मध्यप्रदेश विधान सभा

 

की

 

कार्यवाही

 

(अधिकृत विवरण)

 

 

 

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पंचदश विधान सभा                                                                            तृतीय सत्र

 

 

जुलाई, 2019 सत्र

 

बुधवार, दिनांक 17 जुलाई, 2019

 

(26 आषाढ़, शक संवत्‌ 1941)

 

 

[खण्ड- 3 ]                                                                                                           [अंक- 6]

 

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मध्यप्रदेश विधान सभा

 

बुधवार, दिनांक 17 जुलाई, 2019

 

(26 आषाढ़, शक संवत्‌ 1941)

 

विधान सभा पूर्वाह्न 11.02 बजे समवेत हुई.

 

{अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) पीठासीन हुए.}

 

प्रश्नकाल में व्यवधान एवं अध्यक्षीय व्यवस्था

प्रदेश में बच्चियों का अपहरण, बलात्कार, हत्या एवं लूट के कारण कानून व्यवस्था ध्वस्त होना.

          श्री शिवराज सिंह चौहान--अध्यक्ष महोदय, प्रदेश में कानून और व्यवस्था की स्थिति पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है. मध्यप्रदेश में अपराध बहुत हो रहे हैं.

          नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)--अध्यक्ष महोदय, जब तात्कालिक विषय हो इससे पूरा प्रदेश प्रभावित हो रहा हो. राजधानी में नाक के नीचे यहां पर बेटियों के साथ बलात्कार और हत्याएं हो रही हैं. तीन-तीन साल की बच्चियों के साथ बलात्कार हो रहे हैं. (व्यवधान)

          अध्यक्ष महोदय--कृपया आप लोग बैठें प्रश्नकाल को चलने दें. प्रश्नकाल बहुत ही महत्वपूर्ण है. (व्यवधान)

          संसदीय कार्य मंत्री (डॉ.गोविन्द सिंह)--अध्यक्ष महोदय, अपराधी पकड़े गये हैं. उनको एक महीने के अंदर फांसी दिलाने की कार्यवाही की जायेगी. (व्यवधान)

          डॉ.नरोत्तम मिश्र--अध्यक्ष महोदय, इस सरकार को कुछ कहने का अधिकार है क्या ?

राजधानी में नाक के नीचे अपराध हो रहे हैं. इस औचित्य के प्रश्न पर चर्चा करायी जाये. (व्यवधान)

लोक निर्माण मंत्री (श्री सज्जन सिंह वर्मा)--अध्यक्ष महोदय, अपराधी पकड़े गये हैं उनको फांसी देने की कार्यवाही होगी. (व्यवधान)                                                       

डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - सदन की कार्यवाही रोककर के स्‍थगन पर चर्चा होनी चाहिए, यह जरूरी विषय है. (...व्‍यवधान)

अध्‍यक्ष महोदय - परम्‍परा यह रही है कि प्रश्‍नकाल के दौरान प्रश्‍न किए जाते हैं. आपको जो बात रखनी है, शून्‍यकाल में रख सकते हैं. (...व्‍यवधान)

डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - अध्‍यक्ष महोदय, हम स्‍थगन पर चर्चा मांग रहे हैं. सदन का प्रश्‍नकाल और बाकी सभी काम रोक कर स्‍थगन पर चर्चा कराओ. यह गंभीर परिस्थिति की बात है. इस देश के अंदर बालक-बालिकाएं सुरक्षित नहीं हैं. (...व्‍यवधान)

श्री सज्‍जन सिंह वर्मा - प्रश्‍नकाल रोक कर चर्चा मांगना यह परम्‍परा है क्‍या? (...व्‍यवधान)

खेल एवं युवा कल्‍याण मंत्री (श्री जितु पटवारी) - प्रश्‍नकाल रोक कर चर्चा मांगना यह पराम्‍परागत है क्‍या? (...व्‍यवधान)

श्री गोपाल भार्गव - अध्‍यक्ष महोदय, स्‍थगन सूचना का यही अर्थ होता है कि सदन की तमाम कार्यवाही रोक कर स्‍थगन पर चर्चा कराई जाए, इसमें प्रश्‍नकाल भी शामिल है. इसलिए प्रश्‍नकाल पर कोई चर्चा नहीं हो सकती. हम लोग प्रश्‍न नहीं करना चाहते. जब प्रदेश के बेटे बेटियां मारे जा रहे हो, (...व्‍यवधान) छोटे-छोटे मासूम बच्‍चों को मारा जा रहा है. (...व्‍यवधान)

श्री सज्‍जन सिंह वर्मा - भार्गव जी, अपना कार्यकाल याद करों, हिन्‍दुस्‍तान में मध्‍यप्रदेश बलात्‍कार का अड्डा बन गया था, मध्‍यप्रदेश नंबर वन पर था. (...व्‍यवधान)

श्री जितु पटवारी - इंदौर में 6 महीने की बच्‍ची के साथ बलात्‍कार हुआ था. आप याद करो उस विषय को कि आपके शासनकाल में 6-6 महीनों की मासूम बच्चियों के साथ बलात्‍कार हुआ था. आखें फोड़ दी गई आपके कार्यकाल में आप याद करों किसानों को गोलियों से भून दिया गया. (...व्‍यवधान)

डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, वर्तमान की बात करो. (...व्‍यवधान)

डॉ. गोविन्‍द सिंह - अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है. (...व्‍यवधान)

श्री सज्‍जन सिंह वर्मा - हमारे कार्यकाल में तो अपराधियों को फांसी हो रही है. अपराधी तत्‍काल पकड़े जा रहे हैं. आपने तो मध्‍यप्रदेश को बलात्‍कार का अड्डा बना दिया था. (...व्‍यवधान)

श्री जितु पटवारी - यह श्रेय लेने की होड़ नहीं चल रही है, जो गंभीर अपराध हुआ उसके लिए सदन एक साथ है, यह श्रेय की होड़ नहीं है. शिवराज सिंह जी आपके कार्यकाल को भी इस वक्‍त याद करना पड़ेगा. (...व्‍यवधान)

अध्‍यक्ष महोदय - मेरा आप सभी से अनुरोध है कि प्रश्‍नकाल चलने दें. (...व्‍यवधान)

डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - मेरा आपसे अनुरोध है कि प्रश्‍नकाल रोक कर इस पर चर्चा कराएं. यह महत्‍वपूर्ण विषय है(...व्‍यवधान)

श्री शिवराज सिंह चौहान - यहां 12 साल की बच्‍ची से बलात्‍कार हुआ है.

भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास मंत्री (श्री आरिफ अकील) - उसको फांसी की सजा हो गई. (...व्‍यवधान)

श्री जितु पटवारी - शिवराज सिंह जी, इस विषय पर ध्‍यानाकर्षण लगाए. (...व्‍यवधान)

अध्‍यक्ष महोदय - ये माइक सिस्‍टम ठीक करें. (...व्‍यवधान)

श्री जितु पटवारी - ये श्रेय लेने की होड़ चल रही है. (...व्‍यवधान)

श्री शिवराज सिंह चौहान - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, गरीब मर रहा है और ये सरकार सो रही है. दोष पुलिस का नहीं है.

श्री सज्‍जन सिंह वर्मा - आप शून्‍यकाल में बात उठा सकते हैं, प्रश्‍नकाल बाधित कैसे कर सकते हैं. (...व्‍यवधान)

डॉ. गोविन्‍द सिंह - जब महिलाओं का अपमान किया जा रहा था, तब आपकी सरकार कहां गई थी. आज तत्‍काल कार्यवाही हो रही है. (...व्‍यवधान)

श्री शिवराज सिंह चौहान - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, केवल स्‍थानांतरण उद्योग चल रहा है. (...व्‍यवधान)

अध्‍यक्ष महोदय - सामान्‍य तौर पर बजट के दौरान स्‍थगन प्रस्‍ताव नहीं लिए जाते है. प्रश्‍नकाल चलने दिया जाए, आपको जो बात कहनी है. मैं आपके विषय को किस तरह से लूं, कैसे लूं, इसके बारे में विचार कर सकते हैं. नेता प्रतिपक्ष जी, आप भी भली-भांति जानते हैं, यह परम्‍परा रही है, जब बजट होता है, उसमें स्‍थगन प्रस्‍ताव नहीं लिया जाता है. (...व्‍यवधान)

डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - अध्‍यक्ष जी, विधानसभा के अभी तक के इतिहास में बजट सत्र में 25 बार स्‍थगन लिया गया है.

डॉ. गोविन्‍द सिंह - बताइए आपके कार्यकाल में किस समय स्‍थगन आया है.       

श्री गोपाल भार्गव - प्रदेश हाहाकार कर रहा है, मासूमों की लगातार हत्‍याएं हो रही है, उनके साथ बलात्‍कार हो रहा है. (...व्‍यवधान)

अध्‍यक्ष महोदय - गृह विभाग की जब मांग आएगी, गृह विभाग की चर्चा के दौरान आप अपनी बात कह सकते हैं. (...व्‍यवधान)

श्री जितु पटवारी - आप मासूमों की हत्‍या पर राजनीति कर रहे हो. यहां श्रेय लेने की होड़ चल रही है. जब विषय आएगा तब बोलना, यह कौन सा तरीका है.

श्री शिवराज सिंह चौहान - अध्‍यक्ष महोदय, आप चर्चा कराइए. प्रश्‍नकाल चलाने का कोई औचित्‍य नहीं है. (...व्‍यवधान)

अध्‍यक्ष महोदय - अब मैं प्रश्‍नकाल प्रारंभ कर रहा हूं. (...व्‍यवधान) श्री सुदेश राय, प्रश्‍न क्रमांक 1. (...व्‍यवधान...)

          श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जब पूरा प्रदेश हाहाकार कर रहा हो. पूरे प्रदेश में नाबालिग बेटे और बेटियों के साथ बलात्‍कार हो रहे हों. उनकी हत्‍याएं हो रही हों, उनको भूना जा रहा हो. अध्‍यक्ष महोदय. ऐसे समय प्रश्‍नकाल (...व्‍यवधान...)

          श्री जितु पटवारी - आपका ध्‍यानाकर्षण है, उसमें बात उठाना. (...व्‍यवधान...) अध्‍यक्ष महोदय, श्रेय लेने की होड़ चल रही है. सब अपने आपको नेता बताने में लगे हुए हैं. कानून-व्‍यवस्‍था से किसी को सरोकार नहीं है. (...व्‍यवधान...)

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - बहुत गंभीर विषय है.

          अध्‍यक्ष महोदय - प्रश्‍न क्रमांक 1, श्री सुदेश राय. (...व्‍यवधान...)

 

11.11 बजे                                        गर्भगृह में प्रवेश

      भारतीय जनता पार्टी के सदस्‍यगण द्वारा गर्भगृह में प्रवेश.

(भारतीय जनता पार्टी के सदस्‍यगण द्वारा प्रदेश में कानून व्‍यवस्‍था की स्थिति ध्‍वस्‍त होने संबंधी स्‍थगन प्रस्‍ताव पर चर्चा की मांग करते हुए गर्भगृह में प्रवेश किया गया.)

          अध्‍यक्ष महोदय - कृपया गर्भगृह में न आएं, कृपया गर्भगृह में न आएं. मैं फिर निवेदन कर रहा हूँ कि कृपया गर्भगृह में न आएं. सामान्‍यत: बजट के दौरान स्‍थगन प्रस्‍ताव नहीं आता. (...व्‍यवधान...) अरे भाई, कोई एक बोले. आप लोग सब के सब बोल रहे हैं.

          श्री गोपाल भार्गव - अध्‍यक्ष महोदय, जब पूरा प्रदेश हाहाकार कर रहा हो. हत्‍याएं हो रही हों. (...व्‍यवधान...)

          अध्‍यक्ष महोदय - आप लोग अपनी सीट पर जाएं.

          श्री गोपाल भार्गव - 3-3 साल के बच्‍चों को भूना जा रहा हो. (...व्‍यवधान...) आग में जलाया जा रहा हो. (...व्‍यवधान...) नाबालिग बेटियों के साथ बलात्‍कार हो रहे हों. (...व्‍यवधान...)  

          अध्‍यक्ष महोदय - संसदीय कार्यमंत्री कुछ बोलना चाह रहे हैं. (...व्‍यवधान...) मैंने बोल दिया न भाई. इस चर्चा को कैसे उठा सकते हैं ? (...व्‍यवधान...) क्‍या कर सकते हो, मैंने सब चीजें बोल दी हैं. किस रूप में, इस मांग को कैसे उठा सकते हैं ? (...व्‍यवधान...)     

          श्री शिवराज सिंह चौहान - अध्‍यक्ष महोदय, ऐसे समय हम लोग चाहते हैं कि प्रश्‍नकाल को निलंबित करके तत्‍काल स्‍थगन पर चर्चा कराई जाए. (...व्‍यवधान...) मुख्‍यमंत्री एवं गृह मंत्री को इस्‍तीफा दे देना चाहिए.

          अध्‍यक्ष महोदय - प्रश्‍नकाल चलने दीजिए. माननीय नेता प्रतिपक्ष जी ने अपनी बात कर ली, शिवराज जी आपने भी अपनी बात कर ली है, नरोत्‍तम जी आपने अपनी बात कर ली. अब कृपापूर्वक अपनी जगह पर जाइये. मैंने बोल दिया है कि मैं क्‍या कर सकता हूँ, कैसे कर सकता हूँ ? मैंने बोल दिया है.

(...व्‍यवधान...)

          श्री जितु पटवारी - आदरणीय अध्‍यक्ष जी, जब विधायक लोटा लेकर दौड़ा तब कानून व्‍यवस्‍था कहां थी ? तब क्‍यों नहीं आए वेल में ?          

          श्री शिवराज सिंह चौहान - चारों तरफ त्राहि-त्राहि मची हुई है.

          डॉ. गोविन्‍द सिंह - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से बात कहना चाहता हूँ (...व्‍यवधान...)

          श्री जितु पटवारी - नरेन्‍द्र मोदी जी को ध्‍यान रखना पड़ा, तब चुप हो गए थे, सांप सूँघ गया था सबको.

(...व्‍यवधान...)

           अध्यक्ष महोदय -- सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिये स्थगित.

 

(11.12 बजे सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्‍थगित की गई.)

         

11.19 बजे

विधान सभा पुन: समवेत हुई.

{अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) पीठासीन हुए.}

 

          श्री शिवराज सिंह चौहान --  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, पूरा प्रदेश त्राहि-त्राहि कर रहा है. प्रश्‍नकाल का कोई औचित्‍य नहीं है...(व्‍यवधान)......

          नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपसे निवेदन है कि प्रश्‍न पूछकर क्‍या करेंगे ? यह निर्थक है,अब इसका कोई औचित्‍य नहीं रह जाता है. ...(व्‍यवधान)......

          खेल और युवा कल्‍याण मंत्री (श्री जितू पटवारी) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, नेता प्रतिपक्ष खड़े हैं...(व्‍यवधान)......

          श्री शिवराज सिंह चौहान -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जून और मई में जो घटनायें हुई हैं ...(व्‍यवधान)......

          श्री जितू पटवारी-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, नेता प्रतिपक्ष खड़े हैं फिर भी आप खड़े हैं. ...(व्‍यवधान)......

          खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्‍ता संरक्षण मंत्री (श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर)-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, भारतीय जनता पार्टी में त्राहि-त्राहि मची है..(व्‍यवधान)..

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह -- मध्‍यप्रदेश में ऐसा वातावरण बना दिया है, बच्चियों के साथ रेप हो रहा है, ...(व्‍यवधान)......

          श्री शिवराज सिंह चौहान -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, बच्चियों के साथ रेप हो रहा है, बलात्‍कार हो रहा है, हत्‍यायें की जा रही हैं, पूरा प्रदेश त्राहि-त्राहि कर रहा है, चारों तरफ हाहाकार मचा है...(व्‍यवधान)......

           श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, उज्‍जैन कांड पर भी चर्चा कराई जाये. ...(व्‍यवधान)......

          अध्‍यक्ष महोदय -- देखिये मैंने आपसे बड़ा स्‍पष्‍ट कहा (व्‍यवधान) ......

          श्री गोपाल भार्गव -- (जोर-जोर से चिल्‍लाकर)माननीय अध्‍यक्ष महोदय, क्‍या प्रश्‍न करें, क्‍या प्रश्‍न करें ? पूरा प्रदेश धधक रहा है, पूरा प्रदेश जल रहा है और आप कहते हैं तो हम क्‍या प्रश्‍न करें ? (शेम-शेम की आवाज)  .....(व्‍यवधान)

          अध्‍यक्ष महोदय -- श्री गोपाल भार्गव जी थोड़ा और जोर से बोलिये आप, .(व्‍यवधान).....

          श्री गोपाल भार्गव -- (जोर-जोर से चिल्‍लाकर) अध्‍यक्ष महोदय, पूरा प्रदेश जल रहा है, पूरा प्रदेश धधक रहा है .....(व्‍यवधान)

          अध्‍यक्ष महोदय -- थोड़ा और जोर से बोलिये (व्‍यवधान)........ 

          श्री गोपाल भार्गव -- अध्‍यक्ष महोदय, जल रहा है पूरा प्रदेश जल रहा है, पूरा प्रदेश धधक रहा है तो हम क्‍या प्रश्‍न करें ? .....(व्‍यवधान)

          संसदीय कार्य मंत्री(डॉ. गोविन्‍द सिंह) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमारे माननीय सदस्‍यों को प्रश्‍न करना है. .....(व्‍यवधान)

          अध्‍यक्ष महोदय -- श्री गोपाल भार्गव जी आप अपने स्‍वास्‍थ्‍य का भी ध्‍यान रखिये. .....(व्‍यवधान)....

          डॉ. गोविन्‍द सिंह -- जिनको प्रश्‍न नहीं करना है, वह बाहर चले जायें. .....(व्‍यवधान)....

          श्री जितू पटवारी -- श्री भार्गव जी आप अपने स्‍वास्‍थ्‍य का ध्‍यान रखें. .(व्‍यवधान)

          अध्‍यक्ष महोदय -- मैं सभी को सुन रहा हॅूं और मैं सभी को शालीनता से सुन रहा हूं. ....(व्‍यवधान).....

          श्री शिवराज सिंह चौहान -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, कानून और व्‍यवस्‍था की स्थिति ठीक नहीं है.....(व्‍यवधान).....

          अध्‍यक्ष महोदय -- मैं सबको सुन रहा हूं, लेकिन आप ऐसा न करें, मुझे सबके स्‍वास्‍थ्‍य की भी चिंता है. .....(व्‍यवधान).....

          श्री जितू पटवारी -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह कानून और  व्‍यवस्‍था की बात कर रहे हैं, पर जब बेट से एक विधायक मार रहा था, तब यह सदन क्‍यों चुप था, तब श्री शिवराज सिंह चौहान जी धन्‍यवाद क्‍यों दे रहे थे ? श्री गोपाल भार्गव धन्‍यवाद क्‍यों दे रहे थे. .....(व्‍यवधान).... श्री शिवराज जी, जब बलात्‍कार हुआ था, तब आप मुख्‍यमंत्री थे, आप मिलने तक नहीं गये, तब सदन क्‍यों चुप था..(व्‍यवधान)

          अध्‍यक्ष महोदय -- मेरा आप सभी से कहना है कि बजट के समय कौन सी बात कब रखी जायेगी, उसके बारे में मैं विचार करूंगा. माननीय श्री शिवराज जी आप मेरे कक्ष में आयें और आपको जो मुझसे चर्चा करना है करिये .....(व्‍यवधान)

            श्री जितू पटवारी -- श्री शिवराज सिंह जी, तब क्‍यों चुप थे ? आप तब क्‍यों चुप थे. .....(व्‍यवधान)....

          अध्‍यक्ष महोदय -- क्‍या प्रश्‍नकाल न चलने दें ? ....(व्‍यवधान)....

          अध्‍यक्ष महोदय -- आपकी बात आ गई है और मैंने व्‍यवस्‍था भी दे दी है.(व्‍यवधान)....

          श्री जितू पटवारी -- जब बेट और बल्‍ला चल रहा था, तब क्‍या कानून और व्‍यवस्‍था नहीं थी ? आप तब क्‍यों चुप थे ? .....(व्‍यवधान)

          डॉ.गोविन्‍द सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, .....(व्‍यवधान) .....चालान शीघ्र पेश हुये.......(व्‍यवधान)

          श्री जितू पटवारी -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, उज्‍जैन कांड पर चर्चा होना चाहिये. .....(व्‍यवधान)

          अध्‍यक्ष महोदय -- कृपया प्रश्‍नकाल चलने दें. .......(व्‍यवधान).....

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष्‍ा महोदय, मध्‍यप्रदेश अपराधियों का टापू बन गया है . .....(व्‍यवधान)

          श्री जितू पटवारी -- पूरी बात श्रेय लेने की है, फिर भी सदस्‍य बोल रहे हैं, कौन नेता प्रतिपक्ष है, समझ नहीं आता है ? .....(व्‍यवधान)

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, खुलेआम अपराध हो रहे हैं. ....(व्‍यवधान).....

          श्री जितू पटवारी -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, कौन नेता प्रतिपक्ष है, समझ नहीं आता है, अगर आपने कहा था कि हमारा नेता गोपाल भार्गव है तो अब क्‍या हो गया है ? ....(व्‍यवधान).....

          डॉ.गोविन्‍द सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, .....(व्‍यवधान)

          श्री गोपाल भार्गव -- आज की कार्यवाही रोककर, स्‍थगन पर चर्चा करायी जाए.....(व्‍यवधान)

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मासूम बच्‍चों को जिंदा जलाया जा रहा है. ....(व्‍यवधान).....

          डॉ. गोविन्‍द सिंह -- अपराधियों के लिये .....(व्‍यवधान)

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, ऐसे गंभीर मामलों में सबसे पहले आपको स्‍थगन लेना चाहिये और प्रतिपक्ष को विश्‍वास लेना चाहिये.      

          श्री गोपाल भार्गव -- (जोर-जोर से चिल्‍लाकर) स्‍थगन पर चर्चा कराओ .....(व्‍यवधान).....

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, स्‍थगन लेना चाहिये. .....(व्‍यवधान)

          डॉ. गोविन्‍द सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, .....(व्‍यवधान)

          डॉ.मोहन यादव -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इस प्रकार के माहौल में जैसा सरकार अपना रोल अदा कर रही है, बड़े दुर्भाग्‍य की बात है, .....(व्‍यवधान)....पूर्व मुख्‍यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने जो विषय रखा है वह समसामयिक है, आवश्‍यक है .....(व्‍यवधान)

          अध्‍यक्ष महोदय -- मैंने आपसे अनुरोध किया है कि आप मेरे कक्ष में आकर मिलें. .....(व्‍यवधान)

          डॉ.मोहन यादव -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सबको संवेदनशील सदन बनाने की आवश्‍यकता है. हम ऐसे माहौल में विषय छोड़कर चलते हैं तो यह प्रदेश की जनता के साथ अन्‍याय होगा, उनकी आवाज को रोक नहीं सकते हैं, आप विपक्ष का गला घोंट नहीं सकते हैं. हमें संवेदनशील होने की आवश्‍यकता है.

          डॉ. गोविन्‍द सिंह -- जो प्रस्‍ताव दिया गया है .....(व्‍यवधान)

          डॉ.मोहन यादव -- कानून व्‍यवस्‍था की स्थिति का संचालन करवाने के लिये कमलनाथ जी की सरकार .....(व्‍यवधान)

        अध्‍यक्ष महोदय -- मेरा सभी से अनुरोध है कि माननीय सदस्‍यों के महत्‍वपूर्ण प्रश्‍न लगे हुये हैं .....(व्‍यवधान)... क्‍या हम उनके साथ न्‍याय कर रहे हैं ? जिन माननीय विधायकों के प्रश्‍न लगे हैं क्‍या हम उनके साथ न्‍याय कर रहे हैं ? आपकी बात आ गई है. मैंने पूरी बात को सुन लिया है, जो प्रश्‍न लगे हैं, जिन माननीय सदस्‍यों ने प्रश्‍न लगाये हैं, कृपापूर्वक उन विधायकों के साथ सदन न्‍याय करें. ....(व्‍यवधान)......किसी चीज की  व्‍यवस्‍था होती है, नियम कानून और प्रक्रिया होती है, कौन सी बात उठानी है, कौन सी नहीं उठानी है, किस बात पर बोलना है उसकी व्‍यवस्‍था होती है. मूलत: और सामान्‍यत: बजट के समय स्‍थगन ग्राह्य नहीं किये जाते हैं, चर्चा नहीं ली जाती है. .....(व्‍यवधान).........आपका प्रश्‍न जिस विषय पर है, उसके संबंध में जब गृह विभाग की चर्चा आयेगी, तब आप जितनी बात करना चाहते हैं कर सकते हैं. .......(व्‍यवधान).........                                                      

          डॉ. सीतासरन शर्मा--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, पहले मंत्रियों को तो बिठायें. ....(व्‍यवधान)....

          एक माननीय सदस्‍य--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इनके लिये एक प्रबोधन कार्यक्रम और रखवायें. ....(व्‍यवधान)....

          अध्‍यक्ष महोदय-- माननीय सदस्‍यों के बड़े ही अच्‍छे प्रश्‍न लगे हैं, ....(व्‍यवधान).... विधायक अपने प्रश्‍न के माध्‍यम से सदन और सदन के बाहर अपने क्षेत्र की मांग उठाता है, अगर ऐसी परिस्थिति में हम मूल प्रश्‍नकर्ताओं को न्‍याय प्रदान नहीं कर पा रहे हैं यह हमको सोचना पड़ेगा. ....(व्‍यवधान)....क्‍योंकि जो विषय आपने उठाया हमने सुना, आपका विषय जब मूल विभाग की चर्चा आये तो उसमें आप कहियेगा, लेकिन अभी सदन चलने दीजियेगा. ....(व्‍यवधान)....

          डॉ. सीतासरन शर्मा--  पहले अपने मंत्रियों को बिठाईये. ....(व्‍यवधान)....

          एक माननीय सदस्‍य--  अध्‍यक्ष जी, यह सदन को गुमराह कर रहे हैं. ...(व्‍यवधान)...

          श्री आरिफ अकील--  यह प्रश्‍नकाल के हत्‍यारे हैं. ....(व्‍यवधान)....

          श्री कुणाल चौधरी--  माननीय अध्‍यक्ष जी, 15 साल इनकी सरकार रही, इनके कार्यकाल में सबसे ज्‍यादा बलात्‍कार हुये हैं ....(व्‍यवधान)....

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र--  माननीय अध्‍यक्ष जी, एक बार सुन तो लें हमारे नेता को. ....(व्‍यवधान).... हम नियम प्रक्रिया से ही उठा रहे हैं. ....(व्‍यवधान)....

          अध्‍यक्ष महोदय--  आपका विषय आ गया, ऐसा नहीं होता है, आपने अपनी बात कर ली, जो मूल प्रश्‍नकर्ता है उसकी बात आने दीजिये. ....(व्‍यवधान).... सदन की कार्यवाही 12.00 बजे तक के लिये स्‍थगित.

 

(11.28 बजे सदन की कार्यवाही 12.00 बजे तक के लिये स्‍थगित की गई.)

         

         

12.02 बजे     अध्यक्ष महोदय { श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति( एन.पी.) } पीठासीन हुए

            डॉ.नरोत्तम मिश्र -  अध्यक्ष महोदय, मेरा व्यवस्था का प्रश्न है.

          श्री आरिफ अकील - अभी  सदन में क्या विषय चल रहा है जो व्यवस्था का प्रश्न आ गया.

            डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, आप अग्राह्य कर देना.

          (..व्यवधान..)

 

 

 

 

12.02 बजे                          नियम 267 - के अधीन विषय

        अध्यक्ष महोदय - निम्नलिखित माननीय सदस्यों की शून्यकाल की सूचनाएं पढ़ी हुईं मानी जायेंगी :-

          श्री यशपाल सिंह सिसोदिया

          डॉ. हीरालाल अलावा

          श्री प्रणय प्रभात पाण्डेय

          श्री सिद्धार्थ  सुखलाल कुशवाहा

          डॉ. सीतासरन शर्मा

          श्री रामपाल सिंह

          श्री दिलीप सिंह गुर्जर

          श्री विनय सक्सेना

          श्री आरिफ मसूद

          श्री उमाकान्त शर्मा

          डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, मेरा व्यवस्था का प्रश्न है. शून्यकाल में नहीं सुनोगे तो गजब हो जायेगा.(..व्यवधान..) अध्यक्ष जी, इतने नाराज नहीं होते. सिर्फ एक बार देख लें.

                                                शून्यकाल में मौखिक उल्लेख

                                     प्रदेश की कानून व्यवस्था ध्वस्त होना

          अध्यक्ष महोदय - मैं किसी को परमीशन नहीं दे रहा हूं. सिर्फ शिवराज  जी बोलें. आप लोग सब बैठ जाएं सिर्फ शिवराज जी बोलें. शून्यकाल में उनको परमीशन दे रहा हूं.

          नेता प्रतिपक्ष ( श्री गोपाल भार्गव ) - अध्यक्ष महोदय, एक मिनट..

          श्री आरिफ अकील - अध्यक्ष महोदय, काम्पटीशन चल रहा है कौन नंबर एक,कौन नंबर दो, कौन नंबर तीन.. प्रतियोगिता चल रही है.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -  आरिफ भाई, आपको सब नंबर वन ही दिखेंगे चिंता मत करो.

          अध्यक्ष महोदय - यशपाल जी, मैं आगे बढ़ जाऊंगा. मैंने उनसे बोला शून्यकाल में कि कृपया आप बोलियेगा ताकि फिर मुझे उस पर क्या विचार करना है मैं आगे अपनी टिप्पणी करूं. संक्षेप में कृपापूर्वक.

          श्री शिवराज सिंह चौहान (बुधनी) -  माननीय अध्यक्ष महोदय, पूरे प्रदेश की कानून और व्यवस्था ध्वस्त हो गई है. अपराधी खुलकर खेल रहे हैं. रोज अपहरण, हत्याएं, बलात्कार, लूट, अपहरण एक उद्योग बन गये हैं. मेरे पास केवल मई और जून की सूची है. 12 जून को सागर जिले के बहेरिया थाने के खड़ेरा बेलखादर गांव में 10 साल की आदिवासी बेटी के साथ रेप किया गया.

          संसदीय कार्य मंत्री( डॉ. गोविन्द सिंह ) -  माननीय अध्यक्ष महोदय, स्थगन प्रस्ताव के नियमों में साफ लिखा हुआ है, स्थगन प्रस्ताव केवल एक विषय तक सीमित रहेगा.  दूसरा विषय चर्चा में नहीं आयेगा.

          श्री शिवराज सिंह चौहान - अध्यक्ष महोदय, मैं आपकी अनुमति से बोल रहा हूं.

          डॉ.गोविन्द सिंह - अनुमति है लेकिन जब आप स्थगन के माध्यम से बात कर रहे हैं तो आप केवल एक विषय तक सीमित रह सकते हैं.

          (..व्यवधान..)

          अध्यक्ष महोदय - शिवराज जी, कृपया प्वाइंटेड बात करें.

          डॉ. गोविन्द सिंह - आपको नियमों का ज्ञान है शिवराज जी, केवल एक विषय की चर्चा आप उठा सकते हैं.                                                                                               

(व्यवधान)..

श्री शिवराज सिंह चौहान - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है, पूरे प्रदेश में त्राहि-त्राहि मची हुई है.

डॉ. गोविन्द सिंह - आप 13 वर्ष मुख्यमंत्री रहे हैं शिवराज सिंह जी,  आपको नियमों का ज्ञान है, केवल एक ही विषय पर चर्चा आप उठा सकते हैं, स्थगन में दूसरी चर्चा नहीं कर सकते हैं. अब आप सत्ता का मोह छोड़ो.

श्री शिवराज सिंह चौहान - एक नहीं, अनकों घटनाएं हुई हैं, मासूम बच्चों का अपहरण होता है, मासूम बच्चों की हत्या की जाती है, भोपाल में भी हत्या हुई है.

डॉ. गोविन्द सिंह -  जब आपके नेता प्रतिपक्ष बैठे हैं  तो आप क्यों उनको बैठाकर (व्यवधान)..स्थापित करना चाहते हैं?

श्री शिवराज सिंह चौहान - नाबालिग बेटी के साथ में दुराचार हुआ, इसके बाद हत्या हुई. इंदौर में बेटे का अपहरण हुआ. उज्जैन में बेटी के साथ (व्यवधान)..हत्या कर दी गई.

डॉ. गोविन्द सिंह - अब 13 वर्ष हो गये, अब तो मोह छोड़ दीजिए. आपके नेता प्रतिपक्ष हैं, उनको मौका दीजिए.

(व्यवधान)..

श्री शिवराज सिंह चौहान - माननीय अध्यक्ष महोदय, इसका कारण यह सामने बैठी सरकार है, क्योंकि सरकार ने तबादलों को उद्योग बना दिया है. एक पुलिस अफसर लम्बे समय तक एक स्थान पर रह नहीं पा रहा है, पुलिस का मनोबल गिरा हुआ है, रोज ट्रांसफर किये जा रहे हैं. एक के बाद एक अफसर बदले जा रहे हैं और इसीलिए प्रशासनिक व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है, ध्वस्त हो गई है.

डॉ. गोविन्द सिंह - नियमों प्रक्रियाओं में यह कहीं प्रावधान नहीं है, केवल एक विषय तक स्थगन सीमित रहेगा, दूसरे विषय पर चर्चा यहां नहीं हो सकती है.(व्यवधान)..

श्री शिवराज सिंह चौहान - माननीय अध्यक्ष महोदय, बोलने नहीं दे रहे हैं, यह क्या तरीका है?

डॉ. गोविन्द सिंह - आज गृह मंत्री के विभाग की अनुदान मांगों पर चर्चा होना है. (व्यवधान)..

श्री शिवराज सिंह चौहान - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अध्यक्ष महोदय की अनुमति से बोल रहा हूं, यह क्या तरीका है? यह नहीं चलेगा.

एक माननीय सदस्य - आप लोग कुछ भी कहें, आप कोई भी आरोप लगाएं, यह कहां तक जायज है?

श्री शिवराज सिंह चौहान -यह  क्या तरीका है अध्यक्ष महोदय, आपने अनुमति दी है.

अध्यक्ष महोदय - पत्रों का पटल पर रखा जाना.श्री तरुण भनोत ..

(व्यवधान)..

12.06 बजे                             पत्रों का पटल पर रखा जाना

(1) मध्यप्रदेश औद्योगिक केन्द्र विकास निगम (जबलपुर) लिमिटेड का 35 वां वार्षिक प्रतिवेदन एवं वार्षिक लेखा वित्तीय वर्ष 2016-2017

वित्त मंत्री (श्री तरुण भनोत)- अध्यक्ष महोदय, मैं, कंपनी अधिनियम, 2013 (क्रमांक 18 सन् 2013) की धारा 395 की उपधारा (1) (ख) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश औद्योगिक केन्द्र विकास निगम (जबलपुर) लिमिटेड का 35 वां वार्षिक प्रतिवेदन एवं वार्षिक लेखा वित्तीय वर्ष 2016-2017 पटल पर रखता हूं.

(व्यवधान)..

एक माननीय सदस्य - मध्यप्रदेश में बच्चों की मृत्यु हुई है आपकी सरकार में. (व्यवधान)..उसके लिए कौन जिम्मेदार है?

श्री शिवराज सिंह चौहान -आप विपक्ष की आवाज दबाएंगे?

डॉ. सीतासरन शर्मा - अध्यक्ष महोदय, मेरा व्यवस्था का प्रश्न है. 

श्री शिवराज सिंह चौहान -यह नहीं चलेगा. यह दादागिरी नहीं चलेगी.

एक माननीय सदस्य - आप कुछ भी कहें, सब जायज है? अध्यक्ष महोदय, यह कुछ भी कहें, इनके लिए सब जायज है. (व्यवधान)..

 

12.07 बजे                                  गर्भ गृह में प्रवेश

भारतीय जनता पार्टी के सदस्यगण द्वारा गर्भ गृह में प्रवेश किया जाना

 

(भारतीय जनता पार्टी के सदस्यगण स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा कराएं जाने की मांग को लेकर गृर्भ गृह में आए एवं नारेबाजी करने लगे.)

(व्यवधान)..

 

पत्रों का पटल पर रखा जाना (क्रमशः)

(2) (क) मध्यप्रदेश राज्य महिला आयोग, भोपाल का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2015-2016 एवं 2016-2017

(ख) मध्यप्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2018-2019

महिला एवं बाल विकास मंत्री (श्रीमती इमरती देवी) - अध्यक्ष महोदय, मैं -

(क) मध्यप्रदेश राज्य महिला आयोग अधिनियम, 1995 (क्रमांक 20 सन् 1996) की धारा 14 की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश राज्य महिला आयोग, भोपाल का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2015-2016 एवं 2016-2017 तथा

(ख) बाल अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम, 2005 (क्रमांक 4 सन् 2006) की धारा 20 की उपधारा (3) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2018-2019 पटल पर रखती हूं.

 

 

(3) मध्यप्रदेश मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी लिमिटेड, भोपाल का 16वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017-2018

ऊर्जा मंत्री (श्री प्रियव्रत सिंह) - अध्यक्ष महोदय, मैं, कंपनी अधिनियम, 2013 (क्रमांक 18 सन् 2013) की धारा 395 की उपधारा (1) (ख) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी लिमिटेड, भोपाल का 16वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017-2018 पटल पर रखता हूं.

 

 

(4) मध्यप्रदेश राज्य वन विकास निगम लिमिटेड का 43वां वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखे वर्ष 2017-2018

वन मंत्री (श्री उमंग सिंघार) - अध्यक्ष महोदय, मैं, कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 394 की उपधारा (2) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश राज्य वन विकास निगम लिमिटेड का 43वां वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखे वर्ष 2017-2018 पटल पर रखता हूं.

 

 

12.09 बजे                                           बहिर्गमन

भारतीय जनता पार्टी के सदस्यगण द्वारा सदन से बहिर्गमन किया जाना

नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) - (XXX).. सरकार स्थगन पर चर्चा नहीं करवा रही है, उसके विरोध में हम सदन से बहिर्गमन करते हैं.

अध्यक्ष महोदय - यह सब कुछ बोला जा रहा है वह कुछ रिकॉर्ड में नहीं आएगा.

(भारतीय जनता पार्टी के सदस्यगण द्वारा नेता प्रतिपक्ष श्री गोपाल भार्गव के नेतृत्व में स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा कराए जाने की मांग को लेकर सदन से बहिर्गमन किया गया.)

 

 

 

 

 

 

 

(5) (क) जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर, मध्यप्रदेश का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017-2018

(ख) महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय, चित्रकूट, जिला-सतना, मध्यप्रदेश का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017-2018

(ग) महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय, जिला-कटनी (मध्यप्रदेश) का मध्यप्रदेश का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017-2018

उच्च शिक्षा मंत्री (श्री जितू पटवारी )- अध्यक्ष महोदय, मैं -

(क) मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय अधिनियम, 1973 (क्रमांक 22 सन् 1973) की धारा 47 की अपेक्षानुसार जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर, मध्यप्रदेश का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017-2018,

(ख) चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय अधिनियम, 1991 (क्रमांक 9 सन् 1991) की धारा 36 की उपधारा (5) की अपेक्षानुसार महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय, चित्रकूट, जिला-सतना, मध्यप्रदेश का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017-2018, तथा

(ग) महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय अधिनियम, 1995 (क्रमांक 37 सन् 1995) की धारा 28 की उपधारा (3) की अपेक्षानुसार महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय, जिला-कटनी (मध्यप्रदेश) का मध्यप्रदेश का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017-2018 पटल पर रखता हूं.

 

(6) मध्यप्रदेश राज्य रोजगार गारंटी परिषद, भोपाल की वार्षिक रिपोर्ट  वर्ष 2017-2018

पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री ( श्री कमलेश्वर पटेल )- अध्यक्ष महोदय, मैं, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 की धारा 12 की उपधारा (3) (च) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश राज्य रोजगार गारंटी परिषद, भोपाल की वार्षिक रिपोर्ट वर्ष 2017-2018 पटल पर रखता हूं.

 

 

 

 

 

 

 

ध्यानाकर्षण

(1) दतिया जिले में लूट एवं हत्या की घटनाएं घटित होने से उत्पन्न स्थिति

 

          डॉ नरोत्तम मिश्र ( दतिया ) -- अध्यक्ष महोदय,

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

            गृह मंत्री ( श्री बाला बच्चन ) -- माननीय अध्यक्ष महोदय,

 

 

 

 

 

                        डॉ. नरोत्तम मिश्र --   अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी का कहना सही हो सकता है.  मंत्री जी के शासन, प्रशासन  के  प्रति बहुत अच्छे भाव हैं.  गृह मंत्री जी, मैं  इस  ध्यान आकर्षण के माध्यम से  आपकी  आलोचना करने के लिये  खड़ा  हुआ ही नहीं हूं.  मैं सिर्फ आपका ध्यान आकर्षित करने के लिये खड़ा हुआ हूं.  गृह मंत्री जी, मैं आपका ध्यान आकर्षित  इस बारे में करना चाहता हूं  कि हमारा जो इलाका है, अच्छा, आप एक सवाल का जवाब दें, तो दूध का दूध पानी का पानी  हो जायेगा.  कल आपके एक टीआई ने ग्वालियर  में, आर्थिक  अपराध शाखा के टीआई ने  ग्वालियर में प्रेस कांफ्रेस की, यह मैं कल की बात कर रहा हूं.

                   अध्यक्ष महोदय --  यह इसमें उद्भूत नहीं  हो रहा है.

                   डॉ. नरोत्तम मिश्र --   अध्यक्ष महोदय, यह इसी का है.  कृपया आप पूरा सुन लें.

                   अध्यक्ष महोदय -- दतिया.

                   डॉ. नरोत्तम मिश्र --   अध्यक्ष महोदय, हां, वही दतिया का ही है.  उन्होंने प्रेस कांफ्रेस  दतिया की ही  की है.  मैं विषय से बाहर नहीं जाऊंगा.  मैं  इस ध्यान आकर्षण से रत्ती भर बाहर जाना भी नहीं चाहता और मैं कोई आलोचना करने के लिये खड़ा भी नहीं हुआ है.  उन्होंने प्रेस कांफ्रेस करके कहा कि  स्विफ्ट  गाड़ी  4 लोगों ने ग्वालियर से लूटी, ड्राइवर  की हत्या करेरा थाने  में  की, दतिया में आये, सेवढ़ा में 2.47 लाख  की उन्होंने लूट की.  दतिया टीआई  ने उनको पकड़ा, उनका नाम शेर सिंह था  और टीआई ने  उसके बाद  लेन-देन करके  दतिया में  उनको छोड़ दिया, हत्या,लूट के  आरोपियों को  छोड़ दिया.  आप इसकी पुष्टि कर लें,  अगर मेरी बात सही हो और मैं इतनी सी बात  कहने के  लिये खड़ा हुआ हूं कि  अपराध की जड़ में  सिर्फ  यही है कि  अपराधी से  कहीं न कहीं  लोकल  स्तर पर पुलिस मिली हुई है.

                   संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. गोविन्द सिंह) --  अध्यक्ष महोदय,  मैं  इसलिये हस्तक्षेप कर रहा हूं कि  जो टीआई, शेर सिंह है,  उसको आप ले गये थे.  आपने उसकी पोस्टिंग कराई  और  जो काम  आप अवैध कर रहे थे, जो  आपने उनको  ट्रेनिंग दी, वह ट्रेनिंग अभी तक लगातार जारी है,  इसलिये उसको ठीक करके हटा  भी  दिया गया है.

                    डॉ. नरोत्तम मिश्र --   अध्यक्ष महोदय,  मैं एक बार फिर कह देता हूं.  गोविन्द सिंह जी मेरे काबिल दोस्त हैं.  मैं उसको कभी नहीं ले गया.  ये मिनिस्टर है, अगर  ये ट्रेंजरी बैंच से ऐसा बोलते हैं और मेरा कहना यह है कि संसदीय  कार्य मंत्री जी   जब बोलें, तो प्रमाण से बोलें.  आरोप लगायें, तो  प्रमाण  से लगायें. मैं जितनी  बात कह रहा हूं, नाम सहित लेकर कह रहा हूं.   गोविन्द सिंह जी ने आरोप लगाया है, तो  वे यह बतायें कि  अगर मैं  उनको ले गया  था,  तो यह उनके पास  लिखित में प्रमाण हैं.  गोविन्द  सिंह जी, सुनियें,  मैंने गृह मंत्री जी से  अभी तक  सिर्फ एक बार बात की है,  इनके गृह मंत्री बनने के बाद.  मैंने एक बार उनसे यह कहा था कि  यह टीआई  अपराधियों से मिला है,  इसको हटाओ.  अध्यक्ष महोदय, सिर्फ एक ही बार मैंने बात  की है और  यह गोविन्द सिंह जी मेरे काबिल दोस्त  हैं,  विषयान्तर करने की कोशिश कर रहे हैं. मैं फिर कह रहा हूँ कि मेरे और तेरे की बात करने के लिए मैं खड़ा नहीं हुआ हूँ. इस ध्‍यानाकर्षण का मेरा कोई उद्देश्‍य ऐसा नहीं है. अध्‍यक्ष जी, स्‍वाभाविक रूप से पीड़ा की बात है. अगर किसी बाप के इकलौते बेटे को लोग घर मे घुसकर मार दें, उसकी मां को मार दें तो उस बाप के हृदय पर क्‍या गुजरेगी. वह शिक्षक है, सामने गुरुपूर्णिमा आ रही थी, अध्‍यक्ष जी, शिक्षक का हृदय रोता है. गृह मंत्री जी कह रहे हैं कि वहां शांति है, कह रहे हैं कि बाजार आंशिक बंद हुआ. मान लेते हैं आपकी बात सही होगी, लेकिन अभी तक अपराधी क्‍यों नहीं पकड़े गए ? अध्‍यक्ष जी, एक छोटी सी बात है, अपराधी नहीं पकड़े जा रहे हैं, अभी तक उनके पास में जानकारी आ गई होगी कि ग्‍वालियर में ऐसी घटना हुई है. मैंने नाम लिया है कि किस टीआई ने प्रेस-कांफ्रेन्‍स की है. अध्‍यक्ष महोदय, अगर ऐसों पर गृह मंत्री कार्यवाही करने की हिम्‍मत नहीं जुटाएंगे तो प्रदेश में अच्‍छा संदेश नहीं जाएगा और अपराध नहीं रूकेंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय -- माननीय विधायक जी, आप जरा हिम्‍मत तो दो और प्रश्‍न कर दो.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र -- अध्‍यक्ष महोदय, मैंने प्रश्‍न ही किया है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- प्रश्‍न कर दिया ?

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - हां, कर दिया है.

          श्री बाला बच्‍चन -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी ने कल किसी टीआई ने प्रेस-कांफ्रेन्‍स की है, उससे संबंधित बात पूछी है, आप संसदीय कार्य मंत्री रहे हैं, लंबे समय तक रहे हैं, अगर आपकी बात में कोई दम है, उसकी पुष्‍टि होती है, तथ्‍यों के आधार पर हम सख्‍त कार्यवाही उस टीआई के खिलाफ कराएंगे.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र -- अध्‍यक्ष जी, वे माननीय गृह मंत्री हैं और गृह मंत्री या कोई भी मंत्री जब सदन में जवाब देते हैं तो उससे संबंधित विभाग के व्‍यक्‍ति बैठते हैं. मैंने इसलिए पहले यह कहा कि आप जानकारी ले लें, अगर मैं असत्‍य कह रहा हूँ तो. मैंने नाम लिया कि किसने प्रेस-कांफ्रेन्‍स की है, कहां पर की है, किस विषय को लेकर की है, गाड़ी का नंबर क्‍या था, हत्‍या किसकी की गई, कौन से थाने में की गई, लूट कहां पर की गई, कितने की लूट की गई, ये सब मैं अक्षरश: बोला हूँ. अध्‍यक्ष जी, आप साक्षी हैं.

          श्री जितु पटवारी -- अध्‍यक्ष महोदय ....

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र -- जितु भाई, मैंने कहा ना कि मेरा बिल्‍कुल ध्‍येय आलोचना करने का नहीं है. मेरा सिर्फ यह कहना है कि अगर हम इस तरह से बचाएंगे तो नीचे के लेवल पर अपराध नहीं रुकेगा.

          श्री जितु पटवारी -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय....

          अध्‍यक्ष महोदय -- पटवारी जी, बैठिए जरा एक मिनट. हां, बोलिए.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र -- माननीय अध्‍यक्ष जी, मैं पुन: कह रहा हूँ.

          अध्‍यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी, माननीय विधायक जी जिन 3-4 बिंदुओं की बात कर रहे हैं, आपने भी अपने जवाब में बोला है कि अगर ऐसा हुआ है तो उसके ऊपर कड़ी कार्यवाही करेंगे. आप दोनों की यही बात है ?

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र -- जी हां, अध्‍यक्ष महोदय.

          अध्‍यक्ष महोदय -- अब कार्यवाही कितने समय में हो, इस पर आ जाएं.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र --  कार्यवाही हो या न हो, यह माननीय गृह मंत्री जी का अधिकार क्षेत्र है, मेरा यह कहना है कि प्रदेश में जिस तरह की वीभत्‍स घटनाएं घट रही हैं, बच्‍चियों को जला देना या नृशंस हत्‍या करना, घर में घुसकर मार डालना, हमारे दतिया में ही ऐसी घटना हुई. उस बिटिया के हाथों की मेहंदी नहीं छूटी थी और घर में घुसकर गोली मार दी, प्रियंका साहू को, अध्‍यक्ष जी, इस तरह की घटनाओं के लिए कोई संदेश देना चाहिए. एक मामला जो पुष्‍ट हो चुका, वह भी दतिया का है, मेरा ध्‍यानाकर्षण भी दतिया जिले से ही जुड़ा हुआ है. यह घटना भी दतिया जिले की है. अगर आपने उस एक पर केस रजिस्‍टर्ड कर दिया तो आपके पूरे प्रदेश की मुस्‍तैदी हो जाएगी और इस तरह की घटनाओं पर पाबंदी लग जाएगी. अध्‍यक्ष जी, इतना सा मेरा निवेदन है. आप करें तो, नहीं करें तो, आपकी मर्जी.

          डॉ. गोविन्‍द सिंह -- माननीय गृह मंत्री जी से जवाब सुन लो.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र -- आपका गृह विभाग नहीं है.

          डॉ. गोविन्‍द सिंह -- आप जवाब तो सुन लो.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र -- आपका विभाग तो सहकारिता रहेगा, (XXX) आपको इससे ज्‍यादा और कुछ नहीं है.

          डॉ. गोविन्‍द सिंह -- आपको मालूम है, मेरे पास पहले भी था, मैंने स्‍वयं छोड़ा था.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र -- राज्‍य मंत्री थे दादा, वे कभी आपको राजा नहीं बनाएंगे, आप मानो तो मेरी बात.

          डॉ. गोविन्‍द सिंह -- आपकी सरकार में न्‍याय भले ही नहीं होता था, लेकिन सच्‍चाई है कि यहां न्‍याय होगा.

          श्री बाला बच्‍चन -- माननीय अध्‍यक्ष जी, हमारे माननीय विधायक सदस्‍य साथी ने जो बात पूछी है. ठीक है, अगर यह तथ्‍यों पर आधारित है तो निश्‍चित उनके खिलाफ कार्यवाही होगी और जिस तरह से बताया गया है कि टीआई ने कोई प्रेस-कांफ्रेन्‍स की है, हम उसकी जानकारी ले लें, हम उसकी तहकीकात कर लें, और निश्‍चित हम उस टीआई के खिलाफ कार्यवाही करेंगे क्‍योंकि कानून को जो कोई भी हाथ में लेगा, चाहे वह अधिकारी हो, कोई पोलिटिशियन हो, या कोई भी अन्‍य व्‍यक्‍ति हो, कानून को हाथ में लेता है, अपराध करता है तो निश्‍चित ही कानून प्रक्रिया के अंतर्गत उनके खिलाफ कार्यवाही होगी. जो आपने यहां पर बात रखी है कि टीआई ने प्रेस-कांफ्रेन्‍स की है, मैं इसकी पुष्‍टि कर लूँ, इसके तथ्‍य ले लूँ और उसके खिलाफ हम जरूर कार्यवाही करेंगे.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र -- अध्‍यक्ष जी, बहुत छोटी सी बात है. मैं फिर आपसे निवेदन कर रहा हूँ, मेरा कहना नहीं मानना है, इनके विभाग के एक अधिकारी ने, मैं उसका नाम भी ले रहा हूँ, छाबई का, उसने प्रेस-कांफ्रेन्‍स की, अध्‍यक्ष जी, जो मामला सिद्ध हो गया होगा, उन्‍होंने चार अपराधी पकड़े, चारों ने हत्‍या कबूल की, चारों ने लूट कबूल की, लूट का माल बरामद हो गया, लूट की गाड़ी बरामद हो गई, यह गाड़ी इस टी.आई. ने दतिया थाने में इन चारों अपराधियों को पकड़ा, गाड़ी पकड़ी, रुपया लिये, गाड़ी छोड़ दी, अपराधी छोड़ दिये, कोई केस रजिस्‍टर्ड नहीं किया. क्राइम ब्रांच की शाखा ने परसों पकड़े और उसके बाद क्राइम ब्रांच की प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में उन्‍होंने उल्‍लेख किया है. इसमें मेरा उल्‍लेख है ही नहीं और फिर मैं आपसे प्रार्थना कर रहा हूं कि हम अपराधों के बारे में सोंचे, अपराधों की किस्‍म के बारे में, यह जो नीचे के स्‍तर पर संदेश है, उसके कारण से अपराध बढ़ रहा है. अगर यहां से, इस सदन से सख्‍त कार्यवाही का अगर संदेश नहीं जायेगा, तो जिस तरह से प्रदेश में अपराधों की बाढ़ आयी है यह थमेगी नहीं. मैं इतना कह रहा हूं. गृह मंत्री जी की आलोचना करना मेरा उद्देश्‍य नहीं है, न मेरा कोई पुलिस की आलोचना का उद्देश्‍य है. मेरा उद्देश्‍य अपराधों पर नियंत्रण से है. अध्‍यक्ष जी, मेरी प्रार्थना है कि आपकी व्‍यवस्‍था इस पर आना चाहिये.

          खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्‍ता संरक्षण मंत्री (श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर) - अध्‍यक्ष महोदय, मुझे एक मिनट बोलने की इजाज़त दे दीजिये.

          अध्‍यक्ष महोदय - आप एक मिनट रुक जाइये. विषय बड़ा गंभीर है. जरा आप शांति रखिये. आप बैठ जाइये, तशरीफ रखिये. शुक्रिया. माननीय मंत्री जी, जो विषय की गंभीरता आ रही है, आप भी उसे भलीभांति समझ रहे हैं. यहां कहीं न कहीं कोई तो प्रश्‍नचिह्न लग रहा है कि एक नहीं, दो-तीन-चार और उसके बाद भी वह प्रश्‍नचिह्न लगातार जारी है. क्‍या ऐसे प्रश्‍नचिह्न रोकने के लिये आपके निर्देश जारी होंगे ?

          श्री बाला बच्‍चन - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपको बताना चाहता हूं कि हमारी 6 महीने की सरकार के कार्यकाल में जो हमने सभी अपराधों पर नियंत्रण पाया है और माननीय मुख्‍यमंत्री आदरणीय कमलनाथ जी के नेतृत्‍व में हम इस बात की कोशिश कर रहे हैं कि प्रदेश को हम अपराध मुक्‍त प्रदेश बनायें और मैं आपको बताना चाहता हूं कि सभी अपराधों में किसी में 2 परसेंट, किसी में 4 परसेंट, किसी में 9 परसेंट, किसी में 10 परसेंट और किसी में 14 परसेंट की कमी आयी है. इसमें सतत् हम लोग प्रयत्‍नशील हैं और जो माननीय नरोत्‍तम मिश्र जी जानना चाह रहे हैं, यह सब मेरे पास इसके फिगर हैं. आज चूंकि मुझसे संबंधित गृह, पुलिस और इससे संबंधित अनुदान मांगों पर चर्चा होगी, इसमें मैं सारी बातें डिलिवर भी करूंगा. अपने आंकड़े भी मैं डिलिवर करूंगा. माननीय विधायक जी ने यहां जो बात रखी है, मैं उनकी बात की तहकीकात कर लूं और अगर वह सत्‍य और फैक्‍ट है, तो तथ्‍यों के आधार पर हम कार्यवाही करेंगे. वह छावई टी.आई. और उसके अलावा अन्‍य और भी जो शामिल होंगे, सबके खिलाफ हम सख्‍त कार्यवाही करेंगे. हमारी कार्यवाही से कोई बच नहीं पायेगा.

          अध्‍यक्ष महोदय - गृह मंत्री जी, ऐसी घटना दोबारा न हो पाये, उसके पहले जांच हो जायेगी ?

          श्री बाला बच्‍चन - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपके आदेश का अक्षरश: हम पालन करेंगे. उसमें कोई डाउट, कोई शंका वाली बात नहीं है.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - अध्‍यक्ष महोदय, मेरा सिर्फ यह कहना है कि यह मांगों पर जवाब देंगे. इस ध्‍यानाकर्षण के औचित्‍य पर ही इन्‍होंने प्रश्‍न लगा दिया है. इन्‍होंने कहा कि मांग पर मैं जवाब दूंगा.

          अध्‍यक्ष महोदय - वह अन्‍य विषयों पर देंगे.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - अध्‍यक्ष जी, अन्‍य विषयों पर नहीं, इसी विषय पर कहा है. इन्‍होंने पूरी बात कह दी.

          श्री गोपाल भार्गव - अध्‍यक्ष महोदय, ध्‍यान आकर्षण की सूचना कोई एक विशेष घटना के ऊपर नरोत्‍तम जी ने लाई है.

          अध्‍यक्ष महोदय - हां, दतिया के ऊपर लाये हैं.

          श्री गोपाल भार्गव - अध्‍यक्ष महोदय,  माननीय गृह मंत्री जी ने अपने उत्‍तर में बताया है कि फलां प्रकार के अपराध, फलां प्रकार के अपराध, 2 परसेंट की कमी, 4 परसेंट, 6 परसेंट की कमी, जब ध्‍यानाकर्षण या स्‍थगन सूचनायें आती हैं, किसी घटना विशेष पर आती हैं. अब इसमें ऐसी बात करना कि हम बजट के समय उत्‍तर दे देंगे, यह तो प्रश्‍न का समाधान नहीं हुआ. इस प्रश्‍न में जो हुआ है इसका स्‍पेसीफिक और समाधानकारक उत्‍तर आना चाहिये. अध्‍यक्ष महोदय, आपने भी आसंदी से व्‍यवस्‍था दी है कि भविष्‍य में कभी भी इस प्रकार की घटनायें नहीं हों. मैं, मानकर चलता हूं कि इसकी ग्‍यारंटी तो मंत्री जी ले सकते हैं क्‍या ? ले सकते हैं ?

          अध्‍यक्ष महोदय - हां, मंत्री जी ने इसकी ग्‍यारंटी ले ली है. हो गई है.

          श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर - माननीय अध्‍यक्ष जी, मैं कुछ बोल सकूंगा,  इजाज़त दे देंगे ?

          अध्‍यक्ष महोदय - तोमर जी, अभी दो पण्डितों के बीच में गेंद फंसी है. आप जरा रुक जाइये. ...(व्‍यवधान)..

..(व्यवधान)..

          श्री प्रद्युम्न  सिंह तोमर--  (xxx)...(व्यवधान)..

          अध्यक्ष महोदय--  तोमर जी, मैंने आपको इजाजत नहीं दी है, आप कृपा पूर्वक बैठ जाइये. अब सुनिए, सिर्फ नरोत्तम जी को अपना प्रश्न करने दें. नरोत्तम जी को प्रश्न करने का अच्छा अनुभव है, किसी को सपोर्ट करने की जरुरत नहीं है. ..(व्यवधान)..

          डॉ.सीतासरन शर्मा--  माननीय अध्यक्ष महोदय, ये चर्चा करा लें, ये अपनी बात कह लेंगे, हम अपनी बात कह लेंगे.

          अध्यक्ष महोदय--  नरोत्तम जी, अंतिम प्रश्न, क्योंकि आपकी तरफ से मैंने भी कर लिया है.

          डॉ.नरोत्तम मिश्र--  जी माननीय अध्यक्ष जी, मैं आपका आभारी हूँ.

          श्री भूपेन्द्र सिंह--  अध्यक्ष जी, नरोत्तम जी के बाद मेरा व्यवस्था का प्रश्न है.

          डॉ.नरोत्तम मिश्र--  अध्यक्ष जी, मैं यह कह रहा हूँ कि...

          संसदीय कार्य मंत्री (डॉ.गोविन्द सिंह)--  माननीय अध्यक्ष जी, मंत्री जी जवाब देना चाहते हैं. आप सुन तो लो.

          डॉ.नरोत्तम मिश्र--  दें.

          नेता प्रतिपक्ष(श्री गोपाल भार्गव)--  गृह मंत्री की जगह खाद्य मंत्री खड़े हो गए. क्या यह कोई राशन का विषय है? (हँसी)

          श्री बाला बच्चन--  माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य जी और पूछना चाह रहे थे, पूर्व गृह मंत्री जी भी कुछ जानना चाह रहे थे.

          श्री भूपेन्द्र सिंह--  अध्यक्ष जी, मेरा व्यवस्था का प्रश्न है. अनुमति हो तो बोलूँ?

          अध्यक्ष महोदय--  अभी प्रश्न चालू हैं.

          श्री भूपेन्द्र सिंह--  इसके बाद सुन लें.

          अध्यक्ष महोदय--  भूपेन्द्र जी, मैं कहाँ की व्यवस्था दे दूँ?

            श्री भूपेन्द्र सिंह--  इसके बाद सुन लें. व्यवस्था का प्रश्न इससे उद्भूत हुआ है, तो आप इसके बाद सुन लें.

          श्री प्रद्युम्न  सिंह तोमर--  (xxx).. (व्यवधान)..

          अध्यक्ष महोदय--  अब आप लोग कृपया शांत रहें. मैं अब आगे बढ़ जाऊँगा. मैं बड़े आराम से, अगर कोई उत्तर दिलाना चाह रहा हूँ, उसको अन्यथा न लें, मैं धीरे चल रहा हूँ, नहीं तो मैं तेज चलने लगूँगा.

          डॉ.नरोत्तम मिश्र--  अध्यक्ष जी, मैं तो अक्षरशः आपके आदेश का पालन करूँगा. आपने कहा कि विषय से बाहर नहीं जाएँगे. मैं विषय से बाहर नहीं गया था.

          श्री आरिफ अकील--  (बैठे-बैठे) आप तो पी टी ऊषा बन जाओ. (हँसी)

          डॉ.नरोत्तम मिश्र--  अब आप उनका जेण्डर कैसे चेंज कर दोगे? पी.टी.ऊषा कैसे बनेंगे?..(व्यवधान)..

          श्री तरुण भनोत--  भावनाओं को समझिए.

          अध्यक्ष महोदय--  नरोत्तम जी, मेरे इस विषय के बारे में आप कहीं से कहीं कोई छोर तक मत सोचिए.

          डॉ.नरोत्तम मिश्र--  अध्यक्ष जी, मैं तो सोच ही नहीं रहा हूँ. ये जो सोच रहे हैं उनको टोक रहा हूँ.

          अध्यक्ष जी, मेरी प्रार्थना सिर्फ इतनी है कि खाद्य मंत्री जो बोले वह मैं सुन नहीं पाया.

          अध्यक्ष महोदय--  उनका छोड़िए भाई.

          डॉ.नरोत्तम मिश्र--  या तो आप विलोपित करा दें या मुझे जवाब देने दें.

          अध्यक्ष महोदय--  नहीं, गृह मंत्री जी जवाब दे रहे हैं.

          डॉ.नरोत्तम मिश्र--  उन्होंने जो बोला है उसे विलोपित करा दें या मुझे जवाब देने दें, वे क्या कहना चाह रहे हैं.

          अध्यक्ष महोदय--  मैं देख लूँगा.

(xxx) आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.

          डॉ.नरोत्तम मिश्र--  नहीं तो वे क्या बोल रहे हैं मैं जवाब देना चाहता हूँ.

अध्यक्ष महोदय--  तुलसी सिलावट जी, बैठिए...(व्यवधान)..

डॉ.नरोत्तम मिश्र--  चर्चा कराओ ना. ..(व्यवधान)..हम हर चर्चा पर तैयार हैं.

लोक स्वास्थ्य मंत्री(श्री सुखदेव पांसे)--  (xxx) ..(व्यवधान)..

डॉ.नरोत्तम मिश्र--  अरे शेर के बच्चे अगर सियारों से धमक खाएँगे..(व्यवधान)..कैसे जंगल में रह पाएँगे?..(व्यवधान)..

श्री सुखदेव पांसे--  (xxx)..(व्यवधान)..

अध्यक्ष महोदय--  ये जो जो मंत्री जी बोल रहे हैं ये कुछ नहीं लिखा जाएगा. चाहे तोमर जी बोल रहे हों, चाहे सुखदेव जी, यह कुछ नहीं लिखा जाएगा. क्या आज सदन में जो मूल विषय हैं हम उनके ऊपर चर्चा न होने दें. एक तो चला गया. जरा धीरज रखिए. जब जिसकी बारी आए, जिसका विभाग आए, मेहरबानी करिए. यहाँ से भी मेरी प्रार्थना है. यह ध्यानाकर्षण सिर्फ और सिर्फ नरोत्तम मिश्रा जी का है. मैंने पहले ही व्यवस्थाएँ दे रखी हैं, मूल प्रश्नकर्ता ध्यानाकर्षण पर 3 प्रश्न करेगा. अगर मैं किसी को इजाजत दूँ तब  वे प्रश्न कर सकेंगे अन्यथा कृपा पूर्वक ऐसा माहौल पैदा न करें. माननीय नरोत्तम जी, आखरी प्रश्न करें.

डॉ.नरोत्तम मिश्र--  अध्यक्ष जी, पहला ही आखरी है और आपकी आज्ञा से मैं हलन्त और बिन्दु भी इधर उधर नहीं पूछूँगा. मेरा तो सिर्फ इतना ही पूछना है कि इस तरह की घटनाएँ प्रदेश में न हों. एक व्यक्ति जिसका अपराध सिद्ध हो गया है और आपकी पुलिस ने सिद्ध किया है, क्या ऐसे व्यक्ति पर आप केस दर्ज करेंगे? इतनी सी बात है.

            श्री बाला बच्चन--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य के द्वारा छाबई टी.आई. का जो उल्लेख किया गया है. मैं आपके माध्यम से सदन की जानकारी में ला देना चाहता हूँ कि आज ही हम इसकी जाँच करवाकर, यदि उसने कोई अपराध किया है तो निश्चित ही हम उसको सजा देंगे.

          डॉ. नरोत्तम मिश्र--अध्यक्ष महोदय, छाबई टी.आई. ने अपराध नहीं किया है, छाबई टी.आई. ने प्रेस कांफ्रेंस की है वह क्राइम ब्रांच का टी.आई. है. जिस टी.आई. ने यह अपराध किया है उसका नाम शेर सिंह है. दो अलग-अलग व्यक्ति हैं.

          श्री बाला बच्चन-- अध्यक्ष महोदय, जो भी इस अपराध में शामिल है, जैसा माननीय सदस्य चाहते हैं हम उस पर कार्यवाही करेंगे. हम यह भी देखेंगे कि क्या टी.आई. को प्रेस कांफेंस करने का विधिवत अधिकार था. जिसने भी कानून को हाथ में लेने का काम किया है और जिसके कारण माननीय सदस्य को हाउस में यह ध्यानाकर्षण लगाना पड़ा. मैं समझता हूँ कि ध्यानाकर्षण का विषय कुछ और था लेकिन आप सप्लीमेंट्री में हमारे संज्ञान में यह बात लाए हैं, निश्चित हम कार्यवाही करेंगे. आज ही हम जाँच कराएंगे और इसमें जो भी शामिल हैं उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही करेंगे. जिससे कि हम कानून व्यवस्था में और कसावट कर सकें और ऐसे अपराध न हो सकें. अपराधी और अपराधों की संख्या बिलकुल खत्म हो इस दिशा में हम लोग काम कर रहे हैं. इसमें हम और कसावट करेंगे. आज ही हम जाँच करवाकर सख्त कार्यवाही करके सस्पेंड करेंगे.

          डॉ. नरोत्तम मिश्र--माननीय अध्यक्ष महोदय, सस्पेंड तो वह पहले से ही है.

          अध्यक्ष महोदय--दोबारा सस्पेंड कर देंगे. (हंसते हुए)

          डॉ. नरोत्तम मिश्र--अध्यक्ष महोदय, वह पहले से रंगा पुता पड़ा है. आप कह रहे हैं जांच करके सस्पेंड कर देंगे.

          अध्यक्ष महोदय--अच्छा. तो फिर आप क्या चाह रहे हैं.

          डॉ. नरोत्तम मिश्र--अध्यक्ष महोदय, जिसका अपराध सिद्ध हो गया है. गोविन्द सिंह जी, आप जाँच करो, चाहो तो कार्यवाही भी मत करो, मेरी उसमें रुचि नहीं है (डॉ. गोविन्द सिंह जी के बोलने पर). अध्यक्ष महोदय, मेरी रुचि सिर्फ इतनी सी है कि कोई संदेश इस हाउस का दे सकते हैं तो दें नहीं दे सकते हैं तो कोई बात नहीं है.

          डॉ. गोविन्द सिंह--अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने कहा है कि आज शाम तक यह पता कर लेंगे कि वह दोषी है तो शाम तक ही उस पर कार्यवाही होगी.

          श्री जितू पटवारी-- इस पर आप धन्यवाद दें.

          डॉ. नरोत्तम मिश्र--धन्यवाद संसदीय कार्य मंत्री जी, धन्यवाद गृह मंत्री जी.

 

(2)           बैतूल जिले सहित प्रदेश में पौधरोपण कार्य में अनियमितता की जाना

          सर्वश्री कुणाल चौधरी (कालापीपल), संजीव सिंह, विनय सक्सेना-- माननीय अध्यक्ष महोदय,

                                                                                                        

 

         

 

         

            श्री कुणाल चौधरी-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी से मेरा प्रश्‍न है कि क्‍या गिनीज बुक ऑफ वर्ल्‍ड रिकार्ड में दो तरह के रिकार्ड दर्ज किए गए? पहला, एक साथ इतने पौधे लगाने का और दूसरा दूसरे दिन 90 प्रतिशत पौधे चोरी होने का, क्‍या गिनीज बुक ऑफ वर्ल्‍ड रिकार्ड नहीं बना? दूसरी, बात यह कि मंत्री जी, बैतूल शहर में शाहपुरा क्षेत्र में पहुंचे और छोटी सी जांच से विदित होता है कि शिवराज सिंह जी की सरकार में वृक्षारोपण के नाम पर सिर्फ करदाताओं तथा शासन के धन का दुरुपयोग किया गया. गिनीज बुक ऑफ वर्ल्‍ड रिकार्ड में नाम दर्ज कराने की जिद में महज एक दिन में सात करोड़ पौधों को यदि रोपित किया जाए तो इसमें वृक्षारोपण के कई मानक मापदण्‍डों का उल्‍लंघन होना स्‍वाभाविक है और इसमें मुख्‍यालय से लेकर फील्‍ड तक विभिन्‍न स्‍तरों पर लापरवाही भी बरती गई होगी. आप इसकी जांच करवाएं, क्‍योंकि करोड़ों पौधे एक दिन में लगे और करोड़ों चोरी हो गए. क्‍या आप इसका नाम भी गिनीज बुक ऑफ वर्ल्‍ड रिकार्ड में दर्ज करवाएंगे?

 

         

          श्री तरूण भनोत-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आदरणीय सदस्‍य द्वारा जो पूछा गया है, मैं इस पर पूर्व में भी कह चुका हूं क्‍योंकि पौधारोपण का कार्य मूलत: वन विभाग एवं अन्‍य विभागों द्वारा किया गया था और उसमें राशि का व्‍यय भी उन विभागों द्वारा ही किया गया था. मैं समझता हूं कि सदस्‍य महोदय के प्रश्‍न में ही उनका उत्‍तर भी छिपा हुआ है. माननीय वन मंत्री जी, जो कि सदन में अभी उपस्थित भी हैं, उन्‍होंने स्‍वयं कुछ दिवस पूर्व मौके पर जाकर जांच की है और जांच में प्रथम दृष्‍टया जो अनियमिततायें पाई गयीं, उन पर विभागीय कार्यवाही भी की गई है. निश्चित तौर पर मैं सदन में कहना चाहूंगा कि इस प्रकार की, और जानकारी यदि हमारे संज्ञान में आयेगी तो उस पर जो कुछ भी संभव होगा हम वैसी कार्यवाही करेंगे.

          श्री कुणाल चौधरी-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मंत्री जी से मेरा एक प्रश्‍न है कि 100 प्रतिशत में से 71.30 प्रतिशत पौधे जीवित बताये गए थे और वन मंत्री जी ने मौके पर जांच की तो स्‍थल पर केवल 15 प्रतिशत पौधे ही जीवित पाए गए. यह एक सीधे भ्रष्‍टाचार का उदाहरण है. यह किसी भी विभाग के द्वारा किया गया हो, मैं यह जानना चाहता हूं कि क्‍या यह जनता के जन-धन का दुरूपयोग नहीं था ? सिर्फ अपनी असत्‍यता से भरी वाह-वाही के लिए और एक संगठित लूट के रूप में इसे किया गया क्‍योंकि जिन्‍होंने पौधे सप्‍लाई किए, उन सप्‍लायरों का भी इसमें उल्‍लेख है कि कैसे एक दिन में 7 करोड़ पौधों को रोपने के लिए यह योजना बनाई गई और लूट सको तो लूट लो योजना के अंतर्गत मध्‍यप्रदेश की जनता की गाढ़ी कमाई को लूटा गया. मंत्री जी इस पर आप जांच करवा दीजिए और जिन लोगों ने जन-धन की हानि की, उन पर कार्यवाही हो.

          अध्‍यक्ष महोदय-  आपका प्रश्‍न हो गया. मंत्री जी आप जवाब दे दीजिये.

          डॉ. सीतासरन शर्मा (होशंगाबाद)-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, पिछली बार सदन में उत्‍तर दिया गया था कि कोई गड़बड़ी नहीं है और अब कहा जा रहा है कि गड़बड़ी है. इसलिए मैं कह रहा हूं कि दोनों उत्‍तर सामने रख लीजिये और सही उत्‍तर दिलवा दीजिये. सही उत्‍तर जानने का हमारा अधिकार है.

          अध्‍यक्ष महोदय-  शर्मा जी, आप माफ करिये. मूल प्रश्‍नकर्ता प्रश्‍न कर रहा है. आप क्‍यों खड़े हो गए ? मैं आपको परमिट नहीं कर कहा हूं.

          श्री गोपाल भार्गव-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, कृपया बाद में शर्मा जी को अवसर दिया जाये. माननीय सदस्‍य का यह कहना है कि पिछला जो लघु सत्र हुआ था उसमें शासन की ओर से उत्‍तर आया था कि किसी प्रकार की अनियमितता नहीं हुई है. 

(...व्‍यवधान...)

          श्री तरूण भनोत-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सर्वप्रथम तो मैं पूरे सदन को यह सूचित करना चाहता हूं कि 2 जुलाई, 2017 का वृक्षारोपण का कार्यक्रम गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्‍ड रिकॉर्ड में दर्ज नहीं हो पाया है. यह महत्‍वपूर्ण जानकारी मैं देना चाहता था और रही बात भ्रष्‍टाचार की तो मैंने बड़ा स्‍पष्‍ट कहा कि जिस विभाग की ओर से मैं यहां खड़ा हुआ हूं, उसने किसी भी प्रकार का, कोई भी खर्च इस पौधारोपण के कार्यक्रम में नहीं किया है. मैं सम्‍माननीय सदस्‍य को बताना चाहूंगा कि इस पौधारोपण कार्यक्रम के तहत वन विभाग द्वारा 134 करोड़ रूपये खर्च किए गए. ग्रामीण विकास विभाग द्वारा इसमें 341 करोड़ रूपये खर्च किए गए. उद्यानिकी विभाग द्वारा 24 करोड़ का खर्च किया गया. कृषि विभाग द्वारा इस कार्यक्रम में कोई खर्च नहीं किया गया और न ही जन अभियान परिषद के माध्‍यम से कोई खर्च हुआ. पौधारोपण के कार्यक्रम में कुल 499 करोड़ रूपये का खर्च हुआ है. मैं सदन में सम्‍मुख यह कहना चाहता हूं कि माननीय वन मंत्री जी ने मौके पर जाकर जांच की, वहां प्रथम दृष्‍टया जो अनियमिततायें पाई गईं, उन पर कार्यवाही भी की गई है. यदि सदस्‍य महोदय और सदन की ऐसी भावना है तो हम इस पूरे प्रकरण की विस्‍तृत जांच करवा लेंगे. जो माननीय सदस्‍य इसमें शामिल होना चाहते हैं वे शामिल हो सकते हैं. जिनके भी पास ऐसी कोई तथ्‍यात्‍मक जानकारी है, जिससे यह साबित हो कि सरकारी पैसे का दुरूपयोग किया गया वे हमें जानकारी उपलब्‍ध करवायें तो हम उसकी जांच अवश्‍य करवायेंगे. धन्‍यवाद.

          श्री कुणाल चौधरी-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं अपने अंतिम प्रश्‍न में एक संवैधानिक मुद्दे को समेटे हुए हूं कि लगातार प्रश्‍नों के गलत जवाब सम्‍माननीय अधिकारियों द्वारा दिए जा रहे हैं. आज भी मेरे कला-मंडली के प्रश्‍न के '''' बिंदु, जो मेरे द्वारा पूछा गया था उसे खत्‍म कर दिया गया. पहले भी मेरे द्वारा सी.सी.टी.वी. कैमरे में लूट के बारे में पूछा गया था, उसके अंतर्गत भी यही किया गया. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैंने प्रबोधन कार्यक्रम में भी आपसे आग्रह किया था कि लगातार गलत जवाब दिए जा रहे हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय-  कुणाल जी, आपकी बात आ गई है. प्रश्‍न एवं संदर्भ समिति इसलिए ही बनाई गई है. अगर आपको ऐसा लग रहा है कि गलत जानकारी दी जा रही है तो आप लिखित में प्रश्‍न एवं संदर्भ समिति को अपना लेख दे दीजिएगा.

            श्री संजीव सिंह(भिण्‍ड):- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इसी संदर्भ में मेरा भी एक प्रश्‍न है कि माननीय मंत्री जी ने अभी जो जवाब दिया, उसमें लिखा है कि जब इन्‍होंने जांच की तो परिक्षेत्र अधिकारी,परिक्षेत्र सहायक एवं वन रक्षक इन लोगों के खिलाफ अनुशासनात्‍मक कार्यवाही की गयी तथा इन पौधों को लगाने में पूरा जो 499 करोड़ रूपये का खर्चा किया गया और एक दिन में 7 करोड़ पौधे लगाये गये. ऐसा कोई वर्ल्‍ड रिकार्ड, गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्‍ड रिकार्ड पुस्तिका में दर्ज भी नहीं हुआ है. निश्चित तौर पर जब इन लोगों पर कार्यवाही की तो इस मामले में अनियमितता तो हुई है, जब अनियमितता हुई है तो इस पर ठोस कार्यवाही क्‍या की गई ? आप कह रहे हैं कि हम जांच करा लेंगे. इसमें कितना समय हो चुका है और आपके तीन अधिकारी निलंबित हो चुके हैं, उसके बाद भी अभी तक आपने इस पर कोई ठोस जांच क्‍यों नहीं करायी ? इनके ऊपर आज दिनांक तक कोई मुकदमा दायर क्‍यों नहीं कराया गया ?

          श्री तरूण भनोत:- अध्‍यक्ष महोदय, मैंने बड़े स्‍पष्‍ट रूप से कहा कि यह वन विभाग के द्वारा जो गड़बडि़यां उस माध्‍यम से की गयी थीं, उसकी जांच वन मंत्री जी ने मौके पर जाकर स्‍वयं की है. अब मैं वन मंत्री जी के क्षेत्राधिकार का उल्‍लंघन तो कर नहीं सकता. निश्चित तौर पर वन मंत्री जी ने मौके पर जाकर जांच की है और उसमें उन्‍होंने जो गड़बडि़यां पायी हैं, उस पर कार्यवाही हो रही है और अगर आप अभी कुछ और नई जानकारी दे रहे हैं तो हम उसकी भी जांच करा लेंगे. वह तो प्रथम दृष्‍टया उन्‍होंने जो जांच की, उसमें उन्‍होंने संबंधित विभाग के अधिकारियों को दण्डित भी किया है. अगर आगे कुछ और तथ्‍य ऐसे हैं जो आप सदन के माध्‍यम से हम तक पहुंचा रहे हैं तो हम उसके ऊपर भी जांच करा लेंगे.

          श्री संजीव सिंह:-माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सिर्फ निलंबित करना कोई दण्‍ड होता है, 499 करोड़ रूपये का घोटाला है. इस पर 341 करोड़ रूपये ग्रामीण विकास विभाग ने खर्च किये, 134 करोड़ रूपये कृषि विभाग ने खर्च किये और 24 करोड़ रूपये अन्‍य विभागों ने खर्च किये. आपने सिर्फ निलंबित कर दिया. जहां तक मुझे जानकारी है कि निलंबित अ‍वधि में आधा वेतन तो मिलता है, वह आराम से बैठे हैं. जिस दिन उनका निलंबन बहाल होगा तो उनको पूरा वेतन दे दिया जायेगा और ससम्‍मान उनको स्‍थापित कर दिया जायेगा. क्‍या निलंबन कोई सजा होती है ? आपने सरकार के 499 करोड़ रूपये खर्च कर दिये, जनता की गाढ़ी कमाई के खर्च कर दिये और आपने जिस उद्देश्‍य के लिये पैसे खर्च किये, यदि आपका उद्देश्‍य पूरा हो जाता, अगर वह पेड़-पौधे लग जाते, प्रदेश में पर्यावरण की वृद्धि होती तो मैं मान सकता था कि ठीक है. आपने 499 करोड़ रूपये खर्च कर दिये और आपका गिनीज बुक ऑफ वर्ल्‍ड रिकार्ड पुस्तिका में आपके नाम वर्ल्‍ड रिकार्ड नाम भी दर्ज नहीं हो पाया. उसके बावजूद आप कह रहे हैं कि निलंबित कर दिया. आपके यह 499 करोड़ रूपये की रिकवरी के लिये क्‍या-क्‍या किया, यह 499 करोड़ रूपये रिकवर कैसे होंगे?

            लोक स्‍वास्‍थ्‍य यांत्रिकी मंत्री (श्री सुखदेव पांसे):- सरकार के संरक्षण में भ्रष्‍टाचार हुआ है.

          अध्‍यक्ष महोदय:- अरे भाई, आप बैठिये ना. अच्‍छा विषय चलता है, बीच में क्‍यों चोटियां काटते हो.

          श्री तरूण भनोत:- अध्‍यक्ष महोदय, यह चाहते हैं कि समय-समय पर आपका संरक्षण इनको मिलता रहे.

          श्री रामेश्‍वर शर्मा:- आपस में मिली-भगत चल रही है, आपस में प्रश्‍न कराते रहते हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय:- हे प्रभु रामेश्‍वर, बैठ जाओ.

          श्री तरूण भनोत:- अध्‍यक्ष महोदय, पहली बात तो मैंने सदस्‍यों को सदन में स्‍पष्‍ट बताया कि किसी भी किताब में कोई वर्ल्‍ड रिकार्ड दर्ज नहीं हुआ है. जिन विभागों के द्वारा पैसा खर्च किया गया है, इसकी जांच तो वह विभाग ही करा सकते हैं. मैं बार-बार वही कह रहा हूं कि अगर कोई गड़बड़ी हुई और मेरे पास तक पहुंचायी जायेगी, क्‍योंकि योजना एवं आर्थिक सांख्यिकी विभाग के माध्‍यम से एक रूपये का भी खर्चा इस कार्यक्रम में नहीं किया गया है. अगर वन विभाग के अंदर कोई गड़बड़ी हुई है तो वन मंत्री जी यहां पर बैठे हैं और उन्‍होंने स्‍वयं ने जांच की है. हम भी उनका और सहयोग करेंगे. अगर किसी और अन्‍य सदस्‍य के पास किसी विभाग से संबंधित, जिस विभाग ने अगर पैसा खर्च किया है, यदि उसकी शिकायत है तो वह हमको दे दे तो हम उसकी जांच करायेंगे और अच्‍छे से जांच करा लेंगे, आपको साथ में लेकर जांच करा लेंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय:- मंत्री जी, बखूबी आप दूसरे विभागों की वज़नदारी अपने कंधों पर उठा रहे हैं. वन मंत्री जी, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री और उद्यानिकी विभाग मंत्री आप तीनों से अनुरोध है कि आपके विभाग की धन‍राशि संख्‍या इसमें उल्‍लेखित है. सिर्फ यह कह देने से नहीं कि जानकारी दी जाये, जानकारी तो आपने दे दी, की इतनी राशि व्‍यय की गयी है. अब वह राशि का क्‍या हुआ है, यह तो आपके विभागों को तय करना है.

          कृपया आप चारों मंत्री इस विषय पर बैठकर स्‍वयं निर्णय लें कि कैसी जांच करवानी है.

            श्री तरूण भनोत--अध्यक्ष महोदय, आपने जो व्यवस्था दी है उसका सम्मान करते हुए हम लोग आपस में चर्चा करके इसमें जो उचित होगी, वह जरूर करेंगे.

          श्री संजीव सिंह संजू--अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी इसमें समय सीमा बतायें ?

            अध्यक्ष महोदय--इसमें पूरा विषय आ गया है. आपने पूरा सुन लिया है तो आप समझ लें.

          श्री तरूण भनोत--अध्यक्ष महोदय,समय सीमा आप माननीय सदस्य बता दें. उसमें साढ़े सात करोड़ गड्डे हुए हैं कितने समय में हम लोग गिन सकते हैं आप तय करके बता दें.

          श्री संजीव सिंह "संजू"--अध्यक्ष महोदय, यह 2017 का मामला है इसमें दो साल हो चुके हैं.

          अध्यक्ष महोदय--आप समय सीमा मांग लीजिये, जब माननीय मंत्री जी कह रहे हैं ?

          श्री संजीव सिंह संजू--अध्यक्ष महोदय, एक महीने में दे दें.

            श्री तरूण भनोत--अध्यक्ष महोदय, मेरा पूरा प्रयास रहेगा, साथ ही तीन मंत्रियों के साथ मिलकर साढ़े सात करोड़ गड्डे गिनकर एक महीने के अंदर जानकारी दे दूंगा.

          नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)--अध्यक्ष महोदय, मुझे इसमें कुछ सुझाव देने हैं.

          अध्यक्ष महोदय--दो प्रश्न मूल प्रश्नकर्ताओं के आ जाने दें इसके बाद आपको मौका देंगे.

          श्री विनय सक्सेना--अध्यक्ष महोदय, इतने गंभीर प्रश्न को बड़ी अगंभीरता के साथ जवाब आ गया कि बैतूल में 75 प्रतिशत पौधे जीवित नहीं रहे. मतलब पिछली सरकार में जो भी काम होता था उसमें 75 प्रतिशत घोटाला होता था.

          अध्यक्ष महोदय--आप प्रश्न करें.

          श्री विनय सक्सेना--अध्यक्ष महोदय, मैं यह भी कहना चाहता हूं कि 499 करोड़ रूपये के घोटाले में सिर्फ बैतूल के जीवित पौधों के आधार पर दो-तीन लोगों को निलंबित कर दिया गया, क्या यह उचित है ? क्या प्रदेश का मुख्यमंत्री जो जनता के पैसे से घोषणाएं करता है. क्या मुंगेरीलाल के सपने देखते हुए यह काम कर सकता है कि उसको गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में सिर्फ उसको स्थान मिल जाये इसलिये वह जनता की गाड़ी कमाई के पैसे की बर्बादी कर सकता है ? क्या उसके ऊपर कोई कार्यवाही नहीं होनी चाहिये ? क्या उन मंत्रियों के ऊपर भी कार्यवाही नहीं होनी चाहिये जो इन चार विभागों के मंत्री थे? आज वह यहां बैठकर आरोप लगाते हैं. सुबह सुबह थोड़ी देर के लिये बोलते हैं बाद में मीडिया को बोलते उनको पता होना चाहिये कि 15 साल का रिकार्ड आने वाला है उसके बाद सदन छोड़कर चले जाते हैं.

          अध्यक्ष महोदय--आप प्रश्न करें.

          श्री विनय सक्सेना--अध्यक्ष महोदय, मैं तीन प्रश्न करना चाहता हूं. मुझे बताया जाये कि वृक्ष संख्या में जो अंतर है, क्या यह जरूरी नहीं था कि वृक्ष लगाते समय उसके गड्डे हो पाएंगे या नहीं हो पाएंगे ? यह पानी दे पाएंगे या नहीं दे पाएंगे ? खाद दे पाएंगे या नहीं दे पाएंगे ? क्या इतनी बड़ी संख्या प्रदेश सरकार के पास थी ? दूसरा प्रश्न करना चाहता हूं कि माननीय शिवराज सिंह जी यह योजना लेकर के आये थे वह कहते थे कि खुद किसान हूं तथा किसान का बेटा हूं. क्या वह नहीं समझते थे कि एक पौधा लगाने के लिये क्या क्या व्यवस्थाएं आवश्यक हैं ? एक आम आदमी को इस अपराध से मुक्त किया जा सकता है, लेकिन हिन्दुस्तान का कानून कहता है कि अगर जो व्यक्ति इसका जानकार हो और जानकर इस अपराध को घटित होने दे तो क्या उनके ऊपर कार्यवाही नहीं होनी चाहिये ? क्या उनको भविष्य में वेतन मिलेंगे उनसे रिकव्हरी नहीं होनी चाहिये ? मुख्यमंत्री जी को जांच के दायरे में क्यों नहीं आना चाहिये ? जब हिन्दुस्तान के कानून में लोकपाल की बात होती है.

          अध्यक्ष महोदय--आपने दो प्रश्न कर लिये है. बड़ा लंबा मेटर हो गया है.

          श्री विनय सक्सेना--अध्यक्ष महोदय, इसमें एफआईआर क्यों नहीं हुई ? माननीय वित्तमंत्री जी से कहना चाहता हूं कि उनके विभाग का तो मामला ही नहीं बचा है. एक महीने के अंदर उनको चार विभागों से जानकारी लेकर के देना है. मैं आग्रह करना चाहता हूं कि हिन्दुस्तान के अंदर बहुत बड़ा पाप इस मध्यप्रदेश के अंदर हुआ है. वृक्ष लगाना एक धर्म का काम है. मैं कहना चाहता हूं कि इस सदन में चाहे वह किसी भी पक्ष का हो हम लोगों को (XXX) कह दिया जाता है.

          अध्यक्ष महोदय--इस शब्द को विलोपित किया जाये.

          श्री विनय सक्सेना--अध्यक्ष महोदय, मैं आदरणीय भार्गव जी से निवेदन करना चाहता हूं कि इस विषय पर ईमानदारी से खुद खड़े होकर के कहें तो हिन्दुस्तान में एक इतिहास रच जायेगा कि पूरे सदन ने यह कहा कि जो इस घोटाले में शामिल हैं अगर वह मुख्यमंत्री भी हों तो उनके खिलाफ भी एफआईआर होना चाहिये. मैं एक और प्रश्न पूछना चाहता हूं.

          अध्यक्ष महोदय--बहुत प्रश्न हो गये हैं मैंने सुन लिया है आप विराजिये. मंत्री जी आप उत्तर दें.

वित्‍त मंत्री (श्री तरूण भनोत) - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सदन में स्‍पष्‍ट रूप से आपने जो व्‍यवस्‍था दी है, हम उसको शिरौधार्य करेंगे. संबंधित तीनों मंत्रीगण के साथ मैं स्‍वयं शामिल होकर इस पूरे मामले की जांच करेंगे. अगर आदरणीय सदस्‍य महोदय ने कहा कि हमारे जो तत्‍कालीन मंत्री थे, पूर्व मंत्री जी अभी सदन में तो नहीं है, उनसे भी प्रयास करके जरूर एक बार चर्चा कर लेंगे कि इस योजना के पीछे उनकी क्‍या सोच थी और कैसे इसको कार्यरूप में बदलने का प्रयास किया गया था. इससे ज्‍यादा अब मैं कैसे व्‍यक्तिगत तौर पर और किस प्रकार से माननीय सदस्‍य की भावना को संतुष्‍ट करूं आप मुझे यह व्‍यवस्‍था दे दें, हमने हर चीज तो स्‍वीकार कर लिया.

अध्‍यक्षीय घोषणा

          अध्‍यक्ष महोदय - आज भोजनावकाश नहीं होगा. भोजन की व्‍यवस्‍था सदन की लॉबी में की गई है, माननीय सदस्‍यों से अनुरोध है कि सुविधानुसार भोजन ग्रहण करने का कष्‍ट करें. 

 

 

01:01 बजे                          ध्‍यान आकर्षण (क्रमश:)                

          नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) - माननीय अध्‍यक्ष जी, जैसा कि माननीय सदस्‍य ने कहा है. मैं प्रत्‍येक प्रकार की जांच का स्‍वागत करता हूं, 4 मंत्री हो, 6 मंत्री हो जो भी हो, लेकिन मैं यह भी कहना चाहता हूं पहली बात हमारा जो पौधरोपण का कार्यक्रम हुआ था, उसका सर्वाइबल आप देख लें. दूसरी बात यदि राशि अपव्‍यय की बात है (XXX) इसमें इस साल 600 करोड़ खर्च होना है. आप बचत की बात कर रहे हैं? आप यदि बचत की बात कर रहे हैं तो आपने (XXX). आपने 50 हजार कर्मचारियों का ट्रांसफर किया है. आप यहां पर इस तरह की बातें करते हैं. (...व्‍यवधान)

          श्री बृजेन्‍द्र सिंह राठौर - अध्‍यक्ष महोदय, ये विषय से भटक रहे हैं, आप ये बताओ की आप जांच चाहते हैं या नहीं. (...व्‍यवधान)

          श्री गोपाल भार्गव - अध्‍यक्ष महोदय, मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूं, एक बहुत ही उपयोगी योजना के लिए, उपयोगी कार्यक्रम के लिए, महत्‍वकांक्षी कार्यक्रम के लिए इस प्रकार से कटघरे में खड़ा नहीं करना चाहिए.

          श्री विनय सक्‍सेना - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, ये विषय से हटकर बात कर रहे हैं. माननीय भार्गव जी से उम्‍मीद करता हूं कि ये विषय से हटकर बात न करें. (...व्‍यवधान)

          अध्‍यक्ष महोदय - भार्गव जी, विषय समाप्‍त किया जाए.

          श्री गोपाल भार्गव - अध्‍यक्ष जी, एक महत्‍वकांक्षी कार्यक्रम के लिए, एक जनोपयोगी कार्यक्रम के लिए इस प्रकार से कटघरे में खड़े करना ठीक नहीं.

          श्री कुणाल चौधरी - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, (XXX) इसको विलोपित किया जाए.    

          श्री गोपाल भार्गव - अध्‍यक्ष महोदय, मैं चुनौती देता हूं कि किसी प्रकार की जो भी जांच करना हो, सरकारी पक्ष को चुनौती देता हूं आप जांच करें. (...व्‍यवधान)

          श्री तरूण भनोत - माननीय अध्‍यक्ष, नेता प्रतिपक्ष की अंदर से निकल रही भावनाओं का सम्‍मान करते हुए मैं इस चुनौती को स्‍वीकार करता हूं और वे जो चाहते हैं उसकी जांच हम जरूर कराएंगे. (...व्‍यवधान)

          श्री गोपाल भार्गव - अध्‍यक्ष महोदय, कृषि विभाग, उद्यानिकी विभाग, ग्रामीण विकास विभाग 6 विभागों ने, यदि फारेस्‍ट गार्ड ने कुछ किया होगा, उद्यानिकी के माली ने किया होगा, हमारे मनरेगा वालों ने किया होगा, तो मैं यह जानना चाहता हूं कि इसमें मुख्‍यमंत्री कहां से आ जाते हैं? (...व्‍यवधान) आप करवाइए न जांच. मैं आपको चुनौती देता हूं आप जांच करवाइए.

          श्री सुखदेव पांसे -  (XXX)

          श्री गोपाल भार्गव - आपके कार्यकाल में 6 महीने में जो कार्य हुए हैं, एक भी आदमी नहीं बचेगा सारे लोग जेल चले जाएंगे, 6 महीने में आपके कुकर्मों के कारण.

          श्री सुखदेव पांसे -  भ्रष्‍टाचार उजागर हुआ तो (XXX). (...व्‍यवधान)

          श्री तरूण भनोत - नेता प्रतिपक्ष की भावनाओं का हम पूरा सम्‍मान करेंगे और इस जांच को जहां आप चाहते हैं, वहां तक पहुंचाएंगे.

          श्री गोपाल भार्गव - आप यदि अगले सत्र तक इस बात को प्रमाणित कर सके तो मैं आपको धन्‍यवाद दूंगा और नहीं तो मैं यह मानकर चलूंगा कि (XXX). (...व्‍यवधान)

          श्री तरूण भनोत - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मिली जुली किसके साथ थी. (...व्‍यवधान)

          अध्‍यक्ष महोदय - माननीय वन मंत्री जी कुछ बोलना चाह रहे हैं.

वन मंत्री (श्री उमंग सिंघार) - माननीय अध्‍यक्ष जी, चूंकि सदन को माननीय वित्‍त मंत्री जी ने जांच का आश्‍वासन दे दिया है, इसके आगे बोलने की बात नहीं आती लेकिन हमारे आदरणीय सदस्‍य शर्मा जी, सिसौदिया जी बोल रहे थे कि फरवरी मार्च में जो प्रश्‍न लगा था, उसके अंदर ही आपने आधा प्रश्‍न पढ़ा, उसके अंदर ही मैंने जांच के आदेश दे दिए थे, अगर आप पूरा प्रश्‍न पढ़ते तो आपको मालूम होता. मार्च में मैंने आदेश दे दिए थे, उसके बाद ही मैंने दोबारा क्रास जांच की तो यह सब घोटाला पाए गए, इसकी जांच पुन: वापस की जा रही है, इसमें जो भी शामिल है उसके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी, माननीय वित्‍त मंत्री जी ने कह दिया है.

 

 

         

 

1.05 बजे                         याचिकाओं की प्रस्तुति

 

        अध्यक्ष महोदय--  आज की कार्यसूची में सम्मिलित माननीय सदस्‍यों की सभी याचिकाएं प्रस्तुत मानी जाएँगी.

 

 

 

 

1.06 बजे                       शासकीय विधि विषयक कार्य.

                   (1) मध्‍यप्रदेश लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित
                     जनजातियों और अन्‍य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण) संशोधन
                      विधेयक, 2019 (क्रमांक 15 सन् 2019) का पुर:स्‍थापन

           

 

 

 

 

 

 

 

(2) मध्‍यप्रदेश सिंचाई प्रबंधन में कृषकों की भागीदारी (संशोधन) विधेयक,

2019 (क्रमांक 16 सन् 2019) का पुर:स्‍थापन

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

(3) मध्‍यप्रदेश गौवंश वध प्रतिषेध (संशोधन) विधेयक, 2019

(क्रमांक 17 सन् 2019) का पुर:स्‍थापन

 

 

 

 

 

 

 

 

 (4) नानाजी देशमुख पशु चिकित्‍सा विज्ञान विश्‍वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2019 (क्रमांक 18 सन् 2019) का पुर:स्‍थापन

 

 

 

 

 

 

(5) मध्‍यप्रदेश विश्‍वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2019

(क्रमांक 19 सन् 2019) का पुर:स्‍थापन

 

 

 

 

 

1.14 बजे                वर्ष 2019-2020 की अनुदानों की मांगों पर मतदान

 

                    (1)    मांग संख्‍या 26            संस्‍कृति

                             मांग संख्‍या 38 आयुष

                             मांग संख्‍या 52 चिकित्‍सा शिक्षा

          अध्‍यक्ष महोदय - अब, इन मांगों पर कटौती प्रस्‍ताव प्रस्‍तुत होंगे. कटौती प्रस्‍तावों की सूची पृथकत: वितरित की जा चुकी है. प्रस्‍तावक सदस्‍य का नाम पुकारे जाने पर जो माननीय सदस्‍य हाथ उठाकर कटौती प्रस्‍ताव प्रस्‍तुत किये जाने हेतु सहमति देंगे, उनके ही कटौती प्रस्‍ताव प्रस्‍तुत हुए माने जाएंगे.

              मांग संख्‍या - 52                  -               चिकित्‍सा शिक्षा

                                                                      क्रमांक

        डॉ. सीतासरन शर्मा                                                     3

          श्री बहादुर सिंह चौहान                                                  6

          उपस्थित सदस्‍यों के कटौती प्रस्‍ताव प्रस्‍तुत हुए.

          अब मांगों और कटौती प्रस्‍तावों पर एक साथ चर्चा होगी.

 

          डॉ. राजेन्‍द्र पाण्‍डेय (जावरा) - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं मांग संख्‍या 26, 38 और 52 के कटौती प्रस्‍ताव पर अपने विचार व्‍यक्‍त करने के लिए खड़ा हुआ हूँ. मैं आपका संरक्षण भी चाहता हूँ. मैं निवेदनपूर्वक कुछ बातों की ओर आपका ध्‍यान आकृष्‍ट कराना चाहता हूँ.

          अध्‍यक्ष महोदय - डॉक्‍टर साहब, एक मिनट. मेरा ऐसा अनुरोध है कि जो मूल विभाग में ओपनिंग करेंगे- प्रथम 15 मिनट, द्वितीय 10 मिनट एवं बाकी 5-5 मिनट. अगर हम यह निश्चित कर लें, थोड़ा आगे-पीछे हो सकता है. अगर यह आप लेकर चलेंगे तो हम काफी कुछ काम आगे तक का निपटा पाएंगे. ऐसा मेरा सुझाव है. कृपया जारी रखें.  

          डॉ. राजेन्‍द्र पाण्‍डेय - जी, जो मुख्‍य बिन्‍दु हैं, उसी की ओर ध्‍यान आकृष्‍ट कराना चाहूँगा. मैं विगत वर्षों की उन बातों में कदा‍पि जाना उचित महसूस नहीं करता और इसलिए मैं सीधे-सीधे निवेदन करना चाहता हूँ कि जो बजट प्रस्‍तुत किया गया है, निश्चित रूप से उस बजट में अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण बिन्‍दु, चाहे वह चिकित्‍सा शिक्षा के क्षेत्र में हो, आयुष के क्षेत्र में हो, संस्‍कृति के क्षेत्र में हो, उसमें जीरो बजट दर्शाया गया है. जीरो बजट का आशय हम सब भली-भांति जानते हैं, किया जायेगा, निश्चित रूप से होगा. लेकिन विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन जो हमें बार-बार आगाह कर रहा है कि डॉक्‍टरों की कमी पर पूरे देश भर के साथ हमारे मध्‍यप्रदेश में भी चिन्‍ता व्‍यक्‍त की जा रही है.

 

1.13  बजे       (उपाध्‍यक्ष महोदया (सुश्री हिना लिखीराम कावरे) पीठासीन हुईं.)

 

          उपाध्‍यक्ष महोदया, प्रति एक हजार व्‍यक्तियों पर कम से कम एक डॉक्‍टर होना चाहिए. देश को आजाद हुए इतना समय हो गया है. आप कहेंगे कि आपने क्‍या किया ? हम कहेंगे कि हमने यह किया. आजादी के बाद कुल 6 मेडिकल कॉलेज मध्‍यप्रदेश में हुआ करते थे. मैं माननीय पूर्व मुख्‍यमंत्री, श्री शिवराज सिंह चौहान जी का उल्‍लेख करना चाहूँगा, विगत शासनकाल का उल्‍लेख करना चाहूँगा कि उन्‍होंने अथक् प्रयास करते हुए 7 मेडिकल कॉलेज और नये प्रारंभ किए. इस प्रकार हमारे यहां मध्‍यप्रदेश में 13 मेडिकल कॉलेज अभी वर्तमान में हैं. वे या तो पूर्ण हो रहे हैं या पूर्णता की स्थिति में हैं, मैं उन आगामी 7 मेडिकल कॉलेज के बारे में कह रहा हूँ. रतलाम जिले में भी मेडिकल कॉलेज स्‍वीकृत हुआ. विदिशा में भी मेडिकल कॉलेज स्‍वीकृत किया गया, इसी के साथ-साथ शिवपुरी में, छिंदवाड़ा में, शहडोल में, खण्‍डवा में और दतिया में स्‍वीकृत हुए. कार्य कितना पूर्ण हुआ ? आगामी कितने समय में उसे पूर्ण कर लिया जायेगा और उसके लिए क्‍या प्रावधान किए गए हैं ?

         

          वह स्थिति तो सब अपने स्‍थान पर है, लेकिन जैसा आप और हम सभी जानते हैं कि अभी अधिक समय नहीं हुआ है. अभी आप कहेंगे कि सात माह हुये हैं, कोई कहेगा 130 दिन हुये हैं, कोई कहेगा 140 दिन हुये हैं. मैं बस विगत माहों की ही बात करना चाहूंगा. यह अखबार में छपा है कि ''दर्द से कराहती रही प्रसूता, नहीं पहुंचा कोई डॉक्‍टर, फर्श पर हुई डिलेवरी, शिशु की मौत हुई ''और यह जून माह की बात है. आप इसके साथ यह दुर्दशा भी देख लें कि जानवरों के डॉक्‍टर कर रहे हैं कि सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य की मानिटरिंग ट्रामा यूनिट मनोचिकित्‍सक के जिम्‍मे है और वहां पर उप संचालक कहते हैं कि मैं प्रतिनियुक्ति पर हूं और  एन.एच.एम. की कम्‍न्‍यूनिटी प्रोसेस की शाखा में अपनी सेवायें दे रहा हूं, मैंने आजीवन मिशन में कम्‍यूनिटी प्रोसेस के लिये काफी काम किया है और मुझे अनुभव के कारण ही यह जिम्‍मेदारी दी गई है. यह जिम्‍मेदारियां कहां से कैसे आ जाती है. यह अजब महकमा, गजब कहानी है. अब मध्‍यप्रदेश की क्‍या यह हालत हो गई है ? जहां छ: मेडिकल कॉलेज हुआ करते थे और सात मेडिकल कॉलेजों का भारतीय जनता पार्टी के शासनकाल में निर्माण कार्य प्रारंभ होकर, उनके कार्य प्रारंभ हुये. अभी रतलाम में भी द्वितीय वर्ष का एडमीशन होना भी प्रारंभ हो गया है.

          श्री शशांक कृष्‍ण भार्गव -- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, माननीय सदस्‍य अपनी जानकारी को सही करें, डॉ. मनमोहन सिंह जी की मेहरबानी से सात मेडिकल कॉलेज खुले थे. अभी पांच साल का वक्‍त भारतीय जनता पार्टी की सरकार का गुजर गया है, वह पूरे नहीं हुये हैं और आप छ: माह की दुहाई दे रहे हो. कृपया आप अपनी जारी सही करें. (व्‍यवधान)

          उपाध्‍यक्ष महोदया -- श्री भार्गव जी आप बैठ जायें.

          श्री दिलीप सिंह परिहार -- आप सोच समझकर बोलिये. (व्‍यवधान)..

          श्री राकेश गिरि -- आप सिर्फ भाजपा सरकार के बने बनाये कामों का लोकार्पण कर रहे हो, सात माह में आपने क्‍या दे दिया है, आप यह बता दें? (व्‍यवधान).....

          श्री दिलीप सिंह परिहार -- श्री मनमोहन सिंह की सरकार कब से चली गई है. (व्‍यवधान)..

          डॉ. राजेन्‍द्र पाण्‍डेय --माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, (XXX) आप मुझे क्षमा करें. आपको निश्चित रूप से मुझे क्षमा करना पड़ेगा. दस साल तक प्रधानमंत्री मौन रहे और आज यहां पर इतनी ताकत दिखा रहे हैं और इतनी जोर से बोल रहे हैं.

          उपाध्‍यक्ष महोदया -- आप अपनी बात जारी रखिये.

          श्री शशांक कृष्‍ण भार्गव -- आप नेट पर दिखवा लें, नेट के ऊपर हैं आप अपने मोबाईल पर देख सकते हैं. (व्‍यवधान)..

          उपाध्‍यक्ष महोदया -- श्री भार्गव जी आप बैठ जायें. (व्‍यवधान)..

          डॉ. राजेन्‍द्र पाण्‍डेय -- मैं सिर्फ आपका ध्‍यान आकर्षित कर रहा हूं. आप थोड़ा ध्‍यान तो दें, जो मरीजों के साथ में अमानवीयता हो रही है, जो इलाज यहां पर ठीक ढंग से नहीं मिल रहा है मैं उसकी ओर ध्‍यानाकर्षित करने के लिये कुछ उल्‍लेख कर रहा हूं, आप उस पर तो आप कम से कम ध्‍यान दें. अब आप देखिये बीना के डॉक्‍टर ने जिंदा व्‍यक्ति को मृत बताया है. क्‍या मैं इस पर चर्चा नहीं करूं, क्‍या में उल्‍लेख नहीं करूं, क्‍या मैं ध्‍यानाकर्षित नहीं करूं ? वह वृद्ध तो जिंदा था, कौन कह रहा है. थाना प्रभारी, यह बीना की आपके कार्यकाल की बात है.

          संस्‍कृति मंत्री(डॉ. विजयलक्ष्‍मी साधौ) -- माननीय सदस्‍य विषय से अलग हटकर बात कर रहे हैं, मैं इनकी जानकारी मैं यह लाना चाहती हूं कि चिकित्‍सा शिक्षा और स्‍वास्‍थ्‍य विभाग दोनों अलग-अलग हैं. आप बीना की बात कर रहे हैं, वह स्‍वास्‍थ्‍य विभाग से संबंधित हैं.

          डॉ. राजेन्‍द्र पाण्‍डेय -- मैं विषय पर ही बात कर रहा हूं. मैं माननीय मंत्री जी से क्षमा चाहता हूं. मैं सिर्फ यह उल्‍लेख यह करना चाहता था कि आजादी के बाद से लेकर छ: महाविद्यालय हुआ करते थे, सात नये महाविद्यायल प्रारंभ हो गये. मैंने यह ध्‍यानाकर्षित किया था कि विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने जो चेतावनी दी और जिस पर चिंता व्‍यक्‍त की है तो फिर क्‍यों उसके बावजूद भी प्रति एक हजार पर एक डॉक्‍टर उपलब्‍ध नहीं हो रहा है और उसके लिये क्‍या प्रयास किये जायेंगे कौन से नये प्रयास प्रारंभ हुये हैं ? यह मेरी जिज्ञासा है. इसलिये मुझे उल्‍लेख करना पड़ा कि इन सात माह में इस तरह की घटनायें हुई हैं. मैं अपने साथ अनेक घटनाओं की जानकारी   लाया था, लेकिन मैं आपके विचारों का स्‍वागत करते हुये उनका उल्‍लेख नहीं कर रहा हूं. लेकिन इसी के साथ- साथ मैं यह निवेदनपूर्वक कहना चाहता हूं .

          लोक निर्माण एवं पर्यावरण मंत्री (श्री सज्‍जन सिंह वर्मा) -- माननीय पाण्‍डेय जी पंद्रह साल में एक हजार डॉक्‍टर बैक हो गये हैं? जरा आप बता दें. अभी हमें सात माह हुये हैं. (हंसी)...

          श्री ओमप्रकाश सकलेचा -- लेकिन हमारी सरकार ने पंद्रह साल में दोगुने से ज्‍यादा चार गुनी संख्‍या डॉक्‍टर बनने के लिये तैयार कर दी थी. सात प्रायवेट और शासकीय मेडिकल कॉलेज, इन सबको मिलाकर हमने डॉक्‍टर बनने की क्षमता चार गुनी कर दी है. चार गुना डॉक्‍टर बनने की शुरूआत भारतीय जनता पार्टी ने की थी.(व्‍यवधान)...

          उपाध्‍यक्ष महोदया -- श्री सकलेचा जी कृपया बैठ जायें. (व्‍यवधान)...

          श्री आलोक चतुर्वेदी -- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, उन फर्जी शिलान्‍यासों का भी बता दिया जाये कि चुनाव को देखते हुये रात को डेढ़ बजे छतरपुर में फर्जी शिलान्‍यास किये गये हैं, उस मेडिकल कॉलेज का क्‍या हुआ है ? उसके बारे में भी बतायें ......(व्‍यवधान)...

          उपाध्‍यक्ष महोदया -- कृपया माननीय सदस्‍य बैठ जायें . ......(व्‍यवधान)...

        डॉ. राजेन्‍द्र पाण्‍डेय --  यह बात आप अपने मंत्री जी से पूछियेगा कि उसमें क्‍या हुआ है? सात माह हो गये हैं और आपने इन सात महीनों में अपने मंत्री जी से क्‍यों नहीं पूछा कि क्‍या हुआ है?   ......(व्‍यवधान)...

          उपाध्‍यक्ष महोदया -- श्री आलोक जी आप कृपया बैठ जायें. जो माननीय सदस्‍य खड़े हैं, वह कृपया बैठ जायें....(व्‍यवधान)...

          डॉ. राजेन्‍द्र पाण्‍डेय -- आपको इन सात महीनों में अपने मंत्री जी को जानकारी देना चाहिये था. आप अनावश्‍यक बात कर रहे हैं.  ....(व्‍यवधान)...

          उपाध्‍यक्ष महोदया -- कृपया माननीय सदस्‍य आप बैठ जायें, श्री पाण्‍डेय जी आप अपनी बात जारी रखें.

          डॉ. राजेन्‍द्र पाण्‍डेय -- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, मैंने ध्‍यान केंद्रित करने के लिये सिर्फ उल्‍लेख किया है कि इतने मेडिकल कॉलेज हो गये और विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन इस संबंध में चिंता व्‍यक्‍त कर रहा है. प्रति एक हजार पर डॉक्‍टर होना चाहिये. क्‍या आप नहीं चाहते हैं कि प्रति एक हजार पर भी एक डॉक्‍टर हो? आप बार -बार हस्‍तक्षेप क्‍यों कर रहे हैं?

          उपाध्‍यक्ष महोदया -- आप आसंदी की तरफ देखकर बात करें. ....(व्‍यवधान)...

          श्री मनोज नारायण सिंह चौधरी -- आप तो जिंदा आदमी को मरा हुआ बता दें, यह आप खुद कह रहे हैं. व्‍यापमं से भर्ती डॉक्‍टर ने ही जिंदा व्‍यक्ति को मुर्दा बताया है. ....(व्‍यवधान)...

          डॉ राजेन्‍द्र पाण्‍डेय -- मैं कभी किसी को हस्‍तक्षेप नहीं करता हूं, आप भी हस्‍तक्षेप नहीं करें. ....(व्‍यवधान)...

          श्री विजय रेवनाथ चौरे -- हम तो पांच सौ बिस्‍तर का अस्‍पताल करना चाह रहे हैं. मेरी विधानसभा सौंसर में माननीय कमलनाथ जी, ने पंद्रह साल पहले सौ बिस्‍तर का एक अस्‍पताल खुलवाया था, उसमें केवल चार डॉक्‍टर हैं. आप पहले अपने पंद्रह साल का हिसाब दीजिये.

          उपाध्‍यक्ष महोदया -- कृपया आप बैठ जायें. आप आसंदी की तरफ देखकर बात करें....(व्‍यवधान)...

          डॉ राजेन्‍द्र पाण्‍डेय --माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, आप बर्न यूनिट प्रारंभ करने वाले हैं और इस संबंध में बजट देखा तो जीरो.  आपने अनुदान संख्‍या 52-2054 चिकित्‍सा महाविद्यालय ग्‍वालियर न्‍यूरोलॉजी विभाग के उन्‍नयन हेतु बजट जीरो रखा, अनुदान संख्‍या 52-103-7502-चिकित्‍सा महाविद्यालय सागर में आई.सी. की सपोर्ट प्रशिक्षण स्‍मार्ट क्‍लॉस का उन्‍नयन करना है लेकिन आपने 0.02 बजट रखा है. आपने अनुदान संख्‍या 67-4968-64-001 लोक निर्माण भवन चिकित्‍सा महाविद्यालय में निर्माण कार्य बजट 0.01 रखा है. यह जो आपने जीरो बजट पर प्रावधान किये हैं और सदस्‍य उधर से बोल रहे हैं कि पन्‍द्रह साल में जो हुआ वह प्रारंभ नहीं हुआ. आप यह बता दें कि यह जीरो बजट में आप आखिरकार क्‍या करने  वाले हैं ? आप किस तरह से इसको कर लेंगे ? जहां एक और हमारे सामने यह कठिनाई आ रही है कि एम.बी.बी.एस. में जो एडमीशन हो रहे हैं, वह पी.जी. भी करना चाहते हैं तो विभाग उनको पी.जी.  करने के लिये मंजूरी क्‍यों नहीं दे रहा है? जहां पर हमें स्‍पेशलिस्‍ट मिलना चाहिये, उनको विभागीय मंजूरी पी.जी.  करने के लिये क्‍यों नहीं दी जा रही है? माननीय मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह जी ने यह प्रारंभ किया था मेडिकल कॉलेज के साथ में सुपर स्‍पेशिलिटी सुविधा भी जिला चिकित्‍सालयों में मेडिकल कॉलेज में दी जायेगी, उस बारे में आपने क्‍या विचार किया है ? उसके बारे में कहीं से कहीं तक कोई उल्‍लेख निश्चित रूप से इस पूरे बजट में देखने को नहीं मिलता है.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, जहां तक ग्रामीण क्षेत्र की मैं बात करूं तो इस बात से सभी लोग सहमत होंगे कि डॉक्‍टरों की इस कमी के कारण हमारे ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति क्‍या है ? अगर सिविल अस्‍पताल की बात करें, जिला चिकित्‍सालय अपने स्‍थान पर है. जिला चिकित्‍सालय में भी आजादी के बाद से लेकर अब तक और वर्तमान की जो आप बात कर रहे थे कि आपने क्‍या किया, तब तक वहां के पदों की स्थितियां क्‍या हैं ? उसका कहीं से कहीं तक कोई प्रावधान आपने किया कि क्‍या किया जायेगा  ? उसके बारे में उल्‍लेख नहीं किया गया है.

        डॉ. विजयलक्ष्‍मी साधौ -- आप पी.जी. डॉक्‍टर हैं, या एमबीबीएस डॉक्‍टर हैं?

          डॉ. राजेन्‍द्र पाण्‍डेय -- मैं होम्‍योपैथी हॅू.

          डॉ. विजयलक्ष्‍मी साधौ -- आप स्‍वास्‍थ्‍य विभाग की चर्चा कर रहे हैं और मेरे पास चिकित्‍सा शिक्षा विभाग है.

          डॉ. राजेन्‍द्र पाण्‍डेय -- मेरा आशय यह था कि मेडिकल के कार्य अतिशीघ्र पूर्ण हो जायें, जल्‍दी से जल्‍दी से पूर्ण हों ताकि  ये जो पदों कि रिक्‍तता है और जिसका ढिंढोरा हम सत्‍तर साल से एक दूसरे पर डालने की कोशिश कर रहे हैं.

          श्री रामपाल सिंह -- डॉ. गोविन्‍द सिंह जी जिस कॉलेज में पढ़े हैं, डॉ. राजेन्‍द्र पाण्‍डेय उसी कॉलेज के विद्यार्थी हैं.

          डॉ. राजेन्‍द्र पाण्‍डेय -- यह एक दूसरे पर डालने वाली बात है परंतु जहां तक आप मेरी बात कर रहे हैं तो आयुष का भी इसमें मैंने उल्‍लेख किया  है. माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, आयुष चिकित्‍सालय की स्थिति हम सभी जानते हैं, पूरे मध्‍यप्रदेश भर में आयुर्वेद के लिये क्‍या किया जा रहा है, इस बजट में क्‍या किया जायेगा, उसका कहीं विशेष उल्‍लेख दिखाई नहीं देता, कोई उल्‍लेखनीय बात दिखाई नहीं देती और समय-समय पर यह बात भी उठती रही है, जो माननीय मंत्री जी कह रही हैं कि एमबीबीएस, एमएस, एमडी उनकी कमियां लंबे समय तक पूरी नहीं होती तो क्‍या जो अनुभव प्राप्‍त कम्‍पाउंडर हैं, चर्चायें पहले हुई हैं, अभी काउंसिल भी शायद इसके बारे में चर्चा कर रही है. जो सीनियर कम्‍पाउंडर हैं या जो होम्‍योपैथी, आयुर्वेद के साथ में एलोपैथी का भी उपचार करते रहे हैं, ऐसे अनुभवी लोगों को और अधिक प्रशिक्षित कर दें, और अधिक ट्रेंड कर दें, उनका ट्रेनिंग का समय कोई निर्धारित किया जाये और पहले भी इस तरह के प्रयास शासन ने जन स्‍वास्‍थ रक्षकों के माध्‍यम से करने की कोशिश की थी, उन्‍हें प्रशिक्षित भी किया गया था, कभी 6 माह के लिये, कभी 2 साल के लिये, लेकिन उन्‍हें लगातार काम करने के अवसर नहीं दिये गये, तो रिक्‍तता पूरी कैसे की जाये. मैं बार-बार ध्‍यान आकृष्‍ट करने की कोशिश कर रहा हूं कि वह रिक्‍तता कैसे दूर की जाये, उस कमी को कैसे दूर किया जाये, इसके लिये बजट में कहीं भी किसी प्रकार का कोई उल्‍लेख नहीं किया गया, यह निश्चित रूप से हम सबके लिये विचारणीय है. माननीय मंत्री जी इसके बारे में थोड़ा ध्‍यान दें और अगर यही हालत रही तो जो डब्‍ल्‍यू.एच.ओ. ने हमें चेतावनी दी है अगले 30 वर्षों तक भी मैं तुम्‍हारी, तुम हमारी ही बात करते रहोगे, अगले 30 वर्षों तक भी जनसंख्‍या के मापदण्‍ड अनुसार डॉक्‍टरों की कमी दूर नहीं की जा सकती और इसीलिये मैंने बार-बार इसका उल्‍लेख करके आपका ध्‍यान आकृष्‍ट किया है.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, कुछ उल्‍लेख करना चाहूंगा यह मेडीकल बायो वेस्‍ट जो रहता है उसके बारे में क्‍या किया जायेगा, कैसे उसका निपटान किया जायेगा, यह बजट में कहीं नहीं आया. लेकिन इसके साथ-साथ हम जो देखते हैं छोटे-छोटे जो सामान्‍य कार्य करने वाले आंखों के डॉक्‍टर या डेंटल डॉक्‍टर हैं वह जो प्रेक्टिस करते हैं, उनका छोटा सा चेम्‍बर, एक चेयर उसमें रहती है खुद की और एक रहती है पेशेंट की, अब अगर उसको दाढ़ निकालना है या उसको छोटा सा आंख का आपरेशन करना है, छोटे-छोटे फोये उनके खून के निकला करते हैं, अब अगर वह उस वेस्‍ट को फेंकने जाता है, कोई ठेका कंपनी को ठेका दे दिया गया, वह जांच के नाम पर उनके क्‍लीनिक पर जाते हैं वहां पर जब तक उनका निपटारा नहीं हो तब तक उसका कोई निराकरण नहीं होता है. अगर डेंटिस्‍ट के यहां पहुंच जाते हैं, डेंटिस्‍ट के यहां पर भी इस तरह की स्थितियां रहती है. कम से कम जो प्राइवेट प्रेक्टिस कर रहे हैं वह डिग्रीधारी हैं, लेकिन दूसरी तरफ इनको ऐसे ह्रास किया जाता है वह भी न्‍यायोचित नहीं हैं. जो आपके डॉक्‍टर हैं वे स्‍वयं भी अपने प्राइवेट नर्सिंग होम पर किस तरह का कार्य करते हैं और शासकीय अस्‍पतालों में किस तरह का काम करते हैं यह किसी से छुपा नहीं है.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, जहां तक संस्‍कृति की बात करें तो शायद संस्‍कृति से सामने वाले पक्ष का तो कोई लेना-देना ही नहीं है. संस्‍कृति तो जैसे शून्‍य सी हो गई है. बैठते से ही वंदेमातरम का गान कैसे बंद किया जा सके, वंदेमातरम बोलना भी शायद मध्‍यप्रदेश में मुश्किल हो जाये और मध्‍यप्रदेश गान के लिये भी वक्‍त के साथ में बदलाव आयेगा, क्‍योंकि यह वक्‍त है बदलाव का, इस तरह का प्रारंभ किया जाता है. माननीय पूर्व मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह जी चौहान ने ओंकारेश्‍वर में हम सबके परम पूज्‍य आदरणीय शंकराचार्य जी की एक विशाल प्रतिमा और वहां पर संस्‍कृति वेदांत केन्‍द्र को स्‍थापित करने के लिये कार्य प्रारंभ किया था उसके बारे में आपके द्वारा बजट में कहीं कोई उल्‍लेख नहीं किया है. जो हमारे पुरातत्‍वीय पूरे मध्‍यप्रदेश में क्षेत्र हैं जो पहले से सम्मिलित हैं वह निश्चित रूप से हैं वहां पर उनका उन्‍नयन किया जाये, वैसे पर्यटन स्‍थल स्‍थापित किये जाने चाहिये संस्‍कृति विभाग के माध्‍यम से जो हमारे पुरातात्‍विक केन्‍द्र हैं उनके संरक्षण के लिये क्‍या किया जायेगा उसका उल्‍लेख भी निश्चित रूप से बजट में नहीं किया गया है, इन सारी बातों को इसमें सम्मिलित करें, यही आग्रह है. आप सबका बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          श्री प्रवीण पाठक (ग्‍वालियर दक्षिण)--  माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, आपका संरक्षण चाहता हूं. मध्‍यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार सत्‍ता और व्‍यवस्‍था के परिवर्तन को लेकर बनी थी. मैं धन्‍यवाद देना चाहता हूं मध्‍यप्रदेश के विकास के पुरोधा, हमारे यशस्‍वी मुख्‍यमंत्री जी को और आदरणीय वित्‍त मंत्री जी को कि जब बहुत ही मुश्किल हालातों में उनको मध्‍यप्रदेश की कमान मिली उसके बाद भी उन्‍होंने मध्‍यप्रदेश की जनता ने जिस आशा और उम्‍मीद के साथ हमें जनादेश दिया था उस जनादेश का पालन करके सबसे बेहतर बजट आज तक का बनाया है. माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, मैं मांग संख्‍या 26, 38 और 52 का समर्थन करता हूं. वैसे तो मैं पहले संस्‍कृति विभाग के विषय में बोलना चाहता था पर माननीय पाण्‍डेय जी ने चिकित्‍सा विभाग से बात की और मनमोहन सिंह जी पर टिप्‍पणी की तो विनम्रता के साथ मुझे आप लोग टोक देते हैं दो-दो लाइनों के लिये, पर बीजेपी वालों को तो बोलने का बहुत समय मिल जाता है बीच में कितना भी रोको-टोको तो भी बोलते रहते हैं, बड़ी भयंकर ट्रेनिंग है. हम लोग फर्स्‍ट टाइमर हैं, अपनी बातों को तो मैं दो लाइनों में रख सकता हूं कि-

          ''कितने शीशों की नजाकत का भरम (भ्रम) खुल जायेगा, इस चमन के फूल को पत्‍थर न होने दीजिये.''

          और मैं आपसे बोलना चाहता हूं माननीय पाण्‍डेय जी कि वह मनमोहन सिंह जी का ही मौन था जिसने इस देश में राइट टू इंफार्मेशन दिया. पांच साल से मोदी जी बोलते रहे क्‍या दिया देश को, 2 करोड़ का रोजगार, 15 लाख रूपये खातों में, यह आंकड़ों का खेल हम बहुत दिनों से अच्‍छी तरह से देख रहे हैं. ..(व्‍यवधान)..

          उपाध्‍यक्ष महोदया--  सदस्‍य कृपया बैठ जाइये.

          श्री मनोहर ऊंटवाल--  आप राजेन्‍द्र जी को तो गाइड लाइन दे रहे थे, उपाध्‍यक्ष महोदया, आप इनको भी गाइड लाइन दे दें कि क्‍या बोलना है.

          श्री प्रवीण पाठक--  मेरे पास तो गाइड लाइन है, गाइड लाइन तो माननीय पाण्‍डेय साहब को दे देनी चाहिये, मेरे वरिष्‍ठ हैं और हम लोग तो फर्स्‍ट टाइमर हैं, वरिष्‍ठों से ही सीखते हैं ऊंटवाल साहब. पहले तो गाइड लाइन आप लोगों को मिल जानी चाहिये, जो आप करेंगे वहीं तो हम लोग ग्रहण करेंगे.

          श्री मनोहर ऊंटवाल--  आदरणीय मंत्री जी मेरा निवेदन है, बहुत विनम्रता से निवेदन कर रहा हूं कि आपने हमारे प्रारंभिक वक्‍ता जो खुद डॉक्‍टर हैं उनको आपने मार्गदर्शन किया अब अपने इन सदस्‍य को भी दो लाइन का मार्गदर्शन कर दें.

          उपाध्‍यक्ष महोदया-- ऊंटवाल जी कृपया बैठ जाइये, प्रवीण जी आप अपनी बात जारी रखिये. 

          श्री मनोहर ऊंटवाल--  अब वह मेडीकल में शेरो शायरी कर रहे हैं, शेरो शायरी से वह इलाज करेंगे. 

          श्री प्रवीण पाठक--  हम तो शेरो शायरी देते हैं, आपने तो जुमले दे देकर मध्‍यप्रदेश में पूरे 15 साल निकाल लिये. 60 साल कांग्रेस के नाम पर रोते रहे, हम 6 महीने की सरकार में आपके विषय में बात करते हैं, आप बोलते हैं कि 15 साल के लिये रोते रहेंगे. आप लोगों ने 60 साल में रोते-रोते अपना पूरा समय निकाल दिया, आप तो जुमलों के मास्‍टर हैं, आप तो घोषणावीर हैं. हमारा ही मुख्‍यमंत्री है जो कर्मवीर है, यह आपको बोलना चाहता हूं. ऊंटवाल साहब बहुत ही विनम्रता से एक बात और बोलना चाहता हूं जब माननीय पाण्‍डेय जी बात कर रहे थे ....(व्‍यवधान)...    

            श्री प्रवीण पाठक - माननीय उपाध्यक्ष महोदया, आपकी अनुमति से  एक बात बोलना चाहता हूं. हम तो ग्वालियर चंबल संभाग के लोग हैं थोड़ा घुमाफिराकर सीधे-सीधे बात करते हैं. मैं बिल्कुल स्पष्ट विषय पर आता हूं. पाण्डेय जी ने कहा तो दूसरों पर आरोप लगाना बड़ा आसान होता है हमारे सम्माननीय सदस्य जो छतरपुर से चुनकर आते हैं माननीय सज्जन चतुर्वेदी जी यहां बैठे हुए हैं. मैं स्वयं ग्वालियर दक्षिण से आता हूं. मैं सदन और पाण्डेय जी से  खासकर बोलना चाहता हूं कि आपकी चिकित्सा शिक्षा को लेकर जो चिंता है मैं उसका बड़ा सम्मान और अदब करता हूं. आपने जो अस्पताल खोलने की बात कही मैं उसका भी बहुत सम्मान और अदब करता हूं. विधान सभा चुनाव के तीन महीने पहले रात के डेढ़ बजे छतरपुर में मेडिकल कालेज का शिलान्यास हुआ उसके बाद से आपका जो शिलान्यास था वह वैसा ही है आपके तत्कालीन मुख्यमंत्री जी ने रात में डेढ़ बजे एक अस्पताल का भी उद्घाटन कर दिया जो आज तक हैण्डओवर नहीं हुआ. यह छतरपुर का मसला है. आपके तत्कालीन मुख्यमंत्री जी ने 2009 में ग्वालियर में एक अस्पताल का शिलान्यास किया.

          डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय - आपने सात महीने में क्या किया ?  वह अस्पताल हैण्डओवर तो करवाया जा सकता था ना.

          श्री प्रवीण पाठक - सात महीने में हमने वह कर दिया जो आप 15 सालों में नहीं कर पाए. क्या किया बताता हूं. आपके तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने 2009 में ग्वालियर में जे.एस.मेडिकल कालेज के केम्पस में एक अस्पताल का शिलान्यास किया. 2009 से 2019 हो गया. मैं अपने माननीय मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि 2009 के बाद जब 2018 में कांग्रेस की सरकार बनी तो उस अस्पताल को जमीन का आवंटन हो पाया और उस अस्पताल का काम शुरू हो पाया. हमारी मंत्री जी का ध्यान मैं इस ओर आकर्षित करना चाहता हूं क्योंकि जैसे हमने देखा कि पेड़ों का विषय था, घोटाले पर घोटाले, ऐसे ही स्वास्थ्य विभाग के बारे में आपकी जानकारी में कुछ विषय डालना चाहता हूं कि पूरे मध्यप्रदेश में सफाई कर्मचारियों का ठेका हाईट्स कंपनी को दे दिया, वह कंपनी कोई कहता है गुजरात की है, कोई कहता है अहमदाबाद की है, कोई कहता है बड़ोदरा की है, कोई कहता है भरूच की है. पूरे मध्यप्रदेश में सारे साथी यहां बैठे हुए हैं. पूरे मध्यप्रदेश में एक भी अस्पताल ऐसा नहीं होगा जहां सफाई की व्यवस्था सुचारू रूप से चल रही हो. माननीय मंत्री जी जब आप ग्वालियर दौरे पर आई थीं तो आपने स्वयं अस्पताल की स्वच्छता की स्थिति और सारी व्यवस्थाओं को देखा था. मैं आपसे अनुरोध  करना चाहता हूं कि उस टेंडरिंग प्रक्रिया की भी एक बार जांच की जाए और हम इन व्यवस्थाओं को कैसे बेहतर कर सकते हैं इस पर भी हमको जरूर विचार करना चाहिये अन्यथा इनके 15 साल का पाप हमको लगातार ढोना पड़ेगा और यह हमको कोसते रहेंगे. हमको इस व्यवस्था को सुधारना है. इन्होंने जो हमको 15 साल में व्यवस्था दी है उस व्यवस्था को हमको बदलना है. पिछले 15 साल में आपने कितने डाक्टरों के पद भरे, मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि आपने 15 सालों में आपने कितनी नर्सों के पद भरे. आज भी ग्वालियर में 30 डाक्टरों के पद  पिछले 10 साल से नहीं भरे गये हैं. आज भी ग्वालियर में 170 नर्सों के पद पिछले 15 साल से नहीं भरे गये हैं. मैं मंत्री जी आपसे अनुरोध करना चाहता हूं कि चूंकि यह दोनों अस्पताल मेरे विधान सभा क्षेत्र में आते हैं इस पर भी गंभीरता से विचार कीजिये और जो 15 साल से पापों का घड़ा हमारे सिर पर फूट रहा है तो मेहरबानी करके हमको इस कलंक से बाहर निकालिये. मैं आपको हृदय से धन्यवाद देना चाहता हूं कि आपने एम.बी.बी.एस. डाक्टरों के बंद पत्र के अनुक्रम में पदस्थापना की कार्यवाही जो आप करने के लिये जा रहे हैं. हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर के कम्युनिटी हेल्थ आफीसर के 1015 पदों एवं A & M  के 2000 पदों की पूर्ति भी आपके द्वारा की जा रही है इसके लिये भी मैं आपको धन्यवाद देना चाहता हूं. प्रदेश में इस वर्ष 3 नये शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय आपके द्वारा प्रारम्भ किये जा रहे हैं यह अनुकरणीय कार्य है इसके लिये भी मैं आपको हृदय से धन्यवाद देना चाहता हूं. इन विद्यमान महाविद्यालयों में  सीटों की वृद्धि लगभग 850 होगी. मुझे लगता है इससे प्रदेश की व्यवस्था पहले से बेहतर होगी.

          माननीय उपाध्यक्ष महोदय, संस्कृति का व्यापक अर्थ होता है जोड़ना. सरकार का यह सिद्धांत है कि वह मध्यप्रदेश में सामाजिक समरसता बनाकर रखे. जब हम सामाजिक समरसता की बात करते हैं तो गांधी जी का स्मरण किये बिना हम सामाजिक समरसता की बात नहीं कर सकते. महात्मा गांधी सिर्फ एक महापुरुष का नाम नहीं है. महात्मा गांधी सिर्फ एक राजनीतिक विचारधारा नहीं है. महात्मा गांधी नाम है, इस विश्व में, इस देश के 125 करोड़ लोगों की आस्था का, इस देश की सांप्रदायिक सद्भावना की मान्यता का, इस देश के लोकतंत्र के सजग पहरेदार का, इस देश के 125 वर्ष पुराने गौरवशाली इतिहास का, इस देश में मंदिर की आरती का, मस्जिद की अजान का, गुरुद्वारे  की शबध का और चर्च की प्रार्थना का.

          श्री विष्णु खत्री - यह 125 वर्ष पुराना इतिहास कह रहे हैं.

          श्री प्रवीण पाठक -  आपको गांधी जी पर भी आपत्ति है क्या. आप तो गोड़से के इतिहास को गौरवशाली मानते हो. हम यह जानते हैं.

          श्री विष्णु खत्री - आपने यह कहा कि 125 साल के गौरवशाली इतिहास का, क्या इस देश का इतिहास क्या 125 साल का है केवल ? इसको करेक्टर कर लें केवल. बाकी जो आप कह रहे हैं मैं सहमत हूं.

          श्री प्रवीण पाठक - मैं 125 साल के गौरवशाली इतिहास की बात मैं कह रहा हूं. क्या दीनदयाल उपाध्याय का इतिहास क्या एक हजार साल पुराना है ?

          श्री विष्णु खत्री - उनके बाद का ही कहेंगे लेकिन हम भारत और भारत की सनातन संस्कृति के इतिहास की बात कह रहे हैं. भारत के इतिहास की बात कह रहे हैं. आपने भारत शब्द जोड़ा है, आप यदि कांग्रेस जोड़ते तो मुझे आपत्ति नहीं होती. या आप किसी संस्था का नाम लेते. आपने भारत कहा इसीलिये.

          श्री प्रवीण पाठक -  मैंने महात्मा गांधी कहा. महात्मा गांधी जी के लिये स्वराज सबसे बड़ा आत्मअनुशासन था. महात्मा गांधी के लिये सत्याग्रह दुनियां में सबसे बड़ा व्रत था.महात्मा गांधी जी के लिये अहिंसा दुनिया में सबसे बड़ा शस्त्र था. महात्मा गांधी जी के लिये शिक्षा सबसे बड़ी नैतिकता थी. मैं अपनी मध्यप्रदेश की सरकार और माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने मध्यप्रदेश में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के 150 वें जन्मवर्ष को मनाने का निर्णय लिया. मुझे लगता है यह मध्यप्रदेश में एक ऐतिहासिक निर्णय है और इस प्रकार के कार्य मध्यप्रदेश में सामाजिक समरसता के लिये होंगे तो मुझे लगता है कि मध्यप्रदेश की छवि जो पिछले 15 वर्षों में बिगड़ी है उसमें निश्चित तौर पर  देश में और विश्व के पटल पर प्रदेश की छवि सुधरेगी. इस वर्ष 14 से 19 नवम्बर के मध्य देशभक्ति पर केन्द्रित सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाने का लक्ष्य है. यह भी बहुत अच्छी पहल मध्यप्रदेश में है. यह जो हमेशा आध्यात्म की बात करते हैं. हमेशा मन्दिर की बात करते रहते हैं. हमेशा गाय की बात करते रहते हैं परंतु उनके लिये  करते कभी कुछ नहीं हैं. गौशाला भी खोलनी पड़ी तो हम को ही खोलनी पड़ी. पुजारियों को तीन गुना वृद्धि देनी पड़ी तो हम ही को देनी पड़ी. सरकार को आध्यात्म विभाग का गठन करन पड़ा तो हम ही को करना पड़ा. पुजारियों के मानदेय में तीन गुना वृद्धि के साथ उनके हितों की रक्षा हेतु पुजारी कल्याण कोष की स्थापना की.

          श्री दिलीप सिंह परिहार -  चारागाह की जमीन भी आपने बांटी ?

            उपाध्यक्ष महोदया - परिहार जी, कृपया बैठें.

श्री प्रवीण पाठक - साहब,  न तो हमने व्यापमं के डॉक्टर बनाए, न हमने असत्य घोषणाएं की, न हमने जुमले दिये, न हमने 2 करोड़ रोजगार देने की बात की, न हमने डम्फर चलाए. साहब, हमने तो जो किया है, वह सब आपके सामने है. अब क्या 6-7 महीने की सरकार से आप लोग 15 साल का बदला लेना चाहते हैं? अपने 15 साल के पाप का जो घड़ा है, उसका हिसाब 7 महीने की सरकार से आप लेना चाहते हैं?

डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय - 7 महीने में जो छापे पड़े हैं, वह करोड़ों रुपये कहां से निकल गये? वह 7 महीने में छापे भी पड़ गये, आयकर वाले भी आ गये, करोड़ों रुपये जप्त भी हो गये, यह चमत्कार कहां से हो गया?

श्री प्रवीण पाठक - उपाध्यक्ष महोदया, 15 साल में कोई आयकर का छापा मध्यप्रदेश में नहीं पड़ा? क्या 15 साल में लोकायुक्त का कोई छापा मध्यप्रदेश में नहीं पड़ा? क्या 15 साल में ईओडब्ल्यू का कोई छापा मध्यप्रदेश में नहीं पड़ा?

श्री दिलीप सिंह परिहार -  प्रधानमंत्री जी ने वह अच्छा काम किया, उसको भी याद करो. आपने 7 महीने में मध्यप्रदेश की हालत क्या कर दी है?

श्री प्रवीण पाठक - यह वही मध्यप्रदेश है, जहां बाबुओं के घर से 200 करोड़ रुपये निकले हैं. यह वही मध्यप्रदेश है जहां इरिगेशन डिपार्टमेंट के इंजीनियरों के घर 50-50 करोड़ रुपये निकले हैं. यह वही मध्यप्रदेश है, जहां भारतीय जनता पार्टी के मंत्रियों के ड्रायवरों के यहां से लॉकरों से लाखों करोड़ों रुपयों  का सोना निकला है. यह मैं आपको बताना चाहता हूं. (मेजों की थपथपाहट)..

उपाध्यक्ष महोदया - कृपया अब समाप्त करें.

श्री प्रवीण पाठक - उपाध्यक्ष महोदया, जैसे ही गाड़ी चालू होती है, आप बंद करने के लिए आदेशित कर देती हैं.

उपाध्यक्ष महोदया - मैं तो नियमों से बंधी हुई हूं.

श्री प्रवीण पाठक - उपाध्यक्ष महोदया, मैं बताना चाहता हूं कि इसी प्रकार मठ मंदिर सलाहकार समिति तथा नदियों के लिए पृथक न्यास की स्थापना मध्यप्रदेश में की जा रही है. राम वन गमन पथ के अंचलों के विकास के लिए भी प्रावधान किया जा रहा है. मुझे लगता है कि इससे बेहतर प्रयास आज तक इस मध्यप्रदेश में कभी नहीं हुआ. इसके लिए मैं हृदय से माननीय मंत्री जी  और माननीय मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं. उपाध्यक्ष महोदया, मैं आपके आदेश का पालन करता हूं, धन्यवाद.

श्री अजय विश्नोई (पाटन) - उपाध्यक्ष महोदया, मैं मांग संख्या 26, 38 और 52 के कटौती प्रस्ताव के समर्थन में खड़ा हुआ हूं. उपाध्यक्ष महोदया, आपका संरक्षण चाहूंगा, बार-बार सत्तापक्ष की ओर से आवाज आती है कि 15 साल में क्या किया?15 साल में क्या किया, यदि यह समझना है तो पहले यह समझना जरूरी होगा कि 15 साल पहले हमें जब सत्ता मिली थी, तब मध्यप्रदेश किस हालत में था, उस समय चिकित्सा शिक्षा विभाग के क्या हालात थे? उस समय आयुष विभाग के क्या हालात थे? फिर हम समझ पाएंगे कि इस 15 साल बाद हम कहां आकर खड़े हुये हैं. यदि फिर सामने वाले को लगता है कि हमने 15 साल में कोई गलत काम किया है, उसकी जांच करा सकते हैं. हमने कोई गलती की है, उसको सुधार सकते हैं.  हमें कोई गलती की सजा देना है सजा दे सकते हैं, परन्तु तुलना जब भी करेंगे तो सम्माननीय पूर्व मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह जी के कार्यकाल के समापन के बाद क्या स्थिति थी और जब  हम आए उसके बाद से क्या स्थिति रही, यह जानना भी बहुत जरूरी होगा.

हम चिकित्सा शिक्षा की बातचीत कर रहे हैं तो मेडिकल कॉलेज की बात करें तो मध्यप्रदेश में सिर्फ 5 मेडिकल कॉलेज हुआ करते थे. 46 साल तक वही स्थिति थी. मेरे पास में भी थोड़े दिन चिकित्सा शिक्षा विभाग रहा, मैंने भी मंत्री के रूप में चिकित्सा शिक्षा विभाग का काम किया है तो 46 साल के बाद पहला मेडिकल कॉलेज सागर में खुला तो मेरे कार्यकाल के दौरान खुला, उसकी शुरुआत कब हुई, माननीय मंत्री जी श्रेय उसका लेना चाहती हैं वह ले लें. लेकिन आप फाइल उठाकर दस्तखत देख लीजिएगा कि  किस तरीके से वहां का जो सरकारी अस्पताल तुली था, उसको कैसे मेडिकल एजुकेशन डिपार्टमेंट में शिफ्ट किया गया? कैसे 25 एकड़ जमीन पूरी की गई? कैसे उसका बजट एलॉट किया गया और किस प्रकार से उसकी बिल्डिंग बनाई गई और कैसे वहां नियुक्तियां की गई? यह पुराना इतिहास है आप देख लीजिएगा. मुझे अच्छे से याद है इसलिए मैं आपको बता रहा हूं. 46 साल बाद एक पहला मेडिकल कॉलेज खुला, फिर 15 साल की बातचीत करते हैं तो आज जिसका श्रेय आप ले रहे हैं 4 मेडिकल कॉलेजेस में यदि इस साल प्रवेश मिल गये हैं तो यह उसी 15 साल की देन है. 3 और मेडिकल कॉलेज इस स्थिति में खड़े हैं कि अगले साल आप उसमें प्रवेश कर पाएंगे. 8 और मेडिकल कॉलेज की हम नींव डालकर गये हैं जिसके लिए आप बार-बार कह रहे हैं कि आपने सिर्फ शिलान्यास किया, आपने क्या किया? आप करिएगा. देखते हैं साल दो साल, तीन साल में कब तक आप उसको स्थिति में ला पाते हैं? हम बीज का रोपण करके गये हैं और आपको काम देकर गये हैं कि आप उसको सींचिएगा.

उपाध्यक्ष महोदया, मैं और चर्चा करना चाहता हूं नर्सिंग, जिस समय मैं चिकित्सा शिक्षा मंत्री था, उस समय मेडिकल कॉलेजेस में हालत यह थी कि 100-100 नर्सों के पद थे. मैंने अपने कार्यकाल में उन पदों की संख्या बढ़ाकर प्रत्येक मेडिकल कॉलेज में 100 से सीधे 600 की. आज मैं फिर आपसे कहना चाहता हूं इस 15 साल में मध्यप्रदेश सरकार की और केन्द्र सरकार की बहुत-सी ऐसी योजनाएं आई, जिसके कारण मेडिकल कॉलेज में भीड़ गई है, उनको हैंडिल करने के लिए और नर्सों की आवश्यकता है. आपसे अनुरोध कर रहा हूं. अब आपका कार्यकाल आ गया है, उन नर्सों के पद भी बढ़ाइए और उनकी भर्ती कीजिए ताकि मरीजों को आराम मिल सके.

चिकित्सकों की नियुक्ति करना है, वह भी जवाबदारी आपकी बनती है. जिस समय मैं देख रहा था नर्सिंग के हजारों पद खाली पड़े थे, नर्सेस मिला नहीं करती थीं. मैंने पूछा नर्सें क्यों नहीं मिलती हैं तो विभाग के लोगों ने बताया कि साहब, हमारे यहां 50 नर्सिंग कॉलेज हैं उसमें जो लड़कियां पढ़ने आती हैं वह केरल, राजस्थान से आती हैं और कोर्स करके वापस चली जाती हैं. मैंने कहा कि मध्यप्रदेश की बच्चियां क्यों नहीं आती हैं तो कहा कि मध्यप्रदेश की बच्चियां इस प्रोफेशन को अच्छा नहीं समझती हैं इसलिए नहीं आती हैं. मैंने कहा कि आप गलत कह रहे हैं, वास्तव में इनकी परिस्थिति फीस चुकाने की नहीं रहती है, इसलिए नहीं आती हैं मैं आपको याद दिलाना चाहता हूं उस समय मैंने एक स्वालंबन योजना शुरू की थी और 500 नर्सेस को सरकार के खर्चे पर पढ़ाना तय किया था. 4 साल तक वह योजना चली और ट्रेंड बना, उस ट्रेंड के कारण 50 नर्सिंग कॉलेज बढ़कर 182 नर्सिंग कॉलेज आज की तारीख में यदि हुए हैं तो 15 साल में उस ट्रेंड के कारण हुए हैं. (मेजों की थपथपाहट)..और आज मध्यप्रदेश के बच्चे भी नर्सिंग में योग्यता के साथ में आ रहे हैं और काम कर रहे हैं, यह उस ट्रेंड का नतीजा है, यह 15 साल की हमारी देन है.

मेडिकल कॉलेज में सुपरस्पेशलिटी सुविधा, माननीय प्रधानमंत्री जी, भारत सरकार से योजनाओं को लाकर हर एक जगह जहां जहां सुपरस्पेशलिटी सुविधा चालू करना थी, उसका प्रावधान किया. अब आपके हाथ में सौंपा है. आप उसको करना चाहें उसको करिए. मैंने सीटी स्केन और एमआरआई यूनिट इंदौर के मेडिकल कॉलेज में लगवाई. जबलपुर के मेडिकल कॉलेज में लगवाई, अब आपके हाथ में है. बाकी बहुत से कॉलेज पड़े हैं. बिना पैसे खर्च किये सीटी स्केन और एमआरआई हो रही है, वह मशीन लग गई है अब आप उसको देखिए. रीवा में भी लगाई है. मेरे कहने का मतलब है कि 15 साल में कुछ नहीं हुआ है यह आप नहीं कह सकते हैं. 15 साल में जो नहीं हो पाया है, वह आप करिए ना. हम उसके लिए आपको कहां टोक रहे हैं? कहां रोक रहे हैं? आपको उसको आगे बढ़ाना है. परन्तु डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय जी ने जो शुरुआत करते समय कहा था कि जो जो हैड आपने बताए हैं और उसमें जीरो बजट है, मैं उसको दोहराऊंगा नहीं क्योंकि मेरे पास कहने के लिए कुछ और भी है उस पर जरूर एक बार ध्यान दीजिएगा कि वह अतिमहत्वपूर्ण चीजें हैं उस पर जीरो बजट के साथ में हम काम शायद नहीं कर पाएंगे.

उपाध्यक्ष महोदया, अभी मेडिकल यूनिवर्सिटी की भी चर्चा हो रही थी. मेडिकल यूनिवर्सिटी जबलपुर में है. यह भी हमारे कार्यकाल की देन है. मेडिकल यूनिवर्सिटी उसी समय खुली जब  बीजेपी की 15 साल की सरकार रही. श्री दिग्विजय सिंह जी के कार्यकाल में इसकी चर्चा चली, एक अशासकीय संकल्प भी आया था, उस पर भी चर्चा नहीं हो पाई थी. परन्तु उस समय से प्रोसेस करते करते मेडिकल यूनिवर्सिटी बनी, बीजेपी की सरकार में बनी. अब उसकी बिल्डिंग बनाना है, आपने प्रस्तावना में जो बजट रखा है, वह बजट हमने पिछले साल 25 करोड़ रुपये रखा था आपने उसको घटाकर कर दिया है 11.40 करोड़ रुपये. वर्ष 2018-19 की बात कर रहा हूं. वर्ष 2018-19 से तुलना करेंगे तो आपने उसमें बजट कम कर दिया है. ऐसे ही मेडिकल कॉलेज भोपाल में वायरल डायग्नोस्टिक लैब का बजट जीरो कर दिया है तो उसको भी आपको लेना है. कैंसर अस्पताल के उपकरण खरीदने के लिए कोई बजट में प्रावधान नहीं किया है. मेडिकल कॉलेजों में माड्यूलर किचन बनना है. लाण्ड्री बनना है, इसके लिए आपने बजट जीरो रखा हुआ है. मेडिकल कॉलेज शहडोल को आपने  छोड़ दिया है, उपेक्षित कर दिया है, उसको जीरो बजट आपने दिया है. कटनी वर्तमान मुख्यमंत्री जी गये थे तो कहने लगे कि अरे, कटनी में यह क्यों नहीं है, कटनी में खुलना चाहिए. मुझे कटनी के विधायक जी अभी बता रहे थे कि वहां पर वह कहकर गये,  आप उसको ले लीजिए. माननीय मुख्यमंत्री जी आज के आपके नेता हैं, उनके काम को आप आगे बढ़ाइए. आपने रतलाम, दतिया, शिवपुरी और छिंदवाड़ा,  यह 4 मेडिकल कॉलेजों के लिए एक साथ 20 करोड़ रुपये का प्रावधान  कराया. मेरा अनुरोध है कि सारा बजट छिंदवाड़ा को मत दे दीजिएगा बाकी के भी तीन नाम लिखे हैं उन तीन को भी थोड़ा थोड़ा प्रसाद मिलता रहे और उसके हिसाब से हमारा काम आगे चले, यह मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हूं. एमबीबीएस की सीटों में वृद्धि के लिए भी बजट का प्रावधान सरकार ने किया है. अब वर्ष 2018-19 में जो बजट का प्रावधान 13 करोड़ रुपये था, वर्ष 2019-20 में घटाकर इसको 3 करोड़ रुपये कर दिया है.

          श्री बाला बच्चन-- उपाध्यक्ष महोदय ऐसा नहीं है. हमारी सरकार ने बजट में सभी क्षेत्रों का ध्यान रखा है. आपने जो विशेष रूप से छिंदवाड़ा को कोड किया है, ऐसा बिल्कुल भी नहीं हैं. मैं समझता हूं कि आप यहां पर असत्य जानकारी दे रहे हैं. सभी वर्गों का सभी क्षेत्रों का हर तरह से ध्यान रखा गया है. उस हिसाब से यह 2 लाख 35 हजार 506 करोड़ का बजट है. यह माननीय मुख्यमंत्री जी श्री कमलनाथ जी की सरकार का बजट है, संतुलित  और सर्वहारा वर्ग का ध्यान रखकर यह बजट बनाया गया है.

          श्री अजय विश्नोई -- धन्यवाद, माननीय मंत्री जी. मैं यहां पर फिर स्पष्ट कर दूं कि आप शायद देर से आये, बाद में आये या फिर सुना नहीं . मैंने यह नहीं कहा कि यह गलत है. मैंने तो यह कहा है कि बजट में जो प्रावधान किया गया है उसमें चार एक साथ हेड खुले हुए हैं, उन चारों हेड का ध्यान रखना यह निवेदन किया है. मैंने यह नहीं कहा है कि गलत दिया है.

          माननीय उपाध्यक्ष महोदया मैं इसी प्रकार से यह कहना चाहता हूं कि स्टेट कैंसर यूनिट जबलपुर की स्थापना का बजट हमने 2018-19 में 97 करोड़ रखा था, आपने अपने बजट में उसको घटाकर 44 करोड़ कर दिया है. माननीय वित्त मंत्री जी ध्यान देंगे कि उसमें किसी प्रकार की कमी न होने पाये. जबलपुर के मेडीकल कालेज में टीवी चेस्ट विभाग की स्थापना, इस वर्ष के बजट में से उसका बजट गायब हो गया है. वर्ष 2018-19 में 10.5 करोड़ रूपये था अब उसको हमने केवल 2 हजार रूपये रखा है. इस ओर माननीय मंत्री जी और माननीय वित्तमंत्री जी दोनों ही ध्यान देंगे.

          इसी प्रकार से एमबीबीएस की सीटों की वृद्धि के लिए 13 करोड के बजट को आज की तारीख में 3 करोड़ रूपये कर दिया गया है. पेंशनर्स को दवाई यह हमारे वरिष्ठ हैं, बुजुर्ग हैं, उनके लिए 2018-19 में 25 करोड़ का बजट था आपने इस वर्ष के बजट में केवल 19 करोड़ रूपये कर दिया है, कैसे उनकी दवाओं की व्यवस्था की जायेगी. चिकित्सा महाविद्यालयों के उन्नयन के लिए भी जहां हमने 2018-19 में 95 करोड़ रूपये का बजट रखा था आपने वहां पर केवल 44 करोड़ कर दिया है. माननीय उपाध्यक्ष महोदया मैं बहुत विस्तार में बात नहीं करूंगा, सदन की मंशा भी मैं यहां पर समझ रहा हूं. मैं यहां पर चिकित्सा शिक्षा विभाग की बात को विराम देता हूं. कहने को बहुत कुछ है लेकिन मैंने इशारा कर दिया है कि 15 वर्ष पहले और आज की स्थिति में अंतर कर लीजिये और उसके बाद में 6 माह का गणित आप लगायें, और बोलिये उस पर मुझे कोई एतराज नहीं है.

          मैं आपको चिकित्सा शिक्षा के बारे में बता दूं कि जब मैं मंत्री था, उस समय कैबिनेट की एक मीटिंग में 5200 पद स्वीकृत करवाये थे, पूरे 5 - 6 मेडीकल कालेज के लिए, और जो रीडर नहीं बन पाये थे, संविदा पर शिक्षक थे वह एक माह के अंदर रीडर बन गये थे और प्रमोशन हुए थे. इस गति के साथ में आप भी काम करेंगी तो निश्चित रूप से 15 वर्ष के रिकार्ड को बीट करके आप अपना नाम रोशन कर पायेंगी.

          माननीय उपाध्यक्ष महोदया,अब मैं आयुष विभाग की बात करना चाहता हूं. आयुष विभाग बहुत छोटा विभाग है. इस विभाग पर भी मैंने कभी काम किया हुआ है, वह उपेक्षित हो जाता है. मैं 10 साल पहले के पदों की स्वीकृति की बात कर रहा हूं. उस समय पर मैंने यहां पर जो शिक्षक थे, उस समय मैंने शिक्षक के 100 पद स्वीकृत करवाये थे, वह आज तक भरे नहीं जा सके हैं, वह हमारा दोष है, हमारी सरकार की बात कह लें, आपका ध्यान इसलिए आकर्षित करा रहा हूं कि इनको भरें, यह अपने आपमें महत्वपूर्ण है. पैरामेडिकल के 236  पद स्वीकृत कराये थे वह भर गये हैं बहुत अच्छी बात है.

          उपाध्यक्ष महोदया जी आज की तारीख में केवल दो पीजी कालेज हैं. एक रीवा में है वहां पर केवल एक विषय ही है और दूसरा भोपाल में है उसमें 6 विषय हैं. हमें और भी पीजी कालेज लाना चाहिए, मैं तो यहां पर आपका ध्यान दिलाना चाहता हूं कि प्रदेश आपसे क्या अपेक्षा करता है.

          उपाध्यक्ष महोदया आयुष विभाग में किस तरह की मनमानी चला करती है. यह बहुत छोटा सा विभाग है  इसलिए किसी का ध्यान इस ओर जाता नहीं है. माननीय मंत्री जी को भी ध्यान नहीं रहता है . माननीय मंत्री जी नोटशीट लिख देती हैं उसका भी जवाब नहीं आता है, उसका क्रियान्वयन नहीं होता है. अभी आपने भोपाल के एक कालेज के प्रोफेसर को वहां से निकाल कर संचालनालय में स्थानांतरित कर दिया है, आपने लिखा है कि उसको मूल जगह पर वापस करें, लेकिन आपकी नोटशीट का कोई जवाब नहीं आया है. मेरा कहना है कि जो पीजी पढ़ाने की योग्यता रखता है उसको बाबू बना दिया है, संचालनालय में और जो संचालनालय में बाबू हैं हो सकता है उसको वहां पर डॉक्टर बना दिया होगा.

          उपाध्यक्ष महोदया -- अब आप समाप्त करें.

          श्री विश्वास सारंग --  उपाध्यक्ष महोदया मेरा कहना है कि इसमें  हमारी तरफ से वक्ता ज्यादा नहीं है. अजय विश्नोई जी बहुत सीनियर हैं, दो मिनट का समय देंगे तो पूरा विषय आ जायेगा, अजय विश्नोई जी इस विभाग के मंत्री भी रहे हैं, मेरा निवेदन है कि उनको समय दिया जाय.

          उपाध्यक्ष महोदया -- जो तय है उसी हिसाब से कर रहे हैं. उनको 10 मिनट से ज्यादा समय हो गया है.

          श्री अजय विश्नोई -- कालेजों में चिकित्सा अधिकारियों के 24 पद स्वीकृत हैं. इन 24 पदों के विरूद्ध में 200 लोगों को वहां पर बैठाया गया है. यह 200 आये कहां से हैं. यह बालाघाट जबलपुर के ग्रामीण क्षेत्रों के जहां पर डॉक्टर होना चाहिए, वहां पर न होकर इनको वहां से निकालकर यहां पर आयुर्वेदिक कालेज में बैठा दिया है, जहां पर उनकी आवश्यकता नहीं है. माननीय मंत्री जी उस पर ध्यान देंगी, इनको वापस भेजें, गांव में भेजें, उनको वहीं कर काम करने दें,  अच्छी बात  यह है कि उनकी शैक्षणिक योग्यता भी नहीं है. वह लेक्चरार भी नहीं बन सकते हैं, वह पीजी भी नहीं है, अगर वह पीजी हैं तो उनको शैक्षणिक अनुभव नहीं है, वह रीडर और प्रोफेसर की पोस्ट के विरूद्ध में बैठे हैं. आप इनको भी वहां से अलग करें. मैं यहां पर यह भी कहना चाहता हूं कि इस तरह के ट्रांसफर के कारण बहुत सारे कालेजों की मान्यता भी खतरे में पड़ जायेगी,  अगले साल आपको मान्यता का ध्यान देना है वह आपकी क्रेडिट पर लिखा  जायेगा.

          मेरा यह भी कहना है कि संचालनालय में पदस्थापना के लिए जीएडी के नियम माननीय गोविन्द सिंह जी ने भी उस पर पत्र लिखा है कि जीएडी के नियमों का पालन करें वरिष्ठ को यहां पर भिजवाएं, लेकिन किसी भी नोट शीट का जवाब नहीं आता है, कनिष्ठ लोगों को संचालनालय में रखेंगे और वरिष्ठ लोगों को नहीं रखेंगे तो यह मनमानी वहां पर हो रही है आपका ध्यान दिला रहा हूं, वहां पर मनमानी न हो अब आपको संभालना है, आपकी हुकूमत वहां पर चले इसलिए मैं यह सब बता रहा हूं. आयुष विभाग में स्थानांतरण साल भर चलते रहते हैं , यह भी आप देख लें तो अच्छा है. एक बार अनुमति ले ली फिर जब मर्जी आयी जिसका चाहा वहां पर उसका ट्रांसफर कर दिया.

          उपाध्यक्ष महोदया मैं यहां पर ग्वालियर का ध्यान दिलाना चाहता हूं. प्रवीण पाठक जी को भी याद होगा. डिडवाना डोली आयूर्वेदिक औषधालय है, वहां पर इन्होंने होम्योपैथी का डाक्टर बैठा दिया है, और वह पहले आयुर्वेदिक का कम्पाउण्डर था, कम्पाउण्डर से उसे प्रमोट करके आयुर्वेद का डॉक्टर बना दिया उसके पास मे डिग्री होम्योपैथी की है लेकिन प्रमोशन का चैनल नहीं है, यह कैसे हुआ है इस तरफ भी आप ध्यान देंगी. आप एक बात और देखें कि बाड़ी रायसेन में यूनानी का अस्पताल है वहां पर आपने होम्योपैथी का डॉक्टर पोस्ट किया हुआ है. जबलपुर के आयुर्वेदिक मेडीकल कालेज में भोपाल से डॉक्टर भेज दिया है वहां पर पद ही नहीं था तो उसे जबलपुर के सेठ गोविंददास अस्पताल में भेज दिया,(मंत्री जी के बैठे बैठे कहने पर कि यह आपके जमाने के है) यह हमारे जमाने के हैं तो आप इनको सुधार लेना, आप तो नोट करें और सुधारें.

          उपाध्यक्ष महोदया हमने उस समय एक ड्रग कण्ट्रोलर एवं ड्रग टेस्टिंग लैब की स्थापना अपने कार्यकाल में की थी उसके लिए ग्वालियर में लैब भी बनवा दी थी आपने उसके लिए बजट में एक करोड़ का प्रावधान रखा है, 10 साल से वह प्रारम्भ नहीं हो पायी है, वह प्रभार में चल रही है, आपका ध्यान उस ओर आकर्षित करवा रहा हूं वह बहुत महत्वपूर्ण है उसको अगर आप करेंगी तो आपको साधुवाद मिलेगा.

          उपाध्यक्ष महोदया नवीन आयुष औषधालयो की स्थापना के लिए आपने बजट घटा दिया है 2018-19 में जहां पर हमने 12 करोड़ रखा था आपने इस वर्ष उसको 5 करोड़ कर दिया है, इसको बढ़ाने का कष्ट करें. आयुर्वेद के अन्य औषधालयों का भी बजट आपने घटाया है 2018-19 में जहां पर 5.72 करोड़ था 2019-20 में आपने 2.26 करोड़ कर दिया है. आयुर्वेद औषधालयों की स्थापना का भी बजट आपने  जहां पर 2018-19 में 8.19 करोड़ था आपने 3.28 करोड़ कर दिया है. मेडीकल यूनिवर्सिटी के रिक्त पदों को भी भरने का कष्ट करेंगी, होम्योपैथी में पीएचडी कराने की कोशिश करेंगी. इसी अनुरोध के साथ मैं अपनी वाणी को विराम देता हूं. उपाध्यक्ष महोदया आपको बहुत बहुत धन्यवाद, और सदन का भी बहुत बहुत धन्यवाद्.

          श्रीमती झूमा सोलंकी(भीकनगांव) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया मांग संख्या 26, 38 और 52 पर मैं अपनी बात रखूंगी. चिकित्सा शिक्षा में पिछले 7 माहों में जितनी तरक्की देखी जा रही है इसके पीछे वास्तव में हमारे माननीय मंत्री जी का काफी प्रयास है जिसके बाद में काफी बदलाव आ रहा है. रीवा में अनुसंधान केन्द्र में ड्रग रिसर्च यूनिट की स्थापना यह यूनिट पहले भी थी लेकिन बहुत तेजी से उसमें सुधार हो रहा है, उसके पीछे हमारी मंत्री जी की मेहनत ही है. प्रदेश में चिकित्सा महाविद्यालयों में बायरोलाजी के लैब नये वायरल संक्रमण के निदान के लिए, लंबे समय से जो जांचे अधूरी पड़ी हुई थीं उसके लिए सुविधा उपलब्ध हो रही है. सभी चिकित्सा महाविद्यालयों में भोपाल, इंदौर, रीवा, सागर में भी इसकी सुविधा आमजनों को मिलने लगी है, साथ ही बहरेपन के इलाज के लिए दो चिकित्सा महाविद्यालयों, भोपाल और सागर में यह लैब स्थापित की जिसका लाभ गरीब एवं आमजनों को विशेष रूप से मिलने लगा है, यह नि:शुल्क होता है ताकि वह अन्य जगह खर्च न कर सकें. इसी तरह से पूरे देश में केंसर की बीमारी से पीड़ित बीमार ज्यादा दिखते हैं उसकी देखभाल के लिए स्टेट केंसर इंस्टीट्यूट की स्थापना यदि मध्यप्रदेश में प्रतिशत निकाला जाय तो पुरूषों में 18 प्रतिशत और महिलाओं में 13 प्रतिशत पाया जाता है और इस हिसाब से मध्यप्रेदश में सबसे अधिक इसके मरीज मिलने लगे हैं. केंसर की उच्चस्तरीय जांच के लिए 120 करोड़ की लागत से एक इंस्टीट्यूट खोला जा रहा है. यह बहुत बड़ी बात है केंसर की इस बीमारी के निदान के लिए सुपर स्पेशलिस्ट के साथ में जितने भी पदों की आवश्यकता होगी शासन सृजित भी कर रहा है और उसकी पूर्ति भी करेगा. यह हमारी मंत्री जी के विशेष प्रयासों  से इतना सुधार हो रहा है.  ट्रामा यूनिट की स्थापना  ग्वालियर  में  6.6 करोड़ रुपये की, इसी तरह से   भोपाल, इन्दौर,जबलपुर  में  भी ट्रामा यूनिट की स्थापना की जा रही है.  साथ ही शासकीय चिकित्सा  महाविद्यालय, इन्दौर में  एम.वाय. में  विशेष तौर से  बोन मेरो ट्रांसप्लांट, इसमें बहुत खर्चा आता है, यह  आमजन  से बहुत दूर  की  बात होती है,  किन्तु इसकी व्यवस्था होने के साथ  ही  निशुल्क गरीब परिवारों को  इसकी  सुविधा का लाभ  मिलने  वाला है. रीवा में मल्टी ड्रग  रिसर्च यूनिट,  अनुसंधान केन्द्र के माध्यम से  इसकी भी स्थापना के लिये  भी  इसमें बजट दिया गया है.  ये सभी जितने भी  महाविद्यालय हैं,  जहां पर आमजन  की आवश्यकता, जो बड़ी बड़ी  सुविधाओं  के अभाव में  गरीब लोग भटकते थे, आज  हमारी सरकार ने इसकी ओर ध्यान  दिया है,  जिससे आमजन को बहुत फायदा मिलने वाला है.

                   उपाध्यक्ष महोदया, मैं  इसके साथ ही संस्कृति  विभाग के बारे में भी अपनी बात रखना चाहती हूं.   संस्कृति वैसे देखा  जाये तो  नारी को भी इससे जोड़ा जाता है.  संस्कृति का व्यापक अर्थ सबको जोड़ना  है.  सरकार का सिद्धांत  समरसता  की संस्कृति स्थापित  करना है  और यह काम हमारी सरकार के बनते  से ही शुरु हुआ है  और आने वाले दिनों में    इसका एक व्यापक रुप से प्रचार- प्रसार   के माध्यम से आमजन  के बीच जाने वाला है.  संस्कृति विभाग के द्वारा  जो पूरे मध्यप्रदेश में  खास तौर से  भोपाल आदिवासी  लोक कला, बोली विकास  अकादमी,  कालीदास अकामदी,  उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत कला अकादमी, साहित्य अकादमी,  ऐसी तमाम पूरे मध्यप्रदेश   की हमारी  जितनी कलाओं के माध्यम से  अकादमियां खोली गई हैं,  उनको और बढ़ावा देने के लिये  यह विभाग काम कर रहा है. इसके लिये    मुख्यमंत्री जी के दृष्टिकोण एवं मार्गदर्शन के साथ साथ   मंत्री जी के अनुभवों  का लाभ  हमारे  पूरे  प्रदेश भर  को मिल रहा है.  यह कला संस्कृति मात्र  बड़े  संभाग या भोपाल  तक ही सीमित नहीं है.  यह गांव- गांव कसबे-कसबे,  चौपाल तक संस्कृति की पहिचान  के लिये इसके  आधुनिक स्वरुप  और पारम्परिक  स्वरुप को स्थापित  करने का  प्रयास किया जायेगा.  इसके साथ ही  महात्मा गांधी जी की बात  हमारे  एक माननीय सदस्य ने कही है.   गांधी जी की 150वीं  जयन्ती, चूंकि आप सब जानते हैं कि गांधी जी का   जीवन दर्शन हमारे लिये एक प्रेरणादायी है  और उनके प्रेरणादयी विचार,  उनके द्वारा  किये गये काम के ऊपर  चलने के लिये  गांधी जी की  सत्य, अहिंसा, भाईचारा,सद्भाव, स्वच्छता की प्रेरणा  जगाने के लिये,  उनकी मानवता को ध्यान  में रखते हुए  पूरे प्रदेश में  यात्राएं, संगोष्टियां, यहां तक कि 15 अगस्त  के दिन भी  उनके जीवन के ऊपर,  चित्रण के  ऊपर भी उनकी झांकियां निकाली जायेंगी, यह भी सरकार  ने निर्णय लिया है.  यह बहुत सराहनीय कदम है. हमारी सरकार की सोच इससे झलकती है कि  हम लोग हमारे प्रदेश एवं देश को  किस  ओर ले जा रहे हैं.  आज की पीढ़ी में जो भटकाव आता है, उनकी विचारधार  के माध्यम से उनको  कैसे  मार्गदर्शन दिया जाये,  गांधी जी का यह  जीवन दर्शन हमारे लिये एक  बहुत प्रेरणादायी है और उसको युवा पीढ़ी को विशेष तौर से  दिखाने के लिये  उनको हर जगह पर संगोष्ठियों  और  हर  माध्यम से, जितने भी प्रकार का प्रचार प्रसार  का  माध्यम हो,  उसके  माध्यम  से  उन तक पहुंचाने का प्रयास यह सरकार   कर रही है.  इसके साथ ही स्वतंत्रता और अस्मिता  को बचाने की लड़ाई  में जान की बाजी लगाने वाले हमारे  देश भक्त,  जिन्होंने हमारे  देश को बचाने  के लिये अपना बलिदान दिया, जो कि इतिहास  में अमर हो गये हैं, उनके जीवन को  किस  तरह से संजोकर रखा जाये,  उनके द्वारा किये गये देश भक्ति के कामों को  किस तरह  से संजोकर  रखा जाये,  इसके लिये  स्वराज संस्थान संचालनालय  स्थापित किया गया है.  इसमें  अंग्रेजी हुकुमत के समय  किस तरह से उन्होंने अपनी  जान की बाजी लगाई थी और  किस तरह से वह शहीद हुए, रानी दुर्गावती, शंकर शाह,  रघुनाथ शाह,  छत्रसाल, रामप्रसाद  बिस्मिल, चन्द्रशेखर  आजाद से लेकर बड़े बड़े  योद्धा हुए. स्वराज संस्थान ने  अपनी गतिविधियों के माध्यम से  वीरों के  बलिदान का स्मरण किया है और इनकी जीवनी  के माध्यम से देश भक्ति को जगाने के लिये   उनकी जीवनी आमजन तक पहुंचाने का काम  यह संस्कृति विभाग कर रहा है.  संस्कृति विभाग विचार में जरुर आता है कि छोटा सा विभाग है,  लेकिन  यह छोटा विभाग नहीं है.  यह बहुत बड़े बड़े काम करने वाला विभाग है.  हमारे समाज को  हमारी संस्कृति से  किस तरह से  हमेशा बचाये रखना, यह काम यह विभाग कर रहा है.  वीरों की वीरगाथा और गाथाओं के साथ में यात्राएं,  पूरे अमर शहीदों को  याद किया जाता है  और हमेशा  आमजन तक शहर  से गांव तक,  इन यात्राओं के माध्यम से  उनकी बातें आमजन तक पहुंचाई जाती हैं.  मंत्री जी के नेतृत्व  एवं मार्गदर्शन में   वर्ष 1998 में  भी स्वतंत्रता संग्राम सैनानियों द्वारा अमर शहीद चन्द्रशेखर  आजाद की जन्म स्थली  भाबरा  गांव से से लेकर  बलिदान स्थल  अल्फ्रेड पार्क इलाहाबाद  तक एक यात्रा  शहीदों के  याद को लेकर निकाली गई थी.   यह  स्मरणीय है, आज इतिहास में इसका जिक्र है.  यह बहुत बड़ी बात है. ऐसे काम   करने वाली  मंत्री जी को  मैं साधुवाद देती हूं  और आने वाले दिनों में  उनके अनुभव का लाभ हमको   और भी मिलने वाला है.  इसी तरह से  संस्कृति विभाग  बड़ी खुशी की बात है कि हमारा इन्दौर का लालबाग पैलेस,  जो  इन्दौर की शान है और उसी को संजोकर  उस  पैलेस की  बाहरी और आंतरिक  अनुक्षरण के तहत जितना काम हो सकता है,  वह काम भी उन्होंने शुरु किया है.  लालबाग पैलेस जो  इन्दौर  को जानते हैं, उन्हें मालूम है कि  उसका  बड़ा इतिहास है और उसकी देखरेख  और हर  बात को शामिल करके  उसका विकास करने की जवाबदारी  इस विभाग ने ली है.  यह बहुत बड़ी  बात है.  उसी तारतम्य में भारत भवन,जो हमारे भोपाल में स्थित है.  भारतभवन मध्यप्रदेश  की राजधानी में स्थित है और इसकी स्थापना   हमारी प्रधानमंत्री, स्वर्गीय इंदिरा गांधी  जी ने  की थी और आज भारत भवन   की  पूरे देश में एक अलग पहिचान है.  यहां पर हमारे प्रदेश ही नहीं   दुनियां भर के कलाकार  आते हैं  और उसमें  अपनी  कला दिखाते हैं  और बड़े सम्मान के साथ  इस भारत भवन का नाम भी हम लोग  लेते हैं.  इसी तरह से पूरे भारत भवन में कलाकृतियों  या लोक कलाओं के माध्यम से  कई आयोजन यहां पर होते हैं,  जो  भारतीय संस्कृति  को बचाकर रखे हुए हैं,  जिसके माध्यम से हमारी जो संस्कृति  है, उसकी आमजन तक  पहुंचाने का काम भी  सरकार कर रही है. 

                   उपाध्यक्ष महोदया, इसके साथ ही  हम बात बहुत करते हैं, किन्तु  पुजारी जो भगवान जी की  रोज सेवा  सुबह शाम  करते हैं,  उनकी तनख्वाह तीन गुना  बढ़ाने का काम भी   हमारी  सरकार ने ही किया है, यह बहुत बड़ी बात है.  मठ मंदिर सलाहकार समिति  और साथ ही नदियों के लिये पृथक न्यास  की व्यवस्था  है, वास्तव में आज जो नदियों  की स्थिति  हम देख रहे हैं, उनकी 15 सालों  में  जो दुर्गति हुई है,  उसकी व्यवस्था भी कांग्रेस सरकार  कर रही है,  इसके लिये भी मैं  मुख्यमंत्री जी एवं मंत्री जी को बहुत बहुत  बधाई एवं शुभकामनाएं  देती हूं. साथ  ही आदिवासियों के देवी  देवताओं के  स्थानों को संरक्षित  रखना और उनका विकास करना यह इतिहास  में पहली बार  आष्ठान योजना  लागू की  गई है.  इसके लिये भी मैं मंत्री जी का  धन्यवाद करती हूं और अंत में खरगोन  जिले की बात करें, तो महेश्वर की साड़ियों  की  ब्रांडिंग, उनकी मार्केटिंग  के लिये जो बात बजट  में आई है,  उसके लिये भी बहुत बहुत धन्यवाद, क्योंकि  इसकी पहिचान हमारे निमाड़  की  पूरे  प्रदेश ही नहीं पूरे देश भर में  है, उसको संरक्षित करने की जवाबदारी ली है,यह हमारे लिये  बहुत गौरव की बात है.

                    उपाध्यक्ष महोदया, सभी  लोग कह रहे हैं कि  आयुष विभाग छोटा है,  मैं  इस बात को नहीं मानती हूं.  आयुष विभाग, चूंकि हमारी मंत्री महोदया ने इसको विशेष बना दिया है.  वास्तव में इतिहास के पन्नों  में  भी हम लोग जायें, तो  यह हम देखते हैं कि  यायुर्वेद में पूरे विश्व का हमारा देश गुरु है.  पूरे विश्व के लोग  आयुर्वेद के माध्यम से यदि  चिकित्सा  कराना चाहते हैं, तो वे हमारे  देश में    आते हैं.  इसमें इस विभाग ने बहुत ज्यादा   चिंता के साथ काम शुरु किया है.  जितने भी भवन  चाहे  ग्रामीण स्तर के हों, चाहे जिला स्तर के  हों, जिला स्तर के 25   आयुष  कार्यालय  भवनों का निर्माण  और 89 शासकीय  आयुष  औषधालय भवनों का  निर्माण और इसके साथ ही  भोपाल, रीवा, बुरहानपुर, उज्जैन में शासकीय  आयुर्वेद महाविद्यालय   चिकित्सालय  भवनों  का निर्माण  कार्य किया जा रहा है.  इसके साथ ही जो डिसपेंसरियां हैं,  540 औषधालयों का  उन्नयन  14 करोड़ से अधिक बजट में शामिल किया गया है  और महाविद्यालयों का भी  10  करोड़ से   अधिक का बजट इसमें शामिल किया गया है.  50 से 30  बिस्तरीय  चिकित्सालयों  का  निर्माण, यह भी  विभाग ने इसको पूरी जवाबदी के साथ निर्माण  कराने  की जिम्मेदारी ली है. निश्चित ही  आने वाले दिनों में  आमजन को इससे फायदा मिलने वाला है.  मंडलेश्वर में मेरे जिले में  9 करोड़  की लागत  से 30 बिस्‍तरों का अस्‍पताल खोला जाएगा. निश्‍चित ही पूरे जिले को इसका फायदा पहुँचने वाला है. कुछ समय पहले आयुष विभाग की ओर से आयुर्वेद का चिकित्‍सा शिविर भी आयोजित किया गया, इसमें कम से कम 1500 मरीजों ने अपना पंजीयन कराया और चिकित्‍सकीय लाभ प्राप्‍त किया. इसी तरह से आने वाले दिनों में हर जिले में विभाग के द्वारा चिकित्‍सा शिविरों को आयोजन किया जाएगा, इससे निश्‍चित ही आमजन लाभान्‍वित होंगे. माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, उसके लिए बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          उपाध्‍यक्ष महोदया -- श्री हरिशंकर खटीक जी, 5 मिनट में आपको अपनी बात पूरी करनी है. समय का विशेष ध्‍यान रखें.

          श्री हरिशंकर खटीक (जतारा) -- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, हम मांग संख्‍या 26, 38 और 52 का विरोध करते हैं और कटौती प्रस्‍तावों पर बोलने के लिए खड़े हुए हैं. सबसे पहले संस्‍कृति विभाग की बात हम आपके बीच में बताना चाहते हैं. हमारे टीकमगढ़ जिले के पलेरा जनपद पंचायत में नूना महिवा गांव के पास मोर पहाड़ियों में महाराजा छत्रसाल का जन्‍म हुआ था. महाराजा छत्रसाल, जिन्‍होंने मुगलों से युद्ध लड़ा, हम मोर पहाड़ियों पर मोर पहाड़ियां सांस्‍कृतिक महोत्‍सव का कार्यक्रम किया करते थे. वह कार्यक्रम बंद हो गया है. माननीय मंत्री महोदया से हमारा अनुरोध है कि उस कार्यक्रम को पुन: चालू कराया जाए, जिससे महाराजा छत्रसाल, जो हमारे क्षेत्र के लिए, बुंदेलखण्‍ड के लिए और पूरे देश के लिए एक धरोहर रहे हैं, उनका नाम हमेशा वैसा ही चलता रहे, जैसा उनका नाम रहा है.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, आयुष विभाग के बारे में हम बताना चाहते हैं कि आयुष विभाग बहुत बड़ा विभाग है. इस विभाग में आयुर्वेदिक, होम्‍योपैथिक, यूनानी कर्मचारी काम करते हैं. एलोपैथिक विभाग के भी कर्मचारी लोक स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण विभाग के माध्‍यम से काम करते हैं लेकिन आयुष विभाग के अंतर्गत ये लोग काम करते हैं. आयुष विभाग के जो कर्मचारी हैं, चाहे वे आयुर्वेदिक, होम्‍योपैथिक या यूनानी वाले हों, उनको वेतन बहुत कम दिया जा रहा है. जो एलोपैथिक विभाग के कर्मचारी कार्य करते हैं, उनको 35 हजार से 40 हजार रुपये वेतन दिया जाता है, जबकि स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाएं वे भी ग्रामीण क्षेत्रों में देते हैं और आयुर्वेदिक, होम्‍योपैथिक, यूनानी के कर्मचारियों को 20 हजार से 25 हजार रुपये मात्र वेतन मिल रहा है. आयुष कर्मचारी संघ के द्वारा कई बार मांगपत्र भी दिया गया, लेकिन उनके मांगपत्र पर कभी ध्‍यान नहीं दिया गया. बार-बार मांगपत्र देने के बावजूद और अनुरोध करने के बावजूद आयुष विभाग के अधिकारियों द्वारा उस पर कोई ध्‍यान नहीं दिया गया. उनके मांगपत्र में भी आया कि आयुष विभाग में वर्ष 2009 में जो सभी कर्मचारी नियमित किए गए थे, उनका प्रथम नियुक्‍ति दिनांक से नियमितीकरण किया जाए. यह नहीं किया जा रहा है. जबकि झाबुआ और खरगौन जिलों में प्रथम नियुक्‍ति दिनांक से उनका नियमितीकरण किया गया है और उनको लाभ मिल रहा है. लेकिन पूरे मध्‍यप्रदेश में आयुष विभाग के कर्मचारियों को नहीं मिल रहा है. समानता का अधिकार होना चाहिए. माननीय मंत्री महोदया से यह हमारा अनुरोध है कि सभी कर्मचारियों को प्रथम नियुक्‍ति दिनांक से नियमितीकरण का लाभ दिया जाए. इसके साथ-साथ वर्ष 2014 में जो पूर्व में नियुक्‍त की गई 812 महिला स्‍वास्‍थ्‍य कार्यकर्ता हैं, उनको 5200 से 1800 ग्रेड पे दिया जा रहा है जबकि 436 महिला स्‍वास्‍थ्‍य कार्यकर्ताओं को 4440 से 1300 ग्रेड पे दिया जा रहा है. इसमें भी समान वेतन समान कार्य होना चाहिए.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, हमारा एक और अनुरोध है कि विभाग में कार्यरत कम्‍पाउंडर्स का पदनाम परिवर्तित करके फार्मासिस्‍ट पदनाम किया जाए. साथ ही साथ आयुष कर्मचारी संघ, भोपाल का जो ज्ञापन है, इसमें लिखी हुई सभी मांगें बिल्‍कुल जायज हैं क्‍योंकि कर्मचारी, जो छोटे कर्मचारी हैं, वे कहां बोलें, कहां बैठकर बात करें, वे अपने संघ में बार-बार मांगपत्र देते हैं और संघ के माध्‍यम से मांगें उठाते हैं. वे बार-बार भोपाल आते हैं, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं होती है. आयुष कर्मचारी संघ, भोपाल का जो दिनांक 22.06.2019 का मांगपत्र है, वह जायज मांगपत्र है. उस मांगपत्र पर गंभीरता से विचार करते हुए उनका काम होना चाहिए. उनकी मांगों को स्‍वीकार किया जाना चाहिए.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, एक चीज और मैं बताना चाहता हूँ कि आयुर्वेदिक, होम्‍योपैथिक, यूनानी वाले कर्मचारियों के ट्रांसफर रायसेन जिले में हुए हैं. जहां आयुर्वेदिक विभाग का हॉस्‍पिटल है, वहां होम्‍योपैथिक विभाग के कम्‍पाउंडर को भेज दिया गया है. जहां होम्‍योपैथिक विभाग का हॉस्‍पिटल है, वहां यूनानी वाले को भेज दिया गया है. क्‍या ऐसे ट्रांसफर करने के अधिकार हैं ? रायसेन जिले के प्रभारी मंत्री जी ने ऐसे ट्रांसफर कर दिए हैं, और न जाने अन्‍य कितने जिलों में ऐसे ट्रांसफर हुए होंगे, तो जहां आयुर्वेदिक का हॉस्‍पिटल है, वहां आयुर्वेदिक का कर्मचारी पहुँचना चाहिए, यह हमारा व्‍यक्‍तिगत अनुरोध है.

          उपाध्‍यक्ष महोदया -- कृपया समाप्‍त करें.

          श्री हरिशंकर खटीक -- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, हमारा एक और अनुरोध है कि आयुर्वेदिक विभाग में और आयुर्वेदिक, होम्‍योपैथिक, यूनानी में एलोपैथिक के समान वेतन दिया जाए. यह हमारी मुख्‍य मांग है. एक बात और मुझे कहनी है कि पूरे मध्‍यप्रदेश में मेडिकल कॉलेजेस खोले गए हैं, यह बड़े खुशी की बात है. छतरपुर के मेडिकल कॉलेज की बात भी आई थी कि छतरपुर का मेडिकल कॉलेज कहां संचालित हो रहा है, उपाध्‍यक्ष महोदया, हम आपको बताना चाहते हैं कि वहां पर जिला चिकित्‍सालय का भवन भी नहीं था. जब बीआरजीएफ की राशि मिली तो हम लोगों ने 10 करोड़ रुपये बीआरजीएफ की राशि से और एक करोड़ रुपये विधायकों की विधायक निधि से लेकर वहां पर जिला चिकित्‍सालय का निर्माण करवाया. अब रही मेडिकल कॉलेज की बात तो मेडिकल कॉलेज के लिए नौगांव रोड पर भूमि आवंटित हो गई है, लेकिन जो बजट की किताब यहां पर छपी हुई है, उसमें छतरपुर जिले का नाम नहीं है. हमने अभी किताब के एक-एक पेज को देखने का काम किया है, लेकिन छतरपुर जिले के मेडिकल कॉलेज का नाम नहीं है, जो हमारे मध्‍यप्रदेश के तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने मेडिकल कॉलेज खोला था, उस मेडिकल कॉलेज का नाम इस किताब में नहीं है कि कितनी राशि बजट में दी गई है.

          उपाध्‍यक्ष महोदया -- कृपया समाप्‍त करें.

          श्री हरिशंकर खटीक -- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, एक और हमारा अनुरोध है कि आज हमने विधान सभा में प्रश्‍न भी लगाया था लेकिन बहस में वह प्रश्‍न नहीं आ सका. उसमें हमने प्रश्‍न किया था कि मध्‍यप्रदेश में आपने इतने मेडिकल कॉलेज खोले, हमारा टीकमगढ़ जिला भी अनुसूचित जाति बाहुल्‍य जिला है, वहां पर अनुसूचित जाति के लोगों की संख्‍या अधिक है. वहां पर अनुसूचित जाति के सांसद हैं. हम चाहते हैं कि हमारे टीकमगढ़ जिले में एक मेडिकल कॉलेज खोला जाए जो मांग वर्षों से चल रही है. उपाध्‍यक्ष महोदया, हम आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री महोदया से अनुरोध करते हैं कि हमारे टीकमगढ़ जिले में मेडिकल कॉलेज खोला जाए.

          उपाध्‍यक्ष महोदया -- कृपया समाप्‍त करें.

          श्री हरिशंकर खटीक -- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, आप भी एक मातृशक्‍ति के रूप में हैं, हम आपका भी सम्‍मान करते हैं, और डॉ. विजयलक्ष्‍मी साधौ जी भी बैठी हुई हैं. वे बहुत योग्‍य हैं, बहुत प्रतिभाशाली हैं. जब हम 2003 से 2008 के बीच में चुनाव जीतकर आए, इसके बाद 2008 में जब चुनाव जीतकर आए तो आप तो राज्‍यसभा में चली गईं और हम लोग यहीं के यहीं रह गए. अगर आप पहले आ गई होतीं तो हम लोगों के बीच में होतीं, हमारे बीच में भी आप आ सकती थीं.

          श्री गोपाल भार्गव -- वे ठीक कह रहे हैं, आपके साथ अनुसुइया उइके जी भी आई थीं, 1985 में, आज वे छत्‍तीसगढ़ की गवर्नर बन गई हैं. आपके भविष्‍य के लिए ठीक कह रहे है. उस समय मैं भी था, आप भी थीं और अनुसुइया उइके भी थीं.      

          श्री तुलसीराम सिलावट -- इनका भविष्‍य सुरक्षित है.

          संस्‍कृति मंत्री (डॉ. विजयलक्ष्‍मी साधौ) -- मैं नेता प्रतिपक्ष जी का धन्‍यवाद करती हूँ कि मेरे बारे में विचार किया, पर ये क्‍यों भूल जाते हैं कि मैं स्‍वर्गीय सीताराम जी साधौ की बेटी हूँ, जिन्‍होंने आजादी की लड़ाई से लेकर सन् 1952 के पहले इलेक्‍शन से...

          श्री गोपाल भार्गव -- मुझे ये भी मालूम है कि उस समय जो एक निश्‍चित आयु से ज्‍यादा के लोग हो गए थे, उन्‍हें कांग्रेस पार्टी ने और राजीव गांधी जी ने टिकिट नहीं दिया था, इस कारण से आपको मिला था और रघुवंशी जी को मिला था, ऐसे 17 लोग आए थे जो वाइरस बन कर आए थे. ..(हंसी)...

          डॉ. विजयलक्ष्‍मी साधौ -- और हमारा सौभाग्‍य था कि उस वक्‍त भी आप हमारे साथी थे. हमारे साथ थे, वह तो दुर्भाग्‍य रहा कि आप उधर चले गए. अभी भी हम आपको अपना साथी समझते हैं.

          उपाध्‍यक्ष महोदया -- अब एक मिनट में अपनी बात समाप्‍त कर लीजिए, काफी टाइम हो गया है.

          श्री हरिशंकर खटीक -- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, हम जानते हैं कि इनका नाम डॉ. विजयलक्ष्‍मी साधौ हैं, जहां डॉक्‍टर हैं, वहां आदमी बीमार नहीं हो सकता है. जहां विजय है, वहां हर प्रकार की जीत होती है, और जहां लक्ष्‍मी है, वहां सब कुछ है, लक्ष्‍मी की आवश्‍यकता सबको पड़ती है.

          श्री गोपाल भार्गव -- अब तो घोषणा कर दो.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- माननीय मंत्री जी, कुछ तो देना पड़ेगा.

          उपाध्‍यक्ष महोदया -- मंत्री जी अपने जवाब में सबका उत्‍तर देंगी.

          डॉ. विजयलक्ष्‍मी साधौ -- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, मैं माननीय नेता प्रतिपक्ष जी को बताना चाहूंगी कि नए मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए कुछ नॉर्म्‍स होते हैं. मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया, जो कि अभी बीओजी है, गवर्निंग बॉडी है, उसके माध्‍यम से परमिशन मिलती है. केन्‍द्र में आपकी सरकार बैठी है, आप नियमों में शिथिलता ला दें तो हमें खोलने के लिए क्‍या आपत्‍ति है.

          श्री ओमप्रकाश सकलेचा -- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया ...(व्‍यवधान) ...

          श्री विश्‍वास सारंग -- उपाध्‍यक्ष महोदया, प्रधानमंत्री जी ...(व्‍यवधान) ...

          उपाध्‍यक्ष महोदया -- माननीय सदस्‍यों से मेरा निवेदन है कि खटीक जी को अपनी बात रखने दें. सकलेचा जी, प्‍लीज बैठ जाइये.

          श्री ओमप्रकाश सकलेचा - माननीय प्रधानमंत्री जी के कार्यकाल में ..(व्‍यवधान)..

          उपाध्‍यक्ष महोदया - सकलेचा जी, कृपया आप बैठ जाइये. खटीक जी अपनी बात रखने के लिये सक्षम हैं. आप खटीक जी को अपनी बात खत्‍म करने दीजिये, काफी समय हो गया है. खटीक जी, आप अपनी बात समाप्‍त करिये.

          श्री ओमप्रकाश सकलेचा - (XXX)

          श्री विश्‍वास सारंग - (XXX)

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - (XXX)

          उपाध्‍यक्ष महोदया - किसी की बात नोट नहीं करेंगे. बस, खटीक जी अपनी बात समाप्‍त करेंगे. सकलेचा जी, अंत में आप अलग से आप अपनी बात बोल दीजियेगा. अभी आप बैठ जाइये.

          श्री हरिशंकर खटीक - उपाध्‍यक्ष महोदया, हमारे मध्‍यप्रदेश के मुख्‍यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने यह नहीं देखा कि भाजपा का या कांग्रेस का है, उन्‍होंने समानता के रूप में देखा कि जहां गरीब लोग रहते हैं, वहां मेडिकल सुविधा का लाभ मिलना चाहिये. हम टीकमगढ़ जिले के लिये डॉ. विजय लक्ष्‍मी और साधौ, माने साधने का काम, सज्‍जन सिंह भाई साहब से अनुरोध करते हैं कि वह भी हमारा सपोर्ट करें. हुकुम सिंह कराड़ा जी बगल में बैठे हैं, उनसे हमारा अनुरोध है कि वह डॉ. विजय लक्ष्‍मी साधौ जी से कृपापूर्वक कहें कि जब वह बजट पर बोलेंगी, तब हर हालत में टीकमगढ़ जिले में मेडिकल कॉलेज खोले जाने की घोषणा करेंगी. यह हमारा व्‍यक्तिगत अनुरोध है. उपाध्‍यक्ष महोदया, आपने बोलने का समय दिया उसके लिये धन्‍यवाद.                                       

          श्री आरिफ़ मसूद - अनुपस्थित.

          श्री आलोक चतुर्वेदी (छतरपुर) - उपाध्‍यक्ष महोदया, मुझे एक मिनट बोलने का समय दिया जाये. खटीक जी ने छतरपुर मेडिकल कॉलेज के संबंध में बात की कि उसके लिये भूमि आवंटित की गई है. भूमि आवंटित जरूर कर दी गई है, लेकिन सबसे पहले तो मैं यह जानना चाहता हूं कि वह मेडिकल कॉलेज का जिसका डेढ़ बजे रात को शिलान्‍यास किया गया था, क्‍या केन्‍द्र शासन से उसकी मंजूरी मिल चुकी है कि वहां पर मेडिकल कॉलेज स्‍थापित होना है ? उसका शिलान्‍यास कर दिया गया, लेकिन उसका अता-पता नहीं है. मैं, यह जानना चाहता हूं कि केवल भूमि आवंटित कर देने से मेडिकल कॉलेज खुल जायेगा ? वह भूमि विवादित है. मैं, सदन से और माननीय मंत्री महोदया से यह चाहता हूं कि छतरपुर का मेडिकल कॉलेज तत्‍काल खोला जाये. धन्‍यवाद.

          श्री हरिशंकर खटीक - उपाध्‍यक्ष महोदया, मेडिकल कॉलेज के लिये जमीन आवंटित हो चुकी है. वहां पर प्रावधान भी किया गया है. लेकिन इस किताब में आपने प्रावधान नहीं कराया है...

          उपाध्‍यक्ष महोदया - खटीक जी, आप बैठ जाइये. अब इनकी कोई बात नोट नहीं होगी. केवल डॉ. हिरालाल अलावा जी बोलेंगे.

          श्री हरिशंकर खटीक - (XXX)

          डॉ. हिरालाल अलावा (मनावर) - माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, मैं, सदन में प्रथम बार चुनकर आया हूं. आपका संरक्षण भी चाहता हूं और मांग संख्‍या 52 चिकित्‍सा शिक्षा पर अपनी बात रखना चाहता हूं. जैसा कि हम सब जानते हैं कि हमारे मध्‍यप्रदेश में चिकित्‍सा शिक्षा में मेडिकल कॉलेजों की स्थिति ज्‍यादा अच्‍छी नहीं है.

          श्री अजय विश्‍नोई - माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, सदन की तरफ से अनुरोध यह है कि यह जो स्‍क्रीन पर माननीय विधायक का नाम आता है, वह इतना बड़ा तो आये कि लोग पढ़ लें. इस बहाने ही लोगों को एकदूसरे के नाम से परिचय होता जायेगा. कृपया इसको बड़ा करवा दें.

          उपाध्‍यक्ष महोदया - इसको ठीक करवा देते हैं. धन्‍यवाद.

          डॉ. हिरालाल अलावा - उपाध्‍यक्ष महोदया, मध्‍यप्रदेश में वर्तमान में 13 शासकीय मेडिकल कॉलेज और एक शासकीय डेंटल कॉलेज संचालित हैं. अभी बजट में 3 नये मेडिकल कॉलेजों का प्रावधान भी किया गया है और अभी माननीय सदस्‍य जी ने कहा है कि हर डिस्ट्रिक्‍ट पर एक-एक मेडिकल कॉलेज होना चाहिये. प्रदेश में चिकित्‍सा शिक्षा के माध्‍यम से एक तरह से हम मेडिकल कॉलेजों को डॉक्‍टर बनाने की फैक्‍ट्री भी कह सकते हैं. अगर मेडिकल कॉलेज बेहतरीन होंगे, वहां की फैसिलिटीज़ बेहतरीन होगी, वहां के टीचर्स बेहतरीन होंगे, तो वहां से अच्‍छे डॉक्‍टर्स निकलेंगे और उसके लिये मेडिकल कॉलेजों में हर विभाग में रिसर्च के लिये अलग बजट का प्रावधान होना चाहिये, जो मध्‍यप्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में नहीं के बराबर देखने को मिलता है. मैं, इसीलिये इस ओर ध्‍यान आकर्षित कराना चाहता हूं क्‍योंकि मैं, दिसम्‍बर, 2016 तक एम्‍स, नई दिल्‍ली में असिस्‍टेंट प्रोफेसर रहा हूं और हर वर्ष एम्‍स का बजट लगभग ढाई हजार करोड़ रुपये रहता था. हमारे प्रदेश में चिकित्‍सा शिक्षा के लिये, स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं के लिये जनसंख्‍या के अनुपात में बहुत कम बजट दिया जाता है. आज हम देश में कुपोषण के मामले में नंबर वन हैं, मातृ मृत्‍युदर के मामले में नंबर वन हैं, शिशु मृत्‍युदर के मामले में नंबर वन हैं. कहीं न कहीं हमारी स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं के हालात ठीक नहीं हैं. उसके लिये हम सबसे पहले तो यह सुनिश्चित करें कि स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं और चिकित्‍सा शिक्षा के बजट में बढ़ोत्‍तरी होनी चाहिये. हमारे प्रदेश में मेडिकल कॉलेज ज्‍यादातर शहरी क्षेत्रों की तरफ हैं. नये मेडिकल कॉलेज भी शहरी क्षेत्रों की तरफ खोले जा रहे हैं. मैं, धार जिले के मनावर विधान सभा से हूं और हमारे क्षेत्र में धार, झाबुआ, अलीराजपुर, बड़वानी, खरगोन, इन 5-6 जिलों में एक भी मेडिकल कॉलेज नहीं है. न ही इन क्षेत्रों में डेण्‍टल कॉलेज है. सबसे ज्‍यादा इन क्षेत्रों में स्‍वास्‍थ्‍य सेवायें बदतर हालतों में हैं. यहां पर सबसे ज्‍यादा हर चौथा मरीज जो ट्राईबल कम्‍युनिटी का है, स्किल एनीमिया से पीडि़त है.

 

2.32 बजे     { सभापति महोदय, (श्री यशपाल सिंह सिसौदिया) पीठासीन हुए. }

 

          सभापति महोदय, इन 5 जिलों में लगभग ढाई से तीन लाख लोग कुपोषण से प्रभावित हैं. इन 5 जिलों का पूरा का पूरा बेल्‍ट, लगभग 80 प्रतिशत् क्षेत्रफल सिलिकोसिस से प्रभावित हैं. गरीब वर्ग के ज्‍यादातर मरीज सिलिकोसिस से पीडि़त हैं, लेकिन इस ओर कभी भी गंभीरता से ध्‍यान नहीं दिया गया, न ही कभी इन क्षेत्रों को बेहतर स्‍वास्‍थ्‍य सेवायें देने के लिये, कभी मेडिकल कॉलेज खोलने के लिये, कोई प्‍लान बनाया गया. हमारी सरकार द्वारा प्रदेश के भोपाल, ग्‍वालियर, इन्‍दौर, रीवा और सागर में वायरोलॉजी लैब खोली जा रही है. मुझे खुशी होगी कि जो गंभीर वायरस जिनकी जांचों के लिये हमको कभी हैदराबाद रिपोर्ट भेजनी पड़ती है, कभी दिल्‍ली एम्‍स भेजनी पड़ती है, इन वायरोलॉजी लैब के माध्‍यम से डेंगू, चिकनगुनिया, एच-1, एन-1 इनफ्लूएंजा वायरस, इबोला वायरस, जीका वायरस जैसे गंभीर वायरसों का पता लगाने में आसानी होगी. हमारी सरकार प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में आधुनिक ट्रामा सेंटर खोलने जा रही है. मैं चाहूंगा कि आधुनिक ट्रामा सेंटर मेडिकल कॉलेजों के साथ-साथ हर जिले लेबल पर भी होने चाहिये.

          सभापति महोदय - माननीय सदस्‍य जी, कितना समय और लेंगे ?

          डॉ. हिरालाल अलावा - सभापति महोदय, 5 मिनट और लूंगा, मुझे अपनी बात बोलने का मौका दीजिये, क्‍योंकि कई जगह ऐसी हैं, जहां जिला अस्‍पताल से मेडिकल कॉलेजों की दूरी 150 से 200 किलोमीटर है. अगर मरीज ट्रामा सेंटर्स और मेडिकल कॉलेजों की 200 किलोमीटर की दूरी तय करेगा, तो कई मरीज रास्‍ते में ही मर जाते हैं. मैं, चाहूंगा कि अगले बजट में हर डिस्ट्रिक्‍ट लेबल पर आधुनिक ट्रामा सेंटर होना चाहिये. हमारी सरकार मध्‍यप्रदेश के इन्‍दौर में एम.वाय. (महाराजा यशवन्तराव) चिकित्सा महाविद्यालय में बोन मेरो ट्रांसप्लांट सेंटर शुरू किया है. यह उन मरीजों के लिए एक वरदान साबित होगा जो गरीब वर्ग से आते हैं और एक बोन मेरो ट्रांसप्लांट के लिए चार लाख से पाँच लाख रुपये खर्च करना होता है. कई गंभीर मरीज जो कंजेनायटल बीमारियों से पीड़ित होते हैं, वे इतना पैसा खर्च नहीं कर पाते हैं, तो अगर ये बोन मेरो ट्रांसप्लांट जल्दी से जल्दी शुरू होता है तो हमारे लिए बहुत खुशी और गर्व की बात है. चिकित्सा महाविद्यालय रीवा में मल्टी ड्रग रिसर्च यूनिट की स्थापना की गई है.

          सभापति महोदय--  माननीय सदस्य अपना वक्तव्य एक मिनिट में समाप्त करें.

          डॉ हिरालाल अलावा--  सभापति जी, इस यूनिट के माध्यम से डायबिटिज, कुपोषण, जैसे गंभीर रोगों के बेहतर इलाज के लिए हमें मौका मिलेगा साथ में मैं सदन का इस बात की ओर भी ध्यानाकर्षित करना चाहूँगा कि मध्यप्रदेश के रीवा, सतना, छतरपुर, में आज भी खेसरी दाल का उत्पादन हो रहा है और व्यापार भी हो रहा है. जो एक टाक्सिंस या जहर रखती है, उसमें भी आज प्रतिबंध होने के बावजूद भी व्यापारियों पर कार्यवाही नहीं होती. इसको पूर्णतः प्रतिबंधित करने के लिए आने वाले समय में सख्त कदम उठाए जाने चाहिए.

          सभापति महोदय--  माननीय सदस्य अपना वक्तव्य समाप्त करें.

          डॉ.हिरालाल अलावा--  मैं माननीय सभापति महोदय से अनुरोध करना चाहूँगा और माननीय चिकित्सा शिक्षा मंत्री जी से भी अनुरोध करना चाहूँगा कि ऐसे क्षेत्र जो आजादी के 70 साल बाद भी, खासकर धार, झाबुआ, बड़वानी, खरगोन, जो स्वास्थ्य सेवाओं से अभी भी अछूते हैं. इन क्षेत्रों में भी मेडिकल कॉलेज आने वाले समय में खोलें. धन्यवाद.

          श्री संजीव सिंहसंजू”(भिण्ड)--  माननीय सभापति जी, बहुत बहुत धन्यवाद. मुझे लगता है समय की बाध्यता तो नहीं रहेगी? आप तो मेरा सहयोग करेंगे ही?

          सभापति महोदय--  आपने 30 सेकण्ड समाप्त कर दिए.

          श्री संजीव सिंहसंजू--  माननीय सभापति जी, मैं आज मांग संख्या 26, 38 एवं 52 की मांगों का समर्थन करता हूँ और उनके पक्ष में अपनी कुछ बातें रखना चाहता हूँ. अगर हम मांग संख्या 26 की बात करें तो लगातार हम जब बजट की पुस्तक देखते हैं तो हमको देखने में आता है कि चाहे ग्वालियर हो, अभी छतरपुर की बात भी हमारे साथी ने कही. इन्दौर हो, दतिया हो, जगह-जगह अपनी अपनी स्पेशिलियटी है लेकिन अगर हम पूरी पुस्तक में भिण्ड की बात करें तो भिण्ड के लिए कुछ है ही नहीं. अभी मैं बाहर अपने एक साथी से बात कर रहा था तो उन्होंने पूछा कि आप चर्चा में भाग लेने वाले हैं तो मैंने कहा हाँ लेने वाला हूँ, फिर उन्होंने पूछा कि किसमे भाग ले रहे हों, तो मैंने कहा कि मैं तो सभी में लूँगा....

          सभापति महोदय--  चर्चा में अपनी मांग माननीय मंत्री महोदय जी से कर लीजिए, अभी स्वीकृति प्राप्त हो जाएगी.

          श्री संजीव सिंहसंजू--  मैंने कहा कि मैं तो सभी में चर्चा करूँगा. संस्कृति में भी करूँगा, तो उन्होंने पूछा कि संस्कृति में भिण्ड के लिए आप क्या बात करेंगे? माननीय सभापति महोदय, मैंने जब बजट में सामान्य चर्चा में भाग लिया था तब भी मैंने अपनी यह बात कही थी और वित्त मंत्री जी को धन्यवाद भी ज्ञापित किया था कि उन्होंने कम से कम भिण्ड का नाम, भले ही पेड़े के बहाने, आपने अपनी पुस्तक मे रखा, अपने भाषण में रखा है. सभापति जी, भिण्ड का इतिहास बहुत ही शौर्य और बहादुरी से भरा हुआ है. 1857 की क्रांति से लेकर आज तक मुझे नहीं लगता कि बहुत सारे लोगों को पता होगा कि 1857 की क्रांति में भिण्ड का क्या योगदान था. उस समय जब महारानी लक्ष्मीबाई जी बिठुर से झाँसी जा रही थीं तो भिण्ड के रास्ते का उन्होंने उपयोग किया था और भिण्ड के लोगों ने उनका इसमें सहयोग किया था और कई लोगों ने अपनी जान की बाजी इसमें लगाई थी. लेकिन कहीं इसका उल्लेख नहीं है इसलिए ये बातें लोगों के सामने आ नहीं पाई. मैंने पहले भी कहा था कि जो हमारा सकारात्मक पहलू है....

          सभापति महोदय--  माननीय सदस्य जी, तीन विभागों के बारे में भी आपको हल्की-फुल्की चर्चा करनी है. इतिहास से वर्तमान में आ जाएँ.

          श्री संजीव सिंहसंजू--  माननीय सभापति जी, मैंने शुरुआत में ही कहा था कि आपका संरक्षण चाहता हूँ...

          सभापति महोदय--  मैं आपको संरक्षण दे रहा हूँ.

          श्री संजीव सिंहसंजू--  मैं अपनी बात आप सबके बीच में पहुँचा दूँ, तो मैंने आप से कहा कि इससे जो हमारा सकारात्मक पहलू है उसकी चर्चा बहुत कम की गई और लगभग की ही नहीं गई. हम अगर बजट में देखते हैं तो स्मारकों, संग्रहालयों की स्थापना, वह कई जगह हुई, शहीदों की स्मृति में स्मारक निर्माण, वे कई जगह हुए. संस्कृति विभाग द्वारा जो समारोहों के आयोजन हुए वे प्रदेश में कई जगह होते हैं और होना भी चाहिए तथा अच्छा भी है. लेकिन इसमें मेरा आप से निवेदन है कि एक बहुत बड़ा और अच्छा भव्य शौर्य स्मारक हमारे भोपाल में स्थापित है. सरकार ने उसमें काफी पैसा भी खर्च किया है और उस शौर्य स्मारक में जब मैंने जाकर देखा और जो हमारे शहीदों की सूची उसमें लगी हुई थी तो निश्चित तौर पर मुझ जैसे नौजवान का सीना गर्व से चौड़ा हो गया, मैंने देखा कि उसमें सबसे ज्यादा जो नाम थे वे भिण्ड जिले के ही थे. लेकिन वह शौर्य स्मारक भोपाल में बना. निश्चित तौर पर भोपाल में पूरे प्रदेश के लोग आते हैं देखते हैं, उनको भी अच्छा लगता होगा. एक भिण्ड का यह भी पहलू लोगों के सामने जाता होगा तो मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि ऐसा ही शौर्य स्मारक अगर हम भिण्ड में स्थापित करें क्योंकि पंजाब के बाद चंबल घाटी से सबसे ज्यादा नौजवान इस देश की सेवा करते हैं. इस देश की सरहदों की सेवा में, उनकी रक्षा-सुरक्षा में, अपना जीवन न्यौछावर कर देते हैं, तो अगर ऐसे शौर्य स्मारक की व्यवस्था या प्रावधान हम भिण्ड में भी कर देंगे तो निश्चित तौर पर लोग उससे प्रभावित होंगे और ज्यादा से ज्यादा नौजवान सेना में जाने की अपनी इच्छा प्रकट करेंगे. सभापति जी, दतिया में भी एक उत्सव होता रहा है और ग्वालियर में भी महारानी लक्ष्मीबाई के नाम से एक उत्सव होता रहा है. हमें भी भिण्ड की संस्कृति को और अपनी विरासत को आगे ले जाने के लिए, आज की पीढ़ी को, आने वाली पीढ़ी को, बताने के लिए, उससे जोड़ने के लिए ऐसा एक आयोजन हमारे भिण्ड के लिए भी हो, भिण्ड महोत्सव के नाम से हो, 3 या 7 दिवसीय महोत्सव का आयोजन सरकार की तरफ से किया जाए तो निश्चित तौर पर हम आने वाली पीढ़ी को, भिण्ड की जो समृद्ध विरासत है, उसको बताने में सहायक सिद्घ होंगे.

          सभापति महोदय--  माननीय सदस्य जी, क्या पेड़े की प्रसिद्धि से काम नहीं चल रहा है? पेड़ें की ब्रॉण्डिंग हो रही है.  

          श्री संजीव सिंहसंजू--  माननीय सभापति महोदय, मैं वही कहना चाहता हूँ कि पेडे़ की प्रसिद्धि की गई लेकिन जो हमारी मूल भावना है, जिससे हमको फायदा मिलने वाला है, भिण्ड के लोगों को फायदा मिलने वाला है, नौजवानों को फायदा मिलने वाला है, वह बात कभी होती नहीं है.

          माननीय सभापति महोदय, मैं अब मांग संख्या 38 की बात करता हूँ. अभी छतरपुर के हमारे सम्मानित सदस्य जी बोल रहे थे, हमारे खटीक साहब बोल रहे थे कि छतरपुर के मेडिकल कॉलेज का रात को डेढ़ बजे उसका शिलान्यास किया गया, तो यह कोई नई बात थोड़े ही है. आचार संहिता लगने के पहले केबिनेट की आखरी बैठक में भिण्ड को नगर निगम का दर्जा बगैर किसी कार्यवाही के दिया गया. मैं पूछना चाहता हूँ कि क्या ऐसी कोई लिखा-पढ़ी है? क्या पंचायतों से एन.ओ.सी. ली गई है? क्या उसके तारतम्य में कोई कार्यवाही की गई है? कि सिर्फ केबिनेट की मीटिंग में यह लिख दिया जाए कि भिण्ड को नगर निगम का दर्जा दिया गया. उससे क्या नगर निगम बन सकता है? नहीं बन सकता. भिण्ड में मेडिकल कॉलेज की घोषणा आज की नहीं है. विगत 5 महीनों की भी नहीं है, 5 साल की घोषणा है. लेकिन उस पर आज तक कोई काम नहीं किया गया है. घोषणा मात्र से काम पूरा हो जाए तो फिर कहना ही क्या है. आपने छतरपुर में 1.30 बजे शिलान्यास किया. माननीय सदस्य महोदय बता रहे थे कि वहां की भूमि ही विवादित है, भूमि ही नहीं है. उसके लिए बजट में कोई आवंटन नहीं किया गया है, कोई प्रक्रिया भी चालू नहीं की गई है. आप मेडिकल कॉलेज बनाने की बात कर रहे हैं. भिण्ड के बारे में 4-5 साल पहले की घोषणा है. इस बारे में भी कोई बात नहीं की गई है. मुख्यमंत्री कोई घोषणा करते हैं वे चाहे आपकी तरफ के हों या इनकी तरफ के रहे हों, लेकिन अगर मुख्यमंत्री जनता के बीच में घोषणा करते हैं तो उसको गंभीरता से लेना चाहिए. जब घोषणा की जाती है उसी समय से उस पर कार्य प्रारंभ हो जाना चाहिए, कागजी कार्यवाही शुरु हो जाना चाहिए. सिर्फ घोषणा से काम नहीं चलने वाला है. भिण्ड का जिला अस्पताल प्रदेश में नंबर वन है. इस बार भी उसको कायाकल्प अवार्ड मिला है जिसकी वजह से उसको कुछ धनराशि भी इनाम के तौर पर आवंटित की जा रही है, लेकिन उसमें भी डॉक्टर्स की कमी है. यह आज की कमी नहीं है. विपक्ष द्वारा बार-बार सदन में चर्चा होती है कि सरकार इसकी पूर्ति करे, लेकिन सरकार को समय तो दें. 15 साल तक आपने शासन किया आपने डॉक्टर्स की कमी पूरी नहीं की. आपने हास्पिटल के कायाकल्प के लिए राशि उपलब्ध नहीं कराई है. आपने तीन साल पहले घोषणा की थी कि 300 बेड के अस्पताल को 400 बेड का कर देंगे. आपने मुरैना के 300 बेड के अस्पताल के लिए भी घोषणा की थी कि इसको 400 बेड का अस्पताल करेंगे. आपने भिण्ड के अस्पताल की भी घोषणा की थी कि 400 बेड का अस्पताल कर देंगे, लेकिन आपने भिण्ड का कोई काम प्रारंभ नहीं कराया. मुरैना में 400 बेड की जगह 600 बेड का अस्पताल बनकर तैयार हो गया है.

          माननीय सभापति महोदय, भिण्ड के साथ हमेशा दुर्व्यवहार क्यों होता है और यह कब तक होता रहेगा. मैं सरकार से यह पूछना चाहता हूँ कि 15 सालों में इन्होंने जो किया सो किया, हमको पीछे ढकेलने का काम किया, लेकिन अब हमारी और आपकी बारी है. आपको जवाब देना पड़ेगा. हम 5 साल तक यह भी जवाब नहीं दे सकते हैं कि आपने 15 साल क्या किया. यह हम कब तक पूछते रहेंगे. जनता ने हमको जो 5 साल दिए हैं वह इसलिए दिए हैं कि इन्होंने 15 साल कुछ नहीं किया. आपको 5 साल काम करने के लिए मौका दिया गया है तो यह रोना रोने से काम नहीं चलने वाला है.

          श्री विश्वास सारंग--माननीय सभापति जी, संजीव जी बहुत अच्छा बोल रहे हैं. यह बात सही है कि सरकार को इनकी बात को मानना चाहिए. मैं पहले सत्र से देख रहा हूँ कि संजू भाई भिण्ड की लड़ाई लड़ रहे हैं. बहुत दमदारी से अपनी बात रख रहे हैं. मैं संजू जी को बधाई देना चाहता हूँ.

          इंजी. प्रदीप लारिया-- विश्वास भाई सरकार को इनकी बात मानना ही पड़ेगी नहीं तो सरकार नहीं रहेगी. संजू भाई आप तो अपनी बात मनवाओ.

          सभापति महोदय--आज मंत्री जी की तरफ से आश्वासन मिल जाएगा.

          श्री विश्वास सारंग--मैं संजू जी को बधाई देना चाहूंगा.

          श्री संजीव सिंह "संजू"--माननीय विश्वास जी बहुत-बहुत धन्यवाद,  लेकिन यदि आप भिण्ड की चिंता पहले कर लेते तो निश्चित रुप से भिण्ड का रुप बदल जाता, कायाकल्प हो जाता. माननीय मंत्री जी बैठी हैं मैं उनसे कहना चाहता हूँ कि भिण्ड के मेडिकल कॉलेज की जो घोषणा भारतीय जनता पार्टी की पूर्ववर्ती सरकार ने की थी उन्होंने तो उसे पूरा नहीं किया. आपसे निवेदन है कि आप इस मांग को...

          सभापति महोदय-- संजू जी, माननीय मंत्री जी ने बहुत गंभीरता से आपकी बात को न केवल सुन लिया है बल्कि नोट भी कर लिया है. अब आप अपना वक्तव्य समाप्त करें.

          श्री संजीव सिंह "संजू"--माननीय मंत्री जी ने नोट किया उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद. एक छोटी सी बात और कहना चाहता हूँ भिण्ड का अस्पताल जो कि नंबर एक है उसमें सुविधाओं में बढ़ोतरी के लिए हमने प्रपोजल भेजे हैं. उमरी एक कस्बा है वहां पर पोस्टमार्टम हाउस की आवश्यकता है क्योंकि अभी पूरे क्षेत्र का दबाव जिला अस्पताल पर रहता है. जिला अस्पताल में डॉक्टर्स की कमी पर मुख्य रुप से ध्यान देने की आवश्यकता है यहां डॉक्टर्स की कमी पूरी हो जाए तो अच्छा रहेगा.

          चिकित्सा शिक्षा और आयुष मंत्री (डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ)--माननीय सदस्य, मैं आपकी बात से तुलसी सिलावट जी को अवगत करा दूँगी.

          श्री संजीव सिंह "संजू"--जी. बहुत-बहुत धन्यवाद.

          श्री मनोहर ऊंटवाल--इसका मतलब मंत्री जी आपने मान लिया कि माननीय सदस्य का जो भाषण था वह आपके विभाग से संबंधित नहीं था, वह स्वास्थ्य विभाग से संबंधित था.

          डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ-- ऊंटवाल जी मैं यह नहीं कहती कि आप समझदार नहीं हैं, आप बहुत समझदार हैं. आखिरी की दो लाइनें जो उन्होंने जिला चिकित्सालय के बारे में कहीं, मैं आपके संज्ञान में लाना चाहती हूँ कि जिला चिकित्सालय माननीय तुलसी सिलावट जी के अधिकार क्षेत्र में स्वास्थ्य विभाग के अन्तर्गत आता है.

          श्री मनोहर ऊंटवाल--इसीलिए तो मैंने आपसे निवेदन किया और आपकी तारीफ भी की है कि कम से कम आपने उनको यह तो बताया कि उनका भाषण हेल्थ डिपार्टमेंट पर था.

          श्री संजीव सिंह "संजू"--आप लोगों ने हमारा जो साथ दिया उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.

          सभापति महोदय--माननीय मंत्री जी यह तय हो रहा है कि कि संजू भैया को स्वास्थ्य विभाग पर भी बोलना पड़ेगा.

          डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ--माननीय सभापति महोदय, मैं इस बात से सहमत हूँ कि मंत्रिमंडल की सामूहिक जवाबदारी होती है और उसी के अन्तर्गत मैंने माननीय सदस्य से निवेदन किया कि उन्होंने आखिरी में जो दो लाइनें जिला अस्पताल को लेकर कहीं वह बात मैं श्री तुलसी सिलावट जी जो स्वास्थ्य मंत्री हैं उनके संज्ञान में ला दूंगी.

          श्री मनोहर ऊंटवाल--माननीय सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करूँगा कि अभी आपने जो बात बोली, तो फिर आपने भारतीय जनता पार्टी के ओपनिंग वक्ता को अलग से ज्ञान क्यों दिया. इसमें भी तो आप कह सकती थीं कि समस्त मंत्रियों की सामूहिक जवाबदारी है. फिर आप उन्हें क्यों कह रही हैं कि आप हेल्थ पर बोल रहे हैं.

          सभापति महोदय--मनोहर जी आप बैठिेए.

          श्री केदारनाथ शुक्ल (सीधी)--माननीय सभापति जी, मैं मांग संख्या 26, 38 और 52 का विरोध करता हूँ.

          माननीय सभापति जी, मैं केवल सूचनात्मक बात कहना चाहता हूँ. संस्कृति विभाग द्वारा सीधी, सिंगरौली, रीवा में महोत्सव आयोजित होते थे. सीधी महोत्सव के नाम से, सिंगरौली महोत्सव के नाम से, विन्ध्य महोत्सव के नाम से परन्तु इन्हें इस वर्ष सरकार ने बंद कर दिया है. मैं और कोई बात नहीं कहना चाहता हूँ मेरा आग्रह है कि सीधी महोत्सव, सिंगरौली महोत्सव फिर से शुरु किए जाएं.

          माननीय सभापति महोदय, आयुष विभाग के बारे में मेरा यह कहना है कि आयुर्वेद के क्षेत्र में पूरे मध्यप्रदेश में स्ट्रक्चर है, भवन हैं लेकिन आयुर्वेदिक डॉक्टर नहीं हैं, आयुर्वेदिक अस्पतालों में कम्पाउन्डर नहीं हैं. मतलब कर्मचारी विहीन अधिकारी विहीन विभाग है. आयुर्वेद के जो ग्रेजुएट्स हैं बीएएमएस किए हुए, बीएचएमएस किए हुए, इन्होंने शिक्षा अर्जित की है. आप चाहे पीएससी से, चाहे संविदा से उनकी नियुक्ति करिए. अभी सरकार की ओर से बड़ी विरोधाभासी बात आई थी, एत विज्ञापन छपा जिसमें लिखा था कि "सरकारी कॉलेज से निकले हुए लोगों के लिए" यह विज्ञापन है. विद्यार्थी चाहे डिग्री सरकारी कॉलेज से ले, चाहे प्रायवेट कॉलेज से ले डिग्री तो वही है, जो प्रतिशत है वह वही है. आप ज्यादा से ज्यादा पीएससी की शर्त रख सकते हैं, परीक्षा आयोजित कर सकते हैं लेकिन यह कहकर किसी को रोक देना कि आप प्रायवेट कॉलेज से आ रहे हैं इसलिए परीक्षा में नहीं बैठ सकते हैं. डिग्री एक ही यूनिवर्सिटी दे रही है, कॉलेज नहीं दे रहा है. ऐसी स्थिति में आप आयुर्वेद के क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को मौका दीजिए. मध्यप्रदेश में शिक्षा की जो कमी है, अगर आपने आयुर्वेदिक डॉक्टर्स को संविदा नियुक्ति दी तो मैं समझता हूँ कि 50 प्रतिशत से ज्यादा चिकित्सा के क्षेत्र में जो कमी है वह कमी दूर हो जाएगी.

          सभापति महोदय, दूसरी बात चिकित्सा शिक्षा के मामले में विन्ध्य के जंगल जिनसे बहुत सारी आयुर्वेदिक औषधियां तैयार हो सकती हैं. प्राकृतिक रुप से आयुर्वेदिक औषधियाँ हैं. अगर चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में एक अनुसंधान केन्द्र विन्ध्य में कहीं भी सीधी में, रीवा में, शहडोल में, सतना में जहां आप उचित समझते हैं खोल दें तो आयुर्वेद के क्षेत्र में एक कीर्तिमान कायम हो सकता है.

          मेरा आपसे एक बार पुन: निवेदन है कि आयुर्वेदिक डाक्टर्स के मामले में सोचें, आयुर्वेदिक विभाग के बारे में सोचें. कर्मचारियों, डॉक्टरों के न रहने से मध्यप्रदेश की अरबों रुपयों की प्रापर्टी जो नष्ट हो रही है, भवन नष्ट हो रहे हैं आप उनको बचाएं और इस आयुर्वेद के क्षेत्र को भी बचाएं. भारत की मूल संस्कृति, भारत की मूल भावना इसके साथ जुड़ी हुई है. मैं आपसे यही निवेदन करता हूँ. धन्यवाद, जयहिन्द.

                                                                                               

         

          श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल (अनुपस्थित)

          डॉ. मोहन यादव (उज्‍जैन दक्षिण)-- माननीय सभापति महोदय, मैं संस्‍कृति मंत्रालय पर सरकार के द्वारा किए गए कामों पर, उसके द्वारा मांगे गए बजट पर अपनी बात रखना चाहता हूं और कुछ मामलों में अपना विरोध बताना चाहता हूं, लेकिन दिल से एक बात की तारीफ भी करना चाहूंगा कि जिन अच्‍छे कामों को लेकर सरकार काम करती है हमें उसके साथ खड़े रहना चाहिए और उस काम में जो कमी रह गई है विपक्ष के नाते से नि:संदेह बिना भूमिका के उसके बारे में विरोध भी करना चाहिए. जैसा कि हमारा अपना आज का बजट, उस पर अपने-अपने विषय रखने की बात आई है एक विषय कल्‍चर का चला. कल्‍चर में खासकर पिछले सालों में जो काम हुआ है उसकी वाकई में बहुत दरकार थी. मैं उदाहरण देना चाहूंगा, अकेले हमारे पुरातत्‍व के क्षेत्र में जो काम हुए हैं उज्‍जैन में त्रिवेणी संग्रहालय, कृष्‍णायन, दुर्गायन, शिवालया, धार्मिक दृष्टि से पर्यटन के लिए जो चीज चाहिए थीं वह सारी चीजें उन्‍होंने दी हैं और न केवल उज्‍जैन में बल्कि डॉ. वाकणकर शोध संस्‍थान के माध्‍यम से प्रदेश में अन्‍य स्‍थानों पर भी उन्‍होंने काम किया है, लेकिन प्रैक्टिकली जो तकलीफ है उस तकलीफ की तरफ ध्‍यान दिलाना चाहूंगा कि जितना बड़ा काम है उतना बड़ा इनका अमला नहीं है. इनको जितने बड़े स्‍तर पर काम करना चाहिए ऐसा लगता है कि संस्‍कृति मंत्रालय फालतू का मंत्रालय है. यह बड़े दुर्भाग्‍य के साथ कहना पड़ा रहा है. न तो बाकी जो पद हैं वह भरे जा रहे हैं न इनको पर्याप्‍त फण्‍ड दिया जा रहा है बल्कि जो काम दिया गया है वह उनकी क्षमता से सौ गुना ज्‍यादा काम है.  मुझे खुशी इस बात की है कि संस्‍कृति मंत्रालय के सारे अधिकारी, कर्मचारी जितना उनसे बनता है उससे आगे बढ़कर काम कर रहे हैं. अपनी विधान सभा से आगे जाकर हम शौर्य स्‍मारक देख लें या स्‍वराज संस्‍थान चले जाएं, रवीन्‍द्र भवन की गतिविधि देख लें, उज्‍जैन के विक्रमादित्‍य शोधपीठ की, कालीदास अकादमी की तमाम प्रकार की गतिविधियां यह जिस प्रकार से संचालित कर रहे हैं यह बधाई के पात्र हैं, लेकिन इसमें हमको उन्‍हें फण्‍ड भी देना पड़ेगा. माननीय सभापति महोदय, मैं आपके माध्‍यम से वित्‍तमंत्री जी से निवेदन करता हूं कि इनको पर्याप्‍त धनराशि भी दें, पर्याप्‍त अमला भी दें क्‍योंकि अमले के लिए जो बताया गया है अकेले स्‍वराज संस्‍थान के लिए मैं कुछ आंकड़े बताना चाहूंगा. स्‍वीकृत पद प्रथम श्रेणी एक, स्‍थान रिक्‍त, स्‍वीकृत पद तृतीय श्रेणी, पांच, रिक्‍त पद चार, चपरासी का पद भी खाली  है. जब आपके पास अधिकारी, कर्मचारी ही नहीं रहेंगे तो स्‍वाभाविक रूप से काम के मामले में जितनी आपने उनसे अपेक्षा की वह उस प्रकार से काम नहीं कर पाएंगे. मैं एक बात और कहना चाहूंगा कि यह बात सही है कि सरकारी अमला होने के नाते से हम धन देकर भी भूले नहीं उनके द्वारा किए गए कामों का प्रॉपर मूल्‍यांकन करवा कर समाज के सामने लाने की आवश्‍यकता भी है.

          सभापति महोदय, मैं आपके माध्‍यम से बताना चाहूंगा विक्रमादित्‍य शोधपीठ लगभग वर्ष 2009 से प्रारंभ होकर दस साल से काम कर रहा है. विक्रमादित्‍य पूरे देश में नहीं दुनिया में प्रसिद्ध होता कि कौन से विक्रमादित्‍य वह तो मायथोलॉजी है. उनके बारे में अभी कोई प्रमाण नहीं मिल रहे हैं. विक्रमादित्‍य शोधपीठ के माध्‍यम से शासन ने इतना बड़ा काम किया है जिसके माध्‍यम से हमको हमारी संस्‍कृति पर गर्व करने का मौका दिया है. उदाहरण के लिए उस काल के सिक्‍के पुरातत्‍व की दृष्टि से एक नहीं दो नहीं, पचास नहीं सौ से ज्‍यादा प्रकार के प्रमाण आज विक्रमादित्‍य शोध पीठ ने स्‍थापित कर दिए हैं. लगभग 20 से ज्‍यादा किताबों का प्रकाशन करवाया है. हम बड़े आश्‍चर्यचकित हैं जब कई सारे लोग इस बारे में बातें करते हैं तो यहां नहीं दिल्‍ली के शोध संग्रहालय में शोध संस्‍थान में जाकर वहां भी सेमीनार करके इस बात की पुष्टि कराने का शासन ने प्रयास किया है. मैं इस बात के लिए संस्‍कृति मंत्रालय को पुन: धन्‍यवाद भी दूंगा कि उनके स्‍तर पर जब वह कार्यक्रम करते हैं तो कई बार व्‍यवस्‍थाओं के आधार पर उनको नीचा देखना पड़ जाता है. यह तालमेल करने की आवश्‍यकता है कि अगर कम संसाधन हैं तो बाकी विभागों से कैसे तालमेल करवा सकते हैं.

 

2:59 बजे      उपाध्‍यक्ष महोदया (सुश्री हिना लिखीराम कावरे) पीठासीन हुईं.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, जैसे टूरिज्‍म और कल्‍चर अलग-अलग नहीं हैं. अगर आप टूरिज्‍म और कल्‍चर एक साथ कर देंगे तो उनके बहुत सारे काम इसी बजट में आराम से हो सकते थे. पिछले वर्षों में यह प्रक्रिया थी. माननीय मुख्‍यमंत्री जी आमतौर पर पर्यटन और संस्‍कृति को अलग-अलग नहीं करते थे. माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, मुझे उम्‍मीद है कि जिस प्रकार से संस्‍कृति मंत्रालय ने काम किया है मैं सभी को आपके माध्‍यम से निमंत्रण देना चाहूंगा कि आप उज्‍जैन में आइए. हमें मालूम हैं पांच हजार सालों से संदीपनी आश्रम था लेकिन संदीपनी आश्रम में भगवान श्री कृष्‍ण ने आकर किया क्‍या? वह कौन सी 14 विधाएं हैं, वह कौन सी 64 कलाएं हैं उसके बारे में केवल सुना जाता था लेकिन कल्‍चरल मिनिस्‍ट्री के माध्‍यम से अब न केवल वह 14 विधाएं, 64 कलाएं बल्कि हमारा सारा प्राचीन ज्ञान, विज्ञान सब अपने आंखों से चित्रकारी के माध्‍यम से आप सब देख सकते हैं. यह प्राचीन स्‍तर पर गौरव करने वाली बात है जो केवल भाषणों में या बौद्धिक में होती थी उसको धरातल पर उतारने का काम जिस प्रकार से हुआ है उसकी तारीफ भी करना चाहिए. जो विषय छूट रहा है मैं उसकी तरफ भी ध्‍यान दिलाना चाहूंगा. मेरे पहले यहां चिकित्‍सा शिक्षा की बात चल रही थी. मैंने अपने शुरुआत के बजट भाषण के समय पर भी इस बात के लिए कहा था कि आपने कई बार सरकार पर आरोप लगाया लेकिन यह बात सही है कि आज जब यह बजट आया इस बजट में चार मेडिकल कॉलेज खोलने की बात आपने कही है. यह चारों मेडिकल कॉलेज मैडम साधौ यहां पर उपस्थित हैं मैं आपका अभिनंदन करना चाहता हूं कि आपका भी एक तरह से चिकित्‍सा शिक्षा विभाग में अच्‍छा दखल है. मैं ध्‍यान दिलाना चाहूंगा कि हम सब प्रयास करें कि कम से कम इस बजट सत्र में एक या दो मेडिकल कॉलेज तो खुलें. कर्नाटक, ,आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु ऐसे कई दक्षिण के राज्‍य हैं जो अपने जिलों में एक-एक मेडिकल कॉलेज ले गए लेकिन दुर्भाग्‍य के साथ कहना पड़ रहा है कि वह जो सात मेडिकल कॉलेज खोले गए उसके बाद आठवां नहीं खुला और जो खुले हुए हैं उनकी भी हालत ऐसी हो गई है कि वह कल बंद होने हों तो वह आज बंद हो जाएं. हमें यह भावना बदलना पड़ेगी क्‍योंकि यह अकेले शासन के बलबूते पर नहीं हो पाएगा. मुझे उम्‍मीद है आपने मेरी बातों पर गौर किया होगा. मैं एक बार फिर आपका आभार मानता हूं और उम्‍मीद करता हूं कि हम जिस भावना से यहां खड़े हैं शासन पर्याप्‍त रूप से चिकित्‍सा शिक्षा में ध्‍यान दे. संस्‍कृति मंत्रालय में जो फण्‍ड देना चाहिए, फण्‍ड दे, व्‍यवस्‍था करे मैं दी गई व्‍यवस्‍थाओं से असंतुष्‍ट हूं इस तरह से विरोध करते हुए अपनी बात समाप्‍त करता हूं, धन्‍यवाद.

          श्री रवि रमेशचन्‍द्र जोशी (खरगौन)-- उपाध्‍यक्ष महोदया,  मैं अनुदान मांग संख्‍या 38 के पक्ष में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं. आयुष को बढ़ावा मिले. खरगौन जिले में आयुष के बहुत बड़े शिविर का आयोजन किया गया था तहसील मुख्‍यालय पर जिसमें 1500 से अधिक मरीज उसमें सम्मिलित हुए और उसका लाभ आयुष विभाग के द्वारा मरीजों को मिला. ऐसा प्रत्‍येक तहसील मुख्‍यालय, ब्‍लॉक मुख्‍यालय, जिला मुख्‍यालय पर आयुष को बढ़ावा देने के लिए ऐसे कैम्‍प समय-समय पर करना पड़ेंगे प्रदेश लेवल पर भी बड़े कैम्‍प आयोजित करना पड़ेंगे. आयुष को शिक्षा के क्षेत्र में भी बढ़ावा मिले जैसा अभी बताया गया कि आयुष जिला मुख्‍यालयों पर भी शिक्षा की व्‍यवस्‍था नहीं है मैं चाहता हूं कि हम खरगौन के डॉ. हिरालाल अलावा जी ने भी बताया था कि खरगौन बड़वानी, अलीराजपुर और झाबुआ जिले के आदिवासी क्षेत्रों से हम लोग आते हैं हमारा निवेदन माननीय मंत्री जी से है कि ऐसे क्षेत्रों में भी आयुष की शिक्षा की व्‍यवस्‍था को बढ़ावा देना चाहिए. प्रत्‍येक संभाग से आयुष को जिले स्‍तर पर जोड़े रखना चाहिए. आयुष पर लोगों को बहुत भरोसा है. प्रत्‍येक ब्‍लॉक के अंदर एक आयुष ग्राम घोषित हो जिससे लोगों की आयुष के प्रति उत्‍सुकता बढ़ेगी और मैं विशेष निवेदन करता हूं कि अभी वृक्षारोपण पर चर्चा हुई थी तो वृक्षारोपण पर सब फिजूल बातें निकली हैं. करोड़ों रुपए का भ्रष्‍टाचार निकला है. आयुष विभाग के माध्‍यम से आयुष औषधि वाले पौधों को जगह-जगह लगाना चाहिए ताकि उन पौधों को जो लगाने वाले लोग हैं वह उन्‍हें सवांर के रखेंगे और निश्चित ही वृक्षारोपण भी बढ़ेगा औषधिय वृक्ष जब बढ़ेंगे तो औषधि‍यां भी हमको आसानी से उपलब्‍ध होंगी और आयुष औषधि की और जनता का ध्‍यान जाएगा जिससे आयुष को बढ़ावा मिलेगा. धन्‍यवाद.

           श्री योगेश पंडाग्रे (आमला)-- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, मैं सरकार द्वारा प्रस्‍तुत चिकित्‍सा शिक्षा विभाग की अनुदान मांग संख्‍या 52 का विरोध करता हूं. मैं आपका ध्‍यानाकर्षित करना चाहूंगा हमारा बैतूल जिला आदिवासी बाहुल्‍य जिला है. जिसकी जनसंख्‍या लगभग 16 लाख है. बैतूल जिले में फालसीपेरम मलेरिया (Falciparum Malaria), स्‍वाइन-फ्लू, डेंगू जैसी संक्रामक एवं घातक बीमारियों से लेकर दुनिया की कुछ दुर्लभ बीमारियां जिनमें से एक स्‍क्रब-टाइफस (Scrub typhus) है जो कि वहां स्‍थाई रूप से व्‍याप्‍त है. इसके अलावा कुछ अनुवांशिक बीमारियां जिनमें सिकलसेल एनीमिया, यहां की पिछड़ी जातियों एवं जनजातियों में असामान्‍य रूप से अत्‍यधिक मात्रा में है. इसके अलावा कुपोषण इस क्षेत्र में अत्‍यधिक है. फ्लोरोसिस (Fluorosis) की बीमारी भी बैतूल जिले के कुछ क्षेत्रों में है. बैतूल जिला मुख्‍यालय के समीप नागपुर, भोपाल और खंडवा में मेडिकल कॉलेज संचालित हैं लेकिन इन सभी की दूरी बैतूल से लगभग 180 किलोमीटर है. ऐसी स्थिति में जिले के दूरस्‍थ अंचलों में निवासरत गरीब आदिवासी जनता, पिछड़ेपन एवं अशिक्षा के कारण इन मेडिकल कॉलेजों में उपलब्‍ध चिकित्‍सा की सुविधाओं का लाभ नहीं ले पा‍ती है. फिर क्‍यों न उन्‍हें ये सुविधायें ''आयुष्‍मान'' जैसी योजनाओं के तहत नि:शुल्‍क ही प्राप्‍त हो रही हों ?

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, इसके अतिरिक्‍त मैं आपका ध्‍यान एक और चीज़ पर आकर्षित करना चाहूंगा कि इस जिले से दो महत्‍वपूर्ण राष्‍ट्रीय राजमार्ग गुजरते हैं जो कि नागपुर से इंदौर और भोपाल से नागपुर है. इन राजमार्गों पर भी दुर्घटनायें होती रहती है और घायल मरीजों को जिला चिकित्‍सालयों में उन्‍नत, आकस्मिक चिकित्‍सा सुविधा न मिलने के कारण अधिकांशत: जन हानि होती रहती है. बैतूल जिला चिकित्‍सालय जो कि 300 बिस्‍तर वाला है. इसके नवीन भवन का निर्माण पूर्ण हो चुका है, जिसका उद्घाटन माननीय मुख्‍यमंत्री कमलनाथ जी द्वारा छ: माह पूर्व किया गया है. इसके अलावा केंद्र सरकार के जनजातीय कल्‍याण विभाग द्वारा 250 बिस्‍तर की क्षमता का एक अतिरिक्‍त भवन वहां स्‍वीकृत किया गया है. इस प्रकार बैतूल जिला चिकित्‍सालय लगभग 550 बिस्‍तर की संख्‍या वाला जिला चिकित्‍सालय बन जायेगा और मेडिकल कॉलेज खोले जाने के लिए जो न्‍यूनतम अनिवार्यता है 500 बिस्‍तर की क्षमता का चिकित्‍सालय, उस अनिवार्य शर्त को बैतूल का जिला चिकित्‍सालय पूर्ण करता है.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, हमारे जिला चिकित्‍सालय में आज स्थिति यह है कि वहां की बैड ऑक्‍यूपेंसी लगभग 160 प्रतिशत से भी अधिक होती है. बीमारियों के समय वार्डों में पैर रखने की जगह भी नहीं होती है. मरीजों को बिस्‍तर उपलब्‍ध नहीं होने के कारण कई बार उन्‍हें जमीन पर इलाज करवाना पड़ता है. बैतूल के आस-पास स्थित मेडिकल कॉलेजों की दूरी के बारे में, मैं सदन को अवगत करवाना चाहूंगा. छिन्‍दवाड़ा-नागपुर के मेडिकल कॉलेजों के बीच की दूरी 180 किलोमीटर है, खण्‍डवा-इंदौर के मेडिकल कॉलेजों के बीच की दूरी सिर्फ 90 किलोमीटर है इसी प्रकार भोपाल-विदिशा के मेडिकल कॉलेजों के बीच की दूरी मात्र 45 किलोमीटर है, इसके बाद भी तीनों जगहों पर ये मेडिकल कॉलेज हैं और बैतूल से उसके समीपस्‍थ मेडिकल कॉलेज की दूरी लगभग 180 किलोमीटर है. इस स्थिति को देखकर लगता है कि पूर्व में जो मेडिकल कॉलेज खोले गए हैं, वे उन क्षेत्रों के जनप्रतिनिधियों के राजनैतिक प्रभाव को देखकर खोले गए हैं न कि वहां की स्‍थानीय जनता की आवश्‍यकताओं को देखते हुए. इसलिए मैं कहना चहता हूं कि जिन तीन नए मेडिकल कॉलेजों को खोलने की घोषणा इस नई सरकार द्वारा की गई है, उस पर मेरा अनुरोध है कि बैतूल की पारिस्थितिकी, वहां व्‍याप्‍त बीमारियों की अधिकता, जनता की गरीबी एवं आदिवासी बाहुल्‍य क्षेत्र को देखते हुए वहां एक मेडिकल कॉलेज खोला जाए. आपके पास वहां एक चिकित्‍सालय तैयार ही है जो कि लगभग 550 बिस्‍तर की क्षमता वाला है इसलिए वहां मेडिकल कॉलेज खोलने पर खर्च भी बहुत अधिक नहीं होगा.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, मेरा एक और अनुरोध है कि मेरे कुछ चिकित्‍सक बंधु हैं और उनके लिए भी मेरा अनुरोध है कि चुनाव के समय जब आपकी सरकार ने अपना वचन-पत्र तैयार किया था तो उसमें कहा गया था कि चिकित्‍सा शिक्षकों को सातवें वेतनमान का लाभ दिया जायेगा. चिकित्‍सा शिक्षा विभाग के अंतर्गत आने वाले मेडिकल कॉलेजों में सातवें वेतनमान का लाभ नहीं दिए जाने के कारण आज दिनांक 17 जुलाई 2019 को सभी चिकित्‍सक इस हेतु प्रदर्शन कर रहे हैं. एक चिकित्‍सक होने के नाते उन्‍होंने मुझे भी आमंत्रित किया था परंतु मैंने इस विषय को विधान सभा के पटल पर रखना उचित समझा. मध्‍यप्रदेश के चिकित्‍सा शिक्षकों को प्रैक्टिस न करने की शर्त पर सातवें वेतनमान का लाभ दिया जाने की बात की गई थी लेकिन आज तक उन्‍हें इस लाभ से वंचित रखा गया है. जबकि सरकार द्वारा अन्‍य सभी विभागों के शासकीय सेवकों को सातवें वेतनमान का लाभ पूर्व में ही दिया जा चुका है. सरकार सातवां वेतनमान न दिए जाने के लिए तरह-तरह के बहाने बना रही है. कभी कहा जाता है कि सातवां वेतनमान तभी लागू किया जायेगा जब वे प्रैक्टिस पूर्ण रूप से बंद कर देंगे. इसके लिए उन्‍हें नॉनप्रैक्टिसिंग एलाउंस भी नहीं दिया जायेगा. सातवां वेतनमान उनका संवैधानिक अधिकार है, जिसका एन.पी.एस. से कोई लेना-देना नहीं है. इसलिए मेरी यह मांग है कि उन्‍हें तत्‍काल सातवें वेतनमान का लाभ दिया जाये.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, मेरा संस्‍कृति विभाग की मंत्री जी से यह अनुरोध है कि भोपाल मेला जो कि बैतूल जिले के घोड़ाडोंगरी क्षेत्र में लगता है, यह आदिवासी संस्‍कृति का प्रतीक है और जिले का सबसे बड़ा मेला होता है लेकिन वनभूमि होने के कारण वहां आज तक पहुंच मार्ग नहीं है इसलिए मेरा आपसे निवेदन है कि वहां पहुंच मार्ग का तत्‍काल निर्माण किया जाये जिससे लोगों को इस सुविधा का लाभ मिल सके. धन्‍यवाद.

          श्री फुन्‍देलाल सिंह मार्को (पुष्‍पराजगढ़)-  माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, मेरी पुष्‍पराजगढ़ विधान सभा जनजा‍तीय समुदाय बाहुल्‍य विधान सभा है. वहां चिकित्‍सकों की बहुत कमी है और चिकित्‍सकों की कमी होने के कारण लोग पुन: झाड़-फूंक जैसे अंधविश्‍वास की ओर जा रहे हैं. माननीय मंत्री जी से मेरा निवेदन है कि मेरे विधान सभा क्षेत्र में रिक्‍त पड़े चिकित्‍सकों के पदों की पूर्ति की जाए. दूसरी बात मैं यह कहना चाहता हूं कि इंदिरा गांधी जनजा‍तीय विश्‍वविद्यालय, अमरकंटक में 500 बिस्‍तर का चिकित्‍सालय एवं मेडिकल कॉलेज का प्रस्‍ताव केंद्र के पास स्‍वीकृति हेतु लंबित है. मैं माननीय मंत्री जी, से कहना चाहता हूं कि इस हेतु केंद्र से पत्र-व्‍यवहार करके तत्‍काल इसे स्‍वीकृ‍त करवाने का कष्‍ट करें. धन्‍यवाद.

          श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल (मुड़वारा)-  माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, मैं अनुदान की मांग संख्‍या 26, 38 एवं 52 पर कटौती के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं. सर्वप्रथम मैं आदरणीय अजय विश्‍नोई को धन्‍यवाद देना चाहूंगा, जिन्‍होंने कटनी की बात को सदन में उठाया. मैंने आप से बहुत कम समय लिया है इसलिए मैं अपनी केवल दो बातें यहां रखूंगा. पहली यह है‍ कि अभी सदन में स्‍मारक की बात आई थी और इसी प्रकार की कई अन्‍य बातें भी उठी थीं. ऐसे ही हमारा कटनी ''बारडोली'' के नाम से भी प्रचलित है. स्‍वतंत्रा संग्राम के समय छूत-अछूत की भावना को दूर करने के दृष्टिकोण से बारडोली में हमारे स्‍वच्‍छता मित्र, जो कटनी में है, वहां एक स्‍कूल के कमरे में महात्‍मा गांधी जी रूके थे. मैं चाहूंगा कि उसे संरक्षित करते हुए एक ''बारडोली महोत्‍सव'' का आयोजन राज्‍य सरकार द्वारा किया जाये.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, मेडिकल कॉलेजों के संबंध में आदरणीय अजय विश्‍नोई जी द्वारा बात सदन में रखी गई है. हम जब बजट पढ़ते हैं और अपने आस-पास देखते हैं तो लगता है कि सारी सुविधायें भोपाल, इंदौर, जबलपुर जैसे बड़े शहरों की ओर ही केंद्रित हो गई हैं. इसका एक दुष्‍परिणाम यह है कि इन शहरों पर अनावश्‍यक बोझ बढ़ रहा है. कटनी से दोनों ओर लगभग 150-150 किलोमीटर दूर मेडिकल कॉलेज हैं. यदि कटनी में कोई चिकित्‍सालय हो तो आवागमन हेतु रेलमार्ग या सड़क मार्ग से, उसके चारों ओर के जिलों के लिए यह सुविधाजनक होगा. आज हमारे मुख्‍यमंत्री आदरणीय कमलनाथ जी हैं. वे उस समय हमारे मुख्‍यमंत्री नहीं थे, जब वे कटनी में चुनाव के समय आये थे. उन्‍होंने स्‍वयं कटनी की स्थिति को देखते हुए अपने घंटाघर के भाषण में कहा था कि कटनी को मेडिकल कॉलेज का सबसे पहला हक है और उन्‍होंने अपने भाषण में, कटनी में मेडिकल कॉलेज होने की अनिवार्यता भी बताई थी. इसलिए मैं कहना चाहूंगा कि आज वे मुख्‍यमंत्री हैं और मंत्री महोदया अपने मुख्‍यमंत्री जी की भावनाओं एवं विचारों को ध्‍यान में रखते हुए कटनी में मेडिकल कॉलेज की स्‍वीकृति अवश्‍य प्रदान करेंगी.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, आज पर्यावरण एवं वृक्षारोपण को लेकर सदन में काफी बातें हुई हैं. मैं इन सभी बातों से हटकर एक अलग बात यहां कहना चाहता हूं. मैंने अपने पिछले कार्यकाल में भी यह बात उठाई थी कि हम यदि अपने खेत में 20-30 पौधे लगाते हैं तो उसमें से 5-10 पौधे नहीं लग पाते हैं. इसलिए मैं शासन से अनुरोध करूंगा कि पिछले 5-10 वर्ष नहीं अपितु पिछले 30 वर्षों के आंकड़े इस बात के लिए जुटाये जायें कि वृक्षारोपण के कार्य में शासन द्वारा कितनी राशि व्‍यय की गई, उसमें से कितने वृक्ष बचे और उन वृक्षों की कुल लागत कितनी आई ?

3.14 बजे

{अध्‍यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) पीठासीन हुए.}

 

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं सरकार से अपने इस कटौती प्रस्‍ताव के माध्‍यम से अनुरोध करना चाहूंगा कि क्‍यों न वृक्षारोपण को भी रोजगार का एक माध्‍यम बनाते हुए लोगों को प्रेरित किया जाये कि यदि वे वृक्ष लगायेंगे तो उन्‍हें एक निश्चित धनराशि दी जायेगी और मैं मानता हूं कि वह धनराशि जो सरकार द्वारा विगत 30-40 वर्षों में, वृक्षारोपण पर खर्च की गई होगी, उससे काफी कम में वृक्षारोपण, लोगों के लिए एक बहुत अच्‍छे रोजगार का माध्‍यम बनेगा. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, धन्‍यवाद. 

          श्री बहादुर सिंह चौहान(महिदपुर):- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं मांग संख्‍या- 26, 38 और 52 का विरोध करते हुए, अपनी बात रखना चाहता हूं.       

          अध्‍यक्ष महोदय, राष्‍ट्रीय आयुष मिशन के अंतर्गत 100 हेल्‍थ एण्‍ड वेलनेस सेंटर और 9 नवीन आयुष विंग तथा 30 बिस्‍तरीय चिकित्‍सालय मण्‍डलेश्‍वर में प्रस्‍तावित है. अब यह आयुष मण्‍डलेश्‍वर में जाकर ही प्रस्‍तावित हो गया.

          अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से मंत्री महोदया से आग्रह करूंगा कि उज्‍जैन में भी आपकी कृपा रहे. वहां पर सांदीपणी बहुत ही बड़ा चिकित्‍सालय है, उस पर भी आपकी कृपा होना चाहिये. मैं अपने क्षेत्र की महत्‍वपूर्ण मांग के बारे में  आपके माध्‍यम से मंत्री जी को अवगत कराना चाहता हूं कि भूतबाबा महाकाल की नगरी उज्‍जयनी से शिप्रा मोक्षदायिनी वहां से मेरे महिदपुर विधान सभा में ही प्रवेश करती है और एक बार सिंहस्‍थ महापर्व, जो 12 वर्षों में आता है वह महिदपुर में लगाया गया था. वहां पर दो स्‍थान बहुत ही महत्‍वपूर्ण हैं, जो कृष्‍ण और सुदामा की जो दोस्‍ती है, वह लकड़ी बिनने के लिये उज्‍जैन से महिदपुर में नारायणाधाम गये थे. वहां पर जन्‍माष्‍टमी दिन हजारों श्रद्धालु आते हैं और मोहन जी भी उज्‍जैने से यात्रा लेकर महिदपुर आते हैं, मैं भी इनका स्‍वागत करता हूं.

          मैं मंत्री महोदया से निवेदन करना चाहता हूं कि आपके विभाग में इसको जोड़कर, इसके लिये आप बजट का प्रावधान करें. यह एक बहुत ही महत्‍वपूर्ण स्‍थान है, जो महाकाल के दर्शन करने आते हैं, वह कष्‍ण-सुदामा धाम के दर्शन करने जरूर जाते हैं. वहां पर सब सुविधा हो गयी है और शिप्रा नदी उसी कष्‍ण-सुदामा धाम के  किनारे बह रही है. चूंकि मेरी महिदपुर विधान सभा राजस्‍थान के झालावाड़ जिले की बार्डर से लगी हुई है और बाबा रामदेव को राजपूत समाज बहुत ही मानता है और इन्‍दौख में, कराड़ा जी बैठे हैं वहां पर 182 करोड़ रूपये से एक बहुत ही बड़े डेम का निर्माण हो रहा है, उसका 80 प्रतिशत काम पूरा हो गया है. वहां बाबा रामदेव का भव्‍य मंदिर है और राजस्‍थान के लोग भी वहां पर दर्शन करने के लिये आते हैं. मेरे क्षेत्र के दोनों स्‍थान बाबा रामदेव मंदिर, ग्राम- पाताखेड़ी और कृष्‍ण-सुदामा धाम जो नारायणा में है, इन दोनों के लिये आपकी कृपा हो, मैं समझता हूं कि आप इसको जरूर जोड़ेंगे. महिदपुर पूर्व में जिला रहा है, आजादी के बाद वैसे मध्‍यप्रदेश में किसी भी जिले को नहीं तोड़ा गया है.

          संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. गोविन्‍द सिंह):- माननीय विधायक जी, बाबा रामदेव तो मंजन और साबुन बेच रहे हैं और आप उनका मंदिर बनवा रहे हैं.

          श्री विश्‍वास सारंग:- मंत्री जी, यह बाबा रामदेवजी भगवान तुल्‍य हैं. वह बाबा रामदेव अलग हैं.

          श्री यशपाल सिंह सिसोदिया:- आपको वही-वही बाबा रामदेव जी नजर आते हैं.

          श्री बहादुर सिंह चौहान:- मंत्री जी, वह तवा ठाकुर हैं, हम चौहान उनके भानेज हैं. उनको लक्ष्‍मण सिंह जी जानते हैं.

          श्री लक्ष्‍मण सिंह :- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, बाबा रामदेव जी तीर्थ है, जिनका बहादुर सिंह जी उल्‍लेख कर रहे हैं, उनकी समाज में महान आस्‍था है, पूरी दुनिया ने पूजे जाते हैं. बाबा रामदेव अलग हैं.

          श्री दिलीप सिंह परिहार:-उनके दरबार में हजारों-लाखों लोग पैदल-पैदल जाते हैं.

          श्री बहादुर सिंह चौहान:- अध्‍यक्ष जी, बाबा रामदेव तवा राजपूत हैं और हम चौहान उनके हम भानजे लगते हैं. यह आप इतिहास उठाकर देख लें. इसलिये मैं चाहता हूं कि उस मंदिर का भव्‍य रूप हो, उसके लिये आप जरूर कृपा करेंगे. मैं अपनी बात समाप्‍त करता हूं.

          अध्‍यक्ष महोदय:- धन्‍यवाद, बहादुर जी, अभी तो बहुतों पे बोलने हैं, अपने.      

            श्री बहादुर सिंह चौहान:-अध्‍यक्ष महोदय, वहां पर एक बहुत ही पुराना किला है.

          अध्‍यक्ष महोदय:- अच्‍छा एकई पे बोलने हैं या बा के बाद भी और पे बोलने हैं. क्‍योंकि अभी और भी विभाग आयेंगे, उन पर भी आप बोलोगे.

          श्री बहादुर सिंह चौहान:- हां.   

          अध्‍यक्ष महोदय:- नहीं, सब पर नहीं, 50 प्रतिशत कट चल रहा है. (हंसी) श्री वर्मा देवेन्‍द्र जी.

          श्री यशपाल सिंह सिसोदिया:- अध्‍यक्ष जी, आज आप सरनेम के साथ नाम की शुरूआत कर रहे हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय:- हमारे कुछ चहेते हैं तो हम पहले सरनेम ले रहे हैं. यह हमारे साथ विदेश गये थे, इसलिये हम पहले वर्मा बोल रहे हैं.

          श्री यशपाल सिंह सिसोदिया:- आपके दो ही चहेते हैं, चौहान बहादुर सिंह और वर्मा देवेन्‍द्र.

          श्री देवेन्‍द्र वर्मा (खण्‍डवा):- अध्‍यक्ष महोदय, मैं मांग संख्‍या- 26, 38 और 52 का विरोध करता हूं और कटौती प्रस्‍ताव का समर्थन करता हूं.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अभी सभी सदस्‍यों ने अपने-अपने क्षेत्र में चिकित्‍सा महाविद्यालय हो, इस प्रकार की मांग रखी. मैं आपके माध्‍यम से बताना चाहता हूं कि हमारे खण्‍डवा शहर में, हमारे खण्‍डवा विधान सभा क्षेत्र में हमारे पूर्व यशस्‍वी मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह जी चौहान के प्रयासों से चिकित्‍सा महाविद्यालय की शुरूआत हुई और चिकित्‍सा महाविद्यालय संचालित है. चिकित्‍सा महाविद्यालय संचालित है, लेकिन अगर हम बात करें कि वह चिकित्‍सा महाविद्यालय अच्‍छे से चले और उसकी सभी व्‍यवस्‍थाएं दुरूस्‍त हों तो वर्तमान सरकार का उस ओर किसी प्रकार का कोई ध्‍यान नहीं है. मेडिकल कॉलेज में हमारे जो भी प्रोफेसर्स हैं, डॉक्‍टर्स हैं उसके अतिरिक्‍त आज की तारीख तक किसी भी प्रकार का पैरामेडिकल स्‍टॉफ हो, तृतीय श्रेणी या चतुर्थ श्रेणी का स्‍टॉफ हो, उस स्‍टॉफ की आज दिनांक तक वहां पर नियुक्ति नहीं की गयी है. इसी प्रकार हम उसके निर्माण कार्यों की बात करें तो वहां पर जो भी ठेकेदार है, एजेंसी है उनको लगभग दो-दो साल हो गये हैं, उन्‍होंने आज तक भी अपना कार्य पूर्ण नहीं किया है, जिससे की वहां हमारा 300 बेड का अस्‍पताल हो, चाहे उसमें लगने वाले इंस्‍ट्रूमेंट्स की बात हो तो, वहां पर आज तक किसी की भी स्‍थापना नहीं हुई है. साथ ही साथ जो मेडिकल का स्‍टॉफ है वह हमारे जिला अस्‍पताल से जुड़ा हुआ है, वह वहां पर समय नहीं देते हैं और जो मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक हैं, वह भी जिला चिकित्‍सालय में नहीं बैठते हैं, परिणामस्‍वरूप जो सेवाएं हमारे शहर की जनता को और निमाड़ के लोगों को मिलना चाहिये, वह नहीं मिल रही है. इस ओर मैं मंत्री जी ध्‍यान आकर्षित करना चाहूंगा कि वह हमारे इस महाविद्यालय पर ध्‍यान दें.

          अध्‍यक्ष महोदय, इसी प्रकार संस्‍कृति विभाग पर बोलना चाहूंगा कि जब हम संस्‍कृति की बात करते हैं तो हमारे निमाड़ में बारह ज्‍योतिर्लिंगों में से एक ओंकारेश्‍वर एक ज्‍योतिर्लिंग है. पूर्व में हमारी सरकार द्वारा निर्णय लिया गया था कि इस ज्‍योतिर्लिंग को अंतररार्ष्‍ट्रीय स्‍तर पर किस प्रकार से विकसित किया जाये और वहां और अच्‍छी सेवाएं हों, इस प्रकार का हम आने वाले समय में प्रयास करेंगे. इसके लिये आदिगुरू शंकराचार्य जिन्‍होंने वहां पर तपस्‍या करी थी, जो उनकी तपोभूमि है. वहां पर उनकी वृहद मूर्ति की स्‍थापना होनी थी, वह आज की तारीख तक नहीं हो पायी है. इसके साथ-साथ एक वेदांत महाविद्यालय की स्‍थापना भी ओंकारेश्‍वर में होनी थी, वह भी नहीं हो पायी है. इस प्रकार के तमाम, जो निर्माण कार्य वहां पर होने थे उस ओर सरकार उदासीन बनी हुई है. मैं आपके माध्‍यम से, मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि ओंकारेश्‍वर आपके क्षेत्र से लगा हुआ है, ओंकारेश्‍वर के जो भी निर्माण कार्य है, जिससे की उसकी महिमा बनी रहे, उसके लिये वह सभी कार्य होने चाहिये.

          अध्‍यक्ष महोदय, इसी प्रकार मैं बताना चाहूंगा कि मेरे खण्‍डवा विधान सभा क्षेत्र में ललित कला और संगीत महाविद्यालय, संयुक्‍त रूप से मध्‍यप्रदेश का एकमात्र महाविद्यालय है और उस महाविद्यालय में आज दिनांक तक किसी भी प्राचार्य की नियुक्ति नहीं हो पायी है. भोपाल से ही बैठकर प्राचार्य महोदय हमारा महाविद्यालय देखते हैं, परिणामस्‍वरूप उसकी सभी व्‍यवस्‍थाएं ठीक ढंग से संचालित नहीं हो पाती हैं और साथ ही साथ हमने पूर्व में भी मांग रखी थी कि हमारा संगीत महाविद्यालय आज भी एनवीडीए के एक स्‍टोर रूम में लग रहा है, हमने पूर्व में भी मांग की थी कि उसका भवन अवश्‍य होना चाहिये. आज की तारीख तक उसका भवन स्‍वीकृत नहीं हो पाया है. उसका भी भवन माननीय मंत्री जी स्‍वीकृत करने का काम करेंगी तो हमारे शहर और पूरे निमाड़ के लिये एक अच्‍छी पहल होगी, चूंकि हमारी संस्‍कृति के क्षेत्र में हमारा महाविद्यालय अग्रणी रूप में काम कर रहा है. इसी प्रकार हमारी निमाड़ की भूमि तीन संतों के रूप में जानी जाती है. पार्श्‍व गायक किशोर कुमार की खण्‍डवा, निमाड़ जन्‍म भूमि रही है. मैं आपके माध्‍यम से मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि पूर्व में हमने वहां पर उनके माता-पिता की याद में गौरीकुंज में वहां पर उनका स्‍मारक बनाने का काम किया था, लेकिन एक काम लंबे समय से बहुप्रतीक्षित है कि किशोर कुमार की जन्‍मभूमि, जो उनका निवास है वह आज जीर्ण-शीर्ण हालत में है. मैं मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि शासन उसमें पहल करे और उनके निवास को अगर एक स्‍मारक के रूप में डेव्‍ह्लप करने का काम करेंगे तो निश्चित रूप से पार्श्‍व गायक किशोर कुमार के लिये पूरे प्रदेश की एक सच्‍ची श्रद्धांजलि होगी. शासन उनकी याद में एक स्‍मृति पुरस्‍कार प्रति वर्ष देता है और वह कार्यक्रम पिछले वर्ष हमारे खण्‍डवा शहर में नहीं हो पाया, वह कार्यक्रम पुन: शहर में हो. इस प्रकार से चिंता करेंगे तो हमारे शहर के लिये और क्षेत्र के लिये एक अच्‍छी बात होगी. इसी प्रकार गुरूपूर्णिमा के अवसर पर आपने विधान सभा का भी अवकाश घोषित किया और हमारे निमाड़ में गुरूपूर्णिमा के अवसर पर दादा धूनी वाले अवधूत संत हुए हैं वहां पर लगभग 5 से 10 लाख जनता वहां पर प्रतिवर्ष आती है उसके लिये संस्कृति विभाग को जोड़ते हुए राशि स्वीकृत करने का कार्य करेंगे तो निश्चित रूप से हमारे शहर के लिये एक अच्छी पहल होगी आपने समय दिया धन्यवाद.

          अध्यक्ष महोदय--माननीय मंत्री जी.

          श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगांव(बदनावर)----अध्यक्ष महोदय, आपकी अनुमति हो तो एक दो सुझाव देना चाहता हूं.

          अध्यक्ष महोदय--जी बोलिये. मंत्री जी बैठिये.

          श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगांव-- अध्यक्ष महोदय, मांग संख्या 26, 38 एवं 52 है उस पर मैं कुछ सुझाव देना चाहता हूं उसमें एक सराहनीय बात माननीय मंत्री जी ने लिखी है कि हमारे कला साहित्य एवं रंग-मंच के क्षेत्र में चाहे डॉ.शिवमंगल सिंह सुमन हो, दुष्यंत कुमार, बाल कवि बैरागी, इकबाल जी, विट्ठल भाई जैसे अनेक रचनाकार एवं कलाकार रहे हैं, यह जो धरोहर है इनका कोई मूल्य नहीं है. इस धरोहर को हमने संजोकर रखा है, अच्छी बात है, लेकिन क्यों न पूरा विश्व इनसे परिचित हो, इस बारे में एक प्रश्न भी लगाया है. मंत्री जी से निवेदन है कि चाहे अंग्रेजी हो, जर्मन हो, फ्रेंच हो, इन सारे साहित्यों का हम अनुवाद करें ताकि पूरा विश्व इनसे परिचित हो पाये. दूसरा निवेदन यह है कि स्कूल ऑफ ड्रामा जो हमारे यहां पर जैसे भारत-भवन है वहां अच्छे नाट्य भी होते हैं, लेकिन वहां पर कुछ समय से ऐसी खबरें आ रही हैं, जिससे मन व्याकुल होता है. फरवरी माह में कुछ छात्र वहां हड़ताल पर भी गये थे. पंकज राज जी जो प्रमुख सचिव हैं वह भी परिचित हैं. मैं मंत्री जी से कहना चाहूंगा कि वहां पर जो कुछ ठीक नहीं है, वहां पर ठीक करें वहां कुछ डायरेक्टरों की नियुक्तियां हुई हैं, उस पर आपत्ति भी है तथा वहां के छात्रों में निराशा भी है, उस पर भी विचार करेंगे. मैं आयुष के विषय में कहना चाहूंगा कि हमारे प्रदेश में 65 हजार आयुष प्रशिक्षित डॉक्टर्स तैयार हैं. किसी भी देश का, प्रदेश का क्षेत्र का सूचकांक हम देखें तो जो हमारा तकनीकी मानव संसाधन है, वह हमारी महत्वपूर्ण सम्पदा है. केन्द्रीय मंत्री जी ने लोक सभा में भी कहा है कि अगर राज्य सरकार चाहे तो ग्रामीण क्षेत्रों में जितने हमारे खाली पड़े अस्पताल हैं उसमें हम आयुष का सदुपयोग कर सकते हैं, लेकिन हो यह रहा है कि जो इंटर्नशिप की बाध्यता रहती हैं बांड भी भराये जाते हैं उसमें कहा तो गया है, लेकिन अक्सर गांव में जाकर काम नहीं करते, नौकरी नहीं करते, अपनी सेवा नहीं देते हैं उनका भी सुनिश्चय मंत्री जी करेंगी तो अच्छा होगा. एक और बात कहना चाहूंगा कि इस चर्चा में मैं पूरी चर्चा को सुन रहा था कि 1857 का जिक्र कई बार हुआ. यह हमारे लिये गौरव की बात है कि मध्यप्रदेश का योगदान उस स्वतंत्रता संग्राम में बहुत अधिक था. वह जितने भी महापुरूष हों, जहां से भी हों, उनकी याद में तथा भावी पीढ़ी उनसे प्रेरणा ले उसके लिये हम कोई स्मारक बना सकते हैं ताकि हम भी गौरवांवित होंगे तथा उनके प्रति भी हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी. आपने अवसर दिया धन्यवाद.

          संस्कृति आयुष एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री (डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ)--अध्यक्ष महोदय, मुझे ऐसे विभाग का दायित्व मिला है जो धर्म, जाति, अमीर, गरीब, किसी भी प्रकार के भेदभाव से परे मानव जीवन की रक्षा में निरंतर संलग्न रहता है. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी का इस बात के लिये आभार प्रकट करती हूं तथा धन्यवाद देती हूं कि उन्होंने अपना इलाज शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय के अंतर्गत आने वाले अस्पताल से कराया.

          श्री विश्वास सारंग--ऑपरेशन करने वाले दिल्ली से आये थे बहिन जी.

          डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ--जी नहीं आपकी जानकारी गलत है.

          एक माननीय सदस्य--श्री शिवराज सिंह जी की पत्नी का ऑपरेशन मुम्बई में हुआ था, यह मैं आपको स्मरण दिला दूं.

          श्री विश्वास सारंग--अध्यक्ष महोदय, यह विलोपित करना है.

          डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ--शुरू आपने किया.

          श्री सुखदेव पांसे--भईया भाभी जी के बारे में कुछ मत बोलो.

          श्री विश्वास सारंग--इसकी जरूरत नहीं है.

          श्री सुखदेव पांसे--आप करें तो अच्छी बात है.

          डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ--शुरूआत आपने की भाई साहब.

          श्री विश्वास सारंग--मैंने तो मंत्री जी ने जो बोला उसको आगे बढ़ाया.

          अध्यक्ष महोदय--सांरग जी कभी कभी क्रिया की प्रतिक्रिया हो जाती है. जरा आप धीरज रखो या तो क्रिया मत करो.

          श्री विश्वास सारंग--अध्यक्ष जी मेरा निवेदन यह है कि क्रिया तो यहां से हुई थी हमने प्रतिक्रिया की.

          अध्यक्ष महोदय--नहीं आपने की थी.

          श्री विश्वास सारंग--आभार तो मुख्यमंत्री जी का हम भी प्रकट करेंगे, लेकिन पेपरों में आया कि डॉक्टर्स दिल्ली से आये थे.

          अध्यक्ष महोदय--नहीं आये ना. पेपर वालों पर क्यों भरोसा करते हैं.

          श्री सुखदेव पांसे--आप बात बात में टिप्पणी करोगे तो सुनना पड़ेगा.

          श्री विश्वास सारंग--आप गलत बोल रहे हैं. अपोला हॉस्पीटल दिल्ली से एक डॉक्टर आया था.

          अध्यक्ष महोदय--आप सारंग जी शांत रहें. आप भोपाल के इतने जागरूक विधायक हैं आपको खुद को जानकारी रखना चाहिये. जानकारियों पर क्यों भरोसा करते हो. चलिये आगे बढ़े यह बहस का विषय नहीं है. यह सही है कि भोपाल अस्पताल में ऑपरेशन हुआ.

          डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ--अध्यक्ष महोदय, गांधी मेडिकल कॉलेज के सरकारी अस्पताल में माननीय मुख्यमंत्री जी का ऑपरेशन हुआ.

          श्री विश्वास सारंग--डॉ.दिल्ली से आया कि नहीं, यह बता दें.

          अध्यक्ष महोदय--यह प्रश्नोत्तर है क्या ? आप लोग बैठ जाईये. सारंग जी आप भी बैठें, बहादुर सिंह जी आप भी बैठें. जब सारंग जी जर्मन में बीमार हुए थे तो क्या इनके लिये डॉक्टर यहां से ले जाते. आप सारंग जी बैठ जाएं. आप लोग समय क्यों बर्बाद कर रहे हैं ?

            श्री विश्वास सारंग--मैं तो अल्पज्ञानी हूं. आप बतायें कि दिल्ली से डॉक्टर आया कि नहीं ?

            अध्यक्ष महोदय--आप लोग जितना समय यहां पर जाया करेंगे. जैसे जैसे वक्त गुजरेगा तारीख 21-22 पास आयेगी अन्य कटौती के विषय चले जायेंगे, उस पर चर्चा नहीं हो पाएगी. हम आगे से सुदृड़ होकर के चलें कि आगे की मांग संख्या आप लोगों की बहस में छूट न जाये. इसलिये वक्त का तकाजा है तथा वक्त को ध्यान में रखते हुये विषय को आगे बढ़ायें. महिला मंत्री बोल रही हैं उनके बीच में टोका-टाकी नहीं होनी चाहिये.

          श्री विश्वास सारंग--वह हमारी बहन हैं उनका स्वागत है.

          अध्यक्ष महोदय--बहन जी को कोई भी नहीं टोकेगा.

          डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ--अध्यक्ष महोदय, मुझे थोड़ी आपत्ति है. मैं महिला के नाते भर्ती में नहीं आयी हूं. मै अपने दमखम से आयी हूं.

          श्री विश्वास सारंग-- प्वाइंट टू बी नोटेड.

          अध्यक्ष महोदय--आप लोग ऐसे ही टोका-टाकी करोगे तो विषय की बात नहीं होगी.

          डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ--अध्यक्ष जी आसंदी ने बोला इसलिये बोली धन्यवाद.

          अध्यक्ष महोदय--आप लोग समय क्यों बर्बाद कर रहे हैं ?

            डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ--अध्यक्ष महोदय, शासकीय चिकित्सालय में ऑपरेशन करवाकर सरकारी अस्पतालों की विश्वसनीयता को एक नया आयाम दिया है. मैं यह कहना चाहूंगी कि यह माना कि आंधी भी चलती रहेगी, चिरागो को हम भी जलाते रहेंगे, हमें जुमलेबाजी तो आती नहीं, जो वादे किये हैं, वह निभाते रहेंगे.

          श्री विश्वास सारंग--अध्यक्ष महोदय, आपने हमारा जर्मन में ऑपरेशन करवाया.

          अध्यक्ष महोदय--बहना चार शेर पढ़ेगी तो आप लोग एक शेर पढ़ेंगे.

          श्री विश्वास सारंग--देखो फिर बहन जी रिजर्वेशन. यहां पर महिलाओं के रिजर्वेशन की बात हो रही है.

          डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ--अध्यक्ष महोदय, यह बहन भाई का रिजर्वेशन है.

अध्‍यक्ष महोदय - अब शांत हो जाइए, नरोत्‍तम जी आ गए हैं.

डॉ. विजय लक्ष्‍मी साधौ - नरोत्‍तम जी आ गए हैं तो जुमलेबाजी वाला एक बार रिपीट कर दूं.

अध्‍यक्ष महोदय - हां.

डॉ. विजय लक्ष्‍मी साधौ - ''ये माना की आंधी भी चलती रहेगी, चिरागों को हम भी जलाते रहेंगे, हमें जुमलेबाजी तो आती नहीं है, जो वादे किए हैं, निभाते रहेंगे''. (...मेजों की थपथपाहट)

अध्‍यक्ष महोदय, मैं भाग्‍यशाली हूं कि हमारे हजारों वर्ष पुरानी आयुष चिकित्‍सा पद्यति को उसका गौरवशाली वैभव लौटाने के लिए मुझे माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने एक अवसर दिया है. हम भाग्‍यशाली हैं, हम धनी हैं कि हमारे प्रदेश की संस्‍कृति मिली जुली संस्‍कृति है. पंजाब में जाएंगे तो पंजाब की संस्‍कृति, गुजरात में जाएंगे गुजरात की संस्‍कृति, महाराष्‍ट्र में जाएंगे तो महाराष्‍ट्र की संस्‍कृति, राजस्‍थान में जाएंगे तो राजस्‍थान की संस्‍कृति, लेकिन मध्‍यप्रदेश एक ऐसा अनोखा प्रदेश है और हम अपने आपको सौभाग्‍शाली मानते हैं कि हम इस प्रदेश के वासी हैं जो कि देश का हृदय स्‍थल तो है ही इसके साथ ही साथ हर 40-50 किलोमीटर पर विभिन्‍न संस्‍कृतियां, विभिन्‍न वास, विभिन्‍न खान-पान, विभिन्‍न पहनावा ऐसी हमारे मध्‍यप्रदेश की संस्‍कृति है. यहां बुन्‍देलखंड का क्षेत्र है, बघेलखंड का क्षेत्र है, महाकौशल का क्षेत्र है, यहां पर मालवा की संस्‍कृति है. मैं जहां से आती हूं निमाड़ का अंचल है, झाबुआ की भीली संस्‍कृति है. जिस तरह से एक गुलदस्‍ते में विभिन्‍न प्रकार के फूल होते हैं ऐसे ही मिला जुला हमारा मध्‍यप्रदेश है और ऐसी हमारी संस्‍कृति का दायित्‍व आदरणीय मुख्‍यमंत्री जी ने मुझे सौंपा है, इसलिए मैं उनका धन्‍यवाद करती हूं. पूरे सदन से चाहूंगी कि मध्‍यप्रदेश की संस्‍कृति का जो मिला-जुला स्‍वरूप है इसको हम एक विचारधारा से न बांधते हुए यहां बहुत सारी विचारधाराओं का एक समावेश है वह सभी विचारधाराएं जो 15 सालों से एक विचारधारा से केन्द्रित थी, उससे ऊपर उठाकर हम सभी विचारधाराओं का समावेश करते हुए सभी संस्‍कृतियों का यहां फैलाव हो, सभी संस्‍कृतियां यहां फले बढ़े, आगे बढ़े, संरक्षण हो, संवर्द्धन हो ऐसा मैं इस सदन से अपेक्षा रखती हूं.

माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जैसे कि कहा जाता है कि ''पहला सुख निरोगी काया'' यदि शरीर स्‍वस्‍थ्‍य है, बीमारियों से मुक्‍त है तो कोई भी व्‍यक्ति अपने सपने को साकार कर सुखी जीवन जी सकता है. हमारा आयुष विभाग क्‍योंकि तीन विभाग है मेरे पास मेडीकल एजुकेशन, संस्‍कृति और आयुष तो मैं आयुष विभाग की ओर जाना चाहूंगी कि आयुष विभाग इस दिशा में लगातार काम कर रहा है और बहुत सारी चुनौतियां हैं, लेकिन उसके बावजूद आयुष से जुड़े डाक्‍टर्स बीमारियों की रोकथाम, देशी पद्धति से लोगों का उपचार करने के कार्य में ही लगे हुए हैं. यहां मैं एक और बात कहना चाहूंगी आयुष के लोगों के लिए,

          कांटों पर भी चलना है, शोलों पर भी चलना है.

          हर हाल में, अब हमको इतिहास बदलना है.

क्‍योंकि हमारा इतिहास आयुर्वेद की परम्‍परा पर रहा है, पुरातनकाल से चलता आ रहा है और आयुष के लोग बहुत सीमित साधनों में, आयुष की जो हमारी विधायें हैं, चाहे वह आयुर्वेदिक हो, होम्‍योपैथी हो, यूनानी हो, उसके माध्‍यम से प्रदेश में वह बहुआयामी चीजें ला रही हैं और लोगों को स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाएं उपलब्‍ध करवा रही हैं. इसका उदाहरण मैं देना चाहूंगी भोपाल के अंदर जो हमारा केपिटल है, भोपाल का जो पंडित खुशीलाल आयुर्वेदिक महाविद्यालय है एक सेन्‍टर ऑफ एक्सिलेंस के रूप में आगे बढ़ता जा रहा है. इसको विकसित करने के लिए करीब 21 करोड़ रूपए का निर्माण कार्य प्रचलन में है, जिसमें 50 बिस्‍तरों का विशिष्‍ट पंचकर्म चिकित्‍सालय और अन्‍य चीजें उसमें निर्माणाधीन है, इसके साथ ही रिसर्च की बात भी आयुर्वेद में हम लोग कर रहे हैं, क्‍योंकि ऐलोपैथी में तो रिसर्च होती रहती है, लेकिन आयुर्वेद में भी रिसर्च हो इसके लिए हम लोग इसी एक्‍सीलेंस सेंटर में 6 रिसर्च लैब शीघ्र क्रियाशील करने जा रहे हैं, जो कि प्रदेश की जनता के लिए एक बहुत बड़ी सौगात होगी. हमारे कई आदिवासी विधायकगण ने यह बात उठाई कि आदिवासी क्षेत्र में बहुत सारी चीजों नहीं होती है, जबकि हमारा पुराना आदिवासी जड़ी बूटियों के आधार पर ही अपने स्‍वास्‍थ्‍य की रक्षा करता था तो प्रदेश के अधिसूचित क्षेत्र मंडला, डिंडोरी, अनूपपुर, शहडोल जिलों में पाए जाने वाले पारम्‍परिक औषधि पादपों का अध्‍ययन, सर्वेक्षण और उनका वानिकीकरण का कार्य हम लोग शुरू कर रहे हैं. इसके साथ ही हर्बल गार्डन के रूप में भी इसको विकसित कर रहे हैं जिसकी तरफ से हमें 3 करोड़ रूपए की सैद्धांतिक स्‍वीकृति भी भारत सरकार से मिली है. इसके साथ ही हमने 2018 जनवरी से दिसम्‍बर में इस महाविद्यालय के द्वारा करीब करीब 1 लाख 59 हजार रोगियों का पंचकर्म के माध्‍यम से इलाज किया और 1 लाख 19 हजार लोगों को हमने चिकित्‍सा सेवाएं उपलब्‍ध कराई  और जनवरी से जून 2019 तक 73 हजार 737 लोगों को चिकित्‍सा सेवाएं उपलब्‍ध कराई हैं. हौम्‍योपैथिक महाविद्यालय यह भी आयुष का एक विंग है. जैसे अभी एक बैतूल के माननीय सदस्‍य ने सिकल सेल एनीमिया की बात कही थी तो हौम्‍योपैथिक चिकित्‍सालय महाविद्यालय भोपाल से सिकल सेल एनीमिया डिस्‍ऑर्डर की जो बात हुई है उसके अध्‍ययन एवं शोध के लिए विशेषकर पिछड़ी अनुसूचित जनजाति के विशेष क्षेत्रों में, जिसमें मंडला, डिंडोरी, शहडोल, छिन्‍दवाड़ा हेतु हमने भारत सरकार से 8.5 करोड़ की स्‍वीकृति ली है, जिससे करीब करीब 9 हजार 643 लोगों की स्‍क्रीनिंग की गई है, जिसमें से 779 लोग सिकल सेल एनीमिया से पीडि़त पाए गए हैं, इन क्षेत्रों के अंतर्गत इन चयनित प्रभावितों पर हौम्‍योपैथी औषधियों के प्रभाव का अध्‍ययन किया जाएगा और इसके ऊपर हम लोग कार्य कर रहे हैं. हमारा एक जो वर्ग है वृद्धजन, आज की सामाजिक परिस्थितियों में हम कहीं न कहीं उनको एक तरफ बैठाकर रखते हैं. आयुष विभाग के माध्‍यम से वृद्धावस्‍था जन्‍य रोगों के लिए विशेष क्लिनिक की स्‍थापना अंतर्गत ओपीडी एवं शिविरों के माध्‍यम से लगभग 11 हजार लोगों को हमने चिकित्‍सा सुविधा उपलब्‍ध कराई है और आने वाले समय में भी हम लोग उनके लिए करते रहेंगे. मलेरिया रोग नियंत्रण के लिए आयुष की तरफ से करीब करीब 18 जिलों के 82 ब्‍लाकों को सम्मिलित कर मलेरिया रोकथाम हेतु होम्‍योपैथिक औषधि-200 का दो चरणों में लगभग 11 लाख लोगों में इसको वितरण किया है और जो प्राप्‍त आंकड़े हमें मिले है, हेल्‍थ मिनिस्‍ट्री की ओर से उसमें यह कहा गया है कि इन औषधियों के वितरण के बाद 40 से 60 प्रतिशत तक मलेरिया में कमी आई है जो कि एक अच्‍छी बात है. शासकीय आयुष महाविद्यालय, जैसे कहा गया है कि महाविद्यालयों को राशि नहीं देते, काम नहीं हो रहा, सीटें उपलब्‍ध नहीं है, लेकिन मैं यहां बताना चाहूंगी कि प्रदेश के छात्र एवं छात्राओं हेतु शासकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय में स्‍नातकोत्‍तर पाठ्यक्रम की 119 सीटें उपलब्‍ध हैं, आयुर्वेदिक महाविद्यालय, भोपाल में 9 विषयों में, रीवा में 1 विषय में, ग्‍वालियर में एक विषय में और उज्‍जैन में 3 विषयों में यह है और होम्‍योपैथिक महाविद्यालय भोपाल में 7 विषयों में स्‍नातकोत्‍तर पाठ्यक्रम छात्रों को प्रवेश हेतु मान्‍यता हमें मिल गई है.

माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इसके साथ ही पीएचडी की ओर भी हम लोग अग्रसर हैं. आयुर्वेद में जिसमें चार आयुर्वेद विषयों में आयुर्विज्ञान महाविद्यालय द्वारा अनुमति हमें प्राप्‍त हो गई है. दो विषय पंडित खुशीलाल महाविद्यालय भोपाल में है. यादव जी दो विषयों में आपके यहां पीएचडी उज्‍जैन में होने जा रही है. आयुष विभाग की जो विशेष उपलब्धियां, उज्‍जैन महाविद्यालय के नवीन प्रशासकीय भवन का निर्माण 19.36 करोड़ रूपए का राशि से कराया जा रहा है. इसके साथ ही प्रदेश में रूपए 93.92 करोड़ से 119 निर्माण कार्य करवाए जा रहे हैं. प्रदेश के लगभग 504 आयुष औषधालयों का उन्‍नयन राशि 14.49 करोड़ से किया गया. शासकीय आयुष महाविद्यालय का उन्‍नयन भी राशि रूपए 10.20 करोड़ से किया जा रहा है. 30 से 50 बिस्‍तरीय चार चिकित्‍सालयों का निर्माण कराया जाना है. वर्तमान में 50 बिस्‍तरीय चिकित्‍सालय का निर्माण भोपाल में निर्माणाधीन है तो ये काम सभी चल ही रहे हैं. आयुष ग्राम योजना हमारी एक बहुत ही अभिनव पहल है, जिसमें हमने आयुष विभाग के द्वारा प्रथम चरण में 30 ग्रामों का चयन किया है और आयुष ग्रामों को विकसित कर रहे हैं और चिकित्‍सा पद्धतियों के माध्‍यम से ग्रामीण जन स्‍वास्‍थ्‍य को उत्‍तम स्थिति में बनाए रखा जाएगा, स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाएं उपलब्‍ध कराई जाएंगी. ग्रामीण क्षेत्रों में और प्रत्‍येक आयुष ग्राम को एनीमिया मलेरियामुक्‍त बनाने का प्रयास किया जाएगा. इन ग्रामों के 37,000 परिवारों के 1,60,000 व्‍यक्तियों का स्‍वास्‍थ्‍य सर्वेक्षण कर सर्वे के रिकॉर्ड का एक डाटाबेस सॉफ्टवेयर भी हम तैयार कर रहे हैं, आयुष के माध्‍यम से, उनके स्‍वास्‍थ्‍य के स्‍तर की निरन्‍तर मॉनिटरिंग होती रहेगी. योग एवं जागरूकता शिविर का भी आयोजन हम लोग निरन्‍तर करते रहेंगे. औषधि पादपों का ज्ञान भी बहुत जरूरी है. आयुष ग्रामों में हम जो प्रदर्शनियां लगाएंगे, जिससे लोगों को इस बात के लिए जाग्रत करेंगे कि जो हमारी औषधियां हैं, जैसे आंवला, गिलोय और सहजन की उपयुक्‍तता का वर्णन कर इनका संरक्षण हो, संवर्धन हो. इस ओर भी लोगों को जागरूक प्रदर्शनियों के माध्‍यम से अवगत करते रहेंगे. अधोसंरचना विकास में 22.98 करोड़ रुपये की लागत से 25 जिला आयुष कार्यालय भवनों का निर्माण कार्य किया जा रहा है, 29.80 करोड़ रुपये की लागत से 89 आयुष औषधालयों का निर्माण किया जा रहा है, 41.14 करोड़ रुपये की लागत से भोपाल, रीवा, बुरहानपुर एवं उज्‍जैन में शासकीय आयुर्वेद्य महाविद्यालय एवं चिकित्‍सालय भवनों का निर्माण कार्य किया जा रहा है. आयुष विभाग की जो विशेष उपलब्धियां हैं, जैसे हमारा वेलनेस सेन्‍टर है, उसमें 100 आयुष वेलनेस केन्‍द्र प्रारंभ किए जा रहे हैं, यह योजना अगस्‍त, 2019 में प्रारंभ कर दी जाएगी. इसके साथ ही, मण्‍डलेश्‍वर में 30 बिस्‍तरीय आयुष चिकित्‍सालय 9 करोड़ रुपये की सहायता से स्‍थापित किया जा रहा है. सन् 2019-2020 में आयुर्वेद में जैसे बहुत सारे सम्‍माननीय विधायकों ने पदों की पूर्ति के बारे में कहा है तो हम इसके ऊपर भी सतत् प्रयत्‍नशील हैं, वाकई डॉक्‍टरों एवं पैरामेडिकल स्‍टाफ की कमी है. मैं यह नहीं कहूँगी कि 15 वर्ष में आपने क्‍या किया ? लेकिन व्‍यवस्‍थाएं जरूरी हैं, इसलिए व्‍यवस्‍थाएं ठीक हों, इस दिशा में कार्य करते हुए पदों की पूर्ति के लिए हम तेजी से प्रयास करें ताकि हमारे ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाएं मिल सकें.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमारी सरकार सदियों से आयुर्वेद पद्धति का लाभ जन सामान्‍य तक पहुँचाने के लिए कटिबद्ध है, इस दिशा में सरकार द्वारा समस्‍त जिला मुख्‍यालयों में पंचकर्म की सुविधा उपलब्‍ध कराए जाने का प्रयास कर रही है. पूर्व से 30 जिला मुख्‍यालयों पर आयुर्वेद पंचकर्म सुविधाएं हैं, सन् 2019 में 22 जिला मुख्‍यालयों पर आयुष विंग राशि 40.00 लाख रुपये प्रति केन्‍द्र के मान से स्‍थापित करने की हमें केन्‍द्र सरकार से स्‍वीकृति प्रदान की गई है. इसमें अन्‍य जिलों में जो रह गए हैं, उसमें यह व्‍यवस्‍था लागू करने वाले हैं. इसमें राज्‍य शासन का 40 प्रतिशत का योगदान भी रहेगा. यह विधा सभी जगह लोकप्रिय भी हो रही है, इसमें विस्‍तार करना बहुत जरूरी है और इसको हम वेलनेस टूरिज्‍म के माध्‍यम से जोड़ेंगे क्‍योंकि बहुत सारे लोग केरल और बेंगलुरु जाते हैं तो मैंने काफी पहले अपने विभाग से यह कहा है क्‍योंकि बॉडीज़ को ऑटोनोमस कर दिया गया है इसलिए राजस्‍व इकट्ठा करना भी जरूरी है. अगर स्‍वास्‍थ्‍य के साथ-साथ मेडिकल टूरिज्‍म के ऊपर भी हम ध्‍यान देंगे तो मैं समझती हूँ कि सुविधाएं अच्‍छी भी मिलेंगी और जो हमारे छोटे तबके के लोग हैं, गरीब लोग हैं, इसके माध्‍यम से हम उनको भी स्‍वास्‍थ्‍य सेवाएं उपलब्‍ध करा सकते हैं.

          श्री अजय विश्‍नोई (पाटन) - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अगर आपकी इजाजत हो तो मैं एक छोटा सा सुझाव माननीय मंत्री जी को देना चाहता हूँ. माननीय मंत्री जी, आपके पास आयुष विभाग भी है और मेडिकल एज्‍युकेशन भी है. आप होम्‍योपैथी डॉक्‍टरों से पूछेंगे तो होम्‍योपैथी की एक दवा वह मलेरिया की एंटीडोज के रूप में प्रयोग में आती है. यदि उसका उपयोग आप पूरे मेडिकल कॉलेज में आने वाले मरीजों को गर्मियों में करें तो बरसात के बाद आपको इस बात का अंदाज हो जाएगा कि वह वाकई में कितना प्रभावी है, उसको हम बहुत कम कीमत में कर सकते हैं. दूसरा, आपने एक आयुर्वेदिक गार्डन लगाने की बात कही है तो मैं जबलपुर में आपको एक ऐसा गार्डन दिखाना चाहता हूँ, जिसका नाम सिग्‍नेचर ऑफ नेचर है, उसमें एक-एक पेड़-पौधा अपने आप बोलता है कि मैं मानव के इस इलाज के लिए बना हुआ हूँ. आप कभी जबलपुर आएं, अवसर दें, मैं आपको दिखाऊँगा.

          डॉ. विजयलक्ष्‍मी साधौ - धन्‍यवाद, विश्‍नोई जी. मैं जरूर देखना चाहूँगी. दूसरी बात, माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेडिकल एज्‍युकेशन बहुत महत्‍वपूर्ण है.

          अध्‍यक्ष महोदय - आखिरी एक मिनट.

          डॉ. विजयलक्ष्‍मी साधौ - 3-3 विभाग हैं. संस्‍कृति, स्‍वास्‍थ्‍य का ध्‍यान नहीं रखा जाएगा तो मध्‍यप्रदेश का क्‍या होगा ? आसन्‍दी से भी जब आपने छोटी बहन कह दिया तो प्रिविलेज तो बनता है.

          अध्‍यक्ष महोदय - ठीक है. बोलिए.

          श्री हरिशंकर खटीक (जतारा) - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, एक छोटा सा निवेदन है. हम लोगों ने भी अपनी-अपनी बातें रखी हैं, हमने टीकमगढ़ में मेडिकल कॉलेज की बात रखी थी. हमने आयुष के बारे में कहा कि आयुर्वेदिक, होम्‍योपैथी वालों के ऐसे ट्रांसफर कर दिए गए हैं. हमने कई ऐसी बातें बताई हैं, जिसका कोई जवाब नहीं है. छतरपुर में मेडिकल कॉलेज के लिए एक रुपए का भी बजट में प्रावधान नहीं किया गया है. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हम लोग भी मेहनत कर रहे हैं तो कम से कम जवाब तो आना चाहिए.

          डॉ. विजयलक्ष्‍मी साधौ - आप समय दिलवा दो. सब बातों का जवाब दे दूँगी.

          अध्‍यक्ष महोदय - अगले विषय पर आप बोलेंगे तो उतना समय कम कर दूँगा.

          श्री हरिशंकर खटीक - अध्‍यक्ष महोदय, आप समय कम कर दीजिये, यह आपका अधिकार है. हमने टीकमगढ़ में मेडिकल कॉलेज की बात रखी.

          डॉ. विजयलक्ष्‍मी साधौ - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेडिकल एज्‍युकेशन में 4 नवीन चिकित्‍सालयों दतिया, खण्‍डवा, विदिशा एवं रतलाम में एमबीबीएस की सीटें में तो प्रारंभिक शैक्षणिक सत्र सन् 2018-2019 में मात्र 500 छात्र-छात्राएं अध्‍ययनरत् थे. जबकि शैक्षणिक सत्र सन् 2019-2020 में शहडोल, छिंदवाड़ा और शिवपुरी में 300 छात्र-छात्राओं की कार्यवाही पूर्ण की गई है, इसके अतिरिक्‍त अभी सतना में भी नवीन चिकित्‍सा महाविद्यालय शीघ्र ही खोला जा रहा है, जिसकी परमीशन मिल गई है. माननीय सदस्‍यों ने जो एमबीबीएस की सीट के बारे में बोला कि बढ़ोतरी नहीं हो रही है, विभाग में कुछ नहीं हो रहा है. मैं उनकी जानकारी में यह लाना चाहूँगी कि एमबीबीएस सीट की प्रवेश क्षमता में हमने वृद्धि की है, शासकीय चिकित्‍सा महाविद्यालयों में प्रवेश क्षमता अभी 1,350 सीट्स हो गई हैं, जो कि सन् 2019-2020 के एमबीबीएस पाठ्यक्रम में प्रवेश क्षमता 1,920 हो जाएगी, हमें करना है, जो अभी चल रही है. सन् 2020-2021 में यह क्षमता 2,276 हो जाएगी और सन् 2021-2022 में यह क्षमता 2,951 हो जाएगी. इसका मतलब यह है कि आज की स्थिति से सन् 2022 तक हमारी एमबीबीएस की जो यू.जी. सीट्स हैं, अण्‍डर ग्रेजुएट हैं, उसमें 218 प्रतिशत की वृद्धि हो रही है. सभी माननीय सदस्‍यों ने कहा कि पैसा जीरो है, जीरो बजट है. पाण्‍डेय जी और अजय विश्‍नोई जी ने जीरो बजट की बात की. उन्‍होंने ओपनिंग भी की और जीरो बजट की बात की है. आप भी विभाग संभाले हैं, विश्‍नोई जी, युक्तियुक्‍तकरण भी कुछ होता है तो युक्तियुक्‍तकरण के माध्‍यम से हम लोग काम करते हैं. जैसा आपने बताया कि जीरो बजट है, इसमें हमने 113.90 करोड़ रुपये यू.जी. सीट्स के लिए रखा है. इसके साथ ही पी.जी. पाठ्यक्रम में हमारी प्रवेश क्षमता मे भी वृद्धि हो रही है. वर्तमान में सन् 2018-2019 में हमारी पी.जी. की सीट्स 609 हैं, सन् 2019-2020 में यह बढ़कर 712 सीट्स हो जाएगी, सन् 2020-2021 में यह संख्‍या बढ़कर 1,364 हो जाएगी और इसके लिए हमने इसमें  11.40 करोड़ रुपये रखा है.

          श्री अजय विश्‍नोई - अध्‍यक्ष महोदय, आपको 15 वर्ष ने ही इस रफ्तार से चलती हुई गाड़ी में बैठाया है. 

          डॉ. विजयलक्ष्‍मी साधौ - आप यह बात न करें. अगर मनमोहन सिंह जी नहीं होते, गुलाम नबी आजाद जी नहीं होते तो बहुत सारी चीजें नहीं आतीं.

          श्री अजय विश्‍नोई - बात 15 वर्ष की हो रही है.

          डॉ. विजयलक्ष्‍मी साधौ - बात 15 वर्ष की हो रही है, बात यहां की भी हो रही है और वहां की भी हो रही है. अगर बात होगी तो फिर बहुत बात बढ़ेगी इसलिए हम यहीं तक सीमित रहें.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, प्रदेश में सुपर स्‍पेशियलिटी चिकित्‍सकों की संख्‍या में भी वृद्धि की जा रही है, इसमें जो हमारे सुपर स्‍पेशियलिटी के कोर्सेस हैं- एमसीएच और डीएम कोर्सेस में यह अभी मात्र 9 हैं और सन् 2020 में डीएम और एमसीएच की प्रवेश क्षमता करीब-करीब बढ़कर 100 सीट की हो जायेगी (मेजों की थपथपाहट) और यह क्षमता वर्ष 2001 में 150 सीट की हो जायेगी और वर्ष 2022 तक यह बढ़ते-बढ़ते 300 सीट की हो जायेगी. अभी वर्तमान में नौ सीटे हैं और वर्ष 2022 तक 300 सीट डी.एम. और एम.सी.एच. की हो जायेगी और यह प्रदेश के लिये बहुत ही महत्‍वपूर्ण है क्‍योंकि लोग पी.जी.आई. चंडीगढ़ या पी.जी.आई. लखनऊ या दिल्‍ली न जाते हुये प्रदेश में ही यह सारी व्‍यवस्‍था हो जायेगी. हम लोग इसके लिये करीब-करीब 61 करोड़ रूपये खर्च कर रहे हैं. इसके साथ ही चिकित्‍सा महाविद्यालयों ग्‍वालियर, जबलपुर और रीवा प्रत्‍येक स्‍थान पर राशि रूपये डेढ़ सौ करोड़ की लागत से सुपर स्‍पेसिफिक सेंटर तैयार हो गया है, जिससे उच्‍च स्‍तरीय चिकित्‍सा सुविधा राज्‍य को प्राप्‍त हो सकेगी.

          श्री अजय विश्‍नोई -- आपने एम.सी.एच. और डी.एम. की बात की है, मैं इसके लिये आपको शुभकामनायें देता हूं, साधुवाद देता हूं परंतु उम्‍मीद करता हूं कि डॉक्‍टर आपको मिलेंगे तभी आप एमडी वगैरह करा पायेंगी.

          डॉ. विजयलक्ष्‍मी साधौ -- हम निरंतर प्रयत्‍नशील हैं और हर मेडिकल कॉलेज में  डॉक्‍टरों की नियुक्तियां चल रही हैं. श्री यशपाल जी आप बतायें आप सहमति में सिर हिला रहे हैं मतलब आप संतुष्‍ट हैं. (हंसी)

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- दो तरह के सिर हिलते हैं एक हां में और एक न में. मेरा सिर न में हिला है(हंसी)

          अध्‍यक्ष महोदय -- आप यह जवानी का सिर हिला रहे हो या बुढ़ापे का सिर हिला रहे हो (हंसी)  

          डॉ. विजयलक्ष्‍मी साधौ -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, पैरामेडिकल और डॉक्‍टरों की भर्ती के लिये सतत प्रक्रियाएं चल रही हैं. इंदौर चिकित्‍सालय के लिये 273 करोड़ रूपये की लागत से सुपर स्‍पे‍सिफिक प्रोजेक्‍ट की स्‍वीकृति होकर निर्माण कार्य प्रारंभ हो गया है.  इसके साथ ही चिकित्‍सा महाविद्यालय भोपाल के अंदर कार्डियोथेरोसिक यूनिट की स्‍थापना का कार्य आरंभ कर दिया गया है.किडनी प्रत्‍यारोपण सेंटर की स्‍थापना का कार्य दिसंबर 2019 से शुरू हो जायेगा. अगर आपको याद होगा तो जब हमारा पहला सत्र हुआ था, उस वक्‍त अंग दान के प्रत्‍यारोपण का संकल्‍प मैं यहां पर लेकर आई थी, उसके माध्‍यम से मैंने कहा था कि दिसंबर 2019 को हम किडनी प्रत्‍यारोपण और लीवर प्रत्‍यारोपण की शुरूआत कर देंगे और इसके लिये मैं आज भी अडिग हूं कि हम लोग दिसंबर 2019 तक इसके लिये पूरे प्रयास और कोशिश करेंगे कि यह व्‍यवस्‍थायें हमारे प्रदेश में लागू हो जायें. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैंने किडनी प्रत्‍यारोपण सेंटर के बारे में जैसे कहा दिसंबर 2019 में शुरू कर लिया जायेगा. 1200 बिस्‍तरीय चिकित्‍सकालय की स्‍थापना का कार्य वर्ष 2019 में पूर्ण होगा. बर्न यूनिट की स्‍थापना का कार्य दिसंबर 2019 में पूर्ण कर लिया जायेगा. मैंने यू.जी. सीट के बारे में बता दिया है. हम इसके साथ इंदौर में महाविद्यालयों का उन्‍नयन करने जा रहे हैं, इसमें स्‍कूल ऑफ एक्‍सीलेंस पलमोनरी मेडिसन की स्‍थापना का कार्य दिसंबर 2019 में पूरा हो जायेगा. सुपर स्‍पेस्‍लिटी अस्‍पतालों की स्‍थापना का कार्य दिसंबर 2019 में पूरा हो जायेगा.वायरोलॉजी लैब की स्‍थापना की बात वहां से बैतूल के डॉक्‍टर से साहब ने की थी और एक अन्‍य माननीय सदस्‍य ने भी की थी. वायरोलॉजी लैब की स्‍थापना का कार्य दिसंबर 2019 में पूरा हो जायेगा. बर्न यूनिट का कार्य दिसंबर 2019 में पूरा कर लिया जायेगा. स्‍कूल ऑफ एक्‍सीलेंस आप्‍थर्मोलॉजी का कार्य मार्च 2010 में पूरा होगा. एलॉयड हैल्‍थ साइंस की स्‍थापना मार्च 2020  में पूर्ण करेंगे. हमने यू.जी. सीट में हमने वहां 150 की बजाय 250 सीट की वृद्धि के लिये निवेदन किया है और मुझे उम्‍मीद है कि वर्ष 2020 तक 250 सीटें हमें इंदौर में मिल जायेंगी.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इसके साथ ही ग्‍वालियर के अंदर सुपर स्‍पेस्लिटी अस्‍पतालों का कार्य वर्ष 2019 में पूर्ण हो जायेगा. टर्सरी केयर यूनिट का कार्य दिसंबर 2019 में पूर्ण होगा. वायरोलॉजी लैब की स्‍थापना का कार्य दिसंबर 2019 में पूर्ण कर लेंगे. बर्न यूनिट का कार्य दिसंबर 2019 में पूरा कर लिया जायेगा. 100 बिस्‍तरीय अस्‍पताल की स्‍थापना का कार्य वर्ष 2020 में पूर्ण कर लेंगे, अभी हमने उसका शिलान्‍यास किया है वह हम पूर्ण कर लेंगे. हमने यू.जी. सीट में भी 150 से 250 के प्रस्‍ताव भेजे हैं, जो वर्ष 2020 में मिल जायेंगे, हमने इस तरह की व्‍यवस्‍थायें अस्‍पतालों में की है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जबलपुर में सुपर स्‍पेस्लिटी अस्‍पतालों की स्‍थापना वर्ष 2019 में पूर्ण हो जायेगी. स्‍कूल ऑफ एक्‍सीलेंस पलमोनरी मेडिसन की स्‍थापना का कार्य दिसंबर 2019 में पूरा हो जायेगा. स्‍टेट कैंसर यूनिट की स्‍थापना का कार्य दिसंबर 2019 में पूरा हो जायेगा. वायरोलॉजी लैब की स्‍थापना का कार्य दिसंबर 2019 में पूरा हो जायेगा. बर्न यूनिट का कार्य दिसंबर 2019 में पूरा कर लिया जायेगा.एलॉयड हैल्‍थ साइंस इंस्‍टीट्यूट की स्‍थापना मार्च 2020  में पूर्ण करेंगे और हमने यहां भी यू.जी. की सीट में 150 से 200 सीट के प्रस्‍ताव दिये हैं जो वर्ष दिसंबर 2020 में पूर्ण हो जायेंगे.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय,रीवा में सुपर स्‍पेस्लिटी अस्‍पतालों की स्‍थापना वर्ष सितंबर 2019 में पूर्ण हो जायेंगी. वायरोलॉजी लैब की स्‍थापना का कार्य दिसंबर 2019 में पूरा हो जायेगा. बर्न यूनिट का कार्य दिसंबर 2019 में पूरा कर लिया जायेगा और यहां  हम यू.जी. की सीट 100 से 150 कर रहे हैं. चिकित्‍सा महाविद्यालय सागर में भी इसी तरह से वायरोलॉजी लैब, एम.डी.आर.आई. यूनिट, यू.जी. सीट 100 से 250 कर रहे हैं. चिकित्‍सा महाविद्यालय भोपाल में 2000 बिस्‍तरीय अस्‍पताल रूपये 440 करोड़ की लागत से निर्माण में अंतिम चरण में हैं. ग्‍वालियर में एक हजार बिस्‍तरीय अस्‍पताल का निर्माण 177.37 करोड़ की लागत से प्रारंभ किया गया है.

          अध्‍यक्ष महोदय --  चार बज चुके हैं, आप समाप्‍त करें.

          डॉ. विजयलक्ष्‍मी साधौ -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, संस्‍कृति विभाग रह गया है. मध्‍यप्रदेश शासन संस्‍कृति विभाग के माध्‍यम से हम लोग कई कार्य करने जा रहे हैं. मध्‍यप्रदेश शासन संस्‍कृति विभाग ने यह निश्‍चय किया है कि संकीर्णता या संकीर्ण विचारधारा के बजाय खुलेपन के साथ आधारभूत कार्य, संस्‍कृति और कला के क्षेत्र में अधिक दृढ़ता के साथ आरंभ किये जायें एवं हम लोग स्‍थापित संस्‍था के उन्‍नयन और आधुनिकीकरण की दिशा में सक्रिय पहल कर रहे हैं. हम मध्‍यप्रदेश की सांस्‍कृतिक उदारता की विशेषता को पुन: स्‍थापित करेंगे. वरिष्‍ठ और सुस्‍थापित कलाकारों के साथ हम युवा कलाकारों को अपनी गतिविधियों में विशेष रूप से शामिल करेंगे.

          डॉ. सीतासरन शर्मा -- पुन: स्‍थापित करने से आपका क्‍या मतलब है ? क्‍या पहले संस्‍कृति नहीं थी क्‍या ? क्‍या इतने सालों से संस्‍कृति नहीं थी?

          डॉ. विजयलक्ष्‍मी साधौ -- एक विचारधारा का समावेश जो पंद्रह वर्ष से चल रहा था.

          डॉ. सीतासरन शर्मा --  क्‍या चल रहा था, आप यह बतायें?     

          डॉ. विजयलक्ष्‍मी साधौ -- एक विचारधारा, एक विचारधारा. वह समझने की बात है. (व्‍यवधान)....

          श्री रामेश्‍वर शर्मा -- (XXX) (व्‍यवधान)....

          डॉ. सीतासरन शर्मा -- पहले तो आप एक बात समझ लें. पुन: स्‍थापित करना याने क्‍या होता है ? क्‍या आप भारत में कोई नई संस्‍कृति लेकर आयेंगे. (व्‍यवधान)....

          श्री हरिशंकर खटीक -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, (XXX) (व्‍यवधान)....

          अध्‍यक्ष महोदय -- डॉ. सीतासरन शर्मा ने जो बात कही है उसके बाद बीच-बीच में यह जो टोका टाकी चल रही है वह विलोपित होगी. माननीय मंत्री जी आप बोलें. (व्‍यवधान)....

          डॉ. विजयलक्ष्‍मी साधौ -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, लता मंगेश्‍कर एवार्ड जो इंदौर का बहुत महत्‍वपूर्ण एवार्ड था, जो एक कमरे के अंदर केंद्रित कर दिया गया था, उसको हम बड़े विस्‍तृत रूप में विश्‍व स्‍तर पर स्‍थापित करने जा रहे हैं और अच्‍छे रूप में इसको मनाने जा रहे हैं. 150 वीं गांधी जयंती पर उनके जन्‍म पर पिछले कुछ समय पूर्व सदन में यहां पर कहा गया था कि संस्‍कृति विभाग कुछ नहीं कर रहा है, उसमें भी संगोष्‍ठी, चित्रकला और इस प्रकार से साल भर हम कार्यक्रम करने जा रहे हैं.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमारे लिये जनजाति संस्‍कृति का संरक्षण भी महत्‍वपूर्ण है, जिसके प्रशिक्षण केंद्रों की स्‍थापना हम लोग गुरू शिष्‍य पंरपरा के आधार पर करने जा रहे हैं. हम लोग नये संग्रहालयों की स्‍थापना करने जा रहे हैं. जनजाति संरक्षण के लिये डिडोरी, शिवपुर, छिंदवाड़ा में स्‍थापना की जा रही है और अभी हम लोग भील जनजाति के केंद्र की स्‍थापना मांडू और धार के अंदर करने जा रहे हैं. किशोर कुमार जी की स्‍मृति में जैसा भाई देवेन्‍द्र वर्मा जी ने बोला था, इन्‍होंने बोला कि दो साल में कुछ नहीं किया इस प्रकार इन्‍होंने दो साल की बात भी की थी. मैं नहीं कह रही हूं आपके ही विधायक जी कह रहे हैं कि दो वर्ष तक खाली पीली बातें हुई कुछ नहीं किया गया.

          श्री देवेन्‍द्र वर्मा -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैंने यह कहा है कि इस बार किशोर  कुमार का सम्‍मान समारोह नहीं हुआ है. मैंने यह बोला कि उसको इस वर्ष से कंटिन्‍यू करें. सम्‍मान समारोह इस वर्ष नहीं किया तो अगले वर्ष से जरूर करें.

          अध्‍यक्ष महोदय -- आप प्रति उत्‍तर न दें.

          डॉ. विजयलक्ष्‍मी साधौ -- सम्‍मान समारोह नहीं हुआ है, वही हम कर रहे हैं. हम लोग इसे चालू कर रहे हैं, मैं वही बात कर रही हूं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- श्री देवेन्‍द्र जी आप बैठ जायें.

          डॉ. विजयलक्ष्‍मी साधौ -- ख्‍यात अभिनेता गायक संगीतकार और मध्‍यप्रदेश गौरव स्‍व.किशोर कुमार के जन्‍मस्‍थल खंडवा में किशोर कुमार मेमोरियल संग्रहालय की स्‍थापना की जायेगी. इस संग्रहालय में जहां किशोर कुमार से संबंधित जानकारियां विभिन्‍न माध्‍यमों में प्रदर्शित की जायेगी. वहीं फिल्‍म संगीत में उत्‍सुक कलाकारों को प्रोत्‍साहन के लिये भी यह मेमोरियल कार्य करेगा (मेजों की थपथपाहट) अनुसूचित जातियों की संस्‍कृति का संरक्षण करने के लिये हम विभिन्‍न संस्‍कृतियों का चाहे निमाड़, मालवा, बुंदेलखण्‍ड, बघेलखण्‍ड और चंबल की संस्‍कृति संग्रहालयों की स्‍थापना करेंगे, जिसमें निमाड़ी, लोक कला केंद्र की स्‍थापना विश्‍व प्रसिद्ध पर्यटन स्‍थल महेश्‍वर में की जायेगी.

          श्री देवन्‍द्र वर्मा -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमने निवेदन किया था उनके आवास को स्‍मारक के रूप में विकसित किया जाये.

          डॉ. विजय लक्ष्‍मी साधौ-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आला और हरबोला की गायकी प्रतियोगिता 6 से 8 जून के अंदर हम लोग विरासत महोत्‍सव के माध्‍यम से मऊसिनिया गांव में आयोजित कर रहे हैं. संस्‍कृति नये समारोह, हम लोग चंदेरी से संबंध महान संगीतकार बैजू बाबरा के नाम से राष्‍ट्रीय स्‍तर का समारोह आयोजित करेंगे.

          श्री हरिशंकर खटीक-- (XXX)

          अध्‍यक्ष महोदय--  यह कुछ नहीं लिखा जायेगा.

           डॉ. विजय लक्ष्‍मी साधौ--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, साथ ही गुरूनानक देव जी का 550 वां प्रकाश पर्व बड़े स्‍तर पर संस्‍कृति विभाग मनायेगा. इसके अंतर्गत उत्‍सव, कीर्तन, साहित्यिक समारोह आयोजित किये जायेंगे. साहित्‍य के क्षेत्र में हमने नये पुरस्‍कार घोषित किये हैं, वरिष्‍ठ साहित्‍यकारों में डॉ. शिवमंगल सिंह जी सुमन, श्री दुष्‍यंत कुमार, बाल कवि बैरागी जी और विठ्ठल भाई पटेल के नाम से साहित्‍य की अलग विधाओं के पुरस्‍कार प्रदान कर रहे हैं और माननीय अध्‍यक्ष महोदय जो हमारे साहित्‍यकार अभावग्रस्‍त रहते हैं, बुजुर्गियत में अपने आपको संभाल नहीं पाते हैं उनकी मासिक आय बहुत कम है उसको भी हम बढ़ाने का काम कर रहे हैं. 14 नवम्‍बर से 19 नवम्‍बर तक सांस्‍कृतिक गतिविधियां चालू करेंगे जिसमें बच्‍चों और स्त्रियों को भी सृजनात्‍मक को प्रमुखता दी जायेगी.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, भारत भवन के लिये जो उसका उद्देश्‍य था, कलाओं का संरक्षण, संवर्द्धन, अनुसंधान, नवाचार, सृजनात्‍मक कलाओं का मंच एवं आदर देना, या अनेक शास्त्रिय कलायें, लोक आदिवासी कलायें और संगीत, नृत्‍य, साहित्‍य, नाटक, सिनेमा एवं रूपांकर कलाओं आदि का भारत भवन एक साझा मंच हुआ करता था. भारत भवन के लिये प्रसिद्ध कवि सर्वेश्‍वर दयाल सक्‍सेना की यह पंक्तियां सर्वथा उपयुक्‍त होंगी-

          ''मैं उन हाथों को चूम लेना चाहता हूं, क्‍योंकि उन्‍होंने मुझे रचा है.''

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं विशेष तौर पर बताना चाहती हूं कि गतिविधियों में विस्‍तार के अंतर्गत उत्‍सवधर्मी परिस्थितियों के साथ ही बौद्धिक स्‍वरूप की गतिविधियां भी भारत भवन में आयोजित करेगी जिसमें जैसे एक माननीय सदस्‍य ने बोला था कि कुछ हो नहीं रहा है तो डाक्‍यूमेंटेशन तथा शोधपरख कार्य भी हम लोग करने जा रहे हैं जिसको राष्‍ट्रीय और अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर की गतिविधियों से भारत भवन को हमारे देश, कला जगत में गहरा सम्‍मान मिलता रहा. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, क्‍योंकि भारत भवन की नींव हम सबकी धड़कन स्‍वर्गीय इंदिरा गांधी जी ने रखी थी और उन्‍होंने संस्‍कार राजधानी के नाम से इसको कहा था और इसी के स्‍वरूप भारत भवन को हम और ऊंचाईयों पर ले जा रहे हैं ताकि देश ही नहीं विदेशों में भी इसकी ख्‍याति प्राप्‍त हो. पिछले दिनों भारत भवन में कला, दीर्घाओं आदि में उन्‍नयन की गहरी आवश्‍यकता है, इस आवश्‍यकता को भी हम पूरा करेंगे. हमारी सरकार ने खुला मंच से विविधता या हमारी संस्‍कृति के बहुलतावादी स्‍वरूप को भारत भवन में संभव करने का पुन: संकल्‍प प्रकट किया है. जैसा कि मीर साहब ने कहा था-

          ''द्वि कहां है तू, जादूगरी से बाहर आ, यह देख आंखे हैं दो और निगाह एक ही है.''

          अर्थात बहुलता में एकता ही हमारा मूल मंत्र है. सांस्‍कृतिकशिप केवल उत्‍सवधर्मिता नहीं है, बल्कि रिसर्च, डॉक्‍यूमेंटेशन, प्रिजर्वेशन आदि इसके अनिवार्य कारक हैं. पिछली सरकार में जरूरी प्रकल्‍पों पर काम नहीं हुआ था. इनकी अनदेखी हुई, हमारी सरकार यह सभी चीजें भी करेगी जिससे हम समग्र संस्‍कृति विकास पूरे मनोयोग से कर सकें. भारत भवन की गतिविधियां, इंदिरा जी के स्‍वप्‍नों को भी हम रूपायि‍त होते हुये देख सकते हैं. पिछली सरकार के लिये इस अवसर पर मैं दुष्‍यंत जी के ये शब्‍द कहना चाहूंगी-

          ''कैसी मशालें ले के चले तीरगी में आप, जो रोशनी थी वो भी सलामत न रही.''

          कुंवर विजय शाह-- रोशनी कहीं नहीं आ रही है, सब दूर बिजली गोल है.

          अध्‍यक्ष महोदय--  आपको मालूम है यह कौन सी रोशनी की बात कर रही हैं.

          श्री रामेश्‍वर शर्मा--  भोपाल में दुष्‍यंत कुमार जी का संग्रहालय बनाने के लिये भी तो धन दे दो, उसके लिये तो पैसा दिया नहीं है.

          डॉ. विजय लक्ष्‍मी साधौ--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, पत्रिकाओं की पुनर्प्रतिष्‍ठा, संस्‍कृति विभाग द्वारा           साक्षात्‍कार, चौमासा, पटकथा, कलावार्ता आदि पत्रिकाओं का स्‍तर गिर गया था. इन पत्रिकाओं को बेहतर ढंग से प्रकाशित करते हुये पुन: प्रकाशित करने की योजना है. अभी हाल ही में साक्षात्‍कार का एक नया अंक आया जिसको पूरे देश में प्रशंसा मिली. मैं माननीय सदस्‍यों को बताना चाहूंगी कि इसके पूरे देश से प्रशंसा के पत्र आ रहे हैं कि बहुत अच्‍छा साक्षात्‍कार का आपने अंक निकाला है. स्‍मारकों का संरक्षण कर रहे हैं, शिलालेखों का दस्‍तावेजीकरण कर रहे हैं, उत्‍खनन, सर्वेक्षण का प्रकाशन हो रहा है, संग्रहालयों का उन्‍नयन भी हो रहा है. सिख भाईयों के लिये बुरहानपुर के अंदर गुरू गोविंद सिंह जी पर केन्द्रित संग्रहालय की स्‍थापना कर रहे हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय--  विधान सभा के अंदर क्‍या होगा ? क्‍या हम लोगों के यहां सांस्‍कृतिक कार्यक्रम नहीं होंगे. उल्‍लेख ही नहीं हो रहा है, बताइये.

          श्री दिलीप सिंह परिहार--  अध्‍यक्ष जी, विधान सभा सचिवालय में भी होना चाहिये, यहां बहुत जरूरी है, संस्‍कृति यहां जिंदा रहना चाहिये. 

          डॉ. विजय लक्ष्‍मी साधौ--  अध्‍यक्ष महोदय, आप आदेश दें. भारत भवन में कलाग्राम की स्‍थापना, रंगमंडल की पुनर्स्‍थापना, पुरातत्‍व विरासत की सुरक्षा, वाकणकर जी की बात आई थी, किसी सदस्‍य ने उठाया था, वाकणकर जी के बारे में, तो वाकणकर जनशताब्‍दी के ऊपर डॉ. व्‍ही.एस. वाकणकर जी को जो भीमबेटका की खोज करने के लिये प्रसिद्ध है, जन्‍मशताब्‍दी मनाई जा रही है. मेरे विभाग द्वारा उनके योगदान को जनसामान्‍य तक पहुंचाने के लिये व्‍याख्‍यानों और प्रदर्शनियों का आयोजन किया जा रहा है. उनकी विस्‍मृति में विभाग द्वारा पुरातत्‍व के क्षेत्र में उल्‍लेखनीय कार्य करने के लिये डॉ. व्‍ही.एस. वाकणकर पुरस्‍कार दिया जायेगा. पुरातत्‍व के क्षेत्र में शोध कार्य को बढ़ाने के लिये दो वरिष्‍ठ एवं दो कनिष्‍ठ डॉ. व्‍ही.एस. वाकणकर फैलोशिप भी दी जायेगी.

          स्‍वराज भवन मेरे पास है, शहीद मेले लगते हैं तो मैं एक ही बात कहूंगी कि-

          ''शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का यही बांकी निसां होगा.''

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इसके साथ ही स्‍वराज स्‍मारकों का उन्‍नयन हम लोग कर रहे हैं. खंडवा, जिला खंडवा में बड़ौदाहीर, भीमा नायक स्‍मारक ढाबाबाड़ी में, आजा स्‍मृति भावरा में और इसकी फैलोशिप और प्रकाशन भी हम लोग कर रहे हैं जो गतिविधियां अब बंद हो गई थीं उसके बारे में भी कर रहे हैं और स्‍वराज की गतिविधियों में भारत पर्व का आयोजन भी हम लोग 26 जनवरी पर करते हैं. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, लास्‍ट में बस एक ही बात कहूंगी, मैंने संस्‍कृति मंत्री के नाते, संस्‍कृति विभाग का संकल्‍प और आगामी स्‍वप्‍न सदन के सामने रखें हैं. अब सुप्रसिद्ध शायर प्रवीण शाक्‍य का केवल यह शेर कहकर मैं अपने वक्‍तव्‍य को विराम देना चाहूंगी इसके पहले मनमोहन सिंह जी के बारे में जो टिप्‍पणी माननीय सदस्‍य ने की थी उसको अगर न बोलूं.

          अध्‍यक्ष महोदय--  नहीं, नहीं अब मैं समय नहीं दे रहा, हो गया.

          डॉ. विजय लक्ष्‍मी साधौ--  एक सेकेण्‍ड, मनमोहन सिंह जी के बारे में बोला जो-

          ''सोच अच्‍छी हो तो हालात बदल जाते हैं, ठोकरें लगने से पहले ही संभल जाते हैं,

          काम करते हैं फकत बात नहीं करते हम, हौसले देखकर पर्वत भी पिघल जाते हैं.''

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, प्रवीण शाक्‍य जी ने कहा था-

          ''मैं सच कहूंगी, मगर फिर भी हार जाऊंगी.

          वो झूठ बोलेगा, और लाजवाब कर देगा.''

          बहुत-बहुत धन्‍यवाद अध्‍यक्ष महोदय.

          श्री रामेश्‍वर शर्मा--  यह तो आपने सरकार पर ही बोल दिया. यह तो संस्‍कृति विभाग ने अपनी सरकार पर बोल दिया कि किसानों का कर्ज माफ नहीं हुआ.

          श्री शशांक श्रीकृष्‍ण भार्गव--   माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमारी जो संस्‍कृति प्राचीन समय से चली आ रही है उसके बारे में बात नहीं की. हमारे बहरूपियों को संरक्षण प्राप्‍त होना चाहिये. आपको मालूम है कि पिछले 15 साल में यह प्रजाति पूरे मध्‍यप्रदेश से विलुप्‍त हो गई. हमारे नेता ही नाटक नोटंकी करने लगे, इसलिये उनको संरक्षण की आवश्‍यकता है. अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से निवेदन करना चाहूंगा कि बहूरूपियों को संरक्षण दिया जाये.

          अध्‍यक्ष महोदय--  कोई इनको समझाओ, कोई मंत्री जरा इनको समझाओ. भार्गव जी ऐसा नहीं होता जैसा आप कर रहे हैं. मैं अगर खड़ा हो जाता हूं, आप नये हैं आपको तत्‍काल बैठ जाना चाहिये, बिल्‍कुल ऐसा नहीं बोलना चाहिये और विभागों की मांगों पर यह तरीका अच्‍छा नहीं है. विराजिये आप. यह अच्‍छी बात नहीं है. जरा नये-नये विधायक आये हैं, व्‍यवस्‍थायें समझें, पुरानी जो चीजें चली आई हैं बैठकर उनको समझने की कोशिश करें.

          श्री विजय शाह--  वह बहूरूपिये की बात कर रहे हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय--  आप बहुत वरिष्‍ठ हैं. नहीं ऐसा नहीं, आप ऐसा मत करिये.

          डॉ. विजय लक्ष्‍मी साधौ--  माननीय अध्‍यक्ष जी...

          अध्‍यक्ष महोदय--  नहीं, नहीं अब आप कुछ नहीं बोलेंगी. आपने बरमान मेले के बारे में कुछ नहीं बोला इसलिये अनुमति नहीं देता.

          डॉ. विजय लक्ष्‍मी साधौ--  माननीय अध्‍यक्ष जी, मैं चाहती हूं कि सर्वानुमति से मेरा बजट पास करें.       

            अध्यक्ष महोदय - मैं, पहले कटौती प्रस्तावों पर मत लूंगा.

          प्रश्न यह है कि मांग संख्या - 26, 38 एवं 52 पर प्रस्तुत कटौती प्रस्ताव स्वीकृत किये जायें.

कटौती प्रस्ताव अस्वीकृत हुए.

          अब मैं, मांगों पर मत लूंगा.

          प्रश्न यह है कि मार्च,2010 को समाप्त होने वाले वर्ष में राज्य की संचित निधि में से प्रस्तावित व्यय के निमित्त लेखानुदान में दी गई धनराशि को सम्मिलित करते हुये राज्यपाल महोदया को -

          अनुदान संख्या  -        26      संस्कृति के लिए दो सौ छब्बीस करोड़,तेरह लाख,

                                                बाईस हजार रुपये,

          अनुदान संख्या  -        38      आयुष के लिए चार सौ इक्यासी करोड़, चालीस लाख,

                                                चौबीस हजार रुपये, एवं

          अनुदान संख्या  -        52      चिकित्सा शिक्षा के लिए दो हजार तीन सौ नौ करोड़,

                                                छिहत्तर लाख, उनतालीस हजार रुपये

          तक की राशि दी जाय.

मांगों का प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.

4.20 बजे     (2)   मांग संख्या - 24      लोक निर्माण कार्य-सड़कें और पुल

                       मांग संख्या - 67      लोक निर्माण कार्य-भवन

                       मांग संख्या - 71      पर्यावरण

        लोक निर्माण मंत्री( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) -  अध्यक्ष महोदय, मैं, राज्यपाल महोदया की सिफारिश के अनुसार प्रस्ताव करता हूं कि 31 मार्च,2020 को समाप्त होने वाले वर्ष में राज्य की संचित निधि में से प्रस्तावित व्यय के निमित्त लेखानुदान में दी गई धनराशि को सम्मिलित करते हुये राज्यपाल महोदया को -

            अनुदान संख्या  -        24      लोक निर्माण कार्य - सड़कें और पुल के लिए आठ हजार

                                                एक सौ बावन करोड़ आठ लाख,बीस हजार रुपये,

          अनुदान संख्या  -        67      लोक निर्माण कार्य - भवन के लिए आठ सौ तैंतालीस

                                                करोड़, अठारह लाख, अन्ठानवे हजार रुपये, एवं

          अनुदान संख्या  -        71      पर्यावरण के लिए पैंतीस करोड़, चौवन लाख,

                                                बयालीस हजार रुपये

          तक की राशि दी जाय.

          अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.

                                अब, इन मांगों पर कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत होंगे. कटौती प्रस्तावों की सूची पृथकत: वितरित की जा चुकी है. प्रस्तावक सदस्य का नाम पुकारे जाने पर जो माननीय सदस्य  हाथ उठाकर कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत किये जाने हेतु सहमति देंगे, उनके ही कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए माने जायेंगे.

          मांग संख्या    -       24             लोक निर्माण कार्य-सड़कें और पुल

                                                          क्रमांक

          श्री ओम प्रकाश सखलेचा                  2

          श्री उमाकांत शर्मा                           5

          श्री मनोहर ऊंटवाल                        7

          श्री बहादुर सिंह चौहान                       8

          डॉ.सीतासरन शर्मा                         11

          श्री अजय विश्नोई                            12

          श्री दिलीप कुमार मकवाना                14

          श्री प्रेमशंकर वर्मा                           16

          श्रीमती राजश्री रुद्र प्रताप सिंह            19

          श्री रामपाल सिंह                           21

          श्री पारसचन्द्र जैन                          23

          श्री प्रणय प्रभात पाण्डेय          30

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया               31

          मांग संख्या - 67                     लोक निर्माण कार्य-भवन

                                                          क्रमांक

          श्री बहादुर सिंह चौहान                       1

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया               3

          मांग संख्या    -       71             पर्यावरण

                                                          क्रमांक

          डॉ.सीतासरन शर्मा                         1

          श्री बहादुर सिंह चौहान                       3

         

          उपस्थित सदस्यों के कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए.

            अब मांगों और कटौती प्रस्तावों पर एक साथ चर्चा शुरू होगी.

            मेरा अनुरोध है इसमें नाम बहुत ज्यादा हैं. मैंने नेता प्रतिपक्ष जी से भी चर्चा की है. समय का ध्यान जरूरी है. कृपया हर मांग में अगर 2 सीनियर सदस्य और 3 जूनियर सदस्य बोलेंगे तो मांगें न्यायोचित भी होंगी. समय का भी ध्यान रखा जायेगा और आगे भी बात हो पायेगी. कृपया आप अपने जो नाम प्रस्तावित करते हैं. मेरी दोनों दलों से प्रार्थना है. आप स्वयं अपने नाम तय करें. अगर किसी ने दो विभागों पर बोल दिया है तो नये सदस्यो को मौका दें. ऐसा मेरा आप लोगों से अनुरोध है. नये सदस्यों को आप जरूर मौका दें तद्नुसार सूची तय करें. मेहरबानी होगी.

          श्री रामपाल सिंह (सिलवानी) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 24- लोक निर्माण कार्य-सड़कें और पुल, मांग संख्या- 67 - लोक निर्माण कार्य-भवन, मांगों का विरोध करता हूं और मध्यप्रदेश में सरकार को इतना समय हो गया और पंद्रह वर्ष पूर्व भी आपका ही शासन रहा. बीच में दो-ढाई साल माननीय पटवा जी के साथ हमको विधायक बनने का मौका मिला था उसके पूर्व भी पूरा समय आपका रहा. आप भी मंत्री थे. नगरीय प्रशासन विभाग आपके पास था.  अध्यक्ष महोदय, आप भी मंत्री के रूप में थे और आपका मार्गदर्शन हमें मिलता था.

          श्री सज्जन सिंह वर्मा - पिछले साल तो आप मांगों का समर्थन कर रहे थे.

          श्री रामपाल सिंह - पिछले साल की बात अलग थी. पंद्रह साल का इनके दिमाग में हैं लेकिन आपके कितने साल हो गये उसको गिन लीजिये. हमको जब खजाना मिला जब हम सरकार में आये तो मध्यप्रदेश सड़कों के मामले में फेल था, बिजली के मामले में फेल था. सड़कों में गढ्ढे और गढ्ढे में सड़क यह भाषण हमने इस विधान सभा में दिये हैं.मध्यप्रदेश के लोग तन डोले, मन डोले सड़क कहते थे मध्यप्रदेश के लोग और उत्तर प्रदेश से जो लोग आते थे.

4.23 बजे     उपाध्यक्ष महोदया ( सुश्री हिना लिखीराम कावरे ) पीठासीन हुईं

          पुरानी बातें याद कराना इसीलिये जरूरी है कि जो नये माननीय सदस्य आये हैं उनको अगर पुरानी याद आयेगी तो अभी घबड़ा जायेंगे. इस बजट को देखकर अभी पुरानी याद आने लगी है. सड़कों की क्या हालत थी. आपने बजट बनाया. आपका नाम सज्जन सिंह वर्मा है. आप पहले बहुत जागरूक थे. आप क्या डर, भय में हैं क्या दिया है बजट में. 40 सड़कें आपने छिंदवाड़ा की क्यों जोड़ दीं. 40 आपने अपने क्षेत्र की जोड़ दीं.

          श्री दिलीप सिंह परिहार - नीमच जिला पूरा छोड़ दिया. आपके समय सबको मिलती थीं. सज्जन भईया ने व्यवहार ठीक नहीं किया.

          श्री रामपाल सिंह - सभी विधायक,मंत्रियों की एक-एक सड़क ले लेते. इतनी बेचैनी क्यों.

          श्री पारसचन्द्र जैन -  उस समय के मुख्यमंत्री जी ने सभी विधायकों से दो-दो सड़कें मांगी थीं.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - माननीय रामपाल जी, यह तो वही बात हो गई कि हे प्रभु, सबका भला करना लेकिन शुरुआत मुझसे करना.

          श्री ओमकार सिंह मरकाम - माननीय उपाध्यक्ष जी, पिछले समय जब शिवराज सिंह जी की बजट आया था तो 72 सड़कें तो आप अपने सीहोर की रखी थीं. हम ट्रायवल ऐरिये में मांग रहे थे नहीं दे रहे थे.

          श्री रामपाल सिंह - वह मंत्री जी बताएंगे अच्छा रहेगा. बहुत विद्वान मंत्री हैं.  मैं जो ब ता रहा था मध्यप्रदेश की सड़कों की जो हालत थी. मैं बेगमगंज 5 घंटे में पहुंचता था. गाड़ी के टायर पंचर होते थे. कमानी टूटती थी. माननीय मंत्री वर्मा जी के साथ देवास गया था 5 घंटे लग गये थे. एक जगह चाय पी. इन्दौर जाने में पूरा दिन.नरसिंहपुर से माननीय अध्यक्ष जी आते थे सुबह.जबलपुर की हालत खराब.

          श्री सज्जन सिंह वर्मा - रामपाल जी आपने उस समय कहा था कि रुकते-रुकते चलना, एक-एक गांव देखते चलेंगे इसीलिये 5 घंटे लगे.

श्री रामपाल सिंह - यह स्थिति सड़कों की थी.

श्री वालसिंह मैड़ा- माननीय मंत्री जी बहुत सुलझे हुए हैं, उनकी बात का जवाब दीजिए और 15 साल का जवाब भी दे दीजिएगा.

श्री रामपाल सिंह - यह सब चीजें सदन के सामने हैं और इसलिए जब से आपने कार्यभार संभाला है. आपसे निवेदन और प्रार्थना कर रहे हैं कि पूरे काम आपने क्यों रोक दिये, ठेकेदारों का पेमेंट आपने क्यों नहीं किया? सड़कों की मरम्मत आपने नहीं की. आपने अधिकारियों और कर्मचारियों की उठाकर मरम्मत कर दी, तबादला ठोक दिया. पूरब, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण में उनका तबादला कर दिया. आप तो समझदार आदमी हैं. थोड़ा ठीक से काम करना चाहिए, ठीक से गाड़ी चलाना चाहिए. आपसे यह उम्मीद नहीं थी. आपने पूरे विभाग की हालत खराब कर दी. ठेकेदार आत्महत्या कर रहे हैं. गरीब ठेकेदार जो पैसा लगाकर काम कर रहे थे, जो काम की गति मध्यप्रदेश में चल रही थी. मैं पूरे विश्वास से कह सकता हूं कि जितने वर्षों तक आपकी सरकार रही, आप तो 15 वर्ष का  कह रहे हैं, हम 50 वर्ष का भी कह सकते हैं. 15 सालों में सबसे ज्यादा सड़कों का जाल बिछाया है तो  शिवराज सिंह चौहान जी की सरकार, भाजपा की सरकार ने बिछाया है. इसकी शर्त भी लगा सकते हैं. (मेजों की थपथपाहट).. इस पर कोई शर्त लगाने को तैयार हो तो लगा ले. पूरा प्रदेश सड़कविहीन हमको मिला था.

श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव -उपाध्यक्ष महोदया,  सीसी रोड पर डामर डल रहा था.

श्री रामपाल सिंह - पंडित जी मालूम है विदिशा की क्या स्थिति थी? माननीय श्री अटल जी और हम गये थे, 4 घंटे में पहुंचे थे.

श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव - आप कहेंगे तो कल रिकार्ड प्रस्तुत कर दूंगा.

श्री सज्जन सिंह वर्मा - इतना कर्ज चढ़ा दिया, कर्ज ले लेकर सड़क बनाई है, आपने कितना कर्ज चढ़ा दिया है?

श्री रामपाल सिंह - प्रदेश के विकास के लिए किया है.

श्री सुखदेव पांसे - आप लगा लो शर्त, जो कमलनाथ जी ने केन्द्रीय निधि से सड़कें दी थी, जब वे भूतल परिवहन मंत्री थे, हिन्दुस्तान में सबसे ज्यादा मध्यप्रदेश को कमलनाथ जी ने पैसा दिया था, आप लगा लो शर्त!

श्री रामपाल सिंह - उपाध्यक्ष महोदया, इस पर बात हो जाय. माननीय श्री कमलनाथ जी जब मंत्री थे.. (व्यवधान)..

श्री कुणाल चौधरी - आप छिंदवाड़ा और विदिशा की सड़कें देख लो.

(व्यवधान)..

उपाध्यक्ष महोदया - आप कृपया बैठ जाइए.

श्री रामपाल सिंह -पांसे जी, इतना विकास हो गया तो 40 सड़कों की क्या जरूरत हो गई? वहां का तो पहले ही विकास हो गया है.

विधि एवं विधायी कार्य मंत्री (श्री पी.सी. शर्मा) - वर्ष 2003 में आपने कहा था कि कभी हमारी सरकार बनी तो हेमामालिनी के गालों की तरह सड़क बनाएंगे और हेमामालिनी को ग्वालियर से दतिया आने में पसीना आ गया था, उनको 6 घंटे लगे थे, आपके राज में 6 घंटे लगे थे.

श्री रामपाल सिंह - यह हमने नहीं कहा, आपने कहा था. यह श्रवण भाई पटेल जी का भाषण रखा है. माननीय श्री हजारीलाल रघुवंशी जी का भी भाषण रखे हुए हूं. यह हमने नहीं कहा. आपके मंत्रियों ने कहा है. यह भाषण रखे हुए हूं.

श्री सज्जन सिंह वर्मा - हमारे पास भी शिवराज सिंह जी का भाषण रखा हुआ है, उन्होंने कहा था कि अमेरिका से ज्यादा अच्छी सड़क बनाएंगे?

श्री रामपाल सिंह - सड़कें अच्छी बनी हैं. उपाध्यक्ष महोदया, अमेरिका से अच्छी सड़कें मध्यप्रदेश में बनाई हैं और हम आपको सड़कों का नाम गिना सकते हैं, मजबूत सीसी रोड बनाई हैं.

श्री रामेश्वर शर्मा - उपाध्यक्ष महोदया, यह मध्यप्रदेश हिन्दुस्तान में है और हिन्दुस्तान का नाम सड़कों के कारण अगर दुनिया में होता है तो इसमें बुराई क्या है? (व्यवधान)...

श्री कुणाल चौधरी - विधायक जी, आप तो खुद गड्ढे भरने गये थे, आप तो ध्यान रखो, आप तो खुद विरोध कर रहे थे?

उपाध्यक्ष महोदया- कृपया आप बैठ जाइए.

श्री रामपाल सिंह - उपाध्यक्ष महोदया, आपका संरक्षण मिले, मैं अपनी बात कह सकूं. बीच में हमारे विद्वान साथी ज्यादा चर्चा में भाग ले रहे हैं. अन्य विषय पर इनको थोड़ा ज्यादा समय आप दे देना. लेकिन मैं यह पूरा आंकड़ों सहित बता रहा हूं. जब हमको सरकार मिली, 860 करोड़ रुपये का बजट मात्र हमको मिला था. मैं गारंटी के साथ में कह सकता हूं कि 860 करोड़ रुपये से ज्यादा हमने जो काम किये हैं वह जिलों में कर दिये हैं. (मेजों की थपथपाहट).. जिला मुख्यालय जोड़ने का लक्ष्य बनाया, संभाग मुख्यालय जोड़ने का हमने लक्ष्य बनाया, गांवों को जोड़ने का लक्ष्य बनाया. जब हमने आपको सरकार दी, 10700 करोड़ रुपये आपको देकर गये हैं. यह आपको स्वीकार करना पड़ेगा.

श्री सज्जन सिंह वर्मा - मैं इसलिए टोक रहा हूं कि श्री दिग्विजय सिंह जी की सरकार गई, उस समय 30-32 हजार करोड़ रुपये का कर्जा था, अब आपने 1 लाख 90 हजार करोड़ रुपये का हम पर कर्जा कर दिया? अब कर्जा करके हमारे प्रदेशवासियों को डूबो रहे हो और वाह-वाही लूट रहे हो.

श्री रामपाल सिंह - उपाध्यक्ष महोदया, विकास किया है. 10 वर्ष विपक्ष में मैं विधायक रहा. 10 वर्ष तक एक पुलिया, एक सड़क मेरे क्षेत्र में नहीं बनवा पाया, ऐसी सरकार थी और एक सरकार हमारी थी, आदरणीय गोविन्द सिंह जी, अकील साहब भी कह सकते हैं. आप भी गवाह हैं उपाध्यक्ष महोदया, जो प्रस्ताव आते थे वह सबको स्वीकृति दी, लेकिन आपने यह क्या किया? एक तरफ  आपने बजट पूरा उठाकर पटक दिया है. यह विधायक, सांसद, मंत्रियों के पत्र आपके पास में आए हुए थे, आपने उन पर गौर नहीं किया, उनकी आप चिंता करिएगा. आपने उनको ठुकरा दिया और आपको इस तरह से नहीं करना चाहिए. आपको सबको मौका देना चाहिए. यह सब चीजें आपके ध्यान में आना चाहिए. आपने जो किया है मैं आपके सामने आंकड़ें बताऊंगा, 10 साल के भी, 50 साल के भी बता दूंगा. 10 वर्ष में आपकी जो सड़क थी 11462 कि.मी. 3000 करोड़ रुपये की बनी थी. हमने 10 वर्ष में वहीं 22430 कि.मी. सड़कें बनाईं. 15 साल का बता देंगे तो आप और परेशान हो जाओगे. 15 साल का कहें तो वह बता दें, लेकिन आपके 50 साल का भी पूछेंगे और उससे ज्यादा यह बैठेगा. आपने 10 वर्ष में 129 पुल बनाए, हमने 3478 करोड़ रुपये के 732 पुल बनाकर दिये हैं.  अब यह प्रमाण हैं. आप पूरे प्रदेश में देख लीजिए सड़कों का जाल बिछा है. मध्यप्रदेश की सड़कों के मामले में तारीफ हो रही है. प्रतिदिन हमने मार्गों का उन्नयन भी किया है, 7 कि.मी. एक दिन में हमने सड़क बनाई है. नवीनीकरण भी 7 कि.मी. का किया है. पुल भी एक दिन में हमने 7 बनाए हैं और 3 भवन प्रतिदिन हमने मध्यप्रदेश में बनाए. पीआईयू का गठन भाजपा ने किया. भवन बनाने में मध्यप्रदेश की प्रशंसा पूरे देश में हो रही है.

पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री कमलेश्वर पटेल )- उपाध्यक्ष महोदया, माननीय पूर्व मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि आपने सब कुछ बना दिया. हमारे सीधी सिंगरौली का राष्ट्रीय राजमार्ग है, 7 साल पहले पूर्व मुख्यमंत्री जी ने भूमि पूजन किया था. आज क्या दुर्दशा है. आप लोगों के ही माध्यम से ठेके पर ठेका दिया गया,  ऐसी कई जगह हैं जो हम लोगों को भुगतना पड़ रही हैं, यह हम आपको बताना चाह रहे हैं, इसलिए इतना गुणगान मत करिए.

श्री गिरीश गौतम - उपाध्यक्ष महोदया, माननीय पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री जी से मैं जानना चाहता हूं कि अब क्या बजट में सीधी सिंगरौली मार्ग आ गया है? आपको इसको लाना चाहिए था?

श्री कमलेश्वर पटेल - बजट में राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए प्रावधान था. केन्द्रीय मंत्री आदरणीय श्री कमलनाथ जी थे, उस समय हम लोग जाकर राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए पैसा लाए थे.

उपाध्यक्ष महोदया - यह प्रश्नकाल नहीं है आप बैठ जाइए.

श्री रामपाल सिंह - उपाध्यक्ष महोदया, अब मैं बजट पर ही आता हूं. आपने जो प्रावधान किया है उसका आप अध्ययन कर लेते, आपने जल्दीबाजी में क्या कर दिया, आपने राशि की कटौती कर डाली. आपने पुल के निर्माण में केवल 3000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है. हम ताकत से कह रहे हैं कि 2000 करोड़ रुपये का प्रावधान हमने पिछले साल किया था और काम किया, इतने पुल बनाकर दिये हैं. हम कह सकते हैं कि आपने क्यों कटौती की है, इसका भी हम आपसे निवेदन करेंगे. आपका जवाब हमें चाहिए. सड़क विकास निगम 6553 करोड़ रुपये की राशि दी गई थी, आपने वह राशि घटाकर 2000 करोड़ कर दी, यह क्यों कर दी? आपकी सड़क विकास निगम से क्या नाराजगी है? यह राशि आपने क्यों कम की है, हमें इसका भी जवाब चाहिए? यह हम आपसे निवेदन कर रहे हैं. ऐसे कई काम हैं जो रुके हुए हैं. अभी ठेकेदारों को शीघ्र पेमेंट क्यों नहीं हुआ, उसकी जानकारी आप हमें देंगे और जो भोपाल इंदौर एक्सप्रेस वे चंबल एक्सप्रेस वे हमने  स्वीकृत कर दिया था, आपके साथी उसका वाह-वाही लूट रहे हैं उसका सर्वे करवा रहे हैं? यह क्यों जोड़ दिया? बजट का आकार बढ़ाने के लिए इतनी बड़ी गलती आपके विभाग के अधिकारियों ने की है, वह क्षम्य योग्य नहीं है. कटनी की कई सड़कें पिछले साल स्वीकृत हो गईं, उनका काम लगा है, वह बजट की किताब में छाप दी, वह विधायक जी अभी बताएंगे तो इतनी त्रुटि बजट में आ रही है. उपाध्यक्ष महोदया, आपका भी संरक्षण चाहिए जो हम पिछले साल स्वीकृत कर चुके हैं, उनको आपने किताब में छाप दिया है. झाबुआ का लोकार्पण, भूमि पूजन हम करके आए.

          श्री सुखदेव पांसे -- आपने कई काम कर दिये थे लेकिन पैसा नहीं दिया था.

          श्री रामपाल सिंह -- आपको अपनी बात में गंभीरता रखना चाहिए कोई लक्ष्य ही आपने तय नहीं किये हैं, कहां जाना है आपको पता ही नहीं है, हमारी सरकार थी हमने लक्ष्य तय कर दिया था 3 हजार किलो मीटर सड़कों का निर्माण अगले बजट तक करेंगे, 3200 किलोमीटर का नवीनीकरण करेंगे,  आपने नवीनिकरण का बजट कम कर दिया है, 1650 किलोमीटर मजबूतीकरण करेंगे, 80 पुलों का निर्माण करेंगें, और 980 भवनों का हम निर्माण करेंगे हमने इस तरह के लक्ष्य तय किये थे, आपके बजट में लक्ष्य ही नहीं हैं आपको पता ही नहीं है कहां पहुंचना है, आप घर से निकले लोग पूछ रहे हैं कहां जाना है लेकिन आपको पता ही नहीं है. जब तक आप लक्ष्य बनाकर काम नहीं करेंगे, पुराने दिन फिर आ जायेंगे मध्यप्रदेश की जनता घबराई हुई है, बिजली के कारण घबराने लगे हैं, सबको मामा जी याद आ रहे हैं. सड़कों के मामले में पुराने दिन याद आने लगे हैं. उपाध्यक्ष महोदया आपके जो मंत्री थे आदरणीय श्रवण पटेल जी  का 6 मार्च 2003 का भाषण पढ़ लें उन्होंने कहा है कि 113 करोड़ रूपये की कटौती सरकार ने कर दी है.  इसलिए मरम्मत नहीं कर पायेंगे, पुल स्वीकृत नही किये जायेंगे, भवन भी नहीं बनेंगे, यह सब भाई श्रवण पटेल जी ने कहा यह हमारे पास में भाषण की कापी है. उसके पहले वाले मंत्री जी के भाषण की भी कापी है. आपके राज में इतनी खराब स्थिति है इस स्थिति में आप जैसा सक्षम मंत्री, आपका नामकरण किया गया होगा सज्जन सिंह वर्मा और  उसके अनुरूप आप काम भी कर रहे हैं लेकिन कहीं कहीं उल्टे भाषण भी आप करने लगे हैं, संयमित भाषा रखें माता पिताजी ने जो नाम रखा है सज्जन, बचपन में आप सज्जन रहे होंगे, आप समझदार मंत्री हैं, जवाबदार हैं.

          श्री मुरली मोरवाल -- आपको प्रमाण पत्र देने की जरूरत नहीं है.

          श्री रामपाल सिंह -- उपाध्यक्ष महोदय राष्ट्रीय राजमार्ग  हमने 4 गुने बढ़ाये हैं. 5 हजार आप छोड़कर गये थे हमने 13 हजार किलोमीटर कर दिये हैं. राजमार्ग हमने बढ़ाये है, मुख्य जिला मार्ग को हमने जिला मुख्यालय से जोड़ने का काम किया है, पुल बनाये हैं, भवन बनाये हैं और मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा कामो भाजपा की सरकार ने किया है यह हमें मध्यप्रदेश की जनता ने प्रमाण पत्र दिया है.

          श्री मनोज नारायण सिंह -- उपाध्यक्ष महोदय अगर इनको यह सब देखना है तो हमारे विधान सभा क्षेत्र में चलें हम दिखायेंगे, मैं धन्यवाद देता हूं सज्जन वर्मा जी का जिन्होंने हमारी 10 साल से एक सड़क की मांग थी उसको देकर पूरा किया है वह हमारे देवास जिले की जीवन रेखा थी.

          श्री विश्वास सारंग -- उपाध्यक्ष महोदय रामपाल सिंह जी हमारे पहले वक्ता है और माननीय सदस्य उनको बोलने नहीं दे रहे हैं...(व्यवधान)..

          श्री हरीशंकर खटीक -- हम लोग जो बोल रहे हैं उसका जवाब आये तब तो बोलने का मतलब है, एक भी लाइन का जवाब नहीं आता है..(व्यवधान)..

          डॉ परशुराम चौधरी -- आदरणीय रामपाल सिंह जी बेगमगंज और गैरतगंज के बीच में बीनापुर का पुल टूट गया था. आपने उसका शिलान्यास किया था लेकिन वह आज भी नहीं बन पाया है.

          श्री रामपाल सिंह -- आप रायसेन जिले के मंत्री जी हैं आपका हम पूरा सम्मान करते हैं. भारत सरकार से हमने जो राशि मांगी थी उसके लिए हम गडकरी जी को धन्यवाद देंगे सीआरएफ में भी पैसा दिया, राष्ट्रीय राजमार्ग और भारत माला  में भी उन्होंने हमारी कई सड़कें जोड़ी हैं, उनको हम धन्यवाद देते हैं. आपसे आग्रह करते हैं कि उस राशि का उपयोग करें. 6 - 7 माह हो गये हैं आपकी सरकार को आये हुए आप विभाग को गति दें,  आप समीक्षा अच्छे से करियेगा जैसे कहां पर काम रूके हुए हैं, जनप्रतिनिधियों का भी आप आदर करियेगा, ऐसा नहीं कि आपने एक तरफ सारी सड़कें उठाकर पटक दीं, पुरानी सड़कों को आपने बजट बढाने के लिए जोड दिया है उसकी जांच करवाइयेगा. यह बहुत आपत्तिजनक है विधान सभा में जो हम बजट पास कर चुके हैं उन सड़कों के नाम बजट में आ रहे हैं, उनके खिलाफ में आप कार्यवाही करियेगा, जो सड़कें हम बना चुके हैं उनको आपने कागज पर उतार दिया है.

          श्री अजय विश्नोई -- जो मार्ग बन चुके हैं और जो बन रहे हैं उनके नाम हैं बजट में.

          श्री रामपाल सिंह -- उपाध्यक्ष महोदया आपके माध्यम से इसकी जांच होना चाहिए कि जो काम पिछले साल बजट में पास हो गये हैं, जिसके काम चल रहे हैं टेण्डर हो गये हैं इन्होंने उसको प्रस्तावित में लिख दिया है बजट में तो इस सबकी जांच होना चाहिेए. मंत्री जी आप इस सबकी जांच करायें. यह ही आपसे निवेदन है. हमारे केन्द्रीय मंत्री जी ने कमलनाथ जी के क्षेत्र में पैसा दिया है, वह सबको पैसा देते हैं लेकिन आपने ऐसा क्यों किया है. उपाध्यक्ष महोदय बहुत बहुत धन्यवाद्. मंत्री जी एक एक बात के उत्तर की अपेक्षा मैं आपसे करूंगा,  आप सजग होंगे आपको जगाने का भी काम किया है क्योंकि जिस तरह से लोग आपको बढ़ा रहे हैं, बहका रहे हैं, आपसे कुछ भी कहलवा रहे हैं, ये आपके शुभचिंतक भी नहीं हैं इसलिए थोड़ा आप सावधान भी रहें. उपाध्यक्ष महोदया आपको एक बार पुन: धन्यवाद्.

          श्री सज्जन सिंह वर्मा -- आदरणीय रामपाल जी आप डॉग स्क्वाड को कुत्ता बोल रहे हैं यह क्या बात है. डॉग स्क्वाड सीधे बोलें ना, आप कह रहे हैं कि कुत्तों का ट्रांसफर कर दिया, अरे डॉग स्क्वाड का ट्रांसफर किया है.

          श्री फुन्देलाल सिंह मार्को (पुष्पराजगढ़)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदया जी 2019-20 की मांगो के समर्थन मैं अपनी बात रखना चाहता हूं. माननीय लोक निर्माण मंत्री जी को भी मैं धन्यवाद देना चाहता हूं कि जिस तरह से 15 साल में मध्यप्रदेश की जो सड़कें थीं. अभी पूर्व लोक निर्माण मंत्री जी बड़े दावे के साथ कह रहे थे कि हमने पूरे प्रदेश को जिला और तहसील से जोड़ा है. यह मैं नहीं कहता हूं कि आपने नहीं किया होगा लेकिन सत्य यह है कि 15 साल में जो आपने इस प्रदेश को और खासकर उन मार्गों को जहां पर आप चुंगी नाका लगाकर पैसा वसूल कर रहे थे, उन मार्गों की आपने मरम्मत नहीं की, उन पर आपने मोटी मोटी रकम वसूल की है और वसूल करने के साथ, आपको पता था कि इस पंचवर्षीय के बाद में आपकी सरकार नहीं बन पायेगी, आपने वह सड़कें गड्डे के रूप में ही दी हैं और वह पूरा ठीकरा मध्यप्रदेश की हमारी सरकार के सिर फूट रहा है.

          माननीय उपाध्यक्ष महोदया जिस तरह से माननीय मंत्री जी  आपने हमारी सड़कों का जो विकास किया है 1300 किलोमीटर सड़कों का निर्माण जिसके लिए 602 करोड़ रूपये का प्रावधान आपने किया, 27 पुलों का आपने निर्माण किया,186 करोड़ की लागत से पुल पुलियों का निर्माण भी किया है, 1550 किलो मीटर सड़कों का नवीनीकरण किया गया और मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम के माध्यम से बहुत सारी सड़कों का विस्तार और निर्माण भी किया गया. मैं बताना चाहूंगा कि माननीय कमलनाथ जी की सरकार, जब तक हमारे आवागमन के संसाधन, जिले से विकास खण्ड और विकास खण्ड से गांव और हमारे मजरे टोला तक नहीं जोड़ते हैं तो निश्चित ही हमारी विकास की गति धीमी रहेगी. इस दिशा में हमारी मध्यप्रदेश की सरकार और हमारे मंत्री जी सभी गांवों को कसबों को जोड़ने का हमारा लक्ष्य है, तथा जो हमारे मजरे टोले मुख्य मार्ग से नहीं जुडें हैं उसको जोड़कर वहां के लोगों को आवागमन के साधन उपलब्ध कराने का  जो निर्णय आपने लिया है निश्चित ही उससे हमारे प्रदेश का विकास होगा और आम लोगों को इसका लाभ भी मिलेगा. एक हमारा मार्ग है रीवा से लेकर अमरकंटक तक लगभग 250 किलोमीटर का है वह मां नर्मदा की पवित्र नगरी का दर्शन कराती थी.

          श्री आशीष गोविंद शर्मा -- मार्को जी आपके क्षेत्र को कितनी पुलिया और सड़कें मिली हैं इस बजट में.

          श्री फुन्देलाल सिंह मार्को -- मैं आपको बताना चाहता हूं कि पुष्पराजगढ़ विधान सभा को 5 सड़कें उपलब्ध करवाई हैं उसके लिए मैं मंत्री जी को बहुत बहुत धन्यवाद देता हूं. 5 साल इसी सदन में जहां आप बैठे हैं. 5 साल  इसी सदन में   जहां आप बैठे हैं, वहीं मैं बैठता था, वहीं पूर्व  लोक निर्माण मंत्री  जी थे, मैं एक-दो  बार नहीं, पूरे  5 साल तक लड़ता  रहा कि मेरे पुष्पराजगढ़ विधान सभा, जहां जनजाति समुदाय के लोग  रहते हैं, वहां  सड़क उपलब्ध कराइये.

                   इंजी. प्रदीप लारिया --  मार्को  जी,  यह तो बता दें कि 2003  में  मध्यप्रदेश के सड़कों की कैसी स्थिति थी, उसको भी तो आप  देख लें. पूरे प्रदेश की सड़कें  गड्ढों में तब्दील हो गई थीं.

                   श्री सज्जन सिंह वर्मा -- लारिया जी,  अभी तो  मार्को जी रामपाल सिंह जी से   जवाब मांग रहे हैं.  उनके पास 5 साल में पचास बार गये.

                   श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- उपाध्यक्ष महोदया,  मंत्री  जी का जवाब बाद में  आयेगा कि साथ साथ में आयेगा.

                   उपाध्यक्ष महोदया --  आप लोग डिस्टर्ब करेंगे, तो ऐसे ही आता रहेगा.  कृपया आप लोग सहयोग करें.

                   श्री विश्वास सारंग -- उपाध्यक्ष महोदया, सज्जन भाई का अंदाज ही अलग है.

                   श्री फुन्देलाल सिंह मार्को --  उपाध्यक्ष महोदया, समय सीमित है, जिस तरह से  ये व्यवधान उत्पन्नन करेंगे, तो  मैं कैसे बात कर पाऊंगा. मैं हमारे पक्ष की तरफ से प्रथम वक्ता हूं.

                   उपाध्यक्ष महोदया --  आप अपनी बात जारी रखिये. आप उस तरफ बिलकुल ध्यान मत दीजिये.

                   श्री फुन्देलाल सिंह मार्को --  उपाध्यक्ष महोदया, मैं  आपको इस बात की ओर ध्यान दिलाना चाहता हूं कि  जब हमारा उप चुनाव लोकसभा का  शहडोल में  हुआ.  आप लोग अपने घोषणा पत्र को भी पलटाकर देखेंगे,  उसमें पुष्पराजगढ़  और शहडोल जिले की  कई सड़कों का आपने उल्लेख किया है.  5  साल बीत गया, 15 साल  बीत गया,  चुनाव हो गये.  चुनाव होने के बाद  क्या उस घोषणा पत्र के पन्नों को आपने पलटा है.  यह मैं आपके घोषणा पत्र की बात कर रहा हूं.  हमारा  जो वचन पत्र है,  यह  माननीय कमलनाथ  सरकार का  वचन पत्र है, जो  5 साल में  जनता को हमने  वचन दिया है,  उसके एक -एक बिन्दु का हम पालन करेंगे.  यह हमारी कांग्रेस की सरकार है.

                   श्री इन्दर सिंह परमार --मार्को जी, जनता से तो पूछ लीजिये, आप लोगों के बारे में जनता क्या कहती है.

                   उपाध्यक्ष महोदया --  कृपया बैठिये.  मार्को जी को अपनी बात बोलने दीजिये.

                   इंजी. प्रदीप लारिया -- यह   आपके वादे  लोकसभा  चुनाव में दिखाई दे गये. आप लोगों ने किसानों के लिये जो कर्ज माफी  की  बात की थी, वह पूरी नहीं की और  चुनाव के बाद  आपका राष्ट्रीय अध्यक्ष बदल गया,लेकिन  आप लोगों ने मुख्यमंत्री  नहीं बदला.

                   उपाध्यक्ष महोदया --  लारिया जी, जब आपका समय आयेगा, तब बात करियेगा. मार्को जी, आप अपनी बात जारी रखिये.

                   श्री फुन्देलाल सिंह मार्को --  उपाध्यक्ष महोदया, कर्ज माफी पर आपको इतना दर्द क्यों हो रहा है.  आपने 2008   के घोषणा पत्र में 50 हजार रुपये  माफ करने की घोषणा की थी.  आप अपना घोषणा पत्र  पढ़िये.  2008 के चुनाव में  आपने घोषणा की थी कि  50 हजार रुपये  किसान  का कर्ज माफ करेंगे. आपने वह घोषणा पूरी नहीं की. ..(व्यवधान)..

                   उपाध्यक्ष महोदया --  मेरा माननीय सदस्यों से निवेदन है कि आप लोग बिराजिये.  मार्को जी, कृपया अपनी बात 5 मिनट में पूरी करें.

                    श्री फुन्देलाल सिंह मार्को --  उपाध्यक्ष महोदया,  मैं तो बजट पर चर्चा कर रहा था, जहां जिस बिन्दु पर  चर्चा कर रहा हूं...

                   उपाध्यक्ष महोदया --  आप सीनियर विधायक हैं, आप विषय पर बोलिये.

                   श्री फुन्देलाल सिंह मार्को --  उपाध्यक्ष महोदया, मैं विषय पर ही बोल रहा हूं. कर्ज माफी  की बात इन लोगों ने ही  शुरु की, मैंने शुरु नहीं की.

                   उपाध्यक्ष महोदया --  आप उधर मत जवाब दीजिये, आप आसंदी की तरफ देखकर बात करिये.

                   श्री फुन्देलाल सिंह मार्को --  उपाध्यक्ष महोदया, आप अपने 2008 के घोषणा पत्र को उठाइये.  आपने जनता के साथ छलावा  एवं धोखा किया कि हम 50 हजार रुपये तक के कर्ज को  माफ करेंगे. यह मैंने नहीं कहा है,  यह आपने कहा था.  लेकिन आपने माफ नहीं किया.  जब आज हम कर्ज माफ कर रहे हैं,  तो  एक एक व्यक्ति बोल रहा है..

                   श्री हरिशंकर खटीक -- उपाध्यक्ष महोदया, माननीय सदस्य विषय से भटक रहे हैं.

                   उपाध्यक्ष महोदया --  कृपया बैठिये, जब आपको अवसर मिलेगा, तो बोलियेगा. ..(व्यवधान).. आप लोगों ने ही तो कर्ज माफी की बात की है.

                   श्री विश्वास सारंग -- उपाध्यक्ष महोदया, ये सड़क  के अलावा बात कर रहे हैं.

..(व्यवधान)..

                   उपाध्यक्ष महोदया --  कृपया आप लोग बैठ जायें.

                   श्री फुन्देलाल सिंह मार्को --  उपाध्यक्ष महोदया, आज 6  महीने के अंदर   हम  प्रदेश को  एक अच्छी व्यवस्था देना चाहते हैं.  चाहे सड़क के मामले में हो, चाहे प्रशासन के मामले में हो, चाहे अन्य व्यवस्थाएं  सरकार के अधीनस्थ हैं, उस साढ़े सात करोड़  जनता  की हमको चिंता है.  आज हमारा  जो बजट रोड, पुल-पुलियों एवं भवनों के लिये है.  जहां आप लोग छोड़कर चले गये, उसको  आगे बढ़ाने का काम  हमारी मध्यप्रदेश की सरकार करेगी.  उपाध्यक्ष महोदया, मैं आपको ध्यान  दिलाना चाहता हूं कि  आपने अपने घोषणा पत्र में    पटना,करपा,सरई, लखोरा से  बोदा मार्ग,  आप अपने  2016 के  लोक सभा उप चुनाव के  घोषणा पत्र को पलटियेगा. जहां जहां आप जनता के साथ  वादा करके  आये.  आपने लिखित में जो घोषणा पत्र जारी किया,  उस घोषणा पत्र का पालन आपने नहीं किया.  जनता के साथ असत्य वादा करके, जनता को गुमराह किया,  आपने जनता को लुभाया और  पटना,करपा,सरई, लखोरा से  बोदा मार्ग  के लिये  माननीय पूर्व मुख्यमंत्री जी ने   एक-दो बार नहीं  चार बार  घोषणा की, घोषणा वीर पूर्व मुख्यमंत्री जी ने जो आश्वासन दिया और उसको पूरा नहीं किया, इसी लिये आज आप  वहां पहुंच गये हैं.  इसी तरह से प्रदेश में आपने जहां जहां पर   घोषणा की. (श्री नागेन्द्र सिंह "नागौद" के खड़े होने पर)  माननीय कृपया बैठ जाइये,  जब  आपका नाम आयेगा, तब आप बोलियेगा.)

                   श्री संदीप श्रीप्रसाद  जायसवाल -- मार्को जी, क्या आप इस तरीके से वरिष्ठ सदस्य को बोलेंगे.  आप वरिष्ठ सदस्य को बैठने के लिये कैसे बोल रहे हैं.  वे इतने सीनियर मेम्बर हैं.

                   उपाध्यक्ष महोदया --  आप कृपया बैठ जाइये. मार्को जी,  आप आसंदी की तरफ देखकर बात करें.  आप लोगों से मेरा निवेदन है कि कृपया  फुन्देलाल सिंह मार्को जी को अपनी बात पूरी करने दें.

                   श्री हरिशंकर खटीक --  उपाध्यक्ष महोदया,  वे वरिष्ठ सदस्य को  सीधे बैठने के लिये  कह रहे हैं.  आप आदेश कीजिये, आपके आदेश को हम लोग   स्वीकार करेंगे.

                   उपाध्यक्ष महोदया --  आप भी तो डायरेक्ट ही बात कर रहे थे.  मेरा आपसे निवेदन है कि आप बैठ जायें, उनकी बात  पूरी  हो जाने दीजिये.

                   श्री नागेन्द्र सिंह "नागौद" --  उपाध्यक्ष महोदया, अगर आप अनुमति देंगी, तो  मैं बोलूंगा, नहीं तो  नहीं बोलूंगा.

                   उपाध्यक्ष महोदया --  निश्चित रुप से.  मार्को जी, आप आसंदी की तरफ देखकर बात करिये.  आप मार्को जी के बाद बोल लीजिये.

                   श्री नागेन्द्र सिंह "नागौद" --  उपाध्यक्ष महोदया, भाषण मुझे नहीं देना, अगर  आप अनुमति देंगी, तो ही बोलूंगा.

                   श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- उपाध्यक्ष महोदया,   मार्को जी अगर विषय पर बोलेंगे, तो हम सुनेंगे, लेकिन वे विषय पर तो बोलें.

                   उपाध्यक्ष महोदया -- मार्को जी विषय पर ही बोल रहे हैं.  आप कृपया बैठ जाइये.  मार्को जी, आप दो मिनट में अपनी बात समाप्त करें.  आप समय मत गंवाइये. कृपया जल्दी करिये.

                   श्री फुन्देलाल सिंह मार्को --  उपाध्यक्ष महोदया,  मैं तो  एक मिनट में ही समाप्त करने वाला था.  लेकिन जो मेरे समय में व्यवधान उत्पन्न  कर रहे हैं..

                   उपाध्यक्ष महोदया --  आप विषय पर अपनी बात कहिये.

                   श्री फुन्देलाल सिंह मार्को --  उपाध्यक्ष महोदया, जहां   इन लोगों ने ऐसे-ऐसे पुलों का निर्माण किया, बनने के पहले टूट गये, धराशायी हो गये.  क्योंकि  उसमें लम्बे-लम्बे, मोटे- मोटे पेमेंट  आ रहे थे और आज  वे कह रहे हैं कि  इसका पैसा हमारे कांट्रेक्टर्स को क्यों नहीं  दे रहे हैं.   इसमें आप  इतने चिंतित क्यों हैं, इसलिये कि  उसमें आपका कुछ न कुछ  बचा हुआ है,  जिसके कारण  बड़े जोर-शोर से उनकी पैरवी की जा रही है.  टूटे ‑ फूटे  पुल,  टूटी सड़कें, गुणवत्ता विहीन , आपने उनकी रेत, गिट्टी,मुरम खा ली और आज आप कहते हैं कि ठेकेदारों को उनका पैसा दो. हम उसको देखेंगे. 15 साल में जो सड़कें आपने बनाई हैं, जो आज गड्ढों में तब्दील हो गई हैं, उनकी हम पूरी जांच करेंगे, जांच करके जो सड़क खरी उतरेगी,  उसका पेमेंट भी करेंगे.  ऐसा नहीं है कि  आपका कुछ बच गया, तो  आप बोल रहे हैं.  पहले हमको उन रोड्स को देखने तो दीजिये.   उपाध्यक्ष महोदया, अभी कह  रहे थे कि बहुत सारे ट्रांसफर हुए हैं. आज पूरे मध्‍यप्रदेश में जो हमारे अधिकारी, कर्मचारी हैं, क्‍या उनको जीने का अधिकार नहीं है ? क्‍या उनको सुख सुविधा पाने का अधिकार नहीं है ? वे हमारे शासन और प्रशासन के अंग हैं, जो दिन रात काम कर रहे हैं. यदि वे चाहते हैं कि मुझे वहां जाना है, यदि वहां पद रिक्‍त है, उनके बाल-बच्‍चे वहां पर हैं या वे अपने मां-बाप के पास पहुँचना चाहते हैं तो ... (व्‍यवधान) ...

          श्री हरिशंकर खटीक -- ट्रांसफर की दुकान की बात हो रही है. ... (व्‍यवधान) ...

          उपाध्‍यक्ष महोदया -- बैठ जाइये, वे अपनी बात खत्‍म कर रहे हैं.

          श्री फुंदेलाल सिंह मार्को -- आपने कहा है, कार्यवाही उठाकर देखें. आपने कहा है कि स्‍थानांतरण हो रहे हैं.

          उपाध्‍यक्ष महोदया -- मार्को जी, आप आसंदी की तरफ देखकर बात करिए और अपनी बात जल्‍दी खत्‍म करिए. एक लाइन में खत्‍म करिए.

          श्री फुंदेलाल सिंह मार्को -- उपाध्‍यक्ष महोदया, मैं तो खत्‍म ही कर रहा हूँ. आपका जैसा आदेश. मैं यह नहीं कह रहा हूँ, यह हमारे माननीय पूर्व लोक निर्माण मंत्री जी ने कहा कि अधिकारियों का ट्रांसफर जोरों पर है. आपने बेहाल कर दिया. ... (व्‍यवधान) ...

          इंजी. प्रदीप लारिया—(XXX). ... (व्‍यवधान) ...

          उपाध्‍यक्ष महोदया -- लारिया जी, आप बैठ जाएं, जब आपका नंबर आएगा, तब बोलिएगा, आपका नाम लिस्‍ट में है. अगर आप पूरी बात अभी कर लेंगे तो बाद में क्‍या बोलेंगे, आप उनको अपनी बात पूरी कर लेने दीजिए.

          श्री फुंदेलाल सिंह मार्को -- उपाध्‍यक्ष महोदया, मैं आप सबको बताना चाहता हूँ कि जो अधिकारी कर्मचारी मध्‍यप्रदेश के हैं, यदि उनके ट्रांसफर स्‍वैच्‍छा से हैं, यदि वे वहां जाना चाहते हैं, उनका भी हक है, उनका भी अधिकार है. इसमें आपको उद्योग नजर आता है.

          उपाध्‍यक्ष महोदया -- मार्को जी, कृपया समाप्‍त करें.

          श्री फुंदेलाल सिंह मार्को -- उपाध्‍यक्ष महोदया, यदि कोई कर्मचारी या अधिकारी रिक्‍त पद पर जाना चाहता है तो वहां व्‍यवस्‍था करने का काम सरकार का है. कोई भी कर्मचारी यदि अपनी इच्‍छानुसार जाना चाहता है तो क्‍या हो गया. 15 साल तक आपने बैन लगाकर रखा, उनको बंधुआ बनाकर आपने रखा. उनको सुख-सुविधा नहीं दे सके, इसके कारण आज ... ..(व्‍यवधान)..  

          श्री दिलीप सिंह परिहार -- स्‍वैच्‍छिक स्‍थानांतरण के पत्र बता देना, यदि कोई स्‍वैच्‍छिक हों तो.

          उपाध्‍यक्ष महोदया -- परिहार जी, बैठ जाइये. मार्को जी, कृपया खत्‍म करिए.

          श्री फुंदेलाल सिंह मार्को -- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, मध्‍यप्रदेश के मुख्‍यमंत्री माननीय कमलनाथ जी को और प्रदेश के तेजस्‍वी लोक निर्माण मंत्री जी को मैं बहुत-बहुत धन्‍यवाद देना चाहूँगा कि आपने पूरे प्रदेश के लिए जो बजट बनाया है, निश्‍चित ही इस बजट से सड़कों का जाल बिछेगा. लोगों को आवागमन की सुविधा मिलेगी. लोगों के व्‍यवसाय में वृद्धि होगी. प्रदेश का सर्वांगीण विकास होगा. वर्ष 2019-20 का जो बजट लोक निर्माण विभाग के लिए तय किया है, उसका मैं पूरी तरह से समर्थन करता हूँ. माननीय उपाध्‍यक्ष जी, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, उसके लिए बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          श्री गिरीश गौतम (देवतालाब) -- माननीय उपाध्‍यक्ष जी, मैं आपका संरक्षण इस बात के लिए चाहूँगा कि यदि व्‍यवधान न हो तो 5 मिनट और व्‍यवधान हो तो 8 मिनट. मैं पहले से ही अनुमति ले लेता हूँ. मैं लोक निर्माण विभाग की मांग संख्‍या 24 और 67 के विरोध में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूँ. अभी इसके पहले हमारे माननीय बाला बच्‍चन जी कह रहे थे कि 2 लाख 33 हजार करोड़ रुपये का बजट प्रस्‍तुत किया गया है जिसमें सारे जिलों का और सारे लोगों का ख्‍याल रखा गया है.

 

 

 

 

 

4.58 बजे                                    अध्‍यक्षीय घोषणा

सदन की लॉबी में चाय की व्‍यवस्‍था

 

          उपाध्‍यक्ष महोदया -- माननीय सदस्‍यों के लिए सदन की लॉबी में चाय की व्‍यवस्‍था की गई है. अनुरोध है कि सुविधानुसार चाय ग्रहण करने का कष्‍ट करें. 

 

 

वर्ष 2019-2020 की अनुदानों की मांगों पर मतदान (क्रमश:)

 

          श्री गिरीश गौतम -- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, उन्‍होंने कहा कि सबका ख्‍याल रखा गया. मैंने अभी जब अनुदान मांगों की पूरी सूची देखी, सूची में आवागमन की सुविधा विस्‍तार के लिए सड़क निर्माण कार्य अपरिक्षित मद में प्रस्‍तावित जिसमें संख्‍या क्रमांक 1 से 318 सामान्‍य, संख्‍या क्रमांक 319 से 447 अनुसूचित जनजाति उपयोजना, संख्‍या क्रमांक 448 से 567 तक अनुसूचित जाति उपयोजना के अंतर्गत. ये हो गई आपकी 567 की बात और दूसरा भी चैप्‍टर इसी में है, जिसमें है प्रदेश में आवागमन की सुविधा विस्‍तार के लिए एनडीबी से वित्‍त पोषित नवीन सड़क निर्माण कार्य प्रस्‍तावित हैं. इसमें से जब मैंने सूची निकाला, तो सूची में करीब 43 जिले हैं, बाकी सारे जिलों को छोड़ दिया गया है, जो 7-8 जिले बचते हैं, उनको छोड़ दिया गया है. उनका एक भी नहीं है. मैं आपका कैसे समर्थन कर सकता हूँ. इस अनुदान मांग का समर्थन कैसे कर सकता हूँ कि जिसमें रीवा जैसे बड़े जिलों को पूरी तरह से छोड़ दिया गया है. कौन सा बैर रखा आपने ? हमसे दुश्‍मनी रखो विधान सभा के भीतर, पर रीवा जिले की उस जनता से दुश्‍मनी मत रखो जिसने आपको भी वोट दी है. जीता भले ही मैं हूँ, आप भले ही 8 सीट नहीं जीते हों, पर वोट आपको भी मिला है. लोकसभा में भी आपको वोट मिला है. उनसे दुश्‍मनी क्‍यों भंजाते हो कि हम उनको एक भी सड़क नहीं देंगे. एक भी सड़क उनको नहीं मिली. कम से कम कहीं तो दर्ज कर देते, छोटी सी एक किलोमीटर की ही सड़क दे देते, तो पढ़ने में आता 567 में कि हां, रीवा लिखा हुआ है. रीवा का तो नामोनिशान ही मिटा दिया. पर मैं माननीय सज्‍जन वर्मा जी से कहना चाहता हूँ कि '' कागज में चाहे नाम मिटा दो, पर रीवा की ऐसी सख्‍सियत है कि उसकी हस्‍ती नहीं मिटा सकते '' (मेजों की थपथपाहट). उपाध्‍यक्ष जी, इसलिए मैं इसका विरोध करता हूँ.

          उपाध्‍यक्ष महोदया, जब माननीय वित्‍त मंत्री जी ने मूल भाषण पढ़ा, उसमें उन्‍होंने कहा कि विगत 6 माह में 2 हजार किलोमीटर सड़क का निर्माण, 1550 किलोमीटर सड़क का नवीनीकरण, 27 पुलों का निर्माण पूर्ण किया गया है. ऐसा लगा कि अभी नई जब सरकार बनी तो 7 महीने के भीतर सब हो गया. इसमें कोई विवरण नहीं है, मैं चाहता था कि इसका विवरण आता, ये शायद हम लोगों की सरकार का काम था, वह पूर्ण होने की अवधि में था, वह पूर्ण हुआ, आपने उसका भी जिक्र कर दिया.

          लोक निर्माण मंत्री (श्री सज्‍जन सिंह वर्मा) -- मोदी जी जब प्रधानमंत्री बने थे तो 2 महीने में मंगल यान छोड़ दिया था. अब क्‍या बोलें, दो महीने की सरकार में मंगल यान बन गया था. (मेजों की थपथपाहट) 10 साल की मनमोहन सिंह जी सरकार की मेहनत थी, ये सब चलता है, सरकारें ऐसी ही चलती हैं.

          श्री गिरीश गौतम -- विवरण होना चाहिए था कि कितना हमने किया, कितना आपने किया तो दोनों की हिस्‍सेदारी तय होती. आपने मान लिया कि सरकारें ऐसी ही चलती हैं, बहुत-बहुत धन्‍यवाद आपको.

          श्री सुखदेव पांसे -- गौतम जी, पिछली बार कटरा से वैष्‍णो देवी तक.....(व्‍यवधान)..

          श्री इन्‍दर सिंह परमार -- उपाध्‍यक्ष महोदया, टोका-टोकी चालू हो गई, फिर हम बोलेंगे तो विवाद होगा, आप माननीय मंत्री जी को रोकिए,. ..(व्‍यवधान)..

          उपाध्‍यक्ष महोदया -- माननीय मंत्री जी से मेरा निेवेदन है कि ..(व्‍यवधान)..

          श्री सुखदेव पांसे -- पिछली बार कटरा से लेकर वैष्‍णो देवी तक रेलवे लाइन बिछाई थी और लोकार्पण मोदी जी ने कर दिया था. ..(व्‍यवधान)..

          श्री गिरीश गौतम -- उपाध्‍यक्ष जी, मैंने अनुमति ले ली है कि व्‍यवधान के साथ 3 मिनट एक्‍स्‍ट्रा. ..(व्‍यवधान)..

          श्री भारत सिंह कुशवाह -- मुझे प्रधानमंत्री आवास मोदी जी ने दिया है, आपने दिया क्‍या 50 साल में. ..(व्‍यवधान)..

          उपाध्‍यक्ष महोदया -- इस तरह से आपको डिस्‍टर्ब मत करिए. ..(व्‍यवधान)..

          श्री वालसिंह मैड़ा -- इंदिरा आवास कांग्रेस के दिए हुए हैं. डॉ. मनमोहन सिंह को धन्‍यवाद दो, रोडों का जाल बिछा मध्‍यप्रदेश में. ..(व्‍यवधान)..

          उपाध्‍यक्ष महोदया -- गौतम जी, आप उस तरफ ध्‍यान मत दो, आप आसंदी की तरफ देखकर अपनी बात जारी रखें. किसी भी सदस्‍य की कोई बात नहीं लिखी जाएगी, सिर्फ गौतम जी की बात लिखी जाएगी. गौतम जी, आप आसंदी की तरफ देखकर बात करिए.

          श्री गिरीश गौतम -- उपाध्‍यक्ष जी, मैं आप ही को संबोधित कर रहा हूँ. मेरे क्षेत्र में कई सड़कें हैं, जिनका टेण्‍डर हो गया, तमाम उनके ऑर्डर भी हो गए. बजट के अभाव में उन सड़कों को रोका गया है. मैं उनके नाम लिखवा रहा हूँ, आप लिख लीजिएगा. सूजी से अर्जुनकहुआ, देउराफरेंडा से हरदीहा, देवतालाब से लालगंज, देवतालाब से तेंदुआ वाया जुड़मनिया बन्‍नई, नईगढ़ी में सड़क का उन्‍नयन का कार्य हुआ है. मनिगवार से रघुराजगढ़, बन्‍नी से सीतापुर, सीतापुर से रायपुर करचुलियान, मऊगंज से पतियारी आदि रोड का निर्माण कार्य रोक दिया गया है. मेरा आग्रह यह है कि, इसमें रीवा का नाम जरूर नहीं लिखा है, पर कहीं न कहीं से जुगाड़ करके हमारी इन सड़कों का काम पूर्ण हो जाए. चूँकि ये पहले से ही स्‍वीकृत सड़कें हैं. स्‍वीकृत सड़कों का काम मत रोकिए, मैं आपसे यह कहना चाहता हूँ. एक निवेदन यह करना चाहता हूँ कि एमपीआरडीसी ने बड़ी सड़कें बनाई हैं जिनका जिक्र हमारे पंचायत मंत्री भी कर रहे थे, सिंगरौली-सीधी रोड का काम नहीं हुआ है, हमारे यहां काम हुआ है, रीवा से हनमना का फोर लेन का काम 90 किलोमीटर की सड़क बनी है. उसमें दिक्‍कत यह है कि उसमें पेंचवर्क बहुत है, आपके नियम ये हैं, जो अनुबंध की शर्तें हैं कि राइडिंग क्‍वालिटी टेस्‍ट होता है, बीबी री-टेस्‍ट होता है, रिफरेंस टेस्‍ट होता है, और उसका टेस्‍ट यह कि हर महीने में टेस्‍ट हो, तब जाकर उसको टोल प्‍लॉजा का टैक्‍स बढ़ाने का अधिकार है. अभी जब कोई नित्‍यानंद मिश्रा हैं, आरटीआई कार्यकर्ता, उन्‍होंने जानकारी मंगवाई तो आपके विभाग ने यह जानकारी उनको उपलब्‍ध कराई, उसमें उन्‍होंने कहा कि 7-8 महीने से कोई जांच ही नहीं हुई. फिर जून में उसका पैसा कैसे बढ़ गया. यह तमाम अखबारों में छपा तो जांच हुई, जांच में यह पाया गया कि उसमें 5000 हम्‍म है, हम्‍म वह है जो डामर का उभरा हुआ हिस्‍सा होता है तो जब कोई गाड़ी वाला पैसा देता है, 30 रुपये, 90 रुपये, 450 रुपये देता है, तो उसके मन के भीतर कल्‍पना यह होती है कि बैरियर को छोड़कर बाकी हमारी गाड़ी कहीं नहीं रुकेगी. यदि वर्ष 2003 की पुरानी सड़कों की तरह उसे चलना है, तो फिर यह 300-350 रुपये का टैक्‍ट देने की कोई आवश्‍यकता नहीं है. इसलिये मैं, इसका विरोध करता हूं.

          श्री कमलेश्‍वर पटेल - उपाध्‍यक्ष महोदय, वह ठेकेदार कौन था ? माननीय विधायक जी, यह भी बता दीजिये.

          श्री गिरीश गौतम - उपाध्‍यक्ष महोदया, कोई भी ठेकेदार हो, मैं तो कहता हूं कि 7 महीने के भीतर आपको अवसर मिला है, कोई भी ठेकेदार हो, उसको जेल भेजो न, मैं कहां मना कर रहा हूं ? क्षेत्र के विकास के लिये, प्रदेश के विकास के लिये, लोगों के कल्‍याण के लिये, हमारी बातों को सुनो. यह एक सड़क बनी है. पिछली सरकार में ही टेण्‍डर हो गया था. पुल का भी काम हुआ था. डेहली से मोहगढ़ की सड़क है, उसमें पुल बनवा दीजिये. एक हमारी नईगढ़ी से तेंदुआ सड़क है, उसमें पुल बनवा दीजिये. एक हमारी डिघवार से ढेरा की सड़क है, उसमें पुल बनवा दीजिये. यह सड़कें बनी हैं, केवल पुल का उन्‍नयन करके ऊंचा कर दीजिये, जिससे वह बारह मासी सड़कें चलने लायक हो जायें. इतना आग्रह करते हुये मैं, आपकी जो अनुदान मांगें आयी हैं, चूंकि हमारे रीवा का नाम नहीं है, इसलिये मैं इसका विरोध करता हूं. आपने मुझे समय दिया, व्‍यवधान कम हुआ, उसके लिये भी आप सबको धन्‍यवाद देता हूं.

          श्री बापू सिंह तंवर (राजगढ़) - माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, इस सदन में मध्‍यप्रदेश के इतिहास में पहली बार तंवर समुदाय से निर्वाचित होकर मैं इस सदन में पहुंचा हूं. आपने, मुझे इस सदन में बोलने का अवसर दिया, उसके लिये आपका धन्‍यवाद करता हूं. मैं, वर्ष 2019-20 में प्रस्‍तुत बजट की मांग संख्‍या 24 और 67 का समर्थन करता हूं. यह बार-बार इस बात पर आ जाते हैं, इसलिये इनके कार्यकाल की सड़कों के निर्माण की एक हिस्‍ट्री बताता हूं. मेरे यहां खुजनेर से राजगढ़ की सड़क का निर्माण हुआ था. जिला मुख्‍यालय को जोड़ने वाली सड़क है. उसकी यह स्थिति रही थी कि हमने बार-बार शिकायतें की थीं, जिसका ठेका वहां पर हुआ था, उससे वहां के प्रभावशाली नेता, विधायक ने, सारा अर्थ वर्क उससे छुड़ा लिया था और जो पुलिया बनाई गई थी, उसमें 6 एम.एम. के तार लगाये गये थे. जब उसकी शिकायतें कीं, यहां से कमेटी जांच करने गई, तो उसके बाद पता चला कि पूरा काम घटिया हुआ था. इसके बाद उससे वापस छुड़ाकर जिसका ठेका था, उसको काम दिया गया. मेरा यह अनुरोध है कि यह बात करते हैं काम की, इनके कार्यकाल में राजस्‍थान सीमा से ब्‍यावरा तक सड़क बनी है, 200 करोड़ की सड़क, उसमें जो यात्री प्रतीक्षालय लगाये थे,  अभी एक भी नहीं बचा, वह सब 6 महीने के अंदर उड़ गये. जब मैंने विधान सभा प्रश्‍न लगाया था, उसके बाद उसमें कार्यवाही शुरू हुई और कुछ काम उसमें किया गया. एप्रोच रोड नहीं जोड़ी थी. ऐसे-ऐसे तो इनके संरक्षण प्राप्‍त ठेकेदार काम करते थे. यह बात करते हैं 6 महीने की. 6-7 महीने में क्‍या करेंगे ? 6-7 महीने में हमने जो काम करके दिखाया है, जो एनव्‍हीडी मार्ग की वित्‍त पोषित मध्‍यप्रदेश की परियोजनाओं की कुल लागत 500 मिलियन यूएन डॉलर राज्‍य शासन द्वारा दिनांक 04.05.2018 को इस परियोजना हेतु रुपये 3,250 करोड़ रुपये की प्रशासकीय स्‍वीकृति प्रदान की गई. परियोजना के अंतर्गत कुल 82 सड़कों के कार्य को 18 पैकेज में विभाजित कर निविदाएं आमंत्रित की जाकर 16 पैकेज के रूप में 76 सड़कों के कार्यों की लंबाई 1,721.93 किलोमीटर, लागत 2,427.22 करोड़ रुपये की सड़कों का कार्य प्रगति पर है. शेष दो पैकेज के अंतर्गत लंबाई 183.82 किलोमीटर, लागत 278.95 करोड़ की निविदा आमंत्रित की गई है. माह मार्च, 2019 तक कुल राशि रुपये 170.20 करोड़ का व्‍यय किया गया. इस योजना हेतु बजट 2019-20 में राशि रुपये 400 करोड़ का प्रावधान रखा गया है. मैं, धन्‍यवाद देता हूं माननीय लोक निर्माण मंत्री जी को, जिन्‍होंने इतना बेहतर कार्य, इतने अल्‍प समय में करके दिखाया है. उन्‍होंने सेतु परियोजना में एनव्‍हीडी वित्‍त पोषित मध्‍यप्रदेश कुल परियोजना की लागत 250 मिलियन यूएस डॉलर राज्‍य शासन द्वारा दिनांक 12.04.2018 को इस परियोजना हेतु रुपये 1,625 करोड़ की प्रशासकीय स्‍वीकृति प्रदान की गई है. परियोजना के अंतर्गत कुल सिविल कार्यों को 48 पैकेज में सम्मिलत कर निविदाएं की जाकर 35 पैकेज के अंतर्गत 210 पुलों के कार्य की लागत रुपये 935.65 करोड़ की प्रगति पर है. शेष 13 पैकेज के अंतर्गत 50 पुलों की लागत 244.46 करोड़ की निविदाएं आमंत्रित की गईं.

          उपाध्‍यक्ष महोदया, माह मार्च, 2019 तक कुल राशि 43.29 करोड़ व्‍यय किया गया. इस योजना हेतु बजट वर्ष 2019-20 में राशि रुपये 200 करोड़ का प्रावधान रखा गया है. माननीय लोक निर्माण मंत्री जी और हमारे माननीय यशस्‍वी मुख्‍यमंत्री जी ने 6 महीने में हमारे सारे विधायकों को और मेरे विधान सभा क्षेत्र में भी 21 किलोमीटर की सड़क दी है. इसके लिये मैं, माननीय लोक निर्माण मंत्री जी को धन्‍यवाद देता हूं. उन्‍होंने ऐसी सड़कें दीं जो राजस्‍थान को जोड़ती है, जो कभी बन नहीं सकती थी. मुझे पहली बार सदन में बोलने का अवसर दिया गया, इसके लिये धन्‍यवाद.

          श्री राम पाल सिंह - आपके यहां भूमि पूजन करके आये थे, उसके लिये भी धन्‍यवाद दो, जिस सड़क का आप उल्‍लेख कर रहे हैं.

          श्री बापू सिंह तंवर - उपाध्‍यक्ष महोदया, जिसका भूमि पूजन आप करके आये थे, उसकी क्‍या दुर्दशा कर दी, पूरी सड़क बैठ गई है. आप जाकर देख लीजिये.

          श्री भारत सिंह कुशवाह (ग्‍वालियर-ग्रामीण) - उपाध्‍यक्ष महोदया, मैं, मांग संख्‍या 24 और 67 का विरोध करता हूं और विरोध ऐसे ही नहीं करता हूं, हकीकत सदन के सामने  कहूंगा. उपाध्‍यक्ष महोदया, आपका मुझे संरक्षण चाहिये. 15 साल बाद हमारे मित्र सरकार में लौटे हैं. जैसे भी, उनकी सरकार जोड़ तोड़ से बनी है, उनके लिये बधाई. मैं, इतना जरूर कहूंगा कि मैं, दूसरी बार का सदस्‍य हूं. पहले सत्‍ता पक्ष भारतीय जनता पार्टी में था, आज विपक्ष में हूं. किसी भी सरकार को यह अधिकार नहीं है कि जनता या जन प्रतिनिधि को अपमानित करे. मैं, यह बात इसलिये कहना चाहूंगा क्‍योंकि यह सरकार का पहला बजट था और पहले बजट में सरकार के मंत्री जी, विभाग ने, एक बहुत अच्‍छी शुरुआत की थी, सरकार के निर्देश के अनुसार विभाग को कहा गया होगा, विभाग के द्वारा काफी विधायकों को फोन किया गया कि बजट आने वाला है, आप अपने क्षेत्र के प्रस्‍ताव दें. इससे बड़ी खुशी हुई कि चलो सरकार सबको साथ लेकर चलने वाली सरकार है. हम लोगों ने प्रस्‍ताव दिये और प्रस्‍ताव के बाद मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि जिसने विधायकों का अपमान नहीं किया है. प्रदेश की आधी जनता का अपमान किया है. उपाध्यक्ष महोदया, 109 विधान सभा क्षेत्रों में, मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि लोक निर्माण विभाग ने जो कार्यों को जगह दी है निश्चित रूप से आज मुझे कहने में बड़ा ही दुःख हो रहा है,  सरकार को दलगत भावना से ऊपर उठकर काम करना चाहिए, कोई भी सरकार हो. प्रदेश की जनता के लिए, प्रदेश की जनता के कल्याण के लिए, प्रदेश की प्रगति के लिए हम लोग यहाँ निर्वाचित होकर आते हैं और जनता के हितों को सर्वोपरि स्थान पर रखना चाहिए. उपाध्यक्ष महोदया, यह बजट पूर्ण रूप से, जिस प्रकार से माननीय सत्तापक्ष के लोग कह रहे थे कि यह एक विचारधारा की सरकार नहीं है. मैं यह कहना चाहता हूँ कि यह एक ही विचारधारा की सरकार है. आपकी सरकार समान विचारधारा की नहीं है. कहने की बात कुछ और है तथा करने की कुछ और है इसलिए जिस प्रकार से सरकार ने प्रदेश की आधी जनता का जो अपमान किया है, निश्चित रूप से वह निंदनीय है और मैं यह भी कहना चाहूँगा कि,मुखिया मुख सो चाहिए, खान पान को एक और पाले पोसे सकल अंग तुलसी सहित विवेकउपाध्यक्ष महोदया, मुखिया ऐसा होना चाहिए, उसके लिए प्रदेश की जनता  एक समान होना चाहिए.

          उपाध्यक्ष महोदया--  भारत जी, कृपया समाप्त करिए.

          श्री भारत सिंह कुशवाह--  उपाध्यक्ष महोदया, मुझे आपका संरक्षण चाहिए. मुझे पहली बार विपक्ष में बोलने का मौका मिला है....

          उपाध्यक्ष महोदया--  आपकी पूरी बात आ गई है. कोई प्वाईंटेड बात हो तो बोल दीजिए.

          श्री भारत सिंह कुशवाह--  उपाध्यक्ष महोदया, मेरा निवेदन है कि प्रदेश की जनता के टैक्स का यह पैसा है, खून-पसीने का पैसा है, ऐसा नहीं होता है कि प्रदेश की जनता की खून-पसीने की कमाई का पैसा केवल दो जिलों में लगा दिया जाए. उपाध्यक्ष महोदया, जिस प्रकार से सरकार का जो लोक निर्माण विभाग का बजट है, मांग संख्या 24 और 67 का, जो  मात्र छिंदवाड़ा और देवास तक केन्द्रित रहा है. मैं इसका विरोध करता हूँ. मेरा अनुरोध है कि ऐसी परंपरा ठीक नहीं है. जो काम पूर्व की सरकार ने स्वीकृत किए थे वे काम प्रारंभ हो चुके थे उन कार्यों को भी रोक दिया गया है. यह ठीक व्यवस्था नहीं है. उपाध्यक्ष महोदया, सरकारें बदलती रहें, यह तो व्यवस्था है, आज हम यहाँ हैं, कल वहाँ हैं, लेकिन जिस भी सरकार ने काम प्रारंभ किए उन कार्यों को तीव्र गति से चालू रखना चाहिए. साथ ही मेरा यह भी निवेदन है कि मेरे क्षेत्र की एक रोड बड़ी महत्वपूर्ण रोड है ग्वालियर की, बड़ागाँव- खुरैरी, जिगनिया रोड, वह मात्र 20 किलोमीटर की रोड है उसकी एम.डी.आर.परिवर्तित होना है और वह रोड उत्तरप्रदेश की सीमा को भी जोड़ती है तथा भिण्ड और दतिया को भी जोड़ती है. मेरा यह भी निवेदन है कि हमारे देश और प्रदेश की सरकारें वृक्षारोपण कार्यक्रम के लिए चिंतित हैं, यह पूरे देश और प्रदेश में बड़ी तीव्र गति से चल रहा है. मेरा एक सुझाव है कि जो भी नवीन सड़कें बनेंगी उनके दोनों तरफ वृक्षारोपण का प्रावधान उस एम.डी.आर. में होना चाहिए. कई बार बिलो टेण्डर होते हैं, पैसा बचता है, अगर उसी का प्रावधान, उस रोड के बजट में कर दिया जाए तो निश्चित रूप से मैं यह कह सकता हूँ, जैसा सरकार ने बजट में जो प्रस्तुत किया है दो-तीन हजार रुपये देगी, तो दोनों तरफ जब वृक्षारोपण होगा तो निश्चित रूप से प्रदेश की जनता को इसका फायदा मिलेगा. उपाध्यक्ष महोदया, आपने मुझे बोलने का मौका दिया, बहुत बहुत धन्यवाद.

          उपाध्यक्ष महोदया--  धन्यवाद. श्री हरदीप सिंह डंग अपनी बात कहें.

          श्री हरदीप सिंह डंग(सुवासरा)--  माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं मांग संख्या 24 एवं 67, लोक निर्माण के अंतर्गत माननीय मंत्री जी द्वारा प्रस्तुत 2019-20 का समर्थन करता हूँ और एक ऐसे मंत्री द्वारा, जैसा नाम वैसा काम और मात्र 6 महीने की सरकार में इतना बढ़िया बजट और 6 महीने में सब आशाओं से भरा बजट, पक्ष या विपक्ष जो चाह रहे हैं और वर्तमान परिस्थिति, जो 6 महीने पहले सरकार थी, जो खजाना खाली था, उसके बाद भी 6 महीने के अन्दर जो सड़कों के निर्माण की चारों तरफ से जो मांगें आईं, उसके बाद भी बेहतरीन तरीके से बजट में जितनी भी सड़कें शामिल की गईं, उसके लिए मैं सज्जन जी वर्मा को मेरे विधान सभा क्षेत्र की तरफ से तथा सदन की तरफ से आपको बधाई देता हूँ. (मेजों की थपथपाहट) कि उन्होंने अच्छा करने की कोशिश की है तथा आने वाले दिनों में हम  उम्मीद रखेंगे कि और बेहतरीन होगा. लोक निर्माण विभाग वह बजट है, जैसे ही सड़क का नाम आता है और लोक निर्माण विभाग अपने को नजर आने लगता है. अभी आदरणीय पूर्व मंत्री रामपाल सिंह जी ने, 10-15 साल में जो काम हुए हैं, उनको बताया, कमी भी बताई, अच्छाई भी बताई और जो कमी बताता है वह वास्तव में सही होता है और कमी बताना भी चाहिए. कहीं न कहीं मेरा मानना है कि अगर अच्छा टैक्स प्राप्त होता है तो आप विकास भी ज्यादा करा सकते हों तो मेरा मानना है कि पिछले 15 वर्षों में जो टैक्स आपने जनता से लिया है, कर्ज जो लिया है और आय के साधन जो बढ़े हैं उससे सड़कों का निर्माण हुआ  है मैं मानता हूँ कि 15 साल में जो काम हुए है वह उसी माध्यम से हुए हैं और मुझे भी उम्मीद है कि आने वाले दिनों में सज्जन जी वर्मा के नेतृत्व में जो बाकी बची सड़कें हैं जो कमी रह गई है उसको बेहतरीन तरीके से सज्जन जी वर्मा करेंगे क्योंकि पहले 15 साल में प्रधानमंत्री सड़क, सुदृढ़ सड़क योजना, मुख्यमंत्री सड़क, मण्डी फण्ड की सड़क, नाबार्ड की सड़क, सी.आर.एफ. की सड़क, मतलब जो भी हो, कहीं न कहीं स्कीम में सड़कें बनी हैं और मुझे उम्मीद है कि आने वाले दिनों में और सड़कें तेजी से बनेंगी.

          उपाध्यक्ष महोदया, मुख्य जिला मार्गों का उन्नयन, जो आपने अभी अलग-अलग पैकेज में किया है. 82 सड़कें, जो 18 पैकेज में की हैं, उसका 2427 करोड़ रुपये उसमें जो रखा है, उसकी निविदाएं आमंत्रित हो चुकी हैं और जो 2 पैकेज अलग से बनाए हैं, उसमें 271.95 करोड़, उसकी भी निविदाएं निकल चुकी हैं. सेतु निर्माण हेतु जो अभी 6 महीने में, हम यह उम्मीद करें कि सब कुछ अच्छा हो जाए तो 15 साल और 6 महीने में बहुत अन्दर है. सेतु में परियोजना के तहत 1625 करोड़ का जो प्रावधान रखा गया है उसकी प्रशासकीय स्वीकृति भी यहाँ से जारी कर दी गई है. ऐसे 35 पैकेज के अन्दर पुल-पुलियाओं के लिए 935.35 करोड़ भी दिए हैं, कार्य प्रगति पर चल रहे हैं. ऐसे कुल मिलाकर सड़कें और पुलियाओं के काम जो अभी 6 महीने में चल रहे हैं, इसके लिए मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूँ.

          उपाध्यक्ष महोदया, जो अब मैं बोलना चाहता हूँ उसमें पक्ष और विपक्ष दोनों के ऊपर एक सवाल छोड़ना चाहता हूँ कि जब एस्टीमेट किसी सड़क का बनता है और कोई ठेकेदार उसका टेण्डर डालता है, डी.पी.आर. बनकर तैयार है, टेण्डर निकल जाता है और जब वह टेण्डर आता है तो बिलो और एबोव, जब बिलो जाता है तब भी ठेकेदार सड़क बनाता है और जब एबोव जाता है तब भी ठेकेदार सड़क बनाता है. अब 20 परसेंट जो बिलो गया है तब भी क्या सड़क की क्वालिटी वैसी ही रहती है या एबोव गया है तब क्या वह अपने जेब से लगाता है? यह मार्जिन जो रखते हैं एबोव व बिलो का, ठेकेदारों को, क्या वह एबोव में जाएगा तो वह रुपये किसके पास जाएँगे और बिलो में कैसे वह अपनी जेब से लगा देगा? यह एक प्रश्न चिन्ह है कि अगर बिलो या एबोव में जाता है तो मैं खरी बात कह रहा हूँ, एक नीचे सिस्टम रहता है (XXX). जो रोड 10 लाख रुपए में बन सकती है उसकी डीपीआर 12 या 15 लाख की क्यों बनाई जाती है. 10 लाख की सड़क 8 या 7 लाख रुपए में बन सकती है तो उसकी डीपीआर 10 या 12 लाख रुपए की क्यों बनाई जाती है. यह देश की जनता के साथ धोखा है. इस बात पर ध्यान दिया जाए कि जितने में सड़क बन सकती है उतने में ही बने न उससे ज्यादा न उससे कम की इसकी डीपीआर हो.

          उपाध्यक्ष महोदया, मैं पुन: कमलनाथ जी और सज्जन सिंह वर्मा जी को धन्यवाद देना चाहता हूँ. वे जब पूर्व में मंत्री रहे हैं तो उन्होंने झण्डे गाड़े थे. सज्जन जी लोक निर्माण विभाग के मंत्री हैं मुझे विश्वास है कि वे आने वाले दिनों में एक इतिहास रचेंगे.

          श्री रामपाल सिंह--मैं आपकी बात समझ गया हूँ आप रेस्ट हाउस की मांग रखने वाले हैं आप उसे मंत्री जी से स्वीकृत करा लें, मुझे मालूम है.

          श्री हरदीपसिंह डंग--भाजपा सरकार में सरताज सिंह जी लोक निर्माण मंत्री थे फिर रामपाल सिंह जी मंत्री बने. यह जानते हैं कि मैंने इनके कितने चक्कर काटे हैं. मेरे 25-50 चक्कर काटने के बाद मुझे सड़क नहीं दी उसका दुख मुझे आज भी है. मेरा मानना है कि सड़क सभी को मिलना चाहिए. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, धन्यवाद.

          इंजी. प्रदीप लारिया (नरियावली)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं मांग संख्या 24, 67 और 71 का विरोध करता हूँ और कटौती प्रस्ताव का समर्थन करता हूँ.

          उपाध्यक्ष महोदया, कटौती प्रस्ताव का समर्थन इसलिए करता हूँ क्योंकि यह मध्यप्रदेश के लोक निर्माण विभाग का बजट नहीं है. यह बजट छिंदवाड़ा तक और कांग्रेस के जहां विधायक हैं वहां तक सीमित रह गया है. बुंदेलखण्ड जिसमें पांच जिले हैं. सागर के लिए 8 सड़कें दी हैं.

          उच्च शिक्षा मंत्री (श्री जितू पटवारी)--थोड़ा सा सुधार लें. कांग्रेस के तो सारे विधायक पूरे मध्यप्रदेश में हैं आपके पड़ौस में भी हैं तो ऐसा मत कहिए.

          इंजी. प्रदीप लारिया--जितू भैया आप बैठ जाएं. वहां पर भी वोट मिला है जहां से हम लोग चुनकर आए हैं. मैं जो कह रहा हूँ वह बहुत जिम्मेदारी के साथ कह रहा हूँ. 57 सड़कें छिंदवाड़ा को दी हैं. सागर संभाग में बुंदेलखण्ड के अंचल में सागर में 8, पन्ना में 1, टीकमगढ़ में 2 कुछ छतरपुर और दमोह को सड़कें मिली हैं. कुल मिलाकर बुंदेलखण्ड के साथ सौतेला व्यवहार सज्जन सिंह वर्मा जी के माध्यम से हुआ है.

          उपाध्यक्ष महोदया, मैं मांगों का इसलिए भी विरोध कर रहा हूँ कि जो सड़क विकास के लिए 7225 करोड़ रुपए की राशि आवंटित हुई थी उसमें से यह 6621 करोड़ रुपए ही खर्च कर पाए. अर्थात् 604 करोड़ रुपए खर्च नहीं कर पाए. इसी तरह से संधारण और मरम्मत में 225 करोड़ रुपए खर्च नहीं कर पाए. सामान्य योजना के अन्तर्गत 354 करोड़ रुपए खर्च नहीं कर पाए. अनुसूचित जनजाति उपयोजना में 203 करोड़ रुपए खर्च नहीं कर पाए. अनुसूचित जाति उपयोजना में 244 करोड़ रुपए खर्च नहीं कर पाए.

          उपाध्यक्ष महोदया, यह जो 6-7 महीने की उपलब्धि बता रहे हैं. इन्होंने इसमें 2000 किलोमीटर सड़कों का निर्माण बताया है. 1500 किलोमीटर सड़क और पुल निर्माण की बात भी कही है. पूर्ववर्ती श्री शिवराज सिंह जी की सरकार जिसमें श्री रामपाल सिंह जी लोक निर्माण विभाग के मंत्री थे उनके समय यह काम हुआ है. जिन्होंने अपने प्रतिवेदन में इसका उल्लेख किया है. आज मध्यप्रदेश की सड़कों की जो स्थिति है उसके बारे में मंत्री जी से कहना चाहता हूँ कि मेरे विधान सभा क्षेत्र में 24 सड़कें वर्ष 2017-18 में स्वीकृत हुई थीं उसमें से केवल 4 सड़कें पूर्ण हुई हैं. जब से यह कांग्रेस की सरकार आई है तब से  21 सड़कों की दुर्दशा हो गई है. सारी सड़कों के निर्माण के काम रुक गए हैं. 21 सड़कों में सागर और मकरोनिया जहां से जिले और संभाग के लोग निकलते हैं. एनएच 86 पर सड़क चौड़ीकरण का काम हो रहा है उसमें पैसा रोक लिया गया है. वहां पर लोग बहुत परेशान हैं. पेड़ भी काट दिए गए हैं.

          उपाध्यक्ष महोदया, पर्यावरण के लिए सरकार द्वारा मात्र 33 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है. इससे यह बात स्पष्ट होती है कि पर्यावरण के प्रति सरकार चिंतित नहीं है. जिस तरह से सड़कें बनाई गई हैं, एनएच 86, एनएच 26 में लगभग डेढ़ हजार पेड़ काटे गए हैं. पेड़ लगाने का अभी तक कोई प्रावधान नहीं किया गया है. मैंने इस संबंध में विधान सभा में प्रश्न लगाया था लेकिन उसका कोई उत्तर नहीं आया है. एनएच 26 जो कि मकरोनिया में है जो कि बम्होरी तिगड्डा से लेकर गड़पैरा को जोड़ती है यह सागर की मुख्य सड़क है. यह मकरोनिया और सागर की लाइफ-लाइन है. यह सड़क अधूरी पड़ी है. इसके लिए हम लोगों ने मानव श्रृंखला बनाई, धरना दिया लेकिन इसके बावजूद भी प्रशासन के कान पर जूँ तक नहीं रेंगी. मेरा मंत्री जी से लगातार पत्राचार हो रहा है, इसके पहले मुख्य सचिव महोदय से और कलेक्टर से भी हो रहा है. मेरा निवेदन है कि इतनी महत्वपूर्ण सड़क जिसमें लगभग 6 माह से लोग धूल खा रहे हैं. बरसात के समय में वहां पर दुर्घटनाएं हो रही हैं. बार-बार कहने के बाद भी वह सड़क नहीं बन रही है. इसी तरह से सीहोरा लोटना-लोटनी मार्ग मुगरयाऊ मार्ग के संबंध में मेरे प्रश्न का उत्तर यह आया है कि ठेकेदार ने काम करने से मना कर दिया है. मुझे यह समझ में नहीं आता है कि सरकार बड़ी है या ठेकेदार बड़ा है. उस ठेकेदार के ऊपर कोई कार्यवाही नहीं की गई है. मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि इसको दिखवा लें.

          उपाध्यक्ष महोदया, माननीय मंत्री जी ने एक भी सड़क हमारे क्षेत्र में स्वीकृत नहीं की है. 8 सड़कें जो सागर जिले के लिए दी हैं वह भी मंत्रियों के क्षेत्र में दी है. हमारे यहां जिन सड़कों का काम चल रहा है मेरा आपके माध्यम से निवेदन है कि उन सड़कों का काम पूरा कर दिया जाए. हम एक भी नई सड़क नहीं मांग रहे हैं. आपने बोलने का समय दिया उसके लिए धन्यवाद.

 

          श्री रवि रमेशजन्द्र जोशी (खरगौन)--माननीय उपाध्यक्ष महोदया,

         

          मैं माननीय पर्यावरण मंत्री जी को बहुत बधाई देता हूँ और आपको धन्यवाद.

          श्री रामलल्‍लू वैश्‍य (सिंगरौली)-- उपाध्‍यक्ष महोदया, मैं सिंगरौली विधान सभा क्षेत्र से आता हूं और तीसरी बार का विधायक हूं. मंत्री जी से मैं इतना ही आग्रह करना चाहूंगा कि सिंगरौली जिला, राज्‍य सरकार को सबसे ज्‍यादा राजस्‍व देने वाला जिला है साथ ही विद्युत के क्षेत्र में भी प्रदेश को भरपूर बिजली देने में सहायक है. वहां के रहवासियों, विस्‍थापितों को चलने फिरने के लिए मात्र दो सड़कें प्रस्‍तावित थीं. मैं चाहूंगा आप प्रदेश के मंत्री है और सभी के लिए हैं आप इन दो मार्गों को स्‍वीकृत करेंगे ऐसी मुझे उम्‍मीद है. साथ ही पर्यावरण की दृष्टि से कोयले की बहुत सी परियोजनाएं संचालित हैं. मध्‍यप्रदेश सरकार को कोयले की रायल्‍टी के भारी पैसे मिलते हैं और वहां भी डी.एम.एफ के फण्‍ड हैं. अभी प्रभारी मंत्री जी गए थे तो जो दो रोड पूर्व में स्‍वीकृत थीं वह चुनाव के समय रोक दी गईं थीं अभी उसकी भी निविदा नहीं लग पाई है इस तरह से काम हो रहे हैं. मैं कहता हूं कि क्षेत्र की जनता ने आपको आपके कार्यों के आधार पर वोट दिया है यदि आप सब का पुन: यही रहेगा तो कैसे होगा. मैं इतना आग्रह करता हूं कि आप सब पूरे प्रदेश के बारे में विचार करें और मैं यह भी कहता हूं कि पर्यावरण की रोकथाम के बारे में आप ऐसी नीति बनाएं एन.जी.टी. वर्ष 2016 के फैसले के बाद भी एक बड़ा आंदोलन हुआ, रोड रोक दिया गया. कहा गया कि रोड मार्ग से न जाएं रेल मार्ग से जाएं. जब माननीय मनमोहन सिंह जी की सरकार थी, त‍ब से लेकर हम रेल मार्ग के लिए भी मांग करते रहे हैं.  सिंगरौली जिला मुख्‍यालय जहां है वहां से कोयले का भण्‍डारण होता है. 100 से 150 किलोमीटर घूम के जाना पड़ता है. यदि वह 16 किलोमीटर की रोड बन जाती तो बेहतर होता, लोगों को सुविधा हो जाती. गृह मंत्री जी यहां हैं आप एक रिपोर्ट मंगा कर देखिए कि महीने में कितनी दुर्घटनाएं वहां हो रही हैं क्‍योंकि पैसा वहां का है इसलिए संपूर्ण अच्‍छी रोडें बनें. मैं आग्रह करूंगा और आपको बधाई दूंगा कि आप सरकार में आए हैं तो सभी पर निगाह रहे, सभी जनप्रतिनिधियों को चाहे वह कांग्रेस के हों, भाजपा के हों चाहे अन्‍य दल के हों. हम सब आज विपक्ष में जरूर हैं किंतु माननीय शिवराज सिंह जी के कार्यकाल में मैंने देखा है कि उन्‍होंने सभी जगह सड़कें देने का काम किया है.  मैं ज्‍यादा नहीं कहूंगा इतना लेकिन जरूर कहूंगा कि वहा पर्यावरण के बारे में रोकथाम होनी चाहिए, सड़कों का निमार्ण होना चाहिए ताकि ट्रांसपोर्ट के लिए अलग से रोड बने. आप उनके लिए फण्‍ड की व्‍यवस्‍था करेंगे इतना कहते हुए मैं आपको बधाई देता हूं और कटौती प्रस्‍ताव का समर्थन करते हुए अपनी वाणी को विराम देता हूं. धन्‍यवाद.

          श्री कुणाल चौधरी (कालापीपल)-- उपाध्‍यक्ष महोदया, मैं अनुदान मांग संख्‍या 24 लोक निर्माण कार्य-सड़कें और पुल, मांग संख्‍या 67  लोक निर्माण कार्य- भवन मांग संख्‍या 71 पर्यावरण के अंतर्गत माननीय मंत्री जी द्वारा प्रस्‍तुत बजट प्रस्‍ताव वर्ष  2019-2020 का समर्थन करता हूं. पर्यावरण को मानव पशु और प्रकृति का मित्र बनाने की चुनौती को स्‍वीकार करने की प्रशंसा करते हुए मैं सभी मांग संख्‍याओं का समर्थन करता हूं और पर्यावरण का संरक्षण ही नहीं पर्यावरण का नियोजन करने की कृतसंकल्‍प माननीय मंत्री जी को मैं विनम्रता से आग्रह करना चाहता हूं कि 15 वर्षों  की पर्यावरण व्‍यवस्‍था को ठीक करना एवं बेपटरी गाड़ी को पटरी पर खड़ा करना आपके जैसे एक व्‍यक्तित्‍व जिसका जिद्दी और जुनूनी स्‍वभाव का नेता ही कर सकते हैं. हमारे महानगरों में जहां पर प्रदूषण की सीमा को लांघकर मानव जीवन और स्‍वास्‍थ्‍य की स्थितियों को बड़ी चुनौती है. बहुत देर से बात चल रही थी कि पुराने ठेकेदारों का पेमेंट नहीं हो रहा है, कहीं रोडें रुकी हुईं हैं. हमने अक्षय कुमार की एक फिल्‍म देखी थी जिसमें उसका नाम सचिन टुचकुले था. रोज सड़क बनती थी और एक ठेकेदार काम कर करके करोड़पति हो जाता था. वही स्थिति पिछली सरकार के अंदर रही जिसके अंतर्गत लगातार एक ठेकेदार को ठेका मिलता रहा, कोई पांच हजार करोड़ का हो गया, कोई दस हजार करोड़ का हो गया, कोई पूर्व मुख्‍यमंत्री जी का मित्र हो गया और लगातार जिस प्रकार से स्थितियां हुईं.

 

5:41 बजे                                   स्‍वागत उल्‍लेख

फिल्‍म कलाकार श्री पीयुष सुहाने की अध्‍यक्षीय दीर्घा में उपस्थिति पर स्‍वागत उल्‍लेख

          श्री बृजेन्‍द्र सिंह राठौर (वाणिज्यिक कर मंत्री) --उपाध्‍यक्ष महोदया, इन्‍होंने पिक्‍चर का‍ जिक्र छेड़ा है इसीलिए मैं कहना चाहता हूं कि अध्‍यक्षीय दीर्घा में पीयुष सुहाने जी जो उभरते हुए फिल्‍म कलाकार हैं, हमारे बीच में बैठे हैं सदन उनका भी स्‍वागत करता है.

 

 

5:42 बजे          वर्ष 2019-2020 की अनुदान मांग पर मतदान (क्रमश:)

 

          श्री कुणाल चौधरी-- उपाध्‍यक्ष महोदया, मैं टोल रोड पर भी मंत्री जी का ध्‍यानाकर्षित करना चाहता हूं. इंदौर से 27 किलोमीटर दूर नेशनल हाईवे के नाम पर 120 रुपए वसूले जा रहे हैं. केन्‍द्र ने सड़कें बनाईं पर जमीन तो इस प्रदेश की जनता की है. यह लूट बंद करनी पड़ेगी क्‍योंकि कहीं न कहीं जिस प्रकार की सड़कें बनी हैं और टोल की लूट के नाम पर जिस प्रकार से एक बड़ा खेल कि कई जगह उसके बडे़ हुए और लंबी-लंबी अवधि के लिए टोल रोडें दी गर्इं. कई जगह उनका पेमेंट समय पर हो गया पर उसके बावजूद भी जितने लंबे समय के लिए दिया गया है उसके ऊपर मुझे सुंदर समागम सड़क और पर्यावरण पर याद आता है कि..

          ''इस मोड़ से जाते हैं,

        कुछ सुस्‍त कदम रस्‍ते''

        ''कुछ तेज कदम राहें

        पत्‍थर की हवेली को''

        ''शीशे के घरोंदे तक

        इस मोड़ से जाते हैं''

         

          मंत्री जी या तो पत्‍थर की हवेली पर पहुंचेंगे या शीशे के मकानों पर. लाखों पेड़ काटे गए और उससे दस गुना लगाने का लक्ष्‍य था पर जितने काटे गए उसके एक रुपए में से चार आने पेड़ भी नहीं लगाए गए. जनता का रुपया चवन्‍नी में चला गया और इन ठेकेदारों की चवन्‍नी रुपए में चला दी गई. आपसे मेरा आग्रह है कि कई सालों से लगातार जो सड़के बनी हैं उनमें पेड़ लगाने की शर्तों की जांच की जाए और आई.आई.टी. या आई.आई.एम. जैसी संस्‍थाओं से उसकी जांच करवाकर पता लगाया जाएगा तो कहीं न कहीं इस प्रदेश के पर्यावरण को बचाने की कोशिश कर पाएंगे. पर्यावरण का सत्‍यानाश करने में इनकी सबसे बड़ी भूमिका है. मैं मात्र एक सड़क लेबड़ और नयागांव की जांच करने का आग्रह करूंगा तो आपको पता चला जाएगा की किस प्रकार से पर्यावरण का सत्‍यानाश किया जा रहा है. सड़क के दोनों ओर मैदान में पेड़ पौधे दिखवा लें. एक अति गंभीर बात  मैं कहना चाहता हूं कि 15 वर्षों में जितनी टोल रोड बी.ओ.टी. से बनी है उनमें बड़ी लूट हुई है. कई करोड़ों का भ्रष्‍टाचार हुआ है. लागत ज्‍यादा दिखाकर वसूली अवधि बेइंतहां तक बढ़ा दी गई है. लेबड़ नयागांव फोरलेन की लागत तो सात साल से निकल गई लेकिन टोल पैंतीस साल से चालीस साल तक वसूलेंगे. इनके गुणा भाग के लिए एक कमेटी बनाई जाए.

          उपाध्‍यक्ष महोदया-- कुणाल जी आप कृपया सहयोग करें.

          श्री कुणाल चौधरी-- पर्यावरण को बचाया जाए. प्रदूषण फैलने वाली फैक्ट्रियों पर सख्‍त कार्यवाही की जाए.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- कुणाल जी, पूरा पढ़  रहे हैं.

          उपाध्‍यक्ष महोदया-- सिसौदिया जी, मैं भी वही बोलना चाह रही हूं कि आप जो लिखकर लाए हैं उसे मंत्री जी को दे दीजिए. 

          श्री कुणाल चौधरी--मंत्री जी को भी दे देंगे.

          उपाध्‍यक्ष महोदया-- आपका कोई ऐसा सुझाव हो जो आपने उसमें नहीं लिखा हो वह आप बोल दीजिए.

          श्री बाला बच्‍चन-- वह पढ़ नहीं रहे हैं बोल रहे हैं. यह बात वह भी जानते हैं कि हाऊस में पढ़ना अलाऊ नहीं है.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--पहली बार के विधायक हो, बहुत तेज हो. पूरा का पूरा पढ़ना? किसने लिखा है यह बता दो?

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा-- कुणाल चौधरी आपसे ज्‍यादा तेज भाषण दे सकते हैं.

          श्री कुणाल चौधरी-- आप भी आइए हम दोनों बैठकर लिख लेंगे. कल आपके साथ भी चर्चा करेंगे.

          उपाध्‍यक्ष महोदया-  यशपाल जी, कृपया आसंदी की ओर देखकर बात करें. 

          श्री कुणाल चौधरी-  माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, जिस प्रकार हमारी हवा जहरीली होती जा रही है और पेड़ों की अंधाधुंध कटाई के कारण पर्यावरण की स्थिति पिछले 15 वर्षों में बिगाड़ी गई है, इस पर हमें ध्‍यान देने की जरूरत है और माननीय मंत्री जी, इसे बेहतर तरीके से कर पायेंगे, इसी भरोसे और विश्‍वास के साथ मैं उनका पूरा समर्थन करता हूं और जिस प्रकार हमारे क्षेत्रों के विकास के लिए बेहतर सड़कें दी गई हैं. यहां कई सड़कों की चर्चा हो रही थी. मैं कहना चाहता हूं कि इनके द्वारा तो रोज 22 हजार घोषणायें की जाती थीं. कहीं भी निकलते थे तो नारियल फोड़ देते थे. कहीं भी घोषणा कर देते थे, उन घोषणाओं का कुछ हो पाना संभव नहीं है.

          उपाध्‍यक्ष महोदया-  कुणाल जी, आप वैसे भी किसी शेर के साथ अपनी बात समाप्‍त करते हैं तो आज भी आप एक शेर बोलकर अपनी बात समाप्‍त कर दीजिये.

 

 

          श्री कुणाल चौधरी-  माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, मैं आपकी बात को ध्‍यान में रखते हुए कहूंगा कि

जो सफर की शुरूआत करते हैं वहीं मंजिलों को पार करते हैं,

आप चलने का हौंसला तो रखिये मंत्री जी,

आपका तो इस मध्‍यप्रदेश के रास्‍ते भी इंतजार करते हैं.

          धन्‍यवाद.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया-  श्री बहादुर सिंह चौहान जी. आपसे निवेदन है कि कृपया दो मिनट में समाप्‍त करेंगे क्‍योंकि केवल दो मिनट का समय निर्धारित किया गया है.

          श्री बहादुर सिंह चौहान (महिदपुर)-  माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, मेरे क्षेत्र का विषय है जो कि बहुत गंभीर है. मैं बिना देखे ही अपनी बात आपके समक्ष रखूंगा. माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, मैं मांग संख्‍या 24, 67 एवं 71 का विरोध करते हुए कटौती प्रस्‍ताव का समर्थन करते हुए अपनी बात यहां रखना चाहता हूं. माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, हमारी इस छ: माह की सरकार ने 2 हजार किलोमीटर नवीन सड़कें बना दीं, 1 हजार 550 किलोमीटर का नवीनीकरण कर दिया, जिला मुख्‍यालय से तहसील मुख्‍यालय को जोड़ने वाली 4 हजार 500 किलोमीटर सड़कों का निर्माण कार्य चल रहा है, 3 हजार 600 किलोमीटर सड़कों की निविदाएं स्‍वीकृत हो गई हैं और 27 पुल बन गये. पिछले छ: माह में इस सरकार ने ये काम किये हैं. बजट में जो लिखा है, वहीं मैंने यहां बोला है एक भी लाईन इधर-उधर नहीं की है.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, हमारे सज्‍जन भाई पर्यावरण मंत्री भी हैं. मेरी बात जनता से जुड़ी हुई है इसलिए इस विषय को सदन में रखना बहुत आवश्‍यक है. पर्यावरण मंत्री होने के नाते आप हमारे प्रभारी मंत्री भी हैं और नागदा-ग्रेसिम उद्योग एवं लेक्‍सस उद्योग (जर्मनी), एशिया महाद्वीप का जाना-पहचाना उद्योग है. मैं बताना चाहूंगा कि मैंने 2 फरवरी 2017 को विधान सभा में प्रश्‍न लगाया था उस समय पर्यावरण मंत्री माननीय अंतरसिंह आर्य जी थे. मेरी और माननीय सदस्‍य दिलीप सिंह शेखावत जी की दो सदस्‍यीय कमेटी बनी और वहां के पानी की जांच हुई और उसमें सभी नमूने फेल हो गए लेकिन उन पर आज तक विभाग द्वारा कोई कार्यवाही नहीं हुई है. मेरे प्रश्‍न क्रमांक 2223 दिनांक 7.3.2017 के तहत कार्यवाही होने के बाद, विभाग द्वारा माननीय न्‍यायालय में प्रकरण दर्ज करवाया गया. उस पर भी आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, इसके बाद और आगे, पर्यावरण की बात बताना चाहूंगा कि माननीय मंत्री जी, आपके पर्यावरण की धारा 36 (क) और धारा 5 के अंतर्गत मेरे प्रश्‍न के बाद, नागदा-ग्रेसिम उद्योग एवं लेक्‍सस उद्योग (जर्मनी) को नोटिस भी जारी किया गया लेकिन उस पर कोई प्रकरण दर्ज नहीं किया गया. माननीय पर्यावरण मंत्री जी, आप हमारे प्रभारी मंत्री भी हैं. माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, मैं आपके माध्‍यम से मंत्री जी से आग्रह करता हूं कि एक बार आप नागदा में रात्रि विश्राम करें. वहां से 3 किलोमीटर दूर ही मेरी विधान सभा है. मेरे गांव वहां से लगे हुए हैं. हमारे दिलीप सिंह गुर्जर भाई भी यहां बैठे हुए हैं. मैं बताना चाहूंगा कि वहां इन उद्योगों द्वारा मजदूरों का बहुत अधिक शोषण किया जा रहा है. मंत्री जी, आप बहुत अच्‍छे हैं. हमारे निवेदन को आप जिले में मानते हैं. इस बात को मैं यहां स्‍वीकार करता हूं, मुझे इस बात में कोई आपत्ति नहीं है. मैं कहना चाहता हूं कि आप जैसा मंत्री ही उन उद्योगों पर कार्यवाही कर सकता है, दूसरा कोई और छोटा-मोटा व्‍यक्ति कार्यवाही नहीं कर सकता है.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, मेरी विधान सभा महिदपुर में एक नई तहसील झारड़ा का सृजन हुआ है. वहां तहसील मुख्‍यालय के लिए कोई भी भवन उपलब्‍ध नहीं है. इसलिए आप वहां एक नवीन भवन दे दीजिये और एस.डी.एम., तहसीलदार के जो कार्यालय वहां बनने हैं उनके लिए कार्यालय भी दे दीजिये. इसके साथ ही मेरी इस नवीन तहसील में, एक नवीन कॉलेज स्‍वीकृत हुआ है तो उस कॉलेज के लिए भी आप भवन देने की कृपा करें. यही मेरी मांग है. प्रभारी मंत्री होने के नाते आपके ऊपर मेरा अधिकार है. मुझे पूरा विश्‍वास है कि इस पर आप गंभीरतापूर्वक विचार करके आप इसे करेंगे. माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, आपने मेरे खड़े होते ही मुझे समय-सीमा बताकर, दबाव में ला दिया. मैं आपसे आग्रह करना चाहता हूं कि विधायक स्‍टडी करके आते हैं और आप समय का जो अंकुश लगाते हैं तो विधायक विचलित हो जाता है. मेरे माता-पिता ने तो मेरा नाम ही बहादुर सिंह चौहान रखा है इसलिए मैं तो विचलित होता ही नहीं हूं इसलिए मुझे कोई आपत्ति नहीं है. धन्‍यवाद.

          उपाध्‍यक्ष महोदया-  आप बहुत वरिष्‍ठ विधायक हैं इसलिए आप कम समय में अधिक बातें सदन में रख सकते हैं. आपकी ओर से ही बोलने वाले अधिकांश नए सदस्‍यों के नाम हैं. श्री संजय शर्मा.

          श्री संजय शर्मा (संजू भैया) (तेंदूखेड़ा)-  माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, मैं मांग संख्‍या 24, 67 एवं 71 के समर्थन में खड़ा हुआ हूं. तेंदूखेड़ा विधान सभा में लगभग 14 करोड़ की सड़कें माननीय मुख्‍यमंत्री जी एवं लोक निर्माण विभाग के मंत्री जी द्वारा स्‍वीकृत की गई हैं. मैं ह्दय से उनको धन्‍यवाद देता हूं. इन पांच सड़कों (मर्रावन से इमलिया, दमोहिया से महगुवां, चिल्‍का से बंधा, एन.एच.-26 से बरमान खुर्द और पटना-घघरौला से नरवारा तिगड्डा) की मांग बहुत लंबे समय से लंबित थी. बरमान खुर्द में आदिकाल से बहुत प्राचीन मेला मां नर्मदा के तट पर लगता है. पटना-घघरौला से नरवारा तिगड्डा की सड़क की मांग कई बार रखी गई थी क्‍योंकि वहां से लोग 25 किलोमीटर का चक्‍कर लगाकर जाते थे. मंत्री जी, आपने इन मार्गों को स्‍वीकृत किया है इसलिए आपको पुन: धन्‍यवाद. पूर्ववर्ती सरकार के असंवेदनशील रवैया के कारण इन सड़कों की अनुमति नहीं दी गई थी. आज पूरे मध्‍यप्रदेश में सड़कों के कार्य में जो गति आई है वास्‍तव में वह पहले नहीं थी. एन.एच.-12 जबलपुर से भोपाल जाने वाले जबलपुर के लोग तो आना-जाना ही भूल गए कि कहां से आना है और कहां से जाना है. वे लोग गढ़ाकोटा रैली से आते हैं. एक मुख्‍य फोरलेन के मार्ग पर पिछले 10 वर्षों से कार्य स्‍वीकृ‍त है लेकिन पिछले वर्षों में उसकी गति इतनी धीमी थी कि हमारे लोक निर्माण विभाग के मंत्री जी, वहां के प्रभारी मंत्री थे, वे भी वहां जाते थे तो घूम-घाम के ही जाते थे. वे भी उदरपुरा जाने के लिए सीधे बाड़ी-बरेली के मार्ग से होकर कई वर्षों से वहां नहीं गए हैं. आपने कार्यों को गति दी है, बरसात के बाद इन कार्यों में थोड़ी और गति आ जाये तो बेहतर होगा. जिससे हमारा मुख्‍य मार्ग चालू हो जायेगा. आज हम लोग 6 घंटे में भोपाल पहुंच पाते हैं तो कम से कम 2-3 घंटे में भोपाल की यात्रा पूर्ण होगी और जबलपुर के लोग भी सीधे एन.एच.-12 से भोपाल आयेंगे.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, पर्यावरण की दृष्टि से भी बहुत पुरानी सड़क एन.एच.-26 थी, जो झांसी से नागपुर की है. उस पर बहुत पेड़ लगे थे लेकिन वहां बहुत पेड़ काटे गए हैं और एन.एच.-12 पर भी नई सड़क बनने के कारण, वहां भी पेड़ों की कटाई हुई है. इसलिए वहां अच्‍छे वृक्ष लगवाने की व्‍यवस्‍था की जाये.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, नरसिंहपुर जिले में NTPC का बड़ा प्‍लांट आया है. इस वजह से पर्यावरण की दृष्टि से गाडरवारा क्षेत्र में और मेरी विधान सभा दोनों क्षेत्र लगे हुए हैं. वहां भी वृक्षारोपण की आवश्‍यकता है.

          लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री (श्री सुखदेव पांसे)-  माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, माननीय सदस्‍य को इसलिए समय लग रहा है क्‍योंकि वे आंकलन कर रहे हैं उन्‍होंने इधर भी देखा है और उधर भी देखा है. पूर्व मंत्री जी, वास्‍तव में माननीय सदस्‍य आईना दिखा रहे हैं.

          श्री संजय शर्मा (संजू भैया)-  माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, हमारे यहां पर्यावरण की दृष्टि से NTPC के माध्‍यम से ही वृक्षारोपण हो सकता है और टेकापार से सीधे NTPC सड़क बन जायेगी तो हमें गाडरवारा शहर में नहीं जाना पड़ेगा, न ही करेली में जाना पड़ेगा. जो बड़ी-बड़ी गाडि़यां गाडरवारा शहर के अंदर से होकर जाती हैं, उससे शहर के लोगों को बहुत दिक्‍कत होती है. इस सीधी सड़क से NTPC पहुंचा जा सकेगा. यह मात्र 6-7 किलोमीटर की सड़क है. इससे होशंगाबाद, पिपरिया, नरसिंहपुर मार्ग से NTPC सीधे बड़े वाहन पहुंच जायेंगे. यह बात हमने पूर्ववर्ती सरकार को कई बार बताई थी लेकिन उन्‍होंने ध्‍यान नहीं दिया, जानबूझकर 50 किलोमीटर घूमाकर गाड़ी वहां ले लाई जाती है. इससे शहर के अंदर दुर्घटनायें भी होती हैं. इस पर भी विशेष ध्‍यान दिया जाना चाहिए.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, इसके अलावा मेरी दो-तीन मांगे हैं, जिनमें प्रमुख राजमार्ग चौराहे पर रेस्‍ट हाऊस का निर्माण, यदि हो जाये तो बेहतर होगा क्‍योंकि 10-15 जिलों के लोगों का वहां आना-जाना होता है. इसके अलावा ईश्‍वरपुर से मैंदा खैरी, बरकुंडा, नांदिया, गुटोरी होकर चरगुंवा तक एक सड़क का निर्माण आवश्‍यक है.

          उपाध्‍यक्ष महोदया-  कृपया आप समाप्‍त करें.

          श्री संजय शर्मा (संजू भैया)-  माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, विलयारी कोठिया नदी के ऊपर एक पुल का निर्माण हो जाए. इसके अलावा सहजपुर तेंदूखेड़ा सड़क जो सागर जिले से लगी हुई है, वह लंबे समय से खराब है इन तीन सड़कों का निर्माण हो जाए तो मेहरबानी होगी. मैं पुन: मंत्री जी को धन्‍यवाद देता हूं.

          श्री हरिशंकर खटीक (जतारा)-  माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, मैं मांग संख्‍या 24, 67 एवं 71 का विरोध करता हूं. बजट की किताब में देखने पर हमने पाया कि हमारी सरकार किसी के साथ सौतेला व्‍यवहार नहीं करती थी लेकिन यह बजट देखकर हमें लगा कि इसमें वास्‍तव में सौतेला व्‍यवहार किया गया है. मध्‍यप्रदेश में जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार थी तो हमारे मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह जी यदि भाजपा के विधायक को चार सड़कें देते थे तो कांग्रेस के विधायक को भी दो सड़कें देते थे. विधायकों के स्‍वाभिमान के आधार पर उन्‍हें जिंदा रखा जाता था लेकिन हमारी डॉक्‍टर, चिकित्‍सा शिक्षा मंत्री के समक्ष हमने अपनी बात रखी थी. हमने टीकमगढ़ में मेडिकल कॉलेज और छतरपुर मेडिकल कॉलेज के लिए राशि की बात यहां रखी थी लेकिन उसकी उन्‍होंने यहां कोई बात ही नहीं की. उसका कोई जवाब नहीं दिया. हम माननीय मंत्री जी, क्‍योंकि वे देवी हैं और आप सज्‍जन हैं, देवियों और सज्‍जनों एक सम्‍मानित शब्‍द है. मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हूं कि टीकमगढ़ जिले के लिये पृथ्‍वीपुर विधान सभा में मात्र दो सड़कें दी गयी हैं और वह कुल 15 किलोमीटर की दो सड़कें हैं. टीकमगढ़ जिले के लिये तो एक भी सड़क नहीं है, क्‍योंकि हम सब वहां से भारतीय जनता पार्टी के विधायक जीत कर आये हैं. इसलिये हम सब लोगों के साथ सौतेला व्‍यवहार करते हुए, वहां पर एक भी सड़क नहीं दी गयी है. यहां पर 567 सड़कों का निर्माण किया जाना है, लेकिन हम सब लोगों के साथ में सौतेला व्‍यवहार है.         

          माननीय मंत्री महोदय से अनुरोध है कि उनका नाम सज्‍जन हैं और अगर वह सज्‍जन हैं तो हम टीकमगढ़ के विधायक वहां पर जो सड़कें बनाने के लिये लिखकर देंगे, यदि आप कहें तो हम यहां पर बोल दें. हमें दो पुल और चार सड़कें चाहिये. वैसे इसमें आपने जो 567 सड़कें ली हैं, उसमें से मात्र एक सड़क 21 किलोमीटर की है, बाकी सड़कें कोई 2, 3, 4, या 5 किलोमीटर की हैं. जब हमारी भारतीय जनता पार्टी की सरकार थी तो हम लोगों ने जो सड़कें बनायी थी वह कोई  25 किलोमीटर, 30 किलोमीटर और कोई  50 किलोमीटर की थी और नौगांव की सड़क 97 किलोमीटर की थी और उसकी लागत 107 करोड़ रूपये थी. हम लोगों ने बड़ी-बड़ी सड़कें बनाकर दी हैं.

          उपाध्‍यक्ष महोदया, भारतीय जनता पार्टी की सरकार के पीडब्‍ल्‍यूडी मंत्री जी यहां बैठे हैं. इन्‍होंने भी सड़कों के क्षेत्र में भी जबरदस्‍त तरीके से काम किया था. हमारी सरकार ने भी सड़कों के क्षेत्र में काम किया है. लेकिन सड़कों के जो 2, 3, और 4 किलोमीटर के टुकड़े बनने के लिये बचे हैं, वह आपने दिये हैं. आप हमारे क्षेत्र की सड़कों के लिये भी विशेष ध्‍यान दें, जो हमारी छोटी-छोटी सड़कें छूट गयी हैं. उत्‍तरप्रदेश की सीमा से लगा हुआ जो हमारा जतारा विधान सभा क्षेत्र है, यदि माननीय मंत्री जी बोल दें कि आप अपने क्षेत्र की सड़कों के बारे में लिखकर दे दें तो हम अपनी सड़कों और पुल के बारे में लिखकर दे देंगे और वह स्‍वीकृत कर देंगे, नहीं तो हम फिर हर बार बोलेंगे या फिर आप बोल दें कि नहीं बोलना है तो हम लोग बोलना बंद कर देंगे.

          उपाध्‍यक्ष महोदया:- आपकी बात पूरी आ गयी है, मंत्री जी ने भी आपकी बात सुन ली है. अब आप कृपया समाप्‍त करें.

          श्री हरीशंकर खटीक :- मंत्री जी, हमारी तरफ देख तो लें.

          उपाध्‍यक्ष महोदया:- वह लिख ही रहे हैं.

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा:- मैं नोट ही कर रहा हूं.

          श्री हरीशंकर खटीक :- हम लिखकर दे देंगे.

          श्री नारायण सिंह पट्टा (बिछिया):- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, मैं मांग संख्‍या 24, 67 और 71 का समर्थन करता हूं. साथ ही साथ-साथ नयी सरकार और प्रदेश के यशस्‍वी मुख्‍यमंत्री आदरणीय कमलनाथ जी, लोक निर्माण मंत्री सज्‍जन सिंह वर्मा जी को मैं बहुत-बहुत धन्‍यवाद और बधाई देता हूं. चूंकि 2008 और 2013 में मैं, भी इसी सदन में एक सदस्‍य के रूप में विपक्ष में था. उस समय का मुझे ध्‍यान है कि लगातार इस लो‍कहित के विषय को लेकर के उस समय भारतीय जनता पार्टी की समय में आदरणीय नागेन्‍द्र सिंह जी, वह आज यहां पर उपस्थित भी हैं, वह लोक निर्माण मंत्री हुआ करते थे. मैं उनसे अनेक बार पत्राचार करता था, लेकिन जिस तरह से इस बार माननीय लोक निर्माण मंत्री जी ने पूरे प्रदेश में और पूरे प्रदेश के साथ, विपक्ष का धर्म है, जो अपने साथ सौतेला व्‍यवहार की जो बात कर रही है. मैं उस समय की बात को कहना नहीं चाहता, यह अनुदान की मांगों की किताबों को लगभग सभी सदस्‍यों ने पढ़ा होगा. इसमें पूरे प्रदेश का जिक्र है.

{ 5.59 बजे अध्‍यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति(एन.पी)) पीठासीन हुए) }

        बल्कि जहां-जहां आप सभी लोगों ने भाजपा की सरकार में भेदभाव करके जिन सड़कों को नहीं लिया गया था और वह आज तक नहीं बनी थी. ऐसी वह सुदूर, पहुंचविहीन सड़कों को इस बार माननीय लोक निर्माण मंत्री और माननीय कमलनाथ जी ने लिया है, मैं उनको बहुत-बहुत बधाई और धन्‍यवाद देता हूं. मैंने माननीय नागेन्‍द्र सिंह जी का नाम इसलिये लिया था कि वह मेरे बहुत सम्‍माननीय हैं. उस समय मात्र 2008 और 2013 के बीच में, जब मैंने उनसे विशेष निवेदन किया था तो उन्‍होंने 4 किलोमीटर की सड़क उन्‍होंने अपने आफिस से फोन करके स्‍वीकृति दी थी. तबसे मैं उनका शुक्रगुजार तो हूं ही और था भी, लेकिन पांच साल एक भी सड़क न बनने से में 2013 में चुनाव हार गया था, लेकिन मैं अपेक्षा कर रहा था कि 2013 और 2018 के बीच में जब भाजपा की सरकार थी और सड़कें बनेंगी, लेकिन भाजपा की सरकार नहीं बना सकी और आज फिर मैं 2018 के चुनाव में फिर में चुनाव जीतकर आया हूं. आज माननीय लोक निर्माण मंत्री और मुख्‍यमंत्री जी ने, मुझे लगता है, क्‍योंकि मण्‍डला जिला आदिवासी बाहुल्‍य क्षेत्र है. वहां सबसे ज्‍यादा मेरे विधान सभा क्षेत्र में सबसे ज्‍यादा 65 से 70 प्रतिशत जनजाति समुदाय के लोग निवास करते हैं. पूरा जनजाति समुदाय निवास करता है और पूरा का पूरा ग्रामीण क्षेत्र है.

          मैं लोक निर्माण मंत्री जी को धन्‍यवाद देता हूं कि उन्‍होंने पहली बार मण्‍डला जिले के मेरे विधान सभा क्षेत्र बिछिया को शामिल करके उन्‍होंने पांच सड़कें शामिल की है और यह जो 6 महीने की सरकार बजट लायी है, वह स्‍वागत योग्‍य है. क्‍योंकि हमारे विपक्ष के साथियों ने वह नजारा और उनकी सरकार ने देखा होगा कि लगातार मेरे यहां जो जिले से तहसील मार्ग को जोड़ने वाली और दूसरे डिंडौरी जिले को जोड़ने वाला मार्ग था, जो पदमी नगर-राम नगर-घुघरी सलवाह और सलवाह  से अमरपुर को जोड़ने वाला मार्ग को, जिसने आश्‍वासन दे-दे कर के, भूमि पूजन कर- कर के इन्‍होंने क्षेत्र के लोगों को छलने का काम किया था. आज जैसे ही कांग्रेस की सरकार बनी तो मैंने माननीय मुख्‍यमंत्री महोदय से निवेदन किया, माननीय सज्‍जन जी से निवेदन किया तो उन सड़कों के टेण्‍डर आज हो गये और आज सर्वे का काम शुरू हो गया है. मैं माननीय सज्‍जन सिंह वर्मा जी को धन्‍यवाद देता हूं और अध्‍यक्ष महोदय आपने बोलने का मौका दिया उसके लिये धन्‍यवाद्

                   श्री संजीव सिंह ''संजू'' (भिण्‍ड):- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं मांग संख्‍या 24, 67 और 71, इससे पहले हमारे बहन मंत्री जी विजय लक्ष्‍मी साधौ जी का जो वक्‍तव्‍य आया था जो अभी उन्‍होंने सदन में दिया था. उसको सुनकर मैं, यह डिसाइड नहीं कर पा रहा हूं कि इसका समर्थन करूं कि विरोध करूं.

                   माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमने बहुत अच्‍छे से अपने क्षेत्र की मांगें रखी थी और चर्चा करी थी, लेकिन हमारी बहन जी ने उनकी चर्चा ही नहीं की, उनका नाम ही नहीं लिया, चम्‍बल का नाम ही नहीं लिया. मैं कन्‍फ्यूजन में हूं कि अब क्‍या करूं कि इसका समर्थन करूं कि विरोध करूं.

                   मैं लोक निर्माण मंत्री जी को बहुत-बहुत धन्‍यवाद देना चाहता हूं कि उन्‍होंने हमारे क्षेत्र की चार सड़कें मंजूर की हैं. इसके लिये मैं, उनको बहुत-बहुत धन्‍यवाद देना चाहता हूं और माननीय मुख्‍यमंत्री जी को भी धन्‍यवाद देना चाहता हूं. अभी हमारे साथी विधायक भारत सिंह जी बोल रहे थे कि जोड़-तोड़ की सरकार है. पता नहीं कि यह बात बार-बार क्‍यों आती है कि जोड़-तोड़ की सरकार है. (हंसी) मैं यह कहना चाहता हूं कि यह जोड़-तोड़ की नहीं, सिर्फ जोड़ के बनी हुई सरकार है और जोड़-तोड़ के कार्य में तो आप माहिर हैं. (मेजों की थपथपाहट) माननीय विधायक पट्टा जी ने कहा कि उनको मंत्री जी के आफिस से फोन आया कि माननीय विधायक जी आपके क्षेत्र की कौन सी सड़कें हैं, जो जोड़ी जायें.उनको बहुत प्रसन्‍नता हुई, उनको प्रसन्‍नता इस बात की नहीं हुई की 15 साल तक बजट छप जाता था और पता भी नहीं चलता था कि कौन सी सड़कें जुड़ीं, कौन से नहीं जुड़ीं.

                   श्री भारत सिंह कुशवाह :- विधायक जी मेरी विधान सभा में 1700 करोड़ रूपये के काम हुए हैं.

          श्री संजीव सिंह "संजू"-- देखिये हमारे यहां पर कहावत है कि सूप तो सूप छलनी भी बोली जिसमें 172 छेद. आपने भेदभाव की परम्परा कायम की, किस क्षेत्र को आपने बराबरी के साथ बजट में सड़कें दी है. मैं दावा करना चाहता हूं कि 15 साल में हमारे भिंड विधान सभा क्षेत्र में एक भी सड़क का चौड़ीकरण तथा मजबूतीकरण का कार्य नहीं हुआ है. हमारा जिला डकैतग्रस्त जिला रहा है इस वजह से इसका समुचित विकास नहीं हो पाया है. हमारा जिला उत्तरप्रदेश की सड़कों से जुड़ता है, लेकिन वह सड़कें भी आज 3.75 मीटर में बनी हुई हैं आपने उन सड़कों की चिंता नहीं की वहां हैवी ट्रेफिक रहता है. आपने उन सड़कों को चौड़ीकरण करने का काम नहीं किया है. आप कहते हैं कि भेदभाव नहीं करते हैं, भेदभाव करना सिखाया किसने, आपने सिखाया है ? मैं मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि मैं पहले शंका भी व्यक्त कर चुका हूं कि हम अपनी मांग रखते हैं उस पर कम से कम चर्चा तो करें. माननीय मंत्री जी ने अभी उदबोधन दिया था उसमें हमारे चंबल जिले का नाम ही नहीं लिया. हमारी चार सड़कें आयीं तो हैं, लेकिन मैंने पहले भी कहा कि हमारा भिंड जिला पिछड़ा तथा डाकूग्रस्त रहा है तो इस जिले को विशेष पैकेज देने की आवश्यकता है. एन.एच.552 नेशनल हाईवे स्वीकृत हुआ यह हमारा पहले स्टेट हाईवे था यह मुरैना से लेकर चिरगांव तक स्वीकृत हुआ उसके टेंडर भी हो गये वहां काम भी बहुत तेजी से चल रहा है, लेकिन भिंड से लेकर मिहोना उस पर काम नहीं किया जा रहा है उसका कारण यह है कि यह कार्य पहले से स्वीकृत है और बीओटी में चल रहा है, उस पर टोल वसूली 10 साल से हो रही है. मैं मंत्री के ध्यान में लाना चाहता हूं कि एक बार भी उस सड़क पर मेनटेनेंस का कार्य नहीं कराया गया है. हमारे माननीय सदस्य भारतीय जनता पार्टी के कह रहे थे कि उसमें एक सर्फेस, रफनेस की जांच होती है. वहां पर रफनेस की जांच इतने सालों में एक बार भी नहीं करायी है इसकी वजह से वहां पर लगातार रोज एक्सीडेंट हो रहे हैं, यह चिन्ता का विषय है और सबसे बड़ी बात यह है कि उसको सरेंडर करने का प्रस्ताव भी विभाग को भेजा गया है. विभाग ने अभी उसको क्लियर नहीं किया है, लेकिन इस गफलत में हमारा फोरलेन का निर्माण होना चाहिये था वह मार्ग इस कारण अटका पड़ा है. दोनों छोर पर मार्ग का निर्माण हो रहा है लेकिन उसमें एक हिस्सा बचा हुआ है मैं मंत्री जी से चाहता हूं कि उस हिस्से को शामिल करें इससे क्षेत्रों के लोगों को आवागमन की सुविधा हो जायेगी. वर्तमान जो ठेकेदार है उसने वहां पर लगातार टोल ले रहा है, लेकिन टोल लेने का क्राइटेरिया होता है उसके नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है. भिंड जिले में दो चार किलोमीटर की छोटी-छोटी जगहे हैं उन लोगों से जबरदस्ती गुंडागर्दी करके टोल वसूल करने का काम वह लोग कर रहे हैं. मंत्री जी का ध्यान हमारी विधान सभा की जो सड़कें हैं जो उत्तरप्रदेश की सीमा को जोड़ती हैं उनकी मांग रखना चाहता हूं. एक सड़क ऊमरी से पांडरी यह मार्ग उत्तरप्रदेश की सीमा को जोड़ता है उस नदी पर उत्तरप्रदेश की सरकार द्वारा पुल का निर्माण करवा दिया है इस मार्ग में हैवी ट्रेफिक रहता है इस मार्ग का चौड़ीकरण तथा मजबूतीकरण हो जाता है तो निश्चित रूप से क्षेत्र के लोगों को सुविधा मिलेगी. एक मार्ग भिंड से गोपालपुरा स्टेट हाईवे 552 घोषित हो चुका है उसमें एक चखमोली गांव है वहां पर पुल का निर्माण हो चुका है इस मार्ग का चौड़ीकरण तथा मजबूतीकरण हो जाता है तो निश्चित रूप से क्षेत्र के लोगों का विकास होगा. एक और मांग थी जो पहले बजट में स्वीकृत हो चुकी है वह है सिंध नदी पर टहिनगुर हिलगवां पुल है जिसका निर्माण कार्य होना है लंबे समय से उसके निर्माण करने की मांग की जा रही है, लेकिन इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. यह बजट तथा पुल भी स्वीकृत है अब उसमें टेन्डर हो जाये तो जल्द से जल्द उसमें काम शुरू हो जायेगा. मैं मंत्री जी से निवेदन करता हूं कि हम जो मांग रखते हैं उस पर विचार करेंगे तो क्षेत्र का विकास होगा.  आपने समय दिया धन्यवाद.

          श्री रामकिशोर कावरे (अनुपस्थित)

          श्री राकेश पाल (अनुपस्थित)

          श्री दिलीप सिंह परिहार (नीमच)--अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 24, 67 तथा 71 का समर्थन करता हूं और कटौती प्रस्ताव का विरोध करता हूं.     

          गृहमंत्री (श्री बाला बच्चन)--परिहार जी आप इधर आ जाओ.

          नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)--यह समर्थन कर देंगे, लेकिन उनके क्षेत्र के पूरे काम आप करवाएंगे.

          श्री बाला बच्चन--यह इस सरकार के लिये शुभ-लक्ष्ण है.

          श्री दिलीप सिंह परिहार--अध्यक्ष महोदय, मैं इधर उधर कहीं जाने वाला नहीं हूं.

          अध्यक्ष महोदय--परिहार जी आपका एक मिनट चला गया है.

          खेल एवं युवा कल्याण मंत्री (श्री जितु पटवारी)--अध्यक्ष महोदय, सज्जन भईया माननीय परिहार जी को एक दो रोड़ दे ही देना मैं आपसे हाथ जोड़कर निवेदन करता हूं. भाई ने अपनी अंतर-आत्मा की आवाज से कहा है.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--एक दो सड़क के लिये हाथ जोड़ने पड़ रहे हैं.

          लोक निर्माण मंत्री (श्री सज्जन सिंह वर्मा)--परिहार जी आप आ जाना जो भी काम होगा मुझे जरूर बताना.

          अध्यक्ष महोदय--परिहार जी आपका एक मिनट 47 सेकंड चले गये हैं.

          वाणिज्यिक कर मंत्री (श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर)--अध्यक्ष महोदय, सबकी निगाहें आप पर हैं आप बोतल में क्या पी रहे हैं हम लोग जानना चाह रहे हैं.

          अध्यक्ष महोदय--भाई साहब मेरे गले का ध्यान रखें. विषय पर अगर जाते हैं तो पहले वस्तु को ढूंढ लो मेरे गले की तरफ ध्यान दो उसके बाद ही कोई टिप्पणी करें.

          श्री दिलीप सिंह परिहार--अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से निवेदन करना चाहता हूं कि हमारे शरीर में जैसे नसों में रक्त चलता है वैसे ही सड़कें इस देश और प्रदेश के विकास के लिये जरूरी हैं. नीमच जिला अंतिम छोर में है अंतिम छोर में होने के कारण पूर्व में माननीय मुख्यमंत्री जी तथा माननीय रामपाल जी ने हमको सड़कें दी थीं, लेकिन नीमच जिले में सड़कें नहीं दीं उसमें भेदभाव नहीं करना चाहिये. मंत्री जी निवेदन है कि आप भाटखेड़ा से डुमलावदा तक जैसे ही नीमच जिले में घुसते हैं तो ऐसा लगता है कि किसी एक गांव में घुस रहे हैं. नीमच एक जिला है वहां पर कम से कम एक फोर लाईन हो जायेगा तो नीमच जिले के रहवासी आपको धन्यवाद देंगे. दूसरा मेरे जिले में छोटी छोटी सड़कें हैं एक एक किलोमीटर की सड़कें हैं उसमें हमारा चौथखेड़ा से फोर-लाईन रोड़ निकल रहा है वहां तक जोड़ने के लिये वह एक किलोमीटर का टुकड़ा है. ऐसा ही एक टुकड़ा डुमलावदा है ऐसी हमारे तीन गांवों की सड़कें हैं. नीमच का बायपास पीडब्‍ल्‍यूडी मंत्री जब कैलाश विजयवर्गीय जी थे उस समय हमने निकाला था एक और बायपास हमने जसनपुरा से होकर 200 करोड़ रूपए की नीमच की नई मंडी बनाई है उस बायपास को भी यदि आप मंजूर करेंगे तो मैं नीमच जिले की ओर से बहुत धन्‍यवाद दूंगा. मेरा आपसे निवेदन है कि जो अंतिम छोर पर है उसके ऊपर ध्‍यान दें, पुन: अध्‍यक्ष महोदय को धन्‍यवाद देता हूं. ये मेरे क्षेत्र की सड़कों की ओर ध्‍यान दें, आपके उधर ही सारी सड़कें न बांटे अंतिम छोर वालों को भी सड़कें बांट देना, बहुत बहुत धन्‍यवाद.

नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) - सड़कें कांग्रेस को ही बंटना है, कुछ नहीं होना है 2 साल, आप लिखकर ले लों अभी जो वर्तमान कार्य है और बारिश के बाद गड्डे भरने में ही पूरा बजट चला जाना है.

श्री बृजेन्‍द्र सिंह राठौर - बात स्‍पष्‍ट हो गई.

नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) - यह बात जरूर है कि जितनी ज्‍यादा दारू बिकवा दोगे, उतना ज्‍यादा कुछ हो सकता है.

अध्‍यक्ष महोदय - गोपाल जी, 6 बजे के बाद बृजेन्‍द्र भाई से बात मत किया करो. (...हंसी) कौन सा गड्डा दिखने लगे शाम के बाद, कौन सी सड़क दिखने लगे.

श्री बृजेन्‍द्र सिंह राठौर - सदन में समर्थन करके स्थिति स्‍पष्‍ट हो रही है.

अध्‍यक्ष महोदय - डंडौतिया जी अपनी बात रखिए.

श्री गिर्राज डण्‍डौतिया(दिमनी) - माननीय अध्‍यक्ष जी, मैं माननीय कमलनाथ जी की सरकार के मंत्रीमंडल में आदरणीय मंत्री सज्‍जन वर्मा जी को जो बजट दिया है उस बजट के लिए मैं बहुत बहुत धन्‍यवाद देता हूं और उस बजट का आत्‍मीय स्‍वागत करता हूं, समर्थन करता हूं. जब से सुनता आ रहा हूं कि 15 वर्ष में क्‍या हुआ क्‍या नहीं हुआ मैं आपको मेरी विधानसभा दिमनी उसमें तीन नदियां है जो खराब है और उस क्षेत्र के अंदर ही मेरे 20 साल के राजनीतिक सर्वे के अनुसार 115 सड़के नहीं है और वे गांव सड़क विहीन है, जिनके बच्‍चे स्‍कूल नहीं जा पाते हैं, उन गांवों में अगर कोई बीमार हो जाता है तो उनको लाने के लिए बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है. मैं पूर्व सरकार के प्रतिनिधि जिनमें कई मंत्री हैं, कई विधायक होंगे मैं उनसे जानना चाहता हूं कि 15 साल की उपलब्धि वह बता रहे थे, मैं बता रहा हूं कि दिमनी क्षेत्र के अंदर.

अध्‍यक्ष महोदय - डण्‍डौतिया जी, आपके क्षेत्र की जो मांग है कृपापूर्वक वह पूछ लीजिए, समय कम है.

श्री गिर्राज डण्‍डौतिया - 15 साल के अंदर मेरे क्षेत्र की यह मांग है कि इन्‍होंने उस क्षेत्र के अंदर सड़कें क्‍यों नहीं डाली, उस क्षेत्र से क्‍यों पक्षपात किया, मेरी यह मांग है और दूसरी यह है कि मेरे क्षेत्र के अंदर जो सड़क थी, पीडब्‍ल्‍यूडी की उस सड़क को जिस ठेकेदार ने बनाया मैंने उसका शुभारंभ किया और वह ठेकेदार से मैंने कहा और एक स्‍कूल भी था, दोनों चीजों के बारे में जब ठेकेदारों को बुलाया क्‍यों साहब इनका भूमिपूजन तो कराओ तो कहा कि भूमिपूजन तो करवा लेंगे और मैंने कहा इसका एस्‍टीमेट कहां है तो कहा कि एस्‍टीमेट तो बहुत बिलों में लिया था, भाजपा सरकार थी इसलिए ले लिया था, अब हमारी हिम्‍मत नहीं है आपके सामने काम करने की. अब जिस तरह से दोनों निर्माणाधीन कार्य अधूरे पड़े हैं. मैं माननीय पीडब्‍ल्‍यूडी मंत्री वर्मा जी से अनुरोध करूंगा कि उन कार्यों को पूरा किया जाए. एक अस्‍पताल है वह साढ़े तीन करोड़ की लागत से खडिहार गांव का और एक सड़क है खेड़ा से लेकर रिठौरा मार्ग से जुड़ती है वह भी तीन करोड़ की है उनका शुभारंभ करें जिससे क्षेत्र के लोगों को आवागमन में तकलीफ न हो और अस्‍पताल फूटा पड़ा है जिसका काम पीआईयू से दिया गया है उसको भी करें. कुछ साल पहले घोषणा हुई थी कि चम्‍बल में हाईवे एक्‍सप्रेस-वे बनेगा, लेकिन उसका आज तक कोई कार्य वहां पर शुरू नहीं किया गया उसको केन्‍द्रीय मंत्री सम्‍माननीय नरेन्‍द्र सिंह तोमर जी ने किया था और आज वे वहीं से सांसद है उसका कोई शुभरंभ नहीं हुआ है. ये सड़कों की बात करते है तो 15 वर्षों के अंदर 150 सड़कों से मेरा क्षेत्र वंचित है और इन्‍होंने जो सड़कें बनाई, उन सड़कों की क्‍वालिटी ऐसी है कि 15 साल में एक एक सड़क तीन तीन बार मेरे सामने बन चुकी है, उनका तीन तीन बार टेण्‍डर होकर बन चुका है, 15 साल के अंदर, लेकिन 15 साल से पूर्व में जो सरकार थी, उसने जो सड़कें बनाई उनको आज देखेंग तो उन सड़कों की आज तक कोई गिट्टी और मुरम उखड़ी तक नहीं है.

अध्‍यक्ष महोदय - धन्‍यवाद डण्‍डौतिया जी.

श्री गोपाल भार्गव - 15 साल पहले क्‍या मध्‍यप्रदेश में कोई सड़कें थीं. खेत में सड़क, सड़क में खेत समझ नहीं आता था.

श्री बृजेन्‍द्र सिंह राठौर - अध्‍यक्ष जी, गोपाल भैया तो उस समय बैलगाड़ी से भोपाल आते थे.

श्रीमती झूमा सोलंकी(भीकनगांव) - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मांग संख्‍या 24, 67 और 71 की बात रख रही हूं. सर्वप्रथम मैं माननीय मंत्री जी को बहुत बहुत धन्‍यवाद देती कि उन्‍होंने मेरे क्षेत्र की 5 सड़कों की स्‍वीकृति दी और बजट में शामिल किया है और चूंकि लंबी बात न कहते हुए मेरे क्षेत्र की बात कह रही हूं. मेरा एक ब्‍लाक झिरन्‍या क्षेत्र जो आदिवासी बाहुल्‍य है, वहां की पांच सड़कें और शेष रह गई है, मंत्री जी कृपा करेंगे तो वह भी इसमें शामिल हो जाए. कोठड़ा से मोगरगांव, रतनपुर से भजापठार, मैन रोड से भापसी, पाडलिया से गड़ी और ऊफाटा से मानीकिरा, यहां पर आवागमन की बहुत दिक्‍कत है, आपकी गाड़ी भी नहीं जा सकती. आमजन प्रतिदिन किस तरह से आवागमन करते होंगे यह बहुत ही चिंतनीय बात है. इसके साथ ही तीन पुलियां जो बेहद जरूरी है एक मोहद की पुलिया जो पहले भी स्‍वीकृत थी मात्र इसलिए कैसिंल हुई कि वहां पर 99 प्रतिशत वोट कांग्रेस के पक्ष में जाते हैं. यह उनकी सजा है तो मेरा निवेदन है अध्‍यक्ष जी के माध्‍यम से कि मंत्री जी इसको करवाएं. माननीय मंत्री जी इस पर जरूर ध्‍यान देंगे. यह पुलिया बहुत जरूरी है वहां के लोग 25 किलोमीटर तक घूमकर आते हैं. मोहद की पुलिया सूखी नदी कठझीरा वहां से लोग 25 किलोमीटर तक घूमकर आमजन आते हैं यदि सीधे आएंगे तो 5 किलोमीटर पड़ता है, अन्‍य गांवों को जोड़ने वाली पुलिया है. इसी तरह से कालीकुंडी से एक गांव है वहां से भी लोग आते हैं, जब बारिश होती है तो लोग बीमार होने के बाद भी घरों से नहीं आ पाते हैं, यह स्थिति हो रही है.

श्री गोपाल भार्गव - अध्‍यक्ष जी, मेरा एक सुझाव है, विभागीय चर्चा के दो हिस्‍से है एक तो नीतिगत है, सुझावात्‍मक या फिर सलाह या विभाग की कार्य पद्धति पर चर्चा. दूसरा कि मेरे विधानसभा में ये कार्य होना चाहिए तो इस तरह के कार्य के लिए माननीय मंत्री जी बैठे है यदि मंत्री जी को लिखित में दे दो तो मैं मानता हूं कि जैसे आप चाह रहे हैं, समय की बचत भी होगी. यदि नीति पर कुछ बोलना चाहते हैं, विभाग की कार्यप्रणाली पर कुछ सुझाव देना चाहते हैं तो मैं मानता हूं कि समय बचेगा.

श्रीमती झूमा सोलंकी - अध्‍यक्ष जी, क्षेत्र की समस्‍याएं बहुत जरूरी है, हमारी बात तो हम रखेंगे ही.

श्री बृजेन्‍द्र सिंह राठौर - अध्‍यक्ष जी, नेता प्रतिपक्ष ने जो बात कही है, सही समय बचेगा.

श्री जितु पटवारी - अध्‍यक्ष जी, बात बिलकुल सही कही है, लेकिन एक विधायक चुनकर आते हैं, उनकी बात होती है, पटल पर आती है, अखबारों में छपती है. आप तो 8 बार के विधायक हो गए हैं, आपको असर नहीं होता, उन भावनाओं को आप समझ सकते हैं.

श्री गोपाल भार्गव - एक कॉलम में थोड़ी सी दो लाइनें आएगी, आप कल पढ़ लेना.

श्री जितु पटवारी - अभी तक तो ऐसे ही होता रहा है, पिछली बार तो आपने ऐसा नहीं कहा.

श्रीमती झूमा सोलंकी - अध्‍यक्ष जी यह सदन अपनी बात रखने के लिए है.

अध्‍यक्ष महोदय - झूमा जी एक मिनट रूक जाइए. नेता प्रतिपक्ष का जो सुझाव है, किसी हद तक ठीक है, जिनके क्षेत्र की मांग है वह लिखित में दे दें, बिल्‍कुल ठीक बात है, ताकि लिखित में मंत्री जी के पास बात जाएगी तो उनको लिखित में जवाब भी देना पड़ेगा और उस पर कोई न कोई कार्यवाही होगी, क्‍योंकि सदन के अंदर लिखकर दिया है. दूसरी बात अगर कोई नीति विषयक बात है जो आपका कहना है, कोई पॉलिसी मेटर है, कोई ऐसी चीज है, जिसके सुझाव से प्रदेश का भला होता है, अगर ऐसे नीतिगत सुझाव आएंगे, विषय पर चर्चा भी होगी, मांग संख्‍या पर चर्चा भी होगी, कम समय में हम ज्‍यादा काम कर पाएंगे. यह सुझाव बड़ा न्‍यायोचित है और मैं इस सुझाव के लिए बहुत-बहुत धन्‍यवाद देता हूँ. मैं उसी तारतम्‍य में अभी जो नाम पुकार रहा हूँ, मैं बैठकर पुरानी लिस्‍ट देख रहा हूँ, अगर पिछली चर्चा में उनने बोल लिया है तो मैं उनको नहीं पुकार रहा हूँ. मैं नये लोगों के नाम पुकार रहा हूँ, बहुत अच्‍छी बात है. आपके सुझाव के लिए धन्‍यवाद.

          श्रीमती झूमा सोलंकी - अध्‍यक्ष जी, अगर इतना ही महत्‍वपूर्ण है तो विपक्ष अपना चिल्‍लाना बंद कर दे.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - (श्री जितु पटवारी को देखते हुए) आभार, बधाई या धन्‍यवाद. तीनों में क्‍या बताओ ?

          श्रीमती झूमा सोलंकी - अध्‍यक्ष महोदय, इतना महत्‍वपूर्ण है, यदि नीति पर बात करना है तो हमारा समय बर्बाद क्‍यों करते हैं. ये चिल्‍ला-चोट करके हमारा समय खराब करते हैं. क्‍या यह गलत नहीं हुआ ? हम हमारे क्षेत्र की बातें करते हैं. हम लोग किसी प्रकार की व्‍यर्थ बातें नहीं करते हैं.

          डॉ. मोहन यादव - बहन जी, आपके भी भले की ही बात है. अध्‍यक्ष जी ने अच्‍छी व्‍यवस्‍था दी है.

          अध्‍यक्ष महोदय - समय बर्बाद न करें. घड़ी तो अपने हिसाब से चल रही है.

          श्रीमती झूमा सोलंकी -  अध्‍यक्ष जी, ये चिल्‍लाएं नहीं और हमारा समय खराब न करें. ठीक है. मैंने सिर्फ निवेदन किया है. माननीय मंत्री जी, मेरी मांगों पर ध्‍यान देंगे. मैं आपका बहुत-बहुत धन्‍यवाद देती हूँ.

          अध्‍यक्ष महोदय - (श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल को देखते हुए) आप पिछली बार बोल लिए हैं. धन्‍यवाद.

          खेल और युवा युवा कल्‍याण मंत्री (श्री जितु पटवारी) - माननीय अध्‍यक्ष जी, मेरी एक आपत्ति है (....व्‍यवधान...)

          अध्‍यक्ष महोदय - सिर्फ दिव्‍यराज बोलेंगे. बैठ जाइये.  

          श्री महेश परमार - (XXX)

          श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल - (XXX)

          अध्‍यक्ष महोदय - परमार जी, आपको क्‍या हो गया ? मैंने आपको नहीं पुकारा है. जो मेरे बीच में बोले, उनको किसी को नहीं लिखा जाएगा.

          श्री महेश परमार - (XXX)

          श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल - (XXX)

          श्री दिव्‍यराज - (XXX)

          अध्‍यक्ष महोदय - अच्‍छा चलिए. मैं आगे बढ़ गया. मंत्री जी. मैं अगर आप लोगों के लिए नरम दिल अपनाता हूँ तो आप लोग ऐसे चढ़ बैठते हैं. जायसवाल जी, आप बैठ जाइये. आप पिछले विषय में बोल चुके हैं.

          श्री गोपाल भार्गव - अध्‍यक्ष महोदय, कल से नई व्‍यवस्‍था करें. 

          अध्‍यक्ष महोदय - यह क्‍या बात हुई ? देखिये, गोपाल भार्गव जी, आप अपने दल के लोगों को समझाइये. यह तरीका इनका गलत है.

          लोक निर्माण मंत्री (श्री सज्‍जन सिंह वर्मा) - अध्‍यक्ष महोदय, वे दल के नेता की बात कहां मान रहे हैं ? (...व्‍यवधान....)

          अध्‍यक्ष महोदय - मेरी बात सुनिये. पहले दल को 52 मिनट होते हैं, आपको (पक्ष) 56 मिनट होते हैं, दोनों के समय बराबर हो चुके हैं. उसके बाद आप लोगों की बात से सहमत होकर, मैं किसी को पुकार लेता हूँ लेकिन उसमें ऐसी क्रिया-प्रतिक्रिया, टीका-टिप्‍पणी हो जाती है, समय चला जाता है, विषय नहीं आता है. इससे न विषय-वस्‍तु रह पाती है और न सामने वाले को समझ रहे हैं. दिव्‍यराज जी, मैं आपको समय नहीं दूँगा. मैं आप अकेले को परमिट कर रहा हूँ.

          श्री गोपाल भार्गव - अध्‍यक्ष महोदय, एक बहुत अच्‍छी बात यह है कि आपके आसंदी पर रहते हुए, वर्तमान में किसी प्रकार की कोई अव्‍यवस्‍था सदन में नहीं हुई. मैं सिर्फ इतना निवेदन करना चाहता हूँ कि बहुत से सदस्‍यों ने अपने नाम दिए हैं.  

          अध्‍यक्ष महोदय - मैंने बोल दिया है. मैं इस लिस्‍ट के हिसाब से दे रहा हूँ. दिव्‍यराज सिंह, आप इतनी देर में अपनी बात कर लेते.

          श्री गोपाल भार्गव - अध्‍यक्ष महोदय, बड़े सुचारु रूप से सदन चला रहे हैं तो सदन चल रहा है. सुझाव अच्‍छे आ रहे थे.

          श्री विश्‍वास सारंग - अध्‍यक्ष जी, एक निवेदन है कि यह बहुत महत्‍वपूर्ण विषय है फिर भी आपसे निवेदन है.

          अध्‍यक्ष महोदय - इनके विधायक दल की बैठक है. मैं इसलिए तेजी से चल रहा हूँ. मुझे आज तीसरा विभाग खत्‍म करना था, मैं अन्‍दर जाकर बैठ गया इसलिए दूसरा चल रहा है.

          श्री गोपाल भार्गव - अभी डेढ़ घण्‍टा है. आठ बजे से बैठक है.

          श्री दिव्‍यराज सिंह - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं बोलने के लिए तैयार हूँ.

          अध्‍यक्ष महोदय - देखिये, इसमें पूरे 6 मिनट चले गए. आप मुझे मुस्‍कुराकर क्‍यों लूट रहे हैं ?

          श्री विश्‍वास सारंग - अध्‍यक्ष जी, आपकी दरियादिली के दीवाने हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय - जायसवाल जी, आप तो मेहरबानी करके बैठ जाएं.

                                       ...(व्‍यवधान)..

          श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल -- मैं वही स्‍पष्‍टीकरण दे रहा हूं मैं सिर्फ मेडिकल के विषय पर बोलना चाहता हूं क्‍योंकि मेडिकल पर मेरी विधानसभा का नाम आया था, इसलिये मैं उस पर बोलना चाहता हूं. ...(व्‍यवधान)..

          अध्‍यक्ष महोदय -- अब इसमें मैं क्‍या कर सकता हॅू. यह सही तरीका नहीं है. श्री जायसवाल जी आप मेहरबानी क‍रके बैठ जाओ, मैंने सिर्फ दिव्‍यराज सिंह को परमीशन दी है. ...(व्‍यवधान)...

          श्री महेश परमार -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, दो मिनट का समय दे दीजिये, महत्‍वपूर्ण सुझाव देना हैं  ...(व्‍यवधान)..

          श्री दिलीप सिंह गुर्जर -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं टोल टैक्‍स के संबंध में सुझाव देना चाहता हूं. ...(व्‍यवधान)..

          श्री दिव्‍यराज सिंह (सिरमौर)-- मुझे मौका मिला है, पहले मुझे बोलने दें, फिर उसके बाद आप सब बोल लीजियेगा. ...(व्‍यवधान)..

          अध्‍यक्ष महोदय -- मैं एक बात बोल देना चाहता हूं कि दोनों दल के सचेतक अध्‍यक्ष को क्‍यों बुरा बना रहे हैं ? आपकी लिमिट है, आपका टाईम है, आप उतने नाम दीजियेगा. आप मेरे ऊपर बुराई मत डालियेगा. अब जिसको बोलना है, जितना बोलना है बोले, यह सब क्‍या है ? ...(व्‍यवधान)..

          श्री गोपाल भार्गव -- अध्‍यक्ष महोदय, आसंदी हमेशा बुराईयों से मुक्‍त रहती है. आप बिल्‍कुल बुरे नहीं हैं. आप सबके लिये अच्‍छे हैं. आप हम सबके लिये बहुत प्रिय हैं.

          श्री दिव्‍यराज सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने के लिये मौका दिया इसके लिये बहुत-बहुत धन्‍यवाद .

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- अध्‍यक्ष महोदय, आपकी मुस्‍कुराहट ही इतनी अच्‍छी है. (हंसी)

          अध्‍यक्ष महोदय --(हंसी)  ऐसा है भईया यह गोपाल के बड़प्‍पन का छलकपट है, या नन्‍हें से पगचाप की झुन्‍न-झुन्‍न बज रही है, मुझे समझ नहीं आ रहा है. यह कौन सा गोपाल बोल रहा है ? (हंसी)

          श्री गोपाल भार्गव -- (हंसी) यह तो हमारा आपका 35 साल पुराना संबंध है.

          गृह मंत्री(श्री बाला बच्‍चन) --माननीय नेता प्रतिपक्ष जी अच्‍छी कार्यवाही चल रही थी आपने ही यह सुझाव दिया था.

          अध्‍यक्ष महोदय -- चलिये मैं एडजस्‍ट कर रहा हूं, दो मिनट से ज्‍यादा कोई भी माननीय सदस्‍य नहीं बोलेगा, श्री पटवारी जी आप बोलें.

          श्री जितू पटवारी -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सम्‍मानित नेता प्रतिपक्ष का एक अपना अनुभव है, उन्‍होंने जो सुझाव दिया था, वह सकारात्‍मक था और आपने उस पर जो टिप्‍पणी की वह भी बड़ी सकारात्‍मक थी. मैं समझता हूं कि उस पर भी खूब साधुवाद है, पर जो सदस्‍यों की मूल भावना है कि वह यहां आते हैं और रूकते हैं और अपनी बात कहते हैं, इसलिये मेरा उतना ही सुझाव था कि दो-दो मिनट सबको बोलने दें, श्री महेश परमार जी, श्री दिलीप जी और श्री जायसवाल जी भी हैं, आप सबको दो-दो मिनट बोलने दें. नेता प्रतिपक्ष जी ने जो बात कही, वह अलग बात है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- मैं जितू पटवारी जी की बात से सहमत हूं लेकिन जो भी माननीय सदस्‍य बोलने खड़ा होगा, वह सिर्फ दो मिनट बोलेगा और उस समय दो मिनट की घड़ी स्‍पोटर्स मिनिस्‍टर की तरह जितू भाई ऑन किया करेंगे. (हंसी)

          श्री विश्‍वास सारंग -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, धन्यवाद.

          श्री दिव्‍यराज सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं मांग संख्‍या 24,67,71 के विरोध में अपना वक्‍तव्‍य रखूंगा. तत्‍कालीन माननीय मुख्‍यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी की सरकार में मेरे क्षेत्र सिरमौर में और पूरे मध्‍यप्रदेश में हम सभी ने देखा कि बहुत तीव्र गति से सारी सड़कों का निर्माण कराया गया था. चाहे वह पी.डब्‍ल्‍यू.डी. की सड़के हों, चाहे वह प्रधानमंत्री योजना की सड़क हो, चाहे वह राष्‍ट्रीय राजमार्ग हो, हर प्रकार के मार्गों में वृद्धि हुई थी. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, लोक निर्माण की कई सारी सड़के जो मेरे पिछले पंचवर्षीय में स्‍वीकृत हुई थी, उनके संबंध में मैं आपके माध्‍यम से मंत्री जी को बताना चाहता हूं कि उनके काम अभी भी रूके हुये हैं और ऐसी कई सड़के हैं, जैसे उमरी शाहपुर मार्ग, पडरी बैशनटोला मार्ग, मऊ पहुंच मार्ग, डोल पहुंच मार्ग, गाड़ा 138 मुख्‍य टोला मार्ग साथ-साथ में दो-दो करोड़ रूपये की दो पुलिया स्‍वीकृत हुई थी, एक पुलिया भनगवां गांव में महाना नदी पर है. इस प्रकार दोनों पुलिया स्‍वीकृत हुई थी दोनों का काम अभी पूरा नहीं हो पाया है. मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि उसका जो बजट अभी तक नहीं आ पाया था, उसको आवंटित करायें जिससे कि हमारी यह सड़कें पूरी हो जायें.

          अध्‍यक्ष महोदय -- धन्‍यवाद, श्री महेश परमार जी आप बोलें.

          श्री दिव्‍यराज सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरी एक सड़क रह गई है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- आपके दो मिनट हो गये हैं, आप बैठ जायें.  श्री परमार जी आप बोलें.

          श्री महेश परमार (तराना)--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं मांग संख्‍या 24 एवं 67 लोक निर्माण विभाग के अंतर्गत माननीय मंत्री श्री सज्‍जन सिंह वर्मा जी के द्वारा प्रस्‍तुत बजट का पुरजोर समर्थन करता हूं और माननीय मंत्री जी और माननीय मुख्‍यमंत्री जी को बहुत-बहुत धन्‍यवाद देता हूं कि मेरी विधान सभा में लगभग 4 किलोमीटर फोर लेन रोड स्‍वीकृत किया और 7 से 8 जो छोटे गांव से जोड़ने की सड़कें थीं, माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से बहुत-बहुत धन्‍यवाद देना चाहता हूं. मेरी विधान सभा से लगभग 20 किलोमीटर गुजरकर उज्‍जैन से झालाबाड़ मार्ग पर पिछले 15 सालों से पूर्ववत सरकार ने टोल वसूल किया. उस रोड पर पिछले 15 साल में लगभग-लगभग 6 हजार मौतें एक्‍सीडेंट से हुईं. वहां जन आंदोलन हुये, बड़े-बड़े घेराव हुये, लेकिन उस तरफ किसी ने ध्‍यान नहीं दिया. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री जी और माननीय मुख्‍यमंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हूं कि उस ओर ध्‍यान दें, वह मुख्‍य रोड है, राजस्‍थान से मध्‍यप्रदेश को जोड़नेवाली. दूसरी एक और तराना से कानीपुरा रोड मेरी विधान सभा से जोड़ने वाला पिछली बार स्‍वीकृत हुआ था, वह रोड लगभग 46 करोड़ की लागत से बना, लेकिन ठेकेदार और उस समय के जनप्रतिनिधि और मंत्री की सांठ-गांठ के कारण जिन दो बड़ी पुलियाओं का निर्माण होना था, उन पुलियाओं का आज तक निर्माण नहीं हुआ. वह रोड सिर्फ कागजों पर है, जब भी थोड़ी सी बारिश होती है तो वह रोड रूक जाता है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, एक और निवेदन है अभी जाबरा से उज्‍जैन मार्ग पर बड़ा भीषण हादसा हुआ, एक ही परिवार के 12 लोग मारे गये हैं. मैं माननीय मंत्री जी को बहुत-बहुत धन्‍यवाद देता हूं कि पिछली सरकार ने इतने टेड़े-मेड़े और घुमावदार रोड बनाये थे और किसी ने उस ओर ध्‍यान नहीं दिया, लेकिन माननीय मंत्री जी ने तत्‍काल ध्‍यान दिया और अपने विभाग से राशि स्‍वीकृत की और उस रोड को ठीक कराया. मेरे उज्‍जैन जिले में लगभग ऐसे एक्‍सीडेंट रोज होते हैं तो पूरे मध्‍यप्रदेश में जो अंधे मोड़ और घुमावदार रोड हैं उनको स्‍वीकृत करायें. रोज सेकड़ों मौतें मध्‍यप्रदेश में हो रही हैं, इस पर आप ध्‍यान दें. एक बार पुन: माननीय मंत्री जी को बहुत-बहुत धन्‍यवाद देता हूं कि हजारों गांव को पहली बार इस बजट में जोड़ा गया है. मेरे पूर्व साथी कह रहे थे कि छोटे-छोटे रोड, लेकिन गांव में ही हमारे मध्‍यप्रदेश की जान बसती है. मैं माननीय मंत्री जी को बहुत-बहुत धन्‍यवाद देता हूं. माननीय अध्‍यक्ष जी आपका बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          श्री दिलीप सिंह गुर्जर (नागदा-खाचरोद)--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मांग संख्‍या 24, 67 और 71 के प्रस्‍ताव का मैं समर्थन करता हूं. माननीय अध्‍यक्ष जी ने जो समय दिया उसके लिये मैं उनको धन्‍यवाद देता हूं. मेरा एक सुझाव है कि बीओटी रोड और टोल टेक्‍स हमेशा लग रहा है और आम नागरिक परेशान हो रहा है. पर्सनल व्‍हीकल एक्‍ट को कम से कम उससे मुक्ति दी जाये और कामर्शियल वाहन से ही टेक्‍स वसूला जाये. सरकार ठेकेदार की समयावधि बढ़ाकर उसके घाटे को पूरा कर सकती है, यह जनता के हित में अच्‍छा निर्णय होगा. अन्‍य राज्‍यों में इस प्रकार के काम किये गये हैं. दूसरा पॉल्‍यूशन के संबंध में बताना चाहता हूं, पॉल्‍यूशन की बात तो सब जगह होती रहती है लेकिन जो एसिड माफिया हैं, उद्योग हैं और ट्रांसपोर्ट हैं उन्‍होंने एक नई व्‍यवस्‍था इजाद की है कि जो वेस्‍ट एसिड है उनको गंतव्‍य स्‍थान पर न पहुंचाते हुये रास्‍ते में, नदी, नालों में और अन्‍य स्‍थानों पर डाल दिया जाता है जिससे पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है. शासन उस पर ध्‍यान नहीं दे रहा है. कई बार शिकायत होती है लेकिन उद्योग मालिकों पर कार्यवाही नहीं होती. कृपया इस ओर ध्‍यान देने का कष्‍ट करें. धन्‍यवाद.

            श्री प्रेमशंकर कुन्जीलाल वर्मा( सिवनी मालवा) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं लोक निर्माण विभाग की मांग संख्या 24, 67 का विरोध करता हूं. यह लोक निर्माण विभाग की मांग संख्या की जब मैंने सूची देखी तो मुझे भेदभावपूर्ण और असंतुलित लगी. एक जिले के 57 और 60-60 नाम सूची में हैं जिनकी सड़कें स्वीकृत की जा रही हैं और कुछ जिले ऐसे जिनके बिल्कुल जीरो. हरदा का नाम नहीं, रीवा का नाम नहीं, सीहोर का नाम नहीं, मेरे जिले का नाम है तो मेरे विधान सभा क्षेत्र की एक भी सड़क उसमें दिखती नहीं. इसीलिये इस प्रकार के असंतुलित बजट का मैं विरोध करता हूं. मेरे विधान सभा क्षेत्र के ऐसे गांव जिनको जनपद और जिला मुख्यालय से जुड़ना है और वह भी आदिवासी क्षेत्र के हैं उनके लिये मैं मांग करता हूं कि NH- 69 पर धार नामक स्थान से झिरना,जामनडोल,पुराना ताला आकर नया कोडार, नया खखरापुरा से होते हुए मुख्य मार्ग सुकतरा-सातपुरा से जोड़ा जाये. एक ऐसा ही बोरखेड़ा-सामूखेड़ा-सिलवानी-लाड़ीमऊ-बड़चापड़ा से होते हुए यह रोड मुख्य मार्ग से जोड़ा जाये ताकि वह जिला मुख्यालय से जुड़ सकें और ब्लाक मुख्यालय से जुड़ सकें. यह आदिवासी गांव हैं. ऐसी दो सड़कें और हैं. जो जनपद और जिला मुख्यालय से नहीं जुड़ी हैं. सुपरली से बेराटेकरी मार्ग जो होशंगाबाद से जुड़ना है और दूसरा बायखेड़ी से होशंगाबाद-हरदा मार्ग को जनपद और जिला मुख्यालय से जोड़ा जाए. धन्यवाद.

          श्री कुंवर सिंह टेकाम(धोहनी) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 24,67,71 का विरोध करता हूं. यह बजट मुझे सर्वव्यापी नहीं दिखा, मुझे निराशा हुई. मैंने माननीय मंत्री महोदय के बारे में बहुत सुना था. मैं चाहता हूं कि यदि आप मेरे विधान सभा क्षेत्र के प्रति सज्जनता दिखाते, मैं ज्यादा भाषण नहीं देता आप जानते हैं. मेरे यहां की 17 सड़कें स्वीकृत हुई थीं. उनको यहां से पत्र भेजकर उनका काम रोकने का निर्देश चला गया. मेरा निवेदन है कि उन्हें पुन: चालू कराएं.  4 सड़कों का काम शुरू हुआ था उनको रोक दिया गया है. उनको पुन: चालू करा दें. कहेंगे तो मैं पत्र लिखकर उन सड़कों का नाम दूंगा. बहुत लंबी लिस्ट है 17 सड़कों की. एक सड़क बहुत महत्वपूर्ण है जो 40 ग्राम पंचायतों को जोड़ती है. खामघाटी-पथरौला-टिकरी मार्ग है यह 27 कि.मी. का है. उसका प्राक्कलन यहां आ गया है. 60-62 करोड़ की है. उसको शामिल कर लिया जाता तो 40 गांवों की जनता को आने-जाने का साधन हो जाता. एक कुसमी-बंजारी मार्ग में पुल बन रहा है वर्ष,2012 से उसमें केवल रेलिंग का काम शेष है. मैंने कोई बार विभाग से निवेदन किया लेकिन उसका धीमी गति से काम चल रहा है.मेरे यहां तीन पुलियां स्वीकृत हो जाएं तो अच्छा होगा. पंधौर से पड़री मार्ग पर बिरकुनियां और मवई नदी पर पुल, बुईमार-भरबंदा मार्ग पर गोपद नदी पर पुल, लुरघुड़ी हायर सेकेंड्री पहुंच मार्ग पर सुन्दर नदी पर पुल,एक और है खड़ौरा से जोबर रेलवे स्टेशन मार्ग का काम, मड़वास रेलवे स्टेशन मार्ग का कार्य और बरचर से बरचर आश्रम मार्ग का काम रोक दिया गया है. इनको चालू करवा दें. माननीय मंत्री जी इसमें सज्जनता दिखाएंगे तो  बड़ी कृपा होगी. धन्यवाद.

श्री विनय सक्सेना(जबलपुर उत्तर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय सज्जन सिंह वर्मा द्वारा वर्ष 2019-20 के लिये प्रस्तुत मांग संख्या 24 और 67 का समर्थन करता हूं. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि 7815 भवनों के कार्य स्वीकृत हैं जिनकी लागत 14897 करोड़ रुपये है. पी.आई.यू. द्वारा जो कार्य कराये जा रहे हैं उसमें छिन्दवाड़ा और उसके आसपास 880 करोड़ की लागत से छिन्दवाड़ा में1753 बिस्तरीय  मेडिकल साईंस अस्पताल का निर्माण चल रहा है एवं अन्य कार्य पी.आई.यू. द्वारा किये जा रहे हैं. एक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि मध्यप्रदेश रोड डेव्लहपमेंट द्वारा 3 मेडिकल कालेज की योजना, यह आरोप लगता है कि सिर्फ छिन्दवाड़ा जबकि विदिशा, शहडोल और रतलाम में  भी इस तरह के काम प्रगति पर हैं. मध्यप्रदेश विकास निगम द्वारा मुंबई में 82 करोड़ की लागत से राज्य शासन के एक भवन मध्यलोक, का निर्माण भी किया जा रहा है. मैं पी.डब्लू.डी. की कुछ बातों की तरफ ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं कि जो मध्यप्रदेश में एन.एच.ए.आई. की सड़कें बन रही हैं और पिछली सरकारों के समय जो सड़कें बनीं हैं खास तौर से जबलपुर की बरेला सड़क जो मध्यप्रदेश की पिछली सरकार के सबसे खास ठेकेदार रहे हैं दिलीप सूर्यवंशी, उनके द्वारा जो बनाई सड़कें हैं.  उनके द्वारा बनाई सड़कों में, 200-200 मीटर की सड़कें क्रेक हो गई हैं और वह सड़कें उखाड़ी जा रही हैं. मैं चाहता हूं, पूर्व मंत्री  भी यहां बैठे हुए हैं कृपा करके उन सड़कों को ठीक किया जाये. एल.एण्ड टी. की सड़कें जो एन.एच.ए.आई. मध्यप्रदेश में बना रहा है.                                                                    

जबलपुर के आसपास जो 500-500 मीटर सड़कें सीमेंट कांक्रीट की हैं, 6 महीने में जिन्होंने दम तोड़ दिया है. एक और बहुत महत्वपूर्ण बात ध्यान दिलाना चाहता हूं. मोंटे कॉर्लो के द्वारा जबलपुर में  सो-कॉल्ड भवन का एक निर्माण कार्य किया गया है. वैसे शर्तें पूर्ववर्ती सरकार में 36 महीने और 5 साल की रखी जाती थीं, लेकिन जब  ठेकेदारों को फायदा पहुंचाना है तो उस बिल्डिंग में एक साल की कंडीशन रखी गई, उस बिल्डिंग में दीवालों में जो टाइल्स लगी हैं उसमें स्क्रू कसे जा रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, आपका संरक्षण चाहता हूं. उस बिल्डिंग में स्क्रू कसकर टाइल्स रोकी जा रही हैं. मतलब वह कोर्ट जिसमें जज बैठ रहे हैं, उस बिल्डिंग में अंदर अभी से पानी बहने लगा है. इतने जो खराब और घटिया काम हुए हैं, वह पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में हुए हैं उनकी जांच होनी चाहिए और मैं आपसे यह भी आग्रह करना चाहता हूं  कि एक बहुत महत्वपूर्ण कार्य इस सरकार ने हाथ में लिया है. सरकार की मंशा है कि युवाओं को रोजगार के तहत लोक निर्माण विभाग के कामों में अधिक से अधिक लोगों रोजगार उपलब्ध कराया जाय, जिसमें युवा इंजीनियरों की सीधी भर्ती की जा रही है, जिसमें शीघ्र ही बहुत सारे 300-400 इंजीनियर पदों पर भर्ती किये जा रहे हैं. मध्यप्रदेश सरकार, माननीय श्री कमलनाथ जी और माननीय श्री सज्जन सिंह वर्मा जी को मैं इसके लिए धन्यवाद देना चाहता हूं. इसी तरह से रोड सेफ्टी के नाम पर सरकार ने सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए जिसकी यहां पर बड़ी चर्चा हो रही है, उसके लिए भी सरकार प्रतिबद्ध है और रोड सेफ्टी का आडिट भी कराया जाएगा. सरकार यह एक और महत्वपूर्ण काम करने जा रही है. एक अच्छी बात यह है कि इस समय मध्यप्रदेश लोक निर्माण विभाग में बहुत अच्छे अधिकारियों की एक टीम नियुक्त की गई है जो तत्काल पिछले 6 माह में बदले गये हैं, उससे मुझे लगता है कि बहुत जल्दी अच्छी गुणवत्ता के कार्य होंगे और जो कमलनाथ जी की सोच है कि हमारी सरकार अधोसंरचना के विकास कार्य को सर्वोच्च प्राथमिकता प्रदान करे और कार्यों को समयबद्धता, गुणवत्ता और पारदर्शिता के साथ कराया जाय, यह सरकार का मूल मंत्र है. मैं माननीय श्री सज्जन सिंह वर्मा जी को धन्यवाद देना चाहता हूं और इसका स्वागत करता हूं. धन्यवाद.

श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल (मुड़वारा) - अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 24, 67 एवं 71 में कटौती प्रस्ताव के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं. 567 काम, 43 जिले और उसमें से 10 जिलों में 285 काम और उनमें आपका भी जिला है, नरसिंहपुर उसमें 20वां, 22वां नम्बर पर होगा, जो सड़कें प्रस्तावित हैं. 10 जिलों में 285 सड़कें, कुल जो 567 सड़कें बन रही हैं, यह है हमारे लोक निर्माण विभाग का काम और एक मैं माननीय मंत्री जी का ध्यान आकृष्ट करना चाहूंगा, मांग संख्या 24 में प्रदेश में आवागमन की सुविधा विस्तार के लिए एनडीबी से वित्त पोषित निम्नांकित नवीन सड़क निर्माण कार्य प्रस्तावित हैं, उसमें कटनी में जो 2 दिन पहले मैंने प्रश्न लगाया, जिसकी जांच करवाने से माननीय मंत्री महोदय द्वारा इंकार किया गया है, निर्माण कार्य प्रारंभ की सड़कें उसमें लिखी हुई हैं. स्थिति यह है कि जहां भारतीय जनता पार्टी के विधायक हैं, 567 में से कटनी जिले में 3 सड़कें ली गई हैं, वह बड़वारा की हैं बाकी तीनों विधानसभा की कोई भी सड़क नहीं है और इन सब निर्णयों का विरोध करते हुए मेरे यहां मुड़वारा विधानसभा में रिंग रोड का एक छोटा-सा पार्ट बाकी है. अगर वह बन जाएगा तो बाहर का ट्रॉफिक बाहर से निकलने लगेगा. मंगल नगर, झर्रा टिकुरिया, गायत्री नगर, सिविल लाइन का एक ओव्हर ब्रिज, और धपई जरवाही और पंडा मार्ग को चालू कराने के संबंध में स्वीकृति दी जाय. घंघरीकलां और घंघरीकुर्द में पुल की स्वीकृति के संबंध में कहना चाहता हूं, वृक्षारोपण के संबंध में माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत बात होती है, मैं कहना चाहूंगा कि उसको टेंडर में शामिल करते हुए 3 साल तक वृक्ष का ध्यान रखते हुए उसको बड़ा करने की शर्त भी शामिल की जायं, अगर पहले से है तो अच्छी बात है, नहीं तो उसको भी शामिल किया जाय, जिससे वृक्षारोपण की सफलता बढ़े. आपने जो मुझे बोलने का अवसर दिया उसके लिए धन्यवाद.

          लोक निर्माण मंत्री (श्री सज्जनसिंह वर्मा) -- अध्यक्ष महोदय लगभग 25 सदस्यों ने मेरे विभाग की मांग संख्या 24,67 और 71 पर अपनी बात रखी अपने सुझाव रखे हैं मैं शुरू करने वाले और अंतिम वक्ता का नाम ले लेता हूं. श्री रामपाल सिंह जी और  अंत में आपके जायसवाल जी.

          अध्यक्ष महोदय -- समझ लेना बहुत भारी पड़ेगा

          श्री सज्जन सिंह वर्मा -- धन्यवाद बंधुओं, जबरदस्त तरीके से आपने अपने सुझाव रखे हैं. कहीं पर प्रशंसा की है और कहीं पर कटघरे में खड़ा किया है. प्रशंसा इधर से आयी है और कटघरे में उन्होंने खड़ा किया है.

          अध्यक्ष महोदय मेरे विभाग का सूत्र वाक्य  हमारी सरकार के द्वारा अधोसंरचना के विकास के कार्यों को सर्वोच्च प्राथमिकता प्रदान किये जाने की दशा में कार्य करेगी कार्यों को समयबद्धता गुणवत्ता एवं पारदर्शिता के साथ करवाया जाना हमारी सरकार का मूल मंत्र है.

          अध्यक्ष महोदय हमारे वचन पत्र में लिखा हुआ एक एक शब्द, हम इस मध्यप्रदेश की धरती पर मूर्तरूप देंगे यह हमारा वचन है. रोजगार सृजन की बात हम अपने विभाग में करेंगे, क्योंकि रोजगार 15 साल में कहां मिला कहां नहीं मिला उसका भी उल्लेख मैं करूंगा.

          अध्यक्ष महोदय मैं संक्षिप्त में अपने विभाग की सड़कों के बारे में बता दूं. प्रदेश में राष्ट्रीय राजमार्गों की कुल  लंबाई 8858 किलोमीटर है, इसमें मुख्य जिला मार्गों की लंबाई, राष्ट्रीय राज मार्ग, राज्यमार्ग  और जिला मार्ग हैं 11389 राज्यमार्ग हैं 22129 ग्रामीण सड़कें और जिला मार्ग हैं. इस तरह से कुल सारी सड़कें मिलाकर 70999 किलोमीटर सड़कें हमारे मध्यप्रदेश में हैं.

          अध्यक्ष महोदय बजट में नये कार्य जो कि अभी विधायकगण बोल रहे थे, अभी मैं एक शब्द बोलूंगा तो चिल्लाचोट मचेगी. मेरे ऊपर भेदभाव का आरोप लग रहा था, बड़ा भेदभाव किया है सड़क देने में, अरे जो जागरूक विधायक थे उन्होंने मुझे सड़कें लिखकर दे दीं, अब जो जागरूक थे मुझे जानकारी दी, मैंने वह मंजूर कर दीं, अब आप जागरूक नहीं हैं सोते रहे तो मैं क्या करूं, मैं घर तो जाऊंगा नहीं लिखवाने.

          श्री भारत सिंह कुशवाह -- जिन्होंने लिखित में दी हैं उनके स्वीकृत होंगे क्या.

          श्री ओमप्रकाश सखलेचा -- अध्यक्ष महोदय  क्या हर विधायक को माननीय मंत्री जी के यहां व्यक्तिगत रूप से जाना था...(व्यवधान)..

          श्री गोपाल भार्गव -- माननीय मंत्री जी अभी आपने जो पढ़ा कि आपके एनएच और जिला संपर्क मार्ग और ग्रामीण संपर्क मार्ग आपने जो लंबाई बताई है 70 हजार लेकिन वह 65 हजार है आप अपनी जानकारी दुरूस्त कर लें.

          श्री सज्जन सिंह वर्मा -- इन महीनों में बनती हुई सड़कों का उल्लेख आपके पास में नहीं आया है. जो सड़कें बन गई हैं.

          श्री गोपाल भार्गव -- आपका जो सर्वे है उसी से बता रहा हूं. आप दिखवा लेना.

          श्री सज्जन सिंह वर्मा -- यह सड़कें हैं यह बता दी हैं मैंने आप भी दिखवा लेना मैं भी दिखवा लूंगा. अध्यक्ष महोदय 2019-20 के बजट में विभाग की कुल 660 नवीन सड़कों का कार्य हमने जिसकी लंबाई 4140 किलो मीटर जिसकी लागत 4434 करोड़ रूपये हैं एवं दो वृहद पुलों का भी हमने बजट में उल्लेख किया है ये हमारे नवीन कार्य है. सड़क और पुल निर्माण एवं उन्नयन हेतु हमने बजट 6920 करोड़ रूपये का प्रावधान किया है. सड़कों के संधारण एवं नवीनीकरण के लिए रूपये 1222 करोड़ का प्रावधान किया गया है. शासकीय आवासीय तथा गैर आवासीय भवनों के संधारण हेतु 674 करोड़ रूपये का प्रावधान बजट में रखा है.

          अध्यक्ष महोदय हमारा लक्ष्य 2019-20 में 2800 किलोमीटर की सड़कों का निर्माण एवं उन्नयन करने का है. इसके अतिरिक्त 3 हजार किलोमीटर लंबाई की सड़कें बनाने की योजना है.आगे बनाने की योजना है,  जिसमें नवीनीकरण  एवं चौड़ीकर भी है, यह  हमारा लक्ष्य है.  वृहद पुलों  का  लक्ष्य भी हमने रखा है.  साथ ही  नई सड़कों के निर्माण के साथ साथ  हम  बजट में ही प्रावधान कर रहे हैं, जो  पर्यावरण भी   हमारे लिये चिंता का विषय है.  हम जब नई सड़कें बनायेंगे,  उसके दोनों तरफ  वृहद वृक्षारोपण का  बजट में प्रावधान कर रहे हैं.  निश्चित रुप से यह अच्छी बात होगी.  इसी तरह से  नये जो भवन बनेंगे,  उनके प्रांगण  में भी वृहद वृक्षारोपण का प्रावधान हम बजट में ही रख रहे हैं,  ताकि  यह पर्यावरण जो 15 साल  में दूषित हो गया है,  अब ठीक हो जायेगा.  हमारे प्रदेश में   अभी जितने  नेशनल हाइवे हैं, हमें केन्द्र सरकार ने  अभी 4593  किलोमीटर की और सैद्धांतिक स्वीकृति दे दी है. (प्रतिपक्ष के सदस्यों की तरफ से वाह-वाह की आवाज आने पर)  अध्यक्ष महोदय, ये वाह-वाह तो  कर रहे हैं,   अब जब हम केंद्रीय मंत्री जी से मिलने जाते हैं,  हम कहते हैं कि या तो यह आप पूरी ले लो या  हमारे पास ही रहने दो, ताकि उनका संधारण  एवं संरक्षण हम कर सकें.  अध्यक्ष महोदय, केंद्र सरकार की प्रक्रिया इतनी लम्बी है कि  वह सड़कें इतनी जर्जर हो जाती हैं, उनमें इतने गड्ढे हो जाते हैं, तो  प्रदेश की जनता समझती है कि   पीडब्ल्यूडी मतलब  मध्यप्रदेश की सड़क. अब वह बेचारे लोगों को पता नहीं है कि प्रदेश में  केन्द्र सरकार की इतनी लम्बी-लम्बी सड़कें हैं, जिनमें गड्ढे हो गये हैं,  वह भी हमारे माथे आ जाती हैं.  तो हो सकता है कि इस विभाग की  बजट की मांगों  पर भाषण के माध्यम से  जनता को पता चल जाये..

                   श्री कमल पटेल -- (xxx)

                   अध्यक्ष महोदय -- जो भी बीच में  बोले, नहीं लिखा जायेगा.

                   श्री सज्जन सिंह वर्मा --  अध्यक्ष महोदय,  ऐसा  है कि आप हम पर दोषारोपण करो,  हम आप पर करें.  या तो आप सीधे चलो, हम सीधे चलें.  आपकी सरकार की बात आई, तो उसको सुनने की आदत डालें और गड़करी जी बहुत ही अच्छे  व्यक्ति है.  मैं पूरे केन्द्रीय मंत्रिमण्डल में   यदि किसी व्यक्ति की तारीफ करता हूं, तो उसका नाम  श्री नितिन गड़करी है.  जिस आदमी का विजन है,  जिस आदमी के दिमाग में  विकास क्या होता है,  इसकी परिभाषा अंकित है.   इसीलिये हम   जैसे लोग उनकी तारीफ करते हैं.  तो आप लोगों को जाकर के उनसे मिलना चाहिये,  ताकि यह जो  सड़कें जर्जर हो रही हैं,  अभी सीधी-सिंगरौली सड़क की बात  आ गई, अब मैं क्या बोलूं.  हमारे भाई उठकर बोल रहे थे. इसी तरह  मण्डला-बारेला सड़क है, उसके बारे में बारबार प्रश्न आता है,  हमने केन्द्रीय मंत्री जी से निवेदन किया कि  मंत्री जी, इसका  कांट्रेक्ट टरमीनेट कर दें,  क्योंकि केन्द्रीय जो सड़कें हमारी हैं,  नेश्नल हाइवे,  उनके बारे में सारा डिसीजन दिल्ली में होता है.  हमने दो दो बार कहा कि  इन ठेकेदारों का कांट्रेक्ट  आप निरस्त कर दो, वहां से प्रक्रिया  चलती है, निरस्त होती नहीं है.  फिर यहां प्रश्न आते हैं और कहते हैं कि  पीडब्ल्यू़डी की सड़क है, जबकि नेशनल हाइवे  का यह चलता रहेगा, पर  गोपाल भैया जाना जरुर.  नितिन गड़करी जी  आपकी बात टालेंगे नहीं. जो सड़कें   अभी हमें  इतनी सारी  और दे दी हैं,  सैद्धांतिक रुप से  4593 किलोमीटर.  या तो उसको तत्काल..

                   नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) --  सज्जन भाई,  आप रिकार्ड उठाकर देख लें.  पिछले 5 वर्षों में खासतौर से  जब से केन्द्र में हमारी सरकार आई है.  आप रिकार्ड उठाकर देख लें.  आजादी के 70 सालों के बाद, 65 साल की ही गिन लें टोटल लम्बाई और इन 5 सालों की, तो इन 5  सालों में ज्यादा होंगी, बजाये 65 साल के.  मैं  आपसे शर्त लगा सकता हूं. जितना  काम एन.एच. के मामले में  हुआ है इन 5 वर्षों में,  रिकार्ड में  कभी नहीं हुआ.

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XXX :  आदेशानुसार रिकार्ड  नहीं किया गया.

                   श्री सज्जन सिंह वर्मा -- देखिये, मैं  केन्द्र सरकार की  आपसे बात कर रहा हूं. ..

                   गृह मंत्री (श्री बाला बच्चन) --  नेता प्रतिपक्ष जी,  बिना शर्त के भी बात हो सकती है.  कोई शर्त लगाने के लिये हाउस थोड़ी है.   बिना शर्त के भी बात हो सकती है.  इसके पहले,  अभी हमारे मुख्यमंत्री जी हैं,  वे सड़क परिवहन मंत्री केंद्र में रहे हैं, उनके समय में रिकार्ड तोड़ फण्ड, रिकार्ड तोड़  सड़कें और रिकार्ड तोड़ लम्बाई की  बेस्ट  क्वालिटी की सड़कें बनी हैं.

                   श्री गोपाल भार्गव -- आप  जब  शिवपुरी  से गुना होते हुए  राजगढ़ आते थे, आपको कैसा  लगता था,  कभी आप उस सड़क पर चले थे, तब आपने देखी थीं सड़कें.

                   श्री सज्जन सिंह वर्मा --  गोपाल भाई, मैं उसी पर आ रहा हूं.  आप रिकार्ड उठाकर देख लें..

                   श्रम मंत्री (श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया) --  अध्यक्ष महोदय, नेता प्रतिपक्ष जी ने जो  गुना  शिवपुरी  सड़क की बात की है, यह यूपीए सरकार की देन है, बीजेपी सरकार के समय की देन  नहीं है.

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा -- कमलनाथ जी जब भूतल परिवहन मंत्री थे, उस समय का बजट आप इस प्रदेश को दिया हुआ देख लो, और अभी का बजट देख लो, दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा. गोपाल भैया, ''हाथ कंगन को आरसी क्‍या और पढ़े-लिखे को फारसी क्‍या''.

          श्री गोपाल भार्गव -- अच्‍छा आप रिकार्ड उठाकर देख लो, 50 प्रतिशत से ज्‍यादा छिंदवाड़ा का ही है.

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा -- देखो, इस मध्‍यप्रदेश की धरती पर गई है. सज्‍जन वर्मा के यहां भी गई है. अध्‍यक्ष जी, अच्‍छा विषय आ गया, मैं एक और उदाहरण आपको दे दूँ.

          श्री गोपाल भार्गव -- हमारे पूर्व पीडब्‍ल्‍यूडी मंत्री श्री नागेन्‍द्र सिंह जी बैठे हुए हैं, आप उनसे पूछ लें, क्‍या ऐसा ही है ?

          अध्‍यक्ष महोदय -- यार गोपाल भैया, कितनी सारी पंचायतों की भरमार रेहली में हो गई, हमने कभी कुछ कहा... (हंसी)...

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, केन्‍द्रीय सड़क निधि से मैं मध्‍यप्रदेश के लिए 12 सड़कें लाया था, कमलनाथ जी मंत्री थे, मेरे यहां की सड़कें इसलिए नहीं बनाई गईं क्‍योंकि वे कांग्रेस के खाते में जातीं. इंदौर हाईकोर्ट में मुझे पिटिशन लगानी पड़ी. वहां से मैं जीतकर आया, तब मेरे इलाके में सड़कें बनीं.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, राज्‍य में राजमार्गों का विकास और संधारण मध्‍यप्रदेश सड़क विकास निगम करता है. इस समय बीओटी के अंतर्गत 4061 किलोमीटर राजमार्ग बन रहे हैं, जिसमें से अभी तमाम बन गई हैं, मात्र 19 किलोमीटर निर्माणाधीन हैं. 597 किलोमीटर लंबाई के राजमार्ग निर्मित किए जा चुके हैं, 44 किलोमीटर के निर्माणाधीन हैं.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, ये आंकड़े मैं इसलिए बता रहा हूँ कि ये रिकार्ड में आ जाए. तमाम सड़कें एडीबी से लोन लेकर बनती हैं जो निश्‍चित रूप से इस प्रदेश के लिए आवश्‍यक भी हैं. अभी रामपाल सिंह जी बात कर रहे थे कि हमने ये सड़क बनाई, हमने वह सड़क बनाई, कर्ज लेकर ही बनाई, प्रदेश पर भार चढ़ा दिया. हम कोशिश करेंगे कि कम से कम कर्ज लेकर ज्‍यादा से ज्‍यादा सड़कें बनाएं.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, भारत सरकार ने राज्‍य शासन को कुछ राष्‍ट्रीय राजमार्ग दे जरूर दिए, लेकिन जैसा कि मैंने पहले भी कहा कि सीधी-सिंगरौली का जिक्र बार-बार आता है, मंडला-बरेला का जिक्र बार-बार आता है. उसके लिए केन्‍द्र सरकार हमें बिल्‍कुल भी मदद नहीं करती. हम चाहते हैं कि हम अपने स्‍त्रोत से, हम कोशिश कर रहे हैं कि हम उन सड़कों पर केन्‍द्र सरकार परमिशन दे न दे, लेकिन जो सड़कें संधारण के लिए हमारे पास हैं, हमारी कोशिश यह है कि हम उन सड़कों को चिह्नित करके हम टोल लगाएं. टोल साधारण जनता पर नहीं लगाएंगे, घबराना मत, हम कमर्शियल व्‍हीकल पर टोल लगाएंगे, ताकि यदि केन्‍द्र सरकार न भी दे तो उन सड़कों का संचालन और संधारण हो सके. हम कमर्शियल व्‍हीकल्‍स पर टैक्‍स लगाएंगे, यह भविष्‍य के लिए हमारी योजना है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, एक बड़ी महत्‍वपूर्ण योजना है जिसका जिक्र माननीय रामपाल सिंह जी ने किया था, इंदौर भोपाल 6 लेन सड़क, आपके समय 4 लेन थी. हमने जाकर उसे 6 लेन कराई है. मैंने गडकरी जी के बारे में कहा कि वीजन वाला व्‍यक्‍ति है, हमने उनसे कहा कि 6 लेन बनाओ, 4 लेन बनाएंगे तो हमको जनता मारेगी क्‍योंकि 4 लेन तो पहले से ही बनी हुई है. उन्‍होंने कहा कि बिल्‍कुल ठीक है, उन्‍होंने 6 लेन की मंजूरी दी. ये इंदौर से भोपाल वाली योजना बड़ी महत्‍वाकांक्षी योजना है. यह 5 हजार करोड़ के लगभग की है. इसमें एक सेटेलाइट टाऊनशिप डेवलप होनी है, एक बड़ा औद्योगिक क्षेत्र डेवलप होगा, एक ड्राइपो डेवलप होगा. जब औद्योगिक क्षेत्र निर्मित होगा तो रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे.

          श्री नागेन्‍द्र सिंह (नागौद) -- वर्मा जी, 6 लेन रोड की मांग मत करिए, 8 लेन रोड की मांग करिए. अगर दिल्‍ली से मेरठ 12 लेन रोड बन सकती है तो हमारे मध्‍यप्रदेश में भी भोपाल से इंदौर 8 लेन रोड बन सकती है. 6 लेन रोड बनाएंगे तो पीछे रह जाएंगे.

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अभी 6 लेन सड़क मंजूर करा ली है. यदि हम 8 लेन के लिए जाएंगे तो 3 साल अभी और इंतजार करना पड़ेगा. मैं जानता हूँ कि 6 लेन से काम चल जाएगा.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- माननीय अध्‍यक्ष जी, माननीय मंत्री जी 8 लेन का जिक्र कर सकते हैं, इंदौर बाम्‍बे, जो मंदसौर से, रतलाम से, झाबुआ से निकली है, आप उल्‍लेख कर सकते हैं, टेण्‍डर हो गए हैं, मुआवजे भी बंटना शुरू हो गए हैं.

          श्री गोपाल भार्गव -- जो नागेन्‍द्र सिंह जी ने सुझाव दिया है, उसको ले लें. ये भी पीडब्‍ल्‍यूडी मंत्री रह चुके हैं.

            श्री सज्‍जन सिंह वर्मा - अध्‍यक्ष महोदय, आप गडकरी जी से एक महीने में मंजूर करा लायेंगे ? हम रोक देते हैं. हम अभी रोक लेते हैं. हम तो भू-अर्जन की कार्यवाही चालू कराने के चक्‍कर में हैं.

          श्री गोपाल भार्गव - आप अभी प्रस्‍ताव तो भेजिये.

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा - हम अभी भेजेंगे. आपको हम लिखकर दे देते हैं, एक महीने में मंजूर कराकर लाकर दे देना. हो तो एक दिन में सकता है, होने में कोई बड़ी बात नहीं है.

          अध्‍यक्ष महोदय - मुझे एक चीज समझ में नहीं आ रही कि लोगों को एक लाइन नहीं मिलती, यहां पर कहीं 6 लाइन, कहीं 8 लाइन,  हो क्‍या रहा है यह ? बिराजिये.

          श्री गोपाल भार्गव - अध्‍यक्ष महोदय, यह विजन की बात है. हमारे लोक निर्माण मंत्री जी की जो दृष्टि है, जो सोच है, जो विजन है, मैं चाहता हूं कि सज्‍जन जी, आप उसे करवा लें.

          अध्‍यक्ष महोदय - अरे भाई, दोनों दल मिलकर दिल्‍ली चले जाओ और जाओ स्‍वीकृत करवा लाओ. अब आगे बढि़ये.

          श्री नागेन्‍द्र सिंह (नागौद) - अध्‍यक्ष महोदय, जो गलती वर्मा जी कर रहे हैं, वह गलती मैं कर चुका हूं. जब मैं मंत्री था, तब सिक्‍स लेन रोड बनाने का सुझाव आया था. मैंने भी यही कहा था कि 6 लेन की क्‍या आवश्‍यकता है, 4 पर्याप्‍त है. अब आप, आज महसूस कर रहे हैं कि 6 लेन बननी चाहिये. मैं, आज यह कह रहा हूं कि भोपाल-इन्‍दौर 8 लेन रोड बननी चाहिये. अगर दिल्‍ली से मेरठ 12 लेन रोड बन सकती है, तो हम भी इसको बनवा सकते हैं. प्रयास करिये, हम आपका पूरा साथ देंगे.

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा - अध्‍यक्ष महोदय, माननीय नागेन्‍द्र सिंह जी, मुझे एक उदाहरण देना बड़ा जरूरी हो गया है. देवास से ग्‍वालियर 4 लेन सड़क जब कमलनाथ जी भू-तल, परिवहन मंत्री थे, मैं, केन्‍द्र सरकार से वह मंजूर कराकर लाया. उसमें 2-3 कॉन्‍ट्रेक्‍टर बदल गये. कोर्ट का लफड़ा आ गया. अब वह मंजूर कराकर हम लाये. पूरा समय निकलता गया और नारियल फोड़ने बीजेपी के नेता वहां चले गये. 4,000 करोड़ की सड़क है नागेन्‍द्र सिंह जी, अब यहां नारियल हमको भी फोड़ लेने दो. ठीक रहेगा.

          श्री कमल पटेल - अध्‍यक्ष महोदय, सुनो सज्‍जन भाई, शिवराज सिंह जी ने वल्‍लभ भवन बनाया, कमलनाथ जी ने उद्घाटन कर दिया. हमने तो नहीं कहा.

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा - अब यह मंगलयान वाली कहानी मत दोहराओ.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - अध्‍यक्ष महोदय, स्‍नातक भवन झाबुआ में बना है. 24 तारीख को कमलनाथ जी ने उद्घाटन किया.

          श्री हरिशंकर खटीक - अध्‍यक्ष महोदय, आप बस लोकार्पण करते रहो. हम लोगों की सब सड़कें हैं.

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा - अध्‍यक्ष महोदय, खटीक जी, बतायेंगे. उस समय रामपाल सिंह जी मंत्री थे. फोर लेन अब हम..   

          श्री गोविंद सिंह राजपूत - अगर सड़क चाहिये हो, तो सज्‍जन जी को शांति से सुनो. बाद में फिर पछताओगे.

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा - माननीय अध्‍यक्ष जी, आपका निर्देश है कि शॉर्टकट करो, पर कुछ बड़ी योजनायें हैं. जैसे सेतु ब्रिज़, आरओबी (रेलवे ओवर ब्रिज), मेरा विभाग और मैं, चाहता हूं, मेरी सरकार चाहती है कि इस प्रदेश में जितने रेलवे के फाटक हैं, वहां पर लोगों को फाटक बंद होने से घण्‍टों लग जाते हैं. दो-दो, तीन-तीन रेलें निकल गईं, ईंधन जलता रहता है, समय, शक्ति और पैसे की बर्बादी होती है. हम यह चाहते हैं कि एक साथ 50 रेलवे ओवर ब्रिज इस प्रदेश में बनाये जायें ताकि लोगों को लगे कि कुछ काम मध्‍यप्रदेश की सरकार कर रही है और मध्‍यप्रदेश की सरकार के पीडब्‍ल्‍यूडी विभाग से प्रेरणा लेकर अन्‍य प्रदेशों में भी आरओबी बनाने की पहल हो. यह बड़ी महत्‍वाकांक्षी योजना है. हम लगे हैं कि वह काम हो जाये.

          श्री गोपाल भार्गव - आपने प्रावधान किया है कि आरओबी के आपको 50 परसेंट देना है ?

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा - हां, किया है न. सैद्धांतिक किया है. आपके केन्‍द्र ने सैद्धांतिक सड़कों की मंजूरी अभी हमको दी है, वैसे ही हम इसको सैद्धांतिक मंजूरी देते हैं. अभी आप सुनो, हम कर रहे हैं. अभी दूसरा, एक और बजट आ रहा है, आप निश्चिंत रहो. आप धन्‍यवाद दो. यह योजना अच्‍छी है कि नहीं ?

          श्री गोपाल भार्गव - नहीं, मैं धन्‍यवाद दूंगा, लेकिन आपने जो बात कही कि ..

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा - आरओबी 50 एक साथ बनेंगे. अच्‍छा वह सबके क्षेत्र में हों..

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - माननीय मंत्री जी, भारत की सरकार ने संकल्‍प लिया है. समपार फाटकें और मेन पावर खत्‍म करने जा रहे हैं.

          श्री गोपाल भार्गव - प्रावधान एक रुपया भी नहीं है और आरओबी 50 बनायेंगे ?

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा - चमत्‍कार होगा गोपाल दादा, आप देख लेना. अब एक बात सुनो. सिसौदिया जी, अब एक बात बताओ, आप खाली जीरो बजट छोड़कर गये, कमलनाथ जी ने 20 लाख लोगों का कर्जा माफ किया है कि नहीं किया ? हम, आपके घर पर चिट्ठा देने गये थे. कमलनाथ जी ने जब मध्‍यप्रदेश का जीरो बजट था, तब 20 लाख लोगों का कर्ज माफ किया है. यह चमत्‍कारी सरकार है. आप चिंता मत करो.

          श्री चैतन्‍य कुमार काश्‍यप - वर्मा जी, आप मेरी आप सुन लें, रेल मंत्री जी ने सारे समपार फाटक के लिये स्‍वीकृत किया है. आप पूरे प्रदेश का बजट दे दीजिये सारी बन जायेगी.

          श्री सुशील कुमार तिवारी - मंत्री जी, यह तो कर्जे वाला सब दूर असत्‍य साबित होगा. आप इस लफड़े में मत पड़ो. आप तो सड़क पर बोलो.

          अध्‍यक्ष महोदय - अब, इसको समाप्‍त हो जाने दीजिये.

          श्री गोपाल भार्गव - अध्‍यक्ष महोदय, पीडब्‍ल्‍यूडी की डिमांड पर चर्चा हो रही है. अब कृषि विभाग आ गया.

..(व्यवधान)..

          श्री सज्जन सिंह वर्मा--  आप कह रहे हों कि बजट है ही नहीं....(व्यवधान)..

          श्री गोपाल भार्गव--  मैं कह रहा हूँ कि आपने 5 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया, उसके अगेंस्ट डिस्बर्स हुआ है 14 सौ करोड़. आप कह रहे हों हमने 20 लाख का माफ कर दिया. हमें वह कागज देखना है, वह गट्ठा कहाँ रख गए थे, हमें देखना है....

          श्री सज्जन सिंह वर्मा--  हमारे नेता नरोत्तम मिश्रा जी और आपके घर आकर देकर गए थे.

          श्री गोपाल भार्गव--  उसको माइक्रोस्कोप से देखेंगे...(व्यवधान)..

          डॉ.सीतासरन शर्मा--  माननीय मंत्री जी, नर्मदा ब्रिज होशंगाबाद से बुधनी का, उसके टेण्डर्स नहीं हो रहे हैं...(व्यवधान)..

          अध्यक्ष महोदय--  सज्जन भाई, आप प्रश्न उत्तर में मत फँसिए. आप तो अपना जवाब दीजिए.

          श्री सज्जन सिंह वर्मा--  अध्यक्ष महोदय, रेल्वे ओव्हर ब्रिज की यह महत्वपूर्ण योजना थी वैसे ही एक और महत्वपूर्ण, मेरी सरकार की योजना है, शहरों में इन्दौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, यहाँ यातायात का दबाव बड़ा जबर्दस्त होता है, दुर्घटनाएँ होती हैं, एक जगह से दूसरी जगह जाने में आधा-आधा, पौन-पौन, घंटा लगता है. हमने गडकरी जी से मिलकर, मैंने उस व्यक्ति की तारीफ की, हमने उनको जब यह बात बताई, दो बार मैं मीटिंग करके आया, माननीय मुख्यमंत्री कमलनाथ जी भी गए थे, मैंने उनसे निवेदन किया कि इस तरीके का मामला है और इन्दौर, भोपाल..(व्यवधान)..

          अध्यक्ष महोदय--  आप लोग क्यों पीछे से टोक रहे हों?

          डॉ.सीतासरन शर्मा--  माननीय अध्यक्ष महोदय, नर्मदा ब्रिज के बारे में आपने कुछ नहीं कहा.

          श्री सज्जन सिंह वर्मा--  अध्यक्ष महोदय, एक पुल की मांग की और मैंने 50 पुल की बात कर दी.

            डॉ.सीतासरन शर्मा--  उसकी स्वीकृति हो गई है, केवल टेण्डर होना है.

          श्री सज्जन सिंह वर्मा--  देख लेता हूँ, अभी चेक करा लेता हूँ...(व्यवधान)..

          अध्यक्ष महोदय--  गृह मंत्री जी, आपने क्यों बीच में गाड़ी रोक दी? एक्सीलेटर अच्छा चल रहा था, आप क्यों ब्रेक मार रहे हों?

          श्री सज्जन सिंह वर्मा--  माननीय अध्यक्ष महोदय, शहरों में, जैसे इन्दौर में लगभग 6 किलोमीटर का एलिवेटेड ब्रिज, रिंग रोड पर 4 नये फ्लाई ओव्हर, इसी तरह भोपाल में भी आपके हम नये ब्रिज ला रहे हैं ताकि यातायात आसानी से चल सके. ऐसे ही ग्वालियर और जबलपुर में भी, हम लोग गडकरी जी और मैं खुद वहाँ भूमि पूजन करके आए हैं, तो यह बड़ी महत्वाकांक्षी योजना है कि शहरों में यातायात का दबाव कम हो और कम समय में आदमी गंतव्य की ओर पहुँच जाए.

          श्री गोपाल भार्गव--  अध्यक्ष महोदय, जबलपुर के उसमें ऐसा हुआ, मंत्री जी भी थे और सांसद जी भी थे....

          श्री सज्जन सिंह वर्मा--  हमने किया ना. नहीं किया क्या?

          श्री गोपाल भार्गव--  तो इसलिए मैं कह रहा हूँ कि, आप तो यह बताएँ कि आपने भविष्य के लिए क्या प्रावधान किया, जो हो गया सो हो गया....

          श्री सज्जन सिंह वर्मा--  मैंने तो उदाहरण दिया कि उसी तरह के ब्रिज हम यहाँ ला रहे हैं. भविष्य के लिए है....

          श्री गोपाल भार्गव--  ना मैं नारियल फोड़ना चाहता हूँ, आप खूब नारियल फोड़ें उससे कोई फर्क नहीं पड़ता, आप भविष्य के लिए बता दें..

          श्री सज्जन सिंह वर्मा--  अध्यक्ष महोदय, मैं भविष्य की योजना ही तो बता रहा हूँ. मैंने कहा ना कि वचन पत्र पर लिखा एक एक बिन्दु हम इस मध्यप्रदेश की सड़क पर मूर्तरूप देते हुए आपको दिखेंगे. अध्यक्ष महोदय, केन्द्रीय सड़क निधि के अन्तर्गत 2019-20 के लिए 600 करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध कराई गई है ताकि तमाम सारे काम हो सकें.

          अध्यक्ष महोदय, युवाओं के रोजगार का सबसे बड़ा मुद्दा, जो कोई भी सरकार पूरा कर नहीं पाई, वादे करते रहे, हमारी मंशा है कि युवाओं को रोजगार उपलब्ध हो, हम युवा इंजीनियरों को भर्ती का मौका दे रहे हैं.(मेजों की थपथपाहट) हमारे विभाग में समस्त रिक्त पदों की पूर्ति सीधी भर्ती के द्वारा शीघ्र की जावेगी. विभाग में द्वितीय श्रेणी के लगभग 35 पद और तृतीय श्रेणी के 269 पद एवं चतुर्थ श्रेणी के 90 पदों पर शीघ्र भर्ती की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी जाएगी. अरे कुछ तो कहो भाई (मेजों की थपथपाहट)..(व्यवधान).. इसकी तारीफ नहीं कर रहे हों कि एक साथ इतने पद आ रहे हैं.

          श्री गोपाल भार्गव--  आपके यहाँ स्टाफ कम है...(व्यवधान)..

          श्री कमल पटेल--  फिर से बोलिए, इंजीनियर कितने भर्ती कर रहे हों?..(व्यवधान)..

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--  बजट प्रावधान हो गया?..(व्यवधान)..

          श्री कमल पटेल--  इंजीनियर कितने भर्ती कर रहे हों जरा फिर से बोलिए.

          श्री सज्जन सिंह वर्मा--  इंजीनियर का मैंने बताया ना मेरे भाई, द्वितीय श्रेणी के लगभग 35 पद हैं.

          श्री गोपाल भार्गव--  आप भर्ती करें क्योंकि आपके यहाँ कई सब इंजीनियर एग्जिकेटिव इंजीनियर के चार्ज में हैं.

          श्री सज्जन सिंह वर्मा--  कम हैं तभी तो...

          कुँवर विजय शाह--  इंजीनियर के एक हजार पद खाली पड़े हैं...(व्यवधान)

          श्री सज्जन सिंह वर्मा--  मेरी बात सुनो, कमल भैय्या से सहमति हो गई है.

          अध्यक्ष महोदय--  सज्जन भाई, आप मेहरबानी करके चालू रहिए. अब पीछे कितने पद रह गए, अब कितने भरे जा रहे हैं, मैं इसी में खोया हुआ हूँ.

          श्री सज्जन सिंह वर्मा--  जी, अध्यक्ष महोदय, रोड सेफ्टी का बड़ा मुद्दा है. इस प्रदेश में जो माननीय भाई लोगों ने सड़कें बनाईं हैं वे ऐसी साँप की तरह बना दी हैं, पता नहीं खेत वाले से क्या हुआ कि किससे क्या हुआ मुझे पता नहीं है. पर साँप जैसी बल खाती हुई, उज्जैन जिले का प्रभारी हूँ, वहाँ 3-4 दुर्घटनाएँ अभी अभी हो गईं, ब्लेक स्पॉट है. इतना घुमावदार है कि सीधे 160 का ही कोण बना दिया.

          अध्यक्ष महोदय--  अब किसी को लहरा कर चलने की आदत हो तो.

          श्री सज्जन सिंह वर्मा--  हाँ यह बात सही है...(हँसी)

            श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--माननीय मंत्री जी जिन घुमावदार सड़कों को आप सीधा करेंगे तो क्या उन सड़कों को सीधा करने पर मुआवजे का मामला नहीं आएगा ? अब घुमावदार बन गई हैं तो क्या वह सड़कें विधायक बनाकर आया है ? (व्यवधान)

          श्री सज्जन सिंह वर्मा--मुआवजा ज्यादा जरुरी है कि आदमी की जिंदगी ज्यादा जरुरी है. अभी12 लोगों की मृत्यु उज्जैन में हुई है. मुआवजा ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं है. आप क्या बोल रहे हैं. ऐसे ब्लेक स्पॉट हैं मैं उन्हें ठीक करने की बात कर रहा हूँ. इसके लिए आप मुझे धन्यवाद दीजिए कि इस तरह के ब्लेक स्पॉट मैं मिटाना चाहता हूँ. जो अंधे मोड़ हैं उन्हें मैं मिटाना चाहता हूँ. (व्यवधान)

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--उसके लिए बजट प्रावधान करना होगा. किसानों की जमीन हैं उन्हें कितना मुआवजा दिया जाएगा. (व्यवधान)

          श्री सज्जन सिंह वर्मा--अध्यक्ष महोदय, इन्हें कोई भी बात अच्छी नहीं लगती है. (व्यवधान)

          श्री विश्वास सारंग--माननीय मंत्री जी आप यह बता दीजिए कि घुमावदार सड़क को आप सीधा करेंगे तो मुआवजे के लिए आपने बजट में कोई प्रावधान रखा है क्या ? करोड़ों रुपया इसमें लगेगा. मुआवजे के पैसे कहां से लाएंगे. (व्यवधान)

          श्री सज्जन सिंह वर्मा--हमारे अंदर इच्छाशक्ति है. आप तो सड़क बनाकर निकल गए परन्तु हमारे अन्दर इच्छाशक्ति है, हम करके दिखाएंगे, ब्लेक स्पॉट हटाकर दिखाएंगे. (व्यवधान)

          श्री विश्वास सारंग--कम्पनसेशन के लिए क्या आपने बजट में कोई हेड खोला है. (व्यवधान)

          अध्यक्ष महोदय--विश्वास जी आपने अपने जमाने में हबीबगंज से मिसरोद तक सड़क बनवा दी इसमें कई लोगों की जमीन चली गई, कम्पनसेशन तो दे नहीं रहे हो, आगे की बात करें. यशपाल जी मेहरबानी करके देखिए जो हम कर चुके हैं हम उन्हें उकेर रहे हैं. यशपाल जी आप एक बार तय कर लें कि आपको कितनी बार उठना है. (हँसी)

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--माननीय अध्यक्ष जी, माननीय मंत्री जी ने बहुत अच्छी बात कही दुर्घटनाएं समाप्त होना चाहिए इस पर मैं लगातार बोलता रहा हूँ. लेकिन यह कर्व समाप्त कैसे होंगे, इधर भी किसान हैं उधर भी किसान हैं. उनका मुआवजा कैसे देंगे.

          अध्यक्ष महोदय--यशपाल जी मैं खड़ा हूँ और फिर भी आप खड़े हो गए.

          श्री सज्जन सिंह वर्मा--बीच में से मुआवजा देंगे (हंसी)

          अध्यक्ष महोदय--सज्जन जी आपसे अनुरोध है कि कृपापूर्वक 5 मिनट में अपनी बात रख दें और सदस्यों से अनुरोध है टोका-टाकी, छेड़ा-छाड़ी न करें.

          श्री सज्जन सिंह वर्मा--धन्यवाद माननीय अध्यक्ष महोदय.

          श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष महोदय, आपने कहा है कि तय कर लें कितनी बार खड़े होना है तो मंत्री भी तय कर लें कि कितने बार खड़े करवाना है.

          श्री सज्जन सिंह वर्मा--हम बड़े चमत्कारी लोग हैं व्यवस्था करेंगे. कुछ महत्वपूर्ण निर्माण की श्रृंखला हमारे विभाग से चल रही है. जैसे राजधानी के प्रतिष्ठित गांधी चिकित्सा महाविद्यालय, भोपाल से संबद्ध हमीदिया चिकित्सा महाविद्यालय में 2000 बिस्तरीय अस्पताल भवन का निर्माण कार्य लगभग पूरा होने वाला है. इसी तरह शहडोल, रतलाम एवं विदिशा में तीन मेडिकल कॉलेज का निर्माण जिनकी लागत क्रमश: 303 करोड़ रुपए, 296 करोड़ रुपए और 355.87 करोड़ रुपए है. इस प्रकार राज्य बजट से कुल 954.87 लाख रुपए की व्यवस्था की है और कार्य प्रगति पर है. इसी तरह दतिया, छिंदवाड़ा, खण्डवा, शिवपुरी में रुपए 800 करोड़ रुपए की लागत से चिकित्सा महाविद्यालयों का निर्माण कार्य किया जा रहा है. यह महत्वपूर्ण भवन हैं. इसी तरह जबलपुर में स्टेट कैंसर सेंटर का निर्माण हमारा विभाग कर रहा है जिसका कार्य प्रगति पर है. इसी तरह शासकीय कर्मचारियों के लिए आवास की बड़ी कमी इंदौर और भोपाल में देखने को मिलती है.  8-8 मंजिला भवन इंदौर में और 8 मंजिला भवन भोपाल में  हमारे विभाग द्वारा बनाया जा रहा है. यह बड़ी अच्छी योजना है ताकि सरकारी कर्मचारियों को आवास मिल सके.         अध्यक्ष महोदय, पर्यावरण विभाग का थोड़ा सा उल्लेख करना चाहूँगा. यह बहुत महत्वपूर्ण विभाग है. इस समय पूरा विश्व पर्यावरण को लेकर चिंतित है. हम लोग भी चिंतित हैं.

          श्री दिलीप सिंह परिहार--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी से कहना चाहूँगा कि वे प्लास्टिक की थैलियों पर जरुर प्रतिबंध लगवा दें.

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा-- मध्‍यप्रदेश प्रदूषण निवारण मंडल का गठन सन् 1974 में हुआ था इसका कार्य बड़ा महत्‍वपूर्ण है. मध्‍यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा प्रदेश के अत्‍यंत प्रदूषणकारी उद्योगों में प्रदूषण की सतत् निगरानी रखने हेतु पर्यावरण परिसर भोपाल में एक पर्यावरण निगरानी केन्‍द्र की स्‍थापना की है ताकि चाहे मण्‍डीदीप हो, चाहे पीथमपुर हो, मालनपुर हो वहीं से देखकर उनकी मॉनीटरिंग की जा सके. इसका बड़ा पवित्र उद्देश्‍य है लेकिन इस पर काम बहुत कम हुआ है. इस पर काम करने की बहुत आवश्‍यकता है. अभी बहादुर सिंह चौहान जी नागदा के बारे में बोल रहे थे. सबसे पहले मंत्री बनने के बाद मैंने नोटिस दिया, सख्‍त कार्यवाही की, टाईम बाउण्‍ड प्रोग्राम लिया और वह संयत्र अब वहां बन रहा है वह बहुत जल्‍दी पूरा हो जाएगा. इसी तरह मैंने कई उद्योगों को जो प्रदूषण फैला रहे थे जल का और वायु का भी मैंने नोटिस दिए हैं. हमने कोई कॉम्‍प्रोमाईज नहीं किया है. दमदारी से नोटिस दिया और यदि बंद कराना पड़ा तो हम बंद भी करा सकते हैं.

          श्री बहादुर सिंह चौहान--अध्‍यक्ष महोदय, मैंने अपने भाषण में कहा है कि  ग्रेसिम में आप जैसे मंत्री ही कार्यवाही कर पाएंगे. ग्रेसिम के खिलाफ आप जैसे मंत्री ही बोल पाएंगे और मैंने निवेदन किया है कि आपको रात रुकना है, आपको वहां पर रात्रि विश्राम करना है.

          श्री सज्‍जन सिहं वर्मा-- मैं नागदा में रुकूंगा.

          श्री लाखन सिंह यादव--स‍ब सेटलमेंट में रहे क्‍या.

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा-- अध्‍यक्ष महोदय, विभिन्‍न क्षेत्रों में हुए औद्योगीकरण तथा शहरों में वाहनों एवं अन्‍य कारणों से होने वाले प्रदूषण की निरंतर जांच हेतु औद्यो‍गि‍क क्षेत्र मण्‍डीदीप, पीथमपुर, देवास, सिंगरौली तथा मह‍त्‍वपूर्ण शहर उज्‍जैन में सतत् परिवेशी वायु गुणवत्‍ता जांच हेतु मध्‍यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा हमने एयर क्‍वालिटी मॉनीटरिंग स्‍टेशन की स्‍थापना की है जो कि बहुत आवश्‍यक था. इसी तरह प्रदेश के पांच प्रमुख शहर भोपाल, इंदौर, ग्‍वालियर, जबलपुर और कटनी में इस तरह के स्‍टेशन की स्‍थापना का कार्य प्रगति पर है. जिस तरह मध्‍यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड है जिसमें इफको हमारी एक संस्‍था है. यह वेटलैंड तालाबों, जल स्‍त्रोतों और जो जलाशय हैं उनके संरक्षण के लिए अपना काम करती है. इफको पर्यावरण के प्रति जन चेतना जनजागृति राज्‍य की पर्यावरणीय समस्‍याओं की पहचान उन पर अनुसंधान और निराकरण प्रेक्षिक प्रशिक्षण तथा भवन आकल्‍पन राष्‍ट्रीय झील संरक्षण के तहत पर्यावरणीय प्रतिवेदन बनाने के कार्य भी करती है. वित्‍तीय वर्ष 2018-2019 में रुपए 42 करोड़ 62 लाख का राज्‍यांश एवं केन्‍द्रांश के रूप में इसमें बजट प्राप्‍त हुआ है. इसमें अभी और बजट की संभावना है. इफको के माध्‍यम से शिवपुरी, रीवा, चित्रकूट, मंदसौर, अशोक नगर इंदौर और रतलाम जिलों में नदी तथा तालाबों के पर्यावरणीय संरक्षण के कार्यक्रम का क्रियान्‍वयन किया जाएगा. वेटलैंट संरक्षण के लिए भी अध्‍ययन तथा प्रशिक्षण कार्यक्रम किया जाएगा. प्रदेश में लगभग 15 हजार वेटलैट तालाब पोखर सिंचाई जलाश्‍य आदि चिह्नित किये गए हैं जिनको संरक्षित किया जाना है.

          अध्‍यक्ष महोदय-- उसमें हमारा भी ध्‍यान रखना.

          श्री गोपाल भार्गव--अध्‍यक्ष महोदय, पर्यावरण का इतना लंबा चौड़ा ब्‍योरा दे दिया है इसमें मंत्री जी ने कितना प्रावधान किया है.

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा-- आपको बताया तो आपने सुना ही नहीं आखिरी डायलॉग वही तो था.

          श्री गोपाल भार्गव-- अभी आप हां की जीत करवाएंगे. ऐसे कैसे जी‍त हो जाएगी.

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा-- 42 करोड़ 62 लाख का प्रावधान किया है.

          श्री गोपाल भार्गव-- आपने कम से कम 10 हजार करोड़ के काम गिना दिए हैं.

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा-- अभी कहां गिनाएं हैं इसमें तो काम ही नहीं गिनाए हैं. पर्यावरण एक चिन्‍ता का विषय है. आप लोग कुछ कर नहीं पाए हमको करने दीजिए बहुत आवश्‍यक है.  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, ये लोग पॉलिथीन पर भी प्रतिबंध नहीं लगा पाये. आपने नकली प्रतिबंध लगाया था. आज पॉलिथीन खाकर जगह-जगह गाय मर रही है. हम इस पर भी बहुत कठोर कार्यवाही कर रहे हैं.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं अंतिम पंक्ति कहना चाहूंगा कि हम इफको के माध्‍यम से हर विकासखण्‍ड में 5 ईको-स्‍मार्ट ग्राम विकसित करेंगे. यह पर्यावरण के क्षेत्र एक बड़ी घटना होगी. यह एक बहुत अच्‍छी योजना है इसलिए मेरा आप सभी से अनुरोध है कि सर्वा‍नुमति से हां की जीत करवाई जाये. धन्‍यवाद.

 

 

         

 

अध्यक्ष महोदय - विधानसभा की कार्यवाही गुरूवार दिनाँक 18 जुलाई, 2019  के प्रात: 11.00  बजे तक के लिए स्थगित.

                        अपराह्न 7.27 बजे विधान सभा की कार्यवाही गुरूवार, दिनाँक  18 जुलाई, 2019 (आषाढ़ 27, शक संवत् 1941) के प्रात: 11 बजे तक के लिए स्थगित की गई.

 

 

भोपाल,                                                                                                      अवधेश प्रताप सिंह

दिनांक : 17 जुलाई, 2019                                                                  प्रमुख सचि,                                                                                                     मध्यप्रदेश विधानसभा