मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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षोडश विधान सभा पंचम सत्र
मार्च, 2025 सत्र
सोमवार, दिनांक 17 मार्च, 2025
(26 फाल्गुन, शक संवत् 1946 )
[खण्ड- 5 ] [अंक- 5 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
सोमवार, दिनांक 17 मार्च, 2025
(26 फाल्गुन, शक संवत् 1946 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.01 बजे समवेत हुई.
{ अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए.}
बधाई
होली के पर्व की बधाई
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) - अध्यक्ष जी, आपको और पूरे सदन को होली की राम-राम. मध्यप्रदेश में बहुत अच्छी नवरंगी होली मनी है, इसलिए आपको बधाई, मुख्यमंत्री जी को भी बधाई और पूरे सदन को मेरी ओर से बहुत-बहुत बधाई.(मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय - होली का त्यौहार बहुत ही आनन्द और उल्लास से पूरे प्रदेश में मनाया गया. सदन के सभी सदस्यों और प्रदेशवासियों को बहुत-बहुत बधाई, बहुत-बहुत शुभकामनाएं.
11.02 बजे बधाई
श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल, सदस्य के जन्मदिन पर बधाई.
अध्यक्ष महोदय - आज हमारे सदस्य श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल, कुक्षी, धार का जन्मदिन है. सदन की ओर से उनको बहुत-बहुत शुभकामनाएं. (मेजों की थपथपाहट)
11.03 बजे तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
उच्च स्तरीय समिति गठित कर जांच कराई जाना
[नगरीय विकास एवं आवास]
1. ( *क्र. 968 ) श्री अभय मिश्रा : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सतना शहर के मध्य पॉलिटेक्निक की 8 लाख 91 हजार 500 वर्ग फिट भूमि अधिक मेसर्स बिक्स मेल्स प्रा.लि. के निविदा ऑफर रूपये 1 हजार 5 सौ 11 करोड़ 11 लाख को निरस्त कर समदड़िया बिल्डर को मात्र 121 करोड़ 93 लाख अर्थात मात्र 1368 रूपये प्रति वर्गफिट की दर से प्रदत्त की गई है? निविदा शर्तों अनुसार हाई पावर कमेटी को भी ऐसा करने का अधिकार नहीं है, दोनों निविदाकारों में भारी अन्तर होने के बावजूद निविदा को दुबारा आमंत्रित क्यों नहीं किया गया एवं कौड़ियों के भाव भूमि बेचा जाना क्यों आवश्यक था, यह भी बतायें कि 121 करोड़ 99 लाख के विरुद्ध शासन को कितना राजस्व प्राप्त हुआ है? (ख) प्रश्नांश (क) के तारतम्य में रीवा शहर के मध्य की बेश कीमती शासकीय भूमि बाल भारती स्कूल के सामने की भूमि, पूर्व एस.पी. बंगला के सामने की भूमि, जय स्तंभ चौक के पास स्थित शासकीय मुद्रणालय की भूमि, खन्ना चौराहा स्थित शासकीय आवासों की तीन भूमियां, बजरंग नगर के पास जल संसाधन विभाग के कार्यालय की भूमि, कला मंदिर के सामने स्थित शासकीय आवास कॉलोनी की भूमि, सिरमौर चौराहे के बोदा रोड स्थित लोक निर्माण विभाग परिसर की भूमि, मुख्य अभियंता कार्यालय गंगाकछार (जल संसाधन विभाग) की भूमि, जल संसाधन विभाग समान कॉलोनी की भूमि को नगरीय विकास एवं आवास विभाग के परिपत्र दिनांक 28 नवंबर, 2005 को आधार बनाते हुये नोडल एजेंसी कार्यालय कार्यपालन यंत्री हाउसिंग बोर्ड रीवा के माध्यम से पुनर्घनत्वीकरण योजना अन्तर्गत प्रक्रिया की औपचारिकता पूर्ण कर उक्त भूमियों को बिक्रित एवं आवंटित कर दिया गया है, भूमियों के चयन एवं विक्रय की प्रक्रिया क्या है? रीवा में हाउसिंग बोर्ड में वर्ष 2008 से अब तक पदस्थ कार्यपालन यंत्रियों का नाम एवं पदस्थापना अवधि का विवरण देवें। (ग) प्रश्नांश (ख) में उल्लेखित प्रत्येक भूमियों का अलग-अलग विवरण रकबा (वर्गफिट में) एवं स्वीकृत ऑफर मूल्य (प्रति वर्गफिट में) राज्य शासन को प्राप्त राजस्व (प्रति वर्गफिट में) एवं आवंटित अलग-अलग भूमियों को प्राप्त करने वाले फर्म का स्पष्ट नाम बतायें साथ ही निम्नानुसार बिन्दुवार प्रारूप में जानकारी देवें :- भूमि का विवरण रकबा एवं आराजी क्र. रकबा (प्रति वर्गफिट में) स्वीकृत ऑफर मूल्य (प्रति वर्गफिट में) राज्य शासन को प्राप्त राजस्व फर्म का नाम (घ) पुनर्घनत्वीकरण योजना अन्तर्गत म.प्र. में पिछले 10 वर्षों के अंदर मेसर्स समदड़िया बिल्डर को म.प्र. के किन जिलों में कितनी-कितनी शासकीय भूमियां कितने दरों और शर्तों पर आवंटित की गई हैं, का विवरण जिलेवार देवें। (ड.) प्रश्नांश (क), (ख), (ग) एवं (घ) में उल्लेखित आधारों पर कम दर पर एक ही बिल्डर को बिक्रित की गई बेश कीमती भूमियों के नियम विरूद्ध विक्रय व शासन को पहुँचाए गये आर्थिक क्षति की उच्च स्तरीय समिति बनाकर जांच एवं कार्यवाही बाबत् निर्देश देंगे तो बतायें अगर नहीं तो क्यों?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री कैलाश विजयवर्गीय ) : (क) जी नहीं। अपितु मेसर्स विस्टा सेल्स प्राइवेट लिमिटेड मुम्बई की दर रु. 1511.11 करोड़ शासन द्वारा स्वीकृत की गई थी, परन्तु मेसर्स विस्टा सेल्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा अनुबंध न करने पर उनकी धरोहर राशि राजसात की गई एवं उसके उपरान्त भी पांच बार निविदा आमंत्रित की गई, जिसमें कोई बिड प्राप्त नहीं हुई। षष्ठम आमंत्रण में मेसर्स समदड़िया बिल्डर की एकल बिड रु. 76.52 करोड़ अपसेट मूल्य रू. 76.00 करोड़ के विरुद्ध प्राप्त हुई है, जो आयुक्त (राजस्व) रीवा के द्वारा अस्वीकृति करने हेतु प्रेषित की गई है, जिस पर सक्षम निर्णय प्रक्रियाधीन है। (ख) पुनर्घनत्वीकरण योजनाओं हेतु म.प्र. शासन नगरीय विकास एवं पर्यावरण विभाग के परिपत्र क्र. एफ-23-13/2005/32-1, दिनांक 28 नवम्बर, 2005 (जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है एवं क 3-57/15/18-5, दिनांक 20 अप्रैल, 2016 जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब'अनुसार है। पुनर्घनत्वीकरण योजनाओं अन्तर्गत निवर्तन हेतु प्रस्तावित भूमियों का चयन एवं निवर्तन की प्रक्रिया निर्धारित की गई है। पुनर्घनत्वीकरण नीति के अनुसार जिला स्तरीय समिति के माध्यम से प्रेषित प्रस्ताव अनुसार मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित साधिकार समिति द्वारा योजना का प्रारंभिक परियोजना प्रतिवेदन एवं विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन अनुमोदन किया जाता है, जिसके आधार पर बिड आमंत्रण की कार्यवाही की जाती है। बिड दो लिफाफा पद्धति पर आमंत्रित की जाती है। प्रथम लिफाफे में तकनीकी बिड रहती है तथा दूसरे लिफाफे में वित्तीय बिड रहती है। बिड में निर्धारित तकनीकी मापदण्ड पूरा करने वाले बिडर की वित्तीय बिड खोली जाती है एवं सर्वोच्च बिडकर्ता की बिड/ऑफर सक्षम समिति (रु. 50.00 करोड़ से कम संभागायुक्त द्वारा तथा रु. 50.00 करोड़ से अधिक का ऑफर साधिकार समिति द्वारा) स्वीकृत किया जाता है। सर्वोच्च बिडकर्ता की बिड स्वीकृति के उपरांत बिडकर्ता से अनुबंध कराया जाता है एवं बिड में निर्धारित शासकीय कार्य कराये जाते हैं। निविदा में दर्शाये प्रावधानों के अनुसार विभिन्न चरणों में कार्य की प्रगति अनुसार विकासकर्ता को निवर्तित भूमि का अंश भाग पंजीयन के पश्चात् हस्तांतरित किया जाता है। जिला रीवा अन्तर्गत जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'स' अनुसार है। पुनर्घनत्वीकरण योजनाएं स्वीकृत की गई हैं। म.प्र. गृह निर्माण एवं अधोसंरचना विकास मण्डल संभाग रीवा में वर्ष 2008 से अब तक पदस्थ कार्यपालन यंत्रियों की सूची सहित विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'द' अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'इ 'अनुसार है। (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ई 'अनुसार है। (ड.) पुनर्घनत्वीकरण योजना के प्रारंभिक परियोजना प्रतिवेदन एवं विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित साधिकार समिति के द्वारा किये जाते हैं। तत्पश्चात पारदर्शी प्रक्रिया से बिड आमंत्रण की कार्यवाही की जाती है। बिड आमंत्रण की कार्यवाही दो लिफाफे पद्धति में की जाती है। प्रथम लिफाफे में तकनीकी बिड रहती है तथा दूसरे लिफाफे में वित्तीय बिड रहती है। बिड में निर्धारित तकनीकी मापदण्ड पूरा करने वाले बिडर की वित्तीय बिड खोली जाती है एवं उक्त बिड सक्षम अधिकारी के द्वारा (रु. 50 : 00 करोड़ से कम संभागायुक्त द्वारा तथा रु. 5000 करोड़ से अधिक का ऑफर साधिकार समिति द्वारा) स्वीकृत की जाती है। इस प्रकार योजना की समस्त स्वीकृतियों मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित साधिकार समिति द्वारा की जाती है एवं रु. 50.00 करोड़ से अधिक की बिड भी साधिकार समिति के द्वारा स्वीकृत की जाती है। किसी भी प्रकरण/योजना में शासन द्वारा निर्धारित अपसेट मूल्य से कम बिड प्राप्त नहीं है एवं सभी योजनाओं में पर्याप्त प्रतिस्पर्धा भी हुई है। इस प्रकार किसी भी प्रकार की अनियमितता नहीं की गई है एवं शासन को कोई भी हानि नहीं हुई है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है ।
अध्यक्ष महोदय - माननीय सदस्य, आप प्रश्न क्रमांक बोलें.
श्री अभय मिश्रा - मेरा तारांकित प्रश्न क्रमांक 968 है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं उत्तर पटल पर रखता हूँ.
अध्यक्ष महोदय - माननीय सदस्य, आप पूरक प्रश्न कीजिये.
श्री अभय मिश्रा - माननीय अध्यक्ष महोदय, बेशकीमती भूमियों में पुनर्घनत्वीकरण योजना का दुरुपयोग कर नियम विरुद्ध विक्रय एवं शासन को 3,000 करोड़ रुपये की आर्थिक क्षति पहुँचाने के विरुद्ध उच्चस्तरीय जांच समिति गठित किये जाने के संबंध में मेरा प्रश्न है. प्रक्रिया एवं कार्य संचालन नियम अध्याय- 7 के बिन्दु 48 के अनुरूप, मैं 3 अनुपूरक प्रश्न पूछना चाहता हूँ. मैं आपसे अनुमति चाहता हूँ.
अध्यक्ष महोदय - आप दो अनुपूरक प्रश्न पूछें.
श्री अभय मिश्रा - जी, मैं 3 अनुपूरक.....
अध्यक्ष महोदय - आप बिना भाषण के दो अनुपूरक प्रश्न पूछें.
श्री अभय मिश्रा - अध्यक्ष जी, मुझे 3 अनुपूरक प्रश्न पूछना हैं, क्योंकि उसमें विषय ही पूरा नहीं होगा.
अध्यक्ष महोदय - आप प्रश्न तो करें.
श्री अभय मिश्रा - अध्यक्ष महोदय, मेरा अनुपूरक प्रश्न 1 है. मेरे प्रश्न क्रमांक- 968 के बिन्दु में उत्तर दिया गया है कि सतना शहर के मध्य पॉलिटेक्निक कॉलेज की भूमि विक्रय की निविदा हेतु 1,511.11 करोड़ रुपये, मेसर्स विस्टा सेल्स प्रायवेट लिमिटेड मुम्बई द्वारा दिया गया है. द्वितीय निविदा 121.93 करोड़ रुपये समदडि़या बिल्डर द्वारा दिया गया है. षष्ठम बारे में निविदा समदडि़या बिल्डर द्वारा 76.52 करोड़ रुपये की प्राप्त हुई है, जिस पर सक्षम निर्णय प्रक्रियाधीन है. हूबहू उपरोक्त प्रश्न माननीय श्री प्रदीप पटेल, विधायक जी द्वारा दो माह पूर्व पिछले सत्र के उनके तारांकित प्रश्न क्रमांक 491, दिनांक 19.12.2024 में पूछा गया था. जिसके प्रश्नांश ग के उत्तर में दिए गए परिशिष्टि-स में लेख किया गया था कि अनुबंध न होने के कारण निविदा निरस्त कर दी गई है. क्या दो माह में 5 कॉल पुन: आमंत्रित किया जाना संभव है ? जबकि निविदा प्रपत्र क्रय हेतु विज्ञापन में 28 दिन का समय दिया जाना नियमत: अनिवार्य है. मेरा प्रश्न यह है कि इस बेशकीमती भूमि को बेचा जाना ही क्यों अनिवार्य है. यदि है, तो इसे स्मार्ट सिटी सतना अथवा लोक परिसंपत्ति विभाग से ऑनलाइन ओपन ऑक्शन क्यों नहीं कराया जा रहा है ? क्या द्वितीय निविदाकर्ता समदडि़या बिल्डर द्वारा जो 121.93 करोड़ रुपये की निविदा जब प्रेषित कर चुका था, अब उसको 76.52 करोड़ रुपये की निविदा में वैधानिक रूप से विचार किया जाना संभव है.
अध्यक्ष महोदय - अभय जी, आप प्रश्न तो कीजिये.
श्री अभय मिश्रा - अध्यक्ष महोदय, क्या भविष्य में सभी परिसंपत्तियों को विक्री हेतु ऑनलाइन पोर्टल से ओपन ऑक्शन कराया जायेगा या नहीं ?
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने पहले भी इस विषय पर प्रश्न पूछा है. मैं समझ नहीं पाया कि इनकी नाराजगी समदड़िया से है या राजेन्द्र शुक्ला जी से है. फिर भी मैं आपको, जैसा आपने पूछा है, बता देता हूँ. पहला तो यह है कि, यह बात सही है, जो आपने कहा कि पहले 1 हजार 5 सौ 11 करोड़ रुपये की विस्टा की निविदा आई थी. बाद में जब उनसे अनुबंध की बात की गई तो उन्होंने कहा कि एक बिंदी गलत लग गई थी, हम 115 करोड़ लिखना चाहते थे, पर 1511 करोड़ लिखा गया, इसलिए अनुबंध कैंसिल कर दिया गया, उसकी जो अर्नेस्ट मनी थी, वह फोरफिट कर दी गई. यह बात भी सही है कि उसमें समदड़िया ने भी टेण्डर डाला था और उनकी 121 करोड़ रुपये की आई थी. यह आपका कहना बिल्कुल सही है. दूसरी बार, तीसरी बार, चौथी बार, पांचवीं बार और छठी बार में फिर निविदा आमंत्रित की गई, उसमें समदड़िया का लगभग, जैसा आपने कहा है कि लगभग 76 करोड़ आया है. अध्यक्ष महोदय, ऐसा है कि इसकी प्रक्रिया को समझना पड़ेगा कि इस प्रकार के जितने भी हमारे टेण्डर होते हैं, इसमें 3-3 प्रकार की कमेटियां हैं. पहली जिला स्तर पर कमेटी है, फिर संभागीय स्तर पर है...
श्री अभय मिश्रा -- मैंने उसको पढ़ लिया है, उसमें समय बचा लेते हैं. अनुपूरक प्रश्न क्रमांक 2 में आ जाते हैं.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- जी ?
श्री अभय मिश्रा -- आपने उत्तर दे दिया, उसको मैंने बाकी पढ़ लिया है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- आपको बताना तो पड़ेगा ना..
अध्यक्ष महोदय -- अभय जी, मंत्री जी को बोलने दें, उसके बाद आप पूरक प्रश्न पूछ लीजिएगा..
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- जितने आपने प्रश्न पूछे हैं, सारे उत्तर इसमें हैं. जो भी प्रश्न आपने पूछे हैं, सबके उत्तर इसमें हैं. ये भी मैंने बता दिया कि छठी बार ऑफर आया है और उसको जिला स्तर की कमेटी ने संभागीय स्तर की कमेटी को उसके निगेटिव भेज दिए हैं. अब उसके बाद फिर वह साधिकार कमेटी के पास जाएगा, जिसको सीएस चेयर करते हैं. इसलिए इसमें बहुत पारदर्शिता से काम होता है. ऐसा नहीं कि लो लेवल पर कहीं भी कोई कमेटी कर ले. पूरा जब प्रपोजल बनता है तो कलेक्टर भेजता है, फिर वह संभागीय कमिश्नर के पास आता है, फिर साधिकार कमेटी के पास आता है. प्रपोजल को तब स्वीकार किया जाता है. उसके बाद टेण्डर भी इसी प्रक्रिया से गुजरता है. इसलिए जितने भी रिडेंसीफिकेशन के प्रकरण हैं, वे बहुत बड़ी पारदर्शिता के साथ और तीनों कमेटियों के स्क्रिनिंग के बाद होते हैं. इसलिए इसमें किसी भी प्रकार की कोई अनियमितता हमें दिखाई नहीं देती है. जैसा कि माननीय सदस्य ने प्रश्न में आरोप लगाया कि इसमें सरकार का नुकसान होगा, अरे भाई, दिया ही नहीं अभी, उसको कैंसिल कर दिया तो सरकार को कहां से इसमें हानि हुई ?
श्री अभय मिश्रा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सौभाग्यशाली हूँ कि आज माननीय मुख्यमंत्री जी बैठे हुए हैं. कम से कम उनके कानों में एक चित्रण आ जाएगा. मेरा दूसरा अनुपूरक प्रश्न है कि प्रश्नांश (ग) के उत्तर में परिशिष्ट ''इ'' का अवलोकन करें, जो सर्वाधिक महत्वपूर्ण है. आपके द्वारा मैंने रकबा वर्गफिट में मांगा था, आपने उसे अनुरोध पर रखवा दिया है. आपने जो स्वीकृत मूल्य दिया था, उसको मैंने वर्गफिट में कन्वर्ट कर लिया है. रीवा बाल भारती स्कूल के सामने 1 लाख 61 हजार 458 वर्गफिट जमीन, ऑफर मूल्य स्वीकृत किया है 2,291, सरकार को राजस्व मात्र 990 रुपये स्क्वॉयर फिट मिला है, बाजारू कीमत है 40 हजार रुपये स्क्वॉयर फिट, पूर्व एसपी बंगले के सामने 50,784, ये प्रश्न के भाग हैं, इसलिए पढ़ना जरूरी है. स्वीकृत ऑफर मूल्य है 4,771, रुपये मिले हैं शासन को राजस्व मात्र 273 रुपये, बाजारू कीमत है 45 हजार रुपये स्क्वॉयर फीट..
अध्यक्ष महोदय -- अभय जी, जो प्रश्न में न लिखा हो..
श्री अभय मिश्रा -- लिखा है सर.
अध्यक्ष महोदय -- या जो उत्तर में नहीं आया हो, उसको पूरक प्रश्न में पूछें.
श्री अभय मिश्रा -- अलग-अलग आया है, आया है सर.
अध्यक्ष महोदय -- अब प्रश्न में भी है, उत्तर में भी आया है, फिर भी हम पूरक प्रश्न कर रहे हैं तो क्या मतलब है.
श्री अभय मिश्रा -- पूरक प्रश्न ही पूछ रहा हूँ. नहीं, अनुपूरक प्रश्न में ही, जो इन्होंने चार्ट दिया है, उस चार्ट में...
अध्यक्ष महोदय -- तो प्रश्न करें ना आप, उसी को पढ़ रहे हैं आप..
श्री अभय मिश्रा -- जब तक हम इसको पूरा नहीं पढ़ेंगे, हम पहले रेट बता पाएंगे, तब तो हमारा प्रश्न तैयार होगा. नहीं तो आपको भी कैसे समझ आएगा. अच्छा, जय स्तंभ चौक, यहां पर मात्र, आश्चर्य होगा आपको कि सरकार को जो राजस्व मिला है मात्र 69 रुपये स्क्वॉयर फिट, बाजारू कीमत है 45 हजार रुपये स्क्वॉयर फिट, चौथा, खन्ना चौराहा, टोटल 1 लाख 17 हजार स्क्वॉयर फिट, 4,801 का ऑफर आया, शासन को राजस्व मिला है मात्र 514 रुपये स्क्वॉयर फिट, जबकि बाजारू कीमत है 40 हजार रुपये स्क्वॉयर फिट, कला मंदिर, इसमें प्रतिस्पर्द्धा हुई है, इसमें समदड़िया ने नहीं लिया है, किसी और ने लिया है, इसमें प्रतिस्पर्द्धा दिखाई देती है 8,591 का आया है, 3,170 रुपये किया और इसमें कुछ राजस्व भी प्राप्त हुआ. सिरमौर चौराहा बोदाराज,यह समदड़िया जी लिये हैं इसमें प्रतिस्पर्धा हुई है. मैं गलत चीजें नहीं बोलूंगा. आगे आईये,जिसमें प्रतिस्पर्धा नहीं हुई,टेण्डर फिक्सिंग,मुख्य अभियंता कार्यालय गंगा कछार, इसकी जमीन में सरकार को जो राजस्व प्राप्त हुआ है. 8372,जबकि है 50 हजार रुपये स्क्वायर फिट,जल संसाधन कालोनी 6 एकड़ दे दी गई. इसमें सरकार को मिला है मात्र 93 रुपये स्क्वायर फिट,10 हजार रुपये स्वायर फिट की जमीन है. ओपन आक्शन करा लीजिये. लोक परिसंपत्ति विभाग क्यों खोल रखा है.आपने उपरोक्त निविदाओं में सर्वर डाउन कर इन्होंने टेण्डर फिक्सिंग की है. दोबारा काल तक नहीं किया. मेरे पूर्व के तारांकित प्रश्न 2342,दिनांक 19 जुलाई,2024 के प्रश्नांश क के उत्तर में लेख किया गया था कि उपरोक्त संपत्तियों का शासकीय बाजार मूल्य बताया जाना संभव नहीं है.
अध्यक्ष महोदय - आप बैठिये आप. मंत्री जी को जवाब देने दीजिये.
श्री अभय मिश्रा - इसमें कुल 3 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है आप ओपन आक्शन एक का करा लीजिये. टोटल मिला लीजिये आपको मात्र 155 करोड़ कुल प्राप्त हुए हैं. इतनी सारी परिसंपत्तियां बेचने पर और जबकि आपको 3 हजार करोड़ रुपये मिलने थे यह मेरा तीसरा प्रश्न है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य बहुत विद्वान हैं. कांट्रेक्टर भी हैं और हर चीज को समझते हैं.
अध्यक्ष महोदय - अनेक विधाओं के ज्ञाता हैं.
श्री अभय मिश्रा - आप की का शिष्य हूं.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्यक्ष महोदय, इस बात को समझना पड़ेगा कि रीडेंसिफिकेशन में जमीन बेची नहीं जाती है वह शासन का ही हिस्सा रहती है. आप बेचने की बात क्यों कर रहे हैं इसमें. आप तो बहुत समझदार हैं और आप जमीन की कीमत बता रहे हैं. बेची नहीं जाती. मैं फिर दोहराऊंगा इस योजना की निविदा में बिल्कुल पारदर्शिता है. कोई भी टेण्डर डाले और एक बार नहीं दो बार नहीं 4-5-6 बार टेण्डर निकाले हैं. जब-जब टेण्डर आये हैं हमें लगा कि यह निविदा स्वीकार करने योग्य नहीं है हमने केंसिल भी की है और इसीलिये आपका जो प्रश्न है मैं नहीं समझता कि वह इतना बाजिब हैं. आप सेल करने की बात कर रहे हैं. यह सेल तो होती ही नहीं है भईया. रीडेंसिफिकेशन में जमीन का मालिक सरकार ही होती है. उसका कुछ हिस्सा,कुछ पार्ट,निर्माण करके वह व्यक्ति बेचता है और इसीलिये आप जमीन की कीमत बता रहे हैं. जमीन सरकार के पास है तो आप कैसे उसका वैल्युएशन निकाल सकते हैं.
श्री अभय मिश्रा - मैं थोड़ा सा क्लियर कर दूं. मुझे इतना पता है. इसमें दो भाग हैं. एक हिस्से में निर्माण कार्य कराना.
अध्यक्ष महोदय - अभय जी,आपके तीन प्रश्न हो गये.
श्री अभय मिश्रा - मैं तीसरा कर रहा हूं उसमें सब कुछ क्लियर हो जायेगा. दूसरा है राजस्व प्राप्ति,मैंने राजस्व बताया निर्माण कार्य तो कुछ दिख ही नहीं रहा. इस प्रश्न में पूरा दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा. प्रश्नांश ख के उत्तर में आपके द्वारा प्रदत्त परिशिष्ट द का अवलोकन करें. निविदा प्रक्रिया हेतु अधिकृत नोडल एजेंसी हाऊसिंग बोर्ड,कार्यपालन यंत्रियों की पदस्थापना से स्वयं स्पष्ट हो जायेगा. लगातार 2017 से आज दिनांक तक 8 वर्षों से ए.पी.सिंह नाम के व्यक्ति पदस्थ हैं एवं एक रीवा के एक प्रभावशाली व्यक्ति के रिश्तेदार चंद्रमौली शुक्ला भोपाल में हाऊसिंग बोर्ड के कमिश्नर रहे. इन सब कारनामों में वही थे.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्यक्ष महोदय, यह आपत्तिजनक है.
श्री प्रहलाद सिंह पटेल,पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री - जो व्यक्ति सदन में नहीं है.
श्री अभय कुमार मिश्रा - आपने कह दिया मैं वापस ले लेता हूं.
अध्यक्ष महोदय - आपका पूरा हो गया.
श्री अभय मिश्रा - इसको मत रोकिये. यह जनता की आवाज है जनता सुनना चाहती है इसीलिये वोट देती है कि समदड़िया बिल्डर का यह जो कांड है इसमें कई लोग शामिल हैं. इसी में प्रश्नांश ख के उत्तर में बिन्दुवार है.
अध्यक्ष महोदय - यह प्रश्न नहीं है. एक प्रश्न आप कर लो. मैं आपको अतिरिक्त रूप से अनुमति देता हूं लेकिन प्रश्न करो.
श्री अभय मिश्रा - यह चार लाईन मुझे पढ़ने दें तभी आपको प्रश्न समझ आयेगा. मैं यह बोल रहा हूं. बिन्दुवार चयन प्रक्रिया के बिन्दु 2 को पढ़ा जाए. स्पष्ट उल्लेख है कि एक ही भूमि के एक भाग में सरकार द्वारा निर्माण दूसरा भाग बिल्डर को दिया जाना है अथवा कम्पोजिट बिल्डिंग का प्रस्ताव बनाया जाए परन्तु ऐसा न होकर एक भूमि के बदले अन्यत्र दे दिया गया. इसी ख के परिशिष्ट ब के बिन्दु-दो, योजना के विस्तार,पैरा 2.3 में लेख है कि एतिहासिक एवं पुरातात्विक हेतु संस्कृति भवन से अनुमति लेना आवश्यक है. हमारे यहां जय स्तम्भ है देश के स्वतंत्र होने के पहले भारत का पहला मान्यता प्राप्त अखबार भारत भ्राता, कर्नल बलवन्त जी ने चलाया था. उसको क्यों बेच दिया गया.
अध्यक्ष महोदय - आप कृपया बैठ जाईये.मंत्री जी कुछ बोलना चाहेंगे.
श्री अभय कुमार मिश्रा - रिवर फ्रंट जैसे कार्य आज भी बचे हुए हैं. पूरे नहीं हुए हैं उनके बदले में दी जाने वाली जमीन में बिल्डर को पैसे दे दिये गये. जबकि इसमें हस्तांतरणीय नियम है, 25-25 परसेंट है, प्रश्न यह है...
अध्यक्ष महोदय-- अभय जी, बैठ जाइये. बैठ जाइये अभय जी. अब इसके बाद अभय जी की कोई भी बात रिकार्ड में नहीं आयेगी.
श्री अभय मिश्रा-- (XX)
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी आप कुछ बोलना चाहते हैं.
श्री अभय मिश्रा-- (XX)
अध्यक्ष महोदय-- अभय जी, अब आपकी बात रिकार्ड में नहीं आ रही है.
श्री अजय अर्जुन सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक अभय मिश्रा जी की जो पीड़ा है उसको समझने की कोशिश करें. रीवा शहर का नाम बदलकर समदडि़या महानगर कर दिया जाये, यह ज्यादा उचित है. रीडेंसीफिकेशन एक चीज. एक ही व्यक्ति को, एक ही समूह को पूरा रीवा दिया जा रहा है, चर्चा का विषय यह है माननीय, यह बहुत सारी चीजें पढ़ रहे हैं उससे मतलब नहीं है. रीवा का एक-एक व्यक्ति कहता है कि भैया अब तो रीवा का नाम छोड़ दीजिये अब तो इसको समदडि़या शहर कर दो. माननीय मंत्री महोदय और माननीय मुख्यमंत्री महोदय इस पर थोड़ा ध्यान दिया जाये. रीडेंसीफिकेशन में कोई आपत्ति नहीं है पर जिस तरह से रीवा में खेल हो रहा है और उस अंचल में उस पर थोड़ा ध्यान केन्द्रित किया जाये यह आपसे गुजारिश है.
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी आप कुछ बोलना चाहते हैं.
श्री अभय मिश्रा-- (XX)
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- ध्यान केन्द्रित करेंगे सर.
डॉ राजेन्द्र कुमार सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा एक प्रश्न लगा है नगरीय प्रशासन में 19 नंबर पर है, वह आयेगा नहीं, संबंध यही कुछ है. हम एक प्रश्न कर रहे हैं सतना नगर ग्राम क्षेत्र में अवैध निर्माण का और 2 सत्रों से जवाब आ रहा है, जानकारी एकत्रित की जा रही है. कल भी आया है पुस्तिका है उसमें आया है, लेकिन अभी सुबह-सुबह मुझे एक प्रपत्र मिला है इसमें लिखा हुआ है कि मामला सब ज्यूडिश और 6 महीने पहले से, अब यह हमें समझ में नहीं आता कि अगर सब ज्यूडिश ही था, पिछले सत्र में भी आ सकता था, आप भी जवाब दे सकते थे तो यह आप जरूर जांच करें अपने विभाग में माननीय मंत्री जी विधान सभा की इसमें कोई गलती नहीं है मैं जानता हूं लेकिन मंत्री जी आपको इसमें करना चाहिये मेरा ऐसा अनुरोध है.
अध्यक्ष महोदय-- राजेन्द्र जी, प्रश्न चर्चा में नहीं आयेगा तो मंत्री जी आपसे व्यक्तिगत मिलकर बता देंगे.
श्री अभय मिश्रा-- (XX)
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न क्रमांक 2 कुंवर अभिजीत शाह. अभय मिश्रा जी का इसमें कुछ भी नहीं आयेगा. ...(व्यवधान)...
11.18 बजे बहिर्गमन
इंडियन नेशनल कांग्रेस पार्टी के सदस्य श्री अभय मिश्रा द्वारा शासन के उत्तर से असंतुष्ट होकर सदन से बहिर्गमन.
श्री अभय मिश्रा-- मेरा उत्तर नहीं दिया जा रहा है, इसलिये मैं सदन से बहिर्गमन करता हूं. ...(व्यवधान)...
(इंडियन नेशनल कांग्रेस पार्टी के सदस्य श्री अभय मिश्रा द्वारा शासन के उत्तर से असंतुष्ट होकर सदन से बहिर्गमन किया गया).
ग्रामों, मजरों, टोलों में 24 घण्टे बिजली सप्लाई
[ऊर्जा]
2. ( *क्र. 380 ) कुँवर अभिजीत शाह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) ग्रामों की बसाहट में 24 घन्टे बिजली दिये जाने की शासन ने कब से योजना लागू की है? ग्रामों की बसाहट को कृषि फीडर से बिजली दिये जाने की योजना को भी सरकार ने किन कारणों से वर्तमान में लागू रखा है? (ख) प्रश्नकर्ता के विधानसभा क्षेत्र में कितने ग्रामों, मजरों, टोलों को 24 घन्टे बिजली सप्लाई की जा रही है? कितने ग्रामों मजरों, टोलों को कृषि फीडर से एक निश्चित अवधि में बिजली सप्लाई की जा रही है? दोनों ही ग्रामों के उपभोक्ताओं से किस दर से वसूली की जा रही है? (ग) दिसम्बर 2023 के पहले किस ग्राम में 25 के.व्ही.ए. 63 के.व्ही.ए. 100 के.व्ही.ए. के ट्रांसफार्मर कार्यरत थे? जनवरी 2024 से प्रश्नांकित दिनांक तक किस-किस ग्राम में नए ट्रांसफार्मर लगाए हैं? किस-किस ग्राम के ट्रान्सफार्मर की क्षमता बढ़ाई है? उनकी वर्तमान क्षमता सहित बतावें। (घ) प्रश्नकर्ता की विधानसभा में आने वाले ऐसे कितने ग्राम, मजरे, टोले हैं, जिनमें आज दिनांक तक 24 घंटे बिजली नहीं दी जा रही है? ऐसे कितने ग्राम हैं, जिसमें 24 घंटे बिजली न देकर कृषि फीडर से बिजली दी जा रही है? कृषि फीडर से बिजली दिये जाने वाले ग्रामों मजरों, टोलों को सरकार द्वारा कब तक अटल ज्योति योजना या 24 घंटे बिजली योजना से जोड़ा जायेगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ) : (क) राज्य शासन द्वारा दिनांक 14 मई, 2010 को विधानसभा में संकल्प-2013 पारित किया गया था, जिसके तहत प्रदेश के समस्त घरेलू सहित सभी गैर कृषि उपभोक्ताओं को 24 घंटे एवं कृषि उपभोक्ताओं को कृषि प्रयोजन हेतु 08 घंटे (वर्तमान में राज्य शासन की मंशानुसार 10 घंटे) विद्युत प्रदाय किये जाने का प्रावधान है। तद्नुसार प्रदेश में वर्तमान में समस्त राजस्व ग्रामों एवं उनके समीपस्थ गैर कृषि 11 के.व्ही. फीडरों से संयोजित चिन्हित मजरों/टोलों/बसाहटों में निवासरत परिवारों को अपरिहार्य कारणों से आये आकस्मिक अवरोधों को छोड़कर औसतन प्रतिदिन 24 घंटे विद्युत प्रदाय किया जा रहा है एवं राजस्व ग्रामों/आबादी क्षेत्रों से दूर अथवा खेतों में दूर-दूर छोटे-छोटे समूह में बने मजरों/टोलों/बसाहटों में निवासरत परिवारों को समीपस्थ उपलब्ध विद्युत अधोसंरचना यथा-सिंचाई श्रेणी के 11 के.व्ही. फीडरों से संबद्ध विद्युत अधोसंरचना से संयोजित कर अपरिहार्य कारणों से आये आकस्मिक अवरोधों को छोड़कर औसतन प्रतिदिन 10 घंटे विद्युत प्रदाय किया जा रहा है। (ख) टिमरनी विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत 243 ग्रामों (आबाद ग्राम) एवं उनके मजरों/टोलों में आकस्मिक अवरोधों को छोड़कर नियमानुसार गैर कृषि प्रयोजन हेतु प्रतिदिन 24 घंटे गुणवत्तापूर्ण विद्युत प्रदाय किया जा रहा है। कृषि फीडर से एक निश्चित अवधि में घरेलू आबादी को विद्युत प्रदाय वाले ग्रामों/मजरों/टोलों की संख्या निरंक है। उल्लेखनीय है कि नये घरों एवं मजरों/टोलों का निर्माण एक सतत् प्रक्रिया है, जिससे संबंधित जानकारी म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड द्वारा संधारित नहीं की जाती। मध्य प्रदेश विद्युत नियामक आयोग के द्वारा जारी टैरिफ आदेश के तहत घरेलू श्रेणी के ग्रामीण उपभोक्ताओं हेतु टैरिफ शेडयूल LV 1.1 एवं LV 1.2 में निहित दरों के तहत बिलिंग की जाती है, जिसकी प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ग) माह दिसंबर 2023 के पहले प्रश्नाधीन क्षेत्र के ग्रामों की बस्तियों में 25 के.व्ही.ए., 63 के.व्ही.ए. एवं 100 के.व्ही.ए. के स्थापित/कार्यरत वितरण ट्रांसफार्मरों की ग्रामवार एवं क्षमतावार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। माह जनवरी 2024 से प्रश्न दिनांक तक की अवधि में कुल 263 नवीन वितरण ट्रांसफार्मर स्थापित किये गये हैं एवं कुल 65 वितरण ट्रांसफार्मरों की क्षमतावृद्धि की गई है, जिनकी ग्रामवार एवं क्षमतावार सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के क्रमश: प्रपत्र 'स' एवं प्रपत्र 'द' अनुसार है। (घ) प्रश्नाधीन क्षेत्र अंतर्गत प्रश्न दिनांक की स्थिति में 24 घंटे विद्युत नहीं दिये जाने वाले एवं कृषि फीडर से विद्युत दिये जाने वाले संसूचित/चिन्हित ग्रामों/मजरों/टोलों की संख्या निरंक है। सौभाग्य योजना अंतर्गत शत-प्रतिशत घरों के विद्युतीकरण उपरांत टिमरनी विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत कुल 60 नवीन बसाहटों के विद्युतीकरण के कार्यों को भारत सरकार की धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान योजना के मापदंडों अनुसार कार्य योजना में शामिल कर स्वीकृति हेतु प्रेषित किये गये हैं, जिसकी सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ई' अनुसार है।
कुंवर अभिजीत शाह-- माननीय अध्यक्ष जी, मैं पहली बार का विधायक हूं आपका संरक्षण चाहूंगा. मैं तारांकित प्रश्न, अतारांकित प्रश्न यह सब पहली बार ही देख रहा हूं. जब मैंने प्रश्न लगाया उसका जवाब जब मैंने पढ़ा तब मुझे समझ में आया कि प्रश्नों का उत्तर कितना घुमाकर दिया जाता है. मैं आपके माध्यम से यहां मुख्यमंत्री महोदय भी बैठे हुये हैं कुछ कहना चाहूंगा कि मेरी विधान सभा आदिवासी विधान सभा है. मेरी विधान सभा में 42 वन क्षेत्र हैं यह जानकर इस सदन में सबको बड़ा असमंजस होगा, हैरानी होगी कि उन 42 गांवों में अब तक कृषि फीडर नहीं हैं, डोमेस्टिक फीडर से वहां बिजली मिक्स फीडर के माध्यम से दी जा रही है. मुझे पता नहीं इससे पहले क्यों इस चीज को नहीं उठाया गया, लेकिन यह सोचने का विषय है कि क्या सरकार यह नहीं मानती है कि 42 गांवों में जो आदिवासी रहते हैं वह भी खेती करते हैं यह सोचकर देखिये, उनके लिये कृषि फीडर हीं नहीं है, उनको डोमेस्टिक फीडर से बिजली दी जा रही है. अब मैं अपना प्रश्न चालू करना चाहूंगा. माननीय अध्यक्ष महोदय प्रश्न क्रमांक 380 (क) ग्रामों की बसाहट में 24 घंटे बिजली दिये जाने की शासन ने कब से योजना लागू की है. ग्रामों की बसाहट को कृषि फीडर से बिजली दिये जाने की योजना को सरकार ने किन कारणों से वर्तमान में लागू रखा हुआ है. मैं 2 हिस्सा पूछ लेता हूं फिर 2 और पूछ लूंगा.
अध्यक्ष महोदय-- अभिजीत जी, प्रक्रिया कुल मिलाकर यह है 'क', 'ख' आपने इसमें लिखा हुआ है. सरकार की ओर से जो उपयुक्त है वह उत्तर आया होगा, आपने उसे पढ़ा होगा. मेरा सिर्फ आग्रह यह है जो उत्तर में नहीं है उसका पूरक प्रश्न करेंगे तो आपको पूरा जवाब मिलेगा. उसी 'क' को पढ़ेंगे आप तो क्या मतलब है.
कुंवर अभिजीत शाह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो उत्तर में नहीं है, मैं वह पूछना चाहूंगा कि मैंने सवाल पूछा था कि कितनी बसाहटें हैं, जहां पर अभी 24 घण्टे बिजली नहीं मिल रही है. मेरे पास लिस्ट है, ऐसी 60 बसाहटें हैं, जहां पर अभी भी बिजली नहीं मिल रही है, मेरे पास में बसाहटों के नाम भी है और वहां पर कितने मकान है, उनकी लिस्ट भी है, लेकिन सवाल का जो जवाब दिया गया है, वह इतना घुमाकर दिया गया है कि उसमें राजस्व ग्राम का उत्तर दे दिया है. मेरी विधानसभा में वन ग्राम भी आते हैं, तो वन ग्राम और राजस्व ग्राम मैंने अलग-अलग तो पूछा नहीं था, मैंने तो सिर्फ ग्राम पूछा था कि जो 42 वन ग्राम हैं, वहां पर कृषि फीडर कब तक बन जायेगा और जो 60 बसाहटें हैं वहां पर धरती आबा योजना के तहत कब तक उनको ले लिया जायेगा, कब तक वहां बिजली लग जायेगी?
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से सदस्य को बताना चाहूंगा कि टिमरनी विधानसभा के 243 ग्रामों (आबाद ग्राम) एवं उनके मजरों/टोलों में नियमानुसार 24 घण्टे बिजली दी जा रही है. आपने जिन 60 गांव की बात की है, वहां पर बिजली मिल रही है, परंतु हमने उन गांव में भारत सरकार की योजना है, उस धरती आबा योजना के अंतर्गत उन 60 ग्रामों में जो आदिवासी लोग निवास करते हैं, उनको हमने इस स्कीम में शामिल करके, वहां पर विद्युतीकरण का कार्य स्वीकृत किया गया है और वहां पर कार्य कराया जा रहा है.
कुंवर अभिजीत शाह -- अध्यक्ष महोदय, मैं इसमें पूछना चाहूंगा और आपसे निवेदन भी करना चाहूंगा कि एक दल उसमें गठित किया जाये,उस दल में मुझे भी रखा जाये क्योंकि मैंने गांव गांव घूमा हूं, मेरे पास ऐसी 60 बसाहटें हैं, जहां पर बिजली नहीं है. मैं एक का तो नाम लेकर भी बता सकता हूं, बोगदा में है, वहां पर 35 मकान हैं, वहां इतने साल बाद भी बिजली नहीं पहुंच पाई है और मेरा जो प्रश्न था, वह यह प्रश्न नहीं था कि वन ग्राम में कितना, राजस्व ग्राम में कितना, मेरी विधानसभा में कितनी बसाहटें हैं, कितने गांव हैं? यहां पर 24 घण्टा बिजली दी जा रही है, मैं आपकी बात मानता हूं कि चलिये 24 घण्टा बिजली दी जा रही होगी, लेकिन जो 42 वन ग्राम हैं, वहां पर मिक्स फीडर के माध्यम से बिजली दी जा रही है, इसलिए गांव में उनको मात्र सिंगल फेस बिजली मिलती है और खेत के लिये थ्री फेस 10 घण्टा बिजली मिलती है, वह भी वोल्टेज ढंग से नहीं मिल पा रहा है, तार इतने कमजोर हो चुके हैं, 45 साल पहले वह तार लगे थे, जो टूटकर गिर जाते हैं, वहां पर तीन पशुओं की जान चली गई थी, वह तो अच्छा है किसी बच्ची की जान नहीं गई है, तो इसलिए वहां पर तार भी बदले जाने चाहिए. मेरा सिर्फ यहां पर सवाल उठाने का यही उद्देश्य है कि मुझसे पहले भी जो विधायक रहे थे, शायद उनकी नजरों से यह छूट गया होगा, लेकिन 60 बसाहटें ऐसी हैं, जहां आज भी बिजली नहीं है और 42 वन ग्राम ऐसे हैं, जहां थ्री फेस बिजली 24 घण्टा अभी भी नहीं मिल रही है.
अध्यक्ष महोदय -- अभिजीत जी आपका प्रश्न स्पष्ट आ गया है,अब माननीय मंत्री जी को जवाब देने दें.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्य महोदय को अवगत कराना चाहूंगा कि आपने कहा कि 60 बसाहटें हमने चिन्ह्त्िा करके आपको पहले ही बता दिया है कि हमने उनको धरती आबा योजना में शामिल किया है, अभी दस मिनट पहले उत्तर में आपको मैंने जवाब दे दिया है. दूसरा आपने कहा है कि पांच घर जिन वन ग्रामों में हैं, तो उनको भी हम धरती आबा योजना में शामिल कर रहे हैं. अब बसाहट एक सतत् प्रक्रिया है, अब नये जो बसेंगे उनको जब योजना आयेगी, तो उसमें शामिल किया जायेगा, परंतु आपके पास जो पांच गांव की जो सूची है, वह आप हमें उपलब्ध करवा दें. पांच मकान हैं, वहां सब अनुसूचित जनजाति के लोग हैं, उनको धरती आबा योजना में शामिल किया गया है, अगर ऐसा कोई छूट रहा होगा, तो उसको हम शामिल कर लेंगे.
कुंवर अभिजीत शाह -- मंत्री जी मेरा निवेदन था कि 42 जो वन ग्राम हैं और उन वन ग्रामों में एक ही फीडर है, राजा बरारी जो कि डोमेस्टिक फीडर है, मतलब 42 गांव के लोग वहां पर जो खेती करते हैं, वह डोमेस्टिक फीडर से कर रहे हैं, इसलिए उनको वोल्टेज की भी समस्या आ रही है, जरा सोचकर देखिये की 42 गांव के लोग आजादी के इतने वर्ष बाद आज भी सरकार यह मानने को तैयार नहीं है कि वहां खेती होती है, अगर सरकार यह मानती तो वहां पर कृषि फीडर होता. मेरा निवेदन यह है कि वहां पर कृषि फीडर भी अलग से बनाया जाये, इसका जवाब थोड़ा सा मंत्री जी दें.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- माननीय अध्यक्ष महोदय, फीडर सेपरेशन कराये गये हैं और अगर कोई गांव आपको लग रहा है जहां पर फीडर सेपरेशन नहीं है, तो उसकी सूची आप उपलब्ध करवा दें.
कुंवर अभिजीत शाह ''अंकित बाबा'' -- जी, मैं आपको सूची उपलब्ध करवा दूंगा, धन्यवाद.
जगन्नाथ चौक से घंटाघर तक सड़क निर्माण
[नगरीय विकास एवं आवास]
3. ( *क्र. 1720 ) श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जगन्नाथ चौक घंटाघर सड़क निर्माण को लेकर विगत 03 वर्षों में नागरिकों/संगठनों द्वारा धरना/प्रदर्शन/चक्काजाम के क्या-क्या आंदोलन कब-कब किये गये? किस सक्षम प्राधिकारी द्वारा ग्रीन कॉरिडोर सहित क्या-क्या आश्वासन देकर आंदोलनों को कब-कब समाप्त कराया गया और उन आश्वासनों को पूर्ण किया गया कि नहीं? यदि नहीं, तो क्यों? (ख) क्या प्रश्नांश (क) सड़क चौड़ीकरण माननीय उच्च न्यायालय के आदेश/निर्देश पर कराया जा रहा है? हाँ, तो आदेश/निर्देश एवं नगर निगम के जवाब की प्रति उपलब्ध कराएं। यदि नहीं, तो कब-कब और किस दिनांक को किसकी सक्षम स्वीकृति से सड़क निर्माण की कार्यवाही स्वीकृत की गई? (ग) प्रश्नांश (क) सड़क चौड़ीकरण में क्षतिपूर्ति/मुआवजा राशि की गणना/मूल्यांकन कितनी बार किसके द्वारा किस-किस दिनांक को की गयी? क्या क्षतिपूर्ति/मुआवजा राशि का आकलन जिला पंजीयक से कराया गया? यदि हाँ, तो विवरण दीजिये। नहीं तों क्यों नहीं? प्रत्येक क्षतिपूर्ति एवं मुआवजा राशि के विवरण की प्रति भी उपलब्ध कराएं। (घ) प्रश्नांश (क) अंतर्गत कितने प्रकरण माननीय उच्च न्यायालय में प्रस्तुत हुये एवं पारित आदेशों/निर्देशों की प्रति उपलब्ध कराएं और सड़क चौड़ीकरण/डामरीकरण के प्रकरण में माननीय उच्च न्यायालय/विधानसभा आश्वासन/शासन/ विभाग द्वारा दिये गये आदेशों-निर्देशों की प्रति सहित पालन में की गयी कार्यवाही से संबंधित विवरण/नस्तियों/दस्तावेजों की प्रति प्रदाय कीजिये।
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री कैलाश विजयवर्गीय ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। आयुक्त, नगर पालिक निगम, कटनी द्वारा पत्र के माध्यम से आश्वासन दिया गया कि निविदा प्राप्त होने पर नियमानुसार सक्षम स्वीकृति उपरांत ठेकेदार से अनुबंध निष्पादन कर कार्य कराया जायेगा, जिसके संबंध में कार्यवाही प्रचलन में है। जी नहीं। न्यायालयीन एवं विधि सम्मत प्रक्रिया में समय लगा तथा तत्कालीन आयुक्त, नगरपालिक निगम द्वारा माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर में अतिरिक्त जवाब दावा दिनांक 10.02.2023 अनुसार कार्यवाही प्रचलन में है। (ख) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) अनुविभागीय अधिकारी द्वारा 03 बार पत्र दिनांक 20.01.2024, पत्र दिनांक 21.02.2024 एवं पत्र दिनांक 26.09.2024 के द्वारा आकलन कर प्रस्तुत किया गया, जिसमें विसंगतियां होने से पुन: पत्र दिनांक 29.01.2025 द्वारा मूल्याकंन हेतु जिला कलेक्टर को प्रेषित किया गया। जी नहीं। क्षतिपूर्ति मुआवजा राशि का आकलन जिला पंजीयक कार्यालय से नहीं कराया गया है। कलेक्टर जिला कटनी के निर्देशानुसार अनुविभागीय अधिकारी द्वारा गठित समिति से क्षतिपूर्ति राशि का आकलन किया गया, अनुविभागीय अधिकारी द्वारा दिनांक 28.02.2025 जिला पंजीयक कार्यालय को प्रेषित किया गया है, जिसकी कार्यवाही प्रचलन में है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'स' अनुसार है। (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'द' अनुसार है।
अध्यक्ष महोदय—माननीय सदस्य पूरक प्रश्न करें.
श्री संदीप श्री प्रसाद जायसवाल—अध्यक्ष महोदय, जगन्नाथ चौकसे घंटाघर तक की इस सड़क पर पिछले सत्र में ध्यानाकर्षण भी लगा था. 2014 से 2019 तक नगर निगम के कार्यकाल में राज्य शासन के द्वारा 11 करोड़ रूपये की राशि इस सड़क के निर्माण हेतु दी गई थी. अब यह अलग बात है कि जो शहर का बाहरी क्षेत्र है वहां पर कार्य नहीं हुआ. लगातार यह सब बातें होती रहीं. ध्यानाकर्षण में माननीय मंत्री जी के आश्वासन के अनुसार प्रमुख अभियंता महोदय ने यह जो जानकारी प्रस्तुत की गई उसी में बता रहा हूं पेज क्रमांक 96 में पत्र लिखा नगर निगम को, प्रमुख अभियंता जी ने यह बात लिखी कि वहां पर धूल-मिट्टी से लोग परेशान हैं. सड़क निर्माण करायें, जो उपलब्ध सड़क है. इस संबंध में आवश्यक कार्यवाही नियमानुसार करें. आयुक्त नगर निगम ने उसके लिये ई.ई. डब्ल्यू.डी. से कटनी के हैं उनसे यह जानकारी मांग ली. उन्होंने भी 93 नम्बर पेज पर पत्र 19 फरवरी का संलग्न है. उन्होंने भी कहा कि धूल-मिट्टी से लोग परेशान हैं. सड़क नहीं बन रही है, वर्तमान में इतनी सड़क उपलब्ध है, जिस पर आना-जाना होता है उसका डामरीकरण कर दिया जाये. फिर नगर निगम के ई.ई.ने पलटकर पत्र लिखा नहीं वहां पर इस कार्य को पहले उसको तकनीकी अभिमत पर किया गया. फिर जब प्रश्न लगा तो कल से वहां डामरीकरण का काम चालू किया गया. इस संबंध में मैं आपको बताना चाहूंगा कि जगन्नाथ मंदिर से लेकर जालपा देवी का प्रतिष्ठित मंदिर है. जैसा कि ध्यानाकरण में नगर निगम ने कहा था कि वहां पर काई जन आक्रोष नहीं है. मेरा प्रश्न यह है कि सड़क जो वर्तमान में उपलब्ध है अब यह उस बात को कह रहे थे कि सड़क चौड़ी नहीं है, तो नहीं होगा. लेकिन वहां पर लोग 100 साल से चल रहे हैं. आप वहां की सड़क पर चौड़ीकरण का कार्य तत्काल कराया जाये. जैसा कि हम लोग एन.एच.वगैरह में देखते हैं कि एक पट्टी पर काम हो जाता है, फिर दूसरी पट्टी पर काम होता है. आगे जो चौड़ीकरण होगा, उस पर हो जायेगा. दूसरा सड़क ऊंची की गई है तो आसपास में इसी से संबंधित है कि जगहों पर घरों में वहां पर स्वच्छता मित्रों की बस्ती जहां पर महात्मा गांधी एक रात रूके थे. वहां जालपा देवी जी का मंदिर है, सारी बातें हैं महत्वपूर्ण अस्पताल है. मैं मंत्री जी से चाहूंगा कि सड़क का निर्माण व आसपास पानी ना भरे बरसात के पहले इस संबंध में उत्तर दें.
श्री कैलाश विजयवर्गीय—अध्यक्ष महोदय, माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य जी ने स्वयं स्वीकार किया कि वहां पर काम चल रहा है. यह बात सही है कि ध्यानाकर्षण में मैंने आश्वासन दिया था इसी बीच में जब वहां रोड़ चौड़ीकरण के लिये कुछ लोगों को नोटिस दिये गये तो वह हाईकोर्ट चले गये. हाईकोर्ट से वहां पर स्टे आ गया इसलिये रोड़ चौड़ीकरण का काम नहीं हो पाया. अब बची हुई सरपेज जो है उसमें सड़क का काम अभी निर्माणाधीन है. मैंने उसका प्रातः ही फोटो मंगवाया है चाहें तो माननीय सदस्य को मैं भेज सकता हूं. वहां पर कार्य अतिशीघ्र पूरा हो जायेगा. आपने पानी नहीं भरें उसके लिये भी मैं निर्देश दे दूंगा.
श्री संदीप श्री प्रसाद जायसवाल—अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहूंगा लेकिन आज ही समाचार पत्रों में नगर निगम आयुक्त का जवाब आया है कि जो उपलब्ध चौड़ी सड़क होगी उसमें आयुक्त नगर निगम उनके अधिकारियों द्वारा जानकारी दी कि 22 से अधिक प्रकरण माननीय उच्च न्यायालय में लंबित हैं. हो यह रहा है कि शुरू में लोगों की पार्किंग वगैरह छोड़ी थी, वह जगह दे दी थी. उसके बाद इन्होंने जब मुआवजे की राशि निर्धारित नहीं की आज दिनांक तक मुआवजा राशि का एक भी नोटिस नहीं है. स्वयं नगर निगम अपने जवाब में लिख रहे हैं इसमें नगर निगम आयुक्त का पत्र है. इसमें हो क्या रहा है जिनको मुआवजे की राशि नहीं मिल रही है. वह लगातार उच्च न्यायालय की ओर रूख कर रहे हैं. उसमें उच्च न्यायालय ने निर्देश भी दिये कि सुप्रीम कोर्ट की डब्ल्यू.पी.1294/2020 मनोज टिम्बरवाल के दिये गये निर्देशों के अनुसार कार्यवाही करें. 19.12 के ध्यानाकर्षण के बाद 27.2 को कमिश्नर पत्र लिख रहे हैं. वह भी यह कहते हैं कि जो माननीय उच्च न्यायालय गये हैं उस अनुसार कार्यवाही करेंगे. उनकी सर्वे की स्थिति यह है कि हमारा प्रश्न करने के बाद रजिस्ट्रार ऑफिस में सर्वे का मूल्यांकन अब करा रहे हैं. अभी तक नहीं हुआ है तो फिर यह कैसे मुआवजे के लिये जा रहे थे. नगर निगम कटनी के अधिकारियों का यह कौन-सा रवैया है. मैं सिर्फ यह चाहता हॅूं कि ऐसे सब प्रकरण जाएंगे. मैंने खुद परिषद् में प्रस्ताव पास कराया. इसमें दो कागज लगे हैं. एक में एसडीएम कह रहे हैं कि 9 करोड़ का मुआवजा है, एक में 2 करोड़ का मुआवजा है. उसमें मेरा नाम लिखा गया है. पहले मैंने कहा कि मेरी जमीन नहीं है, मेरे भाई का नाम लिख दिया गया. मैंने कहा कि उनकी भी जमीन नहीं है. इस तरह से कार्यवाहियां करके यह खुद चौड़ीकरण में बाधा बने हैं जबकि यह प्रस्ताव मेरे समय में पास हुआ है कि चाहे 2 करोड़ हो या 10 करोड़ हो, दोबारा यह प्रस्ताव परिषद् में नहीं आएगा. आप चौड़ीकरण करें लेकिन नगर निगम के अधिकारियों का इस तरह से जवाब देना, यह साबित करता है कि वह चौड़ीकरण के नाम पर लोगों को बार-बार गुमराह कर रहे हैं और जो हाईकोर्ट गए हैं, जो मुआवजा मांग रहे हैं उनके सामने रोड नहीं बनाना चाहते.
अध्यक्ष महोदय -- संदीप जी, कृपया बैठिए. आपकी बात आ गई है और माननीय मंत्री जी के ध्यान में है. माननीय मंत्री जी.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य महोदय नगर पालिका के अधिकारपूर्वक सदन में बैठ सकते हैं और वहां के नगर निगम के बारे में आपको बहुत जानकारी है, आप स्वयं मेयर रहे हैं. निश्चित रूप से थोड़ा विलंब जरूर हुआ है. मैंने अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस दे दिया है और जो यह चाहते हैं, जितनी ओपन सड़कें हैं वह नवरात्रि के पहले पूरी कम्प्लीट हो जाएंगी. (मेजों की थपथपाहट)
श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न क्रमांक 4. श्री रामेश्वर शर्मा जी.
बी.सी.सी.एल. बसों का संचालन
[नगरीय विकास एवं आवास]
4. ( *क्र. 245 ) श्री रामेश्वर शर्मा : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) भोपाल में बी.सी.एल.एल. की कितनी बसों का संचालन किन-किन रूटों पर आज दिनांक तक किया जा रहा है? (ख) आगामी समय में क्या नई बसों का संचालन किया जाना प्रस्तावित है? यदि हाँ, तो कब तक? (ग) बी.सी.एल.एल. बसों के संचालन में आज दिनांक तक किन-किन एजेंसियों को काम दिया गया? क्या इन सभी एजेंसियों द्वारा सफलतापूर्वक बसों का परिचालन किया गया? यदि नहीं, तो इन पर क्या कार्यवाही अथवा अर्थदंड दिया गया?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री कैलाश विजयवर्गीय ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) जी हाँ। निर्धारित तिथि बताया जाना संभव नहीं है। (ग) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है।
श्री रामेश्वर शर्मा -- मेरा प्रश्न क्रमांक 4 (245) है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- उत्तर पटल पर रखा है.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय सदस्य, कृपया, पूरक प्रश्न करें.
श्री रामेश्वर शर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न बी.सी.एल.एल. बसों के संदर्भ में है लेकिन इसके पहले मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को हृदय से धन्यवाद देता हॅूं कि भोपाल में जो बी.आर.टी.एस. बस टर्मिनस था, उसके कारण चाहे हमारा मिसरोद क्षेत्र हो, जिसमें माननीय कृष्णा गौर जी और हम लोगों का संयुक्त हो, चाहे संत हिरदाराम नगर, बैरागढ़ हो, वहां पर प्रतिवर्ष 10-12 नौजवानों की किसी न किसी कारण से मौतें होती थीं लेकिन जिस दिन से बी.आर.टी.एस. बस स्टॉप हटाया गया है उस दिन से आज दिनांक तक वहां कोई एक्सीडेंट की घटनाएं नहीं हुईं. इस बात के लिए मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को, माननीय मंत्री जी को और पूरी सरकार को बधाई देता हॅूं. (मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी के कुछ उत्तर आए हैं लेकिन मेरा एक निवेदन है क्योंकि अब भोपाल का विस्तार हो रहा है और अब भोपाल के अंदर कोई भी कॉलेज, यूनिवर्सिटीस सब भोपाल से बाहर हो गई हैं. भोपाल में प्रतिदिन 10-12 हजार मजदूर मजदूरी करने के लिए भी आते हैं और सरकार की मंशा भोपाल को महानगर बनाने की है. सरकार की कल्पना है. बजट में भी उसका उल्लेख माननीय वित्त मंत्री जी ने किया है, तो मैं माननीय मंत्री महोदय जी से यह निवदेन करना चाहता हॅूं कि भोपाल का जब विस्तार हो रहा है तो आज भोपाल के किसी व्यक्ति को औद्योगिक क्षेत्र में अगर काम करने जाना पडे़, तो वह मंडीदीप जाता है. मंडीदीप के लिए हमारी इन बसों का संचालन हो. वह अगर जाएं तो बिल्किसगंज, झागरिया जाता है जो वर्मा जी का क्षेत्र है. वहां पहले नीलबड़, रातीबड़ होते हुए बस शुरू हुई थी. वहां 5 यूनिवर्सिटी और कॉलेजेस हैं. वहां की बसें बंद हो गईं. सीहोर में यूनिवर्सिटी और कॉलेज हैं और उधर उद्योग क्षेत्र है. वहां बसें नहीं जा रहीं हैं. इधर राजगढ़, पीलूखेड़ी में फैक्ट्रियां, उद्योग हैं, वहां पर भी बसें नहीं जा रही हैं. बैरसिया में भी बसें नहीं जा रही हैं. अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय सूखी सेवनियां में है. वहां हजारों छात्र पढ़ने जाते हैं लेकिन वहां भी बसें नहीं जा रही हैं. इधर रायसेन, बिलखिरया की जो रोड है, जहां कंकाली माता का मंदिर है वहां भी बसें नहीं जा रही हैं. भोजपुर में भी बहुत लोग जाते हैं वहां भी बसें नहीं जा रही हैं तो एक तो यह बात है.
अध्यक्ष महोदय, मेरा यह कहना है कि बसें 100 ई-पीएम इलेक्ट्रिक बसें मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में आ रही हैं तो मैं सदन के माध्यम से माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को, माननीय मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव जी को और माननीय मंत्री श्री कैलाश विजयवर्गीय जी को इस बात के लिए धन्यवाद देता हॅूं कि यह जो 100 इलेक्ट्रिक बसें आएंगी, यह मध्यप्रदेश की राजधानी के यातायात में सुधार का कार्य करेंगी लेकिन इन 100 बसों का संचालन पहले जैसे हुआ, वैसे न हो. इसमें थोड़ा सुधार की व्यवस्था की जाये और जो मैंने प्रश्न किया था, मैं आग्रह करना चाहता हॅूं कि पहले जो संचालन हो रहा था, उसमें कुछ अनियमितताएं हुईं हैं या कुछ उन्होंने लापरवाही की है तो उसके लिए एक जांच समिति बनायी जाये और नहीं हो, तो मंत्री जी खुद पीएस से या स्वयं उसकी जांच करवा लें.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्य को धन्यवाद देना चाहता हूं कि पूरे भोपाल में बसों का संचालन हो, उसके प्रति उन्होंने चिंता प्रकट की और हमारे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री जी भी चाहते हैं कि शहर में जो यातायात है और बाहर से आने वाले लोगों को सुविधा मिलना चाहिए और इसीलिए प्रधानमंत्री जी ने अभी 100 इलेक्ट्रिक बसें और हमें दी हैं. (मेजों की थपथपाहट). हम सब इसके लिए प्लान कर रहे हैं कि वह सब रास्ते जहां पर व्यक्ति, विद्यार्थी, कॉलेज जाते हैं, कॉलेज से वापस आते हैं, उन सबके लिए यातायात सुगम हो, जो अवरोध आ रहे थे उसके लिए हमारे प्रमुख सचिव जी ने कमेटी बना दी है और वह कमेटी उसका संचालन कर रही है, उसमें कुछ हमें परिवहन विभाग से भी सहयोग की आवश्यकता है. परिवहन विभाग और हम सब बैठकर एक अच्छी नीति बनाकर भोपाल का बस संचालन अच्छा हो इसके लिए हम लोग चिंतित हैं और आगे इस पर कार्यवाही भी करेंगे.
श्री रामेश्वर शर्मा - अध्यक्ष महोदय, जांच समिति के बारे में बता दें, जो पुरानी लापरवाही हुई है उसमें थोड़ा सुधार हो.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्यक्ष महोदय, मैं प्रमुख सचिव जी को आदेश दे दूंगा कि वह एक बार उसकी जांच कर लें.
श्री रामेश्वर शर्मा - बहुत बहुत धन्यवाद.
प्रश्न संख्या 5 श्री बृज बिहारी पटैरिया - (अनुपस्थित)
स्मार्ट सिटी लिमिटेड, जबलपुर द्वारा कराये गये कार्य
[नगरीय विकास एवं आवास]
6. ( *क्र. 271 ) श्री लखन घनघोरिया : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) स्मार्ट सिटी लिमिटेड, जबलपुर द्वारा जबलपुर स्मार्ट रोड, फेस-2, गोल बाजार रोड 4.5 कि.मी. जिसकी पुनिरीक्षित लागत राशि 44.89 करोड़ थी, से कौन-कौन से कार्य कितनी-कितनी मात्रा में कराये गये हैं? उक्त कार्यों की अलग-अलग भुगतान राशि कितनी है? कार्यवार अलग-अलग जानकारी दें। (ख) स्मार्ट सिटी लिमिटेड, जबलपुर गोल बाजार रोड 4.5 कि.मी. की लागत राशि 44.89 करोड़ होने के बावजूद उक्त सड़क की ऊपरी परत क्यों उखड़ गयी? उक्त सड़क में अनेक स्थानों पर सीमेंट का घोल डालकर ऊपरी परत पर सुधारने का प्रयास किया गया है? उक्त गुणवत्ता हीन निर्माण कार्य के लिए कौन-कौन से उपयंत्री/सहा.यंत्री/कार्यपालन यंत्री दोषी हैं? उन पर कब तक कार्यवाही की जायेगी।
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री कैलाश विजयवर्गीय ) : (क) स्मार्ट सिटी लिमिटेड, जबलपुर द्वारा जबलपुर स्मार्ट रोड, फेस-2, गोल बाजार रोड की पुनिरीक्षित लंबाई 2.5 कि.मी एवं लागत 39.64 करोड़ है। उक्त परियोजना के अंतर्गत कराये गये समस्त कार्यों की मात्रा एवं उक्त कार्यों की भुगतान राशि का कार्यवार विवरण जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) स्मार्ट सिटी लिमिटेड, जबलपुर द्वारा गोल बाजार क्षेत्र में स्मार्ट रोड, फेस-2 परियोजना के अंतर्गत निर्मित सीमेन्ट कांक्रीट सड़क में निर्माण की गई लंबाई 2.5 कि.मी. क्षेत्र में सघन आबादी एवं आपात कालीन सेवा जैसे हॉस्पिटल होने से अधिक ट्रॉफिक दबाव होने के कारण यदि सड़क की सतह में कोई खराबी (Wear and Tear) आती है, तो ठेकेदार द्वारा स्वयं के व्यय से सुधार/मरम्मत का कार्य कराया जाता है। निर्माण कार्य तय मानकों के अनुसार गुणवत्ता से पूर्ण किया गया है। निविदा की शर्तों के अनुसार ठेकेदार भाषा एसोसिएट भोपाल को निर्माण कार्य पूर्ण होने की दिनांक से 5 वर्ष की अवधि तक गारंटी पीरियड होने के कारण संपूर्ण परियोजना की मरम्मत एवं रख-रखाव कार्य स्वयं के व्यय से करना है। निर्माण कार्य की सतत् निगरानी का कार्य थर्ड पार्टी कन्सल्टेन्ट REPL/LION के द्वारा किया गया है, जिसमें टीम लीडर, कन्स्ट्रक्शन मैनेजर इंजीनियर एवं फील्ड इंजीनियर कार्यरत थे, इसके अतिरक्त एस.पी.व्ही. के यंत्रियों की भी तैनाती की गई थी। समस्त कार्य गुणवत्तापूर्ण है। अत: शेषांश उपस्थित नहीं होता है।
श्री लखन घनघोरिया - अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न क्रमांक 271 है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्यक्ष महोदय, उत्तर पटल पर रखता हूं.
श्री लखन घनघोरिया - अध्यक्ष महोदय, मेरे उत्तर में माननीय मंत्री जी ने कहा है कि स्मार्ट सिटी लिमिटेड, गोल बाजार, फेस 2, जबलपुर, सड़क की पुनरीक्षित लम्बाई 2.5 कि.मी., सड़क लागत 39.64 करोड़ रुपये है. एम 40 सड़क जिसका अत्यधिक हैवी ट्रैफिक जिसमें कम से कम 50-60 टन से अधिक के भारी वाहन गुजर सकें, इसका उपयोग जैसे बंदरगाह नेशनल हाइवे हैं, ऐसे हैवी ट्रेफिक में होता है. माननीय मंत्री जी ने गोलमोल जवाब दिया है कि सड़क की सतह में कोई खराबी नहीं आई है, यदि खराबी आती है तो सघन आबादी एवं आपातकालीन सेवा जैसे ह़स्पिटल होने से अधिक ट्रैफिक दबाव होने के कारण यदि सड़क की सतह में कोई खराबी आती है तो ठेकेदार द्वारा स्वयं के व्यय से सुधार/मरम्मत का कार्य कराया जाता है. मतलब यह माना है कि अस्पताल और हैवी ट्रैफिक के कारण सतह खराब हो सकती है यह माना है लेकिन यह कहा है कि खराबी नहीं आई है. फिर पूरी सड़क पर यह केमिकल का घोल क्यों डाला गया, यदि सतह खराब नहीं हुई थी? और जब केमिकल का घोल डाला गया तो स्वीकार करने में क्या जाता है कि यदि वह खराब हुई है?यदि वह खराब हुई है तो खराब हुई है. एम 40 की घटिया गुणवत्ता के कारण सड़क उखड़ी है. उसके बाद केमिकल का घोल भी उखड़ गया, फिर से घोल डाला गया. इतनी घोर लापरवाही है. उसके बाद शासन अभी तक कह रहा है, आधा मान रहा है कि हां, यह होता है लेकिन यह हुआ नहीं है. फिर केमिकल का घोल क्यों डाला गया था? अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि इस पूरे प्रकरण में क्योंकि न केवल इसमें सड़क का बल्कि अभी पूरे चेम्बर घटिया निर्माण के कारण पूरे के पूरे चेम्बर उखड़ गये हैं यह अभी 24 तारीख के भास्कर पेपर ने इसका पूरा उल्लेख किया है. दैनिक भास्कर पेपर में इसका उल्लेख है क्या आप इसकी जांच कराएंगे?
श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्यक्ष महोदय, यह जो माननीय सदस्य ने कहा है कि यह बात सही है कि थोड़ी सी 200 मीटर की कुछ सतह खराब हुई थी और ठेकेदार ने उसको ठीक करने का प्रयास भी किया है. परन्तु जिस समय सड़क निर्माणाधीन थी, उस समय ट्रैफिक रोकना था, वह रुका नहीं और चलती हुई सड़क पर ट्रैफिक चलता रहा, इसलिए जो सेटलिंग होती है वह नहीं हो पाई. यह बात बिल्कुल सही है, यह हमारे अधिकारियों ने भी स्वीकार किया है. परन्तु यह गारंटी पीरियड है, यदि कहीं पर इस प्रकार की कुछ कमी होगी तो ठेकेदार स्वयं 5 साल तक उसको रिपेयर करेगा. जहां तक सड़क की क्वालिटी का सवाल है तो थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन होता है, उसकी रिपोर्ट भी हमारे पास में है और इसलिए क्वालिटी में कहीं पर भी कम्प्रोमाइज़ नहीं किया गया है, क्वालिटी बहुत अच्छी है. यदि माननीय सदस्य चाहेंगे तो मैं भोपाल से किसी अधिकारी को भेज दूंगा, वह जाकर एक बार फिर से वहां के लोकल अधिकारियों के साथ बैठक कर उसकी क्वालिटी के बारे में जांच कर लेंगे.
श्री लखन घनघोरिया- अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि मंत्री जी स्वयं जांच करायें.
अध्यक्ष महोदय- माननीय मंत्री जी कुछ कहना चाहेंगे ?
श्री लखन घनघोरिया- मंत्री जी से जांच करा लें.
अध्यक्ष महोदय- नहीं, वह तो अधिकारियों की टीम ही जांच करेंगी.
वक्फ बोर्ड की भूमि
[पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण]
7. ( *क्र. 925 ) श्री घनश्याम चन्द्रवंशी : क्या राज्यमंत्री, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) मध्यप्रदेश में वर्तमान में कितनी भूमि वक्फ बोर्ड के नाम पर आवंटित है? शाजापुर जिले में वर्ष 1990 में वक्फ बोर्ड के पास कितनी जमीन थी तथा वर्तमान में कितनी जमीन है? (ख) क्या वक्फ बोर्ड की जमीन पर शासकीय धन राशि से सार्वजनिक उपयोगी भवन जैसे विद्यालय, पंचायत भवन का निर्माण किया जा सकता है? यदि हाँ, तो कालापीपल विधानसभा क्षेत्र में कहां-कहां इस प्रकार के भवन निर्मित किये गये हैं? (ग) प्रश्नांश (ख) का उत्तर यदि न है तो उक्त निर्माण क्यों नहीं हो सकते हैं? कारण बताते हुए नियम की प्रति उपलब्ध करावें। (घ) वर्तमान में शाजापुर जिले के वक्फ बोर्ड की भूमि के संबंध में कितने विवादित प्रकरण हैं? वक्फ बोर्ड न्यायालय में लंबित हैं तथा इनकी शीघ्र निराकरण के लिए समय-सीमा निर्धारित की गई है? यदि हाँ, तो कितनी? यदि नहीं, तो क्यों नहीं?
राज्यमंत्री, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण ( श्रीमती कृष्णा गौर ) : (क) मध्यप्रदेश में वक्फ बोर्ड के नाम पर 14998 वक्फ एस्टेट हैं। शाजापुर जिले में वर्ष 1990 में 1107 वक्फ एस्टेट थे। वर्तमान में शाजापुर जिलें में 1115 वक्फ हैं। (ख) म.प्र. वक्फ बोर्ड में भवन आदि के निर्माण के आवेदन प्राप्त होने पर परीक्षण कर तथा गुणदोष के आधार पर म.प्र. वक्फ बोर्ड की अनुमति के पश्चात भवन का निर्माण कार्य किया जा सकता है। म.प्र. वक्फ बोर्ड द्वारा कालापीपल विधानसभा क्षेत्र में वक्फ की भूमि पर शासकीय भवनों के निर्माण की अनुमति जारी नहीं की गई है। (ग) प्रश्नांश (ख) के संदर्भ में प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) वर्तमान में शाजापुर जिले के वक्फ बोर्ड की भूमि के संबंध में वक्फ अधिकरण न्यायालय भोपाल में 11 एवं वक्फ एक्ट 1995 की धारा-54 के अंतर्गत अतिक्रमण के 05 प्रकरण वक्फ बोर्ड न्यायालय में लंबित हैं। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। यह प्रकरण न्यायालयीन प्रक्रिया के अंतर्गत प्रचलन में है। न्यायालयीन प्रक्रिया होने के कारण समय-सीमा निर्धारित नहीं है।
श्री घनश्याम चन्द्रवंशी :- प्रश्न क्रमांक-925.
श्रीमती कृष्णा गौर- माननीय अध्यक्ष महोदय, उत्तर पटल पर प्रस्तुत है.
श्री घनश्याम चन्द्रवंशी :- अध्यक्ष महोदय, यह जो संपत्ति के इसके बारे में मेरे दो पूरक प्रश्न है, वक्फ के संबंध में. ''क'' के उत्तर में आया है कि उत्तर के अनुसार शाजापुर जिले में वर्ष 1990 में 1107 वक्फ संपत्ति थी, जो कि वर्तमान में 1115 हो गयी हैं. इनकी वृद्धि का स्त्रोत क्या है, क्या वक्फ बोर्ड ने इन्हें क्रय किया था अथवा शासन ने आवंटित की थी, कृपया विस्तार से बतायें या क्या इसमें अवैध कब्जा हुआ है ?
श्रीमती कृष्णा गौर- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय सदस्य को बताना चाहती हूं कि आपने जो प्रश्न किया था कि पूरे मध्यप्रदेश में वक्फ बोर्ड की संपत्ति मांगी थी और विशेष रूप से शाजापुर जिले में कितनी वक्फ संपत्ति है. उसका जवाब विस्तार से हमने दिया है. जिसमें 52 हजार, 752 एकड़ भूमि मध्यप्रदेश के आधिपत्य में और शाजापुर जिले में वर्ष 1990 की स्थिति में 4 हजार,503 एकड़ और वर्तमान की स्थिति में 4 हजार, 507 एकड़ भूमि में है.
माननीय सदस्य जी, पूरक प्रश्न में यह कहा है कि जो संपत्ति इतने दिन में बढ़ी है तो क्या यह वक्फ ने क्रय की है या फिर शासन ने आवंटित की है, तो मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्य को यह जानकारी देना चाहूंगी की वक्फ बोर्ड को कोई अधिकार नहीं है, इस प्रकार की संपत्ति को क्रय करने का और शासन के पास भी कोई अधिकार नहीं है किसी जमीन को आवंटित करने का, लेकिन यह जो 8 संपत्तियां यह बढ़ी हैं. यह शाजापुर जिले में तत्समय प्रचलित वक्फ एक्ट- 1954 की धारा-25 के अंतर्गत निहीत प्रावधानों एवं प्रक्रियाओं का पालन कर वर्ष 1994 में पंजीकृत हुई थी और शेष 7 वक्फ एक्ट 1995 की धारा- 36 के अंतर्गत निहित प्रावधानों एवं प्रक्रिया का पालन करते हुए यह संपत्तियां पंजीकृत हुई हैं. नवीन जो 8 संपत्तियां हैं उनमें पांच निजी भूमि पर हैं और तीन संपत्तियां शासकीय भूमि पर स्थित हैं.
श्री घनश्याम चन्द्रवंशी :- मेरा दूसरा प्रश्न है कि प्रश्न ''घ'' का जो उत्तर मिला है. उसमें उत्तर के अनुसार वक्फ बोर्ड की भूमि के संबंध में वक्फ अधिकरण न्यायालय, भोपाल में 11 तथा एक्ट की धारा -54 के अंतर्गत अतिक्रमण के 5 प्रकरण लंबित हैं, कितने समय से लंबित हैं. क्या मध्य प्रदेश सरकार इस प्रकरण में पक्षकार है ?
श्रीमती कृष्णा गौर- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य महोदय को बताना चाहूंगी की वक्फ अधिकरण न्यायालय जो ट्रिब्यिूनल है, भोपाल में वर्ष 2017 से 2024 तक के 11 प्रकरण पंजीकृत हुए हैं एवं वक्फ एक्ट धारा के अंतर्गत अतिक्रमण के 5 प्रकरण वर्ष 2021 से लंबित हैं. पांच वर्ष से अधिक में पांच प्रकरण, तीन से पांच वर्ष की अवधि के 8 प्रकरण तथा तीन वर्ष तक तीन प्रकरण. उपरोक्त में सर्वाधिक पुराने प्रकरण तीन हैं जो सात वर्षों से लंबित हैं. 16 प्रकरणों में मध्य प्रदेश शासन प्रत्यक्ष रूप से पक्षकार है, बाकी में वक्फ बोर्ड.
श्री घनश्याम चन्द्रवंशी :- धन्यवाद अध्यक्ष जी.
मार्गों का निर्माण कार्य
[लोक निर्माण]
8. ( *क्र. 1423 ) श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या खरगापुर विधान सभा-47 के अन्तर्गत जनहित में सड़कों के निर्माण कराये जाने हेतु विगत विधान सभा सत्र में दिनांक 13.02.2024 को तारांकित प्रश्न क्र. 770 में लारौन से टपरियन तक सड़क निर्माण, देरी मुख्य सड़क से खुड़ौ तक, पथरीगढ़ (मचौरा) से देवराहा तक ह्दयनगर तिगैला से कोटरा तक, देवपुर मुख्य मार्ग से वनपुरा सांयौन तक की सड़कों के निर्माण हेतु परीक्षण कराकर निर्माण किये जाने का आश्वासन दिया गया था? उसके बाद पुन: तारांकित प्रश्न क्र. 1545, दिनांक 19.12.2024 के उत्तर में उत्तर दिया गया है कि प्रश्नांकित मार्ग की निविदा निराकरण हेतु राज्य स्तरीय समिति के समक्ष विचारार्थ है। नवीन निर्माण कार्यों की स्वीकृति हेतु बजटीय प्रक्रिया आवश्यक है। क्या आगामी बजट में इन सड़कों को शामिल करते हुये जनहित में स्वीकृति आदेश जारी करेंगे? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों? (ख) क्या विभाग को प्रश्नकर्ता प्रस्ताव क्र. 179/2024, दिनांक 05.07.2024 के अनुसार ग्राम चंदेरी के तिगेला से पुराना दोह होकर टीला तक, ग्राम कड़राई से सोनतला तक मय पुलिया निर्माण, ग्राम गोरा के सरकनपुर खरगापुर रोड के चौराहे से ग्राम मड़ोरी तक ग्राम लड़वारी से कछिया खेरा तक, जतारा बाईपास से बम्हौरी अब्दा तक, नगर पलेरा में बायपास ग्राम खुमानगंज से पुल निर्माण सहित कोटरा खेरा होकर महेन्द्र महेबा तक, डारगुंवा से हटा तक सड़क निर्माण एवं वल्देवगढ़ से सुजानपुरा मार्ग की तिरछी पुलियों का सीधा करके निर्माण कराये जाने वाले प्रस्तावों को कब तक स्वीकृति प्रदान करते हुये बजट में शामिल कर लिया जावेगा? क्या जनहित का ध्यान रखते हुये सभी सड़कों की स्वीकृति प्रदाय कर बजट में शामिल किये जाने की कार्यवाही की जायेगी? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री राकेश सिंह ) : (क) जी हाँ। प्रश्नांकित 5 मार्गों में से एक मार्ग देवपुर मुख्य मार्ग से वनपुरा सापौन मार्ग की निविदा दिनांक 25.02.2025 को खोली गई, जिसका तकनीकी मूल्यांकन किया जा रहा है। जी हाँ। अन्य 4 मार्ग बजट में सम्मिलित नहीं होने से शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है, निश्चित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। (ख) प्रश्नांश (ख) में उल्लेखित नवीन निर्माण कार्य बजट में सम्मिलित न होने के कारण निश्चित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर-- अध्यक्ष महोदय, प्रश्न क्र. 1423.
श्री राकेश सिंह-- अध्यक्ष महोदय, उत्तर सभा पटल पर रख दिया गया है.
श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर-- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी के द्वारा मेरी विधान सभा खरगापुर में दो सड़कें स्वीकृत की गई हैं, जिसके लिये मैं मंत्री जी को हृदय से बधाई देती हूं. मैं कहना चाहती हूं कि इस प्रश्न के माध्यम से जो सड़कें आम जनता के हित में स्वीकृत किये जाने हेतु मुझे सदन में मंत्री जी के द्वारा आश्वासन दिया गया, उनको पूरा करते हुए मेरी दो समस्याएं हैं कि खुमानगंज से कोटरा खेरा में निवास करने वाले अनुसूचित जाति बस्ती को 1 किलोमीटर की छोटी सी सड़क एवं एक पुल की विशेष आवश्यकता है. बरसात में वहां के लोग निकल नहीं पाते, निकलने में बड़ी मुसीबत होती है तथा बल्देवगढ़ से सुजानपुरा मार्ग में पुरानी नहर पर तिरछी पुलियाएं बनाई गई हैं. वहां पर कई राहगीर अपनी जान गवां बैठे हैं. उन पुलियों को सीधा करते हुए अंधे मोड़ से बचाये जाने की जनहित में घोषणा करेंगे, तो आम जनता को बहुत राहत प्रदान होगी. इनका निर्माण बहुत जरुरी है.
श्री राकेश सिंह-- अध्यक्ष महोदय,माननीय सदस्य ने अपनी चिंता व्यक्त की है. एक बार उसका परीक्षण करा लिया जायेगा और अगर वास्तव में मौके पर ऐसी कोई स्थिति है, तो उसको ठीक करने की दिशा में कार्यवाही की जायेगी.
श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर-- अध्यक्ष महोदय, हमारे क्षेत्र में बहुत सी सड़कें ऐसी हैं, जैसे पथरीगढ़ मचौरा से देवराहा, हृदयनगर तिगैला से कोटरा, चंदेरी मुख्य सड़क से पुराना दोह होकर टीला तक, डारगुवां से हटा तक,जतारा बाईपास से बम्हौरी अब्दा तक, लड़वारी से कछिया खेरा तक तक की सड़कें बहुत आवश्यक हैं. मैं मंत्री जी निवेदन करती हूं कि अपने विभाग से परीक्षण करा लें कि जनहति में इन सड़कों का निर्माण किया जाना कितना जरुरी है तथा टीकमगढ़ मार्ग बल्देवगढ़ से बंधा तक की सड़क, पटौरी से हटा लमेरा तक की सड़कें बहुत खराब हैं, इनका भी साथ में परीक्षण करा लिया जाये.
श्री राकेश सिंह-- अध्यक्ष महोदय,माननीय सदस्य ने अपने मूल प्रश्न में जिन सड़कों के बारे में कहा था, उसमें आश्वासन इस बात का था कि उनका परीक्षण कराया जायेगा. उनका परीक्षण हो चुका है. परीक्षण के उपरांत जो बात सामने आई है, वह यह है कि वह दोहरी कनेक्टिविटी का मामला है. जो प्रमुख गांव हैं, वह एक तरफ सड़कों से जुड़े हुए हैं. जहां तक जोड़ने की बात है, वह मजरे टोले हैं. मजरे टोले के साथ जोड़ने को लेकर फिलहाल विभाग की प्राथमिकता यह नहीं है. वह बहुत छोटे हैं, कहीं 200-250 की आबादी के गांव हैं और उसमें भी अगर ढाई किलोमीटर का मार्ग है, तो लगभग दो किलोमीटर उसमें भूअर्जन की कार्यवाही होगी. आमतौर पर इस तरह की सड़कें प्राथमिकता में प्रधानमंत्री सड़क या अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में होती हैं, उसकी जानकारी फिलहाल उपलब्ध नहीं है और जहां तक उन्होंने जिस खराब सड़क की बात की है, उसका परीक्षण करा लेंगे और परीक्षण में अगर वह खराब पाई जाती है, तो उसको ठीक करवाया जायेगा.
श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर-- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी को धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय—प्रहलाद जी, एक बार मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री सड़क के चतुर्थ चरण के बारे में जो मजरे टोले तक जाने वाले हैं, उसकी एक मिनट में आप जानकारी दे दें, तो सभी सदस्यों को ध्यान में आ जायेगा. तो यह जो छोटी सड़कें हैं, यह पीडब्ल्यूडी में नहीं आयेंगी और प्रधानमंत्री सड़क में नहीं जुड़ेगी, तो फिर वह हमेशा के लिये वह समस्या बनी रहेगी. (मेजों की थपथपाहट)
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री प्रहलाद सिंह पटेल)—अध्यक्ष महोदय, बहुत बहुत धन्यवाद, क्योंकि पिछली बार भी जब प्रश्न की बात आई थी,तो हमारे एक माननीय सदस्य ने पीडब्ल्यूडी वह सब एक ही में रख दिया था. तो मुझे लगता है कि यह जानकारी होनी भी चाहिये. ग्रामीण क्षेत्र की कोई भी सड़क जो नोटिफाइड लोक निर्माण की है, उसको छोड़कर बाकी सारी प्रधानमंत्री सड़क योजना में हैं. लेकिन दो तीन और हमें सावधानी रखनी पड़ेगी कि डुअल कनेक्टिविटी अभी भी भारत सरकार ने अलाऊ नहीं की है. तो उसमें हमारी जो मुख्यमंत्री सड़क योजना पहले चलती तथी, उसके आधार पर कोई प्लान बन सकता है. अन्यथा आदिवासी क्षेत्रों में 250 तक की जनसंख्या के हिसाब से सड़क या टोले मजरे , वह सभी इस चरण में कनेक्ट होंगे और जो सामान्य हैं, वह 500 तक की आबादी उसमें जुड़ रही है. लेकिन कृपया करके फिर मैं रिपीट कर रहा हूं कि डुअल कनेक्टिविटी एलाउड नहीं है. कोई एक सिंगल चैन ऐसी बना ले और जहां पर डुवल कनेक्टिविटी की बात होगी वहां पर मध्यप्रदेश सरकार का ग्रामीण विकास मंत्रालय अपने मद से उसको पूरा करेगा.
अध्यक्ष महोदय- बहुत धन्यवाद.
श्री सोहनलाल बाल्मिकी-- माननीय अध्यक्ष महोदय,250 का जो मंत्री जी ने बताया है..
अध्यक्ष महोदय- सोहनलाल जी यह बहस का विषय नहीं है, मैंने माननीय मंत्री जी से सूचना देने का कहा था, मैंने सदन के ध्यान में यह ला दिया है कि यह एक अवसर है इस अवसर का लाभ सभी सदस्य़ उठा सकते हैं, आप मंत्री जी के साथ में बैठकर बात कर लीजिये.
प्रश्न संख्या-9 (33) श्रीमती उमादेवी लालचंद खटीक (अनुपस्थित)
प्रश्न संख्या 10
सड़कों के निर्माण/रिनोवेशन तथा पुल निर्माण
[लोक निर्माण]
10. ( *क्र. 1314 ) श्री भैरो सिंह बापू : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्ष 2023 से प्रश्न दिनांक तक जिला आगर मालवा एवं जिला शाजापुर अंतर्गत कौन-कौन से नवीन रोड निर्माण/मजबूतीकरण एवं उन्नयन के कार्य स्वीकृत किए जाने हेतु प्रस्ताव शासन को प्राप्त हुए हैं? मार्गवार विवरण देवें। (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में कितने मार्गों की प्रशासकीय स्वीकृति जारी हो चुकी है एवं कितने मार्गों की स्वीकृति होना शेष है? (ग) विधानसभा क्षेत्र सुसनेर अंतर्गत कौन-कौन से मार्ग गारंटी अवधि में है? मार्ग का नाम ठेकेदार/कंपनी का नाम सहित जानकारी देवें। गारंटी अवधि की कितनी सड़कों का निर्माण/रिनोवेशन वर्ष 2024-25 में किया गया? (घ) सुसनेर विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत ग्राम मैना से सुसनेर के बीच कंठाल नदी पर पुल निर्माण हेतु प्रश्नकर्ता द्वारा माननीय मुख्यमंत्री जी को प्रेषित पत्र के संबंध में विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की गई? विभाग द्वारा उक्त पुल की स्वीकृति कब तक कर दी जायेगी? जिससे कि 20 से 25 गांवों के लोगों को आवागमन की सुविधा मिल सके।
लोक निर्माण मंत्री ( श्री राकेश सिंह ) : (क) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' एवं 'अ-1' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' एवं 'अ-1' अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' एवं 'ब-1' अनुसार है। (घ) राज्य बजट में 2024-25 में स्वीकृत नहीं है। स्वीकृति की समय-सीमा बताना संभव नहीं है।
श्री भैरो सिंह बापू -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न क्रमांक 1314 है.
श्री राकेश सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय,प्रश्न का उत्तर सभा पटल पर रख दिया है.
अध्यक्ष महोदय- माननीय सदस्य पूरक प्रश्न करें.
श्री भैरो सिंह बापू-- माननीय अध्यक्ष महोदय,मंत्री जी का जो जवाब आया है उस जवाब से मैं असंतुष्ट हूं और मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से यह निवेदन करना चाहूंगा कि 25 वर्ष पूर्व जो पुलिया-रपटा बनाया गया कंठाल नदी के ऊपर और 20 गांव की कनेक्टिविटी बारिश के समय नहीं रहती है. जब 4 महीने बारिश होती है तो नगर से सुसनेर तक लोग नहीं पहुंच पाते हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, वहां पर पांडव कालीन प्राचीन डेहरिया मंदिर भी है, श्रावण माह में कम से कम 100 से अधिक गांव की कांवड़िया यात्रा यहां पर आती है जब श्रावण में बारिश होती है तो कांवड़ यात्रा वाले लोग भी वहां फंस जाते हैं. एक बार तो रेस्क्यू किया गया विभाग के द्वारा और आज उसकी यह हालत है कि आगे कंठाल नदी है और पीछे की तरफ राजस्थान बार्डर आ गई और उधर एक और नदी है, अगर इस 18 से 20 गांव की कोई महिला का डिलेवरी का समय होता है तो वह महिला जाये तो कहां जाये, कई मौतें हो चुकी हैं इसलिये मेरा माननीय मंत्री जी से आपके माध्यम से अनुरोध है और मैं सदन में इस बात का आश्वासन चाहता हूं कि इस पुलिया को बजट में जोड़ा जाये क्योंकि यह जनहित का काम है इसी बात का आश्वासन मैं माननीय मंत्री जी से आपके माध्यम से चाहूंगा.
श्री राकेश सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सदस्य की चिंता अपनी जगह ठीक है लेकिन आम तौर पर जो ऐसे रपटे हैं, यह 50 मीटर लंबी रपटा है, यह भी ठीक है कि कई बार बारिश में बहुत थोड़े समय के लिये वहां आवागमन अवरूद्ध भी होता है, लेकिन जब इस तरह के रपटों को पुल में बदलने का मामला हो तो उसके लिये सर्वे की एक प्रक्रिया है और सर्वे उपरांत ही उस पर निर्णय लिया जाता है कि उसको बनाया जाना उचित होगा या नहीं. उसके सर्वे की जहां तक बात है तो उसका सर्वे करा लिया जायेगा और सर्वे में यह पाया जाता है कि उसको बनाया जाना चाहिये तो निश्चित रूप से वह बनेगा.
श्री भैरो सिंह बापू- अध्यक्ष महोदय, इसके लिये मैंने माननीय मुख्यमंत्री जी से भी मांग की थी.
अध्यक्ष महोदय-- भैरो सिंह जी आप प्रश्न कर लो तो उसका जवाब मिल जायेगा.
श्री भैरो सिंह बापू-- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रश्न यह है कि मैंने 12 से 13 सड़क की मांग माननीय मंत्री जी से की थी. लालूखेड़ी से रूपारेल 500 से अधिक की आबादी गांव की है मैं माननीय मंत्री जी से चाहूंगा कि मेरे क्षेत्र की और जिले की एक भी रोड़ इस बजट के अंदर नहीं आई है, जिले को वंचित रखा गया है कम से कम मेरे क्षेत्र को एक सड़क दी जावे .जहां 500 से ज्यादा की आबादी है और उसमे मेरे साथ सत्ता पक्ष के विधायक भी कुछ कहना चाह रहे हैं, वे हाथ खड़ा कर रहे हैं. वे राजगढ़ से हैं उनका भी दुख है.
श्री अमर सिंह यादव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जल संसाधन विभाग की एक योजना बनी थी उसमें धनड़ा गांव को विस्थापित किया गया था. आज दिनांक तक उस गांव में सड़क नहीं बनी है. मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि आज उस सड़क की स्वीकृति मिल जाये.आपका आश्वासन मिल जाये.
अध्यक्ष महोदय- मामा जी के गांव का भी है (हंसी) माननीय मंत्री जी.
श्री राकेश सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मामाजी के गांव की रोड का परीक्षण करा लिया जायेगा.
अन्य पिछडा वर्ग से अनुसूचित जनजातिका दर्जा
[पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण]
11. ( *क्र. 1949 ) श्रीमती सेना महेश पटेल : क्या राज्यमंत्री, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) मध्यप्रदेश में आदिवासी बाहुल्य अलीराजपुर जिले के अलीराजपुर, सोंडवा एवं कट्ठीवाड़ा विकासखण्ड में बड़ी संख्या में निवासरत नायक जाति आदिवासी होने पर भी इन्हें मध्यप्रदेश सरकार पिछड़ा वर्ग क्यों मानती है? (ख) क्या नायक उपजाति अनुसूचित जनजाति का रहन सहन, लोक व्यवहार आदिवासियों के समान है? (ग) क्या मध्यप्रदेश सरकार इनके हालातों को समझने के लिए कोई आयोग या टीम बनाकर इन्हें पिछड़ा वर्ग से निकालकर अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की पहल करने की कोई योजना या प्रस्ताव पर काम कर रही है? अगर हाँ तो अब तक की प्रगति से अवगत करवाएं। (घ) क्या गुजरात शासन की भांति म.प्र. सरकार भी उपजाति नायक को अनुसूचित जनजाति में दर्जा देगा?
राज्यमंत्री, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण ( श्रीमती कृष्णा गौर ) : (क) मध्यप्रदेश शासन, आदिम जाति, हरिजन एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग की अधिसूचना क्रमांक एफ 8-5-पच्चीस-4-84, दिनांक 26.12.1984 से भारत के संविधान के अनुच्छेद 15 (4) एवं 16 (4) में निहित निर्देशों की पूर्ति हेतु राज्य जातियों के नागरिकों के वर्ग का सामाजिक तथा शिक्षात्मक दृष्टि से पिछड़ा वर्ग घोषित किया गया है। अनुसूची के क्रमांक 4 पर नायक सम्मिलित है। मध्यप्रदेश शासन, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की अधिसूचना क्रमांक एफ 23-4-97-चौवन-1, दिनांक 02.04.1997 द्वारा जारी अनुसूची के क्रमांक 4 पर बंजारा, बंजारी, मथुरा, नायक, नायकड़ा, धुरिया, लभाना, लबाना, लामने सम्मिलित है, जिनका परम्परागत व्यवसाय घुम्मकड़ बैलों को हांककर व्यवसाय करने वाली जाति एवं कैफियत में नायक को बंजारा जाति की उपजाति के रूप में सम्मिलित किया है, नायक ब्राम्हण शामिल नहीं हैं, दर्ज है। (ख) से (घ) प्रश्नांश 'क' के परिप्रेक्ष्य में शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्रीमती सेना महेश पटेल -- अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद. मेरा प्रश्न क्रमांक 1949 है.
श्रीमती कृष्णा गौर -- अध्यक्ष महोदय, जवाब पटल पर प्रस्तुत है.
श्रीमती सेना महेश पटेल -- अध्यक्ष महोदय, मेरा पूरक प्रश्न इस प्रकार है कि माननीय मंत्री जी द्वारा मेरे तारांकित प्रश्न क्रमांक 1949, उत्तर दिनांक 17.03.2025 के अंतर्गत् दिये गये प्रश्न के उत्तर में निवेदन है कि पड़ोसी प्रांत गुजरात के अनुसार मध्यप्रदेश में भी उपजाति नायक को अनुसूचित जनजाति में दर्जा दिये जाने संबंधी कोई कार्यवाही करेगा. यदि हां तो कब तक, ताकि मध्यप्रदेश में निवासरत् नायक, नायकड़ा जाति के लोगों को अनुसूचित जनजाति की सुविधाओं का लाभ मिल सके.
श्रीमती कृष्णा गौर -- अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय सदस्या को बताना चाहूंगी कि राज्यों में निवास करने वाली जातियों को भारत सरकार के द्वारा चाहे वह पिछड़ा वर्ग हो, अनुसूचित जाति हो, जनजातियों की अनुसूची में शामिल इस आधार पर नहीं किया जा सकता है कि इस राज्य में यह ओबीसी में है तो दूसरे राज्य में भी ओबीसी में होगी, या इस राज्य में जनजाति की है तो दूसरे राज्य में भी होगी. उस राज्य में उन जातियों की परिस्थितियां, शैक्षणिक, आर्थिक, सामाजिक स्तर पर क्या है, उस आधार पर सर्वे होता है और सर्वे के बाद अनुसूची में वह शामिल होती है. हम इस बात की तुलना नहीं कर सकते कि गुजरात में यह जाति अगर अनुसूचित जनजाति में है तो मध्यप्रदेश में भी अनुसूचित जनजाति में हो, लेकिन मैं यह जरूर बताना चाहूंगी कि वर्ष 1984 में रामजी महाजन आयोग की रिपोर्ट के आधार पर नायक जाति को पिछड़ा वर्ग अनुसूची के क्रमांक 4 पर जाति उपजाति बंजारा, बंजारी, मथुरा, नायकड़ा, धुरिया, लभाना, लबाना, लामने के साथ वर्ष 1984 में शामिल किया गया था. जहां तक बात है इन जाति के लोगों को अनुसूचित जनजाति में शामिल होना है तो उसमें उनको प्रयास करने पड़ेंगे. एक प्रक्रिया है. उसका पालन करना पड़ेगा और उस प्रक्रिया के तहत जाति समूह के प्रस्ताव को मध्यप्रदेश राज्य अनुसूचित जनजातीय आयोग को देना पड़ेगा. उनकी ओर से जनजातीय आयोग को जब प्रस्ताव प्राप्त होगा तो जनजातीय आयोग ट्राइबल रिसर्च इंस्टीट्यूट (टीआरआई) से अभिमत् प्राप्त करेगा. जो सर्वे के आधार पर अभिमत् देगा और ट्राइबल रिसर्च इंस्टीट्यूट के अभिमत् के आधार पर जनजातीय आयोग द्वारा जाति को अनुसूचित जनजाति वर्ग में शामिल करने की अनुसंशा राज्य सरकार, भारत सरकार को करेगी. इस प्रक्रिया का पालन करने के लिये उनको आवेदन करना पड़ेगा, तो निश्चित रूप से उनकी जाति, अनुसूचित जनजाति में शामिल हो जाएगी.
श्रीमती सेना महेश पटेल -- अध्यक्ष महोदय, क्या पूरे मध्यप्रदेश में जो इस प्रकार की जाति है, जैसे धार, झाबुआ, बड़वानी, खरगोन, खंडवा, अलीराजपुर तो क्या इस जाति का सर्वे करवाया जाएगा ?
श्रीमती कृष्णा गौर -- अध्यक्ष महोदय, अगर कोई जाति इस वर्ग से निकलकर दूसरे वर्ग में जाने का प्रस्ताव देती है तो फिर उसका सर्वे होता है, परंतु प्रस्ताव तो जातियों को देना ही पड़ेगा. राज्य शासन अपनी ओर से कोई अध्ययन या सर्वे नहीं करता.
श्री राजन मण्डलोई -- अध्यक्ष महोदय, जो मानकर और नायक जाति है वह इतनी गरीब और इतनी पिछड़ी हुई है और उनमें शिक्षा का स्तर भी बहुत खराब है ऐसी स्थिति में वह लोग कैसे आवेदन कर पाएंगे. शासन अपने स्तर से उस जाति का सर्वे नहीं कर सकती है ?
श्रीमती सेना महेश पटेल -- अध्यक्ष महोदय, यह अन्य राज्यों में भी लागू है. जैसे गुजरात में लागू है, उसी पैटर्न पर हमारे मध्यप्रदेश में भी उसको लागू किया जाए तो उन जातियों को अनुसूचित जनजाति की हर योजना और अधिकार का लाभ मिल सकेगा.
अध्यक्ष महोदय -- मैं समझता हूं कि आपकी भावना अपनी जगह उचित हो सकती है, लेकिन जो प्रक्रिया है उस प्रक्रिया में अपने को नहीं मालूम, उस जाति के लोगों को नहीं मालूम होगा, तो हम शासन से और बाकी सभी जो अपने वरिष्ठ लोग हैं उनसे मश़विरा करके प्रक्रिया के अंतर्गत् जाएंगे तो ही हम इसे सिरे चढ़ा सकते हैं. प्रक्रिया के बाहर सरकार, मंत्री जी सीधे कोई उत्तर दे दें यह कैसे होगा.
श्रीमती सेना महेश पटेल -- अध्यक्ष महोदय, प्रक्रिया के आधार पर ही हम बोल रहे हैं और हम भी प्रक्रिया में ही आना चाहते हैं.
अध्यक्ष महोदय -- अब प्रश्न काल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त)
12.00 बजे शून्यकाल में मौखिक उल्लेख
मण्डला जिले में बैगा जनजाति पर पुलिस द्वारा निर्ममतापूर्वक कार्यवाही की जाना.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- माननीय अध्यक्ष महोदय, 9 मार्च को मण्डला जिले में बैगा जनजाति पर पुलिस ने निर्ममतापूर्वक गोली चला दी है, प्रदेश के आदिवासी असुरक्षित हैं, बैगा जनजाति को पुलिस ने गोली से मार दिया, वहीं पर नक्सलाइट बताकर आदिवासियों को बदनाम किया जा रहा है. हम आपसे अनुरोध करना चाहेंगे कि बैगा जनजाति का.....(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- मेरा आप सभी से आग्रह है कि अभी कार्यवाही को आगे बढ़ने दीजिए. अपना स्थान ग्रहण करिए. उचित समय होगा उस समय मैं आपको अवसर दूंगा. मैं आपको अवसर दूंगा. कृपया बैठ जाइए. (व्यवधान)
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- आप उचित समय का इंतजार कर रहे हैं शासन आदिवासियों का हित नहीं चाह रहा है.
अध्यक्ष महोदय -- उस पर ध्यानाकर्षण आया है, सरकार से जानकारी मंगाई है, समय आने पर मैं आपको अवसर दूंगा. अभी कार्यवाही रिकार्ड में नहीं आ रही है. माननीय देवड़ा जी.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- (XXX)
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को -- (XXX)
डॉ. हिरालाल अलावा -- (XXX)
12.02 बजे गर्भगृह में प्रवेश, नारेबाजी एवं धरना
(मण्डला जिले में बैगा जनजाति पर पुलिस द्वारा की जा रही निर्ममतापूर्वक कार्यवाही पर शासन द्वारा चर्चा न कराए जाने के विरोध में इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा नारेबाजी करते हुए गर्भगृह में प्रवेश एवं धरना दिया गया)
12.03 बजे पत्रों का पटल पर रखा जाना
(1) (क) भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक का स्थानीय निकाय पर प्रतिवेदन 31 मार्च 2022 को समाप्त वर्ष के लिए मध्यप्रदेश शासन 2024 का प्रतिवेदन संख्या-9 (स्थानीय शासन) एवं
(ख) भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक का प्रतिवेदन 31 मार्च, 2022 को समाप्त वर्ष के लिए मध्यप्रदेश शासन 2024 का प्रतिवेदन संख्या-10 (अनुपालन लेखापरीक्षा-सिविल) तथा
(ग) भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक का भवन और अन्य संनिर्माण कर्मकारों के कल्याण पर प्रतिवेदन 31 मार्च, 2022 को समाप्त वर्ष हेतु मध्यप्रदेश शासन 2024 का प्रतिवेदन संख्या-11 (निष्पादन लेखापरीक्षा-सिविल)
(2) मध्यप्रदेश गृह निर्माण एवं अधोसंरचना विकास मंडल का लेखा परीक्षा प्रतिवेदन वर्ष 2020-2021
(3) महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी स्कीम-म.प्र. की वार्षिक रिपोर्ट वर्ष 2023-2024
(4) समग्र शिक्षा अभियान मध्यप्रदेश के वित्तीय वर्ष 2023-2024 का वार्षिक प्रतिवेदन एवं अंकेक्षित लेखे
(5) आयुक्त, नि:शक्तजन, मध्यप्रदेश का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2022-2023 एवं वर्ष 2023-2024
(6) (क) बरकतउल्ला विश्वविद्यालय, भोपाल का 52 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2023-2024
(ख) महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय, उज्जैन का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2023-2024
अध्यक्ष महोदय-- मेरा आप सभी से अनुरोध है कि कृपया अपने-अपने स्थान पर जाइये. जो आपकी चिंता है वह मेरे संज्ञान में है. उचित समय पर मैं आपको बोलने का अवसर दूंगा. कृपया करके अपने स्थान पर जाइये. (व्यवधान)
12.06 बजे नियम 267-क के अधीन विषय
अध्यक्ष महोदय--
(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय-- प्लीज मेरा आप सभी से आग्रह है. सदन नियम एवं प्रक्रिया के हिसाब से चलेगा. आपने अपने विषय को उठाया है. प्लीज आप पहले अपने स्थान पर बैठिये. मैंने बहुत ही स्पष्ट कहा है कि कुल मिलाकर जैसे ही सरकार का जवाब आएगा मैंने ध्यानाकर्षण भेजा है. हम आपको अवसर देंगे. (व्यवधान)
12.08 बजे गर्भगृह में प्रवेश के दौरान बहिर्गमन
(मण्डला जिले में बैगा जनजाति पर पुलिस द्वारा निर्ममतापूर्वक की जा रही कार्यवाही पर शासन द्वारा चर्चा न कराये जाने के विरोध में इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा सदन से बहिर्गमन किया गया)
12.07 बजे ध्यानाकर्षण
जबलपुर जिले के ग्राम टिमरी में हत्याएं होने विषयक
श्री लखन घनघोरिया (जबलपुर पूर्व) --
(व्यवधान)
श्री रामेश्वर शर्मा -- आपके यहां तो कोई संभालने वाला भी नहीं बचा. आप बोल रहे हो और वह उधर चले गये.
श्री प्रहलाद सिंह पटेल--लखन जी के बयान के कारण बहिष्कार हो गया.
श्री रामेश्वर शर्मा -- भैय्या ऐसा बयान मत दिया करो.
राज्यमंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा (श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल)- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय सदस्य ने जो ध्यानाकर्षण लगाया है, उसके लिए सदन को अवगत करवाना चाहूंगा कि
माननीय अध्यक्ष महोदय, यातायात वैकल्पिक मार्ग से सुगम करवाया गया.
अध्यक्ष महोदय- लखन जी क्या आपका कोई पूरक प्रश्न है ?
श्री लखन घनघोरिया- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी मेरे ध्यानाकर्षण के उत्तर में इस संपूर्ण घटना के संदर्भ में जो धारायें लगाई गई हैं 190, 191, 191(2) 191(3), 109 एवं 351(3) का उल्लेख किया है. यदि पुलिस को मौखिक या लिखित शिकायत नहीं की गई होती और पुलिस की लापरवाही नहीं होती तो क्या कारण है कि संबंधित चौकी प्रभारी को तत्काल रूप से निलंबित कर दिया गया, क्या कारण है? कहीं न कहीं पुलिस की लापरवाही है क्योंकि यह मामला जुए की एक फड़ के संबंध में है. चारों मृतकगण और जो दो घायल हैं, वे एक ब्राह्म्ण समुदाय से आते हैं और उस पूरे गांव में वह परिवार, जिसकी अपनी कोई जमीन नहीं है, वे सिकमी में खेती का काम करते थे, जिस खेत को उन्होंने सिकमी में लिया था, वहां जुए की फड़ का संचालन होता था. उसी की शिकायत जब पुलिस से की गई तो स्वाभाविक रूप से आरोपियों के पास इसकी जानकारी पहुंच गई और जानकारी मिली तो उनके ऊपर हमला हो गया, हमला हुआ तो एक ही परिवार के, एक ही समुदाय के चार लोगों की हत्या हुई और दो गंभीर रूप से घायल हैं. इसमें हमारी मांग यह है कि चूंकि एक परिवार है, जिसमें अब कोई वयस्क पुरूष सदस्य बचा ही नहीं है. एक बुजुर्ग पिता है और उनकी उम्र 80 वर्ष है. दो जवान बेटों की हत्या हुई. दो विधवा हैं और दोनों के दो-दो बच्चे हैं. एक तो वह आर्थिक रूप से विपन्न परिवार है, उनके साथ यह घटना कारित हुई है. यहां संवेदनशीलता प्रशासन को दिखाना चाहिए थी, वहां संवेदनशून्यता नजर आई. मेरा आपके माध्यम से, माननीय मंत्री जी से यह आग्रह है कि यदि हम आईपीसी और भारतीय दण्ड संहिता की बात करें तो यह तो नरसंहार है. यदि एक ही समाज के, एक ही परिवार के 6 लोगों के ऊपर हमला हुआ है और 4 की हत्या हुई तो यह नरसंहार है.
अध्यक्ष महोदय - लखन जी, आप प्रश्न कर लें.
श्री लखन घनघोरिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, क्या आप नरसंहार की धारा लगाएंगे ? उसमें स्पष्ट रूप से उल्लेख है, डेमोसाइड कहता है कि एक ही जाति के लोगों की मृत्युकारित करने का समूह द्वारा प्रयास विधि विरुद्ध जमाव के किसी के द्वारा यदि किया जाता है, तो यह नरसंहार की श्रेणी में आता है. क्या आप नरसंहार की धारा लगाएंगे ?
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल - माननीय अध्यक्ष जी, माननीय सदस्य जी ने, स्वयं ने अपनी बात में स्वीकारा है कि यह झगड़ा उस सट्टे को लेकर था, जो जुआ फड़ है. वह स्वयं अपने उद्बोधन में स्वीकार कर रहे हैं, फिर ऐसे में दो समूह के झगड़े को माननीय सदस्य, दो समुदायों का झगड़ा क्यों बताना चाहते हैं ? यह चिन्ता का विषय है क्योंकि जो धाराएं अपराधियों के खिलाफ लगनी चाहिए, वह पूरी धाराएं लगाई गई हैं. हत्या की धारा लगाई गई है, जिसमें कैपिटल पनिशमेंट है, जो सबसे बड़ा पनिशमेंट भारतीय न्याय संहिता के द्वारा होता है, 191, 191 (2) एवं 191 (3) लगाई गई हैं, इसमें समूह के द्वारा दंगे करने का प्रयास होता है. निश्चित रूप से समस्त धाराएं, जो अपराध घटित हुआ है, वह पूरी धाराएं लगाई गई हैं. नरसंहार शब्द का जो माननीय सदस्य उपयोग कर रहे हैं, वह वर्ष 1947 को याद करेंगे, तो शायद पता चलेगा कि नरसंहार क्या होता है ? केवल दो परिवारों या समूहों की लड़ाई, जिसमें राजनीतिक कारण भी शामिल हैं, जिसमें जुआ इत्यादि के अवैध कार्य भी शामिल हैं, ऐसे में, मैं नहीं समझता हूँ कि इस तरह की कोई बात उठाकर दो समुदायों के बीच में वैमनस्यता फैलाना चाहिए. धन्यवाद, माननीय अध्यक्ष जी.
श्री लखन घनघोरिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री महोदय का जवाब एक तरीके से बिल्कुल गैरजिम्मेदाराना है. अपराध कोई भी हो, अपराधकारित कोई भी कर रहा हो, कोई कितना बड़ा व्यक्ति भी हो, यदि अपराध है तो उसकी संवेदना को समझना चाहिए. उस परिवार की संवेदना को समझना चाहिए, यह कहकर कि दो समुदाय का है, तो यह तो संवेदनशीलता की श्रेणी में नहीं आता है. यह निष्ठुरता कहलाती है. किस वर्ग से है, किस वर्ग से नहीं है. लेकिन यदि कोई परिवार जिनका जीवन-यापन उन नौजवानों के ऊपर चलता था, उनके साथ यह घटनाकारित होती है और सरकार ऐसा गोल-मोल जवाब दे, सरकार को संवेदनशील होना चाहिए. हमारा आज ही का प्रश्न था, तारांकित अतारांकित प्रश्न हो गया. इसमें आपका अलग उत्तर है, यही सेम प्रश्न है और जो मंत्री जी उत्तर दे रहे हैं, वह अलग है. (पेपर हाथ में पकड़कर दिखाते हुए) आपको दोनों को पढ़कर सुना दें क्या ? यह उत्तर हमारे पास जो आया है.
अध्यक्ष महोदय - उत्तर सुनाने की जरूरत नहीं है. दूसरा पूरक प्रश्न कर लें.
श्री लखन घनघोरिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, एक तो माननीय मंत्री जी ने इस बात को स्वीकार किया है कि जुआ की फड़ चलती थी, यह हम नहीं, जबलपुर के पूरे अखबार से लेकर सारी चीजें कह रही हैं और जबलपुर के हमारे जो माननीय, सम्माननीय सदस्य हैं, वह भी इस बात को दबे-छिपे स्वीकार करेंगे कि यह एक जघन्य अपराध हुआ है और जब जघन्य अपराध हुआ है तो आप साक्ष्य तो जुटाइये. यदि आप कोर्ट में नहीं चल पाएंगे तो अपने आप बरी हो जाएंगे, लेकिन कम से कम आप संवेदना तो दिखाइये. यदि यह धारा नहीं है, तो फिर इसका डेमोसाइड क्यों है ? आप वर्ष 1947 की बातें कर रहे हैं. आज आप राजा है, आप सरकार हैं. आप न्याय नहीं करेंगे तो कौन करेगा ? हम तो आपसे न्याय की अपेक्षा कर रहे हैं.
लोक निर्माण मंत्री (श्री राकेश सिंह) )- माननीय अध्यक्ष जी, माननीय सदस्य की अगर बात हो जाये तो यह जबलपुर का विषय है. मैं भी इस पर अपनी बात रखना चाहूँगा.
श्री लखन घनघोरिया -- हम तो आपसे न्याय की अपेक्षा कर रहे हैं. न्याय के बगैर आप अपनी जिम्मेदारी से भाग रहे हैं. न तो उसमें..
अध्यक्ष महोदय -- लखन जी, आप प्रश्न कर लीजिए तो मंत्री जी उत्तर दे देंगे.
श्री लखन घनघोरिया -- अध्यक्ष महोदय, आप धारा की गंभीरता को समझें, यदि ये धारा नहीं है तो आप मत लगाइये, वर्ष 1947 की है तो, यदि है तो फिर आप क्यों इसको समझ नहीं रहे हैं.
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जिस धारा की बात माननीय सदस्य कर रहे हैं. वह धारा भारतीय न्याय संहिता में शामिल है, परंतु उसमें यह स्पष्ट उल्लेख है कि जब अपराध जाति, रिलीजन, लेंग्वेज या प्लेस ऑफ बर्थ, इस तरह किसी को निश्चित रूप से उस ध्यान में रखकर लड़ाई की गई हो, जातिगत लड़ाई की गई हो तब उस धारा का लगाना उचित होगा. लेकिन माननीय अध्यक्ष महोदय, ये दो जातियों के बीच की लड़ाई नहीं है, यह दो समूह के बीच की लड़ाई है और बिल्कुल जघन्य अपराध है. सरकार भी इससे बहुत चिंतित है और बहुत संवेदना के साथ इसमें कदम उठा रही है. जो अपराधी हैं, उनके विरुद्ध कठोर कार्यवाही कर रही है और कठोर दण्ड उनको मिले, मैंने पहले भी उल्लेख किया, जो धाराएं लगाई गई हैं, उनमें मृत्युदण्ड तक का प्रावधान है. जब मृत्युदण्ड का प्रावधान है तो उससे बड़ी और कौन सी धारा की उसमें आवश्यकता है.
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- अध्यक्ष जी, मुझे लगता है कि माननीय मंत्री जी ने बहुत स्पष्ट उत्तर दिया है कि जो धाराएं लगी हैं, उनमें मृत्यदण्ड तक का प्रावधान है. अब इससे बड़ी कोई धारा हो नहीं सकती, इसलिए माननीय सदस्य से मेरा निवेदन है कि आप इस विषय को समझें और ऐसा कोई दबाव मंत्री जी के ऊपर न बनाएं जिसका कोई मतलब ही नहीं है.
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्यक्ष जी, मेरे पड़ोस का जिला है और इस घटना को लेकर पूरा महाकौशल और बुंदेलखण्ड आंदोलित रहा है. जगह-जगह प्रदर्शन हुए, धरने भी हुए, जुलूस भी निकले, सभी को जानकारी है, अधिकारी बैठे हैं. अध्यक्ष महोदय, चूँकि माननीय घनघोरिया जी ने कहा है कि निर्धन परिवार है और परिवार में कोई पालक नहीं बचे हैं. जघन्य हत्या तो है ही, अब यह विषयांतर नहीं होना चाहिए, मैं सामाजिक रूप से इतना ही कहना चाहता हूँ कि राज्य सरकार को, हमारे मुख्यमंत्री जी को, हमारे संसदीय कार्य मंत्री जी को, हमारे राज्य मंत्री जी उत्तर दे रहे हैं, मैं यही कहना चाहता हूँ कि चूँकि परिवार अनाथ हो गया है और गंभीर घटना है. एक परिवार के अधिकांश लोग, जो पुरुष वर्ग के थे, वे समाप्त हो चुके हैं, और यदि यह कहा जाए सामाजिक रूप से अलग-अलग, तो दो ही समाज हैं और कोई नहीं हैं, तो इनके लिए कुछ आर्थिक सहायता या फिर ऐसा कि जिसमें उनके शेष जीवन का जीवन यापन हो सके, इसकी व्यवस्था करेंगे तो निश्चित रूप से बहुत अच्छा इसका असर जाएगा.
अध्यक्ष महोदय -- राकेश जी, कुछ कहना चाहते हैं.
लोक निर्माण मंत्री (श्री राकेश सिंह) -- माननीय अध्यक्ष जी, धन्यवाद. चूँकि जबलपुर का विषय है, माननीय सदस्य ने बात रखी है. उत्तर भी माननीय मंत्री जी ने दिया है. इसमें कोई दो मत नहीं है कि घटना बहुत नृशंस है. वास्तव में इसमें जातियों या किसी वर्ग का यह विवाद नहीं है. यह एक तरह से हम कह सकते हैं कि अपराधियों के द्वारा किया गया एक नृशंस कार्य है. मौके पर, जो क्षेत्रीय विधायक हैं, अजय बिश्नोई जी, अभी सदन में नहीं हैं, वे भी वहां पर गए थे. सुशील तिवारी जी, जबलपुर से दूसरे विधायक हैं, वे भी गए थे, मैं स्वयं भी माननीय मुख्यमंत्री जी के निर्देश के उपरांत वहां पर पहुँचा था, दूसरे ही दिन मैं भी वहां पहुँच गया था, उस दिन मैं जबलपुर में नहीं था और पहुँचकर उन सभी से बातचीत की थी. परिवार के लोगों से बातचीत की थी. सारी स्थितियों को समझा था. मुझे लगता है कि कानून ने ठीक तरीके से अपना काम किया है. वहां पर चौकी प्रभारी को वहां से हटाया गया जो माननीय सदस्य कह रहे थे, वह भी ठीक है. लेकिन बाद में जो कुछ भी हुआ है, वह पूरे तौर पर कानून सम्मत हुआ है, जो होना चाहिए था. जो अधिकतम धाराएं लग सकती थीं, वे धाराएं भी लगाई गई हैं. एक और बात, अपराधियों के साथ किसी की भी कोई सहानुभूति नहीं है. लगभग पूरा जिला ही एक था और जो मृतक हैं, उनके साथ, उनके परिवार के लोगों के साथ में सभी की सहानुभूति थी. माननीय मुख्यमंत्री जी ने आर्थिक सहायता की घोषणा भी की थी तो कुल मिलाकर हम कहें तो उसमें जो न्यायोचित कार्यवाही अधिकतम हो सकती थी, वह सारी की सारी कार्यवाही उसमें की गई है और माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी की बात से मैं सहमत हूँ कि इस विषय का यहां पर पटाक्षेप इसलिए होना चाहिए कि कानून सम्मत यहां पर सारी चीजें हुई हैं.
डॉ.अभिलाष पाण्डेय(जबलपुर उत्तर) - माननीय अध्यक्ष जी,चूंकि जबलपुर का विषय है. आदरणीय मंत्री जी ने बताया भी,हम सब लोग भी वहां पर गये थे और निश्चित तौर पर जो घटना हुई है बहुत ही दुखद है और 4 व्यक्तियों की तुरंत ही हत्या हो गई थी और एक व्यक्ति को अस्पताल में मैंने खुद एडमिट कराया था और उसका ईलाज कराया है. माननीय मुख्यमंत्री जी ने तो आर्थिक सहायता की ही है माननीय विश्नोई जी ने भी अपनी तरफ से आर्थिक सहायता की है परिवार चूंकि बहुत ही निर्धन हालत में है तो उनके बच्चों के लिये, सिर्फ उनकी पत्नि और पिता ही बचे हैं तो उन बच्चों की शिक्षा की व्यवस्था हम करा रहे हैं और मुझे लगता है कि यह जो घटना है इसकी जितनी भी निंदा की जाए वह कम है लेकिन प्रशासनिक व्यवस्था की दृष्टि से प्रशासन ने और माननीय मुख्यमंत्री जी ने प्राथमिकता से ध्यान देते हुए बहुत कठोर कदम उठाए हैं और सारे लोग गिरफ्तार होकर जेल के अंदर हैं.
श्री लखन घनघोरिया - अध्यक्ष महोदय, माननीय गोपाल भार्गव जी ने, माननीय राकेश सिंह जी ने और अभिलाष पाण्डेय जी ने भी संवेदना जताई और सबको उस परिवार की आजिविका की चिंता है मैं सदन के माध्यम से इस बात का सरकार से आग्रह करना चाहता हूं कि दो जवान पढ़ी लिखी बहुएं हैं हम मुआवजे की बात नहीं कर रहे,उनके लिये सरकारी नौकरी की व्यवस्था करा दें तो कम से कम उस परिवार का उद्धार हो जायेगा वह परिवार जितने कष्ट में है. छोटे-छोटे बच्चे हैं. पढ़ाने की व्यवस्था तो हम आप कर लेंगे लेकिन उनकी आजीविका जीवन भर कैसे चलेगा मेरा आग्रह है आपके माध्यम से कि हमारे सदस्य संवेदना को समझ रहे हैं पूरा हाऊस समझ रहा होगा इससे सभी सहमत होंगे तो कम से कम सरकारी कोई व्यवस्था हो जाए,आंगनवाड़ी में कहीं हो जाए जिससे वह परिवार चल सके.
अध्यक्ष महोदय - माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी,माननीय सदस्यों की जो संवेदनशीलता से संबंधित जो भावनाएं हैं उनसे मुख्यमंत्री जी को अवगत कराएं.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्यक्ष महोदय, आपके आदेश का पालन होगा.
(2) भोपाल जिले के फंदा में स्वीकृत महाविद्यालय के भवन का निर्माण न होने
श्री रामेश्वर शर्मा (हुजूर) - माननीय अध्यक्ष महोदय,
उच्च शिक्षा मंत्री(श्री इन्दर सिंह परमार) - माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री रामेश्वर शर्मा-- माननीय मंत्री महोदय, आपने जो जानकारी दी है, आप उधर से ही जाते हैं, रास्ता वही है, एक दिन देख लो, प्रत्यक्ष को प्रमाण मिल जायेगा, वह ज्यादा बेहतर है और सवाल है कि वहां आसपास के इलाके की जो बेटियां हैं, ग्रामीण अंचल है, जाने आने की कोई सुविधा नहीं है, गांव के छोटे-छोटे किसान है और उनके पास कोई आर्थिक सुविधा नहीं है कि वह बेटियों को आटो, टेम्पो या कोई गाड़ी विशेषकर के इतनी दूर भेजें और सुरक्षा के भी सवाल रहते हैं, गांव की अपनी मर्यादायें भी रहती हैं. इसलिये आग्रहपूर्वक इसकी स्वीकृति हुई थी, इसलिये वहां पर महाविद्यालय बनाया गया है तो हम आपसे फिर निवेदन कर रहे हैं, प्रार्थना कर रहे हैं कि अभी जो आपका भवन है वह आपने 3 कमरे कैसे बना दिये, ठीक है अब आपने बना दिये तो मैं क्यों उसको केंसिल करूं, मैं तो आपसे हाथ जोड़कर प्रार्थना करता हूं कि एक बार उधर से निकलते जाना और अपने प्राचार्य महोदय से मिलते जाना और दूसरा इस बार 181 लोगों ने आवेदन किये थे, लेकिन कोई बैठने की उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण उन्होंने फीस जमा नहीं की. मेरा फिर आग्रह है कि उचित भवन जो आपने कलेक्टर को आदेश दिये हैं, वह मिल जाये लेकिन जब तक सरकार इस पर विचार करे और नवीन भवन स्वीकृत करने की कृपा करे.
श्री इंदर सिंह परमार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने जो प्रक्रिया है पूरी प्रक्रिया बताई है, मैंने आवंटन की प्रक्रिया बताई है और दूसरा भवन उपलब्ध हो जाये उसके लिये भी हमने कलेक्टर को लिखा है. जहां तक सवाल है उस भवन का वह पुराने विद्यालय का भवन है, उसमें कक्षायें संचालित हैं बीच में उसकी मरम्मत का कार्य भी उच्च शिक्षा विभाग द्वारा किया गया है, लेकिन छात्र संख्या इतनी कम है और नीतिगत रूप से पिछली साल हमने तीन साल से ज्यादा यह महाविद्यालय संचालित है और 100 से भी कम छात्र संख्या है, उनको बंद करने का हमने निर्णय किया है, क्योंकि इसमें 3 साल पूरे नहीं हुये थे, इसलिये भी मेरा यह निवेदन है माननीय विधायक जी से कि अगले सत्र से वहां 100 से अधिक छात्र संख्या करेंगे तो मैं समझता हूं कि वहां स्थाई रूप से महाविद्यालय स्थापित करने में सुविधा होगी.
अध्यक्ष महोदय-- और कुछ, मुझे लगता है रामेश्वर जी इसका पटाक्षेप यहीं कर दो, अबकी मंत्री जी जायेंगे तो आपको साथ लेकर देख लेंगे. ठीक है न.
श्री रामेश्वर शर्मा-- अध्यक्ष महोदय ठीक है.
12.32 बजे याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय-- आज की कार्यसूची में उल्लेखित सभी याचिकाएं प्रस्तुत हुई मानी जायेंगी.
12.33 बजे 5. शासकीय विधि विषयक कार्य
मध्यप्रदेश
नगर तथा ग्राम
निवेश
(संशोधन)
विधेयक 2025 का
पुर:स्थापन
12.24 बजे अध्यक्षीय घोषणा
लघु फिल्म छाबा नायक का प्रस्तुतिकरण एवं होली मिलन समारोह.
अध्यक्ष महोदय-- दो सूचनायें आप सब लोगों को देना चाहता हूं एक तो आज शाम 7 से 7.30 तक लघु फिल्म छावा नायक इसका प्रस्तुतिकरण अशोका लेकव्यू होटल में किया जा रहा है. इस अवसर पर माननीय मुख्यमंत्री जी की ओर से सभी सदस्यों को आमंत्रित किया गया है. नियत समय पर हम लोग पहुंचें ऐसा अनुरोध है.
दूसरी सूचना 20 तारीख की शाम को 7 बजे सभी विधायक जो पास में ही विधानसभा परिसर में सभागार है, वहां पर होली मिलन कार्यक्रम आयोजित किया गया है, भोजन भी होगा, आप सब लोग सदन की कार्यवाही के पश्चात् होली मिलन के कार्यक्रम में भी 20 तारीख को उपस्थित रहने का कष्ट करें.
12.36 वर्ष 2025-26 के आय व्ययक पर सामान्य चर्चा.......(क्रमश:)
अध्यक्ष महोदय -- अब, वर्ष 2025-26 के आय व्ययक पर सामान्य चर्चा का पुनर्ग्रहण होगा.
श्री गोपाल भार्गव (रेहली) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, बजट पर भाषण की शुरूआत आपकी अनुमति से की गई थी, आपने फिर बीच में छुट्टी कर दी थी, तब थोड़ी सी बात मैं कह पाया था. आज मैं फिर उपमुख्यमंत्री श्री जगदीश देवड़ा जी के द्वारा सदन में जो बजट प्रस्तुत किया गया है, इसका मैं समर्थन करता हूं और इसके समर्थन में मैं बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं.
अध्यक्ष महोदय, इस बार के बजट की विशेषता यह है कि जहां एक ओर हमने बजट का आकार बढ़ाया है, हर विभाग में डेव्हलपमेंट के भाग हों, समाज कल्याण के भाग हों, कोई भी भाग हों, पर्याप्त राशि की वृद्धि की गई है और बजट का आकार बढ़ा है. इसके साथ एक दूसरा पहलू यह है जो बहुत कम बजट भाषणों में है और जब मैंने रिफरेंस सेक्शन में देखा तो एक आध्यात्मिक पक्ष के लिये भी इस बजट में पूरी तरह से छुआ गया है और उसके लिये बजट में प्रावधान किया गया है, जो कि बहुत प्रशंसनीय भी है. हमारी धरोहरें हैं, हमारा पुराणिक और समृद्ध इतिहास है, हमारी संस्कृति है और सनातन संस्कृति के संवर्धन के लिये जो नई पीढ़ी उसको विस्मृत करती जा रही है, उसके लिये पुन: स्मरण कराने के लिये जो बजट में प्रावधान किये गये हैं, वह निश्चित रूप से प्रशंसनीय हैं और मैं इसके लिये अपने मुख्यमंत्री जी के लिये, मंत्री परिषद के लिये और वित्तमंत्री जी के लिये धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने यह एक अच्छा बजट बनाया है. श्री कृष्ण पाथेय योजना में हमारे उज्जैन में जहां भगवान कृष्ण जी ने संदीपनी जी के आश्रम में शिक्षा प्राप्त की थी, वहां श्री कृष्ण पाथेय योजना के लिये दस करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है. अध्यक्ष महोदय गीता भवन के लिये भी प्रावधान है, भगवान ने कहा है कि
''कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
अध्यक्ष महोदय, बिना कर्म के कुछ प्राप्त नहीं होता है और यह स्थापित किया है, इस बजट ने भी और इसमें आंवटित राशि ने भी. अध्यक्ष महोदय, हमारी सरकार ने वृंदावन ग्राम योजना शुरू की, सौ करोड़ रूपये का प्रावधान वृंदावन ग्राम योजना के लिये प्रावधानित किया गया है, कहते है ''वृंदावन बसबो भलो जहां बसें बृजलाल'' और ''गौ-रस बेचत हरि मिले एक पंथ दो काज'' ऐसे वृंदावन के जहां जहां भगवान के पग पड़े हैं, वहां-वहां वृंदावन हो गया है और एक बार वृंदावन ग्राम की कल्पना, गोकुल ग्राम की कल्पना गौर जी ने की थी, अब मोहन जी ने भी वृंदावन ग्राम की कल्पना की है.
निश्चित रूप से 100 करोड़ रूपये का प्रावधान वृंदावन ग्राम योजना के लिये है इसके लिये धन्यवाद दूंगा. रामपथ गमन की ओर चित्रकूट में भगवान रामजी ने 12 वर्ष तक बनवास काटा है. ऐसे स्थान के विकास की कल्पना करके उसमें राशि का प्रावधान करते हैं तो हम मानकर के चलते हैं कि भगवान जी के प्रति हमारी यह छोटी सी अल्प राशि और हमारा समर्पण है. चित्रकूट एक महत्वपूर्ण स्थान है मैं यह मानकर के चलता हूं जितना महत्वपूर्ण अयोध्या, जितना महत्वपूर्ण मथुरा, गोकुल, वृंदावन, प्रयागराज है, उतना ही महत्वपूर्ण हमारे राज्य का चित्रकूट स्थान है. हमेशा कहा जाता है कि चित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीड़ और तुलसीदास चंदन घिसे, तिलक करत् रघुवीर, बोलिये कांतानाथ भगवान जी की जय.
12.41 बजे अध्यक्षीय घोषणा
आज भोजनावकाश नहीं होगा. भोजन की उपलब्धता है. सभी सदस्य अपनी सुविधानुसार भोजन ग्रहण कर सकते हैं.
12.42 बजे (6) वर्ष 2025-2026 के आय-व्ययक पर सामान्य चर्चा... (क्रमशः)
श्री गोपाल भार्गव—अध्यक्ष महोदय, आजकल साम्प्रदायिक बातें बहुत होती हैं, जाति की बातें बहुत होती हैं. अब्दुल रहीम खान खाना साहब जो अकबर बादशाह के दरबारी थे, योद्धा भी थे. उन्होंने भी लिखा है कि चित्रकूट में रम रहे रहीमन अवध नरेश जापर विपदा परत है सोहापति यह देश , ऐसे चित्रकूट में जो विपत्ति के मारे वह श्रेष्ठ स्थान बताया है. रामचरित्र मानस में भी लिखा है कि
चित्रकूट
गिरि करहु
निवासू। तहँतुम्हारसब
भाँति
सुपासू॥
सैलु
सुहावन कानन चारू।
करि केहरि मृग
बिहग
बिहारू॥॥
अध्यक्ष महोदय, अब आप रामजी से द्रोह करके उसमें कहा गया है कि कितने भी आपके मित्र हों, कितने ही स्नेही हों, लेकिन जिनके प्रिय राम जी एवं सीता जी नहीं हैं उनके लिये शत्रुओं के माफिक आप छोड़ दो. यह कहा गया है कि रामचरित्र मानस में. सिंहस्थ के लिये प्रावधान हुआ 2 हजार करोड़ रूपये का, ओंकारेश्वर में जहां कथानक है, शिव जी रात्रि में आकर के विश्राम किया करते थे. ऐसे हमारी धरोहरों के लिये फिर से पुनर्जीवित करने का काम जहां राजा मानदाता जी ने तपस्या की वहां पर आदि शंकराचार्य की गुफा भी है. ऐसे हमारे ओंकारेश्वर स्थान का विकास हो रहा है. नर्मदा पथ की बात तो हो ही चुकी है.
12.44 बजे { सभापति महोदय (डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय) पीठासीन हुए।
सभापति महोदय, इसके अलावा गौसेवा के लिये गौ का महत्व कैसे बढ़े. उसको लाभकारी बनाया जाये. हमारी सरकार ने 5 रूपया प्रति लिटर के बोनस निश्चित किया है कि हम जो मूल्य रहेगा उसके अलावा 5 रूपया प्रति लिटर के हिसाब से हम बोनस देंगे. इसका प्रावधान किया गया है अध्यक्ष महोदय. गौवंश के आहार के लिये 20 रूपये से बढ़ाकर के 40 रूपया कर दिया गया है. यह गाय माता के प्रति हमारा समर्पण का प्रतीक है. गाय हमारे लिये सिर्फ पशु नहीं है. हम गऊ लोक की कल्पना करते हैं. हमारी संस्कृति में, गऊ पुराण में भी इस बात का उल्लेख किया गया है कि जब किसी की मृत्यु होती है तो हमारे यहां पर गऊदान की भी प्रक्रिया है. व्यक्ति कितना भी पापी क्यों ना हो, दुष्ट क्यों ना हो, अधर्मी क्यों ना हो, लेकिन यदि उसकी मृत्यु होती है. उसके बाद उसके परिवारजन कोई गऊ का दान करते हैं तथा बछिया का दान करते हैं तो यह माना जाता है कि वह गऊ लोक का अधिकारी हो जाता है और जीवन भर के उसके तमाम जितने भी पाप हैं, वह मिट जाते हैं. गरूड़ पुराण में यह भी कहा गया है कि गाय के खुरों की जो धूल है जब वह व्यक्ति पर पड़ती है तो सहस्त्रों पवित्र स्थानों के बराबर जो स्नान होते हैं, उनके बराबर माना जाता है. अनेक प्रसंग हैं जिनके बारे में स्कन्द पुराण, पदम पुराण, भविष्य पुराण, ब्रम्हांड पुराण में कहा गया है. सबमें गाय की महिमा के बारे में मैंने अभी दो-तीन दिन में अध्ययन किया. यह विषय बड़ा व्यापक हो जाएगा लेकिन मैं कहना चाहता हॅूं कि इन विषयों के लिए शायद पहले के बजट में कभी कोई प्रावधान किए गए हों, तो बहुत ज्यादा व्यापक नहीं मिलते, लेकिन इन विषयों को लिया गया है. मैं धन्यवाद दूंगा कि आपने हमारी संस्कृति के संरक्षण के लिए बहुत अच्छी शुरूआत की है.
माननीय सभापति महोदय, विकास के बारे में जब हम चर्चा करते हैं, कोई व्यक्ति कह सकता है कि मध्यप्रदेश के प्रति व्यक्ति की आमदनी 17 गुनी वृद्धि कर दी. आमदनी में 17गुनी वृद्धि मामूली बात नहीं होती और उसके बाद कोई नया टैक्स भी नहीं लगाया गया है. यह लगातार हमारी सरकार का दूसरा वर्ष है जबकि एक भी नया टैक्स नहीं लगाया गया है. 20-30 साल पहले और भी सरकारें थीं, मैं देखता था कि पेट्रोल, डीजल पर या तमाम चीजों पर टैक्स लगाया गया था. मुझे स्मरण आ रहा है कि मैं नेता-प्रतिपक्ष था. उस समय श्री तरूण कुमार भनोत जी वित्त मंत्री थे. जब बजट सत्र की सूचना हो जाती है तो उसके बाद सामान्यत: कोई करारोपण नहीं किया जाता, लेकिन उन्होंने बजट सत्र की सूचना के बाद भी और बजट सत्र शुरू होने के 2-3 दिन पहले पेट्रोल और डीजल पर टैक्स लगा दिया था. तब मैंने उस समय उनसे कहा था कि आप यह नियम विरूद्ध काम कर रहे हैं. हमारा जो संविधान है या हमारी जो परंपरा है, हमें इस बात की अनुमति नहीं देती लेकिन जो गति होना थी, वह हुई.
सभापति महोदय, अभी मैंने धार्मिक स्थानों की बात की. जब प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन हुआ, तो यह बताते हैं कि लगभग 3 लाख करोड़ का व्यापार हुआ, लाभ हुआ और पढ़ने में यह भी आता है कि किसी व्यक्ति ने, जिसके पास नावें थीं, उसने करोड़ों रूपए कमाए, तो यह जो हमारा धार्मिक क्षेत्रों का पुनर्जीवन है इन सबके कारण से भी रोजगार मिलता है. जब हम रोजगार की बात करते हैं, तो यह बहुआयामी है. यह रोजगार शब्द बड़ा व्यापक है. कोई आवश्यक नहीं है कि सभी लोगों को नौकरियां मिले. लेकिन जहां हम इतने स्थानों पर काम करते हैं, आज उज्जैन में ही देखिए. अभी रिपोर्ट थी कि 8 करोड़ लोगों ने इस साल उज्जैन का भ्रमण किया, दर्शन किए, तो उज्जैन में भ्रमण के लिए देवास की तरफ से गए होंगे, इंदौर की तरफ से गए होंगे. रतलाम से गए होंगे. विभिन्न जगहों से लोग दर्शन करने आए होंगे, तो होटलों का व्यवसाय, दुकानों का व्यवसाय, तमाम प्रकार के जो लोग इससे जुडे़ होते हैं, उनके लिए रोजगार मिलता है तो कभी-कभी यह बात आती है कि इतना व्यय क्यों कर रहे हैं. यह सारी बातें है तो यह भी रोजगार का विषय होता है. रोजगार इससे मिलता है.
सभापति महोदय, बजट का आकार इसलिए बढ़ा कि डबल इंजन की सरकार है. 1 लाख करोड़ रूपए से ज्यादा की राशि भारत सरकार मध्यप्रदेश के लिए देने वाली है. मैं मानकर चलता हॅूं कि यदि यहां डबल इंजन की सरकार नहीं होती, तो शायद इतनी राशि उपलब्ध नहीं हो पाती. इसके लिए मैं भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को धन्यवाद दूंगा कि उन्होंने हमारे राज्य के लिए विशेष कृपा करके अलग से भी कुछ राशि की व्यवस्था की. यह हमारे एक अच्छे वित्तीय प्रबंधन के कारण ही संभव हो पाया कि हमें इसकी अनुमति मिली.
सभापति महोदय, अधोसंरचना के क्षेत्र में, मुख्यत: जिसमें ऊर्जा, पीएचई, इरीगेशन लोक निर्माण एवं नर्मदा घाटी विकास विभाग शामिल है. तो अधोसंरचना के क्षेत्र के अंतर्गत 70515 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 32 परसेंट से अधिक प्रावधान किया गया है. (मेजों की थपथपाहट)
सभापति महोदय, ऊर्जा के क्षेत्र में प्रधानमंत्री कृषक मित्र सूर्य योजना के अंतर्गत 447 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. अटल गृह ज्योति योजना के अंतर्गत 7132 करोड़ रुपये का प्रावधान, विद्युत वितरण कंपनियों के ऋणों के अधिग्रहण के अंतर्गत 5000 करोड़ रुपये का प्रावधान और भी टैरिफ अनुदान के अंतर्गत 1296 करोड़ रुपये का प्रावधान, उपकर अधिनियम के अंतर्गत 1982 के अंतर्गत 800 करोड़ रुपये का प्रावधान, पारेषण और विद्युत प्रणाली के सुधार एवं सुदृढ़ीकरण करने के लिए 450 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है तो ऊर्जा के क्षेत्र में हमने काफी काम किया है. पहले जब हम 3000-3500 मेगावाट ऊर्जा का उत्पादन करते थे, आज मुझे यह कहते हुए प्रसन्नता है कि लगभग हम यहां पर मध्यप्रदेश में 24000 मेगावाट का उत्पादन कर रहे हैं. इसमें वृद्धि की भी अनेक संभावनाएं हैं. ऊर्जा की चर्चा करेंगे तो काफी लम्बी हो जाएगी लेकिन सबसे मुख्य बात यह है कि हमारे मध्यप्रदेश के पंप कनेक्शन लेने वाले जो किसान हैं, उनके लिए 5 रुपये प्रति कनेक्शन की दर से प्रावधान किया गया है. यह अपने आप में देश में अद्भुत उदाहरण होगा. 5 रुपये में टेम्परेरी कनेक्शन, परमानेंट कर दिया जाएगा.
श्री भंवरसिंह शेखावत - सभापति महोदय, 5 रुपये सिर्फ फार्म की कीमत है बाकी पूरा पैसा वैसे ही लिया जा रहा है. 5 रुपये में कनेक्शन नहीं हो रहा है, यह पता नहीं कहां से आइटम उठाकर लाये हैं.
श्री गोपाल भार्गव - सभापति महोदय, इसको मुख्यमंत्री जी ने आपके लिए ,सदन के लिए बहुत ही व्यापक रूप से और बहुत ही विस्तृत रूप से बताया था कि 5 रुपये का अर्थ क्या है, 5 रुपये किस बात के लिए प्रावधानित किये गये हैं. उन्होंने यही कहा था कि जो परमानेंट कनेक्शन हैं, उनके लिए अब कनेक्शन लेने की आवश्यकता ही नहीं है. लेकिन जो हर साल पैसा भरते थे, कभी रबी की फसल के लिए, कभी किसी दूसरी फसल के लिए 3 हार्स पावर, 5 हार्स पावर का कनेक्शन लेते थे, उनके लिए 5 रुपये में अब सीधा कनेक्शन मिलेगा. मैं मानकर चलता हूं कि यह बड़ी बात है. पहले 3-3, 4-4 हजार रुपये एक टेम्परेरी कनेक्शन के लिए लिये जाते थे. इसमें भी कुछ भीतरी गड़बड़ी भी होती थी. वह यह सारी की सारी बंद हो जाएगी. सारे प्रदेश में यह मैसेज हो गया कि किसानों के लिए 5 रुपये में कनेक्शन मिल रहा है.
पीएचई में 10297 करोड़ रुपये के प्रावधान थे, जिन्हें 95 परसेंट बढ़ाकर 20003 करोड़ रुपया किया गया है. पीएचई में 10 हजार करोड़ रुपये से 20 हजार करोड़ रुपया वह समय निकल गया, जब कुएं पर, बावडियों पर, नदियों में, झरनों में अनेकों स्थानों से हमारे यहां पानी होता था, जब मैं छोटा था वहां जाता था. उसके बाद धीरे धीरे हैंडपंप शुरू हुए. अब हैंडपंप के यहां पर भी हमारी महिलाओं, बहनों को नहीं जाना पड़ेगा. उनकी यह मजबूरी व्यवस्था भी खत्म हो गई है. अब हमारे लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग और जल निगम ने तो तेजी के साथ में राज्य में काम शुरू किया है, उसके लिए जो अतिरिक्त राशि की आवश्यकता थी, पहले भी सत्र में शायद बात हुई थी कि पीएचई में राशि की व्यवस्था नहीं है और उसके कारण से काम आगे नहीं बढ़ पा रहा है. इस राशि को लगभग दोगुना कर दिया गया है. इसमें 95 परसेंट की वृद्धि हुई है. मुझे लगता है कि मध्यप्रदेश के सभी 52 हजार गांव में और 23 हजार पंचायतों में अब किसी महिला के लिए, हमारी बहन के लिए, हमारी बेटी के लिए कहीं अब कुएं से पानी लेने के लिए, नदी से पानी लेने के लिए या जो भी स्रोत हों, उनसे पानी लेने के लिए उनको अपने सिर पर गागर रखकर नहीं जाना पड़ेगा. चूंकि मैं ग्रामीण क्षेत्र से आता हूं. मैंने यह देखा है, यह सच्चाई है कि जिस गांव में पानी का अभाव होता था, या सड़कें नहीं होती थीं, कच्ची सड़कें नहीं होती थी, सावन के महीने में जब किसी बहू बेटी को लोग लेने के लिए जाते थे, भेजने जाते थे, 10-15 कि.मी. पैदल चलते थे. यह स्थिति थी.
सड़कें नहीं थी, पेयजल की व्यवस्था भी नहीं. सभापति महोदय, ऐसे भी गांव देखें हैं, जहां गांव की आबादी 2000 है, वहां पर 50-60 गांव में जब मैं घूमता था तो उन्होंने कहा कि हमारा लड़के के लिये कोई लड़की देखो कोई लड़की मिल जाये,इस लड़के की उम्र 35 साल हो गयी. इसके लिये बहु नहीं मिल रही है. यह सच्चाई है. खासकर के हमारे बुन्देलखण्ड के इलाके में यह सच्चाई है कि कम से कम 10-15 प्रतिशत लोग अविवाहित रह जाते थे, सिर्फ इस कारण से की उनके घरों तक पानी की व्यवस्था नहीं थी, बल्कि गांव में पानी की व्यवस्था नहीं थी, वहां पर धीरे-धीरे सुधार हुआ और आज हम बेहतर स्थिति में हैं.
श्री उमाकांत शर्मा- मुझे 62 साल से नहीं मिली
सभापति महोदय- माननीय भार्गव जी को बड़ा लंबा अनुभव हैं.
श्री गोपाल भार्गव- अब यह अलग-अलग कारण हैं.
श्री बाला बच्चन- उन्होंने आपके पूरे तर्क को फेल कर दिया है. बताओ उनको क्यों नहीं मिली, किस कारण से नहीं मिली, क्या उनके यहां भी पानी की कमी थी क्या ?
श्री गोपाल भार्गव- बच्चन भाई, सबके अलग-अलग कारण होते हैं. इसलिये हम कहते हैं, किसको मिला क्या यह मुकद्दर की बात है. तो देने वाले तुने तो सब कुछ ही है दिया, किसको मिला है यह मुकद्दर की बात है तो यह भी है, किसी की इच्छा है तो ना करें. अब पंडित जी आपका कारण क्या है, मुझे नहीं मालूम है. यदि उस समय, आप तो मुझसे छोटे हैं. आप कारण पहले बता देते तो शायद में आपकी मदद भी कर देता. वह मेरे निकटवर्ती रिश्तेदार हैं. हांलाकि हम लोगों के स्वभाव में बड़ा अंतर है. आप दुर्वाशा के प्रतिरूप हैं.
सभापति महोदय, जल-जीवन मिशन में तो नेशनल रूलर ड्रीकिंग वॉटर स्कीम के अंतर्गत 17 हजार, 136 रूपये का प्रावधान, प्रशासन के लिये 735 करोड़ रूपये का प्रावधान, पेयजल योजनाओं का जल निगम द्वारा क्रियान्वयन के अंतर्गत 698 करोड़ रूपये का प्रावधान और भी सिंचाई पेयजल योजना का, सौर ऊर्जीकरण के अंतर्गत 356 करोड़ का प्रावधान, यह सब पी.एच.ई विभाग क अलग-अलग कंपोनेंट हैं.
सभापति महोदय, जल संसाधन, जल संसाधन में भी 7 हजार, 248 करोड़ रूपये का प्रावधान और इस साल इसे बढ़ाकर 27 प्रतिशत बढ़ाकर 9 हजार, 196 करोड़ का प्रावधान किया गया है. बांध तथा संलग्न कार्य के अंतर्गत 3 हजार 930 करोड़ का प्रावधान किया गया है. नहर तथा उससे संबंधित निर्माण कार्यों के लिये 1 हजार, 61 करोड़ का, स्थापना के 1225 करोड़ का और केन-बेतवा लिंक राष्ट्रीय परियोजना के अभी इनिशियल 700 करोड़ रूपये का प्रावधान, इस बजट में किया गया है.
लघु सिंचाई योजनाओं के अंतर्गत 501 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है और लगातार इसमें बांध, नहरों के लिये और उनके अनुरक्षण के लिये , सुदृढीकरण के लिये जो प्रावधान किये गये हैं, वह निश्चित रूप से यह अभूतपूर्व इस बजट में, जो पिछले बजट में संभावित नहीं हो पाये थे उनका प्रावधान हुआ है. लोक निर्माण विभाग में हमारे पिछले वर्ष 10 हजार, 175 करोड़ के प्रावधान थे, जिन्हें 34 प्रतिशत बढ़ाकर 13 हजार, 643 करोड़ किया गया है.
सभापति महोदय, वह मध्यप्रदेश जो कभी खराब सड़कों के लिये जाना जाता था. हम जाते थे तो हर चौथे-पांचवें मिलोमीटर हमें पंचर की दुकानें मिलती थी, यह हमारे सभी सदस्यों ने देखा होगा. अब 100-100 किलोमीटर तक हमें पंचर की दुकानें नहीं मिलती है. अब पंचर वालों का पूरा काम ही पंचर हो गया है. अच्छी सड़कें हों, अच्छे वाहन हों, तो मैं यह मानकर चलता हूं कि वह बहुत ईमानदार है. इससे फ्यूल भी कम लगता है, समय भी कम लगता है. थकान भी कम होती है. वास्तव में यदि विकास शब्द की कोई परिभाषा होती है, तो उसमें मुख्य कारण जो होता है, वह होता है सड़कें. सड़कें यदि किसी राज्य की बेहतर हैं, तो हम मानकर चलते हैं कि उसमें 70 प्रतिशत योगदान सबसे ज्यादा विकास में सड़कों का होता है. सड़कों पर बसें और ट्रक अब मिलते नहीं हैं. जब हमारी सागर से भोपाल की सड़क खराब होती थी, तो हम लोगों ने ट्रेन से आना शुरु कर दिया था. सागर से बीना आते थे, हम 4-5 विधायक बैठकर. फिर हम बीना से सागर आते थे. भारत टाकीज के यहां उतर कर फिर सीधे आते थे. यह स्थिति थी उस समय. इस दुरावस्था से हमें मुक्ति मिली है. अब हम यहां से जाते हैं, तो 3-3.30 घण्टे में घर पहुंच जाते हैं. पहले तो यही नहीं पता था कि जल्दी जल्दी वहां से आये तो हमारा प्रश्नकाल निकल गया. तो आज मैं कह सकता हूं इस बात को कि चाहे सीआरएफ से बने, चाहे स्टेट फण्ड से बने, चाहे वह एमडीआर से बने, चाहे कोई से भी बने..
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह—गोपाल जी, एक मिनट. यह भी बता दीजिये कि सदन पहले ज्यादा चलता था कि अब चलता है. जब खराब सड़कें थीं, तो ज्यादा चलता था या अच्छी सड़कें हो गईं, अब चलता है, यह भी बता दीजिये.
श्री गोपाल भर्गव-- सभापति महोदय, आप तो बहुत वरिष्ठ सदस्य हैं. आपने दोनों युग, समय देखे हैं और सड़कों के कारण से सदन की उपस्थिति या सदन की उपस्थिति के कारण सड़कें, मैं इसको जोड़कर नहीं चलता हूं. जिनको आना होता है, वह आते हैं. उपस्थिति या कार्य दिवस जो भी आप कह लें. सड़कों का इसमें कहीं किसी भी प्रकार की कोई व्यवस्था नहीं होती है. ग्रामीण और अन्य जिला मार्गों के लिये 2500 करोड़ रुपये का प्रावधान हुआ है. एनडीवी के अन्तर्गत 1450 करोड़ का प्रावधान हुआ है. एडीबी के अंतर्गत 1315 करोड़ रुपये का प्रावधान हुआ है. सीआरएफ के अंतर्गत 1150 करोड़ रुपये का प्रावधान हुआ है. बड़े पुलों के निर्माण के लिये 1 हजार करोड़ का प्रावधान, सड़कों के सुदृढ़ीकरण के लिये 1 हजार करोड़ का प्रावधान, अनुरक्षण और मरम्मत संधारण के अंतर्गत 836 करोड़ का प्रावधान, एनयूटी के अंतर्गत 825 करोड़ रुपये का प्रावधान,सड़क एवं सेतू हेतु संधारण ,मेंटेनेंस के काम के लिये 525 करोड़ रुपये का प्रावधान हुआ है. कुल मिलाकर मैं कह सकता हूं कि पहली बार लोक निर्माण विभाग के लिये इतनी राशि उपलब्ध कराई गई है. जो हम सब के लिये एक उल्लेखनीय बात है. पहले होता था बाजू की सड़कें यूपी, महाराष्ट्र, गुजरात की अच्छी हैं. मैं कह सकता हूं कि हमारे आजू बाजू के राज्यों से अब मध्यप्रदेश की सड़कें और ज्यादा बेहतर हो चुकी हैं. हम इसके लिये सभी लोग आते जाते रहते हैं और उसके लिये मैं वित्त मंत्री जी एवं मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देता हूं. कृषि क्षेत्र में, मुझे स्मरण है कि भारत में कृषि उत्पादन इतना कम था, जब मैं पढ़ता था, उसके बाद की बात है, किशोर अवस्था थी. एक एग्रीमेंट हुआ था यूएसए के साथ में शायद उस समय प्रेसीडेंट रोनाल्ड रीगन थे या कोई और थे, ठीक से मुझे स्मरण नहीं है. पीएल 480 जो करार नामा हुआ था हमारा, जिसमें वह लाल गेहूं अमेरिका और आस्ट्रेलिया से भारत आता था. हम गेहूं के मामले में भी आत्म निर्भर नहीं थे.लेकिन आज हम यह सकते हैं कि कृषि के क्षेत्र में जो राज्य ने अभूतपूर्व वृद्धि की है. अभूतपूर्व उत्पादन हुआ है. पंजाब और हरियाणा से हम कहीं पीछे नहीं हैं. पिछले वर्ष में हमने यह देखा है कि हमने पंजाब को भी उपार्जन के मामले में पीछे छोड़ दिया. हमने पड़ोस के राज्यों को पीछे छोड़ दिया. यह एक उल्लेखनीय बात है कि अब हम वह जो पीएल 480 का करारनामा था, वह नेहरु जी के समय हुआ था शायद. उस समय हम जितना भी खाद्यान्न होता था, वह बाहर से बुलाते थे, आपकी सरकार के समय आपको याद होगा. इंदिरा जी थीं. खैर कोई भी हो लेकिन मुझे याद है वह जो लाल गेहूं आता था, उसे यदि रख देते थे तो भैसें और गाय भी उसे नहीं खाती थीं. इतना बेकार गेहूं आया करता था, लेकिन आज शरबती गेहूं शानदार से शानदार गेहूं, जो लगातार एक्सपोर्ट हो रहा है और देश की अर्थव्यवस्था में बहुत बड़ा योगदान दे रहा है.
श्री कैलाश कुशवाहा -- सभापति महोदय, आपने बोला कि गेहूं इतना अच्छा आ रहा है, लेकिन मैं यह कहना चाहता हूं कि किसानों के लिये नहीं है वह सिर्फ व्यापारियों के लिये है. सील लग जाती है चार गुना हो जाता है.
श्री आशीष गोविंद शर्मा -- सभापति महोदय, प्रदेश के करोड़ों उपभोक्ताओं को वही गेहूं दे रहे हैं जो किसान से उपार्जित कर रहे हैं.
श्री दिलीप सिंह परिहार -- सभापति महोदय, मालवा का गेहूं तो बिल्कुल प्रसिद्ध है साहब.
श्री गोपाल भार्गव -- सभापति महोदय, यह किसानों के लिये भी है, गरीबों के लिये भी है. माननीय सदस्य जो कह रहे हैं मैं इस बात से इत्तेफाक नहीं रखता हूं. माननीय मुख्यमंत्री जी ने अपने भाषण में कहा, वित्तमंत्री जी ने भी कहा. माननीय सदस्य टटोलकर देखें एक करोड़ से ज्यादा लोग मध्यप्रदेश में मुफ्त का अनाज ले रहे हैं. हमारे किसानों के लिये 2,600 रुपये से ज्यादा समर्थन मूल्य की राशि 175 रुपये मय बोनस के दे रहे हैं. बाजार रेट से भी ज्यादा आज की तारीख में बाजार रेट 2,400 रुपये चल रहा है लेकिन उपार्जन का रेट 2,600 रुपये हो गया. इससे बड़ी उपलब्धि क्या हो सकती है. पूरे देश में तो 80 करोड़ लोगों को नि:शुल्क खिलाया जा रहा है, लेकिन हमारे राज्य में भी एक करोड़ से ज्यादा इसके उपभोक्ता हैं.
श्री महेश परमार -- सभापति महोदय, बिहार और उत्तरप्रदेश से पहले पायदान पर गरीबी में मध्यप्रदेश आ गया है. गरीबी में मध्यप्रदेश देश में नंबर वन पर है.
श्री रामेश्वर शर्मा -- सभापति महोदय, यह जो गरीबों को गेहूं, चावल मिल रहा है इससे आपको परेशानी हो रही है. गरीबों को, अनुसूचित जाति को, अनुसूचित जनजाति को गेहूं, चावल मिल रहा है तो आपको परेशानी हो रही है.
श्री विजय रेवनाथ चौरे -- भार्गव जी, मनरेगा का अधिकार कांग्रेस ने दिया था.
श्री महेश परमार -- सभापति महोदय, उनको यह अधिकार डॉ. मनमोहन सिंह जी ने दिया था. गरीबी रेखा में मध्यप्रदेश पहले नंबर पर है.
श्री दिनेश गुर्जर -- सभापति महोदय, कांग्रेस ने गरीबों का उत्थान किया है.
सभापति महोदय -- माननीय सदस्य बैठ जाएं. बीच में व्यवधान न करें. कृपया बैठ जाएं. चूंकि गोपाल भार्गव जी अत्यंत वरिष्ठ सदस्य हैं. अब उनको पुराना दौर भी याद आ रहा है, नये दौर की वह बात कर रहे हैं. आप जारी रखें.
श्री गोपाल भार्गव -- सभापति महोदय, माननीय सदस्य पता नहीं कहां से यह डेटा ले आये. बिहार तो मध्यप्रदेश से कई विषयों में, कई मामलों में पीछे है. कई उत्पादनों में है. कई प्रोडक्ट में है. हमारे जितने भी मापदंड हैं, बिहार राज्य तो सभी में पीछे है. आप पता नहीं कहां से उदाहरण ले आये हैं. आप महसूस करते होंगे कि 20-25 साल पहले एक गांव में किसान के पास सिर्फ 10-5 साइकिलें हुआ करती थीं. 20 सालों में 2003 के बाद जबसे भारतीय जनता पार्टी मध्यप्रदेश में, सरकार में आई तो आज मैं दावे से कह सकता हूं कि एक-एक गांव में सौ-सौ टू व्हीलर हैं (मेजों की थपथपाहट). 10-10, 15-15 फोर व्हीलर हैं. यह किस कारण से हुआ. हमारी समृद्धि बढ़ी. हमारा उत्पादन बढ़ा. हमने किसान को लाभप्रद मूल्य दिलाया. हमने उनको बिजली में सब्सिडी दी. हमने उनको उत्तम बीज दिया. समय पर फर्टिलाइजर दिया. डीएपी, यूरिया दिया और इस कारण से यह सब संभव हो पाया. (मेजों की थपथपाहट).
सभापति महोदय, मेरा इलाका जो बुन्देलखंड है थोड़ा कमजोर इलाका कृषि उत्पादन के मामले में माना जाता था. मालवा, उज्जैन और इंदौर डिवीजन मानते थे कि ‘’डग-डग रोटी, पग-पग नीर’’ चलता था. आज मैं कह सकता हूं कि यह हमारी केन-बेतवा परियोजना के बाद और भी वह तो होगा ही, लेकिन इसके पहले अभी यह स्थिति है कि हमारे यहां एक इंच जमीन भी अभी असिंचित नहीं है. अपने कपिल धारा कुओं से और अन्य साधनों के कारण. मैं जब साल भर का डेटा देखता था कि किस राज्य में कितने किसानों ने आत्महत्या की, कितने किसानों ने फांसी लगाकर आत्महत्या की. कितने किसानों ने फांसी लगाकर, जहर खाकर, कर्ज से त्रस्त होकर आत्महत्या की. मुझे बताते हुए खुशी है कि नया जो डेटा आया है, एक अखबार में मैंने पढ़ा. पिछले सवा वर्ष में हमारे बुंदेलखण्ड में और मध्यप्रदेश में एक भी किसान ने आत्महत्या नहीं की है. यह सम्पन्नता का सबसे बड़ा उदाहरण है. यह दस्तावेज हैं. (मेजों की थपथपाहट)
सभापति महोदय, मैं कोई भी अप्रमाणित बात इस सदन में नहीं कहूंगा. जो भी बात कहूंगा वह प्रमाण सहित कहूंगा. किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग में पिछले वर्ष 19718 करोड़ रुपए के प्रावधान थे. जिन्हें 64 प्रतिशत बढ़ाकर 32308 करोड़ रुपए कर दिया गया है. यह अभूतपूर्व वृद्धि हुई है. जब कांग्रेस पार्टी की सरकार थी. मैं वर्ष 2003-04 में अपेक्स बैंक का चेयरमेन था. को-आपरेटिव डिपार्टमेंट मेरे पास था. कृषि ग्रामीण विकास बैंक में 18 प्रतिशत ब्याज लगता था. क्युम्युलेटिव इंटरेस्ट 24 से 26 प्रतिशत तक लगता था. एक कुँआ खोदने के लिए उस समय 10 हजार और पम्प खरीदने के लिए 4 हजार रुपए, कुल 14 हजार रुपए दिए जाते थे. कपिलधारा और जीवनधारा योजना उस समय नहीं आई थी. इसके लिए उनकी 10 एकड़ जमीन गिरवी रखी जाती थी. उसको भी किसान छुड़ा नहीं पाता था. जमीन नीलाम कर दी जाती थी.
श्री रामेश्वर शर्मा -- उस समय कुँआ चोरी भी हो जाता था.
श्री गोपाल भार्गव -- जब हमारी सरकार आई, हमने धीरे-धीरे ब्याज कम करना शुरु किया. 18 से 12, 12 से 7, 7 से 5 और फिर 5 प्रतिशत से हमने जीरो प्रतिशत किया. (मेजों की थपथपाहट)
सभापति महोदय, आज मुझे बताते हुए खुशी है कि उसमें भी छूट दी जाती है, यदि समय पर जमा कर दें तो मूल राशि में से आप 10 प्रतिशत की छूट प्राप्त कर सकते हैं. यह हमारी योजनाएं रही हैं इन्हीं के कारण यह उपलब्धि हासिल हुई है. एक कलंक था. अखबारों में छपता था कि किसान ने कर्ज के कारण आत्महत्या कर ली. मेरी ईश्वर से यही प्रार्थना है कि वे दिन कभी वापिस न आएं. (मेजों की थपथपाहट)
सभापति महोदय, अटल कृषि ज्योति योजना. काँग्रेस के समय में जब मैं विधायक था. एमएलए रेस्ट हाउस में रहता था. बिजली की स्थिति राजधानी भोपाल में, एमएलए रेस्ट हाउस में, यह थी कि सुबह से जब अखबार आते थे बिजली नहीं होती थी तो मुझे लालटेन या मोमबत्ती के उजाले में अखबार पढ़ना पढ़ते थे. सुबह 6 बजे से ध्यानाकर्षण और स्थगन बनाकर मिन्टो हाल (पुरानी विधान सभा) जाकर श्री विश्वेन्द्र मेहता जी, जो उस समय विधान सभा के सचिव थे उन्हें देते थे. यह स्थिति थी. विधान सभा के परिसर में बिजली नहीं होती थी. आज हम बहुत खुशहाल हैं. आज कोई कहता है कि 10 घंटे के स्थान पर 24 घंटे बिजली कर दें कोई कहता है कि ग्रामीण लाइट को सिटी लाइट में बदल दो, कोई कुछ कहता है, कोई कुछ कहता है.
सभापति महोदय, हम इन 20 सालों में बहुत आगे बढ़े हैं. माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में हम इतिहास लिख रहे हैं. यह बजट अभूतपूर्व है. अद्वितीय है. बजट के आकार की दृष्टि से हम देश में चौथे-पांचवे नंबर पर आ गए हैं. जैसा मुख्यमंत्री जी का लक्ष्य है. हम आने वाले 2-3 वर्षों में जो अग्रणी 2-3 राज्य हैं उनमें से एक होंगे. भले ही हम कोस्टल एरिया में नहीं आते हैं. जो राज्य आगे हैं वे समुद्री सीमा से लगे हुए हैं उनके पास आय के बहुत से साधन हैं. चाहे तमिलनाडु हो, कर्नाटक हो, चाहे गुजरात हो. हमारे राज्य में कहीं समुद्री सीमा नहीं लगी हुई है. इस सबके बावजूद भी हम लोगों ने प्रयास करके मध्यप्रदेश को एक विकसित राज्य बनाने का काम किया है. माननीय सभापति जी अटल कृषि ज्योति योजना में 13 हजार 9 करोड़ रुपए का प्रावधान मध्यप्रदेश विद्युत मण्डल द्वारा 5 एच.पी. के कृषि पम्प और एक बत्ती कनेक्शन के नि:शुल्क विद्युत प्रदाय हेतु प्रतिपूर्ति के अंतर्गत 5 हजार 299 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत 2001 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है. मुख्यमंत्री कृषक फसल उपार्जन सहायता योजना के अंतर्गत एक हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है. आज से उपार्जन शुरू हो गया है. किसान का पैसा जो उपार्जन का है समय पर उसके खाते में पहुंच जाए इसके लिए पूरी राशि की व्यवस्था की गई है. समर्थन मूल्य पर किसानों से फसल उपार्जन पर बोनस का भुगतान एक हजार करोड़ रुपए का प्रावधान इसमें किया गया है. जो 175 रुपया हम देंगे इसमें 1 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है. मुख्यमंत्री कृषि उन्नति योजना के अंतर्गत 850 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है. फूड एण्ड न्यूट्रीशियन सिक्योरिटी के अंतर्गत 380 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है. कृषि क्षेत्र के बारे में बहुत से कम्पोनेन्ट हैं इसमें काफी वक्त लग जाएगा लेकिन हमने बहुत ही उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है.
सभापति महोदय-- आप बहुत ही अच्छे ढंग से बात रख रहे हैं. बात सदन में पूरी आ रही है आप कितनी देर में अपना भाषण पूरा करेंगे.
श्री गोपाल भार्गव-- सभापति महोदय, 15, 20 मिनट में पूरा हो जाएगा.
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- सभापति महोदय, 40 साल हो गए हैं इस सदन के अंदर 40 साल में पहली बार गोपाल भार्गव जी आंकड़े सहित बात कर रहे हैं और इसलिए आप उनको टोकिये मत, बोलने दीजिए. पहली बार वह बिलकुल ट्रेक पर हैं.
सभापति महोदय-- मैं तो जारी रखने के लिए कह रहा हूं.
श्री शैलेन्द्र कुमार जैन-- सुबह 6 बजे वाली बात भी बता रहे हैं. मैं सुबह 5 और 6 बजे का विषय जानकर आनंदित हूं.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह-- सभापति जी कैलाश जी ने व्हिप जारी कर दिया है कि आज यह आंकड़े ही पेश करेंगे. करें क्या गोपाल जी की मजबूरी भी है.
सभापति महोदय-- आप भी काफी पुराने हैं.
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- सभापति महोदय, वह मेरे नेता हैं मैं उनको आदेश दे ही नहीं सकता हूं.
श्री गोपाल भार्गव--सभापति महोदय, जब पहले के बजट भाषण में कोई आंकड़ा ही नहीं होता था तो हम क्या पढ़ देते. सब फालतू की बातें, करारोपण होता था और कुछ होता ही नहीं था. यह बढ़ा दिया, वह बढ़ा दिया और जैसे ही हम देखते थे जब लास्ट के तीन चार पन्ने शेष बचते थे तो हम सांसे रोककर दिल थामकर बैठ जाते थे कि अब पता नहीं प्रदेश के ऊपर कौन सा बम गिरने वाला है और होता भी था, लेकिन अब अच्छे दिन आए हैं और निश्चित रूप से हम सभी को खुशी है. पशुपालन, डेयरी के क्षेत्र में वर्ष 2024-2025 में हमने 2150 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है. और वर्ष 2025-26 में 241 करोड़ रुपए का प्रावधान रखा गया जो पिछले वर्ष की तुलना में 15 प्रतिशत अधिक है.
सभापति महोदय, पशुपालन योजना के अंतर्गत 200 करोड़ का दुग्ध्ा उत्पादक प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत 180 करोड़ रुपए का जिसमें मुख्यमंत्री जी पांच रुपए प्रति लीटर के भाव से सब्सिडी दे रहे हैं सरकार की तरफ से अनुदान दे रहे हैं. यह उल्लेखनीय है. गौ अभ्यारण्य अनुसंधान एवं उत्पादन केन्द्र के अंतर्गत 117 करोड़ रुपए का प्रावधान है. महत्वपूर्ण पशु रोगों की विधिवत रोकथाम के लिए 94 करोड़ रुपए का प्रावधान है. पशु कल्याण सेवाओं के लिए 83 करोड़ रुपए का प्रावधान है. हमारे प्रदेश की 75 प्रतिशत जनता गांव में रहती है और हमारा मूल आधार गाय और ग्रामीण विकास है. आज मुझे बताते हुए खुशी है कि प्रदेश में लगभग 2200 गौशालाओं में 3 लाख 45 हजार से अधिक गौवंश का पालन हो रहा है. और भी गौवंश की वृद्धि के लिए, उनके उन्नयन के लिए, वह अच्छी क्वालिटी के पशु बनें, इसकी ब्रीडिंग के लिए प्रावधान किए गए हैं.
माननीय सभापति महोदय, मैंने पहले भी गाय के बारे में कहा है कि वह हमारे लिए कोई पशु नहीं है. गौपुराण में कहा गया है कि 33 करोड़ देवताओं का वास गौमाता के अन्दर होता है.(मेजों की थपथपाहट) और जैसा मैंने कहा कि हममें यह कहा जाता है कि वह कहां चले गए ? कोई भी या अपने प्रियजन कहां चले गए, तो कहते हैं कि वे गौलोकवासी हो गए हैं. गौलोक का वास बैकुण्ठ है. हम यदि उनके प्रति थोड़ा बहुत समर्पण का भाव व्यक्त कर रहे हैं, तो मैं तो मुख्यमंत्री जी से निवेदन करूँगा कि हमें इसमें और ज्यादा करना चाहिए, हमें और ज्यादा आगे बढ़ना चाहिए. (मेजों की थपथपाहट) यह आपका बजट पूरी तरह से आध्यात्मिक है, चाहे ओंकारेश्वर हों, चाहे महाकाल हों, चाहे चित्रकूट हों, चाहे वृन्दावन गांव हों, चाहे कोई भी हों. आपने आध्यात्म से जोड़कर विकास के लिए बजट में एक नई राह दिखाई है.
माननीय सभापति महोदय, यह बजट की नई थीम है. समान्यत: क्या होता था कि सड़कें, बिजली, सिंचाई, उसके बाद यह हो गया. लेकिन इसका एक नया पहलू कि हर चीज में अब आप बताएं कि सांदीपनि के आश्रम में भगवान श्रीकृष्ण जी, आपने वहां के उत्थान के लिए कृष्ण पाथेय की स्थापना की. मैं इसके लिए आपको धन्यवाद दूँगा कि गौ माता के बारे में आपने विचार किया और उसके लिये प्रावधान भी किया. सहकारिता विभाग का बजट वर्ष 2024-25 में 1,969 करोड़ रुपये था और वर्ष 2025-26 में 2,038 करोड़ रुपये हो गया है, यह भी 5 प्रतिशत अधिक है. सहकारी बैंकों की जो अंशपूंजी है, उसमें 1,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. सहकारी बैंकों के माध्यम से कृषकों को अल्पकालीन ऋण पर ब्याज अनुदान के अंतर्गत 694 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है और नागरिक आपूर्ति उपभोक्ता संरक्षण के अंतर्गत सवा करोड़ लोगों के लिए भोजन करा रहे हैं. यह मामूली बात नहीं है. (मेजों की थपथपाहट)
माननीय सभापति महोदय, यह हमारे लिए बड़ी उपलब्धि की बात है कि मध्यप्रदेश गेहूं उत्पादक राज्य है. हमारे यहां इस वर्ष बहुत अच्छी फसल हुई है और मुझे विश्वास है कि हमारे सारे के सारे रिकॉर्ड, जो पिछले इतिहास में मध्यप्रदेश के गठन के बाद रहे हैं, इतिहास टूट जायेंगे, जो फसलों की रिपोर्ट है. अभी मैं कल गया था, वहां पर मैंने देखा कि इससे अच्छी गेहूँ, चना, मसूर, उड़द की फसलें आज तक नहीं हुईं, तो मैं प्रभु के लिए भी बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूँ और जब हम सद्मार्ग पर चलते हैं, तो ईश्वर भी हमारी सहायता करता है, इसलिए वह हमारे किसानों की भी सहायता करता है. (मेजों की थपथपाहट)
माननीय सभापति महोदय, हमारे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी, जैसा कि नाम भी मोहन है, गोवर्धन का तो मैं बता ही चुके हैं. (मेजों की थपथपाहट) मैंने कहा था 'गोवर्धन रहबो भलो, वृन्दावन रहबो भलो, जहां बसत बृजराज और दहिरा बेचत हरि मिलें, एक पंथ दो काज.' (मेजों की थपथपाहट) समझ लो कि एक पंथ और दो काज का क्या उद्देश्य होता होगा. हमारे यहां होली में होता है. अभी हम होली में गया था, तो 'वृन्दावन बसवो भलो, जहां बसत बृजराज और दहिरा बेचत हरि मिलें, एक पंथ दो काज'. यह हमारी लोक संस्कृति है. हमें इसके बारे में भी कभी न कभी चर्चा कर लेनी चाहिए. मैं वृन्दावन ग्राम की बात कर रहा हूँ, चूंकि उसके लिए बजट में प्रावधान हुआ है, वह रिलेवेंट है. यह उस वृन्दावन जैसा है.
श्री रामेश्वर शर्मा - (विपक्ष को देखकर) अब तो मथुरा, वृन्दावन की बात आयेगी तो इनके तो कान खड़े हो ही जाना है.
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2024-25 में आयुष विभाग में 845 करोड़ रुपये का प्रावधान था और वर्ष 2025-26 में 1,117 करोड़ रुपये का प्रावधान कर दिया है. जो 32 प्रतिशत ज्यादा है. सिर्फ मेडिकल एजुकेशन ही नहीं, बल्कि आयुष विभाग के लिए भी, जो हमारी पुरानी धरोहर है, आयुर्वेद के लिए भी हम प्रोत्साहन दे रहे हैं. आयुष चिकित्सालय और औषधालय के लिए 513 करोड़ रुपये प्रावधान किया गया है. आयुष महाविद्यालय के अंतर्गत 185 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. आयुष मिशन के अंतर्गत 156 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. होम्योपैथिक औषधालय के अंतर्गत 71 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. ये प्रावधान हमारी अपनी पुरानी संस्कृति जो हमारा आयुर्वेद है, उसके जो आयुष विभाग के विद्यालय चलते हैं और अस्पताल चलते हैं, उनके लिए किए गए हैं.
सभापति महोदय, महिला एवं बाल विकास में लाड़ली बहना योजना के अंतर्गत 18,669 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. (मेजों की थपथपाहट). आंगनवाड़ी सेवाओं के अंतर्गत 3,729 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. लाड़ली लक्ष्मी योजना के अंतर्गत 1,183 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम, विशेष पोषण आहार योजना के अंतर्गत 1,166 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. इसी प्रकार प्रधानमंत्री मातृ वंदन योजना के अंतर्गत 352 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. आंगनवाड़ी केन्द्रों में पोषण अभियान की अनेक मदों में राशि का प्रावधान किया गया है.
माननीय सभापति जी, शिक्षा के क्षेत्र में 44,826 रुपये का प्रावधान किया गया है. माननीय राव साहब बैठे हुए हैं. (मेजों की थपथपाहट). स्कूल शिक्षा विभाग में वर्ष 2025-26 में 36,582 के प्रावधान रखे गए हैं, जो वर्ष 2024-25 के 33,533 करोड़ रुपये के प्रावधान से 9 प्रतिशत अधिक हैं. सरकारी प्राथमिक शालाओं की स्थापना के अंतर्गत 11,837 करोड़ रुपये प्रावधान किया गया है. माध्यमिक शालाओं के लिए 7,206 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. समग्र शिक्षा अभियान के लिए 5,500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. सीएम राइज स्कूल के लिए 3,068 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. अतिथि शिक्षकों के मानदेय के अंतर्गत, उनके लिए भी 1,230 करोड़ रुपये प्रावधान किया गया है. आरटीआई के अंतर्गत, जो कि गरीब बच्चों के लिए बहुत अच्छी योजना है, अशासकीय विद्यालयों को ट्यूशन फी की प्रतिपूर्ति के अंतर्गत 520 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. पीएम श्री के अंतर्गत 430 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. पुरानी जो संपत्तियां हैं, उनके संधारण के लिए भी प्रावधान किए गए हैं. बच्चों की साइकिलों के प्रदाय के लिए 215 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. पंचायती राज संस्थाओं के अध्यापक तथा संविदा शाला शिक्षकों को वेतन या मानदेय के अंतर्गत 200 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. हाई स्कूल, हायर सेकेण्डरी स्कूल में पढ़ने लिखने की व्यवस्था एवं प्रयोगशाला हेतु 200 करोड़ रुपये प्रावधान किया गया है. अनेक मदों में प्रावधान किया गया है. हमारे दूसरे वक्ता भी और इसके बारे में बोलेंगे.
माननीय सभापति महोदय, अब उच्च शिक्षा विभाग, इस विभाग में वर्ष 2025-26 में 4,345 करोड़ रुपये के प्रावधान रखे गए हैं, जो वर्ष 2024-25 की तुलना में, जो कि 3,866 करोड़ रुपये था, 12 प्रतिशत अधिक है. कला, विज्ञान तथा वाणित्य महाविद्यालय के अंतर्गत 2,523 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. प्रधानमंत्री उच्चतर शिक्षा अभियान के अंतर्गत 300 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. अतिथि विद्वानों के मानदेय के अंतर्गत 291 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है.
श्री विजय रेवनाथ चौरे -- क्या बजट दोबारा पेश हो रहा है.
सभापति महोदय -- व्यवधान न करें, टोका-टोकी न करें. माननीय भार्गव जी, सदन में आपकी लगभग सारी बातें आ चुकी हैं. थोड़ा और शीघ्र करें.
श्री रामेश्वर शर्मा -- बजट होता ही ऐसा है कि वह बार-बार प्रस्तुत होता है.
श्री गोपाल भार्गव -- सभापति जी, चूँकि बजट का भाषण है तो...
सभापति महोदय -- आप तो काफी अनुभवी हैं. गागर में सागर हैं.
श्री गोपाल भार्गव -- सभापति महोदय, बजट में जो प्रावधान रखे गए हैं, मुख्यमंत्री जी अपने संबोधन में उतनी बात नहीं कह पाते हैं, चूँकि यह काफी व्यापक है. इस कारण से बोलना है. लेकिन उसके बारे में ब्यौरेवार, मदवार बात तो करनी पड़ेगी, अलग-अलग कंपोनेंट हैं, अलग-अलग अवयव हैं..
ऊर्जा मंत्री (श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर) -- माननीय सभापति जी, इनको अच्छी बातें सुनने में थोड़ी पीड़ा हो रही है. मैं कह रहा हूँ कि थोड़ा धैर्य से जनहित की बातें को सुनें और उसका बखान क्षेत्र में जाकर करेंगे, सुविधाओं का लाभ लेंगे तो ठीक रहेगा. प्रेम से सुनें.
सभापति महोदय - भार्गव जी, आप तो बहुत विद्वान हैं बस गागर में सागर कर दें.
श्री गोपाल भार्गव - माननीय सभापति जी, यह बजट भाषण है इसमें कुछ असत्य तो कह नहीं सकते. यह तो दस्तावेज हैं इसीलिये सारी बातें प्रमाणिक रूप से कहना पड़ रही हैं. उच्च शिक्षा में सुधार के लिये 238 करोड़ का प्रावधान,शासकीय महाविद्यालयों के भवन निर्माण आदि के लिये 225 करोड़ का प्रावधान और अनेकों प्रावधान इसमें किये गये हैं. विज्ञान प्रोद्योगिकी में 129 करोड़ का प्रावधान,तकनीकी शिक्षा कौशल विकास एवं रोजगार के लिये 902 करोड़ का प्रावधान,मुख्यमंत्री मेघावी विद्यार्थी योजना के अंतर्गत 500 करोड़ का प्रावधान किया गया है. कौशल विकास के लिये 970 करोड़ का प्रावधान,मुख्यमंत्री कौशल एप्रेंटिस योजना के अंतर्गत 150 करोड़ का प्रावधान,इंजीनियरिंग महाविद्यालयों के अंतर्गत 77 करोड़ का प्रावधान,खेल और युवा कल्याण विभाग के लिये 663 करोड़ का प्रावधान,निरंतर हम इस क्षेत्र में प्रगति कर रहे हैं और राष्ट्रीय,अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हमारे खिलाड़ी पूरे प्रयासों के साथ मध्यप्रदेश का नाम ऊंचा करने के लिये प्रयासरत् हैं. एक बहुत अच्छी बात, जो हमारे परंपरागत खेल हैं कबड्डी,खोखो,गिल्ली-डंडा,शतरंज,कुश्ती,तीरंदाजी,पिट्टू,कंचे जो हमारे विलुप्त होते जा रहे हैं. सारा नौजवान वर्ग क्रिकेट में व्यस्त हैं वह क्रिकेट जो दुनियां में राष्ट्र मण्डलीय खेलों के अलावा होती भी नहीं है कहीं. जो कामन वेल्थ के देश हैं वहीं पर होती है उसका कोई अंतर्राष्ट्रीय या ओलंपिक में कोई महत्व नहीं है इसीलिये हमारे पुराने खेल थे जिनमें कोई लागत नहीं,जिनमें कोई खर्च नहीं,इन खेलों के प्रोत्साहन के लिये भी हमने खेल विभाग में प्रयास किये हैं. इसकी शुरुआत कर रहे हैं. इन खेलों का आयोजन 313 विकासखण्डों में किया जायेगा जो कि भारत सरकार एवं एन.आई.एस.पटियाला के माध्यम से किया जाना प्रस्तावित है. उक्त खेलों का आयोजन किये जाने पर प्रति युवा केन्द्र में राशि रुपये 10 लाख के मान से राशि 31 करोड़ 30 लाख का व्यय संभावित है. सामाजिक क्षेत्र में 23798 करोड़ का प्रावधान रखा गया है. जनजातीय कार्य में 14831 करोड़ का प्रावधान,ट्रायवल प्राथमिक शालाओं में 4262 करोड़ का प्रावधान,माध्यमिक शालाओं में 2757 करोड़ का,सी.एम.राईज के अंतर्गत 1618 करोड़, शासकीय हाई स्कूल,हायर सेकेंड्री शालाओं के लिये 1293 करोड़ का प्रावधान ट्रायवल शिक्षा के क्षेत्र में बच्चों के लिये किये गये हैं. सामाजिक न्याय नि:शक्त जन कल्याण,सामाजिक सुरक्षा और कल्याण के अंतर्गत 2388 करोड़ का प्रावधान किया गया है जो भी नि:शक्त जन हैं उनके लिये. अनुसूचित जाति कल्याण के लिये 2529 करोड़ का प्रावधान किया गया है. पिछले वर्ष यह 2327 करोड़ का था. यह 9 परसेंट ज्यादा है. नगरीय एवं ग्रामीण विकास विभाग, इसमें 51074 करोड़ का प्रावधान रखा गया है. नगरीय प्रशासन एवं आावास विभाग में 18744 करोड़ का प्रावधान रखा गया है जो वर्ष 2024-25 के 16744 करोड़ से 12 परसेंट अधिक है. प्रवेश कर से नगरीय निकायों के हस्तांतरण के अंतर्गत 2600 करोड़ का प्रावधान और अनेकों इसमें कंपोनेंट हैं. मेट्रो रेल के अंतर्गत 850 करोड़ का प्रावधान, मध्यप्रदेश अर्बन सर्विस इम्प्रूवमेंट प्रोग्राम एडीव्ही फेस-2 के अंतर्गत 600 करोड़ का प्रावधान, यह हमारी सरकार ने किया है. सभापति महोदय, गीता भवन भी हम बना रहे हैं और गीता भवन सिर्फ इसलिये भी कि हम जो विरक्त होते हो रहे हैं अपनी संस्कृति से, अपने धर्म से, अपने पुराने गद्यांश से इस सबकी व्यवस्था यहां पर गीता भवनों में रहेगी. ग्रामीण विकास में गांव के ऊपर अब किसी घर के ऊपर कबेलू नहीं दिखते यह स्थिति हो गई है कि लगभग 75 प्रतिशत घर हमारे जो हैं अब उनके ऊपर कोई त्रिपाल लगी हुई, प्लास्टिक लगी हुई, पत्ते छाये हुये नहीं हैं. हम जब गांव में जाते हैं तो 10-5 साल बाद देखते हैं कि पूरा का पूरा स्वरूप ही बदल चुका है, यह बहुत बड़ी उपलब्धि है हमारी सरकार की. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में 1550 करोड़ का, आवास में 4400 करोड़ का प्रावधान हुआ है. निर्मित सड़कों के उन्नयन और नवीनीकरण के लिये 1150 करोड़ रूपये का प्रावधान हुआ है. प्रधानमंत्री जनमन योजना आवास के अंतर्गत 1100 करोड़ रूपये का प्रावधान यह सारे प्रावधान हमारी सरकार ने किये हैं. मंजरे टोलों में अभी जो चर्चा हो रही थी एक विधान सभा प्रश्न के उत्तर में इसमें सड़कों के लिये 100 करोड़ रूपये का प्रावधान, वृंदावन ग्राम योजना के अंतर्गत 100 करोड़ रूपये का प्रावधान, मुख्यमंत्री समृद्ध परिवार योजना के अंतर्गत 100 करोड़ रूपये का प्रावधान यह सारे के सारे प्रावधान हमारी सरकार ने किये हैं. सभापति जी, आपका इशारा समझ रहा हूं. अंत में मैं यही कहना चाहूंगा कि यह वर्ष 2025-26 का बजट अपने-आप में ऐतिहासिक भी है और अभूतपूर्व भी है और मुझे विश्वास है कि इस बजट के माध्यम से प्रदेश में विकास की एक नई इबारत लिखने में हम सफल तो होंगे ही साथ ही हमारी जो सांस्कृतिक विरासत है, जो हमारा इतिहास है, जो हमारी समृद्ध विरासत है इसके लिये भी, इसके पालन पोषण के लिये, इसके अनुरक्षण के लिये भी पर्याप्त प्रावधान किये हैं तो वह भी कर सकेंगे. सभापति जी, आपने मुझे बोलने के लिये समय दिया इसके लिये आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री बाला बच्चन (राजपुर)-- माननीय सभापति महोदय आपका मैं संरक्षण चाहता हूं और मेरे दल की तरफ से और मध्यप्रदेश की जनता की तरफ से मैं यह बात रखना चाहता हूं. आपने पूर्व वक्ता आदरणीय गोपाल भार्गव जी जो पूर्व मंत्री भी हैं उनको आपने अच्छा वक्त दिया है. माननीय वित्तमंत्री जी श्री जगदीश देवड़ा जी जो उपमुख्यमंत्री भी हैं उन्होंने बजट भाषण 12 मार्च को सदन में प्रस्तुत किया और यह बजट अनुमान वर्ष 2025-26 का बजट प्रस्तुत किया. लगभग 4 लाख 21 हजार 32 करोड़ रूपये का बजट प्रस्तुत हुआ है और मैं आपको बताना चाहता हूं कि जिस तरह से जो बजट भाषण किया गया है और बजट भाषण में उन वादों को, उन भाषण को पूरा करने के लिये जिन मदों के, जिन अनुदान मांगों की मदों में बजट का जो प्रॉवीजन करना चाहिये, प्रोवाइड करना चाहिये वह बहुत सारे भाषण ऐसे हैं जो पूर्ति करते हुये नहीं दिख रहे हैं. पहले दिन से ही सरकार का बजट का जो भाषण है मैं समझता हूं कि वह फेल हो चुका है और दिशाहीन हो चुका है. माननीय सभापति महोदय, मैं उसको आगे स्पष्ट करूंगा और आगे खुलासा करूंगा कि जब आपने अनुदान मांगों की मदों में बजट को प्रोवाइड किया ही नहीं तो वह किस तरह से नीचे धरातल पर उतरेगा और जनता के वादों को पूरा करता हुआ बजट दिखेगा. माननीय सभापति महोदय, मैं बताना चाहता हूं कि जिस निवेश के दम पर प्रदेश के युवाओं को भविष्य का सपना दिखाने की कोशिश माननीय मुख्यमंत्री जी ने और माननीय वित्तमंत्री जी ने की थी. वह वादा भी पूरा नहीं हो पा रहा है, लगभग जो निवेश प्रोत्साहन योजना के बारे में मुख्यमंत्री और वित्तमंत्री जी ने जो बात कही है और राज्यपाल जी के अभिभाषण पर माननीय मुख्यमंत्री जी ने अपना वक्तव्य दिया था, उसका आगे मैं खुलासा करूंगा और इस सरकार का कर्ज का मर्ज सरकार पर बढ़ता जा रहा है, माननीय भार्गव जी और सदन के अन्य सदस्य भी सुने कि आप कितना और मध्यप्रदेश की जनता को कर्ज में उतारेंगे, कितना उनके ऊपर कर्जा लादेंगे? सभापति महोदय, सकल राज्य घरेलू उत्पादन बढ़ा लेना, प्रति व्यक्ति आय बढ़ा लेना यही सब कुछ नहीं होता है, आप देखिये राजकोषीय घाटे की स्थिति क्या हो गई है? कर्जे की स्थिति क्या हो गई है? आगे मैं उसको स्पष्ट करूंगा, इसके लिये माननीय सभापति महोदय, मुझे आपका संरक्षण चाहिए.
सभापति महोदय, लगभग लगभग यह जो बजट अनुमान वर्ष 2025-26 का है, यह 31 मार्च 2026 को जब समाप्त होगा, तब तक कर्ज जो लिया है, उसका ब्याज हम लगभग 28 हजार 636 करोड़ रूपये चुका देंगे, मतलब हमें 28 हजार 636 करोड़ रूपये कर्ज का ब्याज भरना पड़ेगा. आप मध्यप्रदेश को कहां ले जा रहे हैं?एक दिन का कर्ज का 79 करोड़ रूपये भरना पड़ रहा है (शेम शेम की आवाज) मैं समझता हूं कि सरकार के लिये यह बहुत बड़ी शर्म की बात है, आपने जो पुनर्रावृत्ति की है, माननीय देवड़ा जी ने बजट को जो रखा है, बजट को जो पढ़ा है, वह सब अनुदान मांगें सबकी जानकारी में है, आपने उसकी पुनर्रावृत्ति की है, 4 लाख 21 हजार 32 करोड़ रूपये का बजट है और मैंने पढ़ा है कि इतने का ही कर्ज है, ऐसा सरकार कहती है, सरकार ने जो आंकड़ें छिपाये हैं, उनको मैं स्पष्ट करना चाहता हूं और उनका खुलासा करना चाहता हूं, आपने बजट अनुमान को जो माननीय वित्तमंत्री जी ने यहां पढ़ा, तो जो कर्ज है, आपने उसको क्यों नहीं रखा? यह जो मध्यप्रदेश राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम 2005 के अंतर्गत जो बजट बना है, आपने क्या उसकी धज्जियां उड़ाई हैं, उसको मैं स्पष्ट करना चाहता हूं.
सभापति महोदय, मैं तीन बजट का बताना चाहता हूं, एक तो वर्ष 2023-24 का जो बजट लेखा बन जा चुका है, वर्ष 2024-25 जो है बजट पुनरीक्षित है, उसका और यह जो बजट अनुमान वर्ष 2025-26 का, इन तीनों का मैं खुलासा करना चाहता हूं. अब पुनरीक्षित अनुमान जो वर्ष 2024-25 का जो बजट रहा, उस समय का कर्ज सुन लीजिये लगभग-लगभग 4 लाख 62 हजार 217.71 करोड़ रूपये का कर्जा हो गया है, बजट आपका 4 लाख 21 हजार 32 करोड़ और कर्जा सरकार ने जो हम लोगों के ऊपर 4 लाख 62 हजार 217.71 करोड़ रूपये का कर दिया है, जो कि 31 मार्च,2025 को यह जो अभी बजट वर्ष 2024-25 समाप्त होने जा रहा है, अभी 13 दिन बाद समाप्त होने जा रहा है, उसका हम पर जो कर्जा हो जायेगा उसका उल्लेख मैंने किया है और यही जो बजट अनुमान, जो कि 31 मार्च, 2026 को जो समाप्त होगा, उस दिन जो कर्जधारी हम हो जायेंगे, उसके आंकड़े भी आप लोग सुन लीजिये, वह लगभग-लगभग 5 लाख 30 हजार 885.11 करोड़ रूपये है, यह इतना कर्जा होगा, जो टोटल जी.एस.डी.पी. का लगभग-लगभग 30.74 प्रतिशत होगा और इसके पहले का जो आंकड़ा मैंने बताया है वर्ष 2024-25 के कर्ज का और उसके जी.एस.डी.पी. का वह लगभग 29.99 प्रतिशत होगा, यानि 30 प्रतिशत टोटल जी.एस.डी.पी. का कर्ज होगा, यह कर्ज की बात मैंने आपको बताई है यह सारी जो जानकारी है, वह हमने बजट भाषण से ली है.
श्री शैलेन्द्र कुमार जैन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक सेंकेंड लूंगा, बाला भाई बहुत विद्वान हैं, आप आपके दस वर्ष के कालखण्ड का भी प्रतिशत बता दें जी.एस.डी.पी. के मान से क्या लोन था, क्या ऋण था, क्या आप ब्याज दे रहे थे?
सभापति महोदय -- बाला बच्चन जी आप जारी रखें.
श्री गौरव सिंह पारधी -- वर्ष 2002-03 में 43 प्रतिशत था.
श्री बाला बच्चन -- श्रीमान् जी जब आप लोगों की बात आयेगी, तो आप इस बात को रखना और मैं कहीं असत्य हूं तो माननीय सभापति महोदय, यह सदन और यह सरकार जो सजा देगी वह सजा मैं भुगतने के लिये मैं तैयार हूं.
सभापति महोदय—आप अपनी बात जारी रखें.
श्री बाला बच्चान—सभापति महोदय, यह सारे आंकड़े जो हैं इन किताबों से, बजट भाषण से उसके बाद मध्यप्रदेश राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम 2005 से जुटाएं हैं. उसके बाद वार्षित वित्त, वितरण खण्ड नंबर 1 उससे हमने लिये हैं. वित्त मंत्री जी का स्मृत्ति पत्र उनसे हमने लिये हैं. एक भी वाक्य अथवा एक भी शब्द हमारा असत्य निकलता है तो जो भी हमारे बाद में आप बोलेंगे तो उसका जवाब देना तथा वो सजा भुगतने को तैयार है. अब राजकोषीय उत्तरदायित्व की बात करता हूं. राजकोषीय उत्तरदायित्व जो है. 2024-2025 का लगभग 62 हजार 334 करोड़ रूपये हो गया है. जो टोटल जीएसडीपी का लगभग है 4.15 प्रतिशत. अब बजट अनुमान की बात करें तो हमारा राजकोषीय घाटा कितना हो जायेगा वह लगभग 78 हजार 902 करोड़ का हमारे ऊपर राजकोषीय घाटा हो जायेगा. जो टोटल जीएसडीपी का लगभग रहेगा. 4.66 प्रतिशत माननीय वित्तमंत्री जी दुर्भाग्य की बात यह है कि आपको इतना कर्ज लेने की अनुमति किसने दी है. जब टोटल जीएसडीपी का जो कर्ज लेने की अनुमति जो भारत सरकार से मिली है जिसके अंतर्गत हम जिस एफआरबीएम के अंतर्गत हम बजट को बनाते हैं तथा बजट का प्रावधान करते हैं. 3 प्रतिशत, 3 प्रतिशत से साढ़े तीन प्रतिशत, मुझे मालूम है कि पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान ने भारत सरकार की वित्तमंत्री जी को पत्र लिखा था कर्ज लेने की सीमा को बढ़ाया जाये. उस पत्र का जवाब आज तक नहीं आया है. उसके बाद आपने अपने मन से ही साढ़े तीन प्रतिशत कर लिया, साढ़े तीन से चार प्रतिशत कर लिया, साढ़े चार से 4.66 प्रतिशत कर लिया है. यह हम सबका तथा प्रदेश की जनता का बड़ा दुर्भाग्य है आज जब कहते हैं कि हमने जीएसडीपी बढ़ा दी है वह अपनी जगह है. लेकिन इनका भी महत्व है. यह बात वो हो गई है कि सरकार कर्ज लेकर घी पीने का काम कर रही है और इतना घी पी लिया है कि पूरे मध्यप्रदेश को उसकी जनता को कर्ज में डुबा दिया है. सरकार को जो अपना काम करना चाहिये. हमको जो प्रदेश की राजस्व प्राप्तियां हैं उसमें सरकार पूरी तरह से फेल हो जा चुकी है मैं उसको भी उजागर करना चाहता हूं. जो कर राजस्व जिसके अंतर्गत जीएसटी आती है जो लगभग 40 हजार करोड़ रूपये की कर प्राप्ति होनी थी. वह मात्र केवल 37 हजार 500 करोड़ रूपये हुई है, जब कि विगत् वर्ष में 37 हजार 800 करोड़ रूपये की राजस्व प्राप्ति हुई थी. दूसरा मैं भू-राजस्व की बात कर रहा हूं. भू-राजस्व के अंतर्गत जो कर की प्राप्ति होती है जो पिछले विगत् वर्ष में लगभग 1 हजार 79 करोड़ रूपये होनी थी, वह घटकर इस बार 810 करोड़ रूपये के रह गई है. सरकार को जो अपना काम करना चाहिये, उस पर सरकार बिल्कुल खरी नहीं उतर पा रही है. दूसरा माल एवं यात्रियों से जो कर आता है. वह लगभग पिछले वर्ष का 31 करोड़ रूपये का था अब मात्र 13 करोड़ रूपये आया है जो सरकार को यह काम करना चाहिये. बात यहीं समाप्त नहीं होती है. अन्य विविध प्राप्तियां होती हैं, कर्ज होता है जिससे जो हमको राज्य सरकार को वह लगभग पिछले वर्ष का आंकड़ा जो था 929 करोड़ रूपये अब थोड़ा सा बढ़ा है वह 990 करोड़ रूपये हुआ है. लेकिन इसको और बढ़ना चाहिये था यह हम सबका दुर्भाग्य है कि जो वसूली सरकार को करनी चाहिये, यह सरकार वसूली नहीं कर पा रही है. बात यहीं समाप्त नहीं होती हैं यह मैंने जो अभी बात कही है यह एफआरवीएम के पेज नंबर 13 पर है जिस किसी माननीय सदस्य जी को जानना है तो आप इसकी जानकारी ले सकते हैं. जो राज वित्तीय वर्ष 2023-24समाप्त हुआ है उस समय तक जो कर की वसूली करनी चाहिये थी वह लगभग 10379 करोड़ रूपये की वसूली करनी थी जो सरकार नहीं कर पा रही है. यहां पर माननीय वित्तमंत्री जी भी नहीं है. कौन हमारी बात को सुनेगा, कौन इस बात का जवाब देगा, यह बड़े दुर्भाग्य की बात है 10379 करोड़ रूपये जो वित्तीय वर्ष 2023-24 जो समाप्त हुआ उस समय कर वसूली करनी थी उसमें हम मानते हैं कि विवादित राशि जो थी लगभग 6556 करोड़ रूपये थी लेकिन 3813 करोड़ रूपये ऐसी राशि थी, जो अविवादित थी. सरकार ने उसको क्यों नहीं लिया है और कर के रूप में उसे जमा क्यों नहीं किया गया है ?
सभापति महोदय -- माननीय मंत्री जी बैठक में हैं.
श्री शैलेन्द्र कुमार जैन -- सभापति महोदय, वह बैठक में हैं और माननीय मंत्री जी बोलकर गये हैं तो उनकी अनुपस्थिति में माननीय बाला बच्चन जी यह नोटिंग कर रहे हैं.
श्री बाला बच्चन -- ठीक है शैलेन्द्र जी. सदन भी सुन रहा है और हम तो इसके बाद भी हमारी बात को कहेंगे, हमारी लड़ाई लडे़गें. मेरे बाद में हमारे विधायक साथी भी इस बात का उल्लेख करेंगे. लेकिन सरकार आइने में अपनी तस्वीर देख ले कि क्या स्थिति बनी हुई है. मैंने अभी आपसे कहा कि 10 हजार 389 करोड़ रूपए की राशि 3 साल पहले वसूल लेनी थी, लेकिन इन्होंने वसूली नहीं की. आज मैं इस बात का खुलासा करना चाहता हॅूं कि एफआरवीएम के 39 नंबर पेज पर इसका उल्लेख किया गया है और वहां से मैंने यह आंकडे़ लिए हैं. आप डबल इंजन की बात करते हैं और अभी बहन जी ने तो मल्टीपल इंजन की बात की. अरे, ट्रेन में तो इंजन ही इंजन हैं, सवारी के डिब्बे है ही नहीं. ट्रेन जिस दिन ट्रेक से उतरेगी, उस दिन पता ही नहीं चलेगा कि डबल इंजन की सरकार क्या गुल खिला रही है.
सभापति महोदय, हम बाजार से कर्ज ले रहे हैं तो सस्ते दर पर कर्ज मिल रहा है. बाकी डबल इंजन की सरकार है तो जब हम केन्द्र से कर्ज लेते हैं तो बाजार का कर्ज जो मिलता है वह साढे़ सात प्रतिशत दर से मिलता है या 7.72 प्रतिशत दर पर मिलता है और केन्द्र सरकार से जो हम कर्ज ले रहे हैं वह लगभग-लगभग 10 प्रतिशत ब्याज की दर से कर्ज लेना पड़ रहा है. यह डबल इंजन की सरकार है और यह डबल इंजन की सरकार मध्यप्रदेश में इस तरह से हमें घाटे में उतार रही है.
माननीय सभापति महोदय, मैं बताना चाहता हॅूं कि माननीय वित्त मंत्री जी के बजट भाषण की कंडिका 189 में दिया गया है कि भारत सरकार की विशेष सहायता योजना के अंतर्गत जो ऋण प्रदत्त किए जाते हैं और वर्ष 2021-22 से लगातार 2023-24 तक जो राशि ली, वह राशि अभी तक खर्च नहीं की. उसको यह आगे तक बढ़ाकर ला रहे हैं. मैं वित्त मंत्री जी से और सरकार से यह जानना चाहता हॅूं कि 3-4 साल पहले आपने 10 प्रतिशत ब्याज दर पर जो कर्ज लिया, तो उस राशि की जरूरत नहीं थी. यदि उस राशि की आवश्यकता योजनाओं पर खर्च की करने की नहीं थी, तो आपने वह राशि क्यों ली और उस राशि को आप अपने पास रखकर उस पर कर्ज चुका रहे हैं. कर्ज आप दे रहे हैं. कर्ज का ब्याज भर रहे हैं, तो जब भी माननीय वित्त मंत्री जी या सरकार की तरफ से जवाब आए तो इन चीजों को स्पष्ट किया जाए.
सभापति महोदय, मैं इसका खुलासा करना चाहता हॅूं. मैं आगे बताना चाहता हूँ कि पिछली राशि लगभग 12 हजार 230 करोड़ रूपए की राशि चली आ रही है और अभी बजट अनुमान में फिर लगभग 11 हजार करोड़ रूपए की राशि का उल्लेख किया है, तो लगभग 23 हजार से 24 हजार करोड़ रूपए की इस तरह की राशि ली गई है.
सभापति महोदय, इसी बात को मैं आगे स्पष्ट करना चाहूंगा कि हमारी सरकार ने जो उधार दिया है, वह तो आप वसूल नहीं पा रहे हैं. मध्यप्रदेश की सरकार के उधार एवं अग्रिम का जो बकाया है, उसमें पिछले कई वर्षों से 48 हजार 230 करोड़ रूपए का बकाया है. यह सरकार उस राशि को क्यों नहीं वसूल पा रही है और यह बजट प्रोवीजन में कहां है कि 48 हजार 263 करोड़ रूपए आपने कहां-कहां खर्च किए और कहां-कहां किन्हें उधार पर दिए हैं तो आप सुन लीजिए. सरकार कहती है कि विद्युत परियोजनाओं पर दिये हैं और कितने दिए हैं 35 हजार 22 करोड़ रूपए दिए गए हैं और वसूलने के लिए सरकार लिखती है कि वसूलने की कोई गारंटी नहीं है. यह कर्जा हमें वापस नहीं मिल सकता है. यह मैं समझता हॅूं कि सरकार इसमें जवाब भी दे और इस तरह से सरकार हमें गुमराह कर रही है. सरकार इस तरह से प्रदेश की जनता के साथ छलावा कर रही है, जो बिल्कुल भी ठीक नहीं है. 48 हजार 263 करोड़ रूपए का कर्ज है और 1208 करोड़ रूपए नगरीय निकायों को दिए गए हैं. उसके अलावा 48 हजार 263 करोड़ रूपए में से लगभग 12 हजार करोड़ रूपए और बचते हैं. वह 12 हजार करोड़ रूपए आपने कहां दिए हैं.
सभापति महोदय, जहां तक मैंने पढ़ा है और समझा भी है. लगभग 1 लाख करोड़ रूपए की हेराफेरी सरकार ने इस तरह से जो कर रखी है. मैं कहना चाहता हॅूं कि माननीय वित्त मंत्री जी जब बोलते हैं तो माननीय वित्त मंत्री जी को तो आप लोग बोलने नहीं देते हैं. यह सरकार का चेहरा है. यह आंकडे़ं जो मैंने जुटाए हैं यह एफआरवीएम के पेज नंबर 15 के "ग" में दिया गया है. उसमें यह सारे आंकडे़ं दिए गए हैं. वित्त सचिव जी का स्मृति पत्र है, उसके पृष्ठ क्रमांक 3 पर दिया गया है कि हमें राजस्व कर की जो प्राप्ति मिलनी चाहिए थी, इसमें उन्होंने स्वीकार किया है कि जो राजस्व कर प्रदेश की सरकार को 6 हजार करोड़ कम मिला. फिर मैं डबल इंजन की सरकार पर आना चाहता हूं कि डबल इंजन की सरकार ने केन्द्र सरकार ने हमें इस वर्ष 2000 करोड़ रुपये और कम दिये हैं, वास्तविक फिगर अगर सुनना चाहते हैं तो 6000 का फिगर है 5980.69 करोड़ रुपये है. जो 2000 करोड़ रुपये जो मैंने बोला है, वह लगभग 1914.08 करोड़ रुपये है. 6000 करोड़ रुपये कर की प्राप्ति हमने कम की है और 2000 करोड़ रुपये हमको केन्द्र सरकार ने कम दिये हैं. लगभग 8000 करोड़ रुपये का हमें दोनों सरकारों ने मिलकर चुना लगाया है.
माननीय वित्त मंत्री जी जो यह वास्तविक फिगर है यह बजट की किताबों से लिया है, मैं यह सदन के सामने रख रहा हूं. राजकोषीय घाटे की बात मैं कर चुका हूं. कर्ज की बात भी मैं बता चुका हूं. अब मैं आना चाहता हूं कि यह जो बजट में प्राविजन किया है. अभी आदरणीय श्री भार्गव जी जो बता रहे थे कि इतने लाख रुपये की बात की तो यह सारा अनुदान मांगों में लिखा हुआ है. लेकिन उसके बाद भी जो उन्होंने बात रखी है, उसको हमने भी सुना है. राजकोषीय घाटा वर्ष 2024-25 का और वर्ष 2025-26 का, इसमें 25 प्रतिशत का अंतर है. एक साल में 25 प्रतिशत का अंतर है. वर्ष 2024-25 का मैंने बताया है कि 462217.71 करोड़ रुपये का कर्जा है, उसका राजकोषीय घाटा अगर हम देखेंगे तो टोटल जीएसडीपी का 4.15 परसेंट है. अभी वर्तमान बजट अनुमान पुटअप किया है. उसका कर्जा मैं आपको बता चुका हूं 530885.11 करोड़ रुपये, और उसका राजकोषीय घाटा जो है लगभग 78902 करोड़ रुपये का जो टोटल जीएसडीपी का 4.66 परसेंट है तो वर्ष 2024-25 और 2025-26 का अगर इसका अंतर आप देखेंगे तो एक साल में राजकोषीय घाटा 25 प्रतिशत आपने बढ़ा दिया है. माननीय वित्त मंत्री जी जो उपमुख्यमंत्री भी है, माननीय पूर्व वित्तमंत्री जी यहां पर बैठे हैं, वह भी जब बजट प्रस्तुत करते थे, जब भी हम हमारे पक्ष की तरफ से प्रदेश की जनता की बात रखते थे.
सभापति महोदय, यह बहुत बड़ा दुर्भाग्य है. इस चीज को कम करना चाहिए और सरकार ने ऐसा नहीं होने देना चाहिए, यह हमारा आग्रह है. जो हमारी जमा निधि थी, जो हमारी जमा पूंजी थी, उसको भी सरकार ने खर्च कर लिया है. उसका मैं मद सहित उल्लेख करना चाहता हूं. सभापति महोदय, ब्याज आरक्षित निधियां जो वर्ष 2023-24 में 6300 करोड़ रुपये थीं, वह वर्ष 2024-25 के पुनरीक्षित अनुमान में केवल 1842 करोड़ रुपये रह गई है. लगभग 6300 करोड़ रुपये जो हमारी जमा पूंजी थी उसको भी सरकार ने खर्च कर लिया है. हम उसका भी हिसाब आपसे लेना चाहते हैं और जानना चाहते हैं. वार्षिक वित्त विवरण के खण्ड 1 में उसके पृष्ठ क्रमांक 14 में उसका उल्लेख किया गया है. सिविल जमा राशि जो थी वर्ष 2023-24 में 105 करोड़ रुपये थी, वह अब केवल 14 करोड़ रुपये रह गई है और मद संख्या 8336 में इसका उल्लेख किया गया है. इसी तरह सिविल जमा राशियां जो वर्ष 2023-24 में 6000 करोड़ रुपये थे, अब वह वर्ष 2024-25 में पुनरीक्षित अनुमान में 4500 करोड़ रुपये रह गई है. इस तरह से हमारी निधियों का इन्होंने उपयोग किया है, खर्च कर लिया है. यह सरकार की स्थिति है. सरकार अपने आपको जिस तरह से बताने जा रही है, अगर यह सारी चीजें लोगों के ऊपर जो जाएगी, अब यह बात करते हैं कि हमने प्रति व्यक्ति आय 152000 रुपये कर दी है. इसलिए उस दिन मैंने माननीय मुख्यमंत्री जी को टोका था कि उन्होंने जो परसेंटेज में बोला था. मैं इसलिए खड़ा हुआ था. हमारे कुछ विधायक साथी भी खड़े हुए थे कि प्रति व्यक्ति आय, मैंने जितना लिट्रेचर पढ़ा है, मुझे प्रति व्यक्ति आय, प्रति व्यक्ति का कर्ज मुझे कहीं भी परसेंटेज में देखने को नहीं मिला था इसलिए माननीय मुख्यमंत्री जी से मैं जानना चाह रहा था.
डॉ. योगेश पण्डाग्रे - वह देश के प्रति आय से तुलना करके मध्यप्रदेश के प्रति व्यक्ति की आय जो आप लोगों ने 80 प्रतिशत से वापस 60 प्रतिशत पर ले आए थे, उसको कोट कर रहे थे.
श्री बाला बच्चन - आप अनुमति लीजिए. वह क्या बोल रहे थे, यह आपको समझ में आया था?
डॉ. योगेश पण्डाग्रे -देश के प्रति व्यक्ति की आय से मध्यप्रदेश के प्रति व्यक्ति की आय की तुलना परसेंटेज में कर रहे थे.
सभापति महोदय - कृपया व्यवधान न करें.
श्री बाला बच्चन - सभापति महोदय, आप कार्यवाही को निकाल लीजिए. मद संख्या 8443 में मैंने इसका उल्लेख किया है. एक स्थानीय निधियों की जमा जो वर्ष 2023-24 में 775 करोड़ रुपये थी, अब वर्ष 2024 -25 में पुनरीक्षित अनुमान में वह 417 करोड़ रुपये ही रह गई है. यह मद संख्या जो 8448 में दिया हुआ है, पूरी तरह से हम लोगों को भ्रमित किया है. बजट भाषण में उन लोगों को ठीक लगने वाली चीजें लाए हैं बाकी सब चीजें पूरी जो इन्होंने छिपाकर रखी है. और जो मैं बार-बार और हमारे विधायक साथी भी बोलते हैं की सरकार कर्ज लेकर घी पीने का जो काम कर रही है, बिल्कुल उस कहावत को यह सरकार चरितार्थ कर रही है. बजट को आपने एलोकेट किया है, बजट का प्रोवीजन किया है, वह मैं आपको बताना चाहता हूं और जो शुरू में मैंने अपनी बात कही कि आपने बजट में जो घोषणाएं की उन वादों को पूरा करने की. माननीय वित्त मंत्री जी और वित्त मंत्री जी ने बोला है कि उद्योग में जो हम इंसेंटिव 3250 करोड़ रूपये देंगे. मैं जानना चाहता हूं, क्योंकि यह सरकार जो है और जो यह वर्ष है. वर्ष 2024-25 को रोजगार और उद्योग वर्ष रूप में मना रही है और उद्योग वर्ष के रूप में घोषित किया है. माननीय मंत्री जी आपने 3250 रूपये का आपने उल्लेख किया है, जो मांग संख्या-11 है और जिस निवेश प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत आपने पिछले वर्ष 1950 करोड़ प्रोवीजन किया था, लेकिन इस वर्ष तो आपने 200 करोड़ रूपये कम कर दिये हैं. आपने 1750 करोड़ रूपये का ही प्रोवीजन किया है. आपको खुद को भरोसा नहीं है कि निवेश आयेगा या नहीं आयेगा.आपने 200 करोड़ रूपये कम क्यों किये ? और 3250 करोड़ रूपये की घोषणा यहां माननीय मुख्यमंत्री जी ने यहां कही थी, बजट भाषण में और राज्यपाल जी के अभिभाषण में यह बात कही थी कि हम 3250 करोड़ रूपये का इंसेंटिव हम हम देंगे, उद्योगों के लिये. वह आपने कौन सी अनुदान की कौन से मद में रखा. आप जब बोलोगे तो इस बात को स्पष्ट करना, यह सदन में आपका वक्तव्य है. मध्य प्रदेश की जो सर्वोच्च विधान सभा है, वहां पर आपने बजट प्रस्तुत किया है और उसके असत्य जानकारी दोगे तो उसका जवाब आपको देना पड़ेगा, वित्त मंत्री जी. यह सदन और हम और हमारे कांग्रेस पार्टी के साथीगण मध्य प्रदेश की हितों की रक्षा करते हुए हम आपसे यह जवाब मांग रहे हैं कि आपने जो इंसेंटिव की बात कही, वह कहां रखा है और क्यों प्रोवीजन नहीं किया है, क्यों भ्रमित कर रहे हो और जनता को आप कितना भ्रमित करोगे. आप को खुद पर विश्वास नहीं है. मैं इसी से जोड़कर एक बात बोलना चाहता हूं.
सभापति महोदय, जी.आई.एस की बात करते हैं ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट, 2023 में हुई थी और उसमें 100 करोड़ रूपये उसमें खर्च किये थे. 15 लाख करोड़ का निवेश आयेगा और 6957 आवेदन आये थे, हुआ क्या. वह बोले30 लाख नौकरियों के पदों का सृजन किया जायेगा. वहीं आपने भोपाल में 105 करोड़ रूपये खर्च किये और भोपाल में जो सेम समिट की है. यह बार-बार प्रदेश की सरकार लुटाने जैसी बात है. वित्त मंत्री जी आप इस पर रोक लगायें. आगे मैं फिर आपको बताना चाहता हूं कि फिर आपने बजट भाषण की कंडिका-16 में आपने यह बात कही है कि एक जिला, एक उत्पाद की बात कही है. पिछली बार आपने 7 करोड़ रूपये का बजट प्रोवीजन किया था इस बार आपने उसको आधा कर दिया है. आपने जो कहा है हम उसी को ढूंढ रह हैं. हम उसी को पढ़ रहे हैं, हमारी तरफ से कुछ भी नहीं जोड़ा है. वह आपने कम कर दिया है. यह मैं आपको यह बताना चाहता हूं कि आपकी जो मद संख्या- 9531, दूसरा है निर्यात प्रोत्साहन योजना, यह मद क्रमांक है 5938, इसमें आपने बजट कम कर दिया है, औद्योगिक क्षेत्र की भूमि के एवज में आपने 20 करोड़ रूपये रखे थे, पिछली बार और इसमें खर्च हुआ है वह मात्र 1 हजार रूपये, जो जमीन आपने उद्योंगो के लिये ली है और आपने जो 20 करोड़ रूपये जो बजट प्रोजीजन किया था उसमें से खर्च किये 1 हजार रूपये. इसलिये मैंने शुरूआत में यह बात शुरू में कही है कि यह सरकार पूरी तरह से भटकी हुई है और आपकी यह जो मद संख्या है वह 5396 है. इसके बाद हमारे विधायक साथीगण भी बोलेंगे. दो-चार बातें और कुछ विभागों की बताना चाहता हूं कि बजट भाषण की कंडिका-18, जिसमें माननीय वित्त मंत्र जी ने कहा कि मुख्य मंत्री उद्यम क्रांति योजना में, जो वित्त मंत्री जी का 5675 लाभार्थी हुए हैं, आपकी कौन सी मद में और कौन सी मांग संख्या में है. हमको आपने जो आंकड़े दिये हैं वह 5675 लाभार्थी नहीं हैं, 3908 लाभार्थी हैं.
सभापति महोदय, अब मैं संस्कृति विभाग पर आता हूं. अभी गोपाल भार्गव जी को हम सुन रहे थे. सभापति महोदय, आप सुन लीजिये कि हमारा क्या दुर्भाग्य है. आप प्रदेश को कहां ले जाना चाहते हैं. आपने भीमा नायक प्रेरणा केन्द्रों को केवल हजार रूपये दिये हैं.यह जो आपकी मांग संख्या 7001 है. उसके बाद हम मद संख्या 957 पर आते हैं, रामपथ गमन अंचल विकास योजना में. आपने पिछले वर्ष इसमें 34 करोड़ रूपये का बजट प्रोवीजन किया था. आप राम जी के साथ में छलावा कर रहे हैं. आपने 34 करोड़ रूपये का बजट प्रोवीजन किया था और जो खर्च किया वह मात्र 24 करोड़ रूपये किया था. आप 10 करोड़ रूपये खर्च नहीं कर पाये. सभापति महोदय, 34 करोड़ के विरूद्ध इस साल आपने बजट में चार करोड़ रूपये और कम कर दिये हैं. तो राम जी को भी छोड़ रहे हैं आप. कहां 34 करोड़ और 10 करोड़ रुपये आपने उसमें से खर्च नहीं किये. 34 करोड़ की जगह अभी आपने मात्र 30 करोड़ रुपये ही वापस बजट में प्रावधान किया है. इसकी जो मद संख्या है, वह 9571 है. आगे मैं सिंहस्थ की बात पर आता हूं. 1617 है मद संख्या. सिंहसथ 2028 के कार्यों के लिये पिछले वर्ष 70 करोड़ रुपये रखे थे. इस वर्ष मात्र हजार रुपये रखे हैं. पिछले वर्ष 70 करोड़ रुपये थे, इस बार केवल हजार रुपये रखे हैं. यह राम जी की बात हो गई. यह सिंहस्थ की बात हो गई. हवा में लट्ठ मारेंगे, तो उसको हम पकड़ेंगे. हम आपको वह बिलकुल भी लट्ठ हवा में नहीं चलाने देंगे और इस तरह के जो आंकड़े आप दोगे, आंकड़ों का मायाजाल और आंकड़ों की अगर बाजीगिरी करोगे तो हम और हमारे विधायक साथी लड़ेंगे भी और यह सदन की जो आवाज है, उसको हम लोग मध्यप्रदेश की जनता तक पहुंचायेगे भी. मैं एकाध और विभाग के बारे में खुलासा करना चाहता हूं. मैं खुद भी जिस वर्ग से आता हूं. अनुसूचित जाति और जन जाति वर्ग के साथ में जो बजट का प्रावधान करते हैं और उसके बाद आप उस बजट को कहीं और अपने कार्यक्रमों में खर्च करते हैं, उसका भी खुलासा करना चाहता हूं. वित्त मंत्री जी कितना समझते हैं या फिर कितना उसके लिये लड़ते हैं या कितना ध्यान देते हैं, मुझे नहीं मालूम, लेकिन मैं यह खुलासा कर रहा हूं, सदन के सदस्य के नाते जिम्मेदारी पूर्वक और मैंने कहा है कि जो भी अगर इसमें असत्य, गलत, भ्रामक हो, तो जो सजा चाहें, वह दे सकते हैं. बाद में हमारे विधायक साथी भी बोलेंगे. सभापति महोदय, एससी,एसटी के जो छात्र हैं, उनके बारे में कहना चाहता हूं. मांग संख्या 33 है, आपने मद संख्या 7763 में अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों के आवास के लिये पिछली बार 283 करोड़ रुपये रखे थे और 283 करोड़ के विरुद्ध 180 करोड़ रुपये ही आपने खर्च किये हैं. 100 करोड़ खर्च नहीं कर पाये. इस बार तो 283 करोड़ के विरुद्ध बजट प्रावधान भी उसमें कम दिया है. अभी इस बार तो 100 करोड़ रुपये ही प्रावधानित किये हैं. जो एससी,एसटी के छात्रों के बारे में बात करते हैं. एक और दुर्भाग्यपूर्ण बात है. मद संख्या 6500 विशेष पिछड़ी जनजातियों के विकास के लिये 100 करोड़ रुपये का बजट प्रोविजन किया था और जीरो खर्च किया है. वित्त मंत्री जी, यह मद संख्या 6500 है. क्या कर रही है सरकार, क्या देख रही है. बात यहीं समाप्त नहीं होती. मद संख्या 7826, जिसमें नौवीं, बारहवीं के विद्यार्थियों के परिवहन के लिये आपने 50 लाख रुपये रखे थे. खर्च किये 1 हजार रुपये. यह आईना दिखाना सरकार के लिये जरुरी था. मद संख्या 9604, अनुसूचित जनजाति के युवाओं के लिये रोजगार मूलक आर्थिक सहायता में आपने वर्ष 2024-25 में 60 करोड़ का प्रावधान रखा था. खर्च किया केवल 45 करोड़ और इस बार के बजट अनुमान में आपने 45 करोड़ रुपये ही रख दिये हैं. मद संख्या 2676 में 11वीं और 12वीं और महाविद्यालय के छात्रों के लिये 2-3 वर्षों से मैं देखता आ रहा हूं कि 500 करोड़ रुपये का ही छात्रवृत्ति का जो प्रोविजन होता है और खर्च भी उतना नहीं कर पाते हैं, इस साल भी आपने मात्र 512 करोड़ रुपये रखे हैं. तो हमारे छात्रों के साथ में भी यह सरकार खिलवाड़ और भविष्य बर्बाद कर रही है. मद संख्या 1623 में बादल घोई, स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय, छिंदवाड़ा में मद संख्या 1624 में राजा शंकर शाह रघुनाथ शाह संग्रहालय,जबलपुर के लिये केवल 1-2 हजार रुपये का प्राविजन है. भीमा नायक जी प्रेरणा केंद्र के बारे में भी 1 हजार रुपये का प्रोविजन है. मद संख्या 1077 में आदिवासी पंचायतों के लिये जो बर्तन दिये जाते हैं, मुझे मालूम है जिस समय हमारी सरकार थी, 17 करोड़ रुपये बड़वानी में दिये थे. 25 करोड़ रुपये धार में दिये थे. अब यह बजट शून्य है. आदिवासी समाजों को उनके उपयोग के लिये, बर्तन के लिये जो राशि दी जाती है, वह शून्य बजट रखा है, वित्त मंत्री जी और शिक्षा मंत्री जी. महिला एवं बाल विकास विभाग की मैं बात करना चाहता हूं. मांग संख्या 55 में पिछली बार आपने 3300 करोड़ रुपये का बजट रखा था, 300 करोड़ रुपये कम खर्च किये. यह आपने किया है आंगनवाड़ी सेवाओं में. इसके बाद बात आती है पोषण अभियान में 200 करोड़ का प्रावधान था मात्र 90 करोड़ रूपये खर्च किये हैं, सभापति जी दोनों को अगर हम देखें तो 410 करोड़ रूपये सरकार खर्च नहीं कर पाई है इसलिये हम आपको बजट में समर्थन क्यों करें. हम आपको बजट के लिये सहयोग क्यों करें. यह आपको मैंने कुछ उदाहरण देकर के बताया है बाकी हमारे विधायक साथी भी आपको बतायेंगे.
माननीय सभापति महोदय, मद संख्या 851, मद संख्या- 1193, मद संख्या- 1405, मद संख्या- 1452, मद संख्या- 2367, मद संख्या- 2375, मद संख्या- 5060, मद संख्या- 5608, मद संख्या- 4642, मद संख्या- 7700, मद संख्या- 9499 इन सब मद संख्या में बजट बहुत में शून्य है और कहीं है तो 2 से 3 हजार रूपये का बजट है. यह सरकार पूरी तरह से भटकी हुई है, सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही है.
माननीय सभापति महोदय, अनुसूचित जाति वर्ग की बात हम करेगे. मैंने जो पहले बात कही है वह अनुसूचित जनजाति वर्ग के बारे में कही है. अनुसूचित जाति वर्ग की बात मैं दो मिनट में कहना चाहूंगा. माननीय सभापति महोदय, बजट भाषण की कंडिका 34 और 36 मे आपने इस वर्ग की बात कही है उसकी मद संख्या है 9606 अनुसूचित जाति के युवाओं के लिये रोजगार मूलक आर्थिक सहायता में आपने वर्ष 2024-25 में 40 करोड़ रूपये का प्रावधान किया था खर्चा किया है शून्य. मेरे ख्याल से मैं एससी वर्ग से आता हूं माननीय वित्त मंत्री जी अपन शायद इसी वर्ग से आते हैं. तो 40 करोड रूपये का आपने प्रावधान किया है और खर्च शून्य है. यह जो खर्चा नहीं कर पा रहे हैं उस तंत्र के खिलाफ में आपको कार्यवाही करनी चाहिये. नहीं तो यह जबट अनुमान लगभग, 4 लाख 21 हजार 32 करोड़ का है कुल जीएसडीबी लगभग 16 लाख करोड़ रूपये की है इसका भी इसी हाल होगा यह कि यह सरकार इसको खर्चा नहीं कर पायेगी. इसलिये आप तंत्र पर कसावट कीजिये और अपने वर्ग पर इस राशि को खर्च कीजिये. और पिछली बार जो बजट 40 करोड़ का था वह इस बार 20 करोड़ का कर दिया. 40 करोड़ में भी आपने शून्य खर्चा किया. मद संख्या 5635 में बाबू जगजीवन राम छात्रावास योजना में 16 करोड़ रूपये का प्रावधान रखा गया था. बाबू जगजीवन राम के नाम से छात्रावास चलती है उसमें भी 16 करोड़ में से आपने शून्य खर्चा किया है. यह दुर्भाग्य है हम सबका, वित्त मंत्री जी आपको कसावट करना पड़ेगी नहीं तो फिर इसके बाद की चर्चा में यही बात आयेगी.
सभापति महोदय, मद संख्या- 4722 में अनुसूचित जाति बस्तियों के विकास में 2024-25 में 30 करोड़ रूपये का प्रावधान किया था, विकास के लिये उसमें भी 30 करोड़ में से कुछ खर्च नहीं किया, आप कर क्या रहे हैं. एससी, एसटी का बजट है इस कारण से आप ऐसी स्थिति बना रहे हो. इस तरह से बजट का उपयोग कर रहे हो, इस तरह से करप्शन और भ्रष्टाचार कराओगे, और सरकार तंत्र के हावी होने पर आप सरकार चलाओगे तो हो गया. एकाध चीजें निकली कि आप फेल हो जायेंगे, यह बात आप ध्यान रखना.
सभापति महोदय- माननीय सदस्य, समय का अभाव है कृपया शीघ्र समाप्त करें.
श्री बाला बच्चन- माननीय सभापति महोदय, बिल्कुल. मद संख्या 1213 प्रधान मंत्री आदर्श ग्राम योजना में वर्ष 2024-25 में 128 करोड़ रूपये का प्रावधान था, डबल इंजन की सरकार , प्रधान मंत्री जी के नाम से बजट, 128 करोड़ में शून्य खर्चा कर रहे हैं आप. आप सब भी इस बात को देखें, सुने और समझें और अगर आप लोगों को और कुछ भी जानना हो तो आप हमसे भी इसके बारे में जानकारी ले सकते हैं, हम आपको बता सकते हैं.
माननीय सभापति महोदय, पिछले बजट में आपने विधायकों के लिये ई आफिस के लिेये पांच पांच लाख रूपये देने की बात कही थी, वह कहां है और उसके बाद में आपने यह भी कहा था , जो आपके नेता जी के नाम से ही योजना थी अटल एक्सप्रेस-वे, नर्मदा-प्रगतिपथ, विंध्य एक्सप्रेस, मालवा निमाड विकासपथ, बुन्देलखण्ड विकासपथ, मध्यभारत विकासपथ, इसकी शुरूआत भी आपने बजट में की थी लेकिन अभी बजट की मांगो में उसका प्रावधान कहां हैं, है भी तो बहुत कम है और पिछली बार भी आपने प्रावधान किया था तो उससे भी बहुत कम है.
सभापति महोदय, मैं सदन को बताना चाहता हूं कि सरकार ने 37 लाख हेक्टेयर भूमि जो वनों की है वह 37 लाख हेक्टेयर जमीन यह सरकार प्रायवेट सेक्टर में देने जा रही है इस पर भी वित्त मंत्री जी आप रोक लगाईये सरकार का यह निर्णय उचित नहीं है.
माननीय सभापति महोदय, सौरभ शर्मा से जुड़े हुये मामले में जो अधिकारी है और जो भी इसमें शामिल हैं उसकी भी जांच होना चाहिये क्योंकि कई लोग अभी भी जांच एजेंसी के रेडॉर से बाहर हैं, सरकार को इस पर भी संज्ञान लेना चाहिये और इस पर कार्यवाही करना चाहिये.
माननीय सभापति महोदय, जल जीवन मिशन की बात करें, इस पर अरबों रूपये खर्च किये हैं, वह कहां जा रहे हैं, कहीं भी किसी गांव में ढंग की पानी की टंकियां नहीं बनी हैं, न नल जल योजनायें ढंग से चल रही हैं, न ढंग से पानी सप्लाई हो रहा है ,आप इस पर भी ध्यान दें. प्रदेश में गुजरात के ठेकेदार आ गये हैं और सब जगह ठेका ले लिया और इसके बाद में वे प्रदेश की व्यवस्था को तहस नहस कर दिया है. गेहूं का समर्थन मूल्य 3 हजार रूपये तक का होना चाहिये. बजट सत्र बहुत छोटे कर दिये हैं. माननीय वित्तमंत्री जी, माननीय मंत्रिगण, प्रदेश में दिसंबर, 2017 में नाबालिगों से दुष्कर्म के मामले में फांसी की सजा का कानून हमने बनाया था. नाबालिगों के साथ जो दुष्कर्म और हत्याएं होती हैं उसमें आज तक आपने किसको सजा दी. जहां तक मेरी जानकारी में है, हाइकोर्ट में लगभग 5,000 केसेज पेंडिंग पड़े हैं. सरकार इन पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रही है. माननीय वित्तमंत्री जी, जब आप बोलें तो इन बातों का खुलासा करें यही मेरा आपसे आग्रह है. आपने बजट में किस तरह से बंदरबाट की है, आपने मुंह देख-देखकर टीका लगाया है. हमें कुछ भी नहीं मिला है. मैं अगर बड़वानी क्षेत्र की बात करूं, मेरी विधान सभा राजपुर की बात करूं, बड़वानी या सेंधवा विधान सभा की बात करूं,जहां से हमारे कांग्रेस के एमएलए हैं या फिर उसके बाद हमारे कांग्रेस के और भी जो विधायक हैं, बजट में हम लोगों को कुछ भी नहीं दिया है. जो आपका सबके साथ कमिटमेंट था कि 5-5 करोड़ रुपये विपक्ष के विधायकों को भी देंगे, वह 5-5 करोड़ रुपये कहां हैं. आपने आपकी ही पार्टी के विधायकों के लिये जो 15-15 करोड़ रुपये देने के लिये बोला था वह कहां हैं. क्या हमारी विधान सभा के जो मतदाता हैं वह विधान सभा या वह क्षेत्र क्या मध्यप्रदेश का हिस्सा नहीं है. जब भी आप बोलें तो इस बात का खुलासा करें. आप 10-20 मिनट में अपनी बात समाप्त करके जो हाऊस छोड़कर चले जाते हैं, बहुत धीरे-धीरे करके हमारे विधायकों की, विधान सभा की और विधायिका की गरिमा गिरती जा रही है. आपके ऊपर और सरकार के हाथ में है कि इसको कैसे बनाकर रखें जिससे हमारे विधायकों को सम्मान भी मिले. चाहे वह इस तरफ के विधायक हों या उस तरफ के विधायक हों उनको सम्मान मिले. आफिस ढंग से चलें. योजनाएं सब वर्गों के लिये, सब क्षेत्रों के लिये बनें और योजनाओं पर राशि खर्च हो यह हमारा आग्रह है. प्रभारी मंत्री बराबर मीटिंग करें. हम लोगों की सरकार में एक से दो महीने में प्रभारी मंत्री बैठक लेने आते थे लेकिन वह अब बिल्कुल भी देखने को नहीं मिलता है.
सभापति महोदय -- बहुत-बहुत धन्यवाद बाला भाई, लगभग आपकी सारी बातें आ चुकी हैं.
श्री बाला बच्चन -- सभापति महोदय, मेरा आपसे यही आग्रह है कि पूरी सरकार इस पर एक्शन लेगी, कार्यवाही करेगी. इस तरह की जो पुनरावृत्ति जो भ्रष्टाचार होता है और जिनके लिये बजट में सरकार प्रॉवीजन करती है, उसकी पुनरावृत्ति सरकार नहीं होने देगी और अच्छे से आगे कार्यवाही करेगी, कसावट होगी यही हम चाहते हैं. सभापति महोदय, मुझे आपने बोलने के लिये जो वक्त दिया, मेरी और मेरे साथियों को सदन में बात रखने के लिये, मध्यप्रदेश की जनता की बात रखने के लिये और सरकार को आइना दिखाने के लिये आपने जो मुझे समय दिया, उसके लिये मैं आपका बहुत आभारी हूं. आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री जयंत मलैया (दमोह) -- सभापति महोदय, मैं आपका हृदय से आभार व्यक्त करता हूं कि आपने बजट भाषण के समर्थन में मुझे बोलने का अवसर दिया. मैं आज यहां स्पष्ट करना चाहता हूं कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार का यह बजट मात्र आंकड़ों का लेखा जोखा नहीं है, बल्कि हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के भारत की अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन बनाने का मध्यप्रदेश का भारत की जीडीपी में सशक्त योगदान किये जाने के लिये एक सर्वोत्तम प्रयास है. बहुत सी चर्चाएं अभी हुई हैं. जीएसडीपी के बारे में और पर कैपिटल इनकम के बारे में हुई हैं. फिजिकल डेफि़सिट के बारे में काफी चर्चा हुई है. हालांकि उत्तर तो माननीय वित्त मंत्री जी देंगे, परंतु सामान्य सी जो बात मुझे समझ में आती है वह मैं यहां पर निवेदन करना चाहता हूं. मैं पूरे विधान सभा का ध्यान इस ओर दिलाना चाहता हूं कि जो बजट और आर्थिक सर्वेक्षण की बात है उसमें मध्यप्रदेश ने वर्ष 2004 के बाद से उल्लेखनीय प्रगति की है. आज मध्यप्रदेश का राज्य सकल घरेलू उत्पाद वर्ष 2024-25 में 11.5 प्रतिशत् विकासदर के साथ बढ़कर प्रचलित दर पर 15.3 लाख करोड़ हो गया है, जो वर्ष 2023-24 में 13.53 लाख करोड़ रुपये था और इसकी जो बार-बार बात कर रहे हैं और सही बात है इसी के फलस्वरूप प्रति व्यक्ति आय 9.3 प्रतिशत् बढ़कर 1,52,515 रुपये हुई है. 1 लाख 52 हजार 515 रुपए हुई है. वर्ष 2003-04 में मात्र 1 लाख 1 हजार 27 करोड़ रुपए का बजट हुआ करता था. आज हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी ने बजट प्रस्तुत किया है यह उससे 17 गुना अधिक है. राजकोषीय घाटा वर्ष 2025-26 में 4.66 प्रतिशत है. जैसा कि हम सभी जानते हैं कि Fiscal Responsibility and Budget Management (FRBM) Act में हर राज्य के ऊपर बंधन है कि वह अपने जीएसटीपी का 3 प्रतिशत से अधिक कर्जा न ले, यह अच्छी स्थिति मानी जाती है. आप देखेंगे कि हमारा राजकोषीय घाटा 4.66 प्रतिशत तो रहा है परन्तु वास्तविक राजकोषीय घाटा जो 3 प्रतिशत की निर्धारित सीमा है, उसके अन्दर हैं. क्योंकि पूंजी निवेश के लिए विशेष सहायता योजना के अन्तर्गत 11 हजार करोड़ रुपए सकल घरेलू उत्पाद का जो 0.65 प्रतिशत होता है और वर्ष 2021-22 से 2023-24 तक अनुपयोगित ऋण सीमा जो सकल घरेलू उत्पाद का 1.01 प्रतिशत होता है इसे FRBM act की सीमा के अन्तर्गत नहीं रखा जाता है इसको यदि शामिल कर लें तो इससे स्पष्ट होता है कि इसको हटाने के बाद राज्य सकल घरेलू उत्पाद से राजकोषीय घाटा FRBM की निर्धारित सीमा 3 प्रतिशत के अन्तर्गत ही रहता है. जो एक बेहतर वित्तीय प्रबंधन का उदाहरण है. इससे यह भी स्पष्ट हो जाता है कि मध्यप्रदेश राज्य का ऋण FRBM act के तहत भारत सरकार द्वारा निर्धारित सीमा में होकर ऋण का उपयोग अधोसंरचना के विकास के लिए किया जा रहा है.
सभापति महोदय, स्टेट लोन के ऊपर भी बहुत बात हुई है. विपक्ष के माननीय सदस्य हमेशा आरोप लगाते रहते हैं कि अनावश्यक कर्ज ले रहे हैं और लोगों के ऊपर भार डाल रहे हैं. मैं सदन को अवगत कराना चाहता हूँ कि भारत सरकार द्वारा FRBM act के तहत प्रत्येक राज्य की ऋण सीमा प्रत्येक वर्ष उसके सकल घरेलू उत्पाद के आधार पर तय की जाती है. ऋण लेना प्रत्येक राज्य के अधोसंरचना विकास के लिए आवश्यक है. मैं यहां बताना चाहूँगा कि प्रत्येक वर्ष निर्धारित ऋण प्रावधान से मध्यप्रदेश राज्य ने कम ही ऋण उठाया है. वर्ष 2022-23 में ऋण का प्रावधान था 75 हजार 943 करोड़ रुपए, इतने का ऋण हम ले सकते थे. हमने मात्र 58 हजार 867 करोड़ रुपए का ऋण लिया. वर्ष 2023-24 में 80 हजार 100 करोड़ रुपए का लोन ले सकते थे, हमने 65 हजार 180 करोड़ रुपए का लोन लिया था. वर्ष 2024-25 में हम 89 हजार 552 करोड़ का ऋण ले सकते हैं, इसके विरुद्ध 73 हजार 756 करोड़ रुपए का ऋण लिए जाने की हमारी संभावना है. अभी 2-3 दिन पहले हमारी सरकार ने फिर से ऋण लिया है वह भी FRBM act के तहत निर्धारित सीमा के भीतर ही है. यदि हमारी सरकार चाहे तो वर्ष 2025 के जो दिन बचे हैं उनमें यदि और भी ऋण लेना चाहे तो हमारी सीमा है. राज्य का सकल ऋण वर्ष 2024 के अनुसार 3 लाख 61 हजार 589 करोड़ रुपए है. वर्ष 2025 में 4 करोड़ 21 लाख 740 करोड़ रुपए रहने का अनुमान है. वर्ष 2023-24 में हमारे राज्य ने 3 प्रतिशत के प्रावधान के विरुद्ध ..
2.25 बजे {अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए. }
श्री जयंत मलैया- वर्ष 2023-2024 में हमारे राज्य ने तीन प्रतिशत के प्रावधान के विरुद्ध मात्र 2.33 प्रतिशत ऋण लिया है अत: इससे स्पष्ट होता है कि हमने आवश्यकता अनुसार ही पूंजीगत विकास कार्यों के लिए ऋण लिया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, विश्व स्तर पर कोई ऐसा देश नहीं है आप दो तीन देशों को छोड़ दें जहां पर ऑल प्रोड्यूसिंग स्टेट हैं उनको छोड़ दें तो बाकी सबने कर्ज लिया है. जितने भी विकसित राष्ट्र मानेंगे उन सभी ने बहुत कर्ज लिया है.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह-- जयंत भाई ठीक फरमा रहे हैं. यूएसए ने तो 100 प्रतिशत से ज्यादा का कर्ज ले रखा है, लेकिन उनके पास 16 हजार टन सोना भी है. उनके पास डॉलर भी है.
श्री जयंत मलैया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अपने देश के भीतर की बात जरूर बताना चाहूंगा. बार-बार कहते हैं कि मध्यप्रदेश सबसे ज्यादा कर्ज लेता है. तमिलनाडु के ऊपर 8.33 लाख करोड़ रुपए का कर्जा है. उत्तर प्रदेश पर 7.7 लाख करोड़ रुपए, महराष्ट्र का 7.2 लाख करोड़ रुपए, पश्चिम बंगाल 6.6 लाख करोड़ रुपए कर्नाटक 6 लाख करोड़ रुपए राजस्थान हमसे बहुत छोटा है 4.9 लाख करोड़ रुपए और केरल जो और भी छोटा है उसने 4.3 लाख करोड़ रुपए का कर्ज लिया है. इससे हम पीछे हैं. स्टेट जीएसटी की भी बात हो रही थी. राज्य सरकार ने सकल घरेलू उत्पाद को वर्ष 2028-2029 तक 27.2 लाख करोड़ रुपए रखने का टारगेट फिक्स किया है और जैसा कि हमारे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने वर्ष 2047 तक हमारे देश को विकसित देश बनाने का काम किया है तो हमने भी यह लक्ष्य रखा है कि वर्ष 2047 तक हम भी अपना सकल घरेलू उत्पाद बढ़ाकर 250 लाख करोड़ रुपए कर लेंगे. हमारी सरकार ने लगातार राजस्व आधिक्य का बजट पेश किया है उसके लिए मैं अपने वित्तमंत्री जी का बहुत आभार प्रकट करता हूं, उनकी प्रशंसा करता हूं सरकार की प्रशंसा करता हूं. सभी को पता है पहले भी सदन में चर्चा हुई है कि नरेन्द्र मोदी जी ने जो ज्ञान का मंत्र दिया है ज्ञाप मतलब गरीब युवा शक्ति अन्नदाता नारीशक्ति, इसके आसपास चारो ओर मिशन पर घूमकर हमारा जो बजट है इसकी जो अवधारणा है उसके मूल में यही है. बहुत कुछ खास बिंदु जो इस बजट के हैं वह आपके माध्यम से मैं सदन के निवेदित करना चाहता हूं. सबसे पहले तो मैं एरीगेशन की बात करता हूं. अध्यक्ष महोदय, मेरे पास भी आठ वर्ष तक जल संसाधन विभाग का दायित्व रहा है और उस समय हमारी वास्तविक सिंचाई इस प्रदेश के अंदर लगभग साढ़े सात लाख हेक्टेयर थी और आठ वर्षों में बढ़ाकर हमने इसे 25 लाख हेक्टेयर किया है और यह बहुत ही प्रसन्नता की बात है कि आज हमारे प्रदेश में जो सिंचाई का रकबा है यह 50 लाख हेक्टेयर हो गया है और वर्ष 2028-2029 तक हम 1 लाख हेक्टेयर की सिंचाई अपने प्रदेश के अंदर करेंगे इसके लिए केन बेतवा परियोजना जिसका लाभ हमारे बुंदेलखण्ड को भी होने वाला है. पार्वती कालीसिंध परियोजना का कार्य प्रारंभ के अलावा आगामी वर्ष में हमारी 89 वृहद एवं मध्यम तथा 87 लघु सिंचाई योजनाओं को प्रारंभ किया जा रहा है और मैं यह विश्वास के साथ कह सकता हूं कि पिछले पांच वर्षों से मध्यप्रदेश को जो कृषि कर्मण अवार्ड मिल रहा है, इसमें इसकी महती भूमिका है. फसलें लेने से किसानों की आय दुगुनी हुई है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन हुआ है. जहां हमारे इलाके में लोग एक फसल लेते थे, अब तीन-तीन फसलें ले रहे हैं. (मेजों की थपथपाहट) यह फर्क आया है. इससे हमारा सकल घरेलू उत्पाद भी बढ़ा है और हमारे मध्यप्रदेश की सिंचाई की चर्चा अन्य राज्यों ने भी की है. हमारे यहां जो योजना मण्डल के अध्यक्ष थे, उन्होंने भी यह कहा कि यहां पर बहुत अच्छा काम हुआ है और इसके लिए मैं सरकार को बधाई देना चाहता हूँ कि उन्होंने परियोजनाओं के निर्माण के लिए, सिंचाई के लिए और सुधार के लिए 17,663 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है, जो पिछले वर्ष 2024-25 से लगभग 24 प्रतिशत अधिक है. (मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय, ज्ञान में एक आखिरी अक्षर 'एन' आता है. वह है, नारी, वूमन एमपावरमेंट. महिलाओं की सशक्तिकरण के लिए हमारे पूर्व वक्ताओं ने बताया, गोपाल भैया ने भी बताया है कि लाड़ली बहना में 1.27 करोड़ महिलाओं के लिए 18,689 करोड़ रुपये, दीनदयाल अन्त्योदय मिशन के अंतर्गत कन्या विवाह सहायता योजना हेतु 250 करोड़ रुपये, विधवा पेंशन के लिए 400 करोड़ रुपये, कन्या अभिभावन पेंशन योजना के लिए 52 करोड़ रुपये, मुख्यमंत्री श्रमिक सेवा प्रसूति योजना में 720 करोड़ रुपये, आशा कार्यकर्ताओं को अतिरिक्त प्रोत्साहन हेतु 547 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है.
अध्यक्ष महोदय, एक अध्ययन में यह आया है कि अगर महिलाओं को रोजगारमूलक कार्य में लगाया जाये, तो हमारी जीएसडीपी, अगर 10 प्रतिशत महिलाएं भी उस पर लगेंगी तो हमारे यहां का जीएसडीपी 16 प्रतिशत बढ़ेगा और उसकी शुरूआत हमारी सरकार ने कर दिया है. हमारे यहां पचमढ़ी में हमने एक होटल 'अमलतास' महिलाओं के समूह को दिया है कि वह उसको चलाएंगी. इसके अलावा हर जिले में और अलग-अलग जगह महिलाओं के लिए हमने 'दीदी कैफे' शुरू किया है और महिलाओं का पार्टिपेशन जितनी तेजी से बढ़ेगा, हमारी जीएसडीपी उतनी ही तेजी से आगे बढ़ेगी. (मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय, पिछले 6 वर्षों में 21 विभागों की केवल महिलाओं हेतु योजनाओं का बजट दुगना कर दिया गया है. इसी दिशा में यह सार्थक कदम भी है. फार्मर्स वेलफेयर के लिए गोपाल भैया ने बताया, हमारे वित्त मंत्री जी ने भी कहा, सभी लोगों ने कहा है, यह बात छिपी नहीं है. मैं इसको रिपीट नहीं करना चाहता हूँ. परन्तु फिर भी यह बात सही है कि 80 लाख किसानों के लिए हम 6,000 रुपये और 6,000 रुपये, इस प्रकार कुल 12,000 रुपये दे रहे हैं, डायरेक्ट ट्रांसफर के द्वारा दिया जा रहा है. फसल बीमा योजना में वर्ष 2021 में 58,257 करोड़ रुपये का बजट, पिछले वर्ष 13,409 करोड़ रुपये का बजट, गेहूँ के समर्थन मूल्य पर बोनस, धान के उत्पादन पर प्रति हेक्टेयर 4,000 रुपये है.
अध्यक्ष महोदय, इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट की बात करें तो अक्सर लोग आलोचना करते हैं कि पहले भी इन्वेस्टर्स मीट हुई हैं और उसके कोई बहुत अच्छे परिणाम नहीं आये और आलोचना होती है. सबसे पहली इन्वेस्टर्स मीट, आदरणीय श्री शिवराज सिंह जी सरकार में किया गया था, उस समय मैं उद्योग मंत्री था और वह मीट इन्दौर में हुई थी. आप जो कह रहे हैं, वह सही कह रहे हैं. उस समय पूंजी निवेश नहीं आया, परन्तु उसके बाद जो आपके वहां पूरी 200 फीट वाली सड़क है, वह सारी आईटी सेक्टर से भर गई. लोगों को समझने में समय लगता है. (मेजों की थपथपाहट) अब हमारे मित्र तो सदन से उठकर चले गए हैं, परन्तु यह जो कर रहे हैं. जो पहले सब होता रहा है, उसका असर अब पड़ रहा है. अब पूरे देश में माहौल बन रहा है. अब सभी कहते हैं कि मध्यप्रदेश देश के मध्य में है, हमारा प्रदेश वायु, रेल और सड़क मार्ग से बड़े अच्छे से जुड़ा हुआ है. आपके पास भूमि है, बिजली है, पर्याप्त मानव संसाधन हैं, क्या नहीं है, अब धीरे-धीरे यह हो रहा है. यहां जो पूंजी निवेश के प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं, वे धीरे-धीरे धरातल पर आते जायेंगे और इससे प्रदेश में रोजगार भी बढ़ेगा. मुख्यमंत्री जी ने इन्वेस्टर्स समिट किया था, उसका भी असर हो रहा है. 14 हजार 5 सौ एकड़ में 39 नवीन औद्योगिक क्षेत्र विकसित किये जाने का लक्ष्य है. इसके लिए भी आलोचना हो रही है कि निवेश के प्रोत्साहन हेतु राशि खर्च क्यों की जा रही है, हम इसके लिए 2 हजार करोड़ रुपये खर्च कर रहे हैं और MSME के लिए 12 सौ 50 करोड़ रुपये खर्च कर रहे हैं, इसका असर भी आगे आने वाले समय में दिखेगा. इससे लाखों लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे. हमें प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में तैयार 18 नवीन नीतियों के फलस्वरूप, 26 लाख 61 हजार करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव मिले हैं. (मेजों की थपथपाहट)
माननीय अध्यक्ष महोदय, गरीब कल्याण के लिए, अनुसूचित जाति उपयोजना में प्रावधान 16.2 प्रतिशत बढ़ाकर, 32 हजार 6 सौ 33 करोड़ रुपये, अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों को आकांक्षा योजना में प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग हेतु 20 करोड़ 52 लाख रुपये का प्रावधान, अनुसूचित जनजाति विभाग हेतु प्रावधान 23.6 प्रतिशत बढ़ाकर, 47 हजार 2 सौ 96 करोड़ रुपये किया गया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, गरीब कल्याण एवं सामाजिक क्षेत्र, स्वास्थ्य एवं महिला बाल विकास हेतु 50 हजार 3 सौ 33 करोड़ रुपये का प्रावधान है निश्चित ही इससे सरकार द्वारा समाज के इन वर्गों के उत्थान की प्रतिबद्धता परिलक्षित होती है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, Infrastructure (आधारभूत संरचना) की बात करूंगा, राजेन्द्र भईया, आपकी सरकार थी, कब थी ?
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह- भूल गए.
श्री जयंत मलैया- बहुत साल हो गए, उस समय एक नारा चलता था, लोग कहते थे कि मध्यप्रदेश में सड़क में गड्ढे हैं कि गड्ढों में सड़क. आप सभी ने यह सुना होगा. गोपाल भईया ने अभी कहा कि उन्होंने सड़क मार्ग से भोपाल आना ही छोड़ दिया था, 8 घंटे लगते थे. हमने भी छोड़ दिया था, ट्रेन में बैठे और आ गए. किंतु केंद्र सरकार द्वारा पूंजीगत परिव्यय हेतु विशेष सहायता हेतु इस वर्ष पूंजीगत परिव्यय 64 हजार 7 सौ 38 करोड़ रुपया और अगले वर्ष बढ़ाकर 85 हजार 76 करोड़ रुपये हो जायेगा. वर्ष 2024-25 में 3 हजार 750 किलोमीटर सड़कों का निर्माण एवं उन्नयन तथा 850 किलोमीटर सड़कों का नवीनीकरण किया जायेगा. आगामी वर्ष में 116 रेलवे अंडरब्रिज और आगामी 5 वर्षों में 1 लाख किलोमीटर सड़कें बनाने का लक्ष्य है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, मुख्यमंत्री मजरा-टोला योजना का उल्लेख करना चाहूंगा कि अभी हमारे गांव के मजरे-टोले प्रमुख सड़कों से जुड़े हुए नहीं हैं, अभी यह सुनिश्चित किया गया है कि इन्हें मुख्य सड़कों से जोड़ा जायेगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जल जीवन मिशन के लिए 17 हजार 1 सौ 36 करोड़ रुपये का प्रावधान है. प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत शहरी क्षेत्रों में अभी तक हम 8 लाख 30 हजार मकान बनाकर दे चुके हैं. आगामी 5 वर्षों में हम 10 लाख नए मकान और बनाकर देंगे. (मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय -- जयंत भाई, थोड़ा संक्षिप्त करना पड़ेगा.
श्री जयंत मलैया -- जी, मैं कनक्लूड कर देता हूँ. अध्यक्ष महोदय, मैं अंत में यही कहना चाहता हूँ कि हमारी सरकार ने पिछले वर्ष की तुलना में 15 प्रतिशत अधिक राशि का प्रावधान कर, 4 लाख 21 हजार 32 करोड़ रुपये का बजट प्रस्तुत कर, जनता के लिए जनता का बजट प्रस्तुत किया है. हमारी सरकार ने बेहतर वित्तीय प्रबंधन और कुशल नेतृत्व का पैगाम दिया है. इसलिए मैं इस बजट के प्रस्तावों का पूर्ण समर्थन करता हूँ. अपनी वाणी को इन्हीं शब्दों के साथ, जो हमारी सरकार के प्रयासों को दर्शाता है, समाप्त कर विराम देना चाहूँगा कि -
मंजिलें बड़ी जिद्दी होती हैं,
हासिल कहां नसीब से होती हैं,
मगर वहां तूफान भी हार जाते हैं,
जहां कश्तियां जिद पर होती हैं.
जय हिन्द, जय भारत.
अध्यक्ष महोदय -- वाह जयंत भाई. जो व्यक्ति एक बार वित्त मंत्री रह लेता है, तो उसको शेर का अच्छा ज्ञान हो जाता है. (हंसी). समय का सभी लोग ध्यान रखें.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह (अमरपाटन) -- माननीय अध्यक्ष जी, आप थोड़ा और देर से आते तो ज्यादा बेहतर रहता. (हंसी). यहां सबने खूब खेला है. हमारी बारी में आप आ गए.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय वित्त मंत्री जी द्वारा प्रस्तुत बजट प्रस्ताव वर्ष 2025-26 के विषय में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूँ. बहुत से ऐसे मामले हैं, जिन पर मेरी असहमति है. लेकिन कुछ बातों के लिए मैं प्रशंसा भी करूंगा. अध्यक्ष महोदय, मेरी असहमति इसलिए है कि बजट का आकार ही देख लीजिए. लगभग 4 लाख 21 हजार करोड़ रुपये के बजट प्रस्ताव हैं और सरकार पर आज की तारीख में 4 लाख 21 हजार करोड़ रुपये का कर्जा भी है. शायद 5-6 दिनों बाद 6 हजार करोड़ रुपये और बढ़ जाए. इन सब चीजों को बचाने के लिए और एक सुनहरी तस्वीर पेश करने के लिए जो भारतीय जनता पार्टी के सबसे सीनियर दो नेता हैं, दोनों बहुत विद्वान हैं, वित्त मंत्री के पद को सुशोभित किया है, गोपाल भैया ने पीडब्ल्यूडी, सहकारिता के मंत्री के पद को सुशोभित किया है. यह संयोग है कि इस बार मंत्री नहीं हैं, नहीं तो, उन लोगों को यहां पर इस फ्लोर ऑफ द हाऊस में खड़ा किया गया, इसलिए लगता है कि कहीं न कहीं कुछ तो झोल है. क्यों इतने सीनियर नेता बोलने के लिए खड़े हुए.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जो राजकोषीय घाटा है, उसको भी पंख लग रहे हैं और इस वर्ष 4.66 प्रतिशत की वृद्धि इसमें हुई है. जो किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए, बजट के लिए संतोषजनक नहीं कही जा सकती. मैं यह भी कहना चाहूँगा कि इसी भारतीय जनता पार्टी की सरकार में वर्ष 2023-24 में वित्तीय घाटा, जो आपका राजकोषीय घाटा है, वह कमोवेश, एफआरबीएम एक्ट के जो प्रावधान हैं, जो अनुशंसाएं हैं, उसके लगभग वह बराबर था, 3 दशमलव कुछ प्रतिशत था. लेकिन क्या बात है कि इस बार इतनी रफ्तार से बढ़ रहा है. कर्ज, जैसा कि जयंत भाई ने कहा कि सब लोग ले रहे हैं, हर सरकार ले रही है. शायद मैंने गलती की, उठकर, खड़े होकर, अमेरिका का भी उदाहरण दे दिया. लेकिन उसके कारण हैं, वह बड़ी भारी आर्थिक ताकत है. लेकिन निरंतर हम कर्ज लेते जा रहे हैं और उसका अपव्यय हो रहा है. सही दिशा में व्यय नहीं हो रहा है. मैं इसलिए भी इस बजट को सपोर्ट नहीं कर रहा हूँ, आज दिनांक 17 मार्च है, 31 मार्च को वर्ष खत्म हो जाएगा.
अभी भी बहुत से विभागों के एलोकेटेड बजट हैं पिछले वर्ष के 2024-25 के, वह खर्च नहीं हो पाए. अभी हमारे विद्वान साथी बाला बच्चन जी ने इन सबका उल्लेख किया. विभागवार उन्होंने जानकारी दी. मैं बहुत से आंकड़े नहीं देना चाहता.बाला बच्चन जी ने बहुत से आंकड़े दिये हर मांग संख्या के बारे में उन्होंने चर्चा की. माननीय गोपाल भार्गव जी ने अपने स्वभाव से हटकर उनका भाषण हो रहा था. लंबा समय हो गया इतनी प्रशंसा वे किसी की करते नहीं हैं जितनी आज कर रहे थे. यह तो राज की बात है. राज को राज ही रहने दें.
अध्यक्ष महोदय - प्रशंसा को तो अच्छा संकेत ही माननी चाहिये.
डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह - मैं गलत कहां कह रहा हूं. अपने स्वभाव से हटकर अध्यक्ष जी, गोपाल जी आज बड़ी प्रशंसा कर रहे थे. क्या बजट स्वागत योग्य है उनका अपना अपना नजरिया है. उन्होंने जब अपना बजट भाषण शुरू किया. चूंकि बहुत विद्वान हैं और धार्मिक प्रवृत्ति के हैं. भगवान शिव के लिये उन्होंने एक स्तुति कही नमामि शमीसा, तो उनसे भी आज प्रेरणा मिल रही है कि कुछ हम उनसे सीखें उनका अनुसरण करें. मैं कभी-कभी शिव ताण्डव स्त्रोत पढ़ लेते हैं कभी-कभी यदा कदा.
" जटा टवी गलज्जल प्रवाह पावितस्थले, गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्ग तुङ्ग मालिकाम् | डमड्डमड्डमड्डमन्निनाद वड्डमर्वयं, चकार चण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम्|| "
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष जी, दो प्रवृत्तियां हैं. मैंने शंकराचार्य जी द्वारा रचित रुद्राष्टक की कुछ लाईनें कहीं और माननीय राजेन्द्र जी रावण के द्वारा रचित शिव ताण्डव स्त्रोत की बात कर रहे हैं.दूसरी बात आप मेरी जगह यहां होते तो आप भी वही करते जो मैं कर रहा हूं. इसके अलावा विकल्प क्या है. इसीलिये क्षमा करें अन्यार्थ में न लें. स्वभाव कभी बदलता नहीं वह जन्मजात होता है.
अध्यक्ष महोदय - गोपाल जी की जो प्रशंसा की थी वह वापस ले लो.
डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह - नहीं. मैं इतना कृपण नहीं हो सकता. मेरा स्वभाव नहीं है. पता नहीं वह मेरा क्या मूल्यांकन करते हैं. वह प्रशंसा योग्य ही है.
अध्यक्ष महोदय - अच्छा है हास-परिहास होते रहना चाहिये.
डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह - यह अच्छे स्वास्थ्य का कारण भी तो है.
श्री गोपाल भार्गव - स्वभाव चिंतन जो कुछ भी कह लें. मैंने कुछ पंक्तियां रुद्राष्टक की कहीं. चूंकि उज्जैन महाकाल जी के कारण कहीं.
करालं महाकाल कालं कृपालं। गुणागार संसारपारं नतोहं॥
मैंने तो आदि शंकराचार्य जी द्वारा रचित कहीं. आप रावण द्वारा रचित शिव ताण्डव कह रहे हैं तो हमारे आपके स्वभाव कैसे मिल सकते हैं.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - रास्ते अलग-अलग हैं ठिकाना तो एक है वह भी शिव की आराधना कर रहे हैं आप भी शिव की आराधना कर रहे हैं.
श्री शैलेन्द्र जैन - अध्यक्ष जी, बजट पर चर्चा हो रही है. आंकड़ों पर कम,आध्यात्मिक विषयों पर ज्यादा चर्चा हो रही है. बड़ा सुखद है.
अध्यक्ष महोदय - भारत इस समय आध्यात्मिक ऊंचाई पर है.
श्री गोपाल भार्गव - बजट की विशेषता यही है इसे दो हिस्सों में बांटकर मैंने देखा,जो समझा. एक आध्यात्मिक विषय पूरे बजट में जो समावेश किया गया है. चाहे चाहे रामपथ गमन पथ का हो, चाहे कृष्ण पाथेय का हो,चाहे ओंकारेश्वर का हो, चाहे उज्जैन का,महाकाल का पहला बजट ऐसा है जिसमें आध्यात्म के साथ विकास की बात कही गयी है.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय-- माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत अच्छा लग रहा है, बहुत लंबे वर्षों के बाद में दो विद्वान परस्पर बात कर रहे हैं, ज्ञान का, धर्म का, विद्वतता का, पुराने अनुभवों का निश्चित रूप से नये सदस्यों को और हम सबको भी बहुत प्रेरणादायक उद्वबोधन मिल रहा है और दोनों ही एक दूसरे की विद्वतता को जैसे चुनौती दे रहे हैं तो और नई-नई बात निकलकर आ रही है, माननीय अध्यक्ष महोदय बहुत प्रशंसनीय है.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं गोपाल भैया को चुनौती दे ही नहीं सकता ये तो हमारे लिये ब्राम्हण देवता है, मेरा स्थान तो उनके श्री चरणों में ही है, मैं चुनौति दे ही नहीं सकता, लेकिन मैं इनको यह बताना चाहूंगा.
श्री गोपाल भार्गव-- माननीय अध्यक्ष महोदय
बिप्र धेनु सुर संत हित लीन्ह मनुज अवतार।
निज इच्छा निर्मित तनु माया गुन गो पार॥
आपको मालूम होगा ब्राम्हण और गाय की रक्षा के लिये ही भगवान ने अवतार लिया था, यह आपको मालूम होना चाहिये तो इसलिये यदि आप करते हैं तो मैं भी आपको प्रणाम करता हूं, लेकिन यह हमारी पौराणिक व्यवस्था में भी है.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपकी अनुमति हो तो बात आगे बढ़ाऊं.
श्री राकेश सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हम कह सकते हैं कि आप क्षत्रिय धर्म का पालन कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- राकेश जी, प्लीज अब राजेन्द्र कुमार सिंह जी को अपनी बात पूरी करने दो नहीं तो टाइम पूरा खत्म हो गया और भाषण अभी शुरू ही नहीं हुआ.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी तो मुझे विधायक धर्म का पालन करने दो.
अध्यक्ष महोदय-- अब आप किसी का कुछ मत सुनो, अपना विषय पूरा करो.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह-- माननीय अध्यक्ष जी, अब ऐसे ऐसे लोग खड़े होते हैं, अब आपका आदेश है तो अलग बात है. लेकिन अब इनका सम्मान तो हमें करना ही पड़ता है. माननीय अध्यक्ष जी, मैं समझ रहा था कि यह प्रतिक्रिया देंगे. लेकिन यह भूल जाते हैं, भूले तो नहीं होंगे सवाल ही नहीं है वह ब्राउनी प्वाइंट्स स्कोर करने वाली एक बात होती है अब हिन्दी में क्या कहते हैं जयंत भैया बतायेंगे. मैं जानता था कि यह कहेंगे कि रावण ने उसको रचा था पर आप यह भी जानते होंगे न कि सबसे बड़ा शिवभक्त था कौन, वह रावण ही था, ठीक है, रावण बना दिया, लेकिन मैं शिव भक्त तो हूं, सबसे बड़ा शिवभक्त.
श्री गोपाल भार्गव-- आप गलत अर्थ में ले गये, मैंने रावण बनाया नहीं, मैं तो चिंतन की बात कर रहा था कि एक तरफ ऐसा चिंतन है आपको भाई साहब कैसे कह सकते हैं आप तो हमारे बड़े भाई हैं हम आपके लिये प्रणाम करते हैं, ऐसा संभव ही नहीं है, ऐसा कैसे आप सोच रहे हैं.
श्री सोहनलाल बाल्मीक-- माननीय अध्यक्ष जी, दोनों का अलग से सतसंग करवा देना.
श्री गोपाल भार्गव-- मैं आपको नमस्कार कर रहा हूं, आप गलत सोच रहे हैं विचारधाराओं की बात मैंने कही थी कि मैं रूद्राष्टक की बात कर रहा हूं और आप शिव ताण्डव की बात कर रहे हैं.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह-- यह जो बात मैंने कही यह जुवान पर थी, दिल में नहीं गई वह बात यह सिर्फ जुवान की थी तो ऐसा मैंने कुछ अर्थ का अनर्थ नहीं लिया है क्लीयर कर रहा था. माननीय अध्यक्ष महोदय, विषय पर आता हूं. 12 तारीख को जब माननीय वित्तमंत्री जी बजट प्रस्तुत कर रहे थे सदन में मुख्यमंत्री जी भी उपस्थित थे सदन के नेता. एकाएक दर्शक दीर्घा में, आपकी अध्यक्षीय दीर्घा में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी आये, आपने उनका अभिवादन किया परंपरा ही है सदन की, जब वित्तमंत्री जी पढ़ रहे थे वह गौर से सुन रहे थे मैं भी ऐसे ही देख रहा था अभी-अभी दो-दो बेटों की शादी हुई है, चेहरे में उनकी चमक और जिस तरह से उनका डांस हुआ, छरहरा वदन तो उनका है ही, मैं देख रहा था शिवराज जी को तो शायद उनके दिमाग में यह बात आ रही थी कि ''कोई लौटा दे मेरे बीते हुये दिन'' फिर जब आगे और बढ़े वित्तमंत्री जी बीच में माननीय मुख्यमंत्री जी ने शायद कोई खड़ा हुआ था, कुछ बात उन्होंने कही कुछ तनाव की रेखायें नहीं आई शिवराज सिंह जी की भाव भंगिमा में कुछ परिवर्तन आया और फिर मुझे गालिब साहब का शेर याद आ गया. बने हैं शाह का मुसाहिब, ऐसा सोच रहे होंगे वह, ऐसा मैं सोचता हूं, समझियेगा इस बात को, जो वरिष्ठ लोग हैं वह समझ रहे हैं.
श्री कैलाश जी तो बिल्कुल समझ रहे होंगे, राकेश जी भी समझ रहे होंगे, सभी समझ रहे होंगे, बहुत वरिष्ठ लोग है.
बना है शाह का मुसाहिब फिरे है इतराता
वगर्ना इस शहर में 'ग़ालिब' की आबरू क्या है
और शाह का मुसाहिब कौन है, यह सब कोई जानते हैं, यह सारी चीजें मैंने देखी तो मैंने कहा कि वक्त किस तरह से बदलता है और एक लेबल करके लोगों को रख देता है, आज वह भारत सरकार में कृषि मंत्री है, लेकिन जो रूतबा रोब, जो प्रतिष्ठा प्रदेश के एक मुख्यमंत्री की होती है, मैंने बहुत मुख्यमंत्री देखे, केबिनेट मंत्री भी देखे, वह यहां पर दिल्ली में केबिनेट में नहीं होती है.
अध्यक्ष महोदय, अब यहां पर बजट प्रस्तुत हुआ, माननीय जो सत्ता पक्ष है उसकी भारी संख्या है, हमारी संख्या कम है, लेकिन जो यह शेर इनके दिमाग में आया मेरे दिमाग में भी आया यह भी गालिब साहिब का है,
नैरंगी-ए-सियासत-ए-दौराँ तो देखिए
मंज़िल उन्हें मिली जो शरीक-ए-सफ़र न थे
यह मेरे दिमाग में भी बात आई. (श्री शैलेन्द्र कुमार जैन, सदस्य द्वारा अपने आसन से कहने पर) अब यह समझने वाले समझ गये हैं, न समझे वह अनाड़ी हैं, अब हम क्या बतायें( हंसी)
अध्यक्ष महोदय -- (श्री शैलेन्द्र कुमार जैन, सदस्य द्वारा अपने आसन से कहने पर) शैलेन्द्र जी जब आप बोलो तो अपने लिये शेर यादकर रखना(हंसी)
संसदीय कार्यमंत्री(श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- शिवराज जी यहां पर नहीं है, आपने शिवराज जी का जिक्र किया है तो शिवराज जी की ओर से मैं एक शेर सुना देता हूं(हंसी)
डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, ऐसा नहीं चलेगा, यह नहीं चलेगा, सुनाना शिवराज जी को ही पड़ेगा भले दूसरी सभा में सुना लें.
श्री कैलाश विजयवर्गीय --
(मेजों की थपथपाहट)
डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय राज्यपाल के अभिभाषण में मुझे बोलने का अवसर नहीं मिला था, मैं उस दिन नहीं था. मैंने वित्तमंत्री जी का तो भाषण पूरा सुना है, हां आपने एक परंपरा जरूर डाल दी कि हम लोगों को उस दिन पुस्तकें नहीं मिली, नहीं तो उसी समय आदमी देख लेता था, कुछ मानस बनाता था. मुख्यमंत्री जी शिव भक्त तो हैं ही महाकाल के उपासक भी हैं और सरस्वती की कृपा भी उनके ऊपर है, उनका नाम भी गोपालीय है, वह धाराप्रवाह बोल रहे थे, कांग्रेस शेर खा गई, बाघ जो थे वह कांग्रेस खा गई, यह मिल बंद हो गई, वह मिल बंद हो गई, जे.सी. मिल बंद हो गई (अध्यक्ष महोदय की ओर देखकर) आपका ही इलाका है, हुकुमचंद मिल बंद हो गई(संसदीय कार्यमंत्री, श्री कैलाश विजयवर्गीय की ओर देखकर) वह भाई साहब का इलाका है और विनोद मिल बंद हो गई, वह स्वयं मुख्यमंत्री जी का इलाका है, पर इसकी वास्तविकता क्या है, हुकुमचंद मिल कब बंद हुई, वह कपड़े की सबसे बड़ी मिल थी, मध्यप्रदेश और हिंदुस्तान में भी उसका नंबर एक था, उसमें 16 हजार मजदूर काम करते थे, किसी मिल में आपको इतने मजदूर नहीं मिलेंगे, पूरी अर्थव्यवस्था ग्वालियर शहर की माननीय अध्यक्ष महोदय, आपसे बेहतर तो हम नहीं जानते, हो सकता है हम कुछ गलत बयानी भी कर रहे हैं, लेकिन 16 हजार मजदूरों के कारण जो उनका माहवार पैसा जाता था, कितने परिवार चलते थे, अर्थव्यवस्था चलती थी, जब पैसा मार्केट में आता है, तो दुकानें चलती हैं, दुकानें चलती हैं तो फिर प्रोडक्शन बढ़ता है, एक सायकल शुरू होता है, लेकिन यकायक वर्ष 1992 में इतनी बड़ी मिल का पहिया थम गया और उसका एक बहुत छोटा सा कारण था, शायद उस कारण को आप जानते होंगे, उस मिल के बिजली का कनेक्शन काट दिया गया. बिजली का बिल बकाया था. मैनेजमेंट बिरलॉज का था जैसा कि आप जानते हैं नाम युवा जी राव कॉटन मिल उस मिल ने बिजली का बिल ना देने के कारण उस मिल का बिजली का कनेक्शन काट दिया गया. यह निर्णय सियासी थी. मैं नहीं कहता हूं कि मुख्यमंत्री जी ने आदेश दिये होंगे. लेकिन स्थानीय स्तर की जो सियासत थी, शहर की सियासत थी उसके कारण इतनी बड़ी मिल के बिजली का कनेक्शन काटा गया, वह मिल बंद हो गई. यह मुख्यमंत्री जी शायद नहीं जानते. इसके बाद हुकमचंद मिल यह भी 1992 में बंद हुई थी. अगर गलत हूं तो बता दीजियेगा. 1992 में किसकी सरकार थी, कौन मुख्यमंत्री था मध्यप्रदेश में आदरणीय सुंदरलाल पटवा जी थे और भाजपा की सरकार थी ? हां मैं आपके मुख्यमंत्री जी को बताना चाहूंगा आपके माध्यम से कि विनोद मिल उज्जैन की जब बंद हुई तो उसके गुनाहगार हम लोग शायद हो सकते हैं, हालांकि कारण वहां के सेठ जो मालिक थे, वह दिवालिया हो गये थे जिसके कारण मिल बंद हो गई थी. राज्य परिवहन निगम जो सबसे बड़ा मध्यप्रदेश का निगम था वह किसके कार्यकाल में बंद हुआ था. माननीय वित्तमंत्री जी आपको इसकी जानकारी होगी.
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय)—अध्यक्ष महोदय, मैं जानकारी के लिये आपको बताना चाहता हूं कि सिर्फ मध्यप्रदेश की ही मिलें बंद नहीं उस समय सारे देश के कपड़ा मिलें बंद हुई. वह केन्द्र सरकार की गलत नीति के कारण बंद हुई उस समय बड़े उद्योगपति को मदद करने के लिये उस तत्कालीन प्रधानमंत्री जी ने सूती वस्त्र निगम की पूरी की पूरी पॉलिसी बदल ली उस वक्त देश के सारे मिल बंद हो गये. एक नहीं सारे मिल जैसे अहमदाबाद बंद हुआ, महाराष्ट्र बंद हुआ, मुम्बई में इतने बड़े बड़े आंदोलन हुए, यह आप सब जानते हैं इसलिये छोटी सी बात के लिये आप मुख्यमंत्री पर आरोप लगायें, ऐसा नहीं है. उसके पीछे तत्कालीन प्रधानमंत्री जी जिम्मेदार थे.
डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह—अध्यक्ष महोदय, माननीय कैलाश जी आप इतनी सी छोटी सी बात के लिये आप प्रधानमंत्री जी के ऊपर आरोप लगा रहे हैं. इसका मतलब है कि उस समय कपड़ा बनना बंद हो गया था हिन्दुस्तान में, सवाल ही नहीं है.
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय—अध्यक्ष महोदय, कपड़ा मिल के अलावा उज्जैन संभाग में ही महत्वपूर्ण शुगर मिल थी, ब्यावरा शुगर मिल थी, बालोदा शुगर मिल थी. वर्ष 1975 से 1990 के दौरान जो उनका शोषण किया गया, उसके माध्यम से राजनीतिक कार्यक्रम किये गये इतना व्यय किया गया और उनके ऊपर आर्थिक बोझ डाल दिया गया उसके कारण ही तीनों मिलें बंद हो गई थीं.
अध्यक्ष महोदय—राजेन्द्र कुमार जी आप बजट पर बोलें तो ठीक रहेगा.
डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह—अध्यक्ष महोदय, मिल तो बजट का ही हिस्सा है.
अध्यक्ष महोदय—यह बहुत ही पुरानी चीजें हो गई हैं.
डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह—अब नई कहानी भी तो है.
अध्यक्ष महोदय—कोई नई कहानी नहीं है. अवशेष ही मिट गये हैं. (हंसी)
डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह—अध्यक्ष महोदय, श्रेय भी हम देंगे, आप श्रेय लेने को तैयार ही नहीं हैं. बेवजह मेरी आलोचना कर रहे हैं.
श्री कैलाश विजयवर्गीय—सबसे बड़े भुगत-भोगी आपके पीछे बैठे हैं. माननीय भंवर सिंह जी आप उनसे पूछ लीजिये, वह उस मिल में काम करते थे. वह कुछ बोल ही नहीं रहे हैं.
श्री भंवर सिंह शेखावत—मेरा नंबर आ रहा है.
डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह—अध्यक्ष महोदय, रीहेबिलीटेशन के लिये उसके एक बिल की बात करूंगा हुकुमचंद मिल की. श्री कैलाश जी उनसे नजदीकी से जुड़े रहे मुझसे भी मिलते थे तब मैं उद्योग मंत्री था वह लिक्वीटेशन में गई ऑफिशीयल लिक्विडेटर नियुक्त हुआ,डेट टू रिकव्हरी ट्रिब्यूनल के तहत. उसने जो पैकेज बनाया मुझे स्मरण है कि 435 करोड़ 89 लाख का पैकेट बना उसमें से मजदूरों को 229 करोड़ रूपये मिले. हाईकोर्ट ने उसको एप्रूव कर दिया. यह जरूर है कि इस प्रक्रिया में बहुत लंबा वक्त लग गया. 10 साल लग गये. मोदी जी ने पैसा भी बांटना शुरू कर दिया. माननीय कैलाश जी ने यहां पर जानकारी दी. अच्छा है मजदूरों को पैसा मिले, किसे आपत्ति हो सकती है. इस स्तर तक निराकरण की स्थिति तक पहुंचा मामला. और वह इस स्तर पर मामला निराकरण की स्थिति पर पहुंचा. जितने भी इंदौर के नेता हैं, उसमें सभी को श्रेय जाता है. इसमें माननीय कैलाश भाई को भी श्रेय जाता है. माननीय सुमित्रा महाजन जी, मेंदोला जी भी हैं शेखावत जी भी बैठे हैं. माननीय गौड़ जी को भी जाता है. बहुत सारे लोग हैं. सभी को श्रेय जाता है. उसका रिहेबिलिटेशन हुआ, मजदूरों को उनका हक मिला.
अध्यक्ष महोदय, मैंने राज्य परिवहन की बात की. राज्य परिवहन सेवा वर्ष 2005 में बंद हुई थी. शायद उस समय माननीय कैलाश विजयवर्गीय जी मंत्री हो गए थे. दीदी के साथ थे. जब राज्य परिवहन सेवा बंद हुई, तब लोगों ने रोका नहीं. लोगों ने कहा, अच्छा ताला लग रहा है. निजी मालिकों की खूब बसें दौडे़ंगी. लोग खूब पैसा बनाएंगे. अब वह अपनी-अपनी राजनैतिक सोच है, प्रतिबद्धता है लेकिन पुन: शुरू करने की बात यहां पर आ रही है शायद वित्त मंत्री जी ने अपने बजट भाषण में इसको रखा है. माननीय वित्त मंत्री जी, शायद आपने उसको पुन: ग्रामीण सेवा के रूप में शुरू करने का रखा है, यह एक स्वागतयोग्य कदम है. मैंने शुरू में कहा था कि आपने जो अच्छे काम किए हैं, मैं उसकी प्रशंसा भी करूंगा.
अध्यक्ष महोदय, आपने सिंहस्थ के लिए 2 हजार करोड़ रूपए की राशि रखी है. वह भी स्वागतयोग्य है. लेकिन यह सुनिश्चित जरूर कर लीजिए कि माता क्ष्िाप्रा का जल गंदा न हो. भक्तों को डुबकी लगाने के लिए साफ जल मिले और व्यवस्थाएं चाक-चौबंद रहें, ताकि कहीं कोई घटना-दुर्घटना न हो. मैं इसके लिए समर्थन करता हॅूं. हम सरकार की प्रशंसा कर रहे हैं. हमारा कोई समर्थन ही नहीं कर रहे हैं. माननीय कैलाश जी चले गए नहीं तो वे कहते.
अध्यक्ष महोदय, श्रीकृष्ण पाथेय के लिए 10 करोड़ की जो राशि स्वीकृत की गई है, उसका मैं स्वागत करता हॅूं. उसी तरह राम पथ गमन के लिए 30 करोड़ रूपए की राशि आवंटित की गई है. इसमें राम पथ गमन है या राम गमन पथ है, इस पर शोध होना चाहिए. माननीय गोपाल जी, इसको क्लियर करेंगे. आप बडे़ विद्वान हैं.
श्री गोपाल भार्गव -- वह राम गमन पथ है.
डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह -- अध्यक्ष महोदय, देखिए यह स्पष्ट हो गया. यह बजट भाषण में गलत लिखा है. बहुत-सी चीजें गलत लिखी हैं. यह राम गमन पथ है. इसके लिए बजट में आपने 30 करोड़ रूपए की राशि आवंटित की है, मैं इसका स्वागत करता हॅूं. चूंकि अब यहां इंडस्ट्रीज़ की बात हुई और हाल ही में ग्लोबल इनवेस्टर्स समिट हुई थी. उसमें हर संभाग में जो रीज़नल कॉन्क्लेव हुए थे, उन सबमें मिलाकर लगभग 30 लाख 66 हजार करोड़ रूपए के पूंजी निवेश के प्रस्ताव सरकार को मिले हैं. बड़ी पीठ ठोकी गई. ठीक भी है. आंकडे़ अच्छे लगते हैं. किसको अच्छे नहीं लगते हैं. जैसे भोजन अच्छा लगता है, तो आंकडे़ भी अच्छे लगते हैं. 15 लाख लोगों को रोजगार देने की बात हुई लेकिन मैं अपने अनुभव से कहना चाहूंगा कि अध्यक्ष महोदय, कि हमारे जो उद्योगपति हैं, बड़े चतुर होते हैं. पैसे वाला तो चतुर होता ही है, नहीं तो अगर चतुर न हो तो पैसा नहीं कमा सकता है. घर से विंडो शापिंग करने के लिए जिस तरह से महिलाएं खा-पीकर दोपहर को निकलती है, मॉल जाती हैं, अलग-अलग दुकानों में जाती हैं, यह भी देखती है, वह भी देखती हैं और फिर बाद में वहां से तो कुछ खरीदती नहीं हैं, एक पिज्जा या बर्गर खाकर घर चली जाती हैं तो इस तरह से हालत इन उद्योगपतियों की होती है. विशेषकर जब आप इतने बड़े बड़े आयोजन करते हैं. मैं तो इसको एक तमाशा कहता हूं. अरे, आप उनसे वन टू वन बातचीत करिए, क्यों आप अपव्यय करते हैं. 100 करोड़ रुपये की राशि खर्च की गई, कितनी बदनामी हुई, जब वहां पर ऐसे लोग भी घुस गये, जो सिर्फ खाने के लिए घुस गये. वहां पर प्लेटें तोड़ी गईं, लूटी गईं. यह दृश्य अच्छा नहीं लगा. यह भाजपा सरकार या विपक्ष की बात नहीं है. मध्यप्रदेश की तस्वीर भी वहां से उभरती है. इन चीजों पर ध्यान देने की आवश्यकता है. आप फोकस करिए. छोटे उद्योगों पर, एमएसएमई कुटीर उद्योगों पर, इनफार्मल सेक्टर जो है, वह रोजगार देता है. उससे ग्रोथ इंजन, रूरल इंडिया का या रूरल मध्यप्रदेश का और तेजी से आगे बढ़ेगा. उस पर हमारा फोकस होना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय - आप कृपया समाप्त करें.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह - अध्यक्ष महोदय, बजट के विभिन्न मदों के बारे में श्री बाला बच्चन जी ने बड़े विस्तार से उल्लेख किया है और आंकड़ें भी उन्होंने प्रस्तुत किये हैं. मैं उनको दोहराना नहीं चाहता हूं. लेकिन कुछ बातें जरूर मैं आपके सामने रखना चाहता हूं कि हमारे यहां एक राजाधिराज श्री राम मंदिर बन रहा है और आपको यह जानकर सुखद आश्चर्य भी हो कि यह राज्य सरकार बनवा रही है. वर्ष 2002-03 में इसका शिलान्यास हुआ था. 1.75 करोड़ रुपये की योजना थी और शिलान्यास में माननीय श्री अर्जुन सिंह जी तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री थे, वह आए थे और स्वामी अवधेशानंद जी गिरि वह भी हेलिकाप्टर से आए थे, उसका वहां शिलान्यास हुआ. नागरशैली का वह मंदिर है और सोमपुरा ब्रदर्स जिन्होंने अयोध्या का मंदिर बनाया है, सोमनाथ का मंदिर बनाया है, वही परिवार, वह लोग उसको बना रहे हैं. वहां के जो पुराने पुजारी थे, उनको लालच आई कि सारा पैसा उनको मिल जाय. उस समय करीब 3.50 करोड़ रुपये मंदिर के मद में थे. यह जो पैसा है वह सरकार ने नहीं दिया था. चूंकि बाण सागर बांध हमारे यहां पर बना है, उस बांध के जलभराव के क्षेत्र में यह मंदिर डूबे और चूंकि उसमें जानते हैं जहां कोई लावारिस स्थिति होती है मंदिरों की तो उसमें प्रशासक कलेक्टर लिख जाता है अपने आप में, कलेक्टर, तो कलेक्टर के खाते में जो मुआवजा मिला, वर्ष 1980 में 50 लाख रुपया मिला था, वह बढ़ता बढ़ता वह आज करीब 8 करोड़ रुपये हो गया है तो यह लिटिगेशन में था, पुजारी जी हार गये, मजिस्ट्रेट के यहां से हारे, डीजे के यहां से हारे, अभी हाईकोर्ट से भी हार गये. हम लोग निरंतर लगे रहे. इसके बावजूद कि जिला प्रशासन रुचि नहीं लेता था, क्योंकि ओआईसी उसी को खड़ा करना था तो वह मंदिर उसकी जो समिति है, उसके अध्यक्ष कलेक्टर हैं और सारे अधिकारी हैं. मैं तो उसमें सदस्य मात्र हूं बाकी सब नियंत्रण सरकार का ही है तो मैं वित्तमंत्री जी से, सरकार से निवेदन करूंगा कि इतने सालों से रुका हुआ प्रोजेक्ट वह गांव जो देवराज नगर बसा है, विस्थापितों का गांव है, बाण सागर बांध से बेचारे विस्थापित हुए थे तो वह अगर मंदिर शीघ्र बनता है तो वहां एक धार्मिक पर्यटन जैसा नया वह सब फिनॉमिना शुरु होगा. आज बड़ी आवश्यकता है. आप इस चीज पर जरूर ध्यान दें. यदि वित्त मंत्री जी अगर कुछ राशि और लगे मान लीजिये, ऐसा तो मुझे संभव लगता नहीं है, तो आप उसकी प्रतिपूर्ति करने की कृपा करेंगे. इसी तरह बाण सागर बांध से मार्कण्डेय घाट है. मार्कण्डेय घाट में एक सरसी टापू बन गया है उसका उद्घाटन करने माननीय मुख्यमंत्री जी गये थे, बड़ा रमणीक स्थल है. भारतीय नौसेना वहां अपना प्रशिक्षण केन्द्र खोल रही है. क्योंकि सौभाग्य है कि हमारे जिले के ही एक व्यक्ति एडमिरल हैं, भारतीय नौसेना के. उनसे हमारी बात हुई और उन्होंने बड़ी कृपा करके वह योजना मंजूर की. पहले वहां पर एक पुल होता था वह बांध के कारण डूब गया, जो इस इलाके से आपको उमरिया, शहडोल अमरकंटक तक रोड जाती थी, वह बंद हो गयी. वहां उच्च स्तरीय पुल बनना है, मैंने बड़ी कोशिश की और मुख्यमंत्री जी को भी प्रस्ताव दिया था. परन्तु वित्त मंत्री ने अभी उस पर ध्यान नहीं दिया है. कृपा करके वित्त मंत्री जी इसको भी देखेंगे.
अध्यक्ष महोदय, यह जो जल जीवन योजना है नल जल वाली, पर्याप्त आवंटन है यहां पर बताया गया, आंकड़े भी प्रस्तुत किये गये, लेकिन इन याजनाओं को फलीभूत होने में अभी समय लगेगा. आज ही पानी का संकट है और यह बड़े आश्चर्य की बात है कि अभी मार्च का महीना खत्म नहीं हुआ है, पूरे विन्ध्य में जल स्तर बिल्कुल नीचे चला गया है, बुंदेखण्ड में तो होगा ही होगा. वहां पानी का हमेशा संकट रहता है. लेकिन वहां पर वर्तमान में जो व्यवस्था है उसको सुधारने के लिये कहीं कोई राशि नहीं है, तो यह एक बहुत बड़ी समस्या है. चूंकि हमारे ही क्षेत्र से चूंकि बाण सागर बांध है. अब वह बाण सागर बांध ऐसा हो गया है कि उससे जो चाहता है वही पानी निकालने लगता है. मैं आपको बता दूं, मैं तो नहीं रहूंगा. 15-20 साल बाद उसकी क्षमता आधी रह जायेगी. आज ही 341 मीटर की हाइट है, इतना सिल्ट आता है, इतनी रेत आती है. सबसे अवैध रेत का कारोबार उसी इलाके में होता है, हत्याएं हो जाती हैं. हमारे रामनगर थाने की एक चौकी है, वहां पर एक मुंशी मिश्रा जी हैं. वह वहां पर सात साल से कुंडली मार कर जमे हैं, हमने पूछा क्यों तो वह बोले रेत की आमदनी है. वहां पर इतनी सिल्ट आ रही है. पहले से हमारी परियाजनाएं है, पूर्वा नहर है, लोवर पूर्वा और अपर पूर्वा, सिंहावल नहर, जो सीधी जाती है. यह सब पानी चला जा रहा है, फिर उसके बाद एक बात और बतानी है कि कैसे प्लानिंग करते हैं. एक बहुती नगर वहां से प्रस्तावित कर दी है, वह भी पहाड़ काटकर के, वहां टनल तो बन गयी है, लेकिन नहर का अभी 20-30 प्रतिशत ही काम हुआ है. वह भी वहां से निकल रही है और रीवा जिले में जा रही है, राजेन्द्र जी सब रीवा में खींच ले जाते हैं, पानी फिर कम हो जायेगा. फिर वहां पर चार पेयजल योजनाओं का शुभारंभ हो रहा है, काम चल रहा है एक तो हमारे ही क्षेत्र के लिये है, जिले के लिये है. सबसे पहले वह शुरू हुई थी, मार्कण्डेय. उसमें 1050 गांवों को पेयजल मिलना थे, उसमें मेरे क्षेत्र के सभी गांव थे. लेकिन उस पर काम इतना मंथर गति से चल रहा है. उसका कार्यकाल पांच वर्ष का था वह वर्ष 2013-2014 में शुरू हुई थी, उसका कार्य शुरू हुआ था. लेकिन आज भी गांवों में पानी नहीं पहुंच रहा है और बात हो रही है कि जल जीवन मिशन में इतना एलाटमेंट हो गया, प्रधान मंत्री जी ने भेज दिया. इसके बाद यह तो है ही, फिर तीन और परियोजनाएं आ गयी. एक जा रही है रीवा जिले को पानी देने के लिये, एक जा रही है सीधी के लिये एक जा रही है बचे हुए सतना के लिये, जो चित्रकूट, रैगांव का इलाका है, तो वह तो बांध ही खत्म हो जायेगा.
अध्यक्ष महोदय, बहरहाल यह तो बाद की बात है, बाद की तो कोई चिंता नहीं करता है. यहां तो रोज कुआ खोदो और कल पानी पीओ. आप की राजनीति भी वही हो गयी है, चल रही है चलन है इस बात का. लेकिन मेरा आपसे कहना है कि आप इस पर ध्यान दें और इसका जल्दी पूरा करायें. 10 साल,11 साल और एलएण्डटी जैसी संस्था उसका ठेका लिया है. इलांगो एक वहां का अधिकारी है, वह किसी की बात ही नहीं सुनता, पता नहीं. न वह हिन्दी जानता है, न अंग्रेजी जानता है. कौन सी भाषा जानता है. वित्त मंत्री जी, इस पर आप ध्यान दीजिये. एक सिंचाई परियोजना है मेरे क्षेत्र में राम नगर माइक्रो और यह जो दाब वाली, प्रेशर वाली है और झिन्ना माइक्रो. वह भी दसों साल से लंबित है. काम पूरा नहीं हुआ, यह भी एक जेपी कम्पनी ने लिया है. जेपी वाले डिफंक्ट है फाईनेंशियली, काम ही बहुत धीरे चल रहा है. अध्यक्ष महोदय, बहरहाल, ये गोपाल जी ने कुछ बातें कहीं थी, अगर आप इजाजत दें तो उनका उत्तर दूं. गोपाल जी भी नहीं हैं, मलैया जी भी नहीं हैं.
अध्यक्ष महोदय-- गोपाल जी और मलैया जी नहीं हैं, तो फिर काहे को बेकार में उत्तर दे रहे हैं. ..(हंसी).
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह – वित्त मंत्री जी तो हैं. एक बहुत मजेदार बात है, हमेशा यह कहा जाता है कि कांग्रेस की सरकार जब तक थी, तो सिर्फ साढ़े 7 लाख हेक्टेयर में सिंचाई होती थी. फिर एकाएक हमने 2009 या 2010 की बात है, सुना कि 50 लाख हेक्टेयर में सिंचाई हो रही है. वह 50 लाख हेक्टेयर आप चेक कर लीजिये रिकोर्ड्स. वह आंकड़ा आज भी चल रहा है. 2009 के बाद भी 50 लाख हेक्टेयर. अब कहते हैं कि अगले वर्ष 57 लाख हेक्टेयर करेंगे. मैंने एक अधिकारी से पूछा कि यह आप कैसे निकालते हो आंकड़े. क्योंकि आंकड़े जो आप देते हो, आप ही लोग बजट बनाते हो, आंकड़े देते हो. अब वित्त मंत्री जी सबको धन्यवाद दे रहे थे. डेढ़ हजार जनता ने इनको आवेदन दिया. कुछ विधायकों से मिले, हालांकि हम लोगों से मिले नहीं, मिलना चाहिये, बजट बनाने के पहले चार-पांच सिटिंग्स सब विधायकों के सब रखनी चाहिये, यह परम्परा शुरु हो. उनको धन्यवाद दिया, बुद्धिजीवियों को दिया. बाद में उन्होंने अधिकारियों के सहयोग के लिये भी दिया. मुझे बड़ी हंसी आई. हमने कहा कि जिनको सबसे पहले देना चाहिये था, जो बनाकर दे देते हैं. भले कम हों, आंकड़े कुछ भी हों. वही हम लोग मंजूर कर लेते हैं, यह लाचारी भी है कुछ, विषय विशेषज्ञ यही लोग हैं.
जल संसाधन मंत्री (श्री तुलसीराम सिलावट)—अध्यक्ष महोदय, क्योंकि सिंचाई की बात आई है. मैं कहना चाहूंगा कि ये फेक्ट आंकड़े हैं, ये जमीन पर हैं. वर्तमान में हम 50 लाख हेक्टेयर में सिंचाई कर रहे हैं. यह भाजपा की सरकार है, मोहन यादव जी की सरकार है.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह – तुलसी भाई, मैं यही तो कह रहा हूं कि 50 लाख हेक्टेयर का आंकड़ा मैं 2009 से सुन रहा हूं.
श्री तुलसीराम सिलावट—अध्यक्ष महोदय, आने वाले वर्षों में लगभग हम 100 लाख हेक्टेयर में सिंचाई करने वाले हैं, यह मैं आपके संज्ञान में लाना चाहता हूं.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह – अध्यक्ष महोदय, मैंने उस अधिकारी से पूछा, अधिकारी की बात आ रही थी, मैं थोड़ा सा भटक गया, बजट में चला गया. तो अधिकारी से मैंने पूछा, मेरे सबसे अच्छे संबंध हैं. राजनीति में बहुत पुराना हूं और सम्मान देता हूं सब लोगों को और इसलिये सब लोग मेरा सम्मान करते हैं. तो मैंने पूछा कि भाई ये बताओ कि यह खेल क्या है. तो बोले, है तो वास्तविक में वह 25 लाख हेक्टेयर. 25 लाख हम रबी की जोड़ते हैं, 25 लाख हम खरीफ की जोड़ते हैं, उसको 50 लाख हेक्टेयर बनाते हैं. अब आप बताइये. अब जयंत भाई हैं नहीं, ये 3 सिंचाई की बात कर रहे थे. ये 25 लाख हेक्टेयर जोड़ देंगे, तो 75 लाख हेक्टेयर तो अभी हो जायेगा. अब जिस तरह से ये गोल शिफ्टिंग की जो इनकी थ्योरी है, वह समझ में नहीं आती है.
श्री सिद्धार्थ तिवारी (त्योंथर)-- अध्यक्ष महोदय, मैं भी विंध्य क्षेत्र से आता हूं. अंकल एक मिनट. मैं बड़ा हुआ हूं वहां की सिंचाई देखते हुए. आप सब वहां के राजनेता रहे हैं. ग्राउण्ड पर दिखता है कि क्या अंतर आ चुका है. हम सबको वहां दिखता है, सिंचाई में कितना आ चुका है पिछले 15-20 सालों में. कम्पैरिजन कर सकते हैं, मैं उस क्षेत्र से आता हूं, जो विंध्य की सबसे ज्यादा धान प्रोड्यूस करता है और त्योंथर में पिछले 15 साल में क्या इम्प्रूवमेंट हुआ है, यह सब ग्राउंड पर है, उसको एक्सेप्ट करना चाहिये.
अध्यक्ष महोदय—सिद्धार्थ जी, आप अंकल के साथ थोड़ा घूमा करो. राजेन्द्र जी, समाप्त करिये.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह – अध्यक्ष महोदय, ये माननीय श्रीनिवास तिवारी जी के पोते हैं. अब इनका तो पूरा ही जिला है, कहां ये क्षेत्र की बात कर रहे हैं. क्या जलवा था तिवारी जी का. तो यह जो गोल शिफ्टिंग का एक सिद्धांत है, यह मुझे समझ में नहीं आता है. आप 5 साल की बात करिये. 5 साल के लिये जनता ने सरकार को चुना. आप क्या करेंगे पांच साल में. आप बात करते हैं 2047 की. यह कौन सी बात हुई. 2027 में 2047 की बात हो रही है, अध्यक्ष जी यह कौन सी बात हुई. हमारी इकॉनामी है टू-ट्रिलियन डॉलर हो जायेगी. अरे अभी हम 15-16 लाख करोड़ में पहुंचे नहीं है, ढाई-सो करोड़ की बात हो रही है. आप लोग सपने बेचने के सौदागर बन गये हैं. भाई आप राजनेता हो , यह सरकार है. इस तरह से गोल-शिफ्टिंग होती है, इस तरह से सपने बेचे जाते हैं, लोगों को गुमराह करते हैं, और लोग भी क्षणिक रूप से गुमराह होकर के वोट भी देते हैं, ऐसा तो नहीं है ,लेकिन फिर वही किसान जिनका आप समर्थन मूल्य में गेहू 2600 खरीदने की बात कर रहे हो जब वह उत्पादन करने जाता है यूरिया के लिये एक एक बोरी के लिये परेशान होता है डीएपी के लिये परेशान होता है. पिछले वर्ष समर्थन मूल्य में कितनी गेहूं की खरीदी हुई थी . यह कृषि मंत्री जी जानते होंगे तुलसी भाई का इससे कोई लेना देना नहीं है .मेरी जानकारी मे मध्यप्रदेश में पिछले वर्ष 50 लाख टन ही खरीदी हुई थी. पंजाब की बात करते हैं, पंजाब राज्य का कोटा सवा करोड़ टन का है, हरियाणा राज्य का कोटा 1 करोड़ टन का है, हां यह बात जरूर है कि जब शिवराज सिंह जी चौहान प्रदेश के मुख्यमंत्री थे तब एक वर्ष एक करोड़ 10 लाख टन गेहूं भी खरीदा गया था. एक वर्ष के लिये. (श्री तुलसी सिलावट, माननीय जल संसाधन मंत्री के अपनी सीटपर खड़ा होने पर) अरे भाई आप क्यों चिंतित हैं.
अध्यक्ष महोदय- कृपया समाप्त करें.
डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह -- माननीय वित्त मंत्री जी आपके लिये कहना चाहता हूं
आप जिसे मंजिल समझ रहे हो, वह बसैरा है
मशाल जलाओ अभी भी बहुत अंधेरा है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे अपनी बात रखने का अवसर दिया उसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय- आपको भी धन्यवाद. श्री शैलेन्द्र जैन जी अपनी बात रखेंगे. आपसे और सभी सदस्यों से अनुरोध करता हूं कि आप अपने भाषण में कोशिश करें कि जो विषय नहीं आ पाया है वह विषय आपके मुखारबिंदु से आ जाये तो मुझे लगता है कि चर्चा सार्थक होगी और तीन से पांच मिनट के अंदर अपनी बात को पूरी करना होगा क्योंकि 45 लोग अभी बोलने वाले शेष हैं और आज ही शाम को माननीय मुख्यमंत्री जी ने शावा फिल्म दिखाने का भी प्रबंध किया है और रात्रि भोज पर भी आप सब लोगों को बुलाया है. तो समय से हाउस समाप्त करना पड़ेगा. इसलिये कृपया अपनी बात को सभी माननीय सदस्य संक्षिप्त में रखें, दोनों पक्षों के सदस्यों से मेरा यह अनुरोध है.
श्री शैलेन्द्र कुमार जैन (सागर) --माननीय अध्यक्ष महोदय, पॉवर प्ले मेरे से शुरू हो गया है.
अध्यक्ष महोदय- वह इसलिये कि विपक्ष की तरफ से भी दो वरिष्ठ लोग और सत्ता पक्ष के भी दो वरिष्ठ लोगों को पर्याप्त समय दे दिया गया है.
श्री शैलेन्द्र कुमार जैन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपका हमेशा संरक्षण रहता है. मैं बहुत जल्दी कन्क्लूड करूंगा. माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया सबसे पहले मैं आपका धन्यवाद करना चाहता हूं और मध्यप्रदेश के वर्ष 2025-26 बजट के लिये मैं प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री महोदय का और माननीय वित्त मंत्री जी का बहुत बहुत आभार व्यक्त करना चाहता हूं प्रदेश की साढ़े 8 करोड़ की जनसंख्या की ओर से आपका आभार.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी इस मामले में हमारे विपक्ष के विद्वान साथी आदरणीय बाला बच्चन जी ने बहुत सारे विषय रखे थे, उस समय मैं बोलना चाह रहा था लेकिन मैंने अपने आपको सीमित रखा, जब मुझे समय मिलेगा तब मैं उसका जवाब दूंगा. इन्होंने राजकोषीय घाटे को लेकर के और हमारे ऋण लेने की क्षमता, ऋण लेने का जो सरकार का वॉल्यूम है उसको लेकर के बहुत सारी बातें कही हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से सदन को बताना चाहता हूं कि एफआरबीएम (राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन) के तहत , वैसे आप बहुत भाग्यशाली हैं उस समय एफआरबीएम की इतनी कठिन परिभाषा और वित्तीय अनुशासन नहीं था लेकिन अब तो एफआरबीएम ने निश्चित कर रखा है. अब तो आपको अनुशासन का पालन करना ही होगा. लेकिन ....
डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह -- माननीय अध्यक्ष जी, एफआरबीएम 2008 के बाद स्थगित है, आप चेक कर लें..
श्री शैलेन्द्र कुमार जैन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, वित्त मंत्री महोदय ने जिस तरह का वित्तीय अनुशासन रखा है और सीमा के अंदर, चूंकि माननीय जयंत भाई ने वह विषय यहां पर रख दिया है इसलिये मैं उसको रिपीट नहीं कर रहा हूं कि क्यों-करके वह फोर पाईंट समथिंग-थ्री परसेंट . मैं बताना चाहता हूं कि भारतीय रिजर्व बैंक ने वर्ष 2024-25 के लिये राज्यों के राजकोषीय सुधार विषयक प्रतिवेदन में मध्यप्रदेश को सर्वश्रेष्ठ (ए) रेटिंग दी है. यह हमारा वित्तीय अनुशासन है, और हमने यह हमारा वित्तीय अनुशासन है और हमने एफआरबीएम और जो भी हमारे सूचकांक हैं उनका पालन करते हुये हमने काम किया है. विषय यह नहीं है कि हमने कितना ऋण लिया है, विषय यह होना चाहिये कि उस ऋण का हमने कैसे सदुपयोग किया है. मुझे स्मरण आता है हालांकि समय कम है, अपने यहां कहा गया है कि ‘’जासु राज प्रिय प्रजा दुखारी, सो नृप अवसि नरक अधिकारी.’’ आपने भी सोच लिया होता. आपने भी कर लिया होता. आपके पास भी वह सारा अवसर था, लेकिन मैं समझता हूं कि योजनाएं एक भी बंद न होने पाएं और जो हमारे नवाचार हैं वह नवाचार होने चाहिये. यह देश की प्रगति, मध्यप्रदेश की प्रगति और हम अपने मध्यप्रदेश वासियों के कल्याण के लिये, उत्थान के लिये, विकास के लिये क्या कर सकते हैं. हम सब लोग एक अभियान के तहत, एक संकल्प के तहत चुनकर आए हैं. माननीय राजेन्द्र सिंह जी कह रहे थे कि हम तो उस यात्रा का हिस्सा ही नहीं थे, तो हम लोग क्या इनडायरेक्टली कहीं से आ गये हैं. हम सब चुनकर आये हैं. हम लोग यात्रा का हिस्सा बनकर आये हैं. हमने उस कठिनाई को सहा है. मैं यहां इस समय बजट के संबंध में, यादवेन्द्र जी, याद कर लीजिये अपना समय. मैं पूंजीगत व्यय के संबंध में विषय रखना चाहता हूं जो किसी भी बजट का एक बड़ा महत्वपूर्ण अंश होता है. यूं तो वह दो भागों में बंटा है, रेवेन्यू एक्सपेंडिचर, कैपिटल एक्सपेंडिचर. अब आप कितना हिस्सा कैपिटल एक्सपेंडिचर के रूप में खर्च कर रहे हैं. मतलब कि रोजगार कैपिटल एक्सपेंडिचर यानि कि नौजवान साथियों को विभिन्न क्षेत्रों में काम करने के अवसर. कैपिटल एक्सपेंडिचर के बहुत मायने हैं. आप परिसंपत्तियों का निर्माण करने में लगे हैं. आप निश्चित मान लीजिये आप मध्यप्रदेश का निर्माण कर रहे हैं, आप नौजवानों के भविष्य का निर्माण करने का एक आधार स्थापित कर रहे हैं. यहां 2-3 फिगर देना आवश्यक है इसलिये दे रहा हूं. वर्ष 2023-24 में हमारा पूंजीगत व्यय हुआ 57 हजार करोड़ जो लगभग 13 प्रतिशत् वृद्धि के साथ 2024-25 में 64 हजार करोड़ हो गया और 2025-26 में 31 परसेंट के इज़ाफे के साथ, बढ़ोत्तरी के साथ 85 हजार करोड़ का हमारा पूंजीगत व्यय होने वाला है. यह है हमारी सरकार के काम करने की दक्षता. यह है कि हम कैसे काम कर रहे हैं, हम इस ऋण का जो मध्यप्रदेश की सरकार ले रही है, वित्तमंत्री जी ले रहे हैं, उस ऋण का हम कैसे सुदपयोग कर रहे हैं. मुझे अच्छे से याद है कि वर्ष 2003-04 में.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2024-25 का जो आर्थिक सर्वेक्षण आया है उसमें पूंजीगत व्यय में 61 हजार करोड़ है. आपने अपने बजट भाषण में जो 183 नंबर की कंडिका है उसमें 85 हजार करोड़ कहा है तो हमने यह पूछा है कि आर्थिक सर्वेक्षण जो 2024-25 का है वह राइट है या यह आप जो पूंजीगत व्यय का 85 हजार करोड़ कर रहे हैं यह सही है. आपने 85 हजार करोड़ कहां से जुटाया. उसका उल्लेख कहां है. आर्थिक सर्वेक्षण भी अभी आया है. उसमें 61 हजार करोड़ का उल्लेख है.
श्री शैलेन्द्र जैन -- अध्यक्ष महोदय मैं फिर कह रहा हूं कि इन आंकड़ों के फेर में मत जाइये. आपने कभी जनभावनाओं का ख्याल ही नहीं किया. एक भी योजना हमारी बंद हुई क्या. आंकड़ों की बाजीगरी में मत पडि़ये. आप उसी में उलझे रहे और इस गति को प्राप्त हो गये. लखन भैया, आप तो बहुत समझदार व्यक्ति हैं.
अध्यक्ष महोदय -- समय पूरा हुआ शैलेन्द्र जी.
श्री शैलेन्द्र जैन -- अध्यक्ष महोदय, मैं कनक्लूड कर देता हूँ. मैं इतना जरुर कहना चाहूंगा कि पार्टी का सत्ता में रहने का लक्ष्य कभी भी आनंद नहीं होना चाहिए. हमारा एक ही उद्देश्य है कि जनता जनार्दन की कैसे सेवा की जाए और जनता जनार्दन की सेवा करने के लिए मैं एक गीत की दो लाइने कहकर अपनी बात समाप्त करना चाहूँगा --
किसी की मुस्कुराहटों पर हो निसार,
किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार,
किसी के वास्ते हो तेरे दिल में प्यार,
जीना इसी का नाम है.
अध्यक्ष महोदय, मैं इस बजट के लिए माननीय वित्त मंत्री महोदय का और माननीय मुख्यमंत्री महोदय का हृदय की गहराइयों से धन्यवाद करता हूँ. आपको भी धन्यवाद देता हूँ कि आपने मुझे बोलने का अवसर प्रदान किया है.
अध्यक्ष महोदय -- आंकड़ों के लिए तो वित्त मंत्री जी और बाला बच्चन जी को छोड़ दीजिए. आप बजट की आत्मा के आसपास घूमिए तो विषय ठीक आ जाएगा.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, हमने जो आंकड़े बोले हैं वे टेली भी होना चाहिए, असत्य तो नहीं है हम यह भी चाहते हैं.
अध्यक्ष महोदय -- यह आप और वित्त मंत्री जी जानें. बाकी सदस्यों से मैंने अपेक्षा की है.
श्री शैलेन्द्र जैन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने इनसे एक प्रश्न किया था. उस प्रश्न का जवाब दे रहा हूँ. वर्ष 2003-04 में जीएसडीपी के अनुपात में आपने जो ऋण लिया था वह 43 प्रतिशत था और वर्तमान में हमारी सरकार ने जो ऋण ले रखा है वह जीएसडीपी का 25 से 27 प्रतिशत है. यह इस बात को जानने के लिए पर्याप्त है कि आप कहां खड़े थे और हम कहां खड़े हैं.
श्री लखन घनघोरिया (जबलपुर पूर्व) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, बजट पर सत्तापक्ष के तीन हमारे वरिष्ठ साथी जो कि बुंदेलखण्ड से आते हैं वे तीनों बोले. उनके बोलने पर स्थिति ऐसी समझ में आई कि "जबरा मारे रोअन न दे", ऐसी ही जनता की स्थिति है. आपके बजट में गरीबों की स्थिति में कोई अन्तर तो आता नहीं है. अभी शैलेन्द्र भाई ने कहा कि आंकड़ों में मत जाइए, खुद ही स्वीकार किया कि आंकड़ों में मत जाइए. अध्यक्ष महोदय, आपने भी आसंदी से व्यवस्था दी कि आंकड़ों की बात बाला भाई और वित्त मंत्री जी कर लेंगे, बजट की आत्मा के आसपास घूमें. बजट की आत्मा गरीब है. गरीब की स्थिति क्या है. गरीबी में वक्त भी किस्मत की तरह अड़ जाता है और नया जख्म कैसा भी हो बगैर दवा के सड़ जाता है. हर वर्ष सोचता हूँ कुछ नया ओढ़ूंगा मगर अफसोस है हर बजट में कफन का दाम भी बढ़ जाता है. यह बजट की स्थिति है. राजेन्द्र सिंह जी अभी गोल शिफ्टिंग की बात कह रहे थे. वहीं वहीं घूमना. गोल गोल रानी, इत्तन इत्तन पानी. यह कहावत भी बुंदेली में है. वहीं आ आकर घूमना.
अध्यक्ष महोदय -- लखन जी आप तो हमारी तरफ देखकर भाषण दीजिए, प्रहलाद जी की तरफ देखकर बोलेंगे तो भाषण लम्बा हो जाएगा.
श्री लखन घनघोरिया -- अध्यक्ष महोदय, 4 लाख 21 हजार करोड़ रुपए का बजट है और उतना ही कर्ज है. राजकोषीय घाटे पर बाला भैय्या ने बोल दिया अर्थव्यवस्था कैसी चरमरा रही है वह भी बोल दिया बहुत ही सीधी, सामान्य सी बात है क्या देनदारी नहीं होगी अभी तक तो होशियारी चलती थी कि बजट जितने का है कर्जा ज्यादा है. अब एक कदम ज्यादा होशियारी चल गई बजट भी कर्ज के बराबर कर दिया अब तो बजट बढ़ेगा ही जब एक वर्ष में 11 महीनों में 3 बार अनुपूरक बजट लिया है तो स्वाभाविक है कि बढ़ेगा और फिर उसमें आप देखें ''गोल-गोल रानी, इत्तन-इत्तन पानी'' कहते हैं. लाडली लक्ष्मी बहना योजना के लिए 18 हजार 669 करोड़ रुपए संकल्प में रखा है. तीन हजार रुपए प्रतिमाह की बात थी लेकिन हुआ नहीं यह अलग बात है. संख्या भी घट रही है यह भी अलग बात है, लेकिन अब यह समझ में नहीं आया कि जीवन ज्योति बीमा सुरक्षा योजना, अटल पेंशन योजना से जोड़ा जाएगा. इसमें यह स्पष्ट नहीं है कि तीनों योजनाओं की पंजीयन की राशि, किश्त की राशि यह 1250 रुपयों में से ही काटी जाएगी या लाड़ली लक्ष्मी बहना योजना को इसमें मर्ज कर दिया जाएगा यह कहीं भी स्पष्ट नहीं है. लगातार पंजीयन कम हो रहा है. संकल्प पत्र में एक लाख नौकरियां हर वर्ष देने की बात की है. पिछले बजट में 4 लाख रोजगार देने की बात कर दी थी. अब 3 लाख रोजगार देने की बात की है. सरकारी नहीं जीआईएस रीजनल समिट के सफल होने पर जब उद्योग दौड़ेंगे तब 3 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा. सात समिट में तो दौड़े नहीं उद्योग. शून्य रहा था समिट में. तीन प्रतिशत जमीन पर उतरा है इसीलिए कहते हैं कि-''इत्तन इत्तन पानी, घोर घोर रानी'' यह बजट की स्थिति है. हमारे विद्वान साथी प्रहलाद भाई को बताना चाहता हूं कि किसानों के लिए 58.257 करोड़ रुपए रखा गया है.
अध्यक्ष महोदय-- घनघोरिया जी आपका समय पूरा हो रहा है.
श्री प्रहलाद सिंह पटेल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी मेरे मित्र से प्रार्थना है कि वह बहुत ही सीनियर आदमी हैं. आपको ही एड्रेस करें. मैं तो स्टेपनी के तौर पर बैठा हूं लेकिन अब आपने अटल बीमा योजना, जीवन ज्योति बीमा योजना की बात की है तो आपको बता दूं कि इसकी कोई किश्त नहीं होती है आप पहले वह पढ़ लें. दूसरी बात जैसा कि बाला जी कह रहे थे मैं बोलना नहीं चाह रहा था कि आंकड़े कभी गलत नहीं होते, जादूगरी किसको आती है वह तय करता है तो आप तो बोल सकते हो.
श्री लखन घनघोरिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारा देश कृषि प्रधान देश है हम बहुत चिंता करते हैं और अन्नदाता भी हैं चिंता क्यों न करें. हमारे देश की 70 प्रतिशत अर्थव्यवस्था भी कृषि पर आधारित है बावजूद इसके इतने बड़े प्रदेश में जहां 60 प्रतिशत कृषकों की आबादी हो तो किसानों के लिए सिर्फ बजट 9 प्रतिशत का बजट. एमएसपी की बात क्या कही थी कुल मिलाकर 2700 रुपया गेहूं, 3100 रुपया धान को छोड़ दें तो उसके बाद धान उपार्जन की स्थितियां क्या हैं वह भी किसी से छिपा नहीं है. धान उपार्जन में आज 850 करोड़ रुपए का प्रावधन रखा है. अजय भैय्या हैं नहीं उन्होंने पूरी धान उपार्जन की तस्वीर बता दी थी. हमारे वित्त मंत्री जी जिन्होंने बजट पढ़ा और उन्होंने एक चीज का बड़ा अच्छा उल्लेख किया कि हर विधान सभा क्षेत्र में खेल का मैदान, खेल की बात कर रहे हो. तुम्हारा काम है वादा खिलाफी खेलते रहना, हमारा काम है वादों की बारिश झेलते रहना. वादों की बारिश झेल रहे हैं. माननीय मंत्री महोदय ने हर विधान सभा क्षेत्र में खेल के मैदान की बात की मध्यप्रदेश में जब मध्यप्रदेश में जब 15 महीने की कांग्रेस की सरकार थी, तब दो मिनी स्टेडियम मेरे विधान सभा क्षेत्र में बनने थे, उनका भूमि पूजन हो गया, वर्क ऑर्डर हो गया, एक में तो काम भी प्रारंभ हो गया, बाउण्ड्री वॉल बन गई लेकिन जैसे ही सरकार गई तो वह कहीं और शिफ्ट हो गया, दूसरा स्टेडियम तो आज तक बना ही नहीं. खेल के मैदान में खेल हो रहा है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इसके साथ हैलीपैड की हवा-हवाई बातें हो रही हैं, हर विधान सभा में एक हैलीपैड बनेगा, यह समझ से परे है. हमारी बहुत गरीब विधान सभा है. पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक वर्ग की बहुल्ता है, शहर के अंदर है, शहर में ही हमारे एक विद्वान साथी हैं, अभी यहां नहीं हैं, उन्होंने भी अपनी बात रखी, लोक निर्माण विभाग के लिए बजट में उन्होंने 16 हजार 4 सौ 36 करोड़ रुपया मांगे हैं, हैलीपैड इससे जुड़ा हुआ ही विषय है. उन्होंने 35 सौ किलोमीटर नई सड़क बनाने की बात की, 70 पुल बनाने की बात की. जबलपुर को पूरे कुल कामों में से 27 निर्माण कार्य मिले, जिसमें कुल लागत 4 सौ 62 करोड़ रुपया है. लेकिन अफसोस यह है कि शहर के अंदर, हमारी विधान सभा में, जिसमें सबसे बहुउपयोगी, हमारी मांग थी जिसमें वर्ष 2011-12, 2019 से प्रस्तावित फ्लाई ओवरब्रिज है, आस-पास के सभी फ्लाई ओवर बन गए. वर्ष 2011-12, 2019 से प्रस्तावित है, उसके बाद उसका प्राक्कलन फिर से वर्ष 2022 में बना था.
अध्यक्ष महोदय- लखन जी, संक्षिप्त करें.
श्री लखन घनघोरिया- अभी तो बोलना प्रारंभ किया है, बात पूरी ही नहीं हुई है. मैं, दो मिनट और बोलूंगा. हमारे उस फ्लाई ओवर ब्रिज का कोई अता-पता नहीं है. हमारे मंत्री महोदय सदन में सामने होते तो उनसे पूछते तो कि हुजूर, कहां गए ? क्या कारण है ? हमारी जनता ने भी आपको 4 बार सांसद चुना है. शहर के शहर में यह पक्षपात, भेदभाव, यह स्पष्ट दिख रहा है, वह फ्लाई ओवर प्रस्तावित था.
3.48 बजे
{सभापति महोदया (श्रीमती झूमा डॉ.ध्यानसिंह सोलंकी) पीठासीन हुई.}
माननीय सभापति महोदया, स्वास्थ्य विभाग की बात करें तो 22 हजार 2 सौ 34 करोड़ रुपये का बजट है. केंद्रीय बजट में MBBS की 10 हजार सीटें बढ़ाने की बात की गई है और हमारे यहां केवल 400 सीटें बढ़ाने की बात हो रही. यदि अनुपात में देखें तो केंद्र ने 10 हजार सीटें बढ़ाई और हमें केवल 400 मिली हैं. हमारे यहां डॉक्टरों की कमी है, स्वास्थ्य सुविधायें कितनी जर्जर हैं, इसके बाद एक बड़ी अजीब बात है, म. प्र. सरकार के विभाग के अपर प्रमुख सचिव बैठक लेते हैं, स्वास्थ्य विभाग की बैठक में कहते हैं, सीटों को बढ़ाने की बात पर जोर दीजिये. हर जिले में मेडिकल कॉलेज बनाने की बात पर, संसाधन पर सवाल खड़े होंगे. आपका ACS कुछ कह रहा है, आपका मंत्री कुछ कह रहा है कि हर जिले में मेडिकल कॉलेज बनना है. आपके पास सीटें नहीं है, उसके बाद भी आपको मेडिकल कॉलेज बनाना है.
सभापति महोदया, स्कूल शिक्षा विभाग में मंत्री महोदय ने कहा वर्ष 2025-26 में 19 हजार 3 सौ 62 नियुक्तियां की जायेंगी जबकि पद 87 हजार रिक्त हैं. यह तो ऊंट के मुंह में जीरा की बात हो गई.
सभापति महोदया, इसके साथ कैलाश भईया के विभाग, नगरीय विकास एवं आवास का बजट 18.244 करोड़ रुपये है. नगर निगम की स्थिति क्या है ? मंत्री जी ने स्वयं एक बार इंदौर में पत्रकार वार्ता में कहा कि नगर निगम को अपने संसाधन स्वयं जुटाने चाहिए, जनता पर टैक्स बढ़ाओ, एक तरफ आप कहते हैं कि हम कोई कर नहीं बढ़ा रहे हैं दूसरी तरफ कैलाश भैया खुद ही कहते हैं कि आप टैक्स बढ़ाओ. टैक्स बढ़ाने की स्थिति भी बड़ी विचित्र है, वित्तीय संकट गहराया है. यह हमारे यहां जबलपुर नगर निगम की कमिश्नर ने कहा है कि इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि नगर निगम में वित्तीय संकट है, हम पेमेन्ट नहीं दे पा रहे हैं. चुंगी क्षतिपूर्ति की राशि जो नगरीय निकाय की होती है, नगर निगम, नगरपालिका, नगर पंचायत के कम से कम 36,000 करोड़ रुपये प्रदेश को मिलते हैं. जबलपुर के हिस्से में हर माह 300 करोड़ रुपये आते हैं. लेकिन यह गजब सरकार है. वेतन के लिए पैसा नहीं है. चुंगी क्षतिपूर्ति राशि सरकार का हिस्सा नहीं है, यह नगरीय निकाय का हिस्सा है. आपने एक संधि की और आप वह टैक्स के रूप में लेते हैं, आप उनका हक मार रहे हैं. नगर निगम के कर्मचारियों को पेमेन्ट करने की स्थितियां नहीं हैं. हर नगर निगम की यही स्थिति है.
सभापति महोदया - घनघोरिया जी, आपका समय हो गया है. सभी के लिए 5-5 मिनट का समय है. आप जल्दी पूरा करें.
श्री लखन घनघोरिया - माननीय सभापति महोदया, जब हम वृक्षारोपण की बात करते हैं. उसमें माननीय पूर्व मुख्यमंत्री जी ने नर्मदा यात्रा में न जाने कितने वृक्षारोपण की बात कही थी, अभी हमारे जबलपुर में 11 करोड़ रुपये का टेण्डर वृक्षारोपण के लिए हुआ था, अब वह जमीन पर आया कि नहीं आया, नहीं मालूम. कैलाश भैया, इन्दौर में शायद 10 लाख वृक्षों की बात कर रहे हैं. हकीकत भगवान जाने. मैंने एक फिल्म 'आनंद' देखी थी. उसमें आय.एस. जोहर और राजेश खन्ना बात करते हैं. आय.एस. जोहर, राजेश खन्ना से कहते हैं कि वह दीवार देख रहे हो, तो राजेश खन्ना सामने दीवार को घूरते हैं, बोले कि उसमें एक तस्वीर लगी हुई है. राजेश खन्ना, आय.एस. जोहर के चेहरे की तरफ देखते हैं, तो आय.एस.जोहर बोलते हैं कि तस्वीर में गाय घास चर रही है. देखो, जरा ध्यान से देखो. राजेश खन्ना कहते हैं कि वह तो तस्वीर में दिख नहीं रही है, तो आय.एस. जोहर कहते हैं कि गाय घास खाकर चली गई है. वैसे ही वृक्षों की स्थिति है.
सभापति महोदया - घनघोरिया जी, आप समाप्त करें.
श्री लखन घनघोरिया - माननीय सभापति महोदया, इसके साथ ही एससी, एसटी का जो बजट है, मैं उसके लिए कहना चाहता हूँ कि कोई भी स्कॉलरशिप बच्चों को नहीं मिल रही है. आप आंकड़े कितने ही बता दें, स्कॉलरशिप की वस्तुस्थिति पता कर लें. लोग परेशान हैं, स्कॉलरशिप कई की गई हैं, अभी कह रहे थे कि हमारी इतनी योजनाएं हैं, कोई बन्द नहीं हुई है, चालू भी तो नहीं है, भुगतान भी तो नहीं हो रहा है. जल जीवन मिशन की क्या स्थिति है? नल चालू करो तो उसमें पानी की जगह हवा निकलती है, टोंटी खोलो तो हवा निकलती है. हमारे नेताजी कहते हैं कि यह सरकार कर्ज लेकर घी पी रही है. हमारे बुन्देलखण्डी में एक कहावत है, ''कथरी ओढ़कर घी पीना'' गरीब लोगों के पास रजाई, कम्बल तो ज्यादा होता नहीं है, वे कथरी (पुराने कपड़ों की) बना लेते हैं.
सभापति महोदया - घनघोरिया जी, आपका समय हो गया है. माननीय सदस्य अभी काफी लोग बोलने को हैं.
श्री लखन घनघोरिया - माननीय सभापति महोदया, मैं आखरी में अपने मित्र को इन दो लाईनों के साथ, तुलसी भैया सुनो, यह आपके लिए है. यह आपको समर्पित है.
''बढ़ा न पाया, कोई अपनी शान झूठ बोलकर,
मगर वह छू रहा है आसमान, झूठ बोलकर,
कभी तो सच्ची बात कर, कभी तो सच से प्यार कर,
तमाम उम्र किसकी चलती है, दुकान झूठ बोलकर.
कभी तो हकीकत पर आ.''
माननीय सभापति महोदया, आपने मुझे समय दिया, उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री तुलसीराम सिलावट -- सभापति महोदया, मुझसे अच्छा इनको कोई नहीं जानता, उधर वालों को..
श्री दिलीप सिंह परिहार (नीमच) -- माननीय सभापति महोदया, मैं बजट के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूँ. मान्यवर मुख्यमंत्री जी को और वित्त मंत्री जी को बहुत धन्यवाद देता हूँ. कृषि हमारे देश का मूल आधार है. आज भी इस देश में 70 प्रतिशत लोग कृषि पर आधारित हैं. खेती लाभ का धन्धा बने, इसके लिए लगातार सरकार काम कर रही है. उसमें हम देखते हैं कि उत्तम खेती, मध्यम व्यापार, यह जो हमारी परम्परा चली आ रही है, यह बहुत लंबे समय से चली आ रही है. मगर आज हम देख रहे हैं कि मध्यप्रदेश में सिंचाई के साधन, जो देश का हृदय स्थल है, यहां पर पर्याप्त मात्रा में बढ़े हैं. हम देखते हैं कि अंग्रेज हो, नवाब हो, कांग्रेस हो, ये सब मिलकर साढ़े 7 लाख हेक्टेयर में सिंचाई करते थे. उसके बाद 50 लाख हेक्टेयर क्षेत्र हुआ है और हमारा लक्ष्य 1 लाख हेक्टेयर क्षेत्र का है. वह पूरा होगा, हम पतवार चलाते जाएंगे, मंजिल आएगी, आएगी. हमारी नीति साफ है और नीयत भी साफ है. हम सब जानते हैं कि जिनकी नीति और नीयत साफ होती है, प्रकृति भी उन्हीं का साथ देती है. आदरणीय अब्दुल कलाम जी कहते थे कि सपने देखने हैं तो खुली आंखों से देखो. हमारे मुख्यमंत्री जी ने, हमारे वित्त मंत्री जी ने और हमारे जल संसाधन मंत्री जी ने जो सपना देखा है, वह खुली आंखों से देखा है. हर खेत को पानी और हर व्यक्ति को काम, यह जो एक सपना देश के प्रधानमंत्री जी का है, उसको नीचे पूरा करने का काम हमारी सरकार कर रही है.
सभापति महोदया, हमारी सरकार ने सिंचाई सुविधा के विस्तार हेतु लगातार काम किया है. नहरों के माध्यम से जल संर्वधन के लिए काम किया है. सूक्ष्म सिंचाई योजना और दाबयुक्त सिंचाई योजना, उसके माध्यम से भी सिंचाई को उपयुक्त प्रोत्साहन दिया जा रहा है. मध्यप्रदेश में वर्ष 2029 तक जो सिंचाई की सुविधा की उपलब्धता 1 लाख हेक्टेयर में हो जाएगी, यह निश्चित ही किसानों के लिए हितकर है. प्रधानमंत्री जी मोदी जी का जिलों के लिए जो प्रयास है, वह प्रयास अभिनंदनीय है. प्रदेश में हम देख रहे हैं कि 24,268 करोड़ रुपये की लागत से जो केन बेतवा नदी को जोड़ने का काम किया जा रहा है, यह अद्भुत काम है. अटल बिहारी वाजपेई जी ने एक सपना देखा था, कहीं बाढ़ आती है, कहीं सूखा पड़ता है, तो नदियों को मिलाने का उन्होंने सपना देखा था, उन नदियों को मिलाने का काम हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी और हमारे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी पूरा कर रहे हैं, इसलिए मैं उनका स्वागत करता हूँ, वंदन करता हूँ, अभिनन्दन करता हूँ.
सभापति महोदया, हम मालवा से आते हैं. मालवा में यह कहा जाता था कि ''मालव माटी गहन गंभीर, पग-पग रोटी, डग-डग नीर''. मैं वर्ष 2003 में जब राजनीति में आया, तो जब मैं नीमच से भोपाल आता था तो कहीं भी, किसी भी खेत में हरियाली नजर नहीं आती थी, सूखे खेत होते थे, जल स्तर हमेशा नीचे जाता हुआ नजर आता था. मगर हमारी सरकार जब से आई, तब से उन्होंने अनेक काम किए. छोटे-छोटे डैम बनाए, जल संरचनाएं बनाईं, खेत का पानी खेत में रुके, गांव का पानी, गांव में रुके, ऐसी जल संरचनाएं बनाकर पानी का स्तर भी बढ़ाया और किसान को बिजली, सड़क, पानी और खाद, ये सब देने का काम किया. इसकी वजह से आज किसान की आय भी बढ़ी है और कहीं न कहीं किसान समृद्ध बन रहा है. यह कौन कर सकता है. पहले न तो खाद मिलता था, न बीज मिलते थे, न ऋण की सुविधा थी, 18 प्रतिशत दर पर ऋण मिलता था, हमने जीरो प्रतिशत पर किया, खेत में जाने के लिए अटल बिहारी वाजपेई जी ने प्रधानमंत्री सड़कें बनाईं और अभी माननीय पटेल साहब ने कहा है कि हम ढाई सौ की आबादी वाले स्थानों को भी सड़कों से जोड़ेंगे. आज तो मजरे, टोले को भी हम सड़कों से जोड़ने का काम कर रहे हैं. आने वाले समय में पार्वती, कालीसिंध और चंबल, जो ये योजना है, ये हमारे मालवा के लिए बहुत ही उपयुक्त होने वाली है. आज हम देख रहे हैं गांधीसागर का पानी, चंबल का पानी, नीमच और मंदसौर जिलों के हर खेत में पहुँच रहा है. मान्यवर श्री तुलसीराम सिलावट, हमारे जल संसाधन मंत्री जी ने कहा है कि अभी इस योजना के माध्यम से, फव्वारा पद्धति से, ड्रिप एरिगेशन से खेती हो रही है. खेती हो रही है तो किसान कहीं न कहीं समृद्ध बन रहा है. पहले कवेलू के मकान थे, आज पक्के मकान हैं, पहले बैलगाड़ी खड़ी रहती थी, आज ट्रैक्टर खड़ा हुआ है. यह कहीं न कहीं किसान की आय के बढ़ने की वजह से हुआ है. पार्वती, कालीसिंध और चंबल योजना से मध्यप्रदेश को भी लाभ मिलेगा और राजस्थान को भी लाभ मिलेगा. हम देखते हैं कि चंबल का पानी भिण्ड, मुरैना और ग्वालियर तक जाता है और राजस्थान में भी जाता है, झालावाड़ में जाता है, कोटा में भी जाता है. वही चंबल का पानी अब नीमच और मंदसौर जिले में और मालवा में आ रहा है तो इसके लिए आज मैं आपको धन्यवाद देता हूँ कि जो ये वित्त प्रबंधन हमारे वित्त मंत्री जी ने किया है. इसका मैं स्वागत करता हूँ. वर्ष 2025-26 में 19 वृहद् और मध्यम तथा 87 लघु सिंचाई परियोजनाएं 7 लाख के लक्ष्य को दर्शाती है.
यह सिंचाई योजनाएं जब पूरी होंगी तो हम उस लक्ष्य को बढ़ा लेंगे और जो हम सपना देखते हैं कि डाल डाल पर सोने की चिड़िया करती है बसेरा यह भारत देश है मेरा. उस भारत देश को हम वापस सुजलाम सुफलाम मलयज शीतलाम् बनाना चाहते हैं और यह सपना नरेन्द्र मोदी जी पूरा करेंगे. हमारे मुख्यमंत्री जी,वित्त मंत्री,जल संसाधन मंत्री जी इस सपने को पूरा करेंगे. आज हम देख रहे हैं कि खेत लहलहाते दिख रहे हैं.जीरो परसेंट पर किसान को ऋण मिल रहा है. किसान अपनी खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिेय मेहनत परिश्रम कर रहा है.परिश्रम की पराकाष्ठा कर रहा है. तीन-तीन फसल लेने का काम कर रहा है. हमारी सरकार ने नयी मंडियों के प्रोवीजन किये हैं.नीमच में नई कृषि मंडी बनी है. नीमच में 68 प्रकार की जींस पैदा होती हैं. हमारे यहां बाबा रामदेव भी जींसों को लेने आते हैं. मालवा में जो आज यह हो रहा है वह इसलिये हो रहा है कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार,सरकार की व्यवस्था,नेटवर्किंग,बिजली,पानी,सड़क और खाद,बिजली की व्यवस्था कर रही है. आज नैनो खाद सरकार दे रही है. जिनको अस्थाई कनेक्शन थे उनको 5 रुपये में स्थाई कर रही है. यह सपना नहीं है हकीकत में हो रहा है और जो गरीबों का कल्याण सरकार करती है उसको दुआएं मिलती हैं. क्या मार सकेगी मौत उसे,औरों के लिये जो जीता है. मिलता है जहां का प्यार उसे जो गरीब के आंसू पीता है तो भारतीय जनता पार्टी की सरकार और वित्त मंत्री जी ने गरीब कल्याण के काम अद्भुत बनाए हैं. कृषि के साथ हम गौधन की बात करें. पहले किसान खेती पर आधारित था आज दूध उत्पादन में मध्यप्रदेश तीसरे स्थान पर है. हमारी सरकार उसे प्रथम स्थान पर लाने की कोशिश कर रही है. जो गौ पालक हैं उनको मुख्यमंत्री जी प्रोत्साहन राशि दे रहे हैं. गौशालाओं की व्यवस्था है. हमारे अध्यक्ष महोदय जी ने जो रोजड़ों के लिये कहा है वह चिंताजनक है मैं वित्त मंत्री जी से कहूंगा कि रोजड़ा,नीलगाय जिसे कहते हैं और यह हमारे किसानों फसल को बहुत नुकसान पहुंचाता है. किसानों की ओर से मैं आपसे निवेदन कर रहा हूं जनप्रतिनिधि होने के नाते. जो किसान परिश्रम करता है और रोजड़ा फसल समाप्त कर देता है उसके लिये भी सरकार कुछ प्रावधान करे. सरकार ने मां,बहन,बेटी को सम्मान दिया है. 33 प्रतिशत नौकरी में आरक्षण दे रहे हैं. 50 प्रतिशत का आरक्षण दे रहे हैं. लाड़ली बहना,लाड़ली लक्ष्मी,लाड़ली बेटियां बनी हैं. हमने मां,बहन,बेटी के पांव पूजे हैं और हमारी आधी आबादी बहनों की है. आज आप सभापति महोदया बनकर बैठी हैं. हमें प्रसन्नता है कि हमारी मातृ शक्ति सभापति के पद पर बैठी हैं. आज हर क्षेत्र में बहनें आगे बढ़ रही हैं और उनको बढ़ाने में हमारे मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री जी का बहुत बड़ा योगदान है. उन्होंने 57 वन स्टाप सेंटर बनाए हैं. मुख्यमंत्री बाल आरोग्य योजना बनाई है. प्रदेश में12670 आंगनवाड़ी हैं. जो विस्थापित थीं 25 हजार आंगनवाड़ियों को वापस उन्नयन किया गया है. पोषण आहार 2.0 में 2032 करोड़ का प्रावधान किया गया है. स्वास्थ्य के क्षेत्र में आंगनवाड़ी सेवा के लिये रुपये 3729 करोड़ का प्रावधान किया है उसका मैं स्वागत करता हूं. यह बजट सर्वहारा वर्ग के लिये कल्याणकारी बजट है. इस बजट के माध्यम से गरीब,महिला,किसान,युवा सबका ध्यान रखा गया है. स्वामी विवेकानंद कहते थे कि सपने देखना चाहिये. वे कहते थे कि जब तक रुको मत जब तक लक्ष्य को प्राप्त न कर लो. वह यह भी कहते थे कि मेरे साथ युवक,युवतियों यह विश्वास रखो कि आप ही सब कुछ हो. महान कार्य करने के लिये धरती पर आए हो. चाहे वज्र भी गिरे तो निडर होकर खड़े हो जाना तो आज हमारी सरकार निडर होकर खड़ी है और मातृ शक्ति के लिये काम कर रही है. सरकार ने जो काम किये हैं वह कम समय में नहीं कही जा सकते हैं. आज सड़कें बनी हैं उन सड़कों से मध्यप्रदेश का विकास हो रहा है. आज बिजली की पर्याप्त व्यवस्था हो रही है. ऊर्जा के प्लांट लग रहे हैं. दिल्ली की मेट्रो अगर चलाना हो तो नीमच जिले की बिजली से चल रही है तो यह सारी उपलब्धियां हमारी सरकार की है. बार-बार विपक्ष के लोग कहते हैं कि हमने कर्ज लिया हमने कर्ज कोई घी पीने के लिये नहीं लिया. गरीब के कल्याण के लिये कर्ज लिया है और अच्छे काम के लिये यदि कर्ज लेते हैं तो अच्छा लगता है. आज जनता मुख्यमंत्री जी,वित्त मंत्री जी और सारे मंत्रियों की तारीफ कर रही है. आज खेल के क्षेत्र में भी युवा आगे बढ़ रहा है. नीमच में खेल अकादमी स्थापित हुई है. आपने जिले-जिले में खेल के स्टेडियम स्वीकृत किये हैं.स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है. स्वस्थ व्यक्ति स्वस्थ मध्यप्रदेश का निर्माण करेगा. यह बजट गरीब के लिये बहुत कल्याणकारी बजट है. आपने समय दिया धन्यवाद. भारत माता की जय.
श्री ओमकार सिंह मरकाम (डिण्डौरी)-- माननीय सभापति महोदया जी, जब माननीय वित्तमंत्री जी बजट की पुस्तक पढ़ते हैं तो यहां विधायक प्रत्यक्ष देखते और सुनते हैं पर पूरे प्रदेश के जनमानस उम्मीद लगाकर के मंत्री जी के भाषण को सुनते हैं कि यह जो भाषण दे रहे हैं उसमें भविष्य का क्या नजरिया है. माननीय सभापति महोदया, मैं आज एक सही बात करना चाहता हूं, न मैं पक्ष का करना चाहता, न विपक्ष का करना चाहता, मुझे पता है सत्ता पक्ष वाले अपनी बात करेंगे, हम विपक्ष वाले अपनी बात करेंगे, पर सच्चाई पर भी चर्चा होनी चाहिये कि सच्चाई क्या है. सच्चाई यह है कि माननीय वित्तमंत्री जी ने 191 बड़ा लंबा चौड़ा कौन अधिकारी ने बनाया आपको थकाने के लिये मुझे पता नहीं 191 कंडिका का आपका यह बजट भाषण लिखा. अब इसमें कंडिका 6 में जो आपने लिखा है कि इस समय प्रति व्यक्ति आय 1 लाख 42 हजार रूपये है, मैं सत्य बात कर रहा हूं. अगर 142 हजार को आप प्रतिमाह में बाटोगे तो 11 हजार 833 रूपये प्रतिमाह होता है, यह अधिकारी भी यहां बैठकर सुन रहे हैं, जरा सुन लो. अगर आप 12 महीने में बांटोगे वित्तमंत्री जी जरा नोट करो, इधर उधर न देखो, नोट करो अगर मैं बोलूं तो मुझे आप जो कहोगे मैं तैयार हूं. 11 हजार 833 रूपया प्रतिमाह होता है जिसको आपने कहा प्रति व्यक्ति आय, स्वागत है, मैं आपका स्वागत करता हूं, अभिनंदन करता हूं पर आपको मौके पर भी बताना पड़ेगा मैं उदाहरण दे रहा हूं. अंशकालीन कर्मचारियों को आप 4 हजार रूपये प्रतिमाह दे रहे हैं जरा गुणा कीजिये, बारह चोको अड़तालीस हजार यह आपके अंशकालीन कर्मचारी जो आपके आफिस में भी हैं, दूसरी तरफ रसोइया जो हमारे बच्चों के लिये भोजन बनाते हैं, उनको भी 4 हजार रूपये देते हैं, तो बारह चोको अड़तालीस हजार ही उनका हुआ और इसके आगे पेसा मोबिलाइजर जो काम करते हैं उनको भी आप 4 हजार रूपये महीना ही देते हैं, अगर कोई सत्ता पक्ष के विधायक चेतन्य काश्यप टाइप अपनी जेब से दे दें तो स्वागत, दे दो. सहायिका जो हैं उनका साढ़े सात हजार रूपये महीना है, आंगनबाड़ी सहायिका का इनका कितना बना 90 हजार और आप कह रहे हैं कि 1 लाख 42 हजार ऐसे समय में मुझे दर्द होता है कि सही बात आखिर करे कौन. माननीय सभापति महोदया जी, मैं एक घोषणा कर रहा हूं, मैं मिशन सच्चाई लागू कर रहा हूं, सही बात की जाये, चाहे मुख्यमंत्री हो, चाहे विपक्ष का नेता हो, चाहे आम जनता हो, अधिकारी हो, कर्मचारी हो, कोई हो सही बात की जाये क्योंकि हमारे सनातन धर्म में लिखा है-
अश्वमेधसहस्रं च सत्यं च तुल्य घृतम् ।
अश्वमेधसहस्रद्धि सत्यमेव विशिष्यते ।।
भगवान राम ने जो अश्वमेध यज्ञ किया था उसमें जो पुण्य मिलता है उस पुण्य से हजारों गुणा ज्यादा सत्य बात करने से मिलता है. आपने आज कहा कि हम 2047 तक मैं ईमानदारी से कह रहा हूं मैं मोदी जी को मूर्ती के तौर पर रखकर पूजा करूंगा, दलगत राजनीति से ऊपर उठकर उनकी चालीसा पढ़ूंगा, पर 2047 तक अगर आपने कहा है कि आप 22 लाख 45 हजार प्रति व्यक्ति आय बढ़ायेंगे तो इसकी भी गणना मेरे पास है, 22 लाख 35 हजार इसका मतलब है कि प्रति वर्ष 1 लाख रूपये आय बढ़ना है. 22 वर्ष में आज 2025 है उसमें 22 जोड़ो तो 47 होता है.
प्रतिवर्ष एक लाख रूपये आपकी आय बढ़ेगी, मतलब 8 हजार 333 रूपये आपको परमंथ जनरेट करना पड़ेगा. एक लाख को आप डिवाईड बारह में करिये, यहां पर फाइनेंश के लोग बैठे हैं, जरा आपकी गणित तेज है, आप अधिकारी बन गये हो, जरा सुन लीजिये, एक लाख रूपये में आप डिवाइड करिये तो 8 हजार 333 रूपये होता है, वित्तमंत्री जी आज से ही कांउटडाउन चालू होता है, क्योंकि मुझे उम्मीद है कि अगला वित्तीय बजट आप ही पेश करोगे, तब तक हमें मिलना चाहिए कि आपका एक लाख रूपये जनरेट हो गया और अगर नहीं होगा तो सच्चाई का जवाब आपको देना पड़ेगा. आप यह मत भूलिये कि इस देश के अंदर सच्चाई की बात करने वाले नहीं है. मोदी जी के वर्ष 2029 में चुनाव है, अभी चार चाल हैं, आपको प्रतिवर्ष एक लाख रूपये जनरेट करके दीजिये, तो हम दलगत राजनीति से ऊपर उठकर के स्वागत करेंगे, पर आप सही बात करिये, आप सही बात नहीं कर पा रहे हैं. आपके आंकड़े मैं वित्तमंत्री जी आपको बता दूं, वर्ष 2006-07 में आपकी ही सरकार थी,तब उस साल 4 हजार 35 करोड़ रूपये का कर्जा लिया था, वर्ष 2008-09 में आपने 2 हजार 118 करोड़ रूपये का कर्जा लिया था. वर्ष 2009-10 में आपने 3 हजार 642 करोड़ रूपये का कर्जा लिया था. वर्ष 2010-11 में आपने 1 हजार 714 करोड़ रूपये का कर्जा लिया था. वर्ष 2011-12 में 76 करोड़ रूपये का कर्जा लिया था, इस बात के लिये हम आपको धन्यवाद करेंगे. वर्ष 2012-13 में 561 करोड़ रूपये का कर्जा लिया, वर्ष 2013-14 में 5 हजार 116 करोड़ रूपये का कर्जा लिया था और वर्ष 2014-15 में आपने 3 हजार 997 करोड़ रूपये का कर्जा लिया, वर्ष 2014-15 तक जब तक मध्यप्रदेश की स्थापना हुई 21 हजार 259 हजार करोड़ रूपये का ही कर्जा था और जब से मोदी जी वर्ष 2015-16 में प्रकट हुए, जय हो मोदी जी आपसे बड़ा विद्वान कोई नहीं. सीधे -सीधे वर्ष 2015-16 में 30 हजार 6 सौ करोड़ रूपये का कर्जा पहले वर्ष में मध्यप्रदेश की सरकार लेती है. वर्ष 2016-17 में 20 हजार 668 करोड़ रूपये का कर्जा, वर्ष 2017-18 में 29 हजार 554 करोड़ रूपये का कर्जा, वर्ष 2018-19 में 18 हजार 952 करोड़ रूपये का कर्जा, वर्ष 2019-20 में 38 हजार 456 करोड़ रूपये का कर्जा, वर्ष 2020-21 में 50 हजार 445 करोड़ रूपये का कर्जा, वर्ष 2021-22 में 42 हजार 88 करोड़ रूपये का कर्जा, 2022-23 में 35 हजार 240 करोड़ रूपये का कर्जा, वर्ष 2023-24 में 87 हजार 529 करोड़ रूपये का कर्जा यह जो आप बता रहे हो, यह आपको मैं बताना चाहता हूं कि वर्ष 2024-25 में 35 हजार करोड़ का कर्जा है अभी मोदी जी के कार्यकाल में 3 लाख 85 हजार करोड़ रूपये का कर्जा अगर चढ़ा है, तो क्या उससे पहले जो भाजपा के नेता थे, क्या वह बेकार के थे, वाजपेयी जी थे क्या वह बेकार थे? आप क्या कहना चाहते हैं, अगर वाजपेयी जी न होते तो मोदी जी पी.एम. नहीं बन पाते है, यह हमें पता है, आप लोगों मानो या न मानो.
सभापति महोदया -- मरकाम जी आपका समय 6 मिनिट से ज्यादा हो गया है.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- सभापति महोदय, आप थोड़ा समय ओर दे देंगे तो हम सही बात कर लेंगे. वैसे सभापति महोदय, ईमानदारी से बता रहा हूं कि मैं बोलने के लिये बिल्कुल तैयार नहीं था, इसलिए तैयार नहीं था क्योंकि सदन के अंदर जो हम बोलते हैं, उसमें आप काम क्या करते है, जनता में यह इमेज है कि विधायक सिर्फ फार्मेल्टी करने के लिये जाते हैं.
सभापति महोदया, मैं आपसे कहना चाहता हूं भले आप छ: मिनिट की जगह छ: सेंकेण्ड बुलवाओ पर उसका असर होना चाहिए, असर होना चाहिए कि होता क्या है, पता चल रहा है आप एक एक घण्टा बुलवा रहे हो, उसका असर कुछ नहीं हो रहा है. माननीय वित्तमंत्री जी मेरे क्षेत्र की एक रोड बजट में आपने छापा था तीन करोड़ रूपये का पुल रूसा से बरनई में, मैंने अभी प्रश्न लगाया और मैंने पूछा कि इसका प्राक्कलन बन गया, तो आपने कहा कि प्राक्कलन नहीं बना है तो आप बजट में छापते काहे को हो. जब एक साल में आप एक रोड की पुलिया का प्राक्कलन नहीं बना रहे हो, मेरे उत्तर में है अगर आप कहोगे तो मैं आपको दे सकता हूं, आप जो बजट में छापते हैं, उसके आधार पर काम भी धरातल पर हो जाये, मेरे ख्याल से सत्ता पक्ष के हमारे सभी विधायक बहुत प्रसन्न हैं, मेरे को लगता है कि आपके क्षेत्र में शायद कोई समस्या नहीं है, मैं देखने आउंगा.
श्री दिलीप सिंह परिहार -- सड़कें बन रही हैं, पानी की व्यवस्था मिल रही है, बिजली है, पानी है, आपका बजट में आया है तो आपकी भी बनेगी.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- आपके यहां आउँगा और आपका सार्वजनिक सम्मान करूंगा और अगर नहीं हैं माननीय सभापति जी आप सदन में बोल रहे हैं इसका ध्यान रखना.
श्री राजेन्द्र मेश्राम—मरकाम जी आप देवसर विधान सभा क्षेत्र में भी आईएगा.
श्री हरदीप सिंह डंग—आप मेरी भी विधान सभा में आईये.
श्री ओमकार सिंह मरकाम—जरूर आऊंगा सरदार जी. सभापति महोदय, मैं वित्त मंत्री जी तथा सभी साथियों से फिर कह रहा हूं कि मैं मिशन सच्चाई आज से ही चालू कर रहा हूं. अगर मेरी गलती है तो सबसे पहले मैं खुद बताऊंगा कि यहां पर मेरी गलती है. अगर आपकी गलती है मैं इसलिये कह रहा हूं कि आने वाला भविष्य किधर जाएगा, जरा सोचिये. अभी हमारी जो नयी जनरेशन है, वह किधर जायेगी, अगर यही करते रहेंगे आप और हम तो उनका भविष्य कहां जायेगा. आपने पहले पृष्ठ में कहा कि दुःखों के निवारण के लिये हमारी सरकार है. हम जैसे विधायक आप लोगों के एक निर्णय से दुःखी है. इधर 15 करोड़ इधर 5 करोड़ वह भी नहीं मिला. इसी का निराकरण कर दो.
श्री दिलीप सिंह परिहार—आपने पन्द्रह महीने में क्या किया था. बता दीजिये.
श्री ओमकार सिंह मरकाम—15 महीने का जो इतिहास है, वह आपके पास में है. उसे हम नहीं बतायेंगे, आप उसका परीक्षण करें. माननीय वित्तमंत्री जी आप थोड़ा बहुत समझने का प्रयास करें. विधायकों का स्तर पर कहां पर रखना चाहते हैं. 3 लाख 37 हजार करोड़ रूपये का प्रावधानिक और 4 लाख 21 हजार 32 करोड़ का जो आप दे रहे हैं. भाजपा वाले कहते थे कि कांग्रेस मुक्त आप लोग भूल गये हैं कि अब भाजपा कांग्रेस युक्त हो गया है.
श्री राजेन्द्र कुमार वर्मा—जितने भी कांग्रेस के विद्वान साथी थे. मोदी जी एवं मोहन यादव तक काम देखकर के भारतीय जनता पार्टी में आये हैं भाई साहब. कांग्रेस के साथियों के भी आवास बने हैं उनके साथ कोई भेदभाव नहीं है.
श्री ओमकार सिंह मरकाम—इतना बोल रहे हो तो मैं आऊंगा. मिशन सच्चाई लेकर के आऊंगा.
सभापति महोदय—आप लोग बैठिये आपका नंबर आये तो बोल लीजियेगा.
श्री ओमकार सिंह मरकाम—सभापति महोदय, मैं आपकी काबिलियत पर चुनौती नहीं दे रहा हू्ं. आप बड़े ही विद्वान हैं. पर कभी कभी सच्चाई भी बोल लेनी चाहिये. मेरा माननीय वित्तमंत्री जी ने अनुरोध है कि कम से कम मजदूरों एवं गरीबों का आप जिस क्षेत्र से आते हैं वहां पर मजदूर लोग कितना पलायन करते हैं मजदूरी के लिये. मेरे क्षेत्र के मजदूर लोग भी मजदूरी के लिये पलायन करते हैं. आप कम से कम मजदूरों के लिये थोड़ा सा सोच लें उनकी मजदूरी दर में थोड़ी वृद्धि कर दें. ताकि हमारे मध्यप्रदेश के मजदूर तेलंगाना न जायें, राजस्थान न जाये, गुजरात न जायें. यहां पर गुजराती दिमाग लगाकर के रखते हैं मध्यप्रदेश पर कब्जा कैसे कर लें, वैसे कर ही लिये मामा को मोहन से लड़वा दिये. सतयुग, त्रेता, द्वापर में भांजे ने ही मामा का वध किया था, यहां पर करा दिये. मामा को मोहन से अलग करवा दिये, कितना अन्याय करेंगे, यह तो अलग विषय है. मेरा अनुरोध की मजदूरों को मजदूरी में वृद्धि करने की कृपा की जाये. आप लोग सही बात करें. पुनः मैं यह जानकारी देना चाहता हूं कि सच्चाई के धरातल पर हम लोग जुड़ेंगे वित्तमंत्री जी आप जब अगली बार बजट भाषण दें 1 लाख रूपये प्लस हो जाना चाहिये 1 लाख 42 हजार रूपये की जगह 2 लाख 42 हजार रूपये. आपने प्रतिव्यक्ति आय के बारे में कहा है प्रति नौकरी नहीं कहा है, प्रति विधायक नहीं कहा है, प्रतिव्यक्ति कहा है. अगर आप यह नहीं कर पाएंगे तो अगली बार भाषण देने से पहले सावधानी रखना, सही बात करना बहुत बहुत धन्यवाद.
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय (जावरा) -- माननीय सभापति महोदया, लंबे समय से लंबी चर्चा हो रही है. मैं कुछ बातों की ओर ध्यान आकर्षित करना चाहता हॅूं. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी और माननीय वित्त मंत्री श्री जगदीश देवड़ा जी का धन्यवाद ज्ञापित करना चाहता हॅूं, जिन्होंने इस बजट में पूरे मध्यप्रदेश के आम जन-जन को जोड़ने का प्रयास किया है और न केवल जन-जन को जोड़ने का, वरन् जनभावनाओं को भी सम्मान देने का काम किया है. उन सारे सांस्कृतिक जीवन मूल्यों का ध्यान रखते हुए, उन सारे सांस्कृतिक पृष्ठभूमियों का ध्यान रखते हुए हमारे गौरव और गरिमा को बढ़ाया है. मध्यप्रदेश गौरवान्वित कैसे हो सके, उन सबका क्रियान्वयन करते हुए बजट में सबको सम्मिलित किया गया है. पूरे देश भर के साथ में मध्यप्रदेश में भी गरीबों का संरक्षण कैसे हो सके, महिलाओं का उत्थान कैसे हो सके, युवाओं को और अधिक कैसे प्रोत्साहित किया जा सके, किसानों को कैसे और अधिक प्रोत्साहन देकर के कृषि को और अधिक उन्नत किया जा सके, यह प्रयास किया गया है. जब गरीबों का उत्थान होगा, जब युवाओं को प्रोत्साहन मिलेगा, जब निश्चित रूप से महिलाओं का उत्थान होकर सम्मान मिलेगा और किसान प्रगति करेगा, जब समन्वित प्रयास किए जाएंगे, तभी जाकर के हमारी नींव और अधिक मजबूत होगी. सभापति महोदया, बहुत बातें आ रही हैं, बहुत सारी चीजें आ रही हैं लेकिन यह भी देखा जाना चाहिए कि आज मध्यप्रदेश अनेक कार्यों में अग्रणी हुआ है. मध्यप्रदेश सोयाबीन में प्रथम स्थान पर आ गया है और जब गरीबों की बात होती है तो गरीब के लिए सबसे पहले मकान की आवश्यकता होती है. मध्यप्रदेश की कुल जनगणना अगर देखें, तो साढे़ आठ सौ करोड़ है. साढे़ आठ सौ करोड़ में से लगभग-लगभग 50 लाख प्रधानमंत्री आवास, जिसमें से 36 लाख ग्रामीण प्रधानमंत्री आवास बनकर के तैयार हो गए. 13 लाख आवास निर्माणाधीन हैं और 11 लाख 89 हजार से अधिक आवास की स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है. 50 लाख आवास बनकर के तैयार हो चुके निर्माणाधीन हैं. 36 लाख उसमें से बन चुके. अगर 50 लाख की गणना करें, यदि एक परिवार में 5 व्यक्ति हैं तो साढे़ आठ करोड़ में से ढाई करोड़ की आबादी को तो सीधे-सीधे आवास दे दिये गये. उन्हें आवास प्राप्त हो गए. उनको निश्चित रूप से इससे बड़ा सहारा क्या मिलेगा कि 11 लाख 89 हजार आवास और स्वीकृत हो गए. वे आवास बन जाएंगे, तो मध्यप्रदेश में 60 लाख गरीब परिवारों को आवास मिल जाते हैं तो उसमें से लगभग 50 लाख परिवारों को आवास मिल चुके, तो 3 करोड़ आम जन को आवास प्राप्त हो जाना बहुत बड़ी उपलब्धि होती है, जो निश्चित रूप से सराहनीय कार्य है.
माननीय सभापति महोदया, हम सभी जानते हैं कि रोजगार के लिए रोजगार की आवश्यकता होती है. पीएम स्वनिधि योजना के अंतर्गत 13 लाख से अधिक कमजोर परिवारों को ऋण देने का काम किया गया है. 13 लाख से अधिक कमजोर परिवारों को ऋण देकर के उन्हें पीएम स्वनिधि योजना के माध्यम से रोजगारमूलक कार्यों से जोड़ा जाता है तो निश्चित रूप से यह सराहनीय कदम है.
सभापति महोदया, लोक सेवा प्रदाय गारंटी योजना प्रारम्भ की गई. अभी तक इस योजना के अंतर्गत लगभग 11 करोड़ आवेदनों का निराकरण किया गया, इससे बड़ी उपलब्धि सरकार की क्या हो सकती है. यह सराहनीय बात है कि 11 करोड़ आवेदनों का निराकरण किया गया. यह एक उत्कृष्ट कार्य निश्चित रूप से मध्यप्रदेश में हुआ है. जहां तक रोजगार की बात होती है, हमारे बीच सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री जी भी बैठे हैं. अभी रीजनल कॉन्क्लेव संभागीय स्तर पर उद्योग समिट बुलाकर के पूरे मध्यप्रदेश में एक माध्यम बनाने का काम किया गया. अभी यहां भोपाल में फरवरी माह में एक बड़ा उद्योग समिट हुआ. यहां पर 26 लाख 61 हजार के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं और यह रोजगारमूलक होने के कारण हजारों लोगों को इससे रोजगार का लाभ निश्चित रूप से मिलेगा.
सभापति महोदया, 14 हजार 5 सौ एकड़ भूमि पर 39 नये औद्योगिक क्षेत्रों को विकसित किया जा रहा है. यह मध्यप्रदेश में पहले नहीं हो सका. मध्यप्रदेश पहले नहीं कर सका, क्योंकि बिजली नहीं मिलती थी. पानी नहीं था. सड़कें अच्छी नहीं थीं. आज लाखों किलोमीटर सड़कें और बन रही हैं. लाखों किलोमीटर सड़कें बनने के साथ-साथ में बडे़-बडे़ सिंचाई डेम बन रहे हैं. एक नदी से दूसरी नदी को जोड़ने की योजनाएं बनाई जा रही हैं. केन-बेतवा योजना प्रारंभ की जाने वाली है. सिंचाई का रकबा लगातार बढ़ता जा रहा है, मैं उसे बार बार दोहराने की आवश्यकता महसूस नहीं करता. उसे आंकड़ों में उलझाने की बात नहीं है कि रबी का है कि खरीफ का है, लेकिन 1 करोड़ हैक्टेयर सिंचित रकबा मध्यप्रदेश का लक्ष्य निर्धारित किया गया है जो कि 50 लाख हैक्टेयर का लक्ष्य हम पूर्ण कर चुके हैं. इससे कृषि उत्पादन में हमारा मध्यप्रदेश अग्रणी राज्य बनता जा रहा है. एक ओर हम किसानों को समृद्ध करने के लिए केन्द्र के द्वारा भी और राज्य के द्वारा भी उन्हें किसान सम्मान निधि 6000 रुपये केन्द्र सरकार के द्वारा, 6000 रुपये राज्य सरकार के द्वारा, इस तरह से 12000 रुपये की राशि दी जा रही है. विगत वर्षों में क्यों नहीं इस तरह की नीतियां बनाई गई, क्यों नहीं इस तरह की कार्य योजना बनाई गई जिसके कारण किसान भी समृद्ध हो सके और जहां तक हम महिलाओं की बात करें. सभापति महोदया, सिर्फ और सिर्फ लाड़ली बहना योजना के अंतर्गत ही 1 करोड़ 27 लाख 21 हजार बहनों के खाते में 1250 रुपये प्रति माह जाना यह निश्चित रूप से महिलाओं के उत्थान की इससे बड़ी क्या योजना हो सकती है, इससे बड़ा कार्य और क्या किया जा सकता है. (मेजों की थपथपाहट) . इसी के साथ साथ प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना में 52 लाख माता बहनों को मातृ वंदना योजना के हितग्राहियों के पंजीयन किया गया है. अगर यही हम जोड़ लें तो लगभग 2 करोड़ महिलाएं हो जाती हैं. एक ओर हम देख रहे हैं कि गरीब परिवारों को 3 करोड़ आवास मिल रहे हैं. 2 करोड़ माता बहनों को सीधे सीधे उनके उत्थान के लिए राशि प्राप्त हो रही है. इस प्रकार 5 करोड़, मध्यप्रदेश की 8.5 करोड़ की हमारी आबादी है उसमें सिर्फ किसानों के लिए और महिलाओं के लिए 5 करोड़ परिवार के सदस्यों को जोड़कर अगर उनके उत्थान का कार्य किया जा सकता है. इससे यह सिद्ध होता है कि यह जो बजट यहां पर पारित किया जाता है, सदन में उसका जो अनुमोदन होता है. हम सत्ताधारी लोग जो उसका समर्थन करते हैं और निश्चित रूप से मैं विपक्ष की भी सराहना करना चाहता हूं कि वे कमियों को बताते हैं. उन कमियों को सुधार कर और तेजी के साथ में आगे बढ़ने के हमें अवसर मिलते हैं. लेकिन 8.5 करोड़ में से 5 करोड़ तो सिर्फ महिलाएं और किसान ही हो जाते हैं. सिर्फ गरीब और महिलाएं ही हो जाती हैं. किसान वर्ग तो हमारा अलग है. अगर वह 2 वर्ग हो जाते हैं इसी के साथ-साथ हम अगर किसान भाइयों की बात करें तो ग्रामीण विकास अनेक कार्य किये गये हैं.
सभापति महोदया - कृपया समाप्त करें.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय - सभापति महोदया, अभी तो शुरुआत ही की है क्योंकि आंकड़े भी सभी आ चुके थे. आज श्री बाला भाई ने भी बहुत अच्छे आंकड़े सदन में रखे हैं. श्री जयंत मलैया जी ने भी रखे हैं तो मैंने तो यह कहने का प्रयास किया है कि सभी वर्गों के लिए, गरीबों के लिए, महिलाओं के लिए, युवाओं के लिए, किसानों के लिए उन समस्त को बजट में लेकर सारी कार्य योजना को उसमें सम्मिलित किया गया, इसीलिए हमारा पूरा मध्यप्रदेश तेजी के साथ में विकसित हो रहा है, तेजी के साथ में आगे बढ़ रहा है और निश्चित रूप से और अधिक गति की आवश्यकता है. हम सब सामूहिकता के साथ में काम करेंगे तो निश्चित रूप से हमारा मध्यप्रदेश और तेजी के साथ में आगे बढ़ेगा. सभापति महोदया, आपने बोलने का समय दिया इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद. जय हिन्द, जय मध्यप्रदेश. (मेजों की थपथपाहट)
श्री कैलाश कुशवाह (पोहरी) - सभापति महोदया, आपने बोलने का जो अवसर दिया है उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद. वर्ष 2025-26 का यह जो बजट आया है, वह कहीं न कहीं मूल समस्याओं पर तो है ही नहीं. घरेलू वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि, आटा, दाल, चावल, सब्जी, दूध, तेल, मसालों जैसी बुनियादी चीजों के दामों में वृद्धि हुई है. जो रसोई सामान में वृद्धि हुई है वह परिवार का बजट बिगाड़ती है. पेट्रोल डीजल और परिवहन पर महंगाई की बात हुई है न कि सस्ती करने की बात हुई है. बिजली में जो अतिरिक्त पेनाल्टी लगती है. चाहे वह घरेलू लाइट हो, चाहे किसानों की लाइट हो, उस पर कटौती की चर्चा नहीं हुई. मैं यही कहूंगा कि जो मूलभूत समस्याएं हैं उन पर कोई चर्चा नहीं हुई, जो एक परिवार में चाहे वह इलेक्ट्रिक सामान हो, चाहे किसानों के उपकरण हों. चाहे वह किसानों की लाइट उसमें कटौती की चर्चा नहीं हुई. मैं यही कहूंगा कि जो मूलभूत समस्या है उस पर कोई चर्चा नहीं हुई, जो एक परिवार में चाहे वह इलेक्ट्रिक सामान हो, चाहे किसानों के उपकरण हों. इसमें उनका ध्यान नहीं रखा गया है, उद्योगपतियों को और पैसा वाला बनाया है औेर गरीबों को और गरीब बनाया गया है. बजट में किसान मजदूर की बात करना थी उनकी कोई बात नहीं हुई.
सभापति महोदय, पर्यटन क्षेत्र में हजारों-करोड़ रूपये का खर्चा बताया गया है. नरवर में एक जो कि राजा मान सिंह, राजा नल और लोहड़ी माता और मां पसल देवी का इतिहास भी बताया है. इसको पर्यटन विभाग में नहीं लिया गया है जो कि एक इतिहास है. मैं यही कहूंगा कि बढ़ती महंगाई का असर शिक्षा और स्वास्थ्य पर कितना है. बजट पेश करना था तो शिक्षा सस्ती करनी थी,गरीबों को पढ़ाना है और गरीबों को आगे आगे बढ़ाना है तो स्वास्थ्य को सस्ता करना चाहिये था. आपने शिक्षा महंगी कर दी, किताबें महंगी कर दी, दवाईयां महंगी कर दी, जो की सस्ती होना थी, जो कि हर घर में उपयोग हो रही है. हर घर में पढ़ाई लिखाई हो रही है, हर घर में मरीज है, यह सस्ती होनी चाहिये थी यही आपने महंगी कर दी. प्रायवेट स्कूलों और प्रायवेट अस्पताल इनकी कमाई कौन के खाते में जा रही है. आपने बजट में इसका उल्लेख नहीं किया. मैं यही कहूंगा कि स्वास्य और शिक्षा सस्ती होना चाहिये.
श्री ओम प्रकाश धूर्वे- जन औषधीय केन्द्र चले जाइये, वहां पर दवाई सस्ती मिलेगी.
श्री कैलाश कुशवाह- आप वहां पर गये थे या आपका खानदान गया था. आप सोच-समझकर बोला करो.
श्री ओमप्रकाश धर्वे- सोच-समझ कर ही बोल रहा हूं, जो लोग गरीब हैं उनको जन-औषधी केन्द्र से दवाई लेना चाहिये.
श्री कैलाश कुशवाह- सभापति महोदय, मैं यही कहूंगा कि महंगाई का असर औद्योगिक धातुओं की कीमतों पर भी भारी पड़ा है. तांबा, एल्युमिनीयम, लोहा और स्टील जैसी धातुओं के दाम बढ़ने से निर्माण उद्योग और अन्य निर्माण क्षेत्रों में लागत बढ़ रही है. इसका असर मकानों, मशीनों और उपकरणों की कीमतों पर भी पड़ा है, जिससे आम उपभोक्ताओं और व्यापारियों को भी आर्थिक रूप से नुकसान हो रहा है.
सभापति महोदय, इस बजट में कहीं न कहीं गरीबों को, किसानों को गुमराह किया गया है. उद्योगपतियों को और पैसा वाला बनाया गया है. मैं यही कहूंगा कि बजट में गरीबों, किसानों क्योंकि हमारा देश कृषि प्रधान देश है. किसानों को उनके उपयोग में आने वाली कीटनाशक दवाईयों, उपकरणों में कटौती करके इनको घटाया गया है, क्योंकि का यह ही मूल खर्चा है, किसानों की फसल के उनको अच्छे दाम मिले इसके लिये कुछ नहीं किया और जब किसानों की फसल का मार्कर बदलता है तो वह चार गुनी हो जाती हैं, इसको रोका जाये और किसानों को उनकी फसलों का अच्छा दाम मिले सरकार को इस तरफ ध्यान देना चाहिये. इससे हमारा किसान धनवान बनेगा और आर्थिक स्थिति से मजबूत होगा. क्योंकि हमारे देश में डबल इंजन की सरकार में राशन की दुकानों से पांच किलो अनाज देने के लिये लाइन लगवाती है और अपनी पीठ थपथपाती है. यह सरकार गरीबों को और किसानों को गुमराह करती है तथा किसानों को अंधेरे में रखकर चश्मा बांटती है. मैं यही कहूंगा कि एससीएटी और ओबीसी को बजट में बराबर हिस्सा मिलना चाहिये. जिसकी जितनी संख्या भारी, उतनी इसकी हिस्सेदारी. मैं यह कहते हुए अपनी बात को समाप्त करता हूं. धन्यवाद.
श्री अनिरुद्ध (माधव) मारु (मनासा)—सभापति महोदय, धन्यवाद. मैं इस वर्ष के बजट के समर्थन में खड़ा हुआ हूं. आदरणीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में और प्रदेश के मुखिया, डॉ. मोहन यादव एवं वित्त मंत्री जी, जगदीश देवड़ा जी के नेतृत्व में प्रदेश में राम राज्य की स्थापना करने की दिशा में यह बजट प्रस्तुत किया गया है, जिसमें हर वर्ग को सम्मानजनक स्थान मिला है. हर वर्ग का ध्यान रखा गया है, विकास के साथ साथ व्यक्ति विकास पर ध्यान दिया गया है. इसलिये आज पूरे प्रदेश में इस बजट को लेकर प्रसन्नता का वातावरण है. पूरे प्रदेश में इस बजट की तारीफ हो रही है. बजट के आंकड़ों पर सबने चर्चा की है. इस बजट में विभिन्न, सभी योजनाओं पर काम किया गया है. ऊर्जा के क्षेत्र में बात करें, तो प्रदेश के पुराने संयंत्रों का उन्नयन करने के काम के लिये बजट प्रस्तावित किया गया है. उनकी क्षमता के विस्तार के लिये काम किया गया है. पारेषण लाइनों के लिये काम किया गया है. सबके लिये अलग अलग ऊर्जा के क्षेत्र में प्रावधान किये हैं. मेरा मुख्यमंत्री जी, वित्त मंत्री जी एवं ऊर्जा मंत्री जी से निवेदन है कि हमारे जितने पुराने संयंत्र हैं, उनकी क्षमता के विस्तार पर भी विचार करना चाहिये. मेरी विधान सभा में गांधी सागर डेम बना हुआ है. जब वह डेम बना था सन् 1962 में, तब 125 मेगावाट क्षमता पर बनाया गया था. आज उसके टर्बाइन सब खराब हो चुके हैं. कुल 25 मेगावाट उत्पादन हो रहा है. साढ़े 600 एमसीएम पानी भरा हुआ है. लेकिन उसका कहीं उपयोग नहीं हो रहा है. पास में ही एक प्राइवेट सेक्टर की कम्पनी सिर्फ 300 हेक्टेयर का एक तालाब बनाकर 2 हजार मेगावाट प्लांट का काम शुरु किया है. तो इतना बड़ा डेम, जिससे हम कम से कम 5 हजार मेगावाट बिजली ले सकते हैं, सिर्फ उसके टर्बाइन बदलने हैं. इन्फ्रास्ट्रक्चर खड़ा है,पानी भरा है, लेकिन उस क्षमता का उपयोग नहीं हो रहा है. ऐसे अनेक डेम, पुरानी परियोजनाएं हैं, उनका अगर वापस उन्नयन किया जाये, उनको अपग्रेड करेंगे, तो प्रदेश में ऊर्जा के मामले में एक नया कीर्तिमान स्थापित करने का अवसर मिलेगा, मेरा वित्त मंत्री जी से यह निवेदन है, कृपया इस बात पर ध्यान देकर अगले बजट में इसके लिये कोई प्रावधान करें, तो निश्चित रुप से प्रदेश को ऊर्जा के क्षेत्र में एक नया कीर्तिमान स्थापित करने का अवसर मिलेगा. कृषि के मामले में पूरे प्रदेश में सिंचाई योजनाएं बहुत तेजी से बढ़ रही हैं. फील्ड पर नजर आ रहा है कि सिंचाई योजनाओं का प्रभाव कितना है. निश्चित रुप से पूरे प्रदेश में हरियाली 12 महीने दिखने लगी है और प्रदेश का इतना उत्पादन बढ़ा है कि मंडियों में माल की इतनी आवक है कि माल रखने की जगह नहीं मिल पा रही है. निश्चित रुप से यह हमारे लिये प्रसन्नता की बात है. लेकिन मेरा निवेदन है कि कृषि मंत्री जी इन सभी कृषि उपज मंडियों पर ध्यान देकर किसानों के लिये सम्पूर्ण रुप से सुविधाजनक बनायें, इसके लिये मास्टर प्लान अलग से बनना चाहिये. कितनी आवक है माल की, उसके आधार पर उनमें शेड बनना चाहिये. उसमें कृषकों के रुकने एवं भोजन की व्यवस्था पूरी हो,यह सारी व्यवस्थाएं चाक चौबन्द करें. साथ ही मध्यप्रदेश का फ्रूट, फल उत्पादन इतना बढ़ा है कि किसानों को माल बेचने में भी समस्या आने लगी है. तो उसके लिये भी अलग अलग क्षेत्र चिह्नित करके कहीं संतरा, अंगूर, जाम फल उत्पादित होता है. अलग अलग उत्पादन क्षेत्रों को चिह्नित करके जैसे मेरे मनासा क्षेत्र के रामपुरा एरिये में पूरा, जो वित्त मंत्री जी का स्वयं का गांव भी है, उस क्षेत्र में इतना संतरा उत्पादित होता है कि लगभग 100 ट्रक रोज संतरे के वहां से भरे जाते हैं, लेकिन वहां कोई ऐसी मंडी नहीं है, जिसमें हम उस संतरे को बेच सकें. अगर ऐसी मंडी स्थापित हो जाये, कृषकों की सहकारिता, भागीदारी से वहां एक कोल्ड स्टोरेज स्थापित हो जाये, मंडी भी स्थापित हो जाये, व्यापारियों को स्थान मिल जाये, तो निश्चित रुप से हम एक बड़ा काम नागपुर से भी बड़ा संतरे का वहां खड़ा कर सकते हैं. पूरा नीमच एवं मंदसौर जिला आज की तारीख में संतरा उत्पादन में नागपुर को भी पीछे छोड़ता है, हम इस स्थिति में खड़े हैं. इस तरह की मंडियों का विकास आवश्यक रुप से होना चाहिये, मुख्यमंत्री जी,इन पर आप ध्यान देंगे. इसी तरह से स्वच्छता के मामले में मध्यप्रदेश नम्बर वन है. हमारे बड़े शहरों में तो बहुत जागरुकता आ चुकी है, लेकिन हमारा ग्रामीण क्षेत्र इससे अछूता है. ग्रामीण क्षेत्रों में भी स्वच्छता के प्रति जागरुकता तो है, लेकिन जो साधन उनके पास उपलब्ध होने चाहिये, वैसे अभी साधन उनके पास उपलब्ध नहीं हैं. अभी हमारे जिले में मेरी विधान सभा की लगभग 30 पंचायतों में और साथ में नीमच विधायक, श्री दिलीप सिंह परिहार जी ने उनकी 30 पंचायतों में छोटा ट्रेक्टर ट्राली के साथ उपलब्ध कराया, स्वच्छता अभियान के लिये. 60 ट्रेक्टर ये वहां उपलब्ध कराये जा रहे हैं. उससे निश्चित रुप से स्वच्छता के प्रति जागरुकता भी बढ़ेगी, क्योंकि छोटे ट्रेक्टर छोटी गलियों में भी जा सकते हैं. क्योंकि छोटे टेक्टर छोटी गलियों में भी जा सकते हैं, छोटे स्थानों पर जाकर के काम कर सकते हैं साथ ही पंचायत में एक साधन होगा तो छोटे मोटे काम भी कर पायेंगे. सभापति महोदय, मैं पंचायत मंत्री जी से अनुरोध करूंगा कि हर पंचायत में ऐसा एक छोटा टेक्टर-टाली उपलब्ध करवा दिया जाये, लगभग 5 लाख रूपये में यह सामान आ जाता है, अगर हर पंचायत में यह उपलब्ध होगा तो निश्चित रूप से एक बड़ी व्यवस्था प्रदेश में खड़ी हो जायेगा और माननीय प्रधानमंत्री जी का जो स्वच्छता अभियान है उसको गति देने में हम सहयोगी होगे हमारा ग्रामीण क्षेत्र भी जागरूक होगा.
सभापति महोदय, प्रदेश में निश्चित रूप से राजस्व में वृद्धि हुई है, जीएसटी को लेकर के हम निश्चिंत हैं कि लगातार राजस्व में वृद्धि हो रही है. माननीय वित्त मंत्री जी से मेरा निवेदन है कि चूंकि पेट्रोल और डीजल पर जीएसटी केन्द्र सरकार ने भी लागू नहीं किया है और मध्यप्रदेश की सरकार ने भी लागू नहीं किया है लेकिन पंप मालिकों को अनावश्यक रूप से जीएसटी की पेशियां करना पड़ती है उससे उनको मुक्त कर दें, जीएसटी के कारण उनको पेशियां करना पड़ती हैं क्योंकि पेट्रोल-डीजल टेक्स पेड आता है और टेक्स पेड जाता है उसमें कोई दो नंबर का काम नहीं होता है तो उनको आप जीएसटी से मुक्त करेंगे. समय समय पर विधानसभा में संशोधन होते रहते हैं इनके लिये भी आगामी सत्र में एक संशोधन विधेयकर लाकर के इनको समाप्त करें, बहुत सारे प्रदेश ऐसे हैं जहां पर डीजल-पेट्रोल के पंप मालिकों को जीएसटी का रिटर्न पेश नहीं करना पड़ता है, वहां इनको मुक्त रखा है. अभी हमारे प्रदेश में वह व्यवस्था लागू है पंप मालिकों को रिटर्न से मुक्त करेंगे, तो निश्चित रूप से पंप मालिकों को हम लाभ पहुंचा पायेंगे. बहुत बड़ी व्यवस्था ठीक होगी. यही मेरा अनुरोध है.
सभापति महोदय, बायोडीजल को लेकर के बहुत सारे नकली पदार्थ बिक रहे हैं, बायोडीजल पंप मालिकों पर कोई नियम कानून लागू नहीं होते है, उनको भी जो रेग्यूलर पंप आइल कंपनियों के होते हैं वहां जिस तरह से जांच होती हैं, वैसी जांच उनकी भी होगी,वैसी ही निगरानी उनकी भी होगी तो निश्चित रूप से वह जो दो नंबर का व्यापार करते हैं ओर प्रदेश के राजस्व को हानि पहुंचाते हैं उसको हम रोक पायेंगे, अगर यह व्यवस्थायें होंगी तो निश्चित रूप से हम प्रदेश का राजस्व भी उस माध्यम से बढ़ा पायेंगे.
सभापति महोदय, अंतिम बात कहना चाहता हूं कुल मिलाकर प्रदेश में एक जनहितकारी बजट प्रस्तुत किया है. अभी हमारे विपक्ष के साथी माननीय मरकाम जी कह रहे थे कि वह सच्चाई मिशन चालू करने वाले हैं. मेरी उनसे अपेक्षा है कि प्रदेश की जनता और आगामी पीढ़ी को यह बतायें कि प्रदेश में विकास कब हुआ, कब प्रदेश की सड़कें बनीं, कब प्रदेश में विद्युत उपलब्ध हुई, कब प्रदेश में सिंचाई उपलब्ध हुई, यह सारी सच्चाई से लोगों को अवगत करायेंगे और स्वयं भी हमारे विपक्ष के साथी अगर सच्चाई को स्वीकार करेंगे कि विकास हो रहा है, वास्तव में हो रहा है, जिन सड़कों पर वो चल रहे हैं वह दिख रहा है, किसानों की आर्थिक स्थिति किस तरह से बदली है वह दिख रहा है, मजदूरों की स्थिति किस तरह से बदली है और हमारे जो महापुरूष थे भले ही वह अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के हों उन सबको सम्मान देने का काम अगर किसी ने किया है तो भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किया है, यह सब बातें भी आप उस सच्चाई मिशन के माध्यम से प्रदेश की जनता तक पहुंचायेंगे तो निश्चित रूप से आप प्रदेश की जनता का भला करेंगे और स्वयं भी सच्चाई को स्वीकार करने की स्थिति में आयेंगे. सभापति जी मैं एक बार फिर से माननीय मुख्यमंत्री जी और वित्त मंत्री जी को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने प्रदेश में एक जनहितकारी बजट प्रस्तुत किया, जनता को इसका लाभ मिलेगा, सभापति महोदय आपने मुझे बोलने का अवसर प्रदान किया इसके लिये निश्चित रूप से आपको भी बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री संजय उईके (बैहर) - माननीय सभापति महोदय, मैं सदन के सामने बहुत महत्वपूर्ण मुद्दे पर अपनी बात को रखना चाहता हूं. सभापति महोदय, हमारे आदिवासी भाई और बहनों के लिये प्रदेश में हो रहे अन्याय के विषय में अपनी बात को रखना चाहता हूं. संविधान में आदिवासी समुदाय के संरक्षण और उनके विकास के लिये अनेकों प्रावधान किये गये हैं. लेकिन सरकार द्वारा अपनी नीतियों में उनके हितों को अनदेखा किया जा रहा है.सभापति जी मैं एक बहुत विषय रख रहा हूं. कि एससी और एसटी समुदाय के लिये जो बजट का आवंटन होता है, अनुसूचित जाति-जनजाति बजट खण्ड-9 के विषय में अपनी बात कहना चाहता हूं. सभापति महोदय, विधानसभा प्रश्नों के माध्यम से हरेक विभाग को बजट आवंटन का एससी और एसटी के सर्वांगीण विकास के लिये, उनकी शिक्षा के लिये, उनके स्वास्थ्य के लिये, उनकी बुनियादी सुविधाओं के लिये, उनके रोजगार के लिये जो बजट आवंटन होता है उस विषय में हरेक विभागों के माध्यम से मैंने जानने का प्रयास किया अपने प्रश्नों के माध्यम से कि जो पैसा बजट में आवंटन होता है क्या वह पैसा हमारे आदिवासी भाइयों के लिये, उनके हितों के लिये व्यय होता है या नहीं होता है. मैं आपके समक्ष बताना चाहता हूं कि जितने भी विभागों में मैंने प्रश्न लगाया, सारे विभागों का जो ब्योरा आया उसमें मैंने देखा कि बहुत सारे 90 परसेंट कार्य ऐसे थे जहां हमारे आदिवासी बसाहटें नहीं हैं, जहां हमारे आदिवासी भाई रहते ही नहीं हैं, उन क्षेत्रों में उन राशियों का उपयोग किया जाता है और वह राशि व्यय की जाती है. यह निश्चित तौर पर प्रमाणित करता है कि कहने की बात कुछ और एवं दिखाने की बात कुछ और होती है. हमारे आदिवासी समुदाय के साथ यह अन्याय किया जाता है. मैं एक विशेष बात कहना चाहता हूं कि अभी नगरीय विकास मंत्री जी नहीं हैं, नगरीय विकास का आज मेरा एक प्रश्न था जिसमें आदिवासी और एससी, एसटी के बजट में जो प्रावधान किया जाता है उसके विषय में मैंने अपने प्रश्न के माध्यम से जानकारी चाही थी, तो मुझे आज जानकारी मिली है कि ऐसा कोई बजट आवंटन होता ही नहीं है. जबकि इसके भाग 9 बजट में लगातार कई वर्षों से हरेक विभाग को बजट आवंटन होता है. मैं आपके माध्यम से माननीय वित्तमंत्री जी यहां बैठे हैं, उनसे विशेष अनुरोध करना चाहता हूं कि यह जो पैसा हमारे एससी, एसटी के लिये खर्च किया जाता है, तो विभागों को एक स्पष्ट निर्देश दिया जाए या एक ऐसी नीति बने कि वह पैसा केवल आदिवासी क्षेत्र में, केवल आदिवासियों के हितों पर ही खर्च किया जाये और गैर आदिवासी क्षेत्रों में या कहीं और व्यय न हो. इसके लिये कोई स्पष्ट नीति या कोई कानून सरकार बनाये तो अच्छी बात होगी.
सभापति महोदया, इसके बाद मैं हमारी शिक्षा के संबंध में बताना चाहूंगा कि बालाघाट जिले में सर्वशिक्षा अभियान के तहत वर्ष 2019-20 उसके बाद 2020-21 और फिर अभी 2023-24 में कुछ शालाओं के अतिरिक्त भवन और कुछ नये भवनों की स्वीकृति मिली थी. वर्ष 2019-20 यह जो स्वीकृति मिली थी उसमें काम अधूरे हैं, लेकिन अभी तक राशि जारी नहीं की गई है जिससे हमारे बच्चों को जिस शिक्षण सत्र में शिक्षा मिलनी चाहिये, वह एक अच्छे वातावरण के अभाव में और बिना स्कूल भवन के शिक्षा अध्ययन कर रहे हैं, वह राशि शीघ्रातिशीघ्र जारी करने का कष्ट करेंगे यह मैं आपके माध्यम से सत्ता पक्ष से और सरकार से कहना चाहता हूं. एक विषय और है पंचायत मंत्री जी नहीं हैं, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से प्रदेश में बहुत सारे स्कूलों, प्राथमिक शाला भवन, माध्यमिक शाला भवनों के लिये बाउण्ड्रीवाल की स्वीकृति दी गई थी. बाउण्ड्रीवाल की प्रथम किश्त जारी की गई. प्रथम किश्त के बाद द्वितीय किश्त और अंतिम किश्त भी जारी नहीं की गई है. बाउण्ड्रीवाल वैसी ही अधूरी पड़ी हैं. हमारे बच्चे आज भी उन स्कूलों में बिना सुरक्षा के पढ़ाई कर रहे हैं. मैं विशेष तौर पर कहना चाहता हूं. मेरा विधान सभा क्षेत्र वनों से आच्छादित क्षेत्र है. कान्हा नेशनल पार्क है और जंगली जानवरों का वनों से जो जुड़े हुये स्कूल है, वहां जंगली जानवरों का हमला होता है. कई घटनाएं और दुर्घटनाएं हुई हैं, तो वह जो बाउण्ड्रीवाल का पैसा है वह अतिशीघ्र किसी न किसी रूप से जारी किया जाए. मैं आपके माध्यम से सत्ता पक्ष से कहना चाहता हूं और मैं एक विशेष बात अपने विधान सभा क्षेत्र की करना चाहूंगा. मेरे विधान सभा क्षेत्र में बहुत लंबे समय से भौगोलिक परिस्थति ऐसी है कि बहुत दूर-दूर बसाहटें हैं. अनेक गांव हैं और जो मेरे विधान सभा क्षेत्र में महाविद्यालय भवन हैं वहां केवल दो ही महाविद्यालय हैं, लेकिन कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जहां लगभग 60-70 किलोमीटर दूर बसाहटों के गांव हैं, जहां बहुत ज्यादा जरूरत है उच्च शिक्षा के लिये, अच्छी शिक्षा के लिये महाविद्यालयों की आवश्यकता है तो मैं आपके माध्यम से सत्ता पक्ष से मांग करना चाहता हूं कि हमारे गढ़ी और उपवा क्षेत्र में महाविद्यालय खोलने की अनुमति दी जाए. अंत में मैं अपनी बात करना चाहूंगा कि बालाघाट से बैहर की दूरी लगभग 125 किलोमीटर है और भौगोलिक दृष्टि से बहुत सारे गांव, बहुत सारे क्षेत्र जिनको अगर बालाघाट जिला मुख्यालय में किसी काम के लिये जाना पड़ता है तो बहुत दूरी होती है. कई बार दिनभर का समय लगता है और कई बार अगर अधिकारी-कर्मचारी नहीं मिले तो कई दिनों तक उनको जिला मुख्यालय जाना पड़ता है. बहुत सारे कार्य और चिकित्सा सुविधाएं भी बहुत दूर हैं इसलिये मैं आपके माध्यम से सत्ता पक्ष से कहना चाहता हूं कि बैहर को जिला बनाने की मांग हमारे क्षेत्र की बहुत सारी जनता द्वारा की जाती रही है इसलिये मैं आपके माध्यम से सत्ता पक्ष से अनुरोध करना चाहता हूं कि बैहर को जिला बनाने की घोषणा की जाए. सभापति जी, आपने बोलने का अवसर दिया इसके लिये बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्रीमती रीति पाठक (सीधी) -- सभापति महोदया, मुझे इस बात की बेहद खुशी है कि सोलहवीं विधान सभा में माननीय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी की सरकार के माननीय वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा जी के द्वारा प्रस्तुत बजट पर आज मुझे बोलने का अवसर मिल रहा है.
सभापति महोदया, नवीन सूर्य के प्रकाश में नई चेतना, नई मशाल लेकर हम चल पड़े हैं. यह बजट आशा और आत्मनिर्भरता की राह को खोलने वाला बजट है. सबका साथ, सबका विकास, सबका का विश्वास और सबका प्रयास के साथ माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में जब देश का बजट राष्ट्रीय आर्थिक वृद्धि, डिजिटल इंडिया, हरित ऊर्जा और संरचनात्मक सुधारों पर केन्द्रित होकर अर्थव्यवस्था को गति देने, उद्योगों को बढ़ावा देने और समाज के कमजोर वर्गों को समर्थन देने के लिए हो तब डॉ. मोहन यादव जी का यह बजट विशेष रुप से कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, सामाजिक सुरक्षा जैसे क्षेत्र पर प्रस्तुत किया जा रहा है.
सभापति महोदया, इस बजट के माध्यम से मोहन सरकार का यह विशेष प्रयास है कि प्रदेश की साढ़े आठ करोड़ जनता का चहुमुंखी विकास, सर्वजन हिताय और सर्वजन सुखाय के साथ आगे बढ़े. इसी उद्देश्य के साथ यह बजट इस सदन में प्रस्तुत किया गया है. डॉ. मोहन यादव जी की सरकार के वित्त मंत्री सम्माननीय जगदीश देवड़ा जी ने वित्तीय वर्ष 2025-2026 के लिए 4 लाख 21 हजार करोड़ रुपए का बजट प्रस्तुत किया है. यह पिछले वर्ष की तुलना में 35 हजार करोड़ रुपए से भी अधिक है. यह हम सभी के लिए खुशी की बात है. माननीय मुख्यमंत्री जी का लक्ष्य है कि अगले 5 वर्षों में इस बजट को दोगुना करके 7 लाख करोड़ रुपए तक लेकर जाएंगे. यह विकासात्मक सोच है और इसका परिणाम है कि आज प्रदेश की प्रति व्यक्ति वार्षिक आय 1 लाख 45 हजार 565 रुपए हो गई है.
सभापति महोदया, मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को इस बात के लिए धन्यवाद देती हूँ कि उन्होंने वर्ष 2025 को औद्योगिक और रोजगार वर्ष घोषित किया है. अभी इतना बड़ा जीआईएस सम्मिट हम सभी को देखने को मिला. देश और विदेश से माननीय मुख्यमंत्री जी का निवेश के लिए जो प्रयास था उसका रिजल्ट निकलकर आया है. हमारे प्रदेश को 4 लाख करोड़ रुपए के निवेश प्राप्त हुए हैं. यह हम सभी के लिए खुशी की बात है. इस निवेश के माध्यम से कई लाख नौकरियों के बारे में हमने जो सोचा था वह सार्थक होता हुआ नजर आ रहा है. इस बजट के माध्यम से मोहन सरकार का प्रमुख उद्देश्य ज्ञान के उद्देश्य को प्राप्त करना है. चूंकि ज्ञान की बात पहले भी बहुत बार आ चुकी है, यह वह ज्ञान नहीं है. (GYAN) इसमें G का मतलब गरीब, Y से युवा, A से अन्नदाता और N से नारीशक्ति है. इन चार स्तम्भों को लेकर हमारे प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री और उनकी पूरी टीम इस बजट को लेकर आगे बढ़ने का प्रयास कर रही है. इन चार स्तम्भों में पहले स्तम्भ में मैं गरीब की बात करना चाहती हूं. गरीब वर्ग के लिए मैं बहुत ही संवेदनशील विषय पर बात करूंगी जिसकी चर्चा बहुत बार पहले भी हुई है लेकिन मुझे लगता है कि मुझे बोलने का अवसर मिला है तो मुझे इस विषय को रखना चाहिए. बात है इंदौर के हुकुमचंद मिल की जो कई सालों से लंबित पड़ा हुआ विषय था. इसमें 4800 श्रमिकों को 224 करोड़ रुपए की राशि का भुगतान करवाया गया. 2.0 के अंतर्गत अगर मैं बात करना चाहूं तो 1.73 लाख से अधिक श्रमिकों का पंजीयन आदरणीय मुख्यमंत्री जी ने करवाने के निर्देश दिये हैं. 40 हजार से अधिक श्रमिक परिवारों को 895 करोड़ रुपए की राशि का अंतरण करवाने का आदेश हमारी सरकार के माध्यम से दिया गया है. पीएम स्वनिधि योजना की बात करूं तो इसके तहत 11 लाख से अधिक हितग्राहियों को 10 हजार से 15 हजार तक ऋण की सहायता दी जा रही है. सामाजिक सुरक्षा पेंशन की बात करूं चूंकि मैं गरीब वर्ग की बात कर रही हूं इसलिए अति आवश्यक सामाजिक सुरक्षा पेंशन से हम अछूते नहीं रह सकते हैं. इसमें मैं वित्त मंत्री जी को धन्यवाद भी देना चाहती हूं कि सामाजिक सुरक्षा पेंशन में 55 लाख हितग्राहियों को 3 हजार करोड़ रुपए से अधिक की राशि का अंतरण हुआ है और जब प्रधानमंत्री आवास की बात करूं जो हमारे लिये प्राणवायु है. इस योजना में ग्रामीण आवास की बात करूं तो 36 लाख से अधिक और शहरी की बात करूं तो आठ लाख से अधिक परिवारों को पक्का घर दिलाया गया है. यह हमारी सरकार का विशेष उद्देश्य है आदरणीय प्रधानमंत्री जी का भी है और आदरणीय मुख्यमंत्री जी का भी है. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के तहत हमारी मोहन सरकार के माध्यम से पांच करोड़ से ज्यादा पात्र हितग्राहियों को खाद्यान्न वितरित किया जा चुका है. अब मैं युवा वर्ग के लिए आती हूं. चार स्तंभों में ''G'' हो गया ''Y'' में आती हूं. युवा वर्ग के लिए हमारी मोहन सरकार ने इस वित्त वर्ष में जो 2025 और 2026 का है इसमें 44826 करोड़ का बजट मैं सभी विभागों को इसमें मिलाकर कहना चाहूंगी कि स्कूल शिक्षा विभाग, उच्च शिक्षा विभाग, तकनीकी कौशल विभाग, खेल एवं युवक कल्याण विभाग, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के माध्यम से आवंटित किया गया है. समय की सीमा है इसलिए मैं बहुत ही कम शब्दों में अपनी बातों को रखने का प्रयास कर रही हूं.
सभापति महोदया, प्रदेश में युवाओं के समग्र, सामाजिक और आर्थिक विकास के उद्देश्य से मोहन सरकार द्वारा पेश किये गये इस बजट को कई विशेष योजनाओं के साथ राशि आवंटित की गई है जिसमें कौशल उन्नयन के साथ सर्वांगीण विकास हेतु स्वामी विवेकानंद युवा शक्ति मिशन यह बहुत ही प्रमुख योजना है. रोजगार के अवसरों से जोड़ने के लिए मध्यप्रदेश युवा प्रेरक अभियान भारतीय सेना पैरामिलेट्री और पुलिस में भर्ती के प्रशिक्षण के लिए पार्थ योजना प्रारंभ की गई है. युवाओं के लिए सभी शासकीय विभागों में एक लाख पदों पर भर्तियां की जा रही हैं. माननीय मुख्यमंत्री जी का यह भी उद्देश्य है कि आगामी पांच वर्षों में 2.5 लाख सरकारी नौकरियां उपलब्ध कराना हमारा ध्येय है. स्टार्टअप्स के लिए यदि बात करूं तो 50 हजार से डेढ़ लाख तक की वित्तीय सहायता दी जा रही है. जो हमारे प्रदेश में रोजगार के अवसर पर 7 लाख युवाओं को 5 हजार करोड़ रुपए का स्वरोजगार ऋण वितरण करवाना हमारा लक्ष्य है.
सभापति महोदया-- रीति जी अब आप अपना भाषण समाप्त करें.
श्रीमती रीति पाठक-- सभापति महोदया, मैं बहुत जल्दी अपनी बातों को खत्म करने का प्रयास कर रही हूं. चूंकि इस सत्र में मुझे पहली बार बोलने का मौका मिला है इसलिए मैं माननीय वित्तमंत्री जी से भी निवेदन करूंगी कि थोड़ा सा मेरी सिफारिश करेंगे तो मुझे अवसर मिल जाएगा. सीखो कमाओ योजना में वर्ष 2024 में 20 हजार से अधिक युवाओं को लगभग 41 करोड़ रुपए के फण्ड का भुगतान कर दिया गया है. अग्निवीर की बात करूं तो आप जानते हैं कि केन्द्र सरकार में प्रधानमंत्री जी की यह कितनी महत्वाकांक्षी योजना है और इसको हमारी मोहन सरकार किस तरह से लेकर चल रही है इसमें 360 घंटे प्रशिक्षण का जो विषय है इसमें अग्निवीरों को दिलवाये जाने की व्यवस्था की गई है और मध्यप्रदेश पुलिस एवं सशस्त्र बलों की भर्ती में अग्निवीर जवानों के लिए आरक्षण का लक्ष्य रखा गया है. प्रदेश में ITI की बात कहूं तो 268 शासकीय ITI और इस बार 22 नए ITI खोले गए हैं, साथ ही उनमें 5 हजार 280 सीटों की वृद्धि करवाई गई है, जो अत्यंत आवश्यक था.
सभापति महोदया, पिछले एक वर्ष में MSME के माध्यम से, आज के समय में कई युवाओं का हमने अपने पैरों खड़े होते हुए देखा है. इसमें उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए 3 सौ 50 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता सरकार दे रही है.
सभापति महोदया, अब मैं अन्नदाता की बात करूंगी. मध्यप्रदेश सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 में 32 हजार करोड़ रुपये का बजट प्रस्तुत किया है. यह बजट किसानों की आय को बढ़ाने के लिए, सिंचाई सुविधा में सुधार के लिए, फसल सुरक्षा के लिए, प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बनाया गया है.
सभापति महोदया- रीती जी, अब आप समाप्त करें.
श्रीमती रीती पाठक- बस दो मिनट. अभी पूरे (GYAN) की चर्चा हुई ही नहीं है. मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना से प्रदेश के 80 लाख से अधिक किसानों को प्रतिवर्ष 6 हजार रुपये DBT (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के माध्यम से दिये जा रहे हैं, इसे अनदेखा इसलिए नहीं कर सकते हैं क्योंकि यह हमारे किसानों के लिए प्राणवायु है. इसमें केंद्र सरकार का भी प्रमुख योगदान है. मध्यप्रदेश सरकार के माध्यम से गेहूं उपार्जन हो रहा है, इसमें 175 रुपये का बोनस है, उससे प्रति क्विंटल की राशि 2600 रुपये हो गई है. धान उपार्जन में वर्ष 2024 में प्रोत्साहन स्वरूप, 4 हजार रुपये सरकार के माध्यम से दिये गए थे. हमारे किसानों को 30 लाख सोलर पंप उपलब्ध करवाये का प्रावधान, इस बजट में है किसानों को इसके 10 लाख कनेक्शन दिये जायेंगे. मध्यप्रदेश सोयाबीन उत्पादन में अग्रणी राज्य है. सोयाबीन का 4 हजार 8 सौ 92 रुपये प्रति क्विंटल की दर से समर्थन मूल्य पर उपार्जन करने का निर्णय सरकार ने लिया है.
सभापति महोदया, कोदो-कुटकी के विषय को, मैं छोड़ नहीं सकती हूं. मिलेट्स, जो हमारा मोटा अनाज है, जिससे हमारे किसानों को नई दिशा और रूपरेखा प्राप्त हुई है. आदरणीय प्रधानमंत्री जी ने पूरे विश्व को बताया है कि जो मोटे अनाज पूर्व में छोड़े जाते थे, वे अब कैसे हमारे जीवन के लिए आवश्यक है. कोदो-कुटकी की 4 हजार 2 सौ 90 रुपये के समर्थन मूल्य पर खरीदी की घोषणा सरकार ने की है. मैं, इस हेतु हृदय से धन्यवाद देती हूं.
सभापति महोदया, मैं, अब GYAN के अंतिम चरण में नारी सशक्तिकरण के विषय पर आना चाहूंगी. इस बजट में मिले-जुले विभागों की बात करूं तो नारी सशक्तिकरण के लिए कुल मिलाकर 26 हजार 7 सौ 98 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है जो कि पिछले बजट की तुलना में 81 प्रतिशत अधिक है. इस बजट में महिलाओं, बच्चों, स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है. सरकार में महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण के लिए एक बहुत अच्छा कदम उठाया है और वह है- "देवी अहिल्या नारी सशक्तिकरण मिशन". इस मिशन का उद्देश है कि शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, सुरक्षा, हर क्षेत्र में बहनों को आत्मनिर्भर बनाया जाये. अगर संवेदनात्मक विषय की बात करूं तो महिलाओं के प्रति पुरूषों के नजरिये में बदलाव, विभिन्न कार्यक्षेत्रों में हमारी बहनें निकलती हैं, कैसे उनके संवेदनात्मक नजरिये को परिवर्तित करें, हमारी सरकार का यह प्रमुख उद्देश्य है, एक बड़ा लक्ष्य है. इतिहास गवाह है हमारी धरती ने अनेक वीरांगनों को जन्म दिया है. रानी दुर्गावती देवी, जिनकी 500वीं जन्म जयंती को यादगार बनाने के लिए हमारे मुख्यमंत्री जी ने एक दूसरे जिले, जबलपुर में जाकर केबिनेट बैठक की और देवी अहिल्या बाई होल्कर की इस वर्ष 300वीं जन्म जयंती चल रही है, इसे यादगार बनाने के लिए पूरे प्रदेश में दशहरा शस्त्र पूजन का कार्यक्रम करवाया गया. सभापति महोदया, शासकीय सेवाओं में चूंकि आप भी एक महिला हैं, नारी हैं, शक्ति हैं. मैं आपको बताना चाहती हूँ कि हमारी सरकार ने महिलाओं को 35 प्रतिशत का आरक्षण कर दिया है, जिससे वह हमारे उच्च पदों पर आसीन हो सकें. लाड़ली बहना योजना के तहत 1.29 करोड़ महिलाओं को राशि जनवरी, 2024 में दी गई थी. अब बाईस हजार करोड़ रुपये से अधिक की राशि ट्रांसफर कर दी गई है. 26 लाख बहनों को 450 रुपये में गैस सिलेण्डर की सुविधा हमारी सरकार के माध्यम से प्रदाय की जा रही है. प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत 89 लाख महिलाओं को सस्ते गैस सिलेण्डर उपलब्ध करवाये जा चुके हैं, यह हम सब जानते हैं.
सभापति महोदया, लाड़ली लक्ष्मी की बात का तो कोई कितना भी विरोध कर लें, पर सब जानते हैं लाड़ली लक्ष्मी और लाड़ली बहना, ये दो योजनाएं ऐसी हैं, जो हर किसी के घर को प्रभावित कर रही हैं और उसका सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है. लाड़ली लक्ष्मी 3.25 लाख बालिकाओं को 176 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति प्रदान की गई है और अगर मैं लखपति दीदी की बात करूँ तो 1 लाख से अधिक महिलाएं उद्मिता की ओर सशक्त होती हुई दिखाई दे रही हैं और 850 एमएसएमई इकाईयों को 275 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता दी जा चुकी है और रेडिमेड गारमेंट इन्डस्ट्रीज की बात करूँ तो इसमें महिला श्रमिकों को 5,000 रुपये की प्रोत्साहन राशि देने का निर्णय लिया गया है और 5 लाख स्व-सहायता समूहों के बारे में भी बताना चाहती हूँ कि हमारी सरकार ने 62 लाख बहनें आत्मनिर्भर बनाई हैं.
सभापति महोदया, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना की भी बात करना चाहती हूँ कि 4.92 लाख महिलाओं को 233 करोड़ रुपये की राशि दी जा चुकी है. महिला सुरक्षा, स्वास्थ्य, कल्याण, यह सब हमारे सरकार की प्राथमिकता है और इसमें सेनेटाइजेशन हाईजीन योजना में 19 लाख से अधिक बालिकाओं को 57.18 करोड़ की राशि प्रदान की जा चुकी है. जननी सुरक्षा योजना में 6 लाख हितग्राहियों में 79 करोड़ रुपये की राशि दे दी गई है.
सभापति महोदया - आपकी बात आ गई है. अब आप समाप्त करें.
श्रीमती रीती पाठक - सभापति महोदया, बस थोड़ा सा बाकी हैं, मैं एक ही पेज पढ़ लेती हूँ. महिला एवं बाल विकास विभाग के लिए बजट में 81 प्रतिशत राशि की वृद्धि करके 26,798 करोड़ रुपये का प्रावधान हमारी सरकार ने किया है. जो एक बड़ा प्रावधान है. मैं आपसे कहना चाहती हूँ कि नारी सशक्तिकरण का स्वर्णिमकाल चल रहा है. जिसमें केन्द्र सरकार और राज्य सरकार दोनों ने मिलकर बहनों को सशक्त बनाया है, आत्मनिर्भर बनाया है, संबल बनाया है और जहां महिलाएं केवल सहयोगी नहीं हैं बल्कि यह सशक्त नेतृत्वकर्ता भी बन रही है और इसका आप जैसा उदाहरण हम सब प्रत्यक्ष रूप से भी देख पा रहे हैं. हमारी बहनें, माताएं एवं बेटियां अब किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं. वह घर की चौखट से निकलकर समाज और राष्ट्र के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं. नारी शक्ति राष्ट्र की भक्ति, हर क्षेत्र में नारी की भागीदारी अनिवार्य है, जो बढ़े नारी, वही पढ़े नारी, आत्मनिर्भरता की प्रगति की कड़ी है. जहां नारी का सम्मान, वहीं उन्नति का स्थान है और उसकी प्रत्यक्षदर्शी हमारी केन्द्र सरकार और राज्य सरकार के दोनों नेतृत्वकर्ता हैं, नरेन्द्र भाई मोदी जी हैं और डॉ. मोहन यादव जी हैं. अगर मुझे 2 मिनट का समय और मिले तो यह तो अभी ज्ञान पर बात हो गई है.
सभापति महोदया - आपका काफी समय हो गया है. आप काफी अच्छा बोलती हैं. अगले माननीय को वक्त देना होगा. आप समाप्त कीजिये.
श्रीमती रीती पाठक - माननीय सभापति महोदया, मैं एक मिनट में अपनी बात समाप्त करती हूँ. वर्ष 2025-26 के बजट में लोक निर्माण विभाग के लिए 13,643 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. बहुत छोटे-छोटे शब्दों में, मैं इस पर बात करूँगी, जिसमें सड़क, फ्लाईओवर, पुल, अधोसंरचना, इसमें मेरा जिला जुड़ा हुआ है, मेरे संसदीय क्षेत्र का जिला जुड़ा हुआ है. चूंकि राज्य में 1500 किलोमीटर की नई सड़कों का निर्माण हुआ और इस विषय का रखना बहुत जरूरी है. पुरानी सड़कों के नवीनीकरण में सुधार हेतु प्रावधान हो रहे हैं, शहरी-ग्रामीण इलाकों में नए फ्लाईओवर्स और पुलों के लिए काम हो रहे हैं, स्मार्ट सिटी और मेट्रो परियोजना में पीडब्ल्यूडी का योगदान हो रहा है. ग्रामीण सम्पर्क मार्गों के लिए विकास हो रहा है. अब मैं सिंचाई परियोजना पर बात न करूँ, तो यह अधूरा ही रह जायेगा. चूंकि मुझे यह अवसर मिला है, तो मुझे बात तो करनी पड़ेगी. वर्ष 2025-26 में जल संसाधन विकास में 9,196 करोड़ रुपये का अनुमानित प्रावधान किया गया है. यह बजट मुख्य रूप से सिंचाई परियोजनाओं को तेज करने के लिए किया गया है. इसमें मुझे खुशी हो रही है कि मैं इसमें बता सकूँ कि मेरा जो जन्मस्थली जिला है, सिंगरौली, सिंगरौली में चितरंगी दाबयुक्त सूक्ष्म सिंचाई परियोजना जो हमारी सरकार ने उस क्षेत्र के लिए दिया है, ये 1,320 करोड़ रुपये लागत की परियोजना है, जिसमें 32,000 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा मिलेगी. साथ ही जावद, नीमच दाबयुक्त सूक्ष्म सिंचाई परिेयोजना की बात करूँ तो 4,197 करोड़ रुपये लागत से यह परियोजना चल रही है. सिंचित क्षेत्र में विस्तार की बात करूँ तो 50 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई होने की व्यवस्था इस परियोजना के माध्यम से हो रही है. सबसे बड़ी बात, केन बेतवा लिंक परियोजना को हम भूल नहीं सकते कि आदरणीय प्रधानमंत्री जी ने किस तरह से हम सबको यह दिया है. हमारा सौभाग्य है कि हम इन परियोजनाओं से जुड़ सके. आदरणीय प्रधानमंत्री जी के द्वारा केन बेतवा लिंक परियोजना पिछली 25 तारीख को छतरपुर में इसका शिलान्यास किया गया. इसमें छतरपुर, पन्ना, टीकमगढ़, निवाड़ी, दमोह, शिवपुरी, दतिया, रायसेन, विदिशा, सागर, इसमें 8.11 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा मिलेगी. 41 लाख लोगों को इसमें सिंचाई का लाभ मिलने वाला है. पार्वती, कालीसिंध, चंबल लिंक परियोजना को कैसे भूल सकते हैं. इतनी बड़ी परियोजना है. प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने 17 दिसम्बर को इसका शिलान्यास किया था. इसमें भी हमारे प्रदेश के बहुत से जिले लाभान्वित हो रहे हैं, गुना, शिवपुरी, सिहोर, देवास, राजगढ़, उज्जैन, आगर मालवा, इंदौर, शाजापुर, मंदसौर, मुरैना...
सभापति महोदया -- रीति जी, अब समाप्त करें.
श्रीमती रीति पाठक -- सभापति महोदया, मैं हमारी प्रदेश की सरकार का बहुत-बहुत धन्यवाद करती हूँ. डॉ. मोहन यादव की सरकार को, आदरणीय नरेन्द्र भाई मोदी जी को और हमारी पूरी टीम को धन्यवाद देती हूँ कि जो कैबिनेट में इतने महत्वपूर्ण निर्णयों को रखकर अपने जनहित के लिए, प्रदेश हित के लिए इस बजट को आज इस तरह से सदन में रखा गया. हम सब इसमें अपना सहयोग प्रदान करते हैं. आपने मुझे बोलने के लिए बहुत सारा मौका दिया, धन्यवाद.
श्री विश्वास सारंग -- बहन ने गागर में सागर भरा, सभापति महोदया, इन्होंने अच्छा विषय रखा.
सभापति महोदया -- वे बहुत अच्छा बोले, पर सबको अवसर देना है, इसलिए.
श्री आतिफ आरिफ अकील (भोपाल-उत्तर) -- धन्यवाद माननीय सभापति महोदया जी, मैं शेर के साथ अपनी बात शुरू करूंगा कि -
जिंदगी दी है तो जीने का सलीखा भी देना,
मेरे मालिक, पांव बख्शे हैं तो तौफीक-ए-सफर भी देना,
गुफ्तगू तूने सिखाई है कि मैं गूंगा था,
अब जो बोलूँ तो मेरी बातों में असर तू ही देना,
माननीय सभापति महोदया, लगभग 4 लाख 21 हजार करोड़ रुपये का बजट है. अगर हम देखें तो पिछले बजट से काफी बढ़ोतरी की गई है. लेकिन नगरीय क्षेत्र आवास हेतु 1,700 करोड़ रुपये, मरम्मत हेतु 408 करोड़ रुपये, मुख्यमंत्री अधोसंरचना के लिए 295 करोड़ रुपये के प्रावधान प्रस्तावित किए गए हैं. लेकिन माननीय सभापति महोदया, मैं आपको यह बताना चाहूँगा कि भदभदा झुग्गी बस्तियों को तोड़ दिया गया और उन लोगों को लगभग 1 साल हो गया, बजट के अंदर इसका प्रावधान नहीं है. उनके पक्के मकान थे और उनको केवल 1 लाख रुपये का मुआवजा दिया गया. लगभग 60-70 सालों से वे मकान स्थापित थे, लेकिन उनको तोड़ दिया गया. आज तक उन लोगों को 1 लाख रुपये का मुआवजा दिया गया, लेकिन आज तक उन लोगों को कोई मकान नहीं दिए गए हैं. मैं इस सदन के माध्यम से आपको यह अवगत कराना चाहता हूँ कि इस विषय में सरकार को ध्यान देना चाहिए. जब अरबों रुपयों के लिए, खरबों के लिए बजट आता है, लेकिन धरातल पर अगर हम जाकर देखेंगे तो कुछ नहीं है. कागजों पर तो भरपूर दिखेगा, लेकिन धरातल पर देखेंगे तो स्थिति कुछ और होगी. सुभाष नगर स्थित मोती नगर में लगभग 200 दुकानों को तोड़ा गया, लेकिन प्रशासन के पास बजट तो है..(व्यवधान)..
डॉ. चिंतामणि मालवीय -- सभापति महोदया, अतिक्रमण की पैरवी करना, मुझे लगता है पहले उसके कानूनी पक्ष को देख लें. क्या जिस जगह पर वह हुआ, वह सरकारी थी.. ..(व्यवधान)..
श्री आतिफ आरिफ अकील -- आपको मौका मिले, तब आप बोलना.. ..(व्यवधान)..
डॉ. चिंतामणि मालवीय -- मुझे लगता है सदन का इस तरह उपयोग, यह अपने आप में दुरुपयोग है. ..(व्यवधान)..
श्री आतिफ आरिफ अकील -- आप बैठ जाओ, बहुत सोच-समझ कर मैं बोल रहा हूँ. आपको (xx) आनी चाहिए, गरीबों की बात आ रही है, दलितों की आ रही है, पिछड़ों की आ रही है, अल्पसंख्यकों की आ रही है. ..(व्यवधान)..
डॉ. चिंतामणि मालवीय -- कहीं भी दुकान बनाओगे, कहीं भी मकान बनाओगे. ..(व्यवधान)..
श्री आतिफ आरिफ अकील -- (xx) आनी चाहिए आपको. ..(व्यवधान).. आप अब आओ ना अब, परेशान करो अब, गरीबों की बात होगी तो (xx)..(व्यवधान)..
सभापति महोदया - आप आसंदी को देखकर अपनी बात करें.
श्री जगदीश देवड़ा,वित्त मंत्री - सभापति महोदया, यह क्या बोल रहे हैं.
डॉ.चिंतामणि मालवीय - एक सम्मानित सदस्य को कागज पर बात करनी चाहिये. क्या उन्होंने जमीन खरीदी थीं जिन्हें तोड़ा गया.(..व्यवधान..)
श्री आतिफ आरिफ अकील - क्या वह किरायेदार नहीं थे. क्या वह 50-60 सालों से नहीं रह रहे थे.
श्री प्रहलाद सिंह पटेल,पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री - माननीय सभापति महोदया,मेरा माननीय सदस्यों से मेरी प्रार्थना है कि इस भाषा का सदन में उपयोग न करें और उसको कार्यवाही से हटाएं.डाक्टर साहब,आपसे भी कह रहा हूं कि भाषण होने दें और जो टिप्पणी करने लायक हो उसे कहें.
सभापति महोदया - कार्यवाही से हटा दिया. माननीय सदस्य आप इधर आसंदी की तरफ देखकर बात करें. आपसी चर्चा न करें.
श्री आतिफ आरिफ अकील - माननीय सभापति महोदया,इस आबादी पर हिटलरशाही कार्यवाही कर दी गई. गरीबों के मकानों,दुकानों पर बुलडोजर चला दिया गया. जब बजट के अंदर इसका प्रावधान है अगर आवास के लिये बजट दिया गया है तो उन लोगों को आज तक क्यों नहीं मकान दिये गये. क्यों नहीं उनको आवंटन किया गया है जब बजट के अंदर है अगर मैं अल्पसंख्यक विभाग की बात करूं जिसमें 1 करोड़ की वृद्धि कर दी गई है पिछली बार से लेकिन मैं यह बताऊं कि सरकार से संबंधित अल्पसंख्यक आयोग,वक्फ बोर्ड आदि में कर्मचारियों के पद वर्षों से रिक्त पड़े हुए हैं जिनकी पूर्ति सरकार द्वारा आज तक नहीं की गई. अल्पसंख्यक संस्थानों,हज कमेटी,मसाजिद कमेटी, वक्फ बोर्ड आदि में कर्मचारियों के रिटायरमेंट के बाद पेंशन का प्रावधान नहीं किया गया जिस कारण कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद परिवारों का पालन पोषण करने की कठिनाई का सामना करना पड़ता है. मसाजिद कमेटी में रिटायरमेंट,इमाम,मोइज्जिनों का वेतन केंद्र के समान होने के कारण उन्हें परिवार का पालन पोषण करने में दिक्कत आती है. मसाजिद कमेटी में कर्मचारियों का वेतन तीन-तीन महिने अंतर से मिलता है. जिन लोगों को वेतन ही लगभग 5-7 हजार रुपये मिलता है और उन्हें भी 3-4 महिने बाद वेतन मिलता है तो लज्जा आनी चाहिये. अल्पसंख्यक बेरोजगार युवक,युवतियों को रोजगार प्रदान करने के लिये राज्य सरकार द्वारा कोई कार्यकारी योजना धरातल पर पूर्ण नहीं हुई जिसकी वजह से हजारों युवक,युवतियां बेरोजगार हैं. सरकार द्वारा अल्पसंख्यकों के लिये कई छात्रवृत्ति योजनाएं जैसे प्री मेट्रिक,पोस्ट मेट्रिक,मेरिट कम मींस स्कालरशिप,आदि केवल कागजों पर संचालित होकर कागजों पर छात्रवृत्ति का भुगतान कर दिया जाता है लेकिन धरातल पर स्थिति आपको बिल्कुल अलग मिलेगी. ऐसे ही मैं गैस राहत विभाग की बात करूं उसमें बढ़ोत्तरी तो 26 करोड़ की हो गई लेकिन मैं स्वयं विजिट करने के बाद मैंने जो आंकड़े और बातें कही हैं वह धरातल पर देखने के बाद कहा है. मैं कागजी बातें नहीं करता. मैं धरातल पर जो बातें हैं वह मैं आपको बता रहा हूं. आज भोपाल के गैस राहत अस्पताल में जीवन रक्षक दवाएं सही तरीके से उपलब्ध नहीं होतीं. गैस राहत अस्पतालों में सर्जन,स्पेशलिस्ट डाक्टर नहीं हैं जिन अस्पतालों में उपलब्ध भी हैं वहां ड्युटी के समय पर भी नहीं आते वे लोग. नर्सिंग स्टॉफ,वार्ड ब्वाय न के बराबर हैं. एक्सरे,सोनोग्राफी की सुविधा नहीं हैं. महिलाओं को कई जगह परेशान होना पड़ता है. मेरा कहना यह है केवल कि गरीबों के साथ इंसाफ करें. ये गैस पीड़ित हैं हमबजट में वृद्धि तो 26 करोड़ की कर रहे हैं लेकिन धरातल पर अस्पतालों की जो व्यवस्था है वह अलग ही है. मेरा आपसे यह आग्रह है कि भोपाल के अंदर जो गैस राहत अस्पताल हैं जहां पर सोनोग्राफी नहीं होती, जहां एक्सरा नहीं होता और यहां पर जो-जो जांचें नहीं होतीं उन सब जांचों को उन अस्पतालों के अंदर चालू कराया जाये ताकि उन गैस पीडि़त लोगों को बेहतर सुविधा मिल सके. माननीय सभापति महोदया, शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिये भवन विहीन महाविद्यालयों के 133 नये भवन निर्माण का प्रावधान किया गया है, किंतु भोपाल उत्तर विधान सभा के नये महाविद्यालय खोलने के लिये कोई उल्लेख नहीं किया गया, जबकि उत्तर विधान सभा अत्यंत घनी आबादी वाला क्षेत्र है जहां पर न के बराबर महाविद्यालय हैं. माननीय सभापति महोदया, बढ़ोत्तरी स्कूल शिक्षा के अंदर भी हुई लेकिन धरातल पर स्थिति कुछ और है. धरातल पर स्थिति यह है कि राजधानी भोपाल सहित संपूर्ण जिले में सरकारी स्कूलों की इमारतें अत्यंत जर्जर हो चुकी हैं जिनकी रंगाई, पुताई के काम वर्षों से नहीं हुये. मैं यह राजधानी की बात कर रहा हूं हम स्मार्ट सिटी की बात करते हैं, मैं राजधानी की बात कर रहा हूं कि राजधानी के अंदर अगर कोई मुझे चेलेंज करता है तो मैं उनको राजधानी के स्कूलों का विजिट कराकर दिखा सकता हूं कि क्या स्थिति है, क्योंकि यह गरीबों की बात हो रही है, दलितों की बात हो रही है, पिछड़ों की बात हो रही है, अल्पसंख्यकों की बात हो रही है. जिनकी जेब भरी है वह अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में नहीं भेजते, सरकारी स्कूल में गरीब ही अपने बच्चे को भेजता है, मजबूरन जिसकी जेब में पैसे नहीं होते वह अपनी आवाज नहीं उठा सकता अगर हम उस बात को कर रहे हैं मैं सत्तापक्ष के लिये कोई चेलेंज नहीं करना चाहता, लेकिन मैं यह कह रहा हूं कि अगले साल भी बजट आयेगा, हम आपका स्वागत करेंगे अगर आप बजट के अंदर ये जो बजट है इसको आप इम्प्लीमेंट करके धरातल पर जो-जो आपने वादे किये हैं वह पूरे कर दोगे, हम आपका स्वागत करेंगे, लेकिन धरातल पर दिखना चाहिये. माननीय सभापति महोदया, प्रदेश के इतने बड़े स्कूल शिक्षा विभाग के इतने बड़े बजट के बाद भी छात्र छात्राओं की शिक्षा पर स्कूल भवनों पर रखरखाव स्कूलों की मरम्मत के कार्यों पर ध्यान न दिये जाने के कारण अपने बच्चे की उज्जवल भविष्य की कामना के लिये उनके माता पिता मजबूरी में प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाने के लिये मजबूर हैं जिसमें उनकी आधी कमाई चली जाती है. प्रदेश में छात्र हितों और अच्छी शिक्षा प्रदान करने के लिये सरकार को शिक्षा विभाग को ध्यान देना चाहिये और यह अति आवश्यक है. स्कूल शिक्षा मदरसे बोर्ड को 382 करोड़ रूपये का अनुदान का प्रावधान किया गया जैसा कि आपको मालूम होगा कि अधिकतर मदरसों में गरीब, बेसहारा, मजदूर और निर्धन परिवारों के बच्चे पढ़ते हैं जिनके रहने एवं खाने की सालभर की व्यवस्था कर पाने में बहुत कठिनाई होती है. मेरा आपसे आग्रह है मदरसों के लिये अनुदान राशि बढ़ाई जाये. माननीय सभापति महोदया, लोक स्वास्थ एवं चिकित्सा जो पिछले वर्ष के तुलना में अगर हम देखेंगे कि भोपाल स्थित सबसे बड़ा शासकीय हमीदिया अस्पताल जहां प्रतिदिन सेकड़ों की संख्या में मरीज इलाज कराने आते हैं लेकिन अस्पताल में फैली अव्यवस्थाओं के कारण बिना इलाज निराश होकर वापस जाना पड़ता है ये जो बात मैं कह रहा हूं सोच समझकर और धरातल पर है, वह मैं बात कह रहा हूं. आज जो गरीब और मजबूर हमीदिया अस्पताल के अंदर जाकर अपना इलाज कराते हैं ओपीडी का पर्चा बनाने के लिये लाइनों में लगना पड़ता है कई दिन परेशान होना पड़ता है, एमआरआई कराने के लिये कई दिन उन लोगों को परेशान होना पड़ता है और अक्सर अस्पतालों में दवाईयां तक नहीं मिलतीं. भोपाल में इंदिरा गांधी अस्पताल, खान शाकिर अली खां अस्पताल, सुल्तानिया जनाना अस्पताल आदियों में डाक्टरों की कमी के कारण महिला रोगियों को छोटी-छोटी बीमारियों के इलाज के लिये हजारों रूपये की फीस देना पड़ती है. लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा आयुष्मान भारत जिसके लिये 1276 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है लेकिन अफसोस की बात यह है कि आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत शासकीय अस्पताल में भर्ती मरीजों के इलाज के दौरान उनसे अधिकतर जीवन रक्षक दवाएं बाजार से मंगाई जाती हैं, इतना ही नहीं कई निजी अस्पतालों द्वारा धोखा खड़ी कर मरीजों को आयुष्मान कार्ड से भर्ती कर इलाज किया जाता है और उनसे अलग बिल भी उनसे वसूल लिया जाता है, लेकिन सरकार द्वारा ऐसे निजी अस्पतालों के संचालन के विरोध में कोई कार्यवाही नहीं की जाती है, यह जमीनी हकीकत है, जिससे मैं आपको अवगत करा रहा हूं.
सभापति महोदया, मैं आपसे यही कहना चाहूंगा कि अगर हम पी.डब्ल्यू.डी. की बात करें, लोक निर्माण विभाग की बात करें तो भोपाल उत्तर विधानसभा के लिये एलीवेटेड ब्रिज निर्माण के लिये मैंने माननीय मुख्यमंत्री जी, माननीय पी.डब्ल्यू.डी. मिनिस्टर साहब को लेटर लिखा था, लेकिन आज तक मुझे जवाब भी नहीं मिला, इसके अलावा मेरे द्वारा भोपाल टाकीज चौराहे से निशातपुरा फाटक तक पुल निर्माण हेतु आवेदन किया गया, किंतु आज दिनांक तक मेरे पत्र का जवाब भी नहीं दिया गया, जबकि बजट के अंदर 16 हजार 436 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है, जब बजट के अंदर इसका प्रावधान है, तो उसको बनना चाहिए, क्योंकि हजारों, लाखों लोगों की बस्ती है, अगर वहां से लोग गुजरते हैं, ट्रेफिक होता है, अगर वह बनता है तो आप ही के लिये अच्छा होगा और आप ही की सब लोग पीठ थपथपायेंगे, तो इस चीज को आप देख रहे हैं, तो आपको देखना चाहिए.
सभापति महोदया, ऊर्जा विभाग की बात करना चाहता हूं, गरीबों की बात करना चाहता हूं. गरीबों को एक बत्ती कनेक्शन नि:शुल्क दिये जाने का बजट के अंदर कोई प्रावधान नहीं है, क्यों नहीं है, क्या गरीबों का कोई हक नहीं है.हितग्राहियों को अटल गृह ज्योति योजना के लिये इस वित्तीय वर्ष में 71 सौ 32 करोड़ रूपये का प्रावधान किया है, लेकिन हजारों की संख्या में ऐसे उपभोक्ता हैं, जिन्हें सब्सिडी का लाभ प्राप्त नहीं होता है, यह सच है और शहरी क्षेत्र में ऐसी बस्तियां, मोहल्ले, इलाके जहां पर प्रति दिन खाने कमाने वाले परिवार निवास करते हैं, लेकिन उनका बिजली का बिल कभी हजार रूपये आ जाता है, कभी पंद्रह सौ आ जाता है, उनके यहां पर एक छोटा सा पंखा और लाईट लगी है, उसका बिल आ जाता है और यदि गरीब उपभोक्ता एक या दो महीने अपना बिल भरना भूल जाता है, तो उसे चार गुना बिल बढ़ाकर वसूला जाता है. पुराने भोपाल में कई क्षेत्रों में दस-दस घण्टे बिजली की कटौती कर दी जाती है, यह स्मार्ट सिटी की बात हो रही है, यह भोपाल की बात हो रही है, यह राजधानी की बात हो रही है और यह धरातल की बात हो रही है, जो उपभोक्ता बिजली का बिल निरंतर जमा करते रहते हैं, उनके घरों की लाईट भी प्रति दिन कई घण्टों काट दी जाती है, यह राजधानी की बात है, जिसकी वजह से आये दिन आमजनों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है. ग्राहक द्वारा बकाया बिल जमा करने पर पहले ब्याज की राशि जमा की जाती है, उसके बाद बची राशि 16 प्रतिशत टैक्स लगाकर भुगतान कराया जाता है. यह गरीबों की बात है. (एक माननीय सदस्य द्वारा अपने आसन से कहने पर) अरे आप बड़े पैसे वाले हो दादा. अरे हमें मालूम है आपकी जेब बहुत भरी हुई है. (एक माननीय सदस्य द्वारा अपने आसन से कहने पर)
सभापति महोदया -- (श्री आतिफ आरिफ अकील, सदस्य एवं एक अन्य माननीय सदस्य द्वारा अपने-अपने आसनों से चर्चा करने पर) आपस में चर्चा न करें, इससे आपका समय ही जायेगा, आप अपनी बात रखिये.
श्री आतिफ आरिफ अकील-- माननीय सभापति महोदया, जबकि हकीकत तो यह है कि स्मार्ट मीटर लगाना, मेंटेनेंस करना, साफ्टवेयर अपडेट करना आदि के नाम पर उपभोक्ताओं से हजारों रूपये वसूल लिये जाते हैं. उपभोक्ताओं को मालूम भी नहीं चलेगा क्योंकि यह राशि बिल में जोड़कर दी जाती है. हम संबल योजना की बात करें उसमें 700 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है. लेकिन बड़े ही दुर्भाग्य की बात है कि संबल योजना में मजदूरों की मृत्यु उपरांत पीड़ित परिवार को मिलने वाली अनुग्रह सहायता राशि कई वर्षों तक प्राप्त नहीं होती, जिस कारण से मजदूर का परिवार पालन पोषण करने के लिये दर दर की ठोकरें खाने के लिये मजबूर होना पड़ता है. कई पंजीकृत मजदूरों को बिना किसी कारण अपात्र घोषित कर दिया जाता है. मैं केवल यही कहना चाहूंगा कि मैंने जितने भी प्वाईंट्स रखे हैं, वह धरातल के रखे हैं, गरीबों के लिये रखे हैं, मजदूरों के लिये रखे हैं, अल्पसंख्यक, पिछड़े दलितों के लिये जो मैंने आवाज उठाई है, हो सकता है कि मेरी कोई बात बुरी लगे. कहीं ना कहीं आईना दिखाने में समझ में आता है कि धरातल पर स्थिति क्या है ? मेरा आपसे अनुरोध है और सरकार से यही कहना चाहूंगा कि अगर मेरी बात समझ में आये मेरा आप लोग मानो तो जो बजट आपने पेश किया है उसमें जो इम्पलीमेंट धरातल पर है, वह होगा तो अगली बार हम लोग आपका स्वागत करेंगे. मैं यही बात कहकर अपनी बात समाप्त करता हूं. बहुत बहुत शुक्रिया.
श्री कमलेश्वर डोडियार (सैलाना)—सभापति महोदया, बजट पेश हुआ उसमें करीबन 4 लाख 21 हजार करोड़ रूपये के आसपास का बजट पेश हुआ उसमें ऐसा लगा कि पूरे प्रदेश में सभी जगह विकास बहुत तेज गति से होगा. सब लोग समृद्ध होंगे, सब खुशहाल होंगे, ऐसा लग रहा है. मेरा विधान सभा क्षेत्र रतलाम जिले का आदिवासी अंचल सैलाना विधान सभा. मेरे विधान सभा क्षेत्र की समस्याएं आपके माध्यम से सरकार को बताने की कोशिश कर रहा हूं. बलीखेड़ा से चंदेरा होते हुए बेड़ती तक का रोड़ नहीं है. पिछले कई सालों से लगातार मांगें वहां के लोग कर रहे हैं. मैंने भी मांगपत्र के माध्यम से लिखकर के अवगत कराया है. मरगूल से दौलतपुरा मार्ग, यह बाजना जनपद क्षेत्र में आता है उसमें बीच में जावण नदी पड़ती है. मेरे विधान सभा क्षेत्र का सबसे बड़ा धोलावर डेम है. उस डेम का जब पानी रिलीज किया जाता है तो हालात बहुत खराब हो जाते हैं. स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे बहुत परेशान होते हैं. महिलाएं एवं बुजुर्ग भी परेशान होते हैं. मरगूल से दौलतपुरा मार्ग के ऊपर एक बृज बनाने की मैं मांग करता हूं. बाजना जनपद क्षेत्र में हरियालखेड़ा से राजस्थान की सीमा तक रोड़ नहीं है. बजट में इसका भी जिक्र नहीं है. सैलाना जनपद के सेमलखेड़ा कलवानी से बोरदा मार्ग उसमें हजारों लोग रोज आना जाना करते हैं, उनको बहुत परेशानी होती है. छावनी जोड़िया से मालदाखेड़ी गांव तक यह आबादी वाला क्षेत्र है. यहां पर भी सड़क नहीं है, उसकी भी मांग लगातार की जा रही है. इसके अलावा चार पांच सड़कें और भी हैं. कुडबेली से राजस्थान सीमा तक, बाजना जनपद का नहारपुरा गांव है. नहारपुरा बहुत बड़ा आबादी वाला गांव है. यहां से शिवगढ़ क्षेत्र में जाते हैं तो फिर बीच में जामण नदी पड़ती है. जो छोटा सा रपटा सा पुल बना था वह पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुका है. वहां पर हजारों लोग आना-जाना करते हैं. वहां पर कभी कभार ऐसी दुर्घटनाएं होती हैं. पानी जब ज्यादा आ जाता है तो मोटर सायकिल बहकर पानी में चली जाती है. वहां पर चार पहिया वाहन भी दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं. मेरा अनुरोध है कि नहारपुरा से शिवगढ़ की ओर जामन नदी पर ब्रिज बनाया जाये और रावटी में रेल्वे स्टेशन के पास में एक ओवर ब्रिज का भी निर्माण कराया जाना चाहिए, इसकी सख्त जरूरत है. लोग रिस्क लेकर के आना-जाना कर रहे हैं. चंद्रगढ़ से बाजना जाने के लिए सड़क बनी हुई है और वहां पर ब्रिज भी बना हुआ है, जो बहुत ही घटिया गुणवत्ता का बना हुआ है. वह पुल बहुत बड़ी राशि से बना है और वह पुल टूट गया है, क्षतिग्रस्त हो गया है. प्रशासन ने उसकी आवाजाही बंद कर रखी है लेकिन फिर भी लोग रिस्क लेकर आवाजाही कर रहे हैं. अभी 4 दिन पहले भी एक व्यक्ति का वहां एक्सीडेंट हुआ है. वह व्यक्ति सीधा माही नदी के अंदर गिरा. उसकी रीढ़ की हड्डी टूट गई.
माननीय सभापति महोदया, आपके माध्यम से मेरा सरकार से अनुरोध है कि मेरे इलाके के अंदर सड़क से संबंधित जो गंभीर समस्याएं हैं, उनको बजट में शामिल किया जाये और जो दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे है, वह मेरे विधानसभा क्षेत्र में है. एक्सप्रेस-वे बहुत गांवों से गुजरता है. कुछ गांव ऐसे हैं जिनके एक-एक गांव के दो-दो टुकडे़ हो गए हैं. एक गांव के बीच में से एक्सप्रेस-वे निकल गया है. बहुत से किसानों की आधी जमीनें सड़क के उस पार हैं. उनका मकान एक्सप्रेस-वे के इस पार है. यहां तक कि बच्चे स्कूल जाने के लिए भी बहुत परेशान हो रहे हैं. बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं क्योंकि स्कूल और अस्पताल के बीच में ही सड़क बन गई है. आपसे अनुरोध है कि दिल्ली-मुबंई एक्सप्रेस-वे के बनने से जिन गांवों को यह समस्या पैदा हुई है, उनका समाधान किया जाये.
सभापति महोदया, मेरा इलाका ऊबड़-खाबड़ है. आदिवासी इलाका है. छोटे-छोटे पहाड़ बने हुए हैं. मजरे बने हुए हैं और तालाब बनाने के लिए साइट्स हैं. लोग लगातार तालाब की मांग कर रहे हैं. बाजना जनपद क्षेत्र में एक देवका गांव है. देवका गांव में सिंचाई विभाग बड़ा तालाब बना सकता है. उससे तकरीबन 10 गांवों के लोगों के खेतों की सिंचाई हो सकती है. सैलाना जनपद का एक बरड़ा गांव है वहां पर भी बड़ा तालाब बन सकता है. सिंचाई विभाग के कर्मचारी/अधिकारी सर्वे नहीं कर रहे हैं. वहां के लोगों ने भी मांग की है और मैंने भी मांगपत्र के माध्यम से लिखकर दिया है. वहां न ही सर्वे हुआ है और न ही इसे बजट में जोड़ा गया है. बीघा पाटन बाजना जनपद का बिरड़ी नरसिंह नाका है, यहां पर भी तालाब बनाने के लिए लगातार वहां के लोगों की ओर से मांग की जा रही है और हमने भी लिखकर दिया है.
5.37 बजे { अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए.}
अध्यक्ष महोदय, बाजना जनपद पंचायत के सैलज गांव के सेमलखेड़ी में भी तालाब बनाने की साइट्स हैं. वहां यदि तालाब बनता है तो तकरीबन 6 गांवों के लोगों को बाहर मजदूरी करने के लिए नहीं जाना पडे़गा. लोगों की खेती-बाड़ी ठीक हो जाएगी. सैलाना जनपद पंचायत के नोलियावाला नाका में वालिग ग्राम पंचायत उमढेर, डोकरीवाला नाला, सांवरापाढ़ा गांव में और केवड़िया वाला नालाखोरा में तालाब बनाने की मांग पिछले कई सालों से की जा रही है. इन गांवों में अगर यह तालाब बन जाते हैं तो लाखों लोग वहीं पर अपनी खेती-बाड़ी करेंगे. मजदूरी पर नहीं जाएंगे और विकास के पथ पर मेरा इलाका भी आगे बढे़गा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, पूरे देश के अंदर में संविधान के अनुच्छेद 275 के तहत एकलव्य मॉडल रेसीडेंसियल स्कूल्स चलते हैं. मेरे सैलाना विधानसभा क्षेत्र के सैलाना मुख्यालय पर ईएमआरएस स्कूल तो चल रहा है लेकिन वह भवन पुराना है तकरीबन वर्ष 1989 का बना हुआ है. वह भवन बहुत साल पहले बना था और अभी ईएमआरएस स्कूल उसी पुराने भवन में चालू हो गया है. नई स्कीम के तहत जब नया स्कूल बना, तो नई बिल्डिंग भी बननी चाहिए. आपके माध्यम से मेरी मांग है कि सैलाना के अंदर जो ईएमआरएस स्कूल है, उसका भवन जल्दी से जल्दी बनाया जाये, क्योंकि पुरानी बिल्डिंग होने की वजह से बच्चे खुले में नहा रहे हैं. आदिवासी लड़कियां हैं. एकलव्य स्कूल में नलों में पानी नहीं आ रहा है. आदिवासी लड़कियां वहां खुले में नहा रही हैं. ऐसी बुरी स्थिति से वे गुजर रहे हैं तो मेरा निवेदन है कि सैलाना के अंदर ईएमआरएस स्कूल के भवन जल्दी से जल्दी बनाए जाएं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे इलाके के अंदर में बाजना जनपद क्षेत्र में बाजना विकासखण्ड में 299 आंगनवाड़ी केन्द्र ऐसे हैं जो भवनविहीन हैं. वह आंगनवाड़ियां या तो पेड़ के नीचे चल रही हैं या झोपड़ी के अंदर चल रही हैं. प्रधानमंत्री आवास के तहत जो मकान लोगों को दिये हैं, वह एक-एक, दो-दो कमरें के हैं. आंगनवाड़ी चलाने के लिए वह मकान किराए पर नहीं दिये जा सकते हैं, इसलिए जो कच्ची झोपडी बनी हैं उन्हीं के अंदर किराए पर आंगनवाड़ी चल रही है. सैलाना विकास खण्ड क्षेत्र में 162 भवन जो कि भवनविहीन हैं अर्थात् या तो वह पेड़ के नीचे चल रहे हैं या झोपड़ी में चल रहे हैं. मेरे इलाके में जो शिक्षा की व्यवस्था है वह भी पूरी तरीके से बिगड़ी हुई है. टीचर्स से आदिवासी इलाके में स्कूल में गैर-शैक्षणिक काम कराए जाते हैं. अलग अलग प्रकार के सर्वे कराए जाते हैं या अलग अलग प्रकार के काम कराए जाते हैं. स्कूल में जो चेप्टर पढ़ाने का काम है, अपने अपने विषय पढ़ाने का जो काम है वह कोई नहीं कर रहा है. बच्चे राम भरोसे छोड़ रखे हैं. अभी परीक्षा का परिणाम आया. नवीं और ग्यारहवीं में 50 परसेंट बच्चे भी पास नहीं हुए हैं. मेरी विधान सभा क्षेत्र के दोनों ब्लाक में सैलाना और बाजना में एक ब्लाक में तो 41 परसेंट पास का रिजल्ट आया है. क्योंकि शिक्षकों को पढ़ाने नहीं दिया जा रहा है, उनको दूसरी गतिविधि में संलग्न किया जा रहा है. इसलिए मेरे क्षेत्र में पढ़ाई बाधित हो रही है और कुछ शिक्षक हैं भी तो उनको छात्रावास का अधीक्षक बना रखा है. पहले भी हम लोग लगातार मांग करते आ रहे हैं कि जो अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के छात्रावास हैं उन छात्रावासों में स्थायी रूप से अधीक्षकों की भर्ती की जाय ताकि स्कूलों की पढ़ाई प्रभावित न हो.
अध्यक्ष महोदय - कृपया समाप्त करें.
श्री कमलेश्वर डोडियार - अध्यक्ष महोदय, देश में आबादी बहुत तेज गति से बढ़ रही है. मेरे क्षेत्र में रावटी है वहां पर एक प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र है. शिवगढ़ और सरवन में भी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र है. हजारों की तादाद में लोग यहां पर इलाज करवाने आते हैं. छोटी छोटी बीमारी का भी इलाज कराने आते हैं. बहुत बड़ी तादाद हो जाती है. इन तीनों स्थानों पर सरवन, शिवगढ़ और रावटी को अगर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र से उन्नयन कर सामूदायिक स्वास्थ्य केन्द्र कर दिया जाता है तो बहुत बेहतर होगा. यहां पर स्वास्थ्य सेवाओं में इजाफा होगा और लोगों को परेशानी नहीं होगी. अभी आपने देखा होगा, पूरे मध्यप्रदेश ने देखा, रतलाम के अंदर आदिवासी लोग छोटी छोटी बीमारी, बुखार, सर्दी, खांसी के इलाज के लिए जाते हैं, छोटी सी चोट का इलाज कराने के लिए जाते हैं. प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर जाते है तो उनको रेफर कर दिया जाता है या मना कर दिया जाता है तो जब प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराने के लिए जाते हैं तो प्राइवेट अस्पताल में इलाज किस प्रकार से किया जाता है यह आपने देखा ही होगा. रतलाम में गीता देवी अस्पताल है, वहां पर छोटी सी, हल्की सी बीमारी है, उसको कोमा के अंदर डाल दिया जाता है. कोमा में डालकर मरीज से बड़ी राशि की मांग की जाती है. जब मरीज को पता चलता है कि उसे कोई गंभीर बीमारी नहीं है, जबकि उसको कोमा में, आईसीयू में डाल रखा है. उसके नाक और मुहं में नली डाल रखी है, वह होश-हवास में है, उसकी बीमारी छोटी है. डॉक्टर के लोग उसके परिजनों से इलाज के नाम पर, आपरेशन के नाम पर बहुत बड़ी राशि की मांग करते हैं. इस प्रकार से ठगी की जाती है.
अध्यक्ष महोदय, मेरा इतना ही कहना है कि जिले के अंदर खासकर मेरे क्षेत्र में सैलाना में सरवर, शिवगढ़, रावटी, बाजना क्षेत्र हैं वहां पर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र को ठीक कर दिया जाता है, इनमें दवाइयां उपलब्ध कराई जाती हैं, डॉक्टर्स अगर समय पर उपलब्ध हैं तो निश्चित तौर पर वहां के लोग वहीं पर इलाज लेंगे और प्राइवेट अस्पताल पर आकर, जिला मुख्यालय पर आकर परेशान नहीं होंगे. शोषण का शिकार नहीं होंगे. मेरे यहां पर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में पीने का पानी तक नहीं है. डॉक्टर्स दूसरी जगह अटैच कर दिये जाते हैं. मेरा सिर्फ इतना कहना है कि मेरे इलाके में जो प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र हैं वहां पर डाक्टर्स उपलब्ध कराए जाएं. डॉक्टर्स की भर्ती की जाय. अध्यक्ष महोदय, आपने जो बोलने का अवसर दिया उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री सोहनलाल बाल्मीक (परासिया) - अध्यक्ष महोदय, आपने बजट में बोलने का जो अवसर प्रदान किया है, उसके लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूं. माननीय वित्त मंत्री जी द्वारा जो 4 लाख 21 हजार करोड़ रुपये का बजट प्रस्तुत किया गया है और जो मुझे जानकारियां बजट के संबंध में समझ में आती है, मैं आपके समक्ष वह रखना चाहता हूं. 4 लाख 21 हजार करोड़ रुपये के बजट में जितना बजट प्रस्तुत किया है, लगभग उतना ही कर्ज आज की तारीख में हमारे ऊपर है. मैं पूछना चाहता हूं कि हर बार इस बात का उल्लेख होता है कि कर्ज में हमारी तरफ से भी बोला जाता है, वहां भी सुना जाता है कि कर्ज लेकर कब तक हम लोग प्रदेश को चलाएंगे. आपकी तरफ से यह जवाब आ जाता है कि बिना कर्जे के कैसे होगा, कर्जा हम विकास में लगाते हैं. मगर इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि कर्ज यदि हम ले रहे हैं और विकास में लगा रहे हैं तो हमारी आज की तारीख में जो राजस्व वसूली है, वह किस तरीके की हो रही है, उसमें बढ़ोतरी क्यों नहीं हो रही है? यदि राजस्व वसूली नहीं होगी और हमारी इनकम नहीं बढ़ेगी तो हम आने वाले समय में प्रदेश को किस तरीके से चला पाएंगे. निश्चित रूप से एक परिवार में भी यदि बार बार कर्ज लेकर उस परिवार का घर चलता है तो एक समय ऐसा आता है कि वह कर्ज में परिवार, घर डूब जाता है तो क्या मध्यप्रदेश की स्थिति वही नहीं बन रही है. बार-बार हम लोग कर्जा ले रहे हैं, इनकम आफ सोर्स हम बढ़ा नहीं पा रहे हैं. ऐसी स्थिति में कब तक प्रदेश चलता रहेगा. इसमें भी वित्त मंत्री जी को ध्यान रखना चाहिये कि किस तरीके से हम लोग इस बात को आगे बढ़ायें. वर्ष 2047 तक आप ढाई ट्रिलियन डॉलर की व्यवस्था बनाने की बात कर रहे हैं तो उसका जिस तरह से बजट के अंदर में उल्लेख किया है तो मैं तो कहता हूं कि सरकार की तरफ से इस बात पर श्वेत पत्र जारी करना चाहिये कि जो वर्ष 2047 का जो हमारा उद्देश्य और लक्ष्य है, वह उद्देश्य और लक्ष्य किस तरह से पूरा होगा. किस तरह से कागजों में हम लोग ढाई ट्रिलियन डॉलर की बात करने जा रहे हैं. निश्चित रूप से हम लोगों को भ्रम पैदा होता है कि हमारी मध्यप्रदेश के अंदर वर्ष 2047 में क्या स्थिति बनेगी. निवेश और औद्योगिक विकास में 14 हजार, 500 एकड़ भूमि पर 39 नये औद्योगिक क्षेत्र विकसित किये जायेंगे, ऐसा उल्लेख इस बार के बजट में है. मेरे विधान सभा में भी 118 एकड़ भूमि एम.पी.आई.डी.सी को हमने वर्ष 2019 में प्रदान की थी. हमने उसको रेवेन्यू से हटाकर के 118 एकड़ भूमि एम.पी.आई.डी.सी को दी. माननीय वित्त मंत्री का जब उद्बोधन होगा तो मैं पूछना चाहूंगा कि क्या मेरे विधान सभा क्षेत्र में जो उद्योग के लिये 118 एकड़ भूमि आरक्षित की गयी है, क्या उसमें उद्योग स्थापित करेंगे. अनूसूचित जाति का उल्लेख भी इसमें किया गया है. अनुसूचित जाति के लिये 32 हजार करोड़ रूपये रखा है. मगर जो मुझे जानकारी प्राप्त हुई है कि पिछली बार 27 हजार 900 करोड़ रूपये का बजट था, उसको आपने बढ़ाकर बजट किया है. मगर उसमें एक बहुत चिंता का विषय है यह जो 27 हजार 900 करोड़ का पिछले साल जो बजट रखा था उसमें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की जो राशि है उसे परिवर्तित करके गौशाला और मंदिर में लगाया गया है, क्या यह उचित है. यह अपराध नहीं है कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के पैसे को डायवर्ट किया गया है और उस पैसे का उपयोग गौशाला और मंदिर में किया गया है; जबकि मंदिर और गौशाला के लिये अलग से बजट का प्रावधान है तो ऐसी क्या स्थिति है कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के पैसे को परिवर्तित किया जा रहा है. यह एक खेद का विषय है. साथ ही इसी में माननीय वित्त मंत्री जी ने अनुसूचित जनजाति के बारे में कहा है कि अनुसूचित जनजाति वर्ग के 50 छात्रों को विदेश में पढ़ाई कराने का प्रावधान रखा है, निश्चित रूप से अच्छी बात है. मगर यह भी ध्यान रखना चाहिये कि हमारा मध्य प्रदेश आदिवासी बाहुल्य प्रदेश है. सिर्फ 50 बच्चों को आप विदेश में पढ़ाई की सुविधा देंगे तो आदिवासियों के बाकी बच्चे कहां जायेंगे, इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिये और बच्चों की संख्या बढ़ायी जानी चाहिये. अध्यक्ष जी, दूसरा मेरा यह कहना है कि अनुसूचित जनजाति के लिये तो प्रावधान कर दिया, मगर अनुसूचित जाति के लिये आपने प्रावधान नहीं रखा है, यदि इस तरह का प्रावधान यदि अनुसूचित जनजाति के लिये रखा है तो अनुसूचित जाति के जो बच्चे विदेश में पढ़ाई के लिये जाते हैं तो उनका भी प्रावधान आप निश्चि रूप से उसमें करिये. बजट में स्टेडियम का भी उल्लेख किया है. इस संबंध में मेरा आपसे निवेदन है कि सी.एम युवा शक्ति योजना के तहत स्टेडियम बनाने का हर विधान सभा में आपने प्रावधान किया है. अच्छी बात है और होना भी चाहिये. मेरा कहना है कि उस स्टेडियम में सारी सुविधाएं भी होनी चाहिये, वह सर्वसुविधायुक्त होना चाहिये.
अध्यक्ष जी, बजट में इस बात उल्लेख किया गया है कि वायु सेवा के लिये 400 करोड़ रूपये रखा है. यदि भू-अर्जन की बात करें या हवाई पट्टी बनाने की बात करें तो इसमें मेरे छिंदवाड़ा जिले का भी उल्लेख है कि हवाई पट्टी का वहां पर भी हम लोग विस्तार करने जा रहे हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे खेद के साथ यह बात कहना पड़ रही है कि वहां अभी तक कोई विस्तार नहीं हो रहा है और न ही इस बजट में कोई प्रावधान रखा है कि छिंदवाड़ा जिले के वायु सेवा के लिये हम लोग कितना बजट रखें और आगे क्या कार्यवाही होगी. पर्यटन और धर्मस्व विभाग की हम बात करें तो पर्यटन, संस्कृति और धर्मस्व क्षेत्र के अंदर में 1660 करोड़ रूपये का प्रावधान प्रस्तावित है. परंतु इस योजना में आपने छोटे पर्यटन स्थलों को नहीं जोड़ा है. मेरा आपसे निवेदन है कि आपका ध्यान बड़े पर्यटन स्थलों पर रहता है. जो छोटे पर्यटन स्थल हैं, जहां वहां के नागरिक प्रतिदिन जाते हैं और सैंकड़ों की संख्या में जाते हैं. इस प्रकार के छोटे पर्यटन स्थल हैं उनका भी ध्यान अवश्य रखना चाहिये. मेरे क्षेत्र में एक जिलेहरी घाट है और देवरानी दाई करके क्षेत्र है वह बहुत अच्छा स्थान है, पर्यटन के लिये. अगर आप सहयोग करेंगे तो निश्चित रूप से उसका विस्तार होगा और वहां के आसपास के लोगों को इसका लाभ मिलेगा. माननीय अध्यक्ष जी, धर्मस्व और न्याय विभाग में..
अध्यक्ष महोदय- बस अब आप समाप्त करिये. समय नहीं है.
श्री सोहनलाल बाल्मीक- अध्यक्ष जी मैंने अपना समय दूसरे को दे दिया था. मेरी बहुत सारी चीजें रह गयी हैं.
अध्यक्ष महोदय- मैं आपकी योग्यता पर प्रश्न चिह्न नहीं लगा रहा हूं. आपकी बहुत सारी बातें होंगी. लेकिन समय की सीमा है.
श्री सोहनलाल बाल्मीक- अध्यक्ष जी, मेरी बात पूरी नहीं हो पायेगी.
अध्यक्ष महोदय- समय की सीमा है. आप अपनी बात एक मिनिट में पूरी करें.
श्री सोहनलाल बाल्मीक- कोई बात नहीं, मैं आपके आदेश का पालन कर लेता हूं. धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय- बहुत धन्यवाद.
श्री गौरव सिंह पारधी (कटंगी)-- अध्यक्ष महोदय, हमेशा की तरह आपका संरक्षण मुझे प्राप्त हुआ है, इस पूरे सदन का संरक्षण लेते हुए आज 2025-26 के बजट को लेकर जो शुरुआत हमारे मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में वित्त मंत्री जी ने की है, उसके लिये दो लाइनें मैं जरुर कहना चाहूंगा. गरीब दिल के करीब है, युवा इसकी तकदीर है, यह वह मध्यप्रदेश है, जो विकसित होकर देश की तस्वीर है. 15 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी का बजट है ये. 10 प्रतिशत से ज्यादा इस प्रदेश ने उन्नति प्राप्ति की है, यानि जीएसडीपी हमारी बढ़ी है, ग्रोथ हुई है. यह जो ग्रोथ है, यह पूरे देश के बड़े प्रदेशों की अगर हम चर्चा करें, तो सबसे तेजी से बढ़ने वाले प्रदेशों में अगर कोई है, तो मध्यप्रदेश है. मध्यप्रदेश की अर्थ व्यवस्था 13 प्रतिशत की ज्यादा की दर से बढ़ती हुई देश में एक अपनी अलग ही पहिचान बना रही है. बड़ी चर्चा चल रही थी कि कर कम हो रहा है. मैं तो कहना चाहूंगा कि कर से भिन्न राजस्व हमारा बढ़ रहा है, इसके लिये बधाई के पात्र हैं हमारे वित्त मंत्री जी और सभी विभाग के अध्यक्ष, जो कर से भिन्न राजस्व को बढ़ा रहे हैं. हम भी चाहेंगे कि हमारे प्रदेश में कर कम रहे और कर से भिन्न राजस्व हमारा बढ़ता रहे. इसके लिये आप सब जो हैं पूरे बधाई के पात्र है. अच्छे वित्तीय प्रबंधन से सजा यह बजट है और इसका यह सूचक है कि हमने जो ऋण लेने का सोचा था, हमने उससे कम ऋण लिया है. यह इस बात का सूचक है कि कहीं न कहीं हमारा वित्तीय प्रबंधन अच्छा रहा, इसलिये हमने बजट में जितना ऋण लेने का सोचा था, उससे कम ऋण लेते हुए यह बजट, यह प्रदेश आगे बढ़ा. पूरा यह जो हमारा वित्तीय वर्ष जो खत्म हो रहा है, इसमें ऋण कम रहा, इसके लिये पुनः मैं यहां की पूरी वित्तीय टीम और सभी विभागाध्यक्षों को अपनी तरफ से बधाई देता हूं और हमारे वित्त मंत्री जी के कुशल नेतृत्व को मैं धन्यवाद देता हूं और आपका आभार करता हूं. हमारे प्रदेश का जो वित्तीय मैनेजमेंट मॉडल जो है, यह 15वें फायनेंस कमीशन का जो दर्शाया हुआ रोड मेप है, उसको अक्षरशः पालन कर रहा है. मैं हमारे विपक्ष के माननीय सदस्य, जिन्होंने लम्बे आंकड़ों के साथ इस चर्चा को शुरु किया था, उनके ध्यान में लाना चाहूंगा कि वित्त विभाग अक्षरशः जो है, वित्तीय मेनेजमेंट का पालन कर रहा है. जैसा कि 15वें फायनेंस कमीशन के रोड मेप में दिया हुआ है उसी तरीके से हमारा वित्त विभाग जो है, इन बातों को आगे बढ़ा रहा है. इसके लिये मैं पुनः वित्त विभाग के सभी अधिकारी, कर्मचारी वित्त मंत्री जी के नेतृत्व में आप सबको बहुत बधाई देता हूं. विकसित मध्यप्रदेश का संकल्प 5 वर्षों में बजट को दोगुना करने का संकल्प और इस दिशा को दिखाते हुए हमारा मध्यप्रदेश आगे बढ़ते हुए जीआईएस जैसे उपक्रम को सामने ला रहा है. अच्छी अच्छी हमारी उद्यम की योजनाएं हैं, मैं उनके बारे में न जाऊंगा,लेकिन एक बात आपके सामने रखना चाहूंगा कि मध्यप्रदेश उन बड़े राज्यों में शुमार है, जहां रेवेन्यू सरप्लस यानि राजस्व आधिक्य रहता है. लेकिन मैं एक बात और सबके ध्यान में लाना चाहूंगा कि 2019 में हम रेवेन्यू डेफिसिट में थे, कोविड भी इसमें आया, लेकिन 2019 में हम रेवेन्यू डेफिसिट में थे और सब जानते हैं कि 2019 में किस की सरकार थी. मध्यप्रदेश में अगर पिछले 20 सालों में रेवेन्यू डेफिसिट कभी आया दोबारा, तो 2019 में आया, तो मैं पुनः किसी को बताना नहीं चाहूंगा कि 2019 में किसने बजट पेश किया था, यह सारी बातें आपके ध्यान में लाना चाहूंगा. 18 नई नीतियों के साथ उद्योग को आगे बढ़ाने के लिये हम सब आगे बढ़ रहे हैं. मैं इसके लिये मुख्यमंत्री जी द्वारा जिला विकास सलाहकार समिति की घोषणा की गई है, उसके लिये भी मैं उनको धन्यवाद, आभार करता हूं. मध्यप्रदेश का जो बजट है और उसमें बताया हुआ जो रास्ता है, उससे यह हो रहा है कि हमारा कर जो है, वह किसी के ऊपर नहीं लग रहा है. मैं पुनः बधाई देना चाहूंगा वित्त मंत्री जी को कि उन्होंने इस बजट में एक भी नये कर की घोषणा नहीं की है. कोई भी नया कर नहीं लगाया है, कोई भी कर नहीं बढ़ाया है. चर्चा चल रही थी, पूरी करना चाहूंगा क्योंकि वह अधूरी रह गई थी. अध्यक्ष जी, भाई साहब बोले कि 4 लाख 62 हजार 217 करोड़ की आउटस्टैंडिग लायविलिटी है, बिल्कुल सही है, हम भी मना नहीं करते किंतु यही आंकड़ा जो था वर्तमान में 2024-25 में जो 30 प्रतिशत होता है टोटल लायविलिटी टू जीएसडीपी रेश्यो यह 2002-03 में 43.3 प्रतिशत था, 13 प्रतिशत हम नीचे लाये हैं. एक आंकड़ा और दूंगा, इन्ट्रेस्ट की चर्चा चल रही थी कि सरकार ब्याज भर रही हैं. माननीय इन्ट्रेस्ट पेमेंट टू टोटल रेवेन्यू रिसीप्ट जो कि एक अच्छा आंकडा है समझने के लिये 2002-23 मे 18 प्रतिशत था 2023-24 में 10.35 प्रतिशत था और 2024-25 में 10 टू 5 प्रतिशत है यानि कहीं न कहीं हम वित्तीय स्थिति में मजबूत होते जा रहे हैं. इन्ट्रेस्ट पेमेंट टू टोटल रेवेन्यू रिसीप्ट बता रहा है कि हमारा कर्जा बढ़ नहीं रहा है , हमारा कर्जा कहीं न कहीं व्यवस्थित हो रहा है इसके लिये मैं हमारे वित्त मंत्री जी और हमारे मुख्यमंत्री जी का दिल से आभार व्यक्त करता हूं, धन्यवाद करता हूं.
अध्यक्ष महोदय- गौरव जी आप अच्छा बोल रहे हैं, लेकिन समय की सीमा का ध्यान रखना पड़ेगा, समय पूरा हो गया है कृपया समाप्त करें.
श्री गौरव सिंह पारधी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके संरक्षण में दो विषय रखना चाहूंगा, सारा कुछ छोड़ देता हूं. जो बात मैं सबके सामने रखना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश ने जो एक संकल्पना की है, तकनीकी शिक्षा और अन्य शिक्षा के क्षेत्र मे बढने के लिये इस संकल्पना को पुन मैं अपनी और से बधाई देता हूं परम्परागत खेलों के प्रोत्साहन की जो संकल्पना है उसके लिये बधाई साथ ही मुख्यमंत्री कृषक उन्नति योजना जिससे फसल विविधिकरण को आगे बढ़ाया जायेगा उसके लिये बधाई देते हुये धान के किसानों के लिये साढ़े 800 करोड़ का प्रावधान करने के लिये धन्यवाद देते हुये इस राशि को थोड़ा और बढ़ाने की अपेक्षा माननीय वित्त मंत्री जी से करता हूं. गौ-शाला के लिये भी सारे प्रबंधन किये गये हैं, अधोसंरचना जो कि बहुत बड़ा विषय होता है जो आगे की दिशा बताता है उसमें 85 हजार 76 करोड़ रूपये जो कुल बजट का 20 प्रतिशत है इतनी बड़ी राशि देने के लिये, मैं समझता हूं पूरे देश में आम तौर पर सभी प्रदेश 15 से 16 प्रतिशत अधोसंरचना पर रखते हैं , मध्यप्रदेश के इस बजट में लगभग 20 प्रतिशत है इसके लिये मैं माननीय मुख्यमंत्री जी और माननीय वित्त मंत्री जी को बधाई देते हुये सोशल इम्पेक्ट बांड के लिये धन्यवाद देते हुये, सारी बातें हम सबके बीच में आ चुकी थीं . दो बातों के साथ में, मैं अपनी बात को खतम करूंगा . सिंचाई के क्षेत्र में 17 हजार 862 करोड़ का एक बड़ा प्रावधान किया गया है, 100 लाख हेक्टेयर की हम सबकी एक एम्बिसेस योजना है. मैं यही अपेक्षा करूंगा कि आने वाले समय में हमारी नलहेसरा जमुनिया परियोजना को भी इसका लाभ मिलेगा. ऊर्जा के क्षेत्र में और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी बड़ी संकल्पना की गई है इसके लिये भी मैं धन्यवाद देते हुये आप सबका हृदय से धन्यवाद करता हूं, आभार करता हूं, बहुत बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय- बहुत धन्यवाद, गौरव जी. भंवर सिंह शेखावत जी..
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री प्रहलाद सिंह पटैल)--माननीय अध्यक्ष जी, गौरव प्रथम बार के विधायक हैं ओर मुझे लगता है कि बजट जैसे भाषण में पूर्णतया विषय केन्द्रीत बोलने का यह जो प्रयास है कम लोगों में होता है, आपका स्नेह मिला आपको भी धन्यवाद, गौरव जी को भी धन्यवाद.
श्री भंवरसिंह शेखावत "बाबुजी" (बदनावर)--माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत देर बाद नंबर आया है सर. आदरणीय अध्यक्ष जी जिस विषय पर बोलने के लिये आपने अवसर दिया है . मैं चाहूंगा काफी समय से इस विषय पर चर्चा चल रही है सभी लोगों ने इसमें भाग लिया सारी बाते सामने आई हैं. अध्यक्ष जी, आपने भी यह कहा है कि आंकड़ों की बाजीगरी तो बहुत हो गई अब जो है, बजट की आत्मा पर चर्चा हो जाये. तो अध्यक्ष महोदय मैं आंकड़ों पर तो नहीं जाऊंगा क्योंकि बार बार फिर वही आंकड़े आने हैं . माननीय वित्त मंत्री जी विराजमान हैं, साढ़े चार लाख करोड़ का बजट साढ़े चार लाख करोड़ का कर्जा फिर दुकान का हिसाब किताब वैसे ही चलेगा. अब न हम कर्जा लेने में झिझक रहे हैं और बजट का जो भी हम प्रारूप बढ़ा है, उसका रूप बढ़ा है, मतलब बढ़ाये जा रहे हैं लेकिन कभी इस बात की कल्पना नहीं की होगी 2024-25 का बजट हम रख रहे हैं माननीय वित्तमंत्री जी 2023-24 में जो प्रावधान किये थे उस समय पर भी ऐसे ही भाषण चल रहे थे, 2023-24 का जब बजट प्रस्तुत हुआ तब भी ऐसी ही तारीफें की गई थीं, विकास का बजट और पता नहीं हम मध्यप्रदेश को कहां ले जाना चाहते हैं. वर्ष 2023-24 में जो बजट में प्रावधान किये गये थे या जो बजट अलॉट किया गया था या जिस विभाग को जो बजट दिया गया था, आज 2024-25 में जमीन पर कितना खर्च हुआ. मेरे ख्याल से जमीन पर जब हम उसका अवतरण देखेंगे तो समझ में आएगा विकास क्या होता है. कागजों पर आंकड़े बताना या आंकड़े सुन सुनकर तो मध्यप्रदेश की जनता के कान भनभना गये हैं. यह क्या-क्या आंकड़े हम यहां पर बोलते हैं. क्या प्रतिशत् बताते हैं और जरा जमीन में गांव में जाइये तो सही. वहां जाकर मालूम पड़ेगा कि हकीकत क्या है. एक विभाग हकीकत जानने वाला भी बनाइये. जो कम से कम पिछले साल का जो बजट है वह इस साल कितना जमीन तक पहुंचा है, वह तो कम से कम देख लें. आज हर युवक की हालत क्या है. कुल मिलाकर हम प्रदेश की जनता को दिन प्रतिदिन कर्जे में डुबो रहे हैं. कितना कर्जा, हर चौथे रोज हम सुनते हैं कि 6,000 करोड़ का कर्जा लिया. माननीय वित्त मंत्री जी को मजबूरी में कहना पड़ता है कि कर्जा हम इसलिये ले रहे हैं कि विकास कर रहे हैं. कर्जे से विकास तो होता है लेकिन कर्ज से विनाश भी तो होता है. विकास की गाथा तो हम लोगों को अखबारों में बता देते हैं कि हम कर्जा ले रहे हैं, हम विकास कर रहे हैं. अरे ! कर्जा कर-करके हम विनाश की किस दिशा में जा रहे हैं इसकी तो जरा कल्पना कीजिये. आंकड़े भी हम बनाते हैं. हमने प्रति व्यक्ति आय बढ़ा दी. एक लाख से ऊपर कर दी. एक लाख से ऊपर की आय प्रतिव्यक्ति प्रदेश के अंदर कितनी जनता है ऐसी जरा कल्पना तो करिये. प्रति परिवार की आय बढ़ाई है आपने या प्रति व्यक्ति की आय बढ़ाई है. अगर प्रति व्यक्ति की आय बढ़ाई है तो जरा इन आंकड़ों पर पुनर्विचार करिये कि आपने क्या सही आंकड़े दिये हैं. प्रति व्यक्ति की आय नहीं बढ़ी है. आम आदमी जो नौकरी करता है, जरा बाजारों में जाकर पता लगाइये माननीय वित्त मंत्री जी, आप तो जमीन से जुड़े हुये व्यक्ति रहे हैं. आज छोटे-छोटे कारखानों में काम करने वालों को प्रतिदिन क्या मिल रहा है.
अध्यक्ष महोदय -- अभी भी जमीन से जुड़े हुये हैं. (हंसी)
श्री भंवर सिंह शेखावत -- अध्यक्ष महोदय, जमीन से तो जुड़े ही हैं लेकिन मेरा यह कहना है कि वास्तविकता का जब पता लगाएंगे कि छोटे-छोटे काम करने वाले, छोटी-छोटी मजदूरी करने वालों को क्या आमदनी हो रही है. 4 हजार, 5 हजार, 6 हजार में वह अपना परिवार कैसे चला रहे हैं. कहां आप लाखों रुपये के फिगर देकर लोगों को भ्रमित कर रहे हैं. कहीं नहीं है. लाखों की बड़ी-बड़ी सरकारी नौकरियों में एक लाख की तनख्वाह महीने की नहीं है. कहां की बातें कर रहे हैं आप. गरीब आदमी के बारे में थोड़ा सा विचार करके जब हम आंकड़ों को देंगे तो जनता के बीच में हम जाएंगे. प्रति व्यक्ति की जितना आप कह रहे हैं कि हमने इसकी आमदनी बढ़ा दी, मैं तो कह रहा हूं प्रहलाद भाई भी हंस रहे हैं, प्रति व्यक्ति आपने कर्ज का बोझ कितना बढ़ाया है. एक व्यक्ति पर कितना बोझ हम डाल रहे हैं और यह विकास, विकास की गाथा हम गा रहे हैं. यह आपके बजट से विकास नहीं हो रहा है. यह जनता की जेब में आप वजन डाल रहे हैं. यह वसूली वहां से हो रही है. यह जो हम बड़ी-बड़ी सड़कों की बात करते हैं कि हमारी सड़कें बन गईं. सड़कें कहां से बनती हैं. अभी राजेन्द्र जी बता रहे थे. बड़ी सड़कें, 20 साल में कितनी सड़कें बना दीं आपने. यह सड़कें जो बन रही हैं यह सड़कें तो आदमी के पसीने से आप निकाल रहे हैं. आदमी वाहन खरीदता है जितनी उसकी बनाने की कीमत है उससे ज्यादा का आपका टैक्स है. 50 लाख की गाड़ी में प्रहलाद भाई, 25 लाख भी उसकी कीमत नहीं है. यह मैं वित्त मंत्री जी को बता रहा हूं. 25 लाख का तो सरकार का उसके ऊपर टैक्स है और जब वह गाड़ी खरीद लेता है तो 100 रुपये का डीजल, 100 रुपये का पेट्रोल. लूट लो. पैसा तो उससे लूट रहे हैं. हम सड़कें बना रहे हैं, पुल बना रहे हैं, सुविधा दे रहे हैं, अपने मामा जी के घर से ला रहे हैं. अरे ! यह तो जनता लुट रही है. जनता को सीधा लूट रहे हैं.
श्री प्रहलाद सिंह पटैल -- आप लगता है कि पुरानी पार्टी की याद में भाषण कर रहे हैं, तो वह भी याद करें कि कर्ज लेकर घी नहीं पी रहे हैं. रोड दिखते नहीं थे तब भी जनता कर दे रही थी.
श्री भंवर सिंह शेखावत -- यह भी अध्यक्ष जी कह देंगे अभी कि भंवर सिंह जी के आप पुराने भाषण निकालो. मेरा निवेदन यह है कि हम यह वसूली जनता से कर रहे हैं. गाड़ी लेकर आदमी 12 महीने टोल टैक्स देता है भाई. सड़कों से ज्यादा उससे टोल टैक्स ले रहे हैं. सड़कों का टैक्स अलग ले रहे हैं. डीजल, पेट्रोल पर अलग ले रहे हैं. गाड़ी खरीदे तो उस पर अलग ले रहे हैं. कितना वसूलोगे. 300-400 रुपये का जो सिलेण्डर आता था कोई जमाने में, आज डेढ़-डेढ़ हजार, दो-दो हजार, 1200-1200, 1800-1800 रुपये में दे रहे हैं. उसके बाद भी कह रहे हैं हम विकास कर रहे हैं. काहे का विकास कर रहे हैं भाई, जनता की आंख में धूल झोंकने का काम मैं इस पक्ष या उस पक्ष की बात नहीं कर रहा हूँ. बातें यह होती हैं कि आपकी डेढ़ साल की सरकार में क्या हुआ हम कहेंगे कि आपकी 20 साल की सरकार में क्या हुआ. दोनों सरकारें चाहे यह सरकार हो या वो सरकार सब मिलकर जनता की आंखों में धूल झोंक रहे हैं. छल कर रहे हो. शिक्षा की बात कर लें, छात्रों का भविष्य क्या है. आज कॉलेजों में फीस की वसूली की जा रही है, परीक्षा का क्या स्तर है. आधे कॉलेज ऐसे हैं जहां पर आपके पास स्टाफ नहीं है. शिक्षक नहीं हैं. स्कूलों की भी हालत खराब है. कॉलेजों की बड़ी-बड़ी बिल्डिंगें देखकर लगता है कि बहुत सुधार हो गया है. गांवों में तो जाओ, गांवों के स्कूल तो जाकर देखो. परसों दैनिक भास्कर अखबार में एक फोटो छपा है. एक झोपड़ी का स्कूल है जिसमें आठवीं तक की क्लास लगती है. आज तक बच्चों को स्कूल में बैठने के लिए टाटपट्टी नहीं दें पाए हैं. टेबल कुर्सी नहीं दे पाए हैं. बाउण्ड्रीवॉल नहीं है. वहां पर रात को कुत्ते बैठते हैं. स्कूल भवन नहीं है. 22 हजार बच्चे आज भी बाहर बैठ रहे हैं. जहां भवन नहीं है. कितने स्कूलों में हम बच्चों को शौचालय दे पाए हैं. हमारी बच्चियां जिन स्कूलों में पढ़ती हैं क्या वहां पर शौचालय हैं. क्या शौचालयों में पानी की व्यवस्था है. हम विकास की बातें करते हैं. जनता की आँखों में कब तक धूल झोंकते रहोगे. सरकारें तो रोज आएंगी, रोज जाएंगी. अगली बार फिर से यह लाड़ली बहना के 2 हजार से बढ़ाकर 5 हजार खाते में डाल देना फिर सरकार बन जाएगी. वो महाराष्ट्र में बन गई. इससे क्या हो जाएगा. हम पैसे दे रहे हैं, वोट खरीद रहे हैं, सरकार बन रही है. लोकतंत्र का मजाक बना रहे हो. मैं आपको कॉलेज की बात बताता हूँ. माननीय शिक्षा मंत्री जी बैठे हैं, बड़े सम्मान के साथ कहना चाहता हूँ. मेरे विधानसभा क्षेत्र में वर्ष 2014 में माननीय शिवराज सिंह जी के समय में दो कॉलेज स्वीकृत हुए थे. इन कॉलेजों की स्थिति यह है अभी मैं वर्ष 2023 में वापिस गया तब तक नहीं बने थे. मैंने माननीय मंत्री जी से निवेदन किया है कि अब तो 8 साल हो गए हैं. कॉलेज की बिल्डिंग बना दो, कॉलेज की बिल्डिंग ही नहीं है. तीन कमरों के अन्दर कॉलेज चल रहा है. हर साल बजट आता है. इसमें सुधार कीजिए, हर साल बजट लाने के बजाए 5 साल में बजट लाएं. हर साल के बजट का क्या मतलब है. अगले साल फिर भाषण सुनना पड़ेगा. सत्तापक्ष वाले तारीफ करेंगे और हम लोग आलोचना कर लेंगे. बजट 5 साल में एक बार लाएं और उसका सही से 5 साल के अन्दर इम्पलीमेंटेशन हो. तब तो उसका कोई मूल्यांकन होगा, हर साल के बजट का क्या मूल्यांकन करें. हर मार्च में हम भाषण सुनेंगे. छात्रों का भविष्य तो मैंने आपको बता दिया मेरे वो दोनों कॉलेज 8 साल से मेरे विधान सभा क्षेत्र में पड़े हैं. माननीय मेरी आपसे यह इल्तजा रहेगी कि कम से कम वे भवन बन जाएं, कॉलेज चालू हो जाएं. 3-3 कमरों के अन्दर कॉलेज चल रहे हैं. स्टाफ है नहीं. स्कूलों की हालत क्या है, मैं आंकड़ों पर नहीं जाना चाहता हूँ. बात वही आएगी न तो स्कूलों में बाउण्ड्रीवॉल बनी है, न स्कूल के भवन बने हैं, टूटे भवनों में स्कूल चल रहे हैं, पुताई का सामान नहीं है, पैसे हैं नहीं. जितना भी बजट आप देते हैं उस पर वित्त विभाग ने खुद ने कह रखा है कि 20 प्रतिशत से ज्यादा पैसा रिलीज न किया जाए. अब आप विकास की बात करते करते जनकल्याणकारी योजनाओं पर आ जाइए. प्रहलाद भाई बता रहे थे कि योजनाएं चल रही हैं. योजनाएं कोई नहीं चल रही हैं. आपने जनकल्याणकारी जितनी भी योजनाएं लागू की हैं उसमें आप 20-30 प्रतिशत का पैसा रिलीज करते हैं और सब गायब. कहां है छात्रों की छात्रवृत्ति, कहां बच्चों को मिल रही है. स्कूटी कहां है, लेपटॉप किधर है. कितने लोगों को दिया है. जरा आंकड़े तो मंगाइए. तब मालूम चलेगा कि हम यहां पर बातें कर रहे हैं, बैठकर दुनिया को बता रहे हैं, यह क्या तरीका है. 2 स्कूटी दे दी, फोटो खिंचवाया और कह दिया कि हमने स्कूटी दे दी. अरे कहां स्कूटी दे दी. बच्चों को लेपटॉप कहां दे दिया. जाओ जाकर देखो कहां है. सारे विभागों को देखना पड़ेगा.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय -- दिए हैं, दिए हैं आप थोड़ा तो विश्वास करिए. आपके बदनावर से उज्जैन की सड़क कितनी बढ़िया बन गई है.
श्री भंवर सिंह शेखावत -- अरे फिर वही सड़क पर आ गए. सड़क तो बहुत अच्छी बनी है, मैं कह रहा हूँ. सड़कें तो बनेंगी. आप देश के अन्दर जीएसटी वसूल रहे हो. एक ही आइटम पर व्यक्ति को 10-10 बार टैक्स देना पड़ रहा है. जीएसटी में आज तक किसी व्यापारी को या किसी व्यक्ति को यह पता ही नहीं है कि मैं एक ही आइटम पर कितना टैक्स दे रहा हूँ. यह पता ही नहीं है कि मैं एक ही आयटम पर कितने टैक्स दे रहा हूं. जब से जीएसटी आया है तबसे केन्द्र में उसमें कम से 2 हजार से ज्यादा तो अमेंडमेंट कर दिये हैं और आज भी वह टैक्स लगा हुआ है और उसके बाद आप कह रहे हो कि हमने सड़कें अच्छी बना दीं राजेन्द्र भैय्या सड़कें तो बन गईं लेकिन वसूली कितनी हुई है. जनता की जेब कट रही है. जनता का जो आर्थिक आधार बनना था वह नहीं बन पाया है. फैक्ट्रियों की बात आ रही थी. एमएसएमई के क्या हाल हैं. नई फैक्ट्रियां कहां आ रही हैं, नई-नई समिट कर रहे हो कब से समिट चल रही हैं लूट खाया है इस समिट ने. आप जो जीआईएस कर रहे हो सौ-सौ डेढ़-डेढ़ सौ करोड़ रुपए उसमें खर्च होते हैं. मत कीजिए समिट. एक वन टू वन बुलाइये, व्यापारियों से चर्चा कीजिए. यह समिट तो लूट का धंधा बन गया है. आप मुझे बताइये वर्ष 2023-2024 से अभी तक जो सिलसिला चल रहा है हजारों करोड़ रुपए आपने इस समिट में खर्च कर दिये लेकिन जमीन पर कितनी फैक्ट्रियां आईं? कितने लोग निवेश करने आए? तीस प्रतिशत भी नहीं आए. हालत क्या है हम पैसा खर्च तो कर रहे हैं लेकिन इंडस्ट्रीज़ आ कहां रही हैं और जिस इंडस्ट्री को सुधरना है उसके लिए हम कुछ नहीं कर रहे हैं. एमएसएमई बिगड़ रही है. 80 प्रतिशत स्मॉल स्किल इंडस्ट्रीज़ बैठ गईं. वही इंडस्ट्रीज़ रोजगार देती हैं लेकिन वह इंडस्ट्रीज़ बंद हो रहीं हैं. इंदौर सांवेर रोड पर जो इंडस्ट्री चलती है वह नहीं है. यहां पर यह पुराने मंत्री बैठे हुए हैं. मैं बताना चाहता हूं कि जो इंडस्ट्री चलाता है उसको आप लीज पर जमीन देते हैं वह जमीन सरकार की जमीन होती है वह अपनी फैक्ट्री चलाता है. फैक्ट्री बनाकर के व्यापार खड़ा करता है. लोगों को रोजगार देता है. वहां पर नगर निगम हाउस टैक्स लेने पहुंच गई. वह सरकार की जमीन के ऊपर व्यापार कर रहा है और सरकार उससे हाउस टैक्स ले रही है. तमाशा बना दिया है. विभाग को कोई देखने वाला नहीं है, कोई अधिकारी इस बात को देखने की चिंता नहीं कर रहा है कि यह फैक्ट्रियां चलेंगी कैसे. हम इनको आर्थिक रूप से मजबूत होने कहां दे रहे हैं. विचार कीजिए.
अध्यक्ष महोदय-- कृपया समाप्त कीजिए.
श्री भंवरसिंह शेखावत (बाबुजी) -- अध्यक्ष महोदय, मैं तो वैसे ही कम बोलता हूं और जब से उधर से इधर आया हूं तब से तो और भी नहीं बोलता हूं. मैं चिकित्सा क्षेत्र की बात कर रहा हूं. बीजेपी वालों आप ईमानदारी से सोचिये आपको मालूम है हम बात तो आपकी ही कर रहे हैं. चिकित्सा के क्षेत्र में क्या हालत है. स्कूलों की जो व्यवस्था है उससे खराब चिकित्सा की व्यवस्था है. अस्पताल हैं नहीं, नर्सें हैं नहीं, स्टॉफ हैं नहीं, दवाई है नहीं. बदनावर जैसी जगह के अंदर रेबीज के इंजेक्शन नहीं हैं. कुत्ते काट खायें तो अस्पतालों के अंदर रेबीज के इंजेक्शन नहीं मिल रहे हैं. आज ही भास्कर के अंदर छपा है भोपाल एम्स में पिछले आठ माह से जो आउटसोर्स की..
श्री ओमप्रकाश सखलेचा-- माननीय आप बार-बार अखबार को कोट कर रहे हैं. आप तो जमीन से जुड़े नेता हैं.
श्री भंवरसिंह शेखावत (बाबुजी) -- अध्यक्ष महोदय, मैं अखबार से इसलिए कह रहा हूं क्योंकि अखबार में यह छपा है कि एम्स जैसे अस्पताल में आठ माह से आएटसोर्स की पेमेंट नहीं होने की वजह से कॉन्टेक्ट खत्म हो गया और सारे काम प्राईवेट एजेंसी को दे दिये गये.
अध्यक्ष महोदय-- भंवर सिंह जी तो पहले भी अखबार को कोट करते रहे हैं.
श्री भंवरसिंह शेखावत (बाबुजी) -- अध्यक्ष महोदय, पीडब्ल्यूडी की बाकी की बात करने की अवश्यकता इसलिए नहीं है अब मैं प्रहलाद जी के विभाग पर बात करूंगा. यह बहुत ही संवेदनशील मंत्री हैं, अनुभवी मंत्री हैं. अभी जरा पंचायतों में तो जाइए. जितने विधायक यहां बैठे हैं सरपंचों से बात करना, जिला पंचायत में जाना, जिला पंचायत के सदस्यों से बात करना. जनपद के सदस्यों से बात करना यह तो सब निर्वाचित लोग हैं. जनता ने चुना है इनकी हालत क्या है कितना पैसा रिलीज हो रहा है, उनको क्या मिल रहा है. पंद्रहवें, सोलहवे वित्त आयोग का जो पैसा मिल जाए, मिल जाए नहीं तो जनपद, जिला पंचायत सब खाली पड़ी हुई हैं. कहां है पैसा, कहां से विकास करेंगे? छोटे-छोटे काम के लिए क्या विकास होगा ? छोटी-छोटी गटर नालियों के लिए विधायकों की सुनना पड़ती है. पंचायतों के पास पैसा नहीं है. अब जो कर दिया है वह कर दिया है इसको प्रहलाद भाई संभाल लेंगे. पंचायत भवनों की भी हालत देख लो आज भी 85 प्रतिशत पंचायतें जर्जर भवनों में हैं. इतने सालों में आपने कितने नये भवन बनाए हैं. अंदाज तो कीजिए फील्ड में जाकर देखिये एक-आधा विभाग तो ऐसा बनाओं कि जो साल भर के अंदर हमने क्या किया, वह अध्यक्ष महोदय के सामने रखा जा सके. वास्तविकता क्या है, हम तो केवल यहां बैठकर बत्ती दिये जा रहे हैं. GIS का मैंने बता दिया, इसे करने का कोई मतलब नहीं है.
अध्यक्ष महोदय, आंगनबाडि़यों की स्थिति क्या है, कितनी आंगनबाडि़यां पक्की हैं, किराये की झोपडि़यों-मकानों में चल रही हैं. आज तक आंगनबाडि़यां हम नहीं बना पाये.
अध्यक्ष महोदय, सिंचाई की बात कर रहे हैं, हां, सिंचाई बढ़ी है, फसल भी बढ़ी है, बहुत धन्यवाद, क्या आप इसी की बधाई लेना चाहते हैं लेकिन इस बार जो 10 लाख टन गेहूं सड़ गया, हमारे पास गेहूं रखने की जगह नहीं है. हमने उत्पादन में पंजाब-हरियाणा को पीछे छोड़ दिया लेकिन हमारे पास भंडारण के लिए स्थान नहीं है. 10 लाख टन पिछली बार गेहूं सड़ गया है, हर साल सड़ता है. गोदाम हमारे पास है नहीं और जो गोदाम हैं, वहां क्या हो रहा है, अभी अजय विश्नोई जी यहां हैं नहीं, वरना वे बताते कि हमने धान उपार्जन किया लेकिन 10 हजार टन धान में भूसा भरकर और लोग सरकार से किराये लेते रहे. भूसा भरकर बता दिया कि हमने धान रख दिया, यह आपकी हालत है. आज नान की हालत क्या है. नान 58 हजार करोड़ रुपये के घाटे में है. क्या वेयरहाऊसिंग चलेगी आपकी, आंकड़े बनाकर हम हर साल जनता को परोस देते हैं लेकिन नीचे जमीन पर क्या हो रहा, यह तो देख लें.
अध्यक्ष महोदय, पुलिस की चर्चा कर लें. आज मुख्यमंत्री जी यहां हैं नहीं. क्या हाल है पुलिस का पूरे प्रदेश में. क्या हो रहा है, कौन सी जनता सुरक्षित है. पुलिस सड़क पर पिट रही है. परसों इंदौर में क्या हुआ, सीधी में क्या हुआ, मऊगंज में क्या हुआ, पुलिस क्यों पिट रही है, मालूम है, पुलिस इसलिए पिट रही है क्योंकि पुलिस की सुरक्षा करने की जो व्यवस्था है जिसे सबकी सुरक्षा करनी है, वह अपनी सुरक्षा नहीं कर पा रही है. जनता में पुलिस के प्रति FRUSTRATION आ गया है. टोटल वसूली, लूट में पुलिस शामिल हो गई है. इंदौर के दो थानों के कम से कम 13 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड किया गया है क्योंकि वे सौदा करते हुए पकड़े गए हैं.
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल- अध्यक्ष महोदय, पुलिस के अधिकारी शहीद हुए हैं. उन पर ऐसे आरोप लगाना उचित नहीं है.
श्री भंवरसिंह शेखावत (बाबुजी)- इसलिए मैं कह रहा हूं कि पुलिस के अधिकारी शहीद हुए हैं, यह दुर्भाग्य है. ऐसी स्थिति क्यों बन रही है जनता इतनी उत्तेजित होकर सड़क पर क्यों आ रही है, जनता के साथ क्या व्यवहार हो रहा है. शाम को 5 बजे के बाद आपकी पुलिस क्या करती है.
अध्यक्ष महोदय- कृपया समाप्त करें.
श्री भंवरसिंह शेखावत (बाबुजी)- जी, अध्यक्ष महोदय. पुलिस पिट रही है, आपने स्वीकार कर लिया, पुलिस शहीद हो रही है. शहीद नहीं हुई है, ऐसी अराजकता की स्थिति बन रही है कि शाम को 5 बजे के बाद पुलिस जनता को लूटने के लिए सब अड्डों पर खड़ी हो जाती है. सीट बैल्ट नहीं लगाया, ये नहीं किया, 3 हजार, 5 हजार रुपये की वसूली होती है और जनता उससे परेशान हो गई और जब पुलिस से उसका आमना-सामना होगा तो यही होगा. आप किसी का भी एकांउन्टर करके आदिवासियों को मार रहे हो. थाने में बंद किया और उसे खत्म कर दिया. जनता कब तक बर्दाश्त करेगी, इसलिए यह सब हो रहा है.
अध्यक्ष महोदय, अंत में एक विषय और कहूंगा, आपने विकास तो कर ही दिया जितना करना था. हर विधायक को 15 करोड़ रुपये दिये हैं. कितनों के पास आ गए पाण्डेय जी, आ गए क्या 15 करोड़ ?
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय (राजु भैया)- आ गए ईमानदारी से. जो-जो काम दिये थे, सभी मंजूर हो गए हैं.
श्री भंवरसिंह शेखावत (बाबुजी)- किसी कांग्रेसी के आये हैं क्या ?
श्री हजारीलाल दांगी- आपके नहीं आये इसलिए चिल्ला रहे हैं, बाकी सभी के आ गए हैं.
श्री भंवरसिंह शेखावत (बाबुजी)- आपके तो आये ही होंगे, आप तो भगवान रामजी से पैसा लाये हो. बाकी सभी विधायक कहां से आये हैं, इन्हें मध्यप्रदेश की जनता ने नहीं चुना है क्या ?
श्री देवेन्द्र रामनारायण सखवार- क्या हमारी विधान सभा मध्यप्रदेश में शामिल नहीं है ?
श्री भंवरसिंह शेखावत (बाबुजी)- यह कौन सा तरीका है, यह कौन से विकास की अवधारणा है, ये किस लोकतंत्र की परिभाषा आप गढ़ रहे हैं ? रीती बहन अभी बोल रही थी, सबका साथ सबका विकास. कहां है सबका साथ सबका विकास, नीना जी के क्षेत्र में अभी 15 करोड़ रुपये नहीं आये हैं.
श्रीमती नीना विक्रम वर्मा- हमारे यहां भी आ गए हैं.
श्री भंवर सिंह शेखावत (बाबुजी) - नहीं भी आए होंगे, तो भी कह देंगी कि 15 करोड़ रुपये आ गए हैं. (हंसी) आएंगे सब कहेंगे, कोई नहीं कहेगा कि नहीं आए हैं. लेकिन नीना जी मेरी भी तो विधान सभा आपकी विधान सभा के पड़ोस में लगी हुई है.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय - माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने प्रस्ताव बहुत अच्छे दिए थे.
श्री भंवर सिंह शेखावत (बाबुजी) - अध्यक्ष महोदय, अब मैं समाप्त कर रहा हूँ. यह तो लोकतंत्र की अच्छी अवधारणा नहीं है. चुनाव तक सारी विचारधाराओं की लड़ाई इस देश में होती है, इस देश में लोकतंत्र है, विचारधारा आपकी भी है और विचारधारा इनकी भी है. विचारधाराओं की लड़ाई चलती रहे. जब जनता ने आपको बहुमत दे दिया तो पूरी जनता आपकी है. 8 करोड़ मध्यप्रदेश की जनता आपकी है. चाहे उन्होंने कांग्रेस को वोट दिया हो, बीजेपी को वोट दिया हो या किसी और पार्टी को वोट दिया हो. (मेजों की थपथपाहट) चुनाव के बाद में कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए. यह हमारे देश के लोकतंत्र की अवधारणा है, अगर 15 करोड़ कांग्रेस के खातों में जाएगा, तो 15 करोड़ इस जनता के खातों में भी जाना चाहिए. यह दुर्भाग्य है. अगर आप इसी भावना से काम करोगे तो फिर तो खेल बदल जायेगा. यह मत समझना कि हमेशा का परवान लेकर आए हो, समय तो बदलेगा, फिर मैं यह कहूँगा कि आप कभी आओ तो आप ऐसा पक्षपात कभी इनके साथ मत करना. आपने मुझे बोलने का समय दिया, मैं सबका आभारी हूँ और आपका बहुत आभारी हूँ.
अध्यक्ष महोदय - मैंने वरिष्ठता के कारण आपको ज्यादा समय ज्यादा दिया था.
श्री भंवर सिंह शेखावत (बाबुजी) - धन्यवाद.
6.22 बजे
अध्यक्षीय घोषणा
अध्यक्ष महोदय - वर्ष 2025-2026 के आय-व्ययक पर सामान्य चर्चा कल दिनांक 18.03.2025 को भी जारी रहेगी.
6.23 बजे वक्तव्य
''अटल सुशासन भवन'' का नाम ''अटल ग्राम सेवा सदन'' किए जाने संबंधी.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री प्रहलाद सिंह पटेल) - अध्यक्ष महोदय, पिछले सत्र में मैंने स्व. श्री अटल बिहारी वाजपेयी की जन्म शताब्दी का उल्लेख करते हुए जो नये ग्राम पंचायत भवन निर्मित हो रहे हैं. उनका नाम अटल सुशासन भवन मैंने सदन के भीतर कहा था. (मेजों की थपथपाहट) लेकिन जब इसकी प्रधानमंत्री जी ने पहली किश्त जारी की तो उस समय उसका नाम अटल ग्राम सेवा सदन हुआ है, उस संशोधन को लेकर मैं आपके सामने अपनी बात कह रहा हूँ.
आदरणीय श्री भंवर सिंह जी ने जो कहा था, मैं उनसे निवेदन करता हूँ कि लक्षित तौर पर स्व. श्री अटल बिहारी वाजपेयी की जन्म शताब्दी यह हमारे लिए संयोग की बात है, लेकिन मध्यप्रदेश में पंचायत भवन आने वाले 50 वर्ष तक ई-पंचायत के लायक रहें, यह सरकार का लक्ष्य है. इसमें मेरा-तेरा नहीं है. 100 प्रतिशत कोई ऐसी पंचायत न हो, जहां पर भवन न हों, जहां पर एक सामुदायिक भवन न हो, तो मुझे लगता है कि इसमें मेरा-तेरा नहीं होता है. सबका साथ, सबका विकास, सबका प्रयास जारी है. (मेजों की थपथपाहट)
6.24 बजे
वर्ष 2024-2025 के द्वितीय अनुपूरक अनुमान की मांगों पर मतदान
उप मुख्यमंत्री, वित्त (श्री जगदीश देवड़ा) - अध्यक्ष महोदय, मैं राज्यपाल महोदय की सिफारिश के अनुसार प्रस्ताव करता हूँ कि -
“दिनांक 31 मार्च, 2025 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष में अनुदान संख्या 6, 9, 10, 11, 12, 13, 16, 17, 18, 20, 22, 23, 24, 30, 31, 33, 35, 39, 43, 44, 47, 48, 49, 50 एवं 54 के लिए राज्य की संचित निधि में से प्रस्तावित व्यय के निमित्त राज्यपाल महोदय को कुल मिलाकर अठारह हजार सात सौ छह करोड़, अठावन लाख, तिहत्तर हजार, चार सौ सैंतालीस रुपये की अनुपूरक राशि दी जाये.”.
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को (पुष्पराजगढ़) - माननीय अध्यक्ष जी, माननीय वित्त मंत्री जी वर्ष 2024-2025 के द्वितीय अनुपूरक अनुमान बजट आपने प्रस्तुत किया है. हम मानते हैं कि प्रदेश सरकार को कर्मचारियों के वेतन-भत्ते आदि में आपको खर्चा करना पड़ता है. और उसके साथ ही कई विकास के कार्य भी किए जाने प्रस्तावित होते हैं.
माननीय अध्यक्ष जी, जैसे अभी भंवर सिंह जी ने बहुत सारी बातें कही हैं. माननीय मुख्यमंत्री जी जब शपथ ले रहे थे, तो ईश्वर की शपथ लेकर के उन्होंने कार्यभार ग्रहण किया कि प्रदेश के साढ़े आठ करोड़, नौ करोड़ जनसंख्या में से किसी के भी साथ कोई भेदभाव नहीं करेंगे. वे एक मुखिया हैं और मुखिया मुख सो चाहिए, खान-पान को एक. ऐसी उनकी अंतरात्मा से सबके लिए विचार आने चाहिए. लेकिन जिस तरीके से इस सदन में देखने में मिला, जो हमारे माननीय विधायकों ने व्यथित होकर अपनी बात कही, उससे निश्चित ही एक संदेश गया कि अंधा बांटे रेवड़ी, चीन चीन के दे, माननीय अध्यक्ष जी, ऐसी कहावत है. किसी को 15 करोड़, तो कोई झांक रहा है, कोई देख रहा है कि क्या हमें भी मिलेगा. जब समुद्र मंथन हुआ, उस मंथन में अमृत भी निकला. मेहनत सारे लोग किए और जब अमृत का कलश आया तो उसको लेकर के लोग भाग गए. वे अपने-अपने लोगों को पिलाने लगे. बाकी लोग जो मेहनत किए हैं, मेहनत कर रहे हैं, वे क्या करेंगे. उन लोगों के लिए फिर यही संघर्ष का रास्ता बचता है. लोग उस दिन को याद करते हैं, जब माननीय मुख्यमंत्री जी शपथ लेते हैं और वह शपथ कहीं न कहीं मिथ्या साबित होती है. हम चाहते हैं कि साढ़े आठ करोड़ जनसंख्या जो मेरे पूरे प्रदेश की है, उस प्रदेश की जनसंख्या के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए. सबको बराबर मिले. एक अच्छा संदेश प्रदेश में जाना चाहिए.
माननीय अध्यक्ष जी, माननीय वित्त मंत्री जी ने अनुपूरक बजट पेश किया. क्या आपने जो कहा, उन माताओं, बहनों को 400 रुपये में गैस सिलेण्डर देने का काम इस पैसे से करेंगे. नहीं दे सकते. चूँकि आपको मिथ्या बात बोलने की आदत है. लोक लुभावने भाषण देने की आदत है. सरकार जो कहे और पूरा न करे, यह प्रदेश के हित में नहीं है. माननीय वित्त मंत्री जी, क्या आप इसको समाहित करेंगे, अपने उद्बोधन में बोल दीजिएगा. आपने कहा है, हमने नहीं कहा है. दूसरी बात यह है कि आपने लाड़ली बहनों के लिए 3,000 रुपये प्रतिमाह देने की बात कही थी, हमने नहीं कही थी. आपकी सरकार बन गई. आपका मंत्रिमण्डल बन गया. अभी 5 करोड़ रुपये आपके बंगले में खर्च किया जाएगा. 50 करोड़ रुपये अभी साज-सज्जा में खर्च करेंगे. क्या यह राशि उन बहनों को मिलेगी कि आप मात्र यहां साज-सज्जा ही करते रहेंगे. आप इस अनुपूरक बजट में यह बताएं कि आप 3,000 रुपये उन बहनों को देंगे कि नहीं देंगे, हम आपके बजट को पास करेंगे, सर्वसम्मति से करेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- फुन्देलाल ली, अब समाप्त करना पड़ेगा.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को -- अध्यक्ष महोदय, अभी तो बोला ही नहीं हूँ तो कैसे समाप्त कर दूं.
अध्यक्ष महोदय -- आगे के कार्यक्रम में भी जाना है.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को -- माननीय अध्यक्ष जी, अभी तो शुरुआत ही की है.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, प्लीज, मैन बजट पर चर्चा नहीं हो रही है.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को -- अध्यक्ष महोदय, मैं कह रहा हूँ कि अनुपूरक बजट में आप शामिल करें, जो आपने कहा है. अलग से मैं नहीं कह रहा हूँ. माननीय अध्यक्ष जी, आपने कहा था कि गेहूँ कट गया, गहाना भी शुरू हो गया है. आपने किसान से गेहूँ के लिए 2,700 रुपये प्रति क्विंटल का वादा किया था. जो किसान, अन्नदाता इस प्रदेश को जीवित रखने का काम करता है, रोटी देने का काम करता है, भोजन देने का काम करता है, उसके साथ आप इस तरह से मिथ्या घोषणा कर रहे हैं. जो जमीन खोदकर अन्न पैदा करने का काम करे मिट्टी से चावल पैदा करे,गेहूं पैदा करे और इस प्रदेश के बहुसंख्यकों को जीवित रखने का काम करे उसे आप 2700 रुपये क्विंटल गेहूं की राशि नहीं देंगे. धान में भी इन्होंने कहा कि हम 3100 रुपये क्विंटल खरीदेंगे क्यों आपने नहीं दिया. किसने रोका है. आपकी सरकार बनी. आपने घोषणा की है. आपने वायदा किया है. आप हर तीसरे महिने 2 हजार,3हजार,4हजार,5 हजार करोड़ कर्जा ले रहे हैं इससे आप किसानों का भला करिये आप क्यों 3100 रुपये क्विंटल नहीं दे रहे हैं. अभी हमने पढ़ा कि चार हजार रुपये प्रति हेक्टेयर प्रोत्साहन राशि,आपने दो-दो महिने आपने किसानों के खाते में नहीं दी. यदि एक जिले में 80-90 करोड़ रुपये,हजारों करोड़ रुपये किसानों के खाते में नहीं जाएंगे. आपने 7 दिन का नियम बनाया है किसानों के लिये देने के लिये, दो-दो महिने, मैं अनूपपुर की बात करूं तो 23 करोड़ रुपये आज भी ट्रांसफर नहीं हुआ. इसी तरीके से प्रदेश के जिलों में भी आपकी स्थिति बनी हुई है. आप 4 हजार रुपये प्रोत्साहन राशि नहीं दे रहे हैं. उसी के ब्याज से लेकर आप उसे यह राशि देंगे.
अध्यक्ष महोदय - फुन्देलाल जी कृपया समाप्त करें.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को - जब समुद्र मंथन हुआ तो कुछ विष भी निकला था और अमृत भी निकला था. तो कड़वा भी सुनने का प्रयास करे सरकार यह मेरा निवेदन है. ऐसा नहीं है कि अमृत ही अमृत निकल आयेगा.
अध्यक्ष महोदय - कृपया समाप्त करें. अभी अभय जी को भी बोलना है. आप लोगों के कार्यक्रम में भी जाना है. वित्त मंत्री जी भी बोलेंगे. अनुदान मांगें पारित होना है. एक मिनट में समाप्त करें.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को - जैसी आपकी इच्छा. माननीय अध्यक्ष महोदय,आप जब मुस्कुरा देते हैं तो ऐसा लगता है कि मुझे 5 मिनट मिल गया.
अध्यक्ष महोदय - फुन्देलाल जी को विधायकों का जब प्रशिक्षण हो तो फुन्देलाल जी को बुलवाना चाहिये. एक मिनट में समाप्त करें फुन्देलाल जी.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को - हमारे वाहन का एक पहिया गड़बड़ हो जाये तो हमारा वाहन नहीं चल सकता. मध्यप्रदेश में हमारे कर्मचारी दिन-रात लगे रहते हैं. ओल्ड पेंशन स्कीम का उन्होंने हमेशा मांग की. 62 साल नौकरी हो जाने के बाद जब वह सेवानिवृत्त हो जाता है और उस समय उसका बुढ़ापा भी और बुढ़ापे में कोई सहारा नहीं उसका. मान लीजिये लड़के,बच्चे,नाती कोई सहारा न दे तो एक पेंशन ही उसका सहारा होता है और उस सहारे को भी आपने बंद किया हुआ है. मेरा आपके माध्यम से अनुरोध है वित्त मंत्री जी कि इस ओल्ड पेंशन स्कीम को आप लागू करें तो सेवा कर रहे कर्मचारियों का बड़ा भला होगा. उसके आने वाले बुढ़ापे को भी छीनकर बैठे हैं. आपको लाभ होगा,सरकार को लाभ होगा लेकिन कर्मचारियों को लाभ नहीं हो रहा है. आपने बोलने का अवसर दिया. माननीय अध्यक्ष महोदय, मन तो नहीं कर रहा था लेकिन अब आपके आदेश का पालन भी मुझे करना है.
अध्यक्ष महोदय- हमें भी बहुत अच्छा लग रहा था आपको सुनते हुए लेकिन समय की सीमा है.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को - मैं आपको और आसंदी को नमन करता हूं. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री अभय मिश्रा (सेमरिया)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, चालू वित्तीय वर्ष 2024-25 के इस अनुपूरक अनुमान में 45 हजार करोड़ का कर्ज हम ले चुके हैं जो कुल कर्ज 4 लाख 22 हजार का 12.51 प्रतिशत है. मेरा ऐसा अनुरोध है कि बहुत सारी ऐसी पुरानी योजनायें हैं जो उस समय प्रासंगिक थीं किंतु वक्त बदलने के साथ हम एक जिद पाले रहते हैं कि कोई योजना बंद नहीं होगी, उसमें कई बार विचार करना चाहिये कि हम अपव्यय रोक सकें. मितव्ययिता के साथ हमारी दो चीजें हैं एक तो हमें राजस्व पैदा करना है और दूसरा हमें अपने खर्चों को थोड़ा कम करना है तो जो जरूरी खर्चे हैं वह तो करना है पर जो लीकेज हैं हम कम से कम उनको रोकने का प्रयास करेंगे. अब वर्तमान में राजनीति में हम देख रहे हैं, हम तो आपके शिष्य हैं, हम उतना नहीं जानते पर राजनैतिक मूल्य बदल चुके हैं. कर्ज लेना स्मार्टनेस है, अभी देश में डबल इंजन की सरकार होने के बाद हम तीसरे, चौथे नंबर पर हैं मतलब अभी हम बहुत पीछे हैं, हमसे ज्यादा कर्ज लेने वाले बहुत से राज्य हैं हम उस प्रगति को जितना जल्दी पा सकेंगे तब हम अपनी पीठ को और थपथपायेंगे कि अब हम एक नंबर पर हैं. अब मैं इस पर बात कर रहा हूं मुख्य शीर्ष है पीएचई. पीएचई में अभी इस्पात फोर्स करके एक योजना चलती थी माननीय वित्तमंत्री महोदय अगर नोट कर लें उसमें बहुत सारे सोलर लाइट और कनेक्शन थे उनकी डीएलपी (डिफेक्ट लायबिलिटी पीरिएड) खत्म हो गई, आपके सेकड़ों करोड़ रूपये लगे हुये हैं उसका इसमें हमें कहीं प्रावधान दिखाई नहीं दिया है, मैं आपके ध्यान में ला रहा हूं. जल जीवन मिशन अभी तक हमें मालूम क्या लगता था ईमानदारी से बता रहा हूं, लगता था कि कोई दिल्ली में सेट कर लिया होगा पाइप की सप्लाई, खोदे जा रहा है पूरा भारत, अपना क्या जाता है खोद डालो, रोड जरूर बर्बाद कर रहा था तो बड़ा दर्द होता था क्योंकि एक बार शोल्डर अगर खत्म हो गये तो दोबार फिर बनाने के लिये यूटीलिटी सेफ्टिंग के नाम पर आप ही बजट में हजारों करोड़ देंगे और बिना परमीशन के वह रोड से सटा-सटा कर रोडों को खोद रहे हैं और आप ही सभी सिंगल मार्गों को डबल मार्ग कर रहे हैं तो कल आपको ही उस पाइप को शिफ्ट कराना है तो हम यह मान रहे थे कि दिल्ली का पैसा, पर हमने देखा इसमें 2 हजार आठ सौ करोड़ रूपये का बजट इसमें बहुत लेकूना है आप माने या न माने. मुझे मालूम है इसमें ईपीसी कांट्रेक्ट के तहत इतनी गुंजाइश है इसको चाहे जैसे खेल लें. इसमें हम मितव्ययिता करें, मतलब पैसे को थोड़ा बचायें, लूटपाट को रोकें, इस दिशा में मैं थोड़ा सा सरकार से अनुरोध करना चाहता हूं जो भी इसके लिये सक्षम हों, फिर गाड़ी का पंजीयन टैक्स के ऊपर टैक्स, वित्त मंत्री जी आपसे हम परामर्श दात्री समिति में ही बोले थे, जब हम गाडी़ खरीदते हैं तो हमें जीएसटी लगती है एक तो हमारे यहां सबसे ज्यादा पेट्रोल डीजल में टैक्स, हर चीज हमारी सबसे महंगी है पूरे देशभर में यह बात तो हम सब स्वीकारते हैं. अब हमने गाड़ी खरीदी, गाड़ी खरीदने जब हम गये तो जब हम आरटीओ में पंजीयन कराते हैं तो जो जीएसटी की राशि है उसको हटाकर शेष राशि पर 12 प्रतिशत या 14 प्रतिशत जो भी प्रदेश सरकार का है वह लेना चाहिये. टैक्स के ऊपर टैक्स का कोई प्रावधान ही नहीं है. इस मामले में जो डीलर थे यह एक बार सरकार से मिले हैं तो यह हुआ कि भाई तुम ज्यादा स्मार्ट मत बनो, तुम्हारा क्या जा रहा है, जो जा रहा है जनता का जा रहा है तो उन्होंने भी कहा कि हां हमारा तो जा नहीं रहा, जनता का जा रहा है, जनता अपनी बात करे, तो अब जनता की बात कौन करे यहां, तो यह मान लीजिये हमारे माध्यम से आपके दिमाग तक हम इस बात को आप तक पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- अभय जी पूरा कीजिये. कभी तो रिकार्ड तोड़ ही दो.
श्री अभय मिश्रा-- अध्यक्ष महोदय, कर ही रहा हूं, कुछ अच्छी चीज भी है. जो एमएसएमई है बहुत बेहतरीन काम हो रहा है आपके यहां, इसकी उम्मीद नहीं थी लेकिन अभी-अभी जो हुआ है देखिये हम उद्योगों की कितनी भी बातें कर लें हमारे प्रदेश का यह कल्चर नहीं है, हमारे यहां इंदौर के अलावा कौन सी ऐसी जगह है जहां कोई 10 हजार करोड़ लगाने वाला आदमी वहां रहेगा. अंत में आप घूम फिर कर वहीं आयेंगे कि लघु एवं मध्यम उद्योग एमएसएमई हमारी सक्सेस होगी और अभी तक हमारे पास यह मान लीजिये कि सही कारीगर नहीं थे. बहुत बड़ा कारखाना बना दें, बहुत बड़ा अस्पताल बना दें, सही डाक्टर न हों तो क्या होगा.
मैं इसमें मंत्री जी की व्यक्तिगत तौर पर इस बात की प्रसंशा करूंगा कि उनको बहुत समझ है, इस दिशा में उन्होंने देखिये छ: सौ करोड़ रूपये उनके पास पूर्व में थे और 11 सौ करोड़ रूपये नये बजट में मिले हैं, अभी भी आपने 1075 करोड़ रूपये उनको दिये हैं, इससे क्या हुआ कि डी.बी.टी. के माध्यम से पूरी लॉयबिल्टी क्लीयर हो गई है. अब नॉन में आ जाईये, नान में दो हजार करोड़ रूपये यह एक नया रोग पैदा हो गया है, पिछले कुछ वर्षों में, वेयर हाउस खोलना, राजनीतिक आदमी को वेयर हाउस से जरूर जोड़ना, फिर उसके बाद नान में घोटाले, अनाज में घोटाले सच को स्वीकार करिये, इसको रोकने की दिशा में आप कुछ देख लीजिये.
अध्यक्ष महोदय, एक और मैं देख रहा हूं कि मुआवजे के नाम पर पांच सौ करोड़ रूपये, मुआवजे का भी खेल रोडों पर है, सभी विधायक जानते हैं, इसको आप देख सकते हैं कि इसमें आप कितना बचा सकते हैं. मुख्यमंत्री ग्राम सड़क अधोसंरचना इसमें कम से कम अगर संभव हो, हो सकता है कि आप पुरानी लॉयबिल्टी क्लीयर कर रहो हों, पर यदि संभव हो तो हर विधानसभा को एक-एक, दो-दो रोड आप दे दीजिये.
अध्यक्ष महोदय, पुलों के मामले में आपने ठीक किया है, रोड में भी आपने ठीक किया है. ग्रामीण सड़कों में कम से कम इसमें भी एक-एक मार्ग हमको मिल जाता तो ठीक रहता. हम आपसे एक अनुरोध और करना चाहते हैं कि माननीय मुख्यमंत्री जी ने, पी.डब्ल्यू.डी. मंत्री जी ने हमारे विधानसभा क्षेत्र में एक बड़ी सौगात दी, एक लंबी रोड हमें स्वीकृत करके दी है, उसके लिये यह मनकहरी, मछियार, पथरी करके एक रोड है, उसके लिये हम हृदय से आभारी हैं और एक छोटी रोड वहां स्वीकृत हुई है, उसके लिये भी हम आभारी हैं.
अध्यक्ष महोदय, हमारी बस एक अंतिम चिंता विधायकों के बारे में है, विधायकों के बारे में भी आप थोड़ा विचार कर लें. विधायकों के बारे में प्रेक्टीकल बात यह है कि आज जिस तरह की मंहगाई है, हमारा तो चल जाता है, हम सबकी बात कर रहे हैं, थोड़ा सा उसमें विचार कीजिये, नहीं तो इतने खर्चें हैं, वह कैसे कर पायेंगे. हर बार हम देखते हैं अनुपूरक बजट हो या मेन बजट हो, राज्यपाल भवन में इतना पैसा जाना ही है, भवनों में जाना ही है, मध्यप्रदेश भवन में पांच करोड़ जाना ही है, हमारा यह कहना है कि आप उसका खाना वही करवा दीजिये जो पहले था, मध्यप्रदेश भवन में जो पहले खिलाता था, वह ज्यादा अच्छा खिलाता, यह बात हम लोग हर बार भूल जाते हैं और यहां से बजट जाता है. अध्यक्ष महोदय, बस हो गया, आपका आर्शीवाद मिला और हमने अपनी बात रख दी है, आपका धन्यवाद.
श्री गौरव सिंह पारधी(कटंगी) -- आदरणीय अध्यक्ष महोदय, द्वितीय अनुपूरक बजट पेश हुआ है, दो लाईनों के साथ शुरू करूंगा, क्योंकि मैं समझता हूं कि यह बहुत जरूरी है.
यूं तो मशहूर हैं,
अधूरी मोहब्बत के किस्से बहुत से।
यूं तो मशहूर हैं,
अधूरी मोहब्बत के किस्से बहुत से।
मुझे अपनी मोहब्बत,
पूरी करके नई कहानी लिखनी है.
यही बात हमारी माननीय मुख्यमंत्री जी और वित्तमंत्री जी पर लागू होती है और इसी वजह से यह अनुपूरक बजट आया है, प्रदेश ने जो संकल्पना की है, परिकल्पना की है, उसको पूरा करने के लिये द्वितीय अनुपूरक बजट आया है. भारतीय संविधान का आर्टिकल 205, इस अनुपूरक बजट की अनुमति देता है और मैं बधाई देना चाहता हूं कि इस अनुपूरक बजट में कोई नये ऋण का प्रावधान नहीं किया गया है, बावजूद उसके लगभग 58 प्रतिशत हम वोटेबल को देते हैं और पूरा जोड़ लें तो 59 प्रतिशत जो है, वह केपिटल एक्सपेंडीचर है, इसके लिये पुन: बधाई देते हुए दो तीन बातें ही मैं आपके समक्ष रखना चाहूंगा कि सारी चर्चा हुई, निवेश प्रोत्साहन की जो लगभग 726 करोड़ की राशि आने वाले समय में, इस प्रदेश का जो राजस्व बढ़ता हुआ दिखेगा, वह इसी आधार पर बढ़ता हुआ दिखेगा, इसकी परिकल्पना के लिये मैं माननीय वित्तमंत्री जी और उनकी पूरी टीम को अपनी तरफ से बधाई देता हूं, बहुत बहुत धन्यवाद देता हूं.
अध्यक्ष महोदय, एक राजस्व का जो हिस्सा है, इस बजट में लगभग 40 प्रतिशत का, उसमें 23 प्रतिशत जो है, वह ऊर्जा के क्षेत्र में है, जो किसानों और आम जनता के हित में है, जिसमें अटल गृह ज्योति योजना, अटल कृषि ज्योति योजना और उसमें पूंजी का जो निवेश है, वह आर.डी.एस.एस. योजना में किया गया है, इसके लिये मैं इस अनुपूरक बजट का मैं सहयोग करता हूं, समर्थन करता हूं.
अध्यक्ष महोदय, गर्मी आने वाली है, पीने के पानी की समस्या पैदा होने वाली, उससे निजात पाने के लिये चलने वाली जल जीवन मिशन की जो योजना है, उसके लिये जो 2846 करोड़ का प्रावधान किया है, मैं चाहता हूं कि यह ऐसा बना रहे. सिंचाई हमारे किसानों के हित की योजना है, उसके लिये हजार करोड़ रूपये का प्रावधान इस प्रदेश की जनता के लिये अच्छी सड़कें तथा पुल-पुलिया के लिये 1792 करोड़ का प्रावधान यहां पर किया गया है. जो कि सबसे बड़ी बात है नर्मदा घाटी जिसमें निश्चय होगा कि मध्यप्रदेश के हिस्से में कितना नर्मदा जी का जल आयेगा उसको पूर्ण करने के लिये उसमें लगभग 2864 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है मैं इसके लिये समस्त विभाग वालों को धन्यवाद करता हूं. यह इसलिये संभव हुआ है क्योंकि हमारी वित्त विभाग की टीम जो है, वह मितव्ययी है. वह संसाधनों का अच्छा उपयोग करना जानती है. इसलिये यह संभव करते हुए पुनः मैं आपको धन्यवाद देता हूं कि आपने मेघावी छात्रों के लिये तकनीकी शिक्षा में प्रावधान किया है इसके लिये भी आप धन्यवाद के पात्र हैं. मैं चाहूंगा कि द्वितीय अनुपूरक बजट सफलता से यहां पर पास हो जाये. धन्यवाद.
वित्तमंत्री (श्री जगदीश देवड़ा)—अध्यक्ष महोदय, द्वितीय अनुपूरक प्रस्तुत हुआ इस पर हमारे साथी माननीय फुन्देलाल जी, माननीय अभय मिश्रा, तथा माननीय गौरव पारधी जी ने बहुत ही महत्वपूर्ण अपने विचार यहां पर रखे. निश्चित रूप से उनकी भावनाओं का सम्मान करेंगे. यह द्वितीय अनुपूरक है. निश्चित रूप से मुख्य बजट जो वित्तीय वर्ष का रखा था उसके बाद हमारे विभिन्न विभागों में अलग अलग तरह की जो योजनाएं चल रही हैं उसमें अतिरिक्त राशि की जब आवश्यकता जब होती है. तो इस प्रकार का प्रथम अनुपूरक, द्वितीय अनुपूरक यह व्यवस्था संविधान के अनुच्छेद 205 में रखी गई है. उसी के तहत बहुत सारी योजनाएं ऐसी हैं जो त्वरित गति से चल रही हैं, उसमें राशि की आवश्यकता होती है. वह सब प्रावधान इसमें किये हैं. बहुत सारी केन्द्र की योजनाएं होती हैं जिसमें राज्यांश भी हमको मिलाना पड़ता है. आकस्मिकता निधि से स्वीकृत किये गये अग्रिमों की प्रतिपूर्ति का भी प्रावधान किया जाना है. ऐसी भारत सरकार की विशेष पूंजीगत सहायता योजना के अंतर्गत विभिन्न योजनाओं में व्यय हेतु आवश्यक राशि का प्रावधान ऐसी जो आवश्यक मांगें होती हैं. कुछ हमारी द्वितीय अनुपूरक मांग के लिये संसाधन की भी व्यवस्था भारत सरकार से केन्द्रीय करों में राज्य के हिस्से के अंतर्गत राशि रूपये 5259 करोड़ रूपये राज्य के बजट अनुमान से अतिरिक्त प्राप्त होना. भारत सरकार की योजनाओं में राशि रूपये 1656 करोड़ रूपये केन्द्रांश के रूप में प्राप्त होगा. योजनाओं में बचत की राशि के पुनर्विनोजन एवं समर्पण कराया जायेगा. यह भी भारत सरकार की ओर से हमको प्राप्त होगी. हमने इसमें कुछ प्रावधान किये हैं. ऊर्जा के क्षेत्र में ऊर्जा विभाग के अंतर्गत ऊर्जा सबसिडी की विभिन्न योजनाओं हेतु 4 हजार करोड़ एवं ऊर्जा विकास पर उपकर का ऊर्जा विकास निधि में अंतरण हेतु 235 करोड़ प्रावधान इस द्वितीय अनुपूरक में किया है. नर्मदा घाटी विकास विभाग अंतर्गत विभिन्न सिंचाई परियोजनाओं के लिये कुल 2881 करोड़ रूपये का प्रावधान इसमें किया है. लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग अंतर्गत जल जीवन मिशन हेतु नेशनल रूरल डेकिन वॉटर मिशन हेतु 2845 करोड़ रूपये का प्रावधान किया है. सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्यम विभाग अंतर्गत एमएसेमी प्रोत्साहन व्यावसायिक निवेश समर्थन सुविधा योजना हेतु 1074 करोड़ रूपये का प्रावधान द्वितीय अनुपूरक में किया गया है. जल संसाधन विभाग अंतर्गत विभिन्न सिंचाई परियोजनाओं के लिये कुल 1 हजार करोड़ रूपये का प्रावधान इसमें हुआ है. लोक निर्माण विभाग के अंतर्गत ग्रामीण सड़कों एवं अन्य जिला मार्गों का निर्माण, उन्नयन हेतु 8 सौ करोड़, वृहद पुलों के निर्माण कार्य हेतु 4 सौ करोड़, भू-अर्जन हेतु मुआवजा के भुगतान हेतु 5 सौ करोड़ तथा शासकीय आवासों के अनुरक्षण के लिये 150 करोड़ का प्रावधान द्वितीय अनुपूरक में किया है. औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग के अंतर्गत निवेश प्रोत्साहन योजना हेतु 726 करोड़ रूपये का प्रावधान किया है. श्रम विभाग अंतर्गत मुख्यमंत्री जन-कल्याण संबल योजना जो बहुत ही कमजोर वर्ग के लोगों के लिए है, उसके लिए 6 सौ करोड़ का प्रावधान किया है. ऐसे ही पूंजीगत कार्यों में जिस गति से कार्य हो रहा है उसके लिए अतिरिक्त राशि की आवश्यकता है. अध्यक्ष महोदय, पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक कल्याण विभाग अंतर्गत 11वीं, 12वीं एवं महाविद्यालय छात्रवृत्ति 2.50 लाख से अधिक आय वर्ग हेतु 380 करोड़ का प्रावधान किया गया है. तकनीकी शिक्षा कौशल विकास एवं रोजगार विभाग अंतर्गत मुख्यमंत्री मेधावी विद्यार्थी योजना हेतु 170 करोड़ का प्रावधान, मछुआ कल्याण तथा मत्स्य विकास विभाग के अंतर्गत प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना हेतु 124 करोड़ का प्रावधान, जनजाति कार्यविभाग के अंतर्गत 11वी, 12वीं एवं महाविद्यालय छात्रवृत्ति हेतु 83 करोड़ का प्रावधान, अनुसूचित जाति कल्याण विभाग अंतर्गत 11वीं, 12वीं एवं महाविद्यालय छात्रवृत्ति हेतु 2.50 लाख से अधिक आय वर्ग हेतु 50 करोड़ का प्रावधान, वन विभाग अंतर्गत वन्य जीव पर्यावास के समन्वित विकास हेतु 70 करोड़ एवं वन पर्यटन से प्राप्त आय के साक्षेप वन का समायोजन योजना हेतु 65 करोड़ का प्रावधान इस द्वितीय अनुपूरक बजट में किया गया है.
अध्यक्ष महोदय, सदन को मैं आश्वस्त करता हॅूं कि द्वितीय अनुपूरक के सभी प्रावधानों का सदुपयोग राज्य के विकास में होगा. ऐसा मैं सभी माननीय सदस्यों से आग्रह करता हॅूं.
श्री बाला बच्चन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि सुबह बजट भाषण पर हम लोगों ने जो ओपनिंग की थी, वह वर्ष 2024-25 से रिलेवेंट था और जिन जातियों का आपने उल्लेख किया, चाहे वह अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति या पिछड़े वर्ग के छात्र हों, जिनका भी आपने उल्लेख किया है, मैंने सदन के पटल पर बताया कि आपने शून्य बजट खर्च किया था. बजट प्रोवीज़न उसमें था, लेकिन खर्च शून्य था. माननीय वित्त मंत्री जी उस पर कृपया ध्यान दें.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न यह है कि-
“दिनांक 31 मार्च, 2025 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष में अनुदान संख्या 6, 9, 10, 11, 12, 13, 16, 17, 18, 20, 22, 23, 24, 30, 31, 33, 35, 39, 43, 44, 47, 48, 49, 50 एवं 54 के लिए राज्य की संचित निधि में से प्रस्तावित व्यय के निमित्त राज्यपाल महोदय को कुल मिलाकर अठारह हजार सात सौ छह करोड़, अठावन लाख, तिहत्तर हजार, चार सौ सैंतालीस रुपये की अनुपूरक राशि दी जाये.”.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
6.53 बजे मध्यप्रदेश विनियोग विधेयक, 2025
मध्यप्रदेश विनियोग विधेयक, 2025 (क्रमांक 1 सन् 2025) का *पुर:स्थापन, प्रस्ताव तथा विधेयक पर विचार
विधानसभा की कार्यवाही मंगलवार, दिनांक 18 मार्च, 2025 को प्रात: 11.00 बजे तक के स्थगित.
अपराह्न 6.56 बजे विधान सभा की कार्यवाही मंगलवार, दिनांक 18 मार्च, 2025 (27 फाल्गुन, शक संवत् 1946) को प्रात: 11.00 बजे तक के लिए स्थगित की गई.
भोपाल ए.पी.सिंह,
दिनांक : 17 मार्च, 2025 प्रमुख सचिव,
मध्यप्रदेश विधान सभा