मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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षोडश विधान सभा चतुर्थ सत्र
दिसम्बर, 2024 सत्र
बुधवार, दिनांक 18 दिसम्बर, 2024
( 27 अग्रहायण, शक संवत् 1946 )
[खण्ड- 4 ] [अंक-3]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
बुधवार, दिनांक 18 दिसम्बर, 2024
( 27 अग्रहायण, शक संवत् 1946 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.02 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए.}
शपथ/प्रतिज्ञान
अध्यक्ष महोदय - उप चुनाव में, निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक-2, विजयपुर से निर्वाचित सदस्य श्री मुकेश मल्होत्रा शपथ लेंगे, सदस्यों की नामावली में हस्ताक्षर करेंगे एवं सभा में अपना स्थान ग्रहण करेंगे.
क्रमांक सदस्य (क्षेत्र) शपथ/प्रतिज्ञान
1. श्री मुकेश मल्होत्रा (विजयपुर) (शपथ)
(मेजों की थपथपाहट)
11.03 बजे बधाई
श्री सुरेश राजे, डबरा एवं श्री मुकेश मल्होत्रा, विजयपुर को जन्मदिन की बधाई
अध्यक्ष महोदय - आज विधान सभा क्षेत्र क्रमांक - 19 डबरा, ग्वालियर से माननीय सदस्य श्री सुरेश राजे जी का जन्मदिन है, सदन की ओर से उनको हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं. (मेजों की थपथपाहट)
माननीय सदस्य श्री मुकेश मल्होत्रा जी, उन्होंने आज शपथ ली है और उनका आज जन्मदिन भी है, इसलिए उनको डबल बधाई. (मेजों की थपथपाहट)
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, सरकार का बड़ा विकट भी लिया है, इसलिए हम सबकी ओर से भी श्री मुकेश मल्होत्रा जी को बहुत बहुत बधाई, शुभकामनाएं. सरकार को आईना दिखा दिया है आपने श्री मुकेश मल्होत्रा जी. आपको बहुत बहुत बधाई.
11.04 बजे तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न क्रमांक 1 श्री कुंवर सिंह टेकाम जी.
शासकीय भूमि का आवंटन
[राजस्व]
1. ( *क्र. 1283 ) श्री कुँवर सिंह टेकाम : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या तहसील मड़वास जिला सीधी के पटवारी हल्का टिकरी के अंतर्गत हाल खसरा क्र. 1142, 1143, 1816, 1817 वर्ष 1957 से 1961 तक मध्यप्रदेश शासन की जमीन थी? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में खसरा क्र. 1142, 1143, 1816, 1817 को वृक्षारोपण हेतु कब और किसे आवंटित की गई थी? आदेश की प्रति उपलब्ध करायें। (ग) प्रश्नांश (ख) के संदर्भ में खसरा क्र. 1142, 1143, 1816, 1817 को किस नियम/आदेश के तहत श्री आनंद बहादुर सिंह, पिता श्री रन्नूसिंह चौहान के नाम भूमि स्वामी दर्ज किया गया? आदेश एवं नियम की प्रति उपलब्ध करायें। (घ) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में खसरा क्र. 1142, 1143, 1816, 1817 यदि शासकीय भूमि थी तो उसे शासकीय भूमि से निजी भूमि में परिवर्तित किया गया है, पुन: शासकीय भूमि के रूप में दर्ज की जावेगी? यदि हाँ, तो समय-सीमा बतायें।
राजस्व मंत्री ( श्री करण सिंह वर्मा ) : (क) तहसील मड़वास जिला सीधी के हल्का टिकरी के अन्तर्गत हाल खसरा क्रमांक 1142, 1143, 1816, 1817 के संबंध में जिला अभिलेखागार सीधी से प्राप्त वर्ष 1956-1957 से लगायत 1960-1961 तक के खसरा की प्रमाणित प्रति अनुसार आराजी नम्बर 384 रकबा 3.94 एकड़ (किस्म जंगल), आराजी खसरा नम्बर 386 रकबा 0.24 एकड़, के भूमि स्वामी रन्नू सिंह वल्द शुभकरन सिंह चैहान सा. चैहानन टोला दर्ज अभिलेख है तथा आराजी क्रमांक 397 रकबा 7.05 एकड़ (किस्म जंगल), रन्नू सिंह वल्द शुभकरन सिंह चैहान सा. चैहानन टोला 5.79 हे. 397/1, 15.53 एकड़ 4.00 (किस्म जंगल) छिहोरी वल्द बुद्धि बानी सा.देह भूमि स्वामी दर्ज अभिलेख है। इसी प्रकार अधिकार अभिलेख 1975-1976 के अनुसार खाता क्रमांक 83 खसरा नम्बर 384/1 से निर्मित नम्बर 507, 384/2 से निर्मित नम्बर 508, खसरा क्रमांक 386 से निर्मित नम्बर 511 खसरा क्रमांक 397 से निर्मित नम्बर 532 तथा खसरा क्रमांक 397 से ही निर्मित नम्बर 534 किता 5 कुल रकया 4.34 हे. के भूमि स्वामी रन्नू सिंह वल्द शुभकरन सिंह चैहान सा. चैहानन टोला दर्ज अभिलेख है। इसी तरह नया बन्दोबस्त की तैयार रिनम्बरिंग सूची एवं अधिकार अभिलेख अनुसार आराजी खसरा क्रमांक 534/2 रकबा 0.38 हे. से निर्मित नया हाल नम्बर 1142 खसरा क्रमांक 534/2 रकबा 0.81 हे. से निर्मित नया हाल नम्बर 1143 खसरा क्रमांक 507, 532/1, 507 टू.,532/1 टू. रकबा 0.55 हे. से निर्मित हाल नम्बर 1816, खसरा क्रमांक 507 टू., 508 टू., 511 टू., 532/1 टू. से निर्मित हाल नम्बर 1817 में आनन्द बहादुर सिंह पिता रन्नू सिंह चैहान सा.देह शासकीय पट्टेदार (वृक्षारोपण हेतु) अधिकार अभिलेख अनुसार दर्ज अभिलेख है। प्रमाणित प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में नया बंदोबस्त अधिकार अभिलेख के प्रमाणित प्रति अनुसार नया खसरा क्रमांक 1142, 1143, 1816, 1817 में भूमि स्वामी आनन्द बहादुर सिंह पिता रन्नू सिंह चैहान सा.देह शासकीय पट्टेदार (वृक्षारोपण हेतु) दर्ज अभिलेख है। आदेश का हवाला अंकित होना नहीं पाया जाता। प्रमाणित प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) प्रश्नांश (ख) के संदर्भ में खसरा क्रमांक 1142, 1143, 1816, 1817 एवं 1813, 1814, 1815 के संबंध में भूमि स्वामी आनन्द बहादुर सिंह पिता रन्नू सिंह चैहान सा.देह के द्वारा संहिता की धारा 89 के अन्तर्गत आवेदन पत्र दिनांक 02.05.2007 को पेश होने पर प्रकरण क्रमांक 134/31-6-31/2006-2007 के रूप में पंजीबद्ध किया जाकर दिनांक 06.08.2007 को आदेश पारित किया गया है कि आराजी नम्बर 1142, 1143, 1815, 1816, 1817 में दर्ज शासकीय पट्टेदार एवं आराजी नम्बर 1140/0.020 श्मसान एवं आराजी नम्बर 1813, 1814 पर दर्ज भूमि स्वामी केमला विश्वकर्मा के स्थान पर आवेदक का नाम दर्ज किये जाने एवं शेष आराजियों के संबंध में रिनम्बरिंग सूची प्रकरण में पेश न करने से पृथक से कार्यवाही करने का आदेश पारित किया गया है। प्रमाणित प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। इसी प्रकार हाल में नया नम्बर 1142, 1143, 1816, 1817 एवं 1815 के संबंध में भूमिस्वामी आनन्द बहादुर सिंह पिता रन्नू सिंह चैहान सा.देह द्वारा बंदोबस्त त्रुटि सुधार एवं रकबा पूर्ति हेतु आवेदन पत्र दिनांक 02.01.2006 को पेश करने पर प्रकरण क्रमांक 24/3-6/2007-2008 के रूप में पंजीबद्ध किया जाकर दिनांक 13.02.2008 को ग्राम टिकरी की नया आराजी नम्बर 1142, 1143, 1815, 1816, 1817 में दर्ज शासकीय पट्टेदार आराजी नम्बर 1140 में श्मसान एवं आराजी नम्बर 1813, 1814 पर दर्ज अनावेदक भूमि स्वामी के स्थान पर आवेदक का नाम स्वतंत्र भूमि स्वामी के रूप में दर्ज किये जाने का आदेश पारित किया गया। प्रमाणित प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (घ) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में खसरा क्रमांक 1142, 1143, 1816, 1817 के संबंध में माननीय न्यायालय कलेक्टर महोदय सीधी के प्रकरण क्रमांक 0066/निगरानी/2020-2021 विचाराधीन होने पर आनन्द बहादुर सिंह पिता रन्नू सिंह सा.शेरगाव्य (चैहानन टोला) के द्वारा माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर में पिटीशन प्रस्तुत किया गया, जिसका 3021644/2022 है, जिसमें माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा दिनांक 08.12.2022 को अग्रिम कार्यवाही पर स्थगन आदेश जारी कर दिया गया है। प्रकरण विचाराधीन होने से समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं हो पा रहा है।
श्री कुंवर सिंह टेकाम - अध्यक्ष महोदय, मेरा जो प्रश्न है...
अध्यक्ष महोदय - एक मिनट, आपको बोलना है, मैं उपस्थित हूं. माननीय मंत्री जी, आप जवाब पटल पर रखो. उत्तर पटल पर रखा है, आप ऐसा बोलें.
श्री कुंवर सिंह टेकाम - अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न क्रमांक 1 है. मैं उपस्थित हूं.
श्री करण सिंह वर्मा - अध्यक्ष महोदय, उत्तर पटल पर रखा है.
श्री कॅुंवर सिंह टेकाम -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के जवाब में वर्ष 1956 से 1961 के खसरा में श्री आनंद बहादुर सिंह तथा श्री रन्नू सिंह का नाम अभिलेख में दर्ज है जो कि यह असत्य जानकारी है. इसमें उनका नाम कूटरचित तरीके से दर्ज है क्योंकि यह निगरानी कलेक्टर की जांच में प्रतिवेदन आया है. उसी के आधार पर माननीय उच्च न्यायालय में इन्होंने स्थगन प्राप्त किया है जिससे कि जांच न हो पाए और यह जो फर्जी तरीके से पट्टा प्राप्त किया है यह पुन: मध्यप्रदेश शासन के राजस्व अभिलेख में उस जमीन में दर्ज होना चाहिए. यह जमीन साढ़े आठ एकड़ है और मुख्य मार्ग में यह जमीन है. इसमें वर्ष 2022 में स्टे हुआ है लेकिन 2022 से आज तक न तो शासन के द्वारा ओआईसी नियुक्त किया गया और न ही जवाब प्रस्तुत किया गया. यदि ओआईसी नियुक्त किया जाकर जवाब प्रस्तुत हो जाता, तो यह जो स्टे है यह खारिज हो जाता और खारिज होने के बाद यह जमीन पुन: मध्यप्रदेश शासन में दर्ज हो सकेगी. क्या माननीय मंत्री जी ओआईसी नियुक्त कराकर जवाब प्रस्तुत कराएंगे ?
श्री करण सिंह वर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी ने जो प्रश्न किया था, उसके जवाब में मैंने स्पष्ट कहा है कि राजस्व अभिलेख वर्ष 1956-57 में खसरा क्रमांक-397, रकबा 5.79 हेक्टेयर, खसरा क्रमांक-384 रकबा 3.94 एकड़, खसरा क्रमांक-386, रकबा 0.24 एकड़ वर्तमान भूमि स्वामी आनंद बहादुर के पिता श्री रन्नू सिंह के नाम से दर्ज हुई है. वर्ष 1975-76 के अनुसार राजस्व अभिलेख में खाता क्रमांक-83, खसरा क्रमांक-384/1, 386, 397 कुल रकबा 4.34 हेक्टेयर श्री रन्नू सिंह के नाम से दर्ज रहा है. प्रश्न में उल्लेखित भूमियों के संबंध में माननीय विधायक जी का पत्र प्राप्त हुआ है और उसमें अनुविभागीय अधिकारी को निर्देशित किया गया था. इसमें माननीय उच्च न्यायालय का स्थगन है इसलिए इसमें अभी कलेक्टर कुछ निर्णय नहीं कर सकते. फिर भी आपका कहना है तो मैं माननीय उच्च न्यायालय में शासन का पक्ष रखने हेतु प्रभारी अधिकारी की नियुक्ति स्वीकृत कर दूंगा.
श्री कॅुंवर सिंह टेकाम -- बहुत-बहुत धन्यवाद.
शासकीय मंदिरों का जीर्णोद्धार
[धार्मिक न्यास और धर्मस्व]
2. ( *क्र. 706 ) श्री सतीश मालवीय : क्या राज्य मंत्री, धार्मिक न्यास और धर्मस्व महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) रियासत के जमाने में उज्जैन जिले के जो शासकीय मंदिर थे, वे मंदिर कहां-कहां स्थापित हैं? स्थापित सम्पूर्ण मंदिरों की स्थानवार सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध करावें। (ख) उज्जैन जिले के शासकीय मंदिरों की भूमि जिनके व्यवस्थापक कलेक्टर है, उन मंदिरों की कितनी भूमि कहां-कहां स्थित है? सर्वे नं. रकबा, स्थान सहित सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध करावें। (ग) घट्टिया विधानसभा में कितने शासकीय मंदिर जीण-शीर्ण हैं? जीर्ण-शीर्ण मंदिरों के जीर्णोद्धार के संबंध में विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की जा रही है? जीर्ण-शीर्ण मंदिरों को कब तक ठीक किया जावेगा?
राज्य मंत्री, धार्मिक न्यास और धर्मस्व ( श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी ) : (क) एवं (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। वर्तमान में शासन स्तर पर जीर्णोद्धार प्रस्ताव अप्राप्त है। नियमानुसार प्रस्ताव प्राप्त होने पर कार्य की औचित्यता एवं बजट की उपलब्धता के आधार पर राशि स्वीकृत की जाती है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
श्री सतीश मालवीय -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न मंदिरों से जुड़ा हुआ था और सर्वप्रथम मैं धन्यवाद देना चाहता हॅूं जो जानकारी आयी है वह पूर्णत: सही आयी है और साथ ही साथ मध्यप्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव जी के प्रति धन्यवाद भी ज्ञापित करना चाहता हॅूं. मध्यप्रदेश के अंदर धार्मिक अधिष्ठान को आगे बढ़ाने का काम धर्म की ध्वजा को हाथ में थामकर इस मध्यप्रदेश को पूरे विश्व स्तर पर क्षितिज पर पहुंचाने का काम हमारे मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव जी की सरकार कर रही है. आगामी वर्ष 2028 में हम सबके बीच में सिंहस्थ का महाकुंभ लगने वाला है. निश्चित ही पूरे विश्व के लोग सिंहस्थ में दर्शन करने के लिए आएंगे, सिंहस्थ में स्नान करने के लिए आएंगे. इस दृष्टि से उज्जैन में और पूरे मध्यप्रदेश के अंदर डॉ.मोहन यादव जी की सरकार, हमारी सरकार ने नित नये काम किए हैं. मैं इसी दृष्टि से आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हूँ कि मेरी विधानसभा क्षेत्र घट्टिया, जो कि सिंहस्थ क्षेत्र लगभग उसमें 50 से 60 परसेंट लगता है, उसमें विकास कार्य माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में हो रहा है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- माननीय अध्यक्ष जी, सदस्य बहुत बढ़िया हैं, पर विधानसभा का नाम घट्टिया है. (हंसी)
श्री सतीश मालवीय -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय डॉ.मोहन यादव जी की सरकार में बहुत अच्छा होने वाला है क्योंकि सर्वाधिक विकास कार्य डॉ.मोहन यादव जी की सरकार ने हमारी विधानसभा में किया है. निश्चित ही मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से अनुरोध करना चाहूंगा कि मेरे विधानसभा क्षेत्र में जो मंदिर हैं चूंकि पंचकोशी की यात्रा और आसपास के क्षेत्र से आने वाले, पूरे विश्व से लोग आते हैं तो आसपास का जो 20 किलोमीटर का जो एरिया है. वहां पर जितने भी बड़े मंदिर है. वहां दर्शन करने के लिये जाते हैं. मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से अनुरोध करना चाहूंगा कि जितने भी जीर्ण-शीर्ण मंदिर हैं उनके जीर्णोद्धार के लिये राशि स्वीकृत की जाये. साथ ही घट्टिया विधान सभा वहां पर लवखेड़ी हनुमान जी का भी मंदिर है, मलेश्वर महादेव जी का मंदिर उन्हेल में है. हमारी जो पंचकोशीय यात्रा निकलती है. 84 महादेव के हमारे यहां पर चार स्थान है. वहां सभी स्थानों पर चूंकि उज्जैन के पांच किलोमीटर के दायरे में हैं.
श्री भंवर सिंह शेखावत—अध्यक्ष महोदय, आप लोग नाम बदलने में लगे हुए हो इस घट्टिया को बदलकर बढ़िया कर दो.
श्री सतीश मालवीय—नाम बढ़िया ही है.
श्री भंवर सिंह शेखावत—अध्यक्ष महोदय, नाम बदलने की परम्परा तो चल ही रही है.
मुख्यमंत्री (डॉ.मोहन यादव)—शेखावत जी मैंने माननीय मंत्री जी को जानकारी दे दी है वह मूलतः संस्कृत नाम है जिसमें ट के नीचे आधा ट और लगता है जाने अनजाने में हम उसको गलत बोलते हैं. यह नाम संस्कृत का नाम है.
श्री सतीश मालवीय—अध्यक्ष महोदय, हम उनको घट्टिया ही कह रहे हैं उनको सुनने में लगता है कि थोड़ी सी आदत ऐसी हो. निश्चित ही मैं आपके माध्यम से—
श्री बाला बच्चन—हमने किसी ने कोड नहीं किया है. माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी ने कोड किया है. हमने नहीं किया है. आप संसदीय कार्य मंत्री जी को बोलिये. हम तो राईट हैं.
श्री सतीश मालवीय—अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से अनुरोध करना चाहूंगा कि मैंने जिन चार मंदिरों का उल्लेख किया है. वहां पर शीघ्रातिशीघ्र राशि स्वीकृत करके उनके जीर्णोद्धार, साथ ही अन्य जो भी मंदिर हैं उनकी भी चिन्ता पालें ताकि आने वाले समय में सिंहस्थ का महाकुंभ जो लगने वाला है उसमें पूरे विश्व के लोग आते हैं तो वह अच्छी छबि लेकर के वहां से जायें बस इतना ही मेरा माननीय मंत्री जी से अनुरोध है.
श्री धर्मेन्द्र भावसिंह लोधी—अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय विधायक जी को बताना चाहता हूं कि हमारी जो डॉ.मोहन यादव जी की सरकार है रामराज्य की स्थापना करने वाली सरकार है. धर्म की रक्षा करने वाली सरकार है. देश के यशस्वी प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी एवं प्रदेश के लोकप्रिय मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव जी के नेतृत्व में देश, प्रदेश में धार्मिक जागृति के लिये हमारी सरकार निरंतर काम कर रही है. धार्मिक स्थलों के उन्नयन एवं विकास के लिये हमारी सरकार प्रतिबद्ध है. मैं सदन को अवगत कराना चाहता हूं कि जो मंदिर शासन द्वारा संधारित हैं जिनके प्रबंधक कलेक्टर होते हैं उनके जीर्णोद्धार एवं रख-रखाव के लिये धर्मस्व विभाग के द्वारा धनराशि उपलब्ध करवाई जाती है. मध्यप्रदेश में लगभग 21 हजार से अधिक शासन संधारित मंदिर हैं. ऐसे मंदिरों को कलेक्टर के माध्यम से प्रस्ताव प्राप्त होने पर धर्मस्व विभाग जीर्णोद्धार के संबंध में कार्य करता है. मंदिरों का जीर्णोद्धार एवं रख-रखाव एक सतत प्रक्रिया है. इसके लिये प्रतिवर्ष हमारी सरकार आवश्यक बजट का प्रावधान करती है. जहां तक माननीय विधायक जी का प्रश्न है कि घट्टिया विधान सभा के शासकीय मंदिरों के जीर्णोद्धार के संबंध में माननीय विधायक जी को बताना चाहता हूं कि इस घट्टिया विधान सभा से संबंधित शासकीय मंदिरों के जीर्णोद्धार के संबंध में अभी तक कोई प्रस्ताव प्राप्त नहीं हुआ है. मंदिरों के जीर्णोद्धार का प्रस्ताव प्राप्त होने पर कार्य के औचित्य एवं बजट की उपलब्धता के आधार पर स्वीकृति प्रदान की जाती है. यदि माननीय सदस्य जी द्वारा ऐसा कोई प्रस्ताव उन्होंने देव स्थानों के बारे में बताया है. माननीय सदस्य मुझे इनका प्रस्ताव दे दें. जिन देव स्थानों के बारे में उन्होंने यहां पर अवगत कराया है. वह प्रस्ताव मुझे प्राप्त हो जायेंगे तो निश्चित रूप से हम इस पर कार्यवाही करेंगे और मंदिरों के जीर्णोद्धार का काम करेंगे.
अध्यक्ष महोदय, मेरा दूसरा पूरक प्रश्न यह है कि कई सारे मंदिर ऐसे हैं, जिनकी जमीनों पर और पुजारियों के अलावा कई सारी पीढि़यां ऐसी हैं कि कई सारे पुजारी अन्यत्र चले गए या उनके परिवार के लोग कहीं चले गए हैं, लेकिन वहां पर कई अन्य लोगों के अतिक्रमण या कब्जे हैं, मेरा मंत्री जी से अनुरोध है कि इसका निरीक्षण करवाकर एक बार जांच करवाकर संबंधित पुजारी के परिवार को या फिर सरकार के पास पुन: वह जमीन आ जाए और उसका रख-रखाव ठीक से हो ऐसा मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से अनुरोध है.
श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी – माननीय अध्यक्ष जी, जो बात विधायक जी ने रखी है अगर मंदिरों की भूमि पर किसी ने अवैध कब्जा कर रखा है, या अतिक्रमण है तो हम प्रदेश के सभी कलेक्टरों को अतिक्रमण और अवैध कब्जा हटाने के लिए विभाग के द्वारा निर्देशित करने का काम करेंगे. यदि माननीय सदस्य का कोई विशेष स्थान हो जिस पर उन्हें लगता है कि ऐसा है तो हम कलेक्टर को निर्देशित कर देंगे और अवैध कब्जा हटाने का काम हमारी सरकार करेगी.
नेता प्रतिपक्ष(श्री उमंग सिंघार) – माननीय अध्यक्ष जी, आपके माध्यम से मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि जिस प्रकार से आपके सदस्य ने प्रश्न उठाया है जीर्णशीर्ण अवस्था में कई मंदिर है, तो क्या कलेक्टर इतने फुर्सत में है, वैसे ही उन पर प्रशासनिक रूप से दबाव रहता है, तो इसमें ऐसा नियम क्यों नहीं बनता है कि कई बड़े मंदिर भी है, सनातनी अखाड़े हैं, स्थानीय धार्मिक ट्रस्ट हैं, उनको हम देने में क्यों नहीं रखते, क्यों हम कलेक्टर या प्रशासक के ऊपर निर्भर रहते हैं. मैं चाहता हूं कि इसमें शासन की कुछ नीति बनाना चाहिए. ऐसे तो आप हिन्दु की बात बहुत करते हैं. मंदिरों के अंदर फूल नहीं चढ़ रहे, भगवान की आरती नहीं हो रही, उसके लिए आप कुछ क्यों नहीं करते, अब कलेक्टर जांच करेंगे, ये थोड़ी बात होती है, इस पर कोई व्यवस्था या नियम होना चाहिए.
मुख्यमंत्री(डॉ. मोहन यादव) – माननीय अध्यक्ष जी, मैं इस संबंध में आपका ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा. माननीय नेता प्रतिपक्ष ने ये विषय उठाया है, हमारी सरकार ने निर्णय किया है कि जितनी देवस्थान की भूमि है उसके प्रबंधक तो हमेशा कलेक्टर ही होते हैं और वह उनके मंदिर के रख रखाव के लिए उस निमित्त ही भूमि होती है. माननीय सदस्य ने जो प्रश्न उठाया कि लैंड पर कहीं अतिक्रमण हुआ है या किसी और प्रकार से उसमें कब्जा हो रहा है, तो यह बात सही है कि ऐसी कोई भी भूमि पर कोई कब्जा नहीं होने देंगे, निश्श्चित रूप से उस कब्जा को हटाएंगे. (...मेजों की थपथपाहट..)
दूसरी, महत्व की बात है कि जो देव स्थान आप बता रहे हैं, सभी देव स्थानों के लिए हमारी सरकार गंभीर भी है और इस नाते से मंदिर के लिए युक्तियुक्तकरण करने के लिए हमने एक दो सदस्यीय समिति भी बना दी है, जो जमीन का प्रॉपर प्रबंधन करते हुए, मंदिर के लिए मूलत: यह गलती हो जाती है कि मंदिर के नाम पर भूमि कहीं और है और मंदिर कहीं और है, जैसे उदाहरण के लिए महाकाल मंदिर की भूमि भी महाकाल के अलावा बालाघाट, सिवनी ऐसे अन्य जगह रहती है जो बहुत दूर हो जाती है, तो कोई ऐसा रास्ता मैं नेता प्रतिपक्ष से भी एक सदस्य के रूप में चाहूंगा कि वे भी मिलकर के कोई रास्ता बताएं कि जो जिस व्यवस्थान के आसपास कम से कम उस जिले में उस भूमि का नियोजन हो जा जाए तो वह एक रास्ता रहेगा. लेकिन एक बड़ा विषय है, क्योंकि स्टेट के टाइम से चला आया विषय है. इसलिए मैं समझता हूं इसमें मिल बैठकर के ऐसा भी प्रबंध आने तक, क्या कई बार बुरा मान जाते हैं कि हमारी जमीन बालाघाट जिले से दी गई तो क्या हमारा अधिकार महाकाल पर नहीं है, ऐसा भी बोलने का भाव रहता है, लेकिन अपना मूल भाव यह है कि जमीन का प्रबंधन प्रॉपर मंदिर के लिए हो जाए, एक रास्ता इसके लिए निकलता है.
श्री उमंग सिंघार – माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आशय मंदिर की जमीनों को लेकर नहीं है. मेरा आशय मंदिर की व्यवस्था को लेकर है, जिन देवस्थानों पर पूजा नहीं हो पाती. आप कलेक्टर या प्रशासक के भरोसे रहते हैं तो हर गांव में मंदिर है, कई जगह पुजारी है, सनातन अखाड़े हैं, तो क्या आप इन अखाड़ों को जो हमारे यहां के धार्मिक स्थान है, इनको आप देना नहीं चाहते. यदि देना चाहते हैं तो इस पर विचार करेगी सरकार, इतना जानना चाह रहा हूं, जमीन की तो बात ही नहीं कर रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय – मंदिर की जो प्रापर्टियां हैं, दो प्रकार की हैं और मंदिर की प्रकृति भी बहुत प्रारंभ से चली आ रही है. एक मंदिर वह है, जिनको सरकार संधारित करती है. एक मंदिर वह है जो निजी क्षेत्र के या समाज के लोगों ने बनाया है, तो स्वाभाविक रूप से जो सरकार संधारित करती है, उसके बारे में आपका कहना है या सभी मंदिरों के बारे में कहना है.
श्री उमंग सिंघार -- अध्यक्ष महोदय, मैं तो नीति बनाने की बात कह रहा हूं, जो प्रायवेट हैं, उनकी बात ही नहीं कर रहा हूं, जो सरकार संधारित करती है, उनके बारे में एक नीति बने मैं यह चाहता हूं.
डॉ.मोहन यादव -- अध्यक्ष महोदय, मैं समझता हूं कि मेरे उत्तर में वह सारी बातें आ गईं हैं, जो मंदिर शासन के द्वारा संधारित हैं, उसी पर उनको भूमि मिली है और भूमि में भी उस भूमि के माध्यम से पुजारी प्लस मंदिर की व्यवस्था दोनों का उसमें समायोजन किया गया है, इसलिए वह देवस्थान के लिये धर्मस्व विभाग, मंत्रालय अपने आपमें, उसका संचालनालय उसका संधारण कराता है और इसीलिए मैंने यह सारी बात कही.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जी ने सही बात कही है कि मंदिर दो तरह से होते हैं, जिसमें प्रायवेट स्तर पर या बाद में बगैर जमीन के जो मंदिर हैं, उनका अपने आपमें विषय है, जो पंचायत, गांव या जिले में होते हैं, लेकिन अभी हमने बात कही है कि सरकारी स्तर पर जो माननीय घट्टिया विधानसभा के सदस्य ने विषय उठाया है, मैं उस पर भी बोलना चाहूंगा कि वह जिस देव स्थान की बात कर रहे हैं, उस देव स्थान के मामले में कोई अतिक्रमण की बात होगी तो निश्चित रूप से सरकार उस अतिक्रमण को हटायेगी.
श्री भंवर सिंह शेखावत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक मिनिट मैं बोलना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय -- जब नेता प्रतिपक्ष की इधर से बात आ गई है और मुख्यमंत्री जी का जवाब आ गया है तो आप बैठ जायें.
श्री सतीश मालवीय -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देता हूं और आभार व्यक्त करता हूं कि वह इतना बड़ा काम कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- श्री सतीश जी आप भी बैठ जायें.
श्री भंवर सिंह शेखावत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मुख्यमंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि आपके बहुत अच्छे विचार रखे हैं, इस मामले में शासकीय मंदिर और उनको एलॉट की गई जमीनें, जिनका संचालन माननीय कलेक्टर के माध्यम से होता है. माननीय मोहन भैया यह व्यवस्था अंग्रेजों के जमाने की दी गई है, आज भी बहुत सारे मंदिर हैं, जिनके साथ जो जमीनें पड़ी हैं, वह जैसा आपने अभी बताया है कि जमीनें कहीं है और मंदिर कहीं पर है, इसके लिये कोई ऐसी एक समिति बना दीजिए, जिसके अंदर कोई चार समझदार लोग हों, जो इसको समझते हों और जो कम से कम पूरा अध्ययन करके एक रिपोर्ट पेश कर दें और सरकार उस पर विचार कर ले.
जनजातीय कार्यमंत्री(कुंवर विजय शाह) -- सदन के नेता को मुख्यमंत्री बोले, सदन का नेता बोले, मोहन भैया आप घर में बोलो.
श्री भंवर सिंह शेखावत -- हमारे तो घर के ही आदमी हैं, आप तो उनको घर का ही नहीं समझते हैं.
श्री कैलाश कुशवाहा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, कई जगह तो मंदिर की जमीनों पर प्लाट कट गयें और जमीनें बिक चुकी हैं.
अध्यक्ष महोदय -- आप सभी बैठ जायें. श्री जयवर्धन सिंह जी आप बोलें.
राजस्व अधिकारियों द्वारा सा.प्र.वि. के आदेशों का पालन सुनिश्चित नहीं करना
[राजस्व]
3. ( *क्र. 1321 ) श्री जयवर्द्धन सिंह : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) अधोहस्ताक्षरकर्ता का पत्र क्र. 181, दिनांक 07.06.2024, पत्र क्र. 209, दिनांक 11.06.2024 एवं 234 दिनांक 26.06.2024 जो अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व), राघौगढ़, जिला गुना को और पृष्ठा. तहसीलदार, तहसील राघौगढ़ एवं सी.एम.ओ. नगर पालिका परिषद राघौगढ़ को प्रेषित किया गया था? प्राप्ति दिनांक से प्रश्न दिनांक तक क्या कार्यवाही सा.प्र.वि के आदेश क्रमांक एफ 19-76/2007/1/4, भोपाल दिनांक 22.3.2011 में उल्लेखित पांचों बिन्दुओं एवं परिशिष्टों (1, 2) का पालन सुनिश्चित कर किया गया है? कब-कब और क्या-क्या कार्यवाही सुनिश्चित की गई? संबंधित अधि./कर्म. का नाम, पदनाम, कार्यालयीन अभिलेखों/नोटशीटों/पत्रों/नियमों की प्रति सहित बतायें। (ख) क्या पत्र पर कृत कार्यवाही से प्रश्नकर्ता को संपूर्ण जानकारी उपलब्ध करा दी गई है? यदि नहीं, तो आदेश के उल्लंघन पर विभाग में किन-किन के विरूद्ध जिम्मेदारी निर्धारित की गई? यदि नहीं, तो क्यों?
राजस्व मंत्री ( श्री करण सिंह वर्मा ) : (क) प्रश्नकर्ता मान. सदस्य के पत्र क्रमांक 181, दिनांक 07.6.2024 के पालन में तहसीलदार राघौगढ़ द्वारा अपने पत्र क्रमांक/आ.का/2024/55, दिनांक 28.06.2024 द्वारा पत्र में वर्णित भूमि पर किये गये अवैध अतिक्रमण को चिन्हित कर सीमांकन करने हेतु दल गठित कर न्यायालयीन प्र.क्र. 0235/अ-12/2024-25 से कस्बा राघौगढ़ स्थित भूमि सर्वे क्रमांक 743, 744/1, 745, 761/1, 763 का सीमांकन दिनांक 13.11.2024 को किया जा चुका है। सीमांकन उपरांत भूमि सर्वे क्रमांक 761/1 पर 07 व्यक्तियों का मकान बनाकर एवं भूमि को रोककर अतिक्रमण पाये जाने से अतिक्रामकों के विरूद्ध म.प्र. भू-राजस्व संहिता की धारा 248 के तहत कार्यवाही प्रचलित की गई है, जिसके संबंध में तहसीलदार राघौगढ़ द्वारा मान. विधायक महोदय को एवं मुख्य नगर पालिका अधिकारी, नगरपालिका परिषद राघौगढ़-विजयपुर को तत्समय ही अवगत कराया गया था। की गई कार्यवाही के पत्रों की प्रतियां पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। पत्र क्रमांक 209, दिनांक 11.06.2024 के पालन में तहसीलदार तहसील राघौगढ़ द्वारा प्रस्तुत जांच प्रतिवेदन पत्र क्रमांक/ना.ना./2024/201, दिनांक 29.10.2024 अनुसार कस्बा राघौगढ़ स्थित भूमि सर्वे क्रमांक 84 रकबा 0.209 हे. वर्तमान खसरा अभिलेख में शासकीय कदीम दर्ज होकर खाली पड़ी है, जिस पर किसी प्रकार का अतिक्रमण नहीं हैं। उक्त भूमि पार्क निर्माण हेतु उपयुक्त होने से नगरपालिका परिषद राघौगढ़-विजयपुर को भूमि सर्वे क्रमांक 84 रकबा 0.209 हे. के खसरा एवं अक्श की प्रति तत्समय ही उपलब्ध करा दी गई है तथा मुख्य नगरपालिका अधिकारी नगरपालिका परिषद राघौगढ़-विजयपुर को पार्क निर्माण के लिये भूमि आवंटन हेतु कलेक्टर के समक्ष म.प्र. नजूल भूमि निर्वर्तन निर्देश 2020 के अंतर्गत नियमानुसार कार्यवाही करने हेतु लेख किया गया है। की गई कार्यवाही से तहसीलदार राघौगढ़ द्वारा मान. विधायक जी को अवगत कराया गया है। पत्र की प्रतियां पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। पत्र क्रमांक 234, दिनांक 26.06.2024 के पालन में नायब तहसीलदार राघौगढ़ द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन अनुसार प्राचीन गुफा मंदिर लाडपुरा के रास्ते का अतिक्रमण हटाये जाने के संबंध में न्यायालयीन प्रकरण क्रमांक 0006/अ 68/2024-25 दर्ज किया जाकर मौका स्थल पर पंचानगण के समक्ष भूमि सर्वे क्रमांक 10/1/4 रकबा 0.836 हे. में से पहुंच मार्ग रकबा अनुमानित 0.52 हे. को अतिक्रमण मुक्त किया गया। वर्तमान में गुफा मंदिर एवं आबादी तक का रास्ता खुला हुआ है। आवागमन के लिये अब कोई अवरोध नहीं हैं। उक्त संबंध में अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) राघौगढ़ द्वारा भी दिनांक 23.11.2024 को निरीक्षण किया गया था। आवेदक हेमराज भार्गव पुत्र मोतीलाल भार्गव जाति ब्राहम्ण निवासी सारसहेला हाल मुकाम गुफा मंदिर लाडपुरा भी कार्यवाही से संतुष्ट है। उक्त कार्यवाही प्रचलित किये जाने के संबंध में अधोहस्ताक्षरकर्ता मान. विधायक महोदय को पूर्व में ही अनुविभागीय अधिकारी कार्यालय के पत्र क्रमांक 1435, दिनांक 05.10.2024 द्वारा अवगत कराया जा चुका है। की गई कार्यवाही की प्रतियां पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश क्रमांक एफ 19-76/2007/1/4 भोपाल दिनांक 22.03.2011 में उल्लेखित पांचों बिंदुओं एवं परिशिष्ट (1, 2) का पालन सुनिश्चित किया जा रहा है। पत्र की प्रतियां पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। संबंधित अधिकारी कर्मचारी का नाम/पद नाम, कार्यालयीन अभिलेखों/नोटशीटों/पत्रों/नियमों की प्रति के संबंध में सुसंगत दस्तावेज पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) कार्यवाही से श्रीमान को अवगत कराया गया है पत्र की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है।
श्री जयवर्द्धन सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न कुछ शासकीय जमीनों पर जो अतिक्रमण किया गया है, उनके संबंध में है. मेरे अनुसार अध्यक्ष महोदय, अधिकतर विधायकों को अपने विधानसभा क्षेत्र में थाने और तहसील की बहुत सारी शिकायतें मिलती हैं, कुछ कामों का निराकरण फोन पर हो जाता है, लेकिन अधिकतर कामों में पत्राचार भी चलता है. अध्यक्ष महोदय, मैंने जून के माह में राघौगढ़ में तीन अतिक्रमण के संबंध में तीन पत्र एस.डी.एम. और तहसीलदार को लिखे थे, तीनों पत्रों में अध्यक्ष महोदय, कहीं भी निजी जमीन के बारे में उल्लेख नहीं किया गया था.
11.24 बजे {सभापति महोदय (डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय) पीठासीन हुए.}
सभापति महोदय, तीनों पत्रों में जो शासकीय भूमियां हैं, एक पत्र में पुराने अंबेडकर भवन के आसपास के अतिक्रमण के संबंध में, आदिवासी बालक छात्रावास में अतिक्रमण के संबंध में और माननीय नवीन मांगलिक अंबेडकर भवन के परिसर में अतिक्रमण के संबंध में है. दूसरे पत्र में माननीय सभापति महोदय, मैंने उल्लेख किया था कि एक बहुत ही प्राचीन गुफा मंदिर है, जिसके रास्ते पर ही अतिक्रमण कर लिया गया था और तीसरे पत्र में एक जगह जिसको पार्क के निर्माण के लिये आरक्षित किया गया था, वहां पर भी कोई बाहर के कॉलोनाईजर्स के माध्यम से नगर परिषद के द्वारा की गई फैसिंग को हटाकर वहां अतिक्रमण किया गया था. हमारे माननीय मंत्री बहुत ही वरिष्ठ हैं, मैं उनका बहुत सम्मान करता हूं. वह एक बार ही नहीं अनेकों बार राजस्व मंत्री रह भी चुके हैं, मेरा माननीय मंत्री जी से यह प्रश्न रहेगा कि इस पूरे मामले को लेकर जो सामान्य प्रशासन विभाग के जो आदेश हैं, क्या उनका पालन अधिकारियों द्वारा किया गया है. यह मेरा पहला प्रश्न माननीय मंत्री जी से रहेगा.
श्री करण सिंह वर्मा-- माननीय सभापति महोदय, माननीय विधायक जी ने जो पूछा है इन्होंने 3 पत्र लिखे हैं, एक अतिक्रमण रास्ते का लिखा है और उस रास्ते को खोल दिया गया है. आपने मुझसे पूछा कि क्या पत्रों के उत्तर समय पर देते हैं, आपने तीन पत्र लिखे हैं, एक शासकीय भूमि का लिखा है, एक पार्क हेतु भूमि का है जिसको मौके पर रिक्त कर दिया गया है और सीएमओ को अवगत करा दिया गया है कि वहां पार्क बनायें, वहां कोई अतिक्रमण नहीं है यदि कोई है तो आप मुझे व्यक्तिगत रूप से बता दें, उसे भी हटा दिया जायेगा और जहां तक पार्क की भूमि है, एक शासकीय भूमि है 90 प्रधानमंत्री आवास बने हैं उस पर भी हमने अधिकारी को निर्देश दिये हैं कि उसकी पूरी जानकारी दें, उस पर भी कार्यवाही की जायेगी.
श्री जयवर्द्धन सिंह-- माननीय सभापति महोदय, मैंने माननीय मंत्री जी से पूछा था कि जो सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा आदेश दिये गये हैं वर्ष 2011 में जिसमें स्पष्ट उल्लेखित किया गया है और मैं यहां से खुद के लिये नहीं बोल रहा सदन कह रहा है, विधायक के लिये बोल रहा हूं. माननीय सभापति महोदय, इस आदेश के द्वारा इसमें स्पष्ट उल्लेख किया गया है कोई भी पत्र यदि विधायक किसी भी विभाग को भेजता है तो 3 दिन के अंदर विधायक को उस पत्र की पावती मिलनी चाहिये. क्या किसी को मिलती है, उत्तर नहीं मिलता, पहला मुद्दा यह है. सभापति महोदय, दूसरा इस आदेश में उल्लेखित किया गया है कि हर महीने उक्त अधिकारी उस पत्र की समीक्षा करेगा जब तक निराकरण न हो जाये. मेरे जो तीनों पत्र हैं यह लिखे गये थे जून के महीने में, आज से 6 महीने पहले, मुझे कोई जानकारी दी गई न जुलाई के महीने में, न अगस्त में, न सितम्बर में, न अक्टूबर में, जब सूची आई विधान सभा के प्रश्नों की और जब मैंने प्रश्न पूछा तो सब 6 महीने बाद जाग गये. इसमें माननीय मंत्री जी मैं आपको थोड़ी जानकारी और दूंगा जो जीएडी का सर्कुलर है इसमें लिखा गया है कि अगर अधिकारी इन आदेशों का पालन नहीं करता है तो वह निलंबित हो सकता है, लेकिन मेरा इसमें एक ही प्वाइंट है मैं इस मामले में किसी का निलंबन नहीं चाह रहा हूं. हमने देखा है कि पिछले एक साल में सरकार की स्थिति क्या हो गई है, सिर्फ भाजपा की नहीं प्रदेश के दिग्गज नेता भूपेन्द्र सिंह जी के द्वारा कल क्या उल्लेख किया गया था एक मंत्री जी के उत्तर के बारे में. अभी कुछ दिन पहले विंध्य के एक विधायक को एसपी के सामने दण्डवत करना पड़ा. प्रदीप पटेल जी जो सत्ता पक्ष के विधायक हैं यह नौबत आ गई है... (व्यवधान)....
श्री विश्वास सारंग-- माननीय सभापति महोदय, बाकी विधायकों के भी प्रश्न हैं यहां पर भाषण देना एलाऊ नहीं है. ... (व्यवधान)....
सभापति महोदय-- आप सीधा प्रश्न करें अन्य लोगों के भी प्रश्न लगे हैं. ... (व्यवधान)....
श्री विश्वास सारंग-- माननीय सभापति महोदय, एक प्रबोधन का कार्यक्रम करवाईये उसमें जय भैया बोल लेंगे. अभी प्रश्न पूछो भाई. ... (व्यवधान)....
श्री जयवर्द्धन सिंह-- ठीक है भैया, आप बैठ जाओ तो मैं बात कर लूंगा. ... (व्यवधान)....
श्री देवेन्द्र रामनारायण सखवार-- यह अकेले एक विधान सभा की समस्या नहीं है यह सभी विधान सभाओं की समस्या है. ... (व्यवधान)....
सभापति महोदय-- अगले प्रश्न भी महत्वपूर्ण हैं ... (व्यवधान)....
श्री जयवर्द्धन सिंह -- माननीय सभापति महोदय, माननीय मंत्री जी से मेरे दो प्रश्न हैं, जो उन्होंने उल्लेख किया है. पहला प्रश्न रास्ते का प्रश्न है, जो रोक दिया गया था, उसको खुलवाया जरूर है, लेकिन जिस पंडित जी ने शिकायत की थी, उन पर ही एफआईआर हो गई है. वह दूसरी बात है, लेकिन जो बाकी दो मुद्दे हैं, जो दो और पत्र हैं, उन पर अभी भी ठीक से कार्यवाही नहीं हुई है. मेरा आपसे यही आग्रह रहेगा कि आप कलेक्टर महोदय से बात करके उनको आदेश दें कि सात दिनों के अंदर बाकी दो पत्रों पर कार्यवाही की जाए और मुझे जानकारी दी जाए. एक तो प्वॉइन्ट यह है. दूसरा, माननीय सभापति महोदय, जो मैंने कहा है, जो जीएडी का सर्कुलर है, उसका पालन मध्यप्रदेश में कहीं भी नहीं किया जा रहा है. मंत्री जी को मेरी एक सलाह है कि माननीय मंत्री जी, आपने शायद अभी एक आदेश किया था कि पूरे मध्यप्रदेश में सीमांकन लगातार पूरे महीने भर किए जाएंगे, उसी प्रकार से आपके द्वारा आज...
सभापति महोदय -- आप सीधे प्रश्न करें.
श्री जयवर्द्धन सिंह -- माननीय मंत्री जी, आप एक घोषणा आज कर दें और यह सबके लिए है. ...(व्यवधान)...
श्री कालु सिंह ठाकुर -- सभापति महोदय, ये क्या सलाह दे रहे हैं, 20-20 मिनट का प्रश्न रहेगा तो दूसरे क्या प्रश्न करेंगे. ...(व्यवधान)...
श्री जयवर्द्धन सिंह -- आज आपने साफा पहना है तो ज्यादा खुश हो रहे हैं, यह मैं जानता हूँ. आप अच्छे दिख रहे हैं, आप दो मिनट बैठ जाएं. ...(व्यवधान)...
सभापति महोदय -- व्यवधान न करें, अगले प्रश्न भी हैं.
श्री जयवर्द्धन सिंह -- सभापति महोदय, माननीय मंत्री जी को मेरी एक ही सलाह है कि आज वे यह घोषणा करें कि अगले एक माह के लिए सभी एसडीएम, तहसीलदार, पूरे मध्यप्रदेश में विधायकों के पास जाएं और पिछले एक साल में कितने पत्र विधायक के माध्यम से तहसीलदार, एसडीएम को दिए गए हैं, कितने पर कार्यवाही हुई है, कितने पर कार्यवाही नहीं हुई है, वह बताएं और वह जानकारी हर विधायक के पास लेकर जाएं. तत्काल कार्यवाही की जाए. ऐसा आदेश कृपया आप निकालें, यही मेरी आपसे प्रार्थना रहेगी.
सभापति महोदय -- माननीय सदस्य महोदय से मेरा अनुरोध है कि यह विषयानुकूल नहीं है. आपने प्रश्न जरूर उठाया है, लेकिन यह विषयानुकूल नहीं है.
श्री करण सिंह वर्मा -- माननीय सभापति महोदय, इन्होंने दो बातें कही हैं. पहली बात तो इन्होंने कोई पत्र लिखा है. ...(व्यवधान)...
श्री सोहनलाल बाल्मीक -- उसका जवाब नहीं दिया जा रहा है. ...(व्यवधान)...
श्री करण सिंह वर्मा -- माननीय, मैं जवाब दे रहा हूँ. ...(व्यवधान)...
सभापति महोदय -- कार्यवाही में आ गया है, लेकिन यह प्रश्न के विषयानुकूल नहीं है. ...(व्यवधान)...
श्री सोहनलाल बाल्मीक -- जवाब देना चाहिए, व्यवस्था तो बनाएं. ...(व्यवधान)...
श्री करण सिंह वर्मा -- माननीय सभापति महोदय, मूल दो बातें हैं. एक तो इन्होंने हमारे अनुविभागीय अधिकारी को या कलेक्टर को तीन पत्र लिखे, उन पत्रों का उन्होंने उत्तर दे दिया है. फिर भी आप कह रहे हैं. ...(व्यवधान)...
श्री जयवर्द्धन सिंह -- इसमें कोई भी पत्र नहीं हैं. मंत्री जी, इसमें एक भी पत्र नहीं हैं. आपको गुमराह किया जा रहा है.
श्री करण सिंह वर्मा -- एक मिनट, मैं उत्तर दे रहा हूँ. उत्तर तो सुन लें. पत्र की कॉपी है मेरे पास. ...(व्यवधान)...
श्री जयवर्द्धन सिंह -- अगर एक भी पत्र है, आप उसको पटल पर रखिए. ...(व्यवधान)...
श्री करण सिंह वर्मा -- मेरे पास कॉपी है, जो आपको पत्र भेजा है. ...(व्यवधान)...
श्री जयवर्द्धन सिंह -- माननीय मंत्री जी, मेरे पास नहीं है. आपने नहीं दिया है. ...(व्यवधान)...
श्री करण सिंह वर्मा -- उपलब्ध करवा देंगे. मैंने आपको तीनों बार का बता दिया कि आपका कौन सा पत्र प्राप्त हुआ, कब प्राप्त हुआ.
सभापति महोदय -- माननीय मंत्री जी, आप उपलब्ध करा दीजिए.
श्री करण सिंह वर्मा -- जी हां.
सभापति महोदय -- प्रश्न क्रमांक 4 ...(व्यवधान)...
श्री जयवर्द्धन सिंह -- माननीय सभापति जी, अभी पूरी बात नहीं हुई है. आप भी जानते हैं. मैंने इनसे एक ही निवेदन किया है कि अगर जीएडी के आदेश का पालन नहीं हो रहा है. ...(व्यवधान)...
सभापति महोदय -- आपको उपलब्ध करा दिया जाएगा.
श्री जयवर्द्धन सिंह -- सभापति महोदय, अगर जीएडी के आदेश का पालन नहीं हो रहा है तो कौन जिम्मेदार है. ...(व्यवधान)...
श्री कालु सिंह ठाकुर -- सभापति महोदय, जरा समय का ध्यान रखें, हमारा भी नंबर लग जाए.
श्री जयवर्द्धन सिंह -- माननीय सभापति महोदय, जीएडी का सर्कुलर जो है, उसका पालन क्यों नहीं हो पा रहा है, उस बात का आश्वासन मंत्री जी सभी को दें. सिर्फ मुझे नहीं, एक-एक विधायक, चाहे विपक्ष का हो, चाहे सत्ता पक्ष का हो, हमें ये आश्वासन मंत्री जी के द्वारा मिले कि पूरे प्रदेश भर में जो भी एसडीएम, तहसीलदार हैं, वे समीक्षा करें. ...(व्यवधान)...
सभापति महोदय -- मेरा माननीय सदस्य से अनुरोध है कि ये विषयानुकूल नहीं है. विषयानुकूल कार्यवाही की गई है. ...(व्यवधान)...
श्री जयवर्द्धन सिंह -- बिल्कुल है.
श्री अभय कुमार मिश्रा -- आप सीनियर हैं, आपका काम हो जाता होगा. पूरे विधायकों को क्यों चपेट में रख रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी के विधायक परेशान हैं, हम लोग परेशान हैं और आप कहते हैं विषयानुकूल नहीं है. कलेक्टर जवाब नहीं दे रहा है, ये कौन सा तरीका हो गया. ...(व्यवधान)...
सभापति महोदय -- विषयानुकूल उन्होंने कार्यवाही की है. आपको माननीय मंत्री जी पत्र उपलब्ध करा देंगे. ...(व्यवधान)...
श्री जयवर्द्धन सिंह -- माननीय मंत्री जी, एक बार आप इसका आश्वासन दे दें कि आने वाले एक महीने में पूरे प्रदेश भर में इसके लिए आप एक अभियान चलाएंगे. ...(व्यवधान)...
सभापति महोदय -- चलिए, आ गई आपकी बात, पूरी बात आ गई. प्रश्न क्रमांक 4, श्री लखन घनघोरिया जी. ...(व्यवधान)...
श्री जयवर्द्धन सिंह -- सभापति महोदय, एक बार जरूर आप इनसे उत्तर लीजिए.
कटरा अवैध रेत खदान हादसा एवं मझगवां डम्पर ऑटो दुर्घटना की जानकारी
[राजस्व]
4. ( *क्र. 210 ) श्री लखन घनघोरिया : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जबलपुर जिला के तहसील सिहोरा क्षेत्रान्तर्गत दिनांक 05 जून, 2024 को कटरा की अवैध रेत खदान दुर्घटना एवं जून माह में ही हुये ब्लडस्ट से भरे डम्पर द्वारा ऑटो को टक्कर मारने से मृतक कितने-कितने मजदूरों के परिवारों के पीड़ितों एवं घायल व्यक्तियों को जिला प्रशासन एवं शासन ने कब किस मान से कितनी-कितनी राशि की आर्थिक सहायता व अन्य क्या-क्या सुविधाएं प्रदान की है? दुर्घटना में किन-किन मृतकों के पीड़ित परिजनों तथा घायलों को कब से कितनी-कितनी राशि की आर्थिक सहायता नहीं दी गई एवं क्यों? मृतकों व घायलों की सूची सहित जानकारी दें। (ख) जिला पुलिस प्रशासन जबलपुर ने अवैध रेत खदान के संचालकों एवं डम्पर के दोषियों के विरूद्ध कब क्या कार्यवाही की है? किस-किस के विरूद्ध कब एफ.आई.आर. दर्ज कर गिरफ्तार किया है एवं किसके विरूद्ध अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है एवं क्यों? (ग) प्रश्नांकित दुर्घटनाओं में मृतकों के पीड़ित परिजनों/घायल व्यक्तियों की क्या स्थिति है? घायल मजदूरों के लिये रोजगार एवं जीवन उपार्जन की क्या व्यवस्था की गई है? यदि नहीं, तो क्यों?
राजस्व मंत्री (श्री करण सिंह वर्मा) : (क) जबलपुर जिले की तहसील सिहोरा अन्तर्गत दिनांक 5 जून, 2024 को कटरा की अवैध रेत खदान दुर्घटना एवं जून माह में हुये ब्लूडस्ट से भरे डम्पर द्वारा ऑटो को टक्कर मारने से मृतकों के सभी वारिसानों एवं घायलों को जिला प्रशासन द्वारा सहायता राशि प्रदान करने एवं मृतकों व घायलों की सूची सहित जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट 'अ' अनुसार है. (ख) जिला पुलिस प्रशासन जबलपुर द्वारा अवैध रेत खदान के संचालकों एवं डम्पर के दोषियों के विरुद्ध की गई कार्यवाही संबंधी जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट 'ब' अनुसार है. (ग) प्रश्नांकित दुर्घटनाओं में समस्त घायल व्यक्ति वर्तमान में स्वस्थ हैं. श्रमिकों/मजदूरों के द्वारा रोजगार मांगने पर ग्राम पंचायत के माध्यम से मनरेगा के अंतर्गत रोजगार की व्यवस्था है.
श्री लखन घनघोरिया - माननीय सभापति महोदय जी, मेरा प्रश्न था जबलपुर जिले के सिहोरा तहसील क्षेत्र अंतर्गत दिनांक 5 जून, 2024 को कटरा की की अवैध रेत खदान दुर्घटना में ब्लूडस्ट से भरे डम्पर द्वारा एक ऑटो को टक्कर मारने से जो मृतक मजदूर हुए हैं, उनके संदर्भ में है. इसमें हमें आधी-अधूरी जानकारी मिली है. इसमें ब्लूडस्ट से/हाइवा से जो मालवाहक ऑटो को टक्कर मारी गई है, उसकी जानकारी तो दे दी गई. जो मेरा मुख्य प्रश्न था, दिनांक 5 जून, 2024 को कटरा की अवैध रेत खदान दुर्घटना के संदर्भ में है, इसकी कोई जानकारी मुझे नहीं दी गई. मेरा आपके माध्यम से, माननीय मंत्री महोदय से आग्रह है कि एक एफआईआर दिनांक 5 जून की जगह 12 जून को कायम हुई है, इसी घटना के संदर्भ में है. मृतकों के नाम राजकुमार खटीक पिता स्व. कैलाश खटीक, मुन्नी बाई पति श्री जगन बसोड़, मुकेश बसोड़ पिता श्री जगन बसोड़ और घायलों के नाम खुशबू बसोड़ एवं सावित्री बाई बसोड़ हैं. रेत का अवैध उत्खनन हो रहा था, जेसीबी मशीन से गड्डे खोदे जा रहे थे और मजदूर लगाये गये थे, जो कि अनुसूचित जाति वर्ग के थे. वहां खदान धंसकी एवं तीन लोगों की मौत हुई और दो लोग घायल हुए. अपराध कायम हुआ, अपराध क्रमांक 284 है. इसमें अपराधियों के नाम भी चिन्ह्ति हो गए हैं- सोनू भदौरिया, चिन्टू ठाकुर और अंकित तिवारी हैं और धारा भी आईपीसी की 304, 308 और 334 लगाई गई है. सभापति महोदय, वे अनुसूचित जाति वर्ग से आते हैं.
सभापति महोदय - आप बहुत वरिष्ठ हैं. आप सीधा माननीय मंत्री जी से प्रश्न करें.
श्री लखन घनघोरिया - माननीय सभापति महोदय, इसमें एक तो कायमी में और धारा लगाने में पक्षपात हुआ है. यदि अनुसूचित जाति वर्ग का कोई पीडि़त पक्ष है, तो उसमें अनुसूचित जाति/जनजाति एक्ट की धारा 3 (2) (5) नहीं लगाई गई है और यह नहीं लगाये जाने से अनुसूचित जाति के पीडि़त पक्ष को जो आर्थिक मुआवजा मिलना चाहिए था, जब यह धारा नहीं लगाई गई है तो उनको वह मुआवजा नहीं मिलेगा.
सभापति महोदय - आप सीधा प्रश्न करें.
श्री लखन घनघोरिया - माननीय सभापति महोदय, मेरा माननीय मंत्री महोदय से एक तो इस संदर्भ में प्रश्न है और जो जानकारी दी गई है, उसमें मैं दूसरा प्रश्न करूँगा. क्या इसमें धारा बढ़ाई जायेगी ? सारे पीडि़त पक्ष अनुसूचित जाति वर्ग के हैं.
श्री करण सिंह वर्मा - माननीय सभापति महोदय, माननीय आपने जो पूछा है, वह सारी जानकारी आपके पास परिशिष्ट में है. फिर भी मैं आपको जानकारी दे दूँ कि दिनांक 5 जून, 2024 को कटरा की अवैध रेत खदान दुर्घटना में, डम्पर द्वारा ऑटो को टक्कर मारने से हुई दुर्घटना में मृतकों के वारिसों को माननीय मुख्यमंत्री जी ने अपनी स्वच्छेनुदान से 2-2 लाख रुपये दिए हैं और जिला प्रशासन द्वारा 15-15 हजार रुपये भी उनको प्रदाय किये गये हैं और जो लोग दुर्घटना में घायल हुए हैं, उनको हमने 50-50 हजार रुपये दिए हैं. इस घटना की जिला प्रशासन द्वारा जांच उपरांत पुलिस प्रशासन को खनिज के अवैध उत्खनन के परिवहन पर प्राथमिक दर्ज कराई गई है. खनिज विभाग द्वारा भी प्रकरण दर्ज कर लिया गया है और इनके खिलाफ भी एफआईआर दर्ज कर ली गई है.
श्री लखन घनघोरिया - माननीय सभापति महोदय, माननीय मंत्री महोदय जी से यही तो मैं पूछ रहा था, मैंने दो चीजें पूछी थीं. उसमें एक की तो कोई जानकारी ही नहीं दी. एक हाईवा से जो दुर्घटना हुई, जिसमें आदिवासी कोल समाज के 18 लोग सवार थे, एक मालवाहक ऑटो में उनकी मृत्यु का यहां बता दिया कि 7 लोगों की मृत्यु हुई है.
सभापति महोदय- आपको पृथक से एक उत्तर संलग्न करके दिया गया है.
श्री लखन घनघोरिया- माननीय, यह आधा-अधूरा उत्तर है. 5 जून, 2024 की घटना का उत्तर इसमें नहीं है. मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान के अंतर्गत 2 लाख रुपया आपने ब्लूडस्ट से संबंधित दुर्घटना से ग्रस्त लोगों को दिया है.
मंत्री जी, मेरा आग्रह है कि मेरा प्रश्न है, अनुसूचित जाति के जिन 3 लोगों की मौत रेत खदान के धसकने से हुई थी, आई.पी.सी. की धारा 304, 308 और 34 के तहत आपने इसमें अपराध कायम किया है लेकिन इसमें अनुसूचित जाति/जनजाति एक्ट की धारा 3 (2) (5) क्यों नहीं लगाई गई है ? यदि यह धारा लगाई गई होती तो उन परिवारों को कम से कम इसका लाभ मिल जाता और मुआवज़ा 8 लाख रुपया मिलता. आप स्वेच्छानुदान के तहत 2 लाख रुपया दे रहे हैं जो कि उनको मिला नहीं है. आप दूसरी घटना का जिक्र यहां कर रहे हैं, उसमें कोल समाज के आदिवासी लोग प्रभावित हुए थे.
सभापति महोदय- आप सीधे अपना प्रश्न करें.
श्री लखन घनघोरिया- आप इस प्रकरण में अनुसूचित जाति/जनजाति एक्ट की धारा 3 (2) (5) लगायेंगे कि नहीं ?
श्री करण सिंह वर्मा- सभापति जी, आरोपियों के खिलाफ FIR दर्ज कर ली गई है. 3 मृतक जिनकी मृत्यु खदान धसने से हुई है, हमने उन्हें भी 2-2 लाख रुपये का मुआवज़ा दिया है.
श्री लखन घनघोरिया- मंत्री जी, यही तो अनुसूचित जाति वर्ग के साथ पक्षपात है. अनुसूचित जाति वर्ग के ऊपर अत्याचार होने से जो मुआवज़ा दिया जाना है, आपका कानून यह कहता है, आपका एक्ट कहता है, अनुसूचित जाति/जनजाति एक्ट की धारा 3 (2) (5) के तहत उनको 8-8 लाख रुपये का मुआवज़ा मिलता है. जब आपने FIR दर्ज की उसमें मृतक और आरोपी दोनों चिह्नित हैं, आपने धारायें भी लगाई हैं लेकिन आपने अधूरी धारायें क्यों लगाई हैं ? क्या यह दलितों के साथ अनुसूचित जाति के लोगों के साथ पक्षपात नहीं है ?
श्री करण सिंह वर्मा- मैं इस पूरे प्रकरण को देखकर, जांच करवा लूंगा.
श्री लखन घनघोरिया- इसमें क्या देखना है, सब कुछ सामने है, यह दलित वर्ग के साथ अत्याचार का मामला है.
श्री करण सिंह वर्मा- आप मेरी प्रार्थना सुनें, माननीय मुख्यमंत्री जी को जैसे ही पता चला, 2-2 लाख रुपये उन्होंने भेजे हैं.
श्री लखन घनघोरिया- हमारा अधिकार 8 लाख रुपये का बनता है, आप यहां 2 लाख रुपये का एहसान क्यों बता रहे हैं ?
सभापति महोदय- मंत्री जी, का जवाब आ जाने दीजिये.
राज्यमंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा (श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल)- माननीय सदस्य, आप दुर्घटना और अत्याचार में अंतर करिये.
श्री लखन घनघोरिया- यह दुर्घटना नहीं है, आपका शासन है, आपकी सरकार है, FIR आपने दर्ज की, धारायें आपने लगाई हैं.
लोक निर्माण विभाग मंत्री (श्री राकेश सिंह)- यह जबलपुर का प्रकरण है. मंत्री जी ने उत्तर दिया है. मंत्री जी का आशय यही है वे भी नियम की ही बात कर रहे हैं. जो नियमानुसार होगा, वह अभी हुआ है. नियम के अनुसार यदि कहीं कुछ बाकी है तो उसकी पूर्ति भी होगी.
श्री लखन घनघोरिया- मंत्री जी कह दें. चूंकि राकेश जी जबलपुर के हैं इसलिए उनकी संवेदना है.
श्री करण सिंह वर्मा- सभी एक ही अंग हैं सरकार का. मैंने आपसे प्रार्थना की है कि हमने तत्काल श्रमिकों की मदद की है, मैं इसकी पूरी जांच करवा लूंगा.
11.43 बजे
{अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए.}
श्री लखन घनघोरिया- मंत्री जी आप ये धारायें कब तक लगवा देंगे ?
श्री करण सिंह वर्मा- जांच करना पड़ेगा.
श्री लखन घनघोरिया- जांच तो हो गई है. आपसे हाथ जोड़कर निवेदन है इसमें जांच हो गई है, गरीब परिवार का मामला है.
श्री करण सिंह वर्मा- खदान का मामला है, अवैध खनन का मामला है.
श्री लखन घनघोरिया- ये लोग खनन नहीं कर रहे थे. जो करवा रहे थे, आप उनके नाम सुन लें, सोनू भदौरिया, चिंटू ठाकुर और अंकित तिवारी.
श्री करण सिंह वर्मा- सदन में जोर से कागज पढ़कर बताने से काम नहीं चलेगा. हमने पैसा दिया है और मैं प्रकरण की समुचित जांच करवा लूंगा.
श्री लखन घनघोरिया- आपने इन लोगों को आरोपी बनाया है. अध्यक्ष महोदय मेरा आपके माध्यम से निवेदन है कि इतना गंभीर प्रकरण है, दलित वर्ग के लोगों के साथ अत्याचार निवारण की धारा अनुसूचित जाति/जनजाति एक्ट की धारा 3 (2) (5) के तहत क्या आप कायमी करवायेंगे ? आपने पहले ही मुकदमा दर्ज किया है और यह धारा नहीं लगाई है.
अध्यक्ष महोदय- मंत्री जी, अब आप जवाब बता दें. लखन जी आप बैठ जायें.
श्री करण सिंह वर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने कहा है कि ऑटो से एक एक्सीडेंट हो गया है हमने उसका भी मुख्यमंत्री स्वेच्छा निधि से पैसा दिया है सात लोगों को और जो दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हैं उनको पचास हजार रुपए दिये हैं. अवैध खदान धंसने से जिन तीन लोगों की मृत्यु हुई हुई है उन्हें भी हमने दो-दो लाख रुपए दिये हैं. मैंने माननीय विधायक जी को कहा है कि सारे प्रकरण की खनिज विभाग के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हुई है. हमने एस.पी. को भी निर्देश दिये हैं और कहा है कि इस मामले की जांच करें फिर भी कोई मामला है तो मैं समूचे प्रकरण की जांच करा लूंगा. आपकी मंशा अनुसार काम हो जाएगा.
अध्यक्ष महोदय-- लखन भाई इतने अच्छे शब्दों में प्रश्न का समापन नहीं हो सकता.
श्री लखन घनघोरिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी जो दो-दो लाख रुपए के मुआवजे की बात कर रह हैं वह घटना दूसरी है. उसमें आदिवासी समाज के 18 लोग एक मालवाहक ऑटो में सवार थे. ब्लूडस्ट के हाईवा ने टक्कर मारी 7 लोग ऑन स्पॉट खत्म हो गए.
एक माननीय सदस्य -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि हमारे एसटी वर्ग के कालू सिंह ठाकुर जी का प्रश्न लगा है. प्रश्नोत्तर काल तेजी से चलाइए. (व्यवधान)
श्री लखन घनघोरिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह एसटी वर्ग की ही बात है. (व्यवधान) आदिवासी समाज के 11 लोग घायल हैं सात लोगों की मृत्यु हो गई. स्वेच्छानुदान से माननीय मुख्यमंत्री जी ने दो-दो लाख रुपए का मुआवजा दिया है. मेरा आग्रह यह है कि आरबीसी की धारा से दुर्घटना में जो मृत्यु प्राकृतिक आपदा से होती है उसमें चार लाख रुपए का मुआवजा दिया जाता है. एससी, एसटी वर्ग के साथ अन्याय न हो. कम से कम सरकार इतनी संवेदना तो दिखाए.
श्री करण सिंह वर्मा--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने पहले भी माननीय सदस्य से प्रार्थना की है कि हमने उन सभी को राहत राशि दी है फिर भी मैं जांच करा लूंगा और कानून से बड़ा कोई भी नहीं होता है, फिर भी मैं सारे प्रकरण को देख लूंगा.
श्री लखन घनघोरिया-- आरबीसी की धारा 6 (4).
श्री करण सिंह वर्मा--माननीय अध्यक्ष महोदय, अगर मैं पुराने में वापस जाउंगा तो फिर कभी आपने ऐसी घटना हुई तो उसके लिए मुख्यमंत्री राहत कोष से पैसा दिया था. मैं पूरा पढ़ता हूं, मैंने अध्ययन किया है. पहले नहीं मिलता था यह मोहन यादव की सरकार में मिलता है.
श्री लखन घनघोरिया-- गजब कर रहे हो दादा, तुम्हारा गम, गम है, हमारा गम, गम नहीं है, तुम्हारा खून, खून है, हमारा खून, पानी है. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों के साथ आप अत्याचार कर रहे हैं. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय-- लखन जी आप कृपया बैठ जाइए. माननीय मंत्री जी सदस्य को आप व्यक्तिगत रूप से बुला लें. पूरे पक्ष को समझ लें जो पात्रता बनती हो उसके अनुसार निर्णय करें.
उप-स्वास्थ्य केंद्र झौंतेश्वर का संचालन
[लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा]
5. ( *क्र. 1026 ) श्री महेन्द्र नागेश : क्या उप मुख्यमंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विधानसभा क्षेत्र गोटेगांव के झौंतेश्वर में उप-स्वास्थ्य केंद्र भवन बना है जो कि कई वर्षों से संचालित नहीं हैं यह उप-स्वास्थ्य केंद्र कब संचालित होगा? यदि हाँ, तो कब तक होगा? यदि नहीं, तो क्यों नहीं? (ख) क्या झौंतेश्वर उप-स्वास्थ्य केंद्र में पद रिक्त हैं? यदि हाँ, तो इन पदों की पूर्ति कब की जावेगी? यदि नहीं, तो क्यों नहीं?
उप मुख्यमंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जी नहीं। विधानसभा क्षेत्र गोटेगांव में झौंतेश्वर में सिविल अस्पताल भवन निर्मित हैं, परंतु मानव संसाधन उपलब्ध न होने के कारण संचालित नहीं है, मानव संसाधन की पदस्थापना उपरांत संचालित किया जा सकेगा। (ख) जी हाँ, पदपूर्ति की कार्यवाही एक निरंतर प्रक्रिया है, निश्चित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
अध्यक्ष महोदय-- श्री महेन्द्र नागेश.
श्री महेन्द्र नागेश-- अध्यक्ष महोदय, गोटे गांव विधान सभा क्षेत्र में झौंतेश्वर में कई वर्षों से उप स्वास्थ्य केन्द्र भवन बना है.
अध्यक्ष महोदय-- आप प्रश्न संख्या बोल के बैठ जाइए फिर मंत्री जी खड़े होंगे फिर उसके बाद आपको बोलने को मिलेगा.
श्री महेन्द्र नागेश-- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न यह है कि उप स्वास्थ्य केन्द्र गोटेगांव झौंतेश्वर का कई वर्षों से....
अध्यक्ष महोदय-- महेन्द्र जी ऐसे नहीं, जब आपका नाम लिया जाए तो आप कहिए प्रश्न क्रमांक 5 उपस्थित है. उसके बाद मंत्री जी बोलेंगे फिर उसके बाद आपको बोलना है.
श्री महेन्द्र नागेश-- अध्यक्ष महोदय, प्रश्न क्रमांक 5 उपस्थित है.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी,
श्री राजेन्द्र शुक्ल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा माननीय सदस्य ने झौंतेश्वर में.....
अध्यक्ष महोदय-- उत्तर पटल पर रखा हुआ है सिर्फ इतना बोलिए.
श्री राजेन्द्र शुक्ल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, उत्तर पटल पर रखा हुआ है.
अध्यक्ष महोदय-- महेन्द्र जी अब आप पूरक प्रश्न करिए.
श्री महेन्द्र नागेश-- अध्यक्ष महोदय, गोटेगांव झौंतेश्वर में उप स्वास्थ्य केन्द्र का भवन कई वर्षों से बना है उसके डॉक्टर और नर्सों के पद भी स्वीकृत हैं लेकिन वह अभी तक संचालित नहीं है और उपरोक्त स्थान अनुसूचित जनजाति बाहुल्य है. इसलिए मेरा निवेदन है कि यह शीघ्र संचालित किया जाए जिससे जनता को लाभ मिल सके.
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें ज्यादा से ज्यादा 4-5 महीने का समय लगेगा. जो भवन वर्ष 1997 में बना है वह जर्जर हो गया है उसे रिपेयरिंग की आवश्यकता है, इसके लिए 435.94 लाख रुपए इस 30 बिस्तरीय अस्पताल के लिए मंजूर कर दिए गए हैं. ढाई करोड़ रुपए रिपेयरिंग का, उपकरण का एवं फर्नीचर का, आपको जानकर खुशी होगी कि सिविल अस्पताल 30 बेड के लिए आईपीएचएस नार्म्स के हिसाब से 61 मानव संसाधन की भी मंजूरी कर दी गई है. कुल मिलाकर आपका यह अस्पताल आपकी अपेक्षा के अनुसार बहुत बेहतर तरीके से शुरु हो जाएगा.
श्री महेन्द्र नागेश -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूँ, सरकार को धन्यवाद देना चाहता हूँ. आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र को इसका लाभ मिलेगा उसके लिए सभी को धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय -- आपको भी धन्यवाद. श्री सोहनलाल बाल्मीक.
श्री सोहनलाल बाल्मीक -- अध्यक्ष महोदय, मैंने कल ही पत्र दिया है इसके पहले भी मैं माननीय मंत्री जी को बहुत सारे पत्र दे चुका हूँ. मेरे विधान सभा क्षेत्र परासिया में 100 बेड का अस्पताल बना हुआ है. इस हेतु वर्ष 2019 में चौदह करोड़ रुपए भवन के लिए मिले थे और एक करोड़ सतहत्तर लाख रुपए उपकरण के लिए स्वीकृत हुए थे. परन्तु वहां पर आज तक उपकरण खरीदकर नहीं दिए गए हैं. जिसके कारण अस्पताल के संचालन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. मैं माननीय मंत्री जी से कहूंगा कि एक करोड़ सतहत्तर लाख रुपए का जो प्रावधान वर्ष 2019 में रखा गया था उन उपकरणों को पर्चेस करके अस्पताल को व्यवस्थित रुप से संचालित करने की व्यवस्था बनाएँ.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी, बाल्मीक जी इसी प्रश्न में सप्लीमेंट्री पूछ रहे हैं.
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- इस प्रश्न से तो यह उदभूत नहीं होता है.
श्री सोहनलाल बाल्मीक -- इसी से जुड़ा हुआ है, उपकरण नहीं मिलने से वहां पर अस्पताल संचालित नहीं हो पा रहा है. एक करोड़ सतहत्तर लाख रुपए का प्रावधान वर्ष 2019 में रखा गया था. यह बजट में शामिल था. अभी तक उपकरण खरीदकर हास्पिटल को क्यों नहीं दिए गए. 14 करोड़ रुपए की बिल्डिंग बनकर खड़ी हुई है, वहां पर उपकरणों की कमी के कारण व्यवस्था नहीं बन पा रही है. मेरा निवेदन है कि यह उपकरण दे दिए जाएं ताकि हास्पिटल ठीक तरह से संचालित हो सके.
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- आप मुझसे बात कर लीजिएगा. इस विषय में जो भी कार्यवाही हो सकती है वह की जाएगी. जितने भी स्वास्थ्य केन्द्र हैं उसमें एचआर हो या उपकरण हों या बिल्डिंग में कुछ रिपेयरिंग की आवश्यकता हो इसके लिए पर्याप्त बजट की अरेंजमेंट डॉ. मोहन यादव जी की सरकार ने की है. आपके इस अस्पताल से संबंधित जो भी कमी होगी, मैं आपसे बात करके..
श्री सोहनलाल बाल्मीक -- माननीय मंत्री जी मैंने बहुत सारे पत्र दिए हैं. मैं बोल भी रहा हूँ कि एक करोड़ सतहत्तर लाख रुपए का प्रावधान वर्ष 2019 में रखा गया था. इसके पूरे पेपर लगे हुए हैं.
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- आप चर्चा कर लीजिएगा. उसका समाधान होगा.
श्री सोहनलाल बाल्मीक -- करवा दीजिएगा. धन्यवाद.
कीट प्रकोप क्षति राशि का भुगतान
[राजस्व]
6. ( *क्र. 957 ) श्री बाला बच्चन : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्न क्र. 2532, दिनांक 10.07.2024 के 'ग' प्रश्नांश में उल्लेखानुसार प्रश्न क्र. 1103, दिनांक 12.02.2024 में वर्णित जिलों आगर मालवा, देवास, हरदा और सीहोर में फल क्षति राशि का भुगतान किस माध्यम से किया गया? क्या किसानों के खाते में सीधे भुगतान किया गया या किसी अन्य प्रणाली या प्रक्रिया के द्वारा भुगतान किया गया की पूरी जानकारी देवें। (ख) उपरोक्तानुसार भुगतान की जानकारी ट्रेजरी वाउचर की प्रमाणित प्रति के साथ देवें। यदि भुगतान सोसायटियों के माध्यम से किया गया तो उसकी भी प्रमाणित प्रति तहसीलवार, जिलावार, भुगतानकर्ता अधिकारी का नाम पदनाम सहित देवें। ट्रेजरी भुगतान की जानकारी भी इसी प्रकार देवें। (ग) प्रश्नांश (क) अनुसार विधानसभा के मूल प्रश्न का उत्तर न देकर अन्य उत्तर देने वाले सभी संबंधित अधिकारियों के नाम, पदनाम देवें। प्रश्न के उत्तर से संबधित पूरी नस्ती की प्रमाणित प्रति देवें। इसके उत्तरदायी अधिकारियों पर विभाग कब तक कार्यवाही करेगा?
राजस्व मंत्री ( श्री करण सिंह वर्मा ) : (क) प्रश्न क्र. 2532, दिनांक 10.07.2024 के 'ग' प्रश्नांश में उल्लेखानुसार प्रश्न क्र. 1103, दिनांक 12.02.2024 के परिप्रेक्ष्य में वर्णित जिलों आगर मालवा, देवास, हरदा और सीहोर में वर्ष 2020-21 में वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता की सीमा में शासन के निर्णय अनुसार जिला कोषालय द्वारा ई-पेमेंट के माध्यम से किसानों के खातों में सीधे भुगतान किया गया है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट "ब" अनुसार है. (ग) विधानसभा के मूल प्रश्न के अनुक्रम में ही उत्तर दिया गया है। नस्तियों की प्रमाणित प्रति परिशिष्ट "अ" पुस्तकालय में रखे अनुसार है। शेष प्रश्न उद्भूत नहीं होता।
श्री बाला बच्चन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं किसानों के लिए आपका संरक्षण चाहता हूँ. वर्ष 2020 से अभी तक तीसरी बार मुझे विधान सभा में प्रश्न लगाना पड़ा है, मेरे विधायक साथियों को भी प्रश्न लगाना पड़ा है. माननीय मुख्यमंत्री जी किसानों की समस्याओं को लेकर, मुद्दों को लेकर कितने संवेदनशील हैं. आप सुन लीजिए. तीन बार मैंने खुद ने प्रश्न लगाया है. दिनांक 10.7.2024 को मेरा प्रश्न क्रमांक 2532 था. उसका जवाब जुलाई के सत्र में नहीं आया. अब जवाब आया है वह भी अधूरा आया है. 20 जिलों के 21 लाख किसान हैं जिनको कीट प्रकोप क्षति की तीसरी किस्त देना थी. यह किस्त एक हजार करोड़ रुपए की है. सरकार वर्ष 2020 से अभी तक तीसरी किस्त नहीं दे पाई है. 20 जिलों में से आगर-मालवा जिले को आज भी छोड़ दिया गया है. सरकार किसानों और उनके मुद्दों को लेकर कितनी संवेदनशील है मैं मुख्यमंत्री जी और माननीय मंत्री जी दोनों से जानना चाहता हूँ कि किसानों के साथ ऐसा अन्याय और धोखा क्यों कर रहे हैं. किसानों की अनदेखी क्यों कर रहे हैं. कब तक आप 20 जिलों के 21 लाख किसान हैं जिनको कीट प्रकोप क्षति की तीसरी किस्त देना थी, वह दे देंगे.
श्री करण सिंह वर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय बच्चन साहब हमारे बहुत ही पुराने वरिष्ठ नेता हैं. इन्होंने जो प्रश्न पूछा है उसका उत्तर मैंने इनको दिया है कि कोषालय द्वारा ई-पेमेंट के माध्यम से किसानों के खातों में भुगतान किया गया है. शेष प्रश्न उदभूत नहीं होता है. यह सही है कि पूर्व में आपने प्रश्न क्रमांक 1103 में प्रश्न किया था उसकी भी जानकारी हमने दी है. राशि 156 करोड़ हमने किसानों को 66 परसेंट वितरित कर दिया है. उसमें कोई मामला हमने नहीं छिपाया है. आप भी देख लें हमने 66 परसेंट दिया है. आप डांट रहे हैं.
श्री बाला बच्चन -- हम डांट नहीं रहे हैं.
श्री करण सिंह वर्मा -- अध्यक्ष महोदय, आपकी सरकार ने 25 परसेंट दिया था. यह डॉक्टर मोहन यादव की सरकार है. आपकी वर्ष 2019 में सरकार थी तब आपने 25 परसेंट दिया है.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, मेरे पहले प्रश्न का ही जवाब नहीं आया है. मैं यह जानना चाहता हूं कि राजस्व विभाग ने कीट प्रकोप से फसल की जो क्षति हुई थी उसका सर्वे कराया था और लगभग 3 हजार करोड़ रुपये की राशि तय हुई थी, उसमें 2 किश्तें डाली जा चुकी हैं. आप अभी केवल 156 करोड़ की बात कर रहे हैं. श्रीमान् जी, मैं डांट नहीं रहा हूं. मैं किसानों की तरफ से निवेदन कर रहा हूं कि 1 हजार करोड़ रुपये और देना है और मात्र आपने 156 करोड़ दिया है और उसके लिये तो तीन बार मुझे प्रश्न लगाना पड़ा, हमारे विधायक साथियों को लगाना पड़ रहा है. अभी भी 20 जिलों के 21 लाख किसानों का देना बाकी है. हजार करोड़ में से मात्र 156 करोड़ रुपये दे रहे हैं. बाकी की बात नहीं कर रहे हैं. आप 15 महीने की सरकार की बात कर रहे हैं. उस पर आप चर्चा करवा लीजिये दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा. 1 हजार करोड़ में से अगर 156 करोड़ निकाल देते हैं तो करीब पौने नौ सौ करोड़ यह मोहन यादव जी की सरकार किसानों को तीसरी किश्त कब देगी मैं यह जानना चाहता हूं. मोहन यादव जी खुद भी बैठे हैं. माननीय मुख्यमंत्री जी, मंत्री जी के बस का नहीं है. हम डांट नहीं रहे हैं हम निवेदन कर रहे हैं. आप इसका उत्तर दीजिये.
श्री करण सिंह वर्मा -- अध्यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहता हूं कि यह मूल प्रश्न देख लें. इन्होंने उसमें कहीं जिक्र नहीं किया है. इन्होंने कहा है पेमेंट किस आधार पर किया जाता है तो हमने बता दिया ई-पेमेंट के आधार पर डायरेक्ट किसानों के खाते में जाता है. अधिकारियों ने सही जानकारी नहीं दी तो उन्होंने भी सही जानकारी दी है. जो आपने तीन बार प्रश्न किया उनकी भी प्रश्न क्रमांक 1103 में दी गई जानकारी सही है.
अध्यक्ष महोदय -- करण सिंह जी, माननीय विधायक जी का कहना यह है कि कुल मिलाकर जो पैसा बचा है वह कब तक देंगे. वह पैसा बचा है, नहीं बचा है और अगर बचा है तो कब तक देंगे उनका यह प्रश्न है.
श्री करण सिंह वर्मा -- अध्यक्ष महोदय, इन्होंने जो प्रश्न किया है उससे यह प्रश्न उद्भूत नहीं होता है. इन्होंने जो पूछा है उसका मैंने उत्तर दिया है. इन्होंने स्पष्ट पूछा है कि किस माध्यम से पेमेंट आप करते हैं हमने कहा ई-पेमेंट करते हैं. अधिकारियों ने सही जानकारी दी है. तीनों प्रश्नों में पूछा है, तो मैंने कहा हमने 1 लाख कुछ रुपये किसानों को दिया है. 66 परसेंट मध्यप्रदेश के किसानों को डॉ. मोहन यादव जी की सरकार ने दिया है. आपकी सरकार ने सिर्फ 25 परसेंट रुपये किसानों का दिया है. उसकी बात आप नहीं करते हैं.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, 66 परसेंट की जो बात कर रहे हैं इनके विभाग ने सर्वे कराया है और सर्वे कराने के बाद लगभग 3 हजार करोड़ की राशि तय हुई थी, उसमें 2 किश्त आपने हजार-हजार करोड़ की दी हैं, तीसरी किश्त आपकी 1 हजार करोड़ की बाकी है. मंत्री जी, आप खुद ही अपडेट नहीं हैं. आपको खुद को जानकारी नहीं है. मैं आपको बता रहा हूं उसकी 2 हजार करोड़ की राशि दी जा चुकी है. हजार करोड़ रुपये की राशि और देना है मैं उसकी बात कर रहा हूं. आप मेरे प्रश्न क्रमांक 1103 का हवाला दे रहे हैं. अभी मेरा 957 नंबर का प्रश्न है और उस समय मेरा प्रश्न क्रमांक 2532 था. आपने उस समय जानकारी दी नहीं, अब जानकारी दी है और उसके बाद भी 20 जिले हैं, 21 लाख किसानों का मामला है. सरकार पूरी तरह से सोई हुई है. मैं चाहता हूं कि मुख्यमंत्री जी से इसका जवाब दिलाना चाहिये. बिल्कुल जवाब नहीं आया है और अगर ऐसे ही विधान सभा चलेगी तो यह बहुत गलत है. हम सभी ने प्रश्न पूछे हैं.
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- अध्यक्ष महोदय, मैंने मूल प्रश्न पढ़ा है. मूल प्रश्न में जितने भी प्रश्न माननीय सदस्य ने पूछे हैं उसका जवाब दे दिया गया है. जो प्रश्न आप पूछ रहे हैं वह आपके मूल प्रश्न में नहीं है. इसलिये कोई जरूरी नहीं है कि हर बात का जवाब दिया जाए, क्योंकि यहां पर मंत्री अध्ययन करके आते हैं, जो प्रश्न आपने किया है उसका उत्तर आ गया. आप बाहर के प्रश्न का पूछेंगे तो कैसे जवाब देंगे.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, मेरा बिल्कुल बाहर का प्रश्न नहीं है. मैं तीन बार प्रश्न लगा चुका हूं. मेरे विधायक साथियों ने भी प्रश्न लगाया है और उसके बाद जुलाई में आपने जवाब नहीं दिया. अभी भी जवाब आया तो पूरा जवाब नहीं आया है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, क्या पहले वाले प्रश्न का जवाब इस सदन में लेंगे.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, आप पूरे अपडेट नहीं हैं. मैं इसकी घोर निंदा करता हूं. मेरे भी और हमारे विधायक साथियों के भी प्रश्नों के जवाब यह सरकार नहीं दे रही है.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्नकाल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त)
अध्यक्ष महोदय -- शुन्यकाल की सूचनाएं....शाम को ली जायेंगी.
श्री उमंग सिंघार (नेता प्रतिपक्ष)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे अनुरोध है कि जिस प्रकार से ..(xx) व्यवधान..
श्री कैलाश विजयवर्गीय (मंत्री-नगरीय प्रशासन)-- अध्यक्ष महोदय, यह कौन सी बात है . यह घोर आपत्तिजनक है..व्यवधान..
श्री उमंग सिंघार -- अध्यक्ष महोदय, ..(xx) ..व्यवधान..
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को --..(xx) ..
श्री कैलाश विजयवर्गीय --अध्यक्ष महोदय, इसको विलोपित करवाईये.. व्यवधान.
श्री उमंग सिंघार -- अध्यक्ष महोदय..(xx) ..
(विपक्ष के विधायकगण अपनी बात कहते हुये गर्भगृह में आये)
अध्यक्ष महोदय -- आप लोग, अपनी अपनी सीट पर जायें.आप लोग बैठ जाये. ऐसी कोई भी बात सदन में नही कहनी चाहिये, कृपया बैठ जायें.. आप भलीभांति जानते हैं..
डॉ. मोहन यादव (मुख्यमंत्री) --अध्यक्ष महोदय, यह आपत्तिजनक है.. यह कौन सी बात है. ऐसी बात नहीं कहनी चाहिये...व्यवधान..
(सत्ता पक्ष के सदस्य भी अपनी बात को रखने के लिये गर्भ गृह में आ गये )
श्री लखन घनघोरिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, ..(xx)
अध्यक्ष महोदय- कृपया अपने अपने स्थान पर जावें..
श्री उमंग सिंघार -- ..(xx)
(विपक्ष के विधायकगण अपनी बात कहते हुये गर्भगृह में आकर के नारेबाजी करने लगे)
डॉ. मोहन यादव --अध्यक्ष महोदय, यह कैसी बात है, यह आपत्तिजनक है, इस बात को नहीं सुना जायेगा...व्यवधान...
अध्यक्ष महोदय-- आप लोग इस बात को भलीभांति जानते हैं कि इस विषय को सदन में नहीं लाया जा सकता है, जो सदस्य सदन में जवाब देने की स्थिति में नहीं है, उसके नाम का उल्लेख भी यहां नहीं होना चाहिये..कृपया अपने अपने स्थान पर जायें..व्यवधान..
डॉ. मोहन यादव-- अध्यक्ष महोदय, यह कोई डराने वाली बात नहीं है, और न डरने वाले है, ऐसी बात नहीं सुनेंगे, यह कोई तरीका नहीं है..व्यवधान.. विधानसभा चलना हो तो चले, नहीं चलना हो तो नहीं चलें, यह नहीं चलेगा..व्यवधान.. अध्यक्ष महोदय, कुछ भी बोल रहे हैं..
अध्यक्ष महोदय- इसलिये जो बात अभी आई है, इसको विलोपित किया जाता है. कृपया अपने स्थान पर जायें.. व्यवधान...
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, बहुत आपत्तिजनक बात है.इसको विलोपित होना चाहिये...व्यवधान...इस तरह की बातें सदन में नहीं आनी चाहिये...अध्यक्ष जी इसको विलोपित होना चाहिये..
अध्यक्ष महोदय- मैंने विलोपित करवा दिया है ...व्यवधान..
अध्यक्ष महोदय-- सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिये स्थगित की जाती है.
(अपराह्न 12.03 बजे सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिये स्थगित)
विधान सभा पुनः समवेत हुई.
12.18 बजे {अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए.}
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय)—अध्यक्ष महोदय, मेरा पाइंट ऑफ आर्डर है. हमारे यहां परम्परा रही है कि कभी भी किसी दूसरे सदन की चर्चा इस सदन में नहीं की जाती है. दूसरा, यदि बहुत जरुरी हो, तो कम से कम आपको सूचित करें, फिर आप अनुमति दें, उसके बाद बोलें. तीसरी बात, बिना तथ्य के उस सदन में बोला गया, उस सदन में अनुमति दी, उस सदन में बोला गया और उसको आप गलत सिद्ध करने के लिये आप यहां पर राजनीति करें, यह बिलकुल भी उचित नहीं है. मैं चाहता हूं कि आप इसके ऊपर व्यवस्था दें. इस पर हमारे साथी प्रहलाद जी भी कुछ बोलना चाहेंगे.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री प्रहलाद सिंह पटेल) -- अध्यक्ष महोदय, आप भी लम्बे समय दोनों सदनों के सदस्य रहे हैं. मुझे लगता है कि जो नियम और परम्पराएं हैं हमारी, उन नियमों में जो सदन का सदस्य नहीं है, उसका नाम का तो उल्लेख हो ही नहीं सकता है. दूसरे हमारे जो उच्च सदन हैं, चाहे लोक सभा हो या राज्य सभा हो, यह हमारी नियमावली में भी है कि हम उसकी चर्चा का उल्लेख इस सदन के भीतर नहीं कर सकते हैं. तीसरा, मेरा आग्रह यह है कि हम किसी भी देश के किसी भी उच्च पद पर बैठे हुए व्यक्ति के बारे में अगर हम सदन में टिप्पणी करना चाहते हैं, तो आपकी अनुमति के बगैर वह संभव नहीं है. तो मुझे लगता है कि तीन स्थापित नियम और परम्पराएं हैं, उनकी अनदेखी करके अगर हम ऐसी परिस्थिति पैदा करेंगे, तो यह सदन के लिये अच्छा नहीं है. हम कल से लगातार कह रहे हैं कि सदन लम्बा चलाना चाहते हैं. अगर हम सदन लम्बा चलाना चाहते हैं, तो हमें नियमों और परम्पराओं, दोनों का ही ध्यान रखना पड़ेगा और इसलिये मैं आपसे प्रार्थना करता हूं और माननीय नेता प्रतिपक्ष अगर वे जिम्मेदारी के पद पर बैठे हैं, कांग्रेस के विधायक दल के नेता हैं, तो ईमानदारी से तो उनको अपनी गलती स्वीकार करनी चाहिये. हम कोई ऐसा दण्डित करने की बात नहीं करते हैं, लेकिन अमर्यादा, अमर्यादा होती है और जो जिम्मेदार पदों पर बैठे हैं, उनको कम से कम अगर वह नहीं करते हैं, तो मैं आपसे प्रार्थना करुंगा कि आपको इस पर कार्यवाही करनी चाहिये.
श्री अभय मिश्रा- अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश नगर पालिक ...
अध्यक्ष महोदय- अभी दूसरा विषय चल रहा है.
श्री तुलसीराम सिलावट- अध्यक्ष महोदय, पहले व्यवस्था आ जाये.
संसदीय कार्य मंत्री(श्री कैलाश विजयवर्गीय)- अध्यक्ष महोदय, पहले इस पर व्यवस्था आ जाये.
अध्यक्ष महोदय- माननीय सदस्यगण हम सभी जानते हैं...
श्री कैलाश विजयवर्गीय- अध्यक्ष जी, मैं चाहता हूं कि इस पर वरिष्ठ सदस्य श्री अजय सिंह जी बैठे हैं. वह कम से कम कुछ संसदीय टिप्पणी करेंगे तो मुझे बहुत अच्छा लगेगा.
श्री भंवर सिंह शेखावत- [XX]
श्री विश्वास सारंग- अध्यक्ष महोदय, आपत्ति है, यह विषय पर चर्चा नहीं हो रही है, जो यहां पर मामला उठा है उस पर चर्चा है. (व्यवधान)
श्री भंवर सिंह शेखावत- आप सुन तो लीजिये भाई.. (व्यवधान).. इतना ज्यादा क्यों..(व्यवधान)
श्री विश्वास सारंग- यहां पर जो मामला उठा है उस पर चर्चा है.
अध्यक्ष महोदय- आप लोग बैठ जाइये. माननीय सदस्यगण मैं व्यवस्था दे रहा हूं.
श्री भंवर सिंह शेखावत- माननीय कैलाश जी, मैं उसी पर आ रहा हूं.
श्री कैलाश विजयवर्गीय- अध्यक्ष महोदय, मेरा फिर से व्यवस्था का प्रश्न है. मेरा निवेदन है कि अगर आप पाईंट आफ आर्डर पर बोल रहे हैं तो..
श्री कैलाश विजयवर्गीय- नहीं, आप विषय पर आ गये.
श्री भंवर सिंह शेखावत- इसके कारण यह प्रश्न आया है..
श्री कैलाश विजयवर्गीय- आप हमारे उस्ताद रहे हैं, हम आपको अच्छे तरीके से जानते हैं कि किस प्रकार आप घुमाकर देते हो, पर कम से कम जब सदन की बात हो..
श्री भंवर सिंह शेखावत- मैं वही बात कर रहा था ना.
श्री कैलाश विजयवर्गीय- सदन की व्यवस्था सदन की परम्परा, सदन के नियम..
श्री भंवर सिंह शेखावत- अध्यक्ष महोदय, इस बात को भी बोलने नहीं दे रहे हैं.
श्री कैलाश विजयवर्गीय- वह भी होना चाहिये. आपने उस बात पर विषय छेड़ दिया.
अध्यक्ष जी, यह जो माननीय शेखावत जी ने कहा वह भी रिकार्ड में नहीं आना चाहिये. आपकी व्यवस्था के बाद. यदि आप अनुमति देंगे तो बोल सकते हैं, अदरवाईज़ इनको विषय पर बोलने का भी अधिकार नहीं है.
श्री भंवर सिंह शेखावत- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं बोल सकता हूं..
अध्यक्षीय व्यवस्था
अध्यक्ष महोदय- भंवर सिंह जी बैठ जायें. मैं इस पर व्यवस्था दे रहा था उसके बाद हम लोग आगे बढ़ेंगे.
मैं समझता हूं कि जो भी परिस्थिति एकाएक उत्पन्न हुई, यह बिल्कुल भी उपयुक्त नहीं है. (मेजों की थपथपाहट) यह सदन चर्चा के लिये है और चर्चा नियम और प्रक्रियाओं के माध्यम से होती है. हम सभी विधान सभा के माननीय सदस्य हैं, प्रदेश की जनता का नेतृत्व करने के लिये यहां उपस्थित हुए हैं और इसलिये हमारी पहली जिम्मेवारी है कि सारे नियम और प्रक्रिया का पालन हम करें. हम सब इस बात को जानते हैं बहुत सारे सीनियर सदस्य बैठें हैं कि दूसरे सदन की चर्चा अथवा किसी ऐसे सदस्य के नाम का उल्लेख, जो सदन में जवाब देने के लिये नहीं आ सकता, यह सामान्य तौर पर चर्चा नहीं होती है और इसलिये मैं समझता हूं कि जो परिस्थिति खड़ी हुई. सदन अच्छे से चल रहा था. सबकी इच्छा है कि ज्यादा से ज्यादा समय सदन चले और चर्चा के लिये भी आप सब इस बात को महसूस करते होंगे की सबको समान अवसर दिया जा रहा है और आगे भी दिया जायेगा. इसमें किसी प्रकार की किसी को चिंता करने की आवश्कता नहीं है. बहुत सारे समय रहेंगे और उस समय हम लोग अपनी बात रख सकते हैं. आज भी बजट पर चर्चा है, बहुत सारे विषयों को उसमें लाया जा सकता है. कल भी चर्चा का अवसर हम सब लोगों को मिलेगा. प्रश्नकाल में ध्यानाकर्षण में चर्चा का अवसर मिल ही रहा है. इसमें सभी लोग अच्छे से जानते हैं. इसलिये आज जो घटनाक्रम हुआ मैं उसको पूरा कार्यवाही से विलोपित करना चाहता हूं और वह विलोपित किया जाये और आगे से हम सब लोग नियम प्रक्रिया, मर्यादाएं इनका पालन करें. ऐसी मेरी आप सभी से अपेक्षा है. माननीय मुख्यमंत्री जी कुछ विषय रखना चाहते हैं उसके बाद ध्यानाकर्षण पर चर्चा होगी.
12.25 बजे वक्तव्य
संशोधित पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना के संबंध में मुख्यमंत्री का वक्तव्य
मुख्यमंत्री (डॉ. मोहन यादव)- अध्यक्ष महोदय, आज सदन को सूचित करते हुए मुझे अत्यंत हर्ष है. जब कल यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने जयपुर में मध्यप्रदेश और राजस्थान के लगभग 20 साल बहुत उलझे हुए पुराने मसले का न केवल निराकरण करवाया, बल्कि जिसके माध्यम से सौगात मिली, उसके बारे में मैं सदन को जानकारी देना चाहता हूं. संशोधित पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना, यह भारत सरकार, मध्यप्रदेश और राजस्थान राज्यों के बीच चंबल नदी, कछार की नदियों को आपस में जोड़कर कछार में उपलब्ध जल का अधिकतम उपयोग बनाने के लिए यह योजना बनी है. इस योजना के माध्यम से दोनों के मध्य दिनांक 28.1.2024 को परियोजना की डीपीआर तैयार करने के लिए एक समझौता ज्ञापन किया गया था. पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना, यह योजना न केवल पश्चिमी मध्यप्रदेश के मालवा बल्कि हमारे पूरे चंबल के लिए है.
अध्यक्ष महोदय, मुझे इस बात का आनंद है कि माननीय प्रधानमंत्री के माध्यम से यह जो योजना हमारे लिए लागू करने का जो कल निर्णय हुआ है. इसमें खासकर हमारे पास एकीकृत परियोजना के बलबूते पर जो सम्पूर्ण लागत है. यह सम्पूर्ण लागत 72000 करोड़ रुपये का केवल 10 परसेंट हमको देना है, बाकी सारा पैसा भारत सरकार देने वाली है. (मेजों की थपथपाहट).
अध्यक्ष महोदय, यह विश्व की पहली नदी परियोजना का हमारा सौभाग्य है. एक तो यह योजना जो राजस्थान से मिलकर है. मैं थोड़ी देर बाद एक और योजना बताना चाहूंगा, जो हमारे लिये उत्तरप्रदेश सरकार के साथ मिलकर बनेगी. लेकिन मैंने जैसे बताया है कि लगभग चंबल-कालीसिंध-पार्वती योजना के माध्यम से 35000 करोड़ रुपये के आसपास की राशि हमारे अपने इस राज्य में लगेगी. इसके माध्यम से हमारा समूचा चंबल, ग्वालियर, भिंड, मुरैना, शिवपुरी, श्योपुर, ये पूरे बेल्ट से होते हुए गुना से आगे राजगढ़, शाजापुर, इंदौर, उज्जैन, देवास यहां तक कि रतलाम का हिस्सा मिलाते हुए मंदसौर, नीमच में भी जुड़ेगी. ये पूरे बेल्ट में मुझे इस बात की अत्यंत खुशी है कि यह जो समूची योजना का यशस्वी भारत रत्न स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वायपेयी जी ने सपना देखा था कि हमारे बीच में नदियों को जोड़कर नदी की जलराशि का लाभ सबको मिलना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय, यह एक बड़ी योजना हुई, जिसके माध्यम से 13 जिले तो हमारे हैं और 21 जिले राजस्थान के भी हैं, जो इसमें आने वाले हैं. कुल मिलाकर हमारी इस योजना के माध्यम से लगभग 3000 गांवों से ज्यादा लोगों को लाभ होगा, इसमें 6.50 लाख हैक्टेयर भूमि की न केवल सिंचाई होगी, बल्कि 83 लाख लोगों को पीने का पानी भी उपलब्ध कराएगी. (मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय, यह परियोजना 5 सिंचाई परियोजनाओं को मिलाकर 550 मिलियन घन मीटर पानी संग्रहित कर 1 लाख 88 हजार हैक्टेयर में नवीन सिंचाई की क्षमता भी उपलब्ध कराएगी. यह बड़े पैमाने पर किसानों की जिंदगी में बड़ा बदलाव लाएगी, जिसके कारण से जो पलायन होता था, वह पलायन रुकेगा और मुझे इस बात का और आनंद है कि खासकर यह 60 साल पुरानी हमारी चंबल दायीं नहर, जो पुरानी हो गई थी, इसमें काफी बड़े पैमाने पर किसानों को सिंचाई के रकबे में तकलीफ आ रही थी. आज इस योजना के अंतर्गत ही 3 लाख 62 हजार हैक्टेयर की किसानों की चंबल परियोजना, यह जो चंबल नहर है, इसका भी हम इसके माध्यम से ही निर्माण कराकर किसानों को यह जलराशि उपलब्ध कराएंगे.
अध्यक्ष महोदय, एक और खास बात आपको बताना चाहूंगा कि इसके माध्यम से हमारे लिए न केवल 2 राज्यों को नदी जोड़ो अभियान का लाभ मिल रहा है, बल्कि एक और नयी परियोजना इसी से लाभान्वित होने वाली है. अपने राज्य की 2 नदियों को जोड़ने वाली यह एक बड़ी योजना प्रारंभ हुई.
माननीय सदस्यों को मुझे बताते हुए इस बात का आनंद है और आप सबके माध्यम से मैं चाहूंगा कि आपकी भी विधान सभा या जिले के अंदर एक नदी से दूसरी नदी जोड़ने का कोई प्रस्ताव हो तो वह प्रस्ताव भी आप हमें दे सकते हैं. भारत सरकार, यह भी एक बड़ी मदद करने को तैयार है. (मेजों की थपथपाहट) जैसे उदाहरण के लिए अभी इस योजना में जो लाभ मिलेगा, मैं बताना चाहूंगा कि..
श्री अभय कुमार मिश्रा - विपक्ष के लोग भी क्या प्रस्ताव दे सकते हैं ?
डॉ. मोहन यादव - हां, मैंने बोला अभय भैया.
श्री अभय कुमार मिश्रा - यह तो बड़े आश्चर्य की बात होगी. धन्यवाद.
डॉ. मोहन यादव - अध्यक्ष महोदय, सभी के लिए कहा है कि जिसको भी लगे कि अपने विधान सभा, जिले, संभाग में नदी से नदी जोड़ो का अभियान या मैं एक कठिनाई बताने जा रहा है, उसके बारे में भी सुनकर आप उसका भी मार्ग निकाल सकते हैं. जैसे उदाहरण के लिए हमारे पास इंदौर से चलकर कान नदी जो आकर क्षिप्रा में मिलती थी. बाद में काल के प्रवाह में वह गंदी हुई. थोड़ा सीवर का पानी आया. एसटीपी वगैरह लगाकर साफ तो करने की बात कर रहे हैं लेकिन साधु संतों का आग्रह है कि हम आचमन करते हैं, स्नान करते हैं इसलिए वह पानी तो बिल्कुल क्षिप्रा में मत मिलाएं तो हमने यह योजना बनाई है कि इस पानी को उज्जैन के पास रामवासा नामक स्थान से उठाकर सीधा गंभीर नदी से जोड़ देंगे. यह एक तरह से ऐतिहासिक घटना है. आम तौर पर क्षिप्रा में मिलने वाली नदी को उठाकर के गंभीर नदी से मिलाकर के 800 करोड़ की यह नई योजना जोड़ी है और 800 करोड़ की सीवर योजना के साथ-साथ एक और दूसरी योजना बनी है, जिसके माध्यम से क्षिप्रा नदी के जल से, क्षिप्रा नदी के घाट पर स्नान करने की आकांक्षा सभी की है. आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि वर्ष 1980 के बाद के जितने भी कुंभ स्नान हुए हैं या सिंहस्थ हुए हैं उसमें हमने गंभीर नदी से और अभी वर्ष 2016 में नर्मदा जी से स्नान कराया है. माननीय मंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह जी भी मौजूद हैं लेकिन अबकी बार में ऐसा होगा कि इसी परियोजना के आधार पर हम क्षिप्रा नदी का पानी सेवरखेड़ी डेम से उठाकर के बरसात के समय जब बिजली सस्ती होगी और सिलारखेड़ी में पूरा डेम का पानी भरकर के धीरे-धीरे आराम से उसको प्रवाह की दिशा में ले जाते हुए लगभग पूरे साल क्षिप्रा जी में स्नान कराने की स्थिति में हम आ जाएंगे, तो 1200 करोड़ रूपए इसमें भी इसको जोड़ा गया है. अर्थात् यह न केवल नदियों के लिए, बल्कि पूरे क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थितियों के लिए, स्नान के लिए, पीने के पानी के लिए भविष्य के उद्योगों के लिए बहुत बड़ी सौगात हमको मिली है. जिसके आधार पर हम यह मानकर चलेंगे कि एक तरह से यह क्रांतिकारी कदम रहेगा और राजस्थान के भी 21 जिलों को इसका पूरा लाभ मिलेगा. मेरी अपनी ओर से इस पूरे आयोजन में खासकर के एक बार फिर यहां बैठे सभी सम्माननीय सदस्यों को "नदी जोड़ो अभियान" की जो पूरी जानकारी आप लोगों को मिली है, आप भविष्य में अपने क्षेत्र के अंदर भी इस प्रकार की योजना का कोई प्रस्ताव हो, तो सरकार आपका भी स्वागत करेगी. सरकार आपको भी आमंत्रित करती है. (मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय, एक और बड़ी घटना हमारे अपने राज्य के लिए बड़ी उपलब्धि होने वाली है, जो पूरे बुन्देलखण्ड के लिए है. बुन्देलखण्ड का इलाका लगभग यह हमारी जो प्रशासकीय स्वीकृति जारी हुई है, इसमें भी 1 लाख करोड़ रूपए की पूरी योजना है जिसमें केवल 10 परसेंट की राशि राज्य सरकार को मिलाना है, बाकी 90 हजार करोड़ की राशि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के माध्यम से मध्यप्रदेश सरकार और उत्तरप्रदेश सरकार को मिलने वाली है. (मेजों की थपथपाहट) 90 हजार करोड़ रूपए की राशि बहुत बड़ी राशि होती है. मैं इसके माध्यम से बताना चाहूंगा कि इस परियोजना से 9 लाख हेक्टेयर के आसपास मध्यप्रदेश के अपने क्षेत्र में सिंचाई का रकबा रहेगा और लगभग ढाई लाख हेक्टेयर उत्तरप्रदेश का राज्य भी इसका लाभ उठाएगा. केन नदी पर लगभग 77 मीटर ऊंचाई का और 2.13 किलोमीटर लंबाई के बांध का निर्माण किया जाएगा. प्रथम चरण के माध्यम से इसमें पन्ना, दमोह, छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी इत्यादि जिलों के 1 हजार 342 गांवों को इसका लाभ मिलेगा. लगभग 41 लाख लोगों को पेयजल का लाभ मिलेगा. इसमें 78 मेगावाट जल विद्युत और 27 मेगावाट सौर ऊर्जा से दोनों राज्यों को लाभ मिलेगा. मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि हमारे निमार्णाधीन कोटा बैराज, बीना कॉम्प्लेक्स लोअर परियोजना इत्यादि के माध्यम से भविष्य में सागर, रायसेन, विदिशा, शिवपुरी के कुल मिलाकर के पूरे बुन्देलखण्ड के सभी जिलों के अंदर प्रत्येक गांवों तक जो जलराशि पहुंचने वाली है इससे न केवल सिंचाई होगी, बल्कि सिंचाई के साथ-साथ पीने के पानी की और उद्योग की रचनाओं को भी पूरा लाभ मिलेगा और तीनों के लिए जिस प्रकार से हमने बांधों/नहरों का जो पूरा प्लान बनाया है, यह काफी हद उपयोगी सिद्ध होगा.
अध्यक्ष महोदय, आज के इस अवसर पर 25 तारीख को भारत रत्न स्वर्गीय प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी का जन्म जयंती वर्ष है और 100वां जन्म शताब्दी वर्ष है. माननीय प्रधानमंत्री जी ने स्वयं उसमें आने की स्वीकृति दी है. यह बड़ी स्वयोजना का लोकार्पण होगा, तो मैं आपके माध्यम से सभी मित्रों का आह्वान करता हॅूं कि अपने दलों की सीमा से ऊपर उठकर के मध्यप्रदेश और राजस्थान की तरह उत्तरप्रदेश में भी बहुत बड़ी क्रांति आएगी, जिससे बडे़ पैमाने पर पलायन रूकेगा, गरीबी हटेगी. सभी प्रकार के उद्योग-धंधे व्यवसाय के लिए जल ही जीवन है उसका लाभ हमको मिलेगा. मैं उम्मीद करता हॅूं कि आप सब के माध्यम से इन परियोजनाओं के लिए एक तरह से 1 लाख 75 हजार करोड़ की राशि दो राज्यों को खासकर के मध्यप्रदेश को ही सबसे बड़ा लाभ मिलने वाला है और मैं मानकर चलता हॅूं कि 90 हजार करोड़ मध्यप्रदेश का और 35 वह जोड़ लें, तो सवा लाख करोड़ का एक साथ एकमुश्त भारत सरकार के द्वारा मध्यप्रदेश को लाभ देना यह अद्वितीय घटना है. (मेजों की थपथपाहट) मैं आपके माध्यम से यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का, हमारे जलशक्ति मंत्री श्री सी.आर.पाटिल जी का भी धन्यवाद करता हॅूं. दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री क्रमश: राजस्थान राज्य के मुख्यमंत्री श्रीमान भजनलाल शर्मा जी और उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री श्रीमान योगी आदित्यनाथ जी को भी धन्यवाद देता हॅूं कि हमारे राज्यों के समन्वय से और न केवल यह योजना से हमारे विचार फलीभूत हो रहे हैं बल्कि यशस्वी प्रधानमंत्री जी के शब्दों में जो उन्होंने कल उल्लेख किया है, इस योजना के माध्यम से बाकी राज्यों को भी सबक मिलेगा, जो वर्षों से जल राशि के लिए आपस में उनका संघर्ष होता है. हमारे अपने देश के अंदर, राज्यों के अंदर समझ बनाकर के बीते कल की कमजोरियों को छोड़ते हुए आगे के भविष्य को देखते हुए हम सब मिलकर के भारत को बेहतर बनाने के लिए आगे बढे़ं, इसी आह्वान के साथ आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, उसके लिए आपको पुन: बहुत-बहुत धन्यवाद.
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय)—अध्यक्ष महोदय, मैं एक बात बोलना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय—माननीय मुख्यमंत्री जी के बोलने के बाद कोई टिप्पणी नहीं करनी चाहिये.
श्री कैलाश विजयवर्गीय—अध्यक्ष महोदय, मेरे 30 वर्षीय संसदीय काल में पहली बार इतनी बड़ी योजना केन्द्र ने दी है. माननीय मुख्यमंत्री जी की उदारता देखिये कि आपके पास भी इस प्रकार का कोई प्रस्ताव हो तो यह सबका साथ सबका विकास, सबका विश्वास सबका प्रयास का सबसे बड़ा उदाहरण है.
श्री सोहनलाल बाल्मीक—15 करोड़ रूपये देने के बात कही थी वह भी नहीं दिये गये हैं.
श्री हेमंत सत्यदेव कटारे—आप 2 करोड़ रूपये की सड़क तो दे नहीं रहे हैं और आप बात कर रहे हैं नदी से नदी जोड़ने की.
अध्यक्ष महोदय—अभी नदी जोड़ो योजना की बात चल रही है इसमें सड़क मत डालो. हम सब लोग इस बात से सहमत हैं कि स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेयी जी ने प्रधानमंत्री के रूप में देश भर की नदियों को जोड़ने की, पानी का अपव्यय रोकने की, सिंचाई क्षमता एवं पेयजल की उपलब्धता बढ़ाने के लिये इस प्रकार की कल्पना की थी. अब मुझे लगता है कि इस योजना को, इस कल्पना को मूर्त रूप देने में अनेक प्रकार की बाधाएं थीं, उन पर विचार-विमर्श चला उन पर कार्यशालाएं हुईं. हम लोगों के लिये प्रसन्नता की बात है कि दो योजनाएं काली सिंध, पार्वती एवं चंबल, केन एवं बेतवा यह दोनों योजनाएं मूर्त रूप ले रही हैं. दोनों योजनाओं के केन्द्र में मध्यप्रदेश है. यह हम लोगों के लिये निश्चित रूप से गौरव की बात है. जैसा कि माननीय मुख्यमंत्री जी ने राशि का जिक्र किया. मैं समझता हूं कि इतनी बड़ी योजना को सामान्य तौर पर पूर्व इतिहास भी इस बात का साक्षी रहा है कि कभी भी राज्य सरकार की स्थिति ऐसी नहीं होती कि इतनी बड़ी योजना हाथ में ले सके और मैं इसका चश्मदीद भी हूं. इन दोनों योजनाओं को केन्द्र सरकार ने मेगा प्रोजेक्ट के रूप में शामिल किया जिसके कारण हमको कम से कम राशि देने की स्थिति है. निश्चित रूप से हम सबके लिये यह बहुत ही प्रसन्नता का विषय है. आज आगे कार्यवाही बढ़े तो पत्र पटल पर रखेंगे. श्री जगदीश देवड़ा जी.
समय 12.38 पत्रों का पटल पर रखा जाना.
(2) राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर (म.प्र.) की वैधानिक ऑडिट रिपोर्ट वर्ष 2021-2022.
(3) मध्यप्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम मर्यादित का 41वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2018-2019.
(4) मध्यप्रदेश पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक वित्त एवं विकास निगम का उन्नीसवां वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखा वर्ष (31 मार्च, 2013 को समाप्त वर्ष के लिए) .
(5) मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2023-2024.
श्री अभय मिश्रा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपका एक मिनट बस लूंगा, यह मध्यप्रदेश नगर पालिक संशोधन द्वितीय रखा गया था, क्योंकि यह बड़ा काम है, इसमें दो तिहाई बहुमत है और दो तिहाई को तीन चौथाई किया जा रहा है और दो वर्ष को तीन वर्ष किया जा रहा है, इसमें कम से कम चर्चा कर ली जाये.
अध्यक्ष महोदय -- श्री अभय मिश्रा जी, आपको अपनी बात रखने का अवसर मिलेगा. आप बैठ जायें, श्री रजनीश जी आप बोलें.
12.45 बजे ध्यान आकर्षण
(1) प्रदेश में आदिवासी बस्ती विकास योजना के अंतर्गत राशि का आवंटन न होने से उत्पन्न स्थिति
श्री रजनीश हरवंश सिंह(केवलारी) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यानाकर्षण सूचना का विषय इस प्रकार है कि प्रदेश की ग्राम पंचायतें जो आदिवासी बस्ती योजना(माड़ा पैकेट) के अंतर्गत आती है, को पिछले तीन वर्षों से राशि पंचायतों में आवंटित नहीं की गई है और न ही जिलावार ग्राम पंचायतों के नाम एवं निर्माण कार्यों की जानकारी उपलब्ध कराई गई है. आदिवासी बस्ती विकास योजनांतर्गत कुछ पंचायतों को राशि नहीं दिये जाने से क्षेत्र में रोष व्याप्त है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से प्रार्थना करना चाहता हूं कि माननीय मंत्री जी इस वर्ग से आते हैं और वह न केवल इस समाज के बल्कि वह प्रदेश के नेता भी हैं और मैं यह चाहता हूं और उनसे अपेक्षा रखता हूं कि इस समाज को न्याय दिलाने की कृपा करें.
जनजातीय कार्य मंत्री(कुंवर विजय शाह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, टोटल प्रदेश में 60 करोड़ की राशि इसके लिये आवंटित होती है, जो उन बस्तियों पर खर्च होती है, जहां पर रहने वाले पचास परसेंट से ज्यादा एस.टी. समुदाय के लोग रहते हैं. बीस जिलों में तीस माड़ा पैकेट है और जिले वार हमने कहां-कहां पैसा दिया है, उसकी जानकारी इसमें संलग्न है, प्रभारी मंत्री जो जिले के होते हैं और जिले में जो राशि वितरित होती है, वह उसका निराकरण करते हैं.
श्री रजनीश हरवंश सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो जानकारी आई है वह अपर्याप्त जानकारी है. मैं यह पूछना चाहता हूं कि यह जो राशि है, जैसे वित्तीय वर्ष 2023-24 की है, धार जिले में लगभग पांच करोड़ रूपया लेप्स हो गया है और यह राशि विद्युतीकरण के लिये भी रहती है, पर मेरे जिले में जो आदिवासी बाहुल्य जिला है, वहां पर कोई काम विद्युतीकरण के भी नहीं हुए है. इसी प्रकार से अनुपूरक बजट पेश हो गया, पर उसकी राशि भी आज दिनांक तक उसका पैसा रिलीज नहीं हुआ है, इस पर ठोस नियम बनना चाहिए, लगभग सरकार ने इस सदन में बीस बार बजट पेश किया है, पर इसके दुरूपयोग को रोकने के लिये आज तक न टी.एस.पी. और न एस.सी. एस.पी. ऐक्ट ला सकी है, जबकि अन्य प्रांत जो देश के हैं, जैसे आंध्रप्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक जैसे राज्यों में टी.एस.पी और एस.सी. एस. पी. बजट का दुरूपयोग रोकने और बजट डायवर्सन पर रोक लगाने के लिये कठोर दंड का प्रावधान है. दण्डात्मक प्रावधान नहीं होने के कारण राज्य में इस बजट का दुरूपयोग और भ्रष्टाचार जारी है. मेरी आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से प्रार्थना है कि इस पर जरूर कोई न कोई नियम बनना चाहिए और समुचित राशि पूरे जिलों में मिलना चाहिए. मेरे जिले में तो माननीय मंत्री महोदय के संज्ञान में मैं लाना चाहूंगा कि आदिवासी वर्ग के लिये माड़ा पैकेट के तहत न कोई रोड, न पुल, न पुलिया, न विद्युतीकरण और ओर अन्य कोई चीजें भी नहीं हुई हैं.
कुंवर विजय शाह -- अध्यक्ष महोदय, मेरे पास जिलेवार जानकारी है. आपने सिवनी जिले का पूछा है उसकी भी मेरे पास पूरी सूची है जो तत्कालीन प्रभारी मंत्री होंगे उनके माध्यम से आपने स्वीकृत कराया था, उन 17 कामों की मेरे पास लिस्ट है. 1 करोड़ 65 लाख रूपये की, दूसरी मेरे पास लिस्ट है यह भी लगभग 1 करोड़ रूपये की है, जो मेरे ख्याल से गोरखपुर पुलिया निर्माण, छिंदवाड़ा के डबल खेत में पुलिया निर्माण, सूखारैयत में पुलिया निर्माण 14 लाख रूपये का, उत्केटा में रैयत में पुलिया निर्माण 14 लाख रूपये, बेरीनाला में पुलिया निर्माण 14 लाख रूपये, बेरीनाला स्कूल गोरखपुर में पुलिया निर्माण, सी.सी.रोड, बस्ती हरैया में पुलिया निर्माण 14 लाख रूपये है, यह सभी काम आपकी ही विधानसभा के हैं.
श्री रजनीश हरवंश सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें माननीय मंत्री जी ने जो कहा है, यह जिले में हो सकता है, मेरी विधानसभा में जो बेरीनाला का उल्लेख किया गया है, वहां पर उपयोगिता थी ही नहीं. माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें कम से कम क्षेत्रीय विधायकों से तो प्रस्ताव लेना चाहिये कि उनकी विधान सभा में कहां उपयोगिता है कहां नहीं है. मैं इस बात पर जरूर सहमत हूं कि वहां वैरीनाला में पुलिया बनी, स्टॉप डेम भी बने पर ऐसी जगह कि जहां न वह पानी का उपयोग हो रहा है न उसकी आवश्यकता है, सीधे यहां से कागज जाता है और निर्माण कार्य हो जाता है इस पर विधायकों की राय तो लेना चाहिये.
डॉ. कुंवर विजय शाह-- माननीय अध्यक्ष जी, जैसा मैंने पहले भी निवेदन किया, जिले के प्रभारी मंत्री की अध्यक्षता में सारे विधायकों से पूछकर ही प्रस्ताव पास होते हैं.
अध्यक्ष महोदय-- रजनीश जी, एक मिनट, दो सप्लीमेंट्री.
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- माननीय अध्यक्ष महोदय जी, मैं आपको धन्यवाद देता हूं. माननीय मंत्री जी हमारे वर्ग से हैं. अभी भी आदिवासियों को शुद्ध पेयजल नहीं मिल पा रहा है, आवागमन की दिक्कतें हैं.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय मरकाम जी, मेरा आपसे अनुरोध है कि एक प्रश्न करें जिससे कि जवाब आ जाये.
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- माननीय अध्यक्ष महोदय जी, मेरा एक प्रश्न यह है माननीय मंत्री महोदय से कि आपका जो बजट है वह घटते क्रम में है, पहले 120 करोड़ होता था अभी 60 करोड़ है, सभी विधायक जो आपके दल के हैं, हमारे दल के हैं, सबसे आप प्रस्ताव ले लें, आदिवासी बस्ती विकास मद में जो आदिवासी बस्तियों में आवश्यकता है उसको पूरा करने के लिये क्या आप बजट बढ़ाकर के हमारे पक्ष और विपक्ष के विधायकों से प्रस्ताव लेकर के क्या आप स्वीकृति जारी करेंगे ?
डॉ. कुंवर विजय शाह-- अध्यक्ष महोदय जी, नियम से हर जिले में हम राशि भेजते हैं और वहां के जो इस वर्ग के विधायक हैं वह लोग ही कामों का चयन करते हैं.
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- माननीय अध्यक्ष जी, मैं सिर्फ बजट के लिये अनुरोध कर रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय-- डॉ. अभिलाष पाण्डेय जी अपना ध्यानाकर्षण पढ़ें.
श्री रजनीश हरवंश सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमसे भी प्रस्ताव लेना चाहिये अगर विधान सभावार कार्य हो रहे हैं तो.
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- माननीय अध्यक्ष जी, माननीय मंत्री जी से एक अनुरोध है, आपका बजट 60 करोड़ है, मैं आपसे यह अनुरोध कर रहा हूं कि पहले 120 करोड़ होता था अब 60 करोड़ हो गया, कृपया आप उस बजट को बढ़ाने के लिये...
अध्यक्ष महोदय-- मरकाम जी, बात आ गई, मंत्री जी ने सुन लिया, आप बहुत सीनियर नेता हो आपस में बात भी कर सकते हो. अभिलाष पाण्डेय जी बोलें.
श्री रजनीश हरवंश सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें विधायकों की राय ली जानी चाहिये माननीय मंत्री जी.
2. प्रदेश में साइबर अपराध पर अंकुश न लगने से उत्पन्न स्थिति की ओर मुख्यमंत्री का ध्यान आकर्षित करना.
डॉ. अभिलाष पाण्डेय (जबलपुर उत्तर)--
राज्य मंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा (श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सर्वप्रथम तो मैं युवा और जागरूक विधायक डॉ. अभिलाष पाण्डेय जी का बहुत-बहुत अभिनन्दन करता हूँ कि उन्होंने एक ऐसे ज्वलन्त मुद्दे पर, ज्वलन्त समस्या पर आपके माध्यम से इस पूरे सदन का भी ध्यान आकर्षित किया है और सदन के माध्यम से जब ये चर्चा होगी तो मैं समझता हूँ कि समाचार पत्रों के माध्यम से, प्रिंट मीडिया के माध्यम से तो कल सुबह सूचना जाएगी, लेकिन इलैक्ट्रानिक मीडिया के माध्यम से तो अभी तत्काल चली जाएगी. निश्चित रूप से जब ये चर्चा होगी तो हमारे नागरिकों को जो ये समस्या आ रही है, उसका समाधान मिलेगा.
डिजिटल अरेस्ट जैसा वास्तव में कोई कानूनी शब्द नहीं है और न कोई ऐसी व्यवस्था है, न कोई ऐसा कानून है. बल्कि ये एक मनोवैज्ञानिक तरीके से जो कमजोर मानसिक स्थिति के लोग हैं या कम जागरूक लोग हैं, उन लोगों को दबाव बनाकर डिजिटल अरेस्ट करने जैसा काम किया जाता है. निश्चित रूप से हमारे विधायक जी ने इस प्रश्न को उठाकर यह चर्चा की है. इस चर्चा से समाधान निकलेगा. उसके कारण जो जागरूकता आएगी, जितनी जागरूकता होगी, उतनी डिजिटल अरेस्ट जैसी समस्या का हम समाधान कर पाएंगे.
हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री आदरणीय नरेन्द्र मोदी जी ने भी रेडियो में 115वें 'मन की बात' का जो एपिसोड था, उसमें डिजिटल अरेस्ट की चर्चा करके पूरे देशवासियों को जागृत करने का काम किया था. माननीय प्रधानमंत्री जी ने इसमें तीन बातें कही थीं कि जब भी कोई ऐसी परिस्थिति बने तो तीन बातें करनी चाहिए, रूको, सोचो और एक्शन लो. रूको इसलिए क्योंकि किसी को भी हमें कभी भी अपनी व्यक्तिगत जानकारी नहीं देनी चाहिए. यह भी जागरूकता सभी को होनी चाहिए कि यदि कोई ऑफिसर बनने का ढोंग कर रहा है और उसको यदि आपके बारे में जानकारी नहीं है तो आपको वह अरेस्ट कैसे कर सकता है. ऐसी जानकारी उसे न दी जाए, अपने आधार कार्ड, अपना ड्राइविंग लायसेन्स या व्यक्तिगत कोई भी जानकारी न दी जाए, इसके लिए रूकना चाहिए. दूसरा, सोचो, यह सोचना चाहिए कि कोई भी सरकारी व्यवस्था ऐसी नहीं है, कोई भी एजेंसी ऐसी नहीं है कि जिस एजेंसी को कोई डिजिटल अरेस्ट करने का अधिकार शासन या कानून द्वारा दिया गया हो. ये विचार सभी नागरिकों को करना चाहिए. तीसरा है कि एक्शन लो. यदि कोई ऐसी घटना होती है तो निश्चित रूप से रूकने और सोचने के बाद एक्शन लेना चाहिए. भारत सरकार ने इसके लिए एक वेबसाइट भी बना रखी है www.cybercrime.gov.in उस पर रिपोर्ट करना चाहिए. लोकल पुलिस की मदद लेनी चाहिए और 1930, यह एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया हुआ है, इस पर सूचना करना चाहिए. हमारे आदरणीय प्रधानमंत्री जी जिस तरह से 'मन की बात' करके पूरे देश को जागृत करने का काम करते हैं, इस डिजिटल अरेस्ट के बारे में भी उन्होंने पूरे देश को संबोधित किया था. मैं अपने यशस्वी मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी का भी आभार व्यक्त करता हूँ कि उन्होंने भी इसी तरह का काम मध्यप्रदेश में किया है. उन्होंने स्वयं साइबर मुख्यालय जाकर पूरी जानकारी ली और उन्होंने भी वहीं से मध्यप्रदेश के वासियों से रूको, सोचो और एक्शन लेने का आह्वान किया था.
आकाशवाणी, एफ.एम. चैनल इत्यादि के द्वारा भी नागरिकों को जागरूक करने के अभियान चलाये जाते हैं. चूंकि सायबर अपराध में एक और चिन्ता का विषय है कि जो ठग हैं, चोर हैं. वह अपनी मोडस ऑपरेंडी अर्थात् जो अपराध करने के तरीके हैं, उनमें लगातार बदलाव करते रहते हैं, इसलिए हमारे जो सायबर केन्द्र हैं, वे भी जागरूक रहते हैं कि जो नये-नये तरीके अपनाए जाते हैं, उनको नये तरीकों से कैसे निपटना है और कैसे नये तरीके से हमको नागरिकों को जागरुक करते रहना है, उसके बारे में हमारा सायबर मुख्यालय सदैव तत्पर रहता है. समय-समय पर पुलिस अधिकारियों द्वारा विशेष अभियान चलाकर आम जनता को भी जागरुक किया जाता है.
अध्यक्ष महोदय, इसमें कानून का जहां तक प्रश्न है. मैं माननीय सदस्य को, आपके माध्यम से बताना चाहूँगा कि श्री नरेन्द्र मोदी जी की सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम- 2000 बनाकर जो डिजिटल अपराध विभिन्न तरीके हैं, उनमें अपराधियों के लिए कठोर दण्ड का प्रावधान किया है. आईटी एक्ट में 66 डी में कम्प्यूटेशन साधनों का प्रयोग करके कोई ठगी इत्यादि करना, उसका दुरुपयोग करना या प्रतिरूपण द्वारा छल करने के लिए दण्ड की व्यवस्था की गई है. जो नया कानून भारतीय न्याय की परम्परा पर आधारित है, नरेन्द्र मोदी जी की सरकार ने बनाया है, भारतीय न्याय संहिता की धारा 308 में जबरन वसूली एक्सटोर्शन के केस में 7 वर्ष तक की सजा का प्रावधान है, इसी बीएनएस में धारा 111 में संगठित सायबर अपराध के लिए आजीवन कारावास तक का प्रावधान किया गया है. अत: कानून के माध्यम से ऐसे अपराधों के खिलाफ लगातार कार्यवाही होती है.
अध्यक्ष महोदय, मुझे सदन को यह बताते हुए बड़ा हर्ष है कि मध्यप्रदेश के सायबर सेल को वर्ष 2021 और 2022 में एनसीआरबी तथा 2018 व 2022 में डीएससीआई कैपेसिटी बिल्डिंग तथा वर्ष 2018, 2019, 2020 और 2022 में सायबर कॉप ऑफ द ईयर और वर्ष 2022 में एफआईसीसीआई कैपेसिटी बिल्डिंग के पुरस्कार प्राप्त हुए हैं. निश्चित रूप से मध्यप्रदेश की सायबर पुलिस इस तरह के अपराधों को रोकथाम करने के लिए और अपराधियों के खिलाफ लगातार कार्यवाही करने का काम कर रही है.
डॉ. अभिलाष पाण्डेय - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने जो बात कही है, सरकार उस विषय पर गंभीर भी है और केन्द्र सरकार का नेशनल हेल्प लाईन नम्बर 1930 एक टोल फ्री नम्बर है, जिसके माध्यम से लोग अपनी शिकायत कर सकते हैं, लेकिन मेरा फिर भी यह निवेदन है कि इस पूरे डिजिटल अरेस्ट के विषय को लेकर मध्यप्रदेश की तरफ गंभीरता से टकटकी लगाये हुए देख रहा है. यह जो विभाग है, यह मध्यप्रदेश के जननायक, विकासोन्मुखी, कर्मठ, लगनशील और जनता के बीच में लगातार कठोर परिश्रम करने वाले ऐसे मुख्यमंत्री जी के पास है. इसीलिए मैं आपसे यह निवेदन करता हूँ कि प्रधानमंत्री जी ने तो ''मन की बात'' में अपनी बात कही है. माननीय गृह मंत्री जी ने जागरूकता का विषय चलाया है. क्या मध्यप्रदेश की सरकार इस दिशा की तरफ अपना कोई कठोर कदम उठा सकती है ? क्योंकि अभी-भी 27 हजार केस ऐसे हैं, जिनमें मात्र डेढ़ प्रतिशत केस का निराकरण हुआ है. जिलों के अंदर साइबर अपराधों की संख्या लगातार बढ़ रही है, क्या उनकी रोकथाम के लिए हम साइबर एक्सपर्ट की नई नियुक्ति कर सकते हैं ? अभी हम केवल पुलिस विभाग के लोगों को प्रशिक्षित करके, उनके साथ काम कर रहे हैं, क्या साइबर एक्सपर्ट के लिए अलग से कोई प्रावधान सरकार करने वाली है ?
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल- अध्यक्ष महोदय, सदस्य ने जो प्रश्न किया है, ऐसी व्यवस्था हमारे विभाग में पहले से चल रही है, हम अपने विभाग के अधिकारियों, जो स्वयं टेक्नोलॉजी फ्रेंडली हैं, उन्हें प्रशिक्षण दिया जा रहा है और साथ ही साइबर एक्सपर्ट की सेवायें भी हम ले रहे हैं. इसी का परिणाम है कि विगत दिनों में जो प्रकरण हुए हैं, उनमें हमने 72 लाख रुपये से अधिक की राशि पीडि़त पक्ष को वापस करने का काम किया है.
अध्यक्ष महोदय- अभिलाष जी, केवल एक और प्रश्न करें क्योंकि आपका उत्तर काफी विस्तृत रूप में आ गया है.
डॉ. अभिलाष पाण्डेय- अध्यक्ष महोदय, जबलपुर की एक घटना का उल्लेख करूंगा, वहां एक प्रोफेसर से लगातार 35 लाख रुपये अलग-अलग तरीके से CBI के अधिकारी बनकर वसूले गए. भोपाल में एक व्यक्ति को 5 दिनों को डिजिटल अरेस्ट किया गया. प्रदेश की राजधानी से इस प्रकार के प्रकरण लगातार ध्यान में मीडिया और अखबारों के माध्यम से आते हैं. मेरा आग्रह है कि क्या इस विषय को गंभीरता से लेने की आवश्यकता नहीं है ? ऐसे कौन से लोग हैं जो सामान्यजन के अकाउंट का डेटा लिक कर रहे हैं. सदन के हमारे सदस्य भी कह रहे थे कि उनकी फेसबुक आईडी को हैक कर, लोगों से पैसे वसूले गए हैं. इस महत्वपूर्ण विषय को हमारी सरकार को संज्ञान में लेना चाहिए कि जो लोग डेटा लिक करते हैं, उनके खिलाफ यदि सरकार के पास कोई गंभीर प्रावधान हैं तो मुझे बतायें और यदि नहीं है तो क्या मध्यप्रदेश की सरकार डेटा लिक करने वालों के खिलाफ कड़े कानून बनायेगी ?
वर्तमान समय में एक विषय और है कि प्रदेश की जनता निर्भीक रहे और अपराधियों के मन में भय व्याप्त हो, इसके लिए क्या मध्यप्रदेश सरकार पुलिस मित्र अभियान चलाकार, जनता को जागरूक करेगी क्योंकि अभी आपने आंकड़ा दिया है कि प्रदेश के 30 लाख लोगों को जागरूक किया गया है, प्रदेश में 8.5 करोड़ की आबादी है, इनकी जागरूकता के लिए हम क्या प्रयास करेंगे ?
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल- अध्यक्ष महोदय, हमारे सदस्य ने समस्या के साथ समाधान भी बताये हैं, ऐसा मैं समझता हूं. डेटा लिक के लिए भारत सरकार द्वारा जो कानून बनाये गए हैं, उसमें प्रावधान हैं, निश्चित रूप से वे मध्यप्रदेश में भी लागू हैं. यदि कहीं से भी ऐसी शिकायत प्राप्त होती है तो उस पर कार्यवाही की जायेगी.
इसके अतिरिक्त सदस्य ने पुलिस मित्र की बात की है, जागरूकता की बात कही है. उन्होंने स्वयं कहा कि 8.5 करोड़ में से 30 लाख लोगों को जागरूक करने का आंकड़ा सुसंगत नहीं है. मैं इसे स्वीकार करता हूं. इसके लिए मैं, एक सुझाव के रूप में कह रहा हूं कि आने वाले समय में यदि इस सदन में बैठे 230 सदस्य अपने-अपने क्षेत्रों में ऐसे अभियानों में भाग लेंगे और आगे आकर कदम बढ़ायेंगे तो निश्चित रूप से पुलिस विभाग आपके साथ मिलकर, सभी थानों के साथ मिलकर, सभी जनप्रतिनिधियों के साथ, ऐसे अभियान चलाने के लिए तत्पर रहेगा.
अध्यक्ष महोदय- श्री बाला बच्चन जी.
श्री अभय कुमार मिश्रा (सेमरिया)- अध्यक्ष महोदय, जब सब कुछ पहले से तय है तो क्यों आधे घंटे का समय दिया.
अध्यक्ष महोदय- मैंने बाला बच्चन जी को पुकारा है, आपने मुझे पहले बताया नहीं, उन्होंने पहले से बताया है.
श्री बाला बच्चन (राजपुर)- अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से सरकार से निवेदन है कि जो ध्यान आकर्षण आया है उसका जो जवाब मंत्री जी ने यहां दिया है, उसे हम सभी ने सुना और समझा. मेरा कहना है कि जब आप इतनी तरह से मजबूत हैं और यह विभाग और गृह मंत्रालय दोनों ही मुख्यमंत्री जी के पास हैं. आज के समय में इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी बहुत मजबूत है और आपने सदन को अभी मुख्यमंत्री जी और प्रधानमंत्री जी के कार्यों के विषय में पूरी जानकारी दी है. स्पष्ट यह है कि सायबर अपराध पर अंकुश किस तरह से लगे. आज के इस ध्यानाकर्षण के बाद मैं जानकारी में लाना चाहता हूं कि सायबर अपराध बढ़ते क्रम में है वह कम नहीं हो रहे हैं. जब आप इतने अपडेट थे और इतनी स्ट्रांग जानकारी और सारी चीजें आपके पास हैं तो इस पर रोक क्यों नहीं लग पा रही है? क्या आज ध्यानाकर्षण की चर्चा के माध्यम से इस पर अंकुश लग सकेगा. क्या यह घटते क्रम में आएगा? मैं यह जानना चाहता हूं. सदन में जो चर्चा हुई है इसका असर होना चाहिए.
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सदस्य की चिंता बिलकुल वाजिब है और मैं यह भी निवेदन करना चाहता हूं कि चूंकि जिस तरह से डिजिटल टेक्निनोलॉजी को भारत अपना रहा है और निश्चित रूप से फिर मुझे अपने प्रधानमंत्री जी का ही नाम लेना होगा क्योंकि आदरणीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में जिस तरह से हमारा पूरा भारत डिजिटल होता जा रहा है जब कहा जाता था कि कैसे लोग पैसे ट्रांसफर कैसे करेंगे और आज पूरा का पूरा देश डिजिटल ट्रांजेक्शन कर रहा है. डिजिटल ट्रांजेक्शन करने में पूरी दुनिया में भारत पहले नंबर पर है तो मैं समझता हूं कि निश्चित रूप से जब हम उस दिशा में बढ़ रहे हैं तो ठग भी उस दिशा में बढ़ेंगे. मेरा मानना है और मैं मंत्री होने के नाते भी आपसे यह बात कह रहा हूं कि अभी तो इसमें हमको अपने नागरिकों को जागरुक करने की आवश्यकता है. आपके जमाने में ठग कोई दूसरे तरीके से ठगते थे अब डिजिटल युग में वह दूसरे तरीके से ठगेंगे.
श्री बाला बच्चन-- मेरे जमाने और आपके जमाने की बात कहां से आ गई.
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल--सुन लीजिए मैं आप ही की बात कह रहा हूं.
श्री बाला बच्चन-- मेरा कहना है कि सायबर अपराध में कमी आएगी या नहीं आएगी?
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल-- बाला बच्चन जी कमी निश्चित रूप से होगी. पक्का मान के चलिए की होगी, लेकिन जब हम डिजिटल टेक्नोलॉजी में आगे बढ़ रहे हैं तो ऐसे अपराधों के लिए भी हमें सतर्क रहना होगा.
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी जबाव आ गया है. अभय जी आपका टेक्निकल प्रश्न क्या है.
श्री अभय मिश्रा--अध्यक्ष महोदय, पहले से जब एकदम साफ दिखाई देता है कि हम यह बोलेंगे आप यह उत्तर दोगे, हम ऐसा करेंगे आप यह करोगे. हम आपकी प्रशंसा करेंगे आप हमारी करना तो यह आधे घण्टे का थियेटर शो चल रहा है और हम लोग दो-दो मिनट के लिए तरस रहे हैं अब हम विपक्ष में हैं तो इतना भी अत्याचार न हो.
अध्यक्ष महोदय-- कई स्थानों का अनुभव होने के कारण कई लोगों को ऐसा भ्रम रहता है.
1.13 बजे अनुपस्थिति की अनुज्ञा
निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 133-भैंसदेही श्री महेन्द्र केशरसिंह चौहान को विधान सभा के दिसम्बर, 2024 सत्र की बैठकों से अनुपस्थित रहने की अनुज्ञा.
1.13 बजे प्रतिवेदनों की प्रस्तुति
(1) लोक लेखा समिति का प्रथम से उन्नीसवां प्रतिवेदन
(2) शासकीय आश्वासनों संबंधी समिति का प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय प्रतिवेदन
(3) अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति वर्ग के कल्याण संबंधी समिति का षष्टम एवं सप्तम् प्रतिवेदन
1.14 बजे याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय-- आज की कार्यसूची में सम्मिलित सभी याचिकाएं प्रस्तुत की हुई मानी जाएंगी.
1.14 बजे शासकीय विधि विषयक कार्य
मध्यप्रदेश माल और सेवा कर (तृतीय संशोधन) विधेयक, 2024 (क्रमांक 29 सन् 2024) का पुर:स्थापन
1.15 बजे
वर्ष 2024-2025 के प्रथम अनुपूरक अनुमान की मांगों पर मतदान
अध्यक्ष महोदय -- अब अनुपूरक अनुमान की मांगों पर चर्चा होगी. सदन की परम्परा अनुसार सभी मांगें एक साथ प्रस्तुत की जाती हैं और उन पर एक साथ चर्चा होती है.
अत: वित्त मंत्री जी सभी मांगें एक साथ प्रस्तुत कर दें. मैं समझता हूँ कि सदन इससे सहमत है.
उप मुख्यमंत्री (वित्त) (श्री जगदीश देवड़ा) -- अध्यक्ष महोदय, मैं, राज्यपाल महोदय की सिफारिश के अनुसार प्रस्ताव करता हूँ कि --
"दिनांक 31 मार्च, 2025 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष में अनुदान संख्या 1, 3, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12, 13, 15, 16, 17, 18, 19, 20, 22, 23, 24, 27, 29, 30, 33, 35, 36, 37, 38, 39, 40, 43, 44, 47, 48, 49, 54 एवं 55 के लिए राज्य की संचित निधि में से प्रस्तावित व्यय के निमित्त राज्यपाल महोदय को कुल मिलाकर बाईस हजार दो सौ चौबीस करोड़, तिरानवे लाख, पांच हजार, नौ सो इक्कीस रुपये की अनुपूरक राशि दी जाये."
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ. अब चर्चा प्रारंभ होगी. अभी एक बजकर 17 मिनट पर बजट की चर्चा प्रारंभ हो रही है. इस पर 4 घंटे का समय तय है. मेरा सभी सदस्यों से आग्रह है कि 15 मिनट पहले चर्चा को हम सभी लोग पूर्ण करें. काफी लोग बोलने वाले हैं. प्रतिपक्ष और पक्ष से मेरा निवेदन है कि अपने सदस्यों को संक्षिप्त में बोलने के लिए आग्रह करें. 15 मिनट पहले मैं इसलिए बोल रहा हूँ क्योंकि वित्त मंत्री जी को उस पर जवाब देना होगा. सभी लोग समय का ध्यान रखें. श्री हेमन्त कटारे जी.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे (अटेर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आज जो सप्लीमेंट्री बजट पेश किया जा रहा है. यह 22 हजार 224 करोड़ रुपए का है. मैं इसका नीतिगत रुप से विरोध करता हूँ. बिंदुवार विरोध करता हूँ.
अध्यक्ष महोदय, क्यों विरोध करता हूँ मैं अपने भाषण के माध्यम से आगे बताउंगा. संविधान में बजट सेशन का प्रावधान है. प्रत्येक वर्ष एक बजट सेशन होता है जो फरवरी या मार्च में होना चाहिए. इस बजट सेशन में साल भर के बजट एलोकेशन का प्रावधान होता है. इसका नाम ही बजट सेशन इसलिए रखा गया है कि पूरे साल के वित्तीय वर्ष को केल्कूलेट करते हुए जो भी साल भर के खर्चे हैं वे इस बजट में शामिल कर लिए जाएं. 2-5 प्रतिशत का एरर हो सकता है. यह हो सकता है कि 5 परसेंट कम पड़ जाए या 5 परसेंट अधिक हो जाए. परन्तु वर्तमान में जो परम्परा बनी हुई है जो बहुत गलत है. हर 10-15 दिन में सरकार कर्ज ले लेती है. यदि ऐसे ही हर कभी कर्ज लिया जाएगा तो बजट सेशन का प्रावधान खत्म कर देना चाहिए. रोज अखबारों में पढ़ने में आता है कि 2 हजार करोड़ रुपए का ऋण ले लिया, आज 5 हजार करोड़ रुपए का ऋण ले लिया. यह परम्परा बंद होना अति आवश्यक है. ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार के पास फायनेंशियल प्लानिंग नहीं है, यह प्लानिंग होती तो जो बजट एलोकेशन में तय कर लिया जाता. सरकार को यह स्वीकार करना चाहिए कि उसके पास कोई फायनेंशियल प्लानिंग नहीं है. मैं वित्त विभाग के कुछ सर्कुलर पढ़ रहा था उसमें एक सर्कुलर मेरे सामने आया जिसमें जीरो वेस्ट बजट की बात की जा रही है. उसमें कहा गया है कि आने वाले वर्षों में जीरो वेस्ट वित्तीय बजट लाएंगे. जिसमें पूर्व के जो बजट हैं उनके अनुमान के आधार पर नहीं बल्कि आने वाले समय को देखते हुए पूरी फ्रेश प्लानिंग होगी. जीरो वेस्ट बजट नाम तो अच्छा है लेकिन कहीं वह भी ऐसा ही साबित न हो. आशा करुंगा कि आने वाले समय में यह जो रोज 15 दिन में कर्जा लेकर जनता के ऊपर कर्जा लादा जा रहा है इसको बंद किया जाए. मैं कल जनसंपर्क विभाग की ऑफिशियल वेबसाइट देख रहा था, तो उसमें माननीय मुख्यमंत्री जी के एक वर्ष पूर्ण होने पर 12 दिसम्बर को शाम 5 बजकर 7 मिनट पर एक डॉक्यूमेंट अपलोड किया. इसे डॉक्यूमेंट कह लें या उनकी प्रेस रिलीज कह लें या सीएम साहब का स्टेटमेंट कह सकते हैं, जिसमें उन्होंने एक वर्ष की उपलब्धि बताई और ऊपर की एक लाइन मुझे बड़े अच्छे से याद है चूंकि चहुंमुखी विकास यह कम ही सुना था, फिर उसको डिक्शनरी में भी ढूंढ़ा तो मैं उसका अर्थ समझ पाया, चहुंमुखी विकास इस प्रदेश में हो रहा है जो दिखाई तो नहीं दे रहा था, लेकिन वह चहुंमुखी विकास जो है उन्हीं के दिये हुये तर्कों का विरोधाभास है. यह संकल्प पत्र है. मुझे लगता है सभी को याद होगा ज्यादा टाइम पुराना नहीं है, इसमें काफी सारे संकल्प लिये गये थे और निश्चित ही मुझे लगता है कि इसमें लिये गये संकल्पों की पूर्ति करने के लिये यह बजट की आवश्यकता निश्चित ही पड़ेगी. मुख्यमंत्री जी के कथन की आखिरी लाइन है मैं वह डॉक्यूमेंट भी लेकर आया हूं अध्यक्ष महोदय, यदि आप चाहेंगे तो मैं इसको पटल पर भी साइन करके रखा सकता हूं, इसकी आखिरी लाइन महत्वपूर्ण है. इसमें स्वयं मुख्यमंत्री जी स्वीकार कर रहे हैं कि संकल्पों की पूर्ति के लिये टोटल संकल्प थे 456 जिसमें से मात्र 45 पूरे हुये हैं. यह इसमें दिया हुआ है. मतलब 10 प्रतिशत् संकल्प पूरे हुये हैं. इसको कह सकते हैं कि 90 प्रतिशत् संकल्प आज भी अधूरे हैं. यह मुख्यमंत्री जी कह रहे हैं मैं नहीं कह रहा हूं. दूसरी बात, 188 ऐसे संकल्प हैं जो टोटल संकल्पों में से 40 परसेंट हो जाएंगे, जिस पर आज तक काम भी शुरू नहीं किया है. एक साल निकल गया इन संकल्पों में अभी तक कोई काम नहीं किया है, यह मुख्यमंत्री जी कह रहे हैं. यह इनका संकल्प पत्र है, जिसको कहते थे भागवत, गीता, यह है इनकी इज्जत. अगर इस स्पीड से बढ़ेंगे तो 50 परसेंट संकल्प भी पूरे नहीं कर पाएंगे. मैं कहना चाहता हूं माननीय मुख्यमंत्री जी को कि यह जो आंकड़े दिये हैं वह खुद ही स्वीकार कर रहे हैं कि सरकार अपने संकल्पों से पीछे हट रही है. प्रदेश में चहुंमुखी विकास तो नहीं हो रहा है, लेकिन चहुंमुखी या चौतरफा लूट जरूर हो रही है. जब एक व्यक्ति से आप इन्कम टैक्स के नाम पर वसूली कर ही रहे हैं कि केन्द्र सरकार के पास जाए, तो उसके बावजूद भी क्यों उसके ऊपर अनेकों प्रकार के कर्ज लादे जा रहे हैं और मैं इसका उदाहरण अपनी विधान सभा से जोड़कर देना चाहूंगा कि मेरी विधान सभा अटेर में 4-4 टोल हैं, तो चहुंमुखी लूट हो रही है. आप फूप से उरई निकल जाएं, एक टोल लगेगा, फूप से आप सरायगार होते हुये उमरी निकल जाएं दूसरा टोल. इधर प्रतापपुरा निकल जाएं तीसरा टोल और परा से अटेर मुख्यालय चले जाएं तो चौथा टोल. 4 टोल एक विधान सभा के अंदर हैं. इतना टैक्स देने के बाद वहां का व्यक्ति जो करदाता है, इतना टैक्स भरने के बावजूद भी वह चारों दिशा में जाकर टोल दे रहा है. यह लूट हो रही है.
अध्यक्ष महोदय, ऐसे ही एक मेडिकल कॉलेज का प्रावधान था. पूर्व मुख्यमंत्री जी के द्वारा घोषणा की गई थी कि अटेर विधान सभा में फूफ कस्बे में मेडिकल कॉलेज खोला जाएगा, लेकिन आज उसको वहां से दूसरी जगह ले जाने के प्रयास चल रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे हाथ जोड़कर आपके माध्यम से सारी सरकार के वरिष्ठों से हाथ जोड़कर निवेदन करता हूं कि आपने जो घोषणा की थी, क्योंकि घोषणा बड़े विश्वास के आधार पर जनता सुनती है, उसको वहीं यथावत् रखा जाना चाहिये. यह मेरे क्षेत्र की जनता की मांग है.
अध्यक्ष महोदय, अब यह आज का सप्लीमेंट्री बजट जिस पर आपने मुझे बोलने का अवसर दिया है मैं इसके बारे में बात करना चाहूंगा और इसमें जो बड़े-बड़े विभाग हैं जिनसे जनहित के कार्य संचालित होते हैं, मैं उन विभागों को थोड़ा सा हाईलाइट करके माननीय उप मुख्यमंत्री जी का ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा. सबसे पहले ऊर्जा विभाग सबसे महत्वपूर्ण विभाग है. आप भी जानते हैं कि यह ऐसा विभाग है जिससे हर व्यक्ति को जरूरत है और हर व्यक्ति इससे जुड़ा हुआ है. ऊर्जा विभाग में जो टोटल बजट एलोकेशन हुआ था, जो जुलाई में सत्र आया था उसमें वित्तीय वर्ष में टोटल बजट एलोकेशन हुआ था 18,664 करोड़ रुपये का और इसके अगेंस्ट खर्च हुआ है 9,707 करोड़ रुपये मतलब अगर राउण्ड ऑफ करें तो अनुमानित 50 परसेंट ही खर्च हुआ है और यह डेटा मैंने उठाया है, वित्त विभाग की सायबर ट्रेजरी से जो वित्त विभाग की ऑफिशियल वेबसाइट है, जो रियल टाइम अपडेट होती है. यदि आप चाहें तो उसको चेक भी कर सकते हैं, तो 50 परसेंट अभी खर्च होना शेष है. इसके बाद भी कर्जा लिया जा रहा है. 8,800 करोड़ रुपये का कर्जा लिया जा रहा है. अभी आपके पास जो है उसको आप खर्च नहीं कर पा रहे हैं, इसको आप रिकॉर्ड पर स्वीकार कर रहे हैं और फिर भी कर्जा ले रहे हैं. शायद मध्यप्रदेश की जनता को कर्जे से लादने की कोई कसम खा रखी है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आगे बात करता हूं पर्यटन विभाग का उदाहरण देना चाहता हूं, चूंकि मध्यप्रदेश को टूरिज्म स्पाट डेवलेप करने की बात कर रहे हैं .पर्यटन विभाग में 282 करोड़ रूपये का आवंटन हुआ था 181 करोड़ अभी तक खर्च हुआ है लगभग 35 प्रतिशत खर्च होना अभी भी बकाया है और उसके बाद फिर भी 131 करोड़ रूपये का कर्ज फिर भी मांग रहे हैं, आवश्यकता ही नहीं है, पहले आप खर्च तो कर लें, 3 महिने में क्या आप यह बची हुई राशि को खर्च कर पायेंगे. जब आप पूरे साल में 181 खर्च कर रहे हैं , 35 प्रतिशत अभी भी बकाया है.
अध्यक्ष महोदय, बड़ा ही महत्वपूर्ण विभाग है पीडब्ल्यूडी. जिससे हर व्यक्ति मध्यप्रदेश का जुड़ा हुआ है. पीडब्लूडी में टोटल बजट का आवंटन हुआ था 9871 करोड़ रूपये इसमें से अभी तक खर्च हुआ है 6603 करोड़ रूपये तो 35 प्रतिशत राशि अभी भी बकाया है उसके बाद भी कर्ज मांगा जा रहा है 1111 करोड रूपये का. अध्यक्ष महोदय, यह क्या फाइनेंसियल प्लानिंग है, मैं पूछना चाहता हूं जब आपके पास में मद में पैसा है तो इसके बावजूद क्यों कर्जा लिया जा रहा है, प्रदेश में प्रति व्यक्ति कर्जा कहां पहुंच गया है, मैं अभी उसके आंकड़े भी आपको बताऊंगा.
माननीय अध्यक्ष जी, एक ओर महत्वपूर्ण विभाग है पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग. इससे लगभग 70 से 75 प्रतिशत की मध्यप्रदेश की आबादी जुड़ी हुई है. इस विभाग में टोटल बजट का आवंटन हुआ था 15777 करोड़ रूपये जिसके विरूद्ध में अभी तक खर्च हुआ है 8640 करोड़ रूपये अर्थात 45 प्रतिशत बजट अभी भी बकाया है. 45 प्रतिशत बकाया होने के बावजूद भी आप कर्ज मांग रहे हैं, और कर्ज आप कितना मांग रहे हैं, कर्ज आप मांग रहे हैं 1246 करोड़ रूपये. अब इसमें एक चीज और महत्वपूर्ण है कि जो 1246 करोड़ रूपये मांगा जा रहा है इसमें से 1146 करोड़ रूपये आप मांग रहे हैं राजस्व मद के लिये.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय उप मुख्यमंत्री जी को यह बताना चाहूंगा कि राजस्व मद में जो पैसा होता है, जैसा कि मुझे ज्ञात है कि राजस्व मद का पैसा विकास कार्यो में इस्तेमाल नहीं होता है. पूरा बजट आप मांग रहे हैं राजस्व मद के लिये,और यह 1146 करोड़ का लाभ जनता को नहीं मिल रहा है लेकिन कर्ज उसके कंधे पर चढ़ जायेगा. लेकिन उसको विकास का लाभ नहीं मिलने वाला. मात्र 100 करोड़ रुपये मिलेंगे जो कि कैपिटल मद में हैं सिर्फ 100 करोड़ रुपये का विकास होगा तो यह जो आंकड़ों को गुमराह करने का भ्रमित करने का खेल है, माननीय उपमुख्यमंत्री का मैं जवाब चाहूंगा और मैं बड़े ध्यान से सुनूंगा कि वह वर्तमान की बात करते हैं कि वह वही कांग्रेस सन् 1947, सन् 1950, या वर्तमान के कुछ उत्तर आएंगे. मैं बड़े ध्यान से और विनम्रतापूर्वक सुनूंगा.
अध्यक्ष महोदय- वह 2047 की कर रहे हैं.
श्री हेमंत सत्यदेव कटारे - विकसित मध्यप्रदेश, अध्यक्ष महोदय, एक और महत्वपूर्ण विभाग है जल संसाधन. दो विभाग हैं जिनमें खर्चा पूरा हुआ है, दबाकर खर्चा हुआ है. एक है जल संसाधन विभाग. तुलसी भैया बैठें हो तो जल संसाधन और दूसरा है क्योंकि एक विभाग माननीय मुख्यमँत्री जी का भी लेना चाहिए एनवीडीए. इन दो विभागों में खर्चे की कमी नहीं है. लगभग पूरा खर्चा हो गया तो मैंने देखा कि यह कैसे भई, इसमें क्यों इतना खर्चा हुआ बाकी जगह खर्च नहीं कर पा रहे, इन दो विभागों में ऐसा क्या खास है कि पूरी राशि खर्च हो रही है. अभी मैं माननीय मुख्यमंत्री जी का भी उद्बोधन सुन रहा था. उसमें वो क्षिप्रा नदी का वो सब बता रहे थे जो जल संसाधन विभाग की बड़ी बड़ी परियोजनायें हैं , मैं सुन रहा था लेकिन यह जो जल संसाधन विभाग की परियोजना के पवित्र उद्देश्य सामने हैं लेकिन इसके पीछे अपवित्र भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारी कंपनीयां छुपी हुई है मैं आपको उदाहरण सहित बताना चाहूंगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, एक कंपनी है मंटेना इन्फ्रासोल प्रायवेट लिमिटेड, हैदराबाद-बेस कंपनी है, इसी साल 10 सितम्बर 2024 को इसी वर्ष एक बैठक होती है . एक योजना के तहत, पहले उस कंपनी को 1200 करोड़ रूपये दिये जाते हैं, फिर दूसरी योजना में ज्वाइंटवेंचर में काम कर रहे हैं फिर उसको दूसरी योजना के तहत 3000 करोड़ रूपये दिये जाते हैं, फिर एक और बैठक होती है, वह होती है एनव्हीडीए की, फिर उसमें तीन अलग अलग योजनाओं में किसी में 1000 करोड़, किसी में 500 करोड़ ऐसी अलग अलग योजनाओं में एक दिन में 7050 करोड़ रूपये एक दिन में दिये गये, इस कंपनी को. अब मैं इसको हाईलाइट क्यों कर रहा हूं. मंटेना से क्या बात है लेकिन इसकी ज्वाइंटवेंचर की जितनी कंपनी है, एक ही एचईएस इन्फ्रा प्रायवेट लिमिटेड, मैंने इस कंपनी का एड्रेस ढूंढने की कौशिश की यह कंपनी कहां की है, हैदराबाद की, फिर अगली ज्वाइंटवेंचर कंपनी ढूंढी उसका नाम है वेंसर कंस्ट्रक्शन प्रायवेट लिमिटेड, उसका एड्रेस ढूंढा कहा की है, वह भी हैदराबाद की, तीसरी कंपनी को फिर मैंने ढूंढा, मैंने कहा कि यह एक और जो ज्वाइंटवेंचर की कंपनी है गाजा इंजीनियरिंग प्रायवेट लिमिटेड इसका एड्रेस ढूंढा यह भी हैदराबाद की. तो जो विकास हो रहा है वह सिर्फ हैदराबाद की कंपनियों को, पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिये हो रहा है.
माननीय अध्यक्ष जी, मैं, मेन्टेना कंपनी की कुछ उपलब्धियां भी आपको गिना देता हूं.यह मेन्टेना वही कंपनी है जिसको जल संसाधन विभाग के विभाग प्रमुख के द्वारा पूर्व में ब्लैकलिस्ट किया जा चुका है. ब्लैकलिस्टेड कंपनी हुई थी ये और बाद में एक एसीएस, जो कि अब रिटायर हो चुके हैं, उन्होंने इसको बहाल कर दिया, नियमों को शिथिल करके, अतिकृपा बरसाई इस कम्पनी के ऊपर. पूर्व में इस कम्पनी के ऊपर ईओडब्ल्यू में एफआईआर दर्ज हुई थी, यह मंटेना कन्स्ट्रेक्शन कम्पनी पर. इस कम्पनी के ऊपर ईडी के द्वारा रेड पड़ चुकी है और ईडी रेड में इनको कस्टडी में लिया गया. यह ईडी के जांच के दायरे में है. ईओडब्ल्यू के केस इस पर हो चुके हैं. ब्लैक लिस्टेड हो चुकी है, लेकिन एक दिन में इसको 7 हजार करोड़ रुपये का काम मिल जाता है और दूसरी और क्या स्थिति है, यह है पूंजीपति, वह भी मध्यप्रदेश के नहीं, हैदराबाद के हैं. दूसरी ओर मध्यप्रदेश की स्थिति पर आ जाते हैं. हमीदिया अस्पताल भोपाल का एक ऐसा अस्पताल है, जिसको सभी लोग जानते हैं और वहां पर एक दिन में कम से कम दो हजार से तीन हजार ओपीडी तो होते ही हैं.
अध्यक्ष महोदय—हंमेत जी, एक मिनट. माननीय सदस्य का भाषण आगे जारी रहेगा. सदन की कार्यवाही दोपहर 3.00 बजे तक भोजनावकाश के लिये स्थगित की जाती है.
(1.31 बजे से 3.00 बजे तक अन्तराल.)
3.05 बजे { अध्यक्ष महोदय(श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए. }
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बजट में बोलने का अवसर दिया और अभी आने वाले समय में हमारे विधायक दल के नेता हैं और सदस्य हैं उनको भी आप बोलने का समय देंगे.
मैं चाहता हूं आपने बजट पर बोलने का अवसर तो दिया है. अंत में आप कुछ बजट भी दिलवा दीजियेगा, सिर्फ बोलते-बोलते ना रह जायें, बजट भी मिल जाये, ऐसा आपसे आग्रह है.
अध्यक्ष महोदय- बजट की चर्चा समय पर समाप्त करना है. कितने लोग बोलेंगे यह आपको तय करना है.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे- मेरी प्रार्थना थी कि बजट मिल जाये. भले ही कम बोलें, यदि बजट मिल जाता तो..
अध्यक्ष महोदय- आपके 17 मिनिट हो गये हैं.
श्री प्रहलाद सिंह पटेल- अध्यक्ष महोदय, मैंने कहा कि जैसे आपका निर्देश है कि समय पर बजट की चर्चा समाप्त होगी तो समय पर पैसा भी मिलेगा.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय- अध्यक्ष महोदय, हेमन्त जी थोड़ा अच्छा-अच्छा बोलें तो अच्छा-अच्छा बजट मिल जायेगा.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे- अध्यक्ष महोदय, जब भोजन अवकाश हुआ तो मैं बाहर गया और अपने पत्रकार साथियों से इस बीच में मिला. भोजन तो नहीं कर पाया, क्योंकि बजट की तैयारी भी करनी थी तो जब उनसे बात कर रहा था तो मुझे अवगत कराया गया कि आज सुबह से अभी वर्तमान में इनकम टैक्स की रेड चल रही है और यह जो रेड चल रही है, यह उसी ग्रुप के ऊपर चल रही है ,जिसके ऊपर मैं, डे-वन से, जब से मैं विधायक चुनकर आया हूं उस दिन से प्रश्न उठा रहा हूं. मैंने कई प्रश्न, ध्यानाकर्षण लगाये. मैंने आपसे व्यक्तिगत रूप से आग्रह किया और पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री जी से भी आग्रह किया.
मैं आजीविका मिशन के जो मास्टर माइंड हैं, जो रिटायर्ड मुख्य सचिव हैं और जो पूर्व वाले के सबसे क्लोज़ थे, उनकी बात कर रहा हूं. लेकिन ठीक है कहीं न कहीं तो सुनवाई होगी. मुझे पहले लगा कि सदन में सुनवाई होगी, लेकिन सदन में सुनवाई नहीं हुई. इनकम टैक्स विभाग की रेड शुरू हो गयी है. एक कुणाल बिल्डर्स करके हैं, त्रिशूल हैं, कोई शर्मा जी हैं और जितनी बेनामी संपत्ति पूर्व मुख्य सचिव की है, मैं आज इस बात को कोट कर रहा हूं कि वह सारी बेनामी संपत्ति इन्हीं ग्रुप्स में लगी है और कई माननीय सदस्य भी हैं, अभी वर्तमान में. चार-पांच सदस्यों को तो मैं जानता भी हूं. जिनके यहां पर पैसा जमीन के माध्यम से लगा है. मैं कोई व्यक्तिगत भावना से बात नहीं करना चाहता हूं. वह एक व्यक्तिगत विषय है कि किसने कहां जमीन ली, नहीं ली.
माननीय अध्यक्ष जी मैं कहना यह चाहता हूं कि मैं चुना हुआ विधायक हूं और इस प्रश्न को डे-वन से उठा रहा हूं कि पूर्व जो मुख्य सचिव हैं उन्होंने भ्रष्टाचार फैलाया. उनके संरक्षण में आजीविका मिशन में फर्जी भर्तियां हुईं, यह सिद्ध जांचें हैं, लेकिन उनको बख्शा जा रहा है. आज इनकम टैक्स विभाग की रेड पड़ रही है, बेनामी संपत्ति सब खुलेंगी. लेकिन यह यहां क्यों नहीं निर्णय हो जाये. इसके लिये उन एजेंसियों पर क्यों निर्भरता रहे ?
अध्यक्ष जी, जब मैं जो विषय पर, जहां पर छूटा था वहां से शुरू करता हूं. मैं हमीदिया अस्पताल की बात बता रहा हूं. हमीदिया अस्पताल भोपाल का एक प्रख्यात अस्पताल है और प्रत्येक दिन वहां पर कम से कम दो हजार से तीन हजार ओपीडीस् होती हैं. वहां के जो कर्मचारी, टेक्निशियनस् हैं. वह लोग एक महीने से नहीं, दो महीने से नहीं तीन महीने से लगातार हड़ताल कर रहे हैं. कारण क्या है, कारण है कि उनको वेतन का भुगतान नहीं मिल पा रहा है. कुछ आउट सोर्स के कर्मचारी भी हैं. कुछ क्लास-4, क्लास -3 के कर्मचारी भी हैं. क्योंकि गरीब हैं तो गरीब की तो सुनवाई मध्यप्रदेश में कम ही हो पाती है. मंटेना ग्रुप था, एक दिन में सात हजार, पचास करोड़ रूपये. मैं इस रिकार्ड को पटल पर रख दूंगा, यदि कोई लेना चाहे.
माननीय मुख्यमंत्री जी की अध्यक्षता में बैठक हुई एक दिन में सात हजार करोड़, कोई बात नहीं, हम प्रश्न नहीं उठा रहे हैं. मेरा सिर्फ इतना कहना है कि मंटेना ग्रुप पर ऐसे-ऐसे आरोप हैं, ई.डी. की रेड पड़ी हुई है, जांच लंबित है और ईओडब्ल्यू की एफ.आई.आर हैं और वह ब्लेक लिस्टेड कंपनी थी. विभाग प्रमुख के द्वारा उसकी जांच करके उसको अलग करना चाहिये, जब तक जांच से वह क्लियर न हो जाये तब तक नहीं देना चाहिये. सारी हैदराबाद की कंपनीज़ को मध्य प्रदेश में करोड़ों रूपये के प्रोजेक्ट मिल रहे हैं, कनेक्श्ान क्या है इसकी जांच होनी चाहिये. हमारे हमीदिया अस्पताल के जो कर्मचारी हैं, यह गरीब लोग हैं. मैं मानवता के आधार पर दोनों उप मुख्य मंत्रियों से पूछना चाह रहा हूं, वह तो है नहीं, लेकिन विभाग उनका है . तीन महीने बिना वेतन के एक गरीब रह सकता है क्या? आप बताइए? आप तय कीजिए. अगर रह सकता है तो ठीक है. कैसे वह अपना घर पालेगा, कैसे उसके घर, परिवार, बच्चे पालेगा? उसकी कुछ चंद हजार रुपये ही तो तनख्वाह है. आप 7000 करोड़ रुपये का फंड एलोकेट कर रहे हो. थोड़ा-सा उनको तनख्वाह दे दें. बेचारे वह सड़क पर हैं, मजबूर हैं और जब वह हड़ताल कर रहे हैं. इस बीच में अंदर कोई दुर्घटना घट जाती है क्योंकि जब सारे लैब टेक्नीशियन्स और कर्मचारी बाहर हैं तो मरीज का इलाज कौन करेगा, उनकी रिपोर्ट्स कौन जनरेट करेगा? यदि कोई घटना अंदर घट जाएगी तो इसका नैतिक दायित्व पूरी सरकार का है. एक घटना भी घट गई तो उसका दायित्व आप लोगों का है.
अध्यक्ष महोदय, मैं कहना चाहता हूं कि कर्जे में सरकार है यह तो तय है. आप भी स्वीकार करते हैं, लेकिन कर्जे में हेलिकॉप्टर की उड़ान कौन भरता है? हरियाणा में चुनाव हो रहा है, यहां से माननीय का हेलिकॉप्टर उड़कर जाता है, हरियाणा में प्रचार करता है. महाराष्ट्र में हेलिकॉप्टर उड़कर जा रहा है, एक दिन में 9 से 10 लाख रुपया खर्च हो रहा है. करोड़ों रुपयों का व्यय हो रहा है. मध्यप्रदेश की जनता ने आपको चुना है कि हरियाणा, महाराष्ट्र की जनता ने चुना है. आप खर्चा कर रहे हो हमारे यहां के फंड से और खर्चा कर रहे हो हरियाणा और महाराष्ट्र की जनता के लिए, अपना दिल्ली में नंबर बढ़ाने के लिए. यह तो गलत है. मध्यप्रदेश का जो बजट है. वह मध्यप्रदेश की जनता के ऊपर खर्चा होना चाहिए. मेरा ऐसा आपसे आग्रह है.
अध्यक्ष महोदय, अभी पिछले 10 महीने में आपने देखा होगा कितने ट्रांसफर, पोस्टिंग हुए. मैं सीनियर ब्यूरोक्रेसी की ही बात कर रहा हूं. एक ट्रांसफर उद्योग चल रहा है, जिसके कारण प्रशासनिक अराजकता मध्यप्रदेश फैली हुई है और ऐसी स्थिति निर्मित हो गई है. 438 ट्रांसफर हो चुके हैं मात्र 10 महीने में. खास बात यह है कि इनमें से 109 ट्रांसफर रात में हुए हैं, 12 बजे से 1 बजे के बीच में, यह कौन-सा टाईम है? वह अधिकारी सो ही नहीं पा रहा. रात के 12 बजे ट्रांसफर उसको मिलेगा, वह क्या सोएगा? अब आप विभाग देखिए जो महत्वपूर्ण विभाग है, मैं उनको चिह्नित कर देता हूं. पीडब्ल्यूडी विभाग, जो पीडब्ल्यूडी विभाग के मुख्य है, उनका 4 बार ट्रांसफर 10 महीने में हो गया है. महत्वपूर्ण विभाग है, जनता से जुड़ा हुआ, जनहित का विभाग है. एनर्जी डिपार्टमेंट, 3 बार ट्रांसफर हो चुका है, जो भी वहां के पीएस या एसीएस जो भी सीनियर मोस्ट विभाग के अधिकारी हैं. माईनिंग में 4 बार ट्रांसफर हो गया. राजभवन में 4 बार ट्रांसफर हो चुका है. एमएसएमई में 3 बार ट्रांसफर हो चुका है. यह वही विभाग हैं चाहे पीडब्ल्यूडी हो, चाहे एनर्जी विभाग हो, यह वही महत्वपूर्ण विभाग हैं जिनमें बजट आवंटन होने के बाद में खर्च नहीं हो पाया, इसीलिए खर्च नहीं हो पाया, अधिकारी आता है, फाईल खोलकर के बैठता है, एक महीने बाद फिर से उसका झोला टंग जाता है, फिर उसको दूसरे विभाग में जाना पड़ता है.
अध्यक्ष महोदय, सरकार पर से अधिकारियों का विश्वास उठ गया है कि हम किसी विभाग में जाएंगे, काम करेंगे तो क्या वहां पर टिक भी पाएंगे. जबकि सुप्रीम कोर्ट की गाईडलाइंस हैं कि स्टेब्लिटी क्रिएट करने के लिए कोई भी सीनियर अधिकारी है तो उसको एक नैतिक रूप से कोई बड़ा कारण नहीं हो तो कम से कम 2 वर्ष उसको वहां पर देना चाहिए. अधिकतम 3 वर्ष भी दे दो. उसके बाद आप स्थानांतरण कर दीजिए. ऐसे कई सारे आर्डर्स हैं लेकिन नहीं, यहां तो कोर्ट की बात ही नहीं होती. यहां तो जिसको जो ठीक लग रहा है, रात 12 बजे ट्रांसफर्स हो रहे हैं. मैं समझता हूं कि इस पर रोक लगनी चाहिए. पॉलिसी बननी चाहिए. मध्यप्रदेश जो है उसकी फाइनेंश्यल प्लानिंग पूरी ध्वस्त हो गई है. यह भी एक महत्वपूर्ण कारण है.
अध्यक्ष महोदय, एक विषय यह है. मैं माननीय उपमुख्यमंत्री जी के संज्ञान में लाना चाहूंगा कि कुछ ऐसे खर्चे हैं जो रेवेन्यू मद में लेना चाहिए, लेकिन उनको कैपिटल मद में लिया है. जैसे कि सोफे पर जो खर्च हुआ, मैं सरकारी सोफों की बात कर रहा हूं. कार जो खरीदी गई सरकारी, सरकारी कम्प्यूटर जो खरीदे गये. रेवेन्यू मद में इनको लेते क्योंकि यह ऐसे असेट्स हैं जो आने वाले समय में डिप्रिशिएट होंगे और 4-5 साल में कुड़ा कचरा ही बन जाएगा, यह कबाड़ में ही जाएगा. इनको आपको रेवेन्यू मद में लेना चाहिए था, लेकिन इनको आपने कैपिटल मद में लिया है. अब मैं पूछना यह चाहता हूं कि सोफे का, कारों का, कम्प्यूटर्स का इनका मध्यप्रदेश के विकास से क्या लेना है? क्योंकि आंकड़ों में आप इसको विकास में गिनाते हैं कि विकास हुआ. कार खरीदकर किसका विकास हुआ? सोफा खरीदकर किसका विकास हुआ? कम्प्यूटर खरीदकर किसका विकास हुआ? यह माननीय उपमुख्यमंत्री जी बताएं. 3 वर्ष पहले यह उसी मद में रहते थे. अध्यक्ष महोदय, मैं प्रति व्यक्ति कर्ज की बात बताना चाहूंगा. जब तक यह मार्च खत्म होगा. सारे लोन मैंने निकाले. मार्च खत्म होने तक कुल लोन हमारे मध्यप्रदेश के ऊपर होगा 4 लाख 92 हजार करोड़ रुपया. इसमें मार्केट लोन, सेंट्रल गवर्नमेंट का लोन, नाबार्ड का, बांड्स का, अल्प बजट ऋण, पब्लिक अकाउंट जीपीएफ सारे लोन मिलाकर मैं बोल रहा हूं, जिसको आप केलक्यूलेट करेंगे अगर 8 करोड़ 30 लाख की जनता के हिसाब से केलक्यूलेट करेंगे तो प्रति व्यक्ति कर्ज 60000 रुपये आ रहा है. यह लज्जा की बात है कि जो व्यक्ति यहां पर पैदा होगा, जो जन्म लेगा वह 60000 रुपये कर्ज के साथ में मध्यप्रदेश की धरती पर आएगा. अभी जो जनसंपर्क विभाग ने डेटा अपलोड किया, हमारे मुख्यमंत्री जी का कथन अपलोड किया, उसमें उन्होंने रीजनल इंडस्ट्रीज कान्क्लेव की बात की. बड़ा भारी शब्द सुनकर ऐसा लग रहा है, जैसे बहुत बड़ी चीज है लेकिन है कुछ नहीं. सिर्फ कागज का बंडल है. इसमें एमओयू साइन किए. मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टेंडिंग. जितने साइन हुए, इसमें उज्जैन, जबलपुर, ग्वालियर, सागर में 2 लाख करोड़ रूपए के साइन हो गए. फिर मुम्बई, बैंगलोर में 1 लाख करोड़ रूपए के एमओयू साइन हो गए. भोपाल माइनिंग कान्क्लेव हुआ, उसमें 20 हजार करोड़ के एमओयू साइन हुए. यूके गए. कुल मिलाकर के 4 लाख करोड़ के एमओयू साइन हुए. उसकी वाहवाही लूटी जा रही है. मैं पूछना यह चाहता हॅूं कि एमओयू साइन होना क्या बहुत बड़ा कार्य है. यहीं गुजरात से ही साइन हो जाएंगे. क्यों आप यूके गए ? सिर्फ कागज का बंडल ही तो है. मध्यप्रदेश में चवन्नी भी आयी क्या ? चवन्नी आना बंद हो गई है, इसलिए मैं पूछ रहा हॅूं कि हजार रूपए भी आए क्या मध्यप्रदेश में ? कुछ नहीं आया. सिर्फ एमओयू साइन हुए, उसकी वाहवाही लूट ली. पर्व मन रहा है पर्व.
अध्यक्ष महोदय, यह जितनी गलत नीतियां हैं इन्हीं के कारण ऐसी नीतियों में बड़ी-बड़ी बातों में फंसकर हमारे आदरणीय विजयपुर वाले वनमंत्री जी थे, उनको आपने हमेशा के लिए वनवासी बना दिया. अच्छे खासे थे, अच्छा बोलते थे. आ गए बातों में. 4 लाख करोड़, इतने लाख करोड़. हेलीकॉप्टर चले गए. अब ठीक है, यह उनका व्यक्तिगत मामला है मैं ज्यादा कमेंट नहीं करना चाहता. एक अति महत्वपूर्ण विषय है और मैं चाहता हॅूं कि आप इसको ध्यानपूर्वक सुनें. यह टीएचआर का विषय है. टेक होम राशन में जो कुपोषित बच्चे होते हैं या जो प्रेग्नेंट वीमेन हैं या लैक्टेटिंग वीमेन हैं उनके बच्चों का विषय है. इसमें कैग की रिपोर्ट ने हाईलाइट किया कि110 करोड़ रूपए का घोटाला हुआ. यह 110 करोड़ रूपए जो हाईलाइटेड है मैं स्पेसिफिकली आपको बता दूं कि यह गर्भवती महिलाओं के संबंध में जो भ्रष्टाचार हुआ है उनको हाईलाइट किया गया है. यह मध्यप्रदेश की पावन धरती है. बच्चे ने जन्म नहीं लिया है लेकिन वह भ्रष्टाचार का शिकार हो चुका है. यह है मध्यप्रदेश. अब मैं सबको कहना चाहता हॅूं वेलकम टू मध्यप्रदेश. हमारा यह मध्यप्रदेश है जहां पर जेल प्रहरी की परीक्षा होती है. अधिकतम 100 अंक मिलते हैं जितना मैंने पढ़ा, सीखा. यहां मध्यप्रदेश में 100 में से 101 अंक आ जाते हैं. यह है हमारा मध्यप्रदेश. यहां पर बच्चा पैदा होने से पहले भ्रष्टाचार का शिकार हो जाता है. यह रिपोर्ट्स में आया है और पैदा होने के बाद ईश्वर की कृपा से जैसे ही वह बाहर आया, तो 60 हजार रूपए कर्जा डे-वन से उसके ऊपर आ गया है. यह मध्यप्रदेश है.
अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हॅूं कि माननीय वित्त मंत्री जी जब बोलेंगे, तो मैं जानना चाहूंगा यदि वे इस बात को कहें, कि यह जो 60 हजार रूपए प्रति व्यक्ति कर्जा है और जो 4 लाख 92 हजार करोड़ रूपए का खर्चा है यह जो टोटल लोन है, इसको चुकाने की क्या नीति है. इसको कैसे पे-ऑफ करें, कृपया इसको बताइएगा. जो पीडब्ल्यूडी विभाग है यहां 35 परसेंट अभी भी राशि शेष है. ऊर्जा विभाग में 35 परसेंट शेष है. पर्यटन में भी राशि शेष है. पंचायत में 45 परसेंट राशि शेष है. यह होने के बावजूद भी आप क्यों कर्जे से लाद रहे हैं हमारे मध्यप्रदेश की जनता को, यह भी अवगत कराइएगा. रेवेन्यू में विकास कार्यों के लिए मात्र 100 करोड़ का कर्जा लिया है और 1146 करोड़ रूपए विभागीय खर्चों के लिए लिया है, तो इनकी वाहवाही क्यों पीटी जा रही है, यह भी अवगत कराइएगा. एक चीज और है केपिटल में आपने कार, सोफा, कम्प्यूटर को शामिल किया है यह कैसा विकास कार्य है कृपया, बताइएगा.
अध्यक्ष महोदय, अब मैं कन्क्लूड कर रहा हॅूं चूंकि जब इसके बाद तो मैं सबकी बात सुनूंगा और ध्यानपूर्वक सबका वक्तव्य सुनूंगा. जब वे कहेंगे, तो वही बातें आएंगी कि कब क्या हुआ, कांग्रेस शासन काल में कब क्या हुआ था, तो मैं कांग्रेस शासन काल की जो बात है उसका उत्तर मैं अभी बता देता हॅूं कि जब माननीय दिग्विजय सिंह जी मुख्यमंत्री थे और जब हमने आपको सरकार सौंपी थी, तब जितना कुल कर्जा मध्यप्रदेश के ऊपर था, उतना तो सिर्फ आज ब्याज भरा जा रहा है. यह ऑन रिकॉर्ड मैं आपसे कह रहा हॅूं.
श्री मनोज पटेल -- खाली कर्जा बताओगे या जो कुछ नहीं था, वह भी बताओगे.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे -- आप पूछो, हम बता देंगे.
श्री मनोज पटेल -- इसमें सड़क भी बताओ कि कर्जे में आपने सड़क भी दी थी, बिजली भी दी थी, स्वास्थ्य सुविधाएं भी दी थीं, पानी भी दिया था. पूरा गड्ढे में प्रदेश दिया था, आप यह भी बताएं.
अध्यक्ष महोदय -- मनोज जी, कृपया, आप बैठ जाइए. उनको भाषण पूरा करने दीजिए.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे -- अध्यक्ष महोदय, अगर माननीय उपमुख्यमंत्री जी, वित्त विभाग जिनके पास है यदि वे इन सब बातों का उत्तर देते हैं तो मैं इसको रिकार्ड में कह रहा हॅूं कि मैं इस बजट का समर्थन करूंगा और यदि इनका जवाब नहीं आता है तो नीतिगत रूप से जो-जो बातें मैंने कहीं हैं, मैं इस बजट का विरोध करता हॅूं. अंत में मैं सिर्फ एक पंक्ति कहकर अपनी बात को समाप्त करूंगा.
वो लूट रहे हैं, सपनों को, मैं चैन से कैसे रह पाऊं,
वो बेच रहे हैं मेरे मध्यप्रदेश को, तो खामोश मैं कैसे रह जाऊं,
तो खामोश मैं कैसे रह जाऊं.
आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
डॉ.सीतासरन शर्मा (होशंगाबाद)—अध्यक्ष महोदय, हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में और हमारे वित्तमंत्री जी के कुशल प्रबंधन में हमारा प्रदेश निरंतर विकास की ओर आगे बढ़ रहा है. यह कार्य निरंतर जारी है. अनुपूरक बजट उसका एक उदाहरण है. अभी हमारे माननीय सदस्य जी कह रहे थे कि अनुपूरक बजट क्यों आता है ? अनुपूरक बजट आता ही इसलिये है कि विकास कार्य निरंतर चलते रहें, रूके नहीं बजट के अभाव में और इसीलिये पहला तो बजट अनुमान होता है उनकी बात का ज्यादा उत्तर देना नहीं है, वह भी समझते हैं और वह कहने के लिये कह रहे हैं. अनुपूरक बजट मध्यप्रदेश की जनता के कार्यों को पूरा करने के लिये लाया गया है. बात माननीय हेमंत जी उपनेता प्रतिपक्ष ने सिंचाई से शुरू की थी. मैं भी यहीं से शुरू करता हूं उत्तर तो उधर से आयेगा. अब बताना तो पड़ेगा कि 7 लाख हैक्टेयर में सिंचाई 50 साल में थी 2003 से लेकर 2024 आ गया है. हमारे उप मुख्यमंत्री जी कल कह रहे थे कि 50 लाख हैक्टेयर के लगभग सिंचाई तो हो गई है 20 सालों में अब 1 करोड़ हैक्टेयर में सिंचाई करने का लक्ष्य है. अभी आज माननीय मुख्यमंत्री जी ने एक वक्तव्य दिया पार्वती- काली सिंध और चम्बल लिंक योजना का कल जिसका भूमिपूजन हुआ. अकेली उस योजना से साढ़े छः लाख हैक्टेयर की सिंचाई होगी. जितनी पूर्व के लोगों ने 50-60 सालों में की उन्होंने उतनी तो एक योजना से सिंचाई करने की तैयारी है हमारी भाई साहब. केन-बेतवा लिंक योजना करीब 1 लाख करोड़ रूपये की है. उसमें सिंचाई 9 लाख हैक्टेयर में बुंदेलखण्ड को और मालवा को एवं ग्वालियर चम्बल संभाग को पानी मिलेगा. अध्यक्ष महोदय, यह तो उनके रिकार्ड में कभी थे ही नहीं, यह तो वहां के लोगों को भूल ही गये थे कि इधर भी कोई रहता है, इधर भी खेती होती है, इधर भी सिंचाई की जरूरत है, इधर भी पीने के पानी की जरूरत है, कुछ नहीं.
एक माननीय सदस्य—चम्बल संभाग में योजनाएं बहुत पुरानी बनी हुई हैं तब बी.जे.पी.को कोई जानता भी नहीं था, तभी की बनी हुई हैं.
डॉ.सीतासरन शर्मा—अध्यक्ष महोदय, यह योजना वैसे ही आ गई. साढ़े छः लाख हैक्टेयर की सिंचाई की. आप कह रहे हो तो बंद कर दो. आप इस योजना का विरोध कर दो. पैसा तो जनता का आप पर भी था. जब इन्होंने सरकार छोड़ी तब 35 हजार करोड़ रूपये का कर्जा था.
श्री पंकज उपाध्याय—चम्बल के लोग क्या कर सकते हैं. अध्यक्ष जी आप भी चंबल के हैं आपका भी अपमान है.
श्री आशीष गोविंद शर्मा—चंबल तो वीरता के लिये जाना जाता है आप क्यों गलत समझ रहे हो.
अध्यक्ष महोदय—डॉ. साहब आप अपना भाषण जारी रखें.
डॉ.सीतासरन शर्मा—अध्यक्ष महोदय, जब इनने सरकार छोड़ी तब इनका बजट कितने का था ? 22 हजार करोड़ रूपये का बजट इनका था. कर्जा 35 हजार करोड़ रूपये का था. कितना था आप लोग बता दीजिये.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे – अध्यक्ष जी, यह बात गलत है, आप इस जानकारी को पटल पर रख दें, ये गलत जानकारी है.
डॉ. सीतासरन शर्मा – मेरे पास जो जानकारी है 22 हजार करोड़ का बजट था, 35 हजार करोड़ कर्जा था.
अध्यक्ष महोदय – हेमन्त जी, जब आप बोल रहे थे तो सभी लोग ध्यान से सुन रहे थे.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री प्रहलाद सिंह पटेल) – अध्यक्ष महोदय, एक निवेदन है, जब कटारे जी भाषण कर रहे थे तो सभी ने शालीनता से सुना. एक पूर्व विधान सभा अध्यक्ष, इतने सीनियर सदस्य बात कर रहे हैं. मैं माननीय सदस्यों से निवेदन करुंगा कि इन्टरप्ट करना है तो इन्टरप्ट करिए, डिसटर्ब करने का अधिकार नहीं है. ये मत करो, कम से कम चीजें सुन लो, आपको जवाब देने का मौका मिलेगा, आपके वक्ता बोलेंगे, ये गलत बात है.
अध्यक्ष महोदय – डॉ. साहब जारी रखें, दिनेश जी बैठ जाइए.
डॉ. सीतासरन शर्मा - अध्यक्ष महोदय, अब बजट है 3 लाख 65 हजार करोड़ का उस अनुपात में कर्जा बहुत कम है. इनने जो कर्जा लिया था, उससे न तो सड़क थी, न बिजली थी, न पानी था, न अस्पताल थे, न मेडिकल कॉलेज थे.
ऋणम् कृत्वा, घृतम् पिवेत. ये ऋण लेते थे और घी पीते थे.
अध्यक्ष महोदय, 2003 के पहले ढाई हजार मेगावाट बिजली बनती थी और चार हजार मेगावाट की डिमांड थी. अब 25 हजार पर पहुंच गए हैं, सौर ऊर्जा ही आगे चली जा रही है. सिर्फ ये दो बड़ी योजनाएं नहीं, हाटपिपल्या सिंचाई योजना 100 करोड़, हालोन परियोजना 15 करोड़, खंडवा उद्वहन सिंचाई योजना 300 करोड़, शहीद इलाप सिंह माइक्रो सिंचाई योजना 50 करोड़. नर्मदा झाबुआ, पेटलावद, थांदला, सरदारपुर उद्ववहन योजना 50 करोड़. झिरन्या सिंचाई योजना 50 करोड़, बोहरीबंद माइक्रो उद्वहन सिंचाई योजना 125 करोड़, अध्यक्ष महोदय यह क्रम रुक नहीं रहा है, मुख्य बजट हो, चाहे अनुपूरक बजट हो, बहुत सी योजनाएं हैं, सभी को पढ़ने की आवश्यकता नहीं है.
अध्यक्ष महोदय, ऊर्जा, मैंने अभी कहा कि एक जमाना ऐसा था, तब बिजली भी सरप्लस थी और बिजली विभाग भी फायदे पर चलता था, पर वर्ष 2003 तक एक समय आया, जब बिजली बची नहीं और बिजली विभाग पर कर्जा और हो गया, तो सब्सिडी देना पड़ रहा है, लेकिन सब्सिडी देने के बाद भी बिजली का उत्पादन हम बढ़ा रहे हैं और मैंने पहले भी कहा था, नवकरणीय ऊर्जा के बारे में. सूरज तो इनके समय भी चमकता था, जब ये सरकार में थे, तब भी सूरज इतना ही चमकता था. उसकी चमक कम नहीं थी, पर बिजली नहीं बनाई, क्योंकि विजन नहीं था, जरुरत नहीं थी, दिखता नहीं था, जनता परेशान हो तो हो. सौर ऊर्जा तो सूरज के साथ ही आ गया था आपको दिखा नहीं, क्या 2003 में ही सूरज आया. हमने योजना बनाई और योजना बनाकर इसी अनुपूरक बजट में अटल ज्योति योजना, ये गांव में भी बिजली ले जाएगी, गांव में स्ट्रीट लाइट लगाएगी. आपको तो चिन्ता ही नहीं थी.
श्री अटल जी आये तब प्रधानमंत्री सड़क बनी. गांव में भी आदमी रहता है, इनको पता ही नहीं था और अब गांव की योजना सोलर लाईट से नवकरणीय ऊर्जा से जलेगी, 8 हजार 482 करोड़ रूपये इसके लिये दिया है.
अध्यक्ष महोदय, पर हमने सिर्फ गांव की चिंता ही नहीं की है, शहरी विकास में आज स्वच्छता में हमारे कई शहर राष्ट्र में पहले नंबर पर हैं, परंतु कांग्रेस के समय स्वच्छता की बात ही नहीं होती थी, अरे झाड़ू तो बेचारे उसने उठाई थी(हंसी) आपके समय तो स्वच्छता की चर्चा ही नहीं होती थी. (श्री दिनेश गुर्जर, सदस्य द्वारा अपने आसन से कुछ कहने पर) तुलना करना पड़ता है (हंसी). हमारे वरिष्ठ सदस्य जिनसे हम लड़कर आये हैं, उनका तो बोलना ही पड़ेगा. (श्री दिनेश गुर्जर, सदस्य द्वारा अपने आसन से कुछ कहने पर) सबको अवसर मिलेगा.
अध्यक्ष महोदय -- श्री दिनेश जी, बैठ जायें नहीं तो बाद में आपका ही नाम कट जायेगा(हंसी) इसीलिये उनकी बात पूरी हो जाने दीजिये, क्योंकि आखिरी में आपका ही नाम है(हंसी)
डॉ.सीतासरन शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, सिर्फ गांव के लिये ही नहीं, नगर के लिये भी. अर्बन सर्विस इंप्रूवमेंट के लिये 150 करोड़ रूपये, अधोसरंचना के लिये 50 करोड़ रूपये, नगरीय विकास एवं आवास विभाग के अंतर्गत अर्बन सर्विस योजना के लिये 420 करोड़ रूपये, यह सब राशि नगरीय विकास के लिये दी गईं हैं. पहले सड़कें नहीं होती थीं, गड्ढे में चलते थे, गाडि़या टूटतीं थीं और एक घण्टे का सफर चार चार घण्टे में होता था. मंदसौर के विधायक तो एक दिन पहले विधानसभा में आते थे और नीमच के विधायक भी एक दिन पहले आते थे. मुझे ख्याल है, एक बार जब मैं नरसिंहपुर गया था और वहां पर सर्किट हाउस में ठहरा था, तो पी.डब्ल्यू.डी. के चीफ इंजीनियर भी बगल वाले कमरे में थे, मैंने उनसे पूछा कल कैसे जाओगे तो वह बोले सड़कें खराब हैं, ट्रेन से जा रहा हूं(हंसी) (एक माननीय सदस्य द्वारा अपने आसन से कुछ कहने पर) भैया हम यही, यही दोहरायेंगे, जब तक यहां पर आप 10-12 नहीं बचेंगे, तब तक यही-यही दोहरायेंगे (हंसी) अभी आप 63 पर हो, जब तक आप 10-12 बचोगे न तब तक दोहरायेंगे, उसके बाद ही दूसरी बात करेंगे(मेजों की थपथपाहट) (हंसी) अरे वह गड्ढों के झटके अभी तक हम भूले नहीं हैं, कैसे भूल जाये? क्यों याद नहीं करें और क्यों जनता को याद नहीं दिलायें. अध्यक्ष महोदय, पी.डब्ल्यू.डी. ने 4सौ करोड़ रूपये के वृहद पुलों का निर्माण किया है. अब आप एक बात देखिये जितनी रेल्वे क्रासिंग है, पहले भाईयों ने तो फाटक लगा दिये थे, दो दो घण्टे खडे़ रहते थे, हमारे केंद्रीय मंत्री गडकरी जी ने और प्रदेश के हमारे मंत्री आदरणीय राकेश सिंह जी ने कहा है कि अब सारी रेल्वे क्रासिंग आर.ओ.बी. से कवर्ड होंगी.
03.34 बजे {सभापति महोदय (श्री अजय विश्नोई) पीठासीन हुए.}
सभापति महोदय, उसके अलावा अब हमारे यहां तो चमत्कार हुआ. माननीय हमारे पूर्व सांसद और वर्तमान शिक्षा मंत्री जी बैठे हैं उनके कार्यकाल में ब्रिज शुरू हुआ था, वह डेढ़ या दो साल में बन गया. अध्यक्ष महोदय, 4 सौ करोड़ रूपये तो वृहद पुलों के निर्माण के लिये है.
सभापति महोदय -- (श्री अभय मिश्रा, सदस्य द्वारा अपने आसन से कुछ कहने पर) श्री अभय मिश्रा जी, आपको जब मौका मिलेगा तब आप बोल लीजियेगा, अभी डॉक्टर साहब को बोलने दीजिये.
डॉ.सीतासरन शर्मा -- धन्यवाद आपको मिश्रा जी, फिर मैं आपके बारे में भी कुछ बताऊंगा (हंसी)
नेता प्रतिपक्ष ( श्री उमंग सिंघार) -- क्या बजट में मिश्रा जी के लिये प्रावधान है ? (हंसी)
डॉ.सीतासरन शर्मा -- माननीय नेता प्रतिपक्ष जी यह जो पी.डब्ल्यू.डी. है, यह उन्हीं का है(हंसी). अध्यक्ष महोदय, ग्रामीण सड़कों के लिये 4 सौ करोड़ रूपये है. सभापति जी, एक बात और, बड़े अफसरों की बिल्डिंग्स तो सुधर जाती हैं पर छोटे कर्मचारियों के मकान सुधारने का कोई प्रावधान कभी रखा ही नहीं. एफ टाइप और उससे नीचे की श्रेणी के शासकीय आवासों के अनुरक्षण मद के लिये भी राशि दी गई है. यह हर व्यक्तित की चिंता करने वाली सरकार है पर सिर्फ डेव्हलपमेंट नहीं सभापति जी जनता का विकास, आमजन की सुविधा, उसके लिये जनहितैषी कार्य भी बहुत से किये हैं, थोड़े-बहुत गिनाऊंगा. जनजाति विभाग में 11वीं और 12वीं के छात्रों को स्कॉलरशिप के 130 करोड़ और आवास सहायता के लिये बाहर शहर में रहकर पढ़ें, उसका किराया दें 80 करोड़ रूपया इसीलिये अनुपूरक में प्रावधान किया है, अब यह शिकायत नहीं आयेगी. इसी प्रकार से हमारे अनुसूचित जाति के छात्रों के लिये 40 करोड़ महाविद्यालयीन छात्रों को और आवास सहायता के लिये 50 करोड़. महिला एवं बाल विकास, बहुत हल्ला मचाते थे कि लाड़ली बहना बंद कर देंगे, हमने तो नहीं की, यह आते तो कर देते, क्योंकि इन्होंने बच्चों के लेपटॉप बंद कर दिये थे, इन्होंने बच्चों के मोबाइल बंद कर दिये थे, हमने तो नहीं किया, ये कर देते.
श्री महेश परमार-- आदरणीय मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कुछ योजनायें ऐसी होती हैं कि बंद करनी पड़ती हैं अभी पिछले 2 वर्ष से लेपटाप नहीं मिले हैं डॉक्टर साहब, ये जानकारी आप माननीय मंत्री जी से पूछिये.
डॉ. सीतासरन शर्मा-- जो रह गये हैं उनको देंगे.
श्री महेश परमार-- आदरणीय डॉक्टर साहब, मिले ही नहीं.
डॉ. सीतासरन शर्मा-- सभापति जी, 465 करोड़ रूपया लाड़ली बहना के लिये और लाड़ली लक्ष्मी, इन्होंने एक भी लाड़ली लक्ष्मी को पैसा नहीं दिया, 85 करोड़ उसके लिये. पिछड़ा वर्ग कल्याण 180 करोड़ छात्रवृत्ति के लिये दिये गये हैं. सभापति महोदय, मैं अपनी बात समाप्त करूंगा. सब मिलाकर अनुपूरक बजट मध्यप्रदेश की डॉ. मोहन यादव जी की सरकार के विकास कार्यों को आगे बढ़ाने में सहायक होगा, यह जनता की सुविधाओं को बढ़ायेगा और हमारे प्रदेश के युवाओं को और महिलाओं को सशक्त बनाने में और आगे ले जाने में सहायक होगा. मैं माननीय वित्तमंत्री जी को बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं.
सभापति महोदय-- बहुत-बहुत धन्यवाद डॉक्टर साहब.
श्री भंवर सिंह शेखावत - (अनुपस्थित)
श्री ओमकार सिंह मरकाम (डिण्डौरी)-- सभापति महोदय जी, मैं आपको बहुत धन्यवाद देता हूं, जब भी मैं अपनी बात रखता हूं तो आप आ जाते हैं तो हम लोग प्रबल हो जाते हैं.
सभापति महोदय-- आपको ताकत मिलती है न.
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- बिलकुल.
सभापति महोदय-- हम यहां बने रहें इसलिये कोशिश करो कि जरा जल्दी अपनी बात विषय पर समाप्त कर दें.
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- सभापति महोदय, मैं चाहता हूं कि आप अगर यहीं पदासीन हो जायें तो हमारी संस्कारधानी जबलपुर का गौरव बहुत ऊंचा हो जाये. ...(हंसी)....
सभापति महोदय-- मेरा दयित्व अभी सिर्फ बजट भाषण निपटाने तक है, उसको जल्दी से आप समय सीमा में पूरा कर लें यह अनुरोध है.
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- सभापति महोदय जी, अनुपूरक के लिये माननीय वित्तमंत्री जी ने जनता के पैसे की जो मांग की है इस प्रदेश के लगभग 8 करोड़ प्रदेशवासियों का जो मेहनत का पैसा है उस पैसे में से आपने मांग की है. मैं उम्मीद कर रहा था कि हमारे बहुत ही विद्वान उपमुख्यमंत्री,वित्त मंत्री जी गरीबों के लिये जरूर आप सोचेंगे.
सभापति महोदय - यह निर्धारित हुआ था कि पूरी चर्चा 4 घंटे में समाप्त होना है वक्ता काफी ज्यादा हैं. 21 वक्ता तो आपके ही दल से आए हुए हैं. यदि सभी वक्ताओं को समय देना है तो सभी वक्ताओं से निवेदन है कि अपनी बात 2-4 मिनट में समाप्त करें. यदि आप ज्यादा समय लेंगे तो कहीं न कहीं वक्ताओं की संख्या में कमी करनी पड़ेगी. आप अपने बाकी के सदस्यों की भी चिंता करें और अपनी बात को 2-4 मिनट में समाप्त करें. आप भी और बाकी आने वाले दोनों पक्षों के वक्ता अपनी बात को कृपया 2-4 मिनट में कृपया समाप्त करने का प्रयास करें.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - इसमें मेरा अनुरोध है हम आप लोगों से समय मांग रहे हैं पैसा नहीं मांग करे हैं तो 4 घंटे को 8 घंटे भी कर सकते हो. यह इस लोकतंत्र का अधिकार है.
सभापति महोदय - यह सदन निर्धारित कर चुका है 4 घंटे का समय. आप ज्यादा बात करके अपने ही सदस्यों की बात करें.
परिवहन मंत्री(श्री उदय प्रताप सिंह) - यह मोदी जी का युग है इसमें पैसे की कमी नहीं है समय जरूर कम ज्यादा हो सकता है पैसा तो पर्याप्त है बिल्कुल.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - आपने बिल्कुल सही कहा. मैं आपको आपकी विद्वानता का प्रमाण बताऊंगा. माननीय सभापति जी, मध्यप्रदेश में 88 लाख 1 हजार 844 जॉब कार्ड हैं जिसमें आपने कितनों को 100 दिन का काम दिया. मात्र 79 हजार लोगों को ही 100 दिन का काम दिया. यह रिकार्ड कह रहा है आप आनलाईन चेक कर लीजिये. आप बेरोजगारों के प्रति कितने सजग हैं,अरे, वह गरीब लोग फ्री में पैसा नहीं मांगते. मेहनत करते हैं फिर पैसा मांगते हैं. आपने उनको काम नहीं दिया.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री(श्री प्रहलाद सिंह पटेल) - गलत न बोलें. किसी ने काम मांगा हो और उसको न मिला हो वह संख्या बता दो.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - मैं बता दूंगा. मैंने मांगा आपने नहीं दिया यह तो प्रमाण है.
सभापति महोदय - मरकाम जी, माननीय मंत्री जी ने जो कहा इस सच्चाई को ऐसे समझिये कि हमारी आधी विधान सभा में ढूंढे से मनरेगा का मजदूर नहीं मिलता.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - इस साल 79 लाख 274 जॉब कार्ड हैं अभी तक आपने कितनों को काम दिया मात्र 25 हजार को, सरपंच परेशान हैं.मेरे डिण्डौरी में 50 हजार लोग पलायन किये हुए हैं. सरपंच काम मांगता है स्वीकृति नहीं मिल रही है. तकनीकी स्वीकृति नहीं मिल रही है. वित्त मंत्री जी आप भी हमारे वर्ग से आते हैं यह दर्द है लोग पलायन कर रहे हैं. दूसरे प्रदेश में आप जाओगे मजदूर मध्यप्रदेश के मिल जाएंगे. अनुसूचित जाति,अनुसूचित जनजाति के अधिकतर मजदूर आपको मिलेंगे. आज उनके लिये आपने कुछ भी नहीं सोचा.सरपंच परेशान,मजदूर परेशान लेकिन आपने उस पर कोई ध्यान नहीं दिया. हमारे स्कूल शिक्षा मंत्री जी की बहादुरी के लिये मैं उनको प्रमाण देता हूं. दिनांक 1.8.2022 को आपने 18 स्कूलों की स्वीकृति दी थी जिसमें 15 प्राईमरी और 3 मिडिल थे. उस समय आप मंत्री नहीं थे. आप मंत्री बने 28.10.2024 को,पत्र क्रमांक 4990,आपने उसे निरस्त कर दिया. पैसा नहीं दिया. क्या आपकी तारीफ की जाए. स्वीकृति को आपने निरस्त किया. यह पत्र है और आप कहते हो पैसे की कमी नहीं है. आज सिंचाई पर बड़ी-बड़ी बातें हो रही हैं मैं जिम्मेदारी के साथ कहता हूं मॉं नर्मदा जी के चरणों को प्रणाम करते हुए साक्षी रखकर बात करता हूं. डिण्डौरी जिले में जो बांध बने हैं उनका प्राक्कलन के अनुसार बांध और एनीकट (चैकडेम) में 41593 हेक्टेयर जमीन की सिंचाई का आपने प्राक्कलन किया.बांध बन गये पर अभी मात्र 7 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में ही सिंचाई हो रही है. 25 प्रतिशत भी आपकी ही टेक्निकल रिपोर्ट में वहां पर एग्रीकल्चर नहीं है. आप बात कर रहे हैं कि हमने सिंचाई का रकबा बढ़ा दिया. माननीय सभापति जी, मैं आपके माध्यम से यह कहना चाहता हूँ कि अभी अनुसूचित जाति और जनजाति के बच्चों की छात्रवृत्ति की बात हो रही थी...
सभापति महोदय -- ओमकार सिंह जी, आपको 6 मिनट हो गए हैं. मैं सिर्फ इतना कह दूँ कि आप अपने ही सदस्यों का समय कम करा रहे हैं. इस पक्ष के बोलने वाले सदस्य कम हैं, आपके पक्ष के ज्यादा हैं, उनका ध्यान रखिए.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- सभापति जी, आपको मुख्यमंत्री बनाने के लिए हम लोग दलगत नीति से ऊपर उठकर समर्थन करते हैं.
सभापति महोदय -- उसकी चर्चा आप हमारे कक्ष में आकर कर लीजिएगा.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- हम तो पूरा समर्थन करते हैं.
श्री दिलीप सिंह परिहार -- ओमकार सिंह जी, क्यों समय खराब कर रहे हैं, आपका ही समय खराब हो रहा है.
श्री हरिशंकर खटीक -- ओमकार सिंह जी, आजकल पूरब, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, सब जगह पूरी गाड़ी राउण्ड फिगर में चल रही है.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- हम आप लोगों का दर्द पूरा समझ रहे हैं. क्या करें भई, आपके दल का निर्णय है, आप लोग समझें. हम थोड़ी मंत्री बनेंगे.
सभापति महोदय -- ओमकार सिंह जी, आप अपनी बात समाप्त करें, अन्यथा मैं दूसरे सदस्य को पुकारूंगा.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- माननीय सभापति जी, मेरा अनुरोध है कि जो छात्रवृत्ति की बात की गई. मैंने समनापुर कन्या शिक्षा परिसर का औचक निरीक्षण किया. वहां मुझे बताया गया कि पांच माह से हम उधार लेकर छात्राओं के भोजन की व्यवस्था कर रहे हैं. क्या परिस्थिति है, पांच माह से आप छात्राओं के भोजन के लिए राशि नहीं दे पा रहे हैं. वहीं पर मेट आंदोलन कर रहे हैं, उनकी बात सुनी जाए. रसोइया आंदोलन कर रहे हैं, उनकी बात सुनी जाए. संविदाकर्मी आंदोलन कर रहे हैं, उनकी बात सुनी जाए. मजदूर आंदोलन कर रहे हैं, आऊटसोर्स के लोग आंदोलन कर रहे हैं लेकिन किसी की कोई सुनवाई नहीं हो रही है. मैं पूछना चाहता हूँ कि अगर ये बजट है तो इसमें सबके हितों का ध्यान रखा जाए. सभापति महोदय, मैं आपको यह भी बताना चाहता हूँ कि हमारे पीडब्ल्यूडी मिनिस्टर जबलपुर के हैं, पर जबलपुर संभाग में आप लिस्ट देखना तो सबसे ज्यादा सिहोर में है. हमारे जबलपुर, मण्डला, डिण्डौरी में हम लोगों को जो व्यवस्थाएं मिलनी चाहिए, विकास के लिए राशि मिलनी चाहिए, वह मिल ही नहीं पा रही है. सभापति जी, इस समय आपको भी आत्मचिंतन करके हमें सहयोग करना पड़ेगा. हमारी जबलपुर संस्कारधानी का तो ख्याल ही नहीं रखा जा रहा है. अतिक्रमण होता जाता है, जिनका अधिकार है, वे ले जाएं, पर हमारे जबलपुर संस्कारधानी पर भी...
सभापति महोदय -- लगता है अनुपूरक बजट पर आपके पास जितना मटेरियल था, आप बोल चुके. अब हम दूसरे सदस्य को बुला लें.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- नहीं, नहीं, सभापति महोदय...
सभापति महोदय -- देखिए, समय की सीमा निर्धारित हुई है.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- एकाध हमारी जरूरी बात ...
सभापति महोदय -- तो आप जरूरी बात करिए ना, आप गैर जरूरी बात मत करिए.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- आधा समय तो आप समझाने में ही ले लेते हैं, वह भी आज जोड़कर समय दें.
सभापति महोदय -- जरूरी बात कर लीजिए. एक मिनट में अपनी बात समाप्त करें.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- माननीय सभापति महोदय, मेरा अनुरोध है कि मैंने मां नर्मदा की पवित्रता और मां नर्मदा के भक्तों की जो मांग है, उससे जुड़ी हुई मांग की है. एक बात आई है, माननीय वित्त मंत्री जी ने बहुत कहा कि नर्मदा एक्सप्रेस वे, तो हमने सोचा उत्तर प्रदेश का एक्सप्रेस वे का डिजाइन होगा. नर्मदा एक्सप्रेस वे का यहां पर क्या है, सिर्फ भाषण देकर माननीय उप मुख्यमंत्री जी, मैं आपको प्रणाम करता हूँ. आपका नाम जबर्दस्त है, उसके हिसाब से नर्मदा जी के लिए आपने बोला है तो काम भी करा दें. हम आपका व्यक्तिगत स्वागत करेंगे. नर्मदा एक्सप्रेस वे का कोई प्रावधान आपने नहीं किया है, भाषण में तो आपने बोल दिया कि नर्मदा एक्सप्रेस वे बनेगा. सभापति जी, मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हूँ कि हमारे जो हायर सेकेण्डरी...
सभापति महोदय -- क्षमा करें, अब नहीं संभव है. अगले वक्ता आपके ही दल के मैं बुला रहा हूँ. माननीय लखन घनघोरिया जी.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- माननीय सभापति महोदय, मैं बस एक मांग कर लूं. माननीय वित्त मंत्री जी, हायर सेकेण्डरी स्कूल, सरई, हायर सेकेण्डरी स्कूल, मजगांव, हायर सेकेण्डरी स्कूल, गौराकन्हारी, वहां बच्चों को आने-जाने में भारी परेशानी है. हाई स्कूल, सेनगुड़ा, वहां भवन ही नहीं है. बिलाईखार में दो टोला आपस में बरसात में बाढ़ के कारण डिस्कनेक्ट हो जाते हैं. वहीं पर दामी तितराही से किवाड़ डिस्कनेक्ट हो जाता है. वहीं पर एक बसनिया गांव है, जहां कि संझौला वाले बरसात के 4 महीने में बाजार नहीं आ पाते. बहुत जनहित के विषय हैं. इनको अगर आप...
सभापति महोदय -- काम की बात आपने सबसे अंत में की है, मैं समझता हूँ मंत्री जी ने नोट कर लिया होगा. अब कृपया लखन घनघोरिया जी को अवसर दें.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- अब बड़े भैया को बुला रहे हैं तो बैठना ही पड़ेगा, एक तो उधर आप बड़े, इधर ये बड़े, पर दोनों बड़े, आप ध्यान रखना कि छोटों के ऊपर कृपा करें.
श्री लखन घनघोरिया (जबलपुर पूर्व) - माननीय सभापति महोदय, अनुपूरक बजट बाईस हजार दो सौ चौबीस करोड़, तिरानवे लाख, पांच हजार, नौ सौ इक्कीस रुपये का पेश हुआ है. माह अक्टूबर, 2024 तक प्रदेश पर लगभग पौने चार लाख करोड़ रुपये का कर्ज हो चुका है और यदि अभी तक हम देखें तो लगभग चार लाख करोड़ रुपये का अनुमानित कर्ज है. सभापति जी, 11 महीने में तीस बार कर्ज लिया गया है. यदि हम प्रतिदिन के हिसाब से देखें तो 120 से 125 करोड़ रुपये तक का कर्ज और यदि हम घण्टों के हिसाब से देखें तो 4 करोड़ रुपये का कर्ज हो रहा है. इसका मतलब यह है कि हर व्यक्ति पर 60 से 65 हजार रुपये का कर्ज है. यह चर्चा अनुपूरक बजट पर हो रही है, इसको सही मायने में कहें, तो यह कर्जे पर चर्चा है. जब कर्जे पर चर्चा है, तो बहुत सी बातें ऐसी हैं, जब कर्जा लेना है तो सभी को कर्जेदार बनना है, तो किसी ने लिखा है कि,
''सांस लेने के लिए जादू खरीदे जाएंगे,
बारिश के लिए आंसू खरीदे जाएंगे,
बेच दोगे एक दिन चांद तारे सारे दीये
और फिर कहोगे, उजालों के लिए जुगनू खरीदे जाएंगे.''
माननीय सभापति महोदय, प्रदेश को अपने हिस्से की जो राशि मिली, उसकी स्थिति यह है. हमको इस वित्तीय वर्ष में 37,652 करोड़ रुपये मिलने थे, लेकिन हमें 16,194 करोड़ रुपये मिले. हम अपने हिस्से की राशि तो केन्द्र सरकार से नहीं ला पा रहे हैं. यदि हम अपने हिस्से की राशि केन्द्र से ले आए तो हमारा बहुत सारा कर्जे का बोझ भी कम हो जायेगा. मध्यप्रदेश सरकार के 47 विभाग तो ऐसे हैं, जिनमें लगभग 73 योजनाओं के फण्ड पर रोक लगा दी गई है. जिनमें महाकाल परिसर विकास योजना, नगरीय क्षेत्रों में अधोसंरचना निर्माण, प्रधानमंत्री फसल योजना, मुख्यमंत्री लक्ष्मी योजना, रामपथ गमन योजना, अचल विकास योजना, मुख्यमंत्री आवास योजना एवं संकल्प-पत्र में महाकौशल विकास बोर्ड का वायदा किया गया था, जिसका बजट में कोई प्रावधान नहीं है. गरीब परिवारों के छात्रों को कक्षा 1 से कक्षा 12 तक मुफ्त शिक्षा दिये जाने की बात कही गई थी, स्कूल शिक्षा में 500 करोड़ रुपये मांगे गए. स्कूलों की दशा बिल्कुल अलग है. छात्राओं को स्कूटी दिये जाने का वायदा था, जो आज तक पूरा नहीं हुआ. एक छात्रा को भी स्कूटी नहीं मिली है. स्कूली छात्राओं को साइकिल, गणवेश तथा लेपटॉप भी नहीं मिले हैं. स्कूल खण्डहरनुमा हो गए हैं. हम सीएम राइज, सीएम राइज स्कूल की बातें कर रहे हैं. स्कूलों के हालात सही नहीं हैं. लोक निर्माण विभाग का फण्ड 11 सौ 11 करोड़ रुपये मांगा गया है और निर्माण के लिए 302 कार्यों की सूची दी गई है. उन 302 कार्यों में, जैसे ओमकार जी बता रहे थे कि लोगों की उम्मीद होती है और जैसा मुख्यमंत्री जी कह रहे थे कि वे अपना धर्म निभा रहे हैं, यदि उज्जैन संभाग के लिए कार्य कर रहे हैं तो बहुत अच्छा कर रहे हैं. सदस्यों को उम्मीद होती है कि मंत्री जिस क्षेत्र का है, उस अंचल के लिए क्या कर रहा है ? 302 निर्माण कार्यों में जबलपुर से 2 फ्लाईओवर की मांग की गई है.
सभापति महोदय, इसमें शिवनगर उपज मंडी से कंटगी मार्ग और आई.एस.बी.टी. दीनदयाल चौक से माढ़ोताल होते हुए लगभग 3.5 किलोमीटर लंबाई हेतु लागत 450 करोड़ रुपये का जिक्र है. इसी प्रकार जबलपुर से बंदरिया चौराहे से महानर्मदा मार्ग लगभग पौने 2 किलोमीटर हेतु लागत 1 हजार करोड़ रुपये का उल्लेख है. अच्छी बात है फ्लाईओवर बनना चाहिए. सिर्फ एक विधान सभा का काम हो तो बड़ा अजीब लगता है या सीमेंट केवल एक ही क्षेत्र का हो जाए तो पक्षपात दिखता है. माह 11-12 वर्ष 2019 का एक प्रस्तावित फ्लाईओवर ब्रिज, जो कि जबलपुर में सबसे महत्वपूर्ण था, शेष फ्लाईओवर भी आवश्यक थे लेकिन यह अति आवश्यक था. पुराना नेशनल हाईवे नंबर 7 जो कि हाईकोर्ट से सीधे अब्दुल हमीद चौक से आधारताल चौराहे तक जाता है, यह वर्ष 2019 से प्रस्तावित है, प्राक्कलन, डी.पी.आर. वर्ष 2022 में तैयार हुई. ई.एन.सी.ऑफिस में यह कार्य पड़ा है. पिछली बार मैंने सदन में इस बात को उठाया तो माननीय अध्यक्ष महोदय ने एक व्यवस्था दी थी कि आप लोग बैठ जायें और बैठकर तय कर लें. बाद में मंत्री महोदय के अधिकारियों ने जो कुछ भी कहा हो कि बात केवल श्रेय की है. यह ब्रिज आवश्यक क्यों है, यह बताना चाहूंगा क्योंकि सभापति जी आप भी जबलपुर से हैं. जबलपुर की भौगोलिक स्थिति हम से बेहतर आप जानते हैं. हाईकोर्ट चौराहे से आगे बढ़ें तो अंबेडकर चौराहे से घमापुर चौराहा है.
सभापति महोदय- लखन जी, आप जो प्रस्ताव दे रहे हैं, मैं, भी उसकी प्राथमिकता से सहमत हूं चूंकि अध्यक्ष जी ने पहले आसंदी से इस बात की व्यवस्था दे चुके हैं, मैं, आपको आश्वस्त करता हूं कि इस विषय पर मैं भी आपके साथ मंत्री जी के पास चलूंगा.
श्री लखन घनघोरिया- इसमें आगे क्या परिवर्तन हुआ है, मैं, यहां वह बता रहा हूं.
सभापति महोदय- कृपया समय का ध्यान रखेंगे.
श्री लखन घनघोरिया- सभापति जी, जब यह बात तय हो गई कि आप बैठकर तय कर लें और यह मामला सदन में 6 जुलाई को उठा था और 22 सितंबर को मंत्री जी हमारे क्षेत्र का भ्रमण करते हैं, सारे फ्लाईओवर घूमकर आने के बाद और फिर मीडिया में प्रचारित हो जाता है कि फ्लाईओवर बनेगा तो जरूर लेकिन रेलवे ग्राउण्ड ऋषि रीजेंसी से हाईकोर्ट होते हुए, बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा को क्रॉस करते हुए, घमापुर चौराहा और घमापुर चौराहा से अब्दुल हमीद चौक और फिर आधारताल बिरसा मुंडा की मूर्ति तक, यह प्रस्ताव आया था.
सभापति महोदय, मैं, इसमें आपका ध्यान सिर्फ इसलिए आकर्षित करना चाहता हूं और सरकार से इस बात की उम्मीद और अपेक्षा के साथ कहना चाहता हूं कि यदि सच्ची और पवित्र मंशा के साथ हम विकास के कार्य कर रहे हैं तो फिर वे कार्य ईमानदारी के साथ होने चाहिए. ऋषि रीजेंसी से हाईकोर्ट चौराहे तक यातायात का दबाव नहीं है लेकिन हाईकोर्ट के ऊपर से यदि आप निकालेंगे तो कौन इस बात की गारंटी लेगा कि हाईकोर्ट की सुरक्षा, हाईकोर्ट की गोपनीयता, हाईकोर्ट की ऐतिहासिक बिल्डिंग की भव्यता प्रभावित होगी. कोई सरफिरा यदि हाईकोर्ट में चला जाएगा और एक बार नोटिस हो जाएगा तो वर्षों के लिए हमारा फ्लाईओवर पड़ा रह जाएगा और यदि नहीं भी गया तो हम दूसरे दरवाजे से बैठकर करवा देंगे.
सभापति महोदय-- माननीय घनघोरिया जी, इस विषय पर हम आपके साथ माननीय मंत्री जी के पास चलेंगे, बात कर लेंगे. आप कृपया कर इस विषय को समाप्त करें क्योंकि समय की सीमा है.
श्री लखन घनघोरिया-- सभापति महोदय, मैं अपनी बात दो मिनट में समाप्त करूंगा. दूसरी बात यह है कि इसमें हाईकोर्ट की अड़चन न आए, यह विवादों में न फंसे. यदि हम यह बात कहेंगे तो अतिशयोक्ति नहीं होगी कि क्या वहां बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर की प्रतिमा हटाने की कोई प्लानिंग है.
सभापति महोदय-- प्रतिमा हटाने की कोई जरूरत नहीं है. अनेकों प्रतिमाओं के ऊपर से जबलपुर शहर में अनेक फ्लाईओवर निकलकर गए हैं.
श्री लखन घनघोरिया-- सभापति महोदय, या तो आप गारंटी दे दें कि प्रतिमा नहीं हटेगी या हाईकोर्ट में लिखित दे दें. चीफजस्टिस जी यदि कह दें कि कोर्ट के सामने से फ्लाईओवर ब्रिज निकल सकता है तो हम सहमत हो जाएंगे.
सभापति महोदय-- हम मंत्री जी के कक्ष में चलकर बात कर लेंगे. आप अपनी बात को समाप्त करें और बाकी सदस्यों को भी बोलने का मौका दें.
श्री लखन घनघोरिया-- सभापति महोदय, आपने ओमकार जी को इतना लंबा समय दे रहे थे.
सभापति महोदय--ओमकार जी से मेरी दोस्ती ज्यादा है आपके मुकाबले.
श्री लखन घनघोरिया-- सभापति महोदय, हम भी आप ही लोगों की बात कर रहे हैं. किसी और की बात नहीं कर रहे हैं. आप लोग कुछ मर्यादाओं में नहीं बोल पाते हैं. हम अकेले विपक्ष के हैं तो बोलना पड़ता है. हम भी समझ रहे हैं कि औपचारिक रूप से सब बातें कही जाती हैं, लेकिन मेरा आपसे आग्रह है कि चूंकि आप हम सभी में वरिष्ठ हैं और हम यह मानते हैं कि हम लोगों के बीच में सामंजस्य है इसलिए संरक्षण भी आप ही देंगे क्योंकि यह जबलपुर का मामला है.
सभापति महोदय-- इसलिए तो मैं कह रहा हूं कि मैं आपके साथ चलूंगा. यहां सदन के समय को सरंक्षण देना मेरी प्राथमिक जबावदारी है और जिन अन्य सदस्यों को बोलना है उनको संरक्षण देना भी मेरी जबावदारी है इसलिए आपसे अनुरोध है अब आप अपना भाषण समाप्त करें.
श्री लखन घनघोरिया-- सभापति महोदय, हमारी दो, तीन छोटी-छोटी मांगे हैं. दो मिनी स्टेडियम मेरे विधान सभा क्षेत्र में बनना थे. एक बनकर तैयार है और सिर्फ लोकार्पण नहीं हो रहा है. हमारी विधान सभा में आपने संजीवनी क्लीनिक सभी जगह बनाई हैं लेकिन उनका लोकार्पण भी कहीं नहीं हुआ है. हर वार्ड में संजीवनी क्लीनिक बना दी हैं लेकिन उनका लोकार्पण नहीं हो रहा है. आपके पास डॉक्टर नहीं हैं, पैरामेडिकल स्टॉफ नहीं है.
सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय वित्त मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि आप मंत्रीमंडल के बहुत ही वरिष्ठ, गंभीर और जिम्मेदार सदस्य हैं और जबलपुर के पालक मंत्री भी हैं. एक साल हो गया है सरकार को बने लेकिन एक साल में एक जिला योजना समिति की बैठक नहीं हुई है. विकास के काम अवरुद्ध हैं. जबलपुर में राजनीति के दो पॉवर स्टेशन बन गए हैं. अधिकारी भी बहुत ही पशोपेश में रहते हैं. मेरा आग्रह है
सभापति महोदय-- आपकी बात आ गई है, आपने पर्याप्त समय ले लिया है.
लखन घनघोरिया-- सभापति महोदय, देश में पीएम, प्रदेश में सीएम और हर शहर में डीएम, हर विधायक परेशान है अपने-अपने शहरों में. प्रभारी मंत्री फ्री हैं इसलिए हम क्या कहेंगे जब नहीं आते हैं तो उनको एफएम कहेंगे. प्रभारी मंत्री आएं तो कसावट रहेगी, बैठक लें तो विकास के कार्यों पर फोकस होगा. मेरा आग्रह है आप अनुपूरक कितने भी ले आएं, लेकिन जनोपयोग में कितना आ रहा है मेरा यही आग्रह है आपने बोलने का समय दिया इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्रीमती गंगा उइके-- सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से निवेदन करना चाहती हूं और माननीय सदस्य को यह बताना चाहती हूं जैसा कि उन्होंने कहा कि शासन द्वारा छात्राओं को स्कूटी प्रदाय नहीं की गई लेकिन मैं आपको अवगत कराना चाहती हूं कि....
सभापति महोदय-- बहन जी जब आपका समय आएगा आप तब बोल लीजिएगा. अभी शैलेन्द्र जैन जी का समय है
श्रीमती गंगा उइके-- सभापति महोदय, मेरा समय नहीं है लेकिन मैं अवगत कराना चाहती हूं कि छात्राओं को शासन के माध्यम से स्कूटी मिली है मैं यह आपको ध्यान दिलाना चाहती हूं. धन्यवाद.
श्री शैलेन्द्र जैन (सागर) -- माननीय सभापति महोदय, मैं इस सरकार के प्रथम अनुपूरक, जो लगभग 22 हजार 224 करोड़ रुपए का है, का समर्थन करता हूं.
सभापति महोदय, मैं इस विषय पर सबसे पहले इस बात का उल्लेख करना चाहता हूँ कि यह 22 हजार करोड़ रुपए में 9 हजार करोड़ रुपए केपिटल एक्सपेंडीचर के लिए रखे गए हैं, यह बहुत बड़ी बात है. लगभग 40-45 प्रतिशत का खर्चा पूंजीगत व्यय के लिए है. पूंजीगत व्यय का मतलब है रोजगार के नए अवसर, इंफ्रास्ट्रक्चर का डेवलपमेंट, मध्यप्रदेश का डेवलपमेंट. मैं इस बात के लिए माननीय मुख्यमंत्री महोदय को, सम्माननीय उप मुख्यमंत्री महोदय जो कि वित्त मंत्री हैं उनका अभिवादन करना चाहता हूँ.
सभापति महोदय, लोक निर्माण विभाग द्वारा अनेक विधायकों की बहुत सारी सड़कें जो मुख्य बजट में रह गईं थीं ऐसी लगभग 850 सड़कों को सप्लीमेंट्री बजट में स्थान देकर एक बड़े वर्ग का ध्यान रखा है. सत्तापक्ष और विपक्ष के सभी साथियों का उन्होंने ध्यान रखा है.
सभापति महोदय, लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग में मेडिकल कॉलेजों के निर्माण से संबंधित जो बीजारोपण हमारी पिछली सरकारों ने किया था वे पुष्प पल्लवित होने शुरु हो गए हैं. इस वर्ष में ऐसे अनेक मेडिकल कॉलेज हैं जो बनकर तैयार हो गए हैं. इनके लोकार्पण के कार्यक्रम होना शुरु हो गए हैं. मैं आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ कि हमारे बुंदेलखण्ड का एकमात्र मेडिकल कॉलेज है वह मेडिकल कॉलेज जिला चिकित्सालय जैसा काम कर रहा है. वहां पर सुपर स्पेशियलिटी की जो हम अपेक्षा कर रहे थे वे अपेक्षाएं हमारी पूर्ण नहीं हो पाई हैं. पिछली विधान सभा में तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा मंत्री जी ने बुंदेलखण्ड मेडिकल कॉलेज के लिए केथ लेप स्थापित करने की स्वीकृति दी थी. मुझे दुख के साथ कहना पड़ रहा है, वित्त मंत्री महोदय आप इस ओर जरुर ध्यान दें. समूचे बुंदेलखण्ड में शासकीय व्यवस्था में एंजियोग्राफी, एंजियोप्लास्टी जैसी सुपर स्पेशियलिटी की कोई सुविधा नहीं है. यदि आप आंकड़े देखेंगे तो मध्यप्रदेश में सर्वाधिक कैंसर पेशेंट अगर कहीं हैं तो वे हमारे बुंदेलखण्ड के हैं. सागर संभाग के हैं. ऐसे में सागर में मेडिकल कॉलेज के साथ हमें एक कैंसर हास्पिटल की नितांत आवश्यकता है. यह दो विषय गंभीर किस्म के हैं. सभापति महोदय, आप इस विभाग की गंभीरता को बहुत अच्छी तरह से समझते हैं, आप इसके मंत्री रह चुके हैं.
सभापति महोदय, मैं आयुष विभाग के बारे में भी बात करना चाहता हूँ. यह हमारी परम्परागत चिकित्सा पद्धति है. मैं माननीय मुख्यमंत्री महोदय को धन्यवाद देना चाहता हूँ कि एक साथ लगभग एक साथ लगभग 5-6 जगहों पर आपने आयुष महाविद्यालय खोलने की जो घोषणा की थी वह महज घोषणा नहीं थी, उसके लिये बजट का आवंटन हो चुका है और हमारा सागर भी भागयशाली है कि वहां भी एक आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज शुरू होने वाला है, इस बात के लिये सम्माननीय वित्त मंत्री आपको और मुख्यमंत्री महोदय को बधाई देना चाहता हूं. सभापति महोदय, एक विषय इस संबंध में मैं, चूंकि हमारे प्रभारी मंत्री और इस विभाग के मंत्री महोदय नहीं हैं, आप इसको नोट कर लें कि जो अभी नये मेडिकल कॉलेज बन रहे हैं और नये मेडिकल कॉलेज में एक व्यवस्था बनाई गई है कि वह मेडिकल कॉलेज जो पब्लिक प्रायवेट पार्टनर शिप में बन रहे हैं वह व्यवस्था यूं है कि जो हमारे जिला चिकित्सालय हैं उन जिला चिकित्सलयों को पहले उसमें मर्ज किया जा रहा था, अब यह निर्णय किया गया है कि उनका मर्जर न करते हुये उनकी एन्टिटी इन्टेक्ट रखते हुये और उनकी सम्बद्धता के आधार पर उनका संचालन किया जाएगा. यानी जिला चिकित्सालय ज्यों के त्यों काम करेंगे, लेकिन मेडिकल कॉलेज से सम्बद्ध रहेंगे. हमारे सागर का जो मेडिकल कॉलेज है, उसमें हमारे जिला चिकित्सालय के मर्जर का कैबिनेट में प्रस्ताव पारित हो गया है. मैं इस सदन के माध्यम से, सभापति जी, आपके माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री जी, वित्त मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि इसमें आप इंटर्विन करिये. सागर में इस संबंध में असंतोष व्याप्त है. हमारा भी डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल अपने इंडीपेंडेंट तरीके से काम करे. जिला चिकित्सालय की एन्टिटी समाप्त न हो, सम्बद्धता के आधार पर जैसा बाकी जगहों पर हुआ है सागर में भी करने की कृपा करेंगे.
सभापति महोदय, उच्च शिक्षा विभाग के संबंध में भी मैं प्रसन्न्ता पूर्वक कहना चाहता हूं कि इस सप्लीमेंट्री बजट में भी हमारे रानी अवंती बाई लोधी विश्वविद्यालय के संबंध में आपने कुछ टोकन मनी दी है, वहां पर आपकी घोषणा के अनुरूप, माननीय मुख्यमंत्री जी के घोषणा के अनुरूप न केवल इस सत्र से हमारा शैक्षणिक कार्य शुरू हो गया है, हमारा विश्वविद्यालय भी शुरू हो गया है. साथ में जगह का अलॉटमेंट करके बजट का अलॉटमेंट भी हो गया है. नया भवन बनने का मार्ग प्रशस्त हो गया है. मैं प्रसन्नता पूर्वक समूचे बुंदेलखंड की ओर से माननीय मुख्यमंत्री मोहन यादव जी का, वित्त मंत्री जी और विभागीय मंत्री महोदय का बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूं.
सभापति महोदय -- धन्यवाद शैलेन्द्र जी, आपने सीमित समय में बहुत व्यवस्थित तरीके से अपनी पूरी बात रख ली. आपका अनुसरण दूसरे सदस्य भी करें. यह अनुरोध मैं बाकी दूसरे सदस्यों से करता हूं.
श्री तुलसीराम सिलावट (जल संसाधन मंत्री) -- केन बेतवा के संबंध में भी आपको कुछ बोलना चाहिये.
सभापति महोदय -- डॉ. सीतासरन शर्मा जी उस विषय पर बोल चुके हैं. दोहराने की आवश्यकता नहीं है.
श्री शैलेन्द्र जैन -- सभापति महोदय, मुझे केन बेतवा की बात करनी है. हमारे बुंदेलखंड में हरित क्रान्ति होने वाली है और बेतवा की जो हमारी ट्री ब्यूटी है, बीना नदी परियोजना का भी लगभग 50 प्रतिशत् काम खत्म हो गया है. दोनों डैम बन गये हैं. मैं सम्माननीय विभागीय मंत्री श्री तुलसी सिलावट जी को हृदय की गहराइयों से धन्यवाद देना चाहता हूं. जिस तेजी से काम शुरू हुआ है, केन बेतवा हमारी जो परियोजना है उससे तो निश्चित रूप से बुंदेलखंड की तस्वीर बदल जाएगी.
सभापति महोदय -- शैलेन्द्र जी, कृपया समाप्त करें. आपको पर्याप्त समय मिल गया है.
श्री शैलेन्द्र जैन -- सभापति महोदय, एक शेर पढ़कर समाप्त करूंगा.
श्री अभय मिश्रा -- अब हम आपका शेर पढ़ देंगे.
श्री शैलेन्द्र जैन -- अभय जी, आप ठेकेदारी करिये, शेर ओ शायरी हम लोगों पर छोडि़ये ना.
श्री अभय मिश्रा -- न आप तेंदू का पत्ता बेचिये और न हम यहां ठेकेदारी करें. शेर पढ़ें, है ना.
श्री शैलेन्द्र जैन -- सभापति महोदय, मैं इस सरकार के मुखिया और सम्माननीय वित्त मंत्री जी को कहना चाहता हूं कि ‘’है वही सूरमा इस जग में जो अपनी राह बनाता है, कुछ चलते हैं पदचिह्नों पर कोई पदचिह्न बनाता है.’’ बहुत-बहुत धन्यवाद सभापति महोदय.
श्री अभय मिश्रा (सेमरिया) -- सभापति महोदय, आपने जैसे जबलपुर को अभी स्नेह दिया, आप हमारे प्रभारी मंत्री रहे हैं हम लोग भी आपके बड़े करीबी रहे हैं, उम्मीद करते हैं कि आप हमें भी स्नेह प्रदान करेंगे.
सभापति महोदय -- विषय सीधे-सीधे रखिये. समय पर रखिये. आप दाएं बाएं भटकेंगे, तो समय खराब होगा और मुझे टोकना पड़ेगा. शैलेन्द्र जी को मुझे इसलिये टोकना नहीं पड़ा क्योंकि वह विषय से भटके नहीं.
श्री अभय मिश्रा --सभापति महोदय, मैं आज यहां पर जो बात करूंगा वह पक्ष और विपक्ष के हिसाब से नहीं करूंगा . हमारी बातों को थोड़ा सा आप लोग गहराई से लीजियेगा. हमारी कमी क्या है कि हमारा आचरण बन चुका है कि आप सत्य भी बोलेंगे तो हम उसका विरोध करेंगे , हम सत्य बोलेंगे तो आप उसका विरोध करेंगे. इस आचरण से हटकर के हम बेहतर क्या कर सकते हैं उस दिशा में हमें काम करना चाहिये.
सभापति महोदय, जब से मोबाइल आया पूरी दुनियां में क्रांति आई और ऐसा नहीं है कि मध्यप्रदेश में सिर्फ विकास हुआ है, पूरी दुनियां में हुआ, हर जगह हुआ है. पिछले 20 वर्षों में और उससे पहले भी विकास हुआ है और यह सतत् प्रक्रिया रही है और मध्यप्रदेश में भी विकास हुआ है. सड़कें बनी हैं, भवन बने हैं, कांक्रीट के जंगल बने हैं. शिक्षा के क्षेत्र में, स्वास्थ्य के क्षेत्र में और रोजगार के क्षेत्र में हम पिछड़े हुये हैं, यह हमको समझना है. सभापति जी, आज हम अनुपूरक बजट पर चर्चा कर रहे हैं जो मूल उद्धेश्य है. बजट कितना है , 3 लाख 65 हजार करोड़ का तो हम सीधे सीधे मुख्य बात पर आते हैं. माननीय उप मुख्यमंत्री जी आपको लगता है, थोड़ा गंभीरता से लीजियेगा कि 4 लाख करोड़ के बजट के अनुरूप क्या हम परिलक्षित हो रहे हैं, हमारा प्रदेश परिलक्षित हो रहा है क्या . आप अपने सीने में हाथ रखकर सोचिये क्या यह है. मुझे तो ढाई लाख करोड़ का दिखता है.
सभापति महोदय-- अभय जी, आज अनुपूरक बजट पर चर्चा हो रही है.
श्री अभय मिश्रा -- सभापति जी, मैं उसी पर अपनी बात रख रहा हूं. यह जो डेढ़ लाख करोड़ रूपये है, यह डेढ़ लाख कहां गये इसकी खोज होना चाहिये. सभापति महोदय, पिछले 20 वर्षों में जो कुछ भी हुआ , हमारा उस पर सीधा सीधा कहना है कि जो हमारे बजट बने, जो काम हुये हैं इसमें मैं आपको पूरे विश्वास के साथ में कहता हूं कि इसमें राजनेता बिल्कुल भी संलिप्त नहीं थे.. सत्ता पक्ष के नेता भी इसमें संलिप्त नहीं थे, दो लोग संलिप्त थे, अब वो भी नहीं हैं, इस खेल को अंदर रहकर जो खेला जाता है उसमें एक ही लोग हो सकते हैं बाकी विधायक, मंत्री इनसे छूटा है. इनको तो केवल गुलदस्ता है और अधिकारी और कर्मचारी राज में यह देढ लाख करोड़ रूपये घूम रहा है.
सभापति महोदय, होता क्या है कि 100 करोड़ का पुल है, डीपीआर बन रहा है 130 करोड़ का उसकी ईपीसी कान्ट्रेक्ट है ड्राइंग और डिजाइन कान्ट्रेक्टर की है. डीपीआर में 2 मीटर चौड़ा ब्रिज का दिखा दिया, वह उसके स्पेसिफिकेसन के अनुसार एक ही मीटर की जरूरत थी कान्ट्रेक्टर ने उसको रिवाइज करके 1 मीटर कर दिया 130 करोड़ रूपये का टेण्डर कॉल हुआ और 90 करोड़ में वही अधिकारी फाइनल कर रहे हैं. तो तुमने ही पहले 90 करोड़ का क्यों जारी नहीं किया यह बात पूछने वाला कोई नहीं है इसीलिये यह देढ़ लाख करोड़ का हमारे सर पर कर्ज है.
सभापति महोदय, अब मैं, कैग की रिपोर्ट के आधार पर लोक निर्माण विभाग पर अपनी बात रखना चाहता हूं. यह कैग की रिपोर्ट है इसमें लिखा है कि अपर्याप्त सर्वेक्षण और अवास्तविक प्रारंभिक प्राक्कलन के कारण ,निष्पादन के दौरान ड्राइंग, डिजाइन में बड़े परिवर्तन हुये, लेखा परीक्षक ने बताया कि 5 संभागों में भोपाल, इंदौर, जबलपुर ,रीवा और उज्जैन के 12 पुलों के ड्राइंग और डिजाइन में बड़े बदलाव जैसे कार्यस्थल-परिवर्तन एबटमेंट का स्थान परिवर्तन, नींव की प्रकृति में परिवर्तन, स्थान की संख्या एवं लंबाई में बदलाव, पुल की प्रकृति में परिवर्तन इत्यादि ठेकेदार को कार्य सौंपे जाने के बाद किये गये थे इसके परिणामस्वरूप कार्यों की लागत में पांच से 137 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई. और इसमें 137 प्रतिशत अतिरिक्त लागत 2421 करोड़ रूपये खर्च हुये. इस तरह की प्रवृत्ति है.
सभापति महोदय, मैं आपको आगे बताना चाहता हूं कि यह भारत के नियंत्रक , महालेखापरीक्षक का वर्ष 2023 का प्रतिवेदन है , हम नहीं कह रहे हैं यह आपकी ही कैग की रिपोर्ट कह रही है कि अपर्याप्त संरक्षण और अवास्तविक, प्रारंभिक प्राक्कलन के कारण कार्य के निष्पादन के दौरान ड्राइंग और डिजाइन में बड़े परिवर्तन हुये फिर इसमें कहा गया है कि पांच संभागों के 12 पुलों के ड्राइंग-डिजाइन में परिवर्तन हुये जिसके कारण से 137 प्रतिशत की वृद्धि हुई, इस तरह का प्रश्न मैंने आपके यहां भी लगाया था. अब इसके बाद में आते हैं लेखा परीक्षक ने पांच संभागों में 16 पुलों के कार्यों के बीओक्यू में बताया कि 277 स्थानों में पियर्स और एबटमेंट पर एक्सप्लोरेटोरी बोरिंग के प्रावधान थे लेकिन उसको न कराकर के केवल 98 स्थानों पर कराया गया और कार्य के दौरान उसका सब सॉयल परीक्षण नहीं किया गया, इस इस तरह की कैग की रिपोर्ट हैं .
सभापति महोदय, इस कैग की रिपोर्ट के 2020-21 के अध्याय-2 के पैरा 213 पर लेख है कि 2016 से 2021 के दौरान उधार लिये गये धन का उपयोग की प्रवृत्तियां और विवरण तालिका 2-3-8 में दिया गया है उसमें विशेष टिप्पणी की गई है कि उधार लिये गये धन का उपयोग पूर्व लक्षित मद के अंतर्गत पूंजी निर्माण एवं बकाया कर्ज पर ब्याज अदायगी के लिये किया जाना संधारणीय नहीं है,जो कि किया गया है. इसी तरह 3.6.2 में भिन्नता हेतु लेख है कि व्यय बजट से पूर्णतः भिन्न है, मूल और अनुपूरक से. जो हम यहां स्वीकृत करते हैं और जो खर्च होता है, वह एकदम भिन्न होता है. औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन के लेखे में भी एवं गृह विभाग में भी उसका सम्पूर्ण विवरण नहीं दिया गया है. यह हो गई पीडब्ल्यूडी की स्थिति. अब मैं लघु अद्योग की बात करता हूं. हमारे लघु उद्योग के मंत्री जी, चेतन्य कुमार काश्यप साहब हैं, काफी सक्षम हैं, इन कामों को वे समझते भी हैं. इसकी स्थिति बेहतर है. लघु एवं मध्यम उद्योग हेतु सत्र जुलाई,2024 में 694 करोड़ लिया गया. इसी जुलाई में. वर्तमान के अनुपूरक बजट में 450 करोड़ दिया जा रहा है. कुल लगभग 1300 करोड़ हुआ. पूर्व से लघु उद्योग हेतु देनदारी 900 करोड़ एवं मध्यम उद्योग हेतु 500 करोड़ की देनदारी लंबित है. कुल 1400 करोड़ देना है. उसके विरुद्ध 1300 करोड़ उपलब्ध हैं, स्थिति बेहतर है. इसमें एक चीज आप देखिये. इसके पश्चात् विधानसभा चुनाव पूर्व 27 सितम्बर,2023 में हुई बैठक की मिनट बुक 14 नवम्बर,2024 को जारी हुई, एक साल कुछ महीने बाद, जिसमें 35 प्रकरण लंबित थे, इसके अतिरिक्त पिछले एक वर्ष में 65 प्रकरण पुनः विभाग में आकर बैठक की प्रत्याशा में एक वर्ष से लंबित है, जिनकी बैठक आज हुई है. इस तरह से मतलब हम बाहर ढूण्ढने जा रहे हैं और जो हमारे पास प्रस्ताव पड़े हैं, उनको हम नहीं कर रहे हैं. एक इण्डस्ट्रियल सिक्योरिटी है. आज भी मध्यप्रदेश में इण्डस्ट्री के लिये वातावरण नहीं है. लोकल न्यूसंस है, राजनीति है. ये गुजरात जैसे यहां पैटर्न नहीं हैं. चाहे आप किसी शहर चले जाइये, हम तो बैतूल, छिंदवाड़ा से अच्छा नहीं मानते हैं कहीं. वहां भी जब है. इण्डस्ट्रियल सिक्योरिटी का परपज भी यही रखा गया था, लेकिन उसका रेट इतना अधिक है, 96 हजार एक सिपाही का रेट है और जरुरत पड़ती है, तो उसको कम से कम आधा करें, उसमें सब्सिडी दें, तो लोग उसका उपयोग कर सकें. तो थोड़ा उसका भी लाभ उठा सकें. अब हम आपसे बात कर रहे हैं वृहद उद्योगों के बारे में..
सभापति महोदय—अभय जी, 8 मिनट हो गये हैं, बहुत अच्छी बात है कि बिना व्यवधान के आपको समय मिला है. चलिये, 2 मिनट में समाप्त करिये.
श्री अभय कुमार मिश्रा-- सभापति महोदय, सीएस की अध्यक्षता में होने वाली साधिकार समिति की बैठक सितम्बर,2023 के बाद नहीं हुई. 50 से 60 प्रकरण स्वीकृति की प्रत्याशा में एक वर्ष से अधिक समय तक लंबित रहे और हमारे यहां एक कहावत है, बाकी हम इवेंट कर रहे हैं, जो हमारे पास वृहद उद्योग की बात है, हमारे यहां रीवा में एक कहावत है कि घर की परी बिने न बिनाये, परी बिने पहाड़े जाये. अब एक प्लाण्ट और सब्सिडी में देने हेतु निवेश प्रोत्साहन में मात्र 200 करोड़ एवं अग्रिम मद हेतु 50 करोड़ रुपये दिये गये हैं, जबकि मूल बजट में 2832 करोड़ 7 लाख की स्वीकृति दी गई थी. यह इसकी रिपोर्ट है. इसमें जितने पैसे की आवश्यकता है, उतना उपलब्ध नहीं है. मेरी एक और बात है कि जो सिंचाई विभाग है, सिंचाई विभाग और एनवीडीए, इसमें जो मद दिया गया था, वह मद पीडब्ल्यूडी ब्रिज के स्टाइल में खाली हो गया. जैसे की लूट-पाट पीडब्ल्यूडी के ब्रिज में हुई है, डीपीआर के खेल में कि 100 रुपये को 130 रुपये दिखाओ, फिर वही 90 रुपये हो जाये. फिर 40 रुपये को कर लो. यह पहले दिन ही क्यों नहीं कर रहे हैं. मैं यह जो कहना चाह रहा हूं कि डेढ़ लाख करोड़ कहां गये, यह डेढ़ लाख करोड़ यहीं गये हैं. यह जो ब्लैक मनी जनरेट हो रही है, बड़े बड़े कामों में अधिकारियों का पैसा लग रहा है, यह यहीं से आ रहा है और प्रति व्यक्ति कर्ज हम लादे दे रहे हैं, आम आदमी के ऊपर 60-65 हजार रुपये प्रति व्यक्ति पर कर्ज दे रहे हैं और मुट्ठी भर लोग इसका लाभ उठा रहे हैं और हम केवल यहां पर एक दूसरे के विपक्ष में ताली बजा रहे हैं. तो इस स्थिति को कौन सोचेगा. यह डीपीआर के खेल और जो इस तरह के खेल हो रहे हैं, पैसे के लूट-पाट के और यह आज से नहीं हो रहे हैं, पिछले 20 वर्ष से हो रहे हैं..
सभापति महोदय-- धन्यवाद अभय जी. अब आप विषय को दोहरा रहे हैं. मेरा अनुरोध है कि आप समाप्त करें, 10 मिनट हो गये हैं आपके.
श्री अभय कुमार मिश्रा—जी. सभापति महोदय, धन्यवाद.
श्री आरिफ मसूद. (भोपाल मध्य)- सभापति महोदय, अनुपूरक बजट है. इस अनुपूरक बजट पर मैं केवल चंद बातें जो मेरे दिमाग में है, मैं सोचता हूं कि सदन को उससे अवगत होना चाहिये. पैसा मांगा गया, हम इसका समर्थन क्यों करें. मुझे बहुत ज्यादा गणित नहीं आती है, लेकिन आंकड़ों में बजट अच्छा लगता है. परंतु जब वास्तविकता में देखते हैं तो धरातल पर कुछ मिलता नहीं है. जब हम लोक निर्माण विभाग, शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य विभाग की बात करें, जिस विभाग का भी बजट देखेंगे तो आंकड़ों में बहुत अच्छे-अच्छे बजट के प्रावधान हैं और वास्तव में ऐसा लगता है कि वाकई में ऐसा बजट आने वाला है, जिससे प्रदेश के अंदर बड़ी खुशहाली आने वाली है और अभी सवाल को एक साल हो गये हैं और उसका एक साल, बेमिसाल सरकार ने जश्न भी बनाया. लेकिन मैं यह जनता के साथ धोखा मानता हूं. क्योंकि तमाम जगहों पर आज भी परेशानी बरकरार है. सभापति महोदय, एक तरफ से भोपाल की राजधानी होने के नाते, अभी जबलपुर की बात चली, भोपाल में हम लोग लगातार कहते रहे हैं कि बजट में यह प्रावधान हो जाये तो बहुत अच्छा रहेगा, वित्त मंत्री जी चले गये हैं. भोपाल शहर के अंदर सबसे ज्यादा सड़कों पर जाम रहता है. तमाम ओवर ब्रिजेस् की यहां पर जरूरत है. अभी कई रिंग रोड बनाये, आपकी सरकार ने बनाये, उसके लिये धन्यवाद. शहर के बाहर के इलाकों में आपने दिया, लेकिन शहर के अंदर का माहौल आज भी वही है, सड़कों पर जाम लगता है. भोपाल राजधानी है, बाहर से लोग आते हैं.
सभापति महोदय, बाहर से लोग आते हैं और भोपाल शहर में घूमेंगे तो हमको शर्मिंदगी होती है. इसलिये मैं चाहता हूं कि जब मेन बजट आये तो कम से कम वित्त मंत्री जी भोपाल का इसका प्रावधान करेंगे तो हम लोगों को खुशी होगी कि हां, सरकार अब कुछ सोच रही है, कुछ समझ रही है और कुछ करना चाह रही है. जहां तक अल्पसंख्यक कल्याण संस्थाओं की बात है. मैं लगातार हर बजट पर यह बात उठाता रहा हूं, लेकिन किसी भी बजट में, कभी भी हर बार यह होता है कि इस बार. मेरी वित्त मंत्री जी से बाद में भी बात हुई, उन्होंने कहा कि बिल्कुल इस बार प्रावधान करेंगे. आप अल्पसंख्यकों को क्यों अछूता समझते हो, क्यों आप हम लोगों को अलग करना चाहते हो. हमारे इदारों में आप पैसा क्यों नहीं देना चाहते हो. जब प्रावधान है तो दीजिये और बढ़ा कर दीजिये. जब आप सब जगह बढ़ाते हैं और जब बजट तैयार होता है तो हमारे यहां क्यों भेदभाव होता है ? हमारे यहां तमाम चीजों में, जैसे वक्फ बोर्ड का बजट देख लीजिये, मदरसे का देख लीजिये और मसाहिद कमेटियों का बजट देख लीजिये. हर बजट को आप लगातार कम कर रहे हैं, तो मैं चाहूंगा कि यह बजट बढ़ना चाहिये.
सभापति महोदय, एक भेदभाव की बात है, हांलाकि आपकी पीड़ा भी मैं जानता हूं. लेकिन चाहे जबलपुर हो,रीवा हो ऐसा भोपाल में भी है. हम विधायकों के साथ में भी जो हुआ, अभी मुख्यमंत्री जी कह रहे थे कि 15 करोड़ और 5 करोड़ का मुद्दा उठा. मैं तो यह कहना चाहता हूं कि कल जब बहस हो रही थी, वह बड़ी सार्थक बहस थी और कल हमने अपने विधान सभा की स्थापना का दिवस भी मनाया, बधाई है और खुशी भी होती है, पहले बड़े नेता रहे, वह कल सुना, बड़ा अच्छा लगा. पक्ष, विपक्ष के सारे नेताओं के नाम लिये गये. बड़ा आनन्द रहा था कि वास्तव में नेता थे. जो राजनीति और दलगत राजनीति से हटकर प्रदेश के भविष्य के बारे में भी सोचते थे. लेकिन आज ऐसी स्थिति निर्मित क्यों होती जा रही थी कि भेदभाव हो. अगर भेदभाव की यह श्रेणी है तो यह अच्छी नहीं है.विकास के काम होना चाहिये. माननीय कैलाश जी यहां बैठें हैं, मैं तो चाहूंगा काफी समय से यह जो हमारा मास्टर प्लान है, वह भी बहुत समय से अटका हुआ है. हर बार उस पर प्रयास होता है, कैलाश जी ने एक बैठक भी बुलायी थी और उसमें सबको बुलाया भी था. मास्टर प्लान आ जाये, मास्टर प्लान आ जायेगा तो शहर विकास करेगा, शहर विकास करेगा तो प्रदेश विकास करेगा. लेकिन अनेक बार मैं देखता हूं कि कहीं न कहीं कुछ रोकाटाकी होती है और काम रूक जाते हैं तो मैं यह उम्मीद करूंगा की जिस तरह से शहर का विकास होता है, प्रदेश का विकास होता है तो वित्त मंत्री जी आप लोग भोपाल की तरफ ज्यादा ध्यान देंगे. क्योंकि जब देश में हम बाहर जाते हैं तो वहां की राजधानियों में घूमते हैं तो वहां से हम यह एहसास करते हैं कि इस प्रदेश का क्या हाल है. अगर वहां अच्छा वातावरण होता तो अच्छा लगता है. हम कोटा जाते हैं और कोटा से जयपुर जाते हैं तो देखते हैं तो लगता है कि यहां काम हुआ. तो मैं चाहूंगा कि सभी दल के लोगों को एक साथ इस रास्ते पर आना चाहिये और यह कोशिश करनी चाहिये की राजधानी की तरफ भी विशेष ध्यान दें. यहां पर फ्लाई ओवर यहां पर होना चाहिये. 15 करोड़ का आपने कहा था, 5 करोड़ मुख्यमंत्री जी ने और आप सब लोगों ने, नेता प्रतिपक्ष जी ने सबने कहा था कि कांग्रेस विधायकों के भी प्रस्ताव दे दिये जायें, नहीं दे पा रहे हैं, कोई वज़ह है. जनता के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिये. अगर ऐसी स्थिति है तो हम लोग तो यही कह सकते हैं, आपके माध्यम से की हमारी सैलेरी ले लो, लेकिन विकास में रोड़ा मत डालो. धन्यवाद.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा (जावद) - सभापति महोदय, मैं प्रथम अनुपूरक बजट के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं. मैं बहुत देर से सुन रहा था कि कितना कर्ज ले लिया, यह नहीं हुआ, वह नहीं हुआ. सरकार वीज़न के साथ एक विषय और एक टारगेट लेकर चलती है. कहीं न कहीं जब वर्ष 2003 से, उस समय की भी बातें आईं कि उस समय पर 30 हजार करोड़ रुपया का कर्ज था, लेकिन पूरे प्रदेश के विकास का बजट 4 हजार करोड़ रुपये से भी कम का था, उतना बजट अकेले नीमच जिले में अब एक योजना पर हम खर्च कर रहे हैं, सिंचाई और पेयजल में केवल एक योजना पर पूरे प्रदेश के विकास के बजट के बराबर खर्च कर रहे हैं. मैं बात करूं कि अगर वीज़न न हो, आने वाले समय की जरूरत के हिसाब से पहली बार अगर कहीं भारत में सबसे अच्छे सीएम राईज स्कूल की बात करें तो सबसे ज्यादा सीएम राईज स्कूल खोले क्योंकि आने वाला समय आने वाली पीढ़ी को तैयार करने का है. (मेजों की थपथपाहट). और गति से अगर हमारी नयी पीढ़ी तैयार नहीं होगी तो वास्तव हम और ज्यादा पिछड़ जाएंगे क्योंकि पहले मध्यप्रदेश की कई राज्यों में सबसे नीचे से गिनती आती थी, अब ऊपर के टॉप फाईव में गिनती आती है, सिर्फ इतना-सा अंतर आया जो विपक्ष के दिमाग में नहीं बैठता है क्योंकि उनकी व्यक्तिगत पूर्तियां नहीं हो रही हैं. व्यक्तिगत पूर्तियों और सार्वजनिक पूर्तियों का अंतर क्या होता है कि अगर हम सिंचाई का रकबा, नर्मदा का पानी का वर्ष 1980 में बंटवारा हुआ, तब से लेकर वर्ष 2006 तक एक बूंद पानी का उपयोग एक्सट्रा नहीं कर पाए.
सभापति महोदय, आज जो तरक्की हुई, किसान सक्षम हुआ, गांव सक्षम हुआ क्योंकि प्रधानमंत्री जी श्री अटल जी ने ग्राम सड़क शुरू की थी तो मोदी जी ने हर घर तक आवास गांव में दिया, वह एक व्यक्ति के लिए आवास नहीं दिया था, उस आवास के माध्यम से गांव के 20 लोगों को कुछ रोजगार मिला. वहां गांव की एक इकानॉमी में परिवर्तन आया क्योंकि उसने ईंट कहीं से खरीदी, कहीं से रेती ली, किसी को मजदूरी दी, किसी का होटल चला, किसी का टेम्पो चला तो गांव की इकानॉमी से पूरे प्रदेश की इकानॉमी में अंतर आया. यह समझना पड़ेगा.
सभापति महोदय, मेडीकल कॉलेज की बात आई. पूरे प्रदेश में 7 मेडीकल कॉलेज होते थे. आज इतने हो गये और उसका अंतर यह आया कि आज गांवों में आदमी को जो 100-200 कि.मी. इमरजेंसी में ले जाना पड़ता था, वह आज 50-100 कि.मी. के रेडियस में आता है. अगर मैं हमारे संभाग की बात करूं, नीमच, मंदसौर, रतलाम, हर जगह मेडीकल कॉलेज खुल गये हैं और मेडीकल कॉलेज का अंतर यह पड़ा कि गांव के बच्चे भी जब नम्बर बढ़े तो आज मेडीकल में डॉक्टरी करके वापस गांव में सेवा देने के लिए तैयार हो रहे हैं. मुझे खुशी है कि जब मैंने देखा, बजट में बात की तो उस मेडीकल कॉलेज में आज केवल मेरी एक विधान सभा के 40 बच्चे डिफरेंट कालेजेस में हैं. टोटल रूरल 12 हजार हाईएस्ट पाप्युलेशन का गांव है. यह अंतर है सरकार की नीति के कारण, सरकार की नीति में एक और नियम आया कि अगर सरकारी स्कूल का बच्चा है, ग्रामीण बच्चा है तो उसको प्राथमिकता पर सरकारी मेडीकल कालेज में एडमिशन दिया जाएगा, यह नीति और सोच का अंतर है. मैं देख रहा था कि न बिजली थी, न पानी था, न सड़क थी, क्या जीवन था? कैसे आदमी जीता होगा? वर्ष 2003 के पहले की यह हालत थी. (श्री महेश परमार, सदस्य के कुछ कहने पर) सभापति महोदय, मैं माननीय 21 साल से इस सदन का सदस्य हूं. उस समय मध्यप्रदेश के बिजली बोर्ड तो भारत के सबसे अच्छे बिजली बोर्ड का अवार्ड मिलता था. सरप्लस बिजली थी. उस समय पानी का जो डिस्ट्रीब्यूशन था आज उससे विकास हो रहा है, यह ऑन रिकार्ड है यह देख लीजिएगा.
सभापति महोदय, कहीं न कहीं हम अगर आज सोचते हैं तो ट्रेडिशनल खेती और पानी भरपूर होने से हम एडवांस फार्मिंग के बारे में प्लान करते हैं. पिछले साल मध्यप्रदेश में देश का छठा बायो-टेक्नालाजी पार्क स्वीकृत हुआ, उसमें कैसे एडवांस फार्मिंग हो और जब कोरोना का समय आया था तो बहुत चर्चाएं हुई थी कि हमारे हर्ब्स और श्रब्स जो एक्सपोर्ट हुए. उससे कुछ लोगों की आमदनी बढ़ी. काफी चर्चाएं आ रही थीं, एक दिन बैठे-बैठे मैंने बुलाकर बात की और फिर जब मैं गहराई में गया तो पता चला कि नीमच चूंकि एशिया की सबसे बड़ी हर्ब्स की मंडी है तो 100 रूपए की चीज 150 रूपए में बेच दी, लेकिन अगर उसको प्रोसेस करके बेचते, तो वह 500 रूपए की जाती. इसीलिए जब सरकार में बात हुई, तो मध्यप्रदेश में बॉयोटेक्नोलाजी पॉर्क पहले बना. यह विज़न की बात है, यह समझने की बात है. यह गांवों के लंबे भविष्य के हिसाब से सोचने की बात है कि किसानों की आमदनी बढे़. जैसे-जैसे ऑटोमेशन होगा, एम्प्लाइमेंट बढे़गा क्योंकि पहले बिजली, पानी, सड़क की बात थी तो धीरे-धीरे अब हम हर्ब्स इंडस्ट्रीज में भी ग्रोथ करने की बात कर रहे हैं. पहले हम पूरे स्टेट की एक इंडस्ट्रीयल रिपोर्ट सबमिट करते थे, अब कमीशनरीवाइस हमारे मुख्यमंत्री कमीशनरी में बैठकर हर इंडस्ट्रीयल मीट कर रहे हैं क्योंकि वे चाहते हैं कि हर जगह इंडस्ट्री का डिस्ट्रीब्यूशन हो. न कि कुछ प्रमुख पाइंट पर, केवल एक ही जगह इंडस्ट्रीयल हब बन जाए और लोगों का गांवों से पलायन रूके. यह सोचने की जरूरत है तो हम हर संभाग में इंडस्ट्री की बात कर रहे हैं और वह तब ही संभव थी, जब हमारे पास बिजली सरप्लस हो. मुझे तो आज भी वह दिन याद आते हैं जब मैंने पहली बार वर्ष 2004 में यहां विधानसभा में भाषण दिया था, तो मैं कागज खोलकर देख रहा था. सालाना बिजली की ग्रोथ 2 प्रतिशत से कम दिखी. जबकि पूरे प्रदेश की ग्रोथ, मैं तो तथ्यों पर बात कर रहा हॅू मेरे पास डाटा है. इसे खोलकर देख लीजिएगा. वर्ष 2004 का मेरा भाषण लाइब्रेरी में जाकर पढ़ लीजिएगा और 2 प्रतिशत से कम ग्रोथ दिखाई दी, तो उसमें जब मैंने चर्चा की तो पता चला कि उस समय वह जो पॉवर मिनिस्ट्री का पीएस था, उसका इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड के चेयरमेन का 1 साल का कार्यकाल बचा था. उसने बोला, मेरे कार्यकाल में मैं ऐसा डाटा बताऊं कि सब लोग प्रसन्न रहें, कोई यह न कहे कि हम प्लान नहीं कर रहे. लेकिन जब चर्चा हुई कि देश का डाटा उस समय 8 प्रतिशत सालाना ग्रोथ का था लेकिन यह सब धीरे-धीरे परिवर्तित हुआ क्योंकि एक व्यवस्था ऐसी थी कि जब अंधेरे में रहकर कुछ भी काम हो रहा है तो यह किसी को अंदाजा नहीं था कि यह कैसे होगा.
सभापति महोदय, अब परिवर्तन की बात करें. हमारे पूर्व वक्ता इंडस्ट्री की बात कर रहे थे. वे कह रहे थे कि इंडस्ट्री में थोड़ा सुधार हुआ, लेकिन पूरा नहीं हुआ. उन्हें यह पता नहीं चला कि अब अगर सब्सिडी भी रिलीज़ होती है तो वह ऑनलाइन होने लगी. बीच के सब चैनल खतम कर दिये गये.
सभापति महोदय, लाड़ली बहना के बारे में कहना चाहता हॅूं कि 25 दिन में 1 करोड़ 29 लाख महिलाओं का पंजीयन करना क्या सामान्य बात मानते हैं ? इनके पंजीयन के बाद उनके खाते में हर महीने पैसा पहुंचता है. वरना पहले स्थितियां यह थीं कि अगर किसी सरकार से कोई सब्सिडी मिलती थी तो पंचायत के, जनपद के, नगर पालिका के 10 चक्कर काटने पड़ते थे और क्या हालत होती थी, यह सब जानते हैं. आज किसी को चक्कर नहीं काटना पड़ता. यह विज़न और टेक्नोलाजी का उपयोग करके सरकार के तरीके के अंतर को समझना पडे़गा. इन लोगों को सिवाए चर्चा करके कि यह नहीं हुआ तो मैं कहना चाहता हॅूं कि विकास एक ऐसी चिड़िया का नाम है जितना मर्जी कर लो, कम होगा. हर बार नई मांग आएगी और मांग आना भी चाहिए. मैं दो-तीन बातें ध्यान में लाना चाह रहा हॅूं कि एक विषय आया था, जिसकी बहुत तेजी से चर्चाएं चल रही हैं. हमारे यहां पर एक कलेक्टर ने ब्लड डोनेशन कैंप लगाया. उस कैंप में 1 लाख लोगों का ब्लड लिया गया. किसलिए लिया गया. बिना जांच किए कैसे ब्लड लिया गया. औसत में जब मैंने डाटा पूछा, तो पता चला कि 20 प्रतिशत लोगों का ब्लड अनुपयोगी होता है. उस दिन उनको कोई बीमारी हो, या कोई वायरस हो, कोई इन्फेक्शन हो. लेकिन सिर्फ अंधी दौड़. हमें पुनः ऐसे विषयों पर भी ध्यान देना पड़ेगा कि कोई आदमी सिर्फ गिनीज बुक में अपना नाम लिखाने के लिये ऐसे काम करने की परमीशन है, इसका कोई नियम है. उस ब्लड का उपयोगिता के बारे में कभी किसी ने उसकी जिम्मेदारी पूछी है ? कहीं न कहीं पर हमको समझना पड़ेगा कि अगर कहीं पर चूक है तो उनके सुधार का स्थान भी यह सदन है. बजाय हम अन्य विषयों पर चर्चा करने के लिये पुनः ऐसे विषयों पर भी चर्चा करें कि कितना अधिकार किस व्यक्ति को और किस परपज के लिये देना है. क्योंकि ब्लड डोनेशन अच्छी बात है, लेकिन उसकी उपयोगिता हो. आप लिस्ट बनाकर के रख रहे हैं. समय समय पर आप ब्लड लें. अगर इस टाईप की चीजें होंगी तो कहीं न कहीं इन चीजों पर विषय आयेगा.
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय)—सभापति महोदय, बहुत कम बुद्धिजीवी विधायक हैं उनमें से ओमप्रकाश जी भी हैं इसलिये उनको थोड़ा समय दीजिये.
सभापति महोदय—इसमें कोई शक नहीं है. मैं भी आपकी बात से सहमत हूं. यह बहुत ही व्यवस्थित तरीके से बोल भी रहे हैं.
श्री सोहनलाल बाल्मीक—इनको अभी तक विजयवर्गीय जी ही समझते हैं पूरे सदन में, बाकी उनको कोई समझ ही नहीं पाया.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा—सभापति महोदय, चलिये मुझे और किसी की समझ की जरूरत नहीं है. जो समझ ले उसका भला, जो नहीं समझ ले उसका भी भला. आखिरी बात बोलकर अपनी बात को समाप्ति की ओर ले जाऊंगा. एक विषय आता है सीएसआर फंड सीएसआर फंड पर कहीं न कहीं सरकार को कुछ व्यवस्था बनानी चाहिये. क्योंकि सीएसआर की जगह वह आधी से ज्यादा जगह पर पीआर फंड पर्सनल रिलेशन फंड हो गया है. वह फंड इस कदर सरकार की निगाह में है. क्योंकि वह फंड बहुत बड़ा है उसका सही उपयोग होना बहुत ही अनिवार्य है, बहुत जरूरी है. एक दो और विषयों के बारे में कहना चाहता हूं. एक सीएम राईज स्कूल हुआ, प्रधानमंत्री एक्सीलेंस कॉलेज की बात आयी. मेरा इस विषय पर थोड़ा से आग्रह एवं निवेदन है माननीय उच्च शिक्षा मंत्री या वित्तमंत्री जी से जो भी अभी सुन रहे हैं कि यह केवल जिले के ही लोगों के विकास के बारे में सोचना है या तहसील या छोटे ग्रामीण विधायकों के बारे में भी सोचना चाहिये. पूरा नहीं तो कम से कम कुछ स्तर पर उनके सुधारने के बारे में भी चर्चा होना चाहिये. क्योंकि वही हमारा भविष्य है और उन्हीं के पास में विरासत जाने वाली है. अगर वह ठीक नहीं होगा तो उसको हमें झेलना पड़ेगा. इसलिये मेरा आग्रह है विशेषकर मैंने मंत्री जी से भी आग्रह किया था कि उन्होंने मुझसे वायदा भी किया था, लेकिन कोई कंफर्मेशन नहीं आयी है इसमें पूरे आठ महीने हो गये हैं. पी.एम.एक्सीलेंस कॉलेज के एक्वीलेंट हम तहसील में तथा ब्लॉक में भी एक एक कॉलेज में देंगे.इतना ही आग्रह करते हुए. एक और आखिरी विषय के लिये बोलना चाहता हूं.
सभापति महोदय—यह आखिरी विषय है.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा—सभापति महोदय, यह आखिरी विषय ही है. हमारे यहां पर अलग अनुभव किये थे शिक्षामंत्री जी का बहुत हमको सपोर्ट भी मिला. पूर्व शिक्षामंत्री जी का मिला तथा वर्तमान शिक्षामंत्री भी सहयोग दे रहे हैं. लेकिन कुछ चीजें ब्यूरोक्रिएट सेटअप में बहुत बुरी तरीके से फंसी हुई हैं. मेरे यहां पर कुछ भाषाओं की क्लासिस में कुछ अलग प्रयोग किया जिसके कारण सरकारी स्कूल के बच्चे टोटल ब्लो 1 हजार की जनसंख्या वाले गांवों के 30 बच्चों ने नीट और जेईई की परीक्षा पास की. एक साल से उनका काम इस चीज के लिये बंद है कि कलेक्टर एवं विभाग में समन्वय नहीं हो रहा है. दो ब्यूरोक्रिएट की लड़ाई में 9 हजार बच्चे प्रताड़ित हो रहे हैं. मैंने सब जगहों पर निवेदन किया. माननीय मंत्री जी से निवेदन किया, सचिव से निवेदन किया, कलेक्टर को भी इसके बारे में निवेदन किया. जो योजनाएं चल रही थीं वह आचार संहिता के कारण बंद हुई. वह आज तक पुनः उन बच्चों के साथ में खिलवाड़ हो रहा है. जो बिल्कुल ही बर्दाश्त के काबिल नहीं है. मेरा इस सदन में बोलने के पीछे आग्रह है कि उस चीज को तुरंत प्रशासकीय जहां पर भी गेप है उसको तुरंत हल किया जाये. ताकि बच्चों का भविष्य सुनिश्चित हो सके. यह बच्चों का ही भविष्य नहीं है, देश का भी भविष्य है. आपने बोलने का समय दिया. धन्यवाद.
श्री बाला बच्चन(राजपुर) – माननीय सभापति महोदय, सकलेचा जी के स्पीच का पूरा सारांश उन्होंने लास्ट की बात में डाल दिया है और सरकार को सारा आईना दिखा दिया है. वे सरकार की आपकी पार्टी के ही विधायक हैं.
सभापति महोदय – श्री फुन्देलाल सिंह मार्को जी.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को(पुष्पराजगढ़) – सभापति महोदय, मध्यान्तर के बाद हमने जाकर के उस ऑडियो-वीडियो को भी सुनने का प्रयास किया.
सभापति महोदय – सम्मानीय सदस्यों से आग्रह है अभी माननीय नेता प्रतिपक्ष का आग्रह भी आया है कि बहस को जरा तेज चलाया जाए.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) – मेरी तो भावना है कि कल तक बहस चले.
सभापति महोदय – अभी आपने आग्रह किया न कि फास्ट चलाओ, मैंने आपके आग्रह को सदस्यों तक पहुंचाया है.
श्री उमंग सिंघार – मेरी भावना यह थी.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को – सभापति जी (xxx ) (.....व्यवधान)
डॉ चिंतामणि मालवीय – अपनी बात विषय पर रखिए. (.....व्यवधान)
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को – आप शांत रहिए आपका जब नंबर आएगा तब बोलिएगा. ऐसा थोड़ी होगा. (.....व्यवधान)
डॉ चिंतामणि मालवीय – विषय पर बात करिए वहां का विषय इस सदन में ला रहे हैं.
सभापति महोदय – मार्को जी इस विषय का पटाक्षेप हो चुका है. चिंतामणि जी बैठ जाइए. (.....व्यवधान) मेरा फुन्देलाल जी से भी निवेदन है कि जिस विषय पर आप बोलने के लिए खड़े हुए हैं बजट पर अपनी बात रखेंगे तो आपकी बात समय पर आ पाएगी.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को – मैं बजट पर ही बोल रहा हूं, (.....व्यवधान)
जल संसाधन मंत्री (श्री तुलसीराम सिलावट) – आप विषय से भटक रहे हैं; (.....व्यवधान)
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को – आपको क्यों लग रहा है.. (xxx ) (.....व्यवधान)
सभापति महोदय – ये सभी चर्चाएं विलोपित.. जो कुछ सदस्य बोल रहे हैं यह कार्यवाही में नोट नहीं किया जाएगा (.....व्यवधान)
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को – (xxx ) (.....व्यवधान)
श्री कैलाश विजयवर्गीय – अध्यक्ष जी मेरा पाइंट ऑफ आर्डर है (.....व्यवधान)
सभापति महोदय – संसदीय कार्यमंत्री का पाइंट आफ आर्डर है. कृपया सुने (.....व्यवधान)
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को – हम सरलता से बोल रहे है हम निवेदन कर रहे हैं.
श्री कैलाश विजयवर्गीय – सभापति महोदय, मेरा पाइंट आफ आर्डर यह है कि जब सदन के अंदर किसी एक विषय पर चर्चा प्रारंभ हो और चेयर से उस पर कोई निर्देश हो जाए उस पर उसके बाद उस विषय पर बिल्कुल चर्चा नहीं हो सकती है. इसलिए माननीय सदस्य ने जो भी कहा है उसे रिकार्ड से हटा दिया जाए.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को – नहीं यह गलत है ये मैं स्वीकार नहीं करुंगा. यदि रिकार्ड से निकाला गया, मैं सदन से बाहर चला जाऊंगा. (.....व्यवधान)
सभापति महोदय – मैं विलोपित कर चुका हूं, (.....व्यवधान)
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को – गलत बात है यह हम इसको स्वीकार नहीं करेंगे. (.....व्यवधान)
सभापति महोदय – देखिए नियम और परम्पराओं से हटकर यदि आप कुछ भी कहेंगे तो वह विलोपित होगा. (.....व्यवधान)
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को – यह हमारे स्वाभिमान की बात है (.....व्यवधान) यह आप नहीं कर सकते हैं (.....व्यवधान)
डॉ. अभिलाष पाण्डेय – (xxx) (.....व्यवधान)
सभापति महोदय – आप अपनी बात रखे, नहीं तो मैं अगले सदस्य का नाम पुकारुंगा, इस विषय का पटाक्षेप हो चुका है. (.....व्यवधान) आप अपनी बात रखिए और अनुपूरक बजट पर रखिए.
राज्यमंत्री(लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा) (श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल) -- अध्यक्ष महोदय, अंबेडकर जी का पंचतीर्थ बनाने का काम नरेन्द्र मोदी जी ने किया है, उनको भारत रत्न देने का काम हमारी सरकार ने किया था. आप लोग उनको भारत रत्न नहीं दे पाये थे, आप लोग उनके तीर्थ नहीं बना पाये थे, आपने अंबेडकर जी को दो दो बार हराया है. (व्यवधान)
सभापति महोदय -- श्री फुंदेलाल सिंह मार्को जी कृपया आप अपनी बात प्रारंभ कीजिये. (व्यवधान)
श्री फुंदेलाल सिंह मार्को-- माननीय सभापति महोदय, जितना व्यवधान हुआ है, कृपया करके वह समय मुझे देने की कृपा करेंगे.
सभापति महोदय -- मैं आपको अगला पांच मिनट दे रहा हूं, कृपया पांच मिनट में आप अपनी बात पूरी कर लीजये.
श्री फुंदेलाल सिंह मार्को-- सभापति महोदय, मेरा कहने का वह आशय नहीं था. आप सदियों- सदियों के घाव को मत खुरचिये, जो भाईचारा बन रहा है, प्रेम बन रहा है, उसमें आप आग में घी डालने का काम मत करिये.
सभापति महोदय -- फुंदेलाल जी कृपया अनुरोध है, आप बजट पर आ जायें.
श्री फुंदेलाल सिंह मार्को-- सभापति महोदय, अब मैं बजट पर ही बोल रहा हूं. यह बजट 9 हजार करोड़ रूपये का है.
सभापति महोदय -- आंकड़ों पर पर्याप्त चर्चा सदस्य कर चुके हैं, आप दोहराये नहीं, यह सारे आंकड़ें आ चुके हैं, आप अपने विधानसभा क्षेत्र के संबंध में कोई बातचीत करना चाहते हों तो कृपया दो तीन मिनट में रख लें, तभी यह बात संभव हो पायेगी कि हम चर्चा समय सीमा में समाप्त कर पायें, 9 हजार करोड़ और 22 हजार करोड़ के आंकड़ें बार- बार दोहराये जा चुके हैं.
श्री फुंदेलाल सिंह मार्को-- सभापति महोदय, साढ़े आठ करोड़ जनसंख्या के लिये यह अनुपूरक बजट पास किया जा रहा है. हमने अनुपूरक अनुदान की पुस्तक का भी अवलोकन किया है, आपकी सरकार की उच्च प्राथमिकता क्या है, आप कौन कौन से ऐसे काम को उच्च प्राथमिकता में ले रहे हैं, रोड, पुल, पुलिया, क्या वह भी आपकी प्राथमिकता है, लेकिन वह जो जंगल और पहाड़ों में जो विद्यालय संचालित हैं, उसके बारे में आपने दृष्टि नहीं डाली है. यहां पर एक भी विद्यालयों के भवन के बारे में नहीं है, आपने एक भी आश्रमों का भवन स्वीकृत नहीं किया है. माननीय मंत्री जी क्या आपने कभी पूरे मध्यप्रदेश में जाकर देखा कि स्थिति क्या है? जिस तरीके से एक हंडी के चावल को झूकर के देखते हैं कि पका है कि नहीं, मैं बैगा आश्रम देवरी दादर पुष्पराजगढ़ का आपको नाम देता हूं, पचास सीटर बच्चे हैं, छ: बच्चे वहां प्रवेशित हैं, चवालिस बच्चों का क्यों एडमीशन नहीं हुआ है? इस पर आप चिंतन करें और उस समाज के लोग हैं, जो महामहिम राष्ट्रपति द्वारा पोषित समाज के लोग हैं, यह बजट कोई भ्रष्टाचार मचाने के लिये थोड़े ही दिया जाता है.
सभापति महोदय, मैं जैविक खाद पर आपको बताना चाहता हूं कैसे इन लोगों ने क्या किया है. अब मान लीजिये कृषि मंत्री जी आप कैसे लोगों को, अधिकारियों को संरक्षण कर रहे हैं, 8 करोड़ रूपये अनूपपुर जिले को जैविक खाद के लिये मिला है, उसमें बीस क्विंटल केचुंआ किसानों को देना था, आपने केचुंआ किसानों को दिया नहीं और जिसके पेट में वह केचुंआ जायेगा, वह आपका खाद ही बनायेगा, यह मैं आपको बता देता हूं. आप कितना खाओगे, केचुंआ आपने खा गये, मिट्टी के परीक्षण का एक करोड़ रूपये आपने खा गये, आपने वेब फार्म बनाने का खा गये, तब भी आपका पेट नहीं भर रहा है. आज वर्ष 2003-04 से लगातार आप भ्रष्टाचार कर रहे हैं, एक से एक भ्रष्टाचार करते जा रहे हैं, आपको लज्जा नाम की कोई चीज नहीं है, मैं आपको बताना चाहता हूं कि इसी सदन में माननीय संसदीय कार्यमंत्री जी ने खड़े होकर बोला था, कि माननीय विधायक जी,(संसदीय कार्य मंत्री जी के आसन की ओर देखकर) माननीय संसदीय कार्यमंत्री जी मेरी भी बात सुन लीजिये, आपने इस सदन में बाला था कि तीन महीने के बाद मां नर्मदा की पवित्र नदी पर टपा टप, टपा टप पानी गिरेगा. आपने इसी सदन में कहा था, आप देख लें वह लिखा भी हुआ है, आज उसका क्या हुआ, यहां आप झूठ बोलने के लिये बैठे हैं, यहां आप असत्य वचन कर रहे हैं.
सभापति महोदय -- श्री फुंदेलाल जी आप अपने विषय को समाप्त कीजिये, आपको जो अतिरिक्त समय दिया था, वह समाप्त हो गया है.
श्री फुंदेलाल सिंह मार्को-- सभापति महोदय, मेरा माननीय संसदीय कार्यमंत्री जी से अनुरोध है. (संसदीय कार्य मंत्री जी के आसन की ओर देखकर) माननीय आप सुन रहे हैं, मेरा अनुरोध, मेरा निवेदन, मेरी प्रार्थना आप सुन रहे हैं कि नहीं.
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- आपको देखने के बाद आवाज, कान सब बंद हो जाते हैं. ...(हंसी)...
श्री फुंदेलाल सिंह मार्को-- आपने कहा था कि 3 महीने के अंदर अमरकंटक पानी चालू हो जायेगा, अभी तक नहीं हुआ है, उसके टेंडर ही नहीं हुये हैं. मैं तो अमरकंटक गया और आपका नाम लेकर कहा कि संसदीय कार्य मंत्री जी ने बोल दिया है, आप लोग चिंता मत करना, लेकिन जब फिर मैं गया तो मुझसे पूछा गया कि भैया पानी टपाटप कहां गया तो मैंने कहा झका-झक सूख गया, यह प्रदेश का हाल है. दूसरा माननीय सभापति महोदय जी सदन में आने के साथ चूंकि मेरा क्षेत्र आदिवासी समाज के लोग हैं, जंगल और पहाड़ों में निवास कर रहे हैं.
सभापति महोदय-- अपनी बात जल्दी समाप्त करें.
श्री फुंदेलाल सिंह मार्को-- सभापति महोदय, कर दूंगा यह सदन तो चर्चा के लिये है. माननीय सभापति महोदय, यदि मैं यहां बात नहीं कर पाया तो मैं वहां जाकर बताऊंगा क्या. अभी आपका जल जीवन मिशन चालू हो रहा है आप डंके की चोट पर और छाती चौड़ी करके बोलते हैं गांव में कि माता बहनों अब चिंता मत करो अब आपके घर में, आपके आंगन में टोंटी लगाकर जैसे ही खोलोगे झरझराकर पानी गिरेगा, मैंने चार परियोजनाओं का जल समूह का दिया था, आपका बसी का समूह जल प्रदाय योजना जोहला नदी पर, करोंदा टोला जल समूह परियोजना नर्मदा नदी पर, कुमनी जल प्रदाय योजना जोहला नदी पर, गोधन जल प्रदाय योजना टिपान नदी पर, आज तक स्वीकृत नहीं हुआ, पता नहीं वह जल जीवन कहा जा रहा है. टंकी है, चढे़ हैं, सेंटेक्स लगे हैं, पानी नहीं है, फिर भी पैसा निकल रहा है और सबका साथ, सबका विकास तो हो ही रहा है. मैं एक बात और कहना चाहता हूं कि जिस तरीके से आप लोग कह रहे हैं एक हैं तो सेफ हैं, आप ध्यान रखियेगा कि एक हैं तो सेफ हैं कैसे होता है 6745 जातियों में बांटने वाला व्यक्ति कौन है इसकी भी हम खोज करेंगे.
सभापति महोदय-- अब आपकी बात समाप्त करें. माननीय फूलसिंह जी मैं अगले सदस्य का नाम ले रहा हूं.
श्री फुंदेलाल सिंह मार्को-- सभापति महोदय, मैं एक क्षेत्र की बात और कर लेता हूं.
सभापति महोदय-- आप विषय से अलग हटकर बात कर रहे हैं इसलिये आपका समय नष्ट हो रहा है.
श्री फुंदेलाल सिंह मार्को-- सभापति महोदय, दो मिनट और बात कर लूं मैं.
सभापति महोदय-- आप व्यवस्थित बोलेंगे तो 2 मिनट में आपकी बात पूरी हो सकती है.
श्री फुंदेलाल सिंह मार्को-- सभापति महोदय, मेरा निवेदन माननीय वित्तमंत्री जी से और मंत्री जी से है कि मेरे क्षेत्र में जो बेगा आश्रम संचालित हैं उनके भवन, उनमें बेड दे दो, पलंग, गद्दा, चादर दे दो, उसमें खटमल चढ़ गये हैं, टूटा, फटा है, अच्छा गद्दा दीजिये वह भी मनुष्य के बच्चे हैं, वहां पढ़ रहे हैं, वहां अच्छी व्यवस्था हो ऐसा मैं आपसे चाहता हूं. आपने समय दिया इसके लिये बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री फूलसिंह बरैया (भाण्डेर)-- माननीय सभापति जी, मैं अनुपूरक बजट के संबंध में कुछ कहना चाहूंगा. यह बजट जो पास हो रहा है, चर्चा हो रही है वास्तव में इस बजट से विकास होता है. लोग आगे बढ़ते हैं और राज्य में काफी बदलाव आता है, लेकिन इसमें थोड़ा फर्क है अगर सबके मन और मस्तिष्क में बात है कि वास्तव में विकास होता है तो फिर हमारे, आपके बीच में अंतर क्यों है, उस अंतर को बताना चाहता हूं. मैं यह कहूंगा कि जो मेन बजट में प्रावधान रखा गया था वह ज्यादा खर्च हो गया तो अनुपूरक लाना पड़ेगा. कभी-कभी प्राकृतिक आपदा, वर्षा, बाढ़ और कोई चीजें जो होती हैं उसमें अचानक से जब बजट की जरूरत पड़ती है तो अनुपूरक लाना पड़ेगा, लेकिन मैं आपसे कहूंगा मैं दतिया जिले की भाण्डेर विधान सभा से आता हूं, वहां पर तीन नदियां हैं और लगभग 125 उससे प्रभावित हैं. 125 गांव में मैं समझता हूं 50 से 55 के बीच में गांव जर्जर हो गये. 17 दिन तक रोडें और पुल डूबे रहे. हमने कहा कि देख तो लो एक बार तो हमारे जिले के डीएम,एसडीएम महोदय देखने गये तो उनका ट्रेक्टर ही डूब गया होता बोले अभी नहीं जाएंगे बाद में जाएंगे.उन्होंने खुद देखा तो मैंने कहा कि इसका कुछ करेंगे तो बोले करेंगे तो उतनी रोडें,पुल जो डूब गये,टूट गये. लगभग 55 गांवों में लोग बर्बाद हो गये और उसके बाद प्रभारी मंत्री वहां गये मैं उनका नाम नहीं लूंगा वह गये.हमने कहा कि यह-यह हो गया है बोले कि चिंता मत करिये हम जोड़ देंगे. बाद में उन्होंने पूछा कि फूल सिंह बरैया कौन है कौन सी पार्टी का है तो बोले कांग्रेस का है तो मैं उनके दफ्तर में गया तो हम लोग देखकर ही दंग रह गये एक भी प्वाइंट उसमें उस विधान सभा का नहीं जोड़ा गया. कोई बात नहीं बजट तो आ ही रहा है लेकिन किसके लिये आ रहा है. काफी चर्चाएं हो रही हैं कि हमने यह किया वह किया लेकिन धरती पर प्रेक्टिकल मैं बताना चाहता हूं कि अनुसूचित जाति,अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण संशोधन विधेयक,2018 के तहत् जब लोग गांवों में मारे जाते हैं और उन मारे गये लोगों को 8 लाख 25 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है लेकिन नहीं देते हैं. 6-7 महिने तक नहीं देते हैं. बजट तो पास हो रहा है जा कहां रहा है एससी,एसटी कास्ट का बजट कहां जा रहा है. हम डी.ई.ओ. से बात करते हैं कि बताईये तो बोले कि सरकार से पूछिये. यहां तो चर्चा हो रही है कि बजट पास हो रहा है और यही नहीं उसमें जिसका जो व्यक्ति मारा गया उसका अनुकम्पा नियुक्ति का अधिकार था उसको सरकार ने बदलकर रख दिया रोजगार,रोजगार तो यह झाड़ू-पोंछा भी होता है. सरकार को स्पष्ट करना चाहिये रोजगार क्या है. अनुकम्पा नियुक्ति क्यों खत्म की गई सभापति महोदय,जमीन का पट्टा,निवास के लिये भूखण्ड,पेंशन,5 हजार रुपये,टीए,डीए सहित, 10 हजार रुपये महिना छह महिने तक मिलना चाहिये कहां है,यह बजट कहां गया तो अब मैं बताऊंगा कि बजट कहां गया है तो यह बजट एससी,एसटी के लिये नहीं है. आगे कहना चाहूंगा छात्रवृत्ति पिछड़े वर्गों के बच्चों के लिये,एससी,एसटी के बच्चों के लिये, छात्रवृत्ति नहीं मिल रही है. कहीं चार साल से नहीं मिली, कहीं दो साल से नहीं मिली,कहीं छह साल से नहीं मिली और यहां पर कहा जा रहा है कि हम इतना बजट ला रहे हैं. छात्रवृत्ति,इसकी थीम आप कभी पढ़िये सभापति जी,लेकिन डाक्टर अम्बेडकर को आप पढ़ेंगे नहीं कोई बात नहीं. बाबा साहेब अम्बेडकर ने कहा था कि जिन लोगों को शिक्षा से हजारों वर्षों से दूर रखा गया है, "स्त्री-शूद्रो विद्या नाधीयताम" अगर यह पढ़ेंगे तो इनकी जीभ काट ली जायेगी. यह लोग डर गये थे तब बाबा साहेब अम्बेडकर ने अंग्रेजों से कहा था कि इनका प्रोत्साहन बढ़ाना पड़ेगा तब जाकर यह शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे अगर प्रोत्साहन नहीं बढ़ाया तो शिक्षा इनको नहीं मिल पायेगी तब यह छात्रवृत्ति का प्रावधान रखा गया और मैं आपसे कहना चाहूंगा कि छात्रवृत्ति अगर नहीं होती तो यह गरीब लोग नहीं पढ़ पाते. छात्रवृत्ति नहीं मिल रही है. छात्रावास में ऐसे नियम बना दिये एससी,एसटी और ओबीसी के लिये,उसमें सीटें ही पूरी नहीं हो रही हैं डर के मारे बच्चे जा ही नहीं रहे हैं कानून का जो कागज वह कहां से उपलब्ध किया और मैं आपसे कहना चाहूंगा कि कोई बात नहीं है कि इसकी व्यवस्था की जाये लेकिन मैं कहूंगा कि अगर इस देश में आप ढिंढोरा पीट रहे हैं.राज्य में भी पीटते हैं और राज्य में कहते हैं कि हमारी लाड़ली बहना, इन लाड़ली बहना का आप देखिये,कितने मिनट में कितने बलात्कार हो रहे हैं. यह भी तो देखिये. लेकिन आपको चिंता इसलिए नहीं है क्योंकि वे 90 प्रतिशत महिलाएं अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की हैं. वे कहीं और की नहीं हैं. इसलिए मैं आपसे कहना चाहूँगा, न कोई योजना है इसकी, न कोई बजट है इसका, युवाओं को दो लाख नौकरियों का वादा, स्कूल शिक्षा विभाग में हजारों पद खाली पड़े हैं, भरते क्यों नहीं हैं, एक-एक टीचर पूरे स्कूल को संभाल रहा है, वह क्या खाक शिक्षा देगा. लेकिन आप जानते हैं कि शिक्षा हमें खत्म करनी है क्योंकि हमारा पुराना भारत, बड़ी-बड़ी डींग मार रहे थे, प्राचीन भारत, अरे प्राचीन भारत में तो क्या है, मालूम है, हम लोग क्या थे, साक्षात पशुपुक्ष बिसाहरी ना, ये साक्षात जानवर थे, इनके सिंग और पूंछ नहीं हुआ करते थे. ऐसा लिखा गया है. यही नहीं, अगर ये पढ़ेंगे जो जीभ काटेंगे, लेकिन आज आप जीभ अभी तक तो काट नहीं सकते, जब तक संविधान जिंदा है, लेकिन संविधान जब आप खत्म कर देंगे तो हमारी फिर से जीभ कटना शुरू हो जाएगी.
सभापति महोदय -- माननीय बरैया जी, माफ करें. आप समाप्त करें, विषय से काफी हटकर आपने बोल दिया. इसलिए समय की कमी आपको पड़ गई.
श्री फूल सिंह बरैया -- माननीय सभापति महोदय, मैं थोड़ी सी बात और करूंगा. मैं कहना चाहूँगा कि बार-बार एक बात आ रही है कि आप बोलते हैं तो हम सुनते हैं. सही बात है और हम बोलते हैं तो आप डिस्टर्ब करते हैं. हम बोलते हैं तो हाथ जोड़कर नमस्कार करते हैं तो इसको सुनना पड़ेगा और आप बोलते हैं तो डण्डा लेकर आते हैं तो सुन लेंगे क्या हम. इसलिए हमको बोलना पड़ता है. बार-बार कहते हैं कि हम थे तो ये था, कांग्रेस थी तब ये था. न बिजली थी, न रोड थी. मैं आपसे कहना चाहूँगा कोई बात नहीं है. कांग्रेस थी तब क्या था, ठीक है, क्या सूर्य भी आप ही लाए हैं, कांग्रेस थी तो क्या सूर्योदय नहीं होता था. [XXX] सभापति महोदय -- यह रिकार्ड में नहीं आएगा. आप फिर विषय से भटक रहे हैं. मैं अगले वक्ता को बुला रहा हूँ. आपका समय समाप्त हो गया है.
श्री फूल सिंह बरैया -- बस मैं समाप्त ही कर रहा हूँ. यह बजट अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और मॉयनोरिटी का दमनकारी बजट है. पिछड़े वर्गों का दमनकारी बजट है. इस दमनकारी बजट के बारे में एक लाइन कहकर अपनी बात खत्म कर रहा हूँ. इतना ख्याल रखो सताने के साथ-साथ, हम भी बदल रहे हैं जमाने के साथ-साथ, धन्यवाद. जय भीम, जय भारत.
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- सभापति जी, सिर्फ मैं आपके विवेक पर छोड़ता हूँ कि इसमें कौन सा शब्द डिलिट करना चाहिए. आप देख लीजिएगा, मैं किसी विवाद में नहीं पड़ना चाहता.
सभापति महोदय -- इसको दिखवा लेंगे.
श्री गौरव सिंह पारधी (कटंगी) -- माननीय सभापति महोदय, आपका संरक्षण लेते हुए आज प्रथम बार अनुपूरक बजट पर बोलने का मुझे सौभाग्य मिल रहा है. अनुपूरक बजट वह बजट है जो एक तरीके से मैं समझता हूँ कि मिड टर्म रिविव्यू होता है, सरकार जिस मंजिल पर जाना चाहती है, उस मंजिल पर पहुँचने के लिए अगर कुछ पुनर्विचार करना है तो अनुपूरक बजट के माध्यम से होता है. इसी बात पर मैं माननीय मुख्यमंत्री जी और माननीय वित्त मंत्री जी के लिए चार लाइनें कहना चाहूँगा.
मंजिल को पाने आया हूँ, मंजिल को पाकर जाऊंगा,
मंजिल मेरी मुश्किल है, फिर भी कोशिश करते जाऊँगा,
रास्ते के काटों पर बिना रूके मैं चलते जाऊँगा,
कोशिश करते रहना तुम मुझे गिराने की,
गिरते-गिरते हर बार खड़ा मैं हो जाऊँगा,
मंजिल को पाने आया हूँ, मंजिल को पाकर जाऊँगा.
सभापति महोदय, यह जनहितैषी अनुपूरक बजट ऐतिहासिक है. यह मैं इसलिए कहना चाहता हूँ कि आमतौर पर अनुपूरक बजट जो होते हैं, वे राजस्व आधारित होते हैं और ये अनुपूरक बजट लगभग 42 प्रतिशत जो है कैपिटल फॉर्मेशन का बजट है. इसमें मैं दो बातें जरूर बताऊँगा, हमारे विपक्ष के साथी बोलते हैं कि कम्प्यूटर खरीदना कैपिटल एक्सपेंडिचर नहीं है, रेवेन्यू है, तो थोड़ा आपके सीए को बोलिए कि पुन: अपनी किताबें खोलें और इस भ्रम से आप दूर हो जाइये, कम्प्यूटर, स्टेशनरी, गाड़ी खरीदना भी एसेट फॉर्मेशन होता है, इसलिए वह कैपिटल इन्वेस्टमेंट ही होता है.
श्री महेश परमार - जब राजीव जी कम्प्यूटर लाये थे, तो आपकी ही पार्टी के लोग विरोध कर रहे थे.
सभापति महोदय - गौरव जी, आप अपनी बात जारी रखें.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे - सभापति महोदय, सोफा को यह एसेट बता रहे हैं, इनके ज्ञान के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
सभापति महोदय - यह नये सदस्य हैं, पहली बार बोल रहे हैं. पढ़े-लिखे सदस्य हैं, उनकी बात को भी सुन लें.
श्री गौरव सिंह पारधी - सभापति महोदय, मैं यह बात सामने लाना चाहूँगा कि वर्ष 2019-20 में जब विपक्ष की सरकार थी. आप जब अनुपूरक बजट लाये थे, तो मात्र 11 प्रतिशत राशि आपने कैपिटल फॉर्मेशन के लिए रखी थी और 89 प्रतिशत राशि राजस्व के लिए रखी थी. यही अन्तर आपकी सरकार और हमारी सरकार में है. मैं आगे भी एक तथ्य रखूँगा. लेकिन मैं माननीय वित्त मंत्री जी को बधाई देना चाहूँगा कि लगभग 60 प्रतिशत बजट किसानों के हित का है, किसानों के लिए रखा गया है, इसलिए मैं दो लाइनें किसानों के लिए कहना चाहूँगा. ''मिट्टी से जुड़कर के तो इन खेतों में लहराए हैं, सूखी सी बंजर जमीन को उपजाऊ बनाए हैं, तेरी इन संघर्षों में, तेरी विजय हो, जय हो किसान, तेरी सदा-सदा ही जय हो.'' लगभग 40 प्रतिशत राशि अनुपूरक बजट की किसानों के लिए अटल कृषि ज्योति योजना के लिए रखी गई है, जिसका पैसा किसानों के बिजली के बिलों को भरने के लिए सरकार ऊर्जा विभाग को देती है. मैं साथ ही ऊर्जा विभाग से निवेदन करना चाहूँगा कि किसानों को बिना कटौती की बिजली प्रदान करने में वह अपना सहयोग प्रदान करें.
सभापति महोदय, सहकारिता विभाग से जब किसान कृषि का लोन लेता है, तो उस अल्पकालीन ऋण पर ब्याज के अनुदान के रूप में यहां पर लगभग 50 करोड़ रुपये की राशि रखी हुई है. मैं माननीय वित्त मंत्री जी से पुन: निवेदन करना चाहूँगा कि मुख्यमंत्री कृषक फसल उपार्जन योजना के माध्यम से बालाघाट, सिवनी एवं मण्डला के धान उत्पादक किसानों को भी धान पर बोनस की राशि प्रदान करें ताकि हम सब जो किसान भाई हैं, वह प्रसन्नता से आपको धन्यवाद प्रदान करें. किसानों को सिंचाई के लिए नर्मदा घाटी विकास परियोजना की लगभग 10 प्रतिशत राशि 2,000 करोड़ रुपये इस अनुपूरक बजट में रखी गई है, सिंचाई विभाग को भी 1,515 करोड़ रुपये की राशि लगभग 7 प्रतिशत इस अनुपूरक बजट का किसानों को सिंचाई देने के लिए रखी गई है, मुझे पूर्ण विश्वास है कि आने वाले समय में मुझे भी सिंचाई के बजट से कुछ राशि मिलेगी, मेरे क्षेत्र के किसान को भी उससे लाभ मिलेगा.
सभापति महोदय, जल ही जीवन है, इसलिए लोक स्वास्थ्य विभाग को लगभग 16 प्रतिशत राशि इस बजट की दी गई है, मैं धन्यवाद और बधाई देना चाहूँगा, हमारे माननीय मंत्री जी को कि आपके विभाग को बड़ी राशि हर जन को जल प्रदान करने के लिए प्रदान की गई है. सड़कों का जाल भाजपा की सरकार आने के बाद ही मध्यप्रदेश में देखा गया है, इसी को आगे बढ़ाते हुए लगभग 5 प्रतिशत राशि अनुपूरक बजट में सड़कों के लिए रखी गई है. इससे स्वास्थ्य कैसे पीछे रह सकता है, माननीय उप मुख्यमंत्री जी यहां पर उपस्थित हैं, उन्होंने भी माननीय वित्त मंत्री जी से चर्चा करके इस देश की महत्वाकांक्षी योजना जो लोग 70 प्लस आयु वर्ग के हैं, उनको आयुष्मान भारत योजना से जोड़ने के लिए भी राशि का प्रावधान किया गया है, साथ ही साथ श्रमिकों को भी स्वास्थ्य में सहयोग प्रदान करने के लिए राशि का प्रावधान किया गया है, इसके साथ ही सम्बल योजना का भी लाभ दिया गया है, यहां पर चर्चा यह हो रही थी कि पैसा नहीं आया है, उसके लिए 200 करोड़ रुपये की राशि का इसमें प्रावधान किया गया है. इसके लिए मैं पुन: माननीय वित्त मंत्री जी को धन्यवाद देता हूँ, आपका आभार व्यक्त करता हूँ (मेजों की थपथपाहट).
सभापति महोदय, युवाओं की चर्चा न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता है. उच्च शिक्षा हो, तो उच्च शिक्षा के लिए भी प्रावधान किया गया है और मेधावी छात्रों के लिए भी 130 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है और यहां पर यह चर्चा चल रही थी कि स्कॉलरशिप नहीं आई, स्कॉलरशिप नहीं आई. मैं माननीय सदस्यों को बताना चाहूँगा कि 350 करोड़ रुपये की राशि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, ओबीसी और अन्य मेधावी छात्रों को देने के लिए बजट में रखी गई है. मैं इसके लिए माननीय वित्त मंत्री जी को बहुत बधाई देता हूँ, बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूँ.
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय)- सभापति महोदय, मैं, गौरव जी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि वे पहली बार के विधायक हैं और रेवेन्यू और कैपिटल क्या होता वे जानते हैं, हमें तो पहले 5 सालों में समझ ही नहीं आया था लेकिन इन्होंने इतना व्यवस्थित भाषण दिया है, इनको बधाई और मैं, बाकी के पहली बार के विधायकों से भी कहना चाहूंगा कि केवल टोके नहीं, बल्कि समझें. आपने बहुत अच्छा भाषण दिया है, जितनी तारीफ की जाये कम है.
सभापति महोदय- कैलाश जी, मैं, आपकी बात का समर्थन करता हूं. मैंने पहले ही कहा है कि वे पढ़े-लिखे विधायक हैं, बहुत व्यवस्थित भाषण देंगे, ऐसी उम्मीद है और वैसा ही बोल भी रहे हैं.
श्री बाला बच्चन- सभापति महोदय, मैं, इनके भाषण से संबंधित बात ही कह रहा हूं, विधायक जी ने अभी कहा कि मुख्य शीर्ष 2425, इसका मद क्रमांक 2 और 3 है, संबल योजना में 2 सौ करोड़ रुपये नहीं हैं, मात्र 80 करोड़ रुपये हैं, ये कृपया देख लें.
श्री गौरव सिंह पारधी- माननीय सदस्य, मैं, भी आपकी बात का जवाब दूंगा, समय आने दीजिये, आपके पास पर्ची है, मैं आपको किताब खोलकर बताऊंगा.
सभापति महोदय- बाला बच्चन जी, आप वरिष्ठ सदस्य हैं, आपने बात उठाई है, माननीय नए सदस्य को उसका जवाब देने का अवसर दीजिये.
श्री गौरव सिंह पारधी- सभापति महोदय, हम महिलाओं का सम्मान करते हैं, और भारतीय जनता पार्टी महिलाओं के सम्मान में सदा खड़ी रहती है. इसलिए आज हमारा प्रदेश "लाड़ली बहना योजना" लाने में इस देश में अग्रणी रहा है. उसी योजना को आगे बढ़ाते हुए लगभग 465 करोड़ रुपये की राशि और "लाड़ली लक्ष्मी योजना" में हमारी जो बहनें कई वर्षों से बड़ी हो गई हैं, उनकी स्कॉलरशिप के लिए लगभग 85 करोड़ रुपये की राशि आई है.
खेल और युवा कल्याण के लिए बहुत दिनों बाद देखने में आया है कि भूमि और भवनों के क्रय के लिए, कैपिटल फॉर्मेशन के लिए इसमें राशि व्यवस्थित की गई है.
यह बात हमें भूलनी नहीं चाहिए कि मध्यप्रदेश आने वाले समय में उद्योग के क्षेत्र में एक नई पहचान बनाने वाला है और इसी पहचान को बनाने के लिए वित्त मंत्री जी ने यहां जो राशि व्यवस्थित की है, चाहे वह उद्योग नीति या निवेश प्रोत्साहन की राशि हो, चाहे वह MSME सेक्टर को दी जाने वाली राशि हो, 4 सौ करोड़ यहां और 2.5 सौ करोड़ वहां, मैं विश्वास से कहता हूं कि आने वाले समय में यह 6.5 करोड़ रुपये 65 हजार करोड़ रुपये का रेवेन्यू प्रदेश को प्रदान करेगा, इस हेतु मैं आपको आभार देता हूं और धन्यवाद देता हूं.
सभापति महोदय, आप सभी को बताना चाहूंगा कि ऐसा नहीं है हम केवल काम करते हैं, हम आनंद भी करते हैं इसलिए वित्त मंत्री जी ने पर्यटन के क्षेत्र में भी 131 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की है, पुन: इसके लिए आपको बधाई देता हूं और यह कोई राजस्व खर्च नहीं है अपितु रेवेन्यू कैपिटल फॉर्मेशन के लिए रखा गया है चूंकि भारत गांव में बसता है इसलिए गांवों के लिए भी 1 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि आपने दी, इसके लिए भी धन्यवाद.
अंत में यह बात जरूर बताना चाहूंगा, सदन में एक माननीय सदस्य ने कहा था कि MOU साइन करने से क्या होता है ? मैं बताना चाहूंगा कि MOU साइन करने के बाद ही उद्योग आता है. निश्चित तौर पर समझें, आप और हम युवा हैं और आने वाले समय में इस MOU और आने वाले राजस्व का लाभ हमें ही मिलेगा. इस प्रदेश को मिलेगा और हमारा प्रदेश आगे जायेगा.
एक चर्चा हुई थी, मैं, पुन: उस बात को यहां रखना चाहूंगा कि वर्ष 2002 में इतना बजट था वर्ष 2003 में उतना बजट था, उस समय इतना कर्ज था आज इतना अधिक कर्ज है. वर्ष 2002 में Debt-to-GDP ratio 32% था और वर्ष 2023-24 में 30% है. इससे भी अच्छा आंकड़ा आपको दूंगा. Total liability to GSDP वर्ष 2002 में 43% थी जो वर्ष 2023-24 में मात्र 30% है. ऐसे अनेक आंकड़े मैं यहां रख सकता हूं. Interest payment to revenue receipt वर्ष 2002 में 19% था और आज वर्ष 2023-24 में 10% है.
सभापति महोदय, मैं, ये सारी बातें आपके ध्यान में लाना चाहता था, आपका संरक्षण मुझे प्राप्त हुआ, उसके लिए ह्दय धन्यवाद और आभार.
सभापति महोदय- धन्यवाद. कैलाश जी, आप चाहें तो अपनी प्रशंसा को पुन: दोहरा सकते हैं. अंत में गौरव जी ने जो आंकड़े दिए हैं, उसके लिए वे आपकी प्रशंसा के पात्र हैं.
श्री कैलाश विजयवर्गीय- गौरव जी, को जो लोग बीच में टोक रहे थे, उनके लिए मुझे एक शेर याद आ गया-
"चिराग जलाने का सलीका सीखो साहब,
हवाओं पर इल्ज़ाम लगाने से क्या फायदा"
डॉ. विक्रांत भूरिया- कर्ज लेकर घी का दिया जलाने से क्या फायदा ?
श्री सोहनलाल बाल्मीक (परासिया)- कैलाश जी, आपका ये शेर सभी ने सुन लिया है.
सभापति महोदय, अनुपूरक बजट से हम सभी को बहुत उम्मीदें होती हैं. पूरक बजट के समय भी हमारी बहुत उम्मीदें हमेशा रहती हैं. इस सदन के अंदर जितने सदस्य होते हैं, उनकी उम्मीदें तो होती ही हैं, इसके साथ ही प्रदेश की जनता की भी उम्मीदें इससे जुड़ी होती हैं. मगर जिस तरीके से अनुपूरक बजट का यहां व्याख्यान होता है. मेरे पूर्व में बहुत सारे वक्ताओं ने जिनको आंकड़ों का ज्ञान है और आंकड़ों के हिसाब से उन्होंने बात रखी है और कई चीजें आकंडों में जरूर अच्छी लगती हैं लेकिन वास्तविकता यह होती है कि जो मूलभूत सुविधा होती है जो हमको दिखना चाहिए. जमीनी स्तर पर वह हमें बजट में जमीनी स्तर पर नहीं दिखता है. आज इस संबंध में बहुत सारे लोगों ने चर्चा की है. मैं भी आंकड़ों में न जाते हुए मेरे विधान सभा क्षेत्र की कुछ समस्याएं हैं, कुछ बाते हैं उस संबंध में मैं जरूर कुछ बात रखूंगा.
सभापति महोदय, मेरा यह तीसरा कार्यकाल है. तीसरे कार्यकाल में मुझे बड़े खेद के साथ यह बात कहना पड़ रही है कि मैं हर बार वित्त मंत्री जी को, संबंधित मंत्रियों को पत्र लिखता हूं कि इसको बजट में जोड़ा जाए, बजट में शामिल किया जाए, लेकिन दुर्भाग्यवश मेरे कोई काम बजट में जुड़ते नहीं हैं. इसे मैं अपना दुर्भाग्य समझूं या सदन के अंदर सत्ता में बैठे हैं उनका भेदभाव समझूं. अब जो भी परिस्थिति है मेरे क्षेत्र के काम इसलिए नहीं हो पाते हैं क्योंकि बजट में उनका प्रावधान नहीं होता है. आज अनुपूरक बजट में मैं बहुत सारी चीजें देख रहा था उसमें मैं यही चीज देख रहा था कि मेरे विधान सभा क्षेत्र में कौन सी चीज मिली है कौन सी चीज नहीं मिल पाई है. अनुपूरक बजट में मेरे विधान सभा क्षेत्र के एक भी काम नहीं जोड़े गए हैं. मुझे इस बात का बहुत ही खेद है.
मैं माननीय वित्त मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि कभी इसमें प्रावधान बन सकता है तो मेरे विधान सभा क्षेत्र में चाहे मैं सड़क की बात करूं, चाहे डेम की बात करूं, चाहो आंगनवाड़ी हो या स्कूल भवन की बात हो इसमें यदि आप जोड़ने का प्रयास कर सकते हो तो इसमें जरूर जोड़ना चाहिए. आंकड़ों का खेल सदन में बहुत होता है और जब लोग आंकड़ों के हिसाब से बोलते हैं तो उनको वाहवाही भी मिल जाती है और शाबाशी भी मिल जाती है. परंतु मध्यप्रदेश में वास्तविकता यह है आप मध्यप्रदेश के अंदर देखेंगे कि शिक्षा के क्षेत्र में स्कूल भवनों की जो स्थिति निर्मित हो रही है आज बहुत सारे बच्चे जर्जर भवन होने के कारण झाड़ों के नीचे बैठकर पढ़ रहे हैं. उनको क्लासेस नहीं मिल पा रही हैं, अतिरिक्त शिक्षा नहीं मिल पा रही है, अतिरिक्त कक्ष नहीं मिल पा रहे हैं. जिससे बच्चों की पढ़ाई के लिए शिक्षा उन्हें मिलना चाहिए वो नहीं मिल पा रही है और यहां पर बजट के अंदर में बहुत सारी चीजें हो सकती हैं लेकिन वास्तविकता ऐसी नहीं होती है.
सभापति महोदय, मैं यह भी कहना चाहता हूं कि मेरे विधान सभा क्षेत्र में बहुत सारे आंगनवाड़ी केन्द्र हैं, लेकिन उनके भवन आज भी नहीं हैं. लगभग 85 आंगनवाड़ी आज भी दूसरे के किराय के छोटे से कमरे में चल रही हैं. हम शिक्षा की बात करते हैं कि शिक्षा का स्तर बढ़ाएंगे, इसे आगे लेकर जाएंगे लेकिन परिस्थितियां जो दिख रही हैं उसका बेसिक ही खराब करेंगे उसको मूल सुविधाएं ही नहीं दे पाएंगे तो क्या शिक्षा आगे बढ़ पाएगी? मेरे क्षेत्र में 85 आंगनवाड़ी भवनहीन चल रही हैं जिसमें बच्चे बैठ नहीं पाते हैं पढ़ नहीं पाते हैं. बारिश में किसी के घर में जाकर बैठते हैं इस तरीके की व्यवस्था बनती है जो हम सभी के लिए एक चिंता का विषय है.
सभापति महोदय, मार्गों की स्वीकृति के लिए मैं लगातार वित्तमंत्री जी को भी कई बार पत्र लिख चुका हूं कि मेरे छोटे-छोटे मार्ग हैं. हमारे जो प्रभारी मंत्री हैं अम्बेडकर जी उनको भी मैंने अपने क्षेत्र का काम दिया है कि मार्गों का सुधारीकरण किया जाए, नया मार्ग दिया जाए लेकिन आज तक कोई मार्गों मुझे नहीं मिल पा रहा है तो इसमें यदि व्यवस्था बन सकती है तो जरूर बात करें.
सभापति महोदय, सदन के अंदर बहुत सारे मंत्री नहीं हैं. जब बजट पेश होता है तो कम से कम जवाबदार मंत्रियों को भी इस बजट के अंदर में रहना चाहिए. इस तरीके की व्यवस्था बनना चाहिए. मेरे चार डेमों की स्वीकृति है मैंने चार डेमों के लिए निवेदन किया था जिनकी वॉटर स्कीम स्वीकृत हो गई है. डीपीआर बन रहा है लेकिन बजट नहीं मिलने के कारण उनके काम आगे नहीं बन पा रहे हैं. एक बात मैं इस सदन को ओर ध्यान दिलाना चाहता हूं कि अभी बीस दिन पहले माननीय मुख्यमंत्री जी ने पूरे मध्यप्रदेश के अंदर संबल योजना को एक क्लिक से पूरे हितग्राहियों के खाते में पैसा डालने की बात की थी. मेरे छिंदवाड़ा जिले के अंदर 1750 हितग्राही ऐसे हैं जिनको संबल योजना का लाभ मिलना चाहिए और मेरे विधान सभा क्षेत्र के साढ़े तीन सौ संबल योजना के हितग्राही हैं. माननीय मुख्यमंत्री जी ने तो क्लिक कर दिया है लेकिन उनके खाते में पैसा नहीं आया है. वित्त मंत्री जी मेरी बात को जरूर ध्यान रखें और बताएं कि एक बार क्लिक करने के बाद में यदि मुख्यमंत्री जी किसी चीज को कर रहे हैं, हितग्राहियों के खाते में पैसा डाल रहे हैं और साढ़े तीन सौ हितग्राही जो मेरे विधान सभा क्षेत्र परासिया के हैं उनको आज तक संबल योजना का पैसा नहीं मिला है तो यह किस तरीके की व्यवस्था है. साथ ही साथ न्याय और धर्मस्थ विभाग से भी बहुत सारी चर्चा हुई है मैंने भी एक बात उठाई थी कि बहुत सारे मंदिर हैं जिनका संधारण, संचालन शासन के द्वारा किया जा रहा है. आपके पास में एक ऐसी व्यवस्था है कि न आप नये मंदिरों को जोड़ पा रहे हो और न उनका काम कर पा रहे हो जो आने वाले विधान सभा सत्र में एक ऐसी व्यवस्था बने, एक ऐसा विधेयक आए कि जो हमारे बहुत सारे मंदिर हैं जिनसे हमारे लोगों की आस्था और भाव जुड़े हुए हैं उन मंदिरों को भी धर्मस्थ न्यास विभाग में जोड़ा जाए, विधेयक लाया जाए और नियम बदलते हुए उन सभी मंदिरों का भी संधारण अच्छे से हो सके. यह मेरा आप सभी से निवेदन है. साथ ही साथ यहां पर एक बात बहुत जोर-शोर से कही थी कि सिंचाई की बहुत सारी परियोजनाएं आ रही हैं, बहुत सारे रकबे बढ़ रहे हैं हमारा माचागोरा डेम है इसमें अभी जो व्यवस्था बनी है, हजारों करोड़ रुपए व्यय हुए हैं परन्तु जब हम आगे जाते हैं छिन्दवाड़ा से आगे निकलते हैं, सिवनी तक निकलते हैं तो आखिरी टेल तक जो नहर गई है वहां तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है. अभी यहां सदस्य मुनमुन राय जी नहीं हैं वे रहते तो पता चलता कि सत्तापक्ष के वे विधायक हैं. जब पानी किसानों तक नहीं पहुंच पाया, सरकार की विफलता के कारण उनको एक अधिकारी के साथ मारपीट करना पड़ी. अब इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है. डेमों की और बांधों की बड़ी बड़ी बातें होती हैं. मगर जब डेम बनते हैं, बांध बनते हैं आखिरी छोर तक किसानों को पानी नहीं मिल पाता है तो एक जनप्रतिनिधि को जाकर अधिकारियों को मारना पड़ता है. तब जाकर व्यवस्था बनती है. यह व्यवस्था हम सभी के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है.
5.26 बजे {अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए.}
श्री सोहनलाल बाल्मीक -- अध्यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहता हूँ. लाड़ली बहना के बारे में बहुत सारी बातें हुईं. आज यदि आप सरकार में हैं तो लाड़ली बहना के कारण हैं. आपने कोई बहुत अच्छा काम नहीं किया था जिसके कारण आप वहां बैठे हैं. सरकारी पैसे से ही वोट खरीदकर आपने सरकार बनाई है. आपने कहा था कि साढे़ बारह सौ रुपए के अलावा तीन हजार रुपए देंगे. इस अनुपूरक बजट में तीन हजार रुपए का प्रावधान क्यों नहीं लाया गया है. क्यों लाड़ली बहनों के साथ छल कपट किया जा रहा है. उनसे आपने फायदा तो ले लिया लेकिन साढ़े बारह सौ रुपए में उन्हें अटका दिया है. तीन हजार रुपए की राशि की इसी सत्र में आप घोषणा करें, उसका प्रावधान रखें ताकि उनको तीन हजार रुपये महीना मिल सके.
अध्यक्ष महोदय, मैं यह भी कहना चाहता हूँ कि कोरोना के बाद से जो एससी, एसटी के छात्र-छात्राएं हैं उनको पहले कॉलेज में बारह हजार, साढ़े बारह हजार रुपए छात्रवृत्ति मिलती थी. आज वह मात्र चार हजार रुपए रह गई है. ऐसा क्यों हो रहा है इसका पूरा ध्यान रखा जाए. उन छात्रों को जैसे पूर्व में बारह हजार रुपए छात्रवृत्ति मिलती थी वह वैसी ही मिले. यह छात्रवृत्ति जो कम हुई है तो इसकी पूरी जांच की जाए कि यह कम क्यों की गई है. अध्यक्ष महोदय, अंत में, मैं आपसे यही कहना चाहता हूँ कि (XX)
अध्यक्ष महोदय -- यह बात हो गई है. इसको विलोपित किया जाए. यह बात पहले हो चुकी है. श्रीमती गायत्री राजे.
श्रीमती गायत्री राजे (देवास) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपको धन्यवाद देती हूँ कि आपने मुझे अनुपूरक बजट पर बोलने का मौका दिया. मैं इस बजट के पक्ष में बोलना चाहती हूँ. माननीय मुख्यमंत्री जी, माननीय उप मुख्यमंत्री जी जो हमारे वित्त मंत्री का भी दायित्व निभा रहे हैं. उनको मैं बहुत-बहुत आभार, बधाई और धन्यवाद देना चाहती हूँ कि उन्होंने इस अनुपूरक बजट को पेश किया है. 22 हजार 460 करोड़ रुपए का अनुपूरक बजट आया है. अभी एक भाई ने बोला था कि बीच में बजट पेश करने की क्या जरुरत है परन्तु इतना बड़ा बजट बीच में आता है तो वह लोककल्याण के लिए आता है और आखिरी पंक्ति में बैठे हुए व्यक्ति की सेवा के लिए आता है तो इस बजट का बहुत बहुत स्वागत है.
अध्यक्ष महोदय, इस बजट में माननीय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी के नेतृत्व में विकास और समृद्धि के नये आयाम स्थापित किए हैं. भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने जनहित में जो नीतियां बनाईं हैं उसके लिए पर्याप्त राशि का इंतजाम इस अनुपूरक बजट में किया गया है. हर प्रदेश में इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए जो चीजें जरुरी होती हैं. जैसे सड़क, बिजली, पानी, स्वास्थ्य, युवाओं के लिए रोजगार, महिलाओं के लिए सुरक्षा इन सब क्षेत्रों में पर्याप्त मात्रा में राशि भी प्रदान की गई है. हर पहलू पर ध्यान दिया गया है.
अध्यक्ष महोदय, लोक निर्माण विभाग एक बहुत ही महत्वपूर्ण विभाग है. जो चमचमाते हुए रास्ते, पुलिया, ओवरब्रिजेस विगत वर्षों में बनकर तैयार हुए हैं इनके लिए एक बहुत बड़े बजट की जरुरत होती है. इस बजट में भी हजार करोड़ रुपए के लगभग राशि आवंटित की गई है. 400 करोड़ रुपए पुलों के निर्माण के लिए, 400 करोड़ रुपए ग्रामीण सड़कों के लिए, 100 करोड़ रुपए केन्द्रीय सड़कों के लिए इस तरह से आपने जो हजार करोड़ रुपए आवंटित किये हैं, वह सभी को कनेक्ट करते हुये एक जो जाल बनाकर पूरे क्षेत्र में देंगे वह हर क्षेत्र के विकास में कहीं न कहीं योगदान होगा. हमारे स्कूल जाने वाले छात्रों को, बेटियों को, आने-जाने के लिये किसानों को लाभ होगा.
5.31 बजे अध्यक्षीय घोषणा
सदन के समय में वृद्धि करने, माननीय सदस्यों के लिये चाय की व्यवस्था
एवं समय पर कार्यवाही पूर्ण करने विषयक
अध्यक्ष महोदय -- आज की कार्यसूची में सम्मिलित विषय पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाए. मैं समझता हूं कि सदन इससे सहमत है. माननीय सदस्यों के लिये लॉबी में चाय की व्यवस्था की गई है. बजट पर लगभग तीन घंटे चर्चा हो चुकी है, 4 घंटे का समय निश्चित है. मेरा सभी सदस्यों से अनुरोध है कि अपने-अपने क्षेत्र की एक-एक, दो-दो बात रखकर इस कार्यवाही को पूर्ण करने में सहयोग प्रदान करेंगे.
वर्ष 2024-2025 के प्रथम अनुपूरक अनुमान की मांगों पर मतदान (क्रमश:)
श्रीमती गायत्री राजे पवार -- अध्यक्ष महोदय, लोक निर्माण विभाग के बाद जो ऊर्जा की बात अभी मेरे पूर्व वक्ताओं ने भी की, अटल कृषि ज्योति योजना के तहत 84 अरब, 82 करोड, 79 लाख रुपये का प्रावधान किया गया है. घरेलू बिजली 24 घंटे सबको मिले और कृषि को कम से कम 12 घंटे बिजली मिले एक बहुत महत्वपूर्ण विषय है, इसके लिये इतना बड़ा बजट माननीय वित्त मंत्री जी ने आवंटित किया है उसके लिये उनका बहुत-बहुत साधुवाद. टेरिफ दरों पर अनुदान 280 करोड़ का दिया है, उसके लिये भी बहुत-बहुत धन्यवाद और सभी आम जनता की तरफ से मैं धन्यवाद प्रेषित करती हूं.
अध्यक्ष महोदय -- दिनेश जी, कृपया ऐसा मत करें. लॉबी में जाकर बात करें. हेमंत जी, आप उप नेता हैं भाई, लॉबी में ले जाकर बात करें प्लीज. सोहन लाल जी, यह मत करें.
श्रीमती गायत्री राजे पवार -- अध्यक्ष महोदय, ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत ग्रामीण रोजगार ग्यारंटी के तहत 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराने के लिये एक हजार करोड़ रुपये का प्रावधान बहुत ही उल्लेखनीय बात है, क्योंकि यह 100 दिन का जो रोजगार हम युवाओं को देंगे उससे हमारा बहुत सारा विकास होगा. जल संरक्षण, वृक्षारोपण विकास कार्यों में आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिये तालाबों को बनाने के लिये गांवों में विकसित जल उपलब्ध कराने के लिये इस बजट का उपयोग होगा और इसके लिये हम बहुत-बहुत कृतज्ञ हैं. ग्रामीण विकास विभाग अंतर्गत प्रधान मंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजनांतर्गत 56 करोड़ का प्रावधान किया गया है. मध्याह्न भोजन बच्चों के लिये एक बहुत ही महत्वपूर्ण उपलब्धता है, जो सरकार ने दी है और इसको सुचारू रूप से चलाने के लिये रसोइयों का मानदेय और पैसे उपलब्ध कराना बहुत जरूरी है और अनुपूरक बजट में जब आप इसके लिये जगह देते हैं तो यह बहुत ही उल्लेखनीय है. ग्रामीण विकास विभाग में मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजनांतर्गत 100 करोड़ रुपये, प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना में जैसा मैंने पहले बोला कि सड़कें बनने से बच्चों का भी भला होगा, किसानों का भी भला होगा और विकास हमारे गांव तक पहुंच पाएगा, इसलिये यह योजना अपने आप में बहुत ही महत्वपूर्ण है.
अध्यक्ष महोदय, सहकारिता विभाग के अंतर्गत बैंकों के माध्यम से अल्पकालीन ऋण उपलब्ध कराने के लिये 50 करोड़ का अनुदान दिया गया है. कृषकों की सुविधा को देखते हुये संस्थानों को बहु उद्देशीय रूप में विकसित किया गया है. यह संस्थान कॉमन सर्विस सेंटर्स के रूप में काम कर रहे हैं, जिसमें एमपी ऑनलाइन की भी सुविधा कृषकों को उपलब्ध है. यह जन औषधि के रूप में, पेट्रोल पम्प, गैस एजेंसी बिल, टैक्स कलेक्शन हेतु मध्यप्रदेश शासन द्वारा विकसित किये जा रहे हैं. मध्यप्रदेश शासन द्वारा इन संस्थानों के माध्यम से फसल उपार्जन का कार्य भी किया जा रहा है. सहकारी संस्थाओं की पारदर्शिता की दृष्टि में कम्प्यूटराजेशन का कार्य किया जा रहा है एवं शासन द्वारा नवीन सहकारी संस्थाओं का पुनर्गठन किया जाकर कृषकों के हित में सुविधा प्रदान करने हेतु कार्यवाही प्रारंभ की जा रही है.
अध्यक्ष महोदय- माननीय सदस्य कृपया संक्षिप्त करें.
श्रीमती गायत्री राजे पवार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक छोटा विभाग पर बहुत महत्वपूर्ण विभाग है वह है जेल विभाग उसके आधुनिकरण के लिये 15 करोड़ रूपये आवंटित किये गये हैं जिसमें जेल की सुरक्षा होगी, हाई-रिजुलेशन कैमरा स्कैनर लगेंगे, ओवर क्राउडिंग न हो इसलिये वहां बैंक-बेस बनाये जायेंगे इन छोटी छोटी चीजों पर भी ध्यान दिया गया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, औद्योगिक नीति प्रोत्साहन विभाग , औद्योगिक निवेश के लिये फरवरी 2025 में भोपाल में इन्वेस्टर मीट का आयोजन कर देश व विदेश के निवेशकों को प्रदेश में निवेश हेतु आमंत्रित किया जा रहा है. जिसमें प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप में प्रदेश के युवाओं को रोजगार उपलब्ध होगा एवं प्रदेश में स्थापित नये उद्योगों को औद्योगिक नीति एवं प्रोत्साहन विभाग के अंतर्गत सहायक अनुदान एवं राज्य सहायता मद में 250 करोड़ रूपये का प्रावधान इस बजट में स्वीकृत किया गया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा प्रारंभ की गई रिजनल कान्क्लेव में प्रदेश से अलग अलग क्षेत्रों में औद्योगिक विस्तार हो रहा है, जिसमे प्रदेश में समग्र विकास एक साथ हो रहा है एवं मुख्यमंत्री जी के इस प्रयास से प्रदेश में औद्योगिक क्रांति का आगाज हो रहा है. अध्यक्ष महोदय, मैं भी देवास का प्रतिनिधित्व करती हूं. देवास एक औद्योगिक क्षेत्र है एक समय था जब वहां पर बिजली, सड़क, पानी कुछ भी नहीं था , आज भारतीय जनता पार्टी की सरकार के द्वारा वहां पर हर सुविधा उपलब्ध है और युवाओं को रोजगार भी मिल रहा है और 99 प्रतिशत वहां की सारी इन्ड्रस्टीज कार्यरत है और सुचारू रूप से चल रही है. यह सब हमारे मुख्यमंत्री जी, हमारे उप मुख्यमंत्री जी वित्त मंत्री जी के इन बजट में प्रावधान के कारण ही संभव हो पा रहा है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इसी तरह से एमएसएमई में प्रोत्साहन व्यवसाय निवेश संवर्धन सुविधा अंतर्गत सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग को निवेश सहायता प्रदान करने से इकाई के विस्तार का सहयोग प्राप्त होगा और छोटे उद्योगों को अपना ऋण भुगतान में सहयोग प्राप्त करने के लिये अनुदान का प्रावधान किया गया है , उसके लिये भी मैं माननीय वित्त मंत्री जी को बहुत बहुत धन्यवाद देती हूं. आपने मुझे इस बजट के पक्ष में अपनी बात रखने का अवसर प्रदान किया उसके लिये आपको हृदय से धन्यवाद. माननीय वित्त मंत्री जी को बहुत बहुत बधाई, माननीय मुख्यमंत्री जी को बहुत बहुत बधाई, बहुत बहुत धन्यवाद.
श्रीमती झूमा डॉ.ध्यान सिंह सोलंकी (भीकनगांव ) --माननीय अध्यक्ष महोदय,धन्यवाद. आज के अनुपूरक बजट के विरोध मे मैं, अपनी बात रखूंगी. चूंकि मैं ग्रामीण क्षेत्र से आती हूं और जितनी खूबसूरत पिक्चर दिखाई गई उसमें ग्रामीण क्षेत्र नजर नहीं आते हैं. अध्यक्ष महोदय, पंचायत की बात से अपनी बात को प्रारंभ कर रही हूं. पंचायत की स्थिति इतनी बद से बदतर हो गई है क्योंकि मनरेगा योजना से ही वहां के सारे कार्य होते थे, किंतु आज स्थिति यह बन गई है कि उसके अभाव में न सड़कें बन रही हैं, न खेत तालाब हो रहे हैं, न मजदूरों को काम मिल रहा है, इस स्थिति में सुधार की आवश्यकता है और बजट में इसका प्रावधान यदि नहीं किया गया तो समस्या आयेगी इसलिये अन्य विभाग के बजट से इसमें बजट देने का प्रावधान वित्त मंत्री जी करेंगे, ऐसा मेरा विश्वास है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं जिस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करती हूं वहां से हजारों की संख्या मजदूर अन्य राज्य की और पलायन करने को मजबूर हैं. चाहे महाराष्ट्र हो, गुजरात हो, राजस्थान है यहां पूरा आदिवासी समाज मजदूरी को जाता है, काम के लिये भटकता है क्योंकि हमारे यहां काम का अभाव है, यह बड़ी समस्या है जिस पर ध्यान दिया जाना आवश्यक है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, पंचायत एवं ग्रामीण विकास के संबंध में मैंने बजट की पुस्तक को देखा कि हमारे विधानसभा की भी एक सड़क दिख जाये परंतु एक भी सड़क हमारे जिले की इस अनुपूरक बजट में शामिल नहीं की गई है. विधानसभा क्षेत्र खरगोन की एक सड़क जरूर इसमे है. हमारे ग्रामीण क्षेत्र को पूरी तरह से अनदेखा किया गया है . वर्ष 2022-23 के मुख्य बजट में मेरे क्षेत्र का एक मार्ग स्वीकृत किया गया था , मैं चाहूंगी कि वह रतनपुर से भजापठार तक के मार्ग को जो मंजूरी मिली थी उसका काम जरूर हो.
अध्यक्ष महोदय, महिला एवं बाल विकास विभाग के बारे में कहना चाहती हूं कि जिस स्थान पर आंगनबाड़ी स्वीकृत है, वहां बच्चे पेड़ों के नीचे बैठ रहे हैं, तथा टूटे हुये घरों में आंगनवाड़ी केन्द्र चल रहे हैं. ऐसे एक ही विधान सभा के मेरे ही विधान सभा के 148 केन्द्र ऐसे हैं, जहां पर भवन नहीं हैं. इनको भवन की अति आवश्यकता है, ताकि बच्चे अच्छी पढ़ाई, लिखाई वहां कर सकें. स्वास्थ्य विभाग के अमले के अभाव में पूरी स्वास्थ्य की सेवाएं चरमरा गई हैं. आज की स्थिति में पद पूर्ति बिलकुल नहीं हो रही है. डाक्टरों,वार्ड ब्वाय, स्टाफ नर्स की कमी है और यहां तक कि ड्रेसर और पोस्ट मार्टम करने वाले कर्मचारी की भी व्यवस्था नहीं है. हम किस विकास की बात कर रहे हैं, यह हमारी स्वास्थ्य सेवाएं इस तरह से चरमराई हुई हैं. इसमें पद पूर्ति की जाये, ताकि यह व्यवस्थाएं सुधारी भी जा सकती हैं, ऐसी बात नहीं है कि व्यवस्थाएं बिगड़ी हैं, तो सुधारी नहीं जा सकती हैं.
अध्यक्ष महोदय, ऊर्जा विभाग की बात करें, जब विधान सभा का चुनाव आया,हर किसान से कहा गया कि आप स्थाई रुप से कनेक्शन लीजिये. सबसे 2500 रुपया जमा करवाये गये, 2500 रुपये का उसका कागज तैयार हुआ, इस तरह से एक एक किसान ने 5 हजार रुपया खर्च किया, उसके बाद भी, आज भी उनको वह कनेक्शन नहीं दिया गया. तो इस बजट में उनको दिया जाये. यह बहुत जरुरी है, किसानों की बात है. मेरी विधान सभा में पिछली मर्तबा 2021-22 में 667 मजरे टोलों की स्वीकृति आई थी, किन्तु ठेकेदार काम करते करते वहां से काम छोड़कर चला गया. आज भी 53 मजरे टोले विद्युत विहीन हैं, उसका बजट है, वह सेंक्शन है, मैं चाहूंगी कि इस बजट में यह राशि उपलब्ध कराई जाये, ताकि यह काम उनका हो सके. मजरे टोलों का अभी और सर्वे किया गया, जिसमें धरती आबा योजना, जो केन्द्र की योजना है, उसमें हमने सर्वे करवाया. मैं चाहूंगी कि हमारे प्रदेश के बजट में भी उनको शामिल करके और वहां पर बिजली पहुंचाई जाये.
अध्यक्ष महोदय, नर्मदा घाटी विकास विभाग, चूंकि मैं प्रश्न में ही अपनी बात कह चुकी हूं, किन्तु मुख्यमंत्री जी ने बड़ी आशा सबको दिखाई है कि नदी जोड़ो अभियान जो चलेगा, उसमें छूटे हुए सभी ग्राम शामिल होंगे. तो मैं भी चाहूंगी कि मेरा भी छूटा हुआ एरिया है, उसमें शामिल हो और झिरन्या उद्वहन नहर के बाद जो छूटे हुए 22 गांव हैं, जिसमें 14 हजार हैक्टेयर कृषि भूमि है, वह उसमें सिंचित हो, ताकि यह पलायन वाली जो स्थिति है, बाहर जो मजदूरी के लिये जाते हैं, उनको जाने की जरुरत नहीं पड़े और यहीं पर वह काम उनको मिल सके.
अध्यक्ष महोदय, जल संसाधन विभाग, चूंकि मंत्री जी यहां पर मौजूद नहीं हैं, जल संसाधन विभाग से वाटर लेवल बढ़े , इसके लिये जरुरी होता है कि तालाबों का, बेराज का भी निर्माण होना चाहिये. मेरी विधान सभा की बात करें तो कूढ़ी तालाब, बोरवाज तालाब,कोथा बुजुर्ग, धूपा बुजुर्ग,गाड़गिया मोर ऐसे अन्य दो और हैं, जिनकी साध्यता के लिये मैंने बहुत बार चिट्ठी लिखी है. मुख्यमंत्री जी को भी लिखी है और सिलावट जी को भी लिखी है, यदि उनकी साध्यता दें और उनका सर्वे और डीपीआर बना करके स्वीकृति देंगे, तो निश्चित ही हमारा क्षेत्र और चमन होगा. गृह विभाग में चूंकि मेरी महाराष्ट्र से लगी हुई सीमा है, तो निश्चित ही बहुत बड़ी समस्या है, वहां गौवंश का परिवहन होता है. तो मैं चाहूंगी कि वहां की ..(अध्यक्ष महोदय के देखने पर) अध्यक्ष महोदय, मैं बहुत जल्दी बोलती हूं, मुझे बिना वजह की शेर ओ शायरी आती नहीं है. मैं सिर्फ काम करती हूं और काम की बात करती हूं. तो गृह विभाग की दो चौकियां, जिसका उन्नयन होकर थाने बनाये जायें.
अध्यक्ष महोदय-- शेर ओ शायरी के लिये आप हेमंत जी की मदद लो. (हंसी) आप जल्दी समाप्त करें.
श्रीमती झूमा डॉ. ध्यान सिंह सोलंकी-- अध्यक्ष महोदय, गृह विभाग के लिये मैं कह रही हूं कि मेरी दो चौकियों का उन्नयन करके थाना बनाया जाये, जहां पर यह जो बड़ी समस्या है, जो पशुओं का, जिसमें गाय माता प्रमुख रुप से उसका परिवहन करके महाराष्ट्र भेजी जाती है, वहां पर थाने की जरुर है, स्टाफ की जरुरत है, उसको जरुर बनाया जाये. स्वास्थ्य विभाग की जो एक बड़ी योजना है, महिलाओं की बात हर योजनाओं में शामिल कर रहे हैं, मैं आपसे कहना चाह रही हूं कि प्रसव के समय महिलाओं की जो योजना है, उसको पूरी मदद मिले, इसलिये योजना बनी है. 16 हजार रुपये उसको दिया जाता है. मेरे विधान सभा में तो मैं मेरा प्रयास करके उनको दिला रही हूं, पर पूरे जिले की बात करें, प्रदेश की बात करें, तो हजारों, लाखों महिलाओं को इस योजना का लाभ तुरन्त जो मिलना चाहिये, उस समय उनको नहीं मिल रहा है, इसका जरुर उनको लाभ मिलना चाहिये. यह व्यवस्था माननीय मंत्री जी जरुर करें.
अध्यक्ष महोदय, हमारी ग्राम पंचायत जो व्यवस्थाएं हैं वह पंच से लगाकर सरपंच, जनपद और जिला पंचायत सदस्य, इन सभी को भी एक निश्चित राशि भी मिलती है, वह अपने क्षेत्र में खर्च कर सकें. वह दो-तीन पंचायतों से जीत कर आते हैं, जिला पंचायत सदस्य 20-25 पंचायतों से जीतकर आते हैं उनकी जो निधि मिलनी थी वह आज तक नहीं मिली है, वह दी जाये. क्योंकि वह आशाभरी निगाह से देखते हैं कि हम भी चुनकर आये हैं. विधायक, सांसद अपना काम करते हैं, हम लोग भी छोटी जगह जरूर हैं, पर हम भी अपने क्षेत्र का विकास चाहते हैं, तो वह राशि उनको रेग्युलर दी जाये और पिछली बार वेतन के संबंध में बड़ा सम्मेलन करके बोला था कि उनको वेतन दिया जायेगा, वह वेतन भी आज तक नहीं मिला है. पंच से लगाकर जिला पंचायत सदस्य तक के लिये वेतन का प्रावधान जरूर है, पर उनको मिलता नहीं है उनको वेतन दिया जाये. आदिवासी छात्र-छात्राओं के गरीब परिवार छात्रवृति पर ही निर्भर रहते हैं उनकी जो छात्रवृति है वह भी रेग्युलर नहीं मिल रही है वह एक-एक साल में मिलती है. यह हकीकत है. छात्रावासों में भी, आश्रमों में भी जो चलाते हैं वह अपनी जेब से खर्च करके और यह व्यवस्था जुटाते हैं, यह स्थिति है. अगर हकीकत नहीं सुनना चाहें तो आप जैसा चश्मा लगायेंगे वैसा दिखेगा जरूर. परंतु यह हकीकत है कि बच्चे पढ़ना चाहते हैं, आगे बढ़ रहे हैं उनको अवसर देना चाहिये और उनके लिये जो प्रावधान किया है, उसको पूरा करना चाहिये.
अध्यक्ष महोदय, स्वास्थ्य विभाग की एक और जो बड़ी बात है कि कोरोना काल के दौरान जो डॉक्टर, स्टाफ और नर्स सभी ने काम किया और बड़ी शिद्दत के साथ काम किया. उन्होंने अपने जीवन को दांव पर लगाकर काम किया. वह संविदा कर्मचारी आज भटक रहे हैं, क्योंकि कुछ समय के बाद उनको हटा दिया गया है उनको पुन: नौकरी में लिया जाये और मैं तो कहूंगी की उनको नियमित किया जाये. यह बहुत जरूरी है. जिन्होंने मानवता को बनाने के लिये काम किया है, उनको अवसर देना चाहिये. एक आखिरी बात यह है कि मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान राशि से हम लोग जो बहुत गंभीर बीमारी के लिये पत्र लिखते हैं, तो ऐसा कैसा भेदभाव अध्यक्ष जी कि कांग्रेस के विधायक का पत्र आता है तो तुरंत उसको रद्दी की टोकरी में डाला जाता है. यह काम हमारे घर या परिवार के लोगों का नहीं होता है, यह जो ज्यादा गंभीर बीमारी वाले लोग होते हैं उनकी सहायता के लिये होता है तो उसमें किसी तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिये. यह आपकी तरफ से निर्देशित होना चाहिये कि जिसका भी अनुशंसा के रूप में पत्र आये तो उसको मदद जरूर मिले, वह खाली हाथ नहीं जाये ऐसा प्रावधान अध्यक्ष महोदय करें. अध्यक्ष जी मैं माननीय वित्त मंत्री को धन्यवाद देना चाहती हूं कि हमारी जो झिरिन्या सिंचाई योजना के लिये एक किश्त की राशि इस बजट में शामिल है उसके लिये मैं धन्यवाद भी देती हूं. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया उसके लिये बहुत-बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय- चिंतामणि जी, 5 मिनिट में अपनी बात पूरी करोऋ.
डॉ. चिंतामणि मालवीय( आलोट)- अध्यक्ष महोदय, मैं पहली बार बोल रहा हूं मुझे दो-तीन मिनिट और दिये जायें.
आपने मुझे इस महत्वपूर्ण अपुनूरक बजट पर बोलने का अवसर दिया. मैं इसके समर्थन में बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. हम सब यह जानते हैं कि जब मुख्य बजट में निर्धारित की गयी राशि कम पड़ जाती है या नयी योजना के लिये बजट की आवश्यकता होती है तो अतिरिक्त मांगों की पूर्ति के लिये पूरक बजट प्रस्तुत किया जाता है.
अध्यक्ष महोदय, वित्तीय प्रशासन किसी भी सरकार को मर्म होता है और एक कुशल वित्तीय प्रशासन, एक कुशल वित्तीय प्रबंधन, एक अच्छी सरकार की पहली शर्त है. बजट उन लक्ष्यों की श्रंखला का नाम है, जिसके साथ मूल्य संलग्न होता है. यह बजट पर चर्चा, आंकड़ों पर चर्चा की नहीं, गणित की नहीं बल्कि उन मानवीय और जनकल्याणकारी लक्ष्यों की चर्चा है, जिसे सरकार इस पूरक बजट के माध्यम से प्राप्त करना चाहती है. यह आंकड़े नहीं लक्ष्य महत्वपूर्ण है. यह पूरक बजट यूं तो बाईस हमार दो सौ चौबीस करोड़, तिरानवे लाख, पांच हजार, नौ सौ इक्कीस रूपये का है, लेकिन जब हम इस पूरक बजट की गहराई को देखते हैं तो इस बजट में चार सबसे महत्वपूर्ण मद उभर कर आती है और वह चार मद हैं विकास, गरीब कल्याण, अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़ा वर्ग के लिये शिक्षा और चिकित्सा. पूरक बजट की सबसे बड़ी राशि छ: हजार सात सौ साठ दशमलव पिचहत्तर करोड़ रूपये जल प्रबंधन, सिंचाई, बाढ़ नियंत्रण और नदी लिंक और हर घर जल नल से जल देने जैसी पुनीत कार्य के लिये, पुनीत योजना के लिये रखे गये हैं. अध्यक्ष जी विकास के लिये जल प्रबंधन एक आवश्यक तत्व है और 25 दिसम्बर को माननीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी का जन्म दिवस भी है, यह पूरक बजट वास्तव में श्रद्धेय अटल जी के प्रति श्रद्धांजलि है, जिन्होंने नदियों के जल के प्रबंधन को और नदी लिंक योजना का सपना देखा. जिसे आज हम पूरा होते हुए देख रहे हैं. हम देखते हैं कि इतने बड़े देश में कहीं बाढ़ होती थी, कहीं सुखाड़ होता था. हमारी वर्षा का मीठा जल समुद्र में चला जाता था, लेकिन उसके प्रबंधन का काम, उसका जो सपना अटल जी ने देखा और हम आज देख रहे हैं कि वह मध्यप्रदेश में भी फलित होता दिखाई देता है. केन बेतवा नदी लिंक परियोजना, तवा परियोजना, चितावद वृहद सिंचाई परियोजना के लिए रखे गये 1595 करोड़ रुपये मध्यप्रदेश की कृषि संभावनाओं को नयी ऊंचाइयां देंगे.
अध्यक्ष महोदय, कुछ समय पहले कोई सोच भी नहीं सकता था कि गांव में बहुत दूरस्थ जहां 10 घर भी हैं वहां पर नल से जल पहुंचाया जा सकता है, लेकिन मैं धन्यवाद दूंगा हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को जिन्होंने सबके पहले हर घर में गैस पहुंचाया, उसके बाद हर घर में बिजली पहुंचाई और एक से एक क्रान्तिकारी सपना देखा कि हर घर में नल से जल होगा और उसके लिए भी एक बड़ी राशि इसके लिए देने का काम किया है. हमारी नगरीय विकास उसको भी 849 करोड़ रुपया दिया गया ताकि हमारे जो कस्बे हैं वहां भी जो स्टैण्डर्ड जीवन की रचना हो सके. ईज ऑफ लिविंग का सपना साकार हो सके, खेतों और गांवों में बिजली देने के लिए एक बड़ी राशि 8482 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया.
अध्यक्ष महोदय, हम जानते हैं कि उद्योग, रोजगार सृजन का सबसे बड़ा माध्यम होता है और उद्योग विकास की गारंटी है. इसको ध्यान में रखते हुए इस सरकार ने एमएसएमई के लिए भी 450 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा है. मैंने प्रारंभ में ही कहा कि यह बजट जनकल्याण के लक्ष्यों और उद्देश्यों की ओर एक कदम है. अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों की यहां पर बात हो रही थी, अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों की बात यहां पर हो रही थी, स्कालरशिप की बात हो रही थी और उनकी स्कालरशिप के लिए भी क्रमशः अनुसूचित जाति के लिए 90 करोड़ रुपये, पिछड़ा वर्ग के लिए 180 करोड़ रुपये, अनुसूचित जनजाति के लिए 246 करोड़ रुपये का उपबंध इस बजट में रखा गया है, मैं इसके लिए माननीय वित्तमंत्री जी को धन्यवाद देना चाहूंगा क्योंकि यह बहुत आवश्यक और जरूरी कदम था.
अध्यक्ष महोदय, जनकल्याणकारी राज्य की जितनी भी परियोजनाएं हैं आज मैं कह सकता हूं कि विश्व में जो परियोजनाएं परिचालित है उसमें सबसे ज्यादा प्रभावी और सर्वव्यापक यदि कोई परियोजना है तो वह संबल है और संबल के लिए बहुत समय से पैसा भी रुका हुआ था उसके लिए भी 200 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. मैं इसके लिए भी आदरणीय वित्त मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहूंगा. मैं बहुत कम शब्दों में ही अपनी बात करूंगा. लेकिन हमारे कांग्रेस मित्र बार-बार कहते हैं जनता को भ्रमित करते हैं, कहते हैं कि सरकार उधार पर चल रही है. मैं अपनी बात को शार्ट करते हुए कुछ आंकड़ें सदन के सामने रखता हूं.
अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2023 में मध्यप्रदेश की देनदारियां 3 लाख 63 हजार 952 करोड़ रुपये थी और 31 मार्च, 2024 को 4 लाख 23 हजार 99 करोड़ रुपये हो गई. आज हमारी मान्य राज्य की विकास दर, जो ग्रोथ रेट है वह 15 लाख 13 हजार 720 करोड़ रुपये है यानी हमारी देनदारियां इसका मात्र 27.95 प्रतिशत है. रिजर्व बैंक ने कहा है कि यदि 30 प्रतिशत तक जीएसडीपी की अगर देनदारियां हैं तो वह बहुत नहीं मानी जाएंगी. हमारी तो बहुत कम है. मैं भारत सरकार के आंकड़े रखना चाहूंगा. जो अगर हम अन्य राज्यों को देखें और कांग्रेस शासित राज्यों को भी देखें तो वहां और मध्यप्रदेश की देनदारियों में कितना बड़ा अंतर है. आंकड़ें केन्द्र सरकार के वित्त विभाग ने जारी किये हैं और उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में तमिलनाडु में सबसे ज्यादा जो देनदारियां है वह 8 लाख 34 हजार 543 करोड़ रुपये की है तो पश्चिम बंगाल पर 6 लाख 58 हजार 426 करोड़ रुपये देनदारियां हैं. कांग्रेस शासित राज्य कर्नाटक की बात करें तो वहां पर 5 लाख 97 हजार 618 करोड़ रुपये की देनदारियां हैं. गुजरात जैसा विकसित राज्य जहां इतनी संपन्नता है, कारखाने हैं. विदेशों में लोग हैं लेकिन गुजरात पर भी हमसे ज्यादा कर्ज है, गुजरात पर कर्ज है 4 लाख 59 हजार 464 करोड़ रुपये, उनकी देनदारियां हमसे ज्यादा है.
श्री दिनेश गुर्जर - वह गुरुजी का प्रदेश है, बोलो मत. बोलेंगे तो व्यवस्था खराब हो जाएगी.
डॉ. चिन्तामणि मालवीय - केरल जैसे छोटे राज्य में 4 लाख 29 हजार 270 करोड़ रुपये की देनदारियां हैं. लेकिन मध्यप्रदेश में मात्र 4 लाख 23 हजार 99 करोड़ रुपये की देनदारियां हैं. जो बहुत कम है. आज हमारा जो जीएसडीपी है वह 6.1 प्रतिशत है और फिसकल डिफिसिट जिसको राजकोषीय घाटा कह सकते हैं वह मात्र 3 प्रतिशत है. और इस दृष्टि से हम जो यह बार-बार आरोप लगाते हैं कि यह उधार की सरकार है, यह उधार की सरकार है तो यह आरोप तथ्यों पर कहीं ठहरता नहीं है. मैं और आगे अपनी बात आगे बढ़ाना चाहूंगा. हमारे कांग्रेसी मित्र जनकल्याण की योजनाओं पर प्रश्न उठाते हैं. लाड़ली बहना पर प्रश्न उठाते हैं, संबंल योजना पर प्रश्न उठाते हैं लेकिन कांग्रेस शासित राज्यों में क्या स्थिति है, मैं इस पर थोड़ा-सा एक मिनट में अपनी बात रखना चाहूंगा. जब कांग्रेस ने कर्नाटक में 5 गारंटी दी और उन 5 गारंटी का आज परिणाम यह है कि 60 हजार करोड़ रूपया प्रतिवर्ष उनको बजट में रखना पड़ता है. आज कर्नाटक की स्थिति यह है कि खुद (XX) को यह कहना पड़ा कि बोलो भई, जो कर सकते हो. कर्नाटक में कांग्रेस की जो स्थिति है उसमें तनख्वाह बांटने के पैसे नहीं हैं और इससे बढ़कर के हिमाचल प्रदेश की बात करें, तो हिमाचल प्रदेश में तो शौचालय पर भी टैक्स है. शौचालय की गिनती हो गई...(व्यवधान)..
श्री महेश परमार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह सदन की तरफ से नहीं है आपने ही कहा था कि उनके नाम का उल्लेख यहां पर नहीं होना चाहिए. वे हमारी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं...(व्यवधान)..
डॉ. चिन्तामणि मालवीय -- अध्यक्ष महोदय, (XX) मैं बताना चाहता हॅूं कि हमारे मध्यप्रदेश की जो आर्थिक व्यवस्था है एक से एक स्टेबल आर्थिक व्यवस्था है. हम एक निश्चित विकास कर रहे हैं, सुनियोजित विकास कर रहे हैं लेकिन इस पर जो आरोप किया जा रहा है वह बहुत खाली है, आधारहीन है और मैं हमारे मित्रों को केवल इतना कहना चाहूंगा कि हमारे उपनेता प्रतिपक्ष ने बड़ा अच्छा शेर सुनाया, मैं उनको कह देना चाहता हॅूं कि -
तुम मुझे इसके लिए चाहे करो बदनाम,
चाहे कितने ही बुरे मेरे धरो तुम नाम,
दंड भी चाहे कठिन दो तुम मुझे इतना,
कि डूब जाए आसुंओं में हर सुबह और शाम,
बस यही अपराध मैं हर बार करता हॅूं आदमी हॅूं,
आदमी से प्यार करता हॅूं.
हम जनकल्याण के कार्य करते रहेंगे. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री रामकिशोर दोगने (हरदा) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद. मैं अनुपूरक बजट के विरोध में बोलने के लिए खड़ा हुआ हॅूं और मैं आपके माध्यम से सरकार को बताना चाहता हूँ कि आप 3 लाख 67 हजार करोड़ रूपए का बजट लेकर आए थे, इसके बाद 22 हजार 460 करोड़ रूपए का अनुपूरक बजट फिर ले आए, तो इस तरह से जो बजट आता है, वह बजट खर्च न होते हुए भी आप अनुपूरक बजट लाते हैं यह हमारी सरकार के लिए और जनता के हित के लिए भी नहीं है. इस बजट में जो प्रावधान किए गए हैं वह प्रावधान अगर कहीं कोई विशेष योजनाओं के लिए किए जाते, तो निश्चित ही जनता को उसका लाभ मिलता. पूरे विभागों में इसको बांट दिया गया है. इसका मतलब यह है कि आपका अनुमान पहले भी ठीक नहीं था और आगे का अनुमान भी ठीक नहीं है. इसलिए मैं इस अनुपूरक बजट का विरोध करता हॅूं और मैं आपको बताना चाहता हॅूं कि वर्तमान में हम देखें कि सरकार के ऊपर करीब 4 लाख करोड़ से ऊपर का कर्जा है, आपके बजट से ज्यादा कर्जा जा रहा है. इसके साथ ही मैं सदन को बताना चाहता हॅूं कि 20 हजार 685 करोड़ रूपए ऐसे हैं जो किसी विभाग ने उपयोगिता प्रमाणपत्र भी नहीं दिए हैं और प्रमाण पत्र नहीं देने के कारण लैप्स हो गए हैं तो आपने कैसे अनुमान लगाया. हमारे 20 हजार करोड़ रूपए नुकसान में जा रहे हैं. उसका बजट में उपयोग नहीं हो पाया है. इसी तरह से हमने देखा कि 6 लाख 687 करोड़ रूपए, जो आपकी लागत है, कोई योजना आपने बनायी है और लागत लगाने के बाद में लागत में, जो समयसीमा थी कि 3 महीने में, 6 महीने में कम्प्लीट कर लिया जाएगा या साल भर में कम्प्लीट कर लेंगे, लेकिन कम्प्लीट नहीं होने के बाद उसकी लागत बढ़ गई और लागत में आपने 6 लाख 687 करोड़ रूपए पेमेन्ट किया, यह मध्यप्रदेश का दुर्भाग्य है कि इस तरह के आंकडे़ अगर आ रहे हैं और सरकार क्या कर रही है सरकार क्यों नहीं देख रही है, यह सोचने की बात है. एक तरफ आपका 20 हजार करोड़ रूपए का नुकसान है और वह वापस चला जाता है. इसके साथ ही मैं एक और आंकड़ा देना चाहता हॅूं. 16 हजार 746 करोड़ रूपए की राशि विभागों में खर्च नहीं हुई है और वह राशि वापस चली गई. यह कैसा मैनेजमेंट है, यह कैसा मेंटनेंस है आपका, यह सोचने की बात है. मेरा आपसे यह अनुरोध है कि यह इस तरह से न हो. इसका समय पर आप सर्वे करवाएं. समय पर जांच करवाएं और अधिकारी को चेताएं कि बजट का ऐसा दुरूपयोग न हो. यह जनहित का बजट है. जनता से हम टैक्स के रूप में पैसा लेते हैं और विकास के रूप में देते हैं. यह जनता का पैसा है. यह कोई विधानसभा का पैसा नहीं है और न ही मुख्यमंत्री जी का पैसा है, न ही मंत्री का पैसा है और न ही यह प्रशासनिक अधिकारी का पैसा है, यह जनता का पैसा है. जनता का पैसा टैक्स के रूप में हमारे बीच में आता है और हम उसको विकास के रूप में देते हैं. वह पैसा विकास में जाना चाहिए. यह हमारी उपयोगिता होनी चाहिए. इसके साथ ही मैं एक छोटी-सी बात रखकर अपनी बात खतम करूंगा तो मैं निवेदन करना चाहता हूं कि कृषि क्षेत्र में हमारा हरदा बहुत ही अव्वल है. हरदा में कृषि महाविद्यालय की घोषणा कई बार हो चुकी है. मैंने इसका प्रश्न भी लगाया था. उसका जवाब आया कि कोई योजना नहीं है. पूर्व मुख्यमंत्री जी भी इसकी घोषणा करके आये थे. वहां पर कृषि महाविद्यालय खोला जाये. उस पर पैसा लगाते तो ज्यादा अच्छा रहता इससे पूरे मध्यप्रदेश को फायदा मिलता. क्योंकि हरदा मिनी पंजाब के रूप में फेमस है. उसके साथ ही पॉलीटेक्निक कॉलेज है उसको इंजीनियरिंग कॉलेज में उन्नयन किया जाता तो मुझे ज्यादा अच्छा लगता. डिग्री कॉलेज है डिग्री कॉलेज के स्थान पर गर्लस कॉलेज खोल देते तो ज्यादा अच्छा रहता. मेरे क्षेत्र मोरगढ़ी, मगरदा, हण्डिया इन ब्लॉकों में छोटे छोटे आदिवासी गांव हैं बहुत सारे आदिवासी क्षेत्र भी हैं. वहां पर आदिवासी छात्रावास बना देते तो मुझे बहुत अच्छा लगता. वहां पर कॉलेज चालू करा देते तो बच्चों को सुविधा मिलती तो अच्छा रहता. मेरे यहां पर हण्डिया क्षेत्र पर्यटन स्थल है, नर्मदा जी का नाभि स्थल है, नाभि से पूरी ऊर्जा मिलती है. उस नाभि स्थल को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर देते तो मुझे बहुत अच्छा लगता. उसके साथ ही मेरे यहां पर विलेजदेव का जन्म स्थल है वहां पर आंगनवाड़ी में 300 से 400 करोड़ रूपये खर्च किये हैं. उसका विकास करते तो निश्चित ही इसका फायदा मिलता. इसके साथ रनई से कुकरावद रोड़—
अध्यक्ष महोदय—इनकी बातें रिकार्ड में नहीं आयेंगी.
डॉ.रामकिशोर दोगने (xxx)
श्री आशीष गोविन्द शर्मा (खातेगांव)—अध्यक्ष महोदय, मैं अनुपूरक बजट का समर्थन करता हूं. मध्यप्रदेश के विकास की इबारत 2003 से भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने लिखी है. उसे लगातार आगे बढ़ाने का काम हमारा बजट करता है. माननीय मोदी जी के शब्दों में हमारी सरकार चार वर्ग युवा, महिला, किसान और गरीब के कल्याण के लिये काम कर रही है. किसी भी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि यह रहती है कि उसके कारण व्यक्ति के जीवन में परिवर्तन आये. बहुत सारे माननीय सदस्यों को मैं सुन रहा था. मैं आंकड़ों में नहीं जाना चाहता. लेकिन इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता कि आज जितने भी विधान सभा क्षेत्रों में लाडली बहनों के खातों में राशि मिल रही है. जब हम अपने क्षेत्रों में दौरे पर जाते हैं महिलाएं घेर लेती थीं कि हमारी भी कुछ मदद करवाईये हम गरीब परिवार हैं. आज सभी बहनों को 1250 रूपये की राशि मिल रही है. तो कहीं न कहीं इससे महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में बहुत बड़ा प्रभाव देखने के लिये मिल रहा है. सरकार के बजट का एक बहुत बड़ा हिस्सा महिलाओं को दिया जा रहा है. इस सरकार ने 2006 से जब लाडली लक्ष्मी जैसी महत्वाकांक्षी योजना लेकर के आयी जिसको पूरे विश्व ने सराहा आज उन बेटियों के खातों में पैसा आता है. लगभग छः लाख से अधिक बेटियां लाडली लक्ष्मी योजना के अंतर्गत हैं. उनको छठी कक्षा में जाने पर लगभग 2 हजार, नौवीं कक्षा में जाने के लिये भी 2 हजार, 11 वीं कक्षा में जाने के लिये 4 हजार और उच्च शिक्षा की पढ़ाई के लिये छः हजार से दस हजार रूपये की राशि उनके खातों में डलती है. तो माता पिता के लिये उनकी पढ़ाई की व्यवस्था के लिये आत्मनिर्भरता कम रहती है. आज शिक्षा की अगर हम बात करें तो मध्यप्रदेश में निश्चित ही नवाचार हुआ है. जो लोग संविधान की बात करते हैं बाबा साहब अम्बेडकर के कारण आज परिवर्तन आया है उनकी बात को कहना चाहता हूं. सीएम राईज जैसी संस्थाएं वहां पर उन
( X X X ) -- आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
परिवारों के बच्चे अभी पढ़ रहे हैं. अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग तथा गरीब परिवारों के बच्चे पढ़ रहे हैं जो कभी माता पिता के साथ अपने खेतों पर मजदूरी किया करते थे. आज वह बच्चे पढ़ लिख कर आप किसी भी गांव में चले जाईये वहां पर इंजीनियर और डॉक्टर बच्चे आपको मिल जायेंगे. जिन गांवों में 12 वीं पास बच्चे आज से 10-20 साल पहले नहीं मिलते थे. यही नया भारत है. उन लोगों को आगे आने का मौका मिला है, जो वंचित थे, शोषित थे, पिछड़े थे, गरीब थे. यही काम भारतीय जनता पार्टी की सरकार इस प्रदेश और देश में कर रही है. मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि अन्नदाता की बात हम सब लोग करते हैं लेकिन अन्नदाता के खेत तक पानी पहुंचे इसके लिये मध्यप्रदेश की सिंचाई क्षमता को बढ़ाने के लिये असंख्य योजनाएं हैं जिनका मैं नाम लूंगा तो समय लग जायेगा. लेकिन इस सरकार ने बहुत सारी सिंचाई योजनाओं के लिये राशि दी है. मेरे विधान सभा क्षेत्र में रेवा परियोजना से लगभग 80 गांवों की 60 हजार से अधिक भूमि सिंचित होने जा रही है. साथ ही साथ विधान सभा क्षेत्र में समूह पेयजल योजना पर काम चल रहा है. आज प्रधान मंत्री जी के जल जीवन मिशन के माध्यम से गांव गांव में नलों से पानी पहुंचाने का सपना साकार हो रहा है. जिन गांवों में एक हेण्डपम्प एवं एक कुंआ ही गांव के पानी का स्त्रोत हुआ करता था आज गरीब एवं मध्यमवर्गीय परिवारों के लिये नलों से पानी पहुंचेगा. यही आजादी के बाद का नया भारत है. जिसकी संकल्पना हमारे महापुरूषों ने इस देश को आजाद कराते हुए की थी. साथ ही साथ कल माननीय प्रधानमंत्री जी ने केन बेतवा लिंक परियोजना का भूमि-पूजन किया. मालवा, निमाड़ हो, चंबल हो, पार्वती काली सिंध नर्मदा से जुड़ी हुई योजनाएं हों. उन क्षेत्रों में पानी पहुंचाने का काम जहां की भूमि बंजर हो चुकी थी जहां पर किसानों को सिंचाई के लिये बेहद परिश्रम करना पड़ता था. हमारी सरकार ने किसानों के कृषि पम्पों पर जो सब्सिडी देने का कार्य किया है, अनुसूचित जाति, जनजाति के एक हेक्टेयर तक के किसानों को सिंचाई के लिए पम्प में राशि की माफी की है. यह अपने आपमें एक अनूठा प्रयोग हुआ है, वह किसान जो जनरेटर लगाकर अपनी खेती पर सिंचाई करते थे या प्रकृति पर निर्भर रहते थे कि पानी आएगा तो गेहूं, चने और रबी की फसल ले लेंगे. आज उनको सरकार के इन प्रयासों से मदद मिल रही है. मध्यप्रदेश के बेटा बेटी इंजीनियरिंग, नीट की परीक्षा यूपीएससी, सिविल जज, पीएससी की जो कोचिंग होती है, वह माता पिता के लिए कोचिंग की फीस भरना कष्टकारक होता है. लेकिन हमारी सरकार, हमारे मुख्यमंत्री जी आज इन युवाओं को नि:शुल्क कोचिंग प्रदान करने के लिए इस अनुपूरक बजट में प्रावधान किया है. इसके लिए मैं माननीय वित्त मंत्री जी को इसके लिए धन्यवाद देता हूं. साथ ही साथ किसानों को जीरो प्रतिशत ब्याज पर हमारी सरकार ऋण दे रही है. संबल जैसी महत्पूर्ण योजना मध्यप्रदेश में जब पुरानी सरकारों के समय किसी के घर मृत्यु होती थी तो वे कहते थे कि मृत्यु पर हमारा वश नहीं है, यह तो भगवान ने जब लिखी तब आना है. लेकिन उस मृत्यु के बाद उस गरीब परिवार पर क्या बीतती थी, 13 दिन के बाद परिवार वाले भी पूछने नहीं जाते थे, लेकिन उस परिवार की पीड़ा को हमने समझकर संबल जैसी महत्वपूर्ण योजना पर सामान्य मृत्यु पर 2 लाख रुपए, दुर्घटना पर मृत्यु होने पर 4 लाख रुपए की राशि परिवार के पास पहुंचती है जब उसको भरोसा होता है कि इस दुख की घड़ी में सरकार हमारे साथ है. प्रधान मंत्री आवास योजना के माध्यम से 44 लाख आवास ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में हमारी सरकार बनाने जा रही है. सड़कों, पुल, पुलियाओं पर बहुत सारा काम हमारी सरकार ने इस अनुपूरक बजट में शामिल किया है. कुल मिलाकर यह बात है कि मुख्य बजट हो या पूरक बजट हो इस सरकार की नीति शुरू और अंत में एक ही है जनकल्याण और जनकल्याण के लिए कर्जा भी लेना पड़े तो गलत बात नहीं है. इसलिए मैं माननीय वित्त मंत्री जी को धन्यवाद देता हूं कि आपने जनकल्याण की योजनाओं को गति देने के लिए आपने इस बजट का प्रावधान किया.
श्री महेश परमार (तराना) – माननीय अध्यक्ष जी, मैं अनुपूरक बजट का विरोध करता हूं. कर्ज, करप्शन, क्राइम यह मध्यप्रदेश की पहचान बन चुका है. 75 प्रतिशत आबादी गांव में निवास करती है. इस बजट में पंचायतों के लिए पिछले एक साल से कोई प्रावधान नहीं है. पंचायती राज के चुने हुए जनप्रतिनिधियों, सरपंच हो जिला परिषद, या जनपद के साथी विकास के लिए गांवों में नहीं जा पा रहे हैं, इसलिए मैं इस बजट का विरोध करता हूं. नगरीय निकाय, नगर निगम, नगर पालिका, नगर परिषद हो, या हमारे पार्षद साथी हो एक साल हो गए नगर निगम या कोई भी नगरीय निकाय विभागों में एक टेण्डर तक नहीं हुआ है तो यह किस बात का बजट. आज हमारा किसान दर दर की ठोकरें खा रहा है. दो दो बोरी खाद के लिए किसान को लाइन में लगना पड़ रहा है. तो हम इसलिए इनका समर्थन करें हम ऊर्जा की बात करें तो, तार है, तो करंट नहीं है, अगर पोल है तो ट्रांसफार्मर नहीं है, दो दो दिन हमारे किसान भाइयों को लाइन में महीने महीने लगकर इंतजार करना पड़ता है. हमारे मुख्यमंत्री जी उज्जैन संभाग से है और हमारे वित्तमंत्री जी भी यहां हैं. मैं आपसे कहना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश में राजस्व चोरी वर्ष 2015-16 में एक शराब घोटाला हुआ फर्जी चालान से लगभग 72 करोड़ का राजस्व अधिकारियों ने ठेकेदारों के साथ मिलकर सांठगांठ करके अपराध किया, लेकिन आज तक उसमें कुछ नहीं हुआ. वित्त मंत्री जी मैं इस ओर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं. आप काबिल उप मुख्यमंत्री हैं कम से कम आपके राजस्व का नुकसान कर रहे हो, आपको कर्ज लेना पड़ रहा है, कर्ज इसलिए लेना पड़ रहा है कि आपकी नाक के नीचे भ्रष्टाचार हो रहा है. राजस्व चोरी से लेकर हर क्षेत्र में चोरी हो रही है. पीएचई की बात करें, जल मिशन पर आपका राजनीतिक जीवन और देश से लेकर प्रदेश तक आपने सेवा की है. पूरे मध्यप्रदेश या मेरे विधान सभा क्षेत्र तराना में आप देख लीजिए, एक भी समूह नल जल योजना आज तक चालू नहीं है. सिर्फ कागजों पर इसका कार्य हुआ है. जल संसाधन विभाग के बारे में कहना चाहता हूं कि पिछले 6 साल से साध्यता मेरे डावड़ा राजपूत में एक बैराज के लिए हमने दे रखा है. आपके माध्यम से जल संसाधन मंत्री से निवेदन करना चाहता हूं कि वे इसको स्वीकृत करें तो बड़ी कृपा होगी.
अनुसूचित जाति,जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के साथियों को छात्रवृत्ति नहीं मिल रही है. 100 प्रायमेरी हाईस्कूल, हायर सेकेण्डरी स्कूल, मिडिल स्कूल बंद करके सिर्फ तहसील मुख्यालय पर एक सी.एम.राईज स्कूल खोला जा रहा है, यह कौन सा न्याय है? हमारे जो गांवों के बच्चे जिस स्कूल में पढ़ते थे, वह स्कूल बंद किये जा रहे हैं. आने वाले समय में हमारे गांव के बच्चे पढ़ नहीं पायेंगे, यह सरकार उनको शिक्षा से वंचित करना चाहती है.
अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे विशेष निवेदन है कि किसान परेशान है, युवा बेरोजगार है, वह रोजगार के लिये दर-दर की ठोकरे खा रहे हैं, न उनके लिये अच्छे महाविद्यालय हैं, न उनके लिये तकनीकी शिक्षा की कोई व्यवस्था है, यह सरकार सिर्फ और सिर्फ आंकड़ों की सरकार है. यह सरकार आंकड़ों की जादूगरी करके यह बजट पेश कर रही है.
अध्यक्ष महोदय, अभी विजन की बात कर रहे थे, किस बात का विजन वर्ष 2003 के पहले मध्यप्रदेश की पहचान एक विकसित प्रदेश की थी, आज ए.एम.डी. जैसे मादक पदार्थ का व्यापार व्यवसाय करने वाले हमारे युवाओं को इस नशे के व्यापार में ले जा रहे हैं और पूरा मध्यप्रदेश ए.एम.डी. जैसे मादक पदार्थ का व्यापार करने वाले लोगों की शरण स्थली बन चुका है.
आदरणीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे विशेष निवेदन है कि बुजुर्गों के लिये, दिव्यागों पर, माताओं, बहनों पर रोज अपराध हो रहे हैं. मैं इस ओर ध्यानाकर्षित करना चाहता हूं कि पूरे मध्यप्रदेश के किसान, नौजवान और हर वर्ग दुखी है. अध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का समय दिया, आपका बहुत बहुत धन्यवाद.
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय ( जावरा) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद जो आपने समय प्रदान किया. माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में और माननीय वित्तमंत्री जी के कुशल अनुभव के द्वारा प्रस्तुत अनुपूरक बजट का मैं स्वागत करता हूं, समर्थन करता हूं, उन सारी भावनाओं के साथ में जो जन जन में समाहित होती है, जो आम जन चाहता है, जो आप जनता चाहती है, आम नागरिक चाहता है और यह धन्यवाद देने की बात है.
अध्यक्ष महोदय, यह समय निश्चित रूप से हमारे बीच में अनुपूरक के रूप में आया है, बजट से अनेक आशाएं होती हैं, लेकिन अनुपूरक में भी उन सारी आशाओं का क्रियान्यवन किया जाये, बजट में सबको प्राथमिकता मिल जाये, बजट में उन सबको सम्मिलित कर लिया जाये और और संपूर्ण मध्यप्रदेश भर के समस्त जिलों में, समस्त तहसीलों में, चाहे नगरीय क्षेत्र हो, चाहे ग्रामीण क्षेत्र हो, उनमें जन आवश्यकताओं के कार्यों की पूर्ति की जा सके, इन सारी बातों को प्राथमिकता देते हुए बजट में सम्मिलित किया गया है, मैं बारम्बार इसका स्वागत करता हूं.
अध्यक्ष महोदय, जहां तक आप हम सभी जानते हैं, पूरा प्रदेश इस बात को देख रहा है कि जल, विद्युत, पानी, सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य, इन प्राथमिकताओं को देखकर उन्नति और प्रगति के द्वारा खोले गये हैं, लेकिन इसी के साथ साथ में जो अभिनव प्रयास माननीय मुख्यमंत्री जी के द्वारा किया गया है कि कैसे औद्योगिक उद्योगों को, औद्योगिक निवेश को नये उद्यमियों को अवसर दिया जा सके, जो रीजनल कान्क्लेव प्रारंभ की है और उसके माध्यम से जो लगातार निवेशक आ रहे हैं, जैसे विदेश में जाने पर यू.के. और जर्मनी की यात्रा में लगभग 78 हजार करोड़ रूपये का निवेश प्राप्त करना, यह अत्यंत महत्वपूर्ण है, तो इसी के साथ-साथ मध्यप्रदेश में उज्जैन में लगभग 283 लोगों के आवेदन प्राप्त होना, जबलपुर में लगभग 59 लोगों के आवेदन प्राप्त होना, ग्वालियर में लगभग 47 लोगों के आवेदन प्राप्त होना, सागर में लगभग 96 उद्यमियों के आवेदन प्राप्त होना और रीवा में लगभग 85 उद्यमियों के आवेदन प्राप्त होना, नर्मदापुरम में 180 उद्यमियों के आवेदन प्राप्त होना, इस बात को इंगित करता है कि अब उद्योगपतियों का विश्वास और बढ़ता जा रहा है, उन्हें औद्योगिक कार्य किये जाने के लिये सुविधाएं प्राप्त हो रही हैं और इसके लिये माननीय वित्तमंत्री जी ने भी प्रावधान किया है कि लघु और सूक्ष्म उद्योगों को बढ़ावा देने के लिये लगभग 4 सौ करोड़ रूपये की राशि का प्रावधान किया है, तो इसी के साथ साथ औद्योगिक नीति निवेश प्रोत्साहन के लिये 250 करोड़ रूपये की राशि का प्रावधान करते हुए, उद्योगों को बढ़ावा देने का काम किया है.
अध्यक्ष महोदय, यहां पर यह उल्लेखनीय है कि कई बातें आईं, लेकिन मैं उन्हें दोहराना नहीं चाहता हूं क्योंकि समयाभाव है. चाहे अनुसूचित जाति हो, चाहे अनुसूचित जनजाति हो, चाहे उनकी छात्रवृत्ति की बात हो, चाहे उनकी होने वाली दुर्घटनाओं में सहायता दी जाने की बात हो, यह निश्चित रूप से मानवीय है और हम सबकी संवेदना उद्वेलित होती, हम सब उन सारी भावनाओं के प्रति जागरूक रहते हैं कि यह समय पर मिल सके, इस हेतु निश्चित रूप से विभाग को ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है, इस संबंध में राशि का प्रावधान किया है, इसका स्वागत करते हैं, सम्मान करते हैं और संबल में भी जो प्रावधान किया है, उसका भी मैं स्वागत करता हूं, लेकिन संबल की राशि भी कई बार बहुत देरी के साथ में आती हैं, उसके कारण कठिनाईयां होती है, उसकी मानिटरिंग कैसे की जा सके, वह निश्चित रूप से होना चाहिए. क्योंकि समयाभाव को दृष्टिगत रखते हुये मैं सीधे अपने क्षेत्र की बात करना चाहूंगा. अनेक सड़कें बन रही हैं, अनेक पुलियां बन रही हैं, अनेक डेम बन रहे हैं, अनेक प्रकार का विद्युतिकरण का कार्य हो रहा है. मेरे यहां पर एक विसंगति आई है, मैं स्वागत करने के साथ-साथ में उसका समर्थन करने के साथ-साथ अभी सिंहस्थ कार्य योजना के अंतर्गत ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस वे उज्जैन से जावरा स्वीकृत हुआ है जो कि भूतेड़ा 8 लेन बम्बई दिल्ली 8 लेन को जोड़ने वाला है, लेकिन उसे सीधे रतलाम मंदसौर फोरलेन से जोड़ा जा रहा है बीच का लगभग 5 किलोमीटर का मार्ग अत्यंत रहवासी, अत्यंत व्यवसायी, अत्यंत अन्य प्रकार के कार्य किये जाने का है, आवागमन का मार्ग है, उसके कारण काफी क्षति होने वाली है, वहां से एक रिंग रोड दिया जाना अत्यंत आवश्यक है तो भूतेड़ा से अरनिया पीटा मंडी की ओर अगर रिंग रोड करते हुये उसे संशोधन किया जाये तो निश्चित रूप से और अधिक जन उपयोगी यह हो सकेगा. इसी के साथ-साथ में मावदा से माऊंखेड़ी और मांऊखेड़ी से राखौदा माताजी बड़ेला एक बड़ा पिपलौदा विकासखंड का मार्ग है उसे यदि स्वीकृति मिल जाती है तो जवना और सुलता की पूर्ति होगी. काकड़वा से मेंदी और करासिया, पिपलियाशेर, अकौली, गोंदीशंकर, मिंडेश्वर महादेव मंदिर पर यदि जोड़ा जाता है तो उससे प्रमुख मार्ग से भी निश्चित रूप से जनसुविधा में वृद्धि होगी. एक उंणी से मिंडाजी का ब्रिज यदि उसमें सम्मिलित कर लिया जाता है तो क्षेत्रीय जन आवश्यकताओं की पूर्ति होगी. इन सारे कार्यों के साथ-साथ में निश्चित रूप से और अधिक कार्य किये जाने की आवश्यकता होगी जो कि बजट में निश्चित रूप से सम्मिलित किये जा सकेंगे. मैं पुन: अपनी ओर से बहुत-बहुत स्वागत करता हूं, अभिनंदन करता हूं. बहुत ही अनुकरणीय बजट यहां पर प्रस्तुत किया गया है जिसमें सभी को सम्मिलित करते हुये यह प्रदेश उन्नति और प्रगति की ओर अग्रसर होगा. मेरी वित्तमंत्री जी को बहुत-बहुत मंगल कामनायें, बहुत-बहुत शुभकामनायें.
श्री नारायण सिंह पट्टा (बिछिया)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अनुपूरक बजट के विरोध में बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. मैं यह कहना चाहता हूं कि यह अनुपूरक बजट किस बात का बजट है, फरवरी-मार्च 2024 में प्रस्तुत और पास किये गये मुख्य बजट की राशि जब अभी तक नहीं मिली न विकास कार्य शुरू हुये तो यह अनुपूरक बजट किस काम का. मैं ग्रामीण क्षेत्रों की बात करना चाहता हूं. मनरेगा से ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रेवल सड़कों के लिये पिछले साल तक कोई रोकटोक कोई नियम कानून नहीं था.
अध्यक्ष महोदय-- नारायण सिंह जी जल्दी क्षेत्र पर आ जाये, दो मिनट ही हैं. श्री नारायण सिंह पट्टा-- अध्यक्ष जी, मैं क्षेत्र की ही बात कर रहा हूं, लेकिन पिछले एक साल से परिस्थिति ही बदल गई, अब ग्रेवल सड़कों पर सरकार की रोक लग गई है इतने नियम कानून बना दिये गये हैं कि नई सड़कों की स्वीकृति केवल कल्पना ही हो सकती है. अध्यक्ष महोदय, पिछले मुख्य बजट में मेरे विधान सभा क्षेत्र में चार रोडें सम्मिलित थीं लेकिन राशि स्वीकृत न होने की वजह से अभी भी वह रोडें चालू नहीं हो सकी हैं. अध्यक्ष महोदय, स्कूलों की बात करें तो आदिवासी बाहुल्य मंडला जिले में इतनी दुर्दशा है कि बताने में संकोच लगता है. हमारे जिले में दर्जनों ऐसे जहां भवन नहीं होने के कारण बच्चे या तो किसी निजी मकान में पढ़ते हैं, किसी पेड़ के नीचे स्कूल लगता है तो कहीं एक ही कमरे में, एक से लेकर पांच तक की कक्षायें लगती हैं. अनेकों बार जिला प्रशासन स्कूल भवनों के निर्माण के प्रस्ताव भेज चुका है, लेकिन आज तक स्वीकृति नहीं मिली है. मैं वित्तमंत्री महोदय से गुजारिश करूंगा कि कम से कम भवनविहीन जो पेड़ों के नीचे पढ़ने की स्थिति बच्चों की निर्मित हो रही है उस पर ध्यान देने की जरूरत है. वही हालत आंगनबाड़ी भवनों की है, मंडला जिले में 100 से ज्यादा आंगनबाड़ी भवन ऐसे हैं जिनके पास भवन ही नहीं है दूसरों के घर में कमरों में आंगनबाड़ी केन्द्र लगाये जाते हैं. हम बात करते हैं शिक्षा और स्वास्थ की. अध्यक्ष महोदय, सामुदायिक स्वास्थ केन्द्र में चाहे बिछिया हो, चाहे मवई हो, चाहे मेरे विकासखंड घुघरी का हो, जहां पर आज भी डॉक्टरों की कमी है, स्टाफ की कमी है, वहां पर संसाधनों की कमी है, असमय लोग काल के गाल में समा रहे हैं .मेरा निवेदन है कि इन सामुदायिक स्वास्थ केन्द्रों को डेव्हलप करने के लिये ज्यादा से ज्यादा उनमें संसाधन उपलब्ध कर सकें ताकि हम लोगों के जीवन को बचा सकें.
अध्यक्ष महोदय, पीने के पानी की बात करें तो हमारे मण्डला जिले में सैकड़ों गांवों में आज भी इस ठंड के मौसम में जल के संकट की स्थिति बनी हुई है. पेयजल परियोजना के काम तो चल रहे हैं लेकिन उन्हें कब पूरा किया जायेगा यह कोई नहीं बता सकता. हजारों करोड़ की पेयजल परियोजनाएं 3 साल से चल रही हैं लेकिन पूरी होते हुए नहीं दिखाई देती हैं. हमारे मण्डला जिले में हालोन परियोजना का काम जल निगम द्वारा 3 साल से किया जा रहा है लेकिन उसको पूरा होने और लोगों को पानी देने का काम कब होगा यह बताना तो कठिन है. सरकार का नारा है सबका साथ सबका विकास,जितने भी वक्ता साथी हैं मुझे लगता है कि इस नारे को किसी ने भी बोलने से नहीं चूका होगा. संकल्प पत्र 2023, मोदी की गारंटी,बीजेपी का भरोसा.किसानों से वादा था 3100 रुपये प्रति क्विंटल धान खरीदने का,2700 रुपये प्रति क्विंटल गेहूं खरीदने का लेकिन आज अगर इस अनूपूरक बजट को हम देखते हैं तो कहीं भी किसानों का ध्यान नहीं रखा गया है हम वित्त मंत्री महोदय से कहेंगे कि वह अन्नदाता जिसने आपको सत्ता पक्ष में बैठाने का काम किया है आज अगर उसके साथ धोखा होगा तो निश्चित रूप से यह कभी माफी योग्य नहीं होगा. पिछले बजट के समय में महामहिम राज्यपाल महोदय के अभिभाषण में उल्लेख था कि हम 3 एचपी किसानों के बिल माफ करेंगे लेकिन आज स्थिति यह निर्मित हो रही है कि 8 एचपी के बिल किसानों को भेजकर उनसे बिजली के बिल वसूले जा रहे हैं यह जो अनुपूरक बजट की किताब है. इस किताब में पूरी खोज करके हम देखेंगे तो अनुसूचित जाति,अनुसूचित जनजाति वर्ग के विकास की बात कर रहे हैं मण्डला जिले में एक भी ऐसा रोड इसमें शामिल नहीं किया गया है न ही स्कूल,छात्रावास भवन की बात है. आदिवासी उपयोजना 2019-20 से लेकर जब मैं केन्द्रीय मंत्री से दिल्ली जाकर मिला था उन्होंने जब विभाग में पता लगाया तो पता चला कि भोपाल तो राशि भेज दी गई लेकिन वह राशि आज तक आदिवासी जिलों में अप्राप्त है. मेरा वित्त मंत्री महोदय से निवेदन है कि उन क्षेत्रों तक वह राशि पहुंचे. विकास खण्ड घुघरी,जनपद घुघरी के अंतर्गत जो पिछले चुनाव में पंच,सरपंच,जनपद सदस्य चुनाव लड़े थे लेकिन जो लोग चुनाव हार गये उनकी निक्षेप की राशि आज तक वापस नहीं की गई है. वह राशि उनको वापस हो. धन्यवाद.
श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा(सिवनी-मालवा) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं इस महत्वपूर्ण अनुपूरक बजट का समर्थन करता हूं जो कि मध्यप्रदेश के चहुमुखी विकास में बहुत सहायक सिद्ध होगा. जैसा कि हम जानते हैं कि मध्यप्रदेश एक कृषि प्रधान प्रदेश है और इस अनुपूरक बजट में कृषि को,किसानों को,किसानों के लिये आवश्यक जल को,विद्युत को ध्यान में रखते हुए इस बजट में पर्याप्त राशि का प्रावधान किया गया है यदि किसी भी प्रदेश को भरपूर बिजली,भरपूर पानी,भरपूर सड़क का जाल,शिक्षा,स्वास्थ्य,उद्योग की भरमार हो,सुविधाएं हों तो निश्चित रूप से उस प्रदेश के विकास को कोई रोक नहीं सकता. वह प्रदेश सबसे विकसित प्रदेश की श्रेणी में आकर खड़ा होगा. हमारे डॉ.मोहन यादव,मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में हमारे वित्त मंत्री आदरणीय देवड़ा जी ने एक ऐसा ही अनूपूरक बजट प्रस्तुत किया है.
अध्यक्ष महोदय, मैं आपको बताना चाहता हूँ कि कृषि को ध्यान में रखकर जो बजट प्रस्तुत किया गया है, उसमें हम देखते हैं कि किस प्रकार से मध्यप्रदेश में वर्ष 2003 के 3-4 हजार मेगावॉट से बिजली उत्पादन बढ़कर 29 हजार मेगावॉट पर पहुँचाया गया है. 7 लाख हेक्टेयर सिंचाई के रकबे को बढ़ाकर किस प्रकार 65 लाख हेक्टेयर के लक्ष्य को हम प्राप्त करने जा रहे हैं. इसीलिए इन सुविधाओं के कारण हमारे किसान भाइयों ने भरपूर मेहनत करके इस मध्यप्रदेश को अन्न उत्पादन के मामले में पंजाब से आगे लेकर आए हैं, नंबर वन पर पहुँचाया है. यदि हम सिंचाई की बात करें तो अभी बड़ी-बड़ी योजनाएं, अभी हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी और मुख्यमंत्री जी के द्वारा चंबल, केन, सिंध, बेतवा नदी जोड़ो अभियान का जो उद्घाटन किया गया, मध्यप्रदेश में भी उसका बहुत बड़ा लाभ होगा. लाखों हेक्टेयर जमीन पर सिंचाई उपलब्ध होगी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इसी परिप्रेक्ष्य में मैं कहना चाहता हूँ कि मेरी विधान सभा क्षेत्र में भी तीन बड़ी-बड़ी योजनाएं स्वीकृत की गई हैं. मैं निवेदन करना चाहता हूँ कि मोरंड-गंजाल माइक्रो उद्वहन सिंचाई योजना, जो लगभग 3 हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा की योजना है, चूँकि सिवनी-मालवा विधान सभा क्षेत्र की भूमि पर ये डेम बनने जा रहा है, इस योजना में सिवनी-मालवा विधान सभा क्षेत्र के 8 गांव डूब में आए हैं. लेकिन सिवनी-मालवा क्षेत्र के किसानों को पानी बहुत कम, मुश्किल से चार-पांच गांवों को ही पानी मिल रहा है.
अध्यक्ष महोदय -- प्रेमशंकर जी, पूरा करें.
श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा -- अध्यक्ष महोदय, मैं निवेदन करना चाहता हूँ कि फिर से सर्वे करके हमारे इस क्षेत्र के कई गांव जो सिंचाई से वंचित हैं, उनको सिंचाई से जोड़ा जाए. इसी प्रकार विद्युत के मामले में चूँकि सिवनी-मालवा विधान सभा क्षेत्र में तीन फसल पैदा की जाती है. गर्मी में मूंग की फसल, साथ में धान, रबि में सोयाबीन और गेहूँ, और इसीलिए कई जगह पम्पों से सिंचाई होती है. मैं निवेदन करना चाहता हूँ कि 132 केवीए के विद्युत उपकेन्द्र डुलैया, डुडुगांव में तथा हिरनखेड़ा में बनाए जाएं ताकि सिंचाई का विस्तार हो सके. उत्पादन में वृद्धि हो सके और किसानों की आर्थिक दशा में सुधार हो सके.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय सदस्य, पूर्ण करें.
श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा -- अध्यक्ष महोदय, मैं इसीलिए क्षेत्र की समस्या अवगत कराना चाहता हूँ.
अध्यक्ष महोदय -- जो जरूरी हो, वहीं से शुरू करना चाहिए, अंत में क्यों शुरू करते हैं.
श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा -- अध्यक्ष महोदय, सीएम राइज स्कूल, मेरी विधान सभा की दो तहसीलें ऐसी हैं, जहां पर सीएम राइज स्कूल होना जरूरी है. तहसील शिवपुर और तहसील डोलरिया. साथ ही मेरे विधान सभा क्षेत्र के कुछ गांव अभी भी सड़क से वंचित हैं, उसका कारण यह है कि लगभग 40 गांव वन ग्राम में आते हैं, वन ग्राम होने के कारण वहां पर प्रधान मंत्री सड़क योजना नहीं पहुँच पाती है और भी अनेक जो जनहितैषी योजनाओं की सुविधाओं से हमारे आदिवासी भाई वंचित रह जाते हैं. इसलिए सभी 40 वन ग्रामों को राजस्व ग्राम बनाया जाए. साथ ही पिपरिया से टिमरनी तक फोर लाइन रोड होना चाहिए जो कि इधर बैतूल, इंदौर से जुड़ेगा और उधर बैतूल, भोपाल रोड से जुड़ेगा. इतना मेरा निवेदन है, माननीय अध्यक्ष जी, आपने समय दिया, इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
डॉ. विक्रान्त भूरिया (झाबुआ) -- अध्यक्ष महोदय, मैं बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूँ कि मुझे बोलने का अवसर मिला. आज मेरे लिए यादगार पल है क्योंकि आज के दिन ही इसी सदन में विधायक के रूप में शपथ लेने का मुझे मौका मिला था. यही पवित्र मंदिर है, जहां बाबा साहब की विचारधाराओं को आगे बढ़ाकर हमें आरक्षण जब मिला तो मैं डॉक्टर बना, सर्जन बना और आज विधायक के रूप में इस पवित्र मंदिर में मुझे अपना वक्तव्य देने का मौका मिल रहा है.
अध्यक्ष महोदय, मैं इस अनुपूरक बजट का विरोध करता हूँ क्योंकि मैं मानता हूँ कि यह सरकार जब-जब बजट ला रही है, उसमें भ्रष्टाचार बढ़ता चला जा रहा है. इस सरकार ने आदिवासी समाज को एटीएम की तरह उपयोग किया है, सिर्फ पैसा लेने के लिए, चाहे खदान हों, चाहे अभ्यारण्य हों, यह सिर्फ आदिवासी समाज को वोट बैंक की तरह उपयोग कर रही है और उनको अधिकार नहीं दे रही है. ट्राइबल सब-प्लान का पैसा तो यह दे नहीं पा रहे हैं, तो आदिवासियों का क्या कल्याण करेंगे ? मैं कुछ पंक्तियां कहना चाहता हूँ.
''मानव जाति पर उपकार है जिनका, वह समाज आदिवासी कहलाता है,
जिनके संघर्षों से तपती है माटी, वह समाज आदिवासी कहलाता है,
जल, जंगल, जमीन है मां हमारी,
इससे पुराना नाता है, अगर हक हमारा दोगे नहीं,
तो छीनने का हुनर भी हमें आता है.''
माननीय अध्यक्ष महोदय, जल, जंगल एवं जमीन हमारी मां हैं और पेसा कानून हमारा हथियार है, पर इस सरकार ने पेसा कानून को कमजोर करने का काम किया है और यह नोट वाला पैसा नहीं है. यह पेसा एक्ट (PESA Act) यानी 'पंचायतस एक्सटेंशन टू शेड्यूल एरियास एक्ट' जो हमारा हथियार है, वह पेसा है. हमारे झाबुआ, अलीराजपुर में बड़ी-बड़ी खदानें आवंटित हो रही हैं, उनके सर्वे का काम चल रहा है. मैंने माइनिंग विभाग, रेवेन्यू विभाग में भी प्रश्न लगाये थे, माइनिंग विभाग वाला कहता है कि सर्वे करवाने के लिए ग्राम सभाओं की अनुमति नहीं है. मैं उनसे कहना चाहता हूँ कि क्या यह पेसा कानून का उल्लंघन नहीं है ? क्या पेसा कानून को इतनी ताकत नहीं देना चाहिए थी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, पेसा कानून जब मध्यप्रदेश में लागू हुआ, वह भूरिया कमेटी की अनुशंसा पर लागू हुआ था, तब उसका यह कहना था कि न लोक सभा, न विधान सभा, सबसे बड़ी ग्राम सभा और आज उसी ग्राम सभा की अनुमति नहीं ले रहे हैं, इसमें न्याय होना चाहिए. रेवेन्यू विभाग कहता है कि अभी सर्वे चालू हुए हैं, पर अधिग्रहण नहीं हुआ. मैं उनसे पूछना चाहता हूँ कि क्या जो अधिग्रहण की अनुमति देते हैं ? क्या यह पहला कदम नहीं है. मैं हमारी सरकार से यह भी पूछना चाहता हूँ कि क्या यह आश्वासन देंगे कि किसी भी आदिवासी की जमीन का अधिग्रहण करने से पहले उनकी सहमति ली जायेगी और पेसा कानून तथा भूरिया समिति की सिफारिशों का पालन किया जायेगा. क्या यह सरकार जनता की है या बड़े-बड़े उद्योगपतियों की है. मैं सरकार से यह कहना चाहता हूँ कि जमीन हमारे आदिवासियों की पहचान है और खेती हमारी आजीविका है. मैं आज आपसे इस संविधान के मंदिर में कहना चाहता हूँ कि हम अपनी जमीन का एक भी टुकड़ा कार्पोरेट कम्पनियों को नहीं लेने देंगे और उसके लिए हमें अगर सड़क पर उतरना पड़ेगा तो पूरी ताकत से हम उतरेंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इस सरकार को मैं जगाना चाहता हूँ. मैं मुद्दे पर भी आना चाहता हूँ कि पिछली बार जो सदन में जवाब दिया गया कि 6 महीने में पैंतीस हजार बेरोजगार बढ़ गए हैं और 28 लाख जो बेरोजगार रजिस्टर्ड हैं. क्या यह सरकार इन बेरोजगारों को पैसा देगी ? उन 28 लाख बेरोजगारों का क्या होगा ? एक बहुत बड़ा आंकड़ा मैं आपके सामने रखना चाहता हूँ कि किस तरह से आदिवासियों को चूसा जा रहा है, उनका शोषण किया जा रहा है. मैं झाबुआ से आता हूँ, वहां शराब का ठेका 250 करोड़ रुपये में जाता है, अलीराजपुर में शराब का ठेका 100 करोड़ रुपये में जाता है और डिण्डोरी में 25 करोड़ रुपये में जाता है तो क्या सिर्फ मुनाफा कमाने के लिए सरकार आदिवासियों का उपयोग कर रही है और उन्हें सरकार बदनाम कर रही है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपको उदाहरण देना चाहूँगा कि वट्ठा एक दुकान है और वट्ठा में 30 करोड़ रुपये में एक दुकान का ठेका गया है. जहां रहने वाले सिर्फ 1,500 लोग हैं, तो इसका मतलब यह है कि हर दिन वहां का आदिवासी 500 रुपये की शराब पी जाता है. क्या यह उन्हें बदनाम करना नहीं हुआ. मैं अपनी बात को यहीं समाप्त कर रहा हूँ कि यह साफ है कि यह सरकार आदिवासियों की हितैषी नहीं है. यह साफ है कि महिलाएं इस सरकार में सुरक्षित नहीं हैं. यह साफ है कि आज बेरोजगार युवा दर-दर भटक रहा है. मैं चाहूँगा कि आप सरकार से यह वायदा लें और उनसे यह आश्वासन लें कि इस सरकार में जो आदिवासियों का शोषण हो रहा है, वह नहीं होगा. मैं अपनी बात को यहीं समाप्त करता हूँ. जय जवाहर, जय भीम.
श्री अनिरूद्ध "माधव" मारू (मनासा)- माननीय अध्यक्ष महोदय, सर्वप्रथम मैं, इस जनहितैषी अनुपूकर बजट का समर्थन करता हूं. निश्चित रूप से सभी योजनाओं और आंकड़ों पर यहां चर्चा हुई है. मैं काफी देर से विपक्ष के सदस्यों को सुन रहा था, चूंकि हमारे वक्ता कम थे और विपक्ष के वक्ता ज्यादा थे, ये सिर्फ बुराई ढूंढते हैं. मैं मानता हूं कि इनको ऐसे चश्में वितरित किए जायें, जिससे इन्हें विकास भी दिख जाये. यदि ऐसी कोई खोज हुई हो तो इनके लिए वे चश्में मंगवा दिये जायें, जिसमें विकास दिखे कि विकास कैसा होता है. (मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय, जिन सड़कों को ये छोड़कर गए थे, ये कहते हैं हमारी पुरानी बात न करो तो फिर हम अपनी बात की तुलना किसके साथ करें. किससे करें कि हमने विकास किया, आप एक ही बात कहते हैं कि हमारी बात न करें, क्यों न करें ? आपने कुछ नहीं किया, यदि आप कुछ काम कर जाते तो हम उसके आगे अपना काम करते, अपनी लाईन खींचते. जब हमारी लाईन बड़ी है तो आपकी छोटी लाईन से ही तो उसकी तुलना की जायेगी, हम वही कर रहे हैं.
आप यह नहीं देखते कि आपके समय में पूरा प्रदेश ठप्प पड़ा था. शर्मा जी कह रहे थे कि नीमच से आने वाले विधायकों को भोपाल एक दिन पहले आना पड़ता था, यह सड़कों की स्थिति थी. लेकिन आज हम उसी दिन अपने क्षेत्र से निकलते हैं और 11 बजे भोपाल में बैठक में सम्मिलित हो जाते हैं, यह फर्क है. पूरे प्रदेश में विकास की गंगा बह रही है.
06.36 बजे
{सभापति महोदय (डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय) पीठासीन हुए.}
सभापति महोदय, मेरा एक और सुझाव है कि देश और प्रदेश का विकास किन लोगों के द्वारा किया गया है, किन सरकारों ने किया गया, कब शुरू हुआ, कब शुरू हुई प्रधानमंत्री सड़क योजना, कब शुरू हुई शौचालय योजना, कब शुरू हुआ स्वच्छता अभियान, कब शुरू हुई सिंचाई योजना, बिजली की परियोजनायें, कब प्रदेश का समग्र विकास प्रारंभ हुआ, यह हमारे बच्चों को और आने वाली पीढ़ी को भी पता चले. जिन्हें यह पता ही नहीं है कि कांग्रेस के समय में न बिजली थी, न सड़क थी, न पानी था, न सिंचाई थी, न आयुष्मान योजना थी, न प्रधानमंत्री आवास था और न ही अनिवार्य शिक्षा थी.
श्री दिनेश गुर्जर- आप गलत बात कर रहे हैं.
श्री अनिरूद्ध (माधव) मारू- आप शांति रखें. आप अनावश्यक बाधा न डालें, यह आदत ठीक नहीं है.
सभापति महोदय- कृपया हस्तक्षेप न करें. माधव जी आप अपना विषय रखें.
श्री अनिरूद्ध (माधव) मारू- आप सुनने की हिम्मत रखें. आप जब बोलते हैं हम आराम से सुनते हैं. हम संख्या में अधिक हैं फिर भी आपकी सुन रहे हैं. प्रधानमंत्री जी और मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव जी के नेतृत्व में हमारे वित्त मंत्री जी ने अनुपूरक बजट प्रस्तुत किया है, यह तारीफ योग्य है कि जब-जब आवश्यकता होती है तुरंत बजट में वे योजनायें शामिल होती हैं और उसका इंतजार नहीं करना पड़ता. कांग्रेस के समय में तो पूरा वर्ष इंतजार करना पड़ता था कि बजट आयेगा तो हमारा कुछ कार्य हुआ तो ठीक, वरना अगले साल होगा. लेकिन आज भारतीय जनता पार्टी की सरकार में जब भी बजट आता है, सत्र होता है, तब कोई न कोई योजना स्वीकृत होती है, जनता खुश होती है कि हमारे कार्य पूरे वर्ष होते हैं. आज पूरे प्रदेश में विकास की गंगा बह रही है.
अध्यक्ष महोदय, मैं, माननीय प्रधानमंत्री जी को धन्यवाद देना चाहूंगा कि उन्होंने अभी कुछ दिन पूर्व ही मध्यप्रदेश के लिए 4 हजार मेगावॉट की न्यूक्लियर पावर योजनाओं के सर्वे के आदेश जारी किए हैं, उसमें हमारा मनासा क्षेत्र भी है. साथ ही मुख्यमंत्री जी को भी धन्यवाद देना चाहूंगा, जिन्होंने अपने नीमच प्रवास के दौरान वहां नीमच से झालावाड़ इंटरचेंज फोरलेन की घोषणा की थी. मैं, वित्त मंत्री जी से आशा करता हूं कि आगामी बजट में हमारी इस योजना को शामिल किया जायेगा. साथ ही मैं, वित्त मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि उनके नेतृत्व में यह अनुपूरक बजट जनहितैषी साबित होगा. जनभावना के अनुरूप वे जो सार्थक प्रयास कर रहे हैं, उसके लिए बधाई के पात्र हैं, धन्यवाद.
6.40 बजे {अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए.}
श्रीमती अनुभा मुंजारे (बालाघाट) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का अवसर प्रदान किया इसके लिए मैं आपको धन्यवाद दूंगी. हमारे वित्तमंत्री महोदय ने जो बजट सदन के अंदर प्रस्तुत किया है मैं उसके विरोध में बोलने के लिए यहां पर खड़ी हुई हूं क्योंकि बजट में जो कुछ भी प्रावधान रखा गया है उसमें कुछ वास्तविकता नजर नहीं आती है. मैं अपने क्षेत्र की कुछ समस्याओं को यहां रखना चाहूंगी क्योंकि हमें बोलने के लिए बहुत ही कम समय मिला है तो मैं अपने क्षेत्र की ही बात करूंगी तो मुझे लगता है कि सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में यही स्थिति है मैं बालाघाट जिले से आती हूं और मैंने कई बार इस बात के लिए माननीय मुख्यमंत्री जी, मंत्रीगणों को, माननीय प्रभारी महोदय को अवगत कराया है कि हमारा बालाघाट जिला पूरे मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा धान उत्पादक जिला है और यहां की जो धान है वह सम्पूर्ण भारत की मंडियों में बिकती है. बहुत ही उन्नत किस्म की धान हमारे यहां के किसान लगाते हैं, लेकिन जब समर्थन मूल्य की बात आती है तो सरकार अपने वादे से मुकर जाती है. धान का समर्थन मूल्य 3100 रुपए देने की बात भारतीय जनता पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में कही थी मैं आपके माध्यम से यह पूछना चाहती हूं कि क्या हुआ उस वादे का. क्या हुआ उस वादे का जिसमें 2700 रुपए गेहूं के समर्थन मूल्य की बात कही गई थी. लाडली बहनाओं के लिए बड़ी-बड़ी बातें यहां पर हो रही हैं. हम महिला जनप्रतिनिधि हैं, हम सीधे महिलाओं से जुड़े हैं. हम ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं बहनों के बीच में आते जाते हैं सारी बहनें माननीय मुख्यमंत्री जी की तरफ बड़ी आशा भरी निगाहों से देख रही हैं कि हमें तीन हजार रुपए लाडली बहना योजना का कब मिलेगा. उज्जवला गैस योजना की बात करें तो साढ़े चार सौ रुपए में गैस सिलेंडर की बात कही गयी लेकिन न आज गैस सिलेंडर का पता है और न ही गैस चूल्हे का पता है. उसी तरह से हमारे जो सोयाबीन के उत्पादक किसान हैं. वह भी अपने आपको ठगा सा महसूस कर रहे हैं क्योंकि छ: हजार रुपए क्विंटल उनको नहीं मिल रहा है.
अध्यक्ष महोदय, मैं अपने क्षेत्र की कुछ समस्याओं को रखना चाहूंगी. हमारे जिले में छ: हायरसेकेंडरी स्कूल ऐसे हैं जो कि भवन विहीन हैं. माननीय शिक्षा मंत्री जी मेरे बालाघाट जिले के प्रभारी मंत्री हैं. मैं चाहूंगी कि उनका ध्यान मेरे तरफ आकृष्ट हो वह मेरी बात को ध्यान से सुनें. छ: हायरसेकेण्डरी स्कूल बिल्डिंग के अभाव में चल रहे हैं. यह कैसी शिक्षा नीति है और कैसी शिक्षा व्यवस्था है यह सोचने वाली बात है. उसी तरह जहां पर स्कूल नहीं हैं कुम्हारी, कंजई, टेकाड़ी, बघौली और मुरझड़ गांव यहां पर बिल्डिंग नहीं हैं. उसी तरह हम यदि स्वास्थ्य की बात करें तो सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र लालबर्रा मैंने पिछले समय भी सदन में यह मामला उठाया था. मेरे विधान सभा क्षेत्र में 87 ग्राम पंचायतें आती हैं और बालाघाट नगरपालिका क्षेत्र के 33 वार्ड आते हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बहुत ही दुख की बात है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में 8 डॉक्टरों के पद रिक्त हैं लेकिन मात्र 4 डॉक्टर ही वहां अपनी सेवाएं दे रहे हैं. हम महिलाओं के लिए सबसे दुखद बात यह है हम महिलाओं को, हम जनप्रतिनिधियों को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर यह सोचना पड़ेगा कि आज तक वहां पर स्त्री रोग विशेषज्ञ नहीं है अगर किसी महिला को प्रसव में कोई जटिलता आ जाती है तो जिला मुख्यालय बालाघाट लालबर्रा से 25 किलोमीटर दूर है. उस प्रसव पीडि़ता को लाने के लिए जननी वाहन भी नहीं है. उस स्थिति में उस प्रसव पीडि़ता को 25 किलोमीटर जिला मुख्यालय बालाघाट कैसे लाया जाता होगा.
अध्यक्ष महोदय-- आप अपनी बात को समाप्त करें.
श्रीमती अनुभा मुंजारे--अध्यक्ष महोदय, पुल पुलियाओं की बात हो रही है कि चमचमाती सड़कें हैं, लेकिन मेरे विधान सभा क्षेत्र में बहुत बुरी तरीके से दो पुल टूटे हुए हैं. रमपुरी और बोरीबल्हारपुर बरघाट वहां पर चार किलोमीटर दूर से स्कूल के छात्र-छात्राएं और ग्रामीण जन घूमकर जा रहे हैं. अनेक बार संबंधित अधिकारियों का ध्यान आकर्षित किया है लेकिन वह सुनने को तैयार नहीं हैं. पुल छतिग्रस्त हैं. उनको बनाने के लिए कोई भी कार्य नहीं किया गया. अध्यक्ष महोदय 11 आंगनवाड़ी केन्द्र भवन विहीन हैं जो किराये के कमरों में चल रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, 45 ग्राम पंचायतों में सामुदायिक भवन नहीं हैं. यह बहुत गंभीर बात है. सिंचाई और नहरों की बात कर रहे हैं, किसानों की बात कर रहे हैं. हमारे जिले में धान उत्पादन होता है धान को पानी ज्यादा लगता है. हमारे क्षेत्र की नहरें बहुत क्षतिग्रस्त हैं. अंग्रेजों के शासनकाल में जो नहरें बनीं थीं उनके सुधार के लिए कोई काम नहीं हुआ है. सर्राटी जलाशय, बाथरी जलाशय, मुरुमनाला जलाशय, चांवरपानी जलाशय. यह प्रमुख जलाशय हैं जो बहुत बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हैं लेकिन इनके सुधार की कोई व्यवस्था नहीं है. विद्युत के 6 सब स्टेशन हैं लेकिन पॉवर कम होने के कारण वोल्टेज कम होता है. तीन वनग्राम हैं चिखलाबस्ती, सोनेवानी और नवेगांव वहां आने जाने के लिए सड़क नहीं है. आपने मुझे बोलने का समय दिया इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री सुरेश राजे (डबरा) -- अध्यक्ष महोदय, मैं समय की मर्यादा का ध्यान रखते हुए सीधे अपने क्षेत्र की मांग से बात शुरु करता हूँ. समय बचेगा तो मैं बाकी चर्चा कर लूंगा. सबसे पहली मांग है कि डबरा में एक फ्लाईओवर और एक रिंग रोड, उस क्षेत्र के बारे में आप मुझसे ज्यादा भलीभांति परिचित हैं. इसके बगैर वहां कितनी असुविधा है, आए दिन वहां जाम लगते रहते हैं. देश में एक नंबर की वह कृषि उपज मंडी है. इससे बड़ी असुविधा आप सबके साथ साथ आमजनता को भी होती है. मैं आपके माध्यम से सरकार से यह मांग रखूंगा. एक बड़ी मांग है कन्या महाविद्यालय की. वर्ष 2018 और वर्ष 2020 में जो चुनाव हुए. वहां पर हमारे पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी जो अभी देश के कृषि मंत्री हैं वे वहां पर यह घोषणा करके आए थे कि हमारी सरकार बनेगी तो यह कन्या महाविद्यालय बनवाया जाएगा. इसके लिए भी आपके माध्यम से सरकार से मांग है कि डबरा को एक कन्या महाविद्यालय दिया जाए.
अध्यक्ष महोदय, कल चर्चा हो रही थी मैहर को जिला बना दिया गया. डबरा की एक बहुत पुरानी मांग है. डबरा, भितरवार और अन्य क्षेत्र को मिलाकर एक नया जिला बना दिया जाए तो डबरा के साथ साथ प्रदेश के विकास में यह मील का पत्थर साबित होगा. जहां तक पक्ष और विपक्ष का सवाल है. पक्ष वालों ने अपनी बात रखी हम विपक्ष में हैं तो अपनी बात रख लेते हैं. हमें आपके संरक्षण में यह अधिकार मिले. अभी चर्चा चल रही थी कि हम किसान के लिए यह करेंगे, वह करेंगे, इतना बजट है. अभी हाल ही में किसान पूरी-पूरी रात एक-एक बोरी रासायनिक खाद के लिए परेशान रहा. कई जगहों पर किसानों ने अपने परिवार की महिलाओं को खाद की लाइन में लगाया. हमारी माताएं-बहनें लाइन में लगी रहीं. जिस किसान को 50 कट्टे खाद की जरुरत थी उसको 5 कट्टे मिले. जिसको 5 कट्टे की जरुरत थी उसको 1 कट्टा मिला. इसके लिए भी पूरी-पूरी रात लाइन में लगना पड़ा. इससे भी दुर्भाग्यपूर्ण यह विषय है कि सबका साथ सबका विकास की बात करने वाली सरकार है. लेकिन सबका साथ सबका विकास में थोड़ा बहुत अन्तर होगा तो चलेगा. डबरा के साथ कितना बड़ा सौतेला व्यवहार खाद वितरण व्यवस्था में किया गया है. 80 प्रतिशत खाद भितरवार को दिया गया जबकि मात्र 10 से 20 प्रतिशत खाद डबरा को दिया गया था.
अध्यक्ष महोदय, एक और महत्वपूर्ण विषय है हमें जो विधायक निधि मिलती है. हमने वह किसी ग्राम पंचायत को दी, 10 लाख रुपए दे रहे हैं उसमें से 1 लाख 80 हजार रुपए जीएसटी में कट जा रहा है. सरपंच कहता है कि तुमने 10 लाख रुपए दिए. मैंने 10 लाख रुपए का प्राक्कलन बनवा लिया, यह काम 10 लाख रुपए में पूरा होना है और पैसा तो केवल 8 लाख रुपए ही है तो वह पूर्ति कहां से की जाए. यह बहुत विचारणीय प्रश्न है मैं आपके माध्यम से सरकार का इस ओर ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ.
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- अध्यक्ष महोदय, इस चर्चा के लिए 3 घंटे का समय निर्धारित किया गया था, 4 घंटे से अधिक का समय हो गया है. वित्त मंत्री जी का इस पर समापन भाषण भी होना है. मेरा आपसे आग्रह है कि कृपया इसे जल्दी समाप्त करवाएं तो बड़ी कृपा होगी.
श्री सुरेश राजे -- अध्यक्ष महोदय, मैं अपनी आखिरी बात कहकर अपनी बात पूरी करुंगा.
अध्यक्ष महोदय -- कृपया समाप्त करें. 4 घंटे हो चुके हैं.
श्री सुरेश राजे -- अध्यक्ष महोदय, आपकी अनुमति हो तो आखिरी बात कह लूं. अध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का अवसर दिया इसके लिए धन्यवाद.
श्रीमती सेना महेश पटेल (जोबट) -- अध्यक्ष महोदय, इस अनुपूरक बजट का मैं इसलिये विरोध करती हूं क्योंकि मेरे विधान सभा क्षेत्र जोबट का इस बजट में कहीं से कहीं तक किसी भी पॉइंट का उल्लेख नहीं है. अलीराजपुर जिले में कृषि कॉलेज और मेडिकल कॉलेज खोला जाए और साथ ही जोबट विधान सभा में कई ऐसे गांव हैं जहां आज तक पहुंच मार्ग नहीं है, पुल पुलिया निर्माण नहीं होने से ग्रामीण जनों को आवागमन में काफी समस्या का सामना करना पड़ता है. समस्त गांवों का सर्वे करवाकर इसका निराकरण करने का प्रावधान रखें. जोबट विधान सभा के गरीब किसानों की भूमि का अधिग्रहण किया जा रहा है. यह जो सरकार है हमारे गरीब, किसान, आदिवासियों की भूमि का अधिग्रहण करना चाहती है, इसकी जितनी भी प्रोसेस हुई है उसे तत्काल निरस्त किया जाए ताकि हमारे किसान, आदिवासी, गरीबों की जमीन बच सके. अलीराजपुर जिले में जो स्कूल जर्जर स्थिति में हैं उनको नया बनाने का प्रावधान किया जावे. अध्यक्ष महोदय, हमारे क्षेत्र में किसानों को कृषि के लिये पर्याप्त लाइट उपलब्ध नहीं होती है, इसलिये मैं आपके माध्यम से मंत्री महोदय से आग्रह करती हूं कि 24 घंटे का जो वायदा किया गया था, तो कम से कम 8 से 10 घंटे लाइट किसानों को उपलब्ध करवाई जाए. मध्यप्रदेश के लाखों युवा बेरोजगार हैं. हम सभी लोग चाहते हैं कि इन लाखों युवाओं को रोजगार प्रदान किया जाए. साथ ही अतिथि शिक्षकों का नियमितीकरण किया जाए और शासकीय कर्मचारी जिनका अधिकार ओल्ड पेंशन का होता है, उनके लिये एनपीएस हटाकर ओपीएस लागू किया जाए. मध्यप्रदेश की सभी गौ शालाओं में शासन स्तर से हर महीने चारे के लिये राशि उपलब्ध कराई जाए ताकि हमारी गौ माता का पेट भरा जा सके. साथ ही मेरे विधान सभा में ऐसे आश्रम हैं जहां मूक बधिर बच्चे रहते हैं. मैं आपके माध्यम से मंत्री महोदय से निवेदन करना चाहती हूं कि मूक बधिर बच्चों को हर महीने उनके भरण पोषण की राशि दी जावे. सरकार ने आज दिनांक तक जितने भी वायदे किये थे, उन वायदों का क्या हुआ, अगर वायदे पूर्ण हो चुके हों तो जनता को अपने श्वेत पत्र के माध्यम से अवगत करावें.
अध्यक्ष महोदय -- सेना जी, कृपया समाप्त करें. श्री पंकज उपाध्याय जी.
श्री पंकज उपाध्याय (जौरा) -- धन्यवाद अध्यक्ष महोदय, आपका संरक्षण चाहूंगा.
अध्यक्ष महोदय -- संरक्षण नहीं दो मिनट में बात पूरी करनी है.
श्री पंकज उपाध्याय -- अध्यक्ष महोदय, दो के चार कर दीजिये. आप तो समझिये. मूलभूत समस्याओं की बात पूरी नहीं हो पाई. सभी लोगों ने अपनी पीठ थप-थपाई. लगातार किसानों को खाद मिल नहीं रही थी. उसे लगातार लाठी डण्डे पड़ रहे थे. यह 22 हजार, 680 करोड़ की बात तो हो रही है, लेकिन किसानों की बात नहीं हो पाई जो लगातार हमारे मुरैना, भिण्ड, ग्वालियर में डण्डे खा रहे थे. रात-रात भर बैठे रहे, लेकिन खाद नहीं मिल रही थी. हम कांग्रेस के विधायकों के साथ में भेदभाव इतना हो रहा है कि 15-15 करोड़ रुपये बीजेपी के विधायकों को दिया गया, लेकिन हमको 5 लाख, 10 लाख देकर भूल गये कि हम विधायक हैं भी कि नहीं हैं. हमारे क्षेत्र की जनता भी आपके प्रदेश की जनता है, जिसका संरक्षण करना अध्यक्ष जी, आपकी जवाबदारी बनती है. मैं चाहता हूं कि आप इस ओर ध्यान दें. मूलभूत समस्याओं में पीने के पानी की व्यवस्था, सड़क की व्यवस्था, बिजली की व्यवस्था करें. मेरे क्षेत्र में कई ऐसे गांव हैं, धौंदा, कनार, गैतुली, मरा, जड़ेरू, मानपुर, बहराई और कुंवरपुर इन गांवों में पीने का पानी नहीं है. सिंचाई की बहुत सारी बातें हुईं. लाखों, करोड़ रुपये की बात हो गई. डेढ़- दो लाख करोड़ की बात चल रही थी, लेकिन इन गांवों में 70 साल निकलने के बाद आज तक सिंचाई के लिये कोई व्यवस्था नहीं है. बिजली पहुंच ही नहीं पाई है. सड़क है नहीं. अध्यक्ष जी, मैं आपसे चाहता हूं क्योंकि आप भी वहां के सांसद रहे हैं, इन लोगों का ध्यान रखना आपकी भी जवाबदारी बनती है. हमारे सरपंच काम मांगते हैं, लेकिन मनरेगा में कोई काम नहीं दिया जा रहा है. उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है. नल जल योजना आपकी पूर्णत: असफल हो चुकी है. यहां पर लगातार असत्य बात बताई जा रही है. जिन गांवों में टंकी बनी है वहां पर किसी भी गांव में, किसी भी एक घर में टोटी से पानी नहीं निकल रहा है. हमारे किसी भी गांव में, किसी भी एक घर में टोंटी से पानी नहीं निकल रहा है. शिक्षा के क्षेत्र में कई बातें की गईं. नये नये सीएम राइज की बात की गई. मेरे क्षेत्र के बस्तोली, केमपुरा,रामपुरा में आज तक 77 साल के बाद भी स्कूल की व्यवस्था नहीं है. ऐसे कई गांव हैं, जहां पर एक भी स्कूल में कहीं लाइट नहीं है, कहीं पानी चू रहा है,कहीं पर भवन नहीं है. पेड़ों के नीचे बच्चे पढ़ने जाते हैं. बरसात होती है, तो स्कूल बंद कर दिये जाते हैं. कई स्कूलों में शिक्षक ही नहीं हैं. इतनी इतनी दूर स्कूल हैं, जहां पर बच्चे पहुंचते नहीं हैं. मेरा आपसे निवेदन है कि इस अनुपूरक बजट में इसकी व्यवस्था आप कराने की कृपा करें. हमारे क्षेत्र में उच्च शिक्षा के लिये, अध्यक्ष जी, आप भी अभी गये थे, आपसे भी कई लोगों ने बात की. हमारे करगा क्षेत्र में वहां पर हमारे कई बच्चे फौज की तैयारी कर रहे हैं. वहां पर कई सालों से एक कालेज की मांग उठ रही है. वहां पर जमीन भी पड़ी है. ग्राम बरेड़ में एक बहुत बड़ी जमीन पड़ी हुई है. हमने कई बार मांग भी की, लेकिन सरकार का इतना भेदभाव पूर्ण रवैया है कि इस मांग को कई वर्षों से सुना नहीं जा रहा है. वहां के लड़के तैयारी करते हैं फौज के लिये. बहुत दूर जाना पड़ता है कालेज पढ़ने के लिये. कोई भी उन बच्चों के लिये आज तक आप लोगों ने भिण्ड और मुरैना में सरकार ने कोई चिंता नहीं की कि ये बच्चे हमेशा शहादत पाते हैं. हमेशा फौज में और पुलिस में जो शहादत होती है, वह हमारे क्षेत्र के लोगों की होती है, लेकिन आज तक वहां कोई स्पोर्ट्स काम्पलेक्स की व्यवस्था नहीं है. उन्हें भर्ती होने के लिये सागर जाना पड़ता है और उनसे इतने दोयम दर्जे का व्यवहार सरकार द्वारा किया जाता है, उनको ट्रेनों में से उतारा जाता है, जहां पर ज्यादा हुड़दंग होता है, वहां पर उनका ही नाम लिखा जाता है. हमारे भिण्ड और मुरैना के लोगों के साथ हमेशा दोयम दर्जे का व्यवहार किया जा रहा है और जिसमें सबसे सर्वाधिक मात्रा शहीदों की संख्या होती है,तो हमारे मुरैना और भिण्ड के लोगों की होती है. हमारे कैलारस शक्कर मिल की जमीनें बेचने का प्रयास किया जा रहा है.
अध्यक्ष महोदय—कृपया समाप्त करें. श्री विजय रेवनाथ चौरे, अंतिम वक्ता.
श्री विजय रेवनाथ चौरे (सौंसर)—अध्यक्ष महोदय, मैं अनुपूरक बजट के विरोध में बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं, क्योंकि मेरी सौंसर विधान सभा में मैंने 18 सड़कों के प्रस्ताव दिये थे, जिसमें 7 पुल भी शामिल थे. उनको इस बजट में शामिल नहीं किया है, इसलिये मैं इसका विरोध कर रहा हूं. बहुत बड़ी बड़ी बातें हो रही थीं, सत्ता पक्ष के साथी हमारे कह रहे थे कि बिजली विभाग को हमने यह दिया. ऊर्जा विभाग को इतना पैसा दिया. बिजली विभाग की यह हालत है कि 10 घण्टे पर्याप्त बिजली आपकी सरकार नहीं दे रही है. 4-5 घण्टे में ट्रिपिंग हो रही है और उसके बाद ट्रांसफार्मर भड़ाभड़ उड़ रहे हैं. अगर हमने किसी का प्रेशर डाल करके एक दो, चार आठ दिन में नया ट्रांसफार्मर लगाया, तो भी वह धड़ाधड़ दो घण्टे में उड़ रहे हैं. यह ट्रांसफार्मर खरीदी घोटाला है. इसके बाद 3 एचपी के जो बिल आते थे, किसानों से 6-6 एचपी के बिल लूटे जा रहे हैं. 5 एचपी के बिल आते थे, किसानों को 8-8 एचपी के बिल दिये जा रहे हैं. यह प्रदेश की सरकार की हालत है. ट्रांसफार्मर नहीं बदलते हैं, लोगों की सब्जियां, फसलें सूख रही हैं. इस बात को यह सरकार संज्ञान में ले. यह जन हितैषी, किसान विरोधी सरकार है. यहां पर बहुत बड़ी बड़ी बातें हो रही हैं. हमारे मुख्यमंत्री जी भाषण में गौ माता का बड़ा जिक्र करते हैं, पर मैं मुख्यमंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि आप गौ भक्त हैं. लेकिन आपके राज में गौ माता की क्या दुर्दशा है. भगवान श्री कृष्ण का नाम, श्री कृष्ण जी के बहुत सारे नाम थे, उसमें मोहन भी नाम था और ऊपर से यादव. श्री कृष्ण भगवान के वंशज हैं ये, श्री कृष्ण भगवान के कुल से आते हैं मोहन यादव जी. ग्वाला हैं. जैसे श्री कृष्ण ग्वाला थे, वैसे मोहन यादव जी भी ग्वाला हैं. लेकिन एक ग्वाला प्रदेश का मुख्यमंत्री है और उसके राज में गौ माता की जो दुर्दशा है, इससे घोर कलयुग कभी नहीं आ सकता. इस बात को सोचने की जरुरत है. मेरे विधान सभा क्षेत्र में महाराष्ट्र में रोज कत्ल खाने में 10-10 ट्रक भरकर गाड़ियां जा रही हैं. रोज गौवंश जा रहा है. आपके भाजपा के नेता, धन बल वाले नेता रोज गौ तस्करी कर रहे हैं. पर पुलिस पैसे ले रही है, चेक पोस्ट पर पैसे लिये जा रहे हैं और धड़ल्ले से वाहन छोड़ रहे हैं. ये ग्वाला मुख्यमंत्री के राज का इतिहास है. मैं कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री जी का एक वीडियो देख रहा था, अभी 8-10 दिन पहले एक वीडियो में मुख्यमंत्री जी प्रेस कांफ्रेस में कह रहे थे कि हमने 52 मेडिकल कालेज खोले, सरकारी, प्रायवेट मिलाकर. केवल संख्या और गिनती बढ़ाने से काम नहीं चलेगा मुख्यमंत्री जी. जिस मेडिकल कालेजों, अस्पतालों में मरीजों का इलाज नहीं हो, वह अस्पताल किस काम के. मेरे सौंसर विधान सभा क्षेत्र में 100 बिस्तर का अस्पताल है, उसमें एक महिला चिकित्सक नहीं है. अगर डिलेवरी के समय सीजर की जरुरत पड़े, तो 55 किलोमीटर दूर जिला अस्पताल में जाना पड़ता है, यह स्थिति है आपके प्रदेश के सरकार की. एक कम्पाउण्डर नहीं है. अगर वहां पर किसी की हड्डी टूट जाये, टू व्हीलर, फोर व्हीलर से, तो प्लास्टर तक नहीं लगता है.
अध्यक्ष महोदय- अब आप समाप्त करें.
श्री विजय रेवनाथ चौरे- यह दूरदर्शिता इस प्रदेश की सरकार की है. हम इसलिये कहना चाह रहे हैं कि हम भी जनता से जीतकर आते हैं. जनता ने हमको हजारों वोटों से जिताया है. हमारी भी जिम्मेदारी है कि हम जनता की आशाओं पर खरे उतरें.
अध्यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र में जाम सांवली के हनुमान जी महाराज बहुत फैमस हैं, वहां उनकी लेटी हुई प्रतिमा है और वह निंद्रा अवस्था में हैं. वहां पर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी ने 300 करोड़ देने की घोषणा की थी और 30 करोड़ रूपये दिये, वह भी डी.एम.एफ. के फण्ड से मैगनीज के फण्ड से 30 करोड़ रूपये दिये और वहां पर 30 करोड़ रूपये में कुछ नहीं हुआ. 30 करोड़ रूपये में केवल दुकानें बन गयीं,पर वह हनुमान लोक का कोई औचित्य नहीं है. बाकी की राशि कब देंगे, यह बात भी तय करें. पांढ़र्ना नया जिला बना है. पांढ़र्ना जिला बनने को एक साल हो गया. माननीय शिवराज जी ने आनन-फानन में घोषणा कर दी कि वहां से बीजेपी का विधायक जीत जायेगा. परंतु हमारे निलेश उईके जी वहां से जीत गये. उनको फायदा नहीं हुआ. पांढ़र्ना जिला बनने के बाद केवल कलेक्टर और एस.पी. बनने से जिला नहीं बन जाता है. अध्यक्ष महोदय, इस पूरे अनुपूरक बजट में एक फूटी कौड़ी नये जिले को प्रदान नहीं की. मैं इसका भी विरोध करता हूं और आपसे अनुरोध करता हूं कि जो-जो प्रस्ताव मैंने अपने विधान सभा के दिये हैं, वह इस अनुपूरक बजट में पास किये जायें. आपने बोलने का समय दिया बहुत-बहुत, धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय- बजट पर चर्चा 1 बजकर, 20 मिनिट पर प्रारंभ हुई थी अब 7 बजकर, 1 मिनिट हुआ है, चर्चा के लिये 4 घंटे तय थे. 4 घण्टे से ऊपर समय हो गया है. इसलिये मैं अब माननीय वित्त मंत्री जी को आमंत्रित करता हूं.
उप मुख्यमंत्री, वित्त( श्री जगदीश देवड़ा)- अध्यक्ष महोदय, ...
(व्यवधान)
श्री बाला बच्चन- अध्यक्ष महोदय, हम भी सपोर्ट कर रहे हैं. आप चर्चा करा रहे हैं. सदन में मैं भी बैठा हूं हमारा भी नाम नहीं है. इसलिये बोलने की अनुमति दी जाये. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय- बाला जी, आप सीनियर सदस्य हैं. आप इस बात को भंलिभांति जानते हैं कि अभी बहुत से विषय हैं. (व्यवधान)
उप नेता प्रतिपक्ष (श्री हेमंत सत्यदेव कटारे)- माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत सारे सदस्य बोलने के लिये बचे हैं.
अध्यक्ष महोदय- कल वाले विषय पर ले लो. कल भी चर्चा बड़ी है. आप सब लोग अपना नाम दे सकते हैं. (व्यवधान)
श्री जगदीश देवड़ा- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं उन सभी माननीय सदस्यों से जिन्होंने इस अनुपूरक बजट में चर्चा में भाग लिया. उप नेता श्री हेमंत कटारे जी, डॉ. सीतासरन शर्मा जी, ओमकाम मरकाम जी, लखन घनघोरिया जी, शैलेन्द्र जैन जी, अभय मिश्रा जी, आरिफ मसूद जी, ओम प्रकाश सखलेचा जी, फुन्देलाल जी, फूल सिंह बरैया जी, गौरव पारदी जी, सोहनलाल वाल्मिक जी, श्रीमती गायत्री राजे जी, श्रीमती झूमा ध्यानसिंह सोलंकी जी, डॉ. चिंतामणि मालवीय जी, डॉ. रामकिशोर दोगने जी, आशीष गोविंद शर्मा जी, महेश परमार जी, राजेन्द्र पाण्डेय जी, नारायण सिंह पट्टा जी, प्रेमशंकर जी, विक्रांत भूरिया जी, अनुरूद्ध माधव मारू जी, श्रीमती अनुभा मुंजारे जी, सुरेश राजे जी, श्रीमती सेना महेश पटेल जी, पंकज उपाध्याय, विजय रेवनाथ चौरे जी.मैं सभी सदस्यों का हृदय से धन्यवाद करता हूं...
श्री उमंग सिंघार- माननीय अध्यक्ष महोदय,मेरा आपसे अनुरोध है कि अभी हमारी तरफ से बोलने के लिये 8-10 सदस्य बचे हैं. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय- नेता प्रतिपक्ष जी, अब कार्यवाही आगे बढ़ गयी है. आप जिम्मेदार नेता हैं. अब कार्यवाही आगे बढ़ गयी है. (व्यवधान)
गर्भगृह में प्रवेश
इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा गर्भगृह में प्रवेश
(इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण डॉ. हिरालाल अलावा एवं श्री कैलाश कुशवाह द्वारा गृर्भग्रह में प्रवेश किया गया एवं अपनी बात करते हुए गर्भगृह में धरने पर बैठ गये.)
(व्यवधान)
श्री उमंग सिंघार- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक तो हमारे सदस्यों को बोलने का समय नहीं दिया और आप हमको भी नहीं बोलने दे रहे हैं. मैं भी नहीं बोलूं क्या. यह कैसी बात है. (व्यवधान) यह गलत बात है.
अध्यक्ष महोदय- अब मैंने वित्त मंत्री को पुकार लिया है. कार्यवाही आगे निकल गयी है.
(व्यवधान)..
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) - अध्यक्ष महोदय, यह गलत परंपरा है. आप विद्वान सदस्य है.
श्री जगदीश देवड़ा- अध्यक्ष महोदय, मैं धन्यवाद भी कर रहा हूं और निश्चित रूप से मैं सदस्यों को आश्वस्त भी कर रहा हूं कि उनकी भावनाओं का आने वाले समय में सम्मान करें.
अध्यक्ष महोदय - आपकी ओर से 21 सदस्य बोले हैं. उनको पर्याप्त समय दिया है. (व्यवधान)..
श्री जगदीश देवड़ा- अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2024-25 का मुख्य बजट माह जुलाई 2024 में विधान सभा द्वारा पारित किया गया था. 1 अगस्त, 2024 से लागू किया गया है. मुख्य बजट की विनियोग राशि रुपये 3 लाख 65 हजार 67 करोड़ रुपये की थी. संविधान के अनुच्छेद 205 में अनुपूरक अनुमान का प्रावधान है. मुख्य बजट में किये गये प्रावधान के अतिरिक्त आवश्यकताओं की पूर्ति, केन्द्र से वित्त पोषित योजनाओं के लिए आवश्यकतानुसार प्रावधान आदि के लिए अनुपूरक अनुमान की आवश्यकता होती है. इसी संवैधानिक व्यवस्था के तहत यह अनुपूरक अनुमान सदन से अनुमोदन प्राप्त करने हेतु प्रस्तुत किया गया है.
श्री उमंग सिंघार - यह तो अभी नहीं बोले हैं. यह गलत परंपरा है. अध्यक्ष महोदय, मैं भी नहीं बोलूंगा क्या?
अध्यक्ष महोदय - माननीय नेता प्रतिपक्ष से मेरा अनुरोध है कि आप इस सदन के वरिष्ठ सदस्य हैं (व्यवधान).. उस समय आप नहीं थे. मैंने वित्त मंत्री जी को पुकार लिया है. अब वित्त मंत्री जी को चर्चा आरंभ करने दें.
श्री जगदीश देवड़ा - प्रथम अनुपूरक अनुमान में 22460 करोड़ रुपये की राशि के प्रस्ताव हैं जिसमें राजस्व मद से 13130 करोड़ रुपये तथा पूंजीगत मद में, 9330 करोड़ रुपये की राशि है और प्रथम अनुपूरक अनुमान में राज्य शासन के लगभग सभी विभागों की आवश्यकताओं का ध्यान रखा गया है.
अध्यक्ष महोदय - आप सब भलीभांति जानते हैं कि विधान सभा की संचालन प्रक्रिया नियम 153 (2) में स्पष्ट उल्लेख है कि पहले निश्चित समय पर अध्यक्ष द्वारा अनुदान मांगों के संबंध में प्रश्नवत् चर्चा पूर्ण करने के लिए रखा जाएगा और इसी परिप्रेक्ष्य में यह रखा गया. प्रतिपक्ष की ओर से 21 सदस्यों ने अपनी बात रखी. समय पूर्ण होने के बाद मैंने वित्तमंत्री जी को आमंत्रित किया. कार्यवाही अब आगे बढ़ गई है. मेरा आपसे आग्रह है कि सदन की कार्यवाही चलने दें.
(व्यवधान)..
श्री उमंग सिंघार - अध्यक्ष महोदय, यह आप नयी परंपरा कर रहे हैं. आपने नाम ही नहीं बोला है. देखिए सदस्य बोल रहे हैं कि नाम कहां लिया है? आप न्याय की कुर्सी पर बैठे हैं. विद्वान है.
(व्यवधान)..
7.08 बजे गर्भगृह में प्रवेश
इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा गर्भगृह में प्रवेश
(इंडियन नेशनल कांग्रेस के सभी सदस्यगण नेता प्रतिपक्ष श्री उमंग सिंघार के नेतृत्व में अपनी बात कहते हुए गर्भगृह में आए.)
(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय - कृपया अपने आसन पर जायं.
श्री जगदीश देवड़ा - अध्यक्ष महोदय, प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी के नेतृत्व में नयी सरकार एक वर्ष का कार्यकाल उपलब्धिपूर्ण पूरा किया है. अनुपूरक अनुमान में इसमें प्रमुख योजनाओं का जो प्रावधान किया है यह कुछ महत्वपूर्ण योजनावार अनुपूरक प्रावधान को सदन के सामने रखना चाहता हूं. (व्यवधान)..ऊर्जा विभाग के अंतर्गत अटल कृषि योजना हेतु 8483 करोड़ रुपये, टैरिफ अनुदान हेतु रुपये 280 करोड़ रुपये का प्रावधान, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग अंतर्गत जल जीवन मिशन हेतु नेशनल रूरल ड्रिंकिंग वाटर मिशन 3420 करोड़ रुपये, ग्रामीण नल जल प्रदाय योजनाओं के संधारण हेतु 54 करोड़ रुपये का प्रावधान, ग्रामीण समूह जल प्रदाय योजना हेतु 50 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है.
अध्यक्ष महोदय - कृपया अपने स्थान पर जाय.
(व्यवधान)..
श्री उमंग सिंघार - आपने नाम ही नहीं लिया (व्यवधान) और आप नयी व्यवस्था कर रहे हैं. नाम ही नहीं बोला है.
श्री जगदीश देवड़ा - नर्मदा घाटी विकास विभाग अंतर्गत विभिन्न सिंचाई परियोजनाओं के लिए कुल 2125 करोड़ रुपये का प्रावधान, जल संसाधन विभाग अंतर्गत विभिन्न सिंचाई परियोजनाओं के लिए कुल 1593 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है. अभी कई हमारे सदस्य बोल रहे थे कि इन विभागों में नहीं किया, इन विभागों में कम किया. मैं एक प्रमुख बताना चाहता हूं लोक निर्माण विभाग के अंतर्गत केन्द्रीय सड़क निधि हेतु 100 करोड़ रुपये, अतिविशिष्ट अतिथियों के आगमन एवं कार्यक्रम हेतु व्यय के लिए 50 करोड़ रुपये ग्रामीण सड़कों एवं अन्य जिला मार्गों का निर्माण/उन्नयन हेतु 400 करोड़, वृहद पुलों के निर्माण कार्य हेतु रुपये 400 करोड़ रुपये तथा मध्यप्रदेश सड़क विकास कार्यक्रम (ए.डी.बी.) हेतु रुपये 100 करोड़ रुपये (व्यवधान)..लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के अंतर्गत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (आयुष्मान भारत) हेतु 100 करोड़ रुपये. मुख्यमंत्री श्रमिक सेवा प्रसूति सहायता हेतु रुपये 100 करोड़ तथा आयुष्मान भारत (नान एस.ई.सी.सी. हितग्राही) के लिए रुपये 90 करोड़ का प्रावधान किया है. (व्यवधान)..
श्री उमंग सिंघार - अध्यक्ष महोदय, आप क्या व्यवस्था दे रहे हैं?
अध्यक्ष महोदय - एक मिनट वित्त मंत्री जी, मेरा आप सबसे अनुरोध है. हम सब लोगों ने मिलकर ही तय किया था कि बजट पर 4 घंटे चर्चा की जाएगी, यह भी बात बार-बार हुई कि 4 घंटे में पूरा किया जाएगा. 4 घंटे से अधिक समय तक चर्चा हुई है. सब सदस्यों ने भाग लिया है. प्रतिपक्ष की ओर से लगभग 21 सदस्य बोले हैं और 4 घंटे से अधिक हो गये हैं. हम सब इस बात को जानते हैं कि समय पूर्ण होने के बाद फिर वित्त मंत्री जी का जवाब होता है, उनको आमंत्रित किया जाता है, उसके बाद चर्चा पूर्ण होती है. मेरा आप सबसे अनुरोध है कि कृपया कार्यवाही के संचालन में योगदान दें. मेरा सहयोग करें. कृपया करके अपने अपने आसन पर बैठें. वित्तमंत्री जी का जवाब पूर्ण होने दें.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी बात तो सुन लीजिए. मेरा आपसे अनुरोध है. ठीक है, आप सदस्यों को नहीं बोले. लेकिन नेता प्रतिपक्ष के नाते, सभी माननीय सदस्यों की तरफ से अपनी बात रखूं. सूची में नाम है. ...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- उमंग जी, मेरा आपसे अनुरोध है कि कुल मिलाकर के हम लोगों की कोशिश यह होनी चाहिए थी कि अपने मेंबर्स को हम कम करते और समय पर खींचकर इसको लाते...(व्यवधान)..
श्री उमंग सिंघार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह नई परम्परा है. यह नई परम्परा कैसे हो गई...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- मैंने बार-बार इस बात को सबको ध्यान दिलाया है..(व्यवधान)..
श्री अभय मिश्रा -- अध्यक्ष महोदय, 4 घंटे से अधिक का समय जब हुआ है. 4 घंटे से ज्यादा जब 20 मिनट हुए हैं तो इसी तरह 30 मिनट हो जाएं लेकिन किसी का अपमान करना ठीक नहीं है...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- मेरा अपमान करने का कोई इरादा नहीं है. अपमान कोई क्यों करेगा ? ..(व्यवधान)..
श्री उमंग सिंघार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह तो परम्परा रही है. नेता प्रतिपक्ष चाहे कोई भी रहा हो. चाहे आपकी पार्टी का रहा हो, हमेशा बोला है...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- नेता प्रतिपक्ष सदन का प्रमुख पार्ट हैं. आपका अपमान कौन करेगा ?..(व्यवधान)..
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, सदन की परम्परा रही है..(व्यवस्था)...
श्री अभय मिश्रा -- अध्यक्ष महोदय, यह गलत बात है, यह न्याय नहीं है. यह आगे तक जाएगी और आपके व्यक्तित्व के अनुरूप यह शोभा नहीं दे रहा. जो आपका व्यक्तित्व है उसके अनुरूप हम लोगों ने कभी सोचा भी नहीं था कि आप भी ऐसा कर सकते हैं. यह उचित नहीं है..(व्यवधान)...
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- अध्यक्ष महोदय, मेरा एक पाइंट ऑफ ऑर्डर है. निश्चित रूप से सदन के नेता और प्रतिपक्ष के नेता को बोलने का अवसर मिलना चाहिए, इसमें हम मना नहीं करते हैं पर उस अवसर पर प्रतिपक्ष के नेता सदन में थे क्या ? (गर्भगृह से सभी माननीय सदस्यों के एक साथ कहने पर कि सदन के नेता सदन में थे) ऐसा है कि अगर जवाबदारी थी, अगर जवाबदार हैं तो अपनी आसंदी पर बैठना चाहिए था उनको. यह बिल्कुल गैर-जवाबदारी पूर्ण बात है. प्रतिपक्ष को अपने पद की मर्यादा का ध्यान रखना चाहिए. वे सदन के बाहर थे और इसलिए आपने सदन की कार्यवाही चला दी, मेरा ख्याल है उसको चलने देना चाहिए. भविष्य में नेता प्रतिपक्ष इस बात का ध्यान रखें...(व्यवधान)..
श्री उमंग सिंघार -- अध्यक्ष महोदय, नाम किसी ने बोला ही नहीं. हम तो बोलने के लिए तैयार खडे़ थे...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- आप सबके आग्रह पर उदारतापूर्वक चर्चा का 4 घंटे का समय रखा और 4 घंटे से भी अधिक चर्चा चली. उसके बाद मैंने वित्त मंत्री जी को आमंत्रित किया. मेरा कहना यह है, कृपया आप सब लोग सहयोग करें...(व्यवधान)..
श्री उमंग सिंघार -- अध्यक्ष महोदय, आप बाकी सदस्यों को भी बोलने नहीं देना चाह रहे हैं. आप नेता प्रतिपक्ष को भी नहीं बोलने देना चाहते. दोनों को बोलने नहीं देना चाह रहे हैं...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- कृपया, सदन को संचालित करने दें. सदन की कार्यवाही आगे बढ़ गई है...(व्यवधान)..
वित्त मंत्री (श्री जगदीश देवड़ा) -- अध्यक्ष महोदय, ग्रामीण विकास विभाग अंतर्गत राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना हेतु रूपए 1005, मुख्यमंत्री ग्राम सड़क एवं अवसंरचना योजना हेतु रूपए 100 करोड़ तथा प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना अंतर्गत रसोईयों को मानदेय भुगतान की राज्य योजना के लिये रूपए 56 करोड़ का प्रावधान है. पिछड़ा वर्ग तथा अल्प संख्यक कल्याण विभाग 11वीं, 12वीं एवं महाविद्यालय छात्रवृत्ति (2.50 लाख से अधिक आय वर्ग) हेतु रूपए 180 करोड़ का प्रावधान है. जनजातीय कार्य विभाग के अंतर्गत 11वीं, 12वीं एवं महाविद्यालय छात्रवृत्ति हेतु 130 करोड़ तथा अनुसूचित जाति/जनजाति के विद्यार्थियों को आवास सहायता योजना हेतु रूपए 80 करोड़ का प्रावधान रखा. अनुसूचित जाति कल्याण विभाग के अंतर्गत अनुसचित जाति/जनजाति के विद्यार्थियों को आवास सहायता योजना हेतु रूपए 50 करोड़ तथा 11वीं, 12वीं एवं महाविद्यालय छात्रवृत्ति (2.50 लाख से अधिक आय वर्ग) हेतु रूपए 40 करोड़ का प्रावधान रखा है. महिला एवं बाल विकास विभाग के अंतर्गत मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना 2023 के लिए रूपए 465 करोड़ तथा लाड़ली लक्ष्मी योजना हेतु रूपए 85 करोड़ का प्रावधान किया. सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विभाग अंतर्गत एम.एस.एम.ई. प्रोत्साहन व्यवसाय निवेश संवर्धन/सुविधा प्रदाय योजना हेतु रूपए 400 करोड़ तथा मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना हेतु रूपए 50 करोड़ प्रावधान किया. औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग के अंतर्गत निवेश प्रोत्साहन योजना हेतु रूपए 250 करोड़ का प्रावधान किया. श्रम विभाग अंतर्गत मुख्यमंत्री जनकल्याण (संबल) योजना हेतु कुल रूपए 200 करोड़ का प्रावधान किया. सड़क निर्माण एवं संधारण के लिए 1 हजार 111 करोड़, सिंचाई परियोजनाओं के लिए 3718 करोड़ के प्रावधान हैं. किसानों के लिए नि:शुल्क विद्युत आपूर्ति के लिए रूपए 8762 करोड़, संबल योजना के हितग्राहियों को प्राप्त होने वाले लाभों में कमी नहीं आए इसलिए इस मद में भी..(व्यवधान).. 200 करोड़ रूपये का अतिरिक्त प्रावधान रखा गया है….(व्यवधान)
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)—अध्यक्ष महोदय, आप गलत परम्परा डाल रहे हैं. आपने सदस्यों को भी नहीं बोलने दिया. नेता प्रतिपक्ष को भी नहीं बोलने दे रहे हैं. मुझे बतायें आप निष्पक्षता कीजिये. (व्यवधान)
श्री अभय मिश्रा—अगर आपने नाम पुकारा होता तो हम अपनी गलती को मानते ? (व्यवधान) आपने नाम ही नहीं पुकारा जबकि आपको नाम दिया हुआ था. यह गलत है. औचित्य को लेकर हम लोग बड़ी बड़ी बातें करते हैं. यह आज गलत हो रहा है (व्यवधान)
श्री उमंग सिंघार—विधान सभा में गलत परम्परा डाली जा रही है. लोकतंत्र में हम आम लोगों की बात नहीं कर सकते हैं. आप नहीं चाहते हैं कि आम जनता की बात विधान सभा में आये. (व्यवधान)
( इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा गर्भग्रह में नारेबाजी की गई)
श्री जगदीश देवड़ा—अध्यक्ष महोदय, भारत सरकार से आवश्यक ऋण के लिये अनुमति प्राप्त की जा रही है.... (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय—सदन की कार्यवाही 15 मिनट के लिये स्थगित.
(7.17 बजे सदन की कार्यवाही 15 मिनट के लिये स्थगित की गई.)
07:33 बजे {अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए.}
अध्यक्ष महोदय – सभी लोग कृपया स्थान ग्रहण कर लें. दिनेश जी प्लीज, प्लीज, प्लीज माननीय वित्त मंत्री वित्त मंत्री जी.
वित्त मंत्री(श्री जगदीश देवड़ा) – माननीय अध्यक्ष जी, अनुपूरक बजट पर अभी चर्चा हुई. सभी माननीय सदस्यों ने अपने अपने सुझाव रखें हैं. अध्यक्ष महोदय हमारे विपक्ष के साथी जब भी चाहे वह मुख्य बजट हो, चाहे वह सप्लीमेंट्री बजट हो कर्जे की बात करते हैं. एक विषय के अलावा दूसरा विषय कोई है ही नहीं. मैं विपक्ष के साथियों को यह बताना चाह रहा हूं. वित्तीय प्रबंधन के बारे में, आज ही मेरे द्वारा इस सदन में वित्तीय वर्ष 2019-20 एवं 2020-21 के समीक्षा प्रतिवेदन पटल पर प्रस्तुत किए गए.
नेता प्रतिपक्ष(श्री उमंग सिंघार) – माननीय अध्यक्ष, जी आपसे अनुरोध करना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय – माननीय मंत्री जी, नेता प्रतिपक्ष जी अपनी बात रखना चाहते हैं.
श्री उमंग सिंघार – माननीय अध्यक्ष महोदय, पहली बात सदन की कार्यवाही में रुकावट हुई उसके लिए मैं क्षमा चाहता हूं. आप विद्वान हैं. मेरा आपसे अनुरोध है कि सभी को आप बराबर बोलने का मौका देते हैं. मेरे जो सदस्य नहीं बोल पाए, मैं चाहता हूं कि उनकी तरफ से और नेता प्रतिपक्ष की तरफ से मैं कुछ समय बोलना चाहता हूं इसके लिए आपसे अनुमति चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय – बोलिए.
श्री उमंग सिंघार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सरकार को लगता है कि प्रदेश का मौसम गुलाबी है, उस पर कुछ लाईन कहना चाहूंगा कि तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है, मगर यह आंकड़ें असत्य हैं, यह दावा किताबी है (मेजों की थपथपाहट)
माननीय अध्यक्ष महोदय, अनुपूरक बजट का मैं विरोध करता हूं, निश्चित तौर से अभी वित्तमंत्री जी प्रदेश के कर्जे के बारे में कह रहे थे और कई सदस्यों ने भी कहा, मैं बताना चाहता हूं कि वर्ष 2021 में 2 लाख 53 हजार करोड़ रूपये था, वर्ष 2022 में 2 लाख 95 हजार करोड़ रूपये था और वर्ष 2023 में 3 लाख 31 हजार करोड़ रूपये और वर्ष 2024 में 3 लाख 85 हजार करोड़ रूपये के लगभग हो गया, अभी आपने दस हजार करोड़ रूपये लिये हैं, तो मतलब प्रतिदिन सरकार 60 हजार करोड़ रूपये का कर्ज ले रही है और वर्ष 2023 में 20 बार कर्जा लिया गया है, वह कब लिया जनवरी, 2024 से लेकर दिसंबर तक जब लोकसभा के चुनाव थे. 18 जनवरी को ढाई हजार करोड़ रूपये, 1 फरवरी को 15 सौ करोड़ रूपये, 14 फरवरी को 15 सौ करोड़, 22 फरवरी, 2024 को 2 हजार करोड़ रूपये, 20 मार्च को 2 हजार करोड़ रूपये, ऐसे ही पूरा बीस बार लिया गया है, जब आपको विधानसभा लड़ना रहती है, तब सरकार कर्जा लेती है, विधानसभा में जनवरी से लेकर दिसंबर, 2023 में 25 जनवरी 2023 को आपने 2 हजार करोड़ रूपये लिये, 2 फरवरी को लिये 3 हजार करोड़ रूपये, 9 फरवरी को लिये 3 हजार करोड़ रूपये, 16 फरवरी को लिये 3 हजार करोड़ रूपये, तो इससे मंशा है कि आप चुनाव के लिये सिर्फ पैसा लेते हैं और प्रदेश की जनता से आपका वास्ता नहीं है, आप सिर्फ जब चुनाव आते हैं, तब आप कर्जें की बात करते हैं.
अध्यक्ष महोदय, इस अनुपूरक बजट में आप राम जी की बात करते हैं, राम गमन पथ था, शायद उसके लिये इस बजट में पैसा नहीं है, अब रहेगा कि नहीं रहेगा माननीय वित्तमंत्री जी स्पष्ट करें कि राम जी के राम गमन पथ को क्या भूल गये, यह भी आप बतायें.
अध्यक्ष्ा महोदय, सी.एम. हेल्पलाईन में 3 लाख 62 हजार 368 शिकायतें नवंबर, 2024 तक हुई हैं, निराकरण 3 लाख में से सिर्फ 2 लाख हुईं हैं. 1 लाख 42 हजार न्याय के इंतजार में है, आपने सी.एम. हेल्पलाईन किसको दी है, क्यों फिजूलखर्ची हो रहा है, इस पर भी माननीय मंत्री जी से मैं चाहूंगा कि वह बतायें. सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्यम एमएसएमई में आपका 4 सौ करोड़ का प्रावधान कम है. मैं समझता हूं कि हजार, 12 सौ करोड़ आपको पैसा देना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय, ग्लोबल इंवेस्टर्स मीट इतनी सारी हुई, बाहर से पैसा आया नहीं, लेकिन जनता के पैसे से हम सब तो पूरे विदेश घूम आये, शिवराज जी जब गये थे, तो विदेश में अमेरिका में रोड शो किया था, जिसमें करोड़ों रूपये खर्च हुए, लेकिन जब विधानसभा में प्रश्न का जवाब आया, तो एक पैसा अमेरिका से नहीं आया है तो मैं चाहूंगा कि आप बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, इसलिए पटल पर आना चाहिए कि आप 16 लाख करोड़ रूपये की बात करते हैं कि निवेश आया, अगर निवेश आता, तो मध्यप्रदेश आर्थिक रूप से सुदृढ़ राज्य होता, ऐसा मेरा सोचना है, इस बारे में भी आपको प्रदेश को बताना चाहिए.
माननीय अध्यक्ष महोदय, गये सत्र में जल जीवन मिशन को लेकर माननीय संसदीय मंत्री जी ने कहा था कि एक महीने के अंदर इस पर जांच कराकर हम इसे पूरा करेंगे, 15 सौ करोड़ आपने इस पर लगभग प्रावधान रखा, लेकिन 1473 करोड़ रूपये यह तो आपकी देनदारियां हैं, ठेकेदारों की नई योजनाएं जल जीवन मिशन की कैसें पूरी होंगी, कैसे आपके अधूरे काम पूरे होंगे? इसके अंदर आपका कोई प्रावधान नहीं है, लेकिन मैं साथ में यह भी चाहूंगा कि इस पर भी सरकार संज्ञान लें और समय पर इसकी रिपोर्ट आये, क्योंकि कार्यों की गुणवत्ता की जांच का माननीय संसदीय कार्यमंत्री जी ने आश्वासन दिया था. माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रदेश के अंदर चिकित्सकों की कमी है.
संसदीय कार्यमंत्री(श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्वाइंट ऑफ आर्डर है और मेरा प्वाइंट ऑफ आर्डर यह है कि नेता प्रतिपक्ष को इंटरप्ट करने का अधिकार है, पर उसकी कोई समय सीमा होना चाहिए, यह तो लंबा भाषण हो गया, इंटरप्शन में इतना लंबा भाषण कभी नहीं होता है(हंसी)
अध्यक्ष महोदय-- उमंग जी समय का ध्यान रखें.
श्री उमंग सिंघार-- जी अध्यक्ष जी, मैं समय का ध्यान रखता हूं, माननीय संसदीय मंत्री जी आपकी गुगली का भी ध्यान रखता हूं. तीर्थदर्शन योजना, सरकार के द्वारा बड़े-बड़े विज्ञापन हुये हैं लेकिन अनुपूरक में इसमें कोई राशि नहीं दी गई, काफी ढिंडोरा पीटा और उज्जैन में आपके मंत्री जी ने कहा बजट जा रहा है उज्जैन में लेकिन उज्जैन की जो एयर स्ट्रिप है वहां पर आवारा कुत्ते घूम रहे हैं और वहां पर चार्टर प्लेन नहीं उतर पा रहे हैं तो ऐसे कैसे तीर्थदर्शन क्योंकि महाकाल सबसे बडा़ है इसके लिये आपको व्यवस्था करना चाहिये, मेरा सोचना है. आपने पोषण आहर की बात की कुपोषित बच्चों की, प्रदेश के अंदर 5 लाख 41 हजार कुपोषित बच्चे पाये गये. यह आंकड़ा वर्ष 2024 का है. माननीय अध्यक्ष महोदय, इस योजना को भी आपको एक बार रिव्यू करना चाहिये. माननीय अध्यक्ष महोदय, जल संसाधन विभाग और एनव्हीडीए सबसे ज्यादा पैसा इसमें जा रहा है. अभी मैं जबलपुर दौरे में गया था बरगी ब्लॉक में बड़ादेव करके संयुक्त उद्वहन माइक्रो सिंचाई योजना जो 600 करोड़ की एनव्हीडीए ने बनाई थी इरीगेशन विभाग ने उस योजना को 1200 करोड़ में परिवर्तित कर दी और 5 गांव आदिवासियों के डूब गये वहां एनव्हीडीए विभाग कह रहा है कि कोई गांव डूबेगा नहीं इसको लिफ्ट एरीगेशन से साढ़े छ: सौ करोड़ में पूरी कर देंगे. 1200 करोड़ में योजना वित्तमंत्री जी यह 600 करोड़ की योजना अगर 1200 करोड़ में बन रही है तो इतना बड़ा सरकार का भ्रष्टाचार किसकी जेब में पैसा जा रहा है, इस पर सोचना चाहिये. मेरा सोचना है कि अगर आप वित्तीय प्रबंधन करना चाहते हैं तो ऐसी योजनायें जिसके अंदर एस्केलेशन हो रहा है, सीधे-सीधे पैसे बढ़ाये जा रहे हैं, इन योजनाओं पर आपको एक बार परीक्षण करना चाहिये मैं समझता हूं. माननीय अध्यक्ष महोदय, पूर्व तत्कालीन मुख्यमंत्री ने बजट में स्कूटी, लेपटॉप की बात छात्रों के लिये की थी, छात्र तो हैं लेकिन लेपटॉप और स्कूटी गायब हो गये हैं. मैं चाहूंगा कि इसके बारे में क्या प्रावधान हैं आप बतायेंगे. एयर एम्बूलेंस की बात ये योजना किसके लिये है आम गरीब के लिये है कि उन बड़े नेता या उद्योगपतियों के लिये है जो रसूखदार अधिकारियों के लिये हैं जिनको एयर एम्बूलेंस की आवश्यकता है. अभी निबाड़ी जिले के जेर गांव में जब वहां पर कलेक्टर को एयर एम्बूलेंस के लिये फोन किया गया खुशी राठौर अपने पति को एम्स भोपाल ले जाने के लिये मदद मांग रही थी सरकार ने उस गरीब को एयर एम्बूलेंस उपलब्ध नहीं कराई, मृत्यु हो गई. मैं समझता हूं इंसानियत के नातेमानवता के नाते इस पर भी एक प्राथमिकता होना चाहिये. अभी हमारे सदस्य अंत्येष्टि के लिये राशि न मिलने की बात कह रहे थे, अंत्येष्टि इस बजट के अंदर मैं कहना चाहता हूं कि जब समय पर पैसा नहीं मिलता तो कैसे अंत्येष्टि होती है आप समझ सकते हैं.
श्री विश्वास सारंग-- माननीय अध्यक्ष जी, नेता प्रतिपक्ष जी का फ्लो बढ़ता जा रहा है.
श्री उमंग सिंघार-- अरे शांति रखो, आपका नर्सिंग आ जायेगा.
श्री विश्वास सारंग-- आ जाने दो, फिर बांकी भी आयेगा, फिर टेटू भी आयेगा.
श्री उमंग सिंघार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, तेंदूपत्ता के ब्याज और उससे जो आदिवासी तेंदूपत्ता का जंगल में संग्रहण करते हैं, वन समितियों को पैसा क्यों नहीं दिया जाता. क्यों वन विभाग के अधिकारी तेंदूपत्ता के ब्याज से सब साधन सम्पन्न रह रहे हैं, उस ब्याज से अपना काम चला रहे हैं लेकिन उन आदिवासी वन समितियों के बारे में नहीं सोचा जा रहा, मेरा माननीय से निवेदन है कि इसके बारे में भी आपको सोचना चाहिये. माननीय अध्यक्ष महोदय, एससी एसटी की छात्रवृत्ति की बात कई सदस्यों ने कही, मैं आपसे कहना चाहता हूं कि सब सदस्य तो कहते हैं कि यह राजनीतिक बात नहीं है कि साढ़े सात सौ करोड़ का आपने आवंटन तो रखा एसटी के लिये, एससी के लिये रखा 1427 करोड़, लेकिन आपकी जानकारी के लिये माननीय वित्तमंत्री जी से कहना चाहूंगा कि वर्ष 2022 में 3 लाख 36 हजार विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति नहीं मिली. वर्ष 2023 में 4 लाख 64 हजार विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति नहीं मिली, तो आपका पैसा कहां जा रहा है क्यों रूक रहा है जिनके लिये आपने योजना बनाई उनके पास पैसा नहीं पहुंच रहा. इस पर भी मैं चाहूंगा कि निष्पक्ष जांच हो. अंत में मैं दो बातें रखकर अपनी बात समाप्त करना चाहता हूं कि विधान सभा की कार्यवाही लाईव टेलीकास्ट करने के लिये पैसा नहीं है सरकार के पास. कांग्रेस विधायकों के विकास कार्य के लिये आपने कहा था. हमारे क्षेत्र में विकास कार्य नहीं हो पा रहा है. डी.पी. नहीं मिल पा रही. खरंजे नहीं मिल पा रहे तो मैं आपसे कहना चाहता हूं माननीय अध्यक्ष महोदय, कि अगर यही स्थिति रही तो हम सब कांग्रेस विधायक दल की ओर से हम आपको कल एक पत्र देंगे और हम चाहेंगे कि जब तक हमारे क्षेत्र में विकास कार्य नहीं होंगे हमारी तनख्वाह वापस जमा करा लें और हम बगैर तनख्वाह के आम जनता के लिये काम करेंगे. हमें पैसा नहीं चाहिये. हमें तनख्वाह नहीं चाहिये लेकिन क्षेत्र के विकास के लिये पैसा चाहिये. माननीय वित्त मंत्री जी से मेरा अनुरोध है कि इस बारे में आप ध्यान दें नहीं तो हम आपको कल एक पत्र साईन करके दे रहे हैं. हमारा पैसा वापस ट्रेजरी में जमा करा लें. हम आपसे कहना चाहते हैं. यह मेरे सब साथी विधायकों ने कहा है.
संसदीय कार्य मंत्री(श्री कैलाश विजयवर्गीय) - अध्यक्ष महोदय, अंदर की बात और कुछ है यह मैं और आप जानते हैं.
श्री उमंग सिंघार - अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे यही कहना चाहता हूं कि आप मेरे सदस्यों की जो भावना है इन्हें भी आगे बोलने का मौका मिले. कल खाद पर चर्चा है तो मैं चाहूंगा कि भले ही डेढ़ घंटे की चर्चा हो उसको आप ढाई घंटे कर लें लेकिन आज जो सदस्य रह गये हैं मैं चाहता हूं कि ये लोग बोल लें. यह मेरा आपसे अनुरोध है धन्यवाद.
वित्त मंत्री ( श्री जगदीश देवड़ा ) - अध्यक्ष महोदय, नेता प्रतिपक्ष जी ने भी विचार रखे हैं. मैं चर्चा उस समय कर रहा था कि हमारे विपक्ष के साथियों ने कर्जे की बात कही और कितनी बार लिया यह भी बताया. यह कोई छिपी हुई बात नहीं है यह रिकार्ड पर रहता है. एक बार नहीं दस बार नहीं पच्चीस बार हिन्दुस्तान में कौन सी ऐसी सरकार है जो कर्जा नहीं लेती है. कर्जा आपने भी लिया लेकिन आप जो कह रहे थे कि कर्जा लेकर घी पीने का काम आपने किया मैं वित्तीय प्रबंधन के बारे में बोल रहा था. आज ही सुबह मेरे द्वारा वित्तीय वर्ष 2019-20 एवं 2020-21 के समीक्षा प्रतिवेदन पटल पर प्रस्तुत किये गये. मैं विपक्ष के साथियों से यह अनुरोध करूंगा कि प्रत्येक पृष्ठ का अध्ययन कर लें. इस समीक्षा प्रतिवेदन में प्रदेश के वित्तीय प्रबंधन की सराहना की गई. उल्लेखनीय है कि कोविड काल की विषम परिस्थिति में भी प्रदेश की वित्तीय प्रबंधन बेहतर बनाए रख सकने में सरकार सफल रही. हमारी सरकार ने प्रदेश के वित्तीय प्रबंधन की समीक्षा केन्द्र सरकार के प्रतिष्ठित संस्थान नेशनल इंस्टीट्यूट आफ पॉलिसी एण्ड फाईनेंशियल प्लानिंग,नई दिल्ली से कराई है. यह संस्थान वर्ष 1976 में तत्कालीन केन्द्र सरकार द्वारा स्थापित किया गया था. वर्ष 1976 में केन्द्र में आपकी सरकार थी और यह पूरा पुस्तक में है आप देख लें और आगे भी कराएंगे. कर्जा प्रदेश सरकार ने लिया मैं तो सदन में यह कहता हूं कि यह ऋण वास्तव में प्रदेश की जनता में किया गया निवेश है. यह जितने भी तालाब,स्टाप डैम,बड़ी-बड़ी सिंचाई योजनाएं अगर कर्जा लेकर ये सारे काम किये. मैं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी का स्मरण करना चाहूंगा कि यह कर्जा नहीं जनता के बीच में निवेश है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, 35 हजार करोड़ रुपये की योजना है, तो किसानों के खेतों में पानी जाएगा. इसके अलावा भी केन, बेतवा योजना, अब मैं उसको और दोहराना नहीं चाहता क्योंकि ये विषय आ चुके हैं. 45 हजार करोड़ रुपये की योजना, अभी कांग्रेस के माननीय सदस्यों ने कई विषय यहां पर रखे, लेकिन माननीय अध्यक्ष महोदय, अब सड़क पानी, बिजली, सिंचाई, मेडिकल कॉलेज, चूँकि यहां के हमारे माननीय सदस्य, हमारे दल के सदस्यों ने भी बहुत सारे विषय रखे और उधर से भी रखे.
श्री अभय कुमार मिश्रा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, 22 हजार करोड़ रुपये में से आप ही ने कहा है 45 प्रतिशत, यानि 7 से 8 हजार करोड़ रुपये ही पूंजीगत के लिए है. बाकी तो आपके रेगुलर खर्चे हैं. उसमें भी....
अध्यक्ष महोदय -- अभय जी, आप नेता प्रतिपक्ष नहीं हो भाई, प्लीज. मंत्री जी, भाषण पूरा करें. थोड़ी शीघ्रता करें, इसके बाद विनियोग भी आएगा.
श्री जगदीश देवड़ा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अब सारा विषय मुझे लगता है कि विपक्ष ने विचलित हो करके बात की है, बहुत सारे हमारे माननीय सदस्यों ने, लेकिन मैं यह बड़े आग्रह के साथ कहना चाह रहा हूँ कि जहां-जहां भी आपने काम की कमियां बताईं, जब आपकी सरकारें उस समय रहीं, अगर कुछ प्रतिशत भी काम हुआ होता तो शायद मुझे लगता है कि आज मध्यप्रदेश की स्थिति कुछ और होती. लेकिन जितने भी काम हुए, वे सारे काम भारतीय जनता पार्टी की सरकार में ही हुए हैं. चाहे केन्द्र की सरकार हो, फिर चाहे प्रदेश की सरकार हो और मैं आज सदन में यह कह रहा हूँ कि मध्यप्रदेश की सरकार डॉ. मोहन यादव जी के नेतृत्व में चल रही है. अभी एक वर्ष पूरा किया है. उपलब्धियों से भरा वर्ष पूरा किया है. यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने जो संकल्प लिया कि वर्ष 2047 में हमारा देश विश्व में नंबर एक पर आएगा.
श्री दिनेश गुर्जर -- माननीय मंत्री जी, जब कांग्रेस ने कुछ किया ही नहीं, तो खड़े कैसे हैं, यह तो बता दें, हाथ जोड़कर प्रार्थना है.
श्री जगदीश देवड़ा -- अध्यक्ष महोदय, और उसमें मध्यप्रदेश की भूमिका भी अहम रहेगी और इस हिन्दुस्तान को विश्वगुरु के स्थान पर स्थापित करने का भी संकल्प है. निश्चित रूप से मध्यप्रदेश की सरकार उसको पूरा करेगी. माननीय अध्यक्ष महोदय, चूँकि सारे विषय सदस्यों की ओर से आ गए हैं.
अध्यक्ष महोदय -- आपकी तरफ से भी सभी आ गए हैं.(हंसी).
श्री जगदीश देवड़ा -- अध्यक्ष महोदय, मैं अंत में माननीय सदस्यों से यह कहना चाहूँगा कि मंजिलों पर जिन्हें जाना है, वे शिकवा नहीं करते, जो शिकवा करते हैं, वे मंजिल पर नहीं पहुँचते. (मेजों की थपथपाहट). इन्हीं शब्दों के साथ मैं सदन में यह अनुरोध करूंगा कि मेरे द्वारा सदन में प्रस्तुत प्रथम अनुपूरक अनुमान के प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित कर प्रदेश के विकास में अपनी भूमिका को सार्थकता प्रदान करें.
10. शासकीय विधि विषयक कार्य.
मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक- 6) विधेयक, 2024 (क्रमांक 28 सन् 2024) का
पुर:स्थापन एवं पारण
उप मुख्मंत्री (वित्त) (श्री जगदीश देवड़ा) -- अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-6) विधेयक, 2024 का पुर:स्थापन करता हूँ.
अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूँ कि मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-6) विधेयक, 2024 पर विचार किया जाए.
अध्यक्ष महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-6) विधेयक, 2024 पर विचार किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न यह है कि खण्ड 2, 3 तथा अनुसूची इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2, 3 तथा अनुसूची इस विधेयक के अंग बने.
प्रश्न यह है कि खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बना.
प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक के अंग बने.
श्री जगदीश देवड़ा - अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूँ कि मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-6) विधेयक, 2024 पारित किया जाए.
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-6) विधेयक, 2024 पारित किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ
विधेयक पारित हुआ.
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष जी, पहले विनियोग विधेयक एक दिन छोड़कर आता था.
अध्यक्ष महोदय - इस बार सत्र थोड़ा छोटा है.
डॉ. सीतासरन शर्मा - अनुपूरक बजट में ही विनियोग आ जाता है.
श्री बाला बच्चन - पहले यह परम्परा थी, अनुपूरक में भी थी. माननीय डॉक्टर साहब, हमने देखा है कि वह एक दिन बाद में आता है, चाहे मुख्य बजट हो, प्रथम अनुपूरक हो, द्वितीय अनुपूरक हो.
डॉ. सीतासरन शर्मा - अनुपूरक में तो साथ में आता है.
7.56 बजे नियम 267-क के अधीन विषय
अध्यक्ष महोदय - मैंने चूंकि कहा था कि सूचनाएं बाद में लेंगे तो अगर आप सबकी मंशा हो तो ले ली जाये. सदन की इच्छा पढ़ी हुई मानी जाये, ऐसा है.
नेता प्रतिपक्ष - बहुत हो गया, अध्यक्ष महोदय.
अध्यक्ष महोदय - यह मेरी इच्छा नहीं है. मैं सदन की इच्छा के अनुरूप चल रहा हूँ.
नेता प्रतिपक्ष - पढ़ी हुई मानी जायें.
अध्यक्ष महोदय - निम्नलिखित माननीय सदस्यों द्वारा शून्यकाल की सूचनाएं क्रमश: सदन में पढ़ी जायेंगी.
क्र. सदस्य का नाम
1. श्री हेमंत सत्यदेव कटारे
2. श्री अजय अर्जुन सिंह
3. श्री शैलेन्द्र कुमार जैन
4. श्री दिलीप सिंह परिहार
5. श्री सिद्धार्थ सुखलाल कुशवाहा
6. श्री संदीप श्री प्रसाद जायसवाल
7. श्री संजय सत्येन्द्र पाठक
8. श्री माधव सिंह (मधु गहलोत)
9. श्री राजन मण्डलोई
10. डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह
अध्यक्ष महोदय - विधानसभा की कार्यवाही गुरुवार दिनांक 19 दिसम्बर, 2024 को प्रात: 11.00 बजे तक के लिये स्थगित.
अपराह्न 7.57 बजे विधानसभा की कार्यवाही गुरुवार, दिनांक 19 दिसम्बर, 2024 (28 अग्रहायण, शक संवत् 1946) के पूर्वाह्न 11.00 बजे तक के लिये स्थगित की गई.
भोपाल : ए. पी. सिंह
दिनांक- 18 दिसम्बर, 2024 प्रमुख सचिव
मध्यप्रदेश विधान सभा.