मध्यप्रदेश विधान सभा

 

की

 

कार्यवाही

 

(अधिकृत विवरण)

 

 

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षोडश विधान सभा                                                                    अष्टम् सत्र

 

 

दिसम्‍बर, 2025 सत्र

 

बुधवार, दिनांक 17 दिसम्‍बर, 2025

 

(26 अग्रहायण, शक संवत्‌ 1947)

 

 

[खण्ड- 8 ]                                                                                                 [अंक- 1]

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मध्यप्रदेश विधान सभा

 

बुधवार, दिनांक 17 दिसम्‍बर, 2025

 

(26 अग्रहायण, शक संवत्‌ 1947)

 

विधान सभा पूर्वाह्न 11.01 बजे समवेत् हुई.

 

{अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्‍द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए.}

राष्ट्रगीत

 

                                      राष्ट्रगीत "वन्दे मातरम्" का समूहगान

          अध्यक्ष महोदय - अब,राष्ट्रगीत "वन्दे मातरम्" होगा.सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया अपने स्थान पर खड़े हो जाएं.

          (सदन में राष्ट्रगीत "वन्दे मातरम्"" का समूहगान किया गया.)

11.03 बजे

                                               

                                                निधन का उल्लेख

निम्नलिखित के निधन संबंधी उल्लेख :-

 

(1)     श्री शिवराज वि. पाटिल, भूतपूर्व लोक सभा अध्यक्ष,

(2)     श्री स्वराज कौशल, भूतपूर्व राज्यपाल मिजोरम,

(3)     डॉ. रामविलास वेदांती, भूतपूर्व लोकसभा सदस्य, एवं

(4)     दिनांक  10 दिसम्बर, 2025 को नेशनल हाईवे-44 पर बम डिस्पोजल स्क्वॉड के वाहन की कंटेनर से भिडंत में मृत जवान.

 

 

 

 

 

 


 

      

          मुख्‍यमंत्री (डॉ. मोहन यादव)--  माननीय अध्‍यक्ष जी, आज विधान सभा के विशेष सत्र के लिये सबसे पहले तो आपका अभिनंदन. मैं आज इस शोक की घड़ी में इन चारों महानुभावों के बारे में आपने जो बात रखी है, जिसमें खासकर शिवराज पाटिल जी, हम सब उनको अलग-अलग प्रकार से जानते हैं. उनका अपना राज्‍य सरकार के रूप में वर्ष 1972 से 1979 तक दो बार विधान सभा का महाराष्‍ट्र का कार्यकाल तो मालूम नहीं है, लेकिन जैसी जानकारी आपने दी उपमंत्री विधि, न्‍यायपालिका, सिंचाई और प्रोटोकॉल मंत्री आप रहे हैं. आप वर्ष 1977 से 1978 तक महाराष्‍ट्र विधान सभा के उपाध्‍यक्ष और बाद के कार्यकाल में हमारी लोकसभा के अध्‍यक्ष भी रहे, मंत्री भी रहे, कई दायित्‍वों का निर्वहन आपने बहुत ही कुशलता के साथ किया. बहुत विनम्र और मृदुभाषी, लोकप्रिय व्‍यक्तिव आपका रहा है.

          आपके निधन से हमने एक वरिष्‍ठ राजनेता, संसदविद् एवं कर्मठ समाजसेवी खोया है.

          श्री स्‍वराज कौशल जी, हमारी वरिष्‍ठ नेता सुषमा स्‍वराज जी के पति भी थे एवं वह स्‍वयं एक कुशल अधिवक्‍ता और बहुत सुयोग्‍य व्‍यक्तिव के ध‍नी, आप मिजोरम के एडवोकेट जनरल भी रहे. आप वर्ष 1990 से 1993 तक मिजोरम के राज्‍यपाल तथा वर्ष 1998 से वर्ष 2004 तक राज्‍य सभा के सदस्‍य निर्वाचित हुये.

          आपके निधन से देश ने एक वरिष्‍ठ राजनेता और कुशल न्‍यायविद् खोया है.

          डॉ. रामविलास वेदान्‍ती जी का जन्‍म 7 अक्‍टूबर 1958 को गुढ़, जिला रीवा (म.प्र.) में हुआ. आप वर्ष 1984 से केन्‍द्रीय मार्गदर्शक मंडल में और विश्‍व‍ हिन्‍दू परिषद तथा श्रीराम जन्‍मभूमि ट्रस्‍ट ऐसे कई अभियानों में जुड़े रहे और श्री रामविलास वेदान्‍ती जी का अत्‍यंत आदर और श्रृद्धा के साथ पूरे प्रदेश और देश में आदर और सम्‍मान रहा है और आपने अपने अध्‍यात्‍म मार्ग के साथ-साथ देश हितैषी जैसे श्रीराम जन्‍मभूमि जैसे विषयों को सामने लाकर जिस प्रकार से मध्‍यप्रदेश की भी गरिमा बढ़ाई और हम सबने देखा माननीय सुप्रीम कोर्ट के माध्‍यम से अगर भगवान श्रीराम आज अयोध्‍या में मुस्‍कुरा रहे हैं तो हमें भी गर्व है कि चित्रकूटवासी ने इस पूरे संघर्ष में एक बड़ी भूमिका अदा की थी.

          आपके निधन से देश ने हिन्‍दू समाज के वरिष्‍ठ, धार्मिक एवं आध्‍यात्मिक गुरू एवं राजनेता को खो दिया है.

          माननीय अध्‍यक्ष जी, एक ऐसा घटनाक्रम हुआ जिसमें हमने 11 दिसम्‍बर, 2025 को यह गौरव पाया था कि नक्‍सलाइट के खिलाफ हमने लाल सलाम को आखिरी सलाम किया था, लेकिन उसी अभियान में लगे हमारे 4 जवान जो सागर जिले के बांदरी के पास बम डिस्‍पोजल स्‍क्‍वॉड के वाहन एवं कन्‍टेनर की टक्‍कर में आरक्षक श्री प्रद्युम्‍न दीक्षित जी, श्री अनिल कौरव जी, डॉग मास्‍टर श्री विनोद शर्मा जी एवं श्री परिमल सिंह तोमर जी आप चारों जवानों का दुखद निधन हुआ है. इन्‍होंने नक्‍सलाइट मूवमेंट में भी बड़ी भूमिका अदा की थी. यह चारों जवानों ने हमारे लिये गर्व और गौरव का मौका दिया, लेकिन असमय परमात्‍मा ने इनको अपने पास से उठाया है.

          मैं चारों जवानों के प्रति विनम्र श्रृद्धांजलि अर्पित करता हूं. बाबा महाकाल से कामना करता हूं कि सभी को मोक्ष प्रदान करें.

           नेता प्रतिपक्ष(श्री उमंग सिंघार) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सभी दिवंगत आत्‍माओं और उनके परिवार के प्रति मैं श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं. श्री शिवराज वि. पाटिल जी जो लोकसभा के अध्‍यक्ष रहे हैं, जिन्‍हें मैं कह सकता हूं कि वह एक संसद वीर भी रहे हैं, एक वरिष्‍ठ राजनेता भी रहे हैं. वह बड़े सौम्‍य स्‍वभाव के थे और किसी भी बात को बड़ी गंभीरता से सुनते थे, समझते थे और निश्‍चित तौर से ऐसे लोगों की क्षतिपूर्ति सामाजिक क्षेत्र और जीवन में दोबारा नहीं हो पाती है. उन्‍होंने लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍थाओं के पालन के साथ ही संसद में हमेशा नियमों के हिसाब से पंरपराओं को निभाया है और दोनों पक्ष को लेकर हमेशा लोकसभा का एक सफल संचालन किया है.

          अध्‍यक्ष महोदय, स्‍व. श्री स्‍वराज कौशल जी जो राज्‍यपाल के गर्वनर रहे हैं, वे हमेशा संवैधानिक दायित्‍वों के निर्वहन के साथ, गरिमा और संतुलन के साथ राज्‍यपाल के पद पर रहे हैं. डॉ. रामविलास वेदांती जी पूर्व लोकसभा सदस्‍य रहे हैं. विचार विमर्श और जनहित के मुद्दों पर मैं समझता हूं कि उन्‍होंने हमेशा प्रभावी ढंग से अपनी एक भूमिका निभाई है. दिनांक 10 दिसंबर, 2025 को नेशनल हाईवे -44 पर सड़क दुर्घटना में आरक्षक प्रद्युम्‍न दीक्षित जी, स्‍व. अनिल कौरव जी, डॉग मास्‍टर स्‍व. विनोद शर्मा जी, स्‍व. परिमल सिंह तोमर जी शहीद हुए हैं. निश्चित तौर से उनके पूरे परिवार को और उनसे संबंधित लोगों को गहरा आघात पहुंचता है और सार्वजनिक जीवन में एक क्षति होती है. हमें उनके परिवार के दुख का अहसास है, उनके परिवार के प्रति मैं अपने दल की ओर से दिवंगत आत्‍माओं को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं. ईश्‍वर शोकाकुल परिवार को इस दुख को सहने की शक्ति दे, धन्‍यवाद.

          श्री पंकज उपाध्‍याय(जौरा) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमारी शहीदी विरासत को आगे बढ़ाते हुए. हमारे चार चंबल के वीर शहीद हुए  है. हमारे आरक्षक प्रद्युम्‍न दीक्षित जी, स्‍व. अनिल कौरव जी, डॉग मास्‍टर स्‍व. विनोद शर्मा जी, स्‍व. परिमल सिंह तोमर जी. स्‍व.श्री विनोद शर्मा जी हमारे जौरा के ही रहने वाले थे. वह मात्र 34 साल की उम्र में एस.ए.एफ. की 29 बटालियन में बहुत बहादुरी से कार्य करते थे और बम स्‍कॉड में काम करते थे. मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि चारों दिवगंतों को शहीदों का दर्जा दिया जाये और उनको जो शहीदों की सुविधाएं मिलती हैं.वह सभी सुविधाएं उनके परिवारों को मिले, यही मेरा अनुरोध है, धन्‍यवाद.

          उप मुख्‍यमंत्री( श्री राजेन्‍द्र शुक्‍ल) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं सभी दिवगंत आत्‍माओं को श्रद्धांजलि देते हुए डॉ. रामविलास वेदांती महाराज जी के बारे में कहना चाहता हूं कि वह हमारे विंध्‍य क्षेत्र के गौरव थे और ऐसा लगता है कि ईश्‍वर ने उनको विशेष प्रयोजन के लिये इस धरती पर भेजा था. मात्र 12 वर्ष की उर्म में वह अयोध्‍या गये, वहां पर जो  हनुमान गढ़ी के संत अभिरामदास जी महाराज जी हैं, उनके वह शिष्‍य बने, इसके बाद वह रामजन्‍म भूमि आंदोलन में जुड़े और उनकी जो भूमिकाएं रही हैं, उनको सारे देश ने देखा है, उसके बाद जब राममंदिर का निर्माण हुआ है और किस तरह से वह एक पवित्र आत्‍मा थे, इसका अंदाजा भी इससे लगता है कि वह 12 वर्ष  की उम्र में यहां से जाने के बाद विंध्‍य क्ष्‍ोत्र रीवा में उनका आगमन होता रहता था, लेकिन निधन के एक हफ्ते पहले वह वहां पर राम कथा करने आये और जिस दिन कथा समाप्‍त हुई, उस दिन उनकी तबियत खराब हुई है और वह फिर रीवा के सुपर स्‍पेशिलिटी अस्‍पताल में रात को ग्‍यारह बजे भर्ती हुए. मैं सुबह पहुंचा और उनको  एयरलिफ्ट करने के लिये एयर एबुंलेंस भी आई, लेकिन मौसम ऐसा खराब था कि जिस कारण से वह लैंड नहीं हो पाई, उस दिन एकादशी थी और एक दिन पहले ही डॉक्‍टरों ने मुझे बता दिया था कि कल तक में इनकी स्थिति ओर खराब हो सकती है, लेकिन उन्‍हें एकादशी के दिन ही देह त्‍यागना था और अपनी ही जन्‍मभूमि में ही देह त्‍यागना था.12 वर्ष की उम्र में जन्‍मभूमि से अयोध्‍या जी जाना और वहां से फिर लौटकर मृत्‍यु के पहले, अपने गृह जिले में आना और रामकथा को संपूर्ण करना और फिर एकादशी के दिन देह को त्‍यागना, ये उनकी पवित्र आत्‍मा का उदाहरण है, इसलिए वे एक बड़ा प्रयोजन लेकर इस धरती पर आए और प्रयोजन जैसे ही पूरा हुआ, भगवान राम का भव्‍य मंदिर बना और वे शांति के साथ इस दुनिया को छोड़कर चले गए. मैं उनके चरणों में श्रद्धासुमन अर्पित करता हूं और सभी दिवंगत आत्‍माओं को श्रद्धांजलि देता हूं.

     अध्‍यक्ष महोदय मैं, सदन की ओर से शोकाकुल परिवारों के प्रति संवदेना प्रकट करता हूं. अब सदन कुछ समय मौन खड़े रहकर दिवंगतों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करेगा.

(सदन द्वारा 2 मिनिट मौन खड़े रहकर दिवंगतों के प्रति श्रद्धाजलि अर्पित की गई)

          अध्यक्ष महोदय- ओम शांति, शांति, शांति. दिवंगतों के सम्मान में सदन की कार्यवाही 05 मिनिट के लिये स्थगित की जाती है.

(समय 11.16 बजे, दिवंगतों के सम्मान में विधानसभा की कार्यवाही 05 मिनिट के लिए स्थगित )

 

11. 20                                  विधान सभा पुनः समवेत हुई.

11.20              {अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए}

स्वागत उल्लेख

माननीय सदस्य श्री दिलीप सिंह परिहार जी का जन्मदिन पर स्वागत उल्लेख

          अध्यक्ष महोदयआज माननीय श्री दिलीप सिंह परिहार जी का जन्मदिन है. सदन की ओर से उनका हार्दिक स्वागत है.

          संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय)अध्यक्ष महोदय, माननीय दिलीप सिंह जी पिछले 50 साल से 16 साल के हैं. (हंसी)

11.21                              मध्यप्रदेश को विकसित, आत्मनिर्भर और समृद्ध राज्य बनाने पर चर्चा

अध्यक्ष महोदयमध्यप्रदेश की प्रथम विधान सभा की प्रथम बैठक के 70 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में विधान सभा इस विशेष बैठक जिसमें मध्यप्रदेश को आत्मनिर्भर राज्य बनाने पर चर्चा होगी. मैं सदन में समवेत समस्त सदस्यगण का हार्दिक स्वागत करता हूं. जनसेवा की भावना से वर्षों से राजनीति में सक्रिय हम जैसे प्रतिनिधियों के लिये सुखद संयोग और सौभाग्य है कि मध्यप्रदेश विधान सभा की 70 वीं वर्षगांठ के अवसर पर जनकल्याण के सपनों को आकार देने के लिये 16 वीं विधान सभा में पक्ष और विपक्ष के सभी सदस्य एक दिवसीय विशेष सत्र में एक साथ उपस्थित हैं. हम सभी जानते हैं कि यह वर्ष वंदे-मातरम के 150 वर्ष पूरे होने का भी है. वंदे-मातरम के विभिन्न क्षन्दो ने खुशहाल भारत की कल्पना की गई है. वैसा ही खुशहाल मध्यप्रदेश बनाने के लिये विशेष सत्र आहूत हुआ है. आम जनता अपने विधायकों को बड़ी अपेक्षा और उम्मीद के साथ चुनती है. उन्हें भरोसा होता है कि उनका जनप्रतिनिधि उनकी जीवन शैली के उन्नयन के लिये ईमानदारी से अपने दायित्वों का निर्वहन करेगा. आम लोगों की इन्हीं उम्मीदों को पूरा करने के लिये मध्यप्रदेश विधान सभा की दीर्घ यात्रा के अगले चरण में मध्यप्रदेश की 8 करोड़ जनता की आकांक्षाओं और अभिलाषाओं के प्रति प्रतिबद्धता का शंखनाद करने के लिये यह विशेष सत्र आयोजित किया गया है. माननीय सदस्यगण मध्यप्रदेश विधान सभा का विशेष सत्र आहूत करने के प्रयोजनों से आप भलि-भांति अवगत हो चुके हैं. भारत में अथवा विभिन्न राज्यों की विधायिका के इतिहास में विशेष सत्र विशेष परिस्थितियों में भी आहूत करने की परम्परा है. राज्य के हितों से जुड़े मुद्दों पर विचार करने के लिये आहूत इन विशेष सत्रों की अपनी महत्ता होती है . 1 नवम्बर 1956 के दिन गठित मध्यप्रदेश में राज्य विधान सभा की पहली बैठक 17 दिसम्बर को सम्पन्न हुई थी. उसके बाद सोलहवीं विधान सभा के वर्तमान कालखंड तक पिछले 69 वर्षों के दरम्यान मध्यप्रदेश में 191 बार सदन के सत्र आहूत हो चुके हैं. विशेष सत्र की गणनाओं में राज्य विधान सभा का यह चौथा सत्र है. सदन की 192 बैठक के रूप में आहूत सोलहवीं विधान सभा का यह विशेष सत्र राज्य की 8 करोड़ जनता के समग्र विकास और उनके जीवन उन्नयन के लिये समर्पित है. साथ ही यह वक्त बीते 70 वर्षों के दरम्यान मध्यप्रदेश में निर्वाचित पक्ष और विपक्ष के सभी 4499 विधायको को स्मरण करने और उन्हें सराहने का भी है. जिन्होंने जनतंत्र के पवित्र मंदिर में प्रतिष्ठित इस सदन में बैठकर मध्यप्रदेश के विकास की अवधारणा में अपनी वैचारिक आहूति देकर लोकतंत्र के महायज्ञ की पवित्रता को जीवंत बनाये रखा है. लोकतंत्र में आम जनता और निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के रिश्तों की धुरी व विश्वास होता है. जिसे निर्वाचन की प्रक्रिया के माध्‍यम से जनता व्‍यक्‍त करती है. संसद या विधानसभा को लोकतंत्र का मंदिर माना जाता है. लोकतंत्र में विधानसभा वही स्‍थान है, जो धर्म में ईश्‍वर का होता है. लोकतंत्र में आमजनता से जुड़े हर मसले पर विचार-विमर्श का केन्‍द्र बिन्‍दु विधायिका ही है. यह कहना अतिश्‍योक्‍तिपूर्ण नहीं होगा कि हमारी विधायिका ने प्रदेश के सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक परिवर्तन के लक्ष्‍यों को हासिल करने में महती भूमिका का निवर्हन किया है. मध्‍यप्रदेश ने शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य, ज्ञान, कृषि जैसे अनेक क्षेत्रों में उल्‍लेखनीय प्रगति की है. फिर भी हम यह नहीं कह सकते कि आम आदमी के जीवन स्‍तर के उन्‍नयन के लिये अब काम करने की जरूरत नहीं है. 21वीं सदी के मानवीय विकास के प्रबंधन की चुनौतियां निरंतर कठिन होती जा रही हैं. यह टेक्‍नालॉजी का युग है. रोजमर्रा की जिंदगी में ऑर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का हस्‍तक्षेप मानवीय प्रभुता और संवेदनाओं को चुनौती दे रहा है. रोबोट संस्‍कृति राजनैतिक और सामाजिक सरोकारों की दिशाओं में नई-नई जटिलताएं पैदा कर रहा है. इस परिपेक्ष्‍य में चुनौतियों के आर्थिक, तकनीकी और वैज्ञानिक पहलुओं पर निरंतर समीक्षा जरूरी है. उन्‍हें समझना जरूरी है ताकि अगली पीढ़ी के समक्ष मौजूद चुनौतियों के मुताबिक विकास का एजेंडा तय किया जा सके. यह विशेष सत्र इसी तारतम्‍य में आहूत किया गया है. विशेष सत्र में हम विकसित मध्‍यप्रदेश वर्ष 2047 के लिए तैयार विज़न में निर्धारित सामाजिक, आर्थिक और विकास के विभिन्‍न लक्ष्‍यों को केन्‍द्र में रखकर प्रदेश के विकास की सर्वसम्‍मत गतिशीलता को निर्धारित करना चाहते हैं. हालांकि विकास की गतिशीलता के मामले में मध्‍यप्रदेश अभी कमजोर नहीं है. भारत सरकार के नीति आयोग के सतत् विकास के लक्ष्‍यों के लिये निर्धारित इंडिया इंडेक्‍स वर्ष 2023-24 में मध्‍यप्रदेश फ्रंट रनर रहा है लेकिन हमें इससे संतुष्‍ट नहीं होना चाहिए. मध्‍यप्रदेश की 8 करोड़ जनता के लिये अपेक्षित गतिशीलता पाना तभी संभव है, जब पक्ष-विपक्ष के सभी विधायक सदन के विशेष सत्र में विकसित मध्‍यप्रदेश वर्ष 2047 के विज़न डॉक्‍यूमेंट्स के क्रियान्‍वयन के बारे में रचनात्‍मक चर्चा कर विकास का एक सर्वसम्‍मत दीर्घकालिक रोडमेप तैयार करें. हमें इस रोडमेप पर यह अंकित करना होगा कि अगले 25 सालों में विकास के सफर में हम कब, कैसे और कहां पहुंचेंगे. पक्ष और विपक्ष के सदस्‍यों के सार्थक सुझाव जनआकांक्षाओं को साकार करने के लिए सामने रखना एक जनप्रतिनिधि का महती दायित्‍व है. इस दायित्‍व को निभाकर ही हम, लोगों की उम्‍मीद पर खरा उतर सकेंगे. सभी जनप्रतिनिधियों को यह सुनिश्‍चित करने की आवश्‍यकता है कि हर हिस्‍से में विकास का पूरा-पूरा लाभ मिले. सोशल मीडिया के इस युग में अब यह महत्‍वपूर्ण नहीं रहा कि एक जनप्रतिनिधि के रूप में आप सत्‍ता पक्ष का प्रतिनिधित्‍व कर रहे हैं अथवा विपक्ष की बेंच में बैठे में हैं. अब महत्‍वपूर्ण यह है कि जनता के लिये कितना और क्‍या काम कर रहे हैं. इसलिए हमारा कर्तव्‍य है कि हम विकसित मध्‍यप्रदेश वर्ष 2047 के विज़न डॉक्‍यूमेंट्स को बनायें और उसे गीता की तरह हम स्‍वीकार करें. मध्‍यप्रदेश में विधायिका के 192 सत्रों के इतिहास में यह चौथा विशेष सत्र है. इसके पहले 3 विशेष सत्र प्रयोजन के मद्देनजर रखते हुए आहूत हुए थे. यह सत्र 10 साल बाद आयोजित हो रहा है. इसके पूर्व आजादी की 50वीं सालगिरह पर वर्ष 1997 में विशेष सत्र का आयोजन हुआ था. सन् 2000 में मध्‍यप्रदेश विभाजन के वक्‍त विशेष सत्र बुलाया गया था. एक दशक पहले वर्ष 2015 में मध्‍यप्रदेश के विकास पर केन्‍द्रित विशेष सत्र आहूत हुआ था. मध्‍यप्रदेश के गठन के बाद राज्‍य के विकास में पक्ष-विपक्ष के हमारे सभी राजनैतिक पूर्वजों का भरपूर योगदान रहा है. उसे हासिए पर डालना संभव ही नहीं है. मध्‍यप्रदेश की प्रथम विधानसभा के षोड्श विधानसभा तक पक्ष-विपक्ष के कुल 4 हजार 499 निर्वाचित विधायकों ने अलग-अलग कालखंड में इस सदन में बैठकर मध्‍यप्रदेश की विकास यात्रा में अपना योगदान दिया है हम उनके आभारी हैं. मध्यप्रदेश में कुल जमा 4499 विधायकों की अलग-अलग वंशावली दर्ज है. मौजूदा 230 विधायक इस विशेष सत्र में मध्यप्रदेश की इस विकास गाथा पर अपने हस्ताक्षर दर्ज करेंगे. दिनांक 18 दिसम्बर, 1956 के दिन मध्यप्रदेश की एकीकृत विधान सभा के सर्वसम्मति से निर्वाचित पहले अध्यक्ष पंडित कुंजीलाल दुबे ने समूचे सदन की भावनाओं को रेखांकित करते हुए पहले उद्बोधन में कहा था कि इस मध्यप्रदेश की भव्य भूमि में भिन्न-भिन्न युगों की भिन्न-भिन्न संस्कृतियां खेलती रही हैं. इसके अतीत का गौरव भारत का गौरव रहा है और मुझे विश्वास है कि आप सभी सदस्यों को भी विश्वास रहेगा कि भविष्य के गौरव में मध्यप्रदेश का गौरव शामिल रहेगा, ऐसा प्रयत्न हम सब लोगों का रहना चाहिए.

मध्यप्रदेश की सोलहवीं विधान सभा के अध्यक्ष के नाते मुझे विश्वास है कि इस विशेष सत्र में अपने नेक इरादे, साफ नीयत, जनहित और राष्ट्र हित को सर्वोपरि रखकर विज़न के माध्यम से हम मध्यप्रदेश की जनता की भलाई के लिए एक नया इतिहास लिख सकेंगे. हमारी सहभागिता पहली विधान सभा के संकल्पों के अनुरूप सन् 2047 में मानव विकास के नये प्रतिमानों के साथ विशेष सत्र की धारणाओं को साकार करेगी. हम कह सकेंगे कि मध्यप्रदेश सही अर्थों में भारत का सिरमौर है.

आप सब माननीय  सदस्यों का इस विशेष सत्र में स्वागत है. माननीय मुख्यमंत्री जी से मैं आग्रह करूंगा कि वह संकल्प प्रस्तुत करें. अब, प्रथम विधान सभा की प्रथम बैठक की 70वीं वर्षगांठ पर मुख्यमंत्री जी एक संकल्प प्रस्तुत करेंगे.

 

(मेजों की थपथपाहट)..

मुख्यमंत्री ( डॉ. मोहन यादव )- माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश को विकसित, आत्मनिर्भर तथा समृद्ध राज्य बनाने पर आयोजित इस चर्चा के लिए प्रथम विधान सभा सत्र की खासकर 70 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में हमारे लिए आज की इस बैठक में मध्यप्रदेश को आत्मनिर्भर राज्य बनाने पर चर्चा होगी. मैं इस अवसर पर सभी माननीय सदस्यों से खासकर सम्वेत समस्त सदस्यगण का हार्दिक स्वागत और अभिनंदन करता हूं.

माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं इस अवसर पर यह संकल्प प्रस्तुत करता हूं कि  -

"इस सदन का यह मत है कि मध्यप्रदेश को विकसित, आत्मनिर्भर तथा समृद्ध राज्य बनाया जाए."

अध्यक्ष महोदय - संकल्प प्रस्तुत हुआ.

मध्यप्रदेश को विकसित, आत्मनिर्भर और समृद्ध राज्य बनाये जाने पर चर्चा के लिए कुल 7 घंटे का समय उपलब्ध है. इसमें माननीय मुख्यमंत्री जी और नेता प्रतिपक्ष जी के भाषण के लिए 2 घंटे का समय नियत किया जाता है. शेष 5 घंटे माननीय सदस्यों के लिए आवंटित हैं. आज भोजनावकाश नहीं होगा. गैलरी में भोजन उपलब्ध रहेगा. हम सभी अपनी सुविधा से भोजन ग्रहण कर सकते हैं. सांयकाल सांस्कृतिक कार्यक्रम भी है और रात्रि का भोजन भी विधान सभा परिसर में है. माननीय मुख्यमंत्री जी कुछ बोलना चाहेंगे.

डॉ. मोहन यादव - माननीय अध्यक्ष महोदय, सच में मैंने प्रारंभ में भी कहा था और दोबारा दोहरा रहा हूं. यह विशेष सत्र हमारे लिये, इस विधान सभा के लिए मध्यप्रदेश के साथ-साथ गणतंत्र के लिए, लोकतांत्रिक व्यवस्था में हम सब के लिए सौभाग्य की बात है. बाबा महाकाल की कृपा से हमारी इस विधान सभा के गठन के साथ विशेष सत्र का आयोजन यह सच में लोककल्याणकारी राज्य के कर्तव्य पथ पर चलने के लिए बड़ा मार्ग प्रशस्त करने वाला भी है और संबल बढ़ाने वाला भी है. आज के इस अवसर पर मैं खासकर बाबा महाकाल के प्रति उनके चरणों में श्रद्धा से नमन करता हूं और जिनकी  कृपा से समय भी मर्यादा में नहीं बनता है, उनके आनन्द से हम सब अपने जीवन के प्रत्येक क्षण का आनन्द लेते हैं.

बाबा महाकाल की नगरी से निकली यह प्रेरणा मध्यप्रदेश की आत्मा में रची बसी है. यह गरिमापूर्ण सदन का एक विशेष सत्र के रूप में हमारा एकत्रीकरण न केवल औपचारिकता है.

बल्कि लोकतंत्र के प्रति हमारी प्रतिबद्धता और  भविष्य के  प्रति हमारा साझा  उत्तरदायित्व का भी  संकल्प है.  बाबा महाकाल  के आशीर्वाद  से हम सब मिलकर  प्रदेश को समृद्ध,सशक्त और  सांस्कृतिक रुप से  गौरवशाली  बनाने के संकल्प  का  इस सत्र में शुभारम्भ  कर रहे हैं.  वैसे विगत् 70 वर्षों में  यह सदन सत्ता का  नहीं,  जनता के विश्वास के रुप में  परिलक्षित हुआ है,  हम सबको  इस बात पर गर्व है.

अध्यक्ष जी, अभी अभी हमारी सरकार ने  दो वर्ष पूरे किये हैं और मैं यह दावे के साथ कह सकता हूं कि  हम सबने मिलकर के  न केवल दूरगामी दृष्टि से  निर्णय लिया,  बल्कि  ऐसे निर्णय भी लिये,  जो  आज तो थोड़े से   कम लगेंगे, लेकिन  आने  वाले समय में  ये कई माइल स्टोन  के  रुप में जाने जायेंगे.  ऐसे सभी फैसलों के लिये  जो जनता के जीवन  का  बदलाव  का हिस्सा बनें,  मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि  जिससे जनता का कष्ट  कम हो और जनता में खुशियां अपार हों.  सालों तक बीमारु राज्य के रुप में मध्यप्रदेश  की पहिचान रही है. लेकिन हमारी पार्टी की सरकारों ने एक बीमारु  राज्य को  विकासशील  होते राज्य के साथ  विकसित राज्य की दहलीज  पर ले आई, हमें इस बात का गर्व  भी है और  गौरव भी है और हमें पूरा भरोसा है कि हम लोग राज्य को  विकसित राज्यों की श्रेणी  में  आगे ले जायेंगे. यह संकल्प हमारा है और  निश्चित रुप  से   जिसके कारण से  राज्य में चारों ओर हरियाली होगी.  उद्योग धंधों का जाल होगा.  जहां बेरोजगारी  और गरीबी नहीं होगी. सभी सुखी  और सम्पन्न होंगे.  हम इस संकल्प के साथ आगे  बढ़ रहे हैं. हमारा संकल्प है कि  हमारे पास नेता भी है, नीति भी है और  नीयत भी है. हम ठोक बजाकर पूरे आत्मविश्वास के साथ  विकसित, आत्मनिर्भर  मध्यप्रदेश बनाकर  ही दम लेंगे,  इसके लिये मेहनत की पराकाष्ठा  करेंगे, यह संकल्प हमारा है.  मध्यप्रदेश की सरकार ने  पिछले दो वर्षों में  विकास के हर क्षेत्रों  में ऐतिहासिक उपलब्धियां  हासिल कीं. ऐतिहासिक  निर्णयों, नीतियों से मध्यप्रदेश में परिवर्तन  का नया दौर प्रारम्भ हुआ है.  मैं यशस्वी प्रधानमंत्री,श्रीमान नरेन्द्र मोदी जी को याद करते हुए गर्व और गौरव  महसूस कर रहा हूं कि  जिनके नेतृत्व  में  और माननीय  गृह मंत्री जी, माननीय अमित शाह  जी के नेतृत्व में  हमने 11  दिसम्बर को  नक्सलवादियों के लाल सलाम को  आखिरी  सलाम किया.  हमें इस बात की प्रसन्नता है और यह संकल्प  यही विधान सभा  के लिये गौरव का  वह   अवसर भी देता है कि 1999 में  हमारे  इसी सदन के कांग्रेस पक्ष के  एक मंत्री, जिनको घर से  निकाल करके  इन्हीं  तमाम नक्सलवादियों  ने चौड़े चौगान,  सरेआम  कुल्हाड़ी से  उनकी हत्या करके  इस लोकतंत्र को चुनौती  दी थी. मुझे गर्व है, हमारे  सदन  ने   उसका बदला लेकर  के  वह हिसाब चुकता  किया है कि आखिरकार   कानून के राज का ही  सम्मान करना पड़ेगा.  यह किसी हालत में  आतंक की किसी घटना के लिये मध्यप्रदेश में  कोई जगह नहीं है.  मुझे इस बात का भी फक्र है,  जब हम आतंक,उग्रवाद की बात कर रहे हैं, तो हमने उनसे चुड़े मॉड्यूल  को भी ध्वस्त किया है.  भारतीय मुजाहिदीन, आईएसआई  समर्थक समूह, टेरर फंडिंग, चरस  नेटवर्क इत्यादि सभी पर कार्यवाही  करते हुए  20 से अधिक आरोपियों को  हमने गिरफ्तार किया है.  मनी लॉन्ड्रिंग  के  1300 से अधिक  खातों में  2 हजार करोड़ के अवैध   लेन-देन का खुलासा  किया है.  अवैध हथियार फैक्ट्री को  ध्वस्त कर 1900 से  अधिक   बैरल,  शटल, नालियां, हथियार  बनाने की  सामग्री  सहित  अवैध हथियारों को  बरामद किया है.  ऐसे कई कामों  के साथ  विस्तार से मैं शाम के समय  इस पर भी बात करुंगा.  लेकिन अभी अभी  दो दिन  पहले हमने मेट्रोपॉलिटन  सिटी बनाने का  हमारे माननीय स्थानीय शासन  मंत्री जी  को बधाई देना चाहूंगा कि  यह विजन से हमारी सरकार  पक्ष के और विपक्ष के  सभी सदस्यों के साथ  हम जो दूरगामी दृष्टि से  निर्णय कर रहे हैं,  आने वाला समय  इस बात  के लिये जाना जायेगा  कि हमारी राजधानी  किस प्रकार से  होनी चाहिये.  राजधानी का भविष्य का   स्वरुप क्या बनना चाहिये.  मालवा  हमारा  अपना आमतौर पर  व्यापार, व्यवसाय  और कई प्रकार की गौरवशाली गाथाओं  के कारण से आगे  बढ़ता है.  लेकिन केवल मालवा, मध्य भारत  नहीं, हमारा चम्बल  और हमारा महाकौशल  भी  सुव्यवस्थित  विकास  के साथ चले. तो  इसलिये चारों क्षेत्रों में   अभी प्रारम्भ में  इन्दौर  और भोपाल को हमने मेट्रोपॉलिटन  लिया है और आगामी   साल  अर्थात् 2026 में  हम  जबलपुर और ग्वालियर को  भी जोड़कर के एक मेट्रोपोलिटन प्लान के आधार पर सुव्यवस्थित शहरीकरण की योजना में आगे बढ़ेंगे जिसके आधार पर इनका क्षेत्र निर्धारित करेंगे, शाम के समय मैं इस पर विस्तार से बताऊंगा. आज जब हम पंचायतों की तरफ देखते हैं, हम केवल नगर की बात नहीं कर रहे हैं, मैं ग्रामीण विकास मंत्री जी को भी बधाई देना चाहूंगा कि हमने दो वर्षों के अंदर बहुत प्रकार से, अलग अलग क्षेत्र में, खासकर के ग्रामीण अंचल में भी गांव का सुव्यवस्थित विकास हो, गांव में समृद्धि आये, आत्मनिर्भर हो, हरेक ग्राम पंचायत में पीएम किसान समृद्धि केन्द्र की स्थापना हो, और प्रत्येक विकास खंड में हम अपने आदर्श पांच हजार साल पुराने गौरवशाली इतिहास को जीवंत करते हुये वृंदावन गांव बनाने जा रहे हैं हमें इस बात का आनंद है, वृंदावन गांव की संकल्पना को साकार करेंगे(मेजों की थपथपाहट)

          माननीय अध्यक्ष महोदय,  जब शिक्षा के क्षेत्र में देखते हैं तो मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि शिक्षा नीति लागू करने के लिये 2020 में हमारा राज्य सबसे पहले आगे बढ़ा था और यह बात सही है कि जीवन में जो शिक्षा का आधार है वह अद्भुत है और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिये  अध्यक्ष महोदय आपके नेतृत्व में आज तो मैं इतना ही बोलना चाहूंगा कि नेता प्रतिपक्ष, हम और आपके मार्गदर्शन में एक समिति भी बने, जो सांदीपनि विद्यालय के जो भवन बने हैं, वास्तव में यह पूरे देश में अद्भुत मॉडल है, यह शिक्षा के क्षेत्र का एक नया क्रांति का सूत्रपात है. और इसमे क्या क्या हो सकता है. मैं इसलिये इस बात को जरूर बोलना चाहूंगा खुलेमन से कि हमारे लिये इसी सदन के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह जी जब शिक्षा-मानव संसाधन विकास मंत्री बनकर के भारत की सरकार में थे तब उन्होंने नवोदय विद्यालय की सौगात दी थी. नवोदय विद्यालय ने शिक्षा के अंदर एक माइलस्टोन का काम किया, जब हम अपने अतीत की बात करेंगे तो अतीत का वह गौरवशाली पृष्ठ था जब मानव संसाधन मंत्री के नाते से एक बड़ा अच्छा प्रयोग हुआ उसके लिये धन्यवाद देना चाहूंगा. सांदीपनि वैदिक संस्थान की स्थापना उज्जैन में करके अर्जुन सिंह जी ने वेदों के अध्ययन के लिये भी प्रेरित किया. मैं उनका इस तरह से स्मरण करना चाहूंगा.(मेजों की थपथपाहट)

          माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे लिये और सदन के लिये यह गोरवान्वित करने वाला पृष्ठ है जब हम आज बात कर रहे हैं. 370 सांदीपनि विद्यालय हमने बनाये हैं और एटेंडेंस को लेकर के आम तौर पर शिक्षकों पर जो आरोप लगते हैं अब हमने एटेंडेंट हेतु शिक्षक के लिये भी एक एप बनाकर के ई-अटेंडेंस लागू किया है. कई जगह 99 प्रतिशत से लेकर के 100 प्रतिशत तक हमारी अटेंडेंस भी हो रही है.

          माननीय अध्यक्ष महोदय, इसके साथ साथ 799 मॉडल स्कूल, 52 सांदीपनि स्कूलों में रोबोटिक्स लैब, 3359 स्कूलों में व्यावसायिक कोर्स 20 हजार से अधिक निज विद्यालय में  पढ़ने वाले साढे 8 लाख विद्यार्थियों की फीस हमने भरी है. और अध्यक्ष महोदय हम खासकर के इसलिये भी धन्यवाद देना चाहेंगे कि हमने अंग्रेजों से उधार लिये शब्दों को भी अलविदा किया है. वह समय गया जब हम कुलपति  कह करके अंग्रेजों की पद्धति का पालन करते थे, हमे इस बात का गर्व है कि अब हमने कुलगुरू करके नाम दिया है और यह हमारे लिये गोरवान्वित करने वाली बात है.(मेजों की थपथपाहट)

          माननीय अध्यक्ष महोदय, इतना ही नहीं शिक्षा के क्षेत्र से हमने अपने आदिवासी जनजाति क्षेत्र में टंट्यामामा के नाम पर खरगोन में विश्वविद्यालय बनाया, हमने तात्या टोपे के 1857 की क्रांति को भी नमन किया, हमारी रानी अवंतिबाई के नाम पर सागर में विश्वविद्यालय ,यह तीन तीन विश्वविद्यालय बनाना हमारे लिये इस नये संकल्प का प्रतिवादन करते हैं कि हम शिक्षा के अंदर अतीत के गौरवशाली महापुरूषों को भी याद रखेंगे और उन्हीं के आधार पर भविष्य की रूप रेखा भी बनायेंगे. .(मेजों की थपथपाहट)

 

          माननीय अध्यक्ष महोदय, पहला सुख निरोगी काया, 10 सुख में से पहला सुख निरोगी काया का माना गया है. आज के इस दौर में जब यशस्वी प्रधानमंत्री जी ने रूपये 5 लाख तक की आयुष्मान योजना के माध्यम से प्रदेश के अंदर और देश के अंदर खासकर के चिकित्सा के लिये एक नया प्रतिमान बनाया है ,तो उसी दृष्टिकोण से अब हमने कहा कि मेडिसिटी भी बनाई जाये और सरकारी स्तर पर पहली मेडिसिटी हमने उज्जैन में मेडिसिटी कॉलेज और पूरा कैम्पस एक ही एरिये में मल्टीस्टोरी के माध्यम से , वह समय गया जब भूमि के अभाव में बड़े बड़े मेडिकल कालेज नहीं बनाये जा सकते, यह मॉडल बन रहा है जिसके आधार पर हम भविष्य में हमारे कई शहरी क्षेत्र में भी इसकी सौगात मिलेगी. और एक उल्लेखनीय काम देश में सबसे पहले हुआ है पीएम एयर एंबुलेंस की सेवा, जिससे कई लोगों को लाभ मिला यह अद्भुद है , और खासकर के कष्ट के समय में गरीब आदमी के लिये हास्पिटल में जब डॉक्टर जवाब दे दे और बड़े हास्पीटल में पहुंचाना पड़े, ऐसे समय में केवल आयुष्मान कार्ड उसका होगा , उस आयुष्मान कार्ड के माध्यम से डॉक्टर और कलेक्टर दोनों मिलकर के डिसाइड करेंगे कि मरीज को योग्य जगह इलाज के लिये पहुंचाने में और बाकि जगह पहुंचाने में जो पैसा लगेगा , सरकार भरेगी और एयर एंबुलेंस से हम मरीज की जिंदगी में एयर एम्‍बुलेंस से हम उस मरीज की जिंदगी में मदद का हाथ बढ़ाने के लिए संकल्पित हैं. इसी के साथ-साथ सिकलसेल को लेकर यह बात सही है कि जनजातीय क्षेत्र में इसकी बड़ी चुनौती है. मुझे इस बात का संतोष है कि लगभग सवा करोड़ से ज्‍यादा आदिवासी अंचल में सिकलसेल के रोगी की स्‍क्रीनिंग करके हम इस दिशा में काफी ठोस काम कर रहे हैं. प्रदेश में 12,655 आयुष्‍मान आरोग्‍य मंदिर, 448 मुख्‍यमंत्री संजीवनी क्‍लीनिक, 2 वर्षों में 6 नये मेडिकल कॉलेज, शासकीय मेडिकल कॉलेजों की संख्‍या 19 और निजी मेडिकल कॉलेजों की संख्‍या अब 14 हो गई है. धीरे-धीरे करके यह काफी बड़ी संख्‍या में होगी. माननीय उप मुख्‍यमंत्री श्री राजेन्‍द्र शुक्‍ल जी इसमें विस्‍तार से अपना वक्‍तव्‍य देंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय, मैं बताना चाहूंगा कि लाड़ली बहनाओं की राशि केवल राशि नहीं है यह बहनों के जीवन में एक अलग नारी सशक्तिकरण का बड़ा भाव और हमारा आदर है. उसी नाते से वर्ष 2023 में प्रारंभ होने वाली यह योजना जो 1,000 रुपये से प्रारंभ हुई, वर्ष 2024 में हमने ढाई सौ रुपये बढ़ाकर हर महीने रक्षाबंधन मनाने का संकल्‍प लिया है और इस साल फिर ढाई सौ रुपये बढ़ाकर अब 1,500 रुपये महीना देकर भाई दूज पर भी हमने बहनों के लिए यह 1,500 रुपये न केवल उनकी जिंदगी में बड़ी मदद करेंगे बल्कि इससे बहनों की आंखों में विश्‍वास, बच्‍चों के चेहरों पर इससे जो आनंद आता है, मुस्‍कान छाती है उसके लिए सरकार सही दिशा में काम कर रही है. बोलने के लिए तो सेनिटेशन हाइजीन योजना में भी 20 लाख से अधिक बालिकाओं के लिए 61 करोड़ रुपये की राशि देश भर में सबसे पहले हमने इस नवीन योजना का सूत्रपात किया है, जिसके माध्‍यम से बहनों की मदद की है. जब मैं हमारे आदिवासी अंचल के कपास उत्‍पादक किसानों की तरफ देखता हूं, पूरा निमाड़ और मालवा कपास के कारण जिनिंग मिल और कॉटन की बड़ी-बड़ी इंडस्‍ट्रीज़ के कारण जाना जाता था, लेकिन अब मैं आज के इस सुअवसर पर इतना ही बोलना चाहूंगा कि अंग्रेजों के समय स्‍थापित वह बड़ा एरिया जिसको हम नई टेक्‍नोलॉजी के आधार पर और आगे बढ़ा सकते थे, कपास धागा, कपड़ा, रेडीमेट गारमेंट्स दक्षिण के राज्‍य बना रहे हैं मुझे इस बात का संतोष है कि माननीय प्रधानमंत्री जी के आशीर्वाद से हमने पीएम मित्र पार्क बनाकर उसका भूमि पूजन कर दिया है और साथ ही साथ सभी जमीनें आवंटित करके 6 लाख से ज्‍यादा कपास उत्‍पादक किसानों के लिए उनकी जिंदगी में सुख का सवेरा और 3 लाख से अधिक लोगों के रोजगार का नया दरवाजा खुला है. मैं इस नाते से पीएम मित्र पार्क की बधाई देना चाहूंगा. (मेजों की थपथपाहट) नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में हमने वाकई सबसे बड़ी छलांग लगाई है. नवकरणीय ऊर्जा के आधार पर देश में सबसे सस्‍ती बिजली देने का रिकार्ड हमारे मध्‍यप्रदेश के नाम पर है. हमें इस बात का गर्व है और नवकरणीय बिजली सभी प्रकार से जिसमें हम सोलर विंड और पम्‍प स्‍टोरेज तीनों तरह से बिजली के मामले में मध्‍यप्रदेश सबसे आगे और तेज गति से चल रहा है. इतना ही नहीं हम बिजली के मामले में अन्‍य राज्‍यों से भी सौहार्दपूर्ण संबंध बनाकर उत्‍तरप्रदेश के साथ एक योजना बनाकर 6 महीने हमारी सोलर ऊर्जा वह लेंगे और 6 महीने हमारे पास रहेगी इसके माध्‍यम से हम किसानों की सेवा कर सकेंगे. (मेजों की थपथपाहट)

          अध्‍यक्ष महोदय, मैं गर्व से कहता हूं कि विकास और संस्‍कृति यह विरोधी नहीं हैं. यह एक दूसरे के पूरक हैं और हम अपनी सांस्‍कृतिक विरासत को नहीं भूल सकते हैं. इसलिए बाबा महाकाल के महालोक में राम वन गमन पथ यह हमारी लोक परम्‍परा है, यह हमारी पहचान और हमारी शक्ति है. अपने ऐतिहासिक नायकों का सम्‍मान भी हम रख रहे हैं, इसीलिए हमने सम्राट विक्रमादित्‍य द्वार, राजा भोज द्वार सहित राजधानी केवल राजधानी से नहीं जानी जाती वह प्रदेश की गौरवशाली विरासत से जानी जाती है, ऐसे में हमारे जो इस प्रकार के ऐतिहासिक पक्ष हैं उनसे राजधानी को जोड़ने की परम्‍परा प्रारंभ हुई है. एक हजार साल पहले जिनको हम राजा भोज कहते हैं वास्‍तव में वह सम्राट या महाराजा के रूप में थे, उसी प्रकार से दो हजार साल पहले सम्राट विक्रमादित्‍य और इसी परम्‍परा में आगे जाकर भगवान श्रीराम से चित्रकूट का धाम हमारे यहां जुड़ता है तो शिक्षा के मामले में भगवान श्रीकृष्‍ण की हमारी गौरवशाली विरासत है, प्रत्‍येक अलग-अलग द्वार उनके नामों पर रखकर राजधानी को गौरव दिलाने का काम हम कर रहे हैं. केवल इतना ही नहीं दो ज्‍योतिर्लिंग हमारे यहां हैं, बाबा महाकाल के महालोक के बाद धार्मिक पर्यटन का नया रिकार्ड एक के बाद एक हमारा बन रहा है. ऐसे में एकात्‍म धाम के माध्‍यम से निमाड़ में भी हम अपने ओंकारेश्‍वर के लिए 2,195 करोड़ रुपये की लागत से अद्वैत लोक बनाने का संकल्‍प पूरा कर रहे हैं. भगवान कृष्‍ण की लीलाओं से जुड़े सभी तीर्थ स्‍थानों पर सांदीपनि आश्रम, नारायणा, इंदौर का जानापाव, धार के अमझेरा को जोड़कर श्रीकृष्‍ण पाथेय के लिए..श्रीकृष्ण पाथेय के लिए न्यास बनाकर हम उस पर भी ठोस काम कर रहे हैं. प्रमुख बिंदुओं में सिंहस्थ को लेकर वर्ष 2028 की तैयारियां प्रारंभ हुई हैं. टास्क फोर्स का गठन हुआ है. आज तक सब मिलाकर 7380 करोड़ रुपए के 84 अधोसंरचना के कार्य हमने स्वीकृत किए हैं. आकाशवाणी का केन्द्र भी केन्द्र के माध्यम से हमने प्रारंभ कर दिया है. माँ क्षिप्रा के शुद्धीकरण के लिए 599 करोड़ रुपए की लागत से, कान्ह डक्ट परियोजना का काम प्रारंभ किया है. लगभग 30 किलोमीटर के घाट बनाकर बड़ा इलाका श्रद्धालुओं को स्नान के लिए देने वाले हैं.

          अध्यक्ष महोदय, मुझे बताते हुए प्रसन्नता है कि मध्यप्रदेश में साल भर में पहले जितने पर्यटक आते थे आज की स्थिति में उतने पर्यटक एक सप्ताह में धार्मिक तीर्थाटन करने आ रहे हैं. यह टूरिज्म में रिकार्ड बना है. वर्ष 2024 में लगभग 13 करोड़ पर्यटक आए हैं. इसमें प्रदेश, देश के अलावा विदेशों से भी पर्यटक आए हैं. पर्यटन में जिस प्रकार से यह संख्या बढ़ी है उससे पिछले 25 साल का रिकार्ड टूट गया है. धार्मिक नगरों की पवित्रता के लिए हमने 19 धार्मिक नगरियों में और ग्रामीण क्षेत्रों में शराब बिक्री पर प्रतिबंध लगाया है. केन-बेतवा नदी जोड़ो, पार्वती लिंक परियोजना, बहुत सारी बातें बताने के लिए हैं लेकिन मैं यह आखिरी में बताऊंगा. हमने "वर्ष" के आधार पर भी संकल्प लिए हैं. जैसे वर्ष 2024 को हमने गौ-संरक्षण और संर्वद्धन वर्ष घोषित किया था. वर्ष 2025 को उद्योग और रोजगार वर्ष घोषित किया था. वर्ष 2026 को हम कृषि वर्ष घोषित करने वाले हैं.

          अध्यक्ष महोदय, आज इस सत्र के साथ एक सुखद परम्परा प्रारंभ की गई है. हम अपने सत्र में विषयों के आधार पर बात रखें. आलोचना को भी सकारात्मक रुप से लें. यह जो योजना हम बना रहे हैं यह आगामी 25 सालों की है. हमारे प्रदेश की विधान सभा पूरे देश के सामने एक आदर्श प्रस्तुत करेगी. इस विशेष सत्र के माध्यम से हमारी बात विस्तार से आ जाए. पक्ष विपक्ष की अपनी-अपनी भूमिका होती है, लेकिन कोलाहल में वह बात दब जाती है. कुछ उल्लेखनीय बातें हुई हैं. जैसे इन्हीं दो साल के बीच एक बड़ा निर्णय किया गया. मानव अंगों के दान के माध्यम से कई बीमार लोगों का जीवन बच सकता है. यह बहुत महत्व की बात है. यदि कोई व्यक्ति शांत हो गया है और वह अपने अंग दान करना चाहता था इसके लिए हमने गार्ड ऑफ ऑनर का प्रावधान किया है. इससे अन्य लोगों को भी प्रेरणा दे सकते हैं. ऐसे कर्ई निर्णय हम एक के बाद एक लगातार करते जा रहे हैं जिससे इस विधान सभा के प्रत्येक विधायक को भी गर्व होगा और प्रदेश को भी गर्व होगा.

          अध्यक्ष महोदय, किसान बंटवारा, नामांतरण के लिए पटवारी के चक्कर लगाता था. प्रापर्टी को लेने देने के लिए या बंटवारे का रजिस्ट्रेशन कराने जाता था तो वह दोबारा पटवारी के चक्कर क्यों लगाए. हमारी सरकार ने इसका स्थायी समाधान देते हुए "सायबर तहसील" के द्वारा एक बड़ा अनुकरणीय निर्णय किया है. जिसमें अपने आप पंजीयन होगा. सवा करोड़ से ज्यादा लोगों को इसका लाभ मिला है. नायब तहसीलदार या राजस्व न्यायालय, इसमें न्यायालयीन कार्य वाले लोग अलग रहें और लॉ एंड ऑर्डर की दृष्टि से व्यक्ति अलग रहे. इस प्रबंधन का भी आधुनिक मॉडल पूरे देश में हमारे प्रदेश ने बनाया है.

          अध्यक्ष महोदय, आने वाला सत्र, बजट सत्र होगा. इसके लिए भी कल्पना की गई है कि 5 साल में हमारा बजट डबल होगा. लगभग 14-15 प्रतिशत की गति से हम लगातार आगे बढ़ रहे हैं. इसमें हमने सभी क्षेत्रों को जोड़ा है. इसमें एमएसएमई, इंडस्ट्री इस पर मैं विस्तार से बात कर लूंगा. ऐसे बहुत से काम हैं जिनको बताने के लिए आज का दिन ऐतिहासिक रहेगा.

          अध्यक्ष महोदय, वर्षों पुरानी ग्रामीण क्षेत्र की बस परिवहन की जो मांग थी वह अप्रैल, 2026 से हम प्रारंभ करने जा रहे हैं.

          अध्यक्ष महोदय, मैं बिरसा मुंडा जी के लिए, धरती आबा योजना के लिए , अल्पसंख्यक पिछड़ा वर्ग कल्याण के लिए, गरीबों के उत्थान के लिए, युवा, महिला, गरीब, किसान चारों वर्गों के लिए चार मिशन बनाने के लिए आपके माध्‍यम से हमारे अधिकारियों को एवं सभी मित्रों को भी बधाई देना चाहूंगा कि यह यशस्‍वी प्रधानमंत्री का जो मिशन है उसको साकार करने के लिए हमारी सरकार शनै:-शनै: लेकिन ठोस कदम उठाते हुए धीरे-धीरे लगातार आगे बढ़ रही है, लेकिन सच में आज फिर एक बार हम आपके साथ नेता प्रतिपक्ष एवं उनके मित्रों को भी बधाई देना चाहेंगे कि आपकी भी हर बात का स्‍वागत है.

          अध्‍यक्ष महोदय के माध्‍यम से जो विशेष सत्र का हमारा सदुपयोग अपनी बात तथ्‍यात्‍मक रूप से हो, समय-सीमा में हो हरेक को बोलने का पूरा मौका मिले, हरेक की भावनाओं का आदर है और सरकार के माध्‍यम से किये गये जनकल्‍याणाकारी योजनाओं को हम पटल पर रखकर इसका आशीर्वाद भी लेना चाहते हैं कि जब हम सभी मिलकर लोकतंत्र में जनता के आशीर्वाद से सरकार का गठन करते हैं तो सरकार की उत्‍तरदायी जनता के साथ होना चाहिए, राज्‍य के विकास के साथ होना चाहिए, सबकी भलाई के साथ होना चाहिए. ऐसे में अलोचना का भी स्‍वागत है और समर्थन का भी स्‍वागत है. उम्‍मीद करेंगे अच्‍छे काम में आपका समर्थन भी मिलता रहेगा और आपका आशीर्वाद भी मिलता रहेगा. आज के इस अवसर पर आपने मुझे बोलने का मौका दिया इसके लिए मैं अपने दल की ओर से आपका आभार मानता हूं. बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, धन्‍यवाद. मध्‍यप्रदेश विकसित, आत्‍मनिर्भर और समृद्ध राज्‍य बने इस चर्चा का मैं स्‍वागत करता हूं, लेकिन माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने कहा है कि नेता भी है, नीति भी है, नीयत है कि नहीं वह महत्‍वपूर्ण है. आपने एक नेक नीयत से की भावना से ही सत्र को एक दिन के लिए बुलाया मैं मध्‍यप्रदेश के लगभग आठ करोड़ जनता के लिए मैं समझता हूं कि यह लाइव टे‍लीकास्‍ट होता तो जनता देखती कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार जो वर्ष 2047 लाना चाहती है तो वह भी यह देखती कि क्‍या सपने दिखाए जा रहे हैं. माननीय अध्‍यक्ष महोदय 17 दिसम्‍बर 1956 को पहला सत्र हुआ और वह सत्र एक महीना चला. 17 जनवरी तक चला तो क्‍या आज हम शपथ लेंगे कि विधान सभा सत्र आगे भी लंबा चलेंगे. नीयत की बात है. यह माननीय आखिरी में बताएंगे. निश्चित तौर से जनता के कई सवाल होते हैं, लेकिन सिर्फ विकास की घोषणाओं से काम नहीं चलेगा, अगर आप वर्ष 2047 देखना चाहते हैं तो सबसे पहले मैं माननीय मुख्‍यमंत्री जी को बधाई देना चाहता हूं कि लैण्‍ड पुलिंग एक जो कांग्रेस विरोध कर रही थी किसानों को लेकर कि यह किसानों के हित में नहीं है आपने इसे वापस लिया इसलिए मैं माननीय मुख्‍यमंत्री जी को बधाई देता हूं. निश्चित तौर से विकास पर चर्चा करना चाहते हैं, लेकिन सरकार संवाद से डरती है. हमने कई बार कई अच्‍छे सुझाव दिये, उन सुझावों पर मैं आखिरी में बात करूंगा, लेकिन मैं कहता हूं कि वर्ष 2047 के पहले वर्ष 2028 आने वाला है. वह क्‍यों भूल गये. हमको गारंटी चाहिए लेकिन वर्ष 2047 की गरंटी नहीं चाहिए हमको वर्ष 2026 की गारंटी चाहिए जब हम इस सत्र को मानेंगे.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जैसा मैंने कहा कि सबसे पहले जनता के सवालों के जबाव के लिए सत्र की समयावधि को बढाया जाना चाहिए. यह गारंटी हम सरकार से चाहेंगे. किसान सोयाबीन, धान, गेहूं खरीदी की एमएसपी की गारंटी चाहता है. हम सरकार से यह गारंटी चाहेंगे कि वह यह गारंटी दे और वर्ष 2047 की गारंटी नहीं सरकार वर्ष 2026 में गारंटी दे रही है कि नहीं दे रही है यह हम सरकार से आखिरी में जानना चाहेंगे. 27 प्रतिशत आरक्षण ओबीसी को मिले हमको वर्ष 2026 में यह गारंटी चाहिए यह हम सरकार से चाहते हैं. जिस प्रकार से सभी विधायक विधायक निधि की बात करते हैं जन क्षेत्र के विकास के लिए मार्च के बजट में हमारी विकास निधि, विधायक निधि बढ़े, हम इसकी आपसे गारंटी चाहते हैं. खाद संकट हर वर्ष होता है, किसान लाईन में लगे रहते हैं, किसान वर्ष 2026 में खाद के लिए लाइनों में नहीं लगेंगे, क्‍या आप इसकी गारंटी देंगे ?

(मेजों की थपथपाहट)

          अध्‍यक्ष महोदय, हम वर्ष 2047 के मध्‍यप्रदेश का सपना नहीं दिखाना चाहते हैं, हम वर्ष 2026 की बात करेंगे. 24 घण्‍टे बिजली की बात आपके घोषणा पत्र में थी, हर गांव, हर फालिये को बिजली मिले, हम इसकी आपसे गारंटी चाहते हैं. घर-घर पानी, घर-घर मोदी, हम इसकी आपसे गारंटी चाहते हैं कि हर घर को पानी मिल जाये. जल-जीवन मिशन की जो लाइनें बंद हैं, वे चालू हो जायें, इसकी गारंटी चाहिए.

(मेजों की थपथपाहट)

    अध्‍यक्ष महोदय, वर्ष 2026 में लाड़ली बहनों को रुपये 3 हजार मिल जाये, इसकी गारंटी चाहिए. रुपये 27 सौ गेहूं के, विगत 2 वर्षों में किसानों को नहीं मिले, हमें इसकी गारंटी चाहिए. रुपये 31 सौ धान खरीदी के, हम इसकी आपसे गारंटी चाहते हैं. (मेजों की थपथपाहट)

          अध्‍यक्ष महोदय, हमारा मजदूर परेशान रहता है, उसे कलेक्‍टर दर पर मजदूरी नहीं मिलती, उसे कलेक्‍टर दर पर रुपये 467 मिले, हम इसकी आपसे गारंटी चाहते हैं. शिक्षा के क्षेत्र में चाहे अतिथि शिक्षक हों, चाहे जनसेवा मित्र हों या शिक्षकों के जो पद खाली पड़े हैं, उन पर भर्ती हो, ये गारंटी हमें सरकार से वर्ष 2026 में चाहिए. (मेजों की थपथपाहट)

          अध्‍यक्ष महोदय, संविदाकर्मियों की क्‍या गारंटी है, उनकी भी हम आपसे गारंटी चा‍हते हैं. आदिवासियों की वन भूमि के पट्टों का निराकरण नहीं हो पा रहा है, मैं कई बार कह चुका हूं, हम इसकी आपसे गारंटी चाहते हैं. मनरेगा का आपने नाम बदल दिया लेकिन हम चाहते हैं कि वर्ष भर में 100 दिन हर मजदूर, किसान को कार्य मिले, हमें वर्ष 2026 में इसकी गारंटी चाहिए. (मेजों की थपथपाहट)

          अध्‍यक्ष महोदय, वर्ष 2005 से इंदौर-ग्‍वालियर-रीवा और अन्‍य शहरों के मास्‍टर प्‍लान नहीं बने हैं, हम मंत्री से चाहेंगे कि आपकी सरकार यह गारंटी दे कि वर्ष 2026 में यह कार्य आप करेंगे. मैं समझता हूं कि व्‍यापारियों की बात करें तो मध्‍यप्रदेश में क्‍यों MSME (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) बंद हो रहे हैं, वे बंद नहीं हों, इसकी गारंटी चाहिए. इस विषय पर माननीय मुख्‍यमंत्री जी एवं मंत्रिमंडल के अन्‍य सदस्‍य अपनी बात कहेंगे, हम उस पर विचार करेंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय, यदि आज आप चाहते हैं कि मध्‍यप्रदेश आत्‍मनिर्भर और कर्ज मुक्‍त बने तो यह कर्ज कैसे समाप्‍त होगा, ये भी आप बतायें. यह कार्य आप वर्ष 2026 में कैसे करेंगे क्‍योंकि वर्ष 2047 दूर की बात है, आप अपना रेवेन्‍यू कैसे बढ़ायेंगे, मैं समझता हूं कि इस पर भी आप बात करेंगे. मैं भी अपने तथ्‍यों के साथ आपके समक्ष अपनी बात रखूंगा कि किस तरह आपकी कथनी और करनी में फ़र्क है, यदि आपकी नीयत साफ है तो यह आज प्रदेश की 8 करोड़ जनता को दिखना भी चाहिए, यह मैं कहना चाहता हूं. (मेजों की थपथपाहट)

12.03 बजे

स्‍वागत उल्‍लेख

          अध्‍यक्ष महोदय-  आज के इस विशेष सत्र में सदन की दर्शक दीर्घा में हमारे सदस्‍यों को सुनने के लिए विभिन्‍न विद्यालयों के छात्र आये हैं, सदन की ओर से उन सभी विद्यार्थियों का बहुत-बहुत स्‍वागत है. (मेजों की थपथपाहट)

          अब हम चर्चा प्रारंभ करते हैं श्री कैलाश विजयवर्गीय.

 

 

12.04 बजे

मध्‍यप्रदेश को विकसित आत्‍मनिर्भर और समृद्ध राज्‍य बनाने के संबंध में चर्चा (क्रमश:)

          संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय)-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, धन्‍यवाद. मुझे सबसे पहले आपको धन्‍यवाद देना है, आपने आज सकारात्‍मक विधान सभा चले, इस दिशा में आत्‍मनिर्भर मध्‍यप्रदेश कैसे बने, वर्ष 2047 में जब भारत विकसित राष्‍ट्र होगा तो उसमें मध्‍यप्रदेश का योगदान कितना हो, इस पर आपने हमें चर्चा का अवसर दिया है, मैं, सर्वप्रथम आपको सदन की ओर से बहुत-बहुत धन्‍यवाद देना चाहता हूं कि आपने यह सत्र आहूत किया. (मेजों की थपथपाहट)

          अध्‍यक्ष महोदय, जिस पवित्र आसंदी पर आप बैठे हुए हैं, इस पवित्र आसंदी पर कभी, बहुत ही विद्वान विधान सभा अध्‍यक्ष स्‍वर्गीय श्री कुंजीलाल दुबे जी बैठा करते थे.


 

 

उनके बहुत सारे इस आासन्‍दी से स्‍थायी आदेश हैं. हम विधान सभा की कार्यवाही को 'कौल एंड शकधर' के माध्‍यम से तो चलाते ही हैं, पर बहुत सारे स्‍थायी आदेश, जो उस वक्‍त के अध्‍यक्षों से लेकर अभी तक के माननीय अध्‍यक्ष आप सहित, मैं देख रहा हूँ कि लगभग अगर हम सिर्फ अध्‍यक्षों की बात करें तो बड़े विद्वान-विद्वान अध्‍यक्ष यहां पर रहे हैं. स्‍व. पं. कुंजीलाल जी दुबे, स्‍व. श्री काशी प्रसाद पाण्‍डेय, स्‍व. श्री तेजलाल टेंभरे, स्‍व. श्री गुलशेर अहमद, स्‍व. श्री मुकुन्‍द सखाराम नेवालकर, स्‍व. श्री यज्ञदत्‍त शर्मा जी, जो हमारे इंदौर के थे. स्‍व. श्री रामकिशोर जी शुक्‍ला, स्‍व. श्री राजेन्‍द्र प्रसाद शुक्‍ल, जब वह अध्‍यक्ष थे, तब मैं पहली बार विधायक बना था, माननीय अध्‍यक्ष महोदय जी. फिर      स्‍व. श्री बृजमोहन जी मिश्रा, स्‍व. श्रीयुत श्रीनिवास तिवारी जी, स्‍व. श्री ईश्‍वरदास रोहाणी जी, जिनके भी बहुत सारे स्‍थायी आदेश आज हमारे पास हैं, फिर कुछ समय के लिए श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) अध्‍यक्ष बने थे, डॉ. सीतासरन शर्मा जी, हमारे बीच में उपस्थित हैं, श्री गिरीश गौतम जी भी हमारे बीच में उपस्थित हैं और अब अध्‍यक्ष महोदय, आप इस पवित्र आसन्‍दी को संभाल रहे हैं. मैं सबसे पहले इस पवित्र आसन्‍दी पर बैठकर, जो आप सदन के साथ न्‍याय कर रहे हैं और प्रदेश की आठ करोड़ जनता की आशा का केन्‍द्र बने हैं, मैं एक बार फिर से आपको बधाई और धन्‍यवाद देता हूँ. (मेजों की थपथपाहट)

          अध्‍यक्ष महोदय, जिस आसन्‍दी पर हमारे मुख्‍यमंत्री जी बैठे हुए हैं. वहां कभी       स्‍व. पं. रविशंकर शुक्‍ल जी बैठे हुए थे, पहली विधान सभा में और उस वक्‍त जहां पर  श्री उमंग सिंघार जी बैठे हुए हैं, वहां पर बहुत ही विद्वान स्‍व. श्री विश्‍वनाथ यादवराव तामस्‍कर जी बैठे हुए थे, वह बहुत विद्वान थे. अध्‍यक्ष महोदय, यह इस विधान सभा का बहुत गरिमापूर्ण इतिहास है. यदि हम देखेंगे तो देश की सर्वश्रेष्‍ठ विधान सभाओं में से एक मध्‍यप्रदेश की विधान सभा भी है, इस बात पर हम सबको गर्व करना चाहिए. (मेजों की थपथपाहट) आठ करोड़ जनता के बीच में पहले 320 विधायक थे, मध्‍यप्रदेश का विभाजन हुआ, छत्‍तीसगढ़ अलग हुआ, अब 230 विधायक हैं और 230 विधायक कभी हम इधर बैठते हैं, कभी हम उधर बैठते हैं, वह कभी इधर बैठते हैं, कभी उधर बैठते हैं. यह क्रम तो प्रजातन्‍त्र में चलता रहता है, पर हम 230 विधायकों का संकल्‍प एक ही होना चाहिए कि मध्‍यप्रदेश कैसे विकसित मध्‍यप्रदेश बने, कैसे गरीबी समाप्‍त हो, कैसे महिला सशक्तिकरण हो ? अध्‍यक्ष महोदय, यह हमारा संकल्‍प होना चाहिए.

          अध्‍यक्ष महोदय, मुझे कहते हुए प्रसन्‍नता है कि जब स्‍व. पं. रविशंकर शुक्‍ल जी पहले मुख्‍यमंत्री बने थे, वह बहुत कम समय के लिए बने थे, पर उनका बहुत बड़ा योगदान है. मुझे याद आता है कि श्री शैलेन्‍द्र कुमार जैन जी यहां पर बैठे हुए हैं, इनके यहां  डॉ. हरिसिंह गौर विश्‍वविद्यालय है. डॉ. हरिसिंह गौर जी, उस समय के बैरिस्‍टर थे, पर स्‍व. शुक्‍ल जी के बहुत अच्‍छे परम मित्र थे, उन्‍होंने उनसे कहा कि आपने बहुत पैसा कमा लिया है, अब कुछ शिक्षा के लिए खर्च करो. उन्‍होंने जनभागीदारी का पहला उदाहरण प्रस्‍तुत किया था, डॉ. हरिसिंह गौर विश्‍वविद्यालय, आज मध्‍यप्रदेश के सर्वश्रेष्‍ठ विश्‍वविद्यालयों में से एक है. यह भेल का सुझाव भी स्‍व. पं. रविशंकर शुक्‍ल जी का था. भिलाई में जो इस्‍पात कारखाना है, इसकी शुरूआत स्‍व. पं. रविशंकर शुक्‍ल जी ने की थी और जिनका करोड़ों रुपयों का आज बजट है. आज हमारे खजाने में करोड़ों रुपया आता है, अध्‍यक्ष महोदय. पहले मुख्‍यमंत्री जी से लेकर, मैं अगर बात करूँ तो मध्‍यप्रदेश के गठन में यह बात सही है कि जितने भी राज्‍य बने हैं, वह भाषा के आधार पर बने हैं, केरल मलयालम भाषा के आधार पर बना है, तमिलनाडु तमिल भाषा के आधार पर बना है, कर्नाटक कन्‍नड़ भाषा के आधार पर बना है, महाराष्‍ट्र मराठी भाषा के आधार पर बना है, सब अधिकांश राज्‍य अपनी-अपनी भाषा के आधार पर बने हैं, पर मध्‍यप्रदेश ऐसा राज्‍य है, जो मिनी इण्डिया है. यहां पर पूरे देश के लोग रहते हैं, (मेजों की थपथपाहट)यहां भेदभाव नहीं है, यहां कोई नहीं कहता है कि आप बाहर के हैं, जो यहां पर आता है, बस जाता है. (मेजों की थपथपाहट) और इसलिए कहते हैं कि मध्‍यप्रदेश देश का दिल है और हमारा दिल बहुत बड़ा है. यहां पर कोई भी आकर रहे, विकास करे. वह हमारा भाई है, यह मध्‍यप्रदेश की विशेषता है. बाकि राज्‍यों में कोई कहता है कि मैं बिहारी हूँ, मैं महाराष्ट्रियन हूँ, मैं तमिली हूँ.  हमारे यहां कोई नहीं कहता कि मैं मध्‍यप्रदेशी हूँ. सब कहते हैं कि मैं भारतीय नागरिक हूँ. अध्‍यक्ष महोदय, यह मध्‍यप्रदेश की विशेषता है. यह बुनियाद हमारे पूर्वजों ने रखी है. यह बात सही है कि जब हमारे मध्‍यप्रदेश का गठन हो रहा था तो हमारे चार राज्‍य थे. विन्‍ध्‍य प्रदेश, मध्‍यभारत राज्‍य, भोपाल रियासत और महाकौशल क्षेत्र. विन्‍ध्‍य प्रदेश के उस समय मुख्‍यमंत्री पं. शंभूनाथ जी शुक्‍ल थे. उनकी इच्‍छा थी कि हम उत्‍तर प्रदेश में मिल जाएं. मध्‍यभारत में तख्‍तमल जी जैन थे. उनकी इच्‍छा थी कि मालवा एक अलग प्रदेश बने. भोपाल रियासत के मुख्‍यमंत्री डॉ. शंकरदयाल जी शर्मा थे, जो बहुत बड़े राजनेता हुए. नेहरू परिवार से उनके बड़े अच्‍छे ताल्‍लुकात रहे. महाकौशल के मुख्‍यमंत्री श्री रविशंकर जी शुक्‍ल थे. वे भी बहुत बड़े विद्वान थे और उनके भी नेहरू खानदान से बहुत अच्‍छे संबंध रहे. अध्‍यक्ष महोदय, पर जब मध्‍यप्रदेश का गठन हुआ तो सबका अलग-अलग मत था. तख्‍तमल जी जैन चाहते थे कि मालवा एक अलग राज्‍य बने, पर उन सबको एक करने का काम श्री रविशंकर शुक्‍ल जी ने किया था. उन्‍होंने कहा था कि नहीं, मध्‍यप्रदेश में विकसित होने की बहुत संभावना है. यहां प्रचुर खदानें हैं. यहां प्रचुर वन क्षेत्र हैं. यहां नर्मदा जैसी नदी है. पर गरीबी बहुत है. अगर हम सब मिलकर मध्‍यप्रदेश को विकास की ओर ले जाएंगे तो मध्‍यप्रदेश देश का प्रथम नंबर का प्रदेश होगा, यह श्री रविशंकर शुक्‍ल जी ने कहा था और मुझे कहते हुए गर्व है कि उस समय के चारों ही मुख्‍यमंत्री उनकी बात माने और मध्‍यप्रदेश का गठन हुआ. अध्‍यक्ष महोदय, यह बात भी सही है कि उस वक्‍त श्री रविशंकर शुक्‍ल जी की भी इच्‍छा थी कि जबलपुर राजधानी बने, पर डॉ. शंकरदयाल शर्मा जी बहुत प्रभावी थे. उन्‍होंने भोपाल राजधानी बनाई. श्री तख्‍तमल जैन जी चाहते थे कि इंदौर राजधानी बने, पर वह भी नहीं बनी और राजधानी भोपाल बनी.

          अध्‍यक्ष महोदय, मैं इस बात को और स्‍वीकार करता हूँ कि जितने भी उसके बाद मुख्‍यमंत्री बने. उन्‍होंने सबने, यह जो विकसित मध्‍यप्रदेश बना है, सबके योगदान से बना है. ये किसी एक व्‍यक्‍ति के कारण नहीं बना है. एक पार्टी के कारण नहीं बना है. हम वैसे ही एक-दूसरे पर उंगली उठा सकते हैं, पर आज आलोचना को कोई स्‍थान नहीं है. आज की चर्चा में सिर्फ और सिर्फ इस मध्‍यप्रदेश में जो वर्ष 1956 से लेकर आज तक जो प्रगति हुई है, उसमें जिन-जिन का योगदान है, उन सबके प्रति हम सबको कृतज्ञ होना चाहिए, यदि वास्‍तव में विधान सभा का हम आज स्‍थापना दिवस मना रहे हैं तो.

          अध्‍यक्ष महोदय, मेरा आग्रह है कि आज आलोचना को कोई स्‍थान नहीं देना चाहिए. यह मैंने किया, यह आपने किया, यह मैंने किया, वह आपने किया. नहीं, हम सबने मिलकर के किया है. यदि मध्‍यप्रदेश आज विकास की दौड़ में आगे बढ़ रहा है तो इसमें सबका योगदान है. किसी एक व्‍यक्‍ति का योगदान नहीं है, किसी एक राजनीतिक दल का योगदान नहीं है. इसलिए अध्‍यक्ष महोदय, मुझे याद आता है, डॉ. शंकरदयाल जी शर्मा, जो कि उपराष्‍ट्रपति से राष्‍ट्रपति तक पहुँचे. डॉ. पट्टाभि सीतारामैया जी, जो कि उस वक्‍त हमारे महामहिम राज्‍यपाल थे. इनका नाम याद आ गया तो मुझे एक किस्‍सा भी याद आ गया, जो मैं बताना बहुत जरूरी समझता हूँ. वे महात्‍मा गांधी जी के बड़े कृपा पात्र थे. त्रिपुरी (जबलपुर) में जब कांग्रेस का अधिवेशन हुआ, महात्‍मा गांधी जी ने कहा था कि डॉ. पट्टाभि सितारामैया को जो वोट देगा, समझ लेना महात्‍मा गांधी को वोट दिया. पर नेताजी सुभाष चन्‍द्र बोस उस समय जीत गए थे. उसके बाद भी डॉ. पट्टाभि सितारामैया जी इतने विद्वान थे कि वे संविधान सभा के सदस्‍य भी रहे और उन्‍होंने संविधान के गठन में बहुत महत्‍वपूर्ण भूमिका अदा की थी.

          अध्‍यक्ष महोदय, मैं अगर यह बात कहूँ कि वर्ष 1956 में हमारी स्‍थिति क्‍या थी और आज हम कहां हैं. वर्ष 1956 में प्रतिव्‍यक्‍ति आय 261 रुपये थी, आज 1.5 लाख रुपये प्रतिव्‍यक्‍ति आय है और वर्ष 2047 में इसको 22 लाख रुपये तक पहुँचाने का हमारा संकल्‍प है. अध्‍यक्ष महोदय, 22 लाख रुपये तक प्रतिव्‍यक्‍ति आय पहुँचना चाहिए, तब मध्‍यप्रदेश विकसित राज्‍य होगा. अध्‍यक्ष महोदय, हम बजट की बात करें तो वर्ष 1956 में 493 करोड़ रुपये का बजट था, आज 4.21 लाख करोड़ रुपये का बजट है. अध्‍यक्ष महोदय, यह वर्ष 2047 तक जाकर कम से कम 20 लाख करोड़ रुपये का बजट होगा. मध्‍यप्रदेश में इस प्रकार हमको विकास करना है. अध्‍यक्ष महोदय, साक्षात्‍कार का भी प्रतिशत हम देखें तो 16 प्रतिशत था, आज लगभग 70 प्रतिशत है. यह सब वर्ष 1956 से लेकर अभी तक की यात्रा का परिणाम है और यह हम सबने मिलकर किया है. किसी एक पार्टी या दूसरी पार्टी ने नहीं किया है. किसी एक नेता या दो नेता ने नहीं किया है. अध्‍यक्ष महोदय, इसमें सबका योगदान है...

          अध्यक्ष महोदय, मुझे याद आता है कि पंडित रविशंकर शुक्ल जी जैसा मैंने बता ही दिया कि विकास में उनका बहुत बड़ा योगदान है. एक घटना है है पंडित रविशंकर शुक्ल जी बहुत भ्रमण करते थे. एक बार वह ग्रामीण क्षेत्र में भ्रमण कर रहे थे तो कुछ शिकायत आई कि यहां पर धर्मांतरण हो रहा है यहां पर लोग क्रिश्चियन बना रहे हैं तो उन्होंने उस समय के डी.एम. को बुलाया और कहा कि यह रुकना चाहिये तो डी.एम. ने कहा कि इसका अभी कोई कानून हमारे पास नहीं है तो उन्होंने नियोगी आयोग बनाया नियोगी आयोग बनाकर उसकी रिकमंड के आधार पर मध्यप्रदेश दूसरा राज्य था जिसने धर्मांतरण रोकने का काम किया था उसका श्रेय रविशंकर शुक्ल जी को जाता है. उसके बाद के मुख्यमंत्री रहे कैलाशनाथ काटजू वह मूलत: रहने वाले  जम्मू कश्मीर के थे और नेहरू परिवार के बहुत ही निकटतम थे मुख्यमंत्री रहे और वह बहुत अच्छे विद्वान थे बहुत अच्छे बैरिस्टर थे वह बहुत शौकीन थे पैदल घूमने के वह जब मुख्यमंत्री बनने के बाद पैदल घूमने गये तो अरेरा हिल्स वगैरह सब यह जंगल थे उनको वह स्थान बहुत पसंद आया और आज जो वल्लभ भवन बना यह कैलाशनाथ काटजू की देन है कि उन्होंने चुना कि यहां पर सरकारी भवन बनना चाहिये यह कैलाशनाथ काटजू की देन है और इससे जुड़ी एक और घटना बताना चाहता हूं कैलाशनाथ काटजू जी मुख्यमंत्री रहते हुए चुनाव लड़े जावरा से डॉ.लक्ष्मनारायण पाण्डेय जो हमारे  बहुत वरिष्ठतम् नेताओं में से एक थे वह जनसंघ का काम करते थे और गरीबों का फ्री इलाज करते थे उनका कोई नाम मध्यप्रदेश में नहीं था बस डॉ.लक्ष्मीनारायण पाण्डेय,जावरा,रतलाम और इसके आसपास ही लोग पहचानते थे. कैलाशनाथ काटजू बहुत बड़ा नाम थे. वह चुनाव लड़े चुनाव लड़ने के बाद डॉ.लक्ष्मीनारायण पाण्डेय जी ने उनको हरा दिया मैं समझता हूं कि आजाद भारत के बाद पहला सिटिंग मुख्यमंत्री था जो हारा कैलाशनाथ काटजू को हार मिली जावरा में और डॉ.लक्ष्मीनारायण पाण्डेय जीते थे. अध्यक्ष महोदय,चंबल परियोजना आज हम गांधीसागर देख रहे हैं यह भी कैलाशनाथ काटजू की कल्पना थी उनको इसलिये चंबल वाले साहब बोलते थे उन्होंने उस क्षेत्र में सिंचाई बढ़े आज गांधीसागर की जो योजना है उसमें कैलाशनाथ काटजू का बहुत बड़ा योगदान था. मैंने वल्लभ भवन की बात बता ही दी इसके बाद शुरुआत होती है चाणक्य युग की.राजनीति में एक चाणक्य हुए इस मध्यप्रदेश के अंदर वह थे डी.पी.मिश्रा. डी.पी.मिश्रा जी, बहुत विद्वान थे सागर विश्वविद्यालय बना उसके कुलपति भी रहे और सागर विश्वविद्यालय के विकास में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही. अध्यक्ष महोदय, सागर विश्वविद्यालय,जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय,इन्दौर का देवी अहिल्या विश्वविद्यालय जहां तीन लाख छात्र पढ़ते हैं.जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर यह भी डी.पी.मिश्रा जी ने बनाया. शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने अच्छा काम किया और विशेषकर अर्जुन सिंह जी उनको अपना गुरू मानते थे यह राजनीति में चाणक्य युग की शुरुआत है और डी.पी.मिश्रा जी को चाणक्य कहते थे राजनीति के चाणक्य थे ऐसा कहते हैं ऐसी मान्यता है कि दिल्ली में बैठे हुए लोग चाहे कोई  भी प्रधानमंत्री रहा हो कोई देश की गंभीर समस्या होती थी तो डी.पी.मिश्रा जी से राय लेने आते थे ऐसे विद्वान इस सदन के मुख्यमंत्री रहे हैं. गोविन्द नारायण सिंह का कार्यकाल बहुत छोटा था परंतु हमारे यहां चीफ सेक्रेट्री रहे नरोन्हा साहब, उन्होंने एक किताब लिखी उसका नाम मैं भूल गया. उन्होंने कहा था कि मेरे जीवन काल में.

          डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह - A Tald Told by an idiot शायद यह किताब  है.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय - उन्होंने उस किताब में गोविन्द नारायण सिंह जी का जिक्र किया है.

          अध्यक्ष महोदय - राजेन्द्र कुमार सिंह जी भी ओल्ड इज गोल्ड हैं.


 

          श्री कैलाश विजयवर्गीय-- अध्‍यक्ष महोदय, ये रिवर्स गाड़ी चल रही है, कुछ युवा होते जा रहे हैं ये, अब इसके पीछे राज क्‍या है, ये क्‍या खा रहे हैं, यह हम लोगों को भी बताना चाहिये.

          डॉ. राजेन्‍द्र कुमार सिंह--  अध्‍यक्ष जी, सब मिलाकर तो ठीक है, लेकिन मार्गदर्शक मंडल में मत डाल दीजियेगा.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय--  अध्‍यक्ष महोदय, बिना डाले यह हमको मार्गदर्शन देते रहते हैं. इनका मार्गदर्शन तो मिलता ही रहता है. अध्‍यक्ष महोदय, उन्‍होंने प्रशासनिक क्षमता की बड़ी तारीफ की, उन्‍होंने कहा कि नये लोगों को उनके द्वारा नोटशीट पर लिखी गई टिप्‍पणी का अध्‍ययन जरूर करना चाहिये. गोविंद नारायण सिंह जी ने अवधेश प्रताप सिंह विश्‍वविद्यालय बनाया और  बहुत कम समय रहे, पर बाण सागर की जो योजना आपके यहां है वह कल्‍पना भी उनकी ही थी, हालांकि साकार आपने किया. अध्‍यक्ष महोदय, पर कल्‍पना गोविंद नारायण सिंह जी की थी.

          अध्‍यक्ष महोदय, इसके बाद 13 दिन के लिये राजा नरेश चंद्र जी मुख्‍यमंत्री रहे. इस मध्‍यप्रदेश के इतिहास में पहला कोई आदिवसी मुख्‍यमंत्री रहा, यह हम सबके लिये गर्व की बात है. मात्र 13 दिन के लिये वह रहे.

          अध्‍यक्ष महोदय, उसके बाद शुरूआत होती है एक अलग युग की, एक युवा युग की, उस समय श्‍यामाचरण जी शुक्‍ला बहुत कब उम्र में ही मुख्‍यमंत्री बन गये और यह बात सही है कि श्‍यामाचरण शुक्‍ला जी वह व्‍यक्ति थे, वह इंदौर के जमाई थे और इसलिये मुझ पर उनकी बड़ी कृपा रहती थी. अध्‍यक्ष महोदय, बहुत ही क्रांतिकारी निर्णय उस समय हुये हैं. श्‍यामाचरण जी शुक्‍ला ने आर्गेनाईजेशन के क्षेत्र में बहुत बड़ा काम किया. उस समय मैं एक सीनियर अधिकारी का नाम लेना चाहूंगा मिस्‍टर बुच, उनकी श्रीमती अपने यहां मुख्‍य सचिव भी रहीं. बुच साहब को उन्‍होंने बुलाया कि भोपाल को कैसे सुंदर किया जा सकता है, भोपाल की प्‍लानिंग कैसे की जा सकती है और आर्गेनाईजेशन के क्षेत्र में मध्‍यप्रदेश में क्‍या किया जा सकता है. अध्‍यक्ष महोदय, आर्गेनाईजेशन क्षेत्र के अंदर जो टाउन एण्‍ड कंट्री प्‍लानिंग बनी, जो प्राधिकरण  बने, जो हाउसिंग बोर्ड बना, यह सारी कल्‍पना श्‍यामाचरण शुक्‍ला जी की थीं. मास्‍टर प्‍लान इसके पहले हमारे यहां नहीं बनते थे, अध्‍यक्ष महोदय बड़े बेतरतीब तरीके से विकास होता था. मास्‍टर प्‍लान बनाने की शुरूआत भी श्‍यामाचरण शुक्‍ला जी ने ही की थी. मुझे गर्व है कि ऐसे-ऐसे महान लोग इस प्रदेश के मुख्‍यमंत्री रहे. आज आधुनिक भोपाल यदि हमें दिखाई देता है तो उसमें श्‍यामाचरण शुक्‍ला जी  का बहुत बड़ा योगदान था.

          अध्‍यक्ष महोदय, प्रकाश चंद्र जी सेठी इंदौर से लोक सभा का चुनाव जीते थे, उज्‍जैन के थे, माननीय मोहन जी के क्षेत्र के ही और मुझे यह कहते हुये इस बात का गर्व है कि श्री प्रकाश चंद्र सेठी जी अगर किसी नाम से जाने जाते हैं तो वह है लायन आर्डर. उनकी जबरदस्‍त प्रशासनिक क्षमता थी और उनके समय से शुरूआत हुई थी एक समय था कि चंबल के डकैत से सिर्फ मध्‍यप्रदेश ही नहीं उत्‍तरप्रदेश भी प्रभावित था. प्रकाश चंद्र सेठी जी ने गांधी शांति प्रतिष्‍ठान के लोगों के साथ मिलकर बड़े-बड़े डाकुओं का समर्पण कराया था और मध्‍यप्रदेश में डाकुओं को समाप्‍त करने की शुरूआत अगर किसी ने की थी तो वह प्रकाश चंद्र सेठी जी ने की थी और डाकुओं का अंत करने का काम किसी ने किया था तो वह हमारे मुख्‍यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने की थी. रेलमंत्री थे तो इंदौर की जो मालवा एक्‍सप्रेस है वह भी उन्‍होंने चालू की थी. देवास  की हमारी गायत्री देवी भावी जी बैठी हुई हैं, औद्योगिक संस्‍थान बना है तो वह भी प्रकाश चंद्र सेठी  जी की देन है.       अध्‍यक्ष महोदय, पहले मेडीकल कॉलेज में अंक के आधार पर प्रवेश मिल जाते थे पर पीएमटी परीक्षा का प्रकाशन भी सेठी जी ने ही किया था.

          अध्‍यक्ष महोदय, कैलाश जोशी जी राजनीति के संत के रूप में जाने जाते हैं. आज भी उनके नाम पर लोग अगरबत्‍ती लगाते हैं. राजनीति में ऐसे लोग बिरले होते हैं जो राजनीति की काजल की कोठरी से निकलने के बाद कोई उनके ऊपर एक दाग भी नहीं लगा सका, यह कैलाश जोशी जी की विशेषता थी और ग्रामीण विकास उनका बड़ा प्रिय सब्‍जेक्‍ट था. इस प्रदेश  में भ्रष्‍टाचार को उजाकर करने का उन्‍होंने बहुत बड़ा काम किया था और पंडित दीनदयाल उपाध्‍याय जी के एकांत मानववाद के आधार पर ग्रामीण व्‍यवस्‍था में किस प्रकार ग्रामीण क्षेत्र का विकास हो, इस दिशा में सबसे पहले अगर किसी ने चिंतन प्रारंभ किया था तो कैलाश जोशी जी ने प्रारंभ किया था. हमें गर्व है कि ऐसे महान व्‍यक्ति भी मुख्‍यमंत्री की कुर्सी पर बैठे.

          अध्‍यक्ष महोदय, उसके बाद वीरेन्‍द्र कुमार सखलेचा जी, आज ओमप्रकाश जी उनके चिंरजीवी यहां बैठे हुए हैं. आज जो नर्मदा जी का विकास हो रहा है.

          श्री भंवर सिंह शेखावत -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं एक किताब लिख रहा हूं श्री कैलाश जोशी जी से लेकर कैलाश विजयवर्गीय तक, यह एक यात्रा है और मैं समझता हूं कि उसको लोग जब पढ़ेंगे, तो फिर तूफान आयेगा..(हंसी)..

          अध्‍यक्ष महोदय -- उस किताब का विमोचन कराओ तो मेरा ध्‍यान रखना..(हंसी)..

          श्री कैलाश विजयवर्गीय..(हंसी)..अध्‍यक्ष महोदय, मैंने वीरेन्‍द्र कुमार सखलेचा जी का नाम लिया, तो भंवर सिंह शेखावत जी  खड़े हो गये, क्‍योंकि वीरेन्‍द्र कुमार सखलेचा जी भंवर सिंह शेखावत जी के पहले गुरू थे. वैसे इनके बहुत सारे गुरू हैं..(हंसी)..जैसे दत्‍तात्रेय भगवान के बहुत सारे गुरू थे, इनके भी बहुत सारे गुरू हैं..(हंसी)..

          श्री अजय विश्‍नोई -- श्री कैलाश जी भंवर सिंह शेखावत जी स्‍वयं तो गुरू घंटाल हैं, यह तो मानते हो न आप. .(हंसी)..

          श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अब भईया यह हम नहीं बोल सकते हैं, आप बोल सकते हैं क्‍योंकि आप उनकी उम्र के हैं, वह हमसे बड़े हैं..(हंसी).. अब घंटाल है कि नहीं है, यह आप बता सकते हैं, पर मैं यह जानता हूं कि वह एक मिनिट के अंदर खट्ट से गुरू बदल लेते हैं, इतना तो मैं जरूर जानता हूं .(हंसी).. अध्‍यक्ष महोदय, मैं स्‍व. वीरेन्‍द्र कुमार सखलेचा की बात कर रहा था.

          अध्‍यक्ष महोदय -- कैलाश जी आप अच्‍छा बोल रहे हैं, लेकिन आपको समय की सीमा का ध्‍यान रखना ही पड़ेगा.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय-- अध्‍यक्ष महोदय, आपकी कृपा आज मुझे चाहिए क्‍योंकि यह सब तैयारी मेरी एक हफ्ते की है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- कृपा पर्याप्‍त हो गई है, तभी मैंने टोका है ..(हंसी)..

          श्री कैलाश विजयवर्गीय-- अध्‍यक्ष महोदय, मैं निर्मल बाला से मिलकर आया हूं, उन्‍होंने कहा है कि आपके ऊपर आज के दिन विधानसभा अध्‍यक्ष महोदय की कृपा बनी रहेगी..(हंसी)..

          अध्‍यक्ष महोदय -- ..(हंसी)..

          श्री कैलाश विजयवर्गीय-- अध्‍यक्ष महोदय, यह नर्मदा विकास की जितनी प्‍लानिंग है, जितनी योजनाएं हैं, उसका श्रेय वीरेन्‍द्र कुमार सखलेचा जी को जाता है और पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र की कल्‍पना भी उन्‍होंने ही की थी.

          अध्‍यक्ष महोदय, श्री अर्जुन सिंह जी (डॉ. राजेन्‍द्र कुमार सिंह, माननीय सदस्‍य की ओर देखकर), श्री अर्जुन सिंह जी का नाम सुनकर राजेन्‍द्र सिंह जी को मजा आ गया. अर्जुन सिंह जी भी चाणक्‍य राजनेता थे. मुझे याद है, छात्र राजनीति के अंदर हम सब लोग जीत गये थे. इंदौर में हम जीते, सुशील तिवारी सागर में जीते, राकेश झालानी रतलाम से जीते. पहली बार मैंने देखा कि प्रशासनिक अधिकारियों का राजनीति के अंदर किस प्रकार उपयोग किया जाता है, यह अगर शुरूआत की है तो वह अर्जुन सिंह जी ने ही की है. उस समय हम सब लोगों के नाम थे कि इनको कांग्रेस में लाना चाहिए और प्रशासनिक अधिकारियों ने बहुत कोशिश की, उस समय पंकज संघवी कांग्रेस में चले गये, राकेश झालानी कांग्रेस में चले गये, सुशील तिवारी कांग्रेस में चले गये, यह प्रशासनिक अधिकारियों के माध्‍यम से हुआ था. मध्‍यप्रदेश की राजनीति में प्रशासन को राजनीति के लिये उपयोग करना यह कला अगर किसी के पास थी, वह श्री अर्जुन सिंह जी के पास थी. अध्‍यक्ष महोदय, जिस विधानसभा में हम बैठे हैं, यह विधानसभा भवन की कल्‍पना भी स्‍व. अर्जुन सिंह जी की थी. वीरेन्‍द्र कुमार सखलेचा जी ने पीथमपुर इंडस्ट्रियल स्‍टेट की कल्‍पना की थी, पर उसको साकार करने में अर्जुन सिंह जी की महत्‍वपूर्ण भूमिका थी और जितना भी ऑटोमोबाइल सेक्‍टर को लाने का काम किया था, उसमें अर्जुन सिंह जी की बहुत बड़ी भूमिका थी, जिसमें भारत भवन भी है. वह बहुत अच्‍छे साहित्‍य के प्रेमी थे, संस्‍कृति के प्रेमी थी और साथ ही बहुत सारे उन्‍होंने संस्‍कृति के क्षेत्र में, साहित्‍य के क्षेत्र में भारत भवन की कल्‍पना की थी, थोड़ा सा उनकी सोच वामपंथी रही, वह इसलिये क्‍योंकि उस समय कांग्रेस के ऊपर उस समय वामपंथियों का बड़ा प्रभाव था, अर्जुन सिंह जी उससे प्रभावित थे और इसलिए उनके आसपास उस समय जो लोग थे, मैं उनका नाम नहीं उल्‍लेख करना चाहता हूं, पर वह भी थोड़ा वामपंथी विचारधारा के थे और इसलिए भारत भवन भी उसी का शिकार हुआ था और बड़ा विवादस्‍पद रहा, पर भारत भवन की कल्‍पना और उद्देश्‍य बहुत अच्‍छा था. चक्रधर केंद्र, ध्रुपद केंद्र, आदिवासी लोक परिषद यह सब अर्जुन सिंह जी की देन है.

          सृजन पीठ की स्‍थापना जैसे सागर मुक्तिबोध सृजनपीठ, उज्‍जैन प्रेमचंद सृजनपीठ, भोपाल में निराला सृजन पीठ, ये सब उनकी देन है और उसके बाद एक बहुत ही मेहनतकश मुख्‍यमंत्री आए, जो रात 2 बजे तक मिलते थे और सुबह 6 बजे फिर तैयार हो जाते थे, उनका नाम था मो‍तीलाल जी वोरा, मोतीलाल जी जब यहां मुख्‍यमंत्री बने तो उनकी विशेषता थी कि 2 बजे, या 3 बजे सोये, या 4 बजे सोये, वे सुबह 6 बजे तैयार होकर बाहर आ जाते थे और बहुत मेहनती थे. वे भी एक तरीके से राजनीति में बहुत कुशल कार्यकर्ता थे. मोतीलाल जी के जाने के बाद दिग्विजय सिंह जी का युग आ गया. दिग्विजय सिंह जी की महिमा तो अपरम्‍पार है.

अध्‍यक्ष जी, वर्ष 1993 से लेकर 2003 तक दिग्विजय सिंह जी मुख्‍यमंत्री बने कहने के लिए बहुत सारी बाते हैं, उनके लिए, पॉजीटिव भी, निगेटिव भी. पर मैं आज कसम खाकर आया हूं कि आज निगेटिव नहीं बोलना है. आज सिर्फ पॉजीटिव चर्चा करूंगा. इसलिए संजय गांधी थर्मल पवार प्‍लांट भी उनकी कल्‍पना से बना था, बांध सागर परियोजना को बहुत गति देने का काम भी उन्‍होंने किया था, कोलार जल परियोजना में भी उनकी बहुत महत्‍वपूर्ण भूमिका थी और मुझे कहते हुए गर्व है कि उस समय अर्जुन सिंह जी मानव संसाधन मंत्री थे, तो इंदौर में आईआईएम लाने के लिए दिग्विजय सिंह जी ने बहुत प्रयास किए थे और उसके बाद हम सभी लोगों के प्रयास से वहां आईआईएम और आईआईटी भी आया. इंदौर पहला शहर है, जहां पर आईआईएम और आईआईटी भी है ,उसमें अर्जुन सिंह जी, दिग्विजय सिंह जी और हमारे मुख्‍यमंत्री पटवा जी का बहुत बड़ा योगदान था.

          डॉ. राजेन्‍द्र  कुमार सिंह अध्‍यक्ष जी, कैलाश जी ने आज बड़ी उदारता दिखाई दिग्विजय सिंह जी के बारे में, ये रिकार्ड में तो बना रहेगा न, इसके लिए बाहर भी चर्चा कर सकते हैं.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय अध्‍यक्ष जी, मैं ये ऑन रिकार्ड बोल रहा हूं और ये रिकार्ड में ही आना चाहिए, क्‍योंकि कभी कभी जीवन के अंदर मैं आज इसको लोकतंत्र का पवित्र मंदिर मान रहा हूं और जैसे मंदिर में आदमी झूठ नहीं बोलता है वैसे ही आज किसी भी व्‍यक्ति को झूठ नहीं बोलना चाहिए. जो सच्‍चाई है उसको स्‍वीकार करना चाहिए. आज अगर मध्‍यप्रदेश इतना  आगे बढ़ा है, तो उसमें कितने लोगों का योगदान है, इसके बाद बाबूलाल जी गौर आए, सुन्‍दर लाल पटवा जी वाला युग मैं भूल गया. पटवा जी भी राजनीति के चाणक्‍य थे, कुशल प्रशासनिक क्षमता उनकी जबरदस्‍त थी. मैं यहां उपस्थित युवा जितने भी हमारे विधायक हैं उनसे कहूंगा कि पटवा जी के भाषण, विक्रम वर्मा के भाषण, अर्जुन सिंह जी के भाषण आप लोग जरूर पढि़येगा, बड़ा ज्ञानवर्द्धक है और वे बहुत अध्‍ययन करके विधान सभा के अंदर बोलते थे. पटवा जी ने लॉ-इन-आर्डर विशेष कर पटवा जी और बाबूलाल जी की जोड़ी ने प्रदेश भर में अतिक्रमण हटाया है. मुझे अच्‍छे से याद है पूरे प्रदेश में जो अतिक्रमण हो रहे थे, अलग अलग शहर में, अलग अलग माफिया अतिक्रमण का काम कर रहा था, उन सबको नेस्‍तनाबूद करने का काम किया है, वह पटवा जी ने किया था. बुलडोजर तो अभी आया, उस जमाने में बाबूलाल गौर जी को बुलडोजर मंत्री कहा जाता था. अध्‍यक्ष महोदय आप भी उस विधान सभा में सदस्‍य थे. उस समय बाबूलाल गौर जी बुलडोजर मंत्री थे और औद्योगिक विकास में पटवा जी की महत्‍वपूर्ण भूमिका है, इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर में महत्‍वपूर्ण भूमिका है, हरित क्रांति  में महत्‍वपूर्ण भूमिका है, पटवा जी ने सामाजिक सौजन्‍यता का बहुत उदाहरण दिया. ऐसे ही मैं दिग्विजय सिंह जी की भी तारीफ करुंगा. राजनीतिक सौजन्‍यता क्‍या होती है ये हमने उनसे सीखा है. आज सदन में उनके पुत्र नहीं है, लेकिन मैं उस बात की तारीफ करूंगा. मुझे याद आता है, हमारे जबलपुर के कार्यकर्ता थे ओमकार जी तिवारी उनको अचानक अटैक आया तो मैंने दिग्विजय सिंह जी को फोन किया मेरी बड़ी मित्रता थी उनसे, उन्‍होंने तत्‍काल हैलीकॉप्‍टर बुलवाकर उनको दिल्‍ली भेजने की व्‍यवस्‍था की, ये गुण दिग्विजय सिंह जी का था कि कोई भी व्‍यक्ति हो, चाहे विरोधी हो, उनके दरवाजे पर पहुंच जाए वे पूरी मदद करते थे.  


 

          उमा भारती जी का जिक्र नहीं करूंगा तो बहुत नाइंसाफी होगी. एक और बाबूलाल जी की मैं तारीफ करना चाहता हूं यह जो व्हीआईपी रोड़ है इस रोड़ पर बहुत अतिक्रमण था मुझे याद आता है कि तेलंगाना में उस समय अलग तेलंगाना का आंदोलन चल रहा था तो 10 हजार सेना के जवान भोपाल आये तो राज्य शासन को निर्देश दिये गये कि इनके लिये भोजन की व्यवस्था करें उनकी ट्रेन 8 घंटे लेट है. 8 घंटे के बाद उनको दूसरी ट्रेन मिलेगी उस वक्त तो भोपाल में उनकी व्यवस्था करें. भोपाल में उनकी व्यवस्था की तो बाबूलाल जी गौर ने क्या करा भोजन कराने के बाद उन 10 हजार सैनिकों का जहां पर अतिक्रमण हटाना था वहां पर राऊंड लगवा दिया मार्चपास्ट करवा दिया और कह दिया कि सेना आ गई है अतिक्रमण हटाने के लिये भोजन कराया एक बार सुबह करवाया एक बार शाम को ट्रेन जाने के पहले भोजन करवा दिया सब लोग घबरा गये कि 10 हजार सैनिक सेना के आ गये हैं. जो बुलडोजर ले गये तो सब लोगों ने रास्ता खाली करवा दिया. मैं उस समय विधायक था मुझे मालूम है, तो यह व्हीआईपी रोड़ भी उनकी देन थी. उसके बाद युग आता है उमा भारती जी उनके पहले थीं. उमा भारती थीं बहुत कम समय के लिये पर 2004 में.

          श्री आरिफ मसूदअध्यक्ष महोदय, गौर साहब की बात आयी है, तो मैं उनके लिये एक बात जरूर कहूंगा कि उन्होंने अतिक्रमण हटाये जरूर, लेकिन लोगों को स्थापित भी किया. यह भी उनकी अच्छूी बात थी वह बुलडोजर मंत्री थे, तब और आज के बुलडोजर मंत्री में अंतर जरूर है.

          श्री कैलाश विजयवर्गीयअध्यक्ष महोदय, उमा भारती जी ने 2004 में सिंहस्थ था उसकी मुझे जवाबदारी सौंपी उसके पहले की घटना बताता हूं जब चुनाव प्रचार समाप्त हुआ तो हम लोग भोपाल आ रहे थे आखिरी सभा करके देवास के पास से निकले मध्यप्रदेश के एक ही सबसे खूबसूरत रोड़ थी वह देवास की थी. तो मुझसे उमा जी बोलती हैं कि कैलाश इतनी खूबसूरत रोड़ मध्यप्रदेश में बना सकते हैं क्या मध्यप्रदेश में रोड़ों की बहुत दुर्दशा है. मैंने तय कर लिया है कि सरकार मध्यप्रदेश में अपनी बन रही है पीडब्ल्यूडी मंत्री आपको ही बनना है. अध्यक्ष महोदय मुझे कहते हुए गर्व है कि एक शख्स का नाम लेना चाहूंगा नितिन गडकरी जी का वह उस समय महाराष्ट्र के भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष थे. मैंने कहा कि अगर आपने मुझे पीडब्ल्यूडी मंत्री बनाया है तो मैं नितिन जी को यहां पर बुलाऊंगा कहा हां जरूर बुलाना तो उनको हमने यहां पर बुलाया सरकार बनने के बाद उस समय सीएस मिस्टर साह्य थे. उन्होंने प्रजेन्टेशन दिया कि कैसे मध्यप्रदेश की सड़कें बनना चाहिये. उस समय रोड़ डवलपमेंट कार्पोरेशन बना है. राकेश जी आपका रोड़ डवलपमेंट कार्पोरेशन वह नितिन जी की सलाह से मेरे हस्ताक्षर से बना था उसके बाद हमने पहले की पांच साल में 10 हजार करोड़ रूपये की मध्यप्रदेश में सड़कें बनाकर सड़कों की समस्या का निराकरण किया था. उमा जी के वक्त उसकी शुरूआत हुई थी. एक और चुनौती उमा जी को मिली थी वह थी हरसूद को खाली करवाने की सिंहस्थ के बाद अध्यक्ष महोदय पिछली सरकार जो थी उन्होंने निर्माण कार्य प्रारंभ कर दिया. निर्माण कार्य बंद हो गया बांध बन गया, पर हरसूद को खाली नहीं करवा सके. अब चुनौती यह थी कि एक महीने बाद बारिश आ गई तो हरसूद डूब जायेगा. हरसूद को हटाना बहुत बड़ी चुनौती थी. पर मुझे कहते हुए गर्व है कि उमा जी ने एक बैठक के अंदर सारे अधिकारियों की राय सुनी उनकी राय को मना कर दिया और कह दिया का हरसूद वालों को डबल मुआवजा देना चाहिये. 40 करोड़ रूपया डबल मुआवजा देकर हरसूद खाली हुआ था उस समय माननीय विजय शाह जी वहां के विधायक थे. निर्णय करने में उमा जी की कोई सानी नहीं थी अध्यक्ष महोदय. अब शिवराज सिंह चौहान जी का युग आता है 2005 से शिवराज सिंह जी इतिहास रचा है. इस मध्यप्रदेश के इतिहास में सबसे ज्यादा लंबे समय तक कोई मुख्यमंत्री रहा तो शिवराज सिंह जी चौहान रहे. जितनी भी योजनाएं हैं सारा देश मध्यप्रदेश की नकल कर रहा है. चाहे लाड़ली लक्ष्मी योजना हो, चाहे लाडली बहना योजना हो, चाहे जननी एक्सप्रेस योजना हो, चाहे मुख्यमंत्री कन्यादान योजना हो, चाहे महिलाओं को 50 प्रतिशत नगर-पालिका और नगर निगम में आरक्षण देने का काम हो, चाहे बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओं अभियान हो, यह सब योजनाएं प्रारंभ की थीं तो शिवराज सिंह चौहान ने आयोजित की थीं. कृषि के क्षेत्र में जबरदस्त परिवर्तन आया तीन प्रतिशत खेती थी उस वक्त वह 19 प्रतिशत हुई तो मध्यप्रदेश को कृषि के क्षेत्र में एक बार नहीं दो बार नहीं तीन बार नहीं सात सात बार अवार्ड मिले हैं. यह उस समय शिवराज जी के समय की है. यह महाकाल लोक यह भी शिवराज सिंह जी की कल्पना थी. ओंकारेश्वर में एकात्म धाम यह भी शिवराज सिंह जी की परिकल्पना थी.

अध्‍यक्ष महोदय, जब भी लोग मध्‍यप्रदेश का इतिहास पढे़ंगे, माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान जी का नाम भी इतिहास के पन्‍नों में एक अच्‍छे मुख्‍यमंत्री के रूप में लिया जायेगा. उसके बाद पूर्व मुख्‍यमंत्री माननीय श्री कमल नाथ जी आये. वे थोड़े कम समय सत्‍ता में थे, पर उनमें जबरदस्‍त प्रशासनिक क्षमता थी. उन्‍होंने औद्योगिक निवेश के क्षेत्र को बढ़ाने के लिये सिंगल विंडो प्रारम्‍भ की. उनके पास और भी बहुत सारी योजनाएं थीं, पर समय कम था और वे उतना नहीं कर पाये, जितना उन्‍होंने सोचा था. लेकिन ठीक है, परिस्‍थितियां कभी-कभी ऐसी होती हैं लेकिन कम समय में भी माननीय श्री कमल नाथ जी ने एक अच्‍छी छाप छोड़ी, इसलिए मैं चाहता हॅूं कि सदन एक बार उनके नाम से भी मेज थपथपाकर स्‍वागत करे. (मेजों की थपथपाहट) और वर्तमान युग डॉ. मोहन यादव जी का है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- अब निर्मल बाबा का भी समय पूरा हो रहा है. निर्मल बाबा ने जितना दिया था...(हंसी)...

          श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्‍यक्ष महोदय, अभी 20-20 क्रिकेट चल रहा है. मैंने देखा है कि कप्‍तान सूर्यकुमार जैसे ही मैदान में उतरे, तो सब खिलाड़ियों को उन्‍होंने किट बांटी. (XXX)

          श्री महेश परमार -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, किट पूरी 230 होना चाहिए. दोनो तरफ यह किट मिलनी चाहिए..(हंसी)..

          श्री कैलाश विजयवर्गीय -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपकी तरफ से मिलना चाहिए, यह निर्देश होना चाहिए..(हंसी)..इसमें आपकी तरफ से कुछ व्‍यवस्‍था होनी चाहिए कि अपनी टीम का भी थोड़ा-सा ध्‍यान रखें..(हंसी)..

          अध्‍यक्ष महोदय, मध्‍यप्रदेश इंडस्‍ट्रियल ग्रोथ के अंदर एक हब बन रहा है. मैं दोहराऊंगा नहीं, क्‍योंकि माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने काफी कुछ कह दिया है. पर इतना जरूर कह सकता हॅूं कि मध्‍यप्रदेश औद्योगिक क्रांति का केन्‍द्र बन रहा है. मध्‍यप्रदेश डॉ.मोहन यादव जी के नेतृत्‍व में कृषि क्रांति का केन्‍द्र बन रहा है (मेजों की थपथपाहट)   और हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी जी ने जो ज्ञान की बात कही है वह गरीब, युवा, अन्‍नदाता और नारी इन चारों को केन्‍द्र बनाकर मध्‍यप्रदेश में जितनी योजनाएं चल रही हैं और इस क्षेत्र में जो विकास हो रहा है, वह सिग्‍नीफिकेंस है इसलिए इस बात के लिए मैं डॉ.मोहन यादव जी को बहुत-बहुत धन्‍यवाद देता हॅूं. (मेजों की थपथपाहट)  

 

(XXX)आदेशानुसार रिकार्ड नही किया गया.

 

 

 

          अध्‍यक्ष महोदय, ग्‍लोबल इन्‍वेस्‍टर्स समिट, रीज़नल इन्‍डस्‍ट्रियल कान्‍क्‍लेव के लिए देश और विदेश से निवेश लाना यह कोई छोटी बात नहीं है और मध्‍यप्रदेश जैसे राज्‍य के अंदर जोकि बिल्‍कुल लैंडलॉक है यहां एक्‍सपोर्ट करने वाले लोग बहुत कम आते हैं. यहां पर एक्‍सपोर्ट करने वालों को भी सुविधा दी है. अगर आप एक्‍सपोर्ट करना चाहें, तो पोर्ट तक जाने के लिए सामान पर सब्‍सिडी हम देंगे, आप मध्‍यप्रदेश में आइए, इन्‍डस्‍ट्री लगाइए और एक्‍सपोर्ट करने वाली इन्‍डस्‍ट्री मध्‍यप्रदेश में आ रही है. लगभग 32 लाख करोड़ के निवेश इन 2 सालों में आए हैं. यह हमारे मुख्‍यमंत्री जी की बहुत बड़ी उपलब्‍धि है और इसमें लगभग 23 लाख रोजगारों का सृजन होगा.

          अध्‍यक्ष महोदय, गौसेवा संरक्षण, स्‍वास्‍थ्‍य के बारे में कहना चाहता हॅूं. अब डॉ.मोहन यादव जी तो खुद ही मोहन हैं. कृष्‍ण का नाम मोहन है. इत्‍तेफाक से डॉ.मोहन यादव जी यादव हैं तो गौसेवा करना तो उनका धर्म भी है और इसलिए आते ही मुख्‍यमंत्री बनने के बाद गौमाता के भोजन के लिए 20 से 40 रूपए कर दिया. (मेजों की थपथपाहट)

          अध्‍यक्ष महोदय, आधुनिक गौशाला है. यदि किसी भी माननीय सदस्‍य को आधुनिक गौशाला देखना हो, तो इंदौर में आकर देखें. ग्‍वालियर में देखें. उज्‍जैन में देखें. कैसी गौसेवा चल रही है. आगर-मालवा में देखें. रीवा में देखें. बहुत बढि़या गौशालाएं चल रही हैं.

          श्री हेमन्‍त सत्‍यदेव कटारे -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इसमें मेरा एक छोटा-सा आग्रह है कि मध्‍यप्रदेश में जितने स्‍लॉटर हाउसेस चल रहे हैं आज मैं कहना चाहता हॅूं कि इन सबका जो संकल्‍प लिया है....(व्‍यवधान)..

          अध्‍यक्ष महोदय -- हेमन्‍त जी, अभी मंथन चल रहा है. टोका-टोकी नहीं रहेगी, तो ठीक रहेगा.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, राम वन पथ गमन, कृष्‍ण पाथेय की सेन्‍ट्रल विस्‍टा भोपाल के अंदर बनने की तैयारी है. सिंहस्‍थ 2028 है और सहृदयता देखिए कि यदि हमारे किसान भाइयों ने कहा, माननीय उमंग जी भले ही अपनी पीठ अपने हाथ से थपथपायें. हमारे किसान भाइयों ने कहा कि नहीं, हमें जमीन नहीं देना, सहृदय के साथ बड़ा दिल रखते हुए जो सोचा था, उस निर्णय को वापस लेने का काम हमारे मुख्यमंत्री जी ने किया है. (मेजों की थपथपाहट).. अध्यक्ष महोदय, बहुत शार्ट में अपना भाषण खत्म कर रहा हूं. आपसे सिर्फ 3 मिनट का समय और चाहिए, ज्यादा समय नहीं चाहिए.

          श्री भवंर सिंह शेखावत - निर्मल बाबा एक ही आदमी को क्यों मिलते हैं. निर्मल बाबा आपको अकेले को ही आशीर्वाद देकर जाएंगे कि किसी और का भी नम्बर लगेगा?

          श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्यक्ष महोदय, आप कहें तो मैं बैठ जाता हूं. अध्यक्ष महोदय, मेरे विभाग की 2-3 बात बोलकर खत्म करता हूं. मेरे पास में  कहने के लिए बहुत सारा मटेरियल है. मैं अपने विभाग की बात करता हूं, नगरीय विकास के क्षेत्र में हमने बहुत काम किये हैं. प्रधानमंत्री आवास में हमें प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने सम्मानित किया है. अमृत मिशन में भी हम सम्मानित हुए हैं. स्वच्छ भारत मिशन में आप जानते हैं कि मध्यप्रदेश दूसरे नम्बर पर है और इंदौर लगातार 7वीं बार नहीं, 8वीं बार भी प्रथम आया है. यह सब हमारे मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में हुआ है. (मेजों की थपथपाहट)..स्वच्छ वायु सर्वेक्षण एक तरफ सब तरफ पॉल्यूशन बढ़ रहा है और हम हमारे प्रदेश में पॉल्यूशन कम कर रहे हैं, उसमें इंदौर प्रथम है और जबलपुर सेकण्ड नम्बर पर है. वृक्षारोपण में एक पेड़ मां के नाम, हमने मध्यप्रदेश में  इसका रिकॉर्ड बनाया है. मध्यप्रदेश में भी रिकॉर्ड बना है और इंदौर ने भी रिकॉर्ड बनाया है. इंदौर की जनता ने एक दिन में 12 लाख 40 हजार पेड़ लगाए हैं. 2 साल बाद आज भी 12 लाख 40 हजार पेड़ जिंदा हैं, यह उसकी विशेषता है. वृक्षारोपण तो कोई भी करता है. परन्तु सवाल यह है कि वृक्षों को लगाने के बाद उसको संभालकर रखना यह बहुत बड़ी चुनौती होती है. इंदौर की जनता को इसका श्रेय जाता है कि उन्होंने पेड़ लगाए और साथ ही उसका संरक्षण भी किया है.

          अध्यक्ष महोदय, बहुत सारे पुरस्कार भी मिले हैं. आप मेरी तरफ तिरछी नजर से देख रहे हैं, इसलिए मैं बहुत जल्दी अपनी बात को खत्म कर देता हूं. पांचवां राष्ट्रीय जल पुरस्कार योजना में भी इंदौर को प्रथम पुरस्कार मिला है. मध्यप्रदेश भी देश का इकानॉमिक इंजन बन रहा है और इंदौर भी बन रहा है,  इंदौर में औद्योगिक विकास, इंदौर में इस प्रकार का वातावरण बनना कि इंदौर एक औद्योगिक नगरी बन सके, इस दिशा में इंदौर नगर निगम की मैं प्रशंसा करना चाहूंगा कि उनकी बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका रही है. मानव विकास, स्वास्थ्य शिक्षा, इन सब क्षेत्रों में हमारी सरकार ने बहुत सारे काम किये हैं, मैं रिपीट नहीं करूंगा. एक समावेशी विकास मॉडल जो प्रधानमंत्री जी हमेशा कहते हैं उस दिशा में मध्यप्रदेश चल पड़ा है. परन्तु हमारा एक ही कहना है, फिर इस बात को मैं दोहराऊंगा कि 8 करोड़ जनता के विकास की जवाबदारी सिर्फ मोहन यादव जी या पूरी टीम की नहीं है, हम 230 लोगों की है. जो भी माननीय सदस्य चुनकर आते हैं, कभी भी चुनकर आते हैं. मैं तो वह सौभाग्यशाली व्यक्ति हूं कि मैंने नेता प्रतिपक्ष के रूप में सामने जहां श्री उमंग जी बैठे हैं, वहां स्व. श्री श्यामाचरण शुक्ल जी को देखा , उनके पास में स्व. श्री अर्जुन सिंह जी को बैठे देखा, उनके पास स्व. श्री मोतीलाल वोरा जी को देखा, उसके बाद स्व. श्री कृष्णपाल सिंह जी को देखा, स्व. श्री राजेन्द्र सिंह जी को देखा, इतने दिग्गज लोगों के सामने हम यहां पर बैठे हैं. आपने भी उनको देखा.

          अध्यक्ष महोदय, विधान सभा बहुत पवित्र स्थल होता है. प्रदेश की सबसे बड़ी पंचायत होती है. 8 करोड़ लोगों की आशा का केन्द्र अगर कोई होता है तो हम 230 विधायक रहते हैं. हमारा चाल, चरित्र, चेहरा, आचरण यह सब लोग देखते हैं. अभी श्री राजेन्द्र शुक्ल जी ने एक बड़ी अच्छी बात कही कि हम दो आंख से देखते हैं. हमको हजार आंख देखती है. हम सबको हजार आंख देख रही है. हम यह समझे कि मैं कुछ कर रहा हूं किसी को पता ही नहीं है. इस गलतफहमी में कोई भी नहीं रहे. आपको सब देख रहे हैं. सब महसूस कर रहे हैं. बोल नहीं रहे हैं तो कोई बात नहीं है. परन्तु जिस समय बोलने का अवसर आएगा, जनता बोलती है.

          अध्यक्ष महोदय, जब 5 साल में चुनाव आता है तो जनता उसका परिणाम दिखाती है जो इधर बैठते हैं वह उधर बैठने लगते हैं, उधर वाले इधर आ जाते हैं और इसलिए अपना चाल, चरित्र, चेहरा और आचरण बहुत अच्छा होना चाहिए. मैं एक बार माननीय गृह मंत्री जी को भी धन्यवाद देना चाहता हूं. ऐसे संकल्प का धनी व्यक्ति मैंने नहीं देखा है, जो निश्चय कर लेता है, वह करता है. धारा 370 हटाना तो वह हटाई, सीएए बिल लाए तो लाए और नक्सलवाद को खत्म करना था तो तारीख देकर खत्म किया है कि 26 मार्च तक हम नक्सलवाद  खतम कर देंगे.  उसमें हमारे नौजवान  भी शहीद हुए हैं.  मेरा ख्याल है कि किसी गृह मंत्री जी  ने   पिछले दिनों  छत्तीसगढ़  का इतना दौरा नहीं किया,  जितना उन्होंने किया है.  मध्यप्रदेश भी  कहीं न कहीं उससे प्रभावित  था, मैं चाहता हूं कि सदन   एक बार अमित शाह जी  के लिये   जोरदार स्वागत करें. (मेजों की थपथपाहट)   उन्होंने अलविदा कर दिया.  उन्होंने लाल सलाम  कर दिया सारे नक्लवादियों को.  एक बहुत बड़ी चुनौती   अभी हमारे पास  और आ रही है,  वह है एआई को लेकर. यह एक ऐसी   टेकानालाजी है, जो सकारात्मक भी है और नकारात्मक भी है.  हम सबको  बैठकर विचार करना है  कि  इस एआई  टेक्नालाजी को  लाना भी है, सुपर कम्प्यूटर को लाना भी है, पर   इसका लाभ, इसकी सकारात्मकता कैसे मिले, यह हमको तय करना है.  इस दिशा के अन्दर  हम सबको बैठकर  विचार करना है, मध्यप्रदेश का विकास  हम  टेक्नालाजी के माध्यम से  कैसे कर सकें आगे. यह बहुत जरुरी है.  अध्यक्ष महोदय, आपने बहुत समय दिया,  मैं  आपको धन्यवाद देता हूं  और  सदन से यह अपेक्षा करता हूं कि आज  आलोचना का दिन  नहीं है.  आज सिर्फ सकारात्मकता  का दिन है, क्योंकि यह दस्तावेज   आने वाली पीढ़ी के लिये  एक   महत्वपूर्ण दस्तावेज  बने,  यह हम सब लोगों  का प्रयास होना चाहिये. बहुत बहुत धन्यवाद,  भारत माता की जय.

                   श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे(अटेर)--  अध्यक्ष महोदय,  आज की आपकी इस पहल की जितनी सराहना की जाये,  उतनी कम है.  आज आपने विशेष सत्र आमंत्रित किया और मध्यप्रदेश का गौरवशाली  इतिहास,  आज अपने  मध्यप्रदेश  विधान सभा का गौरवशाली  इतिहास आज अपने  70वें  वर्ष में प्रवेश करेगा.  मैं  आपको इस सराहनीय कार्य के लिये   धन्यवाद तो देना चाहता हूं  और साथ ही इस बात के लिये भी धन्यवाद देना चाहता हूं कि  इस  महत्वपूर्ण अवसर पर  आपने मुझे बोलने का अवसर प्रदान किया.  हमेशा आपने मार्गदर्शन, आशीर्वाद दिया है और आज  पुनः  आपका आशीर्वाद  मुझे  प्राप्त हुआ. आशा  करुंगा कि कुछ बातें  प्रदेश  की रखूंगा, उसको आलोचना  के रुप में न ली जायें,  वह  वस्तुस्थिति है.  जब हम उसकी बात करेंगे,  तो  मैं  आज  इसको पहले से  ही जैसे आप यह कह देते हैं कि यह पढ़ा जाये,  तो  मैं मानूंगा कि यह पढ़ा  जाये कि  इसमें  हम सब मिलकर के  भागी हैं.  मैं यह नहीं कहूंगा कि  उसके  कहीं न कहीं हम  भी  भागीदार  होंगे.  लेकिन   वस्तुस्थिति की जब तक हम चर्चा नहीं करेंगे,  तब तक उसके सुधार  की  चर्चा कैसे आयेगी. जैसे पहले डॉक्टर बीमारी  पकड़ता है और फिर बीमारी के बाद उसका  इलाज शुरु करता है.  मैं आशा करुंगा कि समस्या के साथ साथ कुछ सुझाव  भी दूं और जो  जो सुझाव मैं दूं और जब अगले सत्र  में हम लोग सब बैठें,  तब   उन  सुझावों पर  क्या क्रियान्वयन हुआ, संबंधित   मंत्री सिर्फ मेरे नहीं,  बल्कि प्रतिपक्ष की ओर से  आये हुए सभी सुझावों  को लेकर के  बतायें कि  कार्य पर क्या  प्रगति हुई और कब तक पूर्ण  होगा,  उन सुझावों के बारे में चर्चा  की जानी  चाहिये विस्तृत रुप से.  मेरे लिये बड़ी गर्व की बात है,  मैं   इस सदन का सदस्य बना,  निर्वाचित होकर के आया हूं, जिसमें मेरे स्वर्गीय पिताजी, श्री सत्यदेव कटारे जी,  वे कई बार चुनकर के आये   इस सदन के अन्दर.  जब मध्यप्रदेश अविभाजित  था,  जब मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ एक था,  तब भी वे इस सदन के सदस्य रहे.  बाद में विभाजन हुआ,  उसके बाद भी वे इस  सदन के सदस्य रहे और  उनको  विधायक रहते हुए  सबसे उत्कृष्ट विधायक  का  अवार्ड दिया गया इस सदन  के द्वारा.  उनको मंत्री रहते हुए   उत्कृष्ट मंत्री   का अवार्ड मिला है  इस सदन के द्वारा.  उन्होंने भारत के इतिहास  में  पहली बार  शेडो केबिनेट की स्थापना की, जो कि मध्यप्रदेश में हुई.   मेरे स्वर्गीय पिताजी, श्री  सत्यदेव  कटारे जी ने  एक  व्यापम  का महा घोटाला उठाया  और जो भ्रष्टाचार की लड़ाई ईमानदारी   और बेबाकी से लड़नी चाहिये थी,  वह चीज की, उन्होंने प्रेरणा दी  और मैं कोशिश करता हूं कि उनकी दी हुई प्रेरणा  के अनुसार मैं आगे बढ़ सकूं और जो उनके अधूरे कार्य हैं,  उनको पूरा कर सकूं.  मैं अपने अटेर क्षेत्र की जनता  के लिये  जीवन भर ऋणी रहूंगा कि यह उनका आशीर्वाद है कि  मैं आज  इस  सदन का सदस्य  बना हूं. एक बार नहीं, दो दो बार  बना.  इतनी कम उम्र में  मुझे मेरी पार्टी ने  चार बार  विधान सभा चुनाव लड़ने का अवसर दिया.  इस उम्र में तो टिकट भी  लोग नहीं सोचते हैं.  मुझे चार बार अवसर दिया और दो दो अलग  अलग विधान सभाओं   से अवसर मिला.  मैं अपनी पार्टी का भी ऋणी हूं,  मैं पूरे कांग्रेस परिवार का ऋणी हूं.

आज यहां पर मुझे इस अवसर पर बोलने का मौका दिया. माननीय अध्यक्ष महोदय, नेता प्रतिपक्ष जी ने आज सदन में अपने वक्तव्य में इस बात को कहा कि विधानसभा की कार्यवाही को लाईव किया जाना चाहिये. मैं उनकी इस बात का पुरजोर समर्थन भी करता हूं और साथ में यह कहना चाहता हूं क्योंकि 2011 का सेंसेक्स था वर्तमान पापुलेशन जो एस्टीमेटेड है 9 करोड़ के आसपास है, तो हमारी 9 करोड़ की जनता ने बड़ी बुद्धिमत्ता से सोच समझकर के निर्णय लिया और 230 लोगों को जिसमें आप और हम शामिल हैं उन्हें चुनकर के इस सदन में भेजा. जनता का उद्धेश्य था कि हम लोग जब इस सदन  के सदस्य बनेंगे तो हम उनके जो विषय हैं उनको उठायेंगे, जो मध्यप्रदेश के हित के विषय हैं उनको उठायेंगे और उनकी बात को मजबूती से सदन के अंदर रखेंगे. तो मैं ,आज जानना भी चाहता हूं और सुझाव भी देना चाहता हूं कि क्या उस जनता को जिसने हमें चुनकर के भेजा है उसकी बात करने के लिये, हमारी कही गई बात को जनता को सुनन के लिये, देखने का अधिकार होना चाहिये या नहीं होना चाहिये ? चूंकि लोक सभा हो, राज्य सभा हो अन्य राज्यों में यह प्रणाली लागू हो गई है, क्या हम यहां पर ऐसी कोई बात कर रहे हैं जो हमारी जनता नहीं सुन सकती,उसको हम नहीं दिखा सकते हैं. आखिर जनता से मुंह छुपाने की प्रणाली क्यों अपना रखी है. इसलिये विधानसभा की कार्यवाही को लाईव किया जाना चाहिये.

          अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे आग्रह है कि आपने जब से इस आसंदी को सुशोभित किया है आपने बहुत सारी चीजों को बदला है, सुधार किया है, मैं आशा करूंगा कि जल्दी ही आप इस चीज को भी लागू करेंगे.

          माननीय अध्यक्ष महोदय, एक सुझाव मेरा और है , संवैधानिक व्यवस्था में विधानसभा के उपाध्यक्ष का उल्लेख है. निश्चित रूप से अध्यक्ष महोदय आपके सहयोग के लिये, सदन के सहयोग के लिये विधानसभा के उपाध्यक्ष भी यदि नियुक्त होते या निर्वाचित होते तो विकास की गति को ताकत मिलती ही मिलती, साथ ही साथ सदन के जो कई सारे पेंडिंग कार्य हैं,  समितियों की जो पेंडेंसी है उन सबको भी निपटाया जा सकता था. हमने कई बार माननीय मुख्यमंत्री जी से आग्रह किया, आपसे और संसदीय कार्य मंत्री जी से भी आग्रह किया है कि विधानसभा के उपाध्यक्ष के पद को रिक्त न रखा जाये, इस पद को रिक्त रखना जनता के साथ अन्याय है. इस पद को भरा जाये क्योंकि यह संवैधानिक पद है, यदि कांग्रेस पक्ष से बिल्कुल ही ईर्ष्या है ,उस पार्टी का नही लेना है तो फिर आप बीजेपी का ले ले, लेकिन इस संवैधानिक व्यवस्था के साथ में अन्याय नहीं होना चाहिये. उस पद के कारण हमारे जनता के कार्य की प्रगति नहीं रूकना चाहिये. इसलिये विधानसभा के उपाध्यक्ष के पद को शीघ्र भरने का निर्णय लेना चाहिये.

          माननीय अध्यक्ष महोदय, सब लोग बात करते हैं खास तौर से भारतीय जनता पार्टी के नेता विजन 2047'की. माननीय प्रधान मंत्री जी ने कहा कि विजन 2047 मध्यप्रदेश के सारे नेता अपने वक्तव्य में कहते हैं कि विजन 2047. क्या है विजन 2047. और उससे महत्वपूर्ण कि क्यों विजन 2047. क्यों नहीं 2026, क्यों नहीं 2028 क्यों नहीं 2033, क्यों विजन 2047.

          माननीय अध्यक्ष महोदय, मै आपका ध्यानाकर्षित करना चाहता हूं एक फिगर पर कि जब हम 2047 में प्रवेश करेंगे तो माननीय प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी जी जिनकी वर्तमान में उम्र है 75 साल 22 वर्ष और जोड़ देते हैं 97 साल के हो चुके होंगे. आदरणीय कैलाश विजयवर्गीय जी की उम्र है 69 वर्ष और 22 साल जोड़ते है 91 वर्ष के हो चुके होंगे.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी कोई उम्र बता सकता है क्या ? आज भी मेरे बराबर ये दोड़ नहीं सकते हैं. (हंसी) मेरे से पंजा नहीं लड़ा सकता है. (हंसी) बताईये अध्यक्ष महोदय, मुझे यह बूढ़ा बता रहे हैं.

          अध्यक्ष महोदय- कटारे जी चलो कन्टीन्यू करो.

          श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे- अभी माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी ने ही कहा था कि इस पर कोई टोका-टोकी नहीं होगी, ठीक है वह तो संसदीय कार्य मंत्री हैं..

          अध्यक्ष महोदय- उम्र को चुनौती मत दो, किसी की भी (हंसी)

          श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे- जी बिल्कुल नहीं, जो गूगल बाबा कहेंगे, निर्मल बाबा कहेंगे मैं उसी के अनुसार चलूंगा. मैं उससे बाहर नहीं जाऊंगा. माननीय अध्यक्ष महोदय, देखा जाये तो आपकी उम्र जो है...

          अध्यक्ष महोदय- फिर वही बात.

          श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे- अध्यक्ष महोदय, देखा जाये तो विषय यह इसलिये है कि हम 2047 की बात कर रहे हैं और जो लोग इस संकल्प की बात कर रहे हैं ,मैं उनको इतिहास का उदाहरण सदन में देना चाहता हूं कि क्यों मैं इस बात को यहां पर कह रहा हूं. जब पंडित अटल बिहारी वाजपेई जी, प्रधानमंत्री के रूप मे इस देश का नेतृत्व कर रहे थे और डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम साहब देश के राष्ट्रपति थे तब उन्होंने विजन 2020 दिया था, अध्यक्ष महोदय आपको भी और सब लोगों को खूब अच्छे से यह याद होगा. जब विजन 2020 आया तब सिर्फ आडवानी जी रह गये उस विजन को देखने के लिये, वह भी उनको इस कदर कर दिया कि वह इस विजन को समझ ही नहीं पाये, उनको बिल्कुल दूर कर दिया राजनीति से. तो मेरा कहने का तात्पर्य यह है कि उसका उद्धेश्य यह है वह विजन रखो ऐसा विजन रखो जिसको हम लोग देख सकें..

अध्‍यक्ष महोदय -- हेमन्‍त जी, सामान्‍यत: आप इसको इस दृष्टि से देखें कि जिन लोगों ने आजादी के आंदोलन में संघर्ष किया अगर उनके मन में यह होता कि आजादी के बाद हम ही लोक सभा और विधान सभा में जाएंगे तो शायद आजादी का आंदोलन सफल ही नहीं होता, तो देखने की दूरदृष्टि तो होनी ही चाहिए. हमारे पूर्वजों ने भी पहले से ही आगे का देखना शुरू किया, उसी का परिणाम है कि मध्‍यप्रदेश यहां है और देश यहां है. आज हम सब लोग इस पीढ़ी के यहां बैठे हुए हैं तो निश्चित रूप से हम सब लोगों की जिम्‍मेदारी है कि हम भी वर्ष 2047 को देखें कि आजादी के 100 वर्ष होंगे तो हिन्‍दुस्‍तान और मध्‍यप्रदेश कैसा होगा. यह हमारी जिम्‍मेदारी है इस दृष्टि से यह बात है. आप कंटीनिव करें.

श्री हेमन्‍त सत्‍यदेव कटारे -- अध्‍यक्ष महोदय, आपने जो बात कही मैं बिल्‍कुल उस चीज को स्‍वीकार करता हूं और साथ में यह आग्रह करता हूं कि जो विजन है मुझे लगता है कि उसे अगर क्रमबद्ध तरीके से बनाया जाए कि वर्ष 2028, वर्ष 2033 और इन-इन चरणों में यह विजन जाकर पूरा वर्ष 2047 में इस प्रकार से होगा, तो शायद बेहतर होगा. मेरा ऐसा सुझाव है.

 

1.01 बजे       {सभापति महोदया (श्रीमती अर्चना चिटनीस) पीठासीन हुईं.}

          सभापति महोदया, मध्‍यप्रदेश में अपोजीशन या कहीं पर भी देखा जाए अपोजीशन एक आइने की तरह होता है. विपक्ष वह दर्पण है जो सच्‍चाई का दर्शन करवाता है. मैं यह बात इसलिए कह रहा हूं क्‍योंकि वर्तमान में जो स्थिति विपक्ष की है, जिस प्रकार से सरकार विपक्ष के साथ भेदभाव कर रही है या बर्ताव कर रही है, कई बार प्रकरण लग रहे हैं, उनको धमकियां मिल रही हैं या वह असुरक्षित महसूस कर रहे हैं, इन चीजों पर हमको निगाह डालनी चाहिए. जब तक सिस्‍टम में चेक इन बैलेंस नहीं रहेगा तब तक सत्‍ता अच्‍छी नहीं चल सकती. यह मेरा कर्तव्‍य है, हम सबका यह कर्तव्‍य है कि आपकी जो-जो कमियां हैं हम उनको दर्शाएं और आपका काम है कि आप अपनी खूबियां बताएं, आप अपनी उपलब्धियां बताएं, लेकिन यदि हम उनमें कमियां नहीं बताएंगे तो सुधार की गुंजाइशें हमेशा खत्‍म हो जाएंगी और एक अच्‍छे मित्र की परिभाषा भी यही है कि जो चाटुकारिता नहीं करे, जो हमेशा वाहवाही नहीं करे, बल्कि अपने मित्र को हमेशा सच्‍चाई का आईना दिखाता रहे तो हमारा हमेशा यह प्रयास रहता है, लेकिन बदले में हमारे कई माननीय सदस्‍यों के ऊपर झूठे केस लगा दिए जाते हैं मैं समझता हूं कि यह एक अच्‍छी गौरवशाली परम्‍परा नहीं है. मैं किसी का नाम नहीं लूंगा किसने लगाए, किन पर लगे, परंतु यह हम सब जानते हैं, सदन की निगाह में है और यह परम्‍परा पर रोक लगनी चाहिए मेरा ऐसा आज के इस दिन पर आग्रह है. यह एक सकारात्‍मक सुझाव मैं आपको देना चाहूंगा.

          सभापति महोदया, हमारे राज्‍य की 75 प्रतिशत आबादी कृषि पर आधारित है तो मेरा एक और छोटा सा सुझाव है कि हम लोग हमारे स्‍कूल एजुकेशन सिस्‍टम में कभी रशियन रेवेल्‍यूशन के बारे में पढ़ाते हैं, कभी अंग्रेजों के युद्ध के बारे में पढ़ाते हैं ठीक है, मैं नहीं कहता कि नहीं पढ़ाना चाहिए कि पढ़ाना चाहिए, परंतु इसकी वास्‍तविकता में बहुत उपयोगिता नहीं है. क्‍या किसानों के हित में सही नहीं होगा कि हर स्‍कूल के पाठ्यक्रम में अनिवार्य रूप से कृषि से संबंधित एक कोर्स डाला जाए और जो हमारी 75 प्रतिशत आबादी है उसके प्रति इन बच्‍चों का ध्‍यान उसी समय जब रूट्स में वह बातें जा रही हैं वहीं से केन्द्रित किया जाए जिससे कृषि के व्‍यापार से या कृषि से लोगों का मोहभंग हो रहा है वह वापस कृषि की तरफ आकर्षित हो, तो मेरा यह सुझाव है कि इसको इनकार्पोरेट किया जाना चाहिए. मैं इसमें दोनों सरकारों की कह रहा हूं, चाहे बीजेपी की सरकार हो या कांग्रेस की सरकार हो, जब गवर्नमेंट्स स्‍कूल्‍स की बात आती है तो सब बोलते हैं कि गवर्नमेंट्स स्‍कूल इतने बेहतर हो गए बढि़या तारीफ होती है, हम भी करते हैं, आप भी कर रहे हैं. मैं एक पक्ष पर आरोप नहीं लगा रहा, गवर्नमेंट स्‍कूल्‍स की बड़ी वाहवाही होती है कि इतना उत्‍थान हो गया, इतने अच्‍छे हो गए, व्‍यवस्‍थाएं इतनी बेहतर हो गई हैं, परंतु वास्‍तविकता में यदि यह इतने बेहतर हो गए होते तो क्‍या आप, हम या सारे ब्‍यूरोक्रेट्स क्‍लास 1 ऑफीसर्स अपने-अपने बच्‍चों को प्रदेश के बाहर या विदेश में पढ़ने भेज रहे होते या फिर उनको यही पढ़ाया जाता.

          सभापति महोदय -- माननीय सदस्‍य, आपका समय काफी हो गया है तो आप अपने सारे सुझाव दे देंगे तो ज्‍यादा उचित होगा.

          श्री हेमन्‍त सत्‍यदेव कटारे -- सभापति महोदया, मैं ओपनिंग कर रहा हूं तो मैं आशा करूंगा कि चीजों को विस्‍तार से रख सकूं. 15 मिनट तो वैसे भी आवंटित हैं और इसके अलावा मैं ओपनिंग कर रहा हूं तो थोड़ा सा समय मिल जाएगा तो मैं बातों को रखता जाऊंगा.

          सभापति महोदया -- थोड़ा सा समय से मैं भी सहमत हूं.

          श्री हेमन्‍त सत्‍यदेव कटारे --  सभापति महोदया, हर सुझाव के लिए थोड़ा-थोड़ा समय. जैसे मेरा इसमें सुझाव है. यह तो कमी है कैसे सुधार हो सकता है तो मेरा इसमें एक सुझाव है कि क्‍यों न जितने लोग जनप्रतिनिधि हैं या जनप्रतिनिधि बनना चाहते हैं या जो ब्‍येरोक्रेट्स हैं क्‍लास 1 ऑफीसर्स हमारे प्रदेश के हैं या जो लोग सत्‍ता का लाभ ले रहे हैं या सत्‍ता का लाभ लेना चाहते हैं उनके लिए क्‍यों न एक कानून बनाया जाए कि आप कम से कम 2 से 5 वर्ष तक अपने बच्चों को अपने परिजन के बच्चों को, उसमें हम भी शामिल हैं,  अनिवार्य रुप से शासकीय स्कूलों में दाखिला दें. जब वीवीआईपी के बच्चे इन स्कूलों में जाएंगे तो यह सिस्टम पूरा वीवीआईपी के इर्द-गिर्द घूम रहा है इससे अपने आप शिक्षण संस्थानों का सुधार हो जाएगा. ऐसा नियम लाए जाए यह सभी के लिए अनिवार्य होना चाहिए. पिछले सत्र में 2 दिसम्बर की बात है वीआईटी और छात्र हित के विषय पर बात हो रही थी. इस पर माननीय मंत्री इंदर सिंह परमार जी सुन रहे हैं. मैं उनको उनका वह वक्तव्य याद दिलाना चाहता हूँ उन्होंने खड़े होकर बहुत अच्छे से बोला था कि मेरी मुख्यमंत्री जी से बात हो गई है, यह रिकार्ड पर है. मैंने मुख्यमंत्री जी से फोन पर बात कर ली है,हम वो कठोर कार्यवाही 7 दिन के अन्दर करेंगे कि इतिहास कांप जाएगा. 2 दिसम्बर से आज 17 दिसम्बर आ गया है. इतिहास तो नहीं कांपा है, मैं कांप गया हूँ कि कोई कार्यवाही ही नहीं हो रही है. माननीय मंत्री जी आप 15 दिन का आश्वासन दे देते, आप तो मंत्री हैं. आपने यह तक कहा कि मुख्यमंत्री जी से चर्चा हो गई है. सदन को यह बताया गया कि धारा 41 (1) में नोटिस दे दिया गया है, 7 दिन के अन्दर कार्यवाही करेंगे. यह ऑन रिकार्ड है. आज की वर्तमान जानकारी जो मुझे मिली है वह यह है कि धारा 41 (2) के तहत नोटिस दे दिया है, वहां पर प्रशासक नियुक्त करने के लिए लेकिन न जाने किस कारण से वो फाइल रुक गई है, न जाने किसका फरमान जारी हो गया है. जब सदन में कहा, मुख्यमंत्री जी की सहमति से कहा उसके बाद कार्यवाही नहीं हो रही है. छात्रों को वो पानी पिलाया गया जिससे एक छात्र की मृत्यु हो गई और 36 छात्रों को पीलिया हुआ है. यह रिकार्ड पर है, आंकड़े इससे ज्यादा हैं. मैं आरोप नहीं लगा रहा हूँ, मैं छात्र हित की बात कर रहा हूँ. यदि भ्रष्टाचारियों पर कार्यवाही नहीं होगी तो सिस्टम का सुधार कैसे होगा. पैसा वही है या तो वो भ्रष्टाचार में चला जाएगा या विकास में चला जाएगा. हम भ्रष्टाचार को रोकेंगे तो अपने आप विकसित मध्यप्रदेश की ओर बढ़ेंगे. मैं माननीय मंत्री जी से आग्रह करना चाहूंगा कि आप अपने दिए हुए वक्तव्य को सुनें या तो आप खेद व्यक्त करें अन्यथा कारण स्पष्ट करें कि इन कारणों से हम भ्रष्ट लोगों पर कार्यवाही नहीं कर रहे हैं. या फिर कार्यवाही करके इस सदन को बताएं. नहीं तो आने वाले दिनों में हम लोग वहां जाकर धरना देंगे और यदि आवश्यकता पड़ी तो हम एक क्रमबद्ध आंदोलन करेंगे.

          माननीय सभापति महोदया, हमारे पत्रकार भी दीर्घा में बैठे हैं. इंदौर में एक पत्रकार हैं हेमंत शर्मा न्यूज 24 के..

          सभापति महोदया -- आपको चर्चा करते हुए 17 मिनट हो चुके हैं. आप समय सीमा में अपनी बात पूरी करें. मेरा आपसे इतना आग्रह है.

          श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे -- जी सभापति महोदया, न्यूज 24 के पत्रकार हेमंत शर्मा, भिंड में 3 पत्रकारों के साथ मारपीट हुई. नरसिंहपुर में बृजेश दीक्षित, इंदौर में सागर चौकसे, "द-सूत्र" के दो वरिष्ठ पत्रकार हरीश दिवेकर, आनंद पाण्डेय, कुलदीप सिंगोरिया इन सबको पुलिस ने प्रताड़ित करके इन पर असत्य प्रकरण लगाए. मेरा आग्रह है कि पत्रकार सुरक्षा अधिनियम का पालन मध्यप्रदेश में नहीं हो रहा है. यह सिर्फ कागजी अधिनियम रह गया है. इसका पालन होना चाहिए. यह लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ है. मीडिया की स्वतंत्रता के मामले में इंडिया 180 में से 151 वे नंबर पर आता है. यह एक सर्वे बताता है. हम आखिरी के चरणों में आते हैं. मुझे लगता है इस पर विचार करके इसमें सुधार करना चाहिए. विकसित मध्यप्रदेश के लिए चौथे स्तम्भ की रक्षा करना चाहिए.

          सभापति महोदया, मैं कानून व्यवस्था की बात करना चाहूँगा. अभी आदरणीय कैलाश विजयवर्गीय जी बोल रहे थे. कल ही मैंने उनका वक्तव्य देखा उनको कुछ अधिकारी, गुण्डे धमकी दे रहे हैं. सदन के सबसे वरिष्ठ नेता असुरक्षित महसूस कर रहे हैं उनको धमकियां मिल रही हैं. एक नहीं दोनों कैलाशों को धमकियां मिल रही हैं. हमारे कैलाश कुशवाह जी हैं, मैं सदन के सदस्यों के बारे में बोल रहा हूँ. यह गंभीर विषय है. दोनों को धमकियां मिल रही हैं. सबसे वरिष्ठ सदस्य को अगर ऐसी धमकी मिलेगी तो मुझे लगता है कि इस संकल्प के अन्दर विकसित के साथ-साथ सुरक्षित मध्यप्रदेश का संकल्प भी लाना चाहिए. हमारे नेता प्रतिपक्ष जी ने कहा कि कर्ज मुक्ति का संकल्प भी लाना चाहिए. मैं आग्रह करूंगा कि सुरक्षित मध्यप्रदेश का संकल्प लाया जाए. जब हमारे वरिष्ठ सदस्य सुरक्षित नहीं हैं तो हम कैसे जनता को सुरक्षा प्रदान करेंगे. सागर में एक थाना प्रभारी ड्रग्स और दारू थाने के अन्दर से बेच रहा है. इंदौर में खजराना थाना है वहां पर दो विटनेस को 1200  केसों में फर्जी तरीके से लगा लगाकर 1200 परिवारों की जान के साथ या भविष्य के साथ खिलवाड़ किया गया है.

          सभापति महोदया--मेरा माननीय सदस्‍य से पुन: आग्रह है कि आपने अपनी बात बहुत विस्‍तार से कर ली है. आपके दल की और सत्‍ता पक्ष की भी बड़ी लंबी संख्‍या है सभी को बोलने का समय मिले इसलिए आप समय पर ध्‍यान देते हुए अपनी बात को पूरा करें.

          श्री हेमन्‍त सत्‍यदेव कटारे-- मैं अपने संभाग के लिए और अपने जिले के लिए सुझाव दे देता हूं बाकी सारी चीजों को मैं क्‍लोज कर रहा हूं.

          सभापति महोदय-- आप 12.51 बजे से बोल रहे हैं.

          श्री हेमन्‍त सत्‍यदेव कटारे--माननीय सभापति महोदया, मेरा एक सुझाव है कि मध्‍यप्रदेश के पास महाराष्‍ट्र से तीन गुना ज्‍यादा सिंचित भूमि है. यह आंकडा़ सार्वजनिक है. यहां पर रिपोर्ट कहती है कि जो हमारी ग्‍वालियर की एग्रीकल्‍चर यूनिवर्सिटी है साथ में नेशनल फेडरेशन ऑफ को-ऑपरेटिव शुगर फैक्‍ट्री जो नई दिल्‍ली की है और महाराष्‍ट्र की जो को-ऑपरेटिव है जो सबसे बड़ी गन्‍ने की को-ऑपरेटिव है विश्‍व में इनकी रिपोर्ट यह कहती है कि मध्‍यप्रदेश में 200 शुगर मिल स्‍थापित करने की संभावनाएं हैं. यह रिसर्च आ चुकी है और यदि यह स्‍थापित हो जाती हैं तो लगभग 20 लाख किसान इससे लाभांवित होंगे तो मैं आग्रह करूंगा यदि माननीय मुख्‍यमंत्री जी समय देंगे, कृषि मंत्री जी समय देंगे तो मैं उनको इसकी डिटेल्‍स दूंगा और यदि यह स्‍थापना होती है तो हमारे कई करोड़ों परिवार इससे लाभांवित होंगे और साथ ही में कैलारस में जो पुनर्जीवित करना है. हमारे साथी विधायक पंकज जी ने, हम लोगों ने मिलकर धरना दिया. वहां शुगर मिल है उसको पुनर्जीवित करने के लिए सरकार को कदम उठाने चाहिए. अंत में मैं अपने जिले के लिए सुझाव देकर के बात को समाप्‍त करूंगा. मेरे भिण्‍ड जिले में बेरोजगारी की बहुत समस्‍या है और कुछ सुझाव जिनसे यह समस्‍या दूर हो सकती है या वहां पर चीजें बेहतर हो सकती हैं. चूंकि भिण्‍ड जिले के लोग या चंबल माटी के लोग सबसे ज्यादा सेना के प्रति अपना जोश, जस्‍बा रखते हैं और जान देने से भी नहीं डरते हैं तो वहां पर सैनिक स्‍कूल की स्‍थापनाएं होनी चाहिए. चाहे भिण्‍ड हो, चाहे मुरैना हो, पूरे ग्‍वालियर, चंबल संभाग में हर जगह पर साथ ही साथ जो सेना से रिटायर होकर आ रहे हैं क्‍योंकि अग्निवीर के माध्‍यम से तो जल्‍दी रिटायर कर देंगे तो मैं इस योजना से सहमत नहीं हूं. परंतु जल्‍दी रिटायर होकर के आने वाले लोगों को ट्रेनिंग देने के लिए जिससे कि आगे उनका परिवार चलता रहे उनके लिए वहां ट्रेनिंग सेंटर डेव्‍हलप किये जाना चाहिए. हजारों, लाखों के रोजगार उत्‍पन्‍न होंगे. भिण्‍ड में लोगों के हाथों में बहुत अच्‍छी कला है. आप जहां देखेंगे पानी पुरी, चाट से लेकर बड़े-बड़े होटलों में भिण्‍ड जिले के या मुरैना के शेफ मिलेंगे तो आय.आय.एच.एम. इंडियन इंस्‍टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट की वहां स्‍थापना की जाना चाहिए जिससे कि वह वहां से ट्रेनिंग लेकर रोजगार पा सकें. साथ ही में आखिरी सुझाव यह कि जो टूरिज्‍म है क्‍योंकि भिण्‍ड में और खासतौर से मेरे विधान सभा क्षेत्र अटेर में जो चंबल नदी है वहां पर वाइल्‍ड लाइफ सेंचुरी है वहां पर क्रोकोडाइल, घडि़याल सभी पाये जाते हैं और इंडिया में शायद ही ऐसी कोई जगह होगी जहां पर गेंगटिक डॉलफिन और ऐसी माईग्रेटिंग बर्ड हैं जो कहीं देखने को नहीं मिलती हैं. यदि वहां सुरक्षा का भाव दिया जाए और साथ ही साथ पैसा लगाया जाए और पर्यटन को प्रमोट किया जाए तो मैं दावे से कह सकता हूं कि भिण्‍ड मध्‍यप्रदेश का पर्यटन के मामले में सबसे बेहतर जिला बन सकता है. इसमें आप सभी का सहयोग और आशीर्वाद चाहूंगा. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया इसके लिए बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री प्रहलाद सिंह पटेल)-- माननीय सभापति महोदया, मध्‍यप्रदेश विधान सभा के इस विशेष सत्र में मुझे आपने बोलने का मौका इसके लिए मैं आपका आभारी हूं. आठ विशेष सत्र इस सदन के बीच में हुए हैं. जिसमें मैं चार का उल्‍लेख करूंगा. 16 से 18 दिसम्‍बर 1981 जब विधान सभा का रजत जयंती वर्ष था तब एक दिवसीय विशेष सत्र बुलाया गया था. दूसरी बार 17 जुलाई 2006 जब इस विधान सभा की स्‍वर्ण जयंती मनाई गई तब विशेष सत्र हुआ. 14 मई 2010 स्‍वर्णिम मध्‍यप्रदेश की चर्चा हुई तब तीसरा विधान सभा का विशेष सत्र बुलाया गया और चौथे का मैं उल्‍लेख कर रहा हूं. वैसे तो सात सत्र हुए हैं तीन का मैंने उल्‍लेख नहीं किया उस समय जीएसटी पर भारत सरकार का एक संविधान 122 वां था तब  इस सदन में चर्चा हुई थी और आज भी हम सभी भविष्‍य में कैसा मध्‍यप्रदेश हो, इसके लिए, हम यहां चर्चा के लिए हैं. इसके अतिरिक्‍त 5वां विशेष सत्र दिनांक 3 मई, 2017 को हुआ था, आदरणीय डॉ. सीतासरन शर्मा जी यहां उपस्थित हैं ,वे तब विधान सभा अध्‍यक्ष थे, मां नर्मदा के लिए संकल्‍प में कहा गया कि वह हमारी जीवन रेखा है और एक जीवित इकाई है, ऐसा मध्‍यप्रदेश की सरकार मानती है. मैंने ये उल्‍लेख इसलिए सदन में किया है क्‍योंकि हम जब कभी चर्चा करते हैं तो उसके पीछे कोई लक्ष्‍य होता है, हमारी नीयत होती है लेकिन जब हम इस चर्चा में आगे बढ़ते हैं तो जब कोई सवाल करता है कि हम किस लक्ष्‍य को लेकर चल रहे हैं, हमारा लक्ष्‍य क्‍या है क्‍या चुनाव का वर्ष लक्ष्‍य होगा या फिर हमारी विधान सभा के 75 वर्ष, हमारा लक्ष्‍य होगा या देश की आजादी के सौ वर्ष हमारा लक्ष्‍य होगा, ये सब हम अपनी दृष्टि, अपनी समझ और अपने संकल्‍प के आधार पर दूरी तय कर सकते हैं, किसी पर बाध्‍यता नहीं है. अगर हमारे नेता ने, देश के प्रधानमंत्री जी ने कहा कि हम देश की आजादी के सौ वर्ष को अपना लक्ष्‍य मानते हैं कि जब भारत माता की आजादी के सौ वर्ष हों तो भारत कैसा होगा, इसके बारे में हमें आज से सोचना चाहिए. मैं भी इस बात की पुनरावृत्ति कर रहा हूं कि इस विधान सभा के जब 75 वर्ष होंगे, देश की आजादी के 75 वर्षों का जश्‍न हमने मनाया है, मेरी इस पवित्र विधान सभा के जब 75 वर्ष हों तो मेरा प्रदेश कैसा होगा, मेरी विधान सभा में चर्चा किस दिशा में जायेगी, यह संकल्‍प भी आज दोहराया जाना चाहिए. (मेजों की थपथपाहट)

          सभापति महोदय, मुझे लगता है जब हम विकास के पैमानों पर सोचते हैं कि आगे हम कहां जायेंगे, हम हमेशा सफलतायें इसलिए गिनाते हैं ,कई बार लोग इसे ठीक नहीं मानते हैं, जनता ने हमें चुना है, जनता के लिए हमने जो किया है, वह जनता के बीच जाना चाहिए, हमारा चौंथा स्‍तंभ मीडिया है, उसके माध्‍यम से जनता के बीच जाये, सदन की चर्चाओं के भीतर से जाये, बाहर जो हम कार्यक्रम करते हैं, उसके माध्‍यम से जाये, हमारी सफलतायें क्‍यों नहीं बतायीं जानी चाहिए, तुलना होनी ही चाहिए. विरासत की तुलना नहीं हो सकती लेकिन विकास की तुलना हमें सदन के भीतर और बाहर करनी पड़ेगी. (मेजों की थपथपाहट)

          सभापति महोदय, यही जब भविष्‍य में विरासत बनेगी तो लोग इससे कुछ चीजें उठाते हैं, सदन में जब भाषण दिया जाता है तो हम अपने पुरखों के भाषण, वे चाहे किसी भी पक्ष के हों, हम उनके भाषण में से कुछ लाइनें लेते हैं, उद्धृत करते हैं और उसके बाद अपना रास्‍ता तय करते हैं. सवाल आलोचना और सफलताओं का नहीं है, सवाल यह है कि हमने किया क्‍या है, हमारा लक्ष्‍य क्‍या है ? मैं समझता हूं कि हमारे सामने आगामी 3 वर्ष और 5 वर्ष का लक्ष्‍य भी है, जब प्रदेश की विधान सभा के 75 वर्ष होंगे, हम उसकी भी चिंता करें.

          सभापति महोदय, मुझे पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग मिला है, मैं मुख्‍यमंत्री जी का आभारी हूं. मुझे लगा कि इस बदलती तस्‍वीर में ई-पंचायत आवश्‍यक है.  इसके लिए इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर होना चाहिए. यह बहुत सही समय है, वंदे मातरम के 150 वर्ष पूर्ण हुए, भगवान बिरसा मुण्‍डा के 150 वर्ष, भारत रत्‍न सरदार वल्‍लभ भाई पटेल के 150 वर्ष और श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी की जन्‍म शताब्‍दी चल रही है, वह भी 25 दिसंबर को पूर्ण होनी वाली है. मैंने उन्‍हीं की स्‍मृति में तय किया कि यदि पंचातय भवन बनाये जायें तो वे अटल ग्राम सेवा सदन के नाम पर हों. हमने 2472 भवनों को स्‍वीकृति दी, जहां भवन नहीं थे. 1400 पंचायतें ऐसी थीं जो नई बनीं थी, जहां भवन नहीं थे. 1000 के आस-पास ऐसी थीं जो पुरानी पंचायतें थीं लेकिन वहां भवन नहीं थे. पैसा आपके पास उतना ही है, बजट आपके सामने है आप उसका उपयोग कैसे करेंगे, इस प्राथमिकता पर चर्चा होनी चाहिए और सुझाव भी आने चाहिए. 106 जनपद पंचायतों के भवन हमने दिये. लेकिन हमने जब से भवन दिये तो हमें यह पता ही न हो कि यदि हम ग्रामीण भवनों की स्थिति त्रिस्‍तरीय पंचायत में देखते हैं तो कोई भवन दोमंजिला बन ही नहीं सकता, अभी तक यह धारणा थी, हमने उसका डिजा़ईन बदला है कि आने वाले 25 वर्ष बाद आपके पास भूमि नहीं होगी. आप इसको दो मंजिला और तीन मंजिला ले जा सकते हैं कि नहीं ले जा सकते हैं. ऐसी चीजें सदन में सोचनी पड़ेंगी. आपकी बढ़ती आबादी और जमीन उतनी ही है, उसके आधार पर आने वाली पीढि़यां उस पर कैसे करेंगी ? यह सदन की जिम्‍मेदारी है. हम चुनकर ही इस बात के लिए यहां पर आए हैं. हमारे 4 नये जिले बने थे, एक दतिया था, पांच जिला पंचायत के भवन नहीं थे, हमने वह भी दिये. सामुदायिक भवनों की संख्‍या 3,755 है. क्‍यों हमने स्‍कूल, ग्राम पंचायत भवनों पर प्रतिबंध लगा दिया है ? शादी-विवाह के लिए मिल नहीं सकते हैं. क्‍या गांव के लोगों को कोई दूसरी व्‍यवस्‍था दे पाने में आप सफल हुए हैं ? यह सदन में खडे़ होकर हम कब कह पायेंगे कि मेरे मध्‍यप्रदेश में 23,011 पंचायत हैं और सब जगह एक सुव्‍यवस्थित पंचायत भवन है, जो ई-पंचायत के लायक है और आने वाले 50 वर्ष तक किसी अन्‍य की जरूरत नहीं पड़ेगी. यह तब जाकर सार्थक होगा कि हमारा लक्ष्‍य सही है. (मेजों की थपथपाहट) और उससे मुझे लगता है कि विकास के मॉडल के प्रति हमें सोचना ही होगा.

          सभापति महोदया, दूसरी बात मैं कहता हूँ कि आप प्रधानमंत्री सड़क की बात करिये, तो मैं वहां पर प्रधानमंत्री आवास की बात करूँ. यह देश है, इस परिवर्तन को स्‍वीकार करना पड़ेगा. जब प्रधानमंत्री आवास योजना की बात हुई, तब लोग क्‍या सोचते थे ? मैं नहीं जानता. लेकिन आप किसी गरीब आदमी से पूछिये. जिसको एक कमरे की पक्‍की छत और दो कमरे की पक्‍की छत मिलती है, लेकिन आज की संख्‍या तो इतनी ही है कि पहले तो हम चार मकानों का भी उद्घाटन करने जाते थे. अब तो लाखों में बन रहे हैं, सभापति महोदया. इसलिए मैं यहां पर आंकड़े जरूर रखना चाहता हूँ. जो प्रधानमंत्री आवास का कुल लक्ष्‍य था, वह 49,71,619 है, 49,44,346 स्‍वीकृत हुए और 40,82,278 पूर्ण हुए और अभी 11,67,000 मकान बन रहे हैं क्‍योंकि जो सर्वे हुआ था, सर्वे किसने किया, मैं इस पर नहीं पड़ता, 27,00,000 आवास प्‍लस के नाम आए थे, उसमें से अब इस वर्ष के बाद, अगले वर्ष के लिए मैं धन्‍यवाद दूँगा. अभी हमारा सप्‍लीमेंट्री बजट आया था, कुल तेरह हजार एक सौ पचपन करोड़ चौरानवे लाख रुपये के बजट में 4,200 करोड़ रुपये प्रधानमंत्री आवास के लिए दिया है. मैं मुख्‍यमंत्री जी का धन्‍यवाद करता हूँ. आपको बेसिक ग्राउण्‍ड के लिए इन बातों को नोटिस में लेना पड़ेगा. इसलिए मुझे लगता है कि हम जब प्रधानमंत्री आवास और प्रधानमंत्री सड़क की बात करते हैं. प्रधानमंत्री सड़क शुरू कब हुई ? स्‍वाभाविक है कि हमें श्रद्धेय स्‍व. श्री अटल बिहारी वाजपेयी को धन्‍यवाद देना होगा, मोदी जी को धन्‍यवाद देना होगा. पहला चरण, दूसरा चरण एवं तीसरा चरण इनमें 72,975 किलोमीटर सड़क बनी हैं और उसके बाद दूसरे फेस में 4,891 और तीसरे फेस में 11,886  और अब चौथा चरण चल रहा है, इस चौथे चरण का भी जो आंकड़ा है, वह हम सबको ध्‍यान में रहना ही चाहिए, क्‍योंकि यह चौथा चरण वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर 500 की आबादी के गांव को जोड़ेगा और उसका जो किलोमीटर है, उसमें 30 हजार से ज्‍यादा बस्तियां चिन्ह्ति की गई हैं.

          सभापति महोदया, जो मुख्‍यमंत्री मजरा-टोला योजना माननीय मुख्‍यमंत्री  डॉ. मोहन यादव जी के नेतृत्‍व में बनी है, उसमें तय हुआ है कि हम बसाहट कहां पर मानेंगे ? पहले बसाहट की परिभाषा नहीं थी. अटल जी ने जब शुरू किया था, तो 2,000 की आबादी के गांव जोड़ने थे, फिर 1,000 की आबादी, फिर 500 की आबादी, लेकिन यहीं आने के बाद में बसाहट की परिभाषा नहीं थी. इस सरकार ने बसाहट की परिभाषा तय की है. 6,000 वर्ग मीटर की कोई जगह हो, बीस मकान हों या 100 की आबादी हों, हम उसे बसाहट मानेंगे और उसे मुख्‍यमंत्री सड़क योजना के तहत पक्‍की सड़क से जोड़ेगे,. बसाहटें तो 53,000 हैं. लेकिन 100 तक की आबादी को आप जोड़ने के लिए चिन्ह्ति कर रहे हैं और उसमें से 10,000 से ज्‍यादा को हमने स्‍वीकृति दी है. पांचवें चरण के जो सारे टेण्‍डर हुए हैं, वह संख्‍या 20,000 से ऊपर है, तो मुझे लगता है कि सम्‍पर्कशीलता में एक नया आयाम जुड़ा है. जनजातीय क्षेत्रों में तीन जातियां- बैगा, सहरिया और भारिया हैं, जो अति पिछड़ी जनजातियां हैं, वह जहां रहते हैं, उनकी संख्‍या नहीं बढ़ती है. भारत सरकार ने प्रधानमंत्री जन-मन आवास योजना बनाई, प्रधानमंत्री जन-मन सड़क योजना बनाई, उसमें हम देश में नम्‍बर एक पर हैं. हमने 23 दिन के भीतर पहला मकान शिवपुरी के भीतर बनाया और 31 दिन में दूसरा छिन्‍दवाड़ा में बनाया और आज उसकी कॉलोनियां बन रही हैं. जनमन की जो सड़कें हैं, वह सौ की आबादी तक बन जाएगी. जनजातीय क्षेत्र की उसमें ढाई सौ आबादी जुड़ सकती है. यह जानकारी भी है सभापति महोदया, और यह सफलता का एक पैमाना भी है, जो इस प्रदेश को पता होना चाहिए. इसलिए मैं यह कहता हूँ कि जब हम संपर्कशीलता में ये बातें कहते हैं तो जनमन में हमने प्रधानमंत्री आवास योजना से ज्‍यादा पैसा दिया है. जनजातीय लोग थे, हमने उसमें 2 लाख रुपये किया है. मेरे जिले में, नरसिंहपुर में, गाडरवाड़ा विधान सभा में प्रदेश की सबसे लंबी और सबसे महंगी सड़क बनी है. उस गांव की आबादी कुल चार सौ कुछ लोगों की है. छिंदवाड़ा से नरसिंहपुर आते थे, आज उनके लिए सीधी सड़क उनके गांव तक, भारिया, सहरिया आदिवासियों के गांव तक गई है. ये सफलताएं चिह्नित होनी ही चाहिए. पहले और दूसरे चरण में कुछ पुल बचे हुए थे, उन पुलों में 1,767 पुल हमने चिह्नित किए हैं, जिनको 3 साल के भीतर हम बनाएंगे. इसलिए मुझे लगता है कि एक होता है, संपर्कशीलता. आवास है और उसके बाद में जैसा मैंने कहा कि एक संकल्‍प आया था मां नर्मदा के लिए, उसके लिए हमने तय किया है सभापति महोदया, क्‍योंकि हम सस्‍टेनेबल डेव्‍हलपमेंट के समर्थक हैं, हमारा विकास ऐसा न हो कि हम दूसरे किसी और को नुकसान पहुँचाएं. मैं आपके माध्‍यम से सदन से प्रार्थना करता हूँ कि विकास की बातें हम करें, लेकिन विकास पर्यावरण के संतुलन के साथ हो. सस्‍टेनेबल डेव्‍हलपमेंट की जो कल्‍पना की गई है, उस आधार पर अगर हम करेंगे तो आने वाली पीढ़ियां हमें सिर्फ याद नहीं करेंगी, बल्‍कि वे हमारे प्रति आभार और कृतज्ञता भी ज्ञापित करेंगी. ऐसा मेरा विश्‍वास है.

          सभापति महोदया, इसलिए मैंने कहा कि मां नर्मदा के किनारे जो भी आश्रय स्‍थल बनेंगे, उनके लिए दो एकड़ जमीन चाहिए. कम से कम डेढ़ एकड़ में जंगल चाहिए. आधे एकड़ में आप निर्माण करेंगे तो ही मैं अनुमति दूंगा, अन्‍यथा मैं अनुमति नहीं दूंगा. उसके आधार पर हमने तय किया है कि 20 से 25 किलोमीटर की दूरी पर हम एक आश्रय स्‍थल बनाएंगे ताकि कोई भी परिक्रमावासी निर्बाध रूप से अपनी परिक्रमा पूरी कर सके और मां नर्मदा के प्रति अपना उत्‍तरदायित्‍व भी वह पूरा कर सके. सभापति महोदया, परिक्रमा सिर्फ चक्‍कर लगाना नहीं हैं. मैं इस विषय पर लंबा बोल सकता हूँ, लेकिन आज समय की मर्यादा है, इसलिए मैं इस विषय पर विस्‍तार में नहीं जाऊंगा.

          सभापति महोदया, मनरेगा की बात होती है. मनरेगा पर आलोचना होती है. मैं दो आंकड़े भर देता हूँ. हमारे पास में 15 करोड़ मानव दिवस का लक्ष्‍य था. इस साल हमने 14 करोड़ 4 हजार मानव दिवस पूरे किए हैं. पिछले साल हमने 18 करोड़ मानव दिवस पूरे किए थे. पिछले समय, शिवराज सिंह जी के समय मुख्‍यमंत्री सड़क योजना चलती थी, उस समय हमने 12 हजार किलोमीटर में डामरीकरण किया है. इसलिए हमें नेटवर्किंग पर विचार करना पड़ेगा कि हम 3 साल में और क्‍या-क्‍या कर सकते हैं.

          सभापति महोदया, कुछ नवाचारों का उल्‍लेख मैं जरूर करूंगा. जहां तक सवाल है और आने वाले 3 वर्षों का बैकअप है, जो मेरे विभाग का है, मुख्‍यमंत्री मजरा टोला योजना, इसमें 30,900 किलोमीटर सड़क है. इसमें वर्ष 2026-27 में हम 2,000 किलोमीटर सड़क बनाएंगे. वर्ष 2027-28 में 4,000 किलोमीटर सड़क बनाएंगे. वर्ष 2028-29 में 6,000 किलोमीटर में सड़क बनाएंगे. हमने बाकायदा बैकअप बनाया है ताकि हम अपने बजट के आधार पर सड़कों का निर्माण कर सकें.

          सभापति महोदया, क्षतिग्रस्‍त पुलों की संख्‍या मैंने आपको बताई है, 1,767 है. वर्ष 2026-27 में 190, वर्ष 2027-28 में 535 और वर्ष 2028-29 में 693 हम बनाएंगे ताकि कोई भी बारहमासी पुल ऐसा न हो, जो बारहमासी न हो. पीएम जनमन, जिसमें हम देश में नंबर एक पर हैं. वर्ष 2026-27 में 850 किलोमीटर और वर्ष 2027-28 में 250 किलोमीटर बनाकर इस लक्ष्‍य को पूरा करेंगे. हमारा पूरा काम समाप्‍त हो जाएगा.

          सभापति महोदया, अब हमने कुछ नवाचार किए हैं. मैं उनको कहकर अपनी समय सीमा के भीतर अपनी बात समाप्‍त करूंगा. शायद मुझे आपको टोंकने का मौका नहीं मिलेगा. हमने सीएससी ई-गवर्नेंस सर्विस इंडिया लिमिटेड से बिना पैसे के एक सूचना तंत्र की व्‍यवस्‍था प्रारंभ की है. यह हमारा एक नवाचार है. इसमें वे अपना एक व्‍यक्‍ति बैठाएंगे और हमने शर्त रखी है कि अभी भी राज्‍य में 1 हजार से ज्‍यादा ऐसी पंचायतें या गांव है, जहां किसी भी प्रकार का नेटवर्क नहीं है. मैंने कहा कि आपको वहां से शुरू करना पड़ेगा. जो हमारे आकांक्षी और ट्राइबल ब्‍लॉक हैं, उनको मिलाकर वह संख्‍या लगभग 100 से ऊपर हो जाती है. उनको वहां से काम शुरू करना पड़ेगा. इसमें हमारा कोई पैसा नहीं लगेगा. लेकिन जनसुविधा आम आदमी तक पहुँचेगी. दूसरा हमने तय किया है, माननीय मुख्‍यमंत्री जी की एक घोषणा थी, एक भाषण में उन्‍होंने कहा था कि देश की आजादी को 78 वर्ष हो गए, लेकिन आज भी कुछ गांव ऐसे हैं, जहां पर श्‍मशान की भूमि नहीं है. दूसरी समस्‍या है कि श्‍मशान की भूमि पर बेजा कब्‍जा बहुत है. तीसरा है कि वहां पर पक्‍की सड़क नहीं है.          ग्रामीण विकास मंत्रालय ने तय किया है कि हम सीमेंट की सड़क बनाएंगे. संपर्क नहीं होगा तो हम वहां पर पुलिया बनाएंगे लेकिन दिसम्बर 2026 तक हम यह कह पाएंगे कि मध्यप्रदेश में कोई भी गांव या पंचायत ऐसी नहीं है जहां श्मशान घाट में कनेक्टिविटी नहीं है जिसका अतिक्रमण दूर नहीं हुआ या अगर भूमि नहीं है तो हम न दिला पाएं यह हमारा नवाचार है. तीसरा जो अभी तक साईट को लेकर बहुत विवाद होते थे. जल गंगा  अभियान में जो सफलता है मैं माननीय सदस्यों से कहूंगा उसमें अगर आलोचना होती है तो मैं सिर झुकाकर स्वीकार करूंगा. अभी हमने एक साफ्टवेयर बनाया था सीपरी(SIPRI), चाहे वह खेत तालाब हो बड़ा तालाब हो. चाहे हमारा वृक्षारोपण हो हमने सबको उसको डिमार्केशन के साथ किया है कि यह साईट अच्छी होगी. किसान को भी कहा है कि आप भी इसका लाभ ले सकते हो और मुझे इस बात का कहते हुए गर्व है कि सीपरी साफ्टवेयर को महाराष्ट्र सरकार ने हमसे पैसा लेकर खरीदा कि उसका उपयोग हमारे यहां भी हम करना चाहते हैं और उसका परिणाम है कि जल गंगा अभियान की जितनी भी साईट इस बार हमको बनी है उसमें हमको पानी मिल रहा है.यह हमारी टेस्टिंग भी है और इसलिये मैं चाहता हूं कि चाहे वृक्षारोपण हो हमने वृक्षारोपण बंद किया था लेकिन पिछली बार से हमने शुरू किया है और हमने वृक्षारोपण के आधार पर वृक्ष लगें तो वह बचने चाहिये और एक बगिया मां के नाम एक नया प्रयोग है. 2311 हमारी पंचायतें हैं लेकिन हमने 31 हजार के आसपास जगह पर इसका प्रयोग किया है. हमने कहा है कि यदि किसी समूह की बहन के पास जमीन है तो पहले हम उसको 3 लाख रुपये देंगे तो एक लाख 52 हजार रुपये पहले साल में उसके बाद में उसको 75 हजार रुपये और बचे हुए पैसे उसको तीसरे वर्ष में तो यह नहीं कह सकते कि हमें कोई नुकसान हुआ है. उसमें एक तालाब होगा जो वह खुद उपयोग करेंगे. फलदार पौधे होंगे. तीन साल में नुकसान नहीं होगा. तीन साल पुराना पौधा लगेगा अगर यह प्रयोग जो अभी इस साल सफलता के साथ चल रहा है अगर यह सफल होगा तो हम सभी पंचायतों में संख्या बढ़ाकर इसमें एक कदम आगे बढ़ेंगे यह स्वरोजगार के लिये भी जरूरी है  यह पर्यावरण के लिये भी जरूरी और जो हमारी लखपति दीदियां हैं उनके लिये भी जरूरी है और इसलिये मुझे लगता है कि कई बार लखपति दीदी की चर्चा बहुत होती है. प्रधानमंत्री जी ने तो कहा कि हम पांचवीं अर्थव्यवस्था  से अगले पायदान में अगर जाएंगे तो इसमें हमारा सबसे बड़े योगदान समूहों का होगा और इसलिये मैं मध्यप्रदेश में 11 लाख 27 हजार 37 परिवार ऐसे चिन्हित हुए हैं जो लखपति दीदी की श्रेणी में हैं. हम इस प्रदेश में जनजाति रोजगार देने में नंबर एक पर हैं. हमें जल के बारे में ग्रामीण क्षेत्र में खण्डवा ने नंबर एक पर देश में पारितोषिक प्राप्त किया है दूसरा अगर हम अण्डर ग्राउण्ड की बात करें तो खरगौन ने देश में नंबर एक का अवार्ड प्राप्त किया है. सभापति महोदया, हम यह बातें अगर कहते हैं तो इन सभी जगहों पर हमें यह तय करना पड़ेगा कि हम रोजगार के बारे में सोचेंगे कैसे और इसलिये मैं सदन से आग्रह करता हूं.यह सिर्फ मेरे विभाग भर की बात नहीं है अगर हम अपने समूह की बहनों को ट्रेनिंग देने में उनको पैसा देने में उनको बाकी मदद करने में मार्केटिंग प्लेटफार्म बनाने में अगर मदद करते हैं तो हम निश्चित रूप से सफल होंगे यह मैं बड़े भरोसे के साथ सभापति महोदया कहना चाहता हूं.

          श्री अभय मिश्रा - सभापति महोदया,अगर आप मौका दें तो मैं एक शब्द बोलना चाहूंगा क्योंकि यह मौका है समृद्ध मध्यप्रदेश,आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश बनाने का.

          सभापति महोदया - अभय जी, मुझे लगता है यह उचित नहीं होगा उनको अपनी बात पूरी करने दें.

          श्री प्रहलाद सिंह पटेल - कुछ नयापन है. अभी तक स्वच्छता को लेकर सवाल उठते रहे हैं और लोग कहते थे कि सब आंकड़ेबाजी होती है. स्वच्छता साथी पास आन व्हील्स (Pause on Wheels) यह प्रयोग छिंदवाड़ा जिले के तामिया से शुरू हुआ था. न जाति है. सभी जातियों के लोग मैंने जिससे बात की है मैं उसका नाम ले रहा हूं. मैं तामिया गया था. बैंगलोर में एक नौजवान 62 हजार की नौकरी कररहा था वह पिछड़ी जाति से है लेकिन वह बाईक से लेकर एक स्वच्छता के काम में लगाया था तो मैं उन पांचों लोगों से मिला.उसमें एक आदिवासी महिला भी थी 5 लोगों की टीम थी.आनलाईन वह लेते हैं निजी शौचालय,सार्वजनिक शौचालय सबके रेट तय हैं और इसके बाद यह सफलता के साथ चल रहा था तो मैंने बोला कि तुम कैसे कर रहे हो तो उसने कहा कि मेरे माता पिता बच्चे यहीं रहते हैं मैं वहां पर 30 हजार से ज्यादा किराये में देता था और उसके बाद आने जाने का खर्चा अलग था यहां पर मुझे एक महिने में घर रहकर साढ़े सैंतीस हजार पिछले दो महिने में मिले हैं अगले महिने से यह 53 हजार पर मैं पहुंच जाऊंगा जितने आर्डर मेरे पास हैं. मेरी सुविधा यह है कि मैं सुबह के पहले पांच घंटे काम करता हूं बाकी मुझे कोई काम नहीं करना.

जो टारगेट मैं अचीव करता हूं उसमें जितना मुझे मिलता है तो मुझे लगता है कि यह जो प्रयोग है जो जातियों से बंधी हुई व्‍यवस्‍था थी, उसको भी तोड़ रहा है, घर में रोजगार दे रहा है, स्‍वच्‍छता के काम को आगे बढ़ाने का काम कर रहा है और इसलिये मैं मानता हूं कि यह नवाचार सभापति महोदया, बहुत महत्‍वपूर्ण है. अंत में मैं दो मिनट में अपनी बात कहकर समाप्‍त करूंगा. मुख्‍यमंत्री संबल योजना इस राज्‍य की पहचान है, लेकिन बीच में कुछ कारणों से वह बंद कर दी गई थी. वर्ष 2018 में जब यह शुरू हुई थी तब जितनी सफलता के साथ यह शुरू हुई उसमें क्‍या था गरीब आदमी को अगर वह अपंग हो जाये तो उसको 1 लाख रूपया अगर स्‍थाई अपंगता हो जाये तो उसको 2 लाख रूपया मिलेगा, अगर उसकी सामान्‍य मृत्‍यु हो जाये तो उसको 2 लाख रूपया मिलेगा, अगर उसकी दुर्घटना में मृत्‍यु हो जाये तो उसको 4 लाख मिलेगा, अगर अंत्‍येष्टि है तो उसको 5 हजार रूपये मिल जायेगा, उसके यहां अगर प्रसूति होती है तो उसको 16 हजार रूपया और उसके परिजनों को मिल जायेगा. इतनी महत्‍वपूर्ण योजना को बीच में बंद किया गया और परिस्थिति ये बनी कि लगभग पौने 2 वर्षों का बेकलॉग था, लेकिन मैं इस बात के लिये अपने मुख्‍यमंत्री जी को धन्‍यवाद दूंगा कि बजट के बगैर, मतलब बजट में वह प्रावधान न होने के बाद अलग से धन देकर और कल ही आठवीं क्लिक करके उन्‍होंने उन हितग्राहियों को सितम्‍बर तक जिनकी अपेक्षा थी उन सबको पैसा मिला. अब हम 60 दिन की उस परिधि में आ गये हैं कि जब भी कोई दुर्घटना होगी या कोई मृत होगा तो हम 60 दिन के भीतर उसको पैसा देने की स्थिति में हैं. इसलिये मुझे लगता है कि निर्माण श्रमिकों में हम सबको भी यह तय करना पड़ेगा कि हम वास्‍तव में कर क्‍या रहे हैं. हमारे पास श्रमोदय विद्यालय हैं, एक श्रमोदय आईटीआई है जिसका 100 प्रतिशत प्‍लेसमेंट हुआ है, लेकिन इन श्रमोदय विद्यालयों को बनाने की जरूरत है, उनकी व्‍यवस्‍था को और सुचारू बनाने की जरूरत है. इंदौर में, धार, झाबुआ और तमाम जगह से लोग आते हैं, अभिभावक बच्‍चों को उठाकर ले जाते हैं, टीचर कुछ नहीं कर पाता. ग्‍वालियर की समस्‍या अलग है, जबलपुर की समस्‍या अलग है, भोपाल की समस्‍या अलग है. आपको नये सिरे से सोचना होगा कि वह नवोदय की तर्ज पर हैं, वह सेंटर स्‍कूल की तरह बने हुये भवन हैं. आप शिक्षा भी देना चाहते हैं, लेकिन जिस परिवेश से बच्‍चे हमारे आते हैं उन परिवेश में उन बच्‍चों के भविष्‍य के बारे में कुछ सोचना होगा और इसलिये श्रम मंत्रालय का काम कोई मामूली काम नहीं है. श्रम मंत्रालय में हमने बहुत सारी चीजें ऑनलाइन की हैं. अभी इंडस्‍ट्रीज को कहा है कि हम एक बेंच मार्क देने वाले हैं. यदि आप पर्यावरण की चीजों को सुरक्षित रखते हैं, यदि आप मजदूरों को सुविधा देते हो तो हम आपको स्‍टार देंगे. आपके उत्‍पादन पर हम स्‍टार नहीं देंगे. अगर आप सोशल सिक्‍योरिटी अपने मजदूरों को देते हो, अगर आप वहां पर पर्यावरणीय रक्षा की बात करते हो तो हम स्‍टार रेटिंग उसमें करेंगे, यह परंपरा हमने शुरू की है. अभी तक मुकदमे पड़े रहते थे, जो मर्जी जिसकी आये वह चला जाता था, तय कर दिया कि दुकान पर जब तक आप लेबर कमिशनर से परमीशन नहीं लेंगे, कोई भी लेबर ऑफीसर अब दुकान के अंदर नहीं जायेगा. ऐसी अफसरशाही, ऐसे इंस्‍पेक्‍टर राज इस राज्‍य को नहीं चाहिये, यदि आप विकास के रास्‍ते पर चलता चाहते हो, मुझे लगता है कि यह चीजें ऐसी हैं जिन पर हम सबको विचार करना पड़ेगा. हम एक करोड़ 53 हजार से ज्‍यादा संबल के लाभार्थियों का पंजीयन कर चुके हैं और जब से संबल-2 शुरू हुआ है वर्ष 2022 से लगभग 49 लाख हमने उसमें भी और नये नाम जोड़े हैं, लेकिन मुझे लगता है कि विभागों की सफलता से दुनिया नहीं चलती, मैं भाग्‍यशाली हूं, हम उस समय देखते थे जब छत्‍तीसगढ़ था. मैं तो पहली बार विधान सभा का सदस्‍य हूं और उसके 70 साल पर मुझे बोलने का मौका मिल रहा है तो इसलिये सभापति तालिका पर आप हैं, मैं आपका और अपने विधान सभा अध्‍यक्ष जी का धन्‍यवाद करता हूं. लेकिन अंत में दो बातें कहूंगा मैं नर्मदा का परिक्रमावासी हूं नर्मदा का उद्गम भी मध्‍यप्रदेश में है मेरा जन्‍म भी मध्‍यप्रदेश में हुआ है और हम सबकी कुछ तो जिम्‍मेदारी है. संसद में खड़े होकर शायद मैं यह नहीं बोल सकता था, लेकिन भोपाल की विधान सभा में खड़े होकर मैं यह बात कह सकता हूं. हम उस राज्‍य में रहने वाले लोग हैं जहां भगवान कृष्‍ण शिक्षा प्राप्‍त करने आये थे, लेकिन जब कोई ऐसी परिस्थितियां बनी, अगर युद्ध के लिये भी इस मिट्टी ने सामर्थ्‍य दिया और  शिक्षा भी दी है भगवान को, लेकिन साथ में सुदर्शन चक्र भी इस मध्‍यप्रदेश की धरती पर मिला है. हमें यह भूलना नहीं चाहिये कि राम जी जब हम सब पढ़ते हैं 14 साल के बनवास में थे तो 11 साल उन्‍होंने चित्रकूट में काटे थे.

          यहां इंसान हो या भगवान, शांति और संकल्‍प का मार्ग यह धरती देती रही है और इसलिए कम से कम यहां पर इस बात का तो विचार करें कि जो हमको इस धरती के भीतर दिया गया है. हमारे पास क्‍या नहीं है? हम टाईगर रिजर्व रखते हैं, देश में हम टाईगर स्‍टेट के नाम पर जाने जाते हैं. हमारे पास में नदियां हैं, हम इतने जल स्‍त्रोत रखते हैं कि जितनी नदियों का उद्गम हिंदुस्‍तान के किसी राज्‍य में नहीं है. अभी तक गिनती नहीं है, लेकिन 700 से ज्‍यादा नदियों का उद्गम इस धरती पर है. यहां नर्मदा बेसिन में पानी जाता है, गंगा बेसिन में पानी जाता है, गोदावरी बेसिन में पानी जाता है. यहां तापी, माही, नर्मदा, सीधे बंगाल की खाड़ी में जाकर मिलती है. सभापति महोदया, मैं 106 नदियों के उद्गम पर गया हूं(मेजों की थपथपाहट) हमने वहां पर भी वृक्षारोपण का काम शुरू किया है और इसलिए मैं  यह कहूंगा और इस कहानी के साथ अपनी बात को खत्‍म करता हूं कि हम सब चर्चा करने बैठे हैं, कई लोगों को लगता है कि क्‍या करना चाहिए, क्‍या नहीं करना चाहिए. यह कहानी एक चूहे से शुरू होती है, चूहे का संपत्ति से कोई लेना देना नहीं होता है. एक साधू महाराज थे, कथा सुनकर आते थे, जो प्रसाद मिलता था, वह अपनी टोकरी में बांध देते थे, लेकिन वह देखते थे कि चूहा आता था, चूहा उछलकर वह खा जाता था, उसको वह कई दिनों तक देखते रहे, वह आते थे उस टोकरी को बड़ी ऊंचाई में बांधते थे और चूहा बड़ी दूर से उछलकर उस पर जाता और खाकर चला जाता था. यह बात उनको समझ में नहीं आती थी कि आखिर यह हो कैसे रहा है? इसको ताकत कहां से आ रही है? तो उन्‍होंने एक अपने साधू मित्र को यह बात बताई, उसने भी आकर देखा तो उन्‍होंने कहा कि यह भूमि का प्रताप है और जब नीचे खोदा गया तो वहां संपत्ति के तौर पर मिनरल्‍स मिले, संपत्ति मिली. अब चूहे का संपत्ति से संबंध नहीं होता है, लेकिन उसको जमीन से ताकत तो मिली है. हम मध्‍यप्रदेश की धरती पर खड़े हैं, हमारे पास में वह सामर्थ्‍य है कि हम आसमान छू सकते हैं.

(मेजों की थपथपाहट)     

सभापति महोदया, हम देश में नंबर एक के राज्‍य बन सकते हैं. हम सबको विक्रमादित्‍य की कथा पता है कि एक पशु चराने वाला लड़का जाकर पहाड़ी पर बैठता था और न्‍याय करता था, जब खोदा तो नीचे एक राजा का सिंहासन मिला, तो यह सब भूमि का प्रताप है. यह भूमि हमें कुछ करने की ताकत देती है, कुछ सोचने विचारने का सामर्थ्‍य देती है. हमें बहुत दूर तक सोचना है, हम अपनी पीढि़यों के बारे में अच्‍छा सोचेंगे, यह विधानसभा थोड़ा न सोचे. यह कार्यकाल तो खत्‍म हो जायेगा, मैं नहीं जानता हूं कि अगली विधानसभा में मैं रहूंगा कि नहीं रहूंगी, यह अंहकार किसी को नहीं करना चाहिए, अगली विधानसभा में जो होंगे, वह इस विधानसभा के 75  साल मना रहे होंगे. मैं उनको आज प्रणाम करता हूं, वह भाग्‍यशाली लोग होंगे, जो विधानसभा के 75 वर्ष पर इस सदन में चर्चा कर रहे होंगे, वह ओर भी ज्‍यादा भाग्‍यशाली लोग होंगे, जो उसके आगे की चर्चा करेंगे, यह दावा  किेसी को नहीं करना चाहिए और इसलिए किसी की उम्र मत गिनिए कि कौन छोटा, कौन बड़ा, अरे हम सक्रिय नहीं रहेंगे, लेकिन जिंदा रहेंगे तो देख तो पायेंगे कि भारत की आजादी के सौ वर्ष हो रहे हैं, हम उसमें ही खुश होंगे (मेजों की थपथपाहट)

          सभापति महोदया, मुझे लगता है कि हम सब इन बातों में न पड़े, लेकिन हम क्‍या करके जा सकते हैं, जो ईश्‍वर ने हमको सामर्थ्‍य दिया है, वह योजना, वह विजन वह मध्‍यप्रदेश के हित में काम करने का संकल्‍प, हम सबको इस सदन में व्‍यक्‍त करना चाहिए, यही विनती करते हुए आदरणीय अध्‍यक्ष महोदय को, आदरणीय सभापति महोदया आपको धन्‍यवाद करते हुए और सभी माननीय सदस्‍यों ने मेरी बात को सुना, उनका हृदय से आभार व्‍यक्‍त करते हुए अपनी बात समाप्‍त करता हूं, भारत माता की जय. (मेजों की थपथपाहट)

          श्री फूल सिंह बरैया(भाण्‍डेर) -- माननीय सभापति महोदया, आज विशेष सत्र है, जिसमें विकसित आत्‍मनिर्भर, समृद्ध राज्‍य बनाने की कल्‍पना हो रही है और हम वर्ष 2047 का मध्‍यप्रदेश इसी दृष्टिकोण से देख रहे हैं, पॉजिटिव चर्चा है और जो सत्‍ता पक्ष के हमारे माननीय सदस्‍य जो बोल रहे हैं, वह बिल्‍कुल सत्‍य है कि यह हो रहा है और वर्ष 2047 तक भी ऐसा होता जायेगा, लेकिन मैं इसमें यह जोड़ना चाहता हूं कि वर्ष 2047  तत तक अगर हम लोग विकसित

तक हम लोग अगर विकसित होकर, आत्‍मनिर्भर होकर, समृद्ध होकर अगर चलें तो क्‍या उसमें एस.सी.,एस.टी. और ओ.बी.सी. साथ चलेगा?

          माननीय सभापति जी, एससी, एसटी और ओबीसी को माइनस कर दें तो वास्‍तव में यह कल्‍पना सत्‍य है और यहां पर सुझावों की भी चर्चा हो रही है कि पूरे मध्‍यप्रदेश का प्रत्‍येक नागरिक आत्‍मनिर्भर बने, समृद्ध बने, विकसित हो, इसके लिए भारतीय संविधान जो बाबा साहेब अंबेडकर जी ने लिखा था, उस समय बहस चली कि पूरा का पूरा जो समाज है, वह भारत का नागरिक है, अगर साथ साथ इसको ऊपर विकसित करना है तो इसमें राजनैतिक बराबरी, सामाजिक और आर्थिक बराबरी को साथ लेकर चलना होगा, लेकिन परिस्थिति ऐसी थी कि सिर्फ राजनैतिक बराबरी को ही मान्‍यता मिली. सामजिक और आर्थिक बराबरी को मान्‍यता नहीं मिली. तो मैं कहना चाहूंगा कि सभी को बराबर लेकर चलना पड़ेगा, तब तो हम वर्ष 2047 का जो विजन है, उसकी चर्चा कर पाएंगे और हम लोग यह कहते रहे कि हम जा रहे हैं, हम जा रहे हैं... तो आप तो जा रहे है, लेकिन ये भी तो जायेगा या नहीं जायेगा, इसका भी तो फैसला हो जाए. अभी लोग कहते हैं कि सामाजिक और आर्थिक बराबरी मिल चुकी है और कई बार यह खबर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से भी आती है कि क्रीमीलेयर है इन लोगों में, इनको हटा दिया जाए, तो क्रीमीलेयर का जो दृष्टिकोण है, उसमें सामाजिक और आर्थिक हैसियत मायने रखती है, तो सामाजिक हैसियत और आर्थिक हैसियत क्‍या है, मैं उसमें बताना चाहता हूं. पहले मैं, एससी की संख्‍या बता हूं, मैं तो सिर्फ गिन रहा हूं ये सरकार का ही डेटा है. सरकार ने ही बताया कि एससी 15.6 प्रतिशत है, एसटी 21.1 प्रतिशत है. ओबीसी 50.09 प्रतिशत, ये हमारी सरकार ने हाईकोर्ट में हलफनामा दिया, इसको मिला दे तो ये 86.79 प्रतिशत हो जाता है. इसको अगर छोड़ दें तो 13.21 प्रतिशत रह जाएगा. सभापति महोदय ये 86 प्रतिशत अभी इसमें माइनोरिटी जोड़ा नहीं हूं 8.18 प्रतिशत. 86.79 प्रतिशत एससी, एसटी, ओबीसी के पास इस देश की पूरी संपत्ति का जो हिस्‍सा है वह 11 प्रतिशत है, और बाकी 89 प्रतिशत हाथ में लिए हैं, तो 86.79 प्रतिशत 11 प्रतिशत संपत्ति लेकर जा रहा है और मात्र 13.21 प्रतिशत, 89 प्रतिशत लेकर जाएगा, तो वर्ष 2047 का विजन इसमें क्‍या है. मैं, ये आर्थिक स्‍टे्टस की बात कर रहा हूं और सामाजिक स्‍टे्टस ये है जिसके कुछ उदाहरण पेश कर रहा हूं. ये प्रेरणा कहां से मिलती है. हमारे मध्‍यप्रदेश में ऐसा करने की प्रेरणा कहां से आती है. दमोह जिले में सतारिया गांव में कुशवाहा ओबीसी बिरादरी के व्‍यक्ति को पैर धुलाकर के पिलाया गया.

          (xxx)  यह हैसियत है. हमारे पंचायत विभाग के मंत्री महोदय बात कर रहे हैं एक सरपंच है मैं इसलिये उदाहरण दे रहा हूं कि उसका यह मॉडल है. एक सरपंच है शिड्यूल कास्ट की निशादेवी की 500 शिकायतें की गईं मैंने इस बारे में कलेक्टर से कहा और सभी से कहा कि उसकी आप जांच तो कर लें. 500 शिकायतें तो गब्बरसिंह की नहीं हुई होंगी. इस महिला की 500 शिकायतें की गईं उस पर कई एफआईआर हुईं आज तक उसका निराकरण नहीं हुआ क्या हम महिलाओं को ऐसे ही लेकर के चलेंगे 2047 तक. (xxx) क्या हम 2047 तक ऐसे ही चलेंगे. यही नहीं और भी प्रेरणा कहां से मिलती है, (xxx)

          पंचायत एवं ग्रामीण विकास (श्री प्रहलाद सिंह पटेल)— पूर्व राष्ट्रपति कोविन्द जी की बात की है. मुझे लगता है इसको कार्यवाही से अलग करना चाहिये. यह जो आप कह रहे हैं, यह सजगता नहीं है, यह सच नहीं है. गृभ ग्रह की बात अलग थी, बाकी अलग थी. मुझे भी इसकी जानकारी है. इसलिये मैं चाहता हूं कि इसको पृथक करें.

          सभापति महोदयइसको पृथक करें.

          श्री फूलसिंह बरैयासभापति महोदया, (xxx) अब हम दादागिरी से हम ले जायेंगे तो 2047 में तो ले चलें. कोई बात नहीं. अगर 2047 में ऐसे ही ले जाना है, इनको मजदूर बनाकर के ले जाना है, गुलाम बनाकर के ले जाना है, तो चलें कोई बात नहीं. इसमें भी देखेंगे.

          श्री आशीष गोविन्द शर्माथोड़ा यह भी तो बता दो कि कुछ तो आजादी के वर्षों में अच्छा हुआ है, वह भी तो बताइये.

          श्री फूलसिंह बरैयासभापति महोदया (xxx)

          जनजातीय कार्य मंत्री (श्री विजय शाह)—सभापति महोदया अगर एक आदिवासी महिला को राष्ट्रपति जी बनाया है तो हमने बनाया है. कृपया इन बातों से ऊपर उठकर के बात करें.

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(xxx) आदेशानुसार रिकॉर्ड नहीं किया गया.

                   श्री दिनेश गुर्जरजब किसी के दिमाग में फितूर भरा हो तो ऐसे ही चलते हैं. हमारी सरकार ने एस.सी.और एस.टी के लिये जितना काम किया है किसी भी सरकार ने नहीं किया है इनकी कांग्रेस की सरकार ने भी नहीं किया.

          लोक निर्माण मंत्री (श्री राकेश सिंह)—सभापति महोदया, कभी कभी ऐसे अवसर आते हैं जब हम तय करते हैं कि हम स्तर पर चर्चा करेंगे. मुझे लगता है कि आज के दिन पक्ष और विपक्ष दोनों ने मिलकर के यह तय किया और उसके बाद प्रभावी चर्चा सदन में हो रही है. यह बहुत अच्छी बात है माननीय मुख्यमंत्री जी ने हमारे संसदीय कार्य मंत्री जी ने अभी तक जितने भी सदन में नेता रहे हैं इधर के रहे हों, चाहे उधर के रहे हों, सबकी तारीफ की. एक अच्छी परम्परा से इसकी शुरूआत हुई है. आपका मेरा माननीय सदस्य से आग्रह है कि कम से कम आज के दिन चर्चा के स्तर को न गिरायें हम वह प्रलाप ना करें जिसका आज की चर्चा में उसकी आवश्यकता ना हो.

          श्री सोहनलाल बाल्‍मीक -- माननीय सभापति महोदया, सोशल जस्‍टिस की बात हो रही है. सामाजिक न्‍याय यदि नहीं मिलेगा, तो क्‍या उसमें बात नहीं रखी जायेगी. क्‍या उसमें सुधार की बात नहीं की जायेगी ? जब सोशल जस्‍टिस नहीं मिल रहा है, जब सामाजिक न्‍याय नहीं मिल रहा है, तो यह बात आनी ही है.

          पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री प्रहलाद सिंह पटेल) -- नहीं, नहीं. फिर आप यह चाहते हैं कि हम भी हिसाब बताएं कि जवाहर लाल नेहरू जी ने क्‍या किया था कि उन्‍होंने राष्‍ट्रपति जी को नहीं बुलाया था. क्‍या आप यह सुनना चाहते हैं. आपका क्‍या मतलब है ?

          श्री सोहनलाल बाल्‍मीक -- सभापति महोदया, इसमें बुरा मानने की क्‍या बात है ?

          श्री प्रहलाद सिंह पटेल -- सभापति महोदया, इसमें बुरा मानने की बात नहीं है. मैं किसी व्‍यक्‍ति के ऊपर नहीं कह रहा. यह बात बिल्‍कुल गलत है...(व्‍यवधान)..

          श्री सोहनलाल बाल्‍मीक -- सभापति महोदया, कोई न्‍यायसंगत बात हो रही है तो सुनने का मापदण्‍ड हो, ...(व्‍यवधान)..यदि कोई न्‍यायसंगत बात हो रही है तो, तारीफ के अलावा कुछ मत कहो, यह कभी नहीं हो सकता...(व्‍यवधान)..

..(व्‍यवधान)..

          श्री प्रहलाद सिंह पटेल -- माननीय सभापति महोदया, देश के राष्‍ट्रपति जैसे पद पर बैठे हुए व्‍यक्‍तियों को इस स्‍तर की चर्चा में न लाएं, तो मुझे लगता है कि यह सदन की मर्यादा के नाते है. राजनीति करनी है, तो कभी बाकी समय आपको कहना हो, तो उसका जवाब मिलेगा. आप ऐसा मत करिए.

          सभापति महोदया -- मेरा आप सभी माननीय सदस्‍यों से सविनय आग्रह है कि इस सत्र को बुलाने के पीछे की भावना और उस भावना के पीछे के उद्देश्‍य को समझते हुए हम सौहृार्दपूर्ण चर्चा करें, हम सस्‍नेह चर्चा करें और सकारात्‍मक चर्चा करें तो प्रदेश के लिए, हम सबकी दृष्‍टि की सकारात्‍मकता का एक प्रमाण हम आज अपनी ओर से रखेंगे.

          श्री बाला बच्‍चन -- माननीय सभापति महोदया, ऐसा तो होगा नहीं, जैसा सरकार चाहती है वैसा. इधर से भी कोई बातें आयेगी. उन बातों को सुनना चाहिए. सरकार जैसा चाहे, वैसा ही होगा, तो चर्चा का कोई महत्‍व ही नहीं है..(व्‍यवधान)..

          श्री अनिरूद्ध माधव मारू -- ..(XXX)..

                                                   ..(व्‍यवधान)..

          श्री सुरेश राजे -- उस समय की बता मत करो. आज की बात करो...(व्‍यवधान)..

          श्री बाला बच्‍चन -- माननीय सभापति महोदया, यह हो रहा है. यह घटित हो रहा है...(व्‍यवधान)..हम सरकार को बता रहे हैं. सरकार को इसे सुनना चाहिए. सिर्फ इस चर्चा का महत्‍व क्‍या है. आपके 22 वर्ष हो चुके हैं उस पर चर्चा कर रहे हैं. कम से कम उस पर तो रोक लगवाएं..(व्‍यवधान)..

..(व्‍यवधान)..

          सभापति महोदया -- कृपया, आप सभी अपने स्‍थान पर विराजमान हों. माननीय बच्‍चन जी, मैं पुन: कह रही हॅूं कि हम सब चर्चा करें. आप 22 साल की भी चर्चा करें और आप उसके पूर्व के भी 50 साल की चर्चा करें. लेकिन चर्चा सकारात्‍मक हो, और चर्चा सौहृार्दपूर्ण हो.

          श्री गोपाल भार्गव -- माननीय सभापति महोदया, माननीय सदस्‍य ने देश के पूर्व राष्‍ट्रपति के बारे में और भी अन्‍य महापुरूषों के बारे में जो कुछ भी कहा है मैं मानकर चलता हॅूं कि जो विधानसभा का रिकार्ड बन जाता है और इस कारण से इसको कार्यवाही से हटवा दें. अन्‍यथा, यह परम्‍परा ठीक नहीं रहेगी.

          सभापति महोदया -- मैं इसे पृथक करने का कह चुकी हॅूं. यह रिकार्ड में नहीं आयेगा.

          श्री फूल सिंह बरैया -- माननीय सभापति महोदया, मैं सामाजिक हैसियत और आर्थिक हैसियत बता रहा हॅूं. सामाजिक हैसियत जब तक इस वर्ग की नहीं बनेगी, तो क्‍या हम लोग वर्ष 2047 में बेगार करने के लिए साथ में जायेंगे ? क्‍या इनके कपडे़ धोने के लिए साथ में जायेंगे, क्‍या इनको पानी पिलाने के लिए साथ में जायेंगे. इनके घरों में झाड़ू-पोछा लगाने के लिए साथ में जायेंगे ? यह मैं कहना चाह रहा हॅूं. जब मैंने आर्थिक हैसियत की बात की, तो 86.79 परसेंट लोगों के पास यानि एसटी, एसटी, ओबीसी के पास देश की मात्र 11 परसेंट संपत्‍ति और 13.21 के पास 89 परसेंट की संपत्‍ति है तो यह तो हमको भीख मांगने के लिए तैयार कर रहे हैं. यहां सामाजिक न्‍याय का मंत्रालय खुला हुआ है उसमें से ही मैंने यह डेटा लिया है. मैंने यह अलग से नहीं लिया है. मैं यह कह रहा हॅूं कि पूर्व मुख्‍यमंत्री श्री अखिलेश यादव जी है मैं उनकी हैसियत बता रहा हॅूं कि हमारी हैसियत क्‍या है कि जब उन्‍होंने सीएम हाउस खाली किया, तो जब नये मुख्‍यमंत्री माननीय श्री योगी आदित्‍यनाथ जी आये, तो उस हाउस को गंगाजल से छिड़काव करके शुद्ध किया गया. मैं यह कहना चाह रहा हॅूं. सभापति महोदया, मेरे कहने का तात्पर्य यह है कि यह जो कल्पना की थी. जैसे अभी हमारे तमाम साथियों की चर्चा आई. मैं उस बात को करना नहीं चाह रहा हूं. हमारी सामाजिक हैसियत यह है कि बाबा साहब अम्बेडकर इस पृथ्वी का सबसे बुद्धिमान शख्सियत और संविधान निर्माता (XXX) मैं बाबा साहब अम्बेडकर के एक आन्दोलन का जिक्र कर रहा हूं. लालाराम मंदिर में प्रवेश के लिए बाबा साहब अम्बेडकर ने धरना दिया. 2 मार्च, 1930 में सत्याग्रह और वह कितना चला, 5 वर्ष 11 माह, 7 दिन धरना चला. (XXX)

          संसदीय कार्यमंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) - सभापति महोदया, मुझे लगता है कि आज पाइंट आफ आर्डर का समय नहीं है. आज सिर्फ हम मध्यप्रदेश उसके विकास और कैसे मध्यप्रदेश आत्मनिर्भर बने, विषय हमारा बिल्कुल सीमित है. अब इस प्रकार के विषय आएंगे कि योगी आदित्यनाथ ने यह किया, यह सब डिलीट होना चाहिए. यह सब नहीं आना चाहिए. आखिर यह गरिमामयी सदन है और हमने सब लोगों ने बैठकर तय किया है कि हम सिर्फ मध्यप्रदेश उसके विकास, आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश, वर्ष 2047 में मध्यप्रदेश कैसा हो, इस दिशा में जाय. इसमें यदि कुछ इस वर्ग के लोगों के विकास के संबंध में आपको कुछ कहना है तो आप कहिए. परन्तु आप ऐसे अगर करेंगे तो चर्चा का स्तर नहीं रहेगा. इसलिए आप निर्देशित करें, माननीय सदस्य बहुत वरिष्ठ हैं. थोड़ा-सा जरा संभलकर बोलें, नहीं तो बोलने के लिए हमारे पास बहुत सारी चीजें हैं. इसमें जितनी भी अनुचित बातें आ रही है, उसको विलोपित करना चाहिए. यह मेरा आपसे निवेदन है.

            श्री बाला बच्चन - (XXX)

(XXX) आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.

          सभापति महोदया - माननीय सदस्य से मेरा आग्रह है कि आपको बात करते हुए करीब 22 मिनट हो चुके हैं. मैं आपसे पुनः निवेदन करती हूं कि आपकी संवेदनशीलता का मैं सम्मान करती हूं, परन्तु आप उसमें सकारात्मक सुझाव की ओर बात करेंगे तो सदन की मर्यादा और आज के इस एक दिवसीय सत्र का मकसद बेहतर पूरा हो सकेगा. इस सदन में जो नहीं हैं और जो रेलिवेंट नहीं है, वह सभी विषय रिकार्ड में नहीं आएंगे.

          श्री फूलसिंह बरैया - सभापति महोदया, उसमें बना रहे, नहीं रहे उससे कुछ नहीं होने वाला. वर्ष 2047 का विज़न दिखाई पड़ रहा है और वर्ष 2047 के विज़न में आप ही जाना चाहते हैं इनके बारे में सुनना भी नहीं चाहते हैं.

          सभापति महोदया -आप सकारात्मक सुझाव दीजिए, वह रिकार्ड में आएंगे.

          श्री फूलसिंह बरैया - (XXX) और वर्ष 2047 में चले जाएंगे, ऐसे कैसे चले जाएंगे.

(XXX) आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.

अब मैं आदिवासियों  की आर्थिक हैसियत की बात कर रहा हूं. लकड़ी  जंगल में से इकट्ठा करके  छोटा सा   जो बाजार  है, वहां बेचकर  के वे पेट भर रहे हैं  और वही आदिवासी जंगल  से पेट भरते हैं, तो  उनकी जमीन छीन करके   अडानी को देने की बात,   उसमें पांचवीं  सूची  से निकाल दी जाती है,  यह भी है.  इसको  भी डिलीट करना चाहिये.  यही नहीं,  मैं अगर सुझाव  की बात करुं, तो सुझाव  भी यहां कोई सुनने वाला नहीं है, क्योंकि मैं पिछड़े वर्ग की बात कर रहा हूं.

                   श्री प्रीतम लोधी --  अगर आप अच्छी बात करेंगे, तो सब सुनेंगे.

                   श्री फूलसिंह बरैया--  सभापति महोदया, मैं पिछड़े वर्ग की बात कर रहा हूं.  पिछड़े वर्ग के बारे में 50.09 परसेंट   मध्यप्रदेश में सरकार  ने  खुद हाई कोर्ट में हल्फनामा दिया है और  भारत  के संविधान  का आर्टिकल  340, 15(4) और 16(4)  कहता है कि जिसकी जितनी संख्या  भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी.  हिस्सेदारी कहां कहां बताऊं, यह तो सुझाव में बात आनी चाहिये.

2.07 बजे              {अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए.}

                अध्यक्ष महोदय,  यह सुझाव है मेरा.  मैंने एक बार और यह बात कही थी,  फिर उसको भी यह गलत माना गया था. पार्लियामेंट में चर्चा हुई कि केंद्र की सरकार  में   पिछड़े वर्ग  के   लोग सचिवालयों में कितने हैं. तो 8274  पद  हैं उसमें, सचिवालय में आईएएस वगैरह बड़े बड़े पद हैं. उसमें  पिछड़े वर्ग के लिये  भारतीय संविधान के अनुसार  4137  पद होने चाहिये.  उसमें मात्र 2 पद हैं.  यह मेरा सुझाव है कि  इसको सुधारा जाये, यह सुधारने  के लिये बोल रहा हूं.  अभी  वित्त मंत्री जी ने  बजट पेश किया था पिछला. वह   4 लाख 21 हजार  करोड़ का बजट था.  भारतीय संविधान के अनुसार  पिछड़े वर्गों के लिये  2 लाख 10 हजार करोड़ का बजट होना चाहिये था,  उसमें मात्र 357  करोड़ का बजट दिया था.  तो इसमें  भी सम्भाल लिया जाये.  यह मेरा सुझाव ही माना जाये कि अगले बजट में हम पिछड़े  वर्ग को जो संविधान कहता है, मैं  नहीं  कहता हूं. हालांकि इस सदन में  संविधान की बातें भी डिलीट  की जाती हैं. यही नहीं  इसमें एक बड़ी बात  है कि यहां पर आरक्षण की    चर्चा हो रही है. 27 प्रतिशत  आरक्षण  पिछड़े वर्ग को मिलना चाहिये.  माननीय कमलनाथ जी ने  27 प्रतिशत आरक्षण दिया था, तो अगर आप  27 प्रतिशत को भी स्वीकार  कर लें, तो  फिर आप कोर्ट क्यों चले गये  इसको रोकने के लिये.  27 प्रतिशत आरक्षण की जगह पर  14  प्रतिशत मिल रहा है, 13 प्रतिशत होल्ड है.  तो  अगर 13 प्रतिशत होल्ड है और क्या कह रहे हैं कि नहीं  हम 27 प्रतिशत देंगे. आपने  संविधान की शपथ ली है. अगर हृदय से शपथ ली है, तो  27 प्रतिशत नहीं   50 प्रतिशत  आरक्षण  पिछड़े वर्ग को देना चाहिये और मैं यही कह रहा हूं कि  अगर आप जितनी भी  सारी बातें  सामाजिक न्याय की   कह रहे हैं, यह गलत बातें हैं और इसमें से विलोपित किया जाये. तो अभी जो 13 प्रतिशत आरक्षण जो होल्ड पर है उसको शुरू किया जाये और 27 प्रतिशत आरक्षण दिया जाना चाहिये. अध्यक्ष महोदय, अगर हमने पिछड़े वर्ग के लोगों को अभी हक नहीं दिया तो विजन 2047 तो दूर है, आज की क्या कंडीशन है. एक आदमी के पास में औसतन भूमि 11 हजार वर्ग फुट बची है और इसको हमारे यहां पर आधा बीघा जमीन कहते हैं. एक व्यक्ति के पास में आधा बीघा भूमि है, नौकरियों में आने के लिये कितना पिछड़ा होना चाहिये, 1918 में साउथ बोरो कमीशन के सामने बाबा साहब अंबेडकर ने पिछडे वर्ग के बारे में कहा था, आज 2025 चल रहा है 107 वर्ष हो गये हैं पिछड़े और पिछड़े हो गये और हम विजन 2047 में जा रहे हैं. आधा बीघा जमीन जब एक व्यक्ति के पास में बचेगी तो 2047 तो बाद में है 2037 में ही इनका कबाड़ा हो जायेगा. पिछड़ा वर्ग 2037 में भिखारी बन जायेगा यदि यह कानून लागू नहीं हुआ तो.इसलिये मैं आपसे अनुरोध करना चाहूंगा कि सामाजिक और आर्थिक हैसियत हमारी यदि नहीं है तो हम 2047 में क्या हमको बराबरी का हक देकर के ले जाना चाहते हैं, या हमको झाड़ू-पोंछा लगाने वाला बनाकर के ले जाना चाहते हैं. अध्यक्ष महोदय, हमारा सुझाव है कि इस वर्ग को भी बराबरी का बनाकर के ले जाना चाहिये.         माननीय अध्यक्ष महोदय, नहीं तो हम तो पिछड़े ही रह जायेंगे और अड़ानी आगे आ जायेंगे. हम झाडू पोंछा लगाते रहेंगे.

          माननीय अध्यक्ष महोदय अनुसूचित जाति के बारे में बताना चाहूंगा जितनी भी योजनायें शासन की हैं, सारी योजनायें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग की बंद पड़ी हुई हैं. कोई भी योजना चालू नहीं है. एक योजना में है कि अगर किसी का कत्ल कर दिया जाये तो सवा 8 लाख रूपये मिलते हैं, एफआईआर वाले दिन मिल जायेंगे, फिर दूसरी किश्त है जब हमारा चालान पेश होता है.

          अध्यक्ष महोदय- फूल सिंह जी थोड़ा संक्षेप में कर दें.

          श्री फूल सिंह बरैया -- करता हूं. अध्यक्ष महोदय, मैं सरकार से आपके माध्यम से अनुरोध करना चाहता हूं कि सवा 8 लाख रूपये उसी दिन दे दिये जायें, इसके बाद में जो सुविधायें जो कानून में हैं आप मध्यप्रदेश में जांच करवा लीजिये एक भी योजना लागू नहीं है, पेंशन भत्ता 5000-5000 करके 10,000 रूपये महीना मिलना चाहिये, तीन माह से 6 माह तक , अनुकंपा नियुक्ति की जगह पर रोजगार कर दिया है तो रोजगार मिलना चाहिये, कृषि भूमि का पट्टा मिलना चाहिये, घर नहीं है तो तुरंत घर बनवा कर के देना चाहिये, नहीं बनवाने का समय है तो खरीदकर के देना चाहिये. पीड़ित के बच्चों को स्नातक तक शिक्षा देना चाहिये, बच्चों को आवासीय स्कूलों में दाखिला कराना चाहिये, बर्तन, चावल, गेहूं, दाल, दलहन आदि उपलब्ध कराना चाहिये. और फरियादी कोर्ट में जाता है तो उसका किराया, उसका खाना उसके गवाह का किराया, खाना अगर नाबालिग बच्ची छोड़ गया है तो उसकी सरकार को 25 हजार रूपये देकर के शादी कराना चाहिये. यह क्या सारी चीजें प्रदेश में मिल रही हैं. क्या यह योजनायें प्रदेश में चालू हैं. अधिकारी सुनने को तैयार नहीं है इसलिये अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे कहना चाहता हूं कि विजन 2047 की चर्चा करना चाहते हैं, आत्मनिर्भर, समृद्ध, खुशहाल प्रदेश के लिये तो यह वर्ग है 86.79 प्रतिशत इसको भी बराबर बनाकर के ले जाईये, ऐसी योजनायें विजन 2027 में बनाकर के लाना चाहिये, इसको विजन 2047 में शामिल किये बिना , इतने बड़े समाज को आप छोड़कर के जायेंगे तो आप अकेले चले जायेंगे , देश तो फिर यही बना रहेगा, फिर यह आपका विजन 2047 कहां से सफल होगा, इसलिये मैं यह बात कहते हुये कि स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था कि जिन लोगों को आपने हजारों साल से सताया है उन लोगों को आप ही गले लगाओ, अगर आप इनको अभी भी गले नहीं लगायेंगे और अभी भी सतायेंगे तो एक बड़े पत्रकार ने विवेकानंद जी की एक लाइन कोड की है. लोग विवेकानंद जी को भूल गए हैं विवेकानंद जी ने कहा कि यह इतना बड़ा समाज है तो अगर आज भी गले नहीं लगाएंगे तो एक दिन अपने आप जागेगा, तो जिस दिन अपने आप जागेगा तो अपने ऊपर हुए जुल्‍म, ज्‍यादतियों का बदला लेने के लिए तुम्‍हारी लाशों पर नाचेगा. यह उसमें लिखा है. यह मैं इसलिए कह रहा हूं कि बैलेंस बनाइए. इनको छोड़कर मत जाइए. इनको भी साथ में लेकर जाइए. यह भी साथ जाएंगे, आप भी जाएंगे. मिलकर जाएंगे, पूरा राज्‍य जाएगा, पूरा देश देखेगा तभी यह 2047 सफल होगा अन्‍यथा 2047 का विजन सफल नहीं होगा. धन्‍यवाद. जय भीम. जय भारत.

          लोक निर्माण मंत्री (श्री राकेश सिंह) -- अध्‍यक्ष महोदय, धन्‍यवाद. सबसे पहले तो मैं आपके प्रति आभार प्रकट करना चाहता हूं कि आपने आज इस विशेष सत्र के अवसर पर मुझे बोलने का मौका दिया. मैं अपने नेतृत्‍व यानि मुख्‍यमंत्री जी के प्रति भी धन्‍यवाद ज्ञापित करना चाहता हूं कि उन्‍होंने इस बात के लिए चयन किया कि मैं यहां पर विषय रख सकूं. मैं तो पहली बार विधान सभा में आया हूं. 20 साल लोक सभा में गुजरे. 8 साल मुख्‍य सचेतक की भूमिका में रहा हूं. सदन की कार्यवाही चलते हुए देखी है. पक्ष, विपक्ष दोनों की तकरार भी देखी है लेकिन अध्‍यक्ष महोदय, आप स्‍वयं उस सदन में संसदीय कार्य मंत्री की भूमिका में गरिमा के साथ रहे हैं, लेकिन ऐसे अनेकों अवसर आए हैं कि सदन की भावनाओं का सबने सम्‍मान किया है. आज के दिन का चयन सोच विचारकर सभी ने मध्‍यप्रदेश के विकास को पक्ष और विपक्ष दोनों ने संकल्पित किया है. हमारे डण्‍डे और झण्‍डे अलग हो सकते हैं लेकिन एजेंडा आज के दिन वह एक है. इस सोच के साथ में आज हम सभी यहां पर बैठे हैं और बहुत अच्‍छी शुरुआत माननीय मुख्‍यमंत्री जी से लेकर संसदीय कार्य मंत्री जी और उसके बाद लगातार हुई है. मैं उम्‍मीद करता हूं कि हम सभी उसके आस-पास रहेंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय, पूंजीगत निवेश और इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर अगर यह योजनाबद्ध तरीके से किया जाए तो सरकार विकास की ऊंचाइयों के साथ-साथ जनता के दिल की गहराइयों तक भी पहुंच सकती है और इसलिए इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर और पूंजीगत निवेश इसमें सुनियोजित सोच की आवश्‍यकता होती है. जिस विजन 2047 की बात आ रही है वह एक सुनियोजित सोच का ही परिणाम है. अनप्‍लांट सोच कभी संकल्‍प नहीं बन सकता. संकल्‍प के साथ योजना, सोच, धैर्य यह तीनों चाहिए होते हैं और 2047 की जो सोच है वह अचानक नहीं है, उसके पहले के कई चरणबद्ध हमने माननीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्‍व में निर्णय होते हुए देखे हैं. इसी भारत को जो पूरे विश्‍व में 11 वें, 12 वें नंबर पर होता था, दुनिया की बड़ी-बड़ी ताकतों को पछाड़कर चौथे नंबर पर आते हुए भी देखा है और इसलिए निर्णय भारतीय जनता पार्टी की सरकार का हो सकता है लेकिन वह देश के हित का है और जब वह देश के हित का है तो मध्‍यप्रदेश उससे अलग नहीं हो सकता. मैं ऐसा मानता हूं कि यहां पर बैठे सभी लोग मध्‍यप्रदेश के विकास के लिए संकल्पित हैं. अभी अनेकों सरकारें इसके पहले भी रही हैं लेकिन सरकार में पक्ष में रहें या विपक्ष में, उस सरकार के किए गए हर अच्‍छे निर्णय पर सभी अपनी सहभागिता मानते हैं. सदन का सदस्य होने के नाते यह भूमिका हमारी आज भी है. मैंने अभी कहा कि इन्फ्रास्ट्रक्चर, पूंजीगत निवेश अगर दूरदर्शिता के साथ हो तो आने वाले कल की एक सुखद इबारत लिखता है. महोदय,  यह माध्यम बनता है रोजगार के सृजन का, आर्थिक विकास की गति का, निजी क्षेत्र के विश्वास का, आत्मनिर्भर और मजबूत अर्थव्यवस्था का और साथ ही क्षेत्रीय संतुलन का. इसीलिए हम कह सकते हैं कि डॉ. मोहन यादव जी के नेतृत्व में सरकार का यह जो पूंजीगत निवेश है यह आज की आवश्यकता नहीं बल्कि आने वाले कल का सुनहरा भविष्य है. उसी दृष्टि से सारी योजनाएँ तैयार हो रही हैं और यही सरकार का सूत्रवाक्य भी है. विश्व के जो बड़े-बड़े अर्थशास्त्री हैं उन्होंने सरकारी पूंजीगत निवेश पर बहुत सी बातें की हैं लेकिन समय कम है उस पर नहीं  जा सकते हैं. हम भारत के संदर्भ में आचार्य चाणक्य को अगर कोट करें तो उनके अनुसार राज्य की वित्तीय सुदृढ़ता का आधार, आधारभूत संरचना यानि इऩ्फ्रास्ट्रक्चर और उत्पादन के क्षेत्र में किया गया योजनाबद्ध पूंजीगत निवेश है, जिसे किसी व्यय के रुप में नहीं बल्कि दीर्घकालीन राष्ट्रीय समृद्धि के साधन के रुप में देखा जाना चाहिए. यही सूत्र हमारे लिए आज का अवसर और कल की हमारी वित्तीय ताकत है. मैंने अभी-अभी कहा कि हम सभी मध्यप्रदेश के निवासी हैं और इस नाते प्रदेश के विकास के होने वाले किसी भी निर्णय पर हमें किसी न किसी रूप में गर्व होता है. जब देश के विकास को किसी पैमाने पर आज के समय में इंफ्रास्ट्रक्चर के रुप में परखना हो तो स्वाभाविक रुप से एक्सप्रेस-वे, हाईस्पीड कॉरिडोर, एलीवेटेड कॉरीडोर, एयरपोर्ट, रेल नेटवर्क और आधुनिक बिल्डिंग्स यह सभी उसके आधार बनते हैं. यही आने वाले कल का सुखद भविष्य भी बनाते हैं.

          माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आभार प्रकट करना चाहता हूँ देश के यशस्वी प्रधानमंत्री जी के प्रति कि जिन्होंने एक सुनियोजित विकास का संकल्प देश के सामने रखा है. मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी ने मध्यप्रदेश को एक आदर्श स्थिति में लाकर खड़ा करते हुए भविष्य में जब वो विकसित भारत बने तो मध्यप्रदेश देश के केन्द्र में होने के नाते विकसित मध्यप्रदेश की भूमिका में दिखाई दे. मुझे खुशी है कि विकास के प्रति मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री जी की जो प्रतिबद्धता है वह इतनी है कि इसी वर्ष लोक निर्माण विभाग के बजट में 35 प्रतिशत की ऐतिहासिक वृद्धि उन्होंने की है. बहुत बार डबल इंजन सरकार की बात होती है. पक्ष में इसकी ताकत पर होती है विपक्ष में इसकी आलोचना भी होती है. लेकिन इसकी ताकत क्या होती है. यह उस व्यापक परिवर्तन से स्पष्ट है जो अगले कुछ वर्षों में मध्यप्रदेश को विकसित राज्य के रुप में प्रस्तुत करने जा रहा है. इसलिए मैं कुछ परियोजनाओं के बारे में बोलूंगा. जिनके बारे में जिनकी लागत को देखते हुए यह कार्य कभी सोचे भी नहीं जा सकते थे. यह परियोजनाएँ हैं अटल प्रगति पथ, ग्वालियर-चंबल अंचल की तस्वीर बदलने वाला महामार्ग जिसकी लागत है 12227 करोड़ रुपए. नर्मदा प्रगति पथ, माँ नर्मदा जी के समानान्तर विकास का नया अध्याय लिखने वाला महत्वाकांक्षी मार्ग जिसकी लागत है 5299 करोड़ रुपए. विन्ध्य एक्सप्रेस-वे, विन्ध्य क्षेत्र को भोपाल से जोड़कर समृद्धि की नई इबारत लिखने वाला 3809 करोड़ रुपए. मालवा-निमाड़ एक्सप्रेस-वे इसकी लागत है 7972 करोड़ रुपए, मध्यभारत विकास पथ राजधानी भोपाल को उत्तर में ग्वालियर और दक्षिण में बैतूल से जोड़ने वाला केन्द्रीय मार्ग इसकी लागत है 3819 करोड़ रुपए. इंदौर-भोपाल  ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे, इसकी लागत है 9716 करोड़ रुपए. जबलपुर-भोपाल ग्रीनफील्ड कॉरिडोर, इसकी लागत है 13400 करोड़ रुपए. ग्वालियर-नागपुर कॉरिडोर उत्तर-दक्षिण भारत को जोड़ने वाला रणनीतिक महामार्ग इसकी लागत है 20 हजार करोड़ रुपए. भोपाल-मंदसौर ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे इसकी लागत है 16 हजार करोड़ रुपए. सागर-सतना ग्रीनफील्‍ड एक्‍सप्रेस-वे जो बुंदेलखण्‍ड के विकास को नई दिशा देने वाला है इसकी लागत है 11 हजार करोड़ रुपए है. ग्‍वालियर में एलिवेटेड कॉरिडोर जिसकी लागत 1 हजार 64 करोड़ रुपए है, रेल ओव्‍हर ब्रिज परियोजनाएं, 111 रेल ओवर ब्रिज हैं और इनकी जो लागत है लगभग 4 हजार करोड़ रुपए है. इसके अलावा अनेकों मेडिकल कॉलेज के भवन वह परियोजनाएं जिनकी लागत लगभग तीन हजार करोड़ रुपए है. हम कुल मिलाकर कहें तो अभी हाल में ही खजुराहों में जो केबिनेट बैठक हुई है उसमें सागर दमोह मार्ग को फोरलेन में अपग्रेड करने की स्‍वीकृति दी गई है. इसकी लागत 2 हजार 60 करोड़ रुपए हैं. इन सभी परियोजनाओं की कुल लागत 1 लाख 13 हजार करोड़ रुपए से अधिक है और यह वह आंकड़े हैं जिन पर चर्चा करने के लिए वास्‍तव में पूरा दिन चाहिए, लेकिन कुछ मिनटों में इसे समेटना है तो मैं केवल आंकड़ों के साथ अपनी बात कर रहा हूं. अध्‍यक्ष महोदय, हमने इस कालखण्‍ड में जब सरकार का गठन हुआ और जब लोक निर्माण विभाग का दायित्‍व मिला था तो माननीय मुख्‍यमंत्री जी की सहमति से एक ध्‍येय वाक्‍य तय किया था लोक निर्माण से लोक कल्‍याण. ऐसा नहीं है कि विभाग का गठन कोई पहली बार हुआ है. विभाग पहले भी काम करता आया है. पहले की सरकारों में भी अच्‍छा काम किया है, लेकिन कहीं न कहीं जिन त्रुटियों की बात आती है तो हमारे विभाग के इंजीनियर के भीतर यह विश्‍वास जागे कि उनके हर कार्य का आधार यही ध्‍येय वाक्‍य है. इस दृष्टि से हमने इसको बार-बार दोहराया है और लोक निर्माण विभाग के अंतर्गत कुल 77 हजार 268 किलोमीटर सड़कों का नेटवर्क है. जिसमें राज्‍य, राज्‍य मार्ग हैं, एमडीआर हैं, ओडीआर हैं उस पर मैं नहीं जाता, लेकिन अभी पिछले एक वर्ष में वर्ष 2024-25 में ही हमने लगभग 10 हजार किलोमीटर से ज्‍यादा सड़कों का निर्माण किया जिसकी लागत 17 हजार 284 करोड़ रुपए है. कुछ ऐसे फ्लेगशिप प्रोजेक्‍ट भी हैं जो अभी पूर्ण हो चुके हैं. इनमें जबलपुर में जो एलिवेटेड फ्लाईओवर बना है उसकी लागत लगभग 1 हजार 300 करोड़ रुपए है. भोपाल में ही जो भीमराव अंबेडकर फ्लाईओवर है उसकी लागत लगभग 153 करोड़ रुपए है.  श्‍यामाप्रसाद मुखर्जी सिक्‍सलेन कोलार रोड़ है जो राजधानी के यातायात को एक नई गति दे रहा है उसकी लागत 305 करोड़ रुपए है और इसके अलावा यहां पर अगर स्‍वास्‍थ्‍य और न्‍यायालय के भवनों को लें तो लगभग 1500 करोड़़ रुपए अतिरिक्‍त होता है. नये विद्यालयों के भवनों का निर्माण यह लगभग 2 हजार 240 करोड़ रुपए से हुआ है. 177 स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्रों का 726 करोड़ रुपए से निर्माण हुआ है. इन कार्यों की गिनती करें तो यह 5 हजार 526 करोड़ रुपए होता है. इतना ही नहीं अभी आगे और भी है.

          अध्‍यक्ष महोदय, अभी ग्‍वालियर में दो एलिवेटेड कॉरिडोर जिनके निर्माण कार्य प्रगति पर हैं. इंदौर में लगभग 100 करोड़ के नवीन एलिवेटेड कॉरिडोर का निर्माण शीघ्र होने वाला है जिसकी लागत अभी 350 करोड़ रुपए है हो सकता है कुछ और भी बढ़ेगी. इसके अलावा प्रदेश भर में कुछ और भी कार्य हैं. प्रदेशभर में हमने ओवरब्रिज की बात की उसकी लागत जो मैंने बताई है वह लगभग 4 हजार करोड़ रुपए की है. आज समय बदला है. कभी विकास की दृष्टि से सड़के बनें, सड़कें कभी सिंगल लेन, टू लेन ही बन जाती थीं तो उसे माना जाता था कि आवागमन के रास्‍ते बन गये, लेकिन धीरे-धीरे यह ध्‍यान में आया कि सड़कें केवल आवागमन का रास्‍ता भर नहीं हैं यह समृद्धि के द्वार खोलने वाला मार्ग है. सड़क जब बनती है तो स्‍कूल को घर तक पहुंचाती है. सड़क जब बनती है तो स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं को घर तक पहुंचाती हैं. सड़कें रोजगार भी लाती हैं, सड़कें उद्योग भी लाती हैं और इस दृष्टि से आज और भी मायने बदले हैं अब विकास का मतलब हो गया है कि हाईस्‍पीड कॉरिडोर कितने हैं, सिक्‍सलेन कितने हैं, एक्‍सप्रेस-वे कितने हैं और इसलिए मध्‍यप्रदेश को इस विकास के मापदण्‍ड पर लाकर खड़ा करने के लिए जो योजनाएं बन रही हैं उनमें उज्‍जैन, जावरा एक्‍सप्रेस-वे का विकास हो रहा है. जिसकी लागत लगभग 5 हजार 17 करोड़ रुपए है. इंदौर-उज्‍जैन फोरलेन को सिक्‍सलेन में बदल रहे हैं इसकी लागत लगभग 1692 करोड़ रुपए है.

इंदौर-उज्‍जैन ग्रीनफील्‍ड एक्‍सप्रेस-वे का निर्माण भी प्रगति पर है, यह रुपये 2 हजार 9 सौ 35 करोड़ से बनने वाला है. राष्‍ट्रीय राजमार्गों के क्षेत्र में मध्‍यप्रदेश में जबरदस्‍त निवेश हुआ है. लगभग 989 किलोमीटर लंबाई के 55 राष्‍ट्रीय राजमार्गों का निर्माण हो रहा है, जिसकी लागत रुपये 14 हजार 9 सौ 18 करोड़ है. सदन को प्रसन्‍नता होगी कि हमने NHAI (National Highways Authority of India) के साथ रुपये 1 लाख करोड़ का MOU किया है और यह MOU केवल कागजों में नहीं है, इसमें से लगभग रुपये 28 हजार करोड़ के कार्यों की स्‍वीकृति भी हो गई है और जिन कार्यों की स्‍वीकृति हो गई है, मैं वह भी सदन को बताना चाहूंगा आगरा-ग्‍वालियर खण्‍ड, यह ग्रीनफील्‍ड 6 लेन रोड रुपये 4 हजार 6 सौ 13 करोड़ से,  बैतूल-खण्‍डवा-खरगोन-जुलवानिया यह रुपये 4 हजार 9 सौ 92 करोड़ से, रीवा-सीधी 4 लेन रुपये 1 हजार 5 सौ करोड़ से, संदलपुर-नसरूल्‍लागंज बाईपास तक 4 लेन यह रुपये 1 हजार 4 सौ 25 करोड़ से बन रहा है.

          अध्‍यक्ष महोदय, ग्‍वालियर शहर का पश्चिमी 4 लेन बाईपास यह रुपये 13 सौ करोड़, सागर 4 लेन बाईपास यह रुपये 7 सौ 85 करोड़, अयोध्‍या नगर का बाईपास रुपये 1 हजार 50 करोड़, उज्‍जैन-झालावाड़ का 4 लेन रुपये 2 हजार 2 सौ 32 करोड़, इंदौर का रिंग रोड वह भी रुपये 6 हजार 5 सौ करोड़, जबलपुर-दमोह खण्‍ड, जिसकी स्‍वीकृति मिली है यह लगभग रुपये 2 हजार करोड़ का है.

          अध्‍यक्ष महोदय, सरकार के संसाधनों की सीमायें और मर्यादायें होती हैं, यह हर सरकार के साथ है लेकिन विकास के कार्यों की कोई सीमायें नहीं हैं, इनमें निरंतरता है, कहीं न कहीं इस गैप को भरने के लिए वही सरकारें सफल मानी जाती हैं जो उन रास्‍तों को ढूंढती हैं, जिनके माध्‍यम से सरकार द्वारा अपनी सीमाओं में रहते हुए भी, उस गैप को भरा जा सके. इसके लिए प्रदेश में हमने HAM (Hybrid-Annuity Model) मॉडल को अपनाया है, जिसके माध्‍यम से बहुत सारी सड़क परियोजनाओं का सफल क्रियान्‍वयन हो इसे, जिसे हम सुनिश्चित करने जा रहे हैं. विगत 2 वर्षों में HAM के अंतर्गत प्रदेश में लगभग 345 किलोमीटर की 5 सड़कें स्‍वीकृ‍त हो गई हैं. जिनकी लागत रुपये 12 हजार 6 सौ 76 करोड़ है. इनमें इंदौर-उज्‍जैन, उज्‍जैन-जावरा की सड़कें, ग्रीनफील्‍ड भी है, नर्मदापुरम-टिमरनी भी है, सागर-दमोह 4 लेन भी है, ये वे सारी सड़कें हैं, जिन्‍हें हम HAM के अंतर्गत करने जा रहे हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय, जब हम जनता के बीच जाते हैं तो जनता से कुछ वादे करते हैं, चुनावों के पहले जब भारतीय जनता पार्टी जनता के बीच गई तो हमने एक      संकल्‍प-पत्र प्रस्‍तुत किया था, उसमें जो वादे हमने समग्र विकास के लिए किये थे, वे पूरा करना हमारी जिम्‍मेदारी है. उन संकल्‍प पत्रों में 6 विकास पथ बनाने का संकल्‍प लिया गया था, इनमें से 5 प्रगति पथ पर निर्माण की कार्रवाई भी प्रारंभ हो चुकी है. हमने अपने संकल्‍प पत्र में 1 लाख किलोमीटर और 500 रेल ओवरब्रिज और फ्लाईओवर ब्रिज की बात की थी. हम सभी सड़क निर्माण एजेंसियों के सहयोग से 1 लाख किलामीटर सड़कें और 500 रेल ओवरब्रिज और फ्लाईओवर बनाने के लिए संकल्पित हैं, इन सभी की कार्य योजना तैयार है. इनमें से अनेक पर निर्माण कार्य भी प्रारंभ हो चुके हैं. हमने अपने संकल्‍प पत्र में 5 रिंग रोड लिये थे, जिसमें भोपाल-इंदौर-जबलपुर-ग्‍वालियर-उज्‍जैन, इनमें रिंग रोड का काम प्रारंभ हो चुका है, जो अपने आप में बड़ी लागत के हैं. जबलपुर रिंग रोड ही लगभग रुपये 4 हजार करोड़ का है. हमने यह भी संकल्‍प लिया था कि जितने भी राष्‍ट्रीय राजमार्ग हैं, इनमें से जो 2 लेन हैं, उन्‍हें 4 लेन में अपग्रेड करेंगे. राष्‍ट्रीय राजमार्ग की कुल लंबाई 9 हजार 3 सौ 15 किलोमीटर है, जिसमें से 4 हजार 7 सौ 40 किलोमीटर को हम 4 लेन में बदल चुके हैं, शेष पर कार्रवाई जारी है इसलिए हम कह सकते हैं कि प्रदेश की जनता को संकल्‍प पत्र में किये गए वादों की पूर्ति के लिए 5 वर्षों प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ेगी.

          अध्‍यक्ष महोदय, मुझे लगता है कि सदन में बैठे हर सदस्‍य को इस बात पर गर्व होगा कि


 

 सिंहस्‍थ मध्‍यप्रदेश की पवित्र धरती पर उज्‍जैन में होता है. यह हमारा वैश्विक गर्व है और सिंहस्‍थ की तैयारियों के बारे में भी, हम सभी जानते हैं कि बहुत पहले से इसकी शुरूआत हमें करनी होती है और हमने इसके लिए तैयारियां भी प्रारंभ कर दी हैं, केवल लोक निर्माण विभाग के द्वारा ही 13,274 करोड़ रुपये से 64 निर्माण कार्य सिंहस्‍थ मेले में किये जा रहे हैं. नगरीय प्रशासन विभाग और अन्‍य विभाग अपनी-अपनी जरूरतों के हिसाब से वहां पर कार्य कर रहे हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय, आज बढ़ती हुई ट्रैफिक की समस्‍या से, यह सदन इससे भी सहमत होगा कि पूरी दुनिया ही ट्रैफिक से जूझ रही है और जहां शहरी क्षेत्रों में सड़कों की सीमाएं समाप्‍त हो जाती हैं, वहां हमें दूसरे साधन खोजने पड़ते हैं. उसमें एक महत्‍वपूर्ण है- रोपवे. हमें यह कहते हुए खुशी है कि मध्‍यप्रदेश ने भारत सरकार के साथ, माननीय नितिन गडकरी जी के नेतृत्‍व में, नेशनल हाइवे लॉजिस्टिक मैनेजमेंट लिमिटेड के साथ एमओयू किया है. जिसके तहत हम लगभग 4 रोपवे का निर्माण करने जा रहे हैं. इनमें उज्‍जैन रेल्‍वे स्‍टेशन से महाकाल मंदिर तक का रोपवे का कार्य भी प्रारंभ हो चुका है, टिकीटोरिया माता मंदिर रोपवे, सागर इसका भी वर्क ऑर्डर हो चुका है, जबलपुर में एम्‍पायर टॉकीज के पास से लेकर गौरीघाट के उस पार तक और सिविक सेन्‍टर से बलदेव बाग तक की डीपीआर तैयार हो रही है और यह सभी रोपवे परियोजनाएं, इनकी कुल लागत लगभग 2,500 करोड़ रुपये के आसपास होती है. इतना ही नहीं, हमने भविष्‍य की दृष्टि से, मैं देश के गृह मंत्री माननीय श्री अमित शाह जी का आभारी हूँ, जिन्‍होंने यह अवसर दिया कि देश के अन्‍य राज्‍यों के बारे में जब हमने निर्णय किया था कि कहां-कहां, क्‍या-क्‍या नवाचार हो रहे हैं ? उनको देखते हुए हम किसी का अनुसरण करें, ऐसा नहीं है. हम उससे बेहतर क्‍या कर सकते हैं ? इस दृष्टि से वहां पर भ्रमण करें. मैं स्‍वयं अपने 13 अधिकारियों की टीम के साथ गुजरात गया था और भास्‍कराचार्य इंस्‍टीट्यूट, अहमदाबाद के सहयोग से हमने बहुत से नवाचार, उसके बारे में भी मैं संक्षेप में बताऊंगा, हमने शुरू किए हैं. मुझे यह कहते हुए भी बेहद खुशी है कि उन नवाचारों की प्‍लानिंग के लिए हमें जिस तरह के सॉफ्टवेयर की आवश्‍यकता थी, अगर उनको हम बाजार से बनवाते, तो शायद 150 करोड़ रुपये से 200 करोड़ रुपये का खर्च आता. हमने एक रुपये खर्च किए बगैर वह सारी सुविधाएं तय कराई हैं, जो मध्‍यप्रदेश के भविष्‍य के लिए रोड निर्माण की दृष्टि से आवश्‍यक थी, उसमें रोड नेटवर्क प्‍लानिंग भी शामिल है, उसके लिए हमने एक क्राइटेरिया भी बनाया है और यह तय किया है कि हम हर नगरपालिका और नगर पंचायत को कम से कम टू लेन सड़कों के माध्‍यम से जोड़ेंगे, सभी बड़े शहरों और जिला मुख्‍यालयों में रिंग रोड और बायपास बनाएंगे. जहां-जहां भी शहर के भीतर आवश्‍यक है, वहां पर  फ्लाइओवर और एलिवेटेड कॉरिडोर भी बनाएंगे तथा श्रद्धालु और पर्यटकों की सुविधा की दृष्टि से जहां भी आवश्‍यकता है, वहां पर स्‍पेशल कॉरिडोर की योजनाएं तैयार कर रहे हैं. हम सभी बड़ी मंडियों और औद्योगिक क्षेत्रों को सीधे नेशनल हाइवे से जोड़ सकें, रेल्‍वे लाईन से जोड़ सकें, इस दृष्टि से भी तैयारी हो रही है.

          अध्‍यक्ष महोदय,  मध्‍यप्रदेश से जो बड़े एक्‍सप्रेस वे गुजर रहे हैं क्‍योंकि एक्‍सप्रेस वे हर जिले तक नहीं जा सकते, तो उसका फायदा पास के छोटे कस्‍बों को भी मिले, उसके लिए इस पर कनेक्टिविटी या लिंक रोड पर भी हम काम कर रहे हैं और इस नेटवर्क प्‍लान पर काम भी प्रारंभ हो चुका है. इसे हम दो हिस्‍सों में करने वाले हैं. पहला, हम वर्ष  2028 तक करने जा रहे हैं, दूसरा वह वर्ष 2047 तक जायेगा. आगामी जो हमारी सुदृढ़ीकरण और विस्‍तार की दृष्टि से नेशनल हाइवे की योजनाएं हैं, वह भी लगभग 33 हजार करोड़ रुपये से ज्‍यादा की हैं, उन पर भी काम प्रारंभ हो गया है. मुझे यह कहते हुए खुशी है कि माननीय गडकरी जी के नेतृत्‍व में, माननीय मुख्‍यमंत्री जी की सहमति से, हमने पहली बार देश में एक टाइगर कॉरिडोर के निर्माण की योजना बनाई है और चूंकि मध्‍यप्रदेश वह राज्‍य है, जहां सर्वाधिक संख्‍या में टाइगर हैं, तो हम देश के वह पहले राज्‍य बन गए हैं कि हम टाइगर कॉरिडोर का निर्माण करें, उसमें पांच नेशनल पार्क का हमने चयन किया है और उनके बीच में टाइगर कॉरिडोर का निर्माण होगा. यह टाइगर कॉरिडोर देश और विदेश के उन सभी पर्यटकों को आकर्षित करेगा, जिनसे मध्‍यप्रदेश को सीधे तौर पर लाभ मिलने वाला है.


 

          अध्‍यक्ष महोदय, अब मैं कुछ नवाचारों की बात करना चाहूँगा. मैंने कहा था कि संक्षेप में इनकी बात करूंगा. एक है, लोकपथ मोबाइल एप. ज्‍यादातर माननीय सदस्‍य इसके बारे में जानते ही हैं. यह हमारा एक महात्‍वाकांक्षी नवाचार है. इस एप के माध्‍यम से किसी सड़क पर अगर कोई गड्ढा है और जिसने भी उस एप को डाऊनलोड किया है, वह उस गड्ढे का फोटो खींचे, वह जीओ-टेग्‍ड फोटो होगा. सीधे उसी क्षेत्र के इंजीनियर के पास जाएगा. उसकी जिम्‍मेदारी पहले थी कि वह 7 दिन में उस गड्ढे को भरे और वापिस से उसमें फोटो डाले. लेकिन अब हमने उस समय-सीमा को कम कर दिया है. अब 4 दिन की समय-सीमा निर्धारित कर दी है. अगर 4 दिन में वह इंजीनियर उस गड्ढे को नहीं भरेगा तो फिर ऑटो-जनरेटेड नोटिस उस इंजीनियर के पास चला जाएगा. मुझे यह कहते हुए खुशी है कि अभी तक 99 प्रतिशत इसकी सफलता का रेट है. पिछले 18 महीनों में 11 हजार से ज्‍यादा शिकायतें इस एप पर आई थीं, जिनमें से अधिकतर का, जैसा मैंने अभी कहा है कि समाधान समय-सीमा में ही कर दिया है. इसके बारे में आप जानते ही हैं कि 'कौन बनेगा करोड़पति' जैसे शो में भी अमिताभ बच्‍चन जी ने केवल लोकपथ एप पर सवाल किया था.

          अध्‍यक्ष महोदय, इस एप को अब और भी आगे लेकर जा रहे हैं. अब लोकपथ-2 एप की लगभग तैयारी हमारी पूरी हो चुकी है. माननीय मुख्‍यमंत्री जी के हाथों से जल्‍दी ही उसकी भी लॉन्‍चिंग हम कराएंगे. ये उससे भी आगे है. मध्‍यप्रदेश की सीमा में कोई भी व्‍यक्‍ति प्रवेश करे, अगर उसने लोकपथ-2 एप को डाऊनलोड कर लिया है तो उससे उसको फायदा होगा. उदाहरण के लिए उसको इंदौर से सिंगरौली जाना है. तो उसके सामने इंदौर से सिंगरौली के जितने रास्‍ते होंगे, वे सारे रास्‍ते वह एप उसको बताएगा. उन रास्‍तों की दूरी भी बताएगा. उन रास्‍तों पर लगने वाला समय भी बताएगा. उनमें टोल नाके कितने पड़ेंगे, उसमें राशि कितनी देनी होगी, यह भी बताएगा. उस रास्‍ते में कितने दर्शनीय स्‍थल होंगे, कितने धार्मिक स्‍थल होंगे, यह भी वह एप बताएगा. वहां पर रास्‍ते में आवश्‍यकता पड़ने पर कोई अस्‍पताल की जरूरत है, तो वह भी वह एप बताएगा. थाने और पेट्रोल पंप कहां-कहां हैं, वह भी एप बताएगा. आकस्‍मिक कोई नंबर चाहिए तो वह नंबर भी उस एप के माध्‍यम से उसे मिलेगा. जल्‍दी ही इसकी लॉन्‍चिग हम करेंगे. मुझे लगता है कि यह देश में पहली बार होगा, जो मध्‍यप्रदेश में होने जा रहा है. (मेजों की थपथपाहट).

          अध्‍यक्ष महोदय, हमने औचक निरीक्षण की एक पद्धति विकसित की है. इसमें हर महीने की 5 तारीख और 20 तारीख को हमारे सारे चीफ इंजीनियर सड़कों पर होते हैं. उन्‍हें पहले से पता नहीं होता कि उन्‍हें कहां जाना है. 3 तारीख को एक सॉफ्टवेयर के माध्‍यम से कार्यक्रम निकलता है और हो सकता है कि उसमें सागर के चीफ इंजीनियर को झाबुआ जाना पड़े. हो सकता है कि इंदौर के चीफ इंजीनियर को जबलपुर जाना पड़े. जब वह मूव कर जाता है तो अगले दिन उसको पता चलता है. अध्‍यक्ष महोदय, मैं थोड़ा सा ही समय लूंगा.

          अध्‍यक्ष महोदय -- नवाचार बता दें, बाकी ले करने का भी विकल्‍प आप लोगों के पास मौजूद है. आप ले कर सकते हैं.

          श्री राकेश सिंह -- अध्‍यक्ष महोदय, मुझे लगता है कि ये जो जानकारियां मैं दे रहा हूँ, ये वैसे सदन को नहीं हो पाएंगी. इसलिए जल्‍दी ही मैं खत्‍म करूंगा. तो उसमें वे चीफ इंजीनियर जब जाते हैं तो अगले दिन दूसरे सॉफ्टवेयर के माध्‍यम से उनको पता चलता है कि कौन से पांच स्‍थानों पर उनको निरीक्षण करना है. जब वे वहां पहुँचते हैं, तब उनको  तीसरे सॉफ्टवेयर के माध्‍यम से पता चलता है कि उस सड़क पर कौन से स्‍थान से उनको सैंपल लेना है. उस सैंपल को भी हम क्‍यूआर कोड की सीमा में बांध रहे हैं. ताकि जब वह सैंपल लैब में जाए तो न तो इंजीनियर को पता होगा कि किस लैब में गया है और न ही कॉन्‍ट्रैक्‍टर को पता होगा कि वह सैंपल किस लैब में गया है. अभी तक इसके कारण से 16 ठेकेदारों को ब्‍लैक-लिस्‍टेड किया जा चुका है. सात इंजीनियर भी निलंबित हुए हैं. अध्‍यक्ष महोदय, ये निलंबन, ये कार्यवाही, ये अच्‍छी नहीं लगती. लेकिन कहीं न कहीं अनुशासन को बनाए रखने के लिए ये करना भी आवश्‍यक है, लेकिन इसके साथ-साथ हमने अब अच्‍छे काम का भी सम्‍मान शुरू किया है. माननीय मुख्‍यमंत्री जी के हाथों इस बार 'इंजीनियर्स डे' पर हमने अच्‍छे कार्यों के लिए भी तय किया है और जो इंजीनियर तथा ठेकेदार अच्‍छा काम करेंगे, उनकी भी घोषणा की है.

          अध्‍यक्ष महोदय, हम मोबाइल प्रयोगशाला भी हर जिले में भेज चुके हैं और ये मोबाइल प्रयोगशालाएं सभी आधुनिक इंस्‍ट्रुमेंट्स से सुसज्‍जित हैं. इसके साथ-साथ एक और विषय है. सदन के सारे सदस्‍यों की जिस बात पर चिंता रहती थी, वह है डामर की क्‍वालिटी यानि बिटुमिन. हमने निर्णय कर लिया है कि अब बिटुमिन केवल और केवल सेंट्रल रिफाइनरी, यानि इंडियन आईल कार्पोरेशन, भारत पेट्रोलियम और हिन्‍दुस्‍तान पेट्रोलियम से ही खरीदा जाएगा और वह भी, अब इसकी योजना बन रही है कि वह एक डिजिटल लॉक के साथ निकलेगा. जिस क्षेत्र में जाना है, वहां के इंजीनियर के पास एक ओटीपी आएगा, जब वह ओटीपी डालेगा, तभी टैंकर का बिटुमिन उससे अनलोड हो पाएगा तो आने वाले समय में गुणवत्ता की दृष्टि से यह महत्वपूर्ण कदम होगा.सड़कों के रखरखाव पर हमने कई नवाचार किये हैं इसके अलावा भास्कराचार्य इंस्टीट्यूट से हमने जो तय किया है उसमें लोक परियोजना प्रबंधन प्रणाली है कोई भी परियोजना प्रारंभ होगी तो उसकी निविदा से लेकर उसकी जितनी भी गति होगी और भुगतान होगा सभी कुछ उस सिस्टम के माध्यम से ही होगा ताकि समय बचे भ्रष्टाचार न हो.रोड असेट मैनेजमेंट सिस्टम के जरिये अब हम सभी सड़कों की रफनेस भी देख रहे हैं और आने वाले  समय में उसके माध्यम से ही उन सड़कों के आगे की योजना बनाएंगे इसमें सभी पुल और भवनों को भी हम शामिल कर रहे हैं. एक लोक निर्माण सर्वेक्षण मोबाईल एप बनाया है. सभी को आश्चर्य होगा कि अभी तक हमारे पास सड़कों की जो संख्या होती थी या लंबाई होती थी वह फिजिकली प्रूव नहीं थी और इसलिये अंदाज से बोला जाता था इस एप के माध्यम से हमने सारे इंजीनियरों को सड़कों पर उतारा और उसके बाद फाईनली सड़कों की संख्या आ गई है जो होना चाहिये थी और इसमें भी सड़कें हैं पुल हैं भवन हैं  इन सबका सर्वेक्षण पूरा करके आगे की कार्ययोजना में हम इसको डाल रहे हैं. पी.एम. गतिशक्ति प्लेटफार्म जिसकी बहुत आवश्यक्ता है. हम इसको शुरू कर चुके हैं. डीपीआर तैयार करने में इस पोर्टल का उपयोग भी हो रहा है. अभी-अभी दिल्ली में  पी.एम. गति शक्ति पर एककार्यक्रम हुआ था हम सभी को प्रसन्नता होगी कि उसमें मध्यप्रदेश के इस माड्यूल की प्रशंसा हुई और देश के दूसरेराज्यों को भी इसका अनुसरण करने के लिये कहा गया है. सड़कों के मामले में अब हम एरियल डिस्टेंस पर जा रहे हैं. सड़कों की दूरी कई बार मान लीजिये भोपाल से इन्दौर 180 कि.मी. है. हम भविष्य की योजनाओं में इसको डाल रहे हैं कि एरियल डिस्टेंस के आधार पर भी हम चिन्हांकित करें कि हो सकता है कि कोई रास्ता ऐसा है जिससे 130 या 140 कि.मी. में वह आ सकता है तो उसमें जहां-जहां सरकारी जमीन होगी या वन क्षेत्र नहीं आयेगा तो प्रधानमंत्री गति शक्ति पोर्टल का उपयोग करके हम उसका निर्माण सुनिश्चित करेंगे. ऐसे 6 अलाइनमेंट हमने चिन्हित भी कर लिये हैं. समय कम है इसलिये मैं उस पर नहीं जाऊंगा. देश में पहली बार मध्यप्रदेश में अब वैज्ञानिक और साफ्टवेयर आधारित किसी भी परियोजना की गणना को हम तय कर रहे हैं समय सीमा,अभी तक तो समय सीमा इंजिनियर के हाथों में होती है. वह राशि और कार्य की लागत को देखकर समय सीमा तय कर देता है लेकिन अब एक साफ्टवेयर बताएगा कि उसकी समय सीमा कितनी होना चाहिये और वह भी वैज्ञानिक आधार पर होगा. यह करने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य होगा. केपेसिटी बिल्डिंग फ्रेम वर्क पर भी हम कार्य कर रहे हैं. दो और महत्वपूर्ण चीजें बोलकर मैं नवाचार बंद कर दूंगा. एक है लोक कल्याण सरोवर,अभी तक कहीं पर भी सड़क का निर्माण होता है तो मिट्टी निकाली जाती है मिट्टी अनियोजित तरीके से निकाली जाती थी अब इसको हमने तय कर दिया है कि मिट्टी किसी एक स्थान से ही निकाली जायेगी और जहां से निकाली जायेगी उसे एक सरोवर के रूप में बनाना होगा वहां लोक कल्याण सरोवर का एक बोर्ड लगेगा जिसमें उसकी लंबाई चौड़ाई और गहराई लिखी होगी. 506 लोक कल्याण सरोवर अभी तक बनाये जा चुके हैं. इस साल हमने 600 का लक्ष्य रखा है.यह साबित करता है कि हमारी सीमाएं केवल और केवल अपने कार्य तक नहीं है. पर्यावरण और आने वाली पीढ़ियों का ध्यान हम सभी को करना होगा. इसके साथ-साथ सड़कों के किनारे रीचार्ज बोर पर हम जा रहे हैं. कोशिश है कि जहां-जहां पर भी हम बना सकें सड़कों के किनारे रीचार्ज बोर भी लोक निर्माण बनाएगा ताकि बारिश का पानी जो बहकर निकल जाता है यथासंभव वह जमीन के भीतर जाए. ट्री कटिंग के बदले ट्री शिफ्टिंग पर भी हम जा रहे हैं. इसके लिये वास्तव में एक मीटर से ऊपर के व्यास को यह तय कर लिया था. अभी माननीय उच्च न्यायालय ने कुछ निर्देश दिये हैं. उसको समाहित करते हुए हम आगे की अपनी योजना बनाएंगे. मध्यप्रदेश में पहली बार एक ट्रेनिंग कम रिसर्च सेंटर हम बनाने जा रहे हैं.यह इसकी घोषणा माननीय मुख्यमंत्री जी ने अभी कुछ समय पहले ही की है और यह ट्रेनिंग कम रिसर्च सेंटर वैसे हम कई राज्यों के ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट हैं मध्यप्रदेश में अभी तक नहीं था उनका अध्ययन कर रहे हैं लेकिन हम उसमें से किसी का भी अनुसरण नहीं करेंगे. हम देश का सर्वश्रेष्ठ ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट बनाएंगे. हमारे इंजीनियर बाहर ट्रेनिंग के लिये नहीं जाएं. बाहर के इंजीनियर उस ट्रेनिंग सेंटर में आएं उसके पीछे की सोच और योजना यही है.

अध्‍यक्ष महोदय, इसके साथ अब चूंकि लोक निर्माण विभाग तो मेरा लगभग-लगभग, करीब-करीब सारी चीजों को मिलाकर पूरा हो चुका है, लेकिन पूंजी निवेश पर मुझे 2-3 विभागों पर कुछ बोलना है. इसमें ऊर्जा विभाग में हमारा उत्‍पादन लगभग 28  हजार मेगावाट तक पहुंच गया है और हमारी जो क्षमता है पीक आवर्स में वह 18 हजार से 19 हजार मेगावाट तक है और डॉ. मोहन यादव जी के नेतृत्‍व में हम गुणवत्‍तापूर्ण कार्य करके आने वाले समय में पूरे तौर पर वैसे आज भी हम आत्‍मनिर्भर हो चुके हैं, लेकिन हम पूरे तौर पर आत्‍मनिर्भर राज्‍य के रूप में दिखाई दें, यह हम कर रहे हैं. अनेकों योजनायें हैं, अटल ग्रह ज्‍योति योजना, अटल  कृषि ज्‍योति योजना, अनुसूचित जाति जनजाति के किसानों के लिये निशुल्‍क विद्युत योजना, मुख्‍यमंत्री कृषक मित्र योजना, पीएम जन मन योजना इन सबके माध्‍यम से प्रदेश की जनता को राहत मिले और उसके साथ-साथ सबसे बड़ी बात यह है कि हमारा ट्रांसमिशन लॉस भी अब केवल 2.6 प्रतिशत तक बचा है. अध्‍यक्ष महोदय, जल संसाधन के मामले में मध्‍यप्रदेश देश में सर्वोच्‍च स्‍थान पर है और मध्‍यप्रदेश को राष्‍ट्रीय जल अवार्ड महामहिम उप राष्‍ट्रपति के द्वारा दिया गया है. 55 लाख हेक्‍टेयर सिंचित क्षेत्र आज हमारे पास में है जिसे वर्ष 2026 में हम 65 लाख हेक्‍टेयर करने जा रहे हैं और वर्ष 2028-29 तक प्रदेश की सिंचाई क्षमता को लगभग 1 करोड़ हेक्‍टेयर करने का हमारा लक्ष्‍य है. ऐसे ही नर्मदा घाटी विकास क्षेत्र में बहुत से कार्य हैं. विमानन के क्षेत्र में हम बहुत तेजी के साथ में आगे बढ़ रहे हैं क्‍योंकि इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर में विमानन सेक्‍टर की चर्चा किये वगैर यह विषय अधूरा है. अभी हमारे पास 8 नये एयरपोर्ट हो चुके हैं जो पहले मात्र मध्‍यप्रदेश में 3 हुआ करते थे. अंतर्राष्‍ट्रीय हवाई संपर्क बढ़ाने के लिये माननीय मुख्‍यमंत्री जी निरंतर प्रयास कर रहे हैं. परिवहन के विषय में उन्‍होंने अपनी बात रखी ही है, लेकिन इस पर भी मध्‍यप्रदेश यात्री परिवहन और इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर लिमिटेड का गठन कर दिया गया है. मुझे लगता है कि विस्‍तार से उदय प्रताप जी अपनी बात करेंगे तो इस बात को रखेंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय, इसके साथ ही अब मैं समापन कर रहा हूं. जितना भी हमने अभी बताया है, यह सारी की सारी जो जानकारियां सदन में दी हैं वह कागजी नहीं हैं, वह व्‍यवहारिकता के धरातल पर हैं और अध्‍यक्ष महोदय हम आभारी हैं देश के प्रधानमंत्री माननीय नरेन्‍द्र मोदी जी के जिन्‍होंने देश के विकास को एक विजन दिया और मैं आभार प्रकट करना चाहूंगा मध्‍यप्रदेश के मुख्‍यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी का कि जिन्‍होंने विकास के इन कार्यों पर हर कदम पर सहयोग दिया और आगे बढ़कर उसमें राशि की कमी न आये इस बात को तय किया है. अध्‍यक्ष महोदय, मैं इस सदन को विश्‍वास दिलाता हूं कि जितनी बातें भी नवाचारों की दृष्टि से हमने की हैं वह सारी की सारी हम पूर्ण करेंगे. लोक निर्माण से लोक कल्‍याण को साकार करने के लिये हम प्रतिबद्ध हैं. एक कविता के साथ मैं अपनी बात समाप्‍त करूंगा.

          न थके हैं पांव कभी, न ही हिम्‍मत हारी है,

                हमने देखे हैं कई दौर और आज भी सफर जारी है.

 

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इसी के साथ आपने मुझे बोलने का अवसर दिया और विकास की वह सारी बातें जो इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर और पूंजी निवेश से संबंधित हैं, वह मैं सदन को बता सका, इसके लिये हृदय की गहरा‍ईयों से आपका और पूरे सदन का बहुत आभार, बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          श्री सोहन लाल बाल्‍मीक-- माननीय अध्‍यक्ष जी, मैंने मंत्री जी के बीच में नहीं बोला. माननीय मंत्री जी से मैं निवेदन करूंगा कि छिंदवाड़ा से परासिया तक फोर लेन स्‍वीकृत करा देंगे तो आपकी मेहरबानी होगी.

          अध्‍यक्ष महोदय-- अब अगले बजट में बोलना.

          श्री अभय मिश्रा (सेमरिया)--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आज आपने अवसर दिया सभी को अवसर दिया सबसे कम हमारे हेमन्‍त भाई को समय मिला तो वह भी आधे घंटे मिला, आज आपकी कृपा के लिये बहुत-बहुत धन्‍यवाद. कल जब हम यहां आने के लिये चल रहे थे तो शाम को मंदिर में दर्शन करने गये तो पंडित जी बैठे थे तो वह कहने लगे कि हमने बताया कि दिल्‍ली से आये हैं, ट्रेन में रिजर्वेशन था तो कहा जायें न जाये, तो बोले बेटा जाओ बहुत जरूरी है. वह विज्ञापन में निकला है तो मध्‍यप्रदेश को विकसित, आत्‍मनिर्भर, समृद्ध राज्‍य बनाने के लिये चर्चा होगी उसमें यह-यह प्‍वाइंट हैं तो उन्‍होंने भी अपने दो प्‍वाइंट बनाये. एक हमारे छोटे सिंधी व्‍यापारी हैं उन्‍होंने भी जीएसटी को लेकर बताया कि इसकी बात करियेगा कि थोड़ा सा लिबरल हो, दायरा बढ़े तो सबकी कितनी उम्‍मीदें हैं.

           मतलब हम गांव के और क्षेत्र के लोगों की भावना देख रहे थे. हम इस सदन में जो कर रहे हैं या जो बाहर जा रहा है, उसके प्रति उनका कितना विश्‍वास है, हमने उनसे कहा भी कि क्‍या होगा? तो उन्‍होंने कहा कि मुख्‍यमंत्री नये हैं, अच्‍छे मन के हैं होगा और हमारे अध्‍यक्ष महोदय भी बहुत वरिष्‍ठ हैं और यहां पर लोकतंत्र का मंदिर है, यहां पर होगा,तो फिर हमें भी लगा कि होगा. अभी जबसे हम यहां पर बैठे हैं, तो हमें ऐसा लग रहा है जैसे कोई कार्यशाला आयोजित हुई है, कोई प्रजेंटेशन चल रहा है कि हमने पिछले 25 वर्षों में क्‍या-क्‍या किया है. शब्‍दों का जलपान तो कराया ही कराया है, परंतु उसमें लगता है कि शब्‍दों के जलपान में भी अच्‍छे से समझा नहीं पाये हैं, तो उसमें ओर अच्‍छे से प्रजेंटेशन के लिये ही आज यह सत्र बुलाया गया है, मुझे ऐसा प्रतीत होता है, जिसमें जो सत्‍य है, जिसको पढ़कर जो अनुभूति होती है और फिर यहां आकर जो हम कर रहे हैं, इस पर सब लोगों की नजर है और सब लोग देखते हैं कि यह हमारे बारे में क्‍या सोचते होंगे कि हम क्‍या विषय दे रहे हैं और हम क्‍या कर रहे हैं और इतने सीनियर और सब वरिष्‍ठ लोग यहां पर हैं.  

          अध्‍यक्ष महोदय, वैसे तो यह जीवन यात्रा है कहीं से आये हैं और कहीं चले जायेंगे और गुरजिएफ ने लिखा है कि ''जो हुआ है, यह होना ही था और जो आगे लिखा होगा, वह होगा ही'' हम लोग देशी भाषा में अपनी भाषा में यह कहते हैं कि "होइहिं सोइ जो राम रचि राखा"वह बात तो ठीक है, पर मन मानता नहीं है, सबसे बड़ी परेशानी इस बात की है कि हम अपने जीवन से वास्‍तव में चाहते क्‍या हैं? विधायक बन जाना, क्‍यों? क्‍या यह हमारा अंतिम लक्ष्‍य है या यह हमारा माध्‍यम है और हमारा लक्ष्‍य कुछ ओर है. हमारा कहीं न कहीं उत्‍तरदायित्‍व एक ही है. हमारा आपका हम सबका उत्‍तरदायित्‍व एक हो जाता है, जब हम विधानसभा में आते हैं और जनता के प्रति हमारा एक उत्‍तरदायित्‍व है, उनकी छोटी-छोटी सी बातों से लेकर के मूल रूप से हमारा यहां काम ही है कि हम पॉलिसी, कानून, संविधान संशोधन में अपनी भूमिका, पॉलिसी में अपनी बातें, उसके क्रियान्‍वयन में अगर कहीं गड़बड़ है, तो उसको हम देखते हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय,सदन का अगर हम समय देखते हैं, जो हम अनुभव कर रहे हैं कि अगर इसके इतने महत्‍वपूर्ण समय को छांटा जाये, तो पचास प्रतिशत से अधिक समय धर्म की और जातियों की बातों का निकलेगा. इसके बाद हमारा क्‍या काम केवल यही है कि हम ''हां'' की जीत और '''' की हार कहें. आप कुछ भी बोलें, अच्‍छा भी बोलें तो हमारा काम है कि हम उसकी बुराई करें या हम कुछ भी बोलें आप उसका उल्‍टा लेते ही हैं कि नहीं, यह नहीं है. लोग हमारे बारे में क्‍या सोचते हैं? जनता हमारे बारे में क्‍या सोचती है? यह बातें भी कभी-कभी हमको चुनना चाहिए, कौन सी बातें लेनी हैं. सदन का एक-एक मिनिट का समय कीमती होता है, कौन सी बात हम अपनी प्रेस कांफ्रेंस से करके अपनी ब्राडिंग कर सकते हैं, बता सकते हैं और कौन सी बातें यहां के लिये जरूरी है, इन बातों में भी अंतर है. अभी जब मैं यहां आया तो सुबह अगर मुझे सबसे पहले बोलने को मिलता, तो मैंने इस विषय के संबंध में इतनी अच्‍छी-अच्‍छी चीजें लिखीं थीं कि यह सराहना योग्‍य है या इससे जीवन स्‍तर में बदलाव होगा.

          अध्‍यक्ष महोदय -- समय कम है, आप विषय पर आ जायें. आप विषय पर शुरू करें, यह तो मार्गदर्शन चल रहा था.

          श्री अभय मिश्रा-- अध्‍यक्ष महोदय, इसके संबंध में हम जो बनाकर लाये थे, उसको बोलने का कोई औचित्‍य नहीं है, हम बनाकर तो लाये थे कि नवाचार क्‍या होगा? नवाचार कैसे होना चाहिए? आय हमें कैसे बढ़ानी है? कौन-कौन से उपाय हैं, जैसे हम उदाहरण के लिये थोड़ा सा आपको बताना चाहते हैं कि जैसे बिजली विभाग है. पहले तो हम यह तय कर लें कि हमें वोट के लिये काम करना है या काम से वोट पैदा करना है? यह बात अगर आपकी 25 वर्ष की सफलता से मापा जाये, तब तो यह बात क्‍लीयर है कि 25 वर्ष से जनता आर्शीवाद दे रही है, मतलब आपके काम को जनता पसंद कर रही है और आप वोट के मामले में सफल हैं, पर कभी तो आपको रूकना पड़ेगा, यह अंधी दौड़ यह सनक, यह दौड़ते-दौड़ते आपको कभी बीच में तो खड़ा होना पड़ेगा कि हम पीछे मुड़कर देखें कि हम खड़े कहां हैं और हम किस ओर जा रहे हैं. अगर हम नहीं देखेंगे तो हमारा 25वर्ष, आप खुद सोचिये कि आपको 25 वर्ष पहले यह ख्‍याल आता कि हम मध्‍यप्रदेश को किस दिशा में ले जाते, तो हम क्‍या करते, सिंगापुर वगैरह का इतिहास 35-40 वर्ष से अधिक का नहीं है, किंतु हम लगातार सत्‍ता में होने के बावजूद भी हम कहां जा पाये और अभी भी क्‍या लग रहा है कि हम जा पायेंगे? हमने यहां पर जो देखा, पढ़कर लगा और उसमें यह लग रहा था कि यहां कुछ अच्‍छी बातें निकलकर आयेंगी, जिसमें हम आय को कैसे बढ़ायें, फिजूलखर्ची को कैसे कम करें ?

          एक वह दिशा होगी कि हम इनकम बढ़ाएं, फिजूलखर्ची कम करें, जिससे हमारा कर्ज कम होगा. दूसरा और क्‍या नवाचार करें, प्रशासन में क्‍या कमियां हैं, कहां पर कौन सी गलतियां हैं, इनको लेकर के फिर इंटीग्रेटेड प्‍लान कैसे हो, पूरे मध्‍यप्रदेश का एकरूपता से विकास कैसे हो. हमारे मांगने से ही चीजें न मिलें, अभी क्‍या हो रहा है जो वर्तमान में प्रजातंत्र का परिवेश ,है इसमें तीन ही पद है पीएम, सीएम और डीएम. प्रधानमंत्री, मुख्‍यमंत्री और कलेक्‍टर. प्रधानमंत्री जी हमारे संविधान में है यूनियन और स्‍टेट लिस्‍ट में, फिर ये अपने पॉवर डेलीगेट कर देते हैं, फिर इसके बाद नीचे अपना केयरमैन होता है, यहां तक ठीक है. फिर माइक्रो मैनेजमेंट के नाम पर जब बाद में महसूस हुआ, तो पंचायती राज बना, जिसमें पंच और सरपंच इत्‍यादि की व्‍यवस्‍था की गई. पंचायती राज का महत्‍व समझिए, शहर में हम हमारी गाड़ी से निकलते हैं, अगर किसी वार्ड में कोई झगड़ा या एक्सिडेंट हो गया हो तो हम गाड़ी लेकर निकल जाएंगे, सोचेंगे अगर नाराज हुआ तो हम दूसरे मोहल्‍ले में वोट बना लेंगे, दूसरे गांव में बना लेंगे, सांसद को भी यही है, लेकिन एक पंच या सरपंच निकल जाए, नगर पंचायत वार्ड का सदस्‍य निकल जाए, क्‍योंकि उसकी छोटी सी सीमा है, उसको उतने ही बनाना है. यह जो माइक्रो लेवल का वोट है, यह बड़ा कीमती है और जब तक हम ग्राम स्‍वराज की कल्‍पना नहीं करेंगे, हम खुद को धोखा देते रहेंगे, हम जो कर रहे हैं, हमें लगता है कि हम बहुत होशियार है क्‍योंकि जनता कुछ नहीं समझती, जनता सब समझती है, पर व्‍यक्ति परिस्थितियों का दास होता है और दौर आते हैं, कभी किसी और का दौर था, आज किसी और का है, कल फिर बदलेगा और यह पूर्व जन्‍मों के पुण्‍यों से मिलता है, पुराने कर्म अच्‍छे रहे हो आज यह मिला है. आगे भी यही क्रम चलता रहेगा, लेकिन कहीं न कहीं डिलेवरी तो हमें करनी होगी. हम जनता को लौटाकर क्‍या दे पा रहे हैं, इस पर हमें जरूर सोचना पड़ेगा. जैसे हम कहते हैं कि बजट डबल होना अच्‍छी बात है, नहीं ये अच्‍छी बात नहीं, इसको अब कम करना चाहिए. जैसे उदाहरण के लिए हम उपार्जन नीति में कितना पैसा बर्वाद कर रहे हैं. किसानों के नाम पर हम जो खेल रहे हैं, उसमें कितना हमारा पैसा बर्बाद हो रहा है. लिकर कई राज्‍यों में बंद करने की कोशिश की कुछ बंद नहीं हुआ, जब तक समाज मानसिक रूप से शांत नहीं होगा, कुछ नहीं होगा. वहां नंबर 2 की बिक रही और यहां खुलेआम, तो कम से कम टैक्‍स ही कमा लो अपनी आय बढ़ा लो, बिजली के मामले में अपनी आय बढ़ाई जा सकती है, तो प्रायवेट सेक्‍टर को देना चाहिए, इस तरह से हम बार बार रिपीट करते हैं. दूसरी चीज फिजूलखर्ची में बहुत सारा चैप्‍टर है उसको लिखकर दे देना ज्‍यादा अच्‍छा है उस पर एक बार विचार करके उसको कम करना चाहिए. जैसे बस परिवहन अच्‍छी बात है. पंचायती राज में उनको एक रुपए मत दीजिए, उनके अधिकार में जो हो 100-150  माननीय मंत्री जी ने किया है. दुनिया कहां से कहां चली गई, वे वहीं हैं कम से कम उनको एक दिन की मजदूरी एक महीने में, एक बैठक जो भी आप तय कर लें, मैं निवेदन कर रहा हूं कि जब तक आप  पंच परमेश्‍वर को जिंदा नहीं करेंगे, पंचायत की समितियों को सशक्‍त नहीं करेंगे, तो नीचे बदलाव नहीं होने वाला यह मेरा निवेदन है.

          दूसरा, जैसे छिंदवाड़ा की एक घटना घटी. एक आदमी ने ब्‍याज के नाम पर चिट्टी लिखकर कैसे सोसाइट किया था, हम समय के साथ इसको भूल जाते हैं. कभी कभी कोई बात जहन में रहती है, अगर यहां उस दिशा में चर्चा होती, तो हम उस दिशा में कानून के बारे में भी बात करते. अब इंडस्‍ट्री माननीय मुख्‍यमंत्री जी लगातार प्रयास कर रहे हैं इसको लेकर, मेरा मानना है कि ये गलत दिशा में जा रहा है, क्‍योंकि इंडस्‍ट्री तो तभी संभव है, जब हम उनको ऐसी पॉलिसी देते हैं कि आओ और सरकार को लूट ले जाओ, सरकार जब लुटने को तैयार रहती है, टैक्‍स फ्री, जीएसटी फ्री, सब देंगे और बड़े शहरों के आसपास कोई आदमी हजारों करोड़ लगाकर आता है तो वह भी अच्‍छे शहर में उसके घर का कोई आदमी रहना चाहता है उस दिशा में हमारा समय चला जाएगा. एमएसएमई में हमें जरूर सफलता मिल रही है. आपके यहां एक मंत्री जी है, जिनको एक संयोग की बात है कि उनका विभाग ऐसा है कि उनकी समझ भी वैसी ही है और उसमें उन्‍होंने इतना बेहतर रिजल्‍ट दिया है, लोग कार्यालय नहीं जानते कि कहां है और अच्‍छी दिशा में बढ़ रहा है और हमारे यहां 60 प्रतिशत आबादी गांवों में रहती है. एग्रीकल्‍चर हमारा कल्‍चर है, संस्‍कार है खेती वह छोड़ नहीं सकता. व्‍यक्ति कुछ भी बन जाए, उसका दाह संस्‍कार गांव में ही होगा. उसकी आत्‍मा गांव में ही रहती है, जब खेती हम रोक नहीं सकते, तो हम छोटे छोटे उद्योग को खाद्य प्रसंस्‍करण के उद्योग को अगर हम एमएसएमई से जोड़कर के इसको हम लगातार बढ़ावा दें लगातार बढ़ाएं और हमारे किसानों को अगर मजबूत कर दें तो निश्चित रूप से हमारी एकानामी बढ़ेगी. यह कांक्रीट के जंगल, यह सड़कें, यह बड़ी बड़ी बिल्डिंग, यह सीएम राईज स्कूल, यह बड़े हॉस्पीटल उसमें ना तो डॉक्टर हैं और ना ही शिक्षक हैं. क्या करेंगे, मन को संतोष दिला दें. जब हमारे पास में टूल्स अथवा हैंड्स अच्छे नहीं हैं हम रोजगार की दिशा में कहां कुछ कर पाये, तो इस दिशा में बहुत सोचने की जरूरत है, इसको हम कैसे लाईनअप करें. इसके लिये सबसे अच्छी बात तो यह है कि मोदी जी सरकार में मैं देखता हूं कि वहां जयशंकर जैसे लोगों को लाकर के बनाया गया. हमारे पास योग्य हैंड नहीं है उतना समझने वाले तो हम अलग से आदमी को लाकर पॉलिटिक्स में सेट करके उन्होंने वह कराया . हमारे यहां पर हमें रख के ही मारना है अगर हम पढ़ा-पढ़ाया किसी और का दिया हुआ पढ़ना है. हम अपने से ही नहीं समझ सकते हैं तो फिर ऐसे लोगों को टीम में डालना चाहिये जो सरकार में रहें. कुल मिलाकर के किसी की भी सरकार आये, वह महत्वपूर्ण नहीं है. महत्वपूर्ण इस बात का है कि डिलेवरी अच्छी हो, प्रापर हो, उससे जनता सुखी हो, क्योंकि आप खुद सोचिये 437 करोड़ से 4 लाख कितने हजार करोड़ तक की यात्रा में वह भी प्रति वर्ष बढ़ते बढ़ते यहां तक हम कर्ज में पहुंच गये हैं और ऐसा क्या है कि आज से 2008 में जब देखा लाडली लक्ष्मी योजना लागू हुई उसकी बिटिया बड़ी हो गई उसकी शादी हो गई उसके बच्चे हैं हो गये हैं उनको भी लाडली लक्ष्मी मिल गई. अभी भी लोग वैसी की वैसी मजदूरी कर रहे हैं. केवल आम आदमी के जीवन स्तर पर बदलाव नहीं होगा तो फिर कैसे काम होगा. यह एक सायकिल की तरह है. हम अच्छी बात कर रहे थे इसमें मेरी तरफ से कोई भी निगेटिव बात बोली हो. हम कुल मिलाकर के यह चाहते हैं कि हम राजनैतिक लोग सभी विधायक सभी को उससे गुजरना पड़ता है. 20 परसेंट लोग मान लीजिये सत्तादारी दल के 156 विधायक हैं उसमें से 20 प्रतिशत लोग लगभग 35 से 40 प्रतिशत लोग सत्ता में व्यस्थ हैं कोई मंत्री है, कोई कुछ है, कोई समिति में है, वह व्यस्थ हैं. बाकी आपके विधायक खाली हैं. क्या वह पोस्टमेन बनने के लिये आये हैं. केवल यहां पर हां की जीत और ना ही हार करने के लिये यहां आये हैं. किसी योजना में इनकी कोई भूमिका है. अधिकारी जो बना दिये हैं उसी को लेकर के ताली बजाना है. क्या इनसे कभी कोई राय ली जा रही है. क्या हम जनता के बीच में जाकर के क्या बतायें. जनता के बीच में यह प्रेक्टिकल देखते हैं अभी यह उम्मीद थी आज का जो एक दिवसीय सत्र है. इसमें इन सब बातों पर चर्चा होगी तो उसमें कुछ सुधार करेंगे. हमें यह बात समझ में नहीं आयी. यह पांच दिन का सत्र था उसमें एक दिन छठवा क्यों नहीं कर दिया. यह अलग से सत्र चला.

          अध्यक्ष महोदयआपने सभी विधायकों की चिन्ता कर ली. आप उमंग सिंघार जी के साथ बैठकर के पॉलिसी बनाकर दो.

          श्री अभय मिश्राअध्यक्ष महोदय, आपका संरक्षण तो चाहिये ही चाहिये. आपने समय दिया धन्यवाद.

          श्री अजय विश्नोईअध्यक्ष महोदय, आज का दिन इतिहास में दर्ज करने लायक दिन है. कई बार 17 दिसम्बर आयी और चली गई. उसमें यह किसी को भी ध्यान में नहीं आया कि हमारा यह स्थापना दिवस है इसको विशेष रूप से याद करने की जरूरत है. कैलाश जी जब बोल रहे थे उन्होंने जिस तरीके से 70 साल का इतिहास सुनाया उससे बहुत से लोगों का ज्ञानवर्ध्दन भी हुआ और गर्व से छाती चोड़ी भी हुई. ऐसे मेरे को कई सत्र याद हैं जब विन्टर सत्र 17 दिसम्बर को भी समाप्त हुआ होगा. उस दिन भी उल्लेख भर हो गया कि आज हमारा स्थापना दिवस है, पर इसको शिद्दत के साथ याद इसको याद नहीं किया गया. आज आपने जो अवसर हमको सबको दिया है. सारे विधायकों को सुनने समझने का और पुरानी चीजों को याद करने का अवसर मैं समझता हूं कि बहुत सौभाग्य से हम सबको मिला है. आपको सबको इसके लिये धन्यवाद देना चाहता हूं.

आज मुझे नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विषय पर बोलने के लिए कहा गया है. विगत 10-12 सालों में जब से देश में प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेन्‍द्र मोदी जी का नेतृत्‍व हम सबको प्राप्‍त हुआ है जिस प्रकार की प्रगति हम देख रहे हैं वह चौतरफा देखने में  आ रही है .

 

3.10 बजे             सभापति महोदय(डॉ.राजेन्‍द्र पाण्‍डेय) पीठासीन हुए.

 

          सभापति महोदय, हर विषय को लेकर, हर विभाग को लेकर हर उस पहलू को जो आम आदमी से जुड़ा हुआ है उसकी चिंता करते हुए माननीय श्री नरेन्‍द्र मोदी जी ने चिंता व्‍यक्‍त की है. ऊर्जा एक ऐसी जरूरत है जिस जरूरत की तरफ ध्‍यान न जाये, ऐसा संभव नहीं था. ऊर्जा की तरफ भी माननीय मोदी जी का ध्‍यान गया, पर्यावरण की तरफ भी उनका ध्‍यान गया और इसलिए लगा कि जो हमारी कन्‍वेंशनल एनर्जी है जिसको आज हम सोलर एनर्जी, थर्मल एनर्जी कहते हैं वह थर्मल एनर्जी जिस कोयले से निकलती है उस कोयले का भी एक निश्‍चित आंकड़ा है. आज नहीं तो कल वह खतम हो रहा है. वह कोयला दिन- प्रतिदिन महंगा होता जा रहा है. उसकी बिजली दिन-प्रतिदिन महंगी होती जा रही है, तो उसको सुधारने की जरूरत है.

          सभापति महोदय, आज की तारीख में नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा पर विशेष ध्‍यान देना होगा. माननीय प्रधानमंत्री जी ने एक लक्ष्‍य लिया कि वर्ष 2030 तक हमको 500 गीगावॉट बिजली का उत्‍पादन करना है. उस लक्ष्‍य को लेकर वे आगे बढे़. स्‍वाभाविक रूप से वह लक्ष्‍य का तभी प्राप्‍त हो सकता है जब एक-एक प्रदेश उस दिशा में उनका साथ दे. मुझको आज यह कहते हुए बहुत खुशी हो रही है कि हमारे प्रदेश ने, भारतीय जनता पार्टी की पिछली सरकारों ने और अभी विशेष तौर से पिछले 2 साल में माननीय डॉ.मोहन यादव जी के मुख्‍यमंत्री नेतृत्‍वकाल में जिस तरीके से नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा पर विशेष ध्‍यान दिया है जिस तरीके से उसका लक्ष्‍य प्राप्‍त करने में सफलता प्राप्‍त की है वह वास्‍तव में आने वाले समय में मेनकाइंड के लिए एक उल्‍लेखनीय उपलब्‍धि होने जा रही है और हम पर्यावरण का भी ध्‍यान रखते हुए बिजली की जरूरतों को भी पूरा करने के लिए उस दिशा में कदम आगे बढ़ाते चले जा रहे हैं.

          सभापति महोदय, उपलब्‍धियां बहुत हैं, यानि हम 15 साल की बातचीत करें. मैं वर्ष 2010 की बात करता हॅूं. वर्ष 2010 में पहली बार मध्‍यप्रदेश में यह विभाग बना था, तब से लेकर आज 15 साल हो गए हैं. इन 15 सालों में नवकरणीय ऊर्जा की जो उपलब्‍धि है जो प्रगति है, वह 73 गुना बढ़ी है. यह अपने आप में कहने में छोटा लग रहा है पर यह इतना बड़ा आंकड़ा है कि जो शायद आसानी के साथ हम नहीं मान सकते होंगे. पर वास्‍तव में है. मैं आपको याद दिलाना चाहता हॅूं कि वर्ष 2010 में हमारे मध्‍यप्रदेश में सोलर पॉवर जीरो-जीरो मेगावाट थी, उसकी शुरूआत नहीं हुई थी, पर आज हम 5 हजार 781 मेगावॉट पर पहुंच चुके हैं. पवन ऊर्जा उस समय सिर्फ 130 मेगावॉट थी. आज पवन ऊर्जा 3 हजार 448 मेगावॉट की क्षमता हमारे मध्‍यप्रदेश में काम कर रही है. लघुजल 124 मेगावॉट और बॉयोमास 155 मेगावॉट के साथ ही अपनी भूमिका को निभाते हुए हमारे यहां के टोटल नवकरणीय ऊर्जा के उत्‍पादन को 9 हजार 508 मेगावॉट तक पहुंचा दिया है. पिछले 2 वर्षों की हम बात करें, तो 2 वर्षों में माननीय मुख्‍यमंत्री डॉ.मोहन यादव जी के नेतृत्‍व में नवीन एवं नवकरणीय योजना ने 3 महत्‍वपूर्ण नीतियां बनायीं. वह 3 महत्‍वपूर्ण नीतियां थीं, एक मध्‍यप्रदेश नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा नीति. इसमें सोलर, हाइड्रल सबको एक साथ करके एक नई नीति बनाकर दी. एक दूसरी नीति बनी, जो अपने आप में नई अवधारणा थी. मध्‍यप्रदेश पंप हाइड्रो स्‍टोरेज परियोजना नीति 2025 है और बायोमास के लिए एक अलग से नीति बनायी गई. मध्‍यप्रदेश बॉयोमास परियोजना क्रियान्‍वयन नीति 2025. जब यह नीतियां सामने आयीं, तो एक बात आम लोगों को समझ में आयी. इन्‍वेस्‍टर्स के समझ में ज्‍यादा अच्‍छे से आयी कि बहुत यह बहुत सरल प्रक्रिया वाली नीति हैं. बहुत स्‍पष्‍ट नीतियां हैं. और दीर्घकालिक स्‍थिरता देने वाली नीतियां हैं. इन्‍वेस्‍टर्स यही चाहता है और चूंकि उसके मनमाफिक नीतियां उसको बनती दिखीं, वातावरण बनता दिखा, नेतृत्‍व बनता दिखा, तो निवेशक मध्‍यप्रदेश में आकर्षित होकर मध्‍यप्रदेश की तरफ आकर्षित हुए.और उसके कारण विभिन्‍न स्‍त्रोतों पर उन्‍होंने अपना इन्‍वेस्‍टमेंट के लिए प्‍लॉन लेकर आना शुरू किया. आज हम जो नई बात कर रहे थे वह पंप स्‍टोरेज है. एक नई अवधारणा है कि कहीं नीचे पानी उपलब्‍ध है उसको जिस समय बिजली सस्‍ती मिल रही है सस्‍ती बिजली से पंप करके ऊपर पहुंचाया जाये. ऊपर एक स्‍टोरेज बने और बाद में उसको नीचे बहाकर हाइड्रल पॉवर के रूप में नई बिजली पैदा की जाये. एक यही अवधारणा थी. यह अवधारणा शायद पहली बार आयी थी पर इसका देखिए कि लोगों ने इसको हाथोहाथ लिया है. आज की तारीख में 14 हजार 650 मेगावॉट की परियोजनाएं पंजीकृत हो चुकी हैं. इनमें 3 हजार 750 मेगावॉट की योजनाएं प्रक्रियाधीन हैं..आज यदि ये सारी चीजें मैदान में आएंगी तो इसमें जो निवेश आएगा, वह तकरीबन 1 लाख करोड़ रुपये का निवेश आएगा और उसके साथ हजारों रोजगार भी लेने आएंगे, मैं इसके लिए माननीय मुख्यमंत्री जी को बधाई देना चाहता हूं कि उनकी इस नयी सोच ने मध्यप्रदेश को नयी ऊंचाइयों की ओर ले जाने का रास्ता प्रशस्त किया है. भोपाल में हम सब जानते हैं कि एक वृहद ग्लोबल इनवेस्टर्स मीट का आयोजन हुआ था और अपने आप में सफल आयोजन था, उस ग्लोबल इनवेस्टर्स मीट में यदि हम सिर्फ नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा की बातचीत करें तो 5.72 लाख करोड़ रुपये के प्रस्ताव प्राप्त हुए. आज उसमें 2.62 लाख करोड़ रुपये के प्रस्ताव पर एमओयू हो चुका है. उसमें बात आगे बढ़ चुकी है. 1.78 लाख करोड़ रुपये के एमओयू पर क्रियान्वयन प्रारंभ हो चुका है. मध्यप्रदेश के अलग-अलग कोनों में अलग-अलग योजनाओं पर कार्य प्रारंभ हो चुका है. यह सब चीजें धरती पर आएंगी तो मध्यप्रदेश में 1.85 लाख रोजगार भी स्थापित होंगे. इस तरीके से यह हम सबको एक रोजगारन्मुखी योजना के रूप में भी देखने को मिलेगी.

          मान्यवर, हम सब जानते हैं नवीकरणीय योजना स्वच्छ ऊर्जा के रूप में जानी जाती है. नवीकरणीय ऊर्जा ने हमारे मध्यप्रदेश के तरीकों से स्थापित कर दिया है कि यह सस्ती योजना भी है, सस्ती से मेरा यह अर्थ है कि थर्मल योजना के मुकाबले यह सस्ती ऊर्जा है और सरकार का खर्च नहीं हो रहा है. इनवेस्टर्स आता है, वह खर्च करता है, अपने यहां पर प्लांट लगता है और उससे जो बिजली मिलती है, उसे हम मध्यप्रदेश की जनता की सेवा में लगा देते हैं. तीसरी सबसे जो महत्वपूर्ण बात है कि बहुत कम समय में यह परियोजना बनकर तैयार हो जाती है. थर्मल परियोजना बनने में जहां 5-5, 10-10 साल लग जाते हैं, यह साल डेढ़ साल, कई बार उससे भी कम समय में हमारे पास बनकर तैयार हो जाती है.

          सभापति महोदय, मध्यप्रदेश में नीमच और रीवा से यह सोलर की यात्रा प्रारंभ हुई थी. आज यह सोलर की यात्रा परवान चढ़ चुकी है. नये नये आयाम तय कर चुकी है और यह प्रगति लगातार बढ़ती चली जा रही है. मुझे सदन को बताते हुए प्रसन्नता होती है कि आज दिल्ली की यदि मेट्रो चल रही है या भारतीय रेल चल रही है तो उसमें भी हमारे मध्यप्रदेश द्वारा उत्पादित सोलर पावर का अपने आप में एक विशेष योगदान है. उसके माध्यम से हम उनको वहां पर चला पा रहे हैं.

          एक चीज और है कि पर्यावरण की शुद्धि के दृष्टिकोण से जो हमारा कार्बन उत्सर्जन है, वह कैसे कम हो तो हमारी अभी तक की जो स्थापित योजनाएं हैं उनके माध्यम से माननीय सभापति महोदय, 60 मिलियन टन कार्बन का उत्सर्जन भी कम कर पाए हैं. यह भी एक बड़ी उपलब्धि मध्यप्रदेश सरकार के नाम पर है. अभी हमारी कुछ बड़ी बड़ी योजनाएं बनकर तैयार हुईं. जो आगर सोलर पार्क कहलाता है, आगर सोलर पार्क मेरे ख्याल से आपके पड़ोस में ही है. आगर सोलर पार्क मं 550 मेगावाट का सोलर पावर पार्क बनकर तैयार हुआ. 20 दिसम्बर, 2024 मतलब साल भर पहले ही माननीय मुख्यमंत्री जी ने उसको लोकार्पित किया है. एक और पार्क नीमच सोलर पार्क 330 मेगावाट की योजना आप बैठे हुए हैं आपके क्षेत्र में है आप जानते हैं, जावद में ही बनी है. श्री ओमप्रकाश जी कह रहे हैं कि वह जावद में ही बनी है, इसका भी लोकार्पण पिछले साल माननीय मुख्यमंत्री जी ने किया है और यदि इन्होंने याद दिलाया है तो नीमच में एक और परियोजना अभी चल रही है, कम्प्लीशन की तरफ होने वाली है, वह भी जावद में है. 170 मेगावाट की वह परियोजना है, उसमें एक और सबसे बड़ी बात आपको बताना चाहता हूं कि अभी तक देश भर में सोलर पावर की जिस रेट पर, जिस दर पर बिजली उपलब्ध होती है, उसमें सोलर पावर की परियोजना 170 मेगावाट की जावद में बनकर आ रही है वह मात्र 2 रुपये 15 पैसे प्रति यूनिट पर हमें प्राप्त होने जा रही है. यह अपने आप में एक रिकार्ड बना हुआ है. एक और रिकार्ड मध्यप्रदेश की सरकार ने नवीकरणीय योजना में बनाया है वह रिकार्ड है अपना फ्लोटिंग पावर, उसमें जो सोलर पावर है, वह अपने ओंकारेश्वर में 278 मेगावाट का प्लांट जो देश में सबसे बडा है और यह भी हमको बहुत कम दर पर इससे भी बिजली प्राप्त हो रही है. एक नयी कल्पना आई थी जो सोलर से बिजली पैदा होती है, रात के अंधेरे में उसका उपयोग कैसे होता है. जब तक बैटरी न हो तब तक आउटफ्लो नहीं होता है. सामान्य रूप से हमने देखा है कि हमारे घरों में हमने सोलर पावर लगा रखा है बैटरी भी लगी रहती है उसके द्वारा पावर आ जाता है, स्ट्रीट लाइट है वहां पर भी बैटरी के द्वारा करंट आता है. परन्तु क्या ऐसी कोई बड़ी परियोजना हो सकती है जिसमें बड़े पावर को हम स्टोर कर पाएं, ऐसी एक कल्पना मध्यप्रदेश के नवीकरणीय ऊर्जा विभाग की तरफ से और मुरैना में एक सोलर पावर प्लस स्टोरेज योजना प्रारंभ हुई है. इस 440 मेगावाट की पावर परियोजना में दिन भर में इतना पावर इकट्ठा होता है और बैटरी वहां पर इतनी लगी हुई हैं  कि बाद में रात को 4 घंटे तक उससे उसकी बिजली  की आपूर्ति  440 मेगावाट की वहां पर  की जा सकती है.  यह अपने आप में उल्लेखनीय है और  इसमें भी आपको बताते हुए  मझे खुशी हो रही है कि  यह योजना भी बड़ी सस्ती   बिजली हमको दे रही है.  सिर्फ 2 रुपये  70  पैसे यूनिट  की बिजली में हम  रात  को भी अपने आपको रोशन  रख सकते हैं.  एक सबसे ज्यादा  प्रसन्नता की  बात है कि सोलर पावर  को  जोड़ा गया है किसानों के साथ में.  किसान, जिसको हम अन्नदाता  के  रुप में जानते हैं, अब वह आज की तारीख में  ऊर्जादाता बन चुका है.  मध्यप्रदेश की हमारी इन  योजनाओं के  कारण. एक योजना   जो प्रधानमंत्री  जी के मार्गदर्शन में बनी पीएम कुसुम-अ योजना.  कुसुम  योजनाएं बनीं अ,ब,स.  उन योजनाओं ने  मध्यप्रदेश  में किस तरीके से कमाल  किया है, वह जानकारी सदन को मैं आपके माध्यम से  देना चाहता हूं.  कुसुम अ योजना जब बनी थी,  उस समय रेट तय हुआ था  3.25 रुपये  प्रति यूनिट का  और उस समय  हमने 1790   मेगावाट  की परियोजनाओं को स्वीकृति दी थी, जो  आज की तारीख में स्थापित  हो चुकी हैं.  मध्यप्रदेश  का नम्बर  हिन्दुस्तान  में जो कुसुम अ  के क्रियान्वयन में  तीसरे  नम्बर पर था, यह   हमारे लिये सफलता की बात थी.  फिर   उसके बाद में दूसरी योजना आई  पीएम कुसुम स योजना. जो अभी वर्तमान में  उसके अपने टेंडर हो रहे हैं.  उसके जो टेंडर हुए हैं,  अपनी कल्पना ऐसी है कि  करीब  4 हजार मेगावाट की  योजना  के लिये हमको परियोजना  मिलेगी, तो हम किसानों के साथ  उन  लोगों को जोड़कर  और  इसको पैदा करेंगे.  मुझको आपको यह बताते हुए खुशी  हो रही है  कि 500 निवेशकों ने  जो प्रस्ताव दिये हैं,  वह 16 हजार मेगावाट के दिये हैं.  हमारी जरुरत, हमारी कल्पना  से चार गुन ज्यादा   प्रस्ताव आये हैं  और इसके रेट भी इतने कम हैं कि  2.40 रुपये  से  लेकर 2.85 रुपये तक  वह समाहित होने वाले हैं.  इस बात ने हमको प्रोत्साहित किया है कि  आने वाले समय  में  मध्यप्रदेश की जरुरतें   पावर की जो हैं,  वह  इन सब योजनाओं से  ज्यादा अच्छे ढंग से  पूरी कर पायेंगे. एक योजना  जो  प्रधानमंत्री जी की स्वप्न  कल्पना थी.  एक थी मध्यप्रदेश कुसुम  योजना ब.   जिसमें  एक और नाम दिया गया है  पीएम कृषक   मित्र सूर्य योजना.  किसानों को कैसे  सोलर पावर का  लाभ दिया जा सकता है,  खेती में किस तरीके से लाभ दिया जा सकता है. वैसे तो कुसुम अ  और कुसुम ब योजनाएं भी  जो हैं यह छोटी-छोटी   योजना के रुप में किसान के खेत में लगेंगी 33 केवी सब स्टेशन  के पास में लगेंगी,  ट्रांसमिशन लॉस यहां पर  कम होगा.  किसान को लगातार दिन भर बिजली चाहिये, तो  दिन भर उसको बिजली मिल पायेगी. पर एक जो योजना सीधी  आई है, उसमें  उन्होंने कहा है कि जहां हम बिजली के कनेक्शन  नहीं दे पा रहे हैं, वहां हम सोलर पम्प के  माध्यम से  उनको   बिजली उपलब्ध करायेंगे.  सोलर पम्प की   इस योजना  में अभ तक   म.प्र. में 21129  सोलर पम्प  स्थापित हो चुके हैं.  इस साल मुख्यमंत्री जी ने जो एक लक्ष्य  विभाग को दिया है, उसके हिसाब से  इस साल में  50 हजार और सोलर  पम्प 50 हजार किसानों को  देने का लक्ष्य  हमारी तरफ से  रखा गया है.  अभी हम सबने सुना और देखा था कि  प्रधानमंत्री जी  ने एक चीज कही थी कि पीएम सूर्या घर    मुफ्त बिजली योजना.  यानि घर के ऊपर सोलर पावर का प्लांट  लगा  हो  और  घर के अन्दर की जो बिजली है,  वह मुफ्त में मिले.  बिजली का बिल देने का झंझट  और टंटा न रहे, यह कल्पना प्रधानमंत्री जी ने  दी.  इसको आगे बढाया है,  परवान  चढ़ाया है  म.प्र. में हमारे मुख्यमंत्री,  डॉ. मोहन  यादव जी के  द्वारा. आज की तारीख तक  292 मेगावाट की 76 हजार  घरों की छतों पर  योजनाएं क्रियान्वित  हो गई हैं  और इन योजनाओं के तहत  जो  किसान, व्यक्ति लगाते हैं,  उसको 78 हजार रुपये  तक  की सब्सिडी  म.प्र.  सरकार, केंद्र सरकार की तरफ से दी जाती है.  अब यह तय किया गया कि  घरों के छत पर तो  बिजली  लग  रही है, तो म.प्र.  के जो शासकीय भवन  हैं, शासकीय भवन के ऊपर  भी  यही सोलर पावर लगना चाहिये.  उसी कल्पना के तहत  नये टेंडर हो चुके हैं  और नये टेंडर के माध्यम से  एक एक जिले में  इस पावर  को  लेकर आने की जरुरत है.  अभी आज की तारीख तक  अपने को 15 जिलों  में  इसकी स्थापना के लिये  ओमओयू भी, लेटर ऑफ इंटेंट  जारी हो चुके हैं.  यह जो आपको ऊंची मीनार दिख रही है, यह मीनार किस नींव पर  खड़ी है,  उस नींव की चर्चा भी मैं  इस सदन के अन्दर करना चाहता   हूं.  यह 2010 में पहली बार  नया विभाग बना था.  संयोग था, सौभाग्य  था, उस समय मैं मंत्री था और मुझे मुख्यमंत्री जी ने   इस विभाग का  दायित्व सौंपा. जब हमने उसको देखा  तो लगा कि अभी नीतियों में  सुधार करने की आवश्यकता है.  तो 2011-12 में  हमने  इसकी नई नीतियां बनाई थीं.  जो नीतियां बनाई थीं, उन नीतियों में  हमने  क्या किया कि  उसको फाइनल करने के पहले  जो स्टेकहोल्डर्स होते हैं,  उनके बीच में उसको सर्कुलेट किया.  उनके साथ फिर मीटिंग की.  उनके उसमें  आपत्तियों को भी देखा,  उन आपत्तियों का निराकरण भी किया.  उसके बाद उसकी नीतियां बनीं, वह नीतियां जब बनीं तो स्टेटस होल्डर जो थे उनका इन्ट्रेस्ट मध्यप्रदेश की धरती पर आये और उसके कारण 2012 में जो इंदौर में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट हुई थी उसमें 1 लाख करोड़ से ज्यादा रूपये के एमओयू के प्रस्ताव हमारे पास में आये थे, एमओयू हुये और उन प्रस्तावो के कारण हमारे यहां पर भी तेज गति के साथ में काम पुन प्रारंभ हुआ.

          माननीय सभापति महोदय, इंदौर में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के बाद जो हमारे पास में प्रस्ताव आये तो उसी समय में हमारे जिला नीमच के जावद में सबसे बड़ा 130 मेगावॉट के सोलर पावर प्लांट का एक प्रस्ताव हम कर चुके थे वह कंपलीशन की और था, उसके बाद सबसे बड़ा नाम हम सबके बीच में आता है वह है रीवा के सोलर पावर प्लांट का, उस समय रीवा का सोलर पावर प्लांट मेरी नजर में आया और वहां पर करीब 3 हजार एकड़ जमीन दिख रही थी, और उस जमीन पर देखा तो उस पर यह लिखा हुआ था कि यह सेना को लीज पर दी गई है तो कलेक्टर ने चूंकि लीज वहां से खतम हो चुकी थी उसमें से सेना का नाम अलग करके उसको विभाग में लिया गया , पहले कल्पना थी कि उसमें एक हजार मेगावॉट का प्लान्ट लगायेंगे पर बाद में वह 750 मेगावॉ़ट के प्लांट के रूप में वह डेवलेप हुआ, सभापति महोदय, उसमें एक ओर दिक्कत थी, उस समय तक सोलर का मैगा पॉवर प्लांट नहीं होता था, उस समय थर्मल के नाम पर मैगा जोड़ा जाता था. इस बार हम लोग नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) में उस प्रस्ताव को लेकर के गये तो उस प्रस्ताव के कारण वहां के सोलर मेगा पावर प्लांट की हमको अनुमति मिली और सोलर मेगा पॉवर प्लान्ट के लिये एक नया रास्ता खुला पूरे देशभर के लिये और वहां पर हम लोग 750 मेगावॉट का एक सोलर पावर प्लांट का प्लान बना पाये जिसका लोकार्पण माननीय प्रधानमंत्री जी के द्वारा वहां पर किया गया.     

          माननीय सभापति महोदय, एक बात ओर थी कि हमको लग रहा था कि इतना सोलर पावर, नवीन और नवकरणीय योजना हम बना रहे हैं तो इतना पावर का उत्पादन होगा तो इससे उत्पादित हुये पावर को हम ले कहां जायेंगे, कैसे लेकर के जायेंगे, इसके लिये ट्रांसमीशन लाइन की जरूरत है, यदि हमको इसे दिल्ली तक पहुंचाना है तो हमको इंटर-स्टेट ट्रांसमिशन लाइन (ISTS) की आवश्यकता पड़ेगी तो उस समय हमने एक कल्पना की, कि एक ग्रीन कॉरिडोर बनना चाहिये तो ग्रीन कॉरिडोर का एक 2100 करोड़ का प्रस्ताव उस समय हमने बनाया था अब वह 2100 करोड़ रूपये के प्रस्ताव में 80x20 की बात चली तो 20 प्रतिशत राशि मध्यप्रदेश को देने की जरूरत थी उस पर माननीय मुख्यमंत्री जी से बात हुई तो उन्होंने कहा कि इसकी व्यवस्था खुद करो, तभी एक अच्छी बात यह हुई कि चूंकि हम लोगों ने 2011 में काम बहुत अच्छा किया था इसके कारण हमको दिल्ली सरकार की तरफ से नीति आयोग की तरफ से उस समय जो हमको 243 करोड़ का एक इंसेंटिव मिला, इनाम मिला तो वह 243 करोड़ जैसे ही हमारे हाथ में आये तो उन 243 करोड़ रूपये को लगाकर और हमने जो हमारी 2100 करोड़ रूपये की योजना थी उस योजना को आगे बढ़ाया उसके कारण वहां पर 440 मेगावाट के 2 सब स्टेशन बने, 220 मेगावाट के 4 सब स्टेशन बने,132 केवी की लाइन हुई और उसी के कारण हम आज की तारीख में अपनी बिजली को दिल्ली की मेट्रो तक पहुंचा पाये.

          मान्यवर, यह मजबूत नींव जो है इसी नवीनीकरण ऊर्जा की हम ऊंची इमारत की हम बात करते हैं जिसकी चर्चा मैंने पहले की है जिसको और ऊंचा करने में माननीय मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव विशेष रूप से रूचि लेते चल रहे हैं. हमारे पीएम का जो लक्ष्य है 550 मेगावाट का उसको हम पूरा करने में जो सफल हो पा रहे हैं तो उसमें पुराने इतिहास को भी साथ में दर्ज किया जाना उपयुक्त होगा. मैं समझता हूं कि आज के इस अवसर पर आपने मुझे अपनी बात को रखने का अवसर प्रदान किया आपको बहुत बहुत धन्यवाद, जय सिंह - जय भारत.

 

          डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह (अमरपाटन) -- धन्यवाद, सभापति जी. माननीय सभापति जी मैं माननीय अध्यक्ष महोदय को, आपको और सरकार को भी इस बात का धन्यवाद देना चाहता हूं कि यह जो विशेष सत्र बुलाया गया है, मध्यप्रदेश के स्थापना दिवस का भी अवसर है और विषय भी थोड़ा महत्वपूर्ण है " विकसित, आत्मनिर्भर और समृद्ध राज्य मध्यप्रदेश कैसे बने, इस पर बहुत सारे वक्ताओं के भाषण हमने सुने हैं. माननीय कैलाश विजयवर्गीय जी जब अपना वक्तव्य दे रहे थे तब मैं सदन में आया और कई अधिरथी यहां पर बोल चुके हैं महारथी का भी शायद नंबर आयेगा, मुझे भी मौका दिया मेरे दल के नेता उमंग सिंघार जी ने और विषय दिया गया है मुझे उद्योग और नवकरणीय ऊर्जा. कैलाश जी के आज बहुत ही बदले-बदले तेवर दिखे और उन्‍होंने जिस तरह से प्रशंसा की यह पूरा सदन गूंज रहा है और कई महीनों तक यह गुंजायमान रहेगा. कैलाशनाथ काटजू जी से लेकर और मोहन यादव जी तक उन्‍होंने अपनी बातें कहीं प्रशंसा की, परंतु मैं सोच रहा था कि विषय पर भी कुछ बोलेंगे. खैर खत्‍म होते-होते एकाद पॉइंट उन्‍होंने टच किए. इंदौर का वृक्षारोपण का मामला था. मैं आपकी प्रशंसा करता हूं कि आपने जो दावा किया है हो सकता है सही हो मेरे पास वास्‍तविक आंकड़े नहीं है, कैलाश जी के बगल में बैठे हैं नर्मदा पुत्र और बड़ी शिद्दत के साथ इस विषय को उठाते हैं. इनके दिलो दिमाग में रचता है, बसता है. यही वृक्षारोपण कैलाश जी, यदि आपको स्‍मरण हो नर्मदा के किनारे भी कराया गया था और वर्ल्‍ड रिकार्ड उस दिन 5 करोड़ वृक्ष लगाए जाने का बना था. अब मैं यह प्रह्लाद जी से पूछना चाहता हूं उनकी अंतर्रात्‍मा की आवाज आए, कितने प्रतिशत वृक्ष वहां जीवित हैं. मैं तो तलाशने गया था हालांकि इतना मेरा अध्‍ययन नहीं है बहुत विस्‍तृत एरिया है लेकिन वह भी एक कहानी है. हमारे कैलाश जी ने दिग्‍विजय सिंह जी और लकीर से हटकर शिवराज जी की भी आज प्रशंसा हुई. पहली बार दो वर्षों में मैं शिवराज सिंह जी का भी नाम इस सदन में सुन रहा हूं. मैं धन्‍यवाद देता हूं माननीय भाजपा के सभी सदस्‍यों को कि बड़े उत्‍साह के साथ सबने पहली बार मेजें भी थपथपाईं. कैलाश जी, आपकी उदारता बहुत प्रशंसनीय है. आपने एक बात अर्जुन सिंह जी के बारे में कही. मैं आगे और बातें कहूंगा अर्जुन सिंह जी की बड़ी उपलब्धियां हैं इस प्रदेश के लिए, लेकिन आपने यह कहा था कि अफसरों को राजनीति मैं कैसे इस्‍तेमाल किया जाए यह अर्जुन सिंह जी ने परम्‍परा डाली. अब यह बात सही है कि हम लोग नालायक शिष्‍य निकले और आप लायक शिष्‍य हैं. आप तो सीख गए हम लोग नहीं सीखे यह बड़ा विचारणीय है, मैं अपने दल के साथियों से कहूंगा किस तरह से उपयोग होता है. चाहे पंचायत के चुनाव से लेकर लोक सभा का चुनाव हो, किस तरह से मैनेजमेंट होता है क्‍या होता है आप कैलाश जी, एक इसमें कार्यशाला जरूर ले लें. लोग थोड़ा सिद्धहस्‍त हो जाएं. बराबरी की लड़ाई हो जाए इसमें क्‍या गुरेज है.

सभापति महोदय, हमारे राकेश जी कह रहे थे, राकेश जी नहीं हैं तो उल्‍लेख करना शायद उचित न हो लेकिन उन्‍होंने बहुत विस्‍तार से अपने विभाग की कार्य योजना और फिर उन्‍होंने और भी विभागों का प्रस्‍तुत किया. वह संकल्‍प पत्र की बात कह रहे थे कि आपका संकल्‍प पत्र था और हमारा जो पत्र था उसको हमने वचन पत्र कहा. मगर दोनों को साथ-साथ रखेंगे तो कम-ओ-बेश वही सारी चीजें उधर भी हैं इधर भी हैं. यहां की बातें वहां भी होती हैं, वहां की बातें यहां भी होती हैं, सब शामिल हो जाते हैं, परंतु यह भ्रम मत पालिए. राकेश जी नहीं हैं मैं क्‍या कहूं, लेकिन कहने से तो दिल मानता नहीं तो कहूंगा. माननीय सभापति जी, मैं कह दूं सिर्फ उस संकल्प-पत्र की ताकत पर आप वहां नहीं बैठे हो, इस बार आपका नंबर इधर बैठने का था. वह तो जो "1250" है उसने हम लोगों को लूट लिया. सच मानिए, मैंने बड़ा अध्ययन किया है. मैं बड़ी जिम्मेदारी के साथ कह रहा हूँ. बहरहाल हमने भी बड़ी कोशिश की, आपने भी कोशिश की, हम सरकार में नहीं थे, हम दे नहीं सके. आप सरकार में थे आपने 5-6 महीने पहले से देना शुरु कर दिया और सरकार बन गई.

          पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री प्रहलाद सिंह पटेल) -- आप बहुत अच्छा बोलते हैं और आपका अनुभव भी स्वाभाविक रुप से मुझसे ज्यादा है, लेकिन आपकी बात पर भरोसा नहीं आया, भरोसा इधर रहा. यह भी जरूरी है. कहा तो आपने "3000" का था लेकिन आपकी बातों को लोगों ने नहीं माना.

          डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह -- प्रहलाद जी, हमने भी बहुत कोशिश की थी कि आप जहां हैं वहां पर हम पहुंचें. परन्तु एक बार में 3200-3300 वोट से मैं चुनाव हार गया. वह कितना बड़ा सदन है, आपका कितना बड़ा अनुभव है. आप तो बहुत बड़े सरोवर से आए हैं भोपाल के ताल में, यह तो छोटा ही है. आपके अनुभव का क्या कहना. आप बेहतरीन वक्ता हैं. धीरे-धीरे सधे हुए अंदाज में हर बात को बड़ी बखूबी आप कहते हैं. 

          सभापति महोदय, प्रहलाद जी ने एक बात बड़ी अच्छी कही, चलिए मैं उसको विस्तार नहीं देता, मेरा समय कम हो जाएगा. राकेश जी भी नहीं हैं. सुनाते हैं तो सुनना भी चाहिए, जब मैं आसंदी पर था तो एक बार मैंने यह व्यवस्था दी थी. राकेश जी ने एक बहुत लंबी फेहरिस्त विकास कार्यों की रखी. एलीवेटेड रोड्स, एक्सप्रेस-वेस्, हाई-वेस् पता नहीं क्या क्या. मैं तो शुरु में मन ही मन गिनता रहा. जब एक लाख करोड़, डेढ़ लाख करोड़ पर आंकड़ा पहुंचने लगा तो मैं गिनती ही भूल गया. यह जो आंकड़ें हैं, विजन है, योजनाएं हैं. यह वर्ष 2030 के लिए हैं या मोदी जी का जो सपना है वर्ष 2047 का उसके लिए हैं. मैं तो समझता हूँ खिलाड़ी पीछे रह जाएगा, गेंद नेट में आगे चली जाएगी. यह ऐसा खेल है. बहरहाल उनको सफलता मिले. सफलता मिलेगी तो प्रदेश का विकास होगा. हम लोग भी हमारे क्षेत्र के लोग भी जो सब चुनकर आते हैं वे भी लाभान्वित होंगे.

          सभापति महोदय, प्रहलाद जी की बहुत मजेदार चूहे की कहानी थी. बहुत शिष्ट थी उसमें कुछ भी आपत्तिजनक नहीं था. हमारी वाली कहानी में थोड़ी सी आपत्ति हो सकती है इसलिए मैं उसको स्किप किए देता हूँ. आपको उस चूहे की कहानी अलग से सुना दूंगा.

          सभापति महोदय, मैं इस बात से बहुत प्रसन्न हूँ कि आज आपने महत्वपूर्ण विषय रखा, हम लोगों को चर्चा का समय दिया. किस तरह से मध्यप्रदेश आत्मनिर्भर, विकसित और समृद्ध बने. भला इससे किसे गुरेज़ हो सकता है. मध्यप्रदेश का ऐसा कौन-सा नागरिक होगा, हम लोगों को छोड़ दें, हम लोग चुनकर आते हैं लाखों लोगों के प्रतिनिधि हैं. कौन नहीं चाहेगा कि अपना प्रदेश विकास के शिखर पर पहुंचे. यह बहुत ही प्रशंसनीय कदम है. लेकिन काम तो सबको करना पड़ेगा, यह मानकर चलिए आपके अकेले बस में नहीं है. अगर यह समझ जाएंगे, यह बात आपके दिमाग में घर कर जाएगी कि अकेले ही आप लोग कर लेंगे तो यह संभव नहीं है. लोकतंत्र के दो पहिए हैं एक सत्तापक्ष है दूसरा विपक्ष है. आज आप चालक की सीट पर बैठे हैं, हम लोग नहीं हैं लेकिन सहयोग लेना बहुत जरुरी है. इसलिए भेदभाव की गुंजाइश मत रखिए. मैं बड़े दावे के साथ कह सकता हूं सभापति महोदय मैंने बहुत लंबे समय से सदन देखा बीच में एक दो बार नहीं थे. 1980 से देखा, भाजपा की सरकारें भी देखीं, सुंदरलाल पटवा जी की सरकार देखी, आदरणीय कैलाश जोशी जी थे. उस जमाने में कहीं भेदभाव नहीं था, लेकिन पिछले 12,15 साल से जो परिवर्तन आया है वह एक सोचनीय विषय है और यह लोकतंत्र को मजबूत नहीं करता है, कमजोर करता है और लोकतंत्र ही कमजोर हो जाएगा तो मैं समझता हूं कि हम जो बहुत सारी बातें करते हैं वह बैमानी हो जाती हैं. 80 से 85 वाला कार्यकाल मुझे याद है. मैं तब‍ विभाग का मंत्री था. पर्यावरण का और केपिटल प्रोजेक्‍ट ने बनाया था. अच्‍छी बात‍ निकली है केपिटल प्रोजेक्‍ट की वह तो खत्‍म ही कर दिया है. आप कह रहे थे बहुत सारे विभाग मास्‍टर प्‍लान यह सारी चीजें, पुराने सदन की मुझे याद आ रही हैं. अर्जुन सिंह जी मुख्‍यमंत्री होते थे और माननीय सुंदरलाल पटवा जी प्रतिपक्ष के नेता थे. क्‍या नोकझोक होती थी और पटवा जी की शैली बहुत से लोग जानते हैं, वरिष्‍ठ लोग भी बैठे हैं, नये लोग शायद न जानते हों. बड़ी तीखी शैली होती थी, हम नये सदस्‍यों को ऐसा लगता था कि क्‍या युद्ध होने वाला है, क्‍या हो गया है भाई, हां वे संसदीय मर्यादाओं का पालन करते थे, लेकिन जब बाहर निकलकर देखें तो पता चला कि पटवा जी अर्जुन सिंह जी के चेंबर में पहुंच गये. दोनों चाय पी रहे हैं, गप्‍पे लगा रहे हैं. हांलकि अर्जुन सिंह जी बोलते कम थे, सुनते ज्‍यादा थे और कभी अर्जुन सिंह जी नेता प्रतिपक्ष के चेंबर में पहुंच जाएं. मुझे यह भी याद है कैलाश जी, दिग्‍विजय सिंह जी का जमाना याद करो और अर्जुन सिंह जी का जमाना याद करो जब यह लोग मुख्‍यमंत्री थे. हम कांग्रेस के लोग तो छोड़ दीजिए, भारतीय जनता पार्टी का भी कोई माननीय विधायक, कोई बड़ा नेता उनके यहां काम लेकर पहुंच जाता था तो वह उसको कभी निराश नहीं करते थे. अगर दस काम लेकर गया तो दस के दस नहीं हो सकते थे, लेकिन दो, चार, पांच काम तो हो जाया करते थे. जब अर्जुन सिंह जी के पास कोई जाता था तो कह‍ता था कि उनको कागज दे आये वह बोले ही नहीं कुछ और उसको तीसरे, चौ‍थे दिन इतना सुखद आश्‍चर्य होता था जब उसके पास वह आदेश की प्रति पहुंच जाती थी. अर्जुन सिंह जी के काम करने की यह शैली थी. मैं माननीय मोहन यादव जी से कहना चाहता हूं कि आप लोग भी यह परम्‍परा अपनाइये, शैली अपनाइये. हम लोग शत्रु नहीं हैं, प्रतिपक्ष शत्रु नहीं होता है. हम लोगों का एक ही लक्ष्‍य है काम करने का. हम लोग भी उतने ही लोगों के द्वारा चुनकर आते हैं जितने लोगों द्वारा आप लोगों को चुना जाता है, लेकिन आज चूंकि ऐसा अवसर है, विकास की बातें, समृद्ध कैसे हो, लोकतंत्र को भी समृद्ध करने की बातें होनी चाहिएं

          सभापति महोदय-- डॉ. साहब आप थोड़ा संक्षेप में कर दें

          डॉ. राजेन्‍द्र कुमार सिंह--सभापति महोदय, अभी तो मैंने शुरू किया है.

          सभापति महोदय-- आपका समय हो गया है. समय की मर्यादा रखें.

          डॉ. राजेन्‍द्र कुमार सिंह-- सभापति महोदय, मुझे सदन में इतना कम समय कभी नहीं मिला. आपको यह नई परम्‍परा डालनी है तो आपका आदेश सिर आंखों पर.

          सभापति महोदय--कृपया समाप्‍त करें. काफी नाम हैं इसलिए मेरा आपसे आग्रह है.

          डॉ. राजेन्‍द्र कुमार सिंह-- मैंने यह जो थोड़ा बहुत लिखा है इसे पटल पर रख देता हूं. आप जैसा आदेश करें. मैं तो अनुशासन से बंधा हुआ हूं. 

          सभापति महोदय-- आप काफी अनुभवी हैं, काफी सीनियर भी हैं.

          डॉ. राजेन्‍द्र कुमार सिंह-- सभापति महोदय, मेरे नेता ने भी मुझे बहुत देर में बोलने का मौका दिया तो मैं अकेले आपसे क्‍या शिकायत करूं.

          सभापति महोदय-- यह आपकी आपस की बात है. मेरा विनम्र आग्रह है. कृपया शीघ्र समाप्‍त करें.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय-- उद्योग और पर्यावरण पर तो अभी चालू ही नहीं हुए हैं. उद्योग तो बंद ही पड़ा है. ताले लगे हैं उसमें.

          डॉ. राजेन्‍द्र कुमार सिंह-- इन्‍होंने थोड़ा बहुत कहा है तो हम शेर भी कह देते हैं. ''पतझड़ के पत्‍तों ने कहा''

सभापति महोदय, एक फर्क है जो बात हमारे विश्‍नोई जी, राकेश सिंह जी 5 मिनट में कहेंगे, उसके लिए मुझे 10 मिनट लग जाते हैं, हम पैसेंजर ट्रेन हैं, सब जनता साथ चढ़ाती चलती है, ये लोग सुपर फास्‍ट हैं, यह भी एक दिक्‍कत है, आप थोड़ा उदार बनें.

          सभापति महोदय-  फिर भी समय की मर्यादा है.

          डॉ. राजेन्‍द्र कुमार सिंह-  भाषण की गति मापने का एक मीटर बन जाये, इतने आविष्‍कार हो रहे हैं, उसे आप अपने पास रखें.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय-  पतझड़ का समय है.

          डॉ. राजेन्‍द्र कुमार सिंह-  कैलाश जी पूरा सुन लीजिये-

"पतझड़ के पत्‍तों ने कहा, मत रौंदो हमें पांव से,

कि पिछली ऋतु में, तुम बैठे थे हमारी छांव में,

इन्‍हीं टहनियों में फिर से नई कोपलें आयेंगी,

प्रदेश के गरीबों के मुस्‍तक़बिल को फिर ऊंचा उठायेंगे"       

 

(मेजों की थपथपाहट)

 

          कैलाश जी, यह तो वक्‍त-वक्‍त की बात है. अब मैं अपनी चर्चा के विषय पर आ जाता हूं. मेरे पास बहुत अच्‍छे सुझाव थे.

          सभापति महोदय-  फिर भी आपकी सारी बात आ ही गई है.

          डॉ. राजेन्‍द्र कुमार सिंह-  सभापति महोदय, आप वादा करें कि कभी और समय देंगे, आप अध्‍यक्ष महोदय से मेरी अनुशंसा करें.

          सभापति महोदय, मैं किसी प्रकार से आरोप-प्रत्‍यारोप की दिशा में नहीं जाना चाहता. जैसी कि कैलाश जी ने परंपरा डाली और सदन के माननीय सभी वक्‍ताओं ने करीब-करीब उसका पालन किया है. वर्ष 1956 में मध्‍यप्रदेश के गठन के बाद, लगभग 30 वर्षों तक कांग्रेस की सरकार रही और भारतीय जनता पार्टी की भी सरकार, मैं समझता हूं कि लगभग 24-25 वर्ष रही, भारतीय जनता पार्टी की नहीं तो उससे संबंधित पार्टियों का शासन था, आप लोग उसमें भागीदार थे, जनता पार्टी भी उसमें शामिल है, कोई बहुत बड़ा अंतर नहीं है कि हम ही हम लोगों ने शासन किया है, सब बुराइयां हम में ही हैं, सब बर्बादी हमने ही की है, बर्बादी के भागीदार आप भी हैं, आपने भी इतने समय तक शासन किया है.

          श्री रामेश्‍वर शर्मा-  आज तो दिल खोलकर तारीफ़ की गई है. आज बुराई तो किसी ने की ही नहीं है. कैलाश जी ने शुरूआत से तारीफ़ ही तारीफ़ की है.

          डॉ. राजेन्‍द्र कुमार सिंह-  मैं बुराई नहीं कर रहा हूं, एक क्रिटिकल एनालिसिस होता है, वह क्रिटिकल एनालिसिस कर रहा हूं, बुराई कहां कर रहा हूं, मैं, वैसे भी बुराई नहीं करता हूं.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय-  रामेश्‍वर जी, ऐसा कहते हैं कि-

दर्द वही देते हैं, जिन्‍हें आप अपना होने का हक देते हैं,

वरना गैर तो हल्‍का सा धक्‍का लगने पर भी सॉरी बोल देते हैं.

 

          डॉ. राजेन्‍द्र कुमार सिंह-  सभापति महोदय, आप ये सब समय भी मेरे में ही जोड़ते जाईये.

          सभापति महोदय-  आप सभी परस्‍पर चर्चा के स्‍थान पर थोड़ा सहयोग करें, आप अनुभवी हैं. बोलने वाले काफी सदस्‍य हैं, कृपया शीघ्रता से सारी बातों का समावेश कर दें.

          डॉ. राजेन्‍द्र कुमार सिंह-  सभापति महोदय, शिवराज जी ने इंडस्‍ट्रीयल मीट की परंपरा डाली थी. उसका नाम था "ग्‍लोबल इन्‍वेस्‍टर मीट" ऐसा भारी नाम था. जहां तक मेरे पास आंकड़ें हैं, उनके कार्यकाल 14 वर्षों में, लगभग रुपये 40 लाख करोड़ के पूंजी निवेश का वादा, विभिन्‍न उद्योगपतियों ने किया था. मैं आंकड़े निकाल रहा था, मैं ढूंढ रहा था कि ये रुपये 40 लाख करोड़ लोग कहां हैं ? मुश्किल से मुझे रुपये 1 लाख करोड़ से ज्‍यादा का, पूंजी निवेश मध्‍यप्रदेश में हुआ हो, ऐसा दिखा नहीं, इन 14 वर्षों में. यही कहानी अभी भी है, अभी रुपये 30.77 लाख करोड़ के पूंजी निवेश का वादा पिछले 10 इन्‍वेस्‍टर मीट में आया, इसमें पूंजी आई केवल रुपये 13 हजार 4 सौ 61 करोड़ और  57 हजार लोगों को रोजगार मिला. इसमें मुझे कोई शिकवा-शिकायत नहीं है, क्‍योंकि यह शुरूआत है. अब शुरूआत में वैसे भी थोड़ा सा वक्‍त लग जाता है. मैं आशा करता हूं कि यह निवेश बढ़े क्‍योंकि यदि यह पूंजी निवेश आता है तो निश्चित ही प्रदेश के युवाओं को रोजगार मिलेगा और प्रदेश की इकोनॉमिक ग्रोथ तेज होगी और कोशिश हमारी यह होना चाहिए कि जो एक बार वादा करता है, जो हमसे एग्रीमेन्‍ट करता है, वह हमारे यहां से न जा पाये और यह हमें किससे सीखना चाहिए ? यह हमें छोटे दुकानदार से सीखना चाहिए.  आप अनुभवी हैं, जानते हैं, देखते हैं. आप कुछ चीजें उस दुकान में खरीदने जाते हैं, तो क्‍या एक नॉर्मल दुकानदार आपको बिना कुछ खरीदे आने देता है ?  अब वह कोई बेवकूफ हो, तो उसे छोड़ देते हैं.

          सभापति महोदय - डॉक्‍टर साहब, अब आप समाप्‍त करें. आपको काफी समय हो गया है. अभी काफी सदस्‍य बोलने के लिए बाकी हैं. डॉक्‍टर साहब, समय की मर्यादा है, आपका पर्याप्‍त समय हो गया है. आप कृपया एक मिनट में पूरा कर दें.  

          डॉ. राजेन्‍द्र कुमार सिंह - सभापति महोदय, कैलाश जी का बोलने का रिकॉर्ड 45 मिनट का है. मैं सबका बता देता हूँ, मेरे पास सबका समय नोट है.  मैंने सोचा था कि इनका आधा समय तो मुझे मिलेगा.

          सभापति महोदय - डॉक्‍टर साहब, सदस्‍यों के नाम ज्‍यादा हैं. इस हेतु आपसे आग्रह है. आप थोड़ा संक्षेप में कर लें, आप एक मिनट में पूरा कर लें.

          डॉ. राजेन्‍द्र कुमार सिंह - सभापति जी, एक मिनट में कैसे पूरा होगा ?

          सभापति महोदय - डॉक्‍टर साहब, नहीं, वैसे तो आपको पर्याप्‍त समय हो गया है. आप शीघ्रता से एक मिनट में पूरा कर लें.  

          डॉ. राजेन्‍द्र कुमार सिंह - सभापति महोदय, कभी मुझे नहीं लगता कि मैंने चेयर से बैठकर ऐसा कहा है. (हंसी) ऐसा लग रहा है.

          सभापति महोदय - नहीं, ऐसा कुछ नहीं है. आप एक मिनट में पूरा कर लीजिये.

          डॉ. राजेन्‍द्र कुमार सिंह - सभापति जी, हम कितने भी उद्योग ले आएं. आज आधुनिक उद्योगों का जमाना है. आज जूम टेक्‍नोलॉजी, रोबोटिक्‍स, एआई और बहुत सारी चीजें हैं. अगर हम गिनवायेंगे, तो बहुत समय लग जायेगा. वह उद्योग हमारे प्रदेश में आने चाहिए, ''कटिंग एज'' जिसे कहते हैं. आज हमारा देश पीछे रह गया है. मध्‍यप्रदेश को छोडि़ये, आज माइक्रोचिप बनाने वाला एक भी कारखाना नहीं है, शायद अब गुजरात में एक शुरू होने वाला है. चीन कहां से कहां पहुँच गया है ? हम चीन से अपने आपको कम्‍पेयर करते हैं. हम कहते हैं कि हम 5 ट्रिलियन की इकोनॉमी बनने वाले हैं और हम तीसरे स्‍थान पर आ रहे हैं. मैं आपको बता दूँगा कि हम चौथे में थे, इस वर्ष हम पांचवें स्‍थान पर चले गए हैं, फिर जापान हमसे आगे हो गया है. जापान से हमारी दौड़ चल रही है. यह जो टेक्‍नोलॉजी है, इसको यहां आना चाहिए, इसी से हमारे नौजवानों को फायदा होगा, लेकिन इसके लिए स्किल डेवलपमेंट (कौशल विकास) बहुत जरूरी है, यह हमारी नजरों से ओझल नहीं होना चाहिए. हमारे प्रदेश में उद्योग आएंगे, दूसरे प्रांत के लड़के रोजगार ले जाएंगे और हम बैठे विलाप करते रहेंगे कि देखो स्‍थानीय लोगों को रोजगार नहीं मिल रहा है. जब स्किल्‍ड मैनपावर नहीं होगा, तो क्‍या होगा ?

          माननीय सभापति महोदय. आप यह सोच सकते हैं. कई स्‍कीमें चल रही हैं. मैं दो-तीन स्किल ट्रेनिंग तो बता देता हूँ, उनकी जो खस्‍ता हालत है, वह बता देता हूँ. आप क्षमा कीजिये, यह तो भारत सरकार की योजना है, राज्‍य सरकार वाली भी बताएंगे. भारत सरकार की बता देता हूँ. यह  स्किल ट्रेनिंग योजना है, यह ''प्रधानमंत्री इंटर्नशिप योजना'' वर्ष 2024 में शुरू की गई थी, सिर्फ आंकड़े-आंकड़े बता देता हूँ, विस्‍तार मैं नहीं देता हूँ. टॉप 500 कम्‍पनियों में 12 महीने की इंटर्नप देकर स्किल पैदा कराना, जिससे वह रोजगार पाने लायक व्‍यक्ति बन सके, यह उसका मकसद था. इसमें पांच हजार रुपये मासिक स्‍टायपेंड था, जिसमें 4,500 रुपये केन्‍द्र सरकार दे रही थी, 500 रुपये कम्‍पनी दे रही थी. इस योजना में ज्‍वाइन करने एकमुश्‍त 6,000 रुपये मिलता था, पांच वर्षों में जो लक्ष्‍य था, वह एक करोड़ लोगों को ट्रेंड करने का बहुत ही महत्‍वाकांक्षी लक्ष्‍य था, रोजगार का था. ऐसे युवा जिनकी कम पढ़ाई-लिखाई हुई है या जिनका स्‍कूल रेग्‍युलर नहीं चल रहा  है, इसमें 22 वर्ष से 24 वर्ष के युवा इसमें शामिल होने थे. वर्ष 2024-25 में इसमें 2,000 करोड़ रुपये का बजट रखा गया था, बहुत भारी-भरकम बजट रखा गया था. लेकिन लाभार्थी न मिलने के कारण इसका बजट घटाकर 380 करोड़ रुपये कर दिया गया और मात्र 74 करोड़ रुपये खर्च किये गये. मैं किसी पर आक्षेप नहीं लगा रहा हूँ. यह हमें रिविजिट करना चाहिए कि कहां पर कमी है, कहां पर गलती है, नौजवान क्‍यों नहीं ट्रेनिंग ले रहे हैं ? इसमें सुधार की बहुत जरूरत है. प्रदेश में भी हमारे स्किल डेवलपमेंट चल रहे हैं, उसकी जो उपलब्धि है, अब आप बार-बार कहते हैं तो मैं बता देता हूँ, वह भी संतोषजनक नहीं है. इतना कह दूँ, आंकड़े नहीं दूँगा.

          सभापति महोदय -- बस अब समाप्‍त करें डॉक्‍टर साहब, आपका समय ज्‍यादा हो चुका है.

          डॉ. राजेन्‍द्र कुमार सिंह -- ज्‍यादा समय नहीं हुआ है, बस दो मिनिट.

          सभापति महोदय -- नहीं प्‍लीज, उदय प्रताप जी आप तैयार रहें.

          डॉ. राजेन्‍द्र कुमार सिंह -- सभापति महोदय, बस दो मिनिट.

          सभापति महोदय -- क्षमा चाहेंगे डॉक्‍टर साहब, पर्याप्‍त समय दे चुके हैं आपको.

          डॉ. राजेन्‍द्र कुमार सिंह -- सभापति महोदय, याचना कर रहा हूँ. दो मिनिट दे दीजिए.

          सभापति महोदय -- एक मिनिट में पूरा कर लें आप, काफी समय आपको दिया जा चुका है.

          डॉ. राजेन्‍द्र कुमार सिंह -- सभापति महोदय, दिल्‍ली वाली बात तो मैं करूंगा नहीं. एक विशेष बात जो मैं कहना चाहता हूँ, वैसे बहुत से विषय हैं. लेकिन मेरा विषय रहा है. विभाग रहा है. ईश्‍वर ने पढ़ाई भी वैसी ही दी है. सभापति महोदय, एक जो मैं विशेष बात करना चाहता हूँ. वर्ष 1980 में जब आदरणीय अर्जुन सिंह जी मुख्‍यमंत्री बने थे तो उन्‍होंने एक सपना देखा था. धार को भारत का डिट्राइड, बल्‍कि भारत ही नहीं, दुनिया की ईस्‍ट का डिट्राइड बना देंगे और उनके प्रयास से, आप जानते हैं कि जब वे ठान लेते थे तो क्‍या नहीं कर पाते थे, उनके प्रयास से वहां पर बहुत सारे उद्योग लगे. उनमें जो प्रमुख उद्योग हैं, आइशर कंपनी आई, फोर्स मोटर कंपनी आई, हिन्‍दुस्‍तान मोटर्स कंपनी आई. कंपोनेंट्स बनाने वाले बहुत से उद्योग आए. माननीय कैलाश जी जानते होंगे. वहां वॉल्‍वो आया. काईनेटिक इंजीनियरिंग की स्‍थापना हुई. बॉडी बिल्‍डिंग की बड़ी-बड़ी कंपनियां, देश भर से बहुत से लोग बॉडी बिल्‍डिंग वहां पर कराते हैं. वहां पर कंपोनेंट्स का हब बना. पोरवॉल कंपनी, कैपारो कंपनी, यह स्‍वराज पाल जी कंपनी है, जो यूके के एनआरआई थे, उनका स्‍वर्गवास हो गया है. कैपारो ग्रुप है. एमएस ऑटो है. बहुत सारी और कंपनियां हैं, समय लग जाएगा. ये कंपोनेंट्स सिर्फ वहां की ऑटो इंडस्‍ट्रीज़ भर के लिए नहीं, सिर्फ भारत की ऑटो इंडस्‍ट्रीज के लिए नहीं, ये यूएसए के लिए भी एक्‍सपोर्ट करते हैं, जहां गुणवत्‍ता बहुत अच्‍छी मांगते हैं. यह वहां के ऑटो सेन्‍टर का महत्‍व है. दिग्‍विजय सिंह जी ने भी इस पर बहुत काम किया. उन्‍होंने भी इसको आगे बढ़ाया. एक चीज बड़े मार्के की है, पीडब्‍ल्‍यूडी मंत्री जी नहीं हैं, मैं बता दूं कि एक ब्रिजस्‍टोन कंपनी आई. बहुत बड़ी कंपनी है. दो-तीन और बड़ी-बड़ी कंपनी आईं, एक जो सबसे बड़ी बात है, कैलाश जी उसके गवाह होंगे. उस जमाने में राऊ पिथमपुर रोड इतनी खराब थी, इतनी कंजस्‍टेड थी, उद्योग पिथमपुर में तथा मालिकान और मैनेजर इंदौर में रहते थे. उस 17 किलोमीटर के स्‍ट्रेच में डेढ़ से दो घण्‍टे लगते थे. इतनी भीड़ रहती थी. वह प्रोजेक्‍ट दिग्‍विजय सिंह जी की सरकार ने लिया और बीओटी बेसिस पर वह बनाई गई. आईएलएफएस उसमें पार्टनर थी. तभी उसी समय गडकरी जी पुणे बाम्‍बे रोड बन रही थी, वह 178 किलोमीटर की रोड थी, बाम्‍बे का नाम था. बड़ा प्रचार-प्रसार हुआ, लेकिन इस 17 किलोमीटर की रोड को लोग भूल गए. पर महत्‍वपूर्ण बात यह है कि हमारे उस समय के नेता, भाभी बैठी हैं, मैं ऐसा कुछ कहना नहीं चाहता, लेकिन विक्रम जी ने विरोध किया था. प्रतिपक्ष के नेता थे. विक्रम जी ने कहा था, और फिर जब नेता कह रहा है तो पार्टी का स्‍लोगन बन गया था. वे क्‍या कहते थे कि रोड में चलने का भी पैसा लगेगा क्‍या और आज देखिए कितना महिमा मंडन बीओटी का हो रहा है, जाल फैला रहे हो आप, उसी स्‍कीम के तहत हो रहा है. अब आप देखें कितना बड़ा परिवर्तन हो गया है.

          सभापति महोदय -- ठीक है डॉक्‍टर साहब, आपको बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          डॉ. राजेन्‍द्र कुमार सिंह -- सभापति महोदय, कंप्‍यूटर आया था, राजीव गांधी लाए थे. कितना विरोध हुआ था.

          सभापति महोदय -- क्षमा करें अब, पर्याप्‍त समय हो गया.

          डॉ. राजेन्‍द्र कुमार सिंह -- कितना विरोध हुआ था, अटल जी सदन में थे.

          सभापति महोदय -- पर्याप्‍त समय हो गया डॉक्‍टर साहब. मोर देन सफिशिएंट समय हो गया.

          डॉ. राजेन्‍द्र कुमार सिंह -- सभापति महोदय, धन्‍यवाद तो दे दूं आपको.

          सभापति महोदय -- बहुत-बहुत धन्‍यवाद आपको.

          डॉ. राजेन्‍द्र कुमार सिंह -- आपको धन्‍यवाद.

            संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- सभापति जी, सिर्फ मैं राजेन्‍द्र सिंह जी को करेक्‍ट करना चाहता हूँ.

          डॉ. राजेन्‍द्र कुमार सिंह -- यह मेरे समय में नहीं जुड़ेगा.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय -- बिल्‍कुल नहीं जुड़ेगा, आप जब बैठ गए हैं, उसके बाद मैं बोल रहा हूँ.

          सभापति महोदय -- ठीक है.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय - सभापति जी, मैं सिर्फ राजेन्द्र सिंह जी को करेक्ट करना चाहता हूं.वाल्वो जो आई थी वह शिवराज जी मुख्यमंत्री थे और मैं मंत्री था तब आई थी उस वक्त नहीं आई थी दूसरा जितने भी उद्योग वहां थे वह बिजली और सड़क की खराबी के कारण उन्होंने अपना प्रोडक्शन दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया था और आईशर की दूसरी जगह पुणे में फैक्ट्री लगा दी और फोर्ब्स ने भी पुणे में फैक्ट्री लगा दी. उस समय बिजली और सड़क की बहुत खराब हालत थी. बिजली फैक्ट्री को मिलती ही नहीं थी और इसलिये हमारी सरकार आने के बाद हमने सड़क,बिजली को फोकस किया और आज मुझे कहते हुए गर्व है कि सबका प्रोडक्शन उस समय की तुलना में 4 टाईम,5 टाईम्स हो गया.

          श्री राजेन्द्र कुमार सिंह - माननीय सभापति महोदय,मैं मानता हूं कि कैलाश जी कि वाल्वो आईशर का उपक्रम है. उसके बाद जब आपका सुनहरा काल आया तो फिर सारी आटो इंडस्ट्रीज क्यों चली गईं आपके काल में. तमिलनाडु हब बना हुआ है आटो इंडस्ट्रीज का. कर्नाटक बना हुआ है. आंध्रा बना हुआ है. आपने समय दिया,जितना दिया उसके लिये जितना नहीं दिया उसके लिये बहुत-बहुत धन्यवाद.

          सभापति महोदय - मैंने आपको पर्याप्त समय दिया.

          श्री उदय प्रताप सिंह,मंत्री,स्कूल शिक्षा - माननीय सभापति महोदय,सबसे पहले मैं आपका आपके माध्यम से माननीय अध्यक्ष जी का, सरकार के मुखिया हमारे मुख्यमंत्री आदरणीय मोहन यादव जी का,संसदीय कार्य मंत्री,वरिष्ठ नेता आदरणीय विजयवर्गीय जी का धन्यवाद देता हूं. 17 दिसम्बर,1956 की वह एतिहासिक पृष्ठभूमि वाली वह तारीख जिस दिन इस सदन ने अपनी शुरुआत की थी मध्यप्रदेश के गठन के बाद उस शुभ दिवस को आज आपने महत्वपूर्ण दिवस के रूप में यहां परिवर्तित किया  मैं हृदय से आपका धन्यवाद ज्ञापित करता हूं. चाणक्य जी का जन्म 2300 वर्ष से अधिक समय पहले हुआ था देश में और बहुत सी चीजें ऐसी हैं जिनकी प्रासंगिकता आज भी इस युग में इतने वर्षों बाद भी है. उन्होंने कर्तव्यनिष्ठा और निष्पक्षता के लिये बड़ी महत्वपूर्ण एक बात कही थी.श्लोक के माध्यम से उन्होंने कहा था. " न स्नेहात् कृत्वा विघ्नं न द्वेषात् न च लोभतः।

न मोहत् कार्यमत्यन्तं कार्यं कार्यवदाचरेत्॥"माननीय सभापति महोदय, किसी भी कार्य को स्नेह,द्वेष,लोभ या मोह के कारण बाधित नहीं करना चाहिये बल्कि उसे केवल एक कर्तव्य के रूप में ही करना चाहिये जैसा कि वास्तव में वह उचित है. यह श्लोक बताता है कि प्रशासन को व्यक्तिगत भावनाओं से ऊपर उठकर निष्पक्षता से काम करना चाहिये.वही सरकार की मंशा भी रहती है. हमारे नेता इस देश के प्रधानमंत्री आदरणीय नरेन्द्र मोदी जी ने उसी भाव को चरितार्थ करते हुए इस देश में सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास सबका प्रयास के मूल मंत्र के साथ इस देश में उन्होंने अपने काम की शुरुआत की थी और आज हम कह सकते हैं कि 2047 जिस विकसित भारत की कल्पना उन्होंने की है इस मूल मंत्र के माध्यम से हम बहुत सार्थक रूप से बढ़ते हुए दिखाई दे रहे हैं. आज सदन के सामने मुझे कहने में गौरव महसूस होता है कि माननीय प्रधानमंत्री का विजन 2047,उसकी तरफ बढ़ता हुआ देश और उसमें मध्यप्रदेश की जो भूमिका तय होनी है. माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में समृद्ध भारत में मध्यप्रदेश की भूमिका क्या होगी उसको बहुत विस्तारपूर्वक पिछले दो वषों के कार्यकाल में उसको उन्होंने प्रतिपादित किया है. चूंकि मैं शिक्षा विभाग देखता हूं तो स्वाभाविक रूप से दुनिया के विख्यात शिक्षा शास्त्री भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन की एक बात हमें याद आती है कि शिक्षक वह नहीं है जो छात्र के दिमाग में तथ्यों को जबरन डालने का काम करे जबकि वास्तविक शिक्षक वह है जो आने वाली कल की चुनौतियों के लिये उस बच्चे को तैयार करे. इस भाव के साथ 2020 नई शिक्षा नीति इस देश में आई और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 21 वीं सदी की जरूरतों के मुताबिक बनाई गई है उसी के आधार पर हमने अपने विभाग को,चाहे उच्च शिक्षा विभाग हो,तकनीकी शिक्षा हो,कौशल विकास की जो हमारी योजनाएं हैं उनको हमने उसी तरह से आगे बढ़ाने का काम किया है. तकनीकी आधारित शिक्षा में डिजिटल शिक्षा को भी महत्व दिया है. हमारे मुख्यमंत्री जी स्वयं शिक्षाविद् हैं पहले उच्च शिक्षा मंत्री रहे हैं. वह एक चीज और कहते हैं कि बच्चों को को पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम जी का वह संदेश हमको बच्चों तक पहुंचाना चाहिये जिसमें वह कहते हैं कि सपने वह नहीं होते जो आप सोते समय देखते हो बल्कि सपने वह होते हैं जो आपको सोने नहीं देते अगर बच्चा इस तरह के सपनों को आत्मसात करते हुए अपने भविष्य को गढ़ने का काम करेगा मुझे लगता है उस क्लास के अंदर आखिरी बेंच में बैठे हुए उस बच्चे को जो हमारा शिक्षक संवार रहा है. आज पूरी तल्लीनता और संजीदगी के साथ इस काम में लगा हुआ है.

माननीय सभापति महोदय, सदन के माध्‍यम से राज्‍य की शिक्षा व्‍यवस्‍था चाहे स्‍कूल शिक्षा हो, उच्‍च शिक्षा हो, तकनीकी शिक्षा हो, कौशल विकास के माध्‍यम से बच्‍चों को दिये जाने वाले ट्रेनिंग प्रोग्राम हों, विस्‍तार से आपके समक्ष रखना चाहता हूं. जब हम अतीत की बात करते हैं, मध्‍यप्रदेश की स्‍थापना को हम याद करते हैं तो स्‍थापना के अवसर पर प्रदेश की साक्षरता दर 21.41 प्रतिशत थी, आज लगभग 75 प्रतिशत साक्षरता दर हमारी पहुंची है और यह इसलिये संभव हुआ कि समय, काल और परिस्थितियों के हिसाब से सरकारों ने लगातार शिक्षा में गुणवत्‍ता, सुधार, निवेश और प्रतिबद्धता का जो एक स्‍पष्‍ट उदाहरण है जो इसमें परिलक्षित होता है. वर्ष 2003-04 में हमारे जैसे पूर्व वक्‍ताओं ने कई बार कहा है कि जब तक हम तुलना नहीं करेंगे तब तक चीजें हमारे सामने नहीं आतीं. वर्ष 2003-04 में प्रदेश में 4495 हाईस्‍कूल और 4211 हायर सेकेण्‍डरी स्‍कूल थे जिसमें कक्षा 9 से 12 तक केवल 18 लाख 79 हजार विद्यार्थी अध्‍ययनरत थे. आज वर्ष 2025-26 में साढ़े 22 लाख विद्यार्थी इन कक्षाओं में अध्‍यनरत हैं. पिछले 2 दशकों में 46 से 70 माध्‍यमिक शालाओं का हाईस्‍कूल में और लगभग 2 हजार हाईस्‍कूलों का हायर सेकेण्‍डरी में हमारी सरकारों ने उन्‍नयन किया है और नई शिक्षा नीति में जो प्रावधान है कि बच्‍चे को हर हाल में शिक्षा देना राइट टू एजूकेशन की हमारी जो मंशा है कि बच्‍चे को शिक्षा देना और ऐसी शिक्षा कि बच्‍चा अपने भविष्‍य को गढ़ने में उस शिक्षा का योगदान हो, उसमें सरकार ने अलग-अलग तरह से बच्‍चों की पढ़ाई में मदद करने का काम किया है. मैं आपके माध्‍यम से सदन को बताना चाहता हूं कि हमारी एक बड़ी महत्‍वपूर्ण योजना है जिसमें हम बच्‍चों को सायकिल देने का काम करते हैं. जब इस योजना की शुरूआत वर्ष 2004-05 में तत्‍कालीन सरकार ने की थी उस समय 34 हजार साइकिल इस प्रदेश में वितरित की गई थीं. मुझे बताते हुये गर्व है कि हमारे माननीय मोहन यादव जी के नेतृत्‍व में हमारी सरकार ने इस साल 4 लाख 90 हजार बच्‍चों को साइकिल देने का काम किया है और हमने समय पर इस काम को किया है. ऐसा नहीं है कि सेशन हमारा अप्रैल में चालू हो रहा है और हम दिसम्‍बर में जाकर दें. मैं आपके सामने कहना चाहता हूं कि लेपटॉप योजना का शुभारंभ वर्ष 2009-10 में जब तत्‍कालीन सरकार ने इस योजना का शुभारंभ किया 473 बच्‍चों को लेपटॉप दिये गये थे आज पूरे प्रदेश में हमने 94 हजार 300 बच्‍चों को लेपटॉप देने का काम किया है और समय पर किया है. हमारी पुस्‍तक वितरण की जो योजना है जब इसकी शुरूआत हुई थी. आरटीई एक्‍ट के बाद 1 लाख 20 हजार बच्‍चों को हमने आरटीई के तहत पुस्‍तक फ्री में वितरण करने का काम किया था. आज लगभग 22 लाख बच्‍चों को हम सिलेबस देने का काम फ्री में करते हैं और अप्रैल में जब एकेडमिक सेशन चालू होता है उसके पहले हफ्ते में करते हैं. हमारी 2 साल की इस सरकार की कार्यपद्धति का प्रमाण आपके सामने में देने का प्रयास कर रहा हूं. हमारी एक और महत्‍वपूर्ण योजना है स्‍कूल के टॉपर्स को हम स्‍कूटी देने का काम करते हैं. इस योजना में अभी तक हम 23454 बच्‍चों को स्‍कूटी देने का हम लोग काम कर चुके हैं. आरटीई का पैसा हम डीबीटी करते हैं, एक सिंगल क्लिक पर हम सारे प्राइवेट स्‍कूल को आरटीई का पैसा देते हैं जिसकी सेकड़ों, करोड़ों रूपये की राशि है. हम गणवेश का पैसा डीवीटी के माध्‍यम से देते हैं जिसमें हम परिवर्तन करते. आगामी समय में सिलाईयुक्‍त, गुणवत्‍ता पूर्ण गणवेश हम बच्‍चों को देने वाले हैं. निजी विद्यालयों में पुस्‍तकों का बड़ा संकट रहता था और हमारे माननीय सदस्‍य चाहे पक्ष के हों या विपक्ष के हो, हमेशा आरोप लगाते थे कि सिलेवस यूनीफॉर्म आदि में प्राइवेट इंस्‍टीट्यूशन काफी दखल देते हैं और बच्‍चों का आर्थिक शोषण करते हैं. मुझे इस बात को बताते हुये खुशी है कि आगामी सत्र से हम शासकीय प्रेस से छपवाकर प्राइवेट स्‍कूल के लिये भी हम जनपद मुख्‍यालयों के स्‍तर पर हम बुक शिविर लगायेंगे और मुझे बताते हुये खुशी है कि जो तीन -तीन, चार-चार हजार रूपये में हायर सेकेण्‍डरी लेवल का सिलेबस मिलता था, अब हमारी सरकार उसे पांच सौ रूपये से कम दर में प्रायवेट इंस्‍टीट्यूशन्‍स के बच्‍चों को भी देने का काम करेगी.

          सभापति महोदय, हम लोग संस्‍कृत, वैदिक और यौगिक संस्‍थान भी बनाने का काम शुरू करने वाले हैं, जिस तरह से भारत सरकार द्वारा उज्‍जैन में एक सांदीपनि विद्यालय के माध्‍यम से संस्‍कृत विज्ञा अध्‍ययन बच्‍चों को कराया जाता है, इसी प्रकार राजगढ़ और नरसिंहपुर में संस्‍कृत, वैदिक और यौगिक सारी चीजें एक ही संस्‍थान के अंदर बच्‍चों को शिक्षा उपलब्‍ध होगी, उस पर हम काम कर रहे हैं. हम काफी आगे बढ़े हैं और आगामी वर्षों में सरकार की प्राथमिकता होगी कि वित्‍तीय प्रबंधन के साथ लगभग हर जिले में इस तरह का एक संस्‍थान हो, इस बात के लिये भी सरकार प्रतिबद्ध है.

          सभापति महोदय, इन दो वर्षों में इस प्रदेश के शिक्षकों ने इस प्रदेश के अधिकारियों, कर्मचारियों, हमारे जनप्रतिनिधियों ने बहुत मेहनत की है. अप्रैल माह में जो बच्‍चों के प्रवेश का समय रहता है, पहली बार हम लोगों ने प्रवेश उत्‍सव आयोजित किया है, पाठ्यपुस्‍तकें समय पर वितरित की हैं, कक्षा एक,: और नौ में प्रवेश की जो प्रक्रिया है, उसको हम लोगों ने सरल किया है, विकेंद्रित किया है कि छठवीं क्‍लास में बच्‍चा अगर एडमीशन करवाने जायेगा, तो पांचवी से निकला उनका जो प्राचार्य है, उसकी यह जिम्‍मेदारी होगी कि वह मिडिल स्‍कूल तक उसको छोड़ने जाये, हाईस्‍कूल में जब उसका एडमीशन होगा, तो मिडिल स्‍कूल के प्राचार्य की यह जिम्‍मेदारी होगी कि हाईस्‍कूल तक वह उस बच्‍चे को छोड़ने जाये, इससे हमारा ड्राप आउट भी घटा है और हमारे बच्‍चों की पढ़ाई का जो स्‍तर है, उसमें भी सुधार हुआ है और एनरॉलमेंट रेट भी बढ़ी है.

         

          सभापति महोदय, हमने बच्‍चों को समग्र आई.डी. से जोड़ने का काम भी किया है, 90 प्रतिशत बच्‍चों की हम अभी तक ट्रेकिंग कर चुके हैं. सभापति महोदय, बिल्डिगों का रखरखाव और इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर की बड़ी बड़ी बातें पूरे प्रदेश में होती हैं और यह स्‍वाभाविक रूप से हमारी भी चिंता का विषय है. पहली बार हमने जिलों को मरम्‍मत और रख रखाव के लिये प्रत्‍यक्ष रूप से निधि प्रदान की है और 15 हजार अतिरिक्‍त कक्षों की आवश्‍यकता हेतु हमने डी.पी.आर. तैयार की है. आगामी तीन वर्षों में विद्युत शौचालय, भवन और बाउंड्री वॉल से जुड़े सभी जो हमारे गेप हैं, उसको पूर्ण करने का लक्ष्‍य हमारी सरकार कर रही है.

          सभापति महोदय, हमारे शिक्षकों की उपलब्‍धता के संबंध में भी मैं आपके माध्‍यम से बताना चाहता हूं कि हमारे 30 हजार 281 शिक्षक पदों पर भर्ती की प्रक्रिया हमने चालू की है. आगामी समय में हम लगभग तीस हजार नये शिक्षक भर्ती के माध्‍यम से इस प्रदेश में हम देने वाले हैं. हमने 75 हजार के आसपास अतिरिक्‍त शिक्षकों की नियुक्ति की है. अतिथि शिक्षक पहले काफी देर से लगाये जाते थे. हमने पिछले वर्ष व्‍यवस्‍था की है कि जुलाई फर्स्‍ट वीक में अतिथि शिक्षक स्‍कूल को ज्‍वाईन करें, इस साल हम एक कदम और आगे जा रहे हैं और अप्रैल के महीने में जब हमारा स्‍कूल का सेशन चालू होता है, उस समय अतिथि शिक्षकों को हम ज्‍वाईन करवायेंगे और एक व्‍यवस्‍था हमने ओर की है कि पहले अगर शिक्षक छुट्टी पर जाता था, तो क्‍लास खाली रहती थी, लेकिन अब एक दिन के लिये भी अगर शिक्षक छुट्टी पर जायेगा तो प्रधान पाठक के पास यह अधिकार होंगे कि वह एक दिन के लिये अतिथि शिक्षक को नियुक्‍त करें, ताकि बच्‍चों का समय खराब न हो, समय का सदुपयोग हो, इस बात के लिये हम लोगों ने निर्देश जारी किये हैं.

           सभापति महोदय, 20 हजार से अधिक अतिशेष शिक्षकों का हमने युक्तियुक्‍तकरण किया है. फेस एनेबल्‍ड, हमारी  आधार आधारित शिक्षक उपस्थिति प्रणाली हम लोगों ने लागू की है, हम लोगों ने एक ऐसा मैकेनिज्‍म डेव्‍हलप किया है, जिससे शिक्षक अपनी उपिस्‍थति तो डालता ही है, साथ ही उसकी किसी भी तरह की विसंगति, समस्‍याएं, छुट्टी आदि का कार्य यदि‍ कोई है, तो वह उस ऐप के ऊपर जाकर, उसका भी निराकरण करने के लिये आग्रह कर सकता है.

          सभापति महोदय, शिक्षकों का सम्‍मान करने के लिये हम लोगों ने नीति बनाई थी, पहले 14 शिक्षक कहते थे कि मैं सर्वश्रेष्‍ठ हूं, उनको यहां लाकर ईनाम दिया जाता था, हम लोग प्रयास कर रहे हैं कि एक हमारा आर्गनाईजेशन जो है, वह तय करेगा कि कौन सा शिक्षक सर्वश्रेष्‍ठ है? जो अच्‍छा शिक्षक है, वह स्‍वयं कभी नहीं कहता है कि मैं सर्वश्रेष्‍ठ हूं, यह हमें मैकेनिज्‍म डेव्‍हलप करना पड़ेगा, हमें कुछ व्‍यवस्‍था तय करना पड़ेगी, जिसमें श्रेष्‍ठतम शिक्षकों को हम निकालकर लायें और उनका मान, सम्‍मान जो माननीय हमारे गर्वनर साहब से और हमारे चीफ मिनिस्‍टर साहब से हम लोग जो पांच सितंबर को उनका सम्‍मान करते हैं, उसमें करें. इस संख्‍या को प्रदेश भर में 14 से बढ़ाकर हम 100 पर ले जाने का काम कर रहे हैं. प्राथमिक का बेहतर शिक्षक अलग, मिडिल स्‍कूल का अच्‍छा शिक्षक अलग, हाई स्‍कूल का अच्‍छा शिक्षक अलग, हमारी नई शिक्षा नीति के हिसाब से मापदंडों के आधार पर जो अच्‍छे शिक्षक बनेंगे, उन सर्वश्रेष्‍ठ शिक्षकों को भी हम सम्‍मानित करेंगे. हमने इस वर्ष 19 हजार शौचालयों को क्रियाशील करने के लिये पैसा दिया है, उसमें से 90 प्रतिशत पर काम चल रहा है, हम लोगों ने पांच हजार से ज्‍यादा स्‍कूल भवन में इलेक्‍ट्रीफिकेशन के लिये पूरा पैसा एम.पी..बी. को दिया. हमने हमारे तीनों जो एम.पी..बी. के सेक्‍टर हैं, उनको पैसा प्रदान किया है और मार्च 2026 इसकी डेडलाईन है.

          हर स्‍कूल में, हर हाल में इलेक्ट्रिफिकेशन का काम पूरा हो मार्च, 2026 तक हो, इस पर हम काम कर रहे हैं. 325 स्‍कूलों में 1725 अतिरिक्‍त कक्ष देने का भी हमने काम किया है. जब बच्‍चे अच्‍छा करते हैं, वही इस बात का प्रमाण होते हैं कि सरकार और विभाग अच्‍छा काम कर रहा है. कक्षा दसवीं का पहले हमारा परिणाम 56 प्रतिशत होता था, इस बार बढ़कर 74.56 हुआ है. 12 वीं का हमारा 63 प्रतिशत था, बच्‍चों के परिश्रम और शिक्षकों के समर्पण के कारण 76.22 प्रतिशत हुआ है. हम हिन्‍दुस्‍तान के दूसरे राज्‍य है, जिसने नई शिक्षा नीति के सेकेण्‍ड एग्‍जाम का जो कॉन्‍सेप्‍ट है, हमारा प्रदेश देश का दूसरा राज्‍य है जिस पर हमने काम किया है. हमारी दूसरी परीक्षा जून के महीने में करवाई है. राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति, उसके क्रियान्‍वयन के लिए हमने टॉस्‍ट फोर्स बनाई है, राज्‍यपाठ चर्या की रूप रेखा तैयार कर रहे हैं. हमारा साक्षरता का कार्यक्रम चलता है, उल्‍लास नव भारत का हमारा लक्ष्‍य 42 लाख लोगों को साक्षर करना  था. हमने उस लक्ष्‍य को पूरा करते हुए 62.6 लाख की उपलब्धि हासिल की है. मैं यह भी कहना चाहता हूं कि विगत दो वर्षों में हमने एक मजबूत नींव रखी है, अब हमारा संकल्‍प एक शिक्षा को केन्‍द्र में रखकर ..

          श्री सोहन लाल बाल्‍मीकी सभापति जी, मैं आपका ध्‍यान दिलाना चाहता हूं कि ये जो आंकड़े बता रहे हैं, ये एक प्रजेंटेशन तरीके का है, हम लोग आत्‍मनिर्भर, विकास और समृद्धि की ओर जा रहे हैं तो उसमें क्‍या होगा, वह संक्षिप्‍त में बता दें तो ठीक रहेगा.

          सभापति महोदय वे दोनों बातें रख रहे हैं.

          श्री उदय प्रताप सिंह मैं, उसी पर आ रहा हूं. आप चिन्‍ता मत करो, इसलिए मैं आपको तारीख और डेडलाइन भी बता रहा हूं, जब हम तारीख बताएंगे तो उससे मुकर नहीं पाएंगे. मैं इस सदन की महत्‍ता और गरिमा को अच्‍छी तरह से जानता हूं 32 से 34 साल के सार्व‍जनिक जीवन में इस बात का अहसास है कि क्‍या बोलना है और क्‍या नहीं बोलना है.

          श्री उदय प्रताप सिंह सभापति महोदय, हमारा संकल्‍प है शिक्षा को केन्‍द्र में रखकर वर्ष 2047 का जो हमारा सपना है विकसित मप्र का, उस सपने को साकार करना है, हम नई शिक्षा  नीति पर काम कर  रहे हैं, सांदीपनि विद्यालय बनाने जा रहे हैं और विद्यालय बनाने जा रहे हैं. हमारी आठ विधान सभा ऐसी थी, जहां पर सांदीपनि विद्यालय नहीं बने थे, हमने उनको भी कव्‍हर किया है, सारी विधान सभाओं में हम सांदीपनि विद्यालयों का निर्माण कर रहे हैं. हम स्‍कूलों का उन्‍नयन करने जा रहे हैं. हम छोटे सांदीपनि स्‍कूल विकसित करें, उनको बहुत बड़े मोड पर न जाए उस पर भी हम काम कर रहे हैं. हमने पूरा प्रोग्राम बनाया है, अगर हम विकसित मप्र की बात कर रहे हैं तो हमने उसकी तैयारी भी की होगी, खोखली बातें करेंगे तो वहां (विपक्ष में) बैठे मिलेंगे. इसलिए हमको हर हाल में मजबूत और स्‍थायी बात करनी पड़ेगी, यदि हमें यहां रहना है तो.

          सभापति जी आपके माध्‍यम से बताना चाहता हूं कि जीर्णशीर्ण शाला भवन, हमें 1824 भवन की आवश्‍यकता है, हम 450 स्‍कूल 2025-26 में पूरा करेंगे, हमारा 1390 भवन का जो गैप है उनको आगामी तीन वर्षों में पूरा करने का काम करेंगे. भवन मरम्‍मत के लिए हमने 30 हजार स्‍कूल निकाले हैं, उसमें से हम साढ़े पांच हजार वर्ष 2025-26 में करेंगे और अगले तीन वर्ष में भवनों की मरम्‍मत पूरी करके, ऐसा कोई भवन नहीं होगा जिसके मरम्‍मत की राशि हम नहीं दे पाएंगे. मप्र के अंदर आज भवन विहीन 450 शालाएं हैं, इस वर्ष हमने 230 को लिया है और 203 को आगामी वर्ष में लेकर इस काम को हम एक वर्ष के बाद पूरा करेंगे. जो बालक शौचालय है 2714 की आवश्‍यकता है, हमने इस साल 332 भवन लिया है और जो 2382 का गैप है उसे वर्ष 2026-27 में हम उस गैप को खत्‍म करने का काम करेंगे. बालिका शौचालय 2632 की आवश्‍यकता है, इस साल हमने 350 दिया है 2289 के गैप को वर्ष 2026-27 में उसकी पूर्ति करने का काम करेंगे. जैसे हमने बताया है इलेक्ट्रिफिकेशन पर हम काम रहे हैं. फर्नीचर कक्षा छटवीं से आठवीं, 58 हजार 988 फर्नीचर की हमें आवश्‍यकता है. 37800 हम इस साल दे चुके हैं, 21 हजार फर्नीचर का जो गैप है वह अगले साल 100 फीसदी हमारे 628 स्‍कूल में फर्नीचर हाईस्‍कूल में पहुंच जाएंगे, कोई संख्‍या बकाया नहीं रहेगी, इस पर हमारी सरकार काम कर रही है.

          इस प्रदेश में कौशल विकास में अनेक काम हुए हैं. आज आईटीआई में 94.5 प्रतिशत एडमिशन हुए हैं. आज हमारे यहां पिछले वर्ष के मुकाबिले आईटीआई में 8 परसेन्ट की हमारी वृद्धि हुई है. हमारे न्यू ईयर कोर्सेस हैं जो नये बच्चे पसंद करते हैं उन कोर्स को हम लोगों ने शामिल किया है. महिला प्रशिक्षणार्थियों को प्रवेश इस बार बढ़कर 12 हजार 169 हो गया है. जो 2024 में लगभग साढ़े 9 हजार था. 8 राज्यों से विद्यार्थी मध्यप्रदेश में आईटीआई करने आ रहे हैं पिछले दो सालों से अगर आईटीआई स्ट्रेंथ सेंटर मजबूत नहीं हुआ होता तो बाहर के बच्चे यहां पर नहीं आते. बाहर के बच्चे मध्यप्रदेश में पढ़ने के लिये आ रहे हैं यह इस बात का प्रमाण है कि हमारे यहां की व्यवस्थाएं पहले से बेहतर हुई हैं. साथ ही युवा संगम के माध्यम से जिला प्रशासन द्वारा आईटीआई बच्चों के प्लेसमेंट भी किये जा रहे हैं. मध्यप्रदेश के दो जिले राजगढ़ और बालाघाट ने इसमें बहुत अच्छा काम किया है. लगभग 2 हजार बच्चों को प्लेसमेंट के माध्यम से इंडस्ट्रीज में ट्रेनिंग प्रोग्राम के तहत उनको बाहर भेजा है. यह डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन और हमारे जो जनप्रतिनिधि हैं उनके सामूहिक प्रयास से यह संभव हुआ है. हम लोग ग्लोबल स्किल पार्क में वर्तमान में लॉग टर्म कोर्सेस में 1 हजार प्रशिक्षणार्थी मध्यप्रदेश में प्रशिक्षण ले रहे हैं. शार्ट टर्म में भी कोर्सेस में भी 1 हजार प्रशिक्षणार्थी हमारे यहां पर प्रशिक्षण ले रहे हैं और अगले तीन वर्षों में 6 हजार लोगों को प्रशिक्षित करने का हमारा लक्ष्य है. 20 वर्षों में प्रदेश में आईटीआई की संख्या 133 से बढ़कर 290 हो गई है. आदरणीय राजेन्द्र सिंह जी चले गये उन्होंने कहा था कि हमको कहीं न कहीं तय तो करना पड़ेगा 20 वर्ष पहले हम कहां थे और आज हम कहां खड़े हैं. आईटीआई आज 133 थीं आज 290 है. पहले कुल सीटों की संख्या 11 हजार थी आज 52 हजार सीटों की संख्या है. यह बढ़ते हुए मध्यप्रदेश का स्पष्ट उदाहरण आपके सामने है. आईटीआई में 1 लाख 25 हजार बच्चे शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं. छत्तीसगढ़ बिहार के बच्चे हमारे यहां पर पढ़ने के लिये आ रहे हैं. डिप्लोमा पाठ्यक्रम में भी 12 वीं के समतुल्य घोषित किये जाने तथा पालिटेक्निक महाविद्यालयों में प्रवेश के लिये व्यापक जागरूकता अभियान संचालित किये जाने के परिणामस्वरूप शैक्षणिक सत्र 2025-26 में पॉलिटेक्निक कॉलेज में 21.38 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है. पॉलिटेक्निक कॉलेज लगातार बंद हो रहे थे, इंजीनियरिंग कॉलेज लगातार बंद हो रहे थे. लेकिन सरकार की मेहनत के उपरांत उस पर दोबारा से एडमीशन की ग्रोथ देखी जा रही है. मुख्यमंत्री मेघावी विद्यार्थी योजना के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2024-25 में 78 हजार से अधिक बच्चों को साढ़े सात सौ करोड़ रूपये वितरित करने का काम हमारी सरकार ने किया है. मुख्यमंत्री जन कल्याण योजना के अंतर्गत लगभग 14 हजार बच्चों को 15 करोड़ रूपये की राशि देने का काम भी हमारी सरकार ने किया है. 1947 में मध्यप्रदेश में केवल एक इंजीनियरिंग कालेज था आज बढ़कर उनकी संख्या 138 हो गई है. 2003 में मध्यप्रदेश में शासकीय क्षेत्र के अंतर्गत केवल 42 पॉलिटेक्निक कॉलेज थे आज उनकी संख्या बढ़कर 68 हो गई है. वर्तमान सत्र में तकनीकी शिक्षा विभाग ने ऑन लाईन काऊसिंलिंग के माध्यम से जो एडमिशन किये हैं उसमें 25.99 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई.

4.22          {अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए}

माननीय अध्यक्ष महोदय, इस बात का प्रमाण है कि विभाग और सरकार लगातार सबका साथ सबका विकास और सबके प्रयास के मूल मंत्र के साथ आगे बढ़ रही है. हमारे उच्च शिक्षा विभाग में शिक्षा किसी भी समाज की रीढ़ होती है. उच्च शिक्षा वह शक्ति है जो युवाओं को केवल रोजगार ही नहीं बल्कि दृष्टि, दिशा और नेतृत्व प्रदान करती है. मध्यप्रदेश में आज उच्च शिक्षा ऐसे परिवर्तनकारी दौर से गुजर रही है. जहां पर शिक्षा को डिग्री केन्द्रित सोच से बाहर निकालकर गुणवत्ता-कौशल रोजगार और नवाचार और भारतीय ज्ञान परम्परा से जोड़ने का हमने काम किया है. सामाजिक न्याय और क्षेत्रीय संतुलन इस परिवर्तन की आत्मा है. सरकार का स्पष्ट संकल्प रहा है कि शिक्षा वहीं पहुंचे जहां पर उसकी सबसे अधिक आवश्यकता है. इसी सोच के अंतर्गत 2024 में गुना खरगौन और सागर में नये विश्वविद्यालयों की स्थापना हुई. वह जनजातीय ग्रामीण और पिछड़े वर्ग के क्षेत्रों के युवाओं के शिक्षा के द्वार खोले जायें इसके लिये सरकार का एक अभिनव प्रयास था. हम अधोसंरचना की बात करें तो विगत् दो वर्षों में उच्च शिक्षा विभाग ने 1150 करोड़ से अधिक का प्रावधान इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिये किया है. इस निवेश से नये शैक्षणिक भवन, प्रयोगशालाएं, पुस्तकालय खेल और योग सुविधाएं विकसित की गई हैं यह केवल भवन निर्माण नहीं बल्कि सशक्त माध्यम बनने जा रहे हैं.

4.25 बजे                             अध्‍यक्षीय व्‍यवस्‍था

          अध्‍यक्ष महोदय -- मेरा सभी सदस्‍यों से अनुरोध है कि कुल मिलाकर के समय का ध्‍यान हम सब लोगों को रखना चाहिए. जिस चर्चा को पूर्ण करना है एक समय सीमा के भीतर. बहुत सारे हमारे विद्वान सदस्‍य हैं जिन्‍होंने काफी तैयारी की है. मेरा इन सबसे अनुरोध है कि हम 10-12 मिनट में अपना वक्‍तव्‍य पूरा करें और बाकी जो बचा हुआ मटेरियल है उसको पटल पर रख दें. वह कार्यवाही में सम्‍मिलित किया जायेगा. तो समय की सीमा का अगर हम पालन करेंगे, तो निश्‍चित रूप से हम समय पर सदन की कार्यवाही को पूर्ण कर सकेंगे. सभी सदस्‍य इस बात का ध्‍यान रखें. जो बचे हैं उसको पूरा ले कर दें. उसको कार्यवाही में सम्‍मिलित करेंगे.

          संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- धन्‍यवाद अध्‍यक्ष जी. बिल्‍कुल, यह आपका सही निर्णय है हम इस बात का समर्थन भी करते हैं.

          स्‍कूल शिक्षा (श्री उदय प्रताप सिंह) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमारे प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्‍सीलेंस की जो परिकल्‍पना है जो प्रत्‍येक जिले में गुणवत्‍तापूर्ण उच्‍च शिक्षा को सुलभ बनाया है इन कॉलेजों को समग्र शिक्षा विकास के केन्‍द्र के रूप में विकसित किया जा रहा है जहां शैक्षणिक ज्ञान के साथ-साथ कौशल, नवाचार और व्‍यक्‍तित्‍व विकास पर भी विशेष ध्‍यान दिया जा रहा है. नवाचार अनुसंधान के क्षेत्र में इनोवेशन सेंटर, पेंटेंट, स्‍टॉर्टअप, शोध केन्‍द्रों की स्‍थापना ने सिद्ध कर दिया है कि हमारे विद्यालय सिर्फ नौकरी खोजने वाले नहीं, बल्‍कि नौकरी देने वाले संस्‍थान बनते जा रहे है.(मेजों की थपथपाहट)   

          अध्‍यक्ष महोदय, यह डिजिटल युग है और डिजिटल वर्ल्‍ड के साथ जब तक हम बच्‍चों को सिस्‍टम से नहीं जोड़ेंगे तो मुझे लगता है कि हम आगे नहीं बढ़ पायेंगे. डिजिटल युग में शिक्षा को तकनीक से जोड़ना अनिवार्य है. अपार आईडी, डिजिलॉकर, स्‍मॉर्ट क्‍लास, वर्चुअल क्‍लास रूम, ई-लाइब्रेरी और ई-प्रवेश जैसी शिक्षा व्‍यवस्‍था को पारदर्शी, त्‍वरित और छात्र केन्‍द्रित बनाया है. सरकार का स्‍पष्‍ट उद्देश्‍य रहा है कि डिग्री के साथ कौशल और रोजगार, कैरियर मार्गदर्शन योजनाएं, रोजगार मेले, औद्योगिक भ्रमण, बहुभाषी सर्टिफिकेट कोर्स और छात्रवृत्‍ति योजनाओं ने हमारे हजारों विद्यार्थियों के जीवन में एक नई दिशा देने का काम किया है. छात्राओं के लिए गांव की बेटी प्रतिभा किरण जैसी योजनाएं, मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य के लिए टॉस्‍क फोर्स यह दर्शाती है कि उच्‍च शिक्षा केवल एकेडमिक नहीं, बल्‍कि संवेदनशील और समावेशी भी है. 3 वर्षों में राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति वर्ष 2020 के अनुरूप मध्‍यप्रदेश उच्‍च शिक्षा के गुणवत्‍ता कौशल रोजगार समावेशन के चार मजबूत स्‍तंभों को और अधिक सुदृढ़ करने का लक्ष्‍य है. हमारा सकल नामांकन अनुपात बढ़ाना डिजिटल शिक्षा का शत् प्रतिशत् क्रियान्‍वयन उद्योग संपर्क को मजबूत करना प्रत्‍येक विद्यार्थी के भविष्‍य के लिए उसको तैयार करना शिक्षा विभाग द्वारा आईटी दिल्‍ली से टाईअप करके प्‍लेसमेंट की व्‍यवस्‍था करना आईआईटी मुंबई से उच्‍च शिक्षा विभाग द्वारा एमओयू किया जा रहा है. और माननीय मुख्‍यमंत्री जी जो उच्‍च शिक्षा मंत्री थे तभी से उच्‍च शिक्षा विभाग ने एनईपी पर जो हमारी नई शिक्षा नीति है उस पर बहुत अच्‍छे से काम किया है जिसका परिणाम यह हुआ है कि एनईपी हम सेकेंड फेज की तरफ आगे बढ़े हैं. यह ऐतिहासिक उपलब्‍धि है और मध्‍यप्रदेश मुझे लगता है कि मध्‍यप्रदेश वह राज्‍य है जो सेकेंड फेज में एनईपी के अपने आप को आगे बढ़ाने का काम कर रहा है. मध्‍यप्रदेश केवल अब डिग्रियां नहीं बांट रहा है. मैं आपके माध्‍यम से बताना चाहता हॅूं कि अब यह सक्षम भारत आत्‍मनिर्भर भारत और मूलनिष्‍ठ नागरिकों का निर्माण हमारा मध्‍यप्रदेश कर रहा है. मैं आपके माध्‍यम से बताना चाहता हॅूं कि पूरा शिक्षण तंत्र जो कि सही मायनों में अगर विकसित मध्‍यप्रदेश की कल्‍पना करते हैं तो बगैर सहभागिता के उस कल्‍पना को साकार नहीं कर सकते. इसलिए जो भी हमारे शिक्षण व्‍यवस्‍था से जुडे़ विभाग हैं चाहे वह उच्‍च शिक्षा हो, टेक्‍नीकल एजुकेशन हो, हमारा स्‍किल डेवलपमेंट हो, स्‍कूल एजुकेशन हो सब विभाग आदिम जाति कल्‍याण के जो स्‍कूल हैं हमारे श्रमोदय के विद्यालय हैं यह म्‍यूचुअल कॉर्डिनेशन के साथ एक बेहतर से बेहतर शिक्षा हम आगे दे पायें, इस बात पर काम कर रहे हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय, अंत में मैं आपके माध्‍यम से स्‍वामी विवेकानंद जी के वेदवाक्‍य को एक कर्मवाक्‍य के रूप में मानते हुए उनके वाक्‍य को आपके समक्ष कोट करना चाहता हॅूं कि -

          "जब तक जीना है तब तक सीखना है, अनुभव ही जगत का सर्वश्रेष्‍ठ शिक्षक है चाहे लोग तुम्‍हारी स्‍तुति करें या निंदा, लक्ष्‍य तुम्‍हारे ऊपर कृपालु हो या न हो, तुम्‍हारा देहांत आज हो या युग में, तुम न्‍याय के पथ से कभी डिगना नहीं.      इस भाव के साथ हम लोग आगे काम करने का लक्ष्‍य लेकर के आगे काम कर           रहे है".

          अध्‍यक्ष महोदय -- बहुत अच्‍छा समापन किया आपने. बहुत अच्‍छा.

          श्री उदय प्रताप सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय प्रधानमंत्री जी का जो एक सपना है कि इस देश को एक समृद्धशाली राष्‍ट्र बनाना है, उस सपने को माननीय मुख्‍यमंत्री जी के नेतृत्‍व में मध्‍यप्रदेश जल्‍द पूरा करे, इस ओर हम लोग आगे बढ़ रहे हैं.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्‍यक्ष महोदय, आप समापन पर खुश हुए या शेर पर खुश हुए..(हंसी)...

          अध्‍यक्ष महोदय -- मैं सोच रहा था कि वाक्‍य के साथ ही अपने भाषण को समाप्‍त कर रहे हैं.

          श्री उदय प्रताप सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इस बात से खुश हैं कि हम मना नहीं कर पाये और यह बैठने की तैयारी कर रहे हैं. मैं आपके माध्‍यम से सदन को विश्‍वास दिलाना चाहता हॅूं कि मध्‍यप्रदेश को एक समृद्धशाली राज्‍य बनाने के लिए हम कृतसंकल्‍पित हैं. हमारी सरकार डॉ.मोहन यादव जी के नेतृत्‍व में पूरे सामर्थ्‍य और शक्‍ति के साथ माननीय श्री नरेन्‍द्र मोदी के समृद्ध भारत के सपने को साकार करने के लिए समृद्ध मध्‍यप्रदेश बनाकर अपना योगदान पूरे समर्पण, सक्रियता के साथ देंगे. इसी आग्रह के साथ ही आपने मुझे समय दिया, मैं आपको हृदय से धन्‍यवाद ज्ञापित करता हॅूं बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

श्री बाला बच्चन ( राजपुर ) - अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश को विकसित, आत्मनिर्भर और समृद्ध राज्य बनाने के संबंध में चर्चा और उसके लिए विशेष सत्र, इसमें मेरा एक सवाल है कि यह कहीं रेलिवेंट है, मतलब किसी टापिक से, किसी अवसर से? मध्यप्रदेश वर्ष 1956 को गठित होकर 17 दिसम्बर, 1956 का हो पहला सत्र हुआ, जिसको 69 साल हुए. तब से 16वीं विधान सभा में हम उस दिन को उस अवसर को निरंतर हम याद करते आ रहे हैं, स्मरण करते आ रहे हैं और आज लगभग 69 वर्ष हो गये हैं.

अध्यक्ष महोदय, विधान सभा के सत्रों में निरंतर नियम बनते रहे हैं कानून बनते रहे हैं,  लोकतंत्र अपना काम करता रहा और लोकतंत्र अपनी गति से चलता रहा है, यह जो विशेष सत्र का मुझे ध्यान है कि 3 विशेष सत्रों का इस विधानसभा का मैं साक्षी हूं. मैं सदस्य रहा हूं. एक वर्ष 1997 में तत्कालीन मुख्यमंत्री आदरणीय श्री दिग्विजय सिंह जी थे उस समय आजादी के 50 वर्ष होने के उपलक्ष्य में विशेष सत्र बुलाया गया था. एक बार श्री शिवराज सिंह जी की सरकार में विशेष सत्र आया था और अब जो यह विशेष सत्र आया है, 12 दिन पहले विधान सभा का सत्र समाप्त हुआ है. यह सारे मंत्रीगण जिन्होंने अपनी बातें रखी हैं, मैं समझता हूं कि बजट के अनुपूरक अनुदान मागों पर ये बातें कही जा सकती थी या फिर विशेष सत्र की सार्थकता को मैं यह मानता हूं, हम सबको उम्मीद है कि सदन के नेता का बोलना बाकी है हो सकता है उस समय कुछ ऐसा एनाउंसमेंट हो जाय, ऐसी कोई घोषणा हो जाय जिससे कि विशेष सत्र में सार्थकता आ जाय, नहीं तो अभी तक तो मुझे बिल्कुल भी ऐसा नहीं लग रहा है. मैं याद दिलाना चाहता हूं. इस सरकार को 2 वर्ष होने जा रहे हैं. पहला बजट सत्र मात्र 5 दिन का हुआ, इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है. दूसरा वर्ष 2025 का बजट सत्र मात्र 9 दिन का हुआ और वर्ष 2003 से आप सरकार में हैं. 17 वर्ष होने जा रहे हैं. 17 वर्ष में मैंने इस बात को अनुपूरक अनुदान मागों पर बोला तो उसमें मैंने इस बात को बोला भी था कि 17 वर्ष में पहला यह ऐसा सत्र है मात्र 4 दिन का सत्र है, क्या आप लोग इन बातों को सत्र बढ़ाकर जो अभी 12 दिन पहले सत्र समाप्त हुआ है उसी समय सत्र की अवधि बढ़ाकर आप जो अपनी बात को कहना चाहते हो, वह क्या उस समय नहीं कह सकते थे? हम सबको जनता भी ध्यान दे रही है, जनता भी देख रही है इसलिए इस बात को ध्यान दिया जा सकता था और इस बात को उस समय पूरा किया जा सकता था. हम मानते हैं.

आज का जो मेरा विषय है. मेरी पार्टी ने जो विषय तय किया है वह आंतरिक सुरक्षा, सुदृढ़ और सुनिश्चत कैसे हो, दूसरी बात यह है कि साइबर अपराध और नक्सलवाद इस पर मुझे अपनी बात कहना है. आदरणीय कमलनाथ जी की सरकार में मैं गृह मंत्री भी रहा हूं तो उस बात को मैं कोट करना चाहता हूं कि आज की स्थिति क्या बन चुकी है उसको मैं बताना चाहता हूं. वह किसी से भी छिपी हुई नहीं है. मध्यप्रदेश में जो घट रहा है आज जो मध्यप्रदेश की स्थिति बनी है, उसको मैं स्पष्ट करना चाहता हूं. उसके पहले मैं बताना  चाहता हूं कि ठीक है आप अपनी बात अपनी-अपनी उपलब्धियों को कह सकते हो, डबल इंजन की बात करते हो, मैं समझता हूं कि एक इंजन आपका अराजकता से भरा हुआ है, दूसरा अपराधों से भरा हुआ है. हमने यह बात कही है कि 31 मार्च, 2026 को जो आपका वित्तीय वर्ष समाप्त होगा लगभग 4 लाख 64 हजार करोड़ रुपये के कर्ज में सरकार डूब जाएगी. आप अपनी बात को जो कहना चाहते हैं मैं समझता हूं कि इस विशेष सत्र के बिना भी आप इस बात को कह सकते थे. मैं समझता हूं कि इसका अपना कोई लाजिक नहीं है, इसमें कोई एक्सट्रा बात नहीं आई है. मैंने यह बात कही है कि हो सकता है कि अभी नेता प्रतिपक्ष जी बोलेंगे उसके बाद माननीय मुख्यमंत्री जी बोलें और हम लोगों के लिए जो आपने जो चीजें कही है, जो बनाई हैं, उसकी ओर  ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं कि   हमारे साथ भेदभाव क्यों. हमको भी लगभग,हम लोग 64 विधायक हैं,  64 विधायक की अगर  हम  जनसंख्या के अनुपात  में  बात कर लें, तो 30 से 32 परसेंट जनसंख्या, जनता ने  हमें  चुना है, तो उनके साथ भेदभाव नहीं होना चाहिये.  हमें और उधर के   जो विधायकों में  भेदभाव हो रहा है,  आज तक मैंने कभी भी ऐसा नहीं देखा था तो क्या  आज मेरे हिसाब से अगर  जो 5-5 करोड़ रुपये हम लोगों को राशि देने की अगर  बात कही थी,  अगर वह  5-5 करोड़ रुपये तक  की राशि दी जा सकती  है,  तो  मैं समझता हूं कि  तब तो कोई सार्थकता  होगी,  अन्यथा यह बिलकुल भाषणों के केवल  अवशेष  बन जायेंगे.  यह भेदभाव नहीं होना चाहिये,  हम यह चाहते हैं,  म.प्र. की जनता ने हमको भी चुना है  और आप लोगों को   भी चुनकर  भेजा है.  मैंने आपको यह बात कही है कि  मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि  जो अपराध म.प्र.  में  हो रहे हैं,  वह किसी से भी छिपे हुए  नहीं हैं.  वह आप हम सबकी जानकारी में हैं.  कभी भी ऐसा म.प्र. के  इतिहास में नहीं हुआ   है कि  पूरा का पूरा थाना जेल में चला जाये.  आज हम सिवनी थाने की बात कर लें,  वहां के एसडीओपी,टीआई, एसआई है  और लगभग जो पुलिस कर्मी है, सारा का सारा, पूरा थाना  जेल में चला गया है.  कुछ दिन पहले की बात है.  भारत सरकार ने जो  देश  के   9-10 थानों को, टॉप लेवल के थानों  को  जो चुना था,  उसमें से मंदसौर  जिले  का मल्हारगढ़ थाना भी था, उसके 3-4 दिन के बाद,  अनाउंसमेंट होने के बाद  में ही  वहां  की क्या स्थिति बनी कि राजस्थान के एक छात्र को  पुलिस उतारती है और  उसमें  जो अफीम डालकर  लाखों रुपये की वसूली  करने की जो बात करती है, नहीं दी गई, तो  उसके बाद  उसको जेल में डाला गया.  वह तो अच्छा था उनके पेरेंट्स ने, कांग्रेस ने और  उनके पास सीसी  टीवी  फुटेज थे,  लड़े, तो वह छात्र बच गया है.  मेरे हिसाब से जो लॉ एंड आर्डर  की स्थिति बहुत बुरी है और जिस पर सरकार को जो ध्यान देना चाहिये,  वह बिलकुल भी ध्यान नहीं दे रही है.  आपका  जैसे इंटेलिजेंस  साझा  करने   का, जिसमें   कि लगभग  24x7   फ्यूजन  सेंटर है, इसकी कोई समीक्षा नहीं हो रही है.  इस पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है.  आपराधिक तत्वों का  विश्लेषण  एआई और  बिग डेटा का जो उपयोग होना चाहिये,  उसमें कोई उपयोग नहीं किया जा रहा है और मैं समझता हूं कि  मंत्रीगण तो ठीक, लेकिन  जो मुख्यमंत्री जी के पास  यह गृह मंत्रालय है और  उसकी क्या स्थिति है.  सीमावर्ती राज्यों  की  पुलिस  से और उसके बाद  जो  हमारी खूफिया एजेंसियां केंद्र सरकार की हैं,  उसमें और म.प्र. सरकार  की खुफिया एजेंसियों में और हमारी पुलिस व्यवस्था में  समन्वय होना चाहिये,  वह बिलकुल भी समन्वय  नहीं है. फॉरेंसिक क्षमताओं का  अपग्रेडेशन, उपयोग क्यों नहीं किया जा रहा है.  आपको फास्ट ट्रैक कोर्ट   का मैं अभी बताऊंगा कि तीनों कोर्ट में, जबलपुर हाई कोर्ट में, इन्दौर हाई कोर्ट  में,  उसके बाद ग्वालियर हाई कोर्ट में लगभग लगभग 5837   केस ऐसे पड़े हैं, जो  2013 से भी पेंडिंग हैं.  कई कई  केस में तो एक  एक बार भी सुनवाई  नहीं  की गई है.  10-10 साल से जमानत पर जो अरोपी हैं,  वह खुलेआम घूम रहे हैं. तो अगर आपने  इन सब चीजों पर ध्यान नहीं दिया है, तो  आप कह सकते हैं और अभी आप सरकार में हैं,  जिस  भी कारण से आपने जो  मेजोरिटी ली है,  मेंडेट आपके पास है. तो मनमानी बात कहकर,  अपनी बात को कह सकते हैं,  लेकिन   मैं सरकार को आइना दिखाने  का काम कर रहा हूं.  मैं वह चीजें बता रहा हूं. पहले मोहल्ला समितियां,  शांति समितियां हुआ करती थीं.  वह एक सामंजस्य और समन्वय   बनाने का काम करती थीं. जनता  और पुलिस के बीच में करती थी.  आज अगर कोई अपराध  होता  है  और पीड़ित  परिवार  अगर  थाने में गया तो सबसे ज्यादा प्रताड़ित पुलिस करती है.  तो एक समन्वय होना चाहिये.  गुण्डों के ऊपर जो खाकी वर्दी का डर  होना चाहिये, प्रदेश की जनता के ऊपर  नहीं होना चाहिये.  यह मुख्यमंत्री जी को और मंत्रिमंडल  के साथियों को   इन बातों को देखना चाहिये.   आप अपने मन मेंं जो सोचना चाहें, वह सोचते रहें.  लंबित चालान तुरन्त जमा करना चाहिये.  मैं इसलिये बातें बता रहा हूं कि   मैंने अनुदान  मांगों पर  अपनी 21-22 मिनट की   बात में यह  बात कही है कि कितनी महिलाओं, कन्याओं  के साथ  में जुर्म, दुष्कर्म हो रहे हैं,  उनका मैं आगे खुलासा  करना  चाहूंगा. अगर आप यह कसावट  नहीं कर पायेंगे  और आपके पास अगर टाइम  नहीं है,  मुख्यमंत्री जी के पास  15 विभाग हैं.  अगर हम उसकी तुलना, कल्पना करें, तो  मेरे हिसाब से लगभग  30 से 35 परसेंट विभाग  उनके पास हैं. यह जो मैं  बोल  रहा हूं, इन डेटास  पर कभी मुख्यमंत्री जी, गृह मंत्री जी  ने  कभी काम किया है और क्यों नहीं लॉ एंड आर्डर  जो हमारी जनता के लिये  बना है,  उनके हितों की रक्षा  होना चाहिये.  फरार, गिरफ्तारी प्रकरणों की नियमित समीक्षा  होना चाहिये.  कोई समीक्षा नहीं है और इसीलिये  हम  जो म.प्र. विधान सभा में  हमारे कांग्रेस पार्टी के विधायक  साथी हम प्रश्न लगाते हैं,  बहुत सारे आपके लोग भी हैं, जो प्रश्न लगाते हैं,  उनका जवाब नहीं आता है और  अब यह बात करते हैं  विजन  2047 की..

          माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी हमारे प्रश्नों का जवाब नहीं आता है, 22 साल आपको प्रदेश की सरकार में रहते हुये हो गये हैं और विजन 2047 का है . आप कोई पट्टा लिखाकर के नहीं आये हैं, कपाल पर, मां के पेट से कोई पट्टा लेकर के नहीं आये हैं कि आने वाले 2047 तक भी सरकार में आप ही रहेंगे. लेकिन अभी जब आप सरकार में हैं तो कम से कम इन बातों पर तो ध्यान देना चाहिये. अपराध कितने हो रहे हैं. अभी सिवनी थाने के बारे में बताया था मैं राजधानी में सरकार की नाक के नीचे भोपाल की बात आपको बता रहा हूं जिसमें एमडी ड्रग पकड़ाई है, जो भोपाल का मामला है यहां लगभग 1814 करोड़ रूपये की ड्रग फेक्ट्री पकडाई गई है और 100 करोड़ रूपये की शासकीय जमीन के ऊपर उसका अवैध रूप से साम्राज्य स्थापित किया हुआ था, सरकार क्या कर रही है, सरकार को यह सब नहीं दिख रहा है, अध्यक्ष महोदय, सरकार को इस पर तत्काल रोक लगाना चाहिये. अपराधिक गतिविधियां बिल्कुल भी नहीं चलना चाहिये.

          माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से सरकार को बताना चाहता हूं कि आज महिला सुरक्षा के नाम पर प्रदेश में सिर्फ बात हो रही है. महिलाओं के ऊपर जो अत्याचार हो रहा है , अपराध हो रहा है उसकी दर देश में 66.4 मध्यप्रदेश में 79 प्रति लाख पर, अर्थात प्रत्येक लाख में 79 महिलाये दुष्कर्म का शिकार हो रही हैं. अभी पिछले सत्र में यह आंकड़ा आया था कि मध्यप्रदेश में प्रति दिन 20 महिलायें दुष्कर्म का शिकार हो रही थीं और एक जनवरी, 2024 से 30 जून, 2025 तक मात्र देढ वर्ष में लगभग 10840 महिलायें दुष्कर्म का शिकार हुई हैं. सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिये, सरकार को इस पर संज्ञान लेना चाहिये, अगर राष्ट्रीय औसत से हम महिला अत्याचार की तुलना करें, दुष्कर्म की तुलना करें तो यह लगभग करीब 12.6 अधिक हो गई है प्रति लाख  तो सरकार को इस पर विशेष ध्यान देना चाहिये.

 

          माननीय अध्यक्ष महोदय, बात यहीं समाप्त नहीं होती है. जो लापता कन्या हैं और महिलायें है मध्यप्रदेश उसका हॉट स्पॉट बन चुका है. मैं सदन को बताना चाहता हूं कि 1 जनवरी, 2024 से 30 जून, 2025 तक 21,175 महिलायें और 1,954 कन्यायें एक माह से अधिक समय तक लापता रही हैं. सरकार के लिये आवश्यक है कि इस विषय पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिये. मैं समझता हूं कि प्रदेश की महिलाओं के लिये, बेटियों के लिये, कन्याओं के लिये हम सबके लिये शर्मसार करने वाला विषय है और इस पर कसावट करना चाहिये, इसीलिये ज्यादा कहना पड़ रहा है कि माननीय मुख्यमंत्री जी के खुद के पास में गृह विभाग है. पहले मैंने डाटॉ का उल्लेख किया है ताकि सरकार उन पर ध्यान दे , उन पर कसावट करे इसके बाद इस तरह के अपराध प्रदेश में नहीं होना चाहिये.

          माननीय अध्यक्ष महोदय, पिछले 4 से 5 साल में 6 हजार 53 बच्चे प्रदेश में अभी भी लापता हैं. सरकार इस पर कसावट लाये और ध्यान दे.

          माननीय अध्यक्ष महोदय, एक विषय पर मैं आपके माध्यम से सदन का ध्यानाकर्षित करना चाहता हूं कि मुख्यमंत्री जी के पास में विधि विधायी कार्य विभाग भी है. नाबालिक दुष्कर्म पीड़ित महिलाओं की प्रदेश मे भयावह स्थिति है. मैंने बोला है कि प्रदेश में हालत यह है कि नाबालिक दुष्कर्म के 3500 कैस जबलपुर हाईकोर्ट में पेंडिंग हैं. 1486 प्रकरण इंदौर की हाईकोर्ट की खंडपीठ में लंबित हैं 776 प्रकरण ग्वालियर खंडपीठ में लंबित हैं. ऐसे लगभग 5837 प्रकरण लंबित हैं. यह 30 जून, 2025 की स्थिति है तो सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिये, इस तरह की पुनरावृत्ति न हो इस पर सरकार को लगाम लगाने की आवश्यकता है.

          माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे दल के विधायक साथी सब अलग अलग विषयों पर अपनी बात रख रहे हैं, मुझे यह विषय दिया है उस संबंध में मैं सदन को जानकारी दे रहा हूं कि वर्ष 2017-18 के बाद आज तक विशेष पिछड़ी जनजाति, बैगा, सहारिया है  और भार्य़ा है, उनकी पुलिस विभाग मे एक भी नियुक्ति नहीं हुई है .सरकार को इस पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है.

          माननीय अध्यक्ष महोदय, जब प्रदेश में हमारी सरकार थी आदरणीय कमलनाथ जी मुख्यमंत्री थे तब हमारी सरकार ने पुलिसकर्मियों के लिये साप्ताहिक अवकाश घोषित किया था, हमारी सरकार में महिलाओं पर हो रहे अपराधों पर अंकुश लगा था, इसके लिये हम लोगों ने पुख्ता इंतजाम किये थे, जिसमे हम लोग सफल भी हुये थे. अध्यक्ष महोदय, मैंने यह बात पहले भी बोली है कि मैं निमाड़ क्षेत्र से चुनकर के आता हूं, बड़वानी, खरगौन और खंडवा क्षेत्र से आता हूं , वहां पर  सट्टा, जुंवा, अवैध कारोबार, अवैध शराब के धंधे चरम स्तर पर हैं, सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिये, सरकार को इस पर रोक लगाना चाहिये.

          माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रदेश में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के समाज पर जो अत्याचार की घटनायें निरंतर हो रही हैं उस पर अंकुश लगाना चाहिये . वर्ष 2024 की स्थिति में 6 माह में इन्हें प्रताड़ित करने के गंभीर और हजारों की संख्या में कैस दर्ज हुये हैं इसलिये सरकार को सिर्फ अपना ही अपना दिखता है.  मैं आदरणीय फग्गन सिंह कुलस्ते जी की बात से सहमत हूं वह जो बात कर रहे थे जरूर हमारे कुछ साथियों को वह ठीक नहीं लग रही थी लेकिन अगर सबको लेकर के नहीं चलने चलाने का आपने रखा, उन्‍होंने एक फिगर दिया था कि अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा वर्ग, मायनॉरिटी मिलाकर लगभग 80 परसेंट से ऊपर लोग हैं अगर उनकी हिफाज़त नहीं की, उनके हितों की रक्षा नहीं की मैं माफी चाहता हूं फूल सिंह बरैया जी ने जो बात बोली थी, तो इन बातों पर ध्‍यान देना पड़ेगा और सरकार को व्‍यवस्‍था करना पड़ेगा. अगर ऐसा नहीं किया तो मैं नहीं समझता कि सरकार ठीक-ठाक चल रही है.

          अध्‍यक्ष महोदय, प्रदेश में साइबर अपराधों पर कोई अंकुश नहीं है. आपको मैं उसका आंकड़ा बताना चाहता हूं कि जो मोबाइल चोरी से डिजिटल अरेस्‍ट के अपराधी हैं उन पर कोई रोक नहीं है और जो मोबाइल की चोरियां होती हैं वह तुरंत दूसरे देशों में बेचा जा रहा है इस पर कोई ध्‍यान नहीं है. वर्ष 2024 का आकड़ा है लगभग 68 हजार साइबर अपराध हुए हैं और अभी जून 2025 तक 34 हजार प्रकरण साइबर अपराध के दर्ज हुए हैं तो सरकार इस पर ध्‍यान दे और इस पर रोक लगाए. हमारा आग्रह यही है कि इस विशेष सत्र की सार्थकता तब होगी जब माननीय मुख्‍यमंत्री जी अपनी बात बोलें तो हमारे विधान सभा के विधायक साथियों की चाहे पक्ष या विपक्ष के हों उन सबकी जो उम्‍मीदें हैं अगर उस पर उन्‍होंने कोई ध्‍यान नहीं दिया और उससे संबंधित अगर कोई व्‍यवस्‍था नहीं आई तो मुझे नहीं लगता कि इस विशेष सत्र की कोई सार्थकता है या फिर यह विशेष सत्र किसी ओकेजन पर, किसी टॉपिक पर या किसी विषय पर रखा गया हो. मुझे कुछ भी ऐसा विशेष समझ में नहीं आया. पूरी तरह से भटका हुआ मुझे यह विशेष सत्र लगता है. माननीय मंत्रिगण सभी को अपनी अनुदान मांगों पर जो बातें कहना चाहिए वही विशेष सत्र में कह रहे हैं. आपने मुझे जो समय दिया बाकी की चीजों को मैं रिपीट नहीं करना चाहता हूं, मैंने जो खलघाट के किसानों की बातें बोल दी है, हमारे कांग्रेस पार्टी के विधायक साथियों ने चाहे किसानों की बात हो, महिलाओं की बात हो, कन्‍याओं की बात हो, अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग की बात हो, पिछड़ों की बात हो, सर्वहारा वर्ग की बात हो हमने जो कहा है, आपको विपक्ष आईना दिखाने का जो काम करता है आप उस पर ध्‍यान दें और उस पर व्‍यवस्‍थाएं दें.

अध्‍यक्ष महोदय, मैं एक मिनट में अपनी बात समाप्‍त करना चाहता हूं कि भैया कभी भी राजनीतिक इतिहास में मैंने नहीं देखा है ना सुना है कि 48 किलो सोना जिस गाड़ी में 11 करोड़ रुपये कैश मिले उस गाड़ी के मालिक का आज तक पता नहीं चला है. भैया सरकार अपने आपको चाहे जितना समझ ले बाकी की स्थिति सरकार की यही है. अगर इन पर अंकुश और ध्‍यान नहीं दिया तो मुझे ऐसा नहीं लगता है. देख लीजिए 48 किलो सोना और 11 करोड़ रुपये नगदी से भरी हुई गाड़ी का आज तक पता नहीं लग पा रहा है. बाकी सिंगरौली हम गए, सिंगरौली की घटना की रिपोर्ट भी हम लोग दे चुके हैं. सिवनी की घटना है. यह सारी घटनाओं का हम उल्‍लेख कर चुके हैं. फिर आपका वक्‍त लेकर मैं समय को नहीं बिगाड़ना चाहता हूं, लेकिन सरकार को आईना दिखाने की बात है और विशेष सत्र की मैं नहीं समझता कि इसकी कोई आवश्‍यकता थी. 12 दिन पहले सत्र समाप्‍त हुआ था. उसके बाद आपने जरा-जरा से सत्र लगाए हैं ऐसा कभी भी नहीं हुआ है. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इस पर ध्‍यान दें और इस पर व्‍यवस्‍था दें जिससे इस सरकार के आने वाले जो तीन साल बचे हैं हम अपनी बात को कह सकें. आपने बोलने का वक्‍त दिया बहुत-बहुत धन्‍यवाद. 

4.48 बजे                                       अध्‍यक्षीय घोषणा

चाय की व्‍यवस्‍था पृथक से किया जाना

 

        अध्‍यक्ष महोदय -- माननीय सदस्‍यों के लिए चाय की व्‍यवस्‍था गैलरी में है, अपनी सुविधा से चाय ग्रहण कर सकते हैं.

मध्‍यप्रदेश को विकसित, आत्‍मनिर्भर और समृद्ध राज्‍य बनाने के

संबंध में चर्चा (क्रमश:)

          उप मुख्‍यमंत्री, लोक स्‍वास्‍थ्‍य एवं चिकित्‍सा शिक्षा (श्री राजेन्‍द्र शुक्‍ल) -- अध्‍यक्ष महोदय, आत्‍मनिर्भर और सशक्‍त भारत का जो सपना हम लोग देख रहे हैं उसकी नींव स्‍वस्‍थ नागरिकों से ही बन सकती है और इसलिए हमारी सरकार स्‍वास्‍थ्‍य के क्षेत्र में तीन स्‍तरों पर एक समग्र और दूरदर्शी दृष्टिकोण के साथ काम कर रही है. पहला स्‍तर है प्रिवेंटिव, दूसरा है क्‍यूरेटिव, तीसरा है जेरिएटिक. प्रिवेंटिव मतलब बीमारी हो ही ना. लोग यदि समय से अपनी जांचें करा लें तो गंभीर बीमारी की गिरफ्त में आने से उनको बचाया जा सकता है. इसलिए हमारी सरकार ने अभियान चलाया. पिछले वर्षों में मेगा अभियान चलाया. निरोगी काया अभियान, स्‍वस्‍थ नारी सशक्‍त परिवार अभियान और मुझे यह बताते हुए खुशी है कि चाहे वह बीपी की जांच हो, चाहे वह शुगर की जांच हो, चाहे वह फैटी लिवर की जांच हो, ओरल कैंसर हो, ब्रेस्‍ट कैंसर हो, सर्वाइकल कैंसर हो इसकी जांच करने के लिए हमारे स्‍वास्‍थ्‍य का जो मैदानी अमला है वह घर-घर आशा वर्कर्स, एएनएम सब हैल्‍थ सेंटर आयुष्‍मान आरोग्‍य मंदिर जिसको हम कहते हैं वहां से घर-घर जाकर जहां पर 4 से 5 हजार की जनसंख्या रहती है, इस अभियान को मूर्तरुप देने का अभियान चला, इससे हायपर टेंशन के 1.19 करोड़ लोगों की स्क्रीनिंग हुई. डायबिटीज के लिए 1.22 करोड़ लोगों की स्क्रीनिंग हुई. फेटी लीवर के लिए 1.29 करोड़ लोगों की जांच की गई. कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों की समय रहते पहचान के लिए ओरल कैंसर की 39.4 लाख, ब्रेस्ट कैंसर की 19.3 लाख, सर्वाइकल कैंसर की 8.5 लाख महिलाओं की स्क्रीनिंग की गई. इन प्रयासों का उद्देश्य केवल आंकड़े नहीं है. बल्कि समय पर लोगों को इलाज उपलब्ध करवाकर उनके जीवन को सुरक्षित करना है. लोगों के अन्दर यह अवेयरनेस भी आना चाहिए कि यदि सबसे बड़ा सुख निरोगी काया है तो अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए हमको स्वास्थ्य के प्रति जागरुक होने की आवश्यकता है. यदि गांव-गांव में लैब है वहां पर सेम्पलिंग हो रही है, वहां पर Hub and spoke model से हमारे लैब संचालित हैं. वहां पर जाकर अपने सेंपल देकर जांच कराने की आदत जो संपन्न और समझदार लोगों में है वह हमारे देश के दूरस्थ ग्रामीण इलाकों में रहने वाले ग्रामीण क्षेत्र के लोगों में भी यह जागरुकता होना चाहिए. जिससे उन्हें भी समय रहते बीमारी का पता चल जाए. समय रहते पता चल जाए कि डायबिटीज है, बीपी है. लोगों को मालूम नहीं होता है. जब शरीर का कोई अंग खराब हो जाता है फिर उसको लेकर जिला अस्पताल, मेडिकल कॉलेज जाना पड़ता है. तब तक देर हो जाती है. इसलिए प्रिवेंटिव के स्तर पर काम हुए हैं. अभी धार जिले में प्रधानमंत्री जी आए थे वहां पर उन्होंने स्वस्थ नारी, सशक्त परिवार योजना की शुरुआत की थी जो कि पूरे देश में चली थी. उन्होंने पीएम मित्र पार्क का भूमि पूजन किया था और इस योजना की लांचिंग की थी. इस योजना में मोदी जी के जन्म दिन से लेकर गांधी जी के जन्म दिन तक यानि 17 सितम्बर से लेकर 2 अक्टूबर तक यह अभियान चला था. इसमें पूरे देश में स्वास्थ्य अमले ने जाकर जो आउटरीच की उसमें जो चेकअप होता है, ब्लड डोनेशन के कार्यक्रम हुए, फीमेल हेल्थ काउंसलिंग हुई, सिकल सेल की स्क्रीनिंग हुई. एनसीडी स्क्रीनिंग हुई, कैंसर स्क्रीनिंग हुई. इसमें 13 पैरामीटर पर जो जांचें हुईं उसमें मध्यप्रदेश को 13 में से 6 पैरामीटर पर नंबर एक का स्थान मिला है. मध्यप्रदेश में स्क्रीनिंग के मामले में सबसे ज्यादा लोगों को कवर किया. इसी प्रकार से टीबी मुक्त भारत अभियान, सिकल सेल अनीमिया उन्मूलन में सवा करोड़ लोगों की स्क्रीनिंग हुई. इसमें से 1 करोड़ 5 लाख लोगों को सिकल सेल एनीमिया के कार्ड वितरित किए गए. 2 लाख लोग केरियर हैं. यदि यह केरियर एक दूसरे से शादी कर लें तो गंभीर रोग की गिरफ्त में रहने वाला बच्चा पैदा होगा. इसके लिए काउंसलिंग कार्ड दिए गए हैं. हमारी संस्कृति में जब शादी की जाती है तो कुंडली का मिलान किया जाता है यदि कुंडली मिलती है तो लोग शादी के लिए आगे बढ़ते हैं नहीं मिलती है तो विचार करते हैं. इसी तरह से सिकल सेल एनीमिया का यदि कोई रोगी है, कोई केरियर है यदि उनके कार्ड एक दूसरे के ऊपर ओवरलेप करके रखे जाते हैं तो उसमें आ जाता है कि यह शादी करना चाहिए या नहीं करना चाहिए. यह अवयरनेस आदिवासी इलाकों में पैदा हो इस दिशा में भी मध्यप्रदेश ने जो काम किया है उसमें भारत सरकार ने मध्यप्रदेश को इस काम के लिए सबसे बेस्ट परफार्मिंग स्टेट के रुप में अवार्ड दिया है. यह भी एक बड़ी सफलता पिछले दो वर्षों में हुई है.  जहां तक प्रिवेंटिव केयर का सवाल है उसमें मध्यप्रदेश को यह रिकगनेशन मिली है. इसके बाद क्यूरेटिव पर हम लोग क्या काम कर रहे हैं वह बताते हुए मुझे बड़ी प्रसन्नता है. दो वर्षों में ही पांच मेडिकल कालेज शुरु किए गए हैं. एक श्योपुर में मेडिकल कॉलेज शुरु हो गया है.

सिंगरौली जैसे दूरस्‍थ आदिवासी इलाके में मेडिकल कॉलेज शुरू हुआ है. नीमच, मंदसौर, सिवनी में नये मेडिकल कॉलेज शुरू हुए और अगले वर्ष भी तीन नये मेडिकल कॉलेज शुरू कर रहे हैं. उसके अगले वर्ष तीन और नये मेडिकल कॉलेज शुरू कर रहे हैं कुल मिलाकर वर्ष 2019 से दो वर्षों के अंदर हमारे 25 मेडिकल कॉलेज तो शासकीय हो जाएंगे. मध्‍यप्रदेश में 14 मेडिकल कॉलेज इन्‍हीं 15 वर्षों में नये बने हैं और मेडिकल कॉलेज का आना मतलब हम जिले में स्‍पेशलिस्‍ट और सुपर स्‍पेशलिस्‍ट को भेजने का मार्ग प्रशस्‍त कर रहे हैं, क्‍योंकि जिला अस्‍पताल से रेफर करके लोग मेडिकल कॉलेज भेजते हैं या तो जिला अस्‍पताल से रेफर करके लोग मेडिकल में जाएं या मेडिकल कॉलेज ही उस जिले में आ जाए. यदि उस जिले में मे‍डिकल कॉलेज आता है तो कई विभाग के स्‍पेशलिस्‍ट वहां पर उपलब्‍ध हो जाते हैं क्‍योंकि वह फैकल्‍टी के मेंबर होते हैं और इसके एक कदम आगे अब मुख्‍यमंत्री जी ने सीएम केयर योजना लाने पर विभाग को निर्देशित किया है. सीएम केयर में कार्डियोलॉजी, कैंसर, ऑर्गन ट्रांसप्‍लांट, क्रिटिकल केयर इस प्रकार के डिपार्टमेंट भी जहां-जहां मेडिकल कॉलेज होंगे यह डिपार्टमेंट खोलने का मार्ग भी प्रशस्‍त होगा और जो आवश्‍यक पद होंगे वह मंजूर होंगे. अभी मुझसे कल पत्रकारों ने इंदौर मेडिकल कॉलेज की चर्चा की तो मैंने बताया कि यह हमारे पांच मेडिकल कॉलेज जो पुराने हैं इसको एम्‍स (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्‍थान) की तर्ज पर भोपाल, ग्‍वालियर, जबलपुर, इंदौर, रीवा यह पांच मेडिकल कॉलेज जो वर्ष 2003 के पहले के हैं पहले तो वर्ष 2003 के पहले पांच ही मेडिकल कॉलेज थे. हमारे विपक्ष के जो माननीय सदस्‍य हैं उनको भी ध्‍यान होगा कि अब तो पांच की जगह 19 मेडिकल कॉलेज हो गये हैं, लेकिन वह जो पांच है वह इतने पुराने हैं कि वहां पर हाईजिनिक कंडीशन नहीं है. इसलिए उसके पुनर्निर्माण की आवश्‍यकता है और इसके लिए 772 करोड़ रुपए इंदौर के लिए सेंग्‍शन हुआ. मुख्‍यमंत्री जी ने पिछले दिनों उसका भूमि पूजन भी किया है. रीवा में 321 करोड़ रुपए सेंग्‍शन हुआ है. सारी पुरानी जर्जर बिल्डिंग जहां दीमक है, जहां चूहे हैं वह सारे समाप्‍त हो जाएंगे. वहां नई बिल्डिंग खड़ी करके उसमें उस प्रकार की सारी व्‍यवस्‍था होगी इसी प्रकार से ग्‍वालियर का कर रहे हैं, इसी प्रकार से जबलपुर का कर रहे हैं. सोच यह है कि पूरे संभाग के लोग यदि इस स्‍टेट ऑफ आर्ट मेडिकल कॉलेज में आयें तो उसके बाद उनको रेफर होकर कहीं जाना न पड़े. वहां पर आर्गन ट्रांसप्‍लांट भी हो सके, वहां हार्ट का ऑपरेशन भी हो सके.     

          श्री सोहनलाल बाल्‍मीक-- माननीय अध्‍यक्ष जी, मैं मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि हमारा जो छिंदवाड़ा में कॉलेज बन रहा था उसमें 1465 करोड़ रुपए का बजट था. उसे काटकर 700 करोड़ रुपए का कर दिया. यदि आपकी मंशा है बहुत कुछ अच्‍छा करने की तो उसको उसी हिसाब से स्‍वीकृति प्रदान करें.

          श्री राजेन्‍द्र शुक्‍ल-- छिंदवाड़ा  मेडिकल कॉलेज भी बहुत जल्‍दी तैयार हो रहा है और सारी सुविधाओं के साथ तैयार हो रहा है. कितने रुपयों में बन रहा है यह मुद्दा नहीं है. पर्याप्‍त सीटों वाला एमबीबीएस कॉलेज होगा और पर्याप्‍त सीटों वाला अस्‍पताल होगा जो टीचिंग अस्‍पताल होगा और उसमें सारी सुविधाएं होंगी. उसमें सीएम केयर योजना भी आएगी उसमें हर प्रकार की सुविधाएं होंगी.

          श्री सोहनलाल बाल्‍मीक-- माननीय अध्‍यक्ष जी, उसमें हार्ट का और कैंसर का जो हैं वह समाप्‍त कर दिया गया है.

          श्री राजेन्‍द्र शुक्‍ल-- यहां समय की सीमा है आप अलग से बात करियेगा. इसके साथ ही दूसरा जो महत्‍वपूर्ण विषय है एमएमआर और आईएमआर का उसमें मुझे बताते हुए बड़ी प्रसन्‍न्‍ता है कि इन दो वर्षों में जो एक लाख माताओं में 173 मृत्‍यु हो जाया करती थी वह अब घटकर 137 हो गई है. जो प्रयास हुए हैं, जो पंजीयन हुए हैं, जो एंटीनेटल चेकअप का अभियान चला है. 9 तारीख और 25 तारीख को उनको हर कम्‍युनिटी हॉल, हर सेंटर में पहुंचाकर वहां पर स्‍त्री रोग विशेषज्ञों को पहुंचाकर जो उनकी काउंसलिंग की गई है, जो उनके इलाज किये गये हैं, उनको गाइड किया गया है उसके आधार पर शिशु मृत्‍यु दर भी घटकर 37 हो गया है. जो 48 हुआ करता था. इस प्रकार से इस क्षेत्र में भी हमारा टार्गेट है जो प्रयास चल रहे हैं मैं यह मानता हूं कि आने वाले दिनों में हम उसको भी नेशनल एवरेज के नीचे लाने का काम करने में सफल हो सकेंगे. आयुष्‍मान योजना का जिक्र हम नहीं करेंगे तो प्रधान मंत्री जी के द्वारा किया गया एक ऐतिहासिक काम की चर्चा के बिना स्‍वास्‍थ्‍य के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आया है, हम कल्‍पना कर सकते हैं कि हमारे देश में 65 करोड़ से ज्‍यादा लोग ऐसे हों, जो गरीब हों लेकिन रुपये 5 लाख का इलाज करवाने में सक्षम हों, उन्‍हें सक्षम बनाने का कार्य प्रधानमंत्री जी ने आयुष्‍मान योजना से किया है. वृद्धजनों का जो 70 की उम्र के पार हैं, हमारे मध्‍यप्रदेश में ही ऐसे 15 लाख लोगों का पंजीयन हुआ है, 4.5 करोड़ लोगों का आयुष्‍मान योजना में पंजीयन है. (मेजों की थपथपाहट)

          अध्‍यक्ष महोदय, इसके आधार पर टियर 2 और 3 स्‍तर के शहरों में मल्‍टी स्‍पेशलिटी अस्‍पताल खुल रहे हैं, सुपर स्‍पेशलिटी अस्‍पताल खुल रहे हैं क्‍योंकि वहां आयुष्‍मान कार्डधारी हैं, स्‍वास्‍थ्‍य क्षेत्र में पेइंग कैपेसिटी वाले लोगों की संख्‍या इतनी हो गई है कि 1600 हॉस्पिटल, जिसमें से 700 प्रायवेट हैं उन्‍हें आयुष्‍मान योजना अंतर्गत एम्पैनल किया गया है और विगत वर्षों में, जब से यह योजना लागू हुई है गरीबों के इलाज के लिए रुपये 11 हजार करोड़ का भुगतान केंद्र और राज्‍य सरकार ने किया है. (मेजों की थपथपाहट)

          अध्‍यक्ष महोदय, उन गरीबों को कोई पैसा नहीं देना पड़ा. मुख्‍यमंत्री जी ने इन 2 वर्षों में एक ऐतिहासिक कार्य किया है क्‍योंकि विगत 2 वर्षों में किये गए ऐतिहासिक कार्यों की चर्चा का, यह विशेष सत्र है तो मुझे मुख्‍यमंत्री जी को धन्‍यवाद देते हुए बड़ी प्रसन्‍नता है कि उन्‍होंने एअर एम्‍बुलेंस योजना लागू की, उन्‍होंने शव वाहन योजना लागू की.

          श्री भंवरसिंह शेखावत (बाबुजी)-  अध्‍यक्ष महोदय, ने यह सत्र आप वर्ष 2047 तक क्‍या करेंगे, वह बताने के लिए बुलाया है. महाराज आप वह बतायें.

(...व्‍यवधान....)

          श्री राजेन्‍द्र शुक्‍ल-  वर्ष 2047 तक भारत आर्थिक महाशक्ति बनेगा और विश्‍व गुरू बनकर दुनिया का नेतृत्‍व करेगा. (मेजों की थपथपाहट)

          श्री पंकज उपाध्‍याय-  मंत्री जी, क्‍या आप गारंटी लेंगे की कोई चूहा बच्‍चों को नहीं कुतर जायेगा.

(...व्‍यवधान....)

          श्री महेश परमार-  आपके हॉस्पिटलों में चूहे बच्‍चों के अंगों को कूतर रहे हैं, यह स्थिति है.  

          श्री सचिन सुभाषचन्‍द्र यादव-  अध्‍यक्ष महोदय, मेरा सभी मंत्रियों से अनुरोध है, मैंने लगभग सभी मंत्रियों का भाषण सुना है, लेकिन किसी का भी विज़न नहीं दिखा है, रोडमैप के लिए यह विशेष सत्र रखा गया है. ये अपनी उपल्‍बधियां तो बता रहे हैं लेकिन आगे वर्ष 2047 में, भविष्‍य में, हम लोग क्‍या करने जा रहे, क्‍या होने वाला, उसके ऊपर कोई चर्चा नहीं हो रही है.

          श्री दिलीप सिंह परिहार-  सचिन जी, आप ध्‍यान से सुनें. सभी ने बताया है.

          श्री राजेन्‍द्र शुक्‍ल-  अध्‍यक्ष महोदय, जब हम अपने विज़न की बात करते हैं तो इनके उप नेता प्रतिपक्ष को आपत्ति होती है कि हम वर्ष 2047 की बात क्‍यों कर रहे हैं? और आप कह रहे हैं कि वर्ष 2047 की बात करो. वर्ष 2047 में देश आर्थिक महाशक्ति बनेगा और विश्‍व गुरू बनकर दुनिया का नेतृत्‍व करेगा.

          श्री पंकज उपाध्‍याय-  वर्ष 2026 में क्‍या आप गारंटी लेंगे की कोई चूहा बच्‍चों को नहीं कुतर जायेगा, कोई नकली दवा से नहीं मरेगा. आप केवल एक साल की बात बता दीजिये. 

          श्री सचिन सुभाषचन्‍द्र यादव-  भारत विश्‍व गुरू बने और दुनिया का नेतृत्‍व करे लेकिन इसका रोडमैप क्‍या है ? मंत्री जी ये तो बतायें.

          अध्‍यक्ष महोदय-  सचिन जी, आप बैठ जायें. टोका-टाकी जरूरत नहीं है.

          श्री भंवरसिंह शेखावत (बाबुजी)-  अध्‍यक्ष महोदय, आज के भाषण में सबसे अच्‍छा भाषण कैलाश जी का था, उन्‍होंने अपने विभाग की कोई बात नहीं कही है.

          अध्‍यक्ष महोदय-  भंवर सिंह जी आपकी बारी आने वाली है.

          श्री रामेश्‍वर शर्मा-  मंत्री जी ने बता तो दिया कि वर्ष 2047 में भारत विश्‍वगुरू होगा और भंवर सिंह जी इधर आ जायेंगे.

          श्री राजेन्‍द्र शुक्‍ल-  भंवर सिंह जी, कैलाश जी का जो सेंस ऑफ ह्यूमर है, हाजिर जवाबी है, शायद ही देश में संसदीय कार्यों के मामले में और किसी नेता का होगा. आपने उनकी तारीफ की है, मैं भी उनकी तारीफ करता हूं कि उन्‍होंने बहुत ही अच्‍छी तरह से अपनी बात को सदन में रखा है.

          अध्‍यक्ष महोदय-  राजेन्‍द्र जी कृपया पूरा करें.

          श्री राजेन्‍द्र शुक्‍ल-  अध्‍यक्ष महोदय, मैं अंत में यही कहना चाहता हूं कि जिस तरह से लगातार मेडिकल कॉलेज खोले जा रहे हैं, लगातार सुपर स्‍पेशलिटी सुविधा हर जिले में उपलब्‍ध हो जाये, इसके प्रयास हो रहे हैं. हमारा लक्ष्‍य यही है कि आने वाले दिनों में हम स्‍क्रीनिंग के मामले में, ट्रीटमेंट के मामले में और टेस्‍ट के मामले में जिले स्‍तर पर, कम्‍युनिटी हेल्‍थ सेंटर के स्‍तर पर FRU (First Referral Unit) बनाने का लक्ष्‍य है, जहां ओ.टी. हो, लेबर रूम हो, वहां सर्जरी होने लगे वहां के लिए आवश्‍यक विशेषज्ञ उपलब्‍ध हो जायें क्‍योंकि इस क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौती चिकित्‍सकों की कमी है लेकिन मुझे बताते हुए प्रसन्‍न्‍ता है कि जितने चिकित्‍सक IPHS (Indian Public Health Standards) वर्ष 2012 के नॉर्म्‍स के हिसाब से हमें चाहिए, उतने पदों की स्‍वीकृति विगत 2 वर्षों में हमारी सरकार ने की है, उसकी भर्ती की प्रक्रिया चालू है. हमारे 348 कम्‍युनिटी हेल्‍थ सेंटर, वहां पर जब हम FRU बनाने में सफल हो जायेंगे तो निश्चित रूप से स्‍वास्‍थ्‍य क्षेत्र को सुधारने के लिए आने वाले दिनों में, हमारा जो रोडमैप बना हुआ है, उस रोडमैप को पूरा करने में हम सफल हो सकेंगे, धन्‍यवाद.

          अध्‍यक्ष महोदय - श्री ओमकार सिंह मरकाम जी.

          डॉ. राजेन्‍द्र कुमार सिंह - अध्‍यक्ष महोदय, कैलाश जी को मैडल मिल गया है, वह हमें पार्टी कब देंगे ?

          श्री ओमकार सिंह मरकाम (डिण्‍डौरी) - माननीय अध्‍यक्ष महोदय जी, मानव उत्‍पत्ति के बाद मानव विकास की श्रृंखला आगे बढ़ी है. विभिन्‍न प्रकार की व्‍यवस्‍था मानव हित के लिए की गई. धर्मों का उदय हुआ, नीतियां बनीं, व्‍यवस्‍थाएं बनीं और निरन्‍तर यह प्रक्रिया हमारे संसार के मानवीय जीवन जहां पर भी है, यह उसकी प्रक्रिया है. इसी प्रक्रिया के बीच में समय गुजरता गया और वक्‍त गुजरने के बाद एक समय आया.

          अध्‍यक्ष महोदय, ईस्‍ट इंडिया कंपनी का उदय दिनांक 31 दिसम्‍बर,1600 को हुआ, तब यहां मुगनकालीन थे. सन् 1707 में औरंगजेब की मृत्‍यु हुई और अंग्रेज सक्रिय हुए,  वर्ष 1857 में देश की आजादी की लड़ाई प्रारंभ हुई. 150 वर्षों के बाद देश की आजादी की लड़ाई लगातार आगे बढ़ती गई, इस बीच में घटनाक्रम हुआ, वर्ष 1905 में बंगाल हमसे अलग हो गया. वर्ष 1947 में हम स्‍वतंत्र हुए, उसके साथ ही पाकिस्‍तान हमसे अलग हो गया. लगातार विकास की व्‍यवस्‍था आगे बढ़ती गई, दो वर्ष ग्‍यारह माह अठारह दिन में देश का संविधान बना, हमें गर्व है कि हमारी इसी मिट्टी पर बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर जी ने जन्‍म लिया. देश का संविधान बना, फिर दिनांक 26 जनवरी, 1950 में देश का संविधान लागू हुआ. व्‍यवस्‍था को आगे बढ़ाने के लिए, देश में पहला चुनाव वर्ष 1952 में हुआ. देश को आगे बढ़ाने के लिए राज्‍यों का निर्धारण हुआ, राज्‍यों के निर्धारण की सिफारिश की कमेटी के बाद चार प्रान्‍तों को मिलाकर दिनांक 1 नवम्‍बर, 1956 में मध्‍यप्रदेश की स्‍थापना हुई. इसके एक महीने और सोलह दिन के बाद दिनांक 17 दिसम्‍बर को, आज के दिन ही सत्र की पहली बैठक हुई थी. मैं आप सबको बधाई देता हूँ और जो सरकार का विजन है, इसके विषय में भी मैं कहना चाहता हूँ.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय जी, हम लगातार व्‍यवस्‍थाओं के माध्‍यम से, आज इस इतिहास को याद कर रहे हैं. इसमें कई घटनाएं हुईं. उन युगों में भी हुईं. जब भगवान राम का समय था, जब भगवान कृष्‍ण का समय था, जब मोहम्‍मद जी का समय था, जब यीशु का समय था, जब गुरुनानक जी का समय था, तब भी मानव समस्‍याओं से गुजरते चले गए, उन्‍हें संकटों का सामना करना पड़ा. विधि की व्‍यवस्‍था के आधार पर, आप और हम सब बढ़ते चले गए. वर्ष 1830 से पहले कौड़ी चलती थी, तीन फूटी कौड़ी बराबर एक साबूत कौड़ी, दस साबूत कौड़ी बराबर एक दमड़ी, दो दमड़ी बराबर एक धेला, एक धेला बराबर डेढ़ पाई, तीन पाई बराबर एक पैसा, चार पैसा बराबर एक आना और सोलह आना बराबर एक रुपया वाली व्‍यवस्‍था चलती गई और यह व्‍यवस्‍था चलते-चलते आज हम इस मुकाम पर हैं कि मध्‍यप्रदेश के आने वाले भविष्‍य के लिए आप और हम बात कर रहे हैं.         

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इसमें मेरा कहना है कि हमारा भविष्‍य कौन है आज जो बच्‍चा जन्‍म लेगा, वह 22 वर्ष बाद वर्ष 2047 में हमारा मतदाता होगा, हमारे बीच में होगा, हमारा भविष्‍य कौन है ? आज जो बच्‍चा है, वह हमारा भविष्‍य है, बच्‍चे के लिए आप और हम क्‍या करते हैं ? जन्‍म के बाद उसके गार्जियन और सरकार की बच्‍चा बहुत आगे बढ़े, पर बच्‍चा सरकार और गार्जियन से कहता है कि आप मुझे संस्‍कार और शिक्षा दो, मैं आपको बेहतर भविष्‍य दूँगा. आप और हम क्‍या दे पा रहे हैं ? क्‍या संस्‍कार दे पा रहे हैं ? आज हम विकसित भारत की बात करते हैं. मेरी अन्‍तरात्‍मा में विकसित भारत की परिकल्‍पना का उदय वर्ष 2017 में हुआ था. हमने कहा था कि मेरा भारत विकसित कैसे बनेगा ? उस समय मैंने नारा दिया था कि ''जब हम शिक्षित बनेंगे, तब हमारा देश विकसित बनेगा. शिक्षित नागरिक, विकसित भारत, शिक्षित नौजवान, समृद्ध भारत''. हमारी प्रगति का मूल आधार सभी युगों में रहा है. शिक्षा हमारी बुनियाद रहा है और शिक्षा से ही हमेशा समाज को आगे बढ़ाने का काम हुआ है. आज शिक्षा की नैतिकता पर हम सवाल खड़े करने से पहले अपनी जिम्‍मेदारी को भी समझने का प्रयास करेंगे कि हम जिन नौजवान बच्‍चों के ऊपर आज चुनौतियों के विषय में बात करते हैं उनको जन्‍म देने वाले भी हम और आप लोग ही हैं. हमारे इस मध्‍यप्रदेश की पवित्र भूमि में हमारे डॉ. शंकरदयाल शर्मा जी का जन्‍म हुआ, जो मुख्‍यमंत्री पद से लेकर देश के राष्‍ट्रपति के पद तक पहुँचे. इस विधान सभा का शुभारंभ भी डॉ. शंकरदयाल जी शर्मा ने ही किया था. हमारी ही इस पवित्र भूमि में पंडित अटल बिहारी वाजपेयी जन्‍म लिए, जो देश के प्रधानमंत्री पद पर गए. यह मध्‍यप्रदेश की पवित्र भूमि है, जो संस्‍कृति और संस्‍कार की विरासत को लेकर आगे बढ़ने की हमारी पूरी तरह से सोच होती है और हमारा कार्य होता है. पर आज बात है, अध्‍यक्ष महोदय, आसमान वही है, जमीन वही है, क्‍या वजह है कि इंसान बदल गए. इंसानियत का आज मूल्‍य देखेंगे, इंसान अपने सुख से सुखी नहीं होता, वह दूसरों को कष्‍ट देकर सुखी हो रहा है. इंसान अपने दु:ख से दु:खी नहीं होता, दूसरों के सुख देखकर के दु:खी हो रहा है. हालात किधर जा रहे हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय, मैं आज बात करना चाहता हूँ कि आने वाला भविष्‍य किधर जा रहा है. मुझे अच्‍छी तरह पता है कि जब हम गांवों में बैठते थे तो गांवों में उस समय शादियों के कार्यक्रम में पंगत लगती थी. उस समय हमारे यहां हमारे घर में भी एक कुत्‍ता रहता था, चार कुत्‍ते मिलते थे, वे बहुत झगड़ते थे, वे वहां झंझट करते थे. उस समय सयाने लोग बैठे रहते थे, आदमी बैठे रहते थे. अब मैं देख रहा हूँ. अब उल्‍टा हो गया है. कुत्‍ते इकट्ठे होकर बैठ रहे हैं और आदमी झगड़ रहे हैं. उधर पक्ष कह रहा है, इधर विपक्ष कह रहा है. भविष्‍य किधर जाएगा. यह हमारे लिए बहुत बड़ा चुनौती का विषय हो गया है. अध्‍यक्ष महोदय, मैं पूछना चाहता हूँ, उधर के लोग हों या इधर के लोग हों, अधिकारी हों, ज्‍यूडिशियरी में हों, ब्‍यूरोक्रेट्स हों, गरीब जनता हो, हैं तो इंसान. हैं तो इंसान. इंसानियत की कद्र क्‍यों नहीं हो रही है. आज चौराहे पर छोटी बच्‍चियां भीख मांग रही हैं. वृद्ध माता-पिता परेशान हैं. लालघाटी में जाकर देख लें, बच्‍चियां दर-दर भटक रही हैं. लोगों को रहने को मकान नहीं हैं, पीने के लिए पानी नहीं है. आज सही स्‍वास्‍थ्‍य नहीं है. सही शिक्षा व्‍यवस्‍था नहीं है और सही विजन नहीं है. मैं कहना चाहता हूँ कि बचा लीजिए, भारत देश को, मध्‍यप्रदेश को. (XX)

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(XX) आदेशानुसार रिकॉर्ड नहीं किया गया.

          डॉ. सीतासरन शर्मा -- अध्‍यक्ष जी, मेरा प्‍वॉइन्‍ट ऑफ ऑर्डर है. अध्‍यक्ष जी, विदेश नीति पर यहां चर्चा नहीं की जानी चाहिए. मेरा आपसे अनुरोध है कि आप ऐसा निर्देशित कीजिए.

          श्री ओमकार सिंह मरकाम -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपसे कहना चाहूँगा कि मैं मध्‍यप्रदेश का हूँ पर मेरा कर्तव्य है क्‍योंकि यह भारत देश मेरा है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- मरकाम जी, थोड़ा आसानी से, शांति से बोलिए और विषय पर बोलिए.

          नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) -- वर्ष 2047 बहुत दूर है, इसलिए थोड़ा आराम से बोलो.

          अध्‍यक्ष महोदय -- अब टाइम भी पूरा हो रहा है, आप आवेश में कुछ का कुछ बोले जा रहे हो, अमेरिका यहां थोड़ी आ रहा है भाई. यह अमेरिका वाला रिकॉर्ड में नहीं आएगा.

          श्री शैलेन्‍द्र कुमार जैन -- अंतर्राष्‍ट्रीय मुद्दों से स्‍थानीय मुद्दों पर आ जाएं माननीय अध्‍यक्ष महोदय.

          श्री ओमकार सिंह मरकाम -- अध्‍यक्ष जी, मेरा अनुरोध है कि जिस तरह से आने वाला भविष्‍य हमारा है, हमें भी गर्व है, जननि जन्‍मभूमिश्‍च स्‍वर्गादपि गरियसी, इस माटी से हमें लगाव है और यह माटी हमें सिखाती है कि हम मर मिटेंगे, पर झुकेंगे नहीं. स्‍वतंत्रता की लड़ाई में हमारे पूर्वज राजा शंकर शाह, रघुनाथ शाह ने यह हमें संदेश देकर गए हैं कि मर मिटना, लेकिन झुकना नहीं. सत्‍य राह पर चलना. इसलिए हम ये सब बात करते हुए माननीय अध्‍यक्ष महोदय जी, आज मैं आपके माध्‍यम से जो आने वाली चुनौतियां हैं, उन चुनौतियों में सरकार का जो विजन है, वर्ष 2047 की बात हो रही है, अरे, कल की बात करिए. आप वर्ष 2026 में क्‍या कर रहे हैं. वर्ष 2027 में क्‍या कर रहे हैं. वर्ष 2028 में क्‍या कर रहे हैं. ये मोदी जी का प्‍लान था. वर्ष 2014 में कहते थे, आप मुझे पीएम बनाओ, 2 करोड़ को नौकरी दूंगा, गरीबी हटा दूंगा, उस समय एक गाना चलता था कि सखी सैंया तो बहुतै कमात हैं, महंगाई डायन खाये जात है, उस समय महंगाई डायन थी, अब डॉर्लिंग क्‍यों बन गई. अब प्रिय क्‍यों हो गई. आप बढा़ते जा रहे हैं, इसको क्‍यों नहीं रोक रहे हैं.

            अध्यक्ष महोदय - मरकाम जी कृपया समाप्त करें.

          श्री ओमकार सिंह मरकाम - अध्यक्ष जी, एक बात के साथ मैं अपनी बात को विराम दूंगा कि आज जो सरकार की वास्तविकता है उसको आपको आत्मचिंतन करना पड़ेगा. दो चीजें ऐसी हैं एक तो अच्छी शिक्षा न दो और दूसरा कर्जदार बना दो. आप अच्छी शिक्षा नहीं दे रहे हैं दूसरी तरफ कर्जदार बना रहे हैं. इसलिये मैं एक शायरी के माध्यम से अपनी बात समाप्त करूंगा. करता है मदद इंसान की उसे भगवान कहते हैं,चूसता खून इंसान का, उसे शैतान कहते हैं तो शैतान मत बनो इंसान बन जाओ. धन्यवाद.

          श्री हेमन्त विजय खण्डेलवाल(बैतूल) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपका और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री जी का धन्यवाद करता हूं कि आपने एक दिन का विशेष सत्र विकसित आत्मनिर्भर और समृद्ध राज्य बनाने के लिये चर्चा के लिये आहूत किया. मैं आजादी के बाद की स्वास्थ्य में जो डेवलपमेंट हुआ उसकी बात करूंगा. आजादी के बाद चाहे कोई सरकार रही हो विपक्ष की रही हो हमारी रही हो सभी ने स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार के लिये कुछ न कुछ प्रयास किया क्योंकि स्वास्थ्य ही जीवन है और जीवन की रक्षा किसी भी संवेदनशील,जवाबदेह और दूरदर्शी शासन की सबसे बड़ी जिम्मेदारी होती है.सरकारें बहुत सी आती जाती हैं घोषणाएं बहुत होती हैं लेकिन इतिहास वही याद रखता है जिसने आम आदमी के जीवन में कुछ परिवर्तन किया हो. अभी स्वास्थ्य मंत्री बता रहे थे कि 2003 में मात्र 5 शासकीय और 2 प्रायवेट कालेज थे और हमारे जो जिले की तहसील के नागरिक थे गांव के नागरिक थे उन तक स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचना एक आशा की किरण थी. आज मध्यप्रदेश में 19 शासकीय महाविद्यालय हैं 6 केन्द्र की मदद से और बन रहे हैं. 14 निजी मेडिकल कालेज हैं और 13 पीपीपी मोड पर बनाए जा रहे हैं. कुल 52 मेडिकल कालेज आने वाले सालों में दिखेंगे. मैं 2047 की नहीं आने वाले 2-3 साल की बातकरूंगा. जो पीपीपी मोड पर कालेज बन रहे हैं उनमें से 4 का भूमिपूजन हमारे केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी.नड्डा जो हमारी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं वह 23 तारीख को करने जा रहे हैं उसमें से एक कालेज मेरे आदिवासी बैतूल जिले का है और हम सबके लिये बड़ी आशा की बात थी कि हमारे आदिवासी जिले में मेडिकल कालेज खुलने जा रहा है वह दिन हमारे पूरे जिले के लिये एक सुखद दिन होगा कि प्रदेश में हम कल्पना भी नहीं कर सकते थे कि दूरदराज अंचल में एक मेडिकल कालेज होगा मैं इस बात के लिये मुख्यमंत्री जी को और हमारे स्वास्थ्य मंत्री जी को इस बात के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहूंगा जब हमारे आदिवासी गांवों के छोटे छोटे बच्चों की डाक्टर बनने की उनकी कल्पना साकार होगी.स्वास्थ्य कभी बजट भाषणों का विषय हुआ करता था लेकिन आज मध्यप्रदेश में मेडिकल कालेज,जिला अस्पताल,ट्रामा सेंटर,सुपर स्पेशिलिटी हास्पिटल,मेडिसिटी और शोध संस्थान जमीन पर खड़े दिखते हैं. इतिहास वही रचते हैं जो समय की मांग पहचानते हैं जो केवल बोलते हैं वह भीड़ में खो जाते हैं. सुपर स्पेशिलिटी हास्पिटल,स्कूल आफ एक्सीलेंस,स्टेट वायरोलाजी लैब,5 वायरस डिजीज रिसर्च सेंटर यह केवल भवन नहीं बल्कि मध्यप्रदेश के स्वास्थ्य की सुरक्षा केप्रहरी हैं. कैंसर,हृदय रोग,गंभीर बीमारी के ईलाज, रेडियोथेरेपी,ब्रेकी थेरेपी,कार्डियोलाजी,कैथ लैब,डे केयर सेंटर जैसे सेंटर अब प्रदेश में नहीं  बल्कि जिला स्तर पर बनाए जा रहे हैं.

माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आज प्रदेश में जिला अस्‍पतालों की संख्‍या 39 से बढ़कर 55 हो गई. सिविल अस्‍पताल 57 से बढ़कर 161 हो गये. सीएचई 227 से बढ़कर 348 हो गये और पीएससी 1194 से बढ़कर 1442 हो गये. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, प्रदेश में 21 हजार बेड्स से बढ़कर 47 हजार बेड हो गये और 15500 आईसोलेशन बेड हो गये. मैं आपको बताना चाहता हूं माननीय अध्‍यक्ष महोदय शिशु मृत्‍युदर 85 से घटकर 37 हो गई. मातृ मृत्‍युदर 498 से घटकर 142 हो गई और प्रजनन दर 3.99 से घटकर 2 पर आ गई और संस्‍थागत मतलब सरकारी अस्‍पतालों में जो डिलेबरी होती थी उसका प्रतिशत 26 से बढ़कर 98 प्रतिशत हो गया. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आंकड़े जब जीवन की कहानी कहने लगे तो समझिये शासन सही दिशा में काम कर रहा है. चिकित्‍सा शिक्षा में ऐतिहासिक विस्‍तार हुआ है. सरकारी एमबीबीएस की सीटें 760 से बढ़कर 2850 हो गईं. कुल एमबीबीएस की सीटें 5550 हो गईं. एमडी और एमएस की सीटें 140 से बढ़कर 2862 हो गईं. मैं आपको बताना चाहता हूं कि विश्‍व स्‍वास्‍थ मानक जो संगठन है वह कहता है कि 1 हजार लोगों पर एक डॉक्‍टर होना चाहिये. मैं आपको बताना चाहता हूं कि अमेरिका में 320 लोगों पर एक डॉक्‍टर है, चीन में साढ़े चार सौ लोगों पर एक डॉक्‍टर है, जापान में 400 लोगों पर एक डॉक्‍टर है और मध्‍यप्रदेश में एक डॉक्‍टर 903 लोगों पर है, लेकिन जब 52 मेडीकल कॉलेज धरातल पर आयेंगे तो लगभग 10 हजार सीटें मेडीकल की हो जायेंगी और हम देश के अग्रणी मेडीकल स्‍टेट में हो जायेंगे जहां डॉक्‍टर और मरीज व्‍यक्तियों का रेश्‍यों बराबर हो जायेगा और अमेरिका चीन और जापान के नजदीक हमारे आंकड़े पहुंच जायेंगे. मैं आपको बताना चाहता हूं कि आज हमारे आयुष्‍मान भारत जो योजना हमारे मोदी जी के विजन से हमारे राज्‍य में लागू की गई, 4 करोड़ 42 लाख कार्ड बने, 5700 करोड़ रूपये का भुगतान राज्‍य सरकार ने किया और पूरे देश में सर्वाधिक 34 लाख मरीजों का इलाज हमारी मध्‍यप्रदेश की सरकार ने आयुष्‍मान योजना के माध्‍यम से कराये. मैं मुख्‍यमंत्री जी और प्रधानमंत्री जी के विजन के लिये उन्‍हें धन्‍यवाद देना चाहूंगा. मैं स्‍वास्‍थ मंत्री जी और मुख्‍यमंत्री जी को एक बात के लिये और धन्‍यवाद देना चाहूंगा कि मात्र शिशु संजीवनी मिशन, स्‍वस्‍थ नारी सशक्‍त परिवार मिशन, एनीमिया मुक्‍त भारत, टीबी उन्‍मूलन, सिकल सेल मिशन और ई संजीवनी इन सभी स्‍थानों पर रा‍ष्‍ट्रीय स्‍तर पर मध्‍यप्रदेश ने पहला स्‍थान हासिल किया है. इन सभी नीति और संवेदनाओं के साथ सरकार चलती है. दृष्टि स्‍पष्‍ट हो तो रास्‍ते अपने आप बनते हैं और इसीलिये मैं पीएम श्री योजना और निशुल्‍क 100 वाहन योजना का जिक्र करना चाहूगा. एयर एम्‍बूलेंस योजना का आपसे मैं इसलिये जिक्र करना चाहूंगा कि यह एक ऐसी योजना है जिसमें समाज में सरकार की संवेदनशीलता को बताया. मैं आपको बताना चाहता हूं कि मेरे एक कार्यकर्ता की रात में 1 बजे तबीयत खराब हुई. मुझे रात में 1 बजे उसके परिवार का फोन आया, मैंने मुख्‍यमंत्री जी को रात में एक बजे फोन किया, स्‍वास्‍थ मंत्री जी को रात में 1 बजे फोन किया और 5 बजे हमने उसे एयर लिफ्ट किया. जब मुख्‍यमंत्री जी के साथ में उसके परिवार से मिलने गया तो उन्‍होंने एयर एम्‍बूलेंस से लिफ्ट करने के लिये हमें कोटि-कोटि धन्‍यवाद दिया. मैं निशुल्‍क 100 वाहन योजना के लिये आपको इसलिये धन्‍यवाद देना चाहता हूं, मैं जनजाति क्षेत्र से आता हूं, मेरे कार्यकर्ता के साथ एक हादशा हुआ तो मैंने खुद के वाहन चलाना वर्ष 2000 में शुरू किया और लगभग 4 हजार शवों को उनके गंतव्‍य तक पहुंचाया, लेकिन मुख्‍यमंत्री जी को मैं धन्‍यवाद देना चाहूंगा कि जब कोई परेशान होता है तो उसके परिवार में जो दुख है, जो तकलीफ है उसकी संवेदना आपने समझी और उस परिवार को आखिरी समय में आपने जो सहारा दिया.

           मैं पूरे सदन की तरफ से आपका धन्‍यवाद देता हूं. हमारे माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मुझे टोके उसके पहले ही मैं माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी जी के मार्गदर्शन में और मुख्‍यमंत्री जी के नेतृत्‍व में मध्‍यप्रदेश स्‍वास्‍थ्‍य क्षेत्र में नई पहचान बनेगा. यहां पर केवल विकास नहीं, यहां पर विश्‍वास, सुरक्षा और मानव गरिमा की पुनर्स्‍थापना होगी, इसी के साथ मैं अपनी बात समाप्‍त करना चाहता हूं. अध्‍यक्ष महोदय, आपका बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          संसदीय कार्यमंत्री(श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- अध्‍यक्ष महोदय, इसमें पूरा भविष्‍य का प्‍लान था, जो इन्‍होंने कहा है कि इतने मेडीकल कॉलेज खुलेंगे. इस प्रकार से डॉक्‍टरों की संख्‍या बढ़ेगी और वर्ष 2047 में इतने डॉक्‍टर्स हो जायेंगे कि हम जापान और अमेरिका का जो अभी रेश्‍यो है, उससे आगे बढ़ जायेंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय -- कैलाश जी सबसे बड़ी बात यह है कि हेमन्‍त जी ने ही दस मिनिट का पालन किया है और मुझे लगता है कि इसका अनुसरण बाकी लोगों को भी करना चाहिए.

          श्री लखन घनघोरिया(जबलपुर-पूर्व) -- अध्‍यक्ष महोदय, 70 वे साल में यह सदन प्रवेश कर रहा है और आज इस विशेष सेशन में चर्चा एक विजन पर होना थी, लेकिन सब आकर वर्ष 2003 के पहले की बात और फिर वर्ष 2047 पर आकर अटक गये. यहां पर सकारात्‍मक चर्चा होना थी, कैलाश भईया बोल रहे थे कि आलोचना नहीं होना चाहिए, आप केवल सुझाव दें, लेकिन यहां हम जितने भी सत्‍ता पक्ष के वक्‍ताओं को सुन रहे हैं, ऐसा लग रहा है, जैसे वह अपना रिपोर्ट कार्ड बता रहे हो, विजन तो है ही नहीं. सभी अपना रिपोर्ट कार्ड बता रहे हैं. परसाई जी लिखते हैं कि- ''प्रशंसा सुनकर आदमी फूलता है और आलोचना सुनकर सोचता है, सच्‍चाई सुनकर तिलमिलाता है'' वहीं मुंशी प्रेमचंद जी कहते हैं कि ''घमण्‍ड में आदमी फूल सकता है, फल नहीं सकता है'' किसी ने यह भी लिखा है, कैलाश भईया जी अभी तक सुन रहे थे, तो मैं चार लाईन में मैं अपनी बात कहूंगा कि-

          ''डुबाने में माहिर हो, किनारे भी बता देते,

        जो किया है मीठा सा खारा, वह भी बता देते,

        हवा चांद सूरज सब अपना बताते हो,

        थोड़ी सी गैरत जगाकर, कुछ हमारा भी बता देते''... (मेजों की थपथपाहट)  

          श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्‍यक्ष महोदय, आप देख ली‍जिये कि मैंने तो पूरे भाषण में सिर्फ इनका ही बताया है, मेरा तो सिर्फ इतना सा ही बताया है. मैंने रविशंकर जी से चालू किया है, वह मेरी पार्टी के नहीं थे, कैलाशनाथ काटजू मेरी पार्टी के नहीं थे, गोविन्‍द सिंह जी मेरी पार्टी के नहीं थे, अर्जुन सिंह जी मेरी पार्टी के नहीं थे, दिग्विजय सिंह जी मेरी पार्टी के नहीं थे, मोतीलाल वोरा मेरी पार्टी के नहीं थे, इन सबकी मैंने प्रशंसा की है. मैंने आपका ही बताया है, श्रीमान् जी अब आपको समझ में नहीं आये या पता नहीं कौन सी गोली खाकर आप आये हो, अब उसके लिये मैं थोड़ी जिम्‍मेदार हूं. मैंने तो सब उनका ही बताया है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- इंदौर वाली जबलपुर में भी मिलती है क्‍या (हंसी) ..

          श्री लखन घनघोरिया -- अध्‍यक्ष महोदय, यह तो उसी तरफ मालवा में है, बम बम. (हंसी)..

          श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्‍यक्ष महोदय, इंदौर से थोड़ा आगे बढ़ते हैं उज्‍जैन की तरफ है, वहां है (हंसी)..

          श्री महेश परमार -- जय महाकाल, उज्‍जैन तो उज्‍जैन है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- आप सभी को समय का ध्‍यान रखना है, क्‍योंकि नेता प्रतिपक्ष और मुख्‍यमंत्री जी को भी बोलना है.

          श्री लखन घनघोरिया -- अध्‍यक्ष महोदय, अभी हेमन्‍त जी ने वास्‍तव में स्‍वास्‍थ्‍य पर बहुत अच्‍छी बात कहीं हैं और यह मेरा सौभाग्‍य है कि मैंने हेमन्‍त जी को पहली बार सुना है. मैंने पहली बार सुना है लेकिन वह वर्ष 2003 के  बाहर निकल भी नहीं पाये हैं और वर्ष 2047 पर वह बोल भी नहीं पाये.         

मेडिकल कॉलेज की बात कर रहे थे. मुख्‍यमंत्री जी ने भी स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं के लिए कहा था और हमारे स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री भी बता रहे थे. कि कितने मेडिकल कॉलेज खुल गए शासकीय 19 और अशासकीय 14 और सीट कितनी है. टोटल सीट 5200 है पूरे 31-32 कॉलेज में एमबीबीएस की और पीजी की 3500 सीट है. इतने कॉलेज आपने खोल दिए, अभी आप सूची बता रहे थे कि यहां यहां कॉलेज खुलना है, कितना खोल लेंगे] सीट हैं? कहां सीट कहां बढ़ रही? हर जिले में आपका एक मेडीकल कॉलेज खुलना है.

05:30 बजे    {सभापति महोदय (डॉ. राजेन्‍द्र पाण्‍डेय) पीठासीन हुए.}

        सभापति महोदय, एमसीआई जब नए मेडीकल कॉलेज में अपना इंस्‍पेक्‍शन करती है, तो पता चलता है जबलपुर मेडिकल कॉलेज के डॉक्‍टर उसी बीच में चार पांच दिन की छुट्टी लेकर छिंदवाड़ा का इंस्‍पेक्‍शन सही करवाते है, छिंदवाड़ा वाले खंडवा का सही करवाते हैं. ये स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं की स्थिति है. मंत्री महोदय खुद भी स्‍वीकार कर रहे थे कि अस्‍पतालों में चूहा है, आगे नहीं होंगे. अभी हमारे हमेंत खंडेलवाल जी बता रहे  थे 1400 पीएएस खोले हैं, 800 पीएसी में डॉक्‍टर नहीं है. बिना डॉक्‍टर के 800 पीएसी चल रही है. 3700 डाक्‍टरों के पद रिक्‍त हैं. आप 55 जिलों में 55 मेडिकल कॉलेज बना देंगे, सीट्स हैं आपके पास. एजुकेशन सिस्‍टम आपका कहां जा रहा है. सीट कहां हैं, ये चिंतन उस पर होना चाहिए. हम चिकित्‍सा शिक्षा की बात करें या वैसे ही शिक्षा की बात करें तो पूरा चौपट है. आप कितनी ही पीठ थपथपा लें. सुधार की गुंजाइश है. यहां सरकारें क्‍या कर रही कि वर्ष 2003 के पहले कितने थे, वर्ष 2025 तक कितने हो गए, हम इसी पर चर्चा कर रहे हैं. 3700 डॉक्‍टरों की कमी है. कम से कम 65 हजार पैरामेडिकल स्‍टाफ नहीं है आपके पास. अभी राकेश जी बता रहे थे कि कितने संजीवनी क्‍लीनिक बना दिए 75 प्रतिशत बंद पड़े हैं आपने भवन बना दिए वैसे ही मेडिकल कॉलेज बना दें वे बंद पड़े रहेंगे. डॉक्‍टर है नहीं, पैरामेडिकल स्‍टाफ है नहीं. आपका ऐकेडमिक सिस्‍टम बिलकुल चौपट है. आप स्‍वास्‍थ्‍य पर आ जाइए, आयुष्‍मान भारत योजना बहुत अच्‍छी है कोई दो मत नहीं है, लेकिन कहां चल रही जब देखें तब सर्वर डाउन रहता है. आप ऐप की बात करते हों, सरकार के ऐब देखो, सरकार की कमी देखो कहां है, सरकार के ऐब की बात हम नहीं कर रहे, हम ऐप की बात कर रहे हैं, हर समय सर्वर डाउन रहते हैं, जब गरीब आयुष्‍मान कार्ड लेकर अस्‍पताल जाता है तो पहले अस्‍पताल वाले कहते हैं कि इसको अभी चैक कर रहे हैं ये सही है या नहीं और उसके बाद कहते हैं कि पहले पैसा जमा कर दो जब पैसा आ जाएगा, तो आपको वापस कर देंगे. जब पैसा आ भी जाता है तो उसको वापस नहीं होते, ये सुधार की जरूरतें हैं. पहला सुख निरोगी काया हम कह तो देते हैं, लेकिन होती क्‍या पहला सुख निरोगी काया. शिक्षा सबसे बड़ा माध्‍यम होता है समग्र विकास और उन्‍नयन के लिए. शिक्षा के लिए हम क्‍या कर रहे हैं, कहां है, हमारा सिस्‍टम पहली से आठवीं क्‍लास तक की जो कक्षाएं हैं जितने शिक्षकों की कमी है. कितने स्कूलों में एक मास्टर है, कितने में प्राचार्य नहीं है और कितने में प्रभारी प्रचार है. आपके यहां पर पद रिक्त पड़े हैं. राज्य शिक्षा केन्द्र संचालित करते हैं माननीय शिक्षा मंत्री जी बड़े ही भले आदमी हैं वह पूरा बता रहे थे उनको जैसा अधिकारी बता देते हैं वैसा ही पढ़ देते हैं उनकी भी गलती नहीं है. अब मुसीबत यह है कि राज्य शिक्षा केन्द्र प्राथमिक शिक्षा का वह संचालन करता है. मंत्री जी नहीं करते हैं, यह गलतफहमी में न रहें. यह आप शिक्षा केन्द्र से पता कर लें. जब शिक्षा केन्द्र का गठन हुआ उसके कागज देख लें उसमें सारी व्यवस्थाएं, सारी सुविधाएं सिर्फ अधिकारीवर्ग करता है उसकी निगरानी अधिकारीवर्ग करता है.

          उच्च शिक्षा मंत्री (श्री उदय प्रताप सिंह)सभापति महोदय, जैसा कि आदरणीय लखन भाई ने कहा कि राज्य शिक्षा केन्द्र इसका गठन, नियोजन, सब कुछ आपके समय में किया गया है, हम तो उसे चला रहे हैं और जो बेहतर कर सकते हैं वह प्रयास कर रहे हैं. बाकी बना आपके समय में है.

          श्री लखन घनघोरियासभापति महोदय, माननीय उदय प्रताप जी आप हम यह न करें. आप भी यहीं थे यह सब बातें नहीं, किन्तु सचाई जो है वह बताओ है. क्या सायकिल से लेकर लेपटॉप से लेकर खेलकूद की सामग्री पर आपका नियंत्रण है, आपका संचालन है क्या ? शिक्षा विभाग का कहीं से संचालन नहीं है. सिर्फ अधिकारियों की मनमानी चलती है. कोविड कॉल तक तो सब कुछ बंट गया था जब स्कूलें बंद थीं इसमें सुधार की जरूरत है. क्योंकि मैंने इसमें ध्यानाकर्षण भी लगाया था वह तो नंबर नहीं आया या हो सकता है कि आपके विभाग का दबाव हो, उसको नहीं लिया गया. दूसरी चीज कॉलेज शिक्षा पर जरूर बात करना चाहता हूं उच्च शिक्षा पर माननीय परमार जी है नहीं. कम से कम हर विश्वविद्यालय में अभी बड़े अच्छे से बोल रहे थे सब बोल रहे थे कि हमने नाम बदल दिया कुलपति से कुलगुरू कर दिया है, यह बहुत अच्छी बात है. लेकिन कुलगुरू किसी का चेला जरूर होगा, तब ही बनेगा. उसके पहले नहीं बनेगा. उसकी कोई योग्यता नहीं जबलपुर आरडीपीवी विश्वविद्यालय का आपको वाक्या बता रहा हूं उसको कई बार बोला हूं कि रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में पीएससी एग्रीकल्चर विषय चालू होगा. जबकि एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी अलग है. एंट्रेंस एग्जाम होते हैं पूरे देश के. लेकिन एंट्रेंस एग्जाम के उसी जबलपुर शहर में दोनों यूनिवर्सिटियां हैं वहां पर बहुत बड़ा इन्फ्रास्ट्रक्चर है. सैकड़ो एकड़ जमीन है रिसर्च के लिये, लेब है सब कुछ है वहां पढ़ाया जाता है एग्रीकल्चर इस साल से उन्होंने चालू कर दिया है. वहां पर न तो लेब है, न ही टीचर हैं और न ही रिसर्च के लिये जमीन है. उसी प्रकार से आप अपनी एक संस्था को फायदा तो पहुंचा रहे हैं और एक को कमजोर कर रहे हैं. यहां तक तो ठीक है आप फायदा संस्था को कर रहे हैं. उन बच्चों का भविष्य क्या होगा जो आरडीपीवी एडमीशन लेकर के पढ़ेगा, वह फर्जी डिग्री नहीं कहालायेगी क्या ? बीटेक चालू कर दिया जबलपुर में इतने इंजीनियरिंग कॉलेज हैं उनकी एक यूनिवर्सिटी अलग है. यूनिवर्सिटी में बीटेक विषय चालू कर दिया कहां आप मेक्निकल पढ़ाओगे, क्या प्रेक्टिकल कराओगे ? कहां पर इलेक्ट्रीकल कराओगे ? कहां पर सिविल पढ़ाओगे ? कोई लेब नहीं है, कोई टीचर नहीं है, चालू कर दिया है. आपको कमाई का जरिया बनाना है.

सभापति महोदय -- लखन जी, आप समाप्‍त करें. काफी समय हो गया. आप एक मिनट में समाप्‍त करें. आपकी सारी बातें भी आ गई हैं.

          श्री लखन घनघोरिया -- सभापति महोदय, मैं सुझाव दे रहा हॅूं. हम आरोप-प्रत्‍यारोप नहीं लगा रहे हैं. 75 परसेंट आपके पास पद रिक्‍त पडे़ हैं. हर चीज आप आउटसोर्स से कर रहे हैं. स्‍थिति क्‍या है. रोज बेरोजगार नौजवानों की तादाद बढ़ रही है. शिक्षा को हम रोजगारोन्‍मुखी बना  कहां रहे हैं. हम अच्‍छे भविष्‍य की बात करते हैं, आत्‍मनिर्भर होने की बात करते हैं. आप नगरीय निकायों में देख लीजिए. आज 75 परसेंट कर्मचारी आउटसोर्स से हैं. सफाई व्‍यवस्‍था ठेकेदारी में की गई है. एक वार्ड में कम से कम 40 सफाई कर्मचारी होने चाहिए.

          सभापति महोदय -- लखन जी, बहुत-बहुत धन्‍यवाद. आप अपनी बात समाप्‍त करें. पर्याप्‍त समय हो गया है. काफी समय हो गया है. थोड़ा शीघ्रता से एक मिनट में अपनी बात समाप्‍त कर दें. कोई अच्‍छा सा शेर या आ रहा हो, तो शेर सुनाकर अपनी बात समाप्‍त कर दें...(हंसी)..

          श्री लखन घनघोरिया -- माननीय सभापति महोदय, मैं 2-3 सुझावों के साथ अपनी बात समाप्‍त करूंगा. शहरी विकास के संदर्भ में जितने नगर निगम, नगर पालिकाएं हैं इनका चुंगी क्षतिपूर्ति का एक अधिकार था. कम से कम 36 हजार करोड़ रूपए इन्‍हें चुंगीकर क्षतिपूर्ति का मिलता था. आप मानकर चलिए कि महीने का 300 करोड़ रूपए है. हर नगर निगम, नगर पालिका का संचालन चुंगी क्षतिपूर्ति से होता था. आपने चुंगी क्षतिपूर्ति बंद कर दी. 16 साल से चुंगी क्षतिपूर्ति को बढ़ाया नहीं गया. हर साल 10 परसेंट बढ़ाते रहना चाहिए था, लेकिन आप नहीं बढ़ा रहे हैं. और उसके बाद पता नहीं कितनी कटौती कर करके आप भेज रहे हैं. नगरीय निकायों की स्‍थिति बहुत गंभीर हो चुकी है. आप चाहे अवॉर्ड कितने ही ले लीजिए. हवा का ले लीजिए, जमीन का ले लीजिए. लेकिन यह फर्जी अवॉर्ड कहां बिक रहे हैं. सब जगह फर्जी अवॉर्ड हैं. हमारे जबलपुर के कई विद्वान साथी बैठे हैं. वे मर्यादा के कारण नहीं बोल पायेंगे लेकिन सच्‍चाई यह है कि सफाई व्‍यवस्‍था ध्‍वस्‍त पड़ी है. एक बार में 40 सफाई कर्मचारी होना चाहिए. ठेकेदार की सेटिंग होती है. एक बार में 15 से ज्‍यादा कर्मचारी नहीं होते हैं.

          सभापति महोदय, कर्मचारियों की ईपीएफ कटती है. भविष्‍य निधि जमा नहीं हो रही है. एक कर्मचारी की भविष्‍य निधि 20 परसेंट कटती है. यह पूरा खेल हो रहा है. एक तो कम कर्मचारियों को काम में रखकर खेल कर रहे हैं और दूसरा भविष्‍य निधि कम जमा करके खेल कर रहे हैं. सारे नगर निगम और नगर पालिकाओं के अधिकारी मिलकर के खेल कर रहे हैं. आपने सबको आउटसोर्स में कर दिया. कम से कम एक-एक नगर निगम में 6-7 हजार से ज्‍यादा कर्मचारी होंगे, जो आउटसोर्स से होंगे. जिसकी भविष्‍य निधि पूरी की पूरी ठेकेदार खा रहा है और ठेकेदार कर्मचारियों की पेमेन्‍ट भी खा रहा है.

          सभापति महोदय, इसके अलावा आप हर जगह देख लीजिए. आप स्‍वच्‍छता की बात करते हैं.  हर जगह कचरों के ढेर का अंबार लगा हुआ है. आप वृक्षों की बात कर रहे थे. माननीय कैलाश जी, आप समझते हैं मध्‍यप्रदेश सिर्फ इंदौर है. कैलाश भैया के कारण इंदौर बहुत अच्‍छा है, इसमें कोई दो मत नहीं है. उनकी  तेज निगाह  है बारीक निगाह है. इसलिए वहां कुछ नहीं होता होगा, लेकिन इंदौर ही पूरा प्रदेश नहीं है. आप इंदौर के बाहर निकलिए. कब से सुन रहे हैं, अमृत 2.0, वर्ष 2047 में आएगी क्या? कब
आएगी अमृत 2.0
? जो योजनाएं चल रही हैं उनकी हालत खराब है. सीवर लाईन, सीवर का फीवर लोगों को पागल कर देता है.

          श्री शैलेन्द्र जैन - अमृत 2.0 की योजना आ चुकी है. हमारे सागर में आ गई है, आपके जबलपुर में नहीं आई, यह समझ में नहीं आ रहा है.

          श्री लखन घनघोरिया - आप थोड़ा सुनने का भी हौंसला रखिए.

सभापति महोदय - आपको काफी समय हो गया है, एक मिनट में अपनी बात समाप्त करें.

श्री लखन घनघोरिया - हमारे माननीय मंत्री जी 3 विषय पर एक साथ बोल गये. सभापति महोदय, मैं कहना चाहता हूं कि -

"चले तीर तलवार अभी तुम चुप बैठो,

मरने दो, दो-चार, अभी तुम चुप बैठो,

रोना है तो होंठो के अंदर रोलो,

सोई हुई यह सरकार अभी तुम चुप बैठो."

 

सभापति महोदय, स्थिति बिल्कुल साफ है, हम वर्ष 2003 से बाहर तो निकलें. आप वर्ष 2047 की बात कर रहे हैं. सभापति महोदय, कुछ हमारे क्षेत्र की समस्याएं हैं. 3-4 विभाग ऐसे हैं चाहे फायर ब्रिगेड हो, चाहे सफाई योजना विभाग हो, चाहे सफाई कर्मचारी हो, चाहे जल प्रदाय हो, पूरे विभाग हम शहरी लोगों के यहां एक ही नगर निगम में आते हैं. लोक निर्माण विभाग उसी में है, पीएचई उसी में है, उसके बाद हम लोगों को बोलने का समय कम मिलता है.

सभापति महोदय - आपको पर्याप्त समय दिया है.

श्री लखन घनघोरिया - सभापति महोदय, टैक्स वसूली का एक विषय है. मार्च से आम जनमानस पर टैक्स दोगुना हो जाएगा. संपत्ति कर, वह भी कौन वसूलेगा? प्राइवेट कंपनियों को ठेका दिया जा रहा है, मतलब दादागिरी कराई जा रही है. इनमें सुधार की जरूरत है. यह आपसे आग्रह है. आपने जो बोलने का समय दिया, इन शब्दों के साथ आपका शुक्रिया अदा करते हैं.

"जिंदगी की राहों में खुशबूओं के घर रखना,

आंख में नयी मंजिल, पांव में सफर रखना,

दाग दूसरे के देखने में क्या हासिल,

खुद का आइना है तू, खुद पर भी नज़र रखना."

सभापति महोदय, बहुत बहुत धन्यवाद. (मेजों की थपथपाहट)..

 

श्री चेतन्य कुमार काश्यप (रतलाम-सिटी) - सभापति महोदय, आपके माध्यम से मैं अध्यक्ष महोदय को बहुत बहुत धन्यवाद ज्ञापित करता हूं कि उन्होंने विधान सभा के 70वें स्थापना दिवस को एक सकारात्मक चिंतन का मंच बनाने का प्रयास किया है और विज़न वर्ष 2047 कि भारत वर्ष 2047 में कहां होगा, उसकी परिकल्पना और उसमें मध्यप्रदेश की भूमिका क्या होगी और मध्यप्रदेश कहां होगा, उसके बारे में हम बैठकर चिंतन करें परंतु  कई हमारे माननीय सदस्यों  ने 2047 के विजन पर प्रश्न उठाया कि  2008 क्यों नहीं, 2010  क्यों नहीं.  मैं इसमें यही कहना चाहूंगा कि  2047 भारत  की  आजादी का  100वां वर्ष होगा और  हमारा शताब्दी  वर्ष होगा और  विजन, क्योंकि मैं   साथियों से कहूंगा कि बिना विजन, दृष्टि के  विकास  की जो  गति होती है, वह पूरी   आपके और हमारे बीच में है.  2014 में हमारे  प्रधानमंत्री, नरेन्द्र मोदी जी  ने जो कार्य प्रारम्भ किया, तो सातवें नम्बर की विश्व की  अर्थ व्यवस्था थी.   वह आज चौथे नम्बर पर  आ गई  और इसके पहले   अगर हम 70-75 सालों का इतिहास देखें, तो  कभी गति यह हमारी  नहीं रही,  बीच में चीन की बात आई थी. चीन के अन्दर   1948 से ही साम्यवादी व्यवस्था  आई है और चीन का विकास, चीन की जो व्यापारिक,सैन्य, उद्योग की  गतिविधियां हैं, तो हम देखें, तो  वह हमारे सामने है. तो यह हमारे नेतृत्व की  कहीं न कहीं, मैं नाम नहीं लूंगा, परन्तु कहीं न कहीं हमारे नेतृत्व की गलतियां थीं, जिसके कारण से हम  पिछड़ गये. म.प्र. में हमारे मुख्यमंत्री, डॉ. मोहन यादव जी ने  उद्योग विभाग का प्रभार  उनके पास है.  मैं उन्हें भी धन्यवाद ज्ञापित  करता  हूं कि  उन्होंने आज उद्योग  विभाग की उपलब्धियों के ऊपर  मुझे इस अवसर पर  2047 के विजन  पर बोलने का जो  दायित्व दिया है. यह एक टीम वर्क है कि पूरी टीम को कैसे  उत्साहित रखना  और  कैसे प्रोत्साहित करना. आज अगर देखें, तो  उद्योग वर्ष 2025  को  उन्होंने घोषित किया.  इसके पीछे एक बड़ी दृष्टि  थी और वह दृष्टि थी म.प्र.  आज खेती, कृषि के अंदर हम बहुत आगे हैं. यह बड़ी अच्छी बात है. आज  हमारी  जीडीपी  में म.प्र.   की  कृषि का योगदान  करीब 43 प्रतिशत  है और उद्योग का योगदान  21 प्रतिशत है.  अगर हम भारत का आंकड़ा देखें,  देश का आंकड़ा देखें, तो  वहां पर हमारे सामने जब हम देखते हैं,  तो हमारे  भारत में 18 प्रतिशत   कृषि का योगदान है और  27 प्रतिशत   औद्योगिक क्षेत्र का योगदान है. तो यह जो समन्वित विकास  की परिकल्पना हमारे  मुख्यमंत्री, डॉ.मोहन यादव  जी ने की कि कृषि में हम बहुत आगे आये हैं, परन्तु उद्योग की भी आवश्यकता है.हमारे युवाओं के नये भविष्य  के लिये, अगले भविष्य के लिये  उनकी संभावनाओं  को,  उनके सपनों   को पंख   देने के लिये हमें क्या आवश्यकता है  और इसीलिये उद्योग का   उन्होंने जो यह वर्ष मनाया और इस एक वर्ष के अन्दर ही  उन्होंने यह भी  ध्यान रखा, ग्लोबल  इन्वेस्टमेंट समिट  की बात आई थी. ग्लोबल  इन्वेस्टमेंट समिट इसके  पूर्व में इंदौर में ही होती रही. प्रथम बार उन्होंने   उसको भोपाल में आयोजित किया और सफलतापूर्वक आयोजित    किया गया और उसमें हमारे  देश  के प्रधानमंत्री, नरेन्द्र मोदी जी का  आशीर्वाद भी हमें प्राप्त हुआ. परन्तु उसके पहले  पूरे  वर्ष भर  पूरे प्रदेश के अन्दर 7 जगह पर पहली बार यह प्रयोग  हुआ कि रीजन इंडस्ट्री समिट  हुई. हमारे सागर  के अन्दर जब समिट हो रही थी, तो हमारे साथी कह रहे थे कि सागर  में  इन्वेस्टमेंट समिट का  क्या  औचित्य रहेगा या कौन  आयेगा, परन्तु जो 7 इन्वेस्टमेंट हमारी रीजनल समिट हुईं,  उन हर समिट में 2-2,3-3  हजार हमारे हर जिले के  नये युवा,  नये उद्यमी जो  अपनी भावनाएं लेकर के,  एन्टरप्रेन्योरशिप  की भावनाएं लेकर के आगे आये और देश एवं प्रदेश के बड़े उद्योगपति भी वहां आये.  उन्होंने वहां की क्षेत्रीय संभावनाओं को समझा और  हमारे उद्यमियों को भी हमने आगे बढ़ाया. तो  इस तरीके की 7 समिट करके,  इसके बाद हम  उसको एक योजनाबद्ध  तरीके से  आगे लाये, यह जो  2047 के  विजन पर हम  चर्चा  कर रहे थे. तो भारत  का स्वतंत्रता का शताब्दी वर्ष  हम कैसे  मनायें, यह दृष्टिकोण रखना  बड़ा  आवश्यक है. इसलिये विजन  के  ऊपर प्रश्न उठाना  यह मुझे समझ में नहीं आता है, क्योंकि पूर्व में  सिर्फ हमने साम्यवादी  व्यवस्थाओं से पंचवर्षीय  योजना पकड़ी और सिर्फ   5 साल का ही दृष्टिकोण  रखा कि हमारी सरकार कैसे बने परंतु आज का यह अवसर जो माननीय अध्यक्ष जी ने हमें दिया है कि विजन 2047 का मध्यप्रदेश कैसा बने और इसमें पक्ष और विपक्ष दोनों बैठकर के एक साथ में सार्थक चर्चा करें तो मुझे लगता है कि यह जो अवसर है यह इस विजन के ऊपर अगले विजन पर और अगले विजन की जो धरातल होती है तो वर्तमान को देखना आवश्यक है. कि आज हमारी स्थिति क्या है, हमने आज क्या किया. पिछले 2 साल में हमारे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की सरकार ने हमने क्या किया, और वह कार्य और उसके बाद उसका अगला परिणाम क्या होना है और उसी का परिणाम रहा जैसा कि मैंने आपसे कहा कि रिजनल इंडस्ट्रीज कॉन्क्लेव  और जीआईएस, जीआईएस के बारे में मैं, बड़ा स्पष्ट आपसे कहूंगा कि 30 लाख 77 हजार करोड़ के निवेश के हमें आश्वासन मिले , टैक्सनेशन आफ इन्टरेस्ट जिसको हम कहते हैं आश्वासन प्राप्त हुये और मुझे इस बात का गौरव भी है कि उसमें से 8 लाख करोड़ के करीब 28 प्रतिशत प्रस्ताव को हम धरातल पर ला चुके हैं, उन उद्योगपतियों के साथ में हमने एग्रीमेंट कर लिया है, कई उद्योगों का भूमि पूजन हो चुका है और उनका कार्य प्रारंभ हो गया है. यह आंकडे नहीं सत्यता है उनके सारे आंकड़े उपलब्ध हैं और आज 8 लाख करोड़ का इन्वेस्टमेंट 28 प्रतिशत का यह देश के अंदर कितने भी राज्यों में जिनमें भी ग्लोबल समिट होते हैं, सामान्य रूप से 8 से 10 प्रतिशत तक उसकी सफलता होती है परंतु हमने डॉ.मोहन यादव जी के नेतृत्व में 28 प्रतिशत की सफलता हासिल की है क्योंकि उन्होंने उद्योग को पहली प्राथमिकता के रूप में लिया.एक सीईओ के रूप मे, वे मुख्यमंत्री तो हैं ही परंतु हर उद्योगपति के साथ में 5 विदेश के दौरे और देश में 17 प्रदेश में हमने इंटरप्रिटिव सेशन (Interpretive Session)  करे और उद्योगपतियों के साथ  में वन-टू-वन चर्चा करके और उनकी सारी समस्याओं का समाधान करा .

          माननीय सभापति महोदय,आज उसी का परिणाम है कि जो हम 2047 का विजन देखते हैं तो मध्यप्रदेश का जीडीपी जो आज 15 लाख करोड़ का है हम उस जीडीपी को 250 लाख करोड़ तक ले जाना चाहते हैं और मध्यप्रदेश के जीडीपी में उस समय सेवा और उद्योग सर्विस और इन्ड्रस्टीज का योगदान करीब 75 प्रतिशत हो, उस लक्ष्य को लेकर के हम कार्य को कर रहे हैं. चाहे सरकार हमारी रहे या सरकारें बदलती रहें, 20 साल का क्रम है यह  कोई मुद्दा नहीं है चर्चा करने का परंतु मध्यप्रदेश का रोडमेप मध्यप्रदेश का विकास कैसा हो, इसका चिंतन आवश्यक है.

          सभापति महोदय, हमारे संसदीय कार्य मंत्री कैलाश विजयवर्गीय जी ने जो एक बात रखी थी, पूरे मुख्यमंत्रियों का उन्होंने विषय रखा था तो भंवर सिंह जी ने एक बात कही कि उन्होंने अपने विभाग की बात नहीं करी. आप समझ लें कि संसदीय कार्य मंत्री होने के नाते मैं मानता हूं कि सारे मुख्यमंत्रियों का उल्लेख करना, विधानसभा की गतिविधियों का उल्लेख करना यह उनका दायित्व था और उन्होंने उस दायित्व को पूरा निभाया है और उस पूरे क्रम में उन्होने कहीं पर भी कोताही नहीं बरती. हर मुख्यमंत्री के बारे में,  हर बात को अच्छी तरह से रेखांकित किया है और उन्हीं बात को हमारे जो सारे वक्ताओं ने सुना और देखा भी है तो निश्चित रूप से हम यह कह सकते हैं कि हमारे राज्य को हमारे नये विजन के साथ में आगे बढ़ाना है और उसी को ध्यान में रखते हुये जो समय सीमा का निर्धारण सभापति जी आपने किया है तो सामान्य रूप से उसमें मैं चलने का प्रयास करूंगा .

          सभापति महोदय जी उद्योग एक ऐसा विषय है जिसने मध्यप्रदेश को आज देश के अंदर एक नई ऊंचाईयों के ऊपर मध्यप्रदेश के प्रति एक आकर्षण बढ़ा है, नये उद्योगों के क्षेत्र में निवेश की संभावनाओं में मध्यप्रदेश में एक नया आकर्षण भी बना है और उसमें आज हमारे बीच में, जब हम देखें तो हमने औद्योगिक क्षेत्र के लिये जो बुनियादी संरचनाओं की आवश्यकता है और एक विश्वास पैदा करने की आवश्यकता है.

          सभापति महोदय, एमएसएमई का प्रभार मेरे पास में है. सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम इसके अंदर हमने डीबीडी के माध्यम से सबसीडी का भुगतान किया, यह पहली बार मध्यप्रदेश के इतिहास में हुआ है कि उद्योग को उसकी जो सबसीडी है, अगस्त, 2025 तक के उद्योग, जिनको पात्रता या उसका जो प्रमाण पत्र मिला है उसकी सबसीडी हम वितरित कर चुके हैं और यह जो कार्य है इससे विश्वसनीयता बढ़ाई है. 4 हजार उद्योगपतियों को हमने पिछले वर्ष 1100 करोड़ रूपये का बजट मेरे विभाग का था उसकी जगह पर मुख्यमंत्री जी को जब मैंने कहा कि इसमें उद्योग पति के जो पहले दो वर्ष रहते हैं. यह स्थापित सत्य है..

कोई भी उद्योग लगता है तो उसके प्रथम दो वर्ष बड़े तकलीफ के होते हैं. उसको जमाने में, चलाने में, कार्य में समय लगता है और वह प्रथम दो वर्ष में अगर सरकार जो हैंड हो‍ल्डिंग की बात करती है कि हम उद्योगपतियों का साथ देंगे तो उस समय उसे जो आर्थिक सहायता मिलनी चाहिए उसको हमने चरितार्थ किया है. हमने अगस्‍त 2025 तक की सब्‍िसिडी का वितरण करके 1,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्‍त बजट वर्ष 2025 के अंदर दिया. आज हम उस स्थिति में हैं कि पूरे देश के अंदर यह चर्चा का विषय है कि मध्‍यप्रदेश की सरकार ने जो हैंड होल्डिंग की बात की उसको वह सफलता के साथ में आगे बढ़ा रही है.

6.02 बजे                                    अध्‍यक्षीय घोषणा

    चर्चा पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाना

          सभापति महोदय -- चर्चा पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाए मैं समझता हूं कि सदन इससे सहमत है.

सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.

मध्‍यप्रदेश को विकसित, आत्‍मनिर्भर और समृद्ध राज्‍य बनाने के

संबंध में चर्चा (क्रमश:)

          श्री चेतन्‍य कुमार काश्‍यप -- सभापति महोदय, यह जो विश्‍वास अर्जित करने का कार्य था इसी के साथ में हमने औद्योगिक संरचनाओं का निर्माण और उन संरचनाओं के अंदर भी किस तरीके से पूरा समेकित विकास हो, समन्वित विकास की परिकल्‍पना को हमने आगे बढ़ाया. वर्तमान में हमारे पास 48 औद्योगिक पार्क जिनमें 19,300 एकड़ भूमि हम विकसित कर रहे हैं. उसमें सबसे महत्‍वपूर्ण बदनावर का पीएम मित्र पार्क है. पीएम मित्र पार्क एक ऐसी परिकल्‍पना है जिसमें टेक्‍सटाइल का धागा बनाने से लेकर फैशन डिजाइनिंग और एक्‍सपोर्ट तक का कार्य हमारे मालवा निमाड़ क्षेत्र के कपास का जो महत्‍वपूर्ण उत्‍पादन था वह हमारे कपास का उत्‍पादन क्षेत्र कम हुआ है, परंतु उस योजना के माध्‍यम से मध्‍यप्रदेश के कपास का उपयोग मध्‍यप्रदेश के अंदर ही हो, तो यह खेती के साथ में उद्योग का विकास यह जो एक समेकित और समन्वित योजना है उस पीएम मित्र टेक्‍सटाइल पार्क को हमारे मुख्‍यमंत्री जी ने बड़ी गंभीरता से लिया एवं 7 पीएम मित्र पार्क देश में स्‍थापित होने थे परंतु मध्‍यप्रदेश ने पीएम मित्र पार्क की परमिशन ली और 2 वर्ष के अंदर उसका कार्य प्रारंभ कर दिया.        

          सभापति महोदय -- माननीय, थोड़ा संक्षिप्‍त कर दें क्‍योंकि अभी माननीय मुख्‍यमंत्री जी सहित 15 वक्‍ता और शेष हैं. मेरा समस्‍त माननीय सदस्‍यों से अनुरोध है कि समय की मर्यादा में सभी रहें और शीघ्रता से समय को समेटकर के समाप्‍त करें.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय -- सभापति महोदय, भाषण को ‘’ले’’ कर दें. बाकी भाषण उनके पास होगा वह पटल पर रख देंगे तो आपकी सारी बातें आ जाएंगी.

          सभापति महोदय -- जैसी आपकी इच्‍छा.

          श्री सोहनलाल बाल्‍मीक -- सभापति महोदय, 12-12 सदस्‍यों को बोलना था. वहां से नाम बढ़े हैं तो वहां के नाम काट दीजिए. हमारे कम हो गए हैं. 12 नाम हमने दिया और 12 वहां से थे. वहां से ज्‍यादा नाम आ गए हैं. 

          सभापति महोदय -- दोनों तरफ से नाम लगभग बराबर ही हैं. नेता प्रतिपक्ष जी और माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी चर्चा कर लें. 

          श्री चेतन्‍य कुमार काश्‍यप -- सभापति महोदय, वर्ष 2025 उद्योग वर्ष के रूप में था इसलिए थोड़ा सा मैं चाहूंगा कि मुझे आपका समर्थन भी मिले और पड़ोसी होने के नाते भी मैं आपका संरक्षण चाहता हूं..(हंसी)..रतलाम के अंदर 4 हजार एकड़ भूमि में हम 462 करोड़ की लागत से मेगा इंडस्ट्रियल पार्क का विकास कर रहे हैं परंतु उसी के साथ बुंदेलखंड के अंदर जो विकास की धारा नहीं आ पाई थी अभी हमने एक मसवासी ग्रांट औद्योगिक क्षेत्र की योजना को स्‍वरूप दिया है और उस योजना के अंदर सबसे बड़ा कार्य किया है पावर डिस्‍ट्रीब्‍यूशन कंपनी बनाकर और साढ़े चार रुपये से पांच रुपये यूनिट के अंदर वहां बिजली दी जाएगी ताकि बुंदेलखंड और पूरे प्रदेश के संपूर्ण विकास की अवधारणा बने, तो यह कार्य हमने आगे बढ़ाया है. भारत सरकार के दूरसंचार विभाग के सहयोग से टेलीकॉम मैन्‍युफैक्‍चरिंग, उसी के साथ में हमारा इंदौर-पीथमपुर सेक्‍टर जो हमेशा से विकास की गति में आगे है सेक्‍टर-7 को हमने आगे बढ़ाया है. यह जो सारे कार्य हैं विक्रम उद्योगपुरी के द्वितीय चरण में, अब मैं आपने जो आदेश दिया है इन सारे कागजों को, मेरे पूरे भाषण को पटल पर रखूंगा, परंतु मैं कुछ बातों की ओर विशेष ध्‍यान दिलाना चाहता हूं क्‍योंकि औद्योगिक संरचना और एमएसएमई विकास और उसमें जो मध्‍यप्रदेश की सफल कल्‍पनाएं हैं, अभी वॉल्‍वो की चर्चा आई थी, वॉल्‍वो कंपनी ने 50 करोड़ का निवेश मध्‍यप्रदेश में प्रारंभ किया और आज वह 6,500 करोड़ का निवेश करके 32 हजार व्‍यक्तियों को रोजगार दे रही है और उसने मध्‍यप्रदेश के बाहर कोई प्लांट नहीं लगाया है. यह मध्यप्रदेश की राजनीतिक व शासन के सहयोग का परिणाम है. एक विषय सम्माननीय राजेन्द्र सिंह जी ने रखा था कि नई टेक्नालॉजी के साथ में हमारे यहां उद्योग आएं. मैं बताना चाहता हूँ कि वीआरएम मॉलीक्यूलर न्यूक्लियर मेडिसिन, उज्जैन में लग रही है. इसके लिए हमने साढ़े सात एकड़ भूमि दी है जिसमें वो अत्याधुनिक रेडियो न्यूकलाइड का निर्माण करेगी जो कैंसर और अन्य बीमारियों के निदान में अहम भूमिका निभाती है. इसी के साथ भोपाल के पास में टेलीकॉम के विषय में एक पार्क विकसित कर रहे हैं. मैं विधान सभा के सभी साथियों से अनुरोध करूंगा कि मध्यप्रदेश में 81 विधान सभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां पर कोई औद्योगिक गतिविधि नहीं है और कोई औद्योगिक क्षेत्र नहीं है. हम यहां पर औद्योगिक क्षेत्र चिन्हित कर रहे हैं. लघु या मध्यम उद्योग हों या बड़े उद्योग हों हर जिले के अन्दर हम एक-एक औद्योगिक क्षेत्र का निर्माण करने की ओर आगे बढ़ रहे हैं.

          सभापति महोदय -- माननीय मंत्री जी आपका पूरा भाषण पटल पर आ गया है.

          श्री चैतन्य कुमार काश्यप -- सभापति महोदय, दो बातें जो मेरे विभाग से संबंधित हैं. स्टार्ट-अप एक महत्वपूर्ण विषय है जो कि भविष्य की परिकल्पनाओं को आगे बढ़ाता है. हमने जो 18 नीतियां बनाई हैं उसमें स्टार्ट-अप नीति में महत्वपूर्ण कार्य किया है. जब एक बच्चे को स्टार्ट-अप का आइडिया आता है, जब नया विद्यार्थी आगे बढ़ता है. उसे आइडिया आते ही हम 10 हजार रुपए प्रतिमाह एक साल तक देंगे. उस आइडिया को जब वह प्रोटो मॉडल के रुप में लाएगा तो हम उसे 20 लाख रुपए तक की सबसीडी उपलब्ध कराएंगे. जब वह आगे बढ़ेगा तो सीड केपिटल या अन्य ग्रान्ट के रुप में आगे बढ़ाएंगे. यह जो पूरा जीवन चक्र होता है उसमें हमने उसे आगे बढ़ाने का कार्य किया है. ओडीओपी के अन्दर बड़े महत्वपूर्ण कार्य हमारे हुए हैं. कुटीर और ग्रामोद्योग विभाग के माध्यम से रेशम के उत्पादन में हम लोगों ने अपने आपको एक महत्वपूर्ण स्थान पर लाए हैं. जो विकसित मध्यप्रदेश की परिकल्पना है और उसमें जो औद्योगिकरण, उद्योगों का जीडीपी में योगदान इस सब को देखते हुए हम लोग आगे बढ़ रहे हैं. दिल्ली-मुम्बई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर व वाराणसी-मुम्बई एक्सप्रेस पर आधारित औद्योगिक कॉरिडोर पर हम निरन्तर कार्य कर रहे हैं. मैं पुन: आपसे यही अनुरोध करूंगा कि औद्योगिकरण की दिशा एवं औद्योगिकरण के माध्यम से मध्यप्रदेश के विकास एवं यहां के युवाओं के लिए रोजगार के अवसर के लिए हम बड़े गंभीर हैं. एक विश्वसनीय सरकार के रुप में हम लोग आगे बढ़ रहे हैं. विकसित मध्यप्रदेश भारत के अन्दर एक बड़ी भूमिका निभाए. हमारे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी ने उद्योगों के प्रति जो रूझान रखा है. वे अगला वर्ष कृषि वर्ष के रुप में लेंगे इस समेकित विकास की परिकल्पना में हम उनके साथी हैं इस बात का मुझे बड़ा गौरव है. धन्यवाद.

          सभापति महोदय -- मेरा सभी माननीय सदस्यों से निवेदन है माननीय मुख्यमंत्री जी सहित अभी 15 सदस्यों को और बोलना शेष है.

          श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव -- सभापति महोदय, मेरा यह अनुरोध है कि पहले यह तय हुआ था कि दोनों पक्ष से 12-12 सदस्य बोलेंगे और माननीय मुख्यमंत्री जी और नेता प्रतिपक्ष बोलेंगे. यदि उस तरफ से ज्यादा लोग हो रहे हैं तो उसमें कमी की जाए.

          सभापति महोदय -- दोनों तरफ से बराबर सदस्य ही हैं.

          श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव -- सभापति महोदय, उधर से 16 लोग हैं.

          सभापति महोदय -- एक दो कम ज्यादा हैं. समय की मर्यादा रखें.

          श्री जयवर्द्धन सिंह (राघौगढ़) -- माननीय सभापति महोदय, बहुत ही महत्वपूर्ण चर्चा है. हम सब के लिए बहुत गर्व की बात है कि मध्यप्रदेश विधान सभा के 70 साल पूरे होने पर और वर्ष 2047 तक मध्यप्रदेश कैसे आत्मनिर्भर बने, कैसे समृद्ध बने और कैसे विकसित बने. इस पर चर्चा हो रही है. आम सत्रों की तुलना में जहां चर्चा आंकड़ों के हिसाब से होती है, बजट की सीमाएँ होती हैं लेकिन जब हम 20 साल आगे की बात कर रहे हैं तो हमें सपना देखने का अधिकार भी मिलता है. स्वाभाविक है सपना देखेंगे तो ही विजन आएगा तो ही दृष्टिकोण आएगा और अगर हम आत्‍मनिर्भर की बात करें तो आत्‍मनिर्भर होने का सबसे पहला प्रतीक होता है कि आज करोड़ों ऐसे परिवार हैं, करोड़ों ऐसे लोग हैं जिनको आज भी खाद्यान्‍न मिल रहा है, गेहूं, चावल मिल रहे हैं. जब मध्‍यप्रदेश का एक-एक परिवार एक-एक व्‍यक्ति यह कहेगा कि मुझे मुफ्त में गेहूं, चावल की जरूरत नहीं है उस दिन हम आत्‍मनिर्भर बनेंगे. जब मध्‍यप्रदेश की एक-एक लाड़ली बहन कहेगी कि मुझे चुनाव के पहले 1250 रुपए या एक मुश्‍त 10 हजार रुपयों की जरूरत नहीं है वह है आत्‍मनिर्भर देश या आत्‍मनिर्भर मध्‍यप्रदेश. 

          सभापति महोदय, मेरे नेता ने मुझे आज कहा है कि मुझे आज संस्‍कृति, पर्यटन और धार्मिक न्‍यास इन विषयों पर बात रखनी है. हमारा वह मध्‍यप्रदेश है जिस राज्‍य की संस्‍कृति की जड़ें हजारों वर्ष पुरानी हैं. जहां पर्यटन की अंनत संभावनाएं हैं और जहां धर्म की भावना नर्मदा मैय्या जैसे निरंतर बहती रहती है. हमारा वह मध्‍यप्रदेश है, जिसमें मां शक्ति, मां देवी के ऐसे अनेकों पवित्र स्‍थान हैं चाहे बगलामुखी मंदिर हो, चाहे मैहर की शारदा मैय्या हों, नलखेड़ा की बग्‍लामुखी हों, दतिया पीताम्‍ब‍रा पीठ हो, शक्ति पीठ हैं, अद्भुत स्‍थान हैं. यह वह मध्‍यप्रदेश है जहां महांकाल भगवान विराजमान हैं. जहां ओमकारेश्‍वर का पवित्र स्‍थान है, लेकिन यह वह मध्‍यप्रदेश भी है जहां पारसनाथ भगवान का प्राचीन मंदिर है, आदिनाथ भगवान का खजुराहों में प्राचीन मंदिर है, कुंडलपुर जैसा धार्मिक प्राचीन तीर्थस्‍थल है. भोपाल में ताजुल मस्जिद एशिया की सबसे बड़ी मस्जिद है. जहां पर बौद्धिज्‍म को लेकर सांची स्‍तूप है. ऐसा मध्‍यप्रदेश इस बात‍ का प्रतीक है कि विविधता और सद्भाव भी हमारे प्रदेश की बहुत बड़ी पहचान है, लेकिन आज हमें यह प्रश्‍न पूछना चाहिए कि जब हम हमारे पूरे प्रदेश की जीडीपी की बात करते हैं और हम तुलना करें हमारे पड़ोसी राज्‍य राजस्‍थान के साथ में जहां की संस्‍कृति काफी हद तक हमारे जैसी ही है, लेकिन राजस्‍थान में जहां पर्यटन संस्‍कृति और इन सभी बातों को लेकर पर्यटन का राजस्‍थान की जीडीपी में पंद्रह प्रतिशत शेयर रहता है. वहीं मध्‍यप्रदेश का योगदान पर्यटन, संस्‍कृति और इन सभी चीजों के लेकर मात्र पांच प्रतिशत है. हम कहीं न कहीं इन सब मामलों के प्रदर्शन में राजस्‍थान से बहुत दूर हैं, बहुत पीछे हैं और इन सब बातों को लेकर मैं संभागवार कुछ सुझाव रखना चाहता हूं, लेकिन पहले यह बात कहना जरूरी है कि आजादी के बाद से लेकर आज तक किस प्रकार मध्‍यप्रदेश में अनेकों ऐसे संस्‍थान थे. सन् 1951 के साथ शुरुआत करें जब एएसआई की स्‍थापना हुई थी. जिसके माध्‍यम से आज चाहे खजुराहो के प्राचीन मंदिर हों, चाहे भीमबेटका हो, या फिर सांची स्‍तूप हो. आज मध्‍यप्रदेश में यह तीन ऐसी यूनेस्‍को वर्ल्‍ड हेरिटेज साइट्स हैं जिसकी चर्चा पूरे विश्‍व में होती है. हम बात करें सन् 1970 के बाद जब इंदिरा गांधी जी ने पर्यटन के बढ़ावे को लेकर चर्चा की थी. नर्मदा घाटी परियोजना प्रारंभ की गई थी, आदिवासी विकास योजनाएं प्रारंभ की गई थीं. ट्राइबल सबप्‍लान सन् 1974 प्रारंभ किया गया था. जिसके द्वारा हमारे आदिवासी अंचल की जो अनेकों कलाएं थीं उनके बारे में सिर्फ मध्‍यप्रदेश में ही नहीं देश में, विश्‍व में जागरुकता फैली थी. उसके साथ 1982 में जब भारत भवन निर्मित हुआ था तो वह भी एक ऐसी संस्‍था है जिस संस्‍था में हमारे पूरे प्रदेश की अनेकों कलाएं प्रदर्शित होती हैं, लेकिन इन सभी चीजों के बावजूद आज भी काफी ऐसे क्षेत्र हैं जहां बहुत कसर रह गई है. हम उत्‍तर तरफ चालू करें तो श्‍योपुर में कूनो नेशनल पार्क की शुरुआत की है, लेकिन क्‍या वहां पर्यटक आ रहे हैं? पर्यटक क्‍यों नहीं आ रहे हैं?

क्‍योंकि हमने राजस्‍थान जैसे अलग-अलग सर्किट का निर्माण नहीं किया है. राजस्‍थान क्‍या करता है, यदि कोई पर्यटक जयपुर आता है तो जयपुर के साथ वह जयपुर के अंदर के गांवों आदि में भी जाता है, वहां तक उनके सर्किट तैयार है. यदि कोई पर्यटक जैसलमेर आता है तो जैसलमेर के साथ बाड़मेर के साथ खिमसा जैसे स्‍थानों पर भी जाता है, वहां के लिए रूट तैयार है. आज हमारे पास कूनो नेशनल पार्क है, जहां चीते लाये गए हैं, क्‍या हमने वहां के लिए सर्किट बनाया है, क्‍या हमने कोई प्रयास किया है कि कूनो को हम ग्‍वालियर के साथ जोड़े, जहां पुरानी इमारतें हैं, क्‍या हमने मुरैना को जोड़ा है, जहां कई धार्मिक स्‍थल हैं, वहां बटेश्‍वर महादेव का प्राचीन मंदिर है लेकिन यदि आप वहां जायेंगे तो देखेंगे कि वहां न कोई व्‍यवस्‍था है, न कोई गाइड है, न ठीक से कोई पुजारी है.

          सभापति महोदय, चौंसठ योगिनी का मंदिर, इतना प्राचीन स्‍थान, इतना सुंदर स्‍थान, जिसके आधार पर हमारी संसद बनी थी लेकिन आज उसकी स्थिति क्‍या है, पूरा खण्‍डहर पड़ा है, यह हमारे प्रदेश की वास्‍तविकता है. प्रदेश के दक्षिण में पीताम्‍बारा पीठ है, विश्‍व का एकमात्र स्‍थान ओरछा, जहां भगवान राम राजा के रूप में स्‍थापित हैं लेकिन क्‍या ओरछा में प्रतिवर्ष कोई कार्यक्रम होता है, क्‍या ओरछा में कोई प्रयास किया है, जिससे वहां संग्रहालय बने, जहां पर्यटक आयें, वहां का इतिहास समझें, क्‍या हमने कोई प्रयास किया है कि दतिया-ओरछा से लोग चंदेरी भी आयें, जहां इतनी पुरानी इमारतें हैं, ऐसा एक सर्किट बने लेकिन उनके संरक्षण के लिए, उनको दिखाने के लिए, उनके प्रदर्शन के लिए कोई विचार-प्रयास नहीं किया गया है. बजरंगगढ़ गुना जिले में, केदारनाथ का स्‍थान है, निहाल देवी का प्राचीन स्‍थान है लेकिन वहां भी कोई ध्‍यान नहीं दिया जा रहा है, न उन मंदिरों के विकास के लिए कोई प्रयास हो रहा है.

          सभापति महोदय, मैहर माता मंदिर के विकास के लिए कोई प्रयास नहीं हो रहा है, वहां से पास में चित्रकूट है, वह स्‍थान है जो भगवान राम की कर्मभूमि थी लेकिन क्‍या हमने कोई प्रयास किया कि चित्रकूट को मैहर से जोड़ें, क्‍या हमने प्रयास किया है कि मैहर घराना जो संगीत का पुराना घराना है, जिसके उस समय के उस्‍ताद अलाउद्दीन खान थे, जिनके कारण अनेक ऐसे संगीतकार हुए, चाहे भारत रत्‍न पंडित रविशंकर हों, अली अकबर खान हों, उन्‍होंने ही इन सभी को प्रशिक्षण दिया था लेकिन क्‍या आज हम उस मैहर घराने के विषय में चर्चा कर रहे हैं, कहीं कोई चर्चा नहीं कर रहे हैं, क्‍योंकि हमारी भावना ही नहीं है.

          सभापति महोदय-  कृपया शीघ्रता से समाप्‍त करें.

          श्री जयवर्द्धन सिंह-  सभापति महोदय, अभी तो हमने प्रारंभ किया है, यह विषय प्रदेश के हित में है. अगर हम विकसित मध्‍यप्रदेश की बात कर रहे हैं तो कोई देश-प्रदेश, तब तक विकसित नहीं हो सकता, जब तक उसकी संस्‍कृति का प्रदर्शन न होता हो. हमारी संस्‍कृति इतनी पुरानी है लेकिन क्‍या हम उसे प्रदर्शित कर पा रहे हैं, न ही हमारी ऐसी कोई नीयत है.

          सभापति महोदय, बुंदेलखण्‍ड में खजुराहो से लेकर, कुण्‍डलपुर तीर्थ स्‍थान, पन्‍ना का पूरा वन क्षेत्र है, भीमकुंड का प्राचीन स्‍थान महाभारत के समय का, आज पूरा खण्‍डहर पड़ा हुआ है. वहां कोई प्रयास नहीं किया गया, जिसके माध्‍यम से उसका प्रदर्शन हो सके. सरकार सर्किट बनाये, कुण्‍डलपुर-भीमकुण्‍ड से लेकर खजुराहो, पन्‍ना तक, वहां अनेक पर्यटक आयेंगे लेकिन हम प्रयास कहां कर रहे हैं ? मैं हमारे सबसे महत्‍वपूर्ण स्‍थान महाकौशल की बात करूंगा, जहां बांधवगढ़, कान्‍हा और पेंच जैसे नेशनल पार्क हैं, वहां नेशनल पार्क के साथ-साथ, हमारे गोण्‍ड, कोरकू, बैगा आदिवासियों की पुरानी कलायें हैं. मैं सदन को जानकारी देना चाहता हूं जनगढ़ सिंह श्‍याम, भज्‍जू श्‍याम, पद्मश्री दोनों निवासी पातनगढ़ गांव के हैं जो डिण्‍डौरी जिले में आता है. पद्मश्री दुर्गाबाई श्‍याम, बरबसपुर गांव, जिला डिण्‍डौरी, जिनकी कलायें इतनी मशहूर हैं कि उनकी प्रदर्शनी विदेशों में होती है लेकिन जब हम सदन में डिण्‍डौरी की बात करते हैं, तो ये बात करते हैं कि सत्‍ता पक्ष के एक विधायक आदिवासी की जमीन हड़प रहे हैं, चर्चा इस बात की होती है. लेकिन डिण्‍डौरी कैसे विकसित बने ? डिण्‍डौरी में इतनी ऐतिहासिक कलाएं हैं, उनके प्रदर्शन के बारे में कोई चर्चा नहीं होती. लेकिन आज हमें डिण्‍डौरी के बारे में बात करनी है, गोंड आदिवासियों की कलाओं के बारे में बात करनी है, तो आज हम यह संकल्‍प लें कि सीएम साहब यह घोषणा करें कि डिण्‍डौरी और गोंड आदिवासियों की चित्रकलाओं के लिए कम से कम 100 एकड़ का कैम्‍पस आवंटित करें. वहां पर हजार करोड़ रुपये का इन्‍वेस्‍टमेंट कीजिये, ताकि जो अनेकों अलग-अलग आर्टस् हैं, पेंटिंग्‍स हैं, जो हमारे गोंड आर्टिस्‍ट हैं, उनको मौका दीजिये, ताकि नये युवा इस फील्‍ड में आएं. नये युवाओं को अपना प्रदर्शन करने का मौका मिले. महाकौशल के बाद, बस अब नर्मदापुरम, भोपाल .....

          सभापति महोदय - नहीं, वैसे आपने पूरे मध्‍यप्रदेश का बता दिया है. सारा आ गया है.

          श्री जयवर्द्धन सिंह - सभापति महोदय, मुझे दो मिनट दीजिये.

          सभापति महोदय - आप एक मिनट में समाप्‍त कीजिये.

          श्री जयवर्द्धन सिंह - सभापति महोदय, मैं नर्मदापुरम पर आता हूँ और मेरे लिये यह बात इसलिए महत्‍वपूर्ण है, क्‍योंकि इस क्षेत्र के इतने अनुभवी लोग दोनों तरफ बैठे हुए हैं. आदरणीय वरिष्‍ठ मंत्री श्री प्रहलाद सिंह पटेल साहब, जिन्‍होंने स्‍वयं अनेकों बार परिक्रमा की है. हमारे श्री फुन्‍देलाल मार्को जी, आदरणीय श्री ओमकार सिंह मरकाम जी, हमारे अनेक वरिष्‍ठ लोग हैं, जो वहीं के हैं, उस क्षेत्र में रहते हैं. पूर्व मंत्री श्री राजकुमार पटेल जी ने मुझे जानकारी दी थी कि "The First Indian Narmada man" यह शब्‍द मशहूर हैं, पूरे विश्‍व में.  लेकिन हमें इसकी जानकारी नहीं है, साइंटिफिक एविडेंस है, जो इस बात को साबित करता है कि सबसे पहला भारतीय नर्मदांचल में आया था, इसके पास इसकी जानकारी भी है.

          पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री प्रहलाद सिंह पटेल) - अध्‍यक्ष महोदय, रिकार्डेड जानकारी है. नेशनल म्‍यूजियम में दुनिया में सबसे पुरानी साढ़े बारह हजार वर्ष पुरानी और वह भी नर्मदा में नहीं है, एक 27 वर्षीय महिला की खोपड़ी है, जो दुनिया में एकमात्र है. वह भारत के पास नेशनल म्‍यूजियम, कलकत्‍ता में है.

          श्री जयवर्द्धन सिंह - सभापति महोदय, मैं इसीलिए इस विषय पर आ रहा हूँ कि जैसा माननीय मंत्री जी ने कहा कि वही खोपड़ी (स्‍कैल्‍प), आज वहां एक म्‍यूजियम में पड़ी है, क्‍या पूरे नर्मदा पट्टी में रखी है ? लेकिन जिस राज्‍य में, जिस भूमि पर वह स्‍कैल्‍प प्राप्‍त हुई था, मिला था. क्‍या पूरे मध्‍यप्रदेश में नर्मदा के इतिहास को लेकर क्‍या एक भी संग्रहालय है ? क्‍या एक भी ऐसा म्‍यूजियम है ? नहीं है. मैं  सत्‍ता पक्ष से यह प्रार्थना करूँगा कि आप इसकी बात करें. 100-200 एकड़ जमीन आवंटित करवाइये, बड़ा निवेश इसमें प्रस्‍तावित करवाइये. हम चाहते हैं कि आज सीएम साहब इस विषय पर बात करेंगे. मैं आपको सलाह दूँगा कि आप अमेरिका में मुख्‍य नेशनल हिस्‍ट्री म्‍यूजियम का अध्‍ययन करें, वहां पर इतना विस्‍तृत स्‍तर पर वह लोग दिखाते हैं, जबकि उनके देश का इतिहास ही 250 वर्ष पुराना है. जबकि हमारा इतिहास तो बारह हजार वर्ष से अधिक है. लेकिन क्‍या हम उसका प्रदर्शन कर पा रहे हैं ? क्‍योंकि जब संग्रहालय बनेगा, यह सिर्फ एक म्‍यूजियम नहीं है, देखने की जगह नहीं है, यह जगह अध्‍ययन करने की होगी, जहां पर नई पीढ़ी वहां पढ़ सकती है, अध्‍ययन कर सकती है.

          सभापति महोदय, मेरी सलाह रहेगी कि नर्मदापुरम से आप रायसेन जिले को जोडि़ये. रायसेन के हमारे पटवा साहब यहां विराजमान है. जहां पर सांची स्‍तूप है, रातापानी टाइगर रिजर्व है, भीमबैटका है, लेकिन क्‍या रायसेन जिले में एक भी ऐसा कोई बड़ा होटल है ?  जो प्रदेश स्‍तर का हो, राष्‍ट्रीय स्‍तर को हो, नहीं है. जब तक हम ऐसे सर्किट नहीं बनाएंगे, तो नये लोग कैसे आएंगे ? हम मालवांचल की बात करें, जो इतना सम्‍पन्‍न क्षेत्र हैं. जब हम बात करें, चाहे आर्थिक रूप से हो, चाहे हम सांस्‍कृतिक रूप में बात करें. जहां बाबासाहेब डॉ. भीमराव अम्‍बेडकर जी का जन्‍म हुआ था. क्‍या हमने ऐसा विचार किया या हम विचार करेंगे कि संविधान को लेकर एक ऐसा म्‍यूजियम बनाया जाये? जहां पर संविधान सभा से लेकर संविधान के एक-एक विषय को लेकर वहां पर सब प्रदर्शनियां हों, एक-एक जानकारी दी जाये. क्‍योंकि आज यह आश्‍चर्य की बात है कि जिस प्रदेश में अम्‍बेडकर जी का जन्‍म हुआ था, उसी प्रदेश में आज जैसा बरैया जी ने कहा था.

सबसे अधिक, कुछ लोग, कुछ लोग हैं, बहुत कम हैं, लेकिन जो उनकी आलोचना कर रहे हैं तो आज जरूरी है कि संविधान को लेकर भी एक ऐसा म्‍यूजियम बने, जानकारी दी जाए, जिसके माध्‍यम से जो नई पीढ़ी है, उनको भी इसका अध्‍ययन करने का मौका मिले.

          सभापति महोदय -- बहुत-बहुत धन्‍यवाद जयवर्द्धन सिंह जी.

          श्री जयवर्द्धन सिंह -- सभापति महोदय, मैं अंत में एक ही बात कहूँगा.

          सभापति महोदय -- आधे मिनट में आप अपनी बात पूरी कर दें.

          श्री उमाकांत शर्मा -- आप तो राघोगढ़ की चर्चा और कर दें कि जंगल कितना बचा है. 

          श्री जयवर्द्धन सिंह -- अध्‍यक्ष महोदय, मेरे प्रिय मित्र श्री उमाकांत महाराज बिल्‍कुल मालवा के संतरे जैसे दिख रहे हैं. उन्‍होंने बिल्‍कुल सही कहा है. राघोगढ़ की भी हम बात करें तो अभी कुछ दिन पहले ही विधान सभा अध्‍यक्ष माननीय नरेन्‍द्र सिंह तोमर साहब पधारे थे. राघोगढ़ का आवन गांव का संस्‍कृत विद्यालय एक राष्‍ट्रीय स्‍तर का विद्यालय बन चुका है. जहां उसे राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार मिला है. द्वितीय स्‍थान मिला है. श्री उमाकांत शर्मा महाराज आप भी पधारें. आप हमारे महाराज जी हैं.

          सभापति महोदय -- चलिए, बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          श्री जयवर्द्धन सिंह -- लेकिन सभापति महोदय, अंत में मैं एक ही बात कहूंगा कि जिस राज्‍य में इतनी संपन्‍नता है, संस्‍कृति को लेकर, धार्मिक स्‍थानों को लेकर, आज कहीं न कहीं हम इसमें पिछड़े हुए हैं. न इस दिशा में हमारा प्रयास है, लेकिन इतिहास गवाह है कि वे राज्‍य, वे देश, जो सबसे पहले अपनी आर्थिक स्‍थिति ठीक करते हैं. उसके बाद ही वे ऐसी चीजों पर ध्‍यान देते हैं. यह हमारी गलती नहीं है, लेकिन कहीं न कहीं जो प्राथमिकताएं थीं, वे अलग थीं. चाहे वह चिकित्‍सा सेवा हो, चाहे वह रोजगार के नए अवसर हों, चाहे उद्योगों की स्‍थापना हो, जब हम ये सब काम पूर्ण कर पाएंगे, तभी हम इस पर विचार कर पाएंगे.

          सभापति महोदय -- बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          श्री जयवर्द्धन सिंह -- आपने मुझे बोलने का मौका दिया, आपका बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

           लोक स्‍वास्‍थ्‍य यांत्रिकी मंत्री (श्रीमती संपतिया उइके) -- माननीय सभापति जी, अडिग खड़ी दीवार बनी, स्‍वदेश प्रेम की दिवानी, तूफानों से हार न मानी, मरकर हुई अमर रानी. मरकर हुई अमर रानी. ऐसे भाव लेकर के मध्‍यप्रदेश की सरकार देश के यशस्‍वी प्रधानमंत्री आदरणीय नरेन्‍द्र मोदी जी के नेतृत्‍व में लगातार महिलाओं के सशक्‍तिकरण में और पेयजल जैसे विषय पर मुझे बोलने का अवसर दिया. इसके लिए आपके माध्‍यम से माननीय अध्‍यक्ष महोदय जी का और पूरे सदन का मैं बहुत-बहुत आभार करती हूँ. साथ में प्रदेश की एक करोड़ छब्‍बीस लाख बहनों की ओर से और हमारी नवनियुक्‍त आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की ओर से मध्‍यप्रदेश के यशस्‍वी मुख्‍यमंत्री जी को हृदय से बहुत-बहुत धन्‍यवाद देती हूँ.

          सभापति महोदय, माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने और जिस तरीके से भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने लगातार सुशासन, पारदर्शिता, ऑनलाइन सिस्‍टम की बार-बार बात करते हुए महिला एवं बाल विकास विभाग पूरी पारदर्शिता रखते हुए और 19,477 नवीन आंगनवाड़ियों में अभी 3 लाख 99 हजार आवेदन आए. उसमें से पूरी पारदर्शिता रखते हुए मेरिट लिस्‍ट उठाते हुए 12,075 लोगों की भर्ती की तो निश्‍चित ही यह महिला सशक्‍तिकरण का मध्‍यप्रदेश पहला राज्‍य देश के अंदर है कि जहां पर पूरी पारदर्शिता के साथ चयन किया गया, जो वरिष्‍ठता क्रम में आए, उनको नियुक्‍ति पत्र मिले. भाइयों और बहनों, इतना ही नहीं, मैं आप सब लोगों को बताना चाहूँगी कि देश के यशस्‍वी प्रधानमंत्री जी के नेतृत्‍व में डबल इंजन की सरकार ने, माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने दो साल जब से हुए, तब से लगातार महिलाओं का सम्‍मान किया और महिलाओं की आर्थिक स्‍थिति कैसे सुधरे, महिलाओं की सुरक्षा कैसे बढ़े, इसके लिए माननीय मुख्‍यमंत्री जी के नेतृत्‍व में हमारी सरकार काम कर रही है. काम ही नहीं, उन कामों को धरातल पर उतारने का काम हमारी महिला एवं बाल विकास विभाग की हमारी सम्‍माननीय मंत्री जी और हमारा प्रशासन लगातार  कर रहा है. इसमें आप सब भी देख रहे होंगे कि जिस तरीके से महिलाओं के साथ जो अत्‍याचार होता था, जब हम बार-बार बात कहते हैं कि आज हम संविधान के 70 साल मना रहे हैं तो वह दिन भी हम लोगों को याद करना चाहिए कि जब हमारी महिलाएं किस स्‍थिति में जीवन यापन करती थीं. उनके पास ऐसा कोई संसाधन नहीं हुआ करता था. महिलाओं को सम्‍मान नहीं मिलता था. हम बार-बार कहते हैं कि समाज का महत्‍वपूर्ण अंग महिलाएं हैं और हम यदि यह कहें तो यह अतिश्‍योक्‍ति नहीं है कि यदि समाज में कोई मूल्यांकन का आधार कोई है तो वह महिलाएं हैं. निश्चित ही भारतीय जनता पार्टी की सरकार आने के बाद चाहे वह जनजाति समाज की बहनें हों, चाहे हमारी गरीब बहनें हों, हर क्षेत्र में हमारी बहनों की चिंता करते हुए माननीय मुख्यमंत्री जी ने हर योजनाओं में उन्होंने महिलाओं को प्राथमिकता देते हुए अभी हमारे पूर्व वक्ता कह रहे थे कि आरक्षण को लेकर जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी तो 50 परसेंट आरक्षण स्थानीय निकायों में देने का काम भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किया.जिसके चलते महिलाओं को सम्मान मिलना और समाज में महिलाओं का दायरा बढ़ा तो यह निश्चित  ही भारतीय जनता पार्टी की बड़ी उपलब्धि है और सिर्फ जनप्रतिनिधि के नाते ही नहीं आज हर विभाग में  मुख्यमंत्री जी ने और भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने हर विभाग में महिलाओं को 35 परसेंट आरक्षण देने का काम किया है और इतना ही नहीं जिस तरीके से आज आसानी से जो महिलाएं आराम से पैसा कमाते थे उनका सम्मान होता था लेकिन आज हम देखें जब महिलाएं स्वसहायता समूह के माध्यम से पूरे प्रदेश देश के अंदर आत्मनिर्भर भारत बनाने  की ओर हमारी महिलाएं बढ़ रही हैं. अभी आदरणीय पंचायत मंत्री प्रहलाद जी कह रहे थे कि हमारी बहनें धीरे-धीरे आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है और हमारा देश आत्मनिर्भर की ओर बढ़ रहा है जिसमें मध्यप्रदेश को मैं उन बहनों को धन्यवाद देना चाहूंगा जिन्होंने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया और आज 11 लाख 75 हजार बहनें लखपति दीदियों के रूप में आज अपने भविष्य को संवार रही हैं. यह बहुत बड़ा आंकड़ा है. इतना ही नहीं जिस तरीके से बहनों को आत्मसुरक्षा के लिये लगातार महिला बाल विकास के माध्यम से लगातार उनको प्रशिक्षण देने का काम हमारी सरकार कर रही है और महिलाओं की सुरक्षा के लिये 181 जिस तरीके से लागू किया उसमें 1 लाख 37 हजार बहनों को उसमें सुरक्षा मिली. वह दिन भी हमें याद करना चाहिये जब गांव में पुल,पुलिया नहीं हुआ करती थीं रोड नहीं हुआ करते थे न अस्पताल हुआ करते थे भारतीय जनता पार्टी की सरकार आई और हर गांव में अस्पताल खुल गये,अच्छी रोड बन गई,अच्छी पुलिया बन गई. जिसके चलते 181 डायल करें और तत्काल जननी एक्सप्रेस आती है और गर्भवती महिलाओं को ले जाकर प्रसव कराने का काम कराती है और जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ होकर अपने घर जाते हैं. मैं उस क्षेत्र से आती हूं  जहां जनजाति समाज की सभी उस पक्ष के इस प क्ष की बात करते हैं जिस तरीके से जनजाति समाज की बहनें गर्भवती होती थीं जब वह प्रसव पीड़ा में रहती थीं प्रसव के बाद उनको पोषण आहार नहीं मिलता था हमारी बहनें दूसरे दिन कपड़ा बांधकर मजदूरी करने जाती थीं किन्तु मैं मध्यप्रदेश की सरकार को देश के यशस्वी प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में माननीय मुख्यमंत्री जी ने उन बहनों की चिंता करते हुए 1 हजार लड्डू और पोषण आहार के लिये व्यवस्था की. जिस तरीके से महिला बाल विकास विभाग ने गर्भवती महिलाओं के लिये, धात्री महिलाओं के लिये फेस आई डी बनाकर उनको पोषण आहार देने का काम भारतीय जनता पार्टी की सरकार कर रही है. हम सब लोग कहते हैं कि हमारी सरकार पारदर्शिता सरकार है. हमारी सरकार सुशासन सरकार है. हमारी सरकार जनहितैषी सरकार है. हमारी सरकार जनविश्वास को लेकर काम करने वाली लगातार भारतीय जनता पार्टी की सरकार प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव जी के नेतृत्व में लगातार काम कर रहे हैं. निश्चित ही मैं यदि महिला सशक्तीकरण के बारे में 24 घंटे भी बोलूं तो कम पड़ जायेंगे लेकिन हमारे आदरणीय संसदीय कार्य मंत्री जी ने कहा कि बहुत कम समय है.चूंकि ज्यादा बोलने वाले वक्ता हैं. मैं अपने विभाग पर आना चाहूंगी. जिस तरीके से मुख्यमंत्री जी ने पीएचई विभाग मुझे दिया तो मैं सदन के भाई बहनों को बताना चाहूंगी कि वह दिन भी आप लोगों ने देखा है कि जहां पर हमारे जनजाति समाज के लोग तालाब,झिरिया में पानी पीते थे और झिरिया से पानी पीने के कारण अस्वस्थ रहते थे. जो हमारे भैया,बहनें साल भर कमाते थे महिना भर कमाते थे उनके पूरे पैसे डाक्टर को लग जाते थे और इस बात को ध्यान में रखते हुए माननीय देश के यशस्‍वी प्रधानमंत्री जी ने निर्णय लिया कि हमारे भाई बहनों को, हमारे उन जनजाति भाई बहनों को, उन वनवासी भाई बहनों को, उन जंगल पहाड़ में रहने वाले भाई बहनों को शुद्ध पेयजल मिले और वह स्‍वस्‍थ रहें इसके लिये हमारी बहनों के लिये विशेषकर के उनको समय मिले ताकि अपने स्‍वास्‍थ की चिंता कर सकें, हमारी बेटियों की चिंता कर सकें. इस बात को लेकर के वर्ष 2019 में माननीय प्रधानमंत्री जी ने लाल किले से घोषणा की और उसको मध्‍यप्रदेश की धरती पर वर्ष 2020 में उतारने का काम किया और उसके चलते हमने सिंगल विलेज स्‍कीम 27 हजार 990 स्‍कीम चलाई. हमारे विपक्ष के नेता जी, उनका मैं बहुत सम्‍मान करती हूं. उन्‍होंने अभी कहा कि हमारे प्रधान मंत्री जी ने जो कमेंटमेंट किया है हर घर जल घोषित करने का, हर घर तक पानी पहुंचाने का, मैं उनको विश्‍वास दिलाती हूं कि सिंगल विलेज स्‍कीम हमारी मार्च 2026 तक 100 प्रतिशत पूरे होंगे और हमारे समूह नल जल प्रदाय योजना वर्ष 2027 तक हम लोग चुनाव के पहले कर लेंगे जिस तरह से अभी कोरोना के कारण जो 147 योजनायें स्‍वीकृत हुई थीं उसमें 49 योजनायें हम लोगों ने स्‍वीकृत कीं, 100 प्रतिशत पूरा कर लिया है जिसके चलते हमने 4 लाख 441 परिवारों को 100 प्रतिशत पानी देने का काम किया है. माननीय सभापति महोदय, मैं  बताना चाहूंगी वर्ष 2019 के पहले मध्‍यप्रदेश में मात्र 34 लाख 53 हजार घरों में पानी मिलता था, किंतु आज की स्थिति में 81 लाख परिवारों को आज हर घर जल मिलने का काम हमारी सरकार कर रही है. निश्चित ही हमारे मुख्‍यमंत्री जी के मार्गदर्शन में हम सब लोग लगातार काम  कर रहे हैं, हमारा प्रशासनिक अमला लगातार काम कर रहा है जिसके चलते हम जनता जनार्दन को अच्‍छी सुविधायें दे सकें, इसके लिये हम लोग लगातार काम कर रहे हैं. आने वाले समय में 2 साल के इस पीरिएड में जिस तरह से माननीय मुख्‍यमंत्री जी के मार्गदर्शन में हम लोगों ने उज्‍जैन संभाग के पूरे सातों जिलों को पूरा 100 प्रतिशत कर लिया है, बहुत जल्‍द हम उसका लोकार्पण करेंगे. इसके पहले बुरहानुपर, इसके पहले निबाड़ी जो हमारे 10 जिले 100 प्रतिशत हो गये हैं और हमारा लक्ष्‍य है कि पूरे 10 संभागों को, चाहे उस तरफ के सदस्‍य हों, चाहे इस तरफ के सदस्‍य हों, सभी जनप्रतिनिधियों का सम्‍मान करते हुये हम लोगों ने पूरे संभाग को 100 प्रतिशत करने का लक्ष्‍य रखा है और बहुत जल्‍दी हम लोगों ने पंचायत मंत्री आदरणीय प्रहलाद जी, माननीय मुख्‍यमंत्री जी और हमारे प्रमुख सचिव के मार्गदर्शन में हम लोग एक नई नीति लाने वाले हैं जिसमें सदन में हमारे उस पक्ष के सदस्‍य, इस पक्ष के सदस्‍य सभी से एक राय मांगी गई, उन्‍होंने सब लोगों ने कहा कि जिस तरह से समूह नल जल योजना में 10 साल  संधारण और संचालन होती है ऐसी ही एक नई नीति हम लोग और लाने वाले हैं जो सिंगल विलेज स्‍कीम के लिये 3 साल में हमारे संचालन और संधारण पूरे पारदर्शिता के साथ मोबाइल एप के माध्‍यम से तुरंत पता चल जायेगा कि यहां पर गड़बड़ी है, 24 घंटे के अंदर उसको तुरंत सुधारने की कोशिश करेंगे, ऐसा हम लोगों ने लक्ष्‍य रखा है. हम लोगों ने खुले में बोर होने के कारण लोग वहां पर चाहे पशु हो या इंसान हो गिर जाते थे, जब गिर जाते थे तो कोई उसमें जिम्‍मेदारी नहीं लेता था, किंतु हम लोग अभी 2 साल के बीच में एक नीति लाये जिसमें हम लोगों ने खुले में बोर चाहे वह कृषि विभाग का हो या पंचायत विभाग का हो या व्‍यक्तिगत किसी का बोर हो, यदि किसी का व्‍यक्तिगत बोर है और यदि वह खुला है और वहां पर जनहानि होती है तो उनकी जिम्‍मेदारी होगी, ऐसा हम लोग अधिनियम लाये हैं. सभापति महोदय, निश्चित ही आपके माध्‍यम से मुझे बोलने का अवसर मिला इसके लिये बहुत-बहुत धन्‍यवाद और बाकी मैं पटल पर रख दूंगी, ऐसा मैं आप सबसे निवेदन करती हूं. धन्‍यवाद.

          सभापति महोदय-- बहुत-बहुत‍ धन्‍यवाद उइके मेडम, आपने बहुत ही शानदार भाषण दिया.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय--  सभापति जी, मेरा ख्‍याल है कि यह पहली मंत्री हैं जिन्‍होंने बिना कागज देखे पूरा भाषण दिया. मेरे जैसा आदमी भी एक कागज मिस हो गया मेरे से तो इसमें भगवंत राव मंडलोई जी जो द्वितीय मुख्‍यमंत्री थे उनका जिक्र करना भूल गया. वह मैं इसलिये करना चाहता हूं कि वह निमाड़ के थे और उनके पोते हमारे यहां नीरज मंडलोई जी आज बहुत अच्‍छे ब्राइट अधिकारी भी हैं, यहां पर मैं  उनका भूल गया था और वह पद्म विभूषण थे और भगवंतराव मंडलोई जी संविधान सभा के बाबा साहब के साथ सदस्‍य भी रहे थे.  मैं देखकर नहीं बोल पाया और बिना देखे हमारी देवी जी ने इतना अच्‍छा बोला है, मैं चाहता हूं कि सदन इनकी प्रशंसा करे(मेजों की थपथपाहट). वह जिस वर्ग से आतीं हैं, वह आदिवासी वर्ग से आतीं हैं और इतना धारा प्रवाह बोला है कि उनकी जितनी प्रशंसा की जाये वह कम है. (मेजों की थपथपाहट).

          सभापति महोदय -- श्रीमती संपतिया उइके जी आपको बहुत-बहुत धन्‍यवाद के साथ बधाई भी. आपने बहुत शानदार बोला है, बहुत बेबाक तरीके से बोला है.

          श्री सचिन सुभाषचंद्र यादव(कसरावद) -- सभापति महोदय, मैं मध्‍यप्रदेश को विकसित, आत्‍मनिर्भर और समृद्ध राज्‍य बनाने को लेकर आज चर्चा के लिये जो एक दिवसीय सत्र आयोजित किया है, उसके लिये मैं माननीय अध्‍यक्ष महोदय और माननीय मुख्‍यमंत्री जी को बहुत-बहुत साधुवाद और धन्‍यवाद देना चाहता हूं.

          सभापति महोदय, वर्ष 2047 तक मध्‍यप्रदेश को 2.5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्‍यवस्‍था बनाने के रोड मेप पर आज यहां पर चर्चा हो रही है. मध्‍यप्रदेश जो आज वर्तमान में 165 बिलियन डॉलर की अर्थव्‍यस्‍था है. वर्ष 2047 तक 2.5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्‍यवस्‍था बनाने का महत्‍वाकांक्षी विजन आज इस सदन में रखा गया है, यह भारत को विकसित राष्‍ट्र बनाने के लक्ष्‍य से जुड़ा हुआ है, इसके लिये वर्ष 2024-25 से 8.6 प्रतिशत सी..जी.आर. की वास्‍तविक जी.एस.डी.पी. की वृद्धि की जरूरत है, जिसमें एम.पी. के भारत का जी.डी.पी. का हिस्‍सा 4.6 प्रतिशत से बढ़कर लगभग 6 प्रतिशत हो जायेगा. नीति आयोग की मई, 2025 की गर्वनिंग कांउसिल की बैठक में सभी राज्‍यों से आग्रह किया गया है कि वह अपना-अपना विजन डॉक्‍यूमेंट सबमिट करें.

          सभापति महोदय, मैं आगे बोलूं इससे पहले आज हमारे प्रदेश की जो वर्तमान आर्थिक स्थिति है, उस आर्थिक स्थिति पर भी हम सबको मिलकर के चर्चा करना चाहिए और एक नजर डालना चाहिए. मध्‍यप्रदेश का जो कुल कर्ज है, वह 4.60 लाख करोड़ से अधिक का है, जबकि मध्‍यप्रदेश का जो बजट है, वह 4.21 लाख करोड़ रूपये का है, इसका मतलब बजट से ज्‍यादा हम पर कर्ज है. आमदनी अठ्ठन्‍नी और खर्चा रूपया वाली कहावत यहां पर चरितार्थ होती है.

          सभापति महोदय, मध्‍यप्रदेश में जब कोई बच्‍चा जन्‍म लेता है, तो वह 43 हजार रूपये कर्ज लेकर पैदा होता है, इसका मतलब प्रति व्‍यक्ति पर 43 हजार रूपये का कर्ज है. मध्‍यप्रदेश सरकार कर्ज के लिये सिर्फ ब्‍याज पर ही 50 हजार करोड़ रूपये खर्च कर रही है. राजकोषीय घाटा (फिसकल डेफिसिट) वर्ष 2025-26 में जी.एस.डी.पी. का 4.7 प्रतिशत अनुमानित है, जबकि केंद्र द्वारा सामान्‍य सीमा 3 प्रतिशत तय की गई है, कुछ शर्तों के साथ इसमें 0.5 प्रतिशत की अनुमति है. जी.एस.डी.पी.  के हिसाब से कर्ज 25 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए, मगर मध्‍यप्रदेश सरकार पर 30 प्रतिशत से अधिक है, जो भी एक बहुत चिंता का विषय  है. राजस्‍व का बड़ा हिस्‍सा आज भी केंद्र सरकार के ट्रांसफर पर निर्भर है,मतलब जो योजनाएं चल रही हैं, उसमें 60 प्रतिशत हिस्‍सा जो है, वह केंद्र सरकार का है और 40  प्रतिशत जो हिस्‍सा है, वह हमारा है.

          सभापति महोदय, हम मध्‍यप्रदेश को विकसित, आत्‍मनिर्भर और समृद्ध राज्‍य बनाने जैसे गंभीर विषय और दूरगामी विषय पर चर्चा करने के लिये एकत्रित हुए हैं. मैं यह कहना चाहूंगा कि क्‍या मात्र एक दिन का सत्र आहूत करके क्‍या हम इस गंभीर विषय के साथ न्‍याय करने का काम कर रहे हैं? आज इस सदन में लगभग 230 विधायक हैं और यह 230 विधायक लगभग 2 लाख से करीब 3 लाख के आसपास मतदाताओं का प्रतिनिधित्‍व करते हैं. सभी विधायक लगभग 5 से 6 लाख नागरिकों का प्रतिनिधित्‍व करते हैं, क्‍या सरकार ने यह जरूरी नहीं समझा कि इन सभी प्रतिनिधियों की बात सुनी जाये? क्‍या माननीय सभापति महोदय, सिर्फ कुछ ही माननीय सदस्‍यों के जो विचार हैं, क्‍या उन विचारों से ही हम अपने वर्ष 2047 का जो रोडमेप है, उसको तैयार कर पायेंगे? मेरे यह कुछ सवाल है.

          विकसित मध्‍यप्रदेश का रास्‍ता, संवाद, व्‍यापक चर्चा और सामूहिक सहभागिता से होकर जाता है. संक्षिप्‍त औपचारिकताओं से नहीं. मेरा मानना है कि वर्तमान के निर्णय ही भवष्यि की दिशा तय करते हैं. आज को सहज लिया, तो कल स्‍वत: उज्‍ज्‍वल हो जाएगा. जिस इमारत की नींव ही कमजोर हो, उसकी मजबूती की कल्‍पना नहीं की जा सकती. हम भविष्‍य के बड़े बड़े सपने देख रहे हैं, लेकिन सवाल यह है कि वर्तमान में जो व्‍यवस्‍था है, वह कैसे सुधरेगी. आज किसान परेशान है, युवा बेरोजगार है, स्‍वास्‍थ्‍य और शिक्षा की हालत चिंताजनक है. आज तक इन समस्‍याओं का समाधान नहीं हो पा रहा है. कल का विकास केवल कागजों तक सीमित नहीं हो सकता. अगर हम सच में समृद्ध मप्र बनाना चाहते हैं, तो हमें गांव की तरफ रुख करना पड़ेगा. आज हमारे प्रदेश की लगभग 80 प्रतिशत आबादी गांव में निवासरत है. हमने इससे पहले बहुत सारी योजनाओं के बारे में सुना. कभी आदर्श ग्राम, कभी गोकुल ग्राम, कभी वृंदावन ग्राम की बात सुनी, लेकिन क्‍या सिर्फ एक गांव को विकसित करना ही लक्ष्‍य है. मैं समझता हूं ये बातें कहीं न कहीं हमारे लक्ष्‍य से भ्रमित करने का काम करती है, हमें चाहिए कि हम हर विधान सभा के सभी गांवों के लिए क्‍लस्‍टर आधारित, समयबद्ध और बजट समर्पित समग्र ग्रामीण विकास योजना बनाए, तब ही जाकर के हम 2047 का जो विजन डाक्‍यूमेंट हैं, उसको हम साकार कर पाएंगे.

          माननीय सभापति महोदय, अगर हम वर्ष 2047 की बात कर रहे हैं तो जो सरकार की जवाबदेही है, उस पर भी चर्चा होनी चाहिए. आज ऐसे कई इश्‍यूज हैं जिन पर सख्‍त निर्णय लेने की आवश्‍यकता है. आज हमारे प्रदेश में जिस प्रकार से 90 डिग्री के पुल बनाए जाते हैं और जनता के पैसे की बर्बादी होती है, क्‍या सिर्फ अधिकारी को सस्‍पेंड करना ही इस समस्‍या का हल है. क्‍या ठेकेदारों, इंजीनियरों, जिसके पास से फाइल हुई, जिसने भुगतान किया, इन सवालों का जवाब जब तक नहीं मिलेगा, तो हम जो वर्ष 2047 की बात कर रहे हैं, वह बेईमानी होगी. जो गलत है, गलत को गलत कहने का साहस जब तक सरकार नहीं करेगी, तब तक ये चर्चा बेईमानी होगी. हमारे प्रदेश में इससे पहले कई ऐसे भ्रष्‍टचार की घटनाएं सामने आईं. चाहे वह सौरभ शर्मा कांड हो, नर्सिंग घोटाला हो, व्‍यापम घोटाला हो, जल जीवन मिशन में अनियमितता हो, ई-टेंडर घोटाला हो, अधूरे सड़क, पुल परियोजना हो, नल जल योजना में जमीन पर पानी न पहुंचने की बात हो, स्‍मार्ट सिटी के नाम पर करोड़ों खर्च कर बदहाल जो हालत है, नकली दवाईयों से मासूमों की जान गई उसकी बात हो, एचआईवी संक्रमित खून मासूम बच्‍चों को देने की घटनाएं हों, ये सारी घटनाएं हमारे प्रदेश में घटी हैं, लेकिन इसकी जिम्‍मेदारी तय नहीं हुई और जो जिम्‍मेदार थे, जो जवाबदार थे, उनके ऊपर कोई कार्यवाही नहीं हुई. अब सरकार यह बताएं कि क्‍या सिर्फ निलंबन ही उपाय है, अपराधिक मुकदमे क्‍यों न हो, क्‍या सिर्फ जांच ही उपाय है, जनता के पैसे की रिकवरी क्‍यों न हो, क्‍या राजनीतिक और प्रशासनिक जिम्‍मेदारी तय नहीं होनी चाहिए. क्‍या मंत्री, वरिष्‍ठ अधिकारी और नीति तय करने वाले जो लोग जिम्‍मेदार हैं, उनकी जिम्‍मेदारी तय नहीं होनी चाहिए, जब तक जवाबदेही तय नहीं होगी, तब तक हम आगे की बात नहीं कर पाएंगे. किसी विजन डाक्‍यूमेंट को बना लिया लेकिन उसको जमीन पर उतारने के लिए दृढ़ संकल्‍प और राजनीतिक इच्‍छा शक्ति की आवश्‍यकता है. दुर्भाग्‍य है कि पिछले 22 वर्षों में कोई ठोस और दूरगामी काम नहीं हुआ है और अब अचानक सब कुछ कैसे हो जाएगा ये ईश्‍वर ही जानता है.

                        आज प्रदेश में सबसे बड़ी समस्या मेन पॉवर की जो भारी कमी हमको देखने को मिल रही है. ऐसा कोई भी विभाग नहीं बचा है जहां पर पद खाली ना हों. स्वास्थ्य एवं कृषि विभाग में हजारों पद रिक्त पड़े हुए हैं. कृषि विभाग की हालत यह है कि जमीनी स्तर पर कृषि विकास अधिकारी नहीं है, ग्राम विस्तार अधिकारी नहीं है, एसएडीओ नहीं है, एडीए नहीं है, जेडडीए नहीं हैं. आज हमारी मंडियों की बात करें तो प्रदेश में 259 कृषि उपज मंडियां हैं जिसमें 150 में आज तक नियमित सचिव नियुक्त नहीं किये गये हैं. हालात यह है कि एक सचिव के पास तीन से चार चार मंडियों का प्रभार है, तो सवाल यह उठता है कि जब कर्मचारी नहीं हैं तो योजनाएं खेत और किसान तक कैसे पहुंचेगी. बात यह समझ से बाहर है कि मंडियों को मजबूत करने के लिये सचिवों की नियुक्ति कब तक होगी ? यह साफ दिख रहा है कि सरकार खुद कन्फ्यूड है उनकी न ही नीति स्पष्ट है, ना ही नियत स्पष्ट है, इसी असमन्जस का नतीजा है कि सरकार धीरे धीरे निजीकरण की ओर बढ़ रही है. सभापति महोदय मैं कुछ बातें आपके सामने रखना चाहता हूं. सबसे पहले तो सरकार को यह तय करना पड़ेगा कि देश की जो 80 प्रतिशत आबादी है जो खेती-किसानी से जुड़ी हुई है. क्या सरकार की प्राथमिकता वह है. या 2 प्रतिशत जो उद्योगपति हैं क्या वह सरकार की प्राथमिकता है ? पहले सरकार को यह तय करना पड़ेगा. इससे पहले भी हमने एक नारा सुना था एक बात हमने सुनी थी 2022 तक किसानों की आय को दुगना करने का काम किया जायेगा. लेकिन हम सब जानते हैं कि आज किसानों की क्या स्थिति है ? किस स्थिति में हमारे किसान साथी हैं, यह हालत किसी से छिपी नहीं है ? किसान की आय तो दुगनी नहीं हुई लेकिन किसान की जो लागत है वह निश्चित रूप से बढ़ गई है. बीज के दाम, खाद के दाम, कीटनाशक, डीजल, बिजली सब महंगा हो गया है, लेकिन किसान की जो फसल के दाम नहीं बढ़ पाये हैं. पिछले बजट में केन्द्र सरकार ने जो किसान क्रेडिट लिमिट है जो अभी वर्तमान में 3 लाख है उसको बढ़ाकर के 5 लाख की घोषणा की थी, लेकिन आज दिनांक तक घोषणा धरातल पर नहीं पहुंच पायी है. इसी कारण से जो हमारे अधिकांश किसान साथी हैं वह ऋण नहीं ले पा रहे हैं उनको खेती किसानी के लिये पैसे की आवश्यकता होती है वह भी उसे नहीं मिल पा रही है. आज मध्यप्रदेश के किसान साथियों की हम बात करें तो जब तक हमारे किसान की उन्नति, खुशहाली और उसकी तरक्की और उसकी आमदनी जब तक नहीं बढ़ेगी, तब तक प्रति एकड़ जो उत्पादन है वह नहीं बढ़ेगा. हमारे किसान की आय भी नहीं बढ़ पायेगी. इसकी अगर हम तुलना करें अन्य प्रदेशों से फसल वाईस हम तुलना करें. तो धान की बात करें तो मध्यप्रदेश में हमको जो उत्पादन मिल रहा है वह 2.5 से लेकर के 3 टन मिल रहा है. अगर पंजाब और हरियाणा की बात करें तो पंजाब एवं हरियाणा 4 से लेकर के साढ़े चार टन प्रति एकड़ उत्पादन पैदा कर रहा है इसका मतलब यह है कि लगभग 40 प्रतिशत कम पैदावार हम धान की इस प्रदेश में कर रहे हैं. अगर हम गेहूं की बात करें तो गेहूं में भी लगभग 3.3 टन उत्पादन हम लोग ले रहे हैं, जबकि पंजाब और हरियाणा में यही उत्पादन प्रति एकड़ साढ़े चार से पांच टन मिल रहा है. मक्का की बात करें तो मध्यप्रदेश में तीन से साढ़े तीन टन हो रहा है अन्य दक्षिण राज्यों में लगभग पांच से छः टन प्रति एकड़ इसका उत्पादन मिल रहा है. सोयाबीन हमारे प्रदेश में सबसे ज्यादा पैदावार होती है. हमारे प्रदेश में मात्र 1.3 टन उत्पादन ले रहे हैं. बाकी अन्य जगहों पर जो राष्ट्रीय औसत है वह लगभग 1.3 से लेकर के 1.5 है. चने की भी यही स्थिति है. चने में 1 से 2 टन ले रहे हैं. जबकि राष्ट्रीय औसत जो है 1.5 से लेकर 1.8 तक है. जब तक हम प्रति एकड़ उत्पादन नहीं बढ़ाएंगे तब तक किसान की जो आय है उसमें उसकी वृद्धि को हम नहीं देख पाएंगे.

            सभापति महोदयसचिन जी कृपया एक मिनट में अपनी बात को समाप्त करे.

          श्री सचिन सुभाषचन्‍द्र यादव -- माननीय सभापति महोदय, आज सबसे बड़ी चिंता का जो विषय है कि किसान को उसकी फसल का, उसकी उपज का सही मूल्‍य नहीं मिल पा रहा है. सरकार लगातार दावे करती है कि हम एमएसपी पर खरीदी करेंगे. सरकारी खरीदी की जायेगी लेकिन वह दावे कहीं भी धरातल पर देखने को नहीं मिलते और उसी का परिणाम है कि चाहे हम मक्‍का की बात कर लें, जो आज 1000 रूपए से 1400 रूपए क्‍विंटल बिक रहा है. मूंग की हम बात करें, जो लगभग 5 हजार रूपए से लेकर 6 हजार रूपए क्‍विंटल बिक रहा है. सोयाबीन 3200 रूपए क्‍विंटल से लेकर 4200 रूपए क्‍विंटल में बिका. कपास 5200 रूपए से लेकर 5800 रूपए क्‍विंटल बिका. मूंगफली, तुअर जैसी जितनी भी फसलें हैं, उन सभी का मूल्‍य हमें नहीं मिल पाया है तो आज इस सदन के माध्‍यम से मैं कहना चाहता हॅूं कि जब माननीय मुख्‍यमंत्री जी बोलेंगे, तो मैं आशा करता हॅूं कि यह सरकार यहां से एक प्रस्‍ताव बनाकर भेजे. जहां पर एमएसपी को कानूनी गारंटी देने का काम किया जाये और जितनी भी हमारी उपज हैं सरकार उन उपजों को 100 प्रतिशत खरीदने का काम करे.

          सभापति महोदय -- बहुत-बहुत धन्‍यवाद सचिन जी. कृपया, अपनी बात एक मिनट में रख दें. आपसे दोबारा आग्रह है. आपका पर्याप्‍त समय हो गया है.

          श्री सचिन सुभाषचन्‍द्र यादव -- माननीय सभापति महोदय, हमारे सहकारिता क्षेत्र की जो स्‍थिति है, निश्‍चित रूप से उस पर भी मैं चर्चा करना चाहता हॅूं. आज हमारे प्रदेश में लगभग 38 सहकारी बैंक काम कर रही हैं. जिसमें से लगभग 15 सहकारी बैंक जो हैं उनकी वित्‍तीय स्‍थिति बहुत जरजर है, बहुत खराब है. मैं आशा करता हॅूं कि आने वाले समय में सहकारिता मंत्री श्री विश्‍वास सारंग जी जब अपना वक्‍तव्‍य देंगे, तो कैसे इन बैंको की आर्थिक स्‍थिति सुधरेगी, इस दिशा में वे अपनी बात रखेंगे. इसके अलावा राष्‍ट्रीयकृत बैंकों की तर्ज पर हमारे जो किसान साथी हैं जो लगातार कालातीत होते जा रहे हैं उनके लिए समय-समय पर जो वन टाइम सेटलमेंट योजना है, जो सतत् समझौता योजना है, उसको लगातार जारी करना चाहिए.

          सभापति महोदय, इसके अलावा जो हमारी सोसायटियां हैं, सोसायटियों में काम कम्‍प्‍यूटराईज्‍ड होना चाहिए. जो मानव त्रुटियां है, जो घपले होते हैं, जो धांधलियां होती हैं जो भ्रष्‍टाचार होता है उससे निश्‍चित रूप से बचा जाये. निश्‍चित रूप से सहकारिता मंत्री जी के प्रयासों से प्रदेश में लगभग 664 नई सोसायटियां जरूर बनी हैं लेकिन आज भी ये सोसायटियां सिर्फ कागजों तक ही सीमित हैं. यहां पर इनके पास न तो आफिस है, न तो गोदाम है, न ही फर्नीचर है और न ही अन्‍य कोई व्‍यवस्‍था है, तो मेरा अनुरोध है कि यह जो सोसायटियां आपने बनाई हैं इनके इन्‍फ्रॉस्‍ट्रक्‍चर की जो बात है उसको भी तत्‍काल प्रभाव से दिया जाये.

          सभापति महोदय, एक महत्‍वपूर्ण बात कहना चाहता हॅूं कि पिछले सदन में माननीय सहकारिता मंत्री जी ने जो बात कही थी कि हमारी सोसायटियों के जो चुनाव हैं वह लंबे समय से नहीं हो पाये हैं. मैं अनुरोध करता हॅूं कि उन सोसायटियों का चुनाव भी किया जाये. मंडियों के जो चुनाव हैं क्‍योंकि मंडियों के भी चुनाव पेंडिंग पडे़ हैं उन मंडियों के चुनाव भी कराएं जायें. यही मेरा आपसे अनुरोध है. बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          सभापति महोदय -- बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          श्री रामेश्‍वर शर्मा (हुजूर) -- माननीय सभापति महोदय, हमारी सरकार ने यह कल्‍पना की है और यह कल्‍पना केवल मध्‍यप्रदेश में ही नहीं, बल्‍कि भारत के हमारे लोकप्रिय प्रधानमंत्री आदरणीय श्री नरेन्‍द्र मोदी जी ने पूरे भारत के सामने एक विज़न रखा है कि वर्ष 2047 में जब भारत इकट्ठा होगा और उस समय भारत अपना महापर्व मना रहा होगा, तब भारत की स्‍थिति क्‍या होगी, इस पर चर्चा है. आज मध्‍यप्रदेश का परम सौभाग्‍य है कि आज के दिन सदन लगा है और इसे 70 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं. इस सदन में जो पहले आये, उनका उल्‍लेख माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने किया है, संसदीय कार्यमंत्री ने किया है. हमने किसी पर कटाक्ष नहीं किया. हमने सबकी भूमिकाओं को स्‍वीकार किया है और आने वाले दिनों में यह सदन सबकी भूमिकाओं को स्‍वीकार करेगा. यह मध्‍यप्रदेश सबको साथ लेकर, सबका विकास, सबका भरोसा और सबका विश्‍वास लेकर एकता के सूत्र में, अपने पायदान पर खड़ा होगा और देश में उन्‍नत भारत के निर्माण में हम सबका योगदान लिखा जायेगा, रचा जायेगा, यह जरूरी है और इसलिए यह एक-एक व्‍यक्‍ति की परिकल्‍पना है..

सभापति महोदय, स्वामी विवेकानंद का सपना, महात्मा गांधी का रामराज्य, सरदार वल्लभ भाई पटेल के सपने का भारत, दीन दयाल उपाध्याय जी के अन्त्योदय अभियान और श्यामाप्रसाद मुखर्जी के एक सशक्त और राष्ट्रवाद की कल्पना को लेकर आज भारत आगे बढ़ रहा है.

मैं संस्कृति, पर्यटन और विरासत विषय पर अपनी बात कहने के लिए खड़ा हूं. भारत माता के परम वैभव के स्वप्न दृष्टा और आत्मनिर्भर भारत के प्रणेता और हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री आदरणीय श्री नरेन्द्र मोदी जी ने लालकिले की प्राचीर से कहा था कि हम विकास भी हैं और हमारी विरासत भी है. विकास और विरासत को लेकर हम जब चलते हैं तो हमारी कल्पना मध्यप्रदेश के दिल के रूप में है क्योंकि मध्यप्रदेश भारत का दिल है और इस मध्यप्रदेश में संस्कृति पर जैसे हमारे जयवर्द्धन जी ने बोला था कि प्रदेश में नदियां हैं, बहुत तालाब हैं, बहुत से पहाड़ हैं बहुत से तीर्थस्थल हैं, ये सारी कल्पनाएं हैं परन्तु इनको साकार रूप कब दिया गया तो इनके साकार रूप को अगर कहा जाय तो माननीय प्रधानमंत्री जी ने मंदिरों के जीर्णोंद्धार की एक श्रृंखला शुरू की.

भारत में जो काम सरदार वल्ल्भ भाई पटेल  ने  सोमनाथ के मंदिर के निर्माण के साथ शुरू किया था. वह बीच में बंद हो गया, लेकिन हमारे भारत के प्रधानमंत्री आदरणीय श्री नरेन्द्र मोदी जी ने काशी में एक दिव्य कॉरिडोर तैयार करके बाबा विश्वनाथ के सामने गंगा का वह स्वरूप खड़ा कर दिया. पहले वहां पर अतिक्रमण था उसको हटाकर एक भव्य निर्माण का कार्य शुरू हुआ तो श्रद्धालुओं के आने जाने की श्रृंखला की शुरुआत हो गई.  इसी श्रृंखला में हमारा महाकाल कॉरिडोर तैयार हुआ. अब महाकाल कॉरिडोर के दर्शन  करने आए श्रद्धालुओं की संख्या आप देखेंगे तो आपको आश्चर्य होगा. अगर 15 करोड़ पर्यटक मध्यप्रदेश में आए हैं जिसमें 9 करोड़ से अधिक पर्यटक बाबा महाकाल के दर्शन के लिए उज्जैन की धरती पर आए हैं. माता के दर्शन करने मैहर आए हैं तो आखिर यह पर्यटक आ कैसे रहे हैं, यह पर्यटकों को लुभाने के लिए जो हमारे पुराने तीर्थ हैं इन तीर्थ स्थलों के विकास की, जीर्णोद्धार की कल्पना, हमारे भारत के प्रधानमंत्री जी ने दी. इस कल्पना को लेकर हमारे मध्यप्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव जी ने इस कल्पना को साकार रूप दिया. हम देखें तो केदारनाथ का भव्य कायाकल्प किया गया. केवल सनातन धर्म, हमारा आध्यात्मिक चिंतन नहीं है, बल्कि यह हमारी आत्मा के मूल जड़ में है, इसलिए हमने सनातन के इन मान्य बिन्दुओं की रक्षा के लिए, इन मान्य बिन्दुओं के उत्थान के लिए हमने निरंतर काम किया है.

हम यह कह सकते हैं कि आज जो गगन चूमती इमारतें खड़ी हैं इन इमारतों के पीछे कहीं न कहीं सनातन की परिकल्पना है, उस कल्पना को लेकर हम लगातार अनुष्ठान करते जा रहे हैं. हमारा लगातार विकास का कार्य होता जा रहा है. राष्ट्रव्यापी सांस्कृतिक अनुष्ठान में मध्यप्रदेश के पुण्य धरा पर मूर्त रूप देने के भागरथी सात्विक प्रयास हमारे कर्मठ विद्वान और धर्मध्वज वाहक मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी ने किया है. उनका विज़न स्पष्ट है कि मध्यप्रदेश को भारत का आध्यात्मिक और सांस्कृतिक केन्द्र बनाना चाहते हैं, उनके नेतृत्व में प्रदेश में सांस्कृतिक अमृतकाल का उदय हुआ है. चाहे भगवान राम के पथ का जो सुबह उल्लेख किया गया है. आज भगवान राम का जो वन पथ है उस पर भी हमने लगातार काम किया है और उसके विकास के कामों के लिए हमने 23 परियोजनाओं को वहां पर मंजूरी दी है. कृष्ण पाथेय को विश्व पटल पर लाने के लिए हमारी मोहन सरकार ने लगातार काम किया है. मां नर्मदा जी की बात हुई, नर्मदा जी के बारे में हमारे प्रहलाद जी ने भी पहले बोल दिया है. हमारे वक्ताओं ने भी बोला है. मां नर्मदा की सेवा और मां नर्मदा मध्यप्रदेश के लिए एक जीवनदान है. आज मध्यप्रदेश जो फल-फूल रहा है उसमें मां नर्मदा की आसीम कृपा है. उनके कारण आज हमारे भोपाल शहर को भी मां नर्मदा का जल मिल रहा है. वह भी भारतीय जनता पार्टी की सरकार की देन है. आज मैं यह कह सकता हूं कि मां नर्मदा की, हंसिए मत राजा.

          श्री भंवर सिंह शेखावत - यह मां नर्मदा भी क्या भारतीय जनता पार्टी की देन है?

          श्री रामेश्वर शर्मा - आपको मुझसे पहले पता है. सभापति महोदय, मैं उसमें नहीं उतरना चाहता हूं. मैं यह भी बता सकता हूं कि भोपाल में एक नगर निगम परिषद ऐसी गठित हुई, जिसने मां नर्मदा का कहकर प्रतिमा का टेंडर जारी किया और प्रतिमा बनाई.

जब उद्घाटन का अवसर आया  तो  वह शाहजहानाबाद  में   वह प्रतिमा है.  वह मां नर्मदा की प्रतिमा   नहीं निकली,  वह कांग्रेस  की ही परिषद् थी, जिनको मां नर्मदे  जी के चित्र के बारे में भी  अभी तक  पता नहीं है,  उस पर हम ज्यादा  राजनीति करना नहीं चाहते.लेकिन आज का दिन केवल हमारे लिये यह दिन  है कि हिन्दुस्तान के  मध्य में यह जो हमारा   म.प्र. है, यह  जो हमारे दिल की धड़कन  है, यह  दिल जितना मजबूत होगा,  उतना   मजबूत हमारा हिन्दुस्तान  होगा.  इस दिशा में हमारी सरकार  लगातार काम कर रही है. चाहे  हमारी सरकार किसी भी प्रदेश  की बात कर लीजिये, सबसे ज्यादा बोलचाल की  भाषाएं  हमारे प्रदेश में हैं.   मैं एक बात की ओर प्रार्थना करना चाहता हूं कि  म.प्र. देश के मानचित्र   में उकेरी हुई केवल   भौगोलिक रेखाओं   के नाम नहीं हैं, बल्कि यह भारत वर्ष की  सांस्कृतिक चेतना  का स्पंदन  है.  किसी भी राष्ट्र की पहिचान  उसकी सरिताओं  के प्रभाव में  भी  जीवंत रहती है.  हमारा सौभाग्य है कि  यह  ताप्ती का तप, क्षिप्रा का अमृत  जल, चम्बल का शौर्य,  बेतवा की भक्ति, काली सिंघ और पार्वती  का पावन जल   इस धरा  को  अभिसिंचित करता है. यह नदियां केवल हमारी  जल धाराएं नहीं हैं,  बल्कि हमारी सनातन  सभ्यता  की  धमनियां हैं, जिनकी कोख में हमारी  संस्कृति  फलती  और फूलती है.   इन्हीं पुण्य सलिलाओं के तट के हमारे गौरवशाली अतीत  के  इतिहास में लिखा है,  इस माटी के कण कण में  जन नायक  टंट्या  मामा का साहस,  राजा  शंकर शाह का बिलादन  और   बलिदानी रानी  दुर्गावती,  रानी अवंती बाई,  रणचंडी   के रुप  में  जानी जाती हैं.   यह  भूमि अमर शहीद  चंद्रशेखर आजाद की हुंकार,   राम प्रसाद बिस्मिल  के  ओज और बाबा  साहब  अम्बेडकर के   संविधान के  आधार पर यह  मध्यप्रदेश देश और दुनिया में गौरवान्वित  हुआ है.  माखनलाल चतुर्वेदी  जी की राष्ट्रभक्ति  का यह प्रदेश सक्षी है और इसलिये इस तरह की  जो  संघर्ष की हमारी गाथाएं हैं, यह लम्बी हैं.  मैं आपको एक प्रार्थना करना चाहता हूं कि..

                   सभापति महोदयआप थोड़ा संक्षिप्त  कर दें,  ज्यादा लम्बी न करें.  एकदम संक्षिप्त कर दें थोड़ा सा. काफी सदस्य हैं. 

                   श्री रामेश्वर  शर्माअभी तो मैं विषय पर ही नहीं आया हूं.

                   सभापति महोदय-- मैंने तो दो बार आग्रह किया है सभी से.  सभी माननीय सदस्य   ध्यान रखें समय का. काफी   नाम अभी भी शेष हैं.

                   श्री रामेश्वर शर्मायह जो कुछ किया है,  जो कुछ होने वाला है,  2047 की जो कल्पना है,  वह कल्पना मात्र  न रहे,  उसको जमीन पर उतारने का काम  डॉ. मोहन यादव की सरकार  कर रही है  और जो कर रही है, तो उसे बताने  में तो कोई संकोच नहीं है.  उधर से तो कल्पना दी नहीं गई,  उधर से तो डिमांड दी गई है.  यहां से जो कर रहे हैं,  यह बताने में तो  अतिश्योक्ति नहीं है.

                   सभापति महोदय--  शीघ्रता में गागर में सागर कर दें  आप तो.

                    श्री कैलाश कुशवाहआपने प्याज   के शैम्पू की बात की थी क्या हुआ अभी तक.

                   सभापति महोदय--- कैलाश जी, आप बैठें. रामेश्वर जी, थोड़ा शीघ्रता करें.  गागर में सागर कर दें.

                   श्री महेश परमाररामेश्वर भैया,  शीघ्रता से शैम्पू की व्यवस्था करें.

                   श्री रामेश्वर शर्माइनको  सारे शैम्पू  खरीदकर हम ही  दें क्या.  इनकी इतनी बुरी आदत है कि  शैम्पू, साबुन भी हम लोगों से  मांगते हैं.  अपनी अपनी शैम्पू, साबुन खुद  ही खरीदो.

                    श्री कैलाश विजयवर्गीय--  सभापति जी, महेश जी के बाल नहीं हैं  और शैम्पू मांग रहे हैं. ..(हंसी)..

                   श्री  महेश परमारमुझे इनके शैम्पू की जरुरत है, ताकि वापस बाल  आ जाये.

                   श्री रामेश्वर शर्मासभापति महोदय, इसलिये  आज आप देखिये म.प्र. में लगातार हमारी सांस्कृतिक  चेतना  का जन जागरण हो रहा है.  हमारे मुख्यमंत्री जी ने  जैसे मैंने राम पथ, कृष्ण पाथेय की बात की,  आज अगर हम यह कह सकते हैं कि म.प्र. वह सौभाग्यशाली  प्रदेश है, जहां भगवान की शिक्षा-दीक्षा  हुई  और  शिक्षा दीक्षा हुई तो  संदीपनी आश्रम भी म.प्र. में है.  आज  हमने  230 विधान सभा में  वहां पर उनके नाम से  विद्यालय खोलने का  काम किया है  और इतना ही नहीं तो  म.प्र. में  गीता जयंती पर  गीता का जो है,   5 हजार  से अधिक  लोगों ने लाल परेड के मैदान पर  गीता पाठ किया और  आज की तारीख में इस वर्ष  जो  आयोजन हुआ  उसमें 3 लाख से अधिक  प्रतिभागी  जन जन तक घर घर तक  गीता पहुंचाने का काम  डॉ. मोहन यादव  की सरकार  कर रही है. यह हमारी सरकार की  सबसे बड़ी उपलब्धि है.  हम  कृष्ण  भगवान के  आदर्शों को लेकर के चल रहे हैं और इसलिये हमने बीच में  गोवर्धन उत्सव किया.  जब हमनने गोवर्धन उत्सव किया तो   कई लोगों ने बड़े सवाल  किये कि यह सरकार केवल धार्मिक उत्सव  कर रही है.  भैया भगवान गोवर्धन  की,  जब भगवान कृष्ण की  शिक्षा यहां हो सकती है,  जब भगवान कृष्ण यहां से पढ़कर गये हैं.  तो उन्होंने जो लीलाएं की हैं,  उनकी जो 64 लीलाएं,  18 कलाएं  हैं,  उनका  उल्लेख होगा और जब भगवान कृष्ण ने   वहां गोवर्धन  पर्वत उठाया है, तो डॉ. मोहन यादव  जी के  नेतृत्व में राजधानी से  लेकर पूरे प्रदेश  में गोवर्धन उत्सव मनाया गया.  इस उत्सव में भी हजारों  गोभक्त  सम्मिलित  हुए और  उन  गोभक्तों की बड़ी  संख्या में उपस्थिति हुई..इसी की प्रेरणा से आज हम गौ-माता की सेवा कर रहे हैं और गौ-माता की सेवा इतनी नहीं कर रहे हैं उस समय कम पैसा मिलता था हमारी सरकार ने उसको बढ़ाकर दे दोगुना कर दिया है. और गौशालाओं को आधुनिक गौशाला बनाने का काम भी भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने डॉ. मोहन यादव की सरकार ने किया है.

          सभापति महोदय-- बहुत धन्यवाद रामेश्वर जी, कृपया बैठें.

          श्री रामेश्वर शर्मा- सभापति महोदय, अभी नहीं सर.

          सभापति महोदय- आधे मिनिट में समाप्त करें.

          श्री रामेश्वर शर्मा- नहीं आधे मिनिट में कोई बात नहीं होगी अभी तो शुरूवात है.

          सभापति महोदय, आचार्य शंकर की 108 फिट की प्रतिमाएं ,भगवान शंकराचार्य जी की 108 फिट की प्रतिमाएं, बनकर के  तैयार है. ओमकारेश्वर में ममलेश्वर धाम जैसे हमने महाकाल धाम बनाया, महाकाल लोक बनाया वैसे ही ममलेश्वर लोक बनाया जा रहा है. आज जितने भी महापुरूष हैं रानी अवंतिबाई के नाम से बना रहे हैं, संत रविदास जी के नाम से हम बना रहे हैं. अंबेडकर जी की बात ये करते हैं . अंबेडकर जी की जन्म स्थली का अगर विकास किसी ने किया है तो सबसे पहले भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किया है. अंबेडकर जी की जन्म स्थली पर यदि सम्मेलन किये हैं  तो भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किये हैं. श्रीमान जी मैं आपको बता देना चाहता हूं आज भोपाल के बोर्ड आफिस चौराहे पर जो अंबेडकर जी की प्रतिमा लगी है वह भी सुंदरलाल पटवा जी की सरकार ने लगाई है, आपने तो अंबेडकर जी की प्रतिमा तक नहीं लगाई.

          श्री सुरेश राजे -- माननीय शर्मा जी अंबेडकर जी का अपमान भी आपकी ही सरकार में सबसे ज्यादा हुआ है.

          सभापति महोदय-- सुरेश जी आप बैठिये. रामेश्वर जी कृपया समाप्त करें. माननीय मुख्यमंत्री सहित अभी भी 10 माननीय सदस्यों को बोलना शेष है. आप समय का ध्यान रखें. समाप्त करें. पर्याप्त समय आपका हो गया है.

          श्री रामेश्वर शर्मा -सभापति महोदय, पर्याप्त बात हैं. यह लोग कहते हैं हम करते हैं, आज भी अगर कहा जाये हिन्दुस्तान में बापू के रामराज की कल्पना अगर किसी ने साकार की है तो नरेन्द्र मोदी जी ने की है, अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के कारण..

          श्री सोहन लाल बाल्मीक-- महात्मा गांधी के नाम पर योजना चल रही है उसका नाम बदल रहे हैं, मनरेगा का, महात्मा गांधी जी से इतनी तकलीफ है कि उनका नाम तक बदल दिया मनरेगा योजना से, यहां बात करेंगे महात्मा गांधी की, हम उनका अपमान नहीं सहेंगे. भारतीय जनता पार्टी ने हमेशा उनका अपमान किया है.

          सभापति महोदय- सोहनलाल जी कृपया बैठें.

          श्री रामेश्वर शर्मा- हम महात्मा गांधी जी के सपने को लेकर के चल रहे हैं और इसीलिये हमने अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण किया जब राम मंदिर बनेगा तभी तो राम राज्य आयेगा, आपको तो राम से तकलीफ है..व्यवधान. आपको गोतम बुद्ध से तकलीफ है, आपको गुरूनानक जी से तकलीफ है,..

          सभापति महोदय- रामेश्वर जी प्लीज अब आप समाप्त करें. समय का ध्यान रखें.

          श्री सोहनलाल बाल्मीक- हमें तकलीफ नहीं है आपको तकलीफ है.

          सभापति महोदय- बाल्मीक जी प्लीज आप बैठें.

समय 7.13 बजे     {अध्यक्ष महोदय(श्री नरेन्द्र सिंर तोमर) पीठासीन हुए}

          श्री रामेश्वर शर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मै आपसे एक ओर प्रार्थना कर देना चाहता हूं,भगवान राम जिस मंदाकनी के तट पर रूके हैं, साढ़े 11 साल उस मंदाकनी के तट का भी विकास करने का संकल्प डॉ. मोहन यादव जी की सरकार ने लिया है और उसमें 23 स्थान जहां जहां पर रामलला गये हैं वहां रामलला के जहां जहां पद है उन पदों का विकास किया जा रहा है, जैसे मैंने कहा कि महाकाल के दर्शन के लिये 8 करोड़ से अधिक लोग आये, जब यह पूरा पथ तैयार हो जायेगा, यह पूरा कारीडोर रामलला का तैयार हो जायेगा यहां भी करोड़ो लोग रामलला के दर्शन के लिये आयेंगे, पर्यटक आयेगा तो होटलें चलेंगी, फूल माला भी बिकेंगी, प्रसाद भी बिकेगा, नोजवानों को रोजगार भी मिलेगा यही तो रोजगार है यही तो है वोकल फार लोकल और क्या है. यही तो हमारी कल्पना है. हम देना चाहते हैं. अरे हमने तो मध्यप्रदेश में 2000 घरों को, लगभग 200 गांव चिह्नित किये हैं, होमस्टे करके गांव वालों को हम पैसा दे रहे हैं, उनका मकान बना रहे हैं और विदेश से लेकर मध्यप्रदेश से लेकर के तमाम प्रकार के टूरिस्ट वहां पर आते हैं, वहां पर निवास करते हैं, उनकी निजी आय बढ़ाने का काम भी भारतीय जनता पार्टी कर रही है.

          अध्यक्ष महोदय- रामेश्वर जी, कृपया समाप्त करें.

          श्री रामेश्वर शर्मा- दो मिनिट ओर..

          अध्यक्ष महोदय- अरे आप बहुत विद्वान सदस्य हैं, पानी पी पीकर मत बोलो. (हंसी)

          श्री रामेश्वर शर्मा- क्या है सर इसमें नदियां भी बहुत हैं न.

          अध्यक्ष महोदय- कृपया समाप्त करें. अभी  मुख्यमंत्री जी को बोलना है. काफी सदस्य भी बोलने के लिये शेष हैं.

          श्री महेश परमार -- एक बार रामेश्वर भैया क्षिप्रा जी के जल का आंचमन कर लो. क्षिप्रा जी का.

          श्री रामेश्वर शर्मा- अरे माननीय महेश भाई क्षिप्रा जी का जल आंचमन भी करेंगे और क्षिप्रा में आपको डुबकी भी लगवायेंगे यह भी हमारी सरकार करेगी.

          अध्यक्ष महोदय-- रामेश्वर जी सीधे बात नहीं करें.

          श्री महेश परमार - चलो कल सुबह ही मेरे साथ में चलो.

          अध्यक्ष महोदय- महेश भाई, बैठें. रामेश्वर जी समाप्त करें. सवाल जवाब मत करें आप अपनी बात करें.

          श्री रामेश्वर शर्मा- यह डॉ. मोहन यादव जी की सरकार ने संकल्प लिया है 30 करोड़ लोग जब बाबा महाकाल के दर्शन के लिये 2028 में कुंभ में आयेंगे तो 30 करोड़ लोगों की व्यवस्था डॉ.मोहन यादव जी की सरकार ने दर्शन के लिये और स्नान के लिये की है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- अब उस समय आप महेश भाई का ध्‍यान रखना. अभी कह दिया. आपने आश्‍वासन दे दिया है, आप महेश भाई का ध्‍यान रखना. कृपया समाप्‍त करिए.

          श्री रामेश्‍वर शर्मा -- अध्‍यक्ष महोदय, इनका तो और भी लोग ध्‍यान रख रहे हैं. मैं आपसे यह आग्रह कर देना चाहता हूं कि यह राजा भोज का भोपाल था, परंतु भोज का भोपाल, बड़ा तालाब राजा भोज ने बनाया परंतु ऐसा लगता था इस शहर में जैसे नवाबों का ही शहर हो राजा भोज ने कुछ किया ही ना हो. मैं डॉ. मोहन यादव जी को धन्‍यवाद देता हूं कि भोपाल के 9 रोडों पर आकर 9 प्रमुख द्वार बनाए जा रहे हैं जिसमें सम्राट विक्रमादित्‍य के नाम पर है, राजा भोज के नाम पर भी है. हमारे भोपाल का बड़ा तालाब राजा भोज ने तैयार किया है. हमारी जो सांस्‍कृतिक विरासत की नगरियां हैं वह सारी नगरियां चिह्नित हो रही हैं. उनका विकास हो रहा है. चाहे वह खजुराहो हो, चाहे डिंडोरी हो, चाहे बालाघाट क्षेत्र हो, चाहे और क्षेत्रों में हो, जहां-जहां भगवान, जहां-जहां हमारे सांस्‍कृतिक विरासत के केन्‍द्र हैं, जहां-जहां हमारे वनांचल हैं, शेर भी लाने वाला प्रदेश है तो वह हमारा मध्‍यप्रदेश है. माननीय मोदीजी के नेतृत्‍व में, माननीय डॉ. मोहन यादव जी के नेतृत्‍व में हम निरंतर विकास कर रहे हैं. आज महाराणा प्रताप का लोक हमारी राजधानी भोपाल में बनकर तैयार है. छिंदवाड़ा में हनुमान लोक का निर्माण किया जा रहा है. हमारे जानापाव में भगवान परशुराम लोक तैयार किया जा रहा है और तो और भगवान परशुराम ने कृष्‍ण भगवान को जो सुदर्शन चक्र दिया था सुदर्शन लोक की भी तैयारी वहां जानापाव में की जा रही है. मैं आपसे केवल यही निवेदन करना चाहता हूं कि ओरछा के रामलला का लोक भी तैयार हो रहा है जहां राजा राम के रूप में पुलिस उनको सलाम करती है. ओरछा का रामलला धाम भी तैयार हो रहा है. दतिया की माता पीताम्‍बरा का लोक भी वहां पर तैयार हो रहा है. ताप्‍ती लोक भी तैयार हो रहा है. अमरकंटक लोक भी तैयार हो रहा है. देवी अहिल्‍याबाई लोक भी तैयार हो रहा है. मां शारदा मैया का लोक भी तैयार हो रहा है और इसलिए डॉ. मोहन यादव जी की सरकार कोई भी लोक छोड़ेगी नहीं. एक-दो लोक आपके पास हों तो वह भी बता दीजिए हम उनकी भी तैयारी शुरू कर देंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय -- चलिए आप पूरा कीजिए.

श्री रामेश्‍वर शर्मा -- अध्‍यक्ष महोदय, मेरा यह भाषण बहुत बड़ा है अगर आपकी आज्ञा हो तो इसको पटल पर रखता हूं.

अध्‍यक्ष महोदय -- हां इसको पटल पर रख दें.

श्री रामेश्‍वर शर्मा -- अध्‍यक्ष महोदय, एक प्रार्थना कर देना चाहता हूं कि माननीय मोदी जी के नेतृत्‍व में, डॉ. मोहन यादव जी के नेतृत्‍व में हम विरासत और विकास दोनों एक साथ लेकर चलेंगे. लोकल फॉर वोकल यह सब्‍जेक्‍ट के साथ चलेंगे. हम स्‍थानीय लोगों को रोजगार देंगे. भारतीय संस्‍कृति और सभ्‍यता की पहचान जन-जन तक कराएंगे. आस्‍था के मान बिंदुओं का सम्‍मान करेंगे. गौ माता की सुरक्षा करेंगे. पर्यटकों को मध्‍यप्रदेश में आने के लिए आमंत्रित करेंगे. हमारा मध्‍यप्रदेश विकसित मध्‍यप्रदेश होगा.

अध्‍यक्ष महोदय -- ज्‍यादा बोलेंगे तो फिर ले करने के लिए मटेरियल बचेगा ही नहीं. .(हंसी)..

श्री रामेश्‍वर शर्मा -- अध्‍यक्ष महोदय, सुंदर मध्‍यप्रदेश होगा. आकर्षक मध्‍य- प्रदेश होगा और इस मध्‍यप्रदेश के विकास और खुशहाली में यह 230 जनप्रतिनिधि हैं. इन सबका मध्‍यप्रदेश है और इसलिए मध्‍यप्रदेश के विकास में जिसका जो योगदान हो वह योगदान जरूर दें और डॉ. मोहन यादव जी के साथ कदम से कदम मिलाकर मध्‍यप्रदेश को सशक्‍त और समृद्ध मध्‍यप्रदेश बनाएं. धन्‍यवाद. वन्‍दे मातरम्.

श्रीमती अनुभा मुंजारे (बालाघाट) -- अध्‍यक्ष महोदय, सबसे पहले मैं आपका अभिनंदन करती हूं कि आज विशेष सत्र आपने आहूत किया है और मध्‍यप्रदेश विधान सभा के 69 वर्ष पूर्ण होने की मैं सदन के सभी सम्‍माननीय सदस्‍यों को हार्दिक बधाई देती हूं और 2 वर्ष का हमारा जो कार्यकाल पूर्ण हुआ है उसके लिए भी आप सभी को मैं हार्दिक बधाई देती हूं. विकसित, आत्‍मनिर्भर और समृद्ध राज्‍य बनाने के संदर्भ में मैं महिला सशक्तिकरण और पेयजल सुरक्षा विषय पर अपने सुझाव सदन के समक्ष रखना चाहती हूं. महिला सशक्तिकरण पर मेरे कुछ सुझाव हैं. मैं यहां आलोचना करने के लिए खड़ी नहीं हुई हूं. महिलाओं का विषय बहुत संवेदनशील विषय है यह आपने भी महसूस किया, पूरे सदन ने महसूस किया. मैं सुबह से इस सदन की कार्यवाही में निरंतर यहां मौजूद हूं, मैंने देखा कि अभी तक मात्र माननीय मंत्री श्रीमती संपतिया उइके जी ने ही यहां पर अपना वक्‍तव्‍य दिया है और दूसरा नंबर मेरा लगा है, तो महिला सशक्तिकरण की दिशा में अगर हम आगे बढ़ने के लिए सोचें तो फिर यहां पर बोलने वाली महिलाओं की संख्या ज्यादा होना चाहिए. यह मेरा सुझाव है. महिला सशक्तिकरण किसी एक योजना या नारे तक सीमित अवधारणा नहीं है. बल्कि यह समाज में महिलाओं को समान अधिकार, अवसर, सुरक्षा और सम्मान प्रदान करने की एक प्रक्रिया है. किसी भी प्रदेश की प्रगति का वास्तविक मूल्यांकन इस बात से किया जा सकता है कि वहां की महिलाएं कितनी शिक्षित, स्वस्थ, आत्मनिर्भर और निर्णय लेने में सक्षम हैं. क्योंकि यह हमारी आबादी का आधा हिस्सा हैं. जब तक महिलाएं सशक्त नहीं होंगी तब तक समग्र विकास की कल्पना अधूरी ही मानी जाएगी. मध्यप्रदेश की महिला साक्षरता की दर 59.24 प्रतिशत है. इन्हें और अधिक साक्षर बनाया जाए जिससे महिलाओं का सशक्तिकरण हो सके. स्वास्थ्य के क्षेत्र में, आज भी गर्भावस्था के दौरान माताओं की मृत्यु हो जाना आम बात है. इससे निजात पाने की आवश्यकता है. डॉक्टर, नर्स, स्टाफ और दवाओं की पर्याप्त उपलब्धता की जाए जिससे हमारी माताएँ, बहनें स्वस्थ रहें और उन्हें पर्याप्त स्वास्थ्य की सुविधाएं मिल सकें. आर्थिक सशक्तिकरण के अंतर्गत महिलाओं की श्रमबल भागीदारी मात्र 20 प्रतिशत है. इसको बढ़ाकर 100 प्रतिशत किया जाना चाहिए. मध्यप्रदेश में कुल स्व-सहायता समूह 5 लाख 3 हजार 145 हैं. जिसमें महिलाओं की भागीदारी लगभग 62 लाख 30 हजार है. जो महिला आर्थिक सशक्तिकरण की पहचान है. इसे और अधिक प्रभावशाली और आत्मनिर्भर बनाया जाना चाहिए.

          अध्यक्ष महोदय, महिलाओं की सुरक्षा के संबंध में राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार राज्य में प्रतिवर्ष 32 हजार से अधिक अपराध दर्ज हो रहे हैं. जिसमें बलात्कार और घरेलू हिंसा जैसे अपराध प्रमुख रुप से हैं. मध्यप्रदेश महिला हिंसा अत्याचार में देश में पांचवे स्थान पर है. पांचवें स्थान पर भी है तो बहुत दुखद बात है. इसकी रोकथाम के लिए सख्त व कठोर कानून बनाकर प्रभावी क्रियान्वयन किया जाना अत्यंत आवश्यक है.

          माननीय अध्यक्ष महोदय, सोलहवीं विधान सभा में मध्यप्रदेश के 230 विधान सभा क्षेत्रों से 27 महिला विधायक बहनें निर्वाचित होकर आई हैं. जिसमें मैं स्वयं भी शामिल हूँ. भविष्य में इनकी संख्या में वृद्धि होना चाहिए. जिससे महिलाएं राजनीतिक रुप से भी सशक्त बन सकें.

          अध्यक्ष महोदय, पोषण आहार के संबंध में मध्यप्रदेश की 453 बाल विकास परियोजनाओं के अन्तर्गत 97882 आंगनवाड़ी केन्द्र स्वीकृत हैं. जिससे लगभग 80 लाख हितग्राहियों को पूरक पोषण आहार का लाभ मिल रहा है. भारत सरकार द्वारा निर्धारित मापदण्ड अनुसार 6 माह से 6 वर्ष तक के बच्चों को सुबह का नाश्ता व गर्म भोजन के लिए 8 रुपए प्रतिदिन, गर्भवती महिलाओं को 9 रुपए 50 पैसे प्रतिदिन प्राप्त होता है. इतनी कम राशि में कुपोषण कैसे दूर हो सकता है. इस राशि को कम से कम चार गुना बढ़ाया जाना चाहिए.

          अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश के आंगनवाड़ी केन्द्र में भोजन पकाने वाली एक लाख से अधिक स्व-सहायता समूह की रसोइयों को प्रतिमाह 500 रुपए मानदेय दिया जाता है. 500 रुपए मानदेय दिया जाना बहुत दुखद बात है. वे गरीब महिलाएँ होती हैं. यह प्रतिदिन 16 रुपए के लगभग उनको मिलता है. महंगाई के इस भीषण दौर में उनका जीवनयापन होना बहुत कठिन है. इस राशि को कम से कम 2 हजार रुपए प्रतिमाह किया जाना चाहिए. मध्यप्रदेश में 97882 आंगनवाड़ी केन्द्र हैं जिनमें से 26698 केन्‍द्र किराये के भवन में संचालित हैं उनके लिए नवीन भवन का निर्माण किया जाना अत्‍यंत आवश्‍यक है. राज्‍य की 97882 आंगनवाडी़ केन्‍द्रों का शुद्ध रूप से संचालन सिर्फ और सिर्फ महिलाओं के द्वारा ही किया जाता है. जिनका वेतनमान बहुत ही न्‍यूनतम है, जिससे उनका गुजारा होना बहुत ज्‍यादा कठिन है, इसके बावजूद भी उन्‍हें तीन से चार माह तक वेतन नहीं मिलता है. इसलिए उनके वेतन में वद्धि कर उन्‍हें प्रतिमाह नियमित‍ वेतन दिया जाना चाहिए. सहानुभूतिपूर्वक इस गंभीर विषय पर विचार करना चाहिए. मध्‍यप्रदेश में महिला सशक्तिकरण के लिए सरकार की योजनाओं के प्रभावी क्रियान्‍वयन और सामाजिक सोच में बदलाव लाने की बहुत आवश्‍यकता है ताकि महिलाओं का वास्तविक रूप से सशक्तिकरण हो सके.

          अध्‍यक्ष महोदय, राष्‍ट्रीय जल जीवन मिश्‍न का लक्ष्‍य है कि हर ग्रामीण घर तक शुद्ध पेयजल की पाइपलाइन पहुंच सुनिश्चित हो, लेकिन मध्‍यप्रदेश की वास्‍‍तविक तस्‍वीर इसके विपरीत है. मध्‍यप्रदेश के कुल 112 लाख ग्रामीण घरों में से 77 लाख लगभग 69 प्रतिशत घरों में ही नलजल कनेक्‍शन है और 31 प्रतिशत ग्रामीण घरों तक शुद्ध पेयजल की पाइपलाइन आज तक नहीं पहुंच पाई है. सोचने वाली बात है. 69 प्रतिशत से अधिक ग्रामीण घरों में नल कनेक्‍शन तो हैं किन्‍तु इन नलों में पानी नहीं आने की शिकायत जनता निरंतर करती है. हम भी जब मौके पर जाते हैं जनता की मांग पर देखते हैं तो हमें स्थिति स्‍पष्‍ट नजर आती है. शुद्ध पेयजन व नल कनेक्‍शन पाइपलाइन पहुंच की पर्याप्‍त उपलब्‍धता को 100 प्रतिशत किया जाए. जिससे हमारा मध्‍यप्रदेश विकसित आत्‍मनिर्भर और समृद्ध राज्‍य बन सके. प्रामाणिक मानक के अनुसार 55 लीटर प्रति दिन जल की उपलब्‍धता को मूर्त रूप दिया जाना चाहिए. नेशनल फे‍मली हेल्‍थ सर्वे 5 के अनुसार पूरे मध्‍यप्रदेश में केवल 28 प्रतिशत घरों में नल से पानी उपलब्‍ध होता है जिससे ग्रामीण क्षेत्र में 23 प्रतिशत शहरी क्षेत्रों में 48 प्रतिशत है इसे अधिक से अधिक प्रभावी बनाया जाए जिससे आमजन को शुद्ध जल प्राप्‍त हो सके.

          अध्‍यक्ष महोदय-- अनुभा जी अगर ज्‍यादा मटेरियल बचा हो तो आप उसे पटल पर रख दें.

          श्रीमती अनुभा मुंजारे-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं केवल तीन, चार बिंदु कहकर अपनी बात समाप्‍त करती हूं. मध्‍यप्रदेश में कई जिलों मे पेयजल की समस्‍याएं व्‍याप्‍त हैं. क्‍लोराईड प्रभावित क्षेत्र बुंदेलखण्‍ड मालवा के कुछ जिले आयरन युक्‍त जल पूर्वी मध्‍यप्रदेश के जिले प्रभावित हैं. इसके लिए जल गुणवत्‍ता पर फोकस कर प्रत्‍येक ब्‍लॉक में जल परीक्षण प्रयोगशाला फ्लोराईड आयरन प्रभावित जल स्‍त्रोत सूख जाते हैं. मध्‍यप्रदेश के पठारी बु्ंदेलखण्‍डी, बुंदेलखण्‍ड के क्षेत्रों में जल की उपलब्‍धता पर बहुत संकट उत्‍पन्‍न हो जाता है इसके लिए जल स्‍त्रोतों के सं‍कट को अनिवार्य बनायें. हर गांव में वर्षा का जल संचयन तालाब स्‍टॉप डेम, चेक डेम का पुनर्जीवन किया जाना चाहिए. पंचायत आधारित जल प्रबंधन अंतर्गत ग्राम स्‍तर पर महिला समूह की भागीदारी व ग्राम जल प्रबंधन समिति के माध्‍यम से करवाया जाना चाहिए. जिला प्रशासन को पेयजल स्‍वच्‍छता उपलब्‍धता और प्रबंधन के लिए और अधिक जबावदेह बनाया जाना चाहिए. जिससे विकसित आत्‍मनिर्भर और समृद्ध मध्‍यप्रदेश की संकल्‍पना को साकार रूप दिया जा सके. हर घर हर जल यह नारा बहुत अच्‍छा है, लेकिन इसके साथ जोड़ना चाहिए कि हर दिन जल, दोनों समय जल यह भी एक महत्‍वपूर्ण बात है इसको जोड़ना जरूरी है कि बिंदु पर ध्‍यान केन्द्रित करना अत्‍यन्‍त आवश्‍यक है. केवल नल कनेक्‍शन नहीं बल्कि नियमित जल की आपूर्ति को लक्ष्‍य बनाया जाना चाहिए. 

          अध्‍यक्ष महोदय, दो लाइनों के साथ महिला सशक्तिकरण की शुरुआत मैंने की थी और महिला सशक्तिकरण से ही मैं अपनी बात समाप्‍त कर रही हूं.

'जब हर घर में जल होगा, जब हर घर में जल होगा'

 'तब नारी मुस्‍कुराएगी, तभी उसकी मेहनत सही दिशा को पायेगी'

          आदरणीय अध्‍यक्ष महोदय, आपने मुझे एक महत्‍वपूर्ण विषय पर बोलने का सौभाग्‍य प्रदान किया, अवसर दिया इसके लिए मैं आपको बहुत-बहुत हार्दिक धन्‍यवाद देती हूं और आप सभी का पुन: हार्दिक अभिनंदन करती हूं. आभार. जय हिन्‍द, जय भारत.

          अध्‍यक्ष महोदय-- बहुत-बहुत धन्‍यवाद अनुभा जी.


 

          श्री गौरव सिंह पारधी (कटंगी)-  अध्‍यक्ष महोदय, आज के दिन की गरिमा को समझते हुए, मैं, कहूंगा कि दिनांक 17 दिसंबर, 1956 को इस सदन की प्रथम कार्यवाही सभापति श्री काशीप्रसाद पांडे जी की अध्‍यक्षता में प्रारंभ हुई थी. अध्‍यक्ष का चुनाव दिनांक 18 दिसंबर, 1956 को हुआ था. दिनांक 17 दिसंबर, 1956 को जिन माननीय सदस्‍यों ने शपथ ग्रहण की थी, उनमें मेरे नानाजी जी स्‍वर्गीय थानसिंह टीकाराम बिसेन जी भी थे, मैं, आज बहुत ही अभिभूत हूं कि मुझे यह सौभाग्‍य मिला है कि मैं आज इस सदन में आपके सामने हूं. राज्‍यपाल महोदय डॉ. पट्टाभिसीतारामैया जी थे. एक बात केवल एक पुरानी झलक के रूप में आपके ध्‍यान में लाना चाहूंगा कि एक प्‍वाईंट ऑफ ऑर्डर रामचंद्र बिट्ठल बड़े जी द्वारा उठाया गया था, मैं सदन के ध्‍यान में लाना चाहूंगा कि उनका प्‍वाईंट ऑफ ऑर्डर था कि चूंकि ये सभी सदस्‍य        अलग-अलग विधान सभाओं से निर्वाचित होकर आये हैं तो पुन: क्‍यों इन्‍हें शपथ दिलाई जा रही है क्‍योंकि शपथ संविधान के प्रति थी, प्रदेश के प्रति नहीं थी लेकिन सभापति महोदय ने उसे ओवर रूल करके व्‍यवस्‍था बनाई कि शपथ होनी चाहिए.

          अध्‍यक्ष महोदय, आज मैं, इस सदन में मध्‍यप्रदेश की आंतरिक सुरक्षा, कानून व्‍यवस्‍था और आधुनिक पुलिसिंग के क्षेत्र में कुछ महत्‍वपूर्ण बिंदु रखना चाहता हूं. देश की आजादी के समय से ही हमने पाया कि कुछ विद्रोही ताकतें अपना सर उठा रही थीं. वर्ष 1967 में नक्‍सलबाड़ी (पश्चिम बंगाल) में एक घटना घटी और वहां से नक्‍सलवाद के नाम से एक बड़ा आंदोलन धीरे-धीरे देश भर में पैर पसारता चला गया. इस आंदोलन ने 1980-90 के दशक में एक बड़ा स्‍वरूप ले लिया और दिनांक 15-16 दिसंबर, 1999 की रात को हमारे परिवार के सदस्‍य, जिनको हमने बचपन से मामाजी बोला, सरकार के तत्‍कालीन परिवहन मंत्री स्‍वर्गीय श्री लिखीराम कांवरे जी की नक्‍सलियों द्वारा हत्‍या कर दी गई, वह ऐसा दिन था जो आज भी हमारे रोंगटे खड़े कर देता है, हम सभी भोजन नहीं कर पाये थे. मुझे याद है कि उसके बाद जब सदन चला तो आप सभी लोग इस पर एक स्‍थगन प्रस्‍ताव लाये थे, मैंने वे पुरानी चीजें देखीं तो अध्‍यक्ष महोदय आपका नाम भी, उस स्‍थगन प्रस्‍ताव लाने वाले लोगों में शामिल था, यह इस बात को दर्शाता है कि हमेशा से सदन के मन में, उस घटना को लेकर किस प्रकार के भाव थे.

          अध्‍यक्ष महोदय, उसके बाद बालाघाट का दृश्‍य बहुत अच्‍छा नहीं था, वर्ष 2000 में बालाघाट के तत्‍कालीन सांसद, वर्तमान में हमारी सरकार के केबिनेट मंत्री श्री प्रहलाद सिंह पटेल जी ने वहां फरवरी में एक पद-यात्रा शुरू ताकि लोगों का विश्‍वास अर्जित किया जा सके और नक्‍सलियों के खिलाफ एक भावना जागृत हो. उस समय जो वहां की स्थिति थी, उसके विषय में अर्थशास्‍त्र में कौटिल्‍य ने एक बात कही है कि किसी भी देश-राज्‍य की सुरक्षा के लिए आंतरिक सुरक्षा, आंतरिक ताकतें आवश्‍यक हैं, कुछ बाहरी ताकतें जो आंतरिक लोगों को सहयोग करती हैं, हमें उनसे भी देश-राज्‍य की रक्षा करनी चाहिए. यह नक्‍सलवाद केवल आंतरिक नहीं था, कुछ बाहरी ताकतें, हमारे पड़ोस के देश भी इन्‍हें सहयोग कर रहे थे. आप सभी के ध्‍यान में है कि मैं बालाघाट जिले से आता हूं जो इस प्रदेश का सर्वाधिक नक्‍सल प्रभावित जिला रहा था और हमारे जिले में अक्‍सर बोलते हैं कि "बैहर बिरसा नोको जाऊ रे भाऊ", ऐसी बातें वहां होती हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय, वर्ष 2014 में इस देश के 126 जिलों में नक्‍सलवाद हावी था. रेड-कॉरिडोर नाम की एक व्‍यवस्‍था चल गई थी और स्‍वतंत्र भारत में इस देश में, सबसे बड़ी आंतरिक चुनौती के रूप में नक्‍सलवाद उभर रहा था. उसके बाद वर्ष 2014 में हमारे आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने शपथ ली और निश्‍चय किया कि इस नक्‍सलवाद को हमें जड़ से उखाड़ना है, एक राष्‍ट्रीय रणनीति वर्ष 2015 में नक्‍सलवाद के विरूद्ध तैयार की गई. समाधान का एक फुलफॉर्म है, जो कि मैं बाद में पटल पर रखूँगा. समाधान के नाम से एक योजना बनी और लगातार केन्‍द्र सरकार तथा राज्‍य सरकारों ने उनको कन्‍ट्रोल करना शुरू किया. वर्ष 2016 में जो डिमॉनेटाइजेशन आया, वह भी उसी का हिस्‍सा था. नक्‍सलियों और जो अन्‍य आतंकवाद से जुड़ी संस्‍थाएं हैं, उनकी आर्थिक कमर तोड़ने के लिए डिमॉनेटाइजेशन तथा डिजिटाइजेशन, साथ ही साथ उनको सहयोग करने वाले जो कुछ अन्‍तर्राष्‍ट्रीय एनजीओस यहां रजिस्‍टर्ड थे, ताकि उन सबकी आर्थिक कमर तोड़ी जा सके. केन्‍द्र और राज्‍य स्‍तर पर मूलभूत समझा गया कि यह स्थिति क्‍यों उत्‍पन्‍न हो रही है ? तो हमने पाया कि अधोसंरचना पर काम शुरू हुआ, रोड नेटवर्क, मोबाइल नेटवर्क, एलडब्‍लूई क्षेत्र में आईटीआई, जो स्किल्‍ड डेवलपमेंट सेन्‍टर्स हैं, इन सबको सामने लाया गया.

          अध्‍यक्ष महोदय, इस भारत में बातचीत, सुरक्षा और समन्‍वय की एक रणनीति बनी. इस रणनीति में समझा गया कि नक्‍सलवाद सिर्फ कानून की स्थिति नहीं है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक व्‍यवस्‍था भी ऐसी बनाई जाये, ताकि इसका पूर्ण रूप से उन्‍मूलन किया जा सके. वहां रहने वाले लोगों को आत्‍मनिर्भर बनाया जाने लगा. आज हम यह पा रहे हैं कि हमने इस पर कहीं न कहीं काबू पाया, उन्‍मूलन किया तो यह पूरी रणनीति जो चली आ रही थी, यह सब उसका हिस्‍सा था. आज मध्‍यप्रदेश में जल, जंगल एवं जमीन के जो अधिकार हैं, यह सब तक पहुँचाये जा रहे हैं. नक्‍सल प्रभावित क्षेत्रों में एकल सुविधा केन्‍द्र के माध्‍यम से वन अधिकार पट्टे भी लोगों को दिए गए, उसके पहले वर्ष 2023 में माननीय मुख्‍यमंत्री जी          डॉ. मोहन यादव जी ने कमान संभाल ली और उनके कमान संभालते ही उन्‍होंने निश्चित किया कि हमें नक्‍सलवाद को इस प्रदेश की धरती को पूर्ण रूप से हटा देना है. वर्ष 2024 में नक्‍सलवादियों से 6 मुठभेड़ हुईं, जिसमें 3 से ज्‍यादा महिला नक्‍सलियों को निशाना बनाया गया, हमारे सुरक्षाकर्मी उन पर हावी हुए.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मुझे याद है कि मई 2025 में माननीय मुख्‍यमंत्री जी का बालाघाट आगमन हुआ था और लगभग 64 सुरक्षाकर्मी, जिसमें स्‍टेट फोर्स, स्‍टेट पुलिस, डिस्ट्रिक्‍ट पुलिस और हॉक फोर्स इन सबके जवान थे, उनको 'आउट ऑफ टर्न' प्रमोशन दिया गया, तब माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने बालाघाट से घोषणा की थी कि मध्‍यप्रदेश की इस धरती से हम नक्‍सलवादियों का पूर्ण रूप से सफाया कर देंगे, साथ ही हमारे देश के यशस्‍वी गृह मंत्री आदरणीय श्री अमित शाह जी ने एक तारीख निश्चित कर ली, वह दिनांक 31 मार्च, 2026 है. उसके बाद प्रदेश के सुरक्षाबलों ने, शासन-प्रशासन ने रणनीति बनाकर इस प्रदेश से नक्‍सलवादियों को बाहर करने की मुहिम तेज कर दी. एक बहुत तेज अभियान चलाया गया, जिसके लिए पूर्ण रूप से योजना तैयार की गई. एक विशेष सुरक्षा युनिट बनाई गई, विशेष सुरक्षा सहयोगी दस्‍ता बालाघाट में तैयार किया गया. मण्‍डला और डिण्‍डौरी में यह जो अभियान चलता रहा, उसका नतीजा यह रहा कि दिसम्‍बर आते-आते इस देश में जो वर्ष 2014 में एक सौ छब्‍बीस जिले प्रभावित थे, नवम्‍बर के आखिरी में यह संख्‍या घटकर 11 रह गई.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमने पाया कि दिसम्‍बर में हमारे सुरक्षा बल और प्रशासन की कड़ी नीतियों के चलते लगातार एनकाउंटर होने लगे. सुरक्षाबलों और नक्‍सलियों के बीच में 10 मुठभेड़ हुईं. इन 10 मुठभेड़ों में 10 से ज्‍यादा नक्‍सलवादियों को मार गिराया गया, जो इस प्रदेश के लिए सबसे बड़ी संख्‍या थी और उसके बाद हमारे सुरक्षा बलों ने एक तरीके से नक्‍सलियों की कमर तोड़ दी और हमने पाया कि नक्‍सलवादियों में लगातार सरेंडर करना शुरू कर दिया. दिनांक 8 दिसम्‍बर, 2025 को हमारे माननीय मुख्‍यमंत्री जी के समक्ष 10 खूंखार नक्‍सलियों ने सरेंडर किया और हमारे सुरक्षा बल के दबाव के चलते आसपास के प्रदेशों में भी जाकर उन्‍होंने सरेंडर करना शुरू किया. जो एक एमएमसी जोन होता था, मध्‍यप्रदेश, महाराष्‍ट्र और छत्‍तीसगढ़ का जो एक कॉरिडोर था, वहां पर पिछले 45 दिनों में 45 नक्‍सलियों ने सरेंडर किया है और आज इस बीच में हमारे सुरक्षाकर्मियों का बड़ा बलिदान रहा, हम सबके बीच में हमारे एक इंस्‍पेक्‍टर श्री आशीष शर्मा जी थे, उनकी शहादत भी हुई. लेकिन इसका नतीजा यह रहा कि आज उनके सम्‍मान में इस मध्‍यप्रदेश की धरती पर कोई भी सक्रिय और सशस्‍त्र नक्‍सली नहीं बचा है. मैं माननीय मुख्‍यमंत्री जी को इसके लिए धन्‍यवाद देना चाहता हूँ, आभार व्‍यक्‍त करना चाहता हूँ एवं पूरे सुरक्षा बलों को धन्‍यवाद देना चाहता हूँ कि आपकी रणनीति एवं आपकी मेहनत का नतीजा यह हुआ है कि आज मध्‍यप्रदेश की धरती से पूर्ण रूप से नक्‍सलवादियों का सफाया कर दिया गया है और लगातार उसके बाद दबाव बनाया जा रहा है ताकि इस प्रकार की कोई नई घटना न हो. अध्‍यक्ष महोदय, मेरा सौभाग्‍य है कि हम मध्‍यप्रदेश में हैं और लगातार जब से भारतीय जनता पार्टी की सरकार आई है, मध्‍यप्रदेश ने हर प्रकार से सुरक्षा के दृष्‍टिकोण से काम किया है. अध्‍यक्ष महोदय, आपके ध्‍यान में है कि यहां पर कभी डकैतों की समस्‍या होती थी. उसका भी उन्‍मूलन जो है, भारतीय जनता पार्टी की सरकार आने के बाद हुआ है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- गौरव जी, अब कृपया समाप्‍त करें.

          श्री गौरव सिंह पारधी -- अध्‍यक्ष महोदय, आतंकवाद और रेडिकल संगठनों पर भी लगातार कार्यवाही की गई है. अध्‍यक्ष महोदय, कुछ चीजें मैं सदन के पटल पर रखूंगा, लेकिन कुछ बातें मैं जरूर आपके ध्‍यान में लाना चाहूँगा.

          अध्‍यक्ष महोदय -- एकाध मिनिट में पूरा करके आप पटल पर रख दो.

          श्री गौरव सिंह पारधी -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, वर्ष 2047 का जो हमारा विजन है, उसमें जो अर्बन नक्‍सल है, ओवर ग्राउंड वर्कर्स हैं, उनका सफाया किया जाएगा. पुलिस इंटेलिजेंस आधारित काम करेगी. क्राइम मेपिंग ट्रेंड एनॉलिसिस के आधार पर कार्यवाही की जाएगी. साइबर कमाण्‍डो और साइबर हाइजीन जैसे जो शब्‍द हैं, वे हम सबके बीच में आएंगे. सीसीटीवी, प्रेडिक्‍टिव पुलिसिंग, रियल टाइम विश्‍लेषण और एआई के उपयोग से ये सारी चीजें हमारे बीच में आएंगी.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, दो बातें बस मैं आपके बीच में जरूर करना चाहूँगा. वैसे तो आज पॉजिटीव बातें करने का सत्र था, लेकिन हमारे सम्‍माननीय सदस्‍य ने ऐसी बातें रखीं कि मुझे उनका जवाब देना पड़ेगा.

          अध्‍यक्ष महोदय -- पॉजिटीव बात करने का ही है.

          श्री गौरव सिंह पारधी -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, कोर्ट की चर्चा की गई. मैं सम्‍माननीय सदस्‍य को बताना चाहूँगा कि न्‍यायपालिका जो है, वह संविधान के हिसाब से एक अलग अंग है, उसमें शासन-प्रशासन का किसी भी प्रकार से कोई हस्‍तक्षेप नहीं रहता है. उन्‍होंने बोला था कि स्‍पेशल भर्ती नहीं की गई है तो मैं उनको बताना चाहूँगा कि न सिर्फ भर्ती, बल्‍कि शौर्य संकल्‍प नाम की स्‍पेशल ट्रेनिंग भी हमारे आदिवासी भाइयों के लिए की जा रही है. जो स्‍पेशल ट्राइबल्‍स हैं, उनके लिए भी हमारे द्वारा विशेष अभियान चलाया जा रहा है. साथ ही साथ मैं पुन: माननीय मुख्‍यमंत्री जी के नेतृत्‍व में और उनके ही शब्‍दों में 'लाल सलाम को आखिरी सलाम' के साथ आप सबको पुन: बधाई देता हूँ कि मध्‍यप्रदेश आज पूर्ण रूप से नक्‍सल गतिविधियों से ही नहीं, अन्‍य अपराधों से भी मुक्‍त हुआ है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आज मध्‍यप्रदेश नक्‍सल, डकैत और आतंक के साये से मुक्‍त है. यहां कानून का डर नहीं, कानून पर विश्‍वास है. तकनीक, अनुशासन और संकल्‍प के साथ सुरक्षा व्‍यवस्‍था सुदृढ़ हुई है. यही है नया मध्‍यप्रदेश, यही है नया मध्‍यप्रदेश, यही है नया मध्‍यप्रदेश, बहुत-बहुत धन्‍यवाद. भारत माता की जय.

          अध्‍यक्ष महोदय -- बहुत-बहुत धन्‍यवाद गौरव जी. अच्‍छा बोला और कम समय में बोला. श्री भंवर सिंह शेखावत जी.

          डॉ. राजेन्‍द्र कुमार सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपका एक क्षण चाहता हूँ. मेरा भाषण बहुत सारा अधूरा ही रह गया था. अगर अनुमति दें तो मैं पटल पर रख दूं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- हां, पटल पर रख देना.

          डॉ. राजेन्‍द्र प्रसाद सिंह -- धन्‍यवाद अध्‍यक्ष महोदय.

          श्री सोहनलाल बाल्‍मीक -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, संसदीय कार्य मंत्री नहीं हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- अपने आसन पर नहीं हैं, लेकिन वे उपस्‍थित हैं.

          श्री सोहनलाल बाल्‍मीक -- अब भंवर सिंह जी शुरू हो रहे हैं तो संसदीय कार्य मंत्री जी अपने आसन पर आ जाएं. (हंसी).

          श्री भंवर सिंह शेखावत (बाबुजी) (बदनावर) -- अध्‍यक्ष जी, मेरे लिए क्‍या आदेश है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- आमने-सामने रहो. (हंसी).

          श्री भंवर सिंह शेखावत -- कैलाश, आज तेरा ही नंबर है.

          संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- अध्‍यक्ष जी, ये विधान सभा में फरमाइशी प्रोग्राम कब से होने लगा. (हंसी).

          श्री भंवर सिंह शेखावत  -- आदरणीय अध्‍यक्ष जी, मध्‍यप्रदेश विधान सभा के 70 साल हुए हैं और आपको मैं धन्‍यवाद देना चाहूँगा कि आपने एक विशेष प्रयोजन के लिए इस सदन को आहूत किया कि हम मध्‍यप्रदेश को सशक्‍त और बलशाली कैसे बनाएंगे, स्‍वावलंबी कैसे बनाएंगे. वर्ष 2047 का टारगेट आपने दिया कि हम कैसे बनाएंगे. अध्‍यक्ष महोदय, चर्चा तो कुछ उल्‍टी हो रही है. आपने जिस मंशा से सदन बुलाया था, मैं सुबह से सुन रहा हूँ, दो या तीन सदस्‍यों को छोड़कर के बाकी सब तो ऐसी रामायण गा रहे हैं कि जैसे आपको आज रामायण गाने के लिए बुलाया गया था. वही का वही भाषण जो बजट के ऊपर था. मंत्री अपना रिपोर्ट कार्ड पढ़ रहे हैं.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं थोड़ा सुधारना चाहता हूँ. रामायण के साथ-साथ रामेश्‍वर जी ने गीता भी पढ़ी है. (हंसी).

          श्री भंवर सिंह शेखावत -- अभी गीता पर भी आता हूँ. लेकिन मेरा यह कहना है कि जिस मंशा से आपने इतनी अच्‍छी शुरुआत की थी कि हम कम से कम उन कमियों पर विचार करें कि आज आवश्‍यकता क्‍यों पड़ रही है कि 70 साल बाद भी मध्‍यप्रदेश सशक्‍त बने. मध्‍यप्रदेश आज तक सशक्‍त क्‍यों नहीं बना सब तो सरकारें रहीं कांग्रेस की भी रही बीजेपी की भी रही यहां के भी मुख्यमंत्री,वहां के भी मुख्यमंत्री,यहां के मंत्री,वहां के भी मंत्री सब तो है और 70 साल बाद भी हम प्रदेश को कहां खड़ा पा रहे हैं. विपक्ष वाले आज भी वही गाना गा रहे हैं पहले आप गाते थे अब आप गाने लग गये लेकिन मध्यप्रदेश वहीं खड़ा है किसान वहीं खड़ा है बेरोजगार छात्र वहीं खड़ा है. महिलाओं के सशक्तीकरण की इतनी सारी बातें सुबह से सुन रहा हूं. न तो महिला सशक्तीकरण हुआ न महिलाओं की कोई समस्या का कोई समाधान हुआ. जहां से चले थे वहीं खड़े हैं. हम आगे बढ़ क्यों नहीं रहे हैं. यह विकास की अवधारणा आप जो बता रहे हैं  यह विकास तो स्वत: ही इतने सालों में हो जाना है. कुछ प्राकृतिक विकास है कुछ समय के साथ होने वाला विकास है. कुछ आवश्यक्ता के साथ होने वाला विकास है उसमें आपका और हमारा क्या है. मुझे तो यह लगता है कि एक दिन आपको सदन इसी बात के लिये बुलाना चाहिये कि हमने हमारे कार्यकाल में दो-तीन साल हो गये हमने क्या किया. हम क्या डिलेवरी कर पाए नीचे. हम किसानों के लिये क्या,छात्रों के लिये क्या,बेरोजगारों के लिये क्या किया हमने. कोई भी एक मंत्री ने एक आंकड़ा नहीं दिया कि हमने हमारे विभाग में इतने बेकलाग थे वह पूरे किये. इतनी भर्ती करना थी वह की.

          जल संसाधन मंत्री,श्री तुलसीराम सिलावट - अध्यक्ष जी, यह मंत्रियों के रिपोर्ट कार्ड की बात कर रहे हैं.

          अध्यक्ष महोदय - बैठ जाओ आप. कैलाश जी की बात अलग है.

          श्री भंवर सिंह शेखावत - मेरा यह कहना है कि आपने एक दिन का सत्र बुलाया. आप तीन दिन का बुलाते. बजट पर ही भाषण होना था तो अभी 4 दिन का जो सत्र था उसको 5 दिन का कर देते. कोई मतलब तो निकला नहीं. हम जनता को कल क्या बता पाएंगे. हम जनता को यह कहकर आए हैं कि जो कमियां रह गई हैं उस पर चर्चा करेंगे और उन कमियों को कैसे पूरा किया जायेगा उस पर बहस होगी. हम बहस तो करते नहीं बहस से डरते हैं. आमने सामने चर्चा नहीं करना चाहते. सदन का दिन पूरा हो जाये हम चले जायें. कैलाश जी ने शुरुआत की थी. अच्छी शुरुआत थी. आज मैं सुन रहा था कैलाश जी का भाषण ऐसा था और हेमंत खण्डेलवाल जी का एक भाषण था कोई पाजीटिव चीज बोले तो चेतन्य कश्यप बोले. बाकी के तो किसी भाषण में मुझे ऐसा नहीं लगा कि वह आज के दिन कुछ डिलीवरी देने के लिये मध्यप्रदेश को आए थे अरे वास्तविकता से क्यों मुंह मोड़ रहे हो भाई. किस बात की यहां बढ़ाई आपकी सुबह से शाम तक सुन रहे हैं. आपकी तारीफ सुनने थोड़े आए हैं हम. आज प्रदेश की जनता आपकी तारीफ नहीं सुनना चाहती है. यह आंकड़े जो आप दे रहे हैं यह तो पहले भी आप कई बार दे चुके हो. हर भाषण में दे चुके हो. हर सदन में दे चुके हो आप. आप तो यह बताईये कि 70 साल बाद आज हम खड़े हुए हैं तो आज हमारे मध्यप्रदेश की हालत इतनी खराब क्यों है. हम कितना उसको आगे लाए हैं. सिंचाई के आंकड़े बढ़ गये. अरे,बढ़ेंगे. समय के साथ सिंचाई भी बढ़ेगी. आवश्यक्ता पड़ेगी तो सिंचाई और बढ़ेगी. अपनी पीठ क्यों थपथपाते हो और ऐसे सारे मंत्री गिना रहे थे कि मैंने यह कर दिया मैंने यह कर दिया. मामा के घर से लाए हो. अरे,पैसा तो जनता के टेक्स का है जिसको आपको लगाना ही है लेकिन वह सही पैसा नहीं लग रहा और आज भी उस पैसे का दुरुपयोग हो रहा है उस पर तो किसी ने चर्चा नहीं की. कितने केस लोकायुक्त ने बनाए हैं. कितनों को सजा हुई. भ्रष्टाचार कितना हुआ.राजीव गांधी के टाईम में जो बात थी कि एक रुपया निकलता है और 10 पैसे पहुंचते हैं. 20-30 साल बाद में फिर अटल बिहारी वाजपेयी जी के टाईम भी वही बात आई कि एक रुपया निकलता है और 90 पैसे पहुंचते हैं. आज की स्थिति भी वही है.मेरा यह कहना है कि हम क्या कर रहे हैं.

          श्री लक्ष्मीकांत शर्मा - माननीय अटल बिहारी वाजपेयी जी की प्रधानमंत्री सड़कों पर सब कांग्रेसी चल रहे हैं. इससे मना करके आप बताईये.

          अध्यक्ष महोदय - उमाकांत जी.

          श्री भंवर सिंह शेखावत - अटल जी को तो कोई मना नहीं कर सकता. अटल जी ने तो एक बहुत बड़ी चीज देश को दी है और जो दी है वह तो आजीवन याद रहेगी. वह तो एक बहुत बड़ा काम किया लेकिन हमने क्या किया हम हमारी बात तो बताते नहीं.मेरा यह कहना है अध्यक्ष महोदय कि जनता समृद्ध कब होगी. मध्यप्रदेश की जनता सुखी कब होगी जब उसको न्याय मिलेगा. क्या न्याय आज मिल रहा है कैलाश जी बताएं कि हम हमारी जनता को न्याय दे पा रहे हैं. आज भी जनपद में,जिला पंचायत में -एसडीएम के यहां, कलेक्‍टर के यहां लाइन लगी है. जन सुनवाई के अंदर 3-3 घंटे आदमी लाइन में लगकर धक्‍के खा रहा है. 50-50 बार भी शिकायत करने पर निराकरण नहीं हो रहा, बिना रिश्‍वत दिये एक काम नहीं निपट रहा. आप डकैती खत्‍म करने की बात करते हैं कि हमने डकैती खत्‍म कर दी, अरे आपने 9 डकैत पैदा कर दिये. पूरे प्रदेश के अंदर कैसी लूट मची है, कैसे जनता लुट रही है, कोई ...(XX)... बीजेपी, कांग्रेस का खड़ा होकर यह बता दे कि वगैर रिश्‍वत दिये अपना नामांतरण करा सकता है. जनपद में कोई काम करा सकता है, जिला पंचायत में कोई काम करा सकता है. आप डकैत खत्‍म करने के लिये खुश हो रहे हो. अरे समाज के अंदर जो कोड़ पैदा हो रहा है उसको रोकने के लिये हमने कितने प्रयास किये, वह बतायें. अब बड़ी-बड़ी बातें तो हम लोग करते हैं, यह तो वही बात हो जायेगी अध्‍यक्ष महोदय इन्‍वेस्‍टर मीट हमने की, आदरणीय जबसे इन्‍वेस्‍टर मीट शुरू हुई है तबसे जितनी भी आज तक इन्‍वेस्‍टर मीट हुई हैं न, 47 हजार करोड़ रूपया उसके ऊपर खर्च हुआ है, यह आपके आंकड़े हैं, मेरे नहीं. 47 हजार करोड़ रूपया इन्‍वेस्‍टर मीटों पर अभी तक खर्च कर दिये गये, लेकिन 47 हजार रोजगार नहीं मिले. जरा मुझे बताईये कितना इनवेस्‍टमेंट आया है, कितने रोजगार मिल गये. अब रोजगार मांगता है नौजवान तो कैलाश विजयवर्गीय कहते हैं कि पकोड़े बनाओ, पकोड़े भी तो रोजगार है. हमारे नौजवान को आज यह कह देंगे कि पकोड़े बनाना भी तो रोजगार है. अरे नौकरी कहां है.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय-- अध्‍यक्ष महोदय, सिर्फ आईटी सेक्‍टर में इंदौर में 2 लाख नौजवानों को रोजगार मिला है, आई टी सेक्‍टर में. मैं सिर्फ एक सेक्‍टर की बात कर रहा हूं. 100 से ज्‍यादा कंपनियां हमारे समय आई थीं टीसीएस, इंफोसिस, इंपेटस, इंफोबिन यह सब कंपनियां हमारे समय आई थीं, मैं उद्योग मंत्री था जब आई.

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(XX) आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया.

          श्री भंवर सिंह शेखावत-- आदरणीय कैलाश जी, यह सब जो दुनिया में आ रहा है न, सारी कंपनियां हैं वह आपके यहां भी आई हैं कोई नई चीज थोड़ी है. मेरा तो आपसे सिर्फ यह निवेदन है कि क्‍या हम बेरोजगारी खत्‍म कर पाये, नहीं कर पाये न, तो आज हम उस पर चर्चा क्‍यों नहीं करते, हमारी कमियां कहां रह गईं, कहां हम कम रह गये, कहां हम डॉक्‍टरों की बात करने लगे हैं. आदरणीय चिकित्‍सा मंत्री जी यहां नहीं हैं, उन्‍होंने बहुत अच्‍छी बात कही, हेमन्‍त खंडेलवाल जी गिना रहे थे कि हम कितने मेडीकल कॉलेज बना रहे हैं, मेडीकल कॉलेज बनाने से समस्‍या हल हो गई क्‍या ? मेडीकल कॉलेज की बिल्डिंगें तैयार करने से या इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर खड़ा करने से हमने हमारी पीठ थपथपा ली. जो विधायक गांव के अंदर बैठे हैं उनसे पूछो तो सही कि छोटी-छोटी डिस्‍पेंसरियों में क्‍या हाल है, डॉक्‍टरों का क्‍या हाल है, नर्से कहां हैं और यह एक साल, दो साल, तीन साल आपके, इनके नहीं, सबके, कांग्रेस और बीजेपी दोनों के, हम सब मिलकर जनता को ...(XX)... बना रहे हैं. हम सब असत्‍य बोल रहे हैं जनता से छिपा रहे हैं. अरे मुझे बताईये अगर 70 साल की आजादी के बाद भी डिस्‍पेंसरी के अंदर एक डॉक्‍टर एक जिले में नहीं हो सकता तो क्‍या मतलब है.

          अध्‍यक्ष महोदय--  कैलाश जी, यह पूछ रहे हैं कि क्‍या किया, यह बताओ.

          श्री भंवर सिंह शेखावत-- अब वही तो मैं कह रहा था कि उसी पर चर्चा होना चाहिये थी, हम आज उल्‍टी बातें कर रहे हैं, हम क्‍या करें यह बताओं, मेरा यह कहना है कि अगर डॉक्‍टर नहीं हैं.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय--  कांग्रेस और बीजेपी सब ...(XX)... बना रहे हैं. सब असत्‍य बोल रहे हैं सिर्फ एक सत्‍यवादी हरिशचंद्र भंवर सिंह शेखावत, जरा तालियां बजाकर स्‍वागत करें इनका.

 

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(XX) आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया.

          श्री रामेश्‍वर शर्मा--  अभी तो फंदा यह भी है कि ये हैं कहां.

          डॉ. राजेन्‍द्र कुमार सिंह-- यह कबीरदास जी के रोल में हैं.

          श्री भंवर सिंह शेखावत-- मेरा निवेदन यह है कि हम लोग हंस लें एक दूसरे के ऊपर, हम आप पर आरोप लगा दें आप हम पर आरोप लगा दीजिये, लेकिन आम जनता को क्‍या मिला. आज भी डॉक्‍टरों का अभाव है, हम देख रहे हैं कि हास्पिटल के अंदर क्‍या हो रहा है. 70 साल के बाद में दो बच्‍चों को, चूहे के कारण बच्‍चे मर गये, हमें बड़ा गर्व होता है. 27-28 बच्‍चे तो कौन सा सीरप था, सीरप पीकर मर गये और हम हमारी पीठ थपथपा रहे हैं. विकसित, कौन सा विकसित है, विकसित मध्‍यप्रदेश है. अभी परसों का ही किस्‍सा है सतना में एचआईवी का इंजेक्‍शन लगा दिया छोटे बच्‍चों को, हमें शर्म नहीं आती थोड़ी बहुत, हम सबको शर्मिंदा होना चाहिये कि हम हमारे समाज को जो बनाना चाहते हैं वह नहीं बन रहा है. उसका कसूर मैं आपको नहीं दे रहा, न विधायकों का कसूर है, विधायक क्‍या करेंगे, लेकिन पिछले 70 साल के अंदर जो सिस्‍टम हमने डेवलप किया है जिससे हम देश चला रहे हैं वह सिस्‍टम आज भी दिन पर दिन नीचे गिर रहा है, ऊंचा नहीं उठा. सिस्‍टम के कारण यह सारा गड़बड़ हो रहा है तो क्‍यों हम सब मिलकर किसी सिस्‍टम को ठीक करने की बात नहीं करते, क्‍यों सिस्‍टम पर यहां चर्चा नहीं होती, क्‍यों डरते हैं हम लोग.

            हम सिस्‍टम को ठीक करने की बात जब तक नहीं करेंगे, जब तक कि कोई भी विधायक वह इस पार्टी का हो, या उस पार्टी का हो, वह क्‍या कर लेगा? यहां से जब हम अपनी चर्चा करके जायेंगे, तो कल सुबह सारी विधानसभा में वही की वही हालत फिर हो जायेगी. आज चिकित्‍सा की हालत सबसे खराब है. हमको प्रायोरिटी पर दो तीन प्रायोरिटी लेना चाहिए, हम शिक्षा और चिकित्‍सा को प्रायोरिटी पर ले सकते हैं. क्‍या यह हम 70 सालों में भी लोगों को नि:शुल्‍क शिक्षा दे पाये हैं. हम नि:शुल्‍क शिक्षा नहीं दे सकते हैं, हम नि:शुल्‍क   चिकित्‍सा नहीं दे सकते हैं, नि:शुल्‍क हम पीने का पानी नहीं दे पाये हैं. आज भी हम नल जल योजना की बातें जरूर कर रहे हैं कि घर-घर जल होना चाहिए, अच्‍छा नारा है. हमारे यहां नारे अच्‍छे बनते हैं, आपकी प्‍लानिंग भी बहुत अच्‍छी है, प्‍लानिंग कोई खराब नहीं है, लेकिन जमीन तक पहुंचते-पहुंचते वह दम क्‍यों तोड़ देती है? वह जमीन पर  क्‍यों नहीं पहुंच पा रही है? क्‍या हममें से किसी ने इसका निराकरण करने की कोशिश की है, क्‍या किसी सरकार ने निराकरण करने की कोशिश की है? एक दूसरे की तारीफ करने से काम नहीं चलेगा.

          अध्‍यक्ष महोदय, हम खाद्य वितरण के ऊपर किसानों की बात कर रहे थे. हर व्‍यक्ति अपने भाषण में शुरूआत करता है और कहता है कि हमारा देश ग्रामीण परिवेश का देश है, 80 प्रतिशत आबादी हमारी खेती पर निर्भर है. अरे भईया जिस दिन देश आजाद हुआ था, उस दिन भी यही भाषण था, हमारी 80 प्रतिशत जनता  खेतों में ही काम करती थी और आज भी करती है, वह खेतों पर आधारित है, लेकिन हमने खेतों के लिये 80 साल में किया क्‍या है?  खेतों के लिये हमने क्‍या किया है?  क्‍या हम आज भी खाद वितरण कर पा रहे हैं?  खाद वितरण के लिये अगर मान लिया जाये कि किसान को आज भी लाईन में लगना पड़ रहा है और प्रायवेट के अंदर 500 रूपये में यूरिया मिल रहा है और सरकारी यूरिया उसको सोसाइटी से दिया नहीं जा रहा है और अगर वह मांग रहा है, तो उसको हमारी पुलिस डंडे मार रही है. अरे क्‍या-क्‍या हम कहां पहुंच गये हैं, हम इस देश के अंदर क्‍या करना चाहते हैं? (श्री कैलाश विजयवर्गीय, संसदीय कार्य मंत्री की ओर देखकर) देखिये कैलाश बाबू जी इतनी बहादुरी मत बताईये, यह कोई ईमानदार हरिशचंद्र का सवाल नहीं है, न तो मैं हरिशचंद्र हूं और न आप हरिशचंद्र के स्‍कूल से निकले हो. अब सवाल यह कि हम सब अगर दोषी हैं, तो इस दोष को दूर करने का काम कौन करेगा? एक मेरा भाई खड़ा हुआ कि सारे लोक ठीक कर देंगे, अरे मृत्‍युलोक को तो छोड़ दो, बाकी सारी लोक तो आप ठीक कर लोगे. अरे कहां तुम लोकों के चक्‍कर में पड़ गये हो, मेरा यह कहना है मेरे भाई आज की आवश्‍यकताएं क्‍या-क्‍या हैं? अगर हम पेयजल, शिक्षा और चिकित्‍सा नहीं दे पाये, तो हमारे जीवन के ऊपर लानत है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- श्री शेखावत जी अब समाप्‍त करें.

          श्री भंवर सिंह शेखावत -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं खत्‍म ही कर रहा हूं, मैं तो आज सिर्फ यह बताने के लिये खड़ा हुआ था कि अध्‍यक्ष महोदय, आपने सेशन बुलाया काहे के लिये था और चर्चा काहे पर हो रही है, सभी अपनी पीठ थपथपा रहे हैं.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्‍यक्ष महोदय, मृत्‍युलोक तक पहुंच गये हैं(हंसी)  

          श्री भंवर सिंह शेखावत -- अध्‍यक्ष महोदय, यही एज्‍युकेशन का हाल है, एज्‍युकेशन में चाहे स्‍कूली शिक्षा हो, चाहे ऊपर की शिक्षा हो. आज शिक्षा की हालत आप देख लें, हमने बड़ी सी.एम. राईज स्‍कूल की बिल्डिंगें बना दी, कैलाश जी बता रहे थे कि हमने नये पंचायत भवन बना दिये हैं, नये पंचायत भवन तो आपने बनाये हैं, आपको धन्‍यवाद देना ही चाहिए कि आप अच्‍छा कार्य कर रहे हैं, सी.एम. राईज स्‍कूल भी आप आला दर्जे के बना रहे हो, बहुत अच्‍छी बात है लेकिन उन स्‍कूलों का क्‍या होगा, जिन स्‍कूलों में बच्‍चों को बैठने के लिये टाटपट्टी नहीं है, जहां स्‍कूलों में आज कनेक्‍शन नहीं है, जहां शौचालय में जाने के लिये पानी नहीं है? (मेजों की थपथपाहट) जहां हम 70 सालों में शौचालय नहीं दे पाये. क्‍या हमारा मन इन सब बातों के लिये दुखी नहीं होता है?अरे आज जो हम सिर्फ दिखाने के लिये कर रहे हैं, हमारी शाबाशी के लिये कि हमने यह कर दिया, हम अगर कम से कम दो साल के अंदर यह हमारा जो पुराना बेकलॉक था, उसको हम ठीक कर लेते तो मैं समझता हूं कि आज आप धन्‍यवाद के पात्र थे. देखिये सरकारें जैसे लोकतंत्र में श्री कैलाश जी ने सुबह बताया है कि यह कोई इस पार्टी का या उस पार्टी का भारत नहीं है, यह दोनों पार्टियों का बनाया हुआ भारत है. विपक्ष में है तो भी और विपक्ष में नहीं थे तो भी, यह सबका बनाया हुआ भारत है. आज जहां भी हम पहुंचे हैं स्‍वत: पहुंचे है, यह किसी की पीठ थपथपाने की उनकी भी जरूरत नहीं है और आपकी भी जरूरत  नहीं है. आपको जब मौका मिला है, तो आपको आज यह बताना चाहिए था और माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह सत्र इसलिए बुलाया था कि आज एक-एक जन खड़ा होकर यह बता दे कि मैंने मेरे दो साल में इतना-इतना जो पहले काम नहीं किया था, यह काम मैंने कर दिया है. आप बार-बार वहीं आंकड़े गिना रहे हो. मंडी का क्‍या हो रहा है? मंडियों में क्‍या हाल है? किसान तीन-तीन, चार-चार घण्‍टे ट्रेक्‍टर लेकर के खड़ा है, उसका सामान नहीं तुल रहा है. एम.एस.पी. की बात हम करते ही नहीं है. किसान की फसल खरीदने की हम चर्चा ही नहीं करते हैं. क्‍या हम किसान को बीमा का पैसा दिला पायेंगे? इस संबंध में आज एक मंत्री ने नहीं बोला है और 7 हजार करोड़ रूपये लेकर कंपनियां लूटकर चली गईं  हैं और 700 करोड़ रूपये में पूरा प्रदेश निपट गया. कोई XXX नहीं बोल रहा है कि किसानों को लूटा जा रहा है और हम इसे रोक देंगे. अगर हम उनको रोक नहीं सकते हैं, तो मतलब क्‍या है? हम किस बात की यहां पर चर्चा करना चाहते हैं. मैं किसी सब्‍जेक्‍ट पर यहां पर नहीं आना चाहता हूं, किसी विभाग की बात नहीं करना चाहता हूं.                                               

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XXX :  आदेशानुसार रिकार्ड  नहीं किया गया.

                                                                                     


 

 लेकिन जो मूल समस्‍याएं हैं, उसका क्‍या करोगे. सन 2014 में आप आए थे, मोदी जी आए, खुशी की बात है, हमारी बात ही मोदी जी से शुरू करते हैं और डॉ. मोहन यादव के ऊपर आ जाते हैं अभी उनको तो दो साल ही हुए हैं. आपको तो 22 साल हो गए. 22 साल पहले भी 80 करोड़ लोगों को 5 किलो राशन हम देते थे और आज 22 साल बाद भी 80 करोड़ लोगों को 5 किलो राशन हम दे रहे हैं. कहां गरीबी दूर हुई, कौन सी गरीबी दूर की हमने, 22 करोड़ के आंकड़ें को हम 10 करोड़ लोगों पर ले आते तो हमारी उपलब्धि थी.

श्री कैलाश विजयवर्गीय ये तो 2015 में चालू हुआ कोरोना के बाद.

श्री भंवर सिंह शेखावत चलो कोई बात नहीं, वह मैंने मान लिया आप कोरोना की बात क्‍यों कर रहे, लेकिन आज भी 80 करोड़ जनता अगर पांच किलो राशन के लिए लाइन में लगकर अपना जीवन बिता रही है और हम कह रहे हमने विकास किया. चेतन कश्‍यप जी बता रहे थे कि हमारी आर्थिक उन्‍नति में हम चौथे नंबर पर आ गए विश्‍व के अंदर, तो आज भी 80 करोड़ लोग 5 किलो राशन खा रहे हैं. आज रोजगार करने के लिए आदमी नहीं मिल रहे, क्‍योंकि आप घर में राशन दे रहे हों, हम ही तो आदत खराब कर रहे हैं.

श्री चेतन्‍य कुमार काश्‍यप आईएमएफ का आंकड़ा है कि 27 प्रतिशत गरीबी से भारत की गरीबी अब साढ़े नौ प्रतिशत रह गई है, 17 प्रतिशत गरीबी कम हुई है.

श्री भंवर सिंह शेखावत आपका कहना सही है, गरीबी है ही नहीं.. अपना चश्‍मा हटा दो गरीबी दूरमेरा कहना है गरीब को हम गरीब मान कहां रहे, हम किसान, बेरोजगार, जो पांच किलो राशन में जी रहे, उनको हम गरीब नहीं मान रहे, हमने कम कर दिया. मेरा यह कहना है भारत माता के सपूतों(..हंसी) ये जनता ने हमें किसी अच्‍छे काम के लिए हमें यहां भेजा है. सरकार आप हो, अब तो आपने तय कर लिया वर्ष 2047 तक तो ये भी दादागिरी है कि वर्ष 2047 तक आने ही नहीं देंगे किसी को. क्‍यों भैया..ठेका लिया क्‍या.. जनता चाहेगी तो. कैलाश जी कहते हैं जनता क्‍या करेगी, सरकार तो हमको बनाना है. अभी लाड़ली लक्ष्‍मी को दिया है, अगले साल 30 हजार देंगे, फिर चुनाव में 50 हजार डाल देंगे उनके खाते में. जब पैसा जेब में डालकर वोट खरीदने की कला आ गई तो अब तो कोई लोकतंत्र बचा ही नहीं, अब काहे का चुनाव हो रहा है, चुनाव की जरूरत ही क्‍या है. चुनाव बगैरह आप छोडि़ए. अब तो आप करने की बात कीजिए. आपको ही करना है.  वर्ष 2047 तक आपको ही करना है चलो मान लेते हैं.

अध्‍यक्ष महोदय भंवर सिंह जी समाप्‍त करें. टोकिए मत प्‍लीस.

श्री प्रहलाद सिंह पटेल अध्‍यक्ष जी, भंवर सिंह जी को कोई टोक नहीं रहा है इसलिए वे ज्‍यादा बोल रहे हैं(..हंसी)

श्री भंवर सिंह शेखावत प्रहलाद जी आप सही कह रहे हैं.

अध्‍यक्ष महोदय मुख्‍यमंत्री जी और नेता प्रतिपक्ष जी को भी बोलना है समाप्‍त कीजिए.

श्री भंवर सिंह शेखावत अध्‍यक्ष जी, मेरा सिर्फ यह कहना है कि जब हम सदन में आए, जैसे मंदिर में कहते हैं कि जूते खोलकर मंदिर में जाना चाहिए. हम इस सदन को भी भगवान का मंदिर कहते हैं. यहां आकर के हम एक दूसरे पर आरोप प्रत्‍यारोप करते हैं, नक्‍सलवाद पर चर्चा चल रही थी, ये नक्‍सलवाद किसकी देन है.

श्री प्रहलाद सिंह पटेल सत्‍तापक्ष से किसी वक्‍ता का नाम बताइए, जिसने आरोप लगाया हो. आप ही कह रहे हो, लिहाज में कोई बोल नहीं रहा, मगर ऐसा नहीं होता सबसे ज्‍यादा आरोप प्रत्‍यारोप आप ही ने किया है,

श्री भंवर सिंह शेखावत मैं व्‍यवस्‍था पर बोल रहा हूं.

श्री प्रहलाद सिंह पटेल आप बोले जा रहे हो, आलोचना सुनने की हममें दम है, लेकिन कुछ भी बोलना ये तो नहीं हो सकता.

श्री भंवर सिंह शेखावत मैं आलोचना ही तो कर रहा हूं.

अध्‍यक्ष महोदय भंवर सिंह जी कृपया पूर्ण करें.

श्री भंवर सिंह शेखावत नक्‍सलवाद भी इसी देश की उपजी हुई एक अव्‍यवस्‍था का परिणाम था, हमारी आर्थिक असमानता की जो लड़ाई है, उसी में से नक्‍सलवाद निकला है, कई तरह की और बीमारियां निकलती है, नक्‍सलवाद भी हमने समाप्‍त किया. हर चीज की क्रेडिट हम लेने को तैयार है, लेकिन नक्‍सलवाद पैदा करने का क्रेडिट कौन लेगा. (...व्‍यवधान)

श्री प्रहलाद सिंह पटेल अध्‍यक्ष महोदय, ये तो मैं कह सकता हूं, मैं इस बहस के लिए तैयार हूं कि नक्‍सलवाद के बारे में जब चाहे, जैसे चाहे बहस करने के लिए हम तैयार हैं, आपका मंत्री मारा गया आपके नेता बोलने के लिये तैयार नहीं थे हमने बोला इतनी हिम्मत होती तो बोलते. ऐसी बातें मत करिये आप मजाक मत उड़ाइये.

          श्री भंवर सिंह शेखावतयह क्रेडिट अगर आप मुझे देते हैं तो मुझे दिक्कत नहीं है.

          श्री प्रहलाद सिंह पटेलअध्यक्ष महोदय, हमने कभी भी मतभेद को नहीं माना हमने कहा कि कांग्रेस का व्यक्ति जीतेगा लेकिन नक्सलवादी हारेगा. तो आप हमें मत समझाओ. नक्सलवाद क्या होता है, ऐसा नहीं है आप सदन में कुछ भी बोलेंगे.

          अध्यक्ष महोदयभंवर सिंह जी आप समाप्त करिये.

          श्री कैलाश विजयवर्गीयप्रहलाद जी आपने भी भंवरसिंह जी को इतना गंभीरता से ले लिया. आप भी जरा समझा करो भंवर सिंह जी जब भाषण दे रहे हैं तब सिर्फ सुनना है और मजे लेना है. (हंसी)

          श्री भंवर सिंह शेखावतयह अर्थ रह गया है. इतनी गंभीर बातों का अर्थ इतना ही है तो यह मामला बड़ा गड़बड़ है. मेरा कहना यह है कि प्रहलाद जी जो बोल रहे हैं सही है उनका कहना अपनी जगह सही हो सकता है. नक्सलवाद की बात इसलिये आयी जब सदन में इसमें चर्चा हुई इस पर आप पीठ थपथपाएं कोई बात नहीं है, लेकिन हमारे समाज की कोई अव्यवस्था ऐसी रही होगी जिससे कि नक्सलवाद पनपा होगा.

          अध्यक्ष महोदयप्रहलाद जी नक्सलवाद के भुगतभोगी हैं इसलिये उनके मन में पीड़ा है. वह नक्सलवाद से लड़ते रहे हैं, वहां के सांसद रहे हैं.

          श्री भंवर सिंह शेखावतमैं इनसे इंकार नहीं कर रहा हूं. हमारी व्यवस्था का जो कोढ़ है उसमें से पनपी हुई चीजें हैं. अंत में एक बात कहकर अपनी बात को समाप्त करूंगा कि यह सारी व्यवस्था में एक दूसरे पर सिर्फ आरोप-प्रत्यारोप लगाने की जरूरत नहीं है. हम जिस सिस्टम में काम कर रहे हैं, यह सिस्टम गड़बड़ है. इस सिस्टम को ठीक करने के लिये क्या कर रहे हैं यह भ्रष्टाचार नाम का जो श्राप है जो पूरे देश को लगा हुआ है यह भ्रष्टाचार नाम की व्यवस्था है वह सबको खाये जा रही है, लील रही है. हम इसको समाप्त करने के लिये अगर सार्थक प्रयास नहीं करेंगे जब आप इधर आयें या उधर जायें कुछ भी होने वाला नहीं है. यह बहुत सालों से हम सुन रहे हैं आज भी किसानों की माली हालत इसलिये नहीं सुधर रही है कि आप यहां से एक रूपया भेजते हैं वह नीचे जाकर के 17 पैसे भी नहीं पहुंच रहे हैं. यह बीच में जो रास्ता खराब हो रहा है.

          श्री रामेश्वर शर्माआज कल ऑन लाईन पेमेंट है.

          अध्यक्ष महोदय अभी चर्चा में जो असंसदीय शब्‍द आये हैं इनको रिकार्ड न किया जाए. विश्वास जी आपकी तैयारी तो बहुत अच्छी होगी.

          सहकारिता मंत्री(श्री विश्वास सारंग)—अध्यक्ष महोदय, मुझे मालूम है कि आपका स्नेह मुझे ही मिलेगा. मैं इस बात को समझ रहा था. आपने मुझे चेम्बर में बुलाकर के चमका भी दिया है. उसकी चमकाईश का पूरा पालन करूंगा. सर्व प्रथम तो अध्यक्ष महोदय आपको बधाई दूंगा कि आप जब से इस आसंदी पर बैठे हैं आपने इस सदन की गरिमा को भी ऊंचा किया है उसके साथ साथ नवाचार भी किये हैं. आज 70 साल पूरे होने पर आपने और माननीय मुख्यमंत्री जी को भी धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने इस सदन के माध्यम से इस मध्यप्रदेश के विकास, कल्याण और आगे आने वाले समय में जिस प्रकार से हमारे यशस्वी प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने 2047 में जब हम आजादी के 100 वर्ष पूर्ण करेंगे तो कैसा हिन्दुस्तान हो. एक स्वावलंबी, एक शक्तिशाली, एक वैभवशाली और एक विकसित राष्ट्र का यदि हमें निर्माण करना है. तो फेडरल सिस्टम में यह सुनिश्चित है कि यदि राष्ट्र के निर्माण की हम अवधारणा को प्रतिपादित करना चाहते हैं तो निश्चित रूप से उसमें राज्यों की भी भूमिका होनी चाहिये और मुझे यह कहते हुए कहीं संकोच नहीं है कि डॉ मोहन यादव जी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की सरकार पूरी तनमयता के साथ 2047 में यह राष्ट्र एक विकसित राष्ट्र बने उस महायज्ञ में अपनी सार्थक आहूति देने को तैयार हैं.

माननीय सभापति महोदय, मैं लंबी बात नहीं करूंगा. जिस विषय पर मुझे आज बोलने का आदेश मिला है, यह बहुत महत्‍वपूर्ण विषय है और जैसा कि माननीय श्री भंवरसिंह शेखावत जी कह रहे थे कि कृषि, किसान, खेती का विषय यह आजादी के समय से लेकर के आज तक इस देश में बहुत महत्‍वपूर्ण विषय है. इस देश में एक समय वह भी था, जब खाद्यान्‍न को लेकर के, उसके उत्‍पादन को लेकर के, उसकी आपूर्ति को लेकर के बहुत सारे प्रश्‍नचिन्‍ह थे. पूर्व प्रधानमंत्री स्‍व. श्री लालबहादुर शास्‍त्री जी ने इस देश में लोगों से इस बात का भी संकल्‍प लेने का निवेदन किया था कि हफ्ते में एक दिन हम उपवास करें. सोमवार के दिन उन्‍होंने यह आह्वान किया था और आज तक मैं यह देखता हॅूं कि उस समय की पीढ़ी के लोग आज भी उपवास करते हैं, व्रत रखते हैं. यह अलग बात है कि इस देश के किसानों के श्रम के कारण आज हम सरप्‍लस राज्‍य के रूप में इस देश में इस दुनिया में स्‍थापित हुए हैं. जय जवान-जय किसान का नारा पूर्व प्रधानमंत्री स्‍व.श्री लाल बहादुर शास्‍त्री जी ने दिया. उसके बाद लगातार इस सेक्‍टर के उन्‍नयन के लिये, उसके उत्‍थान के लिये बातचीत हुई.

          अध्‍यक्ष महोदय, डॉ.स्‍वामीनाथन ने हरित क्रांति के माध्‍यम से इस देश की कृषि की स्‍थिति क्‍या हो, उस पर काम किया और उसका परिणाम भी हमें देखने को मिला. केवल हरित क्रांति ही नहीं, मैं इस सदन के माध्‍यम से डॉ.कुरियर और त्रिभुवन दास पटेल जी को भी बहुत साधुवाद करता हॅूं, जिन्‍होंने श्‍वेत क्रांति की बात की और उसके माध्‍यम से सहकारी क्षेत्र में दूध का उत्‍पादन और उसके माध्‍यम से किसानों को उसका फायदा मिले, इस पर काम हुआ. उसके बाद डॉ.हीरालाल चौधरी ने नीली क्रांति की बात की. मैं इस मंच के माध्‍यम से माननीय मुख्‍यमंत्री जी को धन्‍यवाद और साधूवाद करता हॅूं कि हमारी सरकार ने इन तीनों क्रांतियों का समन्‍वय करके किसानों की खेती को फायदे का धंधा बनाने के लिए काम करना शुरू किया है और उसी का परिणाम है कि चाहे वह कृषि की आय को बढ़ाने का मामला हो, चाहे सहकारी क्षेत्र में पशुपालकों के माध्‍यम से दूध इकट्ठा करके ज्‍यादा से ज्‍यादा आमदनी के अवसर उपस्‍थित करने का मामला हो या मत्‍स्‍य विकास के माध्‍यम से किसानों को और ज्‍यादा खेती में फायदा देने का मामला हो. मैं पुराने आंकड़ों पर नहीं जाना चाहता, पर माननीय शेखावत जी ने जो बात की, वह मैं आधे सेकेंड में बताना चाहता हॅूं. इन्‍होंने कहा कि अभी तक कुछ नहीं हुआ. यदि हम मध्‍यप्रदेश में कृषि क्षेत्र के रकबे की बात करें, तो पहले यह रकबा वर्ष 2002-03 में यह 199 लाख हेक्‍टेयर था, जो वर्ष 2024-25 में बढ़कर 297 लाख हेक्‍टेयर हो गया. यदि हम उद्यानिकी फसलों की बात करें, तो इसमें भी बहुत तेजी से विकास हुआ है. यह 4.67 लाख हेक्‍टेयर से बढ़कर 26 लाख हेक्‍टेयर हुआ है. हम कृषि उत्‍पादन की बात करें, बिजली की उपलब्‍धता की बात करें, सिंचाई के साधन-संसाधनों की बात करें और केवल यही नहीं, यदि किसान ने फसल उगाई, तो सरकार ने उपार्जन को लेकर के भी सही व्‍यवस्‍था बनाई. यदि हम केवल दो साल के ही उपार्जन के आंकड़ों की बात करें, तो वर्ष 2023-24 में लगभग 16 लाख किसानों का लगभग 102 लाख मीट्रिक टन उपार्जन हुआ और किसानों को 29 हजार 354 करोड़ रूपए की राशि का भुगतान हुआ. वर्ष 2024-25 की हम बात करें, तो किसानों की जो उपार्जित मात्रा है वह लगभग 139 लाख मीट्रिक टन थी और लगभग 42 हजार करोड़ का किसानों को लाभ दिया गया.

          अध्‍यक्ष महोदय, भावांतर को लेकर बहुत सारी बातें हैं, पर केन्‍द्र सरकार ने जिस प्रकार का मॉडल देश में प्रतिपादित किया, मुझे बहुत प्रसन्‍नता है कि मध्‍यप्रदेश के मुख्‍यमंत्री डॉ.मोहन यादव जी की सरकार देश की पहली सरकार है, जिसने भावांतर के माध्‍यम से सोयाबीन की फसल में लाभ दिया और हमने इसमें लगभग 1600 करोड़ रूपए बचाये हैं और हमने लगभग 482 करोड़ रूपए की राशि किसानों को अंतरित की है.....(मेजों की थपथपाहट) ...

 

अभी बात हो रही थी क्योंकि आगे की बात करना है. अभी ज्यादा समय नहीं है परन्तु मैं बताना चाहता हूं कि सरकार ने यह निर्णय लिया है कि आगे हम मूंगफली और सरसों में भी भावान्तर योजना का लाभ किसानों को देंगे. प्रधानमंत्री फसल बीमा की बात हो. अभी श्री भंवर सिंह शेखावत जी कह रहे थे कि इंश्योरेंस कंपनी पैसा लेकर भाग गईं. यदि मैं आंकड़ों की बात करूं तो वर्ष 2023-24 में लगभग 1000 करोड़ रुपये का दावा किसानों को दिया गया है. मुझे नहीं मालूम है कि आप आंकड़ें कहां से लाए है? वर्ष 2024-25 में अभी तक लगभग 300 करोड़ रुपये किसानों के खाते में जा चुके हैं. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, मुख्यमंत्री किसान सम्मान निधि, मुख्यमंत्री कृषि उन्नति योजना, जनजातीय क्षेत्र के लिए रानी दुर्गावती श्री अन्न प्रोत्साहन योजना जिससे कि हमारा जो श्री अन्न है उसको ज्यादा से ज्यादा प्रोत्साहन मिल सके, उसके लिए काम किया. अभी बात चल रही थी कि आगे हम क्या करेंगे? यह बात सही है कि हम देखते हैं कि रासायनिक उर्वरक का जो उपयोग है वह लगातार बढ़ता जा रहा है उसके कारण हम देखते हैं कि फसल तो हम उगा लेते हैं परन्तु उसको लेकर बहुत सारी बातें कैंसर जैसी जो बीमारी है, वह भी शायद उसके कारण होती है.

 

8.16 बजे        (सभापति महोदय (डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय) पीठासीन हुए.)

 

          सभापति महोदय, इस बात को लेकर केन्द्र ने, प्रधानमंत्री मोदी जी ने लगातार काम किया है. परम्परागत खेती के विकास के लिए पीकेवीवाए योजना के तहत जैविक खेती और नेचुरल फार्मिंग को लेकर केन्द्र की सरकार ने काम किया है, लगभग 5000 रुपये प्रति हैक्टेयर जैविक खेती के लिए और 4000 रुपये प्रति हैक्टेयर परम्परागत खेती के लिए सरकार की ओर से दिया जाता है.

          सभापति महोदय, सदन में एक बहुत रोचक आंकड़ा यहां पर बताना चाहता हूं और मुझे लगता है कि वह बहुत उत्साह भी हमें देता है. यदि हम जैविक खेती के पूरे देश के रकबे की बात करें, क्षेत्रफल की बात करें तो अकेले मध्यप्रदेश में यह 6 लाख 40 हैक्टेयर है, जो कि देश में नंबर वन पर हैं और प्रमाणीकरण के लिए जो अभी एप्लीकेशन लगी हैं उसमें लगभग 6.50 लाख हैक्टेयर और है, इसका मतलब है कि जैविक खेती को लेकर सरकार के जो प्रयास हैं उसको किसानों ने माना है और आगे जाकर इसका लाभ हमें मिलने वाला है.

सभापति महोदय, मंडी की बात हुई, यह बात सही है कि मंडी को लेकर बहुत सारी बातें हैं और मंडी की कार्यप्रणाली को सुव्यवस्थित करना यह सरकार की मंशा भी है. ईमंडी, मंडी की व्यवस्थाओं को अच्छा करना, आईटी के जितने साल्यूशन्स हम उसमें उपयोग कर सकते हैं उस पर हम लगातार काम कर रहे हैं. यहां पर मैं जरूर बताना चाहता हूं कि क्योंकि श्री भंवर सिंह शेखावत जी ने बात की, श्री सचिन जी ने भी खेती को लेकर बहुत बात की. मुझे लगता है कि इस सदन में यदि केवल नकारात्मक बात करेंगे तो सरकार की तरफ तो हम ऊंगली उठा सकते हैं परन्तु यदि कृषि को लेकर बात करते हैं तो कहीं न कहीं हम किसान को भी कठघरे में खड़ा करने की बात करते हैं.

सचिन भाई, मध्यप्रदेश में कुछ नहीं हुआ है ऐसा नहीं है. यदि हम आंकड़े की बात करें तो उत्पादन में गेहूं के मामले में हम देश में नंबर दो पर हैं. यह हमारे किसानों की खूबी है, यदि हम मक्का की बात करें तो देश में नंबर वन हैं. चना की बात करें तो हम देश में नंबर दो हैं. उड़द की बात करें तो हम देश में नंबर दो हैं. मसूर की बात करें तो हम नंबर दो हैं. कुल अनाज के क्षेत्र की बात करें तो हम देश में उत्पादन में द्वितीय स्थान पर हैं. निश्चित रूप से सरकार को आप श्रेय दो या न दो. किसान को तो हम श्रेय देते ही हैं. मुझे यह लगता है कि सरकार ने भी जिस प्रकार से विगत दिनों में लगातार चाहे सिंचाई का रकबा बढ़ाने की बात हो, बीज का, खाद का सुव्यवस्थित आदान करने की बात हो, जीरो प्रतिशत पर ऋण देने की बात हो, किसान के लिए हमारी सरकार ने बहुत कुछ किया है. अभी बात हो रही थी. मुझे लगता है कि माननीय नेता प्रतिपक्ष जी इस बात को अपने वक्तव्य में कहेंगे. पिछली बार जब सदन में खाद को लेकर बातचीत हुई थी.

          श्री सुरेश राजे - सभापति महोदय, कृषि का मामला है. माननीय मंत्री जी मेरा आपसे आग्रह है कि 20-22 साल आपकी सरकार को हो गये हैं. किसान की बात आई है तो किसान की कृषि उपज मंडी में क्या हालत है, थोड़ा सा उस पर आप नजर डालें तो आपकी समझ में आएगा. यह बहुत गंभीर विषय है.

          सभापति महोदय - आप बैठ जाइए. माननीय मंत्री जी आप अपनी बात जारी रखें.

 

                        श्री रामेश्वर शर्मासभापति महोदय, एक तो इनको जानकारी रहती नहीं है.  मनमोहन सिंह जी के समय पर  कृषि  की क्या हालत थी,लाल गेहूं बुलवाया गया था.  आदमी तक बीमार हो गये थे.  आज  कम से कम खेत से अनाज के भंडार भरे हुए हैं.  इस बात का तो ध्यान रखें.

                   सभापति महोदयमंत्री जी, आप अपनी बात जारी रखें.

                   श्री विश्वास सारंग--  जी.  खाद को लेकर के  नेता प्रतिपक्ष जी का भी कोई सुझाव था और  मैं इस सदन में बताना चाहता हूं   और मैं कृषि विभाग को बहुत बधाई दूंगा,  मंत्री जी, एदल सिंह  जी  को  उनकी पूरी टीम को, कृषि विभाग को बहुत  बधाई दूंगा.   एक बहुत अच्छे सॉल्यूशन  पर सरकार ने काम किया है. ई  विकास एक पोर्टल है,  जिसके  माध्यम से  अभी  पायलट    प्रोजेक्ट किया है और  हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं  कि  आगे आने वाले समय में किसान को उसकी च्वाइस,  यदि हम देखें तो  किसान को खाद मिलने  के चार स्थान हो सकते हैं.  एक तो  कोआप्रेटिव्ह  सोसायटी है प्राइमरी हमारी पैक्स है. दूसरा हमारा डबल  लॉक सिस्टम है, जहां पर नगद में खाद  मिलती है.  तीसरा  ओपन मार्केट है.  इसके साथ साथ  हम प्रयास कर रहे हैं, अभी मैं   पूरी तरह से यहां  पर सदन में बोलना नहीं चाहता. पायलट प्रोजेक्ट की   जो सफलता है उस पर निर्भर करेगा. चौथा  हम आयाम रखना चाहते हैं कि  घर पहुंच हम खाद की  व्यवस्था  करायें. यह पूरा का पूरा  मामला  हम  ई विकास पोर्टल के  माध्यम से करेंगे.  मुझे इस बात की  बहुत प्रसन्नता  है,  मैं विभाग को भी बधाई दूंगा,  हमारे अधिकारियों को भी बधाई दूंगा,  मुख्यमंत्री जी को भी बधाई कि  यह देश में सराहा  जा रहा है. यदि म.प्र. में यह प्रयोग सफल  रहा, तो यह शायद  पूरे देश में खाद  के  वितरण के लिये  एक बहुत अच्छा मॉडल  सिद्ध होगा.  सभापति महोदय, आगे की बात मैं करता हूं.  तो हमने यह पूरी तरह से  निर्णय लिया है  कि हम अब मौसम  आधारित  बीमा योजना शीघ्र   इस म.प्र. में  शुरु करेंगे,  जो किसानों को यदि   मौसम के कारण  कहीं कोई दिक्कत  है, तो  उसको उसका लाभ मिलेगा.   मैंने भावांतर का बताया.  नमो ड्रोन  दीदी यह प्रधानमंत्री जी  की एक बड़ी   योजना  है और लगभग  हम   अगले वर्ष में  1066  किसानों को  इसको उपलब्ध करायेंगे.  पराली और नरवाई प्रबंधन. यह पर्यावरण के लिये बहुत जरुरी है इसका प्रबंधन करना. सहकारिता के माध्यम से  हमने   सी ट्रिपल पी  एक मॉडल   लेकर आये हैं.  जिसमें हम पैक्स, कार्पोरेट को और   कोआप्रेटिव्ह को  अलाइन   करके  इस समस्या के हल  के लिये  लगे हैं,  जिसमें नरवाई और पराली  का  क्या कुछ वैल्यू एडिशन  हो सकता है, उसके माध्यम से  चाहे   सीबीजी निर्माण का  मामला हो या  बायो फ्यूल  बनाने की बात हो, उस पर हम आगे काम करेंगे.  यह सुनिश्चित   है कि कृषि को यदि लाभ का धंधा  बनाना है तो वह केवल  कृषि से ही नहीं  होगा.  जो एलाइड  विषय हैं, जो उससे जुड़े हुए  और विषय हैं,  उसको भी  हमें बढ़ाना पड़ेगा.  पशुपालन   आदि अनादिकाल से  वह विषय है,  जिसके  माध्यम से  निश्चित रुप से किसान  की  आमदनी हम बढ़ा सकते हैं  और मुझे कहते हुए यह बहुत प्रसन्नता  है,  मैं मुख्यमंत्री जी को बहुत बधाई दूंगा, हमारे पशुपालन मंत्री, लखन पटेल जी को  बधाई दूंगा कि  इस विभाग ने दोनों आयाम पर बहुत अच्छा काम किया है.  जहां  गौ संवर्धन    के लिये   इस सरकार ने बहुत अच्छा काम किया है,  तो  उसके साथ साथ गौ पालकों  की  उनकी आय बढ़ सके,   उसके लिये  बहुत  अच्छा काम हुआ है और  उसी का परिणाम  है कि  लगातार हम देख रहे हैं कि   यदि अनुमानित  बात करें, तो  म.प्र. में निराश्रित   गौवंश लगभग  8 लाख  50 हजार है. ऐसा   अनुमान है. मुझे कहते हुए बहुत प्रसन्नता है कि  सरकार  की दो वर्ष की  कार्य योजना के कारण लगभग    2500 से अधिक गौशालाओं  में 4 लाख 75 हजार  से ज्यादा निराश्रित  गौवंशों को आश्रय  मिल चुका है.  यह एक बड़ा एचीवमेंट है. पर हम यहीं नहीं रुकने वाले हैं.  हम निश्चित रुप से  गौशाला  को स्वावलम्बी बनाना चाहते हैं.  हमारा बड़ा एक लगभग   5-5 हजार बल्कि 5 हजार से ज्यादा  गौवंश  एक गौशाला में रहे.  पर वह स्वावलम्बी हो सस्टेनेबल हो. वहां पर  पूरी तरह से यह सुनिश्चित हो  गोवंश का पूरी तरह से, अच्छी तरह से संवर्धन हो सके उसके लिये हम काम कर रहे हैं. मौ माता हमारा धार्मिक विषय भी है. हमारी श्रृद्धा का केन्द्र है और उसका वध न हो उसके लिये हमारी सरकार ने गोवंश वध प्रतिषेध संशोधन अधिनियम  लागू किया है जिसके माध्यम से इस तरह से गोवंश की जो हत्या होती है उस पर रोक लग रही है.

          माननीय सभापति महोदय, यह मैंने गो-संवर्धन की बात की, पर यह बात सही है कि गो-पालक की आय को बढ़ाने के लिये भी हमें काम करना होगा और हमारी सरकार ने इस विषय में लगातार काम किया है. मुझे बहुत प्रसन्नता है और इस सदन में मैं यह कहना चाहता हूं क्योंकि जब एक बड़ा निर्णय सरकार की ओर से लिया गया था दुग्ध संघ को राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड( एनडीडीवी) के साथ एमओयू करने का तो प्रतिपक्ष के साथियों ने इस पर प्रश्नचिह्न लगाया था और कहा था कि दुग्ध संघ को बेच रहे हैं ,सांची को बेच रहे हैं, वह सब जो भी भ्रांतियां थी वह समाप्त हो गई और मुझे यह कहते हुये बहुत प्रसन्नता है और मैं इस सदन में यह कहना चाहता हूं कि हमारा वह प्रयोग बहुत सफल रहा है और हमने जो राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड( एनडीडीवी) के साथ एमओयू किया था उसका परिणाम यह निकला कि हमारे दुग्ध संघ द्वारा जो दूध की खरीदी थी, वह ढाई रूपये प्रति किलो थी वह  बढ़कर के साढे 8 रूपये प्रति किलो हो गई है. यह एक बहुत सकारात्मक बात हुई है. उसके साथ ही 10 दिन में भुगतान होने लगा और लगभग हमने 880 करोड़ रूपये का भुगतान सभी गो-पालकों को किया है जो दुग्ध का उत्पादन करते हैं.

          माननीय सभापति महोदय,इसी तरह से मुख्य मंत्री पशु पालन विकास योजना, आचार्य विद्यासागर गोसंवर्धन योजना बहुत सारी ऐसी योजनायें हैं जिसके माध्यम से हम गो वंश का संरक्षण कर रहे हैं. एक बहुत ही रोचक आंकड़ा है यदि हम बात करें तो देश में दूध उत्पादन और सहकारी क्षेत्र में दूध के मामले में अमूल्य का नाम है, गुजरात का नाम है. पर आंकड़ा यह कहता है कि गुजरात से ज्यादा गोवंश मध्यप्रदेश में है, परंतु हमारे यहां पशु नस्ल की दिक्कत है, हमारे यहां वह शायद पहले नहीं हो पाया और हमारे यहां नस्ल उतनी अच्छी नहीं रही तो , नस्ल का संवर्धन हो, उसके लिये हमारी सरकार लगातार काम कर रही है. ब्रीडर एसोसियेशन से लेकर अलग अलग योजनाओं के माध्यम से गोवंश पालकों को अधिक से अधिक एजूकेट करना ए-आई के माध्यम से नस्ल को ठीक करना इस पर लगातार काम चल रहा है.

          सभापति महोदय, हिरण्यगर्भ अभियान हो, 'दुग्ध समृद्धि सम्पर्क अभियान'' जिसमें हर एक हर में जाकर के मंत्री से लेकर हर जनप्रतिनिधि, मैं सदन में कहना चाहता हूं कि यह पशुपालन विभाग ने एक अच्छा नवाचार किया है सभी विधायकों और सांसदों को पत्र लिखकर के यह निवेदन किया है कि हम सब जायें, एक एक घर में जाकर के जो भी गो पालक है उसको इस सब विषय की जानकारी दें. यदि कोई विधायक जाता है, कोई सांसद जाता है, तो इसका अच्छा इम्पेक्ट देखने को मिलता है.

          सभापति महोदय, जैसा मैंने ब्लू रेवोल्यूशन (नीली क्रांति) की बात की, यह बात सही है कि हमारे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने स्पष्ट कहा है कि यदि इस देश की अर्थ व्यवस्था को सु-व्यवस्थित करना है तो हमें मत्स्य पालन पर विशेष ध्यान देना होगा और माननीय सभापति महोदय मुझे यह कहते हुये बहुत प्रसन्नता है कि यदि अंतरर्देशीय मत्स्य पालन की हम बात करें तो वर्ष 2023-24 में हम चौथे स्थान पर थे और अब मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में मुझे यह कहते हुये प्रसन्नता है कि वर्ष 2024-25 में हम प्रथम स्थान पर आये हैं. हम इस पर लगातार काम कर रहे हैं. आगे की कार्य योजना पर हम इस ढंग से कार्य कर रहे हैं कि आगे आने वाले समय में हम ज्यादा से ज्यादा मत्स्य पालक लोगों को ज्यादा से ज्यादा लाभ दे सकें उसके लिये रिजर्व वायर क्लस्टर आधारित मत्स्य पालन (Reservoir Cluster-Based Fisheries)  पर हम विशेष काम कर रहे हैं.

 

          माननीय सभापति महोदय, यह तीनों विषय जिस पर मैंने सदन में बात की है यदि इनकी पूरी व्यवस्थाओं को सुचारू रूप से करने का काम यदि अपेक्षत है तो वह सहकारिता विभाग से अपेक्षित है. "बिना सहकार नहीं उद्धार", उसके साथ साथ "बिना संस्कार नहीं सहकार".  उसको लेकर के हमने लगातार काम किया है. मुझे इस अवसर पर यह कहते हुये बहुत प्रसन्नता है कि हमारे देश के यशस्वी प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने सहकारिता , यह  आंदोलन और मजबूत हो उस लक्ष्य को लेकर के पहली बार सहकारिता एक अलग विभाग बनाने का देश में काम किया है, और हमारे यशस्वी गृह मंत्री जी को ही सहकारिता मंत्री बनाया,अमित शाह जी के नेतृत्व में अमित शाह जी के नेतृत्‍व में सहकारिता विभाग लगातार काम कर रहा है. हमने यह सुनिश्चित किया है कि सहकारी आंदोलन को हम बहुत मजबूत करें. सहकारिता के जो हमारे अपेक्षित काम हैं, चाहे अल्‍पकालिक ऋण वितरण की बात हो, खाद, बीज के वितरण की बात हो, समर्थन मूल्‍य पर कृषि उपज के उपार्जन की बात हो, बाकी सभी काम तो हम सुचारू कर ही रहे हैं, परंतु सहकारी क्षेत्र और मजबूत हो और हमारा जो पैक्‍स है जो प्रायमरी एग्रीकल्‍चर कोऑपरेटिव सोसायटी है वह मल्‍टी यूटिलिटी कोऑपरेटिव सोसायटी बने उसको लेकर हम लगातार काम कर रहे हैं. जैसा मैंने जिक्र किया कि देश में ही नहीं दुनिया में पहली बार हमने सी ट्रिपल पी कोऑपरेटिव पब्लिक प्रायवेट पार्टनरशिप के माध्‍यम से यह सुनिश्चित किया कि हम कार्पोरेट और कोऑपरेटिव इन दोनों को एक साथ लेकर आएं. यह दोनों सी मिल जाएंगे यदि इस देश का कार्पोरेट सेक्‍टर कोऑपरेटिव सेक्‍टर से मिल जाएगा तो जहां एक ओर किसान को लाभ मिलेगा तो वहीं हमारी सोसायटी को भी नया बिजनेस मिलेगा और कार्पोरेट को उसका बिजनेस करने के नये अवसर हम सृजित कर पाएंगे. उसको लेकर हम लगातार काम कर रहे हैं. हमने यह सुनिश्चित किया है. मुझे यह कहते हुए कहीं संकोच नहीं है कि सहकारिता की बात आती है तो लोगों ने बोला, बहुत सारे इफ एंड बट्स हैं परंतु वह व्‍यवस्‍था पारदर्शी हो, उसमें संस्‍कार आएं इसको लेकर हम कमिटेड हैं. इसलिए हमने ह्यूमन रिसोर्स के चाहे रिक्रूटमेंट की बात हो, चाहे उनकी ट्रेनिंग की बात हो, उसको लेकर बहुत काम किया है. आईबीपीएस के माध्‍यम से शायद देश में मध्‍यप्रदेश पहला होगा जहां हमने पूरी नियुक्तियां आईबीपीएस के माध्‍यम से की हैं और उनकी बहुत सुचारू ट्रेनिंग भी हम करा रहे हैं. बीज एक बड़ा आयाम है. बीज संघ के उन्‍नयन में यह बात जरूर यहां जिक्र करना चाहता हूं कि विगत दिनों माननीय मुख्‍यमंत्री जी के निर्देश पर हमने बीज संघ के उन्‍नयन की एक कार्ययोजना बनाई और एमपी चीता यह बीज का ब्रांड हमने शुरू किया कि उन्‍नत बीज, हाईब्रिड बीज और वह बीज आधी कीमत पर किसानों को मिले. मुझे यह कहते हुए प्रसन्‍नता है कि केवल 6 महीने में हम 200 करोड़ रुपये का टर्न ओवर उस बीज संघ में कर चुके हैं जहां जीरो टर्न ओवर था. लगातार इस पर हमने काम किया है.

सभापति महोदय --  विश्‍वास जी, अगर ज्‍यादा हो तो आप पटल पर रख दें.

श्री विश्‍वास सारंग -- सभापति महोदय, एक मिनट में समाप्‍त कर रहा हूं. सचिन भाई ने 15 कमजोर बैंकों की बात की. मुझे यह कहते हुए प्रसन्‍नता है कि माननीय मुख्‍यमंत्री जी को जब हमने विभाग की समीक्षा के समय यह बताया तो 300 करोड़ रुपये सरकार ने उन बैंकों के सुदृढ़ीकरण के लिए दिए हैं और मुझे कहते हुए प्रसन्‍नता है कि उन बहुत सारे बैंकों का हमने वापस आदान शुरू कर दिया है जिसके माध्‍यम से इन बैंकों को हम ठीक स्थिति में लेकर आ रहे हैं. कहने को बहुत सारा है. हमने बहुत से नवाचार किए हैं.

सभापति महोदय -- बाकी आप पटल पर रख दें. बहुत-बहुत धन्‍यवयाद.

श्री विश्‍वास सारंग -- सभापति महोदय, पूरा पटल पर रख देंगे. आखिरी में मैं आपके माध्‍यम से सदन को यही विश्‍वास दिलाना चाहता हूं कि माननीय मोहन यादव जी के नेतृत्‍व में कृषि और उससे जुड़े हुए जो भी सेक्‍टर हैं, सहकारिता, मत्‍स्‍य पालन, उद्यानिकी, पशु पालन इन सब क्षेत्रों के माध्‍यम से इस मध्‍यप्रदेश को 2047 में इस देश का विकसित राष्‍ट्र बनाने के जो संकल्‍प हैं उसमें पूर्ण रूप से आहूत करने के लिए हम तत्‍पर हैं. जल की प्रत्‍येक बूंद, उर्वरक का प्रत्‍येक अंश और मेहनत पर किसान का हरेक घंटा उसका सदुपयोग करते हुए हम यह सुनिश्चित करेंगे कि मध्‍यप्रदेश की तस्‍वीर और तकदीर पूरी तरह से उन्‍नत हो और हम यह सुनिश्चित करेंगे कि 2047 में यह देश विकसित राष्‍ट्र के रूप में स्‍थापित हो. आपने मुझे बोलने का मौका दिया उसके लिए बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

श्री यादवेन्‍द्र सिंह (टीकमगढ़) -- सभापति महोदय, पिछले 9 घंटे से इसके ऊपर चर्चा हो रही है, लेकिन सबसे दुर्भाग्‍य की बात यह है कि जो विधान सभा के सत्र छोटे होते चले जा रहे हैं उसके ऊपर कोई चर्चा नहीं हो रही है. विधान सभा के सत्र हमने देखे हैं 90-90 दिन, 60-60 दिन, 70-70 दिन के हुआ करते थे और इस संबंध में केवल हमारी चिंता नहीं है बल्कि वर्ष  2002 में राष्ट्रीय समीक्षा आयोग ने कहा था कि विधान सभाओं के सत्र कम से कम 70 से 90 दिन के होने चाहिए. इसके बाद वर्ष 2016 में अध्यक्षों और सचिवों की दिल्ली में एक कांफ्रेंस हुई थी उसमें यह तय हुआ था कि सत्र बढ़ाए जाने चाहिए. सत्रों को छोटा करने की प्रवृत्ति विधान सभाओं और विधान मंडलों में नहीं होना चाहिए. लेकिन हमारा दुर्भाग्य है कि पिछले 5-10 सालों में सत्र छोटे होते चले जा रहे हैं. भ्रष्टाचार के ऊपर नियंत्रण करने का जो सबसे अच्छा तरीका है वह नियंत्रण हम खत्म करते चले जा रहे हैं. नौकरशाही तानाशाह होती चली जा रही है. विधायकों को सम्मान देने की कोई बात नहीं हो रही है. सबसे पहले तो इसके ऊपर विचार करना चाहिए कि सत्र बड़े होने चाहिए.

          सभापति महोदय, हमारे दल ने हमें शिक्षा के ऊपर बोलने का दायित्व दिया था. चूंकि शिक्षा मंत्री जी हमसे पहले बोल चुके हैं अगर हमारे बाद में बोलते तो शायद ज्यादा बात कर पाते.

          सभापति महोदय -- यादवेन्द्र सिंह जी वैसे ही समय की कमी है आप तो सीधे..

          श्री यादवेन्द्र सिंह -- सभापति महोदय, सारे सदस्य इतनी देर से बोल रहे थे आप हमें एक मिनट नहीं बोलने दे रहे हैं. जब भी हम लोग खड़े होते हैं आप बीच में टोक देते हैं. पहले राजेन्द्र सिंह जी को आपने टोक दिया.

          सभापति महोदय -- आप उधर मुखातिब हो गए थे इसलिए कहा.

          श्री यादवेन्द्र सिंह -- हम यह कह रहे थे कि शिक्षा मंत्री जी पहले बोल चुके थे. हम अपनी बात रखना चाहते हैं, अगर वे बाद में बोलते तो हमारी बात का जवाब ज्यादा सलीके से दे पाते. मैंने उन पर कोई आरोप नहीं लगाया.

          सभापति महोदय, मेरा यह कहना है कि इस प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था का ढांचा पूरी तरह से चरमरा गया है. आप विश्वास नहीं करेंगे 5779 विद्यालय ऐसे हैं जिनमें 10 स्टूडेंट भी नहीं हैं. आप हमारी बात से सहमत होंगे. ऐसे भी विद्यालय हैं जिनमें एक भी टीचर नहीं है. ऐसे भी विद्यालय हैं जिनमें मात्र एक टीचर है जिनके द्वारा स्कूल की व्यवस्था चल रही है. मेरा कहना यह है कि अगर हम अपनी नींव ही कमजोर कर लेंगे तो इसके ऊपर खड़ी होने वाली इमारत कैसे मजबूत होगी. अगर शिक्षा का हमने सुदृढ़ीकरण नहीं किया तो कैसे काम चलेगा. 7 हजार से ज्यादा स्कूल ऐसे हैं जिनके पास भवन नहीं हैं और भवन हैं तो इतने जीर्ण-शीर्ण हैं कि वहां पर जाने में डर लगता है कि कहीं अंदर चले गए तो स्कूल भवन न गिर जाए और उसकी छत के नीचे बच्चे न आ जाएं. ऐसी घटनाएं हमारे प्रदेश में हो चुकी हैं. 322 स्कूल ऐसे हैं जिनके पास भवन नहीं हैं. 5600 स्कूलों के भवन जर्जर हैं. 4000 स्कूलों के पास बैठने की व्यवस्था नहीं है. मैं चार दिन पहले ही एक स्कूल में साइकिल बांटने के लिए गया था. वहां पर बारहवीं कक्षा तक के बच्चे पढ़ रहे हैं. वहां पर बैठने के लिए 350 बच्चों के बीच में केवल 80 कुर्सियां थीं. उन्होंने खुद हमें गिनवाईं कि आप यह देख लीजिए. अगर ग्यारहवीं और बारहवीं कक्षा के बच्चों को बैठने के लिए कुर्सियां नहीं हैं, उन्हें बैठने के लिए टाटपट्टी भी नहीं है तो ऐसे स्कूल तो आपको बंद कर देना चाहिए. ऐसे स्कूलों की कोई आवश्यकता नहीं होना चाहिए.

          माननीय सभापति महोदय, अतिथि शिक्षकों का जो पंजीयन है वो 3 लाख 35 हजार 780 है और कार्यरत हैं केवल 59 हजार 641. इनके ऊपर भी विचार नहीं कर रहे हैं. हर स्कूल में टीचर की व्यवस्था कर दें.

          स्कूल शिक्षा मंत्री (श्री उदय प्रताप सिंह) -- सभापति महोदय, मैंने अपने जवाब में विस्तार से बताया है कि इतने स्कूल भवन विहीन हैं, इस साल हम इतने करेंगे, तीन साल में हम जीरो कर देंगे. इतने जर्जर हैं, इस साल हम इतने करेंगे, तीन साल में पूरे कर देंगे. एक एक चीज बहुत डिटेल से बताई है. जहां अतिथि शिक्षकों की आपने बात की है मैं आपकी संख्या ठीक करना चाहता हूँ. 76 हजार अतिथि शिक्षक हमारे यहां काम कर रहे हैं. एक भी शाला ऐसी नहीं है जहां पर बच्चों के अनुपात में शिक्षक कम हों. शिक्षक ज्यादा हो सकते हैं लेकिन बच्चों की संख्या अधिक है शिक्षक कम हैं एक भी शाला मध्यप्रदेश में इस तरह की नहीं है.

 

8.40 बजे            {अध्‍यक्ष महोदय (श्री नरेन्‍द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए.}

          श्री यादवेन्‍द्र सिंह-- शिक्षा मंत्री जी 12 हजार शिक्षकों के पद खाली हैं. इस बात को तो आप मान रहे हैं कि नहीं मान रहे हैं और आपके दस हजार शिक्षक दूसरे कामों में लगे हैं. पढ़ाई के अलावा अन्‍य कार्य कर रहे हैं. आप उनको तो वापस कर दो. जो संलग्‍नीकरण जो किया है उनको तो वापस कर दो आपकी कुछ तो व्‍यवस्‍था सुधरेगी. इसमें तो कोई समस्‍या है नहीं. 6 लाख बच्‍चों ने स्‍कूल त्‍याग दिये. यह आपके आंकड़े हैं.

          श्री उदय प्रताप सिंह-- अध्‍यक्ष महोदय, सदन में मिथ्‍या जानकारी दी जा रही है. मुझे लगता है यह गलत है. भ्रमित करने का प्रयास है और प्रदेश में यह संदेश ठीक नहीं जाएगा इस वर्ष का एनरोलमेंट पिछले वर्ष के मुकाबले बढ़ा है. ड्रॉप आऊट जीरो हुआ है हायरसेकेण्‍ड्री लेवल पर संख्‍या बढ़ी है. ड्रॉप आऊट जीरो हुआ है. जब मैं इतनी जिम्‍मेदारी से सदन में इस बात को कह रहा हूं तो अनावश्‍यक उन चीजों की बार-बार गलत जानकारी प्रस्‍तुत करके विभाग की और सरकार की छवि खराब करने की कोशिश यह उचित नहीं है.

          श्री यादवेन्‍द्र सिंह-- अध्‍यक्ष महोदय, यह UDISE (unified District Information System for Education) यूडीआईएसई जो संस्‍था है उसका सर्वे है. आप उसको मना कर देंगे क्‍या?

          अध्‍यक्ष महोदय-- क्‍या करें उस पर.

          श्री यादवेन्‍द्र सिंह-- अध्‍यक्ष महोदय, अकेले धार जिले में 32 हजार बच्‍चे ड्रॉप आऊट हो गये हैं. झाबुआ में 24 हजार बच्‍चे ड्रॉप आऊट हो गये हैं.

          श्री विश्‍वास सारंग-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है जैसा माननीय मुख्‍यमंत्री और आपके प्रयास से एक सार्थक बहस हो रही है. मंत्री जी स्‍वयं खड़े होकर बोल रहे हैं कि यह गलत फिगर है. फिर हम रिपीट करें इससे सही मायने में पूरे प्रदेश का सीन खराब होता है. देश भर में हम इस तरह के असत्‍य आंकडे़ यहां प्रस्‍तुत करें यह ठीक नहीं है. मुझे लगता है कि जब मंत्री जी ने बोला तो इससे ज्‍यादा अथेंटिक क्‍या होगा.

          श्री यादवेन्‍द्र सिंह-- विश्‍वास जी आप बोल दीजिए अभी हम बोल देते हैं कि सब बढि़या चल रहा है. बहुत अच्‍छा चल रहा है. आप मानते नहीं है. फिर आपने यह अधिवेशन आपने बुलाया किसलिये है. आपको यह चर्चा करानी चाहिए कि आपका विजन क्‍या होना चाहिए. हम यह नहीं कहते कि आप बजट जैसे भाषण दे रहे हो कि बजट में जिस तरीके से भाषण देते हो उस तरीके से आपको जवाब देना है तो उसका तो कोई उपाय ही नहीं है, लेकिन जो हकीकत है उसको तो आपको स्‍वीकार करना ही पड़ेगा कि नहीं करना पड़ेगा.

          अध्‍यक्ष महोदय-- यादवेन्‍द्र सिंह जी थोड़ी देर के लिए मान लीजिए कि आप सही कर रहे हो तो आप यह बताओ कि क्‍या करना चाहिए.

          श्री यादवेन्‍द्र सिंह-- अध्‍यक्ष महोदय, जब हमारा भाषण पूरा हो जाएगा तब हम बताएंगे उपाय क्‍या है. हम पहले बता देंगे तो आप कहोगे अब आप बैठ जाओ.

          अध्‍यक्ष महोदय-- यादवेन्‍द्र सिंह जी उपाय पर ही चर्चा होना है, समस्‍या पर चर्चा नहीं होना है.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय-- अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि आंकडे़ आपको पास कहां से आये यह मुझे नहीं पता. मैं धार का प्रभारी मंत्री हूं. मैंने अभी-अभी पिछले दिनों बैठक लेकर पूछा था कि क्‍या स्थिति है. ड्रॉप आऊट इतना नहीं है. हां कुछ लोग मजदूरी के लिए बाहर चले जाते हैं तो वह तीन से चार हजार लोग बाहर गये हैं. 32 हजार का आंकड़ा तो है ही नहीं. पता नहीं आपके पास कहां से आंकड़ा आया.

          श्री यादवेन्‍द्र सिंह-- अध्‍यक्ष महोदय, यह आज का पेपर है. डिंडौरी कोर्ट ने आदेश दिये हैं. कहो तो पढ़ दें.

          अध्‍यक्ष महोदय-- पेपर आप मंत्री जी को दे देना.

          श्री यादवेन्‍द्र सिंह-- अध्‍यक्ष महोदय, कोर्ट का आदेश तो गलत नहीं हो सकता है.

          अध्‍यक्ष महोदय-- यादवेन्‍द्र सिंह जी आगे बढ़ें.

          मुख्‍यमंत्री (डॉ. मोहन यादव)--माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह बात सही है कि हमारी साथर्क बहस के लिए हम दोनों पक्ष के लोगों के लिए आपने आमंत्रण स्‍वीकार करके यह विशेष सत्र बनाया. मैं माननीय मंत्री जी के साथ माननीय नेता प्रतिपक्ष और उनके मित्रों से भी कहना चाहूंगा कि यह हमारे सदन में अगर हमको लगता है कि यह ड्रॉप आऊट है तो हम इसके बदले में दस स्‍कूल चाहते हैं, बीस स्‍कूल चाहते हैं. कोई आंकड़ा भी बताए. थोड़ा सा अभाव अध्‍ययन का भी हो रहा है कि हमारे द्वारा इतने कॉलेज चाहिए, इतने स्‍कूल चाहिए, अभी इतने हैं. आप बुरा मत मानना यादवेन्‍द्र सिंह जी आपको समाधान भी ले जाना पड़ेगा या फिर यह ओपन स्‍कूल खोलें, ओपन स्‍कूल के माध्‍यम से बच्‍चे जो काम धंध करना चाहते हैं वह कैसे पढ़ेंगे, उनको यह रस्‍ता हो सकता है. एक समआलोचना की दृष्टि से सकारात्‍मक भाव से थोड़ा सा अध्‍ययन करके बोले तो मुझे लगता है कि ज्‍यादा सार्थक चर्चा होगी.

श्री यादवेन्‍द्र सिंह-- अध्‍यक्ष महोदय, जो UDISE की तीन वर्षों की रिपोर्ट है

उसमें वर्ष 2021-22 में 1.61 लाख एनरोल थे, आप कह दीजिये ये भी गलत है. वर्ष 2023-24 में 1.53 लाख थे और इस वर्ष 1.51 लाख रह गए हैं, यदि इन्‍हीं आंकडों को देखा जाये तो भी लगभग 6 लाख का ड्रॉपआउट हो जाता है, यह यू-डाइस का सर्वे है.  

          अध्‍यक्ष महोदय-  अब आपने बड़ा कागज उठाया है.

          श्री यादवेन्‍द्र सिंह-  अध्‍यक्ष महोदय, अब उच्‍च शिक्ष का विषय है इसलिए कागज भी बड़ा है. प्रदेश में 19 स्‍टेट यूनिवर्सिटी हैं, 571 शासकीय कॉलेज हैं, निजी विश्‍वविद्यालय 55 हैं, निजी कॉलेज 868 हैं, बी.एड. कॉलेज 358 हैं, लॉ कॉलेज 97 हैं. प्रदेश में जो 19 विश्‍वविद्यालय हैं, उनके 12 कुलगुरूओं को आपने 2 वर्षों के अंदर हटा दिया, आपने ही उन्‍हें नियुक्‍त किया था, उनके खिलाफ कोई प्रशासनिक आरोप नहीं था.

          खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्‍ता संरक्षण मंत्री (श्री गोविंद सिंह राजपूत)-  अध्‍यक्ष महोदय, यादवेन्‍द्र सिंह जी जहां तक मुझे याद है, 25 कुछ महीने की उम्र में ही विधायक बनकर आ गए थे, बहुत सीनियर विधायक हैं, मंत्री भी रहे हैं. सकारात्‍मक शुरूआत यहां से हुई थी, यहां तक मैं आपको बताऊं कि जब कैलाश जी विपक्ष के सारे मुख्‍यमंत्रियों की तारीफ कर रहे थे, जब पूर्व मुख्‍यमंत्री दिग्विजय सिंह जी के कार्यकाल की बात आई तो सबने दिल थाम लिया था कि अब सड़कों की बात होगी, बिजली की बात होगी लेकिन उन्‍होंने दिग्विजय सिंह जी की तारीफ की, उनके अच्‍छे कामों की तारीफ की, इसलिए मेरा आपसे निवेदन है कि कम से कम सरकार के अच्‍छे काम की कुछ तो तारीफ कर दीजिये.

(मेजों की थपथपाहट)

          अध्‍यक्ष महोदय-  गोविंद जी की बात तो आप मान ही जायेंगे, आप दोनों बुंदेलखण्‍ड के हैं.

          श्री यादवेन्‍द्र सिंह-  हम तो सभी की बात मान लेते हैं लेकिन आईना दिखाना तो हमारा काम है. 12 कुलगुरू आपने केवल इसलिए हटा दिये क्‍योंकि विद्यार्थी परिषद के लड़कों ने उनके खिलाफ आंदोलन किया था, उनके ऊपर कोई प्रशासनिक आरोप होता, भ्रष्‍टाचार का आरोप होता तो आप हटा देते लेकिन 12 कुलगुरू हटा दिये गए, उनका चयन आपने कैसे किया था, ये सोचने की बात है. आप कुलगुरू नियुक्‍त करते हैं तो कम से कम एक नियम रखें कि वे कितने समय तक काम करेंगे. कुछ न कुछ पॉलिसी आपको रखनी चाहिए, आप तस्‍वीर देख लें.

          अध्‍यक्ष महोदय, प्राचार्य के पद स्‍नातकोत्‍तर कुल 98 पद स्‍वीकृत हैं, केवल 5 पद भरे हैं 93 खाली हैं. यह स्थिति है, ऐसे आप बच्‍चों का भविष्‍य बनायेंगे. प्राचार्य स्‍नातक 489 पद, 10 भरे हैं शेष 479 रिक्‍त हैं, सहायक प्राध्‍यापक 12895 पद, 5611 कार्यरत 7284 खाली पद. प्रोफेसर 848 पद स्‍वीकृत, 206 कार्यरत 642 खाली हैं. इतनी भयावह कॉलेजों की तस्‍वीर है, जब आप कॉलेज में ठीक से पढ़ाई नहीं करवायेंगे तो आप क्‍या समझ रहे हैं क्‍या ये बच्‍चे प्रदेश का भविष्‍य बनेंगे ?

          अध्‍यक्ष महोदय, 5 शासकीय विश्‍वविद्यालयों में एक भी असिस्‍टेंट प्रोफेसर नहीं है, अब आपके विश्‍वविद्यालय बिना प्रोफेसर के चल रहे हैं, इससे ज्‍यादा दुर्भाग्‍य क्‍या हो सकता है, इसके ऊपर आपको ध्‍यान देने की आवश्‍यकता है, कुछ करने की आवश्‍यकता है.

          अध्‍यक्ष महोदय, यही हाल तकनीकी शिक्षा का है. तकनीकी शिक्षा में एक विश्‍वविद्यालय माननीय अटल बिहारी वाजपेयी जी के नाम पर है, अब उनके नाम का विश्‍वविद्यालय है तो कम से कम उसे तो सम्‍मान की दृष्टि से देखें, वहां 1800 छात्रों की सीट है लेकिन इस वर्ष केवल 200 से कुछ ज्‍यादा का एडमिशन हुआ है.

उनकी हालत इतनी खराब है. वहां की व्‍यवस्‍था इसलिए कि वहां पर प्रोफेसर्स नहीं हैं, लेक्‍चरर नहीं हैं, पढ़ाई की समुचित व्‍यवस्‍था नहीं है. बहुत शौक से आपने यह अटल बिहारी वाजपेयी विश्‍वविद्यालय का निर्माण किया था, उसकी बड़ी चर्चा हुई थी. लेकिन ठीक है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, प्रदेश में एकमात्र सबसे बड़ा तकनीकी विश्‍वविद्यालय आरजीपीवी है, जिसके अंतर्गत लगभग 400 से ज्‍यादा .....

          मुख्‍यमंत्री (डॉ. मोहन यादव) - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्‍य को कहना चाहूँगा कि अटल बिहारी वाजपेयी विश्‍वविद्यालय की कैटेगिरी किस प्रकार की है ? थोड़ा बता दें. मैं आपको केवल वह जो संख्‍या बता रहे हैं, मैं उस पर से कहना चाह रहा हूँ. (श्री यादवेन्‍द सिंह जी के कुछ कहने पर) जरा मेरी बात तो सुन लो. आप 200 बता रहे हो, वह 200 भी नहीं होनी चाहिए. वह ओपन यूनिवर्सिटी है, लोग घर से बैठकर पढ़ेंगे, आप कहां से लाओगे 10,000 लोग ? आपको कहां से बताएं ? वह ओपन यूनिवर्सिटी है.  ओपन और सामान्‍य यूनिवर्सिटी में आप अन्‍तर तो समझ लें. अटल बिहारी वाजपेयी जी के नाम पर हिन्‍दी विश्‍वविद्यालय ओपन यूनिवर्सिटी के रूप में है, इसलिए मैं थोड़ा बोलना चाह रहा हूँ. आप अध्‍ययन करके तो बोलें कि आप बोल क्‍या रहे हैं ? आपको थोड़ा ध्‍यान आ जायेगा.

          श्री यादवेन्‍द्र सिंह - माननीय मुख्‍यमंत्री जी, विश्‍वविद्यालय है न. ओपन है या कौन सा है ? इससे कोई लेना-देना नहीं है. प्रोफेसर हैं नहीं, कुलपति हैं नहीं, हम उसकी सैलरी दे रहे हैं न. आपका बहुत अच्‍छा तर्क है.  

          डॉ. मोहन यादव - आप तो ओपन बोल दो.

          अध्‍यक्ष महोदय - आप तर्क में मत जाओ.

          श्री यादवेन्‍द्र सिंह - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, स्‍कूलों में कम्‍प्‍यूटर की शिक्षा दी जानी है, एआई वाली शिक्षा दी जानी है. अब इनके स्‍कूलों में लाईट नहीं है. स्‍कूलों में पानी भरा हुआ है, अब कहां से विद्यार्थी दूसरे प्रदेशों से कॉम्‍पीटिशन में भाग लेंगे ? कहां से पढ़ाई होगी ? अब एआई पढ़ाने की व्‍यवस्‍था हो रही है, इसके ऊपर तो कम से कम ध्‍यान दें, शिक्षा मंत्री जी. इसमें तो कोई दिक्‍कत नहीं है.

          अध्‍यक्ष महोदय - यादवेन्‍द्र सिंह जी, समय पूरा हो रहा है.

          श्री उमाकांत शर्मा - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय यादवेन्‍द्र सिंह जी के फुल स्‍टॉप, अल्‍प विराम एवं दीर्घ विराम भी बहुत देर से हो रहे हैं, इसलिए उसमें भी समय जाया हो रहा है.

          स्‍कूल शिक्षा मंत्री (श्री उदय प्रताप सिंह) - माननीय अध्‍यक्ष जी, मैं क्षमा सहित आग्रह कर रहा था कि माननीय सदस्‍य को आप बोल दें कि आप हमें समय दे दें. मैं उनके साथ चला जाऊँगा, कुछ मॉडल स्‍कूल्‍स है हमारे सांदीपनि, एक्‍सीलेंस और निचले स्‍तर पर जो पिछले दो वर्षों में व्‍यवस्‍थाओं में हमने सुधार किया है, कुछ बेहतर किया है. एक बार दिखा देंगे, उसके बाद अगर जो भी उनके सकारात्‍मक सुझाव होंगे, करेंगे. मैं बिल्‍कुल आग्रह कर रहा हूँ कि आप व्‍यवस्‍था दे दें.

          श्री यादवेन्‍द्र सिंह - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, पूरी सरकार इतनी विचलित हो गई है कि आप लोग इस बात के ऊपर डिसकस कर रहे हैं कि क्‍या करना है ? हम कह रहे हैं कि आपके सांदीपनि अच्‍छे हैं. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि और स्‍कूलों को छोड़ दें.

          संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, डिसकस इस बात पर हो रहा है कि अभी तक जितने भी भाषण हुए हैं. सबसे धीमी गति के अगर भाषण हुए हैं, तो आपके हुए हैं. इस पर अभी डिसकस हो रहा है, यह एकदम धीमी गति के समाचार हैं.

          श्री हरिशंकर खटीक - अध्‍यक्ष महोदय, धीमी गति का बुलेटिन हो रहा है, आप थोड़ा हम लोगों को भी मौका दें.

          अध्‍यक्ष महोदय - यादवेन्‍द्र सिंह जी, आप पूरा करें.

          श्री यादवेन्‍द्र सिंह - बाला बच्‍चन जी, थोड़ा तेज बोल रहे थे तो उनसे बोल रहे थे कि थोड़ा धीरे बोलो.

          खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्‍ता संरक्षण मंत्री (श्री गोविन्‍द सिंह राजपूत) - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यादवेन्‍द्र सिंह जी, बाहर अध्‍यक्ष जी ने बढि़या भोजन रखा है, संगीत रखा है, उसमें ध्‍यान दो. बाहर कितना जगमग हो रहा है ?

          अध्‍यक्ष महोदय - यादवेन्‍द्र सिंह जी, आप कृपया पूर्ण करें.   

          श्री यादवेन्‍द्र सिंह - इसकी तैयारी करके आते हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय - हरिशंकर जी, आपको दो मिनट मिलेंगे. अभी माननीय मुख्‍यमंत्री जी, देवड़ा जी और माननीय नेता प्रतिपक्ष जी को बोलना है.   

          श्री हरिशंकर खटीक (जतारा) - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आज जो विशेष सत्र का आयोजन किया गया है. उसके लिए हम माननीय अध्‍यक्ष महोदय आपका, माननीय मुख्‍यमंत्री जी, संसदीय कार्य मंत्री जी का और हमारे नेता प्रतिपक्ष जी का बहुत-बहुत धन्‍यवाद व्‍यक्‍त करते हैं. इसमें 2 वर्ष की हमारे सरकार की माननीय मुख्‍यमंत्री जी की जो योजना है, उन योजनाओं के माध्‍यम से, जो मध्‍यप्रदेश का विकास हुआ है, उस विकास से संबंधित चर्चा सदन में की गई और हम भी करना चाहते हैं कि लगातार दो वर्षों में हमारी सरकार के द्वारा प्रयास किया गया, चाहे वह अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं ओबीसी की बात हो.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इसमें शिक्षा के क्षेत्र अगर हम बात करें तो वास्‍तव में गुणात्‍मक सुधार हुआ है. सम्‍माननीय हमारे बड़े भाई जो टीकमगढ़ क्षेत्र के विधायक यादवेन्‍द्र सिंह जी हैं, वे आरोप लगा रहे थे.

          अध्‍यक्ष महोदय - आप बड़े भाई पर मत जाओ.

            श्री हरिशंकर खटीक -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, तो यह प्रयास हमारी सरकार के द्वारा किया रहा है. इसके साथ-साथ हम यह बताना चाहते हैं कि अगर अनुसूचित जाति के बच्‍चों की बात करें तो दो वर्षों में स्‍कूल शिक्षा विभाग ने कक्षा-1 से कक्षा-12वीं तक के 31 लाख 27 हजार बच्‍चों को 3 अरब 5 करोड़ 46 लाख रुपये की छात्रवृत्‍ति प्रदान की है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अनुसूचित जाति वर्ग के कल्‍याण के लिए काम किया गया है. उन बच्‍चों के लिए काम किया गया है जो बच्‍चे स्‍कूल छोड़ देते थे. इसके साथ-साथ जो हमारे शासकीय महाविद्यालय पूरे मध्‍यप्रदेश में हैं, उनमें अध्‍ययनरत 5 लाख 6 हजार बच्‍चों को 12 अरब 50 लाख रुपये की छात्रवृत्‍ति इन दो वर्षों के अंदर दी गई है. कॉलेज के प्रतिभाशाली बच्‍चे गांव से पढ़कर के और निकल कर के आगे तरक्‍की करे, इसके लिए सरकार के द्वारा प्रयास किया गया है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अभी जो ड्रॉप आऊट की बात हो रही थी, इसके लिए हम बताना चाहते हैं कि मध्‍यप्रदेश में 1,913 छात्रावास संचालित हैं और दो वर्षों में 1,66,619 विद्यार्थियों को नि:शुल्‍क आवासीय सुविधा के साथ नि:शुल्‍क भोजन की सुविधा छात्रावासों के माध्‍यम से प्रदान की गई है. इसमें इन दो वर्षों के अंतर्गत 33 छात्रावासों का निर्माण हुआ है और आगामी 3 वर्षों में प्रत्‍येक छात्रावास का स्‍वयं का भवन होगा, ऐसी हमारी सरकार की मंशा है और सरकार दृढ-संकल्‍पित है. हमारा अनुसूचित जाति कल्‍याण विभाग दृढ़-संकल्‍पित है.

          अध्‍यक्ष महोदय, हमें इस बात की भी खुशी है कि छात्रवृत्‍ति की दरें मूल सूचकांक के अनुसार बालिकाओं को अब 1,700 रुपये प्रति माह और बालकों को 1,650 रुपये प्रति माह दिए जा रहे हैं. ये हमारी सरकार का प्रयास है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आवास सहायता के बारे में अगर बात करें तो जो कॉलेज के बच्‍चों को आवास सहायता योजना के मकान किराए पर देने का सरकार ने दृढ़ संकल्‍प  किया था तो वर्ष 2023-24 में 1,45,569 बच्‍चों को हमने, जो प्राइवेट मकान में रहकर बच्‍चे पढ़ते थे, उनके लिए 1 अरब 13 करोड़ 77 लाख रुपये की राशि देने का प्रावधान किया था.

          अध्‍यक्ष महोदय -- हरिशंकर जी, कृपया पूर्ण करें.

          श्री हरिशंकर खटीक -- अध्‍यक्ष महोदय, बहुत तैयारी थी.

          अध्‍यक्ष महोदय -- पटल पर रख दो, पूरा का पूरा आपका भाषण रिकॉर्ड में आ जाएगा.

          श्री हरिशंकर खटीक -- अध्‍यक्ष महोदय, हमारे पास जो अनुसूचित जाति कल्‍याण विभाग का और पिछड़ा वर्ग कल्‍याण विभाग का डेटा है, काफी अच्‍छी योजनाएं हमारे माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने और विभागीय मंत्री सम्‍माननीय कृष्‍णा गौर जी ने बनाई है. उनको भी हम धन्‍यवाद देते हैं कि पिछड़े वर्ग के लिए उन्‍होंने बहुत अच्‍छी योजनाएं बनाई हैं. हम सारी योजनाओं का डेटा पटल पर रखते हैं. जो हमें बोलना था, वह हम पटल पर रख रहे हैं. धन्‍यवाद.

          अध्‍यक्ष महोदय -- श्री ओमप्रकाश धुर्वे जी, दो मिनिट में पूरा करना.   

          श्री ओमप्रकाश धुर्वे (शहपुरा) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आप मुझे समय दे रहे हैं, इसके लिए मैं आपको, माननीय मुख्‍यमंत्री जी को धन्‍यवाद कहना चाहता हूँ.

          अध्‍यक्ष महोदय, इस देश में और प्रदेश में जो जनजातीय समाज है, इनकी बहुत ही गौरवपूर्ण विरासत और संस्‍कृति का इतिहास रहा है. आप सबको मालूम है कि रामचरित मानस में भगवान राम की सेना में भी पचासों बार उल्‍लेख हुआ है, भील, भिलाल, कोल, किरात और वनवासी, इन सबका उल्‍लेख है.

          अध्‍यक्ष महोदय, इतना ही नहीं, हमारे देश की आजादी में भी इस समाज का बहुत बड़ा योगदान रहा है. लेकिन उसका उल्‍लेख ही नहीं है. माओवादी विचारधारा के, अंग्रेजी विचारधारा के उस समय में आजादी के बाद जो सरकार यहां पर लगभग 50-55 साल रही, उन्‍होंने जो राज किया, इन सबकी विचारधारा के कारण उनका उल्‍लेख ही नहीं हुआ. लेकिन अब भारतीय जनता पार्टी की जो सरकार है, हम लोग और हमारी सरकार ढूंढ-ढूंढ करके और हमारे वर्तमान मुख्‍यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी उसको संजोने का काम कर रहे हैं.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मध्‍यप्रदेश, छत्‍तीसगढ़, महाराष्‍ट्र और आन्‍ध्रप्रदेश तक जनजातीय समाज का साम्राज्‍य रहा है. बहुत ही वैभवशाली हमारा इतिहास और हमारी संस्‍कृति रही है. लेकिन धीरे-धीरे हमारे देश में मुगल आए, उन्‍होंने हमारी संस्‍कृति और इतिहास को नष्‍ट करने का काम किया. इसके बाद अंग्रेजों ने हमारी संस्‍कृति, विरासत और साम्राज्‍य को नष्‍ट करने का काम किया. और आजादी के बाद जो उस तरफ बैठे हुए हैं, 50-55 साल के राज में इन्‍होंने भी नष्‍ट करने का काम किया. अध्‍यक्ष महोदय, बरैया जी बोल रहे थे.

          अध्‍यक्ष महोदय -- ओमप्रकाश जी, मेरा कहना सिर्फ इतना ही है कि सदन की जो नजाकत है, उसको ध्‍यान में रखते हुए आप अपनी बात रखें.

          श्री ओमप्रकाश धु्र्वे - जी. अभी बोल रहे थे भाई साहब.स्वामी विवेकानंद जी की कही बातों का इंजीनियर बरैया साहब उदाहरण दे रहे थे कि अगर इनको समाज में स्थान नहीं मिला तो एक समय आयेगा कि लोगों की लाश पर ये लोग नाचेंगे और वही हुआ भाई साहब इसी कारण से. नक्सलवाद आया. धर्मांतरण हुआ. शिक्षा,स्वास्थ्य के नाम पर और जिसके कारण से आप सबको मालुम है कि यह स्थिति निर्मित हुई  कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार आने के बाद और डॉ.मोहन यादव जी के आने के बाद आज नक्सलवाद धीरे-धीरे समाप्ति की ओर है. अलगाववाद समाप्ति की ओर है और इस देश के पूर्ववर्जी जो 7-8 राज्य हैं. प्रहलाद जी वहां के प्रभारी रहे हैं. इस देश के अंदर सबसे ज्यादा अलगाववाद नार्थ ईस्ट में,सबसे ज्यादा राष्ट्रपति शासन नार्थ ईस्ट में, नार्थ ईस्ट की 80 प्रतिशत आबादी आदिवासियों की है जनजातियों की है. वहां धर्मांतरण हुआ. अलगाववाद हुआ. राष्ट्रपति शासन लगा. वह खण्डित होने का काम किया गया भाई साहब. क्यों हुआ इस देश में अधिकांश समय में किन-किन ने राज किया और आज अलगाववाद भी समाप्त हुआ है. नक्सलवाद भी समाप्त हुआ है.राष्ट्रपति शासन अब धीरे-धीरे नहीं लग रहे हैं इस देश के अंदर और इसका कारण है अध्यक्ष जी, मैं बताना चाहता हूं हम लोग दीनदयाल जी के एकात्म मानववाद को मानने वाले लोग हैं. भारतीय जनता पार्टी सरकार है. जहां-जहां है और हम लोग धीरे-धीरे ढूंढ ढूंढकर और जहां हमारे जो नायक हुए हैं उनको हम याद करने का,उनको संवारने का काम किया है. हमारे देश के जो रानी दुर्गावती,शंकरशाह,रघुनाथ शाह,टंट्या भील,भीमा नायक,खंज्या नायक हो. रघुनाथ शाह मण्डलोई हो.भगवान बिरसा मुण्डा हो. हमने 11 फरवरी को झाबुआ मैं माननीय प्रधानमंत्री जी मुख्य अतिथि थे. राज्य स्तरीय जनजातीय सम्मेलन रखने का काम किया गया. नरई नाला जबलपुर में मुख्य अतिथि के रूप में माननीय मुख्यमंत्री जी भी शामिल हुए थे. रानी दुर्गावती बलिदान दिवस एक भव्य समारोह का आयोजन किया गया. 18 सितम्बर,2024 को जबलपुर में राजा शंकर शाह,कुंवर रघुनाथ शाह,शहीद स्मारक बलिदान दिवस का आयोजन हुआ. 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस शहडोल,धार,राज्यपाल महोदय माननीय मुख्यमंत्री जी की उपस्थिति में 150 वीं जयंती के अवसर पर एक गौरव दिवस का कार्यक्रम होता है. ऐसे अनेक कार्यक्रम हुए. कभी उधर के लोगों ने कभी करने का प्रयास नहीं किया. इनको कभी महत्व देने का प्रयास नहीं किया. अभी हमारे जो बरैया जी उल्लेख कर रहे थे डॉ.भीमराव अम्बेडकर साहब जी का, अभी वे नहीं हैं लेकिन और लोग भी तो हैं कुछ ताली बजाने वाले उनके समर्थन में थे इसलिये मैं उसका उल्लेख करना चाहता हूं.

          अध्यक्ष महोदय -  धुर्वे जी अब कृपया समाप्त करें.

          डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह - माननीय अध्यक्ष जी, रीवा मेडिकल कालेज का नाम शंकरशाह जी के नाम से ही है.

          अध्यक्ष महोदय - ओमप्रकाश जी कृपया समाप्त करें.

          श्री ओमप्रकाश धुर्वे - लोगबाग जीते जी खुद को भारत रत्न से सम्मानित करवाया भाई साहब लेकिन हमारे देश के संविधान निर्माता और इस दलित,पिछड़े,कुचले लोगों को जो संरक्षित करने का काम किया उनका कहीं न लोक सभा के अंदर,न राज्य सभा में उनका एक तैल चित्र भी नहीं लगाया गया था.वह तो धन्य है अटल बिहारी जी की सरकार में उनको भारत रत्न देने का काम किया और मध्यप्रदेश की धरती में उनकी जो जन्मस्थली है वहां भव्य स्मारक के रूप में बनाने का हमारी पटवा सरकार के समय में काम हुआ.कांग्रेस के लोगों ने उसका कभी भी सम्मान नहीं किया.हमेशा उनको अपमानित करने का काम किया.

          श्री सोहनलाल बाल्मीक - माननीय अध्यक्ष जी, गलत बात का उल्लेख कर रहे हैं. इस तरीके की भाषा बोलना है तो फिर बात नहीं बन पाएगी. यह गलत चीज है.अम्बेडकर जी का अपमान कौन कर रहा है यह दुनिया जानती है.

          अध्यक्ष महोदय - ओमप्रकाश जी अपनी बात पूरी करें.

            (..व्यवधान..)

          अध्यक्ष महोदय - कृपया सभी बैठें. ओमप्रकाश जी  समाप्त करें.

          श्री ओमप्रकाश धुर्वे - बस दो मिनट में समाप्त करता हूं.

          अध्यक्ष महोदय - नहीं एक मिनट में समाप्त करें.

                                                                                                                       


 

          श्री ओम प्रकाश धुर्वे-- जनजातीय वर्ग का विकास हो इसलिये अटल‍ बिहारी सरकार में अलग मंत्रालय बनाया गया. पहले मध्‍यप्रदेश में भी आदिवासी और जातीय एक ही मंत्रालय था. मैं तो धन्‍यवाद देना चाहता  हूं डॉ. मोहन यादव जी को कि जाति का भी विकास हो और  आदिम  का भी विकास हो, इसलिये आज दो-दो मंत्री हैं, एक विजय शाह जी हैं और एक नागर सिंह जी हैं, यह दृष्टिकोण हमारा है. इस देश के अंदर आदिवासी तो हैं, लेकिन आदिवासी में कई जातियां हैं. इसमें सबसे जो पिछड़ी जनजाति हैं बैगा है, भारिया है, सहरिया है किसी का ध्‍यान गया, लेकिन मैं धन्‍यवाद देना चाहता हूं, मैं प्रणाम करना चाहता हूं हमारे देश के यशस्‍वी प्रधानमंत्री जी को कि ढूंढ-ढूंढकर उसके लिये जन मन योजना लाई गई और 23 हजार करोड़ रूपया और उसमें से 7 हजार करोड़ रूपया डॉ. मोहन यादव जी ढूंढ-ढूंढकर हमारे जितने भी जनजाति समाज हैं, जिसमें से अति पिछड़े जो जनजाति समाज हैं उनके आवास बनाने का काम कर रहे हैं. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, कई पीढि़यां गुजर गई आदिवासियों की, लेकिन खेतीहर मजदूरी के भरोसे पक्‍का मकान नहीं बना सकते थे, लेकिन आज उनके पक्‍के मकान तैयार हुये हैं, यह आदिवासियों के लिये जन मन योजना के तहत किया गया है. रोड़ का काम हुआ है, शिक्षा और स्‍वास्‍थ के क्षेत्र में काम हुआ है. इसी प्रकार से आदिवासियों के लिये 80 हजार करोड़ कम राशि नहीं है और डॉ. मोहन यादव जी की कृपा से आज 20 हजार करोड़ रूपया खर्च करके धरती आवास योजना से आज हम जहां जिस गांव की 50 जनसंख्‍या है वहां के विकास, वहां रोड़ कैसे पहुंचे, वहां शिक्षा कैसे पहुंचे, वहां स्‍वास्‍थ कैसे पहुंचे इस क्षेत्र में ये काम हो रहा है और शायद इसीलिये मैं यह बताना चाह रहा हूं.

          अध्‍यक्ष महोदय--  धुर्वे जी, अब कृपया समाप्‍त करें. आपकी तैयारी अच्‍छी है, उसको पटल पर रख दें, सब आ जायेगा.

          श्री ओमप्रकाश धुर्वे--  अध्‍यक्ष जी, आखिरी शब्‍द बोल रहा था. वह तो धन्‍य है अटल बिहारी वाजपेयी जी के समय अलग मंत्रालय हुआ. इस देश में आजादी के 70-80 साल में 50-55 साल तक लोगों ने राज किया. आदिवासियों को रोड से वंचित रखा. 55 साल तक आदिवासी पेज पीते थे, स्‍कूल नहीं थे. मैं बताना चाहता हूं अध्‍यक्ष महोदय मैं भी अपने गांव से 15 किलोमीटर पैदल जाता था प्राथमिक शाला पढ़ने के लिये और आज मेरे गांव में हाई स्‍कूल है और कॉलेज है, यह अंतर आया है. झाड़ के नीचे, किसी दूसरे के घर में पढ़ाई होती थी, पेज पीते थे, कनकी खाते थे, लाल गेंहू खाते थे.   

          डॉ. राजेन्‍द्र कुमार सिंह--  माननीय अध्‍यक्ष जी, मुझे आपत्ति इस बात की है कि यह बार-बार हम लोगों की ओर ही देख रहे हैं, आपकी तरफ देख ही नहीं रहे हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय--  धुर्वे जी, हमारी तरफ देखकर समाप्‍त कर दें.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय-- अध्‍यक्ष महोदय, आज भी खूबसूरती कायम है. खंडहर बता रहे हैं कि इमारत कभी बुलंद थी, इसलिये आपकी तरफ देख रहे हैं.

          श्री ओम प्रकाश धुर्वे-- माननीय अध्‍यक्ष जी आज ...

          अध्‍यक्ष महोदय--  ओम प्रकाश जी, प्‍लीज खत्‍म करें, बाकी पूरा पटल पर रख दो.

          श्री ओमप्रकाश धुर्वे--  जी धन्‍यवाद अध्‍यक्ष महोदय, पटल पर रखता हूं.

 

9.09 बजे                             अध्‍यक्षीय घोषणा

माननीय सदस्‍यों के लिये ई विधान प्रशिक्षण, विधान सभा परिसर में सांस्‍कृतिक कार्यक्रम व रात्रि भोज विषयक.

 

          अध्‍यक्ष महोदय-- वित्‍तमंत्री जी बोलें उससे पहले मुझे दो सूचनायें आप लोगों को देना है. यद्यपि पृथक से भी सूचना मिलेगी.

          मंगलवार, दिनांक 23 दिसम्‍बर, 2025 को पूर्वाह्न 11.00 बजे से अपराह्न 1.00 बजे तक विधान सभा भवन स्थित मानसरोवर सभागार में माननीय सदस्‍यों के लिये ई विधान परियोजना के अंतर्गत प्रशिक्षण का कार्यक्रम आयोजित किया गया है जिसको भारत सरकार के संसदीय कार्य मंत्रालय के विशेषज्ञों द्वारा टेबलेट परिचालन का प्रशिक्षण दिया जायेगा. माननीय सदस्‍यों से अनुरोध है कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में सम्मिलित होकर प्रशिक्षण का लाभ प्राप्‍त करें.

          आज अभी सदन की कार्यवाही पूर्ण होगी तो सभी लोगों से आग्रह है कि विधान सभा परिसर में ही रात्रि भोज का आयोजन है. सांस्‍कृतिक कार्यक्रम भी वहां है. इस कार्यक्रम में रात्रि भोज में माननीय मंत्रीगण, सदस्‍यगण, पत्रकारगण, विधान सभा सचिवालय के अधिकारी, कर्मचारी, शासन के वरिष्‍ठ अधिकारी सभी आमंत्रित हैं. कृपया ध्‍यान रखकर पहुंचें.

                                       (मेजों की थपथपाहट)

           उप मुख्‍यमंत्री, वित्‍त(श्री जगदीश देवड़ा) --  अध्‍यक्ष महोदय, आपने विशेष सत्र बुलाकर सदन के लगभग सभी सदस्‍यों को बोलने का और भावना व्‍यक्‍त करने का एक अवसर दिया है, इसके लिये आपका हृदय से बहुत-बहुत धन्‍यवाद और आभार व्‍यक्‍त करता हूं. मध्‍यप्रदेश के यशस्‍वी मुख्‍यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी के दो वर्ष का कार्यकाल पूरा हुआ है. हमारे ऊर्जावान, कर्मठ मुख्‍यमंत्री जी के अल्‍प कार्यकाल में विकास और जन कल्‍याणकारी योजनाओं के इतने काम हुए हैं कि उसकी जितनी सराहना की जाये उतनी कम है. अध्‍यक्ष महोदय,

          हमारे गले में जीत की माला जो पड़ी है,

        हमारे गले में जीत की माला जो पड़ी है,

        मेहनत के मोतियों से बनाई यह लड़ी है,       

        सपनों का वजन वही उठा पाते हैं,

        जिनकी रीढ़ हौसलों के दम पर खड़ी है.(मेजों की थपथपाहट)

          अध्‍यक्ष महोदय, आज हमारे मंत्री साथियों ने भी और विधायक साथियों ने भी बहुत विस्‍तार से दो वर्ष के कार्यकाल का लेखा-जोखा यहां पर रखा है और लोकतंत्र की यह स्‍वच्‍छ पंरपरा है कि सरकार बनती है, तो वह सबके सामने बताये. सरकार जनता के सामने यह चीज बताये कि क्‍या काम किये हैं और क्‍या-क्‍या काम करना चाहते हैं? दोनों बातें हमारे सभी वरिष्‍ठ म‍ंत्रियों ने भी और हमारे सभी साथियों ने बहुत विस्‍तार से बताई है.

          अध्‍यक्ष महोदय, मैं माननीय मुख्‍यमंत्री जी का बहुत धन्‍यवाद करता हूं कि बजट का आकार 4 लाख करोड़ रूपये का है और सभी विभागों के लिये पर्याप्‍त बजट उपलब्‍ध करवाया गया है. लगभग सभी विभागों की बातें बहुत विस्‍तार से सदन में रखी गई हैं, कितनी सड़कें बनीं, कितने विद्यालय बनें, कितने तालाब और स्‍टाप डेम बने, कितनी योजनाएं बनीं, गरीब कल्‍याण की कितनी योजनाएं बनी हैं? सारी बातें आईं हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय, यह सदन इसीलिए बुलाया गया है कि एक रोड मेप बनाया गया है कि आने वाले तीन वर्षों में हम ओर क्‍या करने वाले हैं ? हमारे देश के यशस्‍वी प्रधानमंत्री जो केवल देश के प्रधानमंत्री तो हैं ही बल्कि विश्‍व के सबसे दमदार प्रधानमंत्री हैं, सबसे लोकप्रिय प्रधानमंत्री हैं, उन्‍होंने वर्ष 2047 का संकल्‍प लिया है. अध्‍यक्ष महोदय, लक्ष्‍य तय करना पड़ता है. सरकार ने वर्ष 2047 का लक्ष्‍य तय किया है और आने वाले 25 साल का रोड मेप बनाया है. अध्‍यक्ष महोदय, लक्ष्‍य तय किया है, तो उसको पूरा करने के लिये मैं विवेकानंद की दो पंक्तियां बोलना चाहता हूं कि     खड़ा हिमालय बता रहा है, डरो न आंधी पानी में,

        बढ़ो निरंतर अपने पथ पर, तुम कठिनाई तूफानों में,

          अध्‍यक्ष महोदय, अगर लक्ष्‍य तय किया है देश के प्रधानमंत्री जी ने तो वह लक्ष्‍य अवश्‍य ही पूरा करेंगे और आने वाले 25 साल में हमारा भारत कैसा होगा और उसमें मध्‍यप्रदेश की क्‍या भूमिका रहेगी? यह यशस्‍वी मुख्‍यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी ने भी तय किया और सरकार ने यह भी तय किया है कि हमारा मध्‍यप्रदेश भी कैसा होगा, तो निश्चित रूप से अभी यही बहस हो रही थी कि क्‍या कमी रह गई है?यह तो स्‍वीकार किया है और जब हमारे संसदीय कार्यमंत्री श्री कैलाश विजयवर्गीय जी ने उस समय बोला था तो मैं निश्चित रूप से धन्‍यवाद दूंगा कि उन्‍होंने जिस बात के लिए सदन बुलाया गया था, उसी बात का जिक्र किया जो काम अच्‍छे हुए, उन्‍होंने गिनाएं, सारे मुख्‍यमंत्री काल की बातें उन्‍होंने बताई, स्‍वीकार करने में कोई दिक्‍कत नहीं, जो काम अच्‍छे हुए हैं, उसको स्‍वीकार करों अगर 22 साल में काम हुए हैं तो ये स्‍वीकार करना चाहिए, ये स्‍वच्‍छ परम्‍परा है. देश के प्रधानमंत्री जी ने संकल्‍प लिया था कि धारा 370 समाप्‍त करेंगे तो समाप्‍त की, राम मंदिर बनाने का संकल्‍प लिया था पूरा किया, तीन तलाक कानून समाप्‍त करने का कहा था, किया.

          श्री सोहन लाल बाल्‍मीक अध्‍यक्ष जी, राम मंदिर प्रधानमंत्री जी ने नहीं किया, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के हिसाब से हुआ है और इस देश की हर जनता का उसमें पैसा लगा है, पूरे देश का पैसा लगा है.

          अध्‍यक्ष महोदय बाल्‍मीक जी टोकाटाकी मत करो.

          श्री जगदीश देवड़ा बाल्‍मीक जी, मैं इस पर नहीं जा रहा हूं, लेकिन मैं सदन में यह कहना चाहता हूं‍ कि हमारे यशस्‍वी मुख्‍यमंत्री और प्रधानमंत्री जी के मार्गदशन में डबल इंजन की सरकार चल रही है. अभी विकास का जो लेखा जोखा यहां पर बताया है, वह तारीफें काबिल है. चाहे वह पंचायत विभाग की बात हो, चाहे पीडब्‍ल्‍यूडी की बात हो. सारे विभाग को दो साल में पर्याप्‍त बजट मिला और जमीन पर कार्य भी हुए. मैं कहना चाहता हूं कि समस्‍याएं और समाधान दोनों यहीं पर है, अगर समस्‍याएं आपने बताई है, तो समाधान करने के लिए सरकार भी यहां पर मौजूद हैं और हमारे मुख्‍यमंत्री जी भी यहां पर मौजूद हैं, मुख्‍यमंत्री जी का भी यहां पर उद्बोधन होगा. निश्चित रूप से जहां तक बजट का सवाल है, मुख्‍य बजट और सप्‍लीमेंट्री बजट में भी मैंने यहां पर विस्‍तार से बातें रखा था. आपने ऋण लेने की बात कही, मैं उस पर नहीं जाता, बहुत आंकड़े हैं, बताने की आवश्‍यकता नहीं है. लेकिन ये बात में कह चुका था कि ऋण पूंजीगत कार्यों में खर्च होता है और उसका आंकड़ा भी बताया, 82 हजार 513 करोड़ का बजट अनुमान पूंजीगत में रखा. और जितना कर्जा लिया उससे आपने बजट का आकार जितना है, आपने कह दिया कि उतना कर्जा लिया, जो भी सत्र आया उसमें आपने इसी विषय को रखा. कर्जा पूंजीगत कार्यों में लिया ये सारे डेवलपमेंट के कार्य बताए, उसमें मजदूरी मिली, व्‍यापार हुआ, सीमेंट, लोहा, गिट्टी ये सारे काम चले, अर्थ व्‍यवस्‍था आगे बढ़ी, रोजगार मिला. मैं माननीय मुख्‍यमंत्री जी को धन्‍यवाद दूंगा कि उन्‍होंने अपने भाषण में कहा था कि आने वाले पांच साल में बजट का आकार डबल होगा. जितना है उससे डबल करेंगे. अध्‍यक्ष महोदय, मैं यहां कुछ आंकड़े बता रहा हूं.

          अध्‍यक्ष महोदय जगदीश जी, कुछ प्रमुख आंकडे बता दीजिए.

        श्री जगदीश देवड़ा जी अध्‍यक्ष जी, आपके आदेश का पालन कर लेता हूं क्‍योंकि  माननीय मुख्‍यमंत्री जी को हम सुनेंगे, नेता प्रतिपक्ष जी भी बोलेंगे. वित्‍तीय क्षेत्र की कुछ विशिष्‍ट उपलब्धियों को मैं आपसे साझा करना चाहता हूं. राज्‍य में प्रधान मंत्री जनधन योजना के अंतर्गत लगभग चार करोड़ 61 लाख खाते खोले गए, ये बहुत बड़ी उपलब्धि है और ये राज्‍य में हुआ है. प्रधान मंत्री सुरक्षा बीमा योजना के अंतर्गत लगभग 3 करोड़ 64 लाख एवं प्रधानमंत्री जीवन ज्‍योति बीमा योजना के अंतर्गत लगभग 1 करोड़ 54 लाख हितग्राहियों को पंजीकृत किया गया. अटल पेंशन योजना के अंतर्गत राज्‍य के समस्‍त जिलों में लगभग 6 लाख 46 हजार हितग्राहियों के खाते खोलकर पेंशन लाभ दिया जाना लक्षित है. सभी के लिए बीमा के लक्ष्‍य को प्राप्‍त करने हेतु प्रदेश में राज्‍य स्‍तरीय बीमा समिति का गठन किया गया है एवं प्रत्‍येक जिले में जिला स्‍तरीय बीमा समिति का गठन किया जाना लक्षित हैं.

                      अध्यक्ष महोदय बजट के बारे में मैं यह बताना चाहता हूं कि वित्तीय प्रबंधन सतत सफल है. आपने बजट के बारे में बहुत सारी बातें कीं. प्रदेश के सभी महत्वपूर्ण वित्तीय संकेतकों का पालन कर रहा है. मैं यह विशेष उल्लेख करना चाहूंगा कि प्रदेश के राजकोशीय सुधारों की स्थिति के संबंध में भारतीय रिजर्व बैंक के द्वारा प्रकाशित प्रतिवेदन में वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिये मध्यप्रदेश के वित्तीय प्रबंधन बजटीय विश्वसनीयता तथा व्यय की गुणवत्ता को सराहा गया है. यह वित्तीय प्रबंधन मध्यप्रदेश का डॉ.मोहन यादव जी के नेतृत्व में सरकार कर रही है. आंकड़े पूरे चूंकि द्वितीय अनुपूरक में सारे आंकड़े यहां पर बताये गये थे और उपलब्धियां भी वित्त विभाग की मैं बताऊंगा तो काफी समय लगेगा. लेकिन मुझे पता है कि माननीय मुख्यमंत्री जी को बोलना है, माननीय नेता प्रतिपक्ष जी को भी बोलना है. मैं केवल यही अपेक्षा करूंगा जो सदन की मंशा है और जो सत्र बुलाने की मंशा है. आपने जितनी बातें बतायी हैं. अगर कमी है तो मैंने पहले ही कहा है कि समस्या और समाधान यहीं पर निश्चित रूप से आपकी भावना का सम्मान करते हुए यह सरकार डॉ.मोहन यादव जी के नेतृत्व में उन सब समस्याओं का समाधान करेगी. आपने कमियां तो बहुत बतायी हैं लेकिन मुझे आप सुझाव लिखकर के भी दे सकते हैं. आपको सुझाव देना हैं तो दें इसी अपेक्षा के साथ मैं अपनी बात को यहीं समाप्त करता हूं. मैं अपनी पूरी बात पटल पर रखता हूं.

          डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंहअध्यक्ष महोदय, एक छोटा सा क्लेरीफिकेशन देना चाहता हूं माननीय वित्तमंत्री जी ने कहा कि धारा 370 समाप्त हो गई है, यह सत्य नहीं है. 370 अभी भी है उसके कुछ उपबंध सेक्शन 35 और दो तीन उपबंध ही समाप्त हुए हैं. धारा यथावत् है.

          नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)अध्यक्ष महोदय, आपने एक प्रयास किया कि मध्यप्रदेश एक विकसित, आत्मनिर्भर और समृद्ध राज्य की चर्चा के लिये उसके लिये सर्वप्रथम आपको धन्यवाद देता हूं. कई माननीय मंत्री, माननीय सदस्य हमारे सदस्यों ने सबने कहा कि क्या यह 2047 के हिसाब से चर्चा थी या भविष्य के हिसाब से चर्चा थी. क्या सिर्फ आंकड़े गिनाने की बात थी. निश्चित तौर से माननीय कैलाश जी का भाषण मैं सुन रहा था वह नगरीय मंत्री भी हैं. 2047 के डाकूमेंट विजन के अंदर प्रदेश के मास्टर प्लान का कोई जिक्र नहीं किया गया. मतलब यह कि मास्टर प्लान के बारे में समय सीमा नहीं बतायी. सरकार के पास में प्लानिंग नहीं है, योजना नहीं है. अगर होती तो बोलते आज. आज पूरा दिन लगा है इस प्रदेश के विकास और आत्मनिर्भर करने की बात पर. माननीय वरिष्ठ मंत्री श्री प्रहलाद पटेल जी को मैं धन्यवाद देना चाहता हूं. उन्होंने कहा कि हम प्रदेश के हर गांव के शमशान घाट तक रास्ता बनाएंगे यह बात उनकी बहुत अच्छी लगी उसके लिये आपको धन्यवाद देता हूं. माननीय राकेश सिंह जी ने बात की टाईगर कोरियोडोर की. मैं समझता हूं कि 2047 तक इस सदन में रहेंगे, वह अलग बात है.

अध्‍यक्ष महोदय, टाइगर कॉरिडोर की बात की गई. लेकिन गुजरात की तरह का वंतारा एनिमल रेस्‍क्‍यू सेंटर मध्‍यप्रदेश में बने, इसके बारे में किसी ने डॉक्‍यूमेंट विज़न में बात नहीं की. क्‍या हमारे गुजरात की तरह का मध्‍यप्रदेश में नहीं बन सकता ? वह बनेगा, तो कब बनेगा, कहां बनेगा. उज्‍जैन में बनेगा ?

          मुख्‍यमंत्री (डॉ.मोहन यादव) -- क्‍या उज्‍जैन कोई पाकिस्‍तान में है ? क्‍यों नहीं बनना चाहिए. आप बताओ.(मेजों की थपथपाहट)

          श्री उमंग सिंघार -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैंने ऐसा नहीं कहा. अब आप मानते हैं, तो अलग बात है. वर्ष 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि गिर राष्‍ट्रीय उद्यान के शेर मध्‍यप्रदेश में आयेंगे और वर्ष 2024 में केवल 2 एशियाटिक लॉयन आए. मतलब गुजरात से मध्‍यप्रदेश के अंदर लाने के लिए हमें 11 साल लग गये, केवल दो शेर ही आए. वह भी एक्‍सचेंज में आए, जब हमने टाइगर दिया.

          अध्‍यक्ष महोदय, मैं समझता हॅूं कि समृद्ध भारत के आत्‍मनिर्भरता की बात, समरसता की बात करने वाले प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेन्‍द्र मोदी जी 11 साल तक मध्‍यप्रदेश को शेर नहीं दे पाये. क्‍या गुजरात देश का हिस्‍सा नहीं है, क्‍या मध्‍यप्रदेश में हम नहीं ले सकते. क्‍यों ? क्‍या एशियाटिक लॉयन पर सिर्फ गुजरात की ही मोनोपॉली रहेगी. यह स्‍थिति है. 54 टाइगर मर गए और होशंगाबाद के बुधनी के पास ऐसा रेलवे ट्रैक है जहां दोनों तरफ 3 फीट का रास्‍ता है. सबसे ज्‍यादा वहां पर मृत टाइगर्स की संख्‍या है. लेकिन सरकार और वन विभाग देख रहे हैं. पेपरों में छप रहा है लेकिन उसके लिए आपके पास कोई विज़न नहीं है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय शिक्षा मंत्री जी ने साइकिल और स्‍कूटी की बात की. लेकिन यह नहीं बताया कि स्‍कूटी आगे देंगे या नहीं देंगे. यह स्‍पष्‍ट नहीं कहा. आपको बोलना था. अच्‍छी बात है, हम आपका स्‍वागत करते. बोल दीजिए. क्‍या यह सभी को मिलेगी ?

          स्‍कूल शिक्षा मंत्री (श्री उदय प्रताप सिंह) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जो योजनाएं चल रही हैं, कोई योजना नहीं रोकी जायेगी. उसको यथावत जारी रखा जायेगा.

          श्री उमंग सिंघार -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय प्रदेश अध्‍यक्ष जी ने डॉक्‍टरों की तुलना चाइना और जापान से कर दी कि मध्‍यप्रदेश के अंदर 903 लोगों पर एक डॉक्‍टर है. मतलब हर गांव की आबादी एक हजार, डेढ़ हजार होती है. हर गांव के अंदर डॉक्‍टर है सरकार बताए कि क्‍या हर गांव के अंदर डॉक्‍टर हैं ?

          श्री हेमन्‍त विजय खण्‍डेलवाल --  अध्‍यक्ष महोदय, शहरों में डॉक्‍टर हैं मैंने आपको औसत बताया.

          श्री उमंग सिंघार -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, तो क्‍या मध्‍यप्रदेश में गांव नहीं हैं ? माननीय खण्‍डेलवाल जी, क्‍या मध्‍यप्रदेश के गांवों को आप भूल गए. निश्‍चित तौर से कई माननीय सदस्‍यों ने सत्र की बात कही. आप सब सदस्‍यों ने भी महसूस किया होगा कि इस मध्‍यप्रदेश को विकसित बनाने की चर्चा एक दिन में पूरी नहीं हो सकती. मैं समझता हॅूं कि माननीय मुख्‍यमंत्री जी इस बात को संज्ञान में लेंगे कि सत्र की बैठकें कैसे बढे़ं. माननीय रामेश्‍वर शर्मा जी ने कहा कि मध्‍यप्रदेश में मां नर्मदा के कारण सब कुछ है. ठीक है, हम सब मां नर्मदा को पूजते हैं. लेकिन मां नर्मदा के किनारे जब साढ़े तीन सौ करोड़ के पौधे लगे थे, तो वहां पौधे गायब हो गये. (मेजों की थपथपाहट) तो क्‍या यह मां नर्मदा का अपमान नहीं है ?

 


 

हमारे मत्स्य पालन मंत्री श्री विश्वास सारंग जी ने बात कही कि मत्स्य पालन में 4 नंबर पर हम आ गये हैं, बताएं, मछलियां कहां एक्सपोर्ट हो रही है? मुझे नहीं लगता है कि कहीं एक्सपोर्ट हो रही है? लेकिन डाक्यूमेंट विज़न की बात कर रहे हैं कि हम तो 4 नंबर पर आ गये है. अब 1 नंबर पर आ जाएंगे. अरे, बताओ तो सही कि मछली जा कहां रही है? सहकारिता को लेकर आपने पारदर्शिता की बात कही. कहां पारदर्शिता है? कृषि सहकारी साख संस्थाओं के चुनाव नहीं हो पा रहे हैं. न तो आपके डॉक्यूमेंट विज़न के अंदर यह बात है. क्या प्रदेश के अंदर किसानों को आप अधिकार नहीं देना चाहते हैं क्यों इतने साल से चुनाव नहीं कराए? वह आपके विज़न डाक्यूमेंट में नहीं है. क्या आप गारंटी देंगे कि चुनाव होंगे, उन किसानों को जो खाद, बीज के लिए रात-दिन भटक रहे हैं क्या उनको उस समिति का अधिकार देंगे? यह सरकार बताएं कि क्या गारंटी देगी? हमारे श्री धुर्वे जी आदिवासियों की बात कर रहे थे. माननीय सदस्य से मैं कहना चाहूंगा कि जिस प्रकार से मध्यप्रदेश में आदिवासी पीड़ित हो रहे हैं. अभी कुछ दिन पहले हम अडानी गये, सिंगरौली में जंगल कट गये. पूरी रियासत बना ली है. सरकार पूरी मदद कर रही है. पूरी पुलिस फोर्स लगा दी. नेता प्रतिपक्ष, विधायक अंदर नहीं जा पा रहे हैं. (शेम-शेम की आवाज) धुर्वे जी अपने आदिवासी भाइयों को लेकर जाए, वहां अंदर घुसने की हिम्मत नहीं हो पाएगी. ये आदिवासियों की बात करते हैं.

अध्यक्ष महोदय, हम विकास का विरोध नहीं करते हैं. हम प्रदेश समृद्ध बने उसके खिलाफ नहीं हैं. निश्चित तौर से प्रदेश समृद्ध होना चाहिए लेकिन सरकार सवालों से भागती है. संवाद नहीं करना चाहती है. क्यों इससे भागती है. क्या यह चर्चा व्यापक परामर्श के साथ नहीं होना चाहिए? होना चाहिए. रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, इस पर संकट है. वर्ष 2026 की बात नहीं हो रही है, वर्ष 20247 की बात हो रही है. 2 साल हो गये हैं. 22 साल की हम बात नहीं करना चाह रहे हैं कि क्या हुआ? लेकिन 2 साल के अंदर जो आपके वायदे थे वह आपने कहां पूरे किये, क्या यह विज़न डाक्यूमेंट आम जनता से रियल्टी चेक डाक्यूमेंट नहीं होना चाहिए? क्या प्रदेश की जनता से यह जब अधिकारी, मंत्री इसको बना रहे थे. मैं उन लोगों से जानना चाहता हूं कि आपने कहां इसको राय के लिए पब्लिश किया. कौन-से पेपर में आपने सूचना दी. आपने कौन-से पोर्टल पर डाला? किस युवा से आपने पूछा, किस किसान से इसके बारे में पूछा, प्रदेश की आपने किस महिला से पूछा, आपने इस विज़न डाक्यूमेंट के बारे में किस उद्योगपति से पूछा, आपने नहीं पूछा. बंद कमरे के अंदर चंद अधिकारियों ने मिलकर इसको बना दिया. यह प्रदेश की 8 करोड़ जनता की बात हो रही है. निश्चित तौर से मैं मानता हूं कि वर्तमान की उपेक्षा भविष्य की भूल है. जो आज लोग जिंदा हैं, जो आज कर चुका रहे हैं जो आज बेरोजगार हैं, जो आज इलाज के लिए लाइन में खड़े हैं, संघर्ष कर रहे हैं, उन्हें इंतजार का वर्ष 2047 का सपना दिखाया जा रहा है. भारत को सोने की चिड़िया कहते थे और मध्यप्रदेश को सोने की चिड़िया की तरह सपना दिखाया जा रहा है कि सोने की चिड़िया बन जाएगी. सोने की चिड़िया तो नहीं मध्यप्रदेश में सोने ईंटें जरूर मिल रही हैं. (शेम-शेम की आवाज)..

अध्यक्ष महोदय, अर्थशास्त्र का एक सिद्धांत है, इंटर-जनरेशन इक्विटी एंड प्रेजेंट वेलफेयर (अंतर-पीढ़ीगत समानता और वर्तमान कल्याण).

 इस सिद्धांत के अनुसार  भविष्य की पीढ़ी के नाम  वर्तमान पीढ़ी के कल्याण  की अपेक्षा  आर्थिक रुप से गलत है.   तो आज की बात क्यों नहीं हो रही है.  ऐसी क्यों हम नींव रखना चाह रहे  हैं हम मध्यप्रदेश की जो कमजोर  हो,  जो कर्जों में डूबी हो कि हम युवाओं  के  कंधों पर कर्जे की बोरियां लादना  चाहते हैं.  अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन  ने कहा था कि Development is not about future promise, it is about expanding the freedom of people living today.  अर्थात् आज के लोगों  की स्वतंत्रता  का विस्तार करना है,  विकास का मतलब भविष्य  के   वादे करना नहीं.  तो  मैं समझता हूं कि  अगर आज गलत करेंगे, तो  कमजोर कल  गलत  होगा.  तो  कैसे आप 2047 की  बात कर रहे हैं.  2047  के सड़कों की बात हो रही है,  विजन दिखाया जा रहा है.  लेकिन  वह सड़कें 2025    के गड्ढों से होकर के निकलती हैं.  मैं समझता  हूं कि मुख्यमंत्री जी  से उम्मीद करुंगा कि  सरकारी भाषण की बजाय  अपनी  अन्तरात्मा से  इस प्रदेश की जनता के लिये  कैसे भला हो सकता है,  वह आप बात करें.  आंकड़े  मत गिनाना. आप  2026 में क्या करना चाहते हैं, वह  मैं जानना चाहता हूं, प्रदेश की जनता   जानना चाहती है. यह  हमारे  सवाल नहीं हैं,  कांग्रेस के विधायकों  के सवाल नहीं हैं ये.  ये प्रदेश की 8 करोड़ जनता   के सवाल हैं,  उन सवालों की   उसकी गारंटी हम चाहते हैं कि  उसको  क्या गारंटी देना चाहती है सरकार.  विजन की बात करना चाहती है.  बोलने के लिये बहुत सारा है, लेकिन मैं समझता हूं कि  एक बात आई   आपके विजन  डाक्यूमेंट  में जो  ऑनलाइन है. एयर क्वालिटी इंडेक्स  की बात की गई  कि हम जीरो से 50 के बीच   में उसको करेंगे, 50 तक.  50 मतलब स्वच्छ हवा, अति उत्तम  हिमालय में जो मिलती है.  तो  म.प्र.  के अन्दर क्या ऊटी, नागालैंड, हिमालय बनने वाला है कि यहां पर हमको स्वच्छ हवा मिलेगी 50 की.  ऐसे  असत्य सपने  म.प्र.  के लोगों को दिखाये जा रहे हैं.  अभी  मैं जो केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण  बोर्ड  की, सीपीसीबी की रिपोर्ट है. भोपाल  जनवरी में  201 से 301 यानि   अत्यन्त खराब श्रेणी. इन्दौर  जनवरी में   201  से 301  खराब श्रेणी में.  ग्वालियर में  201  से 301 सबसे खराब श्रेणी में.  यह मेरी रिपोर्ट नहीं है.  यह केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण  बोर्ड  की है  और आप सपने  दिखा रहे हैं कि   म.प्र. में  हिमालय बनायेंगे.  हिमालय सरीखी  सांस  स्वच्छ मिलेगी.  नागालैंड जाना नहीं पड़ेगा.  ऊटी जाना नहीं पड़ेगा. यहीं सब कुछ हो जायेगा. तो मैं समझता हूं कि एक  महीने की रिपोर्ट हो यहां अभी की रिपोर्ट हो.  महत्वपूर्ण है कि आज  वर्तमान की क्या स्थिति है.

                   श्री सुरेन्द्र सिंह गहरवार --  अध्यक्ष महोदय, हिमालय  में  आबादी का गनत्व कितना है,  यह भी तो देख लें.

                    अध्यक्ष महोदयसुरेन्द्र सिंह जी, कृपया बैठें.

          श्री उमंग सिंघार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रदेश के अंदर आय नहीं बढ़ पा रही है इस बात की वित्त विभाग को हमेशा चिंता रहती है. लेकिन मैं समझता हूं कि ऐसे कई हाईवे प्रदेश में हैं, भोपाल, देवास, लेबड़-जावरा यहां के टोल टेक्स वालों ने 4 से 5 गुना अधिक वसूली कर ली है, ढाई सो से तीन सो करोड़ रूपये की, लेकिन अभी भी वसूली कर रहे हैं इससे सरकार को क्या मिला, मैं समझता हू कि सरकार को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिये और भोपाल से इंदौर जाने वाले को 300 से 400 रूपये खर्च हो रहे हैं, और टोल कंपनियां ढाई सो से तीन सो करोड़ रूपये कमा रही हैं, क्या सरकार यह टेक्स बंद नहीं कर सकती है. जब कंपनियों ने  ज्यादा पैसा कमा लिया है और वह पैसा सरकार के पास में नहीं आया, वह पैसा उस कंपनी के पास मे गया तो टोल को तत्काल बंद करने पर विचार करना चाहिये.

          माननीय अध्यक्ष महोदय, उद्योग में कहना चाहूंगा कि नये स्टार्ट अप के लिये आपने कहा कि हम इनक्यूबेशन सेंटर खोलेंगे, लक्ष्य रखा आपने 200 का लेकिन मुख्यमंत्री जी ने किसी सभा में कहा है कि हम 1000 इनक्यूबेशन सेंटर खोलेंगे, तो मैं समझता हूं कि बेरोजगारी को दूर करने के लिये आप जो इनक्यूबेशन सेंटर खोलेंगे और जो इनक्यूबेशन सेंटर अभी चल रहे हैं क्या सरकार उसके आंकड़ें प्रदेश के युवा के सामने रखेगी कि इन इनक्यूबेशन सेंटर के माध्यम से कितने युवाओं को रोजगार मिला, कितने स्टार्ट अप चालू हुये, कितनों को आपने ऋण दिया कितने लोगों को आपने सलाह दी, किसी पोर्टल पर आप देख लीजिये इसकी जानकारी नहीं है. सिर्फ आंकड़ें गिनाने से काम नहीं चलेगा, प्रदेश में अगर आप चाहते हैं कि प्रदेश के बेरोजगार लोगो को रोजगार मिले तो इनक्यूबेशन सेंटर का हम स्वागत करते हैं लेकिन इसमें पारदर्शिता जरूरी है.

          माननीय अध्यक्ष महोदय, स्वास्थ्य की गारंटी को लेकर के हमेशा बात होती है, राइट टू हेल्थ (स्वास्थ्य का अधिकार), क्या आयुष्मान कार्ड वाले को ही स्वास्थ्य की सुविधायें मिलेंगी अगर किसी के पास में आयुष्मान कार्ड नहीं है उस गरीब का, आम व्यक्ति का क्या उसको प्रदेश में स्वास्थ्य की सुविधायें नहीं मिलेंगी. मैं समझता हूं कि माननीय मुख्यमंत्री जी राइट टू हेल्थ (स्वास्थ्य का अधिकार) को लेकर के सरकार को गंभीरता से विचार करना चाहिये क्योंकि हमारा मानना है कि प्रदेश के अंदर रह रहे हर व्यक्ति को राइट टू हेल्थ का अधिकार है कि उसको स्वास्थ्य सुविधायें मिलें. यह बात आप जानते हैं कि आज की तारीख में आम आदमी प्रायवेट अस्पतालों में  इलाज नहीं करवा सकता है, पैसे नहीं भरते हैं तो मरीज के साथ में कैसा व्यवहार होता है, उस परिवार के साथ में क्या व्यवहार होता है, क्या स्थिति होती है, यह आप देखते हैं. आप अच्छी तरह से जानते हैं. मैं समझता हूं कि सरकार इस पर विचार करेगी.

          माननीय अध्यक्ष महोदय,  वर्ष 2008 से अभी तक कई दर्जनों इन्वेस्टर समिट है गई हैं. कई प्रस्ताव आये, कई लोगों ने जमीन को अधिगृहित कर लिया, एलाट करवा लिया,लेकिन सरकार ने आज तक यह नहीं बताया कि जिन जमीन पर कुछ नहीं हुआ वह जमीन हमने वापस ले ली, क्या दूसरे उद्योग के लिये आपने एलाट की, नहीं की.और मैं तो कह सकता हूं कि जितनी जमीनें एलाट हुई हैं, उसका सिर्फ 10 प्रतिशत भी आपने भूमि का अधिग्रहण नहीं किया है. इस पर भी सरकार को गंभीरता से विचार करना चाहिये, क्योंकि आप आम आदमी के लिये, किसान के लिये कानून लेकर के आ जाते हैं लेकिन उद्योगपतियों के कानून नहीं ला पाते हैं, किसान के लिये जरूर आप लैंड पूलिंग एक्ट  ले आये. मैं चाहता हूं कि उन उद्योगपतियों से भी आपको जमीन वापस ले लेना चाहिये जो प्रदेश में उद्योग नहीं लगाना चाहते हैं.

          माननीय अध्यक्ष महोदय, वर्ष 20021 से 2025 तक पांच हजार एमएसएमई उद्योग बंद हो गये, 36 हजार लोगों की नौकरियां चली गईं. और 2025 में 5 लाख 50 हजार एमएसएमई उद्योग थे जो पिछले साल 13 लाख थे, एक साल के अंदर 8 लाख एमएसएमई उद्योग बंद हो गये. यह उद्योग क्यों बंद हो रहे हैं. यहां पर आप विजन 2047 की बात कर रहे हैं कि हर व्यक्ति को उद्योग मिलेगा. काम मिलेगा, पैसा मिलेगा, सपने दिखा रहे हैं दूसरी तरफ उद्योग बंद हो रहे हैं.

          माननीय अध्यक्ष महोदय, यह राज्यसभा में 8 दिसम्बर के प्रश्न पर सरकार का उत्तर है जिसमें यह बात कही गई है.

          माननीय अध्यक्ष महोदय, दस्यु समस्या चंबल के अंदर काफी समय से चली आ रही है मुख्यमंत्री जी ने कई बार कहा है कि प्रदेश के अंदर डाकू खत्म हो गये, दस्यु समस्या खत्म हो गई. ..

अध्‍यक्ष महोदय, आप भी चंबल से आते हैं..(हंसी)..इस समस्‍या को आप अच्‍छी तरह से जानते हैं. मैं दस्‍यु उन्‍मूलन कानून की बात कर रहा हूं. ग्‍वालियर, चंबल, विंध्‍य के 6 जिलों में इसका उपयोग हो रहा है और 922 एफआईआर हो गईं. अगर कोई मोबाइल चोरी करके जाता है तो उस पर डकैती की धारा लग जाती है और छोटे- छोटे मामले में पुलिस उसका दुरुपयोग करती है. मैं समझता हूं कि इस पर सरकार ने करीब सवा सौ करोड़ रुपये खर्च कर दिए हैं. यह चंबल की बड़ी समस्‍या है. इस धारा का दुरुपयोग होता है. जब डाकू खत्‍म हो गए तो फिर कानून अभी तक क्‍यों है. उसे भी खत्‍म होना चाहिए. (मेजों की थपथपाहट) कई बातें हैं. एयर एम्‍बुलेंस की बात है. बड़े-बड़े पोस्‍टर मैं कल जब दिल्‍ली से आ रहा था तो रास्‍ते में वीआईपी रोड पर एयर एम्‍बुलेंस के देख रहा था. कितने गरीब आदिवासियों को एयर एम्‍बुलेंस का फायदा मिला. कितने गरीब किसानों, कितने गरीब दलितों, कितने बीपीएल कार्डधारियों को एयर एम्‍बुलेंस का लाभ मिला यह सरकार बताए. बड़े अधिकारी, बड़े मंत्री जो सत्‍ता में बैठे प्रभावशाली लोग हैं उस एम्‍बुलेंस का अपने परिवारों के लिए उपयोग कर रहे हैं. मैं समझता हूं कि यहां पर भोपाल में बड़े बैनर लगाने से काम नहीं चलेगा. अगर आप चाहते हैं आपकी एयर एम्‍बुलेंस की योजना है, हम स्‍वागत करते हैं अच्‍छी योजना है, लेकिन उसके अंदर गरीब कब जाएगा यह सरकार बताए. मैं रेत खनन पॉलिसी की बात करना चाहता हूं कि सरकार रेत की पॉलिसी बनाती है लेकिन बड़े रेत माफिया या बड़े व्‍यापारी हैं उनके हिसाब से, लेकिन जो किसान नदी के किनारे है, वह जहां भी है उसके खेत में जो रेत आती है वह रेत नहीं उठा पाता है, बेच नहीं सकता है, तो ऐसा फर्क क्‍यों है ? बड़े व्‍यापारी के लिए कानून है कि वह ठेका लेकर बेच सकता है. क्‍या छोटा किसान रेत का धंधा नहीं कर सकता है ? मैं समझता हूं कि इस पर सरकार को विचार करना चाहिए. (मेजों की थपथपाहट)

          अध्‍यक्ष महोदय, मध्‍यप्रदेश में कई पदोन्‍नतियां हैं, चाहे वल्‍लभ भवन की हो, चाहे बैकलॉग की हो, कई विभागों की भर्तियां रुकी हुई हैं. वर्ष 2026 में क्‍या सरकार ग्‍यारंटी देगी कि हर विभाग की हम पूरी भर्तियां करेंगे कि अभी भी कर्मचारियों को वर्ष 2047 का इंतजार करना पड़ेगा ? यह भी सरकार बताए. अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपकी मुस्‍कराहट से समझ गया, ठीक है 5-7 मिनट लूंगा. इसलिए मैंने शॉर्ट कर दिया है. मुद्दे बहुत थे.

          अध्‍यक्ष महोदय -- आपके पास ले करने का विकल्‍प है.

          श्री उमंग सिंघार -- अध्‍यक्ष महोदय, प्रधानमंत्री किसान उत्‍थान कुसुम योजना का पोर्टल बंद है. किसान उसमें रजिस्‍ट्रेशन ही नहीं करा पा रहा है और किसान की आप बात कर रहे हैं कि इस कुसुम योजना का फायदा देंगे. सपने दिखा रहे हैं. बड़े उद्योगपति चाहे दिलीप बिल्‍डकान हो, उसको 1,500 मेगावाट दे देंगे. अन्‍य कंपनियों को आप दे देंगे, लेकिन जीरो पॉइंट और दो मेगावाट अगर किसान चाहता है तो उसको नहीं मिल रही है. क्‍यों पोर्टल बंद है ? क्‍या हर किसान को अधिकार नहीं है ?  मैं समझता हूं कि इस पर सरकार को विचार करना चाहिए. किसान बीमा को लेकर कई बार हमारे साथियों ने कहा. विशेष रूप से हमारे दिनेश जैन बोस जी इसमें काफी अनुभव रखते हैं वर्ष 2020 से वर्ष 2024 के बीच का मैं उज्जैन का उदाहरण दे देता हूँ. 12 लाख किसानों ने बीमा करवाया और बीमे की राशि हुई 2 हजार 9 सौ करोड़ रुपए और कम्पनी थी इफ्को-टोकियो. लेकिन मुआवजा बंटा सिर्फ 1 हजार करोड़ रुपए. 962 करोड़ रुपए उज्जैन जिले के अंदर बंटा, मुख्यमंत्री जी के जिले में. आरबीसी 6(4) के तहत जब आप किसान का नुकसान 25 से 35 प्रतिशत प्रति हेक्टर मान रहे हैं तो सरकार उसको 5 हजार रुपए मुआवजा दे रही है. उसको बीमा कम्पनी से पूरा मुआवजा क्यों नहीं दिलवा रहे हैं. क्यों सिर्फ 5 हजार रुपए उस किसान को दिए जाते हैं. इस पर सरकार को संज्ञान लेना चाहिए. हर जिले में यह स्थिति है. मनरेगा योजना का नाम बदल दिया गया. इस योजना में कांग्रेस के समय 100 दिन के रोजगार की गारंटी थी क्या वह गारंटी आप हर मजदूर को, किसान को, खेत में काम करने वालों को देंगे. कानून में व्यवस्था है लेकिन आप 100 दिन की मजदूरी नहीं दे पा रहे हैं. इसके लिए सरकार क्या करेगी, सरकार का विजन स्पष्ट होना चाहिए.

          माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रदेश में करीब 15 हजार वन समितियां हैं लेकिन सरकार ने आज तक उनको अधिकार नहीं दिए हैं. 50 लाख से ज्यादा आदिवासी तेंदूपत्ता और जड़ी बूटी का काम करते हैं, जंगल पर वो निर्भर हैं. क्या सरकार उनको अधिकार देगी, या वर्ष 2047 तक उन आदिवासियों को, किसानों को और अन्य समाज के लोगों को इंतजार करना पड़ेगा. सरकार यह स्पष्ट करे. बार बार बात आती फारेस्ट के पट्टों को लेकर पिछली बार भी मैंने कहा था. मुख्यमंत्री जी ने भी सहमति दी थी कि वर्ष 2006 के पहले के वन भूमि के पट्टे हमको देना है. क्यों बार-बार यह डिले हो रहा है. सरकार को सुप्रीम कोर्ट की अलग फटकार पड़ती है. क्या सेटेलाइट से हम सर्वे नहीं करा सकते हैं. वर्ष 2006 पहले की इमेजेस क्या हम नासा से नहीं ले सकते हैं. अगर सरकार की नीयत साफ हो तो यह काम एक महीने के अन्दर हो सकता है. 4-6 महीने हो गए हैं, सरकार की नीयत नहीं है कि आदिवासियों को वन भूमि के पट्टे मिलें. मैं समझता हूँ सरकार को इस बात की गारंटी देना चाहिए कि कब इसे कराएंगे. एक महीने, दो महीने, तीन महीने कब कराएंगे या वर्ष 2047 तक आदिवासियों को इंतजार करना पड़ेगा.

          अध्यक्ष महोदय, सदस्यों के साथ अधोसंरचना के कार्यों में भेदभाव होता है. सत्तापक्ष के विधायक को 15 करोड़ रुपए विकास के लिए मिल जाते हैं. हमारे विधायकों को नहीं मिलते हैं. एक समान नीति क्यों नहीं है. हम भी चाहते हैं कि गांव का विकास हो, हम भी चाहते हैं कि पानी आए, हम भी चाहते हैं कि वहां पर ट्रांसफार्मर लगे, वहां पर सड़क बने, स्कूल बनें. ऐसा अन्याय क्यों किया जा रहा है. इस पर नीति बनना चाहिए. पर्दे के पीछे से दूसरी योजनाओं के नाम से विधायकों को सरकार ओबलाइज करती है. लेकिन यह अन्याय है क्योंकि हमारा ध्येय और आपका ध्येय जनता की सेवा करना है. इसमें पक्षपात नहीं होना चाहिए.

          अध्यक्ष महोदय, प्रदेश में पुलिस अत्याचार के केस बढ़ते जा रहे हैं. पुलिस पर सरकार का कंट्रोल नहीं है. जब-जब सरकार का पुलिस पर कंट्रोल नहीं होगा गरीब पर अत्याचार बढ़ेंगे, उसके पैसे लूटे जाएंगे यह होगा. यह प्रदेश में हो रहा है. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी से चाहता हूँ कि विभाग आपके पास है, आप व्‍यस्‍त हैं, लेकिन आपकी नजरें पीछे गरीब तक जाना चाहिए जो अन्‍याय हो रहा है जबरन उस पर केस हो रहे हैं उस पर मैं समझता हूं कि आपके प्रयास होना चाहिए. हमारे कैलाश कुशवाह‍ जी पर भी धमकी लगी. विधायकों को भी धमकी दे रहे हैं. लोग गौ-माता की बात कर रहे थे. बाबू जंडेल जी 1000 गायों को कलेक्‍टर ऑफिस लेकर चले गयें तो उन पर धाराएं लगा दीं. मैं समझता हूं कि इस विषय पर सोचना चाहिए. मैं अंत में यही कहूंगा जो मैंने शुरुआत में कहा था कि हमें वर्ष 2047 की गांरटी नहीं चाहिए वर्ष 2026 की गांरटी चाहिए.

          अध्‍यक्ष महोदय, प्रदेश की जनता देख रही है और चाहती है कि जो आपने दो साल पहले सपने दिखाए थे, 22 साल से जो समस्‍याएं हैं, जो परेशानियां हैं वह पूरी नहीं हुइ हैं. मैं 24 घंटे बिजली की बात कर रहा हूं. शिवराज जी ने कहा था, लेकिन आज भी 24 घंटे बिजली नहीं मिल रही है. उन्‍होंने कहा था कि हमने हर गांव के अंदर  24 घंटे बिजली दी है तो मैंने तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री शिवराज जी को कहा था कि अगर आप मुझे प्रमाण दे दो, सबूत दे दो कि हर गांव कें अंदर 24 घंटे बिजली आ गई है तो मैं इस्‍तीफा दे दूंगा. बिजली कंपनियां घोटाले करती है. ठेकेदार काम छोड़कर चले जाते हैं उस पर सरकार को तत्‍काल संज्ञान लेना चाहिए कि उनके कारण आज आम जनता क्‍यों परेशान होती है.

          अध्‍यक्ष महोदय, अंत में यही कहना चाहूंगा कि वर्ष 2026 में ओबीसी को 27 प्रतिशत का आरक्षण आप शुरुआत में देंगे कि नहीं देंगे यह बताएं? सत्र की सीमा बढ़ेगी कि नहीं बढ़ेगी आपसे वर्ष 2026 की यह गांरटी चाहिए. खाद संकट, विश्‍वास सारंग जी को मैंने सुझाव दिया था कि खाद घर-घर तक पहुंचे, गांव तक पहुंचे. मैं उनका स्‍वागत करता हूं कि आपकी यह नेक नीयत है सिर्फ भाषण नहीं है नीयत है तो मैं आपको दिल से सलाम करता हूं. मैं यह चाहूंगा कि हर किसान के घर तक खाद पहुंचे. डॉक्‍टरों के साढ़े छ: हजार से ज्‍यादा पद खाली पड़े हुए हैं. अध्‍यक्ष जी ने तो कह दिया कि एक हजार पर हर गांव में डॉक्‍टर है. डाक्‍टरों की भर्ती कब होगी? क्‍या वर्ष 2026 में डॉक्‍टरों की भर्ती होगी? पद पूरे भरे जाएंगे? मैं जानना चाहूंगा कि क्‍या घर-घर तक पानी पहुंचेगा? केन्‍द्र सरकार ने मना कर दिया लेकिन मैं चाहता हूं कि क्‍या नल-जल योजना घर तक पहुंचेगी. हमको इसकी भी वर्ष 2026 में गांरटी चाहिए. बेरोजगार युवाओं की बात कहना चाहता हूं कि जितने आकांक्षी बेरोजगार आपने बना दिये उनको कब रोजगार मिलेगा. मैं जानना चाहता हूं कि क्‍या सरकार वर्ष 2026 में गारंटी देगी? लाड़ली बहनाओं के लिए जो 3 हजार रुपयों की बात की आपने चुनाव के अंदर कही तो क्‍या आप अभी वर्ष 2026 में उनको 3 हजार रुपए देंगे? यह सरकार से गांरटी चाहता हूं. सरकार ने घोषणा पत्र के अंदर बात की थी हम 2700 रुपए गेहूं की खरीदी करेंगे. 2700 रुपए में आप वर्ष 2026 में खरीदी करेंगे? मैं सरकार से यह गांरटी चाहता हूं. सोयाबीन खरीदने की एमएसपी की बात है आज तक सरकार ने भावांतर में लेकर सोयाबीन के सभी किसानों को उलझा रखा क्‍या उसकी गांरटी मिलेगी सरकार यह बताए? मजदूरों को लेकर कलेक्‍टरेट रेट पर 467 रुपए मिलेंगे सरकार यह बताए? स्‍कूल शिक्षा के अंदर जितने शिक्षक पद खाली पड़े हैं क्‍या सरकार उसकी गारंटी देगी. जंगलों में जो पेड़ कट रहे हैं खदानों के नाम पर क्‍या सरकार पर्यावरण को लेकर गारंटी देगी य‍ह बताए? अंत में मैं संसदीय मंत्री जी को फिर कहूंगा कि अगर इंदौर को आप स्‍वच्‍छ हवा नहीं दे सकते हो तो मास्‍टर प्‍लान तो दे दो. ग्‍वालियर को दे दो, रीवा को दे दो, भोपाल को दे दो, जबलपुर को दे दो यह बताएं?

           अध्‍यक्ष महोदय, वन भूमि के पट्टों को लेकर मैं कह चुका हूं और ऐसी कई बातें हैं लेकिन अगर आप वर्ष 2026 की गारंटी देते हैं तो हम आपको नमस्‍ते करते हैं, धन्‍यवाद करते हैं. अगर आप आप वर्ष 2047 का सपना दिखाते हैं तो विपक्ष के नाते प्रदेश की आठ करोड़ जनता के नाते उनकी आवाज को हम हमेशा बुलंद करते रहेंगे. धन्‍यवाद.

          लोक निर्माण मंत्री (श्री राकेश सिंह)-  अध्‍यक्ष महोदय, मैं, केवल एक स्‍पष्‍टीकरण रखना चाहूंगा, अभी उमंग जी ने एक विषय रखा था, उन्‍होंने टाइगर कॉरिडोर की बात रखी थी, टाइगर कॉरिडोर, टाइगर के आने-जाने का रास्‍ता नहीं है. 5 नेशनल पार्कों को मिलाकर, जोड़कर एक बेहतर रोड नेटवर्क बने, उस दृष्टि से उसकी तैयारी हुई है, जहां पर्यटक बड़ी संख्‍या में आ सकें. यह केवल कागजों पर नहीं है, मुख्‍यमंत्री जी की उपस्थिति में माननीय गडकरी जी ने इसकी घोषणा की, घोषणा के उपरांत विधिवत स्‍वीकृति भी हो गई, उसके एलाइनमेंट पर भी कार्य चल रहा है, जल्‍दी ही वह प्रारंभ भी हो जायेगा.

 

          मुख्‍यमंत्री (डॉ. मोहन यादव)-  अध्‍यक्ष महोदय, एक ही जगह जाकर इनकी सुई जो अटकी है, वह मेरे पल्‍ले ही नहीं पड़ रहा है कि वर्ष 2026 के बाद, वर्ष 2027 में इस्‍तीफा देंगे क्‍या ? यह सदन वर्ष 2028 तक है, ये कहां बार-बार वर्ष 2026-26 की बात कर करे हैं, नेता प्रतिपक्ष पता नहीं किस चक्‍कर में आ गए हैं. जब घोषणा-पत्र बनता है, इनका बने, हमारा बने, संकल्‍प पत्र बनता है तो पूरे टेन्‍योर (कार्यकाल) के लिए बनता है और टेन्‍योर 5 वर्ष का होता और इस विधान सभा का टेन्‍योर वर्ष 2028 तक का है. मैं आपके लिए कामना करूंगा कि आप वर्ष 2028 तक नहीं, वर्ष 2048 तक सामने ऐसे ही बोलते रहें और हमें जो करना है, वह काम हम आपको बताते रहेंगे.

          श्री उमंग सिंघार-  अध्‍यक्ष महोदय, मुख्‍यमंत्री जी ने वर्ष 2026 बोला था.

          डॉ. मोहन यादव-  अध्‍यक्ष महोदय, हमने नहीं बोला. हमारे संकल्‍प पत्र में गेहूं के लिए रुपये 27 सौ देंगे, यह वर्ष 2028 तक का संकल्‍प पत्र है. भाजपा का संकल्‍प पत्र हम आपको दिखा देंगे इसलिए जब आप एक बात कर रहें हैं MSP की, फसल खरीदी की, यह बात थोड़ी से इतर बात हो जायेगी, मैं वापस मुद्दे पर आना चाहूंगा. आपके लिए मैं इतना बताना चाहूंगा कि हमने कहा कि MSP तो है ही, जैसे विगत वर्ष हमारा रुपये 2425 MPS का भाव था, हमने रुपये 26 सौ, रुपये 175 प्रति क्विंटल का बोनस किसानों को दिया था, यह हमारी सरकार है, यह हमारी भावना है. जो कहा वो किया. (मेजों की थपथपाहट)

          अध्‍यक्ष महोदय, यह अलग विषय है, मैं अगर पूछूंगा तो थोड़ा कष्‍ट होगा, वर्ष 1956 में जब मध्‍यप्रदेश गठित हुआ, उस समय रुपये 100 के आस-पास बिकने वाला गेहूं 55 वर्षों में केवल रुपये 400 बढ़ाकर, वर्ष 2003 तक केवल रुपये 500 के अंदर बिकता था. 20 वर्षों में उसे रुपये 26 सौ प्रति क्विंटल में हमने खरीदा, यह हमारी सरकार है. (मेजों की थपथपाहट)

          अध्‍यक्ष महोदय, रुपये 2 हजार प्रति क्विंटल हमने बढ़ाया, यह हमारी सरकार की प्रतिबद्धता है. आप अंदाज लगायें, मैं नेता प्रतिपक्ष और उनके सारे विद्वान सदस्‍यों का स्‍वागत करता हूं, इनकी तरफ से 2-3-4 बातें आयीं, मैं लगातार ऐसी बातें देखता जा रहा हूं, मुझे लगा था कि यादवेन्‍द्र सिंह जी मेरे सरनेम के आगे इंद्र लगाते हैं तो हो सकता है अच्‍छी बात करेंगे लेकिन वे कैसी बात कर रहे हैं ? आपने कहा हमने 12 कुलगुरू हटा दिये आप 12 कुलगुरूओं के विश्‍वविद्यालय बता दें, आप जो कहेंगे हम वह करने को तैयार हैं, आप कैसी बात कर रहे हैं ? कौन से 12 विश्‍वविद्यालयों में से 2 वर्षों में कुलगुरू हट गए, कुल केवल 3 कुलगुरू हटे हैं, एक जीवाजी विश्‍वविद्यालय से श्री अविनाश तिवारी, छत्रसाल विश्‍वविद्यालय की सुश्री शुभा तिवारी और RGPV के कुलगुरू और बाकी की संख्‍या आप कहां से लाये ?  एक तरफ आप सुशासन की बात करते हैं, दूसरी ओर कहते हैं, कार्रवाई मत करो. यदि हम कार्रवाई नहीं करेंगे तो क्‍या करें ? हम प्रतिबद्ध हैं, अपने शासन की व्‍यवस्‍था में, सुशासन के लिए. जो अच्‍छा काम करेगा, उसके साथ खड़े हैं, जो नहीं करेगा उसे घर जाना पड़ेगा, यह तो प्रावधान है, इसमें क्‍या गलत है ?

           अध्‍यक्ष महोदय, आपने कहा स्‍नातकोत्‍तर, स्‍नातक प्राचार्य के 100 प्रतिशत पद रिक्‍त हैं. ये सारे पद पदोन्‍नति के हैं, आपको भी यह मालूम है, सभी को मालूम है कि ये पद वास्‍तव में प्रमोशन के कारण अटके पड़े हैं, बेहतर तो यह होता कि आप कहते हम भी आते हैं आपके साथ और हम भी चलते हैं. पक्ष-विपक्ष दोनों चलेंगे, न्‍यायालय से निवेदन करते हैं कि सारे पदोन्‍नति के पद अटके पड़े हैं, सभी का निराकरण कर दीजिये. हम आपका भी स्‍वागत करते और जनता के साथ हमारा भी बड़ा काम हो जाता लेकिन आप उस पर नहीं बोलेंगे, आप तो चोर से कहेंगे चोरी कर, साहूकार से कहो जागते रहो. खाली बोलने के लिए बोलना है.

          श्री उमंग सिंघार-  हमने कब मना किया पदोन्‍नति के लिए.

          डॉ. मोहन यादव-  उमंग जी, मैंने आपकी पूरी बात सुनी, अब आप हमारी बात सुनें. आप हमारे साथ न्‍यायालय में चलें.

          श्री उमंग सिंघार - अध्‍यक्ष महोदय, आप हमसे हलफनामा ले लो. मैं सब विधायकों के साईन करवा दूँ. हम विधायक लोग पदोन्‍नति के लिए हलफनामा देने को तैयार हैं.

          डॉ. मोहन यादव - आप बोल लिये. आप बैठो तो सही. अध्‍यक्ष महोदय, आप पहले इनको बोल लेने दीजिये, फिर मैं बोलता हूँ.

          श्री उमंग सिंघार - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमने सुझाव दिए, आप उन सुझावों में  क्‍या कर सकते हो ? आप बताओ. आप सरकार हो, मुख्‍यमंत्री आप हो. आप हमारे पाले में गेंद डालोगे, तो गेंद वापिस उधर ही जायेगी.

          अध्‍यक्ष महोदय - आप बैठिये. माननीय मुख्‍यमंत्री जी.

          डॉ. मोहन यादव - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं फिर बोलना चाहता हूँ कि 27 प्रतिशत आरक्षण को लेकर हमने आपके साथ सर्वदलीय बैठक की है. आपका भी अभिनन्‍दन, हम भी आये, आप भी आये, हम सबने निर्णय लिया. वह कोर्ट में इतना बड़ा मामला था, इसलिए 13 प्रतिशत होल्‍ड पर है. अब जब होल्‍ड पर है, उसके आधार पर जो-जो प्रकरण न्‍यायालय में हैं, मैं आज आपसे इतनी अपेक्षा करता हूँ कि यह जो अगर मैं बात बोलना चाहूँगा कि 27 प्रतिशत आरक्षण दिया, तो फूल सिंह बरैया जी ने बात निकाली. मैं दोबारा दोहराना चाहता हूँ कि अपनी सरकार के नेता से भी पूछना था कि 27 प्रतिशत आरक्षण देने में कोई कमेटी, कोई आयोग या कुछ न कुछ गठन करके हम बेस बना लेते, तो आज यह कष्‍ट नहीं आता. लेकिन जब आपने बगैर कोई आधार का 27 प्रतिशत आरक्षण का बनाया है, तो विधान सभा के माध्‍यम से तो हम तो उससे भी सहमत हैं कि 27 प्रतिशत में कोई आपत्ति नहीं है. लेकिन अब अगर कोर्ट किसी कारण से अटकायेगा, तो मैं आज फिर इस सदन के माध्‍यम से कह रहा हूँ, आप हमारे साथ कोर्ट में चलिये, हलफनामा देना है, उस पर भी बात करिये, सब प्रकार से 27 प्रतिशत का आरक्षण, आप और हम सब मिलकर चाहते, तो उस लाईन पर रहते, तो इसमें गलत क्‍या है ? आप हम पर केवल छींटे डालोगे तो बात आप तक भी जायेगी. आप आम को आम कहना सीखिये, आम को अंगूर बताओगे, तो कष्‍ट हो जायेगा. मैं केवल इतना कहना चाह रहा हूँ. मैं एक लाईन में सीधी बात कर रहा हूँ. जवाब देना चाहूँगा, तो इसमें अटपटी बात लगेगी.

          संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, देखिये, आप आम को अंगूर मत बोलिये, क्‍योंकि अंगूर खट्टे रहते हैं. (हंसी)

          डॉ. मोहन यादव - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जैसे नेता प्रतिपक्ष ने भावान्‍तर की बात कही. पूरे देश में भावान्‍तर योजना पहली बार लागू हुई, उसमें एक अच्‍छी बात यह होती, मैं आपको भी धन्‍यवाद कहना चाहता हूँ कि हमारे द्वारा इस योजना को लागू करने में कांग्रेस ने प्रारंभ में शंका बताई थी, बाद में कोई आन्‍दोलन नहीं किया, इसलिए मैं आपको धन्‍यवाद दे रहा हूँ. लेकिन क्‍या ऐसा हो सकता है कि जब हम वर्ष 2047 की बात कर रहे हैं कि आगे जो-जो फसलें एमएसपी के लिए बिक्री में आ रही हैं, आप यह सुझाव अगर देते कि इन फसल पर सब पर भावान्‍तर दे दो, तो किसान क्‍यों दो-दो दिन तक लाईन में लगा रहेगा ? उसे क्‍यों अनावश्‍यक भण्‍डारण करना पड़ेगा ? क्‍यों एफएक्‍यू वगैरह के कारण परेशान होगा ? सीधा अब वह अपना माल मंडी में बेचे, एमएसपी का लाभ ले ले, तो बेहतर यह होगा कि यह जो नई योजना लागू की जा रही है, उसका अध्‍ययन करके उसमें सकारात्‍मक सुझाव आये, तो मुझे लगता है कि यह ज्‍यादा अच्‍छा रहेगा. यह हमारे आज के इस मूल विशेष सत्र का, विशेष लाभ मिलेगा.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आप लाड़ली बहना के लिए बार-बार तीन हजार रुपये की बात कह रहे हैं, अब मैं यह आपको याद दिलाना चाहता हूँ कि लाड़ली बहना माह- जून, 2023 में लागू हुई, जब हमारा चुनाव हुआ, तब भी चुनाव के बाद तक भी आप रोज राम-राम की तरह जप रहे थे. यह बन्‍द हो रही है, यह बन्‍द हो रही है, यह बन्‍द हो रही है और हम उसमें राशि बढ़ाते जा रहे हैं, बढ़ाते जा रहे हैं. हमने साढ़े 1,250 रुपये किये, अब 1,500 रुपये किये. अब यह अच्‍छी बात है. अभी आप फिर तीन हजार रुपये का कह रहे थे. हम वर्ष 2028 तक तीन हजार रुपये नहीं, हम तो पांच हजार रुपये प्रति बहन को देने के लिए तैयार हैं. सकारात्‍मक रूप से नारी सशक्तिकरण की योजना से आप यह सुझाव तो दीजिये कि कौन-सा, कौन-सा काम करा करके इन लाड़ली बहनाओं की जिन्‍दगी बेहतर कर सकते हैं. हम तो आपसे भी सुझाव चाहते हैं. हमने कहा कि हम घर बेचकर बहनों के लिए और उनकी सशक्तिकरण की योजना में क्‍या चाहते हैं, जैसे उदाहरण के लिए हमने खिलौना बनाने वाले कारखाने में, रे‍डीमेड गारमेंट्स में काम करने वाली ऐसी बहनों को तो हम ट्रेनिंग दिलाकर पांच हजार रुपये महीना प्रति लेबर को अपनी तरफ दस वर्ष तक की गारंटी फैक्‍ट्री मालिक को दे रहे हैं क्‍योंकि केवल तीन हजार नहीं, हम तो और बढ़ाना चाहते हैं. जो बहनें काम करने आ रही हैं, वह दो हजार, तीन हजार, पांच हजार नहीं, उसको दस हजार रुपये मिलें, पन्‍द्रह हजार मिलें, हम तो यह चाहते हैं कि हमारे माध्‍यम से जितना भला हो सके. सरकार का मतलब लोगों का भला करना होता है, उस नाते से बात कर रहे हैं. अब आपने किसान के खाद की बात भी कही. अब मैं इतना ही बोलना चाहता हूँ कि आज बड़े पैमाने पर, खाद के लिए मैं माननीय प्रधानमंत्री       श्री नरेन्‍द्र मोदी जी का धन्‍यवाद देता हूँ, खाद्य मंत्री जी का धन्‍यवाद देते हैं. जिससे हमारे खेत का रकबा बढ़ता ही जा रहा है.

सिंचाई का रकबा बढ़ता जा रहा है. तब भी हमारी डिमाण्‍ड के आधार पर पर्याप्‍त रेक दी है. उस रेक के बलबूते पर आप ईमानदारी से बताइये कि ये दो-चार जिलों के, एकाध दो जगहों के समाचार पढ़ते हैं, मैं गारंटी से कह सकता हूँ, सबसे ज्‍यादा जहां एरिकेटेड एरिया है, सिंचित एरिया है, मालवा है, आपके अपने क्षेत्र में से आता है, वहां क्‍यों खाद की लाइन नहीं लग रही है. इसका मतलब कहीं न कहीं मेकेनिज्‍म में प्रॉब्‍लम है. हमारे दो-चार जिलों से समाचार आता है, मैं तो मानकर चलता हूँ कि अगर एक भी आता है तो गलत है. इसलिए उसमें क्‍या बेहतर हो, यह सोचना चाहिए क्‍योंकि टोकन की जो बात माननीय विश्‍वास जी ने कही, हम आने वाले समय में यह प्रयास करेंगे कि सेटेलाइट के माध्‍यम से खेत का रकबा भी मालूम पड़ जाए. हर खेत में खाद की खपत क्‍या है, उसकी डिमाण्‍ड के आधार पर हम पूर्ति करें. एसएमएस भेजें और घर बैठे हम खाद पहुँचाएं. हम इस दिशा में भी काम कर रहे हैं. हमारे किसान आपके किसान अलग नहीं हैं, किसान तो किसान है, वह अन्‍नदाता है. हम और आप सब मिलकर उनकी जीवन की बेहतरी के लिए काम करें. सकारात्‍मक सुझाव आने चाहिए.

          अध्‍यक्ष महोदय, अपने बीच में मैं जवाब देने के लिए तो नहीं हूँ, लेकिन फिर भी कुछ बातें बोलते-बोलते ध्‍यान में आ जाएं तो मुझे लगा कि इसकी बात करनी चाहिए. चिकित्‍सा अधिकारियों की बात कही गई. अरे, यह पहली बार हुआ है. आजादी के बाद हमारे मध्‍यप्रदेश की यह पहली सरकार है, जिसने हेल्‍थ डिपार्टमेंट के लगभग 42 हजार पद कैबिनेट से मंजूर किए. यह हमारा रिकॉर्ड है. यह भी बात सही है कि अगर मैं बोलूंगा तो थोड़ा अटपटा लगेगा कि एक तरफ वर्ष 1956 में बनने वाला मध्‍यप्रदेश वर्ष 2002-03 तक केवल 5 मेडिकल कॉलेज लेकर खड़ा था. आज हमारे पास अपनी सरकार के माध्‍यम से डेढ़ साल में 6 सरकारी मेडिकल कॉलेज हमारे द्वारा खोल दिए गए. 14 मेडिकल कॉलेज के पीपीपी मॉडल पर टेंडर लग गए हैं. 4 मेडिकल कॉलेजों का भूमि पूजन 23 तारीख को हो रहा है. आपको भी निवेदन करता हूँ, आप भी आइये. धार का भी उसमें एक कॉलेज पीपीपी मॉडल पर रहने वाला है. हम नए मॉडल से आगे चल रहे हैं. आज की स्‍थिति में ये पूरी योजना 2 साल में पूरी होगी. अध्‍यक्ष महोदय, 5 से हटाकर के 52 मेडिकल कॉलेज अपने प्रदेश के अंदर हो जाएंगे. ये बदलते दौर का माहौल है. यह तो हम चाहते हैं कि आपके माध्‍यम से यह लाभ भी मिले कि केवल हमने अपने संकल्‍प पत्र में तो कहा था कि लोकसभा क्षेत्र में एक मेडिकल कॉलेज होगा. मुझे गर्व है 2 साल के अंदर हर लोकसभा क्षेत्र में हमने अपना एक मेडिकल कॉलेज दे दिया है. जो कमिटमेंट के लिए हमारी सरकार बनी थी, लेकिन अब आगे बढ़कर के हम 55 जिलों के अंदर ही मेडिकल कॉलेज खोलने वाले हैं. और केवल मेडिकल कॉलेज नहीं, नर्सिंग है, पैरा-मेडिकल है. आयुर्वेद, आयुर्वेद के वर्ष 1956 से लेकर लगातार अभी तक केवल 7 मेडिकल कॉलेज थे, लेकिन दो साल में 8 नए मेडिकल कॉलेज खोल दिए. इसका मतलब है कि हम वेलनेस सेंटर से लेकर सब क्षेत्रों में आगे बढ़ना चाहते हैं. परमात्‍मा की दया से अपने प्रदेश के अंदर ऐसी बहुत सारी बातें हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय, आपने चिड़ियाघर की बात कही. वनतारा की बात की. अच्‍छा भी लगा. कुछ जरा समाचार पत्रों को भी देख लेते, बजट भी पढ़ लेते तो मुझे लगता है कि शायद आप यह बात नहीं करते. हमने यह कहा कि हमारे पास हर संभाग केन्‍द्र के अंदर जू भी होना चाहिए अर्थात् चिड़ियाघर भी होना चाहिए. रेसेक्‍यू सेंटर भी होना चाहिए. जब हमारे प्रदेश का गौरव है कि देश में सबसे ज्‍यादा कहीं टाइगर है तो मध्‍यप्रदेश में हैं. सबसे ज्‍यादा लेपर्ड कहीं हैं तो मध्‍यप्रदेश में हैं. वल्‍चर सबसे ज्‍यादा कहीं हैं तो मध्‍यप्रदेश में हैं. और तो और चीतों का पुनर्स्‍थापन कहीं हुआ है तो सबसे ज्‍यादा मध्‍यप्रदेश में हुआ है. आपके सामने देखते-देखते पालनपुर कूनो से आपने टाइगर देखा, हमें गर्व है कि इस देश का प्रधानमंत्री टाइगर नहीं, लॉयन के बराबर है. हमें इस बात का आनंद है. उनका अपना आशीर्वाद भी है. आप बताइये, लॉयन तो दिए ही दिए, उन्‍होंने जैसे ही चीते का दरवाजा वर्ष 2022 में खोला कि आज वह पूरे विश्‍व के लिए आश्‍चर्य का विषय है कि चीते का परिवार कहीं नहीं बढ़ रहा है, उनके आशीर्वाद से मध्‍यप्रदेश में बढ़ रहा है. हमें इस बात का गर्व है. हमारे मध्‍यप्रदेश में लगातार चीते का परिवार बढ़ते-बढ़ते हमारा पालनपुर कूनो तो है ही, हमारा उछलता-कूदता चीता कब राजस्‍थान पहुँच जाता है, हम सबके लिए सौभाग्‍य की बात है. केवल वहां ही नहीं, आपके मालवा में, गांधीसागर में हमने चीतों का दूसरा घर बनवा दिया और तीसरे के लिए अपने बुंदेलखण्‍ड की बात मैं बताना चाहता हूँ, यादवेन्‍द्र सिंह जी भूल जाते हैं. हमने बुंदेलखण्‍ड में कैबिनेट की, कभी इसकी तारीफ भी कर देते. वहां हमने अपने नौरादेही में चीतों के लिए तीसरा घर बनाने वाले हैं. आप भी आओ, हम भी आएं, लोगों को टूरिज्‍म के माध्‍यम से जोड़ें. उनकी आय बढ़ाएं. नौरादेही तो इतना अद्भुत बनने वाला है अध्‍यक्ष जी कि हमारे लिए सौभाग्‍य की बात होगी.

          जनजातीय कार्य मंत्री (कुँवर विजय शाह) -- अध्‍यक्ष जी, माननीय मुख्‍यमंत्री जी, यादवेन्‍द्र सिंह जी का स्‍वागत है, बिना बंदूक के.

          डॉ. मोहन यादव -- अध्‍यक्ष जी, आप दोनों क्‍या बोल रहे हैं, हमारे तो पल्‍ले नहीं पड़ रहा है. खग ही जाने खग की भाषा. भगवान जाने, लेकिन मैं इतना ही कहना चाहता हूँ कि

          अध्यक्ष महोदय - दोनों की किस्म एक जैसी है.

          डॉ.मोहन यादव - लेकिन वास्तव में नया और बड़ा काम होने वाला है यह एक मात्र ऐसा हमारा टाईगर अभ्यारण्य रहेगा जहां खुले में लेपर्ड भी रहेगा जहां खुले में चीता भी रहेगा जहां खुले में टाईगर भी रहेगा.अभी पूरी दुनियां में यह आश्चर्य की बात रहेगी कि जो हमारा रानी दुर्गावती टाईगर अभ्यारण्य में होने वाला है क्योंकि यह अब तक हमारे लिये यह सौभाग्य की बात है कि जहां टाईगर होता है वहां चीता नहीं रहता. अभी तक तो लेपर्ड रहता है वहीं नहीं रहता था लेकिन धीरे-धीरे आदत पड़ गई कि अब लेपर्ड भी जिंदा है पालनपुर कूनों में और चीता भी जिंदा है और धीरे-धीरे गांधीसागर की तरफ भी जा रहे हैं. गांधीसागर में लेपर्ड,चीता भी हैं और आगे बढ़ाएंगे.कितना अच्छा लगता है आप,हम शिकारे में घूमें. ठंड का टाईम है बताओ कश्मीर यहां ले आए. कभी इसकी तारीफ भी कर देते नेता प्रतिपक्ष जी. कितने सारे प्रयोग कर रहे हैं एक हो तो बताएं कितने सारे बताते जाएं. आप जरा उसको भी अहसास करो कि शिकारे के अंदर बैठकर डल झील जैसा अहसास भोपाल के ताल में मिल रहा है और क्या भगवान से मिलो.कहां तक ले जाएं. कैसे-कैसे आपको खुश करें जरा समझाओ तो सही. एक तरफ से जब बात कहने निकलता हूं तो लगता है क्या हो जाता है कांग्रेस के लोगों को यूं बाहर बहुत तारीफ करते हैं माईक पर आते ही भूल जाते हैं कि वह क्या कहने लगे बाहर अलग अंदर अलग. अंदर बाहर एक रहो तो आनंद आए.अध्यक्ष जी,आपका धन्यवाद. मैं तो इसलिये विशेष धन्यवाद देना चाहता हूं कि आपने यह सकारात्मक संदेश आम के आम गुठली के दाम कर दिये. हमारे सदन की डेट बढ़ना चाहिये. सत्र बढ़ना चाहिये.माननीय नेता प्रतिपक्ष जी और सारे मित्र कह रहे हैं और जब सत्र होता है तो बाहर आंदोलन करने चले जाते हैं. अंदर बात ही नहीं करते अब किससे बात करें क्या कागज से बात करें कि टेबल पर बात करें. आप रहो तो सही अंदर. आज अच्छा लगा. एक अपना विशेष सत्र है. आपको जो बोलना है आपने भी बोला.हमारी तरफ से जो बात आना आई दिन भर बैठकर आज रात के 11 ब जे तक हम बात कर रहे हैं भगवान करे हर बार ऐसा मौका आए.अभी वापस फरवरी में टाईम आ जायेगा और हम तो चाहते हैं कि जीवन भर आप सामने बैठे रहो ऐसे ही चलता रहे इससे अच्छी क्या बात है ऐसे ही तो चलना चाहिये. हम तो यह चाह ही रहे हैं कि आखिर लोकतंत्र की खूबसूरती पक्ष और प्रतिपक्ष से है. मैं ऐसा नहीं कह रहा कि आप हमेशा वहां बैठो लेकिन लोकतंत्र में अगर अच्छा काम करते हो तो परमात्मा की कृपा से आशीर्वाद मिलता है और इसी कारण से हमारी पार्टी देखो धीरे-धीरे विश्व की सबसे बड़ी पार्टी हो गई. यह हमारे लिये सौभाग्य की बात है. एक के बाद एक धीरे-धीरे कहां से कहां जा रहे हैं. यह मोदी जी का नेतृत्व है. हमारे परमात्मा की दया से हमने विक्रमादित्य का स्वर्णिम काल सुना था राजा भोज का स्वर्णिम काल सुना था लेकिन इतिहास गवाही देगा नरेन्द्र मोदी का काल भी स्वर्णिम काल रहेगा. भाजपा का स्वर्णिम काल रहेगा. हम और आप इसके साक्षी बन रहे हैं. हमको कितना अच्छा लगता है देखकर कि आज अपने देश और प्रदेश के अंदर और मैं तो यह उम्मीद कर रहा था कि कोई एक सदस्य तो बोले कम से कम नेता प्रतिपक्ष बोलें कि चलो हमारे प्रदेश के अंदर डाकू की बात की वह भी आपसे नहीं मरे थे मारे तो हमने ही थे.खत्म तो हमने ही किये. चलो कोई बात नहीं.डाकू पुरानी बात हो गई लेकिन नक्सलवादी तो इसी महिने मारे. हमने एक साल के अंदर 13 नक्सलवादियों का खात्मा किया है यह हमारी सरकार का दम है और आपका सहयोग भी है क्योंकि आप भी हमारे सदन के माननीय सदस्य हैं. आपके,हमारे सबके सहयोग से आज लाल सलाम को आखिरी सलाम करके सबसे बड़ा बदलाव तो हमने अपने राज्य के अंदर कांग्रेस सरकार के मंत्री के मरने का दुख था उसका बदला लिया यह हमारे लिये सौभाग्य की बात है.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्यक्ष महोदय, यह राज की बात है कि इनके सहयोग से नक्सलवादी मारे गये.अभी तक किसी को नहीं पता था. मुख्यमंत्री जी ने आज बहुत गोपनीय बात बता दी सदन के अंदर कि आपके सहयोग से नक्सलवादियों को मारा है.

          डॉ.मोहन यादव - और इसीलिये मैं आपका भी धन्यवाद दे रहा हूं क्योंकि आपने दिन में दिग्विजय सिंह जी की तारीफ भले सब मामलों में की लेकिन नक्सलवादी मामले में उनको धीरे से आगे बढ़ा दिया नहीं तो हिडमा की उन्होंने अभी हाल निंदा की थी. आप बताईये नेता प्रतिपक्ष जी कि हिडमा के मामले में जिस प्रकार से दु्र्भाग्य के साथ कहना पड़ेगा. नक्सलवादी तो नक्सलवादी होगा उससे किसी की दोस्ती नहीं हो सकती.बड़े दुर्भाग्य के साथ बोलना पड़ेगा. माननीय प्रहलाद जी  यहां बैठे हैं वह तो स्वयं उस भीषण माहौल में चुनाव लड़े लेकिन कांग्रेस के तत्कालीन मुख्यमंत्री के मंत्री मर जाए और कोई बदला न ले. यह कहां हो सकता है, यह मध्‍यप्रदेश के लिये कलंक था, हमें गर्व है हमने वह कलंक धोकर दिखाया. हमारे सशस्‍त्र बल के लिये, पुलिस बल के लिये, आम जनता के लिये, इस सदन के सभी सम्‍मानित सदस्‍यों के लिये गौरव और गर्व की बात है और केवल इतना ही मान लेते माननीय नेता प्रतिपक्ष जी आपके माध्‍यम से अध्‍यक्ष जी कि आपने कौन सा मॉडल बनाया ताकि ये माननीय गृह मंत्री जी ने जो मार्च 2026 तक की तारीख दी और जनवरी तक की, मुझे धन्‍यवाद देना चाहिये माननीय गृह मंत्री जी को, माननीय प्रधान मंत्री जी को कि उनके सक्रिय मार्गदर्शन से हमने डेड लाइन के पहले नक्‍सलवादियों को खत्‍म कर दिया. यह हमारी सरकार की दम है जिसका परिणाम ऐसा आया है कि आज हमने क्‍या मॉडल बनाया. मैं बताना चाहूंगा, इसकी बात जरूर करना चाहिये. वर्ष 2024-25 में 16 मुठभेड़ हुईं और 16 मुठभेड़ में माननीय अध्‍यक्ष महोदय जो जवान हमारे जान की बाजी लगाकर के नक्‍सवादियों के खिलाफ अभियान में लगे हमें उन सारे 48 के आस पास सारे पुलिस जवान और अफसरों के लिये हृदय से उनके प्रति हमारा श्रृद्धा का भाव है, उनके बलिदान की कीमत पर हमने इस अभियान को सफलतापूर्वक प्राप्‍त किया. उनको हमको श्रृद्धांजलि देना चाहिये जिन्‍होंने जान की बाजी लगाकर के हमको यह दिन दिखाया और उससे बढ़कर भी आप अंदाज लगा लो पुलिस बल ने जो हथियार बरामद किये, नक्‍सलवादी तो छोड़ो पाकिस्‍तान के सेना जैसे हथियार थे एके 47, फोर एसएलआर चार इंसास, पांच रायफल, कुख्‍यात नक्‍सली सुरेन्‍द्र कबीर, राकेश सोढ़ी ऐसे दुर्दांत आतंकवादी जिन पर 75-75 लाख का इनाम था वह हमने न केवल सरेंडर कराये, बल्कि  आप बताईये सब मिलाकर के 11 दिसम्‍बर तो तारीख अमर हो गई मध्‍यप्रदेश के इतिहास में जब पूरा नक्‍सलजन मध्‍यप्रदेश से समाप्‍त कर दिया, यह हमारे लिये गर्व और गौरव की बात है. ये हमारी सरकार का और हमारे पुलिस बल का और आप सबके माध्‍यम से इस अभियान की सफलता के नये सोपान हैं. मैं बताना चाहूंगा इस विशेष अभियान में हमने क्‍या-क्‍या किया, थोड़ी चर्चा कर लें. यद्यपि 2 साल के अंदर हमने लोकसभा के चुनाव को यदि 4-5 महीने निकाल दें तो केवल डेढ़ साल का समय हमको मिला है और डेढ़ साल के समय में हमने साढ़े आठ सौ गोपनीय मित्रों को भर्ती किया है, तीनों जिलों में डिंडोरी, मंडला, बालाघाट में जिसका बड़े पैमाने पर हमको लाभ मिला. जो बेरोजगार लोग थे उनको रोजगार मिला और नक्‍सलवादियों की जड़ तक पहुंचने में हमको मदद मिली और इसके अलावा भी हमने पुनर्वास करने वालों के लिये, आत्‍मसमर्पण करने वालों के लिये पुनर्वास नीति लाये उसका लाभ हमको दिखा और इतना ही नहीं हमने एक-एक मॉड्यूल को ध्‍वस्‍थ किया, हमें इस बात की प्रसन्‍नता है. एक-एक आतंकवादी मॉडल चाहे मुजाहिद्दीन का हो, चाहे आईएसआई का हो, टेरर फंडिंग का हो, चरस नेटवर्क का हो, 20 से ज्‍यादा आरोपियों को गिरफ्तार किया. मनी लांड्रिंग के 1300 से ज्‍यादा संदिग्‍ध खातों में दो हजार करोड़ के अवैध लेनदेन का खुलासा किया. अवैध हथियार फेक्‍ट्री को ध्‍वस्‍थ करते हुये 1900 से अधिक बेरल और शटर नालियां, हथियार बनाने वाली सामग्री को जप्‍त किया. लंबी चौड़ी बात है, लेकिन सार में इतना ही कहना चाहूंगा माननीय अध्‍यक्ष महोदय आपसे यह अपील करते हैं अब आप और हम मिलकर 2047 तक मंडला, बालाघाट, डिंडोरी और जहां-जहां नक्‍सलवाद की बजाय ये डकैत पैदा होते हैं उनके यहां विकास के लिये और कैसा मॉडल हम खड़ा करें ताकि भविष्‍य में किसी प्रकार के ऐसे संगठित अपराध को मध्‍यप्रदेश में स्‍थान न मिले, ये सुझाव आपसे अपेक्षित करते हैं, माननीय अध्‍यक्ष महोदय इस बात की आवश्‍यकता है. हम राज्‍य की बेहतरी के लिये जवाबदार हैं, ये विधान सभा हम सबके लिये एक पवित्र मंदिर के समान है जहां हम सेवा करने के लिये आये हैं तो इसलिये इस भाव के आधार पर मैं अपेक्षा करता हूं. हमने इसी आधार पर कई सारे दूसरे निर्णय किये. माननीय मंत्री कैलाश विजयवर्गीय जी को मैं बधाई देना चाहूंगा, आपके विभाग ने एक अचीवमेंट करते हुये मेट्रोपॉलिटन के आधार पर शहरीकरण की बड़ी एक योजना की तरफ कदम बढ़ाया, जोरदार बधाई इंदौर और भोपाल के लिये. इंदौर में इंदौर, उज्‍जैन, देवास, धार, रतलाम ये 5 जिले इसका भौगोलिक एरिया लगभग 14 हजार किलोमीटर का है. मालवा मतलब माल का, आम तौर पर सम्‍पन्‍नता का, व्‍यापार व्‍यवसाय को बढ़ाने का, कई कारण से धार भी उसी में है अब माननीय नेता प्रतिपक्ष जी धन्‍यवाद इस बात के लिये देते कि सरकार के रहते-रहते पीथमपुर का तो बहुत बड़ा रिकार्ड बना ही बना, माननीय प्रधान मंत्री जी ने जन्‍मदिन के लिये विशेष तौर पर आकर के पीएम मित्रा पार्क की कितनी बड़ी सौगात दी.

 

          सारे ट्रायवल के बेल्‍ट के लिये           जिसके माध्‍यम से पूरा निमाड़ और मालवा के किसानों का जीवन बदलेगा, अब केवल यहां कपास उत्‍पादित नहीं होगा, धागा भी बनेगा, कपड़ा भी बनेगा, रेडीमेड गार्मेंटस भी बनेगा और तीन लाख लोगों को वहां पर प्रत्‍यक्ष रोजगार मिलेगा और छ: लाख से ज्‍यादा किसानों को घर पर अपनी फसल का सही ढंग से दाम मिलेगा. इसके साथ ही केवल वहां ही नहीं, गुजरात से लेकर इस एन.एच. का जो लाभ मिलेगा, इस आधार पर यह पूरा क्षेत्र वाकई में अदभुत होने वाला है. हमारे पथ विक्रेताओं के लिये पी.एम. स्‍वनिधि के माध्‍यम से 2 लाख 90 हजार से ज्‍यादा पथ विक्रेताओं को 1 हजार 122 करोड़ रूपये के ऋण प्रदान किये गये हैं, यह सबके सुखी संपन्‍न होने के लिये तो दिये गये हैं. अध्‍यक्ष महोदय, हम इसके माध्‍यम से हर व्‍यक्ति को, गरीब से गरीब आदमी की जिंदगी बेहतर से बेहतर हो जाये, उस दिशा में काम करने की आवश्‍यकता है.

          अध्‍यक्ष महोदय, मुझे इस बात की प्रसन्‍नता है कि जब हम अपने शहरी क्षेत्र की बात करते हैं, तो ग्रामीण क्षेत्र को कैसे छोड़ सकते हैं, पी.एम. किसान समृद्धि केंद्र के लिये माननीय प्रहलाद पटेल जी को मैं बधाई देना चाहूंगा, यह वाकई अदभुत योजना है, जिसके आधार पर हमने हर गांव के किसान को संपन्‍नता के लिये आगे बढ़ा रहे हैं.      

          अध्‍यक्ष महोदय, केवल उतना ही नहीं हमने वृंदावन गांव की बात कही, एक मां की बगिया की बात कही. प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के माध्‍यम से 11 लाख 46 हजार आवास, हम किसको कहते हैं 11 लाख अगर अंदाजा लगा लो, तो वाकई यह इतना बड़ा बेल्‍ट और केवल यही नहीं, इसमें इस प्रकार व्‍यवस्‍था जोड़कर चल रहे हैं और जल संग्रहण के लिये तो हमारा वास्‍तव में जल गंगा अभियान बीते साल ही इतना अदभुत रहा है कि भारत सरकार ने खरगोन, खण्‍डवा ऐसे हैं, जहां जल संग्रहण के लिये अपने जिलों को पुरस्‍कार दिया है. हम इस पुरस्‍कार के माध्‍यम से  पुरस्‍कार की अपेक्षा नहीं कर रहे हैं, लेकिन हमारी सेवाओं की भावनाओं को कोई न कोई तो देख रहा है और एक-एक बूंद जल है, तो जीवन है, यह जो हमारे बड़े अभियान चल रहे हैं, यह वाकई अदभुत है और ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण के अंतर्गत मुख्‍यमंत्री मजरे टोलों में 21 हजार 630 करोड़ की लागत से अगर 30 हजार 900 किलोमीटर की सड़कों की हमने स्‍वीकृति दी है तो यह वाकई बहुत अदभुत काम है. यह बहुत बड़ा काम है, यह हमारी सरकार के माध्‍यम से काम करने का तरीका है.

           अध्‍यक्ष महोदय, मैं जब आपसे बात करता हूं, तो मैं आपको बताना चाहूंगा कि आज हम टंट्या मामा के नाम पर अगर विश्‍वविद्यालय बना रहे हैं, तो यह हमारे लिये सौभाग्‍य की बात है. हमारे प्रदेश के लिये गर्व और गौरव की बात है कि हमारे मन में आदिवासी नायकों के लिये कितनी श्रद्धा है.

          अध्‍यक्ष महोदय, आपने मेडीकल की बात कही है, डॉक्‍टर की कमी की बात कही है. अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के लोगों से कहना चाहता हूं कि हमारे आदिवासी अंचल में बड़ी चुनौती सिकल सेल एनीमिया की थी. सिकल सेल एनीमिया पर चर्चा होती तो आप और हम मिलकर काम करते. हमने सवा करोड़ स्‍क्रीनिंग कराई और हम यह संकल्‍प करें कि हर हालत में वर्ष 2028 तक पूरी पकड़ बने और वर्ष 2047 तक तो सवाल ही नहीं उठता है, हम पूरे जड़ से सिकल सेल एनीमिया को दफन कर देंगे( मेजों की थपथपाहट) इस बात का सुझाव आपके माध्‍यम से आना चाहिए था, क्‍योंकि सिकल सेल एनीमिया ऐसी बीमारी है, जिसमें पीढि़या खराब हो जाती हैं, जिंदगी तबाह हो जाती है, ऐसी आईडेंटीफाई बीमारियों से लड़ने के लिये हमको आपको मिलकर चलने की आवश्‍यकता है.

          अध्‍यक्ष महोदय, प्रदेश में 800 से ज्‍यादा आयुष आरोग्‍य के मंदिर का संचालन हो रहा है और पद तो इतने सारे हैं कि मैं बार-बार नहीं बताना चाहूंगा, क्‍योंकि थोड़ा समय लंबा हो जायेगा, लेकिन जिस प्रकार से मैं आगे बात बता रहा हूं कि 12 हजार 670 मिनी आंगनवाड़ी केंद्रों का हमने उन्‍नयन करवाया है. 747 नये आंगनवाड़ी केंद्र खुले हैं. हमारी दृष्टि महिलाओं के स्‍वास्‍थ्‍य पर भी है, हमारी बहने स्‍वस्‍थ्‍य रहें, सुखी रहें, वो कहते हैं न कि जब बहन की आंखों में विश्‍वास और बच्‍चों के चेहरों पर मुस्‍कान होती है, तो समझ लीजिये की सरकार सही दिशा में चल रही है.

          अध्‍यक्ष महोदय, हमें इस बात का आनंद है कि सेनिटेशन, हाईजीन योजना के माध्‍यम से 20 लाख से अधिक बालिकाओं को पहली बार हमने 61 करोड़ रूपये की राशि का अंतरण सीधे उनके खाते में किया है, यह हमारी सरकार का हमारी बहनों के प्रति हमारा भाव है. मैं बताना चाहूंगा कि पी.एम. मित्रा पार्क के माध्‍यम से जो अभी बात कही है, मैं दोबारा दोहराना नहीं चाहूंगा लेकिन निवेश और उद्योग का नया ईको सिस्‍टम बनाते हुए 18 नई औद्योगिक पॉलिसियां, छ: पॉलिसी बाद में, ग्‍लोबल इंवेस्‍टर्स समिट, रीजनल इंडस्‍ट्री कॉनक्‍लेव, राष्‍ट्रीय इंटरेक्टिव सेशन विदेश यात्राओं के माध्‍यम से जो लगातार हमने अभियान चलाया है, इस अभियान का परिणाम है कि 8.57 लाख करोड़ के निवेश धरातल पर उतर गये हैं, यह पहली बार हो रहा है (मेजों की थपथपाहट) और इसके माध्‍यम से 6 लाख करोड़ रूपये के प्रस्‍ताव पर काम चालू हो गये हैं और मैं आपके माध्‍यम से नेता प्रतिपक्ष और बाकी मित्रों से निवेदन करना चाहता हूं कि यह वर्ष हमने उद्योग, रोजगार वर्ष के रूप में घोषित किया था.

          अभी इसी साल स्‍वर्गीय अटल बिहारी वापजेयी जी की जन्‍म शताब्‍दी का समापन है, 25 तारीख को और यशस्‍वी गृह मंत्री जी आने वाले हैं. पूरे देश में एक मात्र राज्‍य मध्‍यप्रदेश है जो एक दिन में 2 लाख करोड़ के निवेश के भूमिपूजन लोकार्पण का बड़ा कार्यक्रम करने वाला है. क्‍या अटली जी थे और क्‍या अटल जी का व्‍यक्तिव था,

क्‍या हार में, क्‍या जीत में, किंचित नहीं भयभीत मैं,

संघर्ष पथ पर जो मिला, ये भी सही, वह भी सही

          अटल जी की उदार भावना के बलबूते पर दुनिया लोकतंत्र के ऐसे भारत रत्‍न को हमेशा स्‍मरण करती है. आइए हमारा और आपका तो ये गर्व है कि अटल जी हमारे प्रदेश के थे, ग्‍वालियर के थे, तो हम उनको भी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करें और हम और आप मिलकर के उस पूरे आयोजन के साक्षी बने, ताकि उद्योग निवेश वर्ष जो हमने घोषित किया था, उसको हम अपने आप में अमर बनाए. मैं उम्‍मीद कर रहा हूं आपके माध्‍यम से, जब इसी तरह से और आगे बढ़ रहे हैं तो 26 औद्योगिक पार्क क्‍लस्‍टर को मंजूरी दी, मौजूदा 33 औद्योगिक क्षेत्रों का उन्‍नयन किया. नवकरणीय ऊर्जा में तो गजब हो गया. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आज पूरे देश में सबसे तेज गति से अगर एनर्जी सेक्‍टर में नवकरणीय ऊर्जा में कोई काम कर रहा है तो हमें गर्व है, वह मध्‍यप्रदेश है, जिसने सभी क्षेत्रों में समान रूप से संकल्‍प उठाए और बडे बड़े टारगेट लेकर आगे चल रहा है. मैं इतना ही बोलना चाहता हूं कि आपने कहा कि मजरा, टोला, ये भूल गए कि मजरा-टोला सहित सभी आदिवासी अंचल में बिजली को सप्‍लाई करने की कितनी चु‍नौतियां होती हैं, हमारी लाइन लॉस कितना होता है, सप्‍लाई करने में जो कठिनाई आती है, झाड़-जंगल की दिक्‍कतें. मैं नेता प्रतिपक्ष जी को बोलना चाहूंगा, हमारी सरकार ने निर्णय किया है कि इस प्रदेश के अंदर तीस लाख स्‍थायी कनेक्‍शन और दो लाख अस्‍थायी कनेक्‍शन बिजली के किसानों के हैं. हम यह चाहते हैं कि चरणबद्ध रूप से सारे मित्र सहयोग करेंगे तो हम सारे किसानों को सोलर पंप देकर, उनके बिजली के बिल की छुट्टी करेंगे, बिजली भी फ्री रहेगी और 24 घंटे बिजली हर एक को खेत में मिलेगी और उसके साथ साथ न केवल वह अपना कृषि पंप चलाएगा, बल्कि अपने घर पर भी बिजली जला सकेगा. यदि उसको छोटी मोटी आटे की चक्‍की चलाना, या छोटा मोटा दूसरा काम करना है, तो वह प्रत्‍येक काम करते हुए अच्‍छे से काम कर सकेगा. यह इतनी बड़ी योजना है, जिस आधार पर हमारे एक मात्र राज्‍य मध्‍यप्रदेश है, जिसने किसानों के लिए 90 प्रतिशत अनुदान देने का निर्णय किया है, यह ऐतिहासिक निर्णय है. यह इस सदन को गौरवान्वित करने वाले निर्णय है. जब मैं आपसे नवकरीणय ऊर्जा के आधार पर बात कर रहा हूं तो पम्‍प स्‍टोरेज में तो यह रिकार्ड बना ग्रीनको कंपनी के माध्‍यम से मैं अभी हैदराबाद गया था, कंपनी के मालिक ने सार्वजनिक रूप से सबके सामने इस बात को रखा कि जो पंप स्‍टोरेज मध्‍यप्रदेश में बन रहा है. पंप स्‍टोरेज के लिए यह बताना चाहूंगा कि उसमें नीचे एक टैंक चाहिए और एक टैंक ऊपर चाहिए, इसका पानी जब उसमें आता है तो बिजली बनती है, लेकिन जब दिन में बिजली सस्‍ती हो जाती है, तो सोलर पंप से पानी वापस ऊपर चढ़ा लो, फिर ये साइकिल चलती रहती है, बिना दूसरे पानी लाए और बिजली बनती रहती है. लेकिन सौभाग्‍य से हमारे यहां की भौगौलिक रचनाएं बहुत अच्‍छी है, यहां नीचे बड़े बड़े जलाशय है और ऊपर पंप स्‍टोरेज. इस आधार पर हमने एक पंप स्‍टोरेज का एक बड़ा प्रोजेक्‍ट गांधी सागर के लिए लिया और यह राज्‍य के लिए गौरव की बात है कि हमारे राज्‍य में पड़ोसी राज्‍यों के साथ सौहार्द्रपूर्ण  संबंध बनाने के कारण से ये झगड़े खत्‍म हुए, तो संयोग कैसा होता है कि हमारा गांधी सागर का पानी नीचे राजस्‍थान उपयोग करता था, ऐसे में राजस्‍थान से हमारे पिछले समय में पार्वती-चंबल-काली-सिंध योजना में जल के बंटवारे का बीस साल पुराना झगड़ा कांग्रेस के समय का, जब दो राज्‍य पानी के लिए लड़ते थे, माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी जी के शब्‍दों में कि आज बदलते दौर का समय है, जब आपस की संपदा के लिए राज्‍य मिलकर के काम कर रहे हैं. हमने हमारे प्रेम और स्‍नेह के आधार पर राजस्‍थान से इतना अच्‍छा संबंधी बनाया और माननीय प्रधानमंत्री जी के आशीर्वाद से कि पीकेसी योजना से 15 से ज्‍यादा जिले राजस्‍थान और 15 से ज्‍यादा मध्‍यप्रदेश के जिलों को लाभ मिल रहा है. ऐसे आपस के संबंध है जिससे नदी जोड़ों अभियान का बड़ा प्रोजेक्‍ट पूरा  होता है, केवल नदी जोड़ों नहीं, जब हम अपने पंप स्‍टोरेज के माध्‍यम से, जब इस दिशा में आगे बढे़ तो मुझे इस बात का गर्व है, हमने ग्रीनको कंपनी को टेण्‍डर दे दिया, उन्‍होंने अपने टाइम पीरियड के अंदर बड़ा तालाब जैसा पानी स्‍टोरेज करने का टैंक बना लिया लेकिन नीचे के गांधी सागर डेम को अगर पानी छोड़ते हैं तो राजस्थान उसमें ना बोल दें तो हम कुछ नहीं कर सकते थे. लेकिन इसी संबंधों के बलबूते पर राजस्थान के मुख्यमंत्री जी को फोन किया. मैं माननीय भजनलाल जी मुख्यमंत्री राजस्थान को भी धन्यवाद देना चाहूंगा उन्होंने टेलीफोन पर हां कहकर कोई बात नहीं है पानी को घटा देता हूं. तो वह जो हमारा पम्प स्टोरेज का प्रस्ताव चार साल में पूरा होता वह दो साल से कम समय में पूरा हो रहा है. यह बड़ी सौगात और उसका लाभ हमको मिल रहा है. यह इसके माध्यम से न केवल यह बड़े बड़े बिजली आपूर्ति के संसाधन बना रहे हैं, बल्कि पूरे देश में अलग प्रकार का मध्यप्रदेश बन रहा है. यह ग्रीनको कम्पनी के मालिक ने कहा कि यह प्रोजेक्ट अगर आन्ध्र में बना है. तो वह चार साल में पूरा हुआ था. अगर विदेश में बनता तो आठ से दस साल उसको लगते. यह मध्यप्रदेश की सरकार थी दो साल से कम समय में इतना बड़ा भारत का नहीं विश्व का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट पूरा हो गया. मैं बताना चाहता हूं कि आज अपने बीच में चर्चा कर रहा हूं. तो सिंहस्थ को लेकर के बात आयी सिंहस्थ के साथ अपनी जो परम्पराएं हैं खासकर मैं दोहराना नहीं चाहूंगा लेकिन वनगमन पथ, श्री कृष्ण पाथेय ऐसी कई योजनाओं पर हम काम कर रहे हैं. आज इतना ही नहीं उससे आगे बढ़ते हुए जिस प्रकार से हमारा चीता कारीडोर अब हमारे राज्यों को मिलाकर के हमारे यहां पर चीते की संख्या जिस प्रकार से उसका परिवार बढ़ रहा है. अभी हमारे तीन अभ्यारण्य और बनेंगे. बाकी जगह और पूरे करते करते लेकिन इसमें केवल मध्यप्रदेश नहीं मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, राजस्थान को मिलाकर के हम चीता कारीडोर बनाने वाले हैं ताकि वन्य जीवों की अद्भुत देन परमात्मा की दया से अगर फल फूल रही है. इसको और आगे बढ़ते देखेंगे. बाघों की बढ़ती संख्या के लिये कान्हा देश का सर्वश्रेष्ठ टाईगर रिजर्व बना है. हमें इस बात की प्रसन्नता है कि और यह गर्व भी है. आपने कहा कि टाईगर की मौत हो रही है. हमने एक भी टाईगर के लिये कष्ट होता है, किसी कारण से दुर्घटना होती है हम उसके सारे प्रबंधन करेंगे. आपके उसमें सुझाव भी लेंगे लेकिन यह भी धन्यवाद दे दो कि पहली बार रातापानी में टाईगर रिजर्व डॉ.विष्णु सर वाकड़कर के लिये बनाया कि नहीं बनाया. यह भी हमारी अपनी देन है. यह हमारे लिये याद दिलायें कि पन्ना से टाईगर किसके समय में गायब हो गये थे. माधव नेशनल पार्क तो आजादी के पहले का बना हुआ था वहां के टाईगर कहां चले गये, कौन ने शिकार कर लिया. चलो भूली बिसरी बातें छोड़ दो क्योंकि कांग्रेस को याद दिलवाऊंगा तो कष्ट हो जायेगा. आज तो हम कह रहे हैं कि इस बात से नकार सकता है कि सबसे ज्यादा टाईगर कहीं है तो हमें इस बात की प्रसन्नता है कि हां आज अपने मध्यप्रदेश के अंदर है, यह गर्व की बात है. अब धीरे धीरे और बढ़ता जा रहा है. अभी नवां बना दिया है और दसवां हम ओंकारेश्वर में बनाने वाले हैं. वह भी हमारा एरिया एडेंटीफाई कर लिया है. आपका साथ मिलेगा तो हम इसमें और नये प्रकार से काम भी कर रहे हैं, क्योंकि हमारे पास में इनकी आबादी बढ़ रही है. तो इनके लिये जू भी बना रहे हैं, रेस्क्यू सेन्टर भी बना रहे हैं और एक वनतारा का सूर्य भी बना देंगे आप चिन्ता मत करो हमारे पास तो जितना आप चाहोगे हरेक जगह पर हमारे यहां पर पर्यटक आते हैं तो हर जगह पर हमको उनके साथ ऐसे जीव किसी कारण से अपने जीवन यापन में कष्ट हो तो उसका हम रेस्क्यू सेन्टर बनाते हुए उनके भी जीवन प्रबंधन के लिये आगे बढ़ रहे हैं. यह सौभाग्य की बात है कि अब तो हाथी भी हमारे पास में आ गये हैं. अभी तक हाथी नहीं थे. अब हमने मगर को भी पहली बार ओंकारेश्वर में मां नर्मदा का वाहन मगर हमने वहां भी छोड़ा है. अभी तो जिराफ भी आ रहे हैं, गेंडे भी आ रहे हैं, किंग कोबरा भी आ रहा है. गिनते जाओ जो जो नहीं हैं वह सब ला रहे हैं. अपने राज्य के अंदर वन सम्पदा का यह बढ़ता हुआ परिवार यह हमारे लिये गर्व की बात है. पीएम हेली सेवा की बात भी कर लेते हैं अभी तक तो उतराखंड में केदारनाथ, बद्रीनाथ गंगोत्री और यमुनोत्री के लिये हेलीकाप्टर जाते थे. अब तो राज्य के अंदर भी तीन घंटे में ओंकारेश्वर, उज्जैन और इन्दौर आने जाने की सुविधा है. केवल वहां नहीं जबलपुर से भी, भोपाल से भी आगे जाकर के थोड़ा पेंच बढ़ा सुप्रीम कोर्ट के कारण से ताकि हमारा अभी पचमढ़ी का प्रोजेक्ट रूका है. लेकिन धीरे धीरे एवीएशन में सबके अंदर सबसे अच्छी पॉलिसी अभी एवीएशन मंत्री आये थे. हमारे यहां पर नवें एयरपोर्ट के उद्घाटन के लिये तो तीन एयरपोर्ट दो साल के अंदर दतिया, रीवा, सतना यह सौगात माननीय मोदी जी के नेतृत्व में मध्यप्रदेश को मिल रही है. यह हमारे लिये सौभाग्य की बात है. अब तो दसवें एयरपोर्ट का अनाऊंसमेंट कर गये हैं. उतना ही नहीं भविष्य में यहां की एवीएशन पॉलिसी अब अपने हरेक एयरपोर्ट पर प्लेन चले इसलिये हमने वीजीएफ देना चालू कर दिया है. यहां तक कि नेशनल भी नहीं इंटरनेशनल भी प्लाईट आयेगी. पर फ्लाईट 15 लाख रूपये देने के लिये हमारी पॉलिसी है कि हमारे सभी प्रकार के हवाई अड्डे यात्रियों को लेकर के आये और उसके माध्यम से हम हर प्रकार की हमारे व्यापार व्यवसाय की गतिविधियों को हम बढ़ावा दे रहे हैं.

फ्लाइट भी शुरू हो गई. रीवा से इंदौर 22 तारीख को फ्लाइट शुरू हो जायेगी. हम दिल्‍ली से रीवा के लिए सोच नहीं सकते थे लेकिन वह रीवा नहीं, बल्‍कि रीवा से लेकर सिंगरौली तक लाभ देगा. चित्रकूट के धाम तक जाने के लिए माननीय राजेन्‍द्र सिंह जी वहां हैं ही, वहां आने-जाने के लिए हमारी पीएम वायु सेवा टूरिज्‍म के माध्‍यम से प्‍लेन चल रहा है. उसकी सौगात मिल रही है. सिंगरौली में 24 घंटे लगता है कि कितनी दूर है लेकिन सिंगरौली के एयरपोर्ट से लगातार आने-जाने के लिए बड़ी सौगातें मिल रही हैं. अशोकनगर के चंदेरी प्राणपुर में 7 करोड़ की लागत से क्रॉफ्ट हैंडलूम्‍स टूरिज्‍म विलेज प्रारम्‍भ किया है. ओंकारेश्‍वर में एकात्‍म धाम गुजरात के केवड़िया के एचटीयू तक लगातर हम कोशिश कर रहे हैं कि पर्यटकों को बड़ी सुविधा मिलेगी. ओंकारेश्‍वर में 26वीं वर्ल्‍ड लाइफ सेंचुरी की स्‍थापना हमने की है. प्रदेश में 5500 करोड़ से बनने वाले टाइगर रिजर्व कॉरिडोर के बारे में माननीय राकेश सिंह जी ने कहा है, मैं दोहराना नहीं चाहूंगा. हमारा राजनीतिक दृष्‍टिकोण साफ है. हम किसी का तुष्‍टिकरण नही करना चाहते, लेकिन हम सबका सशक्‍तिकरण करना चाहते हैं. हम वादे नहीं, काम करना चाहते हैं. हम भाषण नहीं, परिणाम देना चाहते हैं.(मेजों की थपथपाहट) जब हम आपसे बात कर रहे हैं तो यह लगातार आने वाली पीढ़ियों के लिए वर्ष 2047 तक  मध्‍यप्रदेश किसी पर निर्भर न रहे, हर गरीब को अधिकार मिले, किसान सम्‍मान से जिएं, वा आत्‍मविश्‍वास से आगे बढे़ं, इस दिशा में हम लगातार काम कर रहे हैं. इसीलिए हमने यशस्‍वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी जी की भावना के अनुसार किसान भाई-बंधु आगे बढे़, खुशहाल रहे, सलिए हमने किसान कल्‍याण मिशन प्रारम्‍भ किया. हम याबीन उत्‍पादक किसानों के लिए भावांतर योजना लेकर आए.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय नेता प्रतिपक्ष जी, मैं आज आपको बताना चाहूंगा कि पहली बार बड़ी संख्‍या में कोदो-कुटकी ट्राइबल बेल्‍ट से आने वाले माननीय विधायकगण यहां मौजूद हैं. आप बताइए कि एमएसपी पर पहली बार इस फसल को खरीदने का काम किसी ने शुरू किया है तो वह हमारी सरकार के द्वारा किया गया है (मेजों की थपथपाहट) जिसके माध्‍यम से न केवल हम उनको उचित दाम दे रहे हैं. कोदो के लिए ढाई हजार, और कुटकी के लिए साढे़ तीन हजार दे रहे हैं. बल्‍कि उसके अलावा एक हजार बोनस अलग से दे रहे हैं. क्‍योंकि हम चाहते हैं कि श्रीअन्‍न को जितना बढ़ावा दें, यह हमारे आदिवासी भाई-बहन के साथ मध्‍यप्रदेश की समृद्धि में बड़ी भूमिका अदा करेगी. माननीय कैलाश जी बता रहे हैं कि पहले यह दो सौ, तीन सौ रूपए में बिकता था और आज क्‍या कर रहे हैं बल्‍कि इससे आगे बढ़कर के  हमने तो आदिवासी अंचल के श्रीअन्‍न को बाबा महाकाल के प्रसाद के लड्डू की तरह भी चालू करने का काम किया. यह हमारी सरकार की देन है. (मेजों की थपथपाहट) हमने कहा कि बाबा महाकाल की सवारी अगर सावन में हर सोमवार को निकलती है तो हमारे बालाघाट, मंडला, डिण्‍डौरी, धार, झाबुआ, अलीराजपुर, बड़वानी जिले के भी हमारे भाई-बहन आएं और बाबा महाकाल की सवारी में शामिल हों. कितना अच्‍छा लगता है यह विविधता वाला मध्‍यप्रदेश और अपने आस्‍था के ऐसे केन्‍द्रों में सब मिलकर के आएं, तो हम आपके माध्‍यम से नेता प्रतिपक्ष जी से भी कहना चाहते हैं कि आप और ऐसे लोगों को, जिनको आप भेजना चाहते हैं आप उनकी लिस्‍ट बनाकर बताइए, हम उनको सब दूर पहुंचाने की व्‍यवस्‍था करेंगे. अब आप बताइए कि माननीय नेता प्रतिपक्ष जी के क्षेत्र में अभी भगोरिया आने वाला है. भगोरिया पर्व आज से नहीं हो रहा है यह बहुत पहले से हो रहा है.लेकिन भगोरिया पर्व को राष्‍ट्रीय पर्व बनाने का अगर निर्णय किया है, तो हमारी सरकार ने किया है. (मेजों की थपथपाहट)

          अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपको बताना चाहूंगा और उम्‍मीद करता हॅूं कि कौन-कौन सी परम्‍पराएं हैं जब हमने पहली बार डीजे बंद करवाए थे. माईक पर कंट्रोल किया था. मुझे इस बात की प्रसन्‍नता है इसका अक्षरश: पालन अगर कहीं हुआ है तो हमारे झाबुआ में हुआ है. अलीराजपुर में हुआ. डीजे की आवाज बढ़ने के कारण कई लोगों के हॉर्ट की और कई कठिनाइयां बढ़ जाती थीं. मुझे इस बात की प्रसन्‍नता है कि ट्राइबल बेल्‍ट में बड़ी संख्‍या में जब ढोल, मांदल जो उनके संगीत के वाद्य होते हैं वह बजते दिखाई देते हैं. हमने भगवान कृष्‍ण की जब मुख पर मुरली अधर धरी, जब बोलो तब हरी हरी केवल फोटो में देखा था. लेकिन वह तो गांव-गांव में दिखाई देता है तो हमारे ट्राइबल अंचल में भगवान कृष्‍ण के प्रतिरूप में क्‍या मोर मुकुट वाले, क्‍या आदिवासी भाई-बहन आनंद के साथ घूमते दिखाई देते हैं. ऐसा लगता है कि उनके साथ झूमते रहो. आनंद मनाते रहो. इतने अच्‍छे पवित्र मन के लोगे जब दिखाई देते हैं तो इस तरह की बातों से हम कैसे उनका मनोबल बढ़ा सकते हैं अगर आप हमें आंकड़ा दें कि इनके वाद्य और कैसे बढ़ा सकते हैं, तो उसके लिए हम क्‍या अनुदान दे सकते हैं इसको जोड़कर बात करें.

          अध्‍यक्ष महोदय, रानी दुर्गावती, कुंवर रघुनाथ शाह, कुंवर शंकरशाह, टंट्या मामा इतने बड़े-बड़े हमारे आदिवासी अंचल के महापुरूषों की गौरवशाली परंपरा रही है. जिन्‍होंने वर्ष 1857 में अपनी भूमिका अदा की. हमने उनको पाठ्यक्रम में भी रखा. हम प्रतिवर्ष उनकी जयंती और पुण्‍यतिथि को भी मना रहे हैं बल्‍कि उससे आगे बढ़कर हमने रानी दुर्गावती के नाम पर उनकी 500वीं जयंती मनाकर के संग्रामपुर और जबलपुर में हमने कैबिनेट मीटिंग करने का भी काम किया यह हमारे अपने आदिवासी भाई बहनों के प्रति प्रतिबद्धता है और आगे क्या कर सकते हैं, कोई न कोई निमित्त बना सकते हैं. जब हम इस तरह आगे बढ़ते हैं तो राजा भभूतसिंह के लिए भी हमने कैबिनेट की, यह जो कैबिनेट का मतलब कैबिनेट तो हर सप्ताह होती ही होती है लेकिन क्षेत्र विशेष में किसी विशेष आयोजन से जोड़कर करें. आपके भी सकारात्मक सुझाव आएं, हम उस पर आगे बढ़ना चाहते हैं.

डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह - अध्यक्ष महोदय, क्या आपने माननीय मुख्यमंत्री जी को पटल पर रखने का विकल्प नहीं दिया है?

डॉ. मोहन यादव - अध्यक्ष महोदय, राजेन्द्र सिंह भाई साहब से मेरे विशेष संबंध हैं. जब मैं बोल रहा हूं तो आप निवेदन यह है कि हमने भी थोड़ा धैर्य से सुना है, अब एक घंटा और आप सुनें तो आनन्द आएगा.

श्री गोविन्द सिंह राजपूत - अध्यक्ष महोदय, अकेले सुने ही नहीं, माननीय मुख्यमंत्री जी जो विकास की बातें बता रहे हैं कृपया करके जाकर जनता को बताएं.

डॉ. मोहन यादव - अध्यक्ष महोदय, जब हमने अलग अलग प्रकार के इंडस्ट्रियल कॉनक्लेव की बात कही. अब खासकर एक क्षेत्र में केवल हैवी इंडस्ट्री, एमएसएमई, सब्जेक्ट वाइस तो एग्रीकल्चर इंडस्ट्री कॉनक्लेव भी करने की शुरुआत की. इसके बलबूते पर हमने मंदसौर, नरसिंहपुर और आप भी बताइए, जहां कृषि आधारित उद्योग हमको लगाना है, हमारे राज्य के किसान अगर फसल उगाते हैं, अगर सब्जी फल या कोई क्रॉप लगाते हैं और वह अधिक हो जाती है तो क्यों उनको फेंकना चाहिए, उनके यहां प्याज ज्यादा हो जाय तो क्यों फेकना चाहिए. हम उनको कहां कहां कारखाने लगाकर  प्याज के पाउडर बना दें. लहसून के पाउडर बना दें, यह समेकित रूप से पूरे राज्य के अंदर आपसे भी सुझाव चाहते हैं. अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से कहना चाहता हूं कि सकारात्मक रूप से एक दिन कोई ऐसा  सदन भी बुलाएं.

श्री सोहनलाल वाल्मीकी - अध्यक्ष महोदय, रामेश्वर शर्मा जी ने शैम्पू बनाने बात कही. सॉस से शैम्पू.

अध्यक्ष महोदय- सोहन जी प्लीज़. बीच में व्यवधान न करें.

श्री रामेश्वर शर्मा - इन्हें शैम्पू की फेक्ट्री बता दी, वहां बगरौदा से जाकर खरीद लें. अब खरीदकर भी क्या मैं ही दूंगा? दूसरों के शैम्पू लगाने की बहुत आदत पड़ गई.

डॉ. मोहन यादव - अध्यक्ष महोदय, मैं इतना ही कहना चाहूंगा कि कभी ऐसा भी होगा कि हम एकाध सत्र एग्रीकल्चर के लिए बुलाएं, जिसमें एग्रीकल्चर की बात करें. एग्रीकल्चर के अलग अलग क्षेत्रों में जैसे सुनकर इतना अच्छा लगता है कि कहां वर्ष 1956 में मध्यप्रदेश बना और वर्ष 2003 तक सिंचाई का रकबा, यह ऑन रिकार्ड है केवल यह 7.50 लाख हैक्टेयर था. मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि केवल डेढ़ साल में 7.50 लाख हैक्टेयर हमारी सरकार ने इसको कर दिया है. यह आज का समय है और 3  राज्यों के साथ नदी जोडो अभियान, उत्तर प्रदेश केन-बेतवा, पार्वती- कालीसिंध-चंबल, राजस्थान और ताप्ती महाराष्ट्र के साथ हम इसमें आगे बढ़ रहे हैं. इतना ही नहीं अब तो अलकनंदा भी मुस्कराएगी, हमको केन बेतवा का लाभ मिलेगा, चित्रकूट का धाम, चित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीड़, पानी नहीं मिलेगा तो करेंगे क्या? अब वहां पानी भी मिलेगा केन बेतवा का और चित्रकूट धाम भी आनन्द में भगवान के उस काल को स्मरण दिलवाएगा, इसलिए हम उस पर भी काम कर रहे हैं, यह हमारी सरकार के काम करने का तरीका है. मैं बताना चाहूंगा कि आज जब मैं आपसे बात कर रहा हूं तो कुल मिलाकर सिंचाई की बात मैंने की. गौ संवर्धन की बात आपने कही है. मैं बताना चाहूंगा कि हम किसानों की आय डबल करने के लिए हम काम कर रहे हैं. किसान की खेती का रकबा भी बढ़ाकर जब हमारी सरकार बनी, मैंने बताया कि वर्ष 2002-03 तक केवल 7.50 लाख हैक्टेयर सिंचाई का रकबा था, जब हमारी सरकार बनी तो लगभग 42 लाख हैक्टेयर का सिंचाई का रकबा हमारा था, मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि आज वह 52 लाख के आसपास हुआ है. हमारी सरकार ने संकल्प लिया है कि 5 साल के अंदर यह 100 लाख हैक्टेयर तक हो जाएगा, यह हमारी सरकार ने संकल्प लिया है. सारे क्षेत्रों में, सारे गांवों तक हर जगह पानी, अध्यक्ष महोदय, पारस को लोहे से छुआ दो तो सोना बन जाता है, यह हमने सुना है. लेकिन सूखे खेत में पानी मिल जाय हमने पारस तो देखा नहीं, लेकिन यह जरूर देखा है कि किसान बेटे होने के नाते से कि सूखे खेत में पानी ला दो तो फसल सोने की हो जाती है, यह वर्तमान का हमारा सीधा सीधा सिद्धांत है. (मेजों की थपथपाहट)..इसलिए हर खेत तक पानी दिलाने के लिए और केवल खेत तक नहीं, हर घर तक पानी मिले, हर घर जल, घर-घर जल, यह माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी की योजना है.  और हमारा एकमात्र राज्य  है,  जो सबसे तेज गति  से  आगे बढ़ रहा है.  मैं  तो नेता प्रतिपक्ष  और  सारे  मित्रों से कहना चाहता हूं कि  इस मॉडल पर हम  घर घर जल  की योजना पर काम  कर रहे हैं.  जो एकीकृत   सिंगल विलेज  योजना है,  उस पर भी काम करेंगे और  जो समूह योजना है और उसके संचालन  के लिये हम और आप मिलकर के  कोई और ऐसा मैकेनिज्म  भी बनायें कि केवल  एक   बार नहीं  लम्बे समय तक इसका  लाभ कैसे मिले, क्योंकि  ग्रामीण  क्षेत्र में  पीने  के पानी  के क्या कष्ट  होते हैं, यह हम और आप सब  जानते हैं. इसलिये  हम इसमें कोशिश कर रहे हैं कि  कोई  घर खाली नहीं रहे.  जब हम आपसे बात कर रहे हैं, गौ संवर्धन  की तो प्रदेश के अन्दर   20 से 40 रुपपा   प्रति गौ माता गौशाला के लिये हमने अनुदान बढ़ाने  की   घोषणा की है. लगातार  डे फर्स्ट से  सीधे डीबीटी के माध्यम से  न केवल राशि मिल रही है,  बल्कि गौशालाएं  नगर निगम पहले खिड़क  बनाती थी.  खिड़क मतलब सजा, कारावास. अरे,  गौमाता  जिसका कोई  धरी धोरी  नहीं है. कोई कारण से छोड़ गया. तो  वह गौ माता बड़े कष्ट में  रहती थी.  अब हमने संतों के साथ जोड़ करके   वाकई में  गौशाला  इतनी   अच्छी हो गई,  अध्यक्ष महोदय, आपके लाल टिपारा  ग्वालियर में   आप खुद मेरे साथ चले  थे.  आप उज्जैन में देखिये.  अभी भोपाल में 10 हजार   की गौशाला तैयार होने  वाली है. जबलपुर  में  राकेश सिंह जी के यहां  गौशाला बन रही है. हरेक क्षेत्र में  आपकी  बसामन रीवा में, माननीय गृह मंत्री  जी   भी वहां आने वाले हैं.  ऐसे हरेक जगह  गौशाला बना रहे हैं और गौशाला इतना  ही नहीं, जो  5 हजार से 10 हजार , 20 हजार की गौशाला  बनायेंगे  130  एकड़ जमीन उसको देंगे.  उसमें प्रति गौमाता   40 रुपया भी देंगे,  30 प्रतिशत से ज्यादा  दूध का उत्पादन  भी वह करे, तो कोई दिक्कत  नहीं.  साथ में गौ मूत्र, गोबर आजकल  प्राकृतिक खेती के लिये, प्राकृतिक खाद के लिये  यह 20 से ज्यादा  गौशालाओं  के लिये  लखन जी यहां होंगे.  हैं ना कितनी बड़ी योजना है  और सीएनजी  गैस भी बनायेंगे.  पूरे देश में लोग   इतने आकर्षित होकर  बात कर रहे हैं कि  अब हमारे यहां लगभग  44 लाख से ज्यादा गौ माताओं को हमने रखने  का प्रबंध कर लिया है.  केवल  इतना ही नहीं घर घर   गौशाला गौ माता, घर घर में लोग गोपाल बने,  गाय को pa पाले वह गौपाल.  इसलिये दूध उत्पादन  से  उनकी आय बढ़े. तो 25 से ज्यादा  गौमाता जो लायेगा,  40 लाख रुपये की योजना रहेगी, 10 लाख रुपया  हमारी सरकार उसको भी  देने को तैयार है.  धीरे धीरे करके   9 प्रतिशत का दूध उत्पादन   20 प्रतिशत तक   आगे तक जाये, देश के अन्दर  हम नम्बर वन  की दूध की राजधानी   बन जाये,  इस पर हम काम कर रहे हैं.  एक क्षेत्र में हम लगातार   बढ़ते जा रहे हैं.  डॉ. भीमराव  अम्बेडकर कामधेनु योजना के माध्यम से  हम इतना ही नहीं   गौमाता के साथ   अम्बेडकर  जी को जोड़ करके   पशुपालन के साथ हर वर्ग को साथ जोड़ने का प्रयास किया है.  मैं  जब  आपसे बात कर रहा हूं,  तो ई तकनीक  के आधार पर  म.प्र. साइबर तहसील का  जो मैंने प्रारम्भ में कहा था. जो मैंने बोल दिया सुबह,  उसको छोड़कर आगे बढ़ रहा हूं. लेकिन जैसे जैसे हम आगे बढ़ते जा रहे हैं. हमने कहा था कि सभी शासकीय  विभागों में   1 लाख पदों पर भर्ती  करेंगे और  आगामी 5 वर्ष  में  ढाई लाख पदों की भर्ती   हमारी सरकार करने वाली है. यह संकल्प हमारा है. 60 हजार से ज्यादा  पद   हमने भर दिये हैं.  अकेले इसी 2025  में  3 साल की पीएससी का बैकलॉग हमने   खतम किया है और   सभी  प्रकार का भर्ती बोर्ड के  माध्यम से  अब एक ही एग्जाम करायेंगे, ताकि अलग अलग  विभाग के अलग अलग एग्जाम   की जरुरत नहीं पड़े और जो जिस श्रेणी का व्यक्ति  है,  जैसे अपनी भारत  सरकार   की प्रतियोगिता होती है,  उसी एग्जाम से आईएएस,आईपीएस,आईएफएस  बन जाते हैं. ऐसे हमने   मैकेनिज्म बना करके कम समय में ज्यादा  से ज्यादा भर्ती करके  सारे योग्य लोगों को  योग्य तरीके से  पहुंचा दें,  ऐसे कई काम हम कर रहे हैं.  वन डिस्ट्रिक्ट वन स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स के माध्यम से हर जिले के अन्दर  हम खेल का स्टेडियम देने वाले हैं. यह हर विधान सभा तक   भी ले जायेंगे.  धीरे धीरे करके हर   विधान सभा में एक हेलिपैड भी बनायेंगे.  हेलिपैड का काम  हेलिपैड करे, बाकी  समय  वह  बच्चों   के खेलने के लिये भी काम आये.  सब प्रकार की सुविधा बने.  ऐसे कई क्षेत्रों में हम   लगातार आगे बढ़ रहे हैं.  जब मैं आपसे बात कर रहा हूं, तो यह  सामाजिक न्याय की दृष्टि से भी  एमएसएमई की दृष्टि से भी  और खास करके  वह  पुराने काल में,  फिर याद दिलाऊंगा तो  थोड़ी खराब लगेगी. यह  बसें किस के काल में बंद   हुई थीं यह हम सबको मालूम है.  बसों की हालत  क्या हुई थी.  मुझे इस बात की प्रसन्नता है  कि  बसें हम चलायेंगे  और यह बड़ी सौगात  हम  अपने देश के अंदर  मध्यप्रदेश की तरफ से देना चाह रहे हैं. जिसमें भोपाल, इन्दौर,  ग्वालियर, जबलपुर , सागर सब दूर ई बस  की योजना के माध्यम से 550 से अधिक   शहरी ई बस  का संचालन भी करेंगे और ग्रामीण क्षेत्र में भी करेंगे.

अध्यक्ष महोदय, अब जरा थोड़े आगे की भी बात कर लें, वर्ष 2025-26 में वैसे तो आपने बता ही दिया है अगले पांच वर्षों में एक लाख किलोमीटर बनाने का निर्णय हमारी सरकार के माध्यम से हुआ. मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के माध्यम से 8565 गांव को सड़कों से जोड़ेंगे. उज्जैन जावरा फोर लेन ग्रीन फील्ड एक्सेस कन्ट्रोल हाईवे का कल ही एक्सेप्ट किया और केवल उज्जैन जावरा नहीं, उज्जैन इंदौर भी, इस बडे पैमाने पर हम काम कर रहे हैं उज्जैन इंदौर सिक्सलेन 1692 करोड़ का भोपाल कानपुर इकानामिक कारीडोर फोरलेन में 3590 करोड का, सिक्सलेन आगरा ग्वालियर राष्ट्रीय हाई स्पीड कारीडोर के स्थापना की परियोजना स्वीकृत कराई है. मध्यप्रदेश में 48 हजार 178 करोड की, 73 राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनायें निर्माणाधीन हैं.  अब जो मैं बोलने जा रहा हूं तो बहुत सारी बातें बता सकता हूं. संबल योजना के माध्यम से 6.81 लाख करोड़ जरूरत मंदों को 64030 करोड़ की सहायता हमने दी है. यह अपने आपमें बहुत बड़ा रिकार्ड है.

          माननीय अध्यक्ष महोदय दिव्यांगता और मृत्यु पर 4 लाख की सहायता देना यह हमारी सामाजिक प्रतिबद्धता हम बताना चाहते हैं. आपने बंद कराई थी. रेल मेन्युफेक्चरिंग सेन्टर भारत अर्थमूवर्स लिमिटेड के माध्यम से रेल की कोच और रेल पूरी की पूरी बने सपना होता था लेकिन बताना चाहूंगा कि माननीय रक्षा मंत्री जी ने स्वयं भूमि पूजन किया और भोपाल मे वंदे भारत के ट्रेन के कोच बनेंगे. यह हमारी सरकार करके दिखा रही है.

          अध्यक्ष महोदय, गरीब कल्याण मिशन के माध्यम से इंदौर की हुकुमचंद मिल के लिये माननीय कैलाश जी यहां पर हैं  48 हजार श्रमिक परिवारों को 224 करोड़ का भुगतान कराकर यह अद्भुद प्रोजेक्ट  बनने वाला है और इस प्रोजेक्ट के लिये भी माननीय कैलाश जी ने और हमने परसों मीटिंग की थी और मैं माननीय नेता प्रतिपक्ष जी से कहना चाहता हूं कि यह विदेशों में इतना बड़ा केंपस डेवलेप हो जाये और यह इकानामिक कारिडोर की दृष्टि से भी मध्यप्रदेश के साथ में नया प्रयोग है कि हम एक अपने आपमें एक नया अनूठा प्रयोग ऐसा करें कि देश भर का आधुनिक मॉडल बन जाये , क्यों आंध्र के साथ अमरावती पर बड़ा प्रोजेक्ट बन सकता है दूसरे राज्यों में बन सकता है तो मध्यप्रदेश में भी वह गौरवशाली अतीत बने इसलिये हम इस पर काम कर रहे हैं, बड़े बड़े इन्वेस्टरों के साथ एक अद्भुद प्रोजेक्ट बने जिसमें कामर्शियल-रेसीडेंसियल और सभी प्रकार के वर्गों की सभी विकास की संभावना रहे. यह बड़ी बड़ी हमारी मिलों की शहर के बीचों बीच की भूमियां यह राज्य की समृद्धि का भी बड़ा माइल स्टोन बने और ‑जिसके माध्यम से दूरगामी दृष्टि से राज्य की अपनी एक साख भी बने, ऐसे कई कामों के लिये मैं आपके माध्यम से निमंत्रण देना चाहता हूं नेता प्रतिपक्ष को कि 2047 तक जब हमारा राज्य इस तरह से आगे बढ़ेगा तो यहां के उदाहरण दूसरे देश अपनायें, अनुसूचित जाति और जनजाति के वर्ग के लिये जो जो काम हम किये हैं, उसके बारे में ओमप्रकाश धुर्वे जी ने बहुत अच्छी तरीके से बात कर दी है लेकिन रविदार स्मारक का निर्माण 95 प्रतिशत से ऊपर पूरा हो गया है, मैं आपके माध्यम से सागर की उस सौगात के लिये बधाई देना चाहूंगा जो कहा वह पूरा किया यह उस प्रकार की भावना है इसलिये कक्षा एक से लेकर के महाविद्यालय तक 100 करोड़ रूपये का बनने वाला है गोविंद सिंह जी बता रहे हैं. वास्तव में अद्भुद बन रहा है. डॉ,भीमराव आर्थिक कल्याण योजना, युवा उद्यमियों के लिये सावित्री बाई फुले स्व सहायता योजना ऋण अनुदान, लगातार दे रहे हैं और कोई पुराना बेकलाग हमारे पास में नहीं है जिस प्रकार से हम काम कर रहे हैं अनुसूचित जाति वर्ग का सम्मान सुरक्षित कर रहे हैं, भगवान बिरसा मुंडा की जयंती माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से बताना चाहूंगा कि उसको हमने पाठ्यक्रम में लेकर के भगवान बिरसा मुंडा का अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष के उस काम को पाठ्यक्रम में ले जाने का प्रयास किया है.

          माननीय अध्यक्ष महोदय, हर वर्ग का ध्यान रखते हुये प्रदेश में ..

          श्री कैलाश विजयवर्गीय-- माननीय अध्य़क्ष महोदय, उमंग जी आपको मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देना चाहिये कि सारे आदिवासी नेता जिनको कि इतिहास में सम्मानजनक स्थान नहीं मिला , वामपंथी इतिहासकारों के कारण, उसको मोदी जी के नेतृत्व में माननीय मोहन जी ने जिस प्रकार से शिक्षा में सम्मलित किया है मैं सोचता हूं कि आपको खड़े होकर के मुख्यमंत्री जी का धन्यवाद देना चाहिये.

          श्री उमंग सिंघार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, कई सालों के बाद आदिवासियों की भारतीय जनता पार्टी को वोट के लिये याद आई. वोट के लिये कर रहे हैं या दिल से कर रहे हैं , यदि दिल से कर रहे हैं तो मैं इनका धन्यवाद देना चाहता हूं.

          डॉ.मोहन यादव- अध्यक्ष महोदय, मेरी समझ में नही आता है कि लोग दिल से और दिमाग से अलग अलग क्यों सोचते हैं, जो सोचें वह सीधा सीधा ही सोचे, उल्टा क्यों सोंचे जब हम बात कर रहे हैं तो दिल से ही कर रहे हैं. यह क्या होता है पता ही नहीं चलता कि किधर से किधर दिमाग जाता है.

          अध्यक्ष महोदय- नेता प्रतिपक्ष ने यही कहा है कि दिल से करिये तो धन्यवाद देते हैं.

डॉ. मोहन यादव -- अध्‍यक्ष महोदय, जब हम आपसे थोड़ा विजन डॉक्‍यूमेंट 2047 की बात कर रहे हैं तो यह विजन डॉक्‍यूमेंट कोई कागज का टुकड़ा नहीं है यह हमारा व्‍यक्तिगत संकल्‍प भी है. सबका मिलाकर और मानकर चलिए 2047 तक मध्‍यप्रदेश का युवा, महिला सभी वर्गों का इस प्रकार का माहौल बनेगा कि हमारे युवा और महिला नेतृत्‍व नौकरी देने वाले बनें नौकरी लेने वाली नहीं बनें, इस प्रकार के संकल्‍प से हम आगे बढ़ रहे हैं. मध्‍यप्रदेश 2047 का विजन डॉक्‍यूमेंट्स राज्‍य को आर्थिक रूप से सशक्‍त, सांस्‍कृतिक रूप से समृद्ध और नागरिक जीवन की गुणवत्‍ता को उच्‍चतम स्‍तर तक ले जाने के लिए हम संकल्‍पबद्ध हैं. यह हमारा सबका संकल्‍प है. (मेजों की थपथपाहट) विजन डॉक्‍यूमेंट 2047 तक आपके माध्‍यम से मैं नेता प्रतिपक्ष को बताना चाहूंगा कि यह डॉक्‍यूमेंट्री प्रूफ है आप देख लेना, हम अपनी इस सरकार के गठन से 2 वर्षों में लगभग 14-15 परसेंट की ग्रोथ रेट से आगे बढ़ रहे हैं. एक बात और आती है तो मैं बताना चाहूंगा कि कर्जा ले लिया, कर्जा हो गया, बजट से ज्‍यादा कर्जा हो गया, अरे भैया ! ढंग से हिसाब तो लगा लो. आप आंकड़े बता दो एक साल के अंदर लगभग हमने 82 हजार करोड़ लिया है तो 82 हजार करोड़ में हमारा बजट 4 लाख, 21 हजार करोड़ का था और यह 82 हजार में हम जो पुराना कर्जा बता रहे हैं यह आपकी सरकार से लेकर पूर्ववर्ती पुराना कोई भी हिसाब रखेगा तो ब्‍याज भी देना पड़ेगा, मूलधन भी देना पड़ेगा. सरकार तो दलों के साथ बनती बिगड़ती है लेकिन लायबिलिटी तो वही रहेगी ना, तो हमने तो केवल 82 हजार करोड़ लिया है लेकिन उसमें भी 30 हजार तो मूलधन दिया है. 50 हजार करोड़ तो पुराने की दृष्टि से होता है लेकिन उसके अलावा अगर 4 लाख, 21 हजार में से 82 हजार घटा दो तो यह साढ़े तीन लाख करोड़ कहां से आया. यह हमारी सरकार की नेक नीति है. यह सरकार की तीन परसेंट की लिमिट के अंदर का काम है. यह हमारी अपनी भावना और जो बात है उसको समझकर सीधे-सीधे जनता के बीच में लाएं. आप बताइए बड़े से बड़े उद्योगपति 3 परसेंट की लिमिट आज बताएं कोई व्‍यक्ति बैलेंस शीट लेगा, अगर वह बैंक में अपना कोई ऋण नहीं बताएगा तो आने वाले समय में उसकी ग्रोथ रुक जाएगी. उसका विकास रुक जाएगा तो स्‍वाभाविक रूप से बैलेंस शीट में हमारे लिए तो कागज का तरीका है लेकिन आप बताइए कि सब प्रकार से बिजली से लेकर सड़क तक, सारे क्षेत्रों में अगर हमने हरेक क्षेत्र में अपना माननीय वित्‍त मंत्री जी को मैं धन्‍यवाद देता हूं, वह बता रहे थे कि हरेक क्षेत्र में माननीय प्रह्लाद जी ने तो कहा कि बजट के पहले दो-दो बार एक-एक विभाग में इतना पैसा बढ़ा देना कभी कल्‍पना तो करें कि अकेले पीडब्‍ल्‍यूडी विभाग में हमारे पास कितना बजट था इस बार कुल कितना है.

लोक निर्माण मंत्री (श्री राकेश सिंह) --  अध्‍यक्ष महोदय, 36 परसेंट आपने बढ़ाया है. लगभग 16 हजार करोड़ का है.

डॉ. मोहन यादव -- अध्‍यक्ष महोदय, है ना. आप बताओ वर्ष 2002-03 तक केवल 20 हजार करोड़ रुपये का बजट होता था और हमारा बजट 4 लाख, 21 हजार करोड़ का है.

श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं पीडब्‍ल्‍यूडी मिनिस्‍टर वर्ष 2003 में था तब सरकार का बजट सिर्फ 900 करोड़ रुपये का था और उसके बाद हमने उसको 10 हजार करोड़ का किया था. यह हमारी सरकार की उपलब्धि थी और लगातार डेवलपमेंट के मामले में मध्‍यप्रदेश की सरकार आगे बढ़ती जा रही है. यह हम सबके लिए बहुत गर्व की बात है.

डॉ. मोहन यादव -- अध्‍यक्ष महोदय, यह माननीय कैलाश जी ने सही कहा. अब हम इसी आधार पर तो बात करें कि 2047 तक आप बताइए लगभग सवा तीन लाख करोड़ से हम बजट को 5 साल में डबल करेंगे, अर्थात 2028 तक यह लगभग 7 लाख करोड़ के आसपास पहुंचेगा. फिर 5 साल बाद हमारी सरकार बनेगी तो यह 7 का 14 होगा. फिर 5 साल बाद हमारी सरकार बनेगी तो यह 14 का 28 होगा. फिर 5 साल बाद सरकार बनेगी तो 28 का 56 होगा. फिर 5 साल बाद सरकार बनेगी तो सीधा 100 होगा. अब ऐसे ही तो बढ़ेगा और कैसे बढ़ेगा. यही तो तरीका है. तभी तो हमने कहा कि 2047 तक 2.5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थ व्‍यवस्‍था हमारे राज्‍य की होगी. यह हमने निर्णय किया है. अध्‍यक्ष महोदय, प्रति व्‍यक्ति सालाना आय आंकड़ा देख लीजिए वर्ष 2002-03 तक 11 हजार रुपये प्रति व्‍यक्ति थी. वर्ष 1956 में मध्‍यप्रदेश बना. 55 साल में 11 हजार. मुझे गर्व है कि आज 1 लाख, 56 हजार रुपये प्रति व्‍यक्ति आय है. यह हमारी ग्रोथ रेट है और अब वर्ष 2047 तक प्रति व्‍यक्ति ..

वर्ष 2047 तक प्रति व्यक्ति आय 22 लाख 50 हजार करने का संकल्प हम आपके माध्यम से करते हैं, आपका सहयोग भी चाहेंगे, क्योंकि जब हम राज्य की बेहतरी की बात करेंगे तो गरीब आदमी के सपने भी पूरे क्यों नहीं होना चाहिए. वो आर्थिक रुप से संपन्न क्यों नहीं होना चाहिए. धीरे-धीरे कृषि बढ़ रही है. परमात्मा चाहेगा तो औसत आयु, साक्षरता दर, जिस प्रकार की स्वास्थ्य सुविधाएं और बाकी चीजें हम बढ़ा रहे हैं इनमें हम लगातार ग्रोथ देखेंगे. साक्षरता तो 100 प्रतिशत बढ़ाने का संकल्प आपके माध्यम से चाहेंगे. आप बताइए कहां-कहां पर स्कूल खोलें, स्कूल के अंदर कौन-कौन सी सौगात दें. कमियां बताएं बहुत अच्छी बात है लेकिन समाधान भी बताओ. हम और आप मिलकर उसका रास्ता निकालें. हमारे मन में कोई भेदभाव नहीं है. हम सबको साथ लेकर चलन को तैयार हैं. इस मामले में हमारा बहुत खुला दृष्टिकोण है. कृषि आधारित अर्थव्यवस्था, उद्योग आधारित अर्थव्यवस्था, सेवा आधारित कामों को, राज्य को आत्म निर्भर और विकसित बनाने के लिए विस्तृत प्लान हम बना रहे हैं. वर्ष 2047 तक दलों से ऊपर उठकर प्रदेश की बेहतरी के लिए हम संकल्प करके आगे बढ़ रहे हैं. क्योंकि मध्यप्रदेश के भविष्य के लिए हम और आप सब मिलकर एक हैं. इसी भावना के साथ हम चल रहे हैं. हमारी और आपकी सामूहिक जवाबदारी है. इसी तरह बाबा महाकाल को नमन करते हुए. मैं कोई और बात कहूं उसके पहले थोड़ा सा और बोलना चाहूंगा. मुझे अनुमति मिलेगी तो मेरा आधे घंटे का और विषय बचा है. एक बार आपके सामने बात रखना चाहूंगा.

          संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- अध्यक्ष महोदय, अब तो जान निकलने वाली है. अध्यक्ष महोदय, 12 घंटे हो गए हैं. खाली 5-6 बार मैं सिर्फ इस काम के लिए गया हूँ. (हंसी)

          डॉ. मोहन यादव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी तक तो मैं दूसरी कहानी सुना रहा था. मैं मानकर चलता हूँ कि यशस्वी प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में विजन 2047 का जो सपना माननीय प्रधानमंत्री जी ने देश के लिए देखा है. जिसमें कल्पना की गई है कि हमारा राष्ट्र 21 वीं शताब्दी में 1.4 अरब का भारतीयों का है. ऐसे में विजन डाक्यूमेंट के बलबूते पर हमने राज्य को भी सुखद मध्यप्रदेश, सम्पन्न मध्यप्रदेश, सांस्कृतिक मध्यप्रदेश इस दिशा में कल्पना की है. इसलिए इस दृष्टि पत्र पर 8 प्रमुख विषयों पर 300 से अधिक कार्य बिंदुओं का समावेश किया है. मुख्य वस्तु हमारी 8 तरह की हैं. इसमें आपने कहा कि हमारे सुझाव नहीं लिए हम तो तैयार हैं. मैं आपको आमंत्रण दे रहा हूँ इसीलिए तो बुला रहे थे. आप अपनी बात कहना हम अपनी बात कहेंगे. 11 बजे से 11-12 घंटे हो गए हैं. इसीलिए तो आज हमने समय दिया था. कोई बात नहीं आज कम समझ आया. अगली बार बजट में बता देना. हम तो 2047 तक की बात कर रहे हैं. कोई परेशानी नहीं, हर क्षेत्र में आपका स्वागत है. आप अपनी भूमिका निभाते रहें, माननीय अध्यक्ष महोदय,हम आपके मार्गदर्शन में सरकार, नेता प्रतिपक्ष सहित सभी मित्रों का सहयोग लेते हुए. सरकार औद्योगिक विकास में वृद्धि करना चाहती है, उन्नत कृषि और संबद्ध क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहती है. सेवाओं के क्षेत्र में विकास करना चाहती है, विश्व स्तरीय शिक्षा और कौशल विकास में काम करना चाहती है. हम गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य और पोषण में काम करना चाहते हैं. शहरी और ग्रामीण बुनियादी ढांचे को विकसित करना चाहते हैं. सक्षम कार्य चालक अर्थात् सुशासन और सुगम नागरिक सेवा, नवीन वित्त पोषण, अलग-अलग प्रकार के जिसमें हम अपनी तरफ से अगर बात करेंगे तो थीम हमारी है पहली है सतत् विकास, अर्थात् विजन स्पष्ट. वैश्विक मूल्य श्रंखला के साथ समन्वय में उच्च मूल्य, रोजगार केन्द्रित उद्योग पर ध्यान देना. औद्योगिक अर्थात् जैसा मैंने बताया कि औद्योगिक और संबद्ध क्षेत्र में एक करोड़ से अधिक रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना. 17 प्राथमिकता वाले और 29 उप क्षेत्र ग्रामीण आधारित सब प्रकार की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए हम आगे बढ़ेंगे. मुख्य कार्य बिंदु सतत् औद्योगिक विकास 46 बिंदुओं पर आधारित है. विस्तार से नहीं बताऊंगा. थीम नंबर-2 अगली पीढ़ी की उन्नत कृषि अर्थात् विजन समृद्ध किसान, पोषण में आत्मनिर्भरता. जैविक और प्राकृतिक खेती में 25 प्रतिशत की ग्रोथ रेट. भारत की कृषि और जीओबी में 18 प्रतिशत की भागीदारी. किसान के लाभ के लिए उन्नत तकनीक. मुख्य कार्य बिंदु अगली पीढ़ी की कृषि के लिए 63 अलग-अलग बिंदु हैं. विस्तार से नहीं बताना चाहूंगा. अभी समय थोड़ा बचा लेते हैं. थीम नंबर तीन सेवाओं के क्षेत्र में विकास अर्थात् विजन हमारे योगदान में जो वृद्धि होने वाली है खासकर के बहुक्षेत्रीय सेवा पॉवर हाउस सांस्‍कृतिक अर्थव्‍यवस्‍था को बढ़ावा देना पर्यटन, आईटी आईटीईएस, लाजिस्‍टिक, शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य, फिनटेक आदि पर ध्‍यान देना. इंदौर भोपाल में एआई और स्‍थापना करना. तीन डेटा सेंटर हब फिल्‍म सिटी, मीडिया पार्क, का विकास और मुख्‍य कार्य बिंदु फिर इसमें 60 प्रकार के उसके बारे में विस्‍तार से नहीं बताना चाहूंगा.

          थीम नंबर चार. विश्‍वस्‍तरीय शिक्षा और कौशल विश्‍व अर्थव्‍यवस्‍था के लिए मानव पूंजी तैयार करना. सभी के लिए उच्‍च गुणवत्‍ता रोजगार केन्द्रित और मूल्‍य आधारित शिक्षा स्‍थापित‍ करना. राज्‍य स्‍तरीय अनुसंधान कोष की स्‍थापना करना. स्‍मार्ट क्‍लासरूम वर्चुअल लैब, एआई आधारित उपकरण स्‍थापित करना. प्राथमिक से लेकर उच्‍च माध्‍यमिक स्‍तर तक 100 प्रतिशत सकल नामांकन जीआर जो माननीय सभी ने कहा है हम इसको पूरा करना चाहते हैं. इसके भी 57 कार्य बिंदु हैं. कौशल विकास के और शिक्षा के विस्‍तार से बात नहीं करना चाहूंगा इस पर आपका स्‍वागत है आप बता सकते हैं.

          थीम नंबर पांच. गुणवत्‍तापूर्ण स्‍वास्‍थ्‍य और पोषण वर्ष 2047 तक जीवन प्रत्‍याशा 84 वर्ष करना. शिशु मृत्‍युदर आईएमआर पांच प्रतिशत से कम करना मातृ मृत्‍यु दर 20 प्रतिशत से कम प्राप्‍त करना हर जिले में मेडिकल कॉलेज, सुपरस्‍पेशालिटी अस्‍पताल, आयुष वेलनेस पार्क यह बनाने का संकल्‍प हमारा है. 100 प्रतिशत गर्भावस्‍था पंजीकरण डिजिटल स्‍वास्‍थ्‍य रिकार्ड, एमपीअनमोल एप, जनऔषधी नेटवर्क का विस्‍तार सस्‍ता और समय पर इलाज एआई संचालित स्‍वास्‍थ्‍य सेवा और पोषण पर इसके भी कार्य बिंदु 27 है. इसको भी विस्‍तार से नहीं बोल रहा हूं.

          थीम नंबर छ:. शहरी और ग्रामीण बुनियादी ढ़ांचा. इसमें शब्‍दों खासकर के ग्रामीण इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर का विकास करना पक्‍के आवास को 100 प्रतिशत कवरेज के क्षेत्र में लाना. नल-जल कनेक्‍शन, स्‍वच्‍छ और हाईजीनिक वातावरण बनाना, संतुलित और सतत् ग्रामीण और शहरी विकास करना, हवाई अड्डों के माध्‍यम से बेहतर कनेक्टिविटी सुनिश्चित करना इसके भी 31 कार्यबिंदु हैं. इस पर भी विस्‍तार से नहीं जाना चाहता हूं. थीम नंबर सात. सुशासन और सुगम नागरिक सेवा नये युग के शासन के लिए मॉडल राज्‍य के लिए डेटा संचालित और पारदर्शी सेवाएं, अनुशासन रचनात्‍मक और जवाबदेही डेशबोर्ड, ई-ऑफिस एनालिटिक्‍स, रियल टाइम ट्रेकिंग, सभी राज्‍य पीएसयू कर्मचारियों की क्षमता निर्माण, प्रशिक्षण संस्‍थानों और कार्यक्रमों का सुदृढ़ीकरण, आधुनिक और तकनीक संचालित पुलिस प्रणाली, सुरक्षा, सायबर, अपराध और आपदा प्रबंधन इसके भी कार्यबिंइु 22 हैं. इस पर मैं अभी बात नहीं कर रहा हूं. केवल यह बताना चाहता हूं कि भविष्‍य में इन पर हम काम कर सकते हैं.

          थीम नंबर आठ. नवीन वित्‍त पोषण और निवेश, सार्वजनिक और निजी पूंजी निवेश में वृद्धि दोहरी निवेश रणनीति, सार्वजनिक वित्‍त नवाचार, ग्रीन बॉन्‍ड, सोशल इम्‍पेक्‍ट बॉन्‍ड, इनविटी, पीपीपी मॉडल पर कई सारे काम. निजी पूंजी आकर्षण, एकल बिंदु निवेश सुविधा मंच 2047 तक 25 लाख करोड़ रुपए का निजी निवेश, एस डीजी लिंक्‍ड बजटिंग और प्रदर्शन आधारित फंडिंग ऐसे कई कामों को करने का संकल्‍प वर्ष 2047 तक हमारी सरकार का है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, एक बार फिर मैं आपको ह्दय से धन्‍यवाद देना चाहता हूं. आपके माध्‍यम से नेता प्रतिपक्ष और सभी सम्‍मानित सदस्‍यों का धन्‍यवाद अदा करना चाहता हूं. हमारे मतों की भिन्‍नता भले ही हो, लेकिन हम और आप सभी मिलकर के राज्‍य की बेहतरी के लिए चुनकर आते हैं, यह लोकतंत्र की खूबसूरती भी है और सच में 11 बजे बाद भी सवा ग्‍यारह बजे तक हमने राज्‍य के नागरिकों का जो संकल्‍प लिया है हम और आप मिलकर के उसी आधार पर अपने-अपने विचारों की अभिव्‍यक्ति के माध्‍यम से इस बहने वाले विचारों की गंगा में सबने गोते लगाये, सभी ने आनंद लिया. परमात्‍मा करे हम सबको यश मिले एक बार फिर मैं आपने पक्ष के सभी माननीय मंत्रीगणों का संसदीय कार्यमंत्री, दोनों डिप्‍टी सीएम, माननीय प्रहलाद जी, माननीय कैलाश जी, माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सभी वक्‍ताओं ने माननीय ओम जी से लेकर जिन-जिन ने भी अपना विषय रखा उदय प्रताप सिंह जी, विश्‍वास जी और जो नहीं रख पाए क्‍योंकि एक सीमा थी. बारह लोगों को ही बोलना था फिर भी आपने गागर में सागर भरने के लिए सभी को मौका दिया यह आपकी गरिमापूर्ण उपस्थिति से हम अपनी सारी बात कर पाए इनके साथ- साथ माननीय अध्‍यक्ष महोदय आपका और सारे विधान सभा के सभी सम्‍माननीय अधिकारीगणों का, सारे पत्रकार साथियों का, सारे महानुभावों का और पूरे प्रदेश की जनता का हृदय से आभार मानते हुए आज के सत्र में आपनी बात समाप्‍त करता हूं. बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          श्री सोहनलाल बाल्‍मीक-  अध्‍यक्ष महोदय, मुख्‍यमंत्री जी ने जो भाषण यहां दिया है, आग्रह है कि उसे पटल पर हमारे लिए रख दिया जाये.  

          अध्‍यक्ष महोदय-  सोहन जी, उन्‍होंने जो बोला है, वह रिकॉर्ड होता ही है, उसमें कोई दिक्‍कत ही नहीं है, वह आपकी प्रॉपर्टी है. आज प्रात: 11 बजे चर्चा प्रारंभ हुई थी, और अभी रात्रि के 11.15 हो रहे हैं.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय-  अध्‍यक्ष महोदय, बजट दुगुना नहीं, तीन गुना हो जायेगा, यदि आप एक दिन में तीन दिन का कार्य करवायेंगे, तो बजट तो तीन गुना हो ही जायेगा, कितना तेल निकालेंगे ?

          अध्‍यक्ष महोदय-  इसके लिए एक-दो बार और चर्चा करनी पड़ेगी. (हंसी)

 

 

 

 

 

 

11.16 बजे

संकल्‍प

मध्‍यप्रदेश को विकसित, आत्‍मनिर्भर और समृद्ध राज्‍य बनाने के संबंध में प्रस्‍ताव : पारित

अध्‍यक्ष महोदय-

          मैं समझता हूं कि इस प्रस्‍ताव से सदन सहमत है.

                                                              (सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.)

          अध्‍यक्ष महोदय-  सर्वसम्‍मति से प्रस्‍ताव स्‍वीकृत हुआ. आज इस चर्चा में लगभग 29-30 सदस्‍यों ने भाग लिया. मैं समझता हूं कि 1-2 सदस्‍यों को छोड़कर, लगभग सभी लोगों ने अपने हिसाब से बोला, इसलिए सभी को समय भी मिला, सभी ने विस्‍तार से अपनी राय रखी, यह हमारे सदन के लिए और सरकार लिए भी निश्चित रूप से महत्‍वपूर्ण है. इस लघु सत्र के सुचारू संचालन के लिए मैं, माननीय मुख्‍यमंत्री जी, नेता प्रतिपक्ष, संसदीय कार्य मंत्री सहित सभी सदस्‍यों, सभी मंत्रियों, प्रिंट और इलेक्‍ट्रॉनिक मीडिया के महानुभावों, विधान सभा सचिवालय के प्रमुख सचिव सहित अधिकारी-कर्मचारी, शासन के अधिकारी-कर्मचारी और सुरक्षाकर्मियों को ह्दयपूर्वक बहुत-बहुत धन्‍यवाद देता हूं. (मेजों की थपथपाहट)

 

11.18 बजे

राष्‍ट्रगान " जन-गण-मन" का स‍मूहगान

          अध्‍यक्ष महोदय-  अब राष्‍ट्रगान होगा.

(सदन के माननी सदस्‍यों द्वारा राष्‍ट्रगान जन-गण-मन का समूहगान किया गया.)

 

11.20 बजे

सदन की कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्‍थगित किया जाना : घोषणा

          अध्‍यक्ष महोदय-  विधान सभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्‍थगित.

          रात्रि 11.20 बजे विधान सभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्‍थगित की गई.

 

भोपाल :                                                                           अरविन्‍द शर्मा,

दिनांक : 17 दिसंबर, 2025                                                    प्रमुख सचिव,

                                                                                   मध्यप्रदेश विधानसभा