मध्यप्रदेश विधान सभा

 

की

 

कार्यवाही

 

(अधिकृत विवरण)

 

 

 

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        चतुर्दश विधान सभा                                                                                    दशम् सत्र

 

 

फरवरी-अप्रैल, 2016 सत्र

 

शुक्रवार, दिनाँक 18 मार्च, 2016

 

(28 फाल्गुन, शक संवत्‌ 1937)

 

 

        [खण्ड-10]                                                                                                  [अंक- 18]

 

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मध्यप्रदेश विधान सभा

 

शुक्रवार, दिनाँक 18 मार्च , 2016

 

(28 फाल्गुन शक संवत्1937)

 

विधान सभा पूर्वाह्न 11.03 बजे समवेत हुई.

 

{ अध्यक्ष महोदय (डॉ.सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}

 

        गृह मंत्री (श्री बाबूलाल गौर)--  माननीय अध्यक्ष महोदय, संसदीय कार्य मंत्री जी की तरफ तो आप ध्यान दें. ये अनेकों रूपों में आते हैं. इनकी हर दिन की ड्रेस अलग है.

          संसदीय कार्य मंत्री (डॉ.नरोत्तम मिश्र)--  माननीय अध्यक्ष महोदय, आप तो आज यह देखिए गुलबंद कितना लंबा है.

          कुँवर विक्रम सिंह--  माननीय अध्यक्ष महोदय, आज जो माननीय गौर साहब कह रहे हैं वह स्वयं गौर साहब के ऊपर भी लागू होता है...(व्यवधान)..

          श्री यशपाल सिंह सिसोदिया--  माननीय अध्यक्ष महोदय, यह दो दिन बाद फिर गुलबंद आ गया. ..(व्यवधान)..

          डॉ.नरोत्तम मिश्र--  माननीय अध्यक्ष महोदय, आप हाउस में ए सी क्यों चलवा रहे हों? सर्दी है कि गर्मी है समझ में नहीं आ रहा. आप ए सी चलवा रहे हैं, इनको देखकर तो सर्दी का एहसास होता है. ए सी को देखते हैं तो गर्मी का एहसास होता है. चाचू, मुझे पसीने क्यों आ रहे हैं? मुझे वह एड समझ में आ रहा है.

          श्री बाबूलाल गौर--  अध्यक्ष महोदय, विधायकों की कोई कॉम्पिटिशन हो तो इनको उसमें ड्रेस के मामले में नंबर एक दिया जाए.

          श्री निशंक कुमार जैन--  दादा, आप मफलर का राज बच्चों को भी तो बता दो तो फिर हम लोग भी डाल लें.

          श्री बाबूलाल गौर--  आप डाल नहीं पाओगे, जब इधर आओगे, तब मैं आपको बताऊँगा.

 

तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर.
ग्रेसिम उद्योग नागदा के विरूद्ध दर्ज प्रकरण

1. ( *क्र. 6354 ) श्री बहादुर सिंह चौहान : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्‍न क्र. 3270 दि. 30.07.2015 के उत्‍तरांश (क) में वर्णित प्रकरणों की अद्यतन स्थिति बतावें? (ख) इन प्रकरणों में विगत 6 माह में कितनी तारीखें लगी हैं, उनमें शासन की ओर से प्रकरण 25/15 में 22 तारीखों में अपना पक्ष न रखने के क्‍या कारण हैं? (ग) इसके लिए कौन जबावदेह है? उन पर क्‍या कार्यवाही की जावेगी? उन अधिकारियों के नाम, पदनाम सहित बतावें।

मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) प्रश्न क्रमांक 3270 दिनांक 30/7/2015 के उत्तरांश ‘‘‘‘ में वर्णित ग्रेसिम उद्योग नागदा, जिला उज्जैन के विरूद्ध प्रकरणों की स्थिति इस प्रकार है :- (1) सब डिवीज़नल मजिस्ट्रेट नागदा के न्यायालय में सी.आर.पी.सी. 1973 की धारा 133 के तहत् प्रचलित प्रकरण 25/15 में आगामी तिथि दिनांक 06/04/2016 नियत है। (2) प्रकरण क्रमांक 11088/14 में आगामी तिथि दिनांक 21/04/16 नियत है। (ख) अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) नागदा से प्राप्त जानकारी के अनुसार विगत 06 माह में 13 तारीखें लगी हैं। अनुविभागीय दण्डाधिकारी, नागदा के द्वारा संयुक्त निरीक्षण के आधार पर सब डिवीज़नल मजिस्ट्रेट नागदा के न्यायालय में प्रकरण प्रारंभ किये जाने से शासन की ओर से पृथक से पक्ष रखने का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) उत्तरांश ‘‘‘‘ के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।

            श्री बहादुर सिंह चौहान--  माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न ग्रेसिम उद्योग नागदा से जुड़ा हुआ है और आम जनता तथा गरीब मजदूरों से भी जुड़ा हुआ है. इसमें आपकी कृपा के कारण कार्यवाही कराना संभव होगा. अध्यक्ष महोदय, मैं सीधे सीधे प्रश्न करना चाहता हूँ कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने एक प्रकरण बनाकर एस डी एम, राजस्व को दे दिया और अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) नागदा को इस पर निर्णय करना था. अध्यक्ष महोदय, उन्होंने 15 से 20 तारीखें लगाईं और जैसे ही विधान सभा प्रश्न लगा तो अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) ने एक संयुक्त निरीक्षण करके माननीय न्यायालय को यह केस दे दिया. इस केस को माननीय न्यायालय को देने की आवश्यकता ही नहीं है. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने केस बनाकर एसडीएम को दे दिया एसडीएम को इस पर निर्णय करना था ग्रेसिम उद्योग के विरुद्ध. मैं माननीय मंत्रीजी से चाहता हूं कि क्या वे अनुविभागीय अधिकारी के विरुद्ध भोपाल स्तर के वरिष्ठ अधिकारी से जांच करवायेंगे. मैं यह बताना चाहता हूं कि ग्रेसिम के कारण 5 प्रतिशत लोगों को कैंसर हो गया है मैं चाहता हूं कि स्थानीय विधायक श्री दिलीप सिंह शेखावत जी और मेरी उपस्थिति में एक समिति बना दी जाये जो इस बात कि जांच करे कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के जो मानक हैं उनका वहां पालन हो रहा है. इस प्रकार दो समितियां बना दी जायें.

          राज्यमंत्री, सामान्य प्रशासन (श्री लालसिंह आर्य)--माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बात सही है कि एसडीएम को पॉल्यूशन कन्ट्रोल बोर्ड ने जानकारी दी थी लेकिन यह भी सही है कि न्यायालय में दो लोगों के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध भी हुआ है. जहां तक जांच कराने की बात है तो पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अधिकारियों का वहां अतिशीघ्र भेजेंगे उस समय दोनों माननीय सदस्यों को भी साथ रखेंगे क्योंकि जनहित में किसी भी औद्योगिक इकाई को यह छूट नहीं दी जा सकती है कि किसी से खिलवाड़ कर सके इसलिये पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अधिकारियों को 15 दिन में वहां पहुंचायेंगे वहां पर आप दोनों विधायक भी रहें और आने वाले समय में मैं भी उस स्थल का निरीक्षण करने जाऊंगा.

          श्री बहादुर सिंह चौहान--माननीय अध्यक्ष महोदय, एक प्रश्न और पूछना चाहता हूँ समिति बन गई.

          अध्यक्ष महोदय--आपके प्रश्न का उत्तर आ गया माननीय मंत्रीजी भी जाने के लिए तैयार हैं.

          श्री बहादुर सिंह चौहान--मैंने कहा कि एसडीएम दोषी है न्यायालय को प्रकरण दिया जबकि 30 करोड़ 29 लाख के खनन के प्रकरण का निर्णय एसडीएम ने किया इस प्रकरण का निर्णय भी अनुविभागीय अधिकारी नागदा को करना था मैं आपके माध्यम से पूछना चाहता हूँ कि समिति बनाई उसके लिए धन्यवाद मंत्रीजी को, क्या एसडीएम ने यह जो कृत्य किया है भारी भ्रष्टाचार करके तो क्या 15 दिवस के अन्दर एसडीएम के विरद्ध जांच करवा लेंगे.

          अध्यक्ष महोदय--क्या आप कोई समय सीमा देंगे अधिकारी भेज रहे हैं या आप जा रहे हैं उस विषय में.

          श्री लालसिंह आर्य--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने कहा है कि मैं खुद जाउंगा और एसडीएम अगर दोषी होगा तो उसके खिलाफ भी कार्यवाही करेंगे.

          श्री बहादुर सिंह चौहान--एक प्रश्न और पूछना चाहता हूं बस 30 सेकण्ड दे दीजिये.

          अध्यक्ष महोदय--बहादुर सिंह जी अब उसमें कुछ बचा ही नहीं है.

          श्री बहादुर सिंह चौहान--अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से सीधा प्रश्न पूछना चाहता हूँ कि ग्रेसिम उद्योग में लाभ की जो दो प्रतिशत राशि होती है, मैं जानता हूं यह उद्भूत नहीं हो रहा है परन्तु आपकी कृपा चाहिये. दो प्रतिशत राशि करोड़ों रुपयों की पड़ी हुई है मेरा विधान सभा क्षेत्र 1-2 किलोमीटर पर लगा हुआ है क्या ग्रेसिम स्वास्थ्य के लिए, शिक्षा के लिए अन्य कार्यों के लिए राशि मेरी विधान सभा क्षेत्र में खर्च करेगी.

          अध्यक्ष महोदय--मंत्रीजी उद्भूत तो नहीं होता है. (मंत्रीजी के उत्तर न देने पर) मंत्रीजी को उत्तर नहीं देना है यह उद्भूत भी नहीं हो रहा है कोई जानकारी होगी भी नहीं.

          श्री बहादुर सिंह चौहान--माननीय अध्यक्ष महोदय, वे उत्तर देना चाहते हैं.

          अध्यक्ष महोदय--उनका समाधान हो गया (व्यवधान)

          श्री बहादुर सिंह चौहान--माननीय अध्यक्ष महोदय, हां या न में उत्तर दिलवा दें, वे न ही कर दें. इसका उत्तर दिलवा दें यह ग्रेसिम से रिलेडेड है.

          अध्यक्ष महोदय--आप वरिष्ठ सदस्य हैं धन्यवाद है आपको कि आपने खुद ने स्वीकार किया है कि यह प्रश्न उद्भूत नहीं होता है. आपने जो बात कही उसको मंत्रीजी उससे आगे बढ़कर स्वीकार किया अब इसके  बाद में कोई प्रश्न नहीं रह जाता है. जब निराकरण ही हो गया बात का तो अब कोई प्रश्न नहीं रह जाता है.

          श्री दिलीप सिंह शेखावत--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक प्रश्न पूछना चाहता हूँ गंभीर विषय है केवल एक सेकण्ड का समय चाहिए इसी से रिलेटड है.

          अध्यक्ष महोदय--जब समिति बना दी है उसमें आप जायेंगे. शेखावत जी की बात रिकार्ड में नहीं आयेगी.

          श्री दिलीप सिंह शेखावत--(XXX)

          प्रश्न संख्या (2) अनुपस्थित.

 

अधिकारियों की गृह जिले में पदस्‍थापना

3. ( *क्र. 4457 ) श्री चन्‍दरसिंह सिसौदिया : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या ऊर्जा विभाग में वरिष्‍ठ अधिकारियों को उनके गृह क्षेत्र में पदस्‍थ करने का प्रावधान है? यदि हाँ, तो किस नियम व प्रावधान के अंतर्गत? (ख) क्‍या       श्री अशोक कुमार बडोनिया अधीक्षण यंत्री जो कि गांधीसागर के ही निवासी हैं, उन्‍हें ऊर्जा विभाग ने गांधीसागर में ही पदस्‍थ कर रखा है? यदि हाँ, तो किसके आदेश से?    (ग) 9 जनवरी, 2016 को उक्‍त संबंध में प्रश्‍नकर्ता द्वारा की गई शिकायत व माननीय मुख्‍यमंत्री जी द्वारा विभाग को कार्यवाही के लिए प्रेषित पत्र पर अब तक क्‍या कार्यवाही की गई है तथा उक्‍त अधिकारी की अनियमितताओं की शिकायतों पर की गई कार्यवाहियों का भी ब्‍यौरा दें। उक्‍त अधिकारी का स्‍थानान्‍तरण कब तक कर दिया जाएगा?

ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) ऊर्जा विभाग में वरिष्‍ठ अधिकारियों को उनके गृह क्षेत्र में पदस्‍थ किए जाने का प्रावधान नहीं है। तथापि जिन अधिकारियों/कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति के लिए दो वर्ष अथवा उससे कम समय शेष रह गया हो, उन्‍हें उनके आवेदन पर यथासंभव रिक्‍त पद उपलब्‍ध होने पर चाहे गए स्‍थान में पदस्‍थ किये जाने का प्रावधान है। (ख) जी हाँ, श्री अशोक कुमार बडोनियाअधीक्षण अभियंता (उत्‍पादन) को कंपनी प्रबंधन के आदेशानुसार संजय गांधी ताप विद्युत गृह, बिरसिंहपुर से गांधीनगर जल विद्युत गृह, गांधीसागर प्रशासनिक आधार पर स्‍थानांतरित कर पदस्‍थ किया गया है। (ग) माननीय विधायक महोदय के पत्र दिनांक 09.01.2016 में उल्‍लेखित शिकायतें उनके द्वारा पूर्व में प्रेषित शिकायती पत्र दिनांक 25.08.2015 के ही समान थी। शिकायती पत्र में उल्‍लेखित बिन्‍दुओं पर म.प्र. पावर जनरेटिंग कं.लि. द्वारा जाँच कराई गई। जाँच कार्यवाही के निष्‍कर्ष अनुसार शिकायतें सही नहीं पाई गईं। अत: उपरोक्‍त परिप्रेक्ष्‍य में किसी तरह की कार्यवाही का प्रश्‍न नहीं उठता।

          श्री चन्दरसिंह सिसौदिया--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्रीजी से पूछना चाहता हूँ कि अशोक कुमार बडोनिया, एसई गांधी सागर पॉवर जनरेटिंग में लगातार पांच वर्षों से है. मंत्री महोदय यह बताना चाहेंगे कि नियमानुसार वरिष्ठ अधिकारी अपने गृह जिले में और गृह स्थान पर क्या पांच साल रह सकता है ?  यदि नहीं तो उन्हें कब तक यहां से हटाया जायेगा.

            श्री राजेन्‍द्र शुक्‍ल :- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इस सवाल का जवाब मैंने जो उत्‍तर दिया है उसमें है. यह बात सही है कि आमतौर पर अपने गृह जिले में नहीं रह सकते हैं. विशेष परिस्थितियों में काम के महत्‍व को देखते हुए, कभी कभी वहां पर पदस्‍थ कर भी दिया जाता है. लेकिन जैसा कि माननीय सदस्‍य चाहते हैं, अतिशीघ्र उनको वहां से स्‍थानांतरित कर दिया जायेगा.

          श्री चन्‍दर सिंह सिसौदिया :- माननीय अध्‍यक्ष,  मैं यह चाहता हूं कि मंत्री जी कोई समय सीमा दे दें, क्‍योंकि यह बहुत संवेदनशील मामला है. अध्‍यक्ष महोदय मुझे पहली बार मौका मिला है और आने के बाद पहली बार काम बताया है.

          श्री राजेन्‍द्र शुक्‍ल  :- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जून में स्‍थानांतरित कर दिया जायेगा. कुछ आवश्‍यक कार्य हैं, जो जून तक पूरा करना आवश्‍यक है.

          श्री चन्‍दर सिंह सिसौदिया :-माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपको भी धन्‍यवाद और माननीय मंत्री जी को भी बहुत बहुत धन्‍यवाद्.

          शॉपिंग कॉम्‍पलेक्‍स एवं पार्किंग स्‍थल का निर्माण

4. ( *क्र. 6251 ) डॉ. राजेन्‍द्र पाण्‍डेय : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या रोजगार को बढ़ावा दिये जाने एवं यातायात के बढ़ते वाहनों की संख्‍या को दृष्टिगत रखते हुए नगरपालिका परिषद जावरा द्वारा अनेक शॉपिंग कॉम्‍पलेक्‍स का निर्माण एवं पार्किंग स्‍थल भी बनाए जाकर व्‍यवस्‍थाएं की जा रहीं हैं? (ख) यदि हाँ, तो शॉपिंग कॉम्‍पलेक्‍स एवं पार्किंग स्‍थलों का निर्माण होकर इनका उपयोग किया जा रहा है तथा क्‍या आगामी आवश्‍यकताओं को दृष्टिगत रख उक्‍ताशय के दोनों प्रकार के नवीन स्‍थान चयनित कर प्रस्‍तावित किये गये हैं? (ग) यदि हाँ, तो शहर में किन-किन स्‍थानों पर उक्‍ताशय के कितने स्‍थान जनउपयोगी होकर, उनसे कितना राजस्‍व प्राप्‍त होकर किस-किस प्रकार का रखरखाव, मरम्‍मत, सौंदर्यीकरण इत्‍यादि कार्य किये जा रहे हैं?    (घ) अटल शॉपिंग कॉम्‍पलेक्‍स के विस्‍थापितों को पुन: दुकान आवंटन किस प्रकार किया जाकर सिविल हॉस्‍पि‍टल जावरा की भूमि पर बने शॉपिंग कॉम्‍पलेक्‍स की आय में से सिविल हॉस्‍पि‍टल जावरा को क्‍या दिया जा रहा है तथा नवीन शॉपिंग कॉम्‍पलेक्‍स एवं पार्किंग स्‍थलों के बारे में क्‍या किया जा रहा है?

मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। (ख) सुभाष शॉपिंग कॉम्‍पलेक्‍स एवं पार्किंग तथा तिलक शॉपिंग कॉम्‍पलेक्‍स एवं पार्किंग का उपयोग किया जा रहा है। अटल शॉपिंग कॉम्‍पलेक्‍स की दुकानों के आवंटन की कार्यवाही प्रचलित है। शॉपिंग कॉम्‍पलेक्‍स मय पार्किंग हेतु पुराना हॉस्पिटल मार्ग पर स्थित पुराने धोबीघाट का चयन किया गया है। (ग) थाना रोड पर स्थित सुभाष शॉपिंग कॉम्‍पलेक्‍स एवं पार्किंग स्‍थल तथा सब्‍जी मण्‍डी (नजरबाग) क्षेत्र में स्थित तिलक शॉपिंग कॉम्‍पलेक्‍स एवं पास में स्थित पार्किंग स्‍थल का उपयोग किया जा रहा है। शॉपिंग कॉम्‍पलेक्‍स एवं अन्‍य दुकानों से 01.04.2015 से 29.02.2016 तक दुकान के किराये से राजस्‍व राशि रू. 23.00 लाख की आय निकाय को प्राप्‍त हुई। वर्तमान में शॉपिंग कॉम्‍पलेक्‍स में मरम्‍मत एवं सौंदर्यीकरण कार्य की आवश्‍यकता नहीं होने से कोई कार्य नहीं कराया जा रहा है।  (घ) कलेक्‍टर रतलाम के पत्र क्र. 180 दिनांक 25.02.2016 में विहित निर्देशों के अनुसार अटल शॉपिंग कॉम्‍पलेक्‍स की दुकानों के आवंटन की कार्यवाही प्रचलन में है। सिविल हॉस्पिटल जावरा को कोई राशि नहीं दी जा रही है। नवीन शॉपिंग कॉम्‍पलेक्‍स एवं पार्किंग हेतु पुराने हॉस्पिटल मार्ग पर स्थित पुराने धोबीघाट का चयन किया जाकर उप संचालक, नगर तथा ग्राम निवेश, रतलाम से पत्र क्र. 4814 दिनांक 27.02.2016 द्वारा स्‍थल के संबंध में अभिमत लिया जा रहा है।

          डॉ. राजेन्‍द्र पाण्‍डेय :- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा प्रश्‍न रोजगार को लेकर शॉपिंग काम्‍प्‍लेक्‍स और बढ़ते हुए यातायात वाहनों की समस्‍या को लेकर पॉकिंग स्‍थल के बारे में रहा है. जावरा नगर पुराना शहर होकर के इसमें पार्किंग स्‍थल की व्‍यवस्‍था नहीं है बेराजगारों को रोजगार देने के लिये शॉपिंग काम्‍प्‍लेक्‍स की आवश्‍यकताएं हैं मैंने जानना यह चाहा है कि जो शॉपिंग काम्‍प्‍लेक्‍स हैं, उनके रखरखाव किस प्रकार किया जा रहा है. उसी के साथ क्‍या नये प्रस्‍ताव बनाये गये हैं, जो जनप्रतिनिधियों के द्वारा प्रस्‍तावित किये गये हैं. हमने यह प्रस्‍तावित किया है कि बस स्‍टैंड के पीछे प्रीमियम आयल मिल की भूमि को अधिग्रहण करते हुए, वहां पर शापिंग काम्‍प्‍लेक्‍स का निर्माण किया जाना. इसी के साथ में सिविल अस्‍पताल की नाले को ठकते हुए वहां पर शॉपिंग काम्‍प्‍लेक्‍स, खाचरौद नाके पर पर एक शॉपिंग काम्‍प्‍लेक्‍स और एक मध्‍य शहर में एक घंटा घर है और वह पी.डब्‍ल्‍यू डी के अधीन आता है, लेकिन वह नगर पालिका के आधिपत्‍य में है. वह नगर पालिका को सौंपा जाकर उसे डिसमेंटल कर वहां पर मल्‍टीलेवन पॉर्किंग और शॅापिंग काम्‍प्‍लेक्‍स  के प्रस्‍ताव तैयार किये गये हैं.

          राज्‍य मंत्री, नगरीय विकास (श्री लाल सिंह आर्य):-माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय विधायक ने जो पॉर्किंग की व्‍यवस्‍था के बारे में बात की है. सुभाष शॉपिंग काम्‍प्‍लेक्‍स और तिलक सब्‍जी मंडी के पीछे, इसी के तहत मुख्‍य बाजार के पीछे जवाहर पथ है, जवाहर खाना है, कोठी बाजार है और पुतली बाजार है इन सभी जगहों पर कहीं न कहीं पार्किंग की व्‍यवस्‍था है. दूसरा प्रश्‍न किया था कि जो जमीन के अधिग्रहण करने की बात है. हमारे नगरीय निकाय ने कलेक्‍टर को वह प्रस्‍ताव भेजा है. वह वहां पर विचाराधीन है. हम कलेक्‍टर को पत्र लिखेंगे कि वह जनहित में उसका परीक्षण करा लें और यदि आवश्‍यक है तो उस पर कार्यवाही करेंगे.

          डॉ राजेन्‍द्र पाण्‍डेय :- अध्‍यक्ष महोदय, पूर्व में जब बस स्‍टैण्‍ड बना था. तब भी शासन ने और नगरीय निकाय ने एक पक्षीय अधिग्रहण करते हुए धारा 16(4 )  अंतर्गत उसका अधिग्रहण किया था और वहां पर बस स्‍टैण्‍ड बना था. लेकिन वहां पर फोर लेन बन जाने के कारण और विगत 25-30 वर्ष पूर्व वह बस स्‍टैण्‍ड बना था. अब अत्‍यधिक आवश्‍यकता होने के कारण इसका एक पक्षिय अधिग्रहण किया जाये, तो इसी के साथ में जैसा कि माननीय मंत्री महोदय बता रहे हैं कि बाजार में पीपली बाजार, कोठी बाजार, बजाज खानाऔर तम्‍बाखू बाजार इत्‍यादि में पार्किंग की व्‍यवस्‍था नहीं है, लेकिन वह नहीं है. यह जो नया, पुराना बाजार प्रस्‍तावित किया है, इसे अतिशिघ्र करवा दिया जाये. जैसा कि मैंने उल्‍लेख किया है घण्‍टा घर को ध्‍वस्‍त करते हुए, वहां पर मल्‍टी लेवल पार्किंग और शॉपिंग काम्‍प्‍लेक्‍स का आप अनुमोदन दें, प्रस्‍ताव को स्‍वीकृति दें.  इसी के साथ एक और महत्‍वपूर्ण प्रश्‍न इसमें मेरा है.एक चौपाटी स्थित अटल शॉपिंग काम्‍प्‍लेक्‍स है, जो कि फोर लेन बनाये जाने के कारण वहां पर जो पूर्व में दुकानें नगर पालिका और नगरीय निकाय की थी, उन्‍हें हटाया गया था. लगभग 116 दुकानों को वहां से हटाया गया था.

          अध्‍यक्ष महोदय :- आप अपना प्रश्‍न करें.

          डॉ राजेन्‍द्र पाण्‍डेय :- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा प्रश्‍न यह है कि एम पी आर डी सी ने वहां पर 1 करोड़ रूपये की राशि दी और इसी के साथ फोर लेन कम्‍पनी ने राशि दी, वहां पर नगर निकाय और नगर पालिका की वहां पर राशि नहीं दी. दुकानदारों से 50 हजार से लेकर 80 हजार की राशि ली गयी. जब उन्‍हें वहां से विस्‍थापित कर दिया गया, विस्‍थापन की कार्यवाही हो रही है और वहां पर दुकानें आवंटित की जाना है तो उन पर गाईड लाईन लागू नहीं की जाकर नगर पालिका ने जो प्रस्‍ताव प्रस्‍तावित किया है कि उन्‍हें 1 लाख 54 हजार के आधार पर उन्‍हें दुकानें आवंटित कर दी जाये. मेरा कहना है कि बेरोजगार लोग हैं, तो जो वहां पर नगरपालिका का प्रस्‍ताव है, आप उसे स्‍वीकृति दे दें और उन्‍हें 1 लाख 54 हजार रूपये में और उन्‍हें गाईड लाईन उन पर लागू कर दी जाये और उन्‍हें राहत प्रदान की जाये.

          राज्यमंत्री,नगरीय विकास,(श्री लालसिंह आर्य) -  माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी ने जो बस स्टैंड की बात कही है. जावरा शहर में चौपाटी से बसस्टैंड के पीछे की जो खुली भूमि है वह विवादित होने से दिनांक 16.7.2009 को माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के विरुद्ध शासन द्वारा अपील की गई. उस अपील को बेंच में खारिज किया गया परन्तु शासन द्वारा उसको स्टोर की एप्लीकेशन दिनांक 30.7.2015 को लगाई गई है. माननीय उच्च न्यायालय,इन्दौर खण्डपीठ द्वारा उसे स्वीकार किया गया. जो भी निर्णय आयेगा हम उस आदेश का पालन करेंगे और जो स्थान उन्होंने बताये हैं उसके बारे में मैं कहना चाहता हूं कि  उप संचालक,नगर एवं ग्राम निवेश,रतलाम को पत्र क्रमांक 4814,दिनांक 27.2.16 को स्थल के संबंध में अभिमत चाहा गया. अभिमत आने के बाद ही इन पार्किंग स्थलों पर जो आप व्यवस्थाएं चाहते हैं जनहित में हम उसको भी करने का काम करेंगे. जहां गाईडलाईन का विषय है तो कलेक्टर ने एक गाईडलाईन के हिसाब से राशि निर्धारित की है लेकिन हम इसका परीक्षण करा लें और गरीबों के हित को ध्यान में रखते हुए जो आवश्यक होगा वह करेंगे.

          डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय - धन्यवाद.

डूब की जमीन से शेष भूमि पर कृषकों को खेती की सुविधा

5. ( *क्र. 4450 ) डॉ. रामकिशोर दोगने : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मा.मुख्‍यमंत्री को प्रश्‍नकर्ता द्वारा लिखे गये पत्र क्रमांक/854 दि. 09.01.16 अनुसार क्‍या बाणसागर बांध में डूब प्रभावित किसानों की तरह इंदिरा सागर परियोजना व अन्‍य जिले के डूब प्रभावित किसानों को भी बांध का पानी खाली होने पर उनकी जमीन पर खेती करने का कानूनी हक दिया जावेगा? (ख) यदि हाँ, तो उक्‍तानुसार आदेश कब तक जारी किये जावेंगे? (ग) मा.मुख्‍यमंत्री महोदय द्वारा मैहर प्रवास के दौरान की गई घोषणा अनुसार आदेश होने से प्रदेश के किन-किन जिलों में कितने किसानों को इसका लाभ प्राप्‍त होगा? (घ) प्रश्‍नांश (ख) अनुसार यदि आदेश जारी नहीं किये जाते हैं, तो उसका क्‍या कारण है?

मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी नहीं। (ख) प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता। (ग) एवं (घ) माननीय मुख्‍यमंत्री जी द्वारा मैहर प्रवास के दौरान की गई घोषणा निम्‍नलिखित अनुसार थी :- ‘’डूब की जमीन से शेष निकली जमीन पर कृषकों के लिए खेती की व्‍यवस्‍था की जावेगी’’। उपरोक्‍तानुसार जहां पर डूब के लिए अधिगृहीत जमीन बांध में पूर्ण बांध लेवल तक पानी भरने के पश्‍चात भी डूब से अप्रभावित रहती है, तो ऐसी भूमि को कृषकों की खेती के लिए दिये जाने की घोषणा की गई है, जो कि प्रश्‍नांश (क) में लेख अनुसार डूब से खाली होने वाली भूमि के संबंध में नहीं होने से शेषांश का प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता। माननीय मुख्‍यमंत्री की उपरोक्‍त घोषणा के संदर्भ में प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता है।

          डॉ.रामकिशोर दोगने - अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न एक जनहित का प्रश्न है और जो लोग अपना जीवन,जमीन सब डुबो देते हैं उन लोगों के हित की बात है. जैसा प्रश्न में जवाब आया अप्रत्याशित जमीन, वह अप्रत्याशित जमीन तो दलदल बन जाती है अगर डैम में पानी भरा हुआ है तो 10-20 कि.मी. की जमीन उसको कहां देंगे. मेरा प्रश्न के माध्यम से यह निवेदन था कि  जमीन से जब पानी खाली  होता है तो उसके बाद एक फसल ले सकते हैं. वह जमीन उन किसानों को दे दी जाये जिनकी जमीन डूबी है. उन्होंने जो उल्लेख किया अप्रत्याशित जमीन का किया है.

          अध्यक्ष महोदय - उनका कहना यह है कि  जो डूब में जमीन है जब पानी नीचे उतर जाता है तो जो जमीन निकल जाती है उसमें खेती की अनुमति देंगे क्या.

          राज्यमंत्री,नगरीय विकास,(श्री लालसिंह आर्य)  - जी नहीं अध्यक्ष महोदय.

          डॉ.रामकिशोर दोगने - अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है उस जमीन पर गुंडे,बदमाश,मवाली कब्जा कर लेते हैं खाली होने के बाद और उस पर  वे फसल ले रहे हैं तो इसके बजाय उन किसानों को ही दे दी जाये जिनकी जमीन खाली होती है. ऐसी कोई योजना बनायें जिससे उन किसानों को लाभ मिल सके बेचारे गरीबों की जमीन भी चली गई,मकान भी चले गये उनको एकाध फसल उस खाली जमीन पर लेने की अनुमति मिल जाये. आपकी खाली जमीन है नहीं तो दूसरे लोग कब्जा कर रहे हैं. (XXX) उस जमीन पर और उस पर फसल ऊगा रहे हैं.

          श्री बाबूलाल गौर -  (XXX).

          अध्यक्ष महोदय - इसे कार्यवाही से निकाल दें.

          डॉ.रामकिशोर दोगने - अध्यक्ष महोदय,(XXX).

          अध्यक्ष महोदय - इसे कार्यवाही से निकाल दें.

          श्री लालसिंह आर्य - अध्यक्ष महोदय,अंतर्राज्यीय जो परियोजनाएं होती हैं उसमें बिना दूसरे राज्यों की सहमति के कोई भी निर्णय नहीं लिया जा सकता. हमारा जो केचमेंट एरिया है अनुमति हम दे देंगे तो शिल्ट हमारी जमना प्रारंभ हो जायेगी और जो हम पेयजल के लिये पानी सप्लाई करते हैं सिंचाई के लिये पानी सप्लाई करते हैं वह बाधित होगी.

          खनिज उत्‍खनन/परिवहन की शिकायतों पर कार्यवाही

6. ( *क्र. 6372 ) श्री संजय शाह मकड़ाई : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) हरदा जिले में विभाग द्वारा किस-किस प्रकार की खदानें, खनिज पट्टे, पत्‍थर, गिट्टी, खनन आदि की अनुमति एवं खनिज परिवहन की अनुमति, किस-किस सर्वे क्रमांक की कितने-कितने, रकबे की किन-किन व्‍यक्तियों/फर्मों को कितनी-कितनी अवधि की प्रश्‍न दिनांक तक वैधानिक रूप से स्‍वीकृत है? (ख) प्रश्‍नांश (क) के संदर्भ में उपरोक्‍त अनुमति धारकों/फर्मों/ठेकेदारों द्वारा कौन-कौन से खनिजों के खनन से शासन को कितनी राशि 02 वर्षों से विभिन्‍न मदों में रॉयल्‍टी, जुर्माना शुल्‍क में दी? खनिज रॉयल्‍टी के रूप में कितनी राशि प्राप्‍त हुई? (ग) पिछले 02 वर्षों में अवैध खनन परिवहन, नियम विरूद्ध अनुमति इत्‍यादि के संबंध में जिला स्‍तर पर, किस-किस के विरूद्ध कितनी शिकायतें प्राप्‍त हुईं, उन पर क्‍या कार्यवाही की गई?

ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) एवं (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '' पर दर्शित है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '' पर दर्शित है।

          श्री संजय शाह मकड़ाई - माननीय अध्यक्ष महोदय, खनिज विभाग का प्रश्न लगाना या पूछना मेरे लिये वैसा ही जैसे भूसे की ढेर में सुई ढूंढने जैसी बात है लेकिन फिर भी मैं प्रयास करता हूं कि मेरे हरदा जिले में अवैध उत्खनन को कैसे रोका जाये उसके लिये मैं अपनी तार्किक बुद्धि से प्रयास करता हूं.मेरा माननीय मंत्री जी से पहला सवाल है कि हमारे यहां जो भी रेत खदाने हैं,गिट्टी खदानें हैं,मुरम खदानें हैं उनमें क्या सिया की परमीशन ली गई थी और मैं दो-तीन प्रश्न एक साथ ले लेता हूं और जो अस्थाई खदानें 2014-15 में अस्थाई रूप से दी गई है उनमें भी क्या सिया की परमीशन ली गई है ? और दूसरा रेत खदानों में मेरे हिसाब से 25 हैक्टेयर से कम की जो खदाने होती हैं उसमें मशीनों से उत्खनन किया जाना उचित नहीं होता है, ऐसा नियमों में नहीं हैं, मेरे ज्ञान के अनुसार मंत्री जी बतायें कि पोकलेन वगैरह से खनन करना इन छोटी खदानों में क्या यह नियमानुसार है.

          श्री राजेन्द्र शुक्ल--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य महोदय के सवाल का जवाब में कहना चाहता हूं कि सिया से परमीशन लेनी पड़ती है और इसीलिये हरदा जिले में 14 में से 13 खदाने नीलाम हुई हैं उसमें 2 की परमीशन सिया से परमीशन मिली है इन 2 का ही एग्रीमेन्ट हुआ है, बाकी सिया से परमीशन की कार्यवाही चल रही है. इसके अलावा अब तो सभी खदानों की सिया से परमीशन लेने के निर्देश हैं .

          श्री संजय शाह मकड़ाई--माननीय अध्यक्ष महोदय, कई खदानें ऐसी हैं जहां पर अभी भी पूरी परमीशन नहीं है, तो अवैध उत्खनन की श्रेणी में यह आता है. चूंकि दिखावटी तौर पर वह खदाने लीज पर ले रही हैं जिनकी 2015 में समय सीमा भी समाप्त हो गई है, लेकिन वहां पर आज भी क्रेशर इतनी तेजी से कार्य कर रहे हैं क्या ऐसे क्रेशरों की जांच कराकर उनको तत्काल प्रभाव से बंद कर के और वहां पर उन्होंने स्टॉक गिट्टी एवं मुरूम का बनाकर के रखा है, उसकी जप्ती करके उन अधिकारियों के विरूद्ध भी क्या ठोस कार्यवाही करेंगे ? उनका स्थानांतरण करेंगे जिनके संरक्षण में हमारे जिले में यह अवैध कारोबार फल-फूल रहा है.

          श्री राजेन्द्र शुक्ल--माननीय अध्यक्ष महोदय, इसकी निश्चित रूप से जांच कराकर इसमें यदि नियमों का उल्लंघन हुआ है तो कार्यवाही भी करेंगे. जांच के बाद यह साबित होता है कि नियमों के उल्लंघन में किसी का संरक्षण है तो उसके खिलाफ भी कार्यवाही करेंगे.

          श्री संजयशाह मकड़ाई--माननीय अध्यक्ष महोदय,सारसूद में प्रधानमंत्री रोड़ के किनारे से लगी हुई खदाने संचालित हैं इतना अच्छा रोड़ है उनको भी नुकसान हो रहा है, कृपया उनकी खदानों की लीज भी निरस्त करवा दें, जिससे हमारे रोड़ भी बच जाएगा. माननीय अध्यक्ष महोदय, दो माननीय सदस्यों का प्रश्न है इसका जवाब दिलवा दें.

          अध्यक्ष महोदय--आपको जवाब दिलवा दिया है.

         

            प्रश्न संख्या 7

            गबन की शिकायत पर कार्यवाही

7. ( *क्र. 5638 ) श्री प्रदीप अग्रवाल : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या जल संसाधन विभाग में पदस्‍थ कार्यपालन यंत्री श्री अनिल अग्रवाल के खिलाफ गबन से संबंधित कोई F.I.R. दर्ज की गई है? यदि हाँ, तो कब व इन पर क्‍या-क्‍या आरोप लगाये गये हैं? वर्तमान में जाँच अधिकारी कौन है? जाँच के अंतर्गत क्‍या-क्‍या कार्यवाही की गई है? (ख) क्‍या हाईकोर्ट ने 27 अगस्‍त, 2015 को श्री अग्रवाल की जाँच 4 माह में पूरी करने के आदेश किये थे? यदि हाँ, तो 27 दिसंबर को अवधि पूर्ण होने के उपरांत क्‍या जाँच पूर्ण हो चुकी है? यदि हाँ, तो जानकारी उपलब्‍ध करायें? यदि नहीं, तो क्‍या स्थिति है? क्‍या उक्‍त कार्यपालन यंत्री से गबन की राशि वसूली जा चुकी है? यदि नहीं, तो क्‍या कारण है कि करोड़ों के गबन के बावजूद विभाग ने अभी तक न तो उन फर्मों को आरोपी बनाया, जिनके नाम पैसा निकाला और न वसूली की? (ग) क्‍या उक्‍त गबन के कार्य में विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत है? यदि हाँ, तो उन पर क्‍या कार्यवाही की जावेगी? यदि नहीं, तो क्‍या कारण रहे कि शासन के करोड़ों रूपये गबन होने के बाद भी विभाग द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है? (घ) जानकारी उपलब्‍ध कराई जावे कि उक्‍त प्रकरण में कब तक शासन की राशि संबंधित से वसूल की जावेगी एवं दोषी व्‍यक्तियों के खिलाफ कब तक कार्यवाही की जायेगी?

जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) से (घ) आर्थिक अपराध अन्‍वेषण ब्‍यूरो द्वारा दिनांक 06.08.2012 को कार्यपालन यंत्री श्री अनिल अग्रवाल के विरूद्ध अपराध की प्राथमिकी की जाना प्रतिवेदित है। ब्‍यूरो द्वारा दर्ज प्राथमिकी संलग्‍न परिशिष्‍ट अनुसार है। आर्थिक अपराध के प्रकरणों में अनुसंधान जल संसाधन विभाग के क्षेत्राधिकार में नहीं है और अनुसंधान के संबंध में विभाग को कोई आदेश मा. उच्‍च न्‍यायालय द्वारा नहीं दिया गया है। अत: शेष प्रश्न उत्‍पन्‍न नहीं होते हैं।

परिशिष्ट - ''एक''

          श्री प्रदीप अग्रवाल--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के उत्तर में जो जवाब आया है वह अधूरा है.

          अध्यक्ष महोदय--आपका उत्तर सही है उसमें जांच कराने के लिये तथा कार्यवाही करने के लिये तैयार हैं अब क्या इसमें रह गया है.

            श्री प्रदीप अग्रवाल--माननीय अध्यक्ष महोदय, उसमें जानकारी दी गई है तथा लिखा गया है कि एफआईआर दर्ज की गई है, जबकि इसमें एफआईआर तो 4 वर्ष पूर्व ही दर्ज कर दी गई थी. अनिल अग्रवाल द्वारा अपने रिश्तेदारों के साथ मिलकर के करोड़ो रूपये का गबन किया गया है उसके बाद भी आज तक न ही उस फर्म और न ही विभाग के द्वारा उनके खिलाफ 4 वर्ष में कोई ऐसी कार्यवाही की गई है जिससे कि उनसे राशि वसूली जा सके तथा उनको अरेस्ट किया जा सके. जिन फर्मों ने गबन किया है उनको कब तक आरोपी बना दिया जाएगा इसमें विभाग के द्वारा जो लापरवाही की गई है उन पर कब तक कार्यवाही की जाएगी.

          श्री जयंत मलेया--माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बात सही है कि एक्जीक्यूटिव इंजीनियर पर श्री विजयकुमार तिवारी एडवोकेट द्वारा एफआईआर दर्ज की थी यह पूरा का पूरा प्रकरण ईओडब्ल्यू में है जब ईओडब्ल्यू से प्रकरण अदालत में जाएगा उसमें अदालत जैसा भी निर्देश देगी वैसी विभाग कार्यवाही करेगा.

          श्री प्रदीप अग्रवाल--माननीय अध्यक्ष महोदय, 27 अगस्त 2015 को उच्च न्यायालय ने ईओडब्ल्यू तथा विभाग को भी यह निर्देशित किया था कि इसमें 4 माह में जांच पूरी कर उचित कार्यवाही करें इसमें 4 माह तो 27 दिसम्बर, में ही पूर्ण हो गये तीन माह इसमें और निकल चुके हैं अब तक विभाग ने क्या क्या कार्यवाही हुई उससे अवगत कराया जाए और बताया जाए कि उन्हें कब तक गिरफ्तार किया जाएगा इसमें विभाग का करोड़ो रूपया फंसा हुआ है.                    

          श्री जयंत मलैया-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इसमें जल संसाधन विभाग कोई कार्यवाही नहीं करेगा, क्‍योंकि हम कार्यवाही  नहीं सकते हैं, यह पूरा का पूरा मामला हमारे ई.ओ.डब्‍लू. के पास है, ई.ओ.डब्‍लू के पास होने के  साथ-  साथ हाईकोर्ट ने निर्देश दिए होंगे,  तो वह निर्देश ई.ओ. डब्‍लू को दिए होंगे,  हमारे विभाग ने सामान्‍य प्रशासन विभाग से बात की थी और सामान्‍य प्रशासन विभाग ने ई.ओ.डब्‍लू. से बात की है, उसके बाद ई.ओ.डब्‍लू ने डिप्‍टी सेक्रेट्री, सामान्‍य प्रशासन विभाग को पत्र लिखा है, जिसकी  दो तीन पंक्तियां मैं पढ़ना चाहूंगा,  प्रकरण वर्तमान में विवेचनाधीन है,  विवेचना में उपलब्‍ध साक्ष्‍य के आधार पर विधिसम्‍मत कार्यवाही का जाएगी,  विवेचना में उपलब्‍ध साक्ष्‍य पर संभावित प्रश्‍न एवं उत्‍तर दिए जाने का प्रचलन नहीं है,  क्‍योंकि विवेचना में पाए गए साक्ष्‍य का समग्र विश्‍लेषण सक्षम न्‍यायालय द्वारा विचारण के द्वारा किया जाता है ।

          पूर्व प्रश्‍न की जानकारी का प्रदाय

8. ( *क्र. 5965 ) श्रीमती शीला त्‍यागी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या तारांकित प्रश्‍न संख्‍या 53 (क्रमांक 682), दिनांक 21 जुलाई, 2015 के उत्‍तर की जानकारी एकत्रित कर ली गई? हाँ तो उपलब्‍ध कराएं? यदि नहीं, कराई गई है, तो कब तक उक्‍त जानकारी उपलब्‍ध करा दी जायेगी? (ख) प्रश्‍नांश (क) के संदर्भ में अभी तक जानकारी उपलब्‍ध न कराने में कौन-कौन कर्मचारी/अधिकारी दोषी हैं? प्रश्‍न जैसे महत्‍वपूर्ण कार्यों का उत्‍तर समय से न देने वाले लापरवाह अधिकारी/कर्मचारी के विरूद्ध क्‍या कार्यवाही करेंगे।

मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। जानकारी संलग्‍न परिशिष्‍ट अनुसार है। (ख) उत्‍तरांश (क) के प्रकाश में प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता।

परिशिष्ट - ''दो''

 

          श्रीमती शीला त्‍यागी माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मांझी जनजाति के फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी करने वालों के विरूद्व, जांच के संबंध में, आपके माध्‍यम से मंत्री जी से पूछना चाहती हूं कि क्‍या मांझी जनजाति के लोग, जो फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर एस.टी. कोटे की सीटों पर नौकरी कर रहे हैं,  क्‍या उन अधिकारी, कर्मचारियों को सेवा से पृथक करने की कार्यवाही करेंगे ?

          श्री लालसिंह आर्य-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, फर्जी प्रमाण पत्र बने हैं या नहीं बने हैं, इसका परीक्षण कहीं न कहीं होता है,  अनुसूचित जाति,अनुसूचित जनजाति के प्रमुख सचिव हैं,  उनकी अध्‍यक्षता में छानबीन समिति कमेटी है माननीय सदस्‍या, प्रमाणित चीज हमें उपलब्‍ध करा दें,  हम उसकी जांच  करा लेंगे ।

          श्रीमती शीला त्‍यागी -  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, दो पूरक प्रश्‍न बनते हैं ।

          अध्‍यक्ष महोदय-  एक प्रश्‍न कर दीजिए ।

          श्रीमती शीला त्‍यागी- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से बताना चाहती हूं,  मेरे पास पुख्‍ता प्रमाण है, फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर विभिन्‍न विभागों में नौकरी कर रहे हैं,  जैसे कि रीवा के संभाग के अलावा प्रदेश के.........       

          अध्‍यक्ष महोदय- बताइए मत, आप तो यह बोल दीजिए कि आपके पास प्रमाण हैं, उनका क्‍या करना है,  उनसे पूछिए ।

          श्रीमती शीला त्‍यागी-  जी, मैं यह कहना चाहती हूं कि यदि केवट,  कहार,  मुढ़ा, मलाह और रायकवार जाति के लोगों को मांझी जनजाति का प्रमाण पत्र किसी  अधिकारी, एसडीएम,  तहसीलदार,  एनटी,  डीईटी,  एसई आदि ने गलत जारी किया है,  तो क्‍या उसके विरूद्व कार्यवाही करेंगे  ?

          अध्‍यक्ष महोदय-  काल्‍पनिक प्रश्‍न है ।

          श्री लाल सिंह आर्य-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, स्‍वा‍भाविक है,  परीक्षण होता है और यदि कोई दोषी पाया जाता है तो उसके विरूद्व कार्यवाही होती है और होगी,  मैं सदस्‍या जी को बताना चाहता हूं,  उन्‍होंने माझी का उल्‍लेख किया है,  दो कर्मचारियों,  श्रीमती कविता वर्मा एवं अमित कुमार सोंधिया के जाति प्रमाण पत्र की जांच चल रही है,  जिसमें से कविता वर्मा की,  राज्‍य स्‍तरीय छानबीन समिति में भी जांच चल रही है,  लेकिन आपने अभी कहा है कि आपके पास दस्‍तावेज हैं,  यदि कोई प्रमाणित चीज हैं,  तो आपको भी यह अधिकार है कि आप छानबीन समिति को सीधे भेज सकते हैं,  लेकिन आप मेरे माध्‍यम से भेजना चाहते हैं,  तो मुझे दे दीजिए,  मैं छानबीन समिति को भेज दूंगा और जिनके फर्जी जाति प्रमाण पत्र बने होंगे,  छानबीन  समिति उसकी सत्‍यता की जांच करेगी और जिनके फर्जी जाति प्रमाण पत्र पाए जाएंगे,  उनको निरस्‍त किया जाएगा और जिन्‍होंने बनाए होंगे उनके खिलाफ कार्यवाही की जावेगी ।

          श्रीमती शीला त्‍यागी-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी को धन्‍यवाद देती हूं । 

          कटनी की बंद खदानों का संरक्षण

9. ( *क्र. 6374 ) श्री संदीप श्री प्रसाद जायसवाल : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या श्री आलोक दाहिया द्वारा 10/08/2007 को कलेक्‍टर कटनी को कटनी नगर की 07 खदानों को संरक्षित करने, पूरने की शिकायत/आवेदन दिया था एवं कार्यालय कलेक्‍टर कटनी की जनसुनवाई में श्री राजेश भास्‍कर की शिकायत क्रमांक-20181, 06/09/2011 एवं श्रीमती शोभा कुरील की शिकायत क्रमांक-20519, 13/09/2011 के द्वारा कावस जी वार्ड कटनी स्थित खदान के पूरे जाने की शिकायत की गई थी? (ख) क्‍या विवेकानंद वार्ड स्थित खदान को अवैध तौर पर पूरने की, कार्यालय कलेक्‍टर कटनी एवं कार्यालय कलेक्‍टर (खनिज शाखा) कटनी में 03/03/2015 को तथा मुख्‍य सचिव महोदय म.प्र. शासन को 16/03/2015 को ई-मेल के द्वारा शिकायत की गई थी? (ग) प्रश्‍नांश (क) (ख) में यदि हाँ, तो इन पर क्‍या और कब जाँच कर क्‍या प्रतिवेदन दिये गये? किस विभाग द्वारा क्‍या कार्यवाही की गई? शिकायतवार बतायें। (घ) प्रश्‍नकर्ता सदस्‍य के परि.अता.प्र.सं. 130 (क्रं-2114), दिनांक 15/12/15 का क्‍या उत्‍तर दिया गया था? क्‍या प्रश्‍नांश (क) का उत्‍तर जानकारी संधारित किये जाने का प्रवधान ना होने एवं प्रश्‍नांश (ड.) में प्रश्‍नाधीन जानकारी भारतीय खान ब्‍यूरो से संबंधित होने का उत्‍तर दिया गया है? यदि हाँ, तो प्रश्‍नांश (क) से (ख) क्‍या है? क्‍या प्रश्‍नांश में उल्‍लेखित शिकायत विभाग एवं म.प्र. शासन के अन्‍य विभागों से संबंधित नहीं थी? (ड.) प्रश्‍नांश (घ) में जिम्‍मेदारी से बचकर, कार्यवाही भारतीय खान ब्‍यूरो से संबंधित बताने एवं माननीय सदन में असत्‍य, भ्रामक उत्‍तर देने के लिये कौन-कौन जिम्‍मेदार हैं? क्‍या इसकी जाँच एवं संबंधितों पर कार्यवाही की जायेगी? यदि हाँ, तो क्‍या और कब तक, यदि नहीं, तो क्‍यों?

ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) एवं (ख) जी हाँ। (ग) प्रश्‍नांश '' एवं '' में उल्‍लेखित शिकायतों के संबंध में की गई कार्यवाही की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '' में दर्शित है। (घ) प्रश्‍नाधीन प्रश्‍न के उत्‍तर की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '' पर दर्शित है। जी हाँ। खान नियंत्रक भारतीय खान ब्‍यूरो जबलपुर द्वारा प्रेषित उत्‍तर की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '' पर दर्शित है। खनिज संरक्षण एवं विकास नियम 1988 के नियम 23 (ख) के तहत उत्‍तरोत्‍तर खान बंद करने की योजना अधिसूचना दिनांक 23.12.2003 द्वारा प्रतिस्‍थापित की गई है, जिसके संबंध में कार्यवाही सुनिश्चित किये जाने हेतु भारतीय खान ब्‍यूरों को अधिकार प्रदत्‍त किये गये हैं। प्रश्‍नांश '' एवं '' से संबंधित शासकीय एवं निजी भूमियों में संचालित रही खदानें, माइन क्‍लोजर प्‍लान लागू होने से पहले बंद हुई हैं। जी नहीं। प्रश्‍नांश '' एवं '' में उल्‍लेखित शिकायतें आमजन के हितों को ध्‍यान में रखते हुए कार्यवाही की गई है। (ड.) प्रश्‍नांश '' में दिये गये उत्‍तर के प्रकाश में प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता।

          श्री संदीप जायसवाल-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरे प्रश्‍न के दो मुद्दे हैं, हमारी शहर की खदानें  खुली होने के कारण उनमें दुर्घटनाएं होती हैं, कई  मृत्‍यु हो चुकी हैं,  दूसरा खदानों में उपलब्‍ध पानी का सदुपयोग, मैं आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री महोदय से चाहूंगा कि खुली हुई  खदानों का संरक्षण हो और उनको सुरक्षित किया जाए,  उपलब्‍ध पानी को फिल्‍टर प्‍लांट तक पहुंचाकर जनता को पेयजल के लिए उसकी उपलब्‍धतता सुनिश्चित की जाए,  तीसरा जब पानी सप्‍लाई होगा तो वहां पर वर्षा के पानी को खदान तक ले जाने के लिए,  इन तीनों बिन्‍दुओं पर एक कार्य योजना बनानकर उसको स्‍वीकृत कराने एवं क्रियान्वित कराने के लिए कलेकटर  महोदय को निर्देश दिया जाए और  खनिज विभाग के प्रमुख,  नगर निगम आयुक्‍त,  रेल्‍वे के अधिकारी और मुझ प्रश्‍नकर्ता विधायक को शामिल करते हुए एक कार्य योजना बनाने और स्‍वीकृत कराने के संबंध में चाहूंगा ।

          श्री राजेन्‍द्र शुक्‍ल-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय,  विधायक जी ने जैसी अपेक्षा की है,  उस प्रकार के निर्देश जिले के कलेक्‍टर को दे दिए जाएंगे ।

          श्री संदीप जायसवाल-  धन्‍यवाद ।

         

वृहद सिंचाई परियोजनाओं की स्‍वीकृति

        प्रश्‍न 10. ( *क्र. 42 ) श्री वेलसिंह भूरिया : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) माननीय मुख्‍यमंत्री जी द्वारा वर्ष 2008 से सरदारपुर एवं गंधवानी तहसील में कितनी वृहद सिंचाई परियोजनाओं एवं तालाबों की स्‍वीकृति की घोषणा की गई थी? (ख) इनमें से कितनी योजनायें स्‍वीकृत हो चुकी हैं एवं कितनी शेष हैं? नामवार जानकारी दें। शेष योजनाओं की स्‍वीकृति कब तक की जायेगी? यदि नहीं, तो क्‍यों कारण बतायें?

        जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) एवं (ख) जानकारी संलग्‍न परिशिष्‍ट अनुसार है।

परिशिष्ट - ''तीन''

          श्री वेल सिंह भूरिया - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने मुझे जो जवाब दिया है. उससे, मैं संतुष्‍ट हूँ. मैं बधाई और धन्‍यवाद भी देना चाहता हूँ कि हमारी सरकार के माननीय मुख्‍यमंत्री श्री शिवराज सिंह जी ने, जो 5 घोषणाएं मेरे विधानसभा क्षेत्र में की थीं, उसमें से 3 स्‍वीकृत कर दी हैं.

          मेरी विधानसभा के ग्राम रिंगनोद और अंजनमाल पोशिया जो डेम हैं, उसकी भी माननीय मुख्‍यमंत्री जी द्वारा घोषणा की गई थी. लेकिन कुछ अधिकारियों की मिली-जुली भगत के कारण, उन्‍होंने माननीय मंत्री जी को गुमराह किया है, साईटें असाध्‍य बनाकर भेज दी गई हैं. मैं माननीय मंत्री जी से 2 प्रश्‍न करूँगा, इससे समय भी बचेगा. क्‍या माननीय मंत्री जी यह बतायेंगे कि रिंगनोद जलाशय जो हैं, बैढ़ा और बिल्‍ली वाली घाटी तक का सर्वे पुन: करायेंगे ? और क्‍या रिंगनोद जलाशय में बिल्‍ली वाली घाटी और बैढ़ा, जो रिंगनोद जलाशय की साईट है, उसका पुन: सर्वेक्षण करायेंगे ?

          श्री जयंत मलैया - माननीय अध्‍यक्ष महोदय,  जब माननीय मुख्‍यमंत्री जी, माननीय सदस्‍य के क्षेत्र में गए थे तो उन्‍होंने 7 योजनाओं का सर्वेक्षण किया था. जिसमें से हमने लगभग-लगभग 5 योजनाएं तो स्‍वीकृत कर दी हैं. उसमें से कुछ के टेण्‍डर भी हो गए हैं और जो आप रिंगनोद का बता रहे हैं, उसमें चूँकि इसकी प्रति हैक्‍टेयर लागत जितनी लागत आनी चाहिए, उससे दुगुनी आ रही है- इसलिए उसको नहीं किया जा रहा है. परन्‍तु आप कहते हैं तो उसको एक बार फिर से परीक्षण करा लेंगे.

          श्री वेल सिंह भूरिया - एक प्रश्‍न और है. जो मैंने रिंगनोद जलाशय की साईट बताई है, अधिकारियों ने सर्वे गलत कर दिया था.

          अध्‍यक्ष महोदय - मंत्री जी फिर से सर्वे कराने को तैयार हैं.

          श्री वेल सिंह भूरिया - माननीय अध्‍यक्ष महोदय एक प्रश्‍न है. माननीय मंत्री जी, अंजनमाल पोशिया जो डेम है, उसका भी पुन: सर्वेक्षण करा लें, रिंगनोद जलाशय और पोशिया दोनों ही मेरी उपस्थिति में स्‍थल निरीक्षण और सर्वे करवा लें तो बहुत अच्‍छा रहेगा.

          श्री जयंत मलैया - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सर्वे का काम आसान नहीं होता है कि माननीय सदस्‍य की उपस्थिति में करा दें. अगर इनको सुविधा होगी और उतना समय होगा तो मैं रिंगनोद जलाशय और पोशिया जलाशय, दोनों का सर्वेक्षण अगर आप उपस्थित रहें तो बहुत अच्‍छी बात है. आप करवा लीजिएगा.

          श्री वेल सिंह भूरिया - माननीय मंत्री जी, बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

नियोजित व्‍यक्तियों की संख्‍या

        प्रश्‍न 11. ( *क्र. 6367 ) श्री मुकेश नायक : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विभाग में संधारित जानकारी अनुसार राज्‍य के सार्वजनिक उपक्रमों, सरकारी कार्यालयों, प्रतिष्‍ठानों में नियोजित व्‍यक्तियों की संख्‍या वर्ष 2010-11, 2011-12, 2012-13 और 2013-14 में क्‍या रही? वर्षवार जानकारी दें। (ख) सरकारी क्षेत्र में नौकरियों में कमी आने के क्‍या कारण हैं और क्‍या सरकार नौकरियों में वृद्धि करने की कोई नीति बना रही है? यदि हाँ, तो जानकारी दें?

        जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) जानकारी संलग्‍न परिशिष्‍ट अनुसार है। (ख) सरकारी क्षेत्र में नौकरियों की संख्‍या में अनापेक्षित परिवर्तन नहीं है। अत: प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता है।

परिशिष्ट - ''चार''

          श्री मुकेश नायक - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरे प्रश्‍न पूछने का आशय शायद माननीय मंत्री जी समझ नहीं पाये. उन्‍होंने सार्वजनिक उपक्रमों, अर्द्धशासकीय संस्‍थानों एवं सरकारी कार्यालयों में जो कर्मचारी कार्य कर रहे हैं. सन् 2011 से सन् 2014 तक की वह सूची दी है. मैं माननीय मंत्री महोदय से यह जानना चाहता हूँ कि कार्यरत् कर्मचारियों की संख्‍या तो आपने बताई है, वे 5,69,058 कर्मचारी हैं.

           मैं आपसे निवेदन करता हूँ कि आप उन कर्मचारियों की संख्‍या बतायें कि जो पद स्‍वीकृत हैं और खाली हैं. फिर ऐसे पद, जिस पर एडमिनिस्‍ट्रेटिव और फायनेन्शियल एप्रूवल हो चुकी है, उसके बावजूद भी वे पद नहीं भरे गए हैं और उन पदों में से अनुसूचित जाति एवं जनजाति के कितने पद हैं, जो स्‍वीकृत होने के बाद भी खाली पड़े हैं ?

          श्री जयंत मलैया - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इस प्रश्‍न से उद्भूत नहीं होता और अगर आप कहेंगे तो मैं आपको जानकारी निकालकर दे दूँगा. अभी, वर्तमान में वह जानकारी मेरे पास उपलब्‍ध नहीं है. चूँकि यह प्रश्‍न से उद्भूत नहीं होता था.

          श्री मुकेश नायक - अध्‍यक्ष महोदय, यह प्रश्‍न से तो रिलीवेन्‍ट है. यह प्रश्‍न से उद्भूत होता है. मध्‍यप्रदेश में जो प्रशासनिक ढांचा है, वह किस तरह से मैदानी स्‍तर पर कार्यरत् है.

          अध्‍यक्ष महोदय - आपको इसमें सीधा पूछना चाहिए था कि कितने पद खाली हैं, जो स्‍वीकृत हैं. वह उसमें नहीं पूछा गया है. इसमें आपने केवल दो प्रश्‍न पूछे हैं. एक, तो संख्‍या तथा दूसरा, यह कि संख्‍या क्‍यों घट रही है ?

          श्री मुकेश नायक - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इससे उद्भूत होता है. अगर मंत्री जी को होम वर्क के लिए समय चाहिए तो मैं इसके लिए तैयार हूँ.       

          श्री जयंत मलैया - अध्‍यक्ष महोदय, जो इस प्रश्‍न में है और जो इस प्रश्‍न से उद्भूत होता है. मैं आपसे बहुत विनम्रता से निवेदन करना चाहता हूँ, उसका मैं उत्‍तर दे सकता हूँ.

          श्री मुकेश नायक - अध्‍यक्ष महोदय, मैंने प्रश्‍न इसलिए पूछा था कि प्रदेश की जनता को फायदा हो. तहसीलदारों, नायब तहसीलदारों, पटवारियों, आर.आई, डॉक्‍टर्स एवं शिक्षकों के हजारों पद खाली पड़े हुए हैं. जब आपके पास मैदानी स्‍तर पर प्रशासनिक ढांचा ही नहीं है.तो जनसेवा का काम कैसे पूरा होगा.  जो मध्यप्रदेश शासन ने  जिस नीति, सिद्धांत  और कार्यक्रमों के क्रियान्वयन  की बात कही है,  वह कैसे पूरी होगी. अगर  उसको ले जाने वाला  केटेलिस्ट   ग्रुप  ही आपके पास नहीं होगा.  इसलिये अगर आप इसकी जानकारी खासतौर से  अनुसूचित जाति, जनजाति  की उपलब्ध  करा दें, तो मुझे संतोष होगा.

                   अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न संख्या -12

ककरवाहा पिकअप बियर का सर्वेक्षण

                12. ( *क्र. 6652 ) श्री के. के. श्रीवास्‍तव : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधानसभा तारांकित प्रश्‍न संख्‍या-25 (क्रमांक 2198) के अनुसार ककरवाहा पिकअप बियर परियोजना के विस्‍तृत सर्वेक्षण के आदेश कब तक जारी होंगे? (ख) परियोजना में बांध की ऊंचाई, उसकी लागत कितनी है तथा रबी की फसल में कितना रकबा सिंचित होगा? क्‍या इस योजना में उत्‍तरप्रदेश की भूमि भी डूब क्षेत्र में आयेगी? (ग) उत्‍तरप्रदेश की भूमि को डूब क्षेत्र से बचाने के लिये क्‍या बांध की ऊंचाई कम की जा सकती है, तो कितनी? (घ) इस योजना की कब तक तकनीकी और प्रशासकीय स्‍वीकृति हो जायेगी?

                जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) से (घ) जी नहीं। परियोजना साध्‍य नहीं होने से शेष प्रश्‍न उत्‍पन्‍न नहीं होते हैं।

                   श्री के.के.श्रीवास्तव --   अध्यक्ष महोदय, मेरा जो  प्रश्न था, उसका जो उत्तर आया है,  मैं मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि जो  प्रश्नाधीन  ककरवाहा पिकअप  बियर परियोजना है, इसका सामान्य सर्वे 10 दिसम्बर,2015 को मुख्यमंत्री जी के निर्देश  पर  हुआ था,  जिसमें परियोजना से 3400  हेक्टेयर भूमि सिंचित होने एवं 15  चंदेल कालीन  तालाबों के भरे जाने  की बात कही गयी थी. तो योजना साध्य क्यों नहीं है.  जैसे कहा गया कि योजना साध्य नहीं है, तो मैं  जानना चाहता हूं कि  साध्य क्यों नहीं है. मंत्री जी, क्या योजना का विस्तृत सर्वेक्षण करवायेंगे.

                   श्री जयंत मलैया -- अध्यक्ष महोदय,  इसमें उत्तर प्रदेश का और मध्यप्रदेश का  डूब क्षेत्र 20  प्रतिशत से भी अधिक है. इसलिये  यह योजना  साध्य नहीं है.

                   श्री के.के.श्रीवास्तव --   अध्यक्ष महोदय, जब उत्तर प्रदेश का क्षेत्र आ रहा है, तो  एक बार पुनः विस्तृत सर्वेक्षण  करवा लें कि जिसमें  उत्तर प्रदेश का  क्षेत्र वंचित हो जाये और बाकी  मध्यप्रदेश में ही केचमेंट एरिया रहे और  मध्यप्रदेश में जल संग्रहण  की स्थिति बने.  तो पुनः विस्तृत सर्वे  हो जाये. अभी तो सामान्य सर्वे हुआ है.  हम योजना को लम्बी लटकाने के लिये  अधिकारियों ने जो उत्तर दे दिया, उसको हम क्यों मान्य  करें.

                   श्री जयंत मलैया -- अध्यक्ष महोदय, यह तो माननीय सदस्य जी को पता है कि जो अधिकारी बना कर देते हैं, उनमें से मैं  कितना और  क्या बोलता  हूं.  परंतु  इन्होंने कहा है,  मैं श्री के.के.श्रीवास्तव जी,  माननीय सदस्य की उपस्थिति  में  इसका जैसा चाहेंगे,  हम परीक्षण भी करवा लेंगे  और यदि साध्य  होगी योजना,  तो हम करा भी देंगे.

                   श्री के.के.श्रीवास्तव --   अध्यक्ष महोदय, यू.पी.  वाला पोर्शन हटाकर करा लेंगे सर्वेक्षण.  धन्यवाद.

वित्‍तीय अनियमितताओं की जाँच एवं कार्यवाही

                13. ( *क्र. 5720 ) श्री कुँवरजी कोठार : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या जिला राजगढ़ की नगर पालिका परिषद सारंगपुर एवं नगर पंचायत परिषद पचोर में स्‍थानीय प्रशासन के मद को छोड़ कर अन्‍य विभाग की योजनाएं जैसे बी.आर.जी.एफ., सांसद निधि, विधायक निधि, सर्व शिक्षा अभियान, अनुसूचित जाति/जनजाति विभाग एवं जनभागीदारी मद से निर्माण कार्य हेतु वित्‍तीय वर्ष 2013-14, 2014-15 एवं 2015-16 में प्रश्‍न दिनांक तक कितनी-कितनी राशि किस-किस विभाग से किस-किस कार्य हेतु प्राप्‍त हुई है? (ख) प्रश्‍नांश (क) के सदंर्भ में सारंगपुर एवं पचोर में कितने कार्य पूर्ण, अपूर्ण एवं अप्रांरभ हैं? (ग) प्रश्‍नांश (ख) के संदर्भ में जो कार्य अप्रांरभ/अपूर्ण हैं, उन कार्यों की राशि नगर पालिका/पंचायत के किस मद एवं किस खातों में कितनी-कितनी राशि प्रश्‍न दिनांक तक जमा है एवं शेष कार्य को प्रश्‍न दिनांक तक प्रारंभ न किये जाने के क्‍या कारण हैं? अपूर्ण एवं अप्रांरभ कार्य की जानकारी वर्षवार, कार्यवार, जमा राशि की जानकारी से अवगत कराते हुये कार्य प्रांरभ न कराये जाने के कारण बतावें। (घ) प्रश्‍नांश (ग) अनुसार यदि अप्रांरभ कार्य की राशि परिषद/पंचायत के खाते में शेष नहीं है, तो व‍ह राशि किस कार्य पर खर्च की गई है? वर्षवार, कार्यवार विस्‍तृत विवरण देवें। यदि अप्रांरभ एवं अपूर्ण कार्य की राशि बगैर कार्य के आहरण की गई है, तो दोषी अधिकारियों के विरूद्ध विभाग द्वारा क्‍या-क्‍या कार्यवाही की जावेगी?

                मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) एवं (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '''' अनुसार है। (ग) एवं (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '''' अनुसार है। शेषांश का प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता।

                   श्री कुंवरजी कोठार --  अध्यक्ष महोदय,  मैं मंत्री जी को यह बताना चाहता हूं कि  जो विभाग द्वारा परिशिष्ट अ  में जानकारी दी गई है, वह जानकारी असत्य है. जिसमें कई काम  पूर्ण नहीं हुए हैं.  उन्हें भी व्यय राशि के अनुसार  पूर्ण बता दिया गया है और  कुछ काम ऐसे हैं, जो अपूर्ण हैं,  उन्हें भी पूर्ण बता दिया गया है.  ऐसे ही वर्ष 2013-14 में  विभिन्न मदों  में राशि दी गयी थी.  मुख्यमंत्री शहरी  अधोसंरचना, जिसके 200 लाख  के टेंडर  अभी प्रक्रियाधीन हैं.  उसके विरुद्ध 38 लाख  प्रदाय किये थे.  फायर ब्रिगेड  के लिये 22 लाख थे. ऐसे ही मुख्यमंत्री शहरी पेयजल योजना में  4 करोड़ रुपये एडवांस दिये थे.  जन भागीदारी  सांसद मद में  108 लाख, मुख्यमंत्री  शहरी स्वच्छता  मिशन में  2013-14 में  24.75 लाख, बीपीएल  के हितग्राहियों  के विभिन्न पेंशन योजना के लिये लंबित  राशि 18 लाख..

                   अध्यक्ष महोदय --  आप  सीधा सीधा प्रश्न पूछें.

                   श्री कुंवरजी कोठार --  अध्यक्ष महोदय, इस राशि का कहीं अता पता नहीं है.  इस राशि का  संबंधित अधिकारी  ने कहां, क्या किया है या किस कार्य पर व्यय किया है, इसकी जांच मेरे द्वारा  पहले भी विभाग से  पिछली परिषद् के टाइम  1.4.2010 से 31.3.2015 तक  की जांच  की मांग की गई थी.  लेकिन  उसकी   जांच अभी तक भी  नहीं कराई गई है.  तो मैं मंत्री जी से यह जानना चाहता हूं कि  क्या दिनांक 1.4.2010  से 31.3.2015 तक   सारंगपुर नगरपालिका  परिषद्  की  जांच उच्च स्तरीय दल  से करायेंगे क्या.

                   राज्यमंत्री, सामान्य प्रशासन (श्री लाल सिंह आर्य) -- अध्यक्ष महोदय,  माननीय सदस्य ने  कहा है कि काम प्रारंभ नहीं हुए, अपूर्ण  हैं.  मैंने आपकी जानकारी के   लिये  आपके प्रश्न के उत्तर में जवाब भी दिया है. 98 काम  2013-14  में  पूर्ण हो गये  और 3 काम अपूर्ण हैं.  सारंगपुर के 3  और पचोर के 2  यह काम अपूर्ण  हैं या प्रारंभ हैं.  मैं बताना चाहता हूं कि  आपने कहा है कि यह राशि निकाल ली गयी है.  यह जो सारंगपुर  में  विधायक निधि के   3 काम थे,  इनकी राशि  एसबीआई बैंक, सारंगपुर  के खाता क्रमांक  53036359613  मैं जमा है.  इसी प्रकार से   ये तीनों  राशियां जमा हैं  एसबीआई में, पैसा अभी निकाला  नहीं गया है.  पचोर नगर पंचायत में भी  बीआरजीएफ के जो काम थे दो, एक काम जन भागीदारी का, इसका भी मैं बताना चाहता हूं कि यह पैसा निकला नहीं है. SBI के खाता क्रमांक 63036339454 इसमें BRGF का पैसा इसमें जमा है. जन भागीदारी का पैसा बैंक के खाता नंबर 996310110011030 में जमा है. लेकिन फिर भी माननीय सदस्य का कहना है तो मैं उनको बताना चाहूंगा कि आपके प्रश्न के आधार पर ही पहले CMO को सस्पेंड किया गया दूसरा जो काम अभी तक प्रारंभ नहीं हुय़े हैं, 15 दिवस के अंदर उन कामों को हम प्रारंभ करा देंगे और तीन माह के अंदर उन कार्यों को पूरा करा देंगे.

          श्री कुंवरजी कोठार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2013-14 में जो राशि 686.75 लाख की राशि के बारे में जानकारी नहीं दी गई है. उसकी आज तक जांच ही नहीं हो रही है. जांच लंबित पड़ी हुई है.

          अध्यक्ष महोदय-- निलंबित कर दिया है .कार्य का भी आश्वासन मंत्री जी ने दे दिया है.

          श्री कुंवरजी कोठार- निलंबित होना तो ठीक है लेकिन जांच तो उसके बाद आगे बढ़ना चाहिये. अध्यक्ष महोदय, हम चाहते हैं कि जो रूपये 686.75 लाख का जो गबन है उसका तो पता चले कि वह पैसा आखिर गया कहां है.

          श्री लाल सिंह आर्य-- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसकी हम जांच करा लेंगे. भोपाल से किसी अधिकारी को भेजकर के जांच करा लेंगे.

          श्री कुंवरजी कोठार-- मंत्री जी मैं उच्च स्तरीय जांच की मांग कर रहा हूं.

          श्री लालसिंह आर्य-- अध्यक्ष महोदय,उच्च स्तरीय क्या, आप जांच चाहते हैं न. कोठार जी आपकी भावना को मैं समझ रहा हूं. 1 माह के  अंदर हम जांच पूर्ण करा लेंगे और जो भी दोषी और पाया जायेगा उसके खिलाफ कार्यवाही करेंगे.

          श्री कुंवरजी कोठार-- मंत्री जी इसके लिये आपको धन्यवाद.

 

 

 

 

भू-जल स्‍त्रोतों के पेयजल के उपचार/निवारण हेतु कार्यवाही

14. ( *क्र. 4799 ) श्री सुशील कुमार तिवारी : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या जबलपुर जिले सहित प्रदेश के 18 जिलों के 93 विकासखंडों में म.प्र. के भू-जल संसाधन का पेयजल एवं कृषि हेतु आंकलन कर उपचार/निवारण के उपाय एवं जन जागरूकता हेतु अध्‍ययन रिपोर्ट का प्रकाशन किया गया है? (ख) क्‍या रिपोर्ट के अनुसार एक या एक से अधिक घुलनशील घातक तत्‍वों के कारण पानी पीने या सिंचाई योग्‍य नहीं पाया गया है? (ग) यदि हाँ, तो क्‍या इस भू-जल स्‍त्रोतों के पेयजल के उपचार/निवारण के उपाय हेतु कार्यवाही की जावेगी? (घ) यदि हाँ, तो क्‍या कार्यवाही कब तक की जावेगी?

        जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) एवं (ख) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) एवं (घ) रिपोर्ट का उद्देश्‍य संबंधितों में जागरूकता पैदा करना था, जिसकी पूर्ति रिपोर्ट के प्रकाशन से की गई है। लोक स्‍वास्‍थ्‍य यांत्रिकी विभाग पेयजल योजनाएं बनाते समय जल की गुणवत्‍ता को ध्‍यान में रखकर आवश्‍यकतानुसार उपचार की व्‍यवस्‍था करता है।

          श्री सुशील कुमार तिवारी : माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न भू-जल से संबंधित है. मंत्री जी ने परिशिष्ट में उत्तर दिया है उसमें उल्लेख है कि 4 वार्ड गुप्तेश्वर वार्ड, मदन महल, रानी दुर्गावती और त्रिपुरी वार्ड में प्रदूषित जल पाया गया है. मैं बताना चाहता हूं कि मेरे विधानसभा क्षेत्र के 17 स्थान ऐसे हैं जहां पर संचालनालय द्वारा उन जलस्तोत को बंद करने के निर्देश जारी किये गये हैं वह रिपोर्ट में नहीं है. दूसरा प्रश्न  यह है कि रिपोर्ट में जन जागरण के बारे में बताया गया है कि जन जागरण के तहत यह रिपोर्ट प्रकाशित हुई है. अध्यक्ष महोदय हम बताना चाहते हैं कि उसमें सलाह दी गई है कि वहां पर व्यक्ति आंवला, अमरूद,अखरोट मूंगफली, लहसुन, अदरक, गाजर, पपीता खाये इससे इस बीमारी का क्षरण होगा. अध्यक्ष महोदय, यहां पर अत्यंत गरीब लोग निवास करते हैं ,उन गरीबों के पास में इतना पैसा नहीं होता है कि वह यह चीजें खाकर के बीमारी से बच सकें. विभाग इसमें क्या करना चाहता है वह मैं मंत्री जी से जानना चाहता हूं.

          श्री जयंत मलैया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह भूजल पेय और कृषि हेतु आंकलन उपचारी की जो अध्ययन रिपोर्ट है यह जल संसाधन विभाग द्वारा आम लोगों के जागरण के लिये बनाई है. अण्डर ग्रांउड वॉटर ग्रामीण क्षेत्र में और शहरी क्षेत्र में 18 जिलों के 90 या ब्लाक में उसकी स्थिति क्या है. जहां तक अण्डर ग्रांउड वॉटर के ट्रीटमेंन्ट का सवाल उठता है या वाटर सप्लाई का आता है तो यह जल संसाधन विभाग नहीं करता है, यह लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग से होता है.

          श्री सुशील कुमार तिवारी : माननीय अध्यक्ष महोदय, हम यह जानना चाहते हैं कि यह रिपोर्ट अधूरी है क्योंकि केवल चार वार्ड ही इसमें सम्मलित हैं . मैं बताना चाहता हूं कि लगभग 17 वार्ड तो मेरी ही विधानसभा के इसमें प्रभावित हैं. दूसरी बात यह है कि रिपोर्ट में जो उपचार बताये गये हैं कि लोग वहां पर अंगूर खायें, पपीता खायें, काजू खायें, किशमिश खायें, जो व्यक्ति एक रूपये किलो गेहूं और एक रूपये किलो चावल खा रहा हो वह लोग इस सलाह का क्या फायदा ले पायेंगे. और विभाग इसमें क्या उपलब्ध करायेगा.

          अध्यक्ष महोदय-- आप क्या चाहते हैं.

          श्री सुशील कुमार तिवारी :अध्यक्ष महोदय, हम चाहते हैं कि वहा पर प्रदूषित जल समाप्त हो वहां पर सलाह दे रहे हैं कि आप अंगूर खायें, पपीता खायें. काजू खायें बतायें इससे वहां पर पानी की समस्या का क्या हल होगा. परिशिष्ट में यह बात दी गई है.

          श्री जयंत मलैया --माननीय अध्यक्ष महोदय,  जो रिपोर्ट आई है उसमें लोगों को यह एडवाइज किया गया है परंतु इसके साथ साथ लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग जैसी उन्होंने मुझे जानकारी दी है अण्डर ग्राउन्ड वॉटर में अमूमन फ्लोराइड और नाइट्रेड पाया जाता है.नाइट्रेड सामान्य तौर से सतह से जो सीवेज और अन्य प्रकार का प्रदूषित जल नीचे जाता है उसको अलग करने के लिये नाईट्रेड रिमूवल प्लान्ट लगाये जाते, जिससे जल दूषित नहीं रहता . जैसा कि माननीय सदस्य ने बताया है तो मैं कहना चाहता हूं कि यदि कहीं पर शुद्ध पेयजल उपलब्ध नहीं होता है तो फ्लोलाइड से प्रभावित जितनी भी बसाहटें हैं उन सारी बसाहटों में लगभग लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने 903 फ्लोराइड रिमूवल संयंत्र स्थापित किये हैं, वर्तमान में फ्लोराइड युक्त पेयजल किसी भी बसाहट में प्रदाय नहीं हो रहा है. ऐसी जानकारी मुझे लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग से मिली है.

शिकायतों की जाँच/निराकरण

15. ( *क्र. 4432 ) श्रीमती पारूल साहू केशरी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सागर जिले के सुरखी विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत कितने अनुविभागीय अधिकारी पदस्‍थ हैं? इन अधिकारियों के पास दिनांक 01 जनवरी, 2013 से प्रश्‍न दिनांक तक किस-किस विभाग की, कुल कितनी-कितनी शिकायतें प्राप्‍त हुई हैं? (ख) प्रश्‍नांश (क) अनुसार प्राप्‍त शिकायतों में से कितनी शिकायतों की जाँच करायी जाकर क्‍या कार्यवाही की गयी है? (ग) क्‍या स्‍कूलों में मध्‍यान्‍ह भोजन, समय पर राशन वितरण, राशन पात्रता पर्ची, पंचायतों पर धारा 40 की कार्यवाही, सोसायटी की अनियमितताओं जैसे गंभीर प्रकरणों पर लंबे समय से कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है, जिससे अनियमिततायें करने वाले दोषी संरक्षित हैं? किस-किस विभाग की कितनी शिकायतें लंबित हैं, जिन पर कार्यवाही होना अपेक्षित है?

मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) :

श्रीमती पारूल साहू (सुरखी)--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, दिये गये उत्‍तर से मैं संतुष्‍ट नहीं हूं. मध्‍यान्‍ह भोजन के विषय में उत्‍तर गलत है. राहतगढ़ में कई स्‍कूलों में 6-6 महीने से मध्‍यान्‍ह भोजन की शिकायतों के बारे में न्‍यूज पेपर में भी प्रकाशित हुआ है. इसी प्रकार राष्‍ट्रीय परिवार स‍हायता के पात्र हितग्राहियों को भी परेशान किया जा रहा है. साथ ही साथ पिछले वर्ष एसडीएम राहतगढ़ द्वारा सागर कमिश्‍नर को मुआवजा राशि के वितरण में भी गलत जानकारी दी गई थी. अंत्‍योदय मेला जो पिछले वर्ष 6 महीने पूर्व हुआ था, उसी दौरान माननीय गोपाल भार्गव मंत्री पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग कार्यक्रम भी अव्‍यवस्‍थाओं के कारण रद्द हुआ था. अध्‍यक्ष महोदय राहतगढ़ में साम्‍प्रदायिक हिंसा भी प्रशासनिक चूक के कारण ही हुई है. अध्‍यक्ष महोदय, मैं आदरणीय मंत्री जी से यह कहना चाहूंगी कि लगातार जो शिकायतें राहतगढ़ में आ रहीं हैं, इसको ध्‍यान में रखते हुये एसडीएम को तत्‍काल सस्‍पेंड किया जाये. करेंगे क्‍यो.

सामान्‍य प्रशासन राज्‍य मंत्री (श्री लाल सिंह आर्य)--  अध्‍यक्ष महोदय, जी नहीं.

अध्‍यक्ष महोदय--  आप अनियमितता के संबंध में कोई जानकारी पूछना चाहती हैं तो पूछ लीजिये.

श्री लालसिंह आर्य--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय सदस्‍या बहुत सजग हैं वह वहां पर जनसमस्‍या निवारण के लिये केम्‍प भी लगाती हैं और उन्‍होंने वहां जो केम्‍प लगाये थे, उनमें पेंशन के प्रकरण, राशन कार्ड, गरीबी रेखा की सूची में नाम जोड़ने वाले, भूमि के पट्टे की मांग, पात्रता पर्चियों के संबंध में बहुत सारे आपने प्रकरण वहां दिये थे, 381 शिकायतें आपने पहुंचाई थीं, 324 का हमने पात्रता की दृष्टि से निराकरण कर दिया है, जो कि 85 प्रतिशत है. जहां तक राहतगढ़ का मामला है, कुल जो हमने निराकृत शिकायतें की हैं 269, जो कि  89 प्रतिशत है. लंबित शिकायतें 33 हैं, लेकिन उनका भी परीक्षण हो रहा है, बहुत सारी ऐसी चीजें हैं उसमें किसी चीज के लिये पैसा स्‍वीकृत करना है तो उसकी एक प्रक्रिया है, तो जहां तक माननीय सदस्‍या का कोई प्रश्‍न है तो उसमें अथेंटिक जानकारी हो तो हमें दे दें, उसका भी हम परीक्षण करा लें.

श्रीमती पारूल साहू-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मुझे अपनी बात पूरी करने दी जाये. मैं माननीय मंत्री जी से आश्‍वासन चाहती हूं कि यह जो भी बातें बताई गई हैं, अगर सत्‍य हैं तो इसको ध्‍यान में रखते हुये प्रमुख सचिव को भेजकर सभी शिकायतें जो हैं उनकी समीक्षा बैठक की जाये और उसमें विधायकों को भी सम्मिलित किया जाये.

श्री लालसिंह आर्य--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, वैसे तो कोई प्रश्‍न अब इसमें बनता नहीं है.

अध्‍यक्ष महोदय--  आप कुछ कांक्रीट दे दीजिये उनको.

          श्री लालसिंह आर्य--  लेकिन फिर भी माननीय अध्‍यक्ष महोदय माननीय सदस्‍या जी को हम संतुष्‍ट करना चाहते हैं, हम कलेक्‍टर को निर्देश जारी करेंगे कि पुन उसकी बैठक करके समीक्षा कर लें और माननीय विधायिका उसमें सम्मिलित हों.

श्रीमती पारूल साहू--  अध्‍यक्ष महोदय, अगर पीएस को भेजा जायेगा तो इसमें बेहतर जांच होगी, आपसे निवेदन है.

प्रश्‍न क्रमांक 16-- श्री चंद्रशेखर देशमुख (अनुपस्थित)

          प्रश्‍न क्रमांक 17-- श्री यादवेन्‍द्र सिंह (अनुपस्थित)

 ग्रामों का विद्युतीकरण

18. ( *क्र. 6577 ) श्री वीरसिंह पंवार : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) रायसेन एवं विदिशा जिले में फरवरी, 2016 की स्थिति में कितने ग्रामों की विद्युत सप्‍लाई बंद है तथा क्‍यों? कारण बतावें। (ख) किसानों/मजदूरों/एस.सी./एस.टी. वर्ग के उपभोक्‍ताओं से बकाया राशि वसूलने के संबंध में विभाग के क्‍या-क्‍या निर्देश हैं?     (ग) उक्‍त जिलों में अस्‍थायी विद्युत कनेक्‍शन को स्‍थाई करने के संबंध में क्‍या-क्‍या कार्यवाही की जा रही है? (घ) उक्‍त जिलों के कितने ग्राम विद्युत विहीन हैं तथा उनके विद्युतीकरण हेतु क्‍या-क्‍या कार्यवाही की जा रही है?

ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) फरवरी-16 की स्थिति में रायसेन जिले के किसी भी ग्राम की विद्युत सप्‍लाई बंद नहीं है तथा विदिशा जिले के अंतर्गत 14 ग्रामों की विद्युत सप्‍लाई बकाया राशि होने के कारण बंद है। (ख) प्रश्‍नांश '' के परिप्रेक्ष्‍य में उपभोक्‍ताओं के बिजली बिलों की बकाया राशि के निराकरण हेतु मध्‍य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा बकाया राशि समाधान योजना दिनांक 25.02.16 से लागू की गयी है। उक्‍त योजना के अंतर्गत सामान्‍य घरेलू उपभोक्‍ताओं के बकाया बिल की सरचार्ज की संपूर्ण राशि माफ की गई है तथा बी.पी.एल. उपभोक्‍ताओं एवं शहरी क्षेत्र में अधिसूचित मलि‍न बस्‍ती में निवास कर रहे घरेलू उपभोक्‍ताओं की बकाया राशि में से सरचार्ज के साथ ऊर्जा प्रभार की 50 प्रतिशत राशि भी माफ करने का प्रावधान किया गया है। उक्‍त योजना/निर्देशों की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है।        (ग) म.प्र.म.क्षे.वि.वि. कंपनी क्षेत्रान्‍तर्गत वर्तमान में अस्‍थायी से स्‍थायी कृषि पंप में परिवर्तित किए जाने के लिये अनुदान योजना एवं स्‍वयं का ट्रांसफार्मर योजना लागू है। इसके अतिरिक्‍त जिन कृषकों का पंप/कुआं विद्यमान निम्‍न दाब लाइन से 150 फीट की दूरी तक है, ऐसे कृषकों को औपचारिकताएँ पूर्ण करने पर तकनीकी साध्‍यता अनुसार स्‍थायी कृषि पंप कनेक्‍शन जारी किये जा रहें हैं। (घ) विदिशा जिले के सभी ग्राम विद्युतीकृत हैं। रायसेन जिले के ग्राम-सुआगढ़, महुआखेड़ा (बघेडी) रामगढ़ एवं चौका बैरागी सघन वन क्षेत्र में स्थित होने के कारण अविद्युतीकृत हैं तथा इन ग्रामों को गैर परंपरागत ऊर्जा स्‍त्रोतों से विद्युतीकृत किये जाने हेतु प्रस्‍तावित किया गया है। इन ग्रामों का गैर-परंपरागत ऊर्जा स्‍त्रोतों से विद्युतीकरण का कार्य नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग द्वारा किया जायेगा।

 

श्री वीरसिंह पंवार (कुरवाई)--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से जो जानकारी उपलब्‍ध हुई है, उससे संतुष्‍ट नहीं हूं और माननीय मंत्री जी को जो अधिकारियों ने जानकारी दी है वह पूर्णत असत्‍य है, मेरे ही क्षेत्र के लगभग 50 से 60 ग्राम बंद हैं अभी वर्तमान में जो गोदरेज कंपनी द्वारा जो काम किया गया था, उसके करीब 100 से ज्‍यादा ट्रांसफार्मर जले पड़े हैं, जिले में मैं 25 बार अधिकारियों से कह चुका हूं, बस बदलते हैं, बदलते हैं, कोई ट्रांसफार्मर नहीं बदला है और फर्जी बिल गांव में दिये जा रहे हैं, जब लाइट ही नहीं है 4-4, 6-6 महीने से तो वह बिल कैसे जमा करेंगे. मेरा निवेदन यह है कि जो जले हुये ट्रांसफार्मर हैं वह बदले जायें, दूसरा विद्युत विहीन गांव की जो जानकारी मैंने चाही गई थी उसमें बताया गया कि कोई भी गांव विद्युत विहीन नहीं है, मैंने 61 गांव जो विद्युत वि‍हीन मजरे टोले थे उसका आदिम जाति कल्‍याण विभाग से अभी प्रस्‍ताव बनवाकर भिजवाये हैं तो 61 गांव तो वही हैं मेरे, एक मूल गांव मेरा बेंदीगढ़ हैं उसमें 50-60 साल से आज तक कोई विद्युत का काम हुआ ही नहीं है, उस गांव में विद्युतीकरण किया जाये, यह माननीय मंत्री जी से प्रश्‍न है मेरा.

            श्री राजेन्द्र शुक्ल--अध्यक्ष महोदय, जहां विद्युतीकरण नहीं हैं, अभी दीनदयाल ग्राम ज्योति योजना आ रही है, उस योजना के माध्यम से या अन्य किसी योजना के माध्यम से वहां शत प्रतिशत विद्युतीकरण कराना हमारा लक्ष्य है.

          श्री वीरसिंह पंवार--अध्यक्ष महोदय,बेंदीगढ़ गांव है उसको प्राथमिकता से लें. वह कुशवाह समाज का गांव है. वहां अन्य किसी योजना से विद्युतीकरण नहीं हो पाता. मंत्रीजी से निवेदन है कि इसको विशेष रुप से देखें.

          श्री राजेन्द्र शुक्ल-- ठीक है.

          श्री वीरसिंह पंवार--अध्यक्ष महोदय, जो जले हुए गोदरेज कंपनी ट्रांसफार्मर हैं, उनको शीघ्र बदला जाये.

          श्री राजेन्द्र शुक्ल--अध्यक्ष महोदय, जो समाधान योजना लायी गई है, उसका बहुत लाभ सामने आ रहा है. विदिशा जिले में 42 लाख रुपये की वसूली के बाद लगभग 39 लाख रुपये की माफी की गई  है. इसका मतलब कि अब कोई भी गांव ऐसा नहीं बचेगा, जो 10 प्रतिशत भी भुगतान न कर पाने के कारण बिजली से नहीं जुड़ पा रहा था, अब वहां बहुत तेजी से पैसा भी जमा हो रहा है और वहां पर कनेक्शन भी जोड़े जा रहे हैं.

          श्री वीरसिंह पंवार-- मंत्रीजी, ट्रांसफार्मर जले हुए हैं, बिजली नहीं है तो लोग पैसा कैसे जमा करेंगे. 6-6 माह हो गये हैं, उनके पास लिखित में है कि ट्रांसफार्मर जले हैं. मेरा निवेदन है कि वह गोदरेज कंपनी के  ट्रांसफार्मर बदले जायें.

          श्री राजेन्द्र शुक्ल--ठीक है.

 सौर ऊर्जा एवं पवन ऊर्जा प्‍लांट की स्‍थापना

19. ( *क्र. 5919 ) श्री हरदीप सिंह डंग : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मंदसौर जिले में सौर ऊर्जा एवं पवन ऊर्जा उत्‍पादन हेतु कितनी कंपनियों द्वारा उत्‍पादन कार्य किया जा रहा है? (ख) सुवासरा विधानसभा क्षेत्र में कितने पंचायत क्षेत्रों में किन-किन स्‍थानों पर सौर ऊर्जा एवं पवन ऊर्जा प्‍लांट लगाने की स्‍वीकृति शासन द्वारा दी गई है एवं प्रश्‍नांकित दिनांक तक किस-किस स्‍थान पर ये प्‍लांट लग चुके हैं? (ग) उपरोक्‍त कं‍पनियों के द्वारा किन-किन व्‍यक्तियों/संस्‍थाओं से प्‍लांट लगाने हेतु भूमियां क्रय की गई हैं? ग्राम का नाम, पंचायत का नाम, व्‍यक्ति का नाम, भूमि का क्षेत्रफल एवं विक्रेता को दी गई राशि की नाम सहित जानकारी देवें।

ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के   प्रपत्र-अ अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार है।     (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-स अनुसार है।

 

          श्री हरदीप सिंह डंग--अध्यक्ष महोदय, मेरे द्वारा जो प्रश्न यहां पर पूछा गया है, उसमें जो उत्तर आया है उसके प्रपत्र में 6 नंबर पर पोकल एनर्जी सोलर वन इंडिया के 20 मेगावॉट का उत्पादन बताया गया है. उसी प्रश्न को मैंने 3 मार्च को पूछा था, प्रश्न क्रमांक 58 /948 में यह बताया कि कलेक्टर के यहां माननीय न्यायालय के स्टे आर्डर का पालन करते हुए काम रोक दिया गया है लेकिन आज जो उत्तर दिया है, उसमें बताया कि 20 मेगावॉट का उत्पादन किया गया है. मेरा प्रश्न है कि उस स्टे का पालन हुआ है तो यह 20 मेगावॉट कैसे पैदा हुई है. उसमें काम रोकने का स्टे आ चुका था. पहले उत्तर दिया कि हां, काम रोक दिया गया है, आज उत्पादन की बात की गई है. दोनों में से कौन सा उत्तर सही है.

          श्री राजेन्द्र शुक्ल--अध्यक्ष महोदय, यह सवाल सीधे उद्भूत तो नहीं होता है लेकिन जो सवाल आपने पूछा है, उसकी जानकारी लेकर,आपको संतुष्ट कर देंगे.

          श्री हरदीप सिंह डंग--अध्यक्ष महोदय, 3 मार्च की प्रश्नोत्तरी भी लाया हूं. इसमें कलेक्टर ने स्वयं लिखा है कि कार्य बंद कर दिया गया है. मेरा दूसरा प्रश्न कि एक ही कंपनी बार बार नाम बदल कर वहां पर उत्पादन का काम कर रही है. जिस नाम से स्वीकृति मिली है, उस बाहर सम एडीशन (फोटो दिखाते हुए) का बोर्ड लगा दिया गया है जबकि इस नाम से वहां कोई अनुमति नहीं है. जबकि अनुमति दूसरे नाम से मिली है. और जिन व्यक्तियों से जमीन खरीदी है, उनके जो मुझे आंकड़े दिये हैं कि 14 लाख, 15 लाख और 16 लाख रुपये का भुगतान है, वहां उनको मात्र डेढ़ लाख, 50 हजार, 60 हजार और 70 हजार रुपये का पेमेंट किया गया है.यहां पर जो लिस्ट दी गई है इसमें 15-15 लाख रुपये बताये गये हैं. मेरा निवेदन है कि इसकी आप जांच करायेंगे और कब तक करायेंगे?

          श्री राजेन्द्र शुक्ल--अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य श्री हरदीप सिंह जी डंग बड़े भाग्यशाली विधायक हैं. उनके यहां विंड एनर्जी का भी हब बन रहा है और सोलर एनर्जी का भी हब बन रहा है. मेरे पास बहुत से सदस्य आते हैं कि हमारे यहां विंड पावर प्लांट या सोलर पावर प्लांट लगवा दें. लेकिन जो आपने बात पूछी है वह सीधे आपके सवाल से उद्भूत नहीं हो रहा है. इसमें अंदर घुसकर, बारिक मामले हैं, हम जानकारी प्राप्त कर लेंगे क्योंकि बाकायदा रजिस्ट्री हुई है, लगभग पचास प्रतिशत जमीन निजी लोगों से ली गई है और पचास प्रतिशत सरकारी जमीनें मिली हैं.

          श्री हरदीप सिंह डंग--मेरा निवेदन है कि क्या आप जांच करायेंगे?

          अध्यक्ष महोदय-- किस बात की?

          श्री राजेन्द्र शुक्ल--निश्चित जांच करा लेंगे.

          अध्यक्ष महोदय-- किस बात की जांच करायेंगे, स्पेसिफिक तो बताईये.

          श्री हरदीप सिंह डंग-- अभी एक स्वास्थ्य विभाग की जांच थी, उसमें हमको शामिल नहीं किया गया और लीपा पोती करके आ गये. इसलिए इसकी जांच करायें और उसमें हमें भी शामिल करें.

          श्री राजेन्द्र शुक्ल--देखिये, आपकी गरिमा के अनुकूल नहीं होगा, आपको जांच में शामिल करना, लेकिन जांच हो जायेगी.

          श्री हरदीप सिंह डंग-- फिर तो कुछ भी नहीं होगा. (व्यवधान)मंत्रीजी, जब बाकी विधायकों को शामिल किया जाता है तो यहां पर क्या दिक्कत है? (व्यवधान)मेरा निवेदन है कि जब दूसरे विधायकों को शामिल किया जा रहा है.(व्यवधान)

श्री सुखेन्द्र सिंह - जब जांच की बात है तो..यह गलत बात है. (व्यवधान)..

श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष महोदय, यह मामला गंभीर है. जमीन के अधिग्रहण का मामला है, आप कह रहे हैं कि सरकारी जमीन अधिग्रहण की गई है, 50 प्रतिशत किसानों को पैसा देकर की है, माननीय विधायक का कहना यह है कि ऐसा नहीं है, किसानों की जमीन भी ले ली है और किसानों को पता भी नहीं है.

अध्यक्ष महोदय - स्पेसिफिक पूछें कि क्या चाहते हैं?

श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष महोदय, यह चाहते हैं कि जांच करें.

अध्यक्ष महोदय - किस बात की?

श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष महोदय, इस बात की कि किसानों की जमीन का अधिग्रहण हुआ है तो उन्हें पैसे दिये हैं या जिस किसान की जमीन का अधिग्रहण हुआ है तो वह उसे सरकारी बनाकर अधिग्रहण करना बता रहे हैं और किसान को मुआवजा नहीं मिल रहा है, इस बात की जांच करें.

श्री राजेन्द्र शुक्ल - अध्यक्ष महोदय, इस बात की जांच कराने में कोई आपत्ति नहीं है कि किसानों से जो जमीन ली गई है, उसका भुगतान हुआ है कि नहीं हुआ है.

अध्यक्ष महोदय - आप ठहरिए, उत्तर तो आने दीजिए.

श्री हरदीप सिंह डंग - अध्यक्ष महोदय, स्टे आने के बाद भी काम नहीं हुआ है, उसमें जांच में मुझे सम्मिलित किया जाय.

श्री राजेन्द्र शुक्ल - अध्यक्ष महोदय, निजी लोगों से जो जमीन ली गई उसकी जांच हो जाएगी कि उनके साथ कोई अन्याय तो नहीं हुआ है.

अध्यक्ष महोदय - प्रश्न संख्या 20 (श्री रामलाल रौतेल)..

श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष महोदय, जांच में सम्मिलित करा दें.

अध्यक्ष महोदय - नहीं, हर जांच में ठीक नहीं है?

(व्यवधान)..

श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष महोदय, कोई न कोई बात है इसलिए मंत्री जी हां नहीं कर रहे हैं.

श्री रामलाल रौतेल - अध्यक्ष महोदय, शहरी नगरपालिका..(व्यवधान)..

अध्यक्ष महोदय - दूसरों के प्रश्न भी जरूरी हैं, कृपा करके प्रश्न होने दें, आप कृपा करके बैठ जाएं.

श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष महोदय, अब जांच करा ही रहे हैं तो जांच में साथ रखने में  क्या आपत्ति है? विधायक थोड़ी जांच करेगा

(व्यवधान)

अध्यक्ष महोदय - नहीं आप बैठ जाएं, उनके 4-5 प्रश्न हो गये हैं. रावत जी को भी मौका दिया. वे जांच के लिए भी तैयार हैं और क्या चाहते हैं?

(व्यवधान)...

श्री घनश्याम पिरोनियां - अध्यक्ष महोदय, हमारा समय निकल रहा है, ये समय खराब कर रहे हैं, हमारे भी प्रश्न हैं. बड़ी मुश्किल से समय मिला है. अध्यक्ष महोदय, इन्हें बैठने के लिए कहा जाय इसके बाद में हमारा भी प्रश्न है.

श्री कमलेश्वर पटेल - अध्यक्ष महोदय, आप व्यवस्था दे दीजिए.

उप नेता प्रतिपक्ष (श्री बाला बच्चन) - अध्यक्ष महोदय, जैसा हमारे विधायकगण चाह रहे हैं कि विधायकों की उपस्थिति में जांच करा ली जाय तो मैं समझता हूं कि इसमें गलत क्या है? इसमें आपको व्यवस्था देना चाहिए, माननीय मंत्री जी को बोलना चाहिए. माननीय विधायक को भी जांच में रखें. हमारा आपसे निवेदन है, हम आपसे ही तो संरक्षण चाहेंगे.

श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष महोदय, विधायकों का संरक्षण हम आपसे ही तो मांगेंगे. जांच वह करा ही रहे हैं तो विधायकों की उपस्थिति में जांच कराने में क्या परेशानी है?

श्री बाला बच्चन - आप जांच के आदेश दे ही रहे हैं  तो जिनका प्रश्न है उनको भी साथ में रख लें.

अध्यक्ष महोदय - आजकल यह प्रवृत्ति हो गई है, मैं यह कहना नहीं चाहता था कि कोई भी जांच या कोई भी बात होती है तो उसमें सारे माननीय विधायक बोलते हैं कि क्या हमको शामिल करेंगे, क्या सर्वे में करेंगे,  क्या जांच में करेंगे. यह मैं नहीं सोचता कि यह उचित प्रवृत्ति है. यह हमारा काम नहीं है. बहुत बड़ा संदेह होता है तो विधान सभा की समितियां बनती हैं और वह जाती हैं उसके लिए विधान सभा में  अनेक समितियां हैं जो जांच करने जाती हैं. आपको भी यह जानकारी है, आप वरिष्ठ सदस्य हैं. इसलिए हर विषय में इसके लिए विवश करना उचित नहीं समझता. फिर भी माननीय मंत्री जी यदि कुछ कहना चाहें तो कहें.

श्री राजेन्द्र शुक्ल - अध्यक्ष महोदय, जैसा आपने व्यवस्था दी है, विधायक का बहुत बड़ा स्टेचर होता है. विधायक का काम है जांच करवाना, न कि जांच करना. आपकी मांग पर जांच स्थापित होगी, जिम्मेदार अधिकारी उसकी जांच करेंगे और हमें यह भरोसा करना चाहिए कि जो जांच करेंगे, उसमें यदि किसी के साथ अन्याय हुआ है तो बात पकड़ में आ जाएगी.

(व्यवधान)

अध्यक्ष महोदय - (कई माननीय सदस्यों के एक साथ खड़े होकर बोलने पर) आपकी यह बात ठीक नहीं है. मैंने व्यवस्था दे दी है, जिसका काम है उसको ही करने दीजिए. माननीय विधायकगण न तो आप विशेषज्ञ हैं, मैं कुछ कहना नहीं चाहता, आप बैठ जाएं और उनको प्रश्न करने दें.

श्री हरदीप सिंह डंग - अध्यक्ष महोदय, आज के बाद कोई विधायक किसी की जांच में नहीं जाना चाहिए, आज के बाद कोई भी विधायक किसी भी जांच समिति में नहीं जाना चाहिए.

श्री निशंक कुमार जैन - और जो पहले गये हैं, उन्हें डिलीट किया जाय.

श्री हरदीप सिंह डंग - हां और जो पहले गये हैं, उनको डिलीट करें.

(व्यवधान)..

एक माननीय सदस्य - यह कागजों पर है जमीन पर कुछ भी नहीं है.

श्री के.के. श्रीवास्तव - जहां पर लगता है कि जाना चाहिए तो वहां पर जाएगा. (व्यवधान)..सरकार आपके हिसाब से नहीं चलेगी. यह क्या तरीका है.

(व्यवधान)..

श्री जितू पटवारी - अध्यक्ष जी, जो जांच होगी  इससे दूध का दूध और पानी का पानी आएगा, अगर ऐसे में विधायक चला भी जाय तो क्या दिक्कत हो सकती है?

श्री के.के. श्रीवास्तव - यह कोई तरीका नहीं है कि आज के बाद विधायक नहीं जाएगा, सरकार को लगेगा तो विधायक जाएगा, नहीं तो नहीं जाएगा.

श्री जितू पटवारी - मेरा अनुरोध है कि अगर विधायक जी की इच्छा है तो जाना चाहिए, इसमें बुरा क्या हो जाएगा?

एक माननीय सदस्य - जो जवाब आ रहे हैं वह गलत आ रहे हैं तो जांच कहां से सही होगी? (व्यवधान)..

अध्यक्ष महोदय - प्रश्नकाल समाप्त.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

(प्रश्नकाल समाप्त)


 

समय 12.00 बजे.

                                           नियम 267 क के अधीन

 

 

 

 

 

समय 12.02 बजे.

पत्रों का पटल पर रखा जाना.

 

मध्यप्रदेश वेअर हाऊसिंह एण्ड लाजिस्टिक कार्पोरेशन का बारहवां वार्षिक प्रतिवेदन एवं हिसाब पत्रक वित्तीय वर्ष 2014-15

 

          खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री ( कुंवर विजय शाह ) -- अध्यक्ष महोदय मैं मध्यप्रेदश वेअर हाउसिंग एण्ड लाजिस्टिक कार्पोरेशन एक्ट 1962 की धारा 31 की उपधारा (11) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश वेअर हाउसिंग एण्ड लाजिस्टिक कार्पोरेशन का बारहवां वार्षिक प्रतिवेदन एवं हिसाब पत्रक वित्तीय वर्ष 2014-15 पटल पर रखता हूं.

          पं. रमेश दुबे -- अध्यक्ष महोदय मैंने दिया है एक महत्वपूर्ण विषय है उ सको नहीं लिया गया है आज 28 ध्यानाकर्षण लिये गये हैं और एक मजदूर की लापरवाही से मौत हुई है.

          अध्यक्ष महोदय -- आपने आग्रह किया था उसको चर्चा में लेने के लिए इसलिए रोका है. चूंकि अभी सदन और चलेगा तो उ स समय उसको ले लेंगे.

निंदा प्रस्ताव

          श्री जितू पटवारी ( राऊ ) -- अध्यक्ष महोदय मैं आपसे निवेदन करता हूं और पूरे सदन को भी इस ओर आकर्षित करना चाहता हूं कि आप सबकी कृपा होगी कि आप लोग मेरी बात को पूरे ध्यान से सुनें. मैंने एक निंदा का प्रस्ताव धारा 130 के अंतर्गत आपको दिया है. देश में एक अजीब तरीके का घटनाएं होने लगी हैं. अभी लातूर में एक एमआईएम के नेता ने जिस तरह से भारत माता की जय बोलने से इंकार किया है. आ ज देश में जिस तरह से भाई चारे की आवश्यकता है, और भारत माता के संदर्भ में भारत माता की जय की व्याख्या करते हुए पंडित नेहरू जी ने डिस्कवरी आफ इंडिया में पूरा वक्तव्य उनका देखते हैं, तो जब देश की जनता से उन्होंने पूछा कि आप बतायें कि भारत माता की जय क्या है. उसमें नेहरू जी ने कहा है कि यहां पर रहने वाले लोग, यहां की नदियां,यहां के पहाड़, यहां की सभ्यता,यहां का भाईचारा, यहां की मिली जुली संस्कृति और हिन्दु मुस्लिम सिख ईसाई का एक अनोखा व्यवहार यह ही भारत माता है और इसी की हम रोज जय करते हैं. हमारा संविधान यह कहता है कि जोर जबर्दस्ती से किसी पर कोई विचार थोपे नहीं जा सकते हैं और किसी को कोई बात जबर्दस्ती मनवाकर बोलने के लिए मजबूर भी नहीं किया जा सकता है. लेकिन आजादी के आंदोलन में कई नारे हमारे निकले हैं. जब अंग्रेजों के सामने लोगों ने अलग अलग तरीके से लोगों ने नारे उस समय के हमारे आंदोलनकारियों ने या आजादी के शहीदों ने या आजादी के क्रांतिवीरों ने कई नारे निकाले हैं उसमें उन्होंने भारत माता की जय, जय हिन्द, इंकलाब जिन्‍दाबाद ऐसी अनेकों बातें कहीं. इस अवसर पर मैं इस बात पर भी आपका ध्‍यान केंद्रित करना चाहता हूँ कि ए.आर. रहमान, जो एक अच्‍छे संगीतकार हैं, उन्‍होंने भी एक गीत बनाया और भारत मां की वंदना की, उसमें उन्‍होंने कहा - मां तुझे सलाम. मैं समझता हूँ कि ये सब बातें वही हैं, भारत का संविधान उदारवादी है, भारत का संविधान सबको महत्‍व देने वाला है पर इस तरह राजनीतिक लाभ के लिए भारत मां का अपमान करना और जोर-जबरदस्‍ती से यह कहना कि मैं भारत मां की जय नहीं बोलूंगा, मैं समझता हूँ कि यह निंदनीय है और सर्वसम्‍मति से इसकी पूरे सदन ने निंदा करनी चाहिए.

          अध्‍यक्ष महोदय, दूसरी बात इस अवसर पर मैं यह भी कहना चाहता हूँ कि इस देश के संविधान और भाईचारे को और इस देश की अखण्‍डता को बनाने में हर तरह की कट्टरपंथिता है, वह चाहे हिंदू की हो, चाहे मुसलमान की हो, चाहे सिक्‍ख की हो, चाहे ईसाई की हो, हर तरह की कट्टरपंथिता का हम जब तक सर्वसम्‍मति से प्रतिकार नहीं करेंगे, मैं समझता हूँ कि भारत मां का असली सम्‍मान नहीं हो सकता. मैं सदन के सम्‍माननीय सभी सदस्‍यों से अनुरोध करना चाहता हूँ कि भारत मां के जय के नारे को या भारत मां के जयकारे को एक मां से उसे रिलेटेड करके देखना चाहिए, जिस तरह से संविधान में नहीं लिखा रहता है कि मां की सेवा करनी है, मां का मान करना है, फिर भी हम सब यह करते हैं, उसी तरह से हमें भारत मां का सम्‍मान करना चाहिए. कोई कहने नहीं जाता, पर जो नहीं करता है उसको लोग कहने जाते हैं मैं समझता हूँ कि उनको कोई कहने नहीं गया उसके बाद भी उन्‍होंने इस तरह का वक्‍तव्‍य दिया, इसकी मैं निंदा करता हूँ और इस सदन के सभी सम्‍माननीय सदस्‍यों से पुन: अनुरोध करता हूँ कि सर्वसम्‍मति से यह निंदा प्रस्‍ताव पास करें. धन्‍यवाद अध्‍यक्ष जी. 

          संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्‍तम मिश्र) -- अध्‍यक्ष महोदय, एक बहुत अच्‍छा विषय पटवारी जी लेकर आए हैं. इस बारे में मेरा सिर्फ इतना निवेदन है कि सवाल भारत मां की जय बोलने का नहीं है, सवाल उस मानसिकता का है जो लंबे समय से इस देश में विभाजन की रेखा खींचने की कोशिश कर रही है. ये वे लोग हैं जो सिर्फ वोटों की राजनीति करने के लिए समाज को या देश को बांटना चाहते हैं. इनके मुंह से अल्‍पसंख्‍यकों का ध्रवीकरण करने के लिए इस तरह की बात तो आपने सुनी होगी लेकिन कभी अल्‍पसंख्‍यकों की बेरोजगारी के बारे में, अल्‍पसंख्‍यकों को रोजगार देने के बारे में इनके मुंह से आपने एक शब्‍द नहीं सुना होगा.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, पिछले कुछ डेढ़-दो साल से आप देख रहे होंगे कि इस देश के अंदर इस तरह का वातवारण बनाने की कोशिश की जा रही है जैसा जितू भाई ने कहा. असहिष्‍णुता शब्‍द भी पिछले डेढ़-दो साल से ही आया है. यह सिर्फ इसलिए आया है कि देश के अंदर इस देश की जनता को मुद्दों से भटकाया जाए, जो विषय आज चल रहे हैं उन विषयों से भटकाया जाए. देश के अंदर बेरोजगारी का विषय न रहे, देश के अंदर भ्रष्‍टाचार का विषय न रहे, जिन विषयों पर पूर्व में चर्चा होती थी वे न रहें. भारत तेरे टुकड़े होंगे - इंशा अल्‍लाह, इंशा अल्‍लाह - ऐसे नारे इस देश के अंदर गुंजेंगे तो इससे बड़ी निंदा की बात कोई नहीं हो सकती, इससे ज्‍यादा बुरी बात कोई नहीं हो सकती. कहा जा रहा है कि अफजल हम शर्मिंदा हैं तेरे कातिल जिंदा हैं, कौन हैं कातिल उसके ? क्‍या न्‍यायाधीश कातिल हैं ? क्‍या सुप्रीम कोर्ट कातिल है उसका ? माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हम जिस संस्‍कृति के जनक हैं या हम जिस संस्‍कृति की पूजा करते हैं, उसमें तो हम रहीम की भी पूजा करते हैं और रसखान की भी पूजा करते हैं. हम उस रहीम की पूजा करते हैं जो कहता था -

     धूर लेत सर पे धरें कौ रहीम के ही काज,

     जेहिं रज मुन पत्‍नि तजी तेहीं ढूंढे गजराज,

          हम उस रसखान की पूजा करते हैं जो कहता था -

          मानस हों तो वही रसखान बसौ

           ब्रज गोकुल गांव के ग्‍वालन बीच,

          लेकिन हम इस मानसिकता का विरोध करते हैं जो भारत के अंदर रहते हैं और पाकिस्‍तान जिंदाबाद के नारे लगाते हैं. हम उस मानसिकता के विरोधी हैं जो ओवैसी की तरह की मानसिकता है. खून-खराबे की बात नहीं करते वे कहते हैं गला काट देंगे, किसका गला - 

                   मंदिर और मस्‍जिद की या किसी ईमारत की,

                   माटी तो लगी इसमें भाई मेरे भारत की,

                   लहू था हिंदू का अल्‍लाह शर्मिन्‍दा हुआ,

                   मरा मुसलमान तो राम कब जिंदा रहा

                   बिखरे-बिखरे हैं सभी, आओ इस घर में रहें,

                   क्‍या पता तुम न रहो, क्‍या पता हम न रहें.                                            

          माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी गुजारिश सिर्फ इतनी सी है कि जो जितू पटवारी जी ने प्रस्ताव रखा है. यह पूरा का पूरा सदन उसके लिए, इन दोनों घटनाओं के लिए अफजल गुरु के लिए भी और इस औवेसी के लिए भी समवेत इसकी निन्दा करे. आपने बोलने का समय दिया उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.

                   अध्यक्ष महोदय-- ( कई माननीय सदस्यों के खड़े होने पर) बहुत से लोगों ने हाथ उठाये हैं,फिर सब को अनुमति देना पड़ेगा. यह विषय फिर बहस का हो जाएगा. कृपया सहयोग करें. किसी को अनुमति नहीं है (व्यवधान) ठीक है, हम आपसे सहमत हैं. माननीय जितू पटवारी जी ने जो बात रखी है और माननीय संसदीय कार्य मंत्री श्री नरोत्तम मिश्रा जी ने इसको बढ़ाया है, उन भावनाओं से सदन भी सहमत है. ऐसा कृत्य MIM के नेता श्री औवेसी एवं उनके दल के कुछ सदस्यों द्वारा जो यह कृत्य किया जा रहा है, यह सर्वथा निंदनीय है.

          माननीय संसदीय कार्यमंत्री एवं अन्य माननीय सदस्यों द्वारा MIM के नेता श्री औवेसी द्वारा भारत माता की जय ना बोलने संबंधी विवादास्पद बयान के परिप्रेक्ष्य में जो भावनायें व्यक्त की गई है वह सही हैं, किसी भी धर्म या संप्रदाय में मातृभूमि को प्रति इस तरह के भाव का कोई स्थान नहीं है.

        ऐसा कृत्य देश के सम्मान के विरुद्ध है तथा सर्वथा निंदा किये जाने योग्य है. यह हर्ष का विषय है कि राज्यसभा में भी श्री जावेद अख्तर ने इस बयान की निंदा की है और अलग अलग अवसरों पर देश के कई स्थानों पर इस्लामिक धर्म गुरुओं द्वारा भी इस बयान  की निंदा की गई है. स्वयं को  सदन की भावनाओं से जोड़ता हूँ, अत: यह सदन एक मत से MIM के नेता  के विवादास्पद बयान व कृत्य  तथा जे.एन.यू.,दिल्ली में अफजल गुरु के पक्ष में देश विरोधी नारो की निंदा करता है.

           ( इण्डियन नेशनल कांग्रेस एवं भारतीय जनता पार्टी के कई मानननीय सदस्यों द्वारा खड़े होकर  भारत माता की जय एवं वंदे मातरम् के नारे लगाये गये )

 

 

 

 

 

 

 

12.12 बजे                                  ध्यान आकर्षण

 

 

                                                                       (सदन द्वारा सहमति प्रदान की गयी)

 

 

 

 

 

 

 

 

(1) सीधी जिले में अपात्र लोगों को इंदिरा आवास का आवंटन किया जाना

         

            श्री केदारनाथ शुक्ल(सीधी)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,       

 

 

          पंचायत एवं ग्रामीम विकास मंत्री(श्री गोपाल भार्गव)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,

 

 

                                                                                               

 

            श्री केदारनाथ शुक्ल--  माननीय अध्यक्ष महोदय, 333 आवास स्वीकृत हुए. 115 पंचायतें, जवाब में 102 आया है, वहाँ 115 पंचायतें हैं. 115 पंचायतों में से केवल 57 पंचायतों के आवास आवंटित हुए. कुछ पंचायतें तो ऐसी हैं, जिनको 15 से अधिक आवास आवंटित कर दिए गए. प्रतीक्षा सूची का पालन नहीं हुआ. अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लोगों को और वेटिंग लिस्ट में जिनका नाम था, ऐसे लोगों को नहीं दिया गया, अनुसूचित जाति, जनजाति के लोगों को नहीं दिया गया. जनपद पंचायत का जो वास्तविक प्रस्ताव है, उसे दरकिनार किया गया. पिछले वर्षों में जिनको आवास दिया गया था उन्हीं की पत्नी को, उनके पुत्र को या बेटे को दे दिया गया. जिला पंचायत में एक रत्नेश सिंह करके संविदा कर्मी है, उसको यह काम सौंपा गया है. उसने तमाम लोगों से आधा पैसा लेकर के दिया है. पिछले 3-4 वर्षों से यह धंधा चालू है. लक्ष्य के विपरीत आवास आवंटित किए गए हैं. मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूँ कि जाँच तो आप करवाएँगे ही, जाँच का आपने आश्वासन दिया है. क्या इस रत्नेश सिंह को, संविदा कर्मी है, इसको हटा करके, इसको नौकरी से अलग करके, संविदा कर्मी से अलग करके, इसकी पूरी जाँच करवाएँगे?

          श्री कमलेश्वर पटेल--  माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे विधान सभा क्षेत्र सिहावल ब्लाक में भी इसी तरह का हुआ है. सीधी जिले का ही मामला है.

          अध्यक्ष महोदय--  आप दूसरों का आने दीजिए. आप बोलते हैं तब तो कोई दूसरा बीच में नहीं बोलता. दूसरे जिले का नहीं पूछने देंगे.

          श्री कमलेश्वर पटेल--  हम भी उसी जिले से हैं.

          अध्यक्ष महोदय--  अभी आप बैठ जाइये.

          श्री गोपाल भार्गव--  माननीय अध्यक्ष महोदय, ये आई ए वाय योजना के अंतर्गत जो आवास कुटीरों का आवंटन इस जिले में हुआ है. मैंने इसको देखा है प्रथमदृष्टया इसमें अनियमित और नियम विरुद्ध आवंटन मुझे समझ में आया है और जैसा कि माननीय सदस्य ने अपेक्षा व्यक्त की है, मैंने इसकी प्रथमदृष्टया जाँच के दौरान यह पाया है कि इसमें यह जो कर्मचारी है, आवंटन करने वाला, इसका दोष है, इस कारण से इसको नौकरी से पृथक किया जाता है. (मेजों की थपथपाहट)

          श्री केदारनाथ शुक्ल--  माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे सिहावल के विधायक जी भी बोल रहे हैं. हमारे विधान सभा क्षेत्र में सिहावल जनपद का भी कुछ हिस्सा है. प्रश्न लगाने के बाद मुझे ज्ञात हुआ कि वहाँ भी यही काम इसने किया है इसलिए सिहावल जनपद पंचायत को भी इस जाँच में शामिल किया जाए.

          अध्यक्ष महोदय--  कमलेश्वर जी, आपका प्रश्न भी उन्होंने ही पूछ लिया.

          श्री कमलेश्वर पटेल--  अध्यक्ष महोदय, इसी से संबंधित है.

          अध्यक्ष महोदय--  इसी के साथ जोड़ लीजिए.

          श्री कमलेश्वर पटेल-- अध्यक्ष महोदय, इसी से संबंधित है. एक तो जो अभी आवंटन हुआ है इसमें भारी अनियमितता हुई, जैसा माननीय विधायक जी ने बताया....

          अध्यक्ष महोदय--  आप भाषण देते हैं इसलिए हम आपको एलाऊ नहीं करते.

          श्री कमलेश्वर पटेल--  दूसरा, इंदिरा आवास की द्वितीय किश्त दो दो साल से पैंडिंग है. माननीय मंत्री जी से यह भी हम चाहेंगे कि उसका भी निराकरण करा दें और इसमें जो गड़बड़ी हुई है इसको निरस्त करके फिर से, हम आप से निवेदन करेंगे कि दुबारा से फिर इसका सिलेक्शन कराएँ और सही हितग्राहियों को मिले.

          अध्यक्ष महोदय--  जिनका मूल था उन्होंने इतना समय नहीं लगाया प्रश्न पूछने में. माननीय मंत्री जी, दोनों का समेकित उत्तर दे दीजिए. एक ही ब्लाक से संबंधित है.

          श्री गोपाल भार्गव--  माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा मैंने कहा है कि जिले की आवंटन सूची में, मैंने देखा है कुछ ग्राम पंचायतें बिल्कुल छोड़ दी गईं, निरंक रहीं. कुछ के लिए संख्या से ज्यादा दे दिया गया है. अध्यक्ष महोदय, ग्रामसभा में आवासहीनों की सूची बनी थी उस सूची को अलग करके और मनमाने तरीके से आवंटन किया गया है इसलिए मैं सारा आवंटन निरस्त करके और नये सिरे से सूची बनवा दूँगा.

          श्री कमलेश्वर पटेल--  अध्यक्ष महोदय, दूसरी किश्त के बारे में भी बता दें.

          अध्यक्ष महोदय--  अब हो गया. धन्यवाद दो आपके कहने पर कर दिया.

 

          श्री कमलेश्वर पटेल--  अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री महोदय को बहुत बहुत धन्यवाद देता हूँ. लेकिन हमारे सिहावल ब्लाक में दूसरी किश्त दो साल से 300 लोगों की पैंडिंग है....

          अध्यक्ष महोदय--  आप बड़ी मुश्किल से धन्यवाद देते हैं. मूल प्रश्नकर्ता की बात आ गई. बैठ जाएँ.

 

 

 

 

 

(2) शिवपुरी जिले के पिछोर क्षेत्र में हैंडपंप एवं नल जल योजना बंद होना.

        श्री के.पी.सिंह(पिछोर)--  माननीय अध्यक्ष महोदय,

 

           

 

 

 

            संसदीय कार्य मंत्री (डॉ.नरोत्तम मिश्र)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं क्षमा के साथ कहना चाहता हूँ मेरी गुजारिश है कि आपने जो निंदा प्रस्ताव पास किया है सदन उससे सहमत है उसमें मैंने एक उल्लेख किया था जिनने भारत विरोधी नारे लगाये हैं वह शब्द भी इसमें आ जायें. "अफज़ल हम शर्मिंदा हैं तेरे कातिल ज़िंदा हैं."

          श्री बाबूलाल गौर--माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बहुत आवश्यक है इसको जोड़ा जाना चाहिए.

          अध्यक्ष महोदय-- वैसे तो वह मूल प्रस्ताव में नहीं था किन्तु यदि सदन की भावना है तो उसको जोड़ा जा सकता है.

          श्री विश्वास सारंग--जेएनयू की घटना की भी निंदा होना चाहिये.

          अध्यक्ष महोदय--हो गई बात. माननीय मंत्रीजी ध्यानाकर्षण का उत्तर दें.

          वन मंत्री (डॉ.गौरीशंकर शेजवार)--माननीय अध्यक्ष महोदय, ध्यानाकर्षण सूचना के उत्तर में मेरा वक्तव्य इस प्रकार है--

         

             श्री के.पी. सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा जो विषय है सदन के लगभग सारे सदस्य इसकी चिंता करते होंगे. मंत्रीजी के पास जो शासकीय वक्तव्य आया वह उन्होंने पढ़ दिया. मेरा सौभाग्य है कि गौरीशंकर शेजवार जी बहुत विद्वान, वरिष्ठ, जानकार मंत्री हैं और वे इस ध्यानाकर्षण का जवाब दे रहे हैं इसलिये मैं दो-तीन उदाहरण माननीय मंत्रीजी के सामने रखना चाहता हूँ. एक पत्र है जनवरी 2016 का यह पत्र ईएनसी डामोर ने लिखा है. आपने कहा है कि दो विभाग इसमें इनवाल्व नहीं हैं. पत्र में जो लिखा है वह मैं पढ़ रहा हूं "स्त्रोत के निर्माण लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा कराये जायेंगे, परन्तु मोटर पंप, मुख्य पाइप लाईन जोड़ने तथा ग्राम पंचायत के नाम स्थायी विद्युत कनेक्शन प्राप्त करने का प्रावधान प्राक्कलन तैयार कर, प्राक्कलन का मुख्य अभियंता कार्यालय अनुमोदन कर उससे संबंधित जिला पंचायत को उपलब्ध कराया जायेगा." एक तो आपके जवाब में यह आ रहा है कि एक ही विभाग इसके लिये जवाबदार है यह आपके ही ईएनसी का जारी किया हुआ पत्र है. अध्यक्ष महोदय, यदि मंत्रीजी इसकी कॉपी चाहेंगे तो मैं उपलब्ध करा दूंगा. इसी की व्यवस्था के बाद जब यह व्यवस्था ठीक नहीं हुई यह 23 जनवरी का पत्र था . फिर 23.2 को मुख्‍य सचिव को एक पत्र ई एन सी को लिखना पड़ा. जिसमें उन्‍होंने लिखा है कि 6 माह पूर्व यह निर्णय लिया गया था कि ऐसी पेयजल योजनाओं को छोड़ जिनका संचालन पंचायत विभाग द्वारा सुचारू रूप से किया जा रहा है, शेष समस्‍त ग्रामीण पेयजल योजनाएं लोक स्‍वास्‍थ्‍य यांत्रिकी विभाग को स्‍थानां‍तरित की जाये. इसके साथ ही बंद समस्‍त योजनाओं को पुन: प्रारंभ करने हेतु प्राक्‍कलन के आधार पर राशि भी लोक स्‍वास्‍थ्‍य यांत्रिकी विभाग को पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को उपलब्‍ध करा दी जायेगी. आश्‍चर्य की बात यह है कि 6 माह अवधि बीतने के पश्‍चात् भी और प्राक्‍कलन तैयार होने के बाद भी यह स्‍थानांतरण नहीं हुआ है, यह गंभीर लापरवाही है. मैं चाहूंगा कि उच्‍च स्‍तर पर लिये गये निर्णय का पालन तत्‍काल किया जाये. यह मुख्‍य सचिव की फरवरी का पत्र है.अगर जनवरी की व्‍यवस्‍था के अनुसार व्‍यवस्‍था ठीक हो गयी होती तो मैं समझता हूं कि मुख्‍य सचिव को यह पत्र नहीं लिखना पड़ता. यह एक उदाहरण है, जो आप कह रहे हैं कि सब ठीक ठाक है.

          अध्‍यक्ष महोदय,मेरा प्रश्‍न यह है कि  इस व्‍यवस्‍था में तीन विभाग इनवाल्‍व है एक तो पी एच ई, पंचायत और एम पी ई बी तीनों विभाग इसमें इनवाल्‍व हैं. इन तीनों विभागों की वजह से नलजल योजना और हैंडपम्‍पों की दिक्‍कत हो रही है. यह जो जवाब आया है, चूंकि यह मेरी विधान सभा का है और पिछले महिने मैंने समीक्षा बैठक की थी उस बैठक में यह जो जानकारी यहां पर भेजी गयी है, यह सारी जानकारी गलत साबित हुई हैं.

          मेरा आपके माध्‍यम से मंत्री जी से आग्रह है कि यह सूखे का वक्‍त है और कई जिले सूखाग्रस्‍त से घोषित हो गये और कई तहसीलें सूखे से घोषित हो गये हैं और कई जिले और तहसीलें सूखे से घोषित नहीं हो पायीं हैं. मैं मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि क्‍या आप एक ऐसी व्‍यवस्‍था पूरे मध्‍यप्रदेश के उन जिलों और तहसीलों में जो सूखे से पीडि़त हैं, सिर्फ तीन महिने के लिये, जिसमें एक रूपता हो और उस व्‍यवस्‍था के अनुरूप हर सप्‍ताह, चूंकि अप्रैल से मार्च तक तो उतनी दिक्‍कत नहीं थी, लेकिन अप्रैल, मई और जून में भयावह स्थिति बन जायेगी. ऐसी स्थिति से निपटने के लिये विकास खण्‍ड स्‍तर पर एक समिति का गठन जिसमें बिजली विभाग के लोग हों, पी एच ई के लोग हों और पंचायत विभाग के लोग हों और साथ ही उसमें स्‍थानीय विधायक या विधायक का प्रतिनिध उसमें होना इसलिये जरूरी है कि  हम पब्लिक में जाते हैं तो इन चार लोगों की एक समिति विकास खण्‍ड स्‍तर पर बना देंगे और सप्‍ताह इसके रिव्‍यू की व्‍यवस्‍था होना चाहिये, अगर हर सप्‍ताह रिव्‍यू होगा तो हमको मालूम होगा की यह व्‍यवस्‍था चालू है या नहीं. क्‍योंकि हम लोग भी दौरे पर जाते हैं तो हम लोगों को भी जानकारी होना चाहिये, तो हम भी लोगों को जानकारी दे देंगे. सरकारी जवाब से हमको काम नहीं चलाना पड़ेगा. जिले स्‍तर पर व्‍यवस्‍था इसलिये नहीं चल सकती क्‍योंकि जिले स्‍तर पर कभी प्रभारी मंत्री नहीं जा सकते, कलेक्‍टर की बैठकें नहीं हो पाती. मेरा मंत्री जी से आग्रह है कि इन चार लोगों की जनप्रतिनिधियों के साथ एक समिति क्‍या बना देंगे.

          डॉ गौरीशंकर शेजवार :- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैंने अपना जो वक्‍तव्‍य पढ़ा है, वह बिल्‍कुल सही है. पता नहीं माननीय सदस्‍य को सुनने में कमी रह गयी. मैंने यह कहा है कि हैंडपम्‍पों का काम पी एच ई विभाग देखता है और नलजल योजनाओं का काम ग्राम पंचायतों को सौंपा गया है. समय समय पर जैसी आवश्‍यकता होती है तो विभाग द्वारा और यह सूखे का साल है, इसलिये अगर मुख्‍य सचिव भी इसमें रूचि ले रहे हैं तो और विभागों को आगाह कर रहे हैं, तो इसका मतलब यह है कि शासन सतर्क है और लोग परेशान न हों. इसकी शासन को पूरी चिंता है. आपने जो पत्र यहां पर पढ़ें है वह इस बात का प्रमाण है. आपने जहां तक यह बात कही है कि इसकी एक समिति होना चाहिये. अध्‍यक्ष महोदय एस डी एम और कलेक्‍टर, कलेक्‍टर पूरे जिले का और एस डी एम एक विधान सभा के आसपास का होता है. पूरी इन सब की मानीटरिंग भी करते हैं और समीक्षा बैठक करके पूरी जानकारी भी लेते हैं. पी.एच.ई.विभाग के इंजीनियर और आवश्यकता पड़ने पर जनपद या आर.ई.एस. में जो इंजीनियर काम करते हैं उनका भी सहयोग लिया जाता है. कई क्षेत्रों में ऐसे सर्वे भी हो रहे हैं. एक बात आपने सही कही है कि एकरूपता होनी चाहिये और सर्वे और जानकारी को सुनिश्चित करने के लिये एक कमेटी का आपने प्रारूप बताया है इसमें कोई बुराई नहीं है आपका अच्छा सुझाव है चूंकि कई विभागों के  लोगों को इसमें शामिल करना है तो मैं माननीय मुख्यमंत्री जी से यह आग्रह करूंगा कि इन तीन महिनों में वस्तुस्थिति से अवगत होने के लिये और वास्तव में पीने के पानी की कहां कमी है. कहां सब संसाधन उपलब्ध कराने की आवश्यकता है तो एक कमेटी इसकी जानकारी के लिये बन जाये तो इसमें कोई बुराई नहीं है लेकिन चूंकि मुख्यमंत्री जी से इसमें बातचीत करना पड़ेगी और आपकी भावनाओं से हम और सरकार सहमत है लेकिन जहां तक मैं आपको आश्वासन देना चाहता हूं और सदन को आपके माध्यम से यह विश्वास दिलाना चाहता हूं कि सरकार ने जो आवश्यक चीजें हैं उसकी पूर्ति सरकार के विभागों को करवा दी है पर्याप्त बजट का आवंटन है.  जिला स्तर और विकासखण्ड स्तर पर और पी.एच.ई. विभाग के अधिकारियों के पास पर्याप्त बजट पहुंच चुका है और जहां-जहां से आवश्यकता होती है वहां पाईपों  को उनकी लंबाई  बढ़ाने का भी काम किया जा रहा है. अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से यह बात सदन की जानकारी में लाना चाहता हूं कि हमने यह भी सर्वे करवा लिया है कि जहां ज्यादा पाईप बढ़ाने के बजाय हम सिंगल फेज की मोटर डालकर और पानी मोटर के माध्यम से खींचकर लोगों को सप्लाई करेंगे. चूंकि प्रश्न  में इसका उल्लेख नहीं था, नहीं तो वह जानकारी मैं आपको देता कि कितनी जगह हमने सिंगल फेज की मोटरें डलवाई हैं लेकिन हम आपको विश्वास दिलाना चाहते हैं कि पानी की कहीं कोई कमी नहीं रहने देंगे और जहां से हमें सूचना मिलेगी आवश्यकता के अनुसार  हम पानी के परिवहन की भी व्यवस्था पर्याप्त करवाएंगे लेकिन आपने अच्छी सलाह दी है और इसके लिये मैं आपको धन्यवाद मानता हूं.

          श्री के.पी.सिंह - धन्यवाद.

          पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री(श्री गोपाल भार्गव) - अध्यक्ष महोदय, ध्यानाकर्षण सूचना में दो विभागों के संबंध में उल्लेख किया गया था. मैं माननीय सदस्य को और सदन को इस विषय में अवगत कराना प्रासंगिक समझता हूं. अध्यक्ष महोदय, हम लोगों ने तय किया है कि कोई भी ग्राम पंचायत की नलजल योजना का बिजली कनेक्शन नहीं काटा जायेगा इसके लिये 2015-16 में पूरे प्रदेश में हमने 188 करोड़ रुपये की राशि नलजल योजनाओं के मद में जो पंचायतों की बाकी राशि थी वह हमने विद्युत मण्डल की तीनों कंपनियों के लिये  राशि जमा कर दी है. मध्य क्षेत्र विद्युत कंपनी को 37करोड़ 41 लाख,पूर्व क्षेत्र विद्युत कंपनी को 51 करोड़ 8 लाख और पश्चिम क्षेत्र विद्युत कंपनी को 100 करोड़ रुपये की राशि हमारी तरफ से दी गई है. इस कारण से कोई भी बिजली के कनेक्शन विच्छेद  के कारण से कोई भी नलजल योजना बंद नहीं होनी चाहिये. मैं सदन को अवगत कराना चाहता हूं कि यदि कहीं ऐसा विषय आये कि बिजली के बिल न भरने के कारण कनेक्शन काटा गया है तो माननीय सदस्य इस बात को कह सकते हैं. दूसरी बात शिवपुरी जिले का जहां तक सवाल है इसके लिये 2 करोड़ 65 लाख रुपये की राशि इस हेतु दी गई है. बंद पड़ी नलजल योजनाओं के लिये अभी हमने 100 करोड़ रुपये की राशि पी.एच.ई. विभाग को हस्तांतरित की है वे मेंटेनेंस का काम कर सके. इस तरह से चौदहवें वित्त आयोग में भी हमने पेयजल के लिये और जहां-जहां नलजल योजनाएं बंद हैं उनको चालू करने के लिये, मेंटेनेंस करने के लिये चौदह सौ करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान किया है अर्थाभाव नहीं है. निचले स्तर की व्यवस्था के बारे में माननीय मंत्री जी ने अवगत करा दिया है. जिले और सबडिविजन के अधिकारियों की बैठक करके उसको दुरुस्त कर सकते हैं.

                   अध्यक्ष महोदय--के.पी.सिंह, तथा श्री राजेन्द्र पाण्डेय जी सिर्फ मंत्री जो सुझाव दें, उसका उत्तर नहीं मांगे.

                   श्री के.पी.सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने जो कुछ मेरे जवाब में कहा है उन्होंने मेरे सुझाव को स्वीकार किया है, इसके लिये धन्यवाद. लेकिन मेरा निवेदन है कि यह जो पांच-सात दिन की छुट्टी पड़ रही है इसमें माननीय मुख्यमंत्री जी से चर्चा कर लें और जब अगला सत्र 29.30.31 तारीख को तब आपकी तरफ से एक बयान भी आ जाए कि व्यवस्था हमने कर दी है तो मैं समझता हूं कि निचले स्तर पर सभी चीजें हो जाएंगी. मैं चाहूंगा श्री राजेन्द्र शुक्ल जी बिजली मंत्री हैं यहां पर विराजमान हैं जैसे गोपाल भार्गव जी का इसमें वक्तव्य आया उसी तरह मंत्री जी का आ जाये. मेहरबानी इनके विभाग का इसमें क्या कहना है अपनी तरफ से उचित समझतें हैं तो जवाब दे दें.

          अध्यक्ष महोदय--राजेन्द्र पाण्डेय जी का सुन लें उसके बाद दोनों के बारे इकट्टे बोल लेना.

          डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा सुझाव है कि शासन माननीय मुख्यमंत्री जी की बात पर 24 घंटे बिजली दे रहा है और जिस तरह से ग्रामीण क्षेत्रों में नल-जल योजानाओं की स्थिति है, यह स्वागत योग्य है माननीय मंत्री जी ने इसमें प्रयास किये हैं.

          अध्यक्ष महोदय--आपका क्या सुझाव है.

          डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा सुझाव यह है कि जिस तरह से स्ट्रीट लाईटें हैं, स्ट्रीट लाईटों का बकाया बिल होने के कारण बंद पड़ी रहती है, भले ही गांवों में 24 घंटे बिजली मिल रही है, लेकिन गांव तो अंधेरे में ही रहता है, छः बजे के बाद जानवर आ जाते हैं. जैसे स्ट्रीट लाईट के बकाया बिल हैं उनको भी जमा कराने की व्यवस्था की जाए. उनका समायोजन ग्राम पंचायत की राशि से किया जाए.

          अध्यक्ष महोदय--यह विषय नहीं है, वैसे पंचायत मंत्री जी ने बता दिया है. आपकी बात आ गई है. आप इस बात को नहीं सुन पाये इस बात को क्लियर कर दिया था.

          श्री राजेन्द्र शुक्ल--माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि माननीय भार्गव जी ने बताया ग्रामीण विकास विभाग नल-जल योजनाओं के लिये विद्युत योजनाओं के लंबित बिल लेते हैं उसकी राशि ड्रिस्टीब्यूशन कम्पनी को जमा करते हैं इसलिये विद्युत के भुगतान न हो पाने के कारण किसी भी नल-जल योजना को डिसकनेक्ट नहीं किया जाता है.

          श्री रामनिवास रावत--माननीय अध्यक्ष महोदय, आज जुम्मा होने के कारण माननीय आरिफ अकील जी का ध्यानाकर्षण वैसे 4 नंबर पर हैं. मैं चाहता हूं कि माननीय तिवारी जी के पहले उनका ध्यानाकर्षण लिया जाए.

          अध्यक्ष महोदय--ठीक है. श्री आरिफ अकील.

 

 

 

 

 

 

 

(3) भोपाल नगर में आपराधिक घटनाएं घटित होना

 

          श्री आरिफ अकील (भोपाल उत्तर)-- अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यान आकर्षण सूचना का विषय इस प्रकार है-

 

                                                                                                                     

 

 

 

 

गृह मंत्री (श्री बाबूलाल गौर)-


श्री आरिफ अकील(भोपाल उत्‍तर)-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, गौर साहब की तरफ देखकर जवाब लूंगा,  तो ज्‍यादा अच्‍छा लगेगा । माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं,  शहर में,  चौराहों पर छोटे छोटे बच्‍चे,  11 और 12 साल के लड़के और लडकियां रूमाल में कोई चीज लेकर सूघतें हैं,  जिससे उनको नशा होता है,  आए दिन बस स्‍टेण्‍ड,  रेल्‍वे स्‍टेशन और दूसरे एरिया में देखे जाते हैं और आप कह रहे हैं कि ऐसा नहीं है,  खुले आम यह पदार्थ बिक रहे हैं,  छोटे छोटे नाबालिक बच्‍चों पर इसका असर हो रहा है ।

माननीय अध्‍यक्ष महोदय, दूसरी बात,  आपने फरमाया है कि भोपाल में तीन साल से अधिक का कोई अधिकारी पदस्‍थ नही है,  यदि तीन साल से ज्‍यादा जिनको हो गए हैं, उनके यहां लॉ एण्‍ड आर्डर की स्थिति अच्‍छी नहीं है,  तो क्‍या उन अधिकारियों  को वहां से हटाएंगे और ऐसे लोग जो नशीले पदार्थ बेच रहे हैं,  जिनके खिलाफ आपराधिक प्रकरण पंजीबद्व हो गए हैं,  बच्‍चे नशे कर रहे हैं,  उनको हेल्‍प लाइन में कहीं भेजेंगे,   उनकी व्‍यवस्‍था करेंगे साथ ही  जो दुकानें बच्‍चों को नशीले पदार्थ बेच रही हैं, ऐसी दुकानों पर कार्यवाही करके उनको सख्‍ती से बंद करवाएंगे ।

श्री बाबूलाल गौर -  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जो सुझाव दिए हैं,  उन पर विचार करेंगे ।

श्री आरिफ अकील-  यह सुझाव हैं ।

श्री बाबूलाल गौर-  आपने कहा है कि छोटे छोटे बच्‍चे बेच रहे हैं, मादक पदार्थ बेच रहे हैं तो उनके खिलाफ कार्यवाही भी करेंगे,  आपके सुझाव पर कार्यवाही करेंगे और क्‍या चाहिए  ।  आप नमाज पढ़ने जाइए ।

          श्री आरिफ अकील - अध्‍यक्ष महोदय, मंत्री जी मजाक में टाल रहे हैं. मैं यह बयान दे सकता हूँ कि छोटे-छोटे बच्‍चों को नशीले पदार्थ दिये जा रहे हैं, बेचे जा रहे हैं. उन पर अंकुश नहीं लग रहा है और मैंने कई मर्तबा पकड़कर थाने वालों को कहा कि....

          अध्‍यक्ष महोदय - आप सीधे प्रश्‍न करें.

          श्री आरिफ अकील - अध्‍यक्ष महोदय, मैंने पहला प्रश्‍न यह पूछा था कि जिन लोगों को 3 वर्ष से ज्‍यादा भोपाल में हो गए हैं, क्‍या उनको हटायेंगे. उस मामले में, आपने कोई जवाब नहीं दिया.

          अध्‍यक्ष महोदय, एक बात और मैं आपके माध्‍यम से पूछना चाहता हूँ कि भोपाल शहर में ट्रैफिक व्‍यवस्‍था, लॉ एण्‍ड ऑर्डर स्थिति अच्‍छी नहीं है. ऐसी स्थिति बनाकर रख दी है कि किसी भी मोहल्‍ले में चले जाओ, जाम मिलता है. मैंने आपसे उस दिन कहा था कि इन्‍दौर की व्‍यवस्‍था देख लीजिये, बहुत अच्‍छी लगती है. भोपाल में केवल पर्ची, रसीद काटने के अलावा कोई काम नहीं होता है.

          अध्‍यक्ष महोदय - जवाब ले लें.

          श्री आरिफ अकील - मैं आपसे इतना कहना चाहता हूँ कि जिन लोगों को 3 वर्ष हो गए हैं, क्‍या आप उनको हटायेंगे ? और जो अपराध बढ़ रहे हैं, उन पर अंकुश लगाने की कार्यवाही करेंगे.

          श्री बाबूलाल गौर - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, ट्रेफिक के मामले में मैंने, इनके साथ दौरा किया है. आप इस बात को स्‍वीकार करेंगे.

          श्री आरिफ अकील - आपने अतिक्रमण हटाने के लिये दौरा किया था, ट्रैफिक ठीक करने के लिए नहीं. आपने भोपाल टॉकीज से सिंधी कॉलोनी तक दौरा किया था, वहां ट्रैफिक व्‍यवस्‍था के बारे में आपने डिवाईडर लगाने का कहा था. उस पर कुछ नहीं हुआ है.

          श्री बाबूलाल गौर - अध्‍यक्ष महोदय, काम शुरू हो गया है और ट्रैफिक भी ठीक होगा तथा आपने जो कहा है कि जो नशे को बेचते हैं, उसके खिलाफ हम विशेष अभियान चलायेंगे.

          श्री आरिफ अकील - अध्‍यक्ष जी, मैंने एक बात और पूछी थी कि वे कौन-से लालटके हैं, जिनको 3 वर्ष से ज्‍यादा हो गए हैं, उनके क्षेत्र में अपराध हो रहे हैं, (XXX) ? आप यह बता दीजिये.

          अध्‍यक्ष महोदय - यह कार्यवाही से निकाल दें.

          श्री बाबूलाल गौर - अध्‍यक्ष महोदय, यह जनरल बातें पूछी हैं. अगर कोई अच्‍छा काम कर रहा है और कोई शिकायत होगी तो हटा देंगे.

          श्री आरिफ अकील - 3 वर्ष का नियम है.

          श्री बाबूलाल गौर - अध्‍यक्ष महोदय, 4 वर्ष से जो ज्‍यादा होंगे. उनको हम दूसरी जगह शिफ्ट कर देंगे.

          श्री आरिफ अकील -  दूसरी जगह शिफ्ट कर देंगे लेकिन रखेंगे हम भोपाल में ही.

          श्री बाबूलाल गौर -  भोपाल में नहीं.

          श्री आरिफ अकील - देखने में यह आया है कि कोई भी अधिकारी कहीं जाये एकाध महीने में आपसे रिक्‍वेस्‍ट करके भोपाल में आ जाता है. ऐसा लगता है कि भोपाल में माल गढ़ा है, वह भोपाल से जाने को तैयार ही नहीं है.

          श्री बाबूलाल गौर - अधिकारी मिलते ही नहीं हैं.

          श्री आरिफ अकील - क्‍या आप हटायेंगे ?

          श्री बाबूलाल गौर - अवश्‍य हटायेंगे. जिनको 4 वर्ष हो गए हैं, उनको अवश्‍यक हटा देंगे.

          श्री आरिफ अकील - धन्‍यवाद.

 

 

12.47                                 

 

(3) प्रदेश के उद्यमिता विकास केन्‍द्र के दोषी अधिकारियों पर कार्यवाही

न किया जाना

                   श्री शंकरलाल तिवारी (सतना) [श्री रामनिवास रावत, डॉ. गोविन्‍द सिंह] अध्‍यक्ष महोदय,

                   संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) -- अध्यक्ष महोदय,

                  

            श्री शंकरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, उत्तर में मंत्री जी ने कहा है कि  यह शासकीय संस्था नहीं है.   मेरा निवेदन है कि उक्त संस्था पूर्ण रुप से  सरकारी संस्था है और यह उचित  नहीं कहा जा रहा है   कि  वह सरकारी संस्था नहीं है. इसका संचालन उद्योग विभाग करता है.  उद्योग विभाग के आयुक्त, संयुक्त संचालक,  माननीय राज्यपाल  के आदेशानुसार,  जिसके सरकारी पत्र हैं कि यह सरकारी  संस्था है.  शासन द्वारा वित्त पोषित है.  यदि आप कहें तो राज्यपाल जी के, उद्योग विभाग के आयुक्त, संयुक्त संचालक के पत्र मेरे पास हैं.  मैं उन्हें पटल पर रख सकता हूं. यह शासन से  अनुदान और फंड प्राप्त करती रही है.  बजट मांग संख्या 8133 वर्ष 2003-04 में  12 लाख रुपये, 87.75  लाख  रुपये दिये गये.  एमपी फायनेंस कारपोरेशन  ने 5 लाख रुपये,  एमपी स्टेट डेव्हलपमेंट  कारपोरेशन ने 5 लाख रुपये, लघु उद्योग निगम ने  11 लाख , एमपी  औद्योगिक विकास  निगम ने 5 लाख रुपये दिये  और फिर इन अनुदानों के बाद भी यह  कहना कि  वह शासकीय संबद्धता नहीं रखती, मैं सोचता हूं कि उचित नहीं है.  तत्कालीन कार्यकारी संचालक  ने भी  एक पत्र में स्वीकार  किया है कि  इस संस्था का गठन माननीय राज्यपाल महोदय, मध्यप्रदेश शासन  के आदेशानुसार  हुआ और  संस्था के गठन में  पूर्ण पूंजी निवेश  शासकीय है.  हाई कोर्ट में  उच्च न्यायालय  में चल रहे एक प्रकरण में  भी उच्च न्यायालय  के आदेश में  लिखा गया है कि,  चूंकि यह शासन से  फंड प्राप्त  करती है और  इसलिये यह  एक सरकारी  संस्था है.  अध्यक्ष महोदय, इसलिये मेरी  आपके माध्यम से विनती है कि  यह कह करके   कि यह  सरकारी संस्था नहीं है, इसका सरकार  से कोई लेना देना नहीं है.  100  लोगों  की रोजी रोटी, 100 लोगों  के परिवार  के 500 लोग  जीवन यापन के संकट में हैं.  मैं मंत्री जी से इतना ही  निवेदन करुंगा कि  जब इनका शुरु में  पहला वेतन प्रारंभ हुआ  तो  इनका कोई अनुबंध हुआ ही नहीं था  और जब अनुबंध नहीं हुआ  तो अनुबंध का  आधार लेकर  के  100-100 लोगों को एक बार में ही   निकालने का प्रयास करना और दूसरा  यह कह रहे हैं कि शासकीय नहीं है.  इनको शासकीय भूमि का आवंटन   जो किया गया है  अरेरा हिल्स में  और वह शासन की संस्था  न होने के बावजूद किया गया है,  यह कैसे  संभव है.  इसलिये मैं इसमें एक ही प्रश्न करुंगा कि  कई बार इस तरह के काम  अगर कम हो जाते हैं, तो दूसरी जगह भी  इनको खपा लिया जाता है.  इनकी उम्र  40 वर्ष पार कर चुकी है.  5 वर्ष से नौकरी कर चुके हैं. 8 हजार, 10 हजार रूपये तनख्वाह पाने वाले किसी तरह रोजी रोटी चलाने वाले यह लोग हैं . मेरी विनती है कि इस तरह अधिकारियों के कुकृत्यों का फल छोटे कर्मचारियों को, पेट चलाने वाले कर्मचारियों को न भोगना पड़े. उनको काम पर रखने की और नियमित करने की बात माननीय मंत्री जी से कृपापूर्वक चाहता हूं.

          डॉ.नरोत्तम मिश्र-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सम्मानीय सदस्य ने सारगर्भित विचार रखे हैं. वे हमारे वरिष्ठ सदस्य हैं  , उनसे मैं गुजारिश करना चाहता था और शायद वे समझ भी जायेंगे. अध्यक्ष महोदय, अब 108 एम्बूलेंस भी चलती है. 108 जो मध्यप्रदेश में चलती है उसको चलाने के लिये सरकार पैसा देती है. परंतु 108 के अंदर हम कोई कर्मचारी को नहीं रखते हैं. न ही उन कर्मचारियों के रखने पर या उनके हटाने पर हमारा कोई सीधा नियंत्रण होता है. सरकार की जो गाइड लाइन होती है उसके तहत यह 108 चलती है . जहां तक सैडमेप (उद्यमिता विकास केंद्र) की बात है यह उद्योग विभाग द्वारा उद्यमियों को प्रशिक्षित करने के लिये अच्छे उद्यमी ट्रेन्ड होकर के आयें इस तरह का काम यह सैडमेप करता है . इस पर शासन के द्वारा न तो इनकी भर्ती की गई है और न ही ऐसा कोई विषय है जो सम्मानित सदस्य ने उठाये.

          श्री शंकरलाल तिवारी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, बड़े स्पष्ट ढंग से और सबने इनको शासकीय कर्मचारी तो नहीं पर शासन के द्वारा संचालित संस्था का कर्मचारी माना है. इनको यह सजा इसलिये मिल रही है कि पूर्व में जो अधिकारियों ने अपने  कुकृत्यों से सैडमेट को आर्थिक बदहाली का शिकार बना दिया और कुछ कर्मचारियों ने इस बात को उजागर किया उसके कारण  इन कर्मचारियों को प्रताड़ित करने के लिये यह नोटिसें दी गई हैं. मेरा मंत्री जी से पुन: निवेदन है कि काम तो खतम हुआ नहीं है, सैडमेप हम बंद नहीं कर रहे हैं. मंत्री जी ने कहा है कि हम अच्छे उद्यमी प्रशिक्षित होकर के निकलें इसलिये इस संस्था का गठन किया है तो इस संस्था को राज्यपाल महोदय के अनुमोदन पश्चात उनसे स्वीकृति लेकर के खोला है वहां पर काम बंद नहीं हो रहा है तो ऐसी परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुये मेरी माननीय मंत्री जी से पुरजोर विनती है कि अभी 15 लाख रूपये वेतन पर नये कार्यकारी निदेशक (ईडी) को रखने की विज्ञप्ति अभी अखबार में आई है. अगर 15 लाख रूपये का वेतन देकर के जो एक आईएएस का वेतन होता है और आप ईडी की विज्ञप्ति निकाल रहे हैं कि हमें उसे नौकरी पर रखना है, हमें जरूरत है . तो इन लोगों की भी जरूरत बनाने का प्रयास करें और यह कहकर के सरकार अपने कर्तव्य की इतिश्री न करे कि सरकार का इससे कोई लेना देना नहीं है. 100-100 लोगों की नौकरी प्रायवेट कंपनी में कहीं जा रही है, कहीं भी 100 लोगों का रोजगार प्रभावित हो रहा है..

          अध्यक्ष महोदय-- आपका प्रश्न क्या है ?

            श्री शंकरलाल तिवारी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, 100 लोगों का रोजगार प्रभावित हो रहा है. सरकार की जवाबदारी है कि उनके रोजगार का संरक्षण करें. अध्यक्ष महोदय, मैं  आपके माध्यम से मंत्री जी इनके रोजगार का संरक्षण करने का आश्वासन दें, यह मेरी उनसे विनती है.

          डॉ.नरोत्तम मिश्र-- सम्मानित वरिष्ठ सदस्य ने कहा है कि इनकी जरूरत को बनाने का प्रयास इसमें करें, हम प्रयास करेंगे कि इनकी जरूरत बनी रहे.

          श्री रामनिवास रावत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी का उत्तर देने का मूड तो दिख नहीं रहा है.

          अध्यक्ष महोदय-- आप प्रश्न कर दें.

          डॉ.नरोत्तम मिश्र-- माननीय अध्यक्ष महोदय, रावत जी दूसरे लोगों का मूड कैसे भांप जाते हैं, कोई तरीका हमें भी बता दें.

          अध्यक्ष महोदय-- अभी 2 ध्यानाकर्षण और लेना हैं. कृपा करके रावत जी प्रश्न करें.

श्री रामनिवास रावत--  अध्‍यक्ष महोदय, सीधी-सीधा मेरा प्रश्‍न यही है कि आपने केवल एक ही बात मानी है कि यह सरकारी संस्‍था नहीं है, तो यह सरकारी संस्‍था नहीं है यह आपने कहा. हाईकोर्ट का डिसीजन पढ़ लें कि हाईकोर्ट ने क्‍या कहा है कि जब पूरी तरह से राज्‍य सरकार जिन संस्‍थाओं को प्रायोजित करती है और आपने केवल इंफ्रास्‍ट्रेक्‍चर नहीं दिया, आपने जो तुलना की कि हम 108 चला रहे हैं उसमें तो सीधा-सीध आप फंड किराये से रख रहे हैं, 108 का और इस संस्‍था से तुलना मैं समझता हूं कि आप ही की बुद्धिमानी है और कोई तो दूसरा कर नहीं सकता, उद्यमिता विकास की 108 से तुलना करना, इसीलिये मैं कह रहा था माननीय अध्‍यक्ष महोदय कि मंत्री जी जवाब देने के मूड में नहीं हैं.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र--  मैं जवाब के मूड में हूं कि नहीं हूं यह तो माननीय अध्‍यक्ष जी तय करेंगे आप सवाल के मूड में तो हो.

श्री रामनिवास रावत--  बिलकुल.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र-- तो करो.

अध्‍यक्ष महोदय--  आप प्रश्‍न कर दें सीधा, समय कम है.

श्री रामनिवास रावत--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से स्‍पष्‍ट जानना चाहूंगा कि इस उद्यमिता विकास प्रशिक्षण केन्‍द्र की स्‍थापना हेतु और छात्रावास हेतु आपने 45 लाख रूपये का अनुदान दिया है और आपने भूमि भी नॉमिनल प्रीमियम पर आवंटित की है उसके बाद माननीय हाईकोर्ट ने भी यह निर्णय दिया है कि जो सरकार द्वारा प्रायोजित संस्‍थायें हैं वह सरकार के नियंत्रण में रहती हैं. सबसे पहले तो यही बात बतायें कि जो सरकार द्वारा प्रायोजित संस्‍थायें हैं तो क्‍या सरकार का नियंत्रण इस संस्‍था पर है कि नहीं है, मैं यह बात जानना चाहूगा.

डॉ. नरोत्‍तम मिश्र--  सीधा नियंत्रण नहीं है.

श्री रामनिवास रावत--  नियंत्रण तो है कि नहीं है.

अध्‍यक्ष महोदय--  वह तो उनके उत्‍तर में अंतर्निहित हो गया न.

श्री रामनिवास रावत--  इसीलिये तो कह रहा था कि सीधा-सीधा उत्‍तर देने का मूड नहीं है.

अध्‍यक्ष महोदय--  चलिये इसी पर से दूसरा पूछ लीजिये.

श्री रामनिवास रावत-- आप सरकारी संस्‍थाओं पर कार्यवाही करते हैं, आप अन्‍य संस्‍थाओं पर कार्यवाही करते हैं, सार्वजनिक उपक्रमों की कई संस्‍थायें हैं, उन पर कार्यवाही करते हैं.

डॉ. नरोत्‍तम मिश्र--  इस पर भी कार्यवाही कर दें.

श्री रामनिवास रावत--  इस पर कार्यवाही तो लोकायुक्‍त कर रहा है. इस यह कार्यवाही करें कि जो 100 लोग गलत तरीके से निकाले हैं, उनको वापस लें.

श्री शंकरलाल तिवारी--  मंत्री जी ने अपनी संवेदनशीलता का परिचय दे दिया है, उन्‍होंने कह दिया है कि हम व्‍यवस्‍था करेंगे. नेतागिरी में न फंसाओ भैया, गरीबों को रोजी रोटी मिल जाने दो.

डॉ. नरोत्‍तम मिश्र--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह जो 100 लोग निकाले हैं, ऐसा कोई आदेश है क्‍या इनके पास जरा पढ़ कर सुनायें आप भी सुन लें मैं भी सुन लूं. 100 में से एकाध का अगर आदेश हो तो पढ़कर सुनायें, मैं भी सुन लूं.

श्री रामनिवास रावत--  आदेश की कापी मैं उपलब्‍ध करा दूंगा, जिनको निकाला गया है.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र--  शब्‍द बयानी करते हो आप, आपको आदत ही पड़ गई है, शब्‍द बयानी की.

श्री रामनिवास रावत--  उनको मौखिक आदेश के निकाल दिया गया है और आपकी सरकार केन्‍द्र की सरकार स्किल डेवलपमेंट के काम को बढ़ावा देने की बात कर रही है और यह लोग सारे के सारे स्किल डेवलपमेंट के लिये लगे हुये हैं. क्‍या आप स्किल डेवलपमेंट के काम को आप बंद करना चाहते हैं.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र--  सरकार स्किल डेवलपमेंट के कार्य को आगे बढ़ाना चाह रही है.

श्री रामनिवास रावत--  तो यह संस्‍था क्‍या काम करती है, यह तो बता दें. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं वही तो पूछना चाह रहा हूं, सरकार की मंशा क्‍या है, कहते कुछ हैं, करते कुछ हैं, यह लोग किस लिये लगे थे, स्किल डेवलपमेंट की ट्रेनिंग देने के लिये लगे थे यह लोग.

अध्‍यक्ष महोदय--  डॉ. गोविंद सिंह अपना प्रश्‍न करें कृपया, अभी और सदस्‍य भी हैं कमलेश्‍वर पटेल भी हैं.

श्री शंकरलाल तिवारी--  उन्‍होंने उन कर्मचारियों को व्‍यवस्थित करने की बात कही है माननीय अध्‍यक्ष महोदय, विषय आ चुका है और संतोषजनक उत्‍तर संवेदनशीलता के साथ माननीय मंत्री जी ने दिया है कि उन 100 लोगों को कहीं न कहीं रोजगार से जोड़ रखेंगे. माननीय अध्‍यक्ष महोदय मेरी विनती है कि उन 100 लोगों के पेट को नेतागिरी में न लाया जाये. ...(व्‍यवधान)..

          श्री रामनिवास रावत--  इसमें नेतागिरी की क्‍या बात हो गई.

अध्‍यक्ष महोदय-- श्री रावत जी बैठ जायें, डॉ. गोविंद सिंह

श्री रामनिवास रावत--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय प्रश्‍नों का उत्‍तर तो आ जाने दें.

          अध्‍यक्ष महोदय--  दोनों का इकट्ठा उत्‍तर दे देंगे.

          डॉ. गोविंद सिंह--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने अपने जवाब में दिया है कि राज्‍य शासन से अनुदान नहीं विधानसभा की कंडिका 7 में है कोई प्रश्‍न नहीं आयेगा, तीसरा है कि स्‍वायत्‍त संस्‍था शासकीय है ही नही पहली बात तो यह कि आपने अनुदान दिया तो किस नियम के तहत दिया, एक. दूसरा आपने इसी में स्‍वायतता का लिया, विधानसभा में नहीं था तो प्रश्‍न आया क्‍यों, क्‍यों लिया आपने. तीसरा संस्‍था का मामला जब लोकायुक्‍त में है, अगर शासन से संबंधित कोई बात नहीं है तो लोकायुक्‍त को उन संस्‍थाओं में कार्यवाही करने का अधिकार नहीं है. माननीय मंत्री जी यह तीनों बातें जो हुई हैं इससे प्रमाणित होता है कि यह संस्‍था सरकार के अधीनस्‍थ है, उपक्रम है सरकार का और सरकार इसमें अनुदान देती रही है, फिर आपने विधानसभा को गुमराह किया और आपकी बुद्धि पर तरस आता है कि कम से कम जब आप स्‍वयं स्‍वीकार कर रहे हैं तो फिर इस प्रकार कहना कि यह शासकीय संस्‍था नहीं है. यह किस नियम के तहत है नंबर 1, और दूसरा आप यह बता दें, आपने कहा कि हमने नहीं निकाला है तो कृपया करके यह बतायें कि यह वहीं बने रहेंगे क्‍या, इसका जवाब दीजिये. कर्मचारियों को निकालोगे तो नहीं.

डॉ. नरोत्‍तम मिश्र--  स्‍वाभाविक रूप से माननीय अध्‍यक्ष महोदय मेरी बुद्धि पर गोविंद सिंह जी को तरस आयेगा ही, मैं आपको धन्‍यवाद देता हूं, आप इसी तरह से तरसते रहें ... (हंसी)..

          अध्‍यक्ष महोदय--  आप उत्‍तर दीजिये उनका.

डॉ. नरोत्‍तम मिश्र--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सवाल अगर आयेगा तो जवाब तो दूंगा मैं, उन्‍होंने तरस की बात कही है तो मैं चाहता हूं कि वह तरसते रहें.

डॉ. गोविंद सिंह--  इसमें तीनों बातें, विधानसभा में नहीं आ सकता, वह भी आ गया. लोकायुक्‍त कार्यवाही नहीं कर सकता, वह आ गया, अनुदान नहीं दे सकते, अनुदान भी दिया.

          डॉ नरोत्तम मिश्र-- आपने तीनों बातें रिपीट कर दीं. विधानसभा में क्या आयेगा और क्या नहीं आयेगा, यह मैं नहीं तय नहीं, विधानसभा अध्यक्ष और विधानसभा करता है. दूसरी बात उन्होंने कहा कि अनुदान नहीं दिया तो अनुदान नहीं दिया.

          डॉ गोविन्द सिंह--अध्यक्षजी, आपने रावत जी के प्रश्न के उत्तर में कहा कि मैंने कर्मचारियों को नहीं निकाला है, कोई आदेश नहीं है.

          डॉ नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्षजी, ये यहां पर रहते हैं लेकिन किसी बात को सुनते नहीं हैं. (व्यवधान) मैंने रावत जी के प्रश्न पर यह नहीं कहा. रावत जी ने कहा कि आपने 100 लोगों को निकाल दिया, तो मैंने कहा कि आपके पास उन 100 लोगों में से एकाध किसी का आदेश हो तो पढ़ कर सुनाओ. आप जाने कहां रहते हैं सर है सजदे, दिल में मान लिया ख्याल.

          डॉ गोविन्द सिंह-- मैंने मान लिया कि आपने नहीं निकाला लेकिन अब तो नहीं निकालोगे.(व्यवधान) आपने नहीं निकाला तो उनको निकालने का प्रयास तो नहीं होगा.यह बताईये.

          श्री रामनिवास रावत--लोकायुक्त के छापे में करोड़ों रुपये बरामद हुए हैं, उनको क्यों बचा रहे हो.

          डॉ नरोत्तम मिश्र--अध्यक्षजी, हम किसको बचा रहे हैं. अभी शंकर लाल तिवारी जी ने कहा कि ये नेतागिरी कर रहे हैं. जिस पर लोकायुक्त ने छापा मारा, जिस व्यक्ति पर केस रजिस्टर्ड है, वह नौकरी में ही नहीं है. आप कह रहे हैं कि बचा रहे हैं.पहले जानकारी तो लेकर आओ.

          अध्यक्ष महोदय--गोविन्द सिंह जी ने सीधा प्रश्न किया है. रावत जी बैठ जायें.

          डॉ गोविन्द सिंह--अध्यक्षजी, मेरा सीधा प्रश्न था कि अभी आपने रावत जी से कहा कि नौकरी से नहीं निकाला तो कृपा करके इनको निकालने की कार्रवाई नहीं की जायेगी, ये नौकरी में बने रहेंगे, इतना बता दें.

          डॉ नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्षजी, मैं कोई कार्रवाई नहीं करने वाला.

          श्री कमलेश्वर पटेल--अध्यक्ष महोदय...

          अध्यक्ष महोदय-- सीधा प्रश्न कर लें. भाषण मत दीजिए. समय कम है.

          श्री कमलेश्वर पटेल--अध्यक्ष महोदय, हम भाषण नहीं दे रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, विभाग, सरकारी अधिकारी, माननीय मंत्रीजी  सदन को पूरी तरह से गुमराह कर रहे हैं. क्योंकि मेरे द्वारा ही एक साल पहले इस उद्यमिता विकास केन्द्र के संबंध में प्रश्न पूछा गया था. जो उत्तर आया था वह जवाब और आज जो बातें हो रही हैं,उन दोनों में धरती-आसमान का अंतर है.

          अध्यक्ष महोदय--आप सीधा प्रश्न करें.

          श्री कमलेश्वर पटेल--अध्यक्ष महोदय, एक तरफ पहले स्वीकार किया कि उद्यमिता विकास केन्द्र अर्ध शासकीय संस्था है, शासन से अनुदान प्राप्त है तो मतलब शासन के कंट्रोल में है. अगर शासन के कंट्रोल में नहीं है तो फिर सरकार विज्ञापन क्यों निकालता है. उद्योग विभाग विज्ञापन के जरिये ED के आवेदन बुलाता है और चयन कमेटी बनाता है. फिर उसके बाद जब भ्रष्टाचार की शिकायतें आती हैं, जो लोग शिकायतें करते हैं, उनको पृथक कर दिया जाता है. हमारे जिले के भी 1-2 लोग हैं. मेरा निवेदन है कि अगर उद्यमिता विकास केन्द्र अर्ध शासकीय संस्था नहीं है तो क्या लोकायुक्त संगठन उसके ED पर छापा मार सकता है?

            अध्यक्ष महोदय--लोकायुक्त संगठन की बात यहां कैसे कर सकते हैं.

          श्री कमलेश्वर पटेल-- मंत्रीजी बता दें कि उद्यमिता विकास केन्द्र के ED के यहां छापा पड़ा था या नहीं?

            डॉ नरोत्तम मिश्र-- हां, छापा पड़ा था और वह छापा मार सकता है.

          श्री रामनिवास रावत--मंत्रीजी, इसके चेअरमेन कौन हैं? लोगों के साथ न्याय नहीं करना अन्याय करोगे.(व्यवधान)

          श्री शंकरलाल तिवारी-- उन गरीबों को नेतागिरी में मत डालो. उनके साथ न्याय करने से कहां इंकार किया है.(व्यवधान)

          श्री कमलेश्वर पटेल--अध्यक्ष महोदय, बाकी मुझे  उम्मीद नहीं है कि कोई कार्रवाई करेंगे. आप इतनी व्यवस्था दे दें क्योंकि कर्मचारी पृथक किये जा चुके हैं. जिन 100 लोगों की बात हो रही है उनको निकाला जा चुका है. क्या मंत्रीजी उनको दुबारा सेवा का अवसर देंगे?

          डॉ नरोत्तम मिश्र-- निकाला नहीं गया है. (व्यवधान)

          श्री कमलेश्वर पटेल--हमारे पास आदेश की क़ॉपी है.

          डॉ नरोत्तम मिश्र--आदेश की कॉपी है तो दिखा देना.

अध्यक्षीय व्यवस्था

 

विभागीय अधिकारियों द्वारा प्रश्‍न एवं ध्‍यानाकर्षण की जानकारी ठीक तरीके से भेजने संबंधी

          अध्यक्ष महोदय-- आप बैठ जायें. जिनके नाम थे उनको बुलाया था. माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी आपका ध्यान में इस उत्तर की ओर आकर्षित करना चाहता हूं. इसकी कंडिका 5 में विधानसभा ने यह काल अटेंशन ग्राह्य कर लिया..

          डॉ नरोत्तम मिश्र-- मैंने देखा..

          अध्यक्ष महोदय--यह अत्यंत गंभीर बात है. पहली बात, अगर अग्राह्य करना हो तो शासन की ओर से अग्राह्य करने का हमारे पास आग्रह आता है लेकिन यदि वह ग्राह्य कर लिया जाये तो उसकी ग्राह्यता पर कभी कोई प्रश्न नहीं उठाया जाता. उन्होंने उठाया यह गंभीर बात है. दूसरी बात कि उन्होंने जिस चीज का हवाला दिया. आपके विभाग ने प्रश्न का हवाला दिया है, और यह ध्यानाकर्षण है. कृपया ध्यानाकर्षण में ऐसा कोई नियम नहीं है कि सिर्फ शासन से संबंधित विभागों के विषय पूछे जायेंगे. अविलंबनीय महत्व की कोई भी घटना जो प्रदेश में घटित होती है, उस पर प्रश्न पूछा जा सकता है. उस पर ध्यानाकर्षण लाया जा सकता है. यही नियम है. कृपया विभाग के अधिकारियों को बतायें कि भविष्य में ऐसी गलती वे ना करें और ध्यानाकर्षण और प्रश्नों के संबंध यदि उनको कुछ कहना ही है तो ठीक से पढ़ें.

डॉ. गोविन्द सिंह - माफी मांगो.

श्री जितू पटवारी - माफी तो मांगना चाहिए.

संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र)- अध्यक्ष महोदय, आज विभाग की  सम्मानित मंत्री जी भी नहीं हैं और उनके प्रमुख सचिव भी नहीं है. हैदराबाद में एक बहुत बड़ी उद्योग समिट चल रही है उसमें गये हुए हैं. आपने जिस ओर ध्यान आकर्षित किया है. मैंने भी उस विषय को देखा था और वास्तव में यह अधिकारियों की गलती है, ऐसा मैं मानता हूं. चूंकि मैं भार साधक मंत्री ही सही, मैं इस पर खेद व्यक्त करता हूं और भविष्य में पुनरावृत्ति नहीं हो इसके लिए भी ताकीद करूंगा.

श्री जितू पटवारी - अधिकारियों को पनिश करेंगे क्या?

अध्यक्ष महोदय - श्री दुर्गालाल विजय अपना ध्यान आकर्षण पढ़ें.

श्री दुर्गालाल विजय - (अनुपस्थित)

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

ध्‍यानाकर्षण (क्रमश:)

 

 

(6) मुरैना-ग्वालियर मार्ग पर खनिज माफिया द्वारा वन कर्मी की हत्या किया जाना

 

डॉ. गोविन्द सिंह (लहार) श्री रामनिवास रावत, श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह - अध्यक्ष महोदय,


 

          गृह मंत्री ( श्री बाबूलाल गौर ) -- माननीय अध्यक्ष महोदय,

 

 

 

 

 

 

 

 

                                                                                    

 

1.20 बजे                 {उपाध्‍यक्ष महोदय (डॉ. राजेन्‍द्र कुमार सिंह)पीठासीन हुए}

         

          डॉ. गोविंद सिंह -- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, रेत और पत्‍थरों के संबंध में समूचे प्रदेश में प्रतिदिन घटनाएं घट रही हैं, यह समाचार-पत्रों में भी आता है. ऐसा शायद ही कोई जिला हो जहां नदी न हो. मैं माननीय मंत्री को बताना चाहता हॅूं कि आपके रिकार्ड में भले ही न आया हो लेकिन सच्‍चाई यह है कि पिछले 7 वर्षों में भिंड जिले में 13 हत्‍याएं हुई हैं जिसमें रेत के आपसी झगड़े और अवैध उत्‍खनन के लिए जबरन किसानों के खेत में जाना सम्‍मिलित है. अकेले गिरवासा गांव में 3 लोगों की हत्‍या हुई, निवसाई गांव में 2 राजपूतों की हत्‍या हो गई और मुरैना में 7 लोगों की हत्‍या हुई है यह हमारी जानकारी में है. मैं माननीय मंत्री जी को बताना चाहता हूँ कि यह सच्‍चाई है कि पुलिस विभाग आपका मजबूत है, डीजीपी साहब बड़े ताकतवर हैं लेकिन पता नहीं इस मामले पर सख्‍ती क्‍यों नहीं हो रही है, अगर थाना प्रभारी चाहे तो एक दाना भी रेत का नहीं उठ सकता, ऊपर स्‍तर के अधिकारी भले ही ईमानदार हैं लेकिन नीचे स्‍तर के अधिकारियों के हर थाने में टैक्‍ट बंधे हुए हैं वे पैसे लेते हैं तब जाते हैं. अत: मैं माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हॅूं कि अवैध उत्‍खनन रोकने के लिए पुलिस सख्‍त कार्यवाही करेगी या नहीं ? दूसरी बात मेरी यह भी है कि कितनी और बलि लोगे तब आपकी सरकार को शांति मिलेगी ?

          श्री बाबूलाल गौर -- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, तीनों विभाग - वन विभाग, खनिज विभाग और पुलिस विभाग द्वारा संयुक्‍त कार्यवाही की जा रही है. जो आपने प्रश्‍न इस ध्‍यान आकर्षण में रखे हैं हमने तीनों घटनाओं का उत्‍तर दिया है. अब जनरल बात आप कहेंगे कि इतने साल में इतने हुए, वह अलग बात है लेकिन हम आपको पूरी तरह से विश्‍वास दिलाते हैं कि जो रेत का उत्‍खनन कर रहे हैं उनके खिलाफ हम सख्‍त कार्यवाही करेंगे.

          डॉ. गोविंद सिंह -- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, हमने रेत उत्‍खनन के बारे में लहार क्षेत्र का और मिहोना का जिक्र किया है इसके अलावा एक और तहसील रोम है ये सभी सिंद नदी के किनारे बसे हैं और एक अमायन थाना भी है. इन चारों थानों में विशेष व्‍यवस्‍था पुलिस की होनी चाहिए और कड़ी निगरानी होनी चाहिए तो क्‍या कड़ी कार्यवाही करेंगे और क्‍या आप इन चारों थानों को निर्देश देंगे ताकि अवैध उत्‍खनन रूक जाए ? खनिज विभाग की भी जरूरत नहीं है अगर केवल पुलिस कड़ी कार्यवाही करे तो सब रूक जाएगा, यह हमारा मानना है और आपसे पुन: अनुरोध है कि इन चारों थानों को आप निर्देशित करें तो अवैध उत्‍खनन हमेशा के लिए बंद हो सकता है.

          उपाध्‍यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी, उनका कहना है कि आपने जवाब में यह कहा है तीनों विभाग मिलकर कार्यवाही कर रहे हैं, अगर पुलिस विभाग अकेले ही प्रभावी कार्यवाही करे, सख्‍ती करे तो यह रोका जा सकता है. अब आप बताएं ?

            श्री बाबूलाल गौर-- उपाध्यक्ष महोदय,  जो रेत है और जिस क्षेत्र से अवैध खनन होता है, कुछ क्षेत्र राजस्व का है,  कुछ वन का है, कुछ नदी किनारे का है तो उनका काम है और वे जब तक हमसे शिकायत नहीं करते और हमसे पुलिस नहीं मांगते तब तक अकेले हम कार्यवाही नहीं कर सकते. संयुक्त कार्यवाही कर रहे हैं, इसमें क्या आपत्ति है.

          डॉ.गोविन्द सिंह--  कार्यवाही करने के लिए उनके पास अमला नहीं है. दूसरा इस समय भिण्ड जिले में, मुरैना में रेत खदानों की मंजूरी नहीं है, यह सब अवैध चल रही हैं  और खुलेआम सड़कों से गाड़ियां जा रही हैं तो अभी अगर विधिवत मंजूरी हो तो खनिज विभाग कार्यवाही करें. अगर खनिज विभाग खदानें स्वीकृत कर रायल्टी वसूल करे फिर तो उनकी कार्यवाही करने की जिम्मेदारी बनती है. अभी तो अवैध रुप से खनन होकर जा रहा है, उसमें अभी उनका कहीं रोल ही नहीं है तो उस पर आप कार्यवाही करें.

          श्री बाबूलाल गौर-- उपाध्यक्ष महोदय, मैंने कहा कि कार्यवाही करेंगे और अगर वहां पुलिस की कमी होगी तो वहां पुलिस बल को बढ़ा देंगे.

          श्री रामनिवास रावत(विजयपुर)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, बात वहीं आकर के अटकती है कि पूरे प्रदेश में यह रेत माफिया, खनन माफिया...

          श्री बाबूलाल गौर-- उपाध्यक्ष महोदय, पूरे प्रदेश का प्रश्न नहीं है. ध्यानाकर्षण के विषय की सीमा में रहें.

          उपाध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी, अभी तो उऩ्होंने प्रश्न किया नहीं है. अगर पूरे प्रदेश का प्रश्न करेंगे तो मैं अलाऊ नहीं करुंगा.

          श्री बाबूलाल गौर-- ठीक है. उन्होंने शुरु किया पूरे प्रदेश से(हंसी) हम खत का मजमून भांप लेते हैं लिफाफा देख के.

          श्री रामनिवास रावत--  मैं प्रश्न केवल आपसे संबंधित पूछूंगा

          वन मंत्री(डॉ. गौरीशंकर शेजवार)--  पूरे प्रदेश का भाषण करेंगे तो उसे भी विलोपित करेंगे?

          उपाध्यक्ष महोदय-- विचार करेंगे.(हंसी)

          श्री रामनिवास रावत--  आप तो चाहे जो विलोपित कर दें. आप तो आप ही हैं.

          डॉ. गोविन्द सिंह-- शेजवार जी, मैंने यह कहा था कि कितनी और बलि लेंगे तब शासन को शांति मिलेगी, इसका जवाब आप दे दो.

          उपाध्यक्ष महोदय-- रामनिवास जी, आप कृपया प्रश्न कर लें.

          श्री रामनिवास रावत-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जैसा डाक्टर साहब ने कहा, पूरे प्रदेश का कोई प्रश्न नहीं है लेकिन यह बात सही है कि पुलिस की बिना अनुमति के या बिना सहमति के अवैध उत्खनन नहीं हो सकता,जो स्थानीय थाना प्रभारी हैं, जहां से ट्रेक्टर निकलते हैं, जिसके आगे से ट्रेक्टर गुजरते हैं उसकी बगैर सहमति के अवैध उत्खनन या खनिज का  अवैध परिवहन संभव ही नहीं है, हो ही नहीं सकता. आपने कहा कि टास्कफोर्स बना हुआ है. इसकी बड़ी उच्चस्तरीय समिति भी बनी हुई है ( डॉ. गौरीशंकर शेजवार के उठकर जाने पर) बैठें माननीय वन मंत्री जी, मेरा पर्टीक्यूलर प्रश्न है, माननीय मंत्री जी ने बताया है कि 5.3.2016 की शाम को वन रक्षक वन मण्डल ग्वालियर को सूचना दी गयी. पहले से ही टास्कफोर्स बना हुआ है. आपको सूचना मिली. यह जो नरेन्द्र शर्मा, इन्होंने पूरे ग्वालियर और चम्बल डिवीजन का फोर्स एकत्रित किया. शाम को 11 बजे वह उठ के संबलगढ़ मे, वहां पदस्थ भी नहीं था, न उसका क्षेत्र था, उसको बुलाया और पूरे फोर्स को बुलाया, आपका कहना है कि पुलिस साथ थी, सब साथ थे और ट्रेक्टर केवल एक था. उसको पकड़ने की कोशिश की. मेरा प्रश्न है कि वह नरेन्द्र शर्मा और इससे पहले आरक्षण धर्मेन्द्र चौहान भी एक्सपायर हुआ है, मैं माननीय मंत्री जी से सीधा सीधा यह अनुरोध करुंगा कि वह सर्विस में था तो आप अनुकम्पा नियुक्ति देंगे. माननीय मंत्री जी ने कह भी दिया कि 5 लाख रुपये, पहुंच गये?  सरकार के या विभाग के?मैं यह  इसलिए पूछ रहा हूँ कि उनके पूरे विभाग ने भी पैसा एकत्रित करके दस लाख रुपये, मुझे जो जानकारी मिली है, उसको दिये हैं और इस लड़के ने एक छोटी सी बच्ची को भी एडाप्ट किया हुआ है, जो लावारिस हालत में मिली. मेरा मंत्री जी से सीधा सीधा प्रश्न है कि इस तरह जो पकड़ने में मृत्यु हो जाती है इनको रोकने का प्रयास करें, क्या इनको आप शहीद का दर्जा देंगे,क्योंकि शासकीय कार्य करते हुए इनकी जानें गयी है, इनकी हत्या हुई हैं

 

1.30 बजे                                    अध्यक्षीय  घोषणा

                                      सदन के समय में वृद्धि विषयक

          उपाध्यक्ष महोदय--  कार्यवाही में उल्लेखित ध्यानाकर्षण पर कार्यवाही पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाय.

                                                          मैं समझता हूँ कि सदन इससे सहमत है?

 

                                                                        (सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई)

ध्यानाकर्षण (क्रमशः)

 

          श्री बाबूलाल गौर--  माननीय उपाध्यक्ष महोदय, दो विभागों से पूछा है. अब वन रक्षक को जो रिलीफ दी गई है वह माननीय गौरीशंकर जी शेजवार साहब बता पाएँगे क्योंकि आपने मुझसे यह प्रश्न इसमें नहीं पूछा है, यह मेरा निवेदन है.

          वन मंत्री (डॉ.गौरीशंकर शेजवार)--  माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा 5 लाख रुपये दिए गए हैं और 10 लाख रुपये विभाग की तरफ से और उनके अधिकारियों के और उसके उससे दिए गए हैं.

          श्री रामनिवास रावत--  सिर्फ धर्मेन्द्र चौहान का उल्लेख किया, जो आरक्षक है उसका भी उल्लेख किया है. उन्होंने वन रक्षक का बता दिया. अब यह धर्मेन्द्र चौहान आपके विभाग का आरक्षक है. इसके बारे में आप बता दें.

          श्री बाबूलाल गौर--  आप क्या जानकारी लेना चाहते हैं?

            श्री रामनिवास रावत--  उपाध्यक्ष महोदय, मैं यह जानकारी लेना चाहता हूँ कि अभी तक क्या सहायता दी गई और क्या इन दोनों वन आरक्षक और पुलिस आरक्षक को आप  शहीद का दर्जा देंगे?         

            श्री बाबूलाल गौर--  नहीं,  शहीद का तो सेना में होता है.

          श्री रामनिवास रावत--  आप काम तो लेते हों.

          श्री बाबूलाल गौर--  उपाध्यक्ष महोदय, अपराधियों को पकड़ने में कभी कभी इस प्रकार की घटनाएँ होती हैं. लेकिन हम नियमानुसार कार्यवाही करेंगे.

          श्री रामनिवास रावत--  लेकिन कभी कभी यह होता है, सरकार ऐसे लोगों को प्रोत्साहन नहीं देगी तो कोई अपराधियों को पकड़ने नहीं जाएगा.

          उपाध्यक्ष महोदय--  रावत जी का जो प्रश्न था कि आर्थिक सहायता  देंगे कि नहीं देंगे. वह बता दें.

          श्री रामनिवास रावत--  इसके साथ साथ में सम्मान भी चाहते हैं. जिससे लोगों में एक भावना बनें और लोग इस तरह के अपराधों को रोकने के लिए अपराधियों को पकड़ने के लिए प्रयास करें. उन्हें सम्मान देने में क्या बुराई है?

          श्री बाबूलाल गौर--  आपने जो सुझाव दिया है उसको हम स्वीकार कर रहे हैं.

          श्री रामनिवास रावत--  धर्मेन्द्र चौहान आरक्षक को सहायता क्या क्या दी है?

            श्री बाबूलाल गौर--  अभी सहायता के लिए कार्यवाही चल रही है.

          श्री रामनिवास रावत--  उपाध्यक्ष महोदय, कौनसी घटना, इसकी  किस दिनाँक को मृत्यु हुई है,  5.4.2015 को...

          श्री बाबूलाल गौर--  सहायता जो दी गई थी तथा विशेष पेंशन भी दी गई है और अनुकंपा नियुक्ति भी दी गई है. अभी जानकारी प्राप्त हुई.

          श्री रामनिवास रावत--  अनुकंपा नियुक्ति एक सामान्य प्रक्रिया है, उसका अधिकार है, उसमें आप क्या करेंगे. इसको आर्थिक सहायता, जैसे वन विभाग ने आर्थिक सहायता दी तो इस धर्मेन्द्र चौहान को भी....

          उपाध्यक्ष महोदय--  माननीय मंत्री जी, आर्थिक सहायता का बता दें.

          श्री बाबूलाल गौर--  आर्थिक सहायता दी जाएगी और उसकी राशि तय करेंगे.   

          श्री रामनिवास रावत--  उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय वन मंत्री जी से जानना चाहूँगा कि इस लड़के ने, जो नरेन्द्र शर्मा एक्सपायर हुआ है, इसने एक छोटी सी नवजात बालिका जिसे कोई झाड़ी में फेंक गया था, उसको एडॉप्ट किया हुआ है. वन विभाग तो उसको देख ही रहा है. अब उसका एकमात्र संरक्षण का सहारा नरेन्द्र शर्मा था. ठीक है उसके भाई हैं, नरेन्द्र शर्मा के बेटे हैं पर उनका व्यवहार और उनकी परिस्थिति क्या रहेगी, तो उस बेटी के लिए भी, जब तक वह बड़ी हो जाए, शादी हो जाए, उसके लिए भी एक दो लाख की एफ डी करा दें तो ज्यादा अच्छा रहेगा, उसका भरण पोषण होता रहेगा. वन मंत्री जी, कुछ कहेंगे?

          डॉ.गौरीशंकर शेजवार--  माननीय उपाध्यक्ष महोदय, 5 लाख माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा दिए गए हैं और 10 लाख रुपये विभाग के सहयोग से दिया गया है. आश्रितों में वह लड़की भी आती है, यदि उसको एडॉप्ट किया गया है तो.

          उपाध्यक्ष महोदय--  ऑफिशियली अगर एडॉप्ट किया है तो.

          डॉ.गौरीशंकर शेजवार--  यह राशि उसके भी काम आएगी...(व्यवधान)..पैसे में ऐसा कोई यह नहीं कहा गया कि लड़की को वे न दें.

          श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह(भिण्ड)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, भिण्ड जिले में अवैध खनन के संबंध में हमने भी ध्यानाकर्षण की सूचना दी थी. उपाध्यक्ष महोदय, जो उत्तर आया है कि भिण्ड शहर के बीचोंबीच 3.3.2016 को दोपहर 2 बजे जो अवैध खनन चलाने वाले व्यापारियों ने, असामाजिक तत्वों द्वारा, जो खनिज अधिकारी गया था उसकी पिटाई लगाई और पिटाई लगाने के बाद जब उसने कलेक्टर महोदय को सूचना दी तो टी आई पहुँचे. टी आई साहब की यह हालत थी, जो अवैध व्यापार कर रहे थे उन्होंने ढेर सारी गाड़ियाँ दीं और टी आई को बुरी तरह भागना पड़ा. जब इसके बाद एस पी को सूचना मिली तो एस पी ने एडिश्नल एस पी भेजा, जिसका जिक्र अभी नहीं आया. उसके बाद सरेआम शहर में छत पर चढ़ कर 5-5, 6-6 गोलियाँ चलाई गईं, उसके बाद एडिश्नल एसपी ने भी फायर किया वह उत्तर में नहीं आया है हमारा निवेदन है कि यह अवैध खनन कब तक चलता रहेगा. हमारे टेनगुर द्वारगांव में 6 हत्यायें हो चुकी हैं नदियों में लोग सुरक्षित नहीं हैं दूसरी ओर शहरों में भी लोग सुरक्षित नहीं हैं. भिण्ड जिले में 10-15 हत्यायें हो चुकी हैं इन असामाजिक तत्वों के खिलाफ ठोस कार्यवाही क्यों नहीं हो रही है. एक गरीब व्यक्ति पकड़ा जाता है उसे धारा 151 में पुलिस तीन दिन तक रखती है तब पेश करती है इन असामाजिक तत्वों को दो बजे पकड़ा गया और शाम को 5 बजे कचहरी में पेश कर दिया गया इसका क्या कारण है. क्या इनका रिमांड लिया गया ? किसके दबाव में यह कार्यवाही हुई ?

          उपाध्यक्ष महोदय--यह तो आपका भाषण हुआ, आप तो प्रश्न पूछ लीजिये.

          श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह--उपाध्यक्ष महोदय, मैं यह पूछ रहा हूँ कि यह अवैध उत्खनन बंद होगा कि नहीं होगा या लोग मरते रहेंगे और पुलिस कार्यवाही नहीं करेगी. क्या कानून आम आदमी, गरीब आदमी के लिए बनाया गया है. कब तक कार्यवाही करेंगे ?

          उपाध्यक्ष महोदय-- अवैध उत्खनन बंद करना तो खनिज विभाग का काम है.

          श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह--उपाध्यक्ष महोदय, जवाब में यह नहीं आया कि एडिश्नल एसपी था और तीन फायर किये गये है.  छोटी सी कार्यवाही करके दोपहर दो बजे पकड़ा और शाम को कचहरी में पेश कर दिया गया.

          उपाध्यक्ष महोदय--गृह विभाग से जो संबंधित प्रश्न है वह पूछिये आप.

          श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह--उपाध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन यह है कि जब खनन पूरे जिले का बंद है परमीशन नहीं है तो किसके आदेश से भिण्ड में अवैध खनन हो रहा है. जहां लोग मारे जा रहे हैं गोलियां चल रही हैं ऐसा दिन नहीं जाता है जब गोलियां नहीं चलती हों.

          उपाध्यक्ष महोदय--अभी भी आपका प्रश्न नहीं आया, प्रश्न पूछ लीजिये. आप माननीय मंत्रीजी से क्या जानना चाहते हैं.

          श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह--उपाध्यक्ष महोदय, इसमें बहुत छोटी कार्यवाही हुई है दो बजे बंद किया और शाम को पेश कर दिया. मेरा प्रश्न यह है कि अवैध खनन भिण्ड जिले का बंद होगा कि नहीं होगा दूसरा प्रश्न छोटी कार्यवाही क्यों की गई.

          श्री बाबूलाल गौर--उपाध्यक्ष महोदय, यह रेत के अवैध खनन का जो मामला है वह खनिज विभाग का है. जब कोई अपराध करता है तो हम उस पर कार्यवाही करते हैं पूरी ताकत से करते हैं.

          श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह--उपाध्यक्ष महोदय, पुलिस की गोलियां चल रही हैं और आप कह रहे हो सामान्य घटना है एडिश्नल एसपी ने तीन फायर किये हैं, असामाजिक तत्वों ने पांच फायर किये. पूरा भिण्ड दहशत में है.

          श्री बाबूलाल गौर--जो गंभीर धारायें हैं उसके अन्तर्गत धारा 307 भी हम लगाते हैं और पूरी कार्यवाही करते हैं.

          श्रीमती अर्चना चिटनिस--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अवैध उत्खनन आर्गेनाइज्ड क्राईम है जहां अवैध उत्खनन होता है वह चोरी छिपे नहीं हो रहा होता है वह सबको पता रहता है जिला प्रशासन को पता रहता है कि कहां पर अवैध उत्खनन नियमित तौर पर चल रहा है. मेरा यह सुझाव है कि माईनिंग डिपार्टमेंट, पुलिस डिपार्टमेंट और जहां वन या राजस्व जो भी रिलेवेंट हो उनकी ज्वाइंट चौकियां वहां पर शासन स्थापित करेगा क्या ? दूसरा पुलिस विभाग के पास फोर्स मांगने पर उपलब्ध नहीं है तो पुलिस विभाग को हाँ या नहीं में उत्तर राजस्व या माईनिंग को देना चाहिये और अगर फोर्स उपलब्ध नहीं है माईनिंग डिपार्टमेंट को एटकास्ट फोर्स की अरेजमेंट करना चाहिए. क्या विभाग और सरकार इस दिशा में निर्णय करेगी ?

          श्री बाबूलाल गौर--उपाध्यक्ष महोदय, तीन विभाग मिलकर संयुक्त कार्यवाही करते हैं यह मैंने अपने उत्तर में बताया है और हम यह कोशिश करते हैं कि अपराधी को पकड़ने का काम गृह विभाग करे.

          उपाध्यक्ष महोदय--इसमें अहम् प्रश्न यह है कि जब उस इलाके में लीज अलाटेड नहीं है फिर कैसे कार्यवाही हो रही है सबसे मुख्य प्रश्न यह है.

          श्री बाबूलाल गौर--महोदय यह काम खनिज विभाग का है और वह हमको शिकायत करते हैं और हमसे फोर्स मांगते हैं तो हम कार्यवाही करते हैं.                                                                                            

            डॉ गोविन्‍द सिंह :- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, खनिज विभाग तो ले जा रहा है, लेकिन गोली क्‍यों चल रही है. आप गोलियों पर तो कंट्रोल लगाईये. (व्‍यवधान) आदमी मर रहे हैं.

          श्री रामनिवास रावत:-  माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, खनिज माफिया पावरफुल लोग हैं. बिना पुलिस के वहां पर कौन रूकेगा. (व्‍यवधान) इतनी सारी हत्‍याएं हो गयी हैं. आपका टास्‍क फोर्स बना हुआ है.

          श्री घनश्‍याम पिरोनियां :-  आपका वहां पर थाना है, चौकी है, (व्‍यवधान) जो भी ट्रैक्‍टर टाली होगा या डम्‍पर होगा तो वह थाने से गुजरेगा, यदि वहां पर थाने पर न‍हीं रोका गया तो निश्चित रूप से वहां थाने का थानेदार उसमें लिप्‍त है.

          श्री नरेन्‍द्र सिंह कुशवाह:- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, जहां से भी रेत की गाडि़यां गुजरती है, वहां पर थाना है, चौकी है, अगर उस चौकी का थानेदार या टी आई तय कर लेगा तो किसी की ताकत नहीं है.      

          उपाध्‍यक्ष महोदय :- माननीय मंत्री जी क्‍या आप वहां के वरिष्‍ठ अधिकारियों को इस पर प्रभावी नियंत्रण लगाने के आदेश देंगे.

          श्री बाबूलाल गौर :- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, जैसा कि आपने आदेश दिया है, हम प्रभावी कार्यवाही करेंगे.

          श्री कैलाश चावला :- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, जैसी सदन में जानकारी आयी है. यह मामला केवल अवैध रेत उत्‍खनन का नहीं है, बल्कि आज यह मामला कानून व्‍यवस्‍था का भी बन चुका है. वहां पर गोलियां चल रही हैं और हम एक दूसरे विभाग के ऊपर टाले तो मुझे लगता है कि इसमें शासन की छवि भी खराब हो रही है. इसलिये गृह विभाग को सख्‍ती से कार्यवाही करना चाहिये. मैं गृह मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि इसमें वह सक्षम कार्यवाही करें. क्‍योंकि वहां पर जब गोलियां चल रही है तो इसमें खनिज विभाग का इसमें कोई लेना देना नहीं रहा है. इसमें गृह विभाग को सक्षम कार्यवाही करना चाहिये. क्‍या आप कार्यवाही करने की कृपा करेंगे.

          उपाध्‍यक्ष महोदय :- यह तो आपका सुझाव है.

          श्री बाबूलाल गौर :- हम इस पर अवश्‍य कार्यवाही करेंगे. आपने जो सुझाव रखा है, हम उस बात को मानेंगे.

          उपाध्‍यक्ष महोदय :- ठीक है.

          डॉ गोविन्‍द  सिंह :-(XXX). (व्‍यवधान)

          उपाध्‍यक्ष महोदय :- इसको कार्यवाही से निकाल दें.

          श्री घनश्‍याम पिरोनियां :- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं रविवार को अपने विधान सभा भाण्‍डेर के ग्राम बैजापारा में था तो मेरे सामने, वहां से जे सी बी मशीन जा रही था और वहां से भरी हुई रेत की ट्राली जा रही थी. मैंने दतिया कलेक्‍टर को भी कहा, लेकिन वहां पर कोई ठोस कार्यवाही नहीं होती है. (व्‍यवधान)

          उपाध्‍यक्ष महोदय :- अब इस पर बात समाप्‍त हो गयी है. (व्‍यवधान)

बहिर्गमन

श्री बाला बच्‍चन, उप नेता प्रतिपक्ष एवं इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्‍यगण द्वारा शासन के उत्‍तर से असंतुष्‍ट होकर सदन से बहिर्गमन

 

          श्री बाला बच्‍चन :- उपाध्‍यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी द्वारा कोई ठोस कार्यवाही का आश्‍वासन न‍हीं दिया जा रहा है, प्रदेश में अवैध उत्‍खनन लगातार हो रहा है, शासन द्वारा समुचित कार्यवाही नहीं की जा रही है, इसलिये हम अपने दल के साथ सदन से बहिर्गमन करते हैं.

 

(श्री बाला बच्‍चन, उप नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्‍व में इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्‍यगण द्वारा ध्‍यानाकर्षण क्रमांक (6) पर शासन के उत्‍तर से असंतुष्‍ट होकर सदन से बहिर्गमन किया. )           

 

उपाध्‍यक्ष महोदय :- आज की कार्यसूची के पद क्रमांक तीन के 7 से 28 तक सूचना देने वाले निम्‍नानुसार सदस्‍यों की सूचना पढ़ी हुई मानी जायेंगे एवं उसके उत्‍तर विभागीय  मंत्री जी के द्वारा पढ़े हुए माने जायेंगे.

(7)     श्री राजेन्‍द्र  पाण्‍डेय

(8)     श्री संजय पाठक 

(9)     श्री के. के.श्रीवास्‍तव

(10)    श्री कालुसिंह ठाकुर

(11)    सुश्री हिना कांवरे

(12)    श्री लाखन सिंह यादव

(13)    श्री सत्‍यपाल सिंह सिकरवार

(14)    श्री फुन्‍देलाल सिंह मार्को

(15)    श्रीमती अर्चना चिटनिस

(16)    डॉ गोविन्‍द सिंह

(17)    श्री सुदर्शन गुप्‍ता

(18)    कुंवर सौरभ सिंह

(19)    श्री रणजीत सिंह गुणवान

(20)    श्री वेल सिंह भूरिया

(21)    सर्वश्री आरिफ अकील (ओंकार सिंह मरकाम, कैलाश चावला)

(22)    श्री रामपाल सिंह

(23)    श्री आरिफ अकील

(24)    श्री कमलेश्‍वर पटेल

(25)    श्रीमती झूमा सोलंकी

(26)    श्री गिरीश भण्‍डारी

(27)    इंजी. प्रदीप लारिया

(28)    श्री केदारनाथ शुक्‍ल    

          उपाध्‍यक्ष महोदय:- विधान सभा की कार्यवाही दोपहर 3.15 बजे तक के लिये स्‍थगित.

(1.44 बजे से 3.15 बजे तक के लिये स्‍थगित)

 

(3.21बजे)                अध्यक्ष महोदय(डॉ.सीतासरन शर्मा)पीठासीन हुए.

 

 

 

 

 

 

                                                प्रतिवेदनों की प्रस्तुति

          (1) शासकीय आश्वासनों संबंधी समिति का दशम्,एकादश,द्वादश,त्रयोदश,चतुर्दश,

                                             पंचदश तथा षोडश प्रतिवेदन

          डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय(सभापति) - अध्यक्ष महोदय, मैं,शासकीय आश्वसनों संबंधी समिति का दशम्,एकादश,द्वादश,त्रयोदश,चतुर्दश,पंचदश तथा षोडश प्रतिवेदन प्रस्तुत करता हूं.

          (2)        विशेषाधिकार समिति का प्रथम एवं द्वितीय प्रतिवेदन

          श्री कैलाश चावला(सभापति) - अध्यक्ष महोदय, मैं विशेषाधिकार समिति का प्रथम एवं द्वितीय प्रतिवेदन प्रस्तुत करता हूं.

                                                याचिकाओं की प्रस्तुति

          अध्यक्ष महोदय - आज की कार्यसूची में उल्लिखित सभी याचिकाएं पढ़ी हुई मानी जावेंगी.

                   विशेषाधिकार समिति के प्रतिवेदन पर विचार एवं स्वीकृति

          श्री कैलाश चावला(सभापति) - अध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश विधान सभा के प्रक्रिया एवं कार्य संचालन संबंधी नियमावली के नियम 229 के अंतर्गत प्रस्ताव प्रस्तुत करता हूं कि:-

          " यह सदन आज दिनांक 18 मार्च,2016 को प्रस्तुत विशेषाधिकार समिति के प्रथम एवं द्वितीय प्रतिवेदनों पर विचार कर उन्हें स्वीकार करे "

          अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.

          अध्यक्ष महोदय - प्रश्न यह है कि -

          " यह सदन आज दिनांक 18 मार्च,2016 को प्रस्तुत विशेषाधिकार समिति के प्रथम एवं द्वितीय प्रतिवेदनों पर विचार कर उन्हें स्वीकार करे "

                                                                             प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.

                                                अध्यक्षीय घोषणा

                   विनियोग विधेयक पर चर्चा उपरांत अशासकीय कार्य लेने विषयक

          अध्यक्ष महोदय - आज शुक्रवार होने की वजह से आखिरी ढाई घंटे अशासकीय कार्य हेतु नियत हैं परन्तु आज विनियोग विधेयक पर चर्चा उपरांत अशासकीय कार्य लिया जायेगा. मैं समझता हूं सदन इससे सहमत है.

                                                                   सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.

 

                                      शासकीय विधि विषयक कार्य

(3.24 बजे)     मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-2) विधेयक,2016 (क्रमांक 2 सन् 2016)

          वित्त मंत्री(श्री जयंत मलैया) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-2) विधेयक,2016 (क्रमांक 2 सन् 2016) पर विचार किया जाय.

          अध्यक्ष महोदय -  प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि -

          मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-2) विधेयक,2016(क्रमांक 2, सन् 2016) पर विचार किया जाय.

          श्री रामनिवास रावत - माननीय अध्यक्ष महोदय,आज माननीय मंत्री जी बजट पारित करा रहे हैं और यह अकेले मंत्री जी का ही उत्तरदायित्व नहीं है मंत्री जी के विभागों को ही नहीं मिलेगा सरकार के सभी मंत्रियों के विभागों को राशि विधान सभा से पारित होगी और सम्माननीय मंत्रियों की सदन  में उपस्थिति कम है. कम से कम जिस दिन विनियोग विधेयक पारित हो उस दिन तो सारे मंत्री उपस्थित रहें पता लगे कि उन्हें अपने विभाग की और राशि प्राप्त करने की चिंता है भी कि नहीं.सभी मंत्रियों को उपस्थित रहना चाहिये.

          श्री सुन्दरलाल तिवारी (गुढ़)--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय वित्तमंत्री जी ने आपके समक्ष आज जो विनियोग विधेयक प्रस्तुत किया है. यह विधेयक राज्य का, सरकार का, राज्य की जनता का बड़ा ही महत्वपूर्ण विधेयक है और इसका पूरे राज्य से संबंद्ध है. मेरा निवेदन है कि बजट के संबंध में जब से सदन में चर्चा शुरू हुई है मैंने एक आपत्ति बार-बार लगायी है. हमने माननीय अध्यक्ष महोदय का उस त्रुटि के बारे में ध्यानाकर्षण के माध्यम से, विशेषाधिकार हनन का नोटिस देकर तथा विभिन्न प्रावधानों के माध्यम से ध्यानाकृष्ट किया है. मैं माननीय मंत्री जी को धन्यवाद दूंगा कि मैंने जब यह मामला डिमाण्ड फॉर ग्रान्ट्स में उठाया तो माननीय मंत्री जी ने कुछ जवाब देने का प्रयास किया है, लेकिन वह जो जवाब था वह संतोषजनक नहीं था, विधि के अनुकूल नहीं था, प्रक्रिया के अनुकूल नहीं था इसीलिये इस सदन की गरिमा के लिये मैंने यह उचित समझा कि मैं यह बात बार-बार उठाऊं और जब तक यह सरकार उस बात को मान न जाए और वित्तमंत्री जी इसमें जो विधिक त्रुटि हुई है उस विधिय त्रुटि में सुधार न जाएं.

          अध्यक्ष महोदय, यह मान्य सिद्धांत है कि -Nobody is above the law. चाहे वह सरकार हो, चाहे यह सदन हो, चाहे सदन की जनता हो, लेकिन जिस तरह से इस बार इस विधान मण्डल के अंदर कानून में सुधार किया गया है और जो हठधर्मिता इस सरकार के सामने आयी है उससे यह प्रतीत होता है कि जैसे ही हमारी मध्यप्रदेश की सरकार कानून से ऊपर है और कानून की फिक्र इस सरकार को नहीं है. अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे निवेदन करना चाहूंगा कि उस सदन में हम हैं जिस सदन में विधान बनता है, बिगड़ता है, संशोधित होता है, एवं रद्द होता है, ऐसे विधान पर हम बैठे हैं और यह हमारी कार्य-कुशलता होना चाहिये होना चाहिये कि जो विधान हमारे यहां पर बने देश की सबसे बड़ी अदालत में भी जाए तो वह रद्द न हो और उस पर अदालत भी टिप्पणी न कर पाये, ऐसा विधान बनाने की शक्ति इस विधान मण्डल में है. मुझे खेद है कि इस सदन की गरिमा को बिना ध्यान दिये जो राजकोषीय घाटा, उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम 2015 में संशोधन लाया गया उस संशोधन में सारे सदन को गुमराह किया गया. यह मामला टेक्निकल था वह संशोधन आया और वह संशोधन इस सदन से पास हो गया उसमें मैं अकेले माननीय वित्तमंत्री जी की गलती नहीं बताना चाहता हूं उसमें उस पक्ष में बैठे सदस्य तथा विपक्ष में बैठे सदस्य उसमें हम भी शामिल हैं कि वह अवैधानिक कार्य जो सरकार करवाना चाह रही है इस विधान मण्डल में उसको हमने समय से देखा नहीं और हमने समय से सुधार करने की बात नहीं की. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जैसे ही मेरे संज्ञान में आया,  मैंने उसको सुधार करने की बात की,  भारत सरकार ने घाटे की सीमा को अभी मात्र 3 प्रतिशत पर रखा है ।  अध्‍यक्ष महोदय, मैं क्षमता चाहता हूं,  चश्मे का केस तो ले आया,  पर चश्मा  छूट गया । (हंसी)

          श्री विजय शाह-  क्‍या हमारा चश्मा चलेगा ।                                

          श्री सुन्‍दरलाल तिवारी-  वित्‍त मंत्री जी के बगल में बैठे हैं,  आपके चश्मे से तो बिल्‍कुल गलत दिखने लगेगा ।

          श्री यशपाल सिंह सिसोदिया-  पूरी कांग्रेस को चश्मे की आवश्‍यकता है ।

          श्री सुन्‍दरलाल तिवारी-  अध्‍यक्ष महोदय,  इस सदन के अंदर जो संशोधन पेश किया गया, उस संशोधन में माननीय वित्‍त मंत्री जी ने उद्देश्‍य और कारणों में,  कथन किया कि 14वें वित्‍त आयोग की सिफारिश को केन्‍द्र सरकार ने समावेशित कर लिया है,  इसलिए घाटे की सीमा को 3 से बढ़ाकर 3.5 राज्‍य सरकार इस कानून के माध्‍यम से करने जा रही है और सदन में पेश कर लिया, सदन द्वारा संशोधन पास भी  हो गया  ।

 अध्‍यक्ष महोदय, मैं आज भी इस सदन के समक्ष पूरी जिम्मेदारी के साथ यह कह रहा हूं कि केन्‍द्र सरकार ने आज तक 14 वें वित्‍त आयोग की सिफारिश को स्‍वीकार नहीं किया है और किसी भी फायनेंस कमीशन की सिफारिशें तब तक लागू नहीं की जा सकती हैं,  जब तक या तो केन्‍द्र सरकार और अगर वह राज्‍य के अधीनस्‍थ है,  तो राज्‍य सरकार उसको स्‍वीकार करे,  यहां मामला केन्‍द्र का है ।

          अध्‍यक्ष महोदय, आपका ध्‍यान आकर्षित करूंगा,  इस दरमियान मैंने जब सदन में अपनी यह बात रखी,  तो वित्‍त मंत्री जी ने इसको स्‍वीकार तो किया,  लेकिन बड़ी हास्‍यास्‍पद बात सदन के अंदर कही कि हमने चर्चा की है, ईश्‍वर जाने यह चर्चा किससे की,  केन्‍द्र के किसी मंत्री से चर्चा की या प्रधान मंत्री से चर्चा की, यह चर्चा किससे हुई,  माननीय मंत्रीजी ने यहां नहीं बताया है,  अब सवाल यह उठता है कि गलत जानकारी देकर, जो संशोधन आपने सदन से कराया है, क्‍या उस संशोधन को आप वापस नहीं कर सकते थे,  उस संशोधन को वापस करके आप बजट प्रस्‍तुत करते तो प्रदेश के सामने और प्रदेश की जनता के सामने सही आंकड़े आते, यह जानकारी जो आपने दी है,  इसलिए हमने विशेषाधिकार का नोटिस दिया,   वह कहां लंबित है, अध्‍यक्ष महोदय की जानकारी में होगा मेरी जानकारी में तो नहीं है,  न ही मुझे उसकी सूचना मिली,  लेकिन वह विषय अभी बाहर है, अभी तो बजट वाला मामला है ।

          अध्‍यक्ष महोदय मेरा यह कहना है कि यहां कानून का जन्‍म होंता है और जिस सदन में कानून का जन्‍म होता हो,  कानून बनाया जाता हो,  उस सदन को सरकार धोखा देकर, उस सदन के सामने गलत बात करे,  इसको क्‍या कहेंगे,  क्‍या विधायिका या शासन के बाद जो शक्ति है,  यह उसकी गुंडागर्दी नहीं है,  उसको हम क्‍या कहेंगे यह शासन की तानाशाही नहीं है कि हमारे पास अधिकार है, इसलिए हम उस अधिकार का उपयोग करके मनमाने घाटे की सीमा रख लेंगे और मनमाने ढ़ग से बजट का निर्माण करेंगे । अध्‍यक्ष महोदय, जब वित्‍त मंत्री जी ने स्‍वीकार किया तो इस स्‍वीकारोक्ति का अर्थ क्‍या निकला ?

          अध्‍यक्ष महोदय, जब आपने यह कह दिया कि हम एफ.आर.बी.एम. एक्‍ट से बँधे हुए हैं. आप कैसे बँधे हैं ? अगर एफ.आर.बी.एम. एक्‍ट से आप न्‍यायिक तरीके से बँधे हैं, सही तरीके से बँधे हैं तब जो आपने एफ.आर.बी.एम. एक्‍ट में अमेन्‍डमेन्‍ट किया है, उससे आपको वापिस ले लेना चाहिए था. दूसरा, हमारा कहना है कि हमने केन्‍द्र सरकार को दी है और हमारी जो मौखिक चर्चा हुई है, उसके हिसाब से हमें 3.5 प्रतिशत की अनुमति मिल गई है. क्‍या यह बजट टेलीफोन से तैयार हुआ है या मौखिक आश्‍वासनों पर यह बजट तैयार हुआ है ? यह तैयार कैसे हुआ है ? और जिनसे आपकी टेलीफोनिक चर्चा हुई है, उनकी बातें भी फिर इस सदन को बताइये तो उनसे भी हम पूछें कि आपको इस तरह की अनुमति देने का अधिकार है कि नहीं. आप यह कैसा अधिकार मध्‍यप्रदेश पर थोप रहे हैं ?

          अध्‍यक्ष महोदय - माननीय सदस्‍य, आप यह विषय लिखकर भी दे चुके हैं और अभी इसी पर 10 मिनिट हो गए हैं. वैसे तो, यह विषय अब समाप्‍त इसलिए हो गया है क्‍योंकि उसके बाद में विनियोग विधेयक प्रस्‍तुत हो गया. फिर भी टेक्‍नीकल प्‍वाइन्‍ट था, इसलिए बोल दिया. कृपा कर इसे समाप्‍त करें.

          श्री सुन्‍दरलाल तिवारी - अध्‍यक्ष महोदय, मैं एक निवेदन कर लूँ.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - अध्‍यक्ष महोदय, 10 एवं 11 मिनिट की कोई बात नहीं है. एक ही बात को रिपीट, रिपीट और रिपीट की गई है. आप कार्यवाही देख लें. लगातार चार बार, पांच बार एक ही बात आ रही है.

          श्री सुन्‍दरलाल तिवारी - अध्‍यक्ष महोदय, माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी ने जो बात कही है. यह बात सही है कि मैंने कई तरीके से इस मामले को उठाने की कोशिश की है लेकिन आपने हमको उठाने का अवसर नहीं दिया है. आपकी कलम कैसी चली है ? मुझे नहीं मालूम. मुझे उसकी जानकारी नहीं है. आपने स्‍वीकार किया है कि अस्‍वीकार किया है, इसलिए कुछ नहीं कह सकता हूँ लेकिन आज एक्‍ट बन रहा है. कल बातें थीं और जो बातें, मैं उठा रहा हूँ. उसका आज कानून बनने जा रहा है, इस सदन से, इसलिए यह बात कहना नितान्‍त आवश्‍यक है. जब यह कानून बन जायेगा, इसके बाद अगर हम अपनी कोई बात कहेंगे तो उसका कोई अर्थ नहीं होगा.

          अध्‍यक्ष महोदय - आप संक्षेप में समाप्‍त करें.

          श्री सुन्‍दरलाल तिवारी - अध्‍यक्ष महोदय, मैं माननीय वित्‍त मंत्री जी से विनम्र निवेदन करना चाहता हूँ कि जो बजट आपने प्रस्‍तुत किया है, जिस पर आज विनियोग विधेयक बनने जा रहा है, कृपा करके, इस सदन की गरिमा के लिए, सदस्‍यों की गरिमा एवं विधान मंडल की गरिमा के लिए, अपनी त्रुटि को स्‍वीकार करते हुए, उस बजट को वापिस करें और घाटे की सीमा को 3 प्रतिशत करके और नये बजट का निर्माण करें, अभी 31 मार्च के लिए समय है. एक सन्‍देश जनता को दें कि हमने सदन में जो बजट की प्रस्‍तुति की है, वह सही है, जनहित में है और बजट के अनुसार कल्‍याण करने की स्थिति में रहेंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय - कृपया समाप्‍त करें. एक मिनट में समाप्‍त करें. 

          श्री सुन्‍दरलाल तिवारी - अध्‍यक्ष महोदय, मैं 2 मिनिट में अपनी बात कहूँगा. जब यह कानून बना है तो उसमें दस्‍तखत आपके भी हुए होंगे और आपके माध्‍यम से गया होगा. आपकी नजर से स्लिप हुआ या क्‍या हुआ, यह तो मैं नहीं कह सकता हूँ. आपके निर्णय सही थे. आरोप नहीं लगा रहे हैं. अगर कोई त्रुटि हो गई है तो क्‍या हमको उसमें सुधार नहीं करना चाहिए ? क्‍या यह अदालत जाने पर ही सुधार होंगे ? प्रदेश की जनता के समक्ष हम एक गलत, झूठा, बनावटी बजट जनता को दें. मैंने इस पर आपत्ति भी लगाई है. यह महालेखा परीक्षण में यह आपत्ति भी आई है ''साथ ही राजकोषीय उत्‍तरदायित्‍व एवं बजट प्रबन्‍धन अधिनियम 2005 के  अंतर्गत   निर्धारित सीमा के भीतर  रहा जाये."  और एक बात और यह कह गयी, जो सबसे  महत्वपूर्ण बात कहना चाहता हूं - "राज्य सरकार बेहतर कर अनुपालन द्वारा  कर एवं करेत्तर  संसाधन के माध्यम से  अतिरिक्त संसाधन  जुटाने हेतु खोज कर सकती है.  बजट अनुमान एवं  संशोधित  बजट अनुमान तैयार करते समय राज्य सरकार को  यथार्थवादी आंकड़े  प्रक्षेपित करना चाहिये.यह भारत के नियंत्रक  महालेखा  परीक्षक  की  रिपोर्ट है कि हम बजट में ऐसे आंकड़े न दें,  जो आंकड़े असत्य साबित हों.  जो आंकड़े दें, जिनका अनुमान  का कोई आधार हो और असत्य न दें.

                   संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) --  अध्यक्ष जी,  माननीय सदस्य लगातार असत्य शब्द का प्रयोग किये जा रहे हैं. कभी गुण्डागर्दी  शब्द  का  उपयोग किये जा रहे हैं.

                   श्री सुंदरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय,  नहीं, मैंने किसी को गुण्डा नहीं कहा है.  मैंने आपकी शक्ति को कहा है.  मैंने सरकार की शक्ति को कहा है.

                   डॉ. नरोत्तम मिश्र -- जिसकी भी शक्ति को कहा हो, कोई बात नहीं है.  तिवारी जी, मैंने आपके पिताजी से बहुत सीखा है.  पता नहीं  उनको कहां त्रुटि रह गई  आपको सिखाने में.

                   श्री सुंदरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय,  हम भी आपसे सीख रहे हैं. आप तो वरिष्ठ मंत्री हैं.  मध्यप्रदेश के वरिष्ठ नेता हैं, हम भी  आपसे सीख रहे हैं.

                   डॉ. नरोत्तम मिश्र -- तिवारी जी, वैसे आप जो पढ़ रहे हैं, उसी तरफ मैं आपका ध्यान आकर्षित  कर दूं.  अध्यक्ष महोदय, यह  इसका पेज नंबर 4 है. यह प्रारंभ में ही लिखा है और निर्णय  बार बार कह रहे हैं.  पैरा  क्रमांक 10  में है कि - " औद्योगिक  वृद्धि दर कम  करने से केंद्रीय एवं  राज्य के करों की प्राप्तियों में पहले  की तरह उछाल  देखने को नहीं  मिल रहा है.  इस परिप्रेक्ष्य में अधोसंरचना  में निवेश को बढ़ाने  के लिये राजकोषीय घाटे,  उधार  की वित्तीय  आयोग द्वारा अनुशंसित  पूर्ण सीमा  3.5  प्रतिशत  का उपयोग करने का  निर्णय राज्य शासन ने लिया है.   इसके लिये केंद्र सरकार से अनुमति मांगी है. " अनुमति मांगी है.  इसमें कौन सी नई बात हो गई, अनुमति मांग  नहीं सकते हैं,  बजट आना है, उसको पेश करना है और घाटे के ऊपर है.  हम मुनाफे  से भरपाई भी तो कर सकते हैं.  कितनी सरल सी बात है, इसके लिये   माननीय लगातार  बोल रहे हैं.

                   श्री सुंदरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय,  संसदीय कार्य मंत्री जी ने बोल दिया, तो मैं  कुछ सैकंडों में जवाब दे दूं.  यही तो मेरी आपत्ति है कि  केंद्र सरकार ने 14वें  वित्त आयोग की  सिफारिश  को  स्वीकार नहीं किया और आपने जो अमेंडमेंट  कराया है, यह कह कर कराया है सदन में कि  14वें वित्त आयोग की सिफारिश को केंद्र सरकार ने  माना है.  दूसरी बात, क्या अनुशंसा पर बजट बनेगा.  भविष्य में कोई  अगर हमने  जो केंद्र  सरकार  से मांग  मांगी है,  अगर  वह सरकार मान लेगी, तो ठीक है और मान लीजिये  केंद्र सरकार ने आपकी अनुशंसा को नहीं माना या  मांग  को  नहीं  माना,  तब इस बजट का क्या होगा.  अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से  मंत्री जी से  पूछना चाहता  हूं कि  अगर आपके घाटे की  सीमा को  3.5  प्रतिशत  को केंद्र सरकार ने नहीं माना,  तब आपके बजट की स्थिति क्या रहेगी.  बता दीजिये.

                   अध्यक्ष महोदय --  आपकी सारी बात आ गयी. कृपा करके बैठ जायें.  आपको मंत्री जी उत्तर देंगे. यह प्रश्नोत्तर काल नहीं है.  आप अपनी बात कहिये, वह अपनी बात कहेंगे.

                   श्री सुंदरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय,  हमारी बात पर  उन्होंने बोला है, इसलिये  मैं कह रहा हूं. आप बता दीजिये.  क्या स्थिति होगी.

                   डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, कहीं  कोई दिक्कत वाली बात नहीं है.  उद्देश्य  और कारण का  कथन  अधिनियम का हिस्सा नहीं होता है.  बहुत स्पष्ट रुप से  उसमें इसका उल्लेख है कि यह  अधिनियम का हिस्सा नहीं है.  दूसरी बात, जब आपको आपत्ति  करनी थी, तब आपने की नहीं.  अब  खेचे डाल रहे हैं  लगे लगे करके.  उस समय आप सो गये थे क्या.  उस समय आप यहां मौजूद थे.   आप उस समय यहां मौजूद थे और  मैंने  देखा है उस समय भी.

                   श्री सुंदरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय,  (XXX) .

                   अध्यक्ष महोदय -- यह सब कार्यवाही से निकाल दें.

                   श्री सुंदरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय,  अंत में मुझे एक लाइन कहना है  कि  यह पूरा बजट गड़बड़ है.  यह धोखा है. राज्य सरकार  जनता  की आंखों  में धोखा डाल रही है. यह सारे आंकड़े असत्य हैं,  इसको वापस किया जाये और  घाटे की सीमा 3 प्रतिशत के अंदर  लाकर यह बजट  तैयार किया जाये. धन्यवाद.

                   श्री यशपाल सिंह सिसोदिया (मंदसौर) --  अध्यक्ष महोदय,  वित्त मंत्री जी द्वारा  जो विनियोग विधेयक प्रस्तुत किया गया है,  मैं उसका हृदय से   स्वागत एवं अभिनंदन करता हूं.  कल मुझे मध्यप्रदेश विधान सभा सचिवालय से कुछ साहित्य प्राप्त हुआ  और उस साहित्य में  मध्यप्रदेश के उन तमाम  मुख्यमंत्रियों  के नाम, उनका कार्यकाल  उनकी अवधि से मैं अवगत हुआ. मुझे पृष्ठ पढ़कर के अत्यंत प्रसन्नता हुई कि कांग्रेस का कालखंड हो या भारतीय जनता पार्टी के अन्य शासनकाल का. पहली बार मध्यप्रदेश में लगातार हैट्रिक करने वाले यदि कोई मुख्यमंत्री हैं तो माननीय शिवराज सिंह चौहान हैं. कांग्रेस के कार्यकाल में भी एक दो वरिष्ठ नेताओं को दो बार मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला लेकिन कालखण्ड बदल गया था. जब देश भर में कृषि कर्मण्य पुरस्कार की प्राप्ति को लेकर के मध्यप्रदेश को लगातार चौथी बार पुरस्कार से नवाजा जाता है तो मैं समझता हूं कि आने वाले समय में भी चौथी बार लगातार शिवराज सिंह जी प्रदेश का नेतृत्व करेंगे.

          माननीय अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2016-17 का जो आम बजट प्रस्तुत हुआ. पूरे बजट पर पर्याप्त चर्चा हुई और बहुत सोहार्द्रपूर्ण वातावरण में चर्चा हुई. लंबी फेहरिस्त है, चर्चा में भाग लेने वाले प्रतिपक्ष और सत्ता पक्ष की तरफ से भाग लेने वाले तमाम जनप्रतिनिधि विधायकों की. उसके बाद जो सिलसिलेवार विभागीय मांगों पर चर्चा हुई वो भी इतनी विस्तार से हुई है कि 1-2 विभाग के ऊपर तो 40 से 50 सदस्यों ने भले ही एक मिनट में अपनी बात रखी हो, लेकिन कुल मिलाकर के सारे सदस्यों ने अपनी भावनाओं से जो अभिव्यक्ति दी है वो इस बजट का आईना था.

            माननीय अध्यक्ष महोदय, वर्तमान बजट जो 1 लाख 50 हजार करोड़ के लगभग पहुंचा है, वह योजनाओं पर पहुंचा है. इस बजट में कृषि को ताकत मिली है, किसानों का ढांढस बंधाया गया है . सिंचाई के संसाधन बढ़े हैं . ऊर्जा के क्षेत्र में अनुकरणीय काम हुआ है  शिक्षा के क्षेत्र में, स्वास्थ्य के क्षेत्र में , सर्वहारा वर्ग के लिये इस आम बजट में और विभागीय अनुदान मांगों में बहुत बड़ी सफलताओं से लबरेज हितग्राहीमूलक योजनायें, विकासोन्मुखी योजनायें, जनोन्मुखी योजनायें, अधोसंरचना विकास योजना बजट में सम्मलित की हुई है.माननीय अध्यक्ष महोदय,  कभी कभी मुझे आश्चर्य भी होता है. जिन दिनों में पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय भूमिका निभाता था वह कांग्रेस का कार्यकाल था. 30-35 हजार करोड़ का जो प्रस्तुत होता था उसमें हितग्राहीमूलक योजनायें सम्मलित नहीं होती थीं. सरकार के जो कामकाज थे वह सार्वजनिक रूप से दिखलाई नहीं पड़ते थे. आज हितग्राहीमूलक योजनाओं में 175 से अधिक ऐसी योजनायें हैं जिसमें छात्र-छात्रायें शामिल है, जिसमें महिलायें शामिल हैं, जिसमें चौकीदार शामिल है, अनेक प्रकार की योजनायें है जिसके विस्तार में मैं जाना नहीं चाहता हूं. सरकार कभी ओवर ड्राफ्ट नहीं हुई है. कर्मचारियों और अधिकारियों को अपना वेतन मांगने के लिये कभी हड़ताल नहीं करनी पड़ी. हां सुविधायें बढ़ाने की बात को लेकर के जरूर जिस प्रकार से नई नई व्यवस्थायें इजात हो रही हैं, जिस प्रकार से नई नई व्यवस्थाओं से प्रदेश में आम जनता को लाभान्वित करने के लिये जो नई उम्मीदें जागृत हुई हैं उससे यदाकदा अपनी मांगों को स्थायित्व देने के लिये जरूर अधिकारी कर्मचारियों ने अपने संगठन के माध्यम से जरूर बात रखी होगी.

          माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे यह भी आश्चर्य होता है कि कांग्रेस के कालखण्ड में कभी मुख्यमंत्री के आवास पर सम्मेलन क्यों नहीं हुये, हितग्राही मूलक योजनाओं को लेकर पंचायत और महापंचायतों के आयोजन क्यों नहीं हुये. गरीबों के सम्मेलन, अन्त्योदय मेले, यह उन सरकारों के समय में क्यों नहीं होते थे. मैंने मुख्यमंत्री जी का पिछला कार्यकाल भी देखा है जब मैं विधायक नहीं था. 2 लाख लोग नीमच जिले के अन्त्योदय मेले में आये और तब देखा तो बहुत व्यवस्था गड़बड़ा गई थी. जितने स्टाल लगे थे वहां पर हितग्राहियों की भीड़ थी, माननीय मुख्यमंत्री जी ने उसको फिर कहीं न कहीं ओर सुविधा और सुधार के रूप में लेते हुये विकासखंड स्तरीय अंत्योदय मेले लगाने का काम किया , गरीब सम्मेलनों का आयोजन किया गया, यह सब इस बजट में कहीं न कहीं समाहित है. जिनके कारण से आज उस झाडू-पोछा लगाने वाली महिला जिसको माननीय मुख्यमंत्री जी ने कहा कि इसको बाई मत कहो, इसको बहन कहो. वह किताब मैंने पढ़ी है, वह निर्देश मैंने पढ़े हैं जो नगर पालिका और नगर निगमों में गये हैं. "बाई" शब्द का नहीं "बहन" शब्द का उल्लेख करो. जो घर घर में जूठन साफ करती है. उसको भी कहीं न कहीं बजट में समाविष्ट किया गया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, 13वीं विधानसभा की कृषि केबीनेट बड़ी सफलता रही. अब 14वीं विधानसभा में यदि हम बात करें तों जहां कृषि के‍बिनेट की सफलता मिली वहीं माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इस बजट में एक नई बात चलकर के आई है, पर्यटन नीति, पर्यटन केबिनेट को आगे बढ़ाने को लेकर के फिर चाहे मुख्‍यमंत्री जी ने खंडवा जिले के हनुवंतिया को यूं ही नहीं एक प्रयोग के रूप में, वहां पर केबिनेट की भी मीटिंग हुई है, वहां पर मेले का भी आयोजन हुआ है और यह सब चीजें माननीय अध्‍यक्ष महोदय इस बजट में सम्मिलित हैं, मैं बजट से बाहर एक भी शब्‍द इस्‍तेमाल नहीं कर रहा हूं. इससे एक वातावरण निर्मित हुआ है, पर्यटन के क्षेत्र में, कृषि के क्षेत्र में, सिंचाई के क्षेत्र में. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं बहुत पीछे जाना चाहता हूं 7 लाख 50 हजार हेक्‍टेयर कुल क्षेत्र में सिंचाई होती थी, आज सिंचाई का रकवा 25 लाख, आने वाले समय में 50 लाख हेक्‍टेयर तक पहुंचाने की बात है. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, नदियों से नदियों को जोड़ने की जो संकल्‍पना माननीय पूर्व प्रधानमंत्री माननीय अटल बिहारी वाजपेयी जी ने सोची थी, यह अलग विषय है कि यूपीए की सरकार ने उसका खारिज कर दिया, लेकिन यह भी प्रसन्‍नता की बात है कि नर्मदा को क्षिप्रा में मिलाने का काम, क्षिप्रा को गंभीरी में मिलाने का काम, चंबल, बेत केतवा को मिलाने का काम, यह सारे काम माननीय अध्‍यक्ष महोदय इस बजट में चर्चा के दौरान सम्मिलित हुये हैं.

माननीय अध्‍यक्ष महोदय, ऊर्जा के क्षेत्र में गैर परंपरागत जो स्रोत हैं, सूर्य की किरणें हैं, पवन हवा है, इससे लगभग 2900 मेगावाट विद्युत का उत्‍पादन इस प्रकृति से सरकार ने प्राप्‍त किया है, माननीय मुख्‍यमंत्री जी की दृढ़ इच्‍छाशक्ति के चलते कर लिया और अगर प्रतिपक्ष विचार करें, मनन करें, अध्‍ययन करे तो कांग्रेस के कालखंड में पूरा का पूरा विद्युत का उत्‍पादन 2900 मेगावाट हर्डल पानी से सबसे मिलाकर होता था. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, उद्योग पर्यटन आदि को लेकर के सरकार ने जो चिंता व्‍यक्‍त की है, यह वातावरण बना है निवेशकों को आमंत्रित करने का, उद्योगों को स्‍थापित करने को लेकर के ऑनलाइन इसको जोड़ने का काम किया है और भारत सरकार द्वारा भी इस आंकलन में समस्‍त राज्‍यों में मध्‍यप्रदेश को 5वां स्‍थान दिया है, जब कांग्रेस के जमाने में सारे के सारे उद्योग बंद हो चले थे. मैं थोड़ा सा पीछे ले जाना चाहता हूं, जितनी भी कपड़ा मिल थीं चाहे उज्‍जैन की हों, हीरामिल हो, चाहे वह देवास की फैक्ट्रियां हो, रतलाम की फैक्‍ट्री हो, ग्‍वालियर की फैक्‍ट्री सब लगभग बंद हो चुकी थी, लेकिन आज उद्योग और निवेश को बढ़ाने का जो वातावरण निर्मित हुआ है माननीय अध्‍यक्ष महोदय कांग्रेस के कार्यकाल में कभी रेडीमेड गारमेंट्स पार्क की बात नहीं की जा सकती थी, आज आई टी पार्क की बात हुई है, इंदौर रेडीमेंट्स गारमेंट्स पार्क की बात हुई है, गदईपुरा की बात हुई, ग्‍वालियर सीतापुर पहाड़ी मुरैना, अमकुही, कटनी, सिवनी, उमरिया, डुंगरिया, जबलपुर आदि का जो विकास हुआ, इनको लेकर जो उद्योगों की संरचना में जो सरकार ने अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, डीएमआईसी प्रोजेक्‍ट के अंतर्गत जिला उज्‍जैन में विक्रम उद्योगपुरी में लगभग 450 हेक्‍टेयर भूमि में अधोसंरचना निर्माण विकास का कार्य प्रारंभ करने को लेकर के तय हो गया है, पीथमपुर का जिस तरह से विकास हुआ औद्योगिक क्षेत्र में. मैं एक सार्वजनिक उपक्रम समिति का सभापति होने के नाते मुझे अवसर मिला था और मैं जब पीथमपुर की फैक्ट्रियों में गया विजिट करने तो एक अलग प्रकार का वतावरण माननीय अध्‍यक्ष महोदय दिखलाई पड़ रहा है और पीथमपुर को 300 करोड़ की परियोजनाओं का निर्माण कार्य शीघ्र किये जाने का प्रयास इस बजट में सम्मिलित किया गया है. जनभागीदारी अंतर्गत औद्योगिक क्षेत्र में मुहासा, बाबई जिला होशंगाबाद, 640 हेक्‍टेयर क्षेत्र में जेम्‍स एण्‍ड ज्‍वेलरी पार्क, इंदौर में 105 हेक्‍टेयर भूमि का विकास प्रक्रियाधीन है. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, ग्‍लोबल इनवेस्‍ट समि‍ट 2014 में रूपये 4.36 लाख करोड़ के निवेश आशय के प्रस्‍ताव शासन को प्राप्‍त हुये. खरगोन जिला निमाड़ का अति पिछड़ा आदिवासी क्षेत्र है, लेकिन वहां पर भी जो उल्‍लेखनीय उपलब्धि हासिल हुई है माननीय अध्‍यक्ष महोदय इंडस मेगा फूड पार्क की स्‍थापना को लेकर ट्राइडेंट लिमिटेड द्वारा बुधनी जिला सीहोर में भी 1400 करोड़ की लागत से टेक्‍सटाइल प्‍लांट की स्‍थापना किये जाने का प्रकल्‍प तय होने की स्थिति में है.

          अध्यक्ष महोदय, टाइगर रिजर्व के क्षेत्र में पर्यटन बढ़े इस बात को लेकर केन्द्र सरकार द्वारा  स्वदेश दर्शन योजना अंतर्गत टाइगर रिजर्व क्षेत्र में पर्यटन विकास के लिए 93 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता स्वीकृत की गई. राष्ट्रीय उद्यानों, अभ्यारण्यों को लेकर जो चिन्तन और चिन्ता हमारे माननीय मुख्यमंत्रीजी कर रहे हैं, आदरणीय मंत्रीगण कर रहे हैं, वह तारीफेकाबिल है, प्रशंसनीय है.

          अध्यक्ष महोदय, हर क्षेत्र में सुविधाएं बढ़ीं हैं. सुविधाएं बढ़ी हैं तो जिम्मेदारियां भी बढ़ीं हैं और इसीलिए सरकार का बजट भी बढ़ा है. यह बजट मौज मस्ती के लिए नहीं है. अपने स्वयं के प्रचार-प्रसार के लिए नहीं है. यह उन गरीबों के लिए है, किसानों के लिए है, छात्र-छात्राओं के लिए है और 7 करोड़ 50 लाख जनता के लिए है. यह अनुसूचित जाति,जनजाति, अल्प संख्यक वर्ग के लिए है. बजट की प्रति में भोपाल में हज हाऊस के निर्माण का काम लगभग पूर्ण होने की बात आयी है. हमारे  कांग्रेस के मित्रों ने कभी भी हज हाऊस के बारे में निर्माण की बात नहीं सोची थी. जब हज यात्री यहां से जायेंगे तो सुविधाएं लेकर जायेंगे. उनके काम आसानी से सम्पन्न हो सकेंगे. इस बजट में विभिन्न प्रकार के नये आयाम स्थापित किये हैं.

          अध्यक्ष महोदय, 12 फरवरी से 21 फरवरी, 2016 तक खंडवा के इंदिरा सागर जलाशय में जल महोत्सव मनाया गया. अब स्थान-स्थान पर जहां जलाशय हैं, उन जलाशयों में जल महोत्सव मनाने का अनुकरणीय काम सरकार द्वारा किया जा रहा है. मैं जिस मंदसौर जिले का प्रतिनिधित्व करता हूं, वहां के गांधी सागर में पिछले वर्ष बड़ा आयोजन हुआ था. गांधी सागर बांध मदसौर से लगभग 130-140 किमी दूर है. लेकिन मंदसौर, नीमच,रामपुरा,मनासा, मल्हारगढ़ और जावद आदि के आसपास के क्षेत्रों के लोगों ने उस जल महोत्सव में अपनी उपस्थिति दर्ज करायी है.

          अध्यक्ष महोदय--कृपया समाप्त करें.

          श्री यशपाल सिंह सिसोदिया--अध्यक्ष महोदय, सरकार के सामने बड़ी चुनौती. बड़ा संघर्ष. बड़ी जिम्मेदारी है. यह इस बात को इंगित करती है कि लगातार 3 वर्ष से इस प्रदेश खरीफ की फसल हो या रबी की फसल हो दोनों के समय अतिवृष्टि हो, अल्प वर्षा हो, ओला पाला हो, शीत लहर हो तमाम प्रकार की प्राकृतिक आपदा को इस सरकार ने झेला है. और इसमें किसानों को मरहम लगाया है. उनके आंसू पोंछने का काम किया है.ढाढस बंधाने का काम किया है. कभी 800 करोड़ रुपये की राशि, कभी 14 सौ करोड़ रुपये की राशि. कभी विधानसभा का एक दिवसीय विशेष सत्र इन सबके माध्यम से किसानों के दुख में मरहम लगाने का काम किया है.

          अध्यक्ष महोदय, आरबीसी 6(4) कभी ऊंट के मुंह में जीरा के समान हुआ करती थी. आज इतना आकर्षण बन गया है कि हर कोई कहता है कि किसानों को ठीक ढंग का मुआवजा मिल रहा है क्योंकि राशियां बढ़ गई. पहले इस प्रकार से कभी मांग नहीं उठती. आज इसलिए मांगें उठ रही है कि आरबीसी 6(4) में जो राशि दी जा रही है, वह कई गुना बढ़ कर दी जा रही है.

          अध्यक्ष महोदय--समाप्त करें.

          श्री यशपाल सिंह सिसोदिया--अध्यक्ष महोदय, माननीय प्रधानमंत्रीजी सीहोर जिले के ग्राम शेरपुरा में पधारे थे. उन्होंने मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना प्रारंभ की थी. जैविक खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने अनेक काम किये हैं. मुझे लगता है कि जिस प्रकार से मध्यप्रदेश में काम हुआ है, उसी के तहत भारत सरकार ने भी अभी इसी बजट 2016-17 में पूरे हिंदुस्तान में जैविक खेती को बढ़ावा देने का संकल्प लिया है, निर्णय लिया है. धन्यवाद.

          श्री रामनिवास रावत(विजयपुर)--अध्यक्ष महोदय, मंत्रीजी द्वारा प्रस्तुत विनियोग विधेयक, जिसमें 1 लाख 70 हजार 753 करोड़ 99 लाख 53 हजार रुपये की राशि की मांग की गई है.

अध्यक्ष महोदय, यह बात सही है कि सरकार चलाने के लिए राशि की मांग करने की आवश्यकता होती है. निश्चित रुप से अगर बजट पारित नहीं होगा,बजट आवंटन नहीं होगा तो सरकार कैसे चलेगी. कैसे विकास होगा. लेकिन मैं बजट पारित करने की प्रक्रिया और बजट द्वारा राशि लेने की प्रक्रिया का विरोध नहीं कर रहा हूं लेकिन जो बजट से प्राप्त राशि है, उस राशि का सदुपयोग कैसे किया जाये, उस राशि का उपयोग कैसे किया जाये इसलिए मैं मंत्रीजी द्वारा प्रस्तुत विनियोग विधेयक का विरोध करता हूं.

जैसा कि श्री तिवारी जी ने कहा, माननीय मंत्री जी जो आपका वित्तीय प्रबंधन है, जो आपकी वित्तीय व्यवस्था है उसके अनुसार राज्य के सकल घरेलू उत्पाद के राजकोषीय घाटे की सीमा जो 3 प्रतिशत थी, उसके बढ़ने की आपत्ति श्री तिवारी जी बार-बार उठा रहे थे, अनुमति प्राप्त हुए बगैर आपने उसका उल्लेख जरूर किया है. लेकिन अनुमति प्राप्त होने की प्रत्याशा में आपने उस सीमा से बढ़कर 3.49 तक का कर्ज लेकर राजकोषीय घाटे की सीमा को 3.5 तक मानकर बजट प्रस्तुत किया है. यह वित्तीय प्रबंधन की कहीं न कहीं असफलता है. आज मध्यप्रदेश की सरकार पर लगभग 1 लाख 40 हजार करोड़ रुपए का ऋण हो चुका है. प्रदेश की आबादी में प्रत्येक 25000 रुपए के ऋण में डूबा हुआ है. आज प्रदेश की वित्तीय स्थिति खराब है. इस वित्तीय स्थिति को सुधारने का काम माननीय वित्त मंत्री जी को और सरकार को निश्चित रूप से करना चाहिए. प्रशासकीय खर्चों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है.  वर्ष 2014-15, 2015-16 में 18 प्रतिशत की बढोतरी हुई है और जो खर्चों में कटौती की गई है, खर्चों में कोई कटौती नहीं हुई बल्कि जो प्रावधानित राशि विकास कार्यों के लिए थी, उसको खर्च नहीं कर पाने के कारण बजट में कटौती की बात बताई गई है.

अध्यक्ष महोदय, सत्ता पक्ष का काम अपने कार्यों की तारीफ करना है, विपक्ष का काम आलोचना करना है. परन्तु मैं कुछ ऐसी चीजों की तरफ भी ध्यान दिलाना चाहूंगा आज भी आपके प्रदेश की 44.30  आबादी गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन कर रही है. जबकि इसका राष्ट्रीय औसत 29.5 है. हम कहां पर खड़े हैं यह आंकड़ें बता सकते हैं. मैं यह अपनी तरफ से नहीं दे रहा हूं. लोक लेखा समिति द्वारा प्रस्तुत किये गये आंकड़ें हैं कि गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन करने वालों की संख्या प्रदेश में सर्वाधिक है. प्रदेश अच्छी स्थिति में नहीं हैं. आपने जो बजट प्रस्तुत किया है. आप बच्चे कुपोषण से पीड़ित हैं, महिला एवं बाल विकास विभाग के बजट में आपने  काफी कटौती कर दी है. वर्ष 2015-16 में जहां 4483.86 करोड़ रुपए का बजट था, इस बार आपने 3922.46 करोड़ रुपए का बजट प्रस्तुत किया है. विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भी बजट कम कर दिया.  ग्रामीण विकास में कहना चाहता हूं कि जो प्रदेश की जनता गांवों में रहती है. वर्ष 2015-16 में 12628.26 करोड़ रुपए का इसमें बजट था, इस वर्ष 2016-17 में 11596.90 करोड़ रुपए का बजट कर दिया. इसी तरह से परिवहन, वन विभागों के बजट में कटौती की है. क्या कारण है, आपके बजट का आकार बढ़ रहा है लेकिन विभागों में बजट में कटौती करते जा रहे हैं?

अध्यक्ष महोदय, एक और निवेदन करूंगा कि बजट आपने प्रस्तुत किया है. मैं अपनी बात कह रहा हूं और मेरा अनुभव भी है. यह मध्यप्रदेश की जनता की सरकार है. लेकिन मुझे लगता है कि आपका सोच और आपका नजरिया, सभी का, मैं तो माननीय मुख्यमंत्री जी से भी निवेदन करूंगा कि आपका नजरिया केवल भारतीय जनता पार्टी के विधायकों की तरफ ही है, केवल उनके क्षेत्रों की तरफ ही है. कांग्रेस के विधायकों को या तो आप प्रदेश में ही नहीं मानते, या उनके क्षेत्रों के विकास की तरफ ध्यान नहीं देते. यह मेरा आरोप है. पिछले 12 वर्ष हो गये. केन्द्र सरकार से जो हमने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से राशि प्राप्त की, वह हम प्राप्त कर रहे हैं. केन्द्र सरकार की जो नियमित योजना है, वह राशि पहुंच रही है. राज्य सरकार की जो नियमित योजना है वह राशि पहुंच रही है. लेकिन आज तक चाहे मुख्यमंत्री जी भी घोषणा करके आए हों, चाहे आपसे निवेदन किया हो, आज तक राज्य सरकार की एक भी बड़ी योजना कांग्रेसी विधायकों के क्षेत्र में 12 वर्षों में आपने नहीं दी, जिससे कांग्रेसी विधायक कह सकें कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार पूरे प्रदेश की सरकार है और आप प्रदेश की जनता के साथ न्याय कर रहे हैं.

अध्यक्ष महोदय, बात आई है. पिछली बजट की स्थिति आपने देखी, कैग की रिपोर्ट के बारे में कुछ उल्लेख करना चाहूंगा. वैसे सारी बातें आ गई है. कैग की रिपोर्ट में है  आपने महिला सशक्तीकरण के लिए प्रावधान किया है 118 करोड़ का और कुल व्यय हुआ विगत वर्ष 2014-15 में 34.55 करोड़ रुपए का. इसी तरह से एकीकृत बाल विकास में व्यय की कमी आयी है कैग के 13वे वित्त आयोग का अधिकतमत उपयोग में दिया गया है कि कुल 5043.64 करोड़ में से वर्ष 2010 से 2015 के दौरान 3326.41 करोड़ कुल राशि का 66 प्रतिशत उपयोग किया गया है शेष राशि 1717.03 करोड़ 34 प्रतिशत राशि समर्पित या पुनर्विनियोजित किया गया है और 759.21 करोड़ रूपये की राशि शासकीय खातों में व्यपगत हो गई. यह आपकी देखने की आवश्यकता है इसी प्रकार से 2014-15 के दौरान मध्यप्रदेश के सामाजिक क्षेत्र व्यय तथा शिक्षा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र पर  व्यय में दी गई प्राथमिकता जब सामान्य श्रेणी के राज्यों के औसत से तुलना की गई तो मध्यप्रदेश की पर्याप्त नही थी.

          अब हम बात करें कि मध्यप्रदेश की स्थिति कहां पर है हम कहां खड़े हुए हैं, यह सब देखने को मिलती है . इसी तरह से वित्तीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन में आप देखें कि जो मूल प्रावधान और अनुपूरक प्रावधान आपके द्वारा  किये गये हैं उनमें से व्यय की राशि भी कैग की रिपोर्ट में दी गई है. वास्तविक व्यय के बाद में बचत आप दिखा रहे हैं, सभी में अगर आप देख लें. पूरे विभागों में लगभग 35 प्रतिशत राशि व्यय नहीं की गई है. योजना के अंतर्गत अप्रयुक्त प्रावधान प्रकरणों में विभिन्न योजनाओं में  प्रत्येक में 10 करोड़ या इससे अधिक के अंतर्गत संपूर्ण प्रावधान कुल रूपये 9143.23 करोड़ अप्रयुक्त रहा है जो कहीं भी व्यय नहीं किये गये हैं जो बिना किसी कारण के आप अनुपूरक बजट में प्रावधान करते रहे हैं और उनकी कोई उपयोगिता नहीं थी.

          माननीय अध्यक्ष महोदय इसी प्रकार जो प्रावधान दिये हैं इसके संबंध में कहना चाहूंगा कि उसमें सभी की व्यय की राशि ऊर्जा, किसान कल्याण तथा कृषि सब निरंक बता रहे हैं. यह कैग की रिपोर्ट 115 में आप देखना  मूल प्रावधान129.05 व्यय निरंक  मूल प्रावधान 43.31 करोड़ व्यय निरंक इस तरह से लगभग 86 विभागों में बजट प्रावधान के बाद में व्यय में निरंक राशि दिखायी गई है. यह निश्चित रूप से बहुत बड़ी विसंगति है.

          अध्यक्ष महोदय किसानों के बारे में बात करते हैं. आपको तीसरी बार कृषि कर्मण अवार्ड मिला है. इसके लिए प्रदेश के किसानों को हमने पहले भी बधाई दी है और आज भी बधाई दे रहे हैं. आज पूरे प्रदेश के किसान संकट में हैं, किसानों के लिए आपने एक दिन की विधान सभा बुलायी, विपक्ष ने भी सर्वसम्मति से बजट पास कराया है. उ सका विरोध नहीं किया है. आज भी विपक्ष किसानों के विरोध में नहीं है, प्रदेश के विकास का विरोधी नहीं है, लेकिन आज जिस तरह की हालत प्रदेश के किसानों की है, लगातार सूखे से किसान परेशान है, किसान आत्महत्या कर रहा है 6 किसान रोज आत्म हत्या कर रहे हैं. किसान कर्जे में दबा हुआ है. आज किसानों की तरफ देखने वाला कोई नहीं है. प्रदेश में ओले गिरे हैं एक तरफ किसान सूखे से परेशान है, दूसरी तरफ किसान ओलों से परेशान है. आपको केन्द्र सरकार से एक भी पैसे की राशि नहीं मिली है. केन्द्रीय करों में भारी कटौती की गई है. पहले मुख्यमंत्री जी का जमीर प्रदेश के लिए जागता था, प्रदेश की जनता के विकास केलिए, प्रदेश के किसानों के संकट का निपटारा करने के लिए, लेकिन आज मुख्यमंत्री जी की हिम्मत नहीं है कि प्रदेश की जनता के हित में केन्द्र सरकार से राशि मांग सकें. यह पहली बार है मध्यप्रदेश के इतिहास में कि किसी भी प्राकृतिक आपदा में और संकट के समय केन्‍द्र सरकार से एक नई पाई की राशि नहीं मिली है आज तक. 4 हजार करोड़ रुपये की मांग आपने जरूर भेजी थी, आपने मेरे प्रश्‍न के जवाब में ही कहा था कि 2 हजार करोड़ अपेक्षित है लेकिन वह आज तक प्राप्‍त नहीं हुए हैं, यह पहली बार है. केन्‍द्रीय करों में भी भारी कटौती की गई है और भारी राशि की कमी आई है इसीलिए आपको ये राजकोषीय घाटे का बजट प्रबंधन अधिनियम संशोधन, जो तिवारी जी कहते हैं, वह करना पड़ा.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमारे देश में कई योजनाएं बनाई गई हैं, रोजगार गारंटी कानून बनाया ताकि प्रदेश की जनता को, देश की जनता को रोजगार मिले. खाद्य सुरक्षा गारंटी कानून बनाया ताकि प्रदेश की जनता को खाद्य सुरक्षा मुहैया कराई जाए. शिक्षा गारंटी कानून बनाया, मुख्‍यमंत्री जी ने भी प्रदेश में कई योजनाएं चलाई हैं जो उनके नाम से जानी जाती हैं और जो देश के कई अन्‍य प्रदेशों में भी चली थीं. लेकिन हम चाहते थे कि इस प्रदेश में स्‍वास्‍थ्‍य सुरक्षा गारंटी कानून और बनाया जाए, वह तो नहीं बनाया. आज प्रदेश की स्‍वास्‍थ्‍य व्‍यवस्‍थाओं की क्‍या स्‍थिति है, प्रदेश की स्‍वास्‍थ्‍य व्‍यवस्‍थाओं को भी आप प्राइवेट हाथों में सौंप देना चाहते हैं. गुजरात का दीपक फाउंडेशन किसका है, कौन संचालित कर रहा है या किसके दबाव में आप हमारी स्‍वास्‍थ्‍य व्‍यवस्‍थाओं को प्राइवेट हाथों में सौंप देना चाहते हैं. ये तो ये ही जाने, हम चाहते हैं कि मुख्‍यमंत्री जी और सरकार प्रदेश के लोगों के स्‍वास्‍थ्‍य की सुरक्षा के लिए स्‍वास्‍थ्‍य सुरक्षा गारंटी कानून बनाए. विपक्ष आगे आएगा, उसका पूरी तरह से सहयोग करेगा.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आप बजट पारित कराते हैं बजट के आंकड़े भी देते हैं, तिमाही बजट भी दिया जाता है, रिलीज किया जाता है. हर तिमारी बजट का बजट पारित कराने से पूर्व पिछले वर्ष का, कैग की रिपोर्ट में तो आता ही है पूरे बजट प्रबंधन के तहत, लेकिन एक रिपोर्ट और प्रस्‍तुत करें कि विगत वित्‍तीय वर्ष में इतनी राशि इस विभाग को आवंटित की गई और इतनी राशि के ये काम कर पाए और इतना प्रावधान था. अगर आप यह प्रस्‍तुत करेंगे तो प्रदेश की पूरी स्‍थिति आपके सामने आएगी.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपने बजट में तो व्‍यवस्‍थाएं की हैं यदि स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र की बात करें, स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र जो आप दीपक फाउंडेशन को देने जा रहे हैं, कई राज्‍यों की अभी रिपोर्ट आई है, कई राज्‍यों ने भी ऐसे प्रयोग किए, उन्‍होंने पीपीपी मॉडल समाप्‍त कर दिया. आज भी यदि किसी गरीब का एक्‍सीडेंट हो जाता है और उसे एमआरआई कराने की जरूरत पड़ती है तो वह एमआरआई नहीं करा पाता. एमआरआई के अभाव में ईलाज नहीं करा पाता और प्रदेश के सरकारी हॉस्‍पिटलों में दम तोड़ देता है. ऐसी स्‍थिति पूरे प्रदेश की है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, केन्‍द्रीय अनुदान, इस बार केन्‍द्रीय करों में राज्‍य के हिस्‍से में भारी कटौती की गई है और केन्‍द्रीय करों में राज्‍य का हिस्‍सा नहीं मिलने के कारण सरकार की आर्थिक स्‍थिति बहुत दयनीय है. प्रदेश में खनिज माफिया अवैध उत्‍खनन कर रहा है, हीरा खनन माफिया हीरा बेच रहा है, रेत खनन माफिया रेत का उत्‍पादन कर रहा है, हम चाहते हैं कि अगर इसी को आप रेगुलराईज करके खनन से होने वाली आय का, खनन से प्राप्‍त होने वाली रॉयल्‍टी का उपयोग कर सकें तो प्रदेश की आर्थिक स्‍थिति सुधर सकती है. लेकिन आप ऐसा करेंगे क्‍योंकि अवैध खनन के काम में जितने भी खनन माफिया हैं, (XXX).

          श्री जसवंत सिंह हाड़ा -- किसी का नाम नहीं लिया और पार्टी का नाम ले रहे हैं तो यह तो विलोपित करना चाहिए, पार्टी पर सीधा-सीधा आरोप है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- विलोपित कर दीजिए पार्टी का नाम.

          श्री रामनिवास रावत -- नहीं, अगर ऐसा नहीं कर रहे हों तो मैं चाहता हूँ सरकार पूरे लोगों की, चाहे कांग्रेस पार्टी के हों या बीजेपी के हों, खनन माफियाओं की सूची प्रस्‍तुत कर दे उसमें पता लग जाएगा.

          श्री जसवंत सिंह हाड़ा -- आपको पुरानी आदत मालूम है, हम ऐसा नहीं करते नहीं तो तुम्‍हारा नंबर ही नहीं आता.

          श्री रामनिवास रावत -- नहीं, नहीं, सूची प्रस्‍तुत कर दो, सूची प्रस्‍तुत कर दो तो पता लग जाएगा कि कौन खनन माफिया है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- आप तो अपनी बात कह के समाप्‍त करें जल्‍दी.

          श्री रामनिवास रावत -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सरकार चल रही है, हम चाहते हैं कि भ्रष्‍टाचार मिटे. आपने लोकायुक्‍त का गठन किया, लोकायुक्‍त कह रहा है कि 96 अफसरों को बर्खास्‍त करो और रिटायर 12 लोगों की पेंशन रोको. लोकायुक्‍त डीजी ने सरकार के रवैये पर जताया सख्‍त ऐतराज. आप लोकायुक्‍त की सुनने तैयार नहीं हो, भ्रष्‍टाचार मिटाने तैयार नहीं हो, आप चाहते क्‍या हो, आप करना क्‍या चाहते हो. आप देखने के लिए तैयार नहीं हो. अगर भ्रष्‍टाचार की बात करेंगे तो मेरे पास सारे के सारे कागज रखे हुए हैं, छात्रवृत्‍ति घोटाला, सामाजिक सुरक्षा पेंशन घोटाला, आपने आयोग का गठन कर दिया, प्रदेश सरकार को रिपोर्ट भी प्राप्‍त हो गई लेकिन कितना दुर्भाग्‍यपूर्ण है माननीय अध्‍यक्ष महोदय कि सरकार उसे टेबल नहीं कर पाई है, हाऊस में नहीं ला पाई है, विधान सभा के पटल पर नहीं रख पाई है. भ्रष्‍टाचार को दबाने में किस तरह का काम मध्‍यप्रदेश की सरकार कर रही है यह किसी से छिपा नहीं है. माननीय अध्यक्ष महोदय, हम बात करेंगे व्यापम की, व्यावसायिक परीक्षा मण्डल के माध्यम से जो परीक्षाएं करायीं, उनमें अनियमितता,भ्रष्टाचार की बातें उजागर हुईं. माननीय मुख्यमंत्री जी आगे आये. मुख्यमंत्री जी ने बड़ी हिम्मत से कहा,कहते थे कि मैंने सीबीआई जांच के लिए भेजा है, मैंने प्रकरण कायम कराये हैं. बिलकुल कराये हैं. मैं आगे और चाहूंगा माननीय मुख्यमंत्री जी से कि आपने जो सीबीआई को प्रकरण ट्रांसफर किये हैं, 212 में से  केवल  157 प्रकरण ट्रांसफर किये हैं. आज भी व्यावसायिक परीक्षा मंडल के कई प्रकरण ऐसे हैं, वन रक्षक भर्ती परीक्षा घोटाला, पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा घोटाला, परिवहन आरक्षक भर्ती परीक्षा घोटाला, पुलिस सब इन्स्पेक्टर भर्ती परीक्षा घोटाला इस तरह के कई घोटाले हैं जिनके प्रकरण कायम हो गये जिनकी जांच न तो एसटीएफ कर रही हैं, न आपने सीबीआई को दिये कि किस तरह आप भ्रष्टाचार को दबाने का काम कर रहे हैं, यह बड़े दुर्भाग्य की बात है. प्रदेश में मनरेगा के मजदूरों को मजदूरी नहीं  मिल पा रही है. प्रदेश में भारी मात्रा में प्रदेश के लोग मजदूरी के अभाव में पलायन कर रहे हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, कृषि योजनाओं में फर्जीवाड़े, 46 जिलों ने नहीं भेजी रिपोर्ट,कौन पी गयी आठ अरब के बलराम तालाब,  यहां होता है 200 करोड़ के बीज का फर्जीवाड़ा, किसानों के 11 करोड़ हजम कर गयी सरकार. माननीय अध्यक्ष महोदय, जन अभियान परिषद संस्थाओं को प्रशिक्षण हेतु 21000 संस्थाओं को 10 हजार प्रति संस्था के मान से आपने बिना आडिट कराये, कोई मानक नहीं, बिना आडिट कराने वाली संस्थाओं को यह राशि आपने हस्तांतरित कर दी. क्यों? सिर्फ यह संस्था आपके प्रचार-प्रसार के लिए बनायी गयी, यह संस्था आपके फोटो लगाने के लिए बनायी गयी.

          श्री मनोज पटेल--अध्यक्ष महोदय,इतने वरिष्ठ सदस्य हैं , पेपर की कटिंगें पढ़ रहे हैं.

          श्री रामनिवास रावत-- आप पता कर लो 10 हजार रुपये प्रति संस्था प्रति मानक से दिया है कि नहीं दिया.

          अध्यक्ष महोदय-- आपका सब रिकार्ड में आ गया. कृपया अब समाप्त करें.

          श्री रामनिवास रावत- अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे समय दिया उसके लिए धन्यवाद.

            श्री के. के. श्रीवास्तव(टीकमगढ़)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय वित्त मंत्री जी द्वारा प्रस्तुत विनियोग विधेयक के समर्थन में अपनी बात करने के लिए खड़ा हुआ हूँ.

          माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश की भारतीय जनता पार्टी की सरकार जनसरोकारों की चिन्ता करने वाली सरकार है. पहले मध्यप्रदेश एक बीमारू राज्य था.आज मध्यप्रदेश एक विकासशील राज्य की स्थिति में आया है. चाहे वह नगरपालिकाओं के क्षेत्र रहे हों, नगरीय विकास हो, चाहे ग्रामीण विकास हो. पहले न तो सड़क थी, न बिजली, पानी था, कुछ नहीं था, सड़कों की हालत खराब थी, सिंचाई की सुविधाएँ नहीं थीं. स्कूलों की हालत यह थी कि बच्चों को प्रायमरी शिक्षा के लिए भी 15-15 किलोमीटर दूर तक जाना पड़ता था. आज हमने शिक्षा अधिनियम बनाकर के उसको आवश्यक करते हुए दो-दो, तीन-तीन किलोमीटर पर मध्यप्रदेश की शिवराज जी सरकार ने स्कूलों की व्यवस्था की है. नगरपालिकाओं में आये दिन हड़ताल हुआ करती थी. कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला करता था. कर्मचारी, एक महीना पूरा निकल गया, 15 दिन निकल गये, 28 तारीख तक दूसरे महीने में जब पहुंच जाते थे, तब उनको तनख्वाहें  मिलती थीं. अब एक तारीख नहीं आ पाती  और तनख्वाह मिल जाती है. नगरीय विकास के साथ साथ कर्मचारियों की भी चिन्ता हुई है. कभी ओवरड्राफ्ट नहीं हुआ. कभी कोई हड़तालें नहीं हुईं. आज नगरों में मुख्यमंत्री अधोसंरचना के माध्यम से हो, आज शहर, शहर से लगने लगे हैं, पहले केवल नाम हुआ करते थे, आज शहरों ने विकास किया है, शहरों में सफाई व्यवस्था आयी है. जनसरोकारों की जो मैं बात कर रहा था, जनसरोकारों की चिन्ता करने वाली सरकार, कभी बेटी किसी के घर में पैदा हो गयी तो गरीब के माथे पर सलवटें चढ़ गयीं, गरीब परेशान, दुखी  हो गया. यह मध्यप्रदेश की शिवराज जी की सरकार है जिसने बेटी के विवाह की चिन्ता तो बाद में की, पहले उसके जन्म लेने पर भी शिवराजसिंह जी ने कहा कि वह लाडली लक्ष्मी बनकर के पैदा होगी और लाडली लक्ष्मी मध्यप्रदेश की धरती पर ऐसी योजना लाने का काम किया है.

            श्री सुन्दरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, विधानसभा का समय तो आपने परिवर्तित कर दिया, बहुत अच्छा हुआ, वह जरुरी भी था लेकिन एक समय और आप रिजर्व कर दीजिए, कोई भी विषय आये, यहां तक कि शोक का भी जब विषय आ जाता है तो उस पक्ष के जो लोग हैं वह दिन भर में एक दिन के कार्यसूची में जो समय रहता है उसका एक घंटा समय माननीय मुख्यमंत्री जी की तारीफ में......(व्यवधान)..

          श्री के.के.श्रीवास्तव--  जिसने किया है उसके बारे में सुनिएगा.(XXX). ..(व्यवधान)..

          श्री सुन्दरलाल तिवारी--  सिसोदिया जी, आप से निवेदन करूँगा. ..(व्यवधान)..तिवारी जी चले गए, गुप्ता जी नहीं हैं. रामेश्वर जी नहीं हैं. ..(व्यवधान)..       अध्यक्ष महोदय--  श्रीवास्तव जी, आप बोलते रहिए. वैसे आपकी बात आ चुकी है...(व्यवधान)..

          श्री के.के.श्रीवास्तव--  (XXX).

          श्री सुन्दरलाल तिवारी--  एक प्रस्ताव ले आएँ. एक घंटा रिजर्व कर दीजिए ताकि लोगों को अपनी बात कहने का समय मिल जाए...(व्यवधान)..4-5 लोग हैं और माननीय स्वास्थ्य मंत्री जी भी हमारे ऊपर नाराज हो रहे तो अध्यक्ष महोदय,  मेरा कहना है कि  एक घंटा रिजर्व कर दें. हम लोगों का समय सब बर्बाद करते हैं.

          अध्यक्ष महोदय--  तिवारी जी, कृपया बैठ जाएँ...(व्यवधान)..व्यवधान न करें. आप जब बोले थे तब बीच में कोई नहीं बोला था.  

          संसदीय कार्य मंत्री (डॉ.नरोत्तम मिश्र)--  अध्यक्ष जी, तिवारी जी हैं ये खुद तो कभी रिपीट हो नहीं सकते दूसरी बार चुनाव नहीं लड़ सकते. याने ये लगातार दूसरी बार जीत नहीं सकते और जिसके नाम से यह सरकार 3-3 बार आ जाए. जिसके नाम पर मतलब शिवराज सिंह चौहान के नाम पर यह बहुमत 3-3 बार आ जाए. (मेजों की थपथपाहट) जिसके नाम पर सांसद जीता है, नगर पालिका जीत जाए, नगर निगम जीत जाए. जो इस प्रदेश को गड्डम-गड्डा सड़क से निकाल कर एक, तारीफ की बात नहीं कर रहा,(माननीय सदस्य श्री सुन्दरलाल तिवारी जी के खड़े होने पर) तिवारी जी, आप बोले मैं बैठा रहा. मैं जब बोलूँ तो आप सुनो तो सही.

          श्री सुन्दरलाल तिवारी--  मैं आपको सहयोग कर रहा हूँ. ..(व्यवधान)..

          डॉ.नरोत्तम मिश्र--  तिवारी जी, सच को स्वीकारने की क्षमता पैदा करो. आप जब बोले तब मैं बैठा रहा. आप अगर मेरा नाम नहीं लेते तो मैं वैसे भी खड़ा नहीं हो रहा था. मैं आपकी बात का जवाब देने की आवश्यकता महसूस नहीं कर रहा था.

          डॉ गोविन्द सिंह--  माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपकी बात से सहमत हूँ,(XXX). ..(व्यवधान)..

          अध्यक्ष महोदय-- इसे कार्यवाही से निकाल दीजिए. ..(व्यवधान)..

          श्री के.के.श्रीवास्तव--(XXX). ..(व्यवधान).. 

          डॉ.नरोत्तम मिश्र-- (XXX). ..(व्यवधान)..इनकी जो सरकार थी जिसकी दिग्विजय सिंह की ये (XXX) जिसकी करते थे. उसने उसकी सरकार के अन्दर यह यहाँ पर खाद के लिए लूटपाट होती थी. सर्किट हाउस जला दिए जाते थे या मुख्यमंत्री खाद बेचता है अगर हम यह कहते है तो यह (XXX) है. इनकी सरकार के अन्दर जब ये मंत्री थे तो दयाराम रामबाबू गडरिया निर्भय गडरिया. ..(व्यवधान).. निर्भय गुजर इनके यहाँ पर डाकू थे और जेल से छूटते थे और ये शिवराज सिंह की सरकार है जिसने सफाया कर दिया इस प्रदेश से, भिण्ड में कानून का राज स्थापित हो गया इसको ये (XXX) कह रहे हैं. ..(व्यवधान)..सिर्फ इसको कह देते हैं. ये लालटेन युग में ले गए थे...(व्यवधान)..ये 24 घंटे बिजली देने वाला प्रदेश कैसे बन गया इसीलिए ये इसको (XXX) कहते हैं. ..(व्यवधान)..

          श्री सुन्दरलाल तिवारी--  मुख्यमंत्री जी ने कैटरीना कैफ कहा है. ..(व्यवधान)..अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री जी ने कहा अखबारों में हमने पढ़ा है कि माननीय नरोत्तम मिश्रा जी तो हमारे कैटरीना कैफ हैं. ..(व्यवधान)..

          अध्यक्ष महोदय--  बहुत देर हो गई. अब कृपा करके बैठ जाइये. ..(व्यवधान).. सुन्दरलाल जी तिवारी का कुछ लिखेंगे नहीं. ..(व्यवधान)..

          श्री के.के.श्रीवास्तव--माननीय अध्यक्ष महोदय, दुबले पतले आदमी को संरक्षण चाहिए.

          राज्य मंत्री, सामान्य प्रशासन(श्री लाल सिंह आर्य)--  जो संसदीय कार्य मंत्री जी ने अभी कहा है कि डकैतों का सफाया हो गया. काँग्रेस के लोगों को यही तो पीड़ा है कि सफाया क्यों हो गया.

          अध्यक्ष महोदय-- शेजवार साहब कुछ कहना चाह रहे हैं?

          वन मंत्री (डॉ.गौरीशंकर शेजवार)--  माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं बहुत महत्वपूर्ण बात कह रहा हूँ तिवारी जी ने कहा कि मुख्यमंत्री जी की प्रशंसा में एक घंटा रखा जाए. मैं ऐसा मानता हूँ कि विकास इतना ज्यादा हुआ है और प्रदेश इतना ऊपर गया है तो एक घंटा बहुत कम पड़ता है. (मेजों की थपथपाहट)

          श्री मानवेन्द्र सिंह--  माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय तिवारी जी रीवा में सैनिक स्कूल में पढ़ा करते थे. दिन में आप भागे प्रिंसिपल ने इनको पकड़ लिया. जब पकड़ लिया तो उन्होंने पूछा कि आप भागे क्यों तो बोले बिजली नहीं थी, तो उसका आज तक इन्होंने प्रिंसिपल साहब को उत्तर भी नहीं दिया. (हँसी)

          श्री के.के.श्रीवास्तव--  माननीय अध्यक्ष महोदय, व्यवधान के बाद मेरा रिदम टूट गया. अध्यक्ष महोदय, यह सरकार की उपलब्धियाँ हैं..(व्यवधान)..यह विकास की इबारत लिखने वालों का खेल है. जिन्होंने विकास किया उनके बारे में चर्चा होगी. भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने विकास किया है. पूरे प्रदेश ने देखा है जनता ने 3 बार हमें आशीर्वाद दिया. नगरीय निकाय हो, ग्रामीण क्षेत्र हो, पंचायतें, जनपदें, नगर निगम, नगर पालिकाएँ, नगर पंचायतें सब जगह सब जगह भारतीय जनता पार्टी का कमल खिला है इसलिये सुनना सीखिए. लाड़ली लक्ष्मी योजना हो, मुख्यमंत्री कन्यादान योजना हो चाहे शहीदों को सम्मान देने वाली बात रही हो. घर का बेटा पूछे न पूछे लेकिन मध्यप्रदेश में श्रवण कुमार जैसा बेटा मुख्यमंत्री बनकर बैठा है इसलिए तीर्थ दर्शन जैसी योजनाएं भी चली हैं. मैं स्वास्थ्य विभाग के बारे में, चिकित्सा के क्षेत्र में बताना चाहता हूँ प्रत्येक जिले में डायलेसिस मशीन प्रदाय की गई हैं यह गरीब की पहुंच से दूर थीं बड़े-बड़े लोग अपना इलाज करा लेते थे गरीब की कोई सुनता नहीं था. डायलेसिस मशीन हर जिला मुख्यालय पर भेजकर मध्यप्रदेश की सरकार ने लोगों के कल्याणार्थ एक महत्वपूर्ण काम किया है. नि:शुल्क चिकित्सा, बाल हृदय उपचार योजना यह सारी योजनाएं गरीब तक पहुंचाई गई हैं. इन योजनाओं की मॉनिटरिंग करना और इन योजनाओं को गरीबों तक पहुंचाने की चिन्ता इस सरकार में हुई है.

 

समय 4.26 बजे   {सभापति महोदय (श्री केदारनाथ शुक्ल) पीठासीन हुए}

 

          माननीय सभापति महोदय, यह भारतीय जनता पार्टी का सौभाग्य है कि सिंहस्थ जब आता है तो भारतीय जनता पार्टी की सरकार रहती है. महाकाल, भोलेनाथ भी भारतीय जनता पार्टी के माध्यम से महाकुंभ कराना चाहते हैं. इस बार सिंहस्थ के सफल आयोजन हेतु आवश्यक अधोसंरचना के निर्माण के लिए वर्ष 2015-16 हेतु वर्तमान में लगभग 3000 करोड़ के कार्य क्रियान्वित होकर पूर्णता की ओर हैं. सिंहस्थ आयोजन सफल हो, सिंहस्थ आयोजन में किसी प्रकार की परेशानी न हो इसलिये 2016-17 के बजट में 298 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है. नगरीय अधोसंरचना विकास में अमृत सिटी की कल्पना की गई इसमें स्वच्छ पेयजल, सीवरेज, कनेक्शन, वर्षाजल की निकासी, हरित क्षेत्रों का विकास, शहरी परिवहन, उद्यान बनें शहर के अन्दर इन सबकी चिन्ता हमारी सरकार ने की है. राज्य सरकार की इच्छा है कि प्रदेश के आर्थिक विकास में समाज के सभी वर्गों का सहयोग प्राप्त किया जाये इसके लिये वित्त मंत्रीजी द्वारा बजट भाषण में अनेक जनहितैषी घोषणाएं की गईं. कृषि को लाभ का धंधा बनाने के लिए जैविक कीटनाशक तथा डेयरी उद्योग को बढ़ावा देने  के लिए दूध दोहने की मशीन को करमुक्त किया गया है. टीडीएस का दायरा बढ़ाने के लिए नगरीय निकाय, पंचायतों को शामिल किया गया है व्यापारियों को एक पक्षीय कर निर्धारण देना पड़ता था उसकी भी चिंता करते हुए अब संशोधन विधेयक के माध्यम से समस्त प्रकार के कर निर्धारण के लिए धारा 34 लागू कर पुन: प्रावधानित किया जा रहा है. यह व्यापारियों के हित में है मैं इस विनियोग विधेयक का समर्थन करता हूँ. बहुत-बहुत धन्यवाद.

          श्री जितू पटवारी (राऊ)--माननीय सभापति महोदय, पिछली सात तारीख से बजट को लेकर सदस्य अपनी-अपनी बातें कह रहे थे जैसा अभी सुन्दरलाल तिवारी जी ने कहा नरोत्तम मिश्रा जी चले गये हैं. मैंने उनकी एक बात नोट की इतने दिनों में हमने कई बार मुख्यमंत्रीजी की नीतियों की गलतियाँ बताईं, कमियाँ बताईं पर आज जैसे ही मुख्यमंत्री आये वे बहुत जोश में थे इससे पहले इतना जोश नहीं था. थोड़ा असर तो इस बात का दिखा ही कि मुख्यमंत्री आते हैं तो बढ़ाई के उदगार, मैं  उसे (XXX) नहीं कहूंगा क्योंकि वह असंसदीय शब्द है. इतना जरुर है कि अलग-अलग विभागों पर अलग-अलग बातें कही गईं उद्योग के क्षेत्र में हमने यह कर दिया, स्तुतिगान किया. मुख्यमंत्री का भी वर्णन किया उद्योग मंत्रीजी है नहीं मैंने उस दिन उद्योग के कुछ सवाल उठाये थे मुझे उनके उत्तर नहीं मिले हैं पर इतना बता दूं कि उद्योग में हम बिहार से भी पीछे हैं. कुछ भी किया आपने कितने भी बजट का प्रॉविजन कर दिया पर बिहार से भी आप पीछे हो. ऐसे ही एक एक राज्य की बात करें तो सेवा के क्षेत्र में भी बहुत सी बातें हुईं. मध्यप्रदेश सेवा के क्षेत्र में भी बिहार से पीछे है इस सेक्टर पर कल डिबेट हुई थी उसमें भी बिहार से पीछे है. माननीय सभापति महोदय, प्रति व्‍यक्ति आय का यहां पर बहुत बखान किया गया है. आपके समय 19 हजार थी आज 59 हजार रूपये है. ग्रामीण प्रति व्‍यक्ति आय और शहरी प्रति व्‍यक्ति आय के अन्‍तर मुख्‍यमंत्री जी और मंत्री जी को समझना चाहिये कि गांव का आदमी कितना पीडि़त और दुखी है  यहां पर वित्‍त मंत्री जी बैठे हैं.  हम इस खाई को कैसे भरे अगर इस भी सरकार काम करे तो बेहतर होगा. ऐसे ही अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर के खेल प्रतियोगिताओं पर भी बहुत बात हुई लेकिन खेलकूद का बजट तो घटा ही दिया है. 

          सभापति महोदय, डॉक्‍टर साहब का वन मंत्रालय, अभी चर्चा के दौरान कितनी बातें थी कि हम यह कर देंगे, सफारी को लेकर भी काफी बात हुई,वन विभाग के डेव्‍हलपमेंट को लेकर डॉक्‍टर साहब ने जितने स्‍तुतिगान किये तो मंत्री होने के नाते उनका यह धर्म था, परन्‍तु आपके भी बजट के 400 रूपये घटा दिये हैं. वित्‍त मंत्री जी आपके पास में ही बैठे है उनसे अनुरोध करता हूं कि कम से कम वन विभाग का तो आप बजट बढ़ाईये. हमारे आगे के सदस्‍य ने आपको 6 बार (XXX) कहा है. आप उसका बजट बढ़ाने की कोशिश करें.

          मैं स्‍वास्‍थ्‍य के क्षेत्र में आपसे अनुरोध करना चाहता हूं. स्‍वास्‍थ्‍य के क्षेत्र में इतनी बातें हुई कि आपके समय में ऐसा था, इतने डॉक्‍टर थे, डॉक्‍टर नरोत्‍तम मिश्र जी ने और आज पेपरों में इस संबंध में छपा भी है. मुझे कल बोलने का अवसर नहीं मिला. मध्‍यप्रदेश स्‍वास्‍थ्‍य के क्षेत्र में देश में 18 वें नंबर पर है.यह सभी जो मैं बोल रहा हूं, वह देश की जो एजेंसियां हैं उसके आंकड़ों के अनुसार मैं काम करता हूं. मैं आपसे एक बार और अनुरोध करना चाहता हूं कि जिस तरह से मध्‍यप्रदेश में भ्रष्‍टाचार का बोलबाला हुआ, यह किसी से छुपा हुआ नहीं है. आपने घाटे का बजट तो पेश किया ही है.  इसके साथ साथ कल महिला और बाल विकास मंत्रालय के बारे में बात हुई थी. महिला और बाल विकास मंत्रालय के आने वाले जितने भी आंकड़े हैं, उसमें चाहे बच्‍चे के कुपोषण की बात हो, बच्‍चे के स्‍कूल जाने की बात हो, चाहे वह मृत्‍यु दर की बात हो, इस संबंध में पहले भी बोल चुका हूं कि उसमें आपने रिकार्ड कायम किया है, इस प्रदेश की जनता के फेल्‍युर का. यहां पर किसानों की बहुत बात होती है. हाथ ऊपर कर कर के कि मैं भक्‍त और किसान मेरे भगवान हैं. मध्‍यप्रदेश देश में नीचे से तीसरे स्‍थान पर है. जितनी खराब स्थिति पूरे देश में किसानों की स्थिति है, उसमें मध्‍यप्रदेश देश में नीचे से तीसरे स्‍थान पर है. आप कहते हैं कि एक नंबर पर है. ऐसा नहीं है. 

          श्री जसवंत सिंह हाड़ा :-  आपके कहने के हिसाब से कृषि में आपने एक नंबर पर नीचे से लाकर दिया था. पहले पूरे हिन्‍दुस्‍तान में तीसरे पर था अब एक एक नंबर पर ला दिया है न.

          श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल :- जितू भाई, तभी हम तीन तीन बार जीतकर आये हैं

          श्री जितू पटवारी :- सभापति महोदय, देश में महाराष्‍ट्र के बाद झारखंड और मध्‍यप्रदेश में किसान सबसे ज्‍यादा आत्‍महत्‍या करते हैं.

          श्री शंकरलाल तिवारी :- अकेले मंत्री से भेंट करके माफी मांगा करते हैं कि मुझसे त्रुटि हो गयी है, इसलिये मैं कह रहा हूं कि कृपया सच बोलें, हम लोग लफ्फाजी कितनी सुनेंगे. इसलिये हमको टोका टाकी तो करना ही पड़ेगा.

          श्री जितू पटवारी :- सभापति महोदय, मेरे यह त्रुटि हो गयी की मैंने किसान का बताया, आत्‍महत्‍या उसकी हत्‍या का पाप किस पर है यह मैं बोलना नहीं चाहता हूं, आप लोग इसका ध्‍यान रखिये. आपने रोजगार की बात कि उस दिन मैंने इस संबंध में बोल नहीं पाया था क्‍योंकि समय की कमी थी. परन्‍तु सभापति महोदय, मैं अनुरोध करना चाहता हूं कि प्रतिहजार पर केवल 29 लोगों को मध्‍यप्रदेश रोजगार दे पा रहा है. यह भी भारत सरकार के आंकड़े हैं, यह मेरे आंकड़े नहीं है, आप कहेंगे तो मैं पटल पर रख दूंगा. मैं सब रिपोर्ट लेकर के आता हूं. तीसरा मैं भ्रष्‍टाचार को लेकर के बात करना चाहता हूं कि अलग अलग स्‍तर पर अलग अलग बातें हुई हैं.

          डॉ गौरीशंकर शेजवार :- माननीय सभापति महोदय, मैं इतना ही कहना चाहता हूं कि भी हम आंकड़े प्रस्‍तुत करें तो इतने से काम नहीं चलता कि यह भारत सरकार के आंकड़े हैं, कौन सी रिपोर्ट है और कब की है. अगर सदन में विश्‍वसनियता बनाना चाहते हैं और अपनी बात लफ्सासी में इधर उधर चली जाये, ऐसा नहीं चाहते तो कम से कम जिस पेज को पढ़ रहे हो, उसमें यह जरूर बताओ कि भारत सरकार की फलां किताब है, इस इस रिपोर्ट के आंकड़े हैं. तब यह विश्‍वसनीय होगा.

          श्री रामनिवास रावत:- डॉक्‍टर साहब आप सुने तो मैं बताना शुरू करूं.

          श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल - आप यह बताएं कि ये आंकड़े सही हैं.

          सभापति महोदय - मनोज जी बिना वजह टिप्पणी न करें. आप खत्म करिये अपनी बात.

          श्री जितू पटवारी - सभापति जी व्यवधान हो गया.

          सभापति महोदय -  आप जबर्दस्ती व्यवधान को आमंत्रित करते हैं. आप एक मिनट के अन्दर खत्म करिये.

          श्री जितू पटवारी - सभापति जी, मैंने व्यवधान को कैसे आमंत्रित किया जरा मेरे को संदर्भित करें.

          (..व्यवधान..)

          सभापति महोदय - आपने गलत तथ्य प्रस्तुत किये उसके बाद माफी नहीं मांग रहे हो.

          श्री जितू पटवारी - मैंने क्या गलत वक्तव्य दिया मुझे बताएं.

          सभापति महोदय - आप खत्म करिये. श्री बाला बच्चन जी.

          श्री जितू पटवारी - सभापति महोदय, आपने तो ये मुझे दण्ड दे दिया.

          सभापति महोदय - आपने जो बातें कहीं मैंने उस पर टिप्पणी की है.

          श्री जितू पटवारी - सभापति महोदय, मैं इतना जरूर कहना चाहता हूं कि जो डाक्टर साहब ने कहा कि आंकड़े लाना चाहिये. पांच मिनट का समय है डाक्टर साहब और उसमें आंकड़े भी दे दूं तो मुझे जादूगर बनना पड़ेगा और वह मैं बन नहीं पाऊंगा इसलिये इतना ही कहकर मैं अपनी बात समाप्त करता हूं. धन्यवाद.

          श्री बाला बच्चन(राजपुर) - माननीय सभापति महोदय, मैं मध्यप्रदेश विनियोग विधेयक क्रमांक 2016 जो वित्त मंत्री जी ने विचार के लिये प्रस्तुत किया है मैं उसका विरोध करता हूं. मैं बताना चाहता हूं कि  1 मार्च को मेरा महामहिम राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर मैंने कुछ बातें रखी थीं. मैंने कुछ प्रश्न खड़े किये थे. मैंने कुछ आरोप लगाये थे. माननीय मुख्यमंत्री जी की मेरे बाद स्पीच थी और मेरी एक भी बात का,मेरे एक  भी प्रश्न का, एक भी मेरे आरोप का उन्होंने जवाब नहीं दिया था और उस पर सरकार शुतुरमुर्ग जैसा रवैया अपनाये रखी. न किसी मंत्रिगण ने मेरी बात का जवाब दिया था.

          डॉ.गौरीशंकर शेजवार -  शुतुरमुर्ग का आशय तो स्पष्ट कर दें ताकि हम समझ लें कि आप क्या कह रहे हैं.

          श्री बाला बच्चन - जब तूफान आता है तो  वह अपनी गर्दन को तूफान से बचने के लिये छिपा लेता है.

          श्री सुन्दरलाल तिवारी - कैसे वन मंत्री हैं शुतुरमुर्ग नहीं जानते हैं.

          डॉ.गौरीशंकर शेजवार -  पहले तूफान होना तो चाहिये. यह तो झोंका भी नहीं है.

          डॉ.नरोत्तम मिश्र - शुतुरमुर्ग ऐसा नहीं करता जैसा वह कर रहे हैं.

          श्री बाला बच्चन - माननीय सभापति महोदय, तूफान है बिल्कुल. आंकड़ों सहित तूफान हम खड़ा करते हैं.

          डॉ.गौरीशंकर शेजवार -  पिछली बार अतारांकित प्रश्नों के उत्तर पढ़े थे  ज्यादा से ज्यादा आपकी परफार्मेंस इतनी सुधर सकती है कि इस बार तारांकित प्रश्नों के उत्तर पढ़ोगे.

          श्री बाला बच्चन - आपको मालुम कि हमने तारांकित,अतारांकित प्रश्नों के अलावा हमने पूरी जो सीएजी की रिपोर्ट का उल्लेख किया था. प्राक्कलन समिति का उल्लेख किया था. जो विधान सभा की समितियां बनी हैं उन समितियों ने जाकर स्पाट  पर हमारे आरोपों को देखा है प्रतिवेदनों में उसकी रिपोर्ट यहां रखी गई उसके बावजूद कुछ भी उसमें जवाब नहीं आया है. सभापति जी, जो अभी आसंदी पर हैं वे खुद हमारे साथ गये तो उन्होंने खुद जाकर देखा छतरी,छाते लगा-लगाकर बारिश में देखा. मैं उसको रिपीट नहीं करना चाहता हूं.

          श्री शंकरलाल तिवारी -  सभापति महोदय, बहुत आवश्यक अशासकीय संकल्प हैं. नेता जी को कहिये भाषण शुरू करें.

          श्री रामनिवास रावत - बजट आवश्यक नहीं है विनियोग विधेयक आवश्यक नहीं है.

          श्री बाला बच्चन - सभापति महोदय, मैं 1 मार्च से 18 मार्च तक इंतजार करता रहा कि जवाब माननीय मंत्रियों के द्वारा,माननीय मुख्यमंत्री जी के द्वारा मेरे प्रश्नों का मेरा आरोपों का जवाब आयेगा यह प्रदेश का दुर्भाग्य कह लीजिये और मेरा एक-एक आरोप प्रदेश की जनता की भावनाओं कीअभिव्यक्ति थी. आप इनकी प्रामाणिकता की जांच कर सकते हैं. हाथ कंगन को आरसी क्या पढ़े लिखे को फारसी क्या. माननीय मुख्यमंत्री जी ने उस दिन बोला था कि 2003 में केन्द्र सरकार से कितनी राशि मिलती थी 6 हजार करोड़ रुपये. 1998 से 2003-04 तक किसकी सरकार थी. एनडीए की सरकार थी केन्द्र में अटल बिहारी बाजपेयी प्रधानमंत्री थे और वह 6 हजार करोड़ रुपये देते थे. हमारी यूपीए सरकार ने अरबों रुपये मध्यप्रदेश सरकार को जो दिये हैं और उसी की बदौलत आज स्वर्णिम मध्यप्रदेश की जो बात आप करते हैं यह उसी का परिणाम है. बहुत सारी बातें हैं लेकिन  जो 12 वर्षों की सरकार  का आप नाम लेते रहे लेकिन यह नहीं बताया कि पहले यूपीए की सरकार 90 :10 के अनुपात में राशि देती थी केन्द्र प्रवर्तित योजनाओं के लिये लेकिन अब उसको 60 : 40 कर दिया है. हमारी सरकार में  आपको केवल 10 प्रतिशत लगाना पड़ता था बाकी करीब 90 प्रतिशत राशि केन्द्र सरकार देती थी. जब जेएनयूआरएम के अंतर्गत माननीय कमलनाथ जी ने काफी राशि मध्यप्रदेश के बड़े शहरों जैसे भोपाल, इन्दौर, ग्वालियर, जबलपुर दी है. भोपाल के लिये तो अरबो रूपये दिये हैं. जब माननीय बाबूलाल जी गौर मुख्यमंत्री हुआ करते थे जब वह कमलनाथ जी के पास गये थे तो उनको काफी राशि दी है. बहुत सारी इस योजना के अंतर्गत बसे भी दी हैं, यह बसे आज चल नहीं पा रही हैं, यह सरकार चला भी नहीं पा रही है, डीजल की भी व्यवस्था नहीं कर पा रही है, यह कहीं न कहीं विचार करने की बात है. मैं आपको बताना चाहता हूं कि जब यू.पी.ए की सरकार जिस समय चुनाव हुआ 2014 के समय जो क्रूड आयल था 115 प्रति बैरल डॉलर था अभी लगभग 30 प्रति बैरल डॉलर हो गया है, लेकिन उस अनुपात में जो डीजल एवं पेट्रोल के रेट कम होने चाहिये, यह सरकार नहीं कर रही है, इसमें कहीं न कहीं भेदभाव कर रही है. अभी हम सुन रहे हैं कि इसमें एक फिक्स टेक्स सरकार लगाने जा रही है तो मैं समझता हूं कि मध्यप्रदेश के उपभोक्ताओं को बहुत ज्यादा नुकसान में उतारेगी. मैं यह भी बताना चाहता हूं कि जब हमारी सरकार यूपीए में थी तब तुअर की दाल का भाव 70 रूपये किलो था अब आपने 200 रूपये किलो में तुअर की दाल लोगों को खिलायी है, कहां गये भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता जो प्याज की माला पहिनकर यू.पी.ए की सरकार का विरोध करते थे अभी बाजार में वही प्याज 80 रूपये किलो आपने बिकवा दी है और मुझे यह भी मालूम है कि प्रधानमंत्री जी लालकिले से भाषण देते हैं और खादी पहिनने की बात करते हैं, लेकिन जब मध्यप्रदेश हाथकरघा को फंड देने की बात आती है तो माननीय प्रधानमंत्री जी वह फंड बंद कर देते हैं. माननीय मुख्यमंत्री जी आप सदन में आ गये हैं आपका स्वागत है कि आप मेरी बातों को सुन रहे हैं और मुझे विश्वास है कि आप मेरी बातों का जवाब भी देंगे. मनरेगा को यू.पी.ए की विफलता का स्मारक बताने वाले अब मनरेगा के 10 वर्ष पूरे होने जा रहे हैं तो जगह-जगह आपकी सरकार तथा पार्टी के द्वारा कार्यक्रम किये जा रहे हैं तथा मनरेगा का स्वागत किया जा रहा है तो इतनी सोच में अंतर कहां से आ गया है ? आधार कार्ड जो कि बेकार बताते थे पहले, लेकिन आज मेरी जानकारी में है कि आधार कार्ड को संवैधानिक दर्जा दे रहे हैं. यह जितनी भी यू.पी.ए सरकार की योजनाएं थीं वही फलीभूत हो रही है और उसी को आगे यह सरकार बढ़ा रही है इससे यह सिद्ध होता है कि जिस मकसद एवं उद्देश्य के साथ यू.पी.ए की सरकार ने जो योजनाएं बनायी थीं, वह ठीक थीं. मैं आपसे आग्रह करना चाहता हूं कि केन्द्रीय कृषि मंत्री माननीय राधामोहन सिंह जी ने फसल बीमा योजना प्रारंभ करते समय यह बताया था कि मैं देश के सभी पटवारियों को स्मार्ट फोन दूंगा और वह मोबाईल एप डाऊनलोड करेगा और अगर कहीं पर भी फसल खराब होती है तो पटवारी एप के माध्यम से जानकारी देगा और तत्काल 25 प्रतिशत फसलें जो नुकसान होती हैं उसकी तत्काल भरपाई करेंगे यह बात माननीय केन्द्रीय कृ़षि मंत्री जी ने कही थी तो मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि अभी वह जून माह में स्टार्ट करने वाले हैं. क्या स्मार्ट फोन के लिये मध्यप्रदेश में राशि आ गई है और पटवारियों को स्मार्ट फोन दे दिये गये हैं और क्या उसमें एप के माध्यम से जो सर्वे होने वाला था वह कब तक शुरू हो जाएगा या स्मार्ट फोन कब तक दे दिये जाएंगे ?

4.44 बजे      { अध्यक्ष महोदय (डॉ.सीतासरण शर्मा) पीठासीन हुए.

 

          माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत सारी बातें करना थीं, लेकिन समय कम होने के कारण मैं शार्ट में बात कर रहा हूं. पिछले वर्ष के बजट में यह बात कही गई थी कि हमीदिया सुपर स्पेशिलिटी की बात पिछले बजट में कही गई थी, लेकिन अभी कहीं पर भी इसका अत-पता नहीं है. माननीय वित्तमंत्री जो ऑन-लाईन शॉपिंग करने वाले उपभोक्ता हैं उनके ऊपर आपने 6 प्रतिशत का टैक्स लगाया है. मैं आपसे जानना चाहता हूं कि यह सरकार कौन से युग में जी रही है आज इंटरनेट का जमाना है और टैक्स लेना मैं समझता हूं कि हमारी समझ से परे है आप इस टैक्स लेने की प्रक्रिया को कैसे अपनाएंगे तथा किस रूप में लेंगे जब माननीय वित्तमंत्री जी बोलेंगे तो मुझे बताएंगे. माननीय अध्यक्ष महोदय, फार्म सी घोटाला 1100 करोड़ रूपये का है और उसकी जांच ईओडब्ल्यू कर रहा है और उसके बावजूद भी इसे ठीक करने की बजाय आपने खाद्य तेल, चाय, लोहा, इस्पात जैसी वस्तुओं पर ट्रांजिट पास आपने लगा दिया है मैं समझता हूं कि इस घोटाले के बाद भी सरकार ने कोई सबक नहीं लिया है और उसके बाद आपने ट्रांजिट पास लगा दिया है जब आप बोलें तो इन बातों का उल्लेख करें. फार्म 49 की अनिवार्यता को समाप्त करने की बजाय आप इसका दायरा और बढ़ाकर व्यापारियों के साथ घोर अन्याय कर रहे हैं इसे तुरंत वापस लेना चाहिये.

           माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरी जानकारी में यह भी है कि कर जमा करने की जो ड्यू डेट 10 हुआ करती थी, उसको आपने 6 कर दी है,  यदि मध्‍यप्रदेशवासी मकान बनाना चाहते हैं, उन पर  स्‍टाम्‍प ड्यूटी 1.25 परसेंट बढ़ा दी है,  मैं समझता हूं कि उनके मकान बनाने के सपने को आपने चकनाचूर कर दिया है,  माननीय वित्‍त मंत्री जी ऐसा क्‍यों कर रहे हैं,  माननीय मुख्‍यमंत्री जी आप यहां बैठे हैं,  मैं आपकी जानकारी में बात लाना चाहता हूं, मध्‍यप्रदेश का जो बजट बनता है, जिन वर्गों के लिए जो प्रावधान करते हैं,  जिन वर्गों के लिए बजट आवंटित करते हैं,   इस बार भी आपने अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग के लिए 15 हजार 188 करोड़ का बजट प्रावधान तो किया है,  लेकिन उन वर्गों के लिए,  उन योजनाओं के लिए, उन क्षेत्रों के लिए,  काम नहीं होता है,   इस विभाग की अनुदान मांगे थीं,  उन पर  मैंने बताया था ।

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, वर्ष 2013-14 में 600 करोड़, वर्ष 2014-15 में 1300 करोड़,  इस वर्ग का बजट,  दूसरे वर्गों के लिए,  दूसरे क्षेत्रों के लिए,  दूसरी योजनाओं के लिए और दूसरे कामों के लिए खर्च कर दिए हैं,  कृपा करके ऐसा न करें,  मैं जानना चाहता हूं कि क्‍या आपको यह वर्ग चेंज करने का अधिकार है,  क्‍या इसमें केन्‍द्र सरकार की परमीशन और अनुमति की जरूरत नहीं लगती है । आप उन वर्गों के लिए बजट प्रावधान क्‍यों करते हैं, मेरे हिसाब से जहां तक मैं समझता हूं,  मध्‍यप्रदेश में सबसे ज्‍यादा अगर कोई वर्ग पिछड़ा हुआ है,  तो यही वर्ग पिछड़ा हुआ है ।

माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपको बताना चाहता हूं कि इस देश में,  मध्‍यप्रदेश ऐसा राज्‍य है,  जहां पर सबसे ज्‍यादा संख्‍या में अनुसूचित जनजाति के लोग रहते हैं, उनके साथ ऐसा पक्षपात होता है,  मैं समझता हूं  मुख्‍यमंत्री जी आपको ध्‍यान देना पड़ेगा, उन क्षेत्रों में अभी तक बिजली नहीं लगी है, उनके क्षेत्र में जो विकास के काम होना चाहिए था, सड़कें पुल, पुलिया बनना चाहिए थीं, वह नहीं बन पाती हैं, आप आवंटन देते हो, फिर वापस ले लेते हो, मैं आपको याद दिलाना चाहता हूं, अनुसूचित जनजाति की मांग संख्‍या 53 मद क्रमांक 1 में, 10 करोड़ आपने निकाले, मद क्रमांक 2 से 90 करोड़ रूपए निकाले और 100 करोड़ रूपए से आप मेट्रो रेल्‍वे पर खर्च कर रहे हो,  मुख्‍यमंत्री जी इन वर्गों के साथ इतना बड़ा भेदभाव क्‍यों करते हो, जब कभी आप बोले तो इसका भी उल्‍लेख करें ।

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं, आप प्रदेश की जनता के लिए टैक्‍स तो बढ़ा रहे हो, लेकिन वाणिज्‍यकर विभाग के अधिकारी टैक्‍स वसूली में क्‍या क्‍या करते हैं, वह मैं आपको बताना चाहता हूं, आंकड़े की बात । आदरणीय वनमंत्री जी, आपने अथेन्टिसिटी की  बात की थी,  तो सुनो चेक करो, हमारी एक घण्‍टे की स्‍पीच थी, उस दिन भी मैंने इस बात कों बोला था,  कि टू द प्‍वाइंट अथेन्टिसिटी  चेक करना,  मुझे नहीं लगता है कि हमारे दल के साथीगण जो बोलते हैं,  उनकी बात का या हमने जो बोला है, हमारे किसी एक बिन्‍दु की आपने किसी से रिव्‍यू,  माननीय मुख्‍यमंत्री जी को तो समय नहीं मिलता है,  लेकिन आदरणीय किसी मंत्री जी ने किया हो, ऐसा मुझे नहीं गलता है,  अगर एक को भी कर लेते और अथेन्टिसिटी पर डाउट होता,  तो मैं समझता हूं,  फिर आप हमको बोलते और जो सजा देते उसको हम मानने के लिए तैयार थे,  अभी भी हूं,  मैं बताना चाहता हूं,  आगे सुनिए,  मेरे पास सीएजी की रिपोर्ट है,  माननीय मुख्‍यमंत्री जी उस दिन भी मैंने सीएजी की रिपोर्ट का उल्‍लेख किया था और कल परसों शायद सीएजी की रिपोर्ट जो प्रस्‍तुत हुई है ।        

          वित्‍त मंत्री (श्री जयंत मलैया)- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, बार- बार सीएजी की रिपोर्ट की बात की जाती है, सीएजी की रिपोर्ट में जो भी रहता है,  यह उनका आव्‍जर्वेशन होता है, और आव्‍जर्वेशन होने के बाद पीएसी में आता है,  पीएसी का अध्‍यक्ष प्रतिपक्ष का होता है,  आपकी पार्टी के श्रीमान महेन्‍द्र सिंह कालूखेड़ा जी उसके अध्‍यक्ष हैं,  उसमें जिस विभाग की भी रिपोर्ट आती है । बार बार सीएजी कह रहे हैं,  उसमें उनकी गवाही होती हैं कि आव्‍जर्वेशन में क्‍या पाया गया है,  क्‍या कोई अनियमितता है, एकाउन्‍ट नहीं आ पाया देखते हैं, किसी ने कह दिया कि जीरो खर्च हुआ,  परन्‍तु उस समय उन खर्चों की पोस्टिंग नहीं हो पाती है,  तो उसका करेकशन किया जाता है और उस करेक्‍शन के बाद भी अगर लगता है कि कहीं कोई अनियमितता हुई है तो वह रिपोर्ट विधान सभा मे आती है और विधान सभा में उस अधिकारी को दण्डित किया जाता है,  कृपया बार-  बार सीएजी की रिपोर्ट का उल्‍लेख न करें।

          श्री बाला बच्‍चन-  माननीय वित्‍त मंत्री जी,  ये किसके लिए होती है,  क्‍या सरकार के लिए नहीं होती है ।

          श्री रामनिवास रावत- क्‍या सीएजी का उल्‍लेख करना आपत्तिजनक है ।

          श्री शंकरलाल तिवारी-  अभी बताया है  कि लोक लेखा समिति में चर्चा होती है ।

            डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - कोर्ट केस करना आपत्तिजनक नहीं है पर इसके बाद अभी 3 स्‍टेजेस और हैं, उल्‍लेख करने को ऐसे नहीं करना चाहिए कि जैसे फैसला आ गया हो.

          श्री रामनिवास रावत - फैसला तो नहीं आया लेकिन सी.ए.जी. ने आपत्ति तो ली है. आप उसे क्‍यों नहीं सुधारते.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - आपत्ति आरोप नहीं बन सकती है. (व्‍यवधान)

          श्री बाला बच्‍चन - अध्‍यक्ष महोदय, नहीं तो हमें किसका उल्‍लेख करना चाहिए ? हमें किसको बेस बनाना चाहिए ? अगर आपका जवाब आता तो हम उसको बेस बनाकर बोलना चाहेंगे तो उसको भी बोल देंगे कि इसमें इतनी अथेन्‍टीसिटी नहीं है. हम क्‍यों इसका रिफरेन्‍स नहीं दे सकते हैं ? माननीय वित्‍त मंत्री जी, Its not relevant to work of the government क्‍या यह इससे संबंधित नहीं है, इससे रिलेवेन्‍ट नहीं है. फिर यह सी.ए.जी. और जो हमने व्‍यवस्‍थाएं बना रखी है, आप बताइये. फिर हमको क्‍या कोट करना चाहिए ? किसको बेस बनाना चाहिए ? आप जो बोलें, हम उस ट्रैक पर ही चलते हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय, दि. 31 मार्च, 2015 को सी.ए.जी. की रिपोर्ट में यह स्‍पष्‍ट कोट किया है उल्‍लेख किया है कि उसके बाद अगर आपको उसका जवाब देना है तो आप रिपोर्ट लेकर, उसको बोलें. 31 मार्च, 2015 की रिपोर्ट में यह स्‍पष्‍ट उल्‍लेख है कि 1,486 करोड़ 5 लाख रूपये की राजस्‍व हानि हुई है, इनमें केवल 4 करोड़ 85 लाख रूपये की वसूली हो चुकी है, जो वर्ष 2014-15 की बात है. मैं यह कहना चाहता हूँ कि आपके विभाग ने एक प्रतिशत की भी वसूली नहीं की है. इतना बड़ा विभाग एवं इतना बड़ा अमला आपके पास है. वह क्‍या करता है ? और अगर यह वसूली कर लेते तो जो जवाब बजट में दिया गया है. प्रदेश की जनता को सूखे बेर के अलावा कुछ नहीं दिया है. अगर 1,500 करोड़ रूपये की वसूली, आपका अमला एवं आपके विभागीय अधिकारी कर लेते तो सूखे बेर के अलावा, मध्‍यप्रदेश की बहुत-सी वस्‍तुएं सस्‍तीं हो सकती थीं, जिसमें डीज़ल और पेट्रोल भी सस्‍ता हो सकता था. अब यह सी.ए.जी ने उल्‍लेख किया है. अगर हमको इंगित और इशारा किया है तो हम इस लाईन एवं ट्रैक पर काम क्‍यों नहीं कर रहे हैं ?

          अध्‍यक्ष महोदय, दूसरी चीज, मैं बताना चाहता हूँ कि वाणिज्‍य कर विभाग की कण्डिका 2.2.12 के अनुसार, 24 कार्यालयों के 51 प्रकरणों में जो कर-निर्धारण अधिकारी हैं, उनके द्वारा 38 करोड़ 57 लाख रूपये कम का कर वसूला गया है क्‍यों? माननीय वित्‍त मंत्री जी, जो कर वसूला जाना चाहिए था उसमें 38 करोड़ 57 लाख रूपये कम कर वसूला गया है, मैंने बताया कि 24 कार्यालयों के 51 प्रकरणों में. फिर दूसरा उदाहरण इसी विभाग का है, कण्डिका 2.2.13 में, कर निर्धारण अधिकारियों के द्वारा 17 कार्यालयों के 27 प्रकरणों में 32 करोड़ 22 लाख रूपये कम टैक्‍स वसूला गया है क्‍यों ? और जो अधिकारी लापरवाही कर रहे हैं. कमी कर रहे हैं. क्‍या आप उनके खिलाफ कार्यवाही करेंगे ? कृपा कर बतायें.  देखिये, 38 करोड़ रूपये, 32 करोड़ रूपये एवं 1,500 करोड़ रूपये का मैंने जो बताया है. जब आप जवाब दें तो इन बातों का उल्‍लेख करें.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, भू-राजस्‍व के निजी संस्‍थाओं, निजी विश्‍वविद्यालयों की स्‍थापना और पेट्रोल पम्‍प की स्‍थापना जैसे कामों के लिए कम मूल्‍य पर शासकीय भूमि आवंटित की. जिसके आधार पर 30 करोड़ रूपये का नुकसान हुआ है, यह भी सी.ए.जी. ने आगे उल्‍लेख किया है. यह है कण्डिका 5.2.8 में. फिर हम किसको बेस बनायें ? किसको लाईन बनायें ? हम किस ट्रैक पर चलें ? हमारे पास, जो व्‍यवस्‍थाएं एवं एजेन्सियां काम कर रही हैं, उसी को तो हम कोट करेंगे एवं हम पढे़ंगे, फिर उनका प्रतिवेदन और यह सारा पटल पर और विधानसभा में आप क्‍यों रखते हैं ? ऐसे बहुत सारे उदाहरण मेरे पास हैं, जिससे सरकारी खजाने को नुकसान पहुँचाया जाता है. इस तरह के अधिकारी, जो लापरवाहियां करते हैं, या किसी को मोटिवेट करने के लिए एवं किसी को फायदा पहुँचाते हैं तो आप उन्‍हें कब तक दण्डित करेंगे ?

          कुँवर विजय शाह - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, पेट्रोल पम्‍प के लिए जमीन दी है, वह तो एस.सी., एस.टी. के लोगों को दी है. वह जमीन सरकार सस्‍ते में दे रही है तो आपको धन्‍यवाद देना चाहिए.

          श्री बाला बच्‍चन - माननीय मुख्‍यमंत्री जी आप बताइये, क्‍यों ?

          कुँवर विजय शाह - अध्‍यक्ष महोदय, फौजियों और एस.सी., एस.टी. के लोगों को पेट्रोल पम्‍प की जमीन दी गई है,  वह हवाला आपने दिया है. क्‍या आप इनको रियायती दाम पर दिये जाने के विरोधी हैं ?

          श्री बाला बच्‍चन - अध्‍यक्ष महोदय, मैं फिर सी.ए.जी. की रिपोर्ट का उल्‍लेख करना चाहता हूँ. सी.ए.जी. कार्यालय द्वारा गम्‍भीर अनियमितताओं के प्रकरण, हर तिमाही में संबंधित विभागों के पी.एस. को समीक्षा के लिए भेजे जाते हैं. लेकिन अब मैं, आपको बताना चाहता हूँ कि आलमारी में सारे के सारे रद्दी में रखने के हवाले कर दिये जाते हैं. दि. 30/6/2015 तक 5,613 निरीक्षण प्रतिवेदन सी.ए.जी. के पशुपालन, उद्योग, सहकारिता, ऊर्जा, कृषि, वन  जैसे महत्वपूर्ण  विभागों के लंबित हैं. ..

..(व्यवधान)..

                   श्री विश्वास  सारंग -- अध्यक्ष महोदय,  इनको सीएजी की रिपोर्ट पर बोलने के लिये टाइम दे दीजिये.

                   श्री यशपाल सिंह सिसोदिया -- यह लोक लेखा समिति से बाहर ही नहीं आ पा रहे हैं.

                   श्री  राजेन्द्र पाण्डेय --  अध्यक्ष महोदय, यह चर्चा एक सही दिशा में जाना चाहिये. चर्चा सही दिशा में जा नहीं रही है.  सीएजी  की कंडिकाओं पर चर्चा हो रही है.  क्या यहां सीएजी की रिपोर्ट पर चर्चा हो रही है. विनियोग विधेयक पर चर्चा हो रही है.  बाला जी विनियोग पर चर्चा करें.  समय की पाबंदी है, तो समय की मर्यादा रखी जायें.  समय की मर्यादा नहीं रखी जा रही है.  विषयान्तर नहीं बोला जा सकता. विषयानुकूल  नहीं बोला जा रहा है.  इसका क्या औचित्य है.  यह कोई औचित्य नहीं है कि सीएजी की कंडिकाओं को आधार बनाकर  विनियोग पर बोला जाये. यह अनावश्यक समय  व्यर्थ किया जा रहा है.

                   अध्यक्ष महोदय -- कृपा करके  आप उनको  बोलने दें.  कृपया बैठ जायें.

                   श्री विश्वास सारंग -- अध्यक्ष महोदय,  सीएजी  की रिपोर्ट्स  में बाला जी का इतना  इंट्रेस्ट है, तो  लोक लेखा समिति का सभापति इन्हीं को बना दीजिये. वहीं  डिसकस हो जायेगा सब. सदन में तो विनियोग पर चर्चा करें.

                   अध्यक्ष महोदय -- आप कृपा करके  बैठ तो जायें.

                   श्री रामनिवास रावत -- सारंग जी, बिलकुल विनियोग पर ही चर्चा हो रही है.  विनियोग विधेयक के माध्यम से जो  राशि सरकार को मिलती है, सरकार कैसे व्यय करती है,  वह संवैधानिक संस्था है,  वह नियमन  करती है और बताती है कि  सरकार कैसे खर्च करे  और वह संविधान के अंतर्गत  है, इसलिये इस  केग संस्था को बनाया गया है.  इसलिये वह रिपोर्ट देती है. आप चाहे जैसे  खर्च करते रहो राशि.

                   अध्यक्ष महोदय -- कृपया बैठ जायें. बाला जी, आप जारी रखें. 

..(व्यवधान)..

                   श्री रामनिवास रावत -- आप पूरी रिपोर्ट नहीं, यह देखो.  भारत के नियंत्रक महालेखापरीक्षक का 31 मार्च,2015 को समाप्त हुए वर्ष का प्रतिवेदन  की कंडिका   2.3.11  में लिखा है कि-  मध्यप्रदेश   बजट  नियमावली की कंडिका  26.13  के अनुसार  व्यय  की अत्यधिकता विशेष रुप से  वित्त वर्ष के अंतिम माहों में  साधारणतया  वित्तीय  अनियमितता  माना जायेगा.  यह बजट ले रहे हो,  कोई वित्तीय अनियमितता  करने के लिये बजट ले रहे हो कि जनता के विकास के लिये बजट ले रहे हो.  क्यों नहीं  सीएजी की रिपोर्ट का  हवाला  दिया जा सकता है.

                   अध्यक्ष महोदय -- कृपया बैठ जायें. बाला जी.

                   डॉ. गौरीशंकर शेजवार -- अध्यक्ष महोदय, सीएजी की रिपोर्ट आई और अभी लोक लेखा समिति  के सामने नहीं गई.

                   श्री रामनिवास रावत -- रिपोर्ट पर नहीं कह रहे हैं.  रिपोर्ट में  जो कंडिकाओं में हवाला  दिया है, आपत्ति उठाई है,  उन आपत्तियों की बात कर रहे हैं.  आपके द्वारा  की गई वित्तीय  अनियमितताओं पर उठाई गई आपत्तियों की बात  कर रहे हैं.

                   डॉ. गौरीशंकर शेजवार -- तो आप लोक लेखा समिति  की  रिपोर्ट लाइये ना.

                   श्री रामनिवास रावत --  क्या यह निर्णय आप लोग करेंगे कि आसंदी करेगी.

..(व्यवधान)..

                   डॉ. गौरीशंकर शेजवार -- अध्यक्ष महोदय, एक थोड़ी व्यवस्था की बात थी.  सीएजी की रिपोर्ट आई लोक लेखा समिति में.  लोक लेखा समिति की रिपोर्ट आयेगी  विधान सभा में , तब इस पर चर्चा होगी.  अभी जो चीज टेबल नहीं की गई, जो चीज पटल पर नहीं आई, आप उसको चर्चा में कैसे ला सकते हैं.

                   अध्यक्ष महोदय -- नहीं वे ऑन रिकार्ड नहीं ला रहे हैं, उसमें से रिफरेंसेस दे रहे हैं  और  उनको रिफरेंसेस देने का अधिकार है.

                   श्री रामनिवास रावत -- ऐसे तो संवैधानिक  संस्थाओं को भी मत मानों, संवैधानिक व्यवस्थाओं को भी मत  मानों.

                   डॉ. गौरीशंकर शेजवार -- लोक लेखा  समिति की रिपोर्ट ही नहीं बनी  और लोक लेखा समिति में इस  बात पर अभी डिसकस ही नहीं हुआ.  बिना लोक लेखा समिति में बहस हुए, अभी दो स्टेज बाकी हैं  और  यह रिपोर्ट टेबल नहीं हुई. इसके पहले ही आप चर्चा करना चाहते हैं.

                   अध्यक्ष महोदय -- रिफरेंस में कोई दिक्कत नहीं है.

                   श्री विश्वास सारंग -- अध्यक्ष महोदय,  रिफरेंस  तो ठीक है, लेकिन पूरा भाषण ही उसी का  हो रहा है.

                   डॉ. गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष महोदय, पिछले 12 सालों में  एक बार भी सीएजी  की रिपोर्ट  विधान सभा में  चर्चा के लिये रखी गई है क्या.

                   अध्यक्ष महोदय -- इस पर बहस नहीं करें.

                   श्री विश्वास सारंग -- अध्यक्ष महोदय,   वह बिलकुल  करें,  लेकिन रिफरेंस जैसी चर्चा करें ना.  पूरा भाषण ही सीएजी पर हो रहा है.

                   अध्यक्ष महोदय --  बोलने दें उन्हें,  उनका अधिकार है, जो बोलना है. आप उनको कैसे गाइड कर सकते हैं कि वे क्या बोलें.  बाला जी, आप बोलिये.  कृपया आप लोग बैठ जाइये.

                   श्री बाला  बच्चन -- अध्यक्ष महोदय,  मैं सदस्यों से यह जानना चाहता हूं कि यह संवैधानिक  संस्था है कि नहीं.   आप संवैधानिक  संस्था, जिससे हम कोई चीज   निकाल कर, कोई  बात अगर बोल रहे हैं, तो  उस पर आप हमारे ऊपर आरोप लगा रहे हैं.  मैं आपको यह बताना चाहता हूं कि  7 विभागों के 5613 निरीक्षण  प्रतिवेदन पेंडिंग हैं.  

                  

 

(सत्ता पक्ष से श्री शंकरलाल तिवारी तथा प्रतिपक्ष से श्री सुन्दरलाल तिवारी के खड़े होने पर)

 

            अध्यक्ष महोदय-- मैं उनको रोक तो रहा हूं. अब दोनों सीनियर लीडर खड़े हो गये हैं.

          श्री रामनिवास रावत --उधर ही (श्री शंकरलाल तिवारी के देखते हुये) केवल तिवारी नहीं है, तिवारी (श्री सुन्दरलाल तिवारी को देखते हुये) हमारे पास में भी हैं.

          अध्यक्ष महोदय-- (हंसी) कृपया बैठ जायें. कोई न उठें समय जाया हो रहा है.

          श्री बाला बच्चन- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह कहना चाहता हूं कि संबंधित विभाग के प्रमुख सचिव क्या देखते हैं. 5613 इस तरह के प्रतिवेदन पेंडिंग पड़े हैं.1543 प्रतिवेदन में तो 10 साल से भी ज्यादा का समय हो चुका है, इतने समय से पेंडिग हैं इनका क्या निराकरण नहीं होगा. यह तो ऐसा ही है जैसे सरकार को आईना दिखाना. मैं आप लोगों को बताना चाहता हूं कि आडीटर संस्था की अवहेलना चिंता का विषय होता है. आप सरकार में हैं और आप लोगों को इस पर विचार करना पड़ेगा,आप लोगों को ध्यान देना पडेगा.

          अध्यक्ष महोदय-- कृपया संक्षेप कर दें.

          श्री बाला बच्चन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपको बताना चाहूंगा कि जो सरकार बजट पास होने का एक दिन का इंतजार नहीं कर सकती और बाजार से 1200 करोड़ रूपये का कर्ज लेती है और कर्ज लेने की जो सीमा सरकार की है 3 प्रतिशत उससे अधिक कर्ज सरकार लेती है. मैंने  पिछले सत्र में कहा था कि सरकार ने दिसम्बर में कर्ज लेने की सीमा 3 प्रतिशत  को बढाकर के 3.5 प्रतिशत कर दी है .इस सरकार ने कर्ज की सारी सीमा भी समाप्त दी है. जहां तक मेरी जानकारी में है कि 2003-2004 में 26 हजार करोड़ रूपये का कर्ज था आज 1 लाख 26 हजार करोड़ रूपये का कर्ज सरकार पर हो गया है. पहले सरकार कर्ज लेती थी जनवरी से मार्च के माह में अब सरकार कर्ज ले रही है मई से फरवरी तक, पूरे 12 माह तर सरकार  कर्ज लेती है तो आपने पूरी तरह से मध्यप्रदेश को कर्ज में डुबो दिया और उसके बाद आप जो सुनना चाहते हैं वह हम बोले, ऐसा नहीं होगा. हमारे पास जो जानकारी है उसके हिसाब से इस सरकार ने पिछले 12 वर्षों में मध्यप्रदेश को डुबोया है उनका भी हम ध्यान रखेंगे. माननीय वित्त मंत्री जी, मध्यप्रदेश को केन्द्रीय अनुदान जो 3000 करोड़ रूपये इस वर्ष प्रदेश को कम मिला, बतायें क्यों कम मिला है, आपने इसके लिये क्या प्रयास किया है, सीएसटी का बड़ा फंड दिल्ली में रूका हुआ पड़ा है उसके लिये आप क्या प्रयास कर रहे हैं. उसके बाद मैं आपको बताना चाहूंगा कि यह सिंहस्थ का समय है 22 अप्रैल से सिंहस्थ शुरू होना है 2000 करोड़ अभी तक सिंहस्थ के निर्माण और विकास कार्य के लिये मिलना चाहिये था, मैं माननीय मुख्यमंत्री जी और माननीय वित्त मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि मात्र अभी तक 100 करोड़ रूपये ही मिले हैं,  क्या प्रयास आप कर रहे हैं, क्या देख रहे हैं आप. अगर हम वास्तविक स्थिति सदन में रखना चाहते हैं तो आप उसमें अपने मन की बात सुनना चाहते हैं , आप मन की बात सुनना चाहते हैं तो अभी किसी ने कहा था कि ऐसा प्रस्ताव लेकर के आ जायें, 1 घंटा अगर कम पड़ता है तो दिन भर की चर्चा कर लो, दिन भर हम उसी पर बोलेंगे.माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह बात पहले भी बोल चुका हूं कि पेट्रोल और डीजल के ऊपर जो फिक्स टेक्स लगाने की जो बात हो रही है मेरे ख्याल से ऐसा सरकार को करना नहीं चाहिये, जब भी इस तरह का प्रस्ताव आप सदन में लेकर के आयेंगे हम उसका पुरजोर विरोध भी करेंगे.

          अध्यक्ष महोदय-- लगभग आधा घंटा हो गया है. कृपया संक्षेप करें.

          श्री बाला बच्चन --जी अध्यक्ष महोदय. एकाध बात और करना चाहता हूं कि लगभग 24 विभागों के प्रपोजल केन्द्र सरकार के पास में कई माह से पेंडिग पड़े हैं लेकिन सरकार वहां से अभी तक लाने या उन प्रकरणों का निराकरण कराने के लिये कोई प्रयास नहीं कर रही है. BRGFY,  सर्व शिक्षा अभियान, मॉडल स्कूल का फंड बंद पड़ा है . मुख्यमंत्री जी मैंने पिछले सत्र में आपको कहा था कि अब धरना और प्रदर्शन केन्द्र सरकार के खिलाफ आप करेंगे? अब आप करो, हम भी आपके साथ में हैं. अब केन्द्र सरकार के विरोध स्वरूप  सायकिल से आप मुख्यमंत्री निवास से यहां तक आईये, हम भी अपनी अपनी विधानसभा क्षेत्र से विधानसभा तक आयेंगे. मध्यप्रदेश के सर्वहारा वर्ग के लिये सभी पाईंट आफ व्यूह के लिये, तरक्की, उन्नति, प्रोग्रेस, मध्यप्रदेश खुशहाल बने, अच्छी उन्नति करे, और जितने सुझाव हमने और हमारी पार्टी के विधायक साथी ने दिेये हैं उन सभी के सुझाव का, आरोप का, प्रश्नों का जवाब उत्तर में वित्त मंत्री जी देंगे तो ज्यादा बेहतर होगा.

          अध्यक्ष महोदय, मैं आपको धन्यवाद देता हूं कि विधानसभा की कार्यवाही आप और आदरणीय उपाध्यक्ष महोदय बहुत अच्छे ढंग से चला रहे हैं  जिस तरह से हम लोग प्रश्न लगाते हैं तो हमें देखने में आ रहा है कि कुछ मंत्रियों में सुधार हो रहा है. पनिशमेंट वे करते जा रहे हैं, जैसे मेरे प्रश्न पर खरगौन में जो अनियमितता का मामला सामने आया था , होशंगाबाद में जो अनियमिततायें हुई हैं, रीवा में जो अनियमिततायें जिला सहकारी बैंकों में हुई हैं, तो माननीय गोपाल भार्गव जी ने उसमें कसावट की है, वहां के एमडी को भी निलंबित किया है, जो नियुक्ति एमडी नहीं कर सकते थे, उन्होंने की थीं, उनको भी मंत्री जी ने रद्द किया है. आज मैं आदरणीय केदारनाथ शुक्ल जी के ध्यानाकर्षण को देख रहा था, उस पर भी उन्होंने व्यवस्था दी है और जिस अधिकारी ने अनियमितता की है शायद उसको भी सस्पेंड करने की बात की है तो मेरे कहने का तात्पर्य यह है कि इसी तरह से अगर कार्यवाही होती रहेगी तो हम सब सदन के साथी का इन्टरेस्ट और रूची विधानसभा के प्रति बनी रहेगी जिससे कि हम अपने अपने विधानसभा क्षेत्र से मुद्दे लेकर के आयेंगे, फीडबेक के रूप में सदन में हम वह मुद्दे देंगे माननीय मुख्यमंत्री जी को, सरकार को,  माननीय मंत्री की जानकारी में देंगे और अगर आप उस पर एक्शन लेते हैं तो निरंकुश सरकार जो हो रही है, यह सरकारी तंत्र जो निरंकुश हो रहा है , उस पर कसावट आयेगी और मैं समझता हूं कि हमारा मकसद और उद्देश्य लोकतांत्रिक व्यवस्था में काम करके कि हमारा प्रदेश चहुंमुखी विकास की ओर बढ़े और न केवल देश का ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया का एक सशक्‍त राज्‍य हमारा बने, उसमें मैं समझता हूं उस मकसद की पूर्ति होगी और अगर आप हम सब मिलकर इस पर काम करेंगे तो ज्‍यादा अच्‍छा होगा और बीजेपी कांग्रेस हम लोग करते रहेंगे तो फिर वहीं 12 से होता रहा वहीं चलता रहेगा. आदरणीय मख्‍यमंत्री जी हमें बहुत उम्‍मीद और अपेक्षायें आपसे हैं, लेकिन हम यह चाहते हैं कि हमारे साथियों ने चाहे ध्‍यानाकर्षण के माध्‍यम से, चाहे स्‍थगन के माध्‍यम से, प्रश्‍नों के माध्‍यम से सरकार की जानकारी जो मुद्दे और जो बातें लाये हैं उस पर आप एक्‍शन लें और निरंकुश तंत्र के ऊपर आप अंकुश लगायें, मुझे मालूम है कि जिस दिन हम यहां बोलते हैं और कोई बात ऐसी होती है तो तंत्र तुरंत उस पर, विधानसभा भी चल रही है माननीय अध्‍यक्ष महोदय तो उसका परिणाम और उसका प्रचार-प्रसार अच्‍छा हो रहा है फीडबेक पूरे मध्‍यप्रदेश से आता है, अच्‍छा एक्‍शन हो रहा है, अच्‍छी विधानसभा चल रही है, काम भी हो रहे हैं, यह मैं समझता हूं कि विधानसभा चलने के कारण है. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह बड़ा संशय बना हुआ था एक कनफ्यूजन की स्थिति थी कि आज ही समाप्‍त हो जायेगी, मैं समझता हूं कि हमारी पार्टी के विधायक नहीं बहुत सारे सत्‍ता पक्ष के विधायक साथी भी यह चाहते थे कि हाउस 1 तारीख तक चलना चाहिये. आपने हमारी बात मानी मैं उसके लिये आपको धन्‍यवाद और सरकार ने बात मानी सरकार को भी धन्‍यवाद और इस उम्‍मीद और अपेक्षा के साथ मेरी बात मैं समाप्‍त कर रहा हूं कि जितना हमने ध्‍यान दिलवाया है उस पर एक्‍शन लेंगे और हमारे प्रदेश को सभी पाइंट ऑफ व्‍यु से आगे ले जायेंगे, खुशहाल, प्रसन्‍न, तरक्‍कीशील और उन्‍नतीशील हमारा प्रदेश बनायेंगे, माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपको बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

श्री मनोज पटेल--  बाला भैया ऐसे थोड़ा अपने सदस्‍यों को भी सिखायें कि कुछ पॉजीटिव बात करें, कुछ अच्‍छा होता है तो उसकी तारीफ करें सरकार की विशेष रूप से जितू पटवारी जी को.

अध्‍यक्ष महोदय--  कृपया सभी बैठ जायें, सभी लोग बैठ जायें, माननीय मंत्री जी.

वित्‍त मंत्री (श्री जयंत मलैया)--  अध्‍यक्ष महोदय, जितने भी माननीय सदस्‍यों ने विनियोग विधेयक की चर्चा में भाग लिया उन सभी का मैं धन्‍यवाद करता हूं. जैसा कि सदन को विदित है कि 26.2.2016 को वित्‍तीय वर्ष 2016-17 का बजट विधानसभा के समक्ष वार्षिक वित्‍तीय विवरण के रूप में प्रस्‍तुत किया गया था. प्रस्‍तुत विनियोग विधेयक में भारित एवं मद्दे दोनों राशि सम्मिलित हैं. वार्षिक वित्‍तीय विवरण विधानसभा में प्रस्‍तुत होने के उपरांत बजट पर सामान्‍य चर्चा सहित विभागों की मांगवार चर्चा सम्‍पन्‍न हुई है. जहां तक जो बात आदरणीय तिवारी जी ने कही है, जब वित्‍त विभाग की चर्चा चल रही थी तभी मैंने उसका स्‍पष्‍टीकरण किया था. इसके साथ-साथ कई सालों के बाद पहली बार ऐसा हुआ है कि विधानसभा में एक-एक विभाग के बाद पूरी की पूरी चर्चा हुई है और दोनों पक्षों के लोगों ने सक्रिय हिस्‍सा लिया है. ...(मेजों की थपथपाहट).... विनियोग के लिये कुछ कहे जाने के लिये नहीं है.  आप लोगों ने बहुत सी चर्चायें ऐसी की हैं जो बजट में चर्चा में आ गई हैं, इनका मैं रिपीटेशन जरूर नहीं करना चाहूंगा, परंतु यह बात जरूर है कि इस बार दोनों पक्षों के सदस्‍यों ने बहुत रूचि ली है. मांगवार चर्चा में अपने विचारों को रखा है. मांगवार चर्चा उपरांत विधानसभा द्वारा इन मांगों में उल्‍लेखित राशि को अनुमोदित किया गया है. इन अनुमोदित राशि को भारित मद की राशि के साथ जोड़कर राजस्‍व व्‍यय एवं पूंजीगत व्‍यय के रूप में विनियोग विधेयक तैयार किया गया है. वित्‍तीय वर्ष 2016-17 में कुल विनियोग की राशि 1 लाख 70 हजार 753 करोड़ है, इस राशि में राज्‍य शासन द्वारा राजस्‍व एवं पूंजीगत व्‍यय, राज्‍य द्वारा लिये गये ऋणों का मूलधन एवं शासन द्वारा विभिन्‍न प्रकार के दायित्‍वों के व्‍यय करने की राशि शामिल है. उक्‍त राशि राज्‍य की संचित निधि से व्‍यय की जायेगी. बजट पर सामान्‍य चर्चा के समय विस्‍तार से इसके उल्‍लेखित बिंदुओं के ऊपर चर्चा हुई है. मैं यहां निवेदन करना चाहता हूं कि माननीय बाला बच्‍चन जी यह चर्चा कर रहे थे कि 2003-04 में हमारा कर्ज कितना था, उन्‍होंने कर्ज के बारे में तो बता दिया परंतु यह नहीं बताया कि जीएसटीपी की तुलना में उस समय राजकोषीय घाटा कितना था, क्‍या आप जानते हैं या आप जानना चाहेंगे, वह 7.12 था और अब आप जानना चाह‍ते हैं कि अब 2014-15 में कितना बचा, वह हमारे 2014-14 के लेखों के अनुसार मात्र 2.29 प्रतिशत बचा है. आज आपने और एक चर्चा की जिस सीएजी रिपोर्ट की आप चर्चा कर रहे थे वह 2014-15 की थी और जो विनियोग विधेयक पर जिस पर आज हम चर्चा कर रहे हैं वह 2016-17 का है. इसलिये मैं इस बात का उल्‍लेख यहां करना चाह रहा था, कोई जरूरत नहीं थी उसका उल्‍लेख वहां पर किया जाता. अध्यक्ष महोदय,पूंजीगत व्यय राज्य के द्वारा लिये गये ऋणों का  मूलधन एवं शासन द्वारा विभिन्न प्रकार के दायित्वों के व्यय करने की राशि में शामिल है. उक्त राशि राज्य की संचित निधि से व्यय की जायेगी. बजट पर सामान्य चर्चा के समय विस्तृत रुप से इसका उल्लेख बिंदुवार चर्चा में हुआ है. मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि प्रदेश का यह बजट,प्रदेश की जनता की आवश्यकताओं के अनुरुप एवं जनहित में तैयार किया गया है.

          अध्यक्ष महोदय, राजकोषीय स्थिति के संबंध में निवेदन है कि वित्तीय वर्ष 2016-17 के बजट अनुमान अनुसार सकल राज्य घरेलू उत्पाद से राजकोषीय घाटे का प्रतिशत 3.49 है. तिवारीजी ध्यान दीजिए. इसी प्रकार सकल राज्य घरेलू उत्पाद से राजस्व आधिक्य  0.49 प्रतिशत है. ब्याज भुगतान का कुल राजस्व प्राप्तियों से मात्र 8.11 प्रतिशत है.

          अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि सर्व सम्मति से इस विनियोग विधेयक को पारित करने का कष्ट करें ताकि प्रदेश की विकासात्मक गतिविधियों के लिए विभागों को राशि उपलब्ध करायी जा सके. धन्यवाद.

          श्री सुन्दरलाल तिवारी--अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्रीजी का एक मिनट का समय लूंगा. अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्रीजी सदन में हैं.

          अध्यक्ष महोदय-- बहस ही समाप्त हो गई.अब आप क्या बोल रहे हैं. तिवारी जी, विषय ही समाप्त हो गया. कृपया बैठ जायें.

          श्री सुन्दरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, एफआरबीएम एक्ट में आपने जो 3.5 का संशोधन किया है. हमारे मुख्यमंत्रीजी हम सबके नेता सदन में है. बजट के जो फर्जी आंकड़े प्रदेश में दिये जा रहे हैं. यह बजट गलत बनाया गया. इस संबंध में वित्त मंत्रीजी ने कुछ नहीं बोला. मेरा निवेदन है कि सदन में हम लोगों को भी संतुष्ट कर दें और प्रदेश की जनता को संतुष्ट कर दें कि ये फर्जी आंकड़ों से जनता का पेट नहीं भरने वाला.

 

         

 

 

 

 

 

 

 

 

 

समय 5.13 बजे                              अशासकीय संकल्प

        प्रदेश की सड़कों के रखरखाव व मरम्मत आदि कार्य के लिए एक कैलेंडर बनाये जाने.

 

 

         

          श्री विश्वास सारंग(नरेला)-- अध्यक्ष महोदय, मैं सर्वप्रथम आपको बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहता हूं कि आपने मेरे इस अशासकीय संकल्प को कार्यसूची में शामिल किया.

          अध्यक्ष महोदय, यह बहुत महत्वपूर्ण विषय है. कहा जाता है कि किसी भी राज्य की, किसी भी क्षेत्र के विकास की इबारत सड़क से ही लिखी जाती है. यह अलग बात है कि इस देश में आजादी के बाद के 50 वर्षों तक इस पर बहुत ध्यान नहीं दिया गया. मैं इस सदन में इस देश के पूर्व प्रधानमंत्री पं. अटलबिहारी वाजपेयी जी को धन्यवाद देना चाहता हूं. उनको बधाई देना चाहता हूं कि इस देश में सबसे पहले रोड़ की कनेक्टिविटी पर यदि सबसे बड़ा काम किसी सरकार ने किया तो वह भारतीय जनता पार्टी के पं.अटलबिहारी वाजपेयी जी की सरकार ने किया.(मेजों की थपथपाहट) उसी के माध्यम से इस देश में गांव-गांव में सड़कें बिछाने का काम हुआ. मैंने पहले भी इस सदन में कहा है कि अमेरिका के राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने एक बार वहां सदन में कहा था कि अमेरिका की सड़कें इसलिए अच्छी नहीं है कि अमेरिका विकसित राज्य है,बल्कि अमेरिका की सड़कें अच्छी होने के कारण, अमेरिका विकसित हुआ है....

 

समय 5.15 बजे          {उपाध्यक्ष महोदय (डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए. }

 

....उपाध्यक्ष महोदय, कहने का तात्पर्य है कि किसी भी क्षेत्र की सड़क वहां के आवागमन को ही प्रभावित नहीं करती, बल्कि वहां की आर्थिक स्थिति, वहां का सामाजिक परिदृश्य और वहां के पूरे के पूरे लोगों को दूसरे क्षेत्र से जोड़ने का काम करती है. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी और लोक निर्माण मंत्री जी को बहुत-बहुत बधाई देना चाहता हूं. निश्चित रूप से मध्यप्रदेश में सड़कों के मामले में अद्वितीय कार्य हुआ है. वह प्रदेश जहां पहले सड़कों की चर्चा नहीं होती थी, बल्कि सड़कों के गड्ढों की चर्चा होती थी. आज गांव-गांव में सड़क बन गई है. परन्तु हम यह भी देखते हैं कि सरकार की मंशा तो है, सरकार सड़कें बनाती भी है. सरकार सड़कों के लिए अलग से बजट भी देती है. परन्तु सड़कों के बनने के बाद जो उनका रख-रखाव होता है. उसकी एक समुचित व्यवस्था शायद प्रदेश में स्थापित नहीं है. मेरा ऐसा मानना है कि इसको लेकर विभाग में एक कलेण्डर बनाया जाय और बरसात के पहले जैसा मैंने कहा कि जुलाई अगस्त में इस बात का पूरा निरीक्षण किया जाय कि कौन-सी सड़क है, किस पर पानी भरता है, कौन-सी सड़क बारिश के कारण गड्ढों में परिवर्तित हो जाती है, उसका पूरा निरीक्षण हो. उसके बाद उसके टेण्डर की प्रक्रिया हो और जब बरसात निकल जाय, उसके बाद उसको बनाने की प्रक्रिया की जाय.

          उपाध्यक्ष महोदय, मुझे ऐसा लगता है कि यदि इस तरह की व्यवस्था प्रदेश में बनेगी तो निश्चित रूप से प्रदेश की जो बदहाल सड़कें हैं जो बारिश के कारण बदहाल हो जाती हैं उनको साल भर समुचित रूप से रखने में हमें कहीं न कहीं सफलता मिलेगी. मैं माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि जब सड़क बनती है तो सड़क बनने के बाद उसमें परफार्मेंस गारंटी का जो क्लॉज़ सरकार के द्वारा लगाया गया है, उसकी मंशा बहुत अच्छी है. हमें देखने को मिलता है कि उस क्लॉज़ का नीचे बहुत ज्यादा क्रियान्वयन नहीं हो पाता है. नयी सड़क बनती है. जहां मेरी जानकारी है कि तीन साल तक परफार्मेंस गारंटी रहती है, उस सड़क का रख-रखाव करने की जिम्मेदारी तीन साल तक उस ठेकेदार की रहती है और यदि पेंच वर्क होता है तो 5 महीने का वह कार्यकाल होता है. उपाध्यक्ष महोदय, देखने में आता है कि कहीं न कहीं ठेकेदार इसमें अपनी उतनी जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं करते और तीन साल में जो परफार्मेंस गारंटी के तहत सड़क को ठीक रखना चाहिए. वह शायद नहीं हो पाता है. मेरा माननीय मंत्री जी से यह निवेदन है कि जैसा प्रधानमंत्री सड़क योजना में एक व्यवस्था है कि हर रोड पर एक बोर्ड लगता है, उस बोर्ड में उस सड़क की लम्बाई उस सड़क को किस ठेकेदार ने बनाया है, उसका नम्बर, इंजीनियर का नम्बर और उसके साथ मैं यह निवेदन करना चाहता हूं, यह सुझाव देना चाहता हूं कि उस बोर्ड में यह भी इंगित हो कि यदि परफार्मेंस गारंटी के तहत वह रोड कवरेज में है तो कितने दिन वह परफार्मेंस गारंटी रहेगी. कितने साल तक उस ठेकेदार की जिम्मेदारी है कि वह उस रोड का रख-रखाव कर सके. यदि ऐसा पूरा इंगित होगा, ठेकेदार का नाम होगा, ठेकेदार का नम्बर होगा, अधिकारी का नाम और नम्बर होगा तो आज के इस युग में जब जनता, नागरिक बहुत सजग हैं तो निश्चित रूप से इस बात को समुचित फोरम तक पहुंचा पाएंगे और उसका रख-रखाव रखने में सरकार को फायदा मिलेगा.

उपाध्यक्ष महोदय, मैं इस संकल्प के माध्यम से मैं माननीय मंत्री जी से यह निवेदन करना चाहता हूं, वैसे तो आपकी व्यवस्था होगी. निश्चित रूप से आपने एक इंटरनल कुछ न कुछ व्यवस्था बनाई होगी. परन्तु मुझे ऐसा लगता है कि वह व्यवस्था को हम अमली-जामा पहनाएंगे. यदि हम उसको नियम-कायदे के दायरे में लेकर आएंगे तो उसका क्रियान्वयन ठीक ढंग से हो पाएगा. इसलिए मेरा ऐसा निवेदन है कि हर रोड का आडिट आप करवाते हैं, परन्तु हर रोड के आडिट की नीचे तक व्यवस्था हो सके, उसकी भी व्यवस्था सदन के माध्यम से करने का हमें  विश्वास दिलाएं. उपाध्यक्ष महोदय, मेरा ऐसा निवेदन है कि इस सदन में यह जो मैं संकल्प लेकर आया हूं, उसको विभाग माने और एक कलेण्डर बने, जिसके माध्यम से साल भर हर सड़क का रख-रखाव रखने की, उसकी मरम्मत करने की, कितने दिन में वह सड़क का पेंच वर्क होगा, कितने दिन में सड़क का वापस रिनुअल होगा, उसकी पूरी व्यवस्था की जाय. मैं यही निवेदन सरकार से करना चाहता हूं. उपाध्यक्ष महोदय, बहुत-बहुत धन्यवाद.                                                                           

          डॉ गोविन्द सिंह ( लहार ) --माननीय उपाध्यक्ष महोदय माननीय श्री विश्वास सारंग जी ने जो संकल्प रखा है उसका हम समर्थन करते हैं. हालांकि एक बात जरूर है कि आपने कहा कि मैं धन्यवाद देता हूं, तारीफें भी की है. जब सब कुछ अच्छा था तो आप संकल्प क्यों लाये हैं. तारीफ भी कर रहे हैं फिर आप इसे लाये ही क्यों हैं समय का भी सदुपयोग हो जाता.

          श्री विश्वास सारंग --संकल्प लाने का मतलब यह नहीं है कि हम कोई बुराई निकाल रहे हैं. इसको अगर अमलीजामा पहनाया गया, इसको पूरा डिजाइन कर दिया गया तो व्यवस्था और अच्छी हो जायेगी.

          डॉ गोविन्द सिंह -- दूसरा यह है कि गांव में कहावत है कि गुड़ खायें और गुल गुलों से परहेज, तो वह किस्सा है सारंग जी का अरे सच्चाई तो यह है कि सड़कें तो बनते ही उखड़ रही हैं. ग्यारण्टी पीरियेड को तो कोई देखने ही नहीं जाता है, क्योंकि नीचे से ऊपर तक इस विभाग में कमीशन युग चल रहा है. यह हम नहीं कहते हैं कि अभी यह चालू हुआ है यह तो वर्षों से  चल रहा है कोई भी नहीं रोक पाया है. बाबू जबर सिंह जी थे हमें अच्छे से ध्यान है. मैं पढ़ाई समाप्त करके आया था उस समय का हमने एक ब्यान पढ़ा था वहआज भी अच्छे से याद है वे लोक निर्माण मंत्री थे.

          श्री शंकरलाल तिवारी -- मैं यह कहना चाहता हूं कि उ स समय हम लोग इमरजेंसी से छूट कर आये थे शायद आप भी छूट कर आये थे और जबर सिंह जैसा ईमानदार मंत्री लोक निर्माण विभाग में मैं सोचता हूं कि आप उनके घर गांव के हैं, बहुत ही ईमानदार, और कर्मठ व्यक्ति थे उन पर दया बनाइयेगा.

          डॉ गोविन्द सिंह -- मैं दया नहीं उनकी ही बात कर रहा हूं, आप मुझे समझ नहीं पाये. मैं भी उनका प्रशंसक हूं. वास्तव में जैसा तिवारी जी ने कहा है उससे कहीं ज्यादा वे ईमानदार , बात के धनी और अपने सिद्धांतों के लिए अपना पूरा जीवन बलिदान किया है. लोक निर्माण विभाग के मंत्री रहते हुए उन्होंने एक ब्यान दिया था कि या तो मैं यहां पर रहूंगा या भ्रष्टाचार रहेगा, कमिशन खोरी नहीं होने दुंगा, पूरा लगातार उनका ब्यान चलता रहा . एक बार वे हमारे लहार में दौरा करने के लिए आये, उस दौरे के समय मैंने उनसे सवाल किया कि आपको दो वर्ष हो गये हैं बाबू जी आपने कहा था कि या तो मैं रहूंगा या भ्रष्टाचार रहेगा, दोनों में से एक ही रहेगा. मैंने उनसे कहा कि आपके विभाग में जो कमीशन चलता है वह बंद हो गया है तो बाबू जबर सिंह जी ने कहा वह उनके शब्द अभी तक याद हैं कि बेटा मैं हो गया हूं 65 वर्ष का बूढ़ा और भ्रष्टाचार है 15 - 30 साल का जवान है, जवान से बूढ़ा हार गया है. इसलिए मैं हार मान गया हूं यह उनके शब्द थे. वास्तव में आरोप प्रत्यारोप लगाने की आदत बड़ गई है लोगों को सच बात भी नहीं कहना चाहते हैं. 10 वर्ष के बाद में जब एक बार हम मुरैना में थे सोचा कि बाबू जी से भेंट कर आयें. जब मैं उनके घर पहुंचा तो शाम के 5 बजे थे, भैंस के आगे खुद झाडू लगा रहे थे और उन्होंने कहा कि चाय पीकर जाओ उनका हमने सोफा देखा तो उस पर दरी पड़ी थी वह भी फट गई थी, घर में किसी प्रकार का कोई दिखावा नहीं एक साधारण किसान जैसे रहते थे, उनके बच्चे जो हैं आज भी अच्छी हालत में नहीं है, बड़ी मुश्किल से रोजी रोटी खेती से चला रहे हैं, परेशान भी हैं. इसलिए मंत्री जी मैं कहना चाह रहा हूं कि सारंग जी कह रहे हैं कि पट्टिका लगाएं. आपके ब्यान समाचार पत्र में पढ़े , आपने निर्णय लिया होगा कि वर्षा ऋतु के बाद में भारी पैमाने पर गड्डे भरे जायेंगे, और सड़कों के सुधार के लिए सरकार पूरी तरह से कटिबद्ध है और गड्डे भरने का मरम्मत करने का अभियान बरसात से लगातार तीन माह अक्टूबर से दिसम्बर तक चलाया जायेगा, लेकिन उपाध्यक्ष महोदय मैं कहना चाहता हूं कि वास्तव में आपके निर्णय धरातल पर नहीं पहुंचते हैं . आप अच्‍छे आदमी हो, निर्णय लेते हो, आपकी साख पर, आपकी ईमानदारी पर कोई प्रश्‍न-चिह्न नहीं लगता लेकिन कर्मठता पर जरूर लग रहा है. हमने आपको व्‍यक्‍तिगत पत्र लिखे कि मैंने समाचार-पत्र में यह पढ़ा है उसके अनुरूप आप सुधार करवाइये. मेरे क्षेत्र में जैतप्रासवार सड़क है, मिहोनी माता का प्रसिद्ध मंदिर है जहां पूरे उत्‍तर प्रदेश और राजस्‍थान के तमाम लोग दर्शन करने आते हैं. यह बीहड़ में है, जंगल में है, पौनी नदी के किनारे है, वहां पर जो सड़क बनी थी बनते ही उखड़ गई. कई प्रश्‍न लगाए, जो विभाग से जवाब आता है आप उस पर मुहर लगा देते हो, मंत्री जी से हमारा अनुरोध है कि जब कोई प्रश्‍न लगता है, कहीं न कहीं कोई कमी जरूर होती है तभी प्रश्‍न लगता है, आपसे हमारी प्रार्थना है कि अगर इस प्रकार से विधान सभा के माध्‍यम से शिकायतें आती हैं तो कम से कम उनका तो एकाध बार निरीक्षण करा लिया करें. अगर निरीक्षण कराएंगे तो वास्‍तविकता सामने आएगी और जो अधिकारी-कर्मचारी मनमानी करके प्रदेश की जनता की गाढ़ी कमाई टैक्‍स की लूट रहे हैं उन पर भी अंकुश लगेगा.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, कैलेंडर बनाना चाहिए और हमारा तो बिल्‍कुल अनुरोध है कि वर्षा ऋतु में सड़कों का निरीक्षण हो, वैसे तो आजकल वर्षा, गर्मी बराबर हो रही है. गर्मी में ही सड़कें उखड़ रही हैं तो वर्षा ऋतु से मतलब ही क्‍या है, वर्षा हो ही कहां रही है. इसलिए जुलाई, अगस्‍त के बाद जब सितंबर में वर्षा पूरी तरह से बंद हो जाए तो सितबंर के बाद कम से कम दो महीने आप पूरे प्रदेश की सड़कों की मरम्‍मत करवाकर गड्ढे भरवा दें, पेंच रिपेयरिंग करवा दें तो फिर उस सड़क की लाइफ एक-दो वर्ष आसानी से और बढ़ जाएगी. यह काम होता नहीं है इसलिए गड्ढे दिनोंदिन बड़े होते जाते हैं और परेशानी बढ़ती चली जाती है. हमारा आपसे अनुरोध है कि जैसा सारंग जी ने कहा है उस पर आप अमल करें, और आप जब अपना वक्‍तव्‍य दें तो उसमें घोषणा भी करें. यह अच्‍छा काम है, आपके हित में भी है. जैसे प्रधानमंत्री सड़क योजनाओं में सड़कों के लागत मूल्‍य लिखे जाते हैं, कई जगह मैंने देखा है कि विधायक निधि से भी कार्य कराने पर उनकी पट्टिकाएं लगाई जा रही हैं, यह हर स्‍थान पर तो नहीं है लेकिन कई जगह मैंने देखे हैं, तो अगर आप आएंगे तो आपको पता चल जाएगा कि कितनी लागत आई और किस ठेकेदार ने बनाया है और कितना इसमें गारंटी पीरियड है. हमारे यहां एक एमपीआरडीसी की सड़क बन रही है तो वह उखड़ रही है. हमने पूछा तो उन्‍होंने कहा कि हमारी तो गारंटी खत्‍म, गारंटी एक साल की थी तो हमने कहा कि इधर तो बन रही है उन्‍होंने कहा कि उधर हमने पहले ही बना दी थी एक साल हो गया, अब उखड़े, हमारी कोई जवाबदारी नहीं है. अभी गारंटी पीरियड हुआ भी नहीं है लेकिन वह कहता है कि मैं तो बना चुका था अब उखड़ गई लेकिन हमारी गारंटी पूरी हो गई है. इस प्रकार गारंटी का कोई मतलब नहीं है, सड़कों की गारंटी कम से कम तीन वर्ष होनी चाहिए. वैसे तो 5 वर्ष हो तो ज्‍यादा अच्‍छा है क्‍योंकि प्रधानमंत्री सड़क योजनाओं में गारंटी 5 वर्ष ही है और अगर वे मरम्‍मत आदि नहीं करते हैं तो ठेकेदार की राशि उसके बिल में से विभाग द्वारा काटी भी जाती है. अत: हमारा अनुरोध है कि आप भी इस प्रकार की प्रक्रिया लागू करें, विश्‍वास सारंग जी ने जो अशासकीय संकल्‍प लाया है मैं उसका पुरजोर समर्थन करता हूँ और आपसे अनुरोध करता हूँ कि आप इस पर अमल करके कोई निर्णय लें.

 

05.29 बजे                              अध्‍यक्षीय घोषणा    

                                सदन के समय में वृद्धि विषयक

        उपाध्‍यक्ष महोदय -- आज की कार्य सूची के पद क्रमांक - 8 के उप पद (4) का कार्य पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाए, मैं समझता हूँ कि सदन इससे सहमत है.

                                                                       (सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई)

अशासकीय संकल्‍प (क्रमश:)

 

          श्री यशपाल सिंह सिसोदिया -- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं भाई विश्‍वास सारंग जी को धन्‍यवाद देना चाहता हूँ और बधाई देना चाहता हूँ इस बात को लेकर कि एक महत्‍वपूर्ण अशासकीय संकल्‍प यहां सदन में चर्चा के लिए लाया गया है. विभाग तो अपना काम कर रहा होगा, विभाग ने अपने नियम, प्रक्रिया भी बनाए होंगे, विभाग ने निश्‍चित रूप से अपना वार्षिक कैलेंडर भी बनाया होगा. यह गंभीर विषय है. पहले भी विश्‍वास सारंग जी,  आप शिक्षा के क्षेत्र में, स्‍वास्‍थ्‍य के क्षेत्र में अनेक बार अशासकीय संकल्‍प लाए हैं.        

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, सिर्फ लोक निर्माण विभाग का सवाल नहीं है. सवाल इस बात का भी है कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाय), मुख्‍यमंत्री ग्राम सड़क योजना (सीएमजीएसवाय), नगरपालिका, नगरनिगम एक बड़ा विभाग सड़कों का निर्माण करता है और जब वह मुख्‍यमंत्री ग्राम सड़क योजना जो ग्रेवल रोड बन गई है, अब तो सरकार आगे चलकर उसके ऊपर डामरीकरण करने की प्रक्रिया को भी सुनिश्‍चित करने जा रही है.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, कभी-कभी देखने में आता है कि वर्षा दस्‍तक दे देती है और वर्षाकाल में भी जब पेवर और रोलर चलना प्रारंभ हो जाते हैं, डामर बिछना शुरू हो जाता है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, उस नमी के कारण से उस वर्षा ऋतु के समय में ऐन वक्त पर  जून और जुलाई के माह मे जो सड़कों का  डामरीकरण किया जाता है, मैं समझता हूँ कि वर्षाकालीन सत्र के  जोरदार आगाज के समय वह जो बनी बनायी सड़क है, वह तत्काल प्रभाव से उखड़ना प्रारम्भ हो जाती है और अक्टूबर-नवम्बर के समय में वह पेंच वर्क की स्थिति में आ जाती है तो भाई विश्वास सारंग जी जो अशासकीय संकल्प लाये हैं यह इसी दिशा की ओर इंगित करता है कि हम कौन सा काम किस समय पर व्यावहारिकता के आधार पर, गुणदोष के आधार पर उसको करना सुनिश्चित करें. सड़कों की चिन्ता इसलिए अब होने लगी हैं कि सड़कें बहुत बन गयी हैं. हम भी नहीं चाहते हैं कि कांग्रेस के जमाने की जो दुर्दर्शा थी, सड़क में गड्डा था कि गड्डे में सड़क थी, पता नहीं पड़ता था तो आज यदि विश्वास सारंग जी इस प्रस्ताव को लाये हैं तो इस बात की चिन्ता है कि एक गड्डा भी हो तो क्यों हो और हो तो उसका किस समय पर रख-रखाव हो जाए, किस  समय उसका मेन्टेनेंस हो जाए. मरम्मत का काम भी बहुत जरुरी है और अगर हम समय रहते हुए सड़कों की मरम्मत नहीं करेंगे तो निश्चित रुप से वह बनी बनायी सड़क, जनहित की सड़क, गाढ़ी कमाई की सड़क के परखच्चे उड़ जाएंगे. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, विषय बहुत गंभीर है इसलिए  मैं यहां भी कहना चाहूंगा कि आपकी जो सड़कें बन रही हैं फिर चाहे पीएजीएसवाय की बनें, सीएमजीएसवाय की बनें, लोक निर्माण विभाग की बनें, इसके ऊपर जो ऊर्जा कम्पनियों के जो  ट्राले बड़े बड़े जा रहे हैं, जो आपकी सड़क की क्षमता को झेल नहीं पा रहे हैं, उसके बारे में हमने कभी चिन्ता नहीं की. जो बनी बनायी सड़क है, फिर ठेकेदार इस बात को कहता है जिस बात को यहां कहा गया कि ठेकेदार की गारंटी है. ठेकेदार विभाग के अधिकारियों को जवाब देता है कि इसमें मेरी कोई गलती नहीं है. वह पवन ऊर्जा के जो बड़े बड़े डम्पर आये हैं, बड़ी बड़ी जो मशीनरी आयी हैं उसके कारण से सड़क उखड़ गयी है तो जो चिन्ता का विषय आया है, सदन में चर्चा को लेकर के, मैं समझता हूँ कि यह स्वागत योग्य है और मैं भी इसका समर्थन करता हूँ. आपने बोलने का अवसर दिया, बहुत बहुत धन्यवाद.

          लोक निर्माण मंत्री(श्री सरताजसिंह)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सबसे पहले तो माननीय विधायकों ने इस बात की अपेक्षा की है कि कोई केलेण्डर बनाया जाए और जिसके अनुसार सड़कों का रख-रखाव हो और मरम्मत का कार्य हो. इस बारे में बताना चाहता हूँ कि केलेण्डर बना हुआ है और उसी के हिसाब से काम होता है. वर्तमान में सड़कों के रख-रखाव और मरम्मत का कार्य एक निर्धारित प्रक्रिया के अनुरुप  होता है. इसके तहत् वर्षा ऋतु में सड़कों को होने वाली क्षति का आंकलन माह सितम्बर में पूर्ण कर लिया जाता है तथा आंकलन के अनुसार समस्त सड़कों पर पेच रिपेयर द्वारा मरम्मत का कार्य माह अक्टूबर-नवम्बर में किया जाता है. इस हेतु आवश्यक सामग्री और डामर इत्यादि की व्यवस्था हेतु आवश्यक एजेन्सी निर्धारण का कार्य वर्षा ऋतु के पूर्व ही कर लिया जाता है. जहां तक मार्गों के नवीनीकरण का प्रश्न है, यह प्रक्रिया माह अक्टूबर‑नवंबर से प्रारम्भ की जाती है. आगामी वर्षा ऋतु के पूर्व तक उपलब्ध आवंटन के आधार पर की जाती है . यह भी उल्लेखनीय है कि वर्षा ऋतु  के पूर्व एवं वर्षा ऋतु के दौरान भी मरम्मत का कार्य आवश्यकता अनुसार सम्पन्न किया जाता है जिससे वर्षा ऋतु में होने वाली क्षति को न्यूनतम रखा जा सके.अत: माननीय विधायक द्वारा दिये गये सुझाव के अनुसार ही विभाग में पूर्व में ही सड़कों की मरम्मत का कार्य सुनियोजित तरीके से ही किया जा रहा है.

          माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एक और सुझाव माननीय विधायक जी द्वारा दिया गया है, बहुत अच्छा है, वैसे पहले  से भी अमल होना चाहिए लेकिन उसको और अधिक ध्यान दिया जाएगा. ठेकेदार को इस बात के लिए निर्देशित किया जाएगा कि सड़क की स्वीकृति कब हुई, इसके बनने की तिथि कौन कौन सी है, इसकी परफार्मेंस गारंटी कितने समय की है, ठेकेदार का नाम और उस क्षेत्र का जो ई.ई. है उसका नाम और टेलीफोन नम्बर, यह उस बोर्ड पर लिखा जाए, इस बात की व्यवस्था की जाएगी ( मेजों की थपथपाहट )

          माननीय उपाध्यक्ष महोदय, परफार्मेंस गारंटी के बारे में बताना चाहता हूँ कि पहले यह बात सही है कि एक साल की परफार्मेंस गारंटी भी होती थी, जो बड़ी सड़कें हैं उनकी भी एक-एक साल की परफार्मेंस गारंटी रही है लेकिन साधारण सड़कों की परफार्मेंस गारंटी तीन साल कर दी गयी है और जो बड़ी और अच्छी सड़कें हैं उनकी परफार्मेंस गारंटी 5 साल कर दी गयी है. उनकी 5 परसेंट राशि परफार्मेंस गारंटी के रुप में उनके बिलों में से कटौती होकर के जमा रहती है और परफार्मेंस गारंटी का पीरियड खत्म  होने के बाद अगर सड़क संतोषजनक स्थिति में है तभी वह राशि वापस की जाती है. अगर उसमें बीच में कभी मरम्मत करने की आवश्यकता पड़ती है और ठेकेदार मरम्मत करने से आनाकानी करता है तो उस परफार्मेंस गारंटी की राशि में से वह कार्य कराया जाता है इसलिए वह व्यवस्था भी पूरी है. उपाध्यक्ष महोदय, इस बात का पूरा प्रयास है कि मध्यप्रदेश की सड़कें अच्छी बनें इसलिए गुणवत्ता पर बहुत ध्यान दिया गया है. आवश्यक कार्यवाहियाँ भी की गई हैं. माननीय गोविन्द सिंह जी ने जो शिकायत की थी एक सड़क के बारे में तो जैसा वे चाहते थे तो 6 अप्रैल हमने तारीख निर्धारित की है. हमारे पी एस जाएँगे, माननीय विधायकों को सूचित किया गया है, वह भी साथ रहेंगे और सड़क का निरीक्षण करेंगे. अगर कमियाँ पाई गईं तो निश्चित रूप से कार्यवाही भी की जाएगी. लेकिन सड़क हर हालत में अच्छी बनें. दूसरा, सिसोदिया जी ने जिस बात की तरफ संकेत किया कि सड़क साधारण बनी है लेकिन आजकल बहुत हैवी ट्राले वगैरह निकलते हैं. एक परिवहन की स्थिति में अंतर आ गया है. किसी जमाने में 9-10 टन की गाड़ियाँ चलती थीं, अब 50 टन लोड लेकर भी गाड़ियाँ चलती हैं और जो साधारण सड़क हमने बनाई है 10 टन लोड के लिए वह उसका भार वहन नहीं कर सकती. अब हम इस बात का ध्यान हमेशा रखते हैं कि किस प्रकार का ट्रैफिक है और उस सड़क का डिजाइन भी उसी ढंग से करते हैं. उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपको विश्वास दिलाना चाहता हूँ कि अब यह स्थिति नहीं बनेगी क्योंकि हम भी जानते हैं कि हम ट्रकों का भार तो कम नहीं कर सकते. लेकिन सड़क की गुणवत्ता को बढ़ा सकते हैं तो हम सड़क की गुणवत्ता को, जितनी भी अब सड़कें हम बना रहे हैं, ले रहे हैं, उसमें इस बात का ध्यान रखा जाता है कि इस पर से किस तरह का ट्रैफिक चलता है. उसी हिसाब से उन सड़कों को डिजाइन किया जाता है तो परफार्मेंस गारंटी भी बढ़ा दी गई है, 5 साल कर दी गई है और हमारा प्रयास है कि जो हमारी अच्छी सड़कें हैं उनके दो रिन्युअल के साथ उनकी जो समय सीमा है. मैं दो साल की बात नहीं करता, तीन साल की बात नहीं करता, पन्द्रह साल होना चाहिए, बगैर उसके काम नहीं चलेगा. जो अभी हमने कांक्रिट सड़कें बनाना शुरू की हैं. लगभग 60 सड़कें, हमने इन पर काम भी शुरू किया है और इनकी आयु सीमा 30 साल से अधिक होगी तो एक नया परिवर्तन मध्यप्रदेश में निश्चित रूप से दिखाई देगा. थोड़ा समय जरूर लगेगा. लेकिन 2 साल के बाद आपको बहुत बड़ा अंतर दिखाई देगा और मैं समझता हूँ कि माननीय विधायक गण संतुष्ट होंगे और मैं उनसे आग्रह करूँगा कि वह अपना प्रस्ताव वापस ले लें. धन्यवाद.

          श्री बाला बच्चन--  अब विश्वास भाई के विश्वास की घड़ी है.

          उपाध्यक्ष महोदय--  क्या माननीय सदस्य संकल्प वापस लेने के पक्ष में है.

          संसदीय कार्य मंत्री(डॉ नरोत्तम मिश्र)--  मेरा निवेदन है वापस ले लें. माननीय मंत्री जी ने सारे विषयों पर प्रकाश डाल दिया है.

          श्री विश्वास सारंग--  माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मंत्री जी को धन्यवाद देता हूँ. मंत्री जी ने मेरी बात स्वीकार की है और मंत्री जी जो बोलेंगे मैं प्रस्ताव वापिस भी ले लूँगा. मंत्री जी ने अपने वक्तव्य में कहा है कि यह व्यवस्था पहले से चल रही है तो मेरा तो निवेदन है कि यदि प्रस्ताव स्वीकार कर लेंगे तो उस व्यवस्था को और सुदृढ़ कर देंगे. उसमें चूँकि चल ही रहा है तो इसमें कुछ नई बात तो नहीं होने नहीं वाली तो मेरा मंत्री जी से ऐसा निवेदन है और जो नई बातें आई हैं, जो सिसोदिया जी ने, गोविन्द सिंह जी ने और मेरे द्वारा भी जो सुझाव दिए हैं, उनको सम्मिलित करके यदि प्रस्ताव स्वीकार कर लेंगे तो ज्यादा ठीक है और यदि आप बोलेंगे कि मेरे को वापिस लेना है तो मैं वापिस भी ले लूँगा पर मेरा ऐसा मानना है कि जब व्यवस्था चल ही रही है, आप स्वीकार कर लेंगे तो वह व्यवस्था और सुदृढ़ हो जाएगी.

          श्री सरताज सिंह--  जो सुझाव दिए हैं उन पर विचार करके, उनको स्वीकार भी किया है, आपने बोर्ड लगाने की बात कही, मैंने उसको स्वीकार भी किया है और जो कैलेण्डर है वह चूँकि पहले से लागू था इसलिए मैंने उसका उल्लेख किया.

          श्री विश्वास सारंग--  माननीय उपाध्यक्ष महोदय, कैलेण्डर बना जरूर है पर माननीय मंत्री जी, उसका बहुत ज्यादा नीचे क्रियान्वयन नहीं होता. मैं अपना प्रस्ताव वापस लेता हूँ पर इस गुजारिश के साथ कि जो कैलेण्डर बना हुआ है उस कैलेण्डर को ठीक ढंग से उसको क्रियान्वित किया जाए और ताकत के साथ उसको क्रियान्वित किया जाए. माननीय मंत्री जी, मैं आप से एक और निवेदन करना चाहता हूँ कि यह जो कैलेण्डर बना है इसको सार्वजनिक कर दें तो लोगों को पता लग जाए. जनप्रतिनिधियों को भी पता लगे और जो आम जनता है उसको भी पता लगे कि किस समय पर कौनसी सड़क बननी है, किस समय पर उसका रखरखाव होना है. कौनसी परफार्मेंस गारंटी है, यह भी यदि सार्वजनिक होगा तो इसमें ज्यादा फायदा मिलेगा. बहुत बहुत धन्यवाद.

          उपाध्यक्ष महोदय--  आप संकल्प वापस लेते हैं?

          श्री विश्वास सारंग--  उपाध्यक्ष महोदय, मैं यह कहना चाहूँगा कि माननीय मंत्री जी ने, माननीय संसदीय मंत्री जी ने मुझसे कहा है मैं अपना संकल्प वापस लेता हूं.

          उपाध्यक्ष महोदय--  अनुमति प्रदान की गई. संकल्प वापस हुआ.

                                                                             (संकल्प वापस हुआ).

 

 

(2) खजुराहो हवाई अड्डे का नाम महाराजा छत्रसाल के नाम पर रखा जाना

          कुंवर विक्रम सिंह (राजनगर)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं यह संकल्प प्रस्तुत करता हूँ कि यह सदन केन्द्र शासन से अनुरोध करता है कि खजुराहो हवाई अड्डे का नाम महाराजा छत्रसाल के नाम पर रखा जाय.

          उपाध्यक्ष महोदय--संकल्प प्रस्तुत हुआ.

          कुंवर विक्रम सिंह--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, बुंदेलखण्ड केसरी महाराज छत्रसाल का जन्म ज्येष्ठ सुति 3 संवत् 1706 को हुआ था ऐसा बुंदेलखण्ड में प्रचलन है और किताबों में भी लिखा है. ककरकच्छ नर झांसी से लगभग 26 मील पूर्व इस ग्राम में जन्म का उल्लेख जनश्रुतियों पर ही आधारित है. महाराज छत्रसाल ने अस्त्र संचालन में बचपन में ही निपुणता प्राप्त कर ली थी. धनुष-बाण, तलवार और बंदूक तथा गुर्ज का प्रयोग वे भलीभांति कर लेते थे. मराठों के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान देने का किताबों में उनका बड़ा ही उल्लेख किया गया है. शिवाजी का उन्होंने सहयोग किया है. मल्लयुद्ध और घुड़सवारी का भी उन्हें प्रेम था. महाराज छत्रसाल ने बुंदेलखण्ड राज्य की स्थापना की थी और इत चंबल उत टोंस यह बड़ी अच्छी कहावत प्रचलन में है साथ ही साथ वे धर्म प्रेमी थे उन्होंने स्वामी प्राणनाथ जी को पन्ना लाकर उनका मठ तैयार करवाया जो प्राणनाथ जी का अकेला मंदिर है जो कि पन्ना में है. वे उनके धर्म गुरु थे जिन्होंने उन्हें वरदान दिया था कि छत्ता तोरे राज में धक-धक धरती होये और जहां-जहां घोड़ो पग धरे तां तां हीरा होय. जहां-जहां छत्रसाल महाराज की विरासत थी वहां-वहां उस एरिये में कोल बेल्ट पायी जाती है और उसी एरिये में हीरा उत्पन्न होता है, पन्ना का तो प्रत्यक्ष है. आज हीरापुर में निकल रहा है.

          डॉ. नरोत्तम मिश्र--उन्हीं में से एक आप हैं.

          कुंवर विक्रम सिंह--डायमण्ड तो चले गये हैं डायमण्ड मंत्री जी. वैसे आपका भी कोई जवाब नहीं है ऐश्वर्या राय से कम नहीं हैं. उपाध्यक्ष महोदय, इस विषय को हास-परिहास में न बदला जाये. मैं समझता हूँ सदन इस बात से सहमत होगा इस सदन में उपस्थित सदस्यों से मैं अनुरोध करता हूँ कि इसको सर्वसम्मति से पारित करके केन्द्र शासन को भेजा जाये. धन्यवाद.                                                            

          राज्‍य मंत्री,सामान्‍य प्रशासन (श्री लाल सिंह आर्य):- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय,

माननीय सदस्‍य ने खजुराहो हवाई अड्डे का नाम महाराजा छत्रसाल के नाम से रखने का जो अशासकीय संकल्‍प यहां पर प्रस्‍तुत किया है.

          उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से बताना चाहता हूं कि प्रदेश के जिला छतरपुर में स्थित खजुराहो विमान तल , यह भारत सरकार और भारतीय विमान पत्तन प्राधिकरण की सम्‍पत्ति है. इस पर आधिपत्‍य भारत सरकार का ही है. ऐसे में विमान तल का नामकरण भारत सरकार नागरिक विमानन मंत्रालय द्वारा ही किया जा सकता है. वैसे हवाई अड्डे के लिये भारत विमान पत्‍तन को 355.60 एकड़ की भूमि निशुल्‍क मध्‍यप्रदेश सरकार ने उपलब्‍ध करायी है. चूंकि वह केन्‍द्र सरकार के नागरिक विमानन विभाग से संबंधित है और उसी के आधिपत्‍य में यह हवाई अड्डा है. उनको यह निर्णय करना है इसलिये मैं सदस्‍य महोदय से आग्रह करूंगा कि आपकी भावनाएं ठीक हैं, आप यह संकल्‍प वापस ले लें.

          कुंवर विक्रम सिंह :- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, मैंने तो सदन से अनुशंसा मांगी थी, यदि अनुशंसा करके इसको केन्‍द्र सरकार को भेज दिया जाये तो ज्‍यादा अच्‍छा होगा. यह केन्‍द्र सरकार के मानने के ऊपर है. लेकिन यहां से अनुशंसा करके भेज दिया जाये तो अच्‍छा रहेगा.

          श्री लाल सिंह आर्य :- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, पिछली बार भी यह संकल्‍प आया था और माननीय सदस्‍य ने वापस लिया था. माननीय सदस्‍य की भावना से हम सहमत हैं लेकिन यह विमानन विभाग का विषय है. आपके क्षेत्र के बहुत सारे जनप्रतिनिधि केन्‍द्र में भी हैं, मुझे लगता है कि यदि वह केन्‍द्र में उनके माध्‍यम से यह प्रस्‍ताव पहुंच जायेगा तो हमें कोई आपत्ति नहीं है. लेकिन आप अपना संकल्‍प वापस ले लें, तो अच्‍छा रहेगा.

          कुंवर विक्रम सिंह :- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं मानता हूं कि भारतीय विमान पत्‍तन प्राधिकरण के पास में इसकी व्‍यवस्‍था रहती है. मगर भारतीय विमानपत्‍तन प्राधिकरण भी भारत सरकार का एक अंग है. मैं आपसे यह पूछना चाहता हूं कि मध्‍यप्रदेश सरकार को इस प्रस्‍ताव को केन्‍द्र सरकार तक भेजने में क्‍या हर्जा है. इस प्रस्‍ताव को सर्वसम्‍मति से केन्‍द्र सरकार को भेजा जाये. यह मेरा निवेदन है.

          डॉ गोविन्‍द सिंह  :- उपाध्‍यक्ष महोदय, अभी तक यह परम्‍परा रही है और राज्‍य सरकार का इसमें कोई लगना नहीं है. आपको केन्‍द्र सरकार से अनुशंसा करना है. केन्‍द्र सरकार माने या न माने यह केन्‍द्र सरकार का काम है. अभी इस संकल्‍प के आगे 1, 2 , 3 संकल्‍प हैं, वह रेल गाड़ी से संबंधित है तो वह भी मध्‍यप्रदेश सरकार को अनुशंसा करके नहीं भेजा जाना चाहिये. मैं अपना खुद का एक उदाहरण देना चाहता हूं कि हमने यहां से भिण्‍ड- लहार पहुंच मार्ग के संकल्‍प भिजवाया था. यह राज्‍य सरकार की अनुशंसा के बाद सर्वसम्‍मति से केन्‍द्र सरकार के पास गया था. उस समय पटवा जी मुख्‍यमंत्री थे, यह संकल्‍प उस समय का था. इसके बाद एक बार फिर दोबारा यह संकल्‍प आया तो ममता बैनर्जी जी ने उसको स्‍वीकार कर लिया था. उसका सर्वे भी कराया था और सर्वे के लिये 10 करोड़ रूपये दिये थे, आज वही संकल्‍प आज नरेन्‍द्र सिंह जी तोमर जो केन्‍द्रीय मंत्री हैं और सांसद भागीरथ प्रसाद जी से हमने उनसे अनुरोध किया तो 1600 करोड़ रूपये इसी वर्ष हमारी उस लाईन के लिये स्‍वीकृत हो गये हैं. मेरा आपसे यह आग्रह है कि इस प्रस्‍ताव को भेजने में आपको क्‍या आपत्ति है. यह हमारी समझ में नहीं आ रहा है. इसमें आपको कुछ करना ही नहीं है. आपको तो केवल अनुशंसा करके केन्‍द्र सरकार को भेजना है. केन्‍द्र सरकार माने या न माने यह उनका विषय है.

          उपाध्यक्ष महोदय - संकल्प प्रस्तुत हुआ कि -

           प्रश्न यह है कि " यह सदन केन्द्र शासन से अनुरोध करता है कि खजुराहो हवाई अड्डे का नाम महाराजा छत्रसाल के नाम पर रखा जाए "

          डॉ.गोविन्द सिंह - डिवीजन मांग रहे हैं. इनको पता तो चले बुन्देलखण्ड में ये छत्रसाल के विरोधी हैं.

          श्री बाला बच्चन - हम आपके साथ हैं.

          उपाध्यक्ष महोदय - जो माननीय सदस्य इस प्रस्ताव के पक्ष में हों वे कृपया हां कहें.

          श्री लालसिंह आर्य - आपकी सरकार तो तैंतीलीस साल रही है जब क्यों नहीं करवाया.

          कुंवर विक्रम सिंह -  मैं पहली बार इस संकल्प को लेकर आया हूं. माननीय मंत्री जी कह रहे थे कि दो बार माननीय सदस्य इसको लगा चुके हैं.

          उपाध्यक्ष महोदय -  हां की जीत हुई

          डॉ.गोविन्द सिंह - डिवीजन.

          उपाध्यक्ष महोदय - हां की जीत हुई. संकल्प अस्वीकृत हुआ.

          डॉ.गोविन्द सिंह - ऐसे कैसे अस्वीकृत हो गया. डिक्टेटरशिप है क्या. हम डिवीजन मांग रहे हैं डिवीजन कराईये आप.

          उपाध्यक्ष महोदय - अस्वीकृत हो गया.

          डॉ.गोविन्द सिंह -  ये कोई तरीका है.फिर काहे के लिये प्रजातंत्र है डेमोक्रेसी की हत्या कर दो.हम डिवीजन मांग रहे हैं तो फिर अस्वीकृत कैसे हो गया. उपाध्यक्ष जी, आप सरकार के दबाव में काम कर रहे हैं. यह कोई तरीका नहीं है.

          श्री लालसिंह आर्य - उपाध्यक्ष महोदय, यह कोई तरीका नहीं है. यह गलत बात है. आसंदी को चैलेंज किया जा रहा है.

          (..व्यवधान..)

          डॉ.नरोत्तम मिश्र - उपाध्यक्ष महोदय,डिवीजन करा दें.

          उपाध्यक्ष महोदय - फिर से एक बार मत लेंगे

          कुंवर विक्रम सिंह - यहां से सरकार को संकल्प को पारित करके भेजने में क्या दिक्कत है.

          डॉ.गोविन्द सिंह -  फिर आपके रेल वालों का क्या होगा ये क्यों रख रहे हो आप सूची में.

          उपाध्यक्ष महोदय - एक बार फिर हम मत लेंगे. जो माननीय सदस्य इस प्रस्ताव के पक्ष में हों  हां कहें जो माननीय सदस्य इस प्रस्ताव के  विपक्ष में हों वे कृपया ना कहें.

          डॉ.गोविन्द सिंह - हम तो डिवीजन मांग रहे हैं या तो पारित करें.

          डॉ.नरोत्तम मिश्र -  उपाध्यक्ष जी, डिवीजन करा लें.

                             (..डिवीजन के लिये घंटी बजाई गई..)

 

 

            उपाध्यक्ष महोदय--मैं एक बार और मत के लिये संकल्प रखूंगा. जो माननीय सदस्य इस प्रस्ताव के पक्ष में हों वे कृपया हां कहें जो माननीय सदस्य इस प्रस्ताव के विपक्ष में हों वह कृपया ना कहें.

          डॉ.गोविन्द सिंह--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आप अपने विभाग के तरफ माननीय विमानन मंत्री जी को संकल्प के बारे पत्र लिख देंगे.

          डॉ.नरोत्तम मिश्र--पत्र भेज देंगे. विमानन मंत्री जी को इस बारे में तत्काल निवेदन भी करेंगे.

          उपाध्यक्ष महोदय--सदन यह संकल्प वापस लेने की अनुमति प्रदान करता है.

          कुंवर विक्रम सिंह--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी ने जैसा आश्वासन दिया है मैं इनके आश्वासन पर संकल्प को वापस लेता हूं.

          डॉं. गोविन्‍द सिंह-  उपाध्‍यक्ष महोदय, अभी मैंने जो कहा है, गुस्‍सा में कह दिया, उसके लिए क्षमा चाहता हूं और खेद व्‍यक्‍त करता हूं । आपके लिए नहीं,  उपाध्‍यक्ष जी के लिए ।

          उपाध्‍यक्ष महोदय-  उन्‍होंने मेरे लिए कहा था,  दबाव में काम करने के लिए उन्‍होंने कहा था,  वह वापस ले रहे हैं ।

          डॉं. गोविन्‍द सिंह-  माफी भी मांग ली, क्षमा याचना ।

          उपाध्‍यक्ष महोदय-  अब मैं कहूं कि आप संसदीय कार्य मंत्री जी के दबाव में आ गए तो फिर (हंसी)         

          डॉं नरोत्‍तम मिश्र-  उपाध्‍यक्ष्‍ा जी, वो मेरे बड़े भाई हैं, मेरे मित्र हैं, मैं हमेशा उनके दबाव में रहा हूं ।

          डॉं गोविन्‍द सिंह-  आश्‍वासन में आए हैं, दबाव में नहीं ।

          श्री शंकरलाल तिवारी-  उपाध्‍यक्ष महोदय, अंतर्मन की जानते हैं,  (XXX)

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र-  उपाध्‍यक्ष जी, जो तिवारी जी ने बोला है, इसको विलोपित करवा दें ।

          उपाध्‍यक्ष महोदय-  इसको विलोपित करें ।

(3)              प्रदेश के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में घूमने वाले आवारा पशुओं को पकड़वाकर बाहर जंगलों में भेजे जाने की समुचित व्‍यवस्‍था विषयक ।

           

डॉ. गोविन्‍द सिंह (लहार) -  उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं यह संकल्‍प प्रस्‍तुत करता हूं कि  सदन का यह मत है कि प्रदेश के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में घूमने वाले आवारा पशुओं को पकड़वाकर बाहर जंगलों में भेजे जाने की समुचित व्‍यवस्‍था शासन द्वारा की जाए ।

उपाध्‍यक्ष महोदय-  संकल्‍प प्रस्‍तुत हुआ ।

डॉ. गोविन्‍द सिंह-  माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, यह संकल्‍प आज के हिसाब से बड़ा सामयिक है ।  पिछले दो,  तीन वर्षो से किसान लगातार,  कहीं अतिवृष्टि,  कहीं सूखा,  कहीं ओला,  कहीं पाले से पीडि़त हो रहा है,  यह प्राकृतिक समस्‍या हैं,  विपत्तियां हैं,  इन विपत्तियों को हम और आप रोक नहीं सकते,   ईश्‍वर की कृपा है,  कब पानी बरसाए,  कब क्‍या हो,  कब ओला -पाला हो,  यह हमारे और सरकार के हाथ में नहीं है,  इसको रोकने के लिए ईश्‍वर पर कोई प्रतिबंध नहीं है,  और न ही हम लोग प्रतिबंध लगा सकते हैं, परन्‍तु जो आवारा पशु हैं,  इन पर सरकार का दायित्‍व है,  कर्त्‍तव्‍य है,  धर्म है कि किसानो के लिए,  जो फसलें चौपट हो रही हैं,  बर्बाद हो रही  हैं,  इनसे बचाया जा सके । उपाध्‍यक्ष महोदय, आज गेंहू की लागत मय खर्चे के जुताई, बखराई,  बीज,  खाद,  पानी,  दवाईयां,  सब मिलाकर एक बीघा गेंहू में,  करीब कटाई और घर आने तक  42 सौ रूपए का खर्चा आ रहा है, एक किसान को पूरे साल मेहनत करने के बाद वर्ष में करीब 1200 1500 रूपए मिल पाते हैं,  अगर एक बीघा की कीमत का ब्‍याज निकालें,  तब भी किसान घाटे में पहुंच रहा है । उपाध्‍यक्ष महोदय,  मैंने 29 फरवरी को ध्‍याकर्षण भी लगाया था,  आदरणीय वन मंत्री जी,  शेजवार ने  उसका उत्‍तर भी दिया था,  उन्‍होंने अपने जबाव में माना था कि कहीं कहीं हैं,  मैंने कहा था कि समूचे मध्‍यप्रदेश में दतिया और भिण्‍ड जिले में ज्‍यादा हैं,  खासकर अभी ज्‍यादा विकराल स्थिति है ।  दतिया जिले  के भाण्‍डेर में और हमारे लहार क्षेत्र से भिण्‍ड तक भिण्‍ड में  है,  परन्‍तु इतनी विकराल नहीं है,  लहार में ज्‍यादा है । उत्‍तर प्रदेश  सीमा लगी है,  जंगल हैं और आवारा पशुओं सबसे ज्‍यादा परेशानी गाय की है,  पहले गाय को हम गाय  गौमाता मानते है, गाय की पूजा करते हैं,  जब लोग धर्म करते हैं,  कथा,  भागवत करते हैं तो गौदान करते हैं,  अगर कोई आदमी अंतिम समय में रहता है,  तो बछिया को दान करते थे,  परन्‍तु आज के युग में पंडित लोगों ने बछिया लेना भी बंद कर दिया है,  अब गौदान को पंडित लोग स्‍वीकार नहीं कर रहे हैं, वह कहते हैं कि जो कुछ दक्षणा देना हो,  दे दो,  हम गाय नहीं लेंगे,  आज से पहले ट्रेक्‍टर नहीं चलते थे,  तो गाय के साथ- साथ बैल,  बछड़े दिए जाते थे, उस समय ट्रेक्‍टर न होने से बैल खेती करते थे और बैल की कीमत उस जमाने में तीन या चार हजार हुआ करती थी, जबकि भैंस की कीमत हजार या बारह सौ हुआ करती थी,  चूंकि अब उनका उपयोग बंद हो गया है, उस समय पशु मेला लगते थे,मेघपुरा में 10 - 15 लाख रूपए की आमदनी होती थी,   अब पशु मेला में कोई व्‍यक्ति पशु लेकर नहीं पहुंच रहा है, डॉ शेजवार ने भी स्‍वीकार किया था,  उन्‍होंने कहा था कि कहीं कहीं  पर आवारा पशु हैं,  ज्‍यादातर गाय हैं,  वह हमारे क्षेत्र में हैं । वहां गायें शहर में रह जाती हैं, झुण्‍ड के झुण्‍ड बैठ जाती हैं, वाहन आते हैं, वाहन में टक्‍कर लगती है, कई लोग घायल होते हैं, गाय के बछड़ों को भी चोट लगती है, गायों को भी चोट लगती है एवं आवागमन में भी दिक्‍कत होती है. गौवंश को परेशानी आती है और हमारे व्‍यक्तियों को भी परेशानी आती है. इसके अलावा कहीं-कहीं पर व्‍यवस्‍था है, हिरण हैं, हिरण की परेशानी है. आपके बुन्‍देलखण्‍ड में रोज़ या नीलगाय की परेशानी है. उपाध्‍यक्ष महोदय, नीलगाय के लिये तो जब आप मंत्री मण्‍डल में थे. मैंने भी मंत्री मण्‍डल में मुद्दा उठाया था. एक सर्कुलर जारी हुआ था, दि. 21 सितम्‍बर, 2000 को आदेश भी निकला था. इसमें वन अधिनियम 1972 है, उसमें छूट दी गई थी. अगर नीलगाय फसल को नष्‍ट कर रही है तो पटवारी को गांव वाले आवेदन देंगे, एस.डी.एम. उसका परीक्षण करायेंगे और अनुविभागीय अधिकारी नीलगाय को मारने के लिए, व्‍यक्ति विशेष से लायसेन्‍सधारी हो, और उसको मारने का अधिकार देगा. उस क्षेत्र में, अगर सीमित क्षेत्र रहेगा. उस क्षेत्र में मारेंगे तो फिर वन अधिनियम कानून, 1972 प्रभावी नहीं रहेगा. इस अधिनियम 1972 की धारा 4 की उपधारा 1 खण्‍ड-ग में यह शक्ति प्रदान की गई थी. यह सर्कुलर हमने माननीय वन मंत्री डॉ. शेजवार को भी दिया है और कहा है कि बहुत सी जगहें मालूम नहीं हैं, अधिकारियों को मालूम है. उपाध्‍यक्ष महोदय, भिण्‍ड में जिला योजना समितियों में रोज़ का मुद्दा आया था. वहां पर डी.एफ.ओ. साहब बोल रहे थे कि इसको शासन को भेज रहे हैं. प्रस्‍ताव राज्‍य शासन के द्वारा केन्‍द्र सरकार को जाएगा. वहां के डी.एफ.ओ. एवं कलेक्‍टर को नहीं मालूम, तो हमने डॉक्‍टर साहब को दिया है और अनुरोध भी किया है कि सभी माननीय सदस्‍यों को एवं सभी जिलाधीशों को भेज दें ताकि सबके नॉलेज में आ जाये. इसके अलावा अब रहा केवल गाय का. गाय को हम मार नहीं सकते हैं. गौ-हत्‍या में प्रतिबन्‍ध है, हम गाय की मां के बराबर पूजा करते हैं, गाय की पूजा होती है, गौ धन के रूप में पूजा होती है. हमारे धर्म में हर जगह गाय पवित्र है. इसलिए हमें इसको सुरक्षा देना भी जरूरी है. उपाध्‍यक्ष महोदय, लहार कस्‍बा है, एक-एक किलोमीटर पर गांव हैं. दिन में झुण्‍ड के झुण्‍ड गायें शहरों में बैठ जाती हैं, रात में जाकर पूरी झुण्‍ड की झुण्‍ड 100 एवं 200 गायें खेत में चली जाती हैं, हरी-भरी फसल, जो किसान बड़ी मेहनत से लगाकर, रख-रखाव कर तैयार करता है, वह खराब हो जाती है. अभी हमारे लहार के 5 किलोमीटर के इलाके में मटर किसी की खेत में नहीं बची है. रात्रि में पूरी मटर, गेहूँ एवं चना वगैरह खा जाती हैं और इससे किसान बहुत परेशान हैं. जहां नहर थीं, वैसे ही सूखा पड़ गया था. लेकिन नहर ने पानी दिया एवं नहर के पानी की वजह से फसल अच्‍छी हुई थी. लेकिन आधी से ज्‍यादा फसल पशुओं के द्वारा, खासकर गायों के द्वारा बर्बाद हो गई हैं. डॉक्‍टर साहब ने ध्‍यानाकर्षण के समय जवाब दिया था कि गौ-शालायें खोलेंगे, गौ-शालायें हैं. लेकिन मैं कहना चाहता हूँ कि आप गौ-शालायें खोलें, वैसे तो नहीं हैं. तीन-तीन तहसीलों में, एक गौ-शाला है और उसमें भी 10 एवं 12 गायें हैं. जो अधिकांश लोग गौ-शालायें खोले हुए हैं, वे उनका सदुपयोग नहीं कर रहे हैं, उन पर फण्‍ड ले लेते हैं और वहां गायों को नहीं रखते हैं. कोई 5 गायें रखे हैं तो कोई 10 गायें रखे हैं, वहां गौ-शाला के लिए जगह ही नहीं है. उपाध्‍यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने यह भी कहा था कि हम पंचायतों को अधिकार देंगे, गांव में एक इन्‍च की भी जगह नहीं है. कई गांव हैं, हमारा ही गांव है, वहां एक इन्‍च शासकीय भूमि नहीं है, कहीं नहीं है तो वहां कहां खोला जायेगा. नगरीय परिषदें हैं, उनमें भी गायों को पकड़कर 15-15, 20-20 दिन कोई छुड़वाने नहीं आया क्‍योंकि वे उनकी इतनी कीमतें नहीं रखते हैं. आवारा बन्‍द हो जाती हैं तो जो दूध देने वाली हैं, इतना ज्‍यादा दूध नहीं देतीं, जिससे उनको रखकर उनका खर्चा-पानी कर सकें. दाना महंगा हो गया है. इसलिए मेरा अनुरोध है कि यह संकल्‍प, या तो पहले सन् 1977-78 में मुझे ध्‍यान है कि उस समय जनता पार्टी की सरकार बनी थी और कृषि मंत्री थे चिनपुरिया जी. उस समय जो हमारे इलाके में डाकू थे, उन्‍होंने गायें पाल रखी थीं और गायें छोड़ दी थीं. किसी की गाय पकड़ने की हिम्‍मत नहीं थी. गाय बहुत ताकतवर हो गई थीं. 200-300 का उनका झुण्ड था. जहां जाती थी,  आदमियों को भी मार डालती थीं.  दो-तीन आदमियों ने उनको  रोका, तो  उनको मारने का काम किया.  तो उस समय  कृषि मंत्री जी, चिनपरिया जी  ने  नागालैंड से एक टीम मंगाई और उसमें घोड़े आये थे, तमाम सौ आदमियों की  एक टीम  थी, उनको वे पकड़ पकड़ के ले गये, कहीं ले गये होंगे,  जहां उनको आवश्यकता होगी.   एक-एक, दो- दो गाय उन्होंने लीं  और वहां  उनका उपयोग हो सका.  हमारा आपसे अनुरोध है कि अगर आप गांव की पूरी तरह से  जितनी व्यवस्था कर सकते हैं, करें.  अगर नहीं कर सकते हैं तो  राजस्थान के लोग आते हैं.   राजस्थान के लोग अभी आये थे. वे गाय पालते हैं. उनके साथ  2-2-,3-3 हजार  एक साथ गाय निकलती हैं  और उनकी आदमनी क्या है कि  जिस खेत में आते हैं,  गर्मियों  में हमारे यहां  आकर  बैठ जाते हैं. जिस खेत में  गाय को एक दिन रोकते हैं,  उनको चारा,पानी, दाना  सब किसान देते हैं,  क्योंकि उनको गोबर से खाद  मिलती है और उनको कुछ रुपये भी मिलते हैं.  उनके साथ यह तय हो जाता है कि  हमारे खेत में आज गाय को बैठाओगे,तो कुछ रुपये भी हम उनको देते है, ताकि  उनका खर्चा चल जाये और रास्ते में दूध मिलता है, दूध भी बेचते जाते हैं,  चले जाते हैं. भारी पैमाने में  झुण्ड के झुण्ड आपने भी देखा होगा  प्रदेश में कई जगह वे घूमते हैं.  तो हमारा निवेदन है कि वे लोग गाय लेने के लिये तैयार हो जाते हैं.  अभी हमारी  नगर पालिका, नगर परिषद्  लहार एवं दबोह  ने उनको बुलवाया था और  उन लोगों ने  कहा कि हमें  प्रत्येक गाय 500-500 रुपये दो,  फिर गाय ले गये.  मैं शासन से यही चाहता हूं कि  अगर आप उनको भी परमिट  दिलवा दें, उनको नगर पालिका वाले परमिट दें, तो  बीच में  आपके चड्ढीधारी लोग जो लाल डुपट्टा  वाले हैं,  वह लोग जाकर  उनके साथ मार पीट करते हैं और  उनको नहीं ले जाने  देते हैं.  तो उनको ले जाने के लिये  आप इजाजत दें, तो उसमें आपको क्या परेशानी है.  नगरीय प्रशासन के लोग, नगर परिषदों के चुने हुए निर्वाचित  प्रतिनिधि उनको   ले जाकर भेजने का काम करते हैं. िर तो कम से कम  जो गाय को पालते हैं,  उनको ले जाने के लिये आप  आदेश जारी करायें  और उनको जो बीच में रोकने वाले लोग हैं,  वह न रोकें,  ऐसी कोई योजना बनायें.  प्रदेश में ऐसे निर्देश जारी करें, ताकि किसानों की जमीन, फसलों को नष्ट करने  वाले जो पशु हैं, उन पशुओं में खास करके  गाय है, सुअर भी  हैं.   वैसे सुअर को मारने पर   प्रतिबंध  है या नहीं, लेकिन  सुअर  हमारे इलाके में नहीं हैं.  इइसलिये हमारी मजबूरी है और हम इस संकल्प को लाये हैं.  यह किसानों के हित में है.  हमें उम्मीद है कि  सरकार इस पर कुछ न कुछ  अमल करेगी और  कोई व्यवस्था करेगी. धन्यवाद.

                   श्री रामनिवास रावत (विजयपुर) --  उपाध्यक्ष महोदय,  वैसे  गोविन्द सिंह जी के कहने के बाद  तो कुछ बचता नहीं है.   उपाध्यक्ष महोदय, मेरे यहां मेरे क्षेत्र में  जंगल का भी  इलाका है और मेरे यहां  के लोगों की  40 प्रतिशत जीविका  पशुपालन पर  ही निर्भर करती है.  पहले  लोगों  के पास गायें होती थीं, गायों की संख्या आज भी है. लेकिन पहले और आज में यह अंतर है,  जो गौधन है, विशेष रुप से बछड़ा है.  अब वह खेती के काम में आता नहीं है.  बाहर लोग ले नहीं जाते.  बाहर बिक्री होती नहीं है.  मेरे यहां एक पशु मेला लगता है. पशु मेले में 50-50 हजार, एक-एक लाख , दो-दो  लाख तक बैल बिकते थे.  आज से 10 साल पहले.  इस बार यह स्थिति हो गई कि पशु मेले में लोग अपने छोटे-छोटे बछड़े भी  लेकर आये थे.  जो पहले,  जहां पहाड़ी क्षेत्र होता था,  उधर बछड़े जाते  थे, ज्यादातर छोटे छोटे बछड़े  पहाड़ी  क्षेत्र में चले जाते  थे.  अब उन्हें कोई खरीदने वाला नहीं मिलता है.  अब वे  केवल अपने बछड़े मेले तक लाये  और छोड़ गये.  वैसे ही छोड़ गये. कम से  कम  5-10 हजार गौधन  मेरे यहां वैसे ही आवारा घूम रहे हैं.  यह वास्तविकता है, यह स्थिति है कि  लोग अपने खेत सुरक्षित नहीं रख सकते.  क्योंकि जो मालिक हैं,  वह वैसे ही छोड़ देते हैं,  उनसे कोई आय नहीं होती है.  यह स्वभाव तो आदमी का बन रहा है, चाहे हम कितनी भी बातें करें.  जिससे आय नहीं होगी और उस पर व्यय  आदमी करता नहीं है.  डॉ. गोविन्द सिंह जी जो संकल्प लाये हैं,  उसका मैं भी समर्थन करता हूं.  इसी के साथ साथ  जो गौशालाएं हैं, मेरा यह कहना है कि तभी हम ज्यादा इसके लिये प्रेरित कर सकते हैं जिस तरह से गौशाला को संरक्षण प्रदान किया जाता है, अनुदान दिया जाता है, एक संख्या निश्चित कर लें. क्योंकि कई पशुपालक मेरे विधानसभा क्षेत्र में ऐसे हैं जितनी संख्या गौशाला में पशु की नहीं है उससे ज्यादा संख्या में वह गाय पालते हैं, अगर वे गौशाला का रजिस्ट्रेशन करा ले तो उसे भी अनुदान की प्रात्रता आ जाती है. 400,500 गाय एक व्यक्ति के पास में है, इसके लिये कुछ सीमा तय कर दें कि 50 से अधिक गाय जो रखेगा उसको गौ शाला की तरह अनुदान और संरक्षण दिया जायेगा. तो यह प्रेरणा आयेगी और लोग गाय का संरक्षण करना है और जो आवारा पशु एक ज्लवंत समस्या बन रहा है इसका निदान हो सकता है. मेरे यहां सेन्चुरी एरिया है वन मंत्री अनुमति दे दें, इन सबको सेन्चुरी एरिया में भिजवा दें और आज भी सेन्चुरी से 28 गांव विस्थापित हुये थे वहां की 2000 गाय उसी जंगल में भ्रमण कर रहा है उनको कोई पकड़ नहीं सकता देख भी नहीं सकता, क्योंकि वहां पर पानी और चारे की कमी नहीं है. इसी तरह से आवार पशुओं को जहां वन क्षेत्र हो वहां भिजवा देंगे तो बड़ी कृपा होगी, किसानों को भी अपनी फसल की रक्षा कर सकेंगे, डॉक्टर गोविंद सिंह जी द्वारा प्रस्तुत अशासकीय संकल्प का मैं समर्थन करता हूं. उपाध्यक्ष जी आपने समय दिया उसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद.

          श्री जसवंत सिंह हाड़ा(शुजालपुर) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, डॉ.गोविंद सिंह जी द्वारा जो संकल्प प्रस्तुत किया गया है उसमें मेरा अनुरोध सिर्फ इतना ही है कि आवारा पशु के रख रखाव की दृष्टि से जो गौ शाला रजि. है जिन्हें अनुदान मिलता है उसमें लगातार मानीटरिंग की आवश्यकता है, जितने पशु की संख्या कागज में दिखाते हैं उतनी वहां पर रहती नहीं है. निरीक्षण और मानीटरिंग हो और रजिस्ट्रेशन गौशाला में इन आवारा पशुओं को रख दें तो शायद आवारा पशुओं की व्यवस्था हो सकती है. आपने समय दिया धन्यवाद.

          श्री विक्रम सिंह (राजनगर) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय डॉ.गोविंद सिंह जी द्वारा प्रस्तुत अशासकीय संकल्प का समर्थन करता हूं. वन विभाग के मंत्री से अनुरोध है कि वे मेरी बातों को सुनें (डॉ, शेजवार एक माननीय सदस्य से चर्चा करते हुये) (XXX) सुन ही नहीं रहे हैं.

          उपाध्यक्ष महोदय-- सुन रहे हैं, कान थोडे ही बंद किये हैं. आप अपनी बात कहें.

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XXX :  आदेशानुसार रिकार्ड  नहीं किया गया.

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          श्री विक्रम सिंह -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय,  पूरे मध्यप्रदेश में यह ज्वलंत समस्या है. पशुधन जो छूटा हुआ है 4-5 माह के लिये गाय बिया जाती है तो उसको मालिक बांध लेता है और उसका दोहन करते हैं परंतु जब वह दूध देना बंद कर देती है, या गाभिन हो जाती है तो उसको फिर से छोड़ देते है आवारा तरीके से उसमें बछड़े भी हैं, सांड भी हैं और गाय भी हैं. मेरा कहना है कि ऐसी कोई नीति केन्द्र सरकार के द्वारा बनाई जाये ऐसे आवारा पशुओं को ले जाकर के वन विभाग के संरक्षित क्षेत्र में  छोड़ दिया जाता है, हमारे क्षेत्र में वन गाय की बड़ी समस्या हो गई है. वन गाय वह हैं जो आवारा पशु हुआ करते थे उनको ले जाकर के सेन्चुरी एरिया में और नेश्नल पार्क में छोड़ दिया जाता था, जंगल में चीतल और सांभर से ज्यादा संख्या केन घड़ियाल सेन्चुरी और नेश्नल पार्क में वन गाय की देखने को मिल जायेगी. एक समय राजस्थानी लोगों को सरकार ने बुलाया था वह घोड़ों में जाकर के जिस प्रकार से वेस्टर्न फिल्मों में वो अपने काउहर्ड्स को रखाते थे, वह लैसो करके उनको मतलब सर्फों में लगाकर और गले में फंसाकर घोड़े से बांधकर उसको थकाकर और थकाकर उसको तोड़ते थे, मतलब जानवर को, ऐसा तोड़ना नहीं कि उसका अंग भंग करते थे, परंतु उसको लायक बनाते थे कि वह आदमी की बात और कहा सुनी माने, इस प्रकार से अभी भी लोग हैं. माननीय वनमंत्री जी यहां पर उपस्थित हैं, माननीय संसदीय कार्य मंत्री यहां पर उपस्थित हैं ऐसी व्‍यवस्‍था करवायें ताकि उन लोगों को बुलवाकर के और इन वन गायों से और आवारा पशुओं से मध्‍यप्रदेश के किसान आज रात-रात भर जागकर के अपने खेत रखा रहे हैं और गांव में छेड़ें लगा देते हैं, इस मेढ़े में धसने नहीं देते हैं किसी भी आदमी को न जानवर को, वन गाय और सारे मवेशी रोड़ों पर एकत्रित रहते हैं, रात-रात भर आदमी जाग रहा है. इसी प्रकार जो जंगली जानवर है मध्‍यप्रदेश में, उत्‍तर प्रदेश से लगा हुआ मेरा क्षेत्र है वहां पर हम लोग अगर हांक भी दें रोजों को तो वह रोज वापिस आ जाते हैं. माननीय मंत्री जी कुछ करवा ही नहीं रहे हैं. जंगली सुअर एक रोज में लगभग 15 किलो से औसतन 40 किलो तक भोजन करता है.

उपाध्‍यक्ष महोदय--  संकल्‍प में सुअर का उल्‍लेख नहीं है.

कुंवर विक्रम सिंह--  माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, लेकिन ज्‍वलंत समस्‍या है और मैं इस बात को कहना चाहता हूं कि इसका मैं समर्थन करता हूं और केन्‍द्र सरकार को पहुंचाया जाये ताकि ऐसी कोई नीति बने जिससे आवारा पशुओं की रोकथाम हो सके और मध्‍यप्रदेश की सरकार जागे और रोज और सुअर को लीगलाइज करे, परमिट देने की व्‍यवस्‍था करे, ऐसा मेरा मानना है. आपने बोलने का समय दिया धन्‍यवाद उपाध्‍यक्ष महोदय.

श्री शंकरलाल तिवारी (सतना)-- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, सच में सदन के सबसे सीनियर सदस्‍य आदरणीय गोविंद सिंह जी ने किसानों की वह पीढ़ा रखी है जिसके कारण किसान परेशान है. सतना से मैं आता हूं, आपको भी मालूम है कि शहर के 15-20 किलोमीटर के गांवों में खेती कराना मुश्किल हो गया है. लोगों ने खेत बोना छोड़ दिया है, आवारा पशुओं के कारण, मेरी विनती है अभी गोविंद सिंह जी बोल चुके हैं, मुझे एक बात बोलनी थी, मध्‍यप्रदेश के यशस्‍वी मुख्‍यमंत्री जी ने सुसनेर में जो आगर जिले में है, हजार बीघा जमीन में एक गौ अभ्‍यारण्‍य बनाने का काम उन्‍होंने किया था जो अभी भी निर्माणाधीन है, कुछ काम हुआ है, एक हजार हेक्‍टेयर में. मैं उसका सिर्फ उदाहरण दे रहा हूं कि उस 1 हजार हेक्‍टेयर में और आवारा पशुओं को सभी प्रकार के पशुओं का एक अभ्‍यारण्‍य खुला. पिछले दिनों सरकार के समक्ष एक बात आई थी, एक सुझाव आया था कि 5 पंचायतों के बीच में जहां शासकीय जमीन पड़ी हो, चरू हो, जंगल की हो उसको स्‍वीकृत करके 4-5 पंचायतों के बीच में एक गौ-अभ्‍यारण्‍य बनाया जाये और वहां पर इस तरह के जो आवार पशु हैं, अर्थ युग है माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, रामनिवास जी ने ठीक कहा है कि जब आमदनी नहीं होती तो गांव का गरीब किसान या कोई भी व्‍यक्ति जो पशु पालता है जब उसने दूध देना बंद कर दिया उसे छोड़ देता है और वह भी बेचारा तड़फता है और इधर हम सबकी खेती की बरबादी का कारण बनता है. अगर 4-5 पंचायतों के बीच में एक जमीन तलाश करके वहां चारे का, भूसे का, पानी का और पंचायत के माध्‍यम से ही, पशुपालन के माध्‍यम से ही, रखरखाव का एक उपक्रम प्रारंभ किया जाये, 4-4, 5-5 पंचायतों में जहां जितनी जमीन मिल जाये, छोटे-छोटे अभ्‍यारण्‍य बनाये जायें तो सच में जो गऊ और पशु यह आवारा होकर नुकसान कर रहे हैं, अनावश्‍यक भूख और प्‍यास से तड़पकर काल कवलित हो रहे हैं, खेतियों को बर्बाद कर रहे हैं, उसमें रोक लगेगी. गौ अभ्‍यारण्‍य 5 पंचायतों में बनाना सहर्षकर होगा, मैं गोविंद सिंह जी के प्रस्‍ताव का समर्थन करता हूं गोली मारो वाली बात को छोड़ कर इसलिये कि वह गोली मारो लाइसेंस दो इसका समर्थन न कर‍ते हुये अभ्‍यारण्‍य बनाने की बात और आवारा पशुओं के माध्‍यम से जो खेती का नुकसान हो रहा है उसको रोकने की बात साथ ही आवारा पशुओं के भोजन, पानी और उनके जीवन की चिंता की बात भी मैं कर रहा हूं, धन्‍यवाद.

          श्री पन्नालाल शाक्य(गुना)--माननीय उपाध्यक्षजी, सीनियर डॉक्टर साहब ने जो प्रस्ताव रखा है. उसका मैं समर्थन करता हूं लेकिन सुझाव भी दूंगा.

          उपाध्यक्ष महोदय, मेरा पहला सुझाव यह कि 1960 में चरनोई भूमि कितनी थी, पहले उसका जायजा लिया जाये और वह सब खाली करा दी जाये. दूसरा सुझाव है कि जैसे विनोबा जी भूदान यज्ञ कराया था, वैसे ही इनमें से भी कोई महापुरुष उठे और गाय और गो अभ्यारण्य के लिए भूमि दान करवा ले तो ये फालतू की बातें शायद न हो.

          उपाध्यक्ष महोदय, गाय दूध देती है. हम उसको ले लेते, बांध लेते हैं और छोड़ देते हैं. हमारा जीवन दर्शन ही बदल गया. हम ट्रेक्टर से तो खेती करने लगे हैं. वहां गाय की उपेक्षा करते हैं. पशु शक्ति का भी इस भारत वर्ष में कोई महत्व है और हम उसकी उपेक्षा कर रहे हैं. मेरा निवेदन यह कि  1960 में जितनी चरनोई की भूमि थी, पहले उसको खाली करवा लिया जाये. सदन इस बात से सहमत हो तो ठीक है. दूसरा, गाय के लिए भूदान यज्ञ करवा लिया जाये. ड़ॉक्टर साहब हैं, माननीय रावत जी भी हैं ये तो बड़े बड़े खेतीहर होंगे, इनके पास बड़ी बड़ी जागीरें होंगी. नातीराजा हैं इनके पास भी संभवतः हजार बीघा जमीन होगी, भू अभ्यारण्य के लिए पांच सौ बीघा जमीन दान में ये दे दें. कितना बढ़िया रहेगा. सरकार पास क्या रबर के समान जमीन है कि हम कह दी और रबर के समान जमीन को खींच दिया लो साहब गो अभ्यारण्य के लिए जमीन. ऐसा नहीं होता. व्यावहारिक बातों पर विचार करना चाहिए. चरनोई खाली करवायी जाये. जिन खेतीहरों ने, जागीरदारों ने जो सरकारी जमीनों पर कब्जा कर रखा है, वह खाली करायें और गो अभ्यारण्य बनायें.धन्यवाद

          डॉ गोविन्द सिंह--मेरा सदन से अनुरोध है कि इतने अच्छे भाषण के लिए आज शाक्य जी को गोल्ड मेडल दिया जाये. मैं उसकी सिफारिश करता हूं.(हंसी)

          श्री जसवंत सिंह हाडा--उपाध्यक्षजी, पन्नालाल जी ने जो बात कही उससे गाय से ज्यादा संख्या खाली करने वालो की बढ़ जायेगी.

          श्री लाल सिंह आर्य--उपाध्यक्ष महोदय, माननीय गोविन्द सिंह, सदस्य द्वारा जो अशासकीय संकल्प आज यहां पर लाया गया है. मुझे लगता है उसके बारे में वन विभाग में चर्चा हो चुकी है. यह विषय कहीं न कहीं पशुपालन विभाग से भी संबंधित है. आज जो अशासकीय संकल्प लाये हैं उसमें आधा भाग नगरीय और आधा भाग ग्रामीण का भी है.

          उपाध्यक्ष महोदय, कुल मिलाकर उनकी भावना ठीक है. पूरे मध्यप्रदेश में नगरीय क्षेत्रों में ऐसा हो रहा होगा, मैं भोपाल में, इंदौर में भी घूमा हूं. हर जगह की ऐसी स्थिति नहीं है, कई जगह हो सकती है. इसी को ध्यान में रखते हुए कहीं न कहीं सरकार ने मध्यप्रदेश में लगभग 1202 गौशालाओं को पंजीकृत किया है. वहां पर अभी 1 लाख 31 हजार 384 गो वंश हैं.

          उपाध्यक्ष महोदय, जहां तक नगरीय क्षेत्र का मामला है तो हमने वहां कांजीहौस बनाये हैं. वहां ले जाने की व्यवस्था है. अब तो नगरीय क्षेत्रों  में गौशालाएं भी बनने लगी हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि ये जो पशु हैं इनका कोई न कोई मालिक है. यदि मालिक है तो हमें उनमें जाग्रति लाने की भी आवश्यकता है. जैसे स्वच्छता अभियान में जाग्रति लाने का काम हुआ उसी प्रकार से इसमें भी आवश्यकता है. जहां तक गोविन्द सिंह जी ने कहा है तो उनकी चारों नगर पालिका लहार में ही है. उनके पास जमीन भी काफी है, अगर उस जमीन को इन पशुओं के लिए दे दे और कोई आवेदन आप लगा दें  तो मुझे लगता है कि गौशाला खोलने में भी कोई दिक्कत नहीं आयेगी.

          श्री यशपाल सिंह सिसोदिया--मंत्रीजी, वे दानवीर भी हो जायेंगे और जनभागीदारी भी हो जायेगी.

          श्री लाल सिंह आर्य--हां दोनों चीजें हो जायेंगी. मध्यप्रदेश नगर पालिका निगम विधान 1956 की धारा 427 (16 ई) के अधीन आवारा घूमने वाले पशुओं के लिए भी नगरीय प्रशासन विभाग ने  नियम भी बनाये हैं. चूंकि डॉक्टर गोविन्द सिंह जी और अन्य सदस्यों ने ग्रामीण क्षेत्र की बात की है तो पंचायत विभाग ने भी नियम बनाये हैं.

श्री शंकरलाल तिवारी - कांजी हाउस काम नहीं कर रहे हैं, अगर शहर में नगरपालिका, नगर निगमों ने उनको खदेड़ा पकड़ा भी तो आसपास 5-6 कि.मी. दूर जाकर छोड़ आते हैं और 10-15-20 कि.मी. में फिर खेती कराना कठिन है.

श्री लाल सिंह आर्य - उपाध्यक्ष महोदय, कुल मिलाकर जैसा श्री शंकरलाल जी ने कहा कि आखिर मध्यप्रदेश की ऐसी कौन-सी जमीन है, ऐसा कौन-सा शहर है, ऐसा कौन-सा गांव है जहां छोड़ा जाय. यह संकट कहीं न कहीं है. इसके लिए समाज में जागृति लाने की आवश्यकता है. माननीय सदस्यों ने जो विषय रखा है, उनकी भावनाओं का सम्मान करता हूं और उन भावनाओं का सम्मान करते हुए कहना चाहता हूं कि चूंकि वह हमारा विभाग नहीं है लेकिन उसमें ग्रामीण क्षेत्र उल्लेखित किया है. मैं पंचायत विभाग को एक पत्र जारी करूंगा. माननीय वन मंत्री जी बैठे हैं उन्होंने पिछले दिनों आश्वासन दिया ही था और नगरीय क्षेत्र में भी 1956 के जो नियम बने हुए हैं उसके तहत जहां कांजी हाउस है, वहां इनकी और ठीक व्यवस्था की जाय. उपाध्यक्ष महोदय, हिन्दुस्तान दानवीरों के नाम से जाना जाता है. नगरीय क्षेत्रों में कहीं इस प्रकार की अव्यवस्थाएं हैं तो मेरे गोहद में भी मैं देखता हूं वहां पर हमने एक गौशाला खुलवाई है, मैं उसका मेम्बर भी हूं. आम आदमी उसमें सपोर्ट करने जाता है. इसी प्रकार जागृति लाने की आवश्यकता है. मैं माननीय सदस्य से आग्रह करता हूं कि आपकी भावना के अनुसार मैं पत्र दोनों विभागों को लिखूंगा. नगरीय प्रशासन विभाग में कल ही सभी सीएमओ को पत्र लिखूंगा कि आवारा पशु जहां पर हैं, आवारा पशुओं को रोकने के लिए या जिनके पशु हैं उनको पकड़कर उन पर जो फाइन होता है, उसको करने के लिए.  अपने विभाग में भी सभी नगरपालिका सीएमओ को कल ही निर्देशित करूंगा और ग्रामीण पंचायत विभाग को भी लिखेंगे. मैं माननीय सदस्य महोदय से आग्रह करता हूं कि यह एक दिन की नहीं कई दिन के लिए मशक्कत करने की आवश्यकता है, इसलिए आपकी भावनाओं की कद्र करते हुए आपसे प्रार्थना करता हूं कि आप अपना संकल्प कृपया वापस ले लें. आपकी भावनाओं की कद्र करते हुए मैं दोनों विभागों को निर्देश जारी करूंगा.

उपाध्यक्ष महोदय - क्या माननीय सदस्य संकल्प वापस लेने के पक्ष में हैं?

डॉ. गोविन्द सिंह - उपाध्यक्ष महोदय, मैं पहले कुछ कहना चाहता हूं. यह भाषण तो दे दिया, ज्ञानवर्द्धन भी करा दिया और सब इसको झेल रहे हैं. नगर परिषदों, नगर पालिकाओं में इतना फंड है कि 15-15, 20-20 लाख रुपए दे सकते हैं? आप फंड उपलब्ध कराएं. आपने भाषण दे दिया. आप पंचायत छोड़ो, आप तो नगरपालिकाओं को साल में 10 लाख रुपए दिलवा दें तो हम व्यवस्था कर लेंगे. दूसरी बात यह है कि आप कुछ नहीं कर सकते, केवल इतना तो कर सकते हैं कि राजस्थान से वहां पर लोग आते हैं और गौ पालक हैं. 2-2, 3-3 हजार गाय पालते हैं तो जो गाय यहां से इकट्ठे ले जाते हैं वे भिंड जिले से सुरक्षित चले जाएं, इसकी व्यवस्था की आप गारंटी दे. नगरीय प्रशासन विभाग से वे आ जाते हैं 500 रुपए 200 रुपए गाय के लेते हैं. राजस्थान में 2-2, 3-3 हजार गायें पालते हैं. वे एक साथ झुण्ड के झुण्ड में ले जाते हैं, उनको भी नहीं ले जाने दे रहे हैं. यहां से लेकर गये, रास्ते में उनसे मारपीट कर दी, वे परेशान होकर चले गये. जबकि वे अपने गौवंश को साथ रखकर उनकी सुरक्षा करते हैं, दूध की व्यवस्था करते हैं. गायों को सुरक्षित ले जाने की व्यवस्था आप करा दें. नगरपालिका से आप नहीं कर सकते तो आप नगरीय प्रशासन मंत्री है, फंड दिला दें  और दूसरा भिंड जिले से सुरक्षित ले जाने के लिए व्यवस्था करा दें, पुलिस को निर्देशित करें. एसडीएम को निर्देशित कर दें तो भी बहुत कुछ समस्या का निदान कम से कम एक जिले का तो हो सकता है. भाण्डेर में भी बहुत गंभीर समस्या है. दतिया जिले से लगा हुआ है, वहां पर भी जाते हैं वहां भी स्थिति विकराल है. ऐसी जगह पर यह व्यवस्था हो सकती है. इसमें सरकार का कोई खर्चा भी नहीं होना है.

श्री लाल सिंह आर्य - उपाध्यक्ष महोदय, जैसा माननीय डॉक्टर साहब ने कहा है. हमारा जो कांजी हाउस है, उसमें कहीं कोई दिक्कत होगी तो उपाध्यक्ष महोदय, मैंने आपके माध्यम से कहा भी है कि हम उनको और दुरस्त करने के लिए कहेंगे. दूसरा जन जागृति लाने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं इसका भी प्रयास करेंगे.

डॉ. गोविन्द सिंह - भाषण तो सुन लिया है. हम यह बता रहे हैं कि वे सुरक्षा से निकल जाएं. जन जागरण की बात नहीं कर रहे हैं. प्रशासन उनको सुरक्षित निकल जाने दे.

श्री लाल सिंह आर्य -  आवारा पशुओं को रोकने के लिए हमारे नियम बने हुए हैं, उनका और कड़ाई से पालन हो इसके निर्देश जारी करेंगे, पत्र जारी करेंगे. उपाध्यक्ष महोदय जहां तक पशुओं के ले जाने कीबात है तो उसमें गाय भी हो सकती है उसमें बैल भी हो सकते हैं. हम उऩको छोड़ने की अनुमति नहीं दे सकते हैं क्योंकि पूरे देश में कहीं भी कोई काटने के लिए ले गया तो पाप किस पर होगा, इसलिए किसी को हम हाथ में दे दें, उनको पहुंचाने के लिए सरकार के पास में कोई फण्ड नहीं है, कोई नियम नहीं है. इसलिए यह संभव नहीं है लेकिन उनकी भावना के अनुरूप पत्र जारी करूंगा.

          कुंवर विक्रम सिंह -- उपाध्यक्ष महोदय मैं एक बात और कहना चाहता हूं यह जो सेंचूरी और नेश्नल पार्क में आवारा पशुओं के द्वारा हैविटेट डिस्ट्राय किया जा रहा है, खासकर के टाइगर का और वन्यप्राणियों का मैं चाहूंगा कि उसमें वन मंत्री जी उसमें निश्चित ही कोई ठोस उठायें और यह जो बन गैया हो गई हैं, यह किसी समय पर पालतू थीं इनको नेश्नल पार्क और सेंचूरी से बाहर निकलवायें.

          उपाध्यक्ष महोदय -- क्या माननीय सदस्य संकल्प वापस लेने के पक्ष में हैं.

          डॉ गोविन्द सिंह-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय मैं अपना संकल्प वापस ले लेता, इनके तानाशाही पूर्व रवैये से किसानों को मारने के लिए, किसानों को बर्बाद करने के लिए सरकार अपने बहुमत से निर्णय ले ले.

          उपाध्यक्ष महोदय -- क्या सदन माननीय सदस्य को संकल्प वापस लेने की अनुमति देता है.

                                                                               अनुमति प्रदान की गई.

                                                                             संकल्प वापस हुआ.

        संसदीय कार्य मंत्री ( डॉ नरोत्तम मिश्रा ) -- उपाध्यक्ष महोदय सर्वश्री दिव्यराज सिंह, शंकरलाल तिवारी, महेश राय, निशंक कुमार जैन, वीर सिंह पंवार, कल्याण सिंह ठाकुर, अशोक रोहाणी सदस्य ने जो संकल्प प्रस्तुत कर रहे हैं इसमें अनुमति है तो इसे सर्वसम्मति से पास कर सकतेहैं.

 

डभौरा रेल्वे स्टेशन को डीआरएम झांसी से हटाकर डीआरएम जबलपुर से संबद्ध किया जाय.

          श्री दिव्यराज सिंह ( सिरमौर ) -- उपाध्यक्ष महोदय मैं यह संकल्प प्रस्तुत करता हूं कि यह सदन केन्द्र शासन से अनुरोध करता है कि -- डभौरा रेल्वे स्टेशन को डीआरएम झांसी से हटाकर डीआरएम जबलपुर से संबद्ध किया जाय.

          उपाध्यक्ष महोदय -- संकल्प प्रस्तुत हुआ.

          श्री दिव्यराज सिंह -- उपाध्यक्ष महोदय डभौरा स्टेशन उत्तरप्रदेश की सीमा से लगा हुआ है. यह स्टेशन बहुत पुराना स्टेशन है अंग्रेजों के जमाने का स्टेशन है. आज भी लगता है कि जैसा उसको बनाया गया था वहआज भी उसी हालत में है. इसका मुख्य कारण यह ही है कि इसका रख रखाव झांसी से होता था और झांसी डभौरा से बहुत दूर है. इसलिए मैं सदन से यह आग्रह करूंगा कि इसे हम जबलपुर से जोड़े जिससे इसका रख रखाव और बाकी इसका इम्प्रूवमेंट यहां से करवायें. धन्यवाद्.

रीवा से इलाहाबाद के लिये सतना होकर नई इंटरसिटी ट्रेन चलाई जाना.

श्री शंकरलाल तिवारी ( सतना ) --माननीय उपाध्यक्ष महोदय मैं यह संकल्प प्रस्तुत करता हूं कि यह सदन केन्द्र शासन से अनुरोध करता है कि रीवा से इलाहाबाद के लिये सतना होकर नई इंटरसिटी ट्रेन चलाई जाय.

          उपाध्यक्ष महोदय विंध्य प्रदेश का मध्यप्रदेश में मर्जर होने के बाद विंध्यप्रदेश की सतत उपेक्षा हुई है और उसका ही नतीजा है कि रेल के मामले में चाहे बुंदेलखण्ड हो या विंध्य क्षेत्र में रीवा सतना सीधी शहडोल हों यह हमेशा से उपेक्षित रहे हैं. अटल बिहारी बाजपेयी जी की सरकार जब दिल्ली में थी तो पहली बार रीवा से दिल्ली और मैं इंदिरा जी को भी धन्‍यवाद देना चाहूंगा कि उन्‍होंने रीवा गुड्स स्‍टेशन बनवाया था लेकिन कोई भी यात्री गाड़ी नहीं चल पाई थी. पहली बार अटल जी के शासन में रीवा से दिल्‍ली, रीवा से चिरमिरी, रीवा से भोपाल और अभी मान्‍यवर मोदी जी के शासनकाल में रीवा से इंदौर ट्रेन चलाई गई.

          मान्‍यवर उपाध्‍यक्ष जी, मेरी विनती है कि रीवा, सीधी, शहडोल, पन्‍ना और  जयसिंहनगर ब्‍यौहारी ये इलाहाबाद के अधिक समीप स्‍थित शहर हैं और इलाहाबाद के बॉर्डर के जिले हैं. इन जिलों का इलाहाबाद से धार्मिक, सांस्‍कृतिक, सामाजिक, व्‍यावसायिक, शैक्षणिक और चिकित्‍सकीय आदि सारा संबंध है. रीवा, पन्‍ना, सतना आदि का बाजार भी इलाहाबाद ही है. बच्‍चे भी पढ़ने वहां जाते हैं और इसके अलावा चिकित्‍सा की दृष्‍टि से भी लोग रीवा, पन्‍ना, सतना, शहडोल आदि से इलाहाबाद जाते हैं. साथ ही साथ इलाहाबाद का धार्मिक महत्‍व भी है, इलाहाबाद संगम प्रयाग होने के कारण साल में कम से कम 75 ऐसे पुण्‍य पर्व हैं, अमावश, पूर्णिमा, मकर-संक्रांति, बसंत पंचमी कि हजारों की संख्‍या में लोग जाते हैं.

          श्री जसवंत सिंह हाड़ा -- मान्‍यवर उपाध्‍यक्ष जी, शंकरलाल जी को रोको नहीं तो ये इतनी फास्‍ट ट्रेन है कि पता नहीं इंदौर जाकर ही रूकेगी. ये आपके सतना के होने के कारण  ज्‍यादा फायदा उठा रहे हैं.

          श्री शंकरलाल तिवारी -- मान्‍यवर उपाध्‍यक्ष जी, अभी तक रीवा से जो भी ट्रेन चलाई गई सब आमदनी वाली ट्रेनें रहीं. सबमें रेल प्रशासन को फायदा हुआ है. धार्मिक दृष्‍टि से लोग अकेले रीवा संभाग से प्रतिदिन सैकड़ों अस्‍थियां, राख, फूल आदि लेकर जाते हैं और व्‍यापार के लिए भी जाते हैं. मैं विनती करूंगा कि इस अशासकीय संकल्‍प को केन्‍द्र सरकार को भेज करके एक नई इंटरसिटी ट्रेन रीवा से सतना होते हुए इलाहाबाद के लिए चलाई जाए. धन्‍यवाद. 

          श्री अशोक रोहाणी -- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं संकल्‍प प्रस्‍तुत करता हूँ कि यह सदन केन्‍द्र शासन से अनुरोध करता है कि रांझी से लेकर भेड़ाघाट स्‍टेशन तक नागरिकों के आवागमन की सुविधा हेतु डी.एम.यू. शटल (लोकल) ट्रेन चलाई जाये.

          उपाध्‍यक्ष महोदय -- क्‍या आप कुछ कहना चाहेंगे  ?

          श्री अशोक रोहाणी -- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, जबलपुर शहर के रांझी व खमरिया क्षेत्र में देशाई औद्योगिक क्षेत्र, आधारताल औद्योगिक क्षेत्र एवं शासकीय उद्योग स्‍थापित हैं. वर्तमान में उनमें कार्यरत कर्मचारियों तथा क्षेत्र के आसपास निवास करने वाले नागरिकों को आने-जाने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. जबलपुर स्‍टेशन से खमरिया फैक्‍ट्री तक रेलवे लाइन बिछी हुई है, अलग से रेलवे लाइन बिछाने की आवश्‍यकता नहीं है. इस रेल मार्ग पर रांझी से लेकर भेड़ाघाट स्‍टेशन तक या जहां तक संभव हो, नागरिकों को आवागमन की सुविधा हेतु लोकल ट्रेन चलाने से क्षेत्र के निवासियों, शासकीय क्षेत्र तथा प्राइवेट क्षेत्र में कार्यरत कर्मचारियों व शहर में आकर पढ़ने वाले छात्रों को बहुत बड़ी सुविधा होगी एवं रांझी व आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को जबलपुर रेलवे स्‍टेशन तक पहुँचने का सीधा मार्ग मिल जाएगा.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, इस विषय पर गहनता से विचार हो ऐसी आशा करता हूँ एवं माननीय सदन से अनुरोध करता हूँ कि यह प्रस्‍ताव केन्‍द्र शासन को भेजने का कष्‍ट करें.

  सर्वश्री महेश राय (निशंक कुमार जैन, वीरसिंह पंवार, कल्‍याण सिंह ठाकुर) - (अनुपस्‍थित)

          उपाध्‍यक्ष महोदय -- प्रश्‍न यह है कि यह सदन केन्‍द्र शासन से अनुरोध करता है कि :-

                   (1)     ''डभौरा'' रेलवे स्‍टेशन को डी.आर.एम. झांसी से हटाकर डी.आर.एम.                        जबलपुर से संबद्ध किया जाये.

                   (2)     रीवा से इलाहाबाद के लिए सतना होकर नई इंटरसिटी ट्रेन चलाई                           जाये.         

                   (3)     रांझी   से लेकर भेड़ाघाट स्‍टेशन तक नागरिकों के आवागमन की                                        सुविधा हेतु  डी.एम.यू. शटल (लोकल) ट्रेन चलाई जाये.

 

                                                            समस्‍त संकल्‍प सर्वानुमति से स्‍वीकृत हुए.

 

अध्‍यक्षीय घोषणा

              सदन की आगामी बैठक 29 मार्च, 2016 को किए जाने विषयक

          उपाध्‍यक्ष महोदय -- दिनांक 28 मार्च, 2016 को रंगपंचमी त्‍यौहार है इस अवसर पर राज्‍य शासन द्वारा स्‍थानीय अवकाश घोषित किया गया है. तद्नुसार फरवरी-अप्रैल, 2016 सत्र की दिनांक 28 मार्च, 2016 की बैठक नहीं होगी.

          विधान सभा की कार्यवाही मंगलवार, दिनांक 29 मार्च, 2016 को प्रातः11.00 बजे तक के लिए स्थगित.

अपराह्न 6.40 बजे विधानसभा की कार्यवाही मंगलवार, दिनांक 29 मार्च, 2016 (9 चैत्र, शक संवत् 1938 ) के पूर्वाह्न 11.00 बजे तक के लिये स्‍थगित की गई.

 

 

 

                                                                                         भगवानदेव ईसरानी

 भोपाल  :                                                                                  प्रमुख सचिव

 दिनांक   :  18 मार्च, 2016                                                       मध्‍यप्रदेश विधान सभा