मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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षोडश विधान सभा चतुर्थ सत्र
दिसम्बर, 2024 सत्र
मंगलवार, दिनांक 17 दिसम्बर, 2024
(26 अग्रहायण, शक संवत् 1946 )
[खण्ड- 4 ] [अंक- 2]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
मंगलवार, दिनांक 17 दिसम्बर, 2024
(26 अग्रहायण, शक संवत् 1946)
विधान सभा पूर्वाह्न 11.01 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए.}
11.01 बजे
विशेष उल्लेख
प्रथम बार के सदस्यों एवं महिला सदस्यों हेतु प्रश्नकाल
अध्यक्ष महोदय -- आज का प्रश्नकाल प्रथम बार निर्वाचित एवं महिला सदस्यों को अवसर प्रदान करने हेतु नियत है. नए सदस्य इसका पूरा उपयोग करेंगे ऐसी अपेक्षा है.
श्री कमलेश्वर डोडियार -- अध्यक्ष महोदय मेरा स्थगन प्रस्ताव है जो सभी माननीय सदस्यों के मान-सम्मान से जुड़ा हुआ है. अध्यक्ष महोदय, बोलने का मौका दिया जाए.
अध्यक्ष महोदय -- आज की प्रश्नोत्तर सूची में क्रमांक 1 से 7 तक लगातार महिला सदस्यों के प्रश्न चर्चा में आए हैं. यह एक संयोग है और महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक उदाहरण भी है.
श्री अभय कुमार मिश्रा -- अध्यक्ष महोदय, आज ही के दिन विधान सभा की प्रथम बैठक हुई थी. इसके आज 68 वर्ष पूरे हो गए हैं.
अध्यक्ष महोदय -- उसका कार्य सूची में उल्लेख है.
11.02 बजे
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
सीधी जिले में अपराधिक प्रकरण
[गृह]
1. ( *क्र. 833 ) श्रीमती रीती पाठक : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सीधी विधानसभा में जनसंख्या, भौगोलिक परिस्थिति एवं कानून व्यवस्था को दृष्टिगत रखते हुए ग्राम पंचायत खाम्ह एवं ग्राम पंचायत पटेहरा (मुगुल चौराहा के पास) नवीन चौकियों के स्थापना की आवश्यकता है, ये चौकियाँ कब तक स्वीकृत की जायेंगी? (ख) सीधी विधानसभा के थाना जमोड़ी एवं कोतवाली सीधी हेतु नवीन भवन की आवश्यकता है, इन भवनों की स्वीकृति कब तक प्रदान की जावेगी? (ग) जिला सीधी में पुलिस विभाग में कई पद रिक्त हैं, पर्याप्त बल उपलब्ध न होने के कारण अपराधों के नियंत्रण में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है, सीधी जिले में पर्याप्त पुलिस बल कब तक उपलब्ध होंगे? (घ) सीधी जिले में मानव तस्करी की लगातार शिकायतें प्राप्त हो रही हैं, पिछले एक वर्ष में कितने प्रकरण दर्ज हुए एवं कितने प्रकरण निराकृत हुए? मानव तस्करी को रोकने के लिए सीधी पुलिस विभाग द्वारा क्या कदम उठाए जा रहे हैं? इस अपराध में लिप्त गिरोहों पर क्या कार्यवाहियाँ की गई हैं? (ड.) सीधी में पुलिस विभाग को महिलाओं के प्रति अपराधों व अत्याचार की कितनी शिकायतें प्राप्त हुई हैं एवं कितने प्रकरण निराकृत हुए हैं? महिलाओं के साथ हो रहे अपराधों के रोकथाम के लिए पुलिस की क्या तैयारियां हैं?
मुख्यमंत्री ( डॉ. मोहन यादव ) अधिकृत - राज्य मंत्री (श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल) : (क) दोनों चौकियों को स्वीकृति किये जाने संबंधी प्रस्ताव निर्धारित मापदण्ड के अनुसार पूर्ण नहीं होने से अमान्य किया गया है। (ख) भवन निर्माण हेतु योजना क्रमांक 7352 में राशि स्वीकृत हुई है, जिसके तहत कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। (ग) रिक्त पदों की पूर्ति निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। प्रदेश स्तर पर आरक्षक के 7500 पदों की भर्ती प्रचलन में है। भर्ती उपरांत रिक्त पदों की पूर्ति की जाती है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। (घ) एवं (ड.) सीधी जिले में मानव तस्करी पिछले वर्ष में दर्ज एवं निराकृत हुए प्रकरणों एवं की गई कार्यवाहियों की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
अध्यक्ष महोदय -- श्रीमती रीती पाठक.
श्रीमती रीती पाठक -- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न क्रमांक 833 है.
राज्यमंत्री लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण (श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, संयोग है कि प्रथम बार की निर्वाचित विधायक महोदया को यह प्रश्न पूछने का आपने अवसर प्रदान किया है और माननीय मुख्यमंत्री जी ने प्रथम बार के निर्वाचित विधायक को मंत्री बनाकर प्रश्न का उत्तर देने का सौभाग्य प्रदान किया है.
अध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी अभी आप सिर्फ इतना बोलें कि उत्तर पटल पर रखा हुआ है.
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल -- इस प्रश्न का उत्तर पटल पर रखा हुआ है.
श्रीमती रीती पाठक -- अध्यक्ष महोदय, मैं आपको बहुत धन्यवाद देती हूँ कि आपने महिला सशक्तिकरण की दिशा में हम सबको सदन में बोलने का अवसर प्रदान किया है. माननीय मुख्यमंत्री जी को भी हृदय से धन्यवाद और बधाई देती हूँ कि उनका एक वर्ष का सफलतम् कार्यकाल पूर्ण हुआ है. इसमें उन्होंने मध्यप्रदेश में हर क्षेत्र में कार्य करके राष्ट्रीय पटल पर उसको स्थापित करने का काम किया है.
अध्यक्ष महोदय, आज का मेरा जो प्रश्न है वह बड़े ही गंभीर विषय पर है. पुलिस प्रशासन की व्यवस्था पर यह प्रश्न है और कुछ आवश्कताओं से संबंधित प्रश्न है. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी से और आदरणीय मंत्री जी से जो आज के सवाल का जवाब देंगे उनसे पूछना चाहती हूँ कि सीधी विधान सभा क्षेत्र में जनसंख्या, भौगोलिक परिस्थिति एवं कानून व्यवस्था को दृष्टिगत रखते हुए, ग्राम पंचायत खाम्ह और ग्राम पंचायत पटेहरा में नवीन चौकियों की स्थापना की जाना है. चूंकि मैंने जवाब तो पढ़ा है लेकिन यहां पर फिर भी सवाल बनता है क्योंकि यहां पर आवश्यकता बहुत ज्यादा है. शेष मैं माननीय मंत्री जी के जवाब के बाद बोलूंगी. यहां पर मैं कहना चाह रही हूँ कि नवीन चौकियों की जरुरत है. इसके अलावा जमोड़ी थाना में नवीन भवन की जरुरत है. कोतवाली में भी नवीन भवन की जरुरत है. दूसरी बार मौका देंगे तो मैं माननीय मंत्री जी से और भी सवाल करना चाहूंगी.
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल -- अध्यक्ष महोदय, जो प्रस्ताव दो ग्राम पंचायतों को चौकी बनाने का था, वह दोनों ही प्रस्ताव चूंकि नवीन चौकी स्थापना के जो माप दण्ड हैं उसमें शासन का आदेश है, क्रमांक 4428/94-बी-3/2 दिनांक 11 जनवरी, 1995 के पृष्ठ 2 पर अंकित है कि निकटतम थाने से दूरी कम से कम 8 से 10 किलोमीटर हो. सम्मिलित ग्रामों की संख्या 10 से 15 हो. जनसंख्या 7 हजार से 10 हजार तक हो. क्षेत्रफल 75 से 90 वर्ग किलोमीटर हो. पिछले 5 वर्षों में घटित अपराधों की औसतन संख्या 75 से 100 होना चाहिये. माननीय विधायक महोदया ने दो चौकी की बात कही है, उन दोनों चौकियों में ग्राम खाम्ह में 5 वर्ष के घटित हुये अपराधों का औसत 60 है और और पटेहरा में 66 है जो कि निर्धारित माप दण्ड से कम है. माननीय विधायक महोदया ने जो भवन की बात कही है, चूंकि जमोड़ी थाना पहले चौकी था. उस चौकी निर्माण के लिये 25 लाख रुपये की राशि आवंटित हुई थी, परंतु बाद में उसको थाना घोषित कर दिया गया और थाना घोषित होने के कारण जो 25 लाख रुपये की राशि थी उसकी जगह 113 लाख रुपये की राशि स्वीकृत की गई है जो लगभग साढ़े चार गुना हो गई है और कोतवाली शहर में 280 लाख की राशि प्रस्तावित की गई है, जो प्रक्रियाधीन है और जैसे ही पूरी प्रोसेस हो जाएगी निर्माण कार्य प्रारंभ हो जाएगा.
श्रीमती रीती पाठक -- धन्यवाद माननीय मंत्री जी. जो आपने जवाब दिया है अध्यक्ष महोदय, उस पर आपकी अनुमति से मैं कुछ कहना चाहती हूं. पटेहरा कोठार की अगर मैं बात करूं तो 30 से 35 किलोमीटर की दूरी पर मेरे जिले से यह चौकी प्रस्तावित है और अगर इसमें प्रत्येक दो वर्ष की मैं बात करूं, मैं सिर्फ दो वर्ष की बात कर रही हूं पांच वर्ष की नहीं, तो वर्ष 2022 में इसमें अपराधों की जो संख्या है वह 62 है और वर्ष 2023 में अपरधों की संख्या 60 है, तो 122 से भी ज्यादा अपराध दो वर्ष में हुये हैं. अभी मैं सिर्फ दो वर्ष का आंकड़ा प्रस्तुत कर रही हूं और इसमें मैं गांवों की बात करना चाहूं तो 32 गांव इसमें शामिल हैं, जो बड़े संवेदनशील गांवों में आते हैं. मैं ऐसा मानती हूं कि इस पहले प्रस्ताव को स्वीकृत किया जाए और जब आवश्यकताएं अपने चरम पर होती हैं तो कभी-कभी नियमों को भी थोड़ा सा समझना पड़ता है. इसलिये मैं आपके माध्यम से यह कहना चाहती हूं और मांग करना चाहती हूं कि चूंकि आपने यह दिन महिला सशक्तिकरण को दिया है, तो सशक्त महिला तो तभी होगी जब एक विधान सभा संभाल पाएगी, जब कानून व्यवस्थाएं ठीक रहेंगी और कानून व्यवस्थाओं के लिये संसाधनयुक्त व्यवस्था होगी, तो अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से और माननीय मुख्यमंत्री जी के माध्यम से मेरी यह मांग है. दूसरा विषय मैं रखना चाहती हूं जो यहां पर जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर ..
अध्यक्ष महोदय -- रीती जी, आप प्रश्न तो करिये.
श्रीमती रीती पाठक -- अध्यक्ष महोदय, बहुत जरूरी है चूंकि उन्होंने इसी पर उत्तर दिया है इसलिये मुझे इसी पर बात रखनी पड़ेगी. दूसरा जो उन्होंने चौकी की बात की है, तो मैं उसकी डीटेल भी दे दूं. इसकी दूरी 25 किलोमीटर सीधी जिला मुख्यालय से है और 27 किलोमीटर की दूरी मझौली थाने से है और इसमें 18 गांव हैं. मैंने माना आपने 15 गांव से ऊपर की बात कही थी. अपराधों की संख्या में सिर्फ मैं दो साल का बता रही हूं कि वर्ष 2022 में यहां 78 अपराध चिन्हित हुये हैं और वर्ष 2023 में 67 अपराध हुये हैं, तो इसलिये मैं ऐसा मानती हूं, माननीय मुख्यमंत्री जी और आपके माध्यम से कि हमारे जिले में दोनों ही चौकी स्वीकृत किया जाना बहुत ज्यादा आवश्यक हैं. अब मैं अपने अगले प्रश्न पर आती हूं. अध्यक्ष महोदय, मेरा अगला प्रश्न यह है कि सबसे पहले तो हमारे जिले में पर्याप्त बल बिल्कुल नहीं है. हमें पर्याप्त बल की आवश्यकता है जिससे हम अपनी कानून व्यवस्था को सुचारू रख सकें. दूसरा यह कि जिले में मानव तस्करी जैसे अपराध लगातार बढ़ते जा रहे हैं. चूंकि पुलिस प्रशासन उसमें काम करने की कोशिश कर रहा है लेकिन बेहद संवेदनशील विषय है. हमारा जिला आदिवासी इलाका है, ग्रामीण अंचल भी है. बहला-फुसलाकर या अपने बल का प्रयोग करके ऐसी चीजें हो रही हैं. तीसरा विषय अध्यक्ष महोदय, मैं क्षमा चाहती हूं चूंकि मुझे दो ही प्रश्न बोलने के लिये मिलेंगे इसलिये मैं अपने बिंदुओं को दूसरे प्रश्न में समाहित कर रही हूं, महिलाओं के प्रति बढ़ते हुये अपराधों की संख्या लगातार बढ़ रही है. लड़कियां या महिलायें आकर मुझसे खुलकर के इसलिये बात कर सकती हैं क्योंकि उनको लगता है कि मैं एक महिला जनप्रतिनिधि हूं ,मैं उनके विषय को अच्छे से सुन सकती हूं. अध्यक्ष महोदय, इसमें पुलिस प्रशासन की जो व्यवस्थायें हैं ठीक है लेकिन थोड़ी कमी है मैं इस बात की शिकायत नहीं कर रही हूं.
अध्यक्ष महोदय- रीती पाठक जी कृपया आप प्रश्न तो करें कि आप मंत्री जी से क्या चाहती हैं, वह तो बतायें. तब वो जवाब देंगे.
श्रीमती रीती पाठक- अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से चाहती हूं कि वहां पर पर्याप्त पुलिस बल की व्यवस्था हो, महिला अपराधों की बढ़ती हुई संख्या पर लगाम हो क्योंकि यह बहुत ज्यादा आवश्यक है. एक बात और है कि जो वन स्टाप सेन्टर योजना आदरणीय यशस्वी प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने जो हमें वन स्टाप सेन्टर प्रदान किया है इस पर बहुत अच्छे से कार्डिनेशन हो सके और जिले के साथ हर एक चौकी में ऐसे सेन्टर को स्थापित किया जा सके जिससे हम अच्छा लाभ ले सकते है यह मेरा सुझाव भी है और प्रश्न भी है.
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से हमारी सम्माननीय विधायक जी का आदर भी करता हूं और प्रशंसा भी करता हूं कि इन्होंने अपने क्षेत्र की जनता के प्रति औऱ विशेषकर महिलाओं के प्रति संवेदनशीलता प्रदर्शित की है, निश्चित रूप से उनकी चिंता प्रशंसनीय है परंतु मैं निवेदन यह भी करना चाहता हूं कि उन्होंने जो भी आंकड़े रखें हैं वह आंकड़े जो मैंने पहले भी कहा है कि वह आंकड़े उन मापदण्डों के अनुरूप नहीं हैं क्योंकि पिछले पांच वर्षों में घटित अपराध को औसत लेना है और पांच वर्षों में घटित अपराध हैं उसके औसत में दोनों जगहों पर मापदण्डों की परिधि में यह नहीं आ रहा है इसलिये यह चौकी के रूप में नहीं बनी हैं. दूसरी बात जो माननीय विधायक जी ने मानव तस्करी की बात कही है तो मानव तस्करी की केवल दो घटनायें वहां पर घटित हुई हैं, और दोनों ही घटनाओं में तत्काल कार्यवाही हुई है और दोनों घटनाओं में परिवार और रिश्तेदार लोग शामिल रहे है, क्योंकि इन घटनाओ में बहला फुसलाकर के उनको अवैध रूप से शादी करने के लिये ले जाया गया था और दोनों ही प्रकरणों में कार्यवाही हुई है. 12 अपराधी जेल में बंद हैं. अध्यक्ष महोदय, मैं कहना चाहता हूं कि सरकार पूरी संवेदनशीलता के साथ में काम कर रही है और चौकी के लिये डायल 100 जैसी सुविधा उपलब्ध है 17 मिनट के मैग्जिमम रिस्पांस टाइम में पुलिस वहां पर पहुंच जाती है.
श्रीमती रीती पाठक-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं क्षमा चाहती हूं वहां पर चौकियां स्थापित होना बहुत आवश्यक है, मैंने सिर्फ दो साल के आंकड़े प्रस्तुत किये हैं, पांच साल में तो बहुत ज्यादा आंकड़े इसमें होंगे...
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न क्रमांक 2 सुश्री रामसिया भारती..
समूहों/विभाग में खरीदी
[महिला एवं बाल विकास]
2. ( *क्र. 869 ) सुश्री रामश्री (बहिन रामसिया भारती) राजपूत : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) छतरपुर जिले में महिला बाल विकास अन्तर्गत समूहों को वर्ष 2022 से प्रश्न दिनांक तक कितनी-कितनी धनराशि का व्यय किया गया? (ख) विभागीय योजनान्तर्गत बच्चों को कौन-कौन सी खाने पीने की चीजें मीनू अनुसार दिये जाने का प्रावधान है, जिसे प्रतिदिन दिया जाता है? नियमावली दें। (ग) जिला/ब्लॉक के अधिकारियों द्वारा निरीक्षण करने के कितने-कितने दिवस दिये गये हैं? शासन आदेश की प्रति दें। (घ) आंगनवाड़ी केन्द्रों पर शासन द्वारा वर्ष 2021 से प्रश्न दिनांक तक कितनी-कितनी राशि का सामान वर्षवार म.प्र. शासन द्वारा तथा जिले द्वारा क्रय किया गया? सम्पूर्ण विवरण उपलब्ध करावें।
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( सुश्री निर्मला भूरिया ) : (क) छतरपुर जिले में महिला बाल विकास अन्तर्गत समूहों को वर्ष 2022 से प्रश्न दिनांक तक निम्नानुसार धनराशि का व्यय किया गया :-
क्र. |
वर्ष |
व्यय राशि |
1. |
2022-23 |
15,41,76,794/- |
2. |
2023-24 |
15,60,51,554/- |
3. |
2024-25 |
07,98,45,981/- (up to Nov. 2024) |
(ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (घ) आंगनवाड़ी केन्द्रों पर शासन द्वारा वर्ष 2021 से प्रश्न दिनांक तक कोई भी सामग्री क्रय नहीं की गई है। जिला स्तर से क्रय की गई सामग्री एवं राशि की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''स'' अनुसार है।
सुश्री रामश्री (बहिन रामसिया भारती) राजपूत : माननीय अध्यक्ष महोदय जी उच्च आसंदी पर आसीन आपको सादर जय श्रीराम, सदन में बिराजे हुये सभी सदस्यगणों को मेरी तरफ से जय श्रीराम. माननीय अध्यक्ष महोदय जी आज का मेरा प्रश्न बच्चों से और बच्चों के भविष्य से जुड़ा हुआ प्रश्न है ,उनके पोषण आहार से जुड़ा हुआ प्रश्न हैं. अध्यक्ष महोदय जी मैं आपका पूर्णरूपेण उच्च आसंदी से संरक्षण चाहती हूं. अध्यक्ष महोदय, पूरे प्रदेश में और हमारे बड़ा मलेहरा विधानसभा क्षेत्र में जो बच्चों को पोषण आहार दिया जाता है इसमें मेरे प्रश्न का उत्तर तो मुझे मिला है पर मैं उससे संतुष्ट नहीं हूं, क्योंकि उत्तर में मुझे राशि के आय व्यय का बता दिया गया है,जबकि मैंने प्रश्न किया था कि जो अनुविभागीय अधिकारी राजस्व आईसीडीएस मिशन की निगरानी समिति के अध्यक्ष भी हैं उनके द्वारा आज तक कोई निगरानी नहीं की गई है. बड़ा मलेहरा विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित हुये मुझे एक वर्ष हो गया है और इस एक वर्ष में, मैं लगातार देख रही हूं कि अनुविभागीय अधिकारी(राजस्व) के द्वारा कोई निगरानी नहीं की गई है, मैं जवाबदारी से यह बात कह रही हूं किसी भी आंगनबाड़ी की निगरानी नही की गई है. अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री महोदय द्वारा जो उत्तर दिया गया है उससे मैं पूर्ण रूप से संतुष्ट नहीं हूं.
अध्यक्ष महोदय-- बहिन रामसिया भारती राजपूत जी , प्रश्न आपके पास में है और उसका उत्तर भी आपके पास में है, इसमें पूरक प्रश्न आप क्या पूछना चाहते हैं वह दो लाईन में मंत्री जी को बताओ ताकि मंत्री जी कुछ उत्तर दे सकें.
सुश्री रामश्री (बहिन रामसिया भारती) राजपूत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं बिल्कुल भी मंत्री जी के उत्तर से संतुष्ट नहीं हूं और मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से चाहती हूं कि मेरे विधानसभा क्षेत्र बड़ा मलेहरा ही नहीं, मैं पूरे प्रदेश की इसमें जांच चाहती हूं कि इस प्रकरण में उच्च स्तरीय जांच होना चाहिये.
सुश्री निर्मला भूरिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सबसे पहले तो मैं आपको बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहूंगी कि आज का दिन आपने महिला सशक्तीकरण को दिया है और माननीय सदस्य ने जो जानकारी पूछना चाही थी, वह सारी ही जानकारी हमने इनको दे दी है और पोषण आहार का जहां तक तात्पर्य है और हमारी सरकार संवेदनशील है और खास करके बच्चों के मामले में तो हम जितना हो सकता है, उतनी पूरी कोशिश कर रहे हैं कि पोषण आहार अच्छे से अच्छा हम लोग दे सकते हैं. हमारा एक वह बना हुआ है कि हमारे अधिकारी,कर्मचारी नीचे तक जाकर के वे भ्रमण करते हैं और सारी चीजें करते हैं. अगर आपको पर्टीकुलर कहीं ऐसा लगता है कि कहां कुछ वह है या कहां करना चाहिये, तो आप बता दें, तो हम वह करवा लेंगे.
सुश्री रामश्री (बहिन रामसिया भारती) राजपूत—अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी से यह पूछना चाहती हूं, मैं वही तो कह रही हूं कि आज दिनांक तक कहीं भी निरीक्षण के लिये कोई गया ही नहीं है. जो इसके अध्यक्ष हैं, अनुविभागीय अधिकारी, वह आज तक नहीं गये हैं, कहीं नहीं गये हैं. केवल कागजों पर कार्यवाही की जाती है. वहीं से खाना पूर्ति की जाती है. ऐसा नहीं हो रहा है. अगर ऐसा होता तो मैं क्यों कहती. भ्रमण के दौरान मैं कई आंगनवाड़ी केन्द्रों पर पहुंची हूं, जहां पर मैंने देखा मीनू जो है, मैंने पूरे मीनू का अध्ययन किया है. मीनू के अनुसार कहीं भोजन नहीं दिया जाता है. मैं मंत्री जी से निवेदन करना चाहती हूं कि जैसा आपने बोला है कि बिलकुल अच्छे तरीके से निरीक्षण किया जाता है. बिलकुल कहीं भी कोई निरीक्षण नहीं किया जाता है. अध्यक्ष जी, मैं क्षमा चाहती हूं और आपाका पूरा संरक्षण चाहती हूं. यह बच्चे के पोषण से जुड़ा हुआ मामला है. चूंकि आप ही कहते हैं और बड़े बड़े कहते हैं कि प्रथम सुख निरोगी काया. जब बच्चों के लिये भोजन ही ठीक से नहीं मिलेगा. उनको पोषण आहारठीक से नहीं मिलेगा, तो वह निरोग कैसे रह पायेंगे. वह हमारे प्रदेश का भविष्य हैं.
सुश्री निर्मला भूरिया—अध्यक्ष महोदय, मैंने पहले ही कहा है कि यह सरकार बच्चों के प्रति संवेदनशील है और हमारे जो अधिकारी,कर्मचारी हैं, जेडी है, हमारे सीडीपीओ है और पर्यवेक्षक हैं, वह समय समय पर इसका भ्रमण करते हैं और निगरानी करते हैं. एसडीएम की जहां तक बात है, तो वह आपके प्रश्न में नहीं है कि एसडीएम कहां कहां भ्रमण करते हैं.
सुश्री रामश्री (बहिन रामसिया भारती) राजपूत—अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि मंत्री जी बस इतना बोल दें कि हम जांच करवा देंगे, हम जांच चाहते हैं. हम मंत्री जी से जांच कराने की मांग करना चाहते हैं.
अध्यक्ष महोदय—मंत्री जी, आप सदस्या जी को व्यक्तिगत रुप से बुलाकर पूछ लें, उनके कौन से क्षेत्र में निरीक्षण नहीं हो रहा है, वहां निरीक्षण की व्यवस्था कर दें.
सुश्री रामश्री (बहिन रामसिया भारती) राजपूत—अध्यक्ष महोदय,माननीय मंत्री जी यहां पर ही आश्वासन दे दें, तो और अच्छा रहता कि वे जांच करवा देंगी.
अध्यक्ष महोदय—प्रश्न संख्या 3.
सांझा चूल्हा अंतर्गत पोषण आहार वितरण
[महिला एवं बाल विकास]
3. ( *क्र. 992 ) श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्या पूरे प्रदेश में नगरीय क्षेत्रों में आंगनवाड़ी केन्द्रों पर सांझा चूल्हा में एक ही समूह को 8-10 स्थानों पर यानि आंगनवाड़ी केन्द्रों पर भोजन नाश्ता दिये जाने का कार्य सौंपा गया है? जिस कारण वह एक ही समूह शासन नीति के अनुसार भोजन एवं नाश्ता आंगनवाड़ी केन्द्रों/सांझा चूल्हों पर वितरण नहीं करते हैं और घोर लापरवाही बरतकर आंगनवाड़ी केन्द्रों के बच्चों को पोषण आहार नहीं देते हैं? क्या नगर पंचायत बल्देवगढ़ में एक ही समूह को भोजन दिये जाने एवं नाश्ता दिये जाने का कार्य 8 से 10 स्थानों पर दिया गया है? जिसके संबंध में कई गंभीर शिकायतें हुईं? क्या ऐसे समूह को हटाकर सभी आंगनवाड़ी केन्द्रों पर अलग-अलग समूहों को भोजन नाश्ते का कार्य सौंपा जाये, इसके लिये जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा क्या प्रयास किये गये तथा बल्देवगढ़ नगर पंचायत में संचालित एक ही समूह को उक्त जिम्मेदारी से कब हटाकर अन्य समूहों को भोजन वितरण का कार्य देंगे? (ख) क्या नगर पंचायत बल्देवगढ़ के एक ही समूह को बदलने हेतु आंगनवाड़ी केन्द्रों के वार्डवासियों द्वारा, प्रश्नकर्ता द्वारा कार्यालय में शिकायतें की थी, जिसके संबंध में शिकायतों के निराकरण हेतु तथा उक्त एक ही समूह को बदले जाने का पत्र प्रश्नकर्ता द्वारा परियोजना अधिकारी एवं कलेक्टर टीकमगढ़ को प्रेषित किया गया था, उसके अनुसार प्रश्न दिनांक तक क्या कार्यवाही की गई? क्या एक ही कार्यरत समूहों को हटाने हेतु कब तक कार्यवाही सुनिश्चित कर आदेश जारी कर दिये जावेंगे? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( सुश्री निर्मला भूरिया ) : (क) विभाग के ज्ञाप क्र./क्यू/2020/50-2/भोपाल, दिनांक 05.05.2021 के अनुसार शहरी क्षेत्रों में संचालित आंगनवाड़ी केन्द्रों में एक स्व-सहायता समूह को अधिकतम 10 आंगनवाड़ी केन्द्रों/उप आंगनवाड़ी केन्द्रों में पोषण आहार दिये जाने का प्रावधान है। नगर पंचायत बल्देवगढ़ के आंगनवाड़ी केन्द्रों में धनुषधारी बचत एवं साख समूह द्वारा 09 तथा रामलला बचत एवं साख समूह द्वारा 08 आंगनवाड़ी केन्द्रों में नाश्ता एवं ताजा पका गर्म भोजन का प्रदाय कार्य किया जा रहा है। प्रश्नकर्ता माननीय विधायक विधानसभा क्षेत्र खरगापुर द्वारा दिनांक 13.01.2024 द्वारा की गई शिकायत का पत्र प्राप्त हुआ है। प्राप्त शिकायत की जांच अनुविभगीय अधिकारी राजस्व बल्देवगढ़ द्वारा की गई। जांच प्रतिवेदन में कार्यरत समूहों को हटाने के संबंध में कोई उल्लेख न होने से कार्यवाही का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ख) जी हाँ। प्रश्नकर्ता माननीय विधायक विधानसभा क्षेत्र खरगापुर द्वारा दिनांक 13.01.2024 द्वारा की गई शिकायत का पत्र प्राप्त हुआ है। उक्त शिकायत की जांच अनुविभगीय अधिकारी राजस्व बल्देवगढ़ द्वारा की गई। जांच प्रतिवेदन में पाया गया कि धनुषधारी बचत एवं साख समूह बल्देवगढ़ द्वारा माह दिसम्बर 2023 एवं जनवरी 2024 में नाश्ता कम दिया गया। बच्चों की उपस्थिति एवं पर्यवेक्षक की रिपोर्ट के आधार पर समूह के देयक से राशि का कटौत्रा कर राशि का भुगतान किया गया, शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर—अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न है कि पूरे प्रदेश सहित खरगापुर विधान सभा के नगरीय क्षेत्र बल्देवगढ़ में आंगनवाड़ियों पर एक ही समूह को 8-10 स्थानों पर भोजन और नाश्ता देने का कार्य देकर समूह संचालित है और उक्त समूह खराब भोजन केन्द्रों पर बांटता है, जिसकी शिकायत वार्डवासियों ने की है. मैंने भी उच्च अधिकारियों से की, मगर कोई कार्यवाही नहीं की गई. बच्चों के नाश्ता और भोजन को समूह संचालक वाला ही खा रहा है. बल्देवगढ़ सहित पूरे प्रदेश के आंगनवाड़ी केन्द्रों पर पात्र समूहों को कार्य मिल सके और एक समूह को कार्य दिये जाने की योजना कब बंद करने के आदेश जारी करेंगे.
सुश्री निर्मला भूरिया—अध्यक्ष महोदय,मैं माननीय सदस्या जी को यह बताना चाहती हूं कि हमारे विभाग के ज्ञापन क्र./क्यू./2020/50-2/भोपाल, दिनांक 5.5.2021 के अनुसार शहरी क्षेत्रों में संचालित आंगनवाड़ी केन्द्रों में एक स्व-सहायता समूह को अधिकतम 10 आंगनवाड़ी केन्द्रों/उप आंगनवाड़ी केन्द्रों में पोषण आहार दिये जाने का प्रावधान है. नगर पंचायत बल्देवगढ़ के आंगनवाड़ी केन्द्रों में धनुषधारी बचत समूह एवं साख समूह द्वारा 9 तथा रामलला बचत एवं साख समूह द्वारा 8 आंगनवाड़ी केन्द्रों में नाश्ता एवं ताजा पका गर्म भोजन का प्रदाय कार्य किया जा रहा है. प्रश्नकर्ता माननीय विधायिका द्वारा विधान सभा क्षेत्र खरगापुर द्वारा दिनांक 13.1.2024 द्वारा की गयी शिकायत का पत्र प्राप्त हुआ है. प्राप्त शिकायत की जांच अनुविभागीय अधिकारी, राजस्व बलदेवगढ़ द्वारा की गयी. जांच प्रतिवेदन में कार्यरत समूह को हटाने के संबंध में कोई उल्लेख नहीं होने से कार्यों का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है.
श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर- अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री से विनम्र के साथ पूछना चाहता हूं कि जब नगरीय क्षेत्रों में सांझा चूल्हा पर विज्ञापन जारी किये जाते हैं, तब अन्य समूह भी पात्र पाये जाते होंगे. फिर भी एक ही समूह को 8 से 10 स्थानों पर क्यों कार्य दिया जाता है, यह आपकी कैसी व्यवस्था है. बलदेवगढ़ सहित पूरे प्रदेश में संचालित है. एक ही समूह 8-10 आंगनवाड़ी केन्द्रों से हटाये जाने के आदेश आपके द्वारा कब तक जारी कर दिये जायेंगे. मैं महिला बाल विकास कल्याण विभाग की विधान सभा समिति की सदस्य हूं. समिति के माध्यम से भी प्रस्ताव किया है. मंत्री जी, यह समस्या केवल खरगापुर विधान क्षेत्र की नहीं है, यह समस्या पूरे प्रदेश की है. समूह बच्चों को दिये जाने वाले पोषण आहार में गड़बड़ी कर रहा है. इसका उत्तर माननीय मंत्री जी द्वारा दिया जाये.
सुश्री निर्मला भूरिया- अध्यक्ष जी, माननीय विधायिका जी जो कह रही हैं कि विधान सभा से भी पत्र भिजवाया है. ऐसा कोई पत्र प्राप्त नहीं हुआ है. हम 10 आंगनवाड़ी केन्द्रों का एक ही स्व-सहायता समूह को देते हैं. क्योंकि एक या दो देते हैं तो वह संचालित नहीं कर पाते हैं. इसलिये हम 9 या 10 जो आंगनवाड़ी केन्द्र हैं उन्हीं को देते हैं.
श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर- अध्यक्ष महोदय, ऐसा नहीं है, जैसा माननीय मंत्री जी बोल रही हैं. वह केवल और केवल भाजपा के लोगों को दिया जाता है. ऐसा नहीं है कि उसमें भाजपा के लोग ही पात्र होते है, उसमें सभी लोग पात्र होते हैं. जब विज्ञापन निकलता है तो ऐसा नहीं है कि उसमें भाजपा के ही पात्र होते हैं.
सुश्री निर्मला भूरिया- अध्यक्ष महोदय, जब विज्ञापन निकलता है तो उसमें ऐसा कोई भेदभाव नहीं किया जाता है. जहां कोई भी आवेदन करता है तो उसको पात्रता के आधार पर दिया जाता है उसमें कोई भेदभाव नहीं किया जाता है.
श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर- अध्यक्ष महोदय, यदि भेदभाव नहीं किया जाता है तो हर गांव में भाजपा के लोग ही पात्र हैं क्या ? यह आप बताने का कष्ट करें, क्या एक ही पात्र मिलता है ? अगर हजारों लोग पात्रता में आते होंगे तो एक ही को दिया जाता है क्या ?
अध्यक्ष महोदय- श्रीमती चंदा जी, आप उसको अलग से लिखकर दे दो, कोई भी विषय है तो. विधान सभा की अपनी एक मर्यादा है ना. बाकि अब झूमा जी का प्रश्न है.
बिंजलवाड़ा उद्वहन सिंचाई परियोजना
[नर्मदा घाटी विकास]
4. ( *क्र. 766 ) श्रीमती झूमा डॉ. ध्यानसिंह सोलंकी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) भीकनगांव विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत नर्मदा घाटी विकास विभाग द्वारा बिंजलवाड़ा उद्वहन सिंचाई परियोजना का कितना कार्य पूर्ण हो गया है तथा कितना कार्य शेष है? रबी सीजन की सिंचाई हेतु कौन-कौन से ग्रामों में सिंचाई हेतु जल उपलब्ध होगा तथा कब से पानी देना प्रारंभ किया जायेगा तथा परियोजना का शेष कार्य कब तक पूर्ण होगा? (ख) क्या पूर्व में सदन में मंत्री जी की घोषणा के बाद उक्त परियोजना के कार्य की गुणवत्ता एवं अन्य कार्य का निरीक्षण कर जांच की गई थी? हाँ तो जांच प्रतिवेदन की प्रतिलिपि देवें तथा नहीं तो क्या कारण है तथा भीकनगांव विधानसभा क्षेत्र का सिंचाई से वंचित क्षेत्र झिरन्या का पहाड़ी अंचल में सिंचाई हेतु नवीन परियोजना की स्वीकृति प्रदान की जायेगी? हाँ तो कब तक? नहीं तो क्या कारण है?
मुख्यमंत्री ( डॉ. मोहन यादव ) अधिकृत - राज्य मंत्री (श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी) : (क) 98 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो गया है तथा 02 प्रतिशत कार्य शेष है। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। दिसम्बर 2024 तक कार्य की पूर्णता निर्धारित है। (ख) जांच प्रक्रियाधीन है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। झिरन्या के पहाड़ी अंचल में सिंचाई हेतु नवीन परियोजना के संबंध में तकनीकी साध्यता के आकलन उपरांत ही स्वीकृति के संबंध में निर्णय लिया जाना संभव होगा। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्रीमती झूमा डॉ. ध्यानसिंह सोलंकी- अध्यक्ष जी, मैं आपका बहुत-बहुत धन्यवाद कर रही हूं. क्योंकि हर सत्र में एक महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिये आपने हम सबको अपनी बात रखने का अवसर दिया इसके लिये आपको बहुत-बहुत धन्यवाद. धन्यवाद यहीं तक नहीं है. पिछली बार मेरा प्रश्न लोक निर्माण विभाग का आया था तो आपने उसमें कार्यवाही करने के लिये कहा तो वह रोड भी सही हो गया. मैं चाहती हूं कि आपका संरक्षण आज के प्रश्न में भी आपके द्वारा निर्देशित हों कि वह काम पूरा हो.
अध्यक्ष जी, आपके माध्यम से पूछना चाहती हूं कि मेरे क्षेत्र विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत नर्मदा घाटी विकास विभाग द्वारा बिंजलवाड़ा उद्वहन सिंचाई योजना के संबंध में है. मैं मंत्री जी पूछना चाहती हूं कि प्रश्न का उत्तर पूरी तरह से असत्य दिया गया है. धरातल पर कार्य पूर्ण नहीं हुआ है और इस परियोजना का कार्य लगभग वर्ष 2022 में पूर्ण होना था. जब वर्ष 2024 भी पूरा हो गया है और प्रश्न के उत्तर में 98 प्रतिशत पूर्ण बताया गया है, जबकि कार्य पूरी तरह से अधूरा है, अधूरे के साथ-साथ में गुणवत्ता विहीन नहीं है. अध्यक्ष जी, आपकी जानकारी में लाना चाहता हूं कि इत्तेफाक से यही प्रश्न मेरा पिछले सत्र में भी लगा था और आपने मंत्री जी को निर्देशित किया था कि इसकी जांच हो और कार्य समय-सीमा में पूरा हो, ना तो आज तक उसकी जांच हुई और सारे कामों में कोई गुणवत्ता के कार्य हो, ऐसा मुझे नज़र नहीं आ रहा है. मंत्री जी, आप यह बतायें कि यह काम कब तक पूर्ण होगा और जो समिति की बात हुई थी, क्या वह काम करेंगे या सिर्फ आश्वासन देंगे ?
श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी - अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्या ने पिछली बार भी यह प्रश्न पूछा था, जिसमें यह आश्वासन दिया गया था कि जांच टीम बनाकर कार्य की गुणवत्ता के संबंध में परीक्षण करा लिया जाएगा तो मैं आपके माध्यम से बताना चाहता हूं कि अधीक्षणयंत्री के नेतृत्व में तीन सदस्यीय जांच दल गठित किया गया था. जांच दल का प्राथमिक जांच प्रतिवेदन प्राप्त हो चुका है, जिसमें प्रथम दृष्टया परियोजना के कार्य गुणवत्तापूर्ण पाये गये हैं. चूंकि परियोजना का क्षेत्र अत्यंत विस्तृत है, इसलिए पूरी जांच होने में कुछ समय लग रहा है. जैसे ही जांच समिति की अंतिम रिपोर्ट प्राप्त होगी. माननीय सदस्या को अवगत करा दिया जाएगा. माननीय सदस्या ने प्रश्न में यह भी पूछा है कि झिरन्या के पहाड़ी अंचल में सिंचाई हेतु नवीन परियोजना के स्वीकृत होने की बात कही है तो माननीय सदस्या को मैं अवगत कराना चाहता हूं कि नर्मदा जल विवाद न्यायाधिकरण द्वारा नर्मदा नदी का जितना जल मध्यप्रदेश को आवंटित किया गया था, उसकी कार्य योजना मध्यप्रदेश सरकार द्वारा बना ली गई है. इस कारण से झिरन्या के पहाड़ी अंचल में सिंचाई हेतु नवीन सिंचाई परियोजना स्वीकृत किया जाना संभव नहीं है, फिर भी माननीय सदस्या की भावनाओं का सम्मान करते हुए यदि अतिरिक्त जल उपलब्ध होता है तो झिरन्या के पहाड़ी अंचल में सरकार द्वारा सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी. इसके लिए हम तकनीकी रूप से परीक्षण करा लेंगे.
श्रीमती झूमा डॉ. ध्यानसिंह सोलंकी - अध्यक्ष महोदय, एक यह जो कमेटी है, पिछली बार भी मुझे आश्वासन दिया था और अभी भी माननीय मंत्री जी आश्वासन दे रहे हैं कि वह जांच चल रही है तो कितने समय तक जांच होती है? एक तहसील है, एक आधी तहसील है, जितने गांव हैं सब दूर जाकर देख लिया जाए, गुणवत्ताविहीन कार्य हुए हैं. मतलब पाईप पूरे ऊपर पड़े हुए हैं. अभी पहली टेस्टिंग में पानी मुख्य नहर में टूटकर बहकर जा रहा है तो किसानों को सिंचाई का पानी मिले, बस यही तो चाह रहे हैं. एक तो जांच कमेटी तुरन्त इसकी रिपोर्ट दे और वह काम हो. मकसद यह है कि काम हो और किसानों को पानी मिले. अगला जो माननीय मंत्री जी ने मेरे पूछने के पहले ही बताया कि जो पहाड़ी अंचल के झिरन्या तहसील के गांव हैं, वह लगभग 32 गांव हैं और वह पूरा शत-प्रतिशत आदिवासी बाहुल्य है, 14000 हैक्टेयर जमीन है जहां सिंचाई के लिए पानी की आवश्यकता है. यह मेरा क्षेत्र ही नहीं है, यहां पास में आपके पंधाना, नेपानगर, बुरहानपुर, ये जितने पहाड़ी अंचल के गांव हैं, यदि आप एक नवीन परियोजना बनाते हैं तो निश्चित रूप से ये सारे गांव उसमें शामिल हो जाएंगे तो यह बहुत जरूरी है. सिंचाई के अभाव में हजारों की तादाद में हमारे आदिवासी भाई महाराष्ट्र और अन्य प्रदेशों में रोजगार के लिए जाते हैं पलायन करते हैं. रोजगार की तलाश में भटकते हैं. यह बहुत जरूरी है कि इस परियोजना को आप विभाग के द्वारा तैयार करें और कहीं से भी जहां पानी की उपलब्धता हो, वहां से उसको जोड़ा जाय.
अध्यक्ष महोदय, दो ही बातें हैं कि जांच कमेटी की कार्यवाही जल्दी से जल्दी हो, गुणवत्ताविहीन काम न हो और यह परियोजना के गांव आपको हर हाल में जोड़ना पड़ेंगे, नयी परियोजना बनाना पड़ेगी. अध्यक्ष महोदय, आपका संरक्षण चाहिए, यह परियोजना मुझे चाहिए.
श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी - अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी की चिंता वाजिब है. एनवीडीए द्वारा योजना बनाया जाना संभव नहीं है. डब्ल्यूआरडी विभाग इस पर विचार कर सकता है क्योंकि नर्मदा नदी का जो पानी है वह सीमित है, उसके अनुसार योजना बन चुकी है और जहां तक माननीय सदस्या की चिंता का विषय है तो प्राथमिक जांच प्रतिवेदन मेरे पास में है और यह जैसे ही जांच पूरी होती है, माननीय सदस्या को उससे अवगत करा दिया जाएगा, धन्यवाद.
सहकारी सूत मिल मर्या. बुरहानपुर
[सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम]
5. ( *क्र. 588 ) श्रीमती अर्चना चिटनीस : क्या सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सहकारी सूत मिल मर्या. बुरहानपुर के श्रमिक एवं कर्मचारियों को देय वेतन, ग्रेज्युटी के भुगतान के संबंध में विभाग द्वारा कोई निर्णय प्रदेश के अन्य मिलों के कर्मचारियों को किए गए भुगतान के तरह लिया गया है? यदि नहीं, तो 25 वर्षों की परिसमापन अवधि व्यतीत होने के पश्चात भी भुगतान का निर्णय कितनी समय-सीमा में लिया जायेगा? (ख) मिल परिसमापन के समय मिल की समस्त चल-अचल संपत्ति की वर्तमान स्थिति क्या है? क्या मिल को 99 वर्ष की लीज पर दी गई भूमि भी शासन द्वारा अपने आधिपत्य में लिया गया था? यदि हाँ, तो मिल की भूमि एवं सम्पत्तियां किस विभाग के आधिपत्य में हैं? (ग) मिल के परिसमापन के समय मिल श्रमिक एवं कर्मचारियों को देय वेतन, ग्रेज्युटी के भुगतान संबंधी कितनी देनदारी शेष थी? प्रश्न दिनांक को श्रमिकों की कितनी देनदारियां शेष है? इन मिल श्रमिकों के भुगतान शासन किस समय-सीमा तक भुगतान की व्यवस्था करेगा? (घ) मिल परिसमापन के समय से प्रश्न दिनांक तक किन-किन विभागों को परिसमापक नियुक्त किया गया था? परिसमापकों के द्वारा श्रमिकों के देनदारियों के भुगतान के संबंध में कोई कार्यवाही की गई है? क्या विभाग मिल की परिसंपत्तियों का विक्रय कर समय-सीमा निश्चित कर श्रमिकों के देनदारियों का भुगतान सुनिश्चित करेगा?
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री ( श्री चेतन्य कुमार काश्यप ) :
श्रीमती अर्चना चिटनीस -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आज का यह प्रश्न उन परिवारों की बहन-बेटियों के लिए भी बहुत काम आएगा, जिन्हें आपकी बहनों के प्रति संवेदनशीलता से मुझे आज इस प्रश्न को पूछने का अवसर मिला है. बुरहानपुर में एक सहकारी सूत मिल के लिए 26 जून 1999 एक काला दिन था, जब अचानक से एक चलती हुई मिल को, जो कुछ नुकसान में थी, उसे बिना परिसमापन के प्रक्रिया को पूरा करे एकदम से शटडाउन कर दिया गया. मैं माननीय मंत्री जी की इस बात के लिए आभारी हॅूं कि उन्होंने जो जानकारी संकलित करके कल ही पहुंचायी, वह काफी समुचित जानकारी है और मंत्री जी स्वयं इसको मान रहे हैं कि अब वहां जो मिल चल रही थी, वहां बड़ी अच्छी-अच्छी जर्मन मशीनें थीं, लोग उस मिल को देखने आते थे. आज वहां एक खिड़की, दरवाजा, कील कुछ भी बचा नहीं है. सारी सम्पत्ति चोरी हो गई. क्योंकि न तो वहां चौकीदार बचा, न कोई कर्मचारी बचा और दुख की बात यह है कि आज 25 साल से वहां के मजदूर त्राहि-त्राहि कर रहे हैं. न उन्हें अंतिम वेतन मिला, न उन्हें ग्रैच्युटी मिली, न ले-ऑफ मिला और जैसा कि हमारी सरकार ने मालवा में हुकुमचंद मिल, अवंतिका सूत मिल, हीरा मिल, विनोद मिल उज्जैन आदि के मजदूरों के प्रति संवेदनशीलता से निर्णय किया. उन सारे मजदूरों की देनदारियों का जो अधिकार था, उन्हें वह दिये. मेरा माननीय मंत्री जी से यह आग्रह है कि वे बुरहानपुर सूत मिल के मजदूरों के लिये भी शासन अपनी संवेदनशीलता दिखाते हुए समय-सीमा में उस पर निर्णय करे. मजदूरों की देनदारी को सुनिश्चित तौर पर देने के लिए आज आप इस पवित्र सदन में उनके प्रति अपनी संवेदनशीलता और सरकार की जिम्मेदारी का पूरे एहसास के साथ में निर्णय करेंगे, ऐसी मुझे उम्मीद है.
श्री चेतन्य कुमार काश्यप -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारी सम्माननीय सदस्या का प्रश्न सम्पूर्ण मजदूरों के पूरे परिवार से जुड़ा हुआ है एवं राज्य शासन के द्वारा पिछले एक वर्ष में मजदूरों के भुगतानों के और बंद मिलों के मामलों में बड़ी संवेदनशीलता के साथ में काम किया है. हुकुमचंद मिल में 224 करोड़ रूपए का भुगतान करके 4700 परिवारों को सीधा लाभ दिया गया है. उसके साथ में सज्जन मिल, जेसी मिल, सिंथेटिक मिल के कार्यों को भी लिया गया है और मैं माननीय सदस्या को आश्वस्त करता हॅूं कि यह विषय संज्ञान में आते ही हमने इस पर कार्यवाही प्रारम्भ कर दी है एवं बंद मिलों की जमीनों की जो नीति शासन ने बनायी है उसी के अनुसार बहुत जल्द इसका तत्काल निराकरण करके उनके परिवारों के अंदर इसका जो मुआवजा 1 करोड़ 51 लाख रूपए के करीब पूर्व में था और बाकी जो राशि और बनेगी, उसका भुगतान करने के लिए शासन लगातार प्रयासरत है.
श्रीमती अर्चना चिटनीस -- माननीय अध्यक्ष महोदय, 25 साल पहले जो राशि थी, अब वह राशि काफी बढ़ चुकी है और अब जो मजदूरों की संघर्ष समिति है आप उसे किस तारीख को, किस दिन को उनके साथ एक बैठक करेंगे. सरकार अपने तरीके से नियमानुसार उसको करे और उसको सुनिश्चित करें. वह 57 एकड़ जमीन है जो इंदौर अंकलेश्वर रोड पर स्थित है उसका उद्योग विभाग समुचित उपयोग करें. उस पर लगातार अतिक्रमण हो रहा है. अगर वहां पर उद्योग स्थापित होंगे, तो वहां के लोगों को, गांवों में रहने वाले बच्चों के लिए रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे. उस जमीन का भी सुनिश्चित उपयोग करने का विभाग इसे अपनी कार्ययोजना में शामिल करने का प्रयास करें क्योंकि हमें जमीन मिलती नहीं है और वहां एक नेशनल हाईवे पर इतनी बड़ी जमीन पड़ी है, जिस पर अतिक्रमण हो रहा है तो उस जमीन का भी उपयोग हो और मजदूरों की भी देनदारी की समयसीमा अगर आप बताएंगे क्योंकि 25 साल से काम डिलेड है.
श्री चेतन्य कुमार काश्यप -- माननीय अध्यक्ष महोदय, वर्ष 1999 में इसका परिसमापन हुआ और इसमें कई तरीके की देनदारियां हैं. आईसीआईसीआई बैंक और आईएफसीआई बैंक की भी देनदारी है, तो उन सबका हम परीक्षण कर रहे हैं. एकदम समय सीमा इन न्यायालयीन मामलों में नहीं बतायी जा सकती है. परन्तु माननीय सदस्या जी की चिन्ता बड़ी ही जाहिर है. हम लोग जिस तरीके से हुकुमचन्द मिल का निपटारा बड़े लंबे समय से रूका हुआ था. एक वर्ष के अंदर उसको तीन चार महीने में पूरा किया गया है. उसी तर्ज पर हम सहकारी सूत मिल का भी निराकरण करके और जब भी आवश्यक होगा मजदूरों के साथ तथा आपके साथ चर्चा करके इसका निराकरण करेंगे.
श्रीमती अर्चना चिटनीस— अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद मंत्री जी.
प्रश्न संख्या—6
आंगनवाड़ी भवनों/केन्द्रों की भौतिक व वित्तीय जानकारी
[महिला एवं बाल विकास]
6. ( *क्र. 941 ) श्रीमती कंचन मुकेश तनवे : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) विगत 5 वर्षों में कितने आंगनवाड़ी केन्द्र, आंगनवाड़ी भवन स्वीकृत एवं निर्मित हुए, की जानकारी प्रदान करने का कष्ट करें? (ख) वर्तमान में कितने केन्द्र भवन विहीन, जर्जर स्थिति में हैं और इस स्थिति में केन्द्र संचालित हैं या नहीं? यदि हाँ, तो किन शासकीय, अशासकीय भवनों में संचालित हैं? (ग) सत्र 2022-23 एवं 2023-24 में आंगनवाड़ी केन्द्रों में खेल व शिक्षण सामग्री प्रदाय की या क्रय की गई है? यदि हाँ, तो सामग्री का केन्द्रवार विवरण उपलब्ध कराया जावें। (घ) खण्डवा विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत कितनी आंगनवाड़ी केन्द्रों में बाउंड्रीवॉल नहीं है? यदि नहीं, है तो क्या कारण है एवं इसके निराकरण की क्या योजना व स्थिति है?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( सुश्री निर्मला भूरिया ) : (क) विगत 5 वर्षों में 194 आंगनवाड़ी केन्द्र, 4320 आंगनवाड़ी भवन स्वीकृत एवं 1399 भवन निर्मित हुए हैं। जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र "1" अनुसार है। (ख) वर्तमान में 34143 आंगनवाड़ी केन्द्र भवन विहीन एवं 4044 भवन जर्जर स्थिति में है। भवन विहीन एवं जर्जर आंगनवाड़ी केन्द्र अन्य शासकीय भवनों यथा स्कूल भवन, सामुदायिक भवन, पंचायत भवन एवं किराये के भवनों में संचालित है। जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र "2" अनुसार है। (ग) जी नहीं। शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) खण्डवा विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत 37 विभागीय आंगनवाड़ी भवनों में बाउंड्रीवॉल नहीं है। स्वीकृत आंगनवाड़ी भवन निर्माण के नक्शे में बाउंड्रीवॉल का प्रावधान नहीं होने से आंगनवाड़ी भवन बाउंड्रीवॉल विहीन है। बाउंड्रीवॉल विहीन आंगनवाड़ी केन्द्रों में बाउंड्रीवॉल का निर्माण भूमि की उपलब्धता एवं वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता पर निर्भर है।
श्रीमती कंचन मुकेश तनवे—अध्यक्ष महोदय, खण्डवा जिले में विगत् पांच वर्षों में कितने आंगनवाड़ी स्वीकृत हुए हैं. स्वीकृत दिनांक एवं लागत की जानकारी देने का कष्ट करें माननीय मंत्री जी. कितने आंगनवाड़ी केन्द्र हमारे खण्डवा जिले में किराये के मकानों में तथा कितने शासकीय भवनों में संचालित हैं. इन केन्द्रों में आगामी दिनों में क्या योजना है ? खण्डवा विधान सभा में आंगनवाड़ी केन्द्रों में बच्चों के लिये खेल एवं शिक्षण सामग्री क्रय या वितरण की गई इसकी केन्द्रवार मदवार जानकारी प्रदान करने का कष्ट करें. खण्डवा जिले के कितनी आंगनवाड़ी केन्द्रों में बाऊन्ड्रीवाल है ? कितने में नहीं है ? अगर नहीं है तो इन केन्द्रों में कब तक बाऊन्ड्रीवाल बन जायेगी ? इनकी कार्य योजना क्या है ? क्योंकि हमारे जो छोटे छोटे बच्चे होते हैं उनकी सुरक्षा के लिये हमको आंगनवाड़ी में बाऊन्ड्रीवाल की बहुत आवश्यकता होती है. माननीय मंत्री जी इनका उत्तर देने का कष्ट करें.
सुश्री निर्मला भूरिया—अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्या जी ने जो प्रश्न किये हैं इन सारे ही प्रश्नों के उत्तर हमने उनको परिशिष्ट में दे दिये हैं. माननीय सदस्या जी अलग से कोई प्रश्न पूछना चाहें तो उनका जवाब दे देंगे.
श्रीमती कंचन मुकेश तनवे—अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी के द्वारा जो उत्तर दिये गये हैं. उनके अलावा बच्चों की सुरक्षा के लिये बाऊन्ड्रीवाल की आवश्यकता आंगनवाड़ी केन्द्रों में है.
अध्यक्ष महोदय—ठीक है.
प्रश्न संख्या-7
दिव्यांग शासकीय सेवकों की पदोन्नति में आरक्षण
[सामान्य प्रशासन]
7. ( *क्र. 761 ) श्रीमती अनुभा मुंजारे : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि भारत सरकार एवं अन्य राज्यों की भांति मध्यप्रदेश में दिव्यांग शासकीय सेवकों को पदोन्नति में दिव्यांग अधिनियम 2016 की धारा 34 के अनुसार सर्वोच्च न्यायालय के आदेश दिनांक 28.9.2021 एप्लीकेशन नंबर 2171 2020 के अनुपालन में आरक्षण का लाभ कब तक प्रदान करेंगे? यदि हाँ, तो समय-सीमा बताएं और नहीं तो क्यों नहीं?
मुख्यमंत्री ( डॉ. मोहन यादव ) अधिकृत - राज्य मंत्री (श्रीमती कृष्णा गौर) : (क) वर्तमान में म.प्र.राज्य से संबंधित पदोन्नति नियम माननीय उच्चतम न्यायालय में प्रचलित है. अतः दिव्यांग शासकीय सेवकों को पदोन्नति में आरक्षण का लाभ दिये जाने की समयावधि बताया जाना संभव नहीं है.
श्रीमती अनुभा मुंजारे—अध्यक्ष महोदय, मेरा माननीय मंत्री जी से सवाल है कि क्या मंत्री जी बताने की कृपा करेंगे कि भारत सरकार एवं अन्य राज्यों की भांति मध्यप्रदेश में दिव्यांग शासकीय सेवकों को पदोन्नति में दिव्यांग अधिनियिम 2016 की धारा 34 के अनुसार सर्वोच्च न्यायालय के आदेश दिनांक 28.9.21 एप्लीकेशन नम्बर 21712020 के अनुपालन में आरक्षण का लाभ कब तक प्रदान करेंगे. यदि हां तो समय सीमा बतायें ? यदि नहीं तो क्यों नहीं ?
श्री लखन पटेल—अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्या जी ने जो जानना चाहा है 28.2.2021 के अनुसार दिव्यांग जनों को पदोन्नति में आरक्षण का क्या प्रावधान है ? हमारे राज्य में पदोन्नति में आरक्षण नहीं है. माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने जो 28.2.2021 को आदेश दिया था वह केन्द्र सरकार पर लागू होता है. केन्द्र सरकार को निर्देश दिये थे कि चार महीने के अंदर यह नीति बनाये तो केन्द्र सरकार से ऐसे कोई निर्देश प्राप्त नहीं हुए हैं. जो केन्द्र सरकार ने लागू किया है कि ऐसी भर्तियों में 75 प्रतिशत से अधिक का प्रावधान हो वहां पर 4 प्रतिशत के आरक्षण का केन्द्र सरकार में किया है. चूंकि माननीय सर्वोच्च न्यायालय में यह प्रकरण लंबित है. इसलिये हमारे यहां पर इसमें आरक्षण देने की व्यवस्था नहीं है.
श्रीमती अनुभा मुंजारे – माननीय अध्यक्ष जी, मंत्री महोदय के जवाब से मैं कुछ हद तक तो संतुष्ट हूं, लेकिन मैं इतना जानना चाहती हूं कि इसमें राज्य शासन की तरफ से आज तक क्या व्यवस्था की गई है. आज तक क्या जानकारी ली गई, मानते हैं, सुप्रीम कोर्ट में तो मामला चल रहा है. लेकिन दिव्यांगजनों को आत्मनिर्भर बनाने और उनको आत्मबल से मजबूत करने में हमारे यहां क्या प्रयास हुए, मंत्री जी थोड़ा इससे सदन को अवगत कराने का कष्ट करें.
श्री लखन पटेल – अध्यक्ष महोदय, जैसा सदस्य महोदया चाह रही हैं, चूंकि सुप्रीम कोर्ट में प्रकरण लंबित है पदोन्नति में आरक्षण का, तो मध्यप्रदेश में अभी इसका प्रावधान नहीं है, लेकिन हमारी सरकार ने संवेदनशीलता के साथ नियुक्तियों में 6 प्रतिशत का आरक्षण दिया है, जबकि केन्द्र सरकार के लिए जो सुप्रीम कोर्ट का आदेश हुआ वह 4 प्रतिशत का हुआ, तो हम तो वैसे ही 6 प्रतिशत आरक्षण दे रहे हैं और जैसे ही सुप्रीम कोर्ट से जो निर्देश प्राप्त होंगे हम उसके हिसाब से कार्यवाही करने के लिए तैयार रहेंगे.
श्रीमती अनुभा मुंजारे – धन्यवाद मंत्री जी.
कुपोषित बच्चों की देखभाल
[महिला एवं बाल विकास]
8. ( *क्र. 843 ) श्री कैलाश कुशवाहा : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्या विभाग द्वारा जिला शिवपुरी में नवजात शिशुओं में गंभीर कुपोषण स्थिति को समाप्त करने एवं कुपोषित नौनिहालों की समुचित देखभाल जांच/परीक्षण, पौष्टिक आहार इत्यादि अन्य कौन-कौन से कार्य केन्द्र/राज्यों में प्रवर्तित योजनाओं के माध्यम से किए जा रहे हैं? (ख) यदि हाँ, तो जिला शिवपुरी में वर्ष 2020-21 से प्रश्न दिनांक तक वर्षवार कितने कुपोषित बच्चे जिले व तहसीलवार पाये गये एवं विभाग द्वारा उन बच्चों की समुचित देखभाल हेतु उक्त वर्षों में किस-किस दिनांक से बच्चों को चिन्हित कर स्वास्थ्य लाभ हेतु क्या-क्या उपाय किये गये? (ग) जिला शिवपुरी में विकासखंडवार, वर्षवार कितने-कितने बच्चे कुपोषित होकर कुपोषण ग्रस्त पाए गए, उनकी देखभाल हेतु विकासखंडवार क्या-क्या कार्यवाही की गयी? साथ ही विभाग द्वारा किस फर्म, एजेंसी, एन.जी.ओ., संस्था अथवा अन्य किसी दानदाताओं के माध्यम से कोई कार्य किए गए हैं? तो जानकारी दी जावे। (घ) उपरोक्तानुसार उल्लेखित समस्त प्रश्नों में सम्मिलित विषयों के कार्य हेतु जिलेवार, विकासखंडवार कितना-कितना बजट स्वीकृत एवं व्यय किया गया? व्यय की गई राशि का भौतिक सत्यापन किस प्रकार किया गया? (ड.) केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा गर्भवती महिलाओं एवं कुपोषित बच्चों से संबंधित कौन-कौन सी योजनाएं संचालित की जा रही हैं?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( सुश्री निर्मला भूरिया ) : (क) जी हाँ। बच्चों में कुपोषण निवारण हेतु ''मुख्यमंत्री बाल आरोग्य संवर्द्धन'' कार्यक्रम का क्रियान्वयन किया जा रहा है, जिसके अंतर्गत चिकित्सकीय जटिलता वाले बच्चों को पोषण पुनर्वास केन्द्र में भर्ती कराकर उपचार एवं पोषकीय सुविधा उपलब्ध कराई जाती है तथा गैर चिकित्सकीय जटिलता वाले बच्चों का समुदाय स्तर पर पोषण प्रबंधन किया जाता है। (ख) प्रत्येक माह की 11 से 20 तारीख तक सभी आंगनवाड़ी केन्द्रों में शारीरिक माप दिवसों का आयोजन किया जाकर कुपोषित बच्चों का चिन्हांकन किया जाता है। उल्लेखित अवधि में वर्षवार व परियोजनावार कुपोषित बच्चों की संख्यात्मक जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। चिकित्सकीय जटिलता वाले बच्चों को पोषण पुनर्वास केन्द्र में भर्ती कराकर उपचार एवं पोषकीय सुविधा उपलब्ध कराई जाती है तथा गैर चिकित्सकीय जटिलता वाले बच्चों का समुदाय स्तर पर पोषण प्रबंधन किया जाता है। (ग) कुपोषित बच्चों की वर्षवार व परियोजनावार संख्यात्मक जानकारी एवं की गई कार्यवाही की जानकारी प्रश्नांश (ख) अनुसार है। विभाग द्वारा ''अडाप्ट एन आंगनवाड़ी'' कार्यक्रम के माध्यम से दानदाताओं द्वारा आंगनवाड़ी केन्द्रों के सुदृढ़ीकरण हेतु अधोसंरचना मूलक कार्यों में सहयोग, बच्चों की व्यक्तिगत आवश्यकता में सहयोग और स्वास्थ्य एवं पोषण सेवाओं को बेहतर बनाने हेतु सहयोग किया गया है। (घ) कुपोषण निवारण हेतु मुख्यमंत्री बाल आरोग्य संवर्द्धन कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। इस हेतु विभाग में अलग से कोई बजट प्रावधानित नहीं है। अतिकुपोषित बच्चों को राशि रूपए 4 का अतिरिक्त आहार देने का प्रावधान है, जो पोषण आहार के बजट में ही समाहित है। शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ड.) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है।
श्री कैलाश कुशवाहा – अध्यक्ष जी, मैं माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि क्या विभाग द्वारा जिला शिवपुरी में नवजात शिशुओं में गंभीर कुपोषण स्थिति को समाप्त करने के एवं कुपोषित नौनिहालों की समुचित देखभाल, जांच, परीक्षण, पौष्टिक आहार इत्यादि अन्य कौन कौन से कार्य केन्द्र राज्यों में प्रवर्तित योजनाओं के माध्यम से किए जा रहे हैं.
सुश्री निर्मला भूरिया – अध्यक्ष जी, माननीय सदस्य ने जो प्रश्न किया है कुपोषण के विषय में, कुपोषण पर हम लगातार कार्य कर रहे हैं. शिवपुरी में अभी तक 1768 बच्चों को एनआरसी में भर्ती कराया जा चुका है. जनसहयोग भी लिया जा रहा है और कुपोषण निवारण किया जा रहा है. जहां तक पोषण आहार की दर बढा़ने की बात है, यह भारत सरकार का है और लगातार हम इसमें कोशिश कर रहे हैं, शिवपुरी में ही नहीं पूरे प्रदेश मे कि कुपोषण को हम किस तरह से दूर कर सके यह हमारी सरकार का प्रयास है.
श्री कैलाश कुशवाहा – अध्यक्ष जी, मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि वर्ष 2020-2021 में प्रश्न दिनांक तक वर्षवार कितने कुपोषित बच्चे, जिलेवार, तहसीलवार पाए गए एवं विभाग द्वारा उन बच्चों की समुचित देखभाल हेतु उक्त वर्षों में किस किस दिनांक से बच्चों को चिन्हित कर स्वास्थ्य लाभ हेतु क्या क्या उपाए किए गए.
सुश्री निर्मला भूरिया – अध्यक्ष जी, जो प्रश्न माननीय सदस्य ने किया है इसका उत्तर भी हमने इसमें दिया हुआ है. हम प्रत्येक माह की 11 से 20 तारीख तक सभी आंगनवाडि़यों में शारीरिक माप दिवसों का आयोजन किया जाकर कुपोषित बच्चों का चिन्हांकन किया जाता है. उल्लेखित अवधि में वर्षवार व परियोजनावार कुपोषित बच्चों की सारी संख्यात्मक जानकारी हमने पुस्तकालय में रख दी है.
आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका के पदों की जानकारी
[महिला एवं बाल विकास]
9. ( *क्र. 967 ) श्री प्रीतम लोधी : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्या विकासखण्ड खनियाधाना के ग्राम नदनवारा में श्रीमती मेवाबाई, पत्नी कमलेश खँगकर आँगनवाड़ी केन्द्र मजरा कुन्दौली में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के पद पर कार्यरत है? इनकी नियुक्ति कब किस वर्ष में किस नाम से की गई? क्या नियुक्त कार्यकर्ता और कार्यरत कार्यकर्ता एक ही व्यक्ति है या अलग-अलग? (ख) पिछोर विधानसभा क्षेत्र में महिला एवं बाल विकास परियोजनाओं में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका के पद पर कई केन्द्रों में प्रश्नांश (क) जैसी स्थिति है? क्या विभाग में नियुक्ति किसी अन्य व्यक्ति को दी है और कार्य किसी अन्य व्यक्ति से लिया जा रहा है? क्या विभाग इस मामले में विस्तृत परीक्षण व जांच कराकर दोषियों को दंडित करेगा? यदि नहीं, तो क्यों?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( सुश्री निर्मला भूरिया ) : (क) जी नहीं। शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। नियुक्त आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं कार्यरत आंगनवाड़ी कार्यकर्ता दोनों एक ही व्यक्ति है। (ख) जी नहीं। जी नहीं। उत्तर 'क' के संदर्भ में लागू नहीं। शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री प्रीतम लोधी -- अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे निवेदन है कि हमारे यहां पिछोर विधानसभा में किसी नाम से भर्ती होते हैं और किसी नाम से वहां पर पदस्थ हैं, क्योंकि तीस साल से पिछोर विधानसभा में कांग्रेस का राज्य रहा है और कांग्रेस के उस तीस साल के राज्य में, इतने घपले हुए हैं और सबसे ज्यादा अगर घपले हुए हैं तो यह बाल विकास विभाग में हुए हैं. वहां पर एक मेवाबाई नाम की महिला अभी विमलेश परिहार के नाम से काम कर रही है, इसकी जांच की जाए. (व्यवधान)... कांग्रेस के समय पर जो घपले हुए हैं, उनकी मैं कृपया जांच कराना चाहता हूं. मेरा अध्यक्ष महोदय, से आग्रह है कि इनकी जांच की जाये और सबसे ज्यादा अगर घपले हुए हैं, तो वह शिक्षा विभाग में हुए हैं और शिक्षा विभाग ऐसा महत्वपूर्ण विभाग है, जिसमें बच्चों का भविष्य इनके अंदर छिपा हुआ है, इसीलिए वहां पर फर्जी मार्कशीटों से और फर्जी तरीकों से लोग वहां पर नौकरियां कर रहे हैं, इसकी कृपया करके जांच कराई जाये. मैं अध्यक्ष महोदय जी से निवेदन करना चाहता हूं कि इस जांच में कांग्रेस की पोल खुलकर सामने आ जायेगी और तीस साल के जितने भी घपले हैं, वह भी सामने आ जायेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- अब आप बैठ जायें, मंत्री जी को उत्तर देनें दें.
श्री प्रीतम लोधी -- अध्यक्ष महोदय, जी से मेरा निवेदन है कि मैंने पांच प्रश्न किये थे, मुझे एक ही प्रश्न मिला है, इसीलिए मेरा आग्रह है कि मुझे आप सुन लें, मुझे एक साल में मौका मिला है, फिर पता नहीं बाद में मिले या नहीं मिले. दूसरा मेरा प्रश्न यह है कि हमारे वरिष्ठ नेतागणों ने पिछोर विधानसभा में जिला बनाने की घोषणा की थी, इसीलिए वहां पर जिला बनाना बहुत ही आवश्यक है और जिला बनने लायक है और हमारे भारतीय जनता पार्टी जो कहती है, वह करती है.
अध्यक्ष महोदय -- हमको इतना ध्यान रखना चाहिए कि जो प्रश्न आपने लगाया है, पूरक प्रश्न उसी के अंतर्गत होना चाहिए. महिला बाल विकास का प्रश्न है, आपने महिला बाल विकास का प्रश्न किया है, अब माननीय मंत्री जी उत्तर देंगे, उसके बाद आपको कभी दोबारा लगे, तो आप फिर पुन: प्रश्न करियेगा.
श्री प्रीतम लोधी -- अध्यक्ष महोदय, जी आप हमारे पड़ोसी हैं, हमारे पिताजी के साथ जन संघ में काम किया है, आप इतना निभा लें.
अध्यक्ष महोदय -- आप बैठ जायें, माननीय मंत्री जी इनका पूरक प्रश्न यह है कि कुछ लोग ऐसे हैं, जो दूसरे नामों से काम कर रहे हैं, व्यक्ति कोई है और नाम किसी का है, अब सच क्या है मालूम नहीं है ?
सुश्री निर्मला भूरिया -- अध्यक्ष महोदय, ऐसा कुछ नहीं है, जो श्रीमती मेवाबाई है,तो मेवाबाई उसका घर का नाम है और विमलेश जो है वह उसका एक्च्युअल नाम है, तो ऐसी कोई गड़बड़ी नहीं है, इसमें जांच भी करवा ली है और आधार कार्ड में भी उसका विमलेश ही नाम है, तो इसमें कोई सवाल ही नहीं उठता है. मेवाबाई उसका घर का नाम है और विमलेश खक्कर, यह उसके सभी कागजों में नाम है, तो ऐसा कुछ नहीं है.
श्री प्रीतम लोधी -- माननीय मंत्री जी मैंने यह तो नमूना बताया है, पिछोर के अंदर फिल्म तो बहुत बड़ी है, ऐसे आपको सैकड़ों मिलेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- श्री प्रीतम जी आप दूसरा प्रश्न करें.
श्री प्रीतम लोधी -- दूसरा प्रश्न मेरे जिले का हैं, जैसा मैंने आपको बताया है, मैं चाहूं तो आपको हमारे वरिष्ठ नेतागणों का ऑडियों सुनवा दूं कि हमारे नेतागणों ने कैसी घोषणा वहां पर की है, कृपया करके इस पर विचार करें.
अध्यक्ष महोदय -- श्री प्रीतम लोधी जी, अब आप बैठ जायें, श्री मोंटू सोलंकी जी आप अपना प्रश्न करें.
नर्मदा सिंचाई परियोजना की जानकारी
[नर्मदा घाटी विकास]
10. ( *क्र. 792 ) श्री मोंटू सोलंकी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) म.प्र. के खरगौन जिले में सिंचाई हेतु 110 ग्रामों में नर्मदा जल मिल रहा है तथा बड़वानी जिले की राजपुर विधान सभा क्षेत्र में 116 ग्रामों को सिंचाई हेतु नर्मदा जल मिल रहा है? राजपुर विधानसभा के पास ही सेंधवा विधानसभा क्षेत्र के एक भी ग्राम में वर्तमान तक नर्मदा जल का लाभ क्यों नहीं मिल रहा है? (ख) शासन द्वारा सेंधवा विधानसभा क्षेत्र में माईक्रो उद्वहन सिंचाई परियोजना की स्वीकृति दी गई है? यदि हाँ, तो इसमे सेंधवा एवं पानसेमल विधानसभा क्षेत्र के कितने ग्राम लाभान्वित होंगे तथा उक्त दोनों विधानसभा क्षेत्रों के कितने ग्राम उक्त योजना से शेष रहेंगे? यदि शेष ग्राम रहेंगे तो क्यों? उक्त अनुसार शेष ग्रामों में माईक्रो उद्वहन सिंचाई परियोजना कब तक लागू की जावेगी? उक्त योजना में सेंधवा विधानसभा क्षेत्र के वरला तहसील के 48 ग्राम पंचायतों में कब तक योजना लागू की जायेगी? (ग) विधानसभा क्षेत्र सेंधवा में माईक्रो उद्वहन सिंचाई परियोजना की विस्तृत कार्य योजना क्या है तथा कार्य योजना स्वीकृति आदेश तथा डी.पी.आर. एवं संपूर्ण दस्तावेज उपलब्ध करावें। सेंधवा विधानसभा क्षेत्र में ग्रामीणों को धरातल पर कब तक उक्त योजना का लाभ प्राप्त होगा?
मुख्यमंत्री ( डॉ. मोहन यादव ) अधिकृत - राज्य मंत्री (श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी) : (क) खरगोन जिले में वर्तमान में 400 ग्रामों को सिंचाई हेतु नर्मदा जल उपलब्ध कराया जा रहा है। राजपुर विधानसभा क्षेत्र के 160 ग्रामों को सिंचाई हेतु नर्मदा जल उपलब्ध कराया जा रहा है। सेंधवा विधानसभा क्षेत्र के 67 ग्रामों को सिंचाई हेतु जल उपलब्ध कराने के लिए सेंधवा माईक्रो उद्वहवन सिंचाई परियोजना निर्माणाधीन है। (ख) जी हाँ। सेंधवा विधानसभा क्षेत्र के 67 एवं पानसेमल विधानसभा क्षेत्र के 23 ग्राम लाभान्वित होंगे। नवीन परियोजना के संबंध में तकनीकी साध्यता के आकलन उपरांत ही स्वीकृति के संबंध में निर्णय लिया जाना संभव होगा। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। माह सितम्बर 2030 तक।
श्री मोंटू सोलंकी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मेरा मंत्री जी से सवाल है कि नर्मदा सिंचाई योजना जो खरगोन जिले में 110 ग्रामों में है और बड़वानी जिले के राजपुर में 116 ग्रामों में है, हमारे सेंधवा में अभी तक इसका काम चालू नहीं हुआ है, तो हमारे विधानसभा क्षेत्र के लोगों को इसका फायदा कब तक मिलेगा ?
राज्यमंत्री (श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी ) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्य को बताना चाहता हूं कि हमारी जो सरकार है, वह निरंतर सिंचाई का रकबा बढ़े, इसके लिये प्रयासरत रहती है, विगत सरकारों में मैं आपको बताना चाहता हूं कि सिंचाई का रकबा केवल साढे़ सात लाख हेक्टेयर था और आज भारतीय जनता पार्टी की सरकार में डॉ. मोहन यादव जी के नेतृत्व में 50 लाख हेक्टेयर से भी ज्यादा जमीन पर हम सिंचाई कर रहे हैं, यह अपने आप में बहुत बड़ी उपलब्धि है और आज माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से इस सदन को अवगत कराना चाहता हूं कि आज माननीय प्रधानमंत्री जी की मौजूदगी में मध्यप्रदेश और राजस्थान के बीच चंबल कालीसिंध को लेकर एक समझौता हो रहा है यह एक बड़ी योजना है जिसमें मध्यप्रदेश के कई जिले लाभांवित होंगे. इसके लिये भी मैं माननीय प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी को, प्रदेश की जनता को बहुत-बहुत बधाई देता हूं और जहां तक माननीय सदस्य का प्रश्न है.....
श्री मोंटू सोलंकी-- माननीय अध्यक्ष जी, मैं यह जानना चाह रहा हूं कि मेरी विधान सभा में कब आयेगा.
श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी-- माननीय अध्यक्ष जी, मैं उसी पर आ रहा हूं.
श्री मोंटू सोलंकी-- माननीय अध्यक्ष जी, हमारा पूरा आदिवासी बेल्ट है और वह क्षेत्र सूखा होने की वजह से वहां के लोग महाराष्ट्र में पलायन होकर चले जाते हैं. मैं मंत्री महोदय से सिर्फ यह जानना चाह रहा हूं कि कमलनाथ जी की सरकार में उसकी घोषणा हुई थी, लेकिन उसके बाद से कुछ हुआ नहीं.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय सदस्य, कृपया आप बैठें. अभी मंत्री जी जवाब दे रहे हैं, जब मंत्री जी का जवाब पूरा हो जाये उसके बाद आप दूसरा प्रश्न करना.
श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से बताना चाहता हूं कि यह भी सही है कि वर्तमान में बड़वानी जिले के सेंधवा विधान सभा क्षेत्र में नर्मदा घाटी विकास विभाग की कोई भी सिंचाई योजना संचालित नहीं है. इस कारण से नर्मदा घाटी विकास विभाग द्वारा किसानों को सिंचाई हेतु नर्मदा जल उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है, किंतु जल संसाधन विभाग की सिंचाई योजनायें संचालित हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्य को अवगत कराना चाहता हूं कि हमारी सरकार द्वारा बड़वानी जिले में नर्मदा घाटी विकास विभाग की सेंधवा माइक्रो लिफ्ट सिंचाई परियोजना निर्माणाधीन है जो वर्ष 2030 तक पूर्ण हो जायेगी और इस परियोजना से सेंधवा विधान सभा क्षेत्र के 67 ग्रामों में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो सकेगी. धन्यवाद.
श्री मोंटू सोलंकी-- माननीय अध्यक्ष जी, मैं उनसे यही पूछ रहा था इन्होंने जो बताया कि सेंधवा में काम चालू है लेकिन अभी तक वहां कोई काम चालू नहीं हुआ है और यह जो बता रहे थे नर्मदा घाटी वाला तो यह हमारी पड़ोस वाली विधान सभा में सभी दूर है लेकिन जब कांग्रेस की सरकार थी तब कमलनाथ जी मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने नागलबाड़ी में इसकी घोषणा की थी उसके बाद इसका सारा चालू हो गया और बजट में भी इसका आ गया था और अभी तक उसका काम चालू नहीं हुआ है जिससे हमारे जो आदिवासी क्षेत्र के लोग हैं वह जमीन सूखी होने की वजह से महाराष्ट्र में, गुजरात में पलायन करके चले जाते हैं और उनसे यह हो रहा है कि परिवार अगर बाहर चला जाता है तो उनके बच्चे भी जाते हैं एक ऐसी घटना हमारे यहां पर हो गई थी.
अध्यक्ष महोदय-- सोलंकी जी आप प्रश्न तो करें.
श्री मोंटू सोलंकी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह चाह रहा हूं कि कब तक काम चालू होगा और इसका फायदा हमारी सेंधवा विधान सभा में कब मिलेगा.
श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से बताना चाहता हूं कि निविदा अनुबंध हो गया है और जुलाई से इसका कार्य प्रारंभ हो जायेगा और माननीय सदस्य जी की विधान सभा के 67 गांव इस योजना से लाभांवित होंगे और मैं एक बात बताना चाहता हूं कि सेंधवा माइक्रो लिफ्ट परियोजना जल की उपलब्धता के अनुसार तैयार की गई है, जहां तक शेष बचे ग्रामों में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराने का प्रश्न है मध्यप्रदेश सरकार द्वारा मध्यप्रदेश को आवंटित कुल नर्मदा जल के उपयोग की कार्ययोजना तैयार कर ली गई है. इस कारण से शेष ग्रामों में नर्मदा के जल से सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराया जाना संभव नहीं है. मैं माननीय सदस्य की जनहितैषी भावनाओं और किसानों के प्रति उनकी चिंता का सम्मान करता हूं. हमारी सरकार प्रत्येक किसान को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के लिये प्रतिबद्ध है. नर्मदा जल उपलब्ध न होने की स्थिति में अन्य माध्यमों से वंचित किसानों को सिंचाई हेतु जल उपलब्ध कराये जाने का प्रयास सरकार द्वारा किया जायेगा. इस संबंध में जल संसाधन विभाग सिंचाई योजनाओं का निर्माण कर सकता है. धन्यवाद.
परियोजना अधिकारियों की पदस्थापना
[महिला एवं बाल विकास]
11. ( *क्र. 96 ) डॉ. चिंतामणि मालवीय : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) महिला एवं बाल विकास विभाग में मध्यप्रदेश में परियोजना अधिकारी के कितने पद स्वीकृत हैं? (ख) विभाग में परियोजना अधिकारी के कितने पद रिक्त हैं? (ग) परियोजना अधिकारी के वर्तमान भरे कितने पदों पर महिला परियोजना अधिकारी एवं कितने पदों पर पुरुष परियोजना अधिकारी पदासीन हैं? (घ) ऐसे परियोजना अधिकारियों के नामों की सूची जो 3 वर्ष से एक ही परियोजना में पदस्थ हैं? (ड.) परियोजना में पदस्थ होने की सूची इस प्रकार देने का कष्ट करें :- जिला एवं जिले की परियोजना का नाम (अ) दो वर्ष. (आ) तीन वर्ष. (इ) चार वर्ष. (ई) पांच वर्ष. (उ) छह वर्ष या उससे अधिक. (च) महिला बाल विकास विभाग के परियोजना अधिकारियों के लिए स्थानान्तरण की क्या कोई अलग से स्पेशल नियमावली है, तो देने का कष्ट करें? (छ) विभाग में पदस्थ पुरुष अधिकारियों द्वारा महिला अधिकारी कर्मचारियों की प्रताड़ना अथवा परेशान करने की कितनी शिकायतें डायरेक्टरेट अथवा जिला महिला अधिकारी के कार्यालय पर लंबित हैं?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( सुश्री निर्मला भूरिया ) : (क) 453 (ख) विभाग में परियोजना अधिकारी के 113 पद रिक्त हैं। वर्ष 2018 में विभाग के दो संचालनालयों के एकीकरण उपरांत महिला सशक्तिकरण संचालनालय में परियोजना अधिकारी के समकक्ष संवर्ग के 82 विकासखण्ड महिला सशक्तिकरण अधिकारी, परियोजना अधिकारी के रिक्त पदों के विरूद्ध कार्यरत हैं। 340 भरे पदों में से 291 बाल विकास परियोजनाओं में पदस्थ हैं, शेष 49 अधिकारी वन स्टॉप सेंटर, संचालनालय, आयोग, निगम आदि में पदस्थ हैं। (ग) परियोजना अधिकारी के वर्तमान भरे 340 पदों में से 152 पदों पर महिला अधिकारी एवं 188 पदों पर पुरूष अधिकारी पदासीन हैं। (घ) एवं (ड.) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (च) जी नहीं। (छ) डायरेक्टरेट स्तर पर 08 एवं जिला कार्यक्रम अधिकारी कार्यालय पर 01 शिकायत लंबित है।
डॉ.चिंतामणि मालवीय - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया से निवेदन करता हूं कि वे यह बताने की कृपा करेंगी कि महिला एवं बाल विकास विभाग में परियोजना अधिकारी के कितने पद स्वीकृत हैं,कितने पद रिक्त हैं ? विभाग में परियोजना अधिकारी के वर्तमान में भरे कितने पदों पर महिला परियोजना अधिकारी एवं कितने पदों पर पुरुष परियोजना अधिकारी पदासीन हैं ?
सुश्री निर्मला भूरिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्य को यह बताना चाहूंगी कि जो जानकारी माननीय सदस्य ने चाही है वह सारी जानकारी हमने आपको परिशिष्ट में उपलब्ध करा दी है. विभाग में परियोजना अधिकारी के 113 पद रिक्त हैं और इस तरह की सारी जानकारी परिशिष्ट में उपलब्ध करा दी है उसे आप देख लें और आपका अन्य कोई प्रश्न हो तो आप बता दीजिये.
डॉ.चिंतामणि मालवीय - जानकारी जो दी गई है वह अपूर्ण है मुझे लगता है लेकिन कुछ और प्रश्न मेरे हैं. महिला बाल विकास विभाग के परियोजना अधिकारियों के स्थानान्तरण के लिये क्या कोई अलग से विशेष नियमावली है अगर है तो वह देने का कष्ट करें औऱ विभाग में पदस्थ पुरुष अधिकारियों द्वारा महिला अधिकारियों,कर्मचारियों के प्रताड़ना एवं परेशान करने की कितनी शिकायतें संचालनालय अथवा जिला महिला अधिकारी के कार्यालय में लंबित हैं बताने का कष्ट करें.
सुश्री निर्मला भूरिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, विभाग में अलग से कोई स्थानान्तरण नीति नहीं है जो जीएडी की स्थानान्तरण नीति है उसी के अनुसार विभाग में ट्रांसफर होते हैं और जो माननीय सदस्य ने जानना चाहा है कि जिन अधिकारियों द्वारा प्रताड़ित किया गया है ऐसे 8 केस हैं जिसमें जांच और कार्यवाही चल रही है.
डॉ.चिंतामणि मालवीय - धन्यवाद अध्यक्ष महोदय.
रेत के अवैध उत्खनन/परिवहन की रोकथाम
[खनिज साधन]
12. ( *क्र. 902 ) श्री देवेन्द्र रामनारायन सखवार : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला मुरैना के विधान सभा क्षेत्र अम्बाह के अन्तर्गत कुछ क्षेत्र चम्बल नदी का आता है? (ख) क्या चम्बल नदी से रेत का अवैध उत्खनन हो रहा है? यदि हाँ, तो क्या विभाग इसे रोकने के लिये कोई कार्यवाही करता है? (ग) पुलिस थाना महुआ क्षेत्र में दिनांक 01 जुलाई, 2024 से प्रश्न दिनांक तक कितने रेत माफियाओं पर कार्यवाही कर प्रकरण दर्ज किये? उनके नाम, पता एवं दर्ज अपराध क्रमांक सहित सम्पूर्ण जानकारी देवें। (घ) अभी तक उक्त क्षेत्र से अवैध उत्खनन एवं परिवहन क्यों नहीं रोका गया? (ड.) क्या रेत के अवैध उत्खनन एवं परिवहन को रोकने में नाकाम अधिकारी/कर्मचारी पर कार्यवाही होगी? यदि हाँ, तो कब तक?
मुख्यमंत्री ( डॉ. मोहन यादव ) अधिकृत - राज्य मंत्री (श्री दिलीप अहिरवार) : (क) जी हाँ। प्रश्नाधीन विधान सभा क्षेत्र में चम्बल नदी वन क्षेत्र के अंतर्गत है। (ख) जी हाँ। शासन द्वारा रेत के अवैध उत्खनन एवं परिवहन की रोकथाम हेतु सतत् रूप से कार्यवाही की जा रही है। (ग) पुलिस थाना महुआ क्षेत्र के अंतर्गत प्रश्नाधीन अवधि में 03 वन अपराध पंजीबद्ध किए गए हैं :-
क्र. |
प्रकरण क्रमांक/दिनांक |
प्रकरण का प्रकार |
आरोपी का नाम |
1. |
9803/22 दि. 25.07.2024 |
अवैध डम्प |
अज्ञात |
2. |
9803/23 दि. 26.07.2024 |
अवैध डम्प |
अज्ञात |
3. |
9662/23 दि. 14.11.2024 |
अवैध डम्प |
अज्ञात |
वन अपराध अज्ञात व्यक्तियों के विरूद्ध पंजीबद्ध किए गए हैं। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (घ) चम्बल नदी में खनिज रेत के अवैध उत्खनन एवं परिवहन को रोकने के लिये वन विभाग के अधिकारी/कर्मचारियों के साथ एस.ए.एफ. का फोर्स वनमण्डलाधिकारी मुरैना के मार्गदर्शन में लगातार गश्त एवं छापामार कार्यवाही करते हैं। दिनांक 01 जनवरी, 2024 से 30 नवम्बर, 2024 तक चम्बल नदी के क्षेत्र/रेत घाटों पर वन विभाग, पुलिस विभाग, परिवहन विभाग एवं खनिज विभाग द्वारा एस.ए.एफ. फोर्स के साथ समय-समय पर कार्यवाही करते हुये खनिज रेत अवैध उत्खनन के 152 प्रकरण में वन अधिनियमों में दर्ज किये गये हैं। अवैध रेत परिवहन के 172 प्रकरण दर्ज कर रूपये 5,46,875/- का जुर्माना वसूल किया गया है। 61 वाहनों को वन अधिनियम के अधीन राजसात की कार्यवाही की गई है तथा 58 प्रकरणों में एफ.आई.आर. दर्ज की गई है। वन अधिनियम के अधीन 150 प्रकरणों में पी.ओ.आर. काटी गई है। वन विभाग द्वारा चम्बल नदी के विभिन्न घाटों के रास्तों को अवरूद्ध करने के लिये नालियां/घाट क्षेत्रों पर मार्ग अवरोधक किये जाने हेतु खंती खुदवाकर चम्बल नदी से रेत के अवैध उत्खनन को रोकने का प्रयास किया जाता है। (ड.) प्रश्नांश (घ) में दिए उत्तर अनुसार कार्यवाही गतिशील है। अत: प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है।
श्री देवेन्द्र रामनारायण सखवार - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से यह कहना चाहता हूं कि माननीय मंत्री जी द्वारा मुझे जो जानकारी दी गई है उससे मैं संतुष्ट नहीं हूं. उन्होंने अपने जवाब में कहा है कि चंबल नदी वन क्षेत्र के अंतर्गत आती है यह सही है लेकिन सही नहीं है कि नदी से निकलने वाली रेत शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र में नहीं जाता. क्या खनिज विभाग वन क्षेत्र के बाहर रेत माफियाओं के खिलाफ कार्यवाही नहीं कर सकता. 1 जुलाई,2024 से प्रश्न दिनांक तक लगभग 5 माह में पुलिस थाना महुआ क्षेत्र में केवल 3 प्रकरण विभाग द्वारा वन अधिनियम में दर्ज किये गये. कुछ क्षेत्रों में सैकड़ों की संख्या में रेत माफिया चंबल नदी से रेत का उत्खनन और उसका परिवहन कर रहे हैं उनकी दबंगई इतनी है कि विभागीय अधिकारी भी उन पर कार्यवाही नहीं कर रहे. कुछ दिन पहले की घटना है 2 रेत माफियाओं के बीच में दंगा हुआ,गोलीबारी हुई उसमें एक 9 महिने का बालक घायल हुआ वह आज भी इलाजरत् है लेकिन वहां पर कोई भी पुलिस अधिकारी उन पर कार्यवाही नहीं कर रहे हैं. तो क्या उन पर कार्यवाही होगी और कार्यवाही होगी तो कब तक ?
श्री दिलीप अहिरवार - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से सदस्य को बता दूं कि मुरैना जिले के अंदर और खास तौर पर इनका जो जवाब है मैं बता दूं जहां भी ऐसी कोई जानकारी मिलती है. हमने मुरैना जिले में लगभग 2022-23 में 294 और कुल 536 प्रकरण दर्ज किये हैं और लगभग 1596.27 लाख रुपये की वसूली भी हमारे विभाग के द्वारा की गई है तो इनको जवाब में पूरी जानकारी दे दी गई है.
श्री देवेन्द्र रामनारायण सखवार - मैं यह जानना चाहता हूं कि यह खनन की कार्यवाही रुकेगी कि नहीं ? माननीय मंत्री महोदय सभी अधिकारी मिले हुए हैं. यह पूरे मुरैना जिले की स्थिति है.
श्री दिलीप अहिरवार - माननीय अध्यक्ष महोदय, विभाग पूरी कार्यवाही करता है.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्नकाल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त)
12.00 बजे बधाई
श्री दिलीप सिंह परिहार, सदस्य के जन्मदिवस पर बधाई
अध्यक्ष महोदय -- आज माननीय सदस्य श्री दिलीप सिंह परिहार का जन्मदिन है. हम सभी उनको हृदयपूर्वक बहुत बधाई देते हैं.
(मेजों की थपथपाहट)
12.01 बजे विशेष उल्लेख
मध्यप्रदेश विधान सभा की गौरवपूर्ण यात्रा के 68 वर्ष संबंधी उल्लेख
अध्यक्ष महोदय -- आज एक महत्वपूर्ण संदर्भ भी हम सबके बीच में है क्योंकि वर्ष 1956 में जब नई विधान सभा बनी, तो आज ही के दिन पहली विधान सभा की बैठक हुई थी. (मेजों की थपथपाहट). मध्यप्रदेश विधान सभा की गौरवपूर्ण यात्रा के 68 वर्ष पूर्ण होने पर आप सभी माननीय सदस्यों को हृदयपूर्वक बहुत-बहुत बधाई. बहुत शुभकामनाएं.
सभी सदस्यों को इस पावन अवसर पर मेरी ओर से बहुत-बहुत बधाई,
बहुत-बहुत शुभकामनाएं, जय भारत, जय मध्यप्रदेश.
उप मुख्यमंत्री (श्री जगदीश देवड़ा)-
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)--माननीय अध्यक्ष महोदय, सर्वप्रथम मैं आपको बधाई देता हूं कि आपने 17 दिसम्बर 1956 की याद दिलाकर पूरे मध्यप्रदेश का गौरवशाली इतिहास याद दिलाया है. मेरे सभी माननीय सदस्यों को गर्व होना चाहिए कि इस विधान सभा में एक इतिहास है. कई मुख्यमंत्री रहे, कई नेता प्रतिपक्ष रहे, विधान सभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और यहां के अधिकारी, कर्मचारी जिनका मध्यप्रदेश का गौरवशाली इतिहास लिखने में विशेष योगदान रहा है. मैं समझता हूं कि आज 68 वर्ष पूर्ण होने आ रहे हैं. 1 नवंबर 1956 को चार राज्यों को मिलाकर मध्यप्रदेश की स्थापना हुई थी. पूर्व मध्यप्रदेश, मध्यभारत, विंध्यप्रदेश और भोपाल उस समय इस मध्यप्रदेश को लेकर, मध्यप्रदेश की जनता की आशाओं को लेकर चुनौती थी कि कैसे पूर्ति हो, कैसे विकास हो, कैसे प्रशासनिक व्यवस्था बने.17 दिसम्बर 1956 में जो पहली बैठक हुई इसी बात को लेकर चिंतन हुआ कि मध्यप्रदेश का विकास कैसे हो और संसदीय लोकतंत्र कैसे जीवित रहे. एक नई शुरुआत हुई.
आज एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है. जिस पर आपने चर्चा कराई और मैं समझता हूं कि उस समय कांग्रेस ने लोकतंत्र को मजबूत किया, जनता की आवाज को स्वीकारा विपक्ष के नेताओं को सम्मान दिया. कांग्रेस का इतिहास केवल सत्ता का नहीं रहा इस राष्ट्र की सेवा का इतिहास रहा. जो लोग हमारी प्रासंगिकता पर सवाल उठाते हैं उन्हें शायद यह समझने की जरूरत है कि जड़ें कितनी भी बूढ़ी क्यों न हों वह आज भी नये पौधे को सहारा देती हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, निश्चित तौर से जब राज्य का गठन हुआ तो कई पार्टियाँ थीं जैसे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी, भारतीय जनसंघ, अखिल भारतीय रामराज परिषद्, अखिल भारतीय हिन्दू महासभा, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी सभी ने मिलकर मध्यप्रदेश को बनाने में योगदान दिया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यह जो आधारशिला रखी गई, आज के समय में हम कह सकते हैं, सदन में नोंकझोंक होती है लेकिन सार्थक प्रयास होना चाहिए. हमारा प्रयास होना चाहिए कि हम जनता को कैसे लाभ पहुंचा सकें. प्रदेश का विकास हुआ जिसमें सभी पार्टियों का योगदान रहा. माननीय अध्यक्ष महोदय, आप नवाचार चाहते हैं, आप विद्वान हैं. मैं समझता हूँ कि विधान सभा कैसे मजबूत हो, कैसे विधायकों के प्रश्नों के जवाब आएं, सार्थक चर्चा हो, सरकार जनता की समस्याओं का निराकरण करे. आपने कहा है कि प्रश्न संदर्भ समिति, आश्वासन समिति और कई समितियां हैं उनमें आप निरंतर मानिटरिंग कर रहे हैं. यह व्यवस्थाएं समय पर चलती रहें. मध्यप्रदेश के संदर्भ में एक नई बात जरुर आ रही है कि पूरे देश में मध्यप्रदेश की विधान सभा की बैठकें बहुत सीमित हो गई हैं. मेरा सत्तापक्ष और विपक्ष से अनुरोध है कि अन्य प्रदेशों में जब विधान सभा की बैठकें 80 से 100 तक होती हैं तो मध्यप्रदेश विधान सभा में भी 80 से 100 बैठकें होना चाहिए. इसके बिना प्रदेश की पहली बैठक 17 दिसम्बर को याद करना बेमानी होगा. अध्यक्ष महोदय, आज के इस ऐतिहासिक दिन को आपने याद दिलाया है तो मैं चाहूंगा कि आपकी तरफ से, सत्ता पक्ष की तरफ से यह बात आना चाहिए कि मध्यप्रदेश विधान की बैठकें कैसे 80 से 100 तक हों. अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे चाहूंगा कि आप इस बारे में व्यवस्था दे सकते हैं. मैं दोनों पक्षों की तरफ से आपसे अनुरोध करता हूँ. कई विधायकों के प्रश्न छूट जाते हैं. एक हजार ऐसे प्रश्न हैं जिनकी आज तक जानकारी नहीं आई है. मध्यप्रदेश का गौरवशाली इतिहास रहा है वह हमेशा बना रहे. मेरे शब्दों से यदि कोई आहत हुआ हो तो मैं माफी चाहूंगा. विधान सभा को हम लोकतंत्र का मंदिर कहते हैं. हम सब जनप्रतिनिधि हैं, हम विधान सभा को कैसे मजबूत करें यही मैं कहना चाहता हूँ. धन्यवाद.
उप मुख्यमंत्री (श्री राजेन्द्र शुक्ल) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपको इस बात के लिए बहुत बधाई देता हूँ कि इस ऐतिहासिक महत्व के दिन को आप प्रस्ताव के माध्यम से सदन में लाए और उस पर चर्चा कराई. शायद मध्यप्रदेश की विधान में पहली बार इस ऐतिहासिक दिन को इस प्रकार से हम सारे लोग याद कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय, वर्ष 1950 में संविधान लागू होने के बाद से लेकर प्रथम आम चुनाव जो वर्ष 1952 में हुए तब तक, मध्यप्रदेश में विन्ध्य प्रदेश भी था, मध्य भारत भी था, भोपाल विधान सभा भी थी और सेन्ट्रल प्रोविन्सेस एण्ड बरार, बरार जो आज विदर्भ माना जाता है, महाकौशल और छत्तीसगढ़ यह मिलाकर एक राज्य था. इसकी राजधानी नागपुर हुआ करती थी. मध्य भारत की राजधानी ग्वालियर होती थी जिसमें इंदौर, मालवा और ग्वालियर क्षेत्र था. भोपाल की राजधानी भोपाल थी और विंध्य प्रदेश की राजधानी रीवा हुआ करती थी और जब राज्यों का पुनर्गठन हुआ तो उसमें हमारा मध्यप्रदेश 1 नवम्बर को अस्तित्व में आया. 17 दिसम्बर से 17 जनवरी तक पहली विधान सभा चली और लोकतांत्रिक परम्पराओं, मान्यताओं और जनता की आकांक्षाओं का प्रतिसंकल्प इस मध्यप्रदेश की ऐतिहासिक विधान सभा में जिसको आज कुशाभाऊ ठाकरे हॉल कहा जाता है, पहले उसको मिंटो हॉल कहा जाता था वहां पर एक महीने इसकी स्थापना हुई और तब से मध्यप्रदेश की जो लोकतांत्रिक परम्पराएं हैं, विधान सभा का संचालन है वह उदाहरण के रूप में सारे देश में देखा जाता था. हमारा मध्यप्रदेश आगे बढ़ा. सरकारें आईं, गईं और सभी सरकारों ने मध्यप्रदेश को आगे बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. इसमें कोई दो राय नहीं है और जब मध्यप्रदेश का गठन हुआ तब वह खनिज संपदाओं से भरा था. नदिया थीं, पहाड़ थे, जंगल थे, वाइल्ड लाइफ, विकास की अपार संभावनाओं को समेटे हुये मध्यप्रदेश ने जब अपनी विकास यात्रा को शुरू किया तो हम आगे बढ़े, लेकिन वर्ष 2003 से लेकर वर्ष 2024 तक आज जिस तरह से मध्यप्रदेश ने हिन्दुस्तान में अपना नाम बनाया है, एक इन्वेस्टमेंट डेस्टिनेशन के रूप में मध्यप्रदेश को आज सारे देश और दुनिया में देखा जा रहा है. सिंचाई की नहरों के जाल से जिस तरह से धरती से दौलत पैदा करने का, पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी कहा करते थे कि यदि इस देश को समृद्ध करना है तो धरती से दौलत पैदा करनी पड़ेगी. धरती से दौलत पैदा करनी है, तो नदियों को जोड़ना पडे़गा. कहीं बाढ़ आती है, कहीं सूखा पड़ता है.
अध्यक्ष महोदय, आज कितना अच्छा संयोग है कि जब आप इस ऐतिहासिक दिन को याद कर रहे हैं तब प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी जयपुर में काली सिंध, पार्वती और चंबल को जोड़ने की योजना का भूमिपूजन कर रहे हैं और 25 दिसम्बर को छतरपुर में केन और बेतवा नदी को जोड़ने का भी भूमिपूजन करना है. 1 लाख, 75 हजार करोड़ की योजना है जो मध्यप्रदेश में 15 लाख हेक्टेयर में सिंचाई का रकबा बढ़ाएगा. आज हम 50 लाख हेक्टेयर में सिंचाई कर रहे हैं. वर्ष 2003 के पहले 7 लाख हेक्टेयर में सिंचाई होती थी. आज 50 लाख हेक्टेयर में सिंचाई हो रही है और 1 करोड़ हेक्टेयर में सिंचाई हो, इसके लिये महत्वपूर्ण योजनाओं का भूमिपूजन आज हो रहा है. इसका मतलब यह है कि मध्यप्रदेश की विधान सभा ने सिंचाई, बिजली, सड़कें जिस तरीके से मध्यप्रदेश का ग्लोबल इन्फ्रास्ट्रक्चर आज देश में चर्चा का विषय बना हुआ है, हमारी आर्थिक तरक्की बहुत तेजी के साथ हो रही है. आज यदि हम कर्ज भी ले रहे हैं तो सकल घरेलू उत्पाद के 3 प्रतिशत से ज्यादा नहीं ले रहे हैं. सकल घरेलू उत्पाद से 3 प्रतिशत कम कर्ज लेने वाले राज्य को सबसे ज्यादा प्रगतिशील राज्य माना जाता है. जिस राज्य में सकल घरेलू उत्पाद के 3 प्रतिशत का कर्ज नहीं लिया जाता उसको यह माना जाता है कि यह प्रोग्रेसिव स्टेट नहीं है. कभी-कभी लोग कहते हैं कि कर्जा ज्यादा लिया जा रहा है. यदि हम कर्ज नहीं लेंगे तो हमको प्रोग्रेसिव स्टेट नहीं माना जाएगा. इसलिये 17 दिसम्बर, 1956 को जो संकल्प लिये गये थे उन संकल्पों की पूर्ति के लिये लोकतांत्रिक परम्पराओं, मान्यताओं और जनता की अपेक्षाओं को पूरा करने के उद्देश्य से जिस तरीके से मध्यप्रदेश की विधान सभा काम कर रही है, आज हम सारे लोग गौरवान्वित हैं. हमारे पूर्वजों ने, महान नेताओं ने जिस लक्ष्य और जिस उद्देश्य से, जिस ऊंचाई पर मध्यप्रदेश को पहुंचाने के लिये यह आज के दिन मध्यप्रदेश की विधान सभा की शुरुआत की थी, हम सबको गर्व है कि हम सब उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये मजबूती के साथ आगे बढ़ रहे हैं. आज के इस मध्यप्रदेश की विधान सभा के इस ऐतिहासिक महत्व के अवसर पर मैं आपको और सभी सदस्यों को बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं देता हूं. धन्यवाद.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह (अमरपाटन) -- अध्यक्ष महोदय, आज हम सब मध्यप्रदेश की विधान सभा की स्थापना का 68 वां वर्ष मना रहे हैं. निश्चित ही इसका गौरवपूर्ण इतिहास रहा है और अगर हम राष्ट्रीय फलक और अगर हम राष्ट्रीय फलक पर अपनी नजर दौड़ायें, जितनी भी विधानसभा अनेकों प्रदेश की हैं उनसे अगर अपनी विधानसभा की समानता खोंजे या फर्क देखें तो निश्चित रूप से जो दो तीन सबसे अव्वल विधानसभा हैं, कार्यप्रणाली में, वहां के अनुशासन में, मर्यादा को रखने में, मध्यप्रदेश विधानसभा का स्थान बहुत ऊंचा है.
माननीय अध्यक्ष जी, मै पहली बार 1980 में इस महान सदन का सदस्य बना था, 44 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं और अनेकों अवसर पर मैंने बहुत सारगर्भित, धारदार, सकारात्मक, समाधानकारक बहसें सुनी हैं. बड़े धाकड़ नेता हुये हैं उस तरफ (सत्ता पक्ष) और इस तरफ (विपक्ष) भी , आसंदी को भी आपसे पहले 14 माननीय अध्यक्षों ने सुशोभित किया है. अगर एक वाक्या 1967-68 का छो़ड़ दें तो कभी भी ऐसा अवसर नहीं आया कि हमें एक कलंक अथवा हेय दृष्टि से से अपने आपको देखना पड़ा हो . अध्यक्ष जी, श्री यशवंत राव मेघावले जी ,यह सदस्य थे , शायद लोगों को स्मरण हो, आपके दल से थे, पूर्व में जनसंघ से थे. बहरहाल मैं ज्यादा नहीं बोलूंगा क्योंकि आप लोगों ने बहुत विस्तार से इतिहास के बारे में उल्लेख किया है , विधानसभा और संसदीय इतिहास और संसदीय लोकतंत्र है और उसको कारगर बनाने के लिये जो संवैधानिक संस्थाएं बनी हैं उसमे विधायिका, न्यायपालिका और कार्यपालिका है. हमारा क्या कर्तव्य होना चाहिये, क्या कार्यक्षेत्र है, क्या हमारी उपलब्धियां है, अध्यक्ष जी आपने बहुत स्पष्ट रूप से उसका उल्लेख किया, माननीय जगदीश देवड़ा जी ने किया, माननीय उमंग सिंगार जी ने किया, माननीय राजेन्द्र शुक्ल जी ने भी बड़े विस्तार से मध्यप्रदेश की विकास यात्रा को 1957 से जब से हमारा मध्यप्रदेश बना है. पहले विंध्य प्रदेश, मध्य भारत, भोपाल रियासत, महाकौशल को मिलाकर के उसका भी उन्होंने उल्लेख किया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, एक उल्लेखनीय वक्तव्य की ओर सदन का ध्यान दिलाना चाहता हूं. और इन्होंने अटल परम्परा का पालन किया है यह मुझे खुशी है. अब अटल परम्परा को आप जानते होंगे, आपने अटल बिहारी वाजपेई जी का भाषण सुना होगा , माननीय राकेश सिंह जी 2003 में शायद लोकसभा के सदस्य थे, तो अटल जी ने लोकसभा में सदन के नेता के रूप में कहा था और उस समय संभवत 50 वर्ष हुये थे, उन्होंने कहा था कि इन 50 वर्षों में जो भी सरकारें आई उन्होंने बहुत अच्छा काम किया और हमें इस देश को विकास के रास्ते पर और आगे ले जाना है. यह भाव होना चाहिये. राजेन्द्र जी बैठकों में भी अगर आप ऐसा भाषण दिया करें तो मैं समझता हूं कि अच्छा होगा, आपको मैं साधुवाद दूंगा, बारम्बार दूंगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यह वाद विवाद का मंच है और हम शत्रु नहीं हैं जो विपक्ष में बैठे हैं हम लोग विभिन्न क्षेत्रों को, विभिन्न समाज के स्टेटा को रिप्रजेन्ट करते हैं और लोकतंत्र में अगर बातें रखीं जायें, जो सबका प्रतिनिधित्व करे, हर तरह के सोच विचार यानी हर चश्मे से देखी हुई बातों का अगर उल्लेख हो और उस पर चर्चा हो तो मैं समझता हूं कि लोकतंत्र के लिये वह ज्यादा स्वस्थ होगा और उससे हल ज्यादा खोजे जा सकेंगे जो सर्वमान्य होंगे जिसको सब कोई मानेगा. क्योंकि सर्वमान्यता, लोकतंत्र और प्रजातंत्र अंततोगत्वा तो जिस दल का बहुमत है निर्णय उसी के पक्ष में होते हैं. निर्णय उसी के पक्ष में होते हैं. लेकिन उदारता होनी चाहिये, जो सत्ता पक्ष है, बड़ा हृदय होना चाहिये, संकीर्णता नहीं होनी चाहिये, तंगदिली नहीं होनी चाहिये. अगर विपक्ष की तरफ से बात आ रही है, तो उसको भी उतना महत्व देना चाहिये, अगर उसमें सार,वजन है, उसमें सब्सटेंट्स है, तो उसको मानने में कोई अपमान नहीं होता है. हम सब चुने हुए प्रतिनिधि हैं और इस मंच पर हम लोगों को जनता ने भेजा है, ताकि उनकी समस्याओं का हल करें. यहां कानून बनते हैं, बजट पर हम चर्चा करते हैं, सरकार क्या खर्च कर सकती है, कितना खर्च कर सकती है, विधान सभा उस पर चर्चा करती है, अंकुश लगाती है. इसी का मंच है यह और हमारी समितियां जो हैं, उसका उल्लेख यहां पर किया गया. मैं तो सुझाव के रुप में कहूंगा कि जिस तरह से लोकसभा और राज्य सभा में स्थाई समितियां होती हैं, हमारे यहां स्थाई समितियां नहीं हैं, कुछ हमारी निर्वाचित समितियां हैं, बहुत सी समितियों को आप नामिनेट करते हैं. स्थाई समितियों का प्रोविजन अगर विधान सभा में भी हम कर दें, तो कोई भी विधेयक आता है और महत्वपूर्ण विषय आता है, इन समितियों में जाये, उस पर वहां चर्चा हो. फिर वह यहां सदन में प्रस्तुत किया जाये. उससे क्या होता है कि बहुत सी जानकारियां जो लोगों को होती नहीं हैं, अब आपका जो विधेयक ही आता है यहां पर, उसमें इतनी क्लिष्ट भाषा होती है, कानूनी भाषा बड़ी क्लिष्ट होती है, लोगों को समझ नहीं आता है क्या लिखा है. आपकी ओर से संक्षेपिका देने की एक परम्परा शुरु की गई है, लेकिन अगर यह पहले चर्चा नीचे हो जाये, समितियों में हो जाये और फिर सदन में आये, तो मैं समझता हूं कि बेहतर उस पर चर्चा हो सकेगी. अध्यक्ष महोदय, जो मैंने एक उल्लेख किया कि यहां पर भेदभाव नहीं होना चाहिये और आप तो नहीं करते हैं, यह तो कोई शिकायत नहीं है आपसे. आप जिस पीठ को सुशोभित कर रहे हैं, आसंदी को. हमारे पंडित कुंजीलाल दुबे जी से लेकर के काका पाण्डेय, काशी प्रसादी जी पाण्डेय, जबलपुर वाले. जब संविद का शासन आया था, तब से मैंने वह व्यवस्था देखी, उनके बंगले पर मैं भी गया था, जब 62,67 कितने विधायक वहां इकट्ठे थे. तो मैं तो यह देखने गया था कि कौन कौन हैं वहां पर. पंडित कुंजीलाल दुबे जी, तेजलाल टेंभरे जी, फिर हमारे सतना के गुलशेर अहमद साहब, बेरिस्टर साहब, नेवालकर जी, रामकिशोर शुक्ल जी ब्यौहारी के, विंध्य के वे भी सपूत थे. फिर राजेन्द्र प्रसाद शुक्ल जी, बिलासपुर,छत्तीसगढ़ वाले. बृजमोहन मिश्र जी, अर्चना जी बैठी हैं, उनकी लगते जिगर सुपुत्री, बृजमोहन जी. फिर हमारे दादा आदरणीय श्रीनिवास तिवारी जी, जिन्होंने कई मिसालें कायम की थीं और हमें बड़ा सौभाग्य था उनके निकट रहने का, बहुत मार्गदर्शन मिला करता था, नये लोगों को देते थे. रोहाणी जी, हमारे आदरणीय सीतासरन शर्मा जी, जो हमारे उपाध्यक्ष रहते हुए अध्यक्ष हुआ करते थे और अक्सर मुझसे कहते थे कि राजेन्द्र सिंह जी आप सदन बेहतर चला लेते हो. हम कहते थे कि नहीं, ऐसा नहीं है, आप बहुत विद्वान हैं, हमसे ज्यादा आपको ज्ञान है संसदीय परम्पराओं का. आप अच्छे वकील, अधिवक्ता भी हैं. मैं तो अधिवक्ता भी नहीं हूं. अब फर्क यह है कि जब जब आप वहां बैठते हैं, तो हल्ला इस पार से ज्यादा होता है. तो वह आपकी बात कम सुनते हैं. जब मैं बैठता हूं वहां, तो मेरी बात सीनियर होने के नाते दल में लोग सुन लेते हैं. फर्क इतना है. बाकी विद्वान आप ज्यादा है. तो सीतासरन जी और हमारे नर्मदा प्रसाद प्रजापति जी, गिरीश गौतम जी, विराजे हैं. यह हमारा सौभाग्य है कि दो दो पूर्व अध्यक्ष हमारे बीच में हैं और इस पद को आप सुशोभित कर रहे हैं अध्यक्ष जी. धाकड़ नेता हुए हैं वहां पर आसंदी में. रविशंकर जी से अगर शुरु करें हम लोग, कैलाश नाथ काटजू जी, द्वारका प्रसाद मिश्र जी और सेठी जी, मण्डलोई जी, गोविन्द नारायण सिंह जी, श्यामाचरण जी और दिग्विजय सिंह जी, सुश्री उमा भारती जी, सखलेचा जी और पटवा जी. माननीय अर्जुन सिंह जी उनके सुपुत्र और हम सबके वरिष्ठ नेता श्री अजय सिंह जी यहां पर विराजे हैं, कितना सौभाग्य है. श्री अर्जुन सिंह जी रहे, कमल नाथ जी रहे, शिवराज जी रहे. कई राष्ट्रीय फलक पर इन लोगों ने नाम किया है. ऐसे हमारे सदन के नेता रहे हैं उन्होंने प्रदेश में ही नहीं पूरे राष्ट्र में प्रदेश का मान बढ़ाया है. वह हमारे सदन के नेता रहे हैं.
नेता प्रतिपक्षों में अर्जुन सिंह जी थे, विक्रम वर्मा जी, गौरीशंकर शेजवार जी, बाबूलाल गौर जी, जमुना देवी जी, अजय सिंह जी वह दो बार रहे हैं और कटारे जी, हेमंत जी यहां बैठे हैं, वह उप नेता हैं. गोविन्द सिंह जी, कमल नाथ जी और उमंग सिंघार जी.
श्री लखन घनघोरिया - आप गोपाल भार्गव जी को भूल गये.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह- उनका नाम भूल गया था, क्षमा करें. हम भूलते हैं तो ज्यादा बड़ा गुनाह नहीं है. आप लोग उनको न भूलें. इनका बड़ा योगदान रहा है सदन के लिये भी, पार्टी के लिये भी और हर तरह से. बहुत लम्बी बात हो जायेगी...
अध्यक्ष महोदय- ज्यादा लम्बी नहीं करना है.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह- अध्यक्ष जी, मैं समाप्त कर रहा हूं. एक बात यहां पर आयी है, पक्ष और विपक्ष के सब विधायक हैं. फिर ट्रेजरी बैंचेस आ जाती हैं, जो मंत्री हो जाते हैं और जितने लोग ट्रैजरी बेंच के अलावा, हम सब प्रायवेट मेम्बर कहलाते हैं. आप लोग भी प्रायवेट मेम्बर हो, हम लोग भी प्रायवेट मेम्बर हैं, यह है सरकारी भाषा. लेकिन भेदभाव वाली जो बात आती है वह किसी के साथ नहीं होनी चाहिये. अब मैं, सिर्फ दो चीजें कहना चाहूंगा. हम लोग सुनते हैं, अखबारों में पढ़ते हैं कि विकास के लिये भारतीय जनता पार्टी के विधायकों को 15-15 करोड़ रूपये दिये जा रहे हैं. अध्यक्ष जी, आपने भी सुना होगा, आपके संज्ञान में भी होगा. आप अध्यक्ष हैं तो आपको पूरे 15 करोड़ रूपये मिल गये होंगे. देवड़ा जी ने कोताही नहीं की होगी. अध्यक्ष जी, मैं आपके माध्यम से पूछना चाहता हूं कि वही काम हम लोग भी कर रहे हैं, वह निजी खाते में नहीं जा रहा है, जनता के विकास में ही जायेगा. अगर उस क्षेत्र की जनता ने किसी प्रतिपक्ष के नेता को चुना है, व्यक्ति को जनता ने चुना है तो जनता का गुनाह नहीं है. आप उसके क्षेत्र में विकास का अवरोध नहीं कर सकते हैं. यह आपको हमेशा ध्यान रखना चाहिये और इस पर आप लोग पुनर्विचार करें और एक नज़रिये से सबको देखें, दल की बात अलग है.
श्री भंवर सिंह शेखावत- आप जनता से बदला मत लो.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह- उधर से आए इधर, दरबार हमारे. सारी बातें इधर की भी जानते हैं. ( हंसी) उनसे बेहतर रेफरी कोई हो ही नहीं सकता है. हम उनको रेफरी नियुक्त करते हैं..
श्री गोपाल भार्गव- अध्यक्ष जी, जिस विषय और संदर्भ पर आपकी अनुमति से चर्चा सदन में हो रही है, यह बहुत गंभीर है. मैं सोचता हूं कि आज या कल सप्लीमेंट्री बजट पर चर्चा होगी. किसको कितना मिल रहा है, कितनी राशि किसको मिल रही है, 15 या 20 करोड़ मिल रही है, उस पर आप चर्चा कर लें. वह ज्यादा प्रासंगिक रहेगा उसका उत्तर भी आपको मिलेगा.
अध्यक्ष महोदय- राजेन्द्र सिंह जी, आप कृपया समाप्त करें.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह- अध्यक्ष जी, मैं एक जो कमी महसूस करता हूं उसका भी उल्लेख करना आवश्यक है. यह प्रतिवर्ष जो हमारा सदन चलता है उसकी बैठकें इतनी कम हो गयी हैं कि जब हम बात करते हैं दूसरे प्रदेश के विधायकों से, नेताओं से, तो उनको भरोसा नहीं होता कि मध्यप्रदेश में विधान सभा 20-22 दिन चलती है, यह विधान सभा 55-60 दिन तक चला करती थी. इतनी सीटिंग्स, मैं सीटिंग्स की बात कर रहा हूं. चलने में तो बीच में छुट्टियां आ जाती हैं. सींटिग्स 20-22 हो रही हैं और यह इतना महत्वपूर्ण फोरम है. विपक्ष के लिए ही नहीं, पूरा प्रदेश, पूरे प्रदेश की जनता जब विधान सभा चलती है तो टक-टकी लगाकर देखती है कि उसके क्षेत्र की बात हुई कि नहीं हुई, उसकी जो रोड टूटी है, उसके बनाने की क्या चर्चा हुई, सामान्य लोग तो यही देखते हैं, सोचते हैं.
अध्यक्ष महोदय, विपक्ष ही नहीं, सत्ता पक्ष के विधायक भी चाहते हैं कि विधानसभा चले. (मेजों की थपथपाहट) अब बोले या न बोलें. क्या वातावरण है, भय का बड़ा वातावरण है चारों तरफ, ये बोले, न बोलें, लेकिन यह भी चाहते हैं कि अधिक से अधिक विधान सभा चले. हम समझते हैं मंत्री लोग, मैं भी मंत्री रहा हूं, अपने अनुभव से ही बोल रहा हूं. बहुत से विषय के बारे में, विभाग के बारे में बहुत-सा ज्ञान तब होता है जब हमारी ब्रीफिंग होती है. जब माननीय सदस्य विधानसभा में प्रश्न लगाते हैं, ध्यान आकर्षण लगाते हैं. नीचे से ऊपर तक सब अधिकारी आते हैं, उसी समय अधिकारियों में सक्रियता बढ़ती है और यह भी देखते हैं कि विधान सभा आने वाली है.
अध्यक्ष महोदय - कृपया अब समाप्त करें.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह - जब विधान सभा चलती है तो उससे सब लाभान्वित होते हैं और मंत्री, उनको मालूम होता है कि हमारे विभाग में क्या हो रहा है. विधान सभा के चलने का इतना महत्व है. अध्यक्ष महोदय, आपकी सरपरस्ती पर हम लोग हैं यहां पर और आपसे यह अनुरोध है कि यह जो बैठकों का समय है यह बढ़ाया जाय. हम लोगों ने एक बार बहुत पहले तय किया था कि 75 बैठकें मध्यप्रदेश में होंगी, 75 का आंकड़ा तो हम लोग भी नहीं छू पाये थे, 55-58 बैठकें साल में हुई हैं तो यह जो हमारा 20-22 का आंकड़ा है इसको आगे बढ़ाएं. इससे पूरे प्रदेश की जनता को विकास के संदर्भ में, उसकी समस्याओं को हल करने की दिशा में लाभ होगा. अध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का अवसर दिया, बहुत बहुत धन्यवाद. (मेजों की थपथपाहट)
डॉ. सीतासरन शर्मा (होशंगाबाद) - अध्यक्ष महोदय, हमारी विधान सभा को 68 वर्ष हो गये. 17 दिसम्बर को पहला सत्र था. आपका आभार कि आपने इस दिन को याद भी किया और माननीय सदस्यों को अपनी बात कहने का अवसर भी दिया. अध्यक्ष महोदय, जैसा हमारे पूर्व वक्ताओं ने भी कहा, हमारी विधान सभा का एक गौरवशाली इतिहास है. इस इतिहास के पृष्ठों में एक स्वर्णिम पृष्ठ आपकी अध्यक्षता में लिखा जाना है. इस बात को हम जानते हैं कि आप बहुत वरिष्ठ हैं. आपका मार्गदर्शन और आपका नेतृत्व हमारी विधान सभा को बहुत ऊंचाइयों तक ले जाएगा. अध्यक्ष महोदय, बात लम्बी नहीं करेंगे. इस सदन में जो सदस्य आते हैं वह जनता से सीधे चुनकर आते हैं और जनता से चुनकर आने का अर्थ कि जनता से सीधा संवाद. अध्यक्ष महोदय, ऐसे तो कहने को 4 स्तम्भ लोकतंत्र के हैं, विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका और प्रेस. किन्तु जब जनता के सामने न्यायपालिका की बात आती है तो वकील के माध्यम से जाना पड़ता है, सीधी बात नहीं होती है. ब्यूरोक्रेसी के लिए जनता में अभी भी एक डिस्टेंस बना हुआ है. आज भी अफसर के कमरे में जाने में जनता घबराती है. (मेजों की थपथपाहट) आपका भी 70-75 साल का यही काम था, उसके हम भी भुगत भोगी हैं. बड़ी जोर से मेजे मत थपथपाइए. आपकी परंपरा ही है, यह ब्यूरोक्रेसी वहीं से आई.
अध्यक्ष महोदय, प्रेस, प्रेस जनता से सीधा संवाद तो करती है. (एक माननीय सदस्य के कुछ कहने पर) आपने ही बनाया था साहब. अध्यक्ष महोदय, प्रेस जनता से सीधा संवाद तो करती है किन्तु प्रेस जनता की समस्या को हल नहीं कर सकती. और इसीलिए जनता से सीधा संवाद करने का, उसको हल करने का माध्यम यदि लोकतंत्र में है तो वह विधानसभा ही है और विधानसभा के सदस्य ही हैं (मेजों की थपथपाहट) और इसीलिए मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि 4 स्तंभों में सबसे मजबूत स्तंभ कोई है तो वह मध्यप्रदेश की विधानसभा है, भारत की संसद में लोकसभा है. जनता हमें विश्वास करके वोट देती है और सभी वादे करके आते हैं. किन्तु एक बात है और मैं सोचता हॅूं कि उस बात को भी पाइंटआउट करना जरूरी है कि धीरे-धीरे हमारे प्रति विश्वास घट रहा है. क्यों घट रहा है क्योंकि लोकसभा में और विधानसभा में हंगामें हो रहे हैं और इसीलिए आप रोज व्यंग्य देख लीजिए. अखबारों में जो कार्टून आते हैं उनमें इन्हीं के बारे में लिखा जाता है. यदि ये संस्थाएं अपना काम नहीं कर पाएंगीं, तो जनता आपमें भरोसा कैसे करेगी और इसीलिए पूरे सदन को यह सोचने की बात है कि हम लोग जब प्रतिपक्ष में थे, तब एक बार भारतीय जनता पार्टी ने रेजोल्यूशन किया था कि प्रश्नकाल को बाधित नहीं करेंगे हो सकता है यह आपके ध्यान में हो. क्योंकि आप मुझसे बहुत वरिष्ठ हैं और बहुत सीनियर हैं. क्या यह निर्णय सब पार्टियां नहीं कर सकतीं.
अध्यक्ष महोदय, आज हमको इस विषय पर भी विचार करना पडे़गा कि यह जो हंगामे होते हैं इससे पब्लिक इम्पेक्ट क्या होता है. इससे काम भी धीरे होते हैं. माननीय श्री अटल जी की बात हमारे डॉ.राजेन्द्र सिंह जी ने की. जब मैं वर्ष 1971 में पढ़ता था, तब अटल जी लोकसभा के चुनाव में यहां बाल विहार में भाषण देने आए थे, तो हम लोग उनका भाषण सुनने गए. उन्होंने प्रजातंत्र के बारे में कहा. मैं अक्सर अपने साथियों से कहता हॅूं कि प्रजातंत्र की चक्की धीरे पीसती है, किन्तु पीसती बारीक है. हमको जनता को बारीक पीसकर बताना है कि सबसे स्वादिष्ट है और हम यह तब ही बता पाएंगे, जब जनता की समस्याओं को सदन में बैठकर हल कर पाएंगे, हल्ले-गुल्ले से नहीं.
अध्यक्ष महोदय, एक आखिरी बात कहना चाहता हॅूं कि जो नये सदस्य आते हैं आपने उसका उल्लेख किया. विधानसभा में एक बहुत समृद्ध लाइब्रेरी है. उसमें इतिहास से लेकर आज तक की बहुत सारी जानकारियां हैं. भूतकाल से लेकर वर्तमान काल तक की जानकारियां हैं. उसका उपयोग यदि हम करेंगे, तो हम सदन को ज्यादा महत्वपूर्ण जानकारियां दे सकेंगे और अच्छे तरीके से संचालित कर सकेंगे. विधानसभा का सचिवालय जो बडे़ निष्पक्ष भाव से काम करता है बीच में बैठता है तो बीच के हिसाब से करता भी है. न इधर न उधर. मैं कहना चाहता हॅूं कि विधानसभा के सचिवालय को भी, जो आपके नेतृत्व में काम कर रहा है, इस अवसर पर बहुत-बहुत शुभकामनाएं, क्योंकि 68 साल उनको भी हो गए. आज इस अवसर पर, इस कामना के साथ कि हमारी मध्यप्रदेश की विधानसभा आपके कुशल नेतृत्व में इस गौरवशाली इतिहास को आगे बढ़ाएगी और हम जनता की समस्याओं को हल करने में सक्षम हो सकेंगे, आपका आभार. (मेजों की थपथपाहट)
श्री गिरीश गौतम (देवतालाब) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद कि आपने हमें बोलने का मौका दिया. दूसरा इस बात के लिए कि इतिहास को एक नजर से देखने का अवसर हम सबको मिला, क्योंकि किसी भी चीज को हम तीन भागों में बांटते हैं. एक भूतकाल है, एक वर्तमान है, एक भविष्य है. वर्तमान की जिम्मेदारी उसका दायित्व और कर्तव्य है कि अपने भूतकाल को या इतिहास को याद रखकर के जवाबदारी भविष्य को देने के लिये करे वह यह हमेशा याद रखना चाहिये. बहुत सारी घटनाएं हमने देखी हैं. मैं उसके डिटेल में नहीं जाऊंगा. चार राज्यों का जब एकीकरण हुआ उसको भी देखा. विधान सभा का विघटन होते भी देखा है इसी इतिहास में देखा है. हम सबने यह भी देखा कि हमें इतिहास में जानने की आवश्यकता है. हमारे माननीय राजेन्द्र सिंह जी हैं तमाम सारे लोग हैं. सबको पता है कि लोकतंत्र में वर्ष 1952 में जब चुनाव हुए. कई विधान सभाओं में दो सदस्य आते थे. हमारे विन्ध्यप्रदेश में 48 सीटें थीं पर विधायक 60 हुआ करते थे. मध्य भारत में 79 सीटें थीं पर विधायक 99 हुआ करते थे. 48 सीटों में से 60 होते थे 36 में सिंगल होता था और 12 में से डबल होता था इस तरह से 60 होते थे. विधान सभा का गठन 1 नवम्बर 1956 को हुआ तो इतने सारे विधायकों की सीट नहीं थी जितने विधायक यहां पर आये थे. क्योंकि संख्या 60 आयी थीं सीटें 232 के आसपास थीं. तो हमने 232 को देखा, 288 देखा, 320 देखा और फिर घटकर के फिर से 230 में आकर के हमने देखा है. हमारे विधान सभा का दायित्व है, कर्तव्य है उसको अक्षुण्ण रखने का इतिहास है इस विधान सभा का यहां पर हमारी जनता ने 8-8 बार, 9-9 बार, 10-10 बार विधायकों को जिताया है. हमारे लीजेन्ट हमारे 9 बार के विधायक माननीय गोपाल भार्गव जी बैठे हैं. वह नौवीं बार से जीतकर के विधान सभा में आये हैं. माननीय श्री बाबूलाल जी गौर 10 बार से जीतकर के आये थे. उन्होंने 1974 से जीतना चालू किया था वह 2018 तक जीतते रहे. हमारे भार्गव जी 1985 से अभी तक जीतते आ रहे हैं. यहां पर 6 बार के विधायक, 7 बार के विधायक, 8 बार के विधायक जीतकर के यहां पर बैठे हैं. वह जनता के बीच में जाकर के काम करते होंगे तभी तो जीतकर के आते हैं. हमारे इस इतिहास को यादकर के इसको आगे बढ़ाने का काम करना है ताकि आगे वाले लोग कहें. थोड़ा सा फर्क आया है. फर्क इस बात का आया है कि अब हम वाद-विवाद की बात करते हैं. विधान सभा के भीतर संवाद क्यों नहीं हो सकता ? वाद-विवाद से झगड़े होते हैं. विवाद का मतलब ही झगड़ा होता है. हम सब बात करें, क्योंकि हम दोनों को लगता है कि हम नदी के दो किनारे हों. दोनों किनारे पैरलल चलते हैं. पैरलल चलने का मतलब झगड़ा नहीं होता है. बहते हुए जल को प्रवाह मानते हुए उस मंजिल तक पहुंचाने का काम करते हैं. इसीलिये हम विधान सभा के भीतर भले ही दो किनारे हों, दो विचारों के हों, दो मतभेदों के हों. परन्तु हम सबको मिलकर प्रदेश के विकास के लिये मिलकर के उसी तरह से काम करना चाहिये. जिस तरह से नदी के किनारे जल को प्रवाहित करके आगे की ओर ले जाते हैं, उस तरह से करने की आवश्यकता है. हमें यह करना चाहिये. मैं निवेदन करना चाहता हूं कि राजनीति में वर्तमान की तथा भविष्य की आगे जिम्मेदारी देंगे लोगों को तभी हम बीच में खड़े होते हैं. आगे शायद यह नहीं रहेगा. हमारे आप सबके जमाने में और कई लोगों के जमाने में जमाना था फेस टू फेस का. राजनीति फेस टू फेस से होती थी. आज जमाना फेसबुक का आया है. हम दोनों में फेस टू फेस वाले हैं तथा फेसबुक वाले भी हैं. हमारे जमाने में ही इंटरनेट आया और हमारे जमाने में ही मोबाईल आया. तब फेस टू फेस की राजनीति थी आज फेसबुक की राजनीति है. दोनों में बड़ा फर्क है. यह फर्क है कि फेस टू फेस इन्टीमेसी है. और फेसबुक से इन्टीमेशन है. इन्टीमेसी का मतलब होता है. आत्मीयता हम किसी बुजुर्ग के सामने जाकर के उनके पैर छूते हैं तो वह आत्मीयता से आशीर्वाद देता है. शायद फेसबुक में यह संभव नहीं है. मैं ऐसा नहीं कहता हूं कि नेट में मत जाईये. हम उस इतिहास को भी याद करके रखना है कि आत्मीयता प्राप्त करनी है तो फेस टू फेस की राजनीति को आज भी रखना पड़ेगा. कोई भी विकास मैं ऐसा मानता हूं कि हो सकता है कि इसमें मैं गलत हूं. मैं ऐसा मानता हूं कि कोई भी समाज या कोई भी चीज में दौड़ के कोई भाग लेता है. दोनों पांव उठाकर के दौड़ में वह एक मीटर भी नहीं जा सकता है. एक पांव उसका जमीन में रहना पड़ेगा उसका एक पांव उठेगा तभी वह दौड़ अपनी पूरी करेगा. इसलिये वह फेस टू फेस रहेगा तथा फेसबुक रहेगी तभी हम जाकर के ऊंचाईयों को हम प्राप्त करेंगे. हम देखते हैं कि कई बार बहुत तेज जब विवाद होता है वहां पर भी बैठ चुका हूं इसलिये सबको देखा है. वाकई में वहां से इतिहास हमारा जो है कुंजीलाल जी के जमाने से लेकर आप तक या इतिहास में पिछले देखे हैं सबने इस बात का प्रयास किया है कि इसकी गरिमा जो हमारे पूर्वजों ने बनाई है हम उसमें नया नग नहीं जोड़ सके है. जो जोड़कर गए हैं, उसमें कोई खरोंच न मार पायें, इस बात का प्रयास हम सभी ने मिलकर किया है, मैं आप सभी से अपेक्षा करता हूं. हम इसे लोकतंत्र का मंदिर कहते हैं. मंदिर प्रतिष्ठा और उंचाई तभी प्राप्त करता है, जब उसके पुजारी का आचरण ठीक हो. यदि अच्छा पुजारी होगा तो मंदिर की प्रतिष्ठा उतनी ही अच्छी रहेगी. पुजारी गड़बड़ होगा तो फिर मंदिर की प्रतिष्ठ नहीं रह जाएगी, इसलिए इस मंदिर की प्रतिष्ठ बचाये रखने के लिए यदि हम अपने को पुजारी मानते हैं तो हम सबकी जिम्मेदारी हैं कि इसके इतिहास में जो हमारा सम्मान, जो हमारी प्रतिष्ठा थी उसमें खरोंच नहीं आनी चाहिए. मेरे ध्यान में आ रहा है कि हमें जुबान से ठीक रहना चाहिए, क्योंकि कुदरत को ही नहीं पसंद है:
कुदरत को न-पसंद है सख्ती बयान में,
इसीलिए तो नहीं दी हड्डी जुबान में.
हमें मीठेपन से कहने में क्या दिक्कत है. हम सत्य कहें आवश्यक नहीं कि सत्य हर बार कड़वा होता है, ऐसा नहीं है. सत्य को कहने का भी तरीका होता है, उसमें कोई विरोध नहीं होता. सबसे बड़े व्यंगकार कबीरदास जी हुए, कबीरदास को किसी ने मारा, कबीर का किसी ने विरोध किया, पूजा करते रहे. हमारे पास किसी बात को कहना का व्यंग का माध्यम हो, हास्य का माध्यम हो, कोई भी माध्यम अपनाएं, हम अपनी बात भी कहे उसका एक तरीका एडाप्ट करें, इसीलिए हमने कई बार इस बात का प्रयास किया अपने कार्यकाल में कि जिस भाषा को असंसदीय कहा जाता है, उनको हटाने का प्रयास किया, ये प्रयास किया कि लोग देखें कि हमने कौन सी शब्दावली का उपयोग किया उसकी किताब बनाकर के हमने हमारे विधायकों के बीच में बांटा, उन शब्दों को देखने के लिए, उन शब्दों को हटाया नहीं, हटे तो पहले से थे, मैंने स्मरण दिलाने के लिए कि उस इतिहास को स्मरण करो कि हमारे किन सदस्यों ने किन शब्दों का प्रयोग किया था, जिसको आसंदी ने उन शब्दों को विलोपित करने का आदेश दिया था, उनका संकलन करके दिया. पर इस संकलन की आवश्यकता ही नहीं पड़ें. आसंदी से यह कहने की आवश्यकता ही नहीं पड़े कि इस शब्द को विलोपित किया जाता है, इतना हम सबको ध्यान में रखना पड़ेगा. जब मैं कहता हूं कि भविष्य हमारी जिम्मेदारी है. आने वाले लोगों के लिए हमें वर्तमान को खाली करना पड़ेगा, भविष्य के लिए कि जब भविष्य आवें तो यह देखकर जाएं कि हमारा इतिहास सुनहरा इतिहास था, इस इतिहास को कायम करने वाले, भविष्य वाले जिम्मेदारी ले सके इसी अवसर में फिर आप सभी को धन्यवाद करता हूं. आशा यही करता हूं कि हम सबने मिलकर जो ऊंचाइयां प्राप्त की है, उसमें कहीं भी कोई खरोंच नहीं आने देंगे, बहुत बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय – मैं समझता हूं कि काफी लोगों के मन में स्वाभाविक ही है ऐसे अवसर पर बोलने का मन होता है. आज चूंकि समय की सीमा भी है और यह प्रथम अवसर भी है, इसलिए मेरे मन में यह बात आई तो मैंने मुख्यमंत्री जी और नेता प्रतिपक्ष दोनों से मश्विरा किया, तब तक इतना ही था कि दो लोग विचार व्यक्त करेंगे, लेकिन हम सब जानते हैं कि हमारा सदन काफी वरिष्ठ लोगों से भी भरपूर है, इसलिए यह सोचा जाए कि नेता प्रतिपक्ष, पूर्व नेता प्रतिपक्ष, अध्यक्ष, मुख्यमंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री कम से कम इस श्रेणी तक हम लोग जाएं जिससे कि चर्चा भी हो जाए और सभी के विचार भी आ जाएं. मुझे लगता है कि अगली बार निश्चित रूप से इस कार्यक्रम का पूरी डिजाइन विधान सभा करेगी, सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों मिलकर. इसको हम विधायिका की दृष्टि से भी कैसे महत्वपूर्ण बना सकते हैं, इस दिन को और बाकी सांस्कृतिक और जनकल्याण को आगे बढ़ाने की दृष्टि से क्या इवेंट कर सकते हैं, इस मामले में जरुर विचार करेंगे. मैं समझता हूं कि हमारे अंतिम वक्ता के रूप में पूर्व नेता प्रतिपक्ष जो वर्तमान में हमारे पास हैं, गोपाल भार्गव जी, मैं अंतिम वक्ता के रूप में उन्हें आमंत्रित करता हूं कि वे अपनी बात रखें.
श्री गोपाल भार्गव(रहली) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपकी अनुमति से मैं कहना चाहता हूं कि चूंकि कार्यमंत्रणा समिति की चर्चा हाउस में सामान्यत: नहीं होती है लेकिन मैं आपको धन्यवाद दूंगा कि आपने यह प्रसंग लिया है कि हमारी विधानसभा को 67 वर्ष हो गये हैं और इस दिन को हम स्मरणीय बनाने के लिये, या हमने क्या खोया और क्या पाया, इससे पक्ष,विपक्ष से और सभी संबंधितों से चर्चा करने के उपरांत मैंने एक विचार यह भी दिया था कि हम सदस्यों की एक समिति बना दें, जिसमें विधानमण्डल के हमारे अधिकारी भी रहें और भी हमारे जो विधायी कार्य से संबंधित हमारे वरिष्ठ पत्रकार जो रिपोर्टिंग करते हैं, वह भी इस समिति में रहें, तो हम इस 67 वर्ष की अपनी यात्रा में एक पुस्तिका जो विधानसभा की तरफ से छपे, ऐसी पुस्तिका को हम छापें.
अध्यक्ष महोदय, आत्म मंथन और आत्म अनुकरण इंसान की जीवन की आवश्यकता होते हैं. हम राजनीतिक क्षेत्र में बहुत लंबे समय से हैं और 67 वर्ष पूरे होने को हैं, हो सकता है कि उस समय मेरी 4 या 5 साल की आयु रही होगी, लेकिन उसके बाद जब से मैं छात्र राजनीति के बाद और उसके बाद लगातार स्थानीय निकायों में राजनीति के बाद और मैंने जब यहां पर विधानसभा में कदम रखा, हमारे गौतम जी ने अभी उल्लेख किया है कि वर्ष 1985 में पुराने मिंटो हॉल में जब हम बैठते थे तो 320 सदस्य होते थे, बड़ा प्रेम था, सद्भाव था, वहां का हॉल इससे आधा था और भी छोटा होगा, लेकिन हम सभी लोग जिस आत्मीयता के साथ मैं बैठते थे और जितना काम काज और विधायी कामकाज खास तौर से जो बिजनेस होता था, उसको संपूर्ण करके और निपटाकर जब जाते थे, तो चाहे सत्ता पक्ष हो, चाहे प्रतिपक्ष हो, सभी के लिये एक आत्मीय आनंद का अनुभव होता था, मैं देख रहा हूं और बहुत ही बेबाक और स्पष्ट तरीके से कह रहा हूं, आज उसका थोड़ा अभाव है, यदि अभाव किसी तरह से समाप्त होगा अध्यक्ष महोदय, तो हमारे शर्मा जी से लेकर और हमारे और उसके बाद में हमारे जो भी ब्रजमोहन जी भी रहे, हमारे स्पीकर साहब बिलासपुर के मिश्रा जी वह भी हमारे स्पीकर रहे और ब्रजमोहन जी के बाद में लगातार हमारे रोहाणी जी भी रहे और गौतम जी भी रहे, डॉक्टर साहब भी रहे, सभी अध्यक्षों ने अपनी भूमिका का बखूबी निर्वहन किया है.
अध्यक्ष महोदय, मुझे स्मरण है कि जब मिंटो हॉल में विधानसभा लगती थी, उस समय भी 12-1 बजे तक हम लोगों के संसदीय कार्य संपन्न होते थे, विशेष तौर पर बजट सत्र में, कार्य अभी भी हो रहे हैं लेकिन उस समय हमने देखा कि जब तक सारे सदस्यों, उस समय 320 सदस्य थे और छत्तीसगढ़ के भी 90 सदस्य थे, सबको बोलने का अवसर मिलता था, अध्यक्ष महोदय, अभी भी आप अनुमति देते हैं, पूर्व के अध्यक्षों ने भी अनुमति दी है, लेकिन मैंने उस समय देखा कि पहली बार जो सदस्य चुनकर आते थे, यदि वह हाथ ऊपर कर दें तो तत्कालीन जो आसंदी पर अध्यक्ष महोदय होते थे, वह सबसे पहले उसे बोलने का अवसर देते थे.
अध्यक्ष महोदय, कभी जब हम विधानसभा की नियमावली की किताब, कार्य प्रक्रिया संचालन की किताब लेकर जब हम खड़े होते थे और हाथ उठाते थे, उस समय हम बहुत जुनियर थे, तो तत्कालीन आसंदी से हम लोगों को कहा जाता था कि ठीक है आप बोलिये आपका क्या विषय है और शून्यकाल में हमको दो तीन मिनिट बोलने की अनुमति तत्समय दी जाती थी. बजट सत्र जो हमारा उसमें अमूमन 40 बैठकें तक होती थीं, उस सत्र के दौरान हमेशा होली की छुट्टी आ जाती है, तो उसको यदि हम निकाल दें, तो बैठके होती थीं, धीरे-धीरे देश की राजनीति का परिदृश्य बदला, राज्य का बदला और उसके बाद में हम यहां तक आ गये. मुझे माननीय राजेन्द्र सिंह जी ने कहा और सभी सदस्यों ने भी कहा और मैं भी चाहता हूं कि विधानसभा की अधिकाधिक बैठकें हों और इससे बेहतर मंच शायद हमारे भारत में और दुनिया में जो हमारी लोकतांत्रिक संस्थायें हैं, इससे बेहतर मंच लोगों की समस्या को हल करने का, यदि वास्तव में हमने शपथ ली है इस आसंदी से, यहां से तो मैं सोचता हूं कि जो हमने शपथ ली है, उस शपथ का परिपालन करने के लिये और उसको हम कार्यरूप में परिणित करा दें ( मेजों की थपथपाहट) उसके लिये यह बहुत आवश्यक है अध्यक्ष महोदय कि हम सभी लोग मिलजुलकर पर्याप्त समय चर्चा करें, आगे जब भी आप जैसा तय करेंगे अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कई मुख्यमंत्रीगणों के साथ मैंने काम किया, उनके कार्यकाल में श्यामाचरण जी थे, अर्जुन सिंह जी थे, मोतीलाल वोरा जी थे बाद में हमारे पटवा जी भी आये, बाद में 10 साल दिग्विजय सिंह जी भी आये और भी हमारे अनेकों और उसके बाद शिवराज जी हैं, उमा जी हैं, गौर जी हैं सभी के साथ काम करने का अवसर मिला तो मैं मानकर चल सकता हूं कि सभी ने अपने नेतृत्व में इस प्रदेश की विधान सभा के लिये गरिमा दी इसके साथ ही राज्य में अच्छा प्रशासन भी दिया. मैं चाहता हूं कि हम अपने पुराने दिनों को क्यों वापस नहीं ला सकते, कौन सी हमारी विवसता है, कौन सी हमारी मजबूरी है. अधिकांश सदस्य चाहते हैं कि सदन की कार्यवाही चले और जनता के जो प्रश्न है उनका बखूबी उत्तर उनके लिये मिले, चाहे इस पक्ष के हों, चाहे उस पक्ष के हों और इस कारण से मैं लोकतंत्र को और खासतौर से हमारे मध्यप्रदेश राज्य की विधान सभा का एक बहुत ही स्वर्णिम इतिहास रहा है कामकाज के मामले में और इस कारण मैं चाहता हूं कि हम आगे भविष्य में अपने विधायी कार्य को और ज्यादा आगे बढ़ायें. अध्यक्ष महोदय, आपने विशेष रूप से कल स्मरण कराकर जो आज इस प्रसंग पर चर्चा कराई मैं आपके लिये धन्यवाद देता हूं. जो माननीय सदस्य बोले उनके लिये भी धन्यवाद देता हूं और अध्यक्ष महोदय जीतना हारना लगा रहता है, ठीक है काम करते हैं, मैं 9 बार जीता हूं, कई लोग काम करने के बावजूद भी नहीं जीत पाते इसका अर्थ यह नहीं है कि हमारी राजनीति खत्म हो गई, हमने विधायी कार्य में भाग नहीं लिया, सारे लोग लेते हैं. अध्यक्ष महोदय, कैलाश चावला जी बैठे हैं, बहुत वरिष्ठ सदस्य हैं अध्यक्षीय दीर्घा में बैठे हैं, वर्ष 2003 में हमारे साथ में मंत्री थे, उसके पूर्व में भी विधायक थे तो ऐसे लोगों को हम देखते रहें, इनका मार्गदर्शन मिलता रहे इस विधान सभा के लोगों के लिये, मैं यह मानकर चलता हूं आवश्यक है. अध्ययन की परंपरा, हमारी जो लायब्रेरी है उसमें जाना, संदर्भ इकट्ठे करना, रिफ्रेंस इकट्ठे करना, पूर्ववर्ती विषय थे उन पर बोलना, आजकल मैं देख रहा हूं कि काफी कम हो गया है, इस प्रवृत्ति के लिये हम आगे बढ़ायें. ठीक है बहुत सी जानकारी मोबाइल के माध्यम से या आधुनिक संसाधनों के माध्यम से हम देख लेते हैं, लेकिन वह संपूर्णता नहीं आती, वह भाव ही नहीं आता जो किताबों के पढ़ने से उनके उद्धरण से पुरानी बहस को पढ़ने से देखने से आता है. मैं निश्चित रूप से आशा और उम्मीद करूंगा कि हम नई तैयारी के साथ एक नया आयाम इस विधान सभा के लिये देने में सफल होंगे. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, मैं तो अचानक आया अध्यक्ष महोदय, मुझे तो आज का शेड्यूल मालूम नहीं था वह आपने ले लिया इसके लिये बहुत-बहुत धन्यवाद सभी लोगों ने इसमें जो भाग लिया. मैं देख रहा हूं कि बहुत अच्छी उपस्थिति आज हमारे सदन में है जो कि मेरे लिये बहुत ही आनंद भी देती है, प्रसन्नता भी देती है. सामान्यत: क्या होता है कि लंच के बाद जब हम देखते हैं 5-7 मिनट तक घंटी बजती रहती है, 10 मिनट तक कोरम नहीं होता है, इस प्रवृत्ति के लिये भी हमको समाप्त करना पड़ेगा, यह हमारे पक्ष का ही नहीं वहां का भी, फिर फोन करते हैं कहां हो भैया जल्दी आ जाओ कोरम पूरा होना है तो यह स्थितियां न आयें, मैं मानकर चलता हूं कि यह बहुत ही सुखद स्थिति होगी. बहुत-बहुत धन्यवाद, नमस्कार.
अध्यक्ष महोदय-- सभी सदस्यों को इस मौके पर बहुत-बहुत बधाई, बहुत-बहुत शुभकामनायें और मैं समझता हूं कि प्रमुख रूप से बहुत सारे सुझाव भी आये हैं सभी लोगों ने विधान सभा की कार्यवाही को समृद्ध बनाने के लिये अपने सुझाव भी दिये हैं उन पर भी विचार किया जाना मुझे लगता है समीचीन होगा और सामान्यत: मैं कभी-कभी सोचता हूं कि पुराने समय में बहुत सारी परंपरायें हमारे विधान सभा में थीं बहुत सारे सदस्य उनकी जो भूमिका रहती थी. भिन्न-भिन्न विषयों पर,उस भूमिका में भी उनका चयन होता था और उनको पुरस्कृत करने का काम भी एक बड़े समारोह में किया जाता था एक समय था कि विधान सभा में विधायक क्लब बड़ा समृद्ध था और उस क्लब में सभी पक्ष-विपक्ष के विधायक धन संग्रह में जुटते थे और अपना-अपना हिस्सा देते थे और हर साल कोई न कोई बड़ा एक इवेंट होता था जिसमें हम सब पक्ष-विपक्ष से ऊपर उठकर हम विधान सभा हैं यह भावना उसके माध्यम से निश्चित रूप से प्रबल होती रहती थी और मैं समझता हूं कि आज हम 17 दिसम्बर को बैठे हैं यह दिन हमारी विधान सभा के जीवन में महत्वपूर्ण दिन है और इस दिन को हम और समृद्ध आगामी वर्षों में बनाएं इसके लिये निश्चित रूप से पक्ष और विपक्ष दोनों से विचार-विमर्श करेंगे और सरकार से भी विरमर्श करेंगे मुख्यमंत्री जी के भी संज्ञान में लाएंगे और मैं इस अवसर पर कहना चाहता हूं कि हम सब लोगों की यह निरंतर कोशिश बनी रहनी चाहिये कि सदन की बैठकें अधिक से अधिक हों यह पक्ष और विपक्ष दोनों के लिये जरूरी है और मैं समझता हूं कि हम सब लोग अपने को पक्ष और विपक्ष में ही 24 घंटे बांटे रहते हैं जिसके कारण जो ब्रिज बनना चाहिये आपस में तो वह ब्रिज नहीं बन पाता और ब्रिज नहीं बन पाता तो हम उस पर चढ़कर पार नहीं हो पाते इसलिये कोई समय ऐसा जरूर होना चाहिये कि जब विपक्ष भी पक्ष से पूछे कि विधान सभा की बैठकें और बढ़ाने के लिये हमारे किस सहयोग की आवश्यक्ता है और पक्ष भी विपक्ष से पूछे और कहे कि आप अगर इस दिशा में चलें तो निश्चित रूप से बैठकों को और बढ़ाने का काम किया जा सकता है. कुल मिलाकर हमारी कोशिश यह होनी चाहिये कि बैठकों की संख्या निरंतर बढ़े और निरंतर जनकल्याण और कानूनी विषयों पर विधान सभा में कामकाज हो. हमारे सभी जनप्रतिनिधियों का जीवन बहुत उत्कृष्ट हो. सभी सदस्य अपनी जो जिम्मेदारी है उसका निर्वहन सदन के माध्यम से कर सकें और अनेक जनकल्याण के मुद्दे जो उठाने की हमारी जिम्मेदारी है. हाऊस ज्यादा चलेगा तो निश्चित रूप से उसे हम उठा पाएंगे इसी के साथ पुन: आप सबको बहुत-बहुत बधाई और बहुत-बहुत शुभकामना देता हूं.
1.17 बजे पत्रों का पटल पर रखा जाना
(1) भू-सम्पदा विनियामक प्राधिकरण मध्यप्रदेश के 31 मार्च, 2023 को समाप्त हुए वर्ष हेतु मध्यप्रदेश भू-सम्पदा विनियामक प्राधिकरण के वित्तीय लेखों पर भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक का पृथक लेखा परीक्षा प्रतिवेदन एवं भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण, मध्यप्रदेश का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2023-2024,
(2) मध्यप्रदेश जल निगम मर्यादित का नौवां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2020-2021 (01 अप्रैल, 2020 से 31 मार्च, 2021) एवं दसवां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2021-2022 (01 अप्रैल, 2021 से 31 मार्च 2022)
(3) मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड का 22वां वार्षिक प्रतिवेदन
वर्ष, 2023-2024
(4) (क) मध्यप्रदेश राज्य सहकारी बैंक मर्यादित का संपरीक्षित वित्तीय पत्रक वर्ष 2023-2024,
(ख) मध्यप्रदेश राज्य सहकारी उपभोक्ता संघ मर्यादित, भोपाल (म.प्र.) का संपरीक्षित वित्तीय पत्रक वर्ष 2023-2024,
(ग) मध्यप्रदेश राज्य पावरलूम बुनकर सहकारी संघ मर्यादित, बुरहानपुर (म.प्र.) का संपरीक्षित वित्तीय पत्रक वर्ष 2023-2024,
(घ) मध्यप्रदेश राज्य सहकारी विपणन संघ मर्यादित, भोपाल का संपरीक्षित वित्तीय पत्रक वर्ष 2023-2024,
(ङ) मध्यप्रदेश राज्य लघु वनोपज (व्यापार एवं विकास) सहकारी संघ मर्यादित, भोपाल का संपरीक्षित वित्तीय पत्रक वर्ष 2023-2024, तथा
(च) मध्यप्रदेश राज्य सहकारी आवास संघ मर्यादित, भोपाल का संपरीक्षित वित्तीय पत्रक वर्ष 2023-2024
(5) (क) भोपाल इलेक्ट्रॉनिक्स मेन्युफेक्चरिंग पार्क लिमिटेड का छठवां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2021-2022,
(ख) जबलपुर इलेक्ट्रॉनिक्स मेन्युफेक्चरिंग पार्क लिमिटेड का छठवां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2021-2022, तथा
(ग) मध्यप्रदेश स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डेव्लपमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड का 38 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2021-2022
(6) मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के वार्षिक लेखे वर्ष क्रमश: 2017-2018, 2018-2019, 2019-2020, 2020-2021 एवं 2021-2022
(7) (i) अधिसूचना क्रमांक 6048-2018-दो-सी-एक्स, दिनांक 07 अगस्त 2024, तथा
(ii) अधिसूचना क्रमांक एफ-1-172-2021-दो-सी-एक्स., दिनांक 07 अगस्त 2024
(8) (क) जिला खनिज प्रतिष्ठान, जिला पन्ना एवं नीमच के वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2023-2024, तथा
(ख) डीएमआईसी विक्रम उद्योगपुरी लिमिटेड का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2022-2023
अध्यक्ष महोदय -- सदन की कार्यवाही 3 बजे तक के लिए स्थगित.
(1.24 बजे से 3.00 बजे तक अंतराल)
3.03 बजे
{अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए.}
3.04 बजे
ध्यान आकर्षण सूचना
(1) पं. शिवनाथ शास्त्री शासकीय स्वशासी आयुर्वेद महाविद्यालय में
अनियमितता किया जाना.
श्रीमती अर्चना चिटनीस (बुरहानपुर) - अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यान आकर्षण सूचना का विषय इस प्रकार है :-
बुरहानपुर स्थित पं. शिवनाथ शास्त्री शासकीय स्वशासी आयुर्वेद महाविद्यालय में गंभीर अव्यवस्थाएं व्याप्त हैं, साथ ही इस अव्यवस्था व अनियमितता के संबंध में मा. मंत्री को पत्र क्रमांक 01-629 दिनांक 27.07.2024, 02-645 दिनांक 01.08.2024 तथा 03-895 दिनांक 30.09.2024 तथा विभागीय अधिकारियों को पत्र क्रमांक 01-694 दिनांक 01.08.2024, 02-897 दिनांक 30.09.2024 तथा 03-896 दिनांक 30.09.2024 के माध्यम से महाविद्यालय की व्यवस्था सुधार हेतु एवं वर्तमान में पदस्थ प्रधानाचार्य की अनियमितताओं के विरुद्ध कार्यवाही हेतु अनुरोध किया गया था. किन्तु विभाग द्वारा इन पत्रों का कोई उत्तर आज दिनांक तक नहीं दिया गया और न ही किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही छात्रहित में की गई. महाविद्यालय की व्यवस्था सुधार हेतु विभागीय कार्यवाही नहीं किये जाने से आम नागरिकों में रोष व्याप्त है.
आयुष मंत्री (श्री इन्दर सिंह परमार)- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक द्वारा दिए गए पत्रों में महाविद्यालय की मान्यता एवं महाविद्यालय में व्याप्त अव्यवस्थाओं के संबंध में लेख किया गया था.
श्रीमती अर्चना चिटनीस- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, मंत्री जी की आभारी हूं कि उन्होंने कल यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया, बुरहानपुर का यह महाविद्यालय 90 वर्ष पुराना है. पूरे देश में प्रतिष्ठित महाविद्यालय, आज मध्यप्रदेश का ही सबसे कमजोर महाविद्यालय हो गया है. केवल एक प्राचार्य के कारण, एक पूरी की पूरी संस्था बार-बार बलि चढ़ाई जाये, यह उसका एक क्लासिकल उदाहरण है. मंत्री जी ने स्वयं जनरल बॉडी की बैठक 9 तारीख को की और जिस विषय की आप चर्चा कर रहे हैं, उसमें कलेक्टर ने 22 बिंदुओं का प्रतिवेदन, प्रमुख सचिव और मंत्री जी को प्रेषित किया, कलेक्टर उस प्राचार्य से कार्य ले पाने में असमर्थ हैं, यह इस प्रतिवेदन से बिलकुल स्पष्ट होता है.
अध्यक्ष महोदय, मेरा आज मंत्री जी से आग्रह है कि स्वशासी महाविद्यालय की किसी भी फैकल्टी को हमें किसी अन्य महाविद्यालय में प्रतिनियुक्ति पर नहीं भेजना चाहिए. डॉ. रश्मिरेखा मिश्रा के रहते बुरहानपुर महाविद्यालय को 10 वर्ष तक मान्यता नहीं रही, कुछ समय के लिए जब वे पद से हटीं और वहां जो दूसरे प्राचार्य थे, उनके अथक प्रयासों से महाविद्यालय को मान्यता पुन: प्राप्त हुई और जब डॉ. रश्मिरेखा मिश्रा दोबारा प्राचार्य के पद पर रहीं, तब वर्ष 2024 में फिर से मान्यता रद्द कर दी गई.
माननीय मंत्री जी की मैं, ह्दय से आभारी हूं कि पता नहीं कैसे, रद्द मान्यता को आपने कितने कष्टों से, दिल्ली से संपर्क कर, पहले आप आधी सीटों की मान्यता लाये और अब आप पूरी सीटों की मान्यता लाये हैं. आपकी और मुख्यमंत्री जी की आयुष के प्रति बहुत संवेदनशीलता है इसलिए आपने मध्यप्रदेश के वर्तमान 7 आयुर्वेद महाविद्यालयों को बढ़ाकर और नए 5 महाविद्यालय हमारे प्रदेश में प्रारंभ करना चाह रहे हैं लेकिन अगर आप और मुख्यमंत्री जी जो चाहते हैं, उसको जमीन पर उतारने वाला सिस्टम यदि ठीक नहीं होगा तो हमारी इच्छा पूर्ण नहीं हो पायेगी. आयुष को लेकर माननीय प्रधानमंत्री जी भी बहुत महत्वकांक्षी हैं, ऐसी परिस्थितियों में, मैं, आपसे निवेदन करती हूं कि आपने उक्त प्राचार्य डॉ. रश्मिरेखा मिश्रा को निलंबित तो किया है परंतु उनकी बारीकी से जांच हो और जांच के साथ उन पर उपयुक्त कार्यवाही भी हो क्योंकि भविष्य में वे जिस किसी भी संस्था में जायेंगी. अगर यह कहीं और भी चली गईं तो मेरा पिछले वर्षों में जो अनुभव रहा है यह जिस संस्था को हेड करेंगी यह उस संस्था को खराब कर देंगी क्योंकि इनकी काम करने की क्षमता से आप भी भलीभांति अवगत हैं.
श्री इन्दर सिंह परमार- माननीय अध्यक्ष महोदय, वहां जो प्राचार्य की कमियां दिखी थीं इस रिपोर्ट के माध्यम से प्रस्तुत की गई थी और विभाग ने भी उसका परीक्षण किया है उस आधार पर ही उनके खिलाफ कार्यवाही की है. कॉलेज की मान्यता का जो विषय है उसमें हमने त्वरित कार्यवाही की है और वहां की मान्यता समाप्त नहीं हुई है, लेकिन माननीय विधायिका जी का जो कहना है कि वह स्वायत्त पार्टी है संभाग के कमिश्नर उसके अध्यक्ष हैं इसलिए वह सारी जांच करा रहे हैं और यदि उसमें किसी प्रकार की आर्थिक या कोई और त्रुटि पाई गई तो हम सख्त कार्यवाही करेंगे.
श्रीमती अर्चना चिटनीस-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक विषय माननीय मंत्री जी के संज्ञान में लाना चाहती हूं कि वर्षों से उसका ऑडिट नहीं हुआ है, आपके द्वारा भेजा गया पैसा खर्च नहीं किया जा सकता है. आपने किसी सक्षम प्रिंसिपल को वहां का चार्ज दिया ही होगा ऐसा मुझे विश्वास है और मंत्री जी और सरकार का उस कॉलेज के प्रति विशेष ध्यान रहे ऐसा मेरा उनसे आग्रहपूर्वक निवेदन है. धन्यवाद
श्री इन्दर सिंह परमार- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने शासकीय स्वशासी धनवंतरी आयुर्वेदिक महाविद्यालय एवं चिकित्सालय उज्जैन के जो प्राचार्य हैं डॉक्टर जे.पी. चौरसिया जी को वहां का चार्ज दिया है. जब तक स्थाई व्यवस्था नहीं होगी तब तक हम उन्हें वहां कर रहे हैं. जहां तक ऑडिट रिपोर्ट की बात है तो मैं समझता हूं कि संभागों ने जो समिति बनाई है उसमें सारे मुद्दे आ रहे हैं.
(2) प्रदेश के वेयर हाऊस के देयकों का भुगतान न होना
श्री हेमंत सत्यदेव कटारे (अटेर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यानाकर्षण की सूचना का विषय इस प्रकार है:- मध्यप्रदेश वेयर हाउस मालिकों को लंबे समय से देयकों का भुगतान नहीं हो पा रहा है. वेयर हाउस में गेहूं भंडारण पर 1.5 प्रतिशत गेन वसूला जा रहा है जबकि अन्य राज्यों में 1 प्रतिशत वसूला जाता है. भण्डारण की अभी तक स्पष्ट नीति नहीं बनाये जाने से विभागीय अधिकारी वेयर हाउस मालिकों को अनावश्यक परेशान कर रहे हैं. अभी तक सोयाबीन भंडारण की भी नीति नहीं बनायी जा सकी है, इसका कोई मापदण्ड भी निर्धारित नहीं होने से पूरे प्रदेश के वेयर हाउस मालिक परेशान हो रहे हैं. इस उत्पन्न स्थिति से नागरिकों में रोष व्याप्त है
खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री (श्री गोविन्द सिंह राजपूत)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह कहना सही नहीं है कि मध्यप्रदेश वेअरहाउसिंग एण्ड लॉजि. कार्पो. द्वारा लम्बे समय से भण्डारण शुल्क देयकों का भुगतान नहीं किया जा रहा है.
प्रदेश में संचालित निजी गोदाम मालिकों द्वारा प्रति वर्ष संयुक्त भागीदारी योजना में ऑनलाइन प्रस्ताव देकर अनुबंध किया जाता है.
इस अनुबंध में यह स्पष्ट लिखा होता है कि भण्डारण शुल्क की राशि डिपोजिटर एजेंसी से वेयरहाउसिंग कार्पोरेशन को प्राप्त होने पर ही भुगतान की जाती है.
यह कहना सही नहीं है कि उपार्जित गेहूँ के वेयर हाउस के भण्डारण पर 1.5 प्रतिशत गेन वसूल किया जा रहा है.
वास्तव में भारत सरकार के द्वारा मई 2022 में भण्डारित गेहूँ में नमी के कारण हुए परिवर्तन के आधार पर लॉस/गेन की गणना के लिए SOP (स्टेंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) जारी की गई है.
इस SOP (स्टेंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) के अनुसार भण्डारित गेहूँ में नमी में हुए परिवर्तन के आधार पर लॉस/गेन का निर्धारित किया जाता है.
जिन गोदाम संचालकों द्वारा SOP (स्टेंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) का पालन नहीं किया जाता, उन गोदाम संचालकों से ही 1.5 प्रतिशत गेन की वसूली का प्रावधान है.
अन्य राज्यों में केवल हरियाणा प्रदेश में गोदामों में भण्डारित गेहूँ पर 01 प्रतिशत गेन दिये जाने का अभिलेख उपलब्ध है.
म.प्र. सरकार ने भी हरियाणा राज्य की तरह ही गोदामों में भण्डारित गेहूं पर 01 प्रतिशत गेन मान्य किये जाने हेतु भारतीय खाद्य निगम नई दिल्ली को 30 सितम्बर, 2024 को पत्र लिखा है.
उपार्जित गेहूं पर 1.5 अथवा 1 प्रतिशत गेन रखे जाने का प्रावधान भारत सरकार एवं भारतीय खाद्य निगम का है, उसमें म.प्र. शासन अथवा म.प्र. वेअरहाउसिंग एण्ड लॉजि. कार्पो. का कोई हस्तक्षेप नहीं है.
अत: यह कहना सही नहीं है कि मध्यप्रदेश वेअरहाउसिंग एवं लॉजि. कार्पो. के अधिकारियों द्वारा वेअरहाउस मालिकों को अनावश्यक परेशान कर भ्रष्टाचार कर रहे हैं.
यह कहना सही नहीं है कि प्रदेश में सोयाबीन भंडारण की नीति नहीं बनाये जाने एवं सोयाबीन उपार्जन के कोई मापदण्ड निर्धारित नहीं होने से प्रदेश के वेयर हाउस मालिक परेशान हो रहे हैं. वास्तविकता यह है कि इस वर्ष से पहले प्रदेश में सोयाबीन का उपार्जन सरकारी एजेंसियों द्वारा नहीं किया जाता था.
इस वर्ष म.प्र. शासन द्वारा सोयाबीन की उपार्जन नीति सितम्बर 2024 में जारी की है एवं मापदण्ड भी निर्धारित कर दिये गये हैं तथा 25 अक्टूबर 2024 से सोयाबीन का उपार्जन भी प्रारंभ हो चुका है.
प्रदेश में अभी तक लगभग 3 लाख 75 हजार मेट्रिक टन सोयाबीन का उपार्जन एवं भण्डारण शासकीय एवं निजी गोदामों में कराया जा चुका है.
अत: उपरोक्त तथ्यों से स्पष्ट है कि प्रदेश के वेअरहाउस मालिकों के एवं नागरिकों के परेशान होने तथा उनमें रोष और असंतोष व्याप्त होने का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता है.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं 17 जुलाई. 2024 का हरियाणा सरकार का आदेश पढ़ना चाहूंगा. इसका विषय है Fixation of storage loss/gain norms in Wheat and Rice-Reg. पत्र में लिखा है कि--
As per discussion with FCI and all state procuring agencies in the meeting chaired by Addl. Secretary & Financial Adviser, Ministry of Consumer Affairs, DFPD on 16th July 2024 at Chandigarh, it was decided that implementation of norms for storage loss/gain in wheat and rice based on the recommendation of ICAR formula will be kept in abeyance till the clarification from Government of India. Hence, moisture gain would be claimed/realized as per past practice on the basic of condition laid down in Provisional Cost Sheet i.e. 1% for wheat stored in covered godowns.
अध्यक्ष महोदय, यह हरियाणा सरकार का आदेश है इसमें स्पष्ट रुप से लिखा हुआ है कि एफसीआई के द्वारा मीटिंग 16 जुलाई, 2024 को की गई जिसमें निर्णय लिया गया. जैसा कि माननीय मंत्री जी ने अपने उत्तर में स्वीकार भी किया है कि ऐसे राज्य हैं जहां पर एक प्रतिशत के आधार पर मोश्चर गेन की वसूली की जा रही है. मेरा प्रश्न यह है कि क्यों न इसको एक नीतिगत निर्णय मानते हुए एक पॉलिसी मेटर बना लिया जाए और मध्यप्रदेश में भी जिस प्रकार से हरियाणा और राज्यों में एक प्रतिशत मॉश्चर गेन की वसूली की जा रही है उसी प्रकार से एक प्रतिशत मॉश्चर की वसूली की जानी चाहिए. क्योंकि यह जो एडिश्नल पाइंट फाइव परसेंट है यह सुनने में बहुत छोटा है लेकिन जब हम इसका केल्कूलेशन करेंगे तो बहुत बड़ा भार आता है.
अध्यक्ष महोदय, मेरा मंत्री जी से कहना है कि इसे मध्यप्रदेश में भी एक परसेंट करना चाहिए. साथ ही माननीय मंत्री जी इसका आश्वासन देंगे तो अच्छा लगेगा.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, पहले भारत सरकार का नियम था कि प्रतिवर्ष 30 जून के बाद गोदामों में भण्डारित गेहूं की मात्रा पर एक प्रतिशत गेन देना कम्पलसरी था. इसके लिए भारत सरकार ने एक एसओपी बनाई उसका जो पालन करेगा उसको एक प्रतिशत से भी कम गेन वहन करना होगा या यहां तक कहें कि बिलकुल भी वहन नहीं करना पड़ेगा. लेकिन एसओपी का जो पालन नहीं करेगा उसे 1.5 प्रतिशत गेन देना अनिवार्य है. यह भारत सरकार का नियम था. माननीय सदस्य ने अंग्रेजी में बहुत अच्छा समझाया. मैं माननीय सदस्य को समझाना चाहता हूँ कि हरियाणा के आदेश की बात जो उन्होंने कही. वहां पर 16 जुलाई, 2024 को भारतीय खाद्य निगम और भारत सरकार के अधिकारियों, कर्मचारियों की बैठक हुई और बैठक में सरकार ने निर्णय लिया. निर्णय के पहले ही उन्होंने भारत सरकार को भेज दिया कि इसमें एक प्रतिशत कर दिया जाए और वहां के आदेश के इंतजार के पहले ही हरियाणा सरकार ने एक प्रतिशत कर दिया. अकेले हरियाणा में यह किया गया. हमने भी हरियाणा सरकार का पत्र पढ़ा है, माननीय सदस्य ने जो पत्र पढ़ा वह हम पहले पढ़ चुके हैं. हरियाणा सरकार की भांति मध्यप्रदेश सरकार ने भी अध्यक्ष, भारतीय खाद्य निगम को गोदाम में रखे गेहूं का एक प्रतिशत गेन देने हेतु 30 सितम्बर, 2024 को पत्र लिखा है. जल्दी से जल्दी पत्र का वहां से रिप्लाई आएगा और आपका जो कहना है उस आधार पर हम निर्णय करेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय सदस्य दूसरा पूरक प्रश्न करेंगे. अभय जी, आप चिंता मत करें मैं आपको समय दूंगा. आपकी सूचना मेरे पास आ गई है.
श्री हेमंत सत्यदेव कटारे -- अध्यक्ष महोदय, इसमें एसओपी का उल्लेख माननीय मंत्री जी के द्वारा किया गया है. मेरे पास जो उत्तर आया है उसमें कोई भी एसओपी मुझे नहीं मिली है, तो यदि कोई ऐसी एसओपी है तो पहले उसे पटल पर उपलब्ध कराया जाए और यह जो एसओपी है इसकी आड़ में ही भ्रष्टाचार की बातें हो रही हैं. इस एसओपी की आड़ में ही अधिकारी लोग 20-20 परसेंट राशियां पेमेंट करने के लिये कई बार रोक लेते हैं. महत्पूर्ण बात यह है कि माननीय मंत्री जी ने पत्र लिखा, मैं उसके लिये उनको धन्यवाद भी देता हूं. अच्छी बात है. 30 सितम्बर 2024 को पत्र लिखा, लेकिन पत्र लिखने से ताली बजने का कोई औचित्य नहीं है. कुछ माननीय सदस्यों ने ताली बजाई. एक लाख पत्र हर विधायक साल भर में लिखता है. मैं समझता हूं कि उस पत्र का पालन हो जाए, तो हम भी ताली बजाएंगे. मैं मंत्री जी का स्वागत भी करूंगा. साथ ही दूसरा मेरा पूरक प्रश्न यह है कि जो भुगतान में विलंब है, यह जो वेयर हाउसिंग के मालिक हैं, एक सप्लाई चेन है, मैं इसको बताना चाहूंगा कि क्यों महत्वपूर्ण है. पूरी सप्लाई चेन है. पहले प्रोक्योरमेंट होगा, प्रोक्योरमेंट के बाद भंडारण होगा जो कि स्टोरेज होगा, उसके बाद यह अंतिम हितग्राही तक पहुंचेगा. जो भी वहां डीएसओ, जिला अधिकारी होंगे उनके माध्यम से पहुंचेगा, तो यह सप्लाई चेन का एक महत्वपूर्ण अंश है जहां वेयर हाउसिंग में स्टोरेज हो रहा है. यदि यह सप्लाई चेन ब्रेक होती है और ब्रेक इसलिये हो रही है क्योंकि दो-दो वर्षों से इनके भुगतान लंबित हैं. मैं उसके उदाहरण भी बता दूंगा यदि माननीय मंत्री जी चाहेंगे. यह सप्लाई चेन ब्रेक होगी तो पूरे प्रदेश के हालात बिगड़ सकते हैं. कल को एमपी वेयर हाउसिंग से उन मालिकों का भरोसा ही उठ जाएगा. वह देने से मना कर सकते हैं. या उनके बैंक लोन होंगे और अगर उनको एनपीए घोषित कर दिया जाए, तो यह महत्वपूर्ण विषय है इसलिये मैं माननीय मंत्री जी से आपके माध्यम से चाहूंगा कि वह आश्वासन दें कि इनके जो भुगतान पेंडिंग हैं डेढ़-डेढ़ दो दो वर्षों से उनका भुगतान कराया जाएगा. यदि वह चाहेंगे तो मैं कुछ नाम भी बता दूंगा कि किनके पेंडिंग हैं.
श्री गोविंद सिंह राजपूत -- अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो एसओपी की बात कही है मैं उसकी कॉपी उपलब्ध करा दूंगा और 16 जुलाई की बैठक का पत्र नहीं है, तो मैंने विधिवत् बैठक की थी उसका पत्र भी उपलब्ध करवा दूंगा. माननीय सदस्य ने जो भुगतान की बात की है, मैं कहना चाहूंगा कि प्रदेश में संचालित जो निजी गोदाम हैं गोदाम मालिकों की संयुक्त भागीदारी योजना होती है. ऑनलाइन प्रस्ताव देकर अनुबंध किया जाता है. यह माननीय सदस्य समझते हैं. अनुबंध में यह स्पष्ट लिखा है कि भंडारण शुल्क की राशि जमाकर्ता एजेंसी से वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन को प्राप्त होने पर ही भुगतान की जाएगी. वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन के पास जो पैसा आता है उसकी एजेंसी एफसीआई, नोफेड, एनसीसीएफ, नागरिक आपूर्ति निगम, मार्कफेड के द्वारा वेयर हाउसिंग को पैसा आता है और इसमें कभी-कभी विलंब भी हो जाता है. भारत सरकार से राशि प्राप्त होती है और जैसे ही राशि प्राप्त होती है हम निश्चित रूप से जिनका विलंब हुआ है उनका भुगतान कराएंगे. अगर पर्टिकुलर कोई गोदाम ऐसे हों आपको लगता है जहां आवश्यक है, नहीं हो पा रहा है, तो आप बता दें मैं उसको दिखवा लूंगा.
श्री हेमंत सत्यदेव कटारे -- अध्यक्ष महोदय, मेरे संज्ञान में जिला विदिशा के तीन वेयर हाउसिंग कोर्पोरेशन हैं जिनका मैं आपके माध्यम से अभी माननीय मंत्री जी से तत्काल आग्रह कर सकता हूं. एक है मंगला वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन.
अध्यक्ष महोदय -- हेमंत जी, अलग से उनको लिखकर दे देना. क्यों विधान सभा की प्रोसीडिंग में किसी वेयर हाउस मालिक का नाम उल्लेख हो.
श्री हेमंत सत्यदेव कटारे -- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने बोला है यदि हो तो उपलब्ध करवा दें, तो मैं उनका ही उत्तर दे रहा हूं. मालिक का नाम नहीं आ रहा है. सिर्फ कार्पोरेशन का नाम आ रहा है. उन्होंने आग्रह किया है तो मैं एक दो बता देता हूं और यदि मंत्री जी आश्वासन दे देंगे तो काम हो जाएगा. एक मंगला वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन है, दूसरा मेदांत वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन है और तीसरा मृत्युंजय वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन है, यह तीनों जिला विदिशा के हैं. यदि आप इनके पेमेंट के लिये आश्वासन दे देंगे तो मैं आपको धन्यवाद ज्ञापित करूंगा.
श्री अजय विश्नोई (पाटन) -- अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि इन्होंने कहा जैसे ही पैसा आता है उसका भुगतान कर दिया जाएगा. जैसे ही पैसा आता है भुगतान करने का, आज की तारीख में डिजिटल व्यवस्था क्यों नहीं हो सकती है. सब चीजें मेन्युअल बना ली हैं, जबकि दुनिया में हर चीज डिजिटल हो गई है, तो यह वेयर हाउस को जो किराये का भुगतान है वह डिजिटल हो जाएगा तो भ्रष्टाचार समाप्त हो जाएगा. एक के बाद एक बारी से जिसका नंबर आएगा, जिसका जितना भुगतान बनेगा उतना भुगतान आएगा तब उपलब्ध हो जाएगा. अभी दिक्कत यह है कि पिछले दो तीन साल से प्रयास तो जरूर चल रहा है परंतु डिजिटल किया नहीं गया, तो क्या माननीय मंत्री जी इस बात से आश्वस्त करेंगे कि वेयर हाउस के किराये का जो भुगतान होना है उन सबके डिजिटल पैरामीटर बन जाएंगे.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, डिजिटल की प्रक्रिया चल रही है, हम भी चाहते है कि जल्दी से जल्दी डिजिटलाइजेशन हो और इस समस्या का समाधान हो सके. माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि हमारे विधायक जी ने कहा है, मैं कहना चाहता हूं कि निजी गोदाम संचालको को किराया भुगतान की प्रक्रिया निरंतर जारी है. इस प्रक्रिया के तहत करीब करीब 6 हजार 500 निजी गोदाम संचालकों को भुगतान होता है. जैसा कि मैंने आपको बताया निजी गोदाम संचालको के लगभग 400 करोड़ के देयक के भुगतान अभी प्रक्रिया में हैं. 400 करोड़ की प्रक्रिया अभी चल रही है जिसको हम देने वाले हैं . अभी विगत 3 माह में गोदाम संचालको को 180 करोड़ रूपये का भुगतान किया भी है. आपने जो कहा है वह आप मुझे दे देना, उनका हम दिखवा लेंगे, जांच करवाकर जो भी संभव होगा हम मदद करेंगे. आप मुझे दे देना मैं कह रहा हूं कि मैं जांच करवाकर के आपकी कार्यवाही को सुगम करा दूंगा.
अध्यक्ष महोदय- अभय मिश्रा जी, एक प्रश्न कर लें.
श्री अभय मिश्रा (सेमरिया)-- ठीक है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि एफसीआई और मध्यप्रदेश वेयरहाउसिंग एण्ड लॉजिस्टिक कार्पोरेशन ने मिलकर एमटीसी कार्पोरेशन लिमिटेड, कार्पोरेशन के माध्यम से उसके अंदर कैप फायरिंग स्कीम 2019 में लागू की थी, यह थ्रीईयर गारंटेड स्कीम थी. और इसमें लगभग तीन चार एजेंसी थी, जैसे सुनीता दरियानी, अवंतिका, बागेश द्विवेदी, इस तरह की कई कंपनियां थी, इनका भुगतान क्यों नहीं किया गया, जबकि इनका प्रत्येक कंपनी का भुगतान 10 करो़ड़ से अधिक का लंबित है. यह सबसे ज्यादा इस समय ऩ़ॉन विवादित स्थिति में है, विभाग भी इन स्कीमों को लेकर के 17 हजार करोड़ रूपये जो कर्ज के रूप में है, उससे घाटे में है. लेकिन इसके बाद भी भुगतान नहीं हो पा रहा है तो मैं माननीय मंत्री जी से चाहता हूं कि अभी हमने जिन कंपनियों के नाम बताये हैं क्या उनका मंत्री जी परीक्षण करवा कर के भुगतान करेंगे यदि सत्य हो तो उनका भुगतान कर दिया जावे.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके कहने पर पहली बार भाई अभय मिश्रा जी ने गोल मोल जलेबी जैसा प्रश्न नहीं पूछा है, सीधा पूछा है, क्योंकि इनके प्रश्न बड़ी देर से पल्ले पड़ते हैं . आपने सीधा प्रश्न किया उसके लिये आपको बहुत बहुत धन्यवाद. अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य को बताना चाहता हूं कि आप निश्चिंत रहिये , आपने जो प्रश्न किया है, आपने जो जिज्ञासा जाहिर की है उसकी हम जांच करा लेंगे, और जांच कराने के बाद में जो भी संभव होगा आपको भुगतान कराने का प्रयास करेंगे.
समय 3.27 बजे अनुपस्थिति की अनुज्ञा
निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक-210-(राऊ) श्री महादेव वर्मा(मधु वर्मा) को विधानसभा के दिसम्बर, 2024 सत्र की बैठकों से अनुपस्थित रहने की अनुज्ञा
अध्यक्ष महोदय- निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक -210- राऊ के सदस्य, श्री महादेव वर्मा (मधु वर्मा) की ओर से मध्यप्रदेश विधानसभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियम 277(1) के अधीन आवेदन पत्र प्राप्त हुआ है जिसमें उन्होंने दिसम्बर,2024 सत्र में सभा की बैठकों से अनुपस्थित रहने की अनुज्ञा चाही है.
उनका निवेदन इस प्रकार है -
''मेरा स्वास्थ्य ठीक नहीं होने से डॉक्टर ने विश्राम का परामर्श दिया है, इस कारण मैं, विधानसभा सत्र दिसम्बर, 2024 में उपस्थित नहीं हो सकूंगा''.
क्या सदन की इच्छा है कि निर्वाचन क्षेत्र क्रमाक-210- राऊ के सदस्य, श्री महादेव वर्मा( मधु वर्मा) को इस सत्र की बैठकों से अनुपस्थित रहने की अनुज्ञा प्रदान की जाये ?
अनुज्ञा प्रदान की गई.
समय 3.28 बजे प्रतिवेदनों की प्रस्तुति
(1) याचिका एवं अभ्यावेदन समिति का याचिकाओं से संबंधित प्रथम,द्वितीय एवं कार्यान्वयन से संबंधित प्रथम, द्वितीय, तृतीय तथा अभ्यावेदनों से संबंधित इकतीसवां एवं बत्तीसवां प्रतिवेदन
श्री हरदिप सिंह डंग (सभापति) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं याचिका एवं अभ्यावेदन समिति का याचिकाओं से संबंधित प्रथम, द्वितीय एवं कार्यान्वयन से संबंधित प्रथम, द्वितीय, तृतीय तथा अभ्यावेदनों से संबंधित इकतीसवां एवं बत्तीसवां प्रतिवेदन प्रस्तुत करता हूं.
(2) प्राक्कलन समिति का प्रथम एवं द्वितीय कार्यान्वयन प्रतिवेदन
श्री अजय विश्नोई (सभापति) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, प्राक्कलन समिति का प्रथम एवं द्वितीय कार्यान्वयन प्रतिवेदन प्रस्तुत करता हूं.
(3) प्रश्न एवं संदर्भ समिति का प्रथम,द्वितीय कार्यान्वयन प्रतिवेदन
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह (सभापति) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रश्न एवं संदर्भ समिति का प्रथम, द्वितीय कार्यान्वयन प्रतिवेदन सदन में प्रस्तुत करता हूं.
(4) कृषि विकास समिति का प्रथम एवं तृतीय कार्यान्वयन प्रतिवेदन
श्री दिलीप सिंह परिहार (सभापति) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मै, कृषि विकास समिति का प्रथम एवं तृतीय कार्यान्वयन प्रतिवेदन प्रस्तुत करता हूं.
3.30 बजे
कार्यमंत्रणा समिति का प्रतिवेदन
अब इसके संबंध में उप मुख्यमंत्री, श्री राजेन्द्र शुक्ल प्रस्ताव करेंगे.
उप मुख्यमंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण (श्री राजेन्द्र शुक्ल)—
अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि
3.32 बजे
3.33 बजे याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय—आज की कार्य सूची में सम्मिलित सभी याचिकाएं प्रस्तुत की हुई मानी जायेंगी और जिन्होंने शून्यकाल की सूचना आज दी हैं, अन्त में वे सब लोग उपस्थित रहें. शून्यकाल की सूचना आज वह सदस्य पढ़ेंगे.
3.34 बजे शासकीय विधि विषयक कार्य
(1) मध्यप्रदेश जन विश्वास(उपबंधों का संशोधन) विधेयक, 2024 (क्रमांक 25 सन् 2024) का पुरःस्थापन.
(2) मध्यप्रदेश निजी विद्यालय (फीस तथा संबंधित विषयों का विनियमन) संशोधन विधेयक,2024 (क्रमांक 26 सन् 2024) का पुरःस्थापन.
(3) मध्यप्रदेश मां शारदा देवी मंदिर (संशोधन) विधेयक,2024 (क्रमांक 22 सन् 2024)
राज्यमंत्री, धार्मिक न्यास और धर्मस्व (श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी)—अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश मां शारदा देवी मंदिर (संशोधन) विधेयक,2024 पर विचार किया जाये.
अध्यक्ष महोदय—मंत्री जी, आप कुछ बोलना चाहते हैं.
राज्यमंत्री, धार्मिक न्यास और धर्मस्व (श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी)— अध्यक्ष महोदय, मां शारदा देवी मंदिर पूर्व में तहसील मैहर जिला सतना के अंतर्गत था, किन्तु 5 अक्टूबर,2023 को मध्यप्रदेश सरकार द्वारा मैहर को नवीन जिला गठित किया गया है, इस कारण से मां शारदा देवी मंदिर अधिनियम,2002 की धाराओं में संशोधन किया जाना आवश्यक है. मां शारदा देवी मंदिर अधिनियम,2002 में किये जाने वाले प्रमुख संशोधन इस प्रकार से हैं. इस विधेयक के माध्यम से वर्ष 2002 की जिन धाराओं में जिला ''सतना'' अभिप्रेत था उसके स्थान पर जिला-''मैहर'' किया जाना है. जिला न्यायालय सतना के स्थान पर सक्षम न्यायालय मैहर किया जाना है. भूमि अर्जन अधिनियम, 1894 के स्थान पर भूमि अर्जन पुनर्वास और पुनर्व्यस्थापन में उचित प्रतिकार और पारदर्शिता अधिकार अधिनियम, 2013 किया जाना है.
श्री बाला बच्चन(राजपुर)- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी के द्वारा मध्य प्रदेश मां शारदा देवी अधिनियम, 2002 में संशोधन किये जाने के लिये जो संशोधन विधेयक लाये हैं. इसमें मेरा माननीय मंत्री जी से आग्रह है कि एक तो आप जो बिन्दु क्रमांक- 3 की धारा-5 में जो संशोधन कर रहे हैं तो आपका पहले का जो मूल अधिनियम है उसमें समिति का उल्लेख था,लेकिन आप अब जो संशोधन करने जा रहे हो, इसमें कहीं भी समिति का उल्लेख नहीं है.
अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि पहले मुझे मालूम है कि 2002 में जो अधिनियम जो बना था उसमें अशासकीय सदस्यों को इसमें रखा गया था. लगभग 10 से 12 अशासकीय सदस्य थे, धीरे-धीरे करके उसकी संख्या 4 हो गयी और 4 के बाद शायद 1 ही बची है, तो मैं एक तो यह जानना चाहता हूं कि समिति में शासकीय और अशासकीय सदस्यों की कितनी संख्या है और क्या अशासकीय सदस्यों की संख्या समाप्त कर दी गयी है और यदि ऐसा कर रहे हैं तो यह मेरे हिसाब से बिल्कुल भी ठीक नहीं होगा. मेरे यहां राजपुर विधान सभा क्षेत्र ठीकरी में एक बहुत बड़ा साईं बाबा का मंदिर है. जैसे अशासकीय सदस्यों को निकाला गया तो उसके बाद ना तो तहसीलदार, एस.डी.एम. या कलेक्टर किसी के बस में वहां कोई व्यवस्था नहीं बची है. वहां पर जो भण्डारे होते थे,समय पर जो आरती और पूजापाठ होती थी, वह समाप्त हो गयी है. अब वहां पर धीरे-धीरे जो साधन थे और वहां पर जो पंखे थे वह भी सभी उखाड़ दिये गये. आपने इसमें यह कहा कि 5 अक्टूबर, 2023 को मैहर नया जिला बना, इस कारण से सतना की जगह मैहर किया गया. हर जगह इस संशोधन विधेयक में यह लिखा गया है, लेकिन मात्र इतना ही नहीं है, इसमें बहुत सारी बातों ने छिपाया है.
माननीय मंत्री जी आपकी जानकारी में यह है कि क्या समिति में अशासकीय सदस्यों को रखेंगे और दूसरा धारा-33 में आपने जो उल्लेख किया है कि धारा -33 में आप जो संशोधन चाहते हैं वह इसमें भूमि अर्जन से संबंधित है. इसकी प्रक्रिया से राज्य सरकार ने अपने आप को दूर कर लिया है.
माननीय मंत्री जी, इस संशोधन अधिनियम से तो आपके भी अधिकार भी खत्म हो जायेंगे. आपने भूमि अर्जन से संबंधित भी सारी प्रक्रिया को कलेक्टर स्तर पर छोड़ दिया है. आप इन दोनों चीजों पर ध्यान दें कि अशासकीय सदस्यों को समिति में रखेंगे या नहीं. क्योंकि जिन्होंने अभी तक मां शारदा के मंदिर की स्थापना की है और उसकी अभी तक जो देखरेख, जो पूजापाठ करते हैं उनको हटाने के बाद में क्या स्थिति बनी है. दूसरा जो भूमि अर्जन का जो मामला है वह कलेक्टर स्तर पर आप करेंगे तो कलेक्टर अपनी मनमानी करेंगे. मैं आपको बताना चाहता हूं कि आपने इसमें और भी जो बातें छिपायी हैं. आपने इसमें आपने लिखा है कि '' भूमि अर्जन पुर्नव्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता अधिकार अधिनियम, 2013'' स्थापित किया जाये. इसके मूल अधिनियम में आपने इसका उल्लेख क्यों नहीं किया गया है, जो मूल अधिनियम है उसमें तो आपने इसका कहीं पर उल्लेख नहीं किया है. हम कहां से यह जानकारी जुटायेंगे और कहां से हम इसको पढ़ेंगे. यह तो मैंने कैसे जानकारी निकाली, मैं इस बात को जानता हूं. इसका पहले आप उल्लेख करें कि आपने इसको मूल में क्यों नहीं डाला है उसके बाद कहां से यह मूल अधिनियम आपने इसमें नहीं रखा गया है और इसके उपबंध धारा-33 में इसका उल्लेख क्यों नहीं किया गया है. आपको खुद को इसकी जानकारी है कि जब कलेक्टर अपने लेवल पर भू-अर्जन की प्रक्रिया में कलेक्टर खुद अपने लेवल पर शामिल होगा तो उतना उसका निराकरण नहीं कर पायेंगे. राज्य सरकार खुद अपने अधिकारों को खत्म कर रही है. दूसरा समिति, जिसमें अशासकीय सदस्य होना चाहिेये, उनको आप क्यों वंचित कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - सभी सदस्यों से मेरा अनुरोध है कि इस बिल पर सिर्फ 15 मिनट का समय नियत है, उसको दृष्टिगत रखते हुए अपनी बात रखें.
श्री श्रीकांत चतुर्वेदी (मैहर) - अध्यक्ष महोदय, सबसे पहले प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी को धन्यवाद देना चाहूंगा. यह बात मैं इसलिए कह रहा हूं कि 1 वर्ष मैहर को जिला बने हुए हो गया है, उसमें एक त्रुटि थी कि उसके अध्यक्ष जो थे वह सतना कलेक्टर थे. मैहर कलेक्टर को अधिकार नहीं था. मैहर कलेक्टर वहां की अध्यक्ष नहीं थीं, इसलिए वहां का पूरा विकास रुका हुआ था. अब इस विधेयक के आने से मैहर की कलेक्टर उसकी अध्यक्ष हो गई. अभी जो माननीय सदस्य पूछ रहे थे उसके लिए मैं यह बताना चाहूंगा कि जो 4 प्राइवेट सदस्य होते हैं, वह 4 सदस्य रहेंगे, उसमें केवल यह बदला गया है कि कलेक्टर सतना की जगह कलेक्टर मैहर अध्यक्ष होंगी. उससे मैहर का विकास हो पाएगा, वहां सारी व्यवस्था हो पाएगी. मां शारदा लोक का गठन भी हो गया है, इसके कारण सारा काम रुका हुआ था, इसलिए यह विधेयक लाया गया है.
श्री फूल सिंह बरैया (भाण्डेर) - अध्यक्ष महोदय, यह शारदा देवी जो ट्रस्ट है. मैं यह जानना चाहता हूं कि इसमें जो सदस्य हैं शासकीय और अशासकीय, क्या इन सदस्यों में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोग शामिल हैं या नहीं हैं? अगर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोग इसमें शामिल नहीं हैं तो यह ट्रस्ट जो है वह संविधान के अनुसार सत्य नहीं है. यही नहीं अध्यक्ष महोदय, यह भी खुलासा करें कि धर्मस्व का मतलब केवल एक धर्म से ही नहीं है. हमारा भारत का संविधान जो बाबासाहेब ऑम्बेडकर ने बनाया, सेक्युलरिज्म उसमें दिया है. हमारी सेक्युलर कंट्री है तो सेक्युलर कंट्री में क्या सभी धर्मों के लिए यह प्रावधान है और उसका खुलासा भी करें.
श्री गौरव सिंह पारधी - बाबासाहेब ने जो प्रावधान बनाया था उसमें सेक्युलरिज्म शब्द नहीं था. बाद में उसको जोड़ा गया है यही मैं आपके ध्यान में लाना चाहूंगा.
श्री फूल सिंह बरैया - भारत के संविधान की जो आत्मा है वह सेक्युलरिज्म की है, अगर बाद में जोड़ा भी गया है तो सेक्युलरिज्म, आत्मा नहीं होती तो जुड़ता ही नहीं. पहले परिस्थिति थी, जब संविधान बनाया गया था 26 जनवरी, 1950 को जब संविधान सभा को सौंपा गया था. इस विषय पर भी डिस्कशन हुआ था.
डॉ. सीतासरन शर्मा (होशंगाबाद) - अध्यक्ष महोदय, मेरा पाईंट ऑफ आर्डर है. इस संशोधन में तो यह बात है ही नहीं. एक लाईन का संशोधन है. सतना की जगह मैहर किया जाय. इसमें कोई बात आई नहीं, आ ही नहीं रही है.
श्री सोहनलाल बाल्मीक- बाबासाहेब ऑम्बेडकर के बारे में बोल रहे हैं तो क्या शर्मा जी को बुरा लग रहा है?
डॉ. सीतासरन शर्मा - नहीं, ऐसा नहीं है. संदर्भ आए तो खूब बोलिए. बिना संदर्भ के कैसे बोलेंगे? विधान सभा तो नियम से चलेगी कि कहीं भी कुछ भी बोलेंगे.
श्री सोहनलाल बाल्मीक- अध्यक्ष महोदय, संविधान के बारे में नियम में बदलाव आता है तो कहीं न कहीं बाबासाहेब का नाम आएगा ही. इसमें डॉ. साहब को बुरा नहीं लगना चाहिए.
डॉ. सीतासरन शर्मा - माननीय, विधान सभा नियम से चलेगी. इसमें यह कहां से भर दिया.
अध्यक्ष महोदय - 15 मिनट हैं फिर आपके यहां के 3 सदस्य रह जाएंगे. मैं नहीं जानता. बरैया जी आप संक्षिप्त करें और किसी को बुरा नहीं लगेगा ऑम्बेडकर जी के नाम पर लेकिन विषय के अंतर्गत रहो.
श्री फूल सिंह बरैया - अध्यक्ष महोदय, विषय ही है. यह विषय से बाहर नहीं है. भारतीय संविधान विषय में नहीं है तो फिर विषय भी क्या है? पहले तो आप ही ने जब हम सब सदन में आए थे, संविधान की कापी आपने दी थी. क्या उस संविधान को हम आऊट करके रखें. जब संविधान सामने आता है तभी हम लोगों को मौका मिलता है. संविधान नहीं होता तो हम होते ही नहीं तो आप हमारे ऊपर टिप्पणी करते ही नहीं. हम तो जाने कहां होते? मैं यह कह रहा हूं कि अगर एक धर्म का अगर कोई ट्रस्ट है तो उस धर्म में सारे सदस्य सारे लोग जिनको आप हिन्दू कहते हैं वह शामिल होना चाहिए, मैं ऐसा मानता हूं हिन्दू या सनातनी.
अध्यक्ष महोदय - ठीक है आपकी बात आ गई.
श्री फूल सिंह बरैया - आ गई तो फिर उसके लिए जानकारी भी दी जाय. मैं चाहता हूं कि मंत्री जी जानकारी दें और संविधान का सम्मान भी करवाएं, यह भी मैं आपसे उम्मीद करता हूं. धन्यवाद.
डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह (अमरपाटन) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह जो मध्यप्रदेश मां शारदा देवी मंदिर (संशोधन) विधेयक, 2024 लाया गया है इसका बड़ा सीमित उद्देश्य है जो मैं समझ पा रहा हॅूं. एक तो मैहर नया जिला बन गया है उसमें मैहर और अमरपाटन दो विधानसभा क्षेत्र हैं. मैहर कलेक्टर पुर:स्थापित होना चाहिए. वह सही है. काम वैसे ही चलेगा और दूसरा उसके लिए भूमि या भवन जो आवश्यक होगा, उसके अधिग्रहण हेतु समिति अनुशंसा करेगी और राज्य सरकार अनुमति देगी. तत्पश्चात् वह सब वेस्ट हो जाएंगे. अधिग्रहण पश्चात् वेस्ट हो जाएंगे. मैं एक-दो सुझाव देना चाहता हॅूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी को मेरा सुझाव है कि इसमें श्री फूलसिंह बरैया जी ने कहा. वहां के माननीय विधायक जी ने इसका उल्लेख किया है कि 4 सदस्य जनप्रतिनिधियों के बीच से आएंगे, जनता के बीच से आएंगे, तो जो एक संशय था, तो इन्होंने दूर किया. उसको बढ़ाया भी जा सकता है और एसटी, एससी वर्ग के लोगों को भी उसमें शामिल किया जाना चाहिए, ऐसा मेरा सुझाव है. दूसरा मेरा सुझाव यह है कि नवीन जिले में दो ही विधानसभा क्षेत्र हैं. सारी सुविधाएं मैहर को ही दी जा रही हैं. मां शारदा का मंदिर वहां स्थित है. हालांकि अमरपाटन में हमारे घर से जब दिन बहुत साफ रहता है, तो ऊपर छत में बैठने पर त्रिकुट पर्वत पर मंदिर दिखाई देता है. उनकी शरण में हम लोग भी हैं. मैं कहना चाहता हॅूं कि जो सदस्य नॉमिनेट हों, उसमें अमरपाटन के लोगों को भी शामिल किया जाना चाहिए, ऐसी मेरी मांग है, ऐसा मेरा सुझाव है. दो ही क्षेत्र बचे हैं. पहले सतना जिले में 7 विधानसभा क्षेत्र थे, तो पहले थोड़ा-सा संभव नहीं था लेकिन अब किया जा सकता है, तो इस पर विचार किया जाए. यदि अभी नहीं कर सकते, तो आगे संशोधन ले आएं. अमरपाटन को भी उसमें शामिल किया जाए और तीसरा सुझाव यह है कि रोप-वे में सुधार की आवश्यकता है तो यह विषय उतना महत्वपूर्ण नहीं है लेकिन मैं जानकारी के लिए दिये देता हॅूं. आपने मुझे समय दिया, उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री कैलाश कुशवाह (पोहरी) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत-बहुत धन्यवाद. धर्मस्व विभाग के संबंध में मां शारदा देवी मंदिर (संशोधन) विधेयक की बात चल रही है तो मेरा निवेदन है कि हमारे जिले में भी धर्मस्व विभाग की काफी जमीनें हैं, पता नहीं किसमें कितनी जमीनें हैं, कितना पैसा आ रहा है. हमारे यहां मंदिरों के लिए ट्यूबवेल मांगा जाता है, मंदिरों की जो क्षति हुई है, उसके लिए काम मांगा जाता है तो मेरा यह निवेदन है कि धर्मस्व विभाग की जो जमीनें हैं, उसका हिसाब रखा जाए. सरकारी समिति बनायी जाए और उन पैसों को स्कूलों में लगाया जाए. आज भी कई स्कूलों में हमारे बच्चे जमीनों पर बैठ रहे हैं. स्कूलों में व्यवस्था नहीं है तो धर्मस्व विभाग की जमीनों का पैसा स्कूलों में लगाया जाए, यही मैं निवेदन करना चाहता हॅूं. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री विक्रम सिंह (अनुपस्थित)
श्री सोहनलाल बाल्मीक (परासिया) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मां शारदा देवी मंदिर विधेयक के संबंध में आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद. जैसा कि माननीय श्री बाला बच्चन जी ने जो बातें आगे बढ़ायीं हैं निश्चित रूप से संशोधन में जो त्रुटियां दिखाईं हैं और बिन्दुओं में जो त्रुटियां बतायी हैं सबसे पहले तो उसमें सुधार करना चाहिए और समिति के संबंध में जो बात कही है, उसको भी ध्यान में रखकर आगे बढ़ाना चाहिए. निश्चित रूप से पूरे मध्यप्रदेश के अंदर मां शारदा के लिए सबकी आस्था जुड़ी हुई है, भावना जुड़ी हुई है. कोई ऐसा फैसला इस सदन से न हो जाए, ताकि आने वाले समय में मंदिर के संधारण में या उसके संचालन में कोई दिक्कत हो या किसी विवाद की स्थिति निर्मित न हो. इसी बात को ध्यान में रखते हुए आगे संशोधन की कार्यवाही करनी चाहिए. मेरा आपसे यह भी आग्रह है कि मध्यप्रदेश के अंदर में ऐसे बहुत से मंदिर हैं जिनको शासन के द्वारा संचालित किया जाता है लेकिन उन मंदिरों का शासन द्वारा जिस तरह से संचालन होना चाहिए, देखरेख होनी चाहिए, वह नहीं हो पाती है. मेरे विधानसभा क्षेत्र में कुसमी हनुमान मंदिर है जिसको शासन संचालित करता है और शासन द्वारा संचालित करने के बाद में उसमें जो व्यवस्था बननी चाहिए, वह नहीं बन पा रही है. मैंने धर्मस्व न्यास विभाग को कई बार पत्र लिखकर दिया है कि शासन द्वारा संचालित जो मंदिर हैं, उसके जीर्णोंद्धार का भी काम होना चाहिए. कुसमी हनुमार मंदिर मेरे विधानसभा क्षेत्र का मंदिर है. वहां बहुत श्रद्धालु आते हैं. सबकी भावना एवं आस्था जुड़ी हुई है. आपके माध्यम से मैं धर्मस्व विभाग के माननीय मंत्री जी से निवेदन करता हूं कि उनके जीर्णोद्धार के लिये कोई न कोई राशि उपलब्ध करवाये ताकि उस मंदिर का जीर्णोद्धार हो सके तथा उसका संचालन शासन के द्वारा निर्धारित होकर के ठीक से चले यही मेरी आपसे प्रार्थना है.
श्री धर्मेन्द्र भावसिंह लोधी—माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत सारे प्रश्न माननीय सदस्यों द्वारा उठाये गये हैं. मूल रूप से अधिनियम में ज्यादा परिवर्तन नहीं हुआ है. केवल सतना की जगह पर मैहर किया गया है. बाकी जैसे समिति पहले होती थी चार सदस्यों की अशासकीय समिति आगे भी रहेगी उसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है. दूसरी बात माननीय सदस्य जी ने कही कि यह जो भूमि अर्जन अधिनियम पहले मूल अधिनियम 1894 का भू-अर्जन अधिनियम लागू था. लेकिन अब भारत सरकार की नई गाईड लाईन के अनुसार भूमि-अर्जन अधिनियम 2013 है . केवल यहां पर ही नहीं पूरे देश में भूमि-अर्जन प्रक्रिया लागू है. कलेक्टर उसमें सक्षम अधिकारी है. तो मुझे नहीं लगता है कि पूरे देश में जो नियम लागू है. उस नियम में कोई बदलाव करना चाहिये. हमारे माननीय सदस्य श्री फूल सिंह बरैय्या जी ने कहा कि समिति में एस.सी. एस. टी. एवं अन्य वर्ग के सदस्य भी हों तो मैं आपके माध्यम से बताना चाहता हूं कि सदस्यों को योग्यता के अनुसार समिति में शामिल किया जाता है. मंदिर के ट्रस्ट में आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है. उसमें यह भी नहीं है कि एस.सी.एस.टी. के व्यक्ति को बना नहीं सकते हैं. उसमें केवल एक बात है कि आरक्षण का प्रावधान नहीं है. जो व्यक्ति योग्य है, जनप्रतिनिधियों से बात करके वहां के स्थानीय लोगों से बात करके जो नाम आते हैं उन्हीं में अपन चयन करके यह सदस्य बनाते हैं.
श्री फूलसिंह बरैया---(xxx)
श्री राकेश सिंह—अध्यक्ष महोदय, इस तरह की टिप्पणियों को विलोपित किया जाना चाहिये. यह सामाजिक सौहार्द्र को बिगाड़ने वाली टिप्पणी है.
अध्यक्ष महोदय—इसको कार्यवाही से निकाल दें.
श्री फूल सिंह बरैया—एस.सी.एस.टी का नाम आते ही सामाजिक सौहार्द्र कैसे बिगड़ रहा है ?
डॉ.सीतासरन शर्मा—हमारे यहां पर मंदिरों में शेड्यूल कास्ट व अनुसूचित जाति वर्ग के सदस्य हैं. मैं उस मंदिर ट्रस्ट का अध्यक्ष हूं. माननीय बरैया जी को उस मंदिर के लिये निमंत्रण दे देंगे.
श्री फूलसिंह बरैया—(xxx)
अध्यक्ष महोदय—बरैया जी आप क्यों विषयान्तर हो रहे हैं. इसको भी कार्यवाही से निकाल दें.
श्री फूलसिंह बरैय्या—अध्यक्ष महोदय,उनको भी तो आप बताईये ना.
अध्यक्ष महोदय—यह इस विषय से संबंधित नहीं है.
श्री धर्मेन्द्र भावसिंह लोधी—माननीय अध्यक्ष महोदय,आरक्षण नहीं है इसका मतलब यह नहीं है कि एस.सी.एस.टी के लोगों को लिया नहीं जा सकता है.
अध्यक्ष महोदय—यह बात पहले भी कह चुके हैं.
श्री धर्मेन्द्र भावसिंह लोधी—माननीय अध्यक्ष महोदय, केवल आरक्षण के आधार पर लिया जाये तो मैं इस बात का समर्थक हूं कि बिना आरक्षण के भी लिया जाये तो यह अच्छी परम्परा जायेगी. तो अपन प्रयास करेंगे कि बिना आरक्षण के भी हम एस.सी.एस.टी.सदस्यों को देंगे.
डॉ.राजेन्द्र कुमार—अध्यक्ष महोदय, यह आश्वासन दे दें ना रखा जायेगा. यह प्रशासकीय निर्णय होगा और संशोधन लाकर के रखा जायेगा.
अध्यक्ष महोदय—उन्होंने बता तो दिया.
श्री धर्मेन्द्र भावसिंह लोधी—माननीय अध्यक्ष महोदय,बिना आरक्षण के भी हम एस.सी.एस.टी सदस्यों को देंगे.
श्री बाला बच्चन – माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी बात नहीं आई है. मैंने माननीय मंत्री जी से निवेदन किया था, जहां तक मेरी जानकारी है, उस समिति में केवल एक ही सदस्य है. दूसरी बात इसमें बताई गई है कि भूमि अर्जन के अतिरिक्त दूसरी जो तोषण की राशि दी जाएगी, उसका क्या परसेन्टेज रहेगा. अलग अलग खाते पर, खसरे पर मालिकों के अनुसार आज जो इससे संबंधित संशोधन विधेयक पूरे प्रदेश में लागू हो तो तोषण की राशि का परसेन्टेज क्या रहेगा, मैन भूमि अर्जन के अतिरिक्त, उसको भी स्पष्ट कर दें माननीय मंत्री जी.
अध्यक्ष महोदय – बच्चन जी उन्होंने कहा न कि चार सदस्य रहेंगे.
श्री बाला बच्चन – चार सदस्य इसके अलावा जो मेरी दूसरी बात थी, भूमि अर्जन के मुआवजे के अतिरिक्त दूसरी जो तोषण की राशि का बताया गया है, उसका क्या परसेन्टेज रहेगा. अलग अलग खातेदारों के हिसाब से क्योंकि आज जो संशोधन विधेयक आ रहा है वह तो पूरे देश के मंदिरों के लिए आ रहा है .
श्री मोहन सिंह राठौर – पहले से साढ़े नौ सौ हेक्टेयर जमीन पहले से है.
श्री बाला बच्चन – केवल आपके शारदा देवी मंदिर तक की बात नहीं है, मैं यह जानना चाहता हूं कि ये जो राज्य सरकार के अधिकारों को आप कलेक्टर लेवल तक खत्म करने जा रहे हैं तो पूरे प्रदेश में जो अलग अलग खातेदारों की तोषण की राशि का जो उल्लेख किया गया है वह भूमि अर्जन की राशि के अतिरिक्त उसका परसेन्टेज कैसे डिसाइड करेंगे, उसकी डेफिनेशन तो इस संशोधन विधेयक में है ही नहीं, कुछ भी नहीं दिया है.
अध्यक्ष महोदय –बच्चन जी, यह कोई विषय नहीं है ऑलरेडी उनके पास लैंड हैं.
श्री बाला बच्चन – लेकिन इसमें भी इन्होंने 1892 के आसपास जमीन का जो बताया है, तो ये पूरे मध्यप्रदेश में लागू होगा तो अलग अलग खातेदारों के अनुसार वह तोषण की राशि को कैसे डिसाइड करें, वह भी डिसाइड हो जाना चाहिए, एक स्पेसिफाइड फिगर यहां आ जाना चाहिए. उसकी डेफिनेशन हो जानी चाहिए.
अध्यक्ष महोदय - बच्चन जी मंत्री जी का जवाब आने दीजिए.
श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी - माननीय अध्यक्ष जी भू अर्जन अधिनियम प्रावधानों के अनुसार अनुदान दिया जाएगा और अध्यक्ष जी मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश मां शारदा देवी मंदिर (संशोधन) विधेयक 2024 पारित किया जाए.
श्री बाला बच्चन – अभी अध्यक्ष जी ने आपको बोला नहीं, आप पारित करने की बात कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय – प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश मां शारदा देवी मंदिर (संशोधन) विधेयक 2024 पर विचार किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अब विधेयक के खंडों पर विचार होगा.
अध्यक्ष महोदय – प्रश्न यह है कि खण्ड 2 से 5 विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2 से 5 विधेयक के अंग बने.
अध्यक्ष महोदय – प्रश्न यह है कि खंड 1 विधेयक का अंग बने.
खंड 1 विधेयक का अंग बना.
अध्यक्ष महोदय – प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
राज्य मंत्री, धार्मिक न्यास और धर्मस्व(श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी) –
अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश मां शारदा देवी मंदिर(संशोधन) विधेयक, 2024 पारित किया जाए.
अध्यक्ष महोदय – प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश मां शारदा देवी मंदिर(संशोधन) विधेयक, 2024 पारित किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
श्री भंवर सिंह शेखावत – अध्यक्ष जी, सुबह से प्रमुख लोग जो जवाबदार हैं ट्रेजरी बेंच पूरा खाली पड़ा हुआ है, जो जवाबदार लोग है कोई विधान सभा में आते ही नहीं है. इतना महत्वपूर्ण समय है, एक दो जवाबदार लोगों के ऊपर छोड़ दिया, प्रहलाद जी को बैठा दिया गया और पूरी ट्रेजरी बेंच खाली पड़ी है, ये क्या चला रहे हैं, प्रहलाद जी को मैं धन्यवाद देता हूं. आदरणीय उप मुख्यमंत्री जी विराजमान है, कहां है, सब लोग. क्यों इस संदन को गंभीरता से लेते नहीं हैं.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री प्रहलाद सिंह पटेल) – अध्यक्ष जी, संसदीय परम्परा में अगर एक कैबिनेट मिनिस्टर भी रहता है तो उपस्थिति मान ली जाती है, परम्परा है. 8 से 10 तो कैबिनेट मिनिस्टर बैठे हुए हैं, आप ऐसी बात मत लाइए.
श्री भंवर सिंह शेखावत -- माननीय मुख्यमंत्री जैसा व्यक्त्िा सुबह से लेकर शाम तक सदन में उपस्थित न रहे.
खाद्य,नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री (श्री गोविंद सिंह राजपूत) -- शेखावत जी आपकी नजर नहीं जा रही है, आपके पड़ोस में भाजपा ही भाजपा है.
श्री भंवर सिंह शेखावत -- हमारी उपस्थिति पूरी है.
श्री हरिसिंह खटीक -- शेखावत जी आप भी आ जाईये और बैठिये यहां पर.
अध्यक्ष महोदय -- श्री भंवर सिंह जी कुल मिलाकर यह है कि आप बहुत सीनियर और अनुभवी सदस्य हैं और आपको पहले से भी और लंच के बाद विधानसभा में हमेशा बैठने का अनुभव रहा है तो आपको लगता था कि थोड़ी बहुत किसी को झपकी आ रही है, तो उसको ठीक करने की जरूरत है.
श्री भंवर सिंह शेखावत -- अध्यक्ष महोदय, पूरी ट्रेजरी बैंच खाली है.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, अभी वित्तमंत्री जी थे, उपमुख्यमंत्री अभी बैठे हैं और आज हम सबके लिये भी निश्चित रूप से प्रसन्नता की बात है कि मुख्यमंत्री जी जयपुर में हैं, क्योंकि आज कालीसिंध, पार्वती और चंबल तीनों नदियों को जोड़ने का जो 72 हजार करोड़ रूपये का प्रोजेक्ट है, वह आज साईन हो रहा है. (मेजों की थपथपाहट) वहां पर प्रधानमंत्री जी उपस्थित हैं. मैं समझता हूं कि मध्यप्रदेश के लिये, विधानसभा के लिये आज जन्मदिन का एक तौर से अवसर है और एक बड़ी सौगात मिल रही है, यह हमारे लिये निश्चित रूप से प्रसन्नता की बात है.
(4) मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय विधि संशोधन विधेयक, 2024 (क्रमांक 27 सन् 2024)
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री इन्दर सिंह परमार) -- अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय विधि संशोधन विधेयक, 2024 पर विचार किया जाय.
अध्यक्ष महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
डॉ.हीरालाल अलावा(मनावर)-- आदरणीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपका धन्यवाद प्रकट करता हूं. मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय विधि संशोधन विधेयक, 2024 के बिंदु क्रमांक-2 के उप खण्ड-1 और 2 में जहां पर कुलपति और वाईस चांसलर के स्थान पर कुल गुरू रखने के लिये संशोधन लाया गया है. मैं ऐसा मानता हूं कि इस संशोधन के माध्यम से हम प्राचीन भारत की गौरवशाली इतिहास को दोहराने के साथ, गौरवशाली पंरपराओं और गौरवशाली संस्कृति को दोहराने का एक अभूतपूर्व प्रयास करने जा रहे हैं. कुल गुरू जो शब्द है, वैसे तो गुरूओं की महिमा प्राचीन भारत के ऐतिहासिक ग्रंथों में जैसे ऋग्वेद, यजुर्वेद और महाभारत काल में इनका जिक्र आता है, हमारे मध्यप्रदेश की धरती सांदीपनी ऋषि के नाम से भी जानी जाती है, जिनसे भगवान श्री कृष्ण ने शिक्षा ग्रहण की थी और भगवान श्री कृष्ण को सिर्फ भारत देश ही नहीं पूरी दुनिया में भगवान के रूप में पूजा जाता है, लेकिन कुल गुरू में प्राचीन भारत के इतिहास में महाभारत में गुरू द्रोणाचार्य का भी वर्णन मिलता है, जैसा कि कुल गुरू शब्द में कुल गुरू की जो भूमिका है, कुल या परिवार के सदस्यों को शिक्षा देना, धार्मिक कार्यों को बढ़ावा देना और साथ ही सामाजिक सलाहकार के रूप में भूमिका निभाना.
अध्यक्ष महोदय, सवाल यहां पर यह खड़ा होता है कि जो नाम हम देने जा रह हैं, कुल गुरू अब वह कुल गुरू में कुल किसको मानेंगे, क्योंकि प्राचीन भारत में गुरू द्रोणाचार्य का इतिहास रहा है कि उन्होंने जाति के आधार पर वीर धनुर्धारी प्रतिभाशाली एकलव्य का अगूंठा काटा और उस इतिहास को भुलाया नहीं जाता है और मुझे अफसोस के साथ कहना पड़ता है कि भारत सरकार आज भी एकलव्य वीर महाधनुर्धारी विश्वविख्यात वह एकलव्य जो प्रतिभाशाली थे, उनका अगूंठा काटने के बाद आज भी उस ऐतिहासिक अन्याय को दोहराते हुए गुरू द्रोणाचार्य के नाम का अवार्ड दिया जाता है. मैं इसका विरोध करता हूं और इस पर मध्यप्रदेश में बंद होना चाहिये, साथ ही कुलगुरू जो गुरू द्रोणाचार्य ने जिस प्रकार एक प्रतिभाशाली भील जनजाति के युवा का षड़यंत्रपूर्वक अंगूठा काटा था, आज इस नाम से मुझे इस बात का भी डर है कि उस प्राचीन भारत, उस गौरवशाली भारत के इतिहास को दोहराने के साथ-साथ उन कुल गुरूओं के भीतर गुरू द्रोणाचार्य की आत्मा न घुस जाये, अगर घुस जाती है तो हमारे आज भी एससी, एसटी वर्ग के एकलव्य का अंगूठा काटा जायेगा, यह डर मेरे अंदर ही नहीं है....
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल-- हिरालाल जी इसको वाल्मीकि गुरूदेव वाल्मीकि भगवान के नाम से भी आप समझ सकते हैं, जाकी रही भावना जैसी.
डॉ. हिरालाल अलावा-- आप पहले मेरी बात को सुन लीजिये उसके बाद अपना जवाब दीजियेगा. यह डर सिर्फ हिरालाल अलावा के अंदर नहीं है यह डर पूरे मध्यप्रदेश के एससी एसटी वर्ग के अंदर है जिनका आज भी अंगूठा काटा जाता है. मैं एक उदाहरण के तौर पर आपको बताना चाहता हूं, 2-3 दिन पहले....
अध्यक्ष महोदय-- अलावा जी, थोड़ा संक्षेप में करना पड़ेगा, इसके लिये 15 मिनट हैं और आपके यहां से 5 लोग बोलने वाले हैं.
डॉ. हिरालाल अलावा-- मैं बहुत संक्षेप में बात करूंगा, आपका सहयोग, आशीर्वाद रहे. अभी जेल प्रहरी का परिणाम आया, राजा भैया प्रजापति जो सतना जिले के छात्र हैं उनका नॉर्मलाइजेशन पद्धति से परीक्षा में टोटल 100 में से 101 नंबर आये यह कैसे हो सकता है अध्यक्ष महोदय कि 100 नंबर का पूर्णांक है और 101 नंबर, यह नॉर्मलाइजेशन पद्धति मध्य प्रदेश में बंद होना चाहिये क्योंकि यहां पर एक गुरू द्रोणाचार्य बैठे हुये हैं जो प्रतिभाशाली छात्र छात्राओं का अंगूठा काट रहे हैं. आज मध्यप्रदेश में परीक्षाओं के सेंटर यहां के छात्र छात्राओं को, धार जिले के छात्र को परीक्षा सेंटर मिलता है सीधी जिले में, धार जिले के छात्र को मिलता है यूपी, बिहार अलग-अलग राज्यों में. अध्यक्ष महोदय गरीब वर्ग के छात्र, छात्रा इतनी दूर कैसे सफर करेंगे. जब सरकार वन नेशन वन इलेक्शन की बात करती है तो वन सब्जेक्ट और वन डे परीक्षा क्यों नहीं हो सकती है, इस पर हमको विचार करना चाहिये. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक और महत्वपूर्ण संज्ञान आपके नॉलेज में लाना चाहता हूं यह इसलिये महत्वपूर्ण है क्योंकि कुलगुरू की बात हुई, कुलगुरू से गुरू द्रोणाचार्य याद आया और गुरू द्रोणाचार्य से हमारे एकलव्य का अंगूठा काटा जा रहा है उस इतिहास को मैं याद करके आपको बताना चाह रहा हूं. अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में अभी ज्यूडिशियरी के एग्जाम वर्ष 2021-22 में हुये, 160 बैकलॉग के पद थे सिविल जज के एक भी आदिवासी स्टूडेंट को इंटरव्यू में सिलेक्शन नहीं किया गया, उनको 20 अंकों में से 15 अंक दिये गये और ....
डॉ. चिन्तामणि मालवीय-- अध्यक्ष महोदय, मुझे लगता है माननीय सदस्य भ्रमित करने का काम कर रहे हैं, मिस इंटरप्रिटेशन कर रहे हैं .... (व्यवधान).... जो पौराणिक सत्य है उसको गलत रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं. .... (व्यवधान)....
श्री अम्बरीश शर्मा ''गुड्डू''-- माननीय अध्यक्ष महोदय अंगूठा तो इन्होंने काटा था 450 प्रति शिक्षक को देकर. .... (व्यवधान)....
डॉ. चिन्तामणि मालवीय-- माननीय अध्यक्ष महोदय एकलव्य सेनापति के पुत्र थे .... (व्यवधान).... यह समाज में फिर से विभाजन डालने का काम जो कि कांग्रेस की सोची समझी रणनीति है .... (व्यवधान).... आप बिल का विरोध कीजिये, लेकिन किसी भी पौराणिक तथ्य को संदर्भ विहीन प्रस्तुत करना एक चीज को दूसरे से जोड़ना यह गलत परंपरा है और जिसका प्रमाण नहीं दे सकते उसको नहीं बोलना चाहिये. .... (व्यवधान)....
डॉ. हिरालाल अलावा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा अनुरोध है कि एससी, एसटी वर्ग के लोगों के साथ जो भेदभाव किया जा रहा है, संवैधानिक व्यवस्था की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं आपके माध्यम से हमें संरक्षण चाहिये, हम विधान सभा में पक्ष नहीं रखेंगे तो कहां रखेंगे, आप तक हमारी बात नहीं पहुंच रही है, हमारे विधायक साथी अपना दर्द कहां सुनायेंगे अध्यक्ष महोदय तो कम से कम इसीलिये हम विधान सभा में चुनकर आये हैं कि हम अपनी बात रखें, अपना दर्द बतायें ताकि संवैधानिक व्यवस्था हमारे लोगों के साथ न्याय करे. माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत-बहुत धन्यवाद, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, धन्यवाद.
श्री दिनेश जैन "बोस"(महिदपुर) - माननीय अध्यक्ष महोदय,इस विधेयक के अंदर यह संशोधन किया गया है कि वाईस चांसलर के स्थान पर कुलगुरू नाम रखा जाए. मैं इसका समर्थन भी करता हूं और धन्यवाद भी देता हूं लेकिन इसके साथ-साथ मैं आज की समस्याओं को उठाना चाहता हूं कि जो विश्वविद्यालय हैं,विद्यालय हैं,महाविद्यालय हैं लेकिन प्रोफेसर नहीं हैं स्ट्रक्चर्स नहीं हैं फैकल्टीज नहीं है. स्कूलों में चले जाओ तो शिक्षक नहीं है इस पूरे ढांचे को सुधारने की जरूरत है. हमारे हिन्दुस्तान का भविष्य वहां पढ़ता है लेकिन कोई प्रोफेशनल कोर्सेस नहीं हैं.हर जगह प्रोफेसर्स की कमी है. पूरा एजुकेशन का स्तर चरमरा चुका है. मैं चाहता हूं कि यह नाम बदलना जरूरी है लेकिन इसके साथ-साथ पूरे विषय को भी बदलना जरूरी है. देश का भविष्य वहां पढ़ता है. मेरे महिदपुर में देखा जाए वहां कालेज हैं लेकिन प्रोफेसर नहीं हैं. स्कूल हैं लेकिन शिक्षक नहीं हैं और जो शिक्षक वहां पर शिक्षा दे रहे हैं दसवीं,बारहवीं पढ़ा रहे हैं वह शिक्षक गेस्ट टीचर्स के रूप में दसवीं,बारहवीं पास हैं वह उनको पढ़ा रहे हैं इस पूरे ढांचे को बदलने की जरूरत है.
श्री बाला बच्चन(राजपुर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय विधि संशोधन विधेयक,2024 माननीय मंत्री लेकर आए हैं. प्रदेश में यह केवल 5 कालेजों के लिये लाये हैं. केवल 5 कालेजेज का उल्लेख है विधेयक को पढ़कर समझ आता है. आप माननीय मंत्री जी तकनीकी शिक्षा मंत्री भी हैं. आपके उन विश्वविद्यालयों का क्या होगा उसके बाद निजी विश्वविद्यालयों के लिये भी आपने इसमें कुछ नहीं किया है और क्या पदनाम परिवर्तन करने से प्रदेश में बेरोजगारों का जो प्लेसमेंट होना चाहिये उसके लिये आपके पास कोई पालिसी या विजन है. परीक्षा होती है उसमें कई बार टाईम टेबल में परिवर्तन करना पड़ता है. रिजल्ट को बदलना पड़ता है उसके बाद अभी भी आपको बताना चाहता हूं कि एससी,एसटी और ओबीसी के विद्यार्थियों को स्कालरशिप 2 साल से अभी तक नहीं मिली है और उसके अलावा उनका आवास भत्ता भी उनको नहीं मिला है तो क्या पदनाम परिवर्तन करने से प्रदेश के स्टूडेंट्स की समस्याओं का समाधान हो पाएगा और पूरे प्रदेश के निजी विश्वविद्यालय और तकनीकी शिक्षा के विश्वविद्यालयों के लिये भी क्यों नहीं किया गया है. आप सिर्फ 5 विश्वविद्यालयों के लिये इसे लाये हैं और कितनी बार एक एक,दो-दो विश्वविद्यालय के लिये लाएंगे क्या. इसको आप स्पष्ट करें कि ऐसा आप क्यों कर रहे हैं.
डॉ.रामकिशोर दोगने(हरदा) - माननीय अध्यक्ष महोदय,मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय विधि संशोधन विधेयक,2024 जो आया है निश्चित ही नाम परिवर्तन हो रहा है ठीक है उसके लिये दिक्कत भी नहीं होनी चाहिये परंतु जो परिस्थितियां हैं जैसे अभी बाला बच्चन जी ने कहा कि यह 5 विश्विद्यालयों के लिये लाया जा रहा है तो इसे प्रदेश के विश्वविद्यालयों के लिये लाना चाहिये प्रायवेट हो या निजी हो सभी के लिये आना चाहिये इसके साथ ही नाम परिवर्तन से व्यवस्था परिवर्तन नहीं होती है. हमारा निवेदन आपसे यह है कि प्रोफेसर नहीं हैं,व्यवस्था नहीं हो रही. स्कालरशिप नहीं मिल रही है. बच्चों को बैठने की सुविधा नहीं है. बिल्डिंग नहीं है. हमारे हरदा में लॉ कॉलेज स्वीकृत है. राशि स्वीकृत है लेकिन जमीन अलाट न होने से वह कालेज पड़ा है. खिरकिया में लॉ कॉलेज सेंग्शन है. जमीन अलाट करा दी तो बिल्डिंग नहीं बन रही है तो यह व्यवस्थाएं जब तक ठीक नहीं होंगी तब तक इसका महत्व नहीं रहेगा. कुलगुरु हो या कुलपति हो नाम बदलने से कुछ नहीं होगा इनकी व्यवस्थाएं सुधारें तो ज्यादा अच्छा रहेगा. प्रदेश में कई कालेज ऐसे हैं जहां व्यवस्थाएं नहीं हैं. व्यवस्थाएं बनाएं. प्रोफेसर भर्ती करें और प्रोफेसरों के पद पर भी संविदा भर्ती करके पढ़ाई करवाई जा रही है जिससे क्वालिटी एजुकेशन नहीं मिल पा रही है तो अच्छी एजुकेशन देना है तो पीएससी से भर्ती कीजिये.जिससे अच्छी शिक्षा मिले क्योंकि शिक्षा रूपी चाबी सभी तालों में लगती है. आप किसी क्षेत्र में जाएं. चाहे एजुकेशन के क्षेत्र में जाएं चाहें प्रशासनिक व्यवस्था के क्षेत्र में जाएं चाहे व्यावसायिक व्यवस्था के क्षेत्र में जाएं चाहे यहां विधायक बनने के लिये आएं यदि शिक्षा अच्छी होगी तो उसका लाभ निश्चित ही सबको मिलेगा इसलिये शिक्षा में सबसे ज्यादा बजट भी होना चाहिये और शिक्षा पर विशेष ध्यान देना चाहिये. चर्चा भी होनी चाहिये और उसका महत्व निकलना चाहिये धन्यवाद.
श्री ओमकार सिंह मरकाम(डिण्डौरी) - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी की जो भावना है कि कुलपति की जगह कुलगुरु किया जाए. हमारे देश की विरासत की जो अनमोल धरोहर है उनका स्मरण तो सत्ता पक्ष के लोग तो बहादुरी से करते हैं लेकिन अपने आचरण में कभी प्रदर्शित नहीं करते. आज कुलगुरु निश्चित रूप से हमारे देश की संस्कृति की धरोहर है.स्वामी विवेकानन्द जी ने जब अमेरिका में जाकर हमारी संस्कृति पर व्याख्यान दिया था तो हमारे देश की संस्कृति की गरिमा विश्व में सर्वविदित स्वीकार की गई. माननीय मंत्री जी, आप कुलगुरु कहना चाह रहे हैं, मैं आपसे सिर्फ इतना अनुरोध करना चाहूँगा कि कुलगुरु की गरिमा को बनाए भी रखना है. वर्तमान समय की बात मैं कहना चाहूँगा कि मैं कॉलेज गया था और बी.एससी. सेकंड ईयर की क्लास में मैंने जाकर देखा कि 273 बच्चे हैं और उस हाल के बैठने की कुल कैपेसिटी 60 बच्चों की थी. एडमिशन 273 बच्चों का हो गया. मैंने सिलेबस मांगा कि किस चैप्टर की पढ़ाई चल रही है. शिक्षा नीति, 2020 का सिलेबस है. बच्चों के पास पुस्तक नहीं है. आपकी लाइब्रेरी में पुस्तक नहीं है. मैंने सोचा कि लाइब्रेरी जाकर देखें तो लाइब्रेरी में पुस्तक नहीं है. 2020 की शिक्षा नीति पर सिलेबस पढ़ाया जा रहा है, लेकिन बच्चों के पास पुस्तक नहीं हैं. फिर मैं गया, मैंने कहा कि हमारे डिण्डौरी में कितनी क्लास लगनी चाहिए, 54 क्लासों के लिए एडमिशन हुआ है और ऑन द स्पॉट मात्र 6 क्लासें लग रही हैं. मैंने पूछा कि भई, ऐसा क्यों, तो बताया गया कि जो प्रोफेसर हैं, उनको परीक्षा भी लेना है और क्लास भी लेना है तो उस समय या तो वे अंतर्यामी बन जाएं या जैसा कि फिल्मों में डबल रोल होता है, वैसा हो जाए कि वे परीक्षा भी लें और क्लास भी ले लें. कुलगुरु, माननीय, हमारी संस्कृति पर हमें गर्व है. हमारे भगवान राम पर भी हमें गर्व है. पर भगवान राम के आदर्शों पर भी तो चलना पड़ेगा कि भगवान राम के आदर्श क्या थे. भगवान राम ने किस तरह से हमें जीवन के लिए शिक्षा दी. भगवान राम के आदर्शों पर हम चल नहीं पाते और उसकी चादर ओढ़ लेते हैं. मैं कहना चाहता हूँ कि गुलगुरु की मान, मर्यादा, कुलगुरु का सम्मान, कुलगुरु की गरीमा पर भी आपको ध्यान देना होगा. माननीय मंत्री जी, आपके जो महाविद्यालय हैं, मैं उनके बारे में जानना चाहता हूँ. माननीय अध्यक्ष जी, मैं एक अनुरोध करना चाहता हूँ कि मुझे पूरा गर्व है कि कुलगुरु से जो लोग जुड़ते थे और जो उस समय के वहां के विद्यार्थी थे, उनमें प्रमाण था कि उनके अंदर कोई अवगुण नहीं आ सकते. मैं पूछना चाहता हूँ कि आपके महाविद्यालय से जो बच्चे डिग्री लेकर निकल रहे हैं, क्या उनके अंदर मानवीय गुण भी हैं. क्या नशे के कारण उनका जो चरित्र दिखता है, सार्वजनिक जीवन में उनके जो हालात दिखते हैं, क्या आप कह सकते हैं कि वे माता का सम्मान कर रहे हैं, पिता का सम्मान कर रहे हैं. बड़ों का सम्मान कर रहे हैं, क्या उनको अपने जीवन के लिए अनुभव है ?
अध्यक्ष महोदय -- मरकाम जी, कृपया समाप्त करें.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक मिनट का समय देने का अनुरोध है, यदि आप अनुमति दें.
अध्यक्ष महोदय -- ठीक है. एक मिनट में कनक्लूड करें.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- अध्यक्ष महोदय, उच्च शिक्षा मंत्री जी, यह बात अलग है कि आप उच्च शिक्षा मंत्री के जिम्मेदार पद पर हैं. इससे पहले आप जिम्मेदार हैं, इस देश की संस्कृति को सरंक्षित करने के लिए आपने प्रशिक्षण भी लिया है. आत्मसात करिए. मेरा अनुरोध है कि कुलगुरु नाम आप स्थापित करें, पर उसका सम्मान बनाए रखने की भी आज आप गारंटी लें कि आपके महाविद्यालय के विद्यार्थियों में वही गुण आने चाहिए कि कुलगुरु जहां होते थे, वहां पर किस तरह की शिक्षा की पद्धति बच्चों के साथ होती थी. वही आचरण भी होना चाहिए. एक और अनुरोध जरूर करूंगा कि गुरु जो भी हों, उनके पास निष्पक्षता होनी चाहिए. हमें दर्द आज भी होता है, जब हम एकलव्य जी की जीवनी का अध्ययन करते हैं. जब हम आम्बेडकर जी की जीवनी का अध्ययन करते हैं. अरे, हम भी इंसान हैं साहब, पूछ करके कोई जन्म नहीं लेता कि किसको कहां जन्म लेना है. अगर हमने जन्म ले लिया तो जन्म पर आधारित हमारी विद्वता को क्यों, आज आप सबके बीच हम भी सदन में कहते हैं, पर हमारी परिभाषा कर दी जाती है कि आदिवासी नेता हैं. अरे भई, क्या हम इंसान नहीं हैं. क्या हमारे अंदर संस्कृति नहीं है.
अध्यक्ष महोदय -- मरकाम जी, पूरा करें, एक मिनट का समय हो गया है.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- अध्यक्ष महोदय, मेरा सिर्फ अनुरोध यह है कि भारतीय जनता पार्टी इस समय विरासत को सहेजने की बात करती है. जिम्मेदारी से बात करती है, हम धन्यवाद देते हैं, (XXX)...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- यह रिकार्ड में नहीं आएगा. ....(व्यवधान)...
श्री दिलीप सिंह परिहार - (XXX) (..व्यवधान)
(पक्ष एवं विपक्ष के कई माननीय सदस्यगण अपने-अपने स्थान पर खड़े होकर बोलने लगे.)
(..व्यवधान..)
लोक निर्माण मंत्री (श्री राकेश सिंह) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आग्रह माननीय सदस्य से यह है कि यह सदन चर्चा के लिए है, इन्हें अपनी बात रखने का अधिकार है. लेकिन सदन में चर्चा का स्तर क्या हो, यह भी निर्धारित करना पड़ेगा. .... (..व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय - आप लोग बैठ जाइये. कृपया सब लोग बैठ जाइये. मरकाम जी, आप बैठ जाइये. प्लीज, बैठ जाइये.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - (XXX) (..व्यवधान)
श्री दिलीप सिंह परिहार - (XXX)
श्री शैलेन्द्र जैन - (XXX)
श्री पंकज उपाध्याय - (XXX)
अध्यक्ष महोदय - ओमकार सिंह जी और आप लोग सब प्लीज बैठ जाइये.
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री इन्दर सिंह परमार) - (XXX)
(..व्यवधान..)
श्री ओमकार सिंह मरकाम - (XXX) (..व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - यह सब चर्चा रिकॉर्ड में नहीं आयेगी. (...व्यवधान..) सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित.
(4.22 बजे सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित की गई.)
04.28 बजे
विधान सभा पुन: समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए.}
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री प्रहलाद सिंह पटैल)- अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है, मैं, कोई उलझाने वाली बात नहीं करना चाहता परंतु मेरा आपसे विनम्रतापूर्वक एक आग्रह है कि हम सभी, अभी सिद्धांतों, नीति और आचरण की चर्चा कर रहे थे लेकिन अंत में हम स्लिप हो जाते हैं और फिर ऐसी परिस्थतियां बनती हैं. मेरा दोनों सदस्यों से आग्रह है और ईमानदारी की बात तो यह है कि माननीय सदस्य को यहां खड़े होकर अपने शब्द वापस लेने चाहिए. यदि हम चाहते हैं कि सदन की मर्यादा बनी रहे तो हमें ये शब्द वापस लेने चाहिए.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)- माननीय अध्यक्ष महोदय, फिर मंत्री जी और सदस्य दोनों ही अपने शब्द वापस लें.
अध्यक्ष महोदय- सदन में दोनों पक्षों ने जो बोला है, मैंने उस पूरी की पूरी कार्यवाही को विलोपित करवा दिया है, हटवा दिया है. कुछ भी रिकॉर्ड में नहीं आयेगा. राजन जी, आप शेष रह गए हैं, आप अपनी बात केवल एक मिनट में पूरी करें, उसके बाद मैं मंत्री जी को बुला लूंगा.
श्री राजन मण्डलोई (बड़वानी)--माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे इस बिल पर चर्चा के लिए समय दिया उसके लिए धन्यवाद. यह जो उपरोक्त पांच महाविद्यालयों हैं जिसमें सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक एवं साहित्यिक शिक्षा दी जाती है. इसमें कुलपति की जगह कुलगुरू हो इस नाम से ज्यादा कोई फर्क नहीं पड़ता है. फर्क इस बात से पड़ेगा कि इन विश्वविद्यालयों के अंदर जो प्राध्यापक हैं, जो विद्यार्थी हैं उनको पूरी सुविधा मिले, क्योंकि अधिकांश विश्वविद्यालयों में यह स्थिति है कि वहां पर पढ़ाने के लिए प्रोफेसर नहीं हैं और वहां जो छात्र आते हैं जो गरीब, पिछड़े, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के छात्र हैं इनका प्रवेश निश्चित किया जाए. सबसे बड़ी बात यह है कि जो कुलपति हैं वह एक तरह से विश्वविद्यालय का मेनेजमेंट देखते हैं वह वहां पढ़ाने का काम नहीं करते हैं. विश्वविद्यालय के अंदर जो एग्जीक्यूटिव काउंसिल होती है. वह इस काउंसिल का हेड होता है और एग्जीक्यूटिव काउंसिल में भी वहां क्या हो रहा है, विश्वविद्यालय के अंदर क्या कमी है वह निर्णय विश्वविद्यालय की सुप्रीम काउंसिल ही करती है. वहां विधान सभा के सदस्य भी होना चाहिए साथ में मैं यह कहना चहता हूं कि विश्वविद्यालय के अंदर जो स्वाध्यायी छात्र हैं उनको पीएचडी की डिग्री बहुत लंबे समय के बाद मिलती है तो यह भी सुनिश्चित होना चाहिए कि डिग्री सही मिले. मेरा कहने का अर्थ यह है कि नाम परिवर्तन से कुछ नहीं होगा व्यापक स्तर पर विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले बच्चे और पढ़ाने वाले शिक्षकों की भी सुचारू व्यवस्था होनी चाहिए.
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री इन्दर सिंह परमार) --माननीय अध्यक्ष महोदय, राज्यपाल महोदय की अध्यक्षता में आयोजित विश्वविद्यालय समन्वय समिति की सभी बैठक में कुलपति के पदनाम को कुलगुरू में परिवर्तित की जाने की अनुशंसा की गई है. उसी के अनुसार हम डॉ. बी.आर. अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय अधिनियम, 2015, मध्यप्रदेश भोज (मुक्त) विश्वविद्यालय अधिनियम, 1951..........
श्री महेश परमार-- उज्जैन में कुलपति और कुलगुरू का घर ही खाली करा दिया. कलेक्टर, एस पी का कराना था. माननीय शिक्षा मत्री जी इस बारे में भी बताएं. एक तरफ नाम बदल रहे हैं और एक तरफ कुलगुरू, कुलपति का घर खाली करवा रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- परमार जी आप बोलने के लिए अपना नाम दे सकते थे मैं आपको बुला सकता था. मैंने किसी को छोड़ा नहीं है. सिर्फ आपके ही पक्ष के पांच लोग बोले हैं. अब हम आगे बढ़ गए हैं
श्री इन्दर सिंह परमार-- अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2011, महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय अधिनियम, 1951 तथा महर्षि पाणिनी संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय अधिनियम, 2006 के हिन्दी संस्करण में शब्द कुलपति के स्थान पर शब्द कुलगुरू स्थापति किया गया है साथ ही शब्द ''प्रो-वाइस चांसलर'' तथा ''प्रति-कुलपति'' के स्थान पर शब्द ''प्रति कुलगुरू'' स्थापित किया गया है. इस प्रकार अंग्रेजी संस्करण में शब्द ''कुलपति'' के स्थान पर शब्द ''वाइस चांसलर'' स्थापित किया गया है.
अध्यक्ष महोदय, यह हमारे पांचों विश्वविद्यालय हैं. इनकी जो कार्यपरिषद् है उस कार्यपरिषद् ने जो अनुशांसा की है उसी के अनुसार सरकार ने आज यहां सदन के सामने संशोधन करने का प्रस्तुत किया है. आदरणीय हिरालाल अलावा जी, आदरणीय दिनेश जैन जी, आदरणीय बाला बच्चन जी, आदरणीय रामकिशोर जी, आदरणीय ओमकार जी, आदरणीय राजेन्द्र मण्डलोई जी ने अपनी बात रखी है मैं कोशिश करता हूं कि उनकी बात आ जाए. कुलपति जब हम भारत के संदर्भ में इस शब्द का विचार करते हैं तो उसका क्या अर्थ निकलता होगा. यह सभी लोग अपने आप से विचार करें. उसी कुल शब्द के आगे कुलपति लिखा है उसी कुल जिसको हमने विश्वविद्यालय कहा है उसी को हम कुलगुरू के नाम से स्थापित कर रहे हैं. गुरू शब्द भारत की सभ्यता, संस्कृति और विरासत को फिर से संजोने का है. यह केवल शाब्दिक नहीं है यह संस्कृति के साथ में इस देश की परम्पराओं, मान्यताओं को स्थापित करने के लिए जब हम कोई आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करेंगे तो आदर्श उदाहरण के द्वारा हम सीख सकते हैं, प्रेरणा ले सकते हैं और शिक्षा के द्वारा जो बदलाव किया गया है शिक्षा नीति 2020 के द्वारा बेसिक रूप से यही मुख्य बदलाव है. हम जानते हैं कि जो शिक्षा नीति इसके पहले चलती आ रही है जो अंग्रेजों के बाद में अपना ली गई थी अंग्रेजों द्वारा पोषित सारे के सारे शब्द वही थे और जब वर्ष 2020 में हमारे शिक्षाविदों ने, देश के विद्वानों ने जिसमें देश के वैज्ञानिक भी थे, सामाजिक कार्यकर्ता भी थे और लगभग दो करोड़ लोगों के विचार मंथन के बाद जो विचार विमर्श हुआ है उस समय में भारतीय दृष्टिकोण को भारत, भारत के पक्ष को शिक्षा के संबंध में शिक्षा के संबंध में स्थापित करना चाहिए, क्योंकि अभी तक जो शिक्षा नीति थी भारत उसके केन्द्र में नहीं था. भारत को केन्द्र में रखते हुए व्यवहार करना उन परम्पराओं को स्थापित करना इस शिक्षा नीति में भारतीय ज्ञान परम्परा को, भारत की जो ज्ञान परम्परा है वह किसी एक जाति, किसी एक सम्प्रदाय से बंधी हुई नहीं है. वह हजारों लाखों वर्षों से भारत के लोगों ने यहां की संतानों ने वह किसी भी जाति वर्ग की होगी उन सभी ने इस देश के साथ में अपना जो संबंध स्थापित किया है, परम्परा स्थापित की है. वह ज्ञान परम्परा जो सर्वश्रेष्ठ रही है. वह दुनिया के देशों से आगे की थी. हमको जब इतिहास पढ़ाया जाने लगा वह विदेशियों द्वारा पोषित गलत इतिहास था. इतिहास के पन्नों पर गलत बातें लिखी गईं. उन सभी को आज ठीक करने का अवसर है. किसी भी देश ने अपनी भाषा, संस्कृति, विरासत में बदलाव करके अपनी शिक्षा नीति नहीं बनाई है. कई देश गुलाम रहे हैं लेकिन केवल भारत एक ऐसा देश रहा है. एक दो देशों को छोड़कर सबसे बड़ा देश हमारा भारत है. जिस देश ने अपनी भाषा पर गर्व नहीं किया. हमने गर्व किया तो किसी विदेशी भाषा पर गर्व किया. इसलिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 यह कहती है कि भारत की जितनी भाषाएं हैं उन भाषाओं में भारत की शिक्षा दिए जाने का प्रावधान किया जाना चाहिए. मैं आप सभी से हाथ जोड़कर प्रार्थना करता हूँ कि भारत की शिक्षा नीति को सभी को जरुर पढ़ना चाहिए. यह किसी दल की शिक्षा नीति नहीं है, इस देश की शिक्षा नीति है. इस मिट्टी से प्रेम करने के भाव पैदा करने वाली शिक्षा नीति है. इसलिए यह व्यापक बदलाव जगह-जगह पर हो रहे हैं.
श्री बाला बच्चन -- माननीय मंत्री जी आप यह बोलकर बच नहीं सकते हैं. हमारे यहां क्वालिटी ऑफ एजूकेशन का हाल बहुत बुरा है. देश की 100 यूनिवर्सिटीज में से हम जीरो पर हैं. आप भाषा की बात कर रहे हैं, देश की बात कर रहे हैं, विदेश की बात कर रहे हो. हम जीरो पर हैं, आप प्रदेश को कहां ले जा रहे हो.
श्री इन्दर सिंह परमार -- मैं जवाब दे रहा हूँ.
अध्यक्ष महोदय -- बाला बच्चन जी आप बोल चुके हैं.
श्री इन्दर सिंह परमार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, बाला बच्चन जी ने ही कहा था कि बाकी यूनिवर्सिटी में क्यों नहीं है. मैं बताना चाहता हूं कि पूर्व में हम मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय अधिनियम,1973 से हमारी बाकी यूनिवर्सिटियां संचालित हैं. उनमें से जो 12 विश्वविद्यालय हैं, उनमें हम कर चुके हैं. निजी विश्वविद्यालय के क्षेत्र में जो 53 विश्वविद्यालय हैं उनमें भी कुलगुरु का नाम और पदनाम कर दिया गया है. यह पांच अलग-अलग धाराओं में अलग-अलग अधिनियम से यह संचालित होते हैं. इसलिए इनका यह विषय अभी आया है और जो आरजीपीवी का विषय है वह भी हम कुलगुरु के रुप में आगे बढ़ाने जा रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय, मैं पहले कह चुका हूँ कि जो कुलगुरु में कई जगह पर "प्रो- वाइस-चांसलर" एवं "प्रति-कुलपति" जहां कहीं वे आए हों उसको हम "प्रति कुलगुरु" कर रहे हैं और " कुलपति " को "कुलगुरु" करने जा रहे हैं. मुख्य रुप से बहुत सारी चर्चा हो गई इसलिए मैं सिर्फ जवाब देना चाहता हूँ. हमारा मुख्य उद्देश्य इससे यह है कि संस्कृत और भारतीय परम्परा का सम्मान शिक्षा के क्षेत्र में स्थापित करना है. दूसरा युवाओं को प्रेरणा दे सकें. कोई भी आदर्श व्यक्ति, हमारे देश में विशेषकर शिक्षक केवल अक्षर ज्ञान से श्रद्धा का पात्र नहीं होता था वह अपने आचरण से होता था, परम्पराओं से होता था. उसी प्रकार के हम शिक्षा पद्धति में ट्रेनिंग प्रोग्राम, टीचर ट्रेनिंग को जोड़ने जा रहे हैं. ताकि आने वाले समय में शिक्षक का व्यवहार देखकर विद्यार्थियों के जीवन में बदलाव आ सकता है, वे सीखने का काम कर सकते हैं. भारत की दृष्टि में...
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक सुझाव है भाषा के संबंध में...
अध्यक्ष महोदय -- मरकाम साहब प्लीज-प्लीज, आपको बोलने का पर्याप्त अवसर दिया गया था.
श्री इन्दर सिंह परमार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे सांस्कृतिक मूल्यों को वैश्विक पहचान स्थापित करने के लिए भी यह परिवर्तन किया गया है. यह "कुलगुरु" शब्द जोड़ा गया है.
अध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी जो बोल रहे हैं, सिर्फ वही रिकार्ड में आएगा.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- (XXX)
श्री इन्दर सिंह परमार -- ठीक है हम सुधार लेते हैं. हम प्रशिक्षण करेंगे. मैं आपके कहने से सुधार रहा हूँ.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- (XXX)
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- (xxx)
श्री इंदर सिंह परमार -- अध्यक्ष महोदय, शिक्षक प्रशिक्षण नीति 2020 को राष्ट्रीय शिक्षा नीति में अनिवार्य किया गया है. उस शिक्षक प्रशिक्षण नीति को हम लागू करने जा रहे हैं. हमारे सदस्य डॉ. हिरालाल जी ने कुछ प्रश्न उठाये थे, लेकिन मैं प्रार्थना पूर्वक सबसे निवेदन करता हूं कि इस अधिनियम पर जब चर्चा हो रही थी तो वह उसका हिस्सा नहीं थे. भारत के संविधान में जो उल्लेखित किया गया है उसी के अनुसार सभी परीक्षाएं आयोजित होती हैं. चाहे पीएससी हो, यूपीएससी हो, चाहे जजों की नियुक्ति वाले मामले हों, उसकी जो एक पद्धति है उसी पद्धति से वह होते हैं. जहां पर आरक्षण का प्रावधान है ,पूरा आरक्षण का पालन किया जाता है, रोस्टर का पालन किया जाता है. इसलिये मैं चाहूंगा कि जिनकी पवित्रता बनी हुई है, जो परीक्षाएं श्रेष्ठतम पद्धति से होती हैं, उनके बारे में हम ऐसी छोटी सोच के साथ चर्चा करेंगे तो हर जगह अविश्वास का भाव पैदा होगा और मैं यही प्रार्थना आपसे करना चाहता हूं कि विश्वविद्यालय केवल अपनी परीक्षाओं को आयोजित करता है और विषय से हटकर आपने बात कही थी इसलिये मैंने अपनी बात रखी है.
डॉ. हिरालाल अलावा -- (xxx)
श्री इंदर सिंह परमार -- अध्यक्ष महोदय, विश्वविद्यालय अपनी परीक्षाएं कराता है. दूसरी परीक्षाओं का संबंध विश्वविद्यालय से नहीं है. पीएससी, यूपीएससी इन सबकी अलग-अलग एजेंसियां हैं. जजों के लिये अलग एजेंसी काम करती है. इसलिये आज हम विश्वविद्यालय से संबंधित चर्चा कर रहे हैं, केवल इसके बारे में मेरा आपसे निवेदन है.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- (xxx)
श्री इंदर सिंह परमार -- अध्यक्ष महोदय, हम नई शिक्षा नीति में रोजगार मूलक शिक्षा पर विशेष ध्यान दे रहे हैं और इसलिये हमारे पीएम एक्सीलेंस कॉलेज 55 जिलों में एक-एक कॉलेज को अच्छा करना, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना, इसका प्रयास हमने किया है. यह इसी साल से हुआ है और एक दो साल में हमको उसका रिजल्ट मिलने वाला है. लेकिन जहां तक रिक्तियों के संबंध में..
अध्यक्ष महोदय -- मरकाम जी, आप डिस्टर्ब मत करें आपका रिकार्ड में कुछ भी नहीं आएगा. अन्य किसी सदस्य का रिकार्ड में कुछ नहीं आएगा.
श्री सोहनलाल बाल्मीक -- (xxx)
श्री इंदर सिंह परमार -- अध्यक्ष महोदय, हमारे यहां जहां तक रिक्त पदों का प्रश्न है तो हम लगातार भर्ती करने का काम कर रहे हैं. लगातार भर्ती करने का काम चल रहा है और जहां पर हमारे अतिथि विद्वान काम करते हैं वह भी पीएससी और यूजीसी के जो मापदंड हैं उसी के अनुसार अतिथि विद्वान भी हम भर्ती कर रहे हैं. यूजीसी के मापदंडों से भिन्न हम किसी की भर्ती नहीं कर रहे हैं. इसलिये वह भी योग्य हैं और इस प्रकार से सारे मध्यप्रदेश के जो प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर के पद हैं उनकी जगह पर अतिथि विद्वानों से भी हम लगातार कार्य ले रहे हैं. भर्ती की प्रक्रिया भी लगातार चल रही है.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- (xxx)
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(XXX) आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
श्री इंदर सिंह परमार -- अध्यक्ष महोदय, उन सब पदों पर भर्ती के लिये हमने बड़ी संख्या में आवेदन कर रखे हैं. 1,736 पदों का मांगपत्र हमने पीएससी को भेज दिया है, जिसके आधार पर वर्ष 2022-23 में हमारे 2,053 ऐसे शिक्षकों का साक्षात्कार हो चुका है. इसलिये मेरा कहना है कि लगातार हम भर्ती का काम कर रहे हैं. उसके पहले वर्ष 2019 में 2,800 लोगों का किया है. लगातार हायर एजूकेशन में शिक्षा में भर्ती का काम चल रहा है. मेरा तो केवल यही अनुरोध है कि मध्यप्रदेश में शिक्षा को लेकर के जो परिवर्तन हो रहे हैं , बदलाव हो रहे हैं, राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से वह बहुत व्यापक हैं और जब 2020 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति आई थी तो पहला राज्य मध्यप्रदेश बना था जब हमने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को अपनाया था. अन्य राज्यों के साथ में मध्यप्रदेश की गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा देने का है. शिक्षा की गुणवत्ता में देश के औसत से मध्यप्रदेश का पिछले साल का ज्यादा रहा है इसलिये शिक्षा की गुणवत्ता पर लगातार मध्यप्रदेश की सरकार और हमारा विभाग लगातार काम कर रहा है और जो परिवर्तन करना आवश्यक है उन सबके साथ में हम प्रतिबद्ध हैं कि सारी व्यवस्थायें दी जायें. जहां पर अव्यवस्था की कुछ बात आती है उनको तत्काल निराकरण करने का काम भी हम करते हैं इसलिये मैं आपसे प्रार्थना करता हूं कि यह विधेयक आपके सामने प्रस्तुत है.
अध्यक्ष महोदय-- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ. प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय विधि संशोधन विधेयक, 2024 पर विचार किया जाये.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- सर्वसम्मति से कर दिया जाये पर सरकार आचरण में हिंदी ले आये यह अनुरोध है.
अध्यक्ष महोदय--अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा. प्रश्न यह है कि खण्ड 2 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2 इस विधेयक का अंग बना.
प्रश्न यह है कि खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बना.
श्री ओमकार सिंह मरकाम--अध्यक्ष महोदय, अनुरोध है कि सर्वसम्मति से पास किया जाये. ..व्यवधान..
श्री इन्दर सिंह परमार-- अध्यक्ष महोदय, सर्व सम्मति से कह रहे हैं तो सर्व सम्मति से पारित करवा दें.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
श्री इन्दर सिंह परमार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय विधि संशोधन विधेयक, 2024 पारित किया जावे.
अध्यक्ष महोदय-- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ . प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय विधि संशोधन विधेयक, 2024 पारित किया जाये.
प्रस्ताव सर्व सम्मति से स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
समय 4.48 बजे
नियम 267-क के अधीन विषय
(1) डॉ.सीतासरन शर्मा(इटारसी)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है -
(2) श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे -- (अनुपस्थित)
(3) श्री यादवेन्द्र सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है -
श्री हिमथानी.
श्री अजय अर्जुन सिंह – (अनुपस्थित)
(3) रीवा जिले में किसान कल्याण एवं कृषि विभाग द्वारा सिंचाई योजनाओं का संचालन ठीक से न होना.
श्री अभय कुमार मिश्रा (सेमरिया) —अध्यक्ष महोदय,
श्री अरविन्द पटैरिया – (अनुपस्थित)
(4) राजपुर विधान सभा क्षेत्र में स्कूली शिक्षकों की कमी होना.
श्री बाला बच्चन (राजपुर)—अध्यक्ष महोदय, राजपुर विधान सभा क्षेत्र में स्कूली शिक्षकों की बेहद कमी है. लगभग 50 से अधिक विद्यालय शिक्षक विहीन हैं. विषय विशेषों का बेहद अभाव है. प्राचार्य पद पर भी प्रभारी व्यवस्था से काम चलाया जा रहा है. इन सबका असर बोर्ड परीक्षा के परिणामों पर स्पष्ट दिखता है. शासन ये नियुक्तियां तुरंत करे. दूरस्थ अंचलों तक शैक्षणिक गतिविधियों को सुचारु करे, जिससे परीक्षा परिणामों में भी सुधार आए. अतिशेष स्थिति की समीक्षा हो एवं पदों का युक्तियुक्तकरण हो, ताकि उच्च स्तर की शिक्षा सभी वर्ग के विद्यार्थियों के लिये उपलब्ध हो.
(5) जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्या, गुना, शाखा चंदेरी में अमानतदारों की राशि का गबन किया जाना.
श्री बृजेन्द्र सिंह यादव (मुंगावली)—अध्यक्ष महोदय,
(6) भोपाल के अंतर्गत घोड़ा पछाड़ जलाशय में अनुबंध की शर्तों का उल्लंघन कर शासन को वित्तीय हानि पहुंचायी जाना.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)—अध्यक्ष महोदय,
श्री प्रणय प्रभात पांडे(बहोरीबंद)- अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना इस प्रकार है-
अध्यक्ष महोदय, जहां एक ओर प्रदेश सरकार ग्राम पंचायतों के माध्यम से अनेक जनकल्याणकारी कार्य कर रही है एवं श्रमिक वर्ग को रोजगार उपलब्ध करा रही है. वहीं दूसरी ओर कटनी जिले के जनपद बड़वारा के अंतर्गत ग्राम पंचायत कुठिया मुहँगवां के पंचायत सचिव द्वारा किया जा रहा भ्रष्टाचार चरम पर है. सचिव एवं जनपद के अधिकारियों की मिली भगत से हो रही अनियमितता के कारण श्रमिक तक मजदूरी के भुगतान के लिये तरस रहे हैं. सरपंच द्वारा कराये गये कार्यों का भुगतान भी पंचायत सचिव द्वारा वर्षों से नहीं कराया गया, पंचायत के निर्माण कार्यों का भुगतान कराया जाना तो दूर की बात है. विगत तीन वर्ष पूर्व स्थानांतरित हो चुके पंचायत सचिव से वर्तमान सचिव द्वारा रिकार्ड नहीं लिया गया. वर्ष 2010 से 2021 तक कराये गये कार्यों की कार्य पूर्णता भी जारी नहीं की गई. पंचायत सचिव की इस कार्यप्रणाली से समूचे क्षेत्र में असंतोष व्याप्त है.
अध्यक्ष महोदय- विधान सभा की कार्यवाही बुधवार दिनांक 18 दिसम्बर, 2024 को प्रात: 11.00 बजे तक के लिये स्थगित की जाती है.
अपराह्न 4.57 बजे विधान सभा की कार्यवाही बुधवार दिनांक 18 दिसम्बर, 2024 ( 27 अग्रहायण, शक संवत् 1946) के पूर्वाह्न 11.00 बजे तक के लिये स्थगित की गई.
भोपाल:
दिनांक: 17 दिसम्बर, 2024 ए.पी. सिंह
प्रमुख सचिव
मध्यप्रदेश विधान सभा.