मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
__________________________________________________________
षोडश विधान सभा चतुर्थ सत्र
दिसम्बर, 2024 सत्र
बुधवार, दिनांक 18 दिसम्बर, 2024
( 27 अग्रहायण, शक संवत् 1946 )
[खण्ड- 4 ] [अंक-3]
__________________________________________________________
मध्यप्रदेश विधान सभा
बुधवार, दिनांक 18 दिसम्बर, 2024
( 27 अग्रहायण, शक संवत् 1946 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.02 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए.}
शपथ/प्रतिज्ञान
अध्यक्ष महोदय - उप चुनाव में, निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक-2, विजयपुर से निर्वाचित सदस्य श्री मुकेश मल्होत्रा शपथ लेंगे, सदस्यों की नामावली में हस्ताक्षर करेंगे एवं सभा में अपना स्थान ग्रहण करेंगे.
क्रमांक सदस्य (क्षेत्र) शपथ/प्रतिज्ञान
1. श्री मुकेश मल्होत्रा (विजयपुर) (शपथ)
(मेजों की थपथपाहट)
11.03 बजे बधाई
श्री सुरेश राजे, डबरा एवं श्री मुकेश मल्होत्रा, विजयपुर को जन्मदिन की बधाई
अध्यक्ष महोदय - आज विधान सभा क्षेत्र क्रमांक - 19 डबरा, ग्वालियर से माननीय सदस्य श्री सुरेश राजे जी का जन्मदिन है, सदन की ओर से उनको हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं. (मेजों की थपथपाहट)
माननीय सदस्य श्री मुकेश मल्होत्रा जी, उन्होंने आज शपथ ली है और उनका आज जन्मदिन भी है, इसलिए उनको डबल बधाई. (मेजों की थपथपाहट)
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, सरकार का बड़ा विकट भी लिया है, इसलिए हम सबकी ओर से भी श्री मुकेश मल्होत्रा जी को बहुत बहुत बधाई, शुभकामनाएं. सरकार को आईना दिखा दिया है आपने श्री मुकेश मल्होत्रा जी. आपको बहुत बहुत बधाई.
11.04 बजे तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न क्रमांक 1 श्री कुंवर सिंह टेकाम जी.
शासकीय भूमि का आवंटन
[राजस्व]
1. ( *क्र. 1283 ) श्री कुँवर सिंह टेकाम : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या तहसील मड़वास जिला सीधी के पटवारी हल्का टिकरी के अंतर्गत हाल खसरा क्र. 1142, 1143, 1816, 1817 वर्ष 1957 से 1961 तक मध्यप्रदेश शासन की जमीन थी? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में खसरा क्र. 1142, 1143, 1816, 1817 को वृक्षारोपण हेतु कब और किसे आवंटित की गई थी? आदेश की प्रति उपलब्ध करायें। (ग) प्रश्नांश (ख) के संदर्भ में खसरा क्र. 1142, 1143, 1816, 1817 को किस नियम/आदेश के तहत श्री आनंद बहादुर सिंह, पिता श्री रन्नूसिंह चौहान के नाम भूमि स्वामी दर्ज किया गया? आदेश एवं नियम की प्रति उपलब्ध करायें। (घ) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में खसरा क्र. 1142, 1143, 1816, 1817 यदि शासकीय भूमि थी तो उसे शासकीय भूमि से निजी भूमि में परिवर्तित किया गया है, पुन: शासकीय भूमि के रूप में दर्ज की जावेगी? यदि हाँ, तो समय-सीमा बतायें।
राजस्व मंत्री ( श्री करण सिंह वर्मा ) : (क) तहसील मड़वास जिला सीधी के हल्का टिकरी के अन्तर्गत हाल खसरा क्रमांक 1142, 1143, 1816, 1817 के संबंध में जिला अभिलेखागार सीधी से प्राप्त वर्ष 1956-1957 से लगायत 1960-1961 तक के खसरा की प्रमाणित प्रति अनुसार आराजी नम्बर 384 रकबा 3.94 एकड़ (किस्म जंगल), आराजी खसरा नम्बर 386 रकबा 0.24 एकड़, के भूमि स्वामी रन्नू सिंह वल्द शुभकरन सिंह चैहान सा. चैहानन टोला दर्ज अभिलेख है तथा आराजी क्रमांक 397 रकबा 7.05 एकड़ (किस्म जंगल), रन्नू सिंह वल्द शुभकरन सिंह चैहान सा. चैहानन टोला 5.79 हे. 397/1, 15.53 एकड़ 4.00 (किस्म जंगल) छिहोरी वल्द बुद्धि बानी सा.देह भूमि स्वामी दर्ज अभिलेख है। इसी प्रकार अधिकार अभिलेख 1975-1976 के अनुसार खाता क्रमांक 83 खसरा नम्बर 384/1 से निर्मित नम्बर 507, 384/2 से निर्मित नम्बर 508, खसरा क्रमांक 386 से निर्मित नम्बर 511 खसरा क्रमांक 397 से निर्मित नम्बर 532 तथा खसरा क्रमांक 397 से ही निर्मित नम्बर 534 किता 5 कुल रकया 4.34 हे. के भूमि स्वामी रन्नू सिंह वल्द शुभकरन सिंह चैहान सा. चैहानन टोला दर्ज अभिलेख है। इसी तरह नया बन्दोबस्त की तैयार रिनम्बरिंग सूची एवं अधिकार अभिलेख अनुसार आराजी खसरा क्रमांक 534/2 रकबा 0.38 हे. से निर्मित नया हाल नम्बर 1142 खसरा क्रमांक 534/2 रकबा 0.81 हे. से निर्मित नया हाल नम्बर 1143 खसरा क्रमांक 507, 532/1, 507 टू.,532/1 टू. रकबा 0.55 हे. से निर्मित हाल नम्बर 1816, खसरा क्रमांक 507 टू., 508 टू., 511 टू., 532/1 टू. से निर्मित हाल नम्बर 1817 में आनन्द बहादुर सिंह पिता रन्नू सिंह चैहान सा.देह शासकीय पट्टेदार (वृक्षारोपण हेतु) अधिकार अभिलेख अनुसार दर्ज अभिलेख है। प्रमाणित प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में नया बंदोबस्त अधिकार अभिलेख के प्रमाणित प्रति अनुसार नया खसरा क्रमांक 1142, 1143, 1816, 1817 में भूमि स्वामी आनन्द बहादुर सिंह पिता रन्नू सिंह चैहान सा.देह शासकीय पट्टेदार (वृक्षारोपण हेतु) दर्ज अभिलेख है। आदेश का हवाला अंकित होना नहीं पाया जाता। प्रमाणित प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) प्रश्नांश (ख) के संदर्भ में खसरा क्रमांक 1142, 1143, 1816, 1817 एवं 1813, 1814, 1815 के संबंध में भूमि स्वामी आनन्द बहादुर सिंह पिता रन्नू सिंह चैहान सा.देह के द्वारा संहिता की धारा 89 के अन्तर्गत आवेदन पत्र दिनांक 02.05.2007 को पेश होने पर प्रकरण क्रमांक 134/31-6-31/2006-2007 के रूप में पंजीबद्ध किया जाकर दिनांक 06.08.2007 को आदेश पारित किया गया है कि आराजी नम्बर 1142, 1143, 1815, 1816, 1817 में दर्ज शासकीय पट्टेदार एवं आराजी नम्बर 1140/0.020 श्मसान एवं आराजी नम्बर 1813, 1814 पर दर्ज भूमि स्वामी केमला विश्वकर्मा के स्थान पर आवेदक का नाम दर्ज किये जाने एवं शेष आराजियों के संबंध में रिनम्बरिंग सूची प्रकरण में पेश न करने से पृथक से कार्यवाही करने का आदेश पारित किया गया है। प्रमाणित प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। इसी प्रकार हाल में नया नम्बर 1142, 1143, 1816, 1817 एवं 1815 के संबंध में भूमिस्वामी आनन्द बहादुर सिंह पिता रन्नू सिंह चैहान सा.देह द्वारा बंदोबस्त त्रुटि सुधार एवं रकबा पूर्ति हेतु आवेदन पत्र दिनांक 02.01.2006 को पेश करने पर प्रकरण क्रमांक 24/3-6/2007-2008 के रूप में पंजीबद्ध किया जाकर दिनांक 13.02.2008 को ग्राम टिकरी की नया आराजी नम्बर 1142, 1143, 1815, 1816, 1817 में दर्ज शासकीय पट्टेदार आराजी नम्बर 1140 में श्मसान एवं आराजी नम्बर 1813, 1814 पर दर्ज अनावेदक भूमि स्वामी के स्थान पर आवेदक का नाम स्वतंत्र भूमि स्वामी के रूप में दर्ज किये जाने का आदेश पारित किया गया। प्रमाणित प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (घ) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में खसरा क्रमांक 1142, 1143, 1816, 1817 के संबंध में माननीय न्यायालय कलेक्टर महोदय सीधी के प्रकरण क्रमांक 0066/निगरानी/2020-2021 विचाराधीन होने पर आनन्द बहादुर सिंह पिता रन्नू सिंह सा.शेरगाव्य (चैहानन टोला) के द्वारा माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर में पिटीशन प्रस्तुत किया गया, जिसका 3021644/2022 है, जिसमें माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा दिनांक 08.12.2022 को अग्रिम कार्यवाही पर स्थगन आदेश जारी कर दिया गया है। प्रकरण विचाराधीन होने से समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं हो पा रहा है।
श्री कुंवर सिंह टेकाम - अध्यक्ष महोदय, मेरा जो प्रश्न है...
अध्यक्ष महोदय - एक मिनट, आपको बोलना है, मैं उपस्थित हूं. माननीय मंत्री जी, आप जवाब पटल पर रखो. उत्तर पटल पर रखा है, आप ऐसा बोलें.
श्री कुंवर सिंह टेकाम - अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न क्रमांक 1 है. मैं उपस्थित हूं.
श्री करण सिंह वर्मा - अध्यक्ष महोदय, उत्तर पटल पर रखा है.
श्री कॅुंवर सिंह टेकाम -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के जवाब में वर्ष 1956 से 1961 के खसरा में श्री आनंद बहादुर सिंह तथा श्री रन्नू सिंह का नाम अभिलेख में दर्ज है जो कि यह असत्य जानकारी है. इसमें उनका नाम कूटरचित तरीके से दर्ज है क्योंकि यह निगरानी कलेक्टर की जांच में प्रतिवेदन आया है. उसी के आधार पर माननीय उच्च न्यायालय में इन्होंने स्थगन प्राप्त किया है जिससे कि जांच न हो पाए और यह जो फर्जी तरीके से पट्टा प्राप्त किया है यह पुन: मध्यप्रदेश शासन के राजस्व अभिलेख में उस जमीन में दर्ज होना चाहिए. यह जमीन साढ़े आठ एकड़ है और मुख्य मार्ग में यह जमीन है. इसमें वर्ष 2022 में स्टे हुआ है लेकिन 2022 से आज तक न तो शासन के द्वारा ओआईसी नियुक्त किया गया और न ही जवाब प्रस्तुत किया गया. यदि ओआईसी नियुक्त किया जाकर जवाब प्रस्तुत हो जाता, तो यह जो स्टे है यह खारिज हो जाता और खारिज होने के बाद यह जमीन पुन: मध्यप्रदेश शासन में दर्ज हो सकेगी. क्या माननीय मंत्री जी ओआईसी नियुक्त कराकर जवाब प्रस्तुत कराएंगे ?
श्री करण सिंह वर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी ने जो प्रश्न किया था, उसके जवाब में मैंने स्पष्ट कहा है कि राजस्व अभिलेख वर्ष 1956-57 में खसरा क्रमांक-397, रकबा 5.79 हेक्टेयर, खसरा क्रमांक-384 रकबा 3.94 एकड़, खसरा क्रमांक-386, रकबा 0.24 एकड़ वर्तमान भूमि स्वामी आनंद बहादुर के पिता श्री रन्नू सिंह के नाम से दर्ज हुई है. वर्ष 1975-76 के अनुसार राजस्व अभिलेख में खाता क्रमांक-83, खसरा क्रमांक-384/1, 386, 397 कुल रकबा 4.34 हेक्टेयर श्री रन्नू सिंह के नाम से दर्ज रहा है. प्रश्न में उल्लेखित भूमियों के संबंध में माननीय विधायक जी का पत्र प्राप्त हुआ है और उसमें अनुविभागीय अधिकारी को निर्देशित किया गया था. इसमें माननीय उच्च न्यायालय का स्थगन है इसलिए इसमें अभी कलेक्टर कुछ निर्णय नहीं कर सकते. फिर भी आपका कहना है तो मैं माननीय उच्च न्यायालय में शासन का पक्ष रखने हेतु प्रभारी अधिकारी की नियुक्ति स्वीकृत कर दूंगा.
श्री कॅुंवर सिंह टेकाम -- बहुत-बहुत धन्यवाद.
शासकीय मंदिरों का जीर्णोद्धार
[धार्मिक न्यास और धर्मस्व]
2. ( *क्र. 706 ) श्री सतीश मालवीय : क्या राज्य मंत्री, धार्मिक न्यास और धर्मस्व महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) रियासत के जमाने में उज्जैन जिले के जो शासकीय मंदिर थे, वे मंदिर कहां-कहां स्थापित हैं? स्थापित सम्पूर्ण मंदिरों की स्थानवार सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध करावें। (ख) उज्जैन जिले के शासकीय मंदिरों की भूमि जिनके व्यवस्थापक कलेक्टर है, उन मंदिरों की कितनी भूमि कहां-कहां स्थित है? सर्वे नं. रकबा, स्थान सहित सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध करावें। (ग) घट्टिया विधानसभा में कितने शासकीय मंदिर जीण-शीर्ण हैं? जीर्ण-शीर्ण मंदिरों के जीर्णोद्धार के संबंध में विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की जा रही है? जीर्ण-शीर्ण मंदिरों को कब तक ठीक किया जावेगा?
राज्य मंत्री, धार्मिक न्यास और धर्मस्व ( श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी ) : (क) एवं (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। वर्तमान में शासन स्तर पर जीर्णोद्धार प्रस्ताव अप्राप्त है। नियमानुसार प्रस्ताव प्राप्त होने पर कार्य की औचित्यता एवं बजट की उपलब्धता के आधार पर राशि स्वीकृत की जाती है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
श्री सतीश मालवीय -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न मंदिरों से जुड़ा हुआ था और सर्वप्रथम मैं धन्यवाद देना चाहता हॅूं जो जानकारी आयी है वह पूर्णत: सही आयी है और साथ ही साथ मध्यप्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव जी के प्रति धन्यवाद भी ज्ञापित करना चाहता हॅूं. मध्यप्रदेश के अंदर धार्मिक अधिष्ठान को आगे बढ़ाने का काम धर्म की ध्वजा को हाथ में थामकर इस मध्यप्रदेश को पूरे विश्व स्तर पर क्षितिज पर पहुंचाने का काम हमारे मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव जी की सरकार कर रही है. आगामी वर्ष 2028 में हम सबके बीच में सिंहस्थ का महाकुंभ लगने वाला है. निश्चित ही पूरे विश्व के लोग सिंहस्थ में दर्शन करने के लिए आएंगे, सिंहस्थ में स्नान करने के लिए आएंगे. इस दृष्टि से उज्जैन में और पूरे मध्यप्रदेश के अंदर डॉ.मोहन यादव जी की सरकार, हमारी सरकार ने नित नये काम किए हैं. मैं इसी दृष्टि से आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हूँ कि मेरी विधानसभा क्षेत्र घट्टिया, जो कि सिंहस्थ क्षेत्र लगभग उसमें 50 से 60 परसेंट लगता है, उसमें विकास कार्य माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में हो रहा है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- माननीय अध्यक्ष जी, सदस्य बहुत बढ़िया हैं, पर विधानसभा का नाम घट्टिया है. (हंसी)
श्री सतीश मालवीय -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय डॉ.मोहन यादव जी की सरकार में बहुत अच्छा होने वाला है क्योंकि सर्वाधिक विकास कार्य डॉ.मोहन यादव जी की सरकार ने हमारी विधानसभा में किया है. निश्चित ही मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से अनुरोध करना चाहूंगा कि मेरे विधानसभा क्षेत्र में जो मंदिर हैं चूंकि पंचकोशी की यात्रा और आसपास के क्षेत्र से आने वाले, पूरे विश्व से लोग आते हैं तो आसपास का जो 20 किलोमीटर का जो एरिया है. वहां पर जितने भी बड़े मंदिर है. वहां दर्शन करने के लिये जाते हैं. मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से अनुरोध करना चाहूंगा कि जितने भी जीर्ण-शीर्ण मंदिर हैं उनके जीर्णोद्धार के लिये राशि स्वीकृत की जाये. साथ ही घट्टिया विधान सभा वहां पर लवखेड़ी हनुमान जी का भी मंदिर है, मलेश्वर महादेव जी का मंदिर उन्हेल में है. हमारी जो पंचकोशीय यात्रा निकलती है. 84 महादेव के हमारे यहां पर चार स्थान है. वहां सभी स्थानों पर चूंकि उज्जैन के पांच किलोमीटर के दायरे में हैं.
श्री भंवर सिंह शेखावत—अध्यक्ष महोदय, आप लोग नाम बदलने में लगे हुए हो इस घट्टिया को बदलकर बढ़िया कर दो.
श्री सतीश मालवीय—नाम बढ़िया ही है.
श्री भंवर सिंह शेखावत—अध्यक्ष महोदय, नाम बदलने की परम्परा तो चल ही रही है.
मुख्यमंत्री (डॉ.मोहन यादव)—शेखावत जी मैंने माननीय मंत्री जी को जानकारी दे दी है वह मूलतः संस्कृत नाम है जिसमें ट के नीचे आधा ट और लगता है जाने अनजाने में हम उसको गलत बोलते हैं. यह नाम संस्कृत का नाम है.
श्री सतीश मालवीय—अध्यक्ष महोदय, हम उनको घट्टिया ही कह रहे हैं उनको सुनने में लगता है कि थोड़ी सी आदत ऐसी हो. निश्चित ही मैं आपके माध्यम से—
श्री बाला बच्चन—हमने किसी ने कोड नहीं किया है. माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी ने कोड किया है. हमने नहीं किया है. आप संसदीय कार्य मंत्री जी को बोलिये. हम तो राईट हैं.
श्री सतीश मालवीय—अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से अनुरोध करना चाहूंगा कि मैंने जिन चार मंदिरों का उल्लेख किया है. वहां पर शीघ्रातिशीघ्र राशि स्वीकृत करके उनके जीर्णोद्धार, साथ ही अन्य जो भी मंदिर हैं उनकी भी चिन्ता पालें ताकि आने वाले समय में सिंहस्थ का महाकुंभ जो लगने वाला है उसमें पूरे विश्व के लोग आते हैं तो वह अच्छी छबि लेकर के वहां से जायें बस इतना ही मेरा माननीय मंत्री जी से अनुरोध है.
श्री धर्मेन्द्र भावसिंह लोधी—अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय विधायक जी को बताना चाहता हूं कि हमारी जो डॉ.मोहन यादव जी की सरकार है रामराज्य की स्थापना करने वाली सरकार है. धर्म की रक्षा करने वाली सरकार है. देश के यशस्वी प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी एवं प्रदेश के लोकप्रिय मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव जी के नेतृत्व में देश, प्रदेश में धार्मिक जागृति के लिये हमारी सरकार निरंतर काम कर रही है. धार्मिक स्थलों के उन्नयन एवं विकास के लिये हमारी सरकार प्रतिबद्ध है. मैं सदन को अवगत कराना चाहता हूं कि जो मंदिर शासन द्वारा संधारित हैं जिनके प्रबंधक कलेक्टर होते हैं उनके जीर्णोद्धार एवं रख-रखाव के लिये धर्मस्व विभाग के द्वारा धनराशि उपलब्ध करवाई जाती है. मध्यप्रदेश में लगभग 21 हजार से अधिक शासन संधारित मंदिर हैं. ऐसे मंदिरों को कलेक्टर के माध्यम से प्रस्ताव प्राप्त होने पर धर्मस्व विभाग जीर्णोद्धार के संबंध में कार्य करता है. मंदिरों का जीर्णोद्धार एवं रख-रखाव एक सतत प्रक्रिया है. इसके लिये प्रतिवर्ष हमारी सरकार आवश्यक बजट का प्रावधान करती है. जहां तक माननीय विधायक जी का प्रश्न है कि घट्टिया विधान सभा के शासकीय मंदिरों के जीर्णोद्धार के संबंध में माननीय विधायक जी को बताना चाहता हूं कि इस घट्टिया विधान सभा से संबंधित शासकीय मंदिरों के जीर्णोद्धार के संबंध में अभी तक कोई प्रस्ताव प्राप्त नहीं हुआ है. मंदिरों के जीर्णोद्धार का प्रस्ताव प्राप्त होने पर कार्य के औचित्य एवं बजट की उपलब्धता के आधार पर स्वीकृति प्रदान की जाती है. यदि माननीय सदस्य जी द्वारा ऐसा कोई प्रस्ताव उन्होंने देव स्थानों के बारे में बताया है. माननीय सदस्य मुझे इनका प्रस्ताव दे दें. जिन देव स्थानों के बारे में उन्होंने यहां पर अवगत कराया है. वह प्रस्ताव मुझे प्राप्त हो जायेंगे तो निश्चित रूप से हम इस पर कार्यवाही करेंगे और मंदिरों के जीर्णोद्धार का काम करेंगे.
अध्यक्ष महोदय, मेरा दूसरा पूरक प्रश्न यह है कि कई सारे मंदिर ऐसे हैं, जिनकी जमीनों पर और पुजारियों के अलावा कई सारी पीढि़यां ऐसी हैं कि कई सारे पुजारी अन्यत्र चले गए या उनके परिवार के लोग कहीं चले गए हैं, लेकिन वहां पर कई अन्य लोगों के अतिक्रमण या कब्जे हैं, मेरा मंत्री जी से अनुरोध है कि इसका निरीक्षण करवाकर एक बार जांच करवाकर संबंधित पुजारी के परिवार को या फिर सरकार के पास पुन: वह जमीन आ जाए और उसका रख-रखाव ठीक से हो ऐसा मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से अनुरोध है.
श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी – माननीय अध्यक्ष जी, जो बात विधायक जी ने रखी है अगर मंदिरों की भूमि पर किसी ने अवैध कब्जा कर रखा है, या अतिक्रमण है तो हम प्रदेश के सभी कलेक्टरों को अतिक्रमण और अवैध कब्जा हटाने के लिए विभाग के द्वारा निर्देशित करने का काम करेंगे. यदि माननीय सदस्य का कोई विशेष स्थान हो जिस पर उन्हें लगता है कि ऐसा है तो हम कलेक्टर को निर्देशित कर देंगे और अवैध कब्जा हटाने का काम हमारी सरकार करेगी.
नेता प्रतिपक्ष(श्री उमंग सिंघार) – माननीय अध्यक्ष जी, आपके माध्यम से मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि जिस प्रकार से आपके सदस्य ने प्रश्न उठाया है जीर्णशीर्ण अवस्था में कई मंदिर है, तो क्या कलेक्टर इतने फुर्सत में है, वैसे ही उन पर प्रशासनिक रूप से दबाव रहता है, तो इसमें ऐसा नियम क्यों नहीं बनता है कि कई बड़े मंदिर भी है, सनातनी अखाड़े हैं, स्थानीय धार्मिक ट्रस्ट हैं, उनको हम देने में क्यों नहीं रखते, क्यों हम कलेक्टर या प्रशासक के ऊपर निर्भर रहते हैं. मैं चाहता हूं कि इसमें शासन की कुछ नीति बनाना चाहिए. ऐसे तो आप हिन्दु की बात बहुत करते हैं. मंदिरों के अंदर फूल नहीं चढ़ रहे, भगवान की आरती नहीं हो रही, उसके लिए आप कुछ क्यों नहीं करते, अब कलेक्टर जांच करेंगे, ये थोड़ी बात होती है, इस पर कोई व्यवस्था या नियम होना चाहिए.
मुख्यमंत्री(डॉ. मोहन यादव) – माननीय अध्यक्ष जी, मैं इस संबंध में आपका ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा. माननीय नेता प्रतिपक्ष ने ये विषय उठाया है, हमारी सरकार ने निर्णय किया है कि जितनी देवस्थान की भूमि है उसके प्रबंधक तो हमेशा कलेक्टर ही होते हैं और वह उनके मंदिर के रख रखाव के लिए उस निमित्त ही भूमि होती है. माननीय सदस्य ने जो प्रश्न उठाया कि लैंड पर कहीं अतिक्रमण हुआ है या किसी और प्रकार से उसमें कब्जा हो रहा है, तो यह बात सही है कि ऐसी कोई भी भूमि पर कोई कब्जा नहीं होने देंगे, निश्श्चित रूप से उस कब्जा को हटाएंगे. (...मेजों की थपथपाहट..)
दूसरी, महत्व की बात है कि जो देव स्थान आप बता रहे हैं, सभी देव स्थानों के लिए हमारी सरकार गंभीर भी है और इस नाते से मंदिर के लिए युक्तियुक्तकरण करने के लिए हमने एक दो सदस्यीय समिति भी बना दी है, जो जमीन का प्रॉपर प्रबंधन करते हुए, मंदिर के लिए मूलत: यह गलती हो जाती है कि मंदिर के नाम पर भूमि कहीं और है और मंदिर कहीं और है, जैसे उदाहरण के लिए महाकाल मंदिर की भूमि भी महाकाल के अलावा बालाघाट, सिवनी ऐसे अन्य जगह रहती है जो बहुत दूर हो जाती है, तो कोई ऐसा रास्ता मैं नेता प्रतिपक्ष से भी एक सदस्य के रूप में चाहूंगा कि वे भी मिलकर के कोई रास्ता बताएं कि जो जिस व्यवस्थान के आसपास कम से कम उस जिले में उस भूमि का नियोजन हो जा जाए तो वह एक रास्ता रहेगा. लेकिन एक बड़ा विषय है, क्योंकि स्टेट के टाइम से चला आया विषय है. इसलिए मैं समझता हूं इसमें मिल बैठकर के ऐसा भी प्रबंध आने तक, क्या कई बार बुरा मान जाते हैं कि हमारी जमीन बालाघाट जिले से दी गई तो क्या हमारा अधिकार महाकाल पर नहीं है, ऐसा भी बोलने का भाव रहता है, लेकिन अपना मूल भाव यह है कि जमीन का प्रबंधन प्रॉपर मंदिर के लिए हो जाए, एक रास्ता इसके लिए निकलता है.
श्री उमंग सिंघार – माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आशय मंदिर की जमीनों को लेकर नहीं है. मेरा आशय मंदिर की व्यवस्था को लेकर है, जिन देवस्थानों पर पूजा नहीं हो पाती. आप कलेक्टर या प्रशासक के भरोसे रहते हैं तो हर गांव में मंदिर है, कई जगह पुजारी है, सनातन अखाड़े हैं, तो क्या आप इन अखाड़ों को जो हमारे यहां के धार्मिक स्थान है, इनको आप देना नहीं चाहते. यदि देना चाहते हैं तो इस पर विचार करेगी सरकार, इतना जानना चाह रहा हूं, जमीन की तो बात ही नहीं कर रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय – मंदिर की जो प्रापर्टियां हैं, दो प्रकार की हैं और मंदिर की प्रकृति भी बहुत प्रारंभ से चली आ रही है. एक मंदिर वह है, जिनको सरकार संधारित करती है. एक मंदिर वह है जो निजी क्षेत्र के या समाज के लोगों ने बनाया है, तो स्वाभाविक रूप से जो सरकार संधारित करती है, उसके बारे में आपका कहना है या सभी मंदिरों के बारे में कहना है.
श्री उमंग सिंघार -- अध्यक्ष महोदय, मैं तो नीति बनाने की बात कह रहा हूं, जो प्रायवेट हैं, उनकी बात ही नहीं कर रहा हूं, जो सरकार संधारित करती है, उनके बारे में एक नीति बने मैं यह चाहता हूं.
डॉ.मोहन यादव -- अध्यक्ष महोदय, मैं समझता हूं कि मेरे उत्तर में वह सारी बातें आ गईं हैं, जो मंदिर शासन के द्वारा संधारित हैं, उसी पर उनको भूमि मिली है और भूमि में भी उस भूमि के माध्यम से पुजारी प्लस मंदिर की व्यवस्था दोनों का उसमें समायोजन किया गया है, इसलिए वह देवस्थान के लिये धर्मस्व विभाग, मंत्रालय अपने आपमें, उसका संचालनालय उसका संधारण कराता है और इसीलिए मैंने यह सारी बात कही.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जी ने सही बात कही है कि मंदिर दो तरह से होते हैं, जिसमें प्रायवेट स्तर पर या बाद में बगैर जमीन के जो मंदिर हैं, उनका अपने आपमें विषय है, जो पंचायत, गांव या जिले में होते हैं, लेकिन अभी हमने बात कही है कि सरकारी स्तर पर जो माननीय घट्टिया विधानसभा के सदस्य ने विषय उठाया है, मैं उस पर भी बोलना चाहूंगा कि वह जिस देव स्थान की बात कर रहे हैं, उस देव स्थान के मामले में कोई अतिक्रमण की बात होगी तो निश्चित रूप से सरकार उस अतिक्रमण को हटायेगी.
श्री भंवर सिंह शेखावत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक मिनिट मैं बोलना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय -- जब नेता प्रतिपक्ष की इधर से बात आ गई है और मुख्यमंत्री जी का जवाब आ गया है तो आप बैठ जायें.
श्री सतीश मालवीय -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देता हूं और आभार व्यक्त करता हूं कि वह इतना बड़ा काम कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- श्री सतीश जी आप भी बैठ जायें.
श्री भंवर सिंह शेखावत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मुख्यमंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि आपके बहुत अच्छे विचार रखे हैं, इस मामले में शासकीय मंदिर और उनको एलॉट की गई जमीनें, जिनका संचालन माननीय कलेक्टर के माध्यम से होता है. माननीय मोहन भैया यह व्यवस्था अंग्रेजों के जमाने की दी गई है, आज भी बहुत सारे मंदिर हैं, जिनके साथ जो जमीनें पड़ी हैं, वह जैसा आपने अभी बताया है कि जमीनें कहीं है और मंदिर कहीं पर है, इसके लिये कोई ऐसी एक समिति बना दीजिए, जिसके अंदर कोई चार समझदार लोग हों, जो इसको समझते हों और जो कम से कम पूरा अध्ययन करके एक रिपोर्ट पेश कर दें और सरकार उस पर विचार कर ले.
जनजातीय कार्यमंत्री(कुंवर विजय शाह) -- सदन के नेता को मुख्यमंत्री बोले, सदन का नेता बोले, मोहन भैया आप घर में बोलो.
श्री भंवर सिंह शेखावत -- हमारे तो घर के ही आदमी हैं, आप तो उनको घर का ही नहीं समझते हैं.
श्री कैलाश कुशवाहा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, कई जगह तो मंदिर की जमीनों पर प्लाट कट गयें और जमीनें बिक चुकी हैं.
अध्यक्ष महोदय -- आप सभी बैठ जायें. श्री जयवर्धन सिंह जी आप बोलें.
राजस्व अधिकारियों द्वारा सा.प्र.वि. के आदेशों का पालन सुनिश्चित नहीं करना
[राजस्व]
3. ( *क्र. 1321 ) श्री जयवर्द्धन सिंह : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) अधोहस्ताक्षरकर्ता का पत्र क्र. 181, दिनांक 07.06.2024, पत्र क्र. 209, दिनांक 11.06.2024 एवं 234 दिनांक 26.06.2024 जो अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व), राघौगढ़, जिला गुना को और पृष्ठा. तहसीलदार, तहसील राघौगढ़ एवं सी.एम.ओ. नगर पालिका परिषद राघौगढ़ को प्रेषित किया गया था? प्राप्ति दिनांक से प्रश्न दिनांक तक क्या कार्यवाही सा.प्र.वि के आदेश क्रमांक एफ 19-76/2007/1/4, भोपाल दिनांक 22.3.2011 में उल्लेखित पांचों बिन्दुओं एवं परिशिष्टों (1, 2) का पालन सुनिश्चित कर किया गया है? कब-कब और क्या-क्या कार्यवाही सुनिश्चित की गई? संबंधित अधि./कर्म. का नाम, पदनाम, कार्यालयीन अभिलेखों/नोटशीटों/पत्रों/नियमों की प्रति सहित बतायें। (ख) क्या पत्र पर कृत कार्यवाही से प्रश्नकर्ता को संपूर्ण जानकारी उपलब्ध करा दी गई है? यदि नहीं, तो आदेश के उल्लंघन पर विभाग में किन-किन के विरूद्ध जिम्मेदारी निर्धारित की गई? यदि नहीं, तो क्यों?
राजस्व मंत्री ( श्री करण सिंह वर्मा ) : (क) प्रश्नकर्ता मान. सदस्य के पत्र क्रमांक 181, दिनांक 07.6.2024 के पालन में तहसीलदार राघौगढ़ द्वारा अपने पत्र क्रमांक/आ.का/2024/55, दिनांक 28.06.2024 द्वारा पत्र में वर्णित भूमि पर किये गये अवैध अतिक्रमण को चिन्हित कर सीमांकन करने हेतु दल गठित कर न्यायालयीन प्र.क्र. 0235/अ-12/2024-25 से कस्बा राघौगढ़ स्थित भूमि सर्वे क्रमांक 743, 744/1, 745, 761/1, 763 का सीमांकन दिनांक 13.11.2024 को किया जा चुका है। सीमांकन उपरांत भूमि सर्वे क्रमांक 761/1 पर 07 व्यक्तियों का मकान बनाकर एवं भूमि को रोककर अतिक्रमण पाये जाने से अतिक्रामकों के विरूद्ध म.प्र. भू-राजस्व संहिता की धारा 248 के तहत कार्यवाही प्रचलित की गई है, जिसके संबंध में तहसीलदार राघौगढ़ द्वारा मान. विधायक महोदय को एवं मुख्य नगर पालिका अधिकारी, नगरपालिका परिषद राघौगढ़-विजयपुर को तत्समय ही अवगत कराया गया था। की गई कार्यवाही के पत्रों की प्रतियां पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। पत्र क्रमांक 209, दिनांक 11.06.2024 के पालन में तहसीलदार तहसील राघौगढ़ द्वारा प्रस्तुत जांच प्रतिवेदन पत्र क्रमांक/ना.ना./2024/201, दिनांक 29.10.2024 अनुसार कस्बा राघौगढ़ स्थित भूमि सर्वे क्रमांक 84 रकबा 0.209 हे. वर्तमान खसरा अभिलेख में शासकीय कदीम दर्ज होकर खाली पड़ी है, जिस पर किसी प्रकार का अतिक्रमण नहीं हैं। उक्त भूमि पार्क निर्माण हेतु उपयुक्त होने से नगरपालिका परिषद राघौगढ़-विजयपुर को भूमि सर्वे क्रमांक 84 रकबा 0.209 हे. के खसरा एवं अक्श की प्रति तत्समय ही उपलब्ध करा दी गई है तथा मुख्य नगरपालिका अधिकारी नगरपालिका परिषद राघौगढ़-विजयपुर को पार्क निर्माण के लिये भूमि आवंटन हेतु कलेक्टर के समक्ष म.प्र. नजूल भूमि निर्वर्तन निर्देश 2020 के अंतर्गत नियमानुसार कार्यवाही करने हेतु लेख किया गया है। की गई कार्यवाही से तहसीलदार राघौगढ़ द्वारा मान. विधायक जी को अवगत कराया गया है। पत्र की प्रतियां पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। पत्र क्रमांक 234, दिनांक 26.06.2024 के पालन में नायब तहसीलदार राघौगढ़ द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन अनुसार प्राचीन गुफा मंदिर लाडपुरा के रास्ते का अतिक्रमण हटाये जाने के संबंध में न्यायालयीन प्रकरण क्रमांक 0006/अ 68/2024-25 दर्ज किया जाकर मौका स्थल पर पंचानगण के समक्ष भूमि सर्वे क्रमांक 10/1/4 रकबा 0.836 हे. में से पहुंच मार्ग रकबा अनुमानित 0.52 हे. को अतिक्रमण मुक्त किया गया। वर्तमान में गुफा मंदिर एवं आबादी तक का रास्ता खुला हुआ है। आवागमन के लिये अब कोई अवरोध नहीं हैं। उक्त संबंध में अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) राघौगढ़ द्वारा भी दिनांक 23.11.2024 को निरीक्षण किया गया था। आवेदक हेमराज भार्गव पुत्र मोतीलाल भार्गव जाति ब्राहम्ण निवासी सारसहेला हाल मुकाम गुफा मंदिर लाडपुरा भी कार्यवाही से संतुष्ट है। उक्त कार्यवाही प्रचलित किये जाने के संबंध में अधोहस्ताक्षरकर्ता मान. विधायक महोदय को पूर्व में ही अनुविभागीय अधिकारी कार्यालय के पत्र क्रमांक 1435, दिनांक 05.10.2024 द्वारा अवगत कराया जा चुका है। की गई कार्यवाही की प्रतियां पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश क्रमांक एफ 19-76/2007/1/4 भोपाल दिनांक 22.03.2011 में उल्लेखित पांचों बिंदुओं एवं परिशिष्ट (1, 2) का पालन सुनिश्चित किया जा रहा है। पत्र की प्रतियां पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। संबंधित अधिकारी कर्मचारी का नाम/पद नाम, कार्यालयीन अभिलेखों/नोटशीटों/पत्रों/नियमों की प्रति के संबंध में सुसंगत दस्तावेज पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) कार्यवाही से श्रीमान को अवगत कराया गया है पत्र की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है।
श्री जयवर्द्धन सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न कुछ शासकीय जमीनों पर जो अतिक्रमण किया गया है, उनके संबंध में है. मेरे अनुसार अध्यक्ष महोदय, अधिकतर विधायकों को अपने विधानसभा क्षेत्र में थाने और तहसील की बहुत सारी शिकायतें मिलती हैं, कुछ कामों का निराकरण फोन पर हो जाता है, लेकिन अधिकतर कामों में पत्राचार भी चलता है. अध्यक्ष महोदय, मैंने जून के माह में राघौगढ़ में तीन अतिक्रमण के संबंध में तीन पत्र एस.डी.एम. और तहसीलदार को लिखे थे, तीनों पत्रों में अध्यक्ष महोदय, कहीं भी निजी जमीन के बारे में उल्लेख नहीं किया गया था.
11.24 बजे {सभापति महोदय (डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय) पीठासीन हुए.}
सभापति महोदय, तीनों पत्रों में जो शासकीय भूमियां हैं, एक पत्र में पुराने अंबेडकर भवन के आसपास के अतिक्रमण के संबंध में, आदिवासी बालक छात्रावास में अतिक्रमण के संबंध में और माननीय नवीन मांगलिक अंबेडकर भवन के परिसर में अतिक्रमण के संबंध में है. दूसरे पत्र में माननीय सभापति महोदय, मैंने उल्लेख किया था कि एक बहुत ही प्राचीन गुफा मंदिर है, जिसके रास्ते पर ही अतिक्रमण कर लिया गया था और तीसरे पत्र में एक जगह जिसको पार्क के निर्माण के लिये आरक्षित किया गया था, वहां पर भी कोई बाहर के कॉलोनाईजर्स के माध्यम से नगर परिषद के द्वारा की गई फैसिंग को हटाकर वहां अतिक्रमण किया गया था. हमारे माननीय मंत्री बहुत ही वरिष्ठ हैं, मैं उनका बहुत सम्मान करता हूं. वह एक बार ही नहीं अनेकों बार राजस्व मंत्री रह भी चुके हैं, मेरा माननीय मंत्री जी से यह प्रश्न रहेगा कि इस पूरे मामले को लेकर जो सामान्य प्रशासन विभाग के जो आदेश हैं, क्या उनका पालन अधिकारियों द्वारा किया गया है. यह मेरा पहला प्रश्न माननीय मंत्री जी से रहेगा.
श्री करण सिंह वर्मा-- माननीय सभापति महोदय, माननीय विधायक जी ने जो पूछा है इन्होंने 3 पत्र लिखे हैं, एक अतिक्रमण रास्ते का लिखा है और उस रास्ते को खोल दिया गया है. आपने मुझसे पूछा कि क्या पत्रों के उत्तर समय पर देते हैं, आपने तीन पत्र लिखे हैं, एक शासकीय भूमि का लिखा है, एक पार्क हेतु भूमि का है जिसको मौके पर रिक्त कर दिया गया है और सीएमओ को अवगत करा दिया गया है कि वहां पार्क बनायें, वहां कोई अतिक्रमण नहीं है यदि कोई है तो आप मुझे व्यक्तिगत रूप से बता दें, उसे भी हटा दिया जायेगा और जहां तक पार्क की भूमि है, एक शासकीय भूमि है 90 प्रधानमंत्री आवास बने हैं उस पर भी हमने अधिकारी को निर्देश दिये हैं कि उसकी पूरी जानकारी दें, उस पर भी कार्यवाही की जायेगी.
श्री जयवर्द्धन सिंह-- माननीय सभापति महोदय, मैंने माननीय मंत्री जी से पूछा था कि जो सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा आदेश दिये गये हैं वर्ष 2011 में जिसमें स्पष्ट उल्लेखित किया गया है और मैं यहां से खुद के लिये नहीं बोल रहा सदन कह रहा है, विधायक के लिये बोल रहा हूं. माननीय सभापति महोदय, इस आदेश के द्वारा इसमें स्पष्ट उल्लेख किया गया है कोई भी पत्र यदि विधायक किसी भी विभाग को भेजता है तो 3 दिन के अंदर विधायक को उस पत्र की पावती मिलनी चाहिये. क्या किसी को मिलती है, उत्तर नहीं मिलता, पहला मुद्दा यह है. सभापति महोदय, दूसरा इस आदेश में उल्लेखित किया गया है कि हर महीने उक्त अधिकारी उस पत्र की समीक्षा करेगा जब तक निराकरण न हो जाये. मेरे जो तीनों पत्र हैं यह लिखे गये थे जून के महीने में, आज से 6 महीने पहले, मुझे कोई जानकारी दी गई न जुलाई के महीने में, न अगस्त में, न सितम्बर में, न अक्टूबर में, जब सूची आई विधान सभा के प्रश्नों की और जब मैंने प्रश्न पूछा तो सब 6 महीने बाद जाग गये. इसमें माननीय मंत्री जी मैं आपको थोड़ी जानकारी और दूंगा जो जीएडी का सर्कुलर है इसमें लिखा गया है कि अगर अधिकारी इन आदेशों का पालन नहीं करता है तो वह निलंबित हो सकता है, लेकिन मेरा इसमें एक ही प्वाइंट है मैं इस मामले में किसी का निलंबन नहीं चाह रहा हूं. हमने देखा है कि पिछले एक साल में सरकार की स्थिति क्या हो गई है, सिर्फ भाजपा की नहीं प्रदेश के दिग्गज नेता भूपेन्द्र सिंह जी के द्वारा कल क्या उल्लेख किया गया था एक मंत्री जी के उत्तर के बारे में. अभी कुछ दिन पहले विंध्य के एक विधायक को एसपी के सामने दण्डवत करना पड़ा. प्रदीप पटेल जी जो सत्ता पक्ष के विधायक हैं यह नौबत आ गई है... (व्यवधान)....
श्री विश्वास सारंग-- माननीय सभापति महोदय, बाकी विधायकों के भी प्रश्न हैं यहां पर भाषण देना एलाऊ नहीं है. ... (व्यवधान)....
सभापति महोदय-- आप सीधा प्रश्न करें अन्य लोगों के भी प्रश्न लगे हैं. ... (व्यवधान)....
श्री विश्वास सारंग-- माननीय सभापति महोदय, एक प्रबोधन का कार्यक्रम करवाईये उसमें जय भैया बोल लेंगे. अभी प्रश्न पूछो भाई. ... (व्यवधान)....
श्री जयवर्द्धन सिंह-- ठीक है भैया, आप बैठ जाओ तो मैं बात कर लूंगा. ... (व्यवधान)....
श्री देवेन्द्र रामनारायण सखवार-- यह अकेले एक विधान सभा की समस्या नहीं है यह सभी विधान सभाओं की समस्या है. ... (व्यवधान)....
सभापति महोदय-- अगले प्रश्न भी महत्वपूर्ण हैं ... (व्यवधान)....
श्री जयवर्द्धन सिंह -- माननीय सभापति महोदय, माननीय मंत्री जी से मेरे दो प्रश्न हैं, जो उन्होंने उल्लेख किया है. पहला प्रश्न रास्ते का प्रश्न है, जो रोक दिया गया था, उसको खुलवाया जरूर है, लेकिन जिस पंडित जी ने शिकायत की थी, उन पर ही एफआईआर हो गई है. वह दूसरी बात है, लेकिन जो बाकी दो मुद्दे हैं, जो दो और पत्र हैं, उन पर अभी भी ठीक से कार्यवाही नहीं हुई है. मेरा आपसे यही आग्रह रहेगा कि आप कलेक्टर महोदय से बात करके उनको आदेश दें कि सात दिनों के अंदर बाकी दो पत्रों पर कार्यवाही की जाए और मुझे जानकारी दी जाए. एक तो प्वॉइन्ट यह है. दूसरा, माननीय सभापति महोदय, जो मैंने कहा है, जो जीएडी का सर्कुलर है, उसका पालन मध्यप्रदेश में कहीं भी नहीं किया जा रहा है. मंत्री जी को मेरी एक सलाह है कि माननीय मंत्री जी, आपने शायद अभी एक आदेश किया था कि पूरे मध्यप्रदेश में सीमांकन लगातार पूरे महीने भर किए जाएंगे, उसी प्रकार से आपके द्वारा आज...
सभापति महोदय -- आप सीधे प्रश्न करें.
श्री जयवर्द्धन सिंह -- माननीय मंत्री जी, आप एक घोषणा आज कर दें और यह सबके लिए है. ...(व्यवधान)...
श्री कालु सिंह ठाकुर -- सभापति महोदय, ये क्या सलाह दे रहे हैं, 20-20 मिनट का प्रश्न रहेगा तो दूसरे क्या प्रश्न करेंगे. ...(व्यवधान)...
श्री जयवर्द्धन सिंह -- आज आपने साफा पहना है तो ज्यादा खुश हो रहे हैं, यह मैं जानता हूँ. आप अच्छे दिख रहे हैं, आप दो मिनट बैठ जाएं. ...(व्यवधान)...
सभापति महोदय -- व्यवधान न करें, अगले प्रश्न भी हैं.
श्री जयवर्द्धन सिंह -- सभापति महोदय, माननीय मंत्री जी को मेरी एक ही सलाह है कि आज वे यह घोषणा करें कि अगले एक माह के लिए सभी एसडीएम, तहसीलदार, पूरे मध्यप्रदेश में विधायकों के पास जाएं और पिछले एक साल में कितने पत्र विधायक के माध्यम से तहसीलदार, एसडीएम को दिए गए हैं, कितने पर कार्यवाही हुई है, कितने पर कार्यवाही नहीं हुई है, वह बताएं और वह जानकारी हर विधायक के पास लेकर जाएं. तत्काल कार्यवाही की जाए. ऐसा आदेश कृपया आप निकालें, यही मेरी आपसे प्रार्थना रहेगी.
सभापति महोदय -- माननीय सदस्य महोदय से मेरा अनुरोध है कि यह विषयानुकूल नहीं है. आपने प्रश्न जरूर उठाया है, लेकिन यह विषयानुकूल नहीं है.
श्री करण सिंह वर्मा -- माननीय सभापति महोदय, इन्होंने दो बातें कही हैं. पहली बात तो इन्होंने कोई पत्र लिखा है. ...(व्यवधान)...
श्री सोहनलाल बाल्मीक -- उसका जवाब नहीं दिया जा रहा है. ...(व्यवधान)...
श्री करण सिंह वर्मा -- माननीय, मैं जवाब दे रहा हूँ. ...(व्यवधान)...
सभापति महोदय -- कार्यवाही में आ गया है, लेकिन यह प्रश्न के विषयानुकूल नहीं है. ...(व्यवधान)...
श्री सोहनलाल बाल्मीक -- जवाब देना चाहिए, व्यवस्था तो बनाएं. ...(व्यवधान)...
श्री करण सिंह वर्मा -- माननीय सभापति महोदय, मूल दो बातें हैं. एक तो इन्होंने हमारे अनुविभागीय अधिकारी को या कलेक्टर को तीन पत्र लिखे, उन पत्रों का उन्होंने उत्तर दे दिया है. फिर भी आप कह रहे हैं. ...(व्यवधान)...
श्री जयवर्द्धन सिंह -- इसमें कोई भी पत्र नहीं हैं. मंत्री जी, इसमें एक भी पत्र नहीं हैं. आपको गुमराह किया जा रहा है.
श्री करण सिंह वर्मा -- एक मिनट, मैं उत्तर दे रहा हूँ. उत्तर तो सुन लें. पत्र की कॉपी है मेरे पास. ...(व्यवधान)...
श्री जयवर्द्धन सिंह -- अगर एक भी पत्र है, आप उसको पटल पर रखिए. ...(व्यवधान)...
श्री करण सिंह वर्मा -- मेरे पास कॉपी है, जो आपको पत्र भेजा है. ...(व्यवधान)...
श्री जयवर्द्धन सिंह -- माननीय मंत्री जी, मेरे पास नहीं है. आपने नहीं दिया है. ...(व्यवधान)...
श्री करण सिंह वर्मा -- उपलब्ध करवा देंगे. मैंने आपको तीनों बार का बता दिया कि आपका कौन सा पत्र प्राप्त हुआ, कब प्राप्त हुआ.
सभापति महोदय -- माननीय मंत्री जी, आप उपलब्ध करा दीजिए.
श्री करण सिंह वर्मा -- जी हां.
सभापति महोदय -- प्रश्न क्रमांक 4 ...(व्यवधान)...
श्री जयवर्द्धन सिंह -- माननीय सभापति जी, अभी पूरी बात नहीं हुई है. आप भी जानते हैं. मैंने इनसे एक ही निवेदन किया है कि अगर जीएडी के आदेश का पालन नहीं हो रहा है. ...(व्यवधान)...
सभापति महोदय -- आपको उपलब्ध करा दिया जाएगा.
श्री जयवर्द्धन सिंह -- सभापति महोदय, अगर जीएडी के आदेश का पालन नहीं हो रहा है तो कौन जिम्मेदार है. ...(व्यवधान)...
श्री कालु सिंह ठाकुर -- सभापति महोदय, जरा समय का ध्यान रखें, हमारा भी नंबर लग जाए.
श्री जयवर्द्धन सिंह -- माननीय सभापति महोदय, जीएडी का सर्कुलर जो है, उसका पालन क्यों नहीं हो पा रहा है, उस बात का आश्वासन मंत्री जी सभी को दें. सिर्फ मुझे नहीं, एक-एक विधायक, चाहे विपक्ष का हो, चाहे सत्ता पक्ष का हो, हमें ये आश्वासन मंत्री जी के द्वारा मिले कि पूरे प्रदेश भर में जो भी एसडीएम, तहसीलदार हैं, वे समीक्षा करें. ...(व्यवधान)...
सभापति महोदय -- मेरा माननीय सदस्य से अनुरोध है कि ये विषयानुकूल नहीं है. विषयानुकूल कार्यवाही की गई है. ...(व्यवधान)...
श्री जयवर्द्धन सिंह -- बिल्कुल है.
श्री अभय कुमार मिश्रा -- आप सीनियर हैं, आपका काम हो जाता होगा. (XX) कलेक्टर जवाब नहीं दे रहा है, ये कौन सा तरीका हो गया. ...(व्यवधान)...
सभापति महोदय -- विषयानुकूल उन्होंने कार्यवाही की है. आपको माननीय मंत्री जी पत्र उपलब्ध करा देंगे. ...(व्यवधान)...
श्री जयवर्द्धन सिंह -- माननीय मंत्री जी, एक बार आप इसका आश्वासन दे दें कि आने वाले एक महीने में पूरे प्रदेश भर में इसके लिए आप एक अभियान चलाएंगे. ...(व्यवधान)...
सभापति महोदय -- चलिए, आ गई आपकी बात, पूरी बात आ गई. प्रश्न क्रमांक 4, श्री लखन घनघोरिया जी. ...(व्यवधान)...
श्री जयवर्द्धन सिंह -- सभापति महोदय, एक बार जरूर आप इनसे उत्तर लीजिए.
कटरा अवैध रेत खदान हादसा एवं मझगवां डम्पर ऑटो दुर्घटना की जानकारी
[राजस्व]
4. ( *क्र. 210 ) श्री लखन घनघोरिया : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जबलपुर जिला के तहसील सिहोरा क्षेत्रान्तर्गत दिनांक 05 जून, 2024 को कटरा की अवैध रेत खदान दुर्घटना एवं जून माह में ही हुये ब्लडस्ट से भरे डम्पर द्वारा ऑटो को टक्कर मारने से मृतक कितने-कितने मजदूरों के परिवारों के पीड़ितों एवं घायल व्यक्तियों को जिला प्रशासन एवं शासन ने कब किस मान से कितनी-कितनी राशि की आर्थिक सहायता व अन्य क्या-क्या सुविधाएं प्रदान की है? दुर्घटना में किन-किन मृतकों के पीड़ित परिजनों तथा घायलों को कब से कितनी-कितनी राशि की आर्थिक सहायता नहीं दी गई एवं क्यों? मृतकों व घायलों की सूची सहित जानकारी दें। (ख) जिला पुलिस प्रशासन जबलपुर ने अवैध रेत खदान के संचालकों एवं डम्पर के दोषियों के विरूद्ध कब क्या कार्यवाही की है? किस-किस के विरूद्ध कब एफ.आई.आर. दर्ज कर गिरफ्तार किया है एवं किसके विरूद्ध अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है एवं क्यों? (ग) प्रश्नांकित दुर्घटनाओं में मृतकों के पीड़ित परिजनों/घायल व्यक्तियों की क्या स्थिति है? घायल मजदूरों के लिये रोजगार एवं जीवन उपार्जन की क्या व्यवस्था की गई है? यदि नहीं, तो क्यों?
राजस्व मंत्री (श्री करण सिंह वर्मा) : (क) जबलपुर जिले की तहसील सिहोरा अन्तर्गत दिनांक 5 जून, 2024 को कटरा की अवैध रेत खदान दुर्घटना एवं जून माह में हुये ब्लूडस्ट से भरे डम्पर द्वारा ऑटो को टक्कर मारने से मृतकों के सभी वारिसानों एवं घायलों को जिला प्रशासन द्वारा सहायता राशि प्रदान करने एवं मृतकों व घायलों की सूची सहित जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट 'अ' अनुसार है. (ख) जिला पुलिस प्रशासन जबलपुर द्वारा अवैध रेत खदान के संचालकों एवं डम्पर के दोषियों के विरुद्ध की गई कार्यवाही संबंधी जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट 'ब' अनुसार है. (ग) प्रश्नांकित दुर्घटनाओं में समस्त घायल व्यक्ति वर्तमान में स्वस्थ हैं. श्रमिकों/मजदूरों के द्वारा रोजगार मांगने पर ग्राम पंचायत के माध्यम से मनरेगा के अंतर्गत रोजगार की व्यवस्था है.
श्री लखन घनघोरिया - माननीय सभापति महोदय जी, मेरा प्रश्न था जबलपुर जिले के सिहोरा तहसील क्षेत्र अंतर्गत दिनांक 5 जून, 2024 को कटरा की की अवैध रेत खदान दुर्घटना में ब्लूडस्ट से भरे डम्पर द्वारा एक ऑटो को टक्कर मारने से जो मृतक मजदूर हुए हैं, उनके संदर्भ में है. इसमें हमें आधी-अधूरी जानकारी मिली है. इसमें ब्लूडस्ट से/हाइवा से जो मालवाहक ऑटो को टक्कर मारी गई है, उसकी जानकारी तो दे दी गई. जो मेरा मुख्य प्रश्न था, दिनांक 5 जून, 2024 को कटरा की अवैध रेत खदान दुर्घटना के संदर्भ में है, इसकी कोई जानकारी मुझे नहीं दी गई. मेरा आपके माध्यम से, माननीय मंत्री महोदय से आग्रह है कि एक एफआईआर दिनांक 5 जून की जगह 12 जून को कायम हुई है, इसी घटना के संदर्भ में है. मृतकों के नाम राजकुमार खटीक पिता स्व. कैलाश खटीक, मुन्नी बाई पति श्री जगन बसोड़, मुकेश बसोड़ पिता श्री जगन बसोड़ और घायलों के नाम खुशबू बसोड़ एवं सावित्री बाई बसोड़ हैं. रेत का अवैध उत्खनन हो रहा था, जेसीबी मशीन से गड्डे खोदे जा रहे थे और मजदूर लगाये गये थे, जो कि अनुसूचित जाति वर्ग के थे. वहां खदान धंसकी एवं तीन लोगों की मौत हुई और दो लोग घायल हुए. अपराध कायम हुआ, अपराध क्रमांक 284 है. इसमें अपराधियों के नाम भी चिन्ह्ति हो गए हैं- सोनू भदौरिया, चिन्टू ठाकुर और अंकित तिवारी हैं और धारा भी आईपीसी की 304, 308 और 334 लगाई गई है. सभापति महोदय, वे अनुसूचित जाति वर्ग से आते हैं.
सभापति महोदय - आप बहुत वरिष्ठ हैं. आप सीधा माननीय मंत्री जी से प्रश्न करें.
श्री लखन घनघोरिया - माननीय सभापति महोदय, इसमें एक तो कायमी में और धारा लगाने में पक्षपात हुआ है. यदि अनुसूचित जाति वर्ग का कोई पीडि़त पक्ष है, तो उसमें अनुसूचित जाति/जनजाति एक्ट की धारा 3 (2) (5) नहीं लगाई गई है और यह नहीं लगाये जाने से अनुसूचित जाति के पीडि़त पक्ष को जो आर्थिक मुआवजा मिलना चाहिए था, जब यह धारा नहीं लगाई गई है तो उनको वह मुआवजा नहीं मिलेगा.
सभापति महोदय - आप सीधा प्रश्न करें.
श्री लखन घनघोरिया - माननीय सभापति महोदय, मेरा माननीय मंत्री महोदय से एक तो इस संदर्भ में प्रश्न है और जो जानकारी दी गई है, उसमें मैं दूसरा प्रश्न करूँगा. क्या इसमें धारा बढ़ाई जायेगी ? सारे पीडि़त पक्ष अनुसूचित जाति वर्ग के हैं.
श्री करण सिंह वर्मा - माननीय सभापति महोदय, माननीय आपने जो पूछा है, वह सारी जानकारी आपके पास परिशिष्ट में है. फिर भी मैं आपको जानकारी दे दूँ कि दिनांक 5 जून, 2024 को कटरा की अवैध रेत खदान दुर्घटना में, डम्पर द्वारा ऑटो को टक्कर मारने से हुई दुर्घटना में मृतकों के वारिसों को माननीय मुख्यमंत्री जी ने अपनी स्वच्छेनुदान से 2-2 लाख रुपये दिए हैं और जिला प्रशासन द्वारा 15-15 हजार रुपये भी उनको प्रदाय किये गये हैं और जो लोग दुर्घटना में घायल हुए हैं, उनको हमने 50-50 हजार रुपये दिए हैं. इस घटना की जिला प्रशासन द्वारा जांच उपरांत पुलिस प्रशासन को खनिज के अवैध उत्खनन के परिवहन पर प्राथमिक दर्ज कराई गई है. खनिज विभाग द्वारा भी प्रकरण दर्ज कर लिया गया है और इनके खिलाफ भी एफआईआर दर्ज कर ली गई है.
श्री लखन घनघोरिया - माननीय सभापति महोदय, माननीय मंत्री महोदय जी से यही तो मैं पूछ रहा था, मैंने दो चीजें पूछी थीं. उसमें एक की तो कोई जानकारी ही नहीं दी. एक हाईवा से जो दुर्घटना हुई, जिसमें आदिवासी कोल समाज के 18 लोग सवार थे, एक मालवाहक ऑटो में उनकी मृत्यु का यहां बता दिया कि 7 लोगों की मृत्यु हुई है.
सभापति महोदय- आपको पृथक से एक उत्तर संलग्न करके दिया गया है.
श्री लखन घनघोरिया- माननीय, यह आधा-अधूरा उत्तर है. 5 जून, 2024 की घटना का उत्तर इसमें नहीं है. मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान के अंतर्गत 2 लाख रुपया आपने ब्लूडस्ट से संबंधित दुर्घटना से ग्रस्त लोगों को दिया है.
मंत्री जी, मेरा आग्रह है कि मेरा प्रश्न है, अनुसूचित जाति के जिन 3 लोगों की मौत रेत खदान के धसकने से हुई थी, आई.पी.सी. की धारा 304, 308 और 34 के तहत आपने इसमें अपराध कायम किया है लेकिन इसमें अनुसूचित जाति/जनजाति एक्ट की धारा 3 (2) (5) क्यों नहीं लगाई गई है ? यदि यह धारा लगाई गई होती तो उन परिवारों को कम से कम इसका लाभ मिल जाता और मुआवज़ा 8 लाख रुपया मिलता. आप स्वेच्छानुदान के तहत 2 लाख रुपया दे रहे हैं जो कि उनको मिला नहीं है. आप दूसरी घटना का जिक्र यहां कर रहे हैं, उसमें कोल समाज के आदिवासी लोग प्रभावित हुए थे.
सभापति महोदय- आप सीधे अपना प्रश्न करें.
श्री लखन घनघोरिया- आप इस प्रकरण में अनुसूचित जाति/जनजाति एक्ट की धारा 3 (2) (5) लगायेंगे कि नहीं ?
श्री करण सिंह वर्मा- सभापति जी, आरोपियों के खिलाफ FIR दर्ज कर ली गई है. 3 मृतक जिनकी मृत्यु खदान धसने से हुई है, हमने उन्हें भी 2-2 लाख रुपये का मुआवज़ा दिया है.
श्री लखन घनघोरिया- मंत्री जी, यही तो अनुसूचित जाति वर्ग के साथ पक्षपात है. अनुसूचित जाति वर्ग के ऊपर अत्याचार होने से जो मुआवज़ा दिया जाना है, आपका कानून यह कहता है, आपका एक्ट कहता है, अनुसूचित जाति/जनजाति एक्ट की धारा 3 (2) (5) के तहत उनको 8-8 लाख रुपये का मुआवज़ा मिलता है. जब आपने FIR दर्ज की उसमें मृतक और आरोपी दोनों चिह्नित हैं, आपने धारायें भी लगाई हैं लेकिन आपने अधूरी धारायें क्यों लगाई हैं ? क्या यह दलितों के साथ अनुसूचित जाति के लोगों के साथ पक्षपात नहीं है ?
श्री करण सिंह वर्मा- मैं इस पूरे प्रकरण को देखकर, जांच करवा लूंगा.
श्री लखन घनघोरिया- इसमें क्या देखना है, सब कुछ सामने है, यह दलित वर्ग के साथ अत्याचार का मामला है.
श्री करण सिंह वर्मा- आप मेरी प्रार्थना सुनें, माननीय मुख्यमंत्री जी को जैसे ही पता चला, 2-2 लाख रुपये उन्होंने भेजे हैं.
श्री लखन घनघोरिया- हमारा अधिकार 8 लाख रुपये का बनता है, आप यहां 2 लाख रुपये का एहसान क्यों बता रहे हैं ?
सभापति महोदय- मंत्री जी, का जवाब आ जाने दीजिये.
राज्यमंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा (श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल)- माननीय सदस्य, आप दुर्घटना और अत्याचार में अंतर करिये.
श्री लखन घनघोरिया- यह दुर्घटना नहीं है, आपका शासन है, आपकी सरकार है, FIR आपने दर्ज की, धारायें आपने लगाई हैं.
लोक निर्माण विभाग मंत्री (श्री राकेश सिंह)- यह जबलपुर का प्रकरण है. मंत्री जी ने उत्तर दिया है. मंत्री जी का आशय यही है वे भी नियम की ही बात कर रहे हैं. जो नियमानुसार होगा, वह अभी हुआ है. नियम के अनुसार यदि कहीं कुछ बाकी है तो उसकी पूर्ति भी होगी.
श्री लखन घनघोरिया- मंत्री जी कह दें. चूंकि राकेश जी जबलपुर के हैं इसलिए उनकी संवेदना है.
श्री करण सिंह वर्मा- सभी एक ही अंग हैं सरकार का. मैंने आपसे प्रार्थना की है कि हमने तत्काल श्रमिकों की मदद की है, मैं इसकी पूरी जांच करवा लूंगा.
11.43 बजे
{अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए.}
श्री लखन घनघोरिया- मंत्री जी आप ये धारायें कब तक लगवा देंगे ?
श्री करण सिंह वर्मा- जांच करना पड़ेगा.
श्री लखन घनघोरिया- जांच तो हो गई है. आपसे हाथ जोड़कर निवेदन है इसमें जांच हो गई है, गरीब परिवार का मामला है.
श्री करण सिंह वर्मा- खदान का मामला है, अवैध खनन का मामला है.
श्री लखन घनघोरिया- ये लोग खनन नहीं कर रहे थे. जो करवा रहे थे, आप उनके नाम सुन लें, सोनू भदौरिया, चिंटू ठाकुर और अंकित तिवारी.
श्री करण सिंह वर्मा- सदन में जोर से कागज पढ़कर बताने से काम नहीं चलेगा. हमने पैसा दिया है और मैं प्रकरण की समुचित जांच करवा लूंगा.
श्री लखन घनघोरिया- आपने इन लोगों को आरोपी बनाया है. अध्यक्ष महोदय मेरा आपके माध्यम से निवेदन है कि इतना गंभीर प्रकरण है, दलित वर्ग के लोगों के साथ अत्याचार निवारण की धारा अनुसूचित जाति/जनजाति एक्ट की धारा 3 (2) (5) के तहत क्या आप कायमी करवायेंगे ? आपने पहले ही मुकदमा दर्ज किया है और यह धारा नहीं लगाई है.
अध्यक्ष महोदय- मंत्री जी, अब आप जवाब बता दें. लखन जी आप बैठ जायें.
श्री करण सिंह वर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने कहा है कि ऑटो से एक एक्सीडेंट हो गया है हमने उसका भी मुख्यमंत्री स्वेच्छा निधि से पैसा दिया है सात लोगों को और जो दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हैं उनको पचास हजार रुपए दिये हैं. अवैध खदान धंसने से जिन तीन लोगों की मृत्यु हुई हुई है उन्हें भी हमने दो-दो लाख रुपए दिये हैं. मैंने माननीय विधायक जी को कहा है कि सारे प्रकरण की खनिज विभाग के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हुई है. हमने एस.पी. को भी निर्देश दिये हैं और कहा है कि इस मामले की जांच करें फिर भी कोई मामला है तो मैं समूचे प्रकरण की जांच करा लूंगा. आपकी मंशा अनुसार काम हो जाएगा.
अध्यक्ष महोदय-- लखन भाई इतने अच्छे शब्दों में प्रश्न का समापन नहीं हो सकता.
श्री लखन घनघोरिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी जो दो-दो लाख रुपए के मुआवजे की बात कर रह हैं वह घटना दूसरी है. उसमें आदिवासी समाज के 18 लोग एक मालवाहक ऑटो में सवार थे. ब्लूडस्ट के हाईवा ने टक्कर मारी 7 लोग ऑन स्पॉट खत्म हो गए.
एक माननीय सदस्य -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि हमारे एसटी वर्ग के कालू सिंह ठाकुर जी का प्रश्न लगा है. प्रश्नोत्तर काल तेजी से चलाइए. (व्यवधान)
श्री लखन घनघोरिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह एसटी वर्ग की ही बात है. (व्यवधान) आदिवासी समाज के 11 लोग घायल हैं सात लोगों की मृत्यु हो गई. स्वेच्छानुदान से माननीय मुख्यमंत्री जी ने दो-दो लाख रुपए का मुआवजा दिया है. मेरा आग्रह यह है कि आरबीसी की धारा से दुर्घटना में जो मृत्यु प्राकृतिक आपदा से होती है उसमें चार लाख रुपए का मुआवजा दिया जाता है. एससी, एसटी वर्ग के साथ अन्याय न हो. कम से कम सरकार इतनी संवेदना तो दिखाए.
श्री करण सिंह वर्मा--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने पहले भी माननीय सदस्य से प्रार्थना की है कि हमने उन सभी को राहत राशि दी है फिर भी मैं जांच करा लूंगा और कानून से बड़ा कोई भी नहीं होता है, फिर भी मैं सारे प्रकरण को देख लूंगा.
श्री लखन घनघोरिया-- आरबीसी की धारा 6 (4).
श्री करण सिंह वर्मा--माननीय अध्यक्ष महोदय, अगर मैं पुराने में वापस जाउंगा तो फिर कभी आपने ऐसी घटना हुई तो उसके लिए मुख्यमंत्री राहत कोष से पैसा दिया था. मैं पूरा पढ़ता हूं, मैंने अध्ययन किया है. पहले नहीं मिलता था यह मोहन यादव की सरकार में मिलता है.
श्री लखन घनघोरिया-- गजब कर रहे हो दादा, तुम्हारा गम, गम है, हमारा गम, गम नहीं है, तुम्हारा खून, खून है, हमारा खून, पानी है. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों के साथ आप अत्याचार कर रहे हैं. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय-- लखन जी आप कृपया बैठ जाइए. माननीय मंत्री जी सदस्य को आप व्यक्तिगत रूप से बुला लें. पूरे पक्ष को समझ लें जो पात्रता बनती हो उसके अनुसार निर्णय करें.
उप-स्वास्थ्य केंद्र झौंतेश्वर का संचालन
[लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा]
5. ( *क्र. 1026 ) श्री महेन्द्र नागेश : क्या उप मुख्यमंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विधानसभा क्षेत्र गोटेगांव के झौंतेश्वर में उप-स्वास्थ्य केंद्र भवन बना है जो कि कई वर्षों से संचालित नहीं हैं यह उप-स्वास्थ्य केंद्र कब संचालित होगा? यदि हाँ, तो कब तक होगा? यदि नहीं, तो क्यों नहीं? (ख) क्या झौंतेश्वर उप-स्वास्थ्य केंद्र में पद रिक्त हैं? यदि हाँ, तो इन पदों की पूर्ति कब की जावेगी? यदि नहीं, तो क्यों नहीं?
उप मुख्यमंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जी नहीं। विधानसभा क्षेत्र गोटेगांव में झौंतेश्वर में सिविल अस्पताल भवन निर्मित हैं, परंतु मानव संसाधन उपलब्ध न होने के कारण संचालित नहीं है, मानव संसाधन की पदस्थापना उपरांत संचालित किया जा सकेगा। (ख) जी हाँ, पदपूर्ति की कार्यवाही एक निरंतर प्रक्रिया है, निश्चित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
अध्यक्ष महोदय-- श्री महेन्द्र नागेश.
श्री महेन्द्र नागेश-- अध्यक्ष महोदय, गोटे गांव विधान सभा क्षेत्र में झौंतेश्वर में कई वर्षों से उप स्वास्थ्य केन्द्र भवन बना है.
अध्यक्ष महोदय-- आप प्रश्न संख्या बोल के बैठ जाइए फिर मंत्री जी खड़े होंगे फिर उसके बाद आपको बोलने को मिलेगा.
श्री महेन्द्र नागेश-- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न यह है कि उप स्वास्थ्य केन्द्र गोटेगांव झौंतेश्वर का कई वर्षों से....
अध्यक्ष महोदय-- महेन्द्र जी ऐसे नहीं, जब आपका नाम लिया जाए तो आप कहिए प्रश्न क्रमांक 5 उपस्थित है. उसके बाद मंत्री जी बोलेंगे फिर उसके बाद आपको बोलना है.
श्री महेन्द्र नागेश-- अध्यक्ष महोदय, प्रश्न क्रमांक 5 उपस्थित है.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी,
श्री राजेन्द्र शुक्ल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा माननीय सदस्य ने झौंतेश्वर में.....
अध्यक्ष महोदय-- उत्तर पटल पर रखा हुआ है सिर्फ इतना बोलिए.
श्री राजेन्द्र शुक्ल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, उत्तर पटल पर रखा हुआ है.
अध्यक्ष महोदय-- महेन्द्र जी अब आप पूरक प्रश्न करिए.
श्री महेन्द्र नागेश-- अध्यक्ष महोदय, गोटेगांव झौंतेश्वर में उप स्वास्थ्य केन्द्र का भवन कई वर्षों से बना है उसके डॉक्टर और नर्सों के पद भी स्वीकृत हैं लेकिन वह अभी तक संचालित नहीं है और उपरोक्त स्थान अनुसूचित जनजाति बाहुल्य है. इसलिए मेरा निवेदन है कि यह शीघ्र संचालित किया जाए जिससे जनता को लाभ मिल सके.
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें ज्यादा से ज्यादा 4-5 महीने का समय लगेगा. जो भवन वर्ष 1997 में बना है वह जर्जर हो गया है उसे रिपेयरिंग की आवश्यकता है, इसके लिए 435.94 लाख रुपए इस 30 बिस्तरीय अस्पताल के लिए मंजूर कर दिए गए हैं. ढाई करोड़ रुपए रिपेयरिंग का, उपकरण का एवं फर्नीचर का, आपको जानकर खुशी होगी कि सिविल अस्पताल 30 बेड के लिए आईपीएचएस नार्म्स के हिसाब से 61 मानव संसाधन की भी मंजूरी कर दी गई है. कुल मिलाकर आपका यह अस्पताल आपकी अपेक्षा के अनुसार बहुत बेहतर तरीके से शुरु हो जाएगा.
श्री महेन्द्र नागेश -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूँ, सरकार को धन्यवाद देना चाहता हूँ. आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र को इसका लाभ मिलेगा उसके लिए सभी को धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय -- आपको भी धन्यवाद. श्री सोहनलाल बाल्मीक.
श्री सोहनलाल बाल्मीक -- अध्यक्ष महोदय, मैंने कल ही पत्र दिया है इसके पहले भी मैं माननीय मंत्री जी को बहुत सारे पत्र दे चुका हूँ. मेरे विधान सभा क्षेत्र परासिया में 100 बेड का अस्पताल बना हुआ है. इस हेतु वर्ष 2019 में चौदह करोड़ रुपए भवन के लिए मिले थे और एक करोड़ सतहत्तर लाख रुपए उपकरण के लिए स्वीकृत हुए थे. परन्तु वहां पर आज तक उपकरण खरीदकर नहीं दिए गए हैं. जिसके कारण अस्पताल के संचालन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. मैं माननीय मंत्री जी से कहूंगा कि एक करोड़ सतहत्तर लाख रुपए का जो प्रावधान वर्ष 2019 में रखा गया था उन उपकरणों को पर्चेस करके अस्पताल को व्यवस्थित रुप से संचालित करने की व्यवस्था बनाएँ.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी, बाल्मीक जी इसी प्रश्न में सप्लीमेंट्री पूछ रहे हैं.
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- इस प्रश्न से तो यह उदभूत नहीं होता है.
श्री सोहनलाल बाल्मीक -- इसी से जुड़ा हुआ है, उपकरण नहीं मिलने से वहां पर अस्पताल संचालित नहीं हो पा रहा है. एक करोड़ सतहत्तर लाख रुपए का प्रावधान वर्ष 2019 में रखा गया था. यह बजट में शामिल था. अभी तक उपकरण खरीदकर हास्पिटल को क्यों नहीं दिए गए. 14 करोड़ रुपए की बिल्डिंग बनकर खड़ी हुई है, वहां पर उपकरणों की कमी के कारण व्यवस्था नहीं बन पा रही है. मेरा निवेदन है कि यह उपकरण दे दिए जाएं ताकि हास्पिटल ठीक तरह से संचालित हो सके.
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- आप मुझसे बात कर लीजिएगा. इस विषय में जो भी कार्यवाही हो सकती है वह की जाएगी. जितने भी स्वास्थ्य केन्द्र हैं उसमें एचआर हो या उपकरण हों या बिल्डिंग में कुछ रिपेयरिंग की आवश्यकता हो इसके लिए पर्याप्त बजट की अरेंजमेंट डॉ. मोहन यादव जी की सरकार ने की है. आपके इस अस्पताल से संबंधित जो भी कमी होगी, मैं आपसे बात करके..
श्री सोहनलाल बाल्मीक -- माननीय मंत्री जी मैंने बहुत सारे पत्र दिए हैं. मैं बोल भी रहा हूँ कि एक करोड़ सतहत्तर लाख रुपए का प्रावधान वर्ष 2019 में रखा गया था. इसके पूरे पेपर लगे हुए हैं.
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- आप चर्चा कर लीजिएगा. उसका समाधान होगा.
श्री सोहनलाल बाल्मीक -- करवा दीजिएगा. धन्यवाद.
कीट प्रकोप क्षति राशि का भुगतान
[राजस्व]
6. ( *क्र. 957 ) श्री बाला बच्चन : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्न क्र. 2532, दिनांक 10.07.2024 के 'ग' प्रश्नांश में उल्लेखानुसार प्रश्न क्र. 1103, दिनांक 12.02.2024 में वर्णित जिलों आगर मालवा, देवास, हरदा और सीहोर में फल क्षति राशि का भुगतान किस माध्यम से किया गया? क्या किसानों के खाते में सीधे भुगतान किया गया या किसी अन्य प्रणाली या प्रक्रिया के द्वारा भुगतान किया गया की पूरी जानकारी देवें। (ख) उपरोक्तानुसार भुगतान की जानकारी ट्रेजरी वाउचर की प्रमाणित प्रति के साथ देवें। यदि भुगतान सोसायटियों के माध्यम से किया गया तो उसकी भी प्रमाणित प्रति तहसीलवार, जिलावार, भुगतानकर्ता अधिकारी का नाम पदनाम सहित देवें। ट्रेजरी भुगतान की जानकारी भी इसी प्रकार देवें। (ग) प्रश्नांश (क) अनुसार विधानसभा के मूल प्रश्न का उत्तर न देकर अन्य उत्तर देने वाले सभी संबंधित अधिकारियों के नाम, पदनाम देवें। प्रश्न के उत्तर से संबधित पूरी नस्ती की प्रमाणित प्रति देवें। इसके उत्तरदायी अधिकारियों पर विभाग कब तक कार्यवाही करेगा?
राजस्व मंत्री ( श्री करण सिंह वर्मा ) : (क) प्रश्न क्र. 2532, दिनांक 10.07.2024 के 'ग' प्रश्नांश में उल्लेखानुसार प्रश्न क्र. 1103, दिनांक 12.02.2024 के परिप्रेक्ष्य में वर्णित जिलों आगर मालवा, देवास, हरदा और सीहोर में वर्ष 2020-21 में वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता की सीमा में शासन के निर्णय अनुसार जिला कोषालय द्वारा ई-पेमेंट के माध्यम से किसानों के खातों में सीधे भुगतान किया गया है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट "ब" अनुसार है. (ग) विधानसभा के मूल प्रश्न के अनुक्रम में ही उत्तर दिया गया है। नस्तियों की प्रमाणित प्रति परिशिष्ट "अ" पुस्तकालय में रखे अनुसार है। शेष प्रश्न उद्भूत नहीं होता।
श्री बाला बच्चन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं किसानों के लिए आपका संरक्षण चाहता हूँ. वर्ष 2020 से अभी तक तीसरी बार मुझे विधान सभा में प्रश्न लगाना पड़ा है, मेरे विधायक साथियों को भी प्रश्न लगाना पड़ा है. माननीय मुख्यमंत्री जी किसानों की समस्याओं को लेकर, मुद्दों को लेकर कितने संवेदनशील हैं. आप सुन लीजिए. तीन बार मैंने खुद ने प्रश्न लगाया है. दिनांक 10.7.2024 को मेरा प्रश्न क्रमांक 2532 था. उसका जवाब जुलाई के सत्र में नहीं आया. अब जवाब आया है वह भी अधूरा आया है. 20 जिलों के 21 लाख किसान हैं जिनको कीट प्रकोप क्षति की तीसरी किस्त देना थी. यह किस्त एक हजार करोड़ रुपए की है. सरकार वर्ष 2020 से अभी तक तीसरी किस्त नहीं दे पाई है. 20 जिलों में से आगर-मालवा जिले को आज भी छोड़ दिया गया है. सरकार किसानों और उनके मुद्दों को लेकर कितनी संवेदनशील है मैं मुख्यमंत्री जी और माननीय मंत्री जी दोनों से जानना चाहता हूँ कि किसानों के साथ ऐसा अन्याय और धोखा क्यों कर रहे हैं. किसानों की अनदेखी क्यों कर रहे हैं. कब तक आप 20 जिलों के 21 लाख किसान हैं जिनको कीट प्रकोप क्षति की तीसरी किस्त देना थी, वह दे देंगे.
श्री करण सिंह वर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय बच्चन साहब हमारे बहुत ही पुराने वरिष्ठ नेता हैं. इन्होंने जो प्रश्न पूछा है उसका उत्तर मैंने इनको दिया है कि कोषालय द्वारा ई-पेमेंट के माध्यम से किसानों के खातों में भुगतान किया गया है. शेष प्रश्न उदभूत नहीं होता है. यह सही है कि पूर्व में आपने प्रश्न क्रमांक 1103 में प्रश्न किया था उसकी भी जानकारी हमने दी है. राशि 156 करोड़ हमने किसानों को 66 परसेंट वितरित कर दिया है. उसमें कोई मामला हमने नहीं छिपाया है. आप भी देख लें हमने 66 परसेंट दिया है. आप डांट रहे हैं.
श्री बाला बच्चन -- हम डांट नहीं रहे हैं.
श्री करण सिंह वर्मा -- अध्यक्ष महोदय, आपकी सरकार ने 25 परसेंट दिया था. यह डॉक्टर मोहन यादव की सरकार है. आपकी वर्ष 2019 में सरकार थी तब आपने 25 परसेंट दिया है.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, मेरे पहले प्रश्न का ही जवाब नहीं आया है. मैं यह जानना चाहता हूं कि राजस्व विभाग ने कीट प्रकोप से फसल की जो क्षति हुई थी उसका सर्वे कराया था और लगभग 3 हजार करोड़ रुपये की राशि तय हुई थी, उसमें 2 किश्तें डाली जा चुकी हैं. आप अभी केवल 156 करोड़ की बात कर रहे हैं. श्रीमान् जी, मैं डांट नहीं रहा हूं. मैं किसानों की तरफ से निवेदन कर रहा हूं कि 1 हजार करोड़ रुपये और देना है और मात्र आपने 156 करोड़ दिया है और उसके लिये तो तीन बार मुझे प्रश्न लगाना पड़ा, हमारे विधायक साथियों को लगाना पड़ रहा है. अभी भी 20 जिलों के 21 लाख किसानों का देना बाकी है. हजार करोड़ में से मात्र 156 करोड़ रुपये दे रहे हैं. बाकी की बात नहीं कर रहे हैं. आप 15 महीने की सरकार की बात कर रहे हैं. उस पर आप चर्चा करवा लीजिये दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा. 1 हजार करोड़ में से अगर 156 करोड़ निकाल देते हैं तो करीब पौने नौ सौ करोड़ यह मोहन यादव जी की सरकार किसानों को तीसरी किश्त कब देगी मैं यह जानना चाहता हूं. मोहन यादव जी खुद भी बैठे हैं. माननीय मुख्यमंत्री जी, मंत्री जी के बस का नहीं है. हम डांट नहीं रहे हैं हम निवेदन कर रहे हैं. आप इसका उत्तर दीजिये.
श्री करण सिंह वर्मा -- अध्यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहता हूं कि यह मूल प्रश्न देख लें. इन्होंने उसमें कहीं जिक्र नहीं किया है. इन्होंने कहा है पेमेंट किस आधार पर किया जाता है तो हमने बता दिया ई-पेमेंट के आधार पर डायरेक्ट किसानों के खाते में जाता है. अधिकारियों ने सही जानकारी नहीं दी तो उन्होंने भी सही जानकारी दी है. जो आपने तीन बार प्रश्न किया उनकी भी प्रश्न क्रमांक 1103 में दी गई जानकारी सही है.
अध्यक्ष महोदय -- करण सिंह जी, माननीय विधायक जी का कहना यह है कि कुल मिलाकर जो पैसा बचा है वह कब तक देंगे. वह पैसा बचा है, नहीं बचा है और अगर बचा है तो कब तक देंगे उनका यह प्रश्न है.
श्री करण सिंह वर्मा -- अध्यक्ष महोदय, इन्होंने जो प्रश्न किया है उससे यह प्रश्न उद्भूत नहीं होता है. इन्होंने जो पूछा है उसका मैंने उत्तर दिया है. इन्होंने स्पष्ट पूछा है कि किस माध्यम से पेमेंट आप करते हैं हमने कहा ई-पेमेंट करते हैं. अधिकारियों ने सही जानकारी दी है. तीनों प्रश्नों में पूछा है, तो मैंने कहा हमने 1 लाख कुछ रुपये किसानों को दिया है. 66 परसेंट मध्यप्रदेश के किसानों को डॉ. मोहन यादव जी की सरकार ने दिया है. आपकी सरकार ने सिर्फ 25 परसेंट रुपये किसानों का दिया है. उसकी बात आप नहीं करते हैं.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, 66 परसेंट की जो बात कर रहे हैं इनके विभाग ने सर्वे कराया है और सर्वे कराने के बाद लगभग 3 हजार करोड़ की राशि तय हुई थी, उसमें 2 किश्त आपने हजार-हजार करोड़ की दी हैं, तीसरी किश्त आपकी 1 हजार करोड़ की बाकी है. मंत्री जी, आप खुद ही अपडेट नहीं हैं. आपको खुद को जानकारी नहीं है. मैं आपको बता रहा हूं उसकी 2 हजार करोड़ की राशि दी जा चुकी है. हजार करोड़ रुपये की राशि और देना है मैं उसकी बात कर रहा हूं. आप मेरे प्रश्न क्रमांक 1103 का हवाला दे रहे हैं. अभी मेरा 957 नंबर का प्रश्न है और उस समय मेरा प्रश्न क्रमांक 2532 था. आपने उस समय जानकारी दी नहीं, अब जानकारी दी है और उसके बाद भी 20 जिले हैं, 21 लाख किसानों का मामला है. सरकार पूरी तरह से सोई हुई है. मैं चाहता हूं कि मुख्यमंत्री जी से इसका जवाब दिलाना चाहिये. बिल्कुल जवाब नहीं आया है और अगर ऐसे ही विधान सभा चलेगी तो यह बहुत गलत है. हम सभी ने प्रश्न पूछे हैं.
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- अध्यक्ष महोदय, मैंने मूल प्रश्न पढ़ा है. मूल प्रश्न में जितने भी प्रश्न माननीय सदस्य ने पूछे हैं उसका जवाब दे दिया गया है. जो प्रश्न आप पूछ रहे हैं वह आपके मूल प्रश्न में नहीं है. इसलिये कोई जरूरी नहीं है कि हर बात का जवाब दिया जाए, क्योंकि यहां पर मंत्री अध्ययन करके आते हैं, जो प्रश्न आपने किया है उसका उत्तर आ गया. आप बाहर के प्रश्न का पूछेंगे तो कैसे जवाब देंगे.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, मेरा बिल्कुल बाहर का प्रश्न नहीं है. मैं तीन बार प्रश्न लगा चुका हूं. मेरे विधायक साथियों ने भी प्रश्न लगाया है और उसके बाद जुलाई में आपने जवाब नहीं दिया. अभी भी जवाब आया तो पूरा जवाब नहीं आया है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, क्या पहले वाले प्रश्न का जवाब इस सदन में लेंगे.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, आप पूरे अपडेट नहीं हैं. मैं इसकी घोर निंदा करता हूं. मेरे भी और हमारे विधायक साथियों के भी प्रश्नों के जवाब यह सरकार नहीं दे रही है.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्नकाल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त)
अध्यक्ष महोदय -- शुन्यकाल की सूचनाएं....शाम को ली जायेंगी.
श्री उमंग सिंघार (नेता प्रतिपक्ष)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे अनुरोध है कि जिस प्रकार से ..(xx) व्यवधान..
श्री कैलाश विजयवर्गीय (मंत्री-नगरीय प्रशासन)-- अध्यक्ष महोदय, यह कौन सी बात है . यह घोर आपत्तिजनक है..व्यवधान..
श्री उमंग सिंघार -- अध्यक्ष महोदय, ..(xx) ..व्यवधान..
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को --..(xx) ..
श्री कैलाश विजयवर्गीय --अध्यक्ष महोदय, इसको विलोपित करवाईये.. व्यवधान.
श्री उमंग सिंघार -- अध्यक्ष महोदय..(xx) ..
(विपक्ष के विधायकगण अपनी बात कहते हुये गर्भगृह में आये)
अध्यक्ष महोदय -- आप लोग, अपनी अपनी सीट पर जायें.आप लोग बैठ जाये. ऐसी कोई भी बात सदन में नही कहनी चाहिये, कृपया बैठ जायें.. आप भलीभांति जानते हैं..
डॉ. मोहन यादव (मुख्यमंत्री) --अध्यक्ष महोदय, यह आपत्तिजनक है.. यह कौन सी बात है. ऐसी बात नहीं कहनी चाहिये...व्यवधान..
(सत्ता पक्ष के सदस्य भी अपनी बात को रखने के लिये गर्भ गृह में आ गये )
श्री लखन घनघोरिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, ..(xx)
अध्यक्ष महोदय- कृपया अपने अपने स्थान पर जावें..
श्री उमंग सिंघार -- ..(xx)
(विपक्ष के विधायकगण अपनी बात कहते हुये गर्भगृह में आकर के नारेबाजी करने लगे)
डॉ. मोहन यादव --अध्यक्ष महोदय, यह कैसी बात है, यह आपत्तिजनक है, इस बात को नहीं सुना जायेगा...व्यवधान...
अध्यक्ष महोदय-- आप लोग इस बात को भलीभांति जानते हैं कि इस विषय को सदन में नहीं लाया जा सकता है, जो सदस्य सदन में जवाब देने की स्थिति में नहीं है, उसके नाम का उल्लेख भी यहां नहीं होना चाहिये..कृपया अपने अपने स्थान पर जायें..व्यवधान..
डॉ. मोहन यादव-- अध्यक्ष महोदय, यह कोई डराने वाली बात नहीं है, और न डरने वाले है, ऐसी बात नहीं सुनेंगे, यह कोई तरीका नहीं है..व्यवधान.. विधानसभा चलना हो तो चले, नहीं चलना हो तो नहीं चलें, यह नहीं चलेगा..व्यवधान.. अध्यक्ष महोदय, कुछ भी बोल रहे हैं..
अध्यक्ष महोदय- इसलिये जो बात अभी आई है, इसको विलोपित किया जाता है. कृपया अपने स्थान पर जायें.. व्यवधान...
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, बहुत आपत्तिजनक बात है.इसको विलोपित होना चाहिये...व्यवधान...इस तरह की बातें सदन में नहीं आनी चाहिये...अध्यक्ष जी इसको विलोपित होना चाहिये..
अध्यक्ष महोदय- मैंने विलोपित करवा दिया है ...व्यवधान..
अध्यक्ष महोदय-- सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिये स्थगित की जाती है.
(अपराह्न 12.03 बजे सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिये स्थगित)
विधान सभा पुनः समवेत हुई.
12.18 बजे {अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए.}
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय)—अध्यक्ष महोदय, मेरा पाइंट ऑफ आर्डर है. हमारे यहां परम्परा रही है कि कभी भी किसी दूसरे सदन की चर्चा इस सदन में नहीं की जाती है. दूसरा, यदि बहुत जरुरी हो, तो कम से कम आपको सूचित करें, फिर आप अनुमति दें, उसके बाद बोलें. तीसरी बात, बिना तथ्य के उस सदन में बोला गया, उस सदन में अनुमति दी, उस सदन में बोला गया और उसको आप गलत सिद्ध करने के लिये आप यहां पर राजनीति करें, यह बिलकुल भी उचित नहीं है. मैं चाहता हूं कि आप इसके ऊपर व्यवस्था दें. इस पर हमारे साथी प्रहलाद जी भी कुछ बोलना चाहेंगे.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री प्रहलाद सिंह पटेल) -- अध्यक्ष महोदय, आप भी लम्बे समय दोनों सदनों के सदस्य रहे हैं. मुझे लगता है कि जो नियम और परम्पराएं हैं हमारी, उन नियमों में जो सदन का सदस्य नहीं है, उसका नाम का तो उल्लेख हो ही नहीं सकता है. दूसरे हमारे जो उच्च सदन हैं, चाहे लोक सभा हो या राज्य सभा हो, यह हमारी नियमावली में भी है कि हम उसकी चर्चा का उल्लेख इस सदन के भीतर नहीं कर सकते हैं. तीसरा, मेरा आग्रह यह है कि हम किसी भी देश के किसी भी उच्च पद पर बैठे हुए व्यक्ति के बारे में अगर हम सदन में टिप्पणी करना चाहते हैं, तो आपकी अनुमति के बगैर वह संभव नहीं है. तो मुझे लगता है कि तीन स्थापित नियम और परम्पराएं हैं, उनकी अनदेखी करके अगर हम ऐसी परिस्थिति पैदा करेंगे, तो यह सदन के लिये अच्छा नहीं है. हम कल से लगातार कह रहे हैं कि सदन लम्बा चलाना चाहते हैं. अगर हम सदन लम्बा चलाना चाहते हैं, तो हमें नियमों और परम्पराओं, दोनों का ही ध्यान रखना पड़ेगा और इसलिये मैं आपसे प्रार्थना करता हूं और माननीय नेता प्रतिपक्ष अगर वे जिम्मेदारी के पद पर बैठे हैं, कांग्रेस के विधायक दल के नेता हैं, तो ईमानदारी से तो उनको अपनी गलती स्वीकार करनी चाहिये. हम कोई ऐसा दण्डित करने की बात नहीं करते हैं, लेकिन अमर्यादा, अमर्यादा होती है और जो जिम्मेदार पदों पर बैठे हैं, उनको कम से कम अगर वह नहीं करते हैं, तो मैं आपसे प्रार्थना करुंगा कि आपको इस पर कार्यवाही करनी चाहिये.
श्री अभय मिश्रा- अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश नगर पालिक ...
अध्यक्ष महोदय- अभी दूसरा विषय चल रहा है.
श्री तुलसीराम सिलावट- अध्यक्ष महोदय, पहले व्यवस्था आ जाये.
संसदीय कार्य मंत्री(श्री कैलाश विजयवर्गीय)- अध्यक्ष महोदय, पहले इस पर व्यवस्था आ जाये.
अध्यक्ष महोदय- माननीय सदस्यगण हम सभी जानते हैं...
श्री कैलाश विजयवर्गीय- अध्यक्ष जी, मैं चाहता हूं कि इस पर वरिष्ठ सदस्य श्री अजय सिंह जी बैठे हैं. वह कम से कम कुछ संसदीय टिप्पणी करेंगे तो मुझे बहुत अच्छा लगेगा.
श्री भंवर सिंह शेखावत- [XX]
श्री विश्वास सारंग- अध्यक्ष महोदय, आपत्ति है, यह विषय पर चर्चा नहीं हो रही है, जो यहां पर मामला उठा है उस पर चर्चा है. (व्यवधान)
श्री भंवर सिंह शेखावत- आप सुन तो लीजिये भाई.. (व्यवधान).. इतना ज्यादा क्यों..(व्यवधान)
श्री विश्वास सारंग- यहां पर जो मामला उठा है उस पर चर्चा है.
अध्यक्ष महोदय- आप लोग बैठ जाइये. माननीय सदस्यगण मैं व्यवस्था दे रहा हूं.
श्री भंवर सिंह शेखावत- माननीय कैलाश जी, मैं उसी पर आ रहा हूं.
श्री कैलाश विजयवर्गीय- अध्यक्ष महोदय, मेरा फिर से व्यवस्था का प्रश्न है. मेरा निवेदन है कि अगर आप पाईंट आफ आर्डर पर बोल रहे हैं तो..
श्री कैलाश विजयवर्गीय- नहीं, आप विषय पर आ गये.
श्री भंवर सिंह शेखावत- इसके कारण यह प्रश्न आया है..
श्री कैलाश विजयवर्गीय- आप हमारे उस्ताद रहे हैं, हम आपको अच्छे तरीके से जानते हैं कि किस प्रकार आप घुमाकर देते हो, पर कम से कम जब सदन की बात हो..
श्री भंवर सिंह शेखावत- मैं वही बात कर रहा था ना.
श्री कैलाश विजयवर्गीय- सदन की व्यवस्था सदन की परम्परा, सदन के नियम..
श्री भंवर सिंह शेखावत- अध्यक्ष महोदय, इस बात को भी बोलने नहीं दे रहे हैं.
श्री कैलाश विजयवर्गीय- वह भी होना चाहिये. आपने उस बात पर विषय छेड़ दिया.
अध्यक्ष जी, यह जो माननीय शेखावत जी ने कहा वह भी रिकार्ड में नहीं आना चाहिये. आपकी व्यवस्था के बाद. यदि आप अनुमति देंगे तो बोल सकते हैं, अदरवाईज़ इनको विषय पर बोलने का भी अधिकार नहीं है.
श्री भंवर सिंह शेखावत- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं बोल सकता हूं..
अध्यक्षीय व्यवस्था
अध्यक्ष महोदय- भंवर सिंह जी बैठ जायें. मैं इस पर व्यवस्था दे रहा था उसके बाद हम लोग आगे बढ़ेंगे.
मैं समझता हूं कि जो भी परिस्थिति एकाएक उत्पन्न हुई, यह बिल्कुल भी उपयुक्त नहीं है. (मेजों की थपथपाहट) यह सदन चर्चा के लिये है और चर्चा नियम और प्रक्रियाओं के माध्यम से होती है. हम सभी विधान सभा के माननीय सदस्य हैं, प्रदेश की जनता का नेतृत्व करने के लिये यहां उपस्थित हुए हैं और इसलिये हमारी पहली जिम्मेवारी है कि सारे नियम और प्रक्रिया का पालन हम करें. हम सब इस बात को जानते हैं बहुत सारे सीनियर सदस्य बैठें हैं कि दूसरे सदन की चर्चा अथवा किसी ऐसे सदस्य के नाम का उल्लेख, जो सदन में जवाब देने के लिये नहीं आ सकता, यह सामान्य तौर पर चर्चा नहीं होती है और इसलिये मैं समझता हूं कि जो परिस्थिति खड़ी हुई. सदन अच्छे से चल रहा था. सबकी इच्छा है कि ज्यादा से ज्यादा समय सदन चले और चर्चा के लिये भी आप सब इस बात को महसूस करते होंगे की सबको समान अवसर दिया जा रहा है और आगे भी दिया जायेगा. इसमें किसी प्रकार की किसी को चिंता करने की आवश्कता नहीं है. बहुत सारे समय रहेंगे और उस समय हम लोग अपनी बात रख सकते हैं. आज भी बजट पर चर्चा है, बहुत सारे विषयों को उसमें लाया जा सकता है. कल भी चर्चा का अवसर हम सब लोगों को मिलेगा. प्रश्नकाल में ध्यानाकर्षण में चर्चा का अवसर मिल ही रहा है. इसमें सभी लोग अच्छे से जानते हैं. इसलिये आज जो घटनाक्रम हुआ मैं उसको पूरा कार्यवाही से विलोपित करना चाहता हूं और वह विलोपित किया जाये और आगे से हम सब लोग नियम प्रक्रिया, मर्यादाएं इनका पालन करें. ऐसी मेरी आप सभी से अपेक्षा है. माननीय मुख्यमंत्री जी कुछ विषय रखना चाहते हैं उसके बाद ध्यानाकर्षण पर चर्चा होगी.
12.25 बजे वक्तव्य
संशोधित पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना के संबंध में मुख्यमंत्री का वक्तव्य
मुख्यमंत्री (डॉ. मोहन यादव)- अध्यक्ष महोदय, आज सदन को सूचित करते हुए मुझे अत्यंत हर्ष है. जब कल यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने जयपुर में मध्यप्रदेश और राजस्थान के लगभग 20 साल बहुत उलझे हुए पुराने मसले का न केवल निराकरण करवाया, बल्कि जिसके माध्यम से सौगात मिली, उसके बारे में मैं सदन को जानकारी देना चाहता हूं. संशोधित पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना, यह भारत सरकार, मध्यप्रदेश और राजस्थान राज्यों के बीच चंबल नदी, कछार की नदियों को आपस में जोड़कर कछार में उपलब्ध जल का अधिकतम उपयोग बनाने के लिए यह योजना बनी है. इस योजना के माध्यम से दोनों के मध्य दिनांक 28.1.2024 को परियोजना की डीपीआर तैयार करने के लिए एक समझौता ज्ञापन किया गया था. पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना, यह योजना न केवल पश्चिमी मध्यप्रदेश के मालवा बल्कि हमारे पूरे चंबल के लिए है.
अध्यक्ष महोदय, मुझे इस बात का आनंद है कि माननीय प्रधानमंत्री के माध्यम से यह जो योजना हमारे लिए लागू करने का जो कल निर्णय हुआ है. इसमें खासकर हमारे पास एकीकृत परियोजना के बलबूते पर जो सम्पूर्ण लागत है. यह सम्पूर्ण लागत 72000 करोड़ रुपये का केवल 10 परसेंट हमको देना है, बाकी सारा पैसा भारत सरकार देने वाली है. (मेजों की थपथपाहट).
अध्यक्ष महोदय, यह विश्व की पहली नदी परियोजना का हमारा सौभाग्य है. एक तो यह योजना जो राजस्थान से मिलकर है. मैं थोड़ी देर बाद एक और योजना बताना चाहूंगा, जो हमारे लिये उत्तरप्रदेश सरकार के साथ मिलकर बनेगी. लेकिन मैंने जैसे बताया है कि लगभग चंबल-कालीसिंध-पार्वती योजना के माध्यम से 35000 करोड़ रुपये के आसपास की राशि हमारे अपने इस राज्य में लगेगी. इसके माध्यम से हमारा समूचा चंबल, ग्वालियर, भिंड, मुरैना, शिवपुरी, श्योपुर, ये पूरे बेल्ट से होते हुए गुना से आगे राजगढ़, शाजापुर, इंदौर, उज्जैन, देवास यहां तक कि रतलाम का हिस्सा मिलाते हुए मंदसौर, नीमच में भी जुड़ेगी. ये पूरे बेल्ट में मुझे इस बात की अत्यंत खुशी है कि यह जो समूची योजना का यशस्वी भारत रत्न स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वायपेयी जी ने सपना देखा था कि हमारे बीच में नदियों को जोड़कर नदी की जलराशि का लाभ सबको मिलना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय, यह एक बड़ी योजना हुई, जिसके माध्यम से 13 जिले तो हमारे हैं और 21 जिले राजस्थान के भी हैं, जो इसमें आने वाले हैं. कुल मिलाकर हमारी इस योजना के माध्यम से लगभग 3000 गांवों से ज्यादा लोगों को लाभ होगा, इसमें 6.50 लाख हैक्टेयर भूमि की न केवल सिंचाई होगी, बल्कि 83 लाख लोगों को पीने का पानी भी उपलब्ध कराएगी. (मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय, यह परियोजना 5 सिंचाई परियोजनाओं को मिलाकर 550 मिलियन घन मीटर पानी संग्रहित कर 1 लाख 88 हजार हैक्टेयर में नवीन सिंचाई की क्षमता भी उपलब्ध कराएगी. यह बड़े पैमाने पर किसानों की जिंदगी में बड़ा बदलाव लाएगी, जिसके कारण से जो पलायन होता था, वह पलायन रुकेगा और मुझे इस बात का और आनंद है कि खासकर यह 60 साल पुरानी हमारी चंबल दायीं नहर, जो पुरानी हो गई थी, इसमें काफी बड़े पैमाने पर किसानों को सिंचाई के रकबे में तकलीफ आ रही थी. आज इस योजना के अंतर्गत ही 3 लाख 62 हजार हैक्टेयर की किसानों की चंबल परियोजना, यह जो चंबल नहर है, इसका भी हम इसके माध्यम से ही निर्माण कराकर किसानों को यह जलराशि उपलब्ध कराएंगे.
अध्यक्ष महोदय, एक और खास बात आपको बताना चाहूंगा कि इसके माध्यम से हमारे लिए न केवल 2 राज्यों को नदी जोड़ो अभियान का लाभ मिल रहा है, बल्कि एक और नयी परियोजना इसी से लाभान्वित होने वाली है. अपने राज्य की 2 नदियों को जोड़ने वाली यह एक बड़ी योजना प्रारंभ हुई.
माननीय सदस्यों को मुझे बताते हुए इस बात का आनंद है और आप सबके माध्यम से मैं चाहूंगा कि आपकी भी विधान सभा या जिले के अंदर एक नदी से दूसरी नदी जोड़ने का कोई प्रस्ताव हो तो वह प्रस्ताव भी आप हमें दे सकते हैं. भारत सरकार, यह भी एक बड़ी मदद करने को तैयार है. (मेजों की थपथपाहट) जैसे उदाहरण के लिए अभी इस योजना में जो लाभ मिलेगा, मैं बताना चाहूंगा कि..
श्री अभय कुमार मिश्रा - विपक्ष के लोग भी क्या प्रस्ताव दे सकते हैं ?
डॉ. मोहन यादव - हां, मैंने बोला अभय भैया.
श्री अभय कुमार मिश्रा - यह तो बड़े आश्चर्य की बात होगी. धन्यवाद.
डॉ. मोहन यादव - अध्यक्ष महोदय, सभी के लिए कहा है कि जिसको भी लगे कि अपने विधान सभा, जिले, संभाग में नदी से नदी जोड़ो का अभियान या मैं एक कठिनाई बताने जा रहा है, उसके बारे में भी सुनकर आप उसका भी मार्ग निकाल सकते हैं. जैसे उदाहरण के लिए हमारे पास इंदौर से चलकर कान नदी जो आकर क्षिप्रा में मिलती थी. बाद में काल के प्रवाह में वह गंदी हुई. थोड़ा सीवर का पानी आया. एसटीपी वगैरह लगाकर साफ तो करने की बात कर रहे हैं लेकिन साधु संतों का आग्रह है कि हम आचमन करते हैं, स्नान करते हैं इसलिए वह पानी तो बिल्कुल क्षिप्रा में मत मिलाएं तो हमने यह योजना बनाई है कि इस पानी को उज्जैन के पास रामवासा नामक स्थान से उठाकर सीधा गंभीर नदी से जोड़ देंगे. यह एक तरह से ऐतिहासिक घटना है. आम तौर पर क्षिप्रा में मिलने वाली नदी को उठाकर के गंभीर नदी से मिलाकर के 800 करोड़ की यह नई योजना जोड़ी है और 800 करोड़ की सीवर योजना के साथ-साथ एक और दूसरी योजना बनी है, जिसके माध्यम से क्षिप्रा नदी के जल से, क्षिप्रा नदी के घाट पर स्नान करने की आकांक्षा सभी की है. आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि वर्ष 1980 के बाद के जितने भी कुंभ स्नान हुए हैं या सिंहस्थ हुए हैं उसमें हमने गंभीर नदी से और अभी वर्ष 2016 में नर्मदा जी से स्नान कराया है. माननीय मंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह जी भी मौजूद हैं लेकिन अबकी बार में ऐसा होगा कि इसी परियोजना के आधार पर हम क्षिप्रा नदी का पानी सेवरखेड़ी डेम से उठाकर के बरसात के समय जब बिजली सस्ती होगी और सिलारखेड़ी में पूरा डेम का पानी भरकर के धीरे-धीरे आराम से उसको प्रवाह की दिशा में ले जाते हुए लगभग पूरे साल क्षिप्रा जी में स्नान कराने की स्थिति में हम आ जाएंगे, तो 1200 करोड़ रूपए इसमें भी इसको जोड़ा गया है. अर्थात् यह न केवल नदियों के लिए, बल्कि पूरे क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थितियों के लिए, स्नान के लिए, पीने के पानी के लिए भविष्य के उद्योगों के लिए बहुत बड़ी सौगात हमको मिली है. जिसके आधार पर हम यह मानकर चलेंगे कि एक तरह से यह क्रांतिकारी कदम रहेगा और राजस्थान के भी 21 जिलों को इसका पूरा लाभ मिलेगा. मेरी अपनी ओर से इस पूरे आयोजन में खासकर के एक बार फिर यहां बैठे सभी सम्माननीय सदस्यों को "नदी जोड़ो अभियान" की जो पूरी जानकारी आप लोगों को मिली है, आप भविष्य में अपने क्षेत्र के अंदर भी इस प्रकार की योजना का कोई प्रस्ताव हो, तो सरकार आपका भी स्वागत करेगी. सरकार आपको भी आमंत्रित करती है. (मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय, एक और बड़ी घटना हमारे अपने राज्य के लिए बड़ी उपलब्धि होने वाली है, जो पूरे बुन्देलखण्ड के लिए है. बुन्देलखण्ड का इलाका लगभग यह हमारी जो प्रशासकीय स्वीकृति जारी हुई है, इसमें भी 1 लाख करोड़ रूपए की पूरी योजना है जिसमें केवल 10 परसेंट की राशि राज्य सरकार को मिलाना है, बाकी 90 हजार करोड़ की राशि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के माध्यम से मध्यप्रदेश सरकार और उत्तरप्रदेश सरकार को मिलने वाली है. (मेजों की थपथपाहट) 90 हजार करोड़ रूपए की राशि बहुत बड़ी राशि होती है. मैं इसके माध्यम से बताना चाहूंगा कि इस परियोजना से 9 लाख हेक्टेयर के आसपास मध्यप्रदेश के अपने क्षेत्र में सिंचाई का रकबा रहेगा और लगभग ढाई लाख हेक्टेयर उत्तरप्रदेश का राज्य भी इसका लाभ उठाएगा. केन नदी पर लगभग 77 मीटर ऊंचाई का और 2.13 किलोमीटर लंबाई के बांध का निर्माण किया जाएगा. प्रथम चरण के माध्यम से इसमें पन्ना, दमोह, छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी इत्यादि जिलों के 1 हजार 342 गांवों को इसका लाभ मिलेगा. लगभग 41 लाख लोगों को पेयजल का लाभ मिलेगा. इसमें 78 मेगावाट जल विद्युत और 27 मेगावाट सौर ऊर्जा से दोनों राज्यों को लाभ मिलेगा. मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि हमारे निमार्णाधीन कोटा बैराज, बीना कॉम्प्लेक्स लोअर परियोजना इत्यादि के माध्यम से भविष्य में सागर, रायसेन, विदिशा, शिवपुरी के कुल मिलाकर के पूरे बुन्देलखण्ड के सभी जिलों के अंदर प्रत्येक गांवों तक जो जलराशि पहुंचने वाली है इससे न केवल सिंचाई होगी, बल्कि सिंचाई के साथ-साथ पीने के पानी की और उद्योग की रचनाओं को भी पूरा लाभ मिलेगा और तीनों के लिए जिस प्रकार से हमने बांधों/नहरों का जो पूरा प्लान बनाया है, यह काफी हद उपयोगी सिद्ध होगा.
अध्यक्ष महोदय, आज के इस अवसर पर 25 तारीख को भारत रत्न स्वर्गीय प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी का जन्म जयंती वर्ष है और 100वां जन्म शताब्दी वर्ष है. माननीय प्रधानमंत्री जी ने स्वयं उसमें आने की स्वीकृति दी है. यह बड़ी स्वयोजना का लोकार्पण होगा, तो मैं आपके माध्यम से सभी मित्रों का आह्वान करता हॅूं कि अपने दलों की सीमा से ऊपर उठकर के मध्यप्रदेश और राजस्थान की तरह उत्तरप्रदेश में भी बहुत बड़ी क्रांति आएगी, जिससे बडे़ पैमाने पर पलायन रूकेगा, गरीबी हटेगी. सभी प्रकार के उद्योग-धंधे व्यवसाय के लिए जल ही जीवन है उसका लाभ हमको मिलेगा. मैं उम्मीद करता हॅूं कि आप सब के माध्यम से इन परियोजनाओं के लिए एक तरह से 1 लाख 75 हजार करोड़ की राशि दो राज्यों को खासकर के मध्यप्रदेश को ही सबसे बड़ा लाभ मिलने वाला है और मैं मानकर चलता हॅूं कि 90 हजार करोड़ मध्यप्रदेश का और 35 वह जोड़ लें, तो सवा लाख करोड़ का एक साथ एकमुश्त भारत सरकार के द्वारा मध्यप्रदेश को लाभ देना यह अद्वितीय घटना है. (मेजों की थपथपाहट) मैं आपके माध्यम से यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का, हमारे जलशक्ति मंत्री श्री सी.आर.पाटिल जी का भी धन्यवाद करता हॅूं. दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री क्रमश: राजस्थान राज्य के मुख्यमंत्री श्रीमान भजनलाल शर्मा जी और उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री श्रीमान योगी आदित्यनाथ जी को भी धन्यवाद देता हॅूं कि हमारे राज्यों के समन्वय से और न केवल यह योजना से हमारे विचार फलीभूत हो रहे हैं बल्कि यशस्वी प्रधानमंत्री जी के शब्दों में जो उन्होंने कल उल्लेख किया है, इस योजना के माध्यम से बाकी राज्यों को भी सबक मिलेगा, जो वर्षों से जल राशि के लिए आपस में उनका संघर्ष होता है. हमारे अपने देश के अंदर, राज्यों के अंदर समझ बनाकर के बीते कल की कमजोरियों को छोड़ते हुए आगे के भविष्य को देखते हुए हम सब मिलकर के भारत को बेहतर बनाने के लिए आगे बढे़ं, इसी आह्वान के साथ आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, उसके लिए आपको पुन: बहुत-बहुत धन्यवाद.
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय)—अध्यक्ष महोदय, मैं एक बात बोलना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय—माननीय मुख्यमंत्री जी के बोलने के बाद कोई टिप्पणी नहीं करनी चाहिये.
श्री कैलाश विजयवर्गीय—अध्यक्ष महोदय, मेरे 30 वर्षीय संसदीय काल में पहली बार इतनी बड़ी योजना केन्द्र ने दी है. माननीय मुख्यमंत्री जी की उदारता देखिये कि आपके पास भी इस प्रकार का कोई प्रस्ताव हो तो यह सबका साथ सबका विकास, सबका विश्वास सबका प्रयास का सबसे बड़ा उदाहरण है.
श्री सोहनलाल बाल्मीक—15 करोड़ रूपये देने के बात कही थी वह भी नहीं दिये गये हैं.
श्री हेमंत सत्यदेव कटारे—आप 2 करोड़ रूपये की सड़क तो दे नहीं रहे हैं और आप बात कर रहे हैं नदी से नदी जोड़ने की.
अध्यक्ष महोदय—अभी नदी जोड़ो योजना की बात चल रही है इसमें सड़क मत डालो. हम सब लोग इस बात से सहमत हैं कि स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेयी जी ने प्रधानमंत्री के रूप में देश भर की नदियों को जोड़ने की, पानी का अपव्यय रोकने की, सिंचाई क्षमता एवं पेयजल की उपलब्धता बढ़ाने के लिये इस प्रकार की कल्पना की थी. अब मुझे लगता है कि इस योजना को, इस कल्पना को मूर्त रूप देने में अनेक प्रकार की बाधाएं थीं, उन पर विचार-विमर्श चला उन पर कार्यशालाएं हुईं. हम लोगों के लिये प्रसन्नता की बात है कि दो योजनाएं काली सिंध, पार्वती एवं चंबल, केन एवं बेतवा यह दोनों योजनाएं मूर्त रूप ले रही हैं. दोनों योजनाओं के केन्द्र में मध्यप्रदेश है. यह हम लोगों के लिये निश्चित रूप से गौरव की बात है. जैसा कि माननीय मुख्यमंत्री जी ने राशि का जिक्र किया. मैं समझता हूं कि इतनी बड़ी योजना को सामान्य तौर पर पूर्व इतिहास भी इस बात का साक्षी रहा है कि कभी भी राज्य सरकार की स्थिति ऐसी नहीं होती कि इतनी बड़ी योजना हाथ में ले सके और मैं इसका चश्मदीद भी हूं. इन दोनों योजनाओं को केन्द्र सरकार ने मेगा प्रोजेक्ट के रूप में शामिल किया जिसके कारण हमको कम से कम राशि देने की स्थिति है. निश्चित रूप से हम सबके लिये यह बहुत ही प्रसन्नता का विषय है. आज आगे कार्यवाही बढ़े तो पत्र पटल पर रखेंगे. श्री जगदीश देवड़ा जी.
समय 12.38 पत्रों का पटल पर रखा जाना.
(2) राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर (म.प्र.) की वैधानिक ऑडिट रिपोर्ट वर्ष 2021-2022.
(3) मध्यप्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम मर्यादित का 41वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2018-2019.
(4) मध्यप्रदेश पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक वित्त एवं विकास निगम का उन्नीसवां वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखा वर्ष (31 मार्च, 2013 को समाप्त वर्ष के लिए) .
(5) मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2023-2024.
श्री अभय मिश्रा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपका एक मिनट बस लूंगा, यह मध्यप्रदेश नगर पालिक संशोधन द्वितीय रखा गया था, क्योंकि यह बड़ा काम है, इसमें दो तिहाई बहुमत है और दो तिहाई को तीन चौथाई किया जा रहा है और दो वर्ष को तीन वर्ष किया जा रहा है, इसमें कम से कम चर्चा कर ली जाये.
अध्यक्ष महोदय -- श्री अभय मिश्रा जी, आपको अपनी बात रखने का अवसर मिलेगा. आप बैठ जायें, श्री रजनीश जी आप बोलें.
12.45 बजे ध्यान आकर्षण
(1) प्रदेश में आदिवासी बस्ती विकास योजना के अंतर्गत राशि का आवंटन न होने से उत्पन्न स्थिति
श्री रजनीश हरवंश सिंह(केवलारी) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यानाकर्षण सूचना का विषय इस प्रकार है कि प्रदेश की ग्राम पंचायतें जो आदिवासी बस्ती योजना(माड़ा पैकेट) के अंतर्गत आती है, को पिछले तीन वर्षों से राशि पंचायतों में आवंटित नहीं की गई है और न ही जिलावार ग्राम पंचायतों के नाम एवं निर्माण कार्यों की जानकारी उपलब्ध कराई गई है. आदिवासी बस्ती विकास योजनांतर्गत कुछ पंचायतों को राशि नहीं दिये जाने से क्षेत्र में रोष व्याप्त है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से प्रार्थना करना चाहता हूं कि माननीय मंत्री जी इस वर्ग से आते हैं और वह न केवल इस समाज के बल्कि वह प्रदेश के नेता भी हैं और मैं यह चाहता हूं और उनसे अपेक्षा रखता हूं कि इस समाज को न्याय दिलाने की कृपा करें.
जनजातीय कार्य मंत्री(कुंवर विजय शाह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, टोटल प्रदेश में 60 करोड़ की राशि इसके लिये आवंटित होती है, जो उन बस्तियों पर खर्च होती है, जहां पर रहने वाले पचास परसेंट से ज्यादा एस.टी. समुदाय के लोग रहते हैं. बीस जिलों में तीस माड़ा पैकेट है और जिले वार हमने कहां-कहां पैसा दिया है, उसकी जानकारी इसमें संलग्न है, प्रभारी मंत्री जो जिले के होते हैं और जिले में जो राशि वितरित होती है, वह उसका निराकरण करते हैं.
श्री रजनीश हरवंश सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो जानकारी आई है वह अपर्याप्त जानकारी है. मैं यह पूछना चाहता हूं कि यह जो राशि है, जैसे वित्तीय वर्ष 2023-24 की है, धार जिले में लगभग पांच करोड़ रूपया लेप्स हो गया है और यह राशि विद्युतीकरण के लिये भी रहती है, पर मेरे जिले में जो आदिवासी बाहुल्य जिला है, वहां पर कोई काम विद्युतीकरण के भी नहीं हुए है. इसी प्रकार से अनुपूरक बजट पेश हो गया, पर उसकी राशि भी आज दिनांक तक उसका पैसा रिलीज नहीं हुआ है, इस पर ठोस नियम बनना चाहिए, लगभग सरकार ने इस सदन में बीस बार बजट पेश किया है, पर इसके दुरूपयोग को रोकने के लिये आज तक न टी.एस.पी. और न एस.सी. एस.पी. ऐक्ट ला सकी है, जबकि अन्य प्रांत जो देश के हैं, जैसे आंध्रप्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक जैसे राज्यों में टी.एस.पी और एस.सी. एस. पी. बजट का दुरूपयोग रोकने और बजट डायवर्सन पर रोक लगाने के लिये कठोर दंड का प्रावधान है. दण्डात्मक प्रावधान नहीं होने के कारण राज्य में इस बजट का दुरूपयोग और भ्रष्टाचार जारी है. मेरी आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से प्रार्थना है कि इस पर जरूर कोई न कोई नियम बनना चाहिए और समुचित राशि पूरे जिलों में मिलना चाहिए. मेरे जिले में तो माननीय मंत्री महोदय के संज्ञान में मैं लाना चाहूंगा कि आदिवासी वर्ग के लिये माड़ा पैकेट के तहत न कोई रोड, न पुल, न पुलिया, न विद्युतीकरण और ओर अन्य कोई चीजें भी नहीं हुई हैं.
कुंवर विजय शाह -- अध्यक्ष महोदय, मेरे पास जिलेवार जानकारी है. आपने सिवनी जिले का पूछा है उसकी भी मेरे पास पूरी सूची है जो तत्कालीन प्रभारी मंत्री होंगे उनके माध्यम से आपने स्वीकृत कराया था, उन 17 कामों की मेरे पास लिस्ट है. 1 करोड़ 65 लाख रूपये की, दूसरी मेरे पास लिस्ट है यह भी लगभग 1 करोड़ रूपये की है, जो मेरे ख्याल से गोरखपुर पुलिया निर्माण, छिंदवाड़ा के डबल खेत में पुलिया निर्माण, सूखारैयत में पुलिया निर्माण 14 लाख रूपये का, उत्केटा में रैयत में पुलिया निर्माण 14 लाख रूपये, बेरीनाला में पुलिया निर्माण 14 लाख रूपये, बेरीनाला स्कूल गोरखपुर में पुलिया निर्माण, सी.सी.रोड, बस्ती हरैया में पुलिया निर्माण 14 लाख रूपये है, यह सभी काम आपकी ही विधानसभा के हैं.
श्री रजनीश हरवंश सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें माननीय मंत्री जी ने जो कहा है, यह जिले में हो सकता है, मेरी विधानसभा में जो बेरीनाला का उल्लेख किया गया है, वहां पर उपयोगिता थी ही नहीं. माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें कम से कम क्षेत्रीय विधायकों से तो प्रस्ताव लेना चाहिये कि उनकी विधान सभा में कहां उपयोगिता है कहां नहीं है. मैं इस बात पर जरूर सहमत हूं कि वहां वैरीनाला में पुलिया बनी, स्टॉप डेम भी बने पर ऐसी जगह कि जहां न वह पानी का उपयोग हो रहा है न उसकी आवश्यकता है, सीधे यहां से कागज जाता है और निर्माण कार्य हो जाता है इस पर विधायकों की राय तो लेना चाहिये.
डॉ. कुंवर विजय शाह-- माननीय अध्यक्ष जी, जैसा मैंने पहले भी निवेदन किया, जिले के प्रभारी मंत्री की अध्यक्षता में सारे विधायकों से पूछकर ही प्रस्ताव पास होते हैं.
अध्यक्ष महोदय-- रजनीश जी, एक मिनट, दो सप्लीमेंट्री.
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- माननीय अध्यक्ष महोदय जी, मैं आपको धन्यवाद देता हूं. माननीय मंत्री जी हमारे वर्ग से हैं. अभी भी आदिवासियों को शुद्ध पेयजल नहीं मिल पा रहा है, आवागमन की दिक्कतें हैं.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय मरकाम जी, मेरा आपसे अनुरोध है कि एक प्रश्न करें जिससे कि जवाब आ जाये.
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- माननीय अध्यक्ष महोदय जी, मेरा एक प्रश्न यह है माननीय मंत्री महोदय से कि आपका जो बजट है वह घटते क्रम में है, पहले 120 करोड़ होता था अभी 60 करोड़ है, सभी विधायक जो आपके दल के हैं, हमारे दल के हैं, सबसे आप प्रस्ताव ले लें, आदिवासी बस्ती विकास मद में जो आदिवासी बस्तियों में आवश्यकता है उसको पूरा करने के लिये क्या आप बजट बढ़ाकर के हमारे पक्ष और विपक्ष के विधायकों से प्रस्ताव लेकर के क्या आप स्वीकृति जारी करेंगे ?
डॉ. कुंवर विजय शाह-- अध्यक्ष महोदय जी, नियम से हर जिले में हम राशि भेजते हैं और वहां के जो इस वर्ग के विधायक हैं वह लोग ही कामों का चयन करते हैं.
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- माननीय अध्यक्ष जी, मैं सिर्फ बजट के लिये अनुरोध कर रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय-- डॉ. अभिलाष पाण्डेय जी अपना ध्यानाकर्षण पढ़ें.
श्री रजनीश हरवंश सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमसे भी प्रस्ताव लेना चाहिये अगर विधान सभावार कार्य हो रहे हैं तो.
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- माननीय अध्यक्ष जी, माननीय मंत्री जी से एक अनुरोध है, आपका बजट 60 करोड़ है, मैं आपसे यह अनुरोध कर रहा हूं कि पहले 120 करोड़ होता था अब 60 करोड़ हो गया, कृपया आप उस बजट को बढ़ाने के लिये...
अध्यक्ष महोदय-- मरकाम जी, बात आ गई, मंत्री जी ने सुन लिया, आप बहुत सीनियर नेता हो आपस में बात भी कर सकते हो. अभिलाष पाण्डेय जी बोलें.
श्री रजनीश हरवंश सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें विधायकों की राय ली जानी चाहिये माननीय मंत्री जी.
2. प्रदेश में साइबर अपराध पर अंकुश न लगने से उत्पन्न स्थिति की ओर मुख्यमंत्री का ध्यान आकर्षित करना.
डॉ. अभिलाष पाण्डेय (जबलपुर उत्तर)--
राज्य मंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा (श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सर्वप्रथम तो मैं युवा और जागरूक विधायक डॉ. अभिलाष पाण्डेय जी का बहुत-बहुत अभिनन्दन करता हूँ कि उन्होंने एक ऐसे ज्वलन्त मुद्दे पर, ज्वलन्त समस्या पर आपके माध्यम से इस पूरे सदन का भी ध्यान आकर्षित किया है और सदन के माध्यम से जब ये चर्चा होगी तो मैं समझता हूँ कि समाचार पत्रों के माध्यम से, प्रिंट मीडिया के माध्यम से तो कल सुबह सूचना जाएगी, लेकिन इलैक्ट्रानिक मीडिया के माध्यम से तो अभी तत्काल चली जाएगी. निश्चित रूप से जब ये चर्चा होगी तो हमारे नागरिकों को जो ये समस्या आ रही है, उसका समाधान मिलेगा.
डिजिटल अरेस्ट जैसा वास्तव में कोई कानूनी शब्द नहीं है और न कोई ऐसी व्यवस्था है, न कोई ऐसा कानून है. बल्कि ये एक मनोवैज्ञानिक तरीके से जो कमजोर मानसिक स्थिति के लोग हैं या कम जागरूक लोग हैं, उन लोगों को दबाव बनाकर डिजिटल अरेस्ट करने जैसा काम किया जाता है. निश्चित रूप से हमारे विधायक जी ने इस प्रश्न को उठाकर यह चर्चा की है. इस चर्चा से समाधान निकलेगा. उसके कारण जो जागरूकता आएगी, जितनी जागरूकता होगी, उतनी डिजिटल अरेस्ट जैसी समस्या का हम समाधान कर पाएंगे.
हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री आदरणीय नरेन्द्र मोदी जी ने भी रेडियो में 115वें 'मन की बात' का जो एपिसोड था, उसमें डिजिटल अरेस्ट की चर्चा करके पूरे देशवासियों को जागृत करने का काम किया था. माननीय प्रधानमंत्री जी ने इसमें तीन बातें कही थीं कि जब भी कोई ऐसी परिस्थिति बने तो तीन बातें करनी चाहिए, रूको, सोचो और एक्शन लो. रूको इसलिए क्योंकि किसी को भी हमें कभी भी अपनी व्यक्तिगत जानकारी नहीं देनी चाहिए. यह भी जागरूकता सभी को होनी चाहिए कि यदि कोई ऑफिसर बनने का ढोंग कर रहा है और उसको यदि आपके बारे में जानकारी नहीं है तो आपको वह अरेस्ट कैसे कर सकता है. ऐसी जानकारी उसे न दी जाए, अपने आधार कार्ड, अपना ड्राइविंग लायसेन्स या व्यक्तिगत कोई भी जानकारी न दी जाए, इसके लिए रूकना चाहिए. दूसरा, सोचो, यह सोचना चाहिए कि कोई भी सरकारी व्यवस्था ऐसी नहीं है, कोई भी एजेंसी ऐसी नहीं है कि जिस एजेंसी को कोई डिजिटल अरेस्ट करने का अधिकार शासन या कानून द्वारा दिया गया हो. ये विचार सभी नागरिकों को करना चाहिए. तीसरा है कि एक्शन लो. यदि कोई ऐसी घटना होती है तो निश्चित रूप से रूकने और सोचने के बाद एक्शन लेना चाहिए. भारत सरकार ने इसके लिए एक वेबसाइट भी बना रखी है www.cybercrime.gov.in उस पर रिपोर्ट करना चाहिए. लोकल पुलिस की मदद लेनी चाहिए और 1930, यह एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया हुआ है, इस पर सूचना करना चाहिए. हमारे आदरणीय प्रधानमंत्री जी जिस तरह से 'मन की बात' करके पूरे देश को जागृत करने का काम करते हैं, इस डिजिटल अरेस्ट के बारे में भी उन्होंने पूरे देश को संबोधित किया था. मैं अपने यशस्वी मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी का भी आभार व्यक्त करता हूँ कि उन्होंने भी इसी तरह का काम मध्यप्रदेश में किया है. उन्होंने स्वयं साइबर मुख्यालय जाकर पूरी जानकारी ली और उन्होंने भी वहीं से मध्यप्रदेश के वासियों से रूको, सोचो और एक्शन लेने का आह्वान किया था.
आकाशवाणी, एफ.एम. चैनल इत्यादि के द्वारा भी नागरिकों को जागरूक करने के अभियान चलाये जाते हैं. चूंकि सायबर अपराध में एक और चिन्ता का विषय है कि जो ठग हैं, चोर हैं. वह अपनी मोडस ऑपरेंडी अर्थात् जो अपराध करने के तरीके हैं, उनमें लगातार बदलाव करते रहते हैं, इसलिए हमारे जो सायबर केन्द्र हैं, वे भी जागरूक रहते हैं कि जो नये-नये तरीके अपनाए जाते हैं, उनको नये तरीकों से कैसे निपटना है और कैसे नये तरीके से हमको नागरिकों को जागरुक करते रहना है, उसके बारे में हमारा सायबर मुख्यालय सदैव तत्पर रहता है. समय-समय पर पुलिस अधिकारियों द्वारा विशेष अभियान चलाकर आम जनता को भी जागरुक किया जाता है.
अध्यक्ष महोदय, इसमें कानून का जहां तक प्रश्न है. मैं माननीय सदस्य को, आपके माध्यम से बताना चाहूँगा कि श्री नरेन्द्र मोदी जी की सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम- 2000 बनाकर जो डिजिटल अपराध विभिन्न तरीके हैं, उनमें अपराधियों के लिए कठोर दण्ड का प्रावधान किया है. आईटी एक्ट में 66 डी में कम्प्यूटेशन साधनों का प्रयोग करके कोई ठगी इत्यादि करना, उसका दुरुपयोग करना या प्रतिरूपण द्वारा छल करने के लिए दण्ड की व्यवस्था की गई है. जो नया कानून भारतीय न्याय की परम्परा पर आधारित है, नरेन्द्र मोदी जी की सरकार ने बनाया है, भारतीय न्याय संहिता की धारा 308 में जबरन वसूली एक्सटोर्शन के केस में 7 वर्ष तक की सजा का प्रावधान है, इसी बीएनएस में धारा 111 में संगठित सायबर अपराध के लिए आजीवन कारावास तक का प्रावधान किया गया है. अत: कानून के माध्यम से ऐसे अपराधों के खिलाफ लगातार कार्यवाही होती है.
अध्यक्ष महोदय, मुझे सदन को यह बताते हुए बड़ा हर्ष है कि मध्यप्रदेश के सायबर सेल को वर्ष 2021 और 2022 में एनसीआरबी तथा 2018 व 2022 में डीएससीआई कैपेसिटी बिल्डिंग तथा वर्ष 2018, 2019, 2020 और 2022 में सायबर कॉप ऑफ द ईयर और वर्ष 2022 में एफआईसीसीआई कैपेसिटी बिल्डिंग के पुरस्कार प्राप्त हुए हैं. निश्चित रूप से मध्यप्रदेश की सायबर पुलिस इस तरह के अपराधों को रोकथाम करने के लिए और अपराधियों के खिलाफ लगातार कार्यवाही करने का काम कर रही है.
डॉ. अभिलाष पाण्डेय - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने जो बात कही है, सरकार उस विषय पर गंभीर भी है और केन्द्र सरकार का नेशनल हेल्प लाईन नम्बर 1930 एक टोल फ्री नम्बर है, जिसके माध्यम से लोग अपनी शिकायत कर सकते हैं, लेकिन मेरा फिर भी यह निवेदन है कि इस पूरे डिजिटल अरेस्ट के विषय को लेकर मध्यप्रदेश की तरफ गंभीरता से टकटकी लगाये हुए देख रहा है. यह जो विभाग है, यह मध्यप्रदेश के जननायक, विकासोन्मुखी, कर्मठ, लगनशील और जनता के बीच में लगातार कठोर परिश्रम करने वाले ऐसे मुख्यमंत्री जी के पास है. इसीलिए मैं आपसे यह निवेदन करता हूँ कि प्रधानमंत्री जी ने तो ''मन की बात'' में अपनी बात कही है. माननीय गृह मंत्री जी ने जागरूकता का विषय चलाया है. क्या मध्यप्रदेश की सरकार इस दिशा की तरफ अपना कोई कठोर कदम उठा सकती है ? क्योंकि अभी-भी 27 हजार केस ऐसे हैं, जिनमें मात्र डेढ़ प्रतिशत केस का निराकरण हुआ है. जिलों के अंदर साइबर अपराधों की संख्या लगातार बढ़ रही है, क्या उनकी रोकथाम के लिए हम साइबर एक्सपर्ट की नई नियुक्ति कर सकते हैं ? अभी हम केवल पुलिस विभाग के लोगों को प्रशिक्षित करके, उनके साथ काम कर रहे हैं, क्या साइबर एक्सपर्ट के लिए अलग से कोई प्रावधान सरकार करने वाली है ?
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल- अध्यक्ष महोदय, सदस्य ने जो प्रश्न किया है, ऐसी व्यवस्था हमारे विभाग में पहले से चल रही है, हम अपने विभाग के अधिकारियों, जो स्वयं टेक्नोलॉजी फ्रेंडली हैं, उन्हें प्रशिक्षण दिया जा रहा है और साथ ही साइबर एक्सपर्ट की सेवायें भी हम ले रहे हैं. इसी का परिणाम है कि विगत दिनों में जो प्रकरण हुए हैं, उनमें हमने 72 लाख रुपये से अधिक की राशि पीडि़त पक्ष को वापस करने का काम किया है.
अध्यक्ष महोदय- अभिलाष जी, केवल एक और प्रश्न करें क्योंकि आपका उत्तर काफी विस्तृत रूप में आ गया है.
डॉ. अभिलाष पाण्डेय- अध्यक्ष महोदय, जबलपुर की एक घटना का उल्लेख करूंगा, वहां एक प्रोफेसर से लगातार 35 लाख रुपये अलग-अलग तरीके से CBI के अधिकारी बनकर वसूले गए. भोपाल में एक व्यक्ति को 5 दिनों को डिजिटल अरेस्ट किया गया. प्रदेश की राजधानी से इस प्रकार के प्रकरण लगातार ध्यान में मीडिया और अखबारों के माध्यम से आते हैं. मेरा आग्रह है कि क्या इस विषय को गंभीरता से लेने की आवश्यकता नहीं है ? ऐसे कौन से लोग हैं जो सामान्यजन के अकाउंट का डेटा लिक कर रहे हैं. सदन के हमारे सदस्य भी कह रहे थे कि उनकी फेसबुक आईडी को हैक कर, लोगों से पैसे वसूले गए हैं. इस महत्वपूर्ण विषय को हमारी सरकार को संज्ञान में लेना चाहिए कि जो लोग डेटा लिक करते हैं, उनके खिलाफ यदि सरकार के पास कोई गंभीर प्रावधान हैं तो मुझे बतायें और यदि नहीं है तो क्या मध्यप्रदेश की सरकार डेटा लिक करने वालों के खिलाफ कड़े कानून बनायेगी ?
वर्तमान समय में एक विषय और है कि प्रदेश की जनता निर्भीक रहे और अपराधियों के मन में भय व्याप्त हो, इसके लिए क्या मध्यप्रदेश सरकार पुलिस मित्र अभियान चलाकार, जनता को जागरूक करेगी क्योंकि अभी आपने आंकड़ा दिया है कि प्रदेश के 30 लाख लोगों को जागरूक किया गया है, प्रदेश में 8.5 करोड़ की आबादी है, इनकी जागरूकता के लिए हम क्या प्रयास करेंगे ?
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल- अध्यक्ष महोदय, हमारे सदस्य ने समस्या के साथ समाधान भी बताये हैं, ऐसा मैं समझता हूं. डेटा लिक के लिए भारत सरकार द्वारा जो कानून बनाये गए हैं, उसमें प्रावधान हैं, निश्चित रूप से वे मध्यप्रदेश में भी लागू हैं. यदि कहीं से भी ऐसी शिकायत प्राप्त होती है तो उस पर कार्यवाही की जायेगी.
इसके अतिरिक्त सदस्य ने पुलिस मित्र की बात की है, जागरूकता की बात कही है. उन्होंने स्वयं कहा कि 8.5 करोड़ में से 30 लाख लोगों को जागरूक करने का आंकड़ा सुसंगत नहीं है. मैं इसे स्वीकार करता हूं. इसके लिए मैं, एक सुझाव के रूप में कह रहा हूं कि आने वाले समय में यदि इस सदन में बैठे 230 सदस्य अपने-अपने क्षेत्रों में ऐसे अभियानों में भाग लेंगे और आगे आकर कदम बढ़ायेंगे तो निश्चित रूप से पुलिस विभाग आपके साथ मिलकर, सभी थानों के साथ मिलकर, सभी जनप्रतिनिधियों के साथ, ऐसे अभियान चलाने के लिए तत्पर रहेगा.
अध्यक्ष महोदय- श्री बाला बच्चन जी.
श्री अभय कुमार मिश्रा (सेमरिया)- अध्यक्ष महोदय, जब सब कुछ पहले से तय है तो क्यों आधे घंटे का समय दिया.
अध्यक्ष महोदय- मैंने बाला बच्चन जी को पुकारा है, आपने मुझे पहले बताया नहीं, उन्होंने पहले से बताया है.
श्री बाला बच्चन (राजपुर)- अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से सरकार से निवेदन है कि जो ध्यान आकर्षण आया है उसका जो जवाब मंत्री जी ने यहां दिया है, उसे हम सभी ने सुना और समझा. मेरा कहना है कि जब आप इतनी तरह से मजबूत हैं और यह विभाग और गृह मंत्रालय दोनों ही मुख्यमंत्री जी के पास हैं. आज के समय में इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी बहुत मजबूत है और आपने सदन को अभी मुख्यमंत्री जी और प्रधानमंत्री जी के कार्यों के विषय में पूरी जानकारी दी है. स्पष्ट यह है कि सायबर अपराध पर अंकुश किस तरह से लगे. आज के इस ध्यानाकर्षण के बाद मैं जानकारी में लाना चाहता हूं कि सायबर अपराध बढ़ते क्रम में है वह कम नहीं हो रहे हैं. जब आप इतने अपडेट थे और इतनी स्ट्रांग जानकारी और सारी चीजें आपके पास हैं तो इस पर रोक क्यों नहीं लग पा रही है? क्या आज ध्यानाकर्षण की चर्चा के माध्यम से इस पर अंकुश लग सकेगा. क्या यह घटते क्रम में आएगा? मैं यह जानना चाहता हूं. सदन में जो चर्चा हुई है इसका असर होना चाहिए.
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सदस्य की चिंता बिलकुल वाजिब है और मैं यह भी निवेदन करना चाहता हूं कि चूंकि जिस तरह से डिजिटल टेक्निनोलॉजी को भारत अपना रहा है और निश्चित रूप से फिर मुझे अपने प्रधानमंत्री जी का ही नाम लेना होगा क्योंकि आदरणीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में जिस तरह से हमारा पूरा भारत डिजिटल होता जा रहा है जब कहा जाता था कि कैसे लोग पैसे ट्रांसफर कैसे करेंगे और आज पूरा का पूरा देश डिजिटल ट्रांजेक्शन कर रहा है. डिजिटल ट्रांजेक्शन करने में पूरी दुनिया में भारत पहले नंबर पर है तो मैं समझता हूं कि निश्चित रूप से जब हम उस दिशा में बढ़ रहे हैं तो ठग भी उस दिशा में बढ़ेंगे. मेरा मानना है और मैं मंत्री होने के नाते भी आपसे यह बात कह रहा हूं कि अभी तो इसमें हमको अपने नागरिकों को जागरुक करने की आवश्यकता है. आपके जमाने में ठग कोई दूसरे तरीके से ठगते थे अब डिजिटल युग में वह दूसरे तरीके से ठगेंगे.
श्री बाला बच्चन-- मेरे जमाने और आपके जमाने की बात कहां से आ गई.
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल--सुन लीजिए मैं आप ही की बात कह रहा हूं.
श्री बाला बच्चन-- मेरा कहना है कि सायबर अपराध में कमी आएगी या नहीं आएगी?
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल-- बाला बच्चन जी कमी निश्चित रूप से होगी. पक्का मान के चलिए की होगी, लेकिन जब हम डिजिटल टेक्नोलॉजी में आगे बढ़ रहे हैं तो ऐसे अपराधों के लिए भी हमें सतर्क रहना होगा.
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी जबाव आ गया है. अभय जी आपका टेक्निकल प्रश्न क्या है.
श्री अभय मिश्रा--अध्यक्ष महोदय, पहले से जब एकदम साफ दिखाई देता है कि हम यह बोलेंगे आप यह उत्तर दोगे, हम ऐसा करेंगे आप यह करोगे. हम आपकी प्रशंसा करेंगे आप हमारी करना तो यह आधे घण्टे का थियेटर शो चल रहा है और हम लोग दो-दो मिनट के लिए तरस रहे हैं अब हम विपक्ष में हैं तो इतना भी अत्याचार न हो.
अध्यक्ष महोदय-- कई स्थानों का अनुभव होने के कारण कई लोगों को ऐसा भ्रम रहता है.
1.13 बजे अनुपस्थिति की अनुज्ञा
निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 133-भैंसदेही श्री महेन्द्र केशरसिंह चौहान को विधान सभा के दिसम्बर, 2024 सत्र की बैठकों से अनुपस्थित रहने की अनुज्ञा.
1.13 बजे प्रतिवेदनों की प्रस्तुति
(1) लोक लेखा समिति का प्रथम से उन्नीसवां प्रतिवेदन
(2) शासकीय आश्वासनों संबंधी समिति का प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय प्रतिवेदन
(3) अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति वर्ग के कल्याण संबंधी समिति का षष्टम एवं सप्तम् प्रतिवेदन
1.14 बजे याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय-- आज की कार्यसूची में सम्मिलित सभी याचिकाएं प्रस्तुत की हुई मानी जाएंगी.
1.14 बजे शासकीय विधि विषयक कार्य
मध्यप्रदेश माल और सेवा कर (तृतीय संशोधन) विधेयक, 2024 (क्रमांक 29 सन् 2024) का पुर:स्थापन
1.15 बजे
वर्ष 2024-2025 के प्रथम अनुपूरक अनुमान की मांगों पर मतदान
अध्यक्ष महोदय -- अब अनुपूरक अनुमान की मांगों पर चर्चा होगी. सदन की परम्परा अनुसार सभी मांगें एक साथ प्रस्तुत की जाती हैं और उन पर एक साथ चर्चा होती है.
अत: वित्त मंत्री जी सभी मांगें एक साथ प्रस्तुत कर दें. मैं समझता हूँ कि सदन इससे सहमत है.
उप मुख्यमंत्री (वित्त) (श्री जगदीश देवड़ा) -- अध्यक्ष महोदय, मैं, राज्यपाल महोदय की सिफारिश के अनुसार प्रस्ताव करता हूँ कि --
"दिनांक 31 मार्च, 2025 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष में अनुदान संख्या 1, 3, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12, 13, 15, 16, 17, 18, 19, 20, 22, 23, 24, 27, 29, 30, 33, 35, 36, 37, 38, 39, 40, 43, 44, 47, 48, 49, 54 एवं 55 के लिए राज्य की संचित निधि में से प्रस्तावित व्यय के निमित्त राज्यपाल महोदय को कुल मिलाकर बाईस हजार दो सौ चौबीस करोड़, तिरानवे लाख, पांच हजार, नौ सो इक्कीस रुपये की अनुपूरक राशि दी जाये."
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ. अब चर्चा प्रारंभ होगी. अभी एक बजकर 17 मिनट पर बजट की चर्चा प्रारंभ हो रही है. इस पर 4 घंटे का समय तय है. मेरा सभी सदस्यों से आग्रह है कि 15 मिनट पहले चर्चा को हम सभी लोग पूर्ण करें. काफी लोग बोलने वाले हैं. प्रतिपक्ष और पक्ष से मेरा निवेदन है कि अपने सदस्यों को संक्षिप्त में बोलने के लिए आग्रह करें. 15 मिनट पहले मैं इसलिए बोल रहा हूँ क्योंकि वित्त मंत्री जी को उस पर जवाब देना होगा. सभी लोग समय का ध्यान रखें. श्री हेमन्त कटारे जी.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे (अटेर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आज जो सप्लीमेंट्री बजट पेश किया जा रहा है. यह 22 हजार 224 करोड़ रुपए का है. मैं इसका नीतिगत रुप से विरोध करता हूँ. बिंदुवार विरोध करता हूँ.
अध्यक्ष महोदय, क्यों विरोध करता हूँ मैं अपने भाषण के माध्यम से आगे बताउंगा. संविधान में बजट सेशन का प्रावधान है. प्रत्येक वर्ष एक बजट सेशन होता है जो फरवरी या मार्च में होना चाहिए. इस बजट सेशन में साल भर के बजट एलोकेशन का प्रावधान होता है. इसका नाम ही बजट सेशन इसलिए रखा गया है कि पूरे साल के वित्तीय वर्ष को केल्कूलेट करते हुए जो भी साल भर के खर्चे हैं वे इस बजट में शामिल कर लिए जाएं. 2-5 प्रतिशत का एरर हो सकता है. यह हो सकता है कि 5 परसेंट कम पड़ जाए या 5 परसेंट अधिक हो जाए. परन्तु वर्तमान में जो परम्परा बनी हुई है जो बहुत गलत है. हर 10-15 दिन में सरकार कर्ज ले लेती है. यदि ऐसे ही हर कभी कर्ज लिया जाएगा तो बजट सेशन का प्रावधान खत्म कर देना चाहिए. रोज अखबारों में पढ़ने में आता है कि 2 हजार करोड़ रुपए का ऋण ले लिया, आज 5 हजार करोड़ रुपए का ऋण ले लिया. यह परम्परा बंद होना अति आवश्यक है. ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार के पास फायनेंशियल प्लानिंग नहीं है, यह प्लानिंग होती तो जो बजट एलोकेशन में तय कर लिया जाता. सरकार को यह स्वीकार करना चाहिए कि उसके पास कोई फायनेंशियल प्लानिंग नहीं है. मैं वित्त विभाग के कुछ सर्कुलर पढ़ रहा था उसमें एक सर्कुलर मेरे सामने आया जिसमें जीरो वेस्ट बजट की बात की जा रही है. उसमें कहा गया है कि आने वाले वर्षों में जीरो वेस्ट वित्तीय बजट लाएंगे. जिसमें पूर्व के जो बजट हैं उनके अनुमान के आधार पर नहीं बल्कि आने वाले समय को देखते हुए पूरी फ्रेश प्लानिंग होगी. जीरो वेस्ट बजट नाम तो अच्छा है लेकिन कहीं वह भी ऐसा ही साबित न हो. आशा करुंगा कि आने वाले समय में यह जो रोज 15 दिन में कर्जा लेकर जनता के ऊपर कर्जा लादा जा रहा है इसको बंद किया जाए. मैं कल जनसंपर्क विभाग की ऑफिशियल वेबसाइट देख रहा था, तो उसमें माननीय मुख्यमंत्री जी के एक वर्ष पूर्ण होने पर 12 दिसम्बर को शाम 5 बजकर 7 मिनट पर एक डॉक्यूमेंट अपलोड किया. इसे डॉक्यूमेंट कह लें या उनकी प्रेस रिलीज कह लें या सीएम साहब का स्टेटमेंट कह सकते हैं, जिसमें उन्होंने एक वर्ष की उपलब्धि बताई और ऊपर की एक लाइन मुझे बड़े अच्छे से याद है चूंकि चहुंमुखी विकास यह कम ही सुना था, फिर उसको डिक्शनरी में भी ढूंढ़ा तो मैं उसका अर्थ समझ पाया, चहुंमुखी विकास इस प्रदेश में हो रहा है जो दिखाई तो नहीं दे रहा था, लेकिन वह चहुंमुखी विकास जो है उन्हीं के दिये हुये तर्कों का विरोधाभास है. यह संकल्प पत्र है. मुझे लगता है सभी को याद होगा ज्यादा टाइम पुराना नहीं है, इसमें काफी सारे संकल्प लिये गये थे और निश्चित ही मुझे लगता है कि इसमें लिये गये संकल्पों की पूर्ति करने के लिये यह बजट की आवश्यकता निश्चित ही पड़ेगी. मुख्यमंत्री जी के कथन की आखिरी लाइन है मैं वह डॉक्यूमेंट भी लेकर आया हूं अध्यक्ष महोदय, यदि आप चाहेंगे तो मैं इसको पटल पर भी साइन करके रखा सकता हूं, इसकी आखिरी लाइन महत्वपूर्ण है. इसमें स्वयं मुख्यमंत्री जी स्वीकार कर रहे हैं कि संकल्पों की पूर्ति के लिये टोटल संकल्प थे 456 जिसमें से मात्र 45 पूरे हुये हैं. यह इसमें दिया हुआ है. मतलब 10 प्रतिशत् संकल्प पूरे हुये हैं. इसको कह सकते हैं कि 90 प्रतिशत् संकल्प आज भी अधूरे हैं. यह मुख्यमंत्री जी कह रहे हैं मैं नहीं कह रहा हूं. दूसरी बात, 188 ऐसे संकल्प हैं जो टोटल संकल्पों में से 40 परसेंट हो जाएंगे, जिस पर आज तक काम भी शुरू नहीं किया है. एक साल निकल गया इन संकल्पों में अभी तक कोई काम नहीं किया है, यह मुख्यमंत्री जी कह रहे हैं. यह इनका संकल्प पत्र है, जिसको कहते थे भागवत, गीता, यह है इनकी इज्जत. अगर इस स्पीड से बढ़ेंगे तो 50 परसेंट संकल्प भी पूरे नहीं कर पाएंगे. मैं कहना चाहता हूं माननीय मुख्यमंत्री जी को कि यह जो आंकड़े दिये हैं वह खुद ही स्वीकार कर रहे हैं कि सरकार अपने संकल्पों से पीछे हट रही है. प्रदेश में चहुंमुखी विकास तो नहीं हो रहा है, लेकिन चहुंमुखी या चौतरफा लूट जरूर हो रही है. जब एक व्यक्ति से आप इन्कम टैक्स के नाम पर वसूली कर ही रहे हैं कि केन्द्र सरकार के पास जाए, तो उसके बावजूद भी क्यों उसके ऊपर अनेकों प्रकार के कर्ज लादे जा रहे हैं और मैं इसका उदाहरण अपनी विधान सभा से जोड़कर देना चाहूंगा कि मेरी विधान सभा अटेर में 4-4 टोल हैं, तो चहुंमुखी लूट हो रही है. आप फूप से उरई निकल जाएं, एक टोल लगेगा, फूप से आप सरायगार होते हुये उमरी निकल जाएं दूसरा टोल. इधर प्रतापपुरा निकल जाएं तीसरा टोल और परा से अटेर मुख्यालय चले जाएं तो चौथा टोल. 4 टोल एक विधान सभा के अंदर हैं. इतना टैक्स देने के बाद वहां का व्यक्ति जो करदाता है, इतना टैक्स भरने के बावजूद भी वह चारों दिशा में जाकर टोल दे रहा है. यह लूट हो रही है.
अध्यक्ष महोदय, ऐसे ही एक मेडिकल कॉलेज का प्रावधान था. पूर्व मुख्यमंत्री जी के द्वारा घोषणा की गई थी कि अटेर विधान सभा में फूफ कस्बे में मेडिकल कॉलेज खोला जाएगा, लेकिन आज उसको वहां से दूसरी जगह ले जाने के प्रयास चल रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे हाथ जोड़कर आपके माध्यम से सारी सरकार के वरिष्ठों से हाथ जोड़कर निवेदन करता हूं कि आपने जो घोषणा की थी, क्योंकि घोषणा बड़े विश्वास के आधार पर जनता सुनती है, उसको वहीं यथावत् रखा जाना चाहिये. यह मेरे क्षेत्र की जनता की मांग है.
अध्यक्ष महोदय, अब यह आज का सप्लीमेंट्री बजट जिस पर आपने मुझे बोलने का अवसर दिया है मैं इसके बारे में बात करना चाहूंगा और इसमें जो बड़े-बड़े विभाग हैं जिनसे जनहित के कार्य संचालित होते हैं, मैं उन विभागों को थोड़ा सा हाईलाइट करके माननीय उप मुख्यमंत्री जी का ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा. सबसे पहले ऊर्जा विभाग सबसे महत्वपूर्ण विभाग है. आप भी जानते हैं कि यह ऐसा विभाग है जिससे हर व्यक्ति को जरूरत है और हर व्यक्ति इससे जुड़ा हुआ है. ऊर्जा विभाग में जो टोटल बजट एलोकेशन हुआ था, जो जुलाई में सत्र आया था उसमें वित्तीय वर्ष में टोटल बजट एलोकेशन हुआ था 18,664 करोड़ रुपये का और इसके अगेंस्ट खर्च हुआ है 9,707 करोड़ रुपये मतलब अगर राउण्ड ऑफ करें तो अनुमानित 50 परसेंट ही खर्च हुआ है और यह डेटा मैंने उठाया है, वित्त विभाग की सायबर ट्रेजरी से जो वित्त विभाग की ऑफिशियल वेबसाइट है, जो रियल टाइम अपडेट होती है. यदि आप चाहें तो उसको चेक भी कर सकते हैं, तो 50 परसेंट अभी खर्च होना शेष है. इसके बाद भी कर्जा लिया जा रहा है. 8,800 करोड़ रुपये का कर्जा लिया जा रहा है. अभी आपके पास जो है उसको आप खर्च नहीं कर पा रहे हैं, इसको आप रिकॉर्ड पर स्वीकार कर रहे हैं और फिर भी कर्जा ले रहे हैं. शायद मध्यप्रदेश की जनता को कर्जे से लादने की कोई कसम खा रखी है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आगे बात करता हूं पर्यटन विभाग का उदाहरण देना चाहता हूं, चूंकि मध्यप्रदेश को टूरिज्म स्पाट डेवलेप करने की बात कर रहे हैं .पर्यटन विभाग में 282 करोड़ रूपये का आवंटन हुआ था 181 करोड़ अभी तक खर्च हुआ है लगभग 35 प्रतिशत खर्च होना अभी भी बकाया है और उसके बाद फिर भी 131 करोड़ रूपये का कर्ज फिर भी मांग रहे हैं, आवश्यकता ही नहीं है, पहले आप खर्च तो कर लें, 3 महिने में क्या आप यह बची हुई राशि को खर्च कर पायेंगे. जब आप पूरे साल में 181 खर्च कर रहे हैं , 35 प्रतिशत अभी भी बकाया है.
अध्यक्ष महोदय, बड़ा ही महत्वपूर्ण विभाग है पीडब्ल्यूडी. जिससे हर व्यक्ति मध्यप्रदेश का जुड़ा हुआ है. पीडब्लूडी में टोटल बजट का आवंटन हुआ था 9871 करोड़ रूपये इसमें से अभी तक खर्च हुआ है 6603 करोड़ रूपये तो 35 प्रतिशत राशि अभी भी बकाया है उसके बाद भी कर्ज मांगा जा रहा है 1111 करोड रूपये का. अध्यक्ष महोदय, यह क्या फाइनेंसियल प्लानिंग है, मैं पूछना चाहता हूं जब आपके पास में मद में पैसा है तो इसके बावजूद क्यों कर्जा लिया जा रहा है, प्रदेश में प्रति व्यक्ति कर्जा कहां पहुंच गया है, मैं अभी उसके आंकड़े भी आपको बताऊंगा.
माननीय अध्यक्ष जी, एक ओर महत्वपूर्ण विभाग है पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग. इससे लगभग 70 से 75 प्रतिशत की मध्यप्रदेश की आबादी जुड़ी हुई है. इस विभाग में टोटल बजट का आवंटन हुआ था 15777 करोड़ रूपये जिसके विरूद्ध में अभी तक खर्च हुआ है 8640 करोड़ रूपये अर्थात 45 प्रतिशत बजट अभी भी बकाया है. 45 प्रतिशत बकाया होने के बावजूद भी आप कर्ज मांग रहे हैं, और कर्ज आप कितना मांग रहे हैं, कर्ज आप मांग रहे हैं 1246 करोड़ रूपये. अब इसमें एक चीज और महत्वपूर्ण है कि जो 1246 करोड़ रूपये मांगा जा रहा है इसमें से 1146 करोड़ रूपये आप मांग रहे हैं राजस्व मद के लिये.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय उप मुख्यमंत्री जी को यह बताना चाहूंगा कि राजस्व मद में जो पैसा होता है, जैसा कि मुझे ज्ञात है कि राजस्व मद का पैसा विकास कार्यो में इस्तेमाल नहीं होता है. पूरा बजट आप मांग रहे हैं राजस्व मद के लिये,और यह 1146 करोड़ का लाभ जनता को नहीं मिल रहा है लेकिन कर्ज उसके कंधे पर चढ़ जायेगा. लेकिन उसको विकास का लाभ नहीं मिलने वाला. मात्र 100 करोड़ रुपये मिलेंगे जो कि कैपिटल मद में हैं सिर्फ 100 करोड़ रुपये का विकास होगा तो यह जो आंकड़ों को गुमराह करने का भ्रमित करने का खेल है, माननीय उपमुख्यमंत्री का मैं जवाब चाहूंगा और मैं बड़े ध्यान से सुनूंगा कि वह वर्तमान की बात करते हैं कि वह वही कांग्रेस सन् 1947, सन् 1950, या वर्तमान के कुछ उत्तर आएंगे. मैं बड़े ध्यान से और विनम्रतापूर्वक सुनूंगा.
अध्यक्ष महोदय- वह 2047 की कर रहे हैं.
श्री हेमंत सत्यदेव कटारे - विकसित मध्यप्रदेश, अध्यक्ष महोदय, एक और महत्वपूर्ण विभाग है जल संसाधन. दो विभाग हैं जिनमें खर्चा पूरा हुआ है, दबाकर खर्चा हुआ है. एक है जल संसाधन विभाग. तुलसी भैया बैठें हो तो जल संसाधन और दूसरा है क्योंकि एक विभाग माननीय मुख्यमँत्री जी का भी लेना चाहिए एनवीडीए. इन दो विभागों में खर्चे की कमी नहीं है. लगभग पूरा खर्चा हो गया तो मैंने देखा कि यह कैसे भई, इसमें क्यों इतना खर्चा हुआ बाकी जगह खर्च नहीं कर पा रहे, इन दो विभागों में ऐसा क्या खास है कि पूरी राशि खर्च हो रही है. अभी मैं माननीय मुख्यमंत्री जी का भी उद्बोधन सुन रहा था. उसमें वो क्षिप्रा नदी का वो सब बता रहे थे जो जल संसाधन विभाग की बड़ी बड़ी परियोजनायें हैं , मैं सुन रहा था लेकिन यह जो जल संसाधन विभाग की परियोजना के पवित्र उद्देश्य सामने हैं लेकिन इसके पीछे अपवित्र भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारी कंपनीयां छुपी हुई है मैं आपको उदाहरण सहित बताना चाहूंगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, एक कंपनी है मंटेना इन्फ्रासोल प्रायवेट लिमिटेड, हैदराबाद-बेस कंपनी है, इसी साल 10 सितम्बर 2024 को इसी वर्ष एक बैठक होती है . एक योजना के तहत, पहले उस कंपनी को 1200 करोड़ रूपये दिये जाते हैं, फिर दूसरी योजना में ज्वाइंटवेंचर में काम कर रहे हैं फिर उसको दूसरी योजना के तहत 3000 करोड़ रूपये दिये जाते हैं, फिर एक और बैठक होती है, वह होती है एनव्हीडीए की, फिर उसमें तीन अलग अलग योजनाओं में किसी में 1000 करोड़, किसी में 500 करोड़ ऐसी अलग अलग योजनाओं में एक दिन में 7050 करोड़ रूपये एक दिन में दिये गये, इस कंपनी को. अब मैं इसको हाईलाइट क्यों कर रहा हूं. मंटेना से क्या बात है लेकिन इसकी ज्वाइंटवेंचर की जितनी कंपनी है, एक ही एचईएस इन्फ्रा प्रायवेट लिमिटेड, मैंने इस कंपनी का एड्रेस ढूंढने की कौशिश की यह कंपनी कहां की है, हैदराबाद की, फिर अगली ज्वाइंटवेंचर कंपनी ढूंढी उसका नाम है वेंसर कंस्ट्रक्शन प्रायवेट लिमिटेड, उसका एड्रेस ढूंढा कहा की है, वह भी हैदराबाद की, तीसरी कंपनी को फिर मैंने ढूंढा, मैंने कहा कि यह एक और जो ज्वाइंटवेंचर की कंपनी है गाजा इंजीनियरिंग प्रायवेट लिमिटेड इसका एड्रेस ढूंढा यह भी हैदराबाद की. तो जो विकास हो रहा है वह सिर्फ हैदराबाद की कंपनियों को, पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिये हो रहा है.
माननीय अध्यक्ष जी, मैं, मेन्टेना कंपनी की कुछ उपलब्धियां भी आपको गिना देता हूं.यह मेन्टेना वही कंपनी है जिसको जल संसाधन विभाग के विभाग प्रमुख के द्वारा पूर्व में ब्लैकलिस्ट किया जा चुका है. ब्लैकलिस्टेड कंपनी हुई थी ये और बाद में एक एसीएस, जो कि अब रिटायर हो चुके हैं, उन्होंने इसको बहाल कर दिया, नियमों को शिथिल करके, अतिकृपा बरसाई इस कम्पनी के ऊपर. पूर्व में इस कम्पनी के ऊपर ईओडब्ल्यू में एफआईआर दर्ज हुई थी, यह मंटेना कन्स्ट्रेक्शन कम्पनी पर. इस कम्पनी के ऊपर ईडी के द्वारा रेड पड़ चुकी है और ईडी रेड में इनको कस्टडी में लिया गया. यह ईडी के जांच के दायरे में है. ईओडब्ल्यू के केस इस पर हो चुके हैं. ब्लैक लिस्टेड हो चुकी है, लेकिन एक दिन में इसको 7 हजार करोड़ रुपये का काम मिल जाता है और दूसरी और क्या स्थिति है, यह है पूंजीपति, वह भी मध्यप्रदेश के नहीं, हैदराबाद के हैं. दूसरी ओर मध्यप्रदेश की स्थिति पर आ जाते हैं. हमीदिया अस्पताल भोपाल का एक ऐसा अस्पताल है, जिसको सभी लोग जानते हैं और वहां पर एक दिन में कम से कम दो हजार से तीन हजार ओपीडी तो होते ही हैं.
अध्यक्ष महोदय—हंमेत जी, एक मिनट. माननीय सदस्य का भाषण आगे जारी रहेगा. सदन की कार्यवाही दोपहर 3.00 बजे तक भोजनावकाश के लिये स्थगित की जाती है.
(1.31 बजे से 3.00 बजे तक अन्तराल.)
3.05 बजे { अध्यक्ष महोदय(श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए. }
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बजट में बोलने का अवसर दिया और अभी आने वाले समय में हमारे विधायक दल के नेता हैं और सदस्य हैं उनको भी आप बोलने का समय देंगे.
मैं चाहता हूं आपने बजट पर बोलने का अवसर तो दिया है. अंत में आप कुछ बजट भी दिलवा दीजियेगा, सिर्फ बोलते-बोलते ना रह जायें, बजट भी मिल जाये, ऐसा आपसे आग्रह है.
अध्यक्ष महोदय- बजट की चर्चा समय पर समाप्त करना है. कितने लोग बोलेंगे यह आपको तय करना है.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे- मेरी प्रार्थना थी कि बजट मिल जाये. भले ही कम बोलें, यदि बजट मिल जाता तो..
अध्यक्ष महोदय- आपके 17 मिनिट हो गये हैं.
श्री प्रहलाद सिंह पटेल- अध्यक्ष महोदय, मैंने कहा कि जैसे आपका निर्देश है कि समय पर बजट की चर्चा समाप्त होगी तो समय पर पैसा भी मिलेगा.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय- अध्यक्ष महोदय, हेमन्त जी थोड़ा अच्छा-अच्छा बोलें तो अच्छा-अच्छा बजट मिल जायेगा.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे- अध्यक्ष महोदय, जब भोजन अवकाश हुआ तो मैं बाहर गया और अपने पत्रकार साथियों से इस बीच में मिला. भोजन तो नहीं कर पाया, क्योंकि बजट की तैयारी भी करनी थी तो जब उनसे बात कर रहा था तो मुझे अवगत कराया गया कि आज सुबह से अभी वर्तमान में इनकम टैक्स की रेड चल रही है और यह जो रेड चल रही है, यह उसी ग्रुप के ऊपर चल रही है ,जिसके ऊपर मैं, डे-वन से, जब से मैं विधायक चुनकर आया हूं उस दिन से प्रश्न उठा रहा हूं. मैंने कई प्रश्न, ध्यानाकर्षण लगाये. मैंने आपसे व्यक्तिगत रूप से आग्रह किया और पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री जी से भी आग्रह किया.
मैं आजीविका मिशन के जो मास्टर माइंड हैं, जो रिटायर्ड मुख्य सचिव हैं और जो पूर्व वाले के सबसे क्लोज़ थे, उनकी बात कर रहा हूं. लेकिन ठीक है कहीं न कहीं तो सुनवाई होगी. मुझे पहले लगा कि सदन में सुनवाई होगी, लेकिन सदन में सुनवाई नहीं हुई. इनकम टैक्स विभाग की रेड शुरू हो गयी है. एक कुणाल बिल्डर्स करके हैं, त्रिशूल हैं, कोई शर्मा जी हैं और जितनी बेनामी संपत्ति पूर्व मुख्य सचिव की है, मैं आज इस बात को कोट कर रहा हूं कि वह सारी बेनामी संपत्ति इन्हीं ग्रुप्स में लगी है और कई माननीय सदस्य भी हैं, अभी वर्तमान में. चार-पांच सदस्यों को तो मैं जानता भी हूं. जिनके यहां पर पैसा जमीन के माध्यम से लगा है. मैं कोई व्यक्तिगत भावना से बात नहीं करना चाहता हूं. वह एक व्यक्तिगत विषय है कि किसने कहां जमीन ली, नहीं ली.
माननीय अध्यक्ष जी मैं कहना यह चाहता हूं कि मैं चुना हुआ विधायक हूं और इस प्रश्न को डे-वन से उठा रहा हूं कि पूर्व जो मुख्य सचिव हैं उन्होंने भ्रष्टाचार फैलाया. उनके संरक्षण में आजीविका मिशन में फर्जी भर्तियां हुईं, यह सिद्ध जांचें हैं, लेकिन उनको बख्शा जा रहा है. आज इनकम टैक्स विभाग की रेड पड़ रही है, बेनामी संपत्ति सब खुलेंगी. लेकिन यह यहां क्यों नहीं निर्णय हो जाये. इसके लिये उन एजेंसियों पर क्यों निर्भरता रहे ?
अध्यक्ष जी, जब मैं जो विषय पर, जहां पर छूटा था वहां से शुरू करता हूं. मैं हमीदिया अस्पताल की बात बता रहा हूं. हमीदिया अस्पताल भोपाल का एक प्रख्यात अस्पताल है और प्रत्येक दिन वहां पर कम से कम दो हजार से तीन हजार ओपीडीस् होती हैं. वहां के जो कर्मचारी, टेक्निशियनस् हैं. वह लोग एक महीने से नहीं, दो महीने से नहीं तीन महीने से लगातार हड़ताल कर रहे हैं. कारण क्या है, कारण है कि उनको वेतन का भुगतान नहीं मिल पा रहा है. कुछ आउट सोर्स के कर्मचारी भी हैं. कुछ क्लास-4, क्लास -3 के कर्मचारी भी हैं. क्योंकि गरीब हैं तो गरीब की तो सुनवाई मध्यप्रदेश में कम ही हो पाती है. मंटेना ग्रुप था, एक दिन में सात हजार, पचास करोड़ रूपये. मैं इस रिकार्ड को पटल पर रख दूंगा, यदि कोई लेना चाहे.
माननीय मुख्यमंत्री जी की अध्यक्षता में बैठक हुई एक दिन में सात हजार करोड़, कोई बात नहीं, हम प्रश्न नहीं उठा रहे हैं. मेरा सिर्फ इतना कहना है कि मंटेना ग्रुप पर ऐसे-ऐसे आरोप हैं, ई.डी. की रेड पड़ी हुई है, जांच लंबित है और ईओडब्ल्यू की एफ.आई.आर हैं और वह ब्लेक लिस्टेड कंपनी थी. विभाग प्रमुख के द्वारा उसकी जांच करके उसको अलग करना चाहिये, जब तक जांच से वह क्लियर न हो जाये तब तक नहीं देना चाहिये. सारी हैदराबाद की कंपनीज़ को मध्य प्रदेश में करोड़ों रूपये के प्रोजेक्ट मिल रहे हैं, कनेक्श्ान क्या है इसकी जांच होनी चाहिये. हमारे हमीदिया अस्पताल के जो कर्मचारी हैं, यह गरीब लोग हैं. मैं मानवता के आधार पर दोनों उप मुख्य मंत्रियों से पूछना चाह रहा हूं, वह तो है नहीं, लेकिन विभाग उनका है . तीन महीने बिना वेतन के एक गरीब रह सकता है क्या? आप बताइए? आप तय कीजिए. अगर रह सकता है तो ठीक है. कैसे वह अपना घर पालेगा, कैसे उसके घर, परिवार, बच्चे पालेगा? उसकी कुछ चंद हजार रुपये ही तो तनख्वाह है. आप 7000 करोड़ रुपये का फंड एलोकेट कर रहे हो. थोड़ा-सा उनको तनख्वाह दे दें. बेचारे वह सड़क पर हैं, मजबूर हैं और जब वह हड़ताल कर रहे हैं. इस बीच में अंदर कोई दुर्घटना घट जाती है क्योंकि जब सारे लैब टेक्नीशियन्स और कर्मचारी बाहर हैं तो मरीज का इलाज कौन करेगा, उनकी रिपोर्ट्स कौन जनरेट करेगा? यदि कोई घटना अंदर घट जाएगी तो इसका नैतिक दायित्व पूरी सरकार का है. एक घटना भी घट गई तो उसका दायित्व आप लोगों का है.
अध्यक्ष महोदय, मैं कहना चाहता हूं कि कर्जे में सरकार है यह तो तय है. आप भी स्वीकार करते हैं, लेकिन कर्जे में हेलिकॉप्टर की उड़ान कौन भरता है? हरियाणा में चुनाव हो रहा है, यहां से माननीय का हेलिकॉप्टर उड़कर जाता है, हरियाणा में प्रचार करता है. महाराष्ट्र में हेलिकॉप्टर उड़कर जा रहा है, एक दिन में 9 से 10 लाख रुपया खर्च हो रहा है. करोड़ों रुपयों का व्यय हो रहा है. मध्यप्रदेश की जनता ने आपको चुना है कि हरियाणा, महाराष्ट्र की जनता ने चुना है. आप खर्चा कर रहे हो हमारे यहां के फंड से और खर्चा कर रहे हो हरियाणा और महाराष्ट्र की जनता के लिए, अपना दिल्ली में नंबर बढ़ाने के लिए. यह तो गलत है. मध्यप्रदेश का जो बजट है. वह मध्यप्रदेश की जनता के ऊपर खर्चा होना चाहिए. मेरा ऐसा आपसे आग्रह है.
अध्यक्ष महोदय, अभी पिछले 10 महीने में आपने देखा होगा कितने ट्रांसफर, पोस्टिंग हुए. मैं सीनियर ब्यूरोक्रेसी की ही बात कर रहा हूं. एक ट्रांसफर उद्योग चल रहा है, जिसके कारण प्रशासनिक अराजकता मध्यप्रदेश फैली हुई है और ऐसी स्थिति निर्मित हो गई है. 438 ट्रांसफर हो चुके हैं मात्र 10 महीने में. खास बात यह है कि इनमें से 109 ट्रांसफर रात में हुए हैं, 12 बजे से 1 बजे के बीच में, यह कौन-सा टाईम है? वह अधिकारी सो ही नहीं पा रहा. रात के 12 बजे ट्रांसफर उसको मिलेगा, वह क्या सोएगा? अब आप विभाग देखिए जो महत्वपूर्ण विभाग है, मैं उनको चिह्नित कर देता हूं. पीडब्ल्यूडी विभाग, जो पीडब्ल्यूडी विभाग के मुख्य है, उनका 4 बार ट्रांसफर 10 महीने में हो गया है. महत्वपूर्ण विभाग है, जनता से जुड़ा हुआ, जनहित का विभाग है. एनर्जी डिपार्टमेंट, 3 बार ट्रांसफर हो चुका है, जो भी वहां के पीएस या एसीएस जो भी सीनियर मोस्ट विभाग के अधिकारी हैं. माईनिंग में 4 बार ट्रांसफर हो गया. राजभवन में 4 बार ट्रांसफर हो चुका है. एमएसएमई में 3 बार ट्रांसफर हो चुका है. यह वही विभाग हैं चाहे पीडब्ल्यूडी हो, चाहे एनर्जी विभाग हो, यह वही महत्वपूर्ण विभाग हैं जिनमें बजट आवंटन होने के बाद में खर्च नहीं हो पाया, इसीलिए खर्च नहीं हो पाया, अधिकारी आता है, फाईल खोलकर के बैठता है, एक महीने बाद फिर से उसका झोला टंग जाता है, फिर उसको दूसरे विभाग में जाना पड़ता है.
अध्यक्ष महोदय, सरकार पर से अधिकारियों का विश्वास उठ गया है कि हम किसी विभाग में जाएंगे, काम करेंगे तो क्या वहां पर टिक भी पाएंगे. जबकि सुप्रीम कोर्ट की गाईडलाइंस हैं कि स्टेब्लिटी क्रिएट करने के लिए कोई भी सीनियर अधिकारी है तो उसको एक नैतिक रूप से कोई बड़ा कारण नहीं हो तो कम से कम 2 वर्ष उसको वहां पर देना चाहिए. अधिकतम 3 वर्ष भी दे दो. उसके बाद आप स्थानांतरण कर दीजिए. ऐसे कई सारे आर्डर्स हैं लेकिन नहीं, यहां तो कोर्ट की बात ही नहीं होती. यहां तो जिसको जो ठीक लग रहा है, रात 12 बजे ट्रांसफर्स हो रहे हैं. मैं समझता हूं कि इस पर रोक लगनी चाहिए. पॉलिसी बननी चाहिए. मध्यप्रदेश जो है उसकी फाइनेंश्यल प्लानिंग पूरी ध्वस्त हो गई है. यह भी एक महत्वपूर्ण कारण है.
अध्यक्ष महोदय, एक विषय यह है. मैं माननीय उपमुख्यमंत्री जी के संज्ञान में लाना चाहूंगा कि कुछ ऐसे खर्चे हैं जो रेवेन्यू मद में लेना चाहिए, लेकिन उनको कैपिटल मद में लिया है. जैसे कि सोफे पर जो खर्च हुआ, मैं सरकारी सोफों की बात कर रहा हूं. कार जो खरीदी गई सरकारी, सरकारी कम्प्यूटर जो खरीदे गये. रेवेन्यू मद में इनको लेते क्योंकि यह ऐसे असेट्स हैं जो आने वाले समय में डिप्रिशिएट होंगे और 4-5 साल में कुड़ा कचरा ही बन जाएगा, यह कबाड़ में ही जाएगा. इनको आपको रेवेन्यू मद में लेना चाहिए था, लेकिन इनको आपने कैपिटल मद में लिया है. अब मैं पूछना यह चाहता हूं कि सोफे का, कारों का, कम्प्यूटर्स का इनका मध्यप्रदेश के विकास से क्या लेना है? क्योंकि आंकड़ों में आप इसको विकास में गिनाते हैं कि विकास हुआ. कार खरीदकर किसका विकास हुआ? सोफा खरीदकर किसका विकास हुआ? कम्प्यूटर खरीदकर किसका विकास हुआ? यह माननीय उपमुख्यमंत्री जी बताएं. 3 वर्ष पहले यह उसी मद में रहते थे. अध्यक्ष महोदय, मैं प्रति व्यक्ति कर्ज की बात बताना चाहूंगा. जब तक यह मार्च खत्म होगा. सारे लोन मैंने निकाले. मार्च खत्म होने तक कुल लोन हमारे मध्यप्रदेश के ऊपर होगा 4 लाख 92 हजार करोड़ रुपया. इसमें मार्केट लोन, सेंट्रल गवर्नमेंट का लोन, नाबार्ड का, बांड्स का, अल्प बजट ऋण, पब्लिक अकाउंट जीपीएफ सारे लोन मिलाकर मैं बोल रहा हूं, जिसको आप केलक्यूलेट करेंगे अगर 8 करोड़ 30 लाख की जनता के हिसाब से केलक्यूलेट करेंगे तो प्रति व्यक्ति कर्ज 60000 रुपये आ रहा है. यह लज्जा की बात है कि जो व्यक्ति यहां पर पैदा होगा, जो जन्म लेगा वह 60000 रुपये कर्ज के साथ में मध्यप्रदेश की धरती पर आएगा. अभी जो जनसंपर्क विभाग ने डेटा अपलोड किया, हमारे मुख्यमंत्री जी का कथन अपलोड किया, उसमें उन्होंने रीजनल इंडस्ट्रीज कान्क्लेव की बात की. बड़ा भारी शब्द सुनकर ऐसा लग रहा है, जैसे बहुत बड़ी चीज है लेकिन है कुछ नहीं. सिर्फ कागज का बंडल है. इसमें एमओयू साइन किए. मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टेंडिंग. जितने साइन हुए, इसमें उज्जैन, जबलपुर, ग्वालियर, सागर में 2 लाख करोड़ रूपए के साइन हो गए. फिर मुम्बई, बैंगलोर में 1 लाख करोड़ रूपए के एमओयू साइन हो गए. भोपाल माइनिंग कान्क्लेव हुआ, उसमें 20 हजार करोड़ के एमओयू साइन हुए. यूके गए. कुल मिलाकर के 4 लाख करोड़ के एमओयू साइन हुए. उसकी वाहवाही लूटी जा रही है. मैं पूछना यह चाहता हॅूं कि एमओयू साइन होना क्या बहुत बड़ा कार्य है. यहीं गुजरात से ही साइन हो जाएंगे. क्यों आप यूके गए ? सिर्फ कागज का बंडल ही तो है. मध्यप्रदेश में चवन्नी भी आयी क्या ? चवन्नी आना बंद हो गई है, इसलिए मैं पूछ रहा हॅूं कि हजार रूपए भी आए क्या मध्यप्रदेश में ? कुछ नहीं आया. सिर्फ एमओयू साइन हुए, उसकी वाहवाही लूट ली. पर्व मन रहा है पर्व.
अध्यक्ष महोदय, यह जितनी गलत नीतियां हैं इन्हीं के कारण ऐसी नीतियों में बड़ी-बड़ी बातों में फंसकर हमारे आदरणीय विजयपुर वाले वनमंत्री जी थे, उनको आपने हमेशा के लिए वनवासी बना दिया. अच्छे खासे थे, अच्छा बोलते थे. आ गए बातों में. 4 लाख करोड़, इतने लाख करोड़. हेलीकॉप्टर चले गए. अब ठीक है, यह उनका व्यक्तिगत मामला है मैं ज्यादा कमेंट नहीं करना चाहता. एक अति महत्वपूर्ण विषय है और मैं चाहता हॅूं कि आप इसको ध्यानपूर्वक सुनें. यह टीएचआर का विषय है. टेक होम राशन में जो कुपोषित बच्चे होते हैं या जो प्रेग्नेंट वीमेन हैं या लैक्टेटिंग वीमेन हैं उनके बच्चों का विषय है. इसमें कैग की रिपोर्ट ने हाईलाइट किया कि110 करोड़ रूपए का घोटाला हुआ. यह 110 करोड़ रूपए जो हाईलाइटेड है मैं स्पेसिफिकली आपको बता दूं कि यह गर्भवती महिलाओं के संबंध में जो भ्रष्टाचार हुआ है उनको हाईलाइट किया गया है. यह मध्यप्रदेश की पावन धरती है. बच्चे ने जन्म नहीं लिया है लेकिन वह भ्रष्टाचार का शिकार हो चुका है. यह है मध्यप्रदेश. अब मैं सबको कहना चाहता हॅूं वेलकम टू मध्यप्रदेश. हमारा यह मध्यप्रदेश है जहां पर जेल प्रहरी की परीक्षा होती है. अधिकतम 100 अंक मिलते हैं जितना मैंने पढ़ा, सीखा. यहां मध्यप्रदेश में 100 में से 101 अंक आ जाते हैं. यह है हमारा मध्यप्रदेश. यहां पर बच्चा पैदा होने से पहले भ्रष्टाचार का शिकार हो जाता है. यह रिपोर्ट्स में आया है और पैदा होने के बाद ईश्वर की कृपा से जैसे ही वह बाहर आया, तो 60 हजार रूपए कर्जा डे-वन से उसके ऊपर आ गया है. यह मध्यप्रदेश है.
अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हॅूं कि माननीय वित्त मंत्री जी जब बोलेंगे, तो मैं जानना चाहूंगा यदि वे इस बात को कहें, कि यह जो 60 हजार रूपए प्रति व्यक्ति कर्जा है और जो 4 लाख 92 हजार करोड़ रूपए का खर्चा है यह जो टोटल लोन है, इसको चुकाने की क्या नीति है. इसको कैसे पे-ऑफ करें, कृपया इसको बताइएगा. जो पीडब्ल्यूडी विभाग है यहां 35 परसेंट अभी भी राशि शेष है. ऊर्जा विभाग में 35 परसेंट शेष है. पर्यटन में भी राशि शेष है. पंचायत में 45 परसेंट राशि शेष है. यह होने के बावजूद भी आप क्यों कर्जे से लाद रहे हैं हमारे मध्यप्रदेश की जनता को, यह भी अवगत कराइएगा. रेवेन्यू में विकास कार्यों के लिए मात्र 100 करोड़ का कर्जा लिया है और 1146 करोड़ रूपए विभागीय खर्चों के लिए लिया है, तो इनकी वाहवाही क्यों पीटी जा रही है, यह भी अवगत कराइएगा. एक चीज और है केपिटल में आपने कार, सोफा, कम्प्यूटर को शामिल किया है यह कैसा विकास कार्य है कृपया, बताइएगा.
अध्यक्ष महोदय, अब मैं कन्क्लूड कर रहा हॅूं चूंकि जब इसके बाद तो मैं सबकी बात सुनूंगा और ध्यानपूर्वक सबका वक्तव्य सुनूंगा. जब वे कहेंगे, तो वही बातें आएंगी कि कब क्या हुआ, कांग्रेस शासन काल में कब क्या हुआ था, तो मैं कांग्रेस शासन काल की जो बात है उसका उत्तर मैं अभी बता देता हॅूं कि जब माननीय दिग्विजय सिंह जी मुख्यमंत्री थे और जब हमने आपको सरकार सौंपी थी, तब जितना कुल कर्जा मध्यप्रदेश के ऊपर था, उतना तो सिर्फ आज ब्याज भरा जा रहा है. यह ऑन रिकॉर्ड मैं आपसे कह रहा हॅूं.
श्री मनोज पटेल -- खाली कर्जा बताओगे या जो कुछ नहीं था, वह भी बताओगे.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे -- आप पूछो, हम बता देंगे.
श्री मनोज पटेल -- इसमें सड़क भी बताओ कि कर्जे में आपने सड़क भी दी थी, बिजली भी दी थी, स्वास्थ्य सुविधाएं भी दी थीं, पानी भी दिया था. पूरा गड्ढे में प्रदेश दिया था, आप यह भी बताएं.
अध्यक्ष महोदय -- मनोज जी, कृपया, आप बैठ जाइए. उनको भाषण पूरा करने दीजिए.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे -- अध्यक्ष महोदय, अगर माननीय उपमुख्यमंत्री जी, वित्त विभाग जिनके पास है यदि वे इन सब बातों का उत्तर देते हैं तो मैं इसको रिकार्ड में कह रहा हॅूं कि मैं इस बजट का समर्थन करूंगा और यदि इनका जवाब नहीं आता है तो नीतिगत रूप से जो-जो बातें मैंने कहीं हैं, मैं इस बजट का विरोध करता हॅूं. अंत में मैं सिर्फ एक पंक्ति कहकर अपनी बात को समाप्त करूंगा.
वो लूट रहे हैं, सपनों को, मैं चैन से कैसे रह पाऊं,
वो बेच रहे हैं मेरे मध्यप्रदेश को, तो खामोश मैं कैसे रह जाऊं,
तो खामोश मैं कैसे रह जाऊं.
आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
डॉ.सीतासरन शर्मा (होशंगाबाद)—अध्यक्ष महोदय, हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में और हमारे वित्तमंत्री जी के कुशल प्रबंधन में हमारा प्रदेश निरंतर विकास की ओर आगे बढ़ रहा है. यह कार्य निरंतर जारी है. अनुपूरक बजट उसका एक उदाहरण है. अभी हमारे माननीय सदस्य जी कह रहे थे कि अनुपूरक बजट क्यों आता है ? अनुपूरक बजट आता ही इसलिये है कि विकास कार्य निरंतर चलते रहें, रूके नहीं बजट के अभाव में और इसीलिये पहला तो बजट अनुमान होता है उनकी बात का ज्यादा उत्तर देना नहीं है, वह भी समझते हैं और वह कहने के लिये कह रहे हैं. अनुपूरक बजट मध्यप्रदेश की जनता के कार्यों को पूरा करने के लिये लाया गया है. बात माननीय हेमंत जी उपनेता प्रतिपक्ष ने सिंचाई से शुरू की थी. मैं भी यहीं से शुरू करता हूं उत्तर तो उधर से आयेगा. अब बताना तो पड़ेगा कि 7 लाख हैक्टेयर में सिंचाई 50 साल में थी 2003 से लेकर 2024 आ गया है. हमारे उप मुख्यमंत्री जी कल कह रहे थे कि 50 लाख हैक्टेयर के लगभग सिंचाई तो हो गई है 20 सालों में अब 1 करोड़ हैक्टेयर में सिंचाई करने का लक्ष्य है. अभी आज माननीय मुख्यमंत्री जी ने एक वक्तव्य दिया पार्वती- काली सिंध और चम्बल लिंक योजना का कल जिसका भूमिपूजन हुआ. अकेली उस योजना से साढ़े छः लाख हैक्टेयर की सिंचाई होगी. जितनी पूर्व के लोगों ने 50-60 सालों में की उन्होंने उतनी तो एक योजना से सिंचाई करने की तैयारी है हमारी भाई साहब. केन-बेतवा लिंक योजना करीब 1 लाख करोड़ रूपये की है. उसमें सिंचाई 9 लाख हैक्टेयर में बुंदेलखण्ड को और मालवा को एवं ग्वालियर चम्बल संभाग को पानी मिलेगा. अध्यक्ष महोदय, यह तो उनके रिकार्ड में कभी थे ही नहीं, यह तो वहां के लोगों को भूल ही गये थे कि इधर भी कोई रहता है, इधर भी खेती होती है, इधर भी सिंचाई की जरूरत है, इधर भी पीने के पानी की जरूरत है, कुछ नहीं.
एक माननीय सदस्य—चम्बल संभाग में योजनाएं बहुत पुरानी बनी हुई हैं तब बी.जे.पी.को कोई जानता भी नहीं था, तभी की बनी हुई हैं.
डॉ.सीतासरन शर्मा—अध्यक्ष महोदय, यह योजना वैसे ही आ गई. साढ़े छः लाख हैक्टेयर की सिंचाई की. आप कह रहे हो तो बंद कर दो. आप इस योजना का विरोध कर दो. पैसा तो जनता का आप पर भी था. जब इन्होंने सरकार छोड़ी तब 35 हजार करोड़ रूपये का कर्जा था.
श्री पंकज उपाध्याय—चम्बल के लोग क्या कर सकते हैं. अध्यक्ष जी आप भी चंबल के हैं आपका भी अपमान है.
श्री आशीष गोविंद शर्मा—चंबल तो वीरता के लिये जाना जाता है आप क्यों गलत समझ रहे हो.
अध्यक्ष महोदय—डॉ. साहब आप अपना भाषण जारी रखें.
डॉ.सीतासरन शर्मा—अध्यक्ष महोदय, जब इनने सरकार छोड़ी तब इनका बजट कितने का था ? 22 हजार करोड़ रूपये का बजट इनका था. कर्जा 35 हजार करोड़ रूपये का था. कितना था आप लोग बता दीजिये.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे – अध्यक्ष जी, यह बात गलत है, आप इस जानकारी को पटल पर रख दें, ये गलत जानकारी है.
डॉ. सीतासरन शर्मा – मेरे पास जो जानकारी है 22 हजार करोड़ का बजट था, 35 हजार करोड़ कर्जा था.
अध्यक्ष महोदय – हेमन्त जी, जब आप बोल रहे थे तो सभी लोग ध्यान से सुन रहे थे.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री प्रहलाद सिंह पटेल) – अध्यक्ष महोदय, एक निवेदन है, जब कटारे जी भाषण कर रहे थे तो सभी ने शालीनता से सुना. एक पूर्व विधान सभा अध्यक्ष, इतने सीनियर सदस्य बात कर रहे हैं. मैं माननीय सदस्यों से निवेदन करुंगा कि इन्टरप्ट करना है तो इन्टरप्ट करिए, डिसटर्ब करने का अधिकार नहीं है. ये मत करो, कम से कम चीजें सुन लो, आपको जवाब देने का मौका मिलेगा, आपके वक्ता बोलेंगे, ये गलत बात है.
अध्यक्ष महोदय – डॉ. साहब जारी रखें, दिनेश जी बैठ जाइए.
डॉ. सीतासरन शर्मा - अध्यक्ष महोदय, अब बजट है 3 लाख 65 हजार करोड़ का उस अनुपात में कर्जा बहुत कम है. इनने जो कर्जा लिया था, उससे न तो सड़क थी, न बिजली थी, न पानी था, न अस्पताल थे, न मेडिकल कॉलेज थे.
ऋणम् कृत्वा, घृतम् पिवेत. ये ऋण लेते थे और घी पीते थे.
अध्यक्ष महोदय, 2003 के पहले ढाई हजार मेगावाट बिजली बनती थी और चार हजार मेगावाट की डिमांड थी. अब 25 हजार पर पहुंच गए हैं, सौर ऊर्जा ही आगे चली जा रही है. सिर्फ ये दो बड़ी योजनाएं नहीं, हाटपिपल्या सिंचाई योजना 100 करोड़, हालोन परियोजना 15 करोड़, खंडवा उद्वहन सिंचाई योजना 300 करोड़, शहीद इलाप सिंह माइक्रो सिंचाई योजना 50 करोड़. नर्मदा झाबुआ, पेटलावद, थांदला, सरदारपुर उद्ववहन योजना 50 करोड़. झिरन्या सिंचाई योजना 50 करोड़, बोहरीबंद माइक्रो उद्वहन सिंचाई योजना 125 करोड़, अध्यक्ष महोदय यह क्रम रुक नहीं रहा है, मुख्य बजट हो, चाहे अनुपूरक बजट हो, बहुत सी योजनाएं हैं, सभी को पढ़ने की आवश्यकता नहीं है.
अध्यक्ष महोदय, ऊर्जा, मैंने अभी कहा कि एक जमाना ऐसा था, तब बिजली भी सरप्लस थी और बिजली विभाग भी फायदे पर चलता था, पर वर्ष 2003 तक एक समय आया, जब बिजली बची नहीं और बिजली विभाग पर कर्जा और हो गया, तो सब्सिडी देना पड़ रहा है, लेकिन सब्सिडी देने के बाद भी बिजली का उत्पादन हम बढ़ा रहे हैं और मैंने पहले भी कहा था, नवकरणीय ऊर्जा के बारे में. सूरज तो इनके समय भी चमकता था, जब ये सरकार में थे, तब भी सूरज इतना ही चमकता था. उसकी चमक कम नहीं थी, पर बिजली नहीं बनाई, क्योंकि विजन नहीं था, जरुरत नहीं थी, दिखता नहीं था, जनता परेशान हो तो हो. सौर ऊर्जा तो सूरज के साथ ही आ गया था आपको दिखा नहीं, क्या 2003 में ही सूरज आया. हमने योजना बनाई और योजना बनाकर इसी अनुपूरक बजट में अटल ज्योति योजना, ये गांव में भी बिजली ले जाएगी, गांव में स्ट्रीट लाइट लगाएगी. आपको तो चिन्ता ही नहीं थी.
श्री अटल जी आये तब प्रधानमंत्री सड़क बनी. गांव में भी आदमी रहता है, इनको पता ही नहीं था और अब गांव की योजना सोलर लाईट से नवकरणीय ऊर्जा से जलेगी, 8 हजार 482 करोड़ रूपये इसके लिये दिया है.
अध्यक्ष महोदय, पर हमने सिर्फ गांव की चिंता ही नहीं की है, शहरी विकास में आज स्वच्छता में हमारे कई शहर राष्ट्र में पहले नंबर पर हैं, परंतु कांग्रेस के समय स्वच्छता की बात ही नहीं होती थी, अरे झाड़ू तो बेचारे उसने उठाई थी(हंसी) आपके समय तो स्वच्छता की चर्चा ही नहीं होती थी. (श्री दिनेश गुर्जर, सदस्य द्वारा अपने आसन से कुछ कहने पर) तुलना करना पड़ता है (हंसी). हमारे वरिष्ठ सदस्य जिनसे हम लड़कर आये हैं, उनका तो बोलना ही पड़ेगा. (श्री दिनेश गुर्जर, सदस्य द्वारा अपने आसन से कुछ कहने पर) सबको अवसर मिलेगा.
अध्यक्ष महोदय -- श्री दिनेश जी, बैठ जायें नहीं तो बाद म