिया, स्कूल नहीं दिया, किसी ने अस्पताल नहीं दिया. सबसे सब मांगे करते हैं आप हमसे भी मांगो. मांगो हम देते हैं.
(..व्यवधान..)
श्री दिलीप सिंह परिहार - यह बढ़िया जवाब है मंत्री जी का. हमारी नीमच जिले की भी बंद कर देना.
श्री रामेश्वर शर्मा - प्रदेश नशामुक्त रहे और दारू को चाहे जितना चाहो महंगी करो और अंत में बंद करो.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर - राम राजा की कृपा तो निश्चित रूप से है और यदि राम राजा की कृपा न होती और जनता जनार्दन की कृपा न होती तो बहुत से लोगों ने वह इंतजाम किया था कि शायद हम यहां पर न होते तो उनकी कृपा तो है.
डॉ.गोविन्द सिंह - इनसे इतना कह दो कि महंगी हुई है शराब थोड़ी-थोड़ी पिया करो.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर - अध्यक्ष महोदय, एक गाना है नशा शराब में होता तो नाचती बोतल. अध्यक्ष महोदय, जी.एस.टी. पर बोलना चाहता था लेकिन समय की कमी है इसीलिये बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, कटौती प्रस्ताव के समर्थन में खासतौर से एक विशेष विषय को लेकर जो माननीय मंत्री महोदय ने जिसके बारे में मुक्कमल जवाब नहीं दिया है. गांव-गांव में जो शराब बिक रही है, महिलाएं परेशान हैं, बच्चे परेशान हैं. हत्याएं हो रही हैं और नाबालिग बच्चियों के साथ जो रैप हो रहे हैं शराब के कारण हो रहे हैं. अनेकों प्रकार की घटनाएं हो रही हैं. इसके बारे में कोई कार्य योजना आपने अपने वक्तव्य में नहीं बताई है. इस कारण से मैं कटौती प्रस्तावों के समर्थन में बोल रहा हूं.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर - मैं आपको जानकारी दे रहा हूं, पूरे 5000 से ऊपर प्रकरण हमने दर्ज किये हैं.
खनिज साधन मंत्री (श्री प्रदीप जायसवाल) - अध्यक्ष महोदय, शराब की दुकानें खोलने वाली सरकार आपकी रही है. मध्यप्रदेश के इतिहास में सबसे ज्यादा शराब की दुकान आप लोगों ने खोली है, जिसको आज लोग भुगत रहे हैं.
7.02 बजे मांग संख्या - 25 खनिज साधन
उपस्थित सदस्यों के कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए.
अब मांग और कटौती प्रस्तावों पर एक साथ चर्चा होगी.
श्री कमल पटेल (हरदा) - अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 25 खनिज साधन विभाग का विरोध करने एवं कटौती प्रस्ताव का समर्थन करने के लिए खड़ा हुआ हूं. अध्यक्ष महोदय, हिन्दुस्तान का हृदयस्थल मध्यप्रदेश प्राकृतिक रूप से बहुत संपन्न है. यहां वन संपदा, खनिज संपदा, जल संपदा और कृषि संपदा से परिपूर्ण यह मध्यप्रदेश है, उसके बावजूद भी गरीब है और उसका कारण है कि कृषि से जितने लोगों को रोजगार मिलता है और कृषि में जो हमारी प्रदेश की और देश की आय होती है उसमें दूसरे नम्बर पर आता है खनिज. अगर खनिज विभाग का सही दोहन और ईमानदारी के साथ कर लिया जाय तो निश्चित रूप से मध्यप्रदेश गरीबी से उभर सकता है चहुमुखी विकास हो सकता है और लोगों को सही कीमत पर खनिज साधन उपलब्ध हो सकते हैं. रॉ-मटेरियल भी उद्योंगों को सही कीमत पर मिल सकता है. लेकिन मुझे बड़े दुःख के साथ कहना पड़ रहा है.
चाहे सरकार भाजपा की रही हो या कांग्रेस की रही हो, सरकारें आती और जाती रहती हैं लेकिन यह जो प्रशासनिक तंत्र है इस तंत्र का जो सिस्टम है वह सिस्टम बहुत भ्रष्ट हो गया है, इस सिस्टम पर अंकुश लगाने की आवश्यकता है. हम और आप आपस में लड़ते रहते हैं, मजे लेते हैं प्रदेश के अधिकारी, ये इस मध्यप्रदेश का खून चूसते हैं. मुट्ठी भर आईएएस और आईपीएस जिनके हाथ में प्रशासनिक क्षमता होती है, अधिकार होता है वह पूरे प्रदेश को लूटते हैं और बदनामी होती है सरकार की, इसलिए चाहे भाजपा की सरकार हो या कांग्रेस की सरकार हो, हम सब जनप्रतिनिधियों को इस 7.5 करोड़ जनता ने चुनकर भेजा है और जब हम यहां पर बैठे हैं तो हमें प्रदेश के हित की बात करना चाहिए, हमें दलगत राजनीति से ऊपर उठकर बात करना चाहिए. यहां पर मैं आज उसी के लिए खड़ा हुआ हूं. जब भाजपा की सरकार थी तब भी अवैध खनन के खिलाफ मैंने लड़ाई लड़ी है और उसमें मेरी जीत हुई है. मैं बधाई देना चाहता हूं पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी को जब मैंने उऩके ध्यान में यह अवैध खनन का कारोबार और यह आईएएस,आईपीएस, खनिज अधिकारी और ठेकेदारों का एक सिंडीकेट मध्यप्रदेश में बन गया था जिसके कारण हमारी पवित्र मां नर्मदा, जिसको हम प्रात: स्मरणीय कहते हैं, जिसकी हम पूजा करते है पूरी दुनिया में हजारों लाखों लोग इसकी परिक्रमा करते हैं और अपने जीवन को सार्थक करते हैं, धन्य करते हैं, यह लोक और परलोक सुधारते हैं. मां नर्मदा के बारे में कहा गया है कि गंगा जी में डूबकी लगाने से जितना पुण्य मिलता है उतना पुण्य नर्मदा जी के दर्शन से ही मिल जाता है. नर्मदा का कंकर कंकर शंकर है, लेकिन उस नर्मदा की क्या हालत हमने कर दी है. आज नर्मदा जो हमें पवित्र करती है वह खुद इन खनिज माफियाओं के कारण अपवित्र हो गई है, उसका जल जो कि पवित्र था वह प्रदूषित हो गया है, जो नर्मदा हमारी जीवन दायिनी है उस नर्मदा जी के जीवन पर खतरा उत्पन्न हो गया है. नर्मदा जी के अंदर पोकलेन मशीनों से जिस प्रकार से अवैध खनन हो रहा है अमरकंटक से लेकर खंबार की खाड़ी तक और मैं नर्मदा के नाभी स्थल से आता हूं. मैं सौभाग्यशाली हूं कि मां नर्मदा की गोद में पैदा हुआ हूं. इसलिए हमारा दायित्व और कर्तव्य है कि हम नर्मदा की रक्षा करें और उसके लिए मैंने अपने प्राणों की चिंता नही की है.
माननीय अध्यक्ष महोदय आप अनुभवी हैं. आप भी नर्मदा के किनारे के निवासी हैं. आप सब जानते हैं कि ठेकेदार, कलेक्टर और एसपी और खनिज अधिकारी मिलकर किस प्रकार से हमारी नर्मदा को अपवित्र कर रहे हैं और उसके कारण नर्मदा की यह हालत हो गई है कि नर्मदा छलनी छलनी हो गई हैं. आने वाले समय में हमें ढूंढना होगा कि मा नर्मदा में जल कहां है क्योंकि नर्मदा जी के जल में जो रेत रहती है वह बहते पानी में दो कणों के बीच में जल को रोकती है. उसके कारण हमारा जल शुद्ध होता है और उसमें मछलियां भी पलती हैं लेकिन जिस प्रकार से अंधाधुंध नर्मदा जी के अंदर बहते पानी में से पोकलेन मशीनों से रेत को निकाला जाता है, जब वहां पर पोकलेन मशील चलती है तो ऐसा लगता है कि वह पोकलेन मशीन हमारी छाती पर चल रही है,दर्द होता है और इसलिए हमने वह लड़ाई लडी और उसमें हमारी जीत हुई है, तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी ने पूरे नर्मदा जी के एक हजार करोड़ के ठेके दिये गये थे उसको निरस्त किया था. पानी के अंदर से रेत निकालने पर नर्मदा सहित सभी नदियों पर रोक लगाई गई. जो काम सरकार और प्रशासन को करना चाहिेए था वह प्रशासन ने नहीं किया इसलिए हमको लड़ना पडा और आखिर मे हमारी जीत हुई.
आदरणीय प्रदीप जायसवालजी आप खनिज विभाग के मंत्री हैं. आप न कांग्रेस के सदस्य हैं न भाजपा के हैं आप निर्दलीय हैं. कमलनाथ जी की मजबूरी है कि आपको खनिज मंत्री बनाये रखना है. इसलिए आपको डरने की आवश्यकता नहीं है. आपको हिम्मत के साथ में जो यह सिंडिकेट बन गया है इसको तोड़ने की आवश्यकता है, इसको खत्म करने की आवश्यकता है, तब हमारी नर्मदा बचेगी, और अन्य नदियां बचेंगी. इस प्रदेश की मां नर्मदा जीवन रेखा हैं, और इसलिये आपने नई नीति बनाई है, उस नीति में और भ्रष्टाचार और नर्मदा को खोदने के लिये व्यवस्था दी गई है, क्योंकि नीति कहने को आपने बनाई है, लेकिन हकीकत यह है कि वही अधिकारियों का गठजोड़, जो खनिज अधिकारी, ठेकेदारों से मिलकर , जिनके हाथ में प्रशासनिक क्षमता है. उन्हींने आपको दी है और इसके कारण और नर्मदा छलनी होगी. कहीं ऐसा न हो कि जैसे राजस्थान के अंदर रावी नदी अवैध उत्खनन और खनन के कारण आज समाप्त, खत्म हो गई.रावी नदी का कहीं अस्तित्व नहीं है. ऐसा कहीं हमारे प्रदेश में नदियों का और पवित्र मां नर्मदा का अस्तित्व समाप्त न हो जाये. इसलिये आवश्यकता है कि नर्मदा में ठेके बंद किये जायें, यह मेरा सुझाव है. नर्मदा के अंदर कोई रेत नहीं निकाली जायेगी. नर्मदा से लगी हुई नदियां हैं, तवा है, उसमें पर्याप्त रेत है. उसमें से रेत निकालें और एक बहते पानी में से जहां पर भी पानी है, वहां रेत का खनन नहीं होना चाहिये. यह नियम में है, लेकिन हमारे अधिकारियों की कलाकारी ऐसी हुई कि जब मैंने यह मामले उठाये, विधानसभा में विश्वास सारंग जी भी ध्यान आकर्षण लाये थे. मैं भी लाया था. रेत खदानें कहां होती हैं. रेत की वहां खदानें हैं, जब नर्मदा या नदियां तेड़ी तिरछी चलती है, जब बारिश आती है, बाढ़ में तो वह अपने साथ रेत लाती हैं और जब बाढ़ उतर जाती है, वह खाली हो जाती है, तो उस समय जो रेत के टीले बन जाते हैं, कायदे से वह रेत खदान होना चाहिये. उसकी नप्ती होना चाहिये. वहां पर तार फैंसिंग होकर झण्डियां लगकर उसमें से रेत निकालें. हमें कोई आपत्ति नहीं है. लेकिन इन्होंने पूरी नर्मदा को रेत खदान बना दिया है. होशंगाबाद और हरदा जिला दक्षिण तट पर आता है. सीहोर और देवास जिला उत्तर तट पर आता है. इधर से आधी नर्मदा तक रेत खदान बना दी, उधर से आधी नर्मदा तक रेत खदान बना दी. इस प्रकार से पूरी नर्मदा को..
श्री कुणाल चौधरी -- कमल भैया, आपने सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली वाली कहावत पूरी तरह चरितार्थ कर दी. मां नर्मदा जी को छलनी करने वाले लोग अगर आज ऐसा कह रहे हैं, तो बड़ा अच्छा लगा.
..(व्यवधान)..
श्री कमल पटेल -- अध्यक्ष महोदय, और इसलिये पूरी नर्मदा को रेत खदान बना ली है. उसको रोकने की आवश्यकता है. इसलिये अगर नर्मदा को बचाना है..
डॉ. अशोक मर्सकोले-- कमल जी, थोड़ा यह बता दें कि अभी अभी बनी है कि पहले से.
श्री कमल पटेल -- पहले से है.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय (जावरा) -- अध्यक्ष महोदय, कमल जी जो ध्यान आकर्षित कर रहे हैं, अधिकारियों का, ठेकेदारों का और वहां के जिले के जो सक्षम प्रशासनिक अधिकारी हैं, उनका जो गठजोड़ है, किसी के भी शासन में रहा हो...
डॉ. अशोक मर्सकोले-- -- किसके संरक्षण में था. यह सबको मालूम है कि किसके संरक्षण में था.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय -- सुनें तो, यह खुलकर बोल रहे हैं. किसी के भी शासन काल में रहा हो. इतना तक खुलकर के बोले हुए आदमी ने लड़ाई लड़ी है. पता नहीं है पूरे सदन को. उसने लड़ाई लड़ी है, संघर्ष किया है. हमको जानकारी नहीं है इस बात की. नर्मदा किनारे जो रहते हैं, अध्यक्ष महोदय की निश्चित रुप से जानकारी में होगा. मैं हस्तक्षेप नहीं करना चाहता था और यह मेरा स्वभाव भी नहीं है. लेकिन उन्होंने लगातार संघर्ष किया है और गंभीर चिंता व्यक्त की है. नर्मदा हमारी मां का स्वरुप है, निश्चित रुप से वहां उत्खनन बंद होना चाहिये.
डॉ. गोविन्द सिंह -- पाण्डेय जी, मुझे पता है कि कमल पटेल बहादुरी के साथ तब भी लड़ रहे थे और आज भी लड़ रहे हैं. हम लड़ाकू लोगों को धन्यवाद देते हैं और आपका अभिनन्दन करते हैं.
श्री कमल पटेल -- मंत्री जी, धन्यवाद. अध्यक्ष महोदय, इसलिये मैं कह रहा हूं कि जब यहां विधान सभा में चर्चा हो तो दलगत राजनीति से ऊपर उठकर प्रदेश के हित में हमको बात करना चाहिेये. इसलिये प्रदीप जायसवाली जी, आपसे मैं निवेदन कर रहा हूं कि मां नर्मदा को बचाने के लिये नर्मदा के ठेके पूरे शिवराज सिंह जी ने निरस्त किये थे, उसको पुनः न दें. सारे ठेके निरस्त करें और दूसरा नर्मदा के अंदर हाइवे बना दिये गये हैं. एक-एक, दो-दो नहीं, 28-28,50-50 और आज भी नर्मदा के अंदर अगर जांच की जाये, तो सैकड़ों हाइवे नर्मदा के अंदर मिलेंगे. पानी के अंदर नर्मदा का प्रभाव रोक दिया गया है. किनके द्वारा रोक गया है,ठेकेदार, अधिकारी, कौन कौन कलेक्टर,एसपी, खनिज अधिकारी और ठेकेदार, इनका गठजोड़ है. इसलिये मैंने एनजीटी में प्रकरण कायम किया. मैंने जब कलेक्टर के खिलाफ बोला, कलेक्टर ने दूसरे दिन मेरे बेटे को जिला बदर कर दिया. फिर भी मैं नहीं डरा. मैंने कहा कि मुझे भी कर दो, प्रदेश निकाला दे दो. लेकिन मैंने कहा कि मैं लड़ाई लड़ूंगा. मैं एनजीटी में गया. जब मैं हाई कोर्ट में गया, तो हाई कोर्ट ने मेरे बेटे को बाइज्जत बरी किया और जो कलेक्टर ने जिला बदर किया था, उसको शून्य घोषित किया और यह कहा कि जो कार्यवाही की गयी है, वह दोषपूर्ण और द्वेषपूर्ण की गई है, इसलिये शून्य घोषित की जाती है. मैंने जब जांच कराई तो वहां एडिश्नल कलेक्टर, होशंगाबाद डिप्टी कमिश्नर श्री संतोष वर्मा छिपानेर गए और वहां जब जांच की तो 91 हेक्टेयर में अवैध खनन पाया गया था, एक खदान में. लेकिन कमिश्नर का फोन चला गया, बोले कोई 91 हेक्टेयर नहीं करोगे, आप शून्य करो, मैं भी वहां पहुँच गया. आखिर में उसने मेरे से निवेदन किया कि ऊपर के अधिकारी मना कर रहे हैं इसलिए मुझे करना पड़ेगा. फिर 1 हेक्टेयर का उन्होंने केस बनाया. 91 हेक्टेयर के बजाए 1 हेक्टेयर का केस बनाया और उसमें 91 लाख रुपये का जुर्माना किया. अगर वह 91 हेक्टेयर में होता तो 90 करोड़ रुपये एक खदान पर जुर्माना होता. 1 हजार खदानों पर कितना होता, हजारों करोड़ रुपया प्रदेश के खजाने में आ सकता था, लेकिन अधिकारियों ने नहीं आने दिया. ये अधिकारी कौन हैं, ये वही अधिकारी हैं.
श्री कुणाल चौधरी -- उस समय के (XXX), अगर इतना बड़ा मामला आपके संज्ञान में था, और इतना बड़ा घोटाला था तो सदन में बैठकर मुख्यमंत्री और शासन ने क्या किया, यह भी एक बड़ा सवाल है.
श्री कमल पटेल -- मुख्यमंत्री जी ने उसको निरस्त किया, जांच कराई है.
श्री दिलीप सिंह परिहार -- कुणाल जी, नॉलेज ले लो.
श्री कमल पटेल -- अध्यक्ष महोदय, मैं एनजीटी में गया. एनजीटी में भी अधिकारियों ने ...
श्री आशीष गोविन्द शर्मा -- कुणाल भाई, वह तो अभी भी चल रहा है, आपकी सरकार है, बंद कराओ.
श्री कुणाल चौधरी -- बिल्कुल, बिल्कुल, निश्चिंत रहें, बंद तो हो ही जाएगा,(XXX)
श्री कमल पटेल -- अध्यक्ष महोदय, एनजीटी में मैं खुद गया. एनजीटी के जज ने भी मेरी फाइल फेंक दी कि आपकी याचिका खारिज की जा रही है. मैं खड़ा हुआ, मैंने खुद ने बहस की, मैंने कहा कि जज साहब क्यों खारिज कर रहे हैं, बोले सरकार ने ठेके निरस्त कर दिए और मशीनों पर रोक लगा दी. मैंने कहा कि जज साहब अभी दो काम हुए हैं, लेकिन दो काम अधूरे हैं. ठेके निरस्त किए, उसका स्वागत, मशीनों पर रोक लगाई, उसका स्वागत, लेकिन अभी अधूरा काम हुआ है. जिन लोगों ने नर्मदा और कई नदियों को खनन करके छलनी कर दिया, हजारों करोड़ रुपये की रेत निकाल ली. नर्मदा को प्रदूषित किया, मछलियां मर गईं, पर्यावरण प्रदूषित हुआ, नदिया खण्डित हो गईं. उसके लिए दोषी कौन हैं, उन पर जुर्माना कौन करेगा. इसलिए इस पर एसआईटी गठित की जाए और चीफ सेक्रेटरी, कमिश्नर, कलेक्टर, एसपी सहित इनके खिलाफ भी नोटिस जारी करें, क्योंकि उनकी जिम्मेदारी है.
अध्यक्ष महोदय, लोकतंत्र में चार चीजें होती हैं, एक विधायिका, एक कार्यपालिका, एक न्यायपालिका और एक पत्रकारिता. लोकतंत्र के ये चार स्तंभ हैं, ये चारों स्तंभ मिलकर जब प्रदेश और देश के हित में काम करते हैं, तो व्यवस्था सुधरती है. लेकिन विधायिका, जो हम लोग बैठे हैं, कानून बनाते हैं, कार्यपालिका को उसका पालन करना चाहिए. कार्यपालिका पालन नहीं करती है तो न्यायपालिका दण्ड देता है, अगर न्यायालय में जाते हैं, और नहीं तो सरकार. दुर्भाग्य है कि इस कार्यपालिका पर अंकुश नहीं लगा पाते हैं. लोकतंत्र में सबसे बड़ी शक्ति होती है जनता और जनता के द्वारा जो प्रतिनिधि चुने गए हैं, वे प्रतिनिधि सबसे बड़े ताकतवर हैं. लेकिन दुर्भाग्य से कहना पड़ता है कि हम लोग अपनी ताकत पहचानते नहीं हैं और ये कार्यपालिका के जो नौकर हैं, सेवादार हैं, इनको सर पर चढ़ाकर बिठाते हैं, उसके कारण हमारे प्रदेश की स्थिति आज खराब हुई है. मैं चाहूँगा आज इस सदन में हम यह तय करें कि इस कार्यपालिका को ठीक करने की जिम्मेदारी सत्ता और विपक्ष और हम सब जनप्रतिनिधियों की है. इन पर अंकुश लगाएं, चाहे वे कलेक्टर हों, कमिश्नर हों, डीजीपी हों, चीफ सेक्रेटरी हों, इनके खिलाफ भी कार्यवाही करने की हिम्मत हममें होनी चाहिए. हिम्मत कौन कर सकता है, जिसके घर कांच के होते हैं, वे दूसरे के घरों पर पत्थर नहीं फेंकते, हमको मजबूत होना पड़ेगा, हमको ईमानदार होना पड़ेगा. पानी और भ्रष्टाचार नीचे से ऊपर नहीं जाता है, ऊपर से नीचे आता है, इसलिए हम अगर ठीक हैं तो ये 10 बार ठीक हो जाएंगे. इनको ठीक कर सकते हैं. लेकिन हम ही गड़बड़ हैं तो इनको ठीक नहीं कर सकते और ये प्रदेश को लूट लेंगे. इसलिए आज आवश्यकता है कि हम ईमानदारी से जनता की सेवा करें और इनके ऊपर अंकुश रखें. इन पर अंकुश अगर रख लिया हमने तो जो हजारों करोड़ का बजट है, यह बजट जनता तक जाएगा. जो भी प्रकृति ने चीज दी है हमें, वे जनता तक जाएंगी, जिनके लिए आवश्यकता है. नहीं तो बीच में मुट्ठी भर लोग डकार जाएंगे. आज मुझे बड़े दु:ख के साथ कहना पड़ता है कि आज जब लोकायुक्त का या ईओडब्ल्यू का छापा पड़ता है तो वह किनके ऊपर पड़ता है, पटवारी पकड़े गए, आरआई पकड़े गए, बाबू पकड़े गए, शिक्षक पकड़े गए, कितने आईएएस के यहां छापे पड़े, कितने आईपीएस के यहां छापे पड़े. कितने क्लास-वन अधिकारियों के यहां छापे पड़े. (XXX) इनके ऊपर छापे क्यों नहीं पड़ते हैं.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- अध्यक्ष जी, अगर अभी शिवराज सिंह जी होते तो इनके यहां छापा जरूर पड़ जाता.
श्री कमल पटेल -- पड़ने दो, हम किसान के बेटे हैं, शुद्ध काम है, 100 प्रतिशत, 100 टका और इसलिए दमदारी से बोल सकते हैं.इनके यहां छापे पड़ें, तो 2 लाख करोड़ के कर्ज की बात आप कह रहे हैं न, यह एक महीने के अंदर 2 लाख करोड़ मध्यप्रदेश के खजाने में आ सकता है. मारो छापे. अब जो छापे पड़ें, अगर वाकई में ईमानदार सरकार है, तो इनके ऊपर छापे मारो. इन सबके एक-एक के यहां हजारों करोड़ मिलेंगे. खूब माल सूता है. करो कार्यवाही उनके ऊपर.
श्री गोविंद सिंह राजपूत - 15 साल में आप तो नहीं मार पाये, लेकिन हम लोग घलवायेंगे. आप निश्चिंत रहें.
श्री कमल पटेल - सुनिये, मुझे मालूम है. अभी होशंगाबाद कलेक्टर से मेरे एक मित्र ने कहा कि भाई, तुम्हारी हमने हेल्प की थी और तुम्हारी बहुत शिकायत है कि तुम अवैध खनन में खुद लग गये हो, (XXX). वह बोले 5-6 करोड़ के पैकेज पर आया हूं. कितने ? होशंगाबाद कलेक्टर 5-6 करोड़ के पैकेज पर गया है. बोले अवैध खनन नहीं कराऊंगा, तो क्या करूंगा ? क्यों डॉक्टर साहब, सही है कि नहीं है ? और इसीलिये अवैध खनन चल रहा है. अवैध खनन..
श्री कुणाल चौधरी - आपने खनन के लिये बात की होगी किसी से.
श्रीमती इमरती देवी - अध्यक्ष महोदय, यह तो गिनने के लिये गये होंगे, (XXX)...(व्यवधान)...
डॉ. सीतासरन शर्मा - हम लोग परेशान रहते हैं अवैध उत्खनन से. अवैध उत्खनन का प्रकरण लगा हुआ है. रस्ते भर चलकर रेत निकाल रहे हैं कोई रोक नहीं है. हम शिकायतें कर रहे हैं, समाचार पत्रों में दे रहे हैं. बिल्कुल ठीक है कमल भाई, ठीक कह रहे हैं आप. ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय - संजय यादव जी, कुणाल जी, आप भी बैठ जाइये.
श्री कमल पटेल - अध्यक्ष महोदय, यह आज का दैनिक भास्कर है, जिसमें बहुत प्रमुखता से छपा है. यह तवा है. यू आकार में है. तवा में बाढ़ आने से कई शहर डूब जाते थे इसलिये उसके ऊपर वर्ष 1999 में एक पाल बनाई गई थी.
अध्यक्ष महोदय - यह समाचार पत्र नहीं दिखाते हैं. आप भी जानते हैं.
श्री कमल पटेल - ठीक है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह बात इसलिये बता रहा हूं क्योकि होशंगाबाद (XXX), जो ठेकेदार ने कहा कि हम तो ईमानदारी से काम करेंगे, जितना ले जाना हो ले जाओ, तो उनके ठेके बंद कर दिये, उनको सरेण्डर करना पड़ा. मैं नाम नहीं लेना चाहता, मेरे मित्र भी हैं मंत्री जी, उनका परिवार पूरा उसके अंदर लग गया है और पूरी तरह से लूट रहा है. पूरी पाल तोड़ दी गई है और उसके कारण अभी बारिस होगी, बाढ़ में अभी कई गांव और कई शहर उसमें डूब जायेंगे और 4 किलोमीटर पहले ही नर्मदा में जो संगम मिलता है, वह मिल जायेगा और इसलिये..
श्री कुणाल चौधरी - पूर्व मंत्री इनके अच्छे दोस्त हैं पक्का मालूम है. इनके परिवार के सदस्य थे, उनका नाम लिया आपने. अच्छा है.
अध्यक्ष महोदय - आप लगातार बोलिएगा, तीन मिनट और बचे हैं.
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष जी, अब यह सदस्य बार-बार बोलते हैं, यह ठीक नहीं है. अब जिनके दूध के दांत नहीं टूटे हैं वह बार-बार बात करते हैं.
अध्यक्ष महोदय - कोई बात नहीं. अब होता है कभी-कभी.
श्री कमल पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं जो कह रहा था और एनजीटी में जब मैंने स्वयं बहस की, तो एनजीटी के जजेस ने मेरी याचिका स्वीकार की और उसके बाद चीफ सेक्रेटरी, डीजीपी सहित 17 अधिकारियों और ठेकेदारों को नोटिस जारी किये कि क्यों न आपके खिलाफ कार्यवाही की जाए और एसआईटी गठित क्यों न की जाए ? मैं आज मांग कर रहा हूं कि अगर एसआईटी गठित करके संबंधित जनप्रतिनिधि, वहां के विधायक और सांसद उनको भी कमेटी में रखा जाए, जांच कराई जाए, तो मैं कह सकता हूं कि जिस प्रकार का कानून है कि कोई अवैध खनन करता है और वह पकड़ा जाता है, तो उस पर 10 गुना, 20 गुना, 30 गुना, 40-50-60 गुना तक जुर्माना होता है. अगर ईमानदारी से जांच हो जाए, तो मैं दावे के साथ कह रहा हूं कि कम से कम 50,000 करोड़ रुपया इन अवैध खनन के ठेकेदारों से वसूला जा सकता है. इससे सरकार को आय होगी. माननीय प्रदीप जायसवाल जी, यह काम आप करिये. मैं आपको प्रमाण सहित दूँगा, हरदा में इन 6 माह के अन्दर 37 लोगों की मृत्यु हुई है, रेत के डंपरों के कारण, क्योंकि तवा और मरोड़ा खदान से, इन्दौर के लिए जो ट्रक निकलते हैं, मेरे हरदा से एक हजार डंपर रोज निकलते थे, माननीय अध्यक्ष महोदय, आर.टी.ओ. से उनको 18 टन की पात्रता है. माननीय सर्वोच्च न्यायालय और माननीय उच्च न्यायालय ने, निर्देशित किया है सभी कलेक्टर्स को और एस.पी. को, कि 18 टन जो स्वीकृत है उससे ज्यादा ओव्हर लोड अगर है तो उसको रोको, तोल काँटे पर ले जाओ और तोल कराओ, अधिक है तो खाली कराओ और ड्रायवर पर और मालिक पर चोरी का मुकदमा कायम करो. लेकिन प्रदेश में कहीं नहीं हुआ. अध्यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र में, जिले में, एक तरह से 37 हत्याएँ कर दीं, दुर्घटना में एक परिवार के चार लोगों को सुबह सुबह मार डाला, जनता में आक्रोश हुआ. मैंने फिर कलेक्टर और एस.पी.को ज्ञापन दिया. लेकिन कोई असर नहीं हुआ. फिर मैंने चुनौती दी कि 48 घंटे में अगर कलेक्टर एस.पी. ने और खनिज विभाग ने इनको रोका नहीं और कार्यवाही नहीं की तो 48 घंटे के बाद मैं खुद जाऊँगा, जनता को साथ लूँगा और डंपर को रोकूँगा और जब कार्यवाही नहीं की तो मैंने रोका. 5 डंपर मैंने रोके, अधिकारियों को बुलाया, तोल काँटे पर ले गया, तो 50 टन के तोल काँटे पर, तोल ही नहीं हो पाए क्योंकि उसमें 50 टन से भी अधिक था, तो उन्होंने कहा कि सौ टन का चाहिए. मैंने पता किया...
अध्यक्ष महोदय-- धन्यवाद, आपको 26 मिनिट हो गए. फिर बाकी वक्ताओं को काट दूँ.
श्री कमल पटेल-- हाँ, माननीय अध्यक्ष महोदय, और जब मैंने उसको सौ टन के उस पर तुलवाया तो.....
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, चूँकि ये बजट सत्र है...
अध्यक्ष महोदय-- मैं आपकी बात समझ रहा हूँ. आप मेरी बात समझिए. अगर एक वक्ता 25-25 मिनिट लेगा.
श्री कमल पटेल-- अध्यक्ष महोदय, कहाँ हुए 25 मिनिट?
अध्यक्ष महोदय-- मैं घड़ी देख रहा हूँ.
श्री गोपाल भार्गव-- ये सरकार के खजाने को भरने की बहुत सार्थक बात कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- कई कर रहे हों, कर रहे हों ना सार्थक बात?
श्री कमल पटेल-- हाँ कर रहा हूँ.
अध्यक्ष महोदय-- प्रमाण हैं?
श्री कमल पटेल-- प्रमाण हैं.
अध्यक्ष महोदय-- रखो पटल पर.
श्री कमल पटेल-- रख रहा हूँ पटल पर. मेरे पास हैं. मैंने तुलवाए हैं 5 को.
अध्यक्ष महोदय-- रखो पटल पर.
श्री कमल पटेल-- इसमें एक 60 टन, एक में 65 टन....(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- मैं बोल रहा हूँ रखो पटल पर.
श्री कमल पटेल-- सुनिए अध्यक्ष महोदय, मेरे पास ट्रक नंबर सहित है, तोल का रिकार्ड, 65 टन, 60 टन, 50 टन, 55 टन और उस पर मैंने एफ.आई.आर. कराई, ड्रायवर पर, मालिक पर और उसके कारण उन पर कोर्ट से जुर्माना हुआ, 74-74 हजार रुपये, एक-एक महीने डंपर खड़े रहे और मालिक को जमानत करानी पड़ी और उसका परिणाम यह हुआ कि मेरे हरदा से, होशंगाबाद से, हरदा रोड से एक हजार डंपर रोज निकलते थे, अब नहीं निकल रहे हैं.
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय-- कमल जी, माननीय आसन्दी ने निर्देश किया है, पटल पर रख दो. एस.आई.टी. गठित हो जाए पूरी जाँच पड़ताल हो जाए, हकीकत में दूध का दूध पानी का पानी हो जाए, खजाना भी भर जाएगा.
श्री कमल पटेल-- मैं पटल पर रखूँगा.
अध्यक्ष महोदय-- बात खत्म हो गई. ..(व्यवधान)..बोल रहा हूँ पटल पर रखो...(व्यवधान)..
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- यह तो पहली बार हो रहा है, अध्यक्ष जी ने आगे रहकर कहा कि पटल पर रख दो. अनुमति नहीं मिलती है...(व्यवधान)..यहाँ तो आग्रह कर कर रहे हैं, बड़ी बात है.
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय-- माननीय अध्यक्ष महोदय ने बहुत अच्छी व्यवस्था दी है.
श्री कमल पटेल-- रख रहा हूँ. अध्यक्ष महोदय, जिस प्रकार मैंने रुकवाया और उसके बाद एक भी डंपर नहीं निकल रहा, अब होशंगाबाद से बुधनी होते हुए नसरुल्लागंज होते हुए जा रहे हैं तो मेरा यह निवेदन है हम सभी जन प्रतिनिधि अपने अपने क्षेत्र में अगर कलेक्टर और एस.पी.के खिलाफ संघर्ष करें, लड़ाई लड़ें और पकड़ें तो यह अवैध खनन भी रुकेगा, जो रोज मर रहे हैं दुर्घटनाएँ हो रही हैं वह रुकेंगी, नदियाँ जो प्रदूषित हो रही हैं, वे नहीं होंगी.
अध्यक्ष महोदय-- श्री संजय यादव अपनी बात कहें.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, आप बड़ी सार्थक चर्चा करवा रहे हैं. माननीय मंत्री महोदय से....
श्री कमल पटेल-- मैं अंत मे दो मिनिट में अपनी बात खत्म कर रहा हूँ.
अध्यक्ष महोदय-- आप जितने प्रश्न कर रहे हैं, मैंने आपको बोल दिया है कि आप क्या करें, वह आएगा उत्तर, मैं 27 मिनिट से आपकी बात सुन रहा हूँ, आपके जितने प्रश्न हैं मैंने सब सुन लिए हैं. मैंने कहा कि यह उत्तर है. अब आप उत्तर पर आओ. दूसरों का समय यदि आपको जाया करना...
श्री कमल पटेल-- अध्यक्ष महोदय, इसको रोकने के लिए सुझाव दे रहा हूँ.
अध्यक्ष महोदय-- आपने ऐसा कर करके 5 मिनिट निकाल लिए.
श्री कमल पटेल-- अध्यक्ष महोदय, दुर्भाग्य इस बात का है कि होली पर माननीय मुख्यमंत्री जी ने पत्रकारों को मिंटो हॉल, जो पुराना विधान सभा भवन है, उसमें पार्टी दी थी.
श्री लक्ष्मण सिंह-- कमल पटेल जी का ओव्हर डोज़ हो गया...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- अब बंद करिए. अब संजय यादव जी बोलें. कमल पटेल को नहीं लिखा जाएगा.
श्री कमल पटेल-- (XXX) ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- आप विषय से भटक गए हों.
खाद्य मंत्री (श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी भी बीजेपी वालों के सबसे ज्यादा डम्पर चल रहे हैं. यह हम कह रहे हैं आप जांच करा लीजिए. (व्यवधान)
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)-- अध्यक्ष महोदय, सरकार के रेवेन्यू को बढ़ाने की बात है, इसमें पार्टी का कोई विषय नहीं है सरकारों का कोई विषय नहीं है. हमारी सरकार या इनकी सरकार की बात नहीं है.
अध्यक्ष महोदय--देखिए, मैं अगर बोलने की आज्ञा देता हूँ तो आप बेलगाम मत होइए. बिना अनुमति के जो बोल रहे हैं वह नहीं लिखा जाएगा. (इशारे द्वारा व्यवस्था दी गई) (व्यवधान)
श्री विजयपाल सिंह--(XXX)
श्री आरिफ मसूद --(XXX)
श्री कुणाल चौधरी--(XXX)
श्री गोपाल भार्गव--(XXX)
अध्यक्ष महोदय--भैया अब रहने दो आप कनक्लूजन कर लेना. गोपाल जी जब आप अंत में बोलते हैं तब आप बोल लेना, आप इकट्ठे बिंदु लिख लीजिए. मैं अगर किसी को बोलने की अनुमति देता हूँ तो मेहरबानी करके बेलगाम होकर मत बोलिए. अच्छी बातें करिए, न्यायोचित बातें करिए. मैं सुन रहा हूँ और आपको बोल रहा हूँ. लेकिन आप उस तैयारी में तो लगे नहीं हो, मत टीआरपी बढ़ाओ. दो कागज, मैंने बोल दिया. कमल जी, अब बोलने के लिए नहीं बोला है मैंने (श्री कमल पटेल, सदस्य के बीच में बोलने पर).
श्री संजय यादव (बरगी)--आदरणीय अध्यक्ष महोदय, सबसे पहले मैं इस बात के लिए माननीय मुख्यमंत्री जी और खनिज मंत्री को बधाई दूंगा कि कम से कम रेत नीति पर इन्होंने चर्चा करने का साहस दिखाया. आदरणीय कमल भैया मैं आपको याद दिला दूं. आपकी बात सबने सुन ली आप हमारी बात भी सुन लीजिए. आप स्वाभाविक रुप से बोल रहे थे कि माननीय शिवराज सिंह चौहान ने 1000 करोड़ रुपए के ठेके निरस्त किए थे. इसकी आपको पूरी जानकारी नहीं है. मध्यप्रदेश स्टेट माइनिंग कार्पोरेशन ने वर्ष 2014-2015 में ग्रुप के ठेके किए थे. यह ठेके जब किए तो सारे भाजपा के लोगों ने महंगे-महंगे ठेके ले लिए, अगर किन्हीं चार खदानों का एक ग्रुप बनता है तो उस ग्रुप को तोड़कर खदान नहीं दी जाती है. तत्कालीन सरकार ने चार खदानों में मान लीजिए 6 करोड़ रुपए का उसका ऑफसेट प्राइज है, किसी ठेकेदार ने 10 करोड़ की खदान ली थी उसमें से जो 2 करोड़ की एक खदान थी उसने पास करा ली और चारों खदानों से माल निकाला, यह किसकी गलती है. इसके बाद जब सरकार फंस गई, उसके लोग फंस गए कि महंगे ठेके ले लिए तो शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने, आपकी सरकार ने 22 मई को आनन-फानन में निर्णय लिया, 15 जून से खदानें बंद होती हैं 22 मई को आप आनन-फानन में निर्णय लेते हैं कि रेत की खदानें बंद. मैं मंत्री जी से पूछना चाहता हूँ कि आप तो ईमानदारी से खनन नीति पर बात कर रहे हैं. लेकिन जो नई खनन नीति बंद करने के बाद लागू हुई थी क्या उसका केबिनेट में निर्णय हुआ या सदन में उसकी चर्चा हुई थी. इस बात को भी आप नोट कर लें. अगर उस खनन नीति की चर्चा नहीं हुई, केबिनेट से उसका निर्णय नहीं हुआ क्योंकि वह नीतिगत निर्णय था. सरकार का करोड़ों का राजस्व नुकसान अगर हुआ है तो उसका दोषी कौन है ? इस बात की भी आपको जांच करना चाहिए. आप शिवराज सिंह जी को बधाई दे रहे थे, आपको इस बात की भी जांच करना चाहिए कि वर्ष 2014-15 में ठेके निरस्त करने के बाद सब की अर्नेस्ट मनी वापिस कर दी गई. अरबों रुपए की अर्नेस्ट मनी आपके निगम ने वापिस की या नहीं की, क्यों वापिस की ? अगर नहीं करते तो मध्यप्रदेश सरकार का इतना नुकसान नहीं होता. मैं आपको याद दिलाना चाहता हूँ कि माँ नर्मदा का सीना छलनी हुआ. आप कह रहे थे कि शिवराज जी को आपने अवैध उत्खनन के बारे में बताया. आपने बताया नहीं उनको सिखा दिया. आप जो हाई कोर्ट की बात कर रहे थे, मैंने याचिका लगवाई थी जब किसी के भतीजे के 8-8 डम्पर पकड़े गए थे. कहाँ से पकड़े गए थे ? (XXX) आपको अच्छे से मालूम है नर्मदा का सीना छलनी किया है. आपके अंदर दर्द तो है लेकिन बीच-बीच में तारीफ करके क्यों सेट करने का काम कर रहे हैं. आप बहुत ईमानदारी से बात कर रहे थे. मैं मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देना चाहूंगा कि खनिज विभाग ने प्रदेश में जो खनन नीति वर्ष 2017-2018 लागू की थी वह वर्तमान में प्रचलित हैं, जो नियम इस नीति नियम के तहत प्रदेश की समस्त खदानों का संचालन कार्य संबंधित ग्राम पंचायतों को सौंपा गया है इसमें हमें भारी नुकसान हुआ था. पंचायतों को जब सौंपा गया तो पंचायतों में आधिपत्य माफियाओं का हो गया. किन माफियाओं का जिनकी सत्ता रही. आज हाइवा डम्पर की बात कर रहे थे . आप रिकार्ड निकलवाकर देख लीजिए. पूरे हाइवा डम्पर किसके मिलेंगे चौहान ब्रदर्स, भारतीय जनता पार्टी के रिशतेदारों के. आपने बात सही की ओवरलोडिंग के खिलाफ जो कार्यवाही हुई थी मेरी याचिका पर हुई थी. तभी से ओवरलोडिंग बंद हुई है.
कमल पटेल-- पहले से ज्यादा हो गई है. दिन में ही जा रहे हैं पहले तो रात में जाते थे.
श्री के.पी.त्रिपाठी-- नेता प्रतिपक्ष के दवाब में अवैध उत्खनन, अवैध परिवहन के प्रकरण शून्य बताए गए हैं. खनिज मंत्री जी के द्वारा क्यों चौहान जी के डम्पर पकड़े नहीं गए.
अध्यक्ष महोदय-- जो भी मेरी अनुमति के बिना बालेंगे उनका नहीं लिखा जाएगा.
श्री संजय यादव-- आप क्यों पूरी पोल पट्टी खुलवाना चाहते हो. हम धीरे-धीरे सब बता देंगे. आप निश्चिंत रहो पांच साल कैसी नर्मदा छलनी की है हम सब बता देंगे, क्योंकि आपके लोग हमसे जूनियर हैं. रेत खनिज से प्राप्त होने वाले राजस्व के रूप में स्वाभाविक रूप से इन तीन वर्षों में कमी आई है. वर्ष 2016-2017 में रेत खनिज में 240 करोड़ एवं वित्तीय वर्ष 2017-2018 में 249 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ. वर्ष 2018-2019 में 69 करोड़ का शासन को राजस्व प्राप्त हुआ. अवैध रेत उत्खनन परिवहन एवं भण्डारण के प्रकरणों में बढ़ोत्तरी हुई है. अभी मशीनों का स्वाभाविक रूप से मशीनों में हम रोक नहीं लगा पाए लेकिन सरकार की मंशा है नई खनिज नीति में कि रेत में मशीनों से उत्खनन नहीं होगा और सरकार सदन में चर्चा कर रही है. नियम के अनुसार केन्द्र सरकार के नहीं है. पूर्व में नियम आया था कि मशीनों से रेत खनन नहीं होगा लेकिन जब आप हाइवा लेकर खदान में जाओगे तो हाइवा मजदूर तो भरते नहीं हैं. आपको भी मालूम है कमल जी मशीन जाएगी..
श्री कमल पटेल-- (XXX)
श्री संजय यादव-- उसका पालन नहीं हुआ. रोक लगी थी हाईकोर्ट से लगवाई थी.
श्री कमल पटेल-- (XXX)
श्री संजय यादव-- आप तो करवा नहीं पाए. हमारी तो मंशा ही है पालन करवाने की. निश्चित रूप से रेत खनिज की उपलब्धता के आधार पर नवीन खदानों का सीमांकन कराते हुए समूह बनाया जाएगा. ऐसी मंशा व्यक्त की गई है. अधिक से अधिक चिह्नित होने से अपूर्ती में सुगमता होगी. पांच हेक्टेयर क्षेत्रफल की खदानों में रेत खनन संग्रहण लोडिंग का काम सर्वप्रथम श्रमिकों की समिति से कराया जाएगा इसके लिए मैं खनिज मंत्री जी को बधाई देता हूं कि आपने जो रेत लोडिंग का काम श्रमिकों के माध्यम से कराने का काम किया है. मशीन उपयोग करने की अनुमति दी जाएगी. मैं आपसे निवेदन करूंगा कि कुछ जगह मशीनें जरूरी होती हैं नदियों में. नदी कैसी जो पहाड़ी नदी होती है उनमें रेत अधिक मात्रा में आ जाती है अगर रेत को हम उठा नहीं पाए तो गर्मी में वहां मवेशी के लिए पानी नहीं मिलता है. लेकिन मैं आपको इसमें एक सुझाव दूंगा कि पूर्व में परम्परा थी अगर आपको मशीनों से रोक लगवाना है तो पानी के अंदर से या पानी के किनारे से किश्तियों के माध्यम से क्योंकि अगर हम पूरी तरह से नर्मदा प्रतिबंधित कर देंगे तो चोरी नहीं रोक पाएंगे और चोरी रोकना सबसे कठिन काम है. क्योंकि चोरी रोकने में आप भी बदनाम होते हैं क्योंकि हम चोरी नहीं रोक पाते हैं. ठेका करने से कम से कम शासन को राजस्व की प्राप्ति होगी जो विगत 2-3 वर्षों से नहीं हो रही है इसलिए आप खनिज नीति के अंतर्गत जो ठेका कर रहे हैं वह स्वागतयोग्य कदम है क्योंकि मुझे विश्वास है कि आप माफियाओं के चंगुल से इसे छुड़ाकर सरकार को राजस्व अवश्य दिलायेंगे. मंत्री जी, आपने इसमें जो प्रावधान किया है कि 3 वर्षों तक समूह बनाकर ऑनलाईन नीलाम किया जायेगा और रेत खनिज का परिवहन ट्रांजिट पास द्वारा करवाया जायेगा, प्रचलित नीति में ट्रांजिट पास की व्यवस्था समाप्त कर दी गई है, आपको इसके लिए बहुत-बहुत बधाई. ऑनलाईन रेत की जब रॉयल्टी होती थी तो जबलपुर में बैठकर कोई व्यक्ति होशंगाबाद की रॉयल्टी काट लेता था. इससे जबलपुर की खदान का हक, वहां का पैसा जो उस पंचायत को मिलना चाहिए था वह हक इससे मारा जाता था. इसके लिए भी खनिज मंत्री को बधाई.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से एक निवेदन करूंगा कि आप खनिज नीति बना रहे हैं. रेत का ठेका करेंगे लेकिन मंत्री जी रेत का संचालन खनिज विभाग की अपेक्षा निगम बहुत अच्छे तरीके से करता है. उसमें बहुत पारदर्शिता रहती है. निगम के पास पहले 18 जिले संरक्षित थे लेकिन मुझे जो जानकारी प्राप्त हुई है कि आप निगम का पोर्टल इस्तेमाल करेंगे, निगम कलेक्शन भी करेगा लेकिन संचालन का कार्य जिला कलेक्टर करेगा. जिला कलेक्टर के संचालन से यह होता है कि इसमें पटवारी, आर.आई., पुलिस वाले सब के सब, एक ठेकेदार जो शासन को 10-20 करोड़ रूपये का राजस्व देता है, ईमानदारी से रेत का परिवहन करता है, उसको एक पटवारी भी जाकर गाली दे देता है. इसलिए यदि इससे आपको बचना है, लोगों को रोजगार देना हो तो आप रेत के ठेकों का संचालन कार्य निगम के माध्यम से पूरे मध्यप्रदेश में करवायें. निगम के पास पूरा प्रदेश संरक्षित होना चाहिए न कि इसे जिला कलेक्टर और लोकल कमेटी के अधीन होना चाहिए.
माननीय अध्यक्ष महोदय, स्वयं के निजी निर्माण हेतु आम नागरिक को आपने 20 घन मीटर रेत के भण्डारण की अनुमति दी है. एक ट्रक में 12 घन मीटर रेत आती है. यदि किसी के घर में स्लैब डलता है तो उसमें 4 ट्रक रेत लगती है. यदि आप आम नागरिकों को 60 घन मीटर रेत भण्डारण की अनुमति दे देंगे तो कम से कम वह अपना स्लैब डाल सकता है. नो एंट्री का समय रहता है, यदि कोई व्यक्ति केवल एक ट्रक रेत डलवायेगा तो वह आधे स्लैब का कार्य तो नहीं छोड़ सकता है इसलिए मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि आपने इसमें निजी लोगों को 20 घन मीटर की जो सीमा दी है उसको बढ़ाकर 60 घन मीटर कर दिया जाये जिससे कम से कम 5 ट्रक रेत से व्यक्ति अपने स्लैब और अन्य कार्य कर सकता है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, चूंकि आपका आदेश हो गया है इसलिए जल्दी से मेरा तीसरा निवेदन यह है, जैसा कि कमल पटेल जी ने कहा था और मेरा भी आपसे आग्रह है कि रेत के व्यापार में हाइवा पूर्ण तरह से प्रतिबंधित होना चाहिए क्योंकि आपने नर्मदा में मशीनों को बंद किया है लेकिन हाइवा को बगैर मशीन के नहीं भरा जा सकता. जो 6 चक्कों का ट्रक होता है, उसे मजदूरों से भरवाया जाता है और उसे खाली भी मजदूर ही करते हैं. मजदूरों को इससे रोजगार मिलता है और दुर्घटनायें भी कम होती हैं. सड़कें भी खराब नहीं होती हैं इसलिए मेरा आपसे निवेदन है कि नई रेत नीति में आप ऐसी व्यवस्था करें जैसी मण्डला जिले में लागू है कि मजदूरों को काम देने के लिए रेत का व्यापार विधि संगत 6 चक्का ट्रक से होना चाहिए और आपको नई खनिज नीति की चर्चा के लिए बहुत-बहुत साधुवाद और धन्यवाद.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह अच्छी बात है कि रेत पर दोनों ओर से काफी चर्चा हो गई. दोनों पक्षों की ओर से ओपनिंग कर दी गई है. हालांकि माइनर और मेजर मिनरल्स के बारे में अभी तक कोई चर्चा नहीं आई है. मुझे उम्मीद है कि इसके बाद उन पर भी चर्चा होगी. माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि हम लोगों ने तय किया है कि आज अशासकीय संकल्प भी हैं, उसके बाद आधे घण्टे की चर्चा भी है, दोनों पक्षों की ओर से आज ओपनिंग हो गई है तो क्या शेष काम, यदि हम चाहें तो कल कर लें, ऐसा हमारी ओर से सुझाव आया है.
अध्यक्ष महोदय- आज यह विभाग तो अवश्य पूरा कीजियेगा. अंदर जो चर्चा हुई थी, आप लोगों को मैं क्या समझाऊं, क्या बोलूं. मुझे स्वयं बुरा लगता है. आपका सुझाव आया है लेकिन आप लोग मेरे सुझाव पर ध्यान नहीं दे रहे हैं. मुझे बार-बार दोनों दल के लोग बुरा बना रहे हैं. आपकी ओर से ओपनिंग 25 मिनट की हो गई इनकी ओर से 15 मिनट की हो गई. आपकी पार्टी के लिए पूर्व निर्धारित समय 39 मिनट और इनकी पार्टी को 42 मिनट हैं. दोनों ओपनिंग वक्ताओं ने इस समय को कवर कर लिया है. मैंने कहा था कि अब जो शेष बोलने वाले हैं उनके बोलने की सीमा निर्धारित कर दीजिये और केवल 2-3 नाम दीजिये ताकि और भी काम हो सके. एक विभाग पर जो माननीय सदस्य बोल चुके हैं, उन्हीं के नाम बार-बार हर विभाग पर बोलने के लिए आ रहे हैं. इस पर हम स्वयं चिंतन करें.
श्री गोपाल भार्गव:- अध्यक्ष महोदय, इस व्यवस्था पर हम आपसे चर्चा कर लेंगे. यह हम लोगों ने तय कर लिया है..
अध्यक्ष महोदय:- मेरा कहना है कि श्री राजेन्द्र शुक्ल जी पूर्व मंत्री रहे हैं, इनको 10 मिनट बोलने दीजिये. बाकी जिनको बोलना है, वह दो-दो मिनट बोलें. आज हम इस विभाग को पूरा करेंगे. ठीक है, नेता जी ?
श्री गोपाल भार्गव:- जैसा आप चाहें.
डॉ.सीतासरन शर्मा:- ऐसे में तो रात को दो बज जायेंगे.
अध्यक्ष महोदय:- हम तो चाहते हैं कि रात को दो बजे तक बैठें. आप तैयार हैं?
डॉ.सीतासरन शर्मा:- नहीं, हम तैयार नहीं हैं.
अध्यक्ष महोदय:- गोपाल जी तैयार हैं, क्योंकि गोपाल जी को रात में झूला झूलने की आदत है. (हंसी)
श्री गोपाल भागर्व:- अध्यक्ष महोदय, मुझे कोई समस्या नहीं है.
श्री कमल पटेल:- अध्यक्ष महोदय, पूरी रात चलने दो, राठौर साहब बैठे ही हैं.
अध्यक्ष महोदय:- नहीं, राठौर साहब ने सही जवाब नहीं दिया नहीं तो मैं रात भर विधान सभा चलाता.
श्री गोपाल भार्गव:- कुछ नहीं लॉबी में व्यवस्था कर दें, बाकी सब ठीक है. (हंसी)
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर:- अध्यक्ष जी महत्वपूर्ण सुझाव आ ही गये हैं. शुक्ला जी पांच मिनट बोल दें.
अध्यक्ष महोदय:- आपने नेता प्रतिपक्ष की बात सुनी ही नहीं. अब क्या बतायें.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर:- नहीं, हमने सुन ली है. आगे बढ़ा दें.
श्री राजेन्द्र शुक्ल (रीवा):- मैं खनिज विभागों की अनुदान की मांगों के विरोध में और कटौती प्रस्तावों के समर्थन में खड़ा हुआ हूं.
अध्यक्ष महोदय, कमल जी और संजय जी दोनों रेत के क्षेत्र से लगे हुए प्रतिनिधि हैं और इनको काफी अनुभव है और जो अंदरूनी कमियां है उसके बारे में भी इन्होंने काफी से यहां पर बात रखी है. इसलिये हम लोगों ने तय किया था कि कमल जी इस विभाग की ओपनिंग करें. क्योंकि रेत जो एक चर्चा का विषय रहता है,चाहे पक्ष हो या विपक्ष हो. हम निष्पक्ष होकर इसमें बेहतर निराकरण क्या होता है, उसक बारे में निर्णय करें. इसलिये कमल जी और संजय जी ने जो बातें यहां पर कही हैं. उसको हम सबको यहां पर गंभीरता से लेने की जरूरत है.
अध्यक्ष महोदय, जहां तक खनिज विभाग का सवाल है,यह देश की अर्थव्यवस्था और औद्योगिक प्रगति के लिये यह बहुत ही महत्वपूर्ण विभाग है, जो इसके जानकार हैं और अर्थशास्त्री हैं , उनका यह मानना है कि अभी देश की जीडीपी में 2.2 प्रतिशत का कन्ट्रीब्यूशन खनिज विभाग का है. हमारी जो खनिज संपदा है, जिससे खनिज लगते हैं, जिससे रोजगार के अवसर पैसा होते हैं, उसका कन्ट्रीब्यूशन मात्र 2.2 प्रतिशत है और यह भी मानना है कि यदि इसका कन्ट्रीब्यूशन बढ़ाकर हम 5-7 प्रतिशत कर दें तो देश के विकास की जो दर है, वह 10 प्रतिशत को प्राप्त कर लेगी. दुनिया यह मानती है कि भारत जिस दिन 10 प्रतिशत विकास की दर को प्राप्त कर लेगा, उस दिन चीन और अमेरिका पीछे हो जायेगा और भारत आर्थिक शक्ति के रूप में उभरकर उनसे भी आगे चला जायेगा. इसलिये मैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी को इस बात के लिये बधाई देता हूं कि उन्होंने एनएमडीआर एक्ट में जो संशोधन किया 2015 में उसमें उन्होंने जो प्रावधान किये हैं. उसमें खनिज के अंवेषण को युद्ध अवसर पर करने की आवश्यकता पर बल दिया, उसके लिये बजट दिया, उसके लिये डीएमएफ जिस क्षेत्र में उत्खनन होता है, उस क्षेत्र के विकास पर विपरित असर पड़ता है. लेकिन उस क्षेत्र के विकास के लिये धन की कमी हमेशा एक विषय बना रहता है. जिला खनिज प्रतिष्ठान बनाकर उस क्षेत्र के विकास के लिये जितनी रायल्टी आती थी, उसमें से 30 प्रतिशत और उस जिले में रोकने की व्यवस्था की अतिरिक्त रॉयल्टी लगायी और लोगों ने खुशी-खुशी अतिरिक्त रॉयल्टी जमा भी करायी. उस क्षेत्र में विकास के लिये चाहे सड़क हो, पर्यावरण हो, स्कूल हो, पेयजल हो या स्वच्छता हो, उसमें धन की कमी पूरी तरह से समाप्त हो गयी है. कोयले के क्षेत्र से जो लोग यहां पर आये हैं, जहां लाईम स्टोन हैं, जहां मैगनीज़ है और जहां पर कॉपर है. जहां पर मुख्य खनिज है, वहां के विकास के लिये जिले के कलेक्टर के पास ही इतना पैसा है कि उस क्षेत्र का यदि योजनाबद्ध तरीके से विकास किया जाये तो उस क्षेत्र का विकास हो सकता है. ऑक्शन की नीति बनायी है और प्रदीप जायसवाल जी को मैं यह कहना चाहता हूं अंवेषण में थोड़ा समय जरूर लगा, लेकिन प्रथम, दूसरे चरण की बोली हो गयी और आप तीसरे चरण की बोली की तैयारी कर रहे हैं. जिसमें आपने 21 ब्लॉक चिन्हिृत कर लिये हैं. इनकी जब बोली होगी तो रिजर्व खनिज निकाले गये हैं, वह लाखों- करोड़ों रूपये के हैं. हमारी मध्यप्रदेश की धरती के अंदर, हमारा मध्यप्रदेश रत्नगर्भा है.
श्री राजेन्द्र शुक्ल--यहां इतनी खनिज सम्पदा है कि उसका 30 वर्षों का आंकलन निकलकर सामने आया है. अकेले छतरपुर में हीरे की खदान का आप आक्शन करने जा रहे हैं उसका रिजर्व प्राईज है वह 60 हजार करोड़ रूपया है उसकी बोली होने वाली है उसमें बड़ी बड़ी कम्पनियां बोली लगाने के लिये रूचि दिखा रही हैं. इसी प्रकार से लाइम स्टोन, आयरन एवं मेगनीज उसमें मैं आपको सुझाव देना चाहता हूं कि खनिज राजस्व हम ज्यादा से ज्यादा कैसे बढ़ायें, सक्षम लोग कैसे उत्खनन के लिये सामने आयें, उस पर आधारित उद्योग क्षेत्र लगने का मार्ग कैसे प्रशस्त हो ? इसके लिये एम.ओ.यू. हुआ है भारत सरकार की ऐसी नयी नामी एजेंसीज है चाहे वह जी.एस.आई. हो, चाहे इंडियन ब्यूरो ऑफ माइंस हो, चाहे एम.ओ.माइल हो, चाहे एन.एम.डी.सी. हो, सबसे मध्यप्रदेश की सरकार का एम.ओ.यू हो चुका है. वह अपने तमाम संसाधनों के साथ मध्यप्रदेश की धरती के अंदर कहां पर क्या है, उसकी खोज कर रहे हैं उसमें दिन रात काम हो रहा है. डायरेक्टरेट भी खनिज अनवेक्षण में लगा हुआ है. हम उसको जी-1, जी-2, जी-3 लेवल वहां तक उसको बढ़ाना है, उसको बढ़ाकर के उसमें ज्यादा से ज्यादा ब्लॉक हम बनायें, क्योंकि पूरे देश में एक काम्पटीशन चल रहा है. प्रधानमंत्री मोदी जी ने ऐसा वातावरण बनाया है कि जब मैं खनिज मंत्रियों के सम्मेलन में जाता था तो मैं देखता था कि वहां पर होड़ लगी रहती थी कि हमने ज्यादा ब्लॉक बना लिये हैं, हमने ज्यादा ग्रुप बना लिये हैं, हमने ज्यादा टेन्डर कर दिये हैं. उसमें मध्यप्रदेश किसी भी तरीके से पिछड़ने न पाये. खनिज राजस्व को बढ़ाया जा सकता है. मुझे याद है कि सन् 2004 में खनिज मंत्री बना था तब खनिज राजस्व से सरकार के राजस्व में आने वाली राजस्व की राशि 600 करोड़ थी तब हमारी सरकार ने अवैध उत्खनन पर शिकंजा कसा मैं पूरी तरह से गारंटी नहीं लेता हूं कि पूरी तरह से सिस्टम को फुलप्रूफ बना दिया गया था, लेकिन जो प्रयास किये गये थे उसका असर यह पड़ा कि जब हमने आपको सत्ता सौंपी तो खनिज संसाधनों के माध्यम से खनिज राजस्व जो सरकार के खजाने में जाता था वह 600 करोड़ से बढ़कर 4600 करोड़ हो गया था. प्रगति होती है यदि उसमें प्रयास किये जाते हैं जैसा कि आप कह रहे हैं. यदि रेत में भी इसी प्रकार से हम अंकुश लगायेंगे, क्योंकि यह बात सही है कि 2015 में रेत नीति हमने बनायी जिसमें हमने ई ऑक्शन के माध्यम से जो आप करने जा रहे हैं, वह काम किया फिर आम आदमी को सस्ती और सुलभ रेत आसानी से मिल जाये, रेत महंगी न होने पाये ठेकेदारों की काम्पटीशन कारण तो कहीं ऐसा न हो कि हमारे खजाने में तो वह 2 हजार करोड़ डालें, लेकिन आम आदमी को 10 हजार रूपये की जगह 20-30 हजार रूपये में रेत मिलने लगे इसलिये हमने उसको फिर से रिव्यू किया 2017 में हमने एक नयी रेत नीति बनायी उसमें हमने यह प्रावधान कर दिया कि 125 रूपये प्रति क्यूबिक मीटर के हिसाब से जो व्यक्ति घर बैठे सेंड पोर्टल में पैसा डालेगा जितने घनमीटर का पैसा डालेगा उतने घनमीटर रेत उस खदान में जाकर रेत लेगा उसमें पंचायत उसकी मॉनिटरिंग करेगा उसमें 50 प्रतिशत खनिज राजस्व का पंचायत को मिल जायेगा, 50 प्रतिशत राजस्व जिले के खाते में जायेगा. यह हमने रिव्यू किया था यह रिव्यू सुधार के लिये किया था कि जिससे आम आदमी को सस्ता आसानी से रेत मिले. रेत की जो रायल्टी आये उसमें 50 प्रतिशत जिले में रहे जैसे मेजर मिनरल में 30 प्रतिशत रायल्टी का जिले में रहता है उसी प्रकार से 50 प्रतिशत रेत का भी जिले में रहे. जहां पर जो विकास करना चाहता है जिला समिति में हमारे प्रभारी मंत्री भी बैठे हैं, विधायक बैठे हैं. वह तय कर लें कि इस पैसे का किस प्रकार से उपयोग होगा, लेकिन आप पॉलिसी कुछ भी बनायें. आप पॉलिसी यह बनाने वाले हैं कि जैसे हमने 2015 में पॉलिसी बनायी थी उससे भी बड़े बड़े ग्रुप बनाकर के और भी बड़े बड़े टेन्डर करने की कोशिश आप कर रहे हैं इसमें मुझे कोई आपत्ति नहीं है. लेकिन इस बात पर जरूर ध्यान रखना चाहिये कि जब रेत का उत्खनन होता है तो फिर रेमपेंट माइनिंग का खतरा बढ़ता है, क्योंकि क्वांटिटी जैसा बता दिया कि बहुत है. ठेका हमने कर दिया है 20 करोड़ रूपये का अब 20 करोड़ में वह लेबर से तथा डम्पर से उतनी रेत नहीं निकलेगी. यदि मध्यप्रदेश के पूरे लेबर भी लग जाएंगे रेत की गाड़ियों को भरने में तो जितनी रेत की जरूरत निर्माण कार्यों में है उतनी रेत मिल भी नहीं पायेगी फिर रेत की कमी हो जायेगी. इसलिये एन.जी.टी ने दोनों प्रावधान किये थे. एक तो यह किया था कि वहां की परिस्थितियों को देखते हुए यदि मशीन लगा सकते हैं तो उसमें मशीन लगायें अगर मशीन लगाने की जरूरत न हो तो उससे बचें. लेकिन पूरी तरह से मशीन लगाने में रोक इसलिये नहीं लगाई थी कि कई प्रकार से जो व्यवहारिक परेशानियां होती हैं, लेकिन नर्मदा जी के मामले में यह बात सही है कि जब अध्यक्ष महोदय, जब नर्मदा परिक्रमा का एक महाअभियान शुरू हुआ, तो उसमें फायदा हुआ, कमल जी ने इसके लिए बड़ा संघर्ष किया है, उसमें फायदा यह हुआ कि मशीनों को बेन कर दिया गया.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत - अध्यक्ष महोदय, कमल का जीवन भाजपा में संघर्ष में ही निकल गया, नाम कमल है, लेकिन कमल खिल नहीं पाया है.
श्री राजेन्द्र शुक्ला - आपने भी कोई कम संघर्ष नहीं किया है.
श्री विश्वास सारंग- गोविन्द भाई तो रोज ही संघर्ष करते हैं.
श्री राजेन्द्र शुक्ला - अध्यक्ष महोदय, मैं दो-तीन बिन्दुओं पर और ध्यान देना दिलाना चाहता हूं, जब एमएमडीआर एक्ट में संशोधन हुआ तो मध्यप्रदेश को एक फायदा यह भी हुआ कि 31 मेजर मिनरल्स को मायनर मिनरल बना दिया गया था, जिसका पी.एल. ग्रांड था उसका तो एमएल हो गया, लेकिन नए सिरे से रियायतों को कैसे देना है, कैसे हमें लीज सेंक्शन करना है उसके लिए जो नियम हमको बनाने चाहिए था, जो आज से 8 महीने पहले बन जाने चाहिए थे, वह अभी तक नहीं बन पाए. रेत भर तो है नहीं रेत, गिट्टी और कोयला लाइन स्टोन भर तो है नहीं, बहुत से ऐसे मिनरल्स है, लैटराइट है, डोलोमाइट है, पायरोफ्लाइट है. इस प्रकार के हमारे जो 31 मिनरल्स को माइनर मिनरल बनाकर केन्द्र सरकार ने हमको सुविधा दी है कि इसको केन्द्र में मत भेजिए, इसको अपने स्तर पर निराकरण कीजिए वह नियम हम नहीं बना पाए, वह नीति हम नहीं बना पाए और कैबिनेट से ले जाकर के उसको मंजूर नहीं कर पाए तो बहुत बड़ी ऐसी सम्पदा जो खनिज राजस्व को बढ़ा सकती है और उस खनिज के आधार पर कुछ उद्योग लग सकते हैं वह काम पूरी तरह से बंद पड़ा है. खजिन मंत्री प्रदीप जी ध्यान देंगे और मुझे लगता है कि इस नियम को जितने जल्दी, क्योंकि मेरी जानकारी में अभी वित्त विभाग और विधि विभाग के बीच में ही यहां से वहां झूल रहा है यदि वहां से क्लीयर करके और केबीनेट में इसको ले जाकर करेंगे तो एक नया फ्रंट ओपन होगा जो हमारे खनिज राजस्व को बढ़ाने में सहयोग करेगा. एक और फैसला जो आपने किया है, इसी विधानसभा में विधायकों की मांग के बाद मैंने किया था कि जो रेत किसानों के खेतों में है वह किसानों को उठाने की अनुमति दी जाए. क्योंकि जो ठेकेदार है वह मार्केट को कंट्रोल करते हैं और यदि किसानों की जमीन में कोई रेत है और उसको ठेकेदार उठाएंगे तो 200 रूपए उनको देंगे और बाजार में एक हजार रूपए में बेचेंगे और यदि मार्केट रेट 1000 रूपए ही है या 500 रूपए ही है तो वह जो फायदा है वह कम से कम उस किसान को मिल जाए जिसके खेत में रेत पड़ी है. जब मैंने यह फैसला किया था तो विधानसभा में ध्वनिमत से इसकी प्रशंसा की गई थी. लेकिन आपने इसको जो समाप्त किया है इसको फिर से पुनर्विचार करें ताकि गरीब किसान को भी कुछ खेत में यदि रेत आती है तो उन किसानों को भी उनका फायदा मिल सके. ये प्रमुख बिन्दु है जो मैंने ध्यान में लाए हैं. अध्यक्ष महोदय बहुत बहुत धन्यवाद
अध्यक्ष महोदय - राजेन्द्र जी बहुत बहुत धन्यवाद.
07:58 बजे
अध्यक्षीय घोषणा
सदन के समय में वृद्धि विषयक
खनिज साधन विभाग की मांग पारित होने तक के उपरांत अशासकीय संकल्प की आधे घंटे की चर्चा ली जाए. अत: यह कार्य सम्पन्न होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाए. मैं समझता हूं सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई)
अध्यक्ष महोदय - श्री विनय सक्सेना, 5-5 मिनट दे रहा हूं अब, क्योंकि घड़ी का कांटा देख रहा हूं, आप स्वयं देख लो, मुझे बोलने की जरूरत न पड़े, आप सभी की बड़ी मेहरबानी होगी. आप खुद देखों, खुद बोलो, खुद बैठ जाओ, अपना समय का निर्धारण आप खुद करें, मैंने 5 मिनट दे दिया.
श्री विनय सक्सेना(जबलपुर-उत्तर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय प्रदीप जैसवाल के द्वारा जो मांग संख्या 25 के समर्थन में मैं खड़ा हुआ हूं. मुझे खुशी है कि आज रेत के विषय में पक्ष और विपक्ष में वास्तविक जो हालात है मध्यप्रदेश के उसको स्वीकार किया गया. मध्यप्रदेश में अगर माननीय अध्यक्ष महोदय, हैलीकाप्टर से नर्मदा जी के ऊपर से यात्रा की जाए तो वास्तविकता यह समझ में आती है कि नर्मदा जी की जो नदी है उसके आसपास बहुत बड़ी बड़ी खाईयां हो गईं हैं. हमारे जो पूर्व सरकार है, जो पूर्व माननीय खनिज मंत्री थे, उन्होंने तो कई बार ये सब उनकी आंखों से देखा होगा कि हालात कितने बुरे है. मैं तो यह भी कहना चाहता हूं कि जो कमल भाई कह रहे थे कि अगर वास्तविक रूप से यदि नेता कसम खा ले, हालात क्या है कि जो सुबह- सुबह मां नर्मदा जी की सेवा करने जाते हैं, जो पूजन करने, अगरबत्ती लगाने जाते हैं, वे खुद भी रेत के कारोबार में 24 घंटे लिप्त रहते हैं. एक नियम बना इस बार विधानसभा और लोकसभा चुनाव में कि जो कंस्ट्रक्शन कंपनियां हैं और जो ठेकेदारी करते हैं, वे चुनाव नहीं लड़ सकते. अगर मध्यप्रदेश में रेत का अवैध उत्खनन रोकना है तो एक नियम यह भी आना चाहिए कि जो लोग रेत उत्खनन करते हैं. उनको चुनाव लड़ने पर रोक लगानी चाहिए, मेरा तो यह भी मानना है. ऐसा कोई नेता नहीं है, नर्मदा जी के आसपास. मैं सबका नाम नहीं लेना चाहता क्योंकि आपने सबको एक जैसा माना लेकिन मैं थोड़ा सा अन्तर करता हूँ. अगर रेत के संबंध में नर्मदा जी के आसपास, भिण्ड, मुरैना की बातें कर लें तो जिस ढंग से मौतें होती हैं, अधिकारियों की भी मौतें हुईं. मुझे छोटी सी आपत्ति कमल भाई की इस बात पर थी कि जब उन्होंने यह कहा कि अधिकारी (XXX) हैं. मैं कहता हूँ (XXX) जरूर होंगे.
श्री कमल पटेल - मैंने सबके बारे में नहीं कहा. जिसको जिम्मेदारी दी है, वे (XXX) रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - इस शब्द को विलोपित कर दें. यह आदत बड़ी खराब है.
श्री विनय सक्सेना - माननीय अध्यक्ष महोदय, यही मैं कहना चाहता हूँ कि हिन्दुस्तान में और हर प्रदेश में कुछ ऐसे लोग होते हैं जो ईमानदार होते हैं, जिनके कारण देश चल रहा है. नेताओं के बारे में जनता क्या कहती है ? यह आपको पता है. लेकिन कुछ नेता ऐसे भी होते हैं, जो ईमानदार होते हैं, जैसे रेत के मामले में आप ईमानदारी की बात कर रहे हैं. मेरा यह कहना है कि अधिकारियों का मनोबल गिराना कि सब के सब एक जैसे हैं तो यह प्रदेश और देश नहीं चल रहा होता. यह मानिये कि 1-2 प्रतिशत ईमानदार होंगे. हमारा समय जरूर खराब होगा कि उस अधिकारी को ढूँढ़ा जाये लेकिन आने वाला समय यह दिखायेगा. यह आपने जो कहा कि बड़े अधिकारी आईएएस और आईपीएस पर रेड क्यों नहीं होती ? यह केन्द्र सरकार का ही काम है, प्रदेश सरकार में इसकी भूमिका कम है. मैं आपसे यह भी कहना चाहता हूँ कि प्रदेश के औद्योगिक विकास में खनिज संसाधनों का महत्वपूर्ण योगदान होता है. माननीय राजेन्द्र शुक्ल जी की इस बात से मैं बिल्कल सहमत हूँ कि राष्ट्र में खनिज की उपलब्धता में मध्यप्रदेश का चौथा स्थान है. मैं यह भी जानता हूँ कि विकास की आवश्यकता में खनिजों की मांग औद्योगिक प्रगति के साथ बढ़ती जाती है. अगर हमको वाकई प्रदेश को आगे ले जाना है और देश के साथ कदम से कदम मिलाना है तो हमारा अन्वेषण कार्य भी अति आवश्यक है, खनिजों का संरक्षण आवश्यक है. मैं यह उम्मीद करता हूँ कि माननीय कमलनाथ जी के नेतृत्व में और भाई प्रदीप जायसवाल जी के नेतृत्व में यह प्रदेश खनिजों का अन्वेषण भी करेगा और दोहन भी समुचित रूप से करेगा. लेकिन मैं प्रदीप भाई से यह उम्मीद करता हूँ कि जब खनिजों का दोहन करें तो हम जिस सैटेलाइट की बात करते हैं, खदानों की हमने मैपिंग कर ली है, उनका उपयोग नहीं हो रहा है. यह बात बिल्कुल सही है कि जिन हेक्टेयरों में परमीशन दी जाती है, उसके आसपास तो काम होता है, उनमें तो कई बार मैंने भी ऐसे उदाहरण देखे हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जिसका ऑक्शन हुआ, जिसका कॉन्ट्रेक्ट हुआ, वहां तो एक क्युबिक मीटर भी माल नहीं था. लेकिन जो उत्खनन होता है, उसके आसपास के 20 गांवों से होता है. मैं प्रदीप भाई से उम्मीद करता हूँ कि जैसा संजय यादव जी ने बताया कि उन कम्पनियों का नाम शिवा और बहुत सारी बड़ी-बड़ी कम्पनियों ने मध्यप्रदेश में रेत उत्खनन किया था. मैं यह भी कहना चाहता हूँ कि वर्षा ऋतु में रेत उत्खनन बन्द हो जाता है. पिछली सरकार ने जून माह में रेत उत्खनन के ठेके निरस्त किये तो आखिर उन्होंने किसको फायदा पहुँचाया ? मैं माननीय राजेन्द्र शुक्ल जी से उम्मीद करता हूँ कि इस पर प्रकाश जरूर डालेंगे. उनको भी पता है कि दबाव ऊपर से होगा. जिनके यहां ठेकेदारी चली, राजनीतिक भी वही, ठेकेदार भी वही, वही कातिल, वही मुंसिफ, अब फैसला करेगा कौन ? माननीय राजेन्द्र भैया से एक निवेदन के साथ, उसके बाद आप जवाब दे दें. सबको पता है कि जैसे ही बारिश होना शुरू होती है, वैसे ही रेत के रास्ते बन्द हो जाते हैं, आप जिन हाइवे की बात कर रहे थे. जब रेत का उत्खनन बन्द हुआ जा रहा है, उस समय अगर हमने ठेकेदार के टेण्डर निरस्त कर दिये तो जो चार माह की किस्त, जो उसको देनी चाहिए थी, उसका फायदा किसको मिला ? मैं माननीय प्रदीप भैया से उम्मीद करता हूँ कि उस समय के ठेकों का रिव्यू होना चाहिए कि वे कौन से अधिकारी थे और कौन से ऐसे लोग थे ? जिनके दबाव में उस समय ठेके निरस्त किये गये. यह ठेका अगर निरस्त करना था तो दिसम्बर में जाकर होना था, जिससे बरसात का मध्यप्रदेश सरकार को राजस्व मिलता, उनकी ईएमडी वापस कर दी गई, एसडी वापस कर दी गई. इस सबकी भी जांच होनी चाहिए.
श्री राजेन्द्र शुक्ल - माननीय अध्यक्ष महोदय, सदन गुमराह न हो, इसके लिए मुझे इंटरप्ट करना जरूरी है. ये ठेके जो निरस्त की बात हो रही है, वह समग्र नर्मदा परिक्रमा का जो अभियान था, उसके अंतर्गत हुआ था, बीच में टेण्डर निरस्त हुआ था. आम तौर पर किसी भी रेत की खदान को मानसून में चलाने में एक स्टैंडिंग ऑर्डर है कि रेत की खदानें बरसात में नहीं चलतीं.
श्री विनय सक्सेना - अध्यक्ष महोदय, यही मैं कहना चाहता हूँ कि बस आप यहीं पर रुकिये तो आपको उत्तर मिल जायेगा.
श्री राजेन्द्र शुक्ल - आप कन्फ्यूज हो रहे हैं.
श्री विनय सक्सेना - मैं बिल्कुल कन्फ्यूज नहीं हूँ. मैं इस बात को, जो इसके एक्सपर्ट थे, वे रेत का कारोबार समझते होंगे लेकिन मैं यह जो आपके अनुबंध हैं, इसको बहुत अच्छी तरह से समझता हूँ. मैं आपसे यह कहना चाहता हूँ जिस समय रेत का उत्खनन बन्द हो जाता है लेकिन ठेकेदार साल भर के हिसाब से ठेका करता है कि साल में इतने क्युबिक मीटर का मैंने इतने करोड़ रुपये का ठेका लिया तो जो वर्षा ऋतु का 4 माह का ठेका, जो उसने पूरे साल का किया था, उसको उसी तारीख में निरस्त करना था, जब एक साल उसका पूर्ण हो रहा था.अगर वर्षा ऋतु में रेत उत्खनन बंद हुआ है तो उसका तो वह पैसा जमा करता है क्योंकि टेंडर आप यह नहीं करते हो कि वर्षा ऋतु में उत्खनन नहीं करना है, आप टेंडर वर्षा ऋतु सहित करते हो. अगर मैं गलत कर रहा हूं तो आप आपत्ति लीजियेगा. जब वर्षा ऋतु सहित आपने टेंडर दिया तो फिर वर्षा ऋतु का जो पैसा राजस्व सरकार के पास जमा होना था, उसमें उन लोगों को फायदा नर्मदा परिक्रमा के नाम पर हुआ. अरे इसी नर्मदा जी को तो उन्होंने छलनी कर दिया है और उन्हीं को आपने उसका फायदा दे दिया. मतलब आपने नर्मदा जी की चिंता नहीं की है, आपने ठेकेदारों की चिंता की है. सरकार ने उनकी चिंता की है जो नर्मदा जी को लूट रहे थे, जो नर्मदा जी को छलनी कर रहे थे. नर्मदा परिक्रमा कैसे हुई यह आपको भी पता है. हेलीकाप्टर से नर्मदा परिक्रमा हुई है. यहां से उड़े वहां पहुंच गये, सुबह एक घण्टे दौरा किया, उसके बाद अगली परिक्रमा कर ली, फिर आकर सरकार चलाई और दूसरे दिन फिर परिक्रमा करने पहुंच गये. इससे अच्छा होता कि कम से कम वह पैसा तो सरकार को मिल जाता. आदरणीय राजेन्द्र भाई मेरे बात से अगर सहमत हों तो मैं उम्मीद करता हूं कि वह कहेंगे कि प्रदीप भईया इसको रिव्यू करें. अध्यक्ष महोदय आप घड़ी दिखा रहे हैं परंतु सरकार से संबंधित बहुत सारे मुद्दे हैं. एक खदान डिंडोरी के पास भी चल रही है. माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का समय दिया इसके लिये आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय -- सभी माननीय सदस्य मेरी घड़ी पर ध्यान रखेंगे. मैं जब बोल दूंगा, आपको बैठ जाना है. मैं बोलूंगा नहीं, न ही मैं टोकूंगा. अब सभी माननीय सदस्य तीन-तीन मिनट बोलेंगे. श्री देवेन्द्र वर्मा जी आप अपनी बात तीन मिनट में समाप्त करें और सामने की घड़ी भी देखकर अपना समय तय कर लें. (श्री देवेन्द्र सिंह पटेल के अपने आसन पर खड़े होने पर) भाई बीच-बीच में मत आयें, जिनके नाम हैं, उनको तो बोलने दें. मैंने आपको प्रबोधन दिलवाया दिया है कि आपको कब बोलना चाहिये, कब नहीं बोलना चाहिये. आपको ऐसे खड़े नहीं होना चाहिये फिर मैंने आपको प्रबोधन क्यों दिलवाया था ? यह अच्छी बात नहीं है, कुछ सीखिये. हम लोग भी जब पहली बार आये थे, तब हम सीखे थे, सीधे खड़े नहीं हो जाते थे. ( पुन: श्री देवेन्द्र सिंह पटेल के अपने आसन पर खड़े होने पर) नहीं, आप बैठ जायें. यह जो समय बर्बाद होता है यह ऐसे ही बीच में टोका-टाकी करने, खड़े होने से हो बर्बाद जाता है. अब इतने में आपके दस सेकेंड चले गये. (श्री देवेन्द्र सिंह पटेल के अपने आसन पर खड़े होकर कुछ कहने पर) नहीं ऐसा नहीं होता है. मैं बहुत लिबरल हूं, इसका यह औचित्य मत उठायें. श्री देवेन्द्र जी आप बोलें.
श्री देवेन्द्र वर्मा (खण्डवा) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 25 का विरोध करता हूं और कटौती प्रस्तावों का समर्थन करता हूं. जब हम खनिज संसाधन की बात करते हैं तो मध्यप्रदेश में पाये जाने वाले सभी खनिज संसाधन उसमें शामिल होते हैं और जब हम उन खनिजों की बात करते हैं तो ध्यान में आता है कि मध्यप्रदेश हीरे के उत्पादन और मैगजीन के उत्पादन में पहला राज्य है और इसके साथ -साथ चूना पत्थर में मध्यप्रदेश द्वितीय स्थान पर है. मध्यप्रदेश इसके साथ साथ कोयले के उत्पादन में चतुर्थ स्थान पर हैं. सभी माननीय सदस्य जो मुख्य रूप से रेत, मिट्टी और मुरम की बात कर रहे हैं तो ध्यान में आता है कि रेत, मिट्टी और मुरम एक समय गौण होती थी, लेकिन आज यह सभी हमारे मध्यप्रदेश में एक महत्वपूर्ण खनिज संसाधन के रूप में हैं. जब हम इसकी बात करते हैं तो हमारे सभी सत्ता पक्ष के बंधु यहां सभी बैठे हैं, उन्हें पता है कि पिछले सत्रों में पिछली विधानसभा में प्रत्येक सत्र में अगर मुख्य कोई मुद्दा होता था, तो सिर्फ रेत और खनिज संसाधन के मुद्दे होते थे. हमारे माननीय जितू पटवारी जी ने एक बार विधानसभा में बडे़ जोर के साथ यह विषय रखा था कि पूरे मध्यप्रदेश में आठ हजार खनिज की खदानें हैं और आठ हजार की खनिज खदानों में से अस्सी प्रतिशत भारतीय जनता पार्टी के लोगों की हैं, इस प्रकार के आरोप लगाये थे और कई दिनों तक इन्होंने सदन नहीं चलने दिया था और सदन के बाहर ओटले पर जाकर भी विधानसभा चलाने का काम किया था और यह सिर्फ और सिर्फ खनिज पर और नर्मदा की रेत पर किया था. जब हम इनका घोषणा पत्र उठाकर देखते हैं तो इनके घोषणा पत्र में शामिल है कि आप मध्यप्रदेश में बेरोजगारों की समिति बनायेंगे और उनको खनिज की खदानें देंगे, इस प्रकार की घोषणा इन्होंने करने का काम किया था, घोषणा नहीं वचन देने का काम किया था. लेकिन इसके उलट जब सरकार बनी तो सरकार बनने के साथ-साथ इनकी मिनिस्टर ऑफ ग्रुप्स की बैठक होती है और बैठक में यह तमिलनाडु की नीति का अध्ययन करते हैं, केरल की नीति का अध्ययन करते हैं, आंध्रप्रदेश की नीति का अध्ययन करते हैं, छत्तीसगढ़ की नीति का अध्ययन करते हैं. उसके बाद अगर हम कहें कि खोदा पहाड़ और निकली चुहिया तो सही होगा. हम आज की तारीख में देखें तो निर्णय जीरो बटे सन्नाटा मतलब आज भी न इन्होंने उन बेरोजगारों की चिंता की है, न ही यह आज किसी प्रकार की पारदर्शी नीति बनाने का काम यह कर रहे हैं. मैं आपके माध्यम से बताना चाहता हूं कि पूर्व में 17-18 तारीख में मैंने प्रश्न लगाया था कि मेरे विधानसभा क्षेत्र में रेल्वे का ब्राडगेज का गेज कन्वर्शन का काम चल रहा है. एक रेड्डी बंधु कंस्ट्रक्शन कंपनी है, उसने 35 किलोमीटर के लगभग गेज कन्वर्शन किया है और उसने गेज कन्वर्शन के साथ-साथ में आसपास लगभग 35 किलोमीटर में अवैध उत्खनन किया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने आपके माध्यम से प्रश्न लगाया था और माननीय मंत्री जी ने उसमें जवाब दिया था कि उसने किसी प्रकार का कोई अवैध उत्खनन नहीं किया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, इस प्रकार का एक भ्रष्टाचार पूरे मध्यप्रदेश में संचालित हो रहा है. मध्यप्रदेश में इस प्रकार का काम सरकार कर रही है.
अध्यक्ष महोदय-- धन्यवाद, 3 मिनट हो गये आपके. श्री केदारनाथ शुक्ल.
श्री देवेन्द्र वर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे निवेदन करूंगा. ...
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, मैं परमिट नहीं करूंगा. देवेन्द्र वर्मा जी जो बोलेंगे वह नहीं लिखा जायेगा.
श्री देवेन्द्र वर्मा-- (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- जो देवेन्द्र वर्मा जी बोलेंगे वह नहीं लिखा जायेगा.
श्री देवेन्द्र वर्मा-- (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- मैं आपको अगली बार नहीं बोलने दूंगा. कृपया अगली बार मुझे इनका नाम न दें.
श्री देवेन्द्र वर्मा-- (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- कृपया अगली बार मुझे इनका नाम न दें. जब मेरी नहीं सुनेंगे तो मैं क्यों सुनूंगा.
श्री देवेन्द्र वर्मा-- (XXX)
श्री केदारनाथ शुक्ल (सीधी)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं उस क्षेत्र से आया हूं जो नर्मदा की समानांतर नदी है सोनभ्रद, मैं उस क्षेत्र से आया हूं जहां के माननीय खजिन मंत्री महोदय प्रभारी हैं, वहां से आया हूं. मैं इस मांग का विरोध करता हूं. भई खनिज मंत्री महोदय, कान में लगकर बात कर रहे हो.
अध्यक्ष महोदय-- लो, सुनिये. खनिज मंत्री जी आप अभी किसी को भी न सुने.
श्री केदारनाथ शुक्ल-- माननीय खनिज मंत्री जी, मैं केवल आपके प्रभार के जिले की बात कर रहा हूं और अपने जिले की बात कर रहा हूं. हमारे जिले में इस समय कलेक्टर के नियंत्रण में अवैध खदानें चल रही हैं, कलेक्टर स्वयं उसमें 50 प्रतिशत का हिस्सेदार है. जितनी अवैद्य खदानें चल रही हैं, जितनी लीज है एक भी लीज वैद्य ढंग से नहीं दी गई है और लीज की भूमि का कहीं सीमांकन नहीं किया गया है. लीज दे दी गई, जहां से मन हो वहां से रेत निकालों, यह परिस्थिति जो है, गिट्टी की लीज दे दी गई, इतना खोद दिया है कि पांच-पांच सौ फीट नीचे खोद दिया है. ब्लास्टिंग की अनुमति नहीं है, ब्लास्टिंग से अगल-बगल की बस्तियां प्रभावित हो रही हैं और ब्लास्टिंग की जा रही है. खदानों में कोई सुरक्षा की व्यवस्था नहीं है, वन भूमि में भी उत्खनन हो रहा है. माननीय मंत्री जी सोन घडि़याल अभ्यारण्य लागू है, पूरी सोन नदी सीधी जिले में अभ्यारण्य के क्षेत्र में आती है. सोन नदी से भी अवैध बालू का उत्खनन हो रहा है और हमारे कलेक्टर सीधी की खासियत क्या है जो वैध बालू ले जा रहा है उसको ओवर लोडिंग में पकड़वा देगा और जो अवैध ले जा रहा है उसको पूरी छूट है, क्योंकि कलेक्टर स्वयं उसमें सरीख है. क्या आप एसआईटी बनवाकर के वहां जांच करेंगे, क्योंकि आपके जिले का मामला है. आप वहां के भाग्य विधाता हैं, आप वहां के जिला सरकार के मुखिया हैं, आपके स्वभाव से हम प्रभावित हैं, आपकी ईमानदारी से हम प्रभावित हैं, लेकिन आपको काम करना होगा. आप सीधी जिले में अपने बॉस से कहिये कि उस कलेक्टर को हटायें. उस कलेक्टर की कमाई जिस दिन 50 लाख से कम होती है उस दिन उसको नींद नहीं आती और रामनामी ओढ़कर के कहीं समाज सेवा में जायेगा. रामनामी ओढ़कर के कहीं नदी खुदवाने लगेगा. अभी उसने एक नदी खुदवाने का ड्रामा किया जिसमें सारे रेत माफिया की मशीन उसने लगाईं, भाई उसके सारे लोग हैं, उन लोगों ने वह किया. अभी-अभी मुख्यमंत्री जी ने दस्तक अभियान में उसको इनाम दे दिया. अब दस्तक अभियान में उसने अपने बंगले में बच्चों को भर्ती कर लिया था, उसका बंगला अध्यक्ष महोदय आप आश्चर्य करेंगे मध्यप्रदेश के केबीनेट के किसी मिनिस्टर का बंगला उसकी तरह नहीं है, किसी आईएएस का बंगला उसकी तरह नहीं है. बंगले में उसने कम से कम 2 करोड़ का काम कराया है. पीडब्ल्यूडी से एक करोड़ और बाकी सारा खनिज माफिया का, ऐसी परिस्थिति है, इतनी विस्फोटक परिस्थिति में मैं केवल सीधी जिले की बात कर रहा हूं, सोन घडि़याल अभ्यारण्य के किनारे की बात कर रहा हूं, गोपद नदी की बात कर रहा हूं. जितनी भी अवैध खदानें हैं उनमें आप एक एसआईटी बनवाकर भिजवा दीजिये, हफ्तेभर के अंदर दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा. मेरा नम्र निवेदन है कि यह लूट जो शुरू है इस लूट को रोकने के लिये आप एसआईटी का गठन करें और उस कलेक्टर को प्रतिबंधित करके पूरी जांच करायें, सारी बात सामने आ जायेगी. आपने मुझे समय दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय - यह देखिये, इनको मैं 2008 और 2014 में सुनता था. 3 मिनट में इन्होंने पूरी बात की. केदार शुक्ला जी, हम आपको खूब धन्यवाद देते हैं, लेकिन बड़े दिनों बाद आपकी फिर वही लय में मैंने आपकी आवाज सुनी. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री के.पी.त्रिपाठी (सेमरिया ) - आदरणीय अध्यक्ष महोदय, मुझे सदन में पहली बार बोलने का मौका मिला. कई बार प्रश्नकाल में 9वें,10वें नंबर पर प्रश्न रहा लेकिन मैं बोल नहीं पाया. समय की घड़ी तेज है इसीलिये मैं सदन में सभी महानुभावों को प्रणाम करता हूं. इतने सारे वक्ता बोल चुके हैं. खनिज विभाग की मांग संख्या 25 का मैं विरोध करने के लिये खड़ा हुआ हूं. पूर्व की रेत नीति में बताया गया है कि जो रेत नीति में पंचायतों को रेत खदानें दी गई थीं उसके कारण एक हजार करोड़ के खनिज राजस्व का नुकसान हो रहा था जबकि खनिज विभाग के वार्षिक प्रतिवेदन में बताया गया है कि जो लक्ष्य 4528 करोड़ का, उसकी तुलना में कुल खनिज राजस्व 4623 करोड़ रुपये लक्ष्य की तुलना में 102 प्रतिशत अधिक प्राप्त हुआ. इसलिये खनिज मंत्री द्वारा खनिज नीति को बदलने के लिये जो यह तर्क दिया गया है कि इससे खनिज राजस्व में हानि होती है यह आपके ही प्रतिवेदन से परिलक्षित होता है कि इससे किसी तरह की ज्यादा हानि नहीं हुई. यदि हम रेत की नीति बदलते हैं उस समय जैसा राजेन्द्र शुक्ल जी ने बताया है कि प्रधानमंत्री स्वच्छता अभियान चालू होने से बड़े- बड़े क्लस्टर्स बनाने से, बड़े-बड़े ठेकेदारों के आने से रेत महंगी हो गई थी. तीस-चालीस हजार रुपये में ठेकेदारों ने बेचना शुरू कर दिया था. आप उससे खतरनाक स्थिति की ओर अग्रसर हैं. आप उससे भी बड़े क्लस्टर्स बनाने की ओर अग्रसर हैं जैसा कि आपने रेत नीति में बताया है. हालांकि आपने उसमें एक कालम रखा है कि स्वच्छता अभियान और प्रधानमंत्री आवास योजना के हितग्राहियों को छूट मिलेगी लेकिन स्पष्टता नहीं है कि कैसे छूट प्राप्त होगी जब सारी रेत की खदानें ठेकेदारों को मिल जायेंगी उसमें इतनी मारकाट की प्रतिस्पर्धा होगी और जैसा कि पहले बताया गया कि मजदूरों से खुदाई होगी और उतनी उपलब्धता नहीं हो पायेगी तो उसका भी पालन होगा इसका रिव्यू करने की जरूरत है और रेत महंगी हो जायेगी जिससे गरीबों को घर बनाने में बहुत दिक्कत आयेगी और हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का सपना है कि हर गरीब के सिर पर पक्की छत हो वह गरीब उस सपने से मरहूम हो जायेंगे इस पर मंत्री जी आपको ध्यान देने की जरूरत है. इसी तरह जो निजी भूमि पर पट्टे दिये गये थे. पंचायतों को रेत खदानें दी गईं थीं. पंचायतों को रेत खदानें दी गईं थीं. एक तरह से जो आपके वचनपत्र में शामिल हैं कि हम एक बेरोजगार युवाओं की समिति बनाएंगे उनको खदान देंगे. हमारी शिवराज जी की सरकार ने शायद इसी मंशा को पालकर कि यदि हम पंचायतों को खदानें देंगे तो वह लोकल स्तर पर ग्रामीणों के जो डंपर हैं, ट्रेक्टर हैं, मजदूर हैं वे खदान को संचालित करेंगे और बड़े पैमाने पर युवाओं को गांवों में रोजगार प्राप्त होगा. ऐसी सरकार की मंशा रही होगी उसके साथ-साथ गरीब बेघर लोगों को कच्चे मकान बनाने में सुविधा मिलेगी. उसी के साथ रेत की उपलब्धता में जो दिक्कत आ रही है वह भी दूर होगी. मैं एक कविता कहकर अपनी बात को समाप्त करूंगा :-
" सरकार है आपकी चाहे जैसे खेल तुम खेलो,
मगर मेरा कहा मानो तो ऐसे खेल न खेलो,
रेत की कीमत बढ़ने से न जाने कितने गरीब बेघर रह जाएं,
थोक में खदानों की बोली लगने से युवा किसानों की बेरोजगारी बढ़ जाये,
आपकी इस शरारत से सिर्फ अमीरोंकी तिजोरी भर पाए,
अगर ऐसे ही चलता है तो युवा किसानों तथा गरीबों के बेघर होने की चिंता हम सबको सताए. "
धन्यवाद अध्यक्ष जी.
अध्यक्ष महोदय - श्री विक्रम सिंह, श्री बहादुर सिंह चौहान..
श्री बहादुर सिंह चौहान (महिदपुर) - अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 25 का विरोध करते हुए मेरी बात रख रहा हूं. वैसे सब विषय आ चुके हैं. जो विषय मैं 5 वर्षों से लड़ रहा हूं और उसको आप जानते हैं. बहुत ही महत्वपूर्ण मामला है मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा खनिज का मुद्दा है. मैंने प्रश्न लगाया, ध्यानाकर्षण लगाया 30 करोड़ 29 लाख 25 हजार 600 रुपये की लड़ाई एसडीएम कोर्ट, कमिश्नर कोर्ट, राजस्व मंडल, हाईकोर्ट की सिंगल बैंच और हाईकोर्ट की डबल बैंच और अब आखिरी आपको मैं याद दिलाना चाहता हूं कि उसका निराकरण माननीय मंत्री जी आप नोट कर लें. उसका निराकरण अंतिम सुप्रीम कोर्ट और वहां भी शासन जीतेगा. 30 करोड़ 29 लाख 25 हजार 625 रुपए और उसकी एसएलपी क्रमांक 28983 और उसकी सुनवाई की तारीख 6 सितम्बर, 2019 है.
अध्यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहते हुए इसमें इतना ही चाहता हूं. मुझे इस प्रकरण में आप गंभीरता से सुन लें. इसको थोड़ा गंभीरता से एक मिनट सुन लें. यह खनिज मंत्री से आग्रह करना चाहता हूं कि आपके विभाग के प्रमुख को आप निर्देश दें कि विधि विभाग को आज ही पत्र लिखें कि इस सुनवाई में विभाग के व्यक्ति जाकर एपियर हों. दूसरा मेरा निवेदन है कि आज तक इस 30 करोड़ रुपये पर कोई स्टे नहीं है. 30 करोड़ रुपये पर आज तक कोई स्टे नहीं है. कलेक्टर उज्जैन को आज ही आप पत्र लिखवाएं. कोई स्टे नहीं होने के कारण अभी तक 30 करोड़ रुपए की वसूली क्यों नहीं की गई है यह जानकारी भी आप ले लें. यह यह 30 करोड़ 29 लाख रुपये का सबसे बड़ा केस मैं 5 वर्षों से लड़ रहा हूं और यह केस दिनेश पिता मांगीलाल का जो यह प्रकरण बना है, जब माननीय न्यायालय ने भी इसको सिद्ध कर दिया है. इसके अंदर मेरे सामने सदन में एक ही बात बची है. आप इसको गंभीरता से 30 सेकंड के अंदर सुन लें. या तो उस खनिज माफिया के सामने मैं सरेण्डर करूं और मैं जाकर उससे माफी मागूं कि अभी तक मैंने जो भी लड़ाई लड़ी है, मैंने गलती की है. मेरे सामने यही रास्ता बचा है? इसके अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा है. यह लड़ाई लड़ते लड़ते अंतिम सुप्रीम कोर्ट में मैंने पहुंचा दी है.
8.21 बजे {उपाध्यक्ष महोदया (सुश्री हिना लिखीराम कावरे) पीठासीन हुईं.}
उपाध्यक्ष महोदया, मेरा आग्रह है और मैं इस सदन में कह रहा हूं कि यह केस को छोटा-मोटा मत समझना. मेरी कार्यवाही इसके अंदर अंकित है. यदि इस पर कार्यवाही विभाग की ओर से नहीं होती है तो माननीय मंत्री जी मैं पूर्णतः इस सदन के अंदर आप पर आरोप लगा रहूंगा कि आप दोषी रहेंगे. यह 30 करोड़ रुपये वसूल नहीं करने के लिए सिर्फ सिर्फ दोषी रहेगा तो खनिज मंत्री मध्यप्रदेश शासन के आप रहेंगे, यह मैं आपके ऊपर आरोप लगा रहा हूं. चूंकि मैं या तो उसके हाथ जोड़ लूं या उससे माफी मांग लूं. मैंने लड़ाई लड़ने के लिए इतनी लड़ाई किसी ने नहीं लड़ी और मेरे साथ क्या -क्या घटनाएं घट रही हैं मैं इस सदन में नहीं बता सकता हूं. वह तो मैं सक्षम व्यक्ति हूं तो उस खनिज माफिया से लड़ने में सक्षम हूं और (XXX) उसकी जानकारी भी मुझे है लेकिन उसकी मुझे चिंता नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदया, अंत में, मैं फिर कह रहा हूं कि खनिज मंत्री यदि आपका पत्र विधि विभाग को नहीं गया तो (XXX) और आपका पत्र कलेक्टर उज्जैन को रिकवरी के लिए नहीं जाता है तो (XXX), बिल्कुल यह मेरा अधिकार है.
श्री तुलसीराम सिलावट - उपाध्यक्ष महोदया, घोर आपत्ति है. इसको विलोपित किया जाय.
उपाध्यक्ष महोदय - इसे विलोपित करें.
.....................................................................................
XXX : आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
श्री बहादुर सिंह चौहान - उपाध्यक्ष महोदया, 30 करोड़ 29 लाख रुपये का मुद्दा है आप इसे वसूल करवाएं, यह मुद्दा बहुत ही बड़ा है. (व्यवधान)..
श्री कमलेश्वर पटेल - उपाध्यक्ष महोदया, यह भाजपा सरकार में चलता था कांग्रेस सरकार में नहीं चलता है. हमारी सरकार कोई संरक्षण नहीं देती है. इस तरह की बातें मत करिए. इसे विलोपित कराया जाय.
(व्यवधान)..
श्री बहादुर सिंह चौहान - यह रिकवरी कांग्रेस के नेता की है. यह कांग्रेस के नेता के खिलाफ रिकवरी है(व्यवधान)..उसके खिलाफ कार्यवाही की है और मैं चाहता हूं कि कार्यवाही हो, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री मनोज चावला -आदरणीय आपकी सरकार भी पहले रही उससे क्यों वसूली नहीं करवाई?
उपाध्यक्ष महोदया - श्री बहादुर सिंह जी कृपया बैठ जाइए.
श्री बहादुर सिंह चौहान - दिनेश पिता मांगीलाल निवासी महिदपुर, मैं चाहता हूं कि आप खड़े होकर इस पर जवाब दें.
श्री संजय शर्मा ( तेंदूखेड़ा ) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया मैं मांग संख्या 25 खनिज साधन के समर्थन में खड़ा हुआ हूं. अभी मैं देख रहा हूं कि खनिज का मतलब केवल रेत हो गया है. प्रदेश में और भी खनिज हैं जैसे ग्रेनाइट, मार्बल, कोयला और मैगनीज है यहां पर 20 प्रकार के खनिज हमारे यहां पर हैं.माननीय मंत्री जी का ध्यान आकर्षित करूंगा.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- बहादुर सिंह जी मैं तो समझा कि दिनेश बास को आप धन्यवाद दे रहे हैं जिसकी वजह से आप जीतकर आये है.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- जीतकर तो मैं 2003 से आ रहा हूं.
श्री संजय शर्मा -- हमारी गाडरवार तहसील में एक कोयले की खदान पिछले पांच वर्ष से बंद है अगर वह खदान दुबारा चालू हो तो राजस्व काफी बढेगा, जिनसे ज्यादा राजस्व आना है ऐसी बहुत सी खदानें प्रदेश में हैं जो कि किसी न किसी कारण से बंद पड़ी हैं. उनके लिए अगर उद्योगपतियों को बुलायेंगे और वह खदानें चालू होंगी तो प्रदेश का राजस्व बहुत बढ़ेगा. रेत नीति ऐसी बने कि आम जनता को रेत सस्ती मिले और सरकार का राजस्व भी कम न हो पिछली बार जो आया है उससे 20 से 25 प्रतिशत बढ़कर आये. पिछली बार जो नीति बनी हैं उसमे कही न कहीं विसंगति रही हैं. कुछ अज्ञानी अधिकारियों ने नीति बनाई है. मंत्री जी और मुख्यमंत्री जी को दिखाया और बताया कि बहुत पैसा आ रहा है लेकिन पैसा आया नहीं बाद में उसको वापस लेना पड़ा है सरकार के खजाने से, तो मैं मंत्री जी से कहूंगा पिछले वर्षों में जो राजस्व सरकार के पास आया है वह देखकर हम नीति बनायें, और वह देखकर ही हम क्वांटिटी तय करें. आप ज्यादा क्वांटिटी रख देंगे और ठेके महंगे होंगे तो निश्चित ही ठेकेदार काम छोड़ेगा, काम नहीं छोडेगा तो आपको सरकार को पैसे माफ करना होंगे. पिछली बार यह ही हुआ था कि 50 प्रतिशत ठेकेदार से जमा करा लिये. एक से डेढ साल तक उनको पजेशन नहीं दिया गया, ठेकेदार का पैसा जमा होता है तो उसको लगता है कि ठेका हमारा हो गया, तो उसके आस पास के गांव में रहने वाले लोग अवैध उत्खनन करते हैं, किसी से 50 करोड़ जमा करायेंगे और समय पर ठेका नहीं देंगे तो यह भी तय कर लें कि जो खदानें नीलाम हो रही है उनकी सबकी सिया और पाल्यूशन की परमीशन हो जाय वह ही खदानें नीलाम की जाय.
8.26 अध्यक्ष महोदय ( श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति ) पीठासीन हुए
ऐसी खदानें हम नीलामी पर न लगा दें कि वहां पर रेत नहीं है और अधिकारियों को वह कैंसिल करना पडे. यह भी सर्वे अच्छे से करा लिया जाय कि वह ही खदानें सूची में आयें जहां पर रेत है अगर वहां पर रेत नहीं है तो जो भी अधिकारी दोषी है उनके खिलाफ में कार्यवाही करें और टेण्डर के पहले ही एक समिति बनाकर आप जांच करवा लें उनकी ही नीलामी हो जिनके हम पैसे जमा करवाकर 15 दिन में पजेशन ठेकेदारों को दे सकें, ऐसी स्थिति में अवैध उत्खनन रूकेगा. ठेकेदार से पैसे जमा कराते हैं तो 25 प्रतिशत की एफडीआर जमा करायें अमानती राशि की जो कि तीन वर्ष तक उसका जमा रहता है तीन वर्ष तक उसे ब्याज मिलेगा और जो पहली किश्त होती है वह तीन दिन में जमा करायें उसके बाद में पजेशन दें. 6 - 6 माह तक किसी के हजारों करोड़ रूपये आप रोक कर रखेंगे तो निश्चित ही वह कहीं न कहीं से अपना पैसा निकालने के लिए अवैध उत्खनन करेगा.
एक और मेरा सुझाव है कि जो बड़े शहर है उनके बाहर धर्मकांटे लग जाय, उनके बाहर खनिज विभाग के नाके लग जायें, जिससे अवैध माल आये तो उसको रोका जाय, उन पर कार्यवाही की जाय, और ओवर लोडिंग की बात यहां पर सब लोग करते हैं यह ओवर लोडिंग तब बंद होगी जब पूरे मध्यप्रदेश में दूसरे प्रदेशों से आने वाले वाहन ओवर लोड नहीं आयेंगे तो मध्यप्रदेश में ओवर लोडिंग बंद होगी. केवल एक जिले में ही ओवर लोडिंग बंद नहीं कर सकते है. इसलिए आपसे अनुरोध है कि हर उन प्रमुख मार्गों पर नाके लगायें जहां से रेत निकलती है अगर वहां पर चैक होगी तो अवैध उत्खनन बंद होगा. जो भी अधिकारी इसका संचालन करेंगे मेरा यह कहना है कि अगर खनिज निगम के द्वारा नीलामी की जाती है तो खनिज निगम ही इसका संचालन पूरे वर्षों तक करें. इसमें आप जितने लोगों को इनवाल्व करेंगे उतने ही लोग उसमें नये नये प्रयोग करेंगे, आपकी नीति खराब होगी, लोग परेशान होंगे, वैध ठेकेदारों को परेशान करके अवैध काम के लिए प्रोत्साहित करेंगे. हमारा मंत्री जी से कहना है कि अभी कोर्ट के माध्यम से कुछ खदानों को स्टे मिल रहे हैं तो इसमें हम पहले से कोर्ट में केवियट लगाकर रखें कि जो नई नीलामी होगी उसके पहले किसी छोटे ठेकेदार को स्टे न मिल पायें. पंचायतों के माध्यम से बहुत से लोग हाई कोर्ट में प्रयास कर रहे हैं कि उनको स्टे मिल जाय उसमे कहीं न कहीं माइनिंग विभागके अधिकारियों की सलाह है कि आप स्टे ले लें, ठेके बड़ा होगा तो बाद में आपकी हिस्सेदारी करा दी जायेगी.
मेरा यह ही कहना है कि नीति में पारदर्शिता होगी तो अवैध उत्खनन बंद होगा. नीति में पारदर्शिता होगी तो राजस्व बढ़ेगा, नीति में पारदर्शिता होगी तो प्रदेश में स्मूथ काम चलेगा, नहीं तो जिस प्रकार से आज दिन भर सदन मे सुना है कि खनिज विभाग पर चर्चा न होकर रेत विभाग पर चर्चा हुई है. इसलिए रेत मंत्रालय अलग से बना दिया जाय. गन्ना और रेत मंत्रालय दोनों बन जायेंगे तो प्रदेश मे बाकी खनिजों की व्यवस्था हम देख सकते हैं. रेत इतनी कीमती नहीं है जितना उसको बना दिया गया है. पिछली बार अवैध उत्खनन इसलिए हुआ है कि नीति गलत थी. इसके पहले भी ठेके हुए हैं पुरानी सरकारों में पूरे जिले के जिले नीलाम होते थे लेकिन आज नीलामी होती है तो 25 प्रतिशत जमा उसी दिन टेण्डर खुलता था उसी दिन रात को 12 बजे चार्ज मिल जाता था. यह पेंडिंग करने में कहीं न कहीं हमारी मंशा ठीक नहीं रही है. 6-6 महीने, एक- एक साल लोगों को रोक कर रखा, इसलिये इस व्यापार में अवैध उत्खनन बढ़ा है. मंत्री जी, इसमें पारदर्शिता रखते हुए वही खदानें नीलाम की जायें और सीसीटीवी कैमरा पूरे मध्यप्रदेश में जितने स्टॉक हैं, उनमें लगा दिये जायें, खदानों में लगा दिये जायें, उन रोड्स में लगा दिया जायें, जहां से उत्खनन होता है. किसी वैध आदमी को परेशान करने के लिये, केवल ठेकेदार के लिये सीसीटीवी कैमरे न लगा दिये जायें. आनन फानन में एसपी, कलेक्टर को आदेश किया जाता है कि यह काम करिये. उनकी वहां बैठकर मजबूरी होती है कि वह उनको करना पड़ता है, लेकिन अज्ञानी जन प्रतिनिधि या अज्ञानी अधिकारी ऐसा कोई कदम न उठायें, जिससे कि सरकार का नुकसान हो. तो ऐसे कदम नहीं उठाने चाहिेये. इसमें मंत्री जी आप भी संज्ञान में लें और अच्छी नीति बनायें और मैं गारंटी से कहता हूं कि 200 गुना राजस्व आपका बढ़ सकता है. अगर आप सही नीति नहीं बनायेंगे, तो पिछली बार से भी कम राजस्व आयेगा और आपकी नीति भी फेल होगी. अवैध उत्खनन इसी प्रदेश के लोग करते हैं, बाहर के लोग नहीं करते हैं. जब नीति में पारदर्शिता नहीं रहेगी, निश्चित ही जब ठेकेदार परेशान होगा, उसका पैसा डूबेगा तो वह कुछ न कुछ रास्ता निकालेगा. इसलिये आपसे अनुरोध है कि नीति में पूरी पारदर्शिता के साथ आज भी जितने स्टाक चल रहे हैं, सब में कैमरे लगाये जायें. तो बहुत कुछ पारदर्शिता उत्खनन में आ जायेगी. किसानों की निजी जमीन से रेत निकालने की जो राजेन्द्र शुक्ल जी ने बात रखी थी, वास्तव में ऐसे किसान है, जिनकी जमीन में, जिनके नदी के किनारे खेत हैं, उनमें काफी रेत जमा हो गई है. तो उनका भी जिस रेट से वहां का ठेका जाता है, उस ठेकेदार से किसान का जो भी हिस्सा तय करके, एक पालिसी में तय कर दिया जाये कि अगर उसके वहां से जो क्वांटिटी उठेगी, तो ठेकेदार उतनी राशि उस मापदण्ड से जितने घन मीटर रेत वहां होगी, उस ठेकेदार की राशि से उतनी राशि माइनिंग विभाग से छोड़कर किसान के लिये अलग से पैसा उसके खाते में पहुंच जाये. उसके बाद वहां से रेत उठे. एक मुश्त पैसा किसान को मिलेगा, तो उसको फायदा होगा और पंचायतों का जो हिस्सा होता है, यह भी जब माइनिंग विभाग में किश्त आती है ठेकेदार की उसी तीन महीने के अंदर भी वह राशि बंट जाना चाहिये. उन ग्राम पंचायतों में राशि मिलेगी, तो वहां विकास होगा. नीति में एक और बड़ी विसंगति है कि ठेकेदार को कहीं रास्ता नहीं रहता है. रास्ता वह निजी जगह से बनाता है, खेतों से लोगों के. यह भी विभाग तय करे कि हम करोड़ों रुपये की खदान नीलाम करते हैं, सैकड़ों करोड़ हमको राजस्व मिलता है. तो राजस्व विभाग की यह जिम्मेदारी तय की जाये, माइनिंग विभाग और राजस्व विभाग मिलकर ठेकेदार के लिये खदान तक पहुंच मार्ग बनाकर दे, जिससे ठेकेदार ब्लैकमेल नहीं होगा वहां के लोकल में. इसलिये अवैध उत्खनन होता है कि हमारे खेत से आप निकलेंगे तो हम इतनी रेत यहां से उठायेंगे. यह सब बंद होगा.यही मेरा सुझाव थे. बाकी मंत्री जी आप एक बुद्धिमान आदमी हैं, सफल मंत्री हैं. नीति बनाने के पहले आप बहुत देख लेना. जो हम नीति बनायेंगे, वह नीति हमारी सफल हो. जिस दिन हम ठेका नीलाम करेंगे, उसी दिन पैसा जमा होकर ठेके का चार्ज ठेकेदार को मिल जाये, तो आपकी नीति सफल हो जायेगी, बहुत बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी.
श्री विश्वास सारंग -- अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि सदस्यों को एक एक मिनट का समय दिया जाये.
अध्यक्ष महोदय -- मैं आपके हाथ करबद्ध जोड़ता हूं.
श्री विश्वास सारंग -- अध्यक्ष महोदय, इधर जोड़ दो साहब. दो-तीन लोग मेरे पर नाराज हो रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- यह तो अन लिमिटेड है. इसका कोई अंत नहीं है.
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय -- अध्यक्ष महोदय, एक-एक मिनट का समय दे दें.
श्री अनिरुद्ध (माधव) मारु -- अध्यक्ष महोदय, कृपया एक मिनट का समय दें. हमारे यहां दूसरे प्रदेशों से जो मटेरियल आ रहा है, हमारे नीमच जिले में 300 डम्पर रोज राजस्थान से आ रहे हैं. हमारी उन्होंने सड़कें खराब कर दी हैं...
अध्यक्ष महोदय -- कृपया बैठें. अच्छा मैं तो आप लोगों की हर बात मानता हूं, कभी आप लोग मेरी बात मानते हो. आप लोग समझा करो. आप लोग कितना बोलेंगे.
श्री भारत सिंह कुशवाह -- अध्यक्ष महोदय, एक मिनट का समय दें.
अध्यक्ष महोदय -- कृपया बैठ जायें.
श्री गोपाल भार्गव --- अध्यक्ष महोदय, हमारे विधायकगण रात भर पढ़ते रहे हैं, 3-3 घण्टे जगे हैं, रिफरेंस भी देखा है, सारी चीजें पुराने उदाहरण भी देखे हैं. दो दो मिनट का अवसर दे दें.
अध्यक्ष महोदय -- मैंने इस पक्ष से सिर्फ 4 सदस्य बुलवाये हैं. आप लोगों ने कहा था, आपके यहां से 8 बोल चुके हैं. एक तरीका होता है.
श्री गोपाल भार्गव --- अध्यक्ष महोदय, आप पहले व्यवस्था दे देते, तो ये रात में नहीं जगते.
अध्यक्ष महोदय -- मैं तो सोता ही नहीं हूं, रात में चलता रहता हूं. ..(हंसी)..
श्री विश्वास सारंग -- अध्यक्ष महोदय, केवल आज के लिये यह कर दें.
अध्यक्ष महोदय --मैं देख रहा हूं हमेशा मैं अंगुली बताता हूं, आप पूरा हाथ पकड़ रहे हो. ..(हंसी).. ये जो सचेतक महोदय हैं ये दूसरों को तो सचेत करते हैं लेकिन मुझे अचेत करते है...(हंसी)..
श्री विश्वास सारंग -- अध्यक्ष जी, आज के बाद ऐसा नहीं होगा.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, आपकी उंगली में और हाथ में इतनी चाहत है कि सभी लोग पकड़ना चाहते हैं.
श्री दिलीप सिंह परिहार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इतनी देर में तो सुझाव आ जाते.
एक माननीय सदस्य -- अध्यक्ष जी, हम लोगों ने भी रात भर पढ़ाई की है, हमें भी मौका दिया जाए.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय (जावरा) -- अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी से एक छोटा सा मेरा निवेदन है कि ये हमारी टू लेन ...
अध्यक्ष महोदय -- मेरी अनुमति के बगैर जो कोई भी बोल रहा है, कुछ नहीं लिखा जाएगा.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय -- माननीय अध्यक्ष जी, एक छोटा सा सुझाव दे रहा हूँ कि ये जो अपनी टू लेन की, फोर लेन की, सिक्स लेन की या दूसरी जो सड़कें बनती हैं, ठेकेदार क्या करता है कि वह आसपास सड़क किनारे ही कहीं से भी किसी प्रकार की अनुमति लेकर वहीं से खनन करके उस सड़क कार्य को पूर्ण कर लेता है. क्या उसकी रॉयल्टी पूर्ण मिल जाती है ? ऐसा जानकारी में आया है कि उसकी रॉयल्टी जिले में भी जमा नहीं होती है. खनिज विभाग में भी जमा नहीं होती है. ऐसे अनेक प्रकरण देखने में आए हैं. दूसरी बात यह है कि उसके कारण दुर्घटना होती है. हमारे रतलाम जिले में 35 लोगों की मृत्यु हो गई, एक बस के उस गड्ढे में गिर जाने के कारण, एक सुझाव है कि सड़क किनारे जो इस तरह की बाद में चिह्नित की गई खदानें हैं, उन्हें खदानें न माना जाए, वे कम से कम आप निरस्त कर दें. बिल्कुल सड़क से लगी हुई खदान खनिज के रूप में न दी जाए, ऐसा मेरा सुझाव है.
श्री अनिरूद्ध (माधव) मारू -- अध्यक्ष महोदय...
अध्यक्ष महोदय -- अनिरूद्ध जी, नहीं, अब एक ने बोल दिया, धन्यवाद.
श्री अनिरूद्ध (माधव) मारू -- अध्यक्ष महोदय, केवल एक बात.
अध्यक्ष महोदय -- आप पिछले विभाग पर बोल चुके, नहीं सुनूंगा.
श्री अनिरूद्ध (माधव) मारू -- मेरी एक बात सुन लें. 300 डम्पर रोज नीमच जिले में राजस्थान से घुस रहे हैं. वे हमारी सड़कें खराब करते हैं, कम से कम उनके लिए भी कुछ तय कर दें कि 300 डम्पर रेती के 7 टन वजन भरके घुसते हैं. आप उनका हिसाब लगाएंगे तो 20 लाख रुपये रोज का होता है. 70-75 करोड़ रुपये होता है. हमारे यहां 300 डम्पर रोज आते हैं.
अध्यक्ष महोदय -- चलिए ठीक है, हो गया, श्री देवेन्द्र सिंह पटेल बोलें.
श्री देवेन्द्र सिंह पटेल (उदयपुरा) -- अध्यक्ष महोदय, मेरा एक निवेदन है कि मां नर्मदा जो है, हमारे मध्यप्रदेश में पूरी मां नर्मदा हमारे बीच में है. हमारा एनएच-12 जो है या नेशनल हाईवे जो है, वह नर्मदा जी से 15 किलोमीटर इस तरफ और 15 किलोमीटर उस तरफ हैं. मैं आपसे निवेदन इतना करना चाहता हूँ कि एनएच-12 तक रेत किसानों के द्वारा किसानों की ट्रालियों के द्वारा एनएच-12 तक आनी चाहिए, जिससे हमारी मध्यप्रदेश सरकार, जैसे मेरे लिए उदयपुरा विधान सभा में कुल 20 किलोमीटर की रोड मिली हैं. मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूँ पूर्ववर्ती सरकार ने, अगर पीडब्ल्यूडी ने रोड दी हैं, तो हमारे, जो कि रोड 18 टन की हैं और उस रोड में 80 टन जाता है, हमारी मध्यप्रदेश सरकार इतनी रोडें नहीं बना सकतीं, अगर खत्म हो गईं तो. मैं आपसे निवेदन करता हूँ कि एनएच-12 तक...
अध्यक्ष महोदय -- चलिए धन्यवाद. आ गई आपकी बात. देवेन्द्र जी धन्यवाद.
श्री देवेन्द्र सिंह पटेल -- अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय -- श्री महेश परमार जी बोलें.
श्री भारत सिंह कुशवाह -- अध्यक्ष जी, मेरा बहुत महत्वपूर्ण सुझाव है...
अध्यक्ष महोदय -- अब मैं इधर से किसी की नहीं सुनूंगा. अब इधर की भी बारी करूंगा.
श्री भारत सिंह कुशवाह -- अध्यक्ष जी, सत्ता पक्ष भी सहमत होगा, विपक्ष भी सहमत होगा. एक ही सुझाव है..
अध्यक्ष महोदय -- हमें नहीं सुनना, हम सहमत नहीं हैं. मेहरबानी करके बैठ जाइये. इनका कुछ नहीं लिखा जाएगा. श्री महेश परमार.
श्री महेश परमार (तराना) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत-बहुत धन्यवाद. आपका संरक्षण चाहते हुए मैं कहना चाहता हूँ कि पिछले 15 साल से खनिज नीति और मध्यप्रदेश में जिस तरह खोदा गया है. हम कह सकते हैं कि पूरा मध्यप्रदेश छिन्न-भिन्न हो गया है. मेरा आपसे निवेदन है और माननीय मुख्यमंत्री जी और माननीय खनिज मंत्री जी से कि इस तरह की नीति मध्यप्रदेश में बनाएं कि पूरे देश में ये लागू हो और एक अच्छा संदेश जाए. आपके माध्यम से यह बात कहना है.
अध्यक्ष महोदय -- धन्यवाद, श्री मुरली मोरवाल जी.
श्री मुरली मोरवाल (बड़नगर) -- माननीय अध्यक्ष जी, हमारे उज्जैन जिले के अंदर वहां पंचायत इंस्पेक्टर है, खनिज विभाग के द्वारा उसको अधिकारी का चार्ज दिला रखा है तो मेरा निवेदन यह है कि जिस तरह से खनिज विभाग की व्यवस्था चल रही है, उसमें सुधार किया जाए और साथ-साथ जो जिले के अंदर अव्यवस्था हो रही है, उसमें भी सुधार किया जाए. मेरा आपसे निवेदन है कि जिस हिसाब से खनिज विभाग चल रहा है, हमारे यहां पर पंचायत इंस्पेक्टर खनिज विभाग चला रहे हैं. उनको अधिकार नहीं है. उसके बाद भी पंचायत इंस्पेक्टर को चार्ज दे रखा है. मेरा निवेदन है कि वह चार्ज हटाकर अधिकारियों को चार्ज दिया जाये. आपने बोलने का मौका दिया, उसके लिये धन्यवाद.
श्री भारत सिंह कुशवाह (ग्वालियर-ग्रामीण) - अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 25 पर बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. जो ठेका प्रथा है, उसको समाप्त किया जाए. मेरा यह अनुरोध है कि गौड़ खनिज नियम में बदलाव करके शिक्षित बेरोजगारों को 10 वर्ष के लिये लीज दी जाए. मैं यह भी ध्यान दिलाना चाहता हूं सरकार के माननीय सदस्यों को कि पिछली बार जब हम सरकार में थे और आप विपक्ष में थे, तब मैंने अनुदान मांगों पर अपनी यह बात रखी थी और आपने मेज थपथपाकर समर्थन किया था कि शिक्षित बेरोजगारों को लीज देने से बेरोजगारी दूर होगी. अध्यक्ष महोदय, आपने समय दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री जजपाल सिंह ''जज्जी'' (अशोकनगर) - अध्यक्ष महोदय, बहुत-बहुत धन्यवाद, आपकी बड़ी कृपा हुई. मैं जहां तक सुन रहा था कि पिछले बहुत वर्षों से एक ही बात चल रही है कि पूरा प्रदेश खोद डाला, लेकिन मैं कई दिनों से यहां देख रहा हूं कि राजनीतिज्ञ लोगों के बारे में बाहर लोगों की जो धारणा है, वह क्यों खराब बनती जा रही है. मैं जब यहां पर आया था, तो लग रहा था कि यहां पर तो बहुत प्रबुद्ध लोग आते हैं, लेकिन मैं देख रहा हूं कि सारे लोग बोलने के लिये इतने उतावले हैं कि कुछ भी बोले जा रहे हैं. बहुत सीनियर लोग भी, कोई सुनने को तैयार नहीं है. एक तो व्यवस्था बनाएं ताकि हम लोग कुछ सीख सकें और दूसरी बात कि हमारी सरकार, माननीय मंत्री जी और मुख्यमंत्री कमलनाथ जी निश्चित रूप से इस प्रदेश के हित में निर्णय ले रहे हैं और जो खनिज की नई नीति आई है, इसमें मेरा यही सुझाव है कि निश्चित रूप से इसमें शिक्षित बेरोजगारों को किसी न किसी तरह से इन्वॉल्ब किया जाए. धन्यवाद, जय हिन्द.
श्री रवि रमेशचंद्र जोशी (खरगौन) - अध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का अवसर दिया, धन्यवाद.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय - अध्यक्ष महोदय, आपकी प्रशंसा करनी पड़ेगी, बहुत संरक्षण मिल रहा है. पूरे सदन की तरफ से हम धन्यवाद करना चाहेंगे.
श्री रवि रमेशचंद्र जोशी - अध्यक्ष महोदय, खनिज प्रदेश की एक ऐसी आवश्यक चीज हो गई कि पैसे वालों को भी उसकी आवश्यकता है, गरीब को भी है. खनिज को खनिज के रूप में रहने दें, लेकिन खनिज का उत्खनन जिन खदानों से होता है वहां बड़े-बड़े गड्ढे हो रहे हैं, खदानों का जो वेस्ट निकलता है, उससे उन गड्ढों को भरकर रखेंगे और अगर उस पर वृक्षारोपण करें, तो निश्चित ही इस प्रदेश में जो दुर्दशा खनिज उत्खनन से हो रही है वह दुर्दशा नहीं होगी.
खनिज साधन मंत्री (श्री प्रदीप अमृतलाल जायसवाल) - अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश सरकार या किसी भी सरकार में खनिज विभाग एक ऐसा विभाग है जिसका राजस्व में योगदान पूरे प्रदेश में सबसे बड़ा होता है. उससे हमारे प्रदेश का औद्योगिक, आर्थिक, हर तरह का विकास जुड़ा हुआ है. आज इस महत्वपूर्ण चर्चा में हमारे कम से कम 14-15 विधायकों ने इसमें भाग लिया. मुझे खुशी हुई कि 6 महीने के कार्यकाल में हमने नई नीति बनाने का प्रयास किया और बाहर सभी लोगों से हमने सुझाव लिये और आज यहां पर चर्चा में भी बहुत सारे सुझाव आये हैं. महत्वपूर्ण बात तो यह रही कि पिछले 15 वर्षों में जिस तरह से खनिज विभाग को भारतीय जनता पार्टी सरकार ने चलाया और उसकी असफलता के बारे में स्वयं विपक्ष के सदस्यों ने यहां पर इस बात को स्वीकार भी किया है. नेता प्रतिपक्ष भी स्वीकार कर चुके हैं कि हम कोई नई नीति नहीं बना पाये. यह बात पूरे प्रदेश में उजाकर हुई है कि अवैध उत्खनन आपकी सरकार के द्वारा दिया गया शब्द है. मुझे जो खनिज विभाग मिला, एक प्रकार से बहुत बीमार हालत में मिला और किस तरह से इलाज करने का प्रयास माननीय कमल पटेल जी ने किया, वह भी आप सबने अपनी पीड़ा बताई. खनिज विभाग आई.सी.यू. में था, लेकिन उसके बावजूद हमने पूरी इच्छाशक्ति के साथ जिस तरह संजय यादव जी ने कहा उन्होंने भी काफी संघर्ष किया है, हाई कोर्ट तक, उन्होंने संघर्ष किया इन समस्याओं के बारे में और हम सब ने भी सत्ता में आने के पहले जितना अवैध उत्खनन और जिस तरह से रेत के मामले में जिस तरह से बुधनी से लेकर पूरे प्रदेश में बिना किसी नीति के, जिस तरह से लूटा गया, वह पूरे प्रदेश की जनता ने देखा. कमल पटेल जी ने बहुत संघर्ष किया, नर्मदा मैय्या को बचाने के लिए, उन पर नर्मदा मैय्या का आशीर्वाद रहा कि उसके बाद भी आप चुनाव जीत कर आ गए. लेकिन नर्मदा मैय्या का सीना छल करने वाली सरकार उसके श्राप से नहीं बच पाई और आज आप लोग विपक्ष में बैठे हैं. (मेजों की थपथपाहट) हालांकि मुझे अच्छा लगा कि हमारे पूर्व मंत्री ने इस बात को स्वीकार भी किया. माननीय अध्यक्ष महोदय, खनिज विभाग की चर्चा में अधिकांश लोगों ने....
श्री राजेन्द्र शुक्ल-- स्वीकार कहाँ किया भाई.
श्री प्रदीप अमृतलाल जायसवाल-- मैं अभी आपको बताता हूँ.
श्री राजेन्द्र शुक्ल-- अध्यक्ष महोदय, मैंने तो यह बताया कि समय समय पर खनिज नीति जो हम लोगों ने रिव्यू किया, वह जनता की मांग के आधार पर सस्ता सुलभ, आसानी से रेत मिल सके. कम से कम यह तो मत कहिए कि मैंने स्वीकार किया.
श्री प्रदीप अमृतलाल जायसवाल-- आप यह स्वीकार कर रहे हैं कि हम मरीज का इलाज अच्छा नहीं कर पाए.
श्री राजेन्द्र शुक्ल-- आपको मैंने यह बताया कि जब मैंने खनिज विभाग संभाला तो खनिज राजस्व छःसौ करोड़ मिलता था और जब मैंने विभाग आपको दिया तो चार हजार छः सौ करोड़ करके दिया. (मेजों की थपथपाहट) उसके बाद आप कह रहे हैं कि बीमार हालत में आपको मिला है. लेकिन अभी संभावनाएँ इतनी हैं कि इस राजस्व को आप दस हजार करोड़ तक ले जा सकते हैं क्योंकि....
श्री प्रदीप अमृतलाल जायसवाल-- आपका अनुभव इतना अच्छा रहा कि इस अनुभव का लाभ आप सरकार को नहीं दिला पाए, प्रदेश की जनता को आप नहीं दिला पाए..
श्री राजेन्द्र शुक्ल-- जमीन ऐसी हम लोगों ने तैयार की है कि आप दस हजार करोड़ तक ले जा सकते हैं.
अध्यक्ष महोदय-- आप विषय पर आइये.
श्री प्रदीप अमृतलाल जायसवाल-- अध्यक्ष महोदय, रेत पर बहुत सारी चर्चा हुई. लेकिन खनिज विभाग मतलब अकेले रेत नहीं है. अध्यक्ष महोदय, मैं आपको बताना चाहूँगा कि 4800 करोड़ का लक्ष्य हमने इस बार उसको पूरा किया. 4800 करोड़ में कोयला भी है, बाक्साइट भी है एवं जितने मिनरल्स हैं. उसमें सबसे पीछे, पूरे प्रदेश में हल्ला किस बात का होता है सिर्फ रेत का होता है. चारों तरफ रेत. रेत के नाम पर लूट मची हुई है. लेकिन अगर हम उसका राजस्व देखें तो मात्र 69 करोड़ आ रहा है. खोदा पहाड़ और निकली चुहिया. मात्र 69 करोड़ हमारी सरकार को प्राप्त हो रहा है. इसके अलावा बाकी जितना राजस्व प्राप्त होता है वह हमारे मुख्य मिनरल्स से मिलता है. 15 साल में आपका पूरा ध्यान कहीं कुछ नहीं रहा. मैं एक दिन कहीं से जा रहा था तो एक ट्रक के पीछे मैंने देखा, हरे रंग का ट्रक था, उसके पीछे लिखा था, रेत तो सोना है, सिर्फ दिन रात ढोना है. आप सबने सिर्फ रेत की ढुलाई की. लेकिन आपने रेत के लिए कोई नीति नहीं बनाई. (मेजों की थपथपाहट) यही कारण है कि दुबारा जाते जाते आपने पंचायत को देकर गए. मैं कहता हूँ पंचायत को आपने अधिकार नहीं दिया. आप जाते जाते पंचायत को फेंक कर गए हैं. आज न पंचायत के खाते में पैसा जा रहा है न सरकार के खाते में पैसा आया है और न ही आम जनता को सस्ते दर पर रेत मिली तो फिर आपने 15 साल में किया क्या, बताइये. ये अभी 31 मिनरल्स की बात कर रहे थे जो भारत सरकार ने उसको मायनर कर दिया है. ये 2015 को हुआ. तीन साल में आप उसकी कोई नीति नहीं बना पाए. हमने अभी उस 31 मिनरल्स की नीतियाँ बनाईं. (मेजों की थपथपाहट)अध्यक्ष महोदय, जैसा मैंने कहा हमने इस साल लक्ष्य पूरा किया और इस साल हमारे वित्त विभाग के द्वारा माननीय मुख्यमंत्री जी के निर्देश पर हमको 27 प्रतिशत बढ़ाकर लक्ष्य दिया गया है. मेरा मानना है आप सबके सुझाव के आधार पर हम जो रेत नीति बना रहे हैं, खनिज नीति बना रहे हैं, दोनों नीति बन रही है, रेत नीति बन चुकी है और खनिज नीति की भी प्रचलन में है. अगर यह नीति लागू हो गई तो हमारा मानना है कि हमको 27 प्रतिशत का जो लक्ष्य इस साल मिला है, यह कहीं न कहीं हमको इससे दुगना तिगुना हम करके देंगे. अध्यक्ष महोदय, वित्तीय वर्ष 2018-19 में अवैध उत्खनन के 1467, अवैध परिवहन के 14393 अवैध भंडारण के 644 प्रकरण पंजीबद्ध किए गए. इसमें अवैध उत्खननकर्ताओं से 95 करोड़, अवैध परिवहन में 38 करोड़, अवैध भंडारण के प्रकरण में 40 करोड़ रुपये अर्थदण्ड लेकर शासकीय कोष में हमने जमा कराया. प्रदेश में जो नई नीति बनाई.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से कहना चाहता हूँ कि पिछले सप्ताह मैंने आपसे विधान सभा प्रश्न के माध्यम से प्रदेश के 52 जिलों में कितने चालान बने, कितने अवैध परिवहन के मामले पकड़े गए, कितनी पैनाल्टी लगी, कितने वाहन राजसात हुए इसकी जानकारी चाही थी. आपने अपने उत्तर में इस बात को स्वीकार किया है कि भोपाल जिले में शून्य, इंदौर जिले में शून्य, रीवा जिले में शून्य. आप देख लें आपको रिकार्ड में मिल जाएगा. मैं यह मानकर चलता हूँ कि क्या यह संभव है कि जहां हजार डम्पर रोज आते हों वहां पर क्या सारे के सारे वैध डम्पर आते हैं. मेरे ख्याल से शायद नहीं आते हैं. आप अपने सिस्टम को सुधारें. एक रुपया भी आपको पैनाल्टी का नहीं मिला. एक भी वाहन राजसात नहीं हुआ, कोई कार्यवाही नहीं हुई. यह कहीं न कहीं बहुत बड़ी कमी और भ्रष्टाचार को दर्शाता है, इसको आपको ठीक करना पड़ेगा.
श्री प्रदीप अमृतलाल जायसवाल--आप देखिए, होशंगाबाद, छतरपुर सभी जगह पर सारी बड़ी-बड़ी मशीनों को पकड़ा गया है, सब पर कार्यवाही लगातार हो रही है.
श्री गोपाल भार्गव--भोपाल में आप देखें कितना जमाव है, कितना भण्डारण करके रखा है, इंदौर में रखा है. क्योंकि रेत सबसे ज्यादा कंज्यूम तो यहीं होती है.
श्री केदारनाथ शुक्ल--सीधी के बारे में कुछ करेंगे.
श्री प्रदीप अमृतलाल जायसवाल--मैं, माननीय नेता प्रतिपक्ष से कहना चाहूँगा कि यह बीमारी कोई तीन या चार महीने में नहीं आ गई है. यह बीमारी 15 साल में आई है, आपने हमको जो मरीज दिया है वह आईसीयू में भर्ती दिया है.
श्री गोपाल भार्गव--छह महीने में आप ठीक नहीं कर पाए एक भी चालान नहीं बना पाए.
श्री प्रदीप अमृतलाल जायसवाल--15 साल का बीमार व्यक्ति छह महीने में कैसे सुधर जाएगा. हम खनिज नीति लाए हैं.
श्री गोपाल भार्गव--आप भोपाल के अन्दर छह महीने में एक वाहन नहीं पकड़ पाए. जहां एक हजार डम्पर रोज आते हैं, इंदौर इससे बड़ा शहर है इससे भी ज्यादा आते होंगे. आप जहां गोलियां चल रही हैं, जहां पर लूट हो रही है, ग्वालियर में नहीं कर सके. सभी जगह की जानकारी शून्य-शून्य आई है.
श्री प्रदीप अमृतलाल जायसवाल--अगर आप समाचार-पत्र पढ़ते होंगे तो सारे समाचार पत्रों में यह जानकारी है.
श्री गोपाल भार्गव--यह तो आपका दिया हुआ उत्तर है, समाचार-पत्र की तो आवश्यकता ही नहीं है.
श्री प्रदीप अमृतलाल जायसवाल--मुझे लगता है पढ़ने में, समझ में कुछ फर्क आ रहा है अन्यथा सभी जगह कार्यवाहियाँ हुई हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने पंचायत से अधिकार वापिस लेकर फिर से प्रयास किया है कि प्रदेश की खदानों को चिह्नित किया जाए, जो पिछले 15 वर्षों में लावारिस थीं और उन लावारिस खदानों से अवैध उत्खनन होता था. हमने प्रयास किया है कि प्रदेश की एक भी खदान ऐसी नहीं होना चाहिए जो चिह्नित न हो. सारी खदानों का ग्रुप बनवाकर हम टेंडर करवा रहे हैं. एक भी खदान उससे बाहर नहीं रहेगी. (मेजों की थपथपाहट) जिससे अवैध उत्खनन में निश्चित रुप से रोक लगेगी. सबसे बड़ा चोरी का काम भण्डारण के माध्यम से होता था हमने उसकी स्वीकृति को बंद कर दिया है. जो वैध खदान मालिक हैं सिर्फ उसको डम्प मिलेगा उसके अलावा किसी को डम्प नहीं मिलेगा. चोरी करने का बहुत बड़ा दरवाजा हमने बंद कर दिया है. इसके अलावा निजी भूमि के नाम पर बहुत चोरी हुआ करती थी उसको भी हमने बंद किया है. अब कोई किसान खेत की रेत हटाना चाहता है तो उस क्षेत्र का, उस ग्रुप का जो ठेकेदार होगा उस ठेकेदार से किसान के माध्यम से चर्चा करके वहां की रेत को हटाने का काम वहां का ठेकेदार करेगा. वह शासन को रायल्टी देगा. इस तरह से चोरी रोकने का काम भी हमने बंद किया है. हमने सभी खदानों में सीसीटीवी कैमरा अनिवार्य कर दिया है. जितनी भी गाड़ियाँ खनिज विभाग के अन्तर्गत चलेंगी उन सभी को जीपीएस सिस्टम से जोड़ना अनिवार्य कर दिया है. ताकि हर चीज कैमरे की नजर में रहे. जैसा मैंने कहा कि अधिक से अधिक खदानों को चिह्नित करके ग्रुप बनाकर तहसीलवार, कई जगह बहुत बड़े ग्रुप बन रहे हैं तो वहां पर हम दो या तीन ग्रुप भी कर सकते हैं. हम यह प्रयास कर रहे हैं कि वहां यदि स्थानीय लोग भी टेंडर लेना चाहें तो वह भी छोटा ग्रुप देखकर टेंडर डाल सकते हैं. बड़े लोगों के लिए बड़े ग्रुप भी हम बनाकर दे रहे हैं. हर तरह के ग्रुप बनाने का हमारा प्रयास है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यह सारी प्रक्रिया आपने जो बताया और अनुभव के आधार पर की है. बहुत लोगों के मन में यह शंका है कि रेत महंगी हो जाएगी लेकिन आप समझ सकते हैं कि इतनी सारी खदानें, इतने सारे ग्रुप का जब टेंडर होगा, इतनी सारी एजेंसियां, इतने सारे ठेकेदार रहेंगे तो निश्चित रुप से कहीं-न-कहीं उनका काम्पीटीशन होगा तो मुझे पूरी संभावना है कि यह जो रेत महंगी होने वाली शंका है यह खत्म हो जाएगी. उसके बावजूद हमारा यह प्रयास है कि ग्रामीण क्षेत्र हो या शहरी क्षेत्र हो, हमारे किसान अनुसूचित जाति, जनजाति के लोग, कुम्हार समाज के लोग या कारीगर हैं, किसान हैं. जो भी अपना निजी घर गांव में बना रहा है उसको रेत रायल्टी फ्री रहेगी, कहीं उसको कहीं रायल्टी देने की आवश्यकता नहीं पडे़गी. उसी तरह से शहरी क्षेत्र में यदि कोई प्रधानमंत्री आवास का काम कर रहा है, शौचालय का काम है और किसी तरह का काम है जो सरकारी योजना से कोई गरीब व्यक्ति बना रहा है उसको भी रेत के लिए रायल्टी लेने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी वह फ्री में जाकर रेत ला सकता है. इस तरह की व्यवस्था हमने माननीय कमलनाथ जी के निर्देश की है. उन्होंने हमेशा चिंता जाहिर की है कि बड़े लोगों से उनको बचाना है और छोटे मध्यम वर्ग के लोग भी उसमें भाग ले सकें, हमारे युवा भाग ले सकें इस तरह का प्रयास हम कर रहे हैं. अभी नीलामी के बारे में जो बात हुई. वर्ष 2015 में नीति आने के बाद अब तक तीन साल में भारतीय जनता पार्टी की सरकार रही आपने गौण खनिजों की कोई नीति बनाने में असफल रहे. आपने कोई नीति नहीं बनाई. हमने नीति बनाने का काम किया है और वह प्रचलन में शीघ्र ही हमारी नई खनिज नीति भी सामने आ रही है. जहां तक हमारी केन्द्र सरकार के द्वारा जो 31 मिनरल्स को किया है उसके बारे में तीन नीति हमने बनाई लेकिन जो मेजर मिनरल्स हैं उसके बारे में जैसा कि हमारे पूर्व मंत्री ने आपको अवगत कराया कि 13 ब्लॉक का नीलामी का टेंडर भी पेपर में आ चुका है . उसमें चूने पत्थर के पांच, स्वर्णधातु के दो, अन्य खनिजों के तीन, हीरा खनिजों के एक, ग्रेफाइट खनिज एक, बॉक्साईट का एक ऐसे 13 ब्लॉकों को नीलामी में हम लगा चुके हैं जिससे कुल मिलाकर हमारी जो संभावित आय होगी वह लगभग 60 हजार करोड़ रुपया इस नीलामी से सरकार को प्राप्त होगा. यह भी हमारी एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है. इन 13 ब्लॉकों में जो हीरा खदान छतरपुर में बक्वासा वह बंदर हीरा करीब ब्लॉक को रखा गया है जिसका कुल रकबा 364 हेक्टेयर है. इसके जो आंकलित भंडार हैं 34.20 मिलियन केरेट हैं. इस हीरे की खदान से लगभग 55 हजार करोड़ रुपया सरकार को प्राप्त होगा. इस नीलामी से शासन को राजस्व और क्षेत्र के लोगों को रोजगार मिलेगा और क्षेत्र का सर्वांगीण विकास भी निश्चित रूप से होगा. 31 खनिजों को जो अनुसूची पांच के रूप में शामिल किया गया है. प्रदेश में खनन सेक्टर में रोजगार से अवसर बढ़ाने और प्रदेश में राजस्व वृद्धि को देखते हुए अनुसूचि पांच के खनिजों के आवंटन में शासकीय भूमि पर नीलामी एवं निजी भूमि के प्रस्ताव में निजी भूमि के जो लोग आएंगे उनको हम पट्टे में खदान देंगे और जो हमारे बड़े लोग जो निवेशकर्ता बाहर से आते हैं, हमारा कोई उद्योगपति आता है अगर वह पच्चीस करोड़ रुपए तक का निवेश करता है तो हम उसको सीधे-सीधे पट्टे में खदान उनको देंगे ताकि हमारे खनिज आधारित उद्योग को बढ़ावा मिल सके. खनिजों के अवैध उत्खनन परिवहन रोकथाम खनन संबंधी गति और कसावट लाने के लिए विभाग सुदृढ़ करने की योजना सरकार द्वारा चलाई जा रही है.
अध्यक्ष महोदय, कमल पटेल जी भी कह रहे थे ब्यूरोक्रसी के बारे में ,कलेक्टर. एस.पी. के बारे में देखिए 15 साल में चारों दरवाजे खिड़की खुले हैं चोर तो चोरी करेगा ही. हमने ऐसी कोई नीति बनाई ही नहीं लेकिन इस नीति में हम इतनी कसावट लाए हैं कि अवैध उत्खनन होने का शब्द ही नहीं मिलेगा. किसी को चोरी करने का मौका ही नहीं मिलेगा और सारा का सारा पैसा सरकार के खजाने में जाएगा. मुझे बहुत ज्यादा अनुभव नहीं है, लेकिन जितना आप सब से अनुभव मिला हमने लिया और जिस तरह से हमने नीति बनाई है अभी रेत में मात्र 69 करोड़ रुपया मिला है अगर यह नीति और हमारे टेंडर की कार्यवाही, हमारी खनिज नीति का पूरा क्रियान्वयन सही तरीके से हो गया तो मुझे ऐसा लगता है कि रेत के जो 69 करोड़ हैं वह पंद्रह सौ से दो हजार करोड़ तक जाने की संभावना है, लेकिन इसके लिए आपको जिस इच्छाशक्ति से काम करना था आपने किया ही नहीं. आपकी सरकार के बड़े-बड़े लोग रेत में काम कर रहे हैं, भाजपा के बड़े-बड़े नेता काम कर रहे हैं.
श्री योगेश पंडाग्रे-- महोदय मेरा एक प्रश्न था एक अवैध उत्खनन जो कि मुरम का भी बहुत ज्यादा होता है उस गौण खनिज को भी हम भूल रहे हैं. उसकी शायद खदानों का आवंटन नहीं हुआ है. अवैध उत्खनन के द्वारा पहाड़ों को समतल कर दिया जाता है.
अध्यक्ष महोदय-- मैंने परमिट नहीं किया है. मंत्री जी धन्यवाद.
श्री प्रदीप अमृतलाल जायसवाल--हमारा यह प्रयास है कि आई.सी.यू. में भर्ती जो खनिज विभाग हमको मिला है उसका एक-एक इंजेक्शन से हम इलाज करेंगे और आने वाले समय पर मध्यप्रदेश का राजस्व बढ़ेगा.
श्री कमल पटेल- आप कम से कम एस.आई.टी. गठित करके जो अवैध उत्खनन हुआ है उसकी जांच करवा दीजिये.
श्री प्रदीप अमृतलाल जायसवाल- जहां भी ऐसी कोई विशेष बात होगी तो मैं उसकी सही रूप से जांच करवाने के लिए तैयार हूं.
9.01 बजे
अशासकीय संकल्प
(1) छतरपुर जिले के बरेठी में एन.टी.पी.सी. के सुपर थर्मल पावर संयंत्र को प्रारंभ करवाने में भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से पर्यावरण स्वीकृति प्राप्त होने में आ रही दिक्कतों को दूर किया जाना
अध्यक्ष महोदय- श्री आलोक चतुर्वेदी जी, अपना संकल्प प्रस्तुत करें.
श्री आलोक चतुर्वेदी (छतरपुर)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा अशासकीय संकल्प बुंदेलखण्ड के विकास में मील का पत्थर साबित होने वाली योजना के संबंध में लाया हूं इसलिए मैं आपका संरक्षण चाहूंगा.
अध्यक्ष महोदय- आलोक जी, पहले संकल्प पढ़कर प्रस्तुत करें.
सर्वश्री आलोक चतुर्वेदी (श्री राजेश कुमार शुक्ला)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह संकल्प प्रस्तुत करता हूं कि यह सदन केंद्र शासन से अनुरोध करता है कि छतरपुर जिले के बरेठी में एन.टी.पी.सी.के सुपर थर्मल पॉवर संयंत्र को प्रारंभ करवाने में भारत सरकार से पर्यावरण स्वीकृति प्राप्त होने में आ रही कठिनाईयों को दूर किया जाए अथवा पर्यावरणीय स्वीकृति व कोयला आवंटन न होने की स्थिति में उक्त स्थल पर प्रस्तावित सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने के कार्य को शीघ्र प्रारंभ किया जाये.
अध्यक्ष महोदय- संकल्प प्रस्तुत हुआ.
श्री गोपाल भार्गव- माननीय अध्यक्ष महोदय, दिक्कतों को दूर किया जाये. अब अगला संकल्प ले लीजिये.
अध्यक्ष महोदय- मंत्री जी, आपका क्या मत है ?
ऊर्जा मंत्री (श्री प्रियव्रत सिंह)- माननीय अध्यक्ष महोदय, बरेठी गांव में NTPC द्वारा सुपर थर्मल पावर संयंत्र को प्रारंभ करवाने के लिए भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से पर्यावरण स्वीकृति प्राप्त होने में आ रही दिक्कतों को दूर करने के लिए यह अशासकीय संकल्प प्रस्तुत किया गया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इस संयंत्र में हमारी कोई खास भूमिका नहीं है. NTPC द्वारा संयंत्र को लगाया जायेगा. इसमें वन एवं पर्यावरण की जितनी भी दिक्कतें हैं, Archaeological Survey of India की समस्यायें हों, चाहे हमारे भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण की ओर से कुछ हो या डिफेंस का कुछ हों, ये सभी क्लीयरेंस भारत सरकार द्वारा ही दी जानी हैं. आज NTPC के टेक्नीकल डायरेक्ट से समक्ष रूप से हमारी इस संबंध में चर्चा हुई है और उन्होंने हमें अवगत करवाया है कि कोल का आवंटन नहीं मिलने के कारण अभी तक इस संयंत्र की स्थापना नहीं हो पाई है. यह भी भारत सरकार के स्तर का ही विषय है. प्रदेश शासन का विषय नहीं है. इस आशय में जो भी कदम उठाने हैं भारत शासन को ही उठाने हैं. NTPC द्वारा एक और बात कही गई है कि इस स्तर पर भारत शासन के Renewable Energy मंत्रालय द्वारा Renewable Energy को बढ़ावा देने के लिए ताप विद्युत गृह के स्थान पा सोलर पावर प्लांट लगाने की उनकी योजना है. इसलिए मेरा अनुरोध है कि इस संकल्प को आंशिक रूप से संशोधित कर सोलर पावर प्लांट के लिए हम यहां से अनुशंसित करें.
अध्यक्ष महोदय- माननीय सदस्य जी, ठीक है न ?
श्री आलोक चतुर्वेदी- जी, महोदय.
अध्यक्ष महोदय- प्रश्न यह है कि यह सदन केंद्र शासन से अनुरोध करता है कि छतरपुर जिले के बरेठी में एन.टी.पी.सी.के सुपर थर्मल पॉवर संयंत्र को प्रारंभ करवाने में भारत सरकार से पर्यावरण स्वीकृति प्राप्त होने में आ रही कठिनाईयों को दूर किया जाए अथवा पर्यावरणीय स्वीकृति व कोयला आवंटन न होने की स्थिति में उक्त स्थल पर प्रस्तावित सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने के कार्य को शीघ्र प्रारंभ किया जाये.जैसा मंत्री जी ने यहां उल्लेख किया है मैं उसको भी यहां समाहित करता हूं.
संकल्प स्वीकृत हुआ.
(मेजों की थपथपाहट)
2. मध्यप्रदेश में एक स्वतंत्र फिजियोथेरेपिस्ट काउंसिल का गठन किया जाना.
श्री राजवर्धन सिंह प्रेम सिंह दत्तीगांव (बदनावर):- अध्यक्ष महोदय, मैं यह संकल्प प्रस्तुत करता हूं कि -
सदन का यह मत है कि मध्यप्रदेश में एक स्वतंत्र फिजियोथेरेपिस्ट काउंसिल का गठन किया जाए, जिससे वेतन तथा अन्य विसगतियां समाप्त हो सके.
अध्यक्ष महोदय:- संकल्प प्रस्तुत हुआ.
श्री राजवर्धन सिंह प्रेम सिंह दत्तीगांव:- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मैं सदन से यह निवेदन करना चाहता हूं कि यह एक अत्यंत संवेदनशील और गंभीर विषय है. क्योंकि हमारा यह निर्णय पूरे प्रदेश में लाखों को जीवन व्यतीत करने में आगे मार्ग प्रशस्त करेगा. मैं जब आज यह संकल्प लेकर आया हूं तो मेरा सदन से एक और निवेदन है कि आप यह न मानें कि मैं एक कांग्रेस के सदस्य के नाते यह संकल्प लेकर आया हूं.
मैं यह संकल्प एक उस पेशेंट के नाते लेकर आया हूं, जो भुग्त-भोगी है और कैसे फिजियोथैरेपी ने मेरे जीवन पर प्रभाव डाला. मैं स्कूल के समय से एथेलेटिक्स करता था. मैं नेशनल लेवल पर 400 मीटर में गोल्ड मेडलिस्ट रहा हूं. मुझे याद है कि शुरूआती एक घटना मेरे साथ घटी जब हेमस्टिंग पुल हुआ और तब मैंने पहली बार फिजियोथैरेपी का ट्रीटमेंट मैंने लिया, तत्पश्चात मैं 1998 में पहला निर्दलीय चुनाव लड़ा, उसके बाद मेरा एक छोटा रोड एक्सीडेंट हुआ. तब से मेरे को बैक प्रॉब्लम होने लगी, कई लोग उसको साइटिका कहते हैं और बाद में स्पोंडलाइटिस डव्ह्लप होता है, तमाम कॉम्प्लीकेशन हो जाते हैं. यह मेरा एक्सीडेंट धार से इंदौर के बीच में हुआ था, जीप मैं खुद चला रहा था और सुबह चार बजे का समय था.मुझे उस वक्त जानकार आश्चर्य हुआ कि जब डॉक्टर ने मुझे यह कहा कि मुझे कोई डॉक्टर ठीक नहीं कर पायेगा. मुझे एक स्पेशलाईज फिजियोथेरेपिस्ट की जरूरत है. मैंने पूरे जिले में पता किया अगल-बगल पता करने की कोशिश करी. परन्तु मुझे जानकर हैरानी थी और उस वक्त 98 में मेरी उम्र बहुत कम थी, करीब 26-27 साल की थी. वहां पर कोई भी प्रापर्ली ट्रेंड फिजियोथेरेपिस्ट था ही नहीं. इसके लिये मुझे एक लंबे अरसे तक जाकर दिल्ली रहना पड़ा. जहां मैंने प्रापर ट्रीटमेंट लिया.
मैं सदन का ज्यादा समय न लेते हुए कुछ सार की बातें बताकर अपनी बात समाप्त करूंगा. फिजियोथैरेपी की जो डेफिनेशन है, वह मैं आपको बता दूं कि क्या है-
यानि ऐसा नहीं है कि कोई साधारण सी चीज है कि कोई साधारण सी चीज है या कोई सड़क चलता आदमी आकर इसका इलाज कर दे. कहीं न कहीं कम्फ्यूजन है, हमारे विशेषज्ञों में और पहले जिन्होंने भी यह सोचकर निर्णय लिया होगा, इस पर पारंगत होने के लिए आपको क्या करना पड़ता है, क्या क्वालिफिकेशन है, आप कितनी पढ़ाई करने के बाद फिजियोथेरेपिस्ट बन पाते हैं. मिनिमम क्वालिफिकेशंस क्या हैं, आप जब बेसिक स्कूल एजुकेशन करते हैं, स्कूल की शिक्षा भी लेते हैं तो प्लस टू करना है, आपको फिजिक्स,कैमेस्ट्री और बॉयोलॉजी में करना है. तत्पश्चात् आपको ग्रेज्युएशन करना है, वह भी करीब साढ़े चार साल का कोर्स है. इसके बाद आपको स्पेशलाईजेशन करना है तो फिर आपको, करीब 2-3 साल की पढ़ाई करनी है. इसके बाद आपको पीएचडी करनी है तो पुन: आपको तकरीबन तीन वर्षों की पढ़ाई करनी है. फिर आपको बाकी जहां पर हम डॉक्टरेट दे रहे हैं या हम जिनको डॉक्टर्स मान रहे हैं. आप सिर्फ कोर विषय को अलग हटा दीजिये, उतनी ही पढ़ाई है
श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगांव-- एक्सपर्ट डॉक्टर्स से कम नहीं है. इतना सब कुछ जब है और इस सदन को निवेदन किया है इंडियन एसोसियेशन ऑफ फिजियोथेरेपिस्ट उन्होंने भी जिस प्रकार से निवेदन किया है. उन्होंने कहा है कि Physiotherapist works on scientific established system of medicine at various levels imparting education at under graduate, post graduate doctor travels in India, the cost contains and curriculum is 4 and half year जैसा मैंने बताया 2-3 years post graduation and 3-5 years Phd आपको जानकार आश्चर्य होगा कि न सिर्फ प्रदेश में, देश में, बल्कि पूरे विश्व में फिजियोथेरेपी अत्यंत ही लोकप्रिय और महत्वपूर्ण विषय है तथा इलाज की एक कला है. अमेरिका जैसे प्रगतिशील देश में मैं आपके माध्यम से सदन से निवेदन करूंगा.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)--यह राज्य के क्षेत्राधिकार में है
अध्यक्ष महोदय--राज्य के क्षेत्राधिकार में है.
श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष महोदय, उसको सर्वसम्मति से पारित कर लें.
श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगांव--अध्यक्ष महोदय, मेरा यही निवेदन है.
श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष महोदय,आप आसंदी से सबको निर्देशित कर दें अच्छी उपयोगी चीज है उसमें सबका भला है.
अध्यक्ष महोदय--इसको सर्व सम्मति से पारित करेंगे.
श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगांव--अध्यक्ष महोदय, नेता प्रतिपक्ष को मैं आभार प्रकट करना चाहता हूं. धन्यवाद.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया(मंदसौर)--अध्यक्ष महोदय, मेरा भी इसमें नाम है मैं भी इसमें बोलना चाहता हूं. यह फिजियोथेरेपिस्ट को डॉक्टर का दर्जा नहीं है, जबकि वह उस लेवल का कार्य करता है. इस संबंध में हमने महामहिम राज्यपाल महोदय जी हमने ज्ञापन देकर उनको अग्रेशित किया है. माननीय विधायक जी ने ठीक ढंग से प्रस्तुत कर दिया है. दुःख इस बात का है कि सब कुछ होने के बाद भी यह लोग डॉक्टर हीं कहलाये जाते हैं. इनकी जो परिभाषा है उनको लेब टेक्निशियन तथा डिप्लोमा टेक्निशियन के समकक्ष इनको माना जाता है. माननीय विधायक जी मैं आपका सपोर्ट ही कर रहा हूं. इनको भी वही विषय पढ़ने पड़ते हैं जो बीडीएस तथा एमबीबीएस को पढ़ने पड़ते हैं.
अध्यक्ष महोदय--इनको भी डॉक्टर लिखा जाये.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--अध्यक्ष महोदय, इनकी वेतन में भी विसंगतियां हैं जिसको लेकर के अशासकीय संकल्प प्रस्तुत हुआ है.
अध्यक्ष महोदय--इनका वेतन भी डॉक्टरों से कम हैं. इनका डॉक्टर लिखा जाये.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--अध्यक्ष महोदय, इनको डॉक्टर कहा ही नहीं जाता है सबसे बड़ी विसंगति है.
श्री गिरीश गौतम--अध्यक्ष महोदय, अभी मध्यप्रदेश की सरकार ने एक ज्ञापन निकाला था जिसमें फिजियोथेरेपिस्ट जो है जो सरकारी कॉलेज से पास हैं वही अप्लाई करेंगे. जो प्रायवेट कॉलेज से पास हैं वह अप्लाई नहीं करेंगे. उसमें विडम्बना है, जबकि यह यूनिवर्सिटी डिग्री है. इसलिये मेरा आग्रह है कि फिजियोथेरेपिस्ट चाहे वह प्रायवेट कॉलेज से पास हों, चाहे सरकारी कॉलेज से पास हों सबके मामले में एकरूपता के साथ विचार किया जाये.
चिकित्सा शिक्षा मंत्री (डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ)--अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश सह चिकित्सा परिषद् अधिनियम, 2000 दिनांक 12 जनवरी, 2001 को विधान सभा में पारित हुआ था. 2001 में उस वक्त में ही चिकित्सा शिक्षा मंत्री थी. पूरे हिन्दुस्तान में न केवल राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि राज्यों में भी पैरा मेडिकल की कोई भी कौंसिल नहीं थी. उस वक्त भी मैंने कहा था और आज भी मैं कह रही हूं कि मेरी माताजी को पेरालायसिस हुआ था ब्लड सेम्पल लेकर मैंने दो अलग अलग पैथालॉजी में भेजा था दोनों की अलग अलग रिपोर्ट आयी थी. उस वक्त मैंने समझा कि यह अलग रिपोर्ट आयी है तो इनका डायग्नोसिस इनका ठीक-ठाक नहीं होगा तो डॉक्टर इनका इलाज क्या करेगा ? मेरे सामने से यह फाईल 2001 में निकली कि पैरा मेडिकल कौंसिल बनायी जाये उस वक्त मैं इस सदन के अंदर पैरा मेडिकल का कांसेप्ट लेकर के आयी थी मुझे इस बात को कहने में खुशी है कि इस वक्त भी इस संकल्प को सर्वानुमति से पास कर सम्मानित सदस्यगण गोपाल भार्गव जी, डॉ.सीतासरन शर्मा जी सब उस वक्त थे तो मुझे खुशी इस बात को कहने में है कि उस वक्त सभी ने मेरी बहुत तारीफ की थी तुम एक अच्छा निर्णय लेकर इस सदन में आयी हो. तब उस कौंसिल का गठन किया था पूरे भारत के मध्यप्रदेश में ही इस कौंसिल का निर्माण हुआ था. उसी काउंसिल के अंतर्गत जो विभिन्न हमारे टेक्निकल टेक्निशियन है दो डाक्टरों को असिस्ट करते हैं, उसको करीब करीब हम, उस वक्त तो हम लोग 20-22 लेकर आए थे, लेकिन बाद की सरकार ने इसको बढ़ाकर करीब करीब 42 पाठ्यक्रमों को इसमें सम्मिलित किया. फिजियोथेरेपी भी इसी का एक अंग था, चूंकि मैं भी डाक्टर हूं, प्रेक्टिस नहीं की, पढ़ते पढ़ते मुझे विधायक बना दिया गया, लेकिन टेक्निकल शब्द थेरेपी कहीं न कहीं जुड़ा हुआ है, डॉक्टर को असिस्ट करने के लिए, नीट के माध्यम से सारे एक्जाम हो रहे है, चाहे वह एमबीबीएस के यू.जी. एक्जाम हो, पी.जी. एक्जाम हो. अब तो हमने आयुष को भी इसमें सम्मिलित कर दिया गया है. बहुत अच्छा कंसेप्ट आप लेकर आए हैं, फिजियोथेरेपी का, वाकई फिजियोथेरेपिस्ट जो है वह हमारा जो बॉडी का जो पार्ट है, डाक्टर तो इसको एग्जामिन करके, दवाई देकर के, मेडीसिन देकर ठीक करता है. फिजियोथेरेपी बहुत से जैसे पैरालेटिक हो जाते हैं, चाहे वह स्ट्रोक से हो, ब्रेन स्ट्रोक से हो चाहे, एक्सीडेंट में उनको चोटे आती है, उसके कारण पेरालाइज्ड हो जाते हैं या अन्य स्लिप डिस्क हो जाती है स्पोंडोलाइसिस हो जाती है तो फिजियोथेरेपी कहीं न कहीं इसको ट्रीट करते हैं. डाक्टर साहब बोल नहीं रहे है. (डॉ सीतासरन शर्मा, सदस्य की ओर देखकर बोलते हुए) मेरे ही भोपाल मेडीकल कॉलेज के ये अपनी व्यथा समझ रहे हैं, मैं अपनी व्यथा समझ रही हूं आफ्टर इफेक्ट्स की. लेकिन अच्छा कान्सेप्ट है. सदन से मैं यही निवेदन करूंगी कि फिजियोथेरेपी काउंसिल जैसे कि अन्य स्टेटों में भी है. नेशनल लेबल पर तो काउंसिल नहीं है, लेकिन कुछ राज्यों ने जैसे दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात, आंध्रप्रदेश ने इसको अंगीकार किया है और छत्तीसगढ़ में दोनों काउंसिलें पैरामेडीकल और फिजियोथेरेपी काउंसिल भी है. मैं यहां पर यही कहूंगी कि दिनांक 06.07.2019 को एक ज्ञापन के माध्यम से हम लोगों को मुझे मिला भी था, तो वर्तमान में विभाग की प्रक्रिया में विचाराधीन है और काउंसिल के समग्र गठन हेतु, इसका स्वरूप कैसा हो, कैसे बने, अन्य राज्यों से भी हम लोग बातचीत कर रहे हैं कि उन्होंने उसको कैसे अंगीकार किया उन्होंने इसमें क्या क्या एक्सेप्ट किए, क्या क्या रखा, उसको हम देखेंगे. इसके साथ ही हम लोग इसका व्यापक अध्ययन करेंगे और माननीय अध्यक्ष महोदय जो ज्ञापन और समग्रता विभाग द्वारा उचित निर्णय इसके बारे में हम लोग शीघ्र ही लेंगे. एक तरह से इसको पारित ही कर दें कि विचार करेंगे? और सारा दूसरे प्रदेशों से भी इसके बारे में जांच लेकर हम लोग इसका गठन करना चाहेंगे.
डॉ. गोविन्द सिंह - माननीय अध्यक्ष जी, सर्वानुमति से पारित किया जाए.
अध्यक्ष महोदय - डॉक्टर साहब कर रहे हैं, लेकिन मेरा अनुरोध सुनिए, समय सीमा एक महीना.
डॉ विजय लक्ष्मी साधौ - माननीय अध्यक्ष महोदय, इसको बंधन में मत बांधिए.
अध्यक्ष महोदय - नहीं, कभी कभी कुछ चीजें बंधन में बांधी जाती है, जैसे तुम हमारी बहन हो, हम तुम्हारे भाई है, बंधन है. बंधन बांधना पड़ता है.
डॉ विजय लक्ष्मी साधौ - जैसा आसंदी का आदेश हो.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न यह है कि ''सदन का यह मत है कि मध्यप्रदेश में एक स्वतंत्र फिजियोथेरेपिस्ट काउंसिल का गठन किया जाए, जिससे वेतन तथा अन्य विसंगतियां समाप्त हो सके.''
संकल्प सर्वसम्मति से पारित हुआ.
09:18 बजे नियम-52 के अधीन आधे घंटे की चर्चा
(1) दिनांक 11 जुलाई, 2019 को ''खेल एवं युवा कल्याण मंत्री से पूछे गए परिवर्तित अतारांकित प्रश्न संख्या 5(क्रमांक 145) के उत्तर से उद्भूत विषय पर
अध्यक्ष महोदय - अब श्री आरिफ मसूद, सदस्य खेल एवं युवा कल्याण मंत्री से पूछे गए परिवर्तित अतारांकित प्रश्न संख्या 05 (क्रमांक 145) दिनांक 11 जुलाई, 2019 के उत्तर से उद्भूत विषय पर आधे घण्टे की चर्चा आरंभ करेंगे.
श्री आरिफ मसूद (भोपाल मध्य) - माननीय अध्यक्ष महोदय, सबसे पहले मैं आपका धन्यवाद देना चाहता हूँ. मैं ज्यादा समय नहीं लूँगा. मैं निश्चित रूप से कम समय में अपनी बात पूरी करूँगा. मैंने आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से यह जानना चाहा था कि मेरे प्रश्नांश 'क' के उत्तर में वर्ष 2012 में खरीददारी से संबंधित फाइलों में फर्जी हस्ताक्षर का प्रकरण सामने आया, उसके उत्तर में विभाग ने 'जी नहीं' दिया. मैं यह जानना चाहता हूँ कि वर्ष 2011-12 में फर्जी हस्ताक्षर संबंधी प्रकरण संज्ञान में आया था, क्या वह सही है ? पहले तो मैं यह जानना चाहता हूँ कि कौन सा प्रकरण सामने आया ? उसकी भी जानकारी दें. क्या वह भी बहुत बड़ा घोटाला था ? मेरे पास तो वर्ष 2012-13 में खरीददारी के टेण्डर से संबंधित पीएचक्यू की जांच रिपोर्ट की कॉपी उपलब्ध है, जिस पर विभाग से उत्तर दिया गया है कि ऐसी कोई जांच नहीं हुई तो क्या यह जांच रिपोर्ट फर्जी है ? या विभाग इस फर्जी हस्ताक्षर के प्रकरण को दबाना चाहता है. इसका प्रमाण-पत्र भी मेरे पास मौजूद है.
खेल और युवा कल्याण मंत्री (श्री जितु पटवारी) - माननीय अध्यक्ष जी, प्राचीनकाल में ऋषि मुनि तप करते थे, शरीर को तपाते थे और महान् कार्य करने के लिए समाज और सृष्टि को संदेश देते थे. आज का तप, यदि सबसे बड़ा कोई होगा तो खेल से जुड़े हुए खिलाड़ी जो किसी भी खेल में लम्बा समय देते हैं. मेरा आपसे अनुरोध है कि जो प्रश्न आया था. उस प्रश्न में 'क' में पूछा गया गया है कि क्या वर्ष 2012-13 में खरीददारी से संबंधित फाइल में फर्जी हस्ताक्षर का प्रकरण सामने आया था. चूँकि वर्ष 20112-13 के प्रश्न की ऐसी कोई फाइल या ऐसा कोई प्रकरण नहीं आया था पर ऐसा प्रकरण है, यह मैंने स्वत: संज्ञान में लिया है और उत्तर दिया कि वर्ष 2011-12 का ऐसा प्रकरण है, वर्ष 2012-13 का नहीं है, उक्त प्रकरण 7 वर्ष पुराना है. चूँकि 7 वर्ष पुराने प्रकरण को स्वाभाविक रूप में फाइल में ढूँढ़ना और निकालना, इसमें कुछ बातें ऐसी होती हैं कि इतने वर्षों में प्रकरण सामने क्यों नहीं आया ? इस पर जांच क्यों नहीं हुई और हुई तो इसका निराकरण क्या निकला ? यह जिज्ञासा का विषय था.
अध्यक्ष महोदय, प्रकरण वर्ष 2011-12 में शूटिंग अकादमी के विभिन्न खेलों के अकादमी के खेल परिसर के कराये गये इंटीरियर वुडन वर्क, इंटीरियर डिजाइन वर्क और अन्य के दस्तावेजों से संबंधित था. यह प्रकरण खेल एवं अन्य अकादमियों की ऑडिट में पाई गई अनियमितताओं के संज्ञान में आया था. ऑडिट दल द्वारा 43 मेमो में दी गई गंभीर अनियमितताएं, मैं फिर से एक बार कह रहा हूँ कि गंभीर अनियमितताएं बताई गई थीं. ऑडिट में फर्जी हस्ताक्षर किये जाने का संदेह भी बताया गया था, संबंधित के संदेहास्पद हस्ताक्षर का उल्लेख है, ऑडिट रिपोर्ट में इसका उल्लेख है. प्रकरण में अनेकों विसंगतियां पाई गईं. जैसे एक ही नस्ती में पूर्व में हस्ताक्षर संदिग्ध हैं तथा बाद में सही हस्ताक्षर वही हैं. हस्ताक्षरों की जांच हेतु प्रकरण राजकीय परीक्षण को सत्यापन हेतु भी भेजा गया. राजकीय परीक्षण द्वारा 3 अधिकारियों के हस्ताक्षर फर्जी बताये और अधिकारियों ने बताया कि हमने हस्ताक्षर नहीं किये. वर्ष 2013 अप्रैल में आरोप-पत्र जारी करने एवं जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने संबंधित प्रशासकीय अनुमोदन भी लिया गया. संबंधियों को कारण बताओ सूचना पत्र जारी किया गये, प्रकरण में तत्काल मंत्री जी ने जॉब को पूर्व संबंधित अधिकारियों को अपना पक्ष प्रस्तुत करने का अवसर देने की बात भी कही, साथ ही यह लेख किया गया कि एफआईआर दर्ज होनी चाहिए. यह पूरे प्रश्न का सार है और माननीय संबंधित सदस्य की जो मूल भावना थी, उसका विभाग की तरफ से एक तरह का जवाब है.
आदरणीय अध्यक्ष जी, जैसा मैंने कहा कि जो स्पोर्टस् होता है, जो गेम होता है, खेल होता है, हर तरह के भ्रष्टाचार चल सकते हैं पर जो आज का तप है, स्पोर्टस् गेम, एक बच्चे का जीवन, जो खेल के प्रति अपना पसीना बहाता है, जो खेलता है, उसी को यह पता होता है कि उस पसीने की कीमत क्या होती है ? मैं समझता हूँ कि उसको किसी भी स्थिति में सहन या माफ नहीं किया जा सकता. मैं इस बात को मानता हूँ. हम इसमें कार्यवाही करेंगे, किसी भी इंडिपेन्डेंट एजेन्सी से जांच करवाएंगे, दोषियों को किसी भी रूप में नहीं छोड़ेंगे. मैं माननीय सदस्य को आश्वस्त करता हूँ. मेरा ख्याल है कि ऐसी कोई चीज नहीं बची है, जिसमें आपको प्रतिप्रश्न करना पड़े. हर हालत मेंजांच होकर दोषियों को सजा दिलवाएंगे. यह मैं आपके माध्यम से, माननीय सदस्य को आश्वस्त करता हूँ.
श्री आरिफ मसूद -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बात सही है कि मंत्री जी ने बहुत कुछ बता दिया है, जो मैं कहना और पूछना चाहता था और सारी चीजें स्वीकार भी हो गई हैं. एक चीज जितू भाई सदन को बताने के लिये भूल गये मैं समझता हूं कि यदि आज हम कोई पलंग खरीदने जायें और आज भी अगर खिलाडि़यों को जो पलंग दिया जायेगा, तो वह बहुत अच्छा सा भी अगर आप लेने जायेंगे तो भी चार हजार रूपये का होगा. लेकिन आज से सात साल पहले एक पलंग की खरीदी 49 हजार रूपये में की गई है, इससे बड़ा अपराध क्या हो सकता है ? खिलाडि़यों के साथ कितना बड़ा कुठाराघात हुआ है. कार्यवाही करने की बात पहले भी कही गई थी, लेकिन कार्यवाही नहीं हुई है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं जानता हूं कि सदन सुबह से चल रहा है और मैं भी ज्यादा समय नहीं लूंगा क्योंकि माननीय मंत्री जी ने बहुत व्यावहारिक बातें कह दी है लेकिन मैं सिर्फ यह चाहता हूं कि इसमें तत्काल एफ.आई.आर. दर्ज हो, यह बात आसंदी की तरफ से आना चाहिये. जब यह सारी चीजें साबित हो चुकी है और पी.एच.क्यू. की रिपोर्ट है और इतना बड़ा अधिकारी और उसके बाद तीन-तीन अधिकारी फर्जी हस्ताक्षर कर रहे हों और उसके बावजूद एफ.आई.आर. न हो तो यह गलत संदेश जाता है. मैं चाहता हूं कि इसके ऊपर तत्काल एफ.आई.आर. होना चाहिये और एफ.आई.आर. होकर फिर जांच होना चाहिये. जांच पुलिस इंवेस्टिगेशन के तहत हो, जिस पर मैं सहमत हो और मैं चाहता हूं कि जब तक यह जांच चले, यह चारों अधिकारी जहां-जहां हैं उनको वहां से हटाया जाये, यह मेरा आपसे आग्रह है. अध्यक्ष महोदय, एफ.आई.आर. के आदेश तो अभी हो जाना चाहिये और यदि बाकी पूरी कार्यवाही की भी समय सीमा तय हो जाये तो बहुत अच्छा होगा.
श्री जितू पटवारी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रकरण से संबंधित जो बात है, वह व्यावहारिक दृष्टिकोण से मैं पूर्ण बोल चूका हूं. मैं समझता हूं कि इस संबंध में एक इंडीपेंडेंट एजेंसी जांच करे, उसके पहले यदि मैं यह कहूं कि एफ.आई.आर. करो तो मैं समझता हूं कि मेरे अनुभव से यह उचित नहीं दिखता है. मैं समझता हूं कि फिर भी सदस्य की जो मूल भावना है कि भ्रष्टाचारी किसी पद पर नहीं रहना चाहिये क्योंकि आरोपी उस पद पर काम कर रहा है, उसी पद पर रहेगा और उसी पर जांच करना है तो वह तथ्यों का मेन्यूप्लेशन कर सकता है, मैं उनकी इस भावना को समझता हूं. परंतु बिना जांच करे मैं समझता हूं कि किसी पर एफ.आई.आर. हो यह उचित नहीं है. सात साल पहले एफ.आई.आर. के आदेश दिये गये थे पर एफ.आई.आर. दर्ज नहीं हुई है. मैं आपको पूर्णता से बताना चाहता हूं कि यह सरकार कमलनाथ जी की सरकार है और भ्रष्टाचारी एक भी बचेगा नहीं, आप चिंता न करें, जो सही होगा, वह होगा. (मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय -- अब आप एक मिनट बैठ जायें. संबंधित विषय की मुझे भी कुछ जानकारी है. मुझे तक भी दस्तावेज पहुंचाये गये हैं, जांच हो चुकी है. निर्णय लेना बाकी है. मैं चाहता हूं कि वह जो फाईल कुछ दबाई जा रही है, कुछ दबाई गई है और कुछ मेरे पास है. इस आधार पर विधानसभा अध्यक्ष, माननीय खेल मंत्री, माननीय संसदीय मंत्री इस प्रकार तीन सदस्यों की समिति बनाई जा रही है जो एक हफ्ते के अंदर निर्णय लेगी और उसमें श्री गोपाल भार्गव जी भी रहेंगे. (मेजों की थपथपाहट)
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह तो प्रायमाफेसी दिख रहा है कि पचास हजार का पलंग कैसे खरीदा गया होगा, यह समझ नहीं आ रहा है कि उसमें ऐसा क्या फिट था ? यह कार्यवाही तो आप अभी करवा दें.
अध्यक्ष महोदय -- मैं समझ रहा हूं.
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपका बहुत-बहुत स्वागत है. आप बहुत अच्छा संरक्षण दे रहे हैं.(व्यवधान)...
श्री यशपाल सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, नेता प्रतिपक्ष जी कह रहे हैं कि अगर मामला प्रायमाफेसी है,तो अभी कार्यवाही करवा दें.(व्यवधान)...
श्री आरिफ मसूद -- मैं चाहता हॅूं कि जब इतनी बड़ी चीज सामने आ गई है और नेता प्रतिपक्ष जी भी इस बात से सहमत है और यह सारे दस्तावेज आर.टी.आई. के जरिये निकाले गये हैं. अब आप इसमें एफ.आई.आर करवा दें.
अध्यक्ष महोदय -- आर.टी.आई से जो दस्तावेज निकाले हैं, उनको पटल पर रख दीजिये. .(व्यवधान)...
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जब आपके स्वयं के पास प्रमाण हैं तो फिर क्या आवश्यकता है ? .(व्यवधान)..
श्री आरिफ मसूद -- मेरे पास सारे आर.टी.आई के दस्तावेज हैं. मैं केवल एफ.आई.आर चाहता हूं. .(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- आप सभी बैठ जायें. बात हो गई है.
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय -- माननीय मंत्री जी जब अध्यक्ष जी के पास स्वयं प्रमाण हैं तो तो फिर कार्यवाही करवा दीजिये.
अध्यक्ष महोदय -- बात हो गई है, मैंने बोल दिया है. माननीय मंत्री जी मान भी रहे हैं.
श्री जितू पटवारी -- आदरणीय नेता प्रतिपक्ष जी जैसा मेरा स्वभाव है कि मैं हर चीज का राजनीतिकरण नहीं करता हूं. मैं हर बात का राजनीतिकरण नहीं करता हूं. पूरा प्रकरण उस दौर का है, जब आपकी सरकार थी और आपके विभाग के मंत्री थे.
श्री गोपाल भार्गव -- मैं कहता हूं कि देवताओं की सरकार हो, लेकिन जब कार्यवाही करना हो तो कर दो, उससे क्या मतलब है, किसी भी पार्टी की सरकार हो.
श्री जितू पटवारी -- आप इतनी जल्दी क्यों उठ गये, आप बैठ जायें.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, नहीं वह सहमत हैं इस बात से.
श्री जितु पटवारी-- अध्यक्ष जी, मैं पूरी बात तो कर लूं, मेरा भी अधिकार है. देवताओं की सरकार तो अब बनी है, न्याय करने वाली सरकार. मैं अनुरोध यह कर रहा था, माननीय अध्यक्ष जी, अगर आपने कमेटी बनाई है तो सरमाथे पर नहीं तो विभाग ने तो निर्णय यही लिया था कि ईओडब्ल्यू या अन्य स्वतंत्र एजेंसी को पूरी फाइल दी जाये क्योंकि मैंने आज फाइल मंगाई तो मुझे मूल फाइल की नस्तियां पिछले 8 दिन से नहीं मिलीं हैं और फोटो कापी से मैं यह सारे संबंधित प्रमाण सामने लाया हूं. मेरे पास पूरी एक्स, वाई, जेड एक-एक तथ्यों समेत मैं समझता हूं 15 प्वाइंट का एक डाक्यूमेंट मैंने खुद ने बनाया है और इस डाक्यूमेंट के आधार पर पल-पल पर करप्शन दिखता है, तो आपने जो अनुरोध किया है वह अपनी जगह है, नहीं तो विभाग भी किसी भी स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराना चाहता था, पर कमेटी बनाई, धन्यवाद, साधुवाद आपको.
श्री आरिफ मसूद-- माननीय अध्यक्ष महोदय...
अध्यक्ष महोदय-- बस-बस बिराजिये, कमेटी बन गई है, कमेटी काम करेगी और इससे संबंधित कागज उस विभाग का जो भी व्यक्ति उपलब्ध नहीं करवायेगा उसको तत्काल उस पोस्ट से हटाया जायेगा और मूल विभाग में पहुंचा दिया जायेगा.
श्री आरिफ मसूद-- अध्यक्ष महोदय, एक व्यवस्था और आप दे दें कि तब तक इन लोगों को वहां न रहने दिया जाये जिस तरह से...
अध्यक्ष महोदय-- अरे मूल विभाग में पहुंचा रहा हूं न.
श्री आरिफ मसूद-- चारो को.
अध्यक्ष महोदय-- हां
श्री आरिफ मसूद-- तीन इनके विभाग में एक दूसरी जगह चला जायेगा.
अध्यक्ष महोदय-- क्योंकि पेपर नहीं मिल रहे हैं, या तो वह पेपर 5 दिन में सबमिट कर दें, नहीं तो अपने मूल विभागों में चले जायें.
श्री प्रियव्रत सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, देवताओं की सरकार ...
अध्यक्ष महोदय-- चलिये अब अगला लेने दीजिये.
9.33 बजे
2. दिनांक 17 जुलाई, 2019 को चिकित्सा शिक्षा मंत्री से पूछे गये तारांकित प्रश्न संख्या 4 (क्रमांक 961) के उत्तर से उद्भूत विषय.
अध्यक्ष महोदय-- अब, श्री हर्ष विजय गेहलोत, सदस्य चिकित्सा शिक्षा मंत्री से पूछे गये तारांकित प्रश्न संख्या 04 (क्रमांक 961) दिनांक 17 जुलाई, 2019 के उत्तर से उद्भूत विषय पर आधे घण्टे की चर्चा आरंभ करेंगे.
श्री हर्ष विजय गेहलोत ''गुड्डू'' (सैलाना)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, निजी चिकित्सालय में प्रवेश हेतु तीनों केटेगरी एक स्टेट कोटा, एक डीमेट कोटा और एक एनआरआई कोटा, इसमें अपात्र और अयोग्य लोगों का चयन हुआ और बहुत बड़ा इसमें घोटाला हुआ जो कि व्यापम घोटाले से भी बहुत बड़ा घोटाला है. दुख इस बात का है कि शासकीय चिकित्सा महाविद्यालयों में जो चयन हुआ पीएमटी के जरिये, उसमें 3600 अभ्यार्थी व्यापम घोटाले के आरोपी बनाये गये, लेकिन निजी चिकित्सा महाविद्यालय के एक भी विद्यार्थी को जांच के दायरे में नहीं लाया गया. शिवराज सिंह जी की सरकार ने निजी चिकित्सा महाविद्यालयों को बचाने के लिये हर कानून को ताक में रख दिया. माननीय अध्यक्ष महोदय, इसका प्रमाण यह था कि 17 जुलाई को मेरा यह प्रश्न आया लेकिन हंगामा हुआ और मुझे इस प्रश्न पर नहीं बोलने दिया गया. लेकिन मैं आभारी हूं कि मेरी व्यथा को आपने समझा और विशेष चर्चा का अवसर प्रदान किया. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपका और माननीय मंत्री जी का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं कि मुझे जो उत्तर दिया गया वह असत्य था, दस्तावेज भी मुझे पूरे उपलब्ध नहीं कराये गये और आधी अधूरी जानकारी दी गई. इससे यह प्रमाणित होता है कि बहुत साजिश के तहत इस मामले को दबाया जा रहा है. माननीय अध्यक्ष महोदय, स्टेट कोटे की जांच डीएमई द्वारा की गई, इसका उत्तर नहीं दिया गया तथा जांच प्रतिवेदन भी नहीं दिया गया. यह इसलिये जरूरी था कि वर्ष 2012 के स्टेट कोटे में घोटाले को लेकर सीबीआई ने निजी चिकित्सा महाविद्यालयों के संचालकों को आरोपी बनाया था.
श्री हर्ष विजय गेहलोत (जारी) - माननीय अध्यक्ष महोदय, ए.एफ.आर.सी. की अपील अर्थारिटी ने 2000 से 2013 में स्टेट कोटे में चयनित 721 अभ्यर्थियों यानी 48 प्रतिशत फर्जी पाया. सूची मांगा तो 198 की सूची दी गई. 523 की सूची नहीं मिली. इस मामले में उच्च न्यायालय ने निजी चिकित्सा महाविद्यालय की जो याचिका लगी. 7 याचिका लगी. उसमें 13.2.2017 को स्थगन लिया गया उसकी अंतिम जो तारीख थी वह 17 तारीख थी लेकिन डेढ़-दो साल होने आ गये हैं सुनवाई नहीं हुई. डेढ़-दो साल से कोई तारीख नहीं लगी. माननीय मंत्री जी से मेरा अनुरोध है कि याचिकाओं में शीघ्र सुनवाई हेतु अंतरिम आवेदन वे कब प्रस्तुत करेंगी ? उच्चतम न्यायालय की याचिका क्रमांक 4007/2019 के अंतरिम आदेश के पृष्ठ क्रमांक 48 पर निजी चिकित्सा महाविद्यालय की सभी केटेगरी में भर्ती योग्य एवं प्रतिभाशाली युवाओं के चयन का अधिकार राज्य शासन को दिया है. उत्तर में मुझे जो बताया गया वह 2009 से 2016 तक एन.आर.आई.कोटे की जांच के बारे में गलत उल्लेख कर सुप्रीम कोर्ट की अवमानना की. उल्लेखनीय है कि संचालनालय,चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा 2017 के एन.आर.आई. कोटे की जांच में 114 में से 107 फर्जी पाये गये. ए.एफ.आर.सी. ने 2005 के परिपत्रों के आधार पर 93 को लेकिन सही ठहरा दिया जबकि 2012 से 2017 तक जारी परिपत्र का उल्लेख ही नहीं किया गया. अगर ए.एफ.आर.सी. सही है तो डी.एम.ई. के अधिकारियों को बर्खास्त कर देना चाहिये और कौन गलत है इसकी गहरी जांच की आवश्यकता है. और भी इसमें कहानी निकल सकती है.
चिकित्सा शिक्षा मंत्री ( डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ ) - माननीय अध्यक्ष महोदय, वाकई व्यापम घोटाला मधुमख्खी का छत्ता इस प्रदेश के लिये रहा है. इस केस में जाना चाहूंगी कि प्रवेश का जो आधार रहा है इस प्रदेश में प्रायवेट और गवर्नमेंट के मेडिकल और डेंटल कालेज रहे हैं. इसमें जो प्रवेश होता था वह व्यापम के माध्यम से जो पी.एम.टी. के माध्यम से यह प्रवेश की परीक्षा चालू थी और यह प्रक्रिया करीब-करीब 2013 तक चलती रही. प्रायवेट मेडिकल कालेजों में जो एन.आर.आई. कोटा 15 प्रतिशत था वह संस्थाएं अपने माध्यम से भरती थीं और 85 प्रतिशत जो सीट थीं उसको 2 भाग में बांटकर एक भाग व्यापम के माध्यम से जो पी.एम.टी. का एग्जाम होता था उसके माध्यम से 42.5 प्रतिशत वह कोटा भरा जाता था और 42.5 परसेंट का कोटा वह स्वयं संस्थाएं डीमेट के माध्यम से भर्ती थीं. यह 2013 तक चलता रहा. इसके बाद 2014 और 2015 में आल इंडिया की पी.एम.टी. होने लगी और ऑल इंडिया पीएमटी के माध्यम से डायरेक्टर मेडिकल एजूकेशन यह कोशिश करता रहा कि इसमें भर्तियां इस आधार पर होनी चाहिए वह होती रहीं. इसके बाद वर्ष 2016 में नीट आ गया. ऑल इंडिया लेवल से नीट के एग्जाम्स होते थे और नीट के माध्यम से मेडिकल एजूकेशन का संचालनालय उन भर्तियों को उसमें भरता रहा है. सर्वोच्च न्यायालय में अपील क्रमांक 2009 को यह पारित किया कि एनआरआई की सीट संस्था से भरे और इसके साथ यह भी कहा कि डीएमई के माध्यम से वर्ष 2016 की जांच होनी चाहिए. वर्ष 2017 में भी समस्त सीटें चाहें वह एनआरआई की हों, चाहे डीमेट की हों, चाहे स्टेट कोटे की हों, सब एनआरआई के माध्यम से इसको भरते गये हैं. फिर माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें एपीडीएमसी आ गया, एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट डेंटल मेडिकल कॉलेज जो वर्ष 2002 में इसकी स्थापना हुई. दिसम्बर, वर्ष 2018 तक यह चलता रहा. इसी के माध्यम से डीमेट के एग्जाम होते रहे. यह परीक्षा वर्ष 2005 से सतत् चलती रही उसके बाद में पीएमटी आई, यह सब आया.
माननीय सदस्य ने यह जो पूछा है उसमें डीएमई की जांच के बारे में पूछा है तो पहले जो एनआरआई कोटे की जांच होती थी वह प्राइवेट डेंटल कॉलेज और मेडिकल कॉलेज के जो निजी उनकी संस्था थी उसके माध्यम से वे करते थे, लेकिन हाईकोर्ट के निर्देश के अनुसार एनआरआई कोटे की जांच डीएमई के माध्यम से हुई. डीएमई ने उसकी जांच की, डायरेक्टर मेडिकल एजूकेशन में और करीब करीब 107 जो अभ्यर्थी थे उनको अयोग्य पाया गया और वह रिपोर्ट हाईकोर्ट को सबमिट की फिर हाईकोर्ट के डायरेक्शन्स आए कि इसको एएफआरसी को जांच के हाईकोर्ट ने उनको दे दिया. दिनांक 18.5.2018 को यह निर्णय दिया गया कि एएफआरसी इसकी जांच करेगी. एएफआरसी ने जांच की इसकी अपीलेट अथॉरिटी ने और उन 107 में से 96 को फिर क्लीन चिट दे दी गई और उसमें जो 7 बचे थे वह अभ्यर्थी अपील में चले गये और हाईकोर्ट में वह केस लंबित है और उस लंबित केस के बारे में क्योंकि यह गट्ठा बहुत बड़ा है क्योंकि घोटाला इतना बड़ा हुआ है कि उसमें 10-15 मिनट या आधे घंटे में इसकी चर्चा करना मैं समझती हूं कि बहुत मुश्किल है.
अध्यक्ष महोदय - ठीक है, लिखित में उत्तर दे दीजिए.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) - अध्यक्ष महोदय, यह विषय लम्बे समय से चल रहा है, सबजुडिस भी है.
श्री विश्वास सारंग - वह खुद ही बोल रही हैं कि औचित्य नहीं है.
अध्यक्ष महोदय - मैं समझ गया हूं.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, विधानसभा में इस पर बहुत व्यापक चर्चाएं हो चुकी हैं स्थगन, ध्यानाकर्षण प्रस्ताव आ चुके हैं. मामला सबजुडिस है, अब क्या अलग से तथ्य आएंगे?
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ - अध्यक्ष महोदय, जो संबंधित सदस्य ने पूछा है वह तो बोल दूं. यह जो स्पेशल टॉस्क फोर्स बना था वर्ष 2013 में केस रजिस्टर्ड हुए इसके बाद फिर एसआईटी बनी. उसको हाईकोर्ट के निर्देश मिले उसके बाद 2000 प्रकरणों की इन्होंने मॉनिटरिंग की . जुलाई 2015 में सुप्रीमकोर्ट में याचिका प्रस्तुत हुई, फिर केस ट्रांसफर सीबीआई को हो गये. वर्तमान में सीबीआई के सन्मुख यह केस चल रहा है मेटर इसमें सबजुडिस है.
अध्यक्ष महोदय - मेटर सबजुडिस है.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय - यह ज्यूडिश्यरी से जुड़ा हुआ मामला है.
अध्यक्ष महोदय - विधानसभा की कार्यवाही शनिवार, दिनांक 20 जुलाई, 2019 को प्रातः 11.00 बजे तक के लिए स्थगित.
अपराह्न 9.45 बजे विधानसभा की कार्यवाही शनिवार, दिनांक 20 जुलाई, 2019 (आषाढ़ 29, शक संवत् 1941 ) के पूर्वाह्न 11.00 बजे तक के लिये स्थगित की गई.
अवधेश प्रताप सिंह भोपाल : प्रमुख सचिव
दिनांक : 19 जुलाई, 2019 मध्यप्रदेश विधान सभा