मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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चतुर्दश विधान सभा नवम् सत्र
दिसम्बर, 2015 सत्र
बुधवार, दिनांक 16 दिसम्बर, 2015
(25 अग्रहायण, शक संवत् 1937 )
[खण्ड- 9] [अंक- 8]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
बुधवार, दिनांक 16 दिसम्बर, 2015
(25 अग्रहायण, शक संवत् 1937)
विधान सभा पूर्वाह्न 10.34 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर.
पशु प्रजनन प्रक्षेत्र विकसित किया जाना
1. ( *क्र. 1298 ) श्री शैलेन्द्र जैन : क्या पशुपालन मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) मेरे अतारांकित प्रश्न संख्या 89 (क्र. 2291) दिनाँक 29 जुलाई 2015 के प्रश्नांश (क) के उत्तरांश में बताया गया है कि सागर जिला स्थित शासकीय पशु प्रजनन प्रक्षेत्र रतौना के आधिपत्य में 696.17 एकड़ भूमि है एवं उक्त केन्द्र पर कुल 432 पशु संधारित हैं? क्या शहर से लगी हुई अति महत्वपूर्ण बहुमूल्य भूमि का पूर्ण उपयोग नहीं हो पा रहा है? यदि हाँ, तो क्या म.प्र. शासन की मंशा के अनुरूप पशुधन हेतु वृहत पशु प्रजनन प्रक्षेत्र को विकसित किए जाने की दिशा में शासन विचार करेगा? (ख) यदि हाँ, तो कब तक?
पशुपालन मंत्री ( सुश्री कुसुम सिंह महदेले ) : (क) प्रक्षेत्र की 17.17 एकड़ में भवन एवं सड़कें तथा पशु शेड निर्मित हैं, 300 एकड़ में संरक्षित घास बीड़ है, जिससे पशुओं को खिलाने हेतु सूखा चारा प्राप्त होता है। 197 एकड़ में रबी एवं खरीफ में चारा उत्पादन का कार्य किया जाता है। 182 एकड़ में जानवरों को चराने हेतु संरक्षित चरोखर के रूप में उपयोग किया जाता है। इस प्रकार प्रक्षेत्र पर उपलब्ध अधोसंरचना एवं भूमि का उपयोग किया जा रहा है। प्रक्षेत्र में उपलब्ध संसाधन एवं अधोसरंचना का समुचित उपयोग शासन की मंशानुसार ही किया जा रहा है। (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
श्री शैलेन्द्र जैन – अध्यक्ष महोदय, मेरे विधान सभा क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाले पंडित माखनलाल चतुर्वेदी पशु प्रजनन केन्द्र के संबंध में मैंने प्रश्न किया था. यह प्रजनन केन्द्र मूलतः भैंस, बकरी, गाय, मुर्गा, मछली पालन इत्यादि के लिये था, लगभग 700 एकड़ जमीन हमारे पास उपलब्ध है, लेकिन उसका अण्डर यूटिलाइजेशन किया जा रहा है. मेरा मंत्री जी से यह प्रश्न है कि क्या हरियाणा करनाल में जैसे नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट है और वहाँ पर एनीमल साईंस मिल्क डेयरी प्रोसेसिंग साईंस के तहत बहुत सारे काम हो रहे हैं, वेल्यू एडीशन करके, वहां पर उनके मिल्क प्रोडक्ट्स बनाने का काम हो रहा है. वहां छोटी-छोटी यूनिट्स लगाई गई हैं. क्या इस तरह कोई योजना शासन के विचाराधीन है ? इस संबंध में, माननीय मंत्री महोदया विचार करेंगी या उतने बड़े क्षेत्र में हम गौ अभ्यारण्य की भी कल्पना कर सकते हैं. आपके माध्यम से, मैं माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूँ कि क्या शासन इस दिशा में विचार करेगा ?
सुश्री कुसुम सिंह महदेले – माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से निवेदन करना चाहती हूँ कि न वहां मछलियां पाली जाती हैं, न मुर्गे-मुर्गी पाले जाते हैं बल्कि थार-पार नस्ल की गायें और वहां पर मुर्रा भैंसों का पालन होता है और उनके जो बछड़े होते हैं, वे किसानों को बांटे जाते हैं. हम इतने बड़े क्षेत्र का भरपूर उपयोग कर रहे हैं. हमारे बहुत सारे शेड बने हुए हैं, भूसा गोदाम बना हुआ है.
मैं माननीय सदस्य की प्रसन्नता के लिए बताना चाहती हूँ कि मध्यप्रदेश राज्य पशुधन विकास निगम के द्वारा, जिस प्रकार से बुल मदर फॉर्म तथा पशु प्रजनन प्रक्षेत्र कीरतपुर को आदर्श एवं वृहद प्रक्षेत्र विकसित किया गया है. उसी प्रकार से, मैं बताना चाहती हूँ कि पशु प्रजनन क्षेत्र-प्रक्षेत्र रतौना, जिला-सागर में आदर्श प्रक्षेत्र के रूप में विकसित करने के उद्देश्य से मध्यप्रदेश राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम को स्थानान्तरित करने के आदेश हमने दि. 30/11/2015 को दे दिए हैं और मैं, माननीय सदस्य को आश्वस्त करना चाहती हूँ कि उसको विकसित करने की जितनी संभावना है, उससे अधिक विकसित करने का प्रयास करूँगी.
श्री शैलेन्द्र जैन – माननीय अध्यक्ष महोदय, गौ अभ्यारण्य एक बहुत अच्छी कल्पना है. उस दिशा में, मेरा बहुत स्पेसिफिक प्रश्न है कि उस दिशा में अगर माननीय मंत्री महोदय विचार करेंगी तो बहुत अच्छा होगा और वहां पर 35 एकड़ का मछली पालन के लिये एक बहुत बड़ा तालाब है. मछली पालन का कार्य वहां पर मूलत: होता आया है. अगर माननीय मंत्री महोदया, उस दिशा में कुछ विचार करेंगी तो बहुत अच्छा होगा.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले – माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से कहना चाहती हूँ कि अभ्यारण्य और बुल मदर फॉर्म में बहुत अन्तर होता है. अभ्यारण्य में आवारा गायें, जो इधर-उधर घूमती रहती हैं तो उसमें उनका पालन-पोषण और उनकी देख-रेख की जाती है, उनकी जीवन रक्षा की जाती है लेकिन बुल मदर फॉर्म में अच्छे किस्म की गायें, भैंसे वगैरह पाली जाती हैं जिससे हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी एवं माननीय मुख्यमंत्री जी की कल्पना पूरी हो सके.
आज हमारा प्रदेश दुग्ध उत्पादन में चौथे नम्बर पर है तो उस हिसाब से वहां पर पशुओं का पालन-पोषण होता है. यह अभ्यारण्य अलग चीज है और बुल मदर फॉर्म अलग चीज है.
इंजी. प्रदीप लारिया – माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं इसमें इतना कहना चाहता हूँ कि जो रतौना तालाब है. वह बहुत प्राचीन तालाब है और डेयरी से जुड़ा हुआ है. इस समय, उस तालाब की हालात बहुत खराब है. क्या माननीय मंत्री जी उस तालाब का जीर्णोद्धार करवायेंगी ? चूँकि वह तालाब डेयरी के लिये उपयोग होता है.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले – माननीय अध्यक्ष महोदय, निश्चित रूप से यदि तालाब की स्थिति खराब है तो मैं खुद वहां जाकर देखूँगी और तत्काल उसका सुधार कार्य करवाऊँगी और मछली पालन विभाग से पशुपालन विभाग की आपस में बातचीत करवाउँगी क्योंकि इनके प्रमुख सचिव अलग-अलग हैं. अगर सम्भव होगा तो वहां हम मछली पालन करवायेंगे.
इंजी. प्रदीप लारिया – माननीय अध्यक्ष महोदय, यह तो सरकार की सम्मिलित जिम्मेदारी है.
अध्यक्ष महोदय – माननीय मंत्री जी ने आपके प्रश्न का समाधान कर दिया है और कहा है कि सुधरवायेंगी एवं मछली पालन भी करवायेंगी. अब क्या रह गया है ?
सुश्री कुसुम सिंह महदेले – वहां पर जो तालाब है, वह पशुओं के पानी पीने के लिए है, मछली पालन के लिये नहीं है.
इंजी. प्रदीप लारिया – माननीय मंत्री जी खुद बुन्देलखण्ड की हैं. वहां से आती-जाती हैं, इसकी पूरी जानकारी उनको है.
अध्यक्ष महोदय – अब पुन: पूरक प्रश्न नहीं होगा.
विधानसभा चुरहट अंतर्गत नल-जल योजना का संचालन
2. ( *क्र. 2477 ) श्री अजय सिंह : क्या पशुपालन मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) चुरहट विधानसभा क्षेत्र में कितनी नल-जल योजनाएं स्वीकृत हैं व कितनी संचालित हैं? ग्राम पंचायतवार जानकारी दी जाए। (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार क्या अधिकांश नल-जल योजनाएं बंद पड़ी हैं? बंद नल-जल योजनाएं कब तक चालू करा दी जायेंगी? (ग) प्रश्नांश (क) अनुसार किन कारणों से नल-जल योजनाएं बंद है? बंद होने का कारण बताया जाये?
पशुपालन मंत्री ( सुश्री कुसुम सिंह महदेले ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जी नहीं, विभिन्न कारणों से बंद होने के कारण निश्चित समयावधि नहीं बताई जा सकती। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है।
श्री अजय सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के उत्तर में माननीय मंत्री महोदया ने नलजल योजना की जानकारी पुस्तकालय के माध्यम से दी है कि 85 में से 20 बंद हैं, जो 85 चालू हैं,मुझे लगता है कि मेरे प्रश्न लगने के बाद ही माननीय मंत्री जी ने चालू कराई हैं । माननीय अध्यक्ष महोदय, यह प्रश्न पेयजल योजना से संबंधित है । पेयजल योजना में, करोड़ो रूपए खर्च होते हैं, सिर्फ मेरे क्षेत्र की बात नहीं है, आज की तारीख में अधिकांश क्षेत्रों में पेयजल योजनाएं बंद हैं । माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से पूछना चाहता हूँ कि क्या सरकार, इस पर कोई नीतिगत निर्णय लेगी कि जो प्रदेश में नलजल योजनाएं बंद हैं,समयावधि में उन नलजल योजनाओं को चालू कराने का प्रयास करेंगी । इस साल जल का संकट है और जब इतनी राशि की पेयजल योजनाएं बनी हुई हैं, तो कहीं पम्प चालू नहीं होने के कारण, कहीं पाईप क्षतिग्रस्त होने के कारण, कहीं बिजली कनेक्शन न होने के कारण, यदि यह नलजल योजनाएं चालू नहीं हैं तो माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री महोदया से पूछना चाहॅूंगा कि सरकार कोई नीतिगत निर्णय ले कि हमारे क्षेत्र की बात नहीं है, सभी क्षेत्र में सभी नलजल योजनाओं को समयावधि में चालू कराने का प्रयास करेंगी ।
सुश्री कुसुम सिंह महदेले - माननीय अध्यक्ष महोदय, पहले से ही सरकार का नीतिगत निर्णय है कि जो भरे-पटे,बोर होते हैं, उन्हें पी.एच.ई.विभाग सुधारता है,जिनके बिजली के कनेक्शन नहीं हैं, उनको पी.एच.ई. विभाग सुधारता है,जहां नई नलजल योजना बनना है,चाहे वह जल निगम से बनें,चाहे पी.एच.ई. विभाग से बनें उनको विभाग करता है, बहुत सारी नलजल योजनाएं हैं जो पाईप टूटने की वजह से, पम्प चोरी होने की वजह से बंद हैं, हमने उन योजनाओं को बनाने के बाद पंचायत विभाग को सौंप दिया है । अब यह पंचायत विभाग की जिम्मेदारी बनती हैं कि उन योजनाओं को वह चालू करें ।
श्री अजय सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय,मंत्री महोदया ने बड़ी सरलता से कह दिया कि हमने पंचायत विभाग को सौंप दिया, पंचायत मंत्री भी यहां मौजूद हैं, मैंने पूछा है कि इस जल संकट के वर्ष में शासन कोई नीतिगत निर्णय लेना चाहेगी कि नलजल योजनाएं जो पंचायत को सौंप दी गई हैं, उनको चालू कराने का प्रयास करेंगी कि नहीं करेंगी ।
सुश्री कुसुम सिंह महदेले - अध्यक्ष महोदय, निश्चित रूप से मैं माननीय पंचायत मंत्री जी से चर्चा करूँगीं और माननीय मुख्यमंत्री जी के निर्देश भी प्राप्त करूँगी और अतिशीघ्र इन नलजल योजनाओं को भी चालू कराने का प्रयास करेंगे ।
श्री मुकेश नायक - माननीय अध्यक्ष महोदय, एक प्रश्न ।
श्री निशंक जैन - माननीय अध्यक्ष महोदय, आधा मिनिट । (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - किसी को अनुमति नहीं है, अपने-अपने क्षेत्र की बात मत करिए,उन्होंने सारे प्रदेश का पूछ लिया, आप लोग शायद ध्यान से सुनते नहीं हैं श्री अजय सिंह जी ने यह प्रश्न पूछ लिया है ,प्रश्न क्षेत्र का पूछा था, परन्तु उन्होंने प्रदेश भर का पूछ लिया । अब इसके बाद में अपने अपने क्षेत्र की बात नहीं करने देंगे कोई उत्तर नहीं देगा, न रिकार्ड में आएगा, न लिखित में आएगा, आपका यह समय खराब हो रहा है ।
शासकीय भूमि पर अतिक्रमण
3. ( *क्र. 971 ) श्रीमती चन्दा सुरेन्द्र सिंह गौर : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जतारा तहसील के ग्राम शाह में भूमि खसरा क्र. 453/2 रकबा 06 हेक्टेयर की भूमि शासन की भूमि है, लेकिन ग्राम के कुछ लोगों द्वारा अतिक्रमण कर लिया है? क्या उक्त शासन की भूमि अतिक्रमण से मुक्त करायेंगे? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो कारण स्पष्ट करें? (ख) क्या ऐसे अतिक्रमण करने वालों से उक्त भूमि शासन को सुरक्षित कर अतिक्रमणकर्ताओं के विरूद्ध सिविल जेल की कार्यवाही करेंगे? यदि हाँ, तो कब, यदि नहीं, तो कारण स्पष्ट करें?
राजस्व मंत्री ( श्री रामपाल सिंह ) : (क) जी हाँ। यह भूमि आबादी से लगी हुई है। ग्राम पंचायत शाह द्वारा आबादी घोषित करने का प्रस्ताव तहसील न्यायालय में पंजीबद्ध होकर प्रचलित है। खसरे की भूमि के अंशभाग रकबा 0.300 हे. पर ग्राम के 27 अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों के पुस्तैनी मकान बने हुए हैं। प्रश्नाधीन खसरा के अंशभाग 0.202 हे. भूमि का उपयोग मरघट के लिये करते हैं। इस खसरे में प्रधानमंत्री सड़क बनी हुई है। शेष भूमि अतिक्रमण से मुक्त है। (ख) प्रश्नाधीन शासकीय भूमि पर अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों के पुश्तैनी मकान बने हुए हैं तथा उक्त भूमि को आबादी घोषित करने प्रकरण प्रचलित होने के कारण।
श्रीमती चन्द्रा सुरेन्द्र सिंह गौर- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न यह था कि जतारा तहसील के ग्राम शाह में शासन की भूमि खसरा क्र. 453/2 रकबा 06 हेक्टेयर की भूमि पर ग्राम के कुछ लोगों द्वारा अतिक्रमण कर लिया है? क्या भूमि अतिक्रमण से मुक्त करायेंगे। माननीय अध्यक्ष महोदय, उत्तर में आया है कि उक्त खसरे की भूमि आबादी घोषित किए जाने की कार्यवाही हेतु न्यायालय में प्रचलित है इसलिए माननीय अध्यक्ष महोदय आपने उक्त भूमि को आबादी घोषित नहीं किया है इसलिए अतिक्रमण हो गया है, उसी अतिक्रमण को हटाए जाने की मेरी मांग है ।
श्री रामपाल सिह - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी ने जो प्रश्न पूछा है, वहां 27 अनुसूचित जाति वर्ग के लोग रह रहे हैं, पुस्तैनी मकान बने हुए हैं और मध्यप्रदेश सरकार की यह सोच है कि अगर गरीबों को हटाएंगे तो पहले उनको विस्थापित करेंगे ।
माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी ने जो प्रश्न पूछा है उनकी मंशा है अतिक्रमण हटाने की या तो उनके लिये सोचेंगे कि अलग से व्यवस्थित करें, वे बेघर न हों, उसमें कार्यवाही चल रही है. हमने जो जवाब दिया है आबादी घोषित करने का वह इसलिये है कि हम उनको व्यवस्थित कर सकें, फिर भी विधायक जी की चिन्ता है तो इसका फिर से परीक्षण करवा लेंगे. माननीय विधायक जी और सुझाव दे देंगी तो उस पर अमल करेंगे. यह निराकरण जरूर हो जाए अगर उनको हटाएंगे तो उनको व्यवस्थित जरूर करेंगे, यह गरीबों के प्रति सरकार की चिन्ता है.
श्रीमती चन्दा सुरेन्द्र सिंह गौर—माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि मरघट एवं सड़क इसमें कोई परेशानी नहीं है जो 27 आदिवासियों के पुस्तैनी मकान बताये जा रहे हैं वहां पर सरपंच द्वारा पूरी जमीन पर अतिक्रमण कर लिया गया है इसलिये उक्त भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराये जाने के आदेश करें. सरपंच द्वारा जो अतिक्रमण लगभग पूरी सरकारी जमीन पर तार की फेंसिंग लगा ली है उसकी मौके पर जांच करवाकर अतिक्रमण हटवाया जाए.
अध्यक्ष महोदय—आपसे चर्चा करके उसका निराकरण करेंगे.
श्रीमती चन्दा सुरेन्द्र सिंह गौर—माननीय अध्यक्ष महोदय, आदिवासियों को भूमि दी जाए उनके नाम से पट्टे कर दिये जाएं उसके लिये मुझे कोई आपत्ति नहीं है.
अध्यक्ष महोदय—मंत्री जी उसका निराकरण कर रहे हैं उन्होंने यही उत्तर दिया है.
श्रीमती चन्दा सुरेन्द्र सिंह गौर—माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं तो चाहती हूं कि आदिवासियों को पट्टे दिये जाएं इसमें जो जानकारी मंत्री जी को मिली है असत्य है, क्योंकि वहां पर आदिवासियों के मकान ही नहीं हैं.
अध्यक्ष महोदय—मंत्री जी उसकी जांच तथा परीक्षण भी करवा लेंगे और कुछ आपके सुझाव हों तो लिखकर के दे दीजिये.
प्रश्न संख्या-4
बंद नल-जल योजनाएं
4. ( *क्र. 1016 ) श्री हरवंश राठौर : क्या पशुपालन मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) दिनाँक 29 जुलाई, 2015 के अतारांकित प्रश्न संख्या 34 (क्र.1368) के प्रश्नांश (ख) के उत्तर में जानकारी दी गई है कि बंद नल-जल योजना को चालू कराने हेतु विभाग जिम्मेदार नहीं है, तो कौन जिम्मेदार है? (ख) विधानसभा क्षेत्र बण्डा अंतर्गत 55 नल-जल योजनाओं के बंद होने के फलस्वरूप प्रश्न दिनाँक तक योजनाओं को चालू कराने हेतु क्या प्रयास किए गए हैं? (ग) यदि बंद नल-जल योजनाओं को चालू कराने की जिम्मेदारी विभाग की नहीं है तो ग्राम पंचायतों को प्राप्त होने वाली राशियों में से नल-जल योजना प्रारंभ कराने हेतु शासन स्तर से क्या निर्देश जारी किए गए हैं? यदि हाँ, तो निर्देश की प्रति उपलब्ध कराई जावे? (घ) बंद नल-जल योजनाएं कब तक चालू करा दी जाएगी?
पशुपालन मंत्री ( सुश्री कुसुम सिंह महदेले ) : (क) स्रोत के असफल होने से बंद नल-जल योजनाओं को छोड़कर शेष योजनाओं को चालू करने की जिम्मेवारी संबंधित ग्राम पंचायत की है। स्रोत असफल होने पर नये स्रोत निर्माण की जिम्मेवारी विभाग की है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। (ग) नल-जल प्रदाय योजनाओं के संचालन संधारण के संबंध में जारी किये गये परिपत्रों की प्रतियाँ पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-2 अनुसार है। (घ) निश्चित समयावधि नहीं बताई जा सकती।
श्री हरवंश सिंह राठौर—माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे विधान सभा क्षेत्र में जो 55 नल-जल योजनाएं बंद पड़ी हुई हैं उनको आप कब तक चालू करवा देंगे ? यहां से मुझे जो जानकारी दी गई है उसकी समयावधि बताना निश्चित नहीं है. 2007-08 में हमारे बंडा विधान सभा क्षेत्र में नल-जल योजनाएं जो स्वीकृत हुई थीं, जिसमें टंकी का निर्माण भी हो गया है निर्माण कार्य भी घटिया किस्म का है इसमें जो पाईप-लाईन डाली गई है, वह प्लास्टिक की डाली गई है, वह टूट-फूट गई है ग्राम पंचायत को हस्तांतरित नहीं की गई है न ही सरपंच ने अपने अधीन ही लिया है. तो मैं माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि यह नल-जल योजना मेरी विधान सभा की कब-तक चालू हो जाएंगी और जहां जहां पर पाईप-लाईन क्षतिग्रस्त है उसको कब तक सुधारा जाएगा ताकि ग्राम पंचायत में नल जल योजना चालू हो सके ?
सुश्री कुसुम सिंह महदेले—माननीय अध्यक्ष महोदय, जो योजनाएं पंचायत को हस्तातंरित नहीं हुई हैं और अपूर्ण पड़ी हुई हैं उनको हम अतिशीघ्र भीषण जल संकट उत्पन्न होने के पहले ही सुधार देंगे.
श्री हरवंश सिंह राठौर—माननीय अध्यक्ष महोदय, यह योजनाएं 2007 से स्वीकृत हैं, अभी 2015 चल रहा है इसमें आपका संरक्षण चाहता हूं कि यह योजना जल्द से जल्द चालू हो जाए, ऐसा मुझे आश्वासन दिया जाए.
श्री अजय सिंह—माननीय अध्यक्ष महोदय, दूसरा नंबर प्रश्न इसी विषय पर मेरा था माननीय मुख्यमंत्री जी भी यहां पर सदन में आ गये हैं.
अध्यक्ष महोदय—मैं पीछे नहीं जाऊंगा. माननीय सदस्य का उत्तर तो आ जाने दीजिये.
श्री अजय सिंह—माननीय राठौर जी 2007-08 से नल जल योजनाएं स्वीकृति की बात कर रहे हैं उनका उत्तर आ गया है.
अध्यक्ष महोदय—उनका उत्तर नहीं आया है.
श्री अजय सिंह—अध्यक्ष महोदय, पंचायत को जो योजनाएं नहीं सौंपी हैं, उनको सौंपी जाएं, उनका उत्तर आ गया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मुख्यमंत्री महोदय से नीतिगत निर्णय करा लें जो पंचायतों को नल जल योजनाएं हस्तांतरित की गई हैं, जो किसी कारण से चालू नहीं हुई हैं जल का संकट है.
अध्यक्ष महोदय—आप वरिष्ठ विधायक हैं आप उनका उत्तर आने दीजिये आप सहयोग करें.
श्री अजय सिंह—मैं उनका ही सहयोग कर रहा हूं माननीय अध्यक्ष महोदय.
अध्यक्ष महोदय—उनको आपके सहयोग की जरूरत ही नहीं है.
श्री मुकेश नायक—अध्यक्ष महोदय, उनका प्रश्न रिपीट हुई है माननीय मुख्यमंत्री जी सदन में मौजूद हैं मेरी उनसे विनम्र प्रार्थना है पूरे प्रदेश की योजनाएं का अगर रख-रखाव पीएचई कर सकता है तो आप इनको हस्तांतरित कर दें. पूरे प्रदेश की नल जल योजनाएं बंद पड़ी हुई हैं, वह ठीक हो सके.
अध्यक्ष महोदय—राठौर जी आपको कुछ और पूछना है.
अजय सिंह—नल जल योजनाओं पर करोड़ो रूपये खर्च हो चुके हैं, उनको चालू कराने के लिये कोई नीतिगत निर्णय नहीं लेंगे क्या ?
श्री हरवंश सिंह राठौर—माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी से यही पूछना चाहता हूं कि जो नल जल योजनाएं मेरे क्षेत्र की बंद पड़ी हुई हैं जो 2007-08 में स्वीकृत हुई थीं इसमें विभाग के द्वारा जो जानकारी दी जाती है, असत्य दी जाती है.
अध्यक्ष महोदय—आप सीधा प्रश्न पूछिये.
श्री हरवंश सिंह राठौर—अध्यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र की नल-जल योजनाएं कब तक चालू हो जाएंगी, इसकी समयावधि बताएं ?
सुश्री कुसुम सिंह महदेले—माननीय अध्यक्ष महोदय जो नल जल योजनाएं हमने पंचायत को नहीं सौंपी हैं वह पीएचई विभाग के अंतर्गत हैं हमें उन्हें अतिशीघ्र एक महीने के अंदर सुधार देंगे.
श्री मुकेश नायक—माननीय अध्यक्ष महोदय, पूरे प्रदेश को लाभ हो सकता है मुझे एक मिनट देने की कृपा करें पूरे प्रदेश में पेयजल का भीषण संकट है, रख-रखाव की कमी के कारण एवं तकनीकी अमले की कमी के कारण पंचायत विभाग नल-जल योजनाओं का रख-रखाव ठीक ढंग से नहीं कर पा रहा है. क्या आप पूरी नल जल योजनाएं पीएचई को हस्तांतरित करेंगे क्या ?
मुख्यमंत्री(श्री शिवराज सिंह चौहान) – माननीय अध्यक्ष महोदय, यह लोक महत्व का प्रश्न है. सूखे का संकट है और इस संकट के कारण कई जगह भूजल स्तर और भी नीचे चला गया है. पेयजल के बेहतर व्यवस्था की तैयारी आज से ही आवश्यक है और माननीय मंत्री जी ने आश्वस्त किया है कि वे जल्दी से सारी नलजल योजनाएं चालू करा देंगे लेकिन यदि अगर तकनीकी अमले की कमी के कारण पंचायतों के पास और कोई व्यवहारिक दिक्कतों के कारण ऐसी स्थिति बनती है कि पंचायतें उनको चलाने में सक्षम नहीं होती हैं तो मैं सदन को आश्वस्त करता हूं कि हम ग्रामीण विकास विभाग और पी.एच.ई. विभाग की एक बैठक कराकर ऐसी नलजल योजनाएं जिनको चालू करने के लिये पी.एच.ई. के अमले की आवश्यक्ता होगी और उसमें चूंकि तकनीकी अमला उसमें जरूरी है तो पी.एच.ई. उन नलजल योजनाओं को अपने हाथ में लेकर ठीक करने के लिये कदम उठाएगी और सूखे के समय वे सारी नलजल योजनाएं चालू रहें इस बात का हम पूरा प्रयास करेंगे. इसको सुनिश्चित करेंगे.
अनुसूचित जातियों के दिये गये पट्टों की बिक्री
5. ( *क्र. 2073 ) श्रीमती ललिता यादव : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) छतरपुर तहसील अंतर्गत वर्ष 1995 से 2003 तक शासन द्वारा अनुसूचित जाति को जीविकोपार्जन के लिये जमीन के पट्टे दिये गये थे? मूल सूची सहित जानकारी दें। (ख) अनुसूचित जाति के पट्टे आवंटन की क्या शर्तें शासन द्वारा तय की गई थी? क्या पट्टों के विक्रय पर प्रतिबंध था? (ग) प्रश्नांश (क) के प्रकाश में पट्टे आवंटन दिनाँक से जमीन पर मालिकाना हक किस-किस का रहा? (घ) प्रश्नांश (क) के प्रकाश में आवंटित पट्टे प्रश्न दिनाँक में किस-किस के नाम परिवर्तित हैं? (ड.) अनुसूचित जाति पट्टेधारियों की जमीन बिक्री होने पर शासन द्वारा किस प्रकार की कार्यवाही का प्रावधान है? आदेश की प्रति सहित बतायें।
राजस्व मंत्री ( श्री रामपाल सिंह ) : (क) जी हाँ। सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘‘अ‘‘ पर है। (ख) शर्तों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘‘ब‘‘ पर है। जी हाँ। (ग) पट्टा आवंटन पश्चात हितग्राही का मौके पर मालिकाना हक रहा था। (घ) मूल आवंटिती के अथवा उनके वारिसान के हक में अंतरित हुए हैं। (ड.) म.प्र. भू-राजस्व संहिता 1959 की संशोधित धारा 165 (7) के अंतर्गत कार्यवाही का प्रावधान है। प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘‘स‘‘ पर है।
श्रीमती ललिता यादव – माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने अपने प्रश्न में अनूसूचित जाति,अनुसूचित जनजाति के लोगों को जीवकोपार्जन के लिये दिये गये पट्टों की मूल सूची मांगी थी. मुझे मूल सूची न मिलकर तहसील के रकबे की सूची दी गई है. मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहती हूं कि पट्टेधारियों की मूल सूची और आज की स्थिति में उस भूमि के हकदारों की सूची मुझे प्रदान करने की कृपा करें और मैं मंत्री जी को बताना चाहती हूं कि छतरपुर तहसील के बेशकीमती पट्टे होने के कारण रसूखदारों और विभाग के कर्मचारियों के द्वारा रिकार्ड में गड़बड़ियां की हैं. पट्टेधारियों के स्थान पर भूस्वामी लिखकर जमीन की बिक्री बिना सक्षम अधिकारियों के की गई है और छतरपुर तहसील का रिकार्ड भी गायब है. मंत्री जी मुझे मूल सूची प्रदान करें और जिन कर्मचारियों ने गड़बड़ी की है उन पर कार्यवाही करें. मंत्री जी कितने दिन में मुझे मूल सूची उपलब्ध करवाएंगे ?
श्री रामपाल सिंह – माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायिका जी ने जो 1995 से लेकर 2000 तक की सूची जो हमसे मांगी है. 3626 पट्टे दिये गये हैं इसकी सूची तुरंत उनको उपलब्ध करवा दी जायेगी और किसी तरह की कोई अनियमितता हुई है. जो पट्टे दिये गये हैं वह उनके उत्तराधिकारियों के नाम पर ही दिये गये हैं और कहीं गड़बड़ी होगी तो इसकी जांच करा लेंगे.
श्रीमती ललिता यादव – माननीय अध्यक्ष महोदय, आज हमारे प्रदेश की सरकार और प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री अनुसूचित जाति,अनुसूचित जनजातियों के हित के लिये लगातार काम कर रहे हैं और ऐसे में जिन कर्मचारियों ने गड़बड़ी की है और मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को और इस सरकार को बधाई देना चाहूंगी कि जिन्होंने रजिस्ट्रार कार्यालय में कैमरे लगाये और पूरे रिकार्ड को कम्प्यूटराईज्ड किया है. मंत्री जी मुझे आप मूल सूची और वर्तमान सूची कितने दिन में मुझे मिल जायेगी उसकी अवधि बता दें.
श्री रामपालसिंह – अध्यक्ष महोदय, सात दिन के अंदर हम सूची उपलब्ध करा देंगे और जो भी कार्यवाही के लिये लिखकर देंगी और कोई अनियमितता है माननीय विधायिका जी लिखकर देंगी तो हम उस पर भी कार्यवाही करेंगे.
श्रीमती ललिता यादव – माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी को मैं आपके माध्यम से धन्यवाद देती हूं.
मुख्यमंत्री(श्री शिवराज सिंह चौहान) – माननीय अध्यक्ष महोदय, सदन में अनुसूचित जाति और जनजाति के भाईयों,बहनों को जो पट्टे दिये गये हैं. अलग-अलग समयावधि में दिये गये हैं. जब कांग्रेस की सरकार थी तब भी दिये गये हैं बाद में भी दिये गये हैं. कल हमारे वरिष्ठ सदस्य माननीय गोविन्द सिंह जी का भी एक सवाल था. यह प्रश्न बार-बार उठते हैं कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों के बहनों,बाईयों को जोपट्टे दिये गये हैं वे दूसरे के नाम हो गये. गलत ढंग से नाम हो गये या कलेक्टर ने गलत ढंग से कर दिये. सक्षम अधिकारियों ने गलत ढंग से कर दिये. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं क्षमा चाहता हूं लेकिन मैं मानता हूं यह बहुत जरूरी और महत्वपूर्ण सवाल है. मेरे मन में भी दो तरह के विचार इसको लेकर आते हैं. एक तो यह है कि दस साल के बाद वह पट्टे कलेक्टर की अनुमति से वह बेच सकते हैं, जिनको पट्टे दिये गये थे, और शायद इसलिये तय किया गया था कि दबाव में या औने-पौने दाम में हमारे भाई बहन वह पट्टे न बेच दे.दूसरी इससे एक समस्या ओर खड़ी हुई है कई बार उनको आवश्यकता होती है कई बार वह पट्टे बेचना चाहते हैं कई बार कलेक्टर अनुमति देंगे तो औन-पौने दाम में इसलिये खरीद लिये जाते हैं कि अनुमति लेना पड़ेगी, प्रक्रिया पूरी करनी पडेंगी, पूरे पैसे नहीं देंगे इतने में देना पड़ेगा,इसलिये भी कई बार वह औने-पौने दाम में बेचने को विवश होते हैं. दूसरी तरफ खतरा यह है कि जब वह मालिक बन गया तो उसको अपना पट्टा बेचने का पूरा अधिकार है. लेकिन इसमें खतरा यह है कि ऐसा न हो वह पट्टा बेच दे और वह भूमिहीन हो जाये. इसलिये शायद व्यवस्था की होगी. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं परम्पराओं से हटकर आपसे निवेदन करना चाहता हूं और स्वयं चाहता हूं कि इसमें सदन की एक समिति बने जिसमें हमारे प्रतिपक्ष के मित्र भी हों, सत्ता पक्ष के मित्र भी हों, वह मिलकर विचार करें फिर विचार करके सरकार को एक रिपोर्ट दें कि इसमें क्या करना उचित होगा. क्योंकि ऐसे लोक महत्व के विषय हैं कि इसमें एक तरफा इसमें एक फैसले नहीं लिये जा सकते हैं. सरकार अकेले फैसला भी नहीं करना चाहती है, हम चाहते हैं कि सदन की समिति इस पर विचार करे. वह समिति आप बनायें जिसमें प्रतिपक्ष के मित्र भी हों और सत्ता पक्ष के मित्र भी इसमें सदस्य हों और इस पर गंभीरता से विचार करके कि क्या करना इसमें उचित होगा. इसमें पूरा सदन सोचे, कांग्रेस के सदस्य हों, भारतीय जनता पार्टी के विधायक रहें और जो प्रदेश के हित में हो अनुसूचित जाति के जनजाति या कमजोर वर्गों के भाइयों के हित में हो वह फैसला हम लोग कर सकें. अलग- अलग सवाल पूछे जाते हैं, अलग-अलग उत्तर आते हैं. इसलिये मैं चाहता हूं कि एक बार इस पर विचार होकर के सदन की समिति जो रिपोर्ट सौंपेगी उस पर से फिर सरकार फैसला करके अंतिम फैसले पर पहुंच जायेगी. मैं सोचता हूं कि लोकतंत्र में इस तरह की भावनाओं से काम करना यह उचित भी होगा और सदन की जो सर्वोचता है उसको भी सिद्व करेगा, यह मेरी प्रार्थना है.
श्रीमती ललिता यादव:- मैं मुख्यमंत्री जी जो हृदय से धन्यवाद देती हूं . जिन्होंने इतना अच्छा निर्णय लेने की बात सदन में लेने की बात कही.
श्री रामनिवास रावत:- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री ने जिस तरह से अनुसूचित जाति और जनजाति की जिंता की है इसके लिये हम उनको धन्यवाद देतें हैं. लेकिन मैं माननीय मुख्यमंत्री जो एक बात जरूर निवेदन करना चाहूंगा कि 21 अगस्त को अध्यादेश जारी हुआ. उसे आपने वापिस भी लिया.
अध्यक्ष महोदय:- अब मैं अलाऊ नहीं करूंगा. आपको जो कुछ भी बात करना है समिति में करें. कल उसी पर बहस हुई, आपका सारा रिकार्ड में है. यह प्रश्न काल है मैंने सोचा कि इसी विषय पर आप कोई सुझाव देंगे. इसिलिये मैंने आपको अलाऊ किया.
श्री रामनिवास रावत:- मैं माननीय मुख्यमंत्री जी से सहमत होते हुए. उनसे यह निवेदन करूंगा कि जब तक आप समिति बनाएं समिति की रिपोर्ट आये तब तक आप पूरे प्रदेश में एससीएसटी की जमीनों की अनुमति देना बंद करने का आदेश देना बंद करें.
श्री शिवराज सिंह चौहान :- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने यह विषय स्वयं इसलिये उठाया था कि विचार करके क्योंकि पूरे प्रदेश में पूरे सदस्य इस पर बहस नहीं कर सकते हैं इसलिये सदन की समिति में सब दलों के सदस्य रहें, वह खूब गंभीरता से विचार करके हम लोग फैसला करें. आपने जिस बात का जिक्र किया वह संशोधन खुद सरकार लेकर आयी है. क्योंकि मेरे मन में आशंका थी, जब मैंने पढ़ा और बात चीत आयी. रावत जी सरकार स्वयं संशोधन लेकर आयी है, हमनें इस पर विचार किया और विचार करके हमने तय किया इस धारा को हटाना चाहिये, इस पर विचार करना चाहिये और इसलिये मैंने आज कहा कि सदन की समिति इस पर विचार करके फैसला करे. माननीय अध्यक्ष महोदय, अगर अनुमति देंगे तो सदन की समिति यहां बनेगी और इस पर हम सब मिलकर विचार करेंगे. इसमें दोनों पक्षों के सदस्य होंगे वह दोनों मिलकर इस पर विचार करेंगे और सरकार को अपनी रिपार्ट देंगे.
अध्यक्ष महोदय:- जैसा कि सदन के नेता जी ने अपना विचार प्रकट किया और प्रतिपक्ष ने भी उसका स्वागत किया है. मैं सर्वदलीय समिति के सदस्यों की घोषणा शीघ्र करूंगा.
श्री अजय सिंह :- अध्यक्ष महोदय, बहुत बहुत धन्यवाद. आपके माध्यम से मैं मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देना चाहूंगा. लेकिन उनको इतना भी बताना चाहूंगा कि अगर कोई अध्यादेश निकले तो कृपया करके पूरी जानकारी होने के बाद ही अध्यादेश जारी हो. धन्यवाद्.
पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री (श्री गोपाल भार्गव)—अध्यक्ष महोदय, मैं पूरे सदन की तरफ से मुख्यमंत्रीजी को धन्यवाद देना चाहूंगा वर्षों बाद इतना लोकतांत्रिक कदम, सदन की समिति बनाने का शायद यह पहला उदाहरण होगा मैं पूरे सदन की ओर से धन्यवाद देता हूँ. यह मुख्यमंत्रीजी की संवेदनशीलता है कि सारे लोगों को साथ में लेते हुए एक बहुत ही ज्वलंत विषय पर उन्होंने निर्णय लेने के लिए सभी को सहभागी बनाने का काम किया है.
श्री रामनिवास रावत—जो अध्यादेश जारी हुआ उसकी हम निंदा भी करते हैं.
राज्यमंत्री, सामान्य प्रशासन (श्री लाल सिंह आर्य)—माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अनुसूचित जनजाति का सदस्य हूं. मध्यप्रदेश के पूरे अनुसूचित जाति जनजाति के लोगों की ओर से मैं माननीय मुख्यमंत्रीजी को बधाई देना चाहता हूँ कि अनुसूचित जाति और जनजाति के क्षेत्र में बहुत संवेदनशीलता के साथ लगातार काम कर रहे हैं उनके सम्मान के लिए काम कर रहे हैं उनकी सुरक्षा के लिए काम कर रहे हैं इसके लिए मैं उन्हें साधुवाद और बधाई देना चाहता हूँ.
स्थाई कच्ची सड़क निर्माण
6. ( *क्र. 798 ) डॉ. रामकिशोर दोगने : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधानसभा जून-जुलाई 2014 सत्र की शून्यकाल सूचना क्रमांक 69 के उत्तर अनुसार हरदा जिले के विकासखण्ड टिमरनी के ग्राम पोखरनी (शुक्ल) के मूल खसरा नं. 335, 336/2 बंदोबस्त नं. 261 सन् 1915-16 के मूल नक्शे अनुसार स्थायी कच्ची सड़क को कम्प्यूट्रीकृत अभिलेख में/भू-अभिलेखों में दर्ज कर लिया गया है? किया गया है, तो कब? नहीं, तो दर्ज नहीं किये जाने का क्या कारण है? (ख) क्या शासन रेवेन्यू, दुरूस्थी हेतु मूल नक्शा अनुसार स्थायी सड़क बनाई जाकर तत्पश्चात् बटान कार्य करेगा? (ग) क्या शासन मूल नक्शा सन् 1915-16 के अनुसार झाड़तलाई की आबादी में से मौजा बघबाड़ को कच्ची सड़क रिकार्ड में दर्ज कर उसकी चौड़ाई निश्चित करेगा? यदि हाँ, तो कब तक? (घ) क्या शासन सड़क से लगे सभी किसानों के खसरा नम्बरों में कैफियत कॉलम नं. 12 में रास्ता दर्ज करने की शीघ्र कार्यवाही करेगा? यदि हाँ, तो कब तक?
राजस्व मंत्री ( श्री रामपाल सिंह ) : (क) हरदा जिले के विकासखण्ड टिमरनी के ग्राम पोखरनी शुक्ल के मूल ख.नं. 335, 336/2 बन्दोवस्त नं. 261 सन् 1915-16 के मूल नक्शे अनुसार स्थाई कच्ची सड़क जो बाजिउल-अर्ज पत्रक के अनुसार रूढ़िगत रूप से अस्थाई बनी हुई है। जो पटवारी मूल नक्शा अभिलेख में डेस डाट से बना है, कम्प्यूटर अभिलेख नक्शा (वेक्टर शीट) हैदराबाद संशोधन हेतु भेजे जाने उपरांत संशोधन किया जा चुका है। (ख) रूढ़िगत रास्ता होने से बटांकन कार्य किया जाना सम्भव नहीं है क्योकि रूढ़िगत रास्ते का खसरा नं. रकबा निश्चित नहीं होता है। (ग) प्रश्नांश (ख) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) जी नहीं ऐसा कोई नियम नहीं है।
डॉ. रामकिशोर दोगने—माननीय अध्यक्ष महोदय, राजस्व मंत्रीजी ने मेरे प्रश्न का उत्तर दिया है उसे मैं नहीं पढ़ूंगा उसमें समय ज्यादा लगेगा समय बचाना चाहता हूं. मैं यह चाहता हूं कि आपने स्वीकार किया है कि हमने कम्प्यूटर में सुधार लिया, अभिलेख सुधार लिया, नक्शा भी सुधार लिया उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद पर रुढ़िगत रास्ता जो आपने बताया है क्या वह रास्ता नपवाकर हमें दे देंगे जिससे लोगों को निकलने में सुविधा हो जाएगी.
श्री रामपाल सिंह—माननीय अध्यक्ष महोदय, यह जो रास्ता है यह निजी रकबे में से है यह वाजिब-उल-अर्ज पत्रक रहता है उसमें यह रिकार्ड दर्ज होता है चूंकि यह निजी रकबे में रहता है तो इसको हम लोग दर्ज नहीं करते हैं लेकिन रास्ता वहां पर है और निजी जमीन पर है सार्वजनिक अधिकार का है. माननीय सदस्य रास्ते की जो चिंता कर रहे हैं तो निश्चित रुप से रास्ता खुलवा देंगे.
डॉ. रामकिशोर दोगने—धन्यवाद.
कोटवारों के वेतन में असमानता
7. ( *क्र. 1854 ) श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश में शासन द्वारा रोजगार गारंटी योजनान्तर्गत मजदूरी की दर प्रति दिवस कितनी निर्धारित की गई है? (ख) धार जिले में कुल कितने कोटवार पदस्थ हैं? प्रत्येक कोटवार को माहवार कितना वेतन दिया जाता है? जो वेतन दिया जाता है, वह प्रति दिवस के अनुसार कितना बनता है? (ग) क्या शासन द्वारा निर्धारित मजदूरी दर एवं कोटवारों को दिये जा रहे प्रति दिवस वेतन में असमानता है? (घ) प्रश्नांश (ग) के परिप्रेक्ष्य में यदि हाँ, तो क्या शासन कोटवारों को भी मजदूरी की दर के समान वेतन देने हेतु प्रस्ताव पारित करेगा?
राजस्व मंत्री ( श्री रामपाल सिंह ) : (क) म.प्र. में रोजगार गारंटी योजना के अन्तर्गत प्रति दिवस 159 रू. राशि निर्धारित की गई है। (ख) धार जिले में 1269 कोटवार पदस्थ होकर प्रतिमाह न्यूनतम 2000/- पारिश्रमिक दिया जाता है। प्रति दिवस के मान से 66.66 रू. बनता है। (ग) जी हाँ। (घ) जी नहीं कोटवार अधिकांशतः अपने ग्राम में रहकर अपने कर्तव्यों का निर्वहन करता है। इसके साथ-साथ वह अपने निजी कार्य भी करता है। जो उसकी आजीविका के अन्य स्त्रोत होते हैं।
श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल—माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न मध्यप्रदेश के सभी कोटवार जिन्हें चौकीदार भी कहा जाता है उनके जीवनयापन से जुड़ा हुआ है. माननीय मंत्रीजी से मेरा पहला प्रश्न यह है कि कोटवार राजस्व विभाग के अभिन्न अंग हैं या नहीं हैं ? दूसरा प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश में रोजगार गारंटी योजना में प्रति दिवस राशि 169 रुपए निर्धारित है और कोटवारों को प्रति दिवस राशि 66.66 रुपए दी जा रही है क्या इस संबंध में कोई नियम है यदि नियम है तो उस नियम को संशोधित कर उन्हें भी मध्यप्रदेश रोजगार गारंटी योजना के अनुसार प्रति दिवस राशि 169 रुपए देंगे क्या ? जब आप मेरे इन प्रश्नों का उत्तर दे देंगे तो एक प्रश्न अंत में करुंगा.
श्री रामपाल सिंह—माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे कोटवार माननीय मुख्यमंत्रीजी के सीआईडी भी हैं आजादी के बाद उन्होंने पहली बार वर्ष 2007 में कोटवार महापंचायत बुलाई थी और उसमें 18 घोषणाएं माननीय मुख्यमंत्रीजी ने की थीं और उनको पूरा कर दिया गया है. इनको जो सुविधाएं दे रहे हैं सेवा भूमि पर जो नहीं है उनको 2000 रुपए प्रतिमाह दे रहे हैं 3 एकड़ सेवा भूमि है उनको 1000 रुपए और 10 एकड़ सेवा भूमि है उनको 400 रुपए प्रति माह दे रहे हैं और कोटवार संघ ने जो उनकी मांग रखी थी, कोटवारों की मांग कोटवार अच्छी तरह से रख सकते हैं और माननीय मुख्यमंत्रीजी ने उनको समय दिया था उनकी 18 मांगों को स्वीकार कर लिया है और उनकी चिंता मध्यप्रदेश सरकार करेगी ज्यादा से ज्यादा उनको सहयोग और संरक्षण देंगे उनका पूरा सहयोग भी सेवा में हम लोग लेंगे. मैं माननीय विधायकजी को विश्वास दिलाना चाहता हूँ कि उन्होंने इस तरह की चिंता की है इसकी चिंता सरकार भी कर रही है हम भी करेंगे.
श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल-- माननीय मंत्री जी, क्या आप यह कहना चाहते हैं कि अगर कोई कर्मचारी उस गाँव में पदस्थ हो और अपने जीवन-यापन करने के लिए या खेती करता है याने व्यवसाय करता है तो उसे मध्यप्रदेश रोजगार गारंटी के नियम के अनुसार आप उसे जो राशि 159 रुपये निर्धारित है, क्या उसे वह नहीं देंगे?
श्री रामपाल सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, ये हमारे चौकीदार हैं, एक चौकीदार, पटेल, सरपंच, ये गाँव की प्रमुख कड़ी हैं, इनको वेतन नहीं कहा जा सकता, यह तो सम्मान निधि भी कह सकते हैं, कि हम उनको सम्मान निधि दे रहे है. उनको इस तरह नहीं तोला जा सकता. यह तो चौकीदारों का सम्मान है.
श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल-- अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश रोजगार गारंटी में नियम ही बना हुआ है साहब कि न्यूनतम दर पर तो आपको राशि देनी पड़ेगी, इतना तो पैसा उनको प्रतिमाह देना ही पड़ेगा, तो उनसे आप भेदभाव करके उनको कम राशि क्यों दे रहे हैं? यह उनका सम्मान हुआ कि असम्मान हुआ?
अध्यक्ष महोदय-- बैठ जाएँ उत्तर ले लें.
श्री रामपाल सिंह-- अध्यक्ष महोदय, मैं पहले ही निवेदन कर चुका कि उनको यह तो एक जो सम्मान है गाँव के अँन्दर चौकीदार का उस हिसाब से हम लोग दे रहे हैं.
श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल-- माननीय मंत्री महोदय, वह प्रदेश सरकार का, आपके राजस्व अमले का, कर्मचारी भी तो है....
अध्यक्ष महोदय-- आप बैठ तो जाएँ, उत्तर तो ले लें.
श्री रामपाल सिंह-- यह ग्रामीण विकास...
अध्यक्ष महोदय-- बघेल जी, आप कृपया बैठ तो जाएँ.
श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल-- कर्मचारी है और आपका सी आई डी भी है. अगर उस सी आई डी की अगर आप थोड़ी तनख्वाह....
अध्यक्ष महोदय-- माननीय विधायक जी, कृपया बैठ जाएँ.
श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल-- बढ़ा देंगे तो वह आपको और अच्छी जानकारी देगा.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय सदस्य कृपया बैठ जाएँ.
श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल-- माननीय मंत्री जी, वह अपना जीवन-यापन 66 रुपये में कैसे करेगा आप सोचिए.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न क्रमाकं 8 श्री सज्जन सिंह उईके....
श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल-- माननीय मंत्री जी, 66 रुपये प्रतिदिन में कोई अपना जीवन यापन कर सकता है क्या?
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न क्रमांक 8 श्री सज्जन सिंह उईके.....
श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल-- माननीय अध्यक्ष जी, आपका संरक्षण चाहूँगा. मंत्री जी ने स्पष्ट जवाब नहीं दिया है.
अध्यक्ष महोदय-- अब आप उत्तर सुन ही नहीं रहे थे तो क्या करते.
श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल-- उन्होंने उत्तर दिया ही नहीं, वे तो बैठ ही गए.
अध्यक्ष महोदय-- उन्होंने उत्तर दे दिया है.
श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल-- मैं बैठ जाता हूँ आप उत्तर दिलवा दीजिए.
अध्यक्ष महोदय-- आप बैठ ही नहीं रहे थे.
श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल-- मैं बैठ जाता हूँ साहब.
अध्यक्ष महोदय-- बैठ जाइये, अब बीच में कुछ नहीं बोलेंगे.
श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल-- हाँ अब नहीं बोलूँगा बिल्कुल चुप रहूँगा.
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी, आप फिर से बोल दीजिए.
श्री रामपाल सिंह-- अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्य को धन्यवाद दे रहा हूँ कि चौकीदारों के प्रति उनके मन में इतनी चिन्ता वह कर रहे हैं. इससे पहले हम लोग भी कर रहे. लेकिन यह वेतन नहीं है, यह पारिश्रमिक है, उनको वह देते हैं हम लोग सम्मान निधि भी कह सकते हैं और भी आप कह सकते हों. सेवा भूमि है वहाँ हमने थोड़ा कम कर दिया, वहाँ बढ़ा दिया है.
श्री मुकेश नायक-- अध्यक्ष महोदय, पारिश्रमिक तो शासन के द्वारा निर्धारित है, इतना कम कैसे दे सकते हैं, अगर आप इसको पारिश्रमिक बोल रहे हैं तो श्रम कानून लागू हो जाएगा.
श्री रामपाल सिंह-- आप सम्मान निधि मान लीजिए.
श्री मुकेश नायक-- आप 66 रुपये पारिश्रमिक देंगे एक महीने का?
श्री के के श्रीवास्तव-- अध्यक्ष महोदय, वह मानदेय है.
श्री मुकेश नायक-- यह ऑनरेरियम है, यह मानदेय है, ऐसा कहिए आप.
श्री रामपाल सिंह-- नायक जी, इसको सम्मान निधि समझ लें.
ग्रामीणों की जमीन पर संदिग्ध लोगों का कब्जा
8. ( *क्र. 2533 ) श्री सज्जन सिंह उईके : क्या गृह मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) ग्राम भौरा (बैतूल) उर्फ ढोहरामोहार में पुलिस सहायता केन्द्र है? यदि हाँ, तो ग्राम पंचायत के किस वार्ड में स्थित है? (ख) क्या वार्ड में बाहरी लोग निवासरत हैं, जो अन्य समुदाय के हैं? इनकी संख्या बताइये? ये कहाँ के निवासी हैं? क्या ये संदिग्ध हैं? (ग) ग्रामीणों की जमीन पर संदिग्ध लोगों ने कब्जा क्यों किया है? अवैध गतिविधियाँ क्यों चल रही हैं? क्या पुलिस को ज्ञात नहीं है? (घ) क्या आदिवासी ग्राम भौरा में आपराधिक कार्य पुलिस रूकवायेगी?
गृह मंत्री ( श्री बाबूलाल गौर ) : (क) जी नहीं। थाना शाहपुरा क्षेत्रान्तर्गत ग्राम भौंरा में पुलिस का प्वाईंट है, जिसे पुलिस सहायता केन्द्र के रूप में जाना जाता है। स्वीकृत पुलिस चौकी नहीं है। यह ग्राम पंचायत ढोहरामोहार के वार्ड क्रमांक 8, चैकी मोहल्ला में स्थित है। (ख) जी नहीं। वार्ड भौंरा ढोहरामोहार में सभी समुदाय के लोग निवास करते हैं, जिसमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक एवं सामान्य वर्ग के लोग सम्मिलित हैं। वार्ड क्रमांक 8 की जनसंख्या लगभग 325 है। जो स्थानीय निवासी हैं, संदिग्ध नहीं हैं। (ग) ग्रामीणों की जमीन पर किसी के द्वारा कब्जा करने संबंधी कोई शिकायत किसी भू-स्वामी द्वारा नहीं की गई है। (घ) ग्राम में पुलिस के द्वारा अपराधिक गतिविधियों पर नियंत्रण किया गया है। अपराधिक रोकथाम के लिये पुलिस निरन्तर सक्रियता से प्रयासरत है।
श्री सज्जन सिंह उईके-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने माननीय मंत्री महोदय से जानना चाहा था कि ग्राम भौरा शाहपुर में किस समाज के बाहरी लोग रहते हैं? उसमें जवाब आया है कि सभी संप्रदाय के लोग रहते हैं. दूसरा मैं यह कहना चाहता हूँ कि मैंने प्रश्नांश “ग” में यह जानना चाहा था कि ग्रामीणों की जमीन पर संदिग्ध लोगों ने कब्जा क्यों किया है?
श्री बाबूलाल गौर-- माननीय अध्यक्ष महोदय, उत्तर में स्पष्ट है कि कोई संदिग्ध व्यक्ति वहाँ नहीं रहता और वहाँ पर कुल आबादी लगभग 325 है और वह चौकी नहीं है, वह एक पुलिस का प्वाईंट ऑर्डर है, जिसे सहायक पुलिस केन्द्र कहते हैं. अगर कोई व्यक्ति संदिग्ध हो तो आप बताएँ जिसकी जाँच करा लेंगे.
श्री सज्जन सिंह उईके-- अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने जो जमीन की शिकायत के संबंध में दिया है कि वहाँ किसी के द्वारा थाने में शिकायत नहीं की गई. माननीय मंत्री जी, पुलिस थाने में कोई जमीन का झगड़ा लेकर जाता है तो पुलिस चौकी हो या थाना, उसमें धारा 155 लगाकर ली जाती है कि यहाँ जमीन की सुनवाई नहीं हो सकती तो वह जमीन की शिकायत कहाँ से आएगी?
श्री बाबूलाल गौर-- अध्यक्ष महोदय, मैंने जैसे कहा सहायक पुलिस केन्द्र है. अगर कोई एफ आई आर आती है तो लिखते नहीं उसको, नोट करके थाने में भेज देते हैं. अगर कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो परेशान होगा और अगर उसकी कोई रिपोर्ट नहीं लिखी होगी तो हम उसमें कार्यवाही करेंगे.
अध्यक्ष महोदय-- यदि कोई ऐसी बात है तो आप माननीय मंत्री जी को लिखकर के उपलब्ध करा दें.
श्री सज्जन सिंह उईके-- अध्यक्ष महोदय, मेरा आखरी प्रश्न यह था कि ग्राम में पुलिस के द्वारा जो अपराध नियंत्रित नहीं किए जाते क्योंकि पहले पुलिस के रिकार्ड सहित चौकी जल गई थी. क्या माननीय मंत्री जी वहाँ चौकी बनाने के प्रयास करेंगे?
अध्यक्ष महोदय-- चौकी बनाएँगे क्या?
श्री बाबूलाल गौर-- अध्यक्ष महोदय, अभी ऐसा प्रावधान तो नहीं है.
अध्यक्ष महोदय-- प्रावधान नहीं है.
श्री बाबूलाल गौर-- अध्यक्ष महोदय, छोटी जगह है कोई आवश्यकता भी नहीं है.
अल्पवर्षा, अवर्षा के कारण सूखे की स्थिति एवं राहत राशि वितरण
9. ( *क्र. 2587 ) श्री रामनिवास रावत : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या इस वर्ष प्रदेश में अवर्षा, अल्पवर्षा व ओलावृष्टि से सूखे की स्थिति निर्मित होकर खरीफ की फसल को भारी नुकसान हुआ है? यदि हाँ, तो आंकलन अनुसार प्रदेश के किन-किन जिलों की किन-किन तहसीलों में कितने प्रतिशत व कौन-कौन सी फसलों का नुकसान हुआ है? (ख) क्या श्योपुर जिले की विजयपुर, वीरपुर व कराहल तहसील सूखे के कारण फसलों में हुए नुकसान का सर्वे कराया गया है? यदि हाँ, तो उक्त तहसीलों का विवरण उपलब्ध करायें। यदि नहीं, तो क्यों? उक्त तहसीलों के कितने-कितने किसान राहत पाने की पात्रता में आते हैं, कितने किसानों को राहत राशि वितरित करने की स्वीकृति प्रदान की गई है? (ग) क्या कलेक्टर श्योपुर द्वारा कराहल तहसील को सूखा प्रभावित घोषित करने का प्रस्ताव राज्य शासन को भेजा गया है? यदि हाँ, तो राज्य शासन को कब प्राप्त हुआ? अभी तक सूखा प्रभावित घोषित नहीं करने के क्या कारण हैं व कब तक सूखा प्रभावित घोषित कर दिया जावेगा?
राजस्व मंत्री ( श्री रामपाल सिंह ) : (क) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘’अ’’ अनुसार है। (ख) जी हाँ। श्योपुर जिले की तहसील विजयपुर, वीरपुर, कराहल के सूखे से प्रभावित फसलों का सर्वे कराया गया है। तहसील वीरपुर में सूखे से 20 प्रतिशत से कम नुकसान हुआ है तथा तहसील विजयपुर में सूखे से 25 से 75 प्रतिशत नुकसान होने से 37 ग्रामों के 5166 कृषक राहत पाने की पात्रता में आते हैं। पात्र कृषकों 306.17 लाख रूपये की राहत राशि वितरित करने की स्वीकृति प्रदान की गई है। तहसील कराहल में कीट प्रकोप से 90 ग्रामों के 5720 कृषक राहत पाने की पात्रता में आते हैं, जिन्हें 487.07 लाख रूपये की राहत राशि वितरित करने की स्वीकृति प्रदान की गई है। (ग) जी हाँ। कलेक्टर जिला श्योपुर से तहसीलों को सूखा घोषित करने के प्रस्ताव प्राप्त हुये थे। प्रस्ताव अनुसार श्योपुर, बड़ौदा, वीरपुर एवं विजयपुर तहसील को सूखा घोषित करने के नियम के अंतर्गत पात्र पाये गये, जिन्हें सूखा घोषित किया। कराहल तहसील को निर्धारित मापदण्डों में पात्र नहीं होने से सूखा घोषित नहीं किया गया। सूखा के निर्देश पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘’ब’’ अनुसार है।
अध्यक्ष महोदय--- रावत जी, कल ही आपकी बात का उत्तर आ गया था.
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, मैंने जो प्रश्न किया उसमें पहले प्रश्न की जानकारी का जो उत्तर दिया गया है कि प्रदेश की जितनी भी तहसीलें हैं, जितने भी जिले हैं सब में 25 प्रतिशत नुकसान दिखाया है . अब जब पूरे प्रदेश में 25 प्रतिशत से अधिक नुकसान दिखाया है और किसी में भी 33 प्रतिशत से ज्यादा नुकसान नहीं दिखाया गया है तो आप यह भी विचार करें कि ऐसी स्थिति में जो आप घोषणायें करते जा रहे हैं उनका लाभ प्रदेश के किसानों को कैसे मिलेगा . दूसरा मेरा प्रश्न था कि कराहल तहसील को आपने सूखा घोषित करने का प्रस्ताव अमान्य कर दिया है और सूखे संबंधी निर्देश पुस्तकालय परिशिष्ट में दिये हुए हैं , वह मुझे प्राप्त हो गये हैं. मैं मंत्री जी से जानना चाहूंगा कि निर्धारित मापदंडों में कौन कौनसी पात्रताओं में कराहल तहसील नहीं आया कृपया यह बता दें जिसकी वजह से यह अमान्य घोषित की गई है.
श्री रामपाल सिंह--- माननीय अध्यक्ष महोदय, पूरे प्रदेश के जिलों से हमने कलेक्टर्स से रिपोर्ट मंगाई थी और जो जिले मापदंडों में आए थे उनको हमने सूखा घोषित कर दिया है माननीय सदस्य ने कल भी विस्तार से बात कही थी मैं उनको धन्यवाद दूंगा कि वह बहुत जुझारू हैं. माननीय रावत जी, जो पत्र वहाँ से आया है उसका बारीकी से परीक्षण करेंगे उस पर निर्णय करेंगे. सदस्य महोदय को विश्वास दिला रहे हैं ,हमने कल भी आपसे कहा है और जो 25 प्रतिशत नुकसान की बात आपने की है,सरकार उसमें उदारता से काम कर रही है . आपके जमाने में कहते थे कम दो, हमारे मुख्यमंत्री जी कह रहे हैं कि ज्यादा से ज्यादा बांटो इसके लिए आपको धन्यवाद देना चाहिए , इतना अच्छा काम करने के बाद भी आपके पास रावत जी धन्यवाद की कमी रह रही है.
श्री रामनिवास रावत-- माननीय अध्यक्ष महोदय , आपसे निवेदन करूंगा, संरक्षण चाहूंगा , अपने क्षेत्र की जनता के लिए . माननीय मंत्री जी से मैंने सीधा सीधा प्रश्न पूछा है केवल यह बता दें कि कराहल तहसील को आपने निर्धारित मापदंड में न आने के कारण निरस्त किया है तो वह कौन कौन से मापदंडों में नहीं आया, पात्रता में नहीं आया यह आप मुझे बता दें.
श्री रामपाल सिंह--- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो मापदंड हैं वह यह है कि एक तो हम वर्षा देखते हैं और कृषि उपज की आनावारी देखते हैं , दोनों में वह फिट नहीं आया था और कलेक्टर ने वहाँ से मांग नहीं की थी इसलिए उसको हमने नहीं लिया. अभी फिर से पत्र आया है इस पर हम गंभीरता से विचार कर रहे हैं .कल भी इस पर बात आ गई थी आज भी हम माननीय सदस्य से आग्रह कर रहे हैं कि आपकी जो चिंता क्षेत्र के प्रति है ,जिस तरह से आप चिंता कर रहे हैं तो सरकार भी इस पर गंभीरता से निर्णय करेगी.
श्री रामनिवास रावत--- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह ट्राइबल क्षेत्र हैं इसमें जो मापदंड दिये गये हैं मैं उनको पढ़कर आपको बताता हूं. पहला मापदंड है कि वर्षा 25 प्रतिशत से कम होगी तो हम सूखा पीड़ित क्षेत्र घोषित कर देंगे. कराहल में वर्षा 25 प्रतिशत से कम है और लैंड रिकार्ड कमिश्नर की साइट पर 30 सितम्बर को प्रदेश में जो वर्षा के आंकड़े हैं जारी किये हैं इसको मैंने स्वंय देखा है इसमें इन्दौर में औसत वर्षा दी गई है. ....
संसदीय कार्यमंत्री(डॉ. नरोत्तम मिश्र)—अध्यक्ष महोदय, पूरी पुनरावृत्ति हो रही है, कल से ,परसों से लगातार इस विषय पर सम्मानित सदस्य काफी बोल चुके हैं.
अध्यक्ष महोदय--- कल उनका उत्तर भी आ गया था,मैंने तो पहले ही कहा था.
श्री रामनिवास रावत--- उत्तर का मतलब यह है कि जो कुछ वह कहे वह सुनते रहे, मतलब यह तो पार्शलिटी है मैं जो आंकड़े दे रहा हूं....
अध्यक्ष महोदय—इसमें पार्शिलिटी की क्या बात है तीन दिन से आपकी बात सुन रहे हैं फिर भी आप कह रहे हैं कि पार्शिलिटी है.
श्री रामनिवास रावत--- यह मेरे साथ है, मैं आपसे नहीं कह रहा हूं, मैं आसंदी की तरफ नहीं कह रहा हूं. उधर की बात कर रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय--- उधर की में मुझे कोई एतराज नहीं है.
श्री रामनिवास रावत--- माननीय अध्यक्ष महोदय, कराहल तहसील में भारी पलायन हो रहा है, जबर्दस्त रूप से सूखा पड़ा हुआ है और उस कारण 50 प्रतिशत क्षेत्र में बोनी नहीं हो पाई है . फसलों में भारी नुकसान हुआ है क्या आप इस क्षेत्र को सूखा प्रभावित क्षेत्र घोषित करेंगे. आपने कलेक्टर का प्रस्ताव आने के बाद भी इस क्षेत्र को सूखा प्रभावित घोषित नहीं किया है. आप निर्धारित मापदंडों में पात्रता नहीं आऩे की बात कर रहे हैं मैं यह सिद्ध कर सकता हूं कि पात्रता में है.
अध्यक्ष महोदय—आपका प्रश्न आ गया. आप उत्तर ले लीजिए.
श्री रामपाल सिंह—माननीय अध्यक्ष महोदय,प्रश्न भी उन्होंने कर दिया,उत्तर भी दे दिया तो मुझे तो कोई विषय बचा नहीं(हंसी) मैं तो धन्यवाद करता हूँ कि मेरा काम आसान कर दिया.
श्री रामनिवास रावत—अध्यक्ष महोदय, कराहल तहसील को सूखा पीड़ित क्षेत्र घोषित करेंगे क्या?
श्री रामपाल सिंह—माननीय अध्यक्ष महोदय, कल ही निवेदन कर दिया था कि पत्र का अध्ययन कर रहे हैं, पी.एस. को कहा है और कलेक्टर को भी कहा है कि पहले यह जानकारी क्यों नहीं भेजी. उनसे भी हम यह पूरी जानकारी लेंगे और गंभीरता से उसमें हम निर्णय करेंगे.
श्री रामनिवास रावत—नहीं, यह गलत उत्तर है.
अध्यक्ष महोदय—गंभीरता से निर्णय करने का कह तो दिया
श्री रामनिवास रावत-- कब तक? पत्र आया. पत्र बहुत पहले आया हुआ है और जो दूसरी तहसीलें घोषित की हैं उनमें वर्षा भी ज्यादा है, आनावारी भी ज्यादा है और यह आपके ही आंकड़े हैं, मेरे नहीं हैं.
अध्यक्ष महोदय-- परीक्षण का उन्होंने बोल तो दिया.
श्री रामनिवास रावत-- यह तो बहुत आपत्तिजनक है. यह वर्षा के आंकड़े हैं, आप कहें तो पटल पर रख दूं.
अध्यक्ष महोदय—आप यह पूछ लीजिए कि कब तक करा लेंगे.
डॉ. नरोत्तम मिश्र—कल समय भी दिया था सात दिन का.कल के सात दिन की जगह आज से सात दिन हो जाएंगे,इतने का ही अन्तर आयेगा(हंसी)
श्री रामनिवास रावत—कल यह जानकारी नहीं दी थी कि उस पत्र को निरस्त कर दिया गया है. आज यह नयी बात आयी है कि जब प्रस्ताव ही निरस्त कर दिया तो फिर आप कैसे करेंगे.
अध्यक्ष महोदय—सहमत हैं आपकी बात से. देखिये, यह विषय कल भी आया था,आज भी आया है. कल आपने समय मांगा था उन्होंने 7 दिन दिया था.आज सिर्फ यह बात ठीक है कि कल उन्होंने पत्र मिलने का हां बोला था,आज उसपर विचार करने और आपने चूंकि कहा है तो फिर से विचार करने के लिए तैयार हैं और आपने चूंकि मापदण्डों के बारे में पूछा तो मापदण्डों के आधार पर विचार करने को तैयार हैं.अब इसके बात तो कोई बात नहीं रह जाती.
श्री रामनिवास रावत—मापदण्ड नहीं आये इसलिए निरस्त किया जाता है. आप कहो दुबारा बुलायेंगे और परीक्षण करके आप घोषित करेंगे.
अध्यक्ष महोदय-- उसके आधार पर पुनर्विचार करेंगे.
श्री रामपालसिंह—अध्यक्ष महोदय, जो माननीय सदस्य की चिन्ता है उसकी गंभीरता हम भी महसूस कर रहे हैं जितनी गंभीरता से आप बात कर रहे हैं.
मुख्यमंत्री की घोषणा का कार्यान्वयन
10. ( *क्र. 2621 ) श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या माननीय मुख्यमंत्री जी टीकमगढ़ जिले के नगर पलेरा में 13 जनवरी 2013 को शासकीय प्रवास पर गये थे और घोषणा क्रं.ए-2034 के माध्यम से क्या घोषणा कर आये थे? (ख) प्रश्नांश (क) के आधार पर मुख्यमंत्री की घोषणा पर अमल कराने राजस्व विभाग द्वारा क्या-क्या कार्यवाही प्रश्न दिनाँक तक की जा चुकी हैं और क्या-क्या शेष है? (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के आधार पर जब नगर पंचायत पलेरा में आबादी के लिये निर्धारित जमीन के अतिरिक्त जहां पर लोगों ने मकान बनाये हैं, वह जमीन आबादी में घोषित करने की कार्यवाही राजस्व विभाग द्वारा की जा रही है फिर म.प्र. विधानसभा में अतारांकित प्रश्न संख्या 23 (क्रं. 4670) दिनाँक 22.03.2013 के आश्वासन में आश्वासन क्रं. 61 के आधार पर इसे विलोपित करने विभाग द्वारा क्यों अवगत नहीं कराया जा रहा है? आश्वासन क्रं. 61 को मुख्यमंत्री घोषणा के आधार पर विलोपित किया जावेगा? यदि हाँ, तो कब तक? (घ) प्रश्नांश (क), (ख) एवं (ग) के आधार पर बतायें कि वर्षों से निवासरत नागरिकों को कब तक मुख्यमंत्री घोषणा को पूर्ण करवाकर स्वामित्व प्रदाय किया जावेगा? निश्चित समय-सीमा सहित बतायें।
राजस्व मंत्री ( श्री रामपाल सिंह ) : (क) जी हाँ। (ख) प्रश्नांश ‘‘क‘‘ के संबंध में घोषणा पर अमल करने हेतु नगर परिषद् पलेरा द्वारा प्रस्ताव क्रमांक 1, दिनाँक 21.02.2012 से भूमि खसरा नंबर 1808/4 रकबा 0.405 हे. के मद परिवर्तित करने हेतु प्रस्ताव दिया है। प्रकरण में तहसीलदार पलेरा द्वारा जाँच की जाकर अनुविभागीय अधिकारी जतारा के माध्यम से जिला कार्यालय को प्रेषित किया गया है एवं उस संबंध में न्यायालय कलेक्टर में विधिक कार्यवाही प्रचलन में है। (ग) प्रकरण में नगर पंचायत पलेरा के प्रस्ताव क्रमांक 1, दिनाँक 21.02.2012 द्वारा भूमि खसरा नंबर 1808/4 रकबा 0.405 हे. पर लोगों के मकान बने हैं। मद परिवर्तित करने हेतु नगर परिषद् का प्रस्ताव प्राप्त किया जाकर जाँच प्रतिवेदन तहसीलदार पलेरा से अनुविभागीय अधिकारी जतारा के माध्यम से न्यायालय कलेक्टर को प्रेषित किया गया है। प्रकरण में जाँच प्रचलित है, जाँच/निर्णय उपरान्त आश्वासन की पूर्ति हेतु आगामी कार्यवाही की जायेगी। (घ) नगर पंचायत पलेरा के प्रस्ताव/ठहराव के अनुक्रम में तहसीलदार पलेरा एवं अनुविभागीय अधिकारी जतारा का जाँच प्रतिवेदन न्यायालय कलेक्टर टीकमगढ़ को प्राप्त होकर सुनवाई प्रक्रियाधीन है। समय-सीमा बताई जाना संभव नहीं है।
श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक-- माननीय अध्यक्ष महोदय,पलेरा नगर परिषद में खसरा नं. 1808/4 में एक एकड़ जमीन पर मकान बने हुए हैं. उन मकानों को मालिकाना हक न मिलने की वजह से बड़ी पशोपेश की स्थिति है. मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूँ कि उनको मालिकाना हक के पट्टे वह कब तक प्रदान करने वाले हैं?
श्री रामपाल सिंह—माननीय अध्यक्ष महोदय, विधायक जी की जो चिन्ता है उसका हम जल्दी निराकरण करेंगे और उनको मालिकाना हक देने की जल्दी कार्यवाही करेंगे.
अध्यक्ष महोदय—कार्यवाही चल ही रही है.
श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक—माननीय अध्यक्ष महोदय, एक प्रश्न और है कि क्या तब तक उन्हें स्थानीय प्रशासन अतिक्रमणकारी तो नहीं मानेगा?
श्री रामपाल सिंह—अध्यक्ष महोदय, हम यहां कहेंगे कि उनको न छेड़ा जाए,रोका न जाए. पूरी कार्यवाही करके उनको भू-अधिकार पत्र देंगे.
श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक-- बहुत बहुत धन्यवाद.
संविदा पर्यवेक्षकों का नियमितीकरण
11. ( *क्र. 1679 ) श्रीमती योगिता नवलसिंग बोरकर : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्या आई.सी.डी.एस. अमले के तहत विभाग में संविदा पर पर्यवेक्षकों की भर्ती व्यापम के माध्यम से की गई है? (ख) यदि हाँ, तो उनकी नियुक्ति के पूर्व शासन से स्वीकृत सेटअप अनुसार निर्धारित शैक्षणिक योग्यता के मापदण्डों का पालन किया गया? (ग) यदि हाँ, तो एक बार व्यापम से चयनित संविदा पर कार्यरत संविदा पर्यवेक्षकों के नियमितीकरण के लिए विभाग द्वारा कोई नीति का निर्धारण किया गया है? यदि हाँ, तो क्या? (घ) क्या विभाग द्वारा हाल ही में व्यापम के माध्यम से पर्यवेक्षकों के पदों पर नियमित वेतनमान में नियुक्ति की प्रक्रिया की जा रही है? यदि हाँ, तो 8-10 वर्षों से निर्धारित एवं कम वेतन पर कार्यरत महिलाओं के साथ अन्याय नहीं है? इसके लिए कौन दोषी है? क्या शासन इस ओर गंभीरता से विचार कर संबंधित अधिकारी की जिम्मेदारी निर्धारित करते हुए कोई कार्यवाही करेगा?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती माया सिंह ) : (क) एवं (ख) जी हाँ। (ग) महिला एवं बाल विकास विभाग अंतर्गत कार्यरत् संविदा पर्यवेक्षकों को नियमित किये जाने हेतु मध्यप्रदेश महिला एवं बाल विकास विभाग, तृतीय श्रेणी (कार्यपालिक) सेवा भर्ती नियम 2009 के संशोधित नियम 26.5.14 द्वारा इन पदों पर परीक्षा के माध्यम से नियुक्ति हेतु संविदा पर्यवेक्षकों को प्रत्येक पूर्ण वर्ष की सेवा के लिये 04 अंक तथा 05 वर्ष या अधिक की सेवा के लिये अधिकतम 20 अंक का वैटेज दिया गया है तथा उक्त परीक्षा में सम्मिलित होने हेतु आयु सीमा का कोई बंधन नहीं है। (घ) जी हाँ। जी नहीं, निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार नियुक्ति की जा रही है।
श्रीमती योगिता नवलसिंग बोरकर—माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से यह प्रश्न था कि क्या विभाग द्वारा हाल ही में व्यापम के माध्यम से पर्यवेक्षकों के पदों पर नियमित वेतनमान में नियुक्ति की प्रक्रिया की जा रही है तो इसका उत्तर दिया है-जी हां, और यदि हां तो 8-10 वर्षों से निर्धारित एवं कम वेतन पर कार्यरत महिलाओं के साथ अन्याय नहीं है, इसके लिए कौन दोषी है, क्या शासन इस ओर गंभीरता से विचार कर संबंधित अधिकारी की जिम्मेदारी निर्धारित करते हुए कोई कार्यवाही करेगा? तो मेरा पूरक प्रश्न यह है कि यदि हाल ही में पर्यवेक्षकों की जो नियमितिकरण पर नियुक्ति हुई है तो 8-10 वर्ष से जो कार्यरत पर्यवेक्षक हैं क्या उन्हें भी नियमित वेतनमान दिया जायेगा?
श्रीमती माया सिंह – माननीय अध्यक्ष जी, मैं आपके माध्यम से सम्माननीय विधायक महोदया को बताना चाहती हूँ कि पहली बार हमने पर्यवेक्षकों के पदोन्नति की राह खोली है. विधायक महोदया की जो चिंता है तो मैं बता रही हूँ कि वर्ष 2007 में पर्यवेक्षकों को 5 हजार रुपये और वर्ष 2011 में एकदम उसमें दोगुनी वृद्धि कर 10 हजार रुपये मानदेय किया गया है. उसके बाद जनवरी में पहली बार महंगाई सूचकांक के आधार पर 12600 रुपये मानदेय किया गया है इसके पश्चात् पुन: वर्ष 2015 में 13100 रुपये किया गया है और इन्हें शासन के नियमानुसार यात्रा भत्ता आदि सुविधाएं भी दी जाती हैं. जहां तक उन्होंने डाईंग केडर के पर्यवेक्षकों को रेगुलर केडर में किया जाकर नियमित करने की बात उठाई है तो मैं कहना चाहती हूँ कि संविदा पर नियुक्त पर्यवेक्षकों की कार्यशर्तें नियमित केडर से भिन्न हैं और साथ ही साथ संविदा पर्यवेक्षकों को नियमित पद पर नियुक्ति के लिए एक तय प्रक्रिया का पालन करना होता है. इसके तहत हमने उन्हें यह सुविधा भी दी है कि परीक्षा में सम्मिलित होने पर हम उन्हें 20 अंक का वेटेज देंगे. मुझे बताते हुए बहुत खुशी होती है कि डाईंग केडर से रेगुलर केडर में जो पर्यवेक्षक आई हैं उनकी संख्या करीब 392 है जो नियुक्त हुई हैं और बाकी भी इस प्रक्रिया से आती जाएंगी और इसका लाभ उन्हें मिलता जाएगा. हमने उनके लिए रास्ते खोले हैं कि जो बची हुई पर्यवेक्षक हैं वे परीक्षा देकर रेगुलर केडर में आएंगी. मुझे लगता है कि पर्यवेक्षकों की चिंता सरकार ने की है और इतना अच्छा कदम उठाया है. इस प्रकार से डाईंग केडर से रेगुलर केडर में धीरे-धीरे हम उन्हें ला रहे हैं.
श्रीमती योगिता नवलसिंह बोरकर – अध्यक्ष जी, धन्यवाद.
सूखा राहत राशि का प्रदाय
12. ( *क्र. 1902 ) श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) आर.बी.सी. (6-4) के तहत प्राकृतिक आपदाओं आदि के तहत राहत राशि प्रदाय हेतु शासन द्वारा क्या-क्या नीति निर्धारित है? (ख) वर्ष 2015-16 में मुरैना जिले को सूखा घोषित उपरांत कौन-कौन अधिकारी कर्मचारी द्वारा गांव-गांव जाकर कृषि फसलों का आंकलन किया गया? विधानसभा क्षेत्र 07 दिमनी अथवा तहसील अम्बाह व मुरैना की ग्रामवार जानकारी दी जावे? (ग) क्या माननीय मुख्य मंत्री द्वारा विधानसभा विशेष सत्र 05 नवम्बर 2015 को विधानसभा में घोषणा अनुसार दीपावली पूर्व कृषकों को राहत राशि प्रदाय कर दी जायेगी? यदि हाँ, तो क्या राशि दी जा चुकी है? यदि नहीं, तो क्यों? कारण बताते हुये कब तक राशि प्रदाय कर दी जावेगी?
राजस्व मंत्री ( श्री रामपाल सिंह ) : (क) राजस्व पुस्तक परिपत्र 6-4 की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) वर्ष 2015-16 में मुरैना जिले को सूखा घोषित उपरान्त राजस्व निरीक्षक/पटवारी/ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी/पंचायत सचिव द्वारा गांव-गांव जाकर कृषि फसलों का आंकलन किया गया। आंकलन उपरान्त विधानासभा क्षेत्र 07 दिमनी के अंतर्गत तहसील अम्बाह के ग्राम 1 कोलुआ 2 मई 3 पुरावसकला 4 पुरादसखुद 5 लेपा 6 भिण्डोसा 7 मानपूर 8 जौहा 9 डण्डोली 10 गोपी 11 पांचोली 12 ऐसाह 13 खिरेटा 14 बीलपुर 15 कुथियाना 16 दिमनी 17 लहर 18 सिकरोड़ी 19 खड़ियावेहड 20 मलबसई 21 गूंज 22 आरौली 23 रिठौना 24 ककरारी 25 तिलोल, सूखे से प्रभावित हुये तथा तहसील मुरैना में दिमनी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत सूखे से कोई भी ग्राम प्रभावित नहीं हुए हैं। (ग) मुरैना जिले को रूपये 9.00 करोड़ (रू. नौ करोड़) का आवंटन प्राप्त हुआ है। प्रभावित कृषकों के खातों में राहत राशि जमा कराई जा रही है। शीघ्र ही राहत राशि प्रभावितों को वितरित कर दी जाएगी।
श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया – माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूँ कि मेरे क्षेत्र दिमनी जिला मुरैना में सर्वे के संबंध में उन्होंने जो उत्तर दिया है यह बिल्कुल गलत दिया है. मैंने इस संबंध में कलेक्टर को भी लिखा है कि सर्वे के लिए न कोई अधिकारी गया न कोई कार्यवाही की, उन्होंने बैठकर के 25 गांवों का नाम लिख दिया है जबकि नुकसान 80 प्रतिशत है. मेरा मंत्री महोदय से निवेदन है कि इसकी दोबारा जांच कराएं.
श्री रामपाल सिंह – माननीय अध्यक्ष महोदय, अगर माननीय डण्डौतिया जी इस बात को कह रहे हैं कि वहां जांच करने के लिए अधिकारियों की टीम नहीं गई है और घर बैठकर ही नाम लिख दिए गए हैं तो इसकी जांच हम करवा लेंगे लेकिन दिक्कत यह है कि अब जांच किसकी करेंगे क्योंकि अब फसल तो वहां है नहीं, लेकिन अगर अधिकारियों की टीम नहीं गई है और अगर लापरवाही बरती गई है तो हम अवश्य कार्यवाही करेंगे. कृषि विभाग, राजस्व विभाग और पंचायत विभाग आदि के कौन अधिकारी गए थे हम पूरी जानकारी आपको उपलब्ध करवाएंगे और यदि आप हमें लिखकर दें तो हम उन पर कार्यवाही करेंगे.
श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया – अध्यक्ष महोदय, दोबारा जांच तो करवाएंगे ना.
अध्यक्ष महोदय – तैयार हैं ना वे तो.
श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया – अध्यक्ष महोदय, ठीक है, धन्यवाद.
ग्रेसिम उद्योग के अधिकारियों पर कार्यवाही
13. ( *क्र. 2643 ) श्री बाला बच्चन : क्या गृह मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नागदा जंक्शन जिला उज्जैन में ग्रेसिम उद्योग के अधिकारियों के विरूद्ध सी.आर.पी.सी. 1973 की धारा 133 के तहत दर्ज प्रकरण क्रमांक 25/15 में आरोपियों के विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई? यदि नहीं, की गई तो कब तक की जावेगी? (ख) इसी तरह 30.10.2014 को दर्ज 11088/14 प्ररकण में आरोपियों के खिलाफ कब-कब क्या-क्या कार्यवाही की गई? यदि नहीं की गई तो क्यों? कब तक की जावेगी? (ग) प्रश्नांश (क) व (ख) अनुसार कार्यवाही न करने वाले अधिकारियों पर शासन कब तक कार्यवाही करेगा?
गृह मंत्री ( श्री बाबूलाल गौर ) : (क) थाना बिरलाग्राम नागदा में दिनाँक 20.05.2015 को ग्रेसिम उद्योग की इकाई भारत कामर्स के अधिकारी श्री एस.के. श्रीवास्तव, यूनिट हेड एवं श्री बी.के. शर्मा, ह्यूमन रिसोर्स मैनेजर के विरूद्ध धारा 133 द.प्र.स. के अंतर्गत परिवाद क्रमांक 1/15, कार्यपालिक दण्डाधिकारी, न्यायालय नागदा के प्रकरण क्रमांक 25/15, दिनाँक 28.05.2015 पर दर्ज होकर कार्यवाही हेतु दिनाँक 16.12.2015 नियत है। (ख) थाना बिरलाग्राम नागदा पर प्रकरण क्रमांक 11088/14 दर्ज होना नहीं पाया गया है। (ग) प्रश्नांश ’क’ के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
श्री बाला बच्चन – माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न ‘क’ के जवाब के अनुसार अभी तक 22 तारीखें लग चुकी हैं. नागदा का जो कार्यपालिक दण्डाधिकारी न्यायालय है उस न्यायालय में गृह विभाग के द्वारा संबंधित दस्तावेज प्रस्तुत नहीं करने के कारण अभी तक 22 तारीखें लग चुकी है और आज 23वीं तारीख है तो माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय गृह मंत्री जी से यह जानना चाहता हूँ कि दस्तावेज प्रस्तुत क्यों नहीं किए जा रहे हैं ? सात महीने में आज 23वीं तारीख है आप कब तक उस न्यायालय में संबंधित दस्तावेज प्रस्तुत कर देंगे जिससे कि इस केस में कोर्ट के द्वारा निर्णय आ सके ?
श्री बाबूलाल गौर – माननीय अध्यक्ष महोदय मामला यह है कि थाना बिरलाग्राम नागदा में दिनांक 20-5-2015 को ग्रेसिम उद्योग की इकाई भारत कामर्स के अधिकारी श्री एस के श्रीवास्तव, यूनिट हेड एवं श्री बी के शर्मा, ह्यूमन रिसोर्स मैनेजर के विरूद्ध धारा 133 के विरूद्ध कार्यवाही की गई. इसमें क्या हुआ कि अपने ही क्षेत्र का कचरा अपने ही भारत कामर्स है उसमें डाल दिया है. आज उसकी पेशी है. आज उसका निर्णय हो जायेगा.
श्री बाला बच्चन – अध्यक्ष महोदय विभाग दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर रहा है इस कारण से इसमें पेंडेंसी बढ़ती जा रही है तो मैं यह चाहूंगा कि अगर आज दस्तावेज प्रस्तुत नहीं होते हैं तो उसकी 24वी तारीख पर आप संबंधित दस्तावेज प्रस्तुत कर देंगे तो उसमें निर्णय आ जायेगा. केवल दस्तावेज प्रस्तुत न करने के कारण 22 तारीख लग चुकी हैं और आज 23वी तारीख लगी है. आप कब तक कोर्ट में दस्तावेज प्रस्तुत कर देंगे.
श्री बाबूलाल गौर – इसी पेशी के बाद में जब भी दूसरी पेशी होगी. उसके बीच में हम पेश कर देंगे.
श्री बाला बच्चन – आज तक क्यों नहीं किये थे. आज अगर हो गये हों तो ठीक है नहीं तो अगली तारीख पर आप दस्तावेज प्रस्तुत कर दें. आपको धन्यवाद्.
लहार स्थित नारदेश्वर मंदिर की भूमि पर अतिक्रमण
14. ( *क्र. 1189 ) डॉ. गोविन्द सिंह : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या भिण्ड जिले की तहसील लहार के ग्राम मड़ौरी स्थित नारदेश्वर मंदिर की भूमि गोहद तहसील के ग्राम किसानों द्वारा अतिक्रमण कर कई वर्षों से खेती कार्य किया जा रहा है? यदि हाँ, तो उक्त भूमि पर वर्तमान में कौन-कौन सी फसल खड़ी है? (ख) क्या तहसीलदार गोहद द्वारा मंदिर की उक्त भूमि पर से अतिक्रमण हटाने के संबंध में अपने पत्र क्रमांक/क्यू/रीडर/2015/1501 दिनाँक 21.09.2015 को अनुविभागीय अधिकारी लहार जिला भिण्ड को सूचित किया था? यदि हाँ, तो अतिक्रमण हटाकर मंदिर के ट्रस्ट/पुजारी को किन-किन के समक्ष कब्जा दिया गया एवं अतिक्रमणकर्ताओं से कितनी राशि वसूल की गई? (ग) क्या प्रश्नांश (क) में वर्णित नारदेश्वर मंदिर की दतिया जिले की सेवढ़ा तहसील के अंतर्गत ग्राम बिजौरा, गुमानपुरा एवं कुंअरपुरा स्थित भूमि पर भी ग्रामवासियों द्वारा राजस्व विभाग के अधिकारी/कर्मचारियों के साथ मिलीभगत कर अवैध कब्जा कर खेती का कार्य किया जा रहा है? (घ) यदि हाँ, तो उक्त प्रश्नांश के परिप्रेक्ष्य में क्या तहसीलदार सेवढ़ा द्वारा माह सितम्बर 2015 में अतिक्रमणकारियों को नोटिस दिया जाकर कब्जा हटाने की कार्यवाही की गई है? यदि हाँ, तो किन-किन से कब्जा वापिस लिया गया एवं उनके विरूद्ध क्या-क्या कार्यवाही की गई?
राजस्व मंत्री ( श्री रामपाल सिंह ) : (क) जी नहीं। वर्तमान में उक्त भूमि पर कोई फसल न होकर खाली पड़ी है। (ख) जी हाँ। अतिक्रमण हटाकर राजस्व निरीक्षक पटवारी कोटवार के समक्ष पुजारियों को कब्जा दिया गया था। अतिक्रमणकर्ता रामसिंह पुत्र रामदयाल पर 3000/- रूपये, पुरूषोत्तम पुत्र अमरसिंह एवं जण्डेल सिंह पुत्र श्यामलाल पर 05-05 हजार रूपये अर्थदण्ड वसूली का आदेश पारित किया गया है। (ग) जी नहीं। राजस्व विभाग के किसी अधिकारी/कर्मचारी की मिलीभगत से अवैध कब्जा व खेती का कार्य नहीं किया जा रहा है। (घ) जी हाँ। अतिक्रमणकर्ताओं के विरूद्ध की गई कार्यवाही की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
डॉ. गोविन्द सिंह – माननीय अध्यक्ष महोदय यह प्रश्न मैंने विधान सभा में 29वी बार लगाया है. जो पदमपुराण धर्म ग्रंथहै उसके 228 के पेज पर लिखा है कि नारद मुनि ने तपस्या की है उसके लिए इस स्थान का पदमपुराण में उल्लेख किया गया है. मैं माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि अधिकारी लगातार गलत जानकारी देते हैं पुजारी मर गया है आप कहते हैं कि पुजारी को कब्जा दे दिया है. क्या पुजारी स्वर्ग से कब्जा लेने आ गया है आपने जवाब में लिख दिया है कि पुजारी को कब्जा दिया गया है, जब पुजारी मर गया है तो कब्जा क्या भूतों ने ले लिया है, विचित्र मामला है साहब, वहां पर पुजारी एक साल से नहीं है. गांव वाले व्यवस्था कर रहे हैं. आप कब तक दोनों जिलों का दतिया और भिण्ड में नारदेश्वर मंदिर की जमीन है 125 बीघा के आसपास उसे कब तक कब्जे से मुक्त करायेंगे आपने जवाब में जुर्माने की बात की है तो जुर्माना कोई देता नहीं है आप कह रहे हैं कि कार्यवाही चल रहीहै. यह तो हम 29 बार सुन चुके हैं. मैं तो केवल इतना ही पूछना चाहता हूं कि आप कब तक इन दोनों नारदेश्वर मंदिर की जमीन का सीमांकन कराकर कब्जा उस ट्रस्ट को दिलायेंगे जिस ट्रस्ट को वहां पर एसडीएम ने अधिकृत किया है, वहां पर पुजारी है नहीं. ट्रस्ट के लोगों को मौके पर जाकर उनके स्वयं के समक्ष जो ट्रस्ट के कर्ता धर्ता है जिनको एसडीएम लहार ने बनाया है उनको कब तक मौके पर जाकर कब्जा दिलवा देंगे. आपने यह कहा है कि इसमें कोई फसल नहीं बोयी गई हैउस जगह पर अभी सरसों की फसल खड़ी हुई है.
श्री रामपाल सिंह – माननीय अध्यक्ष महोदय नारद जी की तपोस्थली का मामला डॉ गोविन्द सिंह जी ने उठाया है. उनका कहना है कि वे 29 बार इस प्रश्न को विधान सभा में उठा चुके हैं. मैं प्रयास करूंगा कि 30वी बार यह प्रश्न विधान सभा में न आये. अध्यक्ष महोदय मध्यप्रदेश में जितने भी धार्मिक स्थल हैं...(हंसी..हंसी)
डॉ गोविन्द सिंह – आप यहां पर गोल मोल बातें न करें.. साफ साफ बता दें अकेला नारदेश्वर का उत्तर दें.
श्री रामपाल सिंह – अध्यक्ष महोदय वहां पर जो कलेक्टर हैं भिण्ड और दतिया में ..(डॉ गोविन्द सिंह जी की ओर देखते हुए हंसी..) नारदेश्वर मंदिर की भूमि का जो संरक्षण और रख रखाव है पूरे प्रदेश में जिले के जो कलेक्टर होते हैं..(हंसी)..
डॉ गोविन्द सिंह – आप तो केवल कब तक हटा देंगे उतना बता दें.
श्री रामपाल सिंह – यह मामला दोनों जिलों का है. माननीय गोविन्द सिंह जी ने जो चिंता की है आपकी धार्मिक भावना भी इसमें दिख रही है. दोनों जिलों के कलेक्टरों को कहूंगा कि यह धार्मिक स्थल की जमीन है इसको चिन्हित करके इसका सीमांकन किया जाय. जिन लोगों ने वहां पर अतिक्रमण किया है उन पर जुर्माना तो हमने किया है और उनके खिलाफ में कठोर कार्यवाही करेंगे उनका पूरा संरक्षण करेंगे यह देवस्थान है. इ समें किसी तरह की कोई कमी नहीं आने देंगे.
डॉ गोविन्द सिंह—ट्रस्ट के सदस्यों को कब तक कब्जा दिलवा देंगे.
श्री रामपाल सिंह -- तुरंत एक माह के अंदर.
डॉ गोविन्द सिंह – धन्यवाद्.
( प्रश्नकाल समाप्त )
...( व्यवधान )..
अध्यक्ष महोदय—जितू पटवारी आप बोलिए.
श्री जितू पटवारी—अध्य़क्ष महोदय, मेरा अनुरोध है कि कल एक बहुत ही दुख की घटना, होशंगाबाद में आपके जिले में आपकी विधानसभा के अंतर्गत हुई है. उसमें 15 लोग चले गए और होशंगाबाद नर्मदा हॉस्पिटल में 30 से 40 लोग आज जीवन और मृत्यु के बीच झूल रहे हैं. इससे ज्यादा दुख इस बात का हुआ कि यहां से होशंगाबाद केवल 80 किलोमीटर दूर है. अध्यक्ष महोदय जी, मेरी पूरी बात आने दें, इसको क्रिटीसाईज के रूप में न लें ,मेरा आपसे अनुरोध है .
अध्यक्ष महोदय—आप विषय दे दीजिए.
श्री जितू पटवारी—विषय यह है कि मेरे स्थगन में मैने आपका ध्यान उस ओर आकर्षित किया है और निवेदन है कि मुझे इस पर चर्चा करना है, पूरे सदन को ही करनी है. जब भी ऐसी कोई घटना होती है तो सरकार उनको मुआवजा दे देती है लेकिन घटनाएं रुकेंगी कैसे इस बारे में कोई बात नहीं होती. कल सुबह 5.30 बजे की यह एक्सीडेन्ट की घटना है. वहां पर सुबह 9.30 बजे अमला पहुंचा और उस बीच में लोग तड़प तड़प कर मर गये. मेरा आपसे अनुरोध है कि होशंगाबाद जिला यहां से 80- किलोमीटर दूर है..( व्यवधान ) न तो वहां सिटीस्केन है..(व्यवधान)
श्री घनश्याम पिरोनियाँ—जितू पटवारी अब तुम उस पर राजनीति कर लो.
श्री जितू पटवारी---(XXX) आपको इसमें क्या राजनीति की बात है, एक ही परिवार के 15 लोग मर गये और आप इसमें राजनीति की बात कर रहे हैं. एक अपने परिवार का सदस्य एक्सीडेन्ट में मरता है, उसकी भावना को समझने की कोशिश करें. अध्यक्ष जी, सारे लोग इन्दौर के थे. मेरा आपसे अनुरोध है कि उस पर चर्चा करवानी चाहिए.
श्री घनश्याम पिरोनियाँ—उनके प्रति माननीय मुख्यमंत्री जी ने संवेदना व्यक्त की है और तुम खड़े होकर के राजनीति कर रहे हो. तुम्हारा और पार्टी का यही काम है राजनीति करने का. कम से कम मरों पर तो राजनीति मत करो. ( व्यवधान )
श्री जितू पटवारी—विधायक जी यह भावनात्मक प्रश्न है. आपसे मेरा अनुरोध है कि इसमें मेरा सहयोग करें. विधायक जी, मेरी विधान सभा के लोग हैं. अध्यक्ष जी मैं कल वहां चार बजे गया ...
अध्यक्ष महोदय—इसीलिए आपको अनुमति दी है, आप पूरा इतिहास मत बताईए. आपका विषय आ गया.
श्री जितू पटवारी—अध्यक्षजी, मेरा अनुरोध है , मैं वहां चार बजे गया. इतनी लापरवाही की बात है कि स्वास्थ्य मंत्री या मुख्यमंत्री या कोई भी एक व्यक्ति 80 किलोमीटर दूर क्यों नहीं जा पाया? अध्यक्ष जी, मैने स्थगन दिया हैं ,मैं इसमें चर्चा चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय—अब आप कृपया बैठ जाये. घटना अत्यन्त दुखद है. किन्तु यहां जो विषय आप लायें हैं वह नियमों मे ही लाना पड़ेगा और ये जो दो स्थगन की सूचनाएं प्राप्त हुई हैं ये आज 11.19 और 11.20 को प्राप्त हुई हैं. और इसलिए इनको इसमें नहीं लिया जा सकता.
श्री राम निवास रावत—अध्यक्ष जी, मेरी सूचना 8 बजे से पहले है.
अध्यक्ष महोदय—मुकेश नायक जी और जितू पटवारी जी की 11.19 और 11.20 को आई है. अभी आपने संशोधन कर दिया. वह भी मेरे पास सचिवालय से आ गया है कि आपकी सूचना पहले आ गई थी. और इसलिए अभी उसमें विचार करेंगे, जैसा कि मैने कहा कि घटना दुखद है. उस पर शासन ने कम्पनसेशन की घोषणा भी कर दी है. इलाज की व्यवस्था के लिए माननीय मंत्री जी अभी कह देंगे.
संसदीय कार्य मंत्री,(डॉ नरोत्तम मिश्र)—अध्यक्ष महोदय, घटना दुखद है. जैसा आपने भी कहा. उससे सब द्रवित भी हैं. कल माननीय परिवहन मंत्रीजी ने बता भी दिया था कि किसकी गलती से यह दुर्घटना घटी है. दुर्घटनाग्रस्त व्यक्तियों के इलाज की पूरी चिन्ता की जा रही है. वहां पर सिटी स्केन मशीन भी संचालित है. होशंगाबाद के अस्पताल के बारे में भी आपको ठीक से जानकारी है. हम सदन को पूरी तरह से आश्वस्त करते हैं कि उनके इलाज की पूरी चिन्ता कर रहे हैं. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय—अब कोई चर्चा नहीं. माननीय रावतजी ने, जितू पटवारी जी ने जो चिन्ता व्यक्त की है, उस पर स्वास्थ्य मंत्रीजी ने इलाज के लिए कहा है.
श्री मुकेश नायक—आरिफ अकील साहब के बाद मुझे आधा मिनट बोलने की अनुमति दीजिए.
अध्यक्ष महोदय—आप पहले बोल दें. उनका विषय दूसरा है.
श्री मुकेश नायक—अध्यक्ष महोदय, मैं यह कहना चाह रहा हूं कि सुबह घटना हुई.
अध्यक्ष महोदय—इतिहास मत बताईये.
श्री मुकेश नायक—15 लोग स्थल पर मर गये. 3 लोग अस्पताल में मरे. मुझे जो खबर है कि 5 लोग जीवन-मृत्यु के बीच अंतिम सांसे गिन रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय—घटना के विवरण की जरुरत नहीं है.
श्री मुकेश नायक—मैं यह कहना चाहता हूं कि इलाज की व्यवस्था के बारे में जो बात मंत्रीजी ने कही, उस तरह से इलाज की व्यवस्था वहां नहीं हो रही है.
अध्यक्ष महोदय—मंत्रीजी ने आश्वस्त किया है कि और अच्छी इलाज की व्यवस्था हो जायेगी.
श्री जितू पटवारी—लोग मर रहे हैं और हम बात नहीं करें यह तो गलत बात है.
अध्यक्ष महोदय—आप चिल्लाकर बोलेंगे तो भी बात नहीं करने देंगे.
श्री जितू पटवारी—(XXX).(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय—यह घटना दुखद है.(व्यवधान)
श्री जितू पटवारी—(XXX).
अध्यक्ष महोदय—आपकी बात पूरी आ गई. दिन भर उस भर चर्चा नहीं करेंगे. नियमों में आयेगा तो चर्चा करने देंगे अन्यथा नहीं करने देंगे. आप जबरजस्ती नहीं कर सकते.(व्यवधान)
एक माननीय सदस्य—ये सड़क की राजनीति सदन में करना चाहते हैं. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय—श्री आरिफ अकील अपनी बात कहें. श्री जितू पटवारी जो कहेंगे वह नहीं लिखा जायेगा.
श्री जितू पटवारी—XXX
अध्यक्ष महोदय—इसके पहले भी जो इन्होंने बोला है वह निकाल दिया जाये.(व्यवधान) कृपया बैठ जायें.
श्री आरिफ अकील(भोपाल-उत्तर)—अध्यक्ष महोदय, मेरा भी मुआवजे से संबंधित मामला है. मैंने खरगौन,मंदसौर और सिवनी में जो साम्प्रदायिक तनाव हुआ है, उससे जिन लोगों का करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है, लेकिन उनको आज तक मुआवजा नहीं मिला. कृपा करके आप कहें कि जांच कराकर, नियमानुसार जो भी मुआवजा बनता है, वह दिलवा दें. आप कह देंगे तो आपकी कृपा हो जायेगी. जो गरीब मिट गये, बर्बाद हो गये, उनको न्याय मिल जायेगा. आपका कहना भर ही काफी होगा.
अध्यक्ष महोदय—आपकी बात रिकार्ड में आ गई.
श्री आरिफ अकील—आपका आदेश भी आ जाये तो कृपा होगी.
अध्यक्ष महोदय—अभी नहीं कर पायेंगे.
श्री रामनिवास रावत—अध्यक्षजी, सदन के नेता ने जिस तरह से प्रदेश में भ्रष्टाचार मिटाने का संकल्प लिया है. मैंने एक स्थगन दिया है कि प्रदेश में भ्रष्टाचार के मामले में लोक निर्माण विभाग...
अध्यक्ष महोदय—आप पढ़िये मत...विषय बता दीजिए.
श्री रामनिवास रावत—अध्यक्षजी, लोक निर्माण विभाग में पदस्थ अधिकारी द्वारा यह लिखित शिकायत की गई है कि एक कार्यपालन यंत्री और प्रमुख सचिव ने रिश्वत मांगी. लोकायुक्त के छापे में इंदौर का शिक्षा अधिकारी रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया. पीएचई विभाग में बिना अधिकार के खरीदी की गई.
अध्यक्ष महोदय—आप कहना क्या चाहते हैं?
श्री रामनिवास रावत—अध्यक्षजी, भ्रष्टाचार की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं. भ्रष्टाचार खुले आम हो रहा है. ऐसा लगता है जैसे सरकार का पूरा संरक्षण है. पूरा प्रदेश भ्रष्टाचार में मस्त हो रहा है. यह चिन्ता का विषय है. मैंने एक स्थगन दिया है कि भ्रष्टाचार को यह सरकार कैसे समाप्त करे. इस पर चर्चा करा ली जाये. प्रमुख सचिवों पर आरोप लग रहे हैं. मंत्रियों पर आरोप लग रहे हैं. बिना उपयोग के खरीदी कर रहे हैं. लोकायुक्त में शिकायत की गई. स्थगन पर चर्चा करा ली जाये.
अध्यक्ष महोदय—आपकी बात आ गई. अब कृपया बैठ जायें.
श्री बाला बच्चन(राजपुर)—अध्यक्ष महोदय, श्री जितू पटवारी जी और अन्य विधायक साथियों ने जो मुद्दा उठाया है कि जब कभी भी कोई दुर्घटना होती है और उसके बाद मरीजों को अस्पतालों में रेफर किया जाता है लेकिन अस्पतालों में पर्याप्त इलाज की व्यवस्था नहीं होती. 15 लोग स्थल पर मर गये उसके बाद जो लोग अस्पताल में मरे हैं वे इलाज की कमी के कारण मरे हैं. तो हमारे स्थगन पर आप चर्चा भी करायें, दूसरा शासन को आप निर्देश दें कि कहीं भी अगर इस तरह की घटनायें घटती हैं तो वहां तत्काल इलाज का पुख्ता इंतजाम होना चाहिये जिससे कि मरीज इलाज के अभाव के कारण मर न सके.
अध्यक्ष महोदय-- मेरे ही निर्देश पर माननीय मंत्री जी ने यह बात कही थी कि इलाज की समुचित व्यवस्था होगी.
नियम 267-क के अधीन विषय
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.)
अध्यक्षीय घोषणा
अब श्री गौरीशंकर बिसेन किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री, “मुख्यमंत्री कृषि उपज मंडी हम्माल एवं तुलावटी वृद्धावस्था सहायता योजना 2015” के संबंध में वक्तव्य देंगे.
वक्तव्य
मुख्यमंत्री कृषि उपज मंडी हम्माल एवं तुलावटी वृद्धावस्था योजना 2015
किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री (श्री गौरीशंकर बिसेन)— माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री बाला बच्चन – माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे यह वक्तव्य अभी अभी दिया है. मैंने इसको जितना पढ़ा और समझा है मुझे लगता है कि 1000 रूपये बहुत कम है इसको बढ़ाना चाहिये तथा वार्षिक के स्थान पर मासिक करना चाहिये.
श्री गौरीशंकर बिसेन—अध्यक्ष महोदय, मंडी समिति की 1000 और मंडी बोर्ड की 1,000 इस तरह 2,000 है. और एक एक माह का हिसाब रखने में दिक्कत जायेगी इसलिये वार्षिक रखें.
श्री बाला बच्चन – यह राशि कम होगी इसलिये इसको बढ़ाया जाना चाहिये.
श्री गौरीशंकर बिसेन—इसमें 50% हितग्राही का है और 50% मंडी बोर्ड और मंडी समिति का है.
श्री बाला बच्चन- सरकार को विचार करना चाहिये, 2000 रूपये में क्या उनका पेट भर जायेगा.
श्री गौरीशंकर बिसेन—यह तो वृद्धावस्था में जब वो काम के लायक नहीं रहेगा तब उसको सहायता देने के लिये है. और मैं समझता हूं कि मध्यप्रदेश में पहली बार इतना महत्वपूर्ण निर्णय हमने लिया है.
श्री बाला बच्चन – सिर्फ इतना आग्रह है कि सरकार को इसे बढ़ाना चाहिये.
अध्यक्ष महोदय—आपकी बात आ गई.
11.46 बजे ध्यानाकर्षण
1. पालिटेक्निक कॉलेजों के अतिथि व्याख्याताओं के साथ अन्याय होना.
श्री मुकेश नायक (पवई) – माननीय अध्यक्ष महोदय,
मंत्री, तकनीकी शिक्षा (श्री उमाशंकर गुप्ता) – माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री मुकेश नायक – अध्यक्ष महोदय, मेरा मंत्री जी से पहला प्रश्न यह है कि गेट एग्जामिनेशन के माध्यम से आपने ये क्यों परीक्षायें संचालित करवाईं, जो पूर्व में कभी होती नहीं रही हैं. दूसरा मेरा प्रश्न यह है कि चयन प्रक्रिया के मापदण्डों में अनुभव को क्या स्थान दिया और एकेडमिक ट्रेक रिकार्ड को क्या स्थान दिया, नम्बर ऑफ मेरिट्स को. तीसरी चीज अनुभव, नम्बर ऑफ मेरिट्स इन दोनों चीजों को दर किनार रख कर फ्रेशर्स, जिनका एक दिन भी शैक्षणिक अनुभव नहीं था, जो शैक्षणिक योग्यता में अपेक्षाकृत कम योग्य थे, उनको क्यों इसमें भर्ती कर लिया गया, यह किस नियम के तहत किया गया, किस नीति के तहत किया गया, इसके पीछे क्या उद्देश्य था.
श्री उमाशंकर गुप्ता -- अध्यक्ष महोदय, पॉलिटेक्निक कॉलेजेस में व्याख्याताओं को पद बरसों से रिक्त हैं. नियम,2004 के तहत यह सेवायें संस्थाओं की हो गईं. पहले हमने पीएससी से निवेदन किया कि खाली पदों की भर्ती कर ली जायें. पीएससी ने कहा कि हम संस्थाओं के पदों की भर्ती नहीं करेंगे. यह पद लगातार रिक्त थे और भर्ती का और कोई हमारे पास साधन नहीं था और कोई न कोई रिटन टेस्ट लेकर यह भर्ती करना, तो गेट जैसी परीक्षा मुझे लगता है कि इसमें आज तक कोई विवाद नहीं हुआ है और सर्वमान्य परीक्षा है. इसको आधार बनाकर हमने पहले से विज्ञापन दिया कि जो भी व्याख्याता के लिये नियुक्त होना चाहते हैं, हम परीक्षा कोई भी करा सकते थे, विभाग कराता, इसकी अपेक्षा हमने गेट को वरीयता दी और विज्ञापन पर्याप्त समय पहले दिया. उसमें अतिथि विद्वान या कोई भी आवेदन कर सकते थे और आवेदन किये भी हैं, मुझे ऐसी जानकारी है. आवेदन किये भी हैं. उसमें दिया, जहां तक अनुभव की बात कर रहे हैं. हमने केवल इन्टरव्यू के 10 नम्बर रखे. 80 प्रतिशत नम्बर हमने रखे गेट की लिखित परीक्षा में जो मार्किंग हुई है और जो आप वरीयता की बात कर रहे हैं तो किसी ने अगर स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की है, उनको पांच प्रतिशत नम्बर दिया है और उपयुक्त शाखा में पीएचडी की है तो 5 अंक उसके दिये हैं और 10 नम्बर केवल व्यक्तिगत साक्षात्कार के रखे थे और उस व्यक्तिगत साक्षात्कार में भी यह कहा गया था कि इसमें अनुभव को ध्यान में रखा जाय. तो इतनी अच्छी परादर्शी व्यवस्था हुई है और जो अपने नियम हैं, वह इस विधान सभा में ही 2004 में पारित हुए हैं. उसमें अनुभव के लिये कोई वरीयता नहीं है. कोई अनुभव नहीं मांगा गया है और यह एआईसीटीई के भी, माननीय मुकेश नायक जी, शिक्षा मंत्री रहे हैं. इसमें भी लेक्चरर के लिये जो योग्यता दी है, एआईसीटीई ने भी, उसमें भी अनुभव को वरीयता नहीं केवल उन्होंने बीई डिग्री मानी है. इसलिये यह सारी प्रक्रिया बड़ी पारदर्शिता के साथ हुई है. मैं एक बात और ध्यान में लाना चाहता हूं कि हमारी इस प्रक्रिया को माननीय उच्च न्यायालय में भी चेलेंज किया गया था, अतिथि विद्वानों के कुछ सदस्यों के द्वारा. उसमें हमारे हाई कोर्ट ने भी हमारी प्रक्रिया को क्लीन चिट दी है और उसमें कहीं कोई आपत्ति नहीं जताई है.
अध्यक्ष महोदय -- अब आपकी बात आ गई है.
श्री मुकेश नायक – अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी के ऊपर कोई आरोप नहीं लगा रहा हूं. लेकिन मैं यह कहना चाहता हूं कि जो चयन प्रक्रिया अपनाई गई, उसके एन्टीसिपेशन इनके बिलकुल गलत निकले और उसके कारण 10-10 साल, अध्यक्ष महोदय, आपसे व्यक्तिगत चर्चा भी आपके कक्ष में मेरी हुई थी. मैंने जब यह विषय आपके सामने रखा, तो आपने सहानुभूति जताई थी. मैं यह कहना चाह रहा हूं कि ..
अध्यक्ष महोदय -- कक्ष की चर्चाएं यहां नहीं की जातीं.
श्री मुकेश नायक – .. 10-10 साल शैक्षणिक कार्य के सम्पादन करने वाले शिक्षक इसमें रह गये. ज्यादा योग्य शिक्षक रह गये. तो आपका उद्देश्य तो पूरा नहीं हुआ शिक्षकों की भर्ती का.
अध्यक्ष महोदय -- ठीक है, आपकी बात आ गई और उत्तर भी आ गया. इंजीनियर प्रदीप लारिया, अपनी ध्यान आकर्षण सूचना पढ़ें.
(2) सागर जिले में कचरा जलाने एवं राजगढ़ जिले के पीलूखेड़ी स्थित औद्योगिक ईकाइयों द्वारा प्रदूषण फैलाया जाना.
इंजीनियर प्रदीप लारिया (नरयावली) {श्री गिरीश भण्डारी}—अध्यक्ष महोदय,
श्री सत्यप्रकाश सखवार (अम्बाह) – माननीय अध्यक्ष महोदय, जो हमारी विधानसभा के जनहित के मुद्दे रहते हैं. हमने कई बार ध्यानाकर्षण लगाये हैं लेकिन वे आज तक नहीं आए. इसके क्या नियम हैं ?
अध्यक्ष महोदय – कृपया उनका प्रश्न होने दें. यह कोई बात नहीं हुई.
श्री सत्यप्रकाश सखबार – आज तक एक भी ध्यानाकर्षण नहीं आया.
अध्यक्ष महोदय – आप दूसरों के प्रश्न होने दीजिये. वकील साहब कृपया आप बैठ जाइये. आप चिल्लाइये नहीं. आप लोग ध्यानकर्षण में भी इन्टरफीयर करने लगे. यह नहीं चलेगा, नो इंटरेपशन. वह यहां का विषय नहीं है. कुछ रिकॉर्ड में नहीं आयेगा. आपके दल के नेता बोल रहे हैं, आप तो बैठ जाइये.
श्री सत्यप्रकाश सखवार – अध्यक्ष महोदय, दो वर्ष हो गए हैं. दो वर्ष में हमारे एक भी सदस्य का कोई ध्यानाकर्षण नहीं आया है, इसलिए मुझे दुखी होकर कहना पड़ा है.
अध्यक्ष महोदय – आप सुन लीजिये. बैठ जाइये. इस विषय में, यदि कोई बड़ा महत्वपूर्ण विषय हो तो कक्ष में चर्चा कर लें. आप पूरी सुनेंगे कि नहीं. अभी यहां यह विषय नहीं है, दूसरे सदस्यों के भी महत्वपूर्ण हैं. कृपा कर, उनका विषय आने दें. ध्यानाकर्षण विषय की गम्भीरता को लेकर लिये जाते हैं, व्यक्ति को देखकर नहीं. माननीय मंत्री जी.
श्री सत्यप्रकाश सखवार – हमारे क्षेत्र की एक प्रमुख महत्वपूर्ण रोड थी. उसको आपने बिल्कुल नहीं लिया. ( XXX )
अध्यक्ष महोदय – कृपया आप बैठ जाएं. आप इस तरह डिस्टरबेन्स नहीं कर सकते. यह नहीं लिखा जायेगा.
राज्यमंत्री , सामान्य प्रशासन (श्री लाल सिंह आर्य) – माननीय अध्यक्ष महोदय, सागर नगर-निगम क्षेत्र से उत्पन्न नगरीय ठोस अपशिष्ट लगभग 90 मैट्रिक टन प्रतिदिन ग्राम हफसिली में अपवहन हेतु लाया जाता है. नगरीय ठोस अपशिष्ट में उपस्थित कागज, प्लास्टिक, मेटल आदि को अलग करने हेतु कचरा बीनने वाले रेगपिकर्स कभी-कभी अपशिष्ट में आग लगा देते हैं, जिसकी सूचना मिलते ही नगर-निगम का अमला नियंत्रण कराता है. नगरीय ठोस अपशिष्ट के उचित अपवहन हेतु शासन द्वारा योजना बनाई गई है, योजना के क्रियान्वयन होने तक कचरे का दुष्प्रभाव नियंत्रण करने हेतु दवा स्प्रे किया जाता है. कचरे जलने से उत्पन्न धुयें के दुष्प्रभाव से बीमार होने तथा अस्पताल में भर्ती होने की अधिकृत जानकारी नहीं है. दि. 20 जनवरी, 2015 को म.प्र.प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा किये गये परिवेशीय वायु गुणवत्ता मापन रिपोर्ट के परिणाम निर्धारित मानकों में पाये गये हैं.
राजगढ़ जिले अन्तर्गत औद्योगिक क्षेत्र पीलूखेड़ी में स्थापित प्रमुख उद्योगों को म.प्र.प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा सशर्त सम्मतियां जारी की गई हैं. उद्योगां में प्रक्रिया से उत्पन्न निस्त्राव के उपचार हेतु आवश्यक उपचार संयंत्र स्थापित कराये गये हैं तथा निस्त्राव को मानकों तक उपचारित कर उद्योग परिसर में उपयोग कर शून्य निस्त्राव की स्थिति बनाई गई है. बोर्ड अधिकारियों द्वारा समय-समय पर उद्योगों की प्रदूषण नियंत्रण व्यवस्था का निरीक्षण एवं मॉनिटरिंग कर निगरानी रखी जाती है. मॉनिटरिंग परिणामों से स्पष्ट होता है कि निस्त्राव का उपचार मानकों तक हो रहा है, अत: यह कहना उचित नहीं होगा कि पीलूखेड़ी क्षेत्र में स्थापित उद्योगों के निस्त्राव के कारण पार्वती नदी में जल प्रदूषित हो रहा है. बोर्ड द्वारा पार्वती नदी में जल गुणवत्ता की जॉच 4 स्थानों पर की जाती है जिनमें पेयजल आपूर्ति स्थान पर शामिल है. विगत् वर्ष की जॉच रिपोर्ट के अनुसार गुना जिले में पार्वती नदी के चारों बिन्दुओं पर जल गुणवत्ता भारतीय मानक 2296 के अनुसार ‘ए’ श्रेणी की पाई गई है अर्थात् नदी का जल डिसइनफेक्शन के पश्चात् पीने योग्य है. अत: पार्वती नदी में जल प्रदूषण की स्थिति नहीं है. पीलूखेड़ी औद्योगिक क्षेत्र में स्थापित मे. हिन्द स्पिीनर्स तथा मे. हिन्दुस्तान कोकाकोला बाटलिंग कम्पनी के उपचारित निस्त्राव जल की गुणवत्ता बोर्ड द्वारा निर्धारित मानकों के भीतर पाई गई है. मेसर्स विंध्याचल डिस्टलरी तथा मे. ओसवाल डेनिम लि0 पीलूखेड़ी द्वारा उपचारित जल का पुर्नचक्रण/पुर्नउपयोग कर शून्य निस्त्राव की स्थिति सुनिश्चित की जाती है. मे. हिन्द स्पिीनर्स की औद्योगिक प्रक्रिया से किसी भी प्रकार का दूषित जल उत्पन्न नहीं होता है. उद्योग से केवल घरेलू दूषित जल उत्पन्न होता है जिसे उपचारित कर वृक्षारोपण में उपयोग किया जाता है. अत: यह कहना सत्य नहीं है कि उद्योगों द्वारा केमिकल्स युक्त विषैला पानी सीधे नदी एवं कृषि भूमि में बहाया जा रहा है. उपरोक्त उद्योगों के प्रदूषण से कृषि भूमि की उर्वरक क्षमता नष्ट होने, किसानों की फसलों को भारी नुकसान होने, आवासीय क्षेत्र के पेयजल एवं सिंचाई स्त्रोत के विषाक्त होने से गंभीर बीमारियां उत्पन्न होने की अधिकारिक सूचना नहीं है.
श्री प्रदीप लारिया(नरयावली)- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे विधानसभा क्षेत्र का जो हपसिली ग्राम है, उससे जुड़े लोगों के स्वास्थ्य से संबंधित यह विषय है । हपसिली में कचरा डल रहा है, उसका निष्पादन नगर निगम को करना चाहिए, लेकिन उसका निष्पादन न करते हुए, उस कचरे में आग लगा रहे हैं, गांव के पास में भी नगर निगम कचरा डालने लग गया है ,उस कचरे में पॉलीथिन भी रहती है,प्लास्टिक भी रहती है,मेडिकल वेस्ट भी रहता है और जब वह कचरा जलता है तो उसका दुष्प्रभाव गांव के लोगों पर पड़ रहा है ।
अध्यक्ष महोदय - कृपया प्रश्न करें ।
श्री प्रदीप लारिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं प्रश्न पर ही आ रहा हूँ, जो प्लास्टिक जला रहे हैं, जो कि केंसर कारक बीमारी को जन्म देता है, पॉलीथिन जल रही है, जिसके कारण स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ रहा है । अभी बीच में समाचार पत्र में भी आया था । माननीय मंत्री जी का जो उत्तर आया है, उसमें दिया गया है कि कोई भी अस्वस्थ नहीं है । मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करूँगा कि वहां पर स्वास्थ्य परीक्षण करा लें, वहां के लोगों को दमा की बीमारी हो गई है, त्वचा से संबंधित बीमारी हो गई है । स्वास्थ्य केम्प लगा दें, जिससे वहां के लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण हो जाए । कचरे में बार - बार आग लगाई जा रही है, जिसके कारण वायु प्रदूषण हो रहा है, जल प्रदूषण हो रहा है, जिससे स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ रहा है, इस आग लगाने की प्रक्रिया को रोकना पड़ेगा । अध्यक्ष महोदय, इसकी कोई जिम्मेदारी तय हो जाए ।
श्री रामेश्वर शर्मा(हुजूर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, इसी से संबंधित प्रश्न मेरा भी है, क्योंकि भोपाल राजधानी है औैर आस-पास ग्रामीण क्षेत्र लगे हैं, वहां पर भी नगर निगम ने अनारक्षित भूमि पर, 20 -20 एकड़ पर कचरा डालना शुरू कर दिया है, एक समूची व्यवस्था ऐसी हो कि जिन क्षेत्रों में कचरा डाल रहे हैं वहां पर प्रदूषण न हो, वहां के नागरिकों को परेशानी न हो, थुआखेड़ा गांव है वहां पर 20 एकड़ में खुले में कचरा डाला जा रहा है ।
अध्यक्ष महोदय - एक सामान्य बात आ गई है, सभी के लिए और विशेषकर सागर वालों के लिए, आप मंत्री जी का उत्तर ले लीजिए ।
श्री रामेश्वर शर्मा - माननीय अध्यक्ष महोदय, राजधानी में आपको रहना है, सारे विधायकों को रहना है और यह बीमार होंगे तो इनका इलाज कौन करेगा ।
अध्यक्ष महोदय - आपकी बात आ गई है, मंत्री जी बोल रहे हैं ।
श्री रामेश्वर शर्मा - अध्यक्ष महोदय, आप एक बार सुन तो लीजिए,भानपुर एवं उसके आस-पास का पानी प्रदूषित हो रहा है, जहां पर कचरा डाला जाए, वहां पर एक पॉलिसी बनाई जाए, नगर निगम और नगर पालिकाओं को स्पष्ट निर्देश दिए जाएं ।
राज्यमंत्री,सामान्य प्रशासन(श्री लाल सिंह आर्य) - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी ने जो शंकाएं व्यक्त की हैं, मैं आपके माध्यम से उन्हें बताना चाहता हूँ कि उपसंचालक,कृषि ने वहां की मृदा का परीक्षण कराया है । मेडिकल की रिर्पोट भी हमारे पास है, पी.एच.ई. की रिर्पोट,जल संसाधन की रिर्पोट भी हमारे पास है । कहीं भी किसी भी प्रकार की दिक्कत किसी भी रिपोर्ट में नहीं आई है, अध्यक्ष महोदय, एक बात कहकर आपको संतुष्ट करना चाह रहा हूं कि सागर कलस्टर को पीपी मोड के आधार पर कचरा प्रबंधन का हम काम शुरू कर रहे हैं, कुछ वार्डों में प्रारंभ भी हो गया है. एक महीने के भीतर पूरे नगर के सभी वार्डों का कचरा प्रबंधन का काम भी शुरू हो जाएगा. जहां तक मेडिकल परीक्षण की बात आपने की है आपकी भावना के अनुरूप गांवों के लोगों का मेडिकल परीक्षण भी करवा लेंगे.
इंजीनियर प्रदीप लारिया—अध्यक्ष महोदय, मेरा मंत्री जी से इतना निवेदन है कि जहां से कचरा परिवहन होता है वह गांव का भी रास्ता है तो कचरा परिवहन का रास्ता अलग करेंगे तथा गांव की तरफ बाऊंड्री बनवाएंगे जिससे पॉलिथिन गांव की तरफ न आ पाए.
श्री लालसिंह आर्य—अध्यक्ष महोदय, इसमें मेरा कहना है कि कचरा प्रबंधन का हम पीपी मोड के आधार पर हमारी प्रक्रिया प्रारंभ हो गई है तो वहां पर कचरा जाना बंद ही हो जाएगा इसलिये रास्ते बंद की कोई आवश्यकता ही नहीं जाएगी.
अध्यक्ष महोदय—भंडारी जी आपके ध्यानाकर्षण का उत्तर आ गया है. आप प्रश्न करिये.
श्री गिरीश भंडारी—माननीय अध्यक्ष महोदय, राजगढ़ जिले के अंतर्गत औद्योगिक क्षेत्र पीलूखेड़ी के बारे में मेरा यह प्रश्न है कि जो माननीय मंत्री जी ने उत्तर दिया है उसमें इन्होंने बताया है कि न ही पीने का पानी वहां पर प्रदूषित हो रहा है, न ही वहां खेती खराब हो रही है, न ही वहां पर कोई पशुधन को कोई नुकसान हो रहा है, जबकि पीएचई विभाग के द्वारा वहां के जितने भी हैंडपम्प, कुएं हैं उनको लाल क्रास करकर प्रतिबंधित कर दिया गया है इस बात के लिये कि यह पानी पीने योग्य नहीं है उस पर मंत्री जी जवाब दे रहे हैं वहां का पानी पीने योग्य है, जबकि खुद लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग शासन का विभाग है उसके द्वारा गांव के पूरे हैंडपम्प तथा कुओं पर लाल निशान लगाकर प्रतिबंधित किया जा चुका है, इस बात के लिये कि यह पीने योग्य पानी नहीं है. दूसरा मेरा प्रश्न है कि जो माननीय मंत्री जी जवाब है कि मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के द्वारा वहां पर परीक्षण करवाया गया, लेकिन वहां पर ऐसा कुछ भी नहीं पाया गया है. मैं मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश प्रदूषण बोर्ड ने जब जब वहां पर जांच की है बोर्ड ने फैक्ट्री वालों के साथ मिलकर जांच की है तथा प्रदूषण बोर्ड उसकी गलत जानकारी देते हैं. अगर प्रदूषण बोर्ड मुझे बुलाए तो मैं उनको सबके सामने बताऊंगा कि किस तरह से जांच होगी. वहां पर प्लाऊ चलाकर उन्होंने खेत खरीद कर रखे हैं और पूरा पानी उस खेत में डालते हैं और लगातार बार बार उसमें हर दूसरे-तीसरे दिन प्लाऊ करके उसमें पानी डाला जाता है तो प्रदूषित जल पूरे खेतों में तथा पूरी नल-जल योजनाओं में तथा पूरे कुओं में जल प्रदूषित कर रहा है. तीसरा जितनी भी मैंने फैक्ट्रियों के नाम दिये हैं इन तीनों फैक्ट्रियों के द्वारा पूरा प्रदूषणयुक्त, केमिकलयुक्त जल होता है वह पार्वती नदी में भी बहाया जाता है और जब कि प्रदूषण बोर्ड इसमें जवाब दे रहा है कि वहां पर सब मानक पाये गये हैं.
श्री लालसिंह आर्य—माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य महोदय का कहना है कि अधिकारियों की मिली भगत से ऐसा कुछ हो रहा है.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार—माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि विधायक यदि कोई बात कहें तो उस बात पर ध्यान देना चाहिये और यदि वह ऐसा कह रहे हैं अधिकारियों ने आपको गलत जानकारी दी है तो कोई आवश्यक नहीं है कि हम उस बात को फिर से दोहराएं कहीं न कहीं हम लोगों को खुद को सोचकर के तथा विचार करके लोगों की तरफ से यदि गंभीर समस्याएं आती हैं और हमारा जवाब उससे मेल नहीं खाता है तो हमको स्वीकार करने में हमारी कोई बेइज्जती नहीं हो रही है मेरी आपसे हाथ जोड़कर प्रार्थना है.
श्री अजय सिंह – माननीय अध्यक्ष महोदय, सदन में इस गंभीरता के साथ आदरणीय शेजवार जी ने जो बात कही है. मैं कांग्रेस पक्ष की तरफ से शायद सभी सम्मानित सदस्यों की तरफ से उनको साधुवाद,धन्यवाद देता हूं.
श्री लाल सिंह आर्य – माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा माननीय सदस्य ने कहा है कि वहां पर हैंडपंप खराब हैं. मैं आपकी जानकारी के लिये बता दूं कि इस ग्राम में दो हैंडपंप स्थापित हैं लेकिन फिर भी आपने शंका व्यक्त की है वहां जितने भी प्लांट लगे हैं. जल शोधन के लिये वहां हमारे चार ट्रीटमेंट प्लांट लगे हैं उसमें ट्रीटमेंट के बाद ही पानी छोड़ा जाता है. विन्ध्याचल डिस्टलरी की हमने दिनांक 5.9.15 को जांच कराई है. ओसवाल कंपनी की 5.9.15 को जांच कराई है. हिन्दुस्तान कोकाकोला की 20.11.15 को जांच कराई है. मेसर्स हिन्द स्पिनर्स की 5.9.15 को हमने जांच कराई है. अपने अधिकारियों से जांच कराई है और A श्रेणी का इनको पाया है लेकिन फिर भी माननीय विधायक जी यह कह रहे है और आपको ऐसा लगता है कि कहीं न कहीं प्रदूषित जल छोड़ा जा रहा है तो मैं भोपाल से किसी उच्च अधिकारी को पहुंचाकर उसकी जांच करवा लूंगा.
श्री गिरीश भण्डारी – एक निवेदन है कि जो आपका उच्च दल जायेगा. क्या वह मुझको वहां बुलाकर मेरे समक्ष उन फैक्ट्रियों की जांच करेगा जिनके द्वारा प्रदूषित जल छोड़ा जा रहा है ?
श्री लाल सिंह आर्य – माननीय अध्यक्ष महोदय, जब हमारा जांच दल जायेगा तो आपको भी विश्वास में ले लेंगे.
श्री गिरीश भण्डारी – पिछली बार भी जांच दल गया था.
श्री लाल सिंह आर्य – ठीक है आपको भी बुला लेंगे और आपको भी साथ लिये चलेंगे. कोई दिक्कत नहीं है.
(3) भोपाल से सिरोंज सड़क मार्ग की हालत जर्जर होना
श्रो गोवर्धन उपाध्याय (सिरौंज) – माननीय अध्यक्ष महोदय,
राज्यमंत्री,(संस्कृति एवं पर्यटन) श्री सुरेन्द्र पटवा – माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री गोवर्धन उपाध्याय:- माननीय अध्यक्ष महोदय, जहां तक माननीय मंत्री ने निविदाओं के बारे में बताया, मैं आपसे पुन: निवेदन करना चहता हूं कि बहुत महत्वपूर्ण सड़क है और इतने गडढे हो गये हैं कि लोगों का आना जाना बंद हैं. दूसरी बात यह है कि कई लोगों की एक्सीडेंट होने से मृत्यु हो गयी है. मेरा यह कहना है कि निविदाएं निकालकर यह कार्य कब प्रारंभ किया जायेगा. जैसे कि आपने बताया की निविदाएं निकाल कर यह कार्य कब प्रारंभ किया जायेगा. जैसा कि आपने बताया निविदाएं निकाल दी हैं, पर वह कार्य कब तक पूर्ण कर लिया जायेगा. जबकि बजट में इसकी मंजूरी है.
श्री सुरेन्द्र पटवा:- माननीय अध्यक्ष महोदय,जैसा कि सदस्य ने कहा है लगभग 17 किलोमीटर कार्य पूरा हो चुका है. भोपाल से बैरसिया के अंतर्गत और भोपाल से बैरसिया का जो मार्ग है वह मार्च तक कम्पलीट तक पूर्ण कर लिया जायेगा. जैसा कि सदस्य ने पूछा है कि भोपाल से सिेरोंज तक का जो काम है, वह 31 दिसम्बर, 2016 तक पूर्ण कर लिया जायेगा.
श्री गोवर्धन उपाध्याय:- आपका हृदय से बहुत आभारी हूं कि आपने मौका दिया. धन्यवाद.
भिण्ड के आर्य नगर में एक युवक की हत्या किया जाना
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह:- माननीय अध्यक्ष महोदय,
गृहमंत्री (श्री बाबूलाल गौर)—माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह—माननीय अध्यक्ष महोदय, 1 दिसंबर, 2015 को चंबल संभाग के आईजी आदरणीय उमेश जोगा जी एक ओर बैठक ले रहे थे जहां जिले के टीआई इकट्ठे हुए थे वहीं दूसरे छोर पर बस स्टेण्ड पर सरेआम दिन दहाड़े हत्या हो रही है तो पुलिस क्या करती रही जहां जिले के टीआई आए हुए थे आईजी महोदय आए हुए थे उस समय हत्या हुई इसलिए यह गंभीर अपराध है. पुलिस के तीन-तीन आरक्षक हैं आम आदमी कोई कत्ल कर दे उसके परिवार की महिलाओं को पुलिस बैठा लेती है उसके घरवालों को पुलिस बंद कर देती है तीन-तीन आरक्षक हैं और अभी तक एक भी आरक्षक को सस्पेंड नहीं किया गया है, क्या पुलिस दबाव नहीं बना सकती थी? क्यों नहीं उनको सस्पेंड किया? लाइन हाजिर कल किया है जब ध्यानाकर्षण लगाया गया है.
अध्यक्ष महोदय-- कृपया प्रश्न करें.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह-- अध्यक्ष महोदय, पुलिस संरक्षण दे रही है. मेरा निवेदन है कि जो तीन लोग हैं, माननीय अध्यक्ष महोदय, आम आदमी कोई घटना घटित कर देता है तो उसके परिवार के सदस्यों को पुलिस बन्द कर देती है, यहाँ तक कि उनकी महिलाओं को भी उठाकर ले जाती है. इस केस में ऐसा क्यों नहीं हुआ? तीन तीन आरक्षक हैं इनको क्यों सस्पेंड नहीं किया गया? एक एस पी ऑफिस में है दीमा 17 साल से, 10 साल से फूफ में है, एक 9 साल से है, आपराधिक प्रवृत्ति के लोग हैं सब के पास हथियार हैं. सरेआम दिनदहाड़े हत्या हो रही है. आई जी साहब ग्राम बैठक ले रहे हैं और कोई संतोषजनक...
अध्यक्ष महोदय-- आप कृ़पया बैठ जाइये. माननीय मंत्री जी बोलिए.
श्री बाबूलाल गौर-- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक अपराधी गिरफ्तार कर लिया गया है और बाकी के लिए 5-5 हजार रुपये का ईनाम घोषित किया है और भी उनकी संपत्ति की कुर्की की कार्यवाही की जा रही है तथा बाकी की कार्यवाही, जैसा विधायक कह रहे हैं और सख्ती से की जाएगी. (सत्तापक्ष के अनेक माननीय सदस्यों के खड़े होने पर)
अध्यक्ष महोदय-- आप लोग कृपया नरेन्द्र सिंह जी को पूछने दीजिए. कुशवाह जी, आप सीधे एक प्रश्न पूछ लें.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह-- अध्यक्ष महोदय, जिसकी जो चर्चा कर रहे हैं वह व्यक्ति भी जो अपराधी थे उनमें पुलिस ने हाथ नहीं डाला. केवल एक नाबालिग बच्चे को उस केस में था, उसको बालिग बनाकर, हाजिर किया, जब वह न्यायालय में गया तो न्यायालय ने उसको नाबालिग समझ कर मुरैना पेश कर दिया गया, केवल केस को रफादफा करने के लिए, ये पावरफुल लोग हैं...
अध्यक्ष महोदय-- आप सीधा प्रश्न कर दें आप क्या चाहते हैं?
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह-- इनको सस्पेंड करिए. तीन तीन लोग हैं जो पुलिस में हैं, 15-15, 20-20 साल से जमे हुए हैं. (सत्तापक्ष के अनेक माननीय सजदस्यों के एक साथ खड़े होने पर)
अध्यक्ष महोदय-- बैठ जाइये. डॉ गोविन्द सिंह आप पूछिए.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह एक गंभीर मुद्दा है.
अध्यक्ष महोदय-- हाँ, तो आपका प्रश्न तो आ गया ना.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह-- अध्यक्ष महोदय, यह एक ही घटना नहीं है. पुलिस की तमाम घटनाएँ ऐसी हैं.
अध्यक्ष महोदय-- आपका विषय भी आ गया.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह-- अध्यक्ष महोदय, इस पर जवाब चाहिए.
अध्यक्ष महोदय-- आपने इसमें कोई प्रश्न नहीं पूछा है.
डॉ गोविन्द सिह-- प्रश्न पूछो.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह-- अध्यक्ष महोदय, जो आरक्षक हैं इनको कब तक गिरफ्तार कर लेंगे? इनके खिलाफ क्या कार्यवाही करेंगे?
अध्यक्ष महोदय-- उनका प्रश्न यह है कि कब तक गिरफ्तारी हो जाएगी और जो उनके रिश्तेदार आरक्षक हैं उनके खिलाफ कोई कार्यवाही करेंगे क्या?(सत्तापक्ष के अनेक माननीय सदस्यों के एक साथ खड़े होने पर) आप बैठ जाएँ आपका प्रश्न आ गया. दो लोगों के नाम हैं आप सब ने सिफारिश की थी तो ले लिया था. एक ही बात फिर से आएगी.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह-- अध्यक्ष महोदय, जो तीन आरक्षक हैं इनके खिलाफ क्या कार्यवाही कर रहे हैं, उनके रिश्तेदार हैं, इनको बर्खास्त करिए...(व्यवधान)..
श्री बहादुर सिंह चौहान-- अध्यक्ष महोदय, आरक्षकों को सस्पेंड करके आई जी रेंज से बाहर करें.
अध्यक्ष महोदय-- आप सब बैठें तो.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह-- अध्यक्ष महोदय, उसके पिता ने सरेआम शहर में हत्या की और बेटा हत्या कर रहा है और कार्यवाही नहीं हो रही है.
अध्यक्ष महोदय-- तो आप उत्तर तो ले लें. कृपया बैठ जाएँ. डॉ गोविन्द सिंह जी पूछ लें. सबके इकट्ठे उत्तर आ जाएँगे.
डॉ गोविन्द सिंह-- मैं पूछ रहा हूँ.
अध्यक्ष महोदय-- आपका प्रश्न ही समझ नहीं आ रहा है.(सत्तापक्ष के अनेक माननीय सदस्यों के खड़े होने पर) सब इकट्ठे खड़े हो जाते हैं. डॉक्टर साहब, आप बैठ जाइये.
डॉ गोविन्द सिंह-- अरे बैठ जाओ भाई. हमें पूछ लेने दें फिर उसके बाद पूछ लेना.
अध्यक्ष महोदय-- डॉक्टर साहब, आप दो मिनट बैठ जाएँ.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह-- अध्यक्ष महोदय, तीन उनके रिश्तेदार हैं 10-10, 15-15 साल से हैं क्या उनको बाहर भेजेंगे?
अध्यक्ष महोदय-- आपका प्रश्न आ गया.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह-- इनको छिंदवाड़ा, दंतेवाड़ा भेजो.
अध्यक्ष महोदय-- अब बैठ जाएँ. दंतेवाड़ा कहाँ से भेज देंगे? डॉक्टर साहब, आप दो मिनट बैठ जाएँ. प्रश्न का उत्तर नहीं आने देते. उत्तर दिलवा रहे हैं आप कृपया बैठो तो. माननीय मंत्री जी, वे यह जानना चाहते हैं कि जिनके खिलाफ अपराध दर्ज है, उनके रिश्तेदार को क्या आप आई जी रेंज से बाहर करेंगे?
श्री बहादुर सिंह चौहान-- सस्पेंड करना पड़ेगा...(व्यवधान)..
श्री बाबूलाल गौर-- ये बैठें तो बात करूँ.
अध्यक्ष महोदय--- (एक साथ सत्तापक्ष के कई सदस्यों के व्यवधान में बोलने पर) अभी आपने क्या बोला था , अब आपने इतनी देर में फिर समझ लिया...(व्यवधान)....
श्री बहादुरसिंह चौहान--- अध्य़क्ष महोदय, सदस्य चाह रहे हैं कि उनको सस्पेंड करके आई. जी. रेंज से बाहर करेंगे क्या ...(व्यवधान)....
श्री नरेन्द्र कुशवाह--- उन सबके पास में और परिवार में लायसेंसी हथियार हैं.
श्री बाबूलाल गौर-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जिन लोगों के नाम माननीय सदस्य ने बतायें हैं प्रधान आरक्षक गिर्राज पुरोहित, आरक्षक संग्राम पुरोहित एवं आरक्षक भूपेन्द्र पुरोहित को भिंड जिले के बाहर अलग-अलग जिलों में भेज दिया जाएगा.
अध्यक्ष महोदय--- डॉ. गोविंद सिंह प्रश्न करें....(व्यवधान)....सिकरवार जी, आप कृपया बैठ जाएं और कुछ न बोले, कुशवाह जी के प्रश्न पूरे हो गये हैं गोविंद सिंह जी को प्रश्न पूछने दें....(व्यवधान)... आप समाधान चाहते हैं या बोलना चाहते हैं. आप सबकी बात आ गई है. कृपा करके बैठ जाएं. विषय तो वही है. (श्री नरेन्द्र सिंह जी बोलने पर) नरेन्द्र सिंह जी आपने विशेष आग्रह किया था तो इसको लिया अब आप सहयोग नहीं करेंगे.आपकी पूरी बात आ गई है.
डॉ. गोविंद सिंह(लहार)-- अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी ने उनको हटाने का कह दिया है, उन्होंने जिले के बाहर बोला है . लेकिन मैं मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि पहले भी इनके चाचा ने हत्या की थी और यह चार लोग हैं, तीन का तो आपने कह दिया है. चौथा एक और अरविंद करैया भी है यह 15 वर्ष से एस.पी. आफिस में है. पहले जो हत्या हुई थी उसमें इन चारों ने गवाहों पर दवाब डाला था और पुलिस के दबाव का प्रयोग करते हुए बरी हो गये. फिर उसके बाद दूसरी हत्या हो गई है. माननीय गृह मंत्री जी मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हूं कि तीन को तो हटा दिया लेकिन चौथा जो अरविंद करैया है उसको भी आप जिले से बाहर कर दें.
श्री बाबूलाल गौर-- उसको भी हटा देंगे.
डॉ. गोविंद सिंह--- माननीय अध्यक्ष महोदय, दूसरी बात यह है कि इनके परिवार के पास लाइसेंसी हथियार हैं उनको भी निलंबित करने की कार्यवाही करें आपने कहा है कि इनकी संपत्ति जप्त करेंगे. लेकिन जो अपराधी हैं उनकी उम्र 22-23 वर्ष की है इनके नाम से कोई संपत्ति नहीं है , धारा 82 , 83 में आपने कार्यवाही की बात आपने की है. लेकिन इनके पास कोई संपत्ति नहीं है...।(व्यवधान)...
श्री नरेन्द्र कुशवाह--- इनके पूरे परिवार में हथियार हैं.
अध्यक्ष महोदय—स्पेसीफिक पूछिये कि किनके पास हथियार हैं.
श्री नरेन्द्र कुशवाह--- सबके पास हथियार हैं.
श्री सत्यपाल सिकरवार--- सब परिवार में हथियार है.
अध्यक्ष महोदय--- सब यानि क्या होता है.
डॉ. गोविंद सिंह--- इनका पूरा परिवार हथियार लेकर घूमता हैं . पूरा परिवार पुलिस में है तो इनके भाईयों के पास ,चाचा के पास पांच छह हथियार हैं और यह पहले हत्या भी कर चुके हैं. इनके परिवार गवाहों पर दबाव डालते हैं तो जब तक न्यायालय का निर्णय न हो तब इनके हथियार निलंबित करने के लिए आपसे अनुरोध कर रहे हैं और जो धारा 82,83 है उसमें उन पर कार्यवाही होती है जिनके पास संपत्ति हो, लेकिन यह तो 20-22 साल के लड़के हैं
अध्यक्ष महोदय--- वह तो आपने बता दिया है न. अब आप हथियार वाले प्रश्न का उत्तर ले लीजिये.
श्री बाबूलाल गौर--- माननीय अध्यक्ष महोदय, गोविंद सिंह जी ने जो लाइसेंसी हथियार जप्त करने का कहा है तो हम उनके लाईसेंसी हथियार जप्त कर लेंगे.
अध्यक्ष महोदय--- ( एक साथ सत्तापक्ष के कई माननीय सदस्यो के खड़े होने पर) अब कृपा करके सारी कार्यवाही हो गई है , आप लोग सहयोग करें , आपके सबके अनुरोध पर यह लिया था, आप सभी आए थे सभी ने कहा था तो यह ठीक बात नहीं होगी. कोई बगल से बैठकर सलाह नहीं देगा.
श्री विश्वास सारंग—माननीय अध्यक्ष महोदय, वह धन्यवाद दे रहे हैं. आप लोग धन्यवाद तो दे दो.
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार—अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय--- यह नीटू जी गुस्से में धन्यवाद देते हैं. मंत्री जी धन्यवाद स्वीकार करिये.
डॉ. गोविंद सिंह--- मंत्री जी , आज बहुत बहादुरी दिखाई है.
(5) सिवनी नगर पालिका द्वारा जल शोधन कार्य में अनियमितता किया जाना
श्री दिनेश राय(सिवनी)—माननीय अध्यक्ष महोदय,
राज्य मंत्री, नगरीय विकास एवं पर्यावरण(श्री लालसिंह आर्य)--अध्यक्ष महोदय,
श्री दिनेश राय—माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं जब उस फिल्टर प्लांट के निरीक्षण में गया, मेरे साथ अध्यक्ष महोदया थी, उस नगर पालिका के पार्षद थे, सीएमओ थे. उस ब्लीचिंग पाउडर का नमून उठा के सिवनी के पीएचई विभाग को दिया जिसमें ऐलम की जांच हो नहीं सकती तो वह राज्य अनुसंधान विभाग भोपाल आया. वहां की रिपोर्ट तो और चौंकाने वाली है. ब्लीचिंग में वहां 17 प्रतिशत,यहां पर 12.99 निकला और ऐलम निकली 13.70 जिसकी रिपोर्ट की मेन कापी माननीय मंत्री जी को आज उपलब्ध करा दी है. इसमें मेरा यह कहना है कि नगर पालिका के पूरे पार्षद,शहर में जन आंदोलन, डाक्टरों की रिपोर्ट कि इस ब्लीचिंग और ऐलम की वजह से गंदे पानी की वजह से गर्भ में जो बच्चा है उसको भी पीलिया हो रहा है, पैदा होने वाले बच्चे को भी हो रहा है और जनमानस में बड़ा भ्रम है कि इस ऐलम ब्लीचिंग के कारण गंदे पानी से शहर में बीमारियां फैल रही हैं. माननीय मंत्री जी, संबंधित सीएमओ, संबंधित ई.ई., संबंधित सब इंजीनियर के ऊपर एफ.आई.आर दर्ज करायेंगे क्योंकि शहर के लोगों ने लगातार शिकायत की, पेपरों में भी शिकायत की तो उनके ऊपर कार्यवाही हो और आर्थिक वसूली करेंगे क्या?
श्री लालसिंह आर्य – माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने ठेकेदार की राशि राजसात की है और मैं माननीय सदस्य को कहना चाहता हूँ कि हम उस प्रकरण की की जांच भी करा लेंगे और जांच में सीएमओ या अन्य कोई भी दोषी पाया जाएगा तो उसके खिलाफ कार्यवाही भी करेंगे. आज माननीय विधायक जी ने इस विषय को संज्ञान में लाया है तो मैं एक चीज और कहना चाहता हूँ कि मैं अधिकारियों को आज ही निर्देश जारी करूंगा कि मध्यप्रदेश में जिस भी नगरपालिका या नगरपंचायत में इस प्रकार से पानी सप्लाई होता है वहां एक महीने के भीतर पीएचई की लेबोरेटरी से उन संबंधित स्थानों पर जांच करवाएं ताकि ठीक ढंग से टेस्ट हो सके और शुद्ध पानी सप्लाई किया जा सके.
श्री दिनेश राय – अध्यक्ष महोदय, पहले तो मैं माननीय मंत्री जी को इस बात के लिए धन्यवाद दे दूँ कि पूरे मध्यप्रदेश में जांच करवा रहे हैं जिससे हमारे लखनादौन में भी जांच हो जाएगी जहां कि मेरी मां अध्यक्ष हैं और बरघाट में भी जांच हो जाएगी पर एक बात पूछनी है कि संबंधित दोषी अधिकारियों पर कार्यवाही करने की बात तो कही गई है लेकिन उन पर एफआईआर होगी या नहीं और उनसे वसूली होगी या नहीं ? मैं यह जानना चाहता हूँ. मैं चाहता हूँ कि संबंधित अधिकारियों पर एफआईआर का प्रकरण दर्ज हो और उनसे वसूली भी अवश्य की जाए ताकि गंदा पानी शहर में न मिले.
अध्यक्ष महोदय – आपकी बात आ गई है. माननीय मंत्री जी जवाब दे रहे हैं.
श्री लालसिंह आर्य – माननीय अध्यक्ष महोदय, दिनांक 14.08.2015 को हमारे मुख्य नगरपालिका अधिकारी ने संबंधित ठेकेदार को पत्र लिखा है कि मानक स्तर की ब्लीचिंग और ऐलम सप्लाई करनी चाहिए चूँकि वह टेक्निकल हैंड नहीं होता है और इसीलिए माननीय अध्यक्ष महोदय, उन्होंने पत्र जारी किया है. वे दोषी पाए गए तभी हमने कार्यवाही की उसको ब्लैकलिस्टेड किया, उसकी राशि राजसात की, इसके बाद भी मैं कह रहा हूँ कि जांच में अगर कोई भी दोषी पाया जाएगा, चाहे वह सीएमओ, चाहे उपयंत्री हो, उसके खिलाफ कठोर कार्यवाही की जाएगी.
श्री दिनेश राय – माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी को धन्यवाद कहना चाहता हूँ कि वे कठोर कार्यवाही करेंगे क्योंकि आर्थिक अनियमितता हुई है.
अध्यक्ष महोदय – केवल धन्यवाद ही दीजिए अब उसमें भी क्योंकि लगा दिया आपने.
श्री दिनेश राय – अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
(6) छिंदवाड़ा जिले के पांढुर्ना एवं सौंसर क्षेत्र में कपास का समर्थन मूल्य न मिलना
श्री सोहन लाल बाल्मीक (परासिया) – माननीय अध्यक्ष महोदय,
किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री (श्री गौरीशंकर बिसेन) – माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री सोहनलाल वाल्मीक –माननीय अध्यक्ष महोदय यहां पर जो आंकड़े प्रस्तुत किये गये हैं. मैं यहां पर समर्थन मूल्य की बात कर रहा हूं. यह जो समर्थन मूल्य की बात कर रहे हैं यह तो 10 वर्ष पहले ही निर्धारित हो चुका है. वर्तमान में हम लोग जो खेती को लाभ का धंधा बनाने की बात करते हैं. मैंने पहले ही कहा कि किसान को इससे भारी नुकसान हो रहा है. यदि समर्थन मूल्य निर्धारित हुआ है तो क्या राज्य सरकार के माध्यम से उस समर्थन मूल्य के बोनस के तौर पर 2500 रूपये प्रति क्विंटल के हिसाब से राज्य सरकार देगी.
श्री गौरीशंकर बिसेन –माननीय अध्यक्ष महोदय कृषि मूल्य एवं लागत आयोग भारत सरकार के द्वारा समर्थन मूल्य निर्धारित किया जाता है. राज्य सरकारें अपनी अनुशंसाएं भेजती हैं. हमारा अधिकार केवल इतना है कि कपास का समर्थन मूल्य क्या होना चाहिए उसके लिए अनुशंसा ही भेजना है. लेकिन समर्थन मूल्य का निर्धारण करना भारत सरकार का विषय है. उसके लिए भी लागत मूल्य आयोग बना हुआ है. जहां तक माननीय सदस्य ने कहा है कि लगातार वही रेट बने हुए हैं. ऐसा नहीं है. पिछले वर्ष के बारे में मैंने कहा था कि 3750 था और इस वर्ष वह रेट बढ़कर 3800 हुआ है तो भारत सरकार प्रत्येक वर्ष अपने समर्थन मूल्य पर कपास अथवा अन्य उपजों पर उनके रेट बढ़ाती हैं. समर्थन मूल्य पर बोनस देने की बात जहां तक है तो इस संदर्भ में मध्यप्रदेश की कोई नीति नहीं है. मैंने कल ही एक स्टेटमेंट यहां पर सदन के पटल पर पढ़ा है कि हमने फसल बीमा में किसानों को लाभ मिले इसके लिए इसका जो 13 प्रतिशत प्रीमियम था उसका 6.5 प्रतिशत प्रीमियम बीमे की राशि सरकार वहन करने वाली है जिस पर 28 करोड़ रूपये भार आयेगा उसका 14 करोड़ रूपये मध्यप्रदेश सरकार वहन करेगी. माननीय अध्यक्ष महोदय जितना हम कर सकते हैं उतना करते हैं जबकि सपोर्ट प्राइस से ऊपर कपास बिक रहा है ऐसी स्थिति में मैं नहीं समझता कि कहीं पर भी किसी किसान को कोई नुकसान की स्थिति बन रही है.
सोहनलाल वाल्मीक – माननीय अध्यक्ष महोदय मैं यह कहना चाहता हूं कि मैंने समर्थन मूल्य की बात की है. अभी माननीय मंत्री जी ने जो बताया है वह बीमा राशि के बारे में बताया है. यह एक अलग योजना है. मैं जो बात कर रहा हूं वह एक अलग विषय है. मेरा आपसे विशेष आग्रह है मैं आपकी ओर विशेष रूपसे ध्यान दूंगा कि आपका पांढूरना सौंसर से काफी नदजीकी का संबंध है. मैं चाहता हूं कि आप अपना वीटो का प्रयोग करके कम से कम राज्य सरकार को तुरंत किसानों को राहत दिलाने के लिए यह कार्यवाही होना चाहिए. आज लगातार पांढूरना और सौंसर में आंदोलन चल रहे हैं. किसान सड़कों पर खड़े हुए हैं स्थिति इतनी बदतर हो गई है कि संतरा उत्पादन तो हो रहा हैं लेकिन संतरा खराब भी हो रहा है जिसे सड़कों पर फेंका जा रहा है. ऐसी हालत में किसान आखिर जाय कहां . कम से कम उनकी ओर तो ध्यान दिया जाय. यहां पर मेरे सामने पांढूरना और सौंसर के विधायक भी हैं मैं चाहूंगा कि वे भी मेरे समर्थन में अपनी बात रखें.
श्री बाला बच्चन – माननीय अध्यक्ष महोदय विधायक जी ने अच्छा ध्यानाकर्षण लगाया है और प्रश्न भी अच्छा कर रहे हैं. चूंकि जिस तरह से छिंदवाड़ा में कपास की खेती होती है उस तरह से निमाड़ में भी बड़े पैमाने पर कपास की खेती होती है. किसान अब इस खेती को करते हुए निराश हो रहे हैं उ सका कारण यह है कि जितना उसमें खाद बीज और दवा में पैसा खर्च होता है उतना पैसा मिल नहीं रहा है. इसलिए निवेदन यह है कि वर्ष 2010 में कपास 8000 रूपये प्रति क्विंटल तक बिका था अब तो समर्थन मूल्य भी मंत्री जी 3800 रूपये बता रहे हैं यह बढ़ना चाहिए नहीं तो खेती को लाभ का धंधा बताने की बात हम कर रहे हैं. वह सार्थक नहीं होगी इसलिए कपास के अच्छे रेट मिलना चाहिए ताकि कपास की खेती करने वाले इस खेती को और बढ़ा सकें.
श्री नाना भाऊ मोहोड—संतरे की कीमत किसानों को बहुत कम मिल रही है बंगलादेश में हमारे यहां का जो संतरा जाता है तो उस पर 5 रूपये प्रति नग टैक्स लगता है. उस टैक्स के लिए हमारी सरकार को कुछ करना चाहिए यही मेरी इच्छा है.
वन मंत्री ( डॉ.गौरीशंकर शेजवार )—माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि सामान्य तौर पर याचिकाओं में आसंदी से जिनके नाम पढ़े जाते हैं ...
अध्यक्ष महोदय—ये ध्यानाकर्षण के हैं..
डॉ.गौरीशंकर शेजवार—ध्यानाकर्षण में, याचिकाओं में जिन सदस्यों के नाम हैं उन्हें यहां उपस्थित रहना चाहिए और उनकी ही सूचनाए् मान्य होंगी. जैसे आपने अजय सिंह जी का दो चार बार नाम लिया तो वह तो सामान्य रूप से गैरहाजिर ही रहते हैं. तो क्या इनके ध्यानाकर्षण माने जायेंगे ?
गर्भगृह में प्रवेश एवं बहिर्गमन
बी.एस.पी. सदस्यों के ध्यानाकर्षण न लिये जाने के विरोध में गर्भगृह में प्रवेश एवं सदन से बहिर्गमन.
श्रीमती शीला त्यागी—अध्यक्ष महोदय, हमारे ध्यानाकर्षण चर्चा में नहीं लिये जा रहे हैं इसके विरोध में हम सदन से बहिर्गमन करते हैं.
( श्री सत्यप्रकाश सखवार के नेतृत्व में बहुजन समाज पार्टी के समस्त सदस्य उनके ध्यानाकर्षण प्रस्ताव चर्चा में न लिए जाने को लेकर अपनी बात कहते हुए गर्भगृह में आए एवं सदन से बहिर्गमन किया )
श्री सत्यप्रकाश सखवार—अध्यक्ष महोदय, हमें दो वर्ष हो गए और दो वर्ष में हमारे एक भी सदस्य का ध्यानाकर्षण नहीं आया है.
अध्यक्ष महोदय—आप कक्ष में आकर बात कर लें.
श्री सत्यप्रकाश सखवार—( XXX).,
अध्य़क्ष महोदय—यह कार्यवाही में नहीं आएगा. आप लोग मेरे कक्ष में आकर चर्चा कर लें.
12.52 बजे प्रतिवेदन प्रस्तुत करने की अवधि में वृद्धि का प्रस्ताव
विशेषाधिकार समिति का प्रतिवेदन प्रस्तुत करने की अवधि में वृद्धि का प्रस्ताव
श्री जयसिंह मरावी-
12.53 बजे नियम 239 के तहत सूचना
अध्यक्ष महोदय—माननीय विधान सभा सदस्य सर्वश्री सुरेन्द्र नाथ सिंह, विश्वास सारंग,रामेश्वर शर्मा,विष्णु खत्री एवं आरिफ अकील द्वारा श्री तेजस्वी नायक ,आयुक्त नगर निगम भोपाल के विरूद्ध दी गई विशेषाधिकार भंग की सूचना प्राप्त हुई है. जो मेरे समक्ष विचाराधीन है.
12.54 बजे याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय—आज की कार्यसूची में उल्लिखित सभी याचिकाएं प्रस्तुत की गई मानी जायेंगी.
सदन की कार्यवाही अपराह्न् 2.30 बजे तक के लिए स्थगित.
( 12.55 बजे से 2.30 बजे तक अन्तराल )
समय 2.39 बजे अध्यक्ष महोदय (डॉ सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.
अध्यक्ष महोदय—डॉ बी आर अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय विधेयक,2015....
श्री रामनिवास रावत—अध्यक्ष महोदय, मेरा व्यवस्था का प्रश्न है. कल दिनांक 15 दिसम्बर की दैनिक कार्यसूची में ‘प्रदेश में अल्प वर्षा,सूखे एवं ओला-वृष्टि से उत्पन्न स्थिति’ पर 139 की चर्चा थी. आज की कार्यसूची से वह गायब हो गयी.
अध्यक्ष महोदय—यह व्यवस्था का प्रश्न कैसे हो गया?
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री उमाशंकर गुप्ता)—प्वाइंट ऑफ आर्डर कब उठता है?
अध्यक्ष महोदय—प्वाइंट ऑफ आर्डर तब उठता जब कोई विषय चल रहा हो..
श्री रामनिवास रावत—शून्यकाल में कह रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय—शून्यकाल भी कैसे हो गया. यह शून्यकाल भी नहीं है.
श्री रामनिवास रावत—शून्यकाल के बाद..
अध्यक्ष महोदय—ध्यानाकर्षण हो गये, याचिकाओं की प्रस्तुति हो गई.
श्री रामनिवास रावत—मेरा प्वाइंट ऑफ आर्डर है कि कल की कार्यसूची में वह विषय छपा और आज की कार्यसूची से गायब कर दिया, क्यों?
अध्यक्ष महोदय—आपका(श्री रावत जी का) बोल बोल कर गला बैठ गया है.
डॉ गोविन्द सिंह—अध्यक्षजी, मेरा गला तो नहीं बैठा. (व्यवधान)
समय- 2.40 बजे
शासकीय विधि विषयक कार्य
डॉ. भीमराव अंबेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय विधेयक 2015
अध्यक्ष महोदय-- डॉ. बी.आर. अंबेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय विधेयक 2015. श्री उमाशंकर गुप्ता, मंत्री उच्च शिक्षा.
मंत्री उच्च शिक्षा (श्री उमाशंकर गुप्ता)-- अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि- डॉ.बी.आर. अंबेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय विधेयक, 2015 पर विचार किया जाये.
अध्यक्ष महोदय-- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
प्रश्न यह है कि डॉ. बी.आर. अंबेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय विधेयक 2015 पर विचार किया जाये. …(व्यवधान) मेरी बात सुन ले पहले..... (व्यवधान).
गर्भगृह में प्रवेश
(इंडियन नेशनल कांग्रेस के अनेक सदस्यगण नियम 139 की चर्चा आज की कार्यसूची में सम्मिलित न करने का उल्लेख करते हुये गर्भगृह में आये और नारे लगाये)
अध्यक्ष महोदय-- बैठ जायें आप, सबेरे से शाम तक वही चर्चा कर रहे हैं, काल अटेंशन उसी के, प्रश्न उसी के, एक दिन का सत्र उसी का, इसके बाद फिर क्या वही रिपीटेशन होगा. नहीं यह बात ठीक नहीं है. अच्छे वातावरण में होने दीजिये, अच्छा वातावरण इतने दिनों से चल रहा है. …(व्यवधान) डॉ. अंबेडकर विश्वविद्यालय विधेयक बहुत इम्पोर्टेंट है. इस पर बात नहीं करेंगे…(व्यवधान) आप बैठिये, वहां बैठकर बात कीजिये. श्री कमलेश्वर पटेल.
श्री सुंदरलाल तिवारी-- कल की कार्यसूची में था.
अध्यक्ष महोदय-- कल की कार्यसूची में था आज की में नहीं है. क्यों नहीं है, यह नहीं पूछ सकते आप. कभी भी कुछ भी पू्छेंगे, कभी भी कुछ भी बात करेंगे आप. जब मन में आया, सबेरे आपने क्यों नहीं पूछा. कार्य सूची आपने कब पढ़ी, काल अटेंशन पढ़े, शून्यकाल, याचिका, तब आपने कुछ नहीं कहा, जब याद आई तब खड़े हो गये आप. इसको सबेरे पढ़ना था न.
श्री उमाशंकर गुप्ता-- तिवारी जी सुबह से थे नहीं. यह सारे काम तिवारी जी करवाते हैं.
अध्यक्ष महोदय-- इसलिये ठीक चल रहा था. कृपया करके बैठ जायें. तिवारी जी के कहने पर चलने लगे अब सब लोग.
श्री बाला बच्चन-- जो सूखे की स्थिति है और किसानों की स्थिति है उस पर चर्चा कराना चाहिये माननीय अध्यक्ष महोदय. दूसरा यह है कि सुबह प्रश्नकाल, ध्यानाकर्षण और शून्यकाल था इस कारण से .... (व्यवधान).
अध्यक्ष महोदय-- सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिये स्थगित.
(2.44 बजे सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिये स्थगित की गई)
2.56 बजे विधानसभा पुन: समवेत हुई .
{अध्यक्ष महोदय(डॉ.सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुये}
श्री बाला बच्चन – माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारी मांग है कि कल की कार्यसूची में प्रदेश में अल्पवर्षा, सूखे एवं ओला से उत्पन्न स्थिति पर नियम 139 के तहत चर्चा थी. आज की कार्यसूची में वह विषय नहीं है. अध्यक्ष महोदय हमारा आग्रह है कि इस पर कांग्रेस दल के सभी सदस्य चर्चा चाहते हैं. आप अपनी व्यवस्था दें.
अध्यक्ष महोदय- उस पर कोई व्यवस्था की आवश्यकता नहीं है.
श्री बाला बच्चन – देखिये अध्यक्ष महोदय, प्रदेश में सूखा पड़ा है, अल्पवर्षा हुई है, अतिवृष्टि हुई है ......
मंत्री,संसदीय कार्य (डॉ.नरोत्तम मिश्र) अध्यक्ष महोदय, एक दिवस का सत्र इसी विषय पर बुलाया गया था और सभी सम्मानित सदस्य इस विषय पर बोल चुके है. कार्यमंत्रणा में जब इस तरह की बात आई थी तब भी मैंने यह कहा था कि आप सारे लोग बोल चुके हैं. इसकी आवश्यकता नहीं है.
श्री बाला बच्चन—अध्यक्ष महोदय, देखिये कल की कार्य सूची में वह विषय था.
अध्यक्ष महोदय—कल थी न आज तो नहीं है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र – अध्यक्ष जी, आज भी राजस्व विभाग का प्रश्न था. आज भी सूखे पर ही चर्चा हुई है. आज भी सम्मानित चीफ डिप्टी ने उसी पर चर्चा की है.
श्री सचिन यादव – अध्यक्ष महोदय, अगर सरकार की नियत साफ है तो चर्चा से यह सरकार क्यों भाग रही है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र—लगातार सदन में इस विषय पर चर्चा हो रही है. अध्यक्ष महोदय, अब बात क्या है कि इनकी आपस की फूट का मामला है. इनके एक नेता ने आज टीवी पर बोल दिया है कि सत्यदेव कटारे जी बीमार थे इसलिये विपक्ष संघर्ष नहीं कर पा रहा है. इन्हीं के नेता अजय सिंह जी ने आज टीवी पर बोल दिया है उसकी खुन्नस यहां पर निकाल रहे हैं.
श्री बाला बच्चन – देखिये यह फालतू की बयानबाजी है.इसका इससे क्या मतलब है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र—मैंने खुद टीवी सुना है, मैं सुनकर के आ रहा हूं. इनका परस्पर आपस में विवाद है, और ऐसे मामलों के लिये अगर यह इस फ्लोर का उपयोग करते है ,अगर इस फ्लोर का उपयोग आपस की लड़ाई में करेंगे तो गलत बात है.
कुंवर विक्रम सिंह – अध्यक्ष महोदय, निवेदन है कि प्रदेश में अल्प वर्षा, सूखे एवं ओलावृष्टि बड़ा ज्वलंत मुद्दा है . इस मुद्दे पर चर्चा सरकार को करना चाहिये.
श्री बाला बच्चन—हम चाहते हैं कि प्रदेश में अल्प वर्षा, सूखे एवं ओला-वृष्टि से उत्पन्न स्थिति पर चर्चा की जाये. किसानों से जुड़ा हुआ मामला है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र – अध्यक्ष महोदय, आज डॉ.बी.आर.अंबेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय का मामला है. और ऐसे गंभीर विषय पर यह चर्चा नहीं करना चाहते हैं .
श्री बाला बच्चन—क्यों नहीं चर्चा करना चाह रहे हैं, हम उस विषय पर भी चर्चा करना चाह रहे हैं परंतु किसानों की समस्या पर भी पहले चर्चा करना चाहते हैं.
डॉ.नरोत्तम मिश्र—अंबेडकर जी के विषय पर यह विपक्ष चर्चा नहीं करना चाहता है . यह पलायन की भूमिका बना रहे हैं.
श्री बाला बच्चन –अध्यक्ष महोदय, हमने हाउस के शुरू में ही इस बात को बोला था.
डॉ. नरोत्तम मिश्र – यह चर्चा से पलायन कर रहे हैं.
श्री बाला बच्चन – कोई पलायन नहीं कर रहा है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र – सूखे पर एक बार नहीं, दो बार नहीं, तीन बार नहीं चार बार चर्चा हो चुकी है.
श्री बाला बच्चन – इस विषय पर चर्चा नहीं हुई है.
अध्यक्ष महोदय—आप सभी लोग कृपया बैठ जायें.
वन मंत्री (डॉ.गौरीशंकर शेजवार ) – अध्यक्ष महोदय,(XXX).
श्री बाला बच्चन –(XXX).
(कांग्रेस पार्टी के सदस्य एक साथ खड़े होकर के अपनी बात कहने लगे)
अध्यक्ष महोदय—कृपया सभी बैठ जायें.
श्री सचिन यादव—अध्यक्ष महोदय, इसको कार्यवाही से निकाला जाना चाहिये.
अध्यक्ष महोदय—ठीक है. निकाल दीजिये कार्यवाही से. चलिये निकाल दिया. कृपया बैठ जायें.
श्री बाला बच्चन – अध्यक्ष महोदय, पहले उस टिप्पणी को विलोपित किया जाये.
अध्यक्ष महोदय—विलोपित कर दिया है.. बोल दिया है. विलोपित कर दिया है. अब कृपया बैठ जायें. सुनिये. सूखे पर एक दिन का सत्र हुआ था. उस पर चर्चा दिन भर हुई थी. आपने (श्री रामनिवास रावत जी से) चूंकि बैठे बैठे एक कमेंट कर दिया है तो आप जरा रिकार्ड उठाकर के पढ़ लेना . उस दिन जो दिन भर चर्चा हुई वह किस विषय पर हुई है वह भी आप पढ़ लेना. इसके बाद इस सत्र में अनेक बार अनेक प्रश्न, कॉल अटेन्शन और शून्यकाल की सूचनायें , सूखे पर ही आई हैं. कल तीन वरिष्ठ सदस्यों का जिसमें स्वयं श्री रामनिवास रावत जी भी शामिल हैं , ध्यानाकर्षण भी इसी विषय पर आया . लगातार एक ही विषय पर चर्चा करके लगातार वही बात करना , उस पर वही उत्तर लेना इससे इसका कोई औचित्य मुझे समझ में नहीं आता . मेरा माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि वह सदन को चलने दें और यह बहुत महत्वपूर्ण विधेयक है. इस पर चर्चा करें.. श्री कमलेश्वर पटेल...
श्री कमलेश्वर पटेल – (xxx)
अध्यक्ष महोदय -- यह नहीं लिखा जायेगा. इस पर व्यवस्था आ चुकी है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र – अध्यक्ष महोदय, यह इनकी आपस की लड़ाई है. उनके एक नेता ने बाहर बोल दिया कि विपक्ष आक्रामक नहीं है, इसलिये क्योंकि श्री सत्यदेव कटारे अस्पताल में भर्ती हैं. इसलिये यह आपस की लड़ाई की खीज मिटाने के लिये यहां पर यह सब कर रहे हैं. मैं अभी टीवी पर सुनकर आ रहा हूं. अगर मेरी बात गलत हो तो आप सुन लो. आप सुन लो चलकर. मैं नाम लेकर बोल रहा हूं. ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- कृपया बैठें. श्री बाला बच्चन बोल लें, फिर विधेयक पर चर्चा शुरु करें.
3.01 बजे बहिर्गमन
नियम 139 के अधीन अति अविलम्बनीय लोक महत्व के विषय - प्रदेश में अल्प वर्षा, सूखे एवं ओलावृष्टि से उत्पन्न स्थिति पर चर्चा की मांग को लेकर इण्डियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यों का सदन से बहिर्गमन.
श्री बाला बच्चन – अध्यक्ष महोदय, हमारी यह मांग है कि नियम 139 के अंतर्गत अति अविलम्बनीय लोक महत्व का जो यह विषय है, इस चर्चा कराने की हमने मांग की है. आपने जो पिछले सत्र की बात कही है, पिछले सत्र में और अभी में काफी समय हो गया है.
अध्यक्ष महोदय -- एक महीना हुआ है. 5 नवम्बर से 7 दिसम्बर. इस बीच में कौन सा सूखा पड़ गया.
श्री बाला बच्चन-- अध्यक्ष महोदय, सरकार को वहां जो राहत राशि पहुंचानी थी, वह नहीं पहुंची है. प्रशासन ने बराबर काम नहीं किया है. किसानों को राहत राशि नहीं मिली है. किसान सफर कर रहा है. आप हमारी बात को नहीं मान रहे हैं. इस बात को लेकर हम सदन से बहिर्गमन करते हैं.
(श्री बाला बच्चन, उप नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में इण्डियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यों के द्वारा प्रदेश में अल्प वर्षा, सूखे एवं ओलावृष्टि से उत्पन्न स्थिति पर चर्चा की मांग को लेकर सदन से बहिर्गमन किया गया.)
3.02 बजे शासकीय विधि विषयक कार्य (क्रमशः)
श्री कमलेश्वर पटेल (सिहावल) – अध्यक्ष महोदय, डॉ. बी.आर अम्बेडकर शोध संस्थान, जो एक बहुत महतत्वपूर्ण शोध संस्थान है, जिसको मध्यप्रदेश सरकार विश्वविद्यालय का दर्जा देने जा रही है. हमारा आपके माध्यम से सरकार से दो तीन सुझाव भी हैं और सवाल भी हैं कि क्या डॉ. बी.आर. अम्बेकर शोध संस्थान को जो केन्द्र से राशि मिलती थी. जो 45 प्रतिशत अंशदान केंद्र सरकार से मिलता था, क्या वह सहयोग राशि इसके बाद भी जारी रहेगी. जो शोध संस्थान विश्वविद्यालय में परिवर्तित किया जा रहा है, क्या उसमें अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्ग के बच्चों को निशुल्क पढ़ाने के लिये व्यवस्था करेंगे. क्या जिलावार इसका केन्द्र खोला जायेगा. यह 2-3 बातें हमारे मन में हैं. जिस तरह से बहुत सारे विश्वविद्यालय संचालित हैं, प्रायवेट विश्वविद्यालय भी चल रहे हैं और सरकारी विश्वविद्यालय भी चल रहे हैं. जिस तरह से शिक्षा का स्तर, गुणवत्ता विहीन होता जा रहा है. शिक्षा का स्तर निम्न होता जा रहा है, जिस तरह से दूसरे विश्वविद्यालय संचालित हो रहे हैं, कहीं ऐसा भी नहीं हो कि डॉ. बी.आर. अम्बेकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय की स्थापना सरकार कर रही है, आज उस पर यहां चर्चा हो रही है. मेरा निवेदन है कि जो विश्वविद्यालय स्थापित हो रहा है, क्योंकि डॉ. बी.आर. अम्बेकर हमेशा गरीबों के लिये लड़ते रहे हैं. हमेशा शिक्षित और संगठित होकर लड़ाई लड़ने की बात वे करते थे. शिक्षित बनो संगठित हो, लड़ो, जो उनका नारा था, उसको अगर सही में क्रियान्वित करना है, तो उसके अनुरुप व्यवस्थाएं भी डॉ. बी.आर. अम्बेकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय में करनी होगी. कहीं ऐसा न हो कि जिस तरह से दूसरे विश्वविद्यालय संचालित हैं, उसी तरह का यह भी विश्वविद्यालय हो जाय, तो हमारा सरकार एवं मंत्री जी से निवेदन है कि ऐसी व्यवस्था बनायें कि डॉ. बी.आर. अम्बेकर शोध संस्थान जो विश्वविद्यालय के रुप में संचालित होने वाला है, उसमें जो कमियां दूसरे विश्वविद्यालयों में हैं, वहां अच्छी फैकल्टी हो, अच्छे शोध संस्थान हों, वहां बाहर से भी लोग शोध करने के लिये आयें और इस शोध संस्थान की जो एक राष्ट्रीय स्तर पर पहचान है, वहीं पहचान इस विश्वविद्यालय की भी हो. कहीं ऐसा न हो कि मध्यप्रदेश में यह विश्वविद्यालय स्थापित होने के बाद, मध्यप्रदेश सरकार में आने के बाद जिस तरह से बहुत सारे घोटाले आपके संज्ञान में आये हैं और सबके संज्ञान में जो आये हैं, इस तरह के कोई घोटाले, घपले नहीं हों. एक शिक्षा की गुणवत्ता का जो स्तर है, वह स्तर बरकरार रहे, यह व्यवस्था सरकार बनाने का काम करेगी, मुझे ऐसा विश्वास है और आपके माध्यम से माननीय मत्री जी से हम निवेदन करेंगे कि दो-तीन सवाल जो हमनें किए हैं, वह यथावत् रहेंगे कि नहीं, इस तरह की व्यवस्था बनाएंगे कि नहीं । आपके माध्यम से बोलने का मौका मिला, बहुत-बहुत धन्यवाद ।
श्री बाला बच्चन(राजपुर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आखिरी में नाम है ।
03:06 बजे सभापति महोदय,(डॉ. गोविन्द सिंह) पीठासीन हुए
श्री शैलेन्द्र पटेल(इछावर) - माननीय सभापति, बाबा साहब राष्ट्रीय सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय का शुभारंभ 14 अप्रैल 2015 को किया गया था,जुलाई 2015 में एक अध्यादेश लाकर इस विश्वविद्यालय को मान्यता दी गई थी । इसी वर्ष, इस सत्र से विश्वविद्यालय का कार्य और शिक्षा शुरू हो सके, इसलिए यह अध्यादेश लाया गया,अगर यह अध्यादेश इसलिए लाया गया था तो स्वागत योग्य था,कि इसी सत्र से, इसी वर्ष से, शिक्षण कार्य चालू हो, आज विधानसभा के माध्यम से विधेयक लाकर इस कार्य पर मोहर लगाई जा रही है, निश्चित रूप से यह एक बहुत अच्छा कार्य है, जिसके कारण मध्यप्रदेश में जो अनुसूचित जाति,जनजाति और पिछड़े वर्ग के लोग रहते हैं, उनके उत्थान का कार्य शुरू हो सकेगा। इस विश्वविद्यालय की स्थापना का मूल उद्देश्य अनुसूचित जाति,जनजाति और पिछड़े वर्गों में शिक्षण,रिसर्च और विस्तार के माध्यम से उभरती हुई विचाराधारा एवं उन्नत ज्ञान, बुद्वि और समाज का प्रसार करना है । अमुक जाति के सामाजिक,आर्थिक एवं शैक्षणिक विकास पर केन्द्रित नीतियों एवं कार्यक्रमों को बनाने एवं लागू करने में भी सवंदेनशील बनाना एवं प्रशिक्षित करना है, इस विश्वविद्यालय की स्थापना का एक और प्रमुख उद्देश्य कालांकित प्रथाओं, सामाजिक कुरीतियों,बुराईयों अंधविश्वासों के उन्मूलन करने हेतु विकासशील देशों में उपयोग की जा रही तकनीक, रणनीतियों एवं दृष्टिकोणों को अपनाने के लिए राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय विश्वविद्यालय, संस्थाओं एवं संगठनों के सहयोग से नेटवर्क स्थापित करना है । मध्यप्रदेश में लगभग 65 से 70 प्रतिशत की आबादी अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्ग की है । आज भी यह वर्ग विकास की दौड़ में पीछे है, संविधान निर्माताओं ने गहन अध्ययन एवं विचार विमर्श करने के बाद संविधान में इस वर्ग के उत्थान हेतु नियम और प्रॉबिजन बनाए थे, संविधान निर्माताओं ने इस वर्ग के उत्थान हेतु जो अपेक्षाएं की थीं, उन अपेक्षाओं तक यह वर्ग अभी नहीं पहुंचा है । मैं समझता हूँ कि जिस वर्ग का आर्थिक उत्थान या विकास हो जाता है, बाकी विकास स्वत: ही हो जाता है ,जो भी आर्थिक रूप से सक्षम होता है, उससे न तो उसकी जाति पूछी जाती है और न ही कोई भेद- भाव होता है, तो सबसे जरूरी यह है कि यह विश्वविद्यालय खुल रहा है तो इस विश्वविद्यालय के माध्यम से योग्य कौशल के,उन्नयन के कार्य हों, रोजगार उन्मुखी और आर्थिक रूप से मजबूत करने वाले विषय इस विश्वविद्यालय के माध्यम से शुरू हों, ताकि यह वर्ग आगे चलकर अपने रोजगार का इंतजाम कर सके । मेरी एक और मांग है, हर कोई विश्वविद्यालय जा नहीं पाएगा,हर जिले में इनके इंस्टीट्यूट हों, ताकि इंस्टीट्यूट के माध्यम से यह वर्ग अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग काफी पिछड़ा है, उनकी पहुंच के बाहर रहेगा, अगर इंस्टीट्यूट हर जिले में होंगे उनकी निकटता रहेगी इंस्टीट्यूट के माध्यम से अपने कौशल उन्नयन का कार्य कर पाएंगे । अनुसंधान में प्रदेश में रहने वाली जातियों के इतिहास पर भी अनुसंधान हों, क्योंकि हमारे मध्यप्रदेश में अधिकतर जातियां बाहर प्रदेशों और दूसरी जगह से आकर बसी हैं, बहुत सी पिछड़े वर्ग की जातियों को अभी तक अपना इतिहास नहीं पता है, जब विश्वविद्यालय यहां पर खुल रहा है तो उनके इतिहास के बारे में भी रिसर्च का प्रावधान हो, ताकि मध्यप्रदेश की जातियां कहां से आई हैं, क्या उनका इतिहास रहा है, इसकी भी जानकारी इस विश्वविद्यालय के माध्यम से हो,रिसर्च हो, तो बहुत ज्यादा बेहतर होगा क्योंकि मैं भी पिछड़े वर्ग से खाती समाज से आता हूँ और मेरे जिले में भी बहुत सी पिछड़ी जातियां हैं । लेकिन उनको अपने इतिहास की वह जानकारी नहीं है, बहुत कोशिश करने के बाद भी निश्चित रूप से इस यूनिवर्सिटी बनने के बाद इस ओर माननीय उच्च शिक्षा मंत्री ध्यान देंगे और रिसर्च को बढ़ावा देंगे. मैं और आशा एवं विश्वास करता हूं कि यह विश्वविद्यालय एक अग्रणी विश्वविद्यालय होगा और पीछे रह गये वर्गों के उत्थान के लिये काम करेगा. मेरा एक सुझाव है कि जो विश्वविद्यालय की सभा जिसको यूनिवर्सिटी कोड अथवा बोर्ड भी कहते हैं, उसमें विधायकों की कोई भूमिका नहीं है, क्योंकि इसमें 14 पदेन सदस्य लिये गये हैं एवं 4 अशासकीय सदस्यों को रखा गया है. दूसरी यूनिवर्सिटीज में एमएलए को रहने का प्रोवीजन है, क्योंकि इस यूनिवर्सिटी का जो क्षेत्र है, वह बहुत ही व्यापक है, सम्पूर्ण मध्यप्रदेश है तो निश्चित रूप से विधान सभा के सदस्यों को उसमें शामिल किया जाना चाहिये तथा उनको भी यूनिवर्सिटी बोर्ड में रखना चाहिये, ऐसी मेरी मंशा है आपके माध्यम से उच्च शिक्षा मंत्री द्वारा कहीं पर भी इस चीज का उल्लेख नहीं किया गया है कि मध्यप्रदेश की विधान सभा के सदस्य उसमें रहेंगे कि नहीं रहेंगे, उन्हें निश्चित रूप से इसमें शामिल किया जाना चाहिये, क्योंकि जब तक इसमें विधान सभा का प्रतिनिधित्व नहीं होगा तो जनता की सब बातें यूनिवर्सिटी के पास नहीं पहुंचेगी और जिन क्षेत्रों रिचर्स, विकास होना चाहिये वह बातें नहीं पहुंच पाएंगी. आपने बोलने का मौका दिया बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री जयवर्द्धन सिंह(राघोगढ़)—माननीय सभापति महोदय, डॉ.बी.आर.अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय की स्थापना से पूरे मध्यप्रदेश के पास एक बहुत बड़ा अवसर है जिसमें हम एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर की यूनिवर्सिटी यहां पर चला सकते हैं. मैं स्वयं जब विधायक बनने के पहले मैंने अपना मास्टर्स प्रोग्राम कोलम्बिया यूनिवर्सिटी न्यूयार्क से किया था और अम्बेडकर साहब वहीं के पूर्व छात्र भी रहे हैं और अब उनके नाम पर कोलम्बिया यूनिवर्सिटी में एक चेयर रखी गई है जहां पर एक प्रोफेसर को फुल सेलेरी के साथ वहां पर बुलाने का अवसर मिलता है. मेरे कहने का मतलब यह है कि आज भी पूरे विश्व में डॉ.अम्बेडकर साहब का बहुत बड़ा नाम है और उनका सम्मान बहुत लोग करते हैं. उनकी जो नीतियां तथा सोच थी आज भी उस पर चर्चाएं न्यूयार्क में होती हैं और मैं मानता हूं कि आज इस विश्वविद्यालय के द्वारा हमको एक टायअप कोलम्बिया यूनिवर्सिटी के साथ करना चाहिये जिससे वहां की जो हमारी यूनिवर्सिटी है उसकी शैक्षणिक गुणवत्ता को इसके माध्यम से और बेहतर बना सकेंगे, क्योंकि वहां पर कोलम्बिया यूनिवर्सिटी के जो प्रोफेसर रहेंगे वह भी यहां पर आकर हमारे जो छात्र हैं उनको एक अच्छा अनुभव मिल सकता है, उनके साथ ही साथ आजकल विश्व में इंटर्नशिप के माध्यम से छात्र-छात्राओं को बाहर जाने का एक अच्छा अवसर मिलता है, इनके साथ हम टायअप भी कर सकते हैं जिससे छात्र- छात्राओं को एक नया अनुभव भी मिलेगा. इसके साथ साथ आजकल रिसर्ट बेस्ट एज्यूकेशन की बहुत मान्यता है और रिसर्च बेस्ट एज्यूकेशन में अधिकतर फंडिंग जो स्टेट गवर्नमेन्ट से आती है वह रिसर्च में इनवेस्ट करनी चाहिये ताकि अनुसूचित जनजाति के लिये हम और भी ऐसी योजनाएं लागू कर सकें जो अफ्रीका और ऐसे कांटीनेन्स में जो पिछड़े वर्गों के लिये जो योजनाएं हैं उनको हम भी शायद यूएन के माध्यम से ऐसी और भी एजेन्सीज के माध्यम से हमारे कॉलेजिस में विशेषकर डॉ. बी.आर.अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय में भी इसका उपयोग कर पाएंगे. इस पर मेरा यह भी निवेदन है कि एक टीम यहां से कोलम्बिया यूनिवर्सिटी जाए और उनके साथ इसके साथ आगे कुछ प्लानिंग हो और साथ में अभी माननीय शैलेन्द्र पटेल जी ने भी जो फरमाया था जो इसमें समिति रहेगी उसमें विधायक का नाम होना चाहिये जैसे जीवाजी यूनिवर्सिटी, बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी है तो हर यूनिवर्सिटी में विधायकों को शामिल होना अनिवार्य होना चाहिये, क्योकिं जो जनता के प्रतिनिधि हैं उनको विश्वविद्यालय के संचालन में उनकी भी भूमिका हो सकती है तो इससे विश्वविद्यालय की जो गुणवत्ता है, वह बेहतर होगी. आपने समय दिया बहुत बहुत धन्यवाद.
श्रीमती ऊषा चौधरी(रैगांव) – माननीय सभापति महोदय, यह जो विधेयक है डॉ.बी.आर.अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय विधेयक,2015. इस पर मैं कहना चाहूंगी कि यह बहुत अच्छा विधेयक है मैं इसका समर्थन करती हूं. हमारे मध्यप्रदेश के बच्चे जो विदेशों में पढ़ाई के लिये नहीं पहुंच पाते थे. खासकर एस.सी.,एस.टी. के बच्चों को एक स्थान मिलेगा शिक्षा ग्रहण करने के लिये. मैं चाहती हूं कि इस विश्वविद्यालय में एस.सी.,एस.टी. के बच्चों के लिये आरक्षण हो, स्कालरशिप की व्यवस्था हो, छात्रावास की व्यवस्था हो ताकि हमारे मध्यप्रदेश के जो गरीब बच्चे हैं जो बाहर पढ़ने जाते हैं और आर्थिक अभाव के कारण उनकी पढ़ाई अधूरी रह जाती है और इसमें मैं एक बात और कहना चाहूंगी कि जो शासन के नियम के अनुसार जो फर्स्ट क्लास,सेकंड क्लास,तृतीय क्लास,चतुर्थ क्लास के जो कर्मचारी हैं उनके बच्चों को स्कालरशिप नहीं मिल पाती है क्योंकि फोर्थ क्लास का कर्मचारी मुश्किल से 14-15 हजार रुपये पाता है और उसका बच्चा अगर प्रतिभावान है और वह इस विश्वविद्यालय में पढ़ना चाहता है तो उसकी पढ़ाई नहीं हो पाती है. उसको स्कालरशिप नहीं मिल पाती है. ए क्लास के अधिकारियों को छोड़कर सेकंड क्लास,तृतीय क्लास,फोर्थ क्लास के कर्मचारियों के बच्चों को भी स्कालरशिप दी जाये. उनका दाखिला हो और वह पढ़ाई कर सकें. मैं माननीय मंत्री जी को और माननीय अध्यक्ष महोदय को यह विधयेक लाने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद देती हूं.
डॉ.रामकिशोर दोगने(हरदा) – माननीय सभापति महोदय, यह जो विधेयक आया है. एक दबे कुचले और गरीब लोगों को शिक्षा के प्रति जागृत करने और उन्हें शिक्षा के प्रति उसको आगे बढ़ाने के लिये आया है. हमारे पूर्व में संचालित केन्द्रीय शोध संस्थान जो डाक्टर भीमराव अम्बेडकर जी के नाम से महू में स्थापित है. उसे यूनिवर्सिटी में परिवर्तित किया जा रहा है. यह बड़ी खुशी की बात है और यह जिस उद्देश्य से इसे चालू किया जा रहा है वह उद्देश्य पूरा हो. सरकार पूरा करे. ऐसी मेरी कामना है. मैं बताना चाहता हूं कि इसका उद्देश्य जो है कि विश्वविद्यालय में अनुसूचित जाति,अनुसूचित जनजाति तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्रों को सुविधा दी जायेगी परंतु उसके साथ ही अल्पसंख्यक वर्ग एवं ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों को भी सुविधा दी जाये तो अच्छा होगा. इससे सामाजिक विज्ञान का मकसद पूरा होगा. जो गरीब,दबे कुचले वर्ग हैं सबको इसमें प्राथमिकता मिलेगी तो इसका मकसद पूरा होगा क्योंकि डाक्टर भीमराव अम्बेडकर जी का उद्देश्य और काम करने का तरीका, उनके विचार, उनकी भावना थी कि दबे कुचले वर्ग को सुविधा दी जाये. उनको आगे बढ़ाया जाये और समानता का उन्हें अधिकार मिले. समाज में समानता के साथ जीने की भावना उनमें हो और समाज के साथ वह चल सकें. उस उद्देश्य को लेकर यह उनकी जन्मस्थली में सामाजिक विज्ञान यूनिवर्सिटी का निर्माण जो किया जारहा है वह बहुत अच्छा निर्णय है. मैं कुछ सुझाव देना चाहता हूं कि सामाजिक विज्ञान के साथ में वहां अभी जो विषय चल रहे हैं उसमें एक होमसाईंस जोड़ दिया गया है, मिलिट्री साईंस जोड़ दिया गया है पर होम साईंस और मिलिट्री साईंस सामाजिक विज्ञान से जुड़ता हुआ विषय नहीं है. यह अलग हैं और सामाजिक विज्ञान अलग है. तो सामाजिक विज्ञान के साथ में मानव ज्ञान जरूरी है.
श्री लालसिंह आर्य – माननीय सभापति महोदय, यह जो भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय खोला जा रहा है वह पूरे विश्व में एक मात्र है और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी ने खोला है.
डॉ.रामकिशोर दोगने – मंत्री जी यह केन्द्र में पहले से ही चल रहा है. यूनिवर्सिटी का नाम अभी दिया जा रहा है. केन्द्रीय सरकार से पहले से ही चल रहा है. 45 परसेंट का अनुदान केन्द्र का है.
सभापति महोदय – आप अपनी बात कहिये. पक्ष,विपक्ष सभी तो इसका सपोर्ट कर रहे हैं.
डॉ. रामकिशोर दोगने:- माननीय सभापति महोदय, इसमें मेरा यह कहना है कि इसमें मानव शास्त्र और महिलाओं का अध्ययन दोनों विषय इसमें जोड़ दिये जायें क्योंकि महू के आसपास देखें तो आदिवासी क्षेत्र बहुत ज्यादा है. आदिवासी क्षेत्र के आसपास बाकी क्षेत्रों को देखा जाये तो अनुसूचित जाति वर्ग के लोग भी बहुत ज्यादा रहते हैं. उनके साथ ही पिछड़ा वर्ग भी बहुत ज्यादा है. खण्डवा के आसपास के जिले देखें तो सब जिले लगे हुए हैं. इन सब परिस्थितियों को देखतेहुए आदिवासी, अनुसूचित जाति, जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों को इसमें शामिल किया जायेगा तो बहुत अच्छा होगा और जो इसमें फीस की व्यवस्था है और दूसरे विश्वविद्यालयों के अलावा इसमें फीस की सुविधा है उससे ज्यादा फीस की सुविधा यहां पर देना चाहिये. यह विश्वविद्यालय एक ऐसे महापुरूष के नाम पर है. जिन्होंने समाज के एक ऐसे वर्ग के उत्थान के लिये काम किया और देश में उसको स्थापित किया. अगर आज हम देखें जो हमारे अनुसूचित जाति, जनजाति के भाई जो आगे बढ़े हैं तो यह देन डॉ भीमराव अम्बेडकर जी की है. मेरा कहना है कि उनकी भावना और जिस तरह से इन वर्गों के लिये काम किया है, उस काम को मद्देनजर रखते हुए सामाजिक विज्ञान का अध्ययन वहां पर होना चाहिये और इसके साथ ही मानव शास्त्र और महिलाओं के ऊपर भी अध्ययन होना चाहिये. क्यों कि हम देखते हैं कि मानव के उत्पत्ति कैसे हुई और मानव की उत्पत्ति के बाद ही समाज आया तो मानव की उत्पत्ति से लेकर समाज तक और समाज से लेकर आज जो महिलाओं पर अत्याचार हो रहे हैं और महिलाओं के ऊपर काम हो रहे हैं, उसको देखते हुए हमको यह विषय भी इसमें जोड़ना चाहिये. मेरा आप सबसे यही निवेदन है कि होम साईंस और मिलिट्री साईंस की जगह मानव शास्त्र और महिलाओं पर अध्ययन जोड़ दिया जाये. इसमें अनुसूचित जाति, जनजाति और ग्रामीण क्षेत्र एवं पिछड़ा वर्ग को भी जोड़ा जाये जिससे उनको सुविधा मिल सके. स्कालरशीप की बात जब आ रही थी, बाकी वर्ग को नहीं मिलती है, पर वहां पर स्कालरशीप को वहां से हटा देना चाहिये
क्योंकि समाज के ऊपर उसका अध्ययन हो रहा है, वह सामाजिक विज्ञान है, तो इसलिये उसमें फीस का कालम ही नहीं होना चाहिये. उसमें जो अध्ययन करना चाहे वह फ्री अध्ययन होना चाहिये. वहां पर सबको सुविधा देना चाहिये. क्योंकि समाज का निर्माण होगा तो देश का निर्माण होगा. इस उद्देश्य को लेकर इस विश्वविद्यालय की स्थापना होना चाहिये और सामाजिक विज्ञान अच्छा होगा तो देश में समाज अच्छा होगा, तो देश भी अच्छा होगा. इस भावना के साथ इसको स्थापित होना चाहिये. इसमें जो अध्ययन कराने वाले प्रोफेसर होंगे उनकी भी क्वालिटी होना चाहिये, उनकी शिक्षा का भी ध्यान रखना चाहिये. कुलपति का भी ध्यान रखना चाहिये, जो जो लोग वहां पर पदस्थ हों उनकी शिक्षा और उनके काम करने के तरीके और जो विश्वविद्यालयोंमें कर रहे हैंउनसे लेकर ही करना चाहिये नहीं तो गलत लोग जैसा कि दूसरे विश्विद्यालयों का बीच में आ रहा है. मैं एक छोटी सी बात और बताना चाहता हूं कि इस विश्वविद्यालय में सामाजिक विज्ञान से संबंधित ही शिक्षा होना चाहिये. क्योंकि वर्तमान में हम देख रहे हैं कि हमारे यहां पर हिंदी विश्वविद्यालय है वहां पर हिंदी एवं संस्कृत के अलावा भी सभी विषय पढ़ाये जा रहे हैं. पर इस सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय में सिर्फ सामाजिक विज्ञान के ऊपर ही विषय रखना चाहिये और उसी के अंतर्गत काम होना चाहिये. तभी समाज के ऊपर काम हो पायेगा. आपने बोलने का मौका दिया धन्यवाद.
श्री ओमकार सिंह मरकाम (डिण्डोरी):- माननीय सभापति महोदय, देश के अंदर तमाम परिस्थितियों पर विभिन्न प्रकार की सम्सयाओं पर संर्घष करके बहुत महापुरूष हमारे देश के अंदर बहुत सारे सुधार किये हैं जिनको आज आप और हम आदर्श मानते हैं और उनके बताये हुए मार्ग में चलने की कोशिश करते हैं. डॉ भीमराव अम्बेडकर जी सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय का जो विधेयक है इस विधेयक के संबंध में हमारे इस देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू, प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद जी का वह जो निर्णय था जिस निर्णय पर देश के संविधान का निर्माण करने के लिये जो 12 सदस्यीय समिति बनायी गयी, उस 12 सदस्यीय समिति ने 2 वर्ष 11 माह 18 दिन में इस देश का 395 अनुच्छेद का प्रथम संविधान दिया ऐसे संविधान को लिखने का अधिकार अंबेडकर जी को दिया गया था. इस देश के कांग्रेस के प्रथम प्रधानमंत्री और प्रथम राष्ट्रपतिजी ने अंबेडकरजी को जो एससी एसटी वर्ग के थे उनके महान विचार थे संघर्ष करो, शिक्षित बनो और संगठित रहो. आज प्रदेश सरकार विश्वविद्यालय के रुप में विधेयक ला रही है इसमें मेरे कुछ सुझाव हैं. जो गरीब बच्चे हैं जिनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है जैसे इंदिरा गांधी आदिवासी विश्वविद्यालय, अमरकंटक में 1500 छात्राओं के लिए वहां...
श्री लालसिंह आर्य—1952 का चुनाव बम्बई में 1953 का चुनाव भंडारे में जब हो रहा था उस समय पंडित जवाहरलाल नेहरु डॉ. भीमराव अंबेडकर के विरुद्ध प्रचार करने गये थे और उनको चुनाव हरवाया था.
सभापति महोदय—यह विषय से कहां तक संबंधित है.
श्री ओमकार सिंह मरकाम—मंत्रीजी जो संविधान बनाया गया है जिसके तहत आप भी अपने आप में यहां मंत्री के रुप में हैं उस संविधान निर्माण समिति का अगर आप अध्ययन कर लेंगे और संविधान निर्माण समिति में कौन कौन लोग थे क्यों उनको अध्यक्ष बनाया गया तो आपको स्पष्ट हो जाएगा मैं आपकी इसी संकीर्णता को दूर करने के लिए सुझाव दे रहा हूं.
श्री रणजीत सिंह गुणवान—माननीय सभापति महोदय, महू में जो स्तूप बना है आप देखिए माननीय अटलजी की मेहरबानी थी जो उनका नाम चला, प्रदेश के मुखिया श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज महू में अंबेडकर (व्यवधान)
सभापति महोदय—आपको बोलना है तो इनके बाद आप बोल सकते हैं.
श्री ओमकार सिंह मरकाम—सभापति महोदय, मैं हमारे नेता राहुल गांधीजी को धन्यवाद दूंगा कि महू में आकर उन्होंने कार्यक्रम किया तब तो भारतीय जनता पार्टी की सरकार चेती और कहने लगी हम यहां विश्वविद्यालय बनायेंगे तो मैं राहुल गांधीजी को भी धन्यवाद दूंगा कि उन्होंने वहां का दौरा किया था...(व्यवधान)
श्री रणजीत सिंह गुणवान—अटलजी ने उसका प्रस्ताव किया था..यह पूरे देश की जनता जानती है..(व्यवधान)
श्री लालसिंह आर्य—अम्बेडकर जी के खत्म होने के बाद कांग्रेस की निरन्तर सरकार रही भारतरत्न का पुरस्कार नहीं दिया, अंबेडकरजी का एक भी राष्ट्रीय स्मारक नहीं बनाया, कांग्रेस ने एक भी योजना उनके नाम से नहीं दी.
सभापति महोदय— श्री मरकाम जो बोलेंगे वही लिखा जायेगा..(व्यवधान)
श्री रणजीत सिंह गुणवान-- (XXX)
श्री लाल सिंह आर्य—(XXX)
श्री ओमकार सिंह मरकाम—वह जो दौरा हुआ उसके बाद चेत कर आप लोग यह विधेयक ला रहे हैं मैं राहुलजी को धन्यवाद देना चाहूंगा कि उनके दौरा करने के पश्चात् सरकार यह विधेयक ला रही है मैं इसमें कुछ सुझाव देना चाहता हूँ. मेरा पहला सुझाव है जिस तरह से यूपीए की सरकार ने ट्रायबल यूनिवर्सिटी पर डेढ़ हजार छात्राओं के लिए होस्टल की व्यवस्था की है डेढ़ हजार छात्रों के लिए होस्टल की व्यवस्था दी है जहां पर अभी तीन हजार बच्चों का मैस में भोजन बनता है ताकि गरीब निर्धन बच्चों को भी वहां शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार मिले. अंबेडकर साहब भी जब वहां पर प्राथमिक शिक्षा ले रहे थे तो वे किन-किन हालात से गुजरे थे इसका इतिहास प्रमाणित है उस बात से गुजरकर वे आये हैं और उन्हीं के दिए हुए जो निर्देश हैं वह समाज के लिए आज काम आ रहे हैं चूंकि वे उन समस्याओं से ग्रसित थे. टीकमगढ़, छतरपुर, पन्ना, चंबल, महाकौशल, विन्ध्य प्रदेश में जाकर आप देखेंगे तो एससी एसटी के लोगों के साथ क्या हालात हैं आप स्वयं देख लीजिये मैं तो कहना चाहता हूँ यहां पर ट्रायबल मंत्रीजी भी बैठे हैं अगर वे 20 प्रतिशत होस्टल को वास्तविक मापदंड के अनुरूप बता दें तो हम आपका सम्मान करेंगे. जहां माननीय मुख्यमंत्रीजी रहते हैं उसके किनारे श्यामला हिल्स में एससी एसटी का होस्टल है आज वहां उपयुक्त पानी नहीं है आज वहां के छात्रों को व्यवस्था ठीक से नहीं दी जा रही है.
सभापति महोदय—विश्वविद्यालय के बारे में बोलें कि विश्वविद्यालय में क्या होना चाहिए.
श्री ओमकार सिंह मरकाम—ऐसी स्थिति है इसलिए मैं यह कहना चाहता हूँ कि यह विधेयक सिर्फ विधेयक बनकर न रह जाए पूरी तरह से एडव्हरटाईज के लिए यहाँ पर जन संपर्क विभाग से बड़े-बड़े होर्डिंग्स न लग जाएँ. पता चला जितने के होर्डिंग्स लगेंगे उससे कम बजट वहाँ पर दिया जाएगा...
सभापति महोदय-- अब श्री वेलसिंह जी भूरिया बोलेंगे. अब आप कृपा करके बैठ जाइये.
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- सभापति महोदय, मेरा निवेदन है कि इन चीजों में सुधार करते हुए मेरा एक अंतिम निवेदन है यह भी महत्वपूर्ण है.
सभापति महोदय-- मरकाम जी, अब आपकी बात समाप्त हो गई.
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- सभापति महोदय, मेरा एक सुझाव है.
सभापति महोदय-- ठीक है . एक मिनट बोल लें.
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- सभापति महोदय, विश्वविद्यालय में जो स्टाफ आएगा उसमें भी आप केटेगिरी देख लें. अभी मैं देख रहा था आपके क्लास वन के जो वहाँ पद हैं, उसमें जो प्रोफेसर रहेंगे, उसमें एस टी, एस सी, के लोगों का कितना प्रतिशत रहेगा, वहाँ पर उनके पदों की संख्या कितनी रहेगी. इसमें हमारा निवेदन है कि विश्वविद्यालय में इस देश के अँन्दर जो हमारे विभिन्न प्रदेशों के विद्वान जो एस सी, एस टी के हमारे जो प्रतिभावान लोग हैं, ऐेसे लोगों को भी वहाँ आकर के कम से कम 75 प्रतिशत उस विश्वविद्यालय में एस टी, एस सी के लोगों का वहाँ स्टाफ रहे इसके लिए भी आप लोगों के माध्यम से, इस विधेयक में नहीं है, इसके लिए निवेदन करना चाहता हूँ. अभी तो इस विषय में मैं बहुत कुछ कह सकता था.
सभापति महोदय-- बस, अब कृपया बैठें.
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- माननीय सभापति महोदय, आपने बोलने का समय दिया, बहुत बहुत धन्यवाद.
सभापति महोदय, आप तो इधर रहते हैं तो बहुत बोलते हैं पर वहाँ जाने के बाद आप भी....
सभापति महोदय-- मतलब की बात करो, विश्वविद्यालय की बात करें. आप तो विधेयक से संबंधित बोलिए. आप तो जनरल भाषण दे रहे हों.
श्री वेलसिंह भूरिया(सरदारपुर)-- माननीय सभापति महोदय, परम पूज्य डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर जी हमारे संविधान निर्माता तो थे ही लेकिन साथ में हमारे हिन्दुस्तान के अँन्दर एक अच्छे व्यक्तित्व निर्माता भी थे. मरकाम जी हमारे मित्र, भले ही काँग्रेस के हैं. लेकिन मरकाम जी 1998 में जब एक बस स्टेण्ड पर मिले थे, तो मरकाम जी से मेरी बात मण्डला एवं डिण्डोरी में हुई थी कि अम्बेडकर जी की फोटो डिण्डोरी कॉलेज में लगना चाहिए. उस समय मरकाम जी आदिम जाति कल्याण मंत्री थे तो अब ज्यादा बताना नहीं चाहूँगा, उस समय लगवाना चाहिए था लेकिन आज हमारे कैसे भी आदिम जाति कल्याण मंत्री हैं..
सभापति महोदय-- विश्वविद्यालय विधेयक से इसका क्या संबंध है?
श्री वेलसिंह भूरिया-- सभापति महोदय, उसी से जुड़ी हुई बात है...(व्यवधान)..ठीक है सभापति महोदय, मैं ज्यादा विस्तार में न जाते हुए हमारे मरकाम जी की बात को आगे बढ़ा रहा हूँ क्योंकि यह एक सामाजिक मामला है. पक्ष विपक्ष वाला ज्यादा इसमें कुछ नहीं है. सभापति महोदय, परम पूज्य डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर जी ने इस देश के अँन्दर वह पीड़ित, शोषित और आखरी पंक्ति में जो समाज है उसको अन्य समाज के बीच में लाकर, उसकी बराबरी का हिस्सा मांगने के लायक परम पूज्य डॉक्टर अम्बेडकर जी ने इस समाज को आगे बढ़ाया, उसी की देन है कि जिस प्रकार से मेरा पिछला एक भाषण था उसमें मैंने बोला था मैं फिर बता देना चाहता हूँ कि वाकई में यह देश आजाद हुए 67 साल से अधिक हो गए...
सभापति महोदय-- आप कृपा करके विश्वविद्यालय विधेयक पर बोलिए. आप जनरल भाषण दे रहे हैं.
श्री वेलसिंह भूरिया-- मैं फिर बता देना चाहता हूँ कि पहले राजा रानी के पेट से पैदा होता था. अब राजा जनता की कोख से पैदा होता है. यह परम पूज्य अम्बेडकर जी की देन है.
सभापति महोदय-- आप विश्वविद्यालय विधेयक के बारे में बोलें.
श्री वेलसिंह भूरिया-- सभापति महोदय, मैं परम पूज्य डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर जी के..(व्यवधान)..विश्वविद्यालय का जो प्रस्ताव आाया है..(व्यवधान)..उसका समर्थन करते हुए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय शिवराज जी को बहुत बहुत धन्यवाद और बहुत बधाई देना चाहता हूँ कि इस विश्वविद्यालय के खुलने से वाकई में हमारे अनुसूचित जाति, जनजाति, के भाई लोगों का चेहरा कमल के फूल की तरह खिलने लगेगा...(व्यवधान).. सभापति महोदय, कमलेश्वर पटेल जी, आपके कॉलेज में तो अम्बेडकर जी का फोटो लगवा लो. बाकी बात बाद में करना...(व्यवधान)..
डॉ रामकिशोर दोगने-- महू में जो सेंटर है..(व्यवधान)..आज सरकार इसमें सिर्फ नाम लिखवाने जा रही है. सेंटर तो पहले से चालू है..(व्यवधान)..
सभापति महोदय-- अब आप कृपया बैठ जाएँ. उनको बोलने दें.
श्री वेलसिंह भूरिया-- सभापति महोदय, मैं ज्यादा विस्तार में न जाते हुए एक और बात बता देना चाह रहा हूँ कि जब यू पी ए की सरकार देश के अँन्दर थी तब यह आदिम जाति कल्याण मंत्रालय मानव संसाधन मंत्रालय के पास में था जब से.....
सभापति महोदय—वेलसिंह जी ,आपसे हमारा अनुरोध है कि विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक आया है उस पर आप बात करिये.
श्री वेलसिंह भूरिया--- सभापति महोदय, मैं उसी पर आ रहा हूं उसी से जुड़ी हुई बात को कह रहा हूं (XXX).
श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल--- सभापति महोदय, इस पर घोर आपत्ति है गलत शब्दों का उपयोग किया जा रहा है .
सभापति महोदय--- इसको निकाल दें ....(व्यवधान)...जो वेलसिंह जी ने कहा इसको विलोपित किया जाये.
श्री शैलेन्द्र पटेल-- यह किस तरह से यहाँ पर बात कर रहे हैं. ..(व्यवधान)...
सभापति महोदय--- उसको निकाल दिया है कार्यवाही से...(व्यवधान)...
श्री वेलसिंह भूरिया--- सभापति महोदय, मैं माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह जी को बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहता हूं और हमारे परम सम्मानीय तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी को भी बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहता हूं कि जिन्होंने आखिरी पंक्ति में बैठे हुए समाज के लिए हिंदुस्तान के अंदर आदिम जाति कल्याण मंत्रालय बनाया.
सभापति महोदय--- कृपा करके विश्वविद्यालय के संबंध में बात करें.
श्री वेलसिंह भूरिया--- परम सम्मानीय डॉ.भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय का जो विधेयक आया है मैं उसका समर्थन करता हूं और मंत्री जी को, मुख्य़मंत्री को धन्यवाद देता हूं यह विश्वविद्यालय अंतिम पंक्ति में जो समाज है उसको आगे लाने के लिए कार्य करेगा. हमारे अटलबिहारी वाजपेयी जी की सरकार में , हमारी सरकार में करोड़ों रुपये की लागत से एक स्मारक महू में बनाया गया था इस विश्वविद्यालय का नाम अंबेडकरजी के नाम से जरूर खोला जा रहा है लेकिन इसमें मेरा निवेदन है कि सभी अनुसूचित जाति जनजाति , पिछड़ा वर्ग के विद्यार्थियों को निशुल्क शिक्षा दी जाये ऐसा मेरा मंत्री जी से अनुरोध है . मेरी बात को आपने सुना . वन्दे मातरम् , भारत माता की जय.
श्री बाला बच्चन(राजपुर)—माननीय सभापति महोदय, बाबा साहब के नाम से यह जो विश्वविद्यालय खोला जा रहा है , यह हम सब बहुत अच्छे से जानते हैं कि महू बाबा साहब की जन्मस्थली है और कांग्रेस पार्टी ने भी 14 अप्रैल को उनके जन्मदिवस पर बड़ा कार्यक्रम रखा था जिसमें हमारी पार्टी के उपाध्यक्ष राहुल गांधी जी भी आए थे . मैं आपको बताना चाहता हूं कि पूरे देश भर में बाबासाहब के व्यक्तित्व के ऊपर कार्यक्रम रखे जा रहे हैं चाहे वह मध्यप्रदेश हो, महाराष्ट्र हो, गुजरात हो सब जगह कार्यक्रम रखे जा रहे हैं. इस विश्वविद्यालय का मकसद और लक्ष्य मैंने जो पढ़ा और समझा है कि इस विश्वविद्यालय से अनुसूचित जातियों , जनजातियों और पिछड़े वर्गों के व्यक्तियों के सामाजिक , आर्थिक विकास होना है. तथा शैक्षणिक रूप से भी उन लोगों को सक्षम करना है. मैं समझता हूं कि यह सरकार की अच्छी सोच है . इतना ही नहीं इसके द्वारा बाबा साहब के भी सामाजिक विकास तथा भारत को सुदृढ़ करने की सोच को फलीभूत करे ऐसी मैं आशा करता हूं. मेरे कुछ सुझाव हैं जो इस विश्वविद्यालय विधेयक में जोड़े जाएं या रखे जाएं. इसमें जो विश्वविद्यालय के कार्य हैं और नियुक्तियाँ हैं उसमें पारदर्शिता होनी चाहिए अन्यथा अगर कोई बात आती है और बाबासाहब के नाम के ऊपर कोई आंच आती है तो मैं समझता हूं कि आने वाली पीढ़ियां हमको माफ नहीं करेंगी. इसलिए इन बातों का ध्यान रखा जाए.
दूसरा
इस
विश्वविद्यालय
में तत रिसर्च
करने के लिए
आप जो लोग
रखेंगे उनको
प्रोत्साहन
दिया जाए,
उनको तकनीक दी
जाए और
राष्ट्रीय व
अंतर्राष्ट्रीय
स्तर के
व्याख्याता
समय-समय पर आते
रहे इस बात का
भी ध्यान रखा
जाये. मैं
माननीय
मंत्री जी से
और सरकार से
भी आग्रह करना
चाहता हूं कि
इस विश्वविद्यालय
से आपको जिन
संस्थाओं को
मान्यता देना
है , उन
मान्यताओं की
भी जांच
पड़ताल कर लें
. ऐसा न हो कि वह
संस्थायें
फर्जी या बोगस
रूप से चल रही
हों और इस
विश्वविद्यालय
से वह जु़ड़े
और इसका नाम
खराब करे और
इसमें अपने –
अपने क्षेत्र
में महारत्
रखने वाले
विद्वानों को
व्याख्याताओं
के रूप में
रखा जाए और
इतना ही नहीं
जो अन्य स्टाफ
भी
है,मापदण्डों
के अंतर्गत
उनकी भर्ती और
नियुक्ति
होना चाहिए,
तब तो मैं
समझता हूँ कि
हम बाबा साहब को
सच्ची
श्रद्धांजलि
देंगे. अगर
इतना सब सरकार
ने काम कर
लिया और जिस
मकसद और
उद्देश्य के कारण
यह जो
विश्वविद्यालय
स्थापति किया
जा रहा है तो
मैं समझता हूँ
कि बाबा साहब
को हमारी सच्ची
श्रद्धांजलि
होगी और देश
और विदेश में न
केवल इस
विश्वविद्यालय
का ही नाम नहीं,
बल्कि मैं
समझता हूँ कि
बाबा साहब की
जो जन्म स्थली
है महू, उसका
भी,
मध्यप्रदेश
का भी और इस
विश्वविद्यालय
का भी नाम
रौशन होगा. हम
सब जानते हैं
कि बाबा साहब
केवल महू तक
या मध्यप्रदेश
या
महाराष्ट्र
तक ही सीमित
नहीं हैं, न हमारे
देश तक सीमित
है,बाबा साहब
का नाम पूरे
विश्व में एक
विद्वान
व्यक्ति के रुप
में, एक कानून
मंत्री के
रुप में जाना
जाता है और हम
सब को, मैं इस
बात को जानता
हूँ कि आज हम
इस सदन में
बहुत सारे जो
सदस्य हैं जो
आये हैं, कोई
एमएलए के रुप
में हैं, कोई
मंत्री के रुप
में हैं, कोई
अन्य किसी रुप
में हैं और इस
हाउस की ही
बात नहीं है,
इसके बाहर
भी अगर हम
देखें कि आज
जो अलग अलग
पदों पर आरक्षित
वर्ग के लोग,
जिनको इस
विश्वविद्यालय
से जोड़ा है,
अनुसूचित
जाति,
अनुसूचित
जनजाति तथा पिछड़े
वर्ग के लोग,
जो अलग अलग
डेजिगनेशन पर
कहीं मौजूद
हैं,कार्य कर
रहे हैं,जो
अपनी
जिम्मेदारी
का निर्वहन कर
रहे हैं,
उसमें कहीं न
कहीं बाबा
साहब का बड़ा
रोल रहा है
इसलिए सभी
प्वाइंट ऑफ
व्यू से यह तब
उनको सच्ची
श्रद्धांजलि
मानी जाएगी जो
सरकार एक साफ
सुथरे इस
विश्वविद्यालय
को राजनीति का
अखाड़ा न बनने
दे, तब तो मैं
समझता हूँ कि यह
विश्वविद्यालय
जो स्थापित
होगा, जिस
मकसद और
उद्देश्य को
लेकर स्थापित
होगा तो जरुर
वह फलीभूत
होगा और
रिजल्ट
ओरीएंटेड यह
विश्वविद्यालय
बनेगा और
हमारे प्रदेश
और देश का नाम
पूरे विश्व
में इस
विश्वविद्यालय
के नाम से रौशन
होगा.आपने
मुझे समय
दिया.
धन्यवाद.
श्री पन्नालाल शाक्य(गुना)—माननीय सभापति जी, सभी सभासदों को प्रणाम. एक विषय आया है डॉ. भीमराव अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालयविधेयक,2015 बहुत अच्छी बात है. डॉ. साहब के नाम से विश्वविद्यालय स्थापित होना चाहिए पर मेरा सभी सभासदों से एक निवेदन है कि डा. साहब ने जो व्यवस्था दी है संविधान में, क्या हम उसका पालन कर रहे हैं, चाहे वह कर्मचारी हो या प्रतिनिधि हो, तो फिर यह विश्वविद्यालय बनाने की औपचारिकता हम क्यों कर रहे हैं.
सभापति महोदय—माननीय शाक्य जी, आप केवल विश्वविद्यालय पर बात करें. जनरल भाषण न दें.
श्री पन्नालाल शाक्य-- उसका दुरुपयोग भी ऐसे ही होगा.
श्री बाला बच्चन- माननीय सभापति महोदय, आपने सुना नहीं, आपने ध्यान नहीं दिया, यह विश्वविद्यालय खोलने की औपचारिकता सरकार क्यों कर रही है, वे सरकार को बता रहे हैं.
सभापति महोदय- कृपया आप केवल विश्वविद्यालय विधेयक पर ही बोलें.
श्री पन्नालाल शाक्य—मैं वही कह रहा हूँ. मेरी बेटी ने पीएचडी की एन्टरेंस परीक्षा दी थी और उस पीएचडी की परीक्षा में उसको हिन्दी के पेपर की बजाय अंग्रेजी का पेपर आ गया और उसका परिणाम ही नहीं निकला तो ऐसे विश्वविद्यालय स्थापित करने से हम क्या करना चाहते हैं. (व्यवधान)
श्री सुन्दरलाल तिवारी—सभापति जी, माननीय विधायक जी माननीय सदस्य को बोलने से रोक रहे हैं. बोलिये-बोलिये, बहुत अच्छा बोल रहे हैं.
श्री पन्नालाल शाक्य-- सभापति जी, एक निवेदन करेंगे कि मध्यप्रदेश में जितने विश्वविद्यालयों में जितनी अनियमितताएँ हैं, जैसे मैंने बताया कि मेरी बेटी पीएचडी के लिए बैठ रही थी वह नहीं कर पायी, ऐसा इसमें न हो, ऐसी मैं अपेक्षा करता हूँ और मैं इस विधेयक का समर्थन करता हूँ.
श्री रणजीत सिंह गुणवान – (XXX)
सभापति महोदय – इनका नहीं लिखा जाएगा.
(xxx) आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
श्री पन्नालाल शाक्य – इसमें हमारा कोई विरोध नहीं है, विश्वविद्यालय का हम समर्थन करते हैं लेकिन कुल मिलाकर यह है कि उसकी व्यवस्था ठीक होना चाहिए.
सभापति महोदय – कृपया बैठ जाएं, आपका सबसे खूबसूरत भाषण हो गया है.
श्री सुंदरलाल तिवारी – सभापति महोदय, मंत्री जी उनके पास बैठे थे, यह सदस्य के साथ कितना बड़ा अत्याचार है कि उनके विचार सदन में नहीं आ पा रहे हैं.
श्री उमाशंकर गुप्ता – तिवारी जी, आपके बारे में भी लोग यही कहते हैं.
सभापति महोदय – सब लोग बैठ जाएं, कृपया मंत्री जी को बोलने दें.
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री उमाशंकर गुप्ता) – माननीय सभापति जी, मैं धन्यवाद देता हूँ कि इस महत्वपूर्ण विधेयक पर माननीय श्री कमलेश्वर पटेल जी, श्री शैलेन्द्र पटेल जी, श्री जयवर्द्धन सिंह जी, श्रीमती उषा चौधरी जी, डॉ. रामकिशोर दोगने जी, श्री ओमकार सिंह मरकाम जी, श्री बेलसिंह भूरिया जी, आदरणीय बाला बच्चन जी एवं श्री पन्नालाल शाक्य जी आदि माननीय सदस्यों ने बहुमूल्य सुझाव, विचार और चिंताएं व्यक्त की हैं. आप और हम सब जानते हैं कि डॉक्टर बाबा साहब अम्बेडकर एक ऐसा नाम है जिन्होंने इस देश की पूरी दुनिया में ख्याति स्थापित की है. उनके जीवन की मुख्य विशेषता यह रही है कि बड़ी विषम परिस्थितियों में और बड़ी विसंगतियों में उन्होंने अपना जीवन यापन किया लेकिन एक श्रेष्ठ स्थान पर पहुँचने के बाद भी उन्होंने अपने मन में कभी किसी के प्रति कटुता मन में नहीं लाई. जिन्होंने उनका शोषण किया हो, उन पर अत्याचार किया हो, उनको तकलीफ दी हो, ऐसे भी लोगों के बारे में उन्होंने कभी कटु शब्द नहीं बोले. उन्होंने केवल अपने काम से, अपने आचरण से, अपने व्यवहार से, अपने संगठन कौशल से ऐसे लोगों का उत्थान कैसे किया जा सकता है शोषित, पीड़ित समाज को भी ऊपर उठाकर बराबरी पर समानता के स्थान पर कैसे पहुँचाया जा सकता है, इसमें उन्होंने पूरा अपना जीवन लगाया है. मैं सोचता हूँ कि अनेक सामाजिक नेता इस देश में हुए हैं, इस दुनिया में हुए हैं, लेकिन बाबा साहब अम्बेडकर उनमें से विरले थे, एक अलग प्रकार का जीवन उन्होंने जीया है और जो प्रेरणादायी है मुझे लगता है कि शायद इसी कारण वे लोग भी जो कभी उनको पसंद नहीं करते रहे होंगे, आज उनको पूजते हैं, उनका सम्मान करते हैं.
माननीय सभापति जी, हम गौरवशाली हैं कि मध्यप्रदेश का महू उनकी जन्मस्थली है, यह हमारे लिए बहुत सौभाग्य की बात है और इसलिए महू में यह शोध केन्द्र अभी तक चल रहा था. अभी कुछ माननीय सदस्यों ने कहा कि उसमें ग्रांट केन्द्र सरकार की है मैं उनकी गलतफहमी दूर करना चाहता हूँ कि कोई केन्द्र सरकार की ग्रांट उसमें नहीं है. किसी प्रोजेक्ट के लिए सरकार के नियम के हिसाब से कोई ग्रांट उसमें मिलती होगी बाकी मध्यप्रदेश की सरकार ही उस शोध संस्थान को वहां चलाती रही. आप सबको मालूम है कि माननीय पटवा जी जब मुख्यमंत्री थे उस समय महू में बाबा साहब का भव्य स्मारक बना है और आज माननीय शिवराज सिंह चौहान जी के मुख्यमंत्री बनने के बाद अम्बेडकर जयंति पर वहां बाबा साहब को मानने वाले जितने भी देश भर से लोग आते हैं उन सबको राजकीय अतिथि जैसा दर्जा दिया जाता है, उनकी रूकने की व्यवस्था की जाती है, सरकार की तरफ से उनके भोजन की व्यवस्था की जाती है, ये काम यह सरकार कर रही है और मुझे लगता है कि यह काम करके हम बाबा साहब के ऊपर कोई एहसान नहीं कर रहे हैं हम एक कृतज्ञता उनके प्रति ज्ञापित कर रहे हैं. पिछले 14 अप्रैल को माननीय मुख्यमंत्री जी ने महू में घोषणा की थी कि ये जो शोध संस्थान है इसको हम विश्वविद्यालय में परिवर्तित करेंगे. इसको विश्वविद्यालय में परिवर्तित करने के पीछे मकसद यही है कि हम बाबा साहब के विचारों को विभिन्न स्तरों तक पहुँचाएं. उन समाजों तक पहुँचाएं जो अभी भी पिछड़े और दलित माने जाते हैं, विशेषकर हमारे एससी एसटी के भाई-बहन, उनकी समस्याओं पर विचार हो, चिंतन हो और उनकी समस्याओं का निदान हो और इसलिए विभिन्न प्रकार के काम वहां किए जाएं. माननीय सभापति जी, वह एक शोध संस्थान के रूप में संभव नहीं थे इसलिए एक विश्वविद्यालय के रूप में उसको उन्नयन करने का फैसला सरकार ने किया है. हम वह जुलाई के सत्र में लाने वाले थे लेकिन उस समय किन्हीं कारणों से सदन जल्दी स्थगित हो गया फिर हमें अध्यादेश के रूप में महामहिम की अनुमति से उस विश्वविद्यालय की स्थापना करना पड़ी. विश्वविद्यालय काम कर रहा है और आज हम विधेयक के रूप में माननीय सदस्यों के सामने लाये हैं.
मैं विश्वास दिलाना चाहता हूं सदस्यों को कि उन्होंने जो चिंता व्यक्त की है, वह सरकार की भी चिंता है . हम उसमें कहीं भी कोई कमी नहीं होने देंगे, पूरी पारदर्शिता के साथ काम होगा, अच्छे विचारकों को बुलाया जायेगा, आपको याद होगा सभापति महोदय हमने सांची में भी बौद्ध विश्विद्यालय की स्थापना की है जो कि दुनिया का पहला विश्वविद्यालय है जहां पर बौद्ध के विचारों पर भी चिंतन होगा. इसी प्रकार से अंबेडकर विश्वविद्यालय में भी इन वर्गों को लेकर विशेष जो चिंतन है वह किया जायेगा, अध्ययन किया जायेगा और विभिन्न प्रकार के स्कूल खोलने की अनुमति की व्यवस्था हमने इसमें की है. आप देखें डॉ अम्बेडकर विचार और दर्शन स्कूल, सामाजिक विज्ञान और प्रबंधन अध्ययन स्कूल, कृषि और ग्रामीण विकास स्कूल, शिक्षा और कौशल विकास स्कूल, विधि और सामाजिक न्याय स्कूल यह विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम हम वहां पर करेंगे. यह संस्थान एक अलग प्रकार का विश्वविद्यालय होगा, जैसा कि आदरणीय जयवर्धन सिंह जी ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर का यह विश्वविद्यालय बने. हम कहते हैं कि इस दिशा में सरकार कोई कोताही नहीं बरतेगी. जहां से भी हमें सहयोग लेना है जिनके साथ में बैठकर हमें बात करना है उनके साथ में हम बैठेंगे, उनका सहयोग लेंगे. एक बाबा साहब के नाम के अनुरूप जिस प्रकार का विशाल उनका नाम है, जिस प्रकार का उनका कार्य इस समाज और विशेषकर एससीएसटी और पिछड़े वर्ग के लिए उन्होंने जो काम किया है, उनकी प्रतिष्ठा के अनुरूप यह विश्वविद्यालय काम करेगा. ऐसा विश्वास मैं आपके माध्यम से सभी सदस्यों को दिलाना चाहता हूं इ सी के साथ मैं आग्रह करताहूं कि इस विधेयक को सर्वसम्मति से पारित किया जाय.
सभापति महोदय – प्रश्न यह है कि डॉ भीमराव अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय विधेयक, 2015 (क्र 20 सन् 2015 ) पर विचार किया जाय.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अब विधेयक के खंडों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2 से 46 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2 से 46 इस विधेयक का अंग बना.
प्रश्न यह है कि खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बना.
प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र इस विधेयक का अंग बने.
पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र इस विधेयक का अंग बने.
श्री उमाशंकर गुप्ता – सभापति महोदय मैं प्रस्ताव करता हूं कि कि डॉ भीमराव अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय विधेयक, 2015 (क्र 20 सन् 2015 ) पारित किया जाय.
सभापति महोदय – प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि कि डॉ भीमराव अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय विधेयक, 2015 (क्र 20 सन् 2015 ) पारित किया जाय.
विधेयक सर्वसम्मति से पारित.
मध्यप्रदेश वेट (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2015
वाणिज्यिक कर मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) – सभापति महदोय मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश वेट (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2015 (क्र.21 सन् 2015) पर विचार किया जाय.
सभापति महोदय – प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि -- मध्यप्रदेश वेट (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2015 (क्र.21 सन् 2015) पर विचार किया जाय.
श्री बाला बच्चन (राजपुर )—सभापति महोदय, पेट्रोल,डीजल पर वेट टैक्स में वृद्धि कम की जाय. माननीय मंत्री जी इसको जानते हैं और मैं समझता हूं कि ये मध्यप्रदेश एक ऐसा प्रदेश है जहां पर सर्वाधिक वेट टैक्स के रूप में टैक्स लिया जाता है. माननीय मंत्री जी हमारा पहले से भी यह आग्रह रहा है कि आप पेट्रोल और डीजल पर जो वेट टैक्स लेते हो इसको कम करो. क्योंकि होता क्या है कि अधिक टैक्स लेने के कारण मध्यप्रदेश में जो पेट्रोल और डीजल बिकना चाहिए वह नहीं बिकता है. कहीं राजस्थान से,गुजरात से,महाराष्ट्र से और उत्तर प्रदेश से लोग ज्यादा पेट्रोल और डीजल लेते हैं. इस प्रकार हमें कर के रूप में जो पैसा मिलना चाहिए वह कम हो जाता है. और माननीय मंत्री जी, बजट अनुमान सही नहीं होने और बीच में अध्यादेश लाना, मैं समझता हूं कि यह सरकार की विफलता को दर्शाता है और केन्द्रीय कर अंशों में कमी को राज्य सरकार वेट बढ़ा कर प्रदेश की जनता से कर वसूलती है. आपने धारा 9(क) के माध्यम से सरकार अतिरिक्त कर का उद्गृहण तो करना चाहती है लेकिन ऐसे व्यापारी जो बिना TIN नंबर के व्यापार करत हैं उनको कंट्रेल करने के लिए आप कोई सख्ती कर नहीं पाते हैं. आप उनके खिलाफ कार्यवाही करें ,आप उनको भी कंट्रोल करें. क्योंकि आप धारा 9(क) के माध्यम से अतिरिक्त कर का उद्गृहण तो करना चाहते हैं ,लेकिन ऐसे व्यापारी जो हैं उनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं करते हैं जो बिना टिन (TIN ) नंबर के व्यापार करते हैं. सभापति महोदय, इतना ही नहीं माइनिंग कंपनियों से सेल टैक्स वसूली में भी इनका जो विभाग है उसके अधिकारी असक्षम साबित हो रहे हैं. मंत्री जी ये मेरे सुझाव हैं ,और जब केन्द्र में यू.पी.ए. की सरकार थी तब आपकी पार्टी GST का विरोध करती थी और आज GST का समर्थन कर रही है. तो ऐसा लगता है कि इस प्रदेश की सरकार की प्रदेश के विकास को लेकर कोई दीर्घकालिक नीति नहीं है. उस समय विरोध और अब समर्थन कर रही है. मंत्री जी जब आप बोलें तब मैने जो कहा है उसका भी खुलासा करें. एक बात है कि बजट के तुरन्त बाद हर माह आप कर्ज लेते हो और अब हमारे प्रदेश को आपने लगभग 1-लाख 63- हजार करोड़ के कर्ज में डुबा दिया है. प्रत्येक प्रदेशवासी पर कर्ज आ चुका है. तो माननीय मंत्री जी ऐसा क्यों करना पड़ रहा है, आप जब बोलें तब मेरी इन बातों का भी जवाब दें. आपकी गलत नीति के कारण ईमानदार व्यापारी भी अपने आपको ठगा महसूस कर रहे हैं. इतने ही मेरे सुझाव थे, बाकी बजट में हम बोले हैं और इसके बाद में और बोलेंगे. ,सभापति महोदय, आपने जो मुझे बोलने का समय दिया उसके लिए धन्यवाद.
सभापति महोदय—प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
वित्त मंत्री ( श्री जयन्त मलैया )—सभापति महोदय, प्रदेश के विकास कार्यों के लिए अतिरिक्त राशि जुटाने के लिए मंत्रिमंडल से हमने इसका निर्णय कराया था कि मध्यप्रदेश वेट अधिनियम 2002 में संशोधन किया जाय. परन्तु उस समय विधान सभा चालू नहीं थी. इसलिए हम इसको अध्यादेश के रूप में लेकर आए हैं ,उक्त अध्यादेश में धारा 2(O) में संशोधन में अतिरिक्त कर की ITR भी प्राप्त हो अतः यह संशोधन किया गय़ा था. .इसके अतिरिक्त नवीन धारा 9(क) का ,अतिरिक्त कर का धनारोपण करने के उद्देश्य से यह स्थापित की गई है उक्त प्रावधानों में समावेश इस विधेयक मे् किया गया है . माननीय सभापति जी, हमारे मुख्मंत्री जी चाहते हैं कि व्यापारियों को सुविधा हो. व्यापारियों के लिए जब रजिस्ट्रेशन कराते हैं तो उनको कुछ राशि और शपथ पत्र देना पड़ता है. अब इस विधेयक के द्वारा हम इसको विलोपित कर रहे हैं. इसके साथ साथ हम यह भी करने जा रहे हैं कि जैसा हमने पेट्रोल पर अधिभार लगाया था , ये बहुत से हमारा व्यापारिक संस्थान थे ,बहुत से चेम्बर ऑफ कामर्स थे और कई जो व्यापारिक संगठन थे उन्होंने मांग की थी कि हमें यह बताया जाय कि जो आप अधिभार लगा रहे हैं क्या उसके ऊपर भी वेट रहेगा तो इसमें इसका स्पष्टीकरण है कि ऐसी चीजों पर जो अधिभार होगा, उस पर वेट नहीं लगेगा. जहां तक श्री बाला बच्चन जी ने बात की है. कुछ बातें तो इस विधेयक से संबंधित नहीं है. परंतु इस बात का उत्तर मैं अवश्य देना चाहूंगा कि जब आपकी सरकार यूपीए की सरकार थी और तब हमने जीएसटी का विरोध इसलिए किया था क्योंकि उसमें प्रदेश के हितों का संवर्धन नहीं हो रहा था. जो चीज हम चाहते थे वह नहीं थी और जब सरकार बदली. एनडीए की सरकार आयी तो मध्यप्रदेश और अन्य प्रदेश जो चाह रहे हैं वह अब जीएसटी (GST) में आ गया, अब यूपीए की सरकार विरोध कर रही है. आप सिर्फ विरोध के लिए विरोध कर रहे हैं. चूंकि यह बिल मूल रुप से आपका था. आप लेकर आये थे और आज आपके लोग ही उसका विरोध कर रहे हैं. इससे निश्चित रुप से जो आर्थिक सुधार हमारे देश में होना चाहिए था, इनके कारण विलंब से हो रहा है. सभापति महोदय, मेरा निवेदन है कि इसको पारित कराने की कृपा करें.
सभापति महोदय—प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश वेट (द्वितीय संशोधन)विधेयक,2015 पर विचार किया जाय.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश वेट (द्वितीय संशोधन)विधेयक,2015 पर विचार किया जाय.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अब,विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2 से 5 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2 से 5 इस विधेयक का अंग बने.
प्रश्न यह है कि खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बना.
प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
पूर्ण नाम तथा अधिनियमन विधेयक का अंग बने.
श्री जयंत मलैया—सभापतिजी, मैं, प्रस्ताव करता हूं मध्यप्रदेश वेट (द्वितीय संशोधन)विधेयक,2015 पारित किया जाय.
सभापति महोदय—प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश वेट (द्वितीय संशोधन)विधेयक,2015 पारित किया जाय.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश वेट (द्वितीय संशोधन)विधेयक,2015 पारित किया जाय.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
मध्यप्रदेश वृत्ति कर (संशोधन) विधेयक,2015 (क्रमांक 22 सन् 2015)
श्री जयंत मलैया—सभापति जी, मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश वृत्ति कर (संशोधन) विधेयक, 2015 पर विचार किया जाय.
सभापति महोदय—प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
श्री कमलेश्वर पटेल(सिहावल)—सभापति महोदय, माननीय मंत्रीजी जो वृत्ति कर संशोधन विधेयक लेकर आये हैं उसमें मेरा सबसे बड़ा विरोध कह लीजिए या सरकार को सुझाव कह लीजिए.
सभापति महोदय, कोई इंटरनेट का व्यापारी है. दुकान खोल कर बैठा है. छोटे छोटे व्यापारी हैं. अगर किसी के यहां 10 कर्मचारी से लेकर एक कर्मचारी भी कार्य कर रहा है तो उसको भी साल में ढ़ाई हजार रुपये देना पड़ेगा. मध्यप्रदेश सरकार एक तरफ इन्वेस्टर्स मीट के नाम पर करोड़ों रुपया विदेश जाकर खर्चा कर रही है और जो छोटे छोटे गांव-कस्बों में जो लोग अपना जीवन-यापन कर रहे हैं क्या उन लोगों से इस तरह से वसूली करेंगे. सरकार करोड़ों रुपये के घाटे में चल रही है, कर्जे में चल रही है. सरकार इस तरह से छोटे छोटे उद्यमियों को, जो छोटे-छोटे व्यापार कर रहे हैं वे सारे लोग इसके दायरे में आ जायेंगे. हम समझते हैं यह मध्यप्रदेश के लिए काला दिवस होगा. इस तरह का कानून बनाकर इस तरह से वसूली करके, हम समझते हैं कि सरकार सिर्फ लूटने का काम करेगी. एक तरफ जो गुण्डे-बदमाश हैं, वह इस नाम पर अलग लूटेंगे और जो सरकार के कर्मचारी हैं, बाबू हैं वह भी ब्लेकमेल करेंगे.
सभापति महोदय, आपके माध्यम से माननीय मंत्रीजी से निवेदन करेंगे कि इस पर पुनर्विचार करना चाहिए. और मध्यप्रदेश के जो युवा उद्यमी हैं या छोटे छोटे व्यापारी हैं, जिनके यहां 10 लोगों से कम कर्मचारी कार्य कर रहे हैं, उनके ऊपर इस तरह का भार नहीं डाला जाये.
4.05 बजे (अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुये)
श्री कमलेश्वर पटेल - जिनके यहां 10 लोगों से कम कर्मचारी कार्य कर रहे हैं उनके ऊपर इस तरह का भार नहीं डाला जाये नहीं तो मध्य प्रदेश का जो युवा, बेरोजगार है, किसी तरह से जीवन यापन कर रहा है, एक तरफ सरकार बात करती है युवाओं को रोजगार देने की, मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना से लेकर पता नहीं कितनी सारी बातें हो रही हैं, वहां तो रोजगार लोगों को मिल नहीं पा रहा है, अगर लोग छोटा-मोटा व्यापार अपना कम्प्यूटर सेंटर से लेकर जो भी लोग व्यापार कर रहे हैं, छोटे-छोटे दुकानदार हैं, सारे लोग इसके दायरे में आ जायेंगे, अगर एक व्यक्ति भी दुकान चला रहा होगा, अकेले भी देख रेख कर रहा होगा, मुझे जो जानकारी है माननीय मंत्री जी जब बात करेंगे तो इसका जरूर, क्योंकि इस तरह का पूरे प्रदेश में युवाओं के बीच में, छोटे-छोटे व्यापारियों के बीच में इस तरह की कुशंका है, तो इस बात को माननीय मंत्री जी जरूर स्पष्ट करेंगे कि इस तरह के जो छोटे व्यापारी लोग है जिनके यहां 10 लोगों से कम कर्मचारी हैं, उनके यहां किसी भी प्रकार का साल में 2500 रूपये या 1200 रूपये जो भी आप वृत्तिकर लगाने जा रहे हैं, आप नहीं लगायेंगे, आपके माध्यम से हमने वृत्ति कर में अपनी बात रखी है. धन्यवाद.
श्री शैलेन्द्र पटेल (इछावर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्य प्रदेश सरकार के वाणिज्य कर मंत्री आदरणीय जयंत मलैया जी द्वारा वृत्तिकर संशोधन विधेयक 2015 लाया गया है. वृत्तिकर जिसे हम प्रोफेशनल टैक्स के रूप में समझते हैं और प्रोफेशनल लोग वह है समाज के व्यक्ति जो कोई व्यक्ति हों हिन्दू अनडिवाइडेड फेमली का मेंबर हो, फर्म हो, कंपनी हो और यह लोग कहीं न कहीं व्यापार कर रहे हों और इनसे जो टैक्स लिया जायेगा वह नगर की आबादी के मान से और उनके नीचे कितने लोग काम कर रहे हैं उसके मान से टैक्स वसूला जायेगा. बहुत से ऐसे नगर या छोटी जगह हैं जिनकी आबादी तो उस मान में आ जाती है, लेकिन वहां उतना बिजनिस नहीं हो पाता, तो जो टैक्स होना चाहिये बिजनिस के हिसाब से होना चाहिये, न कि नगर की आबादी के हिसाब से होना चाहिये, क्योंकि नगर की आबादी कहीं भी यह नहीं कहती है कि उस नगर में अगर इतनी आबादी है तो वहां पर इतना बिजनिस होगा. इस टैक्स के आने से निश्चित रूप से ऐसे नगर में जो सेवायें देना चाहते हैं, या कार्य करना चाहते हैं, कहीं न कहीं उनकी रोकथाम होगी और ऐसे क्षेत्र जो पीछे हैं जिनकी आबादी तो है, लेकिन पिछड़े हैं वहां पर ऐसे लोग नहीं पहुंच पायेंगे, ऐसी मेरी आशंका है.
दूसरी बात यह है कि प्रोफेशनल लोग अपनी मेहनत से अपना रोजगार कमाते हैं और साथ में कुछ लोगों को रोजगार भी देते हैं. मध्य प्रदेश की आज भी जो सबसे बडी़ ज्वलंत समस्या है वह बेरोजगारी की है और जो लोग अपने नीचे 5-10 लोगों को रोजगार दे रहे हैं, उनको प्रोत्साहन मिलना चाहिये, न कि उनके उपर टैक्स लगाना चाहिये, क्योंकि रोजगार देना सबसे बड़ा धर्म का काम है, हम किसी के घर में रोजी रोटी देंगे तो उससे बड़ा कोई धर्म का काम नहीं होगा और प्रदेश के विकास में जो रोजगार से फायदा होगा वह निश्चित रूप से बहुत बड़ा होगा.
दूसरा खंड 15 में मध्य प्रदेश साहूकारी अधिनियम 1934 के अधीन रजिस्ट्रेशन का दिया गया है और उसमें कहा गया है कि जिस जगह की आबादी के हिसाब से उसमें टैक्स का दिया है कि इतनी आबादी होगी तो इतना टैक्स लगेगा. नगर पालिका और नगर पंचायतों में तो साहूकारों का रजिस्ट्रेशन हो जाता है, लेकिन जो गांव में रहते हैं, जो साहूकारी करना चाहते हैं उनका रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाता. रजिस्ट्रेशन नहीं होने से एक तो लीगल समस्या आती है, साहूकारों के ऊपर अंकुश नहीं हो पाता क्योंकि एक मेरी विधानसभा क्षेत्र अम्लाहा के बलवान सिंह मुझे 4 महीने पहले आकर मिले थे और अपना रजिस्ट्रेशन करवाना चाहते थे, वह नगर पंचायत में भी गये, वहां से नकार दिया गया कि आप हमारी नगर पंचायत क्षेत्र में नहीं रहते हैं, वह एसडीएम कार्यालय भी गये वहां पर भी उन्हें नकार दिया गया, तो यह भी व्यवस्था करें कि जो नगर पंचायत के अलावा जो छोटे-छोटे गांव में रहते हैं और जो साहूकारी करना चाहते हैं और लीगल रूप में करना चाहते हैं, उनके रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था कहां पर हो, या तो एसडीएम उनको रजिस्ट्रेशन दें या नगर पंचायत संबंधित क्षेत्र की उनको रजिस्ट्रेशन दे, ऐसी व्यवस्था आना चाहिये और मैं तो यही कहूंगा कि वैसे ही प्रदेश की आर्थिक स्थिति उतनी ठीक नहीं है, लेकिन जो छोटे-मोटे रोजगार दे रहे हैं, जिनके नीचे छोटे कर्मचारी हैं उनको इस प्रोफेशनल टैक्स से छोड़ा जाये, माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का मौका दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री बाला बच्चन (राजपुर) – माननीय अध्यक्ष महोदय, 2003 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी का यह वादा था कि जैसे ही हमारी सरकार बनेगी आहिस्ता-आहिस्ता हम वृत्तिकर को समाप्त कर देंगे . यह वृत्तिकर समाप्त तो नहीं हुआ बल्कि यह कर वहां तक पहुंच चुका है जहां 25 हजार तक की जनसंख्या वाला कोई कस्बा है या गांव है ,वहां तक आपका यह कर पहुंच गया है. मैं समझता हूं कि इस सरकार की इन्सपेक्टर राज की यह वापसी है. सरकार निवेश करने के दावे करती है कि हमने बहुत निवेश कर दिया है तो कहीं न कहीं इस सरकार की विफलता भी वृत्तिकर लेने में दर्शित होती है. अध्यक्ष महोदय, प्रश्न यह है कि जब मध्यप्रदेश में इतना निवेश हो रहा है तो मध्यप्रदेश की जनता के हरेक वर्ग से वृत्तिकर क्यों वसूला जा रहा है ? महिला ब्यूटीपार्लर चलाकर के अपने परिवार का भरण पोषण करती है, उनसे भी वृत्तिकर के रूप में आप कर ले रहे हैं. युवाओं के पास में रोजगार नहीं है, वे पहले ही बेरोजगार हैं, और कहीं अगर वह इन्टरनेट कैफे या इन्फारमेशन कियोस्क चलाकर परिवार का पालन पोषण करते हैं तो उनसे भी वृत्तिकर के रूप में आप कर वसूल रहे हैं. कोई जिम चला रहा है तो उनसे भी आप कर ले रहे हैं. आपने ड्रायक्लीनर्स वालों तक को कर लेने से नहीं छोड़ा. उसके अलावा नर्सिंग होम, पैथालाजी, एक्स-रे क्लीनिक, पर भी वृत्तिकर लगाया है. यह गरीब जनता से ही कर वसूला जा रहा है. अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी वृत्तिकर संशोधन विधेयक लाये हैं. अभी आपने 6000 करोड़ रूपये का बजट यहां से पास कराया है तो आप किस रूप में मध्यप्रदेश की जनता को रिलीफ देना चाहते हैं ? यदि आप दे सकते हैं तो दें. वेट टैक्स पर भी मैंने कहा है कि पेट्रोल और डीजल पर आपने इतना टैक्स लगा दिया जो कि पूरे देश में सर्वाधिक है. अभी मैंने आपको वृत्तिकर के बारे में भी सुझाव दिये हैं . मेरा सरकार से आग्रह है कि कुछ तो रिलीफ आप मध्यप्रदेश की जनता को दें. आपने मुझे समय दिया इसके लिये धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय—प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश वृत्ति कर (संशोधन) विधेयक, 2015 पर विचार किया जाये.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2 तथा 3 इस विधेयक का अंग बनें.
खण्ड 2 तथा 3 इस विधेयक का अंग बने.
प्रश्न यह है कि खण्ड एक इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड एक इस विधेयक का अंग बना.
प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र इस विधेयक का अंग बने.
पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
श्री जयंत मलैया – माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश वृत्ति कर (संशोधन) विधेयक, 2015 पारित किया जाये.
अध्यक्ष महोदय—प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश वृत्ति कर (संशोधन) विधेयक, 2015 पारित किया जाये.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश वृत्ति कर (संशोधन) विधेयक, 2015 पारित किया जाये.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
भारतीय स्टाम्प (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2015 (क्रमांक 24 सन्,2015)
वित्त मंत्री (श्री जयंत मलैया ) – माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि भारतीय स्टाम्प (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2015 पर विचार किया जाये.
अध्यक्ष महोदय—प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि भारतीय स्टाम्प (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2015 पर विचार किया जाये.
डॉ.गोविंद सिंह(लहार)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, वैसे तो मैंने भारतीय स्टाम्प (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2015 को देखा है. मैं पिछले कई वर्षों से इस बात को देख रहा हूं कि स्टाम्प शुल्क में यह सरकार लगातार बढ़ाती हुई चली जा रही है.
मंत्री, संसदीय कार्य(डॉ.नरोत्तम मिश्र)—अध्यक्ष महोदय, डॉक्टर साहब कह रहे हैं कि वैसे तो मैंने अभी देखा है इसको सच बताओ....
डॉ. गोविंद सिंह – सच्चाई यह है कि मैंने अभी भी इसको नहीं देखा है. (हंसी) अध्यक्ष जी ने बैठा दिया था इसलिये मैं इसको देख ही नहीं पाया.
डॉ. नरोत्तम मिश्र – अध्यक्ष महोदय, कई विषयों पर तो यह बिना देखे ही बोल जाते हैं.
डॉ.गोविंद सिंह – इस पर भी बोल रहे हैं.
मंत्री, पंचायत(श्री गोपाल भार्गव) – नरोत्तम जी अपनी कल की बात को याद करवा रहे हो.
डॉ. गोविंद सिंह—माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय वित्त मंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हूं कि लगातार स्टाम्प शुल्क में आप वृद्धि करते जा रहे हैं. पिछले 12 वर्षों में आपने इसमें 100 गुना से ज्यादा वृद्धि कर दी है. अध्यक्ष महोदय, प्रदेश में कानून और व्यवस्था की स्थिति लगातार बिगड़ रही है जिसके कारण से कई लोग अपने हथियार से अपनी सुरक्षा करते हैं. आपने बजट में भी और इस विधेयक के माध्यम से भी यह करने जा रहे हैं कि यदि कोई नया शस्त्र का लाईसेंस बनवायेगा तो 5000 कर के रूप में उनसे वसूल करेंगे और साधारण 12 बोर रायफल है, तो 2 हजार और जो भरमार बंदूक है, उस पर भी 2 हजार रुपये का है और नवीनीकरण एक हजार रुपये है. यह बहुत अधिक है. वास्तव में कुछ लोगों ने सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालय, जबलपुर में भी इसकी अपील की थी और वहां से यह तय हुआ था कि जो भारत सरकार का शस्त्र अधिनियम है, उसमें जो भारत सरकार नीति निर्धारित करती है, उससे अलग आप हटकर नहीं कर पायेंगे. अलग से टैक्स नहीं लगा पायेंगे और उसके बाद यह वापस हुआ था और अब आपने पुनः शस्त्र, रिवाल्वर और अन्य शस्त्रों पर टैक्स लगाया है. हमारा आपसे अनुरोध है कि माननीय उच्च न्यायालय का जो निर्णय है, उसका अध्ययन करते हुए अगर वास्तव में ठीक है, तो अध्ययन करके तभी लागू करें. अगर सरकार की आर्थिक स्थिति बहुत जर्जर हो चुकी है, वेतन भत्तों को बांटने में परेशानी आ रही है, तो कृपा कर आप उसमें जितनी क्षमता हो, उसके अनुरुप आप टैक्स बढ़ायें.
श्री शंकरलाल तिवारी – अध्यक्ष महोदय, वेतन बांटने में परेशानी हो रही है. सरकार की आर्थिक स्थिति जर्जर है. यह क्या आप 2003 के पहले का बता रहे हैं क्या.
डॉ. गोविन्द सिंह – पंडित जी, यह आप क्या जानों. आप कथा बाचों. (हंसी).. पंडित जी, आप शस्त्र के बारे में क्या समझें. पंडित जी का शस्त्रों से क्या संबंध.
श्री उमाशंकर गुप्ता – गोविन्द सिंह जी, वह पूछ रहे हैं कि लहार में करायेंगे क्या.
डॉ. गोविन्द सिंह – अध्यक्ष महोदय, वास्तव में शस्त्र जो हैं, बहादुर लोगों के लिये हैं. आज रिवाल्वर, रायफल के लायसेंस से रोजगार मिल रहा है. मुख्यमंत्री जी, हमारा 10 साल का शासन का कार्यकाल था, मैंने करीब 3 हजार के आस पास लायसेंस दिलवाये. उनमें से, जो बिना डण्डे वाले सुरक्षा गार्ड हैं गुजरात में, सूरत में काम कर रहे हैं. जो बिना डंडा वाले हैं, उनको 6-7 हजार मिल रहे हैं. जो रायफल वाले हैं, जिनको रायफल के लायसेंस हैं, उनको 14 से 16 हजार रुपये तक तनख्वाह मिल रही है. अब शस्त्र अपनी एक आत्म रक्षा के अलावा शस्त्रों से रोजगार भी मिल रहा है. उनसे उनका परिवार पल रहा है. इसलिये हमारी आपसे विनम्र प्रार्थना है कि वैसे ही पहले से अधिक फीस है. एक तो आप पहले 5 हजार रुपये ले लेंगे, फिर हर तीन साल दो हजार लेंगे. तो यह उचित नहीं है. पहले तो आप जो मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय का निर्णय है, उसका अध्ययन कर लें, उसके बाद ही..
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, शस्त्र जान माल की रक्षा के लिये होते हैं, जब माल ही नहीं है, तो काहे के लिये शस्त्र ले रहे हैं.
डॉ. गोविन्द सिंह – जान माल की सुरक्षा के अलावा रोजगार का वह जरिया है और जिनको अपराध करना है, वह अपराध तो कहीं न कहीं से करते ही हैं. कहीं न कहीं से हथगोला लाते है और अपराध करते हैं. इसलिये हमारी आपसे प्रार्थना है कि जब आप इसको लागू करने के लिये नियम बनायें, यह विधेयक पारित तो हो ही जायेगा, लेकिन नियम में आप कुछ संशोधन करें और शस्त्रों को कम से कम इससे मुक्त करें.
उप नेता प्रतिपक्ष (श्री बाला बच्चन) -- अध्यक्ष महोदय, सरकार ने बिना तैयारी के ई-रजिस्ट्री व्यवस्था लागू कर दी है. मैं समझता हूं कि यह जल्दबाजी में लाया गया निर्णय है. इससे रजिस्ट्री का पूरा सिस्टम ही गड़बड़ा गया है और सरकार के साफ्टवेयर में कालोनियों की बराबर जानकारी नहीं है, इस कार्ण से वहां की कालोनियों की राजस्ट्री भी नहीं हो रही है. मंत्री जी, मैं आपको बताना चाहता हूं कि ऐसे अकेले इन्दौर शहर में 86 कालोनियां हैं, जो सरकार के साफ्टवेयर में बराबर जानकारी नहीं होने के कारण रजिस्ट्री कराने में वहां के लोगों को दिक्कतें आती हैं और अब सरकार यह कह रही है कि हम यह व्यवस्था सम्भालने के लिये विप्रो कम्पनी को देंगे. मंत्री जी, यह जो ई-रजिस्ट्री वाला सिस्टम शुरु किया है इसको सिस्टमाइज करें. इसमें जो दिक्कतें आ रही हैं, वह मैं बताना चाह रहा हूं. साफ्टवेयर की गड़बड़ी के कारण मध्यप्रदेश में हजारों लोग इस दिक्कत से गुजर रहे हैं. अभी जो मेरे राजपुर विधान सभा क्षेत्र के राजपुर में जो दिक्कतें आ रही हैं, हमने जो दिक्कत फेस की है, वह आपके समक्ष रख रहा हूं. मुख्यमंत्री जी भी यहां बैठे हैं, वे भी हमारी बात को सुन रहे हैं कि ई सम्पदा में वेंडर का पैसा कई बार कट जाता है और कई दिन बाद 10 प्रतिशत कटकर रिफण्ड होता है. वेंडर्स में भी इस बात को लेकर असंतोष है. दूसरा, कई दस्तावेजों में फोटो क्लीयर नहीं आ रहे हैं. इससे भी दिक्कत होती है और सर्वर डाउन होने के कारण भी दिक्कतें आ रही हैं. रजिस्ट्री के इस नए सिस्टम के कारण, आए दिन प्रदेश के लोग जिनको रजिस्ट्री कराना है, इससे संबंधित जो उनके काम होते हैं,वह उनका काम भी प्रभावित हो रहा है । एक ओर सिंगापुर से पेपर 9 रूपये में आ रहा है, पहले स्टाम्प कम में छपता था, अब ज्यादा पैसे लग रहे हैं, माननीय मंत्री जी, आप इस पर विचार करें । माननीय अध्यक्ष महोदय, केवल मध्यप्रदेश ही एक ऐसा राज्य है, जहां ई-संपदा स्टाम्प अनिवार्य है, जबकि शेष राज्यों में इस तरह के स्टाम्प चलन में नहीं है, जनप्रतिनिधि होने के कारण आए दिन अपने अपने क्षेत्र में और जिलों में जब हम लोग जाते हैं और हमारा इन लोगों से संपर्क होता है तो लोग हमें इस बात को बताते हैं । वेन्डर से लेकर रजिस्ट्री कराने वाले व्यक्ति परेशान हो रहे हैं, इसका सरलीकरण किया जाए, यही मेरे सुझाव हैं और मैं समझता हूँ कि माननीय मंत्री जी, इसमें सरलीकरण करेंगे ।
श्री ओंकार सिंह मरकाम(डिण्डोरी)- माननीय अध्यक्ष महोदय जी, माननीय मंत्री स्टाम्प ड्यूटी में वृद्वि कर रहे हैं, माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहूँगा कि डिण्डोरी शहर में, वहां पर कृषि करने वाली 70 प्रतिशत की आबादी है और हमारा जिला बहुत छोटा है, जो कृषि भूमि की रजिस्ट्री होती है, उसमें कृषक अगर एक दूसरे से रजिस्ट्री करातें हैं, उसमें शहरी मूल्य से स्टाम्प ड्यूटी लग जाती है और 10 डिसमल जमीन का वही शुल्क लगता है, जो बाजार मूल्य से लगता है, जिसके कारण कृषक अत्यधिक परेशान हो जाते हैं और यह जो दर आप बढ़ा रहे हैं उससे उन कृषकों को बहुत ज्यादा दिक्कत होगी । मेरा निवेदन है कि कृषि योग्य जो जमीन है, अगर कोई एक एकड़ जमीन खरीदतें हैं तो आपकी मिनिमम राशि स्टाम्प ड्यूटी में लगती है, माननीय मुख्यमंत्री जी, आपसे भी मेरा अनुरोध है कि किसान जो जमीन कृषि के लिए लेते हैं, उसमें उनका जो बाजार मूल्य है, उससे न जोड़ा जाए, उनको उससे अलग किया जाए, दूसरा माननीय महोदय जी जो ए.ए.वाय. के गरीब लोग हैं, जिनके बच्चे बाहर काम करने के लिए जाते हैं, 10 या 20 हजार कमा कर आते हैं और थोड़ी बहुत जमीन वह लेते हैं, ऐसे निर्धन गरीब लोगों की रजिस्ट्री में स्टाम्प ड्यूटी में अलग आप छूट देते हैं तो मैं समझता हूँ कि जो भूमिहीन गरीब लोग हैं जो बाहर जाकर के दो पैसा कमाकर के आते हैं, उनको जमीन खरीद कर के अपनी स्वयं की जमीन बनाने में बड़ी मदद मिलेगी, इसके लिए आप स्टाम्प ड्यूटी में जो गरीब लोग हैं, जो अति निर्धन लोग हैं, जिनको शासन की तरफ से ए.ए.वाय. कार्ड दिया हुआ है, जो बी.पी.एल. श्रेणी में हैं, माननीय मंत्री जी, जो बी.पी.एल.श्रेणी के गरीब लोग अगर जमीन क्रय करते हैं तो उनको स्टाम्प ड्यूटी में भी छूट दिलाने के लिए अगर आप देंखेगे और आप इसमें जो राशि बढ़ा रहे हैं, मेरा निवेदन है कि जो बी.पी.एल. श्रेणी के गरीब लोग हैं, ए.ए.वाय. श्रेणी के गरीब लोग हैं, उनको पूरी तरह से अगर आप स्टाम्प ड्यूटी में मदद करेंगे, तो उन हजारों परिवार के गरीब भूमिहीनों को, जमीन क्रय करने में सरकार की तरफ से मदद होगी, मेरा माननीय मंत्री जी से मेरा निवेदन है ।
माननीय अध्यक्ष महोदय, जी,माननीय मंत्री जी जब चाहे जब कोई न कोई गणित चलाते रहते हैं, इसलिए हम चाहते हैं कि कोई ऐसी गणित चला दें जिससे गरीबों को मदद मिल जाए । आप तो 1 लाख 65 हजार करोड़ में कर्जा पहुंचा ही चुके हैं तो थोड़ा बहुत गरीबों पर भी कृपा हो जाए यह मेरा निवेदन है ।
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न यह है कि भारतीय स्टाम्प मध्यप्रदेश संशोधन विधेयक 2013 पर विचार किया जाए ,जो प्रस्ताव के पक्ष में हो, कृपया हां कहें, जो प्रस्ताव के विपक्ष में हो, कृपया न कहें, हां की जीत हुई, हां की जीत हुई।
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ ।
वित्त मंत्री(श्री जयंत मलैया)- अध्यक्ष महोदय, इस विधेयक पर हमारे आदरणीय डॉ.गोविन्द सिंह जी ने कुछ बातें उठाई हैं, बाला बच्चन जी ने उठाई हैं,ओंकार सिंह मरकाम जी ने उठाई हैं, मैं सोचता हूँ कि मुझे इनका उत्तर देना चाहिए । जहां तक निजी शस्त्रों की बात है, जिसके बारे में आपने हाईकोर्ट या सुप्रीमकोर्ट के निर्णय की बात की है यह मामला स्टाम्प ड्यूटी से संबंध नहीं रखता है यह आर्म्स एक्ट के लायसेंस की बात है, जिसके ऊपर सुप्रीमकोर्ट ने कहा था, अध्यक्ष महोदय, हमारा देश में इतनी निरंकुशता से आर्म्स नहीं देना चाहिए । हमने देखा है कि अमेरिका में क्या हुआ, जब खुलेआम लोगों को बिना लायसेंस के रिवाल्वर और 12 बोर रखने का मौका मिल गया । तो जा-जा कर के एक एक स्कूल में जाकर के बच्चों की हत्याएं कीं, 357 स्कूलों में हत्याएं हुई थीं तो इसमें कहीं न कहीं पर तो रोक होना चाहिये आदरणीय बाला बच्चन जी ने भी अपने सुझाव दिये. पहली बात तो मैं बता दूं कि ई रजिस्ट्रेशन के मामले में हमारा प्रदेश देश में अव्वल नंबर पर है, हमने इसकी शुरूआत की है. जब भी कोई टेक्निकल चीज लेकर के आते हैं उसमें शुरू शुरू में कुछ दिक्कतें होती हैं लगभग पिछले पांच माहों में हमने 1 लाख 98 हजार से ऊपर रजिस्ट्रियां की हैं, परन्तु उसमें मात्र डेढ़ प्रतिशत से कम में भी यह दिक्कतें आयी हैं तो इसको हम धीरे-धीरे जैसा कि बाला-बच्चन जी ने भी कहा इसको इम्प्रूव करते जा रहे हैं और हम कोशिश करेंगे कि शीघ्र ही हमारा यह सिस्टम जो है फूलप्रूव हो जाए. मैं यह निवेदन करना चाहूंगा कि भारतीय स्टाम्प मध्यप्रदेश संशोधन विधेयक है पारित करने की कृपा करें.
अध्यक्ष महोदय—अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2 तथा 3 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2 तथा 3 इस विधेयक का अंग बने.
प्रश्न यह है कि खण्ड 1 विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1 विधेयक का अंग बना.
प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
वित्तमंत्री (श्री जयंत मलैया)—माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि भारतीय स्टाम्प (मध्यप्रदेश संशोधन) 2015 विधेयक पारित करने की कृपा करें.
अध्यक्ष महोदय—प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि भारतीय स्टाम्प (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक 2015 पारित किया जाए.
प्रश्न यह है कि भारतीय स्टाम्प (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक 2015 पारित किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ
विधेयक पारित हुआ
मध्यप्रदेश राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन (संशोधन) विधेयक 2015
वित्तमंत्री (श्री जयंत मलैया)—अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन (संशोधन) विधेयक 2015 पर विचार किया जाए.
अध्यक्ष महोदय—प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन (संशोधन) विधेयक 2015 पर विचार किया जाए.
श्री बाला बच्चन—माननीय अध्यक्ष महोदय, सरकार इस संशोधन विधेयक को क्यों लेकर के आयी है माननीय वित्त मंत्री जी इस बात को समझ रहे हैं कि सरकार बाजार से जो कर्ज लेती है उसकी अधिकतम सीमा 3 प्रतिशत थी उस सीमा के अंतर्गत पूरा कर्ज ले चुकी है तथा उसका उपयोग भी कर चुकी है. अब उसको बढ़ाकर के 3.5 करना चाहती है तो कहीं न कहीं मध्यप्रदेश सरकार का वित्तीय प्रबंधन पूरी तरह से फेल हो चुका है, यह संशोधन विधेयक सरकार को बीच में इसलिये लाना पड़ा है कि ऐसे ही माननीय वित्तमंत्री जी ने अभी अभी 6 हजार करोड़ रूपये का बजट पास करवाया है उसके बाद यह चार संशोधन विधेयक इसके सहित आज चौथा संशोधन विधेयक है सब पर हम लोगों ने हमारे माननीय सदस्यों ने जो सुझाव दिये हैं माननीय मुख्यमंत्री जी भी यहां पर मौजूद हैं हम यह चाहते हैं कि आप दो बड़े ही महकमे के मंत्री हैं आप सिंचाई तथा वित्तमंत्री भी हैं आपको अलग से कहीं फुलफ्लेश वित्तमंत्री बनाना पड़ेगा, क्योंकि दो बड़े विभाग हो जाते हैं और उनको देखने के लिये जितना समय एवं जितनी बारीकी से जो देखा जाना चाहिये अपने विभाग की योजनाओं को और काम को रिव्यू करना चाहिये उतना काम मुझे नहीं लगता है, क्योंकि जिस तरह से जवाब सिंचाई के रूप में कल जो मिले हैं उसके हिसाब से ऐसा मध्यप्रदेश की जनता ऐसा फील करती है कि कहीं न कहीं यह दो बड़े महकमे हैं और जिस हिसाब से उसका उत्तरदायित्व उनको निभाना चाहिये वह उत्तरदायित्व के रूप में माननीय सदस्यों के पास आने वाले जवाबों से पता चलता है तथा जवाब भी मिल नहीं पाते हैं, जो महकमा है उसको बहका देता है और पूरी जानकारी से माननीय सदस्यगण अवगत नहीं हो पाते हैं उसके कारण माननीय मंत्रियों की पकड़ ही नहीं बन पाती है माननीय मुख्यमंत्री जी यहां पर बैठे हैं मैंने बताया है कि यह चौथा विधेयक है और यह जो आखिरी वाला संशोधन विधेयक है इसलिये लाया गया है कि जो कर्ज लेने की जो प्रतिशत की जो सीमा होना चाहिये अधिकतम 3 प्रतिशत आप उस सीमा का उपयोग कर चुके हैं और आप उसको 3.5 प्रतिशत बढ़ाना चाहते हैं. उसको बढ़ाना चाहते हैं इसीलिये यह लाये हैं. माननीय मुख्यमंत्री जी और वित्त मंत्री जी हमारे विधायक साथियों ने मैं समझता हूं चाहे वह संशोधन विधेयक हो सब पर काफी सुझाव दिये हैं.
श्री गोपाल भार्गव – अरे वह तो कामन सेंस की बात है जब किसानों को 8 हजार करोड़ रुपये देंगे. सड़कों के लिये,बिजली के लिये, पैसा चाहिये तो वह तो होगा ही. यह तो सामान्य ज्ञान की बात है.
श्री बाला बच्चन – माननीय मंत्री जी, इसके अलावा बड़ी सरकार भी तो है. यह तो राज्य सरकार है. केन्द्र की सरकार,वहां के प्रधानमंत्री जिनके पास राहत कोष होता है वह क्यों नहीं मिल रहा है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा यह सुझाव मैंने रखा है. मानना न मानना सरकार का काम है धन्यवाद.
श्री जयंत मलैया – माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे इस पर बोलना तो कुछ था नहीं परंतु बाला बच्चन जी ने कुछ बातें कहीं हैं. मैं समझता हूं कि मुझे उसका जवाब देना चाहिये. पहली बात तो यह है कि अगर आप 2003-04 से तुलना करें जब इनकी सरकार थी तो जो हमको कर्ज बढ़ाने का मिल रहा है यह इस आधार पर मिल रहा है क्योंकि हमारे राजस्व की जो प्राप्तियां हैं उसके ऊपर हमारा ब्याज दस प्रतिशत से कम होना चाहिये. मुझे यह बताते हुए प्रसन्नता है कि राजस्व की वसूली के ऊपर हमारा ब्याज आठ प्रतिशत से भी कम है और आपके जमाने में कितना था. आपको पता है या मैं बताऊं. आपके जमाने में यह था 22.44 प्रतिशत और आज एफआरबीएम एक्ट जिसको हम तीन प्रतिशत कर रहे हैं. आपके समय में यह था 7.12 प्रतिशत. आपको मैं यह भी बताना चाहता हूं उस समय आपकी जीएसडीपी की ग्रोथ का रेट क्या था आज क्या है. मैं यहां निवेदन करना चाहता हूं पिछले तीन वर्षों से हमारा लगातार राज्य घरेलू सकल उत्पाद बढ़ रहा है और यह बताते हुए प्रसन्नता है कि पिछले वर्ष यह डबल डिजिट में आ गया. अब हम चाहते हैं कि हमारी जीएसडीपी की ग्रोथ है वह ग्रोथ उसी प्रकार से रहे उसके लिये हमें पूंजीगत निवेस करना होगा. हम सड़कों पर खर्च करेंगे. हम बिजली पर खर्च करेंगे. हम सिंचाई पर खर्च करेंगे. हम शाला भवन बनाएंगे. महाविद्यालय के भवन बनाएंगे. अस्पताल बनाएंगे. इन खर्चों के लिये हम राशि ले रहे हैं. आप जानकारी इकट्ठी कर लिया करिये फिर बोला करिये. अभी हम जो एफआरबीएम एक्ट के तहत जितना कर्ज ले सकते हैं अभी पांच महिने शेष हैं और जितनी राशि हम ले सकते हैं उसमें से हमने आधी से थोड़ी ज्यादा ही ली है तो ऐसी कोई दिक्कत नहीं है. आप रोज-रोज ओव्हरड्राफ्ट होते थे. हर महिने में ओव्हरड्राफ्ट होते थे. आप देख लो कि बारह सालों में एक बार भी हमारी सरकार ओव्हरड्राफ्ट में गई हो. अपना रिकार्ड निकालकर देखो कि आपने अपने समय में क्या कर्म किये हैं और आज हम कैसे कर रहे हैं. वेतन नहीं देते थे.
श्री कमलेश्वर पटेल – आंकड़े तो बहुत बढ़िया हो गये परंतु किसान और गरीब बहुत परेशान हैं उसकी व्यवस्था कीजिये.
श्री जयंत मलैया – यह भी आप देख लीजिये कि किसानों को इनके समय में क्या राहत दी जाती थी और भारतीय जनता पार्टी की सरकार में क्या राहत दी जा रही है. अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि यह जो हमने मध्यप्रदेश राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन(संशोधन)विधेयक,2015 रखा है उसे पारित करने की कृपा करें.
अध्यक्ष महोदय – प्रश्न यह है कि - मध्यप्रदेश राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन(संशोधन)विधेयक,2015(क्रमांक 24 सन्2015) पर विचार किया जाय.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2 इस विधेयक का अंग बना.
प्रश्न यह है कि खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बना.
प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र इस विधेयक का अंग बने.
पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र इस विधेयक का अंग बने.
श्री बाला बच्चन - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने यह नहीं बोला कि दस सालों में दस गुना कर्ज लिया है. 1 लाख 63 हजार करोड़ रुपये कर्ज हुआ. आपने कांग्रेस की बातें तो बता दीं. यह क्यों नहीं बताया. मैंने यह बात रखी थी.
श्री जयंत मलैया – अध्यक्ष महोदय, जब बजट 2016-17 पर चर्चा करेंगे तो मैं एक-एक बात का आपको उत्तर दूंगा.
अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि - मध्यप्रदेश राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन(संशोधन)विधेयक,2015(क्रमांक 24 सन्2015) पारित किया जाय.
अध्यक्ष महोदय – प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि - मध्यप्रदेश राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन(संशोधन)विधेयक,2015(क्रमांक 24 सन्2015) पारित किया जाय.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
प्रतिवेदनों पर चर्चा
मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग के प्रतिवेदन (वित्तीय वर्ष 2013-14) पर चर्चा का पुनग्रहण
श्री शैलेन्द्र पटेल(इछावर):- माननीय अध्यक्ष्ा महोदय, विद्युत नियामक आयोग के प्रतिवेदन पर चर्चा हो रही है. जहां तक मैं समझता हूं कि जो उपभोक्ता हैं उनको सुविधा देने के लिये की गयी थी. वह जो सुविधाएं उपभोक्ता चाहता है, वह सुविधाएं इस प्रकार है कि उनको सस्ती बिजली मिले और प्रापर वोल्टेज की बिजली उनको मिले. दूसरी समय पर बिजली मिले क्योंकि हम किसान हैं हमें रात में बिजली मिलती है और रात में बिजली मिलने के और रात में बिजली मिलने के कारण पानी भी बर्बाद होता है और बिजली का सदुपयोग नहीं हो पाता है. जब हम कृषि की बात करते हैं तो यह बिजली जब रात को किसानों को मिलती है तो यह बिजली कम से कम दिन में मिले ताकि किसानों को उसका फायदा मिले और पानी का बेहतर इस्तेमाल हो सके. तीसरा उपभोक्ता का संरक्षण, क्योंकि नियामक आयोग उपभोक्ताओं के लिये बना था. एक बात और देखने में आ रही है कि बहुत सारे कैसेस किसानों के ऊपर बना दिये गये हैं, बिजली के झूठे प्रकरण बन रहे हैं, इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. उपभोक्ताओं को सुविधा प्राप्त हो, अभी हाल ही में बिजली विभाग के द्वारा एक आदेशजारी किया गया है. उसका मैं सदन के माध्यम से यहां पर माननीय मुख्यमंत्री जी भी मौजूद हैं, उनका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं कि जो लाईन मेन गांवों में काम करते थे उनका ट्रांसफर दूसरी डीबीसी में कर दिया गया है. लगभग 60 से 70 किलोमीटर की दूरी पर. जब गांव का व्यक्ति गांव में ही लाईन मेन का काम करता था तो रात को अगर बिजली फाल्ट होती थी तो रात को ही सुधार देता था. जब उसका ट्रांसफर हो गया तो वह अपने गांव चला जाता है. जब कोई लाईट का फाल्ट होता है तो वह अगले दिन सुबह तक सुधरती नहीं है.
अध्यक्ष महोदय, इस आदेश को वापस लेना चाहिये. ताकि गांव के लोगों को उसकी सुविधा मिल सके. मुझे जहां तक लगता है विद्युत नियामक आयोग पर जो जनता है उसका विश्वास नहीं हो पाया है. एक और जो विद्युत नियामक आयोग ने लक्ष्य रखा था कि कितने लाईन लॉसेस कम हो लेकिन उसमें भी अभी लगभग 20 प्रतिशत हम पूरी कम्पनियों का देखें वह रखा है. अभी लाईन लॉस पर कंट्रोल नहीं हुआ है. लाईन लास पर अगर कंट्रोल होगा तो जो भार उपभोक्ताओं पर पड़ता था उसके भार की कमी आयेगी. उपभोक्ताओं का संरक्षण होगा. प्रचलित दर के अलावा बहुत सारे सरचार्जेस लगा दिये जाते थे. कोई आंकलित खपत के नाम पर, कभी विद्युत प्रभार के नाम पर और न जाने कौन कौन से नाम जो डिक्शनरी में वह शब्द आते हैं, वह उपभोक्ता को समझ में नहीं आता है और जब बिल आता है तो वह सबको हटाकर एक ही मात्रा में बिल लेना चाहिये ताकि उसे समझ में आये कि किस चीज का पैसा देना चाहिये. मीटर रिडींग का कोई मतलब नहीं है, क्योंकि गांव में एवरेज बिल आ रहे हैं और एवरेज बिल आने के कारण उपभोक्ताओं पर काफी भार पड़ रहा है. काफी मीटर खराब पड़े हैं उन मीटरों का कोई उपयोग भी नहीं है. यह विद्युत नियामक आयोग को देखना चाहिये कि गांव में प्रापर तरीके से मीटर रीडिंग का काम हो रहा है या नहीं हो रहा है. एक और बड़ी समस्या आ रही है कि जब हम क्षेत्र में घुमते हैं तो जो बीपीएल कार्ड धारी हैं, अनुसूचित जाति, जनजाति के लोग हैं, जिनको पहले एक बत्ती कनेक्शन फ्री में दिया गया था अब उनके बिल हजारों से ज्यादा के आ रहे हैं. सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिये. अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्ग के लोग हैं जिनको पहले फ्री में कनेक्शन दिये जाते थे उनके हितों पर ध्यान देना चाहिये और उनको सबसिडी देकर एक मिनीमम बिल मिलना चाहिये ताकि उनको बिजली का भी उपभोग हो और उनके ऊपर अतिरिक्त भार भी न आये. ऐसी स्थिति में वह पैसा नहीं जमा कराने के कारण उनको बिजली का प्रदाय रोक दिया जाता है. एक और बात है कि जो कोयले के कंजमशन की बात है जो मध्यप्रदेश के अंदर जो कोयले का कंजम्शन है और जो ताप विद्युत ग्रह है अभी भी 34 प्रतिशत से कम है, उनका उपयोग हो रहा है. उसको हम बढ़ायेंगे क्योंकि बिजली सस्ती होती है और अगर सस्ती बिजली पैदा होगी तो उपभोक्ताओं को भी सस्ती बिजली मिलेगी और वह बिजली दो रूपये सढ़सठ पैसे में मिलती है, अगर 34 प्रतिशत का उपभोग हम बढ़ा देंगे तो उसको ज्यादा ताप विद्युत ग्रह से बिजली बनायेंगे तो उपभोक्ताओं को उसका फायदा मिलेगा. एक और महत्वपूर्ण बात मैं कहना चाहता हूं कि जो बिजली में खरीद फरोक्त का मामला होता है, सस्ती बिजली बेची जाती है और मंहगी बिजली खरीदी जाती है उस ओर ध्यान देंगे तो किसानों को और आम उपभोक्ताओं को उसका फायदा होगा. अभी पिछले शनिवार के दिन लोक अदालत रखी गयी थी और उन लोक अदालतों में हजारों की तादात में कृषक पहुंचे थे. उसमें कुछ कैसेस तो ऐसे थे कि उनके नाम पर जमीन तक नहीं है, उनके ऊपर भी कैस बना दिये गये हैं. जिनका कोई कुंआ या ट्यूबवेल भी नहीं था उनके भी प्रकरण बना दिए गए हैं विद्युत नियामक आयोग को इस ओर ध्यान देने की जरुरत है. संविदा में नियुक्ति की गई है क्योंकि विद्युतकर्मियों की कमी है उन्हें भी परमानेंट किया जाए क्योंकि उपभोक्ता बढ़ रहे हैं उस मान से विद्युतकर्मी नहीं हैं. मैं अंत में यह विश्वास करता हूँ कि नियामक आयोग से आम आदमी कैसे जुड़े क्योंकि बहुत कम शिकायत पहुंच रही है इसका यह मतलब है कि जो जनता से जुड़ाव होना चाहिए वह नहीं हुआ है वह विश्वास नियामक आयोग पैदा करे. आपने बोलने का मौका दिया उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री रजनीश सिंह (केवलारी)—माननीय अध्यक्ष महोदय, विद्युत नियामक आयोग के नियमानुसार 35 मीटर की दूरी तक ही कनेक्शन दिए जाना चाहिए परन्तु वास्तविकता कुछ और है विद्युत के तार एक-एक डेढ़-डेढ़ किलोमीटर तक लोग ले जाते हैं उसके कारण वोल्टेज कम ज्यादा होता है जिससे किसानों की मोटर की बाईंडिंग जल जाती है इसका अतिरिक्त भार किसानों के ऊपर आता है. मेरे क्षेत्र में बहुत बांध हैं और नवंबर महीने में पानी खाली होता है एरिगेशन डिपार्टमेंट उनको पट्टा देता है उसका शुल्क लेता है किसान उसका शुल्क पटाता है और डूब क्षेत्र में जैसे-जैसे पानी खाली होता है लोग कृषि का कार्य करते हैं. विद्युत विभाग टीसी कनेक्शन देता है जो डूब क्षेत्र के अन्तर्गत गांव आते हैं उसी ट्रांसफार्मर से उनको कनेक्शन दिए जाते हैं इससे ट्रांसफार्मर पर अतिरिक्त भार पड़ता है ऐसी स्थिति में किसानों की मोटरें नहीं चल पाती हैं वोल्टेज कम हो जाता है एक ओर एरीगेशन डिपार्टमेंट उनसे शुल्क लेता है पट्टे देता है विद्युत विभाग उनसे टीसी कनेक्शन के पैसे लेता है तो मेरा अनुरोध है कि अतिरिक्त डूब क्षेत्र के किनारे जो खुली हुई जगह है वहां पर ट्रांसफार्मर लगाना चाहिए ताकि वोल्टेज की दिक्कत से उनको निजात मिल सके.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे विकासखण्ड केवलारी में 33 केवीए के चार सब डिवीजन हैं और लगभग 52000 उपभोक्ता हैं यहां पर 132 केवीए का एक डिवीजन होना चाहिए यह मेरी आपसे प्रार्थना है.
अध्यक्ष महोदय, प्री मानसून मेंटेनेंस और पोस्ट मानसून मेंटेनेंस जो होता है उसकी बड़ी लचर व्यवस्था है यह मेंटेनेंस हो ही नहीं पा रहा है. वस्तुस्थिति यह है कि आज खंभों के तार झूले की तरह खेत में झूलते हैं जिससे चाहे ज्वाइंडर हो, चाहे मेसी फर्गुसन हो, चाहे एचएमटी और चाहे महेन्द्रा कंपनी का ट्रेक्टर हो इनके सायलेंसर उन तारों से टकराते हैं और दुर्घटना होती है डूब क्षेत्र में जब किसान एक-एक डेढ़-डेढ़ किलोमीटर दूरी पर जमीन से तार बिछाकर ले जाता है तो वहां पर अर्थ मिल जाने के कारण दुर्घटना घटती हैं चाहे वह पशुधन की हानि हो चाहे जनधन की हानि हो चाहे मित्रकीट हों...
श्री के.के. श्रीवास्तव—कभी कहते हैं करेंट नहीं आता है लेकिन इनकी बात से तो लग रहा है कि करेंट आता है.
श्री रजनीश सिंह—श्रीवास्तव जी उसी करेंट के कारण हम यहां पर बैठे हैं और अब वह करेंट आपको न लगे इसलिए हम आपको सतर्क कर रहे हैं हम झेल रहे हैं उस करेंट का दर्द हम इस तरफ उसी करेंट के कारण आए हैं हम आपके शुभचिंतक हैं आपको उस करेंट से सतर्क कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय—रजनीश जी आप उनका उत्तर मत दीजिये. श्रीवास्तव जी आप बैठ जाएं. रजनीश जी आप तो अपनी बात बोलिए.
श्री रजनीश सिंह—माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से अनुरोध है कि प्री-मानसून मेंटेनेंस और पोस्ट मानसून मेंटेनेंस होना चाहिए और जैसा मेरे विधायक साथी शैलेन्द्र पटेल जी ने कहा बहुत लंबे समय से बिजली विभाग में भर्ती नहीं हुई है कर्मचारी कम हैं मेरा आपके माध्यम से सरकार से अनुरोध है कि भर्ती होना चाहिए. 32-32 गांव में दो-दो लाइनमेन हैं किसानों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है सरकार तत्काल भर्ती करे अधिकारी कर्मचारी रहें तो जनता को इसका लाभ मिल सके. अध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का अवसर दिया इसके लिए मैं आपका कृतज्ञ हूं.
अध्यक्ष महोदय-- श्री यादवेन्द्र सिंह(अनुपस्थित) श्री बाला बच्चन...
उप नेता प्रतिपक्ष (श्री बाला बच्चन)(राजपुर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से आदरणीय ऊर्जा मंत्री जी से यह निवेदन है कि कल जो आपने वक्तव्य दिया है कि सूखे के कारण 50 प्रतिशत से अधिक प्रभावित फसल वाले किसानों के लिए बिजली के बिलों के भुगतान आस्थगन की नीति निर्णय की सूचना, उसमें 50 प्रतिशत आपने जो रखा था, तो मेरा यह आग्रह है कि इसको आप 25 प्रतिशत करें, तो मैं समझता हूँ कि जो कहीं पर अल्प वर्षा और कहीं पर अतिवृष्टि और ओलावृष्टि होने से जो किसान प्रभावित हुए हैं और किसानों की इस समय आर्थिक स्थिति बहुत खराब है, जर्जर स्थिति से किसान गुजर रहे हैं, तब जाकर उनको कहीं इससे निजात मिल पाएगी.
अध्यक्ष महोदय, मेरा यह भी आग्रह है कि जो सूखा प्रभावित क्षेत्र है वहाँ पर भी बिजली के बिलों की वसूली बड़ी सख्ती से की जा रही है और किसानों के पास ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है जिससे कि वह राशि जमा करा सके, तो बिजली के बिलों की वसूली सभी के लिए पूरी तरह से स्थगित होना चाहिए. कहीं अतिवृष्टि है, कहीं ओलावृष्टि है, कहीं पर सूखा है, कई जगह अल्पवर्षा है, इस कारण से यह स्थिति बनी है, तो पूरे प्रदेश में सरकार के यह आदेश जारी होना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय, बैंकों की वसूली भी बड़ी सख्ती से की जा रही है, इसको भी स्थगित करें और सहकारी समितियों के अलावा जो दूसरे भी बैंकों के कर्ज हैं उस कर्ज का ब्याज भी इस समय सरकार ने माफ करना चाहिए, ऐसा मेरा आग्रह है.
अध्यक्ष महोदय, सरकार ने अभी फीडर सेपरेशन और केबल का जो काम किया है, लोन लेने के बाद भी वह योजना सफल नहीं हो पाई है और योजना सफल नहीं होने के कारण लाइन के जो लॉसेस हो रहे हैं, उससे टेरिफ बढ़ रहे हैं और टेरिफ बढ़ने से उपभोक्ताओं पर इसका अतिरिक्त भार बढ़ रहा है, तो इस पर भी, शायद ऊर्जा मंत्री जी तो अभी हैं नहीं, शायद संसदीय कार्य मंत्री जी ही इस बात का जवाब दे रहे हैं, तो टेरिफ का जो अतिरिक्त भार किसानों के ऊपर पड़ रहा है, माननीय मंत्री जी इसका भी आप ध्यान रखें क्योंकि कहीं किसान आत्महत्याएँ कर रहे हैं तो बिजली एक बड़ा मुद्दा है.
अध्यक्ष महोदय, कृषक अनुदान योजना के अँतर्गत जो किसान एक-एक साल के कनेक्शन स्थायी रूप से लेते हैं, साल साल भर से उनके आवेदन पेडिंग पड़े हैं, तो उस पेडेंसी को निपटाने के लिए मैं समझता हूँ कि उनको अस्थायी कनेक्शन देने के लिए ऊर्जा विभाग के अधिकारी और विभाग उनको बाध्य करते हैं, कनेक्शन भी उनको जल्दी जल्दी दिए जाएँ और जो सूखा प्रभावित के जो छोटे किसान हैं उन किसानों को या तो बिजली के जो, अगर सरकार नहीं इसको स्थगित कर रही है या नहीं माफ कर रही है, तो भरने के लिए कोऑपरेटिव से सरकार कम ब्याज पर उनको लोन उपलब्ध कराए.
अध्यक्ष महोदय, ऐसी स्थिति में जो ट्राँसफार्मर जल जाते हैं और उपभोक्ता परेशान होते हैं, सरकार इस बात के लिए बाध्य करती है कि 10 प्रतिशत वसूली, मतलब बिजली के बिल 10 प्रतिशत तक अगर किसान उपभोक्ता नहीं चुकाते तो वह नये ट्राँसफार्मर नहीं देती, तो सरकार को कहीं यह जो बिन्दु मैं उठा रहा हूँ सरकार को रिलीफ देना पड़ेगा. मैं समझता हूँ कि काँग्रेस पार्टी के विधायकों के लिए ही नहीं बल्कि मैं समझता हूँ कि यह सदन के जो सदस्य हमारी बात को सुन रहे हैं सबके यहाँ पर आए दिन उनको यह फेस करना पड़ता है कि ट्राँसफार्मर जला तो ऊर्जा विभाग को अगर फोन करो तो वह इस बात के लिए बाध्य करते हैं कि 10 प्रतिशत की राशि आप जब तक हमें जमा नहीं करोगे तब तक हम नया ट्राँसफार्मर नहीं देंगे तो उपभोक्ता को इससे भी छूट दी जाए. दूसरा यह है कि 10 में से अगर 9 ने भर दिए और 1 उपभोक्ता अगर पैसा जमा नहीं कर पाया तो वहाँ भी कनेक्शन कट कर दिए जाते हैं तो माननीय मंत्री जी आप इस बात का ध्यान रखें और अभी किसान इन सब प्वाईंट आफ व्यू से किसी तरह से वह निजात पा सके और इस सूखे से सर्वाइव कर सके इसलिए अध्यक्ष महोदय, सरकार ने जो मेरी बात है और अन्य मेरे जो साथियों
ने सुझाव दिए हैं उनको गंभीरता से ले तो मैं समझता हूँ कि प्रदेश हित में, किसान हित में और जनहित में सरकार का यह अच्छा कदम होगा. अध्यक्ष महोदय, आपने जो मुझे बोलने का समय दिया उसके लिए धन्यवाद.
संसदीय कार्य मंत्री(डॉ नरोत्तम मिश्र)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, विद्युत नियामक आयोग के प्रतिवेदन पर चर्चा आपने रखी और पूरी कराई. मैं पहले आपको बहुत बहुत धन्यवाद देता हूँ. लंबे समय बाद प्रतिवेदनों पर चर्चा का सिलसिला और यह स्वस्थ परंपरा पुनर्जीवित हो रही है. (मेजों की थपथपाहट) लेकिन अध्यक्ष जी, नेता प्रतिपक्ष ने अभी भाषण दिया मैं उनसे यह गुजारिश भी करूँगा कि एक मान्य परंपरा ऐसी भी है कि जो सम्मानित सदस्य जब किसी विभाग पर या प्रतिवेदन पर चर्चा की शुरुआत करते हैं तो कम से कम वह जवाब सुनते वक्त रहते हैं. इस विषय की चर्चा माननीय मुकेश नायक जी ने प्रारंभ की थी उनको भी धन्यवाद. आदरणीय सदस्य श्री लाखनसिंह यादव जी, श्री कमलेश्वर पटेल साहब, श्री सचिव यादव जी , श्रद्धेय शंकरलाल तिवारी जी, डॉ मोहन यादव जी ,श्री शैलेन्द्र पटेल साहब, श्री रजनीश सिंह जी,श्री बाला बच्चन जी, आप सभी ने अपने महत्वपूर्ण सुझाव दिये हैं लेकिन अभी अंतिम वक्ता हमारे नेता प्रतिपक्ष थे, उनके भाषण पर यदि गौर करें तो वह पूरा विद्युत विभाग पर बोलते रहे, विद्युत नियामक आयोग को उन्होंने सिर्फ छुआ भर है.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार--- आपने बहुत अच्छी बात कही, वह विद्युत नियामक आयोग का अर्थ ही नहीं जानते.
डॉ. नरोत्तम मिश्र—मैं ऐसा तो नहीं कहता, हमारे नेता प्रतिपक्ष संजीदा व्यक्ति हैं.
श्री बाला बच्चन --- आज बिजनेस कितना था, हरेक पर हम बोले हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--- आज काफी बिजनेस था जितना आप चलाओगे उतना चलेगा.
डॉ. गोविंद सिंह--- सब कुछ एक ही आदमी पर है, अब वह क्या क्या पढ़ें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- गोविंद सिंह जी, आप भी तो उनका लोड बांटा करिये .
श्री उमाशंकर गुप्ता--- क्या आप उनका सपोर्ट नहीं करते.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--- जो बात आज अजय सिंह जी ने बाहर कही वही बात आपने यहां कह दी कि अकेले ही वह सब संभाले हुए हैं, आप सब उनकी मदद नहीं कर रहे हैं. आपकी पार्टी की यह गलत परंपरा है कि किसी भी व्यक्ति को अकेला छोड़ देते हैं, भगवान के भरोसे.
डॉ. गोविंद सिंह-- अकेला कहाँ छोड़ा, हम सब बैठे तो हैं इतने सारे.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--- आपने ही तो कहा कि अकेले पर लोड है , मैंने तो यह कहा ही नहीं है. खैर, माननीय अध्यक्ष महोदय, चूंकि नेता प्रतिपक्ष जी और सम्मानित वरिष्ठ सदस्यों ने अपने अपने विचार रखे हैं निश्चित रूप से कोशिश करूंगा कि उनके मन में जो शंकायें हैं उनका समाधान करने की कोशिश करुं. उन्होंने कहा कि विद्युत की स्थिति बहुत खराब है , माननीय अध्यक्ष महोदय, विद्युत के बारे में अगर हम देखें तो पिछले 10 साल में बिजली को लेकर कोई भी इस मध्यप्रदेश में आंदोलन नहीं हुआ है. जबसे माननीय शिवराज सिंह जी चौहान आए है, अगर उनके 10 साल के कार्यकाल को देखे और उसके बाद आजादी के बाद के 56 साल को देखें तो गोविंद सिंह जी , उन 56 सालों में 1 लाख 57 हजार किलोमीटर की कुल लाइन का निर्माण हुआ था और अकेले माननीय शिवराज सिंह जी चौहान के समय में 1 लाख 55 हजार किलोमीटर की लाइनों का निर्माण हुआ(मेजों की थपथपाहट) माननीय अध्यक्ष महोदय, इसी तरह से ट्रांसफार्मर आजादी के बाद के 56 सालों में 1 लाख 66 हजार स्थापित हुए थे.
डॉ. गोविंद सिंह—आप नियामक आयोग पर ही बोलिये अभी बच्चन जी के लिए आप कह रहे थे कि उन्होंने जनरल बोला है तो आप भी तो जनरल बात कर रहे हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--- मैं उनके जवाब नहीं दूं क्या, आप कह दीजिये कि कांग्रेस का कोई जवाब मत दीजिये , मैं तो आपके सदस्यों ने जो सवाल किये उसका जवाब दे रहा हूं. मैंने इसलिए सबके नाम भी पढ़े हैं. एक तो आप हाउस में रहते हैं तो आपका ध्यान लहार में ही लगा रहता है , आप लहार से बाहर निकलो कभी. यहाँ बैठकर भी लहार में ध्यान रखे रहते हैं.
श्री बाला बच्चन-- माननीय मंत्री जी , अभी आपने बोला कि हम अकेले हैं ,आपने देख लिया न , आप लाइन से जरा भी इधऱ उधर हटोगे तो तत्काल लगाम लग जाएगी.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--- माननीय अध्यक्ष महोदय, इन 56 सालों में इस प्रदेश के अंदर कुल ट्रांसफार्मर लगे 1 लाख 66 हजार और अकेले माननीय शिवराज सिंह जी के कार्यकाल में लगे 3 लाख ट्रांसफार्मर, यह अपने आप में रिकार्ड है. अभी सम्मानित सदस्य कह रहे थे कि नियामक आयोग का काम दर निर्धारित करना है, राहत पहुंचाना है. खासकर किसानों को राहत पहुंचाने का काम यह भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किया है और इसीलिए किसानों को अगर नियामक आयोग ने 4 रुपये 20 पैसे प्रति यूनिट बिजली की बात कही तो हमारे मुख्यमंत्री जी ने लगातार अनुदान देकर इन दो सालों में किसानों को इस बिजली पर अनुदान दिया है 13 हजार 500 करोड़ रुपया और कुल किसान 80 पैसे प्रति यूनिट इस प्रदेश के किसान से लिया है.
श्री सुखेन्द्र सिंह—कितने लोग जेल जा रहे हैं?
डॉ. नरोत्तम मिश्र—एक भी जेल नहीं जा रहा है इसमें, बिलों के देने के नाम पर कोई जेल नहीं जा रहा है और मैं अगर कुछ बोल रहा हूँ तो तथ्यों पर बोल रहा हूँ, मैं प्रमाणों को आधार पर बोल रहा हूँ और मैं गारंटी के साथ बोल रहा हूँ. यह सरकार किसानों की सरकार है. कांग्रेस के लोगों की यही पीड़ा है कि तीन तीन बार इस प्रदेश के अन्दर इतना भयावह सूखा होने के बाद भी कृषि कर्मण पुरुस्कार अगर किसी को मिला है तो वह शिवराज सिंह चौहान को मिला है, यही पीड़ा इस कांग्रेस की है, ये जानते हैं कि जब तक यह शिवराज सिंह चौहान धरती पुत्र किसान का बेटा मुख्यमंत्री है, इन कांग्रेस के लोगों की दाल इस प्रदेश के बाहर गलने वाली नहीं है.(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय-- उन्होंने आपकी बात सुनी, अब आप उनकी बात सुनिये.
श्री कमलेश्वर पटेल- आपत्ति तो इस बात है कि असत्य कथन कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय—बैठ जाएं कृपया.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष महोदय, यह जब बोले तो मैंने किसी को बीच में नहीं टोका. दो दिन से इस प्रतिवेदन पर चर्चा चल रही है, एक बार भी मैं खड़ा नहीं हुआ.
श्री बाला बच्चन—आपने जैसी शुरुआत की है उसके जवाब में हमारे विधायक खड़े हो रहे हैं और आपको जवाब दे रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय—आज सदन की कार्यवाही पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाए, मैं समझता हूँ सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गयी)
डॉ. नरोत्तम मिश्र- नेता जी, मैंने बिलकुल भी ऐसी चर्चा नहीं की कि आपके समय में ट्रांसफार्मर के चक्कर में बिजली घर जला दिये जाते थे, मैंने ऐसा बिलकुल नहीं कहा. अगर मैंने आपकी सरकार से तुलना की हो तो बताओ. मैंने आपकी तुलना नहीं की, मैंने आजादी के बाद से तुलना की है, उसमें हमारी सरकारें भी आयीं, ऐसा नहीं कि हमारी सरकारें नहीं आयीं.इऩ्होंने बार बार दुहाई दी कि हमारे समय में बिजली माफ कर दी जाती थी, बिजली के बिल माफ थे.अरे दादाओं आपके टाइम में बिजली आती थी क्या(हंसी) बिजली देते थे क्या आप. बिजली थी नहीं तो माफ क्या करते. वह वो दौर था कि भोपाल की राजधानी में सीएम हाउस की बिजली 4-4-, 6-6 घंटे काटी जाती थी, मैंने उसकी तुलना नहीं की नेता जी. मैंने उस बारे में बिलकुल नहीं कहा. मैंने नहीं कहा कि भोपाल के अन्दर बिजली नहीं आती थी, कभी नहीं कहा. मैंने अपनी बात,आजादी के बाद से शुरु की थी.
श्री सुखेन्द्र सिंह—आजादी की लड़ाई आपने लड़ी क्या मंत्री जी. कांग्रेस पार्टी ने ही लड़ी है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- दादा उसकी चर्चा करोगे तो बहुत पछताओगे.आजादी के बाद मत जाओ.
श्री कमलेश्वर पटेल—आप तो किसानों की बात करो.
डॉ. नरोत्तम मिश्रा-- मैं किसानों पर ही कर रहा हूँ. बोलने तो दीजिए, सुनिये तो. धैर्य तो रखिये. मैंने पहले ही कहा अध्यक्ष जी, मुझे कम बोलना है लेकिन जो मूल विषय इन्होंने उठाये हैं, सम्मानित सदस्यों के जो विषय आये हैं, मैं अगर उनको नहीं कहूंगा. अब मैं नहीं कहूं कि पिछले चार साल में अकेले बिजली के जो विद्युत के पम्प हैं 1100 करोड़ रुपये का अनुदान इस सरकार ने दे दिया,अकेले बिजली के पम्प में, अगर मैं यह भी नहीं कहूंगा तो मैं समझता हूँ कि इनके सवालों का ठीक जवाब नहीं दे पाऊंगा और इस प्रदेश के किसानों के साथ न्याय नहीं कर पाऊंगा. इस सूखे के साल में भी अगर इस सरकार को एक बार फिर कृषि कर्मण पुरस्कार मिलने जा रहा है, जब इन्द्र देव मेहरबान नहीं हुए तो कहीं न कहीं बिजली की उपलब्धता ही एकमात्र कारण रही होगी. दो ही तरह से किसान को पानी आयेगा या ऊपर से आयेगा या नीचे से आयेगा.ऊपर से इस बार कृपा कम हुई तो शिवराजसिंह जी ने कृपा करके नीचे से फसल को तराया, तभी तो कृषि कर्मण पुरस्कार लेने आ रहे हैं और लगातार कृषि कर्मण पुरस्कार में हम स्थिर बने हुए हैं, जिस तरह से हमारी ग्रोथ रेट स्थिर बनी हुई है, डबल डिजिट पर, जिस प्रकार
हमा्री कृषि की ग्रोथ रेट भी 20 प्रतिशत से ऊपर बुलंदियों पर डटी हुई है. किसी शायर ने कहा है—
नज़र नज़र पे निखरना कमाल होता है
नफ़स नफ़स पे बिखरना कमाल होता है
और बुलंदियों पर पहुंचना बड़ी बात नहीं,
बुलंदियों पे ठहरना कमाल होता है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यह वह सरकार है जो बुलंदियों पर ठहरी हुई है. विपरीत परिस्थितियों में धार काटकर अगर कोई सरकार चल रही है तो वह इस प्रदेश के अंदर शिवराज सिंह चौहान जी की सरकार है. हमने नियामक आयोग के साथ में उच्च दाब के 132 केवी के 109 नए विद्युत सबस्टेशन इस प्रदेश के अंदर स्थापित किए हैं. इसके अलावा 10235 किलोमीटर की फीडर सेपरेशन की नई लाइनों का निर्माण भी अभी किया गया है. यह सिर्फ और सिर्फ शिवराज सिंह चौहान जी की दृढ़ इच्छाशक्ति के कारण हुआ है. अध्यक्ष महोदय, इस पवित्र सदन में मैं यह कहते हुए अपने आपको गौरवान्वित महसूस करता हूँ कि ऐसे नेतृत्व के नीचे हम काम कर रहे हैं. उस समय जब यह विषय आया कि फीडर सेपरेशन की लाइनें कैसे होंगी, गांव का फीडर अलग, शहर का फीडर अलग, यह असंभव सा प्रतीत होता था लेकिन माननीय मुख्यमंत्री की दृढ़ इच्छाशक्ति के कारण ही आज किसान को 10 घंटे बिजली मिल रही है और गांवों को 24 घंटे बिजली मिल रही है.
श्री कमलेश्वर पटेल – अध्यक्ष महोदय, यह असत्य बात कही जा रही है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र – माननीय अध्यक्ष महोदय, इनको तो असत्य स्वाभाविक रूप से लगने ही वाला है क्योंकि ये उस दौर में थे जब इनके पिताश्री मंत्री हुआ करते थे तब लालटेन युग में यह मध्यप्रदेश प्रवेश कर रहा था. लोगों के इनवर्टर के उद्योगों से कांट्रेक्ट हो गए थे, जनरेटर वालों से कांट्रेक्ट हो गए थे, इन 10 सालों के अंदर इनवर्टर उद्योग और जनरेटर उद्योग समाप्त हो गया है, इससे बड़ा उदाहरण कोई नहीं हो सकता है कि इस प्रदेश में इनवर्टर और जनरेटर की दुकान नहीं हैं.
श्री कमलेश्वर पटेल – माननीय अध्यक्ष महोदय, अगर ये गांवों में जाएं तो समझ में आएगा, किसानों के बीच में पूरा हा-हाकार मचा हुआ है.
श्री सचिन यादव – कभी गांवों में भी जाएं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र – मित्र, मैं गांव की विधान सभा से ही आता हूँ और पिछले 25 सालों से गांव से ही आ रहा हूँ.
वन मंत्री (डॉ. गौरीशंकर शेजवार) – ये सभी सज्जन जो बोल रहे हैं ये भोपाल में बंगलों में पले हैं इनका गांव से क्या वास्ता है. (हंसी)
श्री सचिन यादव – अध्यक्ष महोदय, हम लोग बंगलों में नहीं रहे हैं, खेत में काम करते थे आकर के देख लीजिए.
अध्यक्ष महोदय – मंत्री जी और कितना समय लेंगे ?
डॉ. नरोत्तम मिश्र – अध्यक्ष जी, आप कहो तो मैं बैठ जाऊंगा, मुझे मालूम है कि ये बिदाई के क्षण हैं. मैं बोलना नहीं चाहता था लेकिन नेता प्रतिपक्ष ने चूँकि मुझसे कह दिया, नेताजी, मैं समेटता हूँ अपने आपको.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को (पुष्पराजगढ़) – माननीय अध्यक्ष महोदय जी, हम गांव से आते हैं और यह निवेदन है कि सर्विस एक्ट, 1987 की धारा 19 (5) एवं 20 के अंतर्गत सूचना पत्र दिनांक 12.12.2015 का है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र – मार्को जी कृपया आप बताएं कि किस विषय पर बोल रहे हैं ताकि मैं जवाब दे सकूँ.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को – माननीय मंत्री जी आपने पूरे मध्यप्रदेश में सूखे के कारण वसूली माफ की है लेकिन बेकडोर ट्री जो कर रहे हैं उसकी बात मैं सदन में रखना चाहता हूँ.
अध्यक्ष महोदय – फुन्देलाल जी, आप बैठ जाएं, यहां कोई बहस नहीं हो रही है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र – माननीय अध्यक्ष महोदय, कोई बेकडोर इंट्री नहीं हो रही है. माननीय बाला बच्चन जी ने जो जिक्र किया है तो उनको मैं यह बताना चाहता हूँ कि कोई वसूली सख्ती के साथ नहीं हो रही है. सारी वसूली रोक दी गई है. ट्रांसफार्मर सिर्फ 10 प्रतिशत पर लिए जा रहे हैं और इस प्रदेश में 5 लाख ट्रांसफार्मर लगे हुए हैं. सिर्फ 547 ट्रांसफार्मर बचे हैं जिनको 10 प्रतिशत की राशि पर बदलना शेष है. ( विपक्ष के माननीय सदस्यों द्वारा व्यवधान ....) माननीय अध्यक्ष जी, ये तो बड़ी विचित्र स्थिति है. पूरे दो दिन की चर्चा में एक मिनट नहीं उठा. बाला बच्चन जी, सुन तो लो. (व्यवधान ....)
अध्यक्ष महोदय – फुन्देलाल सिंह जी, कृपया बैठ जाएं, यह विषय नहीं है. (व्यवधान ...)
डॉ. नरोत्तम मिश्र – अध्यक्ष जी, मैं एक वाक्य में समाप्त कर रहा हूँ. (व्यवधान ...)
अध्यक्ष महोदय – सभी सदस्य बैठ जाएं, अब मंत्री जी समाप्त कर रहे हैं. किसी की बात नहीं सुनेंगे, कभी भी कुछ भी नहीं बोल सकते.
डॉ. नरोत्तम मिश्र – अध्यक्ष महोदय, मैं तो सिर्फ इतना ही कहना चाहता हूँ कि यह सरकार वह है कि जिसने रिकार्ड बिजली का उत्पादन किया है और इस वर्ष 10580 मेगावाट विद्युत की आपूर्ति इस प्रदेश के अंदर की गई है. इसके पहले आजादी के बाद के इतिहास में आज तक इतनी विद्युत आपूर्ति नहीं की गई. मेरे मित्र वास्तव में यह धरती पुत्र की सरकार है, किसान की सरकार है, ये वह मुख्यमंत्री हैं जो इस प्रदेश में ऐसा कभी नहीं हुआ वह किया है हिन्दुस्तान की किसी सरकार ने ऐसा नहीं किया है कि जहां पर कृषि का अलग से बजट आया हो, इसी पवित्र सदन में कृषि का अलग से बजट आया है. हिन्दुस्तान के किसी राज्य में कृषि कैबिनेट नहीं है अगर कृषि कैबिनेट है तो वह केवल मध्यप्रदेश में है. कृषक कल्याण आयोग कहीं पर नहीं है अगर वह कहीं पर है तो मध्यप्रदेश में है. जीरो प्रतिशत ब्याज के बाद में एक लाख ले जाओ और नब्बे हजार दे जाओ ऐसा कहने वाली कोई सरकार है तो वह भाजपा की सरकार है, और कोई मुख्यमंत्री है तो वह सिर्फ और सिर्फ शिवराज सिंह चौहान जी हैं. आपका और हमारा भी कोई नहीं होगा, यह गर्व है हमें ऐसे नेतृत्व पर उसके बाद में यह कहते हैं कि हम किसान विरोधी हैं, मनसा वाचा कर्मणा से यह भाजपा की सरकार शिवराज सिंह जी के नेतृत्व में काम कर रही है. हम विश्वास दिलाते हैं, आप सभी माननीय सदस्यों को, कि आप सबके भी जो सारगर्भित सुझाव होंगे हम उन सबको भी इसमें शामिल करेंगे, आप सबको बहुत बहुत धन्यवाद्.
अध्यक्ष महोदय – मध्यप्रेदश लोक सेवा (अनुसूचित जातियों अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण अधिनियम) पर चर्चा अगले सत्र में होगी.
श्री बाला बच्चन – कल क्यों नहीं की जायेगी.
सत्र का अनिश्चिकाल के लिए स्थगन.
संसदीय कार्य मंत्री ( डॉ नरोत्तम मिश्र ) – माननीय अध्यक्ष महोदय वर्तमान शीतकालीन सत्र के लिए नियत शासकीय और वित्तीय कार्य पूर्ण हो चुके हैं . अत: मध्यप्रदेश विधान सभा प्रक्रिया और कार्य संचालन नियामवली के नियम 12 ख के तहत मैं प्रस्ताव करता हूं कि सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित की जाय.
अध्यक्ष महोदय – प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
प्रश्न यह है कि सदन की कार्यवाही अनिश्चित काल के लिए स्थगित की जाय.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अध्यक्ष महदोय – मध्यप्रदेश की चतुर्दश विधान सभा का यह शीतकालीन सत्र समाप्ति की ओर है. इस 8 दिवसीय सत्र में विधायी वित्तीय तथा लोक महत्व के अनेक कार्य संपन्न हुए हैं. सदन ने वर्ष 2015-16 के द्वितीय अनुपूरक को अपनी स्वीकृति प्रदान की, अनुपूरक पर देर तक बैठकर 39 माननीय सदस्यों ने चर्चा में भाग लिया. विनियोग विधेयक सहित 11 शासकीय विधेयक पारित किये गये जिसमें 55 माननीय सदस्यों ने सारगर्भित चर्चा की. इस सत्र में कुल 2756 प्रश्न प्राप्त हुए, इनमें से 98 प्रश्नों पर लगभग 7 घंटे चर्चा हुई, उल्लेखनीय बात यह है कि2756 प्रश्नों में से1632 प्रश्न प्रथम बार निर्वाचित सदस्यों के थे, ध्यानाकर्षण कुल 607 सूचनाएं प्राप्त हुई उ समें से कुल 77 सूचनाएं ग्राह्य हुई हैं और 26 पर सदन मेंचर्चा भी हुई है, कुल 260 याचिकाएं सदन में प्रस्तुत हुई हैं, इस सत्र में लोक लेखा समिति के 205 प्रतिवेदन, सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति के 19 प्रतिवेदन, आश्वासन समिति के 7 प्रतिवेदन, प्रश्न एवं संदर्भ समिति के 4 प्रतिवेदन एवं गैर सरकारी सदस्यों के विधेयकों तथा संकल्पों संबंधी समिति के 2 प्रतिवेदन प्रस्तुत किये गये. बड़वानी की घटना पर स्थगन प्रस्ताव और 3 अशासकीय संकल्पों पर भी चर्चा हुई. इस प्रकार चर्चा हेतु सभी प्रक्रियाओं का माननीय सदस्यों ने उपयोग किया. संसदीय लोकतंत्र में जनता की आवाज सुनने और उसका समाधान निकालने एक प्रभावी और सबसे कारगर मंच है. इसके सुखद परिणाम भी जनता को मिलते हैं. प्रश्नों , ध्यानाकर्षण सूचनाओं, स्थगन, बजट एवं अन्य माध्यमों से की जाने वाली चर्चा भी परिणाम दायक होती है, सैकड़ों जनहित के मामलों का समाधान होता है. इस सत्र में हुई चर्चाओं के परिणाम भी अच्छे रहे हैं कई जनहित के काम हुए हैं. कुछ खट्टी मीठी यादें हर सत्र छोड़कर जाता है, यद्यपि इस सत्र में कोई खट्टी यादें ज्यादा नहीं रही हैं. कुल मिलाकर यह सत्र पूरी तरहसे सफल रहा है. सत्र के सुखद समापन पर मैं सदन के नेता, माननीय मुख्यमंत्री जी का, माननीय उपाध्यक्ष जी का, माननीय प्रतिपक्ष के नेता जी का, कांग्रेस पक्ष के सचेतक, बसपा विधायक दल के नेता सभी माननीय सदस्यों , मीडिया के मित्रों, शासन तथा विधान सभा सचिवालय के अधिकारियों कर्मचारियों एवं सुरक्षा कर्मियों को हार्दिक धन्यवाद् देता हूं. सभापति तालिका के माननीय सदस्यों को भी उनके सहयोग के लिए धन्यवाद देता हूं. माननीय संसदीय कार्यमंत्री के सहयोग का मैं पृथकत: उल्लेख करना चाहूंगा उनकी सजगता और लगातार सदन में उनकी उपस्थिति से सदन में व्यवस्था बनाने में मुझे मदद मिली है. मैं अपनी ओर से पूरे सदन की ओर से प्रदेशवासियों को आने वाले क्रिसमस पर्व और नव वर्ष की भी बधाई देता हूं. अगले सत्र में हम सब पुन: ऐसे ही सुखद महौल में सम्वेत होंगे इस अपेक्षा के साथ आप सभी को धन्यवाद्.
श्री शिवराज सिंह चौहान ( मुख्यमंत्री )—माननीय अध्यक्ष महोदय यह सदन लोकतंत्र का मंदिर है और हम सब जानते हैं कि लोकतंत्र की सार्थकता चर्चा में है, बहस में है. और इस सदन में इस सत्र में जो सार्थक चर्चा हुई है उससे मैं सचमुच में अभिभूत हूं. और हम सबने यह महसूस किया होगा कि सदन में चर्चा होना, सदन का चलना यह सबके हित में है. प्रतिपक्ष के हित में है क्योंकि सरकार को कटघरे में खड़ा करने का अवसर मिलता है. सवाल उठाये जाते हैं, प्रश्न पूछे जाते हैं. ध्यानाकर्षण ,स्थगन जैसे जो संसद की विधाएं हैं उनका उपयोग हमारे विपक्ष के मित्र करते हैं और सरकार को कटघरे में खड़ा करते हैं. सभी माननीय सदस्यों का लाभ सदन चलने में है. अपने अपने क्षेत्र की और प्रदेश की जो समस्याएं उनके दिमाग में होती हैं उन पर वो अलग अलग तरीकों से सवाल पूछते हैं,प्रश्न उठाते हैं.चर्चा होती है तो पक्ष और विपक्ष अपने अपने तर्क रखते हैं. मैं मानता हूं कि सदन का चलना लोकतंत्र के हित में भी है प्रदेश की जनता के भी हित में है और सरकार के हित में भी है. मैं सरकार के हित में इसलिए मानता हूं कि इतना बड़ा सिस्टम है. इसमें कोई यह दावा नहीं कर सकता कि सबकुछ ठीक है. जहां गड़बड़ होती है उसको माननीय सदस्य जब उठाते हैं तो सरकार का सरकार के मंत्रियों का ध्यान उन गड़बड़ियों की तरफ जाता है. और उसको ठीक करने में और कसावट लाने में भी सरकार को आसानी होती है. और इसलिए लोकतंत्र की और सदन की सार्थकता इसमें है कि बहस हो,चर्चा चले और जो सार्थक चर्चा यहां हुई है उसके लिए अध्यक्ष महोदय, मैं आपका आभारी हूं. आपने जिस गरिमा के साथ इस सदन का संचालन किया है ,निष्पक्षता के साथ किया है ,विद्वत्ता के साथ किया है,गंभीरता के साथ किया है. जहां आपको आवश्यक लगा वहां अनुमतियां दी हैं. जरूरत पड़ी तो आऊट ऑफ वे जाकर भी आपने बोलने का अवसर दिया है. और सच में आप इस सदन के ऐसे धीर गंभीर अध्यक्ष हैं जिनके प्रति हम सब की आदर और श्रद्धा हर सत्र के साथ बढ़ती जाती है. मैं आपका हृदय से आभारी हूं. इस सत्र में अलग अलग विधाओं का जो उपयोग हुआ है वह आपकी कुशलता का ही परिणाम है.
मैं, माननीय नेता प्रतिपक्ष जी जो कार्यवाहक हैं ,उन्होंने सिद्ध किया है कि वह संसदीय ज्ञान के बहुत अच्छे जानकार हैं,गहराई से जानते हैं और जब जब आवश्यकता पड़ी उन्होंने अपने तर्कों के माध्यम से सरकार को कटघरे में खड़ा करने का काम किया. यह उनका कर्तव्य है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं उनकी तारीफ ज्यादा करना चाहता हूं लेकिन ये इनके खिलाफ न चली जाये लेकिन सच में इस लघु सत्र में ,सचमुच में मैं हृदय से कह रहा हूं, उन्होंने बहुत कुशलता का परिचय दिया है. और माननीय नेता प्रतिपक्ष जी की अनुपस्थिति में कुशलता से सदन का संचालन हो उसमें भी उन्होंने योगदान दिया और अपने दायित्व का पूरी कर्मठता के साथ,पूरी लगन के साथ निर्वाह किया है सचमुच में उनके कई तर्क ऐसे थे जो बरबस ध्यान खींचते थे. मैं उनका आभारी हूं.
हमारे संसदीय कार्य मंत्री जी तो सचिन तेन्दुलकर को मात कर गये. जिस क्रम पर हमने उनको भेजा वहीं उन्होंने धुंआधार बल्लेबाजी की. सचमुच में सदन में समन्वयन बना कर रखना, सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चले इसका प्रयास करना ,जहां कमियां हैं उनको भी दूर करने की कोशिश करना यह संसदीय कार्य मंत्री का दायित्व होता है. और इस दायित्व का निर्वाह उन्होंने जिस कुशलता के साथ किया है ,मैं उनको भी सचमुच में धन्यवाद देता हूं. कई बार तो उसी दिन जिस दिन कोई मंत्री अनुपस्थिति रहते थे ,उनको बताया जाता था और जब वे जवाब देते थे तो ऐसा लगता था कि वह उसी विभाग के मंत्री हैं. और सवालों का उत्तर देते थे. हम उनको भी धन्यवाद देते हैं.
हमारे बहुजन समाज पार्टी के साथियों ने ,हमारे ब.स.पा. विधायक दल के जो नेता हैं उन्होंने भी चर्चा में समय समय पर बहुत सारगर्भित योगदान दिया है. मुद्दों को उठाया है, सरकार का ध्यान खींचा है और जनहित के मुद्दों को उन्होंने इस सदन के समक्ष प्रभावशाली ढंग से रखा है.
अध्यक्ष महोदय, मैं, माननीय उपाध्यक्ष महोदय जो यहां पर नहीं हैं, उनको जब भी अवसर मिलता है, इस आसंदी से पूरी निष्पक्षता के साथ इस सदन का संचालन करते हैं. वे इस सदन के वरिष्ठ सदस्य रहे हैं. अनुभवी हैं. अनुभवी के साथ साथ उनमें गंभीरता भी है और संसदीय ज्ञान भी इतना है कि जिससे वह सबका विश्वास जीतते हुए सदन का कुशल संचालन करते हैं. मैं उनका भी हृदय से आभारी हूं.
अध्यक्ष महोदय, मैं, सत्ता पक्ष और प्रतिपक्ष के सभी माननीय सदस्यों का हृदय से आभारी हूं. डॉ गोविन्द सिंह जी जैसे वरिष्ठ सदस्य यहां पर बैठे हैं. बाकी भी बहुत वरिष्ठ साथी यहां पर बैठे हैं. सभी ने जब भी ऐसा लगा कि जनहित के मुद्दे उठाना चाहिए, बहुत प्रमुखता के साथ सदन में पूरा समय देकर उठाये हैं. श्री गोविन्द सिंह जी जैसे वरिष्ठ सदस्यों का इसलिए आदर करता हूं कि उनकी उपस्थिति गंभीरता के साथ सदैव सदन में रहती है. जब भी कभी कोई ऐसा मुद्दा होता है जिसमें किसी वरिष्ठ सदस्य को हस्तक्षेप करना चाहिए, उन्होंने प्रभावी ढंग से किया है.
अध्यक्ष महोदय, हमारे सभी मंत्रीगणों ने यथासंभव जितने भी प्रश्न आये उनका सार्थक जवाब देते हुए सदस्यों की जिज्ञासा को शान्त भी किया है और जरुरत पड़ी तो ऐसी चीजें भी जो जनता के हित में बहुत उपयोगी थी, उनकी घोषणा भी की है.
अध्यक्ष महोदय, मैं भी तल्लीनता के साथ इस सदन की कार्रवाई से जुड़ा रहा. जब सदन में नहीं होता था तब भी अपने कक्ष में बैठकर अपने साथियों से मिलता था या जरुरी सरकारी काम निपटाता था तब भी मेरे काम इस तरफ रहते थे. अध्यक्ष महोदय,जब भी लगा कि यह जनहित का मुद्दा है और मुझे बोलना चाहिए तो मैंने उसमें कोताही नहीं की. क्योंकि मैं यह नहीं मानता की सारी अक्ल का ठेका हमारे पास ही है. अगर कोई माननीय सदस्य अच्छा प्रश्न उठाते हैं और हमको लगता है सरकार को उस पर ध्यान देना चाहिए तो बीच में मैंने भी कोशिश की है कि स्वयं उठकर खड़ा होऊं और इस तरह की बात आयी है तो मैं उत्तर दूं या इस तरह की व्यवस्था बनाऊं कि जिससे सदस्यों का समाधान हो और प्रदेश की जनता का व्यापक रुप से लाभ हो, हित हो.
अध्यक्ष महोदय, मैं हृदय से कहना चाहता हूं कि इस सदन को मैं बहुत सार्थक बनाना चाहता हूं. इस चर्चा के आधार पर भी अगर कोई फैसले लेने पड़े तो तत्काल हम फैसले लेकर, मिलकर हम काम करने की कोशिश करें. आज सदन में एक समिति बनाने का फैसला अपने आप में ऐतिहासिक है. केवल पक्ष ही नहीं, प्रतिपक्ष के मित्र भी साथ बैठें और बैठ कर राजनीति से ऊपर उठकर कुछ मुद्दों पर हम चर्चा करें और फिर किसी निष्कर्ष पर पहुंचे. मैं मानता हूं कि उस दिशा में मेरी तरफ से और इस पक्ष की ओर से लगातार पहल होती रहेगी. क्योंकि हम मिलजुल कर प्रदेश के हित में जो कुछ कर सकते हों. प्रतिपक्ष का जो दायित्व है, उसका निर्वाह कीजिए लेकिन कुछ मामले ऐसे हो सकते हैं जिनका समाधान हम मिलजुल कर निकाल सकते हैं तो मैं सदा आपका सहयोग चाहूंगा. इसलिए मैं प्रतिपक्ष के सभी माननीय सदस्यों का भी हृदय से आभारी हूं. सत्ता पक्ष के भी सभी सदस्यों का हृदय से आभारी हूं.
अध्यक्ष महोदय, विधानसभा सचिवालय में ईसरानी जी के नेतृत्व में यह टीम दिन और रात यहां परिश्रम करती है, मेहनत करती है. कई बार तो ध्यानाकर्षण जैसी चीजें अचानक आती है. उस पर उनको पूरा वर्कआऊट और मेहनत करना होती है. कई बार देर रात तक बैठना होता है. हम ईसरानी जी को और उनको नेतृत्व में पूरी टीम को सभी कर्मचारी को, अधिकारियों को मैं हृदय से धन्यवाद देता हूं. क्योंकि उनके सहयोग के बिना इतने सुचारु रुप से सदन की कार्यवाही का संचालन नहीं हो सकता था. मैं उनका हृदय से आभारी हूं.
अध्यक्ष महोदय, मैं, मीडिया के सभी मित्रों का आभारी हूं. क्योंकि लोकतंत्र में सदन में बहस क्या हो रही है यह मीडिया ही जनता को बताती है. लोकतंत्र में सबसे बड़ी चीज कोई है तो वह पारदर्शिता ही है. सदन में किसने क्या कहा. सदन में कौन कौन से, कैसे मुद्दे उठे और इसलिए हमारे इलेक्ट्रानिक मीडिया के मित्र हों या प्रिंट मीडिया के मित्र हों, उनको लगातार प्रेस दीर्घा में देखते हैं. वे पूरा समय देते हैं. और सदन में चल रही कार्यवाही की पूरी जानकारी अलग अलग माध्यमों से जनता को देने का काम करते हैं. मैं उनका भी हृदय से आभार व्यक्त करता हूं.
अध्यक्ष महोदय, मार्शलों के इस्तेमाल करने की नौबत कभी हमारे सदन में नहीं आयेगी. यह हमारा विश्वास है. लेकिन कम से कम ड्यूटी तो पूरी करते हैं. खड़े रहते हैं. चाहे मार्शल हों, बाकी हमारे कर्मचारी साथी हों जो हमारे संदेश को एक दूसरे तक पहुंचाने का काम करते हैं मैं उनका भी हृदय से आभारी हूं.
अध्यक्ष महोदय, सुरक्षा के काम में भी जो कर्मी लगे हैं वह भी सदन के सुचारु संचालन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करते हैं. मैं उनका भी हृदय से आभारी हूं. इसके अलावा ज्ञात और अज्ञात जो जानकारी में है और जो जानकारी में नहीं है, जिनके कारण सदन का सुचारु रुप से संचालन होता है, उन सभी साथियों को विशेष कर दर्शक दीर्घा में बैठे हुए हमारे साथियों को भी, क्योंकि उनके बिना भी सदन की शोभा नहीं है, मैं उनका भी हृदय से आभारी हूं. मैं एक बार फिर से सभी साथियों का आभार व्यक्त करता हूं.
अध्यक्ष महोदय, क्रिसमस का त्यौहार आने वाला है, उसकी शुभकामनायें. 25 दिसम्बर के दिन माननीय अटल बिहारी वाजपेयी जी का भी जन्मदिन है माननीय अध्यक्ष महोदय, जो इस देश के सर्वमान्य नेता हैं मैं मानता हूं कि सभी पक्ष उनका हृदय से आदर करते हैं मैं उनको भी जन्मदिन की शुभकामना देता हूं, वह शतायु हों, स्वस्थ हों और हम लोगों का मार्गदर्शन करें यह प्रभु से प्रार्थना है.
अध्यक्ष महोदय, नये वर्ष की भी आप सबको हार्दिक शुभकामनायें, आपके माध्यम से सदन के माध्यम से प्रदेश की साढ़े 7 करोड़ जनता को हार्दिक शुभकामनायें, यह नया साल मध्य प्रदेश की जनता की जिंदगी में सुख समृद्धि लाये, रिद्धि-सिद्धि लाये और भगवान करे मध्यप्रदेश प्रगति और विकास की दौड़ में आगे-आगे और लगातार आगे बढ़ता जाये. सबका आभार माननीय अध्यक्ष जी, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री यादवेन्द्र सिंह (नागौद)-- बाला जी एक मिनट, जरूरी है मेरा एक मिनट बोलूंगा.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं ऐसा नहीं होता, कुछ मर्यादायें रखिये, आप बैठ जायें.
श्री यादवेन्द्र सिंह-- अभी मेरे क्षेत्र से फोन आ रहे थे....
अध्यक्ष महोदय-- बैठ जायें आप, यह प्रश्नकाल नहीं है, बाला बच्चन जी बोलें और समझायें भी उनको.
मुख्यमंत्री (श्री शिवराज सिंह चौहान)-- (मैं ऐसा करता हूं) माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं निवेदन कर रहा हूं कि आप (श्री यादवेन्द्र सिंह जी) इस सत्र के समापन के बाद मेरे साथ आकर बैठिये जो भी फोन आ रहे हैं बताईये, जो भी कोई बात होगी मैं उसका समाधान करूंगा.
अध्यक्ष महोदय-- तत्काल बाद मुख्यमंत्री जी आपसे मिलने की कह रहे हैं, आप बैठ जाइये कृपया, कुछ नहीं आयेगा रिकार्ड में.
श्री बाला बच्चन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि अभी आपने बताया शीत कालीन सत्र लगभग 8 दिवसीय रहा है और उसमें जितना बिजनेस हुआ है उसका आपने उल्लेख किया है और मैं समझता हूं कि इस सदन के सभी सदस्यों ने बढ़-चढ़कर उस बिजनेस में हिस्सा लिया है, कोई भी डिबेट हुई हो, चाहे वह सत्ता पक्ष के हमारे विधायक साथी हों या फिर कांग्रेस पक्ष के या बहुजन समाज पार्टी के हों, सबने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया है और उस चर्चा को सार्थक चर्चा के रूप में अंजाम दिया है, सार्थक चर्चा हुई है.
माननीय अध्यक्ष महोदय आपने हम सभी विधायकों को अच्छा अवसर दिया, चाहे वह प्रश्नों के माध्यम से हो, ध्यानाकर्षण के माध्यम से हो, स्थगन के माध्यम से हो या अन्य व्यवस्था के अंतर्गत जो बात हमने यहां रखी अपने जो अवसर हमें दिया है मैं उसके लिये आपका आभार भी व्यक्त करता हूं, आपका धन्यवाद भी करता हूं.
अध्यक्ष महोदय, माननीय उपाध्यक्ष जी ने भी जब वह आसंदी पर रहे तो उन्होंने भी बिना भेदभाव के सबको बराबर अवसर दिया है. 8 दिनों में अच्छी चर्चा हो गई है. जिस तरह से आदरणीय मुख्यमंत्री जी को हमने सुना है कि उनकी भावना भी प्रदेश की जनता में, प्रदेश के लोगों के लिये, प्रदेश में है कि किस तरह से हमारा प्रदेश तरक्की और उन्नति करे और अग्रसर हो, उनकी अच्छी सोच है. माननीय अध्यक्ष जी मैंने आपका और माननीय उपाध्यक्ष जी का तो धन्यवाद किया ही है और मैं आभार भी व्यक्त करता हूं मेरी तरफ से और मेरे कांग्रेस के सभी विधायक साथियों की तरफ से और आदरणीय मुख्यमंत्री जी को भी हम धन्यवाद देते हैं. हमने इस बात को देखा है कि जब-जब भी कोई ऐसा ईश्यू आया है, आपने समय दिया है और न केवल समय ही नहीं कुछ मामलों में आपने व्यवस्था भी दी है और हमें कुछ अज्ञात सोर्सों से यह भी पता चला है कि कहीं अगर विधायकों ने नराजगी व्यक्त की है कि कहीं काम नहीं हो रहे हैं, अधिकारी, कर्मचारी कहीं नहीं सुन रहे हैं तो आपने उसमें भी सत्र के दौरान तत्काल अधिकारियों को बोला वह हमारे तक भी बात आई है, तो यह अच्छी बात है, अच्छा संकेत है, प्रदेश के लिये .... (मेजों की थपथपाहट) मैं समझता हूं इसको आप बनाकर रखेंगे तो यह ठीक होगा. इसलिये मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को भी धन्यवाद देता हूं. मैं आदरणीय संसदीय कार्यमंत्री जी को भी मैं धन्यवाद देता हूं, उनका मुख्य विभाग लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग था, उनका शुरू में जो मुद्दा आया था, उसमें बाद में आकर माननीय मुख्यमंत्री जी ने हस्तक्षेप किया. उसके बाद में संसदीय कार्य मंत्री जी ने भी भरपूर कोशिश की है कि सार्थक पहल हो,सार्थक चर्चा हो और उसके अच्छे परिणाम भी समाने आये, इसके लिये हम संसदीय कार्य़मंत्री जी को भी धन्यवाद देते हैं. अध्यक्ष महोदय, अन्य मंत्रिगणो द्वारा भी सदन में अच्छे उत्तर दिये गये उनको भी हमारे दल की तरफ से हम धन्यवाद करते हैं. अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मुख्यमंत्री जी और सदन से यह अनुरोध करना चाहता हूं कि किसी भी पक्ष के विधायक ने किसी भी मुद्दे पर अपनी बात रखी है, सुझाव, समस्या या मांग के रूप में दिलचस्पी के साथ में चर्चा यहां पर हुई है. जिस जनता के द्वारा हम चुनकर के आये हैं उनकी मांग पर यहां सार्थक बहस हुई है, वह मांगे हमारी मानी जायेंगी, समस्याओं का हल होगा , जिस उम्मीद के साथ में हमारे साथियों ने मांगे रखी हैं मुझे उम्मीद है कि हमारी उम्मीदें पूरी होंगी तो भविष्य में आने वाले सत्र में विधायकों की जिज्ञासा उनका आत्मविश्वास और बढ़ेगा और विधायक बढ़-चढकर के जनहित के मुद्दे पर चर्चा में हिस्सा लेंगे, इस सदन में सार्थक चर्चा हो सकेगी. ऐसा मेरा विश्वास है. अध्यक्ष महोदय, मेरा सरकार से आग्रह है कि जब तक हम यहां से अपने क्षेत्रों में पहुंचे उसके पहले कसावट हो जाये, और जनता का विश्वास हो जाये कि किसी भी पक्ष के सदस्य के द्वारा कोई भी जन समस्या विधानसभा में उठाई जाती है तो उसको सरकार गंभीरता से लेती है. इससे विधायकों की गरिमा भी बनी रहेगा. ऐसी भी चर्चा आती है कि विधायकों की बातों को सुना नहीं जाती है तो उस पर भी कसावट आयेगी. सभी को धन्यवाद देता हूं. मुख्यमंत्री जी, संसदीय कार्य मंत्री जी, मंत्रि-मंडल के सभी साथियों का, सभी ने कोशिश की है कि प्रशासन में कसावट हो विधायकों की समस्या का हल हो. मैं सभी विधायक साथियों को कांग्रेस पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, भारतीय जनता पार्टी सभी का मैं शुक्रिया अदा करता हूं. अध्यक्ष महोदय, इस सत्र में हमने यह भी देखा है कि जहां जहां भी गंभीर मुद्दे आये हैं हमने सभी सदस्यों को एकत्रित होते हुये भी देखा है. (मेजो की थपथपाहट) किसी के मुद्दे अगर सत्ता पक्ष के साथी की तरफ से उठे हैं , जबाव से सरकार मुकर रही, विभाग मुकर रहा है, मंत्री जी मुकर रहे हैं, अध्यक्ष महोदय आपकी नजर तो हरेक मुद्दे पर सतत रहती ही है, सत्ता पक्ष के साथी की बात को मनवाने के लिये विपक्ष के साथी उनके पक्ष में खडे हो रहे थे और विपक्ष के साथी का यदि कोई प्रश्न था या उत्तर लेना चाहते थे तो सत्ता पक्ष के साथियों ने भी भरपूर साथ दिया है. यह अच्छी परम्परा हमने इस सत्र में देखी है. मुझे उम्मीद है कि भविष्य में भी इस सदन में अच्छी चर्चा होगी, सार्थक चर्चा होगी, और इस सदन की सार्थक चर्चा से अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति को भी लाभ होगा , ऐसा मेरा मानना है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे सभी साथियों का धन्यवाद जिन्होंने ज्वलंत मुद्दों पर प्रभावी ढंग से चर्चा में भाग लिया. विधानसभा सचिवालय के प्रमुख सचिव आदरणीय इसरानी जी एवं उनकी पूरी टीम का धन्यवाद करता हूं. एक बात मैंने और देखी कि विधानसभा सचिवालय की जो विधान शाखा है उस शाखा के कर्मचारी जैसे ही सत्र की अधिसूचना जारी होती है और जब तक सत्र समाप्त नहीं हो जाता है तब तक रात के 12-12 बजे तक जगते हैं और डाक को संबंधित विधायकगणों के निवास तक, संबंधित मंत्रिगणों के निवास तक पहुंचाते हैं मैं उनका भी शुक्रिया अदा करता हूं. जैसा कि आदरणीय मुख्यमंत्री जी ने हमारे डॉ. गोविन्द सिंह जी का नाम लिया है, वे सीनियर मोस्ट एमएलए हैं, छठी बार के एमएलए हैं. ऐसे ही इस विधान सभा के बहुत सारे सदस्य हैं, चाहे वे मंत्रियों के रुप में या चाहे हमारे कांग्रेस पक्ष की तरफ से या बीजेपी की तरफ से काफी ऐसे एमलए हैं, जो 5-6 बार से हैं और उनका इंट्रेस्ट एवं रुचि भी रहती है कि वे हरेक इशू, डिबेट पर पार्टीसिपेट करें, अपना पार्टिसिपेशन रखें, बोलें और सरकार का ध्यान उन मुद्दों की तरफ आकर्षित करायें. तो गोविन्द सिंह जी जैसे हमारे कई एमएलएज़ हैं. तो मैं उन सबका भी शुक्रिया अदा करता हूं. यह भी फेक्ट है कि मीडिया कर्मियों का भी मैं धन्यवाद अदा करता हूं. मेरी तरफ से और मेरे दल की तरफ से, कांग्रेस पार्टी के सभी विधायक साथियों की तरफ से. अगर जो भी कोई इशू आया है. तो दमदारी, बहादुरी से उन्होंने उस इशू को प्रदेश की राजधानी भोपाल से और विधान सभा से लेकर पूरे प्रदश और देश तक पहुंचाने का काम किया है और कौन विधायक, कौन मंत्री, किस तरह का उसका अपना परफारमेंस है, उसको उन्होंने जो उजागर किया है, इसलिये मैं उनका भी शुक्रिया अदा करता हूं, उनको भी मैं धन्यवाद देता हूं. अध्यक्ष महोदय, बस मैं यही उम्मीद करता हूं कि जो जो भी साथी थे, उन सबका मैंने शुक्रिया और धन्यवदा अदा किया है. प्रिण्ट और इलैक्ट्रानिक मीडिया के जो हमारे साथी हैं, उनका भी मैं शुक्रिया, धन्यवाद अदा करता हूं. क्योंकि प्रिण्ट और इलैक्ट्रानिक मीडिया ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया है और हम लोगों की काफी बातों को प्रदेश की जनता तक पहुंचाया है, तो उन सबका भी मैं धन्यवाद अदा करता हूं. हम दर्शक दीर्घा में जो हमारे बैठे हुए साथी हैं, उनका भी मैं धन्यवाद करता हूं. अध्यक्ष महोदय, आदरणीय मुख्यमंत्री जी ने जैसा कहा है कि 31 दिसम्बर के बाद 1 जनवरी,2016 से नये वर्ष की शुरुआत हो जायेगी. तो मैं भी मेरी तरफ से और मेरे दल की तरफ से समस्त जो हमारे विधायक गण, मंत्री गण और समस्त महानुभाव जो यहां पर हैं, उन सबको मैं आने वाले नये वर्ष की बहुत बहुत बधाई और शुभकामना देता हूं और ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि सभी पाइंट ऑफ व्यू से नया वर्ष हमारे लिये तरक्की, उन्नति और प्रदेश के विकास को लेकर अच्छा साबित हो. इसी के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, धन्यवाद.
5.32 बजे राष्ट्रगान
अध्यक्ष महोदय – अब राष्ट्र गान होगा.
(सदन में राष्ट्रगान जन गण मन का समूह गान किया गया.)
5.33 बजे सदन का अनिश्चितकाल के लिये स्थगन
अध्यक्ष महोदय – विधान सभा की कार्यवाही अनिश्चित काल के लिये स्थगित.
अपराह्न 5.33 बजे विधान सभा की कार्यवाही अनिश्चित काल के लिए स्थगित की गई.
भोपाल, भगवानदेव ईसरानी
दिनांक : 16 दिसम्बर,2015 प्रमुख सचिव,
मध्यप्रदेश विधान सभा