मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
__________________________________________________________
पंचदश विधान सभा तृतीय सत्र
जुलाई, 2019 सत्र
शुक्रवार, दिनांक 19 जुलाई, 2019
(28, आषाढ़, शक संवत् 1941)
[खण्ड- 3 ] [अंक- 8 ]
__________________________________________________________
मध्यप्रदेश विधान सभा
शुक्रवार, दिनांक 19 जुलाई, 2019
(28 आषाढ़, शक संवत् 1941)
विधान सभा पूर्वाह्न 11:06 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति) (एन.पी.)पीठासीन हुए.}
11.06 बजे प्रश्नकाल में उल्लेख एवं अध्यक्षीय व्यवस्था
भारतीय जनता पार्टी के पूर्व विधायक श्री सुरेन्द्रनाथ सिंह द्वारा श्री कमलनाथ, मुख्यमंत्री के संबंध में की गई आपत्तिजनक टिप्पणी का उल्लेख किया जाना
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री (श्री सुखदेव पांसे)--अध्यक्ष महोदय, इस पर पहले चर्चा होना चाहिए.. (व्यवधान)
संस्कृति मंत्री (डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मरने मारने की खून करने की बात हो रही है, इनका चरित्र सामने आ गया है... (व्यवधान)
विधि एवं विधायी कार्य मत्री (श्री पी.सी. शर्मा)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री का खून बहाने की बात हो रही है यह चरित्र है भारतीय जनता पार्टी के पूर्व विधायक और नेताओं का...(व्यवधान) गिरफ्तार किया जाए (व्यवधान)
11.07 बजे गर्भगृह में प्रवेश
इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा गर्भगृह में प्रवेश किया जाना.
(इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा भारतीय जनता पार्टी के पूर्व विधायक श्री सुरेन्द्रनाथ सिंह द्वारा मुख्यमंत्री, श्री कमलनाथ के संबंध में सार्वजनिक तौर पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी पर माफी मांगने की मांग करते हुए गर्भगृह में प्रवेश किया गया एवं नारे लगाए गए.)
अध्यक्ष महोदय--मैं आपकी बात सुनुंगा कृपया अपनी सीट पर जाएं. (व्यवधान)
(इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा नारेबाजी की जाती रही) (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--कृपया अखबार न लहराएं (इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा के सदस्य द्वारा गर्भगृह में खड़े होकर अखबार दिखाए जाने पर). अखबार न लहराएं, कृपया अपनी सीट पर जाएं. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित.
(11.08 बजे सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित की गई)
12:20 बजे (विधान सभा पुन: समवेत हुई.)
{अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी) पीठासीन हुए.}
कुटीर एवं ग्रामोद्योग मंत्री (श्री हर्ष यादव)-- अध्यक्ष महोदय, भारतीय जनता पार्टी का चरित्र उजागर हो रहा है. 15 वर्ष के कुशासन के बाद जब कांग्रेस की विचारधारा लागू हुई है उसके बाद... (व्यवधान) ...
अध्यक्ष महोदय-- आप लोग एक-एक करके बोलें. आप लोगों को जो बात करनी है प्रश्नकाल के बाद करिए. (व्यवधान)....
श्री हर्ष यादव-- अध्यक्ष महोदय-- मुख्यमंत्री जी के बारे में जो टिप्पणी की गई है वह बहुत ही गंभीर विषय है. (व्यवधान)....
लोक निर्माण मंत्री (श्री सज्जन सिंह वर्मा)-- भारतीय जनता पार्टी का चेहरा सामने आ रहा है. मारने की धमकी दी जा रही है. (व्यवधान)...
श्री हर्ष यादव-- अध्यक्ष महोदय, यह कोई संस्कृति है. (व्यवधान)...
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष महोदय, आप एक-एक करके दोनों पक्षों को सुन लें क्या दिक्कत है. आप चर्चा करा ही दीजिए. (व्यवधान)..
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- अध्यक्ष महोदय, सुनने की जरूरत नहीं है. भारतीय जनता पार्टी घिनौनी साजिश कर रही है. (व्यवधान)...
11:22 बजे गर्भगृह में प्रवेश
इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा गर्भगृह में प्रवेश किया जाना
(इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा श्री सुरेन्द्रनाथ सिंह, पूर्व विधायक द्वारा मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ के संबंध में सार्वजनिक तौर पर सड़क पर की गई टिप्पणी पर माफी मांगने की मांग करते हुए गर्भगृह में प्रवेश किया गया एवं नारे लगाए गए.)
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष महोदय, आप चर्चा करा लीजिए. (व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- चर्चा के लिए समय होता है. अभी प्रश्नकाल चलने दीजिए (व्यवधान)...
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- अध्यक्ष महोदय, एक मुख्यमंत्री को जान से मारने की धमकी दी जा रही है. यह अराजकता है, यह भय का वातावरण निर्मित करने की भारतीय जनता पार्टी की घिनौनी साजिश है. (व्यवधान)..
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) -- अध्यक्ष महोदय, आप चर्चा करा लीजिए.
श्री हर्ष यादव--भारतीय जनता पार्टी अराजकता का माहौल पैदा करना चाहती है. यह बहुत ही गंभीर विषय है. (व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- आप लोग कृपया अपने स्थान पर जाएं. मेहरबानी करके प्रश्नकाल चलने दें. (व्यवधान)...
श्री सज्जन सिंह वर्मा--यह भारतीय जनता पार्टी का घिनौना षड्यंत्र है. (व्यवधान)..
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, जो चर्चा कराना हो, आप करा लें. (व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- सदन की कार्यवाही 15 मिनट के लिए स्थगित.
(11:23 बजे सदन की कार्यवाही 15 मिनट के लिए स्थगित की गई)
11.41 बजे
विधान सभा पुन: समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) पीठासीन हुए.}
श्री महेश परमार- माननीय अध्यक्ष महोदय, जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल भारतीय जनता पार्टी के सुरेन्द्रनाथ सिंह जी, जो कि पूर्व विधायक रह चुके हैं ने किया है, वह गलत है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र- माननीय अध्यक्ष महोदय, आप इस पर चर्चा करवा लीजिये.
श्री महेश परमार- इसमें किस बात की चर्चा होनी है.
(...व्यवधान...)
श्री महेश परमार- माननीय अध्यक्ष महोदय, जिस तरह की बात भारतीय जनता पार्टी के पूर्व विधायक कर रहे हैं यह शर्मनाक है. इस गांधी के देश में यह नाथूराम गोडसे की विचारधारा नहीं चलेगी. हमारे मुख्यमंत्री जी के बारे में जिस प्रकार की बात भारतीय जनता पार्टी के पूर्व विधायक ने की है यह नहीं चलेगी, यह निंदनीय है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश के इतिहास में पहली बार किसी ने मुख्यमंत्री जी के खून से होली खेलने की बात की है.
(...व्यवधान...)
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)- माननीय अध्यक्ष महोदय, हम इस प्रकरण पर चर्चा के लिए तैयार हैं.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह पहली बार हो रहा है कि सत्तापक्ष को गर्भगृह में आना पड़ रहा है. आप लोग सारे जरूरी काम छोड़ दो और गर्भगृह में आ जाओ.
डॉ.नरोत्तम मिश्र- माननीय अध्यक्ष महोदय, ये लोग क्या चाहते हैं ?
लोक निर्माण मंत्री (श्री सज्जन सिंह वर्मा)- माननीय अध्यक्ष महोदय, भारतीय जनता पार्टी ने ऐसा काम किया है कि हमें गर्भगृह में आना पड़ रहा है. आपके लोगों द्वारा जिस प्रकार हमारे मुख्यमंत्री जी को धमकी दी गई है, उस पर पुलिस को कार्यवाही करनी चाहिए.
(...व्यवधान...)
अध्यक्ष महोदय- मैं समझता हूं कि सार्वजनिक रूप से किसी भी वरिष्ठ नेता को, चाहे वे किसी भी दल के हों ऐसी टिप्पणियां नहीं होनी चाहिए.
डॉ.नरोत्तम मिश्र- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बिल्कुल सच है परंतु ये लोग सरकार में बैठे हैं. यदि ये लोग हो-हल्ला करेंगे तो विपक्ष क्या करेगा ? सज्जन भाई, मेरी पूरी बात तो सुन लीजिये, आप भी अपनी बात रखिये.
श्री सज्जन सिंह वर्मा- हमने अपनी बात रखी है कि इस प्रकरण में पुलिस को स्वत: संज्ञान लेना चाहिए.
श्री गोपाल भार्गव- माननीय अध्यक्ष महोदय, हम इस पर चर्चा के लिए तैयार हैं.
(...व्यवधान...)
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. गोविन्द सिंह)- माननीय अध्यक्ष महोदय, जब नेता प्रतिपक्ष खड़े हैं तो कृपा करके नरोत्तम भाई आप बैठ जाइये.
डॉ.नरोत्तम मिश्र- लो बैठ गए.
खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री (श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर)- माननीय अध्यक्ष महोदय, क्या ये लोग मध्यप्रदेश में गुंडाराज कायम करना चाहते हैं? क्या ये प्रदेश में भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना चाहते हैं ?
(...व्यवधान...)
श्री गोपाल भार्गव- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि आपने देखा, प्रश्नकाल सत्तापक्ष के सदस्यों ने बाधित किया. हम पर अक्सर यह आरोप लगता था कि हम प्रश्नकाल नहीं चलने देते हैं लेकिन पहली बार शायद ऐसा हुआ है कि प्रश्नकाल सत्तापक्ष के लोगों ने नहीं चलने दिया.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि हमें विषय ही समझ में नहीं आ रहा है.
श्री मनोज नारायण सिंह चौधरी:- जो गुंडा गर्दी करते हैं और यह कहते हैं कि सरेआम नंगा करके पीटेगें. आप आज का दैनिक भास्कर पढ़ें. उसके अंदर लिखा हुआ है यदि हम खुलकर इस गुंडागर्दी के खिलाफ अगर खड़े नहीं होंगे तो हम जन-प्रतिनिधि नहीं हुए.
श्री गोपाल भार्गव:- अध्यक्ष महोदय, स्थायी नियम है और परम्परा है कि जब नेता प्रतिपक्ष खड़े हों या सदन के नेता खड़े हों तो अन्य सदस्यों को बीच में नहीं बोलना चाहिये.
अध्यक्ष जी, माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी या जो वरिष्ठ मंत्री हैं या जो भी वरिष्ठ मंत्री चाहें तो पहले विषय रख दें. विषय क्या और किस विषय पर दो-दो बार गर्भगृह में आ रहे हैं और पूरे घण्टे भर की कार्यवाही को बाधित कर रहे हैं. इसके बाद यदि हम लोगों को कुछ कहना होगा तो हम अपनी बात कह देंगे. लेकिन यदि इस तरह से होगा तो फिर जितनी चर्चा करवानी हो तो फिर मैं, कहता हूं कि सारी घटनाओं पर दिन भर चर्चा करायी जाये. मैं इसके लिये तैयार हूं. आप दिन भर चर्चा करायें.
श्री सज्जन सिंह वर्मा:- किस बात की चर्चा, यह गलत तरीका है. अध्यक्ष जी, हमने विषय को सदन में रखा कि मुख्यमंत्री जी को जान से मारने की धमकी सरेआम राजधानी की सड़कों पर दी जा रही है और इस बात पर विपक्ष मौन है. उनका प्रतिनिधि सरेआम मुख्यमंत्री को धमकी दे, यह विषय नहीं है तो क्या है. यह विषय हमने रखा है. उस पर आपका जवाब आ जाये, उस पर चर्चा किस बात की ? आप तो हमारी पुलिस को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं कि पुलिस को संज्ञान लेना चाहिये. मुख्यमंत्री का खून बहेगा. हम अपनी पुलिस को बोल रहे हैं कि अभी तक संज्ञान क्यों नहीं लिया.(व्यवधान)
डॉ. नरोत्तम मिश्र:- माननीय अध्यक्ष जी, एक मिनट मेरी बात भी सुन लें.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर:- माननीय अध्यक्ष जी मुझे भी एक मिनट सुना जाये.
अध्यक्ष महोदय:- आप लोग सुनिये, तोमर जी आप बैठ जाईये. मैं कुछ बात कहने जा रहा हूं.
किसी भी दल के कोई भी ऐसे वरिष्ठ नेता के ऊपर सार्वजनिक रूप से अगर ऐसी टिप्पणी आती है तो यह समूचे सदस्यों को विचार करना होगा कि ऐसी घटनाएं न हों. ऐसी बातें न बोली जायें, जिससे किसी भी दल विशेष या उस व्यक्ति को बुरा लगे. क्योंकि उनकी अपनी ऊचांईयां जन सेवा में करते हुए आयी हैं.अब ऐसी बातें सार्वजनिक आयेंगी तो निश्चित रूप से दल उद्ववेलित होते हैं, वह चाहें आपके होंये या आपके होंये. आप ध्यान में रखियेगा कि हम विषय उठायें लेकिन समय देखकर उठायें ताकि आपकी बात भी आये. प्रश्नकाल का जो महत्वपूर्ण विषय चलना है, वह भी चले. आप भी ऐसा कर देंगे, आप भी ऐसा कर देंगे तो मैं एक घण्टा ऐसे ही बैठा रहूंगा. हां, अगर ऐसी कोई घटना हुई है और पेपरों में छपी है तो निश्चित रूप से यह दु:खद है.इस पर हम सबको एक-रूपता निर्धारण करना चाहिये, इसमें दल विशेष की बात नहीं करना चाहिये.
श्री गोपाल भार्गव:- अध्यक्ष महोदय, यह जो आपने व्यवस्था दी है, यह व्यवस्था सर्वमान्य है. मैं मानकर चलता हूं कि सभी पक्ष हमारे भी और सत्ता पक्ष के सदस्य भी इसको स्वीकार करेंगे. चूंकि यह सदन के अन्दर की बात नहीं है, यह सदन के बाहर कही गयी बात है. माननीय सज्जन वर्मा जी और भी अन्य सदस्यों ने इस बात को कहा. आप लोग गर्भगृह में आये, मैं, चाहता था कि आप प्रश्नकाल में या शून्यकाल में कोई सदस्य या संसदीय कार्य मंत्री जी इस बात पर चर्चा करता. हमें जो कुछ कहना होता, वह हम कहते. अध्यक्ष महोदय, यह जो विषय सामने आया, जो अखबार में आया. क्योंकि मेरे सामने तो कोई घटना हुई नहीं, लेकिन अखबारों के माध्यम से मुझे भी जानकारी मिली और अभी जो दो बार सत्ता पक्ष के सदस्य लोग गर्भगृह में आये.
अध्यक्ष महोदय, हमारे प्रधान मंत्री जी ने संसदीय दल की बैठक में इस बात को बहुत दृढ़ता और चेतावनी के साथ में हमारे सदस्यों और कार्यकर्ताओं के लिये, सांसदों और विधायकों के लिये यह कहा था कि हमें एक श्रेष्ठ और उत्तम संसदीय जीवन भी, विधायी जीवन भी, हमारे लिये निर्वहन करना है.
श्री प्रदीप जायसवाल:- ऐसे लोगों को आप पार्टी से बाहर करो.
अध्यक्ष महोदय:- प्रदीप जी, आप बैठ जायें.
श्री गोपाल भार्गव:- अध्यक्ष महोदय, पूरे देश के अखबारों ने, देश के टी.व्ही चैनलों ने प्रधानमंत्री जी की बात को पूरी से प्रचारित किया, पूरी बात की जानकारी दी और मध्यप्रदेश में एक दो घटनाएं जो घटित हुईं, उनके बारे में आप सभी लोगों को जानकारी होगी कि प्रधान मंत्री जी का क्या मत है. प्रधानमंत्री जी देश के सर्वमान्य नेता हैं और भारत के प्रधान मंत्री हैं. मैं यह मानकर चलता हूं कि हमारी पार्टी कभी भी इस प्रकार के मत से सहमत नहीं है, इस प्रकार के विचारों से सहमत नहीं है, इस प्रकार के भाषणों से सहमत नहीं है. अध्यक्ष महोदय, मैं यही कहना चाहता हूं कि यदि सदन के बाहर कोई ऐसी बात कही गयी है तो ..
श्री गोपाल भार्गव--जो कुछ भी हमारी पार्टी निर्णय करेगी, हमारा संगठन निर्णय करेगा. हम लोग कार्यवाही करेंगे. मैं इतना ही कहना चाहता हूं कि सदन की कार्यवाही को चलने दिया जाये.
अध्यक्ष महोदय--प्रश्न क्रमांक 1
लोक निर्माण मंत्री (श्री सज्जन सिंह वर्मा)--अध्यक्ष महोदय, इस बात को स्वीकार करना पड़ेगा इस तरह की घटनाएं सही नहीं हैं.
डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ--अध्यक्ष महोदय,
अध्यक्ष महोदय-- माननीय सज्जन सिंह जी की बात आ गई है. माननीय नेता प्रतिपक्ष जी की बात आ गई है. मैं प्रश्नों से कार्यवाही चालू कर रहा हूं. श्री निलय डागा. इनके अलावा जो भी बोलेगा उनका नहीं लिखा जायेगा. (व्यवधान)
डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ (xxx)
श्री मनोज नारायण सिंह चौधरी (xxx)
अध्यक्ष महोदय--किसी विषय पर गंभीरता से चर्चा हो चुकी है उस पर आप अपने ज्ञान-चक्षु खोलकर रखिये उसको ग्राह्य करिये कि क्या चर्चा चल रही है. तदुपरांत कहीं कोई ऐसी बात करनी हो तो करियेगा. बात पूरी आ चुकी है. मैं प्रश्नकाल शुरू कर रहा हूं.
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
बैतूल शहर हेतु अमृत नलजल योजना की स्वीकृति
[नगरीय विकास एवं आवास]
1. ( *क्र. 1274 ) श्री निलय डागा : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नगर पालिका परिषद बैतूल द्वारा बैतूल शहर के लिये अमृत नलजल योजना अन्तर्गत कौन सी परियोजना स्वीकृत की गई है? लागत एवं पेयजल स्त्रोत जहाँ से पानी लाना प्रस्तावित है, का विवरण देवें? (ख) उक्त योजना कितने वर्षों के लिये डिजाईन कर पाइप लाइन प्रस्तावित की गई है? (ग) क्या उक्त परियोजना से सम्पूर्ण शहर की आबादी में जल प्रदाय किया जाना प्रस्तावित है? यदि नहीं, तो क्यों? जिन अधिकारियों द्वारा डी.पी.आर. तैयार की गई है? उनके विरूद्ध क्या कार्यवाही प्रस्तावित है? यदि नहीं, है तो क्यों? (घ) इस परियोजना से सम्पूर्ण शहर में पेयजल व्यवस्था नहीं हो पाने की स्थिति में शासन की क्या योजना है? किस-किस वार्ड में कितनी-कितनी पाइप लाइन किस-किस व्यास की बिछाई जाना है?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री जयवर्द्धन सिंह ) : (क) अमृत योजनांतर्गत नलजल योजना बैतूल शहर के लिए ताप्ती नदी पर बैराज बनाकर 22.406 किलोमीटर रॉ-वॉटर राईजिंग मेन, इंटेकवेल एवं 41.896 किलोमीटर डिस्ट्रीब्यूशन पाइप लाइन की योजना स्वीकृत की गई है। योजना की स्वीकृत लागत राशि रू. 3817.00 लाख एवं पेयजल स्रोत ताप्ती नदी है। (ख) यह योजना 30 वर्षों तक के लिए डिजाईन कर पाइप प्रस्तावित की गई है। (ग) बैतूल शहर के लिए यू.आई.डी.एस.एस.एम.टी. योजनांतर्गत लाखापुरा तालाब से 1.5 एम.सी.एम. जल प्राप्त करने के लिए ग्रेविटीमेन से जल शोधन संयंत्र तक जल लाने का कार्य प्रगति पर है। माचना नदी में स्थित बैराज का सुदृढ़ीकरण कार्य भी इसी योजना में किया जा रहा है। जिससे 2.00 एम.सी.एम. जल का प्रदाय होगा। अमृत योजनांतर्गत ताप्ती नदी पर बनाये गये बैराज से पारसडोह परियोजना के माध्यम से वर्ष भर में 5.00 एम.सी.एम. जल प्राप्त होगा। इस प्रकार बैतूल शहर के लिए दोनों परियोजनाओं के अंतर्गत 8.5 एम.सी.एम. जल की उपलब्धता सभी कार्य पूर्ण होने के बाद होगी। यह मात्रा बैतूल शहर के लिए पर्याप्त होगी। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) उत्तरांश (क) अनुसार कार्य पूर्ण होने पर सम्पूर्ण शहर में पेयजल की व्यवस्था हो जावेगी। वार्डवार पाइप लाइन की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
श्री निलय विनोद डागा--अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न नगरीय विकास एवं नगरीय प्रशासन मंत्री से है कि बैतूल शहर में अमृत नलजल योजना बाबत् जानकारी नगरपालिका परिषद् बैतूल द्वारा बैतूल शहर के लिये अमृत नलजल योजना कौन सी परियोजना स्वीकृत की गई लागत एवं पेयजल स्रोत जहां से पानी लाना प्रस्तावित है, का विवरण देवें ? दूसरा प्रश्न उक्त योजना कितने वर्ष के लिये डिजाइन कर पाइप लाइन प्रस्तावित की गई है. परियोजना की प्रति उपलब्ध करावें. तीसरा प्रश्न क्या उक्त परियोजना से सम्पूर्ण शहर की आबादी को जल प्रदाय किया जाना प्रस्तावित है.
अध्यक्ष महोदय--आप प्रश्न करिये उसको पढ़िये मत कल आप बहुत अच्छा बोल रहे थे. आपकी स्पीड अच्छी हो गई है.
श्री निलय विनोद डागा--अध्यक्ष महोदय, प्रश्न यह है कि क्या अमृत नलजल योजना बैतूल शहर के लिये डिजाइन की गई उसमें जो पैसा 38 करोड़ रूपये क्या यह योजना बैतूल शहर को रोज पानी पिलाने के लिये पर्याप्त है ?
श्री जयवर्धन सिंह--अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी की जो चिन्ता है इससे मैं भी सहमत हूं कि पिछले कुछ सालों से बैतूल शहर में पानी की काफी समस्या रही है. इसमें विधायक जी ने उल्लेख किया है कि अमृत योजना के माध्यम से जो काम किया जा रहा है उसमें अभी दिसम्बर माह में ही अमृत मिशन के द्वारा बैराज का काम पूरा किया गया था. उसके साथ में पारसडोह जलाशय के द्वारा जो सिंचाई विभाग की है उसमें सनू 2015 में कमिटमेंट दी गई थी कि उस योजना से 5 एम.सी.एम पानी बैतूल शहर को दिया जायेगा, लेकिन किसी कारण से वह कमिटमेंट पूरा नहीं हो पाया है. हमने इसके बारे में सिंचाई विभाग से भी बात की है. हम आपको आश्वासन देते हैं कि इसमें प्राथमिकता पर 5 एम.सी.एम पानी पारसडोह डेम से बैतूल शहर के लिये उपलब्ध कराया जायेगा ताकि जो जल की समस्या है वह खत्म हो. इसके आगे अगर और कोई बात है जिससे माननीय विधायक जी चिन्तित है, वह बतायें तो उनका भी निराकरण करवा देंगे.
श्री निलय विनोद डागा--अध्यक्ष महोदय, पारसडोह से 5 एम.सी.एम. पानी डब्ल्यू.आर.डी. डिपार्टमेंट देने की बात कर रहा है. पारसडोह जलाशय जो बना है उसकी केपेसिटी 72 एम.सी.एम है जिसमें 20400 हैक्टेयर को सिंचाई करने के लिये पानी की व्यवस्था की गई है. 1 एम.सी.एम. में 300 हैक्टेयर जमीन की सिंचाई की जा सकती है. माननीय मंत्री जी अगर 72 एम.सी.एम. का जलाशय है जिसमें से 68 एम.सी.एम.सिंचाई के लिये पानी चला जायेगा. 2 एम.सी.एम.डेड स्टॉक है 1 से डेढ़ एम.सी.एम.पानी वाष्पीकरण हो जायेगा. तो 5 एम.सी.एम का पानी वहां कैसे लायेंगे.
श्री जयवर्धन सिंह--अध्यक्ष महोदय, ऐसी कोई भी योजना में पहला अधिकार पेयजल योजना के लिये होता है. जैसा की माननीय विधायक जी ने कहा कि कुल क्षमता 72 एम.सी.एम की है, लेकिन उसमें से पहला अधिकार बैतूल शहर के लिये रखेंगे तथा उसकी हम डिमांड करेंगे उसकी बात भी हो गई है. सबसे पहले उस 72 एम.सी.एम. की क्षमता में से 5 एम.सी.एम.पानी बैतूल शहर को मिले. इसके बारे में इरिगेशन विभाग से बात हो चुकी है. जैसे कि सदन जानता है कि माननीय मुख्यमंत्री कमलनाथ जी की प्राथमिकता है कि जल का अधिकार प्रदेश के हर व्यक्ति को मिले, चाहे वह शहर का हो, या गांव का हो, इसके लिए माननीय मुख्यमंत्री जी लगातार बैठक ले रहे हैं, जिसमें नगरीय प्रशासन के साथ-साथ, ग्रामीण विकास विभाग, पीएचई एवं इरिगेशन भी शामिल है, तो मैं माननीय विधायक जी को आश्वासन देता हूं कि इनकी जो चिंता है वह संज्ञान में आ चुकी है, अगर विधायक जी चाहे तो विभाग के जो अधिकारी हैं, मैं उनको भी आदेश दूंगा कि वे बैतूल शहर में मौके पर जाकर पूरी कार्यवाही करेंगे और जो-जो समस्या है उसका हल हम निकालेंगे.
अध्यक्ष महोदय - धन्यवाद निलय जी.
श्री निलय विनोद डागा - अध्यक्ष जी, एक और सवाल रह गया है.
अध्यक्ष महोदय - नहीं-नहीं बिलकुल समय नहीं दूगा.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - अध्यक्ष जी, बैतूल से संबंधित.
अध्यक्ष महोदय - बैतूल से संबंधित नहीं, आपको मंदसौर से संबंधित करना हो तो करो.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - माननीय अध्यक्ष जी, कल एक महिला ने पानी को लेकर के आग लगा ली, उसको रेफर किया गया.
अध्यक्ष महोदय - सिसौदिया जी, अच्छी बात नहीं है, नया विधायक, मूल प्रश्नकर्ता प्रश्न नहीं नहीं कर पा रहा है. आप वरिष्ठ हो, विश्वास जी जरा बाजू में बैठकर इनकी सीट चैक करो(..हंसी)
श्री निलय विनोद डागा - यशपाल जी मैं विधायक हूं, मुझे बहुत चिन्ता है.
अध्यक्ष महोदय - प्रभु जी, मूल प्रश्नकर्ता को तो बोलने दीजिए. आप कैसे कर रहे हो.
श्री निलय विनोद डागा - माननीय अध्यक्ष जी, मैं मंत्री जी से एक और चीज पूछना चाहता हूं कि जो ताप्ती में बैराज बना है, जिससे पाइप लाइन आयी है, बैतूल शहर को पानी पिलाने के लिए क्या वह रोज दो घंटा पूरे बैतूल शहर को पानी पिलाने के लिए पर्याप्त है या नहीं?
श्री जयवर्द्धन सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रोजेक्ट इसी आधार पर बना था कि प्रतिदिन पानी की आपूर्ति पूरे शहर में हो पाएं. जैसे मैंने पहले भी कहा है अगर इसमें कुछ भी संदेह विधायक जी को है तो मैं पूरी टीम बैतूल भेजूंगा वह माननीय से चर्चा करें और उसमें जो भी इनकी समस्या है, उसका निराकरण करवाएंगे.
श्री निलय विनोद डागा - धन्यवाद मंत्री जी.
कृषि समृद्धि योजनांतर्गत पौध वितरण
[वन]
2. ( *क्र. 2718 ) श्री प्रेमसिंह पटेल : क्या वन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधान सभा क्षेत्र बड़वानी में वन विभाग के द्वारा वित्तीय वर्ष 2018-19 में कृषि समृद्धि योजना के तहत कितने किसानों को कब पौधे वितरित किये गए? ग्राम का नाम, पौधों की संख्या एवं कौन-कौन से पौधे वितरित किये गए हैं? जानकारी उपलब्ध करावेंl (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार वितरित किये गए पौधों को किसानों के द्वारा कहाँ-कहाँ लगाया गया है? इसका सत्यापन किसके द्वारा कब किया गया? दिनांकवार विवरण देवेंl (ग) वित्तीय वर्ष 2018-19 में कृषि समृद्धि योजना के क्रियान्वयन में कितना व्यय किया गया? वर्तमान में पौधों की अद्यतन स्थिति क्या है?
वन मंत्री ( श्री उमंग सिंघार ) : (क) जिला बड़वानी के विधान सभा क्षेत्र बड़वानी अन्तर्गत वित्तीय वर्ष 2018-19 में 1,962 किसानों को 1,61,130 पौधे वितरित किये गये हैं। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''1'' अनुसार है। (ख) किसानों को वितरित किये गये पौधे उनके द्वारा स्वयं के खेतों एवं मेढ़ों में लगाये गये। शेष जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''1'' अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''2'' अनुसार है।
श्री प्रेमसिंह पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय जी, पूर्व में विभाग द्वारा प्राप्त सूची अनुसार जिन किसानों के नाम है, उनके द्वारा बताया गया कि उन्हें कोई पौधे वन विभाग द्वारा नहीं दिए गए हैं. जानकारी सत्य है. सूची द्वारा शासकीय कर्मचारियों को भी पौधे वितरण किए गए हैं, जो गलत है. स्थल पर एक भी पौधा नहीं है, क्या जांच की जाकर दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही की जाएगी?
श्री उमंग सिंघार - अध्यक्ष महोदय, चूंकि कृषि समृद्धि योजना के तहत पौधारोपण है, इसमें केन्द्र सरकार का 100 प्रतिशत हिस्सा रहता है. यह योजना 2016 में बनाई गई थी और 2018 के बाद कैम्पा की नई गाईडलाइन आने के बाद यह योजना केन्द्र से बंद हो गई थी. रही बात जो सदस्य महोदय ने कही है, इस प्रकार की अगर वहां पर अनियमितता हुई किसानों की सूची के अलावा आपको लगता है इनको पौधे नहीं मिले हैं तो उसकी एक बार जांच करवा लेंगे.
श्री प्रेमसिंह पटेल - अध्यक्ष महोदय, ठीक है, जांच करवा लीजिए.
कोचिंग संचालित करने के मापदण्ड
[नगरीय विकास एवं आवास]
3. ( *क्र. 782 ) श्री आरिफ मसूद : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शासन द्वारा प्रतियोगी परीक्षा एवं उच्च शिक्षा कोचिंग संचालित करने के मापदण्ड निर्धारित किये गये हैं? (ख) यदि हाँ, तो राजधानी भोपाल एम.पी. नगर क्षेत्रान्तर्गत प्रतियोगी परीक्षा एवं उच्च शिक्षा हेतु कितनी निजी कोचिंग संचालित हैं? प्रत्येक कोचिंग का नाम, पता एवं ऑनर के नाम सहित जानकारी उपलब्ध करायें? (ग) प्रश्नांश (ख) के परिप्रेक्ष्य में प्रत्येक कोचिंग में कितने-कितने छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं? (घ) क्या कोचिंग की फीस शासन के निर्धारण के अनुरूप ही वसूली जा रही है? यदि नहीं, तो क्यों?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री जयवर्द्धन सिंह ) : (क) विभाग द्वारा प्रतियोगी परीक्षा एवं उच्च शिक्षा कोचिंग संचालित करने के संबंध में कोई मापदण्ड निर्धारित नहीं किए गए हैं। (ख) राजधानी भोपाल एम.पी. नगर क्षेत्रांतर्गत जोन क्रमांक 9 के अंतर्गत वार्ड क्रमांक 43 में 26 एवं वार्ड क्रमांक 45 में 36 कोचिंग संचालित हैं। शेष के संबंध में जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (घ) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। परिशिष्ट -''दो''
श्री आरिफ मसूद - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न जो कोचिंग सेन्टर है, उसको लेकर के है और एक महत्वपूर्ण विषय पर है. क्योंकि शिक्षा को आगे बढ़ाने की बात हमेशा हम लोग करते हैं. मैं चाहता हूं कि पूर्व में भी इस तरह की कुछ व्यवस्था आयी है, लेकिन शायद वह सही नहीं है, जो स्कूल और कॉलेज चलाते हैं उसका क्या मापदंड है, कितनी संख्या में बच्चे बैठेंगे उस कमरे में.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न कर लीजिए, एक मिनट बचा है.
श्री आरिफ मसूद - अध्यक्ष महोदय, इसीलिए मैंने कहा कम समय में माननीय मंत्री जी इसका जवाब दे दें.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न कर लीजिए, समय क्यों जाया कर रहे है.
श्री आरिफ मसूद - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं व्यवस्था चाहता हूं, क्या इसके लिए नियम बनाया जाएगा, क्या फीस निर्धारण और मापदंड बनाने के लिए मैं चाहता हूं कि माननीय मंत्री जी अपना उत्तर दें और इस मामले में आपसे व्यवस्था चाहता हूं.
श्री जयवर्द्धन सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, जहां तक सवाल पॉलिसी का है और फीस नियंत्रण का है क्योंकि यह सब यह पूरा विषय मेरे विभाग में नहीं आता है, वह आयेगा शिक्षा विभाग में लेकिन अगर आप अनुमति दें और भविष्य में जब भी माननीय विधायक जी चाहे हम एक संयुक्त बैठक कर सकते हैं.
अध्यक्ष महोदय - आप दोनों मंत्री बैठकर और माननीय विधायक जी आप बैठ कर चर्चा कर लें.
श्री जयवर्द्धन सिंह - लेकिन जहां तक, हम इसमें आपको कुछ भी सहयोग कर सकते हैं तो माननीय अध्यक्ष महोदय, हम एक फायर सेफ्टी पॉलिसी जरूरी बनवा रहे हैं क्योंकि सिर्फ दो वार्डों में अकेले लगभग 1200 कोचिंग सेन्टर्स हैं.
श्री आरिफ मसूद - अध्यक्ष जी, इस पर सिर्फ इतना करा दें कि एक कमेटी गठित हो जाए.
अध्यक्ष महोदय - मैंने पहले ही बोल दिया है. दोनों मंत्रियों के साथ आप बैठ जाएं.
(प्रश्नकाल समाप्त)
12.00 बजे शून्यकाल में मौखिक उल्लेख एवं अध्यक्षीय व्यवस्था
डॉ. नरोत्तम मिश्र (दतिया) - अध्यक्ष महोदय, वित्त मंत्री जी बैठे हुए हैं, बजट पर चर्चा चल रही है. एक छोटा सा प्वाईंट ऑफ ऑर्डर आपसे यह है कि पिछले 17 दिन से मध्यप्रदेश में आर्थिक आपातकाल लगा हुआ है. एक भी पैसे का भी भुगतान वर्क्स डिपार्टमेंट के अन्दर नहीं हो रहा है. पूरे प्रदेश के अन्दर, एक पैसे का भुगतान नहीं हो रहा है.
अध्यक्ष महोदय - यह प्वाईंट ऑफ ऑर्डर कहां से हो गया ?
डॉ. नरोत्तम मिश्र - यह इसीलिए है, अध्यक्ष जी. प्रदेश में आर्थिक संकट है, प्रदेश में ऊहा-पोह की स्थिति है.
अध्यक्ष महोदय - यह प्वाईंट ऑफ ऑर्डर नहीं हुआ, आप शून्यकाल में उठा लें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - यह शून्यकाल ही तो है.
अध्यक्ष महोदय - हां तो यह प्वाईंट ऑफ ऑर्डर नहीं होगा. शून्यकाल में प्वाईंट ऑफ ऑर्डर नहीं होता, माननीय पूर्व संसदीय मंत्री जी.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, तो कब होता है ? शून्यकाल में ही होता है.
अध्यक्ष महोदय - नहीं, विषय-वस्तु जब होती है तब होता है.
लोक निर्माण मंत्री (श्री सज्जन सिंह वर्मा) - जब विषय चलता है, उस पर कोई बात आ जाये तो प्वाईंट ऑफ ऑर्डर उस समय उठता है.
अध्यक्ष महोदय - जब वित्त की सामान्य चर्चा चल रही है तब आपने क्यों नहीं कहा ?
डॉ. नरोत्तम मिश्र - आप शून्यकाल में मान लें, अध्यक्ष जी.
अध्यक्ष महोदय - ठीक है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा यह कहना है कि प्रदेश में आर्थिक आपातकाल आ गया है, सारे के सारे वर्क्स डिपार्टमेंट में भुगतान रुका हुआ है. यह बरसात का समय है, सारे अधूरे काम पड़े हुए हैं.
अध्यक्ष महोदय - आपका ध्यानाकर्षण आने वाला है.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) - अध्यक्ष जी, एक मिनट सुन लें. हमारे धर्म और संस्कृति पर बहुत बड़ा प्रश्नचिह्न खड़ा हो गया है. पिछले दिनों मैंने जो अखबार में देखा. श्रीलंका में सीताजी का मन्दिर बनाने के बारे में निर्णय हुआ था, एक करोड़ रुपये की राशि भी उस मद में दे दी गई थी. अब प्रश्न यह उठाया जा रहा है कि रामजी थे कि नहीं थे, सीताजी थीं कि नहीं थीं, सीताजी अशोक वाटिका में रहीं कि नहीं रहीं.
अध्यक्ष महोदय - तीनों थे.
श्री गोपाल भार्गव - तीनों थे. अध्यक्ष महोदय, लेकिन अब जो जानकारी है कि यहां से एक जांच दल जाएगा, जो मालूम करेगा कि सीताजी थीं कि नहीं थीं और अशोक वाटिका में किस स्थान पर रहीं ?
अध्यक्ष महोदय - गोपाल जी, यह बात किसने कही ?
श्री गोपाल भार्गव - शासन की तरफ से आई.
श्री गोपाल भार्गव - पी.सी. शर्मा जी.
अध्यक्ष महोदय - शर्मा जी, इसमें प्रश्नोत्तर नहीं है. मैं तो सिर्फ यह कह रहा हूँ, गोपाल जी.
श्री गोपाल भार्गव - मुझसे कई लोगों ने कहा, गुरुजी ने भी कहा कि इस प्रकार की बातें क्यों हो रही हैं ?
अध्यक्ष महोदय - मंत्री और आप दोनों आपस में चर्चा कर लें.
श्री गोपाल भार्गव - कर लेंगे, अध्यक्ष जी.
धार्मिक न्यास और धर्मस्व मंत्री (श्री पी.सी.शर्मा) - अध्यक्ष महोदय, यह बात बिल्कुल गलत है. यह बात नहीं आई है. मीडिया में जब यह पूछा, यह असत्य है कि एक करोड़ रुपया दे दिया गया. यह बिल्कुल असत्य है. मैंने यह कहा था और उसमें अगर चर्चा होगी तो चर्चा का जवाब हम दे देंगे लेकिन यह बात कहीं नहीं कही गई है. हम तो बोलते हैं, जय सियाराम और आप बोलते हैं, जय जय श्रीराम, वहीं फर्क है. सवाल इस बात का नहीं है. सीताजी का मंदिर वहां बने और इसमें कोई दो राय नहीं है कि यह बने. यह सब शून्यकाल में उठाया गया है तो सब शून्य है.
श्री गोपाल भार्गव - आप बता दें कि आपको अशोक वाटिका मिली कि नहीं. आपने अशोक वाटिका का स्थान चिन्ह्ति कर लिया कि नहीं किया (...व्यवधान...)
12.03 बजे नियम 267-क के अधीन विषय
श्री शैलेन्द्र जैन - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे विधानसभा क्षेत्र में बहुत समय से आन्दोलन चल रहा है. मैं चाहता हूँ कि आप मेरी बात को शून्यकाल में सुनें.
अध्यक्ष महोदय - अब इनका नहीं लिखा जायेगा. जो मैं बोल रहा हूँ, वह लिखा जायेगा.
श्री शैलेन्द्र जैन - (XXX)
12.05 बजे
पत्रों का पटल पर रखा जाना.
(1) (ख) मध्यप्रदेश स्टेट इंडस्ट्रियल डेव्हलपमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड का 49 वां वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखा वर्ष 2014-2015.
(2) अधिसूचना क्रमांक एफ-बी-04-05-2018.2-पांच(08), दिनांक 28 जून, 2019.
(3) जिला खनिज प्रतिष्ठान सीधी, कटनी एवं छतरपुर के वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017- 2018.
(4) मध्यप्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, जबलपुर का 16 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017-2018 .
श्री भूपेन्द्र सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपको धन्यवाद देता हूं. हमारे माननीय विधायक श्री शैलेन्द्र जैन जी ने एक विषय की ओर आपका ध्यान आकर्षित किया है, मेरा आग्रह है कि उस पर स्थगन भी है.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय सदस्य मैंने सुन लिया है. मैं किसी न किसी रूप में उस विषय को ले लूंगा.मेरे पास आपके साथ यह भी आये थे, तब मैंने कहा था कि इस विषय को मैं किसी रूप में ले लूंगा. कभी-कभी यहां पर बोलने की जरूरत नहीं, जब हम तुम एक कमरे में बंद हों और चाबी खो जाये, उसको यहां पर नहीं बोला जाता है...(हंसी)
श्री भूपेन्द्र सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपकी व्यवस्था आ गई इसके लिये बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री शैलेन्द्र जैन -- अध्यक्ष महोदय बहुत-बहुत धन्यवाद .
श्री अजय विश्नोई -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके साथ होता यह है कि हम तुम जब एक कमरे में बंद हों तो चाबी मिल जाये...(हंसी)
अध्यक्ष महोदय -- यह आप नरोत्तम मिश्रा जी से पूछ सकते हैं. ..(हंसी)..धन्यवाद, अब आगे बढ़ते हैं.
श्री हरिशंकर खटीक -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने तीन ध्यान आकर्षण लगाये हैं.
अध्यक्ष महोदय -- श्री गोपाल भार्गव जी का ध्यान आकर्षण हैं. आपको भी सुन लेंगे, आपके ध्यानाकर्षण पर भी विचार कर लेंगे.
12.07बजे ध्यान आकर्षण
अगर सहयोग यथोचित लगा तो, मैं चार के स्थान पर छ: ध्यानाकर्षण भी ले सकता हूं. यह आपके ऊपर निर्भर करता है कि आपकी कुशलता कैसे आगे बढ़ती है, उस ओर मुझे आगे बढ़ायेगी, ऐसा मेरा मानना है. मैं समझता हूं कि सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई)
(1) सागर जिले के ग्राम परासिया निवासी कृषक द्वारा आत्महत्या किया जाना
नेता
प्रतिपक्ष
(श्री गोपाल
भार्गव ) --
माननीय अध्यक्ष
महोदय परंपरा
का और अधिक
पुष्टिकरण
करते हुये, आपने दो की
जगह चार ध्यानाकर्षण
लेना
प्रतिदिन स्वीकार
किया है और
आपने अभी छ: ध्यानाकर्षण
लेने का भी
कहा है. मैं
मानकर चलता हूं
कि यह आपका
बड़प्पन है
क्योंकि
हमारे जो सदस्य
हैं,
उनके क्षेत्र
की समस्याएं
हैं,
उनको निवारण
करने में आपकी
यह व्यवस्था
बहुत ज्यादा
सहायक होगी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इस गंभीर विषय पर सदन की कार्यवाही रोककर चर्चा कराई जाये ताकि प्रदेश में आगे ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो सके.
गृह मंत्री (श्री बाला बच्चन)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष जी, हम सभी लोग जानते हैं कि भारत एक कृषि प्रधान देश है और किसान को सबसे अधिक प्रेम अगर किसी चीज से होता है और उसकी आवश्यकता जमीन है. एक लघु कृषक है जिसके पास पूरे 32 लोगों का परिवार है और 8 एकड़ जमीन है. उसकी लोगों ने चालाकी करके 2 एकड़ जमीन लिखा ली. इससे बड़ा साक्ष्य और क्या हो सकता है. मेरे पास पेन ड्राईव है. (पेन ड्राईव दिखाई गई) आप चाहें अपने कक्ष में, मंत्री जी चाहें अपने कक्ष में, डी.जी.पी. चाहें, सी.एम. साहब चाहें, अपने कक्ष में देख सकते हैं.स्पष्ट रूप से उसका स्टेटमेंट है कि यदि मुझे न्याय नहीं मिला तो मैं सुसाईड कर लूंगा. यह उसने पेन ड्राईव में स्पष्ट रूप से कहा है. लिखित में भी कहा है. सुसाईड नोट में भी कहा है. शायद यह पहली घटना होगी कि इतनी प्रशासनिक लापरवाही के कारण एक किसान को आत्महत्या को विवश होना पड़ा. जब यह घटना हुई तो उसके शव को, जब मामले में कोई कार्यवाही नहीं हुई, कायमी नहीं हुई उसका लड़का गया थाने में रिपोर्ट लिखाने, तो उसको भगा दिया गया. उससे कहा गया कि ऐसे तो मरते ही रहते हैं. तो उन लोगों ने लाश को सड़क पर लाकर रख दिया. 5 कि.मी. से ज्यादा इस तरफ लाईन, 5 कि.मी. से ज्यादा उस तरफ लाईन बसों, ट्रकों की लगी रही, स्टेट हाईवे पर. मुझे सूचना मिली सुबह-सुबह कि ऐसा हो गया. मैं वहां पर गया तो मैंने देखा वहां चूंकि बच्चे रो रहे थे, महिलाओं को पानी की दिक्कत, दूध की दिक्कत, सारी समस्याएं. लोगों ने मुझसे कहा कि अन्याय हो रहा है तो मैंने उनसे कहा कि आप जाम खोलें मैं आपको न्याय दिलाऊंगा. मैंने पुलिस के कर्मचारियों से भी कहा कि आप स्पष्ट मामले की कायमी करें.प्रथम दृष्टया साक्ष्य हैं, प्रमाणित साक्ष्य हैं. सारी बातें हैं. तो इस कारण से आप मामले को दर्ज करें. उसकी भी वीडियो रिकार्डिंग है, जो पुलिस के अधिकारियों, कर्मचारियों ने कहा. उन्होंने कहा कि हम एक सप्ताह के अंदर मामले की कार्यवाही करके गिरफ्तारी करेंगे. मैं इतना ही कहना चाहता हूं कि हम जैसे लोग जो आश्वासन दे चुके. इसके बाद भी इस घटना के बाद आज की तारीख तक, यह घटना 27.6.19 की है. लगभग एक महीना होने को आ रहा है तो हम लोगों की प्रामाणिकता भी खत्म होती है. इस प्रकार की घटनाएं प्रदेश में घटित न हों. मंत्री जी पेन ड्राईव देख लें, शायद ही ऐसा कोई वाकया, उदाहरण हो, जिसमें आदमी अपने सुसाईड नोट, अपने डाईंग स्टेटमेंट को वीडियो पर रिकार्डिंग करके, सुसाईड नोट देकर, उसके बाद सुसाईड कर ले, यह हमारे लिये बड़ी अमानवीय बात है. उस परिवार को न्याय मिलना चाहिये. आरोपी गिरफ्तार होने चाहिये. जो 3 आरोपी बनाये गये उनके अतिरिक्त इसमें जिन भी व्यक्तियों के बारे में उसने कहा कि ये सारे लोग इसमें जुड़े हुए हैं तो उनकी भी गिरफ्तारी जांच के उपरांत हो, लेकिन जो 3 आरोपी जो नामजद हुए हैं उनकी गिरफ्तारी 3 दिन में हो, जिससे उस परिवार को न्याय मिलेगा. उनको तसल्ली मिलेगी. अन्यथा इस प्रकार के प्रमाणिक तथ्य होने के बावजूद यदि ढिलाई चलती रहेगी तो हमारी कानून-व्यवस्था के सामने प्रश्न चिह्न लग सकता है.
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, ढिलाई बिल्कुल भी नहीं, किसी भी अपराध में, किसी भी मामले में नहीं बरती जाएगी. कानून अपना काम करेगा, जो भी कानून को हाथ में लेने का काम करेगा, कानून उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही करेगा, कानून से बड़ा और कानून से ऊपर कोई भी नहीं है.
अध्यक्ष महोदय, यह जो सोसाइड नोट मिला है, हम इसकी हैंड राइटिंग एक्सपर्ट से जांच करा रहे हैं और कहीं पर भी यह नहीं कहा गया है कि मैं इस कारण से आत्म हत्या कर रहा हूं. जो आत्महत्या के 6 महीने पहले लोकसभा के चुनाव थे , उसके पहले कहीं किसी टीवी चैनल पर यह बोला गया था और उसकी सीडी जो सामने आई हैं, तो हम यह भी नहीं चाहेंगे कि निर्दोष व्यक्ति को सजा मिल जाए, उनके खिलाफ कार्यवाही हो जाय और वह जेल में चले जायं. हम पूरी तरह से जो सोसाइड नोट है उसको जांच करा लेते हैं वह हमारे पास विवेचना में है और जांच के बाद हम आगे कार्यवाही करेंगे. अगर इसमें यह आरोप सिद्ध होता है तो हम उनको तत्काल गिरफ्तार करेंगे, जेल में पहुंचाएंगे और उसके बाद और भी कोई जुड़े हैं तो हम उनके खिलाफ भी कार्यवाही करेंगे.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, मैंने वहां पर लोगों को आश्वासन दिया था, वहां पर जाम खुलवाया था. मैं इतना ही कहना चाहता हूं कि मंत्री जी इसको प्रतिष्ठा का प्रश्न न बनाएं. यह जो मैं कह रहा हूं इसको आप देख लें. आप देख लें, आपके अधिकारी देख लें. सोसाइड नोट की जब तक जांच होती रहेगी, मैं नहीं कह सकता कि यह कब तक होगी, क्या होगी, कितनी प्रामाणिक होगी? लेकिन यह जो है इसके बारे में यह कहना चाहता हूं कि कोई भी अधिकारी, आप इसके लिए झुठला नहीं सकते, यह सामने पूरा का पूरा उसने बयान देकर उसके बाद में यह घटनाक्रम हुआ है. मैं इतना ही कहना चाहता हूं और उसको मैं पढ़कर सुनाता हूं. उसकी बात को हार्डकापी में लिखवाया है - "परासिया में हमारे जमीन है पत्नी के नाम, पत्नी खत्म हो गई है, हमारे 3 बच्चे और 1 बच्ची है. फलां फलां आरोपियों के नाम जो लिखे हैं बच्ची को फुसलाकर फलां फलां लोगों के नाम जमीन कर ली है. हमें अपनी जमीन वापस चाहने, जो बुन्देलखण्डी में है हमारे, अगर ऐसा नहीं हुआ तो हम आत्महत्या करेंगे. एको जवाबदार फलां फलां आरोपी हैं वह होंगे. अब हम कहां जायं, का करें, कमलेश साहू वकीलों के अध्यक्ष है, हमें केस हरा दिया तो गुंडा लोग हैं, पैसे के दम पर झूठे गवाह किये हैं, जैसे भी किये हों पैसे के दम पर करे हैं." अध्यक्ष महोदय. यह उसका सार है
मैं माननीय मंत्री महोदय से जानना चाहता हूं कि हम लोग यहां पर क्यों बैठे हैं? अध्यक्ष महोदय, यदि हम इसको न्याय नहीं दिला पाए तो वह जो प्रेमचंद की कहानी थी जो दो बीघा जमीन की थी, इसी प्रकार का घटनाक्रम घटित होता रहेगा और ऐसे सीधे-सादे किसान, ऐसे चालाक और भू-माफिया के चंगुल में फंसते जाएंगे और सोसाइड करते जाएंगे.
माननीय मंत्री महोदय आपसे आग्रह करना चाहता हूं आप उस परिवार के प्रति सहृदयता का परिचय दें. 32 लोग उस परिवार में हैं. यह जमीन भी उन लोगों ने ले ली बाकी जमीन भी वह लोग हड़प रहे हैं. आजू-बाजू में पूरा भू-माफिया काम कर रहा है, जिसने कम से कम 50 लोगों की जमीनों पर कब्जा करके रखा हुआ है. यदि हम लोग यहां पर इस बात को नहीं उठाएंगे तो अध्यक्ष महोदय, धीरे-धीरे यह पूरी व्यवस्था ही भंग हो जाएगी. इस कारण से मैं आपसे विनम्र निवेदन करना चाहता हूं कि जल्दी से जल्दी गिरफ्तारी करवाएं.
अध्यक्ष महोदय - यह जो पेन ड्राइव बता रहे हैं, आपके पुलिस विभाग में इन चीजों को चैक करने के लिए कोई इसका कोई सेल है? वह कौन-सा है?
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, माननीय नेता प्रतिपक्ष जी के पास इससे संबंधित कोई भी अगर साक्ष्य है..
अध्यक्ष महोदय - नहीं, मैं पूछ रहा हूं कि आपके यहां पर यह सेल कौन-सा है?
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, हमारे यहां पर सेल है. आप उसको उपलब्ध करा दें.
अध्यक्ष महोदय - वह सेल के मुखिया, आप और नेता प्रतिपक्ष, आप तीनों बैठकर पेन ड्राइव देखिएगा, जो साक्ष्य आते हैं तद्नुसार कार्यवाही करिएगा.
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, आपके आदेश का पालन किया जाएगा.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, प्राइमाफेसी में जो लोग आरोपी बने..
अध्यक्ष महोदय - आप पेन ड्राइव लेकर कल ही बैठ जाइए.
श्री गोपाल भार्गव - ठीक है, आज बैठ जाते हैं.
अध्यक्ष महोदय - ताकि तत्काल बात हो, गिरफ्तारी की बात हो. सब कुछ हो.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, जो प्रथम दृष्टया जो आरोपी हैं..
अध्यक्ष महोदय - अरे, कल ही प्रथम दृष्टया हो जाएगा.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, ठीक है.
अध्यक्ष महोदय - अब विश्वास जी कुछ बचा है क्या? कौन-सा विश्वास बचा है?
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, यदि हो जाएगा तो फिर आप कितने दिन में गिरफ्तार करवाएंगे?
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, तत्काल.
श्री गोपाल भार्गव - आपका धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय -- ऐसी ड्रेस पहनकर नहीं आया करें, हमें जलन होती है.
श्री विश्वास सारंग -- आप जो सिलवाकर दे रहे हैं वही पहन रहे हैं . अध्यक्ष महोदय माननीय गृह मंत्री जी ने अपने जवाब में जो बात बोली है कि हम जांच करवा रहे हैं और सोसाइड नोट की हम हैण्ड राइटिंग एक्सपर्ट से जांच करवा रहे हैं. इस पूरे प्रकरण में दो तरह के साक्ष्य हैं. एक तो उसका सोसाइड नोट है दूसरा उसकी पेन ड्राइव में वीडियो रिकार्डिंग भी है, हो सकता है कि वह किसी चैनल की हो, पर है तो, यह बात आप भी संज्ञान में ले रहे हैं. उसके बाद में जांच कराने की क्या जरूरत है. यदि पुलिस और सरकार इस मामले को गंभीरता से लेती तो सबसे पहले उनकी गिरफ्तारी होना चाहिए थी. जब तक गिरफ्तारी नहीं होगी तब तक जांच का कोई औचित्य नहीं निकलेगा. मेरा यह निवेदन है कि यह जांच, माननीय नेता प्रतिपक्ष जी के साथ में बैठकर होगी, सब होगा, उससे पहले निश्चित रूप से गिरफ्तारी होना चाहिए. मेरी बात से शायद नेता प्रतिपक्ष जी भी सहमत होंगे.
श्री गोपाल भार्गव-- मैं यह बात माननीय मंत्री जी के विवेक पर, उनकी आत्मा की आवाज अगर बोल रही हो, वास्तव में यह बहुत गरीब किसान है उसके परिवार में 32 लोग है उसकी भूमि हड़प ली गई है. यदि आपकी आत्मा कह रही हो कि यह गलत हुआ है तो आप तत्काल उनकी गिरफ्तारी करवायें, तब ही हम लोगों का यहां पर बैठने का, प्रश्नोत्तर करने का, ध्यानाकर्षण लगाने का कोई महत्व है, नहीं तो ऐसा फिर चलता ही रहेगा.
अध्यक्ष महोदय -- पूरी विषय वस्तु आ गई. उसका निचोड़ मैंने दे दिया है. मैने व्यवस्था दे दी है. मैं बहुत कम व्यवस्थाएं देता हूं. मेरा कहना है कि कल यह कर लीजिए आप, कल यह सब देख लीजिए, इनकी जो स्पेशल टीम है.
श्री गोपाल भार्गव -- मैं यह चाहूंगा. आपसे निवेदन करूंगा कि कल फिर से आपकी अनुमति हो कि मै इस मुद्दे को उठा पाऊं मै रात तक इसकी रिपोर्ट ले लूंगा,
अध्यक्ष महोदय -- जब उसमें तीया पांचा हो ही जायेगा.
श्री विश्वास सारंग -- अध्यक्ष महोदय मेरा मंत्री जी से कहना है कि केवल 8 एकड़ जमीन थी जिसमें से दो एकड़ चली गई है और 32 लोगों का परिवार है, मुखिया की मृत्यु हो गई है तो क्या किसी मुआवजे की घोषणा यहां सदन में करेंगे.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय आपने घोषणा कर दी है. मैं समझता हूं कि हमारी सहानुभूति, और हमारी जो कमलनाथ जी की सरकार उस परिवार के साथ में है, यथासंभव जो हो सकता है, माननीय आसंदी से व्यवस्था आयी है कल देख लेने दीजीए उसके बाद में जो भी मदद हो सकती है वह करेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- धैर्य पूर्वक मैंने पूरा समय दिया है.
श्री गोपाल भार्गव -- सहृदयता का परिचय देते हुए सरकार करे.
अध्यक्ष महोदय -- जो आप चाह रहे हैं, कल आप देख लीजिए, उसके बाद में वह भी होगा.
खरगोन जिले में पॉली हाऊस निर्माण में अनियमितता किये जाने से उत्पन्न स्थिति
श्रीमती झूमा सोलंकी ( भीकनगांव )-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
कृषि तथा उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण मंत्री ( श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव )-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्रीमती झूमा सोलंकी -- अध्यक्ष महोदय, खरगोन जिले में जितने भी पॉली हाउस के निर्माण हुए हैं, करीब लागत उसकी 38 से 40 लाख रुपये है. इसमें 50 प्रतिशत की सबसिडी है. मेरे विधान सभा क्षेत्र की ही बात करें, तो पिछले वर्ष 2017-18 में पॉली हाउस बोरुठ ग्राम में बनाया गया और अभी फिलहाल उस स्थान पर वह पॉली हाउस नहीं है. 3 साल की बात मंत्री जी कह रहे हैं कि 3 साल तक की मियाद तक वह चलता है, किन्तु वर्ष 2017-18 में उसका निर्माण हुआ और आज वह हट गया है, इससे तो सीधा जाहिर होता है कि अधिकारी, बैंकर्स एवं एजेंट सीधा हमारे कृषकों को फायदा नहीं पहुंचाते हैं और उनको फायदा मिल रहा है. तो ऐसी योजना किस काम की है. अनियमितताएं तो हो रही हैं. मंत्री जी, मेरा निवेदन है कि आप इसकी जांच करायें.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव -- अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्या को यह आश्वस्त करना चाहता हूं कि अगर आपके पास किसी प्रकार की ऐसी कोई अनियमितता की जानकारी है, तो आप मुझे दे दीजिये, हम उसका परीक्षण कराकर के उसके ऊपर उचित कार्यवाही करने का काम करेंगे.
श्रीमती झूमा सोलंकी -- अध्यक्ष महोदय, ठीक है. माननीय मंत्री जी को धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय -- चलिये धन्यवाद. मैं यह माननीय मंत्रीगण, जो आश्वस्त या आश्वासन देते हैं, अपने संबंधित अधिकारी जो आपके दीर्घा में बैठते हैं, इसकी जानकारी आश्वासन पूरा होने की एक महीने के अंदर यहां आ जाना चाहिये, कुछ विशेष प्रकरणों को छोड़कर, इस बात को ध्यान में रखते हुए आश्वासन दें.
12.33 बजे (3) कटनी जिले के सिंचाई जलाशयों एवं नहरों की स्थिति जर्जर होना.
श्री
संजय
सत्येन्द्र
पाठक
(विजयराघवगढ़)
-- अध्यक्ष
महोदय,
जल
संसाधन
मंत्री (श्री
हुकुम सिंह
कराड़ा) -- अध्यक्ष
महोदय,
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक -- अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी के जवाब से संतुष्ट नहीं हूं और संभवतः विभाग द्वारा मंत्री जी को गलत जानकारी दी गई है. किसी प्रकार का कोई रख-रखाव कई वर्षों से किसी पुरानी नहरों में नहीं किया गया है, न ही पुराने जलाशयों में किया गया है. अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे आग्रह है. आपने तो सभी की एक से एक व्यवस्थाएं कराई हैं. मैं अभी भी देख रहा था कि लगातार आपकी व्यवस्थाएं आसंदी से आ रही थीं. मेरा आपसे एक आग्रह है और माननीय मंत्री जी से भी आग्रह है तथा एक सुझाव भी है, सुझाव पहला मैं इनको यह देना चाहता हूँ कि आपने कल अपने भाषण में बोला था कि 1 लाख 35 हजार करोड़ रुपये के नए जलाशयों और डैम्स के निर्माण के कार्य आपने प्रारंभ किए हुए हैं, जो चल रहे हैं. मैं आपसे यह आग्रह करना चाहता हूँ कि 1 लाख 35 हजार करोड़ रुपये नई परियोजनाओं पर खर्च कर रहे हैं, यह आपके अपने जवाब में भी है और हमारी चर्चा अनुसार भी, कई ऐसे जलाशय हैं जो 50 साल, 60 साल पुराने हैं, ब्रिटिशर्स के जमाने के भी हैं. अगर अभी उनका ठीक से मेंटेनेंस कर दिया जाए, उनका गहरीकरण करा दिया जाए, उनका जीर्णोद्धार करा दिया जाए और जो टूटी-फूटी नहरें हैं, इनका अगर सुधार कार्य करा दिया जाए, इन कार्यों के लिए अगर 1 लाख 35 हजार करोड़ रुपये का 0.01 प्रतिशत भी बजट हमारे क्षेत्र में देते हैं, 13 करोड़, तो इतने में ही हमारी विधान सभा का पूरा भला हो जाएगा और 9 के 9 जो पुराने जलाशय हैं, इनका भी जीर्णोद्धार हो जाएगा. साथ ही साथ करीब-करीब साढ़े 3-4 हजार हेक्टेयर जमीन भी सिंचित हो जाएगी. अत: मेरा आपसे आग्रह है कि आगामी खरीफ की फसल को देखते हुए इनमें तत्काल नहरों का सुधार कार्य कर दिया जाए और गहरीकरण के कार्य के लिए आपकी तरफ से आश्वासन भी आ जाए.
श्री हुकुम सिंह कराड़ा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, ये रख-रखाव की जो व्यवस्था है, ये तो हम प्रतिवर्ष करते ही हैं और नहर की संस्थाओं के माध्यम से 120 रुपये प्रति हेक्टेयर मरम्मत के लिए दिए जाते हैं. यह हम लोग करते हैं, पर अध्यक्ष महोदय, दिक्कत यह है कि ये तालाब इतने वर्ष पुराने हैं कि इनमें थोड़ा-बहुत पानी का क्षरण होना आवश्यक हुआ है. घंसूर जलाशय 33 वर्ष पुराना है, गुड़ेहा-पिपरिया जलाशय वर्ष 2012 में जरूर नया बना है, इंदौर-देवरी जलाशय 35 वर्ष पुराना है, खितौला जलाशय 111 वर्ष पुराना है. इसी तरह से पथरेहटा जलाशय 101 वर्ष पुराना है, मोहास जलाशय 53 वर्ष पुराना है, संकरी-रजवारा जलाशय 44 वर्ष पुराना है. सबसे पुराना सिजैनी जलाशय है जो 102 वर्ष पुराना है. हम प्रयास करेंगे इसमें कि संस्थाओं के माध्यम से इस वर्ष की जो रबी और खरीफ की फसल है, खासकर खरीफ की फसल कटनी क्षेत्र में ज्यादा है, इसलिए इसको तो हम जैसे-तैसे व्यवस्थित करा देंगे और इसके लिए आगे हम लोग और कार्यवाही करेंगे और जो एक जलाशय में सीपेज बेसिन हो रहा है, इसके लिए हम लोगों को थोड़ा समय चाहिए क्योंकि एस्टीमेट की आवश्यकता होगी और तमाम कार्य करने पड़ेंगे. माननीय अध्यक्ष महोदय, यह हम लोग कराएंगे अभी.
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं फिर आपसे आग्रह कर रहा हूँ कि माननीय मंत्री जी को भ्रमित किया गया है. अगर रख-रखाव किया गया था तो कुछ न कुछ राशि तो खर्च की गई होगी, कृपया राशि बताने का कष्ट करें कि कितनी राशि पिछले वर्षों में नहरों के रख-रखाव या जलाशयों के जीर्णोद्धार में खर्च की गई है ? अगर आपके पास पूरे तथ्य नहीं हैं तो मैं माननीय अध्यक्ष महोदय से आग्रह करूंगा कि एक समिति का गठन कर दें जो जाकर जांच कर ले.
श्री हुकुम सिंह कराड़ा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे पास सारे आंकड़े हैं और न ही मुझे भ्रमित किया गया है. हमारी संस्थाओं के माध्यम से घंसूर जलाशय में 20,520 रुपये खर्च किए गए हैं. गुड़ेहा-पिपरिया जलाशय में 17,040 रुपये संस्था को प्रदान किए गए हैं. इंदौर-देवरी जलाशय में 21,440 रुपये, जगुआ जलाशय में 1,21,800 रुपये, खितौला जलाशय में 2,02,800 रुपये, पथरेहटा जलाशय में 55,090 रुपये, मोहास जलाशय में 3,040 रुपये, संकरी-रजवारा जलाशय में 45,960 रुपये और सिजैनी जलाशय में 20,160 रुपये रख-रखाव के लिए संस्थाओं को पिछले समय दिया गया है.
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जिन जलाशयों की क्षमता 200-400 हेक्टेयर सिंचने की है, वहां पर 20 हजार, 3 हजार, 17 हजार रुपये में जलाशयों की मरम्मत और नहरों की मरम्मत हो जाएगी ? अध्यक्ष महोदय, जो समितियां हैं और जो उनके कर्मचारी हैं, ये सब उनकी तनख्वाहों पर खर्च हुआ पैसा है. आप तो 1 लाख 35 हजार करोड़ रुपये की नई परियोजनाएं ले रहे हैं. मैं तो पूरे प्रदेश के लिये आपसे आग्रह करना चाहता हूं कि 10 परसेंट राशि पुराने जलाशयों के जीर्णोद्धार के लिये खर्च करेंगे, तो पूरे प्रदेश का भला हो जायेगा. आप नई-नई परियोजनाओं में हमको एक भी नहीं दे रहे हैं, तो मेरा आपसे यह आग्रह है कि कम से कम ये जो आपने आंकड़े दिये हैं, 20 हजार, 17 हजार, 18 हजार, 34 हजार, माननीय मंत्री जी, आप स्वयं मुस्कुरा रहे हैं, तो मेरा आपसे आग्रह है कि जो आावश्यक है, वह कार्य वहां पर तत्काल हो जाए.
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी, तालाब या नहर से जमीन की सिंचाई की जितनी क्षमता होती है, तद्नुसार आप समितियों को राशि उपलब्ध कराते हैं. यह राशि उपलब्ध कराने का जहां तक मुझे जानकारी है, मापदण्ड 20 साल, 25 साल पुराना है. वर्तमान समय में यह राशि बढ़ाने के लिये मापदण्ड बदलने होंगे. क्या आप मापदण्ड बदलने में भी कार्यवाही कर लेंगे ? और जो जितना पुराना है, उसको उतनी ज्यादा राशि मिलनी चाहिये. 70 साल, 80 साल वाले को ज्यादा दवाई लगती है, 45 साल वाले को कम लगती है. अगर इस तरीके से आप इसे उत्तरोत्तर नया स्वरूप देने का कष्ट करेंगे, तो केवल यहां नहीं, सभी जगह, पूरे मध्यप्रदेश में जो तालाब हैं, अगर उनकी नई नीति बना देंगे, तो उनको राशि भी ज्यादा मिलेगी, समिति को राशि ज्यादा मिलेगी. वह राशि सिर्फ अपनी स्वयं की तनख्वाह में उपयोग नहीं करेंगे, ऐसा मैं सोचता हूं. इस पर कृपया ध्यान दे दीजियेगा.
श्री सोहनलाल बाल्मीक - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह कह रहा था कि यह जो राशि मिली है वह किस वर्ष में मिली है ? वह भी बता दें.
अध्यक्ष महोदय - मैंने स्पष्ट कर दिया है कि यह ध्यानाकर्षण इसलिये ही लिये हैं कि बीच में कोई नहीं पूछेगा
श्री हुकुम सिंह कराड़ा - माननीय अध्यक्ष महोदय, इस वर्ष में खरीफ की फसल के लिये हम मरम्मत कर लेंगे और आगामी वर्ष के लिये इन 9 तालाबों के लिये नई नीति भी बनायेंगे और इन 9 तालाबों के रखरखाव के लिये भी कार्य करायेंगे.
श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल - माननीय अध्यक्ष महोदय, एक बात..
अध्यक्ष महोदय - नहीं, मैं परमिट नहीं करूंगा. मैंने शुरू में ही पढ़ दिया है. यह बात नहीं है कि चोली है तो दामन भी चाहिये. बिल्कुल नहीं, यह नहीं चलेगा. भाई, मैंने स्पष्ट कर दिया कि मैं ध्यानाकर्षण 4 ले रहा हूं, मैं किसी को पूछने की अनुमति नहीं दूंगा. आप कम से कम अध्यक्ष को तो बीच में मत टोको. आप विराजिये.
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा सिर्फ इतना आग्रह है कि आज माननीय मंत्री जी का आश्वासन मुझे मिल जाए कि जो बहुत पुराने और बड़े तालाब हैं, और जिनमें सिंचाई की क्षमता बहुत अच्छी है, उनका थोड़ा जीर्णोद्धार करा दिया जाए और नहरों का लाइनिंग कार्य, सुधार कार्य करा दिया जाए, जो अभी हो सकता है, अभी करा दें और जो सीजन के बाद हो सकता है, बरसात के बाद हो सकता है, उसको बरसात के बाद करा दें. यह आश्वासन चाहता हूं कि जगुआ, खितौली, पथरहटा, सिजैनी इनको अगर आप प्राथमिकता पर करा देंगे, तो आने वाले समय में हमारे यहां के किसानों का भला हो जायेगा और क्षेत्र में सिंचाई की क्षमता भी बढ़ जायेगी. यह चारों-पाचों जलाशयों और नहरों का आश्वासन देने का कष्ट करेंगे.
श्री हुकुम सिंह कराड़ा - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बात सही है कि यह बहुत पुराने तालाब हैं और इनके रखरखाव की आवश्यकता है, इसको मैं महसूस करता हूं. जैसा माननीय अध्यक्ष जी ने निर्णय दिया है कि इसकी नीति के अनुसार भी हम बदलाव करेंगे और इन तालाबों के रखरखाव के लिये हम अगले समय में पूरा काम करायेंगे.
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक - अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी अभी का तो बोल दें कि अभी खरीफ में बोवाई लगनी है. अभी का तो आश्वासन दे दीजिये.
अध्यक्ष महोदय - बस, आपका हो गया. हमें प्रसन्नता है कि आपको बहुत पुराने तालाबों को ठीक करवाने की आदत है.
श्री हुकुम सिंह कराड़ा - अध्यक्ष महोदय, हर एक तालाब के लिये अभी हम वैकल्पिक व्यवस्था कर रहे हैं और आपकी खरीफ की फसल का हम करा देंगे. इसके बाद विस्तृत रूप से इसका प्राक्कलन बनाकर इस कार्य को पूरा करायेंगे.
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक - अध्यक्ष महोदय, जो 4 जलाशयों के जीर्णोद्धार का मैंने आपसे आग्रह किया है, बस उसका आश्वासन दे दीजिये.
श्री हुकुम सिंह कराड़ा - अध्यक्ष महोदय, देखिये, वर्ष 2012 में आपकी सरकार ने बनाया है, अभी उसमें से ही पानी बह रहा है.
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक - अध्यक्ष महोदय, मैं छोटे तालाबों की बात नहीं कर रहा हूं.
श्री हुकुम सिंह कराड़ा - अध्यक्ष महोदय, 90 साल पुराने वाले की बात तो समझ में आती है.
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक - अध्यक्ष महोदय, मैं उन्हीं की बात कर रहा हूं कि उनके जीर्णोद्धार का आश्वासन कृपया करके दे दीजिये. मेहरबानी होगी.
श्री हुकुम सिंह कराड़ा - अध्यक्ष महोदय, जरूर करायेंगे.
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक - अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
पन्ना-छतरपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर विभाग द्वारा बैरियर लगाकर अवैध वसूली.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह(पन्ना)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से आग्रह है कि आपका 1980 का कंजर्वेशन एक्ट बहुत बाद में आया है और पूर्व के कई वर्षों से उनकी पीढ़ी दर पीढ़ी अनुसूचित जनजाति के लोग वहाँ पर निवासरत हैं. वहाँ पर कई पंचायतें हैं और उन पंचायतों के माध्यम से भी, यह हमें सरपंचों ने भी लिखकर दिया है और जहाँ तक आप बैरियर की वसूली की बात करते हैं कि कोई अवैध वसूली नहीं हो रही है. यह हमारे पास रसीदें भी हैं जिसमें वसूली की जा रही है. मेरा आप से आग्रह है कि मैंने पिछली बार प्रश्न भी लगाया था और आप ही का जवाब मेरे पास आया था कि 24 घंटे वह बैरियर खुला रहता है. मेरा आप से आग्रह यह है कि वहाँ के सरपंच, वहां की जनता बहुत ज्यादा आक्रोशित है क्योंकि वहाँ पर शाम 8 बजे के बाद बीमार व्यक्ति को भी नहीं निकलने दिया जाता है. कई शादियाँ टूट गईं क्योंकि बारातियों को अन्दर नहीं जाने दिया जाता है. रात के 8 बजे के बाद निकलने नहीं दिया जाता है. आप लोकल की बात कर रहे हैं उनको 50-60 किलोमीटर का चक्कर काटकर अन्दर जाना पड़ता है. आपने यह भी कहा कि रोड की मरम्मत के लिए कोई रोक नहीं है. जबकि आपके विभाग के अपर सचिव का एक पत्र है जिसके जरिए उन्होंने इस पर रोक लगाई हुई है. पत्र में लिखा है कि गगऊ अभ्यारण्य का प्रस्तावित क्षेत्र बाघों के लिए संवेदनशील रहवास क्षेत्र है एवं शीघ्र ही नष्ट होने वाला इको सिस्टम है इसलिए ऐसा प्रोजेक्ट जिससे रहवास को हानि पहुंचती हो तथा अव्यवस्था का अस्थाई स्त्रोत हो, को दृष्टिगत रखते हुए क्षेत्र संचालक द्वारा प्रस्तावित मार्ग के लिए अनुशंसित नहीं किया जाता. यह आपके ही विभाग का पत्र है. मेरा आपसे आग्रह है कि वर्ष 2007 में लोक निर्माण विभाग द्वारा रोड को स्वीकृत किया था वहां से हमारी 20-25 पंचायतें जुड़ती हैं, शॉर्ट-कट है. यह बहुत पहले से चले आ रहे हैं. आपके बफर जोन में ऐसी कोई नीति या नियम नहीं है कि वहां रोड न बनवाएं. बफर जोन में आप रोड बनवा सकते हैं, नियम में कहीं मनाही नहीं है. मैं यह कहना चाहता हूँ कि बफर जोन की स्वीकृति के लिए उन्हीं सरपंचों ने प्रस्ताव दिए थे तब बफर जोन स्वीकृत हुआ है यदि वे प्रस्ताव नहीं देते तो बफर जोन वहां पर स्वीकृत नहीं हो सकता था.
मंत्री जी मेरा आपसे आग्रह है कि वहां पर लोगों की मूलभूत सुविधाएं छीनी जा रही हैं, उनका आवागमन रोका जा रहा है, उनकी बारातें रुक रही हैं, शादियां बंद हो गई हैं, बीमार आदमी वहां से नहीं निकल सकता है. पिछली बार भी आपके लिखित ध्यानाकर्षण में यही जवाब आया था. वह ध्यानाकर्षण बहस में नहीं था. यदि आपको मुझ पर विश्वास नहीं है तो आप एक समिति गठित कर दें. मैं तो कह रहा हूँ कि खजुराहो, राजनगर के आपके दल के विधायक हैं उनकी अध्यक्षता में एक समिति गठित कर दें. यदि आप वहां नहीं जा सकते हैं तो समिति जाकर वहां के गांव के लोगों के हालात पूछ ले. उनकी पीड़ा ऐसी है जैसे कि वे जेल के अन्दर हैं.
अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से मंत्री जी से आग्रह है कि उन्होंने अपने जवाब में कहा है कि रास्ता 24 घंटे घुला रहता है. क्या आप इसकी जांच एक समिति गठित करके करवाएंगे कि वहां पर 24 घंटे मार्ग खुला रहता है या रात को आवागमन बंद कर दिया जाता है. दो बैरियर क्यों लगाए गए हैं. हमारी पुरानी रोड पर ही फॉरेस्ट डिपार्टमेंट ने बैरियर लगा दिए. अपनी अलग से रोड बना लेते उस पर बैरियर लगा लेते. वहां पर लेफ्ट साइड में कोई जंगल भी नहीं है, राइट साइट में जंगल है वहां पर फेन्सिंग कर लें, जानवर सुरक्षित कर लें. लेकिन 25 गांव के लोगों का आवागमन कैसे रोक सकते हैं. मूलभूत सुविधाएं कैसे छीन सकते हैं. मेरा माननीय मंत्री जी से आग्रह है कि एक तो रोड की परमीशन दी जाए दूसरा कोई कमेटी गठित करके इसकी जांच करा ली जाए. वहां पर मकान बनाने के लिए सामान तक नहीं ले जाने दिया जाता है. वहां का रास्ता 24 घंटे चालू रहे. दो बार ऐसा जवाब आ चुका है इसलिए मेरा माननीय अध्यक्ष महोदय आपसे आग्रह है कि इस पर निश्चित रुप से विचार किया जाए. मुझे इसका कांक्रीट उत्तर चाहिए.
श्री उमंग सिंघार--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार विभाग द्वारा यह समय निर्धारित किया गया है. वह मैं माननीय सदस्य को बताना चाहूँगा. माननीय सर्वोच्च न्यायालय की रिट पिटीशन सी-2002, 1995 के अन्तर्गत आई.ए. 262, 263 में पारित आदेश दिनांक 15.2.2013 में राष्ट्रीय उद्यान, अभ्यारण्य में सूर्योदय के पश्चात् ही प्रवेश करेंगे एवं सूर्यास्त के पूर्व अभ्यारण्य से निर्गम करेंगे. माननीय सर्वोच्च न्यायालय के इसी आदेश में वाहन की गति सीमा 20 किलोमीटर प्रति घंटा रखी गई है. स्थानीय व्यक्तियों के लिए जो ग्रामीण हैं उनसे कोई शुल्क नहीं लिया जाता है यह मैं स्पष्ट कह चुका हूँ. इसके अलावा भी कोई इमरजेंसी होती है तो इमरजेंसी में वहां पर जो नाकेदार है उनको मनाही नहीं है कि आप अनुमति नहीं दे सकते हैं. चूंकि न्यायालय का निर्णय है उसके आदेश के तहत हम व्यवस्था करते हैं.
अध्यक्ष महोदय--क्या सुप्रीम कोर्ट ने यह भी बोल दिया है कि लोगों की मूलभूत सुविधाएं रोक दी जाएं.
श्री उमंग सिंघार--आने जाने की बात है, समय का उल्लेख है.
अध्यक्ष महोदय--मूलभूत सुविधाएं उसी से रुक रही हैं. मूलभूत सुविधाएं क्या आमजन को नहीं मिलना चाहिए. क्या सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा लिखा है.
श्री उमंग सिंघार--अध्यक्ष महोदय, ऐसा नहीं लिखा है.
अध्यक्ष महोदय--फिर मूलभूत सुविधाएं क्यों रोकी जा रही हैं.
श्री उमंग सिंघार--सुप्रीम कोर्ट ने आने जाने के बारे में व्यवस्था दी है. रास्ता आने जाने का है इसके अलावा कोई मूलभूत सुविधाओं की बात तो उसमें आती नहीं है.
अध्यक्ष महोदय--जरूरतें आती हैं. रात में किस को क्या जरूरत है जैसे कि विधायक का मूल प्रश्न आ रहा है अगर कोई गंभीर है, किसी के साथ कोई अन्य चीज है, कोई बीमार हो गया है, अटैक आ गया है. शादी रात में होती है सिर्फ दिन में नहीं होती है. किसी का शादी ब्याह में खाना कम पड़ गया तो क्या करोगे? क्या यह मूलभूत सुविधा नहीं है? हम तो सिर्फ यह जान रहे हैं कि क्या सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा है कि आमजन की मूलभूत सुविधाएं रोक दी जाएं. मैं बस यहीं पर रुक रहा हूं. कृपया आप सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का अक्षरश: फिर से विधि विभाग से परीक्षण करवा लें.
श्री उमंग सिंघार-- अध्यक्ष महोदय, मैंने जवाब में स्पष्ट कहा है कि अगर कोई इमरजेंसी होती है तो ऐसा नहीं है कि किसी को रोकने की बात है. परमीशन लेकर जा सकते है.
अध्यक्ष महोदय-- यह प्रमाण बता दीजिए कि मूलभूत सुविधाओं के कारण आपने किसी को छोड़ा हो. एक भी प्रमाण हो तो आप बता दीजिए.
श्री उमंग सिंघार-- आप यह बताएं अध्यक्ष जी कि ऐसी स्थिति में वहां पर किस को रोका हैं.
अध्यक्ष महोदय-- यह तो आप बताइए.
श्री उमंग सिंघार-- यह तो माननीय सदस्य बताएं.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय सदस्य आप बताइए.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह-- मंत्री जी आप विराजें मैं बताता हूं. आपने कहा कि लोकल की कोई वसूली ग्रामवासियों से नहीं हो रही है. दुलीचन्द्र भापतपुर का रहवासी है. उनसे वसूली की गई है. यह उसकी रसीद है. (आसंदी की तरफ रसीद को दिखाते हुए) यह वसूली रोज हो रही है. यह आपका एक बैरियर नहीं है, दो बैरियर हैं एक अनुज्ञा पत्र जारी हो रहा है. अध्यक्ष महोदय, मैं खुद भुक्तभोगी हूं. मैं खुद वहां गया था तो मुझसे बैरियर वाले यह कह रहे थे कि छ: बजे के पहले आप बाहर चले जाओ. मंत्री जी यदि आप मुझ पर विश्वास कर रहे हैं और यदि यह सब चीजें नहीं हो रहीं हैं तो आप मुझ पर भी विश्वास न करें एक कमेटी गठित करें और मैं कह रहा हूं कि आपके राजनगर के विधायक हैं उनकी अध्यक्षता में एक कमेटी गठित कर दें. आप किसी पर भी विश्वास करें. अध्यक्ष महोदय, आप नहीं जा सकते हैं मैं तो आप से ही आग्रह कर रहा हूं.
श्री उमंग सिंघार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा सदस्य का आग्रह है, कुंवर विक्रम सिंह जी की अध्यक्षता में समिति गठित कर देते हैं. वह जाकर दिखवा लेंगे.
अध्यक्ष महोदय-- आप आखिरी प्रश्न कर लें.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह-- अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से मंत्री जी से आग्रह है कि जो रोड निर्माण रुका हुआ है जिससे कि लोगों का आवागमन है. आप कह रहे हैं कि कोई रोक नहीं है. आपने जवाब दिया है, पिछली बार के प्रश्न के जवाब में आया था और उसके बाद भी आपका विभाग लिख रहा है कि आप रोड नहीं बना सकते. मेरा यह कहना है कि दोहरे जवाब कैसे आ रहे हैं. विभाग लिख रहा है कि आप रोड नहीं बना सकते. मंत्री जी कह रहे हैं इसमें कोई रोक नहीं है और प्रश्न के जवाब में भी आया तो यह कांट्राडिक्ट्री क्यों हो रहा है.
श्री उमंग सिंघार-- चूंकि डायरेक्टर पन्ना ने दिनांक 12.02.2016 को पत्र लिखा था कि आपका जो आवेदन आया है उसमें कमियां हैं. वह कमियां पूरी करें और आजकल तो पत्र की जरूरत ही नहीं है. ऑनलाइन है. अगर ऑनलाइन है तो उसको करवा देते हैं.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह--ऑनलाइन आवेदन है. मैं तो यह कह रहा हूं कि उन्होंने ऑनलाइन की बात ही नहीं की वह तो सीधा यह कह रहे हैं कि अनुशंसित नहीं की जाती. उन्हीं के विभाग के अपर सचिव लिख रहे हैं.
श्री उमंग सिंघार-- मैं आपसे कह रहा हूं कि अगर आप ऑनलाइन पी.डब्ल्यू.डी. से करवा दें तो मैं उनको भी बोल दूंगा.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह-- मंत्री जी आवेदित है हमें तो परमीशन चाहिए कि वह रोड निर्माण हो जाए और मैं जनहित के लिए बात कर रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय-- यह रोकी किसने है.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह--फॉरेस्ट डिपार्टमेंट ने रोकी है.
श्री उमंग सिंघार--फॉरेस्ट ने कहा था कि आप यह कमियां पूरी कर दें हम इसको स्वीकृति देते हैं. वहां से वापस रिप्लाए नहीं आया है इस कारण काम रुका हुआ है. अगर वह कमियां पूरी कर दें तो हम कर देते हैं.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह-- अध्यक्ष महोदय, मैं आपको विश्वास से कह रहा हूं कि वह वर्ष 2007 से चल रहा है और आपके पूर्व विधायक रीवा वाले अभय मिश्रा जी जो थे वह इसके कॉन्ट्रेक्टर थे. उन्होंने यह रोड बनाई थी. मेरा कहना यह है कि उसी समय यह रोक दी गई थी. यह वर्ष 2007 का लेटर है कि इसको अनुशंसित नहीं किया जाता है, परमीशन नहीं देते हैं.
श्री उमंग सिंघार--यह वर्ष 2007 की बात कर रहे हैं, मैं वर्ष 2016 की बात कर रहा हूं.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह-- ठीक हैं, मैं आप पर विश्वास कर रहा हूं.
श्री उमंग सिंघार-- वर्ष 2016 के हिसाब से कह रहा हूं. कंपलीट हो जाए परमीशन दे देते हैं. मना कहां किया है.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह-- अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से आश्वासन चाहता हूं कि वह आश्वासन दे दें. मेरा एक और आग्रह है कि जो वसूली के दो बैरियर लगाए हैं क्या माननीय मंत्री जी इनको हटाएंगे? जो आम आदमी से, स्थानीय निवासियों से वसूली की जा रही है.
श्री उमंग सिंघार-- चूंकि संवेदनशील क्षेत्र है. चाहे वन्य प्राणियों के लिए, चाहे अवैध कटाई के लिए, चाहे अवैध रेत उत्खनन के लिए तो नाके तो रहेंगे. अगर आपको नाकेदारों से परेशानी है तो उन नाकेदारों को हटाकर नए नाकेदारों को रखा जाएगा.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह-- नाकेदारों की बात ही नहीं है. वसूली निरंतर चल रही है. यह रसीदें बनी हुई हैं. आपके लोकल के गांव हैं. मैं तो सीधे-सीधे प्रमाण दे रहा हूं. अध्यक्ष महोदय, जवाब क्या आ रहा है. मैं आसंदी से चाहता हूं कि व्यवस्था दें.
श्री उमंग सिंघार- माननीय अध्यक्ष महोदय, पहले तो मैं यह कहना चाहता हूं कि वहां कोई अवैध वसूली नहीं हो रही है और मैंने आश्वासन दे दिया है कि कुँवर विक्रम सिंह जी के नेतृत्व में वहां जांच करवायी जायेगी. मैंने पहले ही स्पष्ट कह दिया है.
श्री गोपाल भार्गव- माननीय अध्यक्ष महोदय, आप और हम तो शहरों में रहते हैं लेकिन प्रदेश के अभ्यारण्यों के अंतर्गत जो वन-ग्राम एवं राजस्व-ग्राम आते हैं वहां रहने वाले लोगों का जीवन नर्क से भी ज्यादा कष्टदायी हो गया है. वहां स्थिति ऐसी है कि एक माचिस नहीं ले जा सकते, लाठी नहीं ले जा सकते और जैसा कि आपने स्वयं कहा माननीय अध्यक्ष महोदय शादी हो, ब्याह हो, बीमारी हो या कुछ और हो तो हम वहां रात में आवागमन नहीं कर सकते. वाहन नहीं ले जा सकते, हॉर्न नहीं बजा सकते, अनेक प्रकार के प्रतिबंध वहां लगे हैं. अब चाहे ये प्रतिबंध उच्चतम न्यायालय के हों, उच्च न्यायालय के हों या विभागीय हों. मैं केवल इतना कहना चाहता हूं कि वहां रहने वाले लोगों का अपराध क्या है ? क्या हमने यह तय कर लिया है कि हम नागरिकों के प्राण हर के, उनको मरने छोड़कर, अपने वन्यप्राणियों की रक्षा करेंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमें इस बारे में विचार करने की आवश्यकता है. दूसरी बात यह है कि यदि हम विधायक निधि या किसी और निधि से वहां कोई सी.सी. रोड, आंगनबाड़ी, सामुदायिक भवन बनवाना चाहते हैं या कोई और विकास कार्य करवाना चाहते हैं, हैण्डपंप भी लगवाने चाहते हैं तो वहां किसी भी बात की कोई अनुमति इन अभ्यारण्य क्षेत्रों में नहीं दी जाती है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, कोई ऐसा व्यावहारिक तरीका निकाला जाना चाहिए जिससे न्यायालय के आदेश की अवमानना भी न हो लेकिन वहां लाखों की संख्या में जो लोग रह रहे हैं, जिनका जीवन नर्क बन चुका है, उन्हें भी जीने का अधिकार है. इसलिए मेरा आग्रह है कि यह एक मानवीय समस्या है. जहां-जहां इस प्रकार के अभ्यारण्य क्षेत्र हैं और वहां जो पहुंच मार्ग हैं, मैं समझता हूं कि पहुंच मार्ग बनाने में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए.
अध्यक्ष महोदय- मंत्री जी, संबंधित क्षेत्र के डिप्टी कलेक्टर, पी.डब्लू.डी. के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर और आपके विभाग के जिस उच्च अधिकारी ने, वन विभाग का यह पत्र लिखा है कृपया वे सभी 15 दिन वहां जाकर रहें और फिर उसके अनुसार कार्य योजना बनायें कि वास्तविक रूप में क्या दिक्कतें आ रही हैं. (मेजों की थपथपाहट)
श्री गोपाल भार्गव- माननीय अध्यक्ष महोदय, यदि पूरे प्रदेश के अभ्यारण्य क्षेत्रों के लिए कोई सामान्य पॉलिसी बन जाये तो यह आपकी ओर से एक बहुत अच्छी नज़ीर होगी.
श्री विश्वास सारंग- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने जो व्यवस्था दी है वह बहुत अच्छी है लेकिन दो अलग-अलग तरह उत्तर आये हैं कृपया उसके बारे में भी कोई व्यवस्था दे दीजिये.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं कुछ कहना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय- अब आप लोग इस विषय में विभागीय मांगों पर चर्चा कर लीजियेगा. बृजेन्द्र जी, मैंने आपका पूरा विषय ले लिया है. जिससे ज्यादा बोल सकता था As a O.D.A I favoured you.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
श्री कुँवर विक्रम सिंह (नातीराजा)- माननीय अध्यक्ष महोदय, कृपया मुझे एक मिनट दें.
अध्यक्ष महोदय- नातीराजा जी, आपको समिति में बिठा दिया गया है. इनको भी वहां 15 दिन के लिए पहुंचाया जाए.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं केवल इतना जानना चाहता हूं कि कुँवर विक्रम सिंह जी के नेतृत्व में जो जांच रिपोर्ट आयेगी उसका पालन तो होगा कि नहीं ?
अध्यक्ष महोदय- कृपया बैठ जाइये.
1.02 बजे
याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय- आज की कार्यसूची में सम्मिलित माननीय सदस्यों की सभी याचिकायें प्रस्तुत मानी जायेंगी.
1.03 बजे
अध्यक्षीय घोषणा
अध्यक्ष महोदय- आज भी भोजनावकाश नहीं होगा. भोजन की व्यवस्था सदन की लॉबी में की गई है, माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि सुविधानुसार भोजन ग्रहण करने का कष्ट करें.
1.04 बजे
वर्ष 2019-2020 की अनुदानों की मांगों पर मतदान......(क्रमश:)
अध्यक्ष महोदय- अब पुलिस, गृह एवं जेल विभाग की मांगों पर चर्चा का पुनर्ग्रहण होगा. माननीय मंत्री श्री बाला बच्चन जी चर्चा का उत्तर देंगे.
गृह मंत्री (श्री बाला बच्चन)- माननीय अध्यक्ष महोदय, बजट की अनुदान मांगें, जो कि मेरे विभाग की हैं, अनुदान मांग संख्या 3 जो पुलिस से संबंधित है. मांग संख्या 4 जो गृह विभाग से संबंधित है और अनुदान मांग संख्या 5 जो कि जेल से संबंधित है. कल हमारे इस सदन के माननीय 20 सदस्यों ने इन अनुदान मांगों की चर्चा में हिस्सा लिया है. उन सभी के द्वारा मेरे इन विभागों से संबंधित बहुत महत्वपूर्ण सुझाव सुझाये गए हैं. मैं उन सभी का धन्यवाद करते हुए अपनी बात प्रारंभ करता हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे विभागों की अनुदानों की मांगों पर चर्चा की शुरूआत पूर्व गृह मंत्री आदरणीय भूपेन्द्र सिंह जी ने की थी. मैंने उनकी हर एक बात नोट की है. छोटे-छोटे शब्दों या वाक्यों में मैंने लिखा है और यह लगभग एक पूरा पेज भर है जो कि मेरे पास नोट की हुई है. दूसरे नंबर पर हमारी ओर से श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगांव ने शुरूआत की थी. तीसरे नंबर पर कुँवर विजय शाह जी ने अपनी बात रखी थी. इसी प्रकार क्रमश: श्री विनय सक्सेना, श्री उमाकांत शर्मा, श्री नीलांशु चतुर्वेदी, श्री बहादुर सिंह चौहान, श्री महेश परमार, श्री हरिशंकर खटीक, श्री गिर्राज डण्डौतिया, श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल, श्रीमती झूमा सोलंकी, श्री दिलीप सिंह परिहार, श्री लक्ष्मण सिंह, श्री ग्यारसी लाल रावत, श्री बीरेन्द्र रघुवंशी, श्री प्रताप ग्रेवाल, श्री अनिरूद्ध (माधव) मारू, श्री मुरली मोरवाल और अंत में बीसवें नंबर पर श्री हरदीपसिंह डंग जी ने अपनी बात रखी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने इन सभी को सुना है और इन सभी के सुझावों को नोट भी किया है मैं इन सभी के सुझावों का स्वागत भी करता हूं. मध्यप्रदेश में कानून व्यवस्था में और अधिक कसावट लाने के लिए हमें क्या करना चाहिए, इस हेतु मैंने इन सभी की बातों को ध्यानपूर्वक सुना है. मध्यप्रदेश में कानून व्यवस्था मजबूत हो, अपराधिक न्याय-प्रणाली और अधिक सुदृढ़ हो, इससे संबंधित हमारा विभाग में गंभीर अपराधों को चिन्हित करके उनकी निगरानी के लिए एक विशेष टीम बनाई गई है. यह टीम जिले, संभाग और प्रदेश स्तर पर उन अपराधों की समीक्षा करती है और समीक्षा के बाद जो व्यवस्था होनी चाहिए, उस पर हम कार्यवाही कर रहे हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, इससे संबंधित जानकारी मैं आपको देना चाहता हूं. अभी तक जो अपराध प्रदेश में हुए हैं और उनको रोकने के लिए हमने जो कार्यवाही की है, उसे मैं सदन की जानकारी में लाऊंगा. हम गंभीर अपराधों की जो निगरानी कर रहे हैं और उसके लिए हमने जो विशेष टीम बनाई है उसका यह परिणाम है कि वर्ष 2019 में ऐसे प्रकरण जो गंभीर अपराध की श्रेणी में है ऐसे कुल 369 प्रकरणों में प्रदेश के विभिन्न न्यायालयों के द्वारा वर्ष 2019 में 213 आरोपियों को आजीवन कारावास एवं 7 प्रकरणों में 7 आरोपियों को मृत्युदण्ड के दण्ड से दण्डित किया गया है. ऐसे ही कुछ चिन्हित प्रकरणों में सजा होने का प्रतिशत 68 प्रतिशत रहा है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे छ: माह के कार्यकाल वाली इस सरकार ने यह काम किया है जो मैंने आप सभी के सामने रखा है. विगत लोकसभा चुनावों में हमारे विभाग द्वारा जो बड़ी कार्यवाही की गई है, वह मैं आपके माध्यम से सदन की जानकारी में ला देना चाहता हूं. लोकसभा के चुनाव चार चरणों में हुए और चुनावों के दौरान हमारे विभाग ने जो कार्यवाही की है, उसकी मोटी-मोटी और बड़ी-बड़ी बातें मैं आपकी जानकारी में लाना चाहता हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने सर्वप्रथम तो ये चुनाव निष्पक्ष एवं शांतिपूर्ण तरीके से करवाये ही हैं इसके अतिरिक्त भी हमारे सम्मुख कई चुनौतियां थीं जिनका हमने सामना किया. मैं समझता हूं कि शासन और प्रशासन के सम्मुख बड़ी चुनौतियां थीं. इस चुनाव के दौरान हम जिन अपराधों को रोक पाये और इस दौरान हमने जो जप्तियां की हैं, उसे भी मैं आपके माध्यम से सदन के संज्ञान में लाना चाहता हूं. चुनाव के दौरान हमारे द्वारा लगभग 77 हजार 183 गैरजमानती वारंट तामील किए गए. 3 लाख 57 हजार 910 प्रकरणों में प्रतिबंधात्मक कार्यवाही की गई. 9 हजार 250 अवैध हथियार जब्त किए गए. ऐसे ही बड़ी मात्रा में नकद राशि भी जब्त की गई. 34 लाख 74 हजार लीटर अवैध शराब, ड्रग्स-नारकोटिक्स 20 हजार 588 किलो जब्त की गई. सोना,चांदी और अन्य मूल्यवान वस्तुएं 1 हजार 719 किलो एवं अन्य सामग्रियां लगभग 100 करोड़ रूपये से अधिक की हमने जप्त की है. मध्य प्रदेश में जप्ती की गयी अवैध शराब, ड्रग्स,सोना, चांदी एवं अन्य मूल्यवान वस्तुओं में जो हमारा प्रदेश है वह देश में दृतीय स्थान पर रहा है. ऐसे ही हमारी सरकार बनने के बाद 6 महीने के कार्यकाल में जो त्यौहार गये हैं, वह त्यौहार भी हमारे प्रदेश में शांतिपूर्ण तरीके से मने हैं. ऐसे ही एक बड़ी कार्यवाही दिनांक 9 एवं 10 जुलाई की दरम्यानी रात्रि जिला बालाघाट के थाना लांजी के अंतर्गत ग्राम नेवरवाही में पुलिस और नक्सलियों में जो मुठभेड़ हुई थी, जिसमें 2 नक्सली मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र सरकारों के द्वारा अवार्डी बड़े नक्सली एक अशोक उर्फ मंगेश और एक महिला नक्सली नंदे करके जो पुलिस मुठभेड़ में मारे गये हैं. इनके ऊपर मध्यप्रदेश सरकार के द्वारा 3-3 लाख, महाराष्ट्र सरकार के द्वारा 6-6 लाख रूपये का और छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा 5-5 लाख रूपये का ईनाम, कुल मिलाकर 14-14 लाख रूपये का ईनाम इन दोनों नक्सली के ऊपर रखा गया था. वह दोनों पुलिस मुठभेड़ में मारे गये हैं, यह भी हमारी और पुलिस विभाग की एक बड़ी कामयाबी है. अध्यक्ष महोदय, यह एक लेटेस्ट घटना थी इसलिये मैंने सोचा कि आपके माध्यम से सदन की जानकारी में ला दूं.
अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्यों ने जो बोला है कि ऐसी ही अपराधों पर नियंत्रण करने हेतु समय-समय पर जो विशेष अभियान हमने चलाया है, उसकी जानकारी भी आपके माध्यम से सदन के सामने रखना चाहता हूं . दिनांक 18.12.2018 से 17.1.2019 तक अवैध जुंआ-सट्टे के विरूद्ध चलाये गये विशेष अभियान के तहत कुल 5057 प्रकरणों में लगभग 90 लाख रूपये की राशि बरामद की गयी है. इसी प्रकार मादक पदार्थों की रोक-थाम हेतु चलाये गये विशेष अभियान के दौरान 473 प्रकरणों में लगभग 1 करोड़ 90 लाख रूपये के मादक पदार्थ जप्त किये गये हैं. दिनांक 15.2.2019 से 13.3.2019 तक चलाये गये विशेष अभियान के अंतर्गत 722 आग्नेय शस्त्र, 1301 कारतूस 3401 धारदार हथियार जप्त किये गये हैं. अवैध शराब के 20 हजार 868 प्रकरणों में लगभग 2लाख लीटर, जिसकी कुल कीमत 4 करोड़ 90 लाख रूपये थी, जप्त की गयी है. प्रतिबंधात्मक कार्यवाहियों के 30895 प्रकरणों में 32919 आरोपियों के विरूद्ध कार्यवाही की गयी है. मादक पदार्थों के 485 प्रकरणों में 596 आरोपियों को गिरफ्तार किया जाकर कुल कीमत लगभग 6 करोड़,58 रूपये के मादक पदार्थ जप्त किये गये हैं. गिरफ्तारी वारण्ट कुल 27,442 तथा स्थायी वारण्ट कुल 8,777 तामील कराये गये हैं. ऐसे ही विगत वर्ष के 6 माह की तुलना में इस वर्ष के 6 माह में कुल भारतीय दण्ड विधान के अपराधों में चार प्रतिशत की कमी आयी है. लघु अधिनियम में 15 प्रतिशत एवं प्रतिबंधात्मक धाराओं में 29 प्रतिशत गतवर्ष के 6 माह की तुलना में इस वर्ष के 6 माह में हमने अधिक कार्यवाही की है.
अध्यक्ष महोदय, प्रदेश में बालक-बालिकाओं के गुमने की घटनाओं को पुलिस द्वारा अत्यधिक गंभीरता से लिया गया है. समय-समय पर गुम बालक-बालिकाओं को ढूंढने के लिये विभिन्न अभियान चलाये गये हैं. वर्ष 2019 में शासन के निर्देश में 15 मार्च, 2019 15 अप्रैल, 2019 तक गुम बच्चों को खोजने के लिये विशेष अभियान चलाया गया और इस अभियान के दौरान 1054 बालक-बालिकाओं का पता लगाया गया, प्रदेश के सभी जिलों में विशेष किशोर पुलिस इकाईयों का गठन किया जाकर इनके कार्य को सुचारू बनाया जा रहा है. ऐसे ही वतर्मान परिदृश्य में महिलाओं और बालकों के विरूद्ध जो जघन्य अपराधों को दृष्टिगत रखते हुए डीएनए परीक्षण में सुविधावृद्धि के उद्देश्य से भोपाल में डीएनए लैब प्रारंभ किये जाने की कार्यवाही त्वरित की जा रही है. आरएफएसएल भोपाल के अंतर्गत डीएनए लैब के अलावा बैलेस्टिक शाखा, सायबर लैब की स्थापना का कार्य भी निकट भविष्य शीघ्र ही करने जा रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय, महिलाओं एवं बालकों के ऊपर घटित हो रहे अपराधों के प्रति पुलिस विभाग अत्यंत संवेदनशील है, ऐसे प्रकरणों को उच्चतम प्राथमिकता दी जा रही है. महिला अपराधों की रोक-थाम एवं घटित अपराधों के त्वरित अनुसंधान पूर्ण कर निर्धारित दो माह की समयावधि में आरोप-पत्र सक्षम न्यायालय में प्रस्तुत करने एवं अधिकाधिक प्रकरणों में दोष-सिद्धी कराये जाने हेतु हम लोग प्रतिबद्ध हैं. इसके अतिरिक्त 12 वर्ष से कम उम्र की बच्चियों के साथ घटित बलात्संग के वीभत्स एवं जघन्य प्रकरणों चिह्नित अपरोध की श्रेणी में रखा जाकर, अनुसंधान से विचारण स्तर तक दिन-प्रतिदिन पर्यवेक्षण किया जा रहा है. 1 जनवरी, 2019 से 31 मई, 2019 तक 146 प्रकरणों में आजीवन कारावास, 301 प्रकरणों में 10 वर्ष या उससे अधिक दण्ड या दण्ड से दण्डित, 135 प्रकरणों में 10 वर्ष से कम व 5 वर्ष से अधिक दण्ड से दण्डित एवं 934 प्रकरणों में 5 वर्ष से कम के दण्ड से दण्डित किया गया है. इसके अतिरिक्त 7 प्रकरणों में मृत्यु दण्ड से दण्डित किया गया है. महिलाओं और बालिकाओं के विरूद्ध घटित यौन अपराधों में सतत् सूक्ष्म स्तरीय समीक्षा के परिणाम स्वरूप ही माह दिसम्बर, 2017 से मई, 2018 में घटित अपराधों की तुलना में वर्ष 2018- 19 की समान अवधि में पंजीबद्ध अपराधों में 6 प्रतिशत की कमी आयी है.
अध्यक्ष महोदय, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अत्याचार निवारण अधिनियम, 1989 के क्रियान्वयन हेतु प्रदेश के 51 जिलों में अजाक विशेष पुलिस थाने स्थापित हैं. पंजीबद्ध अपराधों के अनुसंधान हेतु प्रदेश के 51 जिलों में उप-पुलिस अधीक्षक, अजाक की स्थापना की गयी है. अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग की रिपोर्ट पर पंजीबद्ध प्रकरणों की संख्या को दृष्टिगत रखते हुए, निरीक्षकों को वन- स्टेप प्रमोशन दिया जाकर उप-पुलिस अधीक्षक, अजाक द्वितीय के पद पर पदस्थ कर अनुसंधान के अधिकार सौंपे गये हैं. रेंज पुलिस अधीक्षक, अजाक के कार्यालयों में जिला लोक अभियोजन अधिकारी के 10 पद स्वीकृत किये गये हैं.
अध्यक्ष महोदय, पुलिस आधुनिकीकरण योजना के अंतर्गत आधुनिक शस्त्र, गोला-बारूद, सायबर लैब प्रशिक्षण में उन्नयन हेतु साधन एवं वाहन आदि उपलब्ध कराये गये हैं. एटीएस एवं आर्म्स फोर्स को अत्याधुनिक बनाया गया है. पुलिस आधुनिकीकरण योजना में पुलिस विभाग के नये प्रशासकीय भवन, नये पुलिस थाना भवन एवं चौकी भवनों का निर्माण कराया गया है. जिससे पुलिस को अपने कर्तव्यों का निष्पादन करने में सुविधा होगी, पुलिस आधुनिकीकरण योजना के अंतर्गत नये 10500 आवासीय भवनों का निर्माण कराया गया है. जिससे पुलिस बल की आवासीय समस्या में कुछ राहत मिल रही है. मध्यप्रदेश पुलिस हॉऊसिंग कॉर्पोरेशन द्वारा प्रदेश के बड़े शहरों में इंदौर, भोपाल, ग्वालियर में बहुमंजिला आवासों का निर्माण कराया जा रहा है. बहुमंजिला आवास निर्माण की श्रंखला में गत माह प्रदेश में पहली बार 236 बहुमंजिला आवास गृहों का माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा इंदौर में लोकार्पण किया गया है. वित्तीय वर्ष 2018 -19 में कॉर्पोरेशन 628 आवास गृह तथा 62 प्रतिशत भवनों एवं अन्य कार्यों का निर्माण कार्य पूर्ण करने के साथ ही 622.85 करोड़ का वित्तीय लक्ष्य प्राप्त किया गया है, जो अभी तक प्राप्त वित्तीय लक्ष्य में सर्वाधिक है. आवासों के निर्माण के अतिरिक्त कॉर्पोरेशन द्वारा महत्वपूर्ण कार्य, जैसे श्यामला हिल्स, भोपाल में होम लैण्ड सिक्योरिटी कॉम्प्लेक्स का निर्माण, डॉयल 100 हेतु प्रशासकीय भवन का निर्माण, सीसीटीव्ही कंट्रोल रूम के अंतर्गत इंदौर एवं भोपाल में सर्वसुविधायुक्त कंट्रोल रूम निर्माण के साथ ही आंतरिक सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण 36 वीं वाहिनी, बालाघाट का निर्माण कार्य प्रगति पर है.
श्री बाला बच्चन--कार्य प्रगति पर है. मध्यप्रदेश में बढ़ते हुए सायबर अपराध को ध्यान में रखते हुए मध्यप्रदेश पुलिस के अंतर्गत राज्य सायबर पुलिस मुख्यालय भोपाल का पृथक से गठन किया गया है तथा जनता की सायबर से संबंधित शिकायतों को त्वरित निराकरण के लिये जोनल कार्यालय भोपाल, इन्दौर, ग्वालियर, जबलपुर एवं उज्जैन खोला गया है. राज्य सायबर पुलिस मुख्यालय भोपाल के अंतर्गत सायबर एवं उच्च तकनीकी थाना भोपाल की स्थापना की गई है. सायबर अपराधों का त्वरित निराकरण किया जा रहा है.
डॉ.सीतासरन शर्मा--अध्यक्ष महोदय, माननीय गृहमंत्री जी 66 ए जो सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दिया था उसके बारे में आपसे पहले भी अनुरोध किया था कि इसके बारे में पुनरीक्षण याचिका लगाई जाये या इसका स्पष्टीकरण मांगा जाये. अनेक हाईकोर्ट ने इस धारा के पक्ष में भी निर्णय किये हैं, किन्तु सुप्रीम कोर्ट के कारण इस पर कोई कार्यवाही नहीं होती है इसलिये सायबर अपराध बढ़ रहे हैं. तो कृपया इस पर भी विचार कर लेंगे.
श्री बाला बच्चन--अध्यक्ष महोदय, माननीय पूर्व अध्यक्ष महोदय विधान सभा ने जो बोला है इस पर बिल्कुल ध्यान देंगे यह हमारे भी संज्ञान में है और निश्चित ही इसमें निकट भविष्य में इस पर त्वरित कार्यवाही करेंगे. मध्यप्रदेश पुलिस दूरसंचार शाखा द्वारा भी पुलिस बल को कानून व्यवस्था एवं सुरक्षा हेतु संचार माध्यम उपलब्ध कराया जा रहा है. वर्तमान में महत्वपूर्ण गतिविधियों के अंतर्गत डॉयल 100, सी.सी.टी.वी. सर्वलाइन जैसी महत्वपूर्ण योजनाओं का राज्य स्तर पर संचालन किया जा रहा है. उक्त दोनों योजनाएं सीधे तौर पर आम जनता से संबंधित है इनके सशक्तिकरण हेतु राज्य मुख्यालय भोपाल के राज्य स्तरीय कंट्रोल एवं कमांड सेंटर को अत्याधुनिक कर अपग्रेड किया जा रहा है. माननीय पूर्व गृहमंत्री जी ने कल इस बात को बोला था कि हम लोगों ने इसे 100 डॉयल को स्टार्ट किया है. हम भी इसके रिजल्ट एवं इसके परिणाम पूरे मध्यप्रदेश में अच्छे आये हैं. जनता के हित में यह काफी अच्छे साबित हो रहे हैं. आपकी जानकारी में लाना चाहता हूं कि इनकी संख्या को हम लोग भी बढ़ाने जा रहे हैं. सी.सी.टी.वी.केमरों,100 डॉयल को को भी हम बढ़ाने जा रहे हैं जिससे कि घटनाएं कम हों इस पर हमारा भी ध्यान है, इसको हम आगे बढ़ा रहे हैं. प्रदेश की जनता को शीघ्र पुलिस की सहायता पहुंचाने हेतु डायल 100 का मोबाइल एप भी लॉच किया जा रहा है. डॉयल 100 कॉल सेन्टर पर प्रतिदिन 30 हजार कॉल प्राप्त हो रहे हैं. प्रतिदिन लगभग 7 हजार स्थानों पर मौके पर पहुंचकर जनता को सहायता पहुंचायी जा रही है तो मैं समझता हूं कि पुलिस से संबंधित रिजल्ट ओरिएंटेड में इसके अच्छे परिणाम आ रहे हैं. योजना के प्रारंभ से 31 मई, 2019 तक 70.11 लाख से भी अधिक पीड़ितों को पुलिस सहायता प्रदान की गई है. इनमें 7.33 लाख महिलाओं को मदद पहुंचाई गई है. 4.50 लाख सड़क दुर्घटना पीड़ितों को मौके पर जाकर सहायता दी गई है. 5.89 नवजात शिशुओं को बचाया गया है. 10175 बच्चों को ढूंढा गया है, 7 हजार अवसादग्रस्त व्यक्तियों को एवं 40 हजार वरिष्ठ नागरिकों को सहायता पहुंचाई गई है. प्रदेश के शहरों को संवेदनशील एवं महत्वपूर्ण स्थानों पर सी.सी.टी.वी. सिस्टम स्थापित किये गये हैं जो दो चरणों में मध्यप्रदेश के 60 शहरों के 2 हजार स्थानों पर लगभग 11500 कैमरे स्थापित किये गये हैं. ऐसा ही यातायात व्यवस्था में दुर्घटनाओं को रोकने के लिये पुलिस द्वारा बिर्थ एनालॉयजर तथा स्पीड रॉडार जैसे उपकरणों से भी पुलिस को अत्याधुनिक बनाया गया है और इससे संबंधित और साधनों की जरूरत पड़ रही है यह अनुदान मांगों पर जो हमारा बजट पास होगा उससे पुलिस को और अत्याधुनिक यह हमारे लिये मददगार होगा. ऐसा ही सड़क दुर्घटनाओं पर नियंत्रण हेतु मध्यप्रदेश के समस्त जिलों में ब्लैक स्पाट चिन्हित किये गये हैं वहां पर भी हम लोग काम कर रहे हैं जिससे कि एक्सीडेंट बिल्कुल ही न हो. दिनांक 1 जनवरी 2019 से 31 मई, 2019 की अवधि में विगत वर्ष की समान अवधि की तुलना में सड़क दुर्घटनाओं में लगभग कमी 1.4 प्रतिशत आयी है जो कि संख्या 128 है. विधान सभा के चुनावों में हमने जो वचन दिया था उस कमिटमेंट पर हम लोग कार्य कर रहे हैं. पुलिस से संबंधित उनका जो साप्ताहिक अवकाश जो था वह भी हमने शुरू कर दिया है. निश्चित ही कोई नयी योजना की बात आती है तो उसमें कुछ कमियां और कुछ ड्राबेक्स भी होते हैं. उन कमियों को समाप्त करके हम लोग उस पर भी काम कर रहे हैं. पुलिस के साप्ताहिक अवकाश की बात कही थी उस पर काम किया है. वर्तमान में मध्यप्रदेश के पुलिस के अधिकारियों, कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिये जाने हेतु 10 प्रशिक्षण संस्थान कार्यरत् हैं. समस्त प्रशिक्षण संस्थानों के जो ट्रेनीज हैं, के लिये योग अनिवार्य है जिससे ट्रेनीज को बौध्दिक एवं शारीरिक क्षमता में वृद्धि हो सके तथा जीवन में वह तनाव मुक्त हो सकें. इसी कारण से हमने साप्ताहिक अवकाश भी दिया था तथा इसके लिये ट्रेनिंग कार्यक्रम भी चल रहे हैं. सहायक उप निरीक्षक कम्प्यूटर, प्रधान आरक्षक कम्प्यूटर, आरक्षक संवर्ग भर्ती वर्ष 2019 के लिये कुल 3272 रिक्त पदों एवं आरक्षित रेडियो के लिये कुल 493 रिक्त पदों की भर्ती हेतु विज्ञापन जारी कर ऑन लाइन परीक्षा प्रारंभ करने हेतु परीक्षा कार्यवाही कर दी गई है. मध्यप्रदेश के नक्सल प्रभावित जिलों में मुख्यतः बालाघाट, मंडला, डिंडोरी, उमरिया, सिंगरौली आदि में नक्सली रोकथाम के लिये भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा 36 वीं एस.आई.आर.बी. भारत रक्षित वाहिनी का गठन किया गया है. यह वाहनी बालाघाट में स्थापित है इस वाहिनी के लिये वित्तीय वर्ष 2019-20 में शासन द्वारा आवंटित राशि 4 करोड़ 40 लाख का आवंटन प्रथम चातुर्मास में जारी कर दिया गया है, जिसकी प्रथम किस्त वृहद निर्माण कार्य के लिये राशि 2 करोड़ का आहरण कर प्रबंध संचालक मध्यप्रदेश पुलिस हाऊसिंग कारपोरेशन भोपाल को उपलब्ध की जा चुकी है जिससे हम इसमें त्वरित गति से आगे हम काम कर सकेंगे. मध्यप्रदेश विशेष शस्त्र बल की प्रशिक्षण संस्थाओं की 8 वीं वाहिनी विशेष शस्त्र बल छिन्दवाड़ा में 1969 आरक्षकों का मासिक प्रशिक्षण दिनांक 1.6.19 से प्रारंभ किया जा रहा है. इसके अतिरिक्त पुलिस वाहन प्रशिक्षण शाला रीवा में आरक्षकों का डी.आर.कोर्स दिनांक 29.6.19 से प्रारंभ किया जा रहा है. आर.ए.पी.टी.सी. इन्दौर में पी.सी.कोर्स, यू.एस.ई.कोर्स एवं प्रायमरी इंडक्शन कोर्स तथा पी.टी.एस.आर्म्स भोपाल में आरमोरक कंडेस कोर्स संचालित किये जा रहे हैं. वर्ष 2019 में विशेष शस्त्र बल की 20 कम्पनियां लोक सभा चुनाव सम्पन्न कराने हेतु बिहार, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना तथा पंजाब राज्यों में भेजी गई. विशेष शस्त्र बल के अधिकारी एवं कर्मचारियों द्वारा उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए चुनाव ड्यूटी भलिभांति की है. इस तरह से हमारे विभाग की उपलब्धियां जो हैं वह सदन में अवगत करायी हैं. अपराध अनुसंधान विभाग जो है वर्ष 2018 की तुलना में वर्ष 2019 जनवरी से अभी मई तक काम किये वह सदन को अवगत कराना चाहता हूं. कुल भादवि अपराध 5. 05 प्रतिशत कमी आई है. गंभीर अपराध जैसे हत्या के प्रकरणों में 3.81 प्रतिशत की कमी आयी है. हत्या का जो प्रयास है उसमें लगभग 10. 46 प्रतिशत की कमी आयी है. डकैती में लगभग 64.86 कमी आयी है. लघु अधिनियमों के अंतर्गत कुल 13.64 प्रतिशत अधिक कार्यवाही हुई है. आर्म्स एक्ट में अधिक कार्यवाही हुई है वह 112.69 प्रतिशत है. एन.डी.पी.एस.एक्ट के अंतर्गत जो अधिक कार्यवाही हुई है उसका प्रतिशत 117.57 है. विस्फोटक एक्ट के अंतर्गत 90 प्रतिशत अधिक कार्यवाही हुई है.
मोटर व्हीकल एक्ट के अंतर्गत 11.15 प्रतिशत अधिक कार्यवाही हुई है. विशेष अभियान जो हमने चलाया था, वर्ष 18 दिसम्बर 2018 से 17 जनवरी 2019 तक जिसके अंतर्गत हमने जो कार्यवाही की है वह भी जानकारी आपके माध्यम से सदन में लाना चाहता हूं. अवैध जुआं, सट्टा कुल 5 हजार 57 प्रकरणों में 90 लाख 54 हजार 983 रूपए बरामद किए गए. मादक पदार्थों के कुल 473 प्रकरण जो मैं आपको पहले बता चुका हूं, उसमें 1 करोड़ 91 लाख 2 हजार 520 रूपए के मादक पदार्थ जप्त किए गए हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, दिनांक 15.02.2019 से 31.03.2019 तक का यह मैं बता चुका हूं, इसको मैं रिपीट नहीं करना चाहता हूं. माननीय अध्यक्ष महोदय, ऐसे ही लोक अभियोजन से संबंधित जो कार्यवाही हुई है उसको एक-दो मिनट में आपके माध्यम से सदन की जानकारी में लाना चाहता हूं, जो हमारे विभाग की महत्वपूर्ण उपलब्धियां हैं, उनमें से एक यह भी है. राज्य सरकार अपराध मुक्त समाज की स्थापना हेतु कृत संकल्पित है. न्यायालय के समक्ष प्रकरणों में उत्तरदायीपूर्ण अभियोजन कार्यवाही सुनिश्चित की जा रही है. प्रदेश में चिन्ह्ति जघन्य सनसनीखेज प्रकरणों में वर्ष 2019 में जनवरी माह से दोषसिद्धी की दर 68 प्रतिशत अधिक रही है. तीसरा पाइंट भ्रष्टाचार मुक्त समाज की स्थापना सरकार की प्राथमिकता में है, इसी उद्देश्य से कार्य करते हुए भ्रष्टाचार संबंधित मामलों में 70 प्रतिशत से अधिक दोषसिद्धी प्राप्त की है. महिलाओं एवं बालिकाओं के साथ हुए अपराध जो गंभीरतापूर्ण अनुंसधान एवं अभियोजन सुनिश्चित किया गया. गंभीर अपराधों में वर्ष 2018 में कुल 21 मामलों में तथा वर्ष 2019 में 7 मामलों में विचारण न्यायालय से मृत्यु दंडादेश प्राप्त किए गए हैं. भादवि के तहत कुल 60 प्रतिशत से अधिक दोषसिद्धी प्राप्त की गई है. नशामुक्त समाज की स्थापना के उद्देश्य से.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) - अध्यक्ष जी, मंत्री जी यह जो प्रतिवेदन दे रहे हैं सांख्यिकी के हिसाब से, आप सत्यनारायण कथा जैसी वांच रहे हैं. मैं माननीय मंत्री जी से कह रहा हूं कि आप आगे क्या करेंगे, आपकी कार्ययोजना क्या है, इसके बारे में कृपा करके बताएं.
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी कितना समय और लेंगे.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, बालिकाओं के साथ राजधानी में, शासन और प्रशासन की नाक के नीचे जो रेप हो रहे हैं, जिन्दा मासूमों को जलाया जा रहा है, हत्या की जा रही है. चाहे उज्जैन हो, चाहे भोपाल हो. अध्यक्ष महोदय क्या हो रहा है कि लगातार जो स्थानांतरण हो रहे हैं, इसमें मुखबिर नहीं मिल रहे हैं, वहां के स्थानीय पुराने जो कर्मचारी थे सूचना देने वाले, जानकारी देने वाले, रैकी करने वाले वह कहीं आपको उपलब्ध नहीं हो रहे हैं और लगातार जो अव्यवस्था आपने स्थानांतरण के कारण फैलाई हुई है, यह सारा का सारा आपके अपराधों की वृद्धि है.
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी आप कितना समय और लेंगे.
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, बस पांच मिनट.
अध्यक्ष महोदय - जल्दी करिए.
श्री गोपाल भार्गव - यह तो इन्होंने पूरा बॉच लिया और हमने सुन लिया. यह तो वैसे भी लिखित में दे देते तो अखबार में छप जाता, उससे क्या होना है? आप आगे क्या करेंगे? आपकी कार्ययोजना क्या है? उसके बारे में नहीं बताया.
श्री बाला बच्चन - हमारे विभाग ने जो किया है वह भी जरा आपको बता दें.
अध्यक्ष महोदय - बताने दो.
श्री गोपाल भार्गव - हम यह सुनने थोड़ी बैठे हैं.
श्री बाला बच्चन - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने पुलिस और गृह मंत्रालय से संबंधित जो बातें आपकी संज्ञान में लायी है.
श्री हरिशंकर खटीक - माननीय अध्यक्ष महोदय.
अध्यक्ष महोदय- मत बोलो भाई. मैं परमीशन नहीं दे रहा हूं. जो बीच में उठे उनका कुछ नहीं लिखा जाएगा. बिना मेरी अनुमति के कुछ नहीं होगा. (..व्यवधान)
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, इसके अलावा कल जो बातें आई हैं मैं उसका बाद में उल्लेख करूंगा. मेरे पास जेल विभाग भी है, जेल विभाग के जो दायित्व है उन दायित्वों का हम लोग ठीक ढंग से निर्वहन कर रहे हैं और मैं उससे संबधित उल्लेख करना चाहता हूं, बहुत जल्द उस बात को रखना चाहता हूं. जेल विभाग के जो मुख्य दायित्व हैं, बंदियों को सुरक्षित अभिरक्षा में रखने का, उनको निर्वहन करने के साथ साथ उनके स्वास्थ्य, शिक्षा एवं प्रशिक्षण से संबंधित हम विधिक प्रयास कर उन्हें समाज उपयोगी बनाने में सतत् प्रयत्यशील है.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, यह तो विभाग का प्रतिवेदन मिला है, विभाग का प्रतिवेदन होगा उसमें पढ़ लेंगे. मैं जानना चाहता हूं कि आप आगे क्या कर रहे हैं? आप आगे क्या करेंगे? यह तो हम रिपोर्ट पढ़ लेंगे और उस पर चर्चा भी कर लेंगे.
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, एकाध दो बात जेल विभाग की रख दूं, उसके बाद मैं बताना चाहता हूं. आप जो चाहते हों, हम क्या करेंगे, उसके लिए हम कमिटेड है. पहले मेरे विभाग ने जो काम किए हैं, उनको मैं बता दूं उसके बाद फिर मैं उस पर भी आऊंगा जो आप चाहते हो, उस पर भी बताऊंगा.(.मेजो की थपथपाहट) माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश राज्य में जो 11 केन्द्रीय जेल एवं 41 जिला जेलें हैं, 73 सब जेलें हैं और 6 खुली जेलें हैं, 131 जेलें संचालित हो रही हैं. इन जेलों की क्षमता लगभग 28 हजार 578 कैदियों की हैं, लेकिन इसके विरूद्ध हमारे पास कैदियों की संख्या 31.05.2019 तक वह 41 हजार 328 के करीब है, जो ज्यादा है इसके लिए भी हम लोग भवन बनाने जा रहे हैं. ऐसे ही प्रदेश की जेलों में बंदियों के सुधार एवं तनाव को कम करने के उद्देश्य को लेकर भी हम लोग काम कर रहे हैं, इनमें शिक्षा एवं इनको साक्षर बनाया जाए इससे संबंधित भी हमारा जेल विभाग कार्य कर रहा है, उसमें लगभग हमने विभिन्न कक्षाओं में 2514 पुरुष एवं 191 महिला बंदियों को पढ़ने की सुविधा उपलब्ध कराई है, जिसके अंतर्गत 8709 पुरुष एवं 461 महिला बंदियों को साक्षर बनाया गया है. हम इनके स्वास्थ्य से संबंधित ध्यान भी रखते हैं. प्रदेश की जेलों में निरूद्ध होने वाले प्रत्येक बंदी का प्रतिमाह नियमित रूप से जेल में स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता है. वर्ष 2018 में 4 लाख 79 हजार 111 बंदियों का स्वास्थ्य परीक्षण कराया गया था और आगे भी यह जारी रहेगा. बंदियों के कौशल विकास हेतु भी हम लोग काम कर रहे हैं, जैसे कि बंदी काम करते हैं, टेलरिंग का, कारपेंटिंग का, कुकिंग का, बुनाई का, खिलौने का ये काम भी उन्हें वहां जेलों में दिया जाता है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जेलों में आईटीआई की स्थापना एवं जेलों में नेशनल काउंसिल ऑफ वोकेशनल ट्रेनिंग के मापदंड अनुसार केन्द्रीय जेल उज्जैन, भोपाल, जिला बैतूल एवं धार में आईटीआई की स्थापना की गई है. उज्जैन में पुरुष बंदियों हेतु 4 ट्रेडों जिनमें इलेक्ट्रॉनिक मैकेनिक, वायरमैन, टू व्हीलर मैकेनिक एवं ट्रैक्टर मैकेनिक, 47 बंदियों जिला जेल बैतूल में तीन ट्रेडों में ट्रैक्टर मैकेनिक, वायरमैन एवं कार पेंट्री ऐसे 19 एवं जिला जेल धार में तीन ट्रेडों में और प्रदेश की अन्य जेलों में भी इस तरह के कार्यक्रम चल रहे हैं. बंदियों के पारिश्रमिक दरों में वृद्धि हुई है, वर्ष 2018-19 में जेल उद्योग कार्य में लगे कुशल बंदियों के लिए पारिश्रमिक राशि को हमने 110 रूपए से बढ़ाकर 120 रूपए की है और जेल सेवा उद्योग कार्य में लगे अंकुश बंदियों के लिए 62 रूपए से बढ़ाकर 72 तथा कृषि कार्यों में लगे बंदियों के लिए 62 से बढ़ाकर 69 रूपए की है. बंदियों की पेशी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कराई जाती है जो संबंधित न्यायालयों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जोड़ा गया है तथा बंदियों की पेशी एवं सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से की जा रही है. ई-फ्रीजन कार्यक्रम भी चलते हैं, इसका डिटेल मैं बाद में बताऊंगा. जेलों की सुरक्षा सुदृढ़ करने के उद्देश्य से प्रदेश की जेलों में इलेक्ट्रिक फैंसिंग की स्थापना एमपीएसईडीसी के माध्यम से कराई जा रही है. इलेक्ट्रिक फैंसिंग जेल के आऊटर वॉल के ऊपर स्थापित कराई जाएगी, जिससे कि सुरक्षा और मजबूत हो सके. विधिक सहायत से संबंधित कार्यक्रम भी राज्य शासन द्वारा प्रदेश के केन्द्रीय जेलों के बंदियों को विधिक सहायता उपलब्ध कराने का काम भी समय समय पर किया जाता है. कर्मचारियों को प्रशिक्षण भी दिया जाता है. जेल विभाग में कल्याण कोष की स्थापना की गई है उसको मैं बताना चाहता हूं कि जेल विभाग के लगभग 10 हजार जेल कर्मियों एवं उनके परिवारों के कल्याणार्थ कार्यक्रमों की लंबे समय से आवश्यकता महसूस की जा रही थी. शासन स्वीकृति प्राप्त कर जेल कल्याण कोष की स्थापना जेल मुख्यालय एवं प्रत्येक इकाई में की गई है. इसमें प्रतिवर्ष जेलकर्मी अपने वेतन का एक प्रतिशत अंशदान देकर सदस्य बनेंगे तथा शासकीय योगदान के रूप में एक बार में 50 लाख रूपए प्राप्त किए जाएंगे. इस कोष से जेलकर्मियों एवं परिवारजनों के शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता, मनोरंजन आदि से संबंधित कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. छिन्दवाड़ा में नया जेल काम्पलेक्स एवं इंदौर में नवीन केन्द्रीय जेल का निर्माण किया जा रहा है. ऐसे ही नवीन पदों की पूर्ति के बारे में भी कार्यवाही की जा रही है और नवीन वॉकी-टॉकी सेट्स की प्रदायगी की गई है और वर्कशॉप बैरकों का निर्माण भी वर्ष 2019-20 में प्रदेश की 14 जेलों में 22 बैरकों का निर्माण किया गया है. इस हेतु वर्ष 2019-20 के बजट में राशि 4 करोड़ 80 लाख रूपए का प्रावधान किया गया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, शिवपुरी एवं भिण्ड में नई जेलों का निर्माण कराया जा रहा है. शिवपुरी जेल का कार्य पूर्ण कराया जाकर उसे भी प्रारंभ किया जा चुका है. कल हमारे कुछ विधायकगण ने जो बात उठाई थी उस बारे में मैं बताना चाहता हूं महिलाओं एवं बच्चों के विरूद्ध अपराध इस वर्ष 1 जनवरी 2019 से 31 मई 2019 तक 1407 मामलों में सजा हुई है, जबकि गत वर्ष इसी अवधि में केवल 1290 प्रकरणों में सजा हुई थी. अध्यक्ष महोदय, इस प्रकार हम लोग सजायाबी में भी बराबर काम कर रहे हैं. वर्ष 2018 के प्रथम 6 माह में नाबालिग बालिकाओं के साथ दुराचार के 1,873 प्रकरण हुए थे जबकि इस वर्ष 2019 के प्रथम 6 माह में नाबालिग बालिकाओं के साथ दुराचार के 1,568 प्रकरण हुए हैं और इस प्रकार 16.20 प्रतिशत की कमी इसमें आई है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जिला नीमच में महिला की दुराचार की रिपोर्ट पर संबंधित आरोपी प्रधान आरक्षक को गिरफ्तार कर निलंबित कर दिया गया है. हमारे किसी एक विधायक साथी ने इस बात को उठाया था. बहादुर जी और दिलीप जी ने यह बात उठाई थी. आप पता कर लीजिये, हमने उसको निलंबित कर दिया है.
श्री दिलीप सिंह परिहार - माननीय मंत्री जी, धन्यवाद.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - जेल ब्रेक बार-बार क्यों हो रहे हैं ?
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, ऐसा ही छतरपुर एस.पी.कार्यालय के सामने कन्हैयालाल अग्रवाल की आत्महत्या का जो मामला आया था. हमने आरोपी अमन दुबे को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है. एक जो ट्रेंड पुलिस डॉग की घटना घटी थी.
श्री हरिशंकर खटीक - माननीय अध्यक्ष महोदय, एस.पी. ऑफिस के सामने घटना हुई थी, उसकी फरियाद नहीं सुनी गई थी. उसने पेट्रोल डालकर आग लगा ली थी तो फरियादी की बात क्यों नहीं सुनी गई थी ?
श्री बाला बच्चन - खटीक जी, यह नहीं होना चाहिए था.
श्री हरिशंकर खटीक - यह गलत हुआ कि नहीं हुआ.
श्री बाला बच्चन - इसका मलाल, इसका दु:ख हमको भी है.
श्री हरिशंकर खटीक - अध्यक्ष महोदय, एस.पी.ऑफिस के ठीक सामने उसने अपने आपको पेट्रोल डालकर आग लगा ली थी. उसके आवेदन पर कोई सुनवाई नहीं की गई थी तो ऐसी घटना क्यों हुई ?
श्री बाला बच्चन - नहीं होना चाहिए.
श्री हरिशंकर खटीक - फिर वहां क्या विभागीय कार्यवाही की गई है ?
श्री गोपाल भार्गव - माननीय मंत्री जी, मेरी ध्यानाकर्षण सूचना थी. मैं यह कहना चाहता हूँ कि इस प्रकार की घटनाएं घटित नहीं हों, जिसमें लोग एसपी या कलेक्टर के सामने कहा और सुसाइड कर लिया. यहां पर उसने साक्ष्य दी, कहा उसके बाद कोई सुनवाई नहीं हुई और सुसाइड कर लिया. माननीय मंत्री जी, कितने लोगों के ऐसे ही प्राण जाएंगे ?
श्री बाला बच्चन - मैं उस पर आ रहा हूँ.
श्री हरिशंकर खटीक - आप कार्यवाही का बताइये.
अध्यक्ष महोदय - कार्यवाही सुन लीजिये, आप विराजिए. मंत्री जी ने कुछ कार्यवाही की है, सुन लीजिये.
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, घटना नहीं होना चाहिए, घटनाएं बिल्कुल भी नहीं घटनी चाहिए, अपराध बिल्कुल भी नहीं होना चाहिए, इस बात की हम भी और सरकार भी पक्षधर है. अध्यक्ष महोदय, तमाम कोशिशों के बावजूद भी कोई घटना घट जाती है, बहुत जल्द हम उन घटनाओं का पर्दाफाश भी करते हैं और उन दरिन्दों को हम जेल के सींखचों में पहुँचाते हैं. हमारी कोशिश है कि नई घटनाएं न घटें लेकिन घट जाती हैं तो बहुत जल्द हम उन घटनाओं का पर्दाफाश भी करते हैं.
श्री गोपाल भार्गव - घटनाएं घट नहीं जाती, सुनवाई नहीं होती है. इस कारण से इस प्रकार के कदम उठाने के लिए बाध्य हो जाते हैं.
श्री बाला बच्चन - हम सुनवाई भी कराएंगे. आप सुन लीजिये.
श्री हरिशंकर खटीक - माननीय मंत्री जी, आपने बोला, हम सुन रहे हैं.
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, एक रेन्ट पुलिस डॉग की बात आई थी जो तीन प्रकार के होते हैं, जहां तक मैं आपको बताना चाहता हूँ जो ट्रेकर डॉग अपराधियों को ढूँढ़ने का काम करते हैं, स्नीफर डॉग नारकोटिक्स से संबंधित काम करते हैं, दूसरे स्नीफर एक्स्प्लोसिव से संबंधित जो डॉग काम करते हैं, तीनों प्रकार के ट्रेंड डॉग हमारे पास पर्याप्त मात्रा में है, जहां जैसी जरूरत लगती है, उस मुताबिक हम कार्यवाही कराते हैं और उनको वहां लगाते हैं.
श्री गोपाल भार्गव - मंत्री जी, मेरा एक सुझाव है. यह जो आपने पुलिस डॉग के सिखाने वालों का ट्रांसफर किया है. अध्यक्ष महोदय, यह जो घटना में वरुण की हत्या हुई है, अगर आपके डॉग यहां पर होते तो मैं यह मानकर चलता हूँ कि जितना समय पुलिस को उसको ढूँढ़ने में लगा और बाद में उसका शव मिला. अगर आपका डॉग वहां पर होता तो हो सकता है कि उसी दिन वह डिेटेक्ट हो जाता है. इस कारण से मैं कहना चाहता हूँ कि यह कुत्तों के ट्रांसफर आप बन्द करवाओ. यह अच्छा नहीं लगता है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, जब मैं आसंदी पर था तो मैंने यह प्रश्न माननीय मंत्री जी से किया था. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से उम्मीद और अपेक्षा करूँगा कि सन् 2016 में भी 60-65 डॉग्स के स्थानान्तरण हुए थे, उनको होल्ड कर दिया गया था, रिलीव नहीं किया गया था और पूरी की पूरी लिस्ट खारिज कर दी गई थी. आप इसको दिखवा लीजिये. उसी व्यवस्था को पुन: करें. जलवायु का भी प्रश्न उठता है.
विधि और विधायी कार्य मंत्री (श्री पी.सी.शर्मा) - माननीय अध्यक्ष जी. एक मिनट दें.
अध्यक्ष महोदय - जिस जिस मंत्री का जब समय आए तब वे बोलेंगे. मैं चर्चा खत्म करवाऊँ.
श्री बहादुर सिंह चौहान - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा एक आग्रह था.
अध्यक्ष महोदय - जो पहले बोल चुके हैं, वे नहीं बोलेंगे. आप बैठ जाइये, सिर्फ भूपेन्द्र सिंह जी बोलेंगे.
श्री भूपेन्द्र सिंह (खुरई) - माननीय अध्यक्ष जी, मैंने कल माननीय मंत्री जी से बहुत प्वाइंटेड निवेदन किया था कि यह सदन हमारे प्रदेश में जो अपराध बढ़ रहे हैं, जैसा माननीय नेता प्रतिपक्ष जी ने भी कहा. गंभीर श्रेणी के जो अपराध बढ़ रहे हैं, इस संबंध में सरकार की, गृह विभाग की क्या कार्ययोजना है ? एक यह निवेदन कल किया था. एक तो वह कार्ययोजना आप बताएं, जिससे एक संदेश प्रदेश में लोगों को विश्वास का जाये एवं दूसरा निवेदन यह किया था कि आपका जब उत्तर आए तो कृपया कर यह बताने का कष्ट करें कि इस अवधि में 6 माह में गृह विभाग में किस श्रेणी के कितने अधिकारियों के ट्रांसफर किए गए हैं. मैंने आपसे ये दो निवेदन किये थे और दोनों उत्तर आ जाएंगे तो अच्छा रहेगा.
श्री पी.सी.शर्मा - माननीय अध्यक्ष जी, पुलिस की बहुत बात हो रही है. बहुत सी चीजें विपक्ष के लोगों ने कहीं लेकिन मंत्री जी उसका भी करें. माण्डवा बस्ती मेरे क्षेत्र में आता है. वहां बच्ची के साथ जो हुआ, 24 घण्टे में पुलिस ने अपराधी को पकड़ा, 48 घण्टे में उसका चालान प्रस्तुत किया और एक महीने के अन्दर दोषी को फांसी की सजा हो गई तो यह भी बात होनी चाहिए. (मेजों की थपथपाहट) पुलिस की केवल हम बुराई ही करते रहें, उसका भी यहां पर उल्लेख आना चाहिए.
श्री भूपेन्द्र सिंह - शर्मा जी, यह हमने 5 दिन में किया है. आप तो एक महीने की बात कर रहे हैं. हमने 5 दिन में सजा दिलाई है. यदि कोई घटना हो, यह चिन्ता का विषय है. सवाल सजा दिला दी, इससे क्या होता है ? घटना क्यों हो रही है ?
श्री पी.सी.शर्मा - अपराधी को सजा होगी तभी तो यह बन्द होगा. मैं एक निवेदन और करना चाहता हूँ.
श्री भूपेन्द्र सिंह - आप सजा दिलवा दो और गलत कार्य होते रहें.
अध्यक्ष महोदय - गृह मंत्री जी, आप अपनी चर्चा समाप्त करेंगे.
श्री गोपाल भार्गव - अच्छी पुलिस उसी को माना जाता है, जिसमें घटना के पहले ही हम आभास कर लें और घटना न हो पाये, इसे अच्छी पुलिसिंग कहते हैं.
श्री बाला बच्चन - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी आपसे इस बात की विनती है कि जिन अनुदान मांगों का जो मैंने उल्लेख किया है, उन अनुदान मांगों को, मैं सदन से आग्रह करता हूँ कि उसको सर्वानुमति से पास किया जाये. सभी की सर्वानुमति से इसमें समर्थन मिले, सपोर्ट मिले और सर्वानुमति से सदन इसको पास करें. ऐसा मेरा आपके माध्यम से सदन के सभी सदस्यों से आग्रह है.
अध्यक्ष महोदय - (श्री बीरेन्द्र रघुवंशी की ओर देखते हुए) मत बोलो. यह जितने नये विधायक बोल रहे हैं. मैं आपको कैसे समझाऊँ, प्रबोधन दिया है. ऐसा कृत्य मत किया करो. आपकी बड़ी गन्दी आदत है.
श्री रामबाई गोविन्द सिंह (पथरिया) - अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है.
अध्यक्ष महोदय - आप कैसा कर रहे हैं ? ऐसा नहीं होता है.
श्री रामबाई गोविन्द सिंह - होता है. (हंसी)
अध्यक्ष महोदय - नहीं, यह तरीका नहीं होता है.
श्री रामबाई गोविन्द सिंह - बीच में सभी बोलते हैं. (हंसी)
अध्यक्ष महोदय - आप रुक जाइये. एक मिनट रुक जाइये.
श्री रामबाई गोविन्द सिंह - मैं यह बोल रही थी.
अध्यक्ष महोदय - इनको बोलने की अनुमति नहीं है. इनका न लिखा जाये. इनका कुछ नहीं लिखा जाये.
श्री रामबाई गोविन्द सिंह - (XXX)
अध्यक्ष महोदय -आपको समय पर उपस्थित रहना चाहिए. आप नहीं रहती हैं, आपका नाम पुकारते हैं, आप आती नहीं हैं. आप बीच में खड़ी हो जाती हैं. यह आदत अच्छी नहीं है.
श्री रामबाई गोविन्द सिंह - मैं पहली बार बीच में खड़ी हुई हूँ और हम आपसे बोलना चाहते हैं कि खाने की व्यवस्था जेल में है.
अध्यक्ष महोदय - इनका माइक बन्द कर दो. मंत्री जी, मैंने आपसे कल यह बोला था कि माननीय विधायक ने चरस, स्मैक, ब्राउनशुगर वगैरह-वगैरह की बातें वहां से आई थीं. मैंने खुद नरसिंहपुर और कटनी की बात की थी. हम यह चाहते हैं अगर आप मंदसौर, रतलाम तरफ नारकोटिक्स की कोई टीम बनाते हैं, जिन जगह पर चिन्ह्ति हो गए हैं कि यहां सबसे ज्यादा ऐसी हरकतें हो रही हैं.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - नारकोटिक्स की जेल बनी हुई है.
अध्यक्ष महोदय - यह मुझे भी मालूम है. ज्ञानवर्धन के लिए धन्यवाद. आप कुछ ऐसा करियेगा कि इन स्थानों पर हम इन्हें कैसे पकड़ें ? आप लोग पता नहीं कितने ग्राम ये चीजें पकड़ते हैं, उन्हें 2 दिन में जमानत मिल जाती है, यह सहयोग हो जाता है और कितने ग्राम इन चीजों को पकड़ें कि वह जेल में बन्द रह आएं, उस ओर अग्रसर क्यों नहीं हो रहे हैं? यहां पर कहीं न कहीं गलतियां महकमे की हैं. ध्यान रखियेगा. आप इस पर अवश्य ध्यान देंगे.
श्री ओमप्रकाश सकलेचा - अध्यक्ष महोदय, एक मिनट दीजिये. यह केवल किसानों को परेशान करने वाली दिशा में न चलाया जाये. यह जो बड़े ऑपरेटर हैं, उनकी तरफ इसका ध्यान जाना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय - मैं, पहले कटौती प्रस्तावों पर मत लूँगा.
प्रश्न यह है कि मांग संख्या - 3, 4 एवं 5 पर प्रस्तुत कटौती प्रस्ताव स्वीकृत किये जायें.
कटौती प्रस्ताव अस्वीकृत हुए.
अब, मैं मांगों पर मत लूँगा.
01.51 बजे.
वर्ष 2019-2020 की अनुदानों की मांगों पर मतदान ....... (क्रमश:)
(2) |
मांग संख्या 1 |
सामान्य प्रशासन |
|
मांग संख्या 2 |
सामान्य प्रशासन विभाग से संबंधित अन्य व्यय |
|
मांग संख्या 17 |
सहकारिता |
|
मांग संख्या 28 |
राज्य विधान मण्डल.
|
उपस्थित सदस्यों के कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुये. अब मांगों और कटौती प्रस्तावों पर एक साथ चर्चा होगी.
01.54 बजे
{उपाध्यक्ष महोदया (सुश्री हिना लिखीराम कावरे) पीठासीन हुईं.}
श्री गौरीशंकर चतुर्भज बिसेन (बालाघाट) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं मांग संख्या 1 सामान्य प्रशासन, मांग संख्या 2 सामान्य प्रशासन विभाग से संबंधित अन्य व्यय, मांग संख्या 17 सहकारिता और मांग संख्या 28 राज्य विधान मण्डल के मांगों पर कटौती प्रस्तावों के समर्थन में और मांगों के विपक्ष में अपने विचार रखूंगा. माननीय उपाध्यक्ष महोदया, इस सरकार को बने लगभग छ: महीना हुआ है और छ: महीने के पूर्व 13 मार्च 2018 को मेरे बड़े भाई विद्वान मंत्री डॉ. गोविन्द सिंह जी ने जो सामान्य प्रशासन की मांगों पर कहा था, उसका मैं उल्लेख करना चाहूंगा. माननीय मंत्री जी आपने 13 मार्च को अपनी डिमांड की बात पर अपना विषय रखते हुये कहा था कि सामान्य प्रशासन विभाग के अंतर्गत जो अनुकंपा नियुक्ति के नियम हैं, उन नियमों के तहत राज्य के लोगों को लाभ नहीं मिल पा रहा है, मैं पूरा विषय नहीं पढ़ना चाहूंगा परंतु जो भाव है उसको रखना चाहूंगा. मैं जानना चाहता हूं कि अनुकंपा नियुक्ति का मतलब है, यह सरकार की कृपा है, कोई इसके लिये अधिकार नहीं है, यही आपने कहा था. मैं एक बात आपसे जानना चाहता हूं कि किसी भी कर्मचारी की अचानक मृत्यु होती है ऐसी स्थिति में अब आप सरकार में हैं, आप उस विभाग के मंत्री हैं, आप इसमें सरलीकरण करिये और जिस बात को आपने कहा था, उस बात का पालन हो, जिससे कि हमारे राज्य के कर्मचारी के परिवार में उनके माता-पिता की मृत्यु होने के बाद उनके उत्तराधिकारियों को शासकीय सेवा में तत्काल नियुक्ति मिल सके. आपने यह भी कहा था कि शिक्षा विभाग में भर्ती के लिये बी.एड. और डी.एड. की पात्रता है, उसमें समयावधि की वृद्धि हो. मैं इससे सहमत हो कि समय अवधि की वृद्धि होनी चाहिये और कम से कम पांच साल तक इनको डी.एड. अथवा बी.एड. की परीक्षा उत्तीर्ण करने का अवसर मिलना चाहिये. इसी के साथ-साथ ऊर्जा विभाग में बिजली के खंबों पर काम करने वाले कई कर्मचारी ऐसे हैं, जिनका निधन हो जाता है, उनको अनुकंपा का प्रावधान है लेकिन ड्यूटी के बाद यदि घर जाते समय उनकी मृत्यु हो जाये तो उनके लिये कहीं पर भी अनुकंपा नियुक्ति का प्रावधान नहीं है. इसी के साथ-साथ टीचर की एलीजिबिल्टी टेस्ट का जो बंधन रखा गया है, मैं समझता हूं कि इसको भी रिलेक्स करने की आवश्यकता है. मैं एक बात और आपसे कहना चाहता हूं कि चूंकि सरकार का बमुश्किल छ: सात महीने का कार्यकाल हुआ है, मैं बहुत सी बातें करूं यह उचित नहीं होगा. मैं यही चाहूंगा कि जब आप विपक्ष में थे और जिन बातों को आपने भाषण में रखा उनका यदि पालन हो जायेगा तो मैं समझता हूं कि राज्य के कई लोगों का भला हो जायेगा. इसी के साथ-साथ मैं एक बात कहना चाहूंगा कि हमारे आउटसोर्सिंग का सिस्टम भर्ती का है, उस सिस्टम को समाप्त करके जो नये पदे बने, तब पुराने पदों को समाप्त न करते हुये, जब कोई कर्मचारी रिटायर्ड होता है तो उस पद को समाप्त कर दिया जाता है, ऐसी स्थिति में पद न समाप्त करते हुये उसको यथावत रखा जाये और उसके स्थान पर नये को भर्ती दी जाये.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं एक बात आपसे कहना चाहूंगा कि आपकी सरकार भाग्यशाली है, हमने नया मंत्रालय बनाया लेकिन माननीय कमलनाथ जी ने उसका उद्घाटन किया है. अब सरकार आप कम से कम ठीक से चलायें. सरकार ठीक से चलायें, क्योंकि दिवालिया सरकार चल रही है, कहीं पर कोई भुगतान नहीं हो रहा है, आज मैं आपको बताना चाहूंगा कि अकेले हमारे फारेस्ट विभाग में जितने भी वन मण्डल हैं, उनका एक रूपये का भुगतान नहीं हुआ है, किसानों ने लकड़ी बेची है, डिपो में उनका माल बिक गया जो व्यापारी ने खरीदा.
संसदीय कार्यमंत्री ( डॉ. गोविन्द सिंह) -- कृपया करके जब आप खजाना सफाचट कर गये तो हम कहां से दे दें, हम धीरे-धीरे करके ही देंगे. (हंसी)
श्री गौरीशंकर चतुर्भज बिसेन -- देखिये सरकार में आप हैं, आपकी जवाबदारी है कि किसानों ने अपनी उपज को सेल डिपों में बेचा, खरीददार ने उसको खरीद लिया, खरीदने के बाद में उसका पेमेंट कर दिया, लेकिन सरकार ने खजाने में पैसा रखा है. आज छ:-छ: महीने से किसानों को उनकी बिक्री की गई लकड़ी का भुगतान नहीं हुआ है, ऐसे में हरियाली मंत्र सफल कैसे होगा. लोग क्यों प्लांटेशन करेंगे, क्यों वनों की रक्षा करेंगे ? आज बरसात का समय है और इस समय में बड़े पैमाने पर सभी विभागों के द्वारा और विशेष तौर से वन विभाग के द्वारा वृक्षारोपण का काम होता है ऐसे में इनको प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है. आप इस संबंध में तत्काल वित्त मंत्रालय से बात करें क्योंकि आपका विभाग पूरे शासन का रिमोट कंट्रोल है. जी.ए.डी. के पास में पूरी सरकार का रिमोट कंट्रोल रहता है, इसलिये आप इस पर बात करें और उनको भुगतान करायें. इसके साथ-साथ मैं एक बात कहना चाहता हूं रसोईया, हमने रसोईया के वेतन बढ़ाने की बात की है. अभी तक नहीं बढ़ा है, तीन सौ रूपये उनके नहीं बढ़ रहे हैं. यह सब बाते वहीं हैं जो इसके पहले आई थी मैं नई कोई बात नहीं करना चाहूंगा. इसी के साथ-साथ मैं एक बात और कहना चाहूंगा कि स्थानांतरण में तो आपने खुला उद्योग खोल दिया. आओ आवेदन दो, न दो माल दे दो और ट्रांसफर लेकर चले जाओ. हमारे समय में हम ऑन लाईन आवेदन लेते थे, ऑनलाईन उसका परीक्षण होता था, लोगों को आना नहीं पड़ता था सीधे उनके ट्रांसफर होते थे. यह ट्रांसफर उद्योग बंद करिये इससे किसी का भला नहीं होने वाला है.
महिला एवं बाल विकास मंत्री (श्रीमती इमरती देवी) -- माननीय सदस्य एक बात सुन लें मेरा निवेदन है कि हर बार आपके हर विधायक ट्रांसफर की बात करते हैं. आप यह क्यों नहीं कहते हैं कि इतने दिनों से आपने जिनको अच्छी-अच्छी जगह बैठा रखा था, उनको हमने हटाया है, इसलिये आपको दुख है.
श्री गौरीशंकर चतुर्भज बिसेन-- ट्रांसफर हो रहे हैं इसलिये कह रहे हैं. हमे कोई आपत्ति नहीं है लेकिन उद्योग न चले. मैं तो जब आपका प्रभारी मंत्री था, तब जैसा आपने कहा मैंने वैसा किया है. मैं आपके हित में रहा हूं, मैं यह नहीं कहना चाहता हूं. लेकिन यह उद्योग बंद हो. ट्रांसफर करना सरकार का अधिकार है, लेकिन ट्रांसफर की नीति बनाई जाये.
डॉ.गोविन्द सिंह -- मेरी बात सुन लें. मैं आपसे यह कहना चाहता हूं कि आपने आरोप लगाया है और आप सामान्य प्रशासन और सहकारिता विभाग पर बोल रहे हैं. अगर हमारे विभाग में आमने सामने एक भी व्यक्ति पूरे मध्यप्रदेश में यह कह दे कि हमारे द्वारा विभाग में एक रूपये भी रिश्वत ली गई हो तो मैं आज ही मंत्री पद से और विधायक पद से इस्तीफा दे दूंगा.
श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैंने तो सहकारिता की बात नहीं की. मैंने कहा कि आप पूरे विभागों के रिमोट कंट्रोल हैं, मैं जीएडी विभाग की बात कर रहा हूं. सहकारिता पर जब आऊंगा, तब बात करूंगा और इतना ज्यादा दुखी मत होइये और इतना ज्यादा गंभीर भी मत होइये. माननीय उपाध्यक्ष महोदया, सदन में बहुत महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा चल रही है. सरकार में आप सहकारिता मंत्री हैं, लेकिन मंत्री की जवाबदारी पूरे विभागों की होती है और किसी विभाग में कोई कमी होती है तो उसे इस सदन के माध्यम से हम रख सकते हैं. मैं एक बात और कहना चाहूंगा, मैं सीधे-सीधे आपको कुछ सुझाव देना चाहूंगा. मुझे नहीं लगता कि 6 महीने की आपकी सरकार है और हम बहुत लंबी चर्चा करें. मैं एक बात आपसे कहना चाहूंगा कि जो हमारे पेंशनर्स हैं इनके बढ़े हुये महंगाई भत्ते का भुगतान नहीं हुआ, अब पेंशनर्स का भुगतान नहीं होगा तो उनके सामने क्या स्थिति बनेगी इसके बारे में आपको विचार करना चाहिये. दूसरा आपके विभाग की बात करते हुये मैं यह कहना चाहूंगा कि सेल्समेन लंबे समय से को-ऑपरेटिव में काम कर रहे हैं और जब उनको पूरा वेतन नहीं मिलता तो परिवार चलाने के लिये वह गलत रास्ते पर चलने के लिये मजबूरी में उनको वह रास्ता अख्तियार करना पड़ता है, सेल्समेनों के वेतन में वृद्धि होना चाहिये. इसी के साथ-साथ संविदा और दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के पदों को नियमित करना, आपके विभाग के पास अनेकों नस्तियां हैं. हमारे माननीय मंत्री परिषद के साथियों के बीच वह आपके विभाग में काम कर रहे हैं और मंत्री परिषद के साथियों के पास हैं. मंत्री के विभाग में या उनके गृह में उनके काम में जो लोग दैनिक वेतन में लगे थे उनकी एक नस्ती विचाराधीन है, उनको नियमित किया जाना चाहिये. इसी के साथ-साथ मैं एक बात कहना चाहता हूं कि जो समर्थन मूल्य पर धान के खरीदी केन्द्र अथवा गेंहू के खरीदी केन्द्र खोले गये हैं उनमें कोई भी व्यवस्था ठीक से नहीं रहती, अगर आप अभी से व्यवस्था को सुधारेंगे तो बरसात में इन चीजों का नुकसान नहीं होगा. हमारे यहां पर सिवनी, बालाघाट जिले में लाखों टन अनाज खुले आसमान में सड़ गया, बरबाद हो गया, क्योंकि उसके परिवहन की व्यवस्था समय पर नहीं हो सकी तो आप इसकी चिंता करें इससे आर्थिक हानि होती है और किसान का भी नुकसान होता है और सरकार को भी वित्तीय नुकसान होता है. इसी के साथ-साथ में एक बात और कहना चाहूंगा कि जो प्राकृतिक आपदा में आर.बी.सी.6.4 के तहत मृत्यु होने पर 4 लाख का प्रावधान है. कृषि उपज मंडी बोर्ड में भी हमने 4 लाख का प्रावधान कर दिया कृषि कार्य करते हुये किसी की मृत्यु होने पर, जब मैं कृषि मंत्री था तो उसको बढ़ाकर हमने 4 लाख किया, लेकिन सड़क दुर्घटना में अभी भी आप देखेंगे, मैंने प्रतिवेदन में देखा है कि 15 हजार रूपया मृत्यु होने पर दिया जाता है और गंभीर घायल होने पर साढ़े सात हजार रूपया दिया जाता है. जब प्राकृतिक आपदा में 4 लाख का प्रावधान है, जब मंडी बोर्ड में 4 लाख का प्रावधान है तो इस तरह की दुर्घटना में जहां पर सामने के वाहन की जानकारी न हो सके इसमें भी 4 लाख किया जाना चाहिये. माननीय मंत्री जी, मैं एक बात और कहना चाहता हूं विधायकों को जो आवास गृह के लिये 25 लाख रूपये का ऋण दिया जाता है उस 25 लाख के ऋण पर ब्याज अनुदान है. मैं समझता हूं कि सभी माननीय विधायक सहमत होंगे. रचना नगर में सहकारिता विभाग, आवास संघ के द्वारा भवन बन रहे हैं, उसकी कीमत का अगर आप अनुमान लगायें तो 1 करोड़ रूपये से कम उसकी लागत नहीं आ रही है. ऐसी स्थिति में 25 लाख रूपये पर ब्याज अनुदान कम है, इसको बढ़ाकर कम से कम 50 लाख किया जाना चाहिये. इसी के साथ साथ वाहन ऋण पर 15 लाख रूपये तक ब्याज अनुदान है इसको बढ़ाकर 25 लाख किया जाये 15 लाख के वाहन पर तो कोई बैठता ही नहीं है, सब लोग चाहते हैं कि हमको एसी वाहन मिले और उस पर ब्याज अनुदान 10 प्रतिशत सरकार वहन करती है उसके ऊपर हमको देना पड़ता है तो ब्याज अनुदान की नीति को बढ़ाकर के 50 लाख किया जाये. इसी के साथ-साथ कम्प्यूटर क्रय के लिये सभी माननीय सदस्य चाहते हैं कि 50 हजार रूपये का प्रावधान किया जाना चाहिये. इसी के साथ-साथ जो हमें निजी सहायक मिलते हैं वह एक ही मिलता है, अब काम बढ़ गया है ऐसी स्थिति में 2 निजी सहायक हों और उनको आने-जाने के लिये टीए, डीए की पात्रता दी जाये. इसी के साथ-साथ मैं समझता हूं कि जीएडी में और ज्यादा कहने की आवश्यकता नहीं है, आप तो नये भवन में बैठे हो, ठीक से सरकार चलाओ, मध्यप्रदेश का कल्याण करो और मध्यप्रदेश की जनता के जनकल्याणकारी कामों को पूरा करो, वरना यह जनता है किसी को माफ करने वाली नहीं है.
श्री हरिशंकर खटीक-- वित्त मंत्री जी विधायक विकास निधि 5 करोड़ रूपये कर रहे हैं बढ़ना चाहिये न.
श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन-- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, विधायक निर्वाचन क्षेत्र की विकास निधि 1 करोड़ 85 लाख है उसको बढ़ाकर दोगुना किया जाना चाहिये माननीय मंत्री जी. विधायक निर्वाचन क्षेत्र विकास निधि 1 करोड़ 85 लाख है और अनुदान के रूप में 15 लाख है उसको बढ़ाकर 4 करोड़ किया जाना चाहिये. इसी के साथ-साथ मैं सहकारिता के बारे में कहना चाहूंगा. मैं वही चीज आपके सामने रखना चाहूंगा जिसको आपने सदन में कहा है. आपने कहा है कि सहकारिता में जो चुनाव हैं वह चुनाव अभिकरण के द्वारा होते हैं जो निष्पक्ष नहीं होते. यह आपका 23.3.2017 का भाषण है, इसमें आपने पिछली बार कहा था कि अभिकरण के चुनाव पर विश्वास नहीं है तो अब आप सत्ता में आ गये, आप इसे राज्य चुनाव आयोग को दे दें और राज्य चुनाव आयोग के माध्यम से जिस तरह से हमारे पंचायतीराज के और स्थानीय निकायों के चुनाव होते हैं उस तरह से सहकारिता सेक्टर के भी चुनाव हों. मैं कोई नई बात नहीं कह रहा हूं, जो माननीय गोविंद सिंह जी ने कहा है उसी को कह रहा हूं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं एक बात और कहना चाहूंगा राज्य जिला सहकारी ग्रामीण विकास बैंक, इस बैंक की जो माइनस मार्किंग शुरू हुई उस समय से हुई जब आप सहकारिता मंत्री थे, मेरे पूर्व आप सहकारिता मंत्री थे और तब से यह परिसमापन में चला गया. लेकिन आज भी सारे कर्मचारियों का दूसरे अन्य को-ऑपरेटिव सेक्टर में संविलियन नहीं हुआ है, इसको प्राथमिकता पर करने की आवश्यकता है. इसी के साथ-साथ इसमें ऋण समाधान योजना हमनें चालू की थी कि जो किसान अपना ब्याज पूरा-पूरा अदा कर दे उनका 1, 2, 3 स्टॉलमेंट था, मुझे लगता है को-ऑपरेटिव सेक्टर में जो राज्य सहकारी कृषि ग्रामीण विकास बैंक हैं इसका ऋण देने की स्थिति किसानों की नहीं बची. आप जब पूरे प्रदेश के किसानों का ऋण माफ कर रहे हैं तो बमुश्किल तीन, चार सौ करोड़ रूपये का मामला है उसका आप परीक्षण करा लें और जो राज्य सहकारी ग्रामीण विकास बैंक जिसको भूमि विकास बैंक कहते थे इसके पहले उसका नाम मॉडगेज बैंक था, इसके किसानों का सारा ऋण माफ होना चाहिये क्योंकि किसान की जमीन नीलाम नहीं की जा सकती, रहन जमीन की गई है और यह बड़ा निर्णय लेने की आज आवश्यकता है. इसी के साथ-साथ एलडीव्ही का ऋण पूरा माफ किया जाये और उनकी बंधक भूमि को मुक्त किया जाये, जो कर्मचारी हैं उनका सहकारिता सेक्टर में अन्य स्थानों पर संविलियन किया जाये. हमारे वित्तमंत्री के भाषण को मैंने बड़ी गंभीरता से पढ़ा, माननीय वित्तमंत्री जी ने कहा कि हम को-ऑपरेटिव सेक्टर में पिछली बार हमने 7 हजार करोड़ रूपये का प्रावधान किया और इस बार बजट में 8 हजार करोड़ का प्रावधान किया गया है. मैं एक बात पूछना चाहता हूं कि 7 और 8 हजार करोड़ में क्या को-ऑपरेटिव सेक्टर का सारा ऋण माफ होगा. यदि आप ईमानदारी से ऋण माफ करना चाहते हैं तो मैं यह कहना चाहता हूं कि अन्य खर्चों में कटौती करके एक साथ राज्य के किसानों का कर्जा माफ करिये जिससे किसान नया ऋण ले सके और किसान फिर से नई अपनी फसल लेने के लिये एक कार्य योजना बना सके. इसके साथ-साथ मैं एक बात और कहना चाहूंगा कि हमारे माननीय वित्तमंत्री जी, यहां बैठे हुये हैं, आपने एक हजार करोड़ की अंशपूंजी का प्रावधान पिछली बार किया और अभी आपने एक हजार करोड़ का प्रावधान किया है लेकिन वास्तव में जो शेयर और अमानत की राशि है आपने मुझे कटौती प्रस्ताव के उत्तर में बताया कि जो हमने सर्कुलर जारी किया था कि 50 प्रतिशत ऋण उन किसानों का देना होगा जो दो वर्ष से अधिक के हैं और वह पैसा सेवा सहकारी समिति की अमानत और शेयर के पैसे से अदा होगा, फिर आपने उसको विड्रा किया और आप कह रहे हैं कि किसानों के शेयर का पैसा हम समायोजित करेंगे. मैं इस बात का स्वागत करना चाहूंगा, लेकिन हम यह चाहेंगे कि आप पूरे पैसे का प्रबंधन करें वरना किसान की स्थिति यह है, आप यहां बैठे हैं, आप अपने भिण्ड चले जाइये, आप ग्वालियर चले जाइये, आप अपने अकेले संभाग में जाकर देखिये, आज भी किसानों को को-ऑपरेटिव सेक्टर से ऋण नहीं मिल रहा है और उसके कारण जो हमने 1200 करोड़ के ऋण को 16 हजार करोड़ तक पहुंचाया था. 1200 करोड़ वर्ष 2003-04 का ऋण था वह बढ़कर के 16 हजार करोड़ हो गया और उसके बाद में आज आप देखेंगे कि इस वर्ष कम ऋण वितरित हुआ है, इसकी आपको व्यवस्था करनी होगी और इसके लिये यह जरूरी है कि किसानों के शेयर, अमानत का पैसा पूरा-पूरा वित्त मंत्रालय एक साथ अगली सप्लीमेंट्री में उसका प्रबंधन करे, लेकिन उसका पैसा देने की आवश्यकता है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं एक बात कहना चाहता हूं कि एक बार आप फैसला कर लीजिये दमदार, वजनदार और एकदम विषय पर पकड़ रखने वाले मेरे मित्र मंत्री जी, आप राज्य चुनाव आयोग से सहकारिता के चुनाव करा दो. दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा. आप आईये मैदान में,जो आपने कहा पूरा करिये, आज मुझे ज्यादा नहीं कहना है. मैं यह कहना चाहूंगा कि हमारे युवा सहकारिता मंत्री ने कई नीतियां राज्य में लागू कीं जिसके कारण सहकारिता के क्षेत्र में तरक्की हो रही है . उनका आप परीक्षण करें. इस बात को नजरअंदाज करें कि सरकार किसकी थी, मंत्री कौन था. सरकार आना, मंत्री का बदलना, लोकतंत्र की प्रक्रिया है. कई सरकार आयेंगी, कई सरकार जायेंगी लेकिन जिस सहकारिता के माध्यम से हम किसान की आय को दुगना करना चाहते हैं और राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत करना चाहते हैं तो हमको खुले चश्मे से देखना होगा और जिस सरकार ने अच्छा काम किया है उस सरकार के अच्छे कामों का अनुसरण करके, उस मंत्री के सुझावों का, उसमें आपकी भी सहभागिता है. यदि हम लोग मिलकर काम नहीं करेंगे. यही सदन है यहां पर आपने की सुझाव दिये. उन सुझावों को हम लोगों ने स्वीकार किया. यही सदन है जहां पर बैठकर हमने बहुत से नीतिगत निर्णय लिये हैं. इसीलिये मैं कहना चाहूंगा कि ये जो तुलाटी हैं, वजन करने वाले, जो हमारे मजदूर हैं सिलाई करने वाले उनको प्रति बैग 10 रुपये मिलता है. तागे की कीमत लगा लीजिये. उसकी मजदूरी लगा लीजिये. अंततोगत्वा सोसायटी के लोगों को गलत रास्ता अख्तियार करना पड़ता है और इसलिये वह पैसा अपर्याप्त है और 10 रुपये को बढ़ाकर 20 रुपये आपको करना चाहिये. इससे ईमानदारी से हमारी सोसायटियां चल सकें. उनको किसी तरह का नुकसान न हो. अंत में मैं आपका अभिनंदन करते हुए एक बात कहना चाहूंगा कि जब हम 2003 में सरकार में आये तब बैंकों की क्या हालत थी. यह बात सही है कि वैद्यनाथन कमेटी का कुछ पैकेज मिला लेकिन उनके नियम, शर्तें बहुत कठिन थीं. हमको जब तक इसमें नया सिस्टम नहीं लायेंगे हम सफल नहीं होंगे. हम यह कह दें कि जो 38 बैंकें थीं तो मैंने 30 कहा था. प्रिंटिंग मिस्टेक है. आज की स्थिति है कि वास्तव में अनेक बैंकें एन.पी.ए. की स्थिति में आ गई हैं. यदि सरकार ने सहायता नहीं दी तो राज्य की 38 बैंकें बंद हो जायेंगी जैसे भूमि विकास बैंक बंद हो गई. इसलिये सतर्कता के साथ काम करने की आज आवश्यकता है. मुझे पूरा विश्वास है कि हमारे सहकारिता मंत्री कापरेटिव्ह सेक्टर को मजबूत करेंगे और जिस उद्देश्य से कापरेटिव का हमारे देश में, महात्मा गांधी और दूसरे कापरेटिव्ह सेक्टर के लोगों ने काम किया, हम दूसरे राज्यों के कापरेटिव्ह सेक्टर का अध्ययन करें. हम कर्नाटर जाएं, हम गुजरात जाएं, हम महाराष्ट्र जाएं और वहां जाकर वहां के कापरेटिव्ह सेक्टर का अध्ययन करके नये कापरेटिव्ह सेक्टर का स्वरूप लाएं और राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत करें. किसानों की हालत को मजबूत करें. यही निवेदन करते हुए मैं आपको धन्यवाद देना चाहूंगा. बहुत-बहुत धन्यवाद. वंदे मातरम्, जय किसान, जय विज्ञान, जय जवान.
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह (पथरिया) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सभी विधायकों ने मांग रखी है अपनी पेमेंट बढ़ाने की पर मैं आपसे निवेदन करना चाहती हूं कि सभी विधायकों की पेमेंट घटा दी जाये और जो विकलांग, वृद्धावस्था पेंशन जिनको मिलती है उनकी बढ़ा दी जाये क्योंकि विधायकों को और मंत्रियों को जरूरत नहीं है. इनकी घटाकर गरीबों के लिये दी जाय.
उपाध्यक्ष महोदय - धन्यवाद. बैठ जाईये.
श्री घनश्याम सिंह (सेवढ़ा) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 1,2,17,28 को स्वीकृत करने के लिये खड़ा हुआ हूं. हमारे सम्मानित वरिष्ठ सदस्य का भाषण सुन रहा था. सामान्य प्रशासन के क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौती जो हमारी सरकार को विरासत में मिली वह था कर्मचारियों में असंतोष. पिछले 15 सालों में जो सरकार थी उसने इस तरह की नीतियां बनाईं. कर्मचारी विरोधी नीतियों के कारण कर्मचारियों का हर वर्ग असंतुष्ट था. और सरकारी कर्मचारी प्रशासन की एक धुरी होती है. आप यह देखें कि कोटवारों से लेकर A&M, स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी, शिक्षक, तहसीलदार, सबने आंदोलन किया. शायद ही ऐसा कोई वर्ग बचा हो जिसने आंदोलन नहीं किया और जो कर्मचारियों से वायदे किये गये थे जब यह सत्ता में आये थे उन सब वायदों से ये पीछे हट गये उसके कारण कर्मचारी असंतुष्ट हुए. अध्यापक और पेंशनर्स इसके खास उदाहरण हैं. उनके साथ धोखाधड़ी की गई. पदोन्नति के प्रकरण में भी सरकार ने गफलत भरी नीति अपनाई जिससे सभी वर्गों के लोग प्रताड़ित हुए. संविदा कर्मी, अतिथि शिक्षक, रोजगार सहायक, लगभग सभी सरकारी कर्मचारियों ने सरकार के प्रति नाराजगी व्यक्त की और शर्म की बात है कि शासकीय कर्मचारियों ने सामूहिक रूप से मुंडन कराया. इससे ज्यादा शर्म की बात यह है कि उनमें महिला कर्मचारी भी शामिल थीं. कितना आक्रोश होगा, कितना असंतोष होगा सरकारी कर्मचारियों में. आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, A&M, राजस्व अधिकारी, शिक्षा कर्मी, पेंशनर्स, दैनिक वेतन भोगी, मजदूर, कौन सा ऐसा वर्ग है जो असंतुष्ट नहीं था. न्याय की गुहार लगा रहा था और सबसे बड़ी बात कर्मचारी संघों ने जब भोपाल में सम्मेलन किये, आंदोलन किये. यहां धरना देने की बात कही. पूरे प्रदेश से लोग इकट्ठा होकर आये, अलग-अलग वर्गों के. शिक्षा विभाग के, स्वास्थ्य विभाग के, जिस विभाग के भी लोग आये. यहां उनका पुलिस ने लाठी, डण्डों से स्वागत किया. सरकार ने लगे लट्ठ, लगे लट्ठ, सबको भगा दिया. आप बताईये, कि एक तो उनको प्रताड़ित किया जा रहा है और लोग लोकतांत्रिक तरीके से अपना विरोध भी प्रकट न कर सकें. आखिर सभी सरकारी कर्मचारी थे कोई असमाजिक तत्व नहीं थे. उनकी बात सुन लेते. धरना, प्रदर्शन कर रहे थे. उनको धरने पर बैठ जाने देते. 4-5 घंटे, दिन भर धरना चलता, भाषण होते, वे ज्ञापन देते, वे वापस चले जाते लेकिन हर वर्ग के साथ यह दुर्व्यवहार किया गया. सबको पुलिस ने लट्ठों से मार-मारकर खदेड़ा. यह बड़े शर्म की बात है. हमारी सरकार को ऐसा कर्मचारी वर्ग मिला जो असंतोष से भरा हुआ था और सबसे बड़ी बात कि कर्मचारी वर्ग के हर वर्ग ने यह नारा लगाया कि (XXX)
श्री विश्वास सारंग - माननीय उपाध्यक्ष महोदया, इसे विलोपित करवा दें.
उपाध्यक्ष महोदया - इसको विलोपित कर दें.
श्री घनश्याम सिंह - और उन्होंने उस भूल को सुधार भी दिया जिसके कारण आज आप विपक्ष में बैठे हैं और हमारी पार्टी सत्ता में है.
श्री रामपाल सिंह - अब आपके खिलाफ इतने नारे लग रहे हैं जितने कभी नहीं लगे. आपके खिलाफ नारे शुरू हो गये हैं.
(..व्यवधान..)
श्री जालम सिंह पटेल - आपके वचनपत्र का पालन तो कर लो. 19 बिन्दु हैं.
उपाध्यक्ष महोदया - जालम सिंह जी कृपया बैठ जाईये.
इंजी. प्रदीप लारिया - वचनपत्र में आपने कहा था कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को 1500 रुपये देंगे. यह भी नहीं दिया.
उपाध्यक्ष महोदय - घनश्याम जी, आप अपनी बात कहिये.
डॉ.गोविन्द सिंह - आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के लिये नहीं किया, आपने कहा, तो क्या जादू है. 5 वर्ष के लिये है वचनपत्र 6 महीने के लिये नहीं है. बार-बार दोहराते हो. आपने तो 30 साल में नहीं किया.
(..व्यवधान..)
इंजी. प्रदीप लारिया - 10 दिन में कर्जा माफ नहीं तो मुख्यमंत्री साफ.
(..व्यवधान..)
श्री प्रवीण पाठक - साढ़े पांच साल में 15 लाख दे पाए क्या. 2 करोड़ रोजगार दे पाए हम लोगों से 7 महीने में हिसाब मांगते हो.
उपाध्यक्ष महोदय - प्रवीण जी, कृपया बैठ जाईये.
श्री घनश्याम सिंह - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं वचनपत्र पर भी आ रहा हूं.
श्री रामेश्वर शर्मा - हम वचनपत्र तो नहीं समझते लेकिन गोविन्द सिंह जी हाऊस में कुछ कह दें तो मान लें कि बात पूरी हो जायेगी.
उपाध्यक्ष महोदय - कृपया बैठ जाईये.
श्री घनश्याम सिंह - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अभी हमारे जी.ए.डी. और सहकारिता मंत्री गोविन्द सिंह जी ने बताया कि वचनपत्र हमेशा 5 साल के लिये होता है लेकिन हमारे मुख्यमंत्री जी यह भावना से नहीं चल रहे. वह तुरंत कदम उठा रहे हैं धीरे-धीरे, एक-एक करके सारे वचन पूरे किये जा रहे हैं. अनुकम्पा नियुक्ति के संबंध में वायदा किया गया था कि निराकरण हेतु अभियान चलायेंगे. सभी विभागों पर सभी स्तरों पर संयुक्त परामर्शदात्री समिति की प्रत्येक 4 माह में बैठक अनिवार्य की जायेगी. बैठक में उपस्थित सक्षम प्राधिकारी अपने अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत प्रकरणों का निराकरण बैठक में करते हुए समिति को अवगत कराएंगे यह वायदा किया गया था इसके लिये 14.1.2019 को ही आदेश जारी हो गये. प्रक्रिया आरंभ हो गई. शासकीय सेवक और स्थाई कर्मियों,पंचायत सचिवों,पेंशनर्स,परिवार पेंशनर्स को सातवें वेतमान के भत्ते, राहत में 1 जनवरी, 2019 से 3 प्रतिशत की वृद्धि की गई है.मंत्रिपरिषद् द्वारा 3 जून,2019 को निर्णय ले लिया गया. निर्देश जारी कर दिये गये और सारे वायदे जो भी शासकीय कर्मियों से संबंधित हैं जितने पूरे हो सकें धीरे-धीरे पूरे कर रहे हैं जिनमें वित्तीय भार बहुत ज्यादा है उनके लिये भी रास्ता निकाला जा रहा है. उससे पीछे नहीं हट रही है हमारी सरकार. सबसे बड़ी बात अतिथि शिक्षक, संविदा कर्मी और रोजगार सहायक ये तीन ऐसे वर्ग हैं जिनके नियमितिकरण का वायदा भी वचनपत्र में किया गया था और सही बात है कि यह बहुत बड़ा इश्यू है और रातों रात पूरा नहीं हो सकता है. यह भी सही है कि आपने खजाना खाली छोड़ा है, उसके लिए विचार करना पड़ेगा और हमारी सरकार ने विचार मंथन प्रारंभ कर दिया है. हमारी सरकार, माननीय मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ जी ने हमारे माननीय मंत्री डॉ. गोविन्द सिंह जी की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई है जो भी इन वर्गों से ज्ञापन प्राप्त हुए हैं, उन पर कमेटी विचार करेगी और प्राथमिकता के आधार पर चरणबद्ध तरीके से इनको पूरा किया जाएगा, सबको नियमित किया जाएगा. मेरा इसमें थोड़ा शासन को भी सुझाव है कि अतिथि शिक्षक, संविदा कर्मी और रोजगार सहायक ये 3 बड़े वर्ग हैं जिनका नियमितिकरण किये जाने के लिए हम वचनबद्ध हैं. इनमें जहां फाइनेंश्यल बर्डन कम है या नहीं हैं उनको थोड़ा जल्दी लिया जाय. कमेटी के अध्यक्ष भी डॉ. गोविन्द सिंह है इसलिए उनसे निवेदन है और खासतौर से रोजगार सहायक, रोजगार सहायकों को जो 9000 रुपये महीना मिलता है, जिसमें मनरेगा से 5000 रुपये, 2000 रुपये स्वच्छ भारत अभियान से और 2000 रुपये प्रधानमंत्री आवास योजना से मिलता है तो उनको इसी वेतन पर नियमित किया जा सकता है. भविष्य में धीरे-धीरे वेतन भी बढ़ाया जाय. यह कमेटी निश्चित रूप से विचार करेगी. जहां फाइनेश्यल बर्डन कम हैं वहां प्राथमिकता से जल्दी उनका नियमितिकरण करेंगे बाकी जहां पर फाइनेंश्यल बर्डन ज्यादा है वह भी चरणबद्ध तरीके से नियमित करने के लिए हमारी सरकार वचनबद्ध है.
उपाध्यक्ष महोदया, विधायकों के निजी सहायकों के संबंध में चर्चा आई, मेरा यहां पर यह कहना है, मेरी यह मांग है कि सरकार से विधायकों के लिए जो निजी सचिव अटैच होते हैं. उनके लिए नियम है कि उनको स्टेनोग्राफी आनी चाहिए और वे सहायक वर्ग के होने चाहिए, क्लर्क होने चाहिए, उसमें बहुत से विधायकों की यह मांग आई कि ज्यादातर विधायक शिक्षक वर्ग से भी निज सहायक चाहते हैं तो मैं धन्यवाद दूंगा हमारे मंत्री डॉ. गोविन्द सिंह जी ने पूर्व में घोषणा की थी कि विशेष परिस्थितियों में विशेष स्वीकृति देकर कई विधायकों को शिक्षक वर्ग से या अन्य वर्गों से भी निज सहायक दे दिये गये हैं. इस पर नीतिगत निर्णय लेकर एक आदेश भी वह जारी कर रहे हैं तो उसके लिए भी मैं उनको बहुत बहुत धन्यवाद दूंगा.
उपाध्यक्ष महोदया, यहां मैं ध्यान आकर्षित कराना चाहूंगा यह जो प्रतिनियुक्ति पर विधायकों के पास निज सहायक आते हैं उनको वर्ष 1990 में एक नियम बना था उनको विशेष भत्ता 200 रुपये प्रतिमाह दिया जाता है जो कि बहुत ही कम है. मैं समझता हूं कि आज के जमाने में तो हास्यास्पद है तो उसको बढ़ाकर कम से कम 2000 रुपये प्रतिमाह विशेष भत्ता दिया जाय तो जो टीए, डीए की बात थी वह भी उसमें कवर होगी. यह मैं शासन से मांग करता हूं.
उपाध्यक्ष महोदया, अब मैं सहकारिता विभाग के संबंध में कहना चाहता हूं. सहकारिता विभाग में भी वही हाल है. अब मैं कहूंगा तो आप फिर यह कहेंगे कि आपको 15 साल का भूत सवार है. लेकिन यह बात बिल्कुल सही है. यह तथ्य है कि सहकारिता आन्दोलन को तो मुझे ऐसा लगता है कि मुझे यह कहने में कोई संशय नहीं है कि पिछले 15 सालों में जैसे षड्यंत्रपूर्वक योजनाबद्ध तरीके से जानबूझकर उसे ध्वस्त किया गया. आज सहकारी संस्थाओं की स्थिति कंगाल की तरह हो गई है, तमाम हमारे बैंक खत्म हो गये हैं. भूमि विकास बैंक खत्म हो गया है. तमाम को-आपरेटिव बैंक आरबीआई के नियमों के अनुसार खत्म होने की कगार पर हैं. मुश्किल से प्रदेश में 3 या 4 ऐसे बैंक हैं जो सही चल रहे हैं. ऐसी स्थिति हमको विरासत में मिली है.यह पिछली सरकार ने छोड़ी है. यह बड़ी शर्म की बात है.
निजी स्वार्थों और भ्रष्ट नीतियों के कारण सहकारिता आन्दोलन भ्रष्ट हो गया है. सहकारी संस्थाएं और बैंक चेहतों को उपकृत करने का माध्यम बन गये हैं. किसानों की बजाय भारतीय जनता पार्टी के लोगों को लाभ पहुंचाया गया. यह भी आरोप लगाने में मुझे कोई संकोच नहीं है. बैंक की आर्थिक स्थिति बदतर हो गई है. वैद्यनाथन कमेटी, केन्द्र सरकार ने वैद्यनाथन कमेटी की अनुशंसा पर करोड़ों अरबों रुपये का अनुदान सहकारी संस्थाओं के लिए दिया था लेकिन बड़े दुःख की बात है कि सहकारिता अधिनियम में संशोधन किया गया है. जिसमें चेहतों को बगैर चुनाव के सहकारी संस्थाओं की बागडोर सौंपने की बात कही गई है. बिना चुनाव के सहकारी संस्थाओं की बागडोर चेहतों को दे दी गई . यह जो वैधनाथन कमेटी की शर्तें थी, जो एमओयू था जो केन्द्र सरकार से एमओयू हुआ था उसका खुल्लमखुल्ला उल्लंघन था. इसके कारण बाद की किश्तें नहीं मिल पाई करीब 625 करोड़ रुपये जो मध्यप्रदेश सरकार को मिलते वैद्यनाथन कमेटी की अनुशंसा के अनुसार वह नहीं मिल सके, उसकी जिम्मेदार पूर्व की भाजपा सरकार है. इसके कारण सहकारिता क्षेत्र में आज जो स्थिति उत्पन्न हुई है. अब मैं सम्मान करूंगा आदरणीय श्री गौरीशंकर बिसेन जी का उन्होंने भी स्वीकार किया. उन्होंने भी अपने भाषण में कहा कि अभी इस सरकार को 6-7 महीने हुए हैं इसलिए हम ज्यादा बात नहीं कर सकते हैं. वह स्वीकार कर रहे हैं तो सही भी बात है. मैं उनको धन्यवाद दूंगा 6 महीने, 7 महीने हुए हैं जिसमें 15 साल से जो शासन चला आ रहा था, उसके बाद नया शासन आया, बहुत से आवश्यक निर्णय लेने पड़ते हैं. कई चीजें पॉलिसी मेटर्स की होती है, उनको डिसाइड करने के लिए समय चाहिए. सरकारिता क्षेत्र के सुधार के लिए भी हमारी सरकार मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ के नेतृत्व में वचनबद्ध है. हमारे सहकारिता मंत्री डॉ. गोविन्द सिंह जी इस क्षेत्र के बहुत अनुभवी खिलाड़ी हैं और हमारी सरकार की नीयत साफ है. हम सहकारिता को पुनः मजबूत करना चाहते हैं और इस दिशा में निश्चित रूप से हम काम करेंगे. लेकिन जो स्थिति विरासत में मिली उसको सुधारने में समय तो हमें चाहिएगा. जो किसानों की अंशपूंजी और उसकी बात अभी हुई थी उसमें पहले ही हमारे मंत्री जी स्पष्ट कर चुके हैं कि हमारी सरकार बिल्कुल किसानों की जो अंशपूंजी है उसे नहीं लेगी और जहां किसी गफलत के कारण ली भी गई है उसे वापस लौटाया जाएगा. यह हमारी सरकार ने वायदा किया है.
उपाध्यक्ष महोदया, विधानमंडल के संबंध में अभी विधायकों की सुविधा के बारे में बात रखी गई. मेरे ख्याल से सभी सदस्य सहमत होंगे, चाहे विधायक निधि हो, चाहे स्वेच्छानुदान हो, यह सब जो मंहगाई बढ़ रही है उसके अनुसार बढ़ाया जाना चाहिए और माननीय उपाध्यक्ष महोदया मैं कहना चाहूंगा कि इसमें थोड़ी सी जिम्मेदारी हमारे अध्यक्ष महोदय ने मुझे भी दी है, मुझे सदस्य सुविधा समिति का सभापति बनाया है और कल हमने बैठक की थी, उसमें प्रारंभिक चर्चा हुई. बहुत सार्थक चर्चा हुई, बहुत अच्छे सुझाव आए उसमें खासतौर से वरिष्ठ विधायक श्री नागेन्द्र सिंह जी और श्री जगदीश देवड़ा जी थे, उन्होंने भी बहुत अच्छे सुझाव दिये है, उस पर विचार करके जल्दी ही हम बैठक करेंगे. मैं तो सभी विधायकों से अनुरोध करूंगा कि हमारी समिति को जो भी सुझाव हैं वह लिखित में दें, उसमें विधायक निधि बढ़ाना, स्वेच्छानुदान राशि बढ़ाना यह तो अलग बात है.
एक महत्वपूर्ण बात हम लोगों के सामने आई उसका प्रयास किया जाना चाहिए, वह करेंगे. शासन को हम लोग सलाह भी देंगे, अपनी रिपोर्ट देंगे कि कूपन की व्यवस्था बदलकर कार्ड की व्यवस्था की जाय जैसे सासंदों की होती है, उससे बहुत असुविधा हमारे सदस्यों की दूर होगी.
क्षेत्र में या जिला मुख्यालय पर एक विधायक निवास बनाया जाय. जैसे कलेक्टर निवास, पुलिस अधीक्षक निवास होता है, जो भी विधायक हो, उसे अपने कार्यालय के रूप में या अगर वहां निवास नहीं करता है गांव में निवास करता है तो अपने निवास के रूप में भी उसका उपयोग कर सके. इस तरह के बहुत अच्छे उपयोगी सुझाव आए हैं.
एक यह भी सुझाव आया था कि संसद में जिस तरह से सेंट्रल हॉल है या अन्य स्थान हैं, जहां सदस्य लोग कुछ समय के लिए बैठ सकते हैं. चाय काफी ठंडा पी सकते हैं. आपस में गंभीर चर्चाएं कर सकते हैं. ऐसा विधान सभा भवन में भी होना चाहिए. ऐसा क्षेत्र जहां प्रतिबंधित हो, और कोई न आ सके. केवल विधायक बैठकर आपस में बातचीत कर सकें. यहां तो हम लोग आमने-सामने टेंशन में रहते हैं. लेकिन वहां बैठकर मित्रतापूर्वक वातावरण में बात हो सकती है. विपक्ष और सत्ता दल के लोग भी आपस में राय मश्विरा कर सकते हैं. ऐसे बहुत उपयोगी सुझाव आए उसकी रिपोर्ट हम जल्दी से जल्दी प्रस्तुत करेंगे. इसी के साथ माननीय उपाध्यक्ष महोदया, आपने मुझे जो बोलने की अनुमति दी इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद. मैं इन सभी मांगों का समर्थन करता हूं. (मेजों की थपथपाहट)...
श्री रामपाल सिंह - उपाध्यक्ष महोदया, माननीय श्री घनश्याम सिंह जी बहुत सीनियर सदस्य हैं मंत्रिमंडल में इनका नाम आ रहा था इनको कहां सभापति में उलझा दिया. ऐसा इनके साथ में अन्याय हो रहा है. हम बहुत पुराने साथी हैं. बहुत प्रतिष्ठित परिवार है.
उपाध्यक्ष महोदय - वहां भी बहुत अच्छा रिजल्ट देंगे. बहुत शानदार. डॉ. मोहन यादव जी, श्री बहादुर सिंह चौहान जी..
श्री बहादुर सिंह चौहान (महिदपुर) - उपाध्यक्ष महोदया, मैं मांग संख्या 1, 2, 17 और 28 ..
श्री विश्वास सारंग - उपाध्यक्ष महोदया, वैसे जोड़ अच्छी है, यहां बहादुर सिंह जी, वहां प्रद्युम्न सिंह जी. बराबरी का मामला है.
श्री बहादुर सिंह चौहान- वही बराबरी कर पाएंगे. दूसरे नहीं कर पाएंगे.
श्री विश्वास सारंग - पर भारी हमारा बहादुर ही पड़ेगा, ध्यान रखना.
श्री रामपाल सिंह - और यहां श्री उमाकांत शर्मा जी और वहां श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव जी विदिशा वाले, बराबरी है.
खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री (श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर) - हमसे भारी हो, हम तो जानते हैं पहले से ही. हर बात में आप भारी हो.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर - विश्वास सारंग जी, हमारे पास भी मुरैना के श्री गिर्राज डण्डौतिया जी हैं आप चिंता मत करना.
श्री बहादुर सिंह चौहान-वह हैवी पड़ेंगे, उनसे मैं लड़ नहीं सकता. वे चंबल के व्यक्ति हैं. मैं मालवा का हूं.
उपाध्यक्ष महोदया मैं मांग संख्या 1,2,17 और 28 का विरोध करता हूं और कटौती प्रस्तावों का समर्थन करता हूं. उपाध्यक्ष महोदया माननीय मंत्री जी सामान्य प्रशासन विभाग के भी मंत्री हैं. जब वह विपक्ष में बैठते थे और बोलते थे तो आपसे मैं बहुत सीखता था. गोविन्द सिंह जी हमारे सहकारिता मंत्री भी हैं. वह अंदर से और बाहर से दोनों तरफ से एक जैसे ही हैं. इसे कहने में कोई संकोच नहीं है, कोई दूसरे मंत्री आयेंगे तो उनके बारे में भी बोलेंगे इस बात की चिंता नहीं है. सहकारिता के ज्ञान के बारे में आप पहले से बहुत वरिष्ठ हैं. मेरा आग्रह है कि इस बार सहकारिता में जो भण्डार गृह का जो अनुदान था वह आपने समाप्त कर दिया है. मंत्री जी मैं आपसे कहना चाहता हूं कि गांवों में एक लीड संस्था होती है उसमे हमारा यूरिया, हमारा डीएपी, बीज का भण्डार हो जाता है और उस लीड संस्था में 6 से 8 तक अन्य संस्थाएं भी होती हैं तो किसान वहां से आराम से अपना खाद और बीज लेकर जा सकता था हमारे पूर्व सहकारिता मंत्री जी ने हमारे क्षेत्र में 7 ऐसे भण्डार गृह बनवाए थे और आपने इसको बंद कर दिया है विभाग के अधिकारियों ने आपको क्या सलाह दी है पता नहीं. मैं चाहता हूं कि इस अनुदान को खत्म नहीं करें और अगली बार इसको जोड़ें, ताकि यह छोटे छोटे 500 मैट्रिक टन के, 1000 मैट्रिक टन के वेयर हाऊस बन जायेंगे तो किसान को बहुत अधिक सुविधा हो जायेगी मेरा आपसे इसमें इतना ही आग्रह है.
दूसरा मेरा आपसे यह आग्रह है कि किसान फसल ऋण माफी योजना के अंतर्गत सरकार का उद्देश्य साफ है. मध्यप्रदेश के किसानों का कर्जा आप माफ करना चाह रहे है. हमारे 55 लाख किसान हैं और लगभग 54 से 55 हजार करोड़ का कर्ज वह माफ करना चाहते हैं. आपने पहले 5 हजार करोड़ और अभी 8 हजार करोड़ इस प्रकार से 13 हजार करोड़ दिये हैं. निचले स्तर पर जो संस्था के प्रबंधक हैं वह किसानों को सही जानकारी नहीं दे रहे हैं. किसान वहां तक आते है और वापस चले जाते है किसान का ऋण माफ हुआ है, इनका नियम के हिसाब से नीचे के स्तर पर ऋण माफ हुआ है. लेकिन किसानों को जो सुविधा मिलना चाहिए वह संस्थाएं वहां के प्रबंधक और सहायक प्रबंधक द्वारा नहीं दिये जाने के कारण किसान वहां पर चक्कर लगाकर वापस चला जाता है. मेरा आपसे आग्रह है कि आप प्रदेश स्तर पर एक बार इसका परीक्षण करवा लें और जिन जिन किसानों का कर्ज माफ हो गया है उनको सही जानकारी दी जावे और जिनका कर्ज माफ नहीं हुआ है उनको क्या करना है यह जानकारी भी वहां पर किसानों को देंगे तो बहुत अच्छा होगा. मेरा कहना है कि आपने भूत बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन जिले में ही सेवाएं समाप्त की हैं आपने ऐसा क्या हमसे आपका प्रेम है. प्रदेश के अन्य जिलों में कहीं पर भी आपने सेवाएं समाप्त नहीं की हैं. मैं सहकारिता मंत्री जी को याद दिलाना चाहता हूं कि यह संस्थाएं कितना गंभीर काम करती हैं पूरा उपार्जन का काम यह सहकारी संस्थाएं करती हैं, कोई 50 हजार क्विंटल गेहूं खरीदती है, कोई 75 हजार क्विंटल खरीदती है और कोई लाख से ऊपर भी गेहूं खरीदती है. वहां पर सेल्स मेन कम्पयूटर आपरेटर की आवश्यकता होती है, उनका वेतन वह संस्था ही दे रही है क्योंकि उस संस्था के पास में 30 से 40 लाख कमीशन आ रहा है तो संस्था के ऊपर कोई भार नहीं पड़ रहा है. लेकिन मंत्री जी आपके ऐसे कौन से अधिकारी हैं कि उन्होंने उन सभी की सेवाएं समाप्त कर दी हैं. हमारे यहां पर 56 उपार्जन केन्द्र हैं वहां पर सेल्स मेन न होने के कारण गेहूं और चावल बांटने की समस्या खड़ी हो गई है. आप देखें वहां पर किसी संस्था में 3 कर्मचारी काम कर रहे हैं किसी संस्था में 5 कर्मचारी काम कर रहे हैं. मेरा कहना है कि आप कार्यवाही करें तो पूरे मध्यप्रदेश में करें हमारे भूत बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन से ही क्यों शुरूवात की है . यदि आपको सेवाएं समाप्त करना है तो आपके जो भी वरिष्ठ अधिकारी हैं जो यहां पर बैठे भी हैं तो ऐसी भर्तियां यहां पर पूरे मध्यप्रदेश में संचालक मण्डलों ने की है तो उज्जैन जिले की 172 संस्थाओं की केवल सेवाएं समाप्त की हैं इसके पीछे कोई न कोई कारण है. मेरा कहना है कि आप इसको दिखवा लें, इसका परीक्षण करवा लें, अभी आपने वहां से हटा दिया है तो उस संस्था में काम कैसे करवायें. आपने हटा दिया है ठीक है लेकिन काम चलाने के लिए कलेक्टर रेट पर उनसे ही अभी काम करवा लें. मेरा प्रश्न आयेगा मेरा ध्यानाकर्षण आयेगा कि इस तरह की कार्यवाही उज्जैन जिले में हुई है तो पूरे मध्यप्रदेश में क्यों नहीं की है. मैं प्रश्न और ध्यानाकर्षण के माध्यम से आपसे पूछ लूंगा तो फिर पूरे प्रदेश की नियुक्तियां समाप्त होंगी, और सहकारिता का आपका काम ठप्प हो जायेगा आप काम नहीं करवा पायेंगे. अभी बिसेन जी ने जो एक मुद्दा उठाया है वह बहुत ही महत्वपूर्ण है. यह जरूर केन्द्र सरकार जैसा मामला है इसको आप ही करवा सकते हैं. एक बोरा खरीदने पर हम केवल 10 रूपये दे रहे हैं, उसको ट्राली में से भरना, फिर तुलावटी उस पर 2 या 3 रूपये लेता है फिर लोड करके वेयर हाऊस तक पहुंचाना यह सब काम केवल 10 रूपये में होता है. आज यह काम कोई भी करने को तैयार नहीं है. 10 रूपये में यह काम संभव ही नहीं है. मैं तो कह रहा हूं कि 20 रूपये या उससे अधिक प्रति बोरा दी जाय ताकि संस्थाओं को कमीशन मिल सके, कई संस्थाएं घाटे में चली जाती हैं, चूंकि यह मामला केन्द्र से जुड़ा हुआ मामला है और इसको आप हल करवा सकते है. मैं चाहता हूं कि आप इसको निश्चित रूप से हल करवायेंगे.
मेरा आपसे एक आग्रह और है कि प्रदेश की 38 बैंक में, पहले 12 हजार करोड़ रूपये से 16 हजार करोड़ रूपये पर ऋण चला गया था. अब इतना ऋण किसानों को नहीं दिया जा रहा है. यह जो विभाग है यह गांवों से किसानों से जुड़ा हुआ विभाग है. मेरी इस बात को अन्यथा न लें जिसकी भी सरकार आती है इस विभाग का सब शोषण करते हैं. यह विभाग इस कारण से समाप्त होते जा रहा है. मैं यह सही बात कह रहा हूं. इससे पार्टी के आयेजन करवाना, बसें भरवाना, भीड़ इकट्ठी करवाना. मैं जो बात कह रहा हूं वह निष्पक्षता के साथ कह रहा हूं. यहां पर जो विधायक बैठे हैं वह अधिकांश गांव के विधायक हैं, हमारे गांव मे ही किसान की आत्मा टिकी हुई है. मैं यहां पर यह इसलिए कह रहा हूं कि इस विभाग को आप ही ठीक कर सकते हैं मुझे पूरी उम्मीद है कि इस विभाग को मजबूत बनाने के लिए ऋण की और बढोत्री करेंगे, अभी जो ऋण दिया जा रहा है वह कम है इसको और बढ़ाया जाय ताकि किसानों को क्षेत्र में सरलता से ऋण उपलब्ध हो सके. यह मेरा आपसे आग्रह है.
मेरा यह भी कहना है कि आपने सूचना और प्रौद्योगिकी का बजट शून्य कर दिया है. माननीय मुख्यमंत्री जी ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की बात कल ही की है तो इसका बजट तो अधिक से अधिक करें ताकि प्रदेश के युवाओं को इसका लाभ मिल सके.
मैं एक दूसरा महत्वपूर्ण विषय आपके सामने रखना चाहता हूं कि जो उपार्जन केन्द्र हैं वहां पर किसी उपार्जन केन्द्र को तो बहुत लाभ होता है और किसी उपार्जन केन्द्र को बहुत हानि ह&