मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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पंचदश विधान सभा तृतीय सत्र
जुलाई, 2019 सत्र
बुधवार, दिनांक 17 जुलाई, 2019
(26 आषाढ़, शक संवत् 1941)
[खण्ड- 3 ] [अंक- 6]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
बुधवार, दिनांक 17 जुलाई, 2019
(26 आषाढ़, शक संवत् 1941)
विधान सभा पूर्वाह्न 11.02 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) पीठासीन हुए.}
प्रश्नकाल में व्यवधान एवं अध्यक्षीय व्यवस्था
प्रदेश में बच्चियों का अपहरण, बलात्कार, हत्या एवं लूट के कारण कानून व्यवस्था ध्वस्त होना.
श्री शिवराज सिंह चौहान--अध्यक्ष महोदय, प्रदेश में कानून और व्यवस्था की स्थिति पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है. मध्यप्रदेश में अपराध बहुत हो रहे हैं.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)--अध्यक्ष महोदय, जब तात्कालिक विषय हो इससे पूरा प्रदेश प्रभावित हो रहा हो. राजधानी में नाक के नीचे यहां पर बेटियों के साथ बलात्कार और हत्याएं हो रही हैं. तीन-तीन साल की बच्चियों के साथ बलात्कार हो रहे हैं. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--कृपया आप लोग बैठें प्रश्नकाल को चलने दें. प्रश्नकाल बहुत ही महत्वपूर्ण है. (व्यवधान)
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ.गोविन्द सिंह)--अध्यक्ष महोदय, अपराधी पकड़े गये हैं. उनको एक महीने के अंदर फांसी दिलाने की कार्यवाही की जायेगी. (व्यवधान)
डॉ.नरोत्तम मिश्र--अध्यक्ष महोदय, इस सरकार को कुछ कहने का अधिकार है क्या ?
राजधानी में नाक के नीचे अपराध हो रहे हैं. इस औचित्य के प्रश्न पर चर्चा करायी जाये. (व्यवधान)
लोक निर्माण मंत्री (श्री सज्जन सिंह वर्मा)--अध्यक्ष महोदय, अपराधी पकड़े गये हैं उनको फांसी देने की कार्यवाही होगी. (व्यवधान)
डॉ. नरोत्तम मिश्र - सदन की कार्यवाही रोककर के स्थगन पर चर्चा होनी चाहिए, यह जरूरी विषय है. (...व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - परम्परा यह रही है कि प्रश्नकाल के दौरान प्रश्न किए जाते हैं. आपको जो बात रखनी है, शून्यकाल में रख सकते हैं. (...व्यवधान)
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, हम स्थगन पर चर्चा मांग रहे हैं. सदन का प्रश्नकाल और बाकी सभी काम रोक कर स्थगन पर चर्चा कराओ. यह गंभीर परिस्थिति की बात है. इस देश के अंदर बालक-बालिकाएं सुरक्षित नहीं हैं. (...व्यवधान)
श्री सज्जन सिंह वर्मा - प्रश्नकाल रोक कर चर्चा मांगना यह परम्परा है क्या? (...व्यवधान)
खेल एवं युवा कल्याण मंत्री (श्री जितु पटवारी) - प्रश्नकाल रोक कर चर्चा मांगना यह पराम्परागत है क्या? (...व्यवधान)
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, स्थगन सूचना का यही अर्थ होता है कि सदन की तमाम कार्यवाही रोक कर स्थगन पर चर्चा कराई जाए, इसमें प्रश्नकाल भी शामिल है. इसलिए प्रश्नकाल पर कोई चर्चा नहीं हो सकती. हम लोग प्रश्न नहीं करना चाहते. जब प्रदेश के बेटे बेटियां मारे जा रहे हो, (...व्यवधान) छोटे-छोटे मासूम बच्चों को मारा जा रहा है. (...व्यवधान)
श्री सज्जन सिंह वर्मा - भार्गव जी, अपना कार्यकाल याद करों, हिन्दुस्तान में मध्यप्रदेश बलात्कार का अड्डा बन गया था, मध्यप्रदेश नंबर वन पर था. (...व्यवधान)
श्री जितु पटवारी - इंदौर में 6 महीने की बच्ची के साथ बलात्कार हुआ था. आप याद करो उस विषय को कि आपके शासनकाल में 6-6 महीनों की मासूम बच्चियों के साथ बलात्कार हुआ था. आखें फोड़ दी गई आपके कार्यकाल में आप याद करों किसानों को गोलियों से भून दिया गया. (...व्यवधान)
डॉ. नरोत्तम मिश्र - माननीय अध्यक्ष महोदय, वर्तमान की बात करो. (...व्यवधान)
डॉ. गोविन्द सिंह - अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है. (...व्यवधान)
श्री सज्जन सिंह वर्मा - हमारे कार्यकाल में तो अपराधियों को फांसी हो रही है. अपराधी तत्काल पकड़े जा रहे हैं. आपने तो मध्यप्रदेश को बलात्कार का अड्डा बना दिया था. (...व्यवधान)
श्री जितु पटवारी - यह श्रेय लेने की होड़ नहीं चल रही है, जो गंभीर अपराध हुआ उसके लिए सदन एक साथ है, यह श्रेय की होड़ नहीं है. शिवराज सिंह जी आपके कार्यकाल को भी इस वक्त याद करना पड़ेगा. (...व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - मेरा आप सभी से अनुरोध है कि प्रश्नकाल चलने दें. (...व्यवधान)
डॉ. नरोत्तम मिश्र - मेरा आपसे अनुरोध है कि प्रश्नकाल रोक कर इस पर चर्चा कराएं. यह महत्वपूर्ण विषय है(...व्यवधान)
श्री शिवराज सिंह चौहान - यहां 12 साल की बच्ची से बलात्कार हुआ है.
भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास मंत्री (श्री आरिफ अकील) - उसको फांसी की सजा हो गई. (...व्यवधान)
श्री जितु पटवारी - शिवराज सिंह जी, इस विषय पर ध्यानाकर्षण लगाए. (...व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - ये माइक सिस्टम ठीक करें. (...व्यवधान)
श्री जितु पटवारी - ये श्रेय लेने की होड़ चल रही है. (...व्यवधान)
श्री शिवराज सिंह चौहान - माननीय अध्यक्ष महोदय, गरीब मर रहा है और ये सरकार सो रही है. दोष पुलिस का नहीं है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - आप शून्यकाल में बात उठा सकते हैं, प्रश्नकाल बाधित कैसे कर सकते हैं. (...व्यवधान)
डॉ. गोविन्द सिंह - जब महिलाओं का अपमान किया जा रहा था, तब आपकी सरकार कहां गई थी. आज तत्काल कार्यवाही हो रही है. (...व्यवधान)
श्री शिवराज सिंह चौहान - माननीय अध्यक्ष महोदय, केवल स्थानांतरण उद्योग चल रहा है. (...व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - सामान्य तौर पर बजट के दौरान स्थगन प्रस्ताव नहीं लिए जाते है. प्रश्नकाल चलने दिया जाए, आपको जो बात कहनी है. मैं आपके विषय को किस तरह से लूं, कैसे लूं, इसके बारे में विचार कर सकते हैं. नेता प्रतिपक्ष जी, आप भी भली-भांति जानते हैं, यह परम्परा रही है, जब बजट होता है, उसमें स्थगन प्रस्ताव नहीं लिया जाता है. (...व्यवधान)
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, विधानसभा के अभी तक के इतिहास में बजट सत्र में 25 बार स्थगन लिया गया है.
डॉ. गोविन्द सिंह - बताइए आपके कार्यकाल में किस समय स्थगन आया है.
श्री गोपाल भार्गव - प्रदेश हाहाकार कर रहा है, मासूमों की लगातार हत्याएं हो रही है, उनके साथ बलात्कार हो रहा है. (...व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - गृह विभाग की जब मांग आएगी, गृह विभाग की चर्चा के दौरान आप अपनी बात कह सकते हैं. (...व्यवधान)
श्री जितु पटवारी - आप मासूमों की हत्या पर राजनीति कर रहे हो. यहां श्रेय लेने की होड़ चल रही है. जब विषय आएगा तब बोलना, यह कौन सा तरीका है.
श्री शिवराज सिंह चौहान - अध्यक्ष महोदय, आप चर्चा कराइए. प्रश्नकाल चलाने का कोई औचित्य नहीं है. (...व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - अब मैं प्रश्नकाल प्रारंभ कर रहा हूं. (...व्यवधान) श्री सुदेश राय, प्रश्न क्रमांक 1. (...व्यवधान...)
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष महोदय, जब पूरा प्रदेश हाहाकार कर रहा हो. पूरे प्रदेश में नाबालिग बेटे और बेटियों के साथ बलात्कार हो रहे हों. उनकी हत्याएं हो रही हों, उनको भूना जा रहा हो. अध्यक्ष महोदय. ऐसे समय प्रश्नकाल (...व्यवधान...)
श्री जितु पटवारी - आपका ध्यानाकर्षण है, उसमें बात उठाना. (...व्यवधान...) अध्यक्ष महोदय, श्रेय लेने की होड़ चल रही है. सब अपने आपको नेता बताने में लगे हुए हैं. कानून-व्यवस्था से किसी को सरोकार नहीं है. (...व्यवधान...)
डॉ. नरोत्तम मिश्र - बहुत गंभीर विषय है.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न क्रमांक 1, श्री सुदेश राय. (...व्यवधान...)
11.11 बजे गर्भगृह में प्रवेश
भारतीय जनता पार्टी के सदस्यगण द्वारा गर्भगृह में प्रवेश.
(भारतीय जनता पार्टी के सदस्यगण द्वारा प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति ध्वस्त होने संबंधी स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा की मांग करते हुए गर्भगृह में प्रवेश किया गया.)
अध्यक्ष महोदय - कृपया गर्भगृह में न आएं, कृपया गर्भगृह में न आएं. मैं फिर निवेदन कर रहा हूँ कि कृपया गर्भगृह में न आएं. सामान्यत: बजट के दौरान स्थगन प्रस्ताव नहीं आता. (...व्यवधान...) अरे भाई, कोई एक बोले. आप लोग सब के सब बोल रहे हैं.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, जब पूरा प्रदेश हाहाकार कर रहा हो. हत्याएं हो रही हों. (...व्यवधान...)
अध्यक्ष महोदय - आप लोग अपनी सीट पर जाएं.
श्री गोपाल भार्गव - 3-3 साल के बच्चों को भूना जा रहा हो. (...व्यवधान...) आग में जलाया जा रहा हो. (...व्यवधान...) नाबालिग बेटियों के साथ बलात्कार हो रहे हों. (...व्यवधान...)
अध्यक्ष महोदय - संसदीय कार्यमंत्री कुछ बोलना चाह रहे हैं. (...व्यवधान...) मैंने बोल दिया न भाई. इस चर्चा को कैसे उठा सकते हैं ? (...व्यवधान...) क्या कर सकते हो, मैंने सब चीजें बोल दी हैं. किस रूप में, इस मांग को कैसे उठा सकते हैं ? (...व्यवधान...)
श्री शिवराज सिंह चौहान - अध्यक्ष महोदय, ऐसे समय हम लोग चाहते हैं कि प्रश्नकाल को निलंबित करके तत्काल स्थगन पर चर्चा कराई जाए. (...व्यवधान...) मुख्यमंत्री एवं गृह मंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्नकाल चलने दीजिए. माननीय नेता प्रतिपक्ष जी ने अपनी बात कर ली, शिवराज जी आपने भी अपनी बात कर ली है, नरोत्तम जी आपने अपनी बात कर ली. अब कृपापूर्वक अपनी जगह पर जाइये. मैंने बोल दिया है कि मैं क्या कर सकता हूँ, कैसे कर सकता हूँ ? मैंने बोल दिया है.
(...व्यवधान...)
श्री जितु पटवारी - आदरणीय अध्यक्ष जी, जब विधायक लोटा लेकर दौड़ा तब कानून व्यवस्था कहां थी ? तब क्यों नहीं आए वेल में ?
श्री शिवराज सिंह चौहान - चारों तरफ त्राहि-त्राहि मची हुई है.
डॉ. गोविन्द सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से बात कहना चाहता हूँ (...व्यवधान...)
श्री जितु पटवारी - नरेन्द्र मोदी जी को ध्यान रखना पड़ा, तब चुप हो गए थे, सांप सूँघ गया था सबको.
(...व्यवधान...)
अध्यक्ष महोदय -- सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिये स्थगित.
(11.12 बजे सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित की गई.)
11.19 बजे
विधान सभा पुन: समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) पीठासीन हुए.}
श्री शिवराज सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, पूरा प्रदेश त्राहि-त्राहि कर रहा है. प्रश्नकाल का कोई औचित्य नहीं है...(व्यवधान)......
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपसे निवेदन है कि प्रश्न पूछकर क्या करेंगे ? यह निर्थक है,अब इसका कोई औचित्य नहीं रह जाता है. ...(व्यवधान)......
खेल और युवा कल्याण मंत्री (श्री जितू पटवारी) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, नेता प्रतिपक्ष खड़े हैं...(व्यवधान)......
श्री शिवराज सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जून और मई में जो घटनायें हुई हैं ...(व्यवधान)......
श्री जितू पटवारी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, नेता प्रतिपक्ष खड़े हैं फिर भी आप खड़े हैं. ...(व्यवधान)......
खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री (श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, भारतीय जनता पार्टी में त्राहि-त्राहि मची है..(व्यवधान)..
श्री भूपेन्द्र सिंह -- मध्यप्रदेश में ऐसा वातावरण बना दिया है, बच्चियों के साथ रेप हो रहा है, ...(व्यवधान)......
श्री शिवराज सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, बच्चियों के साथ रेप हो रहा है, बलात्कार हो रहा है, हत्यायें की जा रही हैं, पूरा प्रदेश त्राहि-त्राहि कर रहा है, चारों तरफ हाहाकार मचा है...(व्यवधान)......
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- माननीय अध्यक्ष महोदय, उज्जैन कांड पर भी चर्चा कराई जाये. ...(व्यवधान)......
अध्यक्ष महोदय -- देखिये मैंने आपसे बड़ा स्पष्ट कहा (व्यवधान) ......
श्री गोपाल भार्गव -- (जोर-जोर से चिल्लाकर)माननीय अध्यक्ष महोदय, क्या प्रश्न करें, क्या प्रश्न करें ? पूरा प्रदेश धधक रहा है, पूरा प्रदेश जल रहा है और आप कहते हैं तो हम क्या प्रश्न करें ? (शेम-शेम की आवाज) .....(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- श्री गोपाल भार्गव जी थोड़ा और जोर से बोलिये आप, .(व्यवधान).....
श्री गोपाल भार्गव -- (जोर-जोर से चिल्लाकर) अध्यक्ष महोदय, पूरा प्रदेश जल रहा है, पूरा प्रदेश धधक रहा है .....(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- थोड़ा और जोर से बोलिये (व्यवधान)........
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, जल रहा है पूरा प्रदेश जल रहा है, पूरा प्रदेश धधक रहा है तो हम क्या प्रश्न करें ? .....(व्यवधान)
संसदीय कार्य मंत्री(डॉ. गोविन्द सिंह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे माननीय सदस्यों को प्रश्न करना है. .....(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- श्री गोपाल भार्गव जी आप अपने स्वास्थ्य का भी ध्यान रखिये. .....(व्यवधान)....
डॉ. गोविन्द सिंह -- जिनको प्रश्न नहीं करना है, वह बाहर चले जायें. .....(व्यवधान)....
श्री जितू पटवारी -- श्री भार्गव जी आप अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें. .(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- मैं सभी को सुन रहा हॅूं और मैं सभी को शालीनता से सुन रहा हूं. ....(व्यवधान).....
श्री शिवराज सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, कानून और व्यवस्था की स्थिति ठीक नहीं है.....(व्यवधान).....
अध्यक्ष महोदय -- मैं सबको सुन रहा हूं, लेकिन आप ऐसा न करें, मुझे सबके स्वास्थ्य की भी चिंता है. .....(व्यवधान).....
श्री जितू पटवारी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह कानून और व्यवस्था की बात कर रहे हैं, पर जब बेट से एक विधायक मार रहा था, तब यह सदन क्यों चुप था, तब श्री शिवराज सिंह चौहान जी धन्यवाद क्यों दे रहे थे ? श्री गोपाल भार्गव धन्यवाद क्यों दे रहे थे. .....(व्यवधान).... श्री शिवराज जी, जब बलात्कार हुआ था, तब आप मुख्यमंत्री थे, आप मिलने तक नहीं गये, तब सदन क्यों चुप था..(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- मेरा आप सभी से कहना है कि बजट के समय कौन सी बात कब रखी जायेगी, उसके बारे में मैं विचार करूंगा. माननीय श्री शिवराज जी आप मेरे कक्ष में आयें और आपको जो मुझसे चर्चा करना है करिये .....(व्यवधान)
श्री जितू पटवारी -- श्री शिवराज सिंह जी, तब क्यों चुप थे ? आप तब क्यों चुप थे. .....(व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय -- क्या प्रश्नकाल न चलने दें ? ....(व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय -- आपकी बात आ गई है और मैंने व्यवस्था भी दे दी है.(व्यवधान)....
श्री जितू पटवारी -- जब बेट और बल्ला चल रहा था, तब क्या कानून और व्यवस्था नहीं थी ? आप तब क्यों चुप थे ? .....(व्यवधान)
डॉ.गोविन्द सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, .....(व्यवधान) .....चालान शीघ्र पेश हुये.......(व्यवधान)
श्री जितू पटवारी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, उज्जैन कांड पर चर्चा होना चाहिये. .....(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- कृपया प्रश्नकाल चलने दें. .......(व्यवधान).....
श्री भूपेन्द्र सिंह -- माननीय अध्यक्ष्ा महोदय, मध्यप्रदेश अपराधियों का टापू बन गया है . .....(व्यवधान)
श्री जितू पटवारी -- पूरी बात श्रेय लेने की है, फिर भी सदस्य बोल रहे हैं, कौन नेता प्रतिपक्ष है, समझ नहीं आता है ? .....(व्यवधान)
श्री भूपेन्द्र सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, खुलेआम अपराध हो रहे हैं. ....(व्यवधान).....
श्री जितू पटवारी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, कौन नेता प्रतिपक्ष है, समझ नहीं आता है, अगर आपने कहा था कि हमारा नेता गोपाल भार्गव है तो अब क्या हो गया है ? ....(व्यवधान).....
डॉ.गोविन्द सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, .....(व्यवधान)
श्री गोपाल भार्गव -- आज की कार्यवाही रोककर, स्थगन पर चर्चा करायी जाए.....(व्यवधान)
श्री भूपेन्द्र सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मासूम बच्चों को जिंदा जलाया जा रहा है. ....(व्यवधान).....
डॉ. गोविन्द सिंह -- अपराधियों के लिये .....(व्यवधान)
श्री भूपेन्द्र सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, ऐसे गंभीर मामलों में सबसे पहले आपको स्थगन लेना चाहिये और प्रतिपक्ष को विश्वास लेना चाहिये.
श्री गोपाल भार्गव -- (जोर-जोर से चिल्लाकर) स्थगन पर चर्चा कराओ .....(व्यवधान).....
श्री भूपेन्द्र सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, स्थगन लेना चाहिये. .....(व्यवधान)
डॉ. गोविन्द सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, .....(व्यवधान)
डॉ.मोहन यादव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इस प्रकार के माहौल में जैसा सरकार अपना रोल अदा कर रही है, बड़े दुर्भाग्य की बात है, .....(व्यवधान)....पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने जो विषय रखा है वह समसामयिक है, आवश्यक है .....(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- मैंने आपसे अनुरोध किया है कि आप मेरे कक्ष में आकर मिलें. .....(व्यवधान)
डॉ.मोहन यादव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सबको संवेदनशील सदन बनाने की आवश्यकता है. हम ऐसे माहौल में विषय छोड़कर चलते हैं तो यह प्रदेश की जनता के साथ अन्याय होगा, उनकी आवाज को रोक नहीं सकते हैं, आप विपक्ष का गला घोंट नहीं सकते हैं. हमें संवेदनशील होने की आवश्यकता है.
डॉ. गोविन्द सिंह -- जो प्रस्ताव दिया गया है .....(व्यवधान)
डॉ.मोहन यादव -- कानून व्यवस्था की स्थिति का संचालन करवाने के लिये कमलनाथ जी की सरकार .....(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- मेरा सभी से अनुरोध है कि माननीय सदस्यों के महत्वपूर्ण प्रश्न लगे हुये हैं .....(व्यवधान)... क्या हम उनके साथ न्याय कर रहे हैं ? जिन माननीय विधायकों के प्रश्न लगे हैं क्या हम उनके साथ न्याय कर रहे हैं ? आपकी बात आ गई है. मैंने पूरी बात को सुन लिया है, जो प्रश्न लगे हैं, जिन माननीय सदस्यों ने प्रश्न लगाये हैं, कृपापूर्वक उन विधायकों के साथ सदन न्याय करें. ....(व्यवधान)......किसी चीज की व्यवस्था होती है, नियम कानून और प्रक्रिया होती है, कौन सी बात उठानी है, कौन सी नहीं उठानी है, किस बात पर बोलना है उसकी व्यवस्था होती है. मूलत: और सामान्यत: बजट के समय स्थगन ग्राह्य नहीं किये जाते हैं, चर्चा नहीं ली जाती है. .....(व्यवधान).........आपका प्रश्न जिस विषय पर है, उसके संबंध में जब गृह विभाग की चर्चा आयेगी, तब आप जितनी बात करना चाहते हैं कर सकते हैं. .......(व्यवधान).........
डॉ. सीतासरन शर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, पहले मंत्रियों को तो बिठायें. ....(व्यवधान)....
एक माननीय सदस्य-- माननीय अध्यक्ष महोदय, इनके लिये एक प्रबोधन कार्यक्रम और रखवायें. ....(व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय-- माननीय सदस्यों के बड़े ही अच्छे प्रश्न लगे हैं, ....(व्यवधान).... विधायक अपने प्रश्न के माध्यम से सदन और सदन के बाहर अपने क्षेत्र की मांग उठाता है, अगर ऐसी परिस्थिति में हम मूल प्रश्नकर्ताओं को न्याय प्रदान नहीं कर पा रहे हैं यह हमको सोचना पड़ेगा. ....(व्यवधान)....क्योंकि जो विषय आपने उठाया हमने सुना, आपका विषय जब मूल विभाग की चर्चा आये तो उसमें आप कहियेगा, लेकिन अभी सदन चलने दीजियेगा. ....(व्यवधान)....
डॉ. सीतासरन शर्मा-- पहले अपने मंत्रियों को बिठाईये. ....(व्यवधान)....
एक माननीय सदस्य-- अध्यक्ष जी, यह सदन को गुमराह कर रहे हैं. ...(व्यवधान)...
श्री आरिफ अकील-- यह प्रश्नकाल के हत्यारे हैं. ....(व्यवधान)....
श्री कुणाल चौधरी-- माननीय अध्यक्ष जी, 15 साल इनकी सरकार रही, इनके कार्यकाल में सबसे ज्यादा बलात्कार हुये हैं ....(व्यवधान)....
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- माननीय अध्यक्ष जी, एक बार सुन तो लें हमारे नेता को. ....(व्यवधान).... हम नियम प्रक्रिया से ही उठा रहे हैं. ....(व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय-- आपका विषय आ गया, ऐसा नहीं होता है, आपने अपनी बात कर ली, जो मूल प्रश्नकर्ता है उसकी बात आने दीजिये. ....(व्यवधान).... सदन की कार्यवाही 12.00 बजे तक के लिये स्थगित.
(11.28 बजे सदन की कार्यवाही 12.00 बजे तक के लिये स्थगित की गई.)
12.02 बजे अध्यक्ष महोदय { श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति( एन.पी.) } पीठासीन हुए
डॉ.नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, मेरा व्यवस्था का प्रश्न है.
श्री आरिफ अकील - अभी सदन में क्या विषय चल रहा है जो व्यवस्था का प्रश्न आ गया.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, आप अग्राह्य कर देना.
(..व्यवधान..)
12.02 बजे नियम 267 - के अधीन विषय
अध्यक्ष महोदय - निम्नलिखित माननीय सदस्यों की शून्यकाल की सूचनाएं पढ़ी हुईं मानी जायेंगी :-
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया
डॉ. हीरालाल अलावा
श्री प्रणय प्रभात पाण्डेय
श्री सिद्धार्थ सुखलाल कुशवाहा
डॉ. सीतासरन शर्मा
श्री रामपाल सिंह
श्री दिलीप सिंह गुर्जर
श्री विनय सक्सेना
श्री आरिफ मसूद
श्री उमाकान्त शर्मा
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, मेरा व्यवस्था का प्रश्न है. शून्यकाल में नहीं सुनोगे तो गजब हो जायेगा.(..व्यवधान..) अध्यक्ष जी, इतने नाराज नहीं होते. सिर्फ एक बार देख लें.
शून्यकाल में मौखिक उल्लेख
प्रदेश की कानून व्यवस्था ध्वस्त होना
अध्यक्ष महोदय - मैं किसी को परमीशन नहीं दे रहा हूं. सिर्फ शिवराज जी बोलें. आप लोग सब बैठ जाएं सिर्फ शिवराज जी बोलें. शून्यकाल में उनको परमीशन दे रहा हूं.
नेता प्रतिपक्ष ( श्री गोपाल भार्गव ) - अध्यक्ष महोदय, एक मिनट..
श्री आरिफ अकील - अध्यक्ष महोदय, काम्पटीशन चल रहा है कौन नंबर एक,कौन नंबर दो, कौन नंबर तीन.. प्रतियोगिता चल रही है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - आरिफ भाई, आपको सब नंबर वन ही दिखेंगे चिंता मत करो.
अध्यक्ष महोदय - यशपाल जी, मैं आगे बढ़ जाऊंगा. मैंने उनसे बोला शून्यकाल में कि कृपया आप बोलियेगा ताकि फिर मुझे उस पर क्या विचार करना है मैं आगे अपनी टिप्पणी करूं. संक्षेप में कृपापूर्वक.
श्री शिवराज सिंह चौहान (बुधनी) - माननीय अध्यक्ष महोदय, पूरे प्रदेश की कानून और व्यवस्था ध्वस्त हो गई है. अपराधी खुलकर खेल रहे हैं. रोज अपहरण, हत्याएं, बलात्कार, लूट, अपहरण एक उद्योग बन गये हैं. मेरे पास केवल मई और जून की सूची है. 12 जून को सागर जिले के बहेरिया थाने के खड़ेरा बेलखादर गांव में 10 साल की आदिवासी बेटी के साथ रेप किया गया.
संसदीय कार्य मंत्री( डॉ. गोविन्द सिंह ) - माननीय अध्यक्ष महोदय, स्थगन प्रस्ताव के नियमों में साफ लिखा हुआ है, स्थगन प्रस्ताव केवल एक विषय तक सीमित रहेगा. दूसरा विषय चर्चा में नहीं आयेगा.
श्री शिवराज सिंह चौहान - अध्यक्ष महोदय, मैं आपकी अनुमति से बोल रहा हूं.
डॉ.गोविन्द सिंह - अनुमति है लेकिन जब आप स्थगन के माध्यम से बात कर रहे हैं तो आप केवल एक विषय तक सीमित रह सकते हैं.
(..व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय - शिवराज जी, कृपया प्वाइंटेड बात करें.
डॉ. गोविन्द सिंह - आपको नियमों का ज्ञान है शिवराज जी, केवल एक विषय की चर्चा आप उठा सकते हैं.
(व्यवधान)..
श्री शिवराज सिंह चौहान - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है, पूरे प्रदेश में त्राहि-त्राहि मची हुई है.
डॉ. गोविन्द सिंह - आप 13 वर्ष मुख्यमंत्री रहे हैं शिवराज सिंह जी, आपको नियमों का ज्ञान है, केवल एक ही विषय पर चर्चा आप उठा सकते हैं, स्थगन में दूसरी चर्चा नहीं कर सकते हैं. अब आप सत्ता का मोह छोड़ो.
श्री शिवराज सिंह चौहान - एक नहीं, अनकों घटनाएं हुई हैं, मासूम बच्चों का अपहरण होता है, मासूम बच्चों की हत्या की जाती है, भोपाल में भी हत्या हुई है.
डॉ. गोविन्द सिंह - जब आपके नेता प्रतिपक्ष बैठे हैं तो आप क्यों उनको बैठाकर (व्यवधान)..स्थापित करना चाहते हैं?
श्री शिवराज सिंह चौहान - नाबालिग बेटी के साथ में दुराचार हुआ, इसके बाद हत्या हुई. इंदौर में बेटे का अपहरण हुआ. उज्जैन में बेटी के साथ (व्यवधान)..हत्या कर दी गई.
डॉ. गोविन्द सिंह - अब 13 वर्ष हो गये, अब तो मोह छोड़ दीजिए. आपके नेता प्रतिपक्ष हैं, उनको मौका दीजिए.
(व्यवधान)..
श्री शिवराज सिंह चौहान - माननीय अध्यक्ष महोदय, इसका कारण यह सामने बैठी सरकार है, क्योंकि सरकार ने तबादलों को उद्योग बना दिया है. एक पुलिस अफसर लम्बे समय तक एक स्थान पर रह नहीं पा रहा है, पुलिस का मनोबल गिरा हुआ है, रोज ट्रांसफर किये जा रहे हैं. एक के बाद एक अफसर बदले जा रहे हैं और इसीलिए प्रशासनिक व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है, ध्वस्त हो गई है.
डॉ. गोविन्द सिंह - नियमों प्रक्रियाओं में यह कहीं प्रावधान नहीं है, केवल एक विषय तक स्थगन सीमित रहेगा, दूसरे विषय पर चर्चा यहां नहीं हो सकती है.(व्यवधान)..
श्री शिवराज सिंह चौहान - माननीय अध्यक्ष महोदय, बोलने नहीं दे रहे हैं, यह क्या तरीका है?
डॉ. गोविन्द सिंह - आज गृह मंत्री के विभाग की अनुदान मांगों पर चर्चा होना है. (व्यवधान)..
श्री शिवराज सिंह चौहान - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अध्यक्ष महोदय की अनुमति से बोल रहा हूं, यह क्या तरीका है? यह नहीं चलेगा.
एक माननीय सदस्य - आप लोग कुछ भी कहें, आप कोई भी आरोप लगाएं, यह कहां तक जायज है?
श्री शिवराज सिंह चौहान -यह क्या तरीका है अध्यक्ष महोदय, आपने अनुमति दी है.
अध्यक्ष महोदय - पत्रों का पटल पर रखा जाना.श्री तरुण भनोत ..
(व्यवधान)..
12.06 बजे पत्रों का पटल पर रखा जाना
(1) मध्यप्रदेश औद्योगिक केन्द्र विकास निगम (जबलपुर) लिमिटेड का 35 वां वार्षिक प्रतिवेदन एवं वार्षिक लेखा वित्तीय वर्ष 2016-2017
वित्त मंत्री (श्री तरुण भनोत)- अध्यक्ष महोदय, मैं, कंपनी अधिनियम, 2013 (क्रमांक 18 सन् 2013) की धारा 395 की उपधारा (1) (ख) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश औद्योगिक केन्द्र विकास निगम (जबलपुर) लिमिटेड का 35 वां वार्षिक प्रतिवेदन एवं वार्षिक लेखा वित्तीय वर्ष 2016-2017 पटल पर रखता हूं.
(व्यवधान)..
एक माननीय सदस्य - मध्यप्रदेश में बच्चों की मृत्यु हुई है आपकी सरकार में. (व्यवधान)..उसके लिए कौन जिम्मेदार है?
श्री शिवराज सिंह चौहान -आप विपक्ष की आवाज दबाएंगे?
डॉ. सीतासरन शर्मा - अध्यक्ष महोदय, मेरा व्यवस्था का प्रश्न है.
श्री शिवराज सिंह चौहान -यह नहीं चलेगा. यह दादागिरी नहीं चलेगी.
एक माननीय सदस्य - आप कुछ भी कहें, सब जायज है? अध्यक्ष महोदय, यह कुछ भी कहें, इनके लिए सब जायज है. (व्यवधान)..
12.07 बजे गर्भ गृह में प्रवेश
भारतीय जनता पार्टी के सदस्यगण द्वारा गर्भ गृह में प्रवेश किया जाना
(भारतीय जनता पार्टी के सदस्यगण स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा कराएं जाने की मांग को लेकर गृर्भ गृह में आए एवं नारेबाजी करने लगे.)
(व्यवधान)..
पत्रों का पटल पर रखा जाना (क्रमशः)
(2) (क) मध्यप्रदेश राज्य महिला आयोग, भोपाल का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2015-2016 एवं 2016-2017
(ख) मध्यप्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2018-2019
महिला एवं बाल विकास मंत्री (श्रीमती इमरती देवी) - अध्यक्ष महोदय, मैं -
(क) मध्यप्रदेश राज्य महिला आयोग अधिनियम, 1995 (क्रमांक 20 सन् 1996) की धारा 14 की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश राज्य महिला आयोग, भोपाल का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2015-2016 एवं 2016-2017 तथा
(ख) बाल अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम, 2005 (क्रमांक 4 सन् 2006) की धारा 20 की उपधारा (3) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2018-2019 पटल पर रखती हूं.
(3) मध्यप्रदेश मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी लिमिटेड, भोपाल का 16वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017-2018
ऊर्जा मंत्री (श्री प्रियव्रत सिंह) - अध्यक्ष महोदय, मैं, कंपनी अधिनियम, 2013 (क्रमांक 18 सन् 2013) की धारा 395 की उपधारा (1) (ख) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी लिमिटेड, भोपाल का 16वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017-2018 पटल पर रखता हूं.
(4) मध्यप्रदेश राज्य वन विकास निगम लिमिटेड का 43वां वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखे वर्ष 2017-2018
वन मंत्री (श्री उमंग सिंघार) - अध्यक्ष महोदय, मैं, कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 394 की उपधारा (2) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश राज्य वन विकास निगम लिमिटेड का 43वां वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखे वर्ष 2017-2018 पटल पर रखता हूं.
12.09 बजे बहिर्गमन
भारतीय जनता पार्टी के सदस्यगण द्वारा सदन से बहिर्गमन किया जाना
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) - (XXX).. सरकार स्थगन पर चर्चा नहीं करवा रही है, उसके विरोध में हम सदन से बहिर्गमन करते हैं.
अध्यक्ष महोदय - यह सब कुछ बोला जा रहा है वह कुछ रिकॉर्ड में नहीं आएगा.
(भारतीय जनता पार्टी के सदस्यगण द्वारा नेता प्रतिपक्ष श्री गोपाल भार्गव के नेतृत्व में स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा कराए जाने की मांग को लेकर सदन से बहिर्गमन किया गया.)
(5) (क) जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर, मध्यप्रदेश का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017-2018
(ख) महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय, चित्रकूट, जिला-सतना, मध्यप्रदेश का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017-2018
(ग) महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय, जिला-कटनी (मध्यप्रदेश) का मध्यप्रदेश का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017-2018
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री जितू पटवारी )- अध्यक्ष महोदय, मैं -
(क) मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय अधिनियम, 1973 (क्रमांक 22 सन् 1973) की धारा 47 की अपेक्षानुसार जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर, मध्यप्रदेश का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017-2018,
(ख) चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय अधिनियम, 1991 (क्रमांक 9 सन् 1991) की धारा 36 की उपधारा (5) की अपेक्षानुसार महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय, चित्रकूट, जिला-सतना, मध्यप्रदेश का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017-2018, तथा
(ग) महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय अधिनियम, 1995 (क्रमांक 37 सन् 1995) की धारा 28 की उपधारा (3) की अपेक्षानुसार महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय, जिला-कटनी (मध्यप्रदेश) का मध्यप्रदेश का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017-2018 पटल पर रखता हूं.
(6) मध्यप्रदेश राज्य रोजगार गारंटी परिषद, भोपाल की वार्षिक रिपोर्ट वर्ष 2017-2018
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री ( श्री कमलेश्वर पटेल )- अध्यक्ष महोदय, मैं, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 की धारा 12 की उपधारा (3) (च) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश राज्य रोजगार गारंटी परिषद, भोपाल की वार्षिक रिपोर्ट वर्ष 2017-2018 पटल पर रखता हूं.
ध्यानाकर्षण
(1) दतिया जिले में लूट एवं हत्या की घटनाएं घटित होने से उत्पन्न स्थिति
डॉ नरोत्तम मिश्र ( दतिया ) -- अध्यक्ष महोदय,
गृह मंत्री ( श्री बाला बच्चन ) -- माननीय अध्यक्ष महोदय,
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी का कहना सही हो सकता है. मंत्री जी के शासन, प्रशासन के प्रति बहुत अच्छे भाव हैं. गृह मंत्री जी, मैं इस ध्यान आकर्षण के माध्यम से आपकी आलोचना करने के लिये खड़ा हुआ ही नहीं हूं. मैं सिर्फ आपका ध्यान आकर्षित करने के लिये खड़ा हुआ हूं. गृह मंत्री जी, मैं आपका ध्यान आकर्षित इस बारे में करना चाहता हूं कि हमारा जो इलाका है, अच्छा, आप एक सवाल का जवाब दें, तो दूध का दूध पानी का पानी हो जायेगा. कल आपके एक टीआई ने ग्वालियर में, आर्थिक अपराध शाखा के टीआई ने ग्वालियर में प्रेस कांफ्रेस की, यह मैं कल की बात कर रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय -- यह इसमें उद्भूत नहीं हो रहा है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, यह इसी का है. कृपया आप पूरा सुन लें.
अध्यक्ष महोदय -- दतिया.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, हां, वही दतिया का ही है. उन्होंने प्रेस कांफ्रेस दतिया की ही की है. मैं विषय से बाहर नहीं जाऊंगा. मैं इस ध्यान आकर्षण से रत्ती भर बाहर जाना भी नहीं चाहता और मैं कोई आलोचना करने के लिये खड़ा भी नहीं हुआ है. उन्होंने प्रेस कांफ्रेस करके कहा कि स्विफ्ट गाड़ी 4 लोगों ने ग्वालियर से लूटी, ड्राइवर की हत्या करेरा थाने में की, दतिया में आये, सेवढ़ा में 2.47 लाख की उन्होंने लूट की. दतिया टीआई ने उनको पकड़ा, उनका नाम शेर सिंह था और टीआई ने उसके बाद लेन-देन करके दतिया में उनको छोड़ दिया, हत्या,लूट के आरोपियों को छोड़ दिया. आप इसकी पुष्टि कर लें, अगर मेरी बात सही हो और मैं इतनी सी बात कहने के लिये खड़ा हुआ हूं कि अपराध की जड़ में सिर्फ यही है कि अपराधी से कहीं न कहीं लोकल स्तर पर पुलिस मिली हुई है.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. गोविन्द सिंह) -- अध्यक्ष महोदय, मैं इसलिये हस्तक्षेप कर रहा हूं कि जो टीआई, शेर सिंह है, उसको आप ले गये थे. आपने उसकी पोस्टिंग कराई और जो काम आप अवैध कर रहे थे, जो आपने उनको ट्रेनिंग दी, वह ट्रेनिंग अभी तक लगातार जारी है, इसलिये उसको ठीक करके हटा भी दिया गया है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, मैं एक बार फिर कह देता हूं. गोविन्द सिंह जी मेरे काबिल दोस्त हैं. मैं उसको कभी नहीं ले गया. ये मिनिस्टर है, अगर ये ट्रेंजरी बैंच से ऐसा बोलते हैं और मेरा कहना यह है कि संसदीय कार्य मंत्री जी जब बोलें, तो प्रमाण से बोलें. आरोप लगायें, तो प्रमाण से लगायें. मैं जितनी बात कह रहा हूं, नाम सहित लेकर कह रहा हूं. गोविन्द सिंह जी ने आरोप लगाया है, तो वे यह बतायें कि अगर मैं उनको ले गया था, तो यह उनके पास लिखित में प्रमाण हैं. गोविन्द सिंह जी, सुनियें, मैंने गृह मंत्री जी से अभी तक सिर्फ एक बार बात की है, इनके गृह मंत्री बनने के बाद. मैंने एक बार उनसे यह कहा था कि यह टीआई अपराधियों से मिला है, इसको हटाओ. अध्यक्ष महोदय, सिर्फ एक ही बार मैंने बात की है और यह गोविन्द सिंह जी मेरे काबिल दोस्त हैं, विषयान्तर करने की कोशिश कर रहे हैं. मैं फिर कह रहा हूँ कि मेरे और तेरे की बात करने के लिए मैं खड़ा नहीं हुआ हूँ. इस ध्यानाकर्षण का मेरा कोई उद्देश्य ऐसा नहीं है. अध्यक्ष जी, स्वाभाविक रूप से पीड़ा की बात है. अगर किसी बाप के इकलौते बेटे को लोग घर मे घुसकर मार दें, उसकी मां को मार दें तो उस बाप के हृदय पर क्या गुजरेगी. वह शिक्षक है, सामने गुरुपूर्णिमा आ रही थी, अध्यक्ष जी, शिक्षक का हृदय रोता है. गृह मंत्री जी कह रहे हैं कि वहां शांति है, कह रहे हैं कि बाजार आंशिक बंद हुआ. मान लेते हैं आपकी बात सही होगी, लेकिन अभी तक अपराधी क्यों नहीं पकड़े गए ? अध्यक्ष जी, एक छोटी सी बात है, अपराधी नहीं पकड़े जा रहे हैं, अभी तक उनके पास में जानकारी आ गई होगी कि ग्वालियर में ऐसी घटना हुई है. मैंने नाम लिया है कि किस टीआई ने प्रेस-कांफ्रेन्स की है. अध्यक्ष महोदय, अगर ऐसों पर गृह मंत्री कार्यवाही करने की हिम्मत नहीं जुटाएंगे तो प्रदेश में अच्छा संदेश नहीं जाएगा और अपराध नहीं रूकेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय विधायक जी, आप जरा हिम्मत तो दो और प्रश्न कर दो.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, मैंने प्रश्न ही किया है.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न कर दिया ?
डॉ. नरोत्तम मिश्र - हां, कर दिया है.
श्री बाला बच्चन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी ने कल किसी टीआई ने प्रेस-कांफ्रेन्स की है, उससे संबंधित बात पूछी है, आप संसदीय कार्य मंत्री रहे हैं, लंबे समय तक रहे हैं, अगर आपकी बात में कोई दम है, उसकी पुष्टि होती है, तथ्यों के आधार पर हम सख्त कार्यवाही उस टीआई के खिलाफ कराएंगे.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष जी, वे माननीय गृह मंत्री हैं और गृह मंत्री या कोई भी मंत्री जब सदन में जवाब देते हैं तो उससे संबंधित विभाग के व्यक्ति बैठते हैं. मैंने इसलिए पहले यह कहा कि आप जानकारी ले लें, अगर मैं असत्य कह रहा हूँ तो. मैंने नाम लिया कि किसने प्रेस-कांफ्रेन्स की है, कहां पर की है, किस विषय को लेकर की है, गाड़ी का नंबर क्या था, हत्या किसकी की गई, कौन से थाने में की गई, लूट कहां पर की गई, कितने की लूट की गई, ये सब मैं अक्षरश: बोला हूँ. अध्यक्ष जी, आप साक्षी हैं.
श्री जितु पटवारी -- अध्यक्ष महोदय ....
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- जितु भाई, मैंने कहा ना कि मेरा बिल्कुल ध्येय आलोचना करने का नहीं है. मेरा सिर्फ यह कहना है कि अगर हम इस तरह से बचाएंगे तो नीचे के लेवल पर अपराध नहीं रुकेगा.
श्री जितु पटवारी -- माननीय अध्यक्ष महोदय....
अध्यक्ष महोदय -- पटवारी जी, बैठिए जरा एक मिनट. हां, बोलिए.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- माननीय अध्यक्ष जी, मैं पुन: कह रहा हूँ.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी, माननीय विधायक जी जिन 3-4 बिंदुओं की बात कर रहे हैं, आपने भी अपने जवाब में बोला है कि अगर ऐसा हुआ है तो उसके ऊपर कड़ी कार्यवाही करेंगे. आप दोनों की यही बात है ?
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- जी हां, अध्यक्ष महोदय.
अध्यक्ष महोदय -- अब कार्यवाही कितने समय में हो, इस पर आ जाएं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- कार्यवाही हो या न हो, यह माननीय गृह मंत्री जी का अधिकार क्षेत्र है, मेरा यह कहना है कि प्रदेश में जिस तरह की वीभत्स घटनाएं घट रही हैं, बच्चियों को जला देना या नृशंस हत्या करना, घर में घुसकर मार डालना, हमारे दतिया में ही ऐसी घटना हुई. उस बिटिया के हाथों की मेहंदी नहीं छूटी थी और घर में घुसकर गोली मार दी, प्रियंका साहू को, अध्यक्ष जी, इस तरह की घटनाओं के लिए कोई संदेश देना चाहिए. एक मामला जो पुष्ट हो चुका, वह भी दतिया का है, मेरा ध्यानाकर्षण भी दतिया जिले से ही जुड़ा हुआ है. यह घटना भी दतिया जिले की है. अगर आपने उस एक पर केस रजिस्टर्ड कर दिया तो आपके पूरे प्रदेश की मुस्तैदी हो जाएगी और इस तरह की घटनाओं पर पाबंदी लग जाएगी. अध्यक्ष जी, इतना सा मेरा निवेदन है. आप करें तो, नहीं करें तो, आपकी मर्जी.
डॉ. गोविन्द सिंह -- माननीय गृह मंत्री जी से जवाब सुन लो.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- आपका गृह विभाग नहीं है.
डॉ. गोविन्द सिंह -- आप जवाब तो सुन लो.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- आपका विभाग तो सहकारिता रहेगा, (XXX) आपको इससे ज्यादा और कुछ नहीं है.
डॉ. गोविन्द सिंह -- आपको मालूम है, मेरे पास पहले भी था, मैंने स्वयं छोड़ा था.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- राज्य मंत्री थे दादा, वे कभी आपको राजा नहीं बनाएंगे, आप मानो तो मेरी बात.
डॉ. गोविन्द सिंह -- आपकी सरकार में न्याय भले ही नहीं होता था, लेकिन सच्चाई है कि यहां न्याय होगा.
श्री बाला बच्चन -- माननीय अध्यक्ष जी, हमारे माननीय विधायक सदस्य साथी ने जो बात पूछी है. ठीक है, अगर यह तथ्यों पर आधारित है तो निश्चित उनके खिलाफ कार्यवाही होगी और जिस तरह से बताया गया है कि टीआई ने कोई प्रेस-कांफ्रेन्स की है, हम उसकी जानकारी ले लें, हम उसकी तहकीकात कर लें, और निश्चित हम उस टीआई के खिलाफ कार्यवाही करेंगे क्योंकि कानून को जो कोई भी हाथ में लेगा, चाहे वह अधिकारी हो, कोई पोलिटिशियन हो, या कोई भी अन्य व्यक्ति हो, कानून को हाथ में लेता है, अपराध करता है तो निश्चित ही कानून प्रक्रिया के अंतर्गत उनके खिलाफ कार्यवाही होगी. जो आपने यहां पर बात रखी है कि टीआई ने प्रेस-कांफ्रेन्स की है, मैं इसकी पुष्टि कर लूँ, इसके तथ्य ले लूँ और उसके खिलाफ हम जरूर कार्यवाही करेंगे.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष जी, बहुत छोटी सी बात है. मैं फिर आपसे निवेदन कर रहा हूँ, मेरा कहना नहीं मानना है, इनके विभाग के एक अधिकारी ने, मैं उसका नाम भी ले रहा हूँ, छाबई का, उसने प्रेस-कांफ्रेन्स की, अध्यक्ष जी, जो मामला सिद्ध हो गया होगा, उन्होंने चार अपराधी पकड़े, चारों ने हत्या कबूल की, चारों ने लूट कबूल की, लूट का माल बरामद हो गया, लूट की गाड़ी बरामद हो गई, यह गाड़ी इस टी.आई. ने दतिया थाने में इन चारों अपराधियों को पकड़ा, गाड़ी पकड़ी, रुपया लिये, गाड़ी छोड़ दी, अपराधी छोड़ दिये, कोई केस रजिस्टर्ड नहीं किया. क्राइम ब्रांच की शाखा ने परसों पकड़े और उसके बाद क्राइम ब्रांच की प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने उल्लेख किया है. इसमें मेरा उल्लेख है ही नहीं और फिर मैं आपसे प्रार्थना कर रहा हूं कि हम अपराधों के बारे में सोंचे, अपराधों की किस्म के बारे में, यह जो नीचे के स्तर पर संदेश है, उसके कारण से अपराध बढ़ रहा है. अगर यहां से, इस सदन से सख्त कार्यवाही का अगर संदेश नहीं जायेगा, तो जिस तरह से प्रदेश में अपराधों की बाढ़ आयी है यह थमेगी नहीं. मैं इतना कह रहा हूं. गृह मंत्री जी की आलोचना करना मेरा उद्देश्य नहीं है, न मेरा कोई पुलिस की आलोचना का उद्देश्य है. मेरा उद्देश्य अपराधों पर नियंत्रण से है. अध्यक्ष जी, मेरी प्रार्थना है कि आपकी व्यवस्था इस पर आना चाहिये.
खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री (श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर) - अध्यक्ष महोदय, मुझे एक मिनट बोलने की इजाज़त दे दीजिये.
अध्यक्ष महोदय - आप एक मिनट रुक जाइये. विषय बड़ा गंभीर है. जरा आप शांति रखिये. आप बैठ जाइये, तशरीफ रखिये. शुक्रिया. माननीय मंत्री जी, जो विषय की गंभीरता आ रही है, आप भी उसे भलीभांति समझ रहे हैं. यहां कहीं न कहीं कोई तो प्रश्नचिह्न लग रहा है कि एक नहीं, दो-तीन-चार और उसके बाद भी वह प्रश्नचिह्न लगातार जारी है. क्या ऐसे प्रश्नचिह्न रोकने के लिये आपके निर्देश जारी होंगे ?
श्री बाला बच्चन - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपको बताना चाहता हूं कि हमारी 6 महीने की सरकार के कार्यकाल में जो हमने सभी अपराधों पर नियंत्रण पाया है और माननीय मुख्यमंत्री आदरणीय कमलनाथ जी के नेतृत्व में हम इस बात की कोशिश कर रहे हैं कि प्रदेश को हम अपराध मुक्त प्रदेश बनायें और मैं आपको बताना चाहता हूं कि सभी अपराधों में किसी में 2 परसेंट, किसी में 4 परसेंट, किसी में 9 परसेंट, किसी में 10 परसेंट और किसी में 14 परसेंट की कमी आयी है. इसमें सतत् हम लोग प्रयत्नशील हैं और जो माननीय नरोत्तम मिश्र जी जानना चाह रहे हैं, यह सब मेरे पास इसके फिगर हैं. आज चूंकि मुझसे संबंधित गृह, पुलिस और इससे संबंधित अनुदान मांगों पर चर्चा होगी, इसमें मैं सारी बातें डिलिवर भी करूंगा. अपने आंकड़े भी मैं डिलिवर करूंगा. माननीय विधायक जी ने यहां जो बात रखी है, मैं उनकी बात की तहकीकात कर लूं और अगर वह सत्य और फैक्ट है, तो तथ्यों के आधार पर हम कार्यवाही करेंगे. वह छावई टी.आई. और उसके अलावा अन्य और भी जो शामिल होंगे, सबके खिलाफ हम सख्त कार्यवाही करेंगे. हमारी कार्यवाही से कोई बच नहीं पायेगा.
अध्यक्ष महोदय - गृह मंत्री जी, ऐसी घटना दोबारा न हो पाये, उसके पहले जांच हो जायेगी ?
श्री बाला बच्चन - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके आदेश का अक्षरश: हम पालन करेंगे. उसमें कोई डाउट, कोई शंका वाली बात नहीं है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, मेरा सिर्फ यह कहना है कि यह मांगों पर जवाब देंगे. इस ध्यानाकर्षण के औचित्य पर ही इन्होंने प्रश्न लगा दिया है. इन्होंने कहा कि मांग पर मैं जवाब दूंगा.
अध्यक्ष महोदय - वह अन्य विषयों पर देंगे.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, अन्य विषयों पर नहीं, इसी विषय पर कहा है. इन्होंने पूरी बात कह दी.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, ध्यान आकर्षण की सूचना कोई एक विशेष घटना के ऊपर नरोत्तम जी ने लाई है.
अध्यक्ष महोदय - हां, दतिया के ऊपर लाये हैं.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, माननीय गृह मंत्री जी ने अपने उत्तर में बताया है कि फलां प्रकार के अपराध, फलां प्रकार के अपराध, 2 परसेंट की कमी, 4 परसेंट, 6 परसेंट की कमी, जब ध्यानाकर्षण या स्थगन सूचनायें आती हैं, किसी घटना विशेष पर आती हैं. अब इसमें ऐसी बात करना कि हम बजट के समय उत्तर दे देंगे, यह तो प्रश्न का समाधान नहीं हुआ. इस प्रश्न में जो हुआ है इसका स्पेसीफिक और समाधानकारक उत्तर आना चाहिये. अध्यक्ष महोदय, आपने भी आसंदी से व्यवस्था दी है कि भविष्य में कभी भी इस प्रकार की घटनायें नहीं हों. मैं, मानकर चलता हूं कि इसकी ग्यारंटी तो मंत्री जी ले सकते हैं क्या ? ले सकते हैं ?
अध्यक्ष महोदय - हां, मंत्री जी ने इसकी ग्यारंटी ले ली है. हो गई है.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर - माननीय अध्यक्ष जी, मैं कुछ बोल सकूंगा, इजाज़त दे देंगे ?
अध्यक्ष महोदय - तोमर जी, अभी दो पण्डितों के बीच में गेंद फंसी है. आप जरा रुक जाइये. ...(व्यवधान)..
..(व्यवधान)..
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर-- (xxx)...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- तोमर जी, मैंने आपको इजाजत नहीं दी है, आप कृपा पूर्वक बैठ जाइये. अब सुनिए, सिर्फ नरोत्तम जी को अपना प्रश्न करने दें. नरोत्तम जी को प्रश्न करने का अच्छा अनुभव है, किसी को सपोर्ट करने की जरुरत नहीं है. ..(व्यवधान)..
डॉ.सीतासरन शर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, ये चर्चा करा लें, ये अपनी बात कह लेंगे, हम अपनी बात कह लेंगे.
अध्यक्ष महोदय-- नरोत्तम जी, अंतिम प्रश्न, क्योंकि आपकी तरफ से मैंने भी कर लिया है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- जी माननीय अध्यक्ष जी, मैं आपका आभारी हूँ.
श्री भूपेन्द्र सिंह-- अध्यक्ष जी, नरोत्तम जी के बाद मेरा व्यवस्था का प्रश्न है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष जी, मैं यह कह रहा हूँ कि...
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ.गोविन्द सिंह)-- माननीय अध्यक्ष जी, मंत्री जी जवाब देना चाहते हैं. आप सुन तो लो.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- दें.
नेता प्रतिपक्ष(श्री गोपाल भार्गव)-- गृह मंत्री की जगह खाद्य मंत्री खड़े हो गए. क्या यह कोई राशन का विषय है? (हँसी)
श्री बाला बच्चन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य जी और पूछना चाह रहे थे, पूर्व गृह मंत्री जी भी कुछ जानना चाह रहे थे.
श्री भूपेन्द्र सिंह-- अध्यक्ष जी, मेरा व्यवस्था का प्रश्न है. अनुमति हो तो बोलूँ?
अध्यक्ष महोदय-- अभी प्रश्न चालू हैं.
श्री भूपेन्द्र सिंह-- इसके बाद सुन लें.
अध्यक्ष महोदय-- भूपेन्द्र जी, मैं कहाँ की व्यवस्था दे दूँ?
श्री भूपेन्द्र सिंह-- इसके बाद सुन लें. व्यवस्था का प्रश्न इससे उद्भूत हुआ है, तो आप इसके बाद सुन लें.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर-- (xxx).. (व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- अब आप लोग कृपया शांत रहें. मैं अब आगे बढ़ जाऊँगा. मैं बड़े आराम से, अगर कोई उत्तर दिलाना चाह रहा हूँ, उसको अन्यथा न लें, मैं धीरे चल रहा हूँ, नहीं तो मैं तेज चलने लगूँगा.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष जी, मैं तो अक्षरशः आपके आदेश का पालन करूँगा. आपने कहा कि विषय से बाहर नहीं जाएँगे. मैं विषय से बाहर नहीं गया था.
श्री आरिफ अकील-- (बैठे-बैठे) आप तो पी टी ऊषा बन जाओ. (हँसी)
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- अब आप उनका जेण्डर कैसे चेंज कर दोगे? पी.टी.ऊषा कैसे बनेंगे?..(व्यवधान)..
श्री तरुण भनोत-- भावनाओं को समझिए.
अध्यक्ष महोदय-- नरोत्तम जी, मेरे इस विषय के बारे में आप कहीं से कहीं कोई छोर तक मत सोचिए.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष जी, मैं तो सोच ही नहीं रहा हूँ. ये जो सोच रहे हैं उनको टोक रहा हूँ.
अध्यक्ष जी, मेरी प्रार्थना सिर्फ इतनी है कि खाद्य मंत्री जो बोले वह मैं सुन नहीं पाया.
अध्यक्ष महोदय-- उनका छोड़िए भाई.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- या तो आप विलोपित करा दें या मुझे जवाब देने दें.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, गृह मंत्री जी जवाब दे रहे हैं.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- उन्होंने जो बोला है उसे विलोपित करा दें या मुझे जवाब देने दें, वे क्या कहना चाह रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- मैं देख लूँगा.
(xxx) आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- नहीं तो वे क्या बोल रहे हैं मैं जवाब देना चाहता हूँ.
अध्यक्ष महोदय-- तुलसी सिलावट जी, बैठिए...(व्यवधान)..
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- चर्चा कराओ ना. ..(व्यवधान)..हम हर चर्चा पर तैयार हैं.
लोक स्वास्थ्य मंत्री(श्री सुखदेव पांसे)-- (xxx) ..(व्यवधान)..
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- अरे शेर के बच्चे अगर सियारों से धमक खाएँगे..(व्यवधान)..कैसे जंगल में रह पाएँगे?..(व्यवधान)..
श्री सुखदेव पांसे-- (xxx)..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- ये जो जो मंत्री जी बोल रहे हैं ये कुछ नहीं लिखा जाएगा. चाहे तोमर जी बोल रहे हों, चाहे सुखदेव जी, यह कुछ नहीं लिखा जाएगा. क्या आज सदन में जो मूल विषय हैं हम उनके ऊपर चर्चा न होने दें. एक तो चला गया. जरा धीरज रखिए. जब जिसकी बारी आए, जिसका विभाग आए, मेहरबानी करिए. यहाँ से भी मेरी प्रार्थना है. यह ध्यानाकर्षण सिर्फ और सिर्फ नरोत्तम मिश्रा जी का है. मैंने पहले ही व्यवस्थाएँ दे रखी हैं, मूल प्रश्नकर्ता ध्यानाकर्षण पर 3 प्रश्न करेगा. अगर मैं किसी को इजाजत दूँ तब वे प्रश्न कर सकेंगे अन्यथा कृपा पूर्वक ऐसा माहौल पैदा न करें. माननीय नरोत्तम जी, आखरी प्रश्न करें.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष जी, पहला ही आखरी है और आपकी आज्ञा से मैं हलन्त और बिन्दु भी इधर उधर नहीं पूछूँगा. मेरा तो सिर्फ इतना ही पूछना है कि इस तरह की घटनाएँ प्रदेश में न हों. एक व्यक्ति जिसका अपराध सिद्ध हो गया है और आपकी पुलिस ने सिद्ध किया है, क्या ऐसे व्यक्ति पर आप केस दर्ज करेंगे? इतनी सी बात है.
श्री बाला बच्चन--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य के द्वारा छाबई टी.आई. का जो उल्लेख किया गया है. मैं आपके माध्यम से सदन की जानकारी में ला देना चाहता हूँ कि आज ही हम इसकी जाँच करवाकर, यदि उसने कोई अपराध किया है तो निश्चित ही हम उसको सजा देंगे.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--अध्यक्ष महोदय, छाबई टी.आई. ने अपराध नहीं किया है, छाबई टी.आई. ने प्रेस कांफ्रेंस की है वह क्राइम ब्रांच का टी.आई. है. जिस टी.आई. ने यह अपराध किया है उसका नाम शेर सिंह है. दो अलग-अलग व्यक्ति हैं.
श्री बाला बच्चन-- अध्यक्ष महोदय, जो भी इस अपराध में शामिल है, जैसा माननीय सदस्य चाहते हैं हम उस पर कार्यवाही करेंगे. हम यह भी देखेंगे कि क्या टी.आई. को प्रेस कांफेंस करने का विधिवत अधिकार था. जिसने भी कानून को हाथ में लेने का काम किया है और जिसके कारण माननीय सदस्य को हाउस में यह ध्यानाकर्षण लगाना पड़ा. मैं समझता हूँ कि ध्यानाकर्षण का विषय कुछ और था लेकिन आप सप्लीमेंट्री में हमारे संज्ञान में यह बात लाए हैं, निश्चित हम कार्यवाही करेंगे. आज ही हम जाँच कराएंगे और इसमें जो भी शामिल हैं उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही करेंगे. जिससे कि हम कानून व्यवस्था में और कसावट कर सकें और ऐसे अपराध न हो सकें. अपराधी और अपराधों की संख्या बिलकुल खत्म हो इस दिशा में हम लोग काम कर रहे हैं. इसमें हम और कसावट करेंगे. आज ही हम जाँच करवाकर सख्त कार्यवाही करके सस्पेंड करेंगे.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--माननीय अध्यक्ष महोदय, सस्पेंड तो वह पहले से ही है.
अध्यक्ष महोदय--दोबारा सस्पेंड कर देंगे. (हंसते हुए)
डॉ. नरोत्तम मिश्र--अध्यक्ष महोदय, वह पहले से रंगा पुता पड़ा है. आप कह रहे हैं जांच करके सस्पेंड कर देंगे.
अध्यक्ष महोदय--अच्छा. तो फिर आप क्या चाह रहे हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--अध्यक्ष महोदय, जिसका अपराध सिद्ध हो गया है. गोविन्द सिंह जी, आप जाँच करो, चाहो तो कार्यवाही भी मत करो, मेरी उसमें रुचि नहीं है (डॉ. गोविन्द सिंह जी के बोलने पर). अध्यक्ष महोदय, मेरी रुचि सिर्फ इतनी सी है कि कोई संदेश इस हाउस का दे सकते हैं तो दें नहीं दे सकते हैं तो कोई बात नहीं है.
डॉ. गोविन्द सिंह--अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने कहा है कि आज शाम तक यह पता कर लेंगे कि वह दोषी है तो शाम तक ही उस पर कार्यवाही होगी.
श्री जितू पटवारी-- इस पर आप धन्यवाद दें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--धन्यवाद संसदीय कार्य मंत्री जी, धन्यवाद गृह मंत्री जी.
(2) बैतूल जिले सहित प्रदेश में पौधरोपण कार्य में अनियमितता की जाना
सर्वश्री कुणाल चौधरी (कालापीपल), संजीव सिंह, विनय सक्सेना-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री कुणाल चौधरी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी से मेरा प्रश्न है कि क्या गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में दो तरह के रिकार्ड दर्ज किए गए? पहला, एक साथ इतने पौधे लगाने का और दूसरा दूसरे दिन 90 प्रतिशत पौधे चोरी होने का, क्या गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड नहीं बना? दूसरी, बात यह कि मंत्री जी, बैतूल शहर में शाहपुरा क्षेत्र में पहुंचे और छोटी सी जांच से विदित होता है कि शिवराज सिंह जी की सरकार में वृक्षारोपण के नाम पर सिर्फ करदाताओं तथा शासन के धन का दुरुपयोग किया गया. गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में नाम दर्ज कराने की जिद में महज एक दिन में सात करोड़ पौधों को यदि रोपित किया जाए तो इसमें वृक्षारोपण के कई मानक मापदण्डों का उल्लंघन होना स्वाभाविक है और इसमें मुख्यालय से लेकर फील्ड तक विभिन्न स्तरों पर लापरवाही भी बरती गई होगी. आप इसकी जांच करवाएं, क्योंकि करोड़ों पौधे एक दिन में लगे और करोड़ों चोरी हो गए. क्या आप इसका नाम भी गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज करवाएंगे?
श्री तरूण भनोत- माननीय अध्यक्ष महोदय, आदरणीय सदस्य द्वारा जो पूछा गया है, मैं इस पर पूर्व में भी कह चुका हूं क्योंकि पौधारोपण का कार्य मूलत: वन विभाग एवं अन्य विभागों द्वारा किया गया था और उसमें राशि का व्यय भी उन विभागों द्वारा ही किया गया था. मैं समझता हूं कि सदस्य महोदय के प्रश्न में ही उनका उत्तर भी छिपा हुआ है. माननीय वन मंत्री जी, जो कि सदन में अभी उपस्थित भी हैं, उन्होंने स्वयं कुछ दिवस पूर्व मौके पर जाकर जांच की है और जांच में प्रथम दृष्टया जो अनियमिततायें पाई गयीं, उन पर विभागीय कार्यवाही भी की गई है. निश्चित तौर पर मैं सदन में कहना चाहूंगा कि इस प्रकार की, और जानकारी यदि हमारे संज्ञान में आयेगी तो उस पर जो कुछ भी संभव होगा हम वैसी कार्यवाही करेंगे.
श्री कुणाल चौधरी- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी से मेरा एक प्रश्न है कि 100 प्रतिशत में से 71.30 प्रतिशत पौधे जीवित बताये गए थे और वन मंत्री जी ने मौके पर जांच की तो स्थल पर केवल 15 प्रतिशत पौधे ही जीवित पाए गए. यह एक सीधे भ्रष्टाचार का उदाहरण है. यह किसी भी विभाग के द्वारा किया गया हो, मैं यह जानना चाहता हूं कि क्या यह जनता के जन-धन का दुरूपयोग नहीं था ? सिर्फ अपनी असत्यता से भरी वाह-वाही के लिए और एक संगठित लूट के रूप में इसे किया गया क्योंकि जिन्होंने पौधे सप्लाई किए, उन सप्लायरों का भी इसमें उल्लेख है कि कैसे एक दिन में 7 करोड़ पौधों को रोपने के लिए यह योजना बनाई गई और लूट सको तो लूट लो योजना के अंतर्गत मध्यप्रदेश की जनता की गाढ़ी कमाई को लूटा गया. मंत्री जी इस पर आप जांच करवा दीजिए और जिन लोगों ने जन-धन की हानि की, उन पर कार्यवाही हो.
अध्यक्ष महोदय- आपका प्रश्न हो गया. मंत्री जी आप जवाब दे दीजिये.
डॉ. सीतासरन शर्मा (होशंगाबाद)- माननीय अध्यक्ष महोदय, पिछली बार सदन में उत्तर दिया गया था कि कोई गड़बड़ी नहीं है और अब कहा जा रहा है कि गड़बड़ी है. इसलिए मैं कह रहा हूं कि दोनों उत्तर सामने रख लीजिये और सही उत्तर दिलवा दीजिये. सही उत्तर जानने का हमारा अधिकार है.
अध्यक्ष महोदय- शर्मा जी, आप माफ करिये. मूल प्रश्नकर्ता प्रश्न कर रहा है. आप क्यों खड़े हो गए ? मैं आपको परमिट नहीं कर कहा हूं.
श्री गोपाल भार्गव- माननीय अध्यक्ष महोदय, कृपया बाद में शर्मा जी को अवसर दिया जाये. माननीय सदस्य का यह कहना है कि पिछला जो लघु सत्र हुआ था उसमें शासन की ओर से उत्तर आया था कि किसी प्रकार की अनियमितता नहीं हुई है.
(...व्यवधान...)
श्री तरूण भनोत- माननीय अध्यक्ष महोदय, सर्वप्रथम तो मैं पूरे सदन को यह सूचित करना चाहता हूं कि 2 जुलाई, 2017 का वृक्षारोपण का कार्यक्रम गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज नहीं हो पाया है. यह महत्वपूर्ण जानकारी मैं देना चाहता था और रही बात भ्रष्टाचार की तो मैंने बड़ा स्पष्ट कहा कि जिस विभाग की ओर से मैं यहां खड़ा हुआ हूं, उसने किसी भी प्रकार का, कोई भी खर्च इस पौधारोपण के कार्यक्रम में नहीं किया है. मैं सम्माननीय सदस्य को बताना चाहूंगा कि इस पौधारोपण कार्यक्रम के तहत वन विभाग द्वारा 134 करोड़ रूपये खर्च किए गए. ग्रामीण विकास विभाग द्वारा इसमें 341 करोड़ रूपये खर्च किए गए. उद्यानिकी विभाग द्वारा 24 करोड़ का खर्च किया गया. कृषि विभाग द्वारा इस कार्यक्रम में कोई खर्च नहीं किया गया और न ही जन अभियान परिषद के माध्यम से कोई खर्च हुआ. पौधारोपण के कार्यक्रम में कुल 499 करोड़ रूपये का खर्च हुआ है. मैं सदन में सम्मुख यह कहना चाहता हूं कि माननीय वन मंत्री जी ने मौके पर जाकर जांच की, वहां प्रथम दृष्टया जो अनियमिततायें पाई गईं, उन पर कार्यवाही भी की गई है. यदि सदस्य महोदय और सदन की ऐसी भावना है तो हम इस पूरे प्रकरण की विस्तृत जांच करवा लेंगे. जो माननीय सदस्य इसमें शामिल होना चाहते हैं वे शामिल हो सकते हैं. जिनके भी पास ऐसी कोई तथ्यात्मक जानकारी है, जिससे यह साबित हो कि सरकारी पैसे का दुरूपयोग किया गया वे हमें जानकारी उपलब्ध करवायें तो हम उसकी जांच अवश्य करवायेंगे. धन्यवाद.
श्री कुणाल चौधरी- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अपने अंतिम प्रश्न में एक संवैधानिक मुद्दे को समेटे हुए हूं कि लगातार प्रश्नों के गलत जवाब सम्माननीय अधिकारियों द्वारा दिए जा रहे हैं. आज भी मेरे कला-मंडली के प्रश्न के ''ख'' बिंदु, जो मेरे द्वारा पूछा गया था उसे खत्म कर दिया गया. पहले भी मेरे द्वारा सी.सी.टी.वी. कैमरे में लूट के बारे में पूछा गया था, उसके अंतर्गत भी यही किया गया. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने प्रबोधन कार्यक्रम में भी आपसे आग्रह किया था कि लगातार गलत जवाब दिए जा रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय- कुणाल जी, आपकी बात आ गई है. प्रश्न एवं संदर्भ समिति इसलिए ही बनाई गई है. अगर आपको ऐसा लग रहा है कि गलत जानकारी दी जा रही है तो आप लिखित में प्रश्न एवं संदर्भ समिति को अपना लेख दे दीजिएगा.
श्री संजीव सिंह(भिण्ड):- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसी संदर्भ में मेरा भी एक प्रश्न है कि माननीय मंत्री जी ने अभी जो जवाब दिया, उसमें लिखा है कि जब इन्होंने जांच की तो परिक्षेत्र अधिकारी,परिक्षेत्र सहायक एवं वन रक्षक इन लोगों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही की गयी तथा इन पौधों को लगाने में पूरा जो 499 करोड़ रूपये का खर्चा किया गया और एक दिन में 7 करोड़ पौधे लगाये गये. ऐसा कोई वर्ल्ड रिकार्ड, गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड पुस्तिका में दर्ज भी नहीं हुआ है. निश्चित तौर पर जब इन लोगों पर कार्यवाही की तो इस मामले में अनियमितता तो हुई है, जब अनियमितता हुई है तो इस पर ठोस कार्यवाही क्या की गई ? आप कह रहे हैं कि हम जांच करा लेंगे. इसमें कितना समय हो चुका है और आपके तीन अधिकारी निलंबित हो चुके हैं, उसके बाद भी अभी तक आपने इस पर कोई ठोस जांच क्यों नहीं करायी ? इनके ऊपर आज दिनांक तक कोई मुकदमा दायर क्यों नहीं कराया गया ?
श्री तरूण भनोत:- अध्यक्ष महोदय, मैंने बड़े स्पष्ट रूप से कहा कि यह वन विभाग के द्वारा जो गड़बडि़यां उस माध्यम से की गयी थीं, उसकी जांच वन मंत्री जी ने मौके पर जाकर स्वयं की है. अब मैं वन मंत्री जी के क्षेत्राधिकार का उल्लंघन तो कर नहीं सकता. निश्चित तौर पर वन मंत्री जी ने मौके पर जाकर जांच की है और उसमें उन्होंने जो गड़बडि़यां पायी हैं, उस पर कार्यवाही हो रही है और अगर आप अभी कुछ और नई जानकारी दे रहे हैं तो हम उसकी भी जांच करा लेंगे. वह तो प्रथम दृष्टया उन्होंने जो जांच की, उसमें उन्होंने संबंधित विभाग के अधिकारियों को दण्डित भी किया है. अगर आगे कुछ और तथ्य ऐसे हैं जो आप सदन के माध्यम से हम तक पहुंचा रहे हैं तो हम उसके ऊपर भी जांच करा लेंगे.
श्री संजीव सिंह:-माननीय अध्यक्ष महोदय, सिर्फ निलंबित करना कोई दण्ड होता है, 499 करोड़ रूपये का घोटाला है. इस पर 341 करोड़ रूपये ग्रामीण विकास विभाग ने खर्च किये, 134 करोड़ रूपये कृषि विभाग ने खर्च किये और 24 करोड़ रूपये अन्य विभागों ने खर्च किये. आपने सिर्फ निलंबित कर दिया. जहां तक मुझे जानकारी है कि निलंबित अवधि में आधा वेतन तो मिलता है, वह आराम से बैठे हैं. जिस दिन उनका निलंबन बहाल होगा तो उनको पूरा वेतन दे दिया जायेगा और ससम्मान उनको स्थापित कर दिया जायेगा. क्या निलंबन कोई सजा होती है ? आपने सरकार के 499 करोड़ रूपये खर्च कर दिये, जनता की गाढ़ी कमाई के खर्च कर दिये और आपने जिस उद्देश्य के लिये पैसे खर्च किये, यदि आपका उद्देश्य पूरा हो जाता, अगर वह पेड़-पौधे लग जाते, प्रदेश में पर्यावरण की वृद्धि होती तो मैं मान सकता था कि ठीक है. आपने 499 करोड़ रूपये खर्च कर दिये और आपका गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड पुस्तिका में आपके नाम वर्ल्ड रिकार्ड नाम भी दर्ज नहीं हो पाया. उसके बावजूद आप कह रहे हैं कि निलंबित कर दिया. आपके यह 499 करोड़ रूपये की रिकवरी के लिये क्या-क्या किया, यह 499 करोड़ रूपये रिकवर कैसे होंगे?
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री (श्री सुखदेव पांसे):- सरकार के संरक्षण में भ्रष्टाचार हुआ है.
अध्यक्ष महोदय:- अरे भाई, आप बैठिये ना. अच्छा विषय चलता है, बीच में क्यों चोटियां काटते हो.
श्री तरूण भनोत:- अध्यक्ष महोदय, यह चाहते हैं कि समय-समय पर आपका संरक्षण इनको मिलता रहे.
श्री रामेश्वर शर्मा:- आपस में मिली-भगत चल रही है, आपस में प्रश्न कराते रहते हैं.
अध्यक्ष महोदय:- हे प्रभु रामेश्वर, बैठ जाओ.
श्री तरूण भनोत:- अध्यक्ष महोदय, पहली बात तो मैंने सदस्यों को सदन में स्पष्ट बताया कि किसी भी किताब में कोई वर्ल्ड रिकार्ड दर्ज नहीं हुआ है. जिन विभागों के द्वारा पैसा खर्च किया गया है, इसकी जांच तो वह विभाग ही करा सकते हैं. मैं बार-बार वही कह रहा हूं कि अगर कोई गड़बड़ी हुई और मेरे पास तक पहुंचायी जायेगी, क्योंकि योजना एवं आर्थिक सांख्यिकी विभाग के माध्यम से एक रूपये का भी खर्चा इस कार्यक्रम में नहीं किया गया है. अगर वन विभाग के अंदर कोई गड़बड़ी हुई है तो वन मंत्री जी यहां पर बैठे हैं और उन्होंने स्वयं ने जांच की है. हम भी उनका और सहयोग करेंगे. अगर किसी और अन्य सदस्य के पास किसी विभाग से संबंधित, जिस विभाग ने अगर पैसा खर्च किया है, यदि उसकी शिकायत है तो वह हमको दे दे तो हम उसकी जांच करायेंगे और अच्छे से जांच करा लेंगे, आपको साथ में लेकर जांच करा लेंगे.
अध्यक्ष महोदय:- मंत्री जी, बखूबी आप दूसरे विभागों की वज़नदारी अपने कंधों पर उठा रहे हैं. वन मंत्री जी, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री और उद्यानिकी विभाग मंत्री आप तीनों से अनुरोध है कि आपके विभाग की धनराशि संख्या इसमें उल्लेखित है. सिर्फ यह कह देने से नहीं कि जानकारी दी जाये, जानकारी तो आपने दे दी, की इतनी राशि व्यय की गयी है. अब वह राशि का क्या हुआ है, यह तो आपके विभागों को तय करना है.
कृपया आप चारों मंत्री इस विषय पर बैठकर स्वयं निर्णय लें कि कैसी जांच करवानी है.
श्री तरूण भनोत--अध्यक्ष महोदय, आपने जो व्यवस्था दी है उसका सम्मान करते हुए हम लोग आपस में चर्चा करके इसमें जो उचित होगी, वह जरूर करेंगे.
श्री संजीव सिंह संजू--अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी इसमें समय सीमा बतायें ?
अध्यक्ष महोदय--इसमें पूरा विषय आ गया है. आपने पूरा सुन लिया है तो आप समझ लें.
श्री तरूण भनोत--अध्यक्ष महोदय,समय सीमा आप माननीय सदस्य बता दें. उसमें साढ़े सात करोड़ गड्डे हुए हैं कितने समय में हम लोग गिन सकते हैं आप तय करके बता दें.
श्री संजीव सिंह "संजू"--अध्यक्ष महोदय, यह 2017 का मामला है इसमें दो साल हो चुके हैं.
अध्यक्ष महोदय--आप समय सीमा मांग लीजिये, जब माननीय मंत्री जी कह रहे हैं ?
श्री संजीव सिंह संजू--अध्यक्ष महोदय, एक महीने में दे दें.
श्री तरूण भनोत--अध्यक्ष महोदय, मेरा पूरा प्रयास रहेगा, साथ ही तीन मंत्रियों के साथ मिलकर साढ़े सात करोड़ गड्डे गिनकर एक महीने के अंदर जानकारी दे दूंगा.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)--अध्यक्ष महोदय, मुझे इसमें कुछ सुझाव देने हैं.
अध्यक्ष महोदय--दो प्रश्न मूल प्रश्नकर्ताओं के आ जाने दें इसके बाद आपको मौका देंगे.
श्री विनय सक्सेना--अध्यक्ष महोदय, इतने गंभीर प्रश्न को बड़ी अगंभीरता के साथ जवाब आ गया कि बैतूल में 75 प्रतिशत पौधे जीवित नहीं रहे. मतलब पिछली सरकार में जो भी काम होता था उसमें 75 प्रतिशत घोटाला होता था.
अध्यक्ष महोदय--आप प्रश्न करें.
श्री विनय सक्सेना--अध्यक्ष महोदय, मैं यह भी कहना चाहता हूं कि 499 करोड़ रूपये के घोटाले में सिर्फ बैतूल के जीवित पौधों के आधार पर दो-तीन लोगों को निलंबित कर दिया गया, क्या यह उचित है ? क्या प्रदेश का मुख्यमंत्री जो जनता के पैसे से घोषणाएं करता है. क्या मुंगेरीलाल के सपने देखते हुए यह काम कर सकता है कि उसको गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में सिर्फ उसको स्थान मिल जाये इसलिये वह जनता की गाड़ी कमाई के पैसे की बर्बादी कर सकता है ? क्या उसके ऊपर कोई कार्यवाही नहीं होनी चाहिये ? क्या उन मंत्रियों के ऊपर भी कार्यवाही नहीं होनी चाहिये जो इन चार विभागों के मंत्री थे? आज वह यहां बैठकर आरोप लगाते हैं. सुबह सुबह थोड़ी देर के लिये बोलते हैं बाद में मीडिया को बोलते उनको पता होना चाहिये कि 15 साल का रिकार्ड आने वाला है उसके बाद सदन छोड़कर चले जाते हैं.
अध्यक्ष महोदय--आप प्रश्न करें.
श्री विनय सक्सेना--अध्यक्ष महोदय, मैं तीन प्रश्न करना चाहता हूं. मुझे बताया जाये कि वृक्ष संख्या में जो अंतर है, क्या यह जरूरी नहीं था कि वृक्ष लगाते समय उसके गड्डे हो पाएंगे या नहीं हो पाएंगे ? यह पानी दे पाएंगे या नहीं दे पाएंगे ? खाद दे पाएंगे या नहीं दे पाएंगे ? क्या इतनी बड़ी संख्या प्रदेश सरकार के पास थी ? दूसरा प्रश्न करना चाहता हूं कि माननीय शिवराज सिंह जी यह योजना लेकर के आये थे वह कहते थे कि खुद किसान हूं तथा किसान का बेटा हूं. क्या वह नहीं समझते थे कि एक पौधा लगाने के लिये क्या क्या व्यवस्थाएं आवश्यक हैं ? एक आम आदमी को इस अपराध से मुक्त किया जा सकता है, लेकिन हिन्दुस्तान का कानून कहता है कि अगर जो व्यक्ति इसका जानकार हो और जानकर इस अपराध को घटित होने दे तो क्या उनके ऊपर कार्यवाही नहीं होनी चाहिये ? क्या उनको भविष्य में वेतन मिलेंगे उनसे रिकव्हरी नहीं होनी चाहिये ? मुख्यमंत्री जी को जांच के दायरे में क्यों नहीं आना चाहिये ? जब हिन्दुस्तान के कानून में लोकपाल की बात होती है.
अध्यक्ष महोदय--आपने दो प्रश्न कर लिये है. बड़ा लंबा मेटर हो गया है.
श्री विनय सक्सेना--अध्यक्ष महोदय, इसमें एफआईआर क्यों नहीं हुई ? माननीय वित्तमंत्री जी से कहना चाहता हूं कि उनके विभाग का तो मामला ही नहीं बचा है. एक महीने के अंदर उनको चार विभागों से जानकारी लेकर के देना है. मैं आग्रह करना चाहता हूं कि हिन्दुस्तान के अंदर बहुत बड़ा पाप इस मध्यप्रदेश के अंदर हुआ है. वृक्ष लगाना एक धर्म का काम है. मैं कहना चाहता हूं कि इस सदन में चाहे वह किसी भी पक्ष का हो हम लोगों को (XXX) कह दिया जाता है.
अध्यक्ष महोदय--इस शब्द को विलोपित किया जाये.
श्री विनय सक्सेना--अध्यक्ष महोदय, मैं आदरणीय भार्गव जी से निवेदन करना चाहता हूं कि इस विषय पर ईमानदारी से खुद खड़े होकर के कहें तो हिन्दुस्तान में एक इतिहास रच जायेगा कि पूरे सदन ने यह कहा कि जो इस घोटाले में शामिल हैं अगर वह मुख्यमंत्री भी हों तो उनके खिलाफ भी एफआईआर होना चाहिये. मैं एक और प्रश्न पूछना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय--बहुत प्रश्न हो गये हैं मैंने सुन लिया है आप विराजिये. मंत्री जी आप उत्तर दें.
वित्त मंत्री (श्री तरूण भनोत) - माननीय अध्यक्ष महोदय, सदन में स्पष्ट रूप से आपने जो व्यवस्था दी है, हम उसको शिरौधार्य करेंगे. संबंधित तीनों मंत्रीगण के साथ मैं स्वयं शामिल होकर इस पूरे मामले की जांच करेंगे. अगर आदरणीय सदस्य महोदय ने कहा कि हमारे जो तत्कालीन मंत्री थे, पूर्व मंत्री जी अभी सदन में तो नहीं है, उनसे भी प्रयास करके जरूर एक बार चर्चा कर लेंगे कि इस योजना के पीछे उनकी क्या सोच थी और कैसे इसको कार्यरूप में बदलने का प्रयास किया गया था. इससे ज्यादा अब मैं कैसे व्यक्तिगत तौर पर और किस प्रकार से माननीय सदस्य की भावना को संतुष्ट करूं आप मुझे यह व्यवस्था दे दें, हमने हर चीज तो स्वीकार कर लिया.
अध्यक्षीय घोषणा
अध्यक्ष महोदय - आज भोजनावकाश नहीं होगा. भोजन की व्यवस्था सदन की लॉबी में की गई है, माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि सुविधानुसार भोजन ग्रहण करने का कष्ट करें.
01:01 बजे ध्यान आकर्षण (क्रमश:)
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) - माननीय अध्यक्ष जी, जैसा कि माननीय सदस्य ने कहा है. मैं प्रत्येक प्रकार की जांच का स्वागत करता हूं, 4 मंत्री हो, 6 मंत्री हो जो भी हो, लेकिन मैं यह भी कहना चाहता हूं पहली बात हमारा जो पौधरोपण का कार्यक्रम हुआ था, उसका सर्वाइबल आप देख लें. दूसरी बात यदि राशि अपव्यय की बात है (XXX) इसमें इस साल 600 करोड़ खर्च होना है. आप बचत की बात कर रहे हैं? आप यदि बचत की बात कर रहे हैं तो आपने (XXX). आपने 50 हजार कर्मचारियों का ट्रांसफर किया है. आप यहां पर इस तरह की बातें करते हैं. (...व्यवधान)
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर - अध्यक्ष महोदय, ये विषय से भटक रहे हैं, आप ये बताओ की आप जांच चाहते हैं या नहीं. (...व्यवधान)
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूं, एक बहुत ही उपयोगी योजना के लिए, उपयोगी कार्यक्रम के लिए, महत्वकांक्षी कार्यक्रम के लिए इस प्रकार से कटघरे में खड़ा नहीं करना चाहिए.
श्री विनय सक्सेना - माननीय अध्यक्ष महोदय, ये विषय से हटकर बात कर रहे हैं. माननीय भार्गव जी से उम्मीद करता हूं कि ये विषय से हटकर बात न करें. (...व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - भार्गव जी, विषय समाप्त किया जाए.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष जी, एक महत्वकांक्षी कार्यक्रम के लिए, एक जनोपयोगी कार्यक्रम के लिए इस प्रकार से कटघरे में खड़े करना ठीक नहीं.
श्री कुणाल चौधरी - माननीय अध्यक्ष महोदय, (XXX) इसको विलोपित किया जाए.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, मैं चुनौती देता हूं कि किसी प्रकार की जो भी जांच करना हो, सरकारी पक्ष को चुनौती देता हूं आप जांच करें. (...व्यवधान)
श्री तरूण भनोत - माननीय अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष की अंदर से निकल रही भावनाओं का सम्मान करते हुए मैं इस चुनौती को स्वीकार करता हूं और वे जो चाहते हैं उसकी जांच हम जरूर कराएंगे. (...व्यवधान)
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, कृषि विभाग, उद्यानिकी विभाग, ग्रामीण विकास विभाग 6 विभागों ने, यदि फारेस्ट गार्ड ने कुछ किया होगा, उद्यानिकी के माली ने किया होगा, हमारे मनरेगा वालों ने किया होगा, तो मैं यह जानना चाहता हूं कि इसमें मुख्यमंत्री कहां से आ जाते हैं? (...व्यवधान) आप करवाइए न जांच. मैं आपको चुनौती देता हूं आप जांच करवाइए.
श्री सुखदेव पांसे - (XXX)
श्री गोपाल भार्गव - आपके कार्यकाल में 6 महीने में जो कार्य हुए हैं, एक भी आदमी नहीं बचेगा सारे लोग जेल चले जाएंगे, 6 महीने में आपके कुकर्मों के कारण.
श्री सुखदेव पांसे - भ्रष्टाचार उजागर हुआ तो (XXX). (...व्यवधान)
श्री तरूण भनोत - नेता प्रतिपक्ष की भावनाओं का हम पूरा सम्मान करेंगे और इस जांच को जहां आप चाहते हैं, वहां तक पहुंचाएंगे.
श्री गोपाल भार्गव - आप यदि अगले सत्र तक इस बात को प्रमाणित कर सके तो मैं आपको धन्यवाद दूंगा और नहीं तो मैं यह मानकर चलूंगा कि (XXX). (...व्यवधान)
श्री तरूण भनोत - माननीय अध्यक्ष महोदय, मिली जुली किसके साथ थी. (...व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - माननीय वन मंत्री जी कुछ बोलना चाह रहे हैं.
वन मंत्री (श्री उमंग सिंघार) - माननीय अध्यक्ष जी, चूंकि सदन को माननीय वित्त मंत्री जी ने जांच का आश्वासन दे दिया है, इसके आगे बोलने की बात नहीं आती लेकिन हमारे आदरणीय सदस्य शर्मा जी, सिसौदिया जी बोल रहे थे कि फरवरी मार्च में जो प्रश्न लगा था, उसके अंदर ही आपने आधा प्रश्न पढ़ा, उसके अंदर ही मैंने जांच के आदेश दे दिए थे, अगर आप पूरा प्रश्न पढ़ते तो आपको मालूम होता. मार्च में मैंने आदेश दे दिए थे, उसके बाद ही मैंने दोबारा क्रास जांच की तो यह सब घोटाला पाए गए, इसकी जांच पुन: वापस की जा रही है, इसमें जो भी शामिल है उसके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी, माननीय वित्त मंत्री जी ने कह दिया है.
1.05 बजे याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय-- आज की कार्यसूची में सम्मिलित माननीय सदस्यों की सभी याचिकाएं प्रस्तुत मानी जाएँगी.
1.06 बजे शासकीय विधि विषयक कार्य.
(1) मध्यप्रदेश
लोक सेवा
(अनुसूचित
जातियों,
अनुसूचित
जनजातियों
और अन्य
पिछड़े
वर्गों के लिए
आरक्षण) संशोधन
विधेयक,
2019 (क्रमांक 15
सन् 2019) का पुर:स्थापन
(2) मध्यप्रदेश सिंचाई प्रबंधन में कृषकों की भागीदारी (संशोधन) विधेयक,
2019 (क्रमांक 16 सन् 2019) का पुर:स्थापन
(3) मध्यप्रदेश गौवंश वध प्रतिषेध (संशोधन) विधेयक, 2019
(क्रमांक 17 सन् 2019) का पुर:स्थापन
(4) नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2019 (क्रमांक 18 सन् 2019) का पुर:स्थापन
(5) मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2019
(क्रमांक 19 सन् 2019) का पुर:स्थापन
1.14 बजे वर्ष 2019-2020 की अनुदानों की मांगों पर मतदान
(1) मांग संख्या 26 संस्कृति
मांग संख्या 38 आयुष
मांग संख्या 52 चिकित्सा शिक्षा
अध्यक्ष महोदय - अब, इन मांगों पर कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत होंगे. कटौती प्रस्तावों की सूची पृथकत: वितरित की जा चुकी है. प्रस्तावक सदस्य का नाम पुकारे जाने पर जो माननीय सदस्य हाथ उठाकर कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत किये जाने हेतु सहमति देंगे, उनके ही कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए माने जाएंगे.
मांग संख्या - 52 - चिकित्सा शिक्षा
क्रमांक
डॉ. सीतासरन शर्मा 3
श्री बहादुर सिंह चौहान 6
उपस्थित सदस्यों के कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए.
अब मांगों और कटौती प्रस्तावों पर एक साथ चर्चा होगी.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय (जावरा) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 26, 38 और 52 के कटौती प्रस्ताव पर अपने विचार व्यक्त करने के लिए खड़ा हुआ हूँ. मैं आपका संरक्षण भी चाहता हूँ. मैं निवेदनपूर्वक कुछ बातों की ओर आपका ध्यान आकृष्ट कराना चाहता हूँ.
अध्यक्ष महोदय - डॉक्टर साहब, एक मिनट. मेरा ऐसा अनुरोध है कि जो मूल विभाग में ओपनिंग करेंगे- प्रथम 15 मिनट, द्वितीय 10 मिनट एवं बाकी 5-5 मिनट. अगर हम यह निश्चित कर लें, थोड़ा आगे-पीछे हो सकता है. अगर यह आप लेकर चलेंगे तो हम काफी कुछ काम आगे तक का निपटा पाएंगे. ऐसा मेरा सुझाव है. कृपया जारी रखें.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय - जी, जो मुख्य बिन्दु हैं, उसी की ओर ध्यान आकृष्ट कराना चाहूँगा. मैं विगत वर्षों की उन बातों में कदापि जाना उचित महसूस नहीं करता और इसलिए मैं सीधे-सीधे निवेदन करना चाहता हूँ कि जो बजट प्रस्तुत किया गया है, निश्चित रूप से उस बजट में अत्यंत महत्वपूर्ण बिन्दु, चाहे वह चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में हो, आयुष के क्षेत्र में हो, संस्कृति के क्षेत्र में हो, उसमें जीरो बजट दर्शाया गया है. जीरो बजट का आशय हम सब भली-भांति जानते हैं, किया जायेगा, निश्चित रूप से होगा. लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन जो हमें बार-बार आगाह कर रहा है कि डॉक्टरों की कमी पर पूरे देश भर के साथ हमारे मध्यप्रदेश में भी चिन्ता व्यक्त की जा रही है.
1.13 बजे (उपाध्यक्ष महोदया (सुश्री हिना लिखीराम कावरे) पीठासीन हुईं.)
उपाध्यक्ष महोदया, प्रति एक हजार व्यक्तियों पर कम से कम एक डॉक्टर होना चाहिए. देश को आजाद हुए इतना समय हो गया है. आप कहेंगे कि आपने क्या किया ? हम कहेंगे कि हमने यह किया. आजादी के बाद कुल 6 मेडिकल कॉलेज मध्यप्रदेश में हुआ करते थे. मैं माननीय पूर्व मुख्यमंत्री, श्री शिवराज सिंह चौहान जी का उल्लेख करना चाहूँगा, विगत शासनकाल का उल्लेख करना चाहूँगा कि उन्होंने अथक् प्रयास करते हुए 7 मेडिकल कॉलेज और नये प्रारंभ किए. इस प्रकार हमारे यहां मध्यप्रदेश में 13 मेडिकल कॉलेज अभी वर्तमान में हैं. वे या तो पूर्ण हो रहे हैं या पूर्णता की स्थिति में हैं, मैं उन आगामी 7 मेडिकल कॉलेज के बारे में कह रहा हूँ. रतलाम जिले में भी मेडिकल कॉलेज स्वीकृत हुआ. विदिशा में भी मेडिकल कॉलेज स्वीकृत किया गया, इसी के साथ-साथ शिवपुरी में, छिंदवाड़ा में, शहडोल में, खण्डवा में और दतिया में स्वीकृत हुए. कार्य कितना पूर्ण हुआ ? आगामी कितने समय में उसे पूर्ण कर लिया जायेगा और उसके लिए क्या प्रावधान किए गए हैं ?
वह स्थिति तो सब अपने स्थान पर है, लेकिन जैसा आप और हम सभी जानते हैं कि अभी अधिक समय नहीं हुआ है. अभी आप कहेंगे कि सात माह हुये हैं, कोई कहेगा 130 दिन हुये हैं, कोई कहेगा 140 दिन हुये हैं. मैं बस विगत माहों की ही बात करना चाहूंगा. यह अखबार में छपा है कि ''दर्द से कराहती रही प्रसूता, नहीं पहुंचा कोई डॉक्टर, फर्श पर हुई डिलेवरी, शिशु की मौत हुई ''और यह जून माह की बात है. आप इसके साथ यह दुर्दशा भी देख लें कि जानवरों के डॉक्टर कर रहे हैं कि सामुदायिक स्वास्थ्य की मानिटरिंग ट्रामा यूनिट मनोचिकित्सक के जिम्मे है और वहां पर उप संचालक कहते हैं कि मैं प्रतिनियुक्ति पर हूं और एन.एच.एम. की कम्न्यूनिटी प्रोसेस की शाखा में अपनी सेवायें दे रहा हूं, मैंने आजीवन मिशन में कम्यूनिटी प्रोसेस के लिये काफी काम किया है और मुझे अनुभव के कारण ही यह जिम्मेदारी दी गई है. यह जिम्मेदारियां कहां से कैसे आ जाती है. यह अजब महकमा, गजब कहानी है. अब मध्यप्रदेश की क्या यह हालत हो गई है ? जहां छ: मेडिकल कॉलेज हुआ करते थे और सात मेडिकल कॉलेजों का भारतीय जनता पार्टी के शासनकाल में निर्माण कार्य प्रारंभ होकर, उनके कार्य प्रारंभ हुये. अभी रतलाम में भी द्वितीय वर्ष का एडमीशन होना भी प्रारंभ हो गया है.
श्री शशांक कृष्ण भार्गव -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, माननीय सदस्य अपनी जानकारी को सही करें, डॉ. मनमोहन सिंह जी की मेहरबानी से सात मेडिकल कॉलेज खुले थे. अभी पांच साल का वक्त भारतीय जनता पार्टी की सरकार का गुजर गया है, वह पूरे नहीं हुये हैं और आप छ: माह की दुहाई दे रहे हो. कृपया आप अपनी जारी सही करें. (व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदया -- श्री भार्गव जी आप बैठ जायें.
श्री दिलीप सिंह परिहार -- आप सोच समझकर बोलिये. (व्यवधान)..
श्री राकेश गिरि -- आप सिर्फ भाजपा सरकार के बने बनाये कामों का लोकार्पण कर रहे हो, सात माह में आपने क्या दे दिया है, आप यह बता दें? (व्यवधान).....
श्री दिलीप सिंह परिहार -- श्री मनमोहन सिंह की सरकार कब से चली गई है. (व्यवधान)..
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय --माननीय उपाध्यक्ष महोदया, (XXX) आप मुझे क्षमा करें. आपको निश्चित रूप से मुझे क्षमा करना पड़ेगा. दस साल तक प्रधानमंत्री मौन रहे और आज यहां पर इतनी ताकत दिखा रहे हैं और इतनी जोर से बोल रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदया -- आप अपनी बात जारी रखिये.
श्री शशांक कृष्ण भार्गव -- आप नेट पर दिखवा लें, नेट के ऊपर हैं आप अपने मोबाईल पर देख सकते हैं. (व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदया -- श्री भार्गव जी आप बैठ जायें. (व्यवधान)..
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय -- मैं सिर्फ आपका ध्यान आकर्षित कर रहा हूं. आप थोड़ा ध्यान तो दें, जो मरीजों के साथ में अमानवीयता हो रही है, जो इलाज यहां पर ठीक ढंग से नहीं मिल रहा है मैं उसकी ओर ध्यानाकर्षित करने के लिये कुछ उल्लेख कर रहा हूं, आप उस पर तो आप कम से कम ध्यान दें. अब आप देखिये बीना के डॉक्टर ने जिंदा व्यक्ति को मृत बताया है. क्या मैं इस पर चर्चा नहीं करूं, क्या में उल्लेख नहीं करूं, क्या मैं ध्यानाकर्षित नहीं करूं ? वह वृद्ध तो जिंदा था, कौन कह रहा है. थाना प्रभारी, यह बीना की आपके कार्यकाल की बात है.
संस्कृति मंत्री(डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ) -- माननीय सदस्य विषय से अलग हटकर बात कर रहे हैं, मैं इनकी जानकारी मैं यह लाना चाहती हूं कि चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग दोनों अलग-अलग हैं. आप बीना की बात कर रहे हैं, वह स्वास्थ्य विभाग से संबंधित हैं.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय -- मैं विषय पर ही बात कर रहा हूं. मैं माननीय मंत्री जी से क्षमा चाहता हूं. मैं सिर्फ यह उल्लेख यह करना चाहता था कि आजादी के बाद से लेकर छ: महाविद्यालय हुआ करते थे, सात नये महाविद्यायल प्रारंभ हो गये. मैंने यह ध्यानाकर्षित किया था कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जो चेतावनी दी और जिस पर चिंता व्यक्त की है तो फिर क्यों उसके बावजूद भी प्रति एक हजार पर एक डॉक्टर उपलब्ध नहीं हो रहा है और उसके लिये क्या प्रयास किये जायेंगे कौन से नये प्रयास प्रारंभ हुये हैं ? यह मेरी जिज्ञासा है. इसलिये मुझे उल्लेख करना पड़ा कि इन सात माह में इस तरह की घटनायें हुई हैं. मैं अपने साथ अनेक घटनाओं की जानकारी लाया था, लेकिन मैं आपके विचारों का स्वागत करते हुये उनका उल्लेख नहीं कर रहा हूं. लेकिन इसी के साथ- साथ मैं यह निवेदनपूर्वक कहना चाहता हूं .
लोक निर्माण एवं पर्यावरण मंत्री (श्री सज्जन सिंह वर्मा) -- माननीय पाण्डेय जी पंद्रह साल में एक हजार डॉक्टर बैक हो गये हैं? जरा आप बता दें. अभी हमें सात माह हुये हैं. (हंसी)...
श्री ओमप्रकाश सकलेचा -- लेकिन हमारी सरकार ने पंद्रह साल में दोगुने से ज्यादा चार गुनी संख्या डॉक्टर बनने के लिये तैयार कर दी थी. सात प्रायवेट और शासकीय मेडिकल कॉलेज, इन सबको मिलाकर हमने डॉक्टर बनने की क्षमता चार गुनी कर दी है. चार गुना डॉक्टर बनने की शुरूआत भारतीय जनता पार्टी ने की थी.(व्यवधान)...
उपाध्यक्ष महोदया -- श्री सकलेचा जी कृपया बैठ जायें. (व्यवधान)...
श्री आलोक चतुर्वेदी -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, उन फर्जी शिलान्यासों का भी बता दिया जाये कि चुनाव को देखते हुये रात को डेढ़ बजे छतरपुर में फर्जी शिलान्यास किये गये हैं, उस मेडिकल कॉलेज का क्या हुआ है ? उसके बारे में भी बतायें ......(व्यवधान)...
उपाध्यक्ष महोदया -- कृपया माननीय सदस्य बैठ जायें . ......(व्यवधान)...
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय -- यह बात आप अपने मंत्री जी से पूछियेगा कि उसमें क्या हुआ है? सात माह हो गये हैं और आपने इन सात महीनों में अपने मंत्री जी से क्यों नहीं पूछा कि क्या हुआ है? ......(व्यवधान)...
उपाध्यक्ष महोदया -- श्री आलोक जी आप कृपया बैठ जायें. जो माननीय सदस्य खड़े हैं, वह कृपया बैठ जायें....(व्यवधान)...
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय -- आपको इन सात महीनों में अपने मंत्री जी को जानकारी देना चाहिये था. आप अनावश्यक बात कर रहे हैं. ....(व्यवधान)...
उपाध्यक्ष महोदया -- कृपया माननीय सदस्य आप बैठ जायें, श्री पाण्डेय जी आप अपनी बात जारी रखें.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैंने ध्यान केंद्रित करने के लिये सिर्फ उल्लेख किया है कि इतने मेडिकल कॉलेज हो गये और विश्व स्वास्थ्य संगठन इस संबंध में चिंता व्यक्त कर रहा है. प्रति एक हजार पर डॉक्टर होना चाहिये. क्या आप नहीं चाहते हैं कि प्रति एक हजार पर भी एक डॉक्टर हो? आप बार -बार हस्तक्षेप क्यों कर रहे हैं?
उपाध्यक्ष महोदया -- आप आसंदी की तरफ देखकर बात करें. ....(व्यवधान)...
श्री मनोज नारायण सिंह चौधरी -- आप तो जिंदा आदमी को मरा हुआ बता दें, यह आप खुद कह रहे हैं. व्यापमं से भर्ती डॉक्टर ने ही जिंदा व्यक्ति को मुर्दा बताया है. ....(व्यवधान)...
डॉ राजेन्द्र पाण्डेय -- मैं कभी किसी को हस्तक्षेप नहीं करता हूं, आप भी हस्तक्षेप नहीं करें. ....(व्यवधान)...
श्री विजय रेवनाथ चौरे -- हम तो पांच सौ बिस्तर का अस्पताल करना चाह रहे हैं. मेरी विधानसभा सौंसर में माननीय कमलनाथ जी, ने पंद्रह साल पहले सौ बिस्तर का एक अस्पताल खुलवाया था, उसमें केवल चार डॉक्टर हैं. आप पहले अपने पंद्रह साल का हिसाब दीजिये.
उपाध्यक्ष महोदया -- कृपया आप बैठ जायें. आप आसंदी की तरफ देखकर बात करें....(व्यवधान)...
डॉ राजेन्द्र पाण्डेय --माननीय उपाध्यक्ष महोदया, आप बर्न यूनिट प्रारंभ करने वाले हैं और इस संबंध में बजट देखा तो जीरो. आपने अनुदान संख्या 52-2054 चिकित्सा महाविद्यालय ग्वालियर न्यूरोलॉजी विभाग के उन्नयन हेतु बजट जीरो रखा, अनुदान संख्या 52-103-7502-चिकित्सा महाविद्यालय सागर में आई.सी. की सपोर्ट प्रशिक्षण स्मार्ट क्लॉस का उन्नयन करना है लेकिन आपने 0.02 बजट रखा है. आपने अनुदान संख्या 67-4968-64-001 लोक निर्माण भवन चिकित्सा महाविद्यालय में निर्माण कार्य बजट 0.01 रखा है. यह जो आपने जीरो बजट पर प्रावधान किये हैं और सदस्य उधर से बोल रहे हैं कि पन्द्रह साल में जो हुआ वह प्रारंभ नहीं हुआ. आप यह बता दें कि यह जीरो बजट में आप आखिरकार क्या करने वाले हैं ? आप किस तरह से इसको कर लेंगे ? जहां एक और हमारे सामने यह कठिनाई आ रही है कि एम.बी.बी.एस. में जो एडमीशन हो रहे हैं, वह पी.जी. भी करना चाहते हैं तो विभाग उनको पी.जी. करने के लिये मंजूरी क्यों नहीं दे रहा है? जहां पर हमें स्पेशलिस्ट मिलना चाहिये, उनको विभागीय मंजूरी पी.जी. करने के लिये क्यों नहीं दी जा रही है? माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी ने यह प्रारंभ किया था मेडिकल कॉलेज के साथ में सुपर स्पेशिलिटी सुविधा भी जिला चिकित्सालयों में मेडिकल कॉलेज में दी जायेगी, उस बारे में आपने क्या विचार किया है ? उसके बारे में कहीं से कहीं तक कोई उल्लेख निश्चित रूप से इस पूरे बजट में देखने को नहीं मिलता है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, जहां तक ग्रामीण क्षेत्र की मैं बात करूं तो इस बात से सभी लोग सहमत होंगे कि डॉक्टरों की इस कमी के कारण हमारे ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति क्या है ? अगर सिविल अस्पताल की बात करें, जिला चिकित्सालय अपने स्थान पर है. जिला चिकित्सालय में भी आजादी के बाद से लेकर अब तक और वर्तमान की जो आप बात कर रहे थे कि आपने क्या किया, तब तक वहां के पदों की स्थितियां क्या हैं ? उसका कहीं से कहीं तक कोई प्रावधान आपने किया कि क्या किया जायेगा ? उसके बारे में उल्लेख नहीं किया गया है.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -- आप पी.जी. डॉक्टर हैं, या एमबीबीएस डॉक्टर हैं?
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय -- मैं होम्योपैथी हॅू.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -- आप स्वास्थ्य विभाग की चर्चा कर रहे हैं और मेरे पास चिकित्सा शिक्षा विभाग है.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय -- मेरा आशय यह था कि मेडिकल के कार्य अतिशीघ्र पूर्ण हो जायें, जल्दी से जल्दी से पूर्ण हों ताकि ये जो पदों कि रिक्तता है और जिसका ढिंढोरा हम सत्तर साल से एक दूसरे पर डालने की कोशिश कर रहे हैं.
श्री रामपाल सिंह -- डॉ. गोविन्द सिंह जी जिस कॉलेज में पढ़े हैं, डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय उसी कॉलेज के विद्यार्थी हैं.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय -- यह एक दूसरे पर डालने वाली बात है परंतु जहां तक आप मेरी बात कर रहे हैं तो आयुष का भी इसमें मैंने उल्लेख किया है. माननीय उपाध्यक्ष महोदया, आयुष चिकित्सालय की स्थिति हम सभी जानते हैं, पूरे मध्यप्रदेश भर में आयुर्वेद के लिये क्या किया जा रहा है, इस बजट में क्या किया जायेगा, उसका कहीं विशेष उल्लेख दिखाई नहीं देता, कोई उल्लेखनीय बात दिखाई नहीं देती और समय-समय पर यह बात भी उठती रही है, जो माननीय मंत्री जी कह रही हैं कि एमबीबीएस, एमएस, एमडी उनकी कमियां लंबे समय तक पूरी नहीं होती तो क्या जो अनुभव प्राप्त कम्पाउंडर हैं, चर्चायें पहले हुई हैं, अभी काउंसिल भी शायद इसके बारे में चर्चा कर रही है. जो सीनियर कम्पाउंडर हैं या जो होम्योपैथी, आयुर्वेद के साथ में एलोपैथी का भी उपचार करते रहे हैं, ऐसे अनुभवी लोगों को और अधिक प्रशिक्षित कर दें, और अधिक ट्रेंड कर दें, उनका ट्रेनिंग का समय कोई निर्धारित किया जाये और पहले भी इस तरह के प्रयास शासन ने जन स्वास्थ रक्षकों के माध्यम से करने की कोशिश की थी, उन्हें प्रशिक्षित भी किया गया था, कभी 6 माह के लिये, कभी 2 साल के लिये, लेकिन उन्हें लगातार काम करने के अवसर नहीं दिये गये, तो रिक्तता पूरी कैसे की जाये. मैं बार-बार ध्यान आकृष्ट करने की कोशिश कर रहा हूं कि वह रिक्तता कैसे दूर की जाये, उस कमी को कैसे दूर किया जाये, इसके लिये बजट में कहीं भी किसी प्रकार का कोई उल्लेख नहीं किया गया, यह निश्चित रूप से हम सबके लिये विचारणीय है. माननीय मंत्री जी इसके बारे में थोड़ा ध्यान दें और अगर यही हालत रही तो जो डब्ल्यू.एच.ओ. ने हमें चेतावनी दी है अगले 30 वर्षों तक भी मैं तुम्हारी, तुम हमारी ही बात करते रहोगे, अगले 30 वर्षों तक भी जनसंख्या के मापदण्ड अनुसार डॉक्टरों की कमी दूर नहीं की जा सकती और इसीलिये मैंने बार-बार इसका उल्लेख करके आपका ध्यान आकृष्ट किया है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, कुछ उल्लेख करना चाहूंगा यह मेडीकल बायो वेस्ट जो रहता है उसके बारे में क्या किया जायेगा, कैसे उसका निपटान किया जायेगा, यह बजट में कहीं नहीं आया. लेकिन इसके साथ-साथ हम जो देखते हैं छोटे-छोटे जो सामान्य कार्य करने वाले आंखों के डॉक्टर या डेंटल डॉक्टर हैं वह जो प्रेक्टिस करते हैं, उनका छोटा सा चेम्बर, एक चेयर उसमें रहती है खुद की और एक रहती है पेशेंट की, अब अगर उसको दाढ़ निकालना है या उसको छोटा सा आंख का आपरेशन करना है, छोटे-छोटे फोये उनके खून के निकला करते हैं, अब अगर वह उस वेस्ट को फेंकने जाता है, कोई ठेका कंपनी को ठेका दे दिया गया, वह जांच के नाम पर उनके क्लीनिक पर जाते हैं वहां पर जब तक उनका निपटारा नहीं हो तब तक उसका कोई निराकरण नहीं होता है. अगर डेंटिस्ट के यहां पहुंच जाते हैं, डेंटिस्ट के यहां पर भी इस तरह की स्थितियां रहती है. कम से कम जो प्राइवेट प्रेक्टिस कर रहे हैं वह डिग्रीधारी हैं, लेकिन दूसरी तरफ इनको ऐसे ह्रास किया जाता है वह भी न्यायोचित नहीं हैं. जो आपके डॉक्टर हैं वे स्वयं भी अपने प्राइवेट नर्सिंग होम पर किस तरह का कार्य करते हैं और शासकीय अस्पतालों में किस तरह का काम करते हैं यह किसी से छुपा नहीं है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, जहां तक संस्कृति की बात करें तो शायद संस्कृति से सामने वाले पक्ष का तो कोई लेना-देना ही नहीं है. संस्कृति तो जैसे शून्य सी हो गई है. बैठते से ही वंदेमातरम का गान कैसे बंद किया जा सके, वंदेमातरम बोलना भी शायद मध्यप्रदेश में मुश्किल हो जाये और मध्यप्रदेश गान के लिये भी वक्त के साथ में बदलाव आयेगा, क्योंकि यह वक्त है बदलाव का, इस तरह का प्रारंभ किया जाता है. माननीय पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी चौहान ने ओंकारेश्वर में हम सबके परम पूज्य आदरणीय शंकराचार्य जी की एक विशाल प्रतिमा और वहां पर संस्कृति वेदांत केन्द्र को स्थापित करने के लिये कार्य प्रारंभ किया था उसके बारे में आपके द्वारा बजट में कहीं कोई उल्लेख नहीं किया है. जो हमारे पुरातत्वीय पूरे मध्यप्रदेश में क्षेत्र हैं जो पहले से सम्मिलित हैं वह निश्चित रूप से हैं वहां पर उनका उन्नयन किया जाये, वैसे पर्यटन स्थल स्थापित किये जाने चाहिये संस्कृति विभाग के माध्यम से जो हमारे पुरातात्विक केन्द्र हैं उनके संरक्षण के लिये क्या किया जायेगा उसका उल्लेख भी निश्चित रूप से बजट में नहीं किया गया है, इन सारी बातों को इसमें सम्मिलित करें, यही आग्रह है. आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री प्रवीण पाठक (ग्वालियर दक्षिण)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, आपका संरक्षण चाहता हूं. मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार सत्ता और व्यवस्था के परिवर्तन को लेकर बनी थी. मैं धन्यवाद देना चाहता हूं मध्यप्रदेश के विकास के पुरोधा, हमारे यशस्वी मुख्यमंत्री जी को और आदरणीय वित्त मंत्री जी को कि जब बहुत ही मुश्किल हालातों में उनको मध्यप्रदेश की कमान मिली उसके बाद भी उन्होंने मध्यप्रदेश की जनता ने जिस आशा और उम्मीद के साथ हमें जनादेश दिया था उस जनादेश का पालन करके सबसे बेहतर बजट आज तक का बनाया है. माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं मांग संख्या 26, 38 और 52 का समर्थन करता हूं. वैसे तो मैं पहले संस्कृति विभाग के विषय में बोलना चाहता था पर माननीय पाण्डेय जी ने चिकित्सा विभाग से बात की और मनमोहन सिंह जी पर टिप्पणी की तो विनम्रता के साथ मुझे आप लोग टोक देते हैं दो-दो लाइनों के लिये, पर बीजेपी वालों को तो बोलने का बहुत समय मिल जाता है बीच में कितना भी रोको-टोको तो भी बोलते रहते हैं, बड़ी भयंकर ट्रेनिंग है. हम लोग फर्स्ट टाइमर हैं, अपनी बातों को तो मैं दो लाइनों में रख सकता हूं कि-
''कितने शीशों की नजाकत का भरम (भ्रम) खुल जायेगा, इस चमन के फूल को पत्थर न होने दीजिये.''
और मैं आपसे बोलना चाहता हूं माननीय पाण्डेय जी कि वह मनमोहन सिंह जी का ही मौन था जिसने इस देश में राइट टू इंफार्मेशन दिया. पांच साल से मोदी जी बोलते रहे क्या दिया देश को, 2 करोड़ का रोजगार, 15 लाख रूपये खातों में, यह आंकड़ों का खेल हम बहुत दिनों से अच्छी तरह से देख रहे हैं. ..(व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदया-- सदस्य कृपया बैठ जाइये.
श्री मनोहर ऊंटवाल-- आप राजेन्द्र जी को तो गाइड लाइन दे रहे थे, उपाध्यक्ष महोदया, आप इनको भी गाइड लाइन दे दें कि क्या बोलना है.
श्री प्रवीण पाठक-- मेरे पास तो गाइड लाइन है, गाइड लाइन तो माननीय पाण्डेय साहब को दे देनी चाहिये, मेरे वरिष्ठ हैं और हम लोग तो फर्स्ट टाइमर हैं, वरिष्ठों से ही सीखते हैं ऊंटवाल साहब. पहले तो गाइड लाइन आप लोगों को मिल जानी चाहिये, जो आप करेंगे वहीं तो हम लोग ग्रहण करेंगे.
श्री मनोहर ऊंटवाल-- आदरणीय मंत्री जी मेरा निवेदन है, बहुत विनम्रता से निवेदन कर रहा हूं कि आपने हमारे प्रारंभिक वक्ता जो खुद डॉक्टर हैं उनको आपने मार्गदर्शन किया अब अपने इन सदस्य को भी दो लाइन का मार्गदर्शन कर दें.
उपाध्यक्ष महोदया-- ऊंटवाल जी कृपया बैठ जाइये, प्रवीण जी आप अपनी बात जारी रखिये.
श्री मनोहर ऊंटवाल-- अब वह मेडीकल में शेरो शायरी कर रहे हैं, शेरो शायरी से वह इलाज करेंगे.
श्री प्रवीण पाठक-- हम तो शेरो शायरी देते हैं, आपने तो जुमले दे देकर मध्यप्रदेश में पूरे 15 साल निकाल लिये. 60 साल कांग्रेस के नाम पर रोते रहे, हम 6 महीने की सरकार में आपके विषय में बात करते हैं, आप बोलते हैं कि 15 साल के लिये रोते रहेंगे. आप लोगों ने 60 साल में रोते-रोते अपना पूरा समय निकाल दिया, आप तो जुमलों के मास्टर हैं, आप तो घोषणावीर हैं. हमारा ही मुख्यमंत्री है जो कर्मवीर है, यह आपको बोलना चाहता हूं. ऊंटवाल साहब बहुत ही विनम्रता से एक बात और बोलना चाहता हूं जब माननीय पाण्डेय जी बात कर रहे थे ....(व्यवधान)...
श्री प्रवीण पाठक - माननीय उपाध्यक्ष महोदया, आपकी अनुमति से एक बात बोलना चाहता हूं. हम तो ग्वालियर चंबल संभाग के लोग हैं थोड़ा घुमाफिराकर सीधे-सीधे बात करते हैं. मैं बिल्कुल स्पष्ट विषय पर आता हूं. पाण्डेय जी ने कहा तो दूसरों पर आरोप लगाना बड़ा आसान होता है हमारे सम्माननीय सदस्य जो छतरपुर से चुनकर आते हैं माननीय सज्जन चतुर्वेदी जी यहां बैठे हुए हैं. मैं स्वयं ग्वालियर दक्षिण से आता हूं. मैं सदन और पाण्डेय जी से खासकर बोलना चाहता हूं कि आपकी चिकित्सा शिक्षा को लेकर जो चिंता है मैं उसका बड़ा सम्मान और अदब करता हूं. आपने जो अस्पताल खोलने की बात कही मैं उसका भी बहुत सम्मान और अदब करता हूं. विधान सभा चुनाव के तीन महीने पहले रात के डेढ़ बजे छतरपुर में मेडिकल कालेज का शिलान्यास हुआ उसके बाद से आपका जो शिलान्यास था वह वैसा ही है आपके तत्कालीन मुख्यमंत्री जी ने रात में डेढ़ बजे एक अस्पताल का भी उद्घाटन कर दिया जो आज तक हैण्डओवर नहीं हुआ. यह छतरपुर का मसला है. आपके तत्कालीन मुख्यमंत्री जी ने 2009 में ग्वालियर में एक अस्पताल का शिलान्यास किया.
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय - आपने सात महीने में क्या किया ? वह अस्पताल हैण्डओवर तो करवाया जा सकता था ना.
श्री प्रवीण पाठक - सात महीने में हमने वह कर दिया जो आप 15 सालों में नहीं कर पाए. क्या किया बताता हूं. आपके तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने 2009 में ग्वालियर में जे.एस.मेडिकल कालेज के केम्पस में एक अस्पताल का शिलान्यास किया. 2009 से 2019 हो गया. मैं अपने माननीय मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि 2009 के बाद जब 2018 में कांग्रेस की सरकार बनी तो उस अस्पताल को जमीन का आवंटन हो पाया और उस अस्पताल का काम शुरू हो पाया. हमारी मंत्री जी का ध्यान मैं इस ओर आकर्षित करना चाहता हूं क्योंकि जैसे हमने देखा कि पेड़ों का विषय था, घोटाले पर घोटाले, ऐसे ही स्वास्थ्य विभाग के बारे में आपकी जानकारी में कुछ विषय डालना चाहता हूं कि पूरे मध्यप्रदेश में सफाई कर्मचारियों का ठेका हाईट्स कंपनी को दे दिया, वह कंपनी कोई कहता है गुजरात की है, कोई कहता है अहमदाबाद की है, कोई कहता है बड़ोदरा की है, कोई कहता है भरूच की है. पूरे मध्यप्रदेश में सारे साथी यहां बैठे हुए हैं. पूरे मध्यप्रदेश में एक भी अस्पताल ऐसा नहीं होगा जहां सफाई की व्यवस्था सुचारू रूप से चल रही हो. माननीय मंत्री जी जब आप ग्वालियर दौरे पर आई थीं तो आपने स्वयं अस्पताल की स्वच्छता की स्थिति और सारी व्यवस्थाओं को देखा था. मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हूं कि उस टेंडरिंग प्रक्रिया की भी एक बार जांच की जाए और हम इन व्यवस्थाओं को कैसे बेहतर कर सकते हैं इस पर भी हमको जरूर विचार करना चाहिये अन्यथा इनके 15 साल का पाप हमको लगातार ढोना पड़ेगा और यह हमको कोसते रहेंगे. हमको इस व्यवस्था को सुधारना है. इन्होंने जो हमको 15 साल में व्यवस्था दी है उस व्यवस्था को हमको बदलना है. पिछले 15 साल में आपने कितने डाक्टरों के पद भरे, मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि आपने 15 सालों में आपने कितनी नर्सों के पद भरे. आज भी ग्वालियर में 30 डाक्टरों के पद पिछले 10 साल से नहीं भरे गये हैं. आज भी ग्वालियर में 170 नर्सों के पद पिछले 15 साल से नहीं भरे गये हैं. मैं मंत्री जी आपसे अनुरोध करना चाहता हूं कि चूंकि यह दोनों अस्पताल मेरे विधान सभा क्षेत्र में आते हैं इस पर भी गंभीरता से विचार कीजिये और जो 15 साल से पापों का घड़ा हमारे सिर पर फूट रहा है तो मेहरबानी करके हमको इस कलंक से बाहर निकालिये. मैं आपको हृदय से धन्यवाद देना चाहता हूं कि आपने एम.बी.बी.एस. डाक्टरों के बंद पत्र के अनुक्रम में पदस्थापना की कार्यवाही जो आप करने के लिये जा रहे हैं. हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर के कम्युनिटी हेल्थ आफीसर के 1015 पदों एवं A & M के 2000 पदों की पूर्ति भी आपके द्वारा की जा रही है इसके लिये भी मैं आपको धन्यवाद देना चाहता हूं. प्रदेश में इस वर्ष 3 नये शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय आपके द्वारा प्रारम्भ किये जा रहे हैं यह अनुकरणीय कार्य है इसके लिये भी मैं आपको हृदय से धन्यवाद देना चाहता हूं. इन विद्यमान महाविद्यालयों में सीटों की वृद्धि लगभग 850 होगी. मुझे लगता है इससे प्रदेश की व्यवस्था पहले से बेहतर होगी.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, संस्कृति का व्यापक अर्थ होता है जोड़ना. सरकार का यह सिद्धांत है कि वह मध्यप्रदेश में सामाजिक समरसता बनाकर रखे. जब हम सामाजिक समरसता की बात करते हैं तो गांधी जी का स्मरण किये बिना हम सामाजिक समरसता की बात नहीं कर सकते. महात्मा गांधी सिर्फ एक महापुरुष का नाम नहीं है. महात्मा गांधी सिर्फ एक राजनीतिक विचारधारा नहीं है. महात्मा गांधी नाम है, इस विश्व में, इस देश के 125 करोड़ लोगों की आस्था का, इस देश की सांप्रदायिक सद्भावना की मान्यता का, इस देश के लोकतंत्र के सजग पहरेदार का, इस देश के 125 वर्ष पुराने गौरवशाली इतिहास का, इस देश में मंदिर की आरती का, मस्जिद की अजान का, गुरुद्वारे की शबध का और चर्च की प्रार्थना का.
श्री विष्णु खत्री - यह 125 वर्ष पुराना इतिहास कह रहे हैं.
श्री प्रवीण पाठक - आपको गांधी जी पर भी आपत्ति है क्या. आप तो गोड़से के इतिहास को गौरवशाली मानते हो. हम यह जानते हैं.
श्री विष्णु खत्री - आपने यह कहा कि 125 साल के गौरवशाली इतिहास का, क्या इस देश का इतिहास क्या 125 साल का है केवल ? इसको करेक्टर कर लें केवल. बाकी जो आप कह रहे हैं मैं सहमत हूं.
श्री प्रवीण पाठक - मैं 125 साल के गौरवशाली इतिहास की बात मैं कह रहा हूं. क्या दीनदयाल उपाध्याय का इतिहास क्या एक हजार साल पुराना है ?
श्री विष्णु खत्री - उनके बाद का ही कहेंगे लेकिन हम भारत और भारत की सनातन संस्कृति के इतिहास की बात कह रहे हैं. भारत के इतिहास की बात कह रहे हैं. आपने भारत शब्द जोड़ा है, आप यदि कांग्रेस जोड़ते तो मुझे आपत्ति नहीं होती. या आप किसी संस्था का नाम लेते. आपने भारत कहा इसीलिये.
श्री प्रवीण पाठक - मैंने महात्मा गांधी कहा. महात्मा गांधी जी के लिये स्वराज सबसे बड़ा आत्मअनुशासन था. महात्मा गांधी के लिये सत्याग्रह दुनियां में सबसे बड़ा व्रत था.महात्मा गांधी जी के लिये अहिंसा दुनिया में सबसे बड़ा शस्त्र था. महात्मा गांधी जी के लिये शिक्षा सबसे बड़ी नैतिकता थी. मैं अपनी मध्यप्रदेश की सरकार और माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने मध्यप्रदेश में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के 150 वें जन्मवर्ष को मनाने का निर्णय लिया. मुझे लगता है यह मध्यप्रदेश में एक ऐतिहासिक निर्णय है और इस प्रकार के कार्य मध्यप्रदेश में सामाजिक समरसता के लिये होंगे तो मुझे लगता है कि मध्यप्रदेश की छवि जो पिछले 15 वर्षों में बिगड़ी है उसमें निश्चित तौर पर देश में और विश्व के पटल पर प्रदेश की छवि सुधरेगी. इस वर्ष 14 से 19 नवम्बर के मध्य देशभक्ति पर केन्द्रित सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाने का लक्ष्य है. यह भी बहुत अच्छी पहल मध्यप्रदेश में है. यह जो हमेशा आध्यात्म की बात करते हैं. हमेशा मन्दिर की बात करते रहते हैं. हमेशा गाय की बात करते रहते हैं परंतु उनके लिये करते कभी कुछ नहीं हैं. गौशाला भी खोलनी पड़ी तो हम को ही खोलनी पड़ी. पुजारियों को तीन गुना वृद्धि देनी पड़ी तो हम ही को देनी पड़ी. सरकार को आध्यात्म विभाग का गठन करन पड़ा तो हम ही को करना पड़ा. पुजारियों के मानदेय में तीन गुना वृद्धि के साथ उनके हितों की रक्षा हेतु पुजारी कल्याण कोष की स्थापना की.
श्री दिलीप सिंह परिहार - चारागाह की जमीन भी आपने बांटी ?
उपाध्यक्ष महोदया - परिहार जी, कृपया बैठें.
श्री प्रवीण पाठक - साहब, न तो हमने व्यापमं के डॉक्टर बनाए, न हमने असत्य घोषणाएं की, न हमने जुमले दिये, न हमने 2 करोड़ रोजगार देने की बात की, न हमने डम्फर चलाए. साहब, हमने तो जो किया है, वह सब आपके सामने है. अब क्या 6-7 महीने की सरकार से आप लोग 15 साल का बदला लेना चाहते हैं? अपने 15 साल के पाप का जो घड़ा है, उसका हिसाब 7 महीने की सरकार से आप लेना चाहते हैं?
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय - 7 महीने में जो छापे पड़े हैं, वह करोड़ों रुपये कहां से निकल गये? वह 7 महीने में छापे भी पड़ गये, आयकर वाले भी आ गये, करोड़ों रुपये जप्त भी हो गये, यह चमत्कार कहां से हो गया?
श्री प्रवीण पाठक - उपाध्यक्ष महोदया, 15 साल में कोई आयकर का छापा मध्यप्रदेश में नहीं पड़ा? क्या 15 साल में लोकायुक्त का कोई छापा मध्यप्रदेश में नहीं पड़ा? क्या 15 साल में ईओडब्ल्यू का कोई छापा मध्यप्रदेश में नहीं पड़ा?
श्री दिलीप सिंह परिहार - प्रधानमंत्री जी ने वह अच्छा काम किया, उसको भी याद करो. आपने 7 महीने में मध्यप्रदेश की हालत क्या कर दी है?
श्री प्रवीण पाठक - यह वही मध्यप्रदेश है, जहां बाबुओं के घर से 200 करोड़ रुपये निकले हैं. यह वही मध्यप्रदेश है जहां इरिगेशन डिपार्टमेंट के इंजीनियरों के घर 50-50 करोड़ रुपये निकले हैं. यह वही मध्यप्रदेश है, जहां भारतीय जनता पार्टी के मंत्रियों के ड्रायवरों के यहां से लॉकरों से लाखों करोड़ों रुपयों का सोना निकला है. यह मैं आपको बताना चाहता हूं. (मेजों की थपथपाहट)..
उपाध्यक्ष महोदया - कृपया अब समाप्त करें.
श्री प्रवीण पाठक - उपाध्यक्ष महोदया, जैसे ही गाड़ी चालू होती है, आप बंद करने के लिए आदेशित कर देती हैं.
उपाध्यक्ष महोदया - मैं तो नियमों से बंधी हुई हूं.
श्री प्रवीण पाठक - उपाध्यक्ष महोदया, मैं बताना चाहता हूं कि इसी प्रकार मठ मंदिर सलाहकार समिति तथा नदियों के लिए पृथक न्यास की स्थापना मध्यप्रदेश में की जा रही है. राम वन गमन पथ के अंचलों के विकास के लिए भी प्रावधान किया जा रहा है. मुझे लगता है कि इससे बेहतर प्रयास आज तक इस मध्यप्रदेश में कभी नहीं हुआ. इसके लिए मैं हृदय से माननीय मंत्री जी और माननीय मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं. उपाध्यक्ष महोदया, मैं आपके आदेश का पालन करता हूं, धन्यवाद.
श्री अजय विश्नोई (पाटन) - उपाध्यक्ष महोदया, मैं मांग संख्या 26, 38 और 52 के कटौती प्रस्ताव के समर्थन में खड़ा हुआ हूं. उपाध्यक्ष महोदया, आपका संरक्षण चाहूंगा, बार-बार सत्तापक्ष की ओर से आवाज आती है कि 15 साल में क्या किया?15 साल में क्या किया, यदि यह समझना है तो पहले यह समझना जरूरी होगा कि 15 साल पहले हमें जब सत्ता मिली थी, तब मध्यप्रदेश किस हालत में था, उस समय चिकित्सा शिक्षा विभाग के क्या हालात थे? उस समय आयुष विभाग के क्या हालात थे? फिर हम समझ पाएंगे कि इस 15 साल बाद हम कहां आकर खड़े हुये हैं. यदि फिर सामने वाले को लगता है कि हमने 15 साल में कोई गलत काम किया है, उसकी जांच करा सकते हैं. हमने कोई गलती की है, उसको सुधार सकते हैं. हमें कोई गलती की सजा देना है सजा दे सकते हैं, परन्तु तुलना जब भी करेंगे तो सम्माननीय पूर्व मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह जी के कार्यकाल के समापन के बाद क्या स्थिति थी और जब हम आए उसके बाद से क्या स्थिति रही, यह जानना भी बहुत जरूरी होगा.
हम चिकित्सा शिक्षा की बातचीत कर रहे हैं तो मेडिकल कॉलेज की बात करें तो मध्यप्रदेश में सिर्फ 5 मेडिकल कॉलेज हुआ करते थे. 46 साल तक वही स्थिति थी. मेरे पास में भी थोड़े दिन चिकित्सा शिक्षा विभाग रहा, मैंने भी मंत्री के रूप में चिकित्सा शिक्षा विभाग का काम किया है तो 46 साल के बाद पहला मेडिकल कॉलेज सागर में खुला तो मेरे कार्यकाल के दौरान खुला, उसकी शुरुआत कब हुई, माननीय मंत्री जी श्रेय उसका लेना चाहती हैं वह ले लें. लेकिन आप फाइल उठाकर दस्तखत देख लीजिएगा कि किस तरीके से वहां का जो सरकारी अस्पताल तुली था, उसको कैसे मेडिकल एजुकेशन डिपार्टमेंट में शिफ्ट किया गया? कैसे 25 एकड़ जमीन पूरी की गई? कैसे उसका बजट एलॉट किया गया और किस प्रकार से उसकी बिल्डिंग बनाई गई और कैसे वहां नियुक्तियां की गई? यह पुराना इतिहास है आप देख लीजिएगा. मुझे अच्छे से याद है इसलिए मैं आपको बता रहा हूं. 46 साल बाद एक पहला मेडिकल कॉलेज खुला, फिर 15 साल की बातचीत करते हैं तो आज जिसका श्रेय आप ले रहे हैं 4 मेडिकल कॉलेजेस में यदि इस साल प्रवेश मिल गये हैं तो यह उसी 15 साल की देन है. 3 और मेडिकल कॉलेज इस स्थिति में खड़े हैं कि अगले साल आप उसमें प्रवेश कर पाएंगे. 8 और मेडिकल कॉलेज की हम नींव डालकर गये हैं जिसके लिए आप बार-बार कह रहे हैं कि आपने सिर्फ शिलान्यास किया, आपने क्या किया? आप करिएगा. देखते हैं साल दो साल, तीन साल में कब तक आप उसको स्थिति में ला पाते हैं? हम बीज का रोपण करके गये हैं और आपको काम देकर गये हैं कि आप उसको सींचिएगा.
उपाध्यक्ष महोदया, मैं और चर्चा करना चाहता हूं नर्सिंग, जिस समय मैं चिकित्सा शिक्षा मंत्री था, उस समय मेडिकल कॉलेजेस में हालत यह थी कि 100-100 नर्सों के पद थे. मैंने अपने कार्यकाल में उन पदों की संख्या बढ़ाकर प्रत्येक मेडिकल कॉलेज में 100 से सीधे 600 की. आज मैं फिर आपसे कहना चाहता हूं इस 15 साल में मध्यप्रदेश सरकार की और केन्द्र सरकार की बहुत-सी ऐसी योजनाएं आई, जिसके कारण मेडिकल कॉलेज में भीड़ गई है, उनको हैंडिल करने के लिए और नर्सों की आवश्यकता है. आपसे अनुरोध कर रहा हूं. अब आपका कार्यकाल आ गया है, उन नर्सों के पद भी बढ़ाइए और उनकी भर्ती कीजिए ताकि मरीजों को आराम मिल सके.
चिकित्सकों की नियुक्ति करना है, वह भी जवाबदारी आपकी बनती है. जिस समय मैं देख रहा था नर्सिंग के हजारों पद खाली पड़े थे, नर्सेस मिला नहीं करती थीं. मैंने पूछा नर्सें क्यों नहीं मिलती हैं तो विभाग के लोगों ने बताया कि साहब, हमारे यहां 50 नर्सिंग कॉलेज हैं उसमें जो लड़कियां पढ़ने आती हैं वह केरल, राजस्थान से आती हैं और कोर्स करके वापस चली जाती हैं. मैंने कहा कि मध्यप्रदेश की बच्चियां क्यों नहीं आती हैं तो कहा कि मध्यप्रदेश की बच्चियां इस प्रोफेशन को अच्छा नहीं समझती हैं इसलिए नहीं आती हैं. मैंने कहा कि आप गलत कह रहे हैं, वास्तव में इनकी परिस्थिति फीस चुकाने की नहीं रहती है, इसलिए नहीं आती हैं मैं आपको याद दिलाना चाहता हूं उस समय मैंने एक स्वालंबन योजना शुरू की थी और 500 नर्सेस को सरकार के खर्चे पर पढ़ाना तय किया था. 4 साल तक वह योजना चली और ट्रेंड बना, उस ट्रेंड के कारण 50 नर्सिंग कॉलेज बढ़कर 182 नर्सिंग कॉलेज आज की तारीख में यदि हुए हैं तो 15 साल में उस ट्रेंड के कारण हुए हैं. (मेजों की थपथपाहट)..और आज मध्यप्रदेश के बच्चे भी नर्सिंग में योग्यता के साथ में आ रहे हैं और काम कर रहे हैं, यह उस ट्रेंड का नतीजा है, यह 15 साल की हमारी देन है.
मेडिकल कॉलेज में सुपरस्पेशलिटी सुविधा, माननीय प्रधानमंत्री जी, भारत सरकार से योजनाओं को लाकर हर एक जगह जहां जहां सुपरस्पेशलिटी सुविधा चालू करना थी, उसका प्रावधान किया. अब आपके हाथ में सौंपा है. आप उसको करना चाहें उसको करिए. मैंने सीटी स्केन और एमआरआई यूनिट इंदौर के मेडिकल कॉलेज में लगवाई. जबलपुर के मेडिकल कॉलेज में लगवाई, अब आपके हाथ में है. बाकी बहुत से कॉलेज पड़े हैं. बिना पैसे खर्च किये सीटी स्केन और एमआरआई हो रही है, वह मशीन लग गई है अब आप उसको देखिए. रीवा में भी लगाई है. मेरे कहने का मतलब है कि 15 साल में कुछ नहीं हुआ है यह आप नहीं कह सकते हैं. 15 साल में जो नहीं हो पाया है, वह आप करिए ना. हम उसके लिए आपको कहां टोक रहे हैं? कहां रोक रहे हैं? आपको उसको आगे बढ़ाना है. परन्तु डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय जी ने जो शुरुआत करते समय कहा था कि जो जो हैड आपने बताए हैं और उसमें जीरो बजट है, मैं उसको दोहराऊंगा नहीं क्योंकि मेरे पास कहने के लिए कुछ और भी है उस पर जरूर एक बार ध्यान दीजिएगा कि वह अतिमहत्वपूर्ण चीजें हैं उस पर जीरो बजट के साथ में हम काम शायद नहीं कर पाएंगे.
उपाध्यक्ष महोदया, अभी मेडिकल यूनिवर्सिटी की भी चर्चा हो रही थी. मेडिकल यूनिवर्सिटी जबलपुर में है. यह भी हमारे कार्यकाल की देन है. मेडिकल यूनिवर्सिटी उसी समय खुली जब बीजेपी की 15 साल की सरकार रही. श्री दिग्विजय सिंह जी के कार्यकाल में इसकी चर्चा चली, एक अशासकीय संकल्प भी आया था, उस पर भी चर्चा नहीं हो पाई थी. परन्तु उस समय से प्रोसेस करते करते मेडिकल यूनिवर्सिटी बनी, बीजेपी की सरकार में बनी. अब उसकी बिल्डिंग बनाना है, आपने प्रस्तावना में जो बजट रखा है, वह बजट हमने पिछले साल 25 करोड़ रुपये रखा था आपने उसको घटाकर कर दिया है 11.40 करोड़ रुपये. वर्ष 2018-19 की बात कर रहा हूं. वर्ष 2018-19 से तुलना करेंगे तो आपने उसमें बजट कम कर दिया है. ऐसे ही मेडिकल कॉलेज भोपाल में वायरल डायग्नोस्टिक लैब का बजट जीरो कर दिया है तो उसको भी आपको लेना है. कैंसर अस्पताल के उपकरण खरीदने के लिए कोई बजट में प्रावधान नहीं किया है. मेडिकल कॉलेजों में माड्यूलर किचन बनना है. लाण्ड्री बनना है, इसके लिए आपने बजट जीरो रखा हुआ है. मेडिकल कॉलेज शहडोल को आपने छोड़ दिया है, उपेक्षित कर दिया है, उसको जीरो बजट आपने दिया है. कटनी वर्तमान मुख्यमंत्री जी गये थे तो कहने लगे कि अरे, कटनी में यह क्यों नहीं है, कटनी में खुलना चाहिए. मुझे कटनी के विधायक जी अभी बता रहे थे कि वहां पर वह कहकर गये, आप उसको ले लीजिए. माननीय मुख्यमंत्री जी आज के आपके नेता हैं, उनके काम को आप आगे बढ़ाइए. आपने रतलाम, दतिया, शिवपुरी और छिंदवाड़ा, यह 4 मेडिकल कॉलेजों के लिए एक साथ 20 करोड़ रुपये का प्रावधान कराया. मेरा अनुरोध है कि सारा बजट छिंदवाड़ा को मत दे दीजिएगा बाकी के भी तीन नाम लिखे हैं उन तीन को भी थोड़ा थोड़ा प्रसाद मिलता रहे और उसके हिसाब से हमारा काम आगे चले, यह मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हूं. एमबीबीएस की सीटों में वृद्धि के लिए भी बजट का प्रावधान सरकार ने किया है. अब वर्ष 2018-19 में जो बजट का प्रावधान 13 करोड़ रुपये था, वर्ष 2019-20 में घटाकर इसको 3 करोड़ रुपये कर दिया है.
श्री बाला बच्चन-- उपाध्यक्ष महोदय ऐसा नहीं है. हमारी सरकार ने बजट में सभी क्षेत्रों का ध्यान रखा है. आपने जो विशेष रूप से छिंदवाड़ा को कोड किया है, ऐसा बिल्कुल भी नहीं हैं. मैं समझता हूं कि आप यहां पर असत्य जानकारी दे रहे हैं. सभी वर्गों का सभी क्षेत्रों का हर तरह से ध्यान रखा गया है. उस हिसाब से यह 2 लाख 35 हजार 506 करोड़ का बजट है. यह माननीय मुख्यमंत्री जी श्री कमलनाथ जी की सरकार का बजट है, संतुलित और सर्वहारा वर्ग का ध्यान रखकर यह बजट बनाया गया है.
श्री अजय विश्नोई -- धन्यवाद, माननीय मंत्री जी. मैं यहां पर फिर स्पष्ट कर दूं कि आप शायद देर से आये, बाद में आये या फिर सुना नहीं . मैंने यह नहीं कहा कि यह गलत है. मैंने तो यह कहा है कि बजट में जो प्रावधान किया गया है उसमें चार एक साथ हेड खुले हुए हैं, उन चारों हेड का ध्यान रखना यह निवेदन किया है. मैंने यह नहीं कहा है कि गलत दिया है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया मैं इसी प्रकार से यह कहना चाहता हूं कि स्टेट कैंसर यूनिट जबलपुर की स्थापना का बजट हमने 2018-19 में 97 करोड़ रखा था, आपने अपने बजट में उसको घटाकर 44 करोड़ कर दिया है. माननीय वित्त मंत्री जी ध्यान देंगे कि उसमें किसी प्रकार की कमी न होने पाये. जबलपुर के मेडीकल कालेज में टीवी चेस्ट विभाग की स्थापना, इस वर्ष के बजट में से उसका बजट गायब हो गया है. वर्ष 2018-19 में 10.5 करोड़ रूपये था अब उसको हमने केवल 2 हजार रूपये रखा है. इस ओर माननीय मंत्री जी और माननीय वित्तमंत्री जी दोनों ही ध्यान देंगे.
इसी प्रकार से एमबीबीएस की सीटों की वृद्धि के लिए 13 करोड के बजट को आज की तारीख में 3 करोड़ रूपये कर दिया गया है. पेंशनर्स को दवाई यह हमारे वरिष्ठ हैं, बुजुर्ग हैं, उनके लिए 2018-19 में 25 करोड़ का बजट था आपने इस वर्ष के बजट में केवल 19 करोड़ रूपये कर दिया है, कैसे उनकी दवाओं की व्यवस्था की जायेगी. चिकित्सा महाविद्यालयों के उन्नयन के लिए भी जहां हमने 2018-19 में 95 करोड़ रूपये का बजट रखा था आपने वहां पर केवल 44 करोड़ कर दिया है. माननीय उपाध्यक्ष महोदया मैं बहुत विस्तार में बात नहीं करूंगा, सदन की मंशा भी मैं यहां पर समझ रहा हूं. मैं यहां पर चिकित्सा शिक्षा विभाग की बात को विराम देता हूं. कहने को बहुत कुछ है लेकिन मैंने इशारा कर दिया है कि 15 वर्ष पहले और आज की स्थिति में अंतर कर लीजिये और उसके बाद में 6 माह का गणित आप लगायें, और बोलिये उस पर मुझे कोई एतराज नहीं है.
मैं आपको चिकित्सा शिक्षा के बारे में बता दूं कि जब मैं मंत्री था, उस समय कैबिनेट की एक मीटिंग में 5200 पद स्वीकृत करवाये थे, पूरे 5 - 6 मेडीकल कालेज के लिए, और जो रीडर नहीं बन पाये थे, संविदा पर शिक्षक थे वह एक माह के अंदर रीडर बन गये थे और प्रमोशन हुए थे. इस गति के साथ में आप भी काम करेंगी तो निश्चित रूप से 15 वर्ष के रिकार्ड को बीट करके आप अपना नाम रोशन कर पायेंगी.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया,अब मैं आयुष विभाग की बात करना चाहता हूं. आयुष विभाग बहुत छोटा विभाग है. इस विभाग पर भी मैंने कभी काम किया हुआ है, वह उपेक्षित हो जाता है. मैं 10 साल पहले के पदों की स्वीकृति की बात कर रहा हूं. उस समय पर मैंने यहां पर जो शिक्षक थे, उस समय मैंने शिक्षक के 100 पद स्वीकृत करवाये थे, वह आज तक भरे नहीं जा सके हैं, वह हमारा दोष है, हमारी सरकार की बात कह लें, आपका ध्यान इसलिए आकर्षित करा रहा हूं कि इनको भरें, यह अपने आपमें महत्वपूर्ण है. पैरामेडिकल के 236 पद स्वीकृत कराये थे वह भर गये हैं बहुत अच्छी बात है.
उपाध्यक्ष महोदया जी आज की तारीख में केवल दो पीजी कालेज हैं. एक रीवा में है वहां पर केवल एक विषय ही है और दूसरा भोपाल में है उसमें 6 विषय हैं. हमें और भी पीजी कालेज लाना चाहिए, मैं तो यहां पर आपका ध्यान दिलाना चाहता हूं कि प्रदेश आपसे क्या अपेक्षा करता है.
उपाध्यक्ष महोदया आयुष विभाग में किस तरह की मनमानी चला करती है. यह बहुत छोटा सा विभाग है इसलिए किसी का ध्यान इस ओर जाता नहीं है. माननीय मंत्री जी को भी ध्यान नहीं रहता है . माननीय मंत्री जी नोटशीट लिख देती हैं उसका भी जवाब नहीं आता है, उसका क्रियान्वयन नहीं होता है. अभी आपने भोपाल के एक कालेज के प्रोफेसर को वहां से निकाल कर संचालनालय में स्थानांतरित कर दिया है, आपने लिखा है कि उसको मूल जगह पर वापस करें, लेकिन आपकी नोटशीट का कोई जवाब नहीं आया है. मेरा कहना है कि जो पीजी पढ़ाने की योग्यता रखता है उसको बाबू बना दिया है, संचालनालय में और जो संचालनालय में बाबू हैं हो सकता है उसको वहां पर डॉक्टर बना दिया होगा.
उपाध्यक्ष महोदया -- अब आप समाप्त करें.
श्री विश्वास सारंग -- उपाध्यक्ष महोदया मेरा कहना है कि इसमें हमारी तरफ से वक्ता ज्यादा नहीं है. अजय विश्नोई जी बहुत सीनियर हैं, दो मिनट का समय देंगे तो पूरा विषय आ जायेगा, अजय विश्नोई जी इस विभाग के मंत्री भी रहे हैं, मेरा निवेदन है कि उनको समय दिया जाय.
उपाध्यक्ष महोदया -- जो तय है उसी हिसाब से कर रहे हैं. उनको 10 मिनट से ज्यादा समय हो गया है.
श्री अजय विश्नोई -- कालेजों में चिकित्सा अधिकारियों के 24 पद स्वीकृत हैं. इन 24 पदों के विरूद्ध में 200 लोगों को वहां पर बैठाया गया है. यह 200 आये कहां से हैं. यह बालाघाट जबलपुर के ग्रामीण क्षेत्रों के जहां पर डॉक्टर होना चाहिए, वहां पर न होकर इनको वहां से निकालकर यहां पर आयुर्वेदिक कालेज में बैठा दिया है, जहां पर उनकी आवश्यकता नहीं है. माननीय मंत्री जी उस पर ध्यान देंगी, इनको वापस भेजें, गांव में भेजें, उनको वहीं कर काम करने दें, अच्छी बात यह है कि उनकी शैक्षणिक योग्यता भी नहीं है. वह लेक्चरार भी नहीं बन सकते हैं, वह पीजी भी नहीं है, अगर वह पीजी हैं तो उनको शैक्षणिक अनुभव नहीं है, वह रीडर और प्रोफेसर की पोस्ट के विरूद्ध में बैठे हैं. आप इनको भी वहां से अलग करें. मैं यहां पर यह भी कहना चाहता हूं कि इस तरह के ट्रांसफर के कारण बहुत सारे कालेजों की मान्यता भी खतरे में पड़ जायेगी, अगले साल आपको मान्यता का ध्यान देना है वह आपकी क्रेडिट पर लिखा जायेगा.
मेरा यह भी कहना है कि संचालनालय में पदस्थापना के लिए जीएडी के नियम माननीय गोविन्द सिंह जी ने भी उस पर पत्र लिखा है कि जीएडी के नियमों का पालन करें वरिष्ठ को यहां पर भिजवाएं, लेकिन किसी भी नोट शीट का जवाब नहीं आता है, कनिष्ठ लोगों को संचालनालय में रखेंगे और वरिष्ठ लोगों को नहीं रखेंगे तो यह मनमानी वहां पर हो रही है आपका ध्यान दिला रहा हूं, वहां पर मनमानी न हो अब आपको संभालना है, आपकी हुकूमत वहां पर चले इसलिए मैं यह सब बता रहा हूं. आयुष विभाग में स्थानांतरण साल भर चलते रहते हैं , यह भी आप देख लें तो अच्छा है. एक बार अनुमति ले ली फिर जब मर्जी आयी जिसका चाहा वहां पर उसका ट्रांसफर कर दिया.
उपाध्यक्ष महोदया मैं यहां पर ग्वालियर का ध्यान दिलाना चाहता हूं. प्रवीण पाठक जी को भी याद होगा. डिडवाना डोली आयूर्वेदिक औषधालय है, वहां पर इन्होंने होम्योपैथी का डाक्टर बैठा दिया है, और वह पहले आयुर्वेदिक का कम्पाउण्डर था, कम्पाउण्डर से उसे प्रमोट करके आयुर्वेद का डॉक्टर बना दिया उसके पास मे डिग्री होम्योपैथी की है लेकिन प्रमोशन का चैनल नहीं है, यह कैसे हुआ है इस तरफ भी आप ध्यान देंगी. आप एक बात और देखें कि बाड़ी रायसेन में यूनानी का अस्पताल है वहां पर आपने होम्योपैथी का डॉक्टर पोस्ट किया हुआ है. जबलपुर के आयुर्वेदिक मेडीकल कालेज में भोपाल से डॉक्टर भेज दिया है वहां पर पद ही नहीं था तो उसे जबलपुर के सेठ गोविंददास अस्पताल में भेज दिया,(मंत्री जी के बैठे बैठे कहने पर कि यह आपके जमाने के है) यह हमारे जमाने के हैं तो आप इनको सुधार लेना, आप तो नोट करें और सुधारें.
उपाध्यक्ष महोदया हमने उस समय एक ड्रग कण्ट्रोलर एवं ड्रग टेस्टिंग लैब की स्थापना अपने कार्यकाल में की थी उसके लिए ग्वालियर में लैब भी बनवा दी थी आपने उसके लिए बजट में एक करोड़ का प्रावधान रखा है, 10 साल से वह प्रारम्भ नहीं हो पायी है, वह प्रभार में चल रही है, आपका ध्यान उस ओर आकर्षित करवा रहा हूं वह बहुत महत्वपूर्ण है उसको अगर आप करेंगी तो आपको साधुवाद मिलेगा.
उपाध्यक्ष महोदया नवीन आयुष औषधालयो की स्थापना के लिए आपने बजट घटा दिया है 2018-19 में जहां पर हमने 12 करोड़ रखा था आपने इस वर्ष उसको 5 करोड़ कर दिया है, इसको बढ़ाने का कष्ट करें. आयुर्वेद के अन्य औषधालयों का भी बजट आपने घटाया है 2018-19 में जहां पर 5.72 करोड़ था 2019-20 में आपने 2.26 करोड़ कर दिया है. आयुर्वेद औषधालयों की स्थापना का भी बजट आपने जहां पर 2018-19 में 8.19 करोड़ था आपने 3.28 करोड़ कर दिया है. मेडीकल यूनिवर्सिटी के रिक्त पदों को भी भरने का कष्ट करेंगी, होम्योपैथी में पीएचडी कराने की कोशिश करेंगी. इसी अनुरोध के साथ मैं अपनी वाणी को विराम देता हूं. उपाध्यक्ष महोदया आपको बहुत बहुत धन्यवाद, और सदन का भी बहुत बहुत धन्यवाद्.
श्रीमती झूमा सोलंकी(भीकनगांव) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया मांग संख्या 26, 38 और 52 पर मैं अपनी बात रखूंगी. चिकित्सा शिक्षा में पिछले 7 माहों में जितनी तरक्की देखी जा रही है इसके पीछे वास्तव में हमारे माननीय मंत्री जी का काफी प्रयास है जिसके बाद में काफी बदलाव आ रहा है. रीवा में अनुसंधान केन्द्र में ड्रग रिसर्च यूनिट की स्थापना यह यूनिट पहले भी थी लेकिन बहुत तेजी से उसमें सुधार हो रहा है, उसके पीछे हमारी मंत्री जी की मेहनत ही है. प्रदेश में चिकित्सा महाविद्यालयों में बायरोलाजी के लैब नये वायरल संक्रमण के निदान के लिए, लंबे समय से जो जांचे अधूरी पड़ी हुई थीं उसके लिए सुविधा उपलब्ध हो रही है. सभी चिकित्सा महाविद्यालयों में भोपाल, इंदौर, रीवा, सागर में भी इसकी सुविधा आमजनों को मिलने लगी है, साथ ही बहरेपन के इलाज के लिए दो चिकित्सा महाविद्यालयों, भोपाल और सागर में यह लैब स्थापित की जिसका लाभ गरीब एवं आमजनों को विशेष रूप से मिलने लगा है, यह नि:शुल्क होता है ताकि वह अन्य जगह खर्च न कर सकें. इसी तरह से पूरे देश में केंसर की बीमारी से पीड़ित बीमार ज्यादा दिखते हैं उसकी देखभाल के लिए स्टेट केंसर इंस्टीट्यूट की स्थापना यदि मध्यप्रदेश में प्रतिशत निकाला जाय तो पुरूषों में 18 प्रतिशत और महिलाओं में 13 प्रतिशत पाया जाता है और इस हिसाब से मध्यप्रेदश में सबसे अधिक इसके मरीज मिलने लगे हैं. केंसर की उच्चस्तरीय जांच के लिए 120 करोड़ की लागत से एक इंस्टीट्यूट खोला जा रहा है. यह बहुत बड़ी बात है केंसर की इस बीमारी के निदान के लिए सुपर स्पेशलिस्ट के साथ में जितने भी पदों की आवश्यकता होगी शासन सृजित भी कर रहा है और उसकी पूर्ति भी करेगा. यह हमारी मंत्री जी के विशेष प्रयासों से इतना सुधार हो रहा है. ट्रामा यूनिट की स्थापना ग्वालियर में 6.6 करोड़ रुपये की, इसी तरह से भोपाल, इन्दौर,जबलपुर में भी ट्रामा यूनिट की स्थापना की जा रही है. साथ ही शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय, इन्दौर में एम.वाय. में विशेष तौर से बोन मेरो ट्रांसप्लांट, इसमें बहुत खर्चा आता है, यह आमजन से बहुत दूर की बात होती है, किन्तु इसकी व्यवस्था होने के साथ ही निशुल्क गरीब परिवारों को इसकी सुविधा का लाभ मिलने वाला है. रीवा में मल्टी ड्रग रिसर्च यूनिट, अनुसंधान केन्द्र के माध्यम से इसकी भी स्थापना के लिये भी इसमें बजट दिया गया है. ये सभी जितने भी महाविद्यालय हैं, जहां पर आमजन की आवश्यकता, जो बड़ी बड़ी सुविधाओं के अभाव में गरीब लोग भटकते थे, आज हमारी सरकार ने इसकी ओर ध्यान दिया है, जिससे आमजन को बहुत फायदा मिलने वाला है.
उपाध्यक्ष महोदया, मैं इसके साथ ही संस्कृति विभाग के बारे में भी अपनी बात रखना चाहती हूं. संस्कृति वैसे देखा जाये तो नारी को भी इससे जोड़ा जाता है. संस्कृति का व्यापक अर्थ सबको जोड़ना है. सरकार का सिद्धांत समरसता की संस्कृति स्थापित करना है और यह काम हमारी सरकार के बनते से ही शुरु हुआ है और आने वाले दिनों में इसका एक व्यापक रुप से प्रचार- प्रसार के माध्यम से आमजन के बीच जाने वाला है. संस्कृति विभाग के द्वारा जो पूरे मध्यप्रदेश में खास तौर से भोपाल आदिवासी लोक कला, बोली विकास अकादमी, कालीदास अकामदी, उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत कला अकादमी, साहित्य अकादमी, ऐसी तमाम पूरे मध्यप्रदेश की हमारी जितनी कलाओं के माध्यम से अकादमियां खोली गई हैं, उनको और बढ़ावा देने के लिये यह विभाग काम कर रहा है. इसके लिये मुख्यमंत्री जी के दृष्टिकोण एवं मार्गदर्शन के साथ साथ मंत्री जी के अनुभवों का लाभ हमारे पूरे प्रदेश भर को मिल रहा है. यह कला संस्कृति मात्र बड़े संभाग या भोपाल तक ही सीमित नहीं है. यह गांव- गांव कसबे-कसबे, चौपाल तक संस्कृति की पहिचान के लिये इसके आधुनिक स्वरुप और पारम्परिक स्वरुप को स्थापित करने का प्रयास किया जायेगा. इसके साथ ही महात्मा गांधी जी की बात हमारे एक माननीय सदस्य ने कही है. गांधी जी की 150वीं जयन्ती, चूंकि आप सब जानते हैं कि गांधी जी का जीवन दर्शन हमारे लिये एक प्रेरणादायी है और उनके प्रेरणादयी विचार, उनके द्वारा किये गये काम के ऊपर चलने के लिये गांधी जी की सत्य, अहिंसा, भाईचारा,सद्भाव, स्वच्छता की प्रेरणा जगाने के लिये, उनकी मानवता को ध्यान में रखते हुए पूरे प्रदेश में यात्राएं, संगोष्टियां, यहां तक कि 15 अगस्त के दिन भी उनके जीवन के ऊपर, चित्रण के ऊपर भी उनकी झांकियां निकाली जायेंगी, यह भी सरकार ने निर्णय लिया है. यह बहुत सराहनीय कदम है. हमारी सरकार की सोच इससे झलकती है कि हम लोग हमारे प्रदेश एवं देश को किस ओर ले जा रहे हैं. आज की पीढ़ी में जो भटकाव आता है, उनकी विचारधार के माध्यम से उनको कैसे मार्गदर्शन दिया जाये, गांधी जी का यह जीवन दर्शन हमारे लिये एक बहुत प्रेरणादायी है और उसको युवा पीढ़ी को विशेष तौर से दिखाने के लिये उनको हर जगह पर संगोष्ठियों और हर माध्यम से, जितने भी प्रकार का प्रचार प्रसार का माध्यम हो, उसके माध्यम से उन तक पहुंचाने का प्रयास यह सरकार कर रही है. इसके साथ ही स्वतंत्रता और अस्मिता को बचाने की लड़ाई में जान की बाजी लगाने वाले हमारे देश भक्त, जिन्होंने हमारे देश को बचाने के लिये अपना बलिदान दिया, जो कि इतिहास में अमर हो गये हैं, उनके जीवन को किस तरह से संजोकर रखा जाये, उनके द्वारा किये गये देश भक्ति के कामों को किस तरह से संजोकर रखा जाये, इसके लिये स्वराज संस्थान संचालनालय स्थापित किया गया है. इसमें अंग्रेजी हुकुमत के समय किस तरह से उन्होंने अपनी जान की बाजी लगाई थी और किस तरह से वह शहीद हुए, रानी दुर्गावती, शंकर शाह, रघुनाथ शाह, छत्रसाल, रामप्रसाद बिस्मिल, चन्द्रशेखर आजाद से लेकर बड़े बड़े योद्धा हुए. स्वराज संस्थान ने अपनी गतिविधियों के माध्यम से वीरों के बलिदान का स्मरण किया है और इनकी जीवनी के माध्यम से देश भक्ति को जगाने के लिये उनकी जीवनी आमजन तक पहुंचाने का काम यह संस्कृति विभाग कर रहा है. संस्कृति विभाग विचार में जरुर आता है कि छोटा सा विभाग है, लेकिन यह छोटा विभाग नहीं है. यह बहुत बड़े बड़े काम करने वाला विभाग है. हमारे समाज को हमारी संस्कृति से किस तरह से हमेशा बचाये रखना, यह काम यह विभाग कर रहा है. वीरों की वीरगाथा और गाथाओं के साथ में यात्राएं, पूरे अमर शहीदों को याद किया जाता है और हमेशा आमजन तक शहर से गांव तक, इन यात्राओं के माध्यम से उनकी बातें आमजन तक पहुंचाई जाती हैं. मंत्री जी के नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में वर्ष 1998 में भी स्वतंत्रता संग्राम सैनानियों द्वारा अमर शहीद चन्द्रशेखर आजाद की जन्म स्थली भाबरा गांव से से लेकर बलिदान स्थल अल्फ्रेड पार्क इलाहाबाद तक एक यात्रा शहीदों के याद को लेकर निकाली गई थी. यह स्मरणीय है, आज इतिहास में इसका जिक्र है. यह बहुत बड़ी बात है. ऐसे काम करने वाली मंत्री जी को मैं साधुवाद देती हूं और आने वाले दिनों में उनके अनुभव का लाभ हमको और भी मिलने वाला है. इसी तरह से संस्कृति विभाग बड़ी खुशी की बात है कि हमारा इन्दौर का लालबाग पैलेस, जो इन्दौर की शान है और उसी को संजोकर उस पैलेस की बाहरी और आंतरिक अनुक्षरण के तहत जितना काम हो सकता है, वह काम भी उन्होंने शुरु किया है. लालबाग पैलेस जो इन्दौर को जानते हैं, उन्हें मालूम है कि उसका बड़ा इतिहास है और उसकी देखरेख और हर बात को शामिल करके उसका विकास करने की जवाबदारी इस विभाग ने ली है. यह बहुत बड़ी बात है. उसी तारतम्य में भारत भवन,जो हमारे भोपाल में स्थित है. भारतभवन मध्यप्रदेश की राजधानी में स्थित है और इसकी स्थापना हमारी प्रधानमंत्री, स्वर्गीय इंदिरा गांधी जी ने की थी और आज भारत भवन की पूरे देश में एक अलग पहिचान है. यहां पर हमारे प्रदेश ही नहीं दुनियां भर के कलाकार आते हैं और उसमें अपनी कला दिखाते हैं और बड़े सम्मान के साथ इस भारत भवन का नाम भी हम लोग लेते हैं. इसी तरह से पूरे भारत भवन में कलाकृतियों या लोक कलाओं के माध्यम से कई आयोजन यहां पर होते हैं, जो भारतीय संस्कृति को बचाकर रखे हुए हैं, जिसके माध्यम से हमारी जो संस्कृति है, उसकी आमजन तक पहुंचाने का काम भी सरकार कर रही है.
उपाध्यक्ष महोदया, इसके साथ ही हम बात बहुत करते हैं, किन्तु पुजारी जो भगवान जी की रोज सेवा सुबह शाम करते हैं, उनकी तनख्वाह तीन गुना बढ़ाने का काम भी हमारी सरकार ने ही किया है, यह बहुत बड़ी बात है. मठ मंदिर सलाहकार समिति और साथ ही नदियों के लिये पृथक न्यास की व्यवस्था है, वास्तव में आज जो नदियों की स्थिति हम देख रहे हैं, उनकी 15 सालों में जो दुर्गति हुई है, उसकी व्यवस्था भी कांग्रेस सरकार कर रही है, इसके लिये भी मैं मुख्यमंत्री जी एवं मंत्री जी को बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं देती हूं. साथ ही आदिवासियों के देवी देवताओं के स्थानों को संरक्षित रखना और उनका विकास करना यह इतिहास में पहली बार आष्ठान योजना लागू की गई है. इसके लिये भी मैं मंत्री जी का धन्यवाद करती हूं और अंत में खरगोन जिले की बात करें, तो महेश्वर की साड़ियों की ब्रांडिंग, उनकी मार्केटिंग के लिये जो बात बजट में आई है, उसके लिये भी बहुत बहुत धन्यवाद, क्योंकि इसकी पहिचान हमारे निमाड़ की पूरे प्रदेश ही नहीं पूरे देश भर में है, उसको संरक्षित करने की जवाबदारी ली है,यह हमारे लिये बहुत गौरव की बात है.
उपाध्यक्ष महोदया, सभी लोग कह रहे हैं कि आयुष विभाग छोटा है, मैं इस बात को नहीं मानती हूं. आयुष विभाग, चूंकि हमारी मंत्री महोदया ने इसको विशेष बना दिया है. वास्तव में इतिहास के पन्नों में भी हम लोग जायें, तो यह हम देखते हैं कि यायुर्वेद में पूरे विश्व का हमारा देश गुरु है. पूरे विश्व के लोग आयुर्वेद के माध्यम से यदि चिकित्सा कराना चाहते हैं, तो वे हमारे देश में आते हैं. इसमें इस विभाग ने बहुत ज्यादा चिंता के साथ काम शुरु किया है. जितने भी भवन चाहे ग्रामीण स्तर के हों, चाहे जिला स्तर के हों, जिला स्तर के 25 आयुष कार्यालय भवनों का निर्माण और 89 शासकीय आयुष औषधालय भवनों का निर्माण और इसके साथ ही भोपाल, रीवा, बुरहानपुर, उज्जैन में शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय चिकित्सालय भवनों का निर्माण कार्य किया जा रहा है. इसके साथ ही जो डिसपेंसरियां हैं, 540 औषधालयों का उन्नयन 14 करोड़ से अधिक बजट में शामिल किया गया है और महाविद्यालयों का भी 10 करोड़ से अधिक का बजट इसमें शामिल किया गया है. 50 से 30 बिस्तरीय चिकित्सालयों का निर्माण, यह भी विभाग ने इसको पूरी जवाबदी के साथ निर्माण कराने की जिम्मेदारी ली है. निश्चित ही आने वाले दिनों में आमजन को इससे फायदा मिलने वाला है. मंडलेश्वर में मेरे जिले में 9 करोड़ की लागत से 30 बिस्तरों का अस्पताल खोला जाएगा. निश्चित ही पूरे जिले को इसका फायदा पहुँचने वाला है. कुछ समय पहले आयुष विभाग की ओर से आयुर्वेद का चिकित्सा शिविर भी आयोजित किया गया, इसमें कम से कम 1500 मरीजों ने अपना पंजीयन कराया और चिकित्सकीय लाभ प्राप्त किया. इसी तरह से आने वाले दिनों में हर जिले में विभाग के द्वारा चिकित्सा शिविरों को आयोजन किया जाएगा, इससे निश्चित ही आमजन लाभान्वित होंगे. माननीय उपाध्यक्ष महोदया, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदया -- श्री हरिशंकर खटीक जी, 5 मिनट में आपको अपनी बात पूरी करनी है. समय का विशेष ध्यान रखें.
श्री हरिशंकर खटीक (जतारा) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, हम मांग संख्या 26, 38 और 52 का विरोध करते हैं और कटौती प्रस्तावों पर बोलने के लिए खड़े हुए हैं. सबसे पहले संस्कृति विभाग की बात हम आपके बीच में बताना चाहते हैं. हमारे टीकमगढ़ जिले के पलेरा जनपद पंचायत में नूना महिवा गांव के पास मोर पहाड़ियों में महाराजा छत्रसाल का जन्म हुआ था. महाराजा छत्रसाल, जिन्होंने मुगलों से युद्ध लड़ा, हम मोर पहाड़ियों पर मोर पहाड़ियां सांस्कृतिक महोत्सव का कार्यक्रम किया करते थे. वह कार्यक्रम बंद हो गया है. माननीय मंत्री महोदया से हमारा अनुरोध है कि उस कार्यक्रम को पुन: चालू कराया जाए, जिससे महाराजा छत्रसाल, जो हमारे क्षेत्र के लिए, बुंदेलखण्ड के लिए और पूरे देश के लिए एक धरोहर रहे हैं, उनका नाम हमेशा वैसा ही चलता रहे, जैसा उनका नाम रहा है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, आयुष विभाग के बारे में हम बताना चाहते हैं कि आयुष विभाग बहुत बड़ा विभाग है. इस विभाग में आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक, यूनानी कर्मचारी काम करते हैं. एलोपैथिक विभाग के भी कर्मचारी लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के माध्यम से काम करते हैं लेकिन आयुष विभाग के अंतर्गत ये लोग काम करते हैं. आयुष विभाग के जो कर्मचारी हैं, चाहे वे आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक या यूनानी वाले हों, उनको वेतन बहुत कम दिया जा रहा है. जो एलोपैथिक विभाग के कर्मचारी कार्य करते हैं, उनको 35 हजार से 40 हजार रुपये वेतन दिया जाता है, जबकि स्वास्थ्य सुविधाएं वे भी ग्रामीण क्षेत्रों में देते हैं और आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक, यूनानी के कर्मचारियों को 20 हजार से 25 हजार रुपये मात्र वेतन मिल रहा है. आयुष कर्मचारी संघ के द्वारा कई बार मांगपत्र भी दिया गया, लेकिन उनके मांगपत्र पर कभी ध्यान नहीं दिया गया. बार-बार मांगपत्र देने के बावजूद और अनुरोध करने के बावजूद आयुष विभाग के अधिकारियों द्वारा उस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया. उनके मांगपत्र में भी आया कि आयुष विभाग में वर्ष 2009 में जो सभी कर्मचारी नियमित किए गए थे, उनका प्रथम नियुक्ति दिनांक से नियमितीकरण किया जाए. यह नहीं किया जा रहा है. जबकि झाबुआ और खरगौन जिलों में प्रथम नियुक्ति दिनांक से उनका नियमितीकरण किया गया है और उनको लाभ मिल रहा है. लेकिन पूरे मध्यप्रदेश में आयुष विभाग के कर्मचारियों को नहीं मिल रहा है. समानता का अधिकार होना चाहिए. माननीय मंत्री महोदया से यह हमारा अनुरोध है कि सभी कर्मचारियों को प्रथम नियुक्ति दिनांक से नियमितीकरण का लाभ दिया जाए. इसके साथ-साथ वर्ष 2014 में जो पूर्व में नियुक्त की गई 812 महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता हैं, उनको 5200 से 1800 ग्रेड पे दिया जा रहा है जबकि 436 महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को 4440 से 1300 ग्रेड पे दिया जा रहा है. इसमें भी समान वेतन समान कार्य होना चाहिए.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, हमारा एक और अनुरोध है कि विभाग में कार्यरत कम्पाउंडर्स का पदनाम परिवर्तित करके फार्मासिस्ट पदनाम किया जाए. साथ ही साथ आयुष कर्मचारी संघ, भोपाल का जो ज्ञापन है, इसमें लिखी हुई सभी मांगें बिल्कुल जायज हैं क्योंकि कर्मचारी, जो छोटे कर्मचारी हैं, वे कहां बोलें, कहां बैठकर बात करें, वे अपने संघ में बार-बार मांगपत्र देते हैं और संघ के माध्यम से मांगें उठाते हैं. वे बार-बार भोपाल आते हैं, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं होती है. आयुष कर्मचारी संघ, भोपाल का जो दिनांक 22.06.2019 का मांगपत्र है, वह जायज मांगपत्र है. उस मांगपत्र पर गंभीरता से विचार करते हुए उनका काम होना चाहिए. उनकी मांगों को स्वीकार किया जाना चाहिए.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, एक चीज और मैं बताना चाहता हूँ कि आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक, यूनानी वाले कर्मचारियों के ट्रांसफर रायसेन जिले में हुए हैं. जहां आयुर्वेदिक विभाग का हॉस्पिटल है, वहां होम्योपैथिक विभाग के कम्पाउंडर को भेज दिया गया है. जहां होम्योपैथिक विभाग का हॉस्पिटल है, वहां यूनानी वाले को भेज दिया गया है. क्या ऐसे ट्रांसफर करने के अधिकार हैं ? रायसेन जिले के प्रभारी मंत्री जी ने ऐसे ट्रांसफर कर दिए हैं, और न जाने अन्य कितने जिलों में ऐसे ट्रांसफर हुए होंगे, तो जहां आयुर्वेदिक का हॉस्पिटल है, वहां आयुर्वेदिक का कर्मचारी पहुँचना चाहिए, यह हमारा व्यक्तिगत अनुरोध है.
उपाध्यक्ष महोदया -- कृपया समाप्त करें.
श्री हरिशंकर खटीक -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, हमारा एक और अनुरोध है कि आयुर्वेदिक विभाग में और आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक, यूनानी में एलोपैथिक के समान वेतन दिया जाए. यह हमारी मुख्य मांग है. एक बात और मुझे कहनी है कि पूरे मध्यप्रदेश में मेडिकल कॉलेजेस खोले गए हैं, यह बड़े खुशी की बात है. छतरपुर के मेडिकल कॉलेज की बात भी आई थी कि छतरपुर का मेडिकल कॉलेज कहां संचालित हो रहा है, उपाध्यक्ष महोदया, हम आपको बताना चाहते हैं कि वहां पर जिला चिकित्सालय का भवन भी नहीं था. जब बीआरजीएफ की राशि मिली तो हम लोगों ने 10 करोड़ रुपये बीआरजीएफ की राशि से और एक करोड़ रुपये विधायकों की विधायक निधि से लेकर वहां पर जिला चिकित्सालय का निर्माण करवाया. अब रही मेडिकल कॉलेज की बात तो मेडिकल कॉलेज के लिए नौगांव रोड पर भूमि आवंटित हो गई है, लेकिन जो बजट की किताब यहां पर छपी हुई है, उसमें छतरपुर जिले का नाम नहीं है. हमने अभी किताब के एक-एक पेज को देखने का काम किया है, लेकिन छतरपुर जिले के मेडिकल कॉलेज का नाम नहीं है, जो हमारे मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने मेडिकल कॉलेज खोला था, उस मेडिकल कॉलेज का नाम इस किताब में नहीं है कि कितनी राशि बजट में दी गई है.
उपाध्यक्ष महोदया -- कृपया समाप्त करें.
श्री हरिशंकर खटीक -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, एक और हमारा अनुरोध है कि आज हमने विधान सभा में प्रश्न भी लगाया था लेकिन बहस में वह प्रश्न नहीं आ सका. उसमें हमने प्रश्न किया था कि मध्यप्रदेश में आपने इतने मेडिकल कॉलेज खोले, हमारा टीकमगढ़ जिला भी अनुसूचित जाति बाहुल्य जिला है, वहां पर अनुसूचित जाति के लोगों की संख्या अधिक है. वहां पर अनुसूचित जाति के सांसद हैं. हम चाहते हैं कि हमारे टीकमगढ़ जिले में एक मेडिकल कॉलेज खोला जाए जो मांग वर्षों से चल रही है. उपाध्यक्ष महोदया, हम आपके माध्यम से माननीय मंत्री महोदया से अनुरोध करते हैं कि हमारे टीकमगढ़ जिले में मेडिकल कॉलेज खोला जाए.
उपाध्यक्ष महोदया -- कृपया समाप्त करें.
श्री हरिशंकर खटीक -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, आप भी एक मातृशक्ति के रूप में हैं, हम आपका भी सम्मान करते हैं, और डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ जी भी बैठी हुई हैं. वे बहुत योग्य हैं, बहुत प्रतिभाशाली हैं. जब हम 2003 से 2008 के बीच में चुनाव जीतकर आए, इसके बाद 2008 में जब चुनाव जीतकर आए तो आप तो राज्यसभा में चली गईं और हम लोग यहीं के यहीं रह गए. अगर आप पहले आ गई होतीं तो हम लोगों के बीच में होतीं, हमारे बीच में भी आप आ सकती थीं.
श्री गोपाल भार्गव -- वे ठीक कह रहे हैं, आपके साथ अनुसुइया उइके जी भी आई थीं, 1985 में, आज वे छत्तीसगढ़ की गवर्नर बन गई हैं. आपके भविष्य के लिए ठीक कह रहे है. उस समय मैं भी था, आप भी थीं और अनुसुइया उइके भी थीं.
श्री तुलसीराम सिलावट -- इनका भविष्य सुरक्षित है.
संस्कृति मंत्री (डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ) -- मैं नेता प्रतिपक्ष जी का धन्यवाद करती हूँ कि मेरे बारे में विचार किया, पर ये क्यों भूल जाते हैं कि मैं स्वर्गीय सीताराम जी साधौ की बेटी हूँ, जिन्होंने आजादी की लड़ाई से लेकर सन् 1952 के पहले इलेक्शन से...
श्री गोपाल भार्गव -- मुझे ये भी मालूम है कि उस समय जो एक निश्चित आयु से ज्यादा के लोग हो गए थे, उन्हें कांग्रेस पार्टी ने और राजीव गांधी जी ने टिकिट नहीं दिया था, इस कारण से आपको मिला था और रघुवंशी जी को मिला था, ऐसे 17 लोग आए थे जो वाइरस बन कर आए थे. ..(हंसी)...
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -- और हमारा सौभाग्य था कि उस वक्त भी आप हमारे साथी थे. हमारे साथ थे, वह तो दुर्भाग्य रहा कि आप उधर चले गए. अभी भी हम आपको अपना साथी समझते हैं.
उपाध्यक्ष महोदया -- अब एक मिनट में अपनी बात समाप्त कर लीजिए, काफी टाइम हो गया है.
श्री हरिशंकर खटीक -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, हम जानते हैं कि इनका नाम डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ हैं, जहां डॉक्टर हैं, वहां आदमी बीमार नहीं हो सकता है. जहां विजय है, वहां हर प्रकार की जीत होती है, और जहां लक्ष्मी है, वहां सब कुछ है, लक्ष्मी की आवश्यकता सबको पड़ती है.
श्री गोपाल भार्गव -- अब तो घोषणा कर दो.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- माननीय मंत्री जी, कुछ तो देना पड़ेगा.
उपाध्यक्ष महोदया -- मंत्री जी अपने जवाब में सबका उत्तर देंगी.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं माननीय नेता प्रतिपक्ष जी को बताना चाहूंगी कि नए मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए कुछ नॉर्म्स होते हैं. मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया, जो कि अभी बीओजी है, गवर्निंग बॉडी है, उसके माध्यम से परमिशन मिलती है. केन्द्र में आपकी सरकार बैठी है, आप नियमों में शिथिलता ला दें तो हमें खोलने के लिए क्या आपत्ति है.
श्री ओमप्रकाश सकलेचा -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया ...(व्यवधान) ...
श्री विश्वास सारंग -- उपाध्यक्ष महोदया, प्रधानमंत्री जी ...(व्यवधान) ...
उपाध्यक्ष महोदया -- माननीय सदस्यों से मेरा निवेदन है कि खटीक जी को अपनी बात रखने दें. सकलेचा जी, प्लीज बैठ जाइये.
श्री ओमप्रकाश सकलेचा - माननीय प्रधानमंत्री जी के कार्यकाल में ..(व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदया - सकलेचा जी, कृपया आप बैठ जाइये. खटीक जी अपनी बात रखने के लिये सक्षम हैं. आप खटीक जी को अपनी बात खत्म करने दीजिये, काफी समय हो गया है. खटीक जी, आप अपनी बात समाप्त करिये.
श्री ओमप्रकाश सकलेचा - (XXX)
श्री विश्वास सारंग - (XXX)
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - (XXX)
उपाध्यक्ष महोदया - किसी की बात नोट नहीं करेंगे. बस, खटीक जी अपनी बात समाप्त करेंगे. सकलेचा जी, अंत में आप अलग से आप अपनी बात बोल दीजियेगा. अभी आप बैठ जाइये.
श्री हरिशंकर खटीक - उपाध्यक्ष महोदया, हमारे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने यह नहीं देखा कि भाजपा का या कांग्रेस का है, उन्होंने समानता के रूप में देखा कि जहां गरीब लोग रहते हैं, वहां मेडिकल सुविधा का लाभ मिलना चाहिये. हम टीकमगढ़ जिले के लिये डॉ. विजय लक्ष्मी और साधौ, माने साधने का काम, सज्जन सिंह भाई साहब से अनुरोध करते हैं कि वह भी हमारा सपोर्ट करें. हुकुम सिंह कराड़ा जी बगल में बैठे हैं, उनसे हमारा अनुरोध है कि वह डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ जी से कृपापूर्वक कहें कि जब वह बजट पर बोलेंगी, तब हर हालत में टीकमगढ़ जिले में मेडिकल कॉलेज खोले जाने की घोषणा करेंगी. यह हमारा व्यक्तिगत अनुरोध है. उपाध्यक्ष महोदया, आपने बोलने का समय दिया उसके लिये धन्यवाद.
श्री आरिफ़ मसूद - अनुपस्थित.
श्री आलोक चतुर्वेदी (छतरपुर) - उपाध्यक्ष महोदया, मुझे एक मिनट बोलने का समय दिया जाये. खटीक जी ने छतरपुर मेडिकल कॉलेज के संबंध में बात की कि उसके लिये भूमि आवंटित की गई है. भूमि आवंटित जरूर कर दी गई है, लेकिन सबसे पहले तो मैं यह जानना चाहता हूं कि वह मेडिकल कॉलेज का जिसका डेढ़ बजे रात को शिलान्यास किया गया था, क्या केन्द्र शासन से उसकी मंजूरी मिल चुकी है कि वहां पर मेडिकल कॉलेज स्थापित होना है ? उसका शिलान्यास कर दिया गया, लेकिन उसका अता-पता नहीं है. मैं, यह जानना चाहता हूं कि केवल भूमि आवंटित कर देने से मेडिकल कॉलेज खुल जायेगा ? वह भूमि विवादित है. मैं, सदन से और माननीय मंत्री महोदया से यह चाहता हूं कि छतरपुर का मेडिकल कॉलेज तत्काल खोला जाये. धन्यवाद.
श्री हरिशंकर खटीक - उपाध्यक्ष महोदया, मेडिकल कॉलेज के लिये जमीन आवंटित हो चुकी है. वहां पर प्रावधान भी किया गया है. लेकिन इस किताब में आपने प्रावधान नहीं कराया है...
उपाध्यक्ष महोदया - खटीक जी, आप बैठ जाइये. अब इनकी कोई बात नोट नहीं होगी. केवल डॉ. हिरालाल अलावा जी बोलेंगे.
श्री हरिशंकर खटीक - (XXX)
डॉ. हिरालाल अलावा (मनावर) - माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं, सदन में प्रथम बार चुनकर आया हूं. आपका संरक्षण भी चाहता हूं और मांग संख्या 52 चिकित्सा शिक्षा पर अपनी बात रखना चाहता हूं. जैसा कि हम सब जानते हैं कि हमारे मध्यप्रदेश में चिकित्सा शिक्षा में मेडिकल कॉलेजों की स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं है.
श्री अजय विश्नोई - माननीय उपाध्यक्ष महोदया, सदन की तरफ से अनुरोध यह है कि यह जो स्क्रीन पर माननीय विधायक का नाम आता है, वह इतना बड़ा तो आये कि लोग पढ़ लें. इस बहाने ही लोगों को एकदूसरे के नाम से परिचय होता जायेगा. कृपया इसको बड़ा करवा दें.
उपाध्यक्ष महोदया - इसको ठीक करवा देते हैं. धन्यवाद.
डॉ. हिरालाल अलावा - उपाध्यक्ष महोदया, मध्यप्रदेश में वर्तमान में 13 शासकीय मेडिकल कॉलेज और एक शासकीय डेंटल कॉलेज संचालित हैं. अभी बजट में 3 नये मेडिकल कॉलेजों का प्रावधान भी किया गया है और अभी माननीय सदस्य जी ने कहा है कि हर डिस्ट्रिक्ट पर एक-एक मेडिकल कॉलेज होना चाहिये. प्रदेश में चिकित्सा शिक्षा के माध्यम से एक तरह से हम मेडिकल कॉलेजों को डॉक्टर बनाने की फैक्ट्री भी कह सकते हैं. अगर मेडिकल कॉलेज बेहतरीन होंगे, वहां की फैसिलिटीज़ बेहतरीन होगी, वहां के टीचर्स बेहतरीन होंगे, तो वहां से अच्छे डॉक्टर्स निकलेंगे और उसके लिये मेडिकल कॉलेजों में हर विभाग में रिसर्च के लिये अलग बजट का प्रावधान होना चाहिये, जो मध्यप्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में नहीं के बराबर देखने को मिलता है. मैं, इसीलिये इस ओर ध्यान आकर्षित कराना चाहता हूं क्योंकि मैं, दिसम्बर, 2016 तक एम्स, नई दिल्ली में असिस्टेंट प्रोफेसर रहा हूं और हर वर्ष एम्स का बजट लगभग ढाई हजार करोड़ रुपये रहता था. हमारे प्रदेश में चिकित्सा शिक्षा के लिये, स्वास्थ्य सेवाओं के लिये जनसंख्या के अनुपात में बहुत कम बजट दिया जाता है. आज हम देश में कुपोषण के मामले में नंबर वन हैं, मातृ मृत्युदर के मामले में नंबर वन हैं, शिशु मृत्युदर के मामले में नंबर वन हैं. कहीं न कहीं हमारी स्वास्थ्य सेवाओं के हालात ठीक नहीं हैं. उसके लिये हम सबसे पहले तो यह सुनिश्चित करें कि स्वास्थ्य सेवाओं और चिकित्सा शिक्षा के बजट में बढ़ोत्तरी होनी चाहिये. हमारे प्रदेश में मेडिकल कॉलेज ज्यादातर शहरी क्षेत्रों की तरफ हैं. नये मेडिकल कॉलेज भी शहरी क्षेत्रों की तरफ खोले जा रहे हैं. मैं, धार जिले के मनावर विधान सभा से हूं और हमारे क्षेत्र में धार, झाबुआ, अलीराजपुर, बड़वानी, खरगोन, इन 5-6 जिलों में एक भी मेडिकल कॉलेज नहीं है. न ही इन क्षेत्रों में डेण्टल कॉलेज है. सबसे ज्यादा इन क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवायें बदतर हालतों में हैं. यहां पर सबसे ज्यादा हर चौथा मरीज जो ट्राईबल कम्युनिटी का है, स्किल एनीमिया से पीडि़त है.
2.32 बजे { सभापति महोदय, (श्री यशपाल सिंह सिसौदिया) पीठासीन हुए. }
सभापति महोदय, इन 5 जिलों में लगभग ढाई से तीन लाख लोग कुपोषण से प्रभावित हैं. इन 5 जिलों का पूरा का पूरा बेल्ट, लगभग 80 प्रतिशत् क्षेत्रफल सिलिकोसिस से प्रभावित हैं. गरीब वर्ग के ज्यादातर मरीज सिलिकोसिस से पीडि़त हैं, लेकिन इस ओर कभी भी गंभीरता से ध्यान नहीं दिया गया, न ही कभी इन क्षेत्रों को बेहतर स्वास्थ्य सेवायें देने के लिये, कभी मेडिकल कॉलेज खोलने के लिये, कोई प्लान बनाया गया. हमारी सरकार द्वारा प्रदेश के भोपाल, ग्वालियर, इन्दौर, रीवा और सागर में वायरोलॉजी लैब खोली जा रही है. मुझे खुशी होगी कि जो गंभीर वायरस जिनकी जांचों के लिये हमको कभी हैदराबाद रिपोर्ट भेजनी पड़ती है, कभी दिल्ली एम्स भेजनी पड़ती है, इन वायरोलॉजी लैब के माध्यम से डेंगू, चिकनगुनिया, एच-1, एन-1 इनफ्लूएंजा वायरस, इबोला वायरस, जीका वायरस जैसे गंभीर वायरसों का पता लगाने में आसानी होगी. हमारी सरकार प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में आधुनिक ट्रामा सेंटर खोलने जा रही है. मैं चाहूंगा कि आधुनिक ट्रामा सेंटर मेडिकल कॉलेजों के साथ-साथ हर जिले लेबल पर भी होने चाहिये.
सभापति महोदय - माननीय सदस्य जी, कितना समय और लेंगे ?
डॉ. हिरालाल अलावा - सभापति महोदय, 5 मिनट और लूंगा, मुझे अपनी बात बोलने का मौका दीजिये, क्योंकि कई जगह ऐसी हैं, जहां जिला अस्पताल से मेडिकल कॉलेजों की दूरी 150 से 200 किलोमीटर है. अगर मरीज ट्रामा सेंटर्स और मेडिकल कॉलेजों की 200 किलोमीटर की दूरी तय करेगा, तो कई मरीज रास्ते में ही मर जाते हैं. मैं, चाहूंगा कि अगले बजट में हर डिस्ट्रिक्ट लेबल पर आधुनिक ट्रामा सेंटर होना चाहिये. हमारी सरकार मध्यप्रदेश के इन्दौर में एम.वाय. (महाराजा यशवन्तराव) चिकित्सा महाविद्यालय में बोन मेरो ट्रांसप्लांट सेंटर शुरू किया है. यह उन मरीजों के लिए एक वरदान साबित होगा जो गरीब वर्ग से आते हैं और एक बोन मेरो ट्रांसप्लांट के लिए चार लाख से पाँच लाख रुपये खर्च करना होता है. कई गंभीर मरीज जो कंजेनायटल बीमारियों से पीड़ित होते हैं, वे इतना पैसा खर्च नहीं कर पाते हैं, तो अगर ये बोन मेरो ट्रांसप्लांट जल्दी से जल्दी शुरू होता है तो हमारे लिए बहुत खुशी और गर्व की बात है. चिकित्सा महाविद्यालय रीवा में मल्टी ड्रग रिसर्च यूनिट की स्थापना की गई है.
सभापति महोदय-- माननीय सदस्य अपना वक्तव्य एक मिनिट में समाप्त करें.
डॉ हिरालाल अलावा-- सभापति जी, इस यूनिट के माध्यम से डायबिटिज, कुपोषण, जैसे गंभीर रोगों के बेहतर इलाज के लिए हमें मौका मिलेगा साथ में मैं सदन का इस बात की ओर भी ध्यानाकर्षित करना चाहूँगा कि मध्यप्रदेश के रीवा, सतना, छतरपुर, में आज भी खेसरी दाल का उत्पादन हो रहा है और व्यापार भी हो रहा है. जो एक टाक्सिंस या जहर रखती है, उसमें भी आज प्रतिबंध होने के बावजूद भी व्यापारियों पर कार्यवाही नहीं होती. इसको पूर्णतः प्रतिबंधित करने के लिए आने वाले समय में सख्त कदम उठाए जाने चाहिए.
सभापति महोदय-- माननीय सदस्य अपना वक्तव्य समाप्त करें.
डॉ.हिरालाल अलावा-- मैं माननीय सभापति महोदय से अनुरोध करना चाहूँगा और माननीय चिकित्सा शिक्षा मंत्री जी से भी अनुरोध करना चाहूँगा कि ऐसे क्षेत्र जो आजादी के 70 साल बाद भी, खासकर धार, झाबुआ, बड़वानी, खरगोन, जो स्वास्थ्य सेवाओं से अभी भी अछूते हैं. इन क्षेत्रों में भी मेडिकल कॉलेज आने वाले समय में खोलें. धन्यवाद.
श्री संजीव सिंह “संजू”(भिण्ड)-- माननीय सभापति जी, बहुत बहुत धन्यवाद. मुझे लगता है समय की बाध्यता तो नहीं रहेगी? आप तो मेरा सहयोग करेंगे ही?
सभापति महोदय-- आपने 30 सेकण्ड समाप्त कर दिए.
श्री संजीव सिंह “संजू”-- माननीय सभापति जी, मैं आज मांग संख्या 26, 38 एवं 52 की मांगों का समर्थन करता हूँ और उनके पक्ष में अपनी कुछ बातें रखना चाहता हूँ. अगर हम मांग संख्या 26 की बात करें तो लगातार हम जब बजट की पुस्तक देखते हैं तो हमको देखने में आता है कि चाहे ग्वालियर हो, अभी छतरपुर की बात भी हमारे साथी ने कही. इन्दौर हो, दतिया हो, जगह-जगह अपनी अपनी स्पेशिलियटी है लेकिन अगर हम पूरी पुस्तक में भिण्ड की बात करें तो भिण्ड के लिए कुछ है ही नहीं. अभी मैं बाहर अपने एक साथी से बात कर रहा था तो उन्होंने पूछा कि आप चर्चा में भाग लेने वाले हैं तो मैंने कहा हाँ लेने वाला हूँ, फिर उन्होंने पूछा कि किसमे भाग ले रहे हों, तो मैंने कहा कि मैं तो सभी में लूँगा....
सभापति महोदय-- चर्चा में अपनी मांग माननीय मंत्री महोदय जी से कर लीजिए, अभी स्वीकृति प्राप्त हो जाएगी.
श्री संजीव सिंह “संजू”-- मैंने कहा कि मैं तो सभी में चर्चा करूँगा. संस्कृति में भी करूँगा, तो उन्होंने पूछा कि संस्कृति में भिण्ड के लिए आप क्या बात करेंगे? माननीय सभापति महोदय, मैंने जब बजट में सामान्य चर्चा में भाग लिया था तब भी मैंने अपनी यह बात कही थी और वित्त मंत्री जी को धन्यवाद भी ज्ञापित किया था कि उन्होंने कम से कम भिण्ड का नाम, भले ही पेड़े के बहाने, आपने अपनी पुस्तक मे रखा, अपने भाषण में रखा है. सभापति जी, भिण्ड का इतिहास बहुत ही शौर्य और बहादुरी से भरा हुआ है. 1857 की क्रांति से लेकर आज तक मुझे नहीं लगता कि बहुत सारे लोगों को पता होगा कि 1857 की क्रांति में भिण्ड का क्या योगदान था. उस समय जब महारानी लक्ष्मीबाई जी बिठुर से झाँसी जा रही थीं तो भिण्ड के रास्ते का उन्होंने उपयोग किया था और भिण्ड के लोगों ने उनका इसमें सहयोग किया था और कई लोगों ने अपनी जान की बाजी इसमें लगाई थी. लेकिन कहीं इसका उल्लेख नहीं है इसलिए ये बातें लोगों के सामने आ नहीं पाई. मैंने पहले भी कहा था कि जो हमारा सकारात्मक पहलू है....
सभापति महोदय-- माननीय सदस्य जी, तीन विभागों के बारे में भी आपको हल्की-फुल्की चर्चा करनी है. इतिहास से वर्तमान में आ जाएँ.
श्री संजीव सिंह “संजू”-- माननीय सभापति जी, मैंने शुरुआत में ही कहा था कि आपका संरक्षण चाहता हूँ...
सभापति महोदय-- मैं आपको संरक्षण दे रहा हूँ.
श्री संजीव सिंह “संजू”-- मैं अपनी बात आप सबके बीच में पहुँचा दूँ, तो मैंने आप से कहा कि इससे जो हमारा सकारात्मक पहलू है उसकी चर्चा बहुत कम की गई और लगभग की ही नहीं गई. हम अगर बजट में देखते हैं तो स्मारकों, संग्रहालयों की स्थापना, वह कई जगह हुई, शहीदों की स्मृति में स्मारक निर्माण, वे कई जगह हुए. संस्कृति विभाग द्वारा जो समारोहों के आयोजन हुए वे प्रदेश में कई जगह होते हैं और होना भी चाहिए तथा अच्छा भी है. लेकिन इसमें मेरा आप से निवेदन है कि एक बहुत बड़ा और अच्छा भव्य शौर्य स्मारक हमारे भोपाल में स्थापित है. सरकार ने उसमें काफी पैसा भी खर्च किया है और उस शौर्य स्मारक में जब मैंने जाकर देखा और जो हमारे शहीदों की सूची उसमें लगी हुई थी तो निश्चित तौर पर मुझ जैसे नौजवान का सीना गर्व से चौड़ा हो गया, मैंने देखा कि उसमें सबसे ज्यादा जो नाम थे वे भिण्ड जिले के ही थे. लेकिन वह शौर्य स्मारक भोपाल में बना. निश्चित तौर पर भोपाल में पूरे प्रदेश के लोग आते हैं देखते हैं, उनको भी अच्छा लगता होगा. एक भिण्ड का यह भी पहलू लोगों के सामने जाता होगा तो मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि ऐसा ही शौर्य स्मारक अगर हम भिण्ड में स्थापित करें क्योंकि पंजाब के बाद चंबल घाटी से सबसे ज्यादा नौजवान इस देश की सेवा करते हैं. इस देश की सरहदों की सेवा में, उनकी रक्षा-सुरक्षा में, अपना जीवन न्यौछावर कर देते हैं, तो अगर ऐसे शौर्य स्मारक की व्यवस्था या प्रावधान हम भिण्ड में भी कर देंगे तो निश्चित तौर पर लोग उससे प्रभावित होंगे और ज्यादा से ज्यादा नौजवान सेना में जाने की अपनी इच्छा प्रकट करेंगे. सभ