मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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चतुर्दश विधान सभा दशम् सत्र
फरवरी-अप्रैल, 2016 सत्र
गुरुवार, दिनांक 17 मार्च, 2016
(27 फाल्गुन, शक संवत् 1937 )
[खण्ड- 10 ] [अंक- 17 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
गुरूवार, दिनांक 17 मार्च, 2016
(27 फाल्गुन, शक संवत् 1937 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.02 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (डॉ.सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ नरोत्तम मिश्र) :- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि पूरे हाऊस में मात्र एक श्री आरिफ अकील जी अल्पसंख्यक हैं, इनको नेता प्रतिपक्ष बनाया जाये.
गृह मंत्री (श्री बाबूलाल गौर):- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं भी इसका समर्थन करता हूं. आप लोग क्या चाहते हैं. दो लोगों में झगड़ा हो रहा है कि किसको बनाये, किसको बनाये.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया :- माननीय अध्यक्ष महोदय, सर्वानुमति से बना दें.
श्री कैलाश चावला:- यह केवल अल्पसंख्यक ही नहीं, योग्य भी हैं.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया :-अध्यक्ष जी प्रतिपक्ष कब तक प्रभार पर जिंदा रहेगा.
डॉ नरोत्तम मिश्र :- अध्यक्ष महोदय, आपके दल के ही लोग सहमत नहीं हो रहे हैं तो क्या करें.
श्री बाबूलाल गौर :- अध्यक्ष महोदय, यह भोपाल के ही हैं और कई बार चुनकर आये हैं और आगे भी चुनकर आयेंगे, इनका तो भविष्य उज्जवल है. इनको नेता प्रतिपक्ष बनाया जाये.
डॉ नरोत्तम मिश्र :- उनके नाम पर उनके दल के लोग सहमत नहीं हैं.
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
निर्माण कार्यों में अनियमितता की जाँच
1. ( *क्र. 4729 ) श्री कमलेश्वर पटेल : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) ग्राम पंचायत दुधमनिया, जनपद पंचायत सिहावल जिला सीधी में वर्ष 2010 से 2015 के बीच कौन-कौन से निर्माण कार्य कराए गये एवं इस दौरान कुल कितनी राशि व्यय की गयी? (ख) क्या ग्राम पंचायत दुधमनिया, जनपद पंचायत सिहावल जिला सीधी में भ्रष्टाचार की जाँच के लिये मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला सीधी द्वारा तीन सदस्यीय जाँच दल का गठन किया गया था? यदि हाँ, तो 08 सितंबर, 2015 के बाद जाँच दल द्वारा क्या जाँच की गई?
पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार। प्रश्नाधीन अवधि में मनरेगा, पंचपरमेश्वर, शौचालय निर्माण एवं सांसद मद में कुल रू. 11351235/- की राशि व्यय की गई। (ख) जी हाँ। जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार।
श्री कमलेश्वर पटेल :- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी द्वारा जो जवाब आया है, उस जवाब से मैं संतुष्ट नहीं हूं. पूरी तरह से असंतोष है. आधी अधूरी जानकारी दी गयी है. अध्यक्ष महोदय, जहां पर एक तरफ सरकार करोड़ों रूपये गांव के विकास के लिये आम जनता को सुविधा देने के लिये पैसे खर्च करती है. दूसरी तरफ पूरी की पूरी राशि भ्रष्टाचार की भेंट पर चढ़ जाति है. आपके माध्यम से मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि जो ग्राम पंचायत दुधमनिया, जिला सीधी में भ्रष्टाचार हुआ है, उसके दोषी अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्यवाही करेंगे और कब तक करेंगे, अभी वहां पर बहुत दिनों के बाद वहां पर जांच दल गया था, सी ई ओ, जिला पंचायत ने चार महीने पहले, जांच समिति बनायी थी. विधान सभा में प्रश्न लगने के बाद वहां पर जांच दल गया था और जो जांच समिति गयी थी और उस संबंध में मुझे जानकारी है कि उन्होंने भी आधी अधूरी जानकारी सरकार को भेजी है. प्रश्न के उत्तर में भी जो जानकारी आयी है वह भी आधी अधूरी जानकारी है.
माननीय मंत्री से मेरा निवेदन है कि ऐसे भ्रष्ट अधिकारी जो सत्यापन के लिये जाते हैं, वह चाहे एई हो या जेईओ तो इस मेटर को दबाने के लिये, सिर्फ छोटे कर्मचारी को सस्पेंड नहीं किया जाये, जो भी इसमें दोषी हो जो भी संलिप्त हो सबके ऊपर कार्यवाही होनी चाहिये और सबसे बड़ी विसंगति यह है कि जो पंचायत की सरपंच थी उन्हीं के बेटे को ही रोजगार सहायक के रूप में भर्ती कर लिया और वह रोजगार सहायक आलरेडी सात साल का सजायाफ्ता है और जेल की सजा भी काट कर आया है तो क्या नियम है रोजगार सहायक भर्ती करने का क्या ऐसा कर सकते हैं मेरा यह प्रश्न है कि ऐसे जो भ्रष्ट अधिकारी,कर्मचारी हैं और पंचायत में जो भ्रष्टाचार हुआ है उनके विरुद्ध क्या कार्यवाही की जायेगी माननीय मंत्री जी बताएंगे.
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष महोदय, ग्राम पचायत में 3 सचिव थे जिन्होंने राशि का आहरण कर लिया काम नहीं कराये उन सभी को निलंबित कर दिया गया है.धर्मराज सिंह,सीतासरण सिंह और प्रीतम यादव ये निलंबित कर दिये गये हैं और जहां तक रोजगार सहायक का प्रश्न है शासन ने नियम बनाया था रोजगार सहायक की नियुक्ति का इसमें गांव का वह छात्र या युवा जो एक निश्चित आयु पूरी करके गांव में सबसे ज्यादा अंक जिसके होते हैं और जिसके पास में कम्प्यूटर प्रशिक्षण का डिप्लोमा होता है उसको सीधी नियुक्ति दे दी जाती है और उसको नहीं चाहिये होती है तो उसके सेकंड वाले को दे दी जाती है इसके लिये सीधे नियम हैं.अब वह किसी का बेटा हो सकता है या किसी का भाई हो सकता है लेकिन इसमें कोई निषेध नहीं किया गया है.
श्री कमलेश्वर पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, पूरी तरह से मां और बेटे ने मिलकर भ्रष्टाचार किया उनके ऊपर न एफआईआर सरकार दर्ज कर रही है और न उनके खिलाफ कार्यवाही कर रही है करोड़ों रुपयों का गबन हो गया उनके खिलाफ कार्यवाही करने के बजाय जो जे.ई. और ए.ई. थे.उन्होंने भी तो सत्यापन किया है क्या वे दोषी नहीं हैं. बार-बार सत्यापन होता है तब राशि का आहरण होता है और उस समय जो जनपद में सी.ई.ओ. रहे होंगे उनका भी साईन होता है तो आप सिर्फ पंचायत सचिवों को सस्पेंड करके और आज भी मैं मंत्री जी को बताना चाहता हूं कि जितना भी उनके समय में कार्य हुए हैं अभी भी जो वर्तमान में सरपंच हैं उनको किसी भी प्रकार के कागजात नहीं मिले हैं. अभी भी पूर्व सरपंच और रोजगार सहायक के पास सारे कागजात हैं. मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि जिन्होंन इसमें भ्रष्टाचार किया है जो इसमें संलिप्त हैं उनके खिलाफ क्या यहां से अधिकारी भेजकर उच्च स्तरीय जांच कराएंगे ?
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, जैसा मैंने बताया सचिवों के लिये तीन सचिवों को निलंबित कर दिया है. पर्यवेक्षण का उत्तरदायित्व जिन लोगों का था और उन्होंने मुकम्मल पर्यवेक्षण नहीं किया है उनकी हम जिम्मेदारी तय करने का काम कर देंगे और उनका पर्यवेक्षण में दोष होगा चाहे वह असिस्टेंट इंजीनियर हों,सब इंजीनियर हों,जनपद के सी.ई.ओ. हों या अन्य कोई अधिकारी हों यहां से अधिकारी भेजकर उसका भी परीक्षण करा लेंगे और यदि उन्होंने सुपरवीजन में लापरवाही बरती होगी तो उनके विरुद्ध भी हम कार्यवाही करेंगे.
श्री कमलेश्वर पटेल - अध्यक्ष महोदय,
अध्यक्ष महोदय - बहुत हो गया. सात-आठ प्रश्न आपके हो गये. कह तो रहे हैं कि अधिकारी को भेजकर जांच कराएंगे.
श्री कमलेश्वर पटेल - अध्यक्ष महोदय, कार्यवाही करके जांच कराएं ना, सचिव को ही क्यों निलंबित करना है. ए.ई.,जे.ई. को क्यों निलंबित नहीं करेंगे. मंत्री जी उनके ऊपर भी कार्यवाही करें. इससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है.
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाएं.
श्री कमलेश्वर पटेल - सरपंच और रोजगार सहायक के खिलाफ क्यों कार्यवाही नहीं होगी. रोजगार सहायक को भी वहां से हटाईये.
श्री गोपाल भार्गव - मैंने कहा कि सुपरवीजन में जिन-जिन लोगों ने लापरवाही की होगी उनके विरुद्ध भी कार्यवाही करेंगे.
श्री कमलेश्वर पटेल - रोजगार सहायक को क्यों नहीं निलंबित कर रहे.
अध्यक्ष महोदय - आप कृपया बैठ जाएं. दूसरों को बोलने दीजिये आप. इस तरह से काम नहीं चलेगा. दूसरों के प्रश्न भी हैं. आठ-दस मिनट एक ही प्रश्न पर हो गये.
अवैध निर्माण पर कार्यवाही
2. ( *क्र. 6214 ) श्री विजयपाल सिंह : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या तहसील पवई जिला पन्ना में श्री जगदीश प्रसाद नगायच पिता श्री रामप्रसाद नगायच, मनोहर नगायच के नाम नजूल भूखण्ड क्रमांक 2754, 2755 और 2412/6 पवई में राजस्व लीज़ कलेक्टर पन्ना द्वारा स्वीकृत की गई है? यदि की गई तो कब और किस दिनांक को और कितने क्षेत्रफल की? (ख) क्या यही स्वीकृत लीज़ कलेक्टर पन्ना द्वारा निरस्त की गयी है? यदि की गई तो कब और किस दिनांक को और उस पर क्या कार्यवाही की गई? क्या उक्त लीज़ पर मकान निर्मित है? यदि हाँ, तो कितने एरिया में। (ग) क्या उक्त निर्मित मकान वैध है या अवैध? यदि अवैध है तो क्या श्री ओमकार सिंह द्वारा इसकी शिकायत कलेक्टर पन्ना व राजस्व मंत्री को दिनांक 21/12/2015 को की गई थी, तो उस पर क्या कार्यवाही हुई। यदि नहीं, हुई तो कब तक होगी और शासन अतिक्रमण हटाने के लिये क्या कार्यवाही कब तक करेगा? समय-सीमा बतायें।
राजस्व मंत्री(श्री रामपाल सिंह ) -
श्री ठाकुर दास नागवंशी - अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी को तहेदिल से धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने प्रश्न का उत्तर बड़ा सटीक दिया है और इसलिये मैं उनको साधुवाद भी देना चाहता हूं परन्तु मैं यह भी चाहता हूं क्योंकि उन्होंने प्रश्न में यह स्वीकारा है कि लीज निरस्त कर दी गई है और अतिक्रमण है मैं मंत्री जी से जानना चाहूंगा कि महिनों में नहीं तारीखों में बता दें कि वह अतिक्रमण कब तक हट जायेगा ?
श्री रामपाल सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी का प्रश्न अतिक्रमण हटाने के बारे में था. अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही हम कर रहे हैं अतिक्रमण का प्रकरण भी दर्ज कर लिया है. शीघ्र ही अतिक्रमण हटवा देंगे. प्रश्न लगा है तो अधिकारीगण पहल करते हैं. हम पूरे प्रदेश में निर्देश जारी कर देते हैं कि सरकारी जमीन की वह चिन्ता करें ताकि सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण न हों.
श्री ठाकुरदास नागवंशी--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी घोषणा करें, जब उन्होंने प्रश्न में स्वीकार कर लिया है कि लीज निरस्त हो गई है केवल अतिक्रमण है तो हटना चाहिये इसकी घोषण सदन में कर दें. हटाने की कार्यवाही तारीखों में करें, महीने में न करें.
श्री रामपाल सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, ऐसे कुछ मामले होते हैं एक अपील भू-राजस्व संहिता में भी एक अपील हो जाती है, कोई न्यायालय में चले जाते हैं इसलिये इसमें खींचकर के कह पाना संभव नहीं है, लेकिन माननीय विधायक जी की भावना के अनुरूप हम शीघ्र ही निर्देशित करेंगे तुरंत इसका निराकरण भी करें तथा अतिक्रमण भी हटवाएं.
श्री ठाकुरदास नागवंशी--अध्यक्ष महोदय, मेरा जवाब नहीं आ रहा है. जब आप स्वीकार कर रहे हैं कि अतिक्रमण है इसमें न्यायालय प्रकरण की आवश्यकता ही नहीं है, यह प्रशासकीय व्यवस्था है आप अतिक्रमण हटाने का आदेश कर दें मैं इतना ही चाहता हूं.
श्री रामपाल सिंह--अध्यक्ष महोदय, इनका छोटा सा प्रकरण पड़ा हुआ है 4268 2015-16 में एक प्रकरण अभी दर्ज कर लिया है उसका तुरंत निराकरण करके उसका अतिक्रमण हटाएंगे.
श्री ठाकुरदास नागवंशी--अध्यक्ष महोदय, आप प्रश्न में स्वीकार भी कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय--तारीख का नहीं बताया है बाकी सब कुछ बोल दिया है.
श्री रामपाल सिंह-- अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी की चिन्ता है मैं 2 महीने के अंदर अतिक्रमण को हटवा दूंगा.
प्रश्न संख्या-3
मनरेगा द्वारा कराये गये कार्य
3. ( *क्र. 4430 ) श्रीमती पारूल साहू केशरी : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सागर जिले के सुरखी विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत विगत तीन वर्षों में मनरेगा में नंदन फलोद्यान, निर्मल वाटिका (स्वच्छता अभियान), ग्रामीण क्रीड़ांगन और खेत सड़क के कितने कार्य कहाँ-कहाँ, कब-कब, किन-किन पंचायतों में कराये गये? व्यय सहित सूची देवें। (ख) क्या प्रश्नांश (क) में दर्शित कार्यों में से ग्रामीण क्रीड़ांगन एवं खेत सड़क जैसे कार्यों में मशीनरी का जमकर उपयोग किया जा रहा है और वास्तविक मजदूर पलायन करने पर मजबूर हो गये हैं? यदि नहीं, तो क्या प्रगतिरत कार्यों का स्थल निरीक्षण एवं मजदूरों का सत्यापन जिले के अधिकारियों की समिति बनाकर कलेक्टर सागर की अध्यक्षता में कराया जावेगा और कार्यवाही से प्रश्नकर्ता को भी अवगत कराया जावेगा? (ग) प्रश्नांश (क) अनुसार क्या मनरेगा द्वारा कराये गये नंदन फलोद्यान एवं निर्मल वाटिका के कार्यों में राहतगढ़ जनपद में भी गंभीर अनियमिततायें की गयी हैं?
पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) सागर जिले के सुरखी विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत विगत तीन वर्षों में मनरेगा में नंदन फलोद्यान, निर्मल वाटिका (स्वच्छता अभियान), ग्रामीण क्रीड़ांगन और खेत सड़क के कार्यों की जनपदवार एवं ग्राम पंचायतवार व्यय सहित सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जी नहीं। निर्माण कार्यों में गुणवत्ता नियंत्रण हेतु आवश्यक मशीनरी को छोड़कर मानवीय श्रम के बदले उपयोग होने वाली मशीनरी का उपयोग नहीं किया गया, न ही मजदूरों के द्वारा योजना के प्रावधानों के अनुरूप काम की मांग के बावजूद रोजगार नहीं मिलने के कारण मजबूरीवश पलायन किया जा रहा है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) जी नहीं। किसी भी प्रकार की गंभीर अनियमितता की शिकायत राज्य शासन के संज्ञान में आने पर नियमानुसार कार्यवाही की जावेगी।
श्रीमती पारूल साहू केशरी--माननीय अध्यक्ष महोदय, मनरेगा संबंधी कार्यों की जानकारी देने के लिये मंत्री जी का धन्यवाद देना चाहती हूं साथ में निवेदन करना चाहती हूं कि प्रश्न के दूसरे भाग में मैंने माननीय मंत्री जी से प्रगतिरत कार्यों का स्पॉट इंस्पेक्शन एवं मजदूरों का सत्यापन जिले के अधिकारियों की एक समिति बनाकर कलेक्टर सागर की अध्यक्षता में करने का आग्रह किया था इस पर माननीय मंत्री जी का कोई जवाब नहीं आया है.
श्री गोपाल भार्गव--माननीय अध्यक्ष महोदय, सत्यापन के लिये कलेक्टर स्वयं नहीं जाते हैं उनके पास में एक पंचायत में सैकड़ो काम रहते हैं, लेकिन मैं किसी वरिष्ठ अधिकारी से जो विषय का भी जानकार होगा उसको तकनीकी जानकारी भी होगी उसको भेजकर के करा लूंगा.
श्रीमती पारूल साहू केशरी--माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी से निवेदन करना चाहती हूं कि जो खेत-सड़क के प्रगतिरत् कार्य चल रहे हैं वह तो पहले से ही जानकारी में हैं मशीनरी द्वारा पूरे हो चुके हैं अब केवल हर सप्ताह कई पंचायतों में मस्टर जारी कर फर्जी भुगतान किये जा रहे हैं आप चाहें तो एक टीम भोपाल के वरिष्ठ अधिकारियों की गठित कर उसमें विधायक भी एक सदस्य हों टीम द्वारा एक संयुक्त निरीक्षण बुंदेलखंड के सभी विधायक अपने अपने क्षेत्र की पांच-पांच पंचायतों में करवा लें, यह मैं आपसे अनुरोध करती हैं.
श्री गोपाल भार्गव--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने आज विचार किया है रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत खेत-सड़क योजना हमारी चलती है कई ग्राम पंचायतों में चार-चार, पांच-पांच इकट्ठे स्वीकृत कर दिये जाते हैं हमने अभी पंचायतों को स्वतंत्रता दी थी कि 15 लाख रूपये के कार्य खेत-सड़क के अपने ही प्रशासनिक स्वीकृति के कर सकती हैं, लेकिन मैं समीक्षा के दौरान यह पाया है कि 5-6 काम एक पंचायत में संभव नहीं हो सकते हैं इस कारण से आज ही निर्देश दिये हैं कि एक ग्राम पंचायत में एक ही खेत सड़क का काम प्रारंभ किया जाएगा. पंचायत की बैठक में, उसकी प्रशासनिक स्वीकृति दी जाएगी, जब वह काम पूरा हो जाएगा, 90 प्रतिशत काम हो जाएगा, उसके बाद ही दूसरा काम प्रारंभ करेंगे, जहां तक पिछले कार्यों का प्रश्न है, यदि कोई गड़बड़ी हुई होगी तो परिषद से या फिर विकास आयुक्त कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारी को भेजकर उसकी जांच करा लेंगे ।
श्रीमती पारूल साहू केशरी - माननीय अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद ।
स्वच्छता सप्ताह आयोजन के मुद्रण कार्य की जाँच
4. ( *क्र. 4901 ) श्री कमल मर्सकोले : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या निर्मल भारत अभियान 20 से 25 फरवरी, 2014 स्वच्छता सप्ताह के आयोजन के लिए प्रचार-प्रसार हेतु छपवायी गई सामग्री में किए गए भुगतान की कोई जाँच कराई गई है? (ख) यदि हाँ, तो उससे संबंधित प्रतिवेदन और प्रतिवेदन पर की गई कार्यवाही से अवगत करावें।
पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) जी हाँ। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘अ’ एवं ‘ब’ अनुसार है।
श्री कमल मर्सकोले- माननीय अध्यक्ष महोदय, निर्मल भारत अभियान के अंतर्गत निर्धारित, जागरूकता सप्ताह 20 फरवरी से 25 फरवरी 2014 के बीच आयोजित होना था, उक्त कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया गया और निर्धारित तिथि के 4 माह बाद तत्कालीन सी.ई.ओ. जिला पंचायत, सिवनी के आदेश और सहमति उपरान्त प्रचार सामग्री छपवाई गई और उसका भुगतान कर दिया गया, प्रकरण की जांच में, जिला पंचायत, सिवनी के लेखा अधिकारी नितीश उइके को दोषी पाते हुए निलंबित कर दिया गया और 17 लाख 29 हजार 416 रूपए की वसूली के आदेश दिए गए, मैं मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि क्या प्रटिंग कार्य का कार्यादेश और भुगतान आदेश देने वाली तत्कालीन सी.ई.ओ. जिला पंचायत, श्रीमती प्रियंका दास के विरूद्व भी कार्यवाही सुनिश्चित की जाकर, जो राशि गबन की गई है, जो घोटाला हुआ है, क्या उस राशि की वसूली की जाएगी ?
श्री गोपाल भार्गव- अध्यक्ष महोदय, जैसा उत्तर में स्पष्ट है कि एक अधिकारी को निलंबित कर दिया है, इसके साथ ही यदि और भी किसी अधिकारी की संलिप्तता पाई जाएगी और यदि उसने नियम विरूद्व स्वीकृति दी होगी, तो उसके विरूद्व भी कार्यवाही करेंगे ।
श्री कमल मर्सकोले - बहुत बहुत धन्यवाद ।
तालाबों की भूमि पर अतिक्रमण
5. ( *क्र. 630 ) श्री राजेश सोनकर : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) इंदौर जिला अंतर्गत कौन-कौन सी तहसीलों में कितने तालाब बने हुए हैं? तालाबों की पालों अथवा तालाबों हेतु आरक्षित भूमि से कितनी दूरी पर निर्माण अथवा अन्य गतिविधियां की जा सकती हैं व किस नियम के तहत्? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में क्या इंदौर जिला अंतर्गत पुराने तालाबों के केचमेंट एरिया, तालाबों की पाल पर अतिक्रमण किया गया है? यदि हाँ, तो अतिक्रमणकर्ता पर संबंधित विभागों द्वारा क्या कार्यवाही की जा रही है? या की जायेगी? (ग) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में क्या इंदौर में स्थित बिलावली तालाब, सिरपुर तालाब, खजराना तालाब, यशवंत सागर एवं पिपल्याहाना तालाब की पाल/केचमेंट एरिये में कितनी भूमि पूर्व में तालाब हेतु चिन्हित की थी व वर्तमान में कितनी भूमि प्रश्न दिनांक तक शेष बची है? (घ) प्रश्नांश (ग) के संदर्भ में उक्त तालाबों की आरक्षित भूमि पर व तालाबों की पाल के आस-पास व्यवसायिक गतिविधियां एवं अवैध रूप से बहुमंजिला भवन/छोटे भवनों कै अवैध निर्माण के समय पदस्थ अधिकारी पर प्रशासन द्वारा कोई कार्यवाही की जायेगी? यदि हाँ, तो कब तक?
राजस्व मंत्री ( श्री रामपाल सिंह ) : (क) तालाबों की तहसीलवार खसरा नंबर, रकबा सहित जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट पर है। इंदौर विकास योजना 2021 की कंडिका 6.15.3 अनुसार बड़े एवं छोटे तालाबों की एच.एफ.एल. से क्रमशः 60 एवं 30 मीटर की दूरी तक निर्माण प्रतिबंधित रखा गया है। (ख) जी हाँ। अतिक्रमण हटाने हेतु विस्तृत कार्य योजना हेतु कलेक्टर द्वारा नगर निगम इंदौर, अनुविभागीय अधिकारी, तहसीलदार को लिखा गया है। (ग) पूर्व में चिन्हित रकबे अनुसार बिलावली तालाब 304.76 हे., में से 234.6 हे., सिरपुर तालाब 93.030 हे., में से 93.958 हे., खजराना तालाब 3.137 हे. में से 3.137 हे., यशवंत सागर तालाब 1121.991 हे., में से, 1120.826 हे. एवं पिपल्याहाना तालाब का रकबा 3.674 हे. में से 3.674 हे., वर्तमान राजस्व अभिलेख में दर्ज पाया गया है। (घ) सिरपुर एवं खजराना तालाब को छोड़कर अन्य प्रश्नाधीन तालाबों में अतिक्रमण की स्थिति नहीं है। सिरपुर, खजराना तालाबों के पाल की भूमि पर आंशिक अतिक्रमण मकान आदि बनाकर किया गया है। अवैध निर्माण की जानकारी संज्ञान में आने पर नगर निगम, राजस्व विभाग एवं पुलिस प्रशासन द्वारा समय-समय पर अवैध निर्माण हटाने एवं गतिविधियों को बंद करने की कार्यवाही की जाती है। अतिक्रमण हटाना सतत् एवं निरंतर गतिशील न्यायालयीन प्रक्रिया है।
श्री राजेश सोनकर - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न इंदौर शहर और ग्रामीण क्षेत्र के तालाबों के संबंध में था, मैंने पूछा था कि इंदौर के बिलावली तालाब, सिरपुर तालाब, खजराना तालाब, यशवंत सागर एवं पिपल्हाना तालाब पर अतिक्रमण की क्या स्थिति है ? माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि मेरे सवाल का जो गोल- मोल जवाब मिला है, मुझे ही नहीं, बल्कि मंत्री जी के माध्यम से, सदन को गुमराह किए जाने का प्रयास अधिकारियों द्वारा किया गया है, जवाब में कहा गया है कि इंदौर के सिरपुर तालाब और खजराना तालाब पर ही अतिक्रमण है, जबकि इंदौर का बिलावली तालाब, जो कि एक समय में पूरे इंदौर की प्यास बुझाने का काम करता था, जहां विदेशी पक्षियों का आवागमन भी था, साथ ही इंदौर- खण्डवा मार्ग में स्थित इस तालाब के आस- पास इंदौर नई एजुकेशन सिटी के रूप में करवट ले रहा है, विश्वविद्यालय, महाविद्यालय, छात्रावास और बाहर से आने वाले छात्र- छात्राओं के छात्रावास और वहां पर उनका आवागमन रहता है लेकिन .......
अध्यक्ष महोदय- कृपया प्रश्न करें ।
श्री राजेश सोनकर - मेरा सवाल था कि तालाब की जो आरक्षित भूमि है, उससे कितनी दूरी पर निर्माण किया जा सकता है, मुझे जवाब मिला है, 30 से 60 फीट की दूरी पर निर्माण किया जा सकता है, जबकि बिलावली तालाब की मेड़ पर पूरी तरह से अतिक्रमण किया गया है, वहां पर होटल है ।
अध्यक्ष महोदय- सीधा प्रश्न करें ।
श्री राजेश सोनकर- जी, उस मेड़ पर अवैध होटलें बनाई गई हैं, उन होटलों में शराब और मांस परोसा जा रहा है, मेरा मंत्री जी से यह आग्रह है कि बिलावली तालाब की मेड़ पर, अतिक्रमण किया है, उसके बाद भी जवाब में, उस बात को स्वीकार नहीं किया है कि अतिक्रमण है ।
अध्यक्ष महोदय- इतनी देर से भाषण दे रहे हैं, सीधा प्रश्न करें ।
श्री राजेश सोनकर- क्या उसकी जांच करवार, वहां पर जो अतिक्रमण है, उसको दूर किया जाएगा और जिन अधिकारियों ने यह जवाब बनाकर दिया है उन पर कोई कार्यवाही की जाएगी और क्या तालाब को अतिक्रमण से मुक्त कराया जाएगा ?
श्री रामपाल सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी ने जो सवाल पूछा था, जिले के तालाब पूछे थे, 282 तालाब हमने बताए थे, अतिक्रमण की स्थिति सिरपुर तालाब, खजराना में हमने बताया कि अतिक्रमण है, बाकी दूसरा तालाब जो माननीय विधायक जी बता रहे हैं, इस तालाब का भी हम पुन: परीक्षण कराएंगे और यदि तालाबों पर अतिक्रमण है, तो तुरन्त हटाने के निर्देश देंगे, विधायक जी लिखकर दे दे, यदि कोई गलत जानकरी दी गई है, उन पर भी सख्त कार्यवाही करेंगे ।
श्री राजेश सोनकर - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे पास बिलावली तालाब एवं और भी सूची है, ग्रामीण क्षेत्र के तालाबों की भी सूची है. बिलावली तालाब पर जो अतिक्रमण है, उसकी जांच करवाते समय, क्या हमको साथ में रखेंगे. माननीय मंत्री जी इसको स्पष्ट कर दें कि हम अधिकारियों के साथ जायेंगे.
श्री रामपाल सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, निश्चित रूप से, माननीय विधायक जी जो सहयोग कर रहे हैं. तालाबों की हम भी चिन्ता कर रहे हैं, हम यहां से अधिकारियों का कहेंगे कि जांच में विधायक जी को भी शामिल करें.
श्री जितू पटवारी - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपको धन्यवाद. मंत्री जी की इतनी सहृदयता के लिये उनको मैं धन्यवाद देता हूँ कि वे इतनी पारदर्शिता से कार्य कर रहे हैं. एक विषय तो है कि जिनने अतिक्रमण कर लिया है, वह आम जनता है या अतिक्रमणकारी हैं. एक पिपल्याहाना तालाब है, जिसका जिक्र इस प्रश्न में आया है. मंत्री जी, कल भी इस प्रश्न को उठाया था. यह शासन ने ही तालाब की जमीन विधि विभाग का अलॉट कर दी है. इस अतिक्रमण को हटाने की, क्या आप फिर से जांच करेंगे.
श्री रामपाल सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, विद्वान सदस्य आपको पूरी जानकारी है. आपकी जब जिला सरकार थी, जब यह जगह कांग्रेस शासनकाल में न्यायालय को आवंटित कर दी है और हम इसका परीक्षण करा रहे हैं. लेकिन इसमें चर्चा करेंगे चूँकि यह आपकी सरकार ने आवंटित की थी और आप मामला उठा रहे हैं. जिला योजना समितियों को आपने अधिकार दिये थे और आपने सन् 1999-2000 में माननीय न्यायालय को दे दी है और हम इसका परीक्षण करायेंगे. बाकी जनता को भी कठिनाई न हो और काम भी हो जाये. यह व्यवस्था करने का काम कर रहे हैं और लेकिन आप थोड़ा पीछे भी मुड़कर देखो, आपके टाईम पर यह गलत काम हो जाते तो माननीय अध्यक्ष महोदय, ज्यादा भार नहीं डालना चाहिये.
अध्यक्ष महोदय - वे ज्यादा भार नहीं डाल रहे हैं, आपकी तारीफ कर रहे हैं.
श्री जितू पटवारी - मंत्री जी, आपको धन्यवाद. आपने कहा कि आपके किये हुए कर्मों का फल है. हमने जो कर लिया, आप तो पुण्य कमाओ. क्या आप पुण्य कमायेंगे ?
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी ने कह दिया है कि परीक्षण करायेंगे.
श्री जितू पटवारी - अध्यक्ष जी, इसको लेकर वहां आम जनता आन्दोलित है. मंत्री जी, यह कांग्रेस और बीजेपी का प्रश्न नहीं है. इस पर विधि विभाग में कई जनहित यचिकाएं भी लग गई हैं. मेरा अनुरोध है कि इसको संज्ञान में लेकर, जांच में डालकर और क्या लीज निरस्त की जायेगी ? क्या आवंटन निरस्त किया जायेगा ?
श्री रामपाल सिंह - अध्यक्ष महोदय, इस मामले को हमारे माननीय गुप्ता जी ने भी, जो हमारे वहां के विधायक हैं, वे भी इस मामले को लाये थे. यह मामला नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में चल रहा है और हम लोग इस विषय को समझेंगे. माननीय विधायकगण जी भी पीछे हाथ ऊँचा कर रहे हैं लेकिन यह मामला हमारी माननीय लोकसभा अध्यक्ष जी (ताईजी) के भी ध्यान में है. हम लोग चर्चा करके, निराकरण करने का प्रयास कर रहे हैं.
श्री जितू पटवारी - उनके कहने पर कर देना पर मेरे कहने पर मत करना.
मनरेगा योजनांतर्गत पक्के निर्माण कार्य की स्वीकृति
प्रश्न 6. ( *क्र. 5716 ) श्री कुँवरजी कोठार : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) शासन द्वारा प्रदेश में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत बी.आर.जी.एफ. योजनांतर्गत वर्ष 2015-16 में निर्माण कार्य की स्वीकृति कब से समाप्त कर दी गई है? (ख) यदि हाँ, तो बी.आर.जी.एफ. योजना की राशि से कराये जाने वाले पक्के निर्माण कार्य यथा पुल, पुलिया, स्टॉप डेम भवन निर्माण आदि किस मद से कराये जावेंगे? यदि नहीं, तो जनपद पंचायत सारंगपुर अंतर्गत कौन-कौन से कार्य की स्वीकृति प्रदान की गयी है? ग्रामवार, कार्यवार राशि की जानकारी देवें। (ग) यदि मनरेगा से ही प्रश्नांश (ख) के कार्य करवाये जावेंगे तो क्या 20 प्रतिशत मजदूरी एवं 80 प्रतिशत सामग्री की राशि व्यय करने की स्वीकृति प्रदान की जावेगी?
पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) भारत शासन स्तर से दिनांक 31.03.2015 से बी.आर.जी.एफ. योजना डीलिंक होने से बंद कर दी गई। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘अ’ अनुसार। (ख) जी हाँ। बी.आर.जी.एफ. की स्वीकृत कार्य योजना अंतर्गत स्वीकृत कार्य बी.आर.जी.एफ. की मार्गदर्शिका अनुसार जिला/जनपद/ग्राम पंचायत एवं नगरीय निकायवार मद में उपलब्ध शेष राशि तथा उक्त राशि पर अर्जित ब्याज की राशि से जिले द्वारा कराये जायेंगे। वित्तीय वर्ष 2015-16 में जनपद पंचायत सारंगपुर में बी.आर.जी.एफ. योजनांतर्गत कोई नवीन कार्य स्वीकृत नहीं किया गया है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) जानकारी उत्तरांश ‘ख’ अनुसार। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘ब’ अनुसार।
श्री कुँवर जी कोठार - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी के उत्तर से संतुष्ट हूँ. लेकिन मेरा एक प्रश्न है कि जो बी.आर.जी.एफ. के अंतर्गत पक्के निर्माण कार्य भवन, पुलिया, स्टॉप डेम आदि कार्य कराये जाते थे. वे अब किस मद से करायेंगे? और यदि मनरेगा से उसकी स्वीकृति प्राप्त होती है तो उसमें सामग्री एवं मजदूरी का अनुपात 60:40 का है तो क्या उसे बढ़ाकर 80:20 का करने पर विचार करेंगे ?
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी इस जिले में 1 करोड़ 59 लाख रूपये बी.आर.जी.एफ. की मद में शेष है, उसके ब्याज की राशि भी अभी वहां पर शेष है. इस सब को जोड़कर जितना भी काम वहां पर स्वीकृत हुआ होगा, उस काम के लिए हम पूर्ण करा लेगें. उसके पश्चात् यदि राशि की आवश्यकता होगी तो हम किसी अन्य मद से उसमें समायोजित करने का विचार करेंगे. जहां तक 80:20 की बात है तो मनरेगा के नियम इस बात की अनुमति नहीं देते हैं. इस कारण से, फिलहाल 1 करोड़ 59 लाख रूपये की राशि और ब्याज की राशि से काम करायेंगे और जो शेष कार्य होंगे, उसे अन्य मद से करवाने का विचार करेंगे.
श्री कुँवर जी कोठार - धन्यवाद.
उपसंचालक के पद पर अनियमित पदोन्नति
प्रश्न 7. ( *क्र. 6457 ) श्री के.पी. सिंह : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या म.प्र. राज्य सहकारी विपणन संघ मर्यादित भोपाल के आदेश क्र./स्था.वि./6852/2015, दिनांक 23.11.2015 के अंतर्गत सहायक प्रबंधकों को अस्थाई रूप से उप-प्रबंधक के पदों पर पदोन्नति प्रदान की गई है? पदोन्नति प्रदान किये जाने के क्या निर्धारित मापदण्ड/प्रावधान हैं? प्रति उपलब्ध करावें। क्या उक्त पदोन्नति में शासन के पदोन्नति नियम 2002 का पालन किया गया है? यदि नहीं, तो क्यों? (ख) क्या उक्त पदोन्नति वरिष्ठता सूची के आधार पर की गई है? यदि नहीं, तो क्यों? वरिष्ठ होते हुये भी पदोन्नति से किन-किन कर्मचारियों को किन कारणों से वंचित किया गया है? (ग) क्या वरिष्ठ कर्मचारियों को पदोन्नति से वंचित कर उनसे कनिष्ठ कर्मचारियों को पदोन्नत किये जाने के संबंध में प्रबंध संचालक/सचिव विपणन संघ को अवगत कराते हुये, उन्हें भी उप-प्रबंधक के पद पर उक्त पदोन्नति दिनांक से पदोन्नत किये जाने का अनुरोध किया गया है? इस संबंध में प्रश्न दिनांक तक क्या कार्यवाही कब-कब की गई? उसके क्या निष्कर्ष निकले? (घ) क्या शासन/विभाग कनिष्ठ कर्मचारियों को पदोन्नति नियमों के विपरीत अनियमित रूप से पदोन्नति प्रदान किये जाने की उच्चस्तरीय जाँच कर वंचित कर दिये गये वरिष्ठ कर्मचारियों को उक्त पदोन्नति दिनांक से पदोन्नति प्रदान किये जाने के आदेश जारी करते हुये, अकारण पदोन्नति से वंचित करने वाले दोषियों के विरूद्ध कठोर अनुशासनात्मक कार्यवाही करेगा? यदि नहीं, तो क्यों?
पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) जी हाँ, जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार, म.प्र. सहकारी सोसाइटी अधिनियम 1960 के अंतर्गत पंजीकृत संस्था होने से पंजीयक सहकारी संस्थाएं, म.प्र. द्वारा अनुमोदित सेवा नियम के प्रावधान अनुसार पदोन्नति दी गई है, शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता। (ख) पदोन्नति वरिष्ठता सह उपयुक्तता के आधार पर, शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता, जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार। (ग) सहायक प्रबंधक श्रीमती सुनीता राय से अभ्यावेदन प्राप्त, आवेदिका को पदोन्नति हेतु उपयुक्त नहीं पाये जाने पर प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया तथा पत्र दिनांक 04.1.2016 से सूचित किया गया। (घ) उत्तरांश 'क', 'ख' 'ग' के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री के.पी. सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने मेरे प्रश्न के जवाब में जो उत्तर दिया है, उसमें लिखा है कि जिन कर्मचारियों-अधिकारियों को 'ग' श्रेणी मिलती है, उनको पदोन्नति नहीं दी जाती है. इस परिप्रेक्ष्य में मैं, माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूँ कि क्या सी.आर. लिखने का अधिकार, किसी संविदा पर पदस्थ व्यक्ति को है ?
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, जो भी वरिष्ठ अधिकारी, प्राधिकृत अधिकारी चाहे वह संविदा पर हो, चाहे वह रेगुलर हो. जो भी उसके लिये प्राधिकृत किया जाता है, वह सीआर लिख सकता है.
श्री के.पी.सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मेरी जानकारी के अनुसार जो साधारणतः नियम है कि कोई भी संविदा पर पदस्थ अधिकारी सीआर नहीं लिख सकता, क्योंकि वह कुछ समय के लिये पदस्थ होता है. ऐसा अगर नियम है, तो मैं मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि इसका परीक्षण करा लें कि जो व्यक्ति पूर्णकालिक नहीं है, संविदा के लिये, कुछ समय के लिये नियुक्त हुआ है, तो उसके मन में कभी कभी दुर्भाव पैदा होता है, उससे जो नियमित कर्मचारी काम कर रहे हैं वर्षों से, उनका बहुत बड़ा नुकसान होता है. इस प्रकरण में यही बात मैं मंत्री जी के ध्यान में लाना चाहता हूं. करीबन 7-8 लोग सिर्फ "ग" श्रेणी की सीआर लिखने की वजह से उसी वर्ष में प्रभावित हुए हैं और उसमें कभी कभी ऐसा प्रदर्शित होता है कि जानबूझकर तो यह नहीं किया गया. तो नियम क्या है, मंत्री जी को ज्यादा मुझसे जानकारी हो सकती है, लेकिन मुझे जितनी जानकारी है कि सामान्यतः जो वरिष्ठ अधिकारी, अगर वह संविदा पर नहीं है तो ही लिखेगा, तो इस केस में यही हुआ है कि संविदा पर पदस्थ किसी अधिकारी ने दुर्भावनावश 7-8 लोगों के खिलाफ सीआर खराब की है. तो मैं मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि इस नियम को आप दिखवा लीजिये और परीक्षण कराकर अगर ऐसा हुआ है तो 7-8 लोगों के खिलाफ जो अन्याय हुआ है, उनको पदोन्नति का अवसर मिलना चाहिये था. पदोन्नति के अवसर तो वैसे ही लोगों को बहुत कम मिलते हैं. कई लोग तो बिना पदोन्नति के रिटायर हो जाते हैं. तो ऐसी स्थिति में अगर एकाध साल किसी का बचा हो, तो उसको पदोन्नति का लाभ मिल जायेगा. इस नियम का आप ठीक से परीक्षण करा लें और अगर ऐसा हुआ है तो उसको कृपया दोबारा से पुनरीक्षण कर लें, ताकि जिसके जिसके साथ जो अन्याय हुआ है, उसको न्याय मिल सके.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, हम परीक्षण करा लेंगे.
सूखा/ओलावृष्टि से फसलों को क्षति
8. ( *क्र. 1520 ) श्री दुर्गालाल विजय : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) श्योपुर जिले में वर्ष 2015-16 में सूखा/ओलावृष्टि के कारण कुल कितने ग्रामों में कितने-कितने कृषकों की कौन-कौन सी रबी फसलों में कितने-कितने प्रतिशत नुकसान सर्वे सूची में सर्वे दलों द्वारा दर्ज किया गया, के अनुसार वर्तमान तक कितनी मुआवज़ा राशि बांटी गई? इस हेतु कितनी राशि शासन ने जिले को प्रदाय की पूर्ण जानकारी तहसील/ग्रामवार देवें? (ख) सर्वे कार्य में सर्वे दलों की मनमानी के कारण ग्राम नयागांव, गुजरान, सेमल्दा हवेली, ब्रहमपुरा सहित दर्जनों ग्रामों के सैकड़ों पात्र कृषकों के नाम सर्वे सूची में नहीं जुड़ पाये व मुआवज़े से वंचित बने हुए हैं, जिनके नाम जोड़े गये उनमें से सैकड़ों कृषकों को वर्तमान तक मुआवजा नहीं मिला, दर्जनों अपात्र कृषकों को मुआवजा दिया गया? इसके क्या कारण हैं। (ग) उक्त अनियमितताओं के संबंध में कितने आवेदन वर्तमान तक सभी तहसीलदारों/जिला प्रशासन को प्राप्त हुए इन पर क्या कार्यवाही की गई? (घ) क्या शासन प्रश्नांश (ख) में वर्णित तथ्यों की जाँच कराकर दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही करेगा तथा वर्तमान तक मुआवज़े से वंचित पात्र कृषकों सहित सर्वे सूची में जुड़ने से वंचित रहे पात्र कृषकों के नाम सर्वे सूची में जुड़वाकर इन्हें शीघ्र मुआवजा दिलवाएगा? यदि नहीं, तो क्यों?
राजस्व मंत्री (श्री रामपाल सिंह ) : (क) जिला श्योपुर में वर्ष 2015-16 में सूखा/ओलावृष्टि से रबी फसल में किसी भी प्रकार का कोई नुकसान नहीं हुआ है। अत: शेष प्रश्न उद्भूत नहीं होता। (ख) से (घ) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उदभूत नहीं होता।
श्री दुर्गालाल विजय -- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न श्योपुर जिले के किसान जो ओलावृष्टि, सूखे से प्रभावित हैं, उनको लेकर के है. मैंने पूछा था कि श्योपुर जिले में वर्ष 2015-16 में जिन किसानों की फसल सूखी है, ओला वृष्टि से नुकसान हुआ है, ऐसे नुकसान वाले बहुत सारे किसान और कई गांव छूट गये हैं. मैंने यह भी पूछा था कि जो पात्र किसान हैं, जिनका सूची में नाम है, उनको भी अभी तक मुआवजा नहीं मिला है. विभाग ने बहुत तकनीकी तरीके से उत्तर दे दिया है. इसमें खरीफ की जगह रबी प्रिंट हो जाने के कारण से उन्होंने कह दिया कि 2015-16 में कोई नुकसान ही नहीं हुआ. हमारा जिला सूखाग्रस्त घोषित जिला है, तीन तहसीलें श्योपुर, बड़ोदा, विजयपुर सूखाग्रस्त घोषित की गई हैं और बहुत नुकसान किसानों को हुआ है. ओलावृष्टि के कारण से भी किसानों का धान नष्ट हुआ है, बहुत नुकसान हुआ है. मैं मंत्री जी से यह पूछना चाहता हूं कि जो किसान सूची में हैं, उनको मुआवजा कब तक मिल जायेगा और जो किसान छूट गये हैं. क्या उनको पात्रता सूची में जोड़कर जैसे नयागांव, गुजरान, सेमल्दा हवेली, ब्रहमपुरा सहित बहुत सारे गांव हैं..
अध्यक्ष महोदय -- पहले इसका उत्तर तो आने दीजिये. मंत्री जी.
श्री रामपाल सिंह -- अध्यक्ष महोदय, श्योपुर की समस्या दुर्गालाल विजय जी ने रखी है. निश्चित रुप से गंभीर है. क्षेत्र की समस्याओं की वे चिंता कर रहे हैं. उनको मैं ध्यान में लाना चाहूंगा कि 4 तहसीलों के 237 गांव सूखा व कीट प्रकोप से प्रभावित हुए थे और 13444 कृषकों की संख्या हमारे पास आई थी और उसकी क्षति का जो हमने आंकलन किया, 17 करोड़ 36 लाख 87 हजार रुपये जिले ने मांगे थे, वह राशि जारी कर दी है और जो विषय विधायक जी ध्यान में लाये हैं, 17 करोड़ रुपये दिये हैं, जितनी राशि हम दे रहे हैं 17 करोड़ 36 लाख 87हजार रुपये तो हमने दे दिये. वहां से मांग पत्र क्षति के आंकलन के बाद में आयेगा तो वह राशि भी हम माननीय विधायक जी क्षेत्र मे तुरंत उपलब्ध करायेंगे. अध्यक्ष जी मैं आपके माध्यम से माननीय विधायक जी को यह विश्वास भी दिला रहा हूं कि किसानों के प्रति मध्यप्रदेश सरकार सजग है, किसानों के हित में हम तुरंत राशि जारी करते हैं , राशि सीधे किसानों के खाते में भेज रहे हैं. उसमें कोई विलंब नहीं होगा.
श्री दुर्गालाल विजय -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसके लिये मैं माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं और यह भी निवेदन करना चाहता हूं कि वहां से क्षति का आंकलन आ गया है, जितना आंकलन आया है वह राशि श्योपुर जिले के लिये शीघ्र जारी कर दी जाये, जो लोग छूट गये हैं उनको उसमें जोड़ने के लिये मंत्री जी ने कुछ कहा नहीं है तो मैं चाहता हूं कि जो लोग छूट गये हैं उन्हें कब तक जोड़ लेंगे.
श्री रामपाल सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रक्रिया तो यह है कि तहसील से किसानों के प्रकरण बनाये जाते हैं फिर कलेक्टर के यहां से हमारे यहां पर मांग आती है और हम राशि जारी कर देते हैं लेकिन माननीय विधायक जी कह रहे हैं कि कुछ गांव छूट गये हैं तो फिर से परीक्षण के लिये हम निर्देश दे देंगे.
श्री दुर्गालाल विजय- मंत्री जी बहुत बहुत धन्यवाद.
प्रश्न क्रमांक -9 श्री आशीष गोविंद शर्मा (अनुपस्थित)
स्वीकृत निर्माण कार्यों की पूर्णता
10. ( *क्र. 6480 ) श्री हेमन्त खण्डेलवाल : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बैतूल जिले में विगत 03 वर्षों में अन्य विभागों के कौन-कौन से निर्माण कार्यों की एजेंसी ग्राम पंचायत को बनाया गया है? कार्यों के नाम, स्थान एवं स्वीकृति दिनांक सहित वर्षवार जानकारी देवें। (ख) क्या कुछ पंचायतों में सरपंचों द्वारा राशि आहरित कर ली है, किन्तु निर्माण कार्य या तो प्रारंभ नहीं हुए हैं या अपूर्ण हैं? यदि हाँ, तो ऐसे कौन-कौन से कार्य किस-किस पंचायत के हैं? (ग) प्रश्नांश (क) के अनुसार लंबी अवधि से स्वीकृत निर्माण कार्यों को पूर्ण कराने के क्या प्रयास किए जा रहे हैं? (घ) ये कार्य कब तक पूर्ण हो जाएंगे?
पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार। (ग) प्रश्नांश (क) के अनुसार लंबी अवधि से स्वीकृत निर्माण कार्यों को पूर्ण कराये जाने हेतु जिले में समीक्षा बैठकों में संबंधित निर्माण एजेंसियों को निर्देशित किया जा रहा है, एजेंसियों को नोटिस जारी किए गए हैं तथा अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) न्यायालयों में प्रकरण दर्ज किए गए हैं। (घ) सभी एजेंसियों को निर्देशित किया गया है। अपूर्ण कार्यों को पूर्ण कराए जाने की निश्चित अवधि बताया जाना संभव नहीं है।
श्री हेमन्त खण्डेलवाल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय पंचायत मंत्री जी ने मेरे प्रश्न के भाग(ख) में जो जानकारी दी है उसमें कहा है कि 47 सरपंच सचिव ने राशि आहरित कर ली और बताया है कि एसडीएम कोर्ट में मामले चल रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, मैं इससे आगे की जानकारी देना चाहता हूं कि 6 पंचायतें राकसी, पलासपानी, मजरवानी,जामनिया ऊती और कामोद यहां पर गबन सिद्ध हो गया और कलेक्टर ने इन सभी सचिवों को बर्खास्त कर दिया लेकिन एक साल पहले कमिश्नर ने इन सबको स्टे दे दिया. मेरा मंत्री जी से सवाल है कि क्या इस स्टे को वेकेट करने का आपके विभाग ने कोई प्रयास किया है. अगर किया है तो क्या किया है. और ऐसी क्या मजबूरी थी, क्योंकि स्टे में यह कहीं भी नहीं कहा गया है कि इन सचिवों को उसी पंचायत में पदस्थ किया जाये, सभी सचिवों को जब तक स्टे वेकेट नहीं होता, उसी पंचायत में पदस्थ किया गया है क्या उन्हें मंत्री जी हटायेंगे.
श्री गोपाल भार्गव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य का प्रश्न बहुत महत्वपूर्ण है. यह बात सही है कि जहां तक मैं पृथम दृष्टया मानता हूं कि स्टे देना ऐसे विषयों में चाहे वह किसी भी अधिकारी के द्वारा दिया हो, उचित बात नहीं है. इसका मैं परीक्षण करा लूंगा और यदि स्टे गलत होगा तो स्टे वेकेट करके और उनसे वसूली की कार्यवाही भी की जायेगी और भी जो वैधानिक कार्यवाही होगी वह हम करेंगे.
श्री हेमन्त खण्डेलवाल-- अध्यक्ष महोदय, मेरा मंत्री जी से कहना है कि स्टे जब तक वेकेंट नहीं होता तब तक स्टे में उन्हें उसी पंचायत में रखने का कोई आदेश नहीं है तो उसे तो तत्काल हटा दें .
श्री गोपाल भार्गव -- आज ही हटा देंगे. आज ही.
श्री हेमन्त खण्डेलवाल-- मंत्री जी बहुत बहुत धन्यवाद.
वन विभाग की भूमि का आवंटन
11. ( *क्र. 5582 ) एडवोकेट सत्यप्रकाश सखवार : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या 24-4-2012 को अनुविभागीय अधिकारी राजस्व विजयपुर (श्योपुर) को श्री क्षिमक्षिमा हनुमान जी मंदिर ट्रस्ट द्वारा मंदिर के लिये वन विभाग की भूमि को आवंटन करने बाबत् निर्धारित प्रारूप 11 (1) के अनुसार प्रकरण तैयार कराकर भेजा गया है? यदि हाँ, तो उक्त प्रकरण पर अभी तक क्या कार्यवाही की गई है? (ख) यदि कार्यवाही अभी तक नहीं की गई है, तो कब तक करा ली जावेगी? (ग) श्री क्षिमक्षिमा हनुमान मंदिर की वन भूमि लगभग कितने वर्षों से मंदिर एवं आश्रम के उपयोग में आ रही है?
राजस्व मंत्री ( श्री रामपाल सिंह ) :
एडवोकेट सत्यप्रकाश सखवार : माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मैं माननीय मंत्री जी से यह जानना चाहता हूं कि श्री क्षिमक्षिमा हनुमान मंदिर ट्रस्ट विजयपुर-श्योपुर द्वारा मंदिर के लिये भूमि आवंटन हेतु राजस्व विभाग से मांग की गई थी किंतु आज तक मंदिर हेतु जमीन का आवंटन नहीं किया गया है. मैं मंत्री जी से चाहूंगा कि विधिवत मंदिर हेतु जमीन कब तक आवंटित करा देंगे, समय सीमा बताने का कष्ट करें.
श्री रामपाल सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत अच्छा प्रश्न माननीय विधायक जी लाये हैं, बजरंगबली जी के मंदिर का मामला है. वन विभाग का मामला फंसा है नहीं तो मैं तो आज ही कर देता. मैं इस काम में पीछे नहीं हटता . क्योंकि शुभ कार्य करने में मैं गौरव का अनुभव करता.
अध्यक्ष महोदय-- आपने वन विभाग जोर से क्यों कहा. (हंसी)
श्री मुकेश नायक -- अध्यक्ष महोदय (डॉ.शैजवार की और इंगित करते हुये) मंत्री जी यह कहना चाह रहे हैं कि वन विभाग हनुमान जी का विरोध कर रहा है.
श्री रामपाल सिंह-- अरे नहीं. प्रक्रिया है, वन विभाग की अलग प्रक्रिया है. राजस्व विभाग की अलग प्रक्रिया है. अध्यक्ष महोदय हमारे वन मंत्री डॉ. शैजवार भी नंबर वन हैं आप चिंता मत करें.
श्री निशंक कुमार जैन-- डॉ. शैजवार नंबर वन हैं तो मुख्यमंत्री जी क्या हैं.
श्री रामपाल सिंह-- अध्यक्ष महोदय, अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वन निवासी ( वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम 2006 नियम 2007 के नियम 11(1) के अधीन यह आवेदन अनुविभागीय अधिकारी को प्राप्त हुआ था, अब वह ग्राम सभा को एक प्रस्ताव भेजा है, वहां से वह करेंगे और विधिवत जब प्रस्ताव जिले में आयेगा तो विधिवत हम भी आपकी वकालत करेंगे और जरूरत पढ़ी तो डॉक्टर साहब से भी चर्चा करेंगे.
एडवोकेट सत्यप्रकाश सखवार-- धन्यवाद माननीय मंत्री जी.
मजरों/टोलों को राजस्व ग्राम की मान्यता
12. ( *क्र. 4645 ) श्रीमती नीना विक्रम वर्मा : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा ग्राम उज्जैनी तहसील धार जिला धार में प्रश्नकर्ता विधायक की मांग पर शंकरपुरा, पातलिया, चंदरपुरा, नयापुरा आदि मजरों को राजस्व ग्राम घोषित किये जाने की घोषणा की थी? (ख) यदि हाँ, तो क्या कलेक्टर जिला धार द्वारा इस बाबत् प्रस्ताव तैयार कर शासन को प्रेषित कर दिये गये हैं? (ग) इन मजरों को राजस्व ग्राम की मान्यता प्रदान करने हेतु अब तक क्या कार्रवाई हुई है तथा कब तक राजस्व ग्राम घोषित किये जा सकेंगे?
राजस्व मंत्री ( श्री रामपाल सिंह ) : (क) जी नहीं। (ख) एवं (ग) उत्तरांश ''क'' के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
श्रीमती नीना विक्रम वर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से कहना चाहती हूं कि मेरे सवाल के जवाब में जिसमें मैंने माननीय मंत्री जी से निवेदन किया था कि मैंने कुछ मजरे टोले की मांग की थी और मेरे यहां शंकरपुरा, पातलिया, चंदरपुरा, नयापुरा यह चार गांव के लिये मैंने कहा था कि इसकी आबादी क्योंकि 300 से ज्यादा है, तो मेरा निवेदन था कि इनको मजरे टोलों से ग्राम में परिवर्तित किया जाये और मेरा निवेदन इसलिये था क्योंकि माननीय मुख्यमंत्री जी उज्जैनी गांव में मेक इन इंडिया के भूमि पूजन में जब वह आये थे, तब उनके स्वागत के बाद मैंने उनसे एक डिमांड पत्र रखा था उसके अंदर मैंने इन सब चीजों का निवेदन किया था और माननीय मुख्यमंत्री जी ने उस समय कहा था कि मैं कड़की में हूं, तो मैंने कहा था कि इससे कड़की का कोई लेना देना नहीं है, आप बाकी मांग बाद में कर लेना, लेकिन ग्राम राजस्व की मांग तो आप मेरी स्वीकार कर सकते हैं, उस समय माननीय मुख्यमंत्री जी ने गांव वालों के सामने मेरी मांग मानी थी और मेरा माननीय मंत्री जी से इसी संदर्भ में निवेदन था कि काफी समय बीत गया है, क्या इस बारे में कोई कार्यवाही की है.
अध्यक्ष महोदय-- सीधा प्रश्न कर दें आप.
श्रीमती नीना विक्रम वर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा यही निवेदन था कि क्या इस बारे में कोई कार्य हुआ तो उनका जवाब आया है जी नहीं, ऐसी कोई माननीय मुख्यमंत्री जी ने घोषणा नहीं की थी तो मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि मैं स्वयं एक जनप्रतिनिधि वहां थी मेरे सामने माननीय मुख्यमंत्री जी ने कहा था तो क्या मेरी बात असत्य है और अगर नहीं है तो माननीय मुख्यमंत्री जी की घोषणा के बाद भी अभी तक इस पर कार्यवाही क्यों नहीं की गई, क्या माननीय मुख्यमंत्री जी मुझे बता सकते हैं.
राजस्व मंत्री (श्री रामपाल सिंह)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अपने क्षेत्र के प्रति माननीय विधायक जी गंभीर हैं, उन्होंने जो मांग की है, शंकरपुरा, पातलिया मजरे राजस्व ग्राम की श्रेणी में करने के लिये चंदनपुरा, नयापुरा, कुछ मापदंड माननीय अध्यक्ष महोदय हमारे बने हुये हैं, 200, 2 किलोमीटर, 200 एकड़ जमीन, 2-3 गांव मैं आपसे निवेदन करना चाहूंगा कि वह उस श्रेणी में आ नहीं रहे हैं, आपकी घोषणा भी हमें पर्याप्त हैं, आपने भी पत्र लिखा है, मुख्यमंत्री जी ने, आपने जो पत्र लिखा है तो हम अधिकारियों को निर्देश कर रहे हैं कि तुरंत इसका निराकरण करके आपको भी अवगत करायेंगे, आप सम्मानीय सदस्य हैं, आपके सम्मान में कोई कमी कैसे हम लोग छोड़ेंगे इसके लिये अधिकारियों को कहेंगे माननीय अध्यक्ष महोदय कि वह तुरंत कार्यवाही भी करें और आपको अवगत भी करायें.
श्रीमती नीना विक्रम वर्मा-- जी धन्यवाद, माननीय मंत्री जी.
अमानक कपास बीज से कृषकों को हुई क्षति का भुगतान
13. ( *क्र. 6429 ) श्री राजकुमार मेव : क्या किसान कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विगत तीन वर्षों में इंदौर संभाग के किसानों द्वारा बायर कंपनी का 1037 कपास खराब होने की शिकायत की गई? यदि हाँ, तो विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की गई? (ख) क्या इंदौर संभाग के किसानों द्वारा बायर कंपनी के कपास की अच्छी गुणवत्ता न होने एवं नुकसानी के संबंध में जिला उपभोक्ता फोरम में प्रकरण पंजीबद्ध कराया गया था? (ग) क्या राज्य उपभोक्ता फोरम में उक्त प्रकरण विचाराधीन है? यदि हाँ, तो कितनी अवधि से लंबित है? प्रकरण का निराकरण कितनी अवधि में किया जाकर किसानों को नुकसानी की राशि का भुगतान कब तक किया जावेगा?
किसान कल्याण मंत्री ( श्री गौरीशंकर बिसेन ) : (क) विगत तीन वर्षों में इंदौर संभाग के किसानों द्वारा बायर कंपनी का 1037 कपास खराब होने की कोई शिकायत विभाग को प्राप्त होना नहीं पाया गया। (ख) जी हाँ। इंदौर संभाग अंतर्गत खरगोन जिले के किसानों द्वारा बायर कंपनी के कपास 1037 की अच्छी गुणवत्ता न होने एवं नुकसानी के संबंध में जिला उपभोक्ता फोरम में वर्ष 2010-11 में प्रकरण पंजीबद्ध कराया था। (ग) जी हाँ। म.प्र. राज्य उपभोक्ता फोरम विवाद प्रतितोषण आयोग में उक्त प्रकरण वर्ष 2013-14 से विचाराधीन है। चूंकि म.प्र. राज्य उपभोक्ता फोरम न्यायालयीन व्यवस्था है, अत: समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
श्री राजकुमार मेव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी का जवाब आया है कि मैंने जो प्रश्न किया है इसका मामला राज्य उपभोक्ता फोरम में चल रहा है, पर मैं मंत्री जी से निवेदन करना चाहूंगा कि क्या इस जिला उपभोक्ता फर्म में जो डिसीजन आया है कि 10 हजार रूपये प्रति पैकेट मुआवजे के रूप में किसानों को दिलाया जाये, उसके अगेंस्ट में राज्य उपभोक्ता फोरम में चले गये, यह 2011 का मामला है अध्यक्ष जी और 2011 से अभी तक 4 वर्ष हो चुके हैं, इसका कोई निराकरण नहीं हुआ है, जब तक के लिये निराकरण हो, तब तक के लिये इस कंपनी का म.प्र. में वेन लगा दिया जाये, ऐसा हो सकता है क्या, प्रतिबंधित किया जा सकता है क्या.
किसान कल्याण मंत्री (श्री गौरीशंकर बिसेन)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह जो बायर कंपनी है इसने बीटी कॉटन वर्ष 2009-10 में 4 हजार पैकेट और 2010-11 में 29 हजार पैकिट वितरित किया, इसमें से कि 1037 वेरायटी के 5888 हेक्टेयर खरगोन जिले में वोबनी हुई. इसमें से 1 हजार हेक्टेयर की जो हमारी खराब थी वह खराब होने की शिकायत आई और शिकायत सही पाई गई, इसमें उप संचालक ने टीम बनाकर जांच की और उसके बाद हमारे पास बीज अधिनियम में सीधे कोई इन्हें ग्रांट देने का प्रावधान न होने के कारण उपभोक्ता फोरम और उपभोक्ता फोरम के बाद आवश्यकता पड़े तो कोर्ट तक जाने की स्थिति बनती है. माननीय अध्यक्ष महोदय इसमें हमारे विभाग ने किसानों को पूरा-पूरा सहयोग किया, हमारे उपसंचालक ने वहां के एसडीओ को और अधिकारियों को निर्देशित करके किसानों के प्रकरण उपभोक्ता फोरम में बनाये. उपभोक्ता फोरम प्रथम स्टेज में 690 कृषकों ने जिला उपभोक्ता फोरम में अपनी रिट दायर की. जिसमें से 300 फैसले किसानों के पक्ष में हुए,जैसा माननीय सदस्य ने कहा कि एक एक पैकेट पर 10-10 हजार रुपये का कम्पसेशन दिया जायेगा. इसी के साथ साथ सात दिन में उसका निपटारा करना तथा उनकी मानसिक प्रताड़ना के लिए 5-5 हजार रुपये और उनके परिवार को 500-500 रुपये देने का फैसला माननीय उपभोक्ता फोरम ने किया है. जिला उपभोक्ता फोरम के विरुद्ध यह कंपनी राज्य उपभोक्ता फोरम में गई है. वहां पर प्रकरण विचाराधीन है. बाकी जो 390 प्रकरण जिला उपभोक्ता फोरम में हैं इसकी राज्य उपभोक्ता फोरम की तारीख अगस्त,2016 निर्धारित है. हमारा विभाग इसमें इनको पूरा सहयोग करेगा.
अध्यक्ष महोदय, मैं यह भी कहना चाहता हूं कि हालांकि माननीय सदस्य का उद्देश्य है कि इसमें विधिक सहायता मिले. हम कलेक्टर खरगोन को पत्र लिख रहे हैं कि वह हमारे किसानों के हित में विधिक सहायता उपलब्ध करायें. इस कंपनी के 1037 प्रोडक्ट को बंद तो कर दिया गया लेकिन इसके बाद इसके अन्य BT कॉटन है उसकी कोई शिकायत नहीं आयी.
श्री राजकुमार मेव--अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्रीजी से निवेदन करना चाहूंगा कि जब तक न्यायालय में प्रकरण विचाराधीन है तब तक प्रतिबंध लग जाये.
श्री गौरीशंकर बिसेन--अध्यक्ष महोदय, 1037 वेरायटी को पूर्ण प्रतिबंधित कर दिया गया. यह मध्यप्रदेश में नहीं बिकेगी.
श्री राजकुमार मेव--अध्यक्ष महोदय, इसी मामले और कंपनी को लेकर महाराष्ट्र विधानसभा में भी काफी हंगामा हुआ. इस कंपनी पर प्रतिबंध लगना चाहिए. उन्होंने सिर्फ एक बीज पर प्रतिबंध लगाया है.
श्री गौरीशंकर बिसेन--अध्यक्ष महोदय, हम भारत सरकार को लिख देंगे.
श्री राजकुमार मेव--धन्यवाद.
प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजनांतर्गत सड़कों का निर्माण
14. ( *क्र. 6562 ) श्री संजय शाह मकड़ाई : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) टिमरनी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के अंतर्गत कायदा से डेहरिया एवं छिरपुरा से बोथी सड़कों का कार्य पूर्ण कराये जाने की समय-सीमा क्या थी? कितनी राशि स्वीकृत की गई। (ख) क्या छिरपुरा से बोथी मार्ग की दोनों साईड नियम विरूद्ध खुदाई कर ग्रेवल निकाल कर गहरी खाई बनाई है? यदि हाँ, तो क्यों? उक्त सड़क का निरीक्षण किन-किन अधिकारियों द्वारा कब-कब किया गया एवं दोषी कर्मचारी/अधिकारी/ठेकेदार पर क्या कार्यवाही की गई?
पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) टिमरनी विधानसभा क्षेत्र में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजनांतर्गत कायदा से डेहरिया एवं छिरपुरा से बोथी सड़कों का कार्य पूर्ण कराये जाने की अनुबंधानुसार समय-सीमा क्रमश: दिनांक 29/06/2015 तथा दिनांक 03/07/2014 थी एवं उक्त सड़कों हेतु क्रमश: रू. 245.04 लाख एवं रू. 675.06 लाख की राशि स्वीकृत की गई है। (ख) जी नहीं। प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। चूंकि नियम विरूद्ध खुदाई कर ग्रेवल नहीं निकाला गया है, अतः कर्मचारी/अधिकारी/ठेकेदार पर कार्यवाही का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
श्री संजय शाह मकड़ाई--अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के जवाब में माननीय मंत्रीजी ने यह कहा है कि कायदा से डेहरिया एवं छिरपुरा रोड़ में कोई अनियमितता नहीं हुई और अवैध उत्खनन भी नहीं हुआ है. मेरा मंत्रीजी से सिर्फ इतना आग्रह है कि रवांग राजस्व गांव है. यह रोड़ जो बन रहा है वह राजस्व गांव में बन रहा है. लेकिन पास में ही एक राजस्व गांव रवांग है, वहां से मुरम आदि अवैध उत्खनन करके यहां डेहरिया रोड़ पर डाली जा रही है तो क्या मंत्रीजी इसकी उच्च स्तरीय जांच करा लेंगे? दूसरा, प्रश्नांश ख में लिखा है कि छिरपुरा से बोथी मार्ग के दोनों साईड में नियम विरुद्ध कोई खुदाई नहीं हुई. अध्यक्षजी, मुझे नहीं लगता कि प्रधानमंत्रीजी सड़क योजना के नियम में इतनी गहरी खाई बनाने का कोई मापदंड रहा होगा क्योंकि रोड़ के दोनों तरफ जो खाई बनायी है, वह इतनी गहरी है कि यदि भेंस भी गिर जाये तो वह दिखेगी नहीं. मंत्रीजी इसकी उच्च स्तरीय जांच करवा लें और अगर असुविधा नहीं हो तो मैं भी चलूंगा.
श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष महोदय,वहां के सीजीएम से जांच करा लेंगे और माननीय विधायक महोदय को भी साथ में रख लेंगे.
श्री संजय शाह मकड़ाई--अध्यक्षजी, समय सीमा बता दें.
श्री गोपाल भार्गव-- एक सप्ताह में.
श्री संजय शाह मकड़ाई--धन्यवाद.
प्रश्न क्रमांक--15 राजस्व अभिलेखों में दर्ज राजस्व भूमि
15. ( *क्र. 5815 ) श्री लाखन सिंह यादव : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नर्मदापुरम संभाग के किस जिले में कितने राजस्व ग्राम, कितने वन ग्राम हैं, कितने राजस्व ग्राम वीरान हैं, कितने राजस्व ग्राम नगरीय सीमा में शामिल हैं, कितने राजस्व ग्रामों में जनवरी 2008 के बाद वन अधिकार समितियां बनाई हैं। (ख) किस जिले में कितने राजस्व ग्रामों के निस्तार पत्रक उपलब्ध हैं? उनमें से कितनी भूमि दर्ज की गई थी, उस भूमि में से कितनी भूमि वर्तमान में भी दर्ज है? इन दर्ज भूमियों में से कितनी भूमि का नियंत्रण, प्रबंधन एवं अधिकार पंचायती राज व्यवस्था को प्रश्नांकित दिनांक तक सौंप दिया गया है? यदि नहीं, सौंपा हो तो कारण बतावें। (ग) किस जिले के वर्तमान राजस्व अभिलेखों में, खाते में कितनी भूमि दर्ज है? गैरखाते की किस मद में कितनी भूमि दर्ज है? गैरखातों की कितनी भूमि वन विभाग की कार्ययोजना में भी सम्मिलित कर ली गई है। इन सम्मिलित भूमियों को गैर खाते से प्रश्नांकित दिनांक तक भी पृथक न किए जाने का क्या कारण रहा है? (घ) गैरखाते में दर्ज भूमियों में से कार्ययोजना में सम्मिलित भूमियों को राजस्व अभिलेख या वानिकी अभिलेख से पृथक किए जाने के संबंध में शासन क्या कार्यवाही कब तक करेगा?
राजस्वमंत्री(श्रीरामपालसिंह)--
श्री लाखन सिंह यादव--अध्यक्ष महोदय, मंत्रीजी से दो प्रश्न करना चाहता हूं और इस आशा के साथ कि मंत्रीजी ठीक ठीक जवाब देंगे. अध्यक्ष महोदय,वन अधिकार कानून 2006 में एक आदेश पारित हुआ था और उस आदेश में यह प्रावधान थे कि मध्यप्रदेश में जितने भी वन ग्राम हैं. मेरे ख्याल से प्रदेश में 925 वन ग्राम हैं, इन वन ग्रामों को तत्काल प्रभाव से राजस्व ग्रामों तब्दील कर दिया जाये. आज 2006 से 2016 लगभग 10 साल हो गये तो क्या कारण रहे कि इन वन ग्रामों को राजस्व ग्रामों में घोषित क्यों नहीं किया? आप कब तक घोषित कर देंगे, इसकी समय सीमा बता दें.
अध्यक्ष महोदय, अगर आप आदेश करें तो दूसरा प्रश्न भी कर लूं.
अध्यक्ष महोदय-- उसके बाद तो कुछ नहीं पूछेंगे?
श्री लाखन सिंह यादव-- नहीं पूछूंगा. मेरा दूसरा प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश में ऐसे तमाम गांव हैं जो विरान हैं, बे-चिराग हैं. आपने तीन जिलों का आंकडा दिया है. होशंगाबाद में 55, बैतूल में 65 और हरदा में 77 कुल 195 गांवों का आंकड़ा दिया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से यह निवेदन है कि ये 195 तो 3 जिलों के गांव हैं, जो वीरान हैं या जहां कोई आबादी नहीं रहती, बे-चिराग हैं, मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि जो बे-चिराग गांव हैं इनको क्यों नहीं फॉरेस्ट में ले लें तो कम से कम फॉरेस्ट वहां कायम हो जाय. हमारे मंत्री जी (XXX) बैठे हैं इनको भी फायदा हो जाएगा, इनका ज्यादा नुकसान होता रहता है?
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से यह निवेदन है कि मध्यप्रदेश में हजारों की तादाद में गांव हैं, जो बे-चिराग हैं, जिनका कोई उपयोग नहीं हैं न उनको रेवेन्यू वाले मान रहे हैं, न फॉरेस्ट वाले मान रहे हैं. मैं चाहता हूं कि इन सबको फॉरेस्ट ग्राम घोषित कराएं, जिससे कि कम से कम जो जंगल की कटाई हो रही है, उसकी कुछ क्षतिपूर्ति हो जाय. माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे यह दो प्रश्न हैं, मैं चाहता हूं कि आपके माध्यम से ठीक-ठीक उत्तर आ जाय.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, हमारे वन मंत्री जी को कभी (XXX), कभी व्यवधानपुरष, अलग-अलग नाम से अंलकृत कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - इसे कार्यवाही से निकाल दीजिए.
श्री के.पी. सिंह - इसमें क्या गलत है?
अध्यक्ष महोदय - वनराज में तो गलत है. (व्यवधान)..
खाद्य मंत्री (कुंवर विजय शाह) -माननीय अध्यक्ष महोदय, सबसे सीनियर दोस्त हैं हमारे, उनके बारे में इस तरीके की बात करना ठीक नहीं है. यह गलत बात है.
अध्यक्ष महोदय - उत्तर आने दे, व्यवस्था हो गई है. आप कृपया बैठ जाइए. माननीय मंत्री जी..
श्री रामपाल सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, निश्चित रूप से जो माननीय विधायक जी ने सवाल पूछा है, यह पूरे नर्मदापुरम संभाग का है और नर्मदापुरम संभाग अपना ही संभाग है और आप दूसरे संभाग के हमारे माननीय सदस्य हैं. अपने संभाग में आकर आप चिंता कर रहे हैं, उसके लिए तो मैं आपको धन्यवाद दे रहा हूं. लेकिन आपने जो बात की है वन ग्रामों को राजस्व ग्राम घोषित करने की, एक दो मामले न्यायालय में उलझे हुए हैं इस पर हम लोग कार्यवाही कर रहे हैं. इसमें पहल करके जल्दी ही इस कार्यवाही को हम लोग करेंगे. माननीय वन मंत्री जी से मिलकर चर्चा करके इसके लिए हम लोग पूरा प्रयास करेंगे. वीरान गांवों के विषय में राजस्व रिकॉर्ड में लिखे हुए हैं. लेकिन माननीय विधायक जी जो सुझाव दे रहे हैं कि उनको वन ग्राम कर दें तो एक बड़ी दिक्कत आने लगती है कि वन ग्राम आप एक बार कर देंगे तो फिर उसमें और कठिनाई निवासियों को आती है, नलकूप खनन से लेकर सड़कों तक उसमें काम करने की अनुमति लेना पड़ती है. लेकिन इस सुझाव को अगर नहीं मानें तो आप बुरा नहीं मानेंगे क्योंकि यह जनहित में ठीक नहीं रहेगा, वीरान के नाम से राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज हैं, उनको रखेंगे और वहां के निवासियों को सुविधाएं देंगे.
श्री लाखन सिंह यादव - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने कहा कि व्यावहारिक दिक्कत है. मैं यह कह रहा हूं कि यह न्यायालय में चल रहा है, वर्ष 2006 से अब वर्ष 2016 हो गया, 10 साल हो गये हैं तो कब तक आप इसको और चलाते रहेंगे? आप इस पर थोड़ा मॉनिटरिंग करके यह जल्दी हो जाय तो मेरे ख्याल से ज्यादा ठीक रहेगा.
श्री रामपाल सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, हम भी इस बात की चिंता कर रहे हैं. बड़ी गंभीरता से इस बात को रख रहे हैं. यह माननीय न्यायालय में भी है.
श्री लाखन सिंह यादव - धन्यवाद.
राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत कम्प्यूटर प्रशिक्षण कार्यक्रम
16. ( *क्र. 6361 ) श्री बाला बच्चन : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सैडमेप द्वारा दि. 01.01.13 से 31.12.15 तक म.प्र. के विभिन्न जिलों में C.R.P. (कम्प्यूटर ट्रेनिंग) के लिए म.प्र. राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के साथ सैडमेप द्वारा किए गये अनुबंध एवं अनुबंध के साथ संलग्न दस्तावेजों की जानकारी देवें? (ख) इसके लिए इन्हें कितना भुगतान किया गया? वर्षवार बतावें। अन्य संस्थाओं को प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए चयनित किस आधार पर किया गया? पूरी प्रक्रिया बतावें। (ग) राजगढ़, खरगोन एवं उज्जैन जिले में प्रश्नांश (क) अवधि में कितने प्रशिक्षण कार्यक्रम किन-किन संस्थाओं को किस प्रक्रिया के तहत दिये गये? पूर्ण विवरण, संस्था की जानकारी सहित देवें। किन-किन जगहों पर चयन प्रक्रिया किस प्रकार की गई? (घ) प्रश्नांश (ग) अनुसार मनमाने तरीके से संस्थाओं को कार्य आवंटित करने वाले अधिकारियों पर शासन कब तक कार्यवाही करेगा?
पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) प्रश्नांश में उल्लेखित अवधि में म.प्र. राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा मध्यप्रदेश के 9 जिलों में सी.आर.पी. को कम्प्यूटर ट्रेनिंग प्रदान करने के उद्देश्य से सैडमेप को कार्यादेश जारी किए गए। दस्तावेजों का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। (ख) संस्था सैडमेप को वर्षवार किये गये भुगतानों का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार है। अन्य संस्थाओं को प्रश्नांश (क) में उल्लेखित प्रशिक्षण कार्य हेतु चयनित नहीं किये जाने से प्रश्नांश (ख) की शेष जानकारी निरंक है। (ग) राजगढ़, खरगोन एवं उज्जैन जिलों में सी.आर.पी. (कम्प्यूटर ट्रेनिंग) उक्त अवधि में नहीं कराई गई, परन्तु इस अवधि के आयोजित अन्य प्रशिक्षण कार्यक्रमों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-स अनुसार है। (घ) मनमाने तरीके से कार्य आंवटित करने के प्रकरण प्रकाश में नहीं आए हैं, अतः प्रश्न उत्पन्न नहीं होता।
अध्यक्ष महोदय - (उप नेता प्रतिपक्ष श्री बाला बच्चन के थोड़ी देर प्रश्न नहीं पूछने पर) आज प्रश्नोत्तरी नहीं देख पाए?
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, मैं इसे देख ही नहीं पाया. मैं विनियोग विधेयक की तैयारी में लगा था.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र)- आप सदन के प्रति गंभीर नहीं हैं. (हंसी)..
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री उमाशंकर गुप्ता) - डॉ. गोविन्द सिंह जी बातों में उलझाकर रखे हुए हैं.
अध्यक्ष महोदय - आप अनुमति दें तो आगे बढ़ जाएं?
श्री उमाशंकर गुप्ता - अध्यक्ष महोदय, द्वितीय चक्र में ले लेना.
अध्यक्ष महोदय - इसे द्वितीय चक्र में ले लेंगे, जब तक आप देख लीजिए. प्रश्न संख्या 17 श्री जय सिंह मरावी..
श्री बाला बच्चन - माननीय अध्यक्ष महोदय, आप समय दे रहे हैं? प्रश्न संख्या 16, इसमें मैंने पूछा था कि पंचायत मंत्री महोदय बताने की कृपा करेंगे, उसमें जवाब दिया है..
वन मंत्री (डॉ. गौरीशंकर शेजवार) - आपने एक नया रिकॉर्ड बना दिया है. अभी तक विधान सभा में ऐसा नहीं हुआ कि सदस्य उपस्थित हों और इसके बाद उनके प्रश्न को ही यह कहा गया हो कि ठीक है अगले प्रश्न को लेते हैं और आपका द्वितीय चक्र में ले लेंगे तो आपने जो यह नया रिकॉर्ड बनाया है. इसके लिए आपको बहुत-बहुत बधाई.
अध्यक्ष महोदय - द्वितीय चक्र में तो लेते ही हैं.
डॉ. गोविन्द सिंह - अध्यक्ष महोदय को यह जानकारी थी कि द्वितीय चक्र आप आने ही नहीं देंगे. (हंसी)..अध्यक्ष जी को यह मालूम था.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - बाला भाई, आप डॉ. गोविन्द सिंह जी से सावधान रहना, यह ऐसी ही चुका देंगे आगे भी.
श्री बाला बच्चन - नहीं, नहीं. मैं विनियोग विधेयक के विषय पर चर्चा कर रहा था माननीय अध्यक्ष महोदय.
अध्यक्ष महोदय - ठीक है, आप प्रश्न पूछिए, कोई दिक्कत नहीं है.
श्री बाला बच्चन --माननीय अध्यक्ष महोदय जो पूछा था कि क्या पंचायत मंत्री महोदय बताने की कृपा करेंगे इसमें आपने आजीविका मिशन में जो कंपयूटर प्रशिक्षण से संबंधित मेरा प्रश्न था. आपने इससे संबंधित जो जवाब दिया है उसको देखा है उसको कृपया करके आप इससे रिलेवेंट जवाब देते हैं तो मैं समझता हूं कि ज्यादा बेटर होगा, जिससे जिस मकसद से यह प्रश्न पूछा है उस पर आपका सही उत्तर आ जाय तो ज्यादा अच्छा होगा. क्या इस संबंध में आप कुछ ऐसी व्यवस्था देंगे ताकि प्रश्न की सार्थकता सिद्ध हो.
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्यक्ष महोदय माननीय सदस्य ने जो अंतर्यामी प्रश्न किया है उसके बारे में मैं उनसे बाद में चर्चा कर लूंगा और जो उनकी अपेक्षा होगी उसके हिसाब से काम कर देंगे.
अध्यक्ष महोदय -- वह आपसे चर्चा कर लेंगे और आपकी अपेक्षा के अनुसार कर देंगे.
श्री बाला बच्चन -- मंत्री जी जिस उद्देश्य को लेकर मैंने प्रश्न लगाया था और मैं उसके बारे में लिखकर देता हूं उस पर व्यवस्था दे देंगे तो मैं समझता हूं कि मेरे प्रश्न लगाने की सार्थकता भी होगी और जिस कारण से लगाया गया है उसका महत्व भी होगा.
श्री गोपाल भार्गव-- मैं आपसे मिलकर आपके मन की भावना समझ लूंगा उसके बाद में जैसा भी होगा वैसी कार्यवाही करेंगे..
सेवा सहकारी समिति अमरपाटन की जाँच
17. ( *क्र. 4548 ) श्री जय सिंह मरावी : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या श्री अखिलेश मिश्रा तत्कालीन अध्यक्ष सेवा सहकारी समिति, अमरपाटन जिला-सतना ने पत्र दिनांक 14.07.2015 के द्वारा समिति में पदस्थ कैशियर श्रीमती रेशमा बेगम के विरूद्ध वित्तीय अनियमितताओं एवं भ्रष्टाचार करने की शिकायत उपायुक्त सहकारी संस्थाएं जिला-सतना एवं पंजीयक सहकारी संस्थाएं भोपाल तथा प्रबन्ध संचालक म.प्र. राज्य सहकारी बैंक भोपाल को की गई थी? (ख) यदि हाँ, तो उक्त अधिकारियों द्वारा शिकायती पत्र के परिप्रेक्ष्य में क्या कार्यवाही की गई?
पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) जी हाँ। (ख) शिकायत की जाँच उप पंजीयक सहकारी संस्थाएं, जिला सतना से कराई गई। जाँच प्रतिवेदन में बैंक सेवायुक्त श्री बाबूलाल पटेल शाखा प्रबंधक, शाखा अमरपाटन एवं श्री मुन्नालाल वर्मा, समिति प्रबंधक तथा संस्था कर्मचारी श्रीमती रेशमा बेगम दोषी पाई गई हैं। बैंक कर्मचारियों के विरूद्ध कार्यवाही हेतु मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मर्यादित, सतना तथा संस्था कर्मचारी के विरूद्ध कार्यवाही हेतु प्रशासक, सेवा सहकारी संस्था मर्यादित, अमरपाटन को उप पंजीयक सहकारी संस्थाएं, जिला सतना द्वारा निर्देश दिये गये हैं।
श्री जयसिंह मरावी -- अध्यक्ष महोदय मैं माननीय मंत्री जी से यह जानना चाहता हूं कि उनको दोषी पाया भी गया है तो क्या आज उनको यहां पर निलंबित करेंगे.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय अमरपाटन का प्रश्न है. तीन प्रश्न सोसायटियों के लगे हैं. इसमें जो संबंधित कर्मचारी हैं श्रीमती रेश्मा बेगम इनके विरूद्ध कार्यवाही कर दी गई है, और भी जो संबंधित कर्मचारी हैं इनकी जांच करवा रहे हैं. उ समें जो भी दोषी पाये जायेंगे उनके विरूद्ध जल्दी से जल्दा कार्यवाही कर देंगे.
श्री जयसिंह मरावी -- अध्यक्ष महोदय यह कब तक जांच की कार्यवाही कर लेंगे कृपा करके यह बता दें.
श्री गोपाल भार्गव -- एक सप्ताह में कर लेंगे.
शासकीय भूमि को अतिक्रमण से मुक्त किया जाना
18. ( *क्र. 6317 ) श्री आरिफ अकील : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या ग्राम देहण्डी व किसोनी तहसील शुजालपुर जिला शाजापुर की शासकीय भूमि पर मेसर्स अडानी विल्मर लिमिटेड द्वारा अतिक्रमण किया गया था? यदि हाँ, तो प्रकरण क्रमांक 92/अ-68/09-10 के अंतर्गत शासकीय भूमि पर अतिक्रमण का दोषी मानते हुए दिनांक 06/05/2011 को 1500/- रूपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया था? (ख) यदि हाँ, तो क्या 4 वर्ष से अधिक समय व्यतीत हो जाने के पश्चात् भी भू-माफियाओं एवं राजनैतिक दबाव के कारण शासकीय भूमि को अतिक्रमण मुक्त नहीं कराया गया है? (ग) यदि हाँ, तो तहसीलदार एवं अनुविभागीय अधिकारी के आदेश का पालन नहीं करने के कौन-कौन दोषी हैं? उनके नाम व पद सहित यह अवगत करावें कि कब तक उक्त शासकीय भूमि को अतिक्रमण मुक्त किया जावेगा? यदि नहीं, तो क्यों?
राजस्व मंत्री ( श्री रामपाल सिंह ) --
श्री आरिफ अकील -- अध्यक्ष महोदय मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि जब आपने अर्थ दण्ड लगा दिया है उन पर तो उनको अतिक्रमण मुक्त क्यों नहीं किया गया है. उसके लिए कौन लोग दोषी हैं उनके ऊपर कार्यवाही करेंगे और वहां पर जो अतिक्रमण हैं वह भले ही कितने भी पावरफुल लोगों का हो, आप भी तो हनुमान जी हो, आप मेहरबानी करके उस अतिक्रमण को हटाने की घोषणा करेंगे.
श्री रामपाल सिंह -- अध्यक्ष महोदय आपने बड़ी उपाधि दे दी है लेकिन हमारे संसदीय कार्य मंत्री जी ने यह प्रस्ताव रखा था कि अल्पसंख्यक मंत्री अकील साहब हैं तो उनको नेता प्रतिपक्ष बनाया जाय तो क्या आप इस पर सहमत रहेंगे.
डॉ नरोत्तम मिश्रा -- आप बतायें कि आपके दल का कोई सहमत है इस बात पर . हमारे दल के सब सहमत हैं...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- उनके प्रश्न का उत्तर आने दें और भी माननीय सदस्यों के प्रस्न हैं. आगे की लाइन पूरी हो गई है आप इस विवादास्पद प्रश्न को नहीं उठायें.
श्री रामपाल सिंह -- माननीय आरिफ अकील साहब ने जो प्रश्न किया है उन पर जुर्माना भी किया है वह उत्तर में आपको मिल गया है. शीघ्र ही अतिक्रमण भी वहां का हटाया जायेगा और आपको मैं पूरी तरह से आश्वस्त करता हूं कि किसी तरह की कोई कमी नहीं रहने देंगे.
श्री आरिफ अकील -- अध्यक्ष महोदय यह शीघ्र ही का कोई समय होता है. शीघ्र तो अर्थ दण्ड हो गयाहै पावर फुल लोग हैं बचे हुए हैं. मैंने तो आपको कहा है कि आप तो हनुमान जी हो, जैसा गोपाल भार्गव जी ने कहा है कि आज, आप भी कहें कि आज अतिक्रमण हट जायेगा, कल हट जायेगा एक सप्ताह में हट जायेगा, ऐसा कुछ कहें.
श्री रामपाल सिंह -- अध्यक्ष महोदय मेरी विनम्र प्रार्थना यह है कि कई बार प्रकरण न्यायालय में च ले जाते हैं, उसमें हम लोगों को प्रक्रिया का सम्मान भी करना होता है. इसलिए मैं आपको अपने शासन की ओर से 3 माह के अंदर हटा देंगे, यदि न्यायालयीन व्यवधान न हो तो.
श्री आरिफ अकील -- आपने अर्थ दण्ड लगा दिया है आपने अपने जवाब में कहीं पर नहीं कहा है कि इसकी अपील हो गई है. मैंने जैसा कहा कि पावरफुल लोग हैं. आप कृपा करके यह बतायें आप सक्षम हैं. आप मेहरबानी करके समय बता दें कि एक सप्ताह में अतिक्रमण हटा देंगे.
श्री रामपाल सिंह -- तीन माह में करने का निवेदन है.
श्री आरिफ अकील -- और कम कर दो मेहरबानी करके.
श्री रामपाल सिंह -- चलिए आपकी बात को रखते हुए और कम, दो माह कर देते हैं.
श्री आरिफ अकील -- एक माह कर दो.
अध्यक्ष महोदय -- आपके कहने पर दो माह कर दिया उन्होंने.
श्री बाबूलाल गौर -- अंगद की तरह डटे रहो नेता प्रतिपक्ष के लिए, हटना नहीं.
वाटर शेड योजना में निर्माण कार्य की गुणवत्ता
19. ( *क्र. 5577 ) श्री अनिल फिरोजिया : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) एकीकृत जलगृहण क्षेत्र प्रबंधन कार्यक्रम क्या है? उज्जैन जिले में किन-किन स्थानों पर योजना संचालित है? विगत पाँच वर्षों में उक्त स्थानों पर क्या-क्या निर्माण कार्य कराये गये हैं? उनकी लागत क्या थी? (ख) क्या उक्त निर्माण गुणवत्ता के आधार पर कराये गये हैं? उक्त निर्माण कार्यों का निरीक्षण/भौतिक सत्यापन किस अधिकारी द्वारा कराया गया? क्या निरीक्षण तकनीकी विशेषज्ञ से कराया गया? यदि नहीं, तो क्यों? (ग) क्या उक्त योजनाओं के संचालन हेतु कोई समितियां गठित की गई हैं? क्या उक्त समितियों का नवगठन किया जावेगा? यदि हाँ, तो कब? (घ) उक्त योजना से कितने किसान लाभांवित हो रहे हैं? ग्रामवार ब्यौर देवें। क्या योजना अन्य नवीन स्थानों पर लागू की जावेगी? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों?
पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) एकीकृत जलग्रहण क्षेत्र प्रबंधन कार्यक्रम भारत सरकार, ग्रामीण विकास मंत्रालय, भूमि संसाधन विभाग द्वारा प्रवर्तित योजना है, जिसके अंतर्गत जल संरक्षण व संवर्धन, मृदा संरक्षण, उत्पादन प्रणाली व लघु उद्यम तथा आजीविका उन्नयन के कार्य किये जाते हैं। शेष जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। (ख) जी हाँ। निरीक्षण/भौतिक सत्यापन मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत, अनुविभागीय अधिकारी, ग्रामीण यांत्रिकी सेवा, उद्यान अधीक्षक, उद्यानिकी द्वारा कराया गया है। तकनीकी विशेषज्ञ, जिला पंचायत से भी निरीक्षण कराया गया है। (ग) जी हाँ। वाटरशेड समितियां गठित की गई हैं। इन समितियों का गठन नियमानुसार किया गया है, अतः नवगठन नहीं किया जायेगा। (घ) लाभांवित किसानों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार है। योजना नवीन स्थानों पर नहीं लागू की जायेगी, क्योंकि भारत सरकार, ग्रामीण विकास मंत्रालय, भूमि संसाधन विभाग ने नवीन परियोजनायें स्वीकृत करने के बजाय पूर्व में स्वीकृत परियोजनाओं को प्राथमिकता पर पूर्ण करने के निर्देश जारी किये हैं।
श्री अनिल फिरोजिया -- मैंने माननीय मंत्री महोदय से जो प्रश्न किए थे उनके जवाब तो आए हैं लेकिन मेरा यह निवेदन है कि इसमें जो जवाब दिए गए हैं और पूरी लिस्ट दी गई है और यह भी कहा गया है कि भौतिक सत्यापन हो गया है जो मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत, अनुविभागीय अधिकारी, ग्रामीण यांत्रिकी सेवा, उद्यान अधीक्षक, उद्यानिकी की टीम द्वारा किया गया है, लेकिन मेरा आपके माध्यम से मंत्री महोदय से निवेदन है कि साहब, यह जो रिपोर्ट आई है यह असत्य रिपोर्ट दी गई है, अगर वास्तव में वहां जाकर भौतिक सत्यापन करें तो पता चलेगा कि यह जो भी जानकारी दी गई है यह सब भ्रमित करने के लिए दी गई है, असत्य जानकारी दी गई है, तो क्या मंत्री जी इसकी पुन: जांच करवा देंगे और क्या जांच टीम में हमारे जिले के विधायकों को ले लेंगे ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए.
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, ये आईडब्ल्यूएमपी के जल ग्रहण मिशन हैं इसके काम छोटे-छोटे, फुटकर-फुटकर होते हैं. अब विधायकों को जंगल-जंगल, गांव-गांव घूमना पड़ेगा, मैं यह भी मानकर चलता हूँ कि हर टीम में विधायकों को साथ में ले जाना व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है. कभी अधिकारी, कर्मचारी उपलब्ध होते हैं तो विधायक उपलब्ध नहीं होते हैं और कभी विधायक उपलब्ध होते हैं तो अधिकारी, कर्मचारी उपलब्ध नहीं होते हैं इस कारण से भी यह नहीं हो सकता है. यदि माननीय सदस्य को इसमें कोई गड़बड़ी लग रही है तो हम एक वरिष्ठ अधिकारी को यहां से भेजकर उसकी फिर से जांच करवा लेंगे.
श्री अनिल फिरोजिया -- अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन यह है कि हम जनप्रतिनिधि हैं, हम जमीन से जुड़े हुए लोग हैं, जंगल हो या गांव हो या शहर हो, जाना तो पड़ेगा साहब, जनता के हित के लिए, तो आप तो समिति बनाओ ना साहब, हम लोग धरती पकड़ हैं. हम बिल्कुल जाएंगे.
श्री दिलीप सिंह शेखावत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जिला पंचायत सीईओ को दो-दो, तीन-तीन बार लिखकर दिया है लेकिन जांच अधिकारियों को निर्देशित करने के बाद भी नहीं करते. इसलिए अगर आप टीम बनाएंगे तो कई चीजें स्पष्ट हो जाएंगी.
अध्यक्ष महोदय -- ठीक है, आ गई बात.
सतीश मालवीय -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसी प्रश्न से संबंधित मेरी भी बात है. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से अनुरोध करना चाहूंगा कि जिस प्रकार बात आई है कि ये छोटे-छोटे काम हैं, मैं नहीं मानता हूँ कि किसी भी काम के लिए सरकार का पैसा आता है तो सिर्फ भ्रष्टाचार करने के लिए आता है. इस कागज में जितनी भी जानकारी आई है मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि सिर्फ कागजों पर ही काम हुआ है, 80 प्रतिशत भ्रष्टाचार इन मामलों में हुआ है. माननीय मंत्री जी का अपने आपमें एक महत्व है, इनकी बहुत ज्यादा इनके विभाग पर कसावट है और मैं आपसे विनम्र अनुरोध करना चाहूंगा कि जिस प्रकार से आपकी विभाग पर कसावट है उसी प्रकार से अधिकारियों की जांच की जाए और दोषी अधिकारी हों तो उनको दंडित किया जाए. चाहे जांच में विधायकों को रखें या न रखें लेकिन जांच सच हो, दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की जाए.
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, उज्जैन जिले का प्रश्न है, वहां पर सिंहस्थ में सारे के सारे अधिकारी फिलहाल लगे हुए हैं क्योंकि अगले महीने से सिंहस्थ का मेला शुरू होना है. मैं भोपाल से अधिकारियों का एक दल भेजकर फिर से इसकी जांच करा लूंगा और जो भी जानकारी मिलेगी उससे विधायक जी को अवगत भी करा दूंगा.
श्री सतीश मालवीय -- अध्यक्ष जी, आपके माध्यम से मंत्री जी को बहुत-बहुत धन्यवाद.
प्रश्न संख्या -- 20 -- (अनुपस्थित)
पंचायतों में ई-गवर्नेंस योजना का क्रियान्वयन
21. ( *क्र. 4353 ) डॉ. कैलाश जाटव : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) गोटेगांव विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत कितनी पंचायतों में शासन की योजनानुसार ई-गवर्नेंस व्यवस्था चालू हो गई है? पंचायतवार सूची प्रदान करें। (ख) क्या कई पंचायतों में ई-गवर्नेंस हेतु मशीनरी की व्यवस्था हो चुकी है, लेकिन मानव संसाधन न होने से कार्य नहीं हो रहा है? यदि हाँ, तो विभाग द्वारा इस हेतु क्या कार्यवाही की जा रही है?
पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) गोटेगांव विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत सभी कुल 139 ग्राम पंचायतों में शासन की योजना अनुसार ई-गवर्नेंस की व्यवस्था चालू है। इसके अंतर्गत सभी ग्राम पंचायतों में कम्प्यूटर एवं नेट कनेक्टिविटी की सुविधा है। पंचायतवार सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार। (ख) जी हाँ। ग्राम पंचायत स्तर पर मानव संसाधन हेतु संबंधित ग्राम पंचायत के ग्राम रोजगार सहायक को प्रशिक्षण दिया जाकर ई-गवर्नेंस का कार्य किया जा रहा है। शेष प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता।
डॉ. कैलाश जाटव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ई-गवर्नेंस के बारे में मैंने निवेदन किया था. इसमें जो जवाब आपका आया है उसमें कहीं पर भी पूरे विधानसभा क्षेत्र में कम्प्यूटरीकरण का काम शुरु नहीं हुआ है और जो भी आपने कम्प्यूटर यंत्र दिये थे वह सभी पंचायतों में सचिवों के घर में रखे हुए हैं. उसकी जानकारी आपके यहां से अधूरी आयी है. माननीय मंत्री जी कृपया बताने का कष्ट करेंगे कि यह कब तक अपने यहां चालू हो जाएगा?
श्री गोपाल भार्गव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, कम्प्यूटरीकरण तो पूरे ब्लाक में हो ही गया .
डॉ. कैलाश जाटव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें जो जानकारी अधिकारियों ने दी है, वह गलत दी है. कम्प्यूटरीकरण का सामान उपलब्ध है लेकिन इसमें सब जगह पंचिंग हो रही है, ऐसा कहीं पर भी नहीं है. सारा सामान सचिवों के घर पर रखा है. टी.व्ही भी सचिवों के घर पर रखी हुई है. मैंने यह अपनी आंखों से देखा है और आपके जो जीआरएस हैं, वह प्रायवेट ठेकेदारी में जाकर बाहर काम करते हैं.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, यह बात हो सकती है, मुझे जो जानकारी जिले से प्राप्त हुई है कि इस जिले की सभी ग्राम पंचायतों में कम्प्यूटर एवं नेट कनेक्टिविटी की सुविधा है और पंचायतवार सूची भी हमने उपलब्ध करायी है. यदि पंचायत भवन नहीं है, वहां सुरक्षा की व्यवस्था नहीं है, हो सकता है कि यह लोग घर पर रखे हुए हों.हालांकि पंचायत विभाग के हमारे कमिश्नर ने निर्देश जारी किये हैं, अनिवार्य रुप से पंचायत का जो कार्यालय है, जो पंचायत भवन है उसमें ही सारे उपकरण रखे जाएं, अऩ्य स्थान पर नहीं रखे जाएँ और उसके निरीक्षण के लिए जनपद और जिला पंचायत के सीईओ को कहा है कि उसका रेण्डम इन्स्पेक्शन कर लें और यदि नहीं हो तो उस पर कार्यवाही भी करें.
डॉ. कैलाश जाटव--मंत्री जी,इसमें कहीं पर भी फाइबर केबल बिछा नहीं है, नेट का काम बिलकुल नहीं हुआ, यह जानकारी आपको गलत आयी है, इसकी आप जांच करवा लें.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्नकाल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त)
12.02 बजे नियम 267-क के अधीन विषय
अध्यक्ष महोदय-- निम्नलिखित माननीय सदस्यों की सूचनाएँ सदन में पढ़ी हुई मानी जाएंगी--
1. इंजी. प्रदीप लारिया
2. श्री नीलेश अवस्थी
3. श्री घनश्याम पिरौनिया
4. श्री विजयपाल सिंह
5. श्री शैलेन्द्र पटेल
6. श्री विष्णु खत्री
7. श्री प्रदीप अग्रवाल
8. श्री जितू पटवारी
9. श्री बलवीर सिंह डण्डोतिया
10. श्री सचिव यादव
शून्यकाल में उल्लेख
(1) श्रीमती अर्चना चिटनिस(बुरहानपुर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सरकार के निर्णय अनुसार व शासन के निर्देशानुसार कल बुरहानपुर में प्रशासन के अधिकारी जब अवैध उत्खनन रोकने गये तब वहां बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटित हुई. एसडीएम व उनके साथ गये अधिकारी बड़ी मुश्किल से जान बचाकर वापस आ पाये. माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे आग्रह है कि एक उच्चस्तरीय जांच दल गठित हो जो सप्ताह भर में दोषियों का पता लगाये और दोषियों पर कठोर से कठोर कार्यवाही हो ताकि बुरहानपुर का जनजीवन सामान्य बना रहे और आपराधिक तत्वों पर अंकुश लगे.
(2) डॉ.गोविन्द सिंह(लहार)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने आपसे निवेदन किया था और आपने मुझे आश्वासन भी दिया था. मुरैना जिले में नरेन्द्र शर्मा नाम के वनरक्षक को खनिज माफियाओं द्वारा रेत का डंपर चढ़ा के मार डाला और लगातार यह घटनाएँ प्रदेश भर में हो रही हैं. भिण्ड में भी अभी गोलियां चली हैं, लोग घायल भी हुए हैं.आपसे निवेदन है कि आपने इसमें आश्वासन भी दिया था लेकिन अभी तक चर्चा में आया नहीं है, कृपया कल इसको ले लें.
(3) श्री जितू पटवारी(राऊ)-- अध्यक्ष जी, दो घटनाएँ दो दिन पहले हुई हैं. एक उज्जैन में एक महिला को निर्वस्त्र करके घुमाया गया. ऐसे ही टीकमगढ़ में एक महिला को पंचायत द्वारा सामूहिक रुप से प्रताड़ित कर उस पर चरित्र हनन का आरोप लगाया, उसने उसके बाद आत्महत्या कर ली. महिलाओं पर इस तरह से बड़े अत्याचार हो रहे हैं तो प्रशासन द्वारा इसके लिए कोई योजना क्यों नहीं बनायी जा रही है कि यह घटनाएँ न घटें. इस तरह की घटनाएँ मध्यप्रदेश में दिन-प्रति-दिन बढ़ती जा रही हैं और गौर साहब से पूछो तो कहते हैं कि कार्यवाही कर रहे हैं तो कार्यवाही आखिर करेंगे कब?
(4) श्री गिरीश भण्डारी(नरसिंहगढ़)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, राजगढ़ जिले की नरसिंहगढ़ विधानसभा क्षेत्र के नगर नरसिंहगढ़ में विद्युत मण्डल द्वारा तार हटाकर केबल लगाने का कार्य किया जा रहा है. वह कार्य बहुत घटिया स्तर का है. कार्य घटिया स्तर का होने के कारण आये दिन केबल एवं बक्सों में आग लग रही है. नरसिंहगढ़ नगर में अभी एक शिवरात्रि का मेला लगा हुआ है उसमें 11 मार्च को केबल में आग लगने के कारण एक दुकान जल गयी और बड़ी जनहानि होने से बच गई है. इसी के अंतर्गत नरसिंहगढ़ नगर में घरों के मीटर जबर्दस्ती बदले जा रहे हैं जिससे आये दिन विवाद की स्थिति बन रही है. जो मीटर अभी पिछले वर्ष ही बदले गये थे लेकिन उन मीटरों को पुन: पूरे नरसिंहगढ़ शहर में बदला जा रहा है.जिससे जनता में आक्रोश है.
(5) श्री निशंक कुमार जैन(बासौदा)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, कल गंजबासौदा तहसील में दो अनुसूचित जनजाति के बच्चों को जला कर मार दिया गया. एक तरफ सरकार अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के कल्याण के लिए असत्य ढिंढोरे पीट रही है. असत्य घोषणाएँ कर रही हैं और कल गंजबासौदा तहसील के ग्राम सुनारी में दो अनुसूचित जनजाति के बच्चों को घर के अन्दर जला कर खतम कर दिया गया उनके माता-पिता को बंधक बना लिया गया. मैं सरकार से अनुरोध करना चाहता हूँ कि उच्च स्तरीय जाँच दल गठित कर दोषियों के विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जाए.
(6) श्री तरूण भनोत(जबलपुर-पश्चिम)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, कल जबलपुर में एक घटना घटी है....
(7) श्री नीलेश अवस्थी(पाटन)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, कल जबलपुर में अंतर्राज्यीय बस अड्डे पर खूनी संघर्ष हुआ है.
श्री तरूण भनोत-- खूनी संघर्ष हुआ है. जिसमें कई लोग घायल हैं और बहुत गंभीर रूप से घायल हैं. उसमें आरोप लग रहा है कि एक पक्ष से सत्तापक्ष के मंत्री और दूसरे पक्ष से विधायक, उनके गुटों के बीच में संघर्ष हुआ है और 3 दिन से जबलपुर में बस सेवाएँ बंद हैं.
श्री नीलेश अवस्थी-- हड़ताल चल रही है.
श्री तरूण भनोत-- अध्यक्ष महोदय, इसका संज्ञान लिया जाए.
श्री नीलेश अवस्थी-- वर्चस्व की लड़ाई चल रही है.
श्री तरूण भनोत-- जबलपुर से न बसें आ रही हैं और न जा रही हैं. इसमें आरोप लग रहा है कि..(व्यवधान).. दो ग्रुप आपस में झगड़ा कर रहे हैं इसके कारण हजारों लोग परेशान हो रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- भनोत जी, अब कृपया बैठ जाइये. आप दोनों की बात रिकार्ड में आ गई. अब श्री हरदीप सिंह डंग अपनी बात कहें.
(8) श्री हरदीप सिंह डंग(सुवासरा)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, कल रात्रि 12 से 1 बजे सुवासरा विधान सभा के शामगढ़ क्षेत्र में एक शो रूम में आग लगी है, हरिवल्लभ पोरवाल जी के यहाँ, सोनालिका ट्रेक्टर में, एक करोड़ का नुकसान हुआ है. उसका मुख्य कारण यह रहा कि नगर पंचायत में जो दो फायर ब्रिगेड पड़ी हैं, एक में डीजल नहीं था और एक में पानी नहीं था. डेढ़ साल पहले भी ऐसी घटना घटी थी इसलिए जो यह नगर पंचायत में पड़ी हैं. थोड़ा आप इसको देखें और जाँच करवाएँ.
(9) श्री सुखेन्द्र सिंह(मऊगंज)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, रीवा जिले में फोर लेन हनमना-मऊगंज-रीवा रोड है जिसमें आए दिन दुर्घटनाएँ होती हैं और वहाँ पर ऐसे मोड़ हैं. एक बौती है, एक मऊगंज पटेहरा है, एक खटखरी है, एक हनमना सलैया है, कल भी एक पेपर बेचने वाले एक कुशवाह परिवार के नये लड़के का एक्सीडेंट हुआ. जो बड़ा दर्दनाक हुआ और ऐसे आए दिन पचासों दुर्घटनाएँ हो चुकी हैं, उसमें मौतें हो चुकी हैं इसलिए मैं इस ओर सरकार का ध्यानाकर्षित कराना चाहता हूँ तो उसमें कम से कम ओव्हर ब्रिज का निर्माण हो और ये जो मौतें हो रही हैं इनको रोका जाए.
(10) श्री मुकेश नायक(पवई)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, कलदा और शामगिरी के पहाड़ों पर पिछले दिनों एक अनुसूचित जनजाति की अज्ञात लोगों ने हत्या कर दी. हत्या का कारण पता नहीं लगता है और लोग यह कहते हैं कि यह हत्या कलदा शामगिरी के पहाड़ पर जो अवैध उत्खनन है उसके संघर्ष को लेकर है. मैं सदन का ध्यानाकर्षित करना चाहता हूँ कि पिछले दिनों एक पूरा का पूरा अवैध क्रेशर वहाँ पर पकड़ा गया जो पाँच साल से चल रहा था. पूरे पहाड़ पर अवैध उत्खनन चल रहा है मेरे ध्यानाकर्षण की सूचना भी आपके पास लंबित है. कृपया सरकार इसको संज्ञान में ले और आवश्यक कार्यवाही करे.
12.09 बजे पत्रों का पटल पर रखा जाना.
(क) (I) भारत के नियंत्रक-महालेखा परीक्षक का 31 मार्च 2015 को समाप्त हुए वर्ष का प्रतिवेदन (राज्य का वित्त)
(II) भारत के नियंत्रक-महालेखा परीक्षक का 31 मार्च 2015 को समाप्त हुए वर्ष का प्रतिवेदन सामान्य एवं सामाजिक क्षेत्र (गैर-सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम) वर्ष 2016 का प्रतिवेदन संख्या- 1
(III) भारत के नियंत्रक-महालेखा परीक्षक का 31 मार्च 2015 को समाप्त हुए वर्ष का (राजस्व क्षेत्र पर) प्रतिवेदन वर्ष 2016 का प्रतिवेदन क्रमांक-2
(IV) भारत के नियंत्रक-महालेखा परीक्षक का 31 मार्च 2015 को समाप्त हुए वर्ष का आथिक (गैर सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम) पर वर्ष 2016 का प्रतिवेदन क्रमांक- 3 तथा
(V) भारत के नियंत्रक-महालेखा परीक्षक का 31 मार्च 2015 को समाप्त हुए वर्ष का (सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों पर) वर्ष 2015 का प्रतिवेदन संख्या- 4 एवं
(ख) दि प्रोविडेंट इन्वेस्टमेंट कंपनी लिमिटेड का वर्ष 2010-2011 का वार्षिक प्रतिवेदन (31 मार्च 2011 को समाप्त हुए वर्ष हेतु), वर्ष 2011-2012 का वार्षिक प्रतिवेदन (31 मार्च 2012 को समाप्त हुए वर्ष हेतु) एवं वर्ष 2012-2013 का वार्षिक प्रतिवेदन (31 मार्च 2013 को समाप्त हुए वर्ष हेतु)
आयुक्त नि:शक्तजन मध्यप्रदेश का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2014-15
मध्यप्रदेश राजमार्ग निधि का तृतीय वार्षिक लेखा एवं प्रतिवेदन वर्ष 2014-15
12.11 बजे ध्यानाकर्षण
नीमच जिले में कृषि हेतु पुजारियों को मुआवजा राशि न दी जाना
श्री कैलाश चावला (मनासा)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
राजस्व मंत्री (श्री रामपाल सिंह)--माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री कैलाश चावला--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्रीजी से यह निवेदन करना चाहूंगा कि गत खरीफ की फसल में जो नुकसान हुआ है उसमें ऐसे मंदिरों के पुजारी जिनके पास सेवा भूमि उपलब्ध है उनको भी मुआवजा नहीं दिया जा रहा है. जैसा आपने जवाब में बताया है कि धर्मस्व विभाग द्वारा एक परिपत्र जारी किया गया है उसके तहत उनको मुआवजा नहीं मिल रहा है किन्तु राजस्व विभाग द्वारा यह निर्णय किया गया था कि जो सेवा भूमि है उसका मुआवजा कृषकों को, पुजारियों को मिलेगा यह दोनों विभागों में जो परिपत्र की विसंगति है इसी के परिणामस्वरुप उनको मुआवजा नहीं मिल पा रहा है तो क्या माननीय मंत्रीजी जो राजस्व विभाग ने निर्णय किया है उसके अनुसार पुजारियों को जो सेवा भूमि है उसका मुआवजा दिए जाने का आदेश प्रदान करेंगे.
श्री रामपाल सिंह :- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय चावला जी ने पुजारियों को लेकर जो प्रश्न किया है. मेरा उनसे निवेदन है कि राजस्व विभाग की तरफ से खुला मामला हे, जो वह है, वही काट है उसको ही हम सहायता देते हैं और तो और सरकारी जमीन में भी उसको अभी हम बांट रहे हैं, पट्टों में भी हम दे रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, हमने मंदिरों को भी राशि जारी कर दी है. अब धर्मस्व विभाग बीच में आकर एक पत्र लिख देते हैं. उन्होंने कह दिया कि उनके खाते में राशि जमा करिये. यह चूंकि पुजारियों से संबंधित मामला है, इसलिये हम इसको गंभीरता से लेगें, हमने तो कुल राशि 1 करोड़, 5 लाख जारी कर दी है. हमारे विभाग की तरफ से हमने राशि जारी कर दी है. 1300 के लगभग मंदिरों को हमने राशि दी है. लेकिन धर्मस्व विभाग से जो पत्र गया हुआ है, उसका भी परीक्षण करायेंगे और निश्चित रूप से माननीय चावला जी ने बात रखी है, उसका समाधान हम करेंगे.
श्री कैलाश चावला :- अध्यक्ष महोदय, मैं सोचता हूं कि यह मंत्रिमण्डल की सामूहिक जिम्मेदारी है. अगर परिपत्र के परिणाम स्वरूप राजस्व विभाग ने राशि भी दे दी है और इसमें पुजारियों को नुकसान भी हुआ है. माननीय मंत्री जी को यह घोषणा करना चाहिये की राजस्व विभाग को सर्क्युलर है, उसके अनुसार कार्यवाही की जायेगी अगर वह सेवाभूमि है तो.
अध्यक्ष महोदय :- को - आर्डिनेशन तो करना पड़ेगा. मंत्री जी आप कुछ कहना चाहते हैं तो कह दीजिये.
श्री प्रदीप अग्रवाल :- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह केवल एक जिले की नहीं, संम्पूर्ण मध्यप्रदेश की स्थिति है. जब पुजारी अपने पैसे से फसल बोता है, तो धर्मस्व विभाग का इसमें कोई राईट्स ही नहीं है, वही बोयेगा और वही काटेगा.
अध्यक्ष महोदय:- आपकी बात आ गयी है. आप लोग बैठ जायें.
श्री रामपाल सिंह :- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय चावला जी और माननीय सदस्यों ने जो भावना व्यक्त की है. इसको गंभीरता से लेते हुए हमारा तो निर्देश जारी है पूरे प्रदेश में माननीय चावला जी, लेकिन बीच में धर्मस्व विभाग का पत्र आ गया है, इस पत्र की भी चर्चा करके माननीय मंत्री जी, इसका निराकरण करके और आपकी जो भावना है उससे मैं सहमत हूं और माननीय सदस्य की भावना से भी मैं सहमत हूं.
श्री कैलाश चावला :- मंत्री जी यदि आप सहमत हैं तो आपको धन्यवाद्.
(2) सीधी एवं सिंगरौली जिले में पेयजल संकट होने से उत्पन्न स्थिति.
श्री कमलेश्वर पटेल :- माननीय अध्यक्ष महोदय,
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री(सुश्री कुसुम महदेले):-
श्री कमलेश्वर पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने जो ध्यानाकर्षण लगाया था इस ध्यानाकर्षण लगाने का मतलब कोई राजनीतिक मुद्दा बनाने का नहीं है. जो विभाग की तरफ से जानकारी है वह सत्य पर आधारित नहीं है. सच बात तो यह है कि आधी से ज्यादा नलजल परियोजनाएं बंद हैं और बहुत सारे हैंडपंप सूख गये हैं और बहुत सारे हैंडपंपों का जल स्तर नीचे चला गया है और जब राईजर पाईप और संधारण की जब बात होती है तो पीएचई और पंचायत विभाग के विवाद की वजह से अभी भी ग्रामीण क्षेत्रों में बराबर विवाद बना हुआ है और उसकी वजह से संधारण का काम नहीं हो पा रहा है मेरा मंत्री जी से सिर्फ यह निवेदन है माननीय मंत्री महोदया सिर्फ यह व्यवस्था दे दें कि आने वाले मार्च के बाद और ज्यादा संकट आने वाला है और ज्यादातर सीधी और सिंगरौली का एरिया पहाड़ी है और वहां दूर-दूर आबादी है. पीने के पानी का भारी संकट है तो ऐसी व्यवस्था बना दें कि आने वाले समय में और ज्यादा गहरा संकट न हो और कोई अप्रिय स्थिति निर्मित न हो. क्योंकि इसमें जो प्रतिशत दिया है वह बिल्कुल सत्यता से परे है जो जानकारी विभाग से आई है.
सुश्री कुसुमसिंह महदेले - माननीय अध्यक्ष महोदय, ग्रामीण विकास विभाग और पीएचई विभाग का जो आपने कहा कि विवाद है तो कोई विवाद नहीं है. पंचायत ग्रामीण विकास विभाग से हमको 100 करोड़ रुपये प्राप्त हो गये हैं जिसमें से 50 करोड़ रुपये बिजली के बिल के लिये है और बाकी संधारण के लिये और हम अतिशीघ्र जहां राईजिंग पाईप बढ़ाने की जरूरत है और जो बिल्कुल सूख चुके हैं उनको हमने उखाड़ दिया है हम पानी का बिल्कुल संकट नहीं आने देंगे यह मैं माननीय सदस्य को अवगत कराना चाहती हूं.
श्री कमलेश्वर पटेल - अध्यक्ष महोदय,
(..व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय - आप पहले सुन लीजिये फिर आपकी बात भी सुन लेंगे आप लोग कृपया बैठ जाएं. इस संबंध में 139 की सूचना भी माननीय सदस्यों ने दी है और अलग से इसलिये कोई बात नहीं कहने दी जायेगी. उस 139 की चर्चा के दौरान आपको सबको सुविधा रहेगी. श्री कमलेश्वर पटेल सिर्फ एक प्रश्न बिना भाषण के पूछेंगे.
(..व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय - यह रिकार्ड में नहीं आयेगा.
श्री कमलेश्वर पटेल- हम कोई भाषण नहीं दे रहे अध्यक्ष महोदय, सिर्फ माननीय मंत्री जी को यह जानकारी दे रहे हैं कि हमारे सहजी ग्राम पंचायत में बहेरा की जो नलजल परियोजना है ग्यारह महिने से बंद है सिर्फ इसी विवाद के चलते जो माननीय मंत्री जी ने विभाग की ओर से जो भी जानकारी दी है इसी तरह और भी उदाहरण हैं और जहां हैण्डपंप सूख गये हैं वहां क्या मंत्री जी दूसरे हैंडपंप खनन की व्यवस्था कराएंगी ?
सुश्री कुसुमसिंह महदेले - माननीय अध्यक्ष महोदय, निश्चित रूप से यदि राईजिंग पाईप बढ़़ाने की जरूरत है तो राईजिंग पाईप बढ़ाएंगे और जिस नलजल योजना की बात इन्होंने कही है अब हमें पंचायत ग्रामीण विकास विभाग से राशि प्राप्त हो गई है हम उसको भी अतिशीघ्र सुधरवाएंगे.
प्रतिवेदनों की प्रस्तुति/स्वीकृति
प्रतिवेदनों की प्रस्तुति
याचिका समिति का तीसवां, इक्तीसवां एवं बत्सीसवां प्रतिवेदन
श्री केदारनाथ शुक्ल (सभापति)--अध्यक्ष महोदय, मैं याचिका समिति का तीसवां इक्तीसवां एवं बत्तीसवां प्रतिवेदन प्रस्तुत करता हूं.
सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति का पिचासीवां से नब्बेवां प्रतिवेदन
श्री यशपालसिंह सिसोदिया (सभापति)--अध्यक्ष महोदय, मैं सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति के पिचासीवां से नब्बेवां प्रतिवेदन सदन में प्रस्तुत करता हूं.
याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय--आज की कार्यसूची में सम्मिलित सभी याचिकाएं प्रस्तुत की हुई मानी जाएंगी.
शासकीय विधि विषयक कार्य
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई)
12:30 बजे वर्ष 2016-17 की अनुदान की मांगो पर मतदान की चर्चा का पुनर्ग्रहण (क्रमश:)
(1) मांग संख्या- 55 महिला एवं बाल विकास
अध्यक्ष महोदय- जैसा कि कल माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी ने प्रस्ताव रखा था, महिला एवं बाल विकास विभाग की चर्चाएं हैं, यह महिला वर्ष भी है, इस सदन में जो हमारी सम्मानीय महिला सदस्य हैं, यदि वही चर्चा करेंगी तो उचित रहेगा, प्रतिपक्ष के नेता जी ने आधी सहमति दी थी, उसी के परिप्रेक्ष्य में एक सदस्य ले लिए गए थे, परन्तु आज दोनों पक्ष सहमति दें, तो इसे आगे बढ़ाया जा सकता है ।
संसदीय कार्य मंत्री(डॉं नरोत्तम मिश्र) - माननीय अध्यक्ष महोदय, एक निवेदन और है, जब यह चर्चा चल रही हो तो अपनी सभापति तालिका में अगर कोई महिला हों, तो वह उस समय वहां पर रहें ।
नेता प्रतिपक्ष (श्री बाला बच्चन) - माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा अभी आपने बोला और माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी का भी उल्लेख किया, लेकिन मैं आपको बताना चाहता हूं, महिलाओं के अलावा कुछ पुरूषों के नाम भी हमारी तरफ से चले गए हैं और वह बोलना चाहते हैं, उन्होंने तैयारी भी की है, तो थोड़ा थोड़ा समय आप उन्हें भी दें, अध्यक्ष महोदय, हम आपके प्रस्ताव से सहमत हैं, हमारे पास भी बोलने के लिए पर्याप्त महिलाओं की संख्या है, संसदीय कार्य मंत्री जी की तरफ से जो प्रस्ताव आया है, हम भी इसको स्वीकार करते हैं और आप चर्चा करवाएं ।
डॉ. नरोत्तम मिश्र- मैं आपको धन्यवाद देता हूं ।
अध्यक्ष महोदय- पूरे सदन की ओर से आपको धन्यवाद, सभापति के लिए जैसा कि माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी ने कहा है, हमने सूचना भेजी है ।
श्रीमती पारूल साहू केशरी(सुरखी) - आदरणीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 55, महिला बाल विकास के समर्थन में खड़ी हुई हूं, आदरणीय अध्यक्ष महोदय, मैं महिला बाल विकास की मंत्री महोदय को, उनके द्वारा किए गए प्रयासों के लिए बहुत - बहुत बधाई देना चाहूंगी, आपके प्रयासों से विभाग में एक नवीन ऊर्जा का संचार हुआ है, जिसका असर आज जमीनी हकीकत में पूरे प्रदेश में बदलाव के रूप में देखा जा रहा है, आज जो आंगनवाड़ी केन्द्र काम कर रहे हैं, वह पूरे प्रदेश में महिलाओं और बच्चों के जीवन में संजीवनी से कम नहीं हैं, माननीय अध्यक्ष महोदय मध्यप्रदेश के मुखिया आदरणीय शिवराज सिंह जी चौहान द्वारा 1 मार्च को दिए गए भाषण में यह बताया गया था कि मध्यप्रदेश में लगातार शिशु मृत्यु दर, आईएमआर और मातृ मृत्यु दर में लगातार गिरावत आई है, लेकिन वह प्रसन्न नहीं हैं, वह तो इसको सुधारना चाहते हैं, मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को, इस सेल्फ कांपटीशन की भावना के लिए, काम करने के लिए, बहुत- बहुत बधाई देना चाहूंगी, कहीं मैंने यह पढ़ा है, माननीय मंत्री जी को भी बताना चाहूंगी कि हर व्यक्ति के 100 भाग्य होते हैं, पर उन भाग्यों में से जब एक भाग्य अच्छा होता है तो उनके घर में बेटा होता है और जब व्यक्ति के 100 में से 100 भाग्य अच्छे होते हैं, तब उनके घर में बेटी का जन्म होता है, इसलिए ऐसा भी कहा गया है कि लड़के तो भाग्य से होते हैं, पर लड़की जब होती हैं तो सौभाग्य से होती हैं और इस सौभाग्य को सुरक्षित करने के लिए और आगे बढ़ाने के लिए अगर किसी ने काम किया है, तो मध्यप्रदेश के महिला बाल विकास विभाग ने और हमारे प्रदेश की सरकार ने किया है ।
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं बताना चाहूंगी कि 5 और 6 मार्च को नई दिल्ली में लोकसभा स्पीकर के प्रयासों से, हमारी ताई जी के प्रयासों से, एक महिला प्रतिनिधि की राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया था, इस संगोष्ठी में इस बात पर व्यापक जोर दिया गया था कि महिलाओं की शिक्षा एवं स्वास्थ्य की चिंता आज हमारे बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए अनिवार्य है, इसके साथ- साथ जो समाज महिला शक्ति और कौशल विकास को महत्व देता है, उस समाज एवं राष्ट्र की अर्थ- व्यवस्था सबसे बेहतर हो सकती है ।
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं विधानसभा में यह भी कहना चाहूंगी कि महिला बाल विकास विभाग की मंत्री जी, आपके प्रभाव से ही आज विभाग की गतिविधियों से पूरे प्रदेश में महिलाओं के स्वास्थ्य की जो व्यापक चिंता की जा रही है और बच्चों के पोषण साथ ही साथ संस्कार एवं प्रारंभिक शिक्षा पर ध्यान दिया जा रहा है, उसके लिए मैं आपको धन्यवाद देना चाहूंगी क्योंकि किसी भी समाज, प्रदेश या देश की मजबूती अगर कोई है तो वह महिलाएं और बच्चे ही हैं, यह एक रीढ़ की हड्डी का काम करते हैं और इनकी मजबूती के लिए अगर आज कोई काम कर रहा है, तो मध्यप्रदेश सरकार में महिला बाल विकास विभाग कर रहा है, ताकि हमारे बच्चों की, बेटियों की इनकी नीव मजबूत हो सके और आने वाले समय में जैसा कि सभी को पता है, पूरे विश्व में हमारा देश, भारत देश एक यंग नेशन से आगे बढ़ रहा है और यह जिम्मेदारी हमारे ऊपर है कि जो हमारी आने वाले युवा हैं, हमारे बच्चें हैं, उनका स्वास्थ्य, उनकी शिक्षा बेहतर हो, यह काम आज महिला बाल विकास मध्यप्रदेश में कर रहा है और इसकी मजबूती के लिए जो कार्य किए जा रहे है, उसके लिए मैं बहुत- बहुत बधाई देना चाहूंगीं, साथ ही साथ ज्यादा समय न लेते हुए, मैं इतना ही कहूंगी कि आज पूरे प्रदेश में हम सबको चिन्ता है, हमारे बच्चों की और महिलाओं को मजबूत करना, उनको समय पर ज्ञान देना और साथ ही साथ किस तरह से ग्रामीण क्षेत्र में जाकर हमारी आंगनवाडि़यां जो काम कर रही हैं, उसके बारे में हमने कभी सोचा नहीं था, उनको जो शिक्षा दी जा रही है, हमारे बच्चों के लिए जो किया जा रहा है, महिला बाल विकास विभाग की ओर से बहुत अच्छी पहल की जा रही है ।
माननीय अध्यक्ष महोदय, अंत में, मैं माननीय मंत्री जी को अपनी ओर से दो सुझाव देना चाहूंगी, मध्यप्रदेश में जो नवीन आंगनवाड़ी भवन स्वीकृत हो रहे हैं, उन्हें ग्राम पंचायतों में, जनसंख्या के आधार पर स्वीकृत किए जाएं, मेरा कहने का अर्थ यह है कि जिन गांवों की जनसंख्या अधिक है, वहां पर पहले आंगनवाड़ी भवन बनाए जाएं और स्वीकृत कराए जाएं, कम से कम एक भवन उन जगह पर होना चाहिए, दूसरी मांग मैं यह करूंगी कि जिन आंगनवाड़ी केन्द्रों पर बच्चों की संख्या अधिक है या जो जनपद मुख्यालय पर हैं या नगरीय क्षेत्र में हैं, उनमें डिजीटल एजुकेशन 3 से 6 वर्ष के बच्चों के लिए प्रारंभ किए जाएं, जिसमें नर्सरी, एलकेजी, यूकेजी का सिलेब्स ऑडियो – वीडियो के माध्यम से एलसीडी, टी.व्ही में दिखाया जाए, इसमें एक एलसीडी, टी.व्ही और पेन ड्राइव के उपयोग से सरकार के कम खर्चे पर मुझे लगगता है, बहुत अच्छा एजुकेशन सिस्टम बनाया जा सकता है, गरीब वर्ग के बच्चों के लिए आंगनवाड़ी में इस तरह की शिक्षा भारत में एक बड़ी पहल हो सकती ह, इसका प्रयोग मैंने खुद अपने विधानसभा क्षेत्र में भी किया है, राहतगढ़ ब्लाक में शासकीय प्राथमिक शाला में, उस गांव का नाम कल्याणपुर है, इसमें मैंने एक एलसीडी टी व्ही और पेन ड्राइव के माध्यम से सिलेब्स, बड़े बड़े स्कूल में होता है, वह रेम्स के साथ पूरा सिलेब्स दिया है और आज पूरे विधानसभा में जो भी लोग उपस्थित हैं, अगर कल्याणपुर गांव में जाकर उस स्कूल को देखेंगे तो आप यकीन नहीं मानेंगे कि वह ऐसा स्कूल है, जहां छोटे छोटे बच्चे इतने बेहतरीन तरीके से चाहे इंग्लिश रीडिंग की बात हो, चाहे राइटिंग की बात हो, They are excelling like anything बहुत एक्सेल किया है उन्होंने इस प्रयोग को, मैं चाहती हूं कि हमारी आंगनवाड़ी में भी लाया जाए, इससे बहुत बड़ा परिवर्तन आएगा, समाप्त करने से पहले मैं एक बात और करना चाहूंगी, इस संबंध में राज्यसभा के सदस्य माननीय जावेद अख्तर जी द्वारा उनके कार्यकाल के लास्ट वर्किंग डे पर जो बात कही गई है, बहुत ही सुन्दर भाषण उनकी ओर से दिया गया है, मैं उनके भाषण को सलाम करती हूं और भारत माता की जय कहती हूं, क्योंकि यह हम सभी का अधिकार है और हमें फक्र हैं कि हम भारतीय हैं, जय हिन्द, जय भारत ।
श्रीमती शकुन्तला खटीक(करैरा)- माननीय अध्यक्ष महोदय, महिला बाल विकास के अंतर्गत संचालित आंगनवाड़ी केन्द्र समय पर नहीं खुलते हैं, इनका खुलने का समय सुबह 9 बजे का है, दूरदराज के क्षेत्रों में इनका कोई समय निश्चित नहीं है, आंगनवाड़ी केन्द्रों पर कार्यकर्ता और सहायिका दोनों को उपस्थित रहना चाहिए, कई केन्द्रों पर केवल सहायिका मिलती हैं, कार्यक्रर्ता नहीं मिलती हैं, आंगनवाड़ी केन्द्रों में जिन बच्चों के नाम दर्ज हैं, उनमें से कुछ बच्चों के नाम स्कूलों में भी दर्ज हैं, उनकी उपस्थिति स्कूल और आंगनवाड़ी में दोनों में दर्ज रहती है, किसी भी आंगनवाड़ी केन्द्र में बच्चों की उपस्थिति 15 या 20 प्रतिशत से अधिक नहीं होती है जबकि 50 प्रतिशत से अधिक दिखाई जाती है, बच्चों को और गर्भवती महिलाओं को पोषण आहार समय पर नहीं दिया जाता है, कभी कभी दिया जाता है, महिला बाल विकास विभाग की सुपरवाईजर आंगनवाड़ी केन्द्रों का समय समय पर निरीक्षण नहीं करती हैं, अगर समय समय पर निरीक्षण किया जावे तो कुछ सुधार हो सकता है, आंगनवाड़ी केन्द्रों में नाश्ता व खाना मेनू अनुसार नहीं दिया जाता है, इसकी सूचना आंगनवाड़ी केन्द्रों पर चस्पा नहीं की जाती है ।
श्रीमती संगीता चारेल(सैलाना)--अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 55 के समर्थन में बोलने के लिए खड़ी हुई हूं.
अध्यक्ष महोदय, लाड़ली लक्ष्मी योजना सबसे पहले देश में मध्यप्रदेश में लागू की गई. यह माननीय मुख्यमंत्रीजी श्री शिवराज सिंह चौहान की परिकल्पना और दृढ़ इच्छा शक्ति से ही लागू की गई है. इस योजना का प्रभावी असर यह रहा कि देश के प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी ने न केवल मुख्यमंत्रीजी की प्रशंसा की बल्कि केन्द्र सरकार द्वारा इस योजना को पूरे देश भर में लागू किया गया. लाड़ली लक्ष्मी योजना का सिर्फ यह उद्देश्य नहीं है कि 18 वर्ष पूर्ण होने पर लाड़ली बेटियों के खाते में 1.18 लाख रुपये जमा हो जाये बल्कि इसके पीछे जो चिन्तन है वह कि लिंगानुपात में बेटियों का जन्म बालकों की तुलना में बढ़े तथा भ्रूण हत्या न हो. बेटियों को इस योजना से न केवल शिक्षित होने हेतु प्रोत्साहित किया गया बल्कि 18 वर्ष की आयु में ही उसका विवाह हो ऐसी परिकल्पना हमारे मुख्यमंत्रीजी की है.
अध्यक्ष महोदय, सरकार के संवेदना एवं सहयोग के चलते लाडली लक्ष्मी योजना को लागू कर बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ को प्राथमिकता दी गई है. बेटी के जन्म उत्सव को महा उत्सव से जोड़ने का अनुसरण किया गया.
अध्यक्ष महोदय,इसी के तहत सबला योजना के अंतर्गत 15 जिलों में गत वर्ष 8.50 लाख किशोरियों को पूरक पोषण आहार उपलब्ध कराया गया है. 11 से 18 वर्ष की किशोर बालिकाओं को उनके स्वास्थ्य एवं पोषण स्तर पर सुधार, घरेलू कार्य के संपादन एवं दक्षता, जीवन कौशल को बढ़ावा देना इस योजना का मुख्य उद्देश्य है. इसके क्रियान्वयन हेतु बालिकाओं को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण व्यक्ति साफ-सफाई तथा प्रचलित जन कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी एवं परिवार आधारित जीवन उपयोगी कौशल उन्नयन परामर्श किया जा रहा है.
अध्यक्ष महोदय,इस योजना से इसके बेहतर परिणाम प्राप्त हो रहे हैं. इस योजना को प्रदेश के सभी जिलों में लागू किया गया है. इससे 11 से 14 वर्ष की शाला त्यागी एवं 14 से 18 वर्ष की सभी किशोर बालिकाओं को इस योजना का लाभ मिल सकेगा.
अध्यक्ष महोदय, इसी के तहत किशोरियों में माहवारी स्वच्छता संबंधी जागरुकता हेतु प्रोजेक्ट उदिता प्रदेश के तीन जिले ग्वालियर, झाबुआ और इंदौर में पायलट प्रोजेक्ट के आधार पर 19 मई 2015 से प्रारंभ किया गया. इसके तहत किशोरियों में सेनेटरी नेपकीन के प्रयोग एवं व्यवहार में लाने हेतु प्रोत्साहित करने हेतु गांव स्तर पर बालिकाओं को आंगनवाड़ी केन्द्रों के सहयोग से सेनेटरी नेपकीन कराये गये. योजना के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु इसका विस्तार सीहोर,राजगढ़,रायसेन,बुरहानपुर,भोपाल और विदिशा में किया गया. इसके तहत जन सहयोग एवं समन्वय से 597 वेंडिंग स्थापित की गई तथा 11226 आंगनवाड़ी केन्द्रों पर उदिता कार्नर स्थापित किये गये.
अध्यक्ष महोदय, पहले महिला बाल विकास विभाग को कोई जानता-पहचानता नहीं था लेकिन आज की स्थिति में विभाग की योजनाओं के माध्यम से महिलाओं एवं बालिकाओं को समग्र विकास के कई कार्यक्रम निरन्तर संचालित किये हैं. इस हेतु माननीय मुख्यमंत्रीजी और माननीय मंत्रीजी को बहुत बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्रीजी से निवेदन करना चाहती हूं कि हमारी सैलाना विधानसभा में कुछ आंगनवाड़ी भवन अपूर्ण हैं, उन्हें पूर्ण करा दें ताकि वहां बच्चों को बैठने की सुविधा मिल जाये और आंगनवाड़ी व्यवस्थित तरीके से चल सके. धन्यवाद.
श्रीमती शीला त्यागी(मनगवां)--अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 55 के विरोध में अपनी बात रखने के लिए खड़ी हुई हूं.
अध्यक्ष महोदय, जैसा कि इस समय पूरे देश और प्रदेश में महिला सशक्किकरण की बयार चल रही है. आज बेटी और महिलाएं विद्यालय, महाविद्यालय में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रही है. वे पढ़ लिख कर पुरुषों के बराबरी पर आ रही हैं. चाहे उद्योग हो, चाहे खेल हो, तकनीकी, चिकित्सा, संगीत, आईटी, कला,साहित्य और प्रशासनिक सेवाओं के साथ राजनीति में भी राष्ट्र की सेवा में अग्रणी रही हैं.
अध्यक्ष महोदय, वर्तमान में महिलाओं के सशक्तिकरण की जितनी भी योजनाएं चल रही हैं, मैं आपसे कहना चाहती हूं कि देश में आधी आबादी होने के बाद भी महिलाओं से संबंधित जितनी भी महिलाओं से संबंधित कल्याणकारी योजनाएं बनायी गई हैं, उनका धरातल में क्रियान्वयन सही नहीं हो रहा है. धीमी गति से हो रहा है.
अध्यक्ष महोदय, महिलाओं के साथ आज भी बड़े पैमाने पर भेदभाव हो रहा है. खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में. महिलाएं खेत, खलिहान और कारखानों में काम कर रही हैं लेकिन उनको प्रताड़ना मिलती है. मध्यप्रदेश सरकार ने इनके विकास के लिए जो योजनाएं बनायी हैं वह थोडी व्यवस्थित तो चल रही हैं लेकिन मैं मंत्रीजी को अपनी ओर से सुझाव देना चाहती हूं कि मेरी विधानसभा में जो भी आंगनवाड़ी केन्द्र चल रहे हैं लगभग 200-300 आंगनवाड़ी केन्द्र हैं, वह किराये पर चल रहे हैं. आपकी सांझा चूल्हा की जो स्कीम है, उसके तहत आज भी एसटी/एससी/ओबीसी घर में तो किराये से चलते नहीं हैं, ये सक्षम लोगों के घर पर चलते हैं. जब वे सांझा चूल्हा के लिए जाते हैं तो उनके साथ भेदभाव होता है. बच्चों को कहते हैं गंदे-कुचले कपड़े पहने हैं, नाक बह रही है, मेरी आपसे गुजारिश है, सुझाव है कि अभी मध्यप्रदेश सरकार मार्च से ईजीएस स्कूल बंद कर रही है, जहां 15-20 बच्चे पढ़ते थे. वहां के शिक्षकों की पोस्टिंग की जा रही है. बच्चों को दूसरी स्कूलों में भेजा जा रहा है तो ईजीएस स्कूल के जो भवन खाली हो रहे हैं, उनको यदि आंगनवाड़ी भवन के नाम से अलाट कर देंगे तो सांझा चूल्हा की जो व्यवस्था है वह सही तरीके से चलने लगेगी और लोगों का भला हो जायेगा.अध्यक्ष महोदय, पोषण आहार के नाम पर उनके साथ जो भेदभाव होता है वह नहीं होगा.
अध्यक्ष महोदय, मंत्रीजी से मैं एक और गुजारिश करुंगी कि आंगनवाड़ी केन्द्रों में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग से खाद्यान्न तो आ जाता है लेकिन आपके विभाग के माध्यम से पोषण आहार के लिए, खाना बनाने के लिए, सब्जी, तेल, मसाले के लिए जो नकद राशि भुगतान की जा रही है, मेरे ख्याल से वह ठप पड़ी है. अभी आंगनवाड़ी में नहीं पहुंची है इसलिए बच्चों की संख्या भी कम हो रही है और प्रदेश में कुपोषण का स्तर भी बढ़ता जा रहा है. मैं आपसे गुजारिश करती हूं कि साझा चूल्हा की व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त किया जाये, और पूरे प्रदेश में कुपोषण पर नियंत्रण की शपथ माननीय मुख्यमंत्रीजी ने ली है और कहा कि मैं उनका मामा हूं तो उनके मामा के रहते हुए, मुख्यमंत्री रहते हुए प्रदेश के बच्चे कुपोषित नहीं होंगे. उनके साथ अन्याय नहीं होगा. मैं मंत्रीजी को धन्यवाद देना चाहती हूं कि आप लोगों के नेतृत्व में मुझे दिल्ली भी जाने का मौका मिला. वहां पर महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए जो अभियान चलाया गया, उसमें हम शामिल हुए. हमे वहां जानकारी मिली कि किस तरह से महिलाएं समाज को आगे बढ़ाने और अपने विकास के लिए आगे काम कर सकती है. मैं मंत्रीजी बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहती हूं कि उनके सानिध्य में हम लोगों ने उस कार्यक्रम से बहुत कुछ सीखा. भविष्य में प्रदेश सरकार की ओर इसी प्रकार के कार्यक्रमों में हमको जाने को मिलेगा तो हम लोग अपने अपने क्षेत्र में और भी सशक्त रुप से काम कर पायेंगे. धन्यवाद.
श्रीमती ममता मीना(चाचौड़ा)--अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 55 के समर्थन में खड़ी हुई हूं.
अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्रीजी और माननीय मुख्यमंत्रीजी को बहुत बहुत बधाई देती हूं कि आपने महिलाओं को बराबरी का दर्जा इस प्रदेश में दिलाया है. मैं महिलाओं के लिए कहना चाहूंगी यत्र नारियेस्तु पूजन्ते,रमन्ते तत्र देवता जहां नारियों की पूजा होती है वहां देवता वास करते हैं. इसी तरह से महिला बाल विकास विभाग ने जो महिलाओं, बालिकाओं के लिए योजनाएं बनायी हैं, वह सराहनीय योजनाएं हैं. इसके लिए माननीय मुख्यमंत्रीजी को जितनी बधाई और धन्यवाद दिया जाये उतना कम है.
अध्यक्ष महोदय, 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया, चूंकि यह महिला सशक्तिकरण का युग है. महिलाएं हमेशा विकास की धुरी रही है. अगर महिला को आगे किया है तो महिला विकास की धुरी के रुप में समाज को विकास की ओर और आगे की पंक्ति में ले जाकर खड़ी करेगी.समाज को विकास की ओर और अग्रिम पंक्ति में महिलाएं खड़ा करेंगी. उसी के साथ, मामी जी ने जो 8 मार्च का आयोजन करवाया है, जो अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में, पूरे देश में मनाया जाता है और हमारे मध्यप्रदेश में उसे अलग तरीके से मनाया गया है. कहते हैं कि सशक्त नारी का पहला कदम अधिकारों की ओर क्योंकि मामी जी ने विशेष जन सुनवाई का कार्यक्रम 8 मार्च को रखवाया है. जिसमें महिलाओं ने अपने से संबंधित समस्याएं रखी हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इसी तरह से विशेष महिला ग्राम सभाओं का आयोजन करवाया है. जिसमें महिलाएं खुलकर ग्रामसभा में अपनी बात कह पाईं एवं ग्राम पंचायत से अपने गांव की बात कर पाई क्योंकि 50 प्रतिशत का आरक्षण, माननीय मुख्यमंत्री जी ने महिलाओं को दिया हुआ है. पंच से लेकर जिला पंचायत तक, पार्षद से लेकर महापौर तक 50 प्रतिशत महिलाएं ग्राम पंचायत और नगरीय निकायों में बैठी हुई है इसलिए जो ग्राम सभा की गई है, उस ग्राम सभा के माध्यम से महिलाओं की उपस्थिति के माध्यम से, विकास की बात की गई. इसलिए नारी शक्ति चौपाल, सांस्कृतिक कार्यक्रमों एवं प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया है, इसी तरह संघर्षशील महिलाओं का भी सम्मान किया गया है, जिन्होंने गांव के अन्दर विकास की बात कर, गांव के अन्दर जागरूकता की बात करके, ऐसी महिलाएं जो गांव में कुछ हट कर कार्य करती हैं, उन महिलाओं का 8 मार्च को सम्मान किया गया.
माननीय अध्यक्ष महोदय, उसी तरह से सशक्त नारी का दूसरा कदम, कहते हैं कि महिला अबला, यह कहना बहुत गलत है, महिला अब अबला नहीं, सबला हो गई हैं. हमारे महिला शौर्य दल के माध्यम से, माननीय मंत्री जी ने जो 2013 में इस योजना को लागू किया, जैसे ही मंत्री बनी वैसे ही मामी जी ने लागू किया और महिला अपने अधिकारों के प्रति उनसे लड़ाई लड़ती हैं एवं उनके प्रति अत्याचार भी होते हैं, हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी ने शौर्य दल को सम्मानित भी किया और शौर्य दल को हर क्षेत्र में पुरस्कार मिला है. हमारे शौर्य दल की महिलायें थाने में गईं, किस तरह से एफ.आई.आर. होती है और किस तरह से वे अपनी बात थाने में जाकर रखें.
12.53 [सभापति महोदया (श्रीमती अर्चना चिटनिस) पीठासीन हुईं]
माननीय सभापति महोदया, तीसरा कदम, सशक्त नारी का तीसरा कदम अदालत की ओर है. महिलाओं का शौर्य दल न्यायालय में गया और विधिक सहायता अधिकारी से संवाद करके अपनी समस्याओं के बारे में बताया. इसी तरह से चौथे दिन नारी शक्ति का चौथा कदम, रोजगार की ओर. स्वरोजगार मेले का आयोजन किया गया क्योंकि हमारी महिला बाल विकास विभाग की ओर से प्रशिक्षण के माध्यम से उनको बताया गया कि ब्यूटी पार्लर में प्रशिक्षण दिया जाता है कि वे अपनी आजीविका का साधन कैसे करें. उसी के साथ, उनको ज्वैलरी बनाना सिखाया जाता है और ज्वैलरी के माध्यम से कि वे अपनी परिवार की आजीविका को कैसे चलायें ? उसी के तहत रोजगार मेले का आयोजन किया गया. सशक्त नारी का पांचवां कदम, निवेश की ओर. जो हमारी शौर्य दल की महिलायें हैं, पूरा दल सभी सदस्यों को लेकर बैंक एवं पोस्ट-ऑफिस गये और बचत कैसे की जाये ? कैसे खाते खोले जाये ? कैसे पैसे निकाले जायें ? अधिकारियों से संवाद किया. उसी तरह सशक्त नारी का छटवां कदम, अपने परिवार और स्वास्थ्य की ओर विशेष महिला स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया, राष्ट्रीय महिला और अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के शुभ अवसर पर, स्त्री रोग विशेषज्ञों और नेत्र रोग विशेषज्ञों से पोषण आहार कैसे सुनिश्चत किया जाये ?
माननीय सभापति महोदया, इसी तरह से बी.पी. एवं शुगर आदि हेतु शौर्य दल की महिलाओं ने आयोजन किया. सशक्त नारी का सातवां कदम जैसे कल बात आई थी, नशे से संबंधित. हमारे शौर्य दल में महिलाएं हैं, जो हमारा दल है, ग्राम पंचायत के अन्दर गठित होता है, वह शौर्य दल नशा मुक्ति केन्द्र का पूरा भ्रमण करता है, नशा मुक्ति अधिकारियों का स्वागत, नशे के संबंधित में फिल्म दिखा कर कि नशा समाज के लिए कलंक है. हमारे शौर्य दल ने इस चीज को बताया है कि नशे से क्या-क्या हानिकारक होता है ? फिल्म के द्वारा बताया गया और उसके बाद में बहुत सारे लोगों ने मौके पर शपथ भी ली कि नशा हमारे मध्यप्रदेश में बन्द होना चाहिए.
सभापति महोदया - आपके विशेष सुझाव हों तो बताएं. मैं आपको बोलने से नहीं रोक रही हूँ. लेकिन सुझावात्मक हों तो बताइये.
श्रीमती ममता मीना - सभापति महोदया, महिला सशक्तिकरण का दिवस है इसलिए मैं महिलाओं के ऊपर बोल रही हूँ. हमारी लाडो अभियान यह कितना अच्छा अभियान रहा, जिसमें बाल-विवाह, हमारी लाडो अभियान ने रूकवाया. हमारे प्रधानमंत्री जी ने इस तरह की बालिकाओं का सम्मान भी किया है. इस समाज के अन्दर जो कुरीतियां थीं जैसे बाल-विवाह करना. इस बाल-विवाह को हमारी लाडो अभियान के तहत महिला बाल-विकास के प्रचार-प्रसार के माध्यम से, हमारी बालिकाओं को इतना जागरूक किया. उस जागरूकता के माध्यम से, ऐसे कई विवाह रूकवाये गये और उस विवाह को शून्य भी घोषित किया गया. साथ में, जो लोग नहीं माने उन पर अपराध भी दर्ज कराये गये हैं. लाड़ली लक्ष्मी योजना एक बहुत बड़ी योजना है कि सन् 2006 से प्रारम्भ हुई. अब तो हमारी लाड़लियां 22 लाख के लगभग पहुँच गई है. यह हमारी सरकार ने बड़ा कार्य किया है. पहले लड़कियां अभिशाप एवं बोझ कही जाती थीं. आज वे वरदान के रूप में बन गई हैं.
माननीय सभापति महोदया, इसी तरह से 'अनमोल' है. आज, अगर किसी स्त्री को बच्चा नहीं है, अगर उसे बच्चा मिल जाये तो वह उसके लिए बहुत अनमोल है. उस अनमोल के साथ-साथ, हमारे जिस आश्रम से, वे बच्चा लेकर आ रहे हैं. वे हमारे लिए अनमोल हैं. उसके तहत ऐसा नहीं है कि बच्चा दे दिया, उसकी देख-रेख पूरी तरह से होती है. इस धरती पर अनुसूइया एवं सीता जैसी स्त्रियां हुईं, जिन्होंने समाज में महिला नारी को एक सम्मान की दृष्टि एवं नारी जाति को बहुत कुछ दिया है. मैं माननीय मंत्री जी से कहना चाहती हूँ कि जो आदर्श आंगनवाड़ी केन्द्र आपने गांव-गांव में स्थापित किये हैं, यह बहुत सराहनीय कदम आपकी ओर से और माननीय मुख्यमंत्री जी की ओर से है. उसी के साथ, उनमें भी आप मिनी आंगनवाड़ी केन्द्र बनायें. इससे एक मिनी आंगनवाड़ी केन्द्र पूरी तरह से मजबूत हो, सजग हो. मिनी आंगनवाड़ी केन्द्र जरूर बनाये जायें. यह मेरा सुझाव भी है. आदर्श आंगनवाड़ी केन्द्र, जो आपने ब्लॉक स्तर पर दिये हैं, उनकी संख्या भी बढ़ाई जाये क्योंकि आदर्श आंगनवाड़ी केन्द्र शानदार, सुन्दर और सुसज्जित तरीके से हों, अगर उनकी ज्यादा संख्या बढ़ेगी तो सरकार का प्रचार-प्रसार भी बढ़ेगा.
माननीय सभापति महोदया, आपके माध्यम से, हमारी बालिकाओं को इतने सुन्दर-सुन्दर नामों से, जब वह शादी करके ससुराल में जाये तो 1 लाख 18 हजार रूपये का चैक लेकर एवं हमारी लाड़ली लेकर जाये तो आपने इतना बड़ा सम्मान, इस समाज में हमारी लड़कियों को दिलवाया, इसके लिये मैं माननीय मुख्यमंत्री जी एवं माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देती हूँ. मैं नारियों के सम्मान में एक बात और कहना चाहती हूँ कि:
नारी तुम केवल श्रद्धा हो,
विश्वास रजत नग पग तल में,
पीयूष श्रोत सी बहा करो,
जीवन के सुन्दर समतल में, (जीवन के सुन्दर ...)
आपने मुझे बोलने का समय दिया, उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्रीमती चन्दा सिंह गौर (खरगापुर) - माननीय सभापति महोदया, मैं मांग संख्या 55 का विरोध करते हुए, अपनी बात रखते हुए आपके माध्यम से, माननीय मंत्री जी के समक्ष कुछ सुझाव रखना चाहती हूँ. जो मेरी विधासनभा खरगापुर से जुड़े विषय हैं. आंगनवाड़ी केन्द्रों में जो गोद भराई कार्यक्रम होता है और जो राशि महिलाओं की दी जाती है, वह कम है. उसे बढ़ाये जाने की व्यवस्था की जाये एवं ऐसे आयोजनों में महिला जन-प्रतिनिधियों को अवश्य रूप से बुलाया जाये. मेरी विधानसभा खरगापुर में जो आदिवासी परिवार, जिन ग्रामों में एवं मोहल्लों में अधिक संख्या में निवास करते हैं. जैसे एकता नगर चरी, पचेर, हीरापुर नजदीक सरकनपुर, सेवार, सौरयाखिरक, बाबा खेरा, करमासन, करमासन, राहुल ग्राम टपरियन, आदिवासी मोहल्ला है. दौनपटार, आदिवासी मोहल्ला जनकपुर एवं रैकवार मोहल्ला बुढ़की खेरा आदि इन स्थानों पर नये आंगनवाड़ी केन्द्र खोले जायें, तो आम जनता के हित में होगा. मैं मंत्री जी से निवेदन करना चाहती हूं कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिकाओं का वेतन बढ़ाया जाये. जिससे इन छोटे पदों पर पदस्थ महिलाओं के परिवारों के लिये आजीविका अच्छी तरह से चल सके. परियोजना अधिकारियों एवं सहायिकाओं तथा कार्यकर्ताओं की कार्यशैली क्षेत्र में किस तरह की चल रही है, जिसकी जांच किये जाने हेतु प्रत्येक विधायक को अपने विधान सभा क्षेत्र में देख-रेख हेतु शासन के नियम अनुसार महिला एवं बाल विकास विभाग द्वरा स्पष्ट आदेश जारी किये जायें, जिससे कुपोषित, गर्भवती महिलाओं एवं बच्चों को शासन की योजनाओं का पूर्ण लाभ मिल सके और समय समय पर केंद्रों का ओचक निरीक्षण हो सके. महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा प्रचारित किया जा रहा है कि महिलाओं के विरुद्ध हिंसा के प्रकरणों में कमी आई है. घरेलू निर्णय में उनकी भागीदारी का प्रतिशत बढ़ा है. यह बात राज्य सरकार किस आधार पर बात कर रही है, यह सदन में भी आना चाहिये, उसके लिये क्या कोई सर्वेक्षण किया गया है, किया गया है तो किसने किया है, सर्वेक्षण का तरीका क्या था. यह सब बातें सदन में आती हैं, तो अन्य विधायकों को भी समझने में आसानी होती है. सभापति महोदया, आपने बोलने के लिये समय दिया, धन्यवाद.
1.02 बजे अध्यक्षीय घोषणा
माननीय सदस्यों के लिये भोजन विषयक
सभापति महोदया -- माननीय सदस्यों के लिये सदन की लॉबी में भोजन की व्यवस्था की गई है. माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि वे सुविधानुसार भोजन ग्रहण करने का कष्ट करें.
1.03 वर्ष 2016-17 की अनुदानों की मांगों पर मतदान (क्रमशः)
श्रीमती उमादेवी खटीक (हटा) -- सभापति महोदया, मैं महिला एवं बाल विकास मंत्री जी द्वारा प्रस्तुत मांग संख्या 55 का समर्थन करती हूं और कटौती प्रस्तावों का विरोध करती हूं. हमारे हिन्दुस्तान के पूर्व साहित्यकारों ने सोच कर महिला शब्द बनाया होगा. महिला में 3 अक्षर जो हमारे लिये महत्वपूर्ण है. मां से ममता, ह से हिम्मत और ल से लड़ाई. महिला अपनी ममता को आंचल में समेटकर समाज में हिम्मत से अपने परिवार को संभालने के लिये लड़ाई लड़कर आगे बढ़ती है. हमारे मध्यप्रदेश में हम सब के भाई लोकप्रिय ऊर्जावान, स्वप्नदृष्टा मुख्यमंत्री जी, भैया शिवराज सिंह जी ने प्रदेश की महिलाओं, बालिकाओं के उत्थान के लिये सामाजिक, आर्थिक, स्वास्थ्य और पोषण की स्थिति में व्यवस्थाओं को प्राथमिकताओं में शामिल कर नित्य नई योजनाएं बनाकर नई ऊंचाइयों की ओर कदम बढ़ाया है. यही कारण है कि पंचायत स्तर से 50 प्रतिशत का आरक्षण का अधिकार हमें मिला. शासन का लक्ष्य महिलाओं का पूर्ण सशक्तिकरण है. राज्य की महिला नीति की मूल अवधारणा महिलाओं के प्रति समाज की मानसिकता में सकारात्मक परिवर्तन लाना है, जिससे साथ में विराजमान अधिकारियों में असामनता की स्थिति समाप्त हो, महिलाओं के प्रति समानता एवं सम्मान की भावना एवं उसकी सुरक्षा, आर्थिक आत्म निर्भरता एवं विकास में समान भागीदारी सुनिश्चित होनी चाहिये. इस बात का ध्यान भी विभाग ने रखते हुए महिला नीति बनाई. इसी प्रकार लाड़ली लक्ष्मी योजना अंतर्गत किसी प्रकार का भेदभाव न रखते हुए सभी वर्गों के समाज के लिये योजना बनाई, इसलिये समाज में बहुत हर्ष व्याप्त है. आज हमारे प्रदेश के 51 जिलों के 313 विकास खण्डों में 52117 ग्रामों में योजना अंतर्गत अब तक लगभग 22 लाख लाड़लियों का पंजीयन कराया गया. इसी प्रकार बालिकायें बिना हिचक के स्वछंद रुप से अपने घर से निकलें और आत्मनिर्भर बनें, इसके लिये शौर्य दल योजना बनाकर महिलाओं के प्रति हिंसा को रोकने तथा जागरुकता बढ़ाने के लिये सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में शौर्य दल की स्थापना की.
सभापति महोदया, मेरी विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत कुछ सुझाव भी हैं और कुछ कार्य भी हैं. मेरी विधान सभा हटा में एक वृद्ध आश्रम की आवश्यकता है, ताकि हटा के असहाय परित्यक्त बुजुर्ग लाभान्वित हो सकें. विकास खण्ड में खुले आश्रय देख भाल तथा संरक्षण की भी आवश्यकता है. बच्चों, विशेषतया अनाथ बच्चों, भीख मांगने वाले, आवारा तथा काम काजी, कूड़ा बीनने वाले, धूम घूमकर तमाशा दिखाने वाले बच्चों के लिये खुले आश्रय का निर्माण होना बहुत ही जरुरी है. मेरी विधान सभा में लगभग 120 आंगनवाड़ी केंद्र भवन विहीन हैं. उनके निर्माण के लिये जिले में राशि भेजी जाये. मैं मंत्री जी से हमारे यहां जो भवन विहीन आंगनवाड़ी केंद्र हैं, उन्हें पूरा कराने के लिये निवेदन करती हूं. जनसंख्या के आधार पर कुछ ग्राम एवं मजरों टोलों में नये आंगनवाड़ी केंद्र खोले जाने की भी अनुशंसा की जाये. जिला स्तर के अधिकारियों को भी निर्देश किया जाये. सभापति महोदया, अंत में मैं दो लाइन बोलकर अपनी बता को समाप्त करती हूं. नारी निभायेगी नये दायित्व सारे, अब न कोई उसे अबला कहकर पुकारे. नारी अब सरिता सी बहेगी आगे और उसके कष्ट होंगे किनारे, क्योंकि शिवराज जी जैसे भाई हैं हमारे. सभापति महोदया, आपने बोलने के लिये अवसर दिया, धन्यवाद.
सभापति महोदया -- अगर नाम न दिया हो और कोई हमारी विधायक बहन बोलना चाहती है, तो वह भी अपनी बात संक्षिप्त में रखे. आज जब यह लिबर्टी हमको मिली है, महिला सदस्यों को कि अपनी बात कहें , तो इसका हमें पूरा पूरा उपयोग करना चाहिये.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- सभापति महोदया, आज आप भी महिला के रुप में आसंदी पर विराजमान हैं और सदन में महिला विधायक बोल रही हैं, इसके लिये आपको धन्यवाद.
सभापति महोदया -- पर धन्यवाद देने वाला पुरुष है, इसकी मुझे खुशी है.
श्री वैलसिंह भूरिया -- सभापति जी, वास्तव में आप आज माननीय अध्यक्ष जैसे लग रहे हैं.
खाद्य मंत्री (कुंवर विजय शाह) -- सभापति जी, आपके पिताजी, श्री बृजमोहन मिश्र जी विधान सभा के माननीय अध्यक्ष रह चुके हैं और वह कहीं न कहीं आपके ब्लड में है. मैं समझता हूं कि जो कुछ है, वह हमें पुरातत्व में मिला है, पिताजी से मिला है.
सभापति महोदया -- भैया धन्यवाद.
श्रीमती योगिता नवलसिंग बोरकर (पंधाना) -- सभापति महोदया, मैं आपको बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहूंगी कि मेरा नाम लिस्ट में न होते हुए भी आज आपने बोलने के लिये हमें समय दिया. मैं महिला बाल विकास मंत्री जी को बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहूंगी, जिनके नेतृत्व में यह विभाग इतना अच्छा संचालित हो रहा है. प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री, हमारे भाई, बच्चों के मामा और बहनों के भाई को भी मैं बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहूंगी, जिन्होंने मातृ शक्ति को बढ़ाने के लिये नये नये आयाम खड़े किये हैं. आज अगर पंचायत राज में 50 प्रतिशत महिलाएं जीतकर आई हैं, तो वह हमारे माननीय मुख्यमंत्री, श्री शिवराज सिंह चौहान जी की देन है. मैं उनको बहुत बहुत धन्यवाद और बधाई देना चाहूंगी. मैं उनको बहनों की ओर से एक आशीर्वाद और देना चाहूंगी कि ऐसे भाई हमेशा ऐसी सीट पर बैठते रहें और देश एवं प्रदेश विकास करता रहे तथा महिलाएं आगे बढ़ती रहें. जैसे लड़के और लड़कियों का लिंग अनुपात कम हो गया था, उसी को ध्यान में रखते हुए महिलाओं की संख्या बढ़ाने के लिये उन्होंने लाड़ली लक्ष्मी योजना बनाई, जो आज बेटियों को जीने का अधिकार मिला और एक नया आयाम मिला है. हमारे क्षेत्र में हमारी मंत्री जी गयी थीं, उनके आगमन से हमें भी बहुत खुशी मिली और बहुत अच्छे नये आंगनवाड़ी भवन बनाये हैं, जिनके माध्यम से कुपोषण भी दूर हो रहा है. सभापति महोदय पहले हमारे प्रदेश को बीमारू राज्य की श्रेणी में रखा जाता था, कुपोषण की संख्या भी बहुत थी किंतु जब से मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की शासन आया है तब से बीमारू राज्य से स्वस्थ्य राज्य में इसका नाम परिवर्तित हुआ है, कुपोषण भी दूर हुआ है. यह प्रदेश के मुख्यमंत्री जी की बड़ी उपलब्धि है. माननीय मंत्री महोदय को जब से विभाग की बागडोर सोंपी गई है बहुत अच्छा काम प्रदेश में हो रहा है, नये नये आंगनवाडी केन्द्र बनाये जा रहे हैं. माननीय मंत्री महोदय जब मेरे क्षेत्र में गये थे तो वहां की आंगनवाडी के कर्मचारियों ने समस्यायें रखीं थी कि इतनी मंहगाई के दौर में 5000 के वेतन से गुजारा नहीं होता है. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी से माननीय मंत्री जी से अनुरोध करूंगी कि यदि उनके वेतन को बढ़ाने की घोषणा करेंगे तो अच्छा होगा. सभापति महोदया, अंतिम निवेदन मैं माननीय मंत्री महोदय से करना चाहूंगा कि मेरे क्षेत्र में 2 वर्षों में उन्होंने बहुत से आंगनवाड़ी केन्द्र केन्द्र स्वीकृत किये हैं, कुछ बनना बाकी हैं उनको यथाशीघ्र पूर्ण कराने का आश्वासन वे देंगी. आपने समय दिया उसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद, जय हिंद, जय भारत, भारत माता की जय.
श्रीमती ललिता यादव(छतरपुर) -- माननीय सभापति महोदय, अपनी बात प्रारंभ करूं उसके पहले महिलाओं के सम्मान में मैं कुछ कहना चाहती हूं
ओस की बूंदों सी होती हैं बेटियां, जरा भी दर्द हो तो रोती हैं बेटियां
रोशन करेगा बेटा एक ही कुल को, दो दो कुलों की लाज रखती हैं बेटियां.
आदरणीय सभापति महोदय, मैं आज आपके माध्यम से मध्यप्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी को, हमारी माननीय मंत्री जी जिनको पूरा प्रदेश लाड़ली मामीजी बोलता है उनको ढेर सारी शुभकामनायें और बधाई देना चाहती हूं जिनके निर्णय और उस पर सभापति महोदया के निर्णय किया कि आज महिला एवं बाल विकास विभाग की मांगों पर सिर्फ महिलायें ही बोलेंगी इसके लिये आपको बहुत बहुत शुभकामनायें.
माननीय सभापति महोदय माननीय मुख्यमंत्री और मंत्री महोदया ने महिलाओं को सशक्त बनाने के लिये महिला पंचायत के माध्यम से कई अनुकरणीय योजनायें महिलाओं के हित में बनाई हैं जिसकी सराहना पूरे देश में हुई है. वर्तमान में महिला सशक्तीकरण वर्ष चल रहा है. इसका जीता जागता उदाहरण यही है कि आज सदन में केवल महिलायें ही बोल रही हैं. मैं सदन के माध्यम से माननीय प्रधान मंत्री जी को भी बधाई देना चाहती हूं कि उन्होंने गुलाबी गेंग की संपत पाल का सम्मान किया है, उनके सम्मान में 8 मार्च को प्रदेश में पिंक ड्रेस कोड लागू किया, इसके लिये मंत्री जी को बधाई. प्रधान मंत्री जी ने एक बात और कही है कि महिलायें तो पहले ही सशक्त थीं पुरूष उनको सशक्त बनाने वाले होते कौन हैं. इस बात के लिये हम प्रधान मंत्री जी सम्मान करते हैं, बधाई देते हैं. यह हमारे मध्यप्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री और महिला बाल विकास मंत्री जी ने यह भी कहा है कि "बेटी है तो कल है," और "बेटी है तो सृष्टि है. बेटी सृष्टि की रचयिता है". इससे निश्चित रूप से महिलाओं का मान और सम्मान बढ़ा है. मैं इसके लिये भी बधाई देना चाहती हूं.
राज्य मंत्री, लोक स्वा.परिवार कल्याण (श्री शरद जैन) -- माननीय सभापति महोदया जी, एक छोटा सा निवेदन है, जैसा कि माननीय विधायिका जी बोल रही हैं कि पुरूष होते कौन हैं महिला को सशक्त करने वाले, ऐसा नहीं लगता कि मामा के सामने प्रश्नचिह्न लग गया.
श्रीमती ललिता यादव- मामा ने तो बहनों को सशक्त बनाया है यह प्रश्नचिह्न की बात नहीं है यह माननीय प्रधानमंत्री जी ने कहा है.
श्री शरद जैन-- ठीक है आप मामी जी की तारीफ करें लेकिन बीच में मामा का जिक्र भी करें.
श्रीमती ललिता यादव-- मामी जी की तारीफ में मामा जी की तारीफ स्वयं आ जाती है.
सभापति महोदय-- आप अपनी बात बहुत अच्छी तरह से कह रही हैं. हम महिलायें यह पक्की तौर पर निर्णय कर लें कि किसी की बात का रियेक्शन नहीं करेंगी तो आधी परेशानी स्वत: ही साल्व हो जायेगी. कृपया बात रखें.
श्रीमती ललिता यादव- सभापति महोदया, पहले जब बेटी पैदा होती थी, मां बाप के सीने का बोझ मानी जाती थी और जिस घर में बेटी पैदा होती थी उस बहू की कद्र कम हो जाती थी. प्रदेश के मुख्यमंत्री जी और आदरणीय महिला एवं बाल विकास मंत्री जी ने इस बात पर बहुत अच्छी तरह से मनन किया, बेटियों की संख्या निरंतर कम होती जा रही थी, समाज में उनका कद भी कम होता जा रहा था. इस बात को लेकर के लाड़ली लक्ष्मी योजना जो हमारी सरकार ने बनाई उसकी तारीफ पूरे देश में हुई है. देश की पूर्व राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटिल ने भी इसकी सराहना की थी. लाड़ली लक्ष्मी योजना के तहत एक निश्चित राशि का प्रावधान हमारी सरकार ने किया है. जब बेटी पैदा होगी एक निश्चित राशि देंगे, बेटी को निशुल्क पढ़ायेंगे और जब बेटी श्वसुराल जायेगी 1 लाख 18 हजार रूपये की राशि लेकर के जायेगी तो उस बेटी का मान बढेगा. पूरे प्रदेश में जिस तरह से बेटियां शिक्षित हुई हैं , मैं इस सदन के माध्यम से इसके लिये भी मुख्यमंत्री जी को मंत्री जी को बहुत बहुत शुभकामनाएं देती हूं.
सभापति महोदया, आदरणीय मामी जी महिला एवं बाल विकास विभाग की मंत्री हैं उन्होंने संगठन में रहते हुये भी हम सब लोगों का..
सभापति महोदय- कृपया सरकार के संदर्भ में बात करेंगे तो उचित होगा.
श्रीमती ललिता यादव-- ठीक है. आदरणीय मंत्री महोदया ने विभाग की बागडोस सम्हालने के बाद में महिलाओं को आगे लाने के लिये सतत कार्य किया है. 20 वर्षों से मैं देख रही हूं जिस तरह से उन्होंने महिलाओं के महत्व को बढ़ाया है, आगे बढ़ाने का काम किया है, महिलाओं को प्रोत्साहित किया है, मैं सदन में उसका उल्लेख करना चाहूंगी आदरणीय मामी जी का स्नेह जिस तरह से बहनों को मिला है, पूरे प्रदेश की बहनों को मिला है इसकी में सराहना करती हूं. बधाई देना चाहती हूं. सभापति जी, विभाग द्वारा लाडो अभियान के तहत बाल विवाह को रोकने का भी प्रयास किया है.
सभापति महोदय-- अगर आप नई ईश्यू पर बात करेंगी तो बेहतर रहेगा. पुनरावृत्ति न हों, आप सुझाव दें, मांग करें, अच्छे कार्यों की प्रशंसा करें. लेकिन पुनरावृत्ति न करें.
श्रीमती ललिता यादव--सभापति जी, लाडो अभियान के तहत प्रदेश में बाल विवाह रोकने का कार्य विभाग की मंत्री ने किया है, इस अभियान से 40 लाख लोगों को जोड़ा गया,इसके लिये शुभकामनायें. इसका परिणाम यह हुआ कि 81 हजार 724 बाल विवाह को सम्पन्न होने से रोका गया. सभापति जी, गांव में लोग बाल विवाह कर देते हैं उसका कारण यह होता है कि जो गरीब तबके के लोग होते हैं उनको लगता है कि बेटी की शादी जल्दी कर दें, इसके लिये विभाग द्वारा प्रचार प्रसार तो किया जा रहा है लेकिन और अधिक प्रचार प्रसार की आवश्यकता है. इससे गांव में निवास करने वालों की सोच बदलेगी.
सभापति महोदय शौर्य दल का गठन महिला हिंसा को रोकने के लिये, अत्याचार, अपराध, योन शोषण रोकने के शौर्य दल का गठन किया है .24 जून 2013 को इस दल का गठन किया गया है. इसमें हमारा छतरपुर जिला भी शामिल है. इसके लिये शुभकामनायें. उषा किरण योजना के तहत महिलाओं एवं बच्चों को, 18 साल से कम वर्ष की बालिकाओं के लिये घरेलू हिंसा रोकने के लिये महिला संरक्षक अधिनियम 2005, नियम 2006 के तहत राज्य सरकार द्वारा उषा किरण योजना संचालित की जा रही है . इसमें महिलाओं एवं बच्चों को घरेलू हिंसा के संरक्षण के अधिकार प्राप्त हुये हैं. मानसिक, लेंगिक, आर्थिक, बोद्धिक और भावनात्मक आदि प्रकार की हिंसा को इसमें शामिल किया गया है.
सभापति जी, जिस तरह से प्रदेश के मुख्यमंत्री के नेतृत्व में माननीय महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदय ने महिलाओं को आगे बढ़ाने का काम किया है, उनको सशक्त करने का काम किया है, इसके लिये महिलाओं को अभी निशुल्क ड्रायविंग लाईसेंस बनाने की सौगात दी है उसके लिये शुभकामनायें. मंत्री जी हमारे क्षेत्र में कुछ जगहों पर आंगनवाडी अधूरी हैं , कई जगहों पर आंगनवाडी केन्द्र स्थापित नहीं हुय़े हैं, अनुरोध है कि आंगनवाड़ी का निर्माण करने की कृपा करेंगी. आंगनवाड़ी केन्द्र के जो कार्यकर्ता या सहयोगी रहती हैं तो अपने घर में ही वे आंगनवाड़ी संचालित करती हैं तो उसका संचालन ठीक से नहीं हो पाता है इसलिये यह भी निर्देश जारी करें कि घर में आंगनवाड़ी संचालित न हो. इन्हीं शब्दों के साथ आदरणीय मामी जी को, आदरणीय मुख्यमंत्री जी को और आदरणीय सभापति जी को ढेर सारी शुभकामनायें देती हूं जिन्होंने महिला विधायकों के नाम मांग में शामिल न होने के बाद भी हमें अपनी बात को रखने का अवसर प्रदान किया इसके लिये बहुत बहुत बधाई, बहुत बहुत शुभकामनायें, धन्यवाद.
सभापति महोदया-- मैं आज माननीय महिला बाल विकास मंत्री जी को आमंत्रित करने से पहले कुछ 2-3 बातें अपनी ओर से भी विनम्रता पूर्वक कहना चाहती हूं. जब हम महिला बाल विकास की बात करते हैं तो हम महिलाओं के कल्याण की बात नहीं करते, हम संपूर्ण जगत के कल्याण की बात करते हैं और सबसे बड़ा जो संकट महिलाओं के सामने होता है वह यह होता है कि अगर उनको हर बात के लिये पुरूषों के आगे हाथ फैलाना पड़ें, हर छोटी बड़ी आवश्यकता के पीछे उनको कहीं न कहीं मांगना पड़े, अगर ईश्वर और महिला बाल विकास मंत्री और माननीय मुख्यमंत्री जी एक ही चीज महिलाओं के लिये कर सकें तो महिलाओं को आर्थिक तौर पर स्वावलंबी बनाना, महिलाओं का सबसे बड़ा महिलाओं के ऊपर किया गया अनुग्रह होगा, उनके साथ में बड़ा सपोर्ट होगा. कहा गया है कि-
Life is bitter to the very bone, if you are Women poor and alone.
मैं माननीय मंत्री जी से आग्रह करती हूं कि नेशनल अर्बन लाइवलीहुड मिशन, नेशनल रूरल लाइवलीहुड मिशन और ग्रामोद्योग इन सबके साथ कोऑर्डीनेट कर महिलाओं की ट्रेनिंग भी करें, उनको हम स्किल्ड भी करें ओर उनके बनाये गये उत्पाद के लिये मार्केटिंग की व्यवस्था बनायें तो महिलाओं को परिवार और सरकार पर आश्रित होने की आवश्यकता ही कम से कम होगी. महिलाओं की आजीविका की तरफ अधिक से अधिक हम अगर उनको सेल्फ डिपेन्डेन्ट बनाने के लिये हम महती काम करेंगे तो बहुत बड़ा काम हम देश और दुनिया के सामने रख सकेंगे. वैसे मध्यप्रदेश में महिलाओं के सशक्तिकरण की दृष्टि से बहुत अच्छा काम किया गया है, देश उसका अनुकरण कर रहा है. मैं आदरणीय माया सिंह जी को आमंत्रित करने से पहले यह कहूंगी कि हम मोटर साइकिल पर बैठे हुये पुरूष की कल्पना करते हैं, हम जीप या कार चलाते हुये पुरूष की कल्पना करते हैं, हम घोड़ा चलाते हुये भी पुरूष की कल्पना करते हैं पर शेर पर बैठी हुई हम केवल महिला की ही कल्पना कर सकते हैं. मैं माया सिंह जी को कहती हूं कि वह अपनी मांगों पर अपना चर्चा आगे बढ़ायें.
सभापति महोदय-- जी रंजना जी.
श्रीमती रंजना बघेल (मनावर)-- माननीय सभापति महोदय, मुझे बहुत खुशी और प्रसन्नता होती है कि देश के राज्यों में पहला ऐसा मध्यप्रदेश है जो माननीय मुख्यमंत्री जी ने 64 हजार महिलाओं को स्वावलंबी बनाया है और 50 प्रतिशत आरक्षण देकर के नगरीय निकायों में और आत्मनिर्भर बनाया है, सर्विस में 33 प्रतिशत आरक्षण दिया है तो हमें बहुत खुशी होती है कि एक समय वह था जब मध्यकाल में राजाराम मोहन राय जी को महिलाओं के आंदोलन के लिये अग्रदूत होना पड़ा, उसी के बाद डॉ. अंबेडकर जैसे नेतृत्व ने हमारे लिये मताधिकार का महिलाओं के लिये किया है, स्वावलंबी बनाया है और आज उसी तर्ज पर माननीय मुख्यमंत्री जी ने पूरे देश में जिसका हमारे मध्यप्रदेश का दूसरे प्रदेशों में भी, महिला बाल विकास विभाग का नाम रोशन किया है और हमारी अभिनव योजनाओं को भी दूसरे प्रदेशों में लागू भी की है. कुपोषण के क्षेत्र में भी जब कांग्रेस के समय 62 प्रतिशत कुपोषण था आज 36 प्रतिशत कम कर दिया है माननीय सभापति महोदय.
सभापति महोदय-- रंजना जी ने भी महिला बाल विकास मंत्री रहते हुये बहुत अच्छा काम किया.
श्रीमती रंजना बघेल-- मैं एक शेर कहना चाहूंगी--
बलम चंदों, बलम सूर्यो, बलम श्रवण ब्राह्मणा,
बलम बेला समुदस्य, बलम बेला थी इच्छो.
मतलब यह कहा गया है कि समुद्र की लहरें भी बलवान हैं, ब्रह्मा भी बलवान है, सूर्य भी बलवान है, सूर्य की किरणें भी बलवान हैं, लेकिन महिला से अधिक कोई बलवान हो ही नहीं सकती, यह है माननीय सभापति महोदय और मैं माननीय मामी जी को धन्यवाद देना चाहती हूं कि 900 करोड़ रूपये के बजट से शुरूआत कांग्रेस के समय से हुई थी और आज बहुत ज्यादा बजट के साथ आज लाडो अभियान, सूर्यदल अभियान और आत्मनिर्भर बनाने के लिये बहुत ही सराहनीय कदम उठाये हैं, मैं आदरणीय मामी जी को और माननीय मुख्यमंत्री जी को बहुत-बहुत धन्यवाद देती हूं.
सभापति महोदय-- निर्णय लेने की प्रक्रिया में महिला का शामिल होना बहुत बड़ी बात है.
खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री (श्री विजय शाह)-- माननीय सभापति जी, आपने और माननीय सदस्याओं ने यहां बहुत अच्छे सुझाव दिये. मैं भाषण नहीं दे रहा हूं, खाली एक लाइन में आपको बता रहा हूं कि जितनी माननीय हमारी बहनों ने, सदस्यों ने विचार यहां व्यक्त किये. हमारी गौरवशाली विधानसभा अपने आप में गौरवांवित इसलिये हो रही है कि यहां का मुखिया और यहां की हमारी मंत्री महोदया जिन्होंने न सिर्फ कामों के माध्यम से, नियमों के माध्यम से बल्कि अपने आचरण से भी संबंध बनाये हैं. आज हमारे मुखिया को मामा कहते हैं, हमारी मंत्री को मामी के नाम से पूरा सदन पुकार रहा है, इस मामा मामी के सरकार को मैं बधाई देना चाहता हूं कि पारिवारिक रूप में इस प्रदेश में महिलाओं का विकास करें, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्रीमती सरस्वती सिंह (चितरंगी)-- सभापति जी आज महिला बाल दिवस की चर्चा हो रही है और खासकर हमारे दर्शकगण में सबसे ज्यादा महिलायें भी उपस्थित हैं मैं इनको बहुत-बहुत बधाई देना चाहती हूं, धन्यवाद.
श्री राजेन्द्र पाण्डेय-- माननीय मंत्री जी ने जो वक्तव्य दिया है वह भी महिलाओं की तरु से ही माना जाये.
श्री घनश्याम पिरौनिया-- माननीय सभापति महोदय, मामी जी को मामी जी इसलिये पुकारा जाता है कि वह हमारे श्रीमंत माधवराव सिंधिया जी की मामी जी हैं, इसलिये हमारा पूरा संभाग मामी जी के नाम से पहचानता है. मैं थोड़ा संसोधन करने के लिये खड़ा हुआ था.
महिला एवं बाल विकास मंत्री (श्रीमती माया सिंह)-- माननीय सभापति महोदया, मेरा विभाग जरूरतमंद महिलाओं और बच्चों को बहुत ही संवेदनाओं और भावनाओं के साथ उनसे जुड़कर अपनी सेवायें दे रहा है. यह विभाग ऐसा विभाग है जो जरूरतमंद इंसान की जिंदगियों से जुड़ा हुआ है. मेरे विभाग का जो पूरा अमला है वह प्रदेश के गांव-गांव में बहुत ही सजगता के साथ अपनी सेवायें दे रहा है, ऐसे विभाग का दायित्व मुझे मुख्यमंत्री जी ने सौंपा है, मैं उनकी हृदय से आभारी हूं, माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में हम कृतसंकल्पि हैं कि प्रदेश की महिलायें सशक्त और आत्मनिर्भर बनें और साथ ही बच्चों को उनके मूलभूत अधिकार स्वत मिलें. मुझे आज यहां बहुत सम्मानीय विधायिकाओं ने बहुत महत्वपूर्ण सुझाव दिये हैं और बहुत सारी जानकारियां मुझे उपलब्ध कराई हैं. आज के लिये मैं हिना कांवरे जी को, ऊषा ठाकुर जी को, ओमकार सिंह मरकाम जी को, पारूल साहू जी, संगीता चारोल जी, शीला त्यागी जी, ममता मीणा जी, चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर जी, उमादेवी खटीक जी, योगिता बोरकर जी, ललिता यादव जी और साथ ही साथ हमारी बहन रंजना जी और मंच से भी मुझे सुझाव प्राप्त हुये हैं, मैं उन सभी का दिल से धन्यवाद देती हूं और फिर पुन कहती हूं कि जो भी मुझे महत्वपूर्ण सुझाव और अच्छे सुझाव मिले हैं, निश्चित तौर पर मैं उनका लाभ लेते हुये विभाग के कार्यक्रमों को और बेहतर बनाने का प्रयास करूंगी.
सभापति महोदया, हमें सब पता है कि यह विभाग 1986 में इसकी स्थापना हुई और बाद में 1988 और 1989 में यह पृथक विभाग के रूप में अस्तित्व में आया और उसके बाद 2012 और 2013 में माननीय मुख्यमंत्री जी ने विभाग के कार्यों में और अधिक अच्छे-अच्छे कदम उठाये जायें और इसका काम और बेहतर हो, इसके लिये इस विभाग के दो हिस्से किये, एक है एकीकृत बाल विकास सेवा और दूसरा महिला सशक्तिकरण, ये दो संचालनालय बने और इन दोनों का ही अलग-अलग पृथक रूप से उन्होंने बजट किया है. इसके साथ ही साथ अध्यक्ष जी मैं बताना चाहूंगी कि मेरा विभाग, सबसे पहले मैं बच्चों से जुड़े हुये एकीकृत बाल विकास सेवा के बारे में यहां चर्चा करना चाहूंगी. हम सब जानते हैं बच्चे हमारे अनमोल है, उनकी जिंदगी हमारे लिये बहुत ही महत्वपूर्ण है और हमारे देश का ये बच्चे भविष्य भी हैं, हमारा भविष्य कैसा होगा यह हमारे इन बच्चों की परवरिश, तालीम और इनकी जो हम शिक्षा कराते हैं उसके ऊपर निर्भर करता है. यह जरूरी है कि इनका पूरा-पूरा ध्यान रखा जाये. बच्चा अगर सुपोषित और स्वस्थ होगा तो स्वस्थ नागरिक बनेगा, अपनी रूचि, योग्यता और क्षमताओं के आधार पर वह प्रदेश और देश को योगदान दे सकेगा. इसके लिए बेहतर पोषण के लिए एकीकृत बाल विकास सेवा योजना के तहत आंगनवाड़ियों में मंगल दिवस के कार्यक्रम और अटल बाल आरोग्य पोषण मिशन और खास तौर से पोषण आहार योजना में किशोरी बालिकाओं के सर्वांगीण विकास और उनके कौशल उन्नयन हेतु सबला और किशोरी शक्ति योजना और ISSNIP जैसी महत्वपूर्ण योजनाएं चलाई हैं. समेकित बाल विकास योजना में आंगनवाड़ियों की पहुंच आज मैं कहना चाहती हूं कि गांव-गांव तक हो गई है. इससे न सिर्फ बच्चे बल्कि महिलाओं के स्वास्थ्य और पोषण में भी सुधार हुआ है, बहुत सारी महिलाओं को इससे रोजगार भी मिला है. आज इन 52000 से अधिक आंगनवाड़ी केन्द्रों में हमारी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका, साथ ही साथ मिनी आंगनवाड़ी केन्द्रों में जो 80180 आंगनवाड़ी केन्द्र हैं और 12070 मिनी आंगनवाड़ी केन्द्र हैं इनमें बहनें अपनी सेवाएं दे रही हैं.
साथ ही साथ 452 परियोजनाएं हैं, इन परियोजनाओं को मिलाकर मैं कहना चाहती हूं कि इन आंगनवाड़ी केन्द्रों में तकरीबन 105 लाख हितग्राही जो हैं वह आईसीडीएस की सेवाओं का लाभ ले रहे हैं. मैं वर्ष 2016-17 के लिए भारत सरकार के द्वारा निर्धारित सीमा के अंतर्गत रुपए 2012.85 करोड़ रुपए का बजट प्रस्तावित किया गया है. इसलिए सभापति महोदया मैं बताना चाहूंगी कि हमारे विभाग में जो आंगनवाड़ी कार्यकर्ता है और सहायिका के रूप इतनी बड़ी संख्या में हैं, वह हमारे विभाग की जो योजनाएं हैं और विभाग में जो हितग्राही हैं, उनके बीच की महत्वपूर्ण कड़ी है. एक तरह से कहें तो यह विभाग की रीढ़ हैं. मुख्यमंत्री जी ने, सम्मानीय विधायकों ने अपने सुझावों में उनके मानदेय को बढ़ाने की बात कही है तो मैं कहना चाहती हूं कि वर्ष 2003-04 में हमारी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को 1000 रुपए, आंगनवाड़ी सहायिका को 500 रुपए मिलता था. वह वर्तमान में बढ़कर अब 5000 और 2500 रुपए प्रतिमाह हुआ है. इसी तरीके से जो हमारी मिनी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता है, उसको भी राज्य शासन अपनी ओर से 1000 रुपए दे रहा है, जिससे 3250 रुपए प्रतिमाह उनकी भी राशि बढ़ी है. बच्चों में कुपोषण की रोकथाम के लिए भी हमने जो सबसे पहले मध्यप्रदेश के ऊपर उंगली उठती है कि मध्यप्रदेश में कुपोषित बच्चे सर्वाधिक हैं तो इसको अपने हाथ में लिया और कुपोषण को समाप्त करने के लिए सुपोषण अभियान हमने चलाया है.
सभापति महोदया, मैं यह बताना चाहूंगी कि वर्ष 2014 से हमने अभी तक कुल 17976 स्नेह शिविरों के आयोजन किये. इन शिविरों में लगभग 198752 बच्चे लाभान्वित हुए हैं. इन शिविरों से 59.4 प्रतिशत बच्चों के पोषण श्रेणी में गुणात्मक सुधार आया है. इसमें मैं यह कहना चाहूंगी कि स्नेह शिविर के पीछे हमारा जो सोच था, वह यह था कि हम स्थानों में चिह्नित करके जहां कुपोषित बच्चे ज्यादा हैं, उनको कुपोषित बच्चों को और उसकी मां को स्नेह शिविर में 12 दिन रखते हैं. वहां उसके स्वास्थ्य की जांच और उसके साथ ही साथ उसे किस तरीके का पोषण आहार देना चाहिए और टीएचआर के माध्यम से हम उसे रेसिपी बनाना भी सिखाते हैं. 12 दिन में बच्चे का वजन 200 से 300 ग्राम बढ़ाकर उसे फिर घर भेजते हैं. उसके बाद उसका फालोअप भी करते हैं. यह प्रक्रिया है. साथ ही साथ गर्भ से लेकर 5 साल तक के बच्चों की सजग देखभाल करने का दायित्व भी मेरा विभाग बहुत ही अच्छे तरीके से निभा रहा है. परन्तु कभी कभी क्या होता है कि छोटे-छोटे कारणों की वजह से जैसे कि जब बच्चा पैदा होता है, उसे मां का दूध न मिले, 6 महीने में शुरुआत से ही मां का दूध न मिले या 6 महीने के बाद उसे ऊपरी आहार न दिया जाय और साफ सफाई का ध्यान नहीं रखें. दूषित खाना उसको दें या गांदा पानी उसको पिलाएं तो इसकी वजह से बच्चे कुपोषित होते हैं और उस श्रेणी में आते हैं. मेरा विभाग ऐसे परिवारों से मिलकर उन्हें लगातार समझाईश देता है और अगर ये सारे प्रयास और इन सारी बातों का ख्याल हम रखें तो मैं कहना चाहती हूं कि इसकी वजह से 22 प्रतिशत बच्चों की मृत्यु दर में कमी लाई जा सकती है. विभाग के द्वारा जो धात्री माताएं हैं, ऐसी माताएं जिनको छोटे-छोटे बच्चे गोद में होते हैं, सफर कर रही हैं, बस स्टेण्ड पर खड़ी हैं, चौक-चौराहे पर खड़ी हैं, सार्वजनिक स्थानों पर बस स्टेण्ड इन सब जगह और शासकीय कार्यालयों में ब्रेस्ट फीडिंग कॉर्नर तैयार करने का भी प्रयास मेरे विभाग ने किया है.
सभापति महोदया, मैं कहना चाहती हूं कि अब तक 406 ब्रेस्ट फीडिंग कॉर्नर तैयार हो चुके हैं. आंगनवाड़ी की सेवाएं अति कम बच्चों के पोषण स्तर में सुधार के लिए, फिर हमने एक कदम और आगे बढ़ाया, वह मैं सदन को बताना चाहती हूं स्नेह सरोकार का, जब विभाग के कुपोषण को समाप्त करने के प्रयास स्नेह शिविर और उसके बाद फॉलोअप, उसके बाद जब बच्चा उसी परिस्थिति में घर में जब वापस जाता है तो मन यह सोचा कि सरकार ने जो प्रयास किया उसमें जो सफलता प्राप्त की, वह कहीं ऐसा न हो कि बेकार जाय और बच्चा उन्हीं परिस्थितियों में फिर लौटकर वापस न आ जाय. इसके लिए हमने स्नेह सरोकार का कार्यक्रम प्रारंभ किया. मुझे बताते हुए खुशी होती है कि इसकी शुरुआत दतिया से हमने की. दतिया में एक डॉक्टर ने 10 बच्चियों के बारे में बताया कि वे कुपोषित हैं और बच्चियां जीवित भी रह सकती हैं, यह देखभाल के ऊपर है या फिर एक महीने में मृत्यु भी हो सकती है. मन में घबराहट हुई लेकिन मैंने उसी योजना समिति की बैठक में वहां के अधिकारियों से कहा कि एक-एक बच्ची की जिम्मेदारी वे लें. घर की परिस्थितियों पर नजर डाली, उनके लिए थोड़ी-सी व्यवस्थाएं बता दीं. आज मुझे बताते हुए खुशी होती है कि वे बच्चियां इतनी स्वस्थ, इतनी सुंदर, जरा-सी देखभाल की वजह से उनका जीवन बदल गया है. (मेजों की थपथपाहट)...
सभापति महोदया, हमने इस स्नेह सरोकार की योजना को आगे बढ़ाया. मुझे कहते हुए खुशी होती है कि समुदाय, समाज, चुने हुए जनप्रतिनिधि, गणमान्य नागरिक, उद्योगपतियों ने, जो व्यापारी वर्ग है या समाज के जो सामर्थ्यवान व्यक्ति हैं उन्होंने आगे बढ़कर यह उत्तरदायित्व खुशी-खुशी निभाया है. 87000 बच्चों को स्नेह सरोकार के तहत स्वस्थ और सुपोषित करने की जिम्मेदारी ली है. ( मजों की थपथपाहट)..यह अपने आप में बहुत बड़ी बात है. अभी आसंदी पर अध्यक्ष महोदय नहीं हैं, मैं यह कहना चाहती हूं कि होशंगाबाद जिले को भी बहुत बधाई देना चाहती हूं कि होशंगाबाद जिला एक ऐसा जिला है कि जिसने उस जिले के शत-प्रतिशत कुपोषित और गंभीर कुपोषण के शिकार बच्चों को समाज के एक-एक सामर्थ्यवान व्यक्ति को स्वस्थ करने की जिम्मेदारी दी है. उनकी एक डायरेक्ट्री भी बनाई है कि बच्चा किस हालात में था और 8 और 10 महीने के बाद बच्चे के स्वास्थ्य में कितना परिवर्तन आया है. इस तरीके से मध्यप्रदेश के सारे जिलों में यह पहल की गई है और उसी का असर है कि आज 87000 बच्चे जो किसी न किसी जिम्मेदार व्यक्ति के स्नेह को पा रहे हैं. उन बच्चों को स्वस्थ बनाने की जो पहल है, वह पहल भी हमारी सफल साबित हो रही है. इसके लिए माननीय मुख्यमंत्री जी ने उन सभी को अपनी ओर से एक बधाई का पत्र भी भेजा है और वे सब इस बात से बहुत खुश थे. इन बच्चों के वजन की ऑन-लाइन निगरानी भी विभाग कर रहा है. साथ ही साथ मुख्यमंत्री जी ने यह भी कहा है कि स्नेह सरोकार कार्यक्रम में उत्कृष्ट कार्य करने वाले जिलों को पुरस्कृत करने के भी निर्देश दिये हैं, जिस पर हम कार्यवाही कर रहे हैं.
सभापति महोदया, इसके साथ ही साथ मैं यह बताना चाहती हूं कि राज्य सरकार द्वारा चलाए जा रहे जो कार्यक्रम हैं, उनमें कम वजन के बच्चों की संख्या लगातार गिर रही है और अभी जो भारत सरकार के द्वारा वर्ष 2005-06 में जिसका जिक्र हमारे सम्मानीय विधायिकाओं ने किया है कि एनएफएचएस 3 के सर्वे के अनुसार वर्ष 2005-06 में कम वजन वाले बच्चों का प्रतिशत 60 प्रतिशत था, जो वर्ष 2015-16 में एनएफएचएस 4 के अनुसार घटकर 42.8 प्रतिशत हो गया है. इसी प्रकार गंभीर कुपोषण के शिकार बच्चे जिनका प्रतिशत 12.6 था, जो अब घटकर 9.2 प्रतिशत हो गया है. यह अपने आप में एक अच्छी बात है. हम थोड़ा और आगे चले हैं तो जो सर्वाधिक कम वजन वाले बच्चे मध्यप्रदेश के जिन जिलों में हैं, उन 5 जिलों में हमने सतना, बड़वानी, अलीराजपुर, उमरिया और डिण्डौरी में इनमें 2 अगस्त 2015 से गर्भवती और जो धात्री माताएं हैं उनको फुल मील देना आरंभ किया है तो इन माताओं को दोपहर में ताजा पका हुआ गर्म भोजन दिया जा रहा है, मेन्यू के अनुसार मौसमी फल दो लड्डू और हलुवा दिया जा रहा है ताकि इसमें जो बच्चे आयें स्वस्थ हों, कुपोषित न हों.
इसी तरह से मैं कहना चाहती हूंकि हमारे आंगनबाड़ी केन्द्रों में जो मंगल दिवस के कार्यक्रम होते हैं. उसकी तारीफ सभी ने की है. मंगल दिवस के कार्यक्रम सामान्य रूप से गर्भवती जो माताएं होती हैं उनके घर में गोद भराई का है यह होते हैं. इनमें सामुदायिक सहभागिता की दिशा में , हमने भी एक उल्लेखनीय काम किया है वह सारे कार्यक्रम हमारे आंगनबाड़ी केन्द्र में बहुत ही सुन्दर तरीके से किये जाते हैं. हमारी बहन ने कहा था कि बहुत ही अच्छे हो रहे हैं लेकिन उसमें मैं इस बात का ध्यान रखूंगी कि जितने भी योजनाएं या कार्यक्रम आईसीडीएस के माध्यम से आंगनबाड़ी केन्द्र अपनी सेवाएं दे रहे हैं उनकी जानकारी हमारे चुने हुए जनप्रतिनिधि हैं चाहे पंचायत से लेकर हमारे विधायक तक जो भी वहां पर मौजूद हो उनको जरूर दी जाय और वह वहां पर उपस्थित रहें तो और भी अच्छा लगेगा और इस तरह से करने के हमने निर्देश भी दिये हैं.
मैं कहना चाहती हूं कि हमारे उज्जैन भोपाल ग्वालियर इंदौर जिले हैं . यहां पर हमने देखा है कि जो गर्भवती और धाती माताएं हैं जो कि शहरी क्षेत्र में मजदूरी कर रही हैं और किन्हीं किन्हीं के छोटे बच्चे हैं आपने देखा होगा कि पेड़ के किनारे वह कपड़ा बांध देती है और बच्चा गर्मी में पड़ा रहता है और कई कई घंटों तक उसको कुछ दूध या पानी वगैरह दिया जाता है. मैं आपको यहां पर बताना चाहती हूं कि हमने इन जिलों में चलित आंगनबाड़ी की सेवा प्रारम्भ की है . उसका नाम हमने जुगनू दिया है, जुगनू जैसे कहीं कहीं चमकता है वैसे ही जहां पर जरूरत है, जहां पर मजदूर वर्ग की बहनें काम कर रही हैं, वहां पर यह जुगनू आंगनबाड़ी केन्द्र जाते हैं और अटल बाल मिशन के तहत चलित आंगनबाड़ी केन्द्रों में बच्चों का वजन लेना या गंभीर कुपोषित बच्चे हैं उनकी पहचान करके उनको एनआरसी में भर्ती कराना या फिर विजिट के दिन हितग्राहियों को गर्म खाना देते हैं. साथ ही साथ अन्य दिवसों के लिए पीएचआर उपलब्ध कराना , एएनएम के द्वारा वहां पर अगर कोई गर्भवती महिला है या धाती महिला है तो उसका स्वास्थ्य परीक्षण कराना. इस तरह से 3 से 6 वर्ष तक के बच्चों के लिए वहां पर जो इसीसी की गतिविधियां हैं वह भी शुरू कर रहे हैं. किशोरी बालिकाओं के स्वास्थ्य की शिक्षा यह सारी सेवाएं आईसीडीएस की सेवाओं की पहुंच को बढ़ाने की दृष्टि से हमने यह कदम उठाया है और यह कदम हमारा बड़ा सार्थक रहा है और लोग इसको सराह भी रहे हैं.
इसी तरीके से मैं पूरक पोषण आहार के संबंध में बताना चाहती हूं. यहां पर भी सामान्यतया शिकायतें आती हैं कि पूरक पोषण आहार हम देते हैं टीएचआर देते हैं उसमें कम ज्यादा दिखाया जाता है लोगों को कम दिया जाता है. सांझा चूल्हा के तहत बच्चों को भोजन , वहां पर बच्चों की उपस्थिति कम होती है और उसे दर्ज ज्यादा करते हैं .हमने इसमें भी एक कदम उठाया है कि एक आंगनबाड़ी केन्द्रों में प्रतिदिन पंचनामा तैयार किया जा रहा है. पांच लोगों के बाद में जो भी बच्चे वहां पर उपस्थित होंगे उन्हीं बच्चों की संख्या दर्ज की जायेगी और यह व्यवस्था वहां पर की है. इससे जहां पर भी शिकायतें आती हैं वहां पर इनमें सुधार हुआ है.
इसी के साथ हमारा एक कार्यक्रम किशोरी बालिकाओं के लिए, सबला नाम से जो हमारी योजना चल रही है उसमें किशोरी शक्ति सबला योजना के तहत हमने 15 जिलों में 8.5 लाख बच्चियों को पूरक पोषण आहार दिया है और किशोरी बालिकाओं को अलग अलग उनकी जो रूचि थी, उनके अनुसार प्रशिक्षण दिये हैं, ताकि उनके आत्मविश्वास में वृद्धि हो और उनकी नेतृत्व क्षमता में विकास हो. मैं यहां पर बताना चाहती हूं कि इसमें से बहुत सी बच्चियों ने तो फोटोग्राफी सीखी है. उसके बाद वह आज अलग अलग कहीं अखबारों में और कार्यक्रमों में काम कर रही हैं उनको अच्छा भी लग रहा है. साथ ही हमारी बहुत सारी सबला की बालिकाएं कुपोषण सहयोगिनी बनी हुई हैं, वे समाज की दूसरी महत्वपूर्ण सेवाएं हैं वहां पर अपनी भूमिका का निर्वहन कर रही हैं. हमने किशोरी बालिकाओं के स्वास्थ्य और स्वच्छता के लिए सेनेटरी नेपकिन के उपयोग में जागरूकता लाने के लिए ग्वालियर, झाबुआ, इंदौर में पायलेट प्रोजेक्ट के आधार पर यह प्रोजेक्ट उदिता शुरू किया है और प्रोजेक्ट उदिता का विस्तार अब सीहोर, राजगढ़, बुरहानपुर, भोपाल और विदिशा में किया है इसके तहत हमने जनसहयोग और समन्वय से 597 वेंडिंग मशीनें स्थापित की है, 11226 आंगनबाड़ी केन्द्रों में यह उदिता कार्नर स्थापित किये गये हैं, जिनके माध्यम से बहनों महिलाओं और किशोरियों को यह नेपकिन वहां पर उपलब्ध कराये जा रहे हैं.
मैं यह भी बताना चाहती हूं कि मध्यप्रदेश की सारी आंगनबाड़ियां किस तरीके से चल रही हैं किस स्थिति में हैं इसकी एक बार हम जानकारी हासिल करें तो2014 और 2015 में दो बार आंगनबाड़ी चलो अभियान की शुरूवात की है और उसके तहत हर आंगनबाड़ी केन्द्र में दस्तक दी गई है, आंगनबाड़ी के सुदृढ़ीकरण का भी अभियान इसकेसाथ में चलाया है. मैं बताना चाहती हूं कि इसमें हमारे प्रभावी व्यक्ति हैं हितग्राही हैं पंचायत के प्रतिनिधि भी हैं उन्होंने इन सारी गतिविधियों में बहुत उत्साह से भाग लिया है. इस अभियान में लगभग 65712 अतिरिक्त बच्चों का वजन रटिस्टर्ड किया गया है, जो बच्चों का वजन आंगनबाड़ी केन्द्रों में रजिस्टर किया जाता है उसके अतिरिक्त यह किया गया है. उसके साथ ही 48156 जो गर्भवती और धातरी माताएं हमारे नवीन आंगनबाड़ी केन्द्र में पंजीकृत हुई हैं, क्योंकि प्रचार प्रसार से उनको जानकारी हासिल हुई है और इस तरह से यह लाभ आंगनबाड़ी चलो अभियान के तहत हुआ है. आंगनबाड़ी केन्द्रों में शौचालय के निर्माण की और वहां पर हैण्ड पंप पानी की व्यवस्था और बच्चों के खेल खिलौने और अन्य व्यवस्थाओं का भी जन सहयोग से और अन्य तरीकों से कोशिश की है किवह आंगनबाड़ी अच्छी हों और उसकी सेवाओं के प्रति समुदाय में रूचि भी बढ़ी है.
मैं यह भी कहना चाहती हूं कि शहर में जो आंगनबाड़ी केन्द्र चल रहे हैं लेकिन इसके अलावा जो ग्रामीण अंचल में जो केन्द्र चल रहे हैं हम चाहते हैं कि वह हमारे आंगनबाड़ी केन्द्र आकर्षण के केन्द्र बनें . गांव के अंदर हमारे बच्चे जो पढ़ाई करते हैं वहां पर नर्सरी एलकेजी और यूकेजी की पढ़ाई के लिए ऐसे कोई व्यवस्था नहीं है. इसलिए हमने आंगनबाड़ी केन्द्रों में ही उन केन्द्रों को आकर्षक बनाया है, वहां पर हर चीज की जानकारी बच्चों को खेल खेल में शिक्षा देने का भी प्रयास किया है. सबसे बड़ी बात है कि हमने आंगनबाड़ी केन्द्रों में शिशु विकास कार्ड भी शुरूकिये हैं ताकि वहां पर बच्चे का पूरा रिकार्ड रहे. गांव में बच्चों को जो हमारी अर्ली चाइल्ड केयर एजुकेशन है वह आंगनबाड़ी केन्द्रों में दें, उसके बाद में सीधे बच्चे को हम सीधे पहली क्लास में भर्ती करा सकें.
मैं कहना चाहती हूं कि इस प्रयास से भी हमारे बच्चों में उत्साह बढ़ा है. हम चाहते हैं कि बच्चे आंगनबाड़ी केन्द्रों में जोर जबरदस्ती से नहीं लाये जायें, बल्कि बच्चों की आंख खुले तो वह अपने मां बाप से जिद करके आंगनबाड़ी केन्द्रों में लायें इसलिए आंगनबाड़ी केन्द्र वायपब्रेंड बनें, आंगनबाड़ी केन्द्र हमारे आदर्श बनें. हमारा सोच उसी तरफ है और इसके तहत हमने अपना काम प्रारम्भ किया है. बहुत सारे इस तरह के आंगनबाड़ी केन्द्रों का निर्माण भी किया है आंगनबाड़ी केन्द्रों में इस तरह की शिक्षा के साथ साथ बच्चों के जो आयु समूह हैं उसमें हमने तीन एक्टिविटी बुक और बच्चों के विकास के लिए जैसा मैंने कहा कि शिशु विकास कार्ड हैं वह बनायें हैं. इसके साथ ही हमने यह भी तय किया कि यह जो पाठ्यक्रम बच्चों का शुरू किया है अर्ली चाइल्ड एजूकेशन वाला तो उसको पूरे प्रदेश में लागू करने से पहले इसे प्रदेश के 8 जिलों में 14 परियोजनाओं के 2559 केन्द्रों में इसका पायलेट किया जा रहा है .
इसी के साथ साथ मैं आगे बताना चाहती हूं कि विभाग के कार्यों की बेहतर मानिटरिंग के लिए इनफारमेशन टेक्नालाजी का भी हम उपयोग कर रहे हैं. इस वर्ष हमने तकनीकी सहयोग के माध्यम से एक ऐसा पोषण आहार का सप्लाई चैन मैनेजमेंट जो कि बच्चों के वजन की निगरानी के साथ साथ एक बेहतर तंत्र विकसित किया है. विभाग द्वारा डिजिटल इंडिया की परिकल्पना के अनुरूप हितग्राहियों और विभागीय अमले एवं जनसमुदाय के लिए हमने एक वेब पोर्टल ई-संचायिका तैयार की है. इस वेब पोर्टल का लोकार्पण प्रदेश के मुख्यमंत्री जी के द्वारा कराया गया है. मैं कहना चाहूंगी यह आईसीडीएस मध्यप्रदेश की डिजिटल रिपोजटरी है, यह मध्यप्रदेश का पहला वेब पोर्टल है जो कि मुख्यत: स्वास्थ्य से संबंधित और पोषण से संबंधित जानकारी पर केन्द्रित है जो मुख्यत: स्वास्थ्य और पोषण से संबंधित जानकारी पर केंद्रित है, जो आईसीडीएस और मध्यप्रदेश का एक तरीके से नॉलेज बैंक होगा और सारी जानकारी इस नॉलेज बैंक के माध्यम से सबको मिल सकेगी.
सभापति महोदया, इसके साथ ही साथ अधिकारी और कर्मचारी वर्ग के प्रबंधन के लिए भी मैं बताना चाहूंगी कि विभाग ने मानव संसाधन सुदृढ़ और सक्षम बनाने के लिए बहुत ही उल्लेखनीय कार्य किए हैं. विभाग में पर्यवेक्षकों के पद डाईंग कैडर के होने के कारण लंबे समय रिक्त थे लेकिन विभाग द्वारा पर्यवेक्षक संवर्ग को पुनर्जीवित कर परीक्षा के माध्यम से 1420 पदों पर नियुक्तियां की गई हैं और इनके पदस्थापना की कार्यवाही जारी है. शिशु शिक्षा और देखभाल को बढ़ावा देने के लिए हमने 453 खण्डस्तरीय समन्वयक के चयन की प्रक्रिया भी पूर्ण कर ली है और इनकी नियुक्ति की कार्यवाही चल रही है. साथ ही साथ सांख्यिकी अन्वेक्षक के 189 पदों के लिए, सहायक ग्रेड के 251 पदों के लिए और डेटा इंट्री ऑपरेटर तथा कंप्यूटर ऑपरेटर के 33 संविदा पदों की पूर्ति के लिए प्रस्ताव भी प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड को प्रेषित कर दिया गया है. विभाग के अंतर्गत कर्मचारी संवर्ग के बेहतर प्रबंधन के लिए भी 22 सहायक ग्रेड-एक को पदोन्नत कर अधीक्षक बनाया गया है. इसी तरीके से 121 दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को नियमित किया गया है. इसके अलावा हमने एक कार्यक्रम कम्युनिटी लीडरशीप प्रोग्राम यानि मुख्यमंत्री सामुदायिक नेतृत्व क्षमता विकास कार्यक्रम विभाग में शुरू किया है. यह कार्यक्रम शहरी और ग्रामीण अंचलों में 18 वर्ष से 45 वर्ष आयु की जो 12वीं कक्षा उत्तीर्ण महिलाएं और बच्चियां हैं उनके लिए सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में नेतृत्व क्षमता विकसित करने के लिए किया गया है. इसको हमने चित्रकूट युनिवर्सिटी से टाईअप किया है. इस कार्यक्रम में 75 प्रतिशत महिलाएं होंगी और 25 प्रतिशत मेल मेंबर भी होंगे. इस शैक्षणिक सत्र में प्रदेश के 51 जिलों में लगभग 2040 अभ्यर्थी इसमें अध्ययनरत हैं. इस कार्यक्रम का विस्तार प्रथम वर्ष की कक्षाओं के संचालन में हमने आदिम जाति कल्याण विभाग के माध्यम से प्रदेश के सभी 89 आदिवासी खण्ड और 224 गैर आदिवासी विकास खण्डों में किया है जिसमें 12520 अभ्यर्थी इसका लाभ ले रहे हैं.
सभापति महोदया, इसी तरीके से कुपोषण की मुक्ति के लिए हमने विशेष निगरानी तंत्र ग्राम स्तर पर डे केयर सेंटर विकसित किया है जो धार, सिंगरौली, शिवपुरी और श्योपुर आदि जिले में हमारे 311 आंगनवाड़ी केंद्रों में शुरू किए गए हैं. इसी क्रम में विभाग के द्वारा आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय एमआईएस के माध्यम से प्रतिमाह ऑनलाइन भुगतान सुनिश्चित किया गया है. सांझा चूल्हा समूह का भी भुगतान कोषालय से सीधे समूह के खाते में भेजा जा रहा है.
सभापति महोदया, बच्चों को स्वस्थ और सुपोषित बनाने के लिए मेरा विभाग कृत-संकल्पित है और इसके उत्साहवर्द्धक परिणाम भी परिलक्षित हो रहे हैं. बच्चों के पोषण स्तर में सुधार आ रहा है.
सभापति महोदया, मैं बताना चाहती हूँ कि प्रदेश में शीघ्र ही 4905 नवीन आंगनवाड़ी केन्द्र और मिनि आंगनवाड़ी केन्द्र स्थापित किए जाएंगे. मैं यहां माननीय विधायकों से कहना चाहती हूँ कि उनके विधान सभा क्षेत्रों में अधिकतम 5 आंगनवाड़ी केन्द्र और अधिकतम 2 मिनि आंगनवाड़ी केन्द्र स्थापित होने हैं तो निर्धारित जनसंख्या के मापदण्ड के अनुरूप वे जो भी स्थान सुझाएंगे उन स्थानों पर हम उन्हे प्रारंभ करेंगे. आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की भर्ती की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए ऑनलाइन भर्ती की कार्यवाही की जाएगी. आंगनवाड़ी भवनों के किराये का भुगतान भी कोषालय से सीधे मकान मालिकों के खातों में जमा करने की व्यवस्था की जा रही है. शाला पूर्व अनौपचारिक शिक्षा को सुदृढ़ बनाने के क्रम में चयनित आंगनवाड़ियों में अतिरिक्त आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की व्यवस्था भी की जाएगी. साथ ही साथ उदिता कार्यक्रम का विस्तार प्रदेश के सभी जिलों में किया जाएगा. इसके अलावा 15 जिलों की 50 परियोजनाओं में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को मोबाईल सेट देकर एक कॉमन एप्लीकेशन साफ्टवेयर के क्रियान्वयन का पॉयलेट किया जाएगा. महिला एवं बाल विकास विभाग के अमले के प्रशिक्षण की आवश्यकता को देखते हुए हम राज्य स्तरीय प्रशिक्षण केन्द्र की स्थापना भोपाल में करेंगे.
सभापति महोदया, मेरा दूसरा प्रभाग महिला सशक्तीकरण का है, इसके बारे में मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि माननीय मुख्यमंत्री जी के निर्देशानुसार और उनकी मंशा के अनुसार उनके मार्गदर्शन में महिला सशक्तीकरण विभाग ने कई योजनाओं को कार्यान्वित किया है जैसे लाड़ली लक्ष्मी योजना, बेटी बचाओ योजना, मुख्यमंत्री महिला सशक्तीकरण योजना, लाड़ो अभियान, शौर्या दल, स्वागतम् लक्ष्मी आदि सभी योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन किया जा रहा है जिसकी पूरे प्रदेश भर में मुक्त कंठ से प्रशंसा की जा रही है. लाड़ली लक्ष्मी योजना ने तो देश भर में आदर्श योजना के रूप में पहचान बनाई है जिसका अनेक राज्य अनुसरण भी कर रहे हैं. इस योजना का उद्देश्य केवल कन्या लिंगानुपात में वृद्धि करना ही नहीं है बल्कि बालिकाओं का क्रमबद्ध विकास भी इसका हेतु है. लाड़ली लक्ष्मियों की संख्या इतनी अधिक बढ़ती जा रही थी कि उसको मेनुअल ट्रैक करना बहुत कठिन कार्य था इस कारण इसकी प्रक्रिया को आसान बनाया गया है और यह अपने बदले स्वरूप में अब ई-लाड़ली के रूप में हमारे सामने है. इसके सभी लाभ प्रमाण-पत्र में लिखे गए हैं जो उसके आधार पर मिलेंगे. आवेदक को अब कोई तकलीफ नहीं है वह अब किसी भी इंटरनेट कैफे में या लोक सेवा केन्द्र में अथवा आंगनवाड़ी केन्द्रों में जाकर इसका आवेदन कर सकता है और इसके लिए 903 करोड़ रुपये के बजट का भी प्रावधान किया गया है.
श्रीमती ऊषा चौधरी -- मंत्री जी, उन्हें जो कार्ड मिले थे वह वापस लिए जा रहे हैं.
श्रीमती माया सिंह -- नहीं, मैं बता रही हूँ कि पहले हम उन्हें बचत-पत्र देते थे वह बचत-पत्र वापस लेकर हम पोस्ट-ऑफिस में जमा कर रहे हैं और उसको जमा करने के बाद ई-लाड़ली के प्रमाण-पत्र तैयार करके उन्हें दिए जा रहे हैं. कई लोगों को यह गलत धारणा हो गई है कि ये वापस लिए जा रहे हैं, ये वापस नहीं लिए जा रहे हैं. जितने भी रजिस्टर्ड हैं और जहां पर भी शिकायत आई है हमने उनकी जांच भी कराई है और तुरंत ही इसका हल भी हमने किया है. इस योजना के लिए 903.70 करोड़ का बजट हमने रखा है.
सभापति महोदया, इसके अलावा हमारी जो दूसरी योजना स्वागतम् लक्ष्मी योजना है, यह भी महिलाओं को सम्मान देने के लिए है. यह उनके आत्मसम्मान के लिए है, उनको आत्मनिर्भर बनाने के लिए है और निर्णय प्रक्रिया में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए है और उनके अस्तित्व की रक्षा करना इस योजना मूल उद्देश्य है. मैं समझती हूँ कि जब तक हमारे समाज की सोच में परिवर्तन नहीं आएगा तब तक चौखट से लेकर चौपाल तक आने का जो बहनों का सफर है वह सफर पूरा नहीं हो पाएगा. इस स्वागतम् लक्ष्मी योजना में हमारी जितनी भी योजनाएं हैं उनके मोती को हमने एक माला में पिरो दिया है. इसका मतलब है कि गर्भ में आने से लेकर वृद्धावस्था तक महिला का हर भूमिका में सम्मान होना चाहिए. महिला की गरिमा स्थापित होना चाहिए. हर स्तर पर उसे बराबरी का अधिकार मिलना चाहिए. बेटा और बेटी में हम भेद नहीं करें. गर्भ में कन्या की हत्या न हो, कम उम्र में उसका विवाह नहीं किया जाए, कोई भी महिला दहेज से प्रताड़ित नहीं की जाए और ऐसा तभी संभव है जब प्रत्येक महिला का प्रत्येक परिस्थिति में, प्रत्येक भूमिका में स्वागत किया जाए तो इस स्वागतम् लक्ष्मी योजना के पीछे हमारा यह हेतु है और इसके लिए जब भी हमारी कन्या जन्म लेती है तो अस्पताल में हम लोग उसका स्वागत करने के लिए जाते हैं, उसकी मां और बेटी का स्वागत किया जाता है और उसे उसके अधिकारों के प्रति जागरुक करने का काम भी हम इस योजना के तहत् कर रहे हैं. सभापति महोदया, मैं बताना चाहूंगी कि यह लाडो अभियान हमारी जो दूसरी योजना है उसके तहत् बाल विवाह को रोकने के प्रयास कई वर्षों से किये जा रहे हैं और प्रयासों में कोई कमी नहीं रखी गयी है लेकिन इसके बावजूद भी उसका प्रभाव सफल नहीं हो रहा है. अब हमने यह किया है कि एक अभियान के तौर पर लाडो अभियान के नाम से पूरे वर्ष भर यह अभियान चलाया और इसमें कोर ग्रूप बनाये गये और कोर ग्रूप के माध्यम से अभियान चलाया, क्योंकि विभिन्न आदेश और अधिनियम होने के बावजूद भी हम देख रहे थे कि यह बाल विवाह प्रदेश में हो रहे हैं तो उसमें जगह जगह जाना, गांव गांव में जाना, परिवारों से सम्पर्क करना और इस तरीके से एक लाडो अभियान के तौर पर कार्यक्रम लिया और उसका यह नतीजा है कि अभी बताया कि 21724 बाल विवाह इसके तहत् रुके हैं और उनको जो समझाइश दी गयी, परामर्श दिया गया, उसका यह असर ही है और साथ ही साथ 3601 बाल विवाह, विवाह स्थल पर जाकर रोके हैं और जो नहीं रुके उनके प्रकरण थानों में दर्ज किये हैं और 15 बचियां, लाडो हमारी ऐसी हैं कि जिन्होंने आगे बढ़कर अपने विवाह को शून्य कराया और उन सारी बच्चियों को हमने सम्मानित भी किया और उन्होंने आगे अपनी पढ़ाई भी जारी रखी है. त्रिपुरा, हरियाण, असम राज्य इस योजना की स्टडी करने के लिए हमारे प्रदेश में आये और अपने राज्य में इस योजना को लागू करने की दृष्टि से उऩ्होंने बहुत ही उत्साह दिखाया.
श्री यशपालसिंह सिसोदिया-- सभापति महोदय,माननीय मंत्री जी ने जो सम्मान की बात की है, मैं निवेदन करना चाहता हूँकि मंदसौर शहर में एक स्वाध्याय मंच के द्वारा अपना घर में निराश्रित बालक-बालिकाओं को वहां विशेष सुविधा दी जाती है. मैं आपसे आग्रह करूंगा कि ऐसे सामाजिक और स्वयंसेवी संगठनों को सरकार की ओर से कभी कभी पुरुस्कृत भी करें ताकि उनका उत्साह भी बढ़े,ऐसी व्यवस्था करें.
श्रीमती माया सिंह-- आपके सुझाव का ध्यान रखेंगे.
श्री यशपालसिंह सिसोदिया-- धन्यवाद.
श्रीमती माया सिंह-- सभापति महोदय, इसी तरीके से दत्तक ग्रहण की जो प्रक्रिया है उसके बारे में भी मैं कुछ आपको बताना चाहूंगी. हमने यह महसूस किया कि बच्चों के दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया में पूर्व में बहुत विलम्ब होता था और संभावित जो माता-पिता हैं उनकी प्रतीक्षा सूची भी काफी अधिक थी और साथ ही साथ दत्तक प्रक्रिया में पूरी तरीके से पारदर्शिता होनी चाहिए वह भी नहीं थी तो इन बातों को ध्यान में रखते हुए राज्य स्तरीय एक अनमोल वेबसाइट का निर्माण किया और इसके माध्यम से अब कोई भी नि:संतान दम्पत्ति और कोई भी व्यक्ति देश के किसी भी कोने में, किसी भी स्थान से बच्चे को गोद लेने के लिए आवेदन कर सकता है और वह जिस गृह से लेगा उसमें ऑन लाइन पंजीयन भी करा सकता है. अनमोल वेबसाइट पर दत्तक ग्रहण की क्या प्रक्रिया है, उसके नियम क्या हैं, बच्चों की सूची सभी उसके अन्दर डाली हुई हैं तो इस योजना के तहत् हमे लाभ यह हुआ कि हमारे 380 बच्चों का दत्तक ग्रहण हुआ, 81 बच्चों का पालन पोषण पूर्व देखरेख और साथ ही साथ 267 बच्चों को उनके परिवारों में पुनर्वास किया गया और बेसहारा बच्चों की जो बात आयी है, जो कठिन परिस्थितियों में रहने वाले बच्चे हैं, उनके समग्र कल्याण के लिए, उनके पुनर्वास के लिए भी जे.जे. एक्ट के तहत् आईसीपीएस की योजना के तहत् संचालन विभाग द्वारा किया जा रहा है. मैं बताना चाहूंगी कि 30 शासकीय और 112 अशासकीय संस्थाओं के माध्यम से 2876 बच्चों को इसमें लाभांवित किया गया है.एक और योजना हमारी है वह मुख्यमंत्री महिला सशक्तीकरण योजना भी बहुत अच्छी है जो हमारी विभक्तिग्रस्त बहनें हैं, जो विपरीत और कठिन परिस्थितियों में जिन्दगी जी रही हैं उन महिलाओं के लिए उनकी रुचि और योग्यता के अनुसार हमने प्रशिक्षण की व्यवस्था की है और न केवल उनके प्रशिक्षण की व्यवस्था बल्कि हमने इसके प्लेसमेंट से भी जोड़ा है और इसके तहत् 2014-15 में 577 और 2015-16 में 817 हितग्राही प्रशिक्षण के लिए चयनित किये गये. एक योजना के बारे में मैं और बताना चाहूंगी, जैसा कि यहां बात आयी कि महिलाओं को आर्थिक रुप से सम्पन्न किया जाए तो यह हमारे तेजस्वनि ग्रामीण महिला सशक्तीकरण योजना के तहत् हमने 6 जिले जिसमें बालाघाट, मंडला, पन्ना, टीकमगढ़, छतरपुर और डिण्डौरी में यह हमारी योजना चलायी जा रही है तो इसमें हमारे कुल 14195 महिला स्व सहायता समूह बनाये गये और जिसे 184703 महिलाएँ इसके तहत् लाभांवित हुई हैं. 2610 ग्राम स्तरीय समितियां बनायी गयीं और इसके 60 फेडरेशन बनाये और जो फर्म्स एण्ड सोसायटी एक्ट 1973 के तहत् पंजीयन इसमें किया गया है. डिण्डौरी की जो महिलाएँ हैं उन महिलाओं को भी तकरीबन 41 गांव के अन्दर 7500 महिलाओं ने कोदो कुटकी का जो उत्पादन किया, उसमें मैं आपको बताना चाहती हूँ कि जिन बहनों ने अपने जीवन में कभी 100 का नोट नहीं देखा. आज बहनों को 2015 में 39 लाख का लाभ इससे हुआ है. इसके साथ ही साथ हमने उनके लिए उनके उत्पादन के लिए भारतीय ब्राण्ड की भी लांचिग की है, उससे भी उसको फायदा हुआ है और उसकी कीमत भी उससे बढ़ी है. शौर्या दल के बारे में सबने बहुत बोला है लेकिन मैं बताना चाहती हूँ कि यह अपने आप में भी एक बहुत बड़ा कदम उठाया है और शौर्या दल जो हमने बनाये हैं, वह 5 महिला और 5 पुरुषों के बनाये हैं.हमने महिलाओं को अलग नहीं किया है. जो हमारी परिवार व्यवस्था है, जो हमारी समाज की व्यवस्था है उसमें पुरुष भी हैं और महिलाएँ भी हैं और पुरुषों को अपनी जिन्दगी से माइनस करके समाज और परिवार व्यवस्था को ठीक ढंग से कैसे चलाया जा सकता है, मैं तो कहूंगी कि नहीं चलाया जा सकता, दोनों के सहयोग से होता है तो हमने 22934 शौर्या दल गठित किये और इस दल की तारीफ केन्द्र ने की है, केन्द्रीय मंत्रियों ने भी की है और अब यह कहा कि यह दल पूरे देश भर में हर प्रांत में इस तरीके के दल बनें और इसके कारण हमारे 147 गांवों में जो महिला हिंसा के प्रकरण हैं उनमें 30 प्रतिशत की कमी भी आयी है. मैं कहना चाहूंगी कि जो द्वितीय महिला पंचायत हुई उसमें भी 27 घोषणाएं की गयी थीं और उन 27 घोषणाओं में से 10 घोषणाएं महिला बाल विकास को आवंटित की गयी थीं और उसमें से 9 घोषणाएँ हमने पूरी की हैं.एक बाकी है उसको भी हम जल्दी पूरा करेंगे. कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न वाला जो अधिनियम है उसके तहत् भी 51 के 51 जिलों में परिवारवाद समितियों का गठन हो गया है, शासकीय कार्यालयों में आंतरिक परिवारवाद समितियां बन चुकी हैं और मध्यप्रदेश एक ऐसा राज्य है जिसमें जेंडर रेस्पांसिव बजट भी लागू किया जा रहा है और न केवल लागू किया जा रहा है बल्कि वह विधानसभा में पटल पर भी रखा जाता है और हमारे महिला सशक्तीकरण के काम को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने लाडो अभियान के लिए 2014 में प्रधानमंत्री लोक सेवा उत्कृष्ट पुरस्कार से सम्मानित किया. हमारी अनमोल वेबसाइट को राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस गोल्ड पुरस्कार 2014 से सम्मानित किया.शौर्या दल को 2015 में टाइम्स ऑफ इण्डिया अवार्ड से सम्मानित किया गया. लाडली लक्ष्मी योजना को स्कॉच प्लेटीनम् अवार्ड 2014 में सम्मानित किया गया. तेजस्वनि ग्रामीण महिला सशक्तीकरण कार्यक्रम को सीताराम राव लाइवलीहुडस एशिया अवार्ड से सम्मानित किया और साथ ही साथ स्कॉच गौल्ड अवार्ड भी इस स्कीम को मिला है. मुख्यमंत्री महिला सशक्तीकरण योजना को भी अवार्ड मिला है और मुझे यह कहते हुए खुशी है कि हम प्रदेश के चार स्थानों में भोपाल, इन्दौर, ग्वालियर एवं जबलपुर में वर्किंग वूमेन्स हॉस्टल जल्दी शुरू करेंगे ये सौ सौ सीटर...
श्री कमलेश्वर पटेल-- माननीय सभापति महोदया, मैं आपका और माननीया मंत्री जी का ध्यानाकर्षित करना चाहता हूँ कि...(व्यवधान)..
श्रीमती माया सिंह-- माननीय सभापति महोदया, मैं दो मिनिट में समाप्त कर रही हूँ. उसके बाद बताइये. ऊषा किरण योजना के अंतर्गत.....
श्री कमलेश्वर पटेल-- माननीय सभापति महोदया, बड़ा महत्वपूर्ण विषय है. एक तरफ सरकार महिला सशक्तिकरण वर्ष मनाने जा रही है. दूसरी तरफ आज भी मंत्री जी ने जितने मध्यप्रदेश में महिला थाने थे. उनको बंद करने का आदेश जारी किया है. स्टेटमेंट दिया है तो क्या इस तरह महिला सशक्तिकरण हो पाएगा?
सभापति महोदया-- आपकी बात आ गई. मंत्री जी, थोड़ा समय सीमा का ध्यान रखते हुए अपनी बात पूरी करें.
श्रीमती माया सिंह-- सभापति महोदया, समय सीमा का मुझे पूरा ध्यान है. मैं जल्दी ही अपनी बात को समाप्त करूँगी. लेकिन मैं आपकी बात का जवाब देना चाहती हूँ कि गृह मंत्री जी ने महिला थाने बंद नहीं किए हैं बल्कि महिलाओं को पुलिस बल में 33 प्रतिशत आरक्षण मिला है. उस आधार पर उनकी संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है इसलिए प्रति थाने दो महिला अधिकारी रहेंगी और साथ ही साथ हर थाने में, ये महिला थाने कहीं कहीं थे लेकिन अब मध्यप्रदेश के प्रत्येक थाने में महिला केबिन होगा. अब दो महिला अधिकारी वहाँ पर मौजूद रहेंगी. उन्होंने यह बहुत अच्छा कदम उठाया है इसलिए मैं कहना चाहती हूँ कि ऊषा किरण योजना के अंतर्गत जो हिंसा से पीड़ित महिलाएँ हैं. उनको एक ही स्थान पर समस्त सुविधाएँ चिकित्सा है, परिवहन है, विधि है, पुलिस है, अन्य परामर्श की सेवाएँ उपलब्ध कराने के लिए हम 51 जिलों में शासकीय ऊषा किरण केन्द्र स्थापित करेंगे और बच्चियाँ जो स्कूल में पढ़ती हैं, कॉलेज में जाती हैं, उनके दुर्व्यवहार की या महिलाओं के दुर्व्यवहार की शिकायत के लिए हम वहीं विद्यालय में एक शिकायत पेटी लगाने जा रहे हैं. हर विद्यालय में लगाएँगे. तेजस्विनी और शौर्या दल में जो सम्मिलित बहनें हैं उनको ड्रायविंग लायसेंस के साथ निःशुल्क ड्रायविंग प्रशिक्षण भी दिए जाने की व्यवस्था अपनी ओर से करेंगे और साथ ही साथ संचालनालय, महिला सशक्तिकरण में जितनी भी बहनें हैं उन सबको पुलिस और अर्धसैन्य बल में भर्ती के लिए पुलिस विभाग के सहयोग से, खेलकूद विभाग के सहयोग से, शिक्षा केन्द्रों के सहयोग से प्रशिक्षण की हम व्यवस्था करेंगे और बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना के अँतर्गत आने वाले जिलों की विद्यालयीन और महाविद्यालयीन छात्राओं को शौर्या दल की बहनों को निःशुल्क आत्म रक्षा प्रशिक्षण भी दिया जाएगा. सभापति जी, मैं कहना चाहती हूँ हमारे प्रदेश का जो भविष्य है और हमारे देश की महिलाओं और बच्चों का जो भविष्य है वह एक दूसरे के पूरक बनते हुए एकाकार हो जाए और इसी विश्वास के साथ हम अपने कदम आगे बढ़ा रहे हैं. कामयाबी के दुर्ग में प्रवेश के लिए आत्मबल और दृढ़ इच्छा शक्ति की जरुरत होती है. हम दृढ़ प्रतिज्ञ हैं. महिलाओं और बच्चों की बेहतरी के लिए, उनके हित के लिए, हम कोई कसर बाकी नहीं छोड़ेंगे. मैं कहना चाहती हूँ कि इस बजट में एकीकृत महिला बाल विकास सेवा के लिए वर्ष 2016‑17 में रुपये 2,837.66 करोड़ और महिला सशक्तिकरण के लिए 1084.81 करोड़ की राशि का प्रावधान प्रस्तावित है और इस तरीके से कुल राशि 3922.47 करोड़ की राशि का प्रस्ताव मैं यहाँ रखती हूँ और आशा करती हूँ कि आप सब इसको सर्वसम्मति से पारित करेंगे. बहुत बहुत धन्यवाद.
मांग संख्या- 21 लोक सेवा प्रबंधन
मांग संख्या- 36 परिवहन
मांग संख्या- 46 विज्ञान और टेक्नालॉजी
उपस्थित सदस्यों के कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए.
अब मांगों और कटौती प्रस्तावों पर एक साथ चर्चा होगी.
मांग संख्या 21, 36 एवं 46 पर चर्चा हेतु एक घंटे का समय निर्धारित है. तद्ननुसार दलीय समय नियमानुसार आवंटित है. भारतीय जनता पार्टी के लिए 43 मिनिट, काँग्रेस के लिए 14 मिनट, बसपा के लिए 2 मिनिट एवं निर्दलीय के लिए 1 मिनिट. माननीय सदस्य समय सीमा का ध्यान रखने में कृपया सहयोग करेंगे.
श्री निशंक कुमार जैन(बासौदा)-- माननीय सभापति महोदया, मैं मांग संख्या 21 का विरोध करता हूँ. सभापति महोदया, आपके माध्यम से मैं माननीय मंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हूँ कि लोक सेवा गारंटी का मतलब है समय सीमा के अंतर्गत समस्या का निराकरण होना चाहिए. सरकार इसी बात का शुल्क लेती है. क्या आज तक कितने लोगों का पूरे प्रदेश में समय सीमा के अंतर्गत निराकरण हुआ है. जहाँ तक मेरी जानकारी है मात्र एक प्रतिशत लोगों का समय सीमा के अन्तर्गत जो आपने सुविधाएँ दी हैं. इतनी अधिक सुविधाएँ इसके माध्यम से दी हैं और उसके बदले में, सरकार के स्टाफ की कमी है, तमाम समस्याएँ हैं इसलिए लोग परेशान हैं. सभापति महोदया, लोक सेवा में गरीबी रेखा के आवेदन लिए जाते हैं. लोक सेवा में सभी तरह के आवेदन लिए जाते हैं और उन आवेदनों का समय सीमा के एक दिन पहले आवेदक के पास सूचना भेज दी जाती है कि आपका आवेदन अमान्य कर दिया गया. मैं मंत्री जी से पूछना चाहता हूँ कि क्या किसी आवेदक की जाँच की गई और जाँच करते समय क्या किसी आवेदक को बुलाया गया. क्या उससे कोई दावे आपत्ति लिए गए. कहीं कुछ नहीं होता सिर्फ पूरा फर्जीवाड़ा है. सरकार इन समस्याओं के माध्यम से सिर्फ जनता की गाढ़ी कमाई को लूटने का काम कर रही है. आवेदन आया कर्मचारी मौके पर पहुंचता ही नहीं है कह दिया जाता है कि जांच हुई और जांच होने के बाद निराकरण कर दिया गया. मैं आपके माध्यम से मंत्रीजी से अनुरोध करना चाहता हूँ लोक सेवा केन्द्रों को आपने एक सिस्टम के माध्यम से प्रायवेट लोगों को दे दिया ठेकेदारों को दे दिया है. मेरा तो आरोप है कि पूरे प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं को जनता को लूटने का लायसेंस इस लोक सेवा केन्द्र के माध्यम से दे दिया गया है चारों तरफ जनता परेशान है किसी को कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है. यदि किसी आवेदक का कोई काम न हो और उसका आवेदन सही हो तो उसको उसके पैसे वापिस दे दिये जायें. लोक सेवा केन्द्र में बीपीएल, लोअर मिडिल क्लास, मिडिल क्लास, किसान जाते हैं आयकरदाता तो इसमें जाते नहीं हैं. आम आदमी इसमें बड़ी उम्मीद से जाता है कि यहां पर उसकी समस्या का हल हो जायेगा मगर उसे जब 15-20 दिन बाद यह मालूम चलता है कि उसका आवेदन अमान्य कर दिया गया है.
2.22 बजे {उपाध्यक्ष महोदय (डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए}
उपाध्यक्ष महोदय, पूरे प्रदेश में लोक सेवा केन्द्रों के अधिकतर जगह भवन नहीं हैं जब भवन ही नहीं हैं तो वहां पर क्या स्थिति होगी कर्मचारियों के बैठने की जगह नहीं है, पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है. क्या मंत्री महोदय लोक सेवा केन्द्रों के भवन की समुचित व्यवस्था करेंगे. माननीय मुख्यमंत्रीजी और ग्रामीण विकास मंत्रीजी ने भी कहा है कि हम प्रदेश में ग्रामीण सचिवालय योजना लागू कर रहे हैं मेरा अनुरोध है कि लोक सेवा केन्द्रों को भी ग्रामीण सचिवालय के साथ साथ वहीं पर स्थापित कर दिया जाये जिससे अधिकतर स्थानों पर जब लोक सेवा केन्द्र खुल जायेंगे तो आम जनता को इससे सुविधा होगी. एक गरीब आदमी 50-60 किलोमीटर दूर जब लोक सेवा केन्द्र में आवेदन देने आता है तो उसका समय और पैसा दोनों बर्बाद होते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, पहले व्यक्ति सीधे कर्मचारी या अधिकारी को आवेदन देता था. अधिकारी उसे बोल देते थे कि यह काम हो सकता है या यह काम नहीं हो सकता है उस समय कम से कम उसके पैसे तो नहीं लगते थे. इस व्यवस्था में पैसे भी लग रहे हैं और आवेदन भी अमान्य हो रहा है इससे आम जनता में, गरीबों में, किसानों में जबरदस्त आक्रोश व्याप्त है. जिस तरह की सुविधायें लोक सेवा केन्द्रों में दी जा रही हैं मैं मंत्रीजी से अनुरोध करना चाहूंगा कि एक बार जिलेवार या विकासखण्डवार इसकी समीक्षा जरुर करें कि कितने आवेदक इससे लाभान्वित हुए हैं यदि आपको लगता है कि लाभान्वित होने वाले आवेदकों की संख्या ज्यादा है तो निश्चित रुप से हम भी इस बात की तारीफ करेंगे और आपका समर्थन करेंगे मगर लाभार्थियों की संख्या इसमें न्यूनतम है और परेशान होने वालों की संख्या इसमें अधिकतम है तो कहीं न कहीं इस सिस्टम की, लोक सेवा केन्द्रों की मॉनिटरिंग या पुनर्विचार की जरुरत है कि ऐसा कौन सा सिस्टम लायें जिससे कि अधिकतम लोगों को आप लाभ दिला सकें.
उपाध्यक्ष महोदय--निशंक जी एक मिनट में समाप्त करें.
श्री निशंक कुमार जैन--उपाध्यक्ष महोदय, 14 मिनट का समय आवंटित है.
उपाध्यक्ष महोदय--आपको बताया गया होगा कि यह 14 मिनट का कुल समय कांग्रेस पक्ष के लिए आवंटित हैं. साढे़ छह मिनट आपको बोलते हुए हो गया है. एक मिनट में समाप्त करें.
श्री निशंक कुमार जैन--उपाध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री हेल्प लाइन इस योजना का एक हिस्सा है इसके तहत जिन लोगों की मुख्यमंत्री हेल्प लाइन में शिकायतें आती हैं मेरा खुद का भी उसमें अनुभव है वहां पर नान टेक्नीकल लोग बैठे हैं अनुभवी लोग नहीं हैं उन्हें पता ही नहीं होता है कि किस विभाग की शिकायत है और किस विभाग को भेजना है वहां पर प्रायवेट लोग बैठे हैं. वहां पर यह व्यवस्था होना चाहिये कि जिस विषय की शिकायत हो उस विषय का वहां पर विशेषज्ञ मौजूद हो जो कि संबंधित अधिकारियों को उस विषय की जांच के लिए कहे. इसमें उलटा यह हो रहा है कि जिस मामले में किसी अधिकारी का कोई इंटरेस्ट है वह खुद बोल देता है कि मुख्यमंत्री हेल्प लाइन पर शिकायत कर दो बाकी मामला हम देख लेंगे. इस तरह के मामलों में भी जांच की जरुरत है. इसमें खसरा अक्स लेना विगत दिनों सबसे बड़ा कष्ट का कारण बना है. किसान के लिए खसरा अक्श लेना लोक सेवा केन्द्र से अनिवार्य कर दिया गया है पहले एक किसान एक आवेदन देता था तो 30 से 40 रुपये शुल्क लगता था अब नई व्यवस्था में आपने प्रति खसरा नंबर के शुल्क का प्रावधान कर दिया है जिससे आम किसान परेशान है. यदि किसी किसान के 10 खसरा नंबर हैं तो एक किसान को 300 से 400 रुपये तक के शुल्क का भार पड़ रहा है. इस व्यवस्था को तत्काल समाप्त करके किसानों के लिए नि:शुल्क व्यवस्था की जाए. दूसरा माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्रीजी से एक अनुरोध और करना चाहता हूँ कि यदि कोई किसान एक बार लोक सेवा से नकल ले लेता है...
उपाध्यक्ष महोदय--निशंक जी आप मेरी बात सुनिये आप सुझाव लिखकर..
श्री निशंक कुमार जैन--और यदि उस नकल की आगे किसी शासकीय कार्य में...
उपाध्यक्ष महोदय--निशंक जी आप मेरी बात नहीं सुनेंगे क्या.
श्री निशंक कुमार जैन--और यदि उस नकल की वह आगे किसी शासकीय कार्य में फोटो कॉपी लगाना चाहता है...
उपाध्यक्ष महोदय--निशंक जैन जी.
श्री निशंक कुमार जैन--अभी आपने इसमें फोटो कॉपी का प्रावधान नहीं किया है एक बार यदि किसान नकल ले लेता है लोक सेवा से यदि उसकी फोटो कॉपी का उपयोग किसी अन्य काम में करना चाहता है तो मेरा आपसे अनुरोध है...
उपाध्यक्ष महोदय--श्री बहादुर सिंह चौहान, अब आप समाप्त करें निशंक जैन जी अब आप समाप्त करें आप सुन ही नहीं रहे हैं आप आसंदी की तरफ देखते ही नहीं हैं यह कौन सा तरीका है.
श्री निशंक कुमार जैन--उपाध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से मंत्रीजी से अनुरोध है कि उसको उस बात की भी अनुमति दी जाये. आखिरी बात आखिरी दो मिनट..
श्री बहादुर सिंह चौहान--उपाध्यक्ष महोदय, यह आसंदी का पालन ही नहीं करना चाहते हैं..(व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदय--निशंक जी समाप्त करें. अब निशंक जी जो बोलेंगे लिखा नहीं जायेगा.
श्री निशंक कुमार जैन-- (XXX)
श्री बहादुर सिंह चौहान--आप आसंदी का पालन ही नहीं करते हैं आप उनकी आज्ञा का पालन ही नहीं करते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय--निशंक जैन जी आप जो बोल रहे हैं लिखा नहीं जा रहा है.
श्री निशंक कुमार जैन-- (XXX)
श्री रामेश्वर शर्मा--यह आसंदी को चैलेंज है. भले लिखो मत में बोले चला जाउंगा यह क्या है (व्यवधान)
श्री निशंक कुमार जैन-- (XXX)
उपाध्यक्ष महोदय--बाला बच्चन जी आपसे अनुरोध है कि आप उन्हें अनुशासित करें. निशंक जैन जी क्यों वक्त बर्बाद कर रहे हैं आपका कुछ नहीं लिखा जा रहा है क्यों बोल रहे हैं आप बैठ जाइये.
श्री निशंक कुमार जैन-- (XXX)
उपाध्यक्ष महोदय--गलत बात है आप बैठ जाइये आप 8-9 मिनट ले चुके हैं 14 मिनट कुल समय है पार्टी का आप बैठ जाइये.
श्री निशंक कुमार जैन-- (XXX)
उपाध्यक्ष महोदय--आप बैठ जाइये. (व्यवधान)
श्री निशंक कुमार जैन-- (XXX)
श्री रामेश्वर शर्मा--यह गलत तरीका है..(व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदय--क्या संसदीय कार्य मंत्री नहीं हैं. संसदीय कार्य मंत्रीजी कुछ कहना चाहेंगे आप.
राज्यमंत्री, संसदीय कार्य (श्री शरद जैन)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जो व्यवहार माननीय सदस्य ने प्रकट किया है खासकर आसंदी के सामने वह निश्चित रुप से निंदनीय है आसंदी का आदेश उनको मानना चाहिये और उनका बार-बार यह कहना कि मैं तो बोलकर रहूंगा यह संपूर्ण व्यवस्था को चुनौती देने वाला है इसकी निंदा होना चाहिये.
श्री बाला बच्चन--उपाध्यक्ष महोदय, उनकी बात इनकम्पलीट थी उसे वे पूरी करना चाह रहे थे लेकिन यह कोई इतनी बड़ी बात नहीं है जितनी संसदीय कार्य मंत्रीजी बोल रहे हैं और आपने व्यवस्था भी दे दी है.
उपाध्यक्ष महोदय--बाला बच्चन जी आपने भी सुना है क्या कहा उन्होंने "मैं तो बात कहकर रहूंगा" इस तरह से यहां व्यवहार नहीं होता है यह आम सभा नहीं है यह विधान सभा है कृपा करके आप अपने सदस्यों को अनुशासित रखें और जो निंदा प्रस्ताव संसदीय कार्य राज्यमंत्रीजी ने प्रस्तुत किया है.
श्री शरद जैन-- कल भी एक सदस्य का आचरण ठीक नहीं था उसको भी प्रोत्साहन देने का काम किया गया और आज भी एक सदस्य के द्वारा ठीक व्यवहार नहीं किया गया ऐसे सदस्य को प्रोत्साहन देने का काम उचित नहीं है.
श्री निशंक कुमार जैन--उपाध्यक्ष महोदय, मैं खेद व्यक्त करता हूँ.
उपाध्यक्ष महोदय--इन्होंने खेद व्यक्त कर दिया है यह बात यहीं समाप्त की जानी चाहिए भविष्य में निशंक जी इसकी पुनरावृत्ति नहीं होना चाहिए.
श्री बहादुर सिंह चौहान (महिदपुर):-माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 21, 36 और 46 के समर्थन में अपनी बात रखता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय, परिवहन विभाग मध्यप्रदेश शासन का एक महत्वपूर्ण विभाग है. इस विभाग के द्वारा टू व्हीलर, फोर व्हीलर, एल एम व्ही और हेवी वाहन का रजिस्ट्रेशन करने का कार्य इस विभाग के द्वारा किया जाता है. पूरे मध्यप्रदेश में इस विभाग का कार्य बहुत ही अच्छा चल रहा है. इस विभाग का दूसरा कार्य रहता है, वह ड्रायविंग लायसेंस बनाने का रहता है. यह देखने में आया है कि ड्रायविंग लायसेंस बनाने का काम आन लाईन इस विभाग के द्वारा कर दिया गया है. इससे ड्रायविंग लायसेंस बनाने वालों को काफी सुविधा हो गयी है. घर बैठे निश्चित दिनांक और निश्चित समय पर जाकर अपने ड्रायविंग लायसेंस ले लेते हैं. विभाग कि एक प्रशंसा यह भी है कि हमारी महिलाओं और बहनों को ड्रायविंग लायसेंस इस विभाग के द्वारा निशुल्क दिया जा रहा है. निश्चित रूप से यह प्रशंसनीय कार्य है. मैं माननीय मंत्री जी का इसके लिये धन्यवाद् करता हूं. यहां तक नहीं स्कूल और कालेज के कैंपस में शिविर बनाकर यह लायसेंस प्रदान इस विभाग के द्वारा किया जाता है. यह भी एक प्रशंसनीय कार्य इस विभाग के द्वारा किया जा रहा है. इसके लिये भी मैं विभाग के मंत्री श्री भूपेंन्द्र सिंह जी का धन्यवाद् करता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय, विज्ञान एवं प्रोद्यौगिकी विभाग के द्वारा हिन्दुस्तान में हमारा मध्यप्रदेश एक ऐसा राज्य है, जिसको सर्वप्रथम भोपाल और जबलपुर के लिये इलेक्ट्रानिक मेन्युफेक्चर क्लेस्टर के लिये एक नहीं दो स्थान चुने गये हैं. एस यू व्ही के तहत इसकी स्थापना और कंपनियों के पंजीयन की प्रकिया पूर्ण हो गयी है और यह देश का पहला राज्य है जो यह कार्य कर रहा है. जबलपुर और भोपाल में विकास कार्य प्रगति पर है. उपाध्यक्ष महोदय, यहां तक नहीं हमारे प्रदेश के महानगर इंदौर और ग्वालियर में आई टी पार्क की भी स्थापना की जा रही है. यह भी महत्वपूर्ण कार्य इस विभाग के द्वारा किया जा रहा है. इंदौर के परदेसीपुरा में कार्य प्रारंभ हो गया है. यह प्रदेश के लिये प्रसन्नता का विषय है. इससे कई बेरोजगारों और योग्य लोगों को वहां पर रोजगार मिलेगा, निश्चित रूप से इसके लिये मैं इस विभाग के मंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह जी को धन्यवाद् देता हूं. मध्यप्रदेश प्रोद्यौगिकी निवेश नीति, 2012 के तहत भोपाल में 28, इंदौर में 14, जबलपुर में 9 इस प्रकार इन कंपनियों को जमीन का आवंटन किया गया है.
उपाध्यक्ष महोदय, मंत्री जी के पास एक और महत्वपूर्ण है, लोक सेवा प्रबंधन, अभी इस संबंध में बात चल रही थी. प्रत्येक विकास खंड पर लोक सेवा गांरटी स्थापना की गयी है, यह केन्द्र पूरे मध्यप्रदेश में 336 हैं और 9.30 बजे से यह खुलते हैं शाम को 6 बजे बंद होते हैं. यह केन्द्र गंणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस और गांधी जयंती को छोड़कर और 12 दिनों का अवकाश इन केंद्रों पर रहती है. इन केंद्रों पर आवेदन देने से निश्चित समय सीमा में हमारा जो लोक सेवा गांरटी अधिनियम, 2010 है उसका निश्चित तिथि में निराकरण करना नियत है, इससे निश्चित रूप से समय सीमा में लोगों का कार्य होता है इसके लिये मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं.
माननीय श्री भूपेन्द्र सिंह जी हमारे उज्जैन जिले के प्रभारी मंत्री हैं और महाकाल बाबा की कृपा उनके ऊपर हैं और आपके नेतृत्व सिंहस्थ 2016 बहुत ही अच्छा हो रहा है. वह सप्ताह में दो तीन दिन वहां पर ही रहते हैं. यह मध्यप्रदेश और हिन्दुस्तान का ही नहीं पूरे विश्व का महाकुंभ पर्व है. इसमें 100 देशों के लोग भाग ले रहे हैं. इतना बड़ा दायित्व भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने और माननीय शिवराज सिंह जी ने माननीय श्री भूपेन्द्र सिंह जी को सौंपा हैं. मैं भूतभावन महाकाल जी से प्रार्थना करता हूं कि इनके नेतृत्व में आज तक जितने सिंहस्थ हुए हैं उनसे कई अच्छे प्रबंधन आपके नेतृत्व में किये जा रहे हैं. उपाध्यक्ष महोदय, 3000 करोड़ रूपये के कार्य उज्जैन जिले के अन्दर हुए हैं.
डॉ गोविन्द सिंह जी :- बात किस विभाग की बात चल रही है और यह क्या बात कर रहे हैं.
श्री बहादुर सिंह चौहान :- मैंने तीनों विभाग के बारे में अभी कहा है. मुझे मालूम है कि आप जरूर कहेंगे. लेकिन माननीय मंत्री जी वहां के प्रभारी मंत्री हैं और यह मध्यप्रदेश सरकार का सबसे बड़ा महापर्व है. आपने मुझे अपनी बात कहने का मौका मिला इसके लिये धन्यवाद्
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल:- प्रभारी मंत्री रहते हुए अगर सिंहस्थ का कार्य देख रहे हैं और महाकाल बाबा की नगरी में अच्छा काम हो रहा है तो उसकी तारीफ अगर कर दी तो मंत्री जी को धन्यवाद् दिया है तो आपको तो खुश होना चाहिये.
डॉ गोविन्द सिंह :- अच्छे आदमी की तारीफ तो मैं भी करता हूं. आप तो एक काम करो यदि तारीफ करना है तो घर जाकर चमेली का तेल लगा कर आ जाया करो.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल:- आपके कार्यकाल में आप ऐसा ही करते थे क्या.
श्री दिलीप सिंह शेखावत :- डॉ साहब आपने चमेली का तेल ही क्यों बोला. (व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदय :- गोविन्द सिंह जी आप अपना भाषण शुरू करिये.
श्री बहादुर सिंह चौहान :- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं एक बात और कहना चाहता हूं. माननीय शिवराज जी और भारतीय जनता पार्टी का सौभाग्य है कि 1968, 1980 , 1952 , 2004 में और 2016 में भारतीय जनता पार्टी को यह सौभाग्य प्राप्त हुआ. इसलिये यह शिवराज जी को प्राप्त हुआ है.
डॉ गोविन्द सिंह:- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, भूपेन्द्र सिंह जी के बारे में कोई दिक्कत नहीं है, भेजे आदमी हैं और काम भी ठीक कर रहे हैं. लेकिन यह कहां की बात कहां कर रहे हैं. इनको कहां बोलना चाहिये यह दूसरी बात के एम एल ए हैं. मैं तो सच है बोलतो. मैं जो सत्य है वह कहता हूं. जहां पर गलत है, उसे गलत भी कहूंगा.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल:- डॉ साहब यह आपके बाल चमेली के तेल से ही झड़े हैं क्या.
डॉ गोविन्द सिंह :- आप बैठ जाओ, अभी आप बच्चे हो. अभी आप जाकर सीखो. बचपना छोड़ो, आपका दूसरा टर्म है.
डॉ.गोविन्द सिंह - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं ज्यादा लंबी बात नहीं कहना चाहता हूं. शिवराज सिंह जी जब मुख्यमंत्री बने तो बड़े-बड़े होर्डिंग लगे कि अब परिवहन विभाग में भ्रष्टाचार नहीं रहेगा. अब कोई परिवहन विभाग में सर्विस करने के लिये प्रयास ही नहीं करेगा लेकिन मंत्री जी मैं जानना चाहता हूं कि आज भी क्या परिवहन विभाग में दलाली प्रथा बंद हुई लेकिन यह बात में सच्चाई है और आपके विभाग में सुधार की बहुत आवश्यक्ता है. आपका रेवेन्यू लगातार बढ़ रहा है और आपके रेवेन्यू में और बढ़ोत्तरी हो जाये वह डबल हो जाये अगर आप पूरी तरह से स्टाफ की पूर्ति करें. मैं देखता हूं एक दफ्तर में एक क्लर्क बैठा रहता है भिण्ड में तो वहां कोई मिलता ही नहीं अधिकारी,कर्मचारी नहीं. एक-एक जिले का परिवहन अधिकारी दो-दो जगह का बना हुआ है. 1980 से इस विभाग में भर्ती नहीं हुई. ठीक है आपकी नीति है मैं उसकी आलोचना नहीं करना चाहता. आपने पुलिस विभाग के अधिकारी हटा दिये. 1980 में जो आपका रेवेन्यू था आज उससे दस गुना हो गया है और अधिकारी,कर्मचारी थे वे 10 गुना घट गये. न क्लर्क हैं, न कम्प्यूटर आपरेटर हैं जो जांच का छापे का अमला रहता था वह भी अमला कम हो गया है. पुलिस के हवालदार,सिपाही आप डेपुटेशन पर लेते थे ठीक है भ्रष्टाचार की शिकायतें मिलती थीं लेकिन कंट्रोल करना चाहिये था वे कम से कम मुस्तैद रहते थे उनकी ट्रेनिंग होती थी सुरक्षा की. असमाजिक तत्वों पर कंट्रोल करने की. अब जो आपने नये पुलिस के कुछ सिपाही भर्ती की है उनको इतनी हिम्मत नहीं पड़ती बड़े खनिज माफिया वाहन लेकर जा रहे हैं आपके विभाग के सिपाहियों को उनको रोकने की हिम्मत नहीं पड़ती. आपका रेवेन्यू और बढ़ेगा इस वर्ष जो आपने लक्ष्य रखा था उससे ज्यादा आपने प्राप्त किया है. प्रतिवर्ष रेवेन्यू बढ़ रही है इसके लिये मैं आपको धन्यवाद देता हूं बधाई देता हूं किन्तु आप स्टाफ को बढ़ाएं और जब 1980 में पूरे प्रदेश में सब वाहन कुल मिलाकर दस लाख के आसपास रजिस्टर्ड थे. आज आपने अपने प्रशासकीय प्रतिवेदन में बताया है कि 1 करोड़ 18 लाख वाहन रजिस्टर्ड हैं लेकिन हमारा अनुमान है कि शायद 1 करोड़ 25 लाख के आसपास वाहन हो चुके हैं प्रदेश में आपके वाहनों की संख्या बारह,तेरह गुना बढ़ गई लेकिन आपका स्टाफ उस हिसाब से नहीं बढ़ा. परिवहन विभाग सरकार की आमदनी का मुख्य स्त्रोत है लेकिन परिवहन विभाग की दुर्दशा है. आपके दफ्तर नहीं,कर्मचारी नहीं,जिलों में गाड़ियां नहीं. जब आप इतना रेवेन्यू अर्जित कर रहे हो तो कम से कम अपने अधिकारियों,कर्मचारियों की सुविधाओं का ध्यान रखें तो उनकी रेवेन्यू में ज्यादा रूचि होगी और वे आपकी आय बढ़ाएंगे.
उपाध्यक्ष महोदय - डाक्टर साहब आपने 1980 का पैमाना क्यों लिया मैं नहीं समझ पा रहा हूं. 36 वर्ष पहले का.
डॉ.गोविन्द सिंह - उस समय जो अधिकारी,कर्मचारी थे वे घट गये और वाहन उस समय की तुलना में बहुत ज्यादा हो गये. बारह-चौदह प्रतिशत ज्यादा हो गये. उस समय के अमले को आप लगाये हुए हो इसीलिये रेवन्यू आपको मिल नहीं पाती. आपके टोल टेक्स के बारे में कहना चाहता हूं. टोल नाके,बीओटी के माध्यम से मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि टोल नाके कौन सी ऐजेसियां हैं. एक कंपनी है आई.एल.एफ.एस. जो दिल्ली,हरियाणा,पंजाब के तमाम आई.ए.एस. अधिकारी हैं उनको दे दी. 80-80 हजार ,एक-एक लाख रुपये तो वे पेंशन पा रहे. मध्यप्रदेश में इतनी बेरोजगारी बढ़ रही है तो आप दूसरी बात क्यों नहीं सोचते हो सकता है यह आपके पहले का हो. क्योंकि पहले सब गड़बड़ चलता था अब सुधार हुआ. टोल नाके पर कौन बैठे हैं. बाहर के अधिकारियों ने गुण्डों को बैठा दिया है. असमाजिक तत्वों और लट्ठ के बल पर वे चल रहे हैं.
श्री भूपेन्द्र सिंह - डॉक्टर साहब जो आप टोल नाके कह रहे हैं टोल नाके परिवहन विभाग के नहीं है. टोल नाके जो हमारा एमपीआरडीसी है वह इसको संचालित करता है. वह ही टोल नाके स्थापित करता है परिवहन विभाग नहीं करता है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र - बिना जानकारी के हमेशा बोलते हो आप.
उपाध्यक्ष महोदय - आपको अभी आना था.
डॉ.गोविन्द सिंह - मैं केवल आपसे इतना कह देना चाहता हूं. आप अच्छा काम कर रहे हैं लेकिन आपने पिछले वर्ष कहा था कि बसस्टैंडों को ठीक करेंगे. हमारी मांग पर परिवहन मंत्री ने घोषणा की थी कि हमारा लहार, भिण्ड जिला मुख्यालय आलमपुर से 105 कि.मी.से अधिक है और वहां रजिस्ट्रेशन कराने जाते थे. आपने लहार में एक सप्ताह का कार्यालय स्थापित कर दिया है. जिस प्रकार आपने बड़ा दिल दिखाया था.तो अब नियमित रूप से एक क्लर्क वहां बैठने लगे ऐसी व्यवस्था कर दीजिये. इसकी बड़ी चर्चा है बड़ी तारीफ हो रही है बड़े परेशान होते थे लोग लाईसेंस के लिये,फिटनेस के लिये,छोटे-छोटे कामों के लिये अब एक सप्ताह में एक परिवहन अधिकारी जाता है वहां बैठता है काम चल रहा है हम उसके लिये आपको जगह शासन से उपलब्धकराएंगे और अगर आप पैसा भी न दें भवन के लिये तो जैसे मुख्यमंत्री जी ने घोषणा की है कि हम दो करोड़ विधायक निधि कर दी है अगर वह होगी तो आपके कार्यालय के लिये जो भी राशि लगेगी उस कार्यालय के लिये हम पूरी राशि देने की कोशिश करेंगे. हमारे लहार बसस्टैंड में शापिंग काम्प्लेक्स बनाने के लिये अगर आप राशि दे सकते हैं तो दे दें अगर नहीं दे सकते हैं तो वहां एक सुलभ काम्प्लेक्स ही दे दें उसके लिये राशि उपलब्ध करा दें. आप अपना अमला जरूर बढ़ाएं. ओवरलोड तो कोई पकड़ ही नहीं रहा है. पुलिस वालों से कहते हैं तो वे कहते हैं कि परिवहन विभाग का काम है. इस पर आप कसावट रखेंगे तो आपकी आय और बढ़ेगी. धन्यवाद.
श्री रामेश्वर शर्मा(हुजूर) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 21,36 और 46 के समर्थन में बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. जैसा कि हमारे आदरणीय गोविन्द सिंह जी बता रहे थे कि मध्यप्रदेश सरकार के कई कार्य लोक कल्याणकारी कार्य हुए हैं उनके कारण विभाग की छवि भी बदली है और विभाग ने लोक संग्रह भी जोड़ा है. केवल परिवहन को एक जमाना था और कांग्रेस में परिवहन विभाग को लेने के लिये होड़ मचती थी और संघर्ष होता था. वह परिवहन विभाग राजनीतिक परिवहन के कारणों से जाना जाता था लेकिन आज इस परिवहन विभाग ने अपनी परिभाषा को परिवर्तित किया और आज मध्यप्रदेश की धरती पर प्रतिदिन अगर हम यह कहते हैं कि देश में सबसे ज्यादा जन सुविधा और लोक यात्रा कराने में ट्रेन का नंबर वन है तो मध्यप्रदेश की धरती पर कहा जा सकता है कि मध्यप्रदेश के नागरिकों को परिवहन सुविधा देने में मध्यप्रदेश का परिवहन विभाग भी नंबर वन है.
श्री गिरीश भण्डारी - सरकारी बसें चलवा दीजिये.
श्री रामेश्वर शर्मा - तुम्हें बस से मतलब,सरकारी चले,गैर सरकारी चले,सुविधा से मतलब,सरकार दुकान चलाने के लिये नहीं है सरकार सुविधाएं ठीक रखने के लिये है.
श्री गिरीश भण्डारी - शर्मा जी, गैर सरकारी जो बसें चल रही हैं उनमें कभी बैठकर देखना कभी जब मालुम पड़ेगा कि प्रायवेट बसें किस हालत की चल रही हैं. कभी ग्रामीण क्षेत्र की बसों में जाकर देखना मालुम पड़ेगा कि कैसी बसें हैं. आप अभी तक भोपाल-इन्दौर की बसों में इसीलिये आपको पता नहीं है.असल में हमारे भईया लोगों को उन बसों में बैठने की आदत है जिसमें सड़क एवं बस एक जैसी हों, डिलेवरी वहीं हो जाए. पूर्व में राज्य परिवहन की बसों तथा सड़कों की क्या हालत थी.
श्री गिरीश भंडारी--अभी ब्यावरा से भोपाल बस में चले जाना आपको मालूम पड़ जाएगा कि सड़कों की क्या हालत है.
श्री रामेश्वर शर्मा--मैं आज ही गारंटी के साथ यह बात कह रहा हूं दिग्विजय सिंह जी के समय से अच्छी सड़कें ब्यावरा भोपाल सड़क है. जब माननीय मंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह जी के पास यह विभाग आया जिन बसों के कारण हम यह कहते थे कि यात्री का जीवन असुरक्षित है ऐसी बसों को मंत्री जी ने खुद जाकर के चेक कीं तथा उन बसों के खिलाफ कार्यवाही भी की तथा सैकड़ो बसें बंद भी करवायीं वहां पर नागरिकों को तत्काल सुविधा भी उपलब्ध करायी, जो कि अपने आप में एक बड़ा काम हैं. इसलिये हमने परिवहन विभाग को लोक परिवहन विभाग के रूप में तब्दील किया, यह अपने आप में मध्यप्रदेश सरकार की सबसे बड़ी सफलता है. पूर्व में इस विभाग के पास क्या था हर जगह की बसस्टेण्ड को बेचकर के चले गये पूर्वज लोग आज देखिये मानसरोवर काम्पलेक्स जिस जगह पर बना है वह जगह भी किसने खत्म की वहां पर भी तो बसस्टेण्ड बना था, लेकिन हमारी सरकार ने आरटीओ की जितनी भी जगह थी उसको सुरक्षित करके नागरिकों को जो मौलिक सुविधाएं दी हैं, जो कि अपने आप में बड़ी तारीफ है. हमारे मंत्री जी की सजगता के कारण आज मंत्री जी उज्जैन के भी प्रभारी हैं. वहां पर महाकाल की सड़कें चमचमा रही हैं, वहां फलाईओव्हर बन रहे हैं. आज उज्जैन भी सिंहस्थ के लिये तैयार है, लेकिन उज्जैन के परिवहन पर जितना पैसा खर्च होगा अगर 5 करोड़ भी उज्जैन में दर्शन करने के लिये आयेंगे तो मध्यप्रदेश का परिवहन विभाग भी इसके लिये तैयार है. नागरिकों को पूरी सुविधा दी जाएगी, सड़क,बसें तैयार हैं और स्वागत करने के लिये भूपेन्द्र सिंह जी एवं शिवराज सिंह भी तैयार हैं. हम नागरिकों को मूलभूत सुविधाएं देना चाहते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, क्या हो रहा है लोक गारंटी में कैसे हो रहा है भारतीय जनता पार्टी की दुकान खुल गई बोलने के पहले सोचिये आप भी राजनीतिक पार्टी के सदस्य हैं, हम भी राजनीतिक सदस्य हैं. आपने अपने शासनकाल में जितने कानून बनाये क्या कांग्रेस की दुकान खोलने के लिये बनाये हमने भी कानून बनाये. यह कानून न मेरे हैं न आपके हैं, यह कानून मध्यप्रदेश के पवित्र मंदिर के एवं नागरिक के हित के लिये कानून हैं. इन कानूनों को किसी दल पर अथवा किसी व्यक्ति पर थोपना, यह गलत परिभाषा हो सकती है. मैं बताना चाहता हूं कि 3 करोड़ 65 लाख रूपये से अधिक शिकायतें आयी हैं, जब से लोक सेवा गारंटी योजना का नियोजन हुआ है और इसमें 3 करोड़ 49 लाख लोगों के तत्काल समाधान किये हैं जो कि अपने आप में देश में भी नंबर 1 हैं इस बात के लिये कि समाधान हुए हैं. आज मुख्यमंत्री हेल्पलाईन के प्रति लोगों का भरोसा है उसमें 40 हजार कॉल प्रतिदिन आते हैं उसमें समाधान भी हो रहे हैं. इक्का-दुक्का व्यक्ति हो सकते हैं जिनके निराकरण नहीं हुए हैं, लेकिन उसके कारण पूरी व्यवस्था को नेस्तनाबूद नहीं किया जा सकता है. इसलिये मैं बताना चाहता हूं कि लोक सेवा गारंटी योजना से मध्यप्रदेश की जनभावनाओं को सम्मान मिला है तथा उनकी शिकायतों का निराकरण भी हुआ है. आज लोग कहते हैं कि हम मुख्यमंत्री जी से डायरेक्ट बात करते हैं हेल्पलाईन से बात करके अपनी समस्याओं का समाधान करते हैं केवल इतना ही नहीं 280 अधिकारियों के खिलाफ 14 लाख रूपये का जुर्माना भी इस लोक गारंटी योजना के तहत लिया गया है जो कि मध्यप्रदेश के राजनैतिक इतिहास में अभी तक का नंबर 1 है. इस लोक सेवा गारंटी योजना से जहां लोगों की जनसुविधाओं का बढ़ावा मिला हैं, जहां पर नागरिकों की शिकायतों के समाधान हुए हैं, यह अपने आप में एक उपलब्धि है और इस चुनौती से हम और आप निपटना जानते हैं. हमको-आपको जो मिलने वाली शिकायतें हैं उनके निराकरण में कितनी परेशानी होती है, लेकिन केन्द्र पर हुई शिकायत का उसी काल पर समाधान करके व्यक्ति को सूचित कर दिया कि तुम्हारी समस्या का निराकरण हो गया है, यह सरकार की बड़ी उपलब्धि है. हमारी जो सरकार है यह लोक सेवा गारंटी, लोक परिवहन, टेक्नॉलॉजी, आईटी के क्षेत्र में लगातार जन समस्याओं के निराकरण करने तथा लोगों को सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिये लगातार प्रयत्नशील है. भोपाल में एक आईटी हब बनने के लिये तैयार है उसके लिये भूमि-पूजन हो गया है भवन भी 70 प्रतिशत बनकर के तैयार हो गया है, यह बड़ी बात नहीं कि 2016 उसका भी लोकार्पण होकर नागरिकों की सुविधा के लिये समर्पित कर दिया जाए. मंत्री जी से एक प्रार्थना करना चाहता हूं कि लोक परिवहन जो है वह बसें एवं सुविधाएं उपलब्ध करवाता है, लेकिन इसका प्रचार-प्रसार नहीं होता है इसलिये नेशनल हाईवे, स्टेट हाईवे हैं अपर परिवहन विभाग की बसें अनुबंध पर चल रही हैं इनके बीच में बस स्टॉप बनाया जाए जैसा का डॉ.गोविन्द जी ने एक बस स्टेण्ड मांगा था मैं तो चाहता हूं कि वहां पर जनसुविधा केन्द्र भी बनाया जाए जिससे आम-नागरिक को सुविधाएं उपलब्ध हो सकें और परिवहन विभाग के बारे में लोगों का जो भ्रम है, वह भ्रम भी खत्म हो सके तथा परिवहन विभाग जो काम कर रहा है, वह लोगों के सामने आ सके. जैसे अभी मध्यप्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायालय के आदेश के अनुसार हेलमेट की चैकिंग समय समय पर होती रहती है जब चैकिंग होती है तो पुलिस को टॉरगेट बनाते हैं कि पुलिस लूट-खसौट कर रही है, लेकिन माननीय न्यायालय के समय समय पर निर्देश आते रहते हैं कि इन निर्देशों का परिपालन कराना बहुत जरूरी है. सरकार के परिवहन विभाग ने एक आदेश निकाला और कहा कि जिन पेट्रोल पम्पों पर बिना हेलमेट की गाड़ी जाएगी तो उसको पेट्रोल नहीं दिया जाएगा, यह एक अच्छा आदेश है मैं प्रार्थना करना चाहता हूं कि यह आदेश स्कूल विभाग, शिक्षा विभाग पर लागू हो स्कूलों में अगर बच्चे 18 साल से कम उम्र के बच्चे स्कूटी अथवा कोई भी गाड़ी लेकर के आते हैं उसको भी रोका जाना चाहिये, लेकिन अगर वह बिना हेलमेट के आये तो उसकी गाड़ी जप्त कर लेना चाहिये तथा उसके परिवार को बुलाकर के सूचित करना चाहिये. यह बात कालेजों, सरकार कार्यलयों, प्रायवेट कार्यलयों पर भी लागू हों, मैं इसलिये कह रहा हूं कि भोपाल का प्रतिदिन जब समाचार निकलता है कोई न कोई होनहार बालक, स्टूडेन्ट, खिलाड़ी जरूर एक्सीडेन्ट का शिकार होता है. एक्सीडेंट की शिकार होने वाली अर्थी को हम कांधा देकर आंसू बहाने के अतिरिक्त और कुछ काम नहीं कर सकते, इसलिए उन बच्चों के, भारत के भविष्य के, मध्यप्रदेश के भविष्यों की जान बचाना भी आवश्यक है, इसलिए हेलमेट सरकार की उपलब्धि नहीं है बल्कि व्यक्ति की सुरक्षा है और व्यक्ति की सुरक्षा इसको जोड़ना बहुत जरूरी है, अगर इसमें सुधार होगा और इन विभागों पर यह व्यवस्था लागू होगी, तो बहुत अच्छा होगा ।
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं एक प्रार्थना कर देना चाहता हूं, मेरे क्षेत्र बैरागढ़ में आरटीओ विभाग का एक पुराना आफिस है, एक जमाने में उस समय की, 2003 के पहले तत्कालीन सरकार थी, उसका नाम लेंगे तो लोग भड़क जाएंगे और नाम भी क्यों लें जब आने की कोई संभावना नहीं है, वहां पर एक जमीन है, उस जमीन पर अगर कोई विवाद न हो, क्योंकि वहां पर कुछ लोग कब्जा कर रहे हैं, इसलिए आरटीओ विभाग चाहे तो उस जमीन को अपने पक्ष में कर ले और न हो तो उसका व्यावसायिक, जो भी उपयोग हो सरकार के किसी और विभाग को दी जा सकती हो तो वह जमीन देकर सुरक्षित की जानी चाहिए, आखिरी प्रार्थना है कि सात नंबर बस स्टाप के पास आपका आरटीओ आफिस है, वहां परमिट बनाते हैं, वह अब सेंटर प्वाइंट लोकेट जगह हो गई, उसके कारण ट्रेफिक जाम होने लगा है, इस विभाग के लिए भोपाल के आस पास आपको, दो, पांच एकड़ जमीन मिल सकती है, क्योंकि जब आप लोगों को लायसेंस देते हो तो गाड़ी चलवाकर देखते हो, उनसे निशान पूछते हो, वहां पर यातायात से संबंधित चिन्ह बताते हो, इनकी चेकिंग भी हो जाएगी, हो सके तो भोपाल के आस पास 2, पांच एकड़ जमीन ली जाए और वहां पर परिवहन विभाग का एक अच्छा आफिस, मेंटेन और परिवहन विभाग की सुविधा की दृष्टि से मैदान की जरूरत है, वहां पर स्थानान्तरित किया जाए तो बहुत अच्छा है।
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से श्री भूपेन्द्र सिंह जी को बहुत बहुत बधाई देता हूं और उम्मीद करता हूं, मध्यप्रदेश का परिवहन, लोक सेवा गारंटी और आई.टी का क्षेत्र लगातार बढ़ता रहेगा, मध्यप्रदेश के नागरिकों को सुविधाएं मिलती रहेंगी और शिवराज जी के सपने को हम साकार करते रहेंगे, बहुत बहुत धन्यवाद ।
श्री जितू पटवारी (राऊ)- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं लोक सेवा प्रबंधन परिहवन और विज्ञान एवं टेक्नालॉजी 21, 36 और 46 की मांगों पर बोलने के लिए आपके सामने खड़ा हुआ हूं, आपने बोलने के लिए समय दिया, उसके लिए धन्यवाद । आपके माध्यम से मंत्री जी से अनुरोध करता हूं कि आज से तीन साढ़े तीन माह पहले नितिन गड़करी जी का बयान था और अखवारों में मैंने पढ़ा था और शायद कई सदस्यों ने भी पढ़ा होगा, (XXX) , इसकी तथ्यात्मक बातें भी आपके सामने रखने की कोशिश करूंगा मंत्री जी मैं कुछ बातें सुझावात्मक रूप में अनुरोध करना चाहता हूं ........
डॉं नरोत्तम मिश्र- उपाध्यक्ष जी, किसी चीज में तो ये अपनी पार्टी के नेता को आधार बनाया करें, क्या इनके कोई महापुरूष नहीं है, क्या किसी ने अच्छा काम नहीं किया है, मुख्य भाषण दे रहे हो कम से कम.........
श्री जितू पटवारी - मंत्री जी, जब देश के लिए सहादत देना हो तो हमारे नेता के नाम आते हैं और (XXX)।
श्री रामेश्वर शर्मा - माननीय उपाध्यक्ष जी, जैसे जेएनयू में जाकर राहुल गांधी ने शहादत दी है, इससे बड़ी सहादत तो हो ही नहीं सकती, जो पाकिस्तान के साथ जाकर खड़ा हो जाए, उससे बड़ी क्या शहादत हो सकती है धन्य है कांग्रेस ।
श्री रणजीत सिंह गुणवान- माननीय उपाध्यक्ष जी, कांग्रेस के समय में माननीय लिखीराम जी की हत्या हुई है, वह भी परिवहन मंत्री थे ।
श्री जितू पटवारी- अध्यक्ष जी, आपसे अनुरोध है कि मैं सुझावात्मक रूप में अपनी बात कहना चाहता हूं, मेरे परिवार के सदस्यों से अनुरोध है कि मेरी पूरी बात सुनें, समझ में आए तो ग्रहण करें, नहीं आए तो फेंक दें ।
उपाध्यक्ष महोदय- गुणवान जी बैठ जाइए ।
श्री जितू पटवारी- काका, मैं इस बार आपके यहां चुनाव प्रचार करने जरूर आउंगा, आप ध्यान रख लेना ।
श्री रामेश्वर शर्मा- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपके सामने अनुसूचित जाति के एक सदस्य को धमकाया जा रहा है, ये डरा रहे हैं, उनका चुनाव प्रचार करने आएंगे, वे क्या बिना प्रचार के जीतते हैं, उम्र में बड़े हैं, आप उनको धमका रहे हैं ।
श्री रणजीत सिंह गुणवान- उपाध्यक्ष महोदय, पटवारी जी के आने से मैं और अधिक मतों से जीतूंगा ।
श्री हजारी लाल दांगी- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एक मिनट मेरी बात सुन लें यह पवित्र मंदिर है और एक पटवारी के आने से तहलका मच जाता है और हा हाकार मच जाता है, जिस तरह से एक पटवारी गांव में जाता है और सीमांकन करने के बाद में लड़ाई शुरू करा देता है वैसे ही ये यहां आकर विध्न पैदा कर देता है, एक पटवारी से पूरी विधानसभा परेशान है । (व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदय- दांगी जी, इस प्रश्न का कोई मतलब नहीं है, आप बैठ जाइए , जितू जी आप अपनी बात रखें, इस तरह से व्यवधान होता रहेगा, समय सीमा का ध्यान रखें, मैंने सुना है कि आप बहुत सारी बातें कहेंगे समय सीमा का आपको ध्यान रखना पड़ेगा, गुणवान जी यह गलत है, आप उनकी घड़ी का कांटा शुरू ही नहीं होने देते हो ।
श्री यादवेन्द्र सिंह - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जब हमारे यहां के लोग बोलने के लिए खड़े होते हैं तो ये लेाग डिस्टर्ब क्यों करते हैं , इनकी बात हम सुन रहे हैं, ये हमारी बात नहीं सुनते ।
श्री मनोज पटेल- उपाध्यक्ष जी, पटवारी जी को यह जरूर कहें कि ये आपकी ओर इंगित होकर बात करें ।
उपाध्यक्ष महोदय- सुझाव के लिए धन्यवाद ।
श्री जितू पटवारी- जी, उपाध्यक्ष जी चूंकि मेरा छोटा भाई है तो मैं बात मानूंगा उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से अनुरोध कर रहा हूं, सुझावात्मक रूप में मेरी सारी बाते हैं, थोड़े दिन पहले इलेक्ट्रानिक चेक पोस्ट चालू किए थे, मेरे ख्याल से नीमच में चालू भी हुआ था, थोड़े दिन चला, आमदनी भी बढ़ी, बंद क्यों हुआ । मेरा अनुरोध है कि जब नीमच में चालू किया गया तो पूरे प्रदेश में चालू क्यों नहीं किया गया उसको बढ़ाया क्यों नहीं गया सरकार का खजाना भरना है या भ्रष्टाचार का खजाना भरना है, यह आपको तय करना है, अखवारों में इलेक्ट्रानिक प्लेटों की बात आई थी, बड़ी बड़ी बातें हुई, सरकार ने भी उसकी अच्छी पब्लिसिटी ली, मैं समझता हूं कि उसकी सिर्फ बातें बातें ही रहीं, पूरे प्रदेश में कहीं भी चालू नहीं हुआ, क्या करण था कि चालू नहीं हुआ,जो इलेक्ट्रानिक सुविधाएं हैं, जिनके माध्यम से परिवहन विभाग को और दुरूस्त कर सकते हैं, ऐसा क्यों नहीं किया गया, मैं समझता हूं कि समय की मांग है, ऐसा करना चाहिए, जिससे वाहनों की चोरियां रूके और भी बहुत सी सहायता मिलती है, आरटीओ दोनों हाथों से कैसे लूट रहा है, इसका एक छोटा सा उदाहरण देना चाहता हूं, बीच में एक दिन आपसे बात भी की थी, मेरे पास आटीओ के करीब 300, साढ़े तीन सौ एजेंट आए और उन्होंने कहा कि हम इतने साल से एजेंट थे, मुख्यमंत्री की एक घोषणा थी, उन्होंने कहा है कि हम एजेंटो को लीगलाईज करेंगे, चूंकि हम रोजगार नहीं दे सकते तो रोजगार भी नहीं छीनेंगे और इनका काम व्यवस्थित करेंगे, यह मुख्यमंत्री जी ने कहा था, क्या कारण है कि विजय नगर आरटीओ ने उनको आरटीओ आफिस में घुसने से रोक दिया, जब मैंने आरटीओ से बात की तो उन्होंने कहा कि जिसकी गाड़ी है वही अंदर आएगा बाकी एजेंटों का, बिचौलियों का काम ही मैंने खत्म कर दिया है, अगर उन्होंने बिचौलियों का काम विजय नगर में खत्म कर दिया तो वहीं पर दूसरा केशरबाग आरटीओ आफिस है, वहां पर खत्म क्यों नहीं किया यह व्यवस्था एक जगह होती है और दूसरी जगह नहीं होती है, उसके पीछे का सच यह है, मंत्री जी मैंने डीलरों से बात की, पांच, डीलरों से जो फोर व्हीलर बेचते हैं, तो पता चला कि 1200 से 1500 रूपए आरटीओ के अधिकारी आते हैं और मांगेते हैं कि सीधे कर लो एजेंट की जरूरत ही नहीं है, फिर टू व्हीलर वालों से बात की, उन्होंने कहा दो सौ, पांच सौ से आठ सौ रूपए सीधे दे दो आरटीओ का आदमी ही वहीं सीधे चला जाता है, यह सच्चाई है, यह मै बनाकर घुमाकर नहीं कह रहा हूं, आप ही के साथ मंत्री हैं, उनकी भी डीलरशिप है, आप चाहो तो कमरे में जाकर बात कर लेना, उनसे नहीं होगा, क्योंकि वह मंत्री हैं, पर बचे हुए बचेंगे नहीं मुझे यह पता है, सब से लिए जा रहे हैं । यह आलम है आपके विभाग का, भ्रष्टाचार का टोटल बोलबाला है. एक और अनुरोध है कि मंत्री जी आप नया आर.टी.ओ. इन्दौर में खोलने की कृपा कर रहे हैं और मेरी विधानसभा पत्थरमुंडला को यह सौभाग्य मिल रहा है. यह एक तारीख के आसपास, एक महीने के आसपास खोलने की तैयारी चल रही है, बातें तो डेढ़ साल से चल रही हैं पर अब अंतिम रूप में कलेक्टर ने मुझे कहा. आप हमारे प्रभारी मंत्री भी है. माननीय मंत्री जी, आर.आई.2 एक रोड़ है, जो अग्रवाल पब्लिक स्कूल से पत्थरमुंडला तक बनेगी तो उस आर.टी.ओ. का अच्छा हुआ है, यह शहर के हित में आयेगा. मैं आपसे विनम्र प्रार्थना करता हूँ कि पहल करके जल्दी से बने. उसमें अतिक्रमण है, उसको हटाने में, मैं भी सहयोग कर रहा हूँ. लोगों को और कैसे सहायता और जल्दी मिले. इसमें आप भी मदद करेंगे तो मैं आपको कृपापात्र समझूँगा.
उपाध्यक्ष महोदय - जितू जी, दो मिनट में समाप्त करेंगे.
श्री जितू पटवारी - उपाध्यक्ष जी, अभी तो चालू ही नहीं किया है.
उपाक्ष्यक्ष महोदय - इसका हिसाब-किताब मेरे पास है. आप जो बोल रहे हैं, उसकी आपको जानकारी नहीं है.
श्री जितू पटवारी - अभी मैंने दो बातें कही हैं.
उपाक्ष्यक्ष महोदय - जितू जी, आपके दल का कुल समय 14 मिनिट है. श्री निशंक जी 10 मिनिट बोल चुके हैं, श्री गोविन्द सिंह जी 9 मिनिट बोल चुके हैं और आपको बोलते हुए करीब 5 मिनिट हो गया है.
श्री बहादुर सिंह चौहान (श्री जितू पटवारी की ओर इशारा करते हुए) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आप इनके भाषण निकलवाकर देखें कि इनने कौन-से भाषण में सार्थक बात कही है.
उपाक्ष्यक्ष महोदय - आप बैठ जाइये. जितू जी जारी रखें और जल्दी समाप्त करें.
श्री जितू पटवारी - उपाध्यक्ष महोदय, मेरा अनुरोध यह है कि मैंने जो बातें कहीं, वह कहीं भी लीक से भटककर बातें नहीं की. जितना व्यवधान हुआ है. अगर आप इसको भी समय पर जोड़ेंगे तो मेरा अनुरोध है कि मुझमें इतना टेलेन्ट नहीं है कि 2 मिनिट या 3 मिनिट में अपनी बात कह दूँ. आप कहें तो बैठ ही जाऊँ.
उपाक्ष्यक्ष महोदय - यह बहुत गलत बात है.
श्री जितू पटवारी - मैं क्या करूँ फिर.
उपाक्ष्यक्ष महोदय - जितू जी, आपने शुरूआत 3 बजकर 2 मिनट में की, अभी 3 बजकर 12 मिनिट हुए हैं. 10 मिनिट हुए, उसमें से मैंने 4 मिनिट व्यवधान के काट दिये. आप 2 मिनट में समाप्त कीजिये. आप एक विभाग में लीड स्पीकर भी थे. उसमें आपको पर्याप्त समाप्त मिला था. आप तीसरे वक्ता हैं. पार्टी का समय केवल 14 मिनिट है.
श्री जितू पटवारी - उपाध्यक्ष जी, मैं आपकी भावनाओं की कद्र करता हूँ.
उपाक्ष्यक्ष महोदय - यह भावना नहीं है, हमें तो व्यवस्था देनी है. यहां से व्यवस्था का पालन करना सीखिये. देखिये, आपका लम्बा पार्लियामेन्ट्री जीवन हो, मैं ऐसी कामना करता हूँ.
श्री जितू पटवारी - उपाध्यक्ष जी, धन्यवाद. मैं कोशिश करता हूँ. मेरा अनुरोध यह है कि मुनमुन हमारी विधानसभा के एक सम्मानित सदस्य हैं. टोल के भ्रष्टाचार को लेकर 2 दिन तक, 40 घण्टे तक धरने पर बैठा. जितनी देर वह बैठा, आय बढ़ी और उतनी देर का रेवेन्यू है, जांच में बैठा और उसकी आय बढ़ी है और जब वह उठ गया तो फिर घट गई. मंत्री जी, यह सीधा उदाहरण सिर्फ 40 घण्टे के हिसाब का है. इसलिए भ्रष्टाचार का बोलबाला इतना है कि जिसको कहते नहीं बनता है. शुरू में, मैं सदस्य बनकर आया और आपने एक उत्तर बहुत दबंगता से दिया था और आपकी एक शैली है- आप कम बोलते हैं और आपका एक रूतबा है. आपने कहा ट्रांसपोर्ट भर्ती का मामला के मामले में, हमने सारी जांचें कराई हैं, 320 लोगों की भर्ती का विवाद था और आपने कहा था कि कुछ नहीं है. फिर आपकी बाद सी.बी.आई. भी जांच कर रही है और उन पर मुकदमे भी हुए हैं. आपका विभाग के भ्रष्टाचार का आलम सर चढ़कर बोलता है. इसमें अनुरोध करना चाहता हूँ कि एक नम्बर की दो-दो बसें चलती हैं. मंत्री जी, भारतीय जनता पार्टी की एक लिस्ट मेरे पास है.
परिवहन मंत्री (श्री भूपेन्द्र सिंह) - जितू भाई, हम लोग भी लम्बे समय तक विपक्ष में रहे हैं पर ऐसे सामान्य रूप से भ्रष्टाचार कह देना ठीक नहीं है या तो आप कोई प्रमाण पेश करें. आप अगर एक रूपये के भी भ्रष्टाचार का प्रमाण पेश कर दें तो मैं अभी तत्काल यहीं पर इस्तीफा देकर चला जाऊँगा. भाषण देना मुझे भी आता है और आपको देखना है तो आप मेरे पुराने भाषण देख लो फिर मैं अभी परिवहन पर पुराने समय पर आ जाऊँगा तो वह भाषण मुझे पढ़ना पढ़ेगा. वह मुझे पूरा याद है. इसलिए थोड़ा सा ध्यान रखें.
श्री जितू पटवारी - उपाध्यक्ष महोदय, इस्तीफा देकर चला जाऊँगा, अब मुझे और अच्छा लगा. आपके इस्तीफे की जरूरत नहीं है. आप हुनरबाज और दबंग मंत्री कम हैं, आपके विभाग में इसलिए आप रहिये. हमारी आपके साथ शुभकामनायें हैं पर भ्रष्टाचार का आलम, आपने कहा कि आरोप लगाओ तो प्रूफ के साथ लगाओ. मैंने आर.टी.ओ. और डीलरों की बातें जिन्होंने 500 रूपये और 800 रूपये कहा, मेरे पास टेप है, आप कहेंगे तो मैं दे दूँगा. आप मंत्री जी उन पर कार्यवाही करना.
श्री जसवन्त सिंह हाड़ा (श्री जितू पटवारी को देखते हुए) - जो संदर्भ करें, (XXX) ?
श्री जितू पटवारी (श्री जसवन्त सिंह को देखते हुए) - ये कौन सा तरीका हुआ.
श्री जसवन्त सिंह हाड़ा (श्री जितू पटवारी को देखते हुए) - इनको सदन की कार्यवाही कैसे होती है ? यह तो बता दें. वे सीधे मंत्री जी को अँगुली उठाते हुए बात कर रहा है. आपकी आसन्दी को संकेत करना. अजीब है. इनको हाउस की कार्यवाही एवं समय का ज्ञान नहीं है.
उपाक्ष्यक्ष महोदय - आप बैठ जाइये. हाड़ा जी बैठ जाइये.
श्री जसवन्त सिंह हाड़ा - इनको भ्रष्टाचार के आरोप का ज्ञान नहीं है.
उपाक्ष्यक्ष महोदय - हाड़ा जी बैठ जाइये, इनको समाप्त करने दीजिये.
श्री जितू पटवारी - उपाध्यक्ष जी, मैं हर हालत में बोलने के लिए स्वतंत्र हूँ. मेरा हाथ हिलता है, मेरी अँगुली हिलती हैं, यह आपको अच्छी नहीं लगेगी, मुझे भी अच्छी नहीं लगती हैं. कुछ आदतें ऐसी होती हैं, उनको सुधारने की कोशिश करूँगा.
उपाक्ष्यक्ष महोदय - आप विषय पर आ जाइये. आप एक मिनिट में समाप्त करें.
श्री जितू पटवारी - उपाध्यक्ष महोदय, मैं विषय पर हूँ. मेरा अनुरोध यह है कि मंत्री जी ने कहा, उस विषय को पूरा करना. मैंने उन डीलरों से बातें की और उनके बाद में नम्बर टेप किये, उनकी बातें टेप कीं. उन कर्मचारियों, जिन्होंने मुझे शिकायत की, बातें टेप की और उस समय के आर.टी.ओ. की बातें टेप कीं. अगर मंत्री जी, डीलर झूठ बोल रहा है, अब प्रमाण मांगने की बात है. पटल पर रख दूँगा, ताकत से और दावे से बात कर रहा हॅूं. आप अपनी बात करिये.
उपाक्ष्यक्ष महोदय - आप समाप्त कीजिये. जो महत्वपूर्ण बात हो, सुझाव हों तो दे दीजिये.
श्री सुरेन्द्र पटवा - जितू भाई, आप नाराज न हुआ करें.
श्री जितू पटवारी - मंत्री जी, कोशिश करते हैं. मेरा अनुरोध यह है कि लोक सेवा में अच्छी बात है, आदरणीय मुझसे पूर्व वक्ता ने कहा है कि करीब 3.5 करोड़ लोगों ने शिकायत की, लोक सेवा की अलग-अलग कॉलों पर. जो मुख्यमंत्री सहायता के हैं और 3 करोड़ लोगों को उसका लाभ मिला. मध्यप्रदेश में लगभग 1.75 करोड़ परिवार हैं यानि हर परिवार को 2.5 टाईम शिकायत करनी पड़ी, मुख्यमंत्री सहायता अभी चालू हुई है. क्या आलम है आपकी समस्याओं का, आप कैसी सरकार चला रहे हैं ? यहां तक ही नहीं अगर आपने इतनी भी शिकायतें दूर कीं, उसके बाद भी सारे विधायक, ये सवाल उठाते हैं जो हजारों में होते हैं. जहां मंत्री जी जाते हैं, वहां आवेदन ले-लेकर लोग पीछे-पीछे दौड़ते हैं, उनके आवेदन लेते भी हैं. समस्याएं सुनते हैं, विधायक लेते भी हैं. मुख्यमंत्री सुनते हैं. क्या हालत है मध्यप्रदेश की 3.5 करोड़ लोगों में से 3 करोड़ लोगों ने कॉल पर आपको कहा कि हमें यह समस्या है और आपकी अच्छी सरकार चल रही है, कैसे चल रही है ? मैं यह नहीं समझ पा रहा हूँ. यह अध्ययन, चिन्तन और मनन करने की आवश्यकता है. आपने समय दिया उसके लिए धन्यवाद.
उपाक्ष्यक्ष महोदय - आप समाप्त करिये. आप आसंदी की तो सुनते नहीं हैं. एवं आप अपने हिसाब से चलते हैं.
श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक (बिजावर) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 21 लोक सेवा प्रबन्धन, मांग संख्या 36 परिवहन एवं मांग संख्या 40 विज्ञान एवं टेक्नोलॉजी के समर्थन में अपना वक्तव्य देने के लिए उपस्थित हुआ हूँ. भारतवर्ष में विशेषकर मध्यप्रदेश में अज्ञानता, पिछड़ापन एवं अशिक्षा के कारण लोगों को प्रमाण-पत्र बनवाने में बहुत तकलीफ आती है. स्थायी निवास प्रमाण-पत्र बनवाने के लिए स्वघोषणा-पत्र के आधार पर शासन ने व्यवस्था की है. यह इतनी अच्छी व्यवस्था है कि इससे निश्चित रूप से छोटे वर्ग एवं पिछड़े वर्ग के लोगों को बहुत लाभ होगा इसलिए माननीय मंत्री जी एवं माननीय मुख्यमंत्री जी को बधाई देता हूँ कि उन्होंने सरलीकरण करके, आम लोगों के जीवन को बड़ा सुलभ बनाया है. लोक सेवा गारन्टी अधिनियम, 2010 के माध्यम से जुलाई, 2014 में एक अभियान चलाया गया.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इस अभियान में जाति प्रमाण-पत्र को बच्चों में वितरित करने के लिए, जो आहवान किया गया है, उसके माध्यम से 1.25 करोड़ आवेदन प्राप्त हुए और यह बड़े हर्ष की बात है कि 1.10 करोड़ आवेदन-पत्रों के जवाब में इनके जाति प्रमाण-पत्र बना भी दिये गये. मुझे खुद स्कूल में जाकर, बच्चों के बीच में यह प्रमाण-पत्र बांटने का अवसर मिला है. वास्तव में, यह इतना बड़ा काम हुआ है जो भी बच्चों के अभिभावक, माता-पिता हैं, उन्हें जब बच्चों के लिए विभिन्न कारणों से इस तरह के जाति प्रमाण-पत्रों की आवश्यकता होती है तो जो एस.सी.एस.टी. वर्ग के हैं, उन्हें वर्ष 1950 का विवरण और जो ओ.बी.सी. से आते हों, उनको वर्ष 1984 का विवरण देना पड़ता है. इन सारी समस्याओं से उठकर के जब बच्चों को यह प्रमाण पत्र दिये गये, हिन्दी और अंग्रेजी में अलग अलग लेमिनेटेड दिये गये. तो मैंने उन बच्चों को बताया कि बेटा यह आप लोगों के लिये इतना बड़ा काम हुआ है, जिसकी वजह से आप सबको जब आगे जरुरत पड़ेगी तो आपके पिताजी को, आपके परिवार को परेशान नहीं होना पड़ेगा. इसके लिये भी मैं मंत्री जी को बधाई देता हूं. लोक सेवा गारंटी आज एक बहुत महत्वपूर्ण स्थान अपना अर्जित कर चुका है. वास्तविकता यह है कि आज भी जो आम व्यक्ति, गरीब निरीह व्यक्ति है, उसको यह नहीं मालूम है कि अपनी एप्लीकेशन किस विभाग के लिये कैसे बनानी है. अपनी एप्लीकेशन बनानी है, तो कहां देनी है. उसमें लिखना क्या है और लिख कर उसका जवाब कैसे लेना है. इन सारी समस्याओं का समाधान करते हुए लोक सेवा केन्द्र जो बनाये गये हैं, इनसे निश्चित रुप से बहुत ऐसे लोगों को लाभ हुआ है, जो बेचारे दीन- हीन थे, जिनको दिशा का ज्ञान नहीं था. अज्ञानता की वजह से जो अपने प्रमाण पत्र आदि प्राप्त नहीं कर पाते थे. इस दृष्टिकोण से देखें तो लोक सेवा केंद्र के 187 भवन भी बनकर तैयार हुए हैं. 149 निर्माणाधीन भवन हैं और 77 नये केंद्र खोलने की भी तैयारी हुई है. इनके टेंडर्स हो चुके हैं, यह अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है. इसके लिये मैं मुख्यमंत्री जी एवं मंत्री जी को बहुत बधाई देना चाहता हूं. इस विभाग ने एक और व्यवस्था की है कि 1 अप्रैल,2016 से 413 केंद्र संचालित करना है. यह भी एक बड़ी उपलब्धि है, इसके लिये मैं मंत्री जी एवं मुख्यमंत्री जी को बधाई देना चाहता हूं. लोक सेवा गांरटी को एमपी ऑन लाइन के कियोस्क से जोड़ने की भी योजना बनाई है. यह विभाग की एक बड़ी उपलब्धि है, इसके लिये मैं मंत्री जी को बहुत बधाई देना चाहता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय, परिवहन विभाग की मैं चर्चा करुंगा. वास्तव में यदि देखा जाये तो जिस तरह से शरीर में रक्त की कोशिका सबसे छोटी इकाई होती है, उसी तरह से पूरे समाज में मनुष्य एक छोटी इकाई होती है. जिस तरह से अच्छे शरीर स्वस्थ शरीर के संचालन में कोशिका की भूमिका रहती है, जितने अच्छे तरीके से रक्त का संचार होगा, उतने अच्छे से शरीर का संचलान होगा. उसी तरह से समाज का संचालन भी इस बात पर निर्भर करता है कि मनुष्य का एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने में आवागमन में कितनी सुविधा है. परिवहन विभाग ने इस दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं. इसलिये मैं विभाग की बहुत प्रशंसा करते हुए मंत्री जी एवं मुख्यमंत्री जी को बधाई देना चाहता हूं. टैक्स भुगतान की बात आई थी, टैक्स 90 प्रतिशत ऑन लाइन जमा होने लगे हैं. इस माध्यम से जो वाहन के मालिक लोग हैं, उनको परिहन विभाग में जाने की जरुरत कम हुई है, टैक्सेशन को जमा करने से टैक्स बढ़ोतरी भी हुई है. इसके साथ साथ एक लाभ यह हुआ कि समय की बचत भी होना शुरु हुई है. कृषि को लाभ का धंधा बनाने का पूरा मध्यप्रदेश शासन का अभियान है और इस अभियान में परिहन विभाग की भी भूमिका महत्वपूर्ण है. परिवहन विभाग ने कृषि वाहनों में लाइफ टाइम रोड टैक्स को 6 प्रतिशत से घाटकर 1 प्रतिशत किया है, यह इतनी बड़ी उपलब्धि है कि इसके लिये मैं मंत्री जी को बधाई देना चाहता हूं. सार्वजनिक परिवहन बढ़ाने की दृष्टिकोण से भी बसों में टैक्स की कमी हुई है. 110 प्रादेशिक परिवहन यात्री कर परमिट प्राप्त करने की सुविधा बनाकर जो भी लोग वाहन संचालन करना चाहते हैं, उनको इतनी बड़ी सुविधा दी गयी है कि इससे परिवहन के क्षेत्र में बहुत विकास प्रदेश में हुआ है. सामाजिक सम्बल देने के लिये यह अपने आप में एक बड़ी बात है, हम सभी को जब कभी अपने परिवार की महिलाओं को अगर अपन कोई नही जा रहे हैं और बस में भेजना हो तो बड़ी दुविधा होती थी. यदि अपने परिवार में कोई निशक्तजन है, उनको बस में भेजना है, तो इस बात की बड़ी तकलीफ रहती थी कि पता नहीं उनको सीट मिल पायेगी या नहीं मिल पायेगी. परिवहन विभाग ने एक बड़ी उपलब्धि हम सबको, समाज को यह दी है कि प्रत्येक बस में 11 से लेकर 15 नंबर तक की सीट महिलाओं के लिये और 4 और 5 नंबर की सीट निशक्तजनों के लिये पमानेंट आरक्षित कर दी है. यह अपने आप में इतनी बड़ी उपलब्धि है, देखने में बड़ा छोटा सा काम है, लेकिन समाज को इतना भावनात्मक रुप से स्पृश करने वाला यह कार्य है कि निश्चित रुप से इसके लिये हम सबको मंत्री जी को बधाई देना चाहिये. स्कूल के बसों की बढ़ोतरी हुई है. एक जमाने में जब हम स्कूल में पढ़ते थे, तो कभी कल्पना भी नहीं थी कि हम सबको स्कूल में जाने के लिये बसों की सुविधायें मिला करेंगी. उन दिनों बमुश्किल कभी कभी कुछ रिक्शे दिख जाया करते थे. आज बसों के माध्यम से सब बच्चों का आना जाना होता है. चूंकि बसों से इसलिये भी जाने की जरुरत पड़ी है कि स्कूल लम्बे चौड़े बड़े बड़े बन गये हैं और अक्सर पूरी बस्ती के बाहर हैं. चाहे वह छोटे कस्बे हों या बड़े शहर हों. स्कूल बसों के बिना बच्चों का ट्रांसपोर्टेशन बड़ा मुश्किल है. स्कूल बसों के लिये टैक्स 120 रुपये सालाना था, इसको घटाकर 12 रुपये सालाना किया गया है. यह निश्चित रुप से सरकार की बहुत बड़ी उपलब्धि है और जनता के हित में किया गया बहुत बड़ा कार्य है, इसके लिये मैं मंत्री जी को बहुत बधाई देना चाहता हूं. ग्रामीण परिवहन नीति नई बनी है. इसके अंतर्गत मुख्यमंत्री ग्रामीण परिवहन सेवा शुरु की गई है. यह इतनी जरुरी थी कि अटल बिहारी वाजपेयी जी के प्रधानमंत्रित्व काल में जब प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना लागू की गई और इन गत 15 वर्षों में जितने व्यापक पैमाने पर ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों का निर्माण हुआ है, उन सड़कों में आवागमन के लिये यदि साधन नहीं होते तो सड़कों का बनना भी बेमानी हो जाता. इस दृष्टिकोण से यदि हम देखें तो जो प्रयास परिवहन विभाग ने किये हैं, बड़े उल्लेखनीय हैं. 20 हजार परमिट ग्रामीण परिवहन सेवा के माध्यम से जारी किये गये हैं. इसके माध्यम से रोजगार के साधन भी उपलब्ध हुए हैं. यदि हम देखें तो एक बस जब किसी एक स्थान पर खड़ी होती है, तो उससे कम से कम 20 परिवारों का भरण पोषण होता है. न केवल चाय ठेले वाले, फल के ठेले वाले और अनेकानेक प्रकार के खुमचे लगाने वालों को लाभ होता है. यहां तक कि बसों में आवाज लगाकर पेसेंजर्स को यहां वहां सूचना देने वाले लोगों का भी भरण पोषण इसमें होता है. तो इतनी ज्यादा परिवहन की सुविधा बढ़ने से रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं. ग्रामीण परिवहन के दृष्टिकोण से टैक्स में भी 7 प्रतिशत से 1 प्रतिशत की जो छूट की गई है, इससे बड़ा लाभ हुआ है और आम जनों को खास करके ग्रामीण जनों को इससे बड़ा लाभ हुआ है और वे निश्चित रुप से सरकार को बहुत बधाई एवं धन्यवाद दे रहे होंगे. सड़कों पर हुआ यह व्यय इतना अच्छा हुआ है, इससे ग्रामीण जनों को बहुत फायदा होने वाला है.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं विज्ञान और टेक्नालॉजी के माध्यम से जो प्रदेश सरकार ने काम किये हैं, उनकी ओर भी ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं. सुशासन का संकल्प पूरा करने में ई गवर्नेंस का बड़ा योगदान है. सामान्यतः यह देखा जाये कि जब भी सुशासन की बात होती है , तो उसमें सबसे मुख्य यह बात आती है कि पारदर्शिता कितनी है. पहले के जमाने में जब कागजों का आधार था. कागजों के आधार पर सरकारी कार्यवाहियां होती थीं. तो तमाम सारे लोगों को इस बात का संशय रहता था कि वह जो कुछ भी हुआ है, वह हुआ क्या है. वह जानना चाहते थे, लेकिन पारदर्शिता को बढ़ाने के लिये ई गवर्नेंस का बड़ा योगदान है. सारी चीजें साफ साफ, पारदर्शी हुई हैं. इससे सुशासन को बढ़ावा मिला है. निकटतम स्थान पर ऑन लाइन करने की व्यवस्था की गयी है. यह अपने आप में एक बहुत बड़ी व्यवस्था है. केंद्र सरकार की मदद से एक बहुत बड़ा जो आयाम आईटी सेक्टर में हुआ है, वह स्टेट वाइड एरिया नेटवर्किंग, स्वान. इस दिशा में महत्वपूर्ण कार्य करने वाली संस्था यह एक आयाम है स्वान. 45 विभागों के 5 हजार कार्यालयों को ओरिजेंटली कनेक्ट कर दिया गया है. यह इतनी बड़ी उपलब्धि है कि सामान्यतः जो किसी को समझ में नहीं आयेगी. देश में प्रथम स्थान पर शासकीय कार्यों में जहां मध्य स्थान सूचना आदान प्रदान पारदर्शी व त्वरित संचार के साधन हमने किये हैं. नई ईमेल की नीति बनाई है. डाटा शेयर में मध्यप्रदेश का प्रथम स्थान है. राज्य में जिले की वीडियो कांफ्रेसिंग हुई है. तमाम जो इतने भी प्रिंसिपल सेक्रेट्रीज हैं, वह अपने अपने विभाग की जानकारियों लाने के लिये चाहे जब जिले और जिला केंद्रों के साथ वीडियो कांफ्रेंस करते हैं. एक घंटे के अंदर तहसील तक की सारी जानकारियां यहां एकत्रित हो जाती हैं. मुख्यमंत्री जी ने भी एक दो बार शायद मेरे ख्याल से चार बार ऐसे अवसर आये हैं, जब विधायकों के साथ वीडियो कांफ्रेस की है. कितना बड़ा प्लेटफार्म मिल रहा है कि एक साथ पूरे मध्यप्रदेश के विधायक वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से एक मंच पर आये. कर्मचारियों एवं अधिकारियों की दक्षता बढ़ाने के लिये केंद्र सरकार में स्पेशलाइज ट्रेनिंग प्रोग्राम हुए है एसटीईएफ..
उपाध्यक्ष महोदय -- पाठक जी, जल्दी समाप्त करें.
श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक -- ..देश में अग्रणी राज्य है. जहां प्रत्येक विभाग में आईटी स्किल्ड अधिकारियों के लिये वर्चुअल आईटी संवर्ग बनाया गया है. 100 से ज्यादा कालेज और 313 स्कूल ऐसे हैं, जो वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से जोड़े गये हैं. हम लोग जब स्कूल, कालेज में पढ़ते थे, तो सूचना बोर्ड पर यह सूचना पढ़ते थे कि फलां विषय का प्रक्टीकल है, प्रक्टीकल लेने वाले जो प्राध्यापक हैं, वह फलां जगह से आने वाले हैं. तैयारी करके पहुंचते थे, वे नहीं आते थे. अब यह वीडियो कांफ्रेसिंग हो जाने की वजग से इस तरह की समस्याओं के साथ साथ जो वर्चुअल क्लासेस शुरु हुई हैं, इसके लिये मैं आईटी विभाग को बहुत बहुत बधाई देता हूं. इसके सारे कर्मचारियों, अधिकारियों के साथ साथ मंत्री जी को बहुत बधाई देता हूं. ई शक्ति परियोजना शुरु हुई है. इंटरनेट उपयोग के माध्यम से 3 लाख महिलाओं को प्रशिक्षित किया जा चुका है. यह बहुत बधाई का काम है, इसके लिये मैं मंत्री जी को और मुख्यमंत्री जी को बहुत बधाई देता हूं. एक और बात मैं जो अपने स्कूल और कालेज के दिनों में देखता था, एक जगह 100-200 गाड़ियां खड़ी रहती थीं. सैकड़ों बंदूक वाले वहां देखने को मिलते थे. तब मैं यह जानता नहीं था कि यह सब क्या हो रहा है. पता चलता था कि यहां ठेके हैं और ठेके का आज टेंडर डाला जा रहा है. टेंडर डालने का इतना भयानक स्वरुप मैंने कभी कल्पना नहीं की थी कि इसको खत्म करने में कभी कोई सरकार आगे आयेगी. लेकिन मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार, मुख्यमंत्री जी और आदरणीय भूपेंद्र सिंह जी के नेतृत्व में जो यह ई टेंडरिंग का काम हुआ है, यह बहुत विलक्षण काम है. इसने इस तरह के अजीबों-गरीब दृश्यों को खत्म किया है, इसके लिये मैं बधाई देना चाहता हूं.
3.30 बजे {अध्यक्ष महोदय(डॉ.सीतासरन शर्मा)पीठासीन हुए}
श्री पुष्पेन्द्रनाथ पाठक(जारी) ----उपाध्यक्ष महोदय, 1 अक्टूबर 1013 से अभी तक 1 लाख 22 हजार करोड़ रूपये की लागत के टेण्डर हुये हैं. 94 हजार 803 टेण्डर इसमें हुये हैं. देश में मध्यप्रदेश पहला राज्य है जिसमें कार्यालयों में विभिन्न पदों की नियुक्ति के लिये प्रौद्योगिक और कम्प्यूटर क्षेत्र की दक्षता के लिये प्रमाणीकरण किये जा रहे हैं, यह बहुत उपलब्धि के काम हैं, इसलिये तीनों विभाग जो माननीय भूपेन्द्र सिंह जी के नेतृत्व में काम कर रह हैं इनमें हुई इन विलक्ष्ण उपलब्धियों को देखते हुये मैं आपसे आग्रह करना चाहता हूं कि उनके विभाग की मांगों को सहर्ष पूरा किया जाये. बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री सुन्दरलाल तिवारी(गुढ़) --माननीय अध्यक्ष महोदय, 1 मिनट में अपनी बात को समाप्त करूंगा.
अध्यक्ष महोदय-- आधा मिनट भी नहीं. आपका नाम भी नहीं है.माननीय मंत्री जी.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--अध्यक्ष महोदय, नाम दिया है. एक मिनट लेंगे, एक सिम्पल सजेशन है. कोई भाषण नहीं है.
अध्यक्ष महोदय-- चलिये, बिना अनुमति के बोलिये. (हंसी)
श्री सुन्दरलाल तिवारी--ऐसा क्यों कह रहे हैं. आप आदेशित करें तो हम बोलें.
श्री बाला बच्चन-- अध्यक्ष महोदय, मेरे हिसाब से वरिष्ठ सदस्य हैं एक सुझाव दे रहे हैं तो आसंदी को कृपा करनी चाहिये.
अध्यक्ष महोदय-- मैंने उनको बिना अनुमति के बोलने की इजाजत दी है.
श्री बाला बच्चन-- आप अनुमति दे दें.
अध्यक्ष महोदय-- अनुमति दी जाती है. केवल 1 मिनट में समाप्त करें.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सब विषयों पर सदन में खुलकर के चर्चा हुई है. मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि यह इन्फारमेशन टेक्नालाजी का मामला है. आपने लोक सेवा गारंटी में जो साफ्टवेयर स्थापित किये हैं यह वर्ष 2010 से लगे हैं और आज तक परिवर्तित नहीं हुये हैं, और आज टेक्नालाजी एडवांस हो गई है और साफ्टवेयर न बदलने से यह सारी समस्यायें हैं.
माननीय अध्यक्ष जी, मैं मंत्री जी को यह सुझाव देना चाहता हूं कि उन साफ्टवेयर में सुधार कर दें, उनका अपग्रेडेशन हो जाये. जैसे एक किसान होने के नाते या एक मजदूर होने के नाते मैंने आवेदन पत्र दिया तो वह साफ्टवेयर स्टेटस बताने लगे कि आज हमारे आवेदन पत्र की स्थिति क्या है. हमने आवेदन दिया, तहसीलदार के पास में वह गया और तहसीलदार ने उसमें क्या किया, क्या क्या कमियां हैं , रिजेक्शन के पहले , अभी यह व्यवस्था है कि हमने जो आवेदन दिया और एक महीने के बाद में रिजेक्ट कर दिया. बीच में जो डेवलेपमेंट हैं, वह डेवलेपमेंट क्या क्या हो रहे हैं , क्या हम रिजेक्शन के पहले ही बीच में जाकर के यह कागज दे सकते हैं संबंधित अधिकारी को, जिससे कि हमारी पूर्ति हो जाये. परिवहन मंत्री जी के बगल में राजस्व मंत्री जी भी बैठे हुये हैं इसलिये दूसरा मेरा यह कहना है हम लोगों ने सदन के माध्यम से आपसे मांग की है कि जो किसान एग्रीव्ड हैं या परेशान है, सर्वे और मुआवजे के लिये वे दुबारा आवेदन देते हैं तो यह जो आपका लोक सेवा गारंटी सिस्टम है इससे उन किसानों को भी यदि राजस्व मंत्री जी जोड़ देंगे तो यह मालूम रहेगा कि कितने आवेदन पत्र दिये गये हैं और जो राजस्व अधिकारी मनमानी करते हैं वह मनमानी नहीं कर पायें. अध्यक्ष महोदय, मेरा इतना ही निवेदन है. आपने समय दिया धन्यवाद.
परिवहन मंत्री (श्री भूपेन्द्र सिंह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य श्री निशंक जैन जी, श्री बहादुर सिंह जी, डॉ. गोविंद सिंह जी, श्री रामेश्वर शर्मा जी, श्री जितू पटवारी जी, श्री पुष्पेन्द्रनाथ पाठक जी, श्री सुन्दरलाल तिवारी जी. माननीय सदस्यों के महत्वपूर्ण सुझाव आज यहां पर आये हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे राज्य के अंदर लोक परिवहन सुरक्षित हो, सुविधाजनक हो, प्रदूषण रहित हो, इस दृष्टि से लगातार विभाग ने कोशिश की है और आज उसी का परिणाम है कि हमारे प्रदेश के अंदर जो लोक परिवहन है उस लोक परिवहन में लगातार सुधार हुआ है. इंदौर से भोपाल के बीच में 400 टेक्सियां चलती थी, हम देखते थे कि हर दिन दुर्घटनाएं होती थीं, एक्सीडेंट होते थे, लोगों को काफी कठिनाई भी होती थी. इस मामले में हमने और हमारे अधिकारियों ने साथ में बैठकर के विचार किया और विचारोपरान्त हम लोग इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि हमारे राज्य के अंदर अगर हम लोग चाहते हैं कि अच्छा लोक परिवहन हो, हमारे राज्य के अंदर लोगों की सुरक्षित यात्रा हो, हमारे राज्य में प्रदूषण कम हो, इन सब पर विचार करने के बाद में हम लोगों ने यह निर्णय लिया कि हमारे प्रदेश के अंदर जो यात्री बसें चल रही हैं उन यात्री बसों में हम लोग टेक्स कम करेंगे जिससे हमारे प्रदेश की सड़को पर अच्छी यात्री गाड़ियां चल सकें. अच्छी बसें चल सकें और अगर हम टेक्स कम नहीं करेंगे तो हमारे राज्य की सड़कों पर अच्छी बसें नहीं आयेंगी. माननीय अध्यक्ष महोदय, पहले हमारे राज्य के अंदर जो डीलक्स गाड़ियां थीं, एसी गाड़ियां थीं, उन पर टेक्स की दर 230 रूपये प्रति सीट थी उसको हम लोगों ने घटाकर के 180 रूपये प्रति सीट किया, 50 रूपये प्रति सीट हमने गाड़ियों में टेक्स कम करने का निर्णय लिया. इसका परिणाम यह हुआ कि आज पूरे मध्यप्रदेश के अंदर जगह जगह हमारी एसी डीलक्स गाड़ियां चल रही हैं. इंदौर से भोपाल के बीच में 24 वाल्वो बसें चल रही हैं, हर आधे घंटे के अंदर इंदौर से भोपाल के बीच में आपको वाल्वो बस जिसकी कीमत सवा करोड़ रूपये के आसपास होती है, वह आज की तारीख में हमारे राज्य के अंदर उपलब्ध है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इसका परिणाम यह हुआ कि आज अकेले इंदौर से भोपाल के बीच में 400 टेक्सियां चलती थीं जिनसे दुर्घटनायें भी होती थीं, प्रदूषण भी होता था, यात्रा भी सुरक्षित नहीं थी, आज इंदौर से भोपाल के बीच में 1 भी टेक्सी इंदौर से भोपाल के बीच में नहीं चल रही है, हर आधे घंटे के अंदर वाल्वो बस चल रही है. 1 से डेढ़ वर्ष के अंदर हम लोगों ने 46 वाल्वो बस मध्यप्रदेश की सड़कों पर चलाने का काम किया है और लगभग 650 एसी गाडियां डीलक्स गाड़ियां हम मध्यप्रदेश की सड़कों पर चला रहे हैं. और मैं अध्यक्ष जी के समक्ष सदन को इस बात का विश्वास दिलाता हूं कि हमारे राज्य के अंदर और अच्छी परिवहन सुविधा हो, हमारे राज्य के नागरिकों को और अच्छी परिवहन सुविधा मिले, हमारे राज्य के नागरिकों को लोक परिवहन का उपयोग अधिक से अधिक कर और इसीलिये हम आने वाले समय में जो डीलक्स गाड़ियां हैं, जो एसी गाड़ियां हैं, वाल्वो गाड़ियां हैं उन सब पर भी हम टेक्स कम करने जा रहे हैं जिससे कि हमारे राज्य की सड़कों पर और अच्छी गाड़ियां चल सकें. अध्यक्ष महोदय, हम इस माध्यम से जहां लोक परिवहन को बढ़ाना चाहते हैं वहीं पर हमारे प्रदेश के अंदर स्टेट ट्रांसपोर्ट बंद होने के बाद पूरी तरह से हम प्रायवेट आपरेटर पर निर्भर हैं , हमारा स्टेट का ट्रांसपोर्ट नहीं है, और इन सब कठिनाईयों के बावजूद भी हम लोगों ने रास्ते निकाल कर हमारे प्रदेश का लोक परिवहन कैसे ठीक हो, इस दिशा में हम लोग लगातार काम कर रहे हैं. हमारे राज्य के जो बस स्टेण्ड हैं माननीय अध्यक्ष जी, उनकी स्थिति अच्छी नहीं है, कई स्टेण्ड ऐसे हैं जो बेसिक फेसलिटी है, वाशरूम जैसी फेसलिटी भी कई बस स्टेण्डों के अंदर आज की तारीख में नहीं है, वहां पर जगह-जगह लोगों ने दुकानें बना ली और यात्रियों को वाशरूम की भी व्यवस्था कई स्टेंण्डों पर नहीं है और इसलिये हम लोगों ने यह तय किया, चूंकि राज्य परिवहन निगम बंद हो गया था, इसलिये हम लोगों ने मध्य प्रदेश ट्रांसपोर्ट अथारिटी बनाने का निर्णय लिया, हमने मध्य प्रदेश ट्रांसपोर्ट अथारिटी बनाई और माननीय अध्यक्ष जी आपके समक्ष मैं यह कहना चाहता हूं कि इस ट्रासपोर्ट अथारिटी के माध्यम से हम 2018 तक हमारी कोशिश होगी कि हमारे राज्य के जितने भी बसस्टेण्ड हैं उन सारे बस स्टेंण्डों का हम आधुनिकीकरण करें और उन सारे बस स्टेण्डों पर आवश्यक सुविधायें उपलब्ध कराने का काम हम लोग करें, इस दिशा में हम लोग आगे बढ़ रहे हैं. हमारे जो राज्य परिवहन के 34 बस स्टेण्ड हैं उनके लिये हमने कंसल्टेंट के लिये निविदा आमंत्रित कर ली है, निविदा आ भी गई है, उसके आधार पर हम उनके रिनोवेशन का या जो भी काम पीपी मोड में जैसे भी करना है, वह करेंगे और इसके साथ-साथ जो बस स्टेण्ड हमारे हैं, उन बस स्टेण्डों पर भी हम लोग तात्कालिक रूप से जहां पर बाशरूम की व्यवस्था नहीं है, जहां पर पानी की व्यवस्था नहीं है, वह व्यवस्था भी उन बस स्टेण्डों पर जहां पर भी हमारे माननीय सदस्य लिखकर के हमारे विभाग को देंगे, उन बस स्टेण्डों पर भी हम वह व्यवस्था करने का काम हमारे ट्रांसपोर्ट अथारिटी के माध्यम से करने का काम माननीय अध्यक्ष महोदय हम लोग करेंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे राज्य के अंदर एक ट्रासपोर्टर का रेकेट बना हुआ था और ये जो ट्रांसपोर्टर हैं यह नहीं चाहते थे कि जिस रूट का उनके पास परमिट है उस रूट पर किसी दूसरे को परमिट मिल जाये, किसी दूसरे की गाड़ी बन जाये और वह परमिट देने नहीं देते थे और इसलिये हम लोगों ने हमारे विभाग में जो परमिट सिस्टम है, वह परमिट सिस्टम हमने लोक सेवा गारंटी अधिनियम के दायरे में कर दिया और यह नियम बना दिया कि 15 दिन के अंदर आपको अस्थाई परमिट का निराकरण करना है और 30 दिन के अंदर आपको स्थाई परमिट कर निराकरण करना है और मैं आज इस सदन के सामने कह सकता हूं माननीय अध्यक्ष जी आज की तारीख में हमारे प्रदेश के किसी भी परिवहन कार्यालय में एक भी परमिट कोई यह नहीं कह सकता कि उसने परमिट के लिये आवेदन किया हो और उसको परमिट न मिला हो. हमारे निर्देश है कि अगर कोई परमिट के लिये आवेदन करता है तो तत्काल उसको परमिट देने का काम परिवहन विभाग की तरफ से किया जाये और लगातार हम परमिट देने का काम कर रहे हैं और उस कारण से हमारे प्रदेश में कई रूट ऐसे थे, जहां पर 10 बसें होना चाहिये, वहां पर 2 बसें चल रही हैं, आज उसका परिणाम यह हुआ है कि हर रूट पर जितनी बसों की आवश्यकता है, उतनी बसें आज उन रूटों पर चल रही है. हम लोगों ने यह भी तय किया है कि हम लोगों की जो ट्रांसपोर्ट अथारिटी है इसके माध्यम से हम इस बारे में भी विचार कर रहे हैं कि अब हम जो परमिट देंगे हम उसका एक पूरा पैकेज बनाने का माननीय अध्यक्ष जी काम करेंगे और उस पैकेज में यह तय करेंगे कि अगर हम चार परमिट आपको दे रहे हैं तो चार परमिट में से 3 परमिट आपको अच्छे रूट के देंगे और एक परमिट आपको घाटे के रूट का भी देंगे तब जाकर हम आपको परमिट देने का काम करेंगे, हम यह व्यवस्था भी करने वाले हैं और साथ में जो हमारा ट्रांसपोर्ट अथारिटी में जो पैसा आयेगा उस पैसे के माध्यम से जो हमारे ट्राइवल जिले हैं या कई जगह रात्रि में प्राइवेट आपरेटर बसें नहीं चलाते, कई रूट ऐसे हैं जहां पर रात्रि में बसें नहीं मिलतीं उन सारे रूट पर भी हम सब्सिडी देकर ट्रांसपोर्ट अथारिटी के माध्यम से बसें चलाने का काम मध्यप्रदेश का परिवहन विभाग करेगा. जिससे कि सब लोगों को बस की सुविधा उपलब्ध हो सके, हर व्यक्ति बस के माध्यम से जा सके. हमारे प्रदेश के अंदर अच्छी कंडीशन की गाडि़यां चलें, इसलिये हमने यह भी निर्णय लिया है कि मध्यप्रदेश के किसी भी आरटीओ कार्यालय में 15 वर्ष से पुराने किसी भी वाहन का कामर्शियल वाहन का रजिस्ट्रेशन नहीं करेंगे और हमने यह भी निर्णय किया है कि हमारे प्रदेश के अंदर जो भी 15 साल से पुराने कामर्शियल वाहन हैं, अब उन कामर्शियल वाहनों का आगे रिन्यूवल नहीं करेंगे और उन्हें हटाने का काम मध्यप्रदेश की सड़कों से किया जायेगा जिससे कि हमारे राज्य के अंदर जो प्रदूषण की समस्या आज पूरे देश में है, उस प्रदूषण की समस्या से हमारे राज्य के अंदर उस समस्या का सामना हम लोगों को न करना पड़े.
माननीय अध्यक्ष जी, अभी जितू भाई कुछ बातें कर रहे थे, मुझे अच्छे से मालूम है पहले परिवहन विभाग में पुलिस विभाग से प्रतिनियुक्तियां होती थीं, आज हम कह सकते हैं कि हमारे विभाग के अंदर पिछले 4 वर्षों से एक भी प्रतिनियुक्ति पुलिस विभाग के माध्यम से परिवहन विभाग के अंदर नहीं हुई. आज हमारे सारे चेक पोस्ट इंटीग्रेटेड हो गये. आज सारे चेक पोस्ट इंटीग्रेटेड होने के बाद पूरा एक-एक गाड़ी की तौल होती है, सभी विभागों के वहां परकार्यालय बने हुये हैं, फिर भ्रष्टाचार करने की गुंजाइश कहां पर है. आज परिवहन विभाग आज की तारीख में हमारी सारी की सारी सर्विस ऑनलाइन कर दी किसी काम के लिये आपको आरटीओ कार्यालय जाने की जरूरत नहीं है, सारी सर्विसें ऑनलाइन हैं. यह व्यवस्था परिवहन विभाग के अंदर की है और जितू भाई जो डीलर की बात कर रहे थे, परिवहन विभाग ने डीलर पाइंट रजिस्ट्रेशन कर दिया है, आपको परिवहन कार्यालय जाने की जरूरत नहीं है, जो डीलर है उसके यहां आपकी गाड़ी का रजिस्ट्रेशन हो जायेगा और हमने जो व्हीआईपी नंबर हैं वह नंबर भी माननीय अध्यक्ष महोदय, पहले व्हीआईपी नंबर किस तरह से बंटते थे, पर्चियों पर बंटते थे, सिफारिशों पर बंटते थे, हमारे आने के बाद हमने सारे व्हीआईपी नंबर ऑनलाइन ऑक्शन कर दिये. इनका ऑनलाइन ऑक्शन होता है. हमारी कोशिश है कि परिवहन विभाग हो चाहे कोई भी विभाग हो हम अधिकतम जो आईटी इंफार्मेशन टेक्नालॉजी का उपयोग करके और सिस्टम को ऐसा बनायें जिसमें भ्रष्टाचार की गुंजाइश न हो. मैं यह नहीं कहता कि आज पूरी तरह से हमने 100 प्रतिश भ्रष्टाचार समाप्त कर दिया, पर हमारी कोशिश और हमारी नीयत इस बात की है कि हमारे विभाग के अंदर से या कोई भी विभाग हो उसके अंदर से भ्रष्टाचार पूरी तरह से समाप्त होना चाहिये और हम लगातार प्रयास कर रहे हैं, और मैं विधायक रहा हूं, आपकी जब सरकार थी तब विपक्ष का विधायक रहा हूं और मुझे यह भी मालूम है कि इसी भोपाल के अंदर एक महिला आरटीआई से 10 लाख रूपये की नगद राशि जप्त हुई थी और उस महिला आरटीआई ने नाम लिया था वह मैं नाम नहीं लेना चाहता, यह भी उस समय में हुआ है और इसलिये आज हमारी कोशिश है कि हमारे विभाग को, हमारे पास आईटी विभाग है, हमारी कोशिश है कि हम आईटी के माध्यम से सुशासन की दिशा में जितना हम काम कर सकते हैं, वह काम करने की कोशिश हम लोग कर रहे हैं. आज हमने हमारे प्रदेश के अंदर स्कूलों के अंदर केम्प लगाकर हमारे बच्चों को आरटीओ कार्यालय न जाना पड़े, 34 हजार ड्राइविंग लाइसेंस बनाकर एक महीने में हमारे मध्यप्रदेश के बच्चों को देने का काम किया है. आज मध्यप्रदेश देश का एकमात्र ऐसा राज्य है जहां पर 15 हजार स्कूल बसें आज मध्यप्रदेश में चल रही हैं, इन स्कूल बसों से एक रूपये भी मध्यप्रदेश की सरकार टेक्स लेने का काम नहीं करती, पूरी छूट हमने 15 हजार बसों को दी है जिससे कि हमारे प्रदेश के अंदर हमारा गरीब से गरीब बच्चा भी स्कूल जा सके वह स्कूल बस की फीस के कारण स्कूल न जा पाये, इसकी चिंता करने का काम हमने अपने विभाग के माध्यम से, हमारी सरकार ने, हमारे मुख्यमंत्रीजी ने करने का प्रयास किया है. हमने चालक-परिचालक कल्याण बोर्ड बनाने का काम किया.
अध्यक्ष महोदय, हमने PUC खोलने की व्यवस्था का सरलीकरण किया. हमारे प्रदेश में हमने अभियान चलाया और ऐसे ड्रायवर जो शराब पीकर गाड़ी चलाते थे, हमने 691 ड्रायवरों के लायसेंस निरस्त करने का काम विभाग ने किया. इसके पहले इस तरह का अभियान नहीं चला था.
अध्यक्ष महोदय, हमने 12046 बसों पर दो गेट लगवाने का काम किया. हमने 14529 बसों पर इमरजेंसी गेट लगाने का काम किया. 11479 बसों के पीछे के कांच से जाली हटाने का काम किया. मैंने स्वयं ने बसों की चेकिंग की है. उसमें मैंने 1596 बसों के परमिट निरस्त किये हैं.
अध्यक्ष महोदय, हम लोगों की लगातार यह कोशिश रही है कि हमारे प्रदेश में बिना फिटनेस की, बिना परमिट की गाड़ियां न चले, गाड़ियों में ओव्हरलोडिंग न हो इसलिए हमने जुर्माने की राशि चार गुना कर दी है. पहले जो राशि 10 हजार रुपये लगती थी, अब 40 हजार रुपये का जुर्माना लगेगा. जो एक बार पकड़ा जायेगा वह दुबारा बस नहीं उठा पायेगा जितू भाई, यह व्यवस्था हमने कर दी है.
अध्यक्ष महोदय--माननीय मंत्रीजी कितना समय और लेंगे?
श्री भूपेन्द्र सिंह-- 10 मिनट में समाप्त करता हूं. अध्यक्ष महोदय, हमने यह भी तय कर दिया है
श्री बलवीर सिंह डंडोतिया--अध्यक्षजी, मैंने पिछले साल पत्र दिया था आपने आरटीओ बेरियर पर क्या कार्रवाई करवायी?
श्री भूपेन्द्र सिंह--आप मेरे से मिल लेना.
श्री बलवीर सिंह डंडोतिया-- आपने क्या कार्रवाई करवायी. मैं आप ही के घर पर लेटर देकर आया हूं. मुरैना बैरियर पर क्या कार्रवाई करवायी. इतना जोर का भ्रष्टाचार मुरैना बैरियर पर चल रहा और आप कह रहे हैं कि मैंने भ्रष्टाचार कम कर दिया है. मैंने आपसे निवेदन किया, आपके यहां गया लेकिन आज तक कार्रवाई नहीं हुई.
भूपेन्द्र सिंह-- मैं करता हूं.
अध्यक्ष महोदय--आप अपनी बात जारी रखें.
श्री बलवीर सिंह डंडोतिया--माननीय मंत्रीजी जवाब दें कि आपने क्या कार्रवाई करवायी.
अध्यक्ष महोदय--कृपया मंत्रीजी को बोलने दें.
श्री बलवीर सिंह डंडोतिया-- मैं पूछ रहा हूं कि क्या कार्रवाई करवायी.
(व्यवधान)
श्री भूपेन्द्र सिंह--अध्यक्षजी, लोक सेवाओं के प्रदाय की गारंटी के अंतर्गत हमारे 23 विभागों की 107 सेवाएं लोक सेवा गारंटी के माध्यम से दी जा रही हैं. हमारा जो लोक सेवा गारंटी अधिनियम है उसमें हमारा प्रदेश, देश का पहला राज्य है जिसने इस अधिनियम को लागू किया. उसके कारण आज देश के अनेक राज्य हमारे राज्य के लोक सेवा गारंटी अधिनियम को अपने राज्यों में लागू कर रहे हैं. चाहे कर्नाटक हो, या बाकी राज्य हो, उन्होंने मध्यप्रदेश का लोक सेवा गारंटी अधिनियम लागू किया है.
अध्यक्ष महोदय, हम लोक सेवा गारंटी के माध्यम से और निचले स्तर तक हमारी सेवाएं जायें इसके लिए अब तहसील स्तर पर भी लोक सेवा गारंटी केन्द्र खोलने का निर्णय लिया है. अभी तक 3 करोड़ 65 लाख आवेदन प्राप्त हुए जिनमें से 3 करोड़ 49 लाख आवेदनों का हमने निराकरण किया है. निशंक जी चले गये हैं. इस प्रकार 95 प्रतिशत समस्याओं का निराकरण इसके माध्यम से किया है.
श्री कमलेश्वर पटेल--अध्यक्ष महोदय,आपके माध्यम से मंत्रीजी का ध्यान आकर्षित कराना चाहता हूं. प्रदेश की आबादी साढ़े सात करोड़ है और साढ़े तीन करोड़ लोग शिकायत करते हैं तो अंदाजा लगा लीजिए कि प्रदेश में सरकार की क्या स्थिति है.
श्री भूपेन्द्र सिंह--अध्यक्ष महोदय,जाति प्रमाण पत्र के लिए लोगों को पहले चक्कर लगाना पड़ता था. हमने अभियान चलाकर 1 करोड़ 10 लाख लोगों को डिजीटल हस्ताक्षर से जाति प्रमाण की व्यवस्था कर दी है. जितू भाई, आप भी बनवा लेना, काम आयेगा. (हंसी)अध्यक्ष महोदय, आगे हमने यह नीति बना दी कि हमारे सारे लोक सेवा गारंटी केन्द्र की सेवाएं एमपी ऑन लाईन के माध्यम से देंगे. जिसमें बीजीएफ की पात्रता नहीं होगी इस तरह से स्व शासन की दिशा में हमने कदम बढ़ाया है. अध्यक्षजी, सीएम हेल्प लाईन के माध्यम से 17 लाख 61 हजार शिकायतों का निराकरण किया है. जो देश में अपने आप में एक रिकार्ड है. इस तरह से लोक सेवा गारंटी अधिनियम के माध्यम से इस दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय, इन्फर्मेशन टेक्नालाजी के मामले में आज प्रदेश, देश के जो अग्रिम पंक्ति के दो-तीन राज्य हैं, उन राज्यों के साथ आज मध्यप्रदेश का IT डिपार्टमेंट खड़ा है. हमने हर विभाग में स्व शासन लाने की दृष्टि से IT को मजबूत करने का काम किया है. हमने हर जिले में IT सेन्टर बनाने का काम किया है. जहां पर जाकर आप फ्री में ट्रेनिंग लीजिए. हमारे जो कलेक्टोरेट है, उसमें प्रबंधक की नियुक्ति करने का काम किया है. हमने प्रदेश में IT पार्क बनाने का काम किया है. हमारे प्रदेश में हमने IT के क्षेत्र में जो हमारा इलेक्ट्रानिक मेन्यूफेक्चरिंग कलस्टर था, वह बनाने का काम किया. पूरे भारत में, मध्यप्रदेश ऐसा पहला राज्य है जिसने अंतर्राष्ट्रीय स्तर की फेब पॉलिसी बनाने का काम किया है. इसके पहले कहीं पर नहीं हुआ.
अध्यक्षजी, जितू भाई सुन लो. हम ग्राम पंचायतों तक, टेलिफोन,ब्राडबैंड, इंटरनेट जैसी सारी सुविधाएं उपलब्ध कराने का काम 2018 के पहले कर देंगे. मध्यप्रदेश में हम इक्यूवेशन सेंटर की स्थापना कर रहे हैं. यहां SRDH एवं SSSM का इंटीवेशन किया जायेगा. हम GIC लेब में स्पेस टेक्नालाजी के लिए बढ़ावा दे रहे हैं. हम BPO और BPM 2014 के क्रियान्वयन के लिए..
अध्यक्षीय व्यवस्था
अध्यक्षमहोदय--
(सदन द्वारा सहमति दी गई )
श्री भूपेन्द्र सिंह--अध्यक्ष महोदय, इस तरह हम प्रदेश में BPO/BPM पॉलिसी है, उसके लिए काम कर रहे हैं. हमारे माननीय सदस्यों ने कुछ सुझाव रखे थे. श्री निशंक जी ने गरीबी की रेखा के आवेदन के संबंध में कहा था. मैं बताना चाहता हूं कि गरीबी रेखा के आवेदन अब हम लोग नहीं लेते हैं. यह प्रक्रिया हमने समाप्त कर दी है. माननीय गोविन्द सिंह जी लहार कार्यालय के बारे में कहा है हम इसका नियमितीकरण कर देंगे और यहां पर स्थायी रुप से व्यवस्था कर देंगे. श्री रामेश्वर जी ने जो विषय बताये हैं उसके बारे में भी सारे आदेश हम जारी करेंगे. श्री पुष्पेन्द्र जी ने भी सुझाव दिये हैं. माननीय सुन्दर लाल तिवारी जी ने साफ्टवेअर के बारे में जो सुझाव दिया है. मैं निवेदन करना चाहता हूं कि यह सुविधा वर्तमान में उपलब्ध है. आपका सुझाव बहुत अच्छा था. मैं उसका स्वागत करता हूं. हमारे यहां पर यह सुविधा है. श्री तिवारी जी के सुझाव हमेशा अच्छे रहते हैं. आप हमेशा अच्छा बोलते हैं. बस इसी तरह से आप सुझाव देते रहें तो निश्चित रुप से आप जैसे लोगों की जगह उधर नहीं है.(हंसी)अध्यक्ष महोदय, मैं सभी माननीय सदस्यों का,सदन का बहुत हृदय से धन्यवाद करता हूं.
श्री जितू पटवारी - मैंने एक रोड के बारे में कहा था, आप वहां के प्रभारी मंत्री भी हैं आरटीओ की रोड है, उस पर भी कुछ बोल दें तो मेहरबानी होगी. आप एकदम बढ़िया होनहार सदस्य हैं उसका कुछ करें.
श्री भूपेन्द्र सिंह - ऐसे सूखे-सूखे नहीं मिलता है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - कुशासन वालों को सुशासन से क्या लेना-देना?
संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) - यह जितू जी आपने होनहार किसको कहा?
श्री भूपेन्द्र सिंह - अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि लोक सेवा प्रबन्धन के लिए एक सौ बत्तीस करोड़, बासठ लाख, बावन हजार रुपए, परिवहन के लिए एक सौ बत्तीय करोड़ चालीस लाख, तिरेपन हजार रुपए तथा विज्ञान और टेक्नालॉजी के लिए एक सौ चौहत्तर करोड़, बत्तीस लाख, आठ हजार रुपए तक की राशि स्वीकृत की जाय.
अध्यक्ष महोदय - मैं, पहले कटौती प्रस्तावों पर मत लूंगा.
प्रश्न यह है कि मांग संख्या 21, 36 तथा 46 पर कटौती प्रस्ताव स्वीकृत किये जायें.
कटौती प्रस्ताव अस्वीकृत हुए.
अब, मैं मांगों पर मत लूंगा.
मांग संख्या 19 लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण
मांग संख्या 28 राज्य विधान मंडल
मांग संख्या 38 आयुष
मांग संख्या 72 भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास
मांग संख्या 73 चिकित्सा शिक्षा
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण (डॉ. नरोत्तम मिश्र) - अध्यक्ष महोदय, मैं, राज्यपाल महोदय की सिफारिश के अनुसार प्रस्ताव करता हूं कि 31 मार्च, 2017 को समाप्त होने वाले वर्ष में राज्य की संचित निधि में से प्रस्तावित व्यय के निमित्त राज्यपाल महोदय को -
उपस्थित सदस्यों के कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए.
अब मांगों और कटौती प्रस्तावों पर एक साथ चर्चा होगी.
श्री शैलेन्द्र पटेल साहब, 10 मिनट में समाप्त करेंगे क्योंकि 1 घंटे में इसको लेना और आधे घंटे में मंत्री जी का उत्तर होगा. 1 घंटे में पूरे माननीय सदस्यों की चर्चा होना चाहिए.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, एक गुजारिश करना थी कि विपक्ष और पक्ष की लगभग एक बात पर समानता है. वह है डॉक्टरों की कमी, सम्मानित सदस्य जो भी बोलेंगे, अच्छे सुझाव देंगे या शिकायत देंगे, वह सरमाथे पर है. लेकिन डॉक्टरों की कमी वाली बात तो हम प्रारंभ से ही स्वीकार कर रहे हैं. उसमें समय जाया न करते हुए अधिकांश सुझावों और सुधारों पर अगर सुझाव देंगे तो अच्छा लगेगा.
श्री शैलेन्द्र पटेल (इछावर) - अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 19, 28, 38, 72 एवं 73 की मांगों का विरोध करता हूं एवं कटौती प्रस्तावों का समर्थन करता हूं. अध्यक्ष महोदय, मुझे लगा कि शुरुआत में बोलना है तो समय ज्यादा मिलेगा और आप खुद डॉक्टर हैं.
अध्यक्ष महोदय - समय की मर्यादा है इसलिए आपसे अनुरोध कर रहे हैं. 10 मिनट बहुत होते हैं. आप गागर में सागर भरिए.
श्री शैलेन्द्र पटेल - अध्यक्ष महोदय, मैं कोशिश करूंगा.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - डॉ. गोविन्द सिंह जी से शुरुआत करवानी थी, गोविन्द सिंह जी डॉक्टर हैं.
श्री शैलेन्द्र पटेल - उन्होंने मौका दिया, यह उनका बड़प्पन है. अध्यक्ष महोदय, मुझे अमीर मिनाई का एक शेर इस समय याद आता है-
'आपको अपने मरीजों का ख्याल अच्छा है,
हम मर जाते हैं तुम कहते हो हाल अच्छा है.'
इस वर्ष स्वास्थ्य विभाग के बजट में राशि की जो बढ़ोतरी की गई है वह 903.47 करोड़ रुपए की है लेकिन जब हम देखते हैं कि पिछले वर्ष जो आवंटित बजट था उससे तुलना करते हैं तो पाते हैं कुल बजट का पिछले वर्ष यह 3.61 प्रतिशत था, इस वर्ष वह 3.56 हो गया तो स्वास्थ्य विभाग के बजट में बढ़ोतरी नहीं कटौती कर दी गई. स्वास्थ्य और शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण विभाग होते हैं. उस विभाग के अगर बजट में कटौती होती है तो कहीं न कहीं प्रदेश सरकार की जो मानसिकता है या साख पर प्रश्न चिह्न लगता है, उनकी गंभीरता पर भी प्रश्न चिह्न लगता है कि स्वास्थ्य विभाग में इतने अच्छे काम नहीं हो गये कि इसके बजट की कटौती हो. स्वास्थ्य विभाग के बारे में सरल शब्दों में कहा जाय तो यह विभाग ऐसा है कि गांवों में तो डॉक्टरों को भगवान माना जाता है. नया जीवन देने वाला माना जाता है. उससे बड़ा कोई पुण्य का काम नहीं होता है. डॉक्टरों की कमी का थोड़ा-सा उल्लेख जरूर करेंगे. लेकिन मैं एक उदाहरण खुद के गृह जिले का देना चाहता हूं. सीहोर जिला है, मुख्यमंत्री जी का गृह जिला है. मात्र पिछले महीने की कुछ घटनाओं की तरफ आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं. जिला अस्पताल में दिनांक 2 मार्च, 2016 को ड्यूटी डॉक्टर नदारद थी. उनकी अनुपस्थिति में उन्होंने दूरभाष में कुछ नर्सों को प्रिस्क्रिप्शन दिया, वह प्रिस्क्रिप्शन देने के बाद जब उस मरीज का इलाज किया गया, उसका नाम वंदना कुलाहरिया, निवासी इंगलिशपुरा, उसकी मौत हो गई. जिला अस्पताल सीहोर की यह घटना है. दिनांक 26 फरवरी, 2016 को मेरी विधान सभा के ग्राम वीरपुर डेम के निवासी नरेश साहू पिता बैजनाथ साहू नामक युवक की नसबंदी कर दी गई, उसकी नसबंदी ऐसी हुई कि आज तक वह दर्द के मारे तड़प रहा है. इसी प्रकार प्रसूता नाजनीन पत्नी अहमदखान की डिलेवरी कराने से डॉक्टर ने इंकार कर दिया, उसका सिजिरियन ऑपरेशन होना था. वह महिला अस्पताल में तड़पती रही, उसके परिजनों को मानसिक कष्ट हुआ और बड़ी देर बाद उसकी व्यवस्था की गई और कहा गया कि आप उसे भोपाल ले जाओ. यह स्थिति है, ऐसे कई उदाहरण हैं. यह पिछले एक महीने के 3-4 उदाहरण मैं आपके सामने प्रस्तुत करना चाहता हूं. मुख्यमंत्री जी के गृह जिले के अस्पतालों का यह हाल है तो प्रदेश में अन्य जगहों पर क्या स्थिति बनती है? इन सब प्रकरणों में जो नर्सें हैं, उन पर तो कार्यवाही हुई, लेकिन बड़े अधिकारी थे, कर्मचारी थे, उनको साफ रूप से बचा दिया गया और माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी को कहना चाहता हूं कि एक पेपर में मैंने पढ़ा था कि किसी डॉक्टर ने लिखा था कि दतिया के बीएमओ को प्रिस्क्रिप्शन पढ़ना नहीं आ पाया. यह हाल आपके विभाग का है. बड़वानी का आंख फोड़ू कांड इस सदन में काफी जोर से गूंजा था. माननीय नेता प्रतिपक्ष ने भी उसको उठाया था. 63 मरीजों की आंख चली गई थी और कहीं न कहीं प्रदेश की साख पर बट्टा पूरे देश में लगा था. उसके कुछ दिनों बाद श्योपुर में भी मरीजों की आंख चली गई तो कहीं न कहीं प्रश्न चिह्न उठता है कि इतनी गंभीर घटना होने के बाद भी क्या एक्शन लिया गया और क्यों उन पर रोकथाम नहीं हुई? ये बातें दिमाग में आती हैं. एक और बात हमारे श्री रावत जी ने उठाई थी, दीपक फाउंडेशन गुजरात की कि जो आदिवासी अंचल है, हमारा झाबुआ, अलीराजपुर, वहां पर क्यों एनजीओ को दिया जा रहा है, क्या आपको अपनी कर्मण्यता पर सवाल उठ रहा है, क्या आप उतने काबिल नहीं हैं कि आप यह विभाग संभाल सकते हैं, जो एनजीओ को देने की बात होती है. इस पर ठोस निर्णय लेने की जरूरत है और समय-समय पर दवा खरीदी के जो घोटाले आते हैं उस पर भी जिला स्तर पर और प्रदेश स्तर पर बातों की जरूरत है. उसमें रोकथाम होने की सख्य आवश्यकता है. सरकार की गाढ़ी कमाई का पैसा व्यर्थ में पानी में इन घोटालों में जाता है तो निश्चित रूप से जो अंतिम पंक्ति का आदमी होता है, उसका हक कहीं न कहीं मारा जाता है. इस बजट में 2000 नये उप स्वास्थ्य केन्द्र खोलने की बात कही गई है, निश्चित रूप से यह सराहनीय कदम है. लेकिन इसके लिए भी सरकार ने 310 करोड़ रूपये के बजट का प्रावधान किया है उपस्वास्थ्य केन्द्र खोलने के लिए लेकिन डॉक्टर कहां से आयेंगे, आपने खुद ही कहा है तो इस पर भी बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह खड़ा होता है और आज भी मैंने पूर्व में भी कहा था कि 3 हजार से ज्यादा डॉक्टरों की कमी है. गांव के सरकारी अस्पताल में तो डॉक्टर होते ही नहीं है. ब्लाक मेडीकल सेंटर हैं उनमें आधे से भी ज्यादा ड़ॉक्टरों की कमी है. सेण्ट्रल ब्यूरो आफ हेल्थ इंटेलिजेंस की अगर हम रिपोर्ट देखते हैं और तीन राज्यों से जब हम मुकाबला करेंगे तो चाहे पीएचसी का या डॉक्टरों का तो वह भी कहीं न कहीं स्वास्थ्य विभाग को कहां तक जाना है, अभी तो बहुत लंबी दूरी तय करना है मध्यप्रेदश में अभी तो यहां पर आधा काम भी नहीं हुआ है. जब हम मध्यप्रदेश में देखते हैं तो 1156 पीएचसी हैं जबकि राजस्थान हमारा पड़ौसी है वहां पर 1528 पीएचसी हैं और महाराष्ट्र में 1811 पीएचसी हैं, और आप देखें कि केरल एक छोटा सा राज्य है वहां पर 809 पीएचसी हैं, कर्नाटक में 2310 पीएचसी हैं इन पीएचसी में जब हम डॉक्टरों की बात करेंगे तो मध्यप्रदेश में मात्र 814 डॉक्टर इन पीएचसी में पदस्थ हैं, राजस्थान में 1755, महाराष्ट्र में 2760 केरल में 1152 और कर्नाटक में 2809 डॉक्टर इन पीएचसी में पदस्थ हैं.
आप देखें प्रदेश में सीएचसी के भी यही हाल हैं. विशेषज्ञ डॉक्टरों की भी बात करेंगे तो यह एक लंबी लिस्ट है डॉक्टरों की कमी की तो जब हम आंकड़ा उठायेंगे स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में तो एक पत्रिका का सर्वेक्षण आया था. उसमें झारखण्ड और हिमाचल से भी पीछे हमारी स्वास्थ्य सेवाओं को बताया गया था, इस ओर बहुत ध्यान देने की आवश्यकता है. केवल भवन बनाने से काम नहीं चल पायेगा कि भवन बन जायें, वहां पर कैसी सुविधाएं मिल रही है वहां पर क्या काम हो रहा है. इस ओर भी ध्यान देने की आवश्यकता है. निजी अस्पतालों में ज्यादा वेतन और आधुनिक सुख सुविधाओं के कारण डॉक्टर नहीं आ रहे हैं. इस ओर आप विचार करें कैसे और डॉक्टरों को हम लेकर आयें. इस ओर गंभीर विचार करने की आवश्यकता है.
मैं ग्रामीण क्षेत्र से आता हूं. 1157 जो पीएचसी मध्यप्रदेश में हैं उसमें मात्र 758 बेड हैं. जबकि एक पीएचसी में 4 से 6 बेड होना चाहिए. उस मान से देखें तो लगभग 6 हजार बिस्तर वहां पर होना चाहिए. लेकिन उनमें 5 हजार बिस्तरों की सुविधा वहां पर देने की आवश्यकता है. सिर्फ अस्पताल हैं वहां पर किसी को भर्ती नहीं कर सकते हैं तो वह अस्पताल किस काम का है. केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री जी ने राज्य सभा में बताया था राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण टीम के अंतर्गत बताया था कि मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा कुपोषित बच्चे हैं, जहां पर 60 प्रतिशत से ज्यादा बच्चे कुपोषित हैं. लगभग 74.1 प्रतिशत बच्चे एनीमिया से पीड़ित हैं, इस ओर बहुत गहन मनन और विचार मंथन की आवश्यकता है. महिला बाल विकास और आपको मिलकर इसके लिए और बेहतर काम करने की आवश्यकता है.
मध्यप्रदेश में आप यह बात तो कह रहे हैं कि मातृ शिशु मृत्यु दर को हम कर करेंगे, लेकिन कैसे करेंगे यह सवाल में बहुत गहराई है, क्योंकि 5 सालों में स्त्री रोग विशेषज्ञ और जो शिशु रोग विशेषज्ञ हैं, चाहे वह हमारे एनीसथिसिया के विशेषज्ञ हैं निशचेतना के उनकी भारी कमी है. 54 प्रतिशत स्त्री रोग विशेषज्ञों की अस्पतालों में कमी है, 40 प्रतिशत शिशु रोग विशेषज्ञों की अस्पतालों में कमी है और निश्चेतना के विशेषज्ञों की 48 प्रतिशत कमी है. यह आंकड़े हैं मेरे पास मैं जिला अस्पताल का भी बता सकता था लेकिन ज्यादा बात करने को आप मना कर रहे हैं.सिविल अस्पताल में कितनी कमी है, जिला अस्पताल में, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में सीएमएचओ आफिस में और चिकित्सा महाविद्यालय में यह एक लंबी लिस्ट है कि हर जगह पर इन दिनों डॉक्टरों की बहुत कमी है.
एक और बहुत बड़ा मामला है कि पोस्ट मार्टम रूम है, किसी की मृत्यु हो जाती है और लाश को वहां पर शाम होने के कारण उसमें रखना होता है उसके बुरे हाल हैं. भोपाल के पोस्ट मार्टम रूम के बारे में कई बार पेपर में पढ़ने को मिलता है कि चूहा लाश के पैर को काट गया. बहुत गंदगी भरी और बदबूदार वह जगह होती है. इसे सुधारने की बहुत आवश्यकता है, जिला स्तर पर तो डेड बाडी रखने की कोई जगह ही नहीं होती है. मरचूरी होती है वह अस्पताल से बाहर होती है तो उसकी सुरक्षा के लिए बाहर बैठना होता है.
माननीय अध्यक्ष महोदय मैंने एक अशासकीय संकल्प भी आपके माध्यम से लाने का प्रयास किया है कि हर जिला अस्पताल में डेड बाड़ी रखने की कम से कम ऐसी व्यवस्ता हो कि कई बार अज्ञात लाशें मिलती हैं, उनके परिवार वाले तुरंत नहीं मिल पाते हैं, जब वह तीन चार दिन के बाद में वह पहुंचते हैं उनको तब तक दफन कर दिया जाता है. जब उसके परिजन आ जाते हैं तो उस लाश को निकाला जाता है तब कहीं जाकर उस लाश का क्रिया कर्म होता है. सरकार को इस ओर ध्यान देने की बहुत आवश्यकता है. जिला स्तर पर डेड बाडी को रखने की पर्याप्त व्यवस्था हो ताकि उनके क्रियाकर्म तक वह सुरक्षित रखी जा सके और उनके परिवारजन उनका क्रियाकर्म कर सकें.
अच्छे डॉक्टर अस्पतालों में है उसके बाद में गांव में डॉक्टर के पास में मरीज नहीं पहुंचते हैं, क्योंकि विश्वास की कमी है लोग बाग झोला छाप डॉक्टरों से ईलाज करवाना पसंद करते हैं लेकिन डॉक्टरों के पास नहीं पहुंचते हैं.
आज हम बात करें भोपाल के हमीदिया अस्पताल की कि वहां की लिफ्ट खराब है दो संभाग के लोग वहां पर आते हैं अगर हमीदिया अस्पताल जैसे अस्पताल की लिफ्ट खराब होगी तो अध्यक्ष महोदय आपके माध्यम से कहना चाहता हूंकि प्रदेश के क्या हाल होंगे. दूसरीबात यह है कि प्राइवेट अस्पताल में गरीब आदमी कर्ज लेकर इलाज करवा लेतेहैं तो हमारा कहना है कि जब तक विश्वास की कमी दूर नहीं होगी तो उस बात का प्रचार प्रसार नहीं होगा, तब तक वह सरकारी अस्पतालों में पहुंचेंगे नहीं. हमें यह विशेष ध्यान देना होगा कि गरीब इन अस्पतालों में पहुंच सके.
अध्यक्ष महोदय पेज 30 में लिखा है कि सरदार वल्लभ भाई पटेल निशुल्क औषधि वितरण का मैंने उसे देखा वहां पर 10 में से 3 दवाएं नहीं मिलती हैं. अस्पताल के कर्मचारी ही कह देते हैं किभइया यह दवाएं ठीक नहीं है आप तो बाहर से ले आओ. उन मरीजों को बाहर से दवा खरीदकर लाना पड़ती है जो आप निशुल्क दवा देते हैं उससे कोई काम नहीं होता है, और तो और यह दवाएं नीचे जो लोग काम करते हैं वह स्टोर रूम से बेच देते हैं. फिर मरीजों से उसका पैसा वसूल कर लिया जाता है. यह पीडीएस जैसा भ्रष्टाचार है जो कि कहीं भी पकड़ में नहीं आ रहाहै. इ स पर ध्यान देने की जरूरत है. कई बार तो एक्सपायरी डेट की दवाएं दे दी जाती हैं. माननीय बाला बच्चन जी ने अपने अभिभाषण की चर्चा में कैग की रिपोर्ट का हवाला दिया था जिसमें 65 लाख रूपये से बी अधिक की दवाएं थी वह बांट दी गई थीं. बहुत सी दवाएं ऐसी होती हैं जो कि बंट तो पहले जाती हैं लेकिन उऩकी जांच बाद में होती है. इस ओर भी विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है.
पेज 32 में नि:शुल्क चिकित्सकीय जांच योजना के बारे में बताया गया है, सिर्फ मलेरिया की ही जांच हो पाती है, कहीं कहीं एक्सरे हो जाता है बाकी कहीं पर भी जिला अस्पताल में, या ब्लाक लेबल के अस्पताल हैं वहां परजांच की सुविधा नहीं है. टेक्नीशियनों की कमी है. बाहर उनको जांच के लिए भेज दिया जाता है क्योंकि वहां से उनके कमीशन तय होते हैं. जांच की बात करें तो आपके खुद के जिले में जो उपकरण गये थे वह तीन साल तक धूल खा रहे थे.
दीनदयाल अंत्योदय योजना में वीपीएल कार्ड धारियों के जो बाजार से दवा खरीदने के जो आंकड़े हैं. उसमें इस वर्ष दिसम्बरतर 27.90 करोड़ की दवा खरीदने की बात कही गई है. बहुत सेमरीजों को अभी भी इसकी जानकारी नहीं है. उनको इसकी जानकारी कराने की बहुत आवश्यकता है. इस जानकारी के अभाव में वह इधर उधर से पैसे लेकर दवाईयां खरीदते हैं और मध्यप्रदेश राज्य बीमार सहायता योजना बहुत अच्छी है लेकिन मेरा कहना है कि कैंसर पीड़ित का 2 लाख रूपये मेंकहीं पर इलाज हो सकता है क्या. जब उसे बार बार इलाज के लिए जाना होता है और उसका इलाज बहुत महंगा होता है. इस राशि को भी बढ़ाया जाय और इस मामले में बहुत से दलाल भी लग गये हैं कि हम आपको पैसा दिला देंगे. संविदा स्वास्थ्य कर्मियों की हड़ताल है. मिज़ल्स की बीमारी बढ़ रही है इस पर भी ध्यान रखें, जननी एक्सप्रेस के बारे में मैं कहना चाहता हूं कि कई जगह पर यह नहीं पहुंच पाती है. इछावर सामुदायिक अस्पताल है 1956 से वह बना हुआ है अभी तक वह 30- बिस्तर का अस्पताल है, जबकि 100 बिस्तर का नसरूल्लागंज है उसकी ओपीडी आईपीडी से इछावर की ज्यादा है, आष्टा की भी 100 बेडेड है और उसके समकक्ष इछावर की है. उसको आप करवा दें.
श्री रूस्तम सिंह ( मुरैना ) -- माननीय अध्यक्ष महोदय मैं मांग संख्या 19,28, 38, 72, 73 के समर्थन में अपनी बात रखने के उद्धृत हुआ हूं. जितनी भी सरकारें कहीं गई हैं लोकतांत्रिक देशों में या उससे भी पहले, चाहे आचार्य चाणक्य ने बात की हो स्वास्थ्य को लेकर जिसका पालन चन्द्रगुप्त मौर्य ने किया हो या सम्राट अशोक ने किया हो चाहे जो गुप्त काल भारत का स्वर्ण युग कहलाता है वह केवल विजयों के लिए उन्नति के लिए समृद्धि के लिए ही नहीं , उसी समय चिकित्सा क्षेत्र में भी बहुत बड़ी सुविधाएं दीगई और धनवंतरि गुरू जैसे आयुष के महान् लोगों को इन राज्यों में संरक्षण मिला और पूरा काम करने की सुविधा मिली. इसी तरह ने कुछ सीमा तक बादशाह अकबर ने और शिवाजी महाराज ने इस ओर बहुत ध्यान दिया. अध्यक्ष महोदय, मैं इन बातों का उल्लेख इसलिए करना चाहता हूँ कि जनता के दिल में स्थान बनाने के लिए, जनता के मर्म को स्पर्श करने के लिए केवल विकास ही पर्याप्त नहीं है बल्कि चिकित्सा सुविधा भी जरूरी है. हमारे यहां माना जाता है कि पहला सुख निरोगी काया, अगर आप स्वस्थ हैं तभी बाकी सब चीजों के लिए आप ठीक रहेंगे, इसीलिए हमारे मध्यप्रदेश के मुखिया माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह जी ने चिकित्सा के क्षेत्र में अपनी संवेदनशीलता को दिखाते हुए सबसे अधिक प्राथमिकता इस क्षेत्र को दी और उनके मंत्रि-मण्डल में जो सबसे अधिक संवेदनशील थे, जो काबिल थे और जो प्रभावशील थे ऐसे डॉ. नरोत्तम मिश्र जी को चिकित्सा विभाग देकर इस बात का संकेत दिया कि वे निश्चित रूप से बहुत प्रभावी ढंग से चिकित्सा का उन्नयन मध्यप्रदेश में करना चाहते हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य कुछ अप्रसन्न हैं और कुछ व्यंग्य कर रहे हैं. मैं वर्ष 2003 की तो बात ही नहीं करना चाहता. अब तो स्थिति यह है कि प्रतिवर्ष जो कुछ किया जाता है उसी से काम्पिटिशन है, पहले क्या किया और अब अधिक क्या करें यानि खुद की सरकार का खुद के साथ काम्पिटिशन है. पिछले वर्ष नरोत्तम जी ने कितना काम किया, अब कितना करेंगे, यह प्रतिस्पर्द्धा है, वर्ष 2003 का तो कहीं कोई नामो-निशान नहीं है. माननीय अध्यक्ष, मैं अपने मित्रों को बताना चाहता हूँ कि वर्ष 2003 से 10 गुना अधिक स्वास्थ्य का बजट है और पिछली बार से भी लगभग 1 हजार करोड़ बढ़ गया. मित्र बोल रहे थे कि कम हो गया है यह गणित मेरी समझ में नहीं आया. पिछले साल की तुलना में 19 प्रतिशत से भी अधिक बजट इस बार बढ़ा है, यह 4740 करोड़ 40 लाख रुपये का था और इस वर्ष 5643 करोड़ 87 लाख का बजट है जो मध्यप्रदेश के चिकित्सकीय क्षेत्र में ऐतिहासिक बजट है. स्वास्थ्य के क्षेत्र में यह मील का पत्थर है लेकिन फिर प्रतिस्पर्द्धा होगी और अगले वर्ष यही सरकार इससे भी अधिक बजट लेकर आएगी, ऐसा मैं विश्वास कर सकता हूँ.
माननीय अध्यक्ष महोदय, स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ी यूनिट हर प्रदेश में मेडिकल कालेज होता है. मुझे यह कहते हुए आश्चर्य होता है और चूँकि आप भी डॉक्टर रहे हैं आप जानते हैं, डॉ. गोविंद सिंह जी भी डॉक्टर रहे हैं वे भी जानते हैं कि भारत के स्वतंत्र होने के पहले एक मेडिकल कालेज ग्वालियर में आया. स्वतंत्रता के तत्काल पश्चात् 1948 में इंदौर में एक मेडिकल कालेज आया और फिर 1955 में दो मेडिकल कालेज जबलपुर और भोपाल में आए. यह मध्यप्रदेश जो आज है इसके गठन सन् 1956 के बाद कांग्रेस की सरकार में केवल एक मेडिकल कालेज 1963 में रीवा का आया. माननीय अध्यक्ष महोदय, 40 सालों में कोई मेडिकल कालेज नहीं आया, मेडिकल कालेज का विचार भी नहीं, चर्चा भी नहीं और प्रस्ताव भी नहीं. जो अभी बोल रहे थे वे चले गए, मैं उन्हें यह कहना चाहता हूँ कि थोड़ा सा सुनिएगा, ध्यान दीजिएगा और फिर अपने पूर्वजों को अंतर्मन से कोसिएगा. इसमें आपका दोष नहीं है. मेडिकल कालेज होंगे नहीं तो क्या ईलाज होगा. सैकड़ों किलोमीटर दूर से लोग कहां जाएंगे. मैं यह कहना चाहता हूँ कि बुंदेलखण्ड का एक बहुत महत्वपूर्ण नगर सागर है. क्या सागर में मेडिकल कालेज बनाया जाए ऐसा विचार कभी कांग्रेस के मित्रों को क्यों नहीं आया ? खैर, अगर आ जाता तो हमारी सरकार की प्रशंसा कैसे होती. इसलिए ये अच्छे कार्य करने के लिए कि माननीय शिवराज सिंह जी जब मुख्यमंत्री बनेंगे, माननीय डॉ. नरोत्तम मिश्र जी जब चिकित्सा मंत्री बनेंगे तब ये कार्य होंगे, इसीलिए कांग्रेसियों ने छोड़ रखा था.
माननीय अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2009 में सागर में मेडिकल कालेज आया. नाम का ही नहीं भव्य बिल्डिंग का निर्माण हुआ, सर्वसुविधायुक्त मेडिकल कालेज आया और इतना ही नहीं, आवश्यकता को देखते हुए 7 मेडिकल कालेज, मैं पुन: कहना चाहता हूँ कि 7 सरकारी मेडिकल कालेज मध्यप्रदेश में खोले जा रहे हैं, क्योंकि 7 मेडिकल कालेज स्वतंत्र भारत से लेकर आज तक कभी बने नहीं, जो इस भारतीय जनता पार्टी की सरकार में माननीय मुख्यमंत्री जी के और माननीय नरोत्तम मिश्र जी के प्रयासों से बनने जा रहे हैं. आपको पता होगा कि खण्डवा, छिंदवाड़ा, रतलाम, शहडोल, दतिया, शिवपुरी और विदिशा में 7 नए मेडिकल कालेज बनने जा रहे हैं, कुछ निर्माणाधीन हैं और कुछ निर्माण पूरे होने की कगार पर हैं. ये सब बनने के बाद भी विराम नहीं लगेगा, आने वाले समय में और भी मेडिकल कालेज बनेंगे ऐसा मैं विश्वास करता हूँ. यह तो मैंने मेडिकल कालेज की बात की, माननीय अध्यक्ष महोदय, मेडिकल यूनिवर्सिटी जबलपुर में बनाई गई और अब हर जगह के अलग पेपर नहीं होंगे, हर मेडिकल कालेज का स्टैंडर्ड एक होगा. सब जगह पेपर एक जैसे होंगे और जबलपुर में ही कैन्सर इंस्टीट्यूट की भी स्थापना होने जा रही है.
स्वागत उल्लेख
सांसद श्री राव उदय प्रताप सिंह का अध्यक्षीय दीर्घा में उपस्थिति पर स्वागत
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया -- आज अध्यक्षीय विशिष्ट दीर्घा में माननीय सांसद महोदय विराजित हैं, सदन आपका स्वागत करता है, अभिनन्दन करता है.
अध्यक्ष महोदय -- मैं सांसद श्री राव उदय प्रताप सिंह का सदन की ओर से स्वागत करता हूँ.
श्री रुस्तम सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपकी अनुमति हो तो आगे बढ़ूँ.
अध्यक्ष महोदय -- हां, आप विषय अच्छा ले रहे हैं पर थोड़ा संक्षेप कर दें. समय की मर्यादा है.
श्री रुस्तम सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं केवल 20 मिनट लूंगा.
अध्यक्ष महोदय -- उधर के पहले वक्ता ने कुल 13 मिनट लिए तो इससे ज्यादा का तो अधिकार बनता नहीं.
डॉ. गोविंद सिंह -- आप चाहे जितनी चापलूसी कर लो, जब ये हटेंगे तभी आपका नंबर लगेगा. (हंसी)
श्री रुस्तम सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा मूल वर्सन तो बच ही गया है.
अध्यक्ष महोदय -- कृपा करके पांच मिनट में समाप्त करें.
श्री रुस्तम सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अगर आप अनुमति दें तो मैं एक निवेदन करना चाहता हूँ कि सामने वाले मित्रों को जो समय देते हैं उससे ढाई गुना अधिक समय इस तरफ को मिलना चाहिए. अगर आपने उनको 10 मिनट दिए हैं तो मुझे 25 मिनट तो कायदे से मिलना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय -- बात तो आपकी ठीक है व्यावहारिक रूप से, 2 घण्टे 9 मिनट आपका समय है और 42 मिनट उनका है किंतु उनको ही ज्यादा समय देना चाहिए.
श्री रुस्तम सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, पूरे सत्र में मैंने बोला ही नहीं है.
अध्यक्ष महोदय -- समय की मर्यादा है, 5-7 मिनट में समाप्त कर लें.
श्री रुस्तम सिंह -- अध्यक्ष महोदय, इसी के साथ मैं प्राइवेट कालेज के बारे में बताना चाहता हूँ.
श्री जितू पटवारी -- अरे साहब आपको बोलने के लिए थोड़ी, काम करने के लिए उधर भेजा है, काम करो.
श्री रुस्तम सिंह -- जब मैं आपके जिले का एसपी था तब आप बच्चे थे, निक्कर में घूमते थे. (हंसी). खैर, माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में जहां तक स्वास्थ्य सुविधा का सवाल है पंडित दीन दयाल अंत्योदय उपचार योजना जो पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी का सपना था गरीब के आंसू पोंछना, गरीब तक शासन की सुविधा पहुँचे इसी को ध्यान में रखते हुए मध्यप्रदेश की सरकार ने पंडित दीन दयाल अंत्योदय उपचार योजना चालू की, जो गरीबी से नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों के लिए थी और उसमें अभी तक 30 हजार रुपये तक के मुफ्त ईलाज की सुविधा थी, इसका लाभ अभी तक 41 लाख 46 हजार लोगों ने उठाया.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इसी तरह से सरदार वल्लभ भाई पटेल नि:शुल्क दवा वितरण योजना जो प्रारम्भ हुई है उसमें लगभग प्रतिदिन 5 लाख से भी अधिक लोग मुफ्त में दवाइयां ले रहे हैं और नि:शुल्क जांच सुविधा जो प्रारम्भ की गयी है जिसमें जिला चिकित्सालय में, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पीएचसी में एक साल 1 करोड़ 98 लाख लोगों ने नि:शुल्क जांच करायी, यह मध्यप्रदेश में मुफ्त में स्वास्थ्य सुविधा देने में एक रिकार्ड है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जननी एक्सप्रेस के बारे में जो बाते कही गयी थीं, मध्यप्रदेश में 986 वाहन जनन एक्सप्रेस के रुप में चल रहे हैं. मुझे ध्यान है और मैंने देखा है, वह गरीब लोग जिनके पास सुविधाएं नहीं हैं, बरसात का समय है, बैलगाड़ी में ले जा नहीं सकते और रास्ते चलते चलते जिस वधु का उपचार कराने या डिलेवरी कराने ले जा रहे होते थे, बच्चा-जच्चा दोनों ही रास्ते में खत्म हो जाते थे. इस करुण परिस्थितियों को देखते हुए यह जननी एक्सप्रेस योजना माननीय शिवराजसिंह जी जैसे संवेदनशील मुख्यमंत्री जी ने और माननीय मंत्री जी ने प्रारम्भ करायी और आज उसके परिणाम है कि खबर जाती है, गाड़ी पहुंचती है, ले के आती है, हॉस्पीटल में भर्ती कराती है. भर्ती ही नही, जब अस्तपाल से उनकी छुट्टी होती है फिर उसको वापस घर में छोड़ने जाती है. जाते समय अगर देहात की है तो 1400 रुपये जो बिस्वार के लड्डू खिलाये जाते हैं उसके लिए और जो उनको प्रेरणा देकर के ले आती है या ले कर आता है उसको 600 रुपये. शहर के जो मरीज है उसको 1000 और प्रेरणा देने वाले को 400 रुपये दिये जाते हैं. इसी तरह से नि:शुल्क जांच सुविधा से जो लाभ हुआ हैं, जननी एक्सप्रेस से जो आवागमन की सुविधाएं बढ़ी हैं. संजीवनी 108 के 606 वाहन मध्यप्रदेश में चल रहे हैं. मैंने देखा है और सभी मित्र सहमत होंगे कि दूरदराज के क्षेत्रों में से कहीं एक्सीडेंट हो जाता है, कोई बहुत ज्यादा बीमार हो जाता है तो इस संजीवनी 108 से वही उसी तरीके से जैसे कभी लक्ष्मण जी के घायल होने पर भगवान राम ने हनुमान जी को संजीवनी लेने के लिए भेजा था और उसी से प्रेरणा लेकर के यह उसी संजीवनी के रुप में आज मध्यप्रदेश में जन-जन तक पहुंच रही है. हमारे यहां से ए.बी. रोड निकलता है. मैंने देखा है, हाईवे है, तमाम् एक्सीडेंट होते हैं, खबर गयी नहीं, 10-15 मिनट के अन्दर संजीवनी 108 गाड़ी पहुंचती है और स्वास्थ्य सुविधा भी उसमें रहती है, उस घायल की जान बचाने की कोशिश की जाती है और जब उस घायल को लेकर के आते हैं तो उसके घर के लोग मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री जी को, मध्यप्रदेश के चिकित्सा मंत्री जी को साधुवाद देते हैं, दुआएँ देते हैं. आप सोच सकते हैं, क्यों यह सरकार तीसरी बार आ गयी. इतनी दुआएँ मिलती हैं कि यह तीसरी नहीं, चौथी, पांचवी बार भी आएगी, मैं विश्वास के साथ यह कह सकता हूँ.माननीय अध्यक्ष महोदय, दीनदयाल चलित चिकित्सा से भी वहीं पर घर पर ही इलाज के लिए पहुंच जाते हैं.
अध्यक्ष महोदय-- 5.30 बजे तक इस विषय को मंत्री जी के जवाब सहित समाप्त करना है.आप दो तीन मिनट में समाप्त कर दें.
श्री रुस्तम सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने मुरैना को बहुत कुछ दिया है. मुरैना का हास्पीटल, हमारे विधायक साथी यहां बैठे हैं, बलबीरसिंह जी सतपाल जी हैं, सूबेदार सिंह जी बैठे हैं, इतनी दुर्गति की स्थिति में था, डाक्टर साहब ने देखा होगा लेकिन आज बहुत कुछ ठीक हुआ है. 6 करोड़ से भी अधिक के कंस्ट्रक्शंस हुए हैं. वहां पर ट्रामा सेन्टर बना है लेकिन यह संभागीय हेडक्वार्टर है. यह द्वार है This is the gate way of western India यह पश्चिमी हिन्दुस्तान का द्वार है मध्यप्रदेश के लिए. ए.बी.हाईवे निकलता है, मेल रेलवे ट्रेक है, इतनी जरुरत है, मात्र 300 बेड का जिला चिकित्सालय है. मैं आपके मार्फत माननीय मंत्री जी से आग्रह करना चाहता हूँ कि कृपा करके जिला चिकित्सालय को कम से कम 500 बेड का बना दिया जाए तो लोगों को चिकित्सीय सुविधा मिल सकेगी. अभी बहुत कम है. इसी के साथ मेरी विधानसभा में बामोर नगर पंचायत है, वहां की जनसंख्या 40-45 हजार हो गयी है, लेकिन वहां पर एक 6 बेड का हास्पीटल है वही पुराने जमाने का है जिस जमाने का टोटल बजट 500 करोड़ का भी नहीं होता था अब इस समय इतने संवेदनशील हमारे मंत्री जी हैं, इन्हें इसे कम से कम 30 बेड का हास्पीटल तो बना ही देना चाहिए. वहां कन्स्ट्रक्शन भी होना चाहिए, बाऊण्ड्री भी होना चाहिए. इसी तरह से हमारे रिठौरा एक बहुत दूरस्थ का क्षेत्र हैं वहां पीएचसी बन गयी है, वहां पर बिल्डिंग भी बन गयी है, वहां पर महिला चिकित्सक की जरुरत है. वहां एक परीछा एक गांव हैं वहां एक नया पीएचसी खोला जाना चाहिए, ऐसा मेरा माननीय मंत्री जी से आग्रह है. साथ ही 10 उपस्वास्थ्य केन्द्र भी मेरी विधानसभा में स्वीकृत करा देंगे तो बड़ी कृपा होगी. मैं यह कहना चाहता हूँ कि यह अंतिम समय है और अधिक करने के लिए, आपने इतना कर डाला है कि माननीय मुख्यमंत्री जी अब जिस भाव के साथ आपसे काम कराना चाहते थे, बहुत हो गया, कोई और विभाग आपको दे देंगे इसलिए कृपा करके आपसे जल्दी से जल्दी आग्रह कर रहे हैं. कन्स्ट्रक्शन अपार हुआ है, मेरी रुचि इतनी सी है कि मैं कभी जबलपुर का एस.पी था, कटनी का हास्पीटल बदतर था, सीहोरा की स्थिति बहुत खराब थी, माननीय उपाध्यक्ष जी जानते हैं लेकिन अब कटनी का अपग्रेड हो गया है, सीहोरा का 100 बेड का हो गया, कटनी 350 बेड का हो गया है. इसी तरह से श्योपुर भी हो जाए. मुझे इतना अंदाज नहीं था कि डाक्टर गोविन्दसिंह जी जो चाहे करा लेते हैं, कई करोड़ का हास्पीटल का निर्माण स्वीकृत हुआ है. माननीय गोविन्दसिंह जी के यहां भी माननीय मंत्री जी ने किया है. मैं अपनी ओर से माननीय मुख्यमंत्री जी को, मा्ननीय स्वास्थ्य मंत्री जी को बहुत बहुत बधाई देना चाहता हूँ, बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहता हूँ और उम्मीद करता हूँ कि जो हमने आग्रह किया है उस पर जरुर ध्यान देंगे. धन्यवाद.
डॉ. गोविन्दसिंह(लहार)-- माननीय अध्यक्ष जी, चूंकि मंत्री जी ने पहले ही कह दिया कि डाक्टरों के बारे में मत कहो, सब जानते हो. मंत्री जी, आपके पास डाक्टरों की कमी है. पब्लिक सर्विस कमीशन में आपने परीक्षा के लिए आवेदन मंगाये. करीब 2500 से 3000 डाक्टरों ने उसमें अप्लाई किया. उसमें से करीब आपने 1100-1200 डाक्टरों का चयन किया और उनकी नियुक्तियां कीं. हमारा आपसे अनुरोध है कि जब डाक्टरों की कमी थीं तो फिर पीएससी में क्यों गये. आप इसको शिथिल कर दें. जो भी डाक्टर जाना चाहे, फुलफ्लैश तनख्वाह जैसे इनको पूरी देते हो, जो सेवा शर्तें हैं उसके तहत् आप डाक्टरों को जनरल बिना किसी पीएससी के, जैसे जनरल प्रमोशन देते हैं , जो नियुक्ति रोजगार मांगे, उसको रोजगार दें, अगर आप इस तरह से करेंगे तो आपके आधे से अधिक अस्तापल जो बरसों से डाक्टरों से खाली पड़े हैं, हमारे विधानसभा क्षेत्र में ही 10-10 साल से तीन-चार खाली पड़े हैं, भर जाएंगे.लहार में सिविल हास्पीटल आपने 2 वर्ष पहले घोषित किया, वहां पर 12 पद हैं उसमें केवल 2 नये लड़के पहुंचे हैं. करीब 900 से लेकर 1000 प्रतिदिन की ओपीडी है, तो 12 में से केवल 2 है तो ज्यादा नहीं तो 2 और कर दें. इसके साथ ही साथ 35 हजार आयुर्वेदिक के चिकित्सक, जो आयुर्वेदिक डिग्री होल्डर हैं वह बेकार बैठे हुए हैं, कहीं कोई काम नहीं है. 1800 अस्पताल है,करीब 60 प्रतिशत उसमें रिटायर हो चुके हैं उनको आप भर दें और प्रत्येक जो इन्टीग्रेटेड हैं, जिन्होंने बेचलर आफ आयुर्वेदक माडर्न मेडीसिन किया है उनको आप प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में पदस्थ कर सकते हैं जो कोर्स एमबीबीएस का था वह कम्पलीट कोर्स इन्टीग्रेटेड आयुर्वेद मेडिकल ग्रेजुएट का भी है तो उससे आपका काम चल सकता है. यह हमारा सुझाव है. अब बोलने के लिए अध्यक्ष जी का प्रतिबंध है और आपने भी पहले ही अनुरोध कर लिया है तो मैं केवल एक बात कहना चाहता हूँ कि आपका जो बजट आया है उसमें हमने लहार में तो 2 वर्ष पहले का आपका जो आदेश है 18.7 का, कि सिविल हॉस्पिटल किया, इतने पद हैं. लेकिन अभी आपने जो बजट प्रस्तुत किया है उसमें लहार को फिर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, तो आखिर विभाग में यह गलतियाँ हो रही हैं, इनको सुधारें, जरा पढ़ लिख लिया करें. अगर आप अनुमोदन करते हों तो जरा बटन ठीक कर लें. इसके साथ ही साथ मैं केवल यह कहना चाहता हूँ कि भिण्ड जिले में सी एम एच ओ हैं, आपके डॉक्टर शर्मा जी हैं. वह वहाँ पदस्थ डॉक्टर्स से करीब 15-20 साल जूनियर है तो उनमें ऐसे कौनसे लाल लटक रहे जो आप लगातार उन्हें बनाए बैठे हों. 8-8 जाँच चल रही, लोकायुक्त में उनके खिलाफ मामला चल रहा है. उन्होंने फर्जी चेक काटे, पकड़े गए तो उन्होंने स्वीकार किया कि गलती से हमारे जूनियर किसी अधिकारी ने दस्तख्त करवा लिए. पूरा गोलमाल कर गए. अटेर में रोगी कल्याण समिति है उसमें 2 चेक, एक 3 लाख का, एक 90 हजार का, कट गया. पता नहीं उनकी शिकायतें हुईं. लेकिन गोलमाल करके उन्होंने कर दिया. वह आदमी नहीं है, जो सामान्य, उनको एक लाख रुपये का अधिकार था 3 लाख 40 हजार का भुगतान कर दिया. उसकी शिकायतें हैं. कलेक्टर ने जाँच कराई शिकायतें सिद्ध हो गईं. आयुक्त ने निलंबित किया था फिर यहाँ जुगाड़-तुगाड़ लगाकर आपने फिर बहाल कर दिया. इसके साथ साथ यहाँ पर स्वास्थ्य आयुक्त ने जाँच कराई उसमें भी आरोप सिद्ध हो गए और उसकी विभागीय जाँच चल रही है. भ्रष्टाचार के आरोप सिद्ध होने के बाद, स्वास्थ्य मंत्री जी, इधर सुन लीजिए आप नहीं तो फिर हम चालू हो जाएँगे. उसमें शक की सुई आप पर जा रही है. आखिर उसमें कौन सा कारण है, जो इतना जूनियर है, हर मामले में...
राज्य मंत्री, संसदीय कार्य(श्री शरद जैन) -- डॉक्टर साहब, बीच बीच में आप जो भिण्ड की डेफिनेशन दे देते हों.
डॉ.गोविन्द सिंह-- बैठ जाओ. आप तो हमारे साथी रहे हों जबलपुर में.
श्री शरद जैन-- वह डेफिनेशन दे दें तो बेहतर होगा.
डॉ.गोविन्द सिंह-- आप हमें सलाम करते थे फिर हम कह देंगे जाकर जबलपुर में. हम लीडर थे ये हमारे सपोर्टर थे. (हँसी)
श्री शरद जैन-- डॉक्टर साहब, यह बात सही है कि आपका अध्ययन जबलपुर में हुआ और यह बात भी सही है कि जिस आयुर्वेद कॉलेज में आप पढ़ते थे 5-7 विद्यार्थी थे...
डॉ.गोविन्द सिंह-- आपकी कृपा से ही तो हम बोल रहे हैं जबलपुर का पानी पिया है और क्या चाहिए आपको.
श्री शरद जैन-- तो फिर ठीक है. (हँसी)
डॉ गोविन्द सिंह-- इसके बाद आप उनको कृष्ण मुख करके दतिया ले जाओ. चाहे जहाँ दस्तख्त कराना, उल्टे, सीधे, वह हर जगह अँगूठा लगा देगा और वह हर मामले में है. (XXX) भी है, सब बातें हैं. हम खुल कर नहीं कहना चाहते. अभी तक हमने कहा नहीं है.
अध्यक्ष महोदय-- उसे कार्यवाही में से निकाल दें.
डॉ गोविन्द सिंह-- अध्यक्ष महोदय, (XXX) तो इसलिए आप उनको कृपा करके भिण्ड से लेकर कोई अच्छा सी एम ओ, या वहीं देख लो जो उससे जूनियर हो उसको कर दो ताकि यह सब नर्सेस की भर्ती में गड़बड़ी, प्रतिबंध लगा था शासकीय ट्रेनिंग में एन एच एम की, उसने प्रतिबंध के बाद भी भर्ती कर ली. अध्यक्ष महोदय, जितनी दुग्ध डेरियाँ चल रही हैं इतना दूध आ रहा और मिलावट वाला उनको सबको पैसा लेकर.....
अध्यक्ष महोदय-- कृपया अब समाप्त करें. आपने मना कर दिया था तो मैंने बिल्कुल टोका नहीं.
डॉ गोविन्द सिंह-- अध्यक्ष महोदय, दुग्ध डेयरी, सब से वसूली चल रही है. कैसे स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. जो झोला छाप डॉक्टर हैं, जितने भी भिण्ड जिले में काम कर रहे हैं प्रत्येक डॉक्टर से 5 हजार रुपये महीना ले रहा है तो आखिर इतना करोड़ों रुपये लूटने वाला आदमी है उसको यहाँ से ले जाओ दतिया रखो तो वह आपके लिए ठीक रहेगा. अध्यक्ष महोदय, लहार में कई सालों से एंबुलेंस नहीं है, एंबुलेंस आप भेज दें. एक्स-रे मशीन नई कर दें और कहीं से भी बिना हमारे अनुरोध के आप 1-2 डॉक्टर सी एच सी जो लहार में है, सिविल हॉस्पिटल, उसमें आप कर दें. अस्पताल बनना चालू हो गया है इसलिए अब जरुरत पड़ेगी, पलंग भी बढ़ेंगे तो डॉक्टर की जरूर कोई व्यवस्था करें और जो स्टाफ है वह तो आपके पास है. ए एन एम है, नर्सेस हैं, इनको बढ़ा दें तो कम से कम काम चालू हो जाएगा. धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय-- श्री शैलेन्द्र जैन कृपया अपनी बात बिना व्यवधान के 5 मिनिट में समाप्त करें.
श्री शैलेन्द्र जैन(सागर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 19, 28, 38, 72 एवं 73 का समर्थन करता हूँ. अध्यक्ष महोदय, स्वास्थ्य सेवाएँ हमारी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है. मध्यप्रदेश की जनता को उच्च कोटि की विश्वसनीय स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध हों इस हेतु हमारी सरकार शुरू से ही प्रयत्नशील रही है और लगातार हमारी सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं के लिए जो बजट में वृद्धि की है वह इस बात का द्योतक है कि हम स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति कितने संकल्पित हैं. हम अपनी ही तुलना करें, पिछले वर्ष के मुकाबले लगभग 19 प्रतिशत का इजाफा हमने स्वास्थ्य और उससे संबंधित सेवाओं के लिए किया है. यह निश्चित रूप से प्रशंसनीय है.
अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश की सरकार के मुखिया ने 26 जनवरी 2016 से इस प्रदेश के हर जिले के जिला चिकित्सालय में डायलेसिस मशीन की व्यवस्था करने का संकल्प लिया था. मुझे सदन को यह बताते हुए अत्यंत गर्व होता है कि 51 के 51 जिलों में डायलेसिस मशीन का इंस्टालेशन हो गया है. अनेक स्थानों पर डायलेसिस मशीनों ने काम करना शुरू कर दिया है. हमारे सागर जिले में भी डायलेसिस मशीन शुरू हो गई.
अध्यक्ष महोदय, चूँकि डायबिटीज इस समय पूरे के पूरे देश में और हमारे प्रदेश में भी यह बहुत तेज गति से बढ़ी हुई है और डायबिटीज से जो होने वाली यह बीमारी है इस बीमारी से बचने के लिए डायलेसिस बहुत ही कारगर है. इस दिशा में हमने डायबिटीज क्लिनिक की भी स्थापना की है और विशेष रूप से हमने जो हमारे कार्पोरेट सेक्टर हैं उन कार्पोरेट सेक्टर की जो सोशल कार्पोरेट रेस्पांसबिलिटी होती है उसके मद्देनजर हमने 51 के 51 जिलों में डायबिटीज क्लिनिक और परामर्श केन्द्र की भी स्थापना की है, वह भी प्रशंसनीय है. अध्यक्ष महोदय, जैसे डायबिटीज के मरीज बढ़ रहे हैं उसी अनुपात में हमें देखने में आया है कि केंसर के मरीजों की बड़ी संख्या हो गई है. ऐसे मरीजों के लिए जिला स्तर पर कुछ ऐसे प्रशिक्षित डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ की नितांत आवश्यकता थी, जो इन मरीजों को कीमोथैरेपी जैसी सुविधाएँ मुहैया करा सकें उसके लिए कीमोथैरेपी के प्रोटोकॉल के अनुसार उनका उपचार करने के लिए भी हमारी सरकार ने ऐसे डॉक्टर्स को और नर्सिंग स्टाफ को ट्रेंड करने का काम किया है और यहाँ तक कि हमारी इस योजना का इतना महत्व हुआ है कि पड़ोसी राज्य उड़ीसा के डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ इस हेतु प्रशिक्षण के लिए मध्यप्रदेश आते हैं. अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री महोदय की अत्यंत इच्छा थी कि हमारी महिलाएँ जो हैं उनका अलग से स्वास्थ्य परीक्षण होना चाहिए इस हेतु अगस्त से लेकर अक्टूबर तक हमारी महिलाओं का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया और मुझे यह बताते हुए अत्यंत हर्ष होता है कि लगभग 23 लाख महिलाओं का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया. इसी क्रम में रोशनी क्लिनिक की स्थापना हुई है. यह रोशनी क्लिनिक जो है हरेक बुधवार को दोपहर 2 बजे से 5 बजे तक खुलेंगी और हमारी वह महिलाएँ जो ब्लड प्रेशर की बीमारी से ग्रसित हैं, वह महिलाएँ जो डायबिटीज की बीमारी से ग्रसित हैं, वह महिलाएँ जिनमें खून की कमी है, ऐसी तमाम महिलाओं के उपचार के लिए ये रोशनी क्लिनिक बहुत मील का पत्थर साबित होंगी. अध्यक्ष महोदय, हमारे मित्र शैलेन्द्र पटेल जी मर्च्यूरी के मामले में कह रहे थे. मध्यप्रदेश की सरकार बहुत संवेदनशील है. 51 के 51 जिलों में मर्च्यूरी की स्थापना हो चुकी है और उसके साथ में जो अनक्लेम्ड डेड बॉडीज होती हैं उनको रखने के लिए रेफ्रिजरेटर हरेक जिला अस्पताल में मुहैया करा दिया गया है. यह भी बहुत महत्वपूर्ण है. इसके लिए लगभग 6 करोड़ रुपये की राशि हमने व्यय की है.एक योजना जिसकी सर्वत्र प्रशंसा हो रही है वह है "गौरवी क्लिनिक." सागर के जिला चिकित्सालय में भी 320 बिस्तरों का अस्पताल स्वीकृत है उसके विरुद्ध पूरे वर्ष कल की तारीख तक 500 बिस्तर लगे हुए थे वर्ष भर में 500 से 550 बिस्तर लगते हैं. मंत्रीजी से अनुरोध है कि 320 बिस्तर के अस्पताल की स्वीकृति को बढ़ाकर 500 बिस्तर का किया जाय. सागर का चमेली चौक एक ऐसा इलाका है जहां 100 वर्ष पुराना पॉलीक्लिनिक है उसमें अनेक मरीज ओपीडी के लिए आते हैं वहां पर 30 बिस्तरों का एक अस्पताल बनाया जाये. यह स्थान मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल से 8-10 किलोमीटर दूर है अगर वहां 30 बिस्तरों का अस्पताल बन जायेगा तो सागर की जनता को सुविधा हो जायेगी.
अध्यक्ष महोदय, मेडिकल कॉलेज की मान्यता खतरे में पड़ गई थी मैं सरकार के मुखिया माननीय शिवराज सिंह जी को और माननीय मंत्रीजी को इस बात के लिए धन्यवाद देना चाहता हूँ उन्होंने विशेष रुप से एक कार्य योजना बनाई और सागर के बुंदेलखण्ड के मेडिकल कॉलेज की जो डेफीसिएंसी थी वह घटकर 3 प्रतिशत से नीचे आ गयी और वहां पर सारी सुविधायें हमने मुहैया कराईं एवं मेडिकल कौंसिल ऑफ इंडिया ने पुन: मान्यता प्रदान कर दी है.
कहते हैं हैं दुनिया में और भी सुखनवर बहुत अच्छे,
कहते हैं कि गालिब का है अंदाजें बयां और
माननीय अध्यक्ष महोदय, सुपर स्पेशियलिटी की बात चल रही थी सारे के सारे मेडिकल कॉलेज में सुपर स्पेशियलिटी क्लिनिक शुरु हो रहे हैं सागर में भी न्यूरोलॉजी का कॉर्डियोलॉजी का कोई सुपर स्पेशियलिटी क्लिनिक शुरु हो जायेगा तो बहुत अच्छा हो जायेगा. सागर में हमने जनभागीदारी से एक काम बहुत अच्छा किया है आप 2 मई को सागर आने वाले हैं आपको वह दिखाने ले जायेंगे जनभागीदारी से सागर के जिला अस्पताल की हमने कायाकल्प कर दी है. सागर के जिला अस्पताल को देश की सरकार ने मॉडल हास्पिटल के रुप में उन्नयन करने की घोषणा की है उसके लिए भी मैं सरकार को धन्यवाद देना चाहूंगा. वसुधैव कुटुम्बकम के रुप में हमने काम करना शुरु किया है. धन्यवाद.
श्री गोवर्धन उपाध्याय (सिरोंज)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सिरोंज विधान सभा के अस्पताल के बारे में आपको जानकारी देना चाहता हूँ एक वर्ष पहले जो समस्यायें हमने विधान सभा में रखी थीं शायद उसमें से एक भी समस्या का समाधान नहीं किया गया. मैं माननीय मंत्रीजी का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ. जो 100 बिस्तरों का अस्पताल है उसमें 100 बिस्तरों के हिसाब से सुविधायें होना बहुत आवश्यक है. एक तो वहां डॉक्टरों की कमी है, जो डॉक्टर हैं वे भी समय पर नहीं आ रहे हैं उनमें आपस में खींचातानी चलती रहती है इसलिये किसी भी ढंग से आप डॉक्टरों की कमी पूरी करें. वहां की एक्स-रे मशीन खराब है इतना बड़ा अस्पताल है उसकी एक्स-रे मशीन खराब है तो एक्स-रे की जांच कैसे होगी ? लैब की मशीनें बंद पड़ी हुई है. एएनएम के 21 पद खाली हैं कृपया भरने का कष्ट करें. दो एम्बूलेंस हैं दोनों बंद पड़ी हुई हैं शायद इसलिये तो नहीं कि उस अस्पताल का नाम राजीव गांधी अस्पताल है. पानी तक मरीजों को मिल नहीं पाता है. आज तक वहां पर डिलेवरी नहीं हुई है. पलंगों की यह हालत है कि मरीज नीचे सोते रहते हैं बड़ी दुर्गती है. बिजली की लाइन इतनी पुरानी हो चुकी है कि वह लोड नहीं ले पाती है रात-रात भर लाइट चली जाती है इसका मेंटेनेंस होना आवश्यक है. सिरोंज अस्पताल के कर्मचारियों के लिये क्वाटर्स बनाये गये थे उनमें से 7 क्वाटर्स में अनाधिकृत रुप से लोग रह रहे हैं एसडीएम महोदन ने भी उनको निकालने का नोटिस दिया परन्तु अभी तक उन्होंने क्वाटर खाली नहीं किये हैं. कृपया क्वाटर खाली करा दें जिससे अस्पताल के लोग वहां रह सकें.
अध्यक्ष महोदय, सिरोंज में हमने पुराने अस्पताल को जनभागीदारी योजना के तहत मिलजुलकर उसमें सुधार किया. सिरोंज का अस्पताल पहाड़ी पर 3-4 किलोमीटर ऊपर है जहां मरीजों को जाने आने में दिक्कत होती है टैक्सी वाले आने जाने में 150-200 रुपये ले लेते हैं ऐसी स्थिति में गरीब लोग इलाज नहीं करा पाते हैं. जनभागीदारी के तहत हमने एक ओपीडी बनाई उसमें एक रिटायर्ड डॉक्टर शर्मा जी की वहां पोस्टिंग करवाई आप आश्चर्य करेंगे इस समय उस ओपीडी में करीब 100 मरीज आ रहे हैं. ऐसे डॉक्टर्स जो रिटायर हो गये हैं और सेवा में आना चाहते हैं उन्हें मौका देना चाहिये जिससे डॉक्टरों की पूर्ति हो जायेगी.
अध्यक्ष महोदय, लटेरी विकासखण्ड में पांच डॉक्टरों के पद हैं एक डॉक्टर थे वे इस्तीफा देकर चले गये अब एक भी डॉक्टर नहीं हैं स्टोर कीपर, लैब टेक्नीशियन का पद खाली पड़ा है. मलेरिया इंस्पेक्टर भी वहां पर नहीं है. एम्बूलेंस खराब पड़ी है. दिनांक 21.2.2016 को लटेरी क्षेत्र में रात्रि के लगभग 12.00 बजे एक गाड़ी का एक्सीडेंट हुआ था उस समय न वहां डॉक्टर थे न वार्ड ब्वाय थे, न कम्पाउन्डर थे वहां सिर्फ एक चौकीदार था. ऐसी स्थिति में उन चारों घायलों को हमने निजी वाहनों के माध्यम से भोपाल भेजा जिसमें से दो घायलों की रास्ते में ही मृत्यु हो गई दो की अस्पताल में पहुंचकर मुत्यु हो गई. अगर उनको प्राथमिक उपचार इस अस्पताल में मिल जाता तो शायद वे बच सकते थे. आपसे अनुरोध है कि जो अव्यवस्था है उसे सुधारने का कष्ट करें. मैं विशेष तौर से माननीय स्वास्थ्य मंत्रीजी का ध्यान इस और आकर्षित करुंगा एक वर्ष हो गया है कम से कम अब आप इसमें सहयोग करेंगे. धन्यवाद.
श्री रामेश्वर शर्मा (हुजूर)--अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 19, 28, 38, 72 एवं 73 के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हूं.
अध्यक्ष महोदय, आप और हम यह जानते हैं कि विरासत में जो चीज मिली है उसको सम्हालकर रखना और आगे बढ़ाना कितना कठिन काम होता है. मध्यप्रदेश जिस हालत में मिला जिसका जिक्र रुस्तम सिंह जी ने किया और आजादी के कितने साल बाद मुझे याद है कि कांग्रेस के एक सांसद आदरणीय प्रताप भानु शर्मा वे और मैं एक टीवी डिबेट पर थे उस समय इंजीनियरिंग कॉलेजों की चर्चा बहुत जोरशोर से चल रही थी चर्चा के दौरान मैंने यह कहा था कि अगर हम चिकित्सा शिक्षा का विस्तार नहीं करेंगे तो भविष्य में हमें डॉक्टरों की कमी होगी. जब हमारे पास चिकित्सा शिक्षा का क्षेत्र ही नहीं है. हम बड़े गर्व के साथ कहते हैं कि मध्यप्रदेश की आबादी साढ़े सात करोड़ है यह आबादी हमारी ताकत है यह भी हम कहते हैं पर इस आबादी को स्वास्थ्य की जरुरत पड़ जाये तो हमारे पास कितने डॉक्टर हैं हमारे 7 मेडिकल कॉलेज में से कितने डॉक्टर बनकर निकल रहे हैं और डॉक्टर बनकर निकल रहे हैं तो उनके कितने अवसर मिल रहे हैं ? कहां-कहां जा रहे हैं ? विदेश में उनकी कितनी मांग है ? देश में कितनी मांग है ? जब इस मांग का अंदाज लगाते हैं तो हमको लगता है कि 100-125 डॉक्टर मिल रहे हैं. 5 साल, 7 साल तमाम फैकल्टी पूरी करने के बाद एक डॉक्टर का निर्माण होता है. मैं इस सदन के माध्यम से हमारे लाड़ले मुख्यमंत्री आदरणीय शिवराज सिंह चौहान साहब, आदरणीय नरोत्तम मिश्र जी जो हमारे मंत्री हैं दोनों को धन्यवाद देता हूं उन्होंने कहा कि इस प्रदेश में इंजीनियरिंग के लोग ज्यादा आ गये इस देश में इंजीनियरिंग के क्षेत्र में विस्तार हो रहा है दूसरे क्षेत्र में विस्तार हो रहा है अगर भविष्य में हमें स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ना है, तो हमें मेडिकल कालेज खोलने पड़ेगे, और हमारे सरकार ने बड़ा डिसिजन लिया और आज मेडिकल के क्षेत्र में हमारी सरकार विस्तार कर रही है. आने वाले दिनों में हम और आप विचार करिये मैंने पिछले दौरान भी यह कहा था कि यदि आदमी का एक्सीडेंट हो जाये तो वहां से गुजरने वाला व्यक्ति वहां से भाग इसलिये जाता था कि घटना दुर्घटना का जो शिकार आदमी है, अगर इसकी मृत्यु हो गयी तो इसकी गवाही में मुझे फंसना पड़ेगा. लेकिन आज मैं नरोत्तम मिश्र जी का और हमारे मुख्यमंत्री को धन्यवाद देता हूं कि 108 ने मध्यप्रदेश के लाखों लोगों को जीवन दान दिया है इसके लिये वे बधाई के पात्र हैं. लाखों लोगों को वहां पर 10 से 15 मिनिट में सुविधा उत्पन्न हो जाती है उसको 108 एम्बुलेंस से ले जाते हैं और उसको जो तत्कालीन आवश्यकताएं और सुविधाएं होती है, वह उसको उपलब्ध हो जाती हैं. वह सुविधाएं डाक्टर उनको वहां पर दे देते हैं. अगर 108 का शब्द कहा जाये तो सनातन धर्म में बड़ा प्रचलित शब्द है कि 108 महामण्डलेश्वर, 108 की जो सुविधाएं हैं, वह 108 की सुविधाएं हमारे चिकित्सा क्षेत्र के महामण्डलेश्वर आदरणीय नरोत्तम जी के माध्यम से सबको मिल रही है और लगातार लोगों को सुविधाओं का लाभ यहां पर मिल रहा है और माननीय अध्यक्ष महोदय, 30 लाख लोगों को इसका लाभ मिला है और यह लाभ 2009 से 2016 के बीच में मिला है. अगर 30 लाख लोगों को जीवनदान मिला है तो यह सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि है. मैं सरकार को बहुत बहुत बधाई देता हूं, मैं एक और प्रार्थना सरकार से कहना चाहता हूं कि हमारी सरकार और दिल्ली में हमारे नरेन्द्र मोदी जी जनधन योजना चालू करते हैं. आज हमारे प्रधान मंत्री जी का भी जो बजट भाषण उसमें उन्होंने इंगित किया है कि बी पी एल की सीमा में आने वाले लोगों की स्वास्थ्य रक्षा के लिये कोई न कोई बीमा पालिसी लानी पड़ेगी और आज मैं माननीय मुख्यमंत्री जी और माननीय स्वास्थ्य मंत्री जी से भी प्रार्थना करना चाहता हूं कि इस दिशा में हम लोगों को विचार करना चाहिये कि चाहे हमारी दीनदयाल उपचार योजना हो, चाहे मुख्यमंत्री बाल उपचार योजना हो, चाहे राज्य बीमारी सहायता योजना हो, चाहे मुख्यमंत्री बाह हृदय उपयार योजना हो या हमारी जितनी भी योजनाएं चल रही हैं, इन योजनाओं पर हमारा करोड़ो रूपये खर्च भी होता है. एक योजना अगर हम लोगों के स्वास्थ्य के लिये कोई बीमा पालिसी योजना बना लें, जिससे जो आम नागरिक है, गरीब नागरिक है अगर उसको इस योजना का लाभ मिल सके, उसको अगर हम कार्ड दे दें और कार्ड देकर उसके जीवन की रक्षा हम कर सकें. वह किसी भी अस्पताल में जाकर अपना ईलाज करा सकता है, अगर सरकार इस पालिसी पर भी विचार करेगी तो बहुत ज्यादा लाभ होगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हम राजधानी के पास के विधायक हैं, मेरे क्षेत्र में आधा शहर और आधा ग्रामीण क्षेत्र आता है. आरिफ भाई जानते हैं, इसके बाद भी वहां पर कोई संविधाएं नहीं थीं. तत्कालीन हमारी सरकार ने वहां पर सुविधाओं का विस्तार किया. पिछले समय मैंने मांग की कि हमारा इतना बड़ा क्षेत्र है, माननीय अध्यक्ष महोदय आप होशंगाबाद जाते हैं, उस क्षेत्र में लगातार कालोनी बस रही हैं, मिसरोत से वहां तक काई स्वास्थ्य केन्द्र नहीं था. जब हमने मांग की तो माननीय मंत्री महोदय ने समरधा में एक स्वास्थ्य केन्द्र हमको वहां पर दिया है. मैं प्रार्थना करना चाहता हूं कि हमारे फंदा ब्लाक जो एक जनपद ब्लाक का नाम एक फंदा है, जो कि एक गांव हैं वहां पर कोई भी चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं है, जबकि उसके नाम पर ब्लाक केन्द्र चलता है, वहां पर भी हमने प्राथर्ना की है कि फंदा में एक सामुदायिक केन्द्र बनाया जाये. जिसमें लगभग 3 करोड़ रूपये की लागत लगाकर उसकी बाऊंड्रीवाल, भवन और वहां पर डाक्टरों को रहने की सुविधा और वहां पर एक केन्द्र बनाया जाये. सुखी सेवनियां क्षेत्र है जब हम विदिशा जाते हैं तो बीच में आता है, वह वी आई पी रोड है. वह हाई वे से टच है, वहां पर भी एक प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र खोला जाये और उसका उन्नयन किया जाये. नीलबड़ जो हाल ही में शहरी क्षेत्र में आया है और वह नगर निगम में सम्मिलित हुआ है. यह भी बहुत बड़ा क्षेत्र है. जहां पर कई कालेज भी हैं. वहां पर अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम बनने वाला है. लगभग वहां की आबादी 10 लाख की है. वहां पर एक सामुदायिक केन्द्र खाला जायेगा तो काफी अच्छा होगा.
अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से एक प्रार्थना और करना चाहता हूं कि हमारे सदस्यों की अनेक मांगे हैं लेकिन आज हम सभी सदस्य, मैंने उस दिन भी कहा था कि जब सरकार देती है तो धन्यवाद् भी देना चाहिये. आज हम मुख्यमंत्री जी का हृदय से धन्यवाद् देते हैं कि उन्होंने दो करोड़ रूपये की विधायक निधि इसी सदन में घोषित की है. आज सदस्य क्षेत्रों में जाते हैं तो हमसे क्षेत्रों में डिमाण्ड होती है, उनकी डिमाण्ड पूरी करने के लिये हमारे पास क्या साधन हैं, या तो हम अपने क्षेत्र में नगर पंचायत, नगर पालिकाओं , नगर निगमों या पंचायतों को बतायें लेकिन दो करोड़ रूपये की निधि एक ऐसी आयी है, जिससे हम तत्काल लोगों को सहायता कर सकते हैं और तत्काल वहां पर निर्माण की बात भी कर सकते हैं. हमारे संसदीय कार्य मंत्री जी ने पिछले समय सब सदस्यों के लिये सुविधाएं भी उत्पन्न की , सदस्यों ने लेपटाप भी खरीदे, वह सुविधाएं भी हमें दी.
अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से एक प्रार्थना करना चाहता हूं कि आपकी विधान सभा ने कम्प्यूटर प्रदेश में ही नहीं देश में अव्वल नंबर का काम किया है. हम जो प्रश्न मेल करते हैं, तो वह प्रश्न हमारे विधान सभा में लग जाते हैं. लेकिन हम चाहते हैं कि इस क्षेत्र का और विस्तार किया जाये. हमारे जो 230 विधायक बंधु हैं, इनको विधान सभा की तरफ से एक कम्प्यूटर आपरेटर मिलना चाहिये जो हमारी और सूचना को तत्काल विधान सभा में पहुंचा सके. हम आई टी के क्षेत्र में प्रकति करना चाहते हैं, आप चाहते हैं कि सभी लोगों को सुविधा मिले, उतनी सुविधाएं आपको दूर दराज के गांव से आने वाले हमारे प्रतिनिधियों को आपको देना पड़ेगी. क्योंकि हम देखते हैं कि स्टेना टायपिस्टों की कमी है. तो आखिर कैसे मैसेज हो और अगर मैसेज को कनवे करना है तो केवल बात से नहीं होगा, इसलिये माननीय मंत्री महोदय से प्रार्थना करेंगे कि इस संदर्भ में भी विचार करके कुछ न कुछ व्यवस्था की जाये. आप भी मुस्कुरा रहे हैं तो इसका मतलब ये है कि कुछ न कुछ व्यवस्था है. मंत्री जी ने कहा है कि कुछ न कुछ तो होगा ही.
श्री हरदीप सिंह डंग (सुवासरा):- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं कुछ सुझाव और मांग करना चाहता हूं. मंदसौर जिले में एक जो शासकीय अस्पताल है, उसमें करीब 18 से 20 लाख लोग पब्लिक जुड़ी हुई है. चार विधानसभा और 8 तहसील उससे जुड़ी हुई हैं. जब भी यहां पर कोई एक्सीडेंट हो जाता है और जिला स्तर पर कोई मरीज जाता है तो वहां से मरीज को डायरेक्ट जयपुर, उदयपुर और इंदौर रेफर कर दिया जाता है. गावों में उस अस्पताल में रेफर अस्पताल के नाम से घोषित कर चुके हैं. मेरा मानना है कि अगर आप मंदसौर जिला अस्पताल पर थोड़ा ध्यान देंगे और उसकी जांच करेंगे तो आप उसको अच्छी तरह से सुधार सकते हैं. वहां पर जो सीएमएचओ है, वह सुनते भी कम हैं, उनको दिखता भी कम हैं और शाम को पांच बजे के बाद उनसे बात भी नहीं कर सकते हैं. आप समझ गये होंगे कि शाम को क्या होता है. इसलिये मेरा कहना है कि वह जिला अस्पताल है इसलिये उसकी तरफ आप ध्यान देंगे तो बड़ी मेहरबानी होगी. दूसरा मेरा यह कहना है कि शासन द्वारा शासकीय वाहन जो अस्पतलाओं में लगाये गये हैं, वहां पर 31 वाहन निजी हैं और 11 वाहन शासकीय हैं. मेरा मानना है लोकल मंदसौर जिले के वाहन वहां पर लगेंगे तो एक महीने का पैसा आप जो 23 हजार 800 रूपये. अगर आप वहीं के लोकल व्यक्ति को मिलेगा तो वह टाईम पर भी उपस्थित होगा. अगर आप लोकल व्यक्ति के वाहनों को वहां पर लगवायेंगे तो अच्छी बात होगी और उसका रेट 16 रूपये 90 पैसे. हो सकता है कि अगर जिले में जो वाहन लगायेगा तो वह कम रेट में भी उपलब्ध हो पायेगा. एक बात और है कि सुवासरा विधान सभा में श्यामगढ़, सुवासरा और सीतामूर्ति में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र हैं और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र लदुना, दीपाखेड़ा, श्यामपुर, ढमलामेश्वर और नारघाट इसमें श्यामगढ़ में हमारे पास रोगी कल्याण समिति में 34 लाख,37 हजार, 227 रूपये हैं और सुवासरा में 86 लाख, 50 हजार, 590 रूपये हैं उसके कारण हमने वहां पर कर्मचारी और डाक्टर भी रखे हुए हैं, रोगी कल्याण समिति से. मेरा मानना है कि अगर वहां पर आपने एक सोनोग्राफी मशीन पहुंचा रखी है, मैं बार बार जब विधान सभा चलती है तो मैं सोनाग्राफी मशीन की बात करता हूं . यहां से जो सूचना मिलती है कि डाक्टर थी वह चली गई है पर वह जाने के बाद जो नया डाक्टर जो प्रशिक्षित हो जो ट्रेनिंगशुदा हो उसकी वहां पर नियुक्ति कर दें जो सोनोग्राफी मशीन पूरे इलाके में काम आ सके यह मेरा निवेदन है आप करेंगे तो अच्छा रहेगा. अभी जो मोदी जी चारों तरफ सफाई की बात कर रहे हैं मेरा मानना है कि श्यामगढ़ अस्पताल जो कि बहुत बड़ा रोगी कल्याण समिति के रूपये से बना है. मन्दसौर जिले में अगर सबसे अच्छी बिल्डिंग बनी है तो वह श्यामगढ़ की बनी है. मेरा मानना है कि उसकी वाल बाउंड्री आप अगर स्वीकृत करेंगे तो उसकी सुरक्षा भी हो सकेगी और सफाई भी अच्छी वहां रहेगी. अभी वहां पर आपने नियम बनाया है कि रोगी कल्याण समिति को दुकानें बनाकर नीलाम नहीं करनी है परंतु वहां 50 दुकानों का निर्माण हो चुका है मैं चाहूंगा कि रोगी कल्याण समिति को उनकी नीलामी की अनुमति दें ताकि रोगी कल्याण समिति को उसका फायदा मिल सके. अब मैं सुवासरा और सीतामऊ की बात करना चाहता हूं. एक आप श्यामगढ़ में सोनोग्राफी मशीन के लिये डाक्टर दें और दूसरा सुवासरा में एक आपके मंत्रालय से घोषणा हो चुकी है उसके लिये आदेश भी दे चुके हैं और डिजिटल एक्सरे मशीन सुवासरा में उसको जल्दी उपलब्ध कराएंगे तो बड़ी मेहरबानी होगी. श्यामपुर में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र की घोषणा हुई थी तो वहां अभी तक उसमें पैरामेडिकल स्टाफ की नियुक्ति नहीं हुई है. एक डाक्टर की जगह दो डाक्टर किये जायें और वहां पर और सुविधाएं दी जायें. एक और बात 9 उप स्वास्थ्य केन्द्रों की घोषणा सुवासरा में की गई है उसका लेटर मैंने आपको दिया भी है अगर उसे शीघ्र प्रारंभ करा देंगे तो अच्छा होगा. अध्यक्ष जी ने जो समय दिया धन्यवाद. शर्मा जी ने कागज दिया है वह मैं पढ़ देता हूं. दैनिक भत्ता राज्य के भीतर एक हजार रुपये है तथा राज्य के बाहर पंद्रह सौ रुपये है उसे बढ़ाया जाना चाहिये. आई.टी. के उपयोग को देखते हुए प्रत्येक विधायक को एक कम्प्यूटर आपरेटर विधान सभा से मिलना चाहिये. विधायकों के वेतन भत्ते जो इकहत्तर हजार रुपये है उसे बढ़ाया जाना चाहिये.
श्री बाला बच्चन - माननीय अध्यक्ष महोदय, इससे बड़ा सामन्जस्य देखने को कहां मिलेगा कि प्रतिपक्ष और सत्ता पक्ष के विधायकों में कितना बढ़िया सामन्जस्य है. एक का मेटर छूट जा रहा है तो विपक्ष के विधायक उसे उठा रहे हैं.
श्री दुर्गालाल विजय(श्योपुर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 19,26,38,72 और 73 का समर्थन करता हूं. अभी मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य विभाग के द्वारा हमारे स्वास्थ्य मंत्री जी ने और प्रदेश के मुख्यमंत्री जी ने जो कार्य किये हैं उन कार्यों के कारण से आज पूरे प्रदेश में यशस्वी मुख्यमंत्री जी की और हमारे मंत्री जी की बहुत-बहुत प्रशंसा हो रही है और विभाग की भी हो रही है. मैं तीन-चार बातों का उल्लेख करूंगा. यह जो नि:शुल्क जांच सुविधा प्रारम्भ की है इस नि:शुल्क जांच सुविधा से लगभग पचपन हजार रोगी प्रतिदिन जांच कराकर लाभ प्राप्त कर रहे हैं. नि:शुल्क दवा वितरण में पांच लाख लोगों को नि:शुल्क दवाईयां प्रतिदिन प्राप्त हो रही हैं. 27 जिलों के 84 विकासखण्डों में दीनदयाल चलित चिकित्सालय चल रहे हैं उससे वास्तव में लोगों को बहुत लाभ प्राप्त हो रहा है. माननीय मंत्री जी ने हमारे श्योपुर जिला चिकित्सालय में बहुत सारे ऐसे कार्य किये हैं जिसके लिये मैं उनको बहुत धन्यवाद और आभार व्यक्त करता हूं. हमारे श्योपुर जिला चिकित्सालय में ट्रामा सेंटर की स्थापना,मेटरनिटी वार्ड बनाने का कार्य और इसके साथ-साथ शिशु रोगियों के लिये जो कक्ष बनता है शिशु कल्याण केलिये और बालकों के पोषण का कार्य इसके अलावा डायलिसिस मशीन श्योपुर जिला चिकित्सालय में लगी बहुत दिनों से वहां के लोगों की मांग थी कि डिजिटल एक्सरे मशीन श्योपुर में आये मंत्री जी से मैंने कई बार निवेदन किया उन्होंने वह मशीन भी वहां स्थापित करा दी है इसके साथ-साथ बड़ी सोनोग्राफी मशीन भी वहां लगी है. बहुत सारे काम जिनके बारे में मंत्री जी से लगातार निवेदन किया जाता था उन कार्यों की उन्होंने पूर्ति की है लेकिन दो प्रमुख बातों की तरफ मैं ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं. श्योपुर हमारा जिला भौगोलिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है एक कोने में वहां जिला चिकित्सालय के अलावा अन्य सुविधाएं प्राप्त करने के लिये उन्हें जयपुर, ग्वालियर,कोटा में जाना पड़ता है अभी श्योपुर का चिकित्सालय सौ बेड का है और साढ़े सात लाख की जनसंख्या वाला वह जिला जिसमें अधिकांश वनवासी निवास करते हैं उनको बाहर जाने में कठिनाई होती है उसका निवारण करने की दृष्टि से मैं मंत्री जी से निवेदन करता हूं कि श्योपुर जिला चिकित्सालय को सौ बेड से दो सौ बैड का करेंगे तो वहां के लोगों को लाभ होगा. श्योपुर जिले में एक मानपुर कस्बा है बहुत बड़ा क्षेत्र है और वहां के लोग लगातार वहां प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की मांग कर रहे हैं इसके लिये माननीय मंत्री जी से माननीय मुख्यमंत्री जी से भी निवेदन किया था मुझे विश्वास है कि आज मानपुर को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बनाने की घोषणा मंत्री जी करेंगे तो क्षेत्र के लोग उससे लाभान्वित होंगे. एक और बात जो हमारे श्योपुर के लोगों को एक कठिनाई एक महिने पहले उत्पन्न हुई है. श्योपुर के पास में ही कोटा शासकीय अस्पताल में या सवाई माधोपुर में जाते हैं अथवा जयपुर में जाते हैं. पहले तो मध्यप्रदेश के रोगियों को वहां पर सुविधा प्राप्त हो जाती थी लेकिन अब राजस्थान की सरकार ने यह प्रतिबंध लगा दिया है कि अब राजस्थान के अलावा मध्यप्रदेश के जितने भी रोगी आयेंगे उनसे पैसा लिया जायेगा. बेड का भी पैसा लिया जाता है और जो सुविधाएं सरकारी अस्पताल में हैं उनका भी लिया जाता है इसके लिये माननीय मंत्री जी से और विभाग के अधिकारियों से निवेदन है कि इस विषय में राजस्थान में जो व्यवस्था बनाई गई है उससे मध्यप्रदेश के लोगों को कठिनाई हो गई है और खासकर श्योपुर जिले के लोगों को कठिनाई हो गई है. अध्यक्ष जी आपने समय दिया बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री गिरीश भण्डारी(नरसिंहगढ़) - माननीय मैं सबसे पहले माननीय मंत्री जी का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं कि उन्होंने सबसे पहले यह बोला कि डाक्टरों की कमी है इस बारे में बात न करें लेकिन क्या यह हो सकता है कि बगैर डाक्टरों के कोई चिकित्सालय या स्वास्थ्य विभाग चल सकता है. जब डाक्टर नहीं होंगे तो क्या मरीज वहां पर बिल्डिंग या मशीनों को देखने जायेगा. इसलिये मेरी सबसे पहले मांग मंत्री जी से यह है कि हमारे यहां पर भी डाक्टरों की कमी है उसकी पूर्ति की जाये और मैं आपके माध्यम से अध्यक्ष महोदय कहना चाहूंगा कि मेरे नरसिंहगढ़ का जो सिविल अस्पताल है उसमें 12 डाक्टरों के पद स्वीकृत हैं और सिर्फ तीन डाक्टर वहां काम कर रहे हैं और वह 30 बिस्तरों का अस्पताल है और पूरे राजगढ़ जिले में सबसे ज्यादा ओपीडी, सबसे ज्यादा मरीज,क्योंकि वह सबसे ज्यादा बड़ा क्षेत्र है लेकिन डाक्टरों के अभाव में वहां आये दिन लड़ाई झगड़े होते हैं इसलिये मेरा निवेदन है कि नरसिंहगढ़ के उस तीस बिस्तरीय अस्पताल को सौ बिस्तरीय अस्पताल घोषित किया जाये जिससे वहां डाक्टरों की पूर्ति हो सके मैं मानता हूं कि सौ बिस्तरों के हिसाब से नहीं होगी लेकिन कम से कम तीस बिस्तरों के अस्पताल के हिसाब से तो वहां डाक्टर पदस्थ हो जायेंगे. एक मेरा नेशनल हाईवे पर कुरावर कस्बा है मेरे विधान सभा क्षेत्र का एक नगर पंचायत है वहां पर कुल 6 बिस्तरों का अस्पताल है और हाईवे पर स्थित है.आए दिन वहां पर दुर्घटनाएं होती रहती हैं उस कुरावर अस्पताल को भी अगर 6 बिस्तरों से तीस बिस्तर का अस्पताल किया जायेगा.वहां पर भी लोगों को स्वास्थ्य सुविधा आसानी से मिल सकेगी. मेरे यहां पर छोटे-छोटे डाबला-कुंवर कोटरी, बेसाना, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र है, लेकिन ए.एन.एम हैं न कोई डॉक्टर है. जैसे नरसिंहगढ़ में डॉक्टर है अगर बीएमओ के रूप में काम करते हैं तथा वहां पर बैठें ताकि लोगों को मालूम पड़ सके तथा लोग एक दिन वहां इलाज की सुविधा भी प्राप्त कर सकेंगे. एक सुझाव देना चाहता हूं आपके यहां एक बीएमओ की पोस्ट होती है मैं अपने यहां का एक उदाहरण देना चाहता हूं बीएमओ किसी डॉक्टर को बनाया जाता है मेरे यहां पर डॉक्टर पाठक बीएमओ हैं 16 साल से उन्होंने किसी मरीज की नब्ज नहीं पकड़ी है और न ही कोई पोस्ट-मार्टम किया है, जब एक डॉक्टर को बीएमओ के लिये इंगेज कर लिया है तो क्यों न किसी डॉक्टर के बजाय किसी विभागीय अधिकारी को बीएमओ बना दिया जाए उससे कम से कम फ्री होकर डॉक्टर किसी मरीज को देख सकेगा. ऐसे ही सीएमएचओ किसी डॉक्टर को इंगेज कर देते हैं वह सीएमएचओ कभी डॉक्टर का काम नहीं करता है इसमें भी किसी विभागीय अधिकारी को बिठा दें सीएमएचओ का काम करने के लिये इससे कम से कम एक डॉक्टर की सुविधा लोगों को मिल सकेगी. आपने समय दिया धन्यवाद.
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी (मेहगांव)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 19,28, 38,72 एवं 73 के पुरजोर समर्थन में खड़ा हुआ हूं. मेरे पूर्व के सभी साथियों ने सरकार की सारी योजनाएं गिनाईं शासकीय योजनाएं निश्चित रूप से बहुत अच्छी हैं एवं प्रदेश का स्वास्थ्य भी बहुत अच्छा है. हमारे यहां पर कहावत है कि पहला सुख निरोगी काया, दूजा सुख घर में माया, तीजा सुख आज्ञाकारी और इस तरह से 36 सुख हैं, लेकिन सभी सुख तभी प्राप्त होते हैं, जब आपका शरीर निरोगी हो तथा आपकी काया निर्मल हो. आप तय मानिये कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन प्रफुल्लित होता है और जब व्यक्ति का स्वस्थ मन होता है तो उसकी सोच भी स्वस्थ होती है और जब सोच स्वस्थ होती है तो व्यक्ति के विचार स्वस्थ होते हैं तो समाज स्वस्थ होता है, जब समाज स्वस्थ होता है तो एक स्वस्थ सरकार का निर्माण होता है जैसा कि इस मध्यप्रदेश के समाज ने किया है. बहुत सारी योजनाएं सरकार ने लागू की हैं बहुत अच्छी एवं बहुत अपूर्व योजनाएं हैं, जिनसे लोगों को बहुत लाभ हो रहा है, लेकिन निश्चित रूप से कुछ ऐसी योजनाएं हैं जिनमें आम-आदमी का बहुत पैसा एवं सम्पूर्ण समय नष्ट होता था उन चीजों में सरकार ने जो कदम उठाएं हैं, बहुत ही सराहनीय हैं जैसे डायलिसिस यह एक ऐसी समस्या थी कि प्रायवेट हॉस्पीटल वाले आदमी का खून चूस लेते थे. हमारे माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान और उनके होनहार मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्र जी ने जो डायलिसस की सुविधा सभी अस्पतालों में उपलब्ध करायी है उससे आप विश्वास रखिये इस प्रदेश की जनता भूरि-भूरि प्रशंसा कर रही है. केंसर मरीजों के लिये कीमोथेरेपी केंसर एक ऐसी बीमारी जिससे व्यक्ति तो जाता ही था, साथ में उसका सम्पूर्ण धन भी चला जाता था, इससे उसकी आर्थिक स्थिति नष्ट हो जाती थी. कीमोथेरेपी की व्यवस्था प्रत्येक जिला अस्पताल में मुम्बई के स्पेसिलिस्ट द्वारा करायी जा रही है इसके सम्पूर्ण सरकार एवं मंत्री जी धन्यवाद के पात्र हैं. आयुष जो है आयुर्वेदिक निश्चित रूप से सरकार ने इस पर बहुत ध्यान दिया है पूर्व की सरकारों ने इस पर ध्यान न देकर समाज तथा प्रदेश को भी बीमार कर दिया था तो निश्चित रूप से आयुष जैसी चिकित्सा है जो हमारी भारतीय चिकित्सा पद्धति का पूर्णरूपेण स्वस्थ समाज बनाने की पद्धति है उसमें और ध्यान देना चाहिये, क्योंकि एलओपैथी सर्जरी में तो बहुत अच्छी है, लेकिन मेडिसिन में कहीं न कहीं आयुर्वेद उससे ज्यादा अच्छी है इसलिये इस पर और ध्यान देना चाहिये. हर जिले में आयुर्वेद की सुविधा उपलब्ध होनी चाहिये. प्रत्येक जिला अस्पताल में पंचकर्म की व्यवस्था उपलब्ध होना चाहिये. आयुष जो है बहुत आवश्यक है, इसके न तो कोई साईड इफेक्ट होते हैं इसमें दवाई का शरीर और रोग पर उपचार में प्रयोग होता है. मेहगांव विधान सभा क्षेत्र में कम्युनिटी हेल्थ सेन्टर रोन है उसमें पोस्ट-मार्टम रूप की व्यवस्था नहीं है, मरचुरी की भी व्यवस्था नहीं है अगर मरचुरी दे दी जाएगी तो उस क्षेत्र के लगभग 28 अथवा 32 गांवों को बहुत लाभ मिलेगा, क्योंकि इससे जिला अस्पताल की दूरी लगभग 40 किलोमीटर है इसमें व्यक्ति के मरने के उपरांत दुरूह स्थिति हो जाती है. एक लेडी डॉक्टर की चूंकि माननीय मंत्री जी ने डॉक्टर की मांग के लिये मना किया है, लेकिन इसके उपरांत भी वहां पर ज्यादा आवश्यकता है इसके लिये आपसे अनुरोध सीएससी रोन में करना चाहता हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय अटेन्डेन्ट के लिये शेड की व्यवस्था सीएससी रोन में की जाए, वहां पर बाऊन्ड्रीवाल की व्यवस्था की जाए जिससे असामाजिक तत्व उस केम्पस में न आने पाए. ड्रेनेज+पेवर्स ब्लाक अगर लग जाएंगे तो स्वच्छता में चार चांद लग जाएंगे. हमारे यहां पर सीएससी मेहगांव भी है जो कि हमारा तहसील हेड क्वार्टर है वहां पर एक महिला वार्ड की सख्त आवश्यकता है इसमें मंत्री जी मेहरबानी करेंगे तो उनको क्षेत्र की जनता भी धन्यवाद देगी. एक अटेन्डेन्ट शेड यहां पर भी बनाया जाना चाहिये जिससे मरीजों के साथ आते हैं उनको बैठने की एक छाया उपलब्ध हो जाए. रिनोवेशन ऑफ पोस्ट-मार्टम रूम उसका पुनर्निर्माण हो जाए एवं सही से कार्य हो जाए अभी उसकी छत टूटी है इसमें बारिश के समय में पानी आता है, केम्पस में पेवस ब्लाक चूंकि यह तहसील हेडक्वाटर है. मैं माननीय मंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हूं कि एक छोटा मीटिंग हॉल भी मेहगांव हेड क्वाटर पर बनाया जाना चाहिये उसके लिये आभारी रहूंगा. पीएससी गोरमी चूंकि तहसील प्लेस है एवं नगर पंचायत भी है उसको उन्नयन सीएससी के लिये कर दिया जाए तो क्षेत्र की जनता आपकी भूरि-भूरि प्रशंसा करेगी, उसकी बाऊन्ड्रीवाल, केम्पस में पेवर ब्लाक और एक लेडी डॉक्टर गोरमी पीएचसी में साथ में एक एक्सरे मशीन की व्यवस्था की जाएगी तो निश्चित रूप से हम लोग आपको धन्यवाद अदा करेंगे. दूरदराज का एक गांव है भारोली नदी के किनारे एवं बहुत भीहड़ का गांव है उसमें पीएससी है वह लगभग क्षतिग्रस्त हो गई है उसको रिनोवेन्ट कर दिया जाए वहां पर पानी की कोई व्यवस्था नहीं है तो वहां पर एक हेन्डपम्प की व्यवस्था की दी जाए. आपने मुझे समय दिया धन्यवाद.
श्री दिनेश राय (सिवनी)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं इन सभी मांग सख्याओं का समर्थन करता हूं, डेढ़ मिनट में खत्म कर दूंगा । मैं सबसे पहले मुख्यमंत्री जी, मंत्री जी को धन्यवाद दूंगा, मेरी विधानसभा में, ग्रामीण क्षेत्रों में 8 स्वास्थ्य केन्द्रों की स्वीकृति प्रदान की है, उसके लिए बहुत बहुत बधाई, इसी तरह पीपरीमूड मेडिकल कॉलेज का पिछले 4 दिन पहले मैंने प्रश्न लगाया था, टेक्नीकल कारण से प्रश्न नहीं आ पाया था, आपने उस आवेदन को स्वीकृत करते हुए अधिकारियों को निर्देशित किया है, उसके लिए मैं बधाई देना चाहूंगा, डायलिसिस मशीन और ट्रामा सेंटर प्रारम्भ हो गया है, डायलिसिस मशीन का तकनीकी आपरेटर अभी तक आया नहीं है और शुरू नहीं हो पाई है, ट्रामा मशीन भी अभी तक नहीं पहुंच पाई है, उसको पहुंचाने की कृपा करें, हमारे यहां सिवनी में आंख का डॉक्टर नहीं है, गरीबी रेखा कर्मकार योजना में जो भी योजनाएं चलाई जा रही हैं, उसके लिए मैं स्वयं गवाह हूं, जिसमें 100 से 150 मरीजों का आवेदन मेरे द्वारा दिया गया, उसमें समस्त लोगों का इलाज हुआ है, वास्तव में आपकी जितनी भी योजना है, चाहे 108 हो, एम्बुलेंस हो, यह योजना चल रही है, इससे लोगों का जीवन-स्तर बढ़ रहा है, उनकी आयु बढ़ रही है, पहले वह व्यक्ति 50-55 साल में खत्म होता था, लेकिन स्वास्थ्य की सुविधा होने की वजह से, दवाईयां मिलने की वजह से, डॉं समय पर मिलने की वजह से उनकी आयु बढ़ रही है, इसके लिए मैं सरकार को बहुत बहुत बधाई देता हूं, माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे यहां एक्सरे की एक यूनिट है, एक और होना चाहिए, इसके लिए मैं आपसे आग्रह करता हूं, छपारा स्वास्थ्य केन्द्र मेरी विधानसभा में आता है, उसमें 34 पंचायतें हैं, इलाज के लिए डॉंक्टरों की वहां काफी कमी है, आपने मुझे बोलने का समय दिया, उसके लिए सरकार, मंत्री जी और माननीय अध्यक्ष महोदय, आपको धन्यवाद ।
श्रीमती ऊषा चौधरी (रैगांव)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मानव शरीर में सबसे बड़ा अंग होता है आंख, आंख न हो तो दुनिया अंधकार में डूब जाती है, मेरे सतना जिले में नेत्र रोगियों का आपरेशन करने हेतु फेको मशीन उपलब्ध है जिसके माध्यम से डॉं पी.सी.नोतवानी ने शासकीय व्यय पर दिनांक 1.8.15 से 30.9.15 तक सतगुरू चिकित्सालय, चित्रकूट में दो माह का प्रशिक्षण दिलाया गया था, डॉं नोतवानी द्वारा फेको मशीन जो साल भर से पड़ी हुई थी, उससे कोई आपरेशन नहीं किया गया था, डॉं मोतवानी ने 17.5.15 को श्रीमती फुलिया बाई सहित दो अन्य और मरीजों का ऑपरेशन किया और उनकी लापरवाही के कारण उनकी आंख चली गई और जिला चिकित्सालय में यह आपरेशन किया गया, गरीब महिलाएं हैं, उनकी आंख की रोशनी चली गई, मंत्रीजी से मैं चाहूंगी कि नेत्रहीनों को जो सरकारी मुआवजा दिया जाता है, वह सरकारी मुआवाजा दिया जाए और डॉ नोतावानी को सस्पेंड ही नहीं, टर्मिनेट किया जाए, जिन्होंने गरीब महिलाओं की आंख की रोशनी छीनने का काम किया । माननीय अध्यक्ष महोदय, पूरे मध्यप्रदेश मे लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भोपाल द्वारा प्रदेश की समस्त जिला चिकित्सालय में एम.एन. को और एन.एच. को, बीईओ को हर तीन वर्ष में स्वेटर खरीदी का आवंटन दिया जाता है, लेकिन मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा विगत पांच वर्षों से स्वेटर प्रदान नहीं गई और सीएमएचओ द्वारा जिला चिकित्सालय में फर्जी खरीदी दिखाकर राशि का बंदरबाट किया गया, माननीय अध्यक्ष महोदय, इसी तरह आशा कार्यकर्ताओं की साड़ी खरीदने में भी लगभग 10 लाख रूपए का घोटाला किया गया, इसी तरह आरसीएच कार्यालय में मरम्मत के लिए आवंटन दिया जाता है, जिसका टेण्डर नहीं किया गया, बिना टेण्डर के राशि उपलब्ध करके करोड़ों का घोटाला किया गया ।
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे विधानसभा क्षेत्र के शिवराजपुर,रैगांव सोहावल ब्लाक में उप स्वास्थ्य केन्द्र खोले जाएं, सतना जिले में माननीय मुख्यमंत्री बड़ा लगाव रखते हैं, कई जिलों में शहडोल में विदिशा में मेडिकल कॉलेज खोलने की बात कही गई है, लेकिन सतना जिले में सेंट्रल जेल के पीछे मेडिकल कॉलेज के लिए भूमि आवंटित है जो कि अतिक्रमण की चपेट में जा रही है, लेकिन सतना जिले में मेडिकल कॉलेज में खोलने की कोई घोषणा नहीं की गई है, वहां मेडिकल कॉलेज खोला जाए सतना जिले के कई समाज सेवियों ने एक लाख लोगों ने दस्तखत कराकर, मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए उन्होंने आग्रह भी किया है, आपने मुझे बोलने का समय दिया उसके लिए धन्यवाद.
श्री आरिफ अकील (भोपाल उत्तर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, बोलने वाली लिस्ट में आपने मेरा जोड़ा है.
अध्यक्ष महोदय - आपकी पर्ची आई थी कि आप एक मिनट बोलना चाहते हैं.
श्री आरिफ अकील - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपका धन्यवाद. रूस्तम सिंह साहब अगर नहीं बोलते तो मुझे भी बोलने की जरूरत नहीं पड़ती. उन्होंने मेरी चिन्ता बढ़ा दी है. मेरी चिन्ता आप और डॉ. नरोत्तम मिश्र, दोनों मिलकर हल कर सकते हैं. नरोत्तम भाई ने कई मर्तबा मुझसे वायदा किया है कि भोपाल का हमीदिया हॉस्पिटल आपके साथ चलूँगा और उसको देखूँगा. उसमें जो अव्यवस्थायें हैं, उसको व्यवस्थित करने का प्रयास करूँगा. मैं आपसे भी अनुरोध कर रहा हूँ कि आपका भी लगाव हमीदिया मेडीकल कॉलेज से है, एक एकाध दिन समय ऐसा देख लीजिये कि उनको ले चलें. ये दूसरे विभाग में चले जायें, उससे पहले उनसे कुछ काम करवा लें जिससे भोपाल और इसके आस-पास के लोगों को इलाज मिलता रहे.
अध्यक्ष महोदय - ठीक है, आपके सुझाव से सहमत हैं.
श्री बाला बच्चन - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी, एक-एक मिनट की बात है. आप एक-एक मिनट का समय एलाट कर दें. (व्यवधान)
चौधरी चन्द्रभाव सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी ने छिन्दवाड़ा को मेडीकल कॉलेज दिया है. उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री आरिफ अकील - नरोत्तम भाई ने यह कहा है कि जब आप चलेंगे तो चलेंगे. तो आप मुझे समय दे दीजिये. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - आपसे और उनसे बात करके समय निश्चित कर लूँगा. जरूर चलेंगे.
श्री आरिफ अकील - लेकिन एकाध महीने में चलना है.
अध्यक्ष महोदय - जल्दी ही चल देंगे.
श्रीमती ऊषा चौधरी - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने डेढ़ मिनट ही बोला है. हम लोगों को भी बोलने दीजिये. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - माननीय प्रतिपक्ष के नेताजी का भी कहना है कि एक मिनट सुन लें. संसदीय कार्य मंत्री जी आपका क्या कहना है ? एक-एक मिनट के लिए सभी सदस्य चाहते हैं. मेरा माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि वे केवल क्षेत्र की बात ही करें और दूसरी बात न करें.
श्री सुदर्शन गुप्ता - माननीय अध्यक्ष महोदय, उसके अलावा कुछ नहीं बोलेंगे.
अध्यक्ष महोदय - नहीं, उसके अलावा नहीं बोलेंगे.
श्री सुदर्शन गुप्ता (इन्दौर-1) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करूँगा कि मेरे क्षेत्र में जो गोविन्द वल्लभ पन्त जिला अस्पताल है, उसकी बिल्डिंग जर्जर हो चुकी है और 100 बिस्तर का अस्पताल स्वीकृत हो चुका है और नया भवन भी स्वीकृत हो चुका है किन्तु कुछ दिन पूर्व माननीय मुख्यमंत्री जी से हमने अनुरोध किया था और उन्होंने 300 बिस्तर का अस्पताल बनाने की स्वीकृति दे दी थी. यहां से विभाग के द्वारा संस्था के रूप में स्वीकृति बाकी है. मेरा आपके माध्यम से, माननीय मंत्री जी और अधिकारियों से अनुरोध है कि ये जो संस्था के रूप में स्वीकृति है, उसको तुरन्त दे दें. जो हमने नक्शा भेजा है, उसकी स्वीकृति दे दें.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इसी प्रकार मेरी विधानसभा क्षेत्र के मल्हारगंज का पॉलीक्लीनिक है, उस बिल्डिंग की हालत भी खराब है, वह बिल्डिंग 70 वर्ष पुरानी है. इसमें भी नया भवन बनाया जाना है. मेरा आपसे अनुरोध है कि यहां पर नये भवन की अनुमति दें एवं यहां पर जो अतिक्रमण हैं, उसको हटायें. यहां पर संसाधनों एवं डॉक्टरों की कमी है, शिशु रोग विशेषज्ञों, महिला रोग विशेषज्ञ, हड्डी रोग विशेषज्ञों एवं एनेसथीसिया विशेषज्ञ, इन सबकी कमी है, इन सबको दूर करें. धन्यवाद.
श्री सुखेन्द्र सिंह (मऊगंज) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे विधानसभा क्षेत्र में मऊगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र है. जो जिला बनने की स्थिति में है लेकिन वहां की स्थिति ठीक नहीं है. वहां कम से कम 100 बिस्तर वाला अतिरिक्त अस्पताल बढ़ना चाहिए. माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी से अनुरोध है. दूसरी बात, एक मेरे विधानसभा क्षेत्र में पिपराही अंचल है और वह आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है. वहां पर आदिवासियों की आये दिन मृत्यु होती है और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र अत्यन्त आवश्यक है और पूरी तरह से, हर प्राथमिकता उसके लिए है. जहां की प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बन सकता है. जब मैंने माननीय मंत्री जी से अनुरोध किया है तो उन्होंने कहा भी है कि एन.ओ.सी. के लिए उसने कह दिया है. लेकिन अगर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पिपराही के लिए होगा तो मेरे क्षेत्र के लिए, बहुत बड़ी बात होगी. तीसरा, एक सुझाव है, जैसे कैन्सर की बात होती है, शुगर की बात हो रही है. लेकिन आज पैरालायसिस एक बहुत बड़ी बीमारी है, जिसके लिये शासन चिंतित नहीं है. मैं शासन का ध्यान आकर्षित कराना चाहता हूं कि नये नये युवाओं को आज पैरालायसिस हो जाता है, लेकिन उनके लिये बीमारी सहायता में भी कोई निदान नहीं है और न कोई सुविधा है और जब गरीब आदमी को पैरालायसिस हो जाता है, तो उसके लिये कोई निदान नहीं है. मंत्री जी से मेरा अनुरोध है कि पैरालायसिस की बीमारी से ग्रस्त व्यक्तियों के लिये और खास करके जो गरीब व्यक्ति पैरालायसिस से ग्रस्त हैं, उनको भी चाहे राज्य बीमारी सहायता के माध्यम से, चाहे जिस माध्यम से जोड़ने का विशेष मेरा अनुरोध है. धन्यवाद, जय हिन्द.
श्री बहादुर सिंह चौहान (महिदपुर) -- अध्यक्ष महोदय, मैं स्वास्थ्य मंत्री जी द्वारा प्रस्तुत मांगों का समर्थन करते हुए अपने क्षेत्र की मांग रखूंगा. मेरे क्षेत्र में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र झारड़ा है, यहां पर एक्सरे मशीन की आवश्यकता है. मंत्री जी, उसकी व्यवस्था करवायें. एक हमारा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र , महिदपुर रोड है, वहां पर लगभग 16 हजार जनसंख्या है, उसको प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में तब्दील किया जाये. तीसरी मांग केवल उप स्वास्थ्य केंद्रों की है. मेरे विधान सभा क्षेत्र में 6 उप स्वास्थ्य केंद्रों की अत्यंत आवश्यकता है. ये हैं जगोटी,कासोन, लोट्टिया जुनार्दा,कोयल,रानी पिपल्या और लिम्बोदिया कला. अध्यक्ष महोदय, आपने इन मांगों को रखने का समय दिया, इसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री कमलेश्वर पटेल (सिहावल) -- अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन करता हूं कि प्रावधान तो आपने बहुत सारे किये हैं, हमारे विधान सभा क्षेत्र के लिये भी कुछ प्रावधान बना दीजिये. एक तो सबसे पहली बात यह है कि डॉक्टरों की बहुत कमी है. दूसरा सपोर्टिंग स्टाफ की भी बहुत कमी है. चाहे वह आयुर्वेदिक औषधालय हो, चाहे प्राथमिक एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हों. मैं मंत्री जी का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं कि हमारे यहां विधान सभा क्षेत्र में देवसर ब्लाक मुख्यालय जो सिंगरौली जिले का है, वहां पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहले था, वह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में तब्दील हो गया है. आपसे मेरा विशेष आग्रह है कि जो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में तब्दील हो गया है, उसको पुनः सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में तब्दील कर दें. इनफ्रास्ट्रक्चर वगैरह पहले से वहां पर है. हमारी समझ से जो बाकी व्यवस्थाएं हैं, वह आपको करनी होगी तो आपसे मेरा एक यह निवेदन है. दूसरा, हमारे क्षेत्र में बहरी तहसील मुख्यालय है और यह सीधी जिले के सिहावल ब्लाक में पड़ता है. वहां पर सामुदायिक स्वास्थ्य की आवश्यकता है, पर अगर आप सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नहीं भी कर सकते हैं, तो कम से कम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कर दें. यह आदिवासी अंचल है. दोनों जो हमने मांगें की हैं, वह बहुत महत्वपूर्ण हैं. बाकी हम मंत्री जी से यही निवेदन करेंगे कि चाहे वह जिला चिकित्सालय सीधी हो चाहे सिंगरौली हो, वहां विशेषज्ञ डॉक्टरों का भारी अभाव है. वह व्यवस्था बनायें. बाकी मंत्री जी पलायन नहीं करें. यह भी निवेदन करेंगे कि जो विभाग की जिम्मेदारी है, इसमें जो कमियां हैं, इसमें सुधार करें. जिससे लोगों की न आंख फूंटे और सही स्वास्थ्य सुविधाएं मिल पायें, अच्छी दवाइयां मिल पायें. यही आपके माध्यम से निवेदन है.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा (जौरा) -- अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या ‑ 19,28.38,72 और 73 का समर्थन करते हुए अपने क्षेत्र की मांग करना चाहूंगा. मेरे विधान सभा क्षेत्र में केलारस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है. उसकी बिल्डिंग पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई है और उसको अस्थाई रुप से डेनेडा की बिल्डिंग में लगाया जाता है. मैं मंत्री जी से निवेदन करता हूं कि इसी साल, इसी बजट में इसको स्वीकृति दें. इसी प्रकार बारा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है , उसमें डाक्टर भी नहीं है और बिल्डिंग भी नहीं है. तो मैं इसकी भी मंत्री जी से प्रार्थना करुंगा. तीसरा, अभी 14 फरवरी,2016 को मुख्यमंत्री जी ने मेरे विधान सभा क्षेत्र के ग्राम भर्रा में नया प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र खोलने की घोषणा की है. मंत्री जी से मैं आग्रह करुंगा कि इसको भी जल्दी से जल्दी खोलने का काम करें. तीसरा, मेरे क्षेत्र में जो डॉक्टरों की कमी है, वैसे आपने कह दिया है, लेकिन मेरे विधान सभा क्षेत्र का आश्वासन है. जौरा और केलारस में डॉक्टरों की कमी है. पीएस साहब के यहां भी मैं कई बार गया और उनको भी आश्वासन समिति में बुलाया गया. मैं निवेदन करुंगा कि इसको विशेष प्रकरण मान करके जौरा और केलारस में डॉक्टरों की कमी को दूर करेंगे. अध्यक्ष जी, आपने समय दिया, धन्यवाद.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को (पुष्पराजगढ़)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे पुष्पराजगढ़ विधानसभा क्षेत्र दुरांचल, वनांचल में जनजातिय समूह के लोग बहुतायत में निवास करते हैं. तारांकित प्रश्न के माध्यम से स्वास्थ्य मंत्री जी से निवेदन किया था, उनकी उदारता और सहृदयता से मुझे उस वनांचल में जहां पर अनुसूचित जनजाति के लोग जहां निवासरत हैं मंत्री जी ने मेरे क्षेत्र के लिये जो 10 नवीन उप स्वास्थ्य केन्द्र की स्वीकृति प्रदान की है उसके लिये धन्यवाद. मंत्री जी से मेरी मांग है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, राजेन्द्र ग्राम को 30 बिस्तर के स्थान पर 50 बिस्तर का करने और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र करपा को 30 बिस्तरों का करने की स्वीकृति प्रदान करेंगे. माननीय मंत्री जी मेरे यहां पर उप स्वास्थ्य केन्द्रों का विस्तार किया जाना भी बहुत आवश्यक है पीएससी, अमरकंटक, पीएससी, बेनीवारी, पीएससी, घाठा, पीएससी, कोयलारी और पीएससी खमरोध. इन प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों का विस्तार करते हुये इनको 6 बिस्तर के स्थान पर 20 बिस्तरों का करने की स्वीकृति प्रदान करेंगे. अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी द्वारा जो 10 नवीन उप स्वास्थ्य केन्द्र की स्वीकृति प्रदान की है उनके भवन के लिये भी यथाशीघ्र स्वीकृति मंत्री जी प्रदान कर देंगे को कृपा होगी. क्योंकि वनांचल होने के कारण वहां पर झाड़-फूंक,जडी-बूटी से जो लोग इलाज कराते हैं उनको इनसे छुटकारा मिल सकेगा और उनकी जान की रक्षा हो सकेगी.
श्री आशीष शर्मा (खातेगांव) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अपने विधानसभा क्षेत्र की कुछ मांगे यहां पर रखना चाहता हूं. मेरे विधानसभा क्षेत्र में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, नेमावर जो कि नर्मदा जी का तीर्थस्थल है , विभाग के प्रमुख सचिव द्वारा भी वहां का दौरा किया जा चुका है एक मेटरनिटी वार्ड और एक जनरल वार्ड की बहुत आवश्यकता है. खातेगांव में पोस्टमार्टम रूम काफी पुराना हो गया है जिसके कारण पोस्टमार्टम करने में काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है, नया पोस्टमार्टम रूप स्वीकृत किया जाना चाहिये. कन्नौद का जो सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र है उसको पहले सिविल हास्पीटल का दर्जा प्राप्त था किन्हीं कारणों से शायद वह कैटेगिरी चेंज हो गई है. उसे सिविल हास्पीटल का दर्जा और सुविधायें प्रदान की जायें. कुसमानिया प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में एक अतिरिक्त 108 एम्बूलेंस और जननी एक्सप्रेस की सुविधा प्रदान की जाये, क्योंकि जिले की सड़क उसके पास से गुजरती है. कन्नौद मैं आयुष का हास्पीटल है वहां पर पंचकर्म चिकित्सा प्रारंभ की जाये, सांसद आदर्श ग्राम अजनास में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र प्रारंभ किया जाये, हरणगांव हमारे यहां आदिवासी बाहुल्य कस्बा है वहां पर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र खोले जाने की महती आवश्यकता है जिसे गंभीरता से विचार किया जाये. बावड़ीखेड़ा में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र है वहां पर पेयजल की व्यवस्था नहीं है जिसके कारण स्टाफ और डॉक्टर को वहां पर रहने में परेशानी आती है लोगों को इलाज में भी परेशानी आती है. वो किया जाये और पानी गांव में जननी एक्सप्रेस प्रारंभ की जाये. अध्यक्ष जी आपने मांग रखने का अवसर प्रदान किया उसके लिये आपको बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री बलवीरसिंह दण्डोतिया(दिमनी) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं स्वास्थ्य मंत्री जी से यह निवेदन करना चाहता हू कि मुरैना जिले में मेडिकल कालेज खोला जाये. मुरैना की जनसंख्या ज्यादा होने के बाद भी यह बात हमारे पुराने मंत्री (श्री रूस्तम जी की ओर संकेत करते हुये) ने तो कही नहीं पर मैं निवेदन करना चाहता हूं कि मंत्री जी आप मेरे यहां से मंत्री भी हैं मेरे नातेदार भी हैं इसलिये मेडिकल कालेज खुलवायें (हंसी). मेरे यहां पर चार छोटे छोटे उप स्वास्थ्य केन्द्र हैं जैसे लालोर, रानपुर, कोलुआ, किसरोली और बर्रे है यहां पर स्वास्थ्य केन्द्र खोला जाना अति आवश्यक है . और मेरे यहां पर जो 300 बिस्तरों का अस्पताल है उसको 500 बिस्तर में परिवर्तित करने की कृपा करें. अध्यक्ष जी बस इतनी ही मेरी मांग है, आपने समय दिया उसके लिये धन्यवाद.
5.49 बजे
अध्यक्षीय घोषणा
माननीय सदस्यों के लिये स्वल्पाहार विषयक
अध्यक्ष महोदय-- माननीय सदस्यों के लिये सदन की लॉबी में स्वल्पाहार की व्यवस्था की गई है . माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि सुविधानुसार स्वल्पाहार ग्रहण करने का कष्ट करें.
श्री अमरसिंह यादव(राजगढ़) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं स्वास्थ्य मंत्री जी द्वारा प्रस्तुत मांग संख्या का समर्थन करता हूं. समय का अभाव है इसलिये क्षेत्र तक ही सीमित रहूंगा. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को और माननीय स्वास्थ्य मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि मेरे जिला मुख्यालय पर ट्रामा सेन्टर का भवन बन चुका है. मैं मंत्री जी से आग्रह करूंगा कि मुख्यमंत्री जी और मंत्री जी आप वहां पर पधारें. दूसरी बात मेरे खुजनेर नगर पंचायत स्तर पर स्वास्थ्य केन्द्र का भवन बनकर के तैयार है. मेरे क्षेत्र में उप स्वास्थ्य केन्द्र की स्वीकृति मुझे प्राप्त हुई है, मैं उसके लिये भी धन्यवाद देना चाहता हूं. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक निवेदन करना चाहता हूं कि राजगढ़ जिले में स्वास्थ्य का हमें जो इंदौर और भोपाल या झालाबाड़ या कोटा जाना पड़ता है, मैं माननीय मंत्री जी से आपके माध्यम से निवेदन करना चाहता हूं आपके माध्यम से कि हमें एक मेडीकल कॉलेज की घोषणा की जाये और हमें सौगात दी जाये, मैं इसी के साथ पुन मंत्री का धन्यवाद करता हूं.
श्री लोकेन्द्र सिंह तोमर (मांधाता)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं प्रदेश के मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री जी को बहुत-बहुत धन्यवाद और बधाई देता हूं कि सिंहस्थ को लेकर ओंकारेश्वर में भी तैयारियां चल रही हैं और ओंकारेश्वर में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र का सिविल हास्पिटल में उन्नयन करके 20 बिसतर का किया है और एक और बात बताना चाहता हूं 2 करोड़ 25 लाख की बिल्डिंग स्वीकृत की और 4-5 महीने के अंदर उस बिल्डिंग को बनाना यह अपने आप में एक रिकार्ड है मध्यप्रदेश में यह काम माननीय स्वास्थ्य मंत्री जी ने करके दिखाया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी 2 मांग है, एक ओंकारेश्वर में सिंहस्थ के अंतर्गत वहां भी धर्मालु लोग आयेंगे, एक तो वहां 108 नहीं है उसके आज ही अगर आदेश कर दें, जननी एक्सप्रेस और एम्बूलेंस, चूंकि इतना बड़ा क्षेत्र है, यह तीनों गाडि़यों की अगर यहां घोषणा कर देंगे तो आने वाले सिंहस्थ में भी बहुत फायदा होगा और मेरी एक ही मांग है अब यह तो छोटी-छोटी है. मेरे विधानसभा क्षेत्र में पुनासा है जो जनपद हेडक्वार्टर है, तहसील हेडक्वार्टर है, एसडीएम हेड क्वार्टर है वहां पर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र है, परंतु वहां पर 30 विस्तर के अस्पताल का भवन बनकर के 2 साल से तैयार है, आज सिर्फ आप उसको सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के उन्नयन की आज यहां स्वीकृति प्रदान कर देंगे तो मैं बहुत-बहुत आभारी रहूंगा. एक और है, मेरे यहां संघ सिंहाजी थर्मल पॉवर भी है, प्रथम फेज हो गया, सेकेण्ड फेज का काम चल रहा है और वहां करीबन 10 से 15 हजार श्रमिक वहां काम कर रहे हैं, इसलिये बीड़ में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र भवन बनकर तैयार हो गया है वहां सिर्फ एक डॉक्टर की नियुक्ति कर देंगे तो आपका बहुत-बहुत आभारी रहूंगा, आपने मुझे क्षेत्र की मांग रखने का अवसर दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्रीमती शीला त्यागी (मनगंवा)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रदेश में उच्च गुणवत्ता की चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिये मध्यप्रदेश शासन प्रतिबद्ध भी है और मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य संस्थाओं की विशाल संरचना भी है, लेकिन माननीय अध्यक्ष महोदय हमारे प्रदेश में कई जिला अस्पतालों की स्थिति बदतर होती जा रही है, नकली दवाओं का वितरण करके प्रदेश सरकार जनता के साथ खिलवाड़ कर रही है, और साथ ही साथ खाद्यान्न एवं औषधियों की मिलावट में रोकथाम नहीं हो रही है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन का कार्य बहुत धीमी गति से चल रहा है, अस्पतालों में विस्तरों की कमी है, दीनदयाल उपचार योजना के द्वारा जो उपचार किये जाते हैं जिसमें निशुल्क जांच की व्यवस्था का प्रावधान है लेकिन प्राइवेट पैथोलॉजी की तरफ रिफर कर दिया जाता है और निशुल्क चिकित्सा जांच योजना को ठप्प किया जा रहा है, साथ ही साथ ग्रामीण चिकित्सालयों में डाक्टरों के रिक्त पदों को भी भरा नहीं गया है, भरा जाये. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी का ध्यान आकृष्ट करना चाहती हैं कि जिला अस्पतालों में पीआरओ होना चाहिये जिनके माध्यम से हम जनप्रतिनिधि अपने क्षेत्र की स्वास्थ्य सुविधाओं के लिये उनसे कंसर्न कर सकें और अपने क्षेत्र के लोगों को स्वास्थ्य सुविधाओं का अधिक से अधिक लाभ दिलवा सकें और साथ ही साथ जिन शिविरों का आयोजन किया जाये, उन शिविरों में कितनी राशि, कब-कब दी गई, इसका भी जनप्रतिनिधियों को जानकारी होना चाहिये. साथ ही साथ जो एसटी, एससी के क्षेत्र हैं वहां ज्यादा शिविर लगाये जाने चाहिये और छोटे स्वास्थ्य केन्द्रों पर एम्बूलेंस की जो कमी है इमरजेंसी के समय एम्बूलेंस न पहुंच पाने पर मरीज समय से पहले काल के गाल में समा जाते हैं इसलिये एम्बूलेंस बढ़ाये जायें. जननी सुरक्षा योजना में जो गाडि़यां हैं उनमें जीपीआरएस लगाया जाये, साथ ही साथ जो प्रसूदा को प्रोत्साहन राशि दी जाती है उसमें बढ़ोत्तरी की जाये और सही समय पर दिया जाये.
अध्यक्ष महोदय, मैं, अपने क्षेत्र की 2-3 मांगे रखना चाहती हूं. मैं मनगवां मुख्यालय के स्वास्थ्य केन्द्र की बात कर रही हूं. यह मेरी तीसरी बार बजट में मांग है. माननीय मंत्रीजी मैं आपका ध्यान आकर्षित कराना चाहती हूं. आप हर बार कहते हैं कि मैं आपकी छोटी बहन हूं. मैं माननीय मंत्रीजी से यह कहना चाहती हूं कि आप अक्सर यही कहते हैं कि तुम मेरी छोटी बहन हो. कोई बात हो तो बता दिया करो. मैं तीसरी बार अपने मनगवां अस्पताल की बात आपसे कर रही हूं. उस अस्पताल का डिमोशन कर दिया गया है. अगर आपकी कोई बहन विपक्ष की राजनीति करेगी तो क्या आप उसके भेदभाव करेंगे? इस बार मेरी मांग मानेंगे कि नहीं मानेंगे, यह बात बता दीजिए. हमारे मनगवां मुख्यालय में जो अस्पताल है उसका डिमोशन कर दिया गया है, उसको 100 बिस्तरों में परिवर्तित करेंगे कि नहीं करेंगे? (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय-- शीला त्यागी जी आप बैठिये. आपका समय हो गया.(व्यवधान)
श्रीमती शीला त्यागी--अध्यक्ष महोदय, आधे मिनट में अपनी बात कह दूंगी. हमारे रीवा जिले का महात्मा गांधी मुख्य चिकित्सालय है, वहां जो प्रसूति वार्ड है, वहां बहुत ज्यादा भ्रष्टाचार और अनियमितता है. आये दिन ड़ॉक्टरों और प्रसूता के परिजनों के बीच झडप होती रहती है. वहां गंदगी का बहुत अम्बार है. मंत्रीजी से निवेदन है कि वहां की व्यवस्था ठीक करायी जाये. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय-- आप बैठ जायें. अब इनका रिकार्ड में नहीं आयेगा.
श्री दिलीप सिंह परिहार(नीमच)--अध्यक्ष महोदय, स्वास्थ्य मंत्रीजी ने नीमच जिले को बहुत कुछ दिया है. मैं इसके लिए उनको धन्यवाद देता हूं. हमारे जिले से पूर्व में स्वास्थ्य मंत्री रहे लेकिन उन्होंने एक ईंट भी नहीं लगायी थी. आपने बहुत कुछ दिया. अभी जीरन में दिया, नीमच में भी दिया.
अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्रीजी से निवेदन करुंगा कि नीमच विधानसभा में कुछ उप स्वास्थ्य केन्द्रों की आवश्यकता है. एक भादवा माता का स्थान है , जहां लकवे और अन्य बीमारियों के मरीज और लाखों लोग आते हैं वहां एक उप स्वास्थ्य केन्द्र खोल दें. इसी प्रकार झालरी में सावन नामक गांव है जहां बीस भुजा माता का मंदिर है, जावी जो एक बड़ा केन्द्र है, वहां पानी में गड़बड़ होने के कारण लोग बीमार रहते हैं तथा धंधेरिया कला में चेनपुरा आदिवासी क्षेत्र है, तथा उगरान में भी उप स्वास्थ्य केन्द्र खोलने की कृपा करें.
श्रीमती शीला त्यागी-- XXX
श्री दिलीप सिंह परिहार-- नीमच शहर में आपने उप स्वास्थ्य केन्द्र दिया है उसके लिए आप बिल्डिंग देने की कृपा करें. आपने सीताखेड़ा और जीरन में बिल्डिंग दी है. भगाना में एक उप स्वास्थ्य केन्द्र खोलेंगे तो आपकी बड़ी कृपा होगी. नीमच में ट्रामा सेंटर बनकर तैयार है, उसके उदघाटन के लिए आप आयें. नीमच जिले ने दो दो मुख्यमंत्री दिये हैं. एक स्वर्गीय वीरेन्द्र कुमार सखलेचा जी और दूसरे श्री सुन्दर लाल जी पटवा. मैं आपसे निवेदन करता हूं कि उनकी तरफ देख कर और पूर्व विधायक खुमान सिंह शिवाजी की तरफ देख कर जो 200 बिस्तर का अस्पताल है उसको 500 बिस्तर का किया जाये.
अध्यक्ष महोदय, जब आपने रतलाम में मेडीकल कॉलेज खोला है तो आने वाले समय में नीमच में कॉलेज खोलने की कृपा करें. आपकी कृपा हमेशा बनी रहती है. अगर यह कृपा होगी तो हमारे लोगों को जो अहमदाबाद और इंदौर जाना पड़ता है, वहां नहीं आना पड़ेगा. आपसे निवेदन है कि आप जीरन में एम्बुलेंस और नीमच में कुछ डॉक्टरों की कमी है, उनकी पूर्ति करें. आपके साथ लोगों की दुआएं हैं. आज लोग बीमार कम हो रहे हैं. अभी मुख्यमंत्री का जन्म दिन मनाने गये तो वहां बीमार व्यक्ति कम मिले, केवल गर्भवती महिलाएं थीं. इसलिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय-- (श्रीमती शीला त्यागी, सदस्य से) आप लिख कर दे दीजिए. उन्होंने बोल दिया.
श्री हेमन्त खण्डेलवाल(बैतूल)--अध्यक्ष महोदय,मैं मांग संख्या 19,28 और 38 के समर्थन में हूं.
अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्रीजी को जिला स्तर पर डायलिसिस,केंसर,निःशुल्क दवाई और मेरे जिले में 17 करोड़ रुपये का 150 बिस्तरों वाला अस्पताल स्वीकृत करने के लिए धन्यवाद दूंगा.
अध्यक्ष महोदय, एक छोटी सी सलाह है. चूंकि डॉक्टरों की कमी है, वह बात कह कर समाप्त करुंगा. हमारे यहां निजी चिकित्सालयों की बाढ़ सी आ गई है. हर चिकित्सक अपना नर्सिंग होम खोल रहा है. मेरा मंत्रीजी से आग्रह है कि नर्सिंग नियम में परिवर्तन करके उसमें कम से कम 10 चिकित्सक और 150 बिस्तर का अस्पताल तथा सभी बीमारियों का इलाज और इमरजेंसी चिकित्सा अनिवार्य हो, ऐसे ही नर्सिंग होम को अनुमति दें. और निश्चित दूरी पर जैसे स्कूल के लिए नियम है, वैसे ही 50 किमी की दूरी के लिए एक योजना लायें जिससे निश्चित दूरी पर लोगों का इलाज हो सके. मल्टी स्पेशियलिटी अस्पताल हो सके और सरकारी अस्पतालों में बिलिंग का सिस्टम शुरु किया जाये. अगर कोई मरीज अपना इलाज कराता है तो उसे बिल दिया जाये. अगर वह एक्स-रे कराता है, ओपीडी में दिखाता है तो हर मरीज का बिल बनाया जाये. अगर वह गरीबी रेखा के नीचे हैं तो उसे शत-प्रतिशत सबसीडी दी जाये और गरीबी रेखा के ऊपर है तो उससे 50 प्रतिशत का बिल लिया जाये. इससे अस्पताल आत्मनिर्भर होंगे. जो डॉक्टर जितना इलाज करते हैं, उसे उसका इंसेंटिव दिया जाये तो सरकारी अस्पताल की तरफ डॉक्टरों का ध्यान रहेगा और डॉक्टर सरकारी अस्पतालों में काम करना चाहेंगे. आपने डॉक्टरों की कमी के बारे में बोलने से मना किया है कि डॉक्टरों की कमी न बोलें, इसलिए मैं उस बात को नहीं कहना चाहूंगा. लेकिन मेरे यहां एनीस्थिसिया का केवल एक डॉक्टर है और कई जगह पैरीफेरी में 6-6 डॉक्टर हैं, मेरा आपसे आग्रह है कि एनीस्थिसिया का एक डॉक्टर दें. मेडीकल कॉलेज बड़े शहर और बड़े नेताओं की किस्मत में है. मेरे यहां नर्सिंग कॉलेज खोले क्योंकि प्रदेश में सबसे ज्यादा बच्चियां मेरे यहां की नर्सिंग कॉलेजों में जाती हैं. अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, उसके लिए धन्यवाद.
श्री के.के. श्रीवास्तव (टीकमगढ़) - धन्यवाद, अध्यक्ष महोदय, मैं सीधे-सीधे क्षेत्र की बात करता हूं. सबसे पहले तो मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री जी को इस बात के लिए धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने मेरे यहां ट्रामा सेंटर के लिए 3 करोड़ रुपया स्वीकृत हुआ था, उसमें 1 करोड़ रुपए कम पड़े तो वह भी मुझे मिल गये, उसके लिए धन्यवाद. मवई में एक प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की आवश्यकता है. मवई मेरे टीकमगढ़ से 15 कि.मी. दूर है, वहां पर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की बहुत मांग है. पूरे ग्रामीण क्षेत्र को मिलाकर लगभग 30000 की जनसंख्या वहां पर है. दूसरा, टीकमगढ़ में 20 कमरों का प्राइवेट वॉर्ड की आवश्यकता है, टीकमगढ़ में नर्सिंग प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित है, लेकिन कहीं उसके दूर जाने की, उसके ट्रांसफर की चर्चाएं चल रही है, इसलिए वह नर्सिंग प्रशिक्षण केन्द्र यथावत टीकमगढ़ में ही बना रहे.
अध्यक्ष महोदय, टीकमगढ़ में 4 एम्बुलेंस थीं, वे खराब है, जर्जर हालत में हैं. केवल एक चल रही है. टीकमगढ़ से 150 कि.मी. दूर सागर मेडीकल कॉलेज है और 200 कि.मी. ग्वालियर है. हमारे यहां से इन जगहों पर, ग्वालियर जाने में दिक्त होती है, इसलिए दो नयी एम्बुलेंस टीकमगढ़ जिला मुख्यालय के लिए स्वीकृत की जायं. अध्यक्ष महोदय, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री नारायण सिंह पंवार (ब्यावरा) - अध्यक्ष महोदय, मैं अपनी बात संक्षेप में रखूंगा. विधान सभा क्षेत्र ब्यावरा के अंतर्गत ब्यावरा राजगढ़ सबसे बड़ा केन्द्र है. अनेक बार मैं माननीय मंत्री जी से सदन के माध्यम से यह मांग कर चुका हूं कि ब्यावरा में ट्रामा सेंटर अत्यंत आवश्यक है. राजगढ़ जिले का ब्यावरा राष्ट्रीय राजमार्ग के संगम पर है और वहां पर दुर्घटनाओं का अम्बार लगा रहता है. राजगढ़ जिले का औसत निकालेंगे तो सर्वाधिक दुर्घटनाएं ब्यावरा के आसपास होती हैं. वहां पर समय से पहले अनेक लोग कालकवलित हो जाते हैं. उनको वहां से इंदौर और भोपाल जाने में काफी समय लगता है. पिछले दिनों माननीय मंत्री जी ने स्वीकार भी किया था कि ब्यावरा में इसकी आवश्यकता है. इसलिए मैं निवेदन करूंगा कि इसकी आज ही घोषणा करें. दूसरा मेरा निवेदन यह है कि ब्यावरा में मैंने 100 बिस्तरों के अस्पताल की मांग की थी. पिछले दिनों माननीय मंत्री जी ने वह मांग स्वीकार कर ली, इसलिए उनका बहुत बहुत धन्यवाद करता हूं. उसका कार्य प्रगति पर है. एक और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सुडालिया है उसमें स्टॉफ की बेहद कमी है, इंटिरियर क्षेत्र है. ब्यावरा से 100 कि.मी. दूर तक मेरी विधान सभा का क्षेत्र फैला हुआ है. सुडालिया सेंटर में पड़ता है और वहां सर्विस डॉक्टरों की पूर्ति की जावे. ब्यावरा बड़ा चिकित्सा केन्द्र है, इसलिए एक सोनोग्राफी की मशीन अत्यंत आवश्यक है. एक डिजिटल एक्स-रे मशीन लगाई जाना अत्यंत आवश्यक है. इस तरह से सुडालिया में भी रेडियोलॉजिस्ट नहीं हैं, एक्स-रे मशीन बंद पड़ी है. प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र मलाबर, टोड़ी, नापानेरा वहां पर एक भी डॉक्टर नहीं हैं. पद खाली पड़े हैं. उप स्वास्थ्य केन्द्रों में भी स्वास्थ्य कार्यकर्ता नहीं हैं. सभी आयुष केन्द्र खाली पड़े है. सभी स्टॉफ की पूर्ति के लिए माननीय मंत्री जी से निवेदन है. अध्यक्ष महोदय, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री इन्दर सिंह परमार (कालापीपल) - अध्यक्ष महोदय, मैं स्वास्थ्य विभाग की अनुदान मांगों का समर्थन करता हूं. हमारे शाजापुर जिले के जिला चिकित्सालय में 200 बिस्तर अभी हैं. 300 बिस्तरों का अस्पताल उसे किया जाय. वह प्रस्ताव विभाग के पास में है. उप स्वास्थ्य केन्द्र माननीय मंत्री जी ने कहा है कि काफी खोले जा रहे हैं. लेकिन मैंने उप स्वास्थ्य केन्द्र का उन्नयन करके उसको प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में परिवर्तित किये जाने की मांग की है. माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि इसी बजट में उप स्वास्थ्य केन्द्र पोचानेर का उन्नयन करके प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र प्रारंभ किया जाय. मैं समझता हूं कि क्षेत्र में एक उप स्वास्थ्य केन्द्र बन जाएगा. बाकी और मांग है वह अगले सत्र में माननीय मंत्री जी स्वीकृत करेंगे और मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि इसी सत्र में यहीं पर आज मेरे प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पोचानेर की घोषणा करेंगे. अध्यक्ष महोदय, बहुत बहुत धन्यवाद.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय (जावरा)- अध्यक्ष महोदय, प्रथम आपको हृदय से बहुत-बहुत धन्यवाद.मैं मांग संख्या 19,28, 38, 72 एवं 73 के समर्थन में समस्त मांगों का हृदय से समर्थन करता हूं, आभार व्यक्त करता हूं. सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार हुआ है. लेकिन इसी के साथ-साथ रतलाम जिला अंतर्गत मेरी जावरा विधान सभा क्षेत्र का भौगोलिक दृष्टि से काफी बड़ा क्षेत्र होता है, जिसमें आसपास के क्षेत्र की जनसंख्या भी सम्मिलित होती है. ताल-आलोट बड़ौदा भी लगने वाली जो विधान सभाएं हैं उनका भी उपचार का केन्द्र जावरा हुआ करता है. वहां पर एक एमडी की निश्चित रूप से आवश्यकता है चाहे जिस तरह की भी कठिनाइयां हों किंतु एक सर्जन और एक एमडी की व्यवस्था वहां पर की जाय. इसी के साथ साथ वहां पर फोर लेन होने के कारण बहुत दुर्घटनाएं होती हैं. वहां पर एम्बूलेंस काफी खराब हो चुकी है वहां के लिए एम्बूलेंस की भी व्यवस्था की जाय. फोर लेन स्थित जावरा विधान सभा क्षेत्र स्थित ढोढर में एक डॉक्टर की व्यवस्था की जाय इसी प्रकार रिंगनोद, कालूखेड़ा और पिपलौदा में भी सुधार की आवश्यकताएं हैं. यदि उन कमियों को दूर किया जायेगा तो निश्चित रूप से जो मध्यप्रदेश शासन की माननीय मुख्यमंत्री जी की और मंत्री जी की मंशा है कि निचले स्तर तक स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचे वह पूरी होगी. आपने समय दिया धन्यवाद्.
श्री रामलल्लू वैश्य ( सिंगरौली ) -- माननीय अध्यक्ष महोदय मैं चिकित्सा विभाग की मांगों का समर्थन करता हूं और अपने क्षेत्र के बारे में आपसे आग्रह करता हूं कि माननीय मंत्री जी सिंगरौली को अपना जिला मानते हैं. यह क्षेत्र औद्योगिक क्षेत्र होने के नाते 200 किलोमीटर उत्तरप्रदेश बनारस और 200 किलोमीटर रीवा है इनके बीच में सिंगरौली आता है और वहां पर केवल एक मेडीकल कालेज की मैं मांग करता हूं. आने वाले समय में सिंगरौली को एक मेडीकल कालेज मिले. इतना ही कहते हुए अपनी बात को समाप्तकरता हूं. धन्यवाद्.
श्रीमती सरस्वती सिंह ( चितरंगी ) -- माननीय अध्यक्षमहोदय मेरे चितरंगी में 30सीट का एक सामुदायिक भवन है मैं चाहती हूं कि इसे 100 सीट का किया जाय. अध्यक्ष महोदय मैं माननीय मंत्री जी का ध्यानआकर्षित कराना चाहती हूं कि मेरी विधान सभा चितरंगी में एक्सरे की मशीन बहुत दिनों से खराब पड़ी हुई है उ सको तत्काल ठीक करवाया जाय, ताकि वहां से लोगों को 50 किलो मीटर सिंगरौली जाना पड़ता है एक्सरे कराने केलिए, मेरा बगदरा क्षेत्र है जहां से 40 किलोमीटर दूर चितरंगी दवाई कराने केलिए आना होता है वहां पर एक सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र खोला जाय ताकि वहां पर लोगों इलाज की सहूलियत मिल सके. इसी तरह सेमैं अपने कई जगह पर चाहती हूं कि पोस्ट मार्टम कक्ष की व्यवस्था की जाय क्योंकि पोस्ट मार्टम के लिए चितरंगी आना होता है. इसीतरह से दुधमनिया में भी जरूरत है, मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहती हूं कि मेरे यहां पर कोई महिला ड़ॉक्टर नहीं है अगर वहां पर महिलाओं का पोस्टमार्टम कराने की जरूरत होती है तो सिंगरौली से महिला डॉक्टर बुलाने की जरूरत होती है, केवल इस कारण से कई दिनों तक लाश वहां पर पड़ी रहती है और महिला डॉक्टर को बुलाकर पोस्टमार्टम कराया जाता है. मैं मंत्री जी से निवेदन करना चाहती हूं कि बच्चों का डॉक्टर भी हमारे चितरंगी में नहीं है मैं चाहती हूं कि बच्चों का एक डॉक्टर चितरंगी में रखा जाय. आपने समय दिया धन्यवाद्.
अध्यक्ष महोदय -- अब मेरा अनुरोध है कि विष्णु खत्री जी के बाद में किसी माननीय सदस्य को समय नहीं देंगे, आपसे अनुरोध है कि कृपा करके सहयोग करें इसको इस तरह से नहीं बनायें कि इसकी व्यवस्थाएं भंग हो जाय. कृपा करके विष्णु खत्री जी के बाद में कोई भी मुझे इस धर्म संकट में न डाले. माननीय मंत्री जी आप विष्णु खत्री जी के बाद सीधे बोलने के लिए खड़े होजाये मैंने अभी से आपको बुला लिया है.
श्री विष्णु खत्री ( बैरसिया ) -- माननीय अध्यक्ष महोदय मेरा अनुरोध है कि मेरे विधान सभा क्षेत्र बैरसिया में जो सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र है उससे भोपाल की दूरी 45 किलोमीटर है, इस सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में लगातार मरीजों का दवाब रहता है. प्रतिदिन की ओपीडी 500 से अधिक मरीजों की होती है. यह राजधानी की एक मात्र तहसील है जहां पर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र को सिविल अस्पताल में बदलने की तत्काल आवश्यकता है . अभी 3 नवंबर को माननीय मंत्री जी बैरसिया गए थे और वहां पर माननीय मंत्री जी ने सिविल हॉस्पिटल की घोषणा भी की थी. माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा माननीय मंत्री जी से करबद्ध अनुरोध है कि बैरसिया सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र को सिविल हॉस्पिटल में उन्नयन करने की कृपा करें. इससे क्षेत्र के मरीजों को बहुत लाभ होगा.
चन्द्रभान सिंह चौधरी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, छिंदवाड़ा में मेडिकल कालेज के लिए धन्यवाद और दूसरा मेरा सुझाव और निवेदन यह है कि अस्पताल में जो चादरें हैं उनके सात दिन के सात अलग-अलग कलर कर दें तो चादर की व्यवस्था अस्पताल में सुधर जाएगी.
श्री प्रदीप अग्रवाल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी को बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहता हूँ कि उन्होंने हमारे दतिया जिले में मेडिकल कालेज की स्थापना की और हमारे सेवढ़ा में मात्र एक बार कहने पर एक नया अस्पताल, जो कि 65 वर्षों से नहीं था, उसको दिया, इसके लिए मैं माननीय मंत्री जी का बहुत-बहुत धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ.
श्री प्रहलाद भारती -- मैं भी शिवपुरी मेडिकल कालेज के लिए माननीय मुख्यमंत्री जी को, माननीय स्वास्थ्य मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूँ, आभार व्यक्त करना चाहता हूँ. शिवपुरी की स्वास्थ्य सेवाओं के लिए हमारे शिवपुरी के जिला चिकित्सालय को प्रथम पुरस्कार मिला, उसके लिए भी मैं माननीय स्वास्थ्य मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूँ.
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आदरणीय श्री शैलेन्द्र पटेल जी, आदरणीय रुस्तम सिंह जी, आदरणीय डॉ. गोविंद सिंह जी, आदरणीय श्री शैलेन्द्र जैन जी, आदरणीय श्री गोवर्धन उपाध्याय जी, श्री रामेश्वर शर्मा जी, श्री हरदीप सिंह डंग जी, श्री दुर्गालाल विजय जी, श्री गिरीश भण्डारी जी, चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी जी, श्री दिनेश राय जी, श्रीमती ऊषा चौधरी जी, आदरणीय श्री सुदर्शन गुप्ता जी, आदरणीय श्री सुखेन्द्र सिंह, श्री बहादुर सिंह चौहान जी, श्री कमलेश्वर पटेल जी, श्री सूबेदार सिंह जी, आदरणीय फूंदेलाल सिंह मार्को जी, श्री आशीष शर्मा जी, श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया जी, श्री अमर सिंह यादव जी, श्री लोकेन्द्र सिंह तोमर जी, श्रीमती शीला त्यागी जी, श्री दिलीप सिंह परिहार जी, श्री हेमंत खण्डेलवाल जी, श्री के.के. श्रीवास्तव जी, श्री नारायण सिंह पंवार जी, श्री इन्दर सिंह परमार जी, श्री आरिफ अकील जी, श्री राजेन्द्र पाण्डे जी, श्री रामलल्लू वैश्य जी, श्रीमती सरस्वती सिंह जी और श्री विष्णु खत्री जी, मैं आप सबको धन्यवाद देता हूँ और आभार भी व्यक्त करता हूँ कि आप सबने महत्वपूर्ण सुझाव दिए. अपनी बात भी रखी. दरअसल माननीय अध्यक्ष जी, सम्माननीय सदस्यों का अपनी बात कहने के लिए उतावलापन इसलिए भी था कि यह स्वास्थ्य विभाग सर्वाधिक लोगों से जुड़ा हुआ विभाग है. जनता की पीड़ा को सम्माननीय सदस्य यहां व्यक्त नहीं करेंगे तो कहां व्यक्त करेंगे. यह एक फोरम है जहां विधायक अपनी बात को कहकर यह महसूस करता है, यह आशान्वित होता है कि उसने अपने क्षेत्र की जनता की समस्या को रखा है. ये पीड़ा वह पीड़ा है क्योंकि यह विभाग भी वह विभाग है जहां पर पीड़ित व्यक्ति ही आता है, परेशान व्यक्ति आता है, दु:खी व्यक्ति आता है. माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे विभाग का भी मानना यह है कि -
शोषित, पीड़ित, दु:खित बांधवों के हमको हैं कष्ट मिटाने,
और डटे हुए हैं इसीलिए हम राष्ट्र धर्म हित सीना ताने,
माननीय अध्यक्ष जी, पूरी कोशिश है मन से डूब के सेवा करने की. हमारे मनीषियों ने कहा भी है कि -
दीनहिं सबको लखत हैं दिनहिं लखे न कोय,
जो रहीम दीनहिं लखैं दीनबन्धु सम होय,
माननीय अध्यक्ष महोदय, ऐसा हमने या प्रिय नेता माननीय शिवराज सिंह चौहान जी ने कहा नहीं है, इसको करने की भी कोशिश की है. धरातल पर अगर आप देखें तो यह प्रदेश वह प्रदेश है जिसने ''ए'' से लेकर ''जेड'' तक की सुविधा देने की कोशिश की है. मैंने प्रारंभ में ही डॉक्टरों की समस्या की बात अपने भाषण की शुरुआत में कहा था. सम्माननीय सदस्यों ने उसका ध्यान भी रखा, मैं आभारी हूँ लेकिन माननीय अध्यक्ष महोदय, वैकल्पिक स्रोतों के माध्यम से भी हमने आमजन को सुविधा देने की कोशिश की है. वहां पर एक एमडी की निश्चित रूप से आवश्यकता है चाहे जिस तरह की भी कठिनाइयां हों किंतु एक सर्जन और एक एमडी की व्यवस्था वहां पर की जाय. इसी के साथ साथ वहां पर फोर लेन होने के कारण बहुत दुर्घटनाएं होती हैं. वहां पर एम्बूलेंस काफी खराब हो चुकी है वहां के लिए एम्बूलेंस की भी व्यवस्था की जाय. फोर लेन स्थित जावरा विधान सभा क्षेत्र स्थित ढोढर में एक डॉक्टर की व्यवस्था की जाय इसी प्रकार रिंगनोद, कालूखेड़ा और पिपलौदा में भी सुधार की आवश्यकताएं हैं. यदि उन कमियों को दूर किया जायेगा तो निश्चित रूप से जो मध्यप्रदेश शासन की माननीय मुख्यमंत्री जी की और मंत्री जी की मंशा है कि निचले स्तर तक स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचे वह पूरी होगी. आपने समय दिया धन्यवाद्.
श्री रामलल्लू वैश्य ( सिंगरौली ) -- माननीय अध्यक्ष महोदय मैं चिकित्सा विभाग की मांगों का समर्थन करता हूं और अपने क्षेत्र के बारे में आपसे आग्रह करता हूं कि माननीय मंत्री जी सिंगरौली को अपना जिला मानते हैं. यह क्षेत्र औद्योगिक क्षेत्र होने के नाते 200 किलोमीटर उत्तरप्रदेश बनारस और 200 किलोमीटर रीवा है इनके बीच में सिंगरौली आता है और वहां पर केवल एक मेडीकल कालेज की मैं मांग करता हूं. आने वाले समय में सिंगरौली को एक मेडीकल कालेज मिले. इतना ही कहते हुए अपनी बात को समाप्तकरता हूं. धन्यवाद्.
श्रीमती सरस्वती सिंह ( चितरंगी ) -- माननीय अध्यक्षमहोदय मेरे चितरंगी में 30सीट का एक सामुदायिक भवन है मैं चाहती हूं कि इसे 100 सीट का किया जाय. अध्यक्ष महोदय मैं माननीय मंत्री जी का ध्यानआकर्षित कराना चाहती हूं कि मेरी विधान सभा चितरंगी में एक्सरे की मशीन बहुत दिनों से खराब पड़ी हुई है उ सको तत्काल ठीक करवाया जाय, ताकि वहां से लोगों को 50 किलो मीटर सिंगरौली जाना पड़ता है एक्सरे कराने केलिए, मेरा बगदरा क्षेत्र है जहां से 40 किलोमीटर दूर चितरंगी दवाई कराने केलिए आना होता है वहां पर एक सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र खोला जाय ताकि वहां पर लोगों इलाज की सहूलियत मिल सके. इसी तरह सेमैं अपने कई जगह पर चाहती हूं कि पोस्ट मार्टम कक्ष की व्यवस्था की जाय क्योंकि पोस्ट मार्टम के लिए चितरंगी आना होता है. इसीतरह से दुधमनिया में भी जरूरत है, मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहती हूं कि मेरे यहां पर कोई महिला ड़ॉक्टर नहीं है अगर वहां पर महिलाओं का पोस्टमार्टम कराने की जरूरत होती है तो सिंगरौली से महिला डॉक्टर बुलाने की जरूरत होती है, केवल इस कारण से कई दिनों तक लाश वहां पर पड़ी रहती है और महिला डॉक्टर को बुलाकर पोस्टमार्टम कराया जाता है. मैं मंत्री जी से निवेदन करना चाहती हूं कि बच्चों का डॉक्टर भी हमारे चितरंगी में नहीं है मैं चाहती हूं कि बच्चों का एक डॉक्टर चितरंगी में रखा जाय. आपने समय दिया धन्यवाद्.
अध्यक्ष महोदय -- अब मेरा अनुरोध है कि विष्णु खत्री जी के बाद में किसी माननीय सदस्य को समय नहीं देंगे, आपसे अनुरोध है कि कृपा करके सहयोग करें इसको इस तरह से नहीं बनायें कि इसकी व्यवस्थाएं भंग हो जाय. कृपा करके विष्णु खत्री जी के बाद में कोई भी मुझे इस धर्म संकट में न डाले. माननीय मंत्री जी आप विष्णु खत्री जी के बाद सीधे बोलने के लिए खड़े होजाये मैंने अभी से आपको बुला लिया है.
श्री विष्णु खत्री ( बैरसिया ) -- माननीय अध्यक्ष महोदय मेरा अनुरोध है कि मेरे विधान सभा क्षेत्र बैरसिया में जो सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र है उससे भोपाल की दूरी 45 किलोमीटर है, इस सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में लगातार मरीजों का दवाब रहता है. प्रतिदिन की ओपीडी 500 से अधिक मरीजों की होती है. यह राजधानी की एक मात्र तहसील है जहां पर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र को सिविल अस्पताल में बदलने की तत्काल आवश्यकता है अभी 3 नवंबर को माननीय मंत्री जी बैरसिया गये थे.आज 5 लाख लोगों को रोज नि:शुल्क दवा देने वाला यह मध्यप्रदेश हिन्दुस्तान का बड़ा प्रदेश है. डेढ़ करोड़ लोगों को हर महीने, 18 करोड़ लोगों को हर साल नि:शुल्क दवा हम दे रहे हैं और इतने सारे सदस्यों के अध्यक्ष महोदय, आपने भी भाषण सुने, लम्बी फेहरिस्त है, लेकिन किसी सदस्य ने यह नहीं कहा कि हमको दवा नहीं मिल रही है. सम्मानित मीडिया के बंधु भी, आप अखबार रोज पढ़ते होंगे और ऐसा कोई दिन नहीं होता होगा कि स्वास्थ्य विभाग के संबंध में कोई समाचार न आता हो. हम मीडिया के भी आभारी हैं, हम उनके माध्यम से भी अपने आप को अपडेट करते हैं लेकिन वहां भी आपने यह समाचार नहीं सुना होगा कि इन 18 करोड़ लोगों ने दवा की शिकायत कर दी हो. हम 55 हजार लोगों की रोज नि:शुल्क जांच करते हैं और आपने यह नहीं सुना होगा कि यह जांच नहीं हो रही है या व्यक्ति बाहर आकर के मीडिया को बोलता हो. 16 लाख से अधिक लोगों की जांच हर महीने कर लेते हैं. करोड़ों से ऊपर की जांच हर साल कर रहे हैं. यह हिन्दुस्तान का वह प्रदेश है जहां 90 लाख लोगों को हर साल नि:शुल्क भोजन कराते हैं और तीनों टाइम कराते हैं. लंगर तो आपने बहुत सारे सुने होंगे, शासकीय लंगर में 90 लाख लोगों को नि:शुल्क भोजन कराते हैं और माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह कहते हुए भी अपने आप को संतुष्ट महसूस करता हूँ कि कभी आपने यह नहीं सुना होगा कि अस्पताल के खाने में काकरोच या मक्खी निकल आयी हो. हमने लगातार कोशिश की है और यही कारण है कि आज समाचार का ही ट्रेड बदला है और समाचार का ट्रेड यह बदला कि पहले समाचार आता था कि अस्पताल में दवा नहीं मिल रही, अस्पताल में इन्जेक्शन नहीं लग रहा. अब समाचार आता है कि एक पलंग पर दो शिफ्ट कर दिये. इतनी भीड़ा हमने खेंची है. लोगों का विश्वास शासकीय सुविधाओं में बढ़ा है लेकिन यह भी सच है कि हम दूरस्थ अंचल में डाक्टर नहीं पहुंचा पा रहे हैं. जो कमी है वह आपके सामने है इसलिए हम इस प्रदेश के अन्दर उसका वैकल्पिक स्रोत ढूंढ रहे हैं. सम्मानित सदस्य ने जो दीपक फाउण्डेशन की बात की थी अलीराजपुर झाबुआ की, वह भी उसी से जुड़ा हुआ मामला है कि जिस दूरस्थ अंचल में जिस जनजाति के अंचल में हम डाक्टर नहीं पहुंचा पा रहे हैं और तात्कालिक रुप से अगर हमारे पास कुछ नहीं है तो हम क्या करें. 108 भी उसी के कारण से आयी थी. 28 लाख लोगों की जान अभी तक इस प्रदेश के अऩ्दर 108 बचा चुकी है (मेजों की थपथपाहट) जननी एक्सप्रेस, दीनदयाल अंत्योदय उपचार योजना के माध्यम से, हम अलग अलग माध्यमों से जा रहे हैं और अगर जननी एक्सप्रेस को जोड़ लें, दीनदयाल अंत्योदय उपचार योजना को जोड़ लें और हम बाकी की इन सारी की सारी हमारी इन सुविधाओं को जोड़ेंगे, 80 लाख लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष लाभ हमने इस प्रदेश के अऩ्दर पहुंचाया है और लगातार कोशिश भी आज आखिरी व्यक्ति तक पहुंचने की हो रही है. नि:शुल्क जाचों में भी हम क्वांटम जम्प करने वाले हैं. यह प्रदेश वह प्रदेश है, जो पूरे के पूरे 51 जिलों में नि:शुल्क डायलासिस सुविधाझ प्रारम्भ करने जा रहे हैं. 30 जिलों में हमारी प्रारम्भ हो गयी है और लगातार हम बढ़ते चले जा रह हैं. आने वाले एक दो महीनों में मेरे सम्मानित सदस्यों ने कहा था कि उनके यहां मशीन तो आ गयी है, मशीन तो हमारे पूरे 51 जिलों में पहुंच गयी है पर सुविधा के अऩुसार तत्काल हम उसको करते जा रहे हैं और आने वाले एक दो महीने के अन्दर इस पूरे के पूरे मध्यप्रदेश में नि:शुल्क डायलासिस की सुविधा प्रारम्भ हो जाएगी. कैंसर की कीमोथेरेपी उपचार योजना भी हम पूरे प्रदेश के 51 जिलों में शुरु करने जा रहे हैं. हमारी डायलासिस की सुविधा की जो माननीय मुख्यमंत्री जी ने घोषणा की थी और जो प्रारम्भ की, उसका परिणाम यह हुआ कि केन्द्र सरकार ने भी हमारी उस योजना को एडाप्ट किया और पूरे देश के अन्दर डायलासिस नि:शुल्क हो, हमारी योजना से प्रभावित होकर माननीय प्रधानमंत्री जी ने लिया, हम उसका भी आभार व्यक्त करते हैं. इस मध्यप्रदेश की कई ऐसी योजनाएँ हैं जो नजीर बनी हैं और अन्य प्रदेशों ने भी उसको लिया है. आज हमने 51 जिलों में कैंसर की कीमोथेरेपी उपचार योजना शुरु की तो उड़ीसा की सरकार हमारी इस प्रदेश की सरकार के पास में आयी और हमारे लोगों से जानकारी ली और उड़ीसा ने उस सिस्टम को हमारे मध्यप्रदेश के सिस्टम को एडाप्ट किया. इसके पहले अगर पूर्व में चले जाएँ तो हमारे मुख्यमंत्री जी ने जननी सुरक्षा योजना प्रारंभ की थी. अस्पतालों में जो हमारे यहाँ जच्चा को लेकर आते थे, छोड़ कर जाते थे. आना फ्री, जाना फ्री, खाना फ्री, दवा फ्री, इंजेक्शन फ्री, बोतल फ्री....
डॉ गौरीशंकर शेजवार-- बोतल मतलब?
डॉ नरोत्तम मिश्र-- डॉक्टर साहब, लगाने वाली बोतल. गलत समझ रहे हैं. इस पूरे प्रदेश के अन्दर इन स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार हमने किया. माननीय अध्यक्ष महोदय, उसके बावजूद भी स्वास्थ्य विभाग ऐसा विभाग है, मुझे यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि इसमें सुधार की हमेशा संभावनाएँ बनी रहती हैं. अध्यक्ष महोदय, रोज नये नये आविष्कार होते हैं. नई नई दवा खोजी जाती है. माननीय अध्यक्ष महोदय, इस प्रदेश में हमने वह काम किया है कि जो देश के लिए नजीर बना है. ग्रीन कॉरिडोर एक बार नहीं, दो बार नहीं, तीन बार नहीं, आठ बार इस प्रदेश के अन्दर ग्रीन कॉरिडोर बनाया. (मेजों की थपथपाहट) माननीय अध्यक्ष महोदय, मरने के बाद भी दिल धड़क रहा है. हमने शायरों की शायरी में सुना था लेकिन हमारे प्रदेश के लोगों के द्वारा, ऐसे 8 परिवार हैं जिनका दिल चार लोगों के अन्दर, हमने अलग-अलग उसके 8 अंग इस प्रदेश के अन्दर वह की है और इन्दौर में उसका सेंटर बनाया और उस सेंटर के द्वारा पूरे देश के अन्दर इस प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं की ख्याति हुई और आज भी किसी न किसी रूप में वह आदमी, कहीं दिल के रूप में, कहीं किडनी के रूप में, कहीं लीवर के रूप में, वह आज भी जिन्दा है. मैं उन आठों परिवारों का भी आभार व्यक्त करता हूँ, तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ कि उनके कारण से आज वे लोग, जिनको उस अंग की आवश्यकता थी और इनके परिवार का, जो नहीं होना था, ब्रेन डेथ की स्थिति में, उन्होंने अपने अंगों का दान किया. मैं उनका आभार व्यक्त करता हूँ. इसी तरह से हम एक नई कार्ययोजना पर भी विचार कर रहे हैं. कार्ड ब्लड जो होता है, प्रदेश के अन्दर बच्चे जो हमारे होते हैं उन बच्चों की जो कार्ड से ब्लड बाद में बच जाता है उससे कार्ड स्टेम सेल को डेवलप करके उसका भी कई जगह प्रयोग बहुत सफल हुआ है और उससे भी कई बीमारियों का सफलता से इलाज होता है और उसको भी अगर हम देखें तो वह छोटे से हमारे 60-60 एम एल से भी इकट्ठा कर लेते हैं तो एक करोड़ से अधिक एम एल की हमको ब्लड की प्राप्ति हो जाएगी. जो खून अभी डिलेवरी के वक्त बेकार चला जाता है और उसके अन्दर जो तत्व होते हैं वे इतने महत्व के होते हैं कि उनको अगर संग्रहित करें इस प्रदेश के अन्दर तो ब्लड की कमी खत्म हो जाएगी और इस दिशा में आज से हमने विभाग को कहा है कि इस दिशा में भी हमारा पूरा का पूरा काम प्रारंभ हो जाना चाहिए और इस दिशा में इस प्रदेश को एक नई इबारत गढ़ना चाहिए. एक नई बात हम गढ़ें और मील का पत्थर यह मध्यप्रदेश ही साबित हो.
माननीय अध्यक्ष महोदय, डॉक्टर्स की कमी बताई, यह सच है. डॉक्टर कम हैं. लेकिन यह भी सच है कि प्रयास में कोई कमी नहीं आने दे रहे. माननीय गोविन्द सिंह जी ने कहा कि सीधी भर्ती करें. हमने सीधी, वॉक इन इन्टरव्यू के माध्यम से डॉक्टर्स की भर्ती खोली है और हमको 17 सौ से अधिक डॉक्टर ऐसे ही मिले हैं, सीधी भर्ती से. लेकिन उसके बावजूद भी पी एस सी के माध्यम से, एन आर एच एम के माध्यम से, वॉक इन इन्टरव्यू के माध्यम से, अनेक स्रोतों के माध्यम से हम कोशिश कर रहे हैं और माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा आदरणीय रुस्तम सिंह जी ने कहा कि नये मेडिकल कॉलेज खोल कर स्थायी समाधान की दिशा में भी बढ़ गए और आने वाले दिनों में ये सातों मेडिकल कॉलेज, हमारी कोशिश है, दो तो हम इसी साल या अगले साल प्रारंभ कर दें और उसके बाद लगातार हर साल दो-दो मेडिकल कॉलेज प्रारंभ करके इस समस्या का स्थायी समाधान करें. कई माननीय सदस्यों ने मेडिकल कॉलेज की भी बात यहाँ पर कही है. सतना वाली बात कही और राजगढ़ की दूसरी बातें कहीं. निश्चित रूप से हम ज्यादा से ज्यादा मेडिकल कॉलेज खोलना चाहते हैं. डॉक्टर्स की कमी न रहे. उसके लिए हम यह प्रस्ताव भी केन्द्र सरकार को भेजेंगे कि इन स्थानों पर भी मेडिकल कॉलेज खोलने की हमें आवश्यकता है. जहाँ जहाँ से भी डिमांड आएगी हम मेडिकल कॉलेज खोलने की पूरी चिन्ता करते रहेंगे. माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी माननीय प्रधानमंत्री जी ने हमारे यहाँ पर जो सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल खोलने की भी बात कही और उसमें ग्वालियर में भी सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल खुल जाए, जबलपुर में खुल जाए, भोपाल में खुल जाए और उसके लिए पर्याप्त राशि केन्द्र सरकार ने हमको उपलब्ध कराई है और राज्य सरकार का भी उसमें अंश है इससे भी हमको तेजी के साथ डॉक्टर मिलेंगे. डॉक्टर इस प्रदेश के अन्दर ही बने यह हमारी कोशिश है. कैंसर इंस्टीट्यूट जबलपुर में खोलने की मंजूरी मिली है हमारे यहां के मरीजों को बाहर न जाना पड़े यह हमारी कोशिश है. कैंसर की टर्शरी (Tertiary) का केन्द्र ग्वालियर में खुलने जा रहा है यह दोनों योजनाएं केन्द्र सरकार द्वारा मंजूर की गई हैं बहुत जल्दी मुख्यमंत्रीजी इन स्थानों का शिलान्यास करके यह काम चालू कर देंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, लगातार जनता की सेवा करने का संकल्प स्वास्थ्य विभाग का है हम मन से संकल्प लेकर मनसा वाचा कर्मणा, हम डूबकर काम कर रहे हैं. पूरी कोशिश करते हैं कि जनहित से जुड़े जितने भी मुद्दे हैं उनको ध्यान में रखते हुए जनता की सेवा करें. सदस्यों ने यहां पर एक्स-रे मशीन की मांग की है यह प्राथमिक आवश्यकता है जिन विधायकों ने एक्स-रे की मांग की है उन स्थानों पर एक्स-रे मशीन भिजवाने को हम प्राथमिकता पर लेंगे. एम्बूलेंस की मांग की गई एम्बूलेंस हमने इसलिये बंद कर दी थी कि 108 हर स्थान पर पहुंचती है अभी सदस्यों के भाषण मैं ध्यान से सुन रहा था किसी सदस्य ने ऐसा नहीं कहा कि 108 नहीं पहुंचती है. जहां जरुरत है जहां मांग की है हम उन सब जगहों पर भी 108 को पहुंचाने की चिंता करेंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्रीजी ने इस प्रदेश में महिलाओं के सम्मान को प्रथम स्थान पर रखा है. मां का स्थान वैसे भी बहुत ऊपर होता है हर व्यक्ति के जीवन में माँ, महात्मा और परमात्मा इनका स्थान काफी ऊपर होता है.
लबों के कभी जिसके बद्दुआ नहीं होती
बस एक वो माँ है जो कभी ख़फा नहीं होती.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मातृशक्ति को पहचाना. गांव के अन्दर जब जाते थे कनवेंशिंग के दौरान और संभावित दौरों में जाते थे आज भी पर्दा प्रथा होने के कारण महिलायें अपनी पीड़ा व्यक्त नहीं कर पातीं हैं उन्हें गायनिक प्राब्लम होती थी वे किसी से बोल नहीं सकतीं थीं उनके घर के लोग बड़े बूढ़े या मुखिया बात को समझ नहीं पाते थे और वह पीड़ा अपनी दबाए हुए गंभीर रोगों से ग्रसित होती चली जाती थीं जब यह विषय माननीय मुख्यमंत्रीजी के ध्यान में हम लाये तो माननीय अध्यक्ष महोदय यह हिन्दुस्तान का वह प्रदेश बना जिसमें हमने महिला स्वास्थ्य शिविर पूरे मध्यप्रदेश के अन्दर लगाये यहां बैठे विधायकों को मालूम होगा कि हर विधान सभा क्षेत्र में महिलाओं का स्वास्थ्य शिविर लगा. 23 लाख से ज्यादा महिलाओं के स्वास्थ्य का परीक्षण किया गया.
अध्यक्ष महोदय--आप कितना समय और लेंगे.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं संसदीय कार्य मंत्री भी हूं आप तो जब कहेंगे तब ही बैठ जाउंगा. मैं तो अभी स्वास्थ्य पर ही बोल रहा हूँ मेडिकल एजूकेशन है, आयुष है, भोपाल गैस त्रासदी है, संसदीय कार्य है.
अध्यक्ष महोदय--10 मिनट में सभी विषयों को लेते हुए समापन कर दें तो ठीक रहेगा.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--अध्यक्ष महोदय, असत्य ही तो बोलना है तो न बोलें तो अच्छा है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--अध्यक्ष महोदय, मैं व्यवधान पुरुष का अभिनन्दन करता हूँ यह वास्तव में भले आदमी हैं.
अध्यक्ष महोदय--आप 10 मिनट में समाप्त कर दें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--माननीय अध्यक्ष महोदय, फिर तो अकेले विधायकों के जवाब दे पाऊंगा. मैं बिना कागज हाथ में लिए भाषण दे रहा हूं. सारे आंकड़े मुंह से बोल रहा हूँ.
श्री बाला बच्चन--देखिये माननीय मंत्रीजी सब के लिए समय आता है आपके लिये भी आ गया है आपको भी समय के लिए गुहार करना पड़ रही है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--नेता जी यह तो मानना पड़ेगा कि जितने मंत्री बैठे हैं मैं हरेक के भाषण में उपस्थित रहा मैंने धैर्य से सुना है.
श्री बाला बच्चन--हां रहे हैं, हम तो वह बात याद दिला रहे हैं कि सब को इंतजार करना पड़ता है समय सब के लिए आता है आज संसदीय कार्य मंत्री होते हुए भी आपको समय के लिये गुहार करना पड़ रही है.
डॉ नरोत्तम मिश्र :-आपसे तो मैं रोज ही गुहार करता हूं, इनसे तो आज कर रहा हूं. अध्यक्ष जी बोलने का मना कर रहे थे, इसलिये उनसे बोल रहा हूं. अध्यक्ष जी मैं सिर्फ विधाकों की बात करूं. अध्यक्ष जी मैं इटारसी गया था और मैंने वहां पर पी एम रूम के निर्माण..
डॉ गौरीशंकर शेजवार :- माननीय अध्यक्ष महोदय, सबसे कठिन काम होता है, बजट लाना.
अध्यक्ष महोदय:- वह होशंगाबाद विधान सभा क्षेत्र की बात कर रहे हैं तो उनको कर लेने दीजिये. कभी कोई करता नहीं है.
डॉ गौरीशंकर शेजवार :- वित्त मंत्री और वित्त सचिव भी स्वास्थ्य विभाग का बजट नहीं काट पाये हैं तो कम से कम स्वास्थ्य मंत्री के बजट के समय में आप कटौती न करें यह मेरी प्रार्थना है. इन्हें खुले दिल से बोलने दीजिये.
डॉ गोविन्द सिंह :- आपकी तो हवाईयां उड़ गयी हैं. आप डॉक्टर रहे हैं, चिकिस्कक कुछ नहीं कर पाये हैं. देखिये कितना अच्छा आम सभा से भी अच्छा भाषण दे रहे हैं.
डॉ गौरीशंकर शेजवार :-अपन लेवल देख लें और आपने अपने लेवल से जिसे चूस किया है, उससे मैं बहुत खुश हूं.
डॉ नरोत्तम मिश्र :- सम्मानित अध्यक्ष महोदय, मैं इटारसी गया था आपकी कृपा मेरे पर प्रारंभ से रही है. पर वहां पर मुझे जनता के द्वारा डायलिसिस मशीन, डिजिटल एक्स-रे तो मैं समझता हूं कि वहां पर डायलिसिस मशीन तो पहुंच गयी होगी, अगर पहुंच गयी है तो मैं इसी महिने में उसे चालू करा दूंगा. डिजिटल एक्स-रे, बर्न यूनिट भी और पी एम रूम का निर्माण भी इन्हीं एक तो महिनें के अन्दर हम वहां पर प्रारंभ करेंगे.
अध्यक्ष महोदय :- माननीय मंत्री जी धन्यवाद्.
श्री सुन्दरलाल तिवारी :- माननीय अध्यक्ष महोदय,(XXX).
अध्यक्ष महोदय :- यह कार्यवाही से निकाल दें.
डॉ नरोत्तम मिश्र :- माननीय अध्यक्ष महोदय, अध्यक्ष जी आप मेरी बात भी कार्यवाही से निकाल दें, लेकिन मेरी बोलने की इच्छा है.(XXX).
अध्यक्ष महोदय:- इसको भी कार्यवाही से निकाल दें.
……………………………………………….
XXX : आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
………………………………………………..
डॉ नरोत्तम मिश्र :- अध्यक्ष जी, मैंने कहा निकाल देना, उसके बाद बोलना चाहता हूं.
डॉ गोविन्द सिंह :- अध्यक्ष महोदय, जो मंत्री होंगे वह अपने आप करेंगे, आज आपका दण्ड आज चल रहा है.
डॉ नरोत्तम मिश्र :- माननीय अध्यक्ष महोदय, विधान सभा सामन्जस्य से चलती है, गोविन्द सिंह जी अच्छे से जानते हैं. बहुत वरिष्ठ सदस्य हैं. अध्यक्ष महोदय, माननीय उपाध्यक्ष महोदय जी ने जो कहा था उसकी पिछली बार मैंने घोषणा की थी, इस संबंध में उपाध्यक्ष महोदय जी से क्षमा भी मांगता हूं, आपने अमरपाटन और एक और नाम था दोनों का और मैं विनम्र क्षमा मांगता हूं , मैं उसमें सुधार कर रहा हूं और माननीय उपाध्यक्ष महोदय इस बार उसमें गलती न हो, मैं पूरी चिंता करूंगा इन दोनों स्थानों पर जो अपग्रेडेशन है उसको हम अपग्रेड करेंगे. माननीय शैलेन्द्र पटेल जी आपने हमीदिया अस्पताल की नयी लिफ्ट का कहा था, उस नयी लिफ्ट की स्वीकृति हो गयी है, उसे भी कर देंगें. एक आपने ए एन एम का कहा था, आपने अपने भाषण में एक बात यह भी कही थी कि 2000 उप स्वास्थ्य केन्द्र खोल रहे हैं तो आप वहां डाक्टर कहां से लायेंगे. उप स्वास्थ्य केन्द्र में डाक्टर नहीं रहते हैं, वहां पर ए एन एम और बाकी की चीजें रहती हैं. मैं आपके सिर्फ ध्यान में ला रहा हूं. लेकिन 2000 उप स्वास्थ्य के माध्यम से सम्मानित सदस्यों को भी यह बात करा रहा हूं कि आज जिन माननीय सदस्यों ने भाषण में भाग लिया है, उन सभी को कहना है कि वह अपनी अपनी प्राथमिकता दे दें. उप स्वास्थ्य केन्द्र हम आप सभी के यहां पर खोलेंगे जहां जहां पर आप बता देंगे. वहां पर पहली प्राथमिकता पर खोले जायेंगे. दांगी साहब आज लिखित में दे दें. आप इतना नाराज क्यों होते हो. कम कुब्बत और गुस्सा ज्यादा आप भी कमाल करते हो. आप नाराज नहीं होना आप तो मेरे प्रिय विधायक हो दांगी जी आप तो मेरे बड़े भाई हो.
माननीय अध्यक्ष महोदय, परम श्रद्धेय शैलेन्द्र पटेल जी के बाद में गोविन्द सिंह जी ने कहा था कि दो डाक्टर और आयुष के बारे में उन्होंने कहा था, निश्चित रूप से हमें आयुष के 710 डाक्टर हमें और मिल गये हैं. इस सरकार का ध्यान भी आयुष की तरफ बहुत ज्यादा है. मैं मानता हूं कि आयुष एक ऐसा विभाग है, जिसके साईड इफेक्ट नहीं होते हैं. इसका मतलब यह बिल्कुल न निकाला जाये कि मैं किसी पैथी का विरोध कर रहा हूं, या मैं अंग्रेजी दवा का विरोध कर रहा हूं या मैं देशी दवा का पक्षधर हूं. मुझे अच्छी तरह से ध्यान है पहले तो वात,पित्त और कफ इन तीनों के आधार पर हमारे वैद्य लोग ईलाज कर दिया करते थे और बहुत अच्छा वैद्यों का ईलाज हो जाया करता था. आयुष के बारे में है माननीय अध्यक्ष महोदय, डाक्टर साहब की डिमांड पर सुना देता हूं. डाक्टर साहब की विशेष कृपा है एक बार उनके क्षेत्र में सुनाया था कि हमारे यहां तो जो पद्धति थी उसमें इस तरह से व्यवस्था थी पर वर्तमान में समय बदला,परिवेश बदला और खासकर जब लाईट आई तो उसके बाद देर रात होने लगी. पहले तो कहते थे "नाहर मो पानी पिये हर्र भूंजकर खाय दूध ते ब्यारू करे तिन घर बैध न जाय" ऐसी व्यवस्थाएं पहले थीं. "निशांते पियम बारी दिनन्तय पियम पयै भोजनान्तयै पियम तब बैधयम् किन प्रयोजनम" इन पथ्यों के आधार पर आयुष चलता था. कौन सी ऋतु में कौन सी चीजें खायें नहीं खाये, नहीं तो मरोगे नहीं तो परोगे जरूर यह कहा जाता था. चेते गुड़ बैशाखे तेल जेठे महुआ अषाढ़े बैर सावन ददुआ भादौ दई कवार करैला कार्तिक महि,घाघ भडैरे साचीं कई मरै नहीं तो परै सई. अब इस तरह की हमारे यहां बातें थीं और जो गांव के अंदर लोककथाओं में लिखी थीं लोगों ने नहीं माना और नहीं माना तो स्वाभाविक रूप से डाक्टरों के यहां जाना पड़ा लेकिन हमारी सरकार ने दिल्ली में भी आयुष को अलग से विभाग माना. पहली बार दिल्ली के अंदर आयुष एक अलग से विभाग बना सिर्फ इसलिये कि हम अपनी पैथी को अपने आप को हम न भूल जायें कहीं. जो वास्तविक है जहां से हमको शक्ति मिलती है ऊर्जा मिलती है वह बात माननीय प्रधानमंत्री जी ने पहचानी.यह बात उनको समझ में आई कि पृथ्वी पर पैदा होने वाली हर वनस्पति औषधि है सिर्फ हमें उसके ज्ञान की जरूरत है और इसीलिये हम भोपाल के अन्दर जो हमारा खुशीलाल कालेज है उसके अंदर हम नयी पांच लेबोरेटरीज की स्थापना कर रहे हैं और आयुष का कर रहे हैं और 710 डाक्टरों में से डाक्टर साहब मैं वहीं आ जाऊं हम आयुष वाले डाक्टरों को भी प्रदेश के अंदर 6 महिने की ट्रेनिंग हमें इनको देना है उसके बाद जैसा आपकी चिंता थी हम इनको भी अपनी डिस्पेंसरियों में पूरे प्रदेश के अंदर पदस्थ करने वाले हैं. बाबा रामदेव जिसके भी ब्रांड एम्बेसेडर हों लेकिन यह बात भी सच है कि स्वास्थ्य के प्रति उस व्यक्ति ने देश के अंदर नहीं विश्व के अंदर एक क्रांति लाई है. आपको बड़ी-बड़ी तोंद वाले रामदेव के आने के बाद दिखना कम हो गये होंगे.
श्री निशंक कुमार जैन - आपने अभी आयुष का कहा कि आयुष नया विभाग बनाया है जबकि आयुष पहले से भारत सरकार में उसका अलग से बजट होता था.
डॉ.नरोत्तम मिश्र - मंत्रालय कह रहा हूं. मंत्री अलग से दिया है. आज तक अलग मंत्री आयुष का कभी नहीं रहा. मेरे शब्दों में भी गल्ती हो सकती है. इसी तरह से माननीय शैलेन्द्र पटेल जी ने इछावर में सुविधाओं के विस्तार की बात कही. मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि सुविधाओं का विस्तार भी होगा. अध्यक्ष जी आपने भी मुझे निर्देश दिया था कि मरचुरी केन्द्र प्रदेश में सभी जगह होने चाहिये. क्योंकि प्रदेश के अंदर कभी-कभी लावारिस लाश आ जाती है मैं आज घोषणा करता हूं कि सभी 51 जिलों के अंदर मरचुरी केन्द्र हम अलग से स्थापित करेंगे. दीपक फाउंडेशन के बारे में मैंने बता दिया है. माननीय रुस्तम जी उसके बाद बोले थे और उन्होंने मुरैना के अस्पताल को तीन सौ से छह सौ करने का कहा था. मैं डबरा को भी बढ़कर सौ बिस्तर का करूंगा और मुरैना को बढ़ाकर छह सौ बिस्तर का करूंगा और उनके बामौर का उन्नयन करेंगे जैसा उन्होंने कहा है वैसा करेंगे. सिरोंज के अस्पताल के बारे में कहा गया था लेबर रूम के रिनोवेशन की,किचन के निर्माण की,परिसर में पेवर ब्लाक की,रोड की,स्टाफ के क्वार्टरों की, मैं कोशिश करूंगा कि वहां आपरेशन और डिलेवरी कराने की नियमित व्यवस्था सिरोंज के अंदर हो और आपने जो बातें कही हैं इन सारे निर्माण के लिये और जो पेवर ब्लाक और छोटे-छोटे काम हैं उसके लिये मैं अभी एक करोड़ पैंतीस लाख रुपये स्वीकृत करता हूं.फंदा और रातीबड़ का माननीय रामेश्वर जी ने कहा है दोनों ही संस्थाओं को हम अपग्रेड करेंगे और आपकी समस्या का भी समाधान करेंगे. आपने हरदीप सिंह डंग को भी जो पर्ची दी थी. निश्चित रूप से सभी के सुझाव हैं हमारे विधायकगण भी इस बारे में चिन्तित हैं. मैं विधायकों को भी आश्वस्त करता हूं कि मेरा मत भी आपके साथ है और हम सब मिलकर के माननीय मुख्यमंत्री जी से अनुरोध करेंगे कि विधायकों का वेतन बढ़ना चाहिये मैं आप लोगों के मत से सहमत हूं और निश्चित रूप से कोशिश करेंगे कि इस बार प्रस्ताव आपके बीच में आये, लेकिन आप लोग तिवारी जी को जरूर मना लेना. बहिन ऊषा चौधरी जी ने सतना में नेत्ररोग विशेषज्ञ नोतवानी जी का उल्लेख किया है उसको हम निलंबन करने की घोषणा करते हैं और उस पर कार्यवाही भी सख्त से सख्त करेंगे. माननीय मुकेश चौधरी जी ने भी रोन एवं मेहगांव के बारे में प्रस्ताव दिया है उन्होंने आयुष पर ध्यान देने तथा पंचकर्म की सुविधा बढ़ाने के लिये कहा था निश्चित रूप से पंचक्रम एवं आयुष के बारे में बोल दिया है आपके दोनों काम पोस्ट-मार्टम रूम एवं मरचरी रूम दोनों कार्य निश्चित रूप से करेंगे.
अध्यक्ष महोदय, आपके पास में बहुत सारी पर्चियां रखी हैं समय की मर्यादा है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र--अध्यक्ष महोदय, जयमान सिंह जी, सुखेन्द्र सिंह जी, महूगंज वाले सभी के बारे में कुछ न कुछ बोलना तो पड़ेगा लालसिंह जी का लिखित में भी आ गया था. खातेगांव के आशीष शर्मा जी का है, पटेल साहब का भी दो स्थानों का इन्होंने दिया है. मैंने जो नाम पढ़े हैं इनको अपग्रेड करते हैं. श्री शैलेन्द्र जैन जी ने कहा कि आपके यहां पर भी उन्नयन कर दिया है. आपने 30 बिस्तरों का कहा था. मेरे पास में सबकी स्वीकृति आयी हुई है आप लोग स्वीकृति पत्र मेरे से ले लें. मेरा निवेदन है कि मांगों के प्रस्ताव को पारित करते हैं. आपने समय दिया धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय--उन्होंने कहा कि जिन माननीय सदस्यों के नाम पढ़े हैं एवं जो माननीय सदस्यगण लिखकर के देंगे सबको कंसीडर करेंगे.
06:45 बजे वर्ष 2026-17 की अनुदानों की मांगों पर मतदान (क्रमश:)
(4) मांग संख्या - 14 पशुपालन
मांग संख्या- 16 मछली पालन
मांग संख्या- 20 लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी
मांग संख्या- 29 विधि और विधायी कार्य
मांग संख्या- 50 उद्यानिकी तथा खाद्य प्रसंस्करण
मांग संख्या- 56 ग्रामोद्योग
उपस्थित सदस्यों के कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए ।
अब मांगों एवं कटौती प्रस्तावों पर एक साथ चर्चा होगी ।
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा(मुंगावली)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 14 16, 20, 29, 50 एवं 56 के कटौती प्रस्तावों का समर्थन करता हूं । प्रदेश में पेयजल स्तर इतना नीचे चला गया है कि अधिकांश हेंडपंप सूख गए हैं, बिगड़े हेंडपंपों को ठीक करने के लिए आपके पास पर्याप्त हेंडपंप मैकेनिक नहीं हैं, पुर्जे पाईप लाइन अभी तक नहीं थे, आप कह रहे हैं कि अब भेज रहे हैं, पानी इतना नीचे चला गया है कि कई स्थानों पर आपको विद्युत मोटर देनी पड़ेगी, ताकि पानी को ऊपर खींचकर पशुओं और मनुष्यों को पिलाया जा सके । फ्लोराईड अर्सेनिक विषाक्तता के निदान के बारे में किए गए प्रयास काफी नहीं हैं, बड़ी संख्या में लोग फ्लोरोसिस एवं अन्य जल विषाक्तता से जुड़ी हुई बीमारियों से ग्रस्त हैं, फ्लोराईड की अधिक मात्रा होने के कारण गुर्दे के साथ- साथ कई प्रकार की ऊतकों व एनजाईम की क्रिया को भी प्रभावित करते हैं, फ्लोरोसिस से सर्वाधिक प्रभावित होने वाले 7 से 12 वर्ष के बच्चों को दांत संबंधी रोग होते हैं और गुर्दे भी खराब हो जाते हैं । एक रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश के 15 जिलों में पीने एवं सिंचाई के योग्य पानी नहीं है । 93 विकासखण्डों में 13 से ज्यादा बसाहटों में भूजल में एक से अधिक घुलनशील घातक तत्व जैसे फ्लोराईड नाइट्रेट अथवा लवणीयता यानि खारापन की मात्रा मानक स्तर से ज्यादा है, इसको कम करने के लिए आपको विशेष प्रयास करने पड़ेगे ।
06:48 बजे उपाध्यक्ष महोदय ( डॉं राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए ।
उपाध्यक्ष महोदय, फ्लोराईड नॉलेज इंडेक्शन नेटवर्क एवं वाटर पोर्टल की रिपोर्ट के अनुसार विभिन्न इलाकों में लाखों लोगों को फ्लोरोसिस एवं जल विषाक्तता से जुड़ी हुई बीमारियों की रिपोर्ट है, इसमें 7 से 12 वर्ष के बच्चों के दांत खराब हुए हैं, गुर्दे के साथ कई प्रकार के ऊतकों एनजाईम की क्रिया भी प्रभावित होती है । जन स्वास्थ्य विभाग के साथ यांत्रिकी विभाग को वित्त विभाग ने समय पर पैसा नहीं दिया, मैं समझता हूं कि समय पर आपको पैसा मिल जाता तो आप ज्यादा प्रभावी तरीके से पाईप भेज देते, मोटरें भेज देते तथा हेंडपंप के सुधार कर सकते थे, आपके जिलों में पर्याप्त स्टाफ नहीं है, मैकेनिक पर्याप्त नहीं हैं, इनके पास साधन (गाड़ी) भी पर्याप्त नहीं हैं, जब तक आप उनको गाड़ी नहीं दे सकते तो मोटर साइकिल दें, ताकि मैकेनिक तत्काल गांव में पहुंचकर मरम्मत कर सके । आपके पास प्रदेश स्तर पर जिला, तहसील और विकासखण्ड स्तर पर लेबोरेट्री जहां हैं, उनके पास पर्याप्त साधन नहीं हैं ताकि वह पानी की शुद्धता की जांच कर सके. आप राज्य, जिला उपखण्डीय समस्त प्रयोगशालाओं में दिशा-निर्देशों के अनुरूप अमले की पदस्थापना करनी चाहिए. आपको आवश्यक उपकरणों एवं रसायनों की भी उपलब्धता सुनिश्चित करना चाहिए.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, राज्य अनुसंधान प्रयोगशाला में जल नमूना परीक्षण में उपलब्धि में कमी के कारण जिला एवं खण्ड स्तर पर प्रयोगशाला में अमले आदि की अपर्याप्ता से परिलक्षित नमूनों का डाटा वेबसाइट पर अपलोड नहीं हो पा रहा है, आपको ठीक करने की जरूरत है. ग्राम पंचायत स्तर पर नमूनों का परीक्षण प्रत्येक स्त्रोत का रासायनिक एवं भौतिक आदि परीक्षण वर्ष में एक बार एवं जीवाणु तत्वों का वर्ष में दो बार होना चाहिए, वह नहीं हो पा रहा है, आपको इसे ठीक करना होगा. जिला व ब्लॉक स्तर पर प्रशिक्षण की भी कमी है, इसको भी ठीक करना होगा. मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राष्ट्रीय पेयजल कार्यक्रम के शिखर समिति की बैठक 8 के बजाय 2 बार ही हुई है. इससे लगता है कि मुख्य सचिव की अध्यक्षता में शिखर बैठक है, वह समय पर नहीं होने से भी काफी समस्याएं हो रही हैं, बसाहटों में स्लिप बैग्स बहुत हैं. स्त्रोतों का सूख जाना इसका प्रमुख कारण है, अत: स्थायी जल स्त्रोतों का ढूँढ़ना आवश्यक है. अधिकांश पंचायतों को, जो आपने पेयजल योजनाएं सौंपी हैं, उनमें ठेकेदारों ने घटिया काम किया है, घटिया पाईप लाईन लगाई है और ग्राम पंचायतों के ऊपर थोप दिया है, इसलिए वह चल नहीं पाई है. मुझे प्रसन्नता है कि आपने मेरे ध्यानाकर्षण के समय यह घोषणा की है कि अब भविष्य में पेयजल योजनाएं पी.एच.ई. ही देखेगी और आप उसको 5 वर्ष या 10 वर्ष के ठेके पर देंगे ताकि ठेकेदार उसको अच्छी गुणवत्ता की बनायें.
उपाध्यक्ष महोदय, उद्यानिकी विभाग में पेन्शन घोटाले की तरह ही केन्द्र व राज्यों के खातों से पिछले वर्ष 314 करोड़ के माइक्रो ड्रिप्स सिंचाई घोटाले में सिर्फ 3 अफसरों को सस्पेन्ड कर दिया है और इस घोटाले को दफन करने का प्रयास किया गया है. यह घोटाला तब किया गया था, जब आप मंत्री नहीं थी तो आपसे पहले किया गया था.
उपाध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे अनुरोध है कि इन्दौर में महू की ट्रेनिंग के दौरान 2 प्रशिक्षु आई.ए.एस. अधिकारी श्री अविनाश लुवानिया और श्री के.एस.चौधरी ने नवम्बर, 2012 में इस घोटाले को उजागर किया और पता लगा है कि प्रमुख सचिव श्री स्वाईं ने एफ.आई.आर. दर्ज करने के निर्देश दिये थे लेकिन उद्यानिकी विभाग के अधिकांश अधिकारी दोषी लोगों को बचाना चाह रहे हैं. यह ड्रिप घोटाला, जिस सिंचाई घोटाले में 80 प्रतिशत सब्सिडी थी और 20 प्रतिशत ही किसान को देना था. किसान को पूरा संयंत्र देने के बजाय पाईपस् दे दिये गये, किसी डीलर को दे दिये गये और उसने काफी रिश्वत ली. ड्रिप्स सिंचाई घोटाले में और सिंचाई विभाग के उद्यानिकी के बेनीफिशियरीज़ को जो सामान देते हैं, उसके बारे में भी बहुत बेईमानी होती है. अधिकारी असली बेनीफिशियरीज़ को न देकर, नकली बेनीफिशियरीज़ को देकर काफी कमीशन खा जाते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं जावरा तहसील के एक गांव बियामन का उदाहरण देता हूँ. जहां सरपंच महिला है, उसने कई बार निवेदन किया है कि आप हमको बेनीफिशियरीज़ की सूची दीजिये कि हमारे गांव में कौन-कौन बेनीफिशियरीज़ हैं. लेकिन उनको सूची नहीं दी गई. मेरा आपसे अनुरोध है कि जावरा तहसील, पिपलोदा ब्लॉक में सभी गांव में जो-जो बेनीफिशियरीज़ हैं, उनको सामान दिये गये हैं. इसके बारे में आप जांच करने का कष्ट करें.
उपाध्यक्ष महोदय, पशुपालन अब बहुत इसलिए महत्वपूर्ण हो गया है कि पिछले 3 वर्षों से किसानों को ओला, पाला और सूखे का सामना करना पड़ रहा है और उससे किसानों को पिछले 2 वर्षों में पटवारी पर निर्भर रहना पड़ा. जिसने आकलन ठीक कर लिया, उनको मिल गया बाकि आप कितना भी आकलन कर लें, पर्याप्त पैसा नहीं मिलता है, नुकसान की भरपाई नहीं हो सकती है. ऐसी दशा में, पशुपालन का महत्व बढ़ जाता है कि किसान के पास एक अतिरिक्त आय का साधन हो, जिसके कारण किसान ओला, पाला एवं सूखे की स्थिति का सामना कर सके और किसान को उसकी फसल का बीमा नहीं मिलता है. अगर गाय या भैंस मर जाये या सांप के काटने से मर जाये तो वह मिल्क को-ऑपरेटिव्ह सोसायटी में इंश्योरड होती है और उसका पूरा पैसा मिलता है. यह पशुपालन में सबसे बड़ा फायदा है, वह नुकसान नहीं उठाता है. अगर आप खेती के अच्छे बीज, खाद के लिये या ट्यूबवेल के लोन लेंगे और अगर पानी नहीं निकला और पानी निकलने के बाद सूख गया तो आप ऋण पेमेन्ट कैसे करेंगे ? लेकिन गाय और भैंस को खरीदने के बाद आपको कोई खतरा नहीं है. वह इनश्योर्ड होती है और आपको पैसे मिल जाते हैं. तो मेरा आपसे अनुरोध है कि दुग्ध संघों की स्थिति ठीक करना चाहिये और अधिक से अधिक मिल्क कोआप्रेटिव्ह सोसायटीज गांव में खोलनी चाहिये. ताकि किसान जब सूखा पाला या कोई भी दिक्कत आये, तो उस समय दूध को बेचकर, क्योंकि सबसे बड़ी चीज है कि कोई भी चीज प्रोड्यूस हो और मार्केटिंग नहीं हो, तो प्रॉबलम होती है, लेकिन मार्केटिंग की यहां कोई प्रॉबलम नहीं है. दुग्ध समिति दुग्ध खरीद लेती है. इसलिये आपको दुग्ध संघों को सुदृढ़ करना चाहिये. आप दुग्ध संघों को नकली दुग्ध उत्पादकों से बचाइये. नकली दुग्ध उत्पादक सिर्फ नेतागिरी के लिये और डीलर बनने के लिये दुग्ध संघ में चुनाव लड़ते हैं और संचालक बनकर दुग्ध संघ को कंट्रोल करने की कोशिश करते हैं. आपको मालूम है कि दुग्ध संघ में आज कल कॉम्पटीशन बहुत हो गया है. रिलायंस और महेन्द्रा तथा छोटे मोटे बहुत सारे लोग मिल्क्स में आ रहे हैं. इसलिये मिल्क कोआप्रेटिव्ह सोसायटीज को बहुत कॉम्पटीशन का सामना करना पड़ रहा है. उज्जैन दुग्ध संघ को एक समय एनडीडीबी ने बेस्ट मिल्क शेड कहा था, जिसका पोटेंशियल सबसे अच्छा है. लेकिन वहां पर आपने अभी चुनाव में, निर्धारित दिनों में निर्धारित दूध की मात्रा देने वाला ही प्रतिनिधि बन सकता है या चुनाव लड़ सकता है. मुझे नहीं पता कि कैसे हुआ यह. क्या यह नियम बदला है, अगर नियम बदला है, तो बहुत गलत है कि 180 दिनों में 700 या 900 लीटर मुझे ध्यान नहीं है, उतना दूध देना अनिवार्य होता है, वही प्रतिनिधि बन सकता है और वह संचालक बन सकता है. पर इस बार वह सब संचालक या प्रतिनिधि बन गये, जिन्होंने निर्धारित दिनों में निर्धारित मात्रा में दूध नहीं दिया. इससे क्या होगा कि नकली दुग्ध उत्पादक आ जायेंगे और दुग्ध संघ में सही प्रजेंटेशन नहीं होगा. इसको ठीक करना बहुत जरुरी है पशु पालन विभाग को. आपको कोआप्रेटिव्ह मिनिस्टर से इसके बारे में बात करनी पड़ेगी. उनको आप स्वायत्त भी बनाइये. दूध का भाव तय करना भोपाल से नहीं होना चाहिये, उनको सीईओ चुनने की, अमूल पैटर्न में यह है कि सीईओ वहीं का बोर्ड चुनेगा. लेकिन रीजनल मिल्क यूनियन्स को आप सीईओ चुनने की स्वतंत्रता नहीं देते हैं और इस कारण वह चुने हुए प्रतिनिधियों की परवाह नहीं करता है. क्योंकि दुग्ध संघ का एमडी उसकी सीआर लिखता है, वह उसकी बात मानता है. इससे जन प्रतिनिधियों की बेइज्जती होती है. तो मेरा आपसे अनुरोध है कि इस दिशा में कुछ होना चाहिये और उज्जैन दुग्ध संघ अच्छा मिल्क शेड है, उसको आप एक केटल फीड प्लांट दीजिये, एक पाउडर प्लांट दीजिये और दुग्ध संघों को मजबूत कीजिये, यही अनुरोध है, धन्यवाद.
6.58 बजे अध्यक्षीय घोषणा
(1) सदन के समय में वृद्धि विषयक
उपाध्यक्ष महोदय -- अनुदानों की मांगों पर मतदान पूर्ण होकर विनियोग विधेयक के पुरःस्थापन होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाये, मैं समझता हूं कि सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई)
(2) माननीय सदस्यों के लिये सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं भोज विषयक
उपाध्यक्ष महोदय -- आज 7.00 बजे विधान सभा भवन स्थित मान सरोवर सभागार में माननीय सदस्यों के लिये सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया है. कार्यक्रम में सुश्री कस्तूरी पटनायक द्वारा ओडिसी नृत्य तथा सुश्री सुनन्दा शर्मा द्वारा सूफी गायन की प्रस्तुति की जायेगी. कार्यक्रम उपरांत श्री जयंत मलैया, माननीय वित्त मंत्री, मध्यप्रदेश शासन की ओर से रात्रि भोज भी आयोजित है. माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं भोज में सम्मिलित होने का कष्ट करें.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले -- उपाध्यक्ष महोदय, अभी 6.59 तो बज गये हैं.
उपाध्यक्ष महोदय -- अब इसके पश्चात्. विधान सभा जब स्थगित हो जाये उसके बाद. यह व्यवस्था है कि यहां जब सदन की कार्यवाही स्थगित हो जायेगी, उसके बाद ही ये तुरन्त कार्यक्रम शुरु होंगे.
श्री दिलीप सिंह परिहार (नीमच) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 14, 16, 20, 29, 50 और 56 के समर्थन में बोलने के लिये खडा हुआ हूं. उपाध्यक्ष महोदय, पशु विभाग से मैं अपनी बात प्रारंभ करूंगा. उपाध्यक्ष जी, अभी स्वास्थ्य विभाग पर चर्चा चल रही थी जो व्यक्ति अपने दर्द को बोलकर के बता देता है उनके लिये तो स्वास्थ्य मंत्री जी ने बहुत सारी स्वास्थ्य सुविधा की व्यवस्था की है. मगर जो पशु - गौ माता बोल नहीं पाती, लोगों के लिये दूध देती है जिसके पीने से लोग स्वस्थ्य होते हैं,उनकी सुविधा को देखने का काम पशुपालन विभाग के माध्यम से होता है. उपाध्यक्ष महोदय, हम देखते हैं पहले मध्यप्रदेश में दूध के उत्पादन में निरंतर कमी आ रही थी, जब से भारतीय जनता पार्टी की सरकार आई है जब से दुग्ध उत्पादन में वृद्धि हुई है. वर्ष 2014-15 में, आंध्रप्रदेश, पंजाब ,हरियाणा, मध्यप्रदेश. दुग्ध उत्पादन में देश में चौथे स्थान पर मध्यप्रदेश आ गया है, इसके लिये मंत्री जी को शुभकामनायें देता हूं. भारत प्राचीन देश रहा है. जहां यह कल्पना की जाती थी कि दूध और दही की नदियां यहां पर बहती थी लोग दूसरे देशों से विद्या का अध्ययन करने के लिये भारत देश में आते थे .आज हम देखते हैं कि पशु पालन विभाग के द्वारा 51 जिलों में पशु रोग की रोकथाम के लिये प्रयोगशालायें स्थापित की गई है. 2015-16 में 18 अतिरिक्त जिलों में पशु रोग उन्नयन प्रयोगशाला स्थापित की गई है. हम देखते हैं कि हमारी जो गौ माता है यह हिन्दू ,मुसलमान, बच्चे को, वृद्ध को दूध पिलाती है उस गौ माता के दूध का बहुत महत्व है. गौ माता का दूध जो बच्चा पीता है वह तीव्र बुद्धि का बालक होता है. इन पशुओं के लिये मध्यप्रदेश की सरकार ने जो डेयरी की योजनायें प्रारंभ की जा रही हैं उसका बड़ा महत्व है. जैसा मैंने कहा है कि गौ माता का दूध पीने से तीव्र बुद्धि का बालक होता है .हमारे सामने उदाहरण है कि स्वामी विवेकानंद जी विश्व की धर्म संसद में गये और उन्होंने शून्य पर बोलने का वर्णन किया जिससे पूरे विश्व में भारत का मान बढ़ा. हम भी चाहते हैं कि उन गौ माता के लिये जो काटी जा रही थीं उनके लिये हमारे आगर जिले में गो-अभ्यारण्य की व्यवस्था की गई है. यही नहीं जो पशु यहा वहां विचरण करते थे उनकी भी व्यवस्था इन गौ शालाओं में रहने के लिये की गई है. मध्यप्रदेश की सरकार के मुखिया शिवराज सिंह चौहान और आदरणीय मंत्री महोदया भी गौ -शालाओं में पशुओं के लिये घास, आदि की व्यवस्था कर रहे हैं और गौ -शाला में अधिक से अधिक अनुदान देने का काम कर रहे हैं. जिसके परिणाम यह आये कि खाने के अभाव में जो पशु कटने के लिये जाते थे उस पर रोक लगी है. मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री जी ने यह संकल्प लिया है कि मध्यप्रदेश की धरती पर मैं गौ माता के रक्त की एक बूंद भी नहीं गिरने दूंगा. इस संकल्प में माननीय मंत्री जी का बहुत बड़ा योगदान है. उन्होंने गौ अभ्यारण्य की व्यवस्था मध्यप्रदेश में की है. उस गौ -अभ्यारण्य में लगभग 5 हजार पशुओं के रहने की, उनके लिये घास की, चरने की व्यवस्था है. मैं भी बचपन में गाय को छोड़ने के लिये चोपे में जाया करता था मगर वहां हम देखते थे बहुत लंबी जमीन होती थी , चारागाह हुआ करते थे, जहां पर पशु चरा करते थे मगर प्रदेश की पूर्ववर्ती सरकार ने चारागाह के पट्टे भी बांट दिये, जिसकी वजह से अगड़े और पिछड़े के बहुत झगड़े हुये हैं. उनकी वजह से हम देखते हैं कि आज चारागाह तक नहीं बचे हैं. इसलिये पशु के चरने की व्यवस्था नहीं है. पशु पालन विभाग की मंत्री जी ने जो व्यवस्था पशुओं के लिये की है उसके लिये मैं उनकी भूरि भूरि प्रशंसा करता हूं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जब मैं संगठन में काम करता था लोग गौ माता को ट्रकों में भर भरकर के ले जाते थे, और उनको कसाईयों को बेच दिया जाता था, उस समय मन में बहुत पीड़ा होती थी. मध्यप्रदेश की सरकार ने यह कानून बनाया कि हम किसी भी स्थिति में पशु को, गौ माता को कटने नहीं जाने देंगे. आज हम देखते हैं कि डेयरी के लिये भी मध्यप्रदेश की सरकार ने योजना बनाई है. गांव में रहने वाले किसान को डेयरी के लिये 5 गाय 5 भेंस देने की मध्यप्रदेश की सरकार ने योजना बनाई है उस योजना के माध्यम से जो लोग गांव में निवास करते हैं, उनको यदि ऋण की व्यवस्था यह सरकार करा दे तो जो दूध की कमी आ रही है उसमें और वृद्धि होगी. मैं मंत्री जी को धन्यवाद दूंगा कि आकस्मिक पशुओं के उद्देश्य से वर्ष 2016-17 में 109 आकस्मिक पशु चिकित्सा इकाईयां प्रदेश में सरकार के द्वारा प्रारंभ की गई हैं, 628 गोशालायें , प्रारंभ की गई है . इसके लिये जो लोग रजिष्ट्रेशन कराते हैं, वे इसका लाभ ले सकते हैं. मेरे यहां पर तो एक हमीद नाम का व्यक्ति है जो मुस्लिम समाज का है उसने भी गौ शाला खोल रखी है. मैं यही कहूंगा कि गाय का संरक्षण करने का काम हमारी सरकार ने किया है ,पशु चिकित्सकों का मैं अभिनंदन करता हूं, उनके सहयोगियों का भी अभिनंदन करता हूं. और मंत्री जी से अनुरोध करता हूं कि इस विभाग के लिये अतिरिक्त बजट का आवंटन किया जाना चाहिये. आज हम देखते हैं कि ऑनलाइन के माध्यम से भी गौशालाओं का निरीक्षण होता है, उन्हें अनुदान दिया जाता है और अभी 2016-17 में आचार्य विद्यासागर दुग्ध धारा योजना प्रारंभ करके मध्यप्रदेश की सरकार ने बहुत अच्छा कार्यक्रम किया है, मैं इसके लिये उनका धन्यवाद करता हूं, अभिनंदन करता हूं. मान्यवर मंत्री जी पीएचई की मंत्री भी हैं और पेयजल की व्यवस्था के लिये "बिन पानी सब सून, मोती मानस चून" यदि मोती में से पानी चला जाये तो मोती की कोई कीमत नहीं है और यदि व्यक्ति का पानी चला जाये तो व्यक्ति की भी कोई कीमत नहीं है और संसार से पानी चला जाये तो यह संसार मशान या वैराग्य होगा. अगर हम पहले के समय में देखते थे जो लोग प्यासे होते थे उनको पानी पिलाने के लिये प्याऊ लगाई जाती थी और यह पुनीत और पवित्र कार्य हमारे पुरखे चले आ रहे हैं यह वाबड़ी खुदवाते थे, कुयें खुदवाते थे जिससे लोग पानी ले जाया करते थे और प्यास बुझाया करते थे, आज हमारी जल संसाधन मंत्री ने आज गांव-गांव में जो हेण्डपम्प की व्यवस्था की है, चाहे मजरे हों टोले हों, गांव में चले जाओ आपको कहीं न कहीं पीएचई के माध्यम से खुदा हुआ हेण्डपम्प नजर आयेगा और हमारी मातायें बहनें उससे पानी भरती हुई नजर आयेंगी. अब इन योजनाओं से जो हेण्डपम्प से पानी निकालती थीं उससे हमारी माताओं बहनों को कई प्रकार की तकलीफें हो जाया करती थीं, कई प्रकार की बीमारी हो जाया करती थीं. हमारी मंत्री महोदया ने एक योजना लागू की है कि घर में नल खोलने की. मैं भी हमारे नीमच जिले में कई पीएचई की जो योजनायें बनीं थी उन योजनाओं के माध्यम से उनका उदघाटन करने गया, तो हमारी गांव की महिलायें सिर पर कलश रखकर आईं और उन्होंने वहां टंकी का पूजन किया और मान्यवर मंत्री जी को धन्यवाद दिया कि हम हेंडपम्प चला चलाकर परेशान हो रहे थे आज हमारे घर में नल की टोंटी खोलकर हम पानी ले रहे हैं, तो आज पानीदार मुख्यमंत्री हैं इसलिये आज पानी की व्यवस्था गांव-गांव में की जा रही है, आज हम देखते हैं कि पेयजल राष्ट्रीय नीति में हेंडपम्प के स्थान पर नलजल योजना घरेलू कनेक्शन को देकर उपलब्ध करा रही है. लगभग आने वाले समय में 2022 में 90 प्रतिशत उपभोक्ताओं को घरेलू कनेक्शन के माध्यम से जल उपलब्ध कराने का लक्ष्य माननीय मंत्री जी ने, केन्द्र और प्रदेश की सरकार ने रखा है. मैं इसके लिये मान्यवर मंत्री जी को धन्यवाद देता हूं.
अभी राष्ट्रीय औषधि योजना में 30-32 प्रदेश में औसत और 9 प्रतिशत लक्ष्य बढ़ा है और इसके लिये भी मैं मान्यवर मंत्री जी को धन्यवाद देता हूं. जल के निरंतर गिरते हुये जल स्तर को ध्यान में रखते हुये सहस्त्रों आधारित समूह जल योजना क्रियान्वयन में प्राथमिकता दे रहे हैं और मध्यप्रदेश जल निगम के माध्यम से और आज 2012 में जो उनकी योजना थी वह प्रारंभ हुई है और पेयजल योजना तैयार की जा रही है. 60 से अधिक योजनाओं की डीपीआर बनकर तैयार हो चुकी है, जिसकी राशि लगभग 20 हजार करोड़ रूपये की है, जो जायका में विश्व बैंक के माध्यम से स्वीकृत होने वाली है तो निश्चित ही जल के लिये मध्यप्रदेश की सरकार और सरकार के मुखिया व्यवस्था कर रहे हैं. मैं तो एक यह भी निवेदन करूंगा कि कहीं न कहीं जल स्तर घट रहा है और इसकी चिंता माननीय शिवराज सिंह चौहान जी ने भी की है और मान्यवर मंत्री महोदया ने भी की है और हमने है कि खेत का पानी खेत में रूके, गांव का पानी गांव में रूके, छोटी-छोटी जल संरचनायें बनाई हैं, पीएचई के माध्यम से जहां-जहां हमारी सरकार ने डेम बनायें हैं उन डेमों से योजना लाकर और गांव में पेयजल की व्यवस्था करने की भी मध्यप्रदेश की सरकार लगातार काम कर रही है. जल ही जीवन है जल के बिना हम नहीं रह सकते हैं और 1916-17 में शालाओं में जहां बच्चे पढ़ने जाते हैं माननीय उपाध्यक्ष महोदय उनके लिये पानी की व्यवस्था नहीं हुआ करती थी, वह अपने घर से अपनी बॉटल अपने बगल में दबाकर लाते थे. मैं मध्यप्रदेश की माननीय मंत्री जी का धन्यवाद दूंगा कि उन्होंने उन बच्चों की भी चिंता की और उन बच्चों को लगभग 2500 शालाओं में अभी जो 37.35 करोड़ की व्यवस्था की है इसके लिये मैं माननीय मंत्री जी को धन्यवाद दूंगा क्योंकि जब बच्चे दुआयें देते हैं तो उसका बहुत बड़ा लाभ होता है, मैं अक्सर कहता हूं-
क्या मार सकेगी मौत उसे, औरो के लिये जो जीता है,
मिलता है जहां का प्यार उसे जो पानी की व्यवस्था करता है.
तो मान्यवर मंत्री जी ने आज स्कूलों में पानी की व्यवस्था की है, मैं इसके लिये धन्यवाद दूंगा, उन्होंने आदिवासी बहनों के लिये भी झाबुआ, अलीराजपुर, रतलाम, खरगोन, मंडला और ऐसे जो दूरदराज के क्षेत्र हैं उसमें भी सामुदायिक जल प्रदाय योजना स्वीकृत की है.
उपाध्यक्ष महोदय-- दिलीप सिंह जी, मेरा भी धन्यवाद ले लें.
श्री दिलीप सिंह परिहार-- ठीक है,उपाध्यक्ष महोदय,आपने बोलने के लिए अवसर दिया. मैं इसके लिए आपको धन्यवाद देता हूं. माननीय मंत्रीजी से मैं निवेदन करुंगा कि मेरे क्षेत्र में डिबिया डेम है जो खुमानसिंह शिवाजी के नाम से है, उसमें 28 गांव की योजना आपके यहां पर पड़ी है. आप उसको स्वीकृत कर दें जिससे मेरी विधानसभा क्षेत्र के लोगों को लाभ मिलेगा.
उपाध्यक्ष महोदय,जाबी में कहीं कहीं पानी दूषित है उससे दांत की बीमारी हो रही हैं. बुजुर्गों के घुटने कमजोर हो गये हैं. इसलिए वहां के पानी की जांच कराने का काम करें.
उपाध्यक्ष महोदय, हमारे गांधीसागर से पानी जो चम्बल से बहता हुआ राजस्थान जाता है. हमारे नीमच के 138 गांव की योजना जिसमें जावद,मनासा और नीमच की बनी है. गांधी सागर से पेयजल योजना जो भारत सरकार की है, वह मध्यप्रदेश जल निगम के माध्यम से बनना है उस प्रोजेक्ट की डीपीआर आपके पास है, आप या तो ठिकरिया की या गांधी सागर की कोई भी एक योजना इस बजट में स्वीकृत करें. नीमच जिले की जनता आपकी बहुत आभारी रहेगी. आपने पुनः बोलने का अवसर दिया इस के लिए बहुत बहुत धन्यवाद. भारत माता की जय.
श्री गोवर्धन उपाध्याय(सिंरोज)--उपाध्यक्ष महोदय, आपने समय दिया उसके लिए आपको धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के संबंध में आपके माध्यम से माननीय मंत्रीजी का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं. सिरोंज विधानसभा क्षेत्र में लगभग 55 नल जल योजनाएं, उनका काम भी लगभग पूरा हो चुका है. उनमें से सिर्फ 14 नल जल योजनाएं चालू हैं और शेष बंद पड़ी हुई है. शासन की योजनाओं में विभागीय अधिकारी और कर्मचारियों के लापरवाही और उदासीनता के कारण आमजनता को संकट के समय पानी नहीं मिल पा रहा है.
उपाध्यक्ष, सिरोंज में ऐसे 16 गांव--जैतपुर,बरेण्डा,लिघोड़ा,चन्द्राई,कंसी,महुआखेड़ा, पृथ्वीराज,पैकोली,पारधा,गरेंठा,गोपालपुर,रतनबर्री,कांजीखेड़ा,साकलोन,झंडवा,गेहूंखेड़ी और नेकान हैं--जिसमें नल जल योजना बनी है, लेकिन वह 16 ही बंद पड़ी है. इसी तरह लटेरी में 10 योजनाएं बंद पड़ी है वह गांव हैं मसूड़ी,रुसिया,रुसल्लीसाहू,पठेराचाण्डू,सेमरामेघनाथ,परवरिया,चांदबड़,उनारसीकला, दौरला और बीजूखेड़ी. उपाध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से एक बात की ओर माननीय मंत्रीजी का ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा कि आज से 23 साल पहले एक गांव झुकरजोगी में नल जल योजना बनायी गई थी लेकिन अधिकारियों ने उसको फैल बताया. 23 साल पहले वहां टंकी भी बन चुकी है. नल जल की पाईप लाईन भी डली है. अभी हमने पिछले 2 साल में जब उसमें पानी भरवाया वह नल जल योजना चालू की तो वह योजना आज भी चल रही है. मेरा कहना है कि क्या अधिकारियों के कहने पर ही शासन चलता है ? हम खुद नहीं देख सकते? इस तरह से लापरवाही की ओर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा.
उपाध्यक्ष महोदय, इसी तरह ग्राम आनंदपुर में जन भागीदारी योजना के माध्यम से 50 लाख रुपये की एक योजना बनायी. गांव के लोगों ने पैसा दिया. बहुत अच्छे कार्यपालन यंत्री थे, उनके माध्यम से सब काम हुआ. टंकी का ठेकेदार आया तो उसका एक पाया ही बैठ गया. मतलब पानी नहीं भराया, योजना पूरी नहीं हुई और पहले ही मरम्मत होने लगी. इस तरह की लापरवाही हो रही है. बड़ा आश्चर्य होता है. जब हम अधिकारियों के बारे में विचार करते हैं तो आपने अच्छे अधिकारियों को तो प्लानिंग में डाल दिया यदि वह रहते तो कुछ काम भी करते. इसी तरह से आपके ठेकेदारों के काम हैं. जितने भी आपके नल लगे हैं, उन नलों के पास एक में पेड़ी नहीं बनी जिससे गंदा पानी अंदर जा रहा है. एक भी काम इस प्रकार से हुआ हो तो आप पता लगा लें. मैंने कई बार शिकायतें भी की. इस तरफ किसी ने ध्यान ही नहीं दिया. ऐसे समय में वाटर लेवल तो गिरा ही है, इसमें शासन की कोई गलती नहीं है लेकिन हमको अलर्ट होकर रहना पड़ेगा अन्यथा सिर्फ अधिकारियों और ठेकेदार की गलती से लोग दुखी हो जायेंगे और अकारण परेशान होते रहेंगे. धन्यवाद.
श्री बहादुर सिंह चौहान (महिदपुर)- उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 14,16,20,29,50 एवं 56 का समर्थन करते हुए मैं अपनी बात रखना चाहता हूं. लोक सेवा यांत्रिकी विभाग का 2190.69 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान रखा गया है, उसमें से 790 करोड़ रुपए जल निगम के लिए भी उसमें से लिये गये हैं. उपाध्यक्ष महोदय, पीएचई विभाग अत्यंत महत्वपूर्ण विभाग है. पानी की हर व्यक्ति को आवश्यकता होती है. देखने में यह आया है कि 5 करोड़ 25 हजार की जनता को जो पानी पिलाने का प्रावधान है वह हैंडपंप के माध्यम से है जो मैंने पढ़ा है. अब चूंकि हैंडपंप का वाटर लेवल नीचे चला गया है. अब हैंडपंप भी दो प्रकार के हैं जो विभाग खोदता है. एक तो है बोर कॉम्बिनेशन, जो 12 इंची, 8 इंची का बड़ा बोर होता है. एक बोर होता है डीडीएच, जो 6 इंची होता है. उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से विभाग को सुझाव देना चाहता हूं कि डीडीएच वर्क की कॉस्ट निश्चित रूप से कम है लेकिन दूरगामी परिणाम उस बोर के नहीं आ रहे हैं. उसकी राशि व्यर्थ जा रही है, उसमें मोटर फंस जाती है. वह कोलेप्स हो जाता है. इसलिए मेरा आपके माध्यम से आग्रह है कि जहां भी बोर खोदे, उसकी 5-10 हजार रुपए ज्यादा कॉस्ट आएगी तो आप बड़े बोर 12 इंची, 8 इंची के खोदें ताकि गहराई से पाइप जाया जा सकता है. यह एक सुझाव है. साथ ही मध्यप्रदेश में आज तारीख में जो मैंने पढ़ा है कि 5 लाख 30 हजार हैंडपंप हैं और इनसे हम पानी पी रहे हैं. वाटर लेवल नीचे चला गया है तो हैंडपंप से पानी निकालना संभव नहीं है. अब जहां पर डेम हैं, जहां पर नदी है, जहां पर स्टापडेम हैं, उनकी बड़ी बड़ी योजनाएं हमको बनाना पड़ेगी और जल निगम इसमें बहुत अच्छा काम कर सकता है. इस विभाग में जो जल निगम बनाया गया है निश्चित रूप से इसका बहुत अच्छा परिणाम आ रहा है. मेरा आग्रह है कि आप 20000 करोड़ रुपए की योजनाएं जल निगम के द्वारा जिसके डीपीआर पूरे हो गये हैं और लगभग 60 योजनाएं हैं, उनको मध्यप्रदेश में बनाना चाह रहे हैं. निश्चित रूप से यह स्थायी हल है. आपको इसको करना ही चाहिए. उपाध्यक्ष महोदय, मेरा एक क्षेत्र का मामला है.
उपाध्यक्ष महोदय - हां, क्षेत्र की ही बात कर लें. माननीय मंत्री जी को हॉस्पिटल भी जाना है, आप उनकी मनःस्थिति समझ सकते हैं, सम्मानीय सदस्यों से मेरा अनुरोध है कि बहुत कम समय में अपने क्षेत्र की बात रख लें.
श्री बहादुर सिंह चौहान - उपाध्यक्ष महोदय, जी, दो मिनट में अपनी बात कर लेता हूं. माननीय मंत्री जी ने मेरे क्षेत्र में 16 करोड़ रुपए की जल निगम के द्वारा योजनाएं दी गई हैं, जिनका कार्य प्रगति पर है. लेकिन माननीय मंत्री जी को मैं कहना चाहता हूं कि जिस गुणवत्ता का, जिस लेवल का पाइप होना चाहिए, जिस लेवल की टंकी बनना चाहिए. जिस गहराई से पाइप डालना चाहिए, उस स्तर से वह ठेकेदार कार्य नहीं कर रहा है. मेरा आग्रह है कि 16 करोड़ रुपए क्षेत्र में बार-बार नहीं मिलते हैं. मेरा आग्रह है कि उसको आप दिखवा लें. साथ ही मेरे क्षेत्र में उपाध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से चाहता हूं कि गांव गेलाखेड़ी, जहां पर नदी पास में है. बोरखेड़ानाऊ वह भी नदी से लगा हुआ गांव है और एक पाताखेड़ी है. ये तीनों गांव नदी के पास में है. यहां पर भी जल निगम के माध्यम से योजना बनाई जाएगी तो बहुत ही अच्छा होगा. उपाध्यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र का एक विधि विभाग से जुड़ा हुआ मामला है. बड़ा राम मंदिर है और उसका प्रकरण 10-12 वर्षों से न्यायालय में चल रहा है. कोई भी शासकीय व्यक्ति उसमें एपियर नहीं हो रहा है. करोड़ों, लाखों रुपयों की जो जमीन है, वह कब्जा करके बैठे हैं. मेरा आग्रह है कि महिदपुर विधान सभा की कस्बा झालड़ा का बड़ा राम मंदिर का मामला है. अभी तक उसमें कोई क्यों एपियर नहीं हुआ, आपके विभाग का मामला है, इसमें निश्चित रूप से संज्ञान लेकर जिस व्यक्ति पर कार्यवाही करना चाहिए, आपको करना चाहिए. अंतिम एक बात मैं कहना चाहता हूं कि चूंकि पशुपालन एक बहुत महत्वपूर्ण विभाग है और दूध उत्पादन में हमारा चौथा स्थान है. प्रत्येक व्यक्ति को 383 ग्राम के मान से दूध मिल रहा है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय यह विभाग बहुत ही महत्वपूर्ण है मध्यप्रदेश के जितने भी विभाग है उनमें पशु पालन छोटा दिखता है लेकिन मैं आपके माध्यम से आग्रह करना चाहता हूं कि मालवा में जो मालवी नस्ल धीरे धीरे समाप्त होती जा रही है जिसको हम मालवा कहते हैं, चूंकि यहां पर पशु पालन के अधिकारी भी बैठे हुए हैं तो मेरा आग्रह है कि मालवी नस्ल समाप्त न हो इसके लिए कोई न कोई उपाय किया जाय. आपने समय दिया बहुत बहुत धन्यवाद्.
डॉ. गोविन्द सिंह ( लहार ) -- उपाध्यक्ष महोदय मैं माननीय मंत्री जी को जो भी समस्याएं हैं वह लिखकर दे दूंगा. केवल मेरा इतना ही कहना है कि एडीजी कोर्ट लहार में बहुत दिनों से चल रहा है जगह भी सुनिश्चित हो चुकी है. आपसे अनुरोध है कि एडीजी कोर्ट का भवन के लिए और वहां का जो स्टाफ है जज लोग है उनके लिए स्टाफ क्वार्टर हो जाय तो अच्छा होगा धन्यवाद्.
श्री इन्दरसिंह परमार ( कालापीपल ) -- उपाध्यक्ष महोदय मेरे क्षेत्र में पार्वती नदी पर आधारित सामूहित नलजल योजना का प्रस्ताव विभाग के पास में रखा है. मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि उस नलजल योजना को स्वीकृत करें और भविष्य में नेवज नदी पर आधारित जो योजना है उ सको अगले वर्ष कर लें. लेकिन यह जो पार्वती नदी पर आधारित जो नलजल योजना है उ सको इस वर्ष ही स्वीकृति प्रदान करें. दूसरा हमारे यहां कालापीपल में सिविल न्यायालय की स्थापना होना है लंबे समय से वह प्रस्ताव लंबित है, मापदण्ड भी वह पूरे कर रहा है. मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि सिविल न्यायालय को भी प्रारम्भ करवायें. आपने समय दिया धन्यवाद्.
श्री सुखेन्द्र सिंह ( मऊगंज ) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय आज पूरा प्रदेश सूखे की चपेट में है जिसके कारण पूरा प्रदेश सूखे से जूझ रहा है. उसी से पीड़ित मेरा जिला भी है जो कि सर्वाधिक संकट में है और सूखा ग्रस्त भी है. मेरा विधान सभा क्षेत्र रीवा का सबसे ऊंचा एरिया है, जहां पर हैण्ड पंपों की स्थिति दिनों दिन बहुत खराब हो रही है. उपाध्यक्ष महोदय आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि मऊगंज विधान सभा क्षेत्र की स्थिति को देखते हुए, मेरा तो यह भी कहना है कि पूरा रीवा जिला भी इस स्थिति से जूझ रहा है. माननीय मंत्री महोदया से अनुरोध है कि रीवा जिले की और मऊगंज की जो स्थितियां हैं उसके हिसाब से जो भी नलजल योजनाएं हैं वह संचालित नहीं है. अभी गोपाल भार्गव जी ने भी कहा था उन्होंने कहा था कि हमने बजट दिया है, लेकिन इसके बाद में भी दिनों दिन स्थितियां भी खराब होती जा रही हैं, तो कुछ मोटरों की व्यवस्था के माध्यम से और कैसे भी करके, या नये हैण्ड पंप उत्खनन कराकर पेयजल की विशेष रूप से व्यवस्था करायी जाय. आपको मालूम हो कि मेरे क्षेत्र हनुमना में कोर्ट की व्यवस्था नहीं है, कोर्ट वहां पर मंजूर है. मैं मंत्री महोदय से अनुरोध करना चाहता हूं कि वहां केवल भवन नहीं है अगर वहां पर भवन बन जाय तो कोर्ट वहां संचालित हो सकता है. उपाध्यक्ष महोदय आपने समय दिया धन्यवाद्.
श्री दिनेश राय ( सिवनी ) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय मेरा आग्रह है कि हमारे यहां पर जो बैल जोड़ी बकरा बकरी शासन की योजना के अनुसार प्रदाय की जाती है वह जिस एजेन्सी से सप्लाई की जाती है उसके बारे में निवेदन है कि उसका डॉक्टर सही आंकलन करे ताकि हितग्राहियों को उचित जानवर मिल सके. आपसे निवेदन है कि मछली पालन में समितियों पर विशेष ध्यान दें जो इसी कार्य से जुड़े हुए हैं मछुआरे लोग उनको मिले सही बीज मिले. हमारे यहां पर वर्तमान में सूखा की स्थिति है. ... हमारे यहां वर्तमान में सूखा की स्थिति है माननीय मंत्री जी से मेरा आग्रह है कि अभी हमारे यहां ढुलाई की स्थिति बन गई है तो वहां पर्याप्त पाइप, मोटर, हैंडपंप, बोरिंग हेतु राशि उपलब्ध कराने की दया करें. पानी के अभाव में वर्तमान में यह स्थिति है तो अप्रैल, मई, जून में काफी स्थिति खराब होगी. इसका एक ही उपाय है कि सामूहिक नल-जल योजना से कार्य करवाएं क्योंकि उसमें फ्लोराइड भी है, मैं भी उसमें सात टैंकर दे रहा हूँ और मैं माननीय मंत्री जी के परिवार में जो दु:खद घटना हुई है और जो लोग अस्वस्थ हैं उनके लिए बड़ी वेदना व्यक्त करता हूँ और माननीय मंत्री को संबल मिले. धन्यवाद.
श्रीमती शीला त्यागी -- अनुपस्थित
श्री हेमंत खण्डेलवाल (बैतूल) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 14 और 16 के पक्ष में अपनी बात कहना चाहूंगा. मैं मंत्री जी को बैतूल जिले की 20 गांवों की 32 करोड़ रुपये की सामूहिक नल-जल योजना के लिए धन्यवाद देना चाहूंगा. मेरे यहां 70 पंचायतों की नल-जल योजनाएं बंद हैं जिसमें 3 करोड़ 64 लाख की मांग है, कृपया उसे स्वीकृत करें. फरवरी माह तक 111 हैंडपंप बंद हो गए हैं और स्थिति वर्ष 2011 की तरह हो रही है जब 800 हैंडपंप बंद हो गए थे, कृपया इस स्थिति से निपटने के लिए राशि आवंटित करें. मेरे यहां 2 सामूहिक नल-जल योजनाएं 38 गांवों की 54 करोड़ रुपये की, एक ताप्ती पर और 85 गांवों की 105 करोड़ की माचना नदी पर पेंडिंग हैं. इसी तरह मुलताई की दो पारसडोर वर्धा पर है इसकी स्वीकृति के लिए मेरा आग्रह है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, डेयरी के संबंध में मेरा आग्रह है कि हम देश में छठे नंबर पर हैं लेकिन सहकारिता में हम मात्र 3.3 प्रतिशत दूध ही कलेक्ट करते हैं जबकि गुजरात 44 प्रतिशत दूध इकट्ठा करता है, हमारे यहां जो डेयरी के पशुपालक हैं वह दो लाख हैं और गुजरात में 29 लाख हैं. अगर हम इस क्षेत्र को आगे बढ़ाना चाहते हैं तो लगभग 10 हजार दुग्ध सहकारी समितियां बननी चाहिए और 10 नए दुग्ध संघ का गठन होना चाहिए जिसमें मेरा एक बैतूल, हरदा, होशंगाबाद का भी दुग्ध संघ है. इसको भी अगर मान लेंगे तो मैं समझता हूँ कि दूध उत्पादन में और दूध कलेक्शन में काफी सहायता होगी. समय कम है, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, आपको धन्यवाद देना चाहूंगा.
श्री आशीष शर्मा (खातेगांव) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 14, 16, 20, 29, 50 और 56 का समर्थन करता हूँ. माननीय मंत्री महोदया के पास बहुत सारे विभाग हैं और इन विभागों की कार्यप्रणाली बहुत अच्छी इस समय पूरे मध्यप्रदेश में चल रही है. मेरे विधान सभा क्षेत्र में उद्यानिकी में बहुत अच्छा कार्य हुआ है. पशुपालन विभाग के माध्यम से भी गोपाल पुरस्कार योजना और चूजा प्रदाय, बकरा-बकरी प्रदाय, नंदीशाला प्रदाय का कार्य बहुत अच्छा हुआ है. मैं अपने क्षेत्र की कुछ मांगे आदरणीय मंत्री महोदया से करना चाहता हूँ. हमारे विधान सभा क्षेत्र में मां नर्मदा का एक बहुत लंबा सानिध्य हमें प्राप्त होता है. वहां के लिए पूरे विधान सभा क्षेत्र के समस्त गांवों के लिए नर्मदा नदी से समूह नल-जल योजना की डीपीआर तैयार करके विभाग के अनुमोदन के लिए गई है, कृपया उसे शीघ्रता से स्वीकृत कराएं. इस बार जल संकट की स्थिति है इसलिए समय से यदि विभागीय उपकरण हमें प्राप्त हो जाएंगे जैसे पाइप-लाइन वगैरह तो जल संकट से निपटने में मदद मिलेगी. हमारे यहां दतौनी मध्यम परियोजना के माध्यम से एक बहुत बड़े बांध का निर्माण हुआ है जिसमें मछली पालन की असीम संभावनाएं हैं, मैं आपके माध्यम से मांग करूंगा कि वहां मछली पालन के लिए प्रस्ताव तैयार कराकर स्वीकृति दी जाए.
उपाध्यक्ष महोदय -- और भी जो आपके सुझाव हों, वे आप मंत्री जी को लिखकर दे दें.
श्री आशीष शर्मा -- जी, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री के.के. श्रीवास्तव (टीकमगढ़) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 14, 16, 20, 29, 50 और 56 का समर्थन करता हूँ. मुझे यह कहते हुए बड़ी खुशी हो रही है कि पहली बार बुंदेलखण्ड के लिए पेयजल समस्या के स्थाई निदान के लिए मुख्यमंत्री समूह नल-जल योजना, जो सतही स्रोत आधारित है, योजनाएं बनाकर काम किया जा रहा है इसके लिए विभाग की मंत्री जी को और उनके अधिकारियों को बधाई देता हूँ. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं सीधे-सीधे मांगों पर आ जाता हूँ. मेरे टीकमगढ़ विधान सभा क्षेत्र में बांधसुधारा बांध है वहां टीकमगढ़ और खरगा दो विधान सभाएं प्रभावित हो सकती हैं अगर उस पर मुख्यमंत्री नल-जल समूह योजना बनाई जाए, एक जामनी नदी है, वहां आमघाट पर अगर मुख्यमंत्री नल-जल योजना बनाई जाएगी तो टीकमगढ़ विधान सभा क्षेत्र को बहुत लाभ होगा. मवई की एक नल-जल योजना तैयार हो गई थी, टंकी बन गई, पाइप-लाइन बिछ गई, सबकुछ हो गया था, एमपीएसआरडीसी की एक सड़क के कारण वह ध्वस्त हो गई है.
उपाध्यक्ष महोदय -- मेरा सुझाव है कि आप माननीय मंत्री जी को लिखकर दे दें. श्री के.के. श्रीवास्तव (टीकमगढ़) -- मैं बिलकुल लिखकर दे दूंगा. पशुपालन के क्षेत्र में दो तीन बाते हैं. एक तो 725 एकड़ का एक मिनोरा में फार्म है कुण्डेश्वर के पास, उसमें पशुपालन प्रशिक्षण केन्द्र की स्थापना और पाश्चुराइज्ड दुग्ध शीतल संयंत्र बड़े स्तर पर 725 एकड़ केवल पशुपालन विभाग के पास फार्म पड़ा हुआ है तो उसको निर्माण कराया जाए. पिछले सत्र में भी मैंने हार्टीकल्चर के बारे में बात की थी और माननीय मंत्री महोदया ने सदन के अन्दर आश्वासन भी दिया था. टीकमगढ़ में कृषि कालेज है. मैंने उद्यानिकी महाविद्यालय की बात की थी तो उन्होंने कहा कि कि हम खोलेंगे. अब कृषि महाविद्यालय है तो उसी में उद्यानिकी विभाग का भी पाठ्यक्रम चालू करा दिया जाए और हार्टीकल्चर हब बुन्देलखण्ड में बनाने की भी घोषणा हुई थी, वह भी जल्दी से क्रियान्वित हो जाए. आपको और माननीय मंत्री जी को बहुत बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय--सूबेदार सिंह आप सुझाव लिखकर के दे दीजिएगा. अब अलाऊ नहीं करेंगे. माननीय सदस्य मंत्री जी को लिखकर के अपने सुझाव दे दें.
पशुपालन,उद्यानिकी तथा खाद्य प्रसंस्करण मंत्री(सुश्री कुसुम सिंह महदेले)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, बोलने के लिए 6-6 विभाग है. प्रस्तावित बजट में मांग संख्या 14 में कुल 785.28 करोड़ का बजट 2016-17 में प्रस्तावित है जबकि 2015-16 के बजट 708 करोड़ से अधिक है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पशुपालन विभाग के अंतर्गत पिछले दो साल में माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में बहुत विकास हुआ है और बहुत प्रगति हुई है. पहले मैं उपलब्धियों के बारे में बताना चाहती हूँ. प्रदेश की जनसंख्या में वृद्धि के बावजूद प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता पहले 2014-15 में 383 ग्राम थी जो राष्ट्रीय 315 ग्राम और विश्व की औसत 281 ग्राम तथा भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद की अनुशंसा के अनुसार 280 ग्राम से बढ़कर प्रदेश सरकार के प्रयास से,... माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं अपना भाषण पटल पर रख देती हूँ.उपाध्यक्ष महोदय, चूंकि मेरे परिवार में हादसा हो गया है इसलिए सदन से निवेदन करती हूँ कि मेरे सभी विभागों की मांगों को पारित करने का कष्ट करें.
उपाध्यक्ष महोदय-- ठीक है, आप रख दीजिए. पूरा सदन इस बात से सहमत है.
7.34 बजे शासकीय विधि विषयक कार्य
मध्यप्रदेश विनियोग(क्रमांक-2)विधेयक,2016(क्रमांक 2 सन् 2016)
वित्त मंत्री(श्री जयंत मलैया)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश विनियोग(क्रमांक-2) विधेयक, 2016 का पुर:स्थापन करता हूँ.
उपाध्यक्ष महोदय-- विधानसभा की कार्यवाही शुक्रवार, दिनांक 18 मार्च, 2016 को प्रात: 11.00 बजे तक के लिए स्थगित.
रात्रि 7.35 बजे विधान सभा की कार्यवाही शुक्रवार, दिनांक 18 मार्च, 2016 ( 28 फाल्गुन, 1937) के पूर्वाह्न 11.00 बजे तक के लिए स्थगित की गई.
भोपाल भगवानदेव ईसरानी
दिनांक: 17 मार्च, 2016 प्रमुख सचिव
मध्यप्रदेश विधानसभा