मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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पंचदश विधान सभा चतुर्दश सत्र
फरवरी-मार्च, 2023 सत्र
गुरुवार, दिनांक 16 मार्च, 2023
(25 फाल्गुन, शक संवत् 1944 )
[खण्ड- 14 ] [अंक- 9 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
गुरुवार, दिनांक 16 मार्च, 2023
(25 फाल्गुन, शक संवत् 1944 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.03 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}
प्रश्नकाल में मौखिक उल्लेख
दिनांक 15.03.2023 को जिला इंदौर के थाना बडगोदा अंतर्गत पुलिस चौकी डोंगरगांव
में घटित घटना
डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ(महेश्वर) - माननीय अध्यक्ष महोदय,मेरी एक मिनट बात सुनी जाए.यह बहुत गंभीर मामला मेरे विधान सभा क्षेत्र का है.
नेता प्रतिपक्ष(डॉ.गोविन्द सिंह) - माननीय अध्यक्ष महोदय, आज बहुत गंभीर घटना हुई. एक हमारी आदिवासी नाबालिग बच्ची के साथ बलात्कार हुआ और उसकी हत्या हो गई और वहां थाने में मुलजिम पकड़ने के लिये वहां के आदिवासी भाई गये तो पुलिस ने सीज फायर करके एक आदिवासी भाई की हत्या कर दी और कई लोग घायल हुए. छर्रे लगे. ज्यादा गंभीर नहीं हैं लेकिन घायल है. हमारा अनुरोध है कि माननीय गृह मंत्री जी इस संबंध में वक्तव्य दें कि क्या हालात हैं.
गृह मंत्री (डॉ.नरोत्तम मिश्र ) - माननीय अध्यक्ष महोदय, दुखद घटना है. घटना में दो तरह की बातें प्रकाश में आई हैं. एक जैसा सम्मानित नेता प्रतिपक्ष आदरणीय गोविन्द सिंह जी ने कहा और दूसरा पक्ष जो वह बिटिया थी वह उसके साथ में रहती थी और घर में पानी गर्म करने की जो राड होती है उसको जब बाल्टी में डाला तो करंट लगा और उसकी दुखद मृत्यु हो गई. इससे आक्रोषित होकर बिटिया के मायके वालों ने उसको हत्या कहा और जाम लगाया और जाम लगने के बाद उस व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया गया. जब वह व्यक्ति गिरफ्तार होकर थाने आ गया तो यह पूरा मूवमेंट थाने की ओर आया कि हम खुद न्याय करेंगे कि हम खुद न्याय करेंगे. इसने हत्या की है और थाने पर उसके बाद पथराव और हमला हुआ जिसमें वहां का थाना प्रभारी गंभीर घायल हुआ जिन्हें इन्दौर रेफर करके भर्ती किया गया है और 13 पुलिस के जवान घायल हुए.अलग-अलग स्थानों पर उनके चोटें आईं. उसमें घायल हुए. अलग अलग स्थानों पर उनके शरीर में चोटें आईं और इसी बचाव में गोली चली, जिसमें यह दुखद घटना घटित हुई है. बिटिया का फ्यूनरल हो गया है और उसकी भी यह मुख्यमंत्री जी ने घटना की मजिस्ट्रियल जांच यह दो तरह की बात जैसे सम्मानित नेता प्रतिपक्ष कह रहे हैं, वह वाली बात और यह दूसरी बात जो दोनों बातें आई हैं, इनकी सत्यता की और पूरी घटना की और मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिये हैं. थोड़ी देर में स्थिति और साफ हो जायेगी. पी.एम. रिपोर्ट आने वाली है.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ (महेश्वर)-- अध्यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र की घटना है, एक मिनट दिया जाये. जिस तरह से संसदीय कार्य मंत्री जी, गृह मंत्री जी ने बोला. रात को जब लड़की की मृत्यु हुई, उसकी रिपोर्ट नहीं लिखी जा रही थी. तो मेरे क्षेत्र के लोग वहां गये, दबाव डाला, प्रेशर बनाया, घटना है 6.00-7.00 बजे की, रिपोर्ट 10.00 बजे तक नहीं लिखी गई. तो लोग क्या करेंगे और वह भी एसटी वर्ग के लोग, आदिवासी लोग, उन लोगों ने जब प्रेशर डाला, जब माहौल खराब होने लगा, तब जाकर रिपोर्ट लिखी नम्बर एक. नम्बर दो, आज सुबह-सुबह एसपी साहब की कस्टडी में मेरे क्षेत्र में वासली कुण्डिया ग्राम में उस लड़की का दाह संस्कार किया. इसे हम लोग क्या समझें और उसकी मां सीधे सिरे से आरोप लगा रही है कि लड़की के साथ सामूहिक दुष्कर्म हुआ है और उसके बाद हत्या हुई है और हत्या के बाद जो उसका दाह संस्कार हुआ है, वह सुबह सुबह 6.30 बजे, 7.00 बजे पुलिस की कस्टडी में हुआ. इससे क्या आशय निकालें. इससे क्या उद्भूत होता है. एक तरफ तो मामा आदिवासियों का ढिण्ढोरा पीटता है कि हम यह कर रहे हैं, वह कर रहे हैं और इस प्रदेश के अन्दर आदिवासियों की रिपोर्ट तक नहीं लिखी जा रही है. तो आंदोलन नहीं करेंगे, तो क्या करेंगे आदिवासी लोग. क्या अब मरते रहें घर पर.
श्री कमल नाथ (छिन्दवाड़ा)-- अध्यक्ष महोदय, मैंने गृह मंत्री जी की बात सुनीं कि मजिस्ट्रियल जांच मुख्यमंत्री जी ने आर्डर की है. यह मामला टलने वाला नहीं है और मेरे पास आंकड़े हैं यहां, मैं पटल पर रख दूंगा कि आदिवासी अत्याचार के मामले में मध्यप्रदेश का क्या स्थान है और यह बड़ी दुख की बात है कि 18 साल की सरकार का हासिल यह है कि देश में 13 दफे मध्यप्रदेश का पहला स्थान रहा. 5 दफे दूसरा स्थान रहा. यह मैं पटल पर रख रहा हूं. यह मेरे आंकड़े नहीं हैं, यह एनसीआरबी के आंकड़े हैं. यह दुख की बात है और यह मजिस्ट्रियल जांच तो बहुत सारी होती हैं. अंत में मामला टल जाता है और उसके एक महीने के बाद या एक हफ्ते बाद कोई और आदिवासी भाइयों या बहनों पर अत्याचार होता है. ..
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- आप बता दें क्या करना है. एक बात अध्यक्ष जी. दूसरी बात घटना पर अगर आज हम सीमित रहें, एनसीआरबी के आंकड़े और दूसरे फिर मैं उसको ले जाऊं कि आप जब मुख्यमंत्री थे तब पांढुर्ना में भी सेम ऐसा ही केस हुआ था.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, वह नहीं करना है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- इससे घटना की गंभीरता चली जायेगी. इसलिये मेरा यह कहना है कि घटना गंभीर है. आप गंभीर मान रहे हैं, हम गंभीर मान रहे हैं. दोनों दुखद मान रहे हैं. आप भी दुखद मान रहे हैं, मैं भी दुखद मान रहा हूं और प्रश्नकाल है, इसमें आपको जो विचार रखने हैं, अवश्य रुप से रखें. अध्यक्ष जी ने अनुमति दी है, प्रश्नकाल चले, उसके बाद शून्यकाल में जब तक स्थिति और साफ हो जायेगी.
श्री कमल नाथ -- अध्यक्ष महोदय, यह जो मजिस्ट्रियल जांच आर्डर की है, यह एक सीमित समय में हो. इसकी सीमा तय कर लीजिये. इस समय तक इनकी रिपोर्ट आ जायेगी.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- यह भी आप ही तय कर दें सर.
श्री कमल नाथ -- अध्यक्ष महोदय, नहीं, हम क्यों तय करें, आप बता दीजिये. इसमें कोई लम्बी चौड़ी उनको देश विदेश में तो जाना नहीं है. यह तो लोकल मामला है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- कोई लम्बी चौड़ी नहीं होगी. बिलकुल जैसा माननीय पूर्व मुख्यमंत्री जी की इच्छा है, वैसा करेंगे.
श्री कमल नाथ -- अध्यक्ष महोदय, यहां तो दो ही मुद्दे हैं कि यह सुसाइड है या उनका मर्डर है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- सुसाइड नहीं करंट से मौत हुई है या हत्या है.
श्री कमल नाथ -- अध्यक्ष महोदय, मैं तो नहीं कह रहा हूं कि कैसे मरी है. मैंने कहा कि यह तो जांच का विषय है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- सुसाइड नहीं है.
श्री कमल नाथ -- अध्यक्ष महोदय, उसके परिवार ने आरोप लगाया है, तो यह तो मैं कह रहा हूं कि जांच का मामला है. पर उसके बाद जो मौत हुई पुलिस फायरिंग में, किस कारण हुई, क्या आवश्यकता थी पुलिस फायरिंग की. इसकी क्या आवश्यकता थी, किस जोश में इन्होंने पुलिस फायरिंग की. यह मजिस्ट्रियल जांच की बात है और मेरी बस सीमित मांग है कि सीमित समय में यह मजिस्ट्रियल जांच हो जाये और हमारे मध्यप्रदेश के लोगों को पता चल जाय कि सच्चाई क्या है, मैंने यह आंकड़ें बताए थे क्योंकि यह केवल दुख की बात नहीं है, परन्तु (XXX) कि हमारा प्रदेश सबसे बड़ा आदिवासी प्रदेश है और अगर अपने प्रदेश में यह हालात हैं तो केवल आपको नहीं, हमें भी शर्म आनी चाहिए.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ - अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने पहले ही लड़की का चरित्र, चरितार्थ कर दिया कि वह लिव इन रिलेशन में थी, पहले ही संसदीय कार्यमंत्री ने एक बच्ची के ऊपर यह कहा कि वह लिव इन रिलेशन में थी.
अध्यक्ष महोदय - आप थोड़ा सुन लीजिए. इसी विषय पर स्थगन सूचना आज ही प्रातः 10.47 बजे प्राप्त हुई है. शासन से शीघ्र जानकारी प्राप्त की जा रही है. स्थगन सूचना आ गई है. आप निश्चिंत रहें और अभी जब श्री कमलनाथ जी ने कहा, श्री तरुण भनोत जी आप बैठ जाइए, श्री तरुण जी आप प्रश्नकाल को बाधित मत करिए.
श्री तरुण भनोत - अध्यक्ष महोदय, (XXX)
अध्यक्ष महोदय - वह तकलीफ नहीं थी श्री कमलनाथ जी खड़े हैं. श्री कमलनाथ जी ने बोला.
श्री तरुण भनोत - अध्यक्ष महोदय, संरक्षण. एक बात, मैं भी सदन का सदस्य हूं, अपनी बात रखना चाह रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय - आप सदस्य हैं परन्तु अभी श्री कमलनाथ जी ने बोला.
श्री तरुण भनोत - माननीय गृह मंत्री जी ने जो कहा कि शून्यकाल आते-आते स्थिति और क्लियर हो जाएगी तो सिर्फ आप यह व्यवस्था दे दें कि शून्यकाल में जो जानकारी आएगी, वह सदन को दे देंगे और हमारी बात को सुन लेंगे.
अध्यक्ष महोदय - हमने जानकारी मंगा ली है.
श्री तरुण भनोत - इतना शून्यकाल में कर लें. यह व्यवस्था आप दे दें, प्रश्नकाल चलाएं.
अध्यक्ष महोदय - हमने जानकारी मंगाई है.
श्री शैलेन्द्र जैन - आसंदी से कह रहे हैं कि हम खड़े होते हैं और तकलीफ हो जाती है, इसको निकलवाइए. यह असंसदीय है.
श्री तरुण भनोत - अध्यक्ष महोदय, बता दें कि तकलीफ के लिए क्या शब्द होना चाहिए.
श्री शैलेन्द्र जैन - यह बिल्कुल असंसदीय है.
श्री तरुण भनोत - जो विपक्ष बोले, वह सब असंसदीय है क्योंकि हम जनता की बात उठाएं.
श्री शैलेन्द्र जैन - आप आसंदी का अपमान कर रहे हैं.
श्री तरुण भनोत - क्या तकलीफ बोलकर? क्या बोलें तकलीफ की जगह, उनको क्या है?
श्री शैलेन्द्र जैन - उनका आदर और सम्मान है.
श्री तरुण भनोत - परहेज है. आपको तकलीफ पता नहीं क्यों है?
11.12 बजे तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
उचित मूल्य दुकानों की आकस्मिक जांच
[खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण]
1. ( *क्र. 967 ) श्री लाखन सिंह यादव : क्या खाद्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) भितरवार विधानसभा क्षेत्र में कुल कितनी राशन की दुकानें हैं? ग्राम पंचायत एवं नगर परिषद सहित जानकारी दें। (ख) दिनांक 01 जनवरी, 2022 से प्रश्न दिनांक तक राशन वितरण में फर्जीवाड़ा को रोकने के लिए उपरोक्त में से कितनी राशन दुकानों की आकस्मिक जांच किस-किस अधिकारी द्वारा किस-किस दिनांक में कौन-कौन सी दुकानों पर की गई? (ग) जांच में कितनी राशन की दुकानों में गड़बड़ी पाई गई? कितनी राशन की दुकानों पर कार्यवाही की गई तथा कितनी दुकानें निरस्त की गई? (घ) भितरवार विधानसभा क्षेत्र में राशन पर्ची निर्माण की प्रक्रिया एवं इस वर्ष निर्मित राशन पर्ची की संख्या से अवगत कराएं। (ड.) ग्वालियर जिले में खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग में कौन-कौन अधिकारी/कर्मचारी पदस्थ हैं? उनका नाम, पद, जिले में कब से पदस्थ हैं तथा मुख्यालय का नाम बतावें।
खाद्य मंत्री ( श्री बिसाहूलाल सिंह ) : (क) प्रश्नांकित विधानसभा में कुल 123 उचित मूल्य दुकानें हैं। शेष भाग की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (ग) जांच में 06 उचित मूल्य दुकानों में गड़बड़ी पाई गई। उन 06 दुकानों के विक्रेताओं पर F.I.R. दर्ज की गई। कोई भी दुकान निरस्त नहीं की गई है। (घ) हितग्राही द्वारा शासन द्वारा निर्धारित पात्रता श्रेणी के दस्तावेज सहित स्थानीय निकाय में पात्रता पर्ची हेतु आवेदन प्रस्तुत किया जाता है। स्थानीय निकाय द्वारा उक्त आवेदन का परीक्षण किया जाता है एवं पात्र होने के उपरांत राशन मित्र पोर्टल पर ऑनलाईन स्वीकृत किया जाता है, जिसके पश्चात खाद्य विभाग द्वारा आवेदन को स्वीकृत किया जाता है, तत्पश्चात एन.आई.सी. द्वारा आगामी माह में पात्रता पर्ची जारी की जाती है। भितरवार विधानसभा में कुल राशन पर्ची की संख्या 49216 है। दिनांक 01 अप्रैल, 2022 से दिनांक 19.02.2023 तक प्रश्नांकित विधान सभा में 1989 राशन पर्ची निर्मित की गई हैं। (ड.) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'स' अनुसार है।
श्री लाखन सिंह यादव - अध्यक्ष महोदय, ग्वालियर जिले की भितरवार विधान सभा में शासकीय उचित मूल्य की दुकानों के बारे में मैंने जानकारी चाही थी. माननीय मंत्री जी ने 123 दुकानों की जानकारी दी है. मैंने चाहा था कि दिनांक 1 जनवरी, 2022 से प्रश्न दिनांक तक राशन वितरण में फर्जीवाड़े को रोकने के लिए किन-किन अधिकारियों के द्वारा किस-किस दिनांक को किस-किस के सुपरविजन में यह जांच हुई? अध्यक्ष महोदय, इसकी कोई जानकारी नहीं दी, यह पूरा नगण्य है, कोई जानकारी नहीं है. दूसरा, मैंने चाहा था, इन्होंने जानकारी में बताया कि 6 दुकानों पर हमने कार्यवाही की है, 123 में से 6 दुकानों पर आपने कार्यवाही की है. मैं यह जानना चाहता हूं कि वह दुकानों पर जो आपने कार्यवाही की है वह किस कारण से की थी, क्या उसमें फर्जीवाड़ा पाया गया, एक तो यह बात क्लियर कर दें? पहले आप यही बता दें, उसके बाद मैं दूसरा प्रश्न कर लूंगा.
श्री बिसाहूलाल सिंह - अध्यक्ष महोदय, उचित मूल्य की दुकान चरईश्यामपुर, कम मात्रा में वितरण, अधिक कीमत लेना, केरोसिन प्रदाय नहीं करना, अनाज का वितरण न करना, एक तो यह पाया गया. इसमें समिति के प्रबंधक द्वारा शिकायत पर जांच की एवं विक्रेता के विरुद्ध एफआईआर दर्ज की गई और उस दुकान का निलंबन किया गया. दूसरा है, बनियातौर इसमें भी वर्ष 2022 में पीएमजीवाय एवं पीडीएस दोनों योजनाओं में राशन सामग्री बांटी नहीं गई और 7-8 दिन पहले फिंगर प्रिंट लगवा देना, 132 क्विंटल गेहूं, 31 क्विंटल चावल, 6 क्विंटल नमक, 6 क्विंटल शक्कर कम पाया गया. इसमें भी एफआईआर की गई और दुकानदार को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था. इसी ढंग से मस्तुरा में मार्च, 2022 में दोनों योजनाओं की राशन सामग्री बांटी नहीं गई.
श्री लाखन सिंह यादव - अध्यक्ष महोदय, यह तो मैंने भी पढ़ लिया, मैं यह जानना चाह रहा हूं कि जिन विक्रताओं पर एफआईआर की, उन पर एफआईआर तो हो गई, लेकिन जो उपभोक्ता थे उनको क्या फायदा हुआ? दूसरा, एफआईआर हुई तो आज तक कोई वसूली हो पाई क्या? कोई वसूली नहीं हुई है. क्या आप वसूली करा लेंगे और जिन उपभोक्ताओं को उस योजना का फायदा नहीं मिला, उसके लिए आप क्या करेंगे? उपभोक्ता क्यों इसको फेस करें? आपने एफआईआर कर दी, आपने वसूली की नहीं, धीरे-धीरे फिर यह भी समापन की ओर चला जाएगा. इसको भी बता दें कि क्या आप वसूली करा लेंगे? दूसरा, जिन उपभोक्ताओं को राशन वितरण नहीं हो पाया, क्या आप उनको दोबारा उसी दिनांक का राशन दिलवा देंगे? एक चीज. अध्यक्ष महोदय, दूसरा मेरा प्रश्न इससे लगा हुआ है जो बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न है. कोरोना काल में माननीय प्रधानमंत्री जी ने एक योजना चलाई थी प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना, उसमें हर उपभोक्ता को फ्री आफ कॉस्ट अनाज दिया जा रहा था. मेरी विधान सभा में 123 दुकानें हैं. 123 दुकानों में से बमुश्किल 10-12 दुकानों में यह वितरण हुआ है, नहीं तो पूरे 2 साल का अप्रैल 2020 से दिसम्बर 2022 तक किसी भी दुकान में यह माननीय प्रधानमंत्री की योजना के तहत जो फ्री आफ कॉस्ट अनाज दिया जा रहा था किसी भी दुकान पर वितरण नहीं किया. पुराना जो कंटीनिव वाला था उसी को देकर हितग्राहियों को गुमराह करके उसी को कह दिया गया कि यह वही है.
अध्यक्ष महोदय – क्या यह प्रश्न में है, क्या इसको प्रश्न में पूछा है ?
श्री लाखन सिंह यादव – प्रश्न में नहीं है लेकिन प्रश्न तो उसी से रिलेटेड है.
अध्यक्ष महोदय – रिलेटेड हो, परंतु नये सिरे से बात थोड़ी उठा सकते हैं. अभी उनका जवाब आने दीजिये.
श्री लाखन सिंह यादव – अध्यक्ष महोदय, और काहे का प्रश्न है. मैं सिर्फ इतना जानना चाहता हूं कि यदि वितरण हुआ है, आपकी ही योजना है और आप ही उसको लागू नहीं कर रहे हैं, मैं सिर्फ इतना जानना चाहता हूं कि आप 123 दुकानों में से मात्र 5 दुकानों पर जांच करवा लें. यहां से एक समिति गठित कर दें और उसमें क्षेत्रीय विधायक के नाते आप मुझे भी शामिल कर लें, क्या आप ऐसा करेंगे ?
अध्यक्ष महोदय – माननीय मंत्री जी, उनका पहला सवाल यह है कि जिनकी एफआईआर हुई है उनकी वसूली कब तक होगी और जो हितग्राही रहेगा उनको कब तक भुगतान होगा.
श्री बिसाहूलाल सिंह – अध्यक्ष महोदय, जांच पर कार्यवाही प्रक्रियाधीन है, तद्नुसार वसूली की कार्यवाही की जाएगी. यह हो गया. दूसरा, आपने कहा है कि उसकी दोबारा जांच करा लें, तो दोबारा भी जांच करा लेंगे.
अध्यक्ष महोदय – नहीं, दोबारा जांच नहीं कहा.
श्री लाखन सिंह यादव – मैंने यह कहा है कि 123 दुकानों में से आप मात्र 5 दुकानें चुन लें. 5 दुकानों में एक समिति बनाकर क्या माननीय प्रधानमंत्री कल्याण योजना का आपने क्या वहां वितरण किया है, 123 में से 5 में जांच करा लें. एक समिति बना दें. समिति में मुझे भी शामिल कर लें तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा. इसमें क्या आपत्ति है ?
श्री बिसाहूलाल सिंह – अध्यक्ष महोदय, हम जरूर समिति बनाकर जांच करा लेंगे.
श्री लाखन सिंह यादव – अध्यक्ष महोदय, आप मुझे शामिल करेंगे कि नहीं करेंगे ? पिछली बार भी वन मंत्री जी ने यहां एक समिति बनाई, मुझे उसमें शामिल नहीं किया और अभी वह समिति जांच कर रही है जब मैंने अपने लोगों को वहां भेजा. एक भी व्यक्ति से पूछा तक नहीं गया. जिनके कार्यकाल में वह प्लांटेशन हुआ वही जांच समिति के सदस्य हैं. वह क्या जांच करेंगे आज भी आप मुझे शामिल नहीं कर रहे हैं ? आप यह बताएं मुझे क्षेत्रीय विधायक के नाते शामिल करने में आपको क्या आपत्ति है ? मैं तो यह कह रहा हूं कि 123 में से मात्र 5 दुकानों की आप जांच करवा लें. मैं नाम दे रहा हूं, मोहनगढ़, गड़ाजर, चरका, रिचारी खुर्द और मसतुरा, इन 5 दुकानों की जांच करा लें.
अध्यक्ष महोदय – कह दिया जांच करा लेंगे.
श्री लाखन सिंह यादव – नहीं-नहीं कहां, बोल ही नहीं रहे वह.
अध्यक्ष महोदय – बोला ना कि जांच करा लेंगे.
श्री लाखन सिंह यादव – मुझे शामिल करेंगे कि नहीं उन 5 दुकानों में मैं यह जानना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय – नहीं, यह नहीं कहा उन्होंने.
श्री लाखन सिंह यादव – अध्यक्ष महोदय, क्या आपत्ति है. आपका संरक्षण चाहिये. इसमें क्या आपत्ति है ?
नेता प्रतिपक्ष (डॉ. गोविंद सिंह) – अध्यक्ष महोदय, जनता के हित का काम है. आप इतना पाक-साफ हैं तो आपको क्या परेशानी है ? सामने जांच हो जाएगी, गलत होगा, तो क्षेत्रीय प्रतिनिधि हैं उनकी जिम्मेदारी रहती है. क्या उसमें आपको कोई कठिनाई है ? अगर जब आप किसी अधिकारी से जांच कराएंगे तो क्या स्थानीय प्रतिनिधि को शामिल करने में अपराध हो जाएगा बताइये ? माननीय मंत्री जी बताएं. बोलिये ना बहादुर मंत्री जी.
अध्यक्ष महोदय – संसदीय कार्य मंत्री जी, मैंने आपको कहा ना.
श्री लाखन सिंह यादव – आप बैठ जाइये भैया. आप बोलिये माननीय मंत्री जी. पुरानी मित्रता थोड़ी तो निभा दो. अरे आप बैठ जाओ भैया.
अध्यक्ष महोदय – नहीं-नहीं लाखन सिंह जी, मैंने उनको ही कहा है. लाखन सिंह जी, मैंने संसदीय कार्य मंत्री जी को कहा है.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ.नरोत्म मिश्र) – अध्यक्ष महोदय, वह फिर डांटकर बैठा देंगे.
श्री लाखन सिंह यादव – नहीं-नहीं, मेरे बड़े भाई हैं, मैं इनको नहीं डांट सकता.
डॉ. नरोत्तम मिश्र – अध्यक्ष महोदय, सम्मानित मंत्री महोदय ने बहुत स्पष्ट कहा है कि उन्होंने जो 5 दुकानें कहीं हैं उनकी भी जांच हो जाएगी, इनकी भी हो जाएगी. जहां तक सवाल, सम्मानित सदस्य ने कहा है कि मैं रहूंगा कि नहीं रहूंगा, तो उनको सूचना समिति दे देगी, वह अपना पक्ष रख देंगे या यहां मंत्री जी को दे दें वह बिंदु जांच में आ जाएंगे.
श्री लाखन सिंह यादव – अध्यक्ष महोदय, मुझे भी इस सदन में 20-25 साल हो गये. मुझे भी समिति में रखें. हम लोगों की सरकार रहती थी, माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी, आप भी उस समिति में रहते थे.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- आज तक नहीं रहा हूं.
श्री लाखन सिंह यादव -- अरे रहे कैसे नहीं हैं साहब. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह कह रहा हूँ कि आप मुझे इसमें शामिल कराएं. ..(व्यवधान)..
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- मैं आज तक किसी समिति में शामिल नहीं रहा.
श्री लाखन सिंह यादव -- पिछली बार भी मेरा प्रश्न था, माननीय वन मंत्री जी ने मुझे शामिल नहीं किया.
अध्यक्ष महोदय -- हो गया अब. ..(व्यवधान)..
श्री लाखन सिंह यादव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे शामिल करने के लिए आपकी तरफ से निर्देश चले जाएं.
अध्यक्ष महोदय -- अब वे तैयार नहीं हैं तो हम निर्देश कैसे दें.
श्री लाखन सिंह यादव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, वही लीपा-पोती जैसा काम हो जाएगा. कोई कुछ नहीं हो पाएगा. इतना सरंक्षण आपकी तरफ से मिल जाए. 123 दुकानों में से 5 दुकानों के लिए मैं निवेदन कर रहा हूँ.
अध्यक्ष महोदय -- संसदीय कार्य मंत्री जी ने कहा है कि जब समिति जांच करने जाएगी तो आपको सूचना दी जाएगी.
श्री लाखन सिंह यादव -- वह सूचना अभी जो दे दी, किसी को वहां बुलाया नहीं जा रहा, जांच समिति जांच कर रही है, क्या मतलब निकलता है. मैंने उस दिन कहा था मेरी खुद की पंचायत में प्लांटेशन के नाम से करोड़ों रुपये निकल गए और वहां एक प्लांट नहीं है. जांच कर आए, मुझे बुलाया नहीं. कौन इसको सिद्ध करेगा.
श्री पी.सी. शर्मा -- आसंदी से आप दे दीजिए ना निर्देश, उसमें क्या दिक्कत है.
श्री लाखन सिंह यादव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, और इसमें कोई बड़ा इश्यु नहीं है. आप ही बोल दें साहब, कम से कम मुझे शामिल कर लें, और यह आपका ही पुराना क्षेत्र है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- विधायक जी को अपना पक्ष रखना होगा तो वे रख आएंगे, कहां मना कर रहे हैं.
श्री तरूण भनोत -- जांच में रखने में क्या दिक्कत है.
अध्यक्ष महोदय -- कुणाल चौधरी, अपना प्रश्न पूछें. ..(व्यवधान)..
श्री लाखन सिंह यादव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन सुन लें आप..
अध्यक्ष महोदय -- हो गया.
श्री लाखन सिंह यादव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन आप सुन लें, इसमें मुझे शामिल करा दें आप.
अध्यक्ष महोदय -- सुन लिया, कह भी दिया. कुणाल चौधरी जी. ..(व्यवधान)..
श्री कुणाल चौधरी -- माननीय अध्यक्ष महोदय... ..(व्यवधान)..
श्री लाखन सिंह यादव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आप सुनना ही नहीं चाहते.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, सुन लिया मैंने.
श्री लाखन सिंह यादव -- कहां सुन लिया, मुझे शामिल क्यों नहीं करा रहे हैं आप.
अध्यक्ष महोदय -- अब उन्होंने कह दिया कि आपको सूचना देंगे, जरूरी थोड़ी है कि कमेटी में रहें.
नेता प्रतिपक्ष (डॉ. गोविन्द सिंह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें क्या दिक्कत है. जब आप जांच करा रहे हैं, आपकी नीयत साफ है तो क्षेत्रीय प्रतिनिधि समिति में रहेंगे तो क्या परेशानी है.
श्री कुणाल चौधरी -- नीयत साफ ही नहीं है साहब, कहां लगे हो.
लोक निर्माण मंत्री (श्री गोपाल भार्गव) -- अध्यक्ष जी, आजकल जितने प्रश्नोत्तर होते हैं, मैं देखता हूँ, आधे प्रश्नों में एक ही मांग की जाती है कि सदस्य को शामिल करें.
डॉ. गोविन्द सिंह -- तो क्या दिक्कत है.
श्री गोपाल भार्गव -- डॉ. साहब, एक मिनट. मैं सदस्यों से आग्रह करना चाहता हूँ कि हम क्यों यह बेगार का काम करना चाहते हैं. यह काम अधिकारी करें और उसके बाद हम संतुष्ट न हों... ..(व्यवधान)..
श्री लाखन सिंह यादव -- अधिकारी क्या कर रहे हैं, वही तो भ्रष्टाचार करा रहे हैं और वे क्या जांच करेंगे. आप इतने सीनियर मंत्री हैं... ..(व्यवधान)..
श्री गोपाल भार्गव -- यदि वे करेंगे तो उसकी प्रक्रिया है, अध्यक्ष महोदय, बताएं, उसकी प्रक्रिया है, उसके अंतर्गत आप आगे बढ़ सकते हैं. यदि वे आपके कहे अनुसार काम नहीं करें तो आप विशेषाधिकार की सूचना या अन्य प्रकार से आप सदन में ले आइये. उस पर निर्णय होगा. आप क्यों इतनी चिंता कर रहे हैं. यह प्रवृत्ति जो है कि हम शामिल होंगे... ..(व्यवधान)..
श्री लाखन सिंह यादव -- माननीय भार्गव जी, आपको क्या दिक्कत है, आप तो यह बताएं, अगर हम भी उस समिति में शामिल हो जाएं, तो क्या दिक्कत है.. ..(व्यवधान)..
श्री गोपाल भार्गव -- मुझे दिक्कत नहीं है. मैं तो आपकी दिक्कत के लिए कह रहा हूँ कि आप क्यों ..(व्यवधान)..
श्री लाखन सिंह यादव -- हमें कोई दिक्कत नहीं है, जब हम खुद डिमाण्ड कर रहे हैं तो आपको क्या दिक्कत है. माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके तरफ से कुछ निर्देश चले जाएं.
अध्यक्ष महोदय -- निर्देश यही है कि ..(व्यवधान)..
श्री विश्वास सारंग -- अध्यक्ष जी, बड़ी आश्चर्यजनक बात है. पहले जांच समिति की बात हुई, जांच समिति बनाने का बोल दिया, मतलब संतुष्ट नहीं होना है. केवल अपने आपकी जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं करना, अध्यक्ष जी, यह ठीक नहीं है. अगला क्वेश्चन लीजिए. इस तरह से तो लोग बार-बार बोलेंगे..(व्यवधान)..
श्री लाखन सिंह यादव -- चलिए कराइये, आपको भ्रष्टाचार ही पसंद है तो कराइये. ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- श्री कुणाल चौधरी. ..(व्यवधान)..
श्री लाखन सिंह यादव -- भ्रष्टाचार में आप लोग खुद संलग्न हैं. इसलिए आप सदस्य को शामिल नहीं करना चाहते. ..(व्यवधान)..
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- माननीय अध्यक्ष महोदय.. ..(व्यवधान)..
श्री लाखन सिंह यादव -- भ्रष्टाचार को आप लोग बढ़ावा दे रहे हैं, माननीय अध्यक्ष महोदय, हम आपसे निवेदन कर रहे हैं, आप सुनना नहीं चाह रहे हैं..(व्यवधान)..
श्री जयवर्द्धन सिंह -- माननीय अध्यक्ष जी, मेरा इसमें एक प्वॉइन्ट है. ..(व्यवधान)..
श्री लाखन सिंह यादव -- भ्रष्टाचार को आप लोग खुद प्रोटेक्शन दे रहे हैं, आप खुद बढ़ावा दे रहे हैं.. ..(व्यवधान)..
श्री जयवर्द्धन सिंह -- अध्यक्ष जी, मेरा एक प्वॉइन्ट है कि जैसा स्वयं माननीय मंत्री जी ने कहा कि आधे प्रश्नों में विधायक यह मांग करते हैं कि हम भी जांच में शामिल हों, (XXX) कि हर बार हमें अनुमति नहीं मिलती है. आप यहां आसंदी पर विराजमान हैं, हमारे संरक्षण के लिए और अगर हम ये मांग कर रहे हैं...
श्री विश्वास सारंग -- अध्यक्ष जी, ऐसे अलाऊ, एक प्रश्न पर इतने लोगों को बोलना अलाऊ थोड़ी होगा . ..(व्यवधान)..
श्री जयवर्द्धन सिंह -- हां, उन्होंने अनुमति दी है मुझे, आप स्वयं हमारे संरक्षण के लिए आसंदी पर विराजमान हैं तो आपसे मेरा आज विशेष यही आग्रह है कि इनका गंभीर मुद्दा है, वरिष्ठ विधायक हैं, पूर्व मंत्री हैं तो इनकी मांग स्वीकारी जाए.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी, उसमें जिले से बाहर यहां से उच्चाधिकारी भेजकर जांच करा लीजिए. कुणाल चौधरी जी, अपना प्रश्न पूछें. ..(व्यवधान)..
श्री कुणाल चौधरी -- अध्यक्ष महोदय, जिस तरीके से..(व्यवधान)..
श्री लाखन सिंह यादव -- (XXX) ..(व्यवधान)..इसी के लिए आप लोग यहां बैठे हैं. (XXX) यह कोई तरीका नहीं है माननीय अध्यक्ष महोदय. आप वहां बैठकर के पक्षपात कर रहे हैं..(व्यवधान)..
....(व्यवधान)....
श्री कमल नाथ -- माननीय अध्यक्ष जी, मैं बड़ी गंभीरता से सुन रहा था. मुझे यह बात समझ नहीं आती कि क्या परहेज है कि मंत्री जी कहते हैं कि हम जांच समिति बनाएंगे. हमारे साथी सदस्य की यही मांग है कि उस जांच समिति में मुझे भी शामिल कर लिया जाए. अगर आपकी जांच समिति सही है, तो आपको कहना चाहिए कि एक क्या, दो सदस्य आप रख लीजिए, (मेजों की थपथपाहट) पर कौन-सा परहेज है या कौन-सा डर है या कौन-सी बात दबानी है तो इससे तो यही संकेत होता है कि कुछ बात आप दबाना चाहते हैं. इसका खुलासा हो, यह आप भी चाह रहे हैं. आप भी चाह रहे हैं कि हम जांच समिति बनाएं और माननीय अध्यक्ष जी, यह परम्परा आपको घोषित करनी चाहिए कि जब भी ऐसी कोई जांच समिति बने, कोई इस तरफ बैठा हो या उस तरफ बैठा हो, उस जांच समिति में ही, 7 महीने बाद, मैं तो कहता हॅूं हम आपको भी उसमें शामिल करेंगे..(व्यवधान)...
श्री विश्वास सारंग -- अध्यक्ष जी, कमलनाथ जी यही क्यों बोलते हैं. केवल यही बात क्यों बोलते हैं. रोज आते हैं और यह बात बोलकर चले जाते हैं. अपने सभी विधायकों को एकजुट रखने के लिए कर रहे हैं...(व्यवधान)..
श्री कमल नाथ -- अध्यक्ष जी, इसलिए तो मैं सदन में कह रहा हॅूं. मैं आपका ध्यान आकर्षित करने के लिए कहता हॅूं. अभी कुछ महीनों बाद क्या होने जा रहा है...(व्यवधान)..
श्री विश्वास सारंग -- आप यह दिवास्वप्न क्यों देख रहे हो. इतना दिवास्वप्न क्यों देख रहे हो आप. आपका स्वप्न पूरा नहीं होगा और दिवास्वप्न पूरे होते भी नहीं हैं. सरकार हमारी बनेगी...(व्यवधान)..
श्री कमल नाथ -- यह स्वप्न किसका है, यह मध्यप्रदेश की जनता तय करेगी...(व्यवधान)..
श्री तरूण भनोत -- गलत बात है, आप बहस कर रहे हो...(व्यवधान)..
श्री विश्वास सारंग -- हम क्यों न करें बहस. तुम सिखाओगे कि क्या करें, तुम सिखाओंगे, क्या करें. तुम सिखाओगे क्या..(व्यवधान)..
....(व्यवधान)....
श्री तरूण भनोत -- विश्वास भाई, यह कोई तरीका नहीं है..(व्यवधान)..
श्री विश्वास सारंग -- तुम सिखाओगे मुझे..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- अरे आप सब बैठ जाइए, कमल नाथ जी खड़े हैं न...(व्यवधान)..
श्री तरूण भनोत -- बार-बार बालोगे क्या....(व्यवधान)..
श्री विश्वास सारंग -- दस बार बोलेंगे. दस बार बोलेंगे..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- बैठ जाइए, माननीय कमल नाथ जी बोल रहे हैं...(व्यवधान)..
श्री कमल नाथ -- माननीय अध्यक्ष जी, मैं तो आपसे यह निवेदन करता हॅूं कि आपको यहां हर सदस्य की रक्षा करनी चाहिए और अगर कोई सदस्य एक साधारण मांग कर रहा है कि मुझे भी जांच समिति में शामिल कर लें, तो यह तो आपके निर्देश होने चाहिए....(व्यवधान)..
श्री सोहनलाल बाल्मीक -- अध्यक्ष जी, आप इनका सरंक्षण करते हैं.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, हम संरक्षण सबको देते हैं.
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, एक तो अच्छी बात यह है कि सदन में जब-जब 3-4 बार सम्माननीत सदस्य इस तरह का गतिरोध लाए, वह सारी योजनाएं इस बात की द्योतक हैं कि जो हमारी योजनाएं हैं चाहे वह खाद्यान्न बांटने की हो, चाहे जैसे सज्जन भाई ने स्कूल के बच्चों का बताया कि स्कूल के बच्चे हड़ताल कर रहे हैं कि हमको सीएम राइज़ स्कूल में एडमीशन कराया जाए, चाहे उसका हमारे माननीय लक्ष्मण सिंह जी ने आयुष्मान कार्ड.....(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- अरे, उनको बोलने दीजिए न. सबको टाइम दिया है. उनको बोलने दीजिए. (कई सदस्यों के अपने आसन से खडे़ होकर एक साथ कुछ कहने पर)....(व्यवधान)...
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष जी, कृपया, यह माननीय सदस्य को बता दें कि हमने माननीय कमल नाथ जी को धैर्य से सुना था. यह इन सदस्यों को भी बता दें कि हमने पूरा धैर्य से सुना था. हमको भी सुनें, अगर सुनना चाहते हैं. यदि नहीं सुनना चाहते हैं, तो कोई बात नहीं. मेरा सिर्फ इतना सा कहना है...
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्यक्ष जी, सुनें लेकिन, उन्होंने कहा कि 7 महीने बाद, तो वह कौन-सा ज्योतिषी है, आप बता दें तो हम भी सब उसके यहां हो आएं..(हंसी)..
श्री कमल नाथ -- मध्यप्रदेश की जनता मेरी ज्योतिषी है...(हंसी)..
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं पहले भी यह बता चुका, जैसा कि माननीय कमल नाथ जी ने कहा कि इनको जांच समिति में सदस्य बनाने में दिक्कत क्या है. मैं दूसरी बात कह रहा हॅूं कि यह उसका सदस्य बनना क्यों चाहते हैं. मेरा कहना है कि यह तो मना किया नहीं कि जाकर अपनी बात कह नहीं सकते या जब जांच चल रही हो, तब यह पहुंच नहीं सकते, यह बनना क्यों चाहते हैं, इनके पास तथ्य हैं वहाँ वो समिति जाए तो इनको कोई रोक नहीं सकता है, ये विधायक हैं, यह मूल प्रश्न है माननीय अध्यक्ष महोदय, कि ये क्यों बनना चाहते हैं? ऐसे नहीं होना चाहिए और इस तरह की सस्ती बात करना भी नहीं चाहिए, हाउस को इस तरह का रखना चाहिए और विधायक की गरिमा का भी ख्याल रखना चाहिए. मूल बात इतनी सी है. रोज एक सदस्य खड़ा होकर कहेगा हमको जाँच में रखा जाए. यह अच्छी परंपरा नहीं है. अगर कोई तात्कालिक विषय होता है, अगर कोई करंट का विषय होता है, अगर कोई ध्यानाकर्षण का विषय होता है और उसमें आसंदी निर्देश देती है, हम सम्मानित सदस्य की भावनाओं का ख्याल रखने में कभी कोई कोताही नहीं बरतेंगे. लेकिन कंट्रोल का सामान, प्रधानमंत्री जी का दिया हुआ अनाज, कब बँटा, कब नहीं बँटा, इसके लिए सम्माननीय सदस्य को रखो. यह परम्परा अच्छी नहीं है. जहाँ तक कमल नाथ जी ने सरकार बनाने की बात की यह निश्चित रूप से सब सदस्यों को इकट्ठा रहने के लिए कमल नाथ जी अकेले में भी अधिकारियों को भी बुला बुला कर यही कहते हैं. दूसरा, मांगने वालों से भी यही कहते हैं कि हमारी सरकार आएगी, ये कभी नहीं आ सकते...(व्यवधान)..
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- अध्यक्ष महोदय, संसदीय कार्य मंत्री के उत्तर में मैं यह कहता हूँ कि ये सदस्य को क्यों नहीं रखना चाहते हैं? (XXX)...(व्यवधान).. आप सारी विधान सभाओं में डरते हों काँग्रेस के सांसद और विधायकों से..(व्यवधान)..भ्रष्टाचार आपका खुल जाएगा..(व्यवधान)..
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- विदेश में जाकर देश से गद्दारी करता है वो राहुल गाँधी, माननीय अध्यक्ष महोदय, (XXX) ये मोदी जी की बात कर रहे हैं...(व्यवधान)..
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- भाजपाइयों की पोल खोलता है राहुल गाँधी, (XXX)...(व्यवधान).. नरेन्द्र मोदी जिस गलत तरीके से देश चलाते हैं उसकी पोल खोलता है. अडानी अंबानी जैसे लोगों के साथ..(व्यवधान)..मिलकर देश को बेचना चाहता है इसलिए पोल खोलते हैं...(व्यवधान)..
डॉ.सीतासरन शर्मा-- अध्यक्ष महोदय, ये कार्यवाही से निकाले जाएँ...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- कुणाल चौधरी जी...(व्यवधान)..
श्री प्रियव्रत सिंह-- अध्यक्ष महोदय, (XXX)...(व्यवधान)…
अध्यक्ष महोदय-- विधान सभा की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित.
(11.32 बजे विधान सभा की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित की गई)
विधान सभा पुन: समवेत हुई.
11.46 बजे {अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए}
लोकायुक्त एवं ई.ओ.डब्ल्यू. द्वारा की गयी कार्यवाही
[खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण]
2. ( *क्र. 2642 ) श्री कुणाल चौधरी : क्या खाद्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) लोकायुक्त तथा ई.ओ.डब्ल्यू. द्वारा भेजे गये कितने प्रकरण अभियोजन स्वीकृति के लिये किस कारण से लंबित हैं? आरोपी अधिकारी का नाम, प्रकरण के समय का पद, वर्तमान पदस्थापना, कार्यस्थल, प्रकरण दर्ज करने का कारण, दर्ज करने की दिनांक, अभियोजन स्वीकृति हेतु प्राप्त प्रथम पत्र की दिनांक, प्राप्त रिमाइंडर की दिनांक तथा विलंब होने के कारण सहित सूची देवें। (ख) अभियोजन स्वीकृति हेतु सामान्य प्रशासन विभाग को लिखे गये पत्रों की तथा प्राप्त उत्तर की प्रति देवें। (ग) लोकायुक्त तथा ई.ओ.डब्ल्यू. में किन-किन अधिकारियों के खिलाफ, किस प्रकार के प्रकरण में, किस की शिकायत पर जांच प्रक्रियाधीन है, अधिकारी का नाम, पद स्थापना सहित जानकारी दें। (घ) पिछले 10 वर्षों में विभाग में किस-किस प्रकार का भ्रष्टाचार घोटाला तथा आर्थिक अनियमितता पायी गयी? विस्तृत जानकारी दें तथा बतावें कि इन्हें रोकने के लिए समय-समय पर क्या कदम उठाए गए तथा इनमें प्रतिवर्ष वृद्धि या कमी हो रही है?
खाद्य मंत्री (श्री बिसाहूलाल सिंह) :
श्री कुणाल चौधरी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, लोकायुक्त के प्रकरण का एक विवरण मेरे पास आया है. ऐसा लगता है कि (XXX) जिस जीरो टालरेंस के ऊपर सरकार ने वन विभाग के अधिकारियों को 32 की लंबित सूची दी है. मैं अपने पहले प्रश्न से पहले आपसे कुछ पूछना चाहता हूँ जो जानकारी आप दे नहीं पाए हैं. तीन बिंदुओं की जानकारी तो दी है. एक विभाग जो लॉजिस्टिक वाला है, वेयर हाउस है. संजीव तोमर जो यहां पर दो नंबर पर है. यह क्षेत्रीय प्रबंधक थे. इतनी बड़ी लूट चल रही है कि लोकायुक्त ने उनको क्षेत्रीय प्रबंधक के पद पर रंगे हाथों पकड़ा था उनकी पदोन्नति कर दी गई और अभी तक यह जानकारी नहीं दे पाए हैं कि इन पर क्या प्रकरण बना था, कितने रुपए की रिश्वत का प्रकरण था. अभियोजन की स्वीकृति लंबित है या अभी स्वीकृति जारी नहीं हुई है. मंत्री जी प्रकरण किस स्थिति में है यह मुझे बता दें तो मैं आगे इस संबंध में प्रश्न करना चाहूंगा. इसमें आपने स्पष्ट नहीं दिया है, बाकी सब में स्पष्ट दिया है. दूसरे 4 में से 3 में स्पष्ट जानकारी दी है उसके लिए बधाई देना चाहूंगा.
श्री बिसाहूलाल सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, लोकायुक्त और आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो द्वारा....
श्री कुणाल चौधरी -- माननीय मंत्री जी यह तो मैंने पढ़ लिया है. यह जो वेयर हाउसिंग में 2 नंबर और 7 नंबर पर है, इसमें प्रकरण की क्या स्थिति है. प्रकरण दर्ज करने का कारण क्या है. कितने रिश्वत के प्रकरण हैं उसमें क्या स्थिति है. यह जो क्षेत्रीय प्रबंधक थे इनको उप महाप्रबंधक क्यों बना दिया गया. इनका प्रमोशन कर दिया गया. एक न्यूज भी छपी है कि जिनको घूस लेते हुए पकड़ा गया, 100 करोड़ रुपए की संपत्ति जिनसे मिली उनको इस सरकार ने एक हजार करोड़ रुपए की (XXX) ऐसा क्यों किया गया.
अध्यक्ष महोदय -- 2 नंबर और 7 नंबर पर है.
श्री कुणाल चौधरी -- जी हाँ. मतलब वेयर हाउसिंग लॉजिस्टिक कॉर्पोरेशन की इसमें 2 नंबर और 7 नंबर पर. इसमें 3-4 विभाग हैं.
श्री बिसाहूलाल सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, खाद्य संचालनालय से अभियोजन स्वीकृत है. सामान्य प्रशासन विभाग से पत्राचार नहीं किया गया है क्योंकि अभियोजन स्वीकृति हेतु सामान्य प्रशासन विभाग से स्वीकृति लेने का प्रावधान नहीं है.
श्री कुणाल चौधरी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बिलकुल अलग बता रहे हैं. मैं वेयर हाउसिंग कॉर्पोरेशन का पूछ रहा हूँ. वैसे भी मंत्री जी यह आपके समय का नहीं है. आपके समय का होता तो आप निपटा देते. हमें भी निपटा दिया तो इनको क्या छोड़ते आप.
श्री तुलसीराम सिलावट -- कुणाल यह बात तो आप मान गए हैं.
श्री कुणाल चौधरी -- हां, मैं मान गया. मनेसर से तो मंत्री जी को पकड़ लाया था पर यह बैंगलोर में मेरे हाथ नहीं आए थे. वहाँ भी खूब खर्चा किया, खूब मेहनत की थी.
श्री बिसाहूलाल सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रमोशन नहीं किया गया है. अभियोजन की स्वीकृति की गई है.
श्री कुणाल चौधरी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह प्रकरण में दिया गया है कि क्षेत्रीय प्रबंधक थे और अब उप महाप्रबंधक हो गए हैं. यह प्रमोशन नहीं है तो क्या डिमोशन है.
श्री बिसाहूलाल सिंह -- प्रमोशन नहीं किया गया है.
अध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी कह रहे हैं प्रमोशन नहीं किया गया है.
श्री कुणाल चौधरी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक न्यूज यह भी छपी थी कि जो 100 करोड़ रुपए की लूट में पकड़ा जाता है उसकी काबिलियत देखकर उसे एक हजार करोड़ रुपए की लूट के लिए प्रमोशन दे दिया जाता है. यह प्रमोशन है माननीय मंत्री जी आपने खुद ने लिखकर दिया है. यह सारी चीजें मैं स्टडी करके ही आया हूँ. ऐसे ही तो नहीं आया हूँ. आप देखें परिशिष्ट "ब" में 2 नंबर पर है, इसे देखें.
अध्यक्ष महोदय -- वे कह रहे हैं कि यह प्रमोशन नहीं है.
श्री कुणाल चौधरी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, क्या यह प्रमोशन नहीं है क्षेत्रीय प्रबंधक से उप महाप्रबंधक हो गए. मैं गांव का आदमी जरुर हूँ पर इतना तो मैं पढ़कर आया हूँ कि क्या से क्या हो गए हैं.
श्री बिसाहूलाल सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रमोशन नहीं दिया गया है.
श्री कुणाल चौधरी—(XXX) क्या दिया है? यह बड़ी जगह पर पहुंचा दिया है कि जितना भ्रष्टाचार किया था और इसमें क्या प्रकरण है.
अध्यक्ष महोदय- माननीय मंत्री जी प्रकरण क्या था.
श्री कुणाल चौधरी-- माननीय मंत्री जी (XXX)
श्री बिसाहूलाल सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, क्षेत्रीय प्रबंधक और उप महाप्रबंधक समान पद हैं.
श्री कुणाल चौधरी-- उपमहाप्रबंधन आईटी क्या यह बराबर के पद हैं?
श्री बिसाहूलाल सिंह-- हां बराबर के हैं.
श्री कुणाल चौधरी-- माननीय अध्यक्ष जी मुझे यह लगता नहीं है. यह असत्य जानकारी है. माननीय मंत्री जी को जानकारी ही नहीं है. दूसरा प्रकरण इसमें यह है कि आपने मुझे जो 32 प्रकरण की सूची दी है जिसमें से 24 में इनको किस-किस दिनांक तक पदोन्नति दी गई और अभियोजन स्वीकृति के बाद निलंबित और बर्खास्त नहीं किया गया? मंत्री जी बताएं. मंत्री जी आपने हमें तो छोड़ा नहीं इधर इनको इतना क्यों छोड़ रहे हो.
अध्यक्ष महोदय-- कुणाल जी, आप बार-बार रिपीट मत कीजिए. आप प्रश्न पूछिए.
श्री कुणाल चौधरी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से प्रश्न पूछ तो रहा हूं कि यह जो 32 में से 24 प्रकरण हैं जिसमें से 9 प्रकरण की अभियोजन की स्वीकृति जारी की जा चुकी है. इसमें से कितने लोगों की किस-किस दिनांक को पदोन्नति दी गई और इनको निलंबित और बर्खास्त क्यों नहीं किया गया?
श्री बिसाहूलाल सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह सब प्रक्रिया में है.
श्री कुणाल चौधरी--माननीय मंत्री जी आप कब करेंगे. यह लूट की छूट देते हैं. मंत्री जी आप तो हमारे वाले हैं, आप कहां लगे हो इनके चक्कर में सीधे बोलो कि लूट चल रही है.
नेता प्रतिपक्ष (डॉ. गोविन्द सिंह)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जब बिसाहूलाल जी पीडब्ल्यूडी मंत्री थे उस समय यह धाराप्रवाह बोलते थे. अब भाजपा में जाकर इनकी बोलती बंद हो गई है. (हंसी)
अध्यक्ष महोदय-- वह बोल रहे हैं.
श्री कुणाल चौधरी-- अध्यक्ष महोदय, मेरा एक सवाल और है कि यह वर्ष 2017 का प्रकरण आपके समय का नहीं है. यह मुझे मालूम है. यह पांच करोड़ रुपए से ज्यादा के गलत भुगतान का प्रकरण है. अभी तक इसकी वास्तविक जानकारी क्यों छुपाई गई? विभागीय जांच के आदेश के बारे में राशि बताई गई है. शेष राशि के संबंध में कोई जानकारी नहीं है. इसका क्या कारण है?
अध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी उत्तर दें.
श्री कुणाल चौधरी-- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी की जगह अधिकारी को भेज दो तो मैं उनसे बात कर लूं.
श्री बिसाहूलाल सिंह-- यह प्रश्न उद्भूत नहीं होता है.
श्री कुणाल चौधरी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह सवाल के जवाब देते नहीं हैं. प्रदेश में लूट चल रही है. यह न्यूज ऐसे ही नहीं छप रही हैं कि सौ करोड़ रुपए की संपत्ति वालों को हजार करोड़ रुपए लूट के लिए नियुक्त कर दिया है और इसके अंदर इतनी बड़ी लूट चल रही है. माननीय मंत्री जी इसमें आप इन्हें क्यों बचा रहे हैं. यह इनका बगल का मामला होगा, आपका मामला नहीं है. आप इनको इतने सालों से बचाते घूम रहे हैं. माननीय मंत्री जी एक और सवाल पूछ लूं. यह 12 भ्रष्ट अधिकारी जो रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ाए हैं इसके अंदर आपने तीन की अभियोजन की स्वीकृति दी है इनकी क्या स्थिति है और जो 9 हैं उनकी स्वीकृति जारी हो गई है उसके बाद कार्यवाही क्यों नहीं हुई इनकी क्या स्थिति है? इनके लिए तो नरोत्तम जी भी नहीं बोल रहे. मानेसर से तो ले आया था इनको.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं नहीं आप नरोत्तम जी को थोड़ी ले आये थे.
श्री कुणाल चौधरी-- मैं इनसे लेकर आया था. इनके पास ही तो थे.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- इनको लेकर कोई नहीं आया था लेकिन मैं यह बता दूं इन्होंने कुछ भी नहीं किया है. कुणाल जी और जीतु ने ही सरकार गिरवाई है. मैं आपको पक्का बता रहा हूं. यह कमलनाथ जी को धोखा देते हैं कि मैं यहां से ले आएंगे वहां से ले आएंगे. (XXX)
श्री कुणाल चौधरी--मैं वहां से तो ले आया था. इनके पास से उठाकर.
श्री प्रियव्रत सिंह-- (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- इसे कार्यवाही से निकाल दें.
श्री विश्वास सारंग-- माननीय अध्यक्ष महोदय, बोलती बंद हो गई, यह सदन को किस स्तर पर ले जो रहे हैं.
श्री कुणाल चौधरी-- माननीय मंत्री जी यह वर्ष 2015 का प्रकरण है.
श्री प्रियव्रत सिंह-- आप यह काले कपड़े उतारकर आया करो. काली टोपी और काला जेकेट अच्छा नहीं लगता है. सारा मामला ही काला हो जाता है.
श्री तरूण भनोत- अभी तो श्री अरविंद भदौरिया जी यहां पर नहीं हैं, माननीय मंत्री जी किससे डर रहे हैं ? अभी तो आप जवाब दें. बेंगलुरू में तो डर रहे थे, अब किससे डर रहे हैं. मंत्री जी आप खुलकर बोलिये, अध्यक्ष जी यहां बैठे हैं.
श्री कुणाल चौधरी- मेरा सवाल हो जाने दीजिये.
लोक निर्माण मंत्री (श्री गोपाल भार्गव)- अध्यक्ष महोदय, वैसे तो बिसाहूलाल जी बहुत ही सज्जन मंत्री हैं. कायदे से ये उत्तर आपको GAD से पूछना चाहिए था. ये विषय सामान्य प्रशासन विभाग का था.
श्री कुणाल चौधरी- मैं तो कह रहा हूं कि बिसाहूलाल जी बहुत अच्छे व्यक्ति हैं. भार्गव जी मेरा प्रश्न इसी विभाग का है. मैंने सवाल पूछा है कि लोकायुक्त और EOW द्वारा भेजे गए कितने प्रकरण स्वीकृत किये गए, ये मैंने इस विभाग का पूछा है, पूरे मध्यप्रदेश का नहीं पूछा है. माननीय मंत्री जी मेरा एक सवाल है कि वर्ष 2015 का प्रकरण है, इसमें स्मरण पत्र है. इसकी पूरी जानकारी मुझे दे दीजिये.
श्री बिसाहूलाल सिंह- 12 प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन हैं, लंबित हैं. 4 प्रकरणों में अभियोजन स्वीकृत कर, प्रक्रिया में प्रचलित है.
श्री कुणाल चौधरी- इन पर आपने क्या कार्यवाही की, यही तो मैं पूछ रहा हूं. 10-10 वर्षों से पूरा लोकायुक्त और EOW, ये भी मुझे लगता है कि पिंजरे में बंद चिडि़या ही है. मैं, यही तो पूछ रहा हूं कि प्रकरण की क्या स्थिति है. वर्ष 2015 का प्रकरण है आज 2023 चल रहा है. वर्ष 2010 के प्रकरणों की स्थिति क्या है ?
श्री सज्जन सिंह वर्मा- अभी एक जवाब बचा है कि जानकारी एकत्रित की जा रही है, ये जवाब आयेगा.
अध्यक्ष महोदय- इस प्रश्न का पूरा उत्तर आया है, पूरा परिशिष्ट आया है. कुणाल जी उनका उत्तर आ गया कि प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन है.
श्री कुणाल चौधरी- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे 4 विभाग हैं. मैंने कुछ गलत तो नहीं पूछा है ? लूट चल रही है. लूट के लिए छूट के खिलाफ तो मुझे बात करनी पड़ेगी.
श्री तरूण भनोत- अध्यक्ष महोदय, आप आसंदी पर बैठे हैं. विधान सभा की पूरी प्रक्रिया ही विचाराधीन है. आप संरक्षण दीजिये. सभी प्रश्नों में जवाब यही आता है, अभी जानकारी एकत्रित की जा रही है, विचाराधीन है. ये सदन वास्तविक है कि ये भी विचाराधीन है.
डॉ. अशोक मर्सकोले- अब भ्रष्टाचार की कोई बात आती है तो आगे की पंक्ति के मंत्री हंसते हैं.
अध्यक्ष महोदय- मर्सकोले जी, आप बैठ जायें. प्रश्न क्रमांक 2 में जानकारी एकत्रित की जा रही है, यह उत्तर था. परंतु पूरे प्रश्न का उत्तर आपके विधान सभा आने के पूर्व, उन्हें मिल चुका है. पूरे परिशिष्ट के साथ दे दिया गया है. इसमें जानकारी एकत्रित नहीं की जा रही है.
श्री कुणाल चौधरी- अध्यक्ष महोदय, लेकिन यहां गलत जानकारी दी जा रही है. ये कह रहे हैं न्यायालय में लंबित है. ये प्रकरण लंबित नहीं है.
चिकित्सा शिक्षा मंत्री (श्री विश्वास सारंग)- गलत जानकरी है तो प्रश्न और संदर्भ समिति में जाओ न, किसने रोका है.
अध्यक्ष महोदय- यदि गलत जानकारी दी गई है तो विधान सभा नियम- प्रक्रिया के भीतर कार्यवाही का प्रावधान है.
श्री कुणाल चौधरी- मुझे गलत जानकारी दी. मंत्री जी को भी गलत जानकारी दी जा रही है. मंत्री जी ये तो आपको निपटा रहे हैं. आप कह रहे हैं सारे प्रकरण न्यायालय में हैं. मैं, उनको छोड़कर जो 9 की स्वीकृति जारी हो चुकी है, उनके खिलाफ आपने क्या कार्यवाही की है, यही तो मैं पूछ रहा हूं.
एडवोकेट हर्ष यादव- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न क्रमांक 3 है. ये कब तक चलेगा ?
अध्यक्ष महोदय- तो आप उनको मना करिये.
श्री कुणाल चौधरी- क्या मना करें. अध्यक्ष महोदय, आप मुझे जानकरी दिलवायें. यहां लूट चल रही है. सौ-सौ करोड़ वालों को एक-एक हजार की लूट की छूट दे दो और उसके ऊपर जानकारी मत दो और जानकारी दो तो फिर सवाल का जवाब मत दो फिर प्रश्न का लगाने का फायदा क्या है ?
अध्यक्ष महोदय- उन्होंने जवाब तो दिया है.
श्री कुणाल चौधरी- अध्यक्ष महोदय, मैं, यही तो पूछ रहा हूं कि प्रक्रिया में क्या है ? मैं, यही पूछ रहा हूं कि ये जो प्रकरण हैं वर्ष 2016, 2017, 2019, 2020 के हैं. मैं बिना तैयारी के नहीं आया हूं.
अध्यक्ष महोदय- मंत्री जी ने बताया कि प्रकरण न्यायालय में चल रहे हैं.
श्री कुणाल चौधरी- अध्यक्ष महोदय, सारे कहां से न्यायालय में चल रहे हैं. अभी स्वीकृति ही नहीं हुई तो प्रकरण न्यायालय में कैसे पहुंच जायेंगे. अभी लोकायुक्त ने ट्रैप किया, यहां अभियोजन की स्वीकृति नहीं मिली और प्रकरण न्यायालय में चले जायेंगे, कैसे चले जायेंगे, कौन कह रहा है कि न्यायालय में चले जायेंगे.
अध्यक्ष महोदय- अभी उन्होंने कुछ संख्या बताई है कि वे प्रकरण न्यायालय में चल रहे हैं.
श्री प्रियव्रत सिंह- न्यायालय में प्रकरण कैसे जायेगा, जब उसको स्वीकृति ही नहीं मिली है.
श्री कुणाल चौधरी- मतलब भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिए सरकार चल रही है क्या ?
अध्यक्ष महोदय- कुणाल जी, यदि आपको ऐसा लगता है कि विभाग के द्वारा या उधर से कोई उत्तर गलत आया है, हमारे विधान सभा के भीतर, नियम-प्रक्रिया के भीतर तमाम् कार्यवाहियों के प्रावधान हैं, यदि ऐसा लगता है कि गलत जानकारी है, असत्य जानकारी है तो आप कार्यवाही करें, किसने रोका है.
श्री कुणाल चौधरी- मंत्री जी, जानकारी नहीं दे रहे हैं. मंत्री जी को अधिकारी गलत जानकारी दे रहे हैं कि आपके इतने प्रकरण न्यायालय में चल रहे हैं. मैं, पूछ रहा हूं कि जिनके प्रकरण चल रहे हैं, आपने उन पर क्या कार्यवाही की ? आप बतायें कि क्यों उनका निलंबन नहीं किया गया, क्यों उन्हें निष्कासित नहीं किया, क्यों उनको पदोन्नति दी गई और कब-कब दी. मेरा सीधा सवाल है.
अध्यक्ष महोदय- प्रश्नकाल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त)
12.00 बजे
नियम 267-क के अधीन विषय
अध्यक्ष
महोदय:-
12.01 बजे
शून्यकाल में मौखिक उल्लेख
नेता प्रतिपक्ष(डॉ. गोविन्द सिंह):- माननीय अध्यक्ष महोदय, खण्डवा जिले के पंधाना विधान सभा में करीब 25 करोड़ रूपये की लागत से जंगलो में, गड्डों में और पहाड़ों पर वहां घाट बना दिये हैं. जहां पानी नहीं है, नहाने का कोई स्थान नहीं है. मैं माननीय पंचायत मंत्री जी से अनुरोध करता हूं कि जिन लोगों ने 25 करोड़ राशि का प्रयोग पंधाना विकास खण्ड में दुरूपयोग किया है उसकी जांच करायें और दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही करें.
श्री हर्ष यादव(देवरी):- माननीय अध्यक्ष महोदय, सागर सहित पूरे मध्यप्रदेश में जिस तरह से बिजली विभाग के द्वारा जब 10 वीं और 12 वीं की परीक्षाएं चल रही है और किसानों के लिये पानी की जरूरत है. बिजली विभाग जिस तरह से कटौती का काम कर रहा है, जिस तरह से ट्रांसफार्मर उतारे जा रहे हैं, जिस तरह से तार उतारे जा रहे हैं. इससे पूरे मध्यप्रदेश में बेहद आक्रोश पूरे मध्यप्रदेश में है. आसंदी से यह आदेश जारी हों कि परीक्षा का सीजन है और बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए, बिजली की सुगम उपलब्धता हो.
(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय:- नहीं बहुत बातें आ गयी हैं. दो लोगों को समय दे दिया हो गया.
श्री तरूण भनोत(जबलपुर-पश्चिम):- माननीय अध्यक्ष महोदय, 10 वीं और 12 वीं बोर्ड की परीक्षाएं चल रही हैं. मां-बाप अपने बच्चों की तैयारी करवाते हैं. शिक्षा इतनी महंगी हो चुकी है कि अपना पेट काटकर बच्चों को शिक्षा के लिये प्रेरित कर रहे हैं, स्कूलों में पढ़ा रहे हैं और 50 रूपये और 100 रूपये में 10 वीं और 12 वीं बोर्ड का पेपर लीक होकर, वाट्स ऐप में और फोटो कॉपी के माध्यम से बिक रहा है. यह घोर निन्दनीय कृत्य है. शिक्षा व्यवस्था गर्त में जा रही है, जो इसके लिये जिम्मेदार हैं उनके ऊपर तत्काल कार्यवाही होना चाहिये.
श्री महेश परमार:- (XXX)
अध्यक्ष महोदय:- आप बैठ जाइये. आपका नहीं आयेगा. आपको समय नहीं दे रहा हूं. श्री जयवर्द्धन सिंह.
श्री जयवर्द्धन सिंह(राधौगढ़):- माननीय अध्यक्ष महोदय, अशोक नगर जिले में रंग पंचमी के पावन पर्व पर 11 नृत्यांगनों का करीला धाम पर एचआईवी टेस्ट कराया था. वह बहुत ही प्राचीन धाम है. वहां पर लवकुश भगवान का जन्म हुआ था और सदियों से परम्परा है. यह सिर्फ अपमान उन महिलाओं का ही नहीं है. बल्कि वहां जो श्रद्धालु वहां दर्शन करने आते हैं उन पर यह एक बहुत गलत संदेश गया है. महिला बोर्ड ने इसके बारे में प्रश्न पूछा है और उसमें उत्तर 5 दिन में मिल रहा है, कलेक्टर महोदया से. मेरा आपसे विशेष निवेदन है कि माननीय स्वास्थ्य मंत्री जी स्वयं सदन में इसके बारे में उत्तर दें और इसके बारे में स्पष्टीकरण दें.
श्री महेश परमार:- (XXX)
12.03 बजे
पत्रों का पटल पर रखा जाना
नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 (क्रमांक 35 सन् 2009) की अधिसूचना क्रमांक 31-1064713-2023-बीस-2, दिनांक 6 जनवरी, 2023
12.04 बजे
ध्यानाकर्षण
सीधी जिले के बहरी-हनुमना सड़क पर पुल क्षतिग्रस्त होने से उत्पन्न स्थिति
लोक निर्माण एवं ग्रामोद्योग मंत्री (श्री गोपाल भार्गव)--अध्यक्ष महोदय, मेरा ध्यानाकर्षण का उत्तर इस प्रकार है.
श्री कमलेश्वर पटेल--अध्यक्ष महोदय, सबसे पहला मेरा सवाल है कि किस लेब से परीक्षण कराया गया है उसमें इतना समय क्यों लगा है. इसमें तीन महीने सोलह दिन हो गये हैं पुल को बंद हुए उसमें अभी तक परीक्षण हो रहा है. अभी उसमें वैकल्पिक मार्ग भी नहीं बनाया गया है. उसमें वैकल्पिक मार्ग भी बनाया जा सकता था. क्या गरीब जनता एवं किसान के साथ लापरवाही नहीं है कि वह 72 किलोमीटर नहीं उसको 100 किलोमीटर से ज्यादा घूमकर के जाना पड़ता है इसमें गलत जानकारी दी गई है. सियावल से सीधी होकर के बहरी जाते हैं तो जहां तक मुझे जानकारी है आप भी कभी कहीं निमंत्रण पर गये थे उसमें आपको भी घूमकर के जाना पड़ा था तो आप इसमें समझ सकते हैं कि लोगों को परेशानी है. शादी ब्याह से लेकर कभी गमी हो जाये अथवा कुछ भी हो जाये लोग परेशान हो रहे हैं इसमें शासन की उदासीनता तो लगातार है. पीपा का पुल भी बना सकते थे इसमें कोई वैकल्पिक मार्ग बनाकर के लोगों का आवागमन तो सुचारू रूप से संचालित कर सकते थे. मंत्री जी से निवेदन है कि एक तो वैकल्पिक मार्ग कब तक शुरू कर देंगे. दूसरा जो पुराना पुल है जिसमें मरम्मत की बात कही जा रही है. मुझे बताते हुए (XXX) भी आती है कि पुट्टी की भराई करने के बाद पांच मंडल अध्यक्ष एकत्रित होकर उसका भूमि-पूजन पिलर का किया है. पिलर में जो क्रेक आया उसका भूमि-पूजन होता है. हल्के वाहनों के लिये अभी कल फिर से वह मार्ग शुरू करने के लिये फिर से नारियल फोड़ा गया है . क्यों जनता के साथ मजाक कर रहे हैं, क्यों इस तरह का काम कर रहे हैं इसके पार्टी तथा सरकार की भी बदनामी होती है. इससे बड़ी लापरवाही का कोई काम नहीं हो सकता है. मेरा निवेदन है कि नवीन पुल का तीन साल पहले टेन्डर हुआ था. उसका भी काम धीमी गति से चल रहा है. वह कब तक निर्माणाधीन हो जायेगा उसकी समय सीमा बतायें.
दूसरा जो वैकल्पिक मार्ग है, वह कब तक तैयार कर लिया जाएगा और जिसका अभी जिक्र किया है कि लैब से परीक्षण उपरांत जो अभी तक रिपोर्ट आई है और उसको मंत्री जी ने आश्वस्त किया है कि सुचारु रूप से संचालित कर लिया जाएगा, छोटे वाहनों के लिए, तो वह कब तक संचालित हो जाएगा और जो बसें बगैरह हैं, उनके लिए क्या वैकल्पिक व्यवस्था नहीं करेंगे? हर किसी के पास तो छोटा व्हीकल नहीं है. अध्यक्ष महोदय, लोग एक तरफ उतरते हैं और फिर 10-20 रुपए मोटरसायकल वालों का देकर क्रॉस होते हैं, फिर दूसरी तरफ बस खड़ी रहती है. एक किलोमीटर लोग पैदल गठरी लेकर घूमकर जाते हैं, तो ये जो दुर्दशा है, देखी नहीं जाती है. अध्यक्ष जी, आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन है कि जो भी पुल निर्मार्णाधीन है, वह तत्काल हो जाए और जो पुल पुराना है, उसको मरम्मत करवाकर चालू करवाया जाए और वैकल्पिक मार्ग की भी व्यवस्था हो जाए, जिससे छोटे वाहन और बस बगैरह निकल जाए, चाहे तो हैवी व्हीकल एलाउ नहीं करें. लोगों की सुविधा का भी ध्यान रखा जाए.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष जी, जैसा कि उत्तर में मैंने स्वीकार किया है. यह बात सही है कि पुल जर्जर हो गया है और काफी पुराना है, 50 साल पूर्व से पुल बना हुआ था, इस कारण उसमें क्रेक आ गए थे, जिसके कारण कलेक्टर ने, अधिकारियों ने उसका परीक्षण करवाकर उसका आवागमन बंद करवा दिया था. अब उसका मेंटेनेंस का काम हुआ है, ये जो कंपनी है विशेष लैब प्रायवेट लिमिटेड, इसके माध्यम से इसका टेस्ट करवाया गया था, फिजिबिलिटी रिपोर्ट भी आई है, उसमें यह भी कहा गया है कि छोटे वाहन इस पर जा सकते हैं, लेकिर रिस्क है, इस कारण से इसकी अंतिम रिपोर्ट आने तक इस पर यातायात नहीं हो सकता है, लेकिन वैकल्पिक व्यवस्था के लिए इस पर मैं अधिकारियों से चर्चा कर लूंगा और जो कुछ भी संभव हो सकेगा, क्योंकि दो-तीन महीने के बाद बारिश आ जाएगी, इस कारण से कोई वैकल्पिक व्यवस्था हो भी तो मुक्कमिल नहीं होगी. मैं यह प्रयास करूंगा कि दिसम्बर 2023 तक आपका नया पुल जो हमारा विभाग बना रहा है, वह पुल हो जाएगा.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी, इसमें 90 किलोमीटर घूमना पड़ता है. मैं स्वत: एक दिन गया था, वहां तक चला गया फिर अधिकारियों ने कहा कि ये रास्ता बंद है तो फिर लौटकर के सीधी होते हुए जाना पड़ा. ऐसी व्यवस्था देख ले, उस पार भी गाड़ी खड़ी है, इस बार भी गाड़ी खड़ी है. विधायक जी खुद बता रहे हैं कि दोनों पार मोटरसायकल से पहुंचाते हैं, तो जिला प्रशासन से कहिए ऐसी कोई व्यवस्था करें, वह जो पुल है जिसमें छोटी गाड़ी चलती है, पैसेंजर को इस पार से उस पार करें, वह समस्या का निदान हो सकता है, इस पर विचार कर लें.
श्री गोपाल भार्गव - जी अध्यक्ष जी, जैसा आपने निर्देश किया है.
श्री कमलेश्वर पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, एक तो वैकल्पिक मार्ग, कई जगह पीपा के पुल बने हैं, क्योंकि ये क्रेक है पुल में, कोई घटना भी घट सकती है, पुल में. ठीक है आप परीक्षण उपरांत अनुमति दे रहे हैं. पर मेरा निेवेदन है 15 जून तक बहुत आसानी से आवागमन सुलभ हो सकता है, उसके लिए भी अल्टरनेट व्यवस्था करना चाहिए, क्योंकि तीन-साढ़े तीन महीना हो गया और जिला प्रशासन के द्वारा डीएमएफ का भी मद रहता है, दूसरे संसाधन होते हैं, इस तरह की लापरवाही कहीं न कहीं ये संवेदनशीलता के दायरे में आता है. इसी तरह अध्यक्ष महोदय एक बारपांद भैसाहूं पहुंच मार्ग पर दो साल से पुल निर्माण होकर ब्रिज कार्पोरेशन का बना हुआ है पर उसमें दोनों तरफ एप्रोज नहीं जोड़ रहे.
अध्यक्ष महोदय - उस पर नहीं, इसी पर केन्द्रित रहिए.
श्री कमलेश्वर पटेल - अध्यक्ष महोदय, मेरा आग्रह यही है कि एक तो निर्माण जो 2023 तक बोल रहे हैं, मंत्री जी और जल्दी अगर हो जाए तो बहुत अच्छा है. दूसरा ये वैकल्पिक मार्ग जल्दी से जल्दी तैयार हो जाएगा तो अच्छा रहेगा, लोगों का आवागमन व्यवस्थित हो जाएगा.
अध्यक्ष महोदय - पीपा पुल का भी परीक्षण करवा लें, यदि हो सके तो.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष जी, इसका परीक्षण करवा लेंगे और जो नया पुल बन रहा है, उसके पिलर खड़े हो गए हैं, इस कारण से बारिश में दिक्कत नहीं होगी, मैंने पूछा है अभी, दिसम्बर 2023 तक हम पूरा प्रयास करेंगे कि जो नया पुल है, वह हो जाएगा.
श्री कमलेश्वर पटेल - उसके अभी चार पिलर खड़े नहीं हुए हैं. जहां ज्यादा बहाव है, अभी तक वह खड़े नहीं हो पाए हैं.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष जी, नदी बड़ी है. मैंने अभी जो सदन में आश्वासन दिया है, मुझे विश्वास है कि हमारे अधिकारी कर लेंगे.
अध्यक्ष महोदय - ठीक है.
12.15 बजे
(2) सिवनी जिले के पेंच व्यपवर्तन अंतर्गत नहरों का निर्माण न किया जाना.
श्री दिनेश राय 'मुनमुन' (सिवनी) - अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यान आकर्षण सूचना का विषय इस प्रकार है :-
जल संसाधन मंत्री (श्री तुलसीराम सिलावट) - माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री दिनेश राय 'मुनमुन' - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने जो अभी अपना उत्तर दिया है, वह पूरा असत्य है. मैंने जहां-जहां काम बोला है, वह पूरा अधूरा है. अधिकारियों ने गलत जानकारी माननीय मंत्री जी को दी है, पिछली बार मंत्री जी ने आश्वासन दिया था कि मैं स्वयं वहां पर आकर निरीक्षण करूँगा, लेकिन मंत्री जी नहीं आए. मैं आपको बताना चाहता हूँ कि भ्रष्टाचार एक सीमा नहीं, भ्रष्टाचार से पूरे काम हुए हैं. आपने उसकी जांच करवाई, उसमें भी भ्रष्टाचारी अधिकारी मिले हैं. अभी मैं बताना चाहता हूँ कि मंत्री जी, सन् 2013 से जो नहर का काम चल रहा है, यह सन् 2023 है. लगभग- लगभग 9 साल में काम पूर्ण नहीं होना और ठेकेदार सब अधिकारियों को लाये हुए हैं, उनको लाईनिंग काम कराने के चक्कर में जो टेल तक हमारी नहर कम्पलीट हो गई, उनके बीच में गेप को कम नहीं करवा रहे हैं, यह सब ठेकेदार और अधिकारी क्योंकि उनको लाभ देना है, उनसे काम करवाना है और गुणवत्ता हीन काम है. मैं चाहता हूं मंत्री जी आपने पिछली बार आश्वासन दिया था कि मैं स्वयं आऊंगा निरीक्षण में और आपकी जांच में मिला है कि जहां पर हमारी नहर की ऊंचाई है, वहां पर मामूली मिट्टी डाल दिया है. कांक्रीट के काम में जहां ब्रज बनना है, पुलिया बनना है, छोटे-छोटे बना दिये हैं. हमारे यहां के किसानों की यह स्थिति है, वह माननीय मंत्री जी से कहते हैं कि भईया इस नहर को पुरवा दो, हमको हमारी जमीन वापस कर दो, टेल तक पानी नहीं पहुंचा पाये. मैं आपको इतना तक बताना चाहता हूं मंत्री महोदय कि हमारे यहां जब जिन-जिन ग्रामों में विकास यात्रा निकली, वहां हमको रोककर उनने वह नहरें दिखाई, आपके यहां एस.डी.ओ. भलावी है, जो ई.ई. चार्ज में है, उस आदमी आने की फुर्सत नहीं है, वे दिन भर काला चश्मा लगाकर घूमते हैं, उनसे जब हमने रात में वीडियो कॉलिंग की तो वह छिंदवाड़ा में अपने घर में बैठे थे, जब आपके [XXX]
अध्यक्ष महोदय -- आप प्रश्न करें.
श्री तुलसीराम सिलावट -- अध्यक्ष महोदय, मेरी आपत्ति है.
अध्यक्ष महोदय -- इसे विलोपित कर दें, आप सीधा प्रश्न करें.
श्री दिनेश राय मुनमुन -- मैं कहता हूं कि माननीय मंत्री जी आप उसका निरीक्षण करा लो. मेरा तो आपसे आग्रह है कि पहले तो आप उस पर कार्यवाही करो, ऐसे भ्रष्ट अधिकारी पर आप कार्यवाही करो, आप उसका संरक्षण मत कीजिये.
अध्यक्ष महोदय -- मुनमुन जी, आप प्रश्न करें.
श्री दिनेश राय मुनमुमन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आप कहते हैं कि अब हमारे पास पानी है. हमारी सिवनी विधानसभा का क्या दोष वर्ष 2018-19-20 में सरकार बदल गई,पंद्रह महीने की सरकार में मेंटाना कंपनी के एडवांस साढ़े सात करोड़ रूपये निकाल दिये गये और चार सौ करोड़ रूपये सेठ के हाथ में सुपुर्द किये जिसमें 15 महीने में यह सरकार चली गई. एक भारी भ्रष्टाचार वहां हुआ, जिसको हम भुगत रहे हैं, हमने माइक्रो एरीगेशन की योजना वहां पर दो-दो सेंक्शन कराई, माननीय शिवराज सिंह चौहान जी ने कराई, लेकिन उस पंद्रह महीने की सरकार ने हमारा वह निरस्त करके, उसे छिंदवाड़ा जिले ले गये और आज जब हमको पानी की जरूरत है, तो आज आप कहते हैं कि हम पानी नहीं दे सकते हैं, इसमें हमारा दोष क्या है? 9 साल, साढ़े 9 साल. मेरा सीधा-सीधा माननीय मंत्री जी से कहना है कि एक तो भ्रष्ट अधिकारियों के ऊपर आप कार्यवाही करो और स्वयं चलकर निरीक्षण करें और समय सीमा में आप काम कराकर दें. हमारे जो बीच गेप छूटे हैं, वह कम्पलीट करायें और जो असत्य जानकारी अधिकारी दें रहे हैं, उन पर कार्यवाही करें उसके बाद एक प्रश्न और मैं करूंगा.
श्री तुलसीराम सिलावट-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो सम्माननीय सदस्य ने जो भावना व्यक्त की है कि जिस भी विकास यात्रा में जिस अधिकारी ने अभद्र व्यवहार किया है, उसकी पूरी जांच करवाई जायेगी, दोषी होगा तो उस पर कार्यवाही की जायेगी और जो सम्माननीय सदस्य ने कहा कि वाकई में समय अवधि में काम पूरा होना चाहिये और जो वक्तव्य मैंने पिछली बार किया था. मैं फिर सम्माननीय सदस्य को आश्वास्त करता हूं कि मैं स्वयं इनके साथ निरीक्षण भी करूंगा, परीक्षण करूंगा, जो दोषी पाये जायेगा, उस पर कार्यवाही की जायेगी और समयावधि में हम पूरा काम करने की कोशिश करेंगे.
श्री दिनेश राय मुनमुन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अब डेम में पानी नहीं है, अब बाकी हमारे गांव छूट रहे हैं, उनका निरीक्षण करवा लें आप, उनमें पानी दिया जाये, दूसरी बात यह है कि कुछ मेरे डेम बाकी हैं.
अध्यक्ष महोदय -- मुनमुन जी, वह खुद निरीक्षण करने जा रहे हैं, अब आप किसका कह रहे हैं.
श्री दिनेश राय मुनमुन -- मेरे क्षेत्र में जो आदिवासी क्षेत्र ब्लॉक मेरा छपारा है, पहले इस योजना से जोड़ा गया था, श्री अर्जुन कोकोडि़या के विधानसभा में वह पानी जाना था, केवलारी विधानसभा में भी जाना था, लेकिन वह सब पंद्रह महीने की सरकार ने खत्म कर दिया है, पानी जा नहीं पा रहा है. मेरा आग्रह है, मेरे दस बारह डेम है, मैं नाम पढ़ देता हूं, उनका आप निरीक्षण करवा दें.
श्री तुलसीराम सिलावट -- माननीय अध्यक्ष महोदय, वाकई में सम्मानीय सदस्य की पीड़ा है और मैं उसमें अपनी भावनाओं को सम्मिलित करता हूं, पर आज पानी उपलब्ध होगा क्यों, क्योंकि हमारी यह किसानों की सरकार है, हमारा संकल्प है कि हर खेत को पानी देना, मैं पूरा विश्वास के साथ कह सकता हूं कि पानी उपलब्ध होगा, उसका पूरा वरिष्ठ अधिकारियों के साथ परीक्षण कराकर पानी उपलब्ध होगा और तुरंत उन गांवों को जोड़ा जायेगा.
श्री दिनेश राय मुनमुन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे बाकी, जुड़थुरा, दुगली, मुठार, वंदना बेरिया में नहर बन गई है, लेकिन टेल तक पानी नहीं आया, चार गांव और बखारी क्षेत्र में भी टेल तक नहर बन गई वहां भी अभी पानी नहीं दिया, अभी जो सीजन चल रहा है, जब नहर बन गई तब पानी नहीं दे पा रहे हैं, इसी प्रकार रनबेली, छिनबार, मारवोड़ी, झेद, जामहिनोतिया इनमें भी हमारे क्षेत्रों में नहर आई है, कुछ जगह छूट गया है, इनको सम्मिलित करने का मेरे आग्रह है.
मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है, आप बहुत दमदार और दिलेर हैं और उम्मीद करता हूं आप अपनी विधानसभा और जिला प्रभार छोड़कर, पूरा प्रदेश है उसमें मेरा सिवनी जिला भी है, उसमें मेरी कुछ मांगे हैं, जो छोटे डेम अगर आप बना देंगे, अगर आपके यहां पानी नहीं है तो इन छोटे-छोटे लघु डेमों से भी काम हो जायेगा, जिसमें मैं आपसे आग्रह करता हूं. शक्कर नदी में घुंघसा, ग्राम रामगढ़ से जमुनिया के बीच में एक लघु बांध बना दें, ग्राम पंचायत मोहगांव में लघु बांध बना देंगे, जिससे हमारा लालमाटी क्षेत्र का पूरा क्षेत्र सिंचित हो जायेगा, बीजादेवरी और बारी के बीच में एक लघु बांध है, माहुलपानी के भीमनकट्टा नाला पर यह पूरा आदिवासी बेल्ट है, जमीन बंजर है.
यहां पीने तक के लिये पानी नहीं है, खेत में अगर पानी आयेगा तो पीने की व्यवस्था हो जायेगी. नादियाकला के पास पीपल वाली झील में और झिरी के ग्राम में बक्सी निस्तारी तालाब है लाट गांव में है, सर्रा बस्ती के ऊपर गोरखपुर में ग्राम तिलेपानी में कछार लघु बांध और लकवा में लमेरी नाले में सिंचाई हेतु, लकवा के अंतर्गत है मेढ़ाजोली नाले में लघु बांध का है, ववईया में है बेरबारी बाड़ा नाला पर लघु बांध है, इसी प्रकार बक्सी में है, झिरी के बंजारी घाट के नीचे कुर्राटोन नदी में लघु बांध की मांग करता हूं. तेरनी में विजना नाला में मगरबाड़ी में लघु बांध जो स्टोरेज बैराज निर्माण करने का मैं आग्रह करता हूं. गोंदरई ग्राम पंचायत केकड़ा में विजनई नदी में एक हमारा बांध बनना है वह भी स्टोरेज बैराज निर्माण है, इसी प्रकार मोहगांव में लघु बांध बनेगा तो उससे काम हो जायेगा, मेरा आग्रह है कि इन बांधों का आप सर्वे कराकर इनकी भी स्वीकृति प्रदान कर दें जिससे वहां की समस्या का समाधान हो सके.
श्री तुलसीराम सिलावट-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह प्रश्न ध्यानाकर्षण से उद्भूत नहीं होता है, पर सम्मानीय सदस्य की भावनाओं को ध्यान में रखते हुये सारे अधिकारियों को निर्देशित करूंगा कि आपसे चर्चा करके जो हो सकेगा वह जरूर करेंगे.
श्री दिनेश राय मुनमुन-- धन्यवाद, मंत्री जी.
12.26 बजे आवेदनों की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय-- आज की कार्यसूची में सम्मिलित सभी आवेदन प्रस्तुत किये गये माने जायेंगे.
12.27 बजे वर्ष 2022-23 के तृतीय अनुपूरक अनुमान की मांगों पर मतदान
12.28 बजे शासकीय वक्तव्य
दिनांक 15.03.2023 को जिला इंदौर के थाना बडगोदा अंतर्गत पुलिस चौकी डोंगरगांव में घटित घटना.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - माननीय अध्यक्ष महोदय, एक बात इसमें रह गई है कि गोली चालन पर वहां तत्काल उसको 4 लाख रुपये और 2 लाख रुपये घायलों को दिये गये.
डॉ.गोविन्द सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय गृह मंत्री जी ने पूरा वक्तव्य दिया. यह मुद्दा पहले भी उठ चुका है. सवाल यह है कि जो मेडिकल परीक्षण कराया है. मेडिकल परीक्षण में क्या रिपोर्ट आई. दूसरी बात सीधी फायरिंग, 30 राउण्ड चले हैं, अगर पथराव हो रहा था तो लाठी चार्ज किया जा सकता था. इसके अलावा जब गोली चालन करते हैं तो कमर के नीचे गोली चलाने का पुलिस का आदेश रहता है तो सीधी गोली चलाई और उसके सीने में लगी. इससे मतलब यह है कि पुलिस का आक्रोष इतना था कि वे गुस्से में आए और उन्होंने सीधे गोली चालन किया जबकि आदिवासी भाई सीधे,सज्जन होते हैं. उनके ऊपर गोली चलाना अनुचित था. दूसरा, आपने यह भी स्पष्ट नहीं किया कि इसमें मेडिकल परीक्षण हुआ है उसमें जहां तक रेप की बात आई है तो मेडिकल परीक्षण में मृत्यु का कारण क्या है यह भी आपने नहीं बताया है. इसको भी स्पष्ट करें.
डॉ.नरोत्तम मिश्र - माननीय अध्यक्ष जी, विस्तृत मेडिकल रिपोर्ट अभी आई नहीं है. मेरे हाथ में जो जवाब आया है. उसमें उन्होंने प्रथम दृष्टया करंट से मौत बताई है.
अध्यक्ष महोदय - तरुण भनोत जी चर्चा शुरू करें.
डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ - अध्यक्ष महोदय,
अध्यक्ष महोदय - हो गया. अब उस पर बहस नहीं कराना है.
डॉ.अशोक मर्सकोले - अध्यक्ष महोदय, हमारी बात सुनी जाए.बहुत गंभीर मामला है.
अध्यक्ष महोदय - वक्तव्य आ गया उनका. बहस नहीं कराना है. इनका नहीं लिखा जायेगा. श्री तरुण भनोत जी.
डॉ.अशोक मर्सकोले - (xxx)
डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ - माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे बोलने दिया जाए. जिस तरह का माननीय मंत्री जी ने जो जवाब दिया जो मैं सुन पाई हूं कि जो शव वहां रखा गया वह 8 बजकर 30 मिनट पर रखा गया और जो एफ.आई.आर. दर्ज होती है बड़गोदा थाने में वह 21बजकर 15 या 20 मिनट पर तो करीब-करीब 3 घंटे का जो गैप है.एफ.आई.आर.दर्ज नहीं होती. लोग, परिजन और उनके परिवार के लोग 3 घण्टे तक क्या इंतजार करेंगे. शोषित, पीड़ित परिवार, आदिवासी परिवार शव रख करके 3-3 घण्टे तक इंतजार कर रहा है, जो मंत्री जी के वक्तव्य में आया है और उसके बाद जैसे हमारे विपक्ष के नेता जी ने बोला कि आंसू गैस के गोले आपके विपरीत दिशा में गये. उसके पहले आप लाठीचार्ज नहीं कर सकते थे, सीधे आपने गोली मारी, क्योंकि ये एससी,एसटी के लोग आपकी नजर में कुछ हैं ही नहीं. गोली मारो और वक्त आने पर इनके वोट लो और आभामंडित करो, कहीं टंट्या मामा जी का वो करो, कहीं उनका करो. यही जवाब है.
अध्यक्ष महोदय-- बस हो गया. तरुण जी, आप बोलें.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ-- वे चाहें मर जायें, तो यह जवाब ठीक नहीं है.
अध्यक्ष महोदय-- उनका बयान आ गया. यह सब नहीं. कोई अपने को अभी बहस नहीं करानी है भाई.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ--अध्यक्ष महोदय, इन्होंने लीपापोती की. पहले ही इन्होंने कहा, उन्होंने जो दोष मढ़ा, वह लड़की के ऊपर मढ़ दिया.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, इस पर बहस नहीं हो रही है. भनोत जी, आप अपनी बात शुरु करिये.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ-- जो वक्तव्य मिला, उसके पहले ही यह बात बोल दी थी. जो वक्तव्य इन्होंने यहां बोला, हमको पता था कि यह वक्तव्य में भी आना है. अध्यक्ष महोदय, इसकी गंभीरता को देखें.
अध्यक्ष महोदय-- तरुण जी, आप शुरु करिये.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ-- अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे संरक्षण चाहती हूं.
अध्यक्ष महोदय-- इस पर अभी बहस थोड़ी कराना है. स्थगन अब आया है, उसमें जानकारी प्राप्त करेंगे, करेंगे. जो कुछ होगा ना, करायेंगे ना.
श्री सज्जन सिंह वर्मा (सोनकच्छ)-- अध्यक्ष महोदय, सबसे पहले मैंने ही लिखित में सचिवालय को भेजा है. मेरा मंत्री जी से एक ही प्रश्न है. मंत्री जी, मेरी बहन ने कहा, हमारे नेता प्रतिपक्ष जी ने कहा. सीधे ही आप तो गोली मारने के आदेश दे रहे हो, चाहे किसान हो मंदसौर का, उसकी छाती पर गोली मार दो, आदिवासी बेचारा निरीह उसको गोली मार दो. मेरा आपसे यह कहना है कि आपने जब वक्तव्य दिया था शुरु का, शून्यकाल के पहले, प्रश्नकाल के पहले. आपने कहा कि हमने मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दे दिये हैं. अध्यक्ष महोदय, इन्होंने कमिट किया है. मेरा आपसे अनुरोध है, आप और हम सदन में एक लम्बी अवधि से हम लोग सदन में बैठते आ रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, लटेरी काण्ड में, आप भी गवाह हैं उसमें. लटेरी काण्ड में भी इसी तरह की घटना हुई थी आदिवासी के साथ. इन्होंने वहां जांच कमेटी बनाई. जांच कमेटी का समय पूरा हो गया, फिर उस कमेटी का समय बढ़ा दिया. क्या इस तरीके से आप न्याय दिलाओगे, उन लोगों को, आदिवासियों को. यह आपने कमेटी बना दी, मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दे दिये, समय निकलता जायेगा. फिर वह आयेंगे कि समय बढ़ाइये, आप समय बढ़ा देंगे. क्या इससे न्याय मिल पायेगा. दूसरा मेरा यह कहना है कि एक एक करोड़ रुपये दोनों मृतकों के परिवार को देने की शासन आज घोषणा करे, एक एक करोड़ रुपया उनको दे और उस परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने की घोषणा सदन में करना चाहिये.
अध्यक्ष महोदय-- जवाब में आ गया है.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ-- अध्यक्ष महोदय, वह लड़की भी 20-22 साल की थी. जो लड़का शांत हुआ, वह भी 18 साल का था. जो बच्चे, जिनका भविष्य था, जिनके माता पिता ने चाहा था कि उनका भविष्य बने. उन लोगों के साथ यह चीजें हुई हैं. तो जो सज्जन सिंह जी ने बोला है, तो मृतक के परिवार को पैसा देना चाहिये, वित्तीय सहायता और उसके साथ साथ उसके परिवार के एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी देना चाहिये. यह कमिट करें, घोषणा करें.
अध्यक्ष महोदय-- तरुण जी, आप शुरु करें.
श्री तरुण भनोत -- गृह मंत्री जी, मैं आपकी तरफ से बोल दूं कि नौकरी देंगे दोनों के परिवार के सदस्य को.
अध्यक्ष महोदय-- तरुण जी, आप शुरु करें, अपने विषय पर आयें.
श्री तरुण भनोत -- गृह मंत्री जी, दोनों मृतकों के परिवार के सदस्य को नौकरी देंगे.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ--अध्यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहती हूं.
अध्यक्ष महोदय-- आर्थिक सहायता तो कर दी. आर्थिक सहायता की घोषणा कर दी है.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ--अध्यक्ष महोदय, आप आसंदी से निर्देश दें. कि दोनों के परिवारों को नौकरी दें और एक एक करोड़ रुपया उनके परिवार को आर्थिक सहायता दें.
..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- यह नहीं लिखा जायेगा, यह किसी का नहीं लिखा जायेगा.
डॉ. अशोक मर्सकोले -- (xxx)
डॉ. हिरालाल अलावा-- (xxx)
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ --(xxx)
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव -- (xxx)
अध्यक्ष महोदय-- कृपया आप लोग बैठ जायें.
..(व्यवधान)..
(व्यवधान)..
12.40 बजे गर्भ गृह में प्रवेश
इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा गर्भ गृह में प्रवेश
(डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ, सदस्या के नेतृत्व में इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा जिला इंदौर के थाना बड़गोदा अंतर्गत पुलिस चौकी डोंगरगांव में घटित घटना पर शासन के जवाब से असंतुष्ट होकर गर्भ गृह में प्रवेश किया गया एवं नारेबाजी की गई.)
संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) - अध्यक्ष महोदय, यह क्या सदन नहीं चलाना चाहते हैं? क्या विपक्ष सदन चलाना नहीं चाहता है? अध्यक्ष महोदय, आपने कहा वक्तव्य दे दो, हमने वक्तव्य दे दिया, अब क्या यह सदन नहीं चलाना चाहते हैं? नेता प्रतिपक्ष जी, सदन नहीं चलाना है क्या? आप सदन चलाना नहीं चाहते हैं क्या? अध्यक्ष महोदय, आपने कहा, मैंने वक्तव्य दे दिया.
(व्यवधान)
12.41 बजे बहिर्गमन
इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा सदन से बहिर्गमन
नेता प्रतिपक्ष (डॉ. गोविन्द सिंह) - अध्यक्ष महोदय, सरकार के द्वारा, गृह मंत्री के द्वारा मेडीकल रिपोर्ट न देना, रिपोर्ट को छिपाना, सत्यता को छिपाना और गरीब आदिवासी भाई और बच्ची को उचित आर्थिक सहायता न देना, इसके विरोध में विपक्ष की कांग्रेस पार्टी सदन से बहिर्गमन करती है.
(डॉ. गोविन्द सिंह, नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा शासन के जवाब से असंतुष्ट होकर सदन से बहिर्गमन किया गया.)
12.42 बजे वर्ष 2022-23 के तृतीय अनुपूरक अनुमान की मांगों पर मतदान (क्रमशः)
श्री तरुण भनोत (जबलपुर-पश्चिम) - अध्यक्ष महोदय, माननीय वित्त मंत्री महोदय ने तृतीय अनुपूरक बजट सदन में रखा है. वैसे तो मैं इस बात का विरोधी हूं कि कुछ साल से जो यह नयी प्रथा शुरू हुई है कि आम बजट आने के बाद भी तृतीय अनुपूरक बजट आता है, यह दर्शाता है कि कहीं न कहीं बहुत लम्बे समय से कुछ गड़बड़ियां ऐसी हो रही हैं और जिनको ठीक करने का प्रयास भी नहीं किया जा रहा है. अगर कहीं व्यवस्था पटरी से उतरी है तो हम सबका का प्रयास यह होना चाहिए कि उसको वापस पटरी पर लाया जाय. अनुपूरक बजट, आम बजट के बाद अब अध्यक्ष महोदय, 16 हजार करोड़ रुपये का अनुपूरक बजट आप लेकर आए हैं, फिर वही प्रश्न उठता है जो पूरे मध्यप्रदेश की जनता को विचलित करता है कि जनवरी, 2023 से वित्तीय वर्ष पूरा नहीं हुआ, 14 मार्च जो दिनांक दो दिन पहले थी, लगातार आप कर्जा लेते जा रहे हैं. आपने लगभग 25 से 30 हजार करोड़ रुपये का कर्जा दो माह में ले लिया तो यह पूरे मध्यप्रदेश की जनता जानना चाहती है, यह सदन जानना चाहता है कि आपकी प्लानिंग क्या है? आप कैसे इस पैसे को खर्च करते हैं. आप पिछले वर्ष जब बजट 2 लाख 80 हजार करोड़ रुपये का लेकर आए थे, हमने पूरे आंकड़ों को पढ़ा. आपने पूंजीगत व्यय में सिर्फ 40 हजार करोड़ रुपया खर्च किया. पब्लिक वेलफेयर के लिए सड़क बनाने के लिए, पुल पुलिया बनाने के लिए किसानों की सुविधाओं के लिए नाला-नाली बनाने के लिए, सारे विभागों को मिलाकर जो कुल पैसा विकास कार्यों में खर्च हुआ, वह 2 लाख 80 हजार करोड़ रुपये में से मात्र 40 हजार करोड़ रुपया था.
अध्यक्ष महोदय, आप लगभग 17 हजार करोड़ रुपये अनुपूरक बजट लेकर आ रहे हैं. हम आपसे जानना चाहते हैं कि यह बाकी पैसा, यह मैं व्यक्तिगत रूप से नहीं कह रहा हूं. आप बुरा मान जाते हैं. कल मैं देख रहा था. आपका बहुत अच्छा स्वभाव है. आप बहुत अच्छे व्यक्ति हैं. सब आपकी तारीफ करते हैं, परन्तु जब हिसाब की बात आती है वह तो हमारा हक है कि जो पैसा मध्यप्रदेश की जनता का करों के रूप में खजाने में आता है, उसका हिसाब तो हम मांगेंगे और वह मध्यप्रदेश की जनता की तरफ से सदन में खड़े होकर मांग रहे हैं. जितना पूंजीगत व्यय हुआ.
अध्यक्ष महोदय, यह बहुत गंभीर विषय है. जो बजट की राशि आपने प्रावधानित की थी, मध्यप्रदेश की सरकार का एक भी विभाग ऐसा नहीं है, जो आपने प्रावधान किया था, वह पूरी राशि आपने उस विभाग को दी हो और परंपरा क्या बन गई, नया बजट ले आइए, नया आंकड़ा ले आइए, उसको और बढ़ा दीजिए. हम पिछला दे नहीं पा रहे हैं. चाहे स्वास्थ्य जैसा महत्वपूर्ण विभाग हो. शिक्षा जैसा महत्वपूर्ण विभाग हो. हमारा महिला एवं बाल विकास का विभाग हो. महिला बाल विकास विभाग हो, पीडब्ल्यूडी विभाग हो, गृह मंत्रालय हो, खाद्य नागरिक आपूर्ति विभाग हो, कोई भी विभाग हो, हम किसी भी विभाग को आवंटित पैसा जो बजट में करते हैं वह पूरा दे ही नहीं रहे हैं और सप्लीमेंट्री लेकर आते हैं. छोटा सा प्रश्न, बहुत सरल प्रश्न है.
डॉ. सीतासरन शर्मा – अध्यक्ष महोदय, मेरा प्वाइंट आफ आर्डर है. माननीय पूर्व वित्त मंत्री जी.
श्री तरुण भनोत – अध्यक्ष महोदय, आपने प्वाइंट आफ आर्डर स्वीकार कर लिया अब मैं बैठ जाऊं ?
अध्यक्ष महोदय – प्वाइंट आफ आर्डर सुनना पड़ेगा.
श्री तरुण भनोत – माननीय, आपके ऊपर है. मैंने ऐसी कोई बात ही नहीं की जिसके ऊपर प्वाइंट आफ आर्डर आये.
डॉ. सीतासरन शर्मा – नहीं, मैं बताता हूं. अनुपूरक बजट में उसी विषय पर बात की जा सकती है जो अनुपूरक के अंदर व्याप्त हो. आप बाहर की आम बजट की बात करने लगे, इसलिये मैंने इसका विरोध किया. यह नियमों में है. यह अनुपूरक बजट है. अनुपूरक पर बात हो रही है.
श्री तरुण भनोत – सप्लीमेंट्री बजट तो उसी बजट के अंतर्गत आया है. अनुपूरक सप्लीमेंट्री बजट का मतलब क्या है, आपने जो प्रावधान किये थे.
श्री विश्वास सारंग – अध्यक्ष महोदय, तरुण भाई बहुत विद्वान हैं, पूर्व वित्त मंत्री भी हैं, परंतु आम बजट की ओपनिंग में भी यही भाषण दिया था जो अभी दे रहे हैं. यही प्वाइंट आपने उस समय भी उठाया था.
श्री सचिन यादव – अध्यक्ष महोदय, यह तृतीय अनुपूरक है. मुख्य बजट वर्ष 2023-24 क्या है ?
श्री विश्वास सारंग – अध्यक्ष महोदय, सीतासरन जी ने जो बोला है कि अनुपूरक पर आप बोलो, अनुपूरक के प्रावधानों पर आप बोलो यह जनरल बजट की आप बहस कर रहे हैं.
श्री तरुण भनोत – मैं बहस नहीं कर रहा हूं माननीय, आप बैठें. मैं आपकी चिंता कर रहा हूं. आप इतने महत्वपूर्ण विभाग के मंत्री हैं आपके विभाग को पूरा पैसा नहीं मिला.
श्री विश्वास सारंग – आप वही बोल रहे हैं जो बजट की ओपनिंग में आपने बोला था. आप उठाकर मिनिट्स देख लें.
श्री तरुण भनोत – अध्यक्ष महोदय, यह थर्ड सप्लीमेंट्री बजट कहां से आया, क्यों आया, वह जो आप आम बजट लाये थे, जो डिमांड आपने रखी थी, जो इस सदन ने पास की थी उसी के अंतर्गत तो यह थर्ड सप्लीमेंट्री आया है. अगर यह प्रावधान आप नहीं करेंगे, उस बजट में और उसको पास नहीं करेंगे तो पैसा नहीं मिलेगा. आप समझिये मैं क्या कह रहा हूं. आप बोल रहे हैं कि यह थर्ड सप्लीमेंट्री है, थर्ड सप्लीमेंट्री कोई अलग जहाज है क्या जो उतर जाए नीचे. उसी बजट का पार्ट है. आपने जब पिछली बार आम बजट रखा था.
श्री विश्वास सारंग – उसी बजट का पार्ट नहीं है भैया, उस बजट में नहीं आया इसीलिये सप्लीमेंट्री आ रहा है.
श्री तरुण भनोत – अरे भाई, उसी डिमांड्स पर तो सप्लीमेंट्री पास कराया है.
श्री विश्वास सारंग – डिमांड्स पर सप्लीमेंट्री आती रही है तो आपको समझ में नहीं आ रहा है.
डॉ. सीतासरन शर्मा – अध्यक्ष महोदय 156(2) ‘’अनुपूरक अनुदानों पर वाद विवाद केवल उन मदों तक ही सीमित रहेगा जिन पर अनुपूरक अनुदान बताये गये हैं और जब तक तद्धीन मदों की व्याख्या करने और उन्हें स्पष्ट करना आवश्यक न हो मूल अनुदानों पर या उनसे संबंधित निधि पर कोई चर्चा नहीं होगी.’’
श्री बहादुर सिंह चौहान – अध्यक्ष महोदय, तृतीय अनुपूरक में मात्र 29 मांगें हैं.
श्री तरुण भनोत – अध्यक्ष महोदय, यह व्यवस्था का प्रश्न उठाकर मध्यप्रदेश में जो आर्थिक अव्यवस्था फैल रही है आप उससे अगर दिमाग भटकाना चाहते हैं, बड़े विद्वान माननीय हमारे पूर्व स्पीकर भी रहे हैं, हमारे सीनियर भी हैं, मैं उनका बहुत आदर भी करता हूं, मेरी चिंता इस बात की है और पूरे मध्यप्रदेश की जनता की और उनके प्रतिनिधियों की यहां पर चिंता इस बात पर होनी चाहिये कि हम इतने बड़े भारी कर्ज के दलदल में फंसते जा रहे हैं. आरबीआई हमको लगातार चेतावनी दे रहा है कि आर्थिक रूप से मध्यप्रदेश प्रथम पांच राज्यों में हिन्दुस्तान के है जहां पर किसी भी समय वह स्थिति बन सकती है कि आर्थिक आपात काल लगाना पड़ सकता है. अगर हम इस बात पर चिंता कर रहे हैं कि माननीय वित्त मंत्री महोदय स्वास्थ्य विभाग को जितना पैसा मिलना चाहिये था, पीडब्ल्यूडी विभाग को जितना पैसा मिलना चाहिये था वह पैसा नहीं मिला और आप थर्ड सप्लीमेंट्री ला रहे हैं.
श्री विश्वास सारंग – अध्यक्ष महोदय, आपत्ति है आरबीआई ने कहां बोला है ?
श्री तरुण भनोत – मैं तो आपको आरबीआई का कागज दे दूंगा पटल पर.
श्री विश्वास सारंग – ऐसा बोला है कि आर्थिक आपात काल लगने वाला है ?
श्री तरुण भनोत – हां, पांच राज्यों की स्थिति में है.
श्री विश्वास सारंग – देखो आप जितु जी जैसा मत करो तरुण भाई. यह सदन में इस तरह की बातें मत करो.
श्री तरुण भनोत – अगर अध्यक्ष महोदय, सुनने का मादा नहीं है, यह कौन सी बात है मैं आपको कागज दे दूंगा.
श्री विश्वास सारंग – यह असत्य बात मत करो. बिना किसी तथ्य के बात मत करो. आप बोल दो, रख दो पटल पर फिर.
श्री तरुण भनोत – मैंने तो रखा था.
श्री विश्वास सारंग – रखो ना. अभी रख दो.
श्री तरुण भनोत – आज तो नहीं हैं मेरे पास. रख दूंगा.
श्री विश्वास सारंग – आज नहीं हैं क्योंकि जितु जैसा काम मत करो भैया. सही बात बोलो यहां पर.
श्री तरुण भनोत – अध्यक्ष महोदय, अगर पटल पर यह कागज मैं कल आपको न दे दूं तो मेरी विधान सभा की सदस्यता समाप्त कर दीजिएगा. इस प्रकार की बातें अगर मंत्री करेंगे..
श्री विश्वास सारंग – आरबीआई ने ऐसा बोला है कि आर्थिक आपात काल लगने वाला है ?
श्री तरुण भनोत – लगा नहीं है, लगने की स्थिति आ रही है. आपने सुना नहीं है.
श्री विश्वास सारंग – ऐसा बोला है क्या ? आप जिम्मेदारी से बोलें. अध्यक्ष जी, यह नोट करिये. देखिये यह पूरे प्रदेश की आर्थिक स्थिति, अस्मिता का मामला है यह कुछ भी बोलते हैं. निवेश से लेकर सब पर यह असत्य बातें करके अपनी राजनीति चमका रहे हैं.
श्री तरुण भनोत – यह भ्रष्टाचार का मामला है.(XXX)..(व्यवधान)..
श्री विश्वास सारंग – आप पटल पर रखो फिर. इस तरह की असत्य बात आप डिलीट करवाइये. आपात काल लग रहा है कुछ तो भी बोलेंगे.
श्री तरुण भनोत – अध्यक्ष महोदय, मंत्री अगर हमको बोलने नहीं देंगे तो आपका संरक्षण चाहिये.
श्री आशीष गोविंद शर्मा – तरुण जी, आप कांग्रेस के जिम्मेदार नेता हैं.
श्री तरुण भनोत – अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय विश्वास सारंग जी से पूछ रहा हूं यह मुझे बता दें पिछले साल के बजट में इनके विभाग के लिये कितना प्रावधान था और कितना पैसा इनको प्राप्त हुआ बता दें ? अगर 100 प्रतिशत पैसा मिला होगा तो मैं वक्तव्य यहीं समाप्त कर दूंगा.
श्री विश्वास सारंग -- आप बोल रहे हैं, आरबीआई के आप कौन से सर्कुलर की बात कर रहे हैं, मैं उस सर्कुलर की बात कर रहा हूँ. आप बता दो, कुछ तो भी बोलोगे यहां पर ..(व्यवधान)...
श्री तरूण भनोत -- अध्यक्ष महोदय, मैं तो इनके विवाद की बात कर रहा हूँ. ..(व्यवधान)...
श्री विश्वास सारंग -- आप आरबीआई का सर्कुलर बता दो ना..(व्यवधान)...
श्री तरूण भनोत -- हम बताएंगे आपको, दिखाऊंगा आपको. ...(व्यवधान)... आप अपने विभाग का बता दो. ..(व्यवधान)...
नेता प्रतिपक्ष (डॉ. गोविन्द सिंह) -- एक मिनट, माननीय अध्यक्ष जी, सप्लीमेंट्री बजट इसलिए लाया जाता है कि आपने पिछले वर्ष जो बजट से अधिक खर्च कर लिया या कोई आपका पुराना भुगतान बकाया है, उसको देने के लिए आप सप्लीमेंट्री लाते हैं. लेकिन पिछले बजट में जो आपने प्रावधान किया था, उसका करीब 30-40 प्रतिशत हमने खर्च ही नहीं किया तो सप्लीमेंट्री की आवश्यकता क्यों हुई. यह माननीय वित्त मंत्री जी अपने वक्तव्य में बताएं, जब वे उत्तर दें.
अध्यक्ष महोदय -- ठीक है.
श्री तरूण भनोत -- अध्यक्ष महोदय, अगर आपके विभागों को यही बात रेखांकित करने का प्रयास कर रहा हूँ, अगर विभागों को जो राशि प्रावधानित थी, वही नहीं मिली, वही खर्चा नहीं हुआ तो सप्लीमेंट्री लाने का औचित्य क्या है. आप यह कहते कि हमने पीडब्ल्यूडी विभाग को 10 हजार करोड़ रुपये दिए थे, खर्चा 12 हजार करोड़ रुपये हो गया, हमें 2 हजार करोड़ रुपये और अतिरिक्त चाहिए तो हमें बड़ी खुशी होती. आपने 7 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया था, दिया साढ़े 4 हजार करोड़ रुपये, तो हम तो सवाल यह उठा रहे हैं कि कर्जा कैसे बढ़ गया. ब्याज, माननीय सदन के सभी जिम्मेदार साथी यहां बैठे हुए हैं. यह हम सब के लिए चिंता का विषय होना चाहिए. हम सबके लिए, चाहे वहां बैठे हों, चाहे यहां बैठे हों, कि जो कुल बजट की राशि थी, उसका 15 प्रतिशत भी पूंजीगत व्यय नहीं हो रहा है तो क्या आपको चिंता नहीं हो रही है. 2 लाख 80 हजार करोड़ रुपये के बजट में 40 हजार करोड़ रुपये भी विकास कार्यों में खर्चा नहीं हो रहा है, इस्टेब्लिशमेंट में खर्चा हो रहा है, जो हमने पुराना कर्जा लिया है, उसका ब्याज देने में खर्चा हो रहा है. अगर उस बात को हम इस सदन के अंदर उठा रहे हैं तो यह तो प्रदेश के लिए चिंता का विषय है. चाहे सरकार में कोई भी बैठा हो, मैं यह थोड़ी कह रहा हूँ कि माननीय वित्त मंत्री जी ने व्यक्तिगत कर्जा ले लिया. यह कर्जा मध्यप्रदेश के ऊपर चढ़ा है. यह सवाल उठाने का हमारा हक और फर्ज बनता है कि इस पैसे का कैसे उपयोग हो रहा है. अगर आपने नगरीय निकाय विभाग के लिए आवंटन 9 हजार करोड़ रुपये का किया, आपने उसे 6 हजार करोड़ रुपये दिया तो फिर सप्लीमेंट्री लाने की आवश्यकता क्यों पड़ रही है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, बड़ी गंभीरता से मैं यह विषय आपके रखना चाहता हूँ कि जिस समय सदन चल रहा है. बजट मार्च महीने में आपने रखा. इस माह में आपने 15 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्जा ले लिया तो आपकी तैयारी क्या थी. अगर मैं आपसे यह कहूँ कि आपको एक दिन में 30 दिन का अनाज खाना है, क्या आप खा सकते हैं ? आप कैसे साल भर में पूंजीगत व्यय 40 हजार करोड़ रुपये बता रहे हैं और दो माह में आप 25 हजार करोड़ रुपये का कर्जा ले रहे हैं तो यह 25 हजार करोड़ रुपये, आप 15 हजार करोड़ रुपये खर्च नहीं कर पाए, 10 माह में आपने खर्च किए विकास के कार्य में, तो मैं कैसे मान लूँ कि 25 हजार करोड़ रुपये आप डेढ़ महीने में मध्यप्रदेश में विकास कार्यों के लिए खर्चा कर देंगे. अगर यह सवाल हम यहां उठाते हैं तो कहा जाता है कि यह तो विषय नहीं है. विषय क्या है, क्या विषय है, अर्थ ही सबसे बड़ा विषय है. माननीय अध्यक्ष महोदय, हमको हमेशा बचपन से एक बात सिखाई गई, चाहे हमारा परिवार हो, चाहे हमारा व्यापार हो, चाहे हमारी सरकार हो, वह तब अच्छे से चल सकती है जब आर्थिक प्रबंधन सही हो. जो व्यक्ति अपने घर में 10 हजार रुपये भी महीने के लेकर जाता है, मजदूर व्यक्ति, काम करने वाला व्यक्ति, वह व्यक्ति भी उसका प्रबंधन बनाता है कि मुझे स्वास्थ्य के लिए कितना पैसा निकालना पड़ेगा, बच्चों के स्कूल की फीस के लिए कितना पैसा निकालना पड़ेगा. कोई आपातकालीन स्थिति बन जाए तो क्या होगा. उसी में वह अपनी बेटी के भविष्य के लिए भी पैसा जोड़ता है, अपने बच्चों के लिए पैसा जोड़ता है और यहां हजारों करोड़ रुपये ब्याज में जा रहा है और हम चिंता नहीं करते. यह सदन की सामूहिक जिम्मेदारी बनती है. हमारी और आपकी, सबकी जिम्मेदारी बनती है कि हम हिसाब लें. यह पैसा किसका है, यह पैसा मध्यप्रदेश की जनता का है जो करों के रूप में मध्यप्रदेश के खजाने में आ रहा है और उस पर उसका हक है.
माननीय वित्त मंत्री महोदय, मैंने उस दिन भी यही प्रश्न किया था और आज भी यही प्रश्न उठा रहा हूँ. 40 हजार करोड़ रुपये कुल अगर हम पूंजीगत व्यय में डाल रहे हैं तो हम 25 हजार करोड़ रुपये पिछले ढाई महीने में जो हमने ब्याज पर लिया है, कर्जा लिया है, इसका हिसाब कैसे बना रहे हैं. क्या यह सदन को जानने की जरूरत नहीं है्. हर विधायक यहां पर बैठकर चाहता है, हमारे साथी किसी भी पक्ष के हों, सभी चाहते हैं कि नल-जल योजना पूरी होनी चाहिए. उसके क्षेत्र में सड़कें अच्छी होनी चाहिए. उसके क्षेत्र में बढ़िया खेल के मैदान होने चाहिए. स्कूल के भवन पक्के होने चाहिए. शिक्षा अच्छी होनी चाहिए. स्वास्थ्य की सुविधाएं अच्छी होनी चाहिए. कोई भी सरकार हो. सब यही चाहते हैं. सारे सदस्य चाहते हैं.
श्री शैलेन्द्र जैन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आप जो कह रहे हैं कि यह जानने की जिम्मेवारी सदन की है तो सदन को आप बताइये कि आपके कालखण्ड में जो ब्याज का भुगतान होता था, जो लोन लेकर रखा था, उसका प्रतिशत कितना था.
श्री तरूण भनोत -- मैं बता देता हॅूं.
श्री शैलेन्द्र जैन -- राजस्व के मुकाबले आपका प्रतिशत 18 प्रतिशत था. आज हमारा प्रतिशत 10 प्रतिशत हो गया है. घटकर 10 प्रतिशत हो गया है.
श्री तरूण भनोत -- अध्यक्ष महोदय, क्या आपने अनुमति दी है. अगर मैं अपनी दूसरी बात रखूंगा तो आप बोलेंगे...(व्यवधान)...
श्री शैलेन्द्र जैन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बार-बार ब्याज की बात कर रहे हैं, हर बार आप ब्याज की बात कर रहे हैं...(व्यवधान)..
श्री तरूण भनोत -- मैं आपसे थर्ड सप्लीमेंट्री का हिसाब मांग रहा हॅूं...(व्यवधान)..
श्री शैलेन्द्र जैन -- वर्ष 2003 में आपका बजट कितना था ? 23 हजार करोड़ रूपए. अब एक-एक डिपार्टमेंट का हमारा बजट है...(व्यवधान)..
श्री तरूण भनोत -- अध्यक्ष महोदय, अगर आपकी अनुमति हो, तो मैं वर्ष 2003 की बात कर लूं, फिर आप नहीं कहना कि विषय से अलग हटकर बात कर रहे हैं. वर्ष 2003 में मध्यप्रदेश राज्य के ऊपर कुल 26 हजार करोड़ रूपए का कर्जा था, अभी आप 40 हजार करोड़ रूपया...(व्यवधान)..
श्री शैलेन्द्र जैन -- ब्याज कितना था और ब्याज कितना भुगतान कर रहे थे. आप यह बताइए...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- शैलेन्द्र जैन जी, हो गया.
श्री तरूण भनोत -- अरे भई, अगर यह हिसाब वित्त मंत्री जी से पूछो, तो अच्छा लगेगा...(व्यवधान)... हिसाब मुझसे पूछ रहे हो. मैं तो आपके हक की बात कर रहा हॅूं कि आप अभी यहां पर प्रश्न लगाते हो, पानी के लिये पैसा नहीं मिल रहा....(व्यवधान)..
श्री शैलेन्द्र जैन -- पूरे 10 साल आपका रेवेन्यू डेफिसिट था और आप देख लीजिएगा कि 18 वर्षों में एक भी वर्ष रेवेन्यू डेफिसिट नहीं रहा. यह है हमारी कुशल वित्तीय प्रबंधन.(मेजों की थपथपाहट)
श्री तरूण भनोत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इनका कुशल वित्तीय प्रबंधन बता दूं. विश्वास जी, आप फिर नहीं बोलना कि सप्लीमेंट्री से अलग बात कर रहे हो. आपका यह कुशल वित्तीय प्रबंधन है कि जितना कुल कर्जा स्टेट के ऊपर था उससे ज्यादा ब्याज की राशि प्रतिवर्ष मध्यप्रदेश सरकार भर रही है. दूसरी बात, मैं आज अगर पॉलिटिकल नहीं करूंगा, आप कितना भी मुझे उत्तेजित करो मैं उस पर नहीं आऊंगा क्योंकि मैं जानता हॅूं कि आपने सदन में साढे़ सत्ताईस घंटे का कार्य यहां रखा है आप गुलेटिन करके भाग जाना चाहते हो और हम चाहते हैं कि सदन चले. यहां जनता की बातें आए, हम चाहते हैं....(व्यवधान)..
श्री दिलीप सिंह परिहार -- बहुत-बहुत धन्यवाद. हम सदन चलाना चाहते हैं आप नहीं चलाना चाहते हो...(व्यवधान)..
श्री तरूण भनोत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सिर्फ इस ओर माननीय वित्त मंत्री का ध्यान आकर्षित करना चाहता हॅूं कि आप सरकार में हैं, आप रहेंगे. 2023 तक तो रहेंगे, जब तक नये चुनाव नहीं होंगे.
श्री विश्वास सारंग -- ठीक है, आपका हम समर्थन करते हैं. आपने सही बोला और आपने माननीय कमल नाथ जी की बात का खंडन किया.
श्री तरूण भनोत -- अरे, मैंने यह बोला कि 2023 तक तो रहेंगे, जब तक चुनाव नहीं होंगे. अरे, विश्वास जी, आज तुम्हें क्या हो गया. झगड़ा करके आए हो क्या, हमारी भाभी जी से.
श्री विश्वास सारंग -- हम 2023 के बाद भी रहेंगे. यही तो बोला है.
श्री तरूण भनोत -- तुम्हें नाश्ता टाइम पर नहीं मिला क्या. आज यह भाभी जी से झगड़ा करके आए हैं.
श्री विश्वास सारंग -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इन्हें मेरी बड़ी जानकारी है.
श्री तरूण भनोत -- तुम्हारे बचपन के सबसे प्रिय मित्रों में से एक हैं.
श्री तुलसीराम सिलावट -- सारा खुलासा हो गया.
श्री तरूण भनोत -- अभी, सारे खुलासे करूं क्या.
श्री विश्वास सारंग -- माननीय अध्यक्ष जी, यह बिल्कुल सही बात है.तरूण भाई सदन में आये, उससे पहले हमारे मित्र थे. यह भिलाई में इंजीनियरिंग कर रहे थे, मैं गोंदिया में इंजीनियरिंग कर रहा था जबसे हम दोनों मित्र हैं.
श्री तरूण भनोत -- माननीय अध्यक्ष जी, मैं पहले आ गया था. आप पूरी करके आए, यह भी बता दीजिए.
श्री विश्वास सारंग -- हां, यह जरूर बताओ कि आप छोड़कर आए, मैंने पूरी की.
श्री तरूण भनोत -- हां, बिल्कुल.
अध्यक्ष महोदय -- तरूण जी, विषय पर आइए.
श्री तरूण भनोत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा सिर्फ यह कहना है कि आपका बहुमत है थर्ड सप्लीमेंट्री निश्चित रूप से यहां से पास हो जाएगा, वह महत्वपूर्ण है. पास होना चाहिए जिससे सरकार का काम चलेगा. परन्तु सत्ता पक्ष में बैठे हुए और इस सदन में बैठे हुए सभी माननीय सदस्यों का भी यह दायित्व बनता है कि हमारे पैसे का दुरूपयोग तो नहीं हो रहा है. यह विषय ज्यादा गंभीर है. ब्याज की राशि ज्यादा चुकायी जाए और विकास के लिये पैसा कम हो, ऐसे में किसी का कोई व्यक्तिगत व्यापार तो चलता नहीं. घर का काम तो चलता नहीं, तो सरकार का काम क्यों करना चाहिए. ऐसे चलना चाहिए क्योंकि यह सरकार हमारी है. यह इस मध्यप्रदेश की जनता की सरकार है. हम सब यहां बैठे हैं. आप पक्ष में हैं हम विपक्ष में हैं. यह हमारा अधिकार है कि हम उन बातों को रेखांकित करें और उठायें. माननीय वित्त मंत्री जी, यह एक प्रथा समाप्त होना चाहिए.
श्री शैलेन्द्र जैन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह मिथ्या वाचन कर रहे हैं. आप 23 हजार करोड़ के बजट में..(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, हो गया. शैलेन्द्र जी, बैठ जाइए.
श्री शैलेन्द्र जैन -- अध्यक्ष महोदय, मिथ्या वाचन कैसे कर सकते हैं. आप 23 हजार करोड़ के बजट पर बात कर रहे हैं, आप प्रतिशत की बात कीजिए न. एक भी दिन..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- शैलेन्द्र जी, अरे, आपको मौका मिलेगा, तब बोलिएगा.
श्री तरूण भनोत -- अध्यक्ष महोदय, अगर यह ऐसा करते हैं तो यह व्यवहार ठीक है क्या. यह उचित है क्या.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं. यह ठीक नहीं है. अभी सबको दोनों पक्षों को अवसर मिलना है. ऐसा लगता है कि कोई बात कही है तो जब आपका समय आएगा, तब उसमें आप उसका खंडन करिएगा. बीच में हर सवाल में खडे़ होकर के टोकना, वह शायद ठीक नहीं है.
अध्यक्ष महोदय -- तरूण जी, अपनी बात खतम करें. एक मिनट रूकिए.
श्री तरूण भनोत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं दो मिनट में अपनी बात खतम करना चाहता हॅूं.
12.59 बजे अध्यक्षीय घोषणा
भोजनावकाश न होने विषयक
अध्यक्ष महोदय -- आज भोजनावकाश नहीं होगा. भोजन की व्यवस्था सदन की लॉबी में की गई है. माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि सुविधानुसार भोजन ग्रहण करने का कष्ट करें.
12.60 बजे वर्ष 2022-23 के तृतीय अनुपूरक अनुमान की मांगों पर मतदान(क्रमश:)
श्री तरूण भनोत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जिस विभाग को हमने, एक बात और माननीय वित्त मंत्री महोदय, सबसे महत्वपूर्ण बात कहकर अपनी बात को समाप्त करूंगा.
बहुत सारी हमारी सरकार के अलावा हमारी कंपनीज़ हैं, हमारे डिस्कॉम्स हैं, हमारे नगरीय निकाय हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बहुत महत्वपूर्ण सवाल है. हम सब वहीं से चुनकर आते हैं. वहाँ हमसे लोग कहते हैं नाली नहीं बनी, पानी पूरा नहीं है, पानी की टंकी चाहिए, सफाई की व्यवस्था अच्छी नहीं है, वो सब नगरीय निकायों ने अलग से कर्जा लिया और जिसकी गारंटी, प्रतिभूति, मध्यप्रदेश सरकार लेती है और मैं इस बात को इसलिए उठा रहा हूँ क्योंकि महत्वपूर्ण है. हमने एडीबी का लोन लिया, हुडको से लोन लिया, उन लोन्स की शर्त थी कि जिस चीज के लिए आपने लोन लिया है, वहीं से आप उसकी रीपेमेंट करेंगे और वहीं से आप उसके ब्याज का पैसा भरेंगे, वो व्यवस्थाएँ नहीं हैं. वो ब्याज कितना जा रहा है, वो कर्जा कितना हो गया, मैं, आपकी जो आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट थी उसमें भी देख रहा था और जो वित्त सचिव महोदय का पत्र था, उसमें भी देख रहा था. आपके अलावा 35 हजार करोड़ रुपया मध्यप्रदेश की सरकार को माननीय वित्त मंत्री जी, आपका कुल 17 हजार करोड़ रुपये का सप्लीमेंट्री बजट है. आपको पुराना पैसा डिस्कॉम्स से लेना है, जिसका ब्याज आप भर रहे हैं. आप 20 हजार करोड़ रुपये की सब्सीडी उनको हर वर्ष दे रहे हैं और 35 हजार करोड़ रुपये का वो कर्जा, जो उन्होंने आप से लिया है, उस कर्जे के अलावा जो उन्होंने डायरेक्ट लिया है, उसका ब्याज भी आप भर रहे हैं. अगर यह चिन्ताजनक हालत हमारे सामने है तो हम कैसे थर्ड सप्लीमेंट्री का यहाँ पर समर्थन कर सकते हैं, जिसमें जनता के विकास के लिए राशि का प्रावधान नहीं है. सिर्फ हिसाब को और आँकड़ों को पूरा करने की बात है और जो ब्याज हम भर रहे हैं उसका प्रावधान करने की बात है इसलिए मैं इस थर्ड सप्लीमेंट्री का विरोध करता हूँ और अनुरोध करता हूँ माननीय वित्त मंत्री महोदय से कि जब अन्त में आप अपना जवाब दें तो यह जो कर्ज की स्थिति प्रदेश की है इसके बारे में जरूर आप पूरे प्रदेश को बताएँ क्योंकि सब टकटकी लगाकर आपकी ओर देख रहे हैं कि इतने लाखों करोड़ रुपये का कर्जा हमारे ऊपर चढ़ गया और हमें कुछ नहीं मिला. हम जहाँ थे, वहाँ के वहाँ हैं तो यह पैसा गया कहाँ? इसलिए मैं आप से अनुरोध करता हूँ कि इस वक्तव्य में आप अपने कर्ज की स्थिति से जरूर पूरे प्रदेश की जनता को वाकिफ कराएँ और आपके इस थर्ड सप्लीमेंट्री की मांगों का मैं विरोध करता हूँ. एक पैसा भी इस योग्य नहीं है कि आपको आगे काम करने के लिए मिलना चाहिए. धन्यवाद.
श्री बहादुरसिंह चौहान(महिदपुर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, 16,329 करोड़ 50 लाख 6900 रुपये राज्य की संचित निधि से माननीय वित्त मंत्री जी ने प्रस्तावित की है. अध्यक्ष महोदय, हम जानते हैं कि हमारा प्रदेश कृषि प्रधान प्रदेश है और किसानों को राहत राशि और बीमा राशि मिलना चाहिए. अभी तत्कालीन कृषि मंत्री हमारे कमल जी हैं, इसके पहले वे राजस्व मंत्री थे, उन्होंने ग्राम पंचायत को हल्का बनाया और उस कारण आज लाखों रुपये की राहत राशि और बीमा राशि जो है किसानों को मिल रही है.
अध्यक्ष महोदय, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, यह किसानों के हित के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण योजना है आरबीसी 6 (4) के अंतर्गत हमारी सरकार ने यदि एक हैक्टेयर में फसल खराब हो जाती है तो 5 हजार से लगाकर 30 हजार तक प्रति हैक्टेयर मुआवजा राशि देने का प्रावधान भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किया है. इसको लेकर माननीय वित्त मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूँ कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना मांग संख्या 13 सीसी 24 (1) के अनुसार आपने 1,324 करोड़ का तृतीय अनुपूरक अनुमान में किया गया है. मैं मध्यप्रदेश के किसानों की ओर से आपको धन्यवाद देना चाहता हूँ. अध्यक्ष महोदय, अभी 2-3 दिन पहले आँधी, तूफान और ओलावृष्टि से मध्यप्रदेश में गेहूँ, चना, सरसों, धनिया, आदि फसलें खराब हुई हैं ताकि ये 1,324 करोड़ रुपये का प्रावधान करने से उन किसानों को फसल खराब होने पर बीमा राशि दी जा सकेगी, यह प्रावधान माननीय, तृतीय अनुपूरक में बहुत अच्छा किया है, बहुत बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री संबल योजना, यह बहुत महत्वपूर्ण योजना है. हम जानते हैं कि सुबह टीव्ही खोलते हैं तो पता चलता है कि आज वहाँ पर एक्सीडेंट हो गया, बस का हो गया है, दो मोटर साइकिलें टकरा गई हैं. किसी की मृत्यु हो जाती है, किसी का पाँव फ्रैक्चर हो जाता है. यह संबल योजना बहुत ही महत्वपूर्ण योजना है सक्षम आदमी तो कहीं भी अपना इलाज करा लेता है लेकिन गरीब परिवार के साथ ऐसी घटना घटने पर संबल योजना यह बोलती है कि यदि एक्सीडेंट में किसी व्यक्ति का एक हाथ टूट जाए या एक पाँव खराब हो जाए तो उसको 2 लाख रुपये तत्काल देने का प्रावधान संबल योजना मे किया गया है. यदि एक्सीडेंट में मृत्यु हो जाती है तो तत्काल 4 लाख रुपया इस संबंल योजना के समय देने का प्रावधान किया गया है. कांग्रेस सरकार ने इस संबल योजना को बंद कर दिया था. हमारी सरकार आने के बाद हमने पुन: यह योजना प्रारंभ की है.
1.06 बजे {सभापित महोदय (श्री देवेन्द्र वर्मा) पीठासीन हुए}
श्री बहादुर सिंह चौहान -- सभापति महोदय, इस संबल योजना में माननीय वित्त मंत्री जी ने तृतीय अनुपूरक अनुमान में 636 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है. यदि यह प्रावधान नहीं हो तो क्या पैसा मिल जाएगा. यह तो डेली की आवश्यकता है, रोज पैसा देना पड़ता है इसलिए मैं वित्त मंत्री जी को इस योजना में 636 करोड़ रुपए का प्रावधान करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहता हूँ. प्रधानमंत्री आवास शहरी और प्रधानमंत्री आवास ग्रामीण दोनों बहुत ही महत्वाकांक्षी योजनाएं हैं. हमारे शहरी दलित, शोषित, वंचित, पीड़ित लोगों के मकान बनें इसके लिए मांग संख्या 22 में हाउसिंग फॉर ऑल हेतु इस तृतीय अनुपूरक अनुमान में 642.11 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है. तृतीय अनुपूरक में गरीबों के मकान बनें इस आशय के लिए मैं वित्त मंत्री जी को बहुत बहुत धन्यवाद देता हूँ.
सभापति महोदय, इसी प्रकार प्रधानमंत्री आवास ग्रामीण में भी मकान बनाने के लिए तृतीय अनुपूरक अनुमान में माननीय वित्त मंत्री जी ने 1 हजार 12.78 करोड़ रुपए प्रावधान किया है. जिन मकानों को पहली किस्त मिल गई है क्या उनको दूसरी किस्तें नहीं मिलना चाहिए, क्या उनके मकान पूर्ण नहीं होना चाहिए. इसलिए तृतीय अनुपूरक बजट लाना बहुत ही आवश्यक था. जो काम रनिंग हैं उन कामों के भुगतान करने के लिए इन राशियों का प्रावधान करना बहुत ही महत्वपूर्ण था. तृतीय अनुपूरक को सर्वानुमति से पास करना बहुत ही जरुरी था.
सभापति महोदय, मांग संख्या 54 के अनुसार शीर्ष 22 से 25 में पिछड़ा वर्ग कल्याण मेट्रिक छात्रावास, जो पिछड़ा वर्ग के छात्र छात्राएं हैं उनकी छात्रवृत्ति के लिए 100 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है. छात्रवृत्ति से विद्यार्थियों को पढ़ाई में काफी सुविधा मिलती है.
सभापति महोदय, जल संसाधन विभाग बहुत ही महत्वपूर्ण विभाग है. सिंचाई इसके अन्तर्गत आती है. पार्वती जैसी वृहद परियोजना जो चल रही हैं इसमें कार्यों के लिए 20 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है ताकि कामों का भुगतान किया जा सके. कुण्डलिया परियोजना के लिए 25 करोड़ रुपए का प्रावधान इस तृतीय अनुपूरक में किया गया है. बण्डा वृहद परियोजना में भी जो कार्य चल रहे हैं उनके भुगतान के लिए 70 करोड़ रुपए का प्रावधान तृतीय अनुपूरक में किया गया है. धानी वृहद परियोजना इसमें भी 25 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है. मां रतनगढ़ वृहद परियोजना इसके चल रहे कार्यों का भुगतान करने के लिए 20 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है. एक बहुत ही महत्वपूर्ण योजना जिसके बारे में मैं बार-बार सदन में कहता हूँ वह है केन-बेतवा राष्ट्रीय लिंक परियोजना. बुंदेलखंड के लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरसते थे उनके लिए यह बहुत ही महत्वपूर्ण योजना है. केन-बेतवा लिंक परियोजना से बुंदलेखण्ड के 8 लाख 11 हजार हेक्टयर क्षेत्र में सिंचाई होने जा रही है. इससे मध्यप्रदेश के 10 व उत्तर प्रदेश के 4 जिले लाभान्वित होंगे. इस योजना में तृतीय अनुपूरक में माननीय वित्त मंत्री जी 95 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है. मैं इस हेतु माननीय वित्त मंत्री जी को बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहता हूँ. मैं यह भी धन्यवाद करना चाहता हूं कि आप मेरे विधान सभा क्षेत्र में भी 23 फरवरी को पधारे थे. माननीय मुख्यमंत्री जी भी वहां पर आये थे. मेरी विधान सभा में दो 7 सौ, 8 सौ करोड़ रुपए डेमों का शिलान्यास भी आपकी उपस्थिति में हुआ है और आप 338 करोड़ रुपए की लागत से नलजल योजना का शिलान्यास करने के लिए भी उपस्थित थे. आपने हमारी विधान सभा में पर्याप्त राशि दी है इसके लिए मैं आपको बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहता हूं.
माननीय सभापति महोदय, हमारी वृहद परियोजना, मध्यम परियोजना, लघु परियोजना इस प्रकार कुल 475 योजनाएं मध्यप्रदेश में निर्माणाधीन हैं. इस प्रकार तृतीय अनुपूरक अनुमान में सिंचाई विभाग को कुल मिलाकर 300 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है ताकि जो 475 योजनाएं निर्माणाधीन हैं उनका समय पर ठेकेदारों को भुगतान किया जा सके और वह योजनाएं समय पर पूर्ण हो सकें इसके लिए मैं वित्त मंत्री माननीय जगदीश देवड़ा जी, माननीय मुख्यमंत्री जी और भारतीय जनता पार्टी की सरकार को मेरी ओर से बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहता हूं. कृषि विभाग अपने आप में मध्यप्रदेश सरकार का बहुत ही महत्वपूर्ण विभाग है. किसान कल्याण और कृषि विकास विभाग में सब मिशन ऑन फॉर वॉटर मैनेजमेंट हेतु यह 12.98 करोड़ रुपए का प्रावधान तृतीय अनुपूरक अनुमान में किया गया है. किसानों की ओर से मैं वित्त मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं. स्वाइल हेल्थ कार्ड के अंतर्गत भी इसके लिए 20.53 करोड़ रुपए का प्रावधान तृतीय अनुपूरक अनुमान किया गया है. किसान कल्याण और कृषि विकास विभाग में जवाहरलाल कृषि विश्वविद्यालय है, स्ववित्तीय पेंशन योजना के अंतर्गत भी 45 करोड़ रुपए का प्रावधान इस तृतीय अनुपूरक में माननीय वित्त मंत्री जी के द्वारा किया गया है. इसके लिए भी मैं बहुत-बहुत धन्यवाद ज्ञापित करना चाहता हूं.
सभापति महोदय, किसान कल्याण और कृषि विकास विभाग की बहुत महत्वपूर्ण योजना अटल कृषि ज्योति योजना हेतु तृतीय अनुपूरक में 3 हजार 950 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है. यह योजना समय पर पूर्ण हो इसके लिए मैं वित्त मंत्री जी का बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहता हूं. श्रम विभाग के अंतर्गत मुख्यमंत्री जनकल्याण योजना चूंकि मैं पहले इसे बोल चुका हूं कि 636 करोड़ रुपए का प्रावधान इसमें किया गया है. हमारा ऊर्जा विभाग बहुत ही महत्वपूर्ण विभाग है और वर्ष 2003 में मध्यप्रदेश में 5 हजार 153 हजार मेगावॉट बिजली थी और आज इन 18 से 20 वर्षों में 28 हजार मेगावॉट बिजली का प्रोडक्शन हाइड्रो थर्मल से हुआ है और इसके लिए अटल गृह ज्योति योजना के अंतर्गत 2234.44 करोड़ रुपए का प्रावधान तृतीय अनुपूरक अनुपूरक में वित्त मंत्री जी के द्वारा किया गया है. टैरिफ अनुदान योजना के अंतर्गत 300 करोड़ रुपए का प्रावधान तृतीय अनुपूरक अनुमान में किया गया है. पांच हार्स पॉवर के कृषि पम्पों, थ्रेशरों एवं एकबत्ती कनेक्शन के लिए नि:शुल्क विद्युत प्रदाय योजना के अंतर्गत 175 करोड़ रुपए का प्रावधान तृतीय अनुपूरक अनुमान में वित्तमंत्री जी के द्वारा किया गया है. मैं उनको बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहता हूं.
सभापति महोदय, पारम्परिक ऊर्जा स्त्रोतों को बिजली के लिए भी 25 करोड़ रुपए का प्रावधान इस तृतीय अनुपूरक अनुमान में किया गया है. उद्योग नीति एवं निवेश प्रोत्साहन उद्योग के लिए हमारे मुख्यमंत्री जी चाहे एमएसएमई हो या उद्योग नीति हो निवेश प्रोत्साहन योजना अंतर्गत राज्य सहायता हेतु बहुत बड़ी राशि 550 करोड़ रुपए का प्रावधान तृतीय अनुपूरक अनुमान में माननीय वित्तमंत्री जी ने किया है मैं माननीय वित्तमंत्री जी को माननीय मुख्यमंत्री जी को बहुत-बहुत बधाई देना चाहता हूं. मैं 16 हजार 329 करोड़ 50 लाख 6 हजार 9 सौ रुपए का समर्थन करता हूं. इसे सर्वानुमति से पास किया जाए. आपने मुझे बोलने का मौका दिया. धन्यवाद.
श्री पी.सी.शर्मा (भोपाल-दक्षिण-पश्चिम)- सभापति महोदय, वित्त मंत्री ने जो वर्ष 2022-23 के लिए तृतीय अनुपूरक अनुमान रखा है, मैं, उसका विरोध करता हूं. 16 हजार 3 सौ 29 करोड़ रुपये की मांगें आपने रखी हैं, इसमें 6 हजार 6 सौ 84 करोड़ रुपये, बिजली विभाग को सब्सिडी देने के लिए रखे हैं. बिजली विभाग को इतनी सब्सिडी दी जा रही है, उसके बावजूद शून्य काल में भी यह बात उठी थी और बहादुर सिंह जी कह रहे हैं कि 2 हजार 2 सौ 84 करोड़ रुपये, अटल विद्युत योजना के लिए दिये हैं जो कि पहले इंदिरा ज्योति योजना थी, उसका केवल नाम बदल दिया लेकिन उसके बाद भी कुछ हुआ नहीं. लोगों के बड़े-बड़े बिल आ रहे हैं. ट्रांसफार्मर और डी.पी. उखाड़कर आपका विभाग ले जाता है. अभी परीक्षायें चल रही हैं, उस समय बिजली गोल कर दी जाती है, सब तरफ अंधेरा है. भोपाल नगर निगम की अगर मैं, बात करूं, वह बिजली विभाग को पैसा नहीं देता है तो स्ट्रीट लाईट भी बंद कर दी जाती है. आपका पैसा कहां जा रहा है ? वित्त मंत्री जी आप इसे देखें. 6 हजार 6 सौ 84 करोड़ रुपये सब्सिडी दे रहे हैं, उसके बाद भी लोगों को बिजली नहीं मिल रही है. यहां लंबी-लंबी बातें बिजली पर हो रही हैं कि इतना उत्पादन था, अब इतना मेगावॉट हो गया है. यदि लोगों को बिजली नहीं मिल रही है, उनके कनेक्शन काटे जा रहे हैं, आप सब्सिडी दे रहे हैं तो ये कनेक्शन क्यों कट रहे हैं ?
सभापति महोदय, नगरीय विकास आवास योजना के तहत अनुदान दिया गया है. आपके ये मकान कहां बन रहे हैं ? भोपाल में एक 6 लेन सड़क बन रही है, आज सुबह मैं वहां से हो के आया हूं. गरीबों की झुग्गियों को हटाने की बात हो रही है, उनका व्यवस्थापन नहीं किया गया है.
श्री बहादुर सिंह चौहान- प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना में, भोपाल में मकान नहीं बन रहे हैं ?
श्री पी.सी.शर्मा- मैं, आपको बता रहा हूं. आप अभी, मेरे साथ चलें. 35 परिवारों को हटाने की बात हो रही है लेकिन उनका कोई व्यवस्थापन नहीं किया गया है, कोई मकान नहीं दिया गया, कोई पट्टा नहीं दिया गया. यहां बात हो रही है कि पट्टे दिए जा रहे हैं. आप कहां पट्टे दे रहे हैं, शहर के लोगों को बाहर ले जाकर पट्टे देंगे क्या? आपका पैसा जाता कहां है ? भनोत जी ने सही कहा कि हम कर्ज लेकर पैसा ला रहे हैं तो कम से कम ये पैसा योजनाओं में खर्च हो. लोगों को एक बत्ती कनेक्शन तो मिल जाये, मकान तो मिल जाये.
सभापति महोदय, इसमें कहा गया है कि आंगनबाडि़यों में बिजली के कनेक्शन के लिए 26 करोड़ रुपये दिए गए हैं. आंगनबाडि़यों में बिजली के कनेक्शन कहां हैं, हम भोपाल के अंबेडकर कॉलोनी में नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह जी के साथ गए थे तो वहां आनन-फानन में बिजली कनेक्शन दिया गया. लेकिन आंगनबाडि़यों के बिजली के बिल नहीं भरे जा रहे हैं. आप 26 करोड़ रुपये दे रहे हैं तो कम से कम बिजली के बिल तो भरें, जब राजधानी भोपाल में ये स्थिति है तो बाकी के प्रदेश में क्या हो रहा होगा?
आप बिजली की इतनी सब्सिडी ले रहे हैं ये राशि कहां जा रही है ? (ऊर्जा मंत्री के सदन में आने पर)
ऊर्जा मंत्री (श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर)- आप बोल रहे हैं तो किससे बोल रहे हैं. ये आपके सामने बिजली है. आप जिस माइक पर बोल रहे हैं, वह बिजली के कारण ही है न ? रोशनी में आप यहां बैठे हैं.
श्री पी.सी.शर्मा- बिजली केवल यहीं तक है.
श्री कमलेश्वर पटेल- आपने गांव-गांव में बिजली कटवा दी है. बच्चों की परीक्षायें चल रही हैं.
(...व्यवधान...)
सभापति महोदय- पी.सी.शर्मा जी के अलावा किसी का नहीं लिखा जायेगा. मंत्री जी आप बैठ जायें.
डॉ. अशोक मर्सकोले- (XXX)
श्री कमलेश्वर पटेल- (XXX)
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर- (XXX)
श्री कुणाल चौधरी- (XXX)
(...व्यवधान...)
श्री पी.सी.शर्मा- सभापति महोदय, जो बिजली के बिल नहीं भर पा रहे हैं, उन लोगों के घरों से सामान की कुर्की हो रही है. ये स्थिति हो गई है, इस तरह से गरीब लोगों को परेशान किया जा रहा है. अभी परीक्षायें चल रही हैं, 10वीं की, 12वीं की लेकिन वो बात अलग है कि इधर परीक्षा हो रही है और उधर पेपर आउट हो रहे हैं.
श्री विश्वास सारंग:- माननीय सभापति महोदय, मेरा व्यवस्था का प्रश्न है. यह अनुपूरक मतदान की मांगों पर चर्चा चल रही है.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव:- (XXX)
श्री कमलेश्वर पटेल:- (XXX)
श्री विश्वास सारंग:- पी.सी भाई आप यह बता दो कि कितने रूपये का अनुपूरक बजट आया यह बता दो. यदि पढ़ा है तो बताओ ना.
श्री पी.सी.शर्मा:- वह तो बोल दिया.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव:- (XXX)
(व्यवधान)
श्री विश्वास सारंग:- कितने का अनुपूरक बजट है, बता दो. कितने का अनुपूरक बजट आया है यह बता दो. पढ़ा है तो बताओ ना कितने का आया है.
(व्यवधान)
श्री कमलेश्वर पटेल:- (XXX)
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव:- (XXX)
(व्यवधान)
सभापति महोदय:- सचिन जी आप बैठिये.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव:- (XXX) (व्यवधान)
श्री विश्वास सारंग:- आप विषय वस्तु पर बात करें. यह भाषण देने का मंच नहीं है. यह कोई रोशनपुरा की सभा नहीं है. यह सदन है (व्यवधान) आप बताओं ना कि बजट कितने का है.
श्री पी.सी.शर्मा:- सभापति महोदय.. (व्यवधान) हमीदिया अस्पताल में मरीजों को कितना इंतजार करना पड़ता है. (व्यवधान)
श्री विश्वास सारंग:- सभापति महोदय, यह डिलीट करवाइये. (व्यवधान)
सभापति महोदय:- आप अपने विषय पर बोलिये. आपका समय वैसे ही ज्यादा हो चुका है.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव:- (XXX)
सभापति महोदय:- माननीय सचिन जी आप बैठिये. आप सभी बैठ जाइये. शर्मा जी आप अपने विषय पर बात रखिये.यादव जी आप बैठिये. जब आपका क्रम आयेगा तब आप बोलियेगा.
श्री पी.सी.शर्मा:- इनका समय आ गया क्या.
सभापति महोदय:- आप अपने विषय पर बात करिये.
श्री विश्वास सारंग:- माननीय सभापति महोदय, कितने का अनुपूरक बजट पेश किया है यह आप पूछ लें ? बिना किसी बात पर, बिना विषय वस्तु पर बोलेंगे तो यह थोड़े ही चलेगा.
श्री पी.सी.शर्मा:- सभापति महोदय:- विषय वस्तु.. (व्यवधान)
सभापति महोदय:- माननीय शर्मा जी आप सवाल-जवाब मत करिये. आप अपनी बात रखिये, आप विषय पर बोलें और अपनी बात शुरू करें.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव:- (XXX)
सभापति महोदय:- यादव जी, जब आपका नंबर आयेगा तब आप बोलियेगा. शर्मा जी शुरू करिये.
श्री पी.सी.शर्मा:- सभापति महोदय, इसमें स्मार्ट सिटी के लिये अनुदान दिया गया है. सागर,जबलपुर,सतना और भोपाल जो मध्यप्रदेश की राजधानी है. इसमें स्मार्ट सिटी के लिये एक भी पैसा नहीं दिया गया है. स्मार्ट सिटी का काम वहां पर बंद हो गया है. वहां सरकारी मकान तोड़ दिये गये, प्रायवेट मकान तोड़ दिये गये और छोटी-छोटी जो गुमटी और दुकानें थीं वह तोड़ दी गयी. वहां पर काम बंद है लेकिन इसमें भोपाल के लिये कोई प्रावधान नहीं है. जबलपुर, सागर, सतना सभी जगह के लिये प्रावधान है, लेकिन भोपाल के लिये नहीं है. वित्त मंत्री जी, राजधानी के साथ यह सौतेला व्यवहार क्यों ? यह इसमें उल्लेख नहीं है. मैंने आंगनवाड़ी के बारे में बताया, वहां पर बिजली और पानी कनेक्शन के पेमेंट नहीं हो रहे हैं. जिसकी वजह से आंगनवाडि़यों की बिजली बंद हो रही है, यह था.
सभापति महोदय, आयुष्मान योजना, आयुष्मान योजना के लिये दिया है. आयुष्मान योजना में यह है कि जितने भी अस्पताल हैं, उनके तीन-तीन, चार-चार करोड़ रूपये उनके ड्यू हो गये हैं और पेशेंट्स को वहां पर एडमिट नहीं कर रहे हैं. आयुष्मान योजना का उनको फायदा नहीं मिल रहा है. आप इसमें प्रावधान कर रहे हैं, आयुष्मान जैसी योजना जिसमें 5 लाख तक का लोगों को इलाज का मिलेगा. नर्मदा अस्पताल में साढ़े तीन करोड़, लाल बहादुर शास्त्री अस्पतान में 20 करोड़ रूपये, जो अस्पताल कोविड के समय नये अस्पताल खुले थे वह बंद होने की स्थिति में आ गये हैं. क्योंकि उनको जो केन्द्र सरकार से पैसा मिलना चाहिये, वह नहीं मिल रहा है. आदरणीय वित्त मंत्री जी जब आपने यह प्रावधान किया है तो यह मिलना चाहिये ना.
माननीय सभापति महोदय, इसमें जो हमारा कर्मचारी वर्ग है. उनको जो डी.ए. अभी तक जो नहीं मिल पाया है. ऐसी चीजों के लिये इसमें कोई प्रावधान नहीं किया गया है, जो कि आवश्यकता है और भनोत जी ने सही कहा था कि आप कर्ज लेकर यह कर रहे हैं. यह उसी बजट से जुड़ा हुआ है. आज मध्यप्रदेश के हर आदमी पर 50-50 हजार रूपये का कर्ज है, यह हालत हो गयी है. आप कर्ज लेकर जो पैसा ले रहे हैं तो कम से कम वह सही जगह तो पहुंचे. जिनको आवश्यकता है उनके पास तो पहुंचे, आयुष्मान का लाभ तो मिले, बिजली सब्सिडी का लाभ तो मिले. यह हमारा कहना है. इसलिये आदरणीय वित्त मंत्री जी आप इन सब चीजों को देखिये और मैं सोचता हूं कि हमने जो मुद्दे उठाये हैं. उनको आप अपने उत्तर में बताइये. धन्यवाद.
डॉ.सीतासरन शर्मा(इटारसी):- आदरणीय सभापति महोदय, सारे विषय अनुपूरक के बहादुर सिंह चौहान साहब ने बोल दिये हैं. अब रिपीटेशन करने का कोई अर्थ नहीं है. परंतु आदरणीय शर्मा जी ने जो विषय उठाये हैं. आयुष्मान योजना में जो राज्य का अंश है वह दिया गया है, तो उसमें आपको एतराज है.
श्री पी.सी.शर्मा:- गरीब को तो मिले जो वहां पर एडमिट है, मरने की कगार पर है उसको तो मिल जाये.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया--जो भर्ती हैं और जिन भर्ती लोगों की छुट्टी हो गई है उनके लिये 58 हजार करोड़ रूपये हैं आयुष्मान का है.
श्री पी.सी.शर्मा--लेकिन उनको कुछ मिल नहीं रहा है.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया--58 हजार करोड़ रूपये का भुगतान इनके लिये है.
आरिफ मसूद--आयुष्मान में अस्पतालों का पेमेन्ट नहीं हो रहा है.
डॉ.सीतासरन शर्मा--सभापति महोदय, हॉस्पीटल की बिल्डिंग के लिये 55 करोड़ रूपये हैं.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया--उसी को मेंशन किया गया है.
डॉ.सीतासरन शर्मा--सभापति महोदय, इसमें मुख्य जो राशि है वह आयुष्मान में अपने राज्य की है. बाकी स्वास्थ्य सेवाओं के सुदृड़ीकरण के लिये है तो इसमें कोई एतराज नहीं होना चाहिये. बिजली के बारे में कहना चाहता हूं उस समय शर्मा जी आप भी विधायक थे जब बिजली 4-5-6 घंटे आती थी आप ईमानदारी से बताना शर्मा जी जरा मुस्करा तो दो आप और हम साथ साथ थे. 6 घंटे बिजली आती थी.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया--यह भी योग है कि एक शर्मा जी दूसरे शर्मा जी को बता रहे हैं.
डॉ.सीतासरन शर्मा--सभापति महोदय, यह हमारे साथ थे, आदरणीय शुक्ला जी थे. अब तो 24 घंटे बिजली आ रही है. उसमें कुछ खर्चा कर रहे हैं.
ट्रांसफार्मर और डी.पी.उखड़ रही है उसके बारे में कुछ बोलोगे कि नहीं बोलोगे, कुर्की भी ला रहे है, उस जमाने में कुर्की नहीं होती थी.
डॉ.सीतासरन शर्मा--सभापति महोदय, कई लोगों को आपने जेल भी भेजा है.
श्री पी.सी.शर्मा--लाईट नहीं आयी तो सबके साथ एक जैसा व्यवहार था.
डॉ.नरोत्तम मिश्र--सीतासरन जी आज तो पी.सी.शर्मा गोविन्द सिंह जैसा बोल रहे हैं. कुर्की उस जमाने में होगी कैसे जब लाईट ही नहीं आती थी तो बिल ही नहीं आता था. बिल नहीं आयेगा तो कुर्की काहेकी होगी.
श्री पी.सी.शर्मा--देखिये अगर बिजली नहीं थी बिजली का बिल नहीं दो तो कटती नहीं थी बिजली.
डॉ.सीतासरन शर्मा--सभापति महोदय,यह बताईये कि 6 हजार 6 सौ का फिगर आप कहां से लाये बिजली विभाग इस अनुपूरक में कहां हैं ? अनुपूरक में यह फिगर ही नहीं है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र--छिपकली वाला छिपकली नहीं ला पाया तो यह किताब कहां से ला पायेगा.
डॉ.सीतासरन शर्मा--सभापति महोदय, इसलिये कहा था तब भनोत जी गुस्सा हो गये कि आप अनुपूरक के बाहर मत जाओ पर माने नहीं. एक बात कहकर समाप्त करता हूं. बाकी बातें माननीय बहादुर सिंह जी ने बोल दी हैं. एमएसएमई यह हमारी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है और इसलिये अनुपूरक में भी राशि दी गई है. पावरलूम बुनकरों को रियायती दर पर बिजली दे रहे हैं, ब्याज अनुदान दे रहे हैं. उद्यम क्रांति योजना में राज्य सहायता राशि मिला रहे हैं और एमएसएमई के लिये 584 करोड़ रूपये दे रहे हैं. मैं सोचता हूं कि अनुपूरक में जो प्रावधान किये गये हैं, वह ज्यादा भी नहीं हैं. 16 हजार 329 करोड़ रूपये का अनुपूरक बजट है. हमारे साथियों ने पूरी बात कर दी है. माननीय शर्मा जी ने कुछ विषय उठाये थे. इसलिये मैं सदन से प्रार्थना करता हूं कि इन मांगों को पारित किया जाये.
श्री पी.सी.शर्मा--स्मार्ट सिटी के बारे में नहीं बोल रहे हैं.
डॉ.सीतासरन शर्मा--सभापति महोदय, स्मार्ट सिटी आपके पास है, इसलिये इस पर आप ही बोलिये.
श्री कमलेश्वर पटेल (सिहावल)--सभापति महोदय, तृतीय अनुपूरक बजट तो लेकर के आये हैं. पहले वाला था उसका कोई लेखा-जोखा समझ में नहीं आ रहा है. आयेगा भी कैसे जब प्रदेश की जनता को समझ में आये. प्रदेश की जनता खुशहाल हो. किसान परेशान हैं, आज परीक्षाएं चल रही हैं उसमें छात्र परेशान हैं, छात्रवृत्ति का समय पर भुगतान नहीं हो रहा है, चाहे हायर एज्यूकेशन हो, चाहे स्कूल एज्यूकेशन हो, आपका भी कहीं मीटर रीडर नहीं है. आपके पहले के लाईन मेन थे वह रिटायर्ड हो गये हैं उनकी नयी भर्तियां नहीं हो रही हैं. मीटर सब खराब पड़े हुए हैं. गांव गांव में मोबाईल पर सबके 3-4-7 हजार तथा 26 हजार रूपये का बिल आ गया है. जिनका सौ दो सौ रूपये बिल आता था. यह हाहाकार मचा हुआ है. बहुत बढ़िया है आप लेकर के आईये. 16 हजार करोड़ का और आपने तृतीय अनुपूरक बजट लेकर आ गए. पहले जो आया था, आपने उसका भी जो प्रावधान किया, उसमें सिर्फ 40 हजार करोड़ के इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए किया, बाकी सारा पुराना कर्ज चुकाने में. आज पूरा मध्यप्रदेश बेहाल है, आज आवारा पशुओं से सबसे ज्यादा किसान परेशान है, गौशालाओं के लिए क्या व्यवस्थाएं की सरकार ने. मुझे तो उम्मीद थी कि तृतीय अनुपूरक बजट वित्त मंत्री जी लेकर आ रहे हैं तो जो हमारे अधिकारी, कर्मचारी जो रिटायर्ड होने के बाद जिन कर्मचारियों की पेंशन बंद कर दी गई है, उसकी बहाली करेंगे. हमने सोचा था कि कुछ अच्छा प्रबंधन करेंगे, ये तो पूरी तरह से कुप्रबंधित है. अगर हम बात करें तो ये सरकार का जो पूरा नजरिया है, पूरे प्रदेश की जनता तो महसूस नहीं करती. सिर्फ फाइलों में, तुम्हारी फाइलों में..
शहर और गांव का मौसम गुलाबी है,
लेकिन हकीकत यह है कि सब ख्याली है.
सभापति जी, आम जन परेशान है, सब ख्याली है, पूरा प्रावधान हो जाता है, कहां जाता है पैसा, सब भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाता है. आज डिप्टी कलेक्टर्स की चार चार साल से भर्तियां नहीं हो रही हैं, ये भी तो कुप्रबंधन है, आज हमारे जिले में, विधान सभा क्षेत्र में जो 100-150 किलोमीटर दूर का जो एसडीएम है उसको प्रभार देकर रखा हुआ है. तहसीलदार नहीं है, जनपद सीईओ नहीं है, हमारे विधान सभा क्षेत्र में दोनों जनपद में कोई जनपद सीईओ नहीं है. तो काहे का वित्तीय प्रबंधन, आपके ग्रामसेवक नहीं है, कृषि विस्तार अधिकारी नहीं है, वेटनरी सर्जन नहीं है, आप किसानों के लिए लाभ का धंधा बनाने की बात करते हैं, उनकी आय दोगुनी कर देंगे. अभी जो अतिवृष्टि हुई, किसानों का इतना नुकसान हो गया, फसल चौपट हो गई, पर सरकार तो सिर्फ भाषणों में है. हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी भी लच्छेदार भाषण देते हैं और मंत्रीगण तो हमारे एक से बढ़कर एक (xxx) है.
श्री रघुनाथ सिंह मालवीय - ये घोर आपत्तिजनक शब्द बोल रहे हैं, कमलेश्वर जी. (...व्यवधान)
सभापति महोदय - इसको रिकार्ड में न लें.
श्री कमलेश्वर पटेल - सरकार के नगीने हैं. नगीने तो ठीक है. जनता तो चुनती है विधायक, सांसद इसके लिए. अभी आप विकास यात्रा में देख लीजिए, किस तरह से संवैधानिक व्यवस्था की खिल्ली उड़ी है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - कमलेश्वर जी, भाषण दीजिए लेकिन भाषा का तो थोड़ा संयम रखिए.
श्री कमलेश्वर पटेल - नहीं हमने नगीने बोल दिया अब.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - पहले क्या बोला, काहे को बोला, खेद व्यक्त कीजिए.
श्री कमलेश्वर पटेल - कोई बात नहीं, वैसे कई जो हमारी तरफ के उधर के हैं वह (xxx) जैसे ही हैं. जिस तरह की आज स्थिति है. जिस तरह के हालात प्रदेश में है. हम खुश होते रहे, मंत्री खुश हो लें, विधायक खुश हो लें, अभी हम बात कर रहे थे विकास यात्रा की. विकास यात्रा में जिस तरह से चुने हुए जनप्रतिनिधियों का अपमान हुआ है, अगर वह विपक्ष की तरफ था, चाहे वह जनपद अध्यक्ष हो, जिला पंचायत अध्यक्ष, उपाध्यक्ष हो, विधायक हो. विकास यात्रा में सरकारी तंत्र का जितना दुरुपयोग हुआ, मुझे तो कहते हुए शर्म भी आती है, दु:ख भी होता है कि हमारे अधिकारी कर्मचारी का स्तर भी आज कल इतने नीचे चला गया है कि अपने पद को बचाकर रखने के लिए इतना झुक जाते हैं, उनको शर्म आनी चाहिए, बहुत सारे अधिकारियों को देखते हैं कि उनकी कुर्सी बची रहे और आज कल तो सरकार रिचार्ज पर चलती है, ऐसे ही मैसेज आता है कि तुम्हारा कूपन खत्म हो गया है, रिचार्ज करवाओ, ये चल रहा है प्रदेश में. इस तरह का भ्रष्टाचार का आलम है, तहसील स्तर पर आज चले जाइए, लोक सेवा गारंटी की क्या स्थिति है, जो समय सीमा निर्धारित है लोक सेवा गारंटी में उस समय पर तो कोई काम होना ही नहीं है, होना तो सिस्टम से ही है. जब तक लेन देन नहीं होगा, तब तक कोई काम नहीं होता तो जिस तरह की स्थिति आज बनी हुई है, हमारे क्षेत्र में ही एक पुल दो साल से बनकर तैयार है, दोनों तरफ एप्रोच नहीं बन पा रही है कि दोनों तरफ एप्रोज तैयार करके सड़क बनाकर उसको चालू कर दें. अभी हमारे सीधी जिले में ही इतनी बड़ी घटना घटी, सतना जो गृहमंत्री जी के कार्यक्रम में आदिवासियों को लेकर गए थे, कितनी बड़ी घटना घटी सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही से घटी. टनल दिखाने के लिए 100-150 किलोमीटर का चक्कर लगाकर जा रहे हो और मेन हाईवे पर बसें रोककर, खड़ी करके पूरी बांट रहे हैं, पानी बांट रहे हैं और ट्रक आता है, वह टक्कर मारकर चला जाता है, उसमें 16 लोगों की जान चली जाती है, उसमें 50 लोग हॉस्पिटलाइज्ड होते हैं. क्या गरीब की जान इतनी सस्ती है ? तो इस बजट में आप प्रावधान कीजिये. मेरा तो यह कहना है और मैं ऐसा मानता हूँ कि सरकार अच्छा काम कर रही है, तो जनता को विकास दिखाने की जरूरत नहीं है. विकास अपने आप दिखता है, लोग महसूस करते हैं.
सभापति महोदय, आज हर विभाग के कर्मचारी आन्दोलनरत् हैं. रोजगार सहायक हों, सचिव हों, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हो, आशा कार्यकर्ता हो, आप जिधर नजर दौड़ाइये, सब लोग आन्दोलनरत् हैं और जिनके लिए सरकार ने जो वादा किया था, 1,500 रुपये आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, सहायिकाओं के लिए, लेकिन 5 वर्ष होने वाले हैं, सरकार ने वादा किया था कि हम डीए देंगे, आज तक 1,500 रुपये उनके खाते में नहीं गये तो कहां इस बजट का प्रावधान हो रहा है ? यह पैसा कहां जा रहा है ? आज जो बाणसागर के मेंटेनेंस का काम है, हमारे क्षेत्र में भी मेंटेनेंस होता नहीं, पैसा ऊपर-ऊपर निकल जाता है. किसान की फसल खराब हो जाती है, पानी भराव हो जाता है, कई बार विधान सभा में भी ध्यान आकर्षण लगाया, अधिकारियों से बात की. मगर सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंगती है. जिधर जिस विभाग में आप नजर दौड़ाइये, हर तरफ भ्रष्टाचार का आलम है.
सभापति महोदय, आजीविका मिशन, जिसकी शुरूआत सन् 2011 में यूपीए गवर्नमेंट ने झुंझुनवाला से की गई थी. आज वह (XXX) जिसके माध्यम से गरीब महिलाओं को आत्मस्वावलंबी बनाने के लिए यह योजना लागू की गई थी, वह राजनीति का अखाड़ा हो गया है. एक व्यक्ति जो रिटायर्ड हो गया, आईएफएस थे. वह दो-दो, तीन-तीन बार संविदा नियुक्ति पर थे, जबकि स्पष्ट भारत सरकार की गाइडलाईन है कि वहां किसी आईएएस की पोस्टिंग होनी चाहिए. कोई मिस्टर बेलवाल हैं, पता नहीं, उनके क्या संबंध हैं ? उनकी कितनी पकड़ है और वह सरकार को कौन-सा गणित दे देते हैं. एक-एक सक्षम आईएएस ईमानदार, अधिकारी बैठे हैं, पर उनकी पोस्टिंग वहां नहीं होगी. पोस्टिंग किसकी होगी ? जो भ्रष्टाचारी होगा, बदमाश होगा या रिटायर्ड होगा, संविदा दे रहे हैं. नियम-प्रक्रिया से अलग हटकर, क्यों ऐसा हो रहा है ? हम बहुत बजट का प्रावधान करते हैं, पर यह बजट का प्रावधान अगर प्रशासनिक कसावट नहीं हो, प्रशासन अगर लचर हो जाये और मुख्यमंत्री जी को कहना पड़े कि हम उल्टा लटका देंगे, गड्डे में गाड़ देंगे, यह कोई भाषा है क्या ? इसी प्रदेश में हमने देखा है कि अर्जुन सिंह जी मुख्यमंत्री थे, श्री डी.पी.मिश्रा जी थे, श्री सुन्दरलाल पटवा जी भी मुख्यमंत्री थे. एक-एक से लोग यहां सक्षम हुए हैं, जो बोलते कम थे, पर उनका काम आज भी बोलता है. अधिकारी डरते थे, अगर स्व. अर्जुन सिंह जी चश्मे के नीचे से देख लेते थे तो अधिकारी डर जाते थे, कई ऐसे उदाहरण हैं, पर दुर्भाग्य है कि यहां तो सब संविदा पर चलेगा. एक से एक सक्षम अधिकारी बैठे हुए हैं.
डॉ. सीतासरन शर्मा - सभापति जी, 16 वर्ष से मुख्यमंत्री हैं.
श्री कमलेश्वर पटेल - मुख्यमंत्री बनना ठीक है. माननीय शर्मा जी, 16 वर्ष नहीं, आप 25 वर्ष बन जाइये.
सभापति महोदय - कमलेश्वर जी, आप अपनी बात समाप्त कीजिये.
श्री आशीष गोविंद शर्मा - कमलेश्वर भाई, धन्यवाद.
श्री कमलेश्वर पटेल - माननीय सभापति महोदय, माननीय डॉ. शर्मा जी बहुत सीनियर सदस्य हैं. आप कई वर्ष (XXX) असत्य बयानी करके, गुमराह करके, सत्ता देश और प्रदेश में हासिल कर लीजिये. आपने पिछड़े वर्गों का, आपने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति का मिले हुए अधिकार को छीनने का कार्य किया है. हमें उम्मीद थी कि मध्यप्रदेश में जितने भी विभागों में जगह खाली हैं, यह सरकार भर्तियां करेगी. हमने तो सोचा था कि अनुपूरक बजट में ऐसा कुछ प्रावधान करेंगे, यह चुनावी वर्ष है. आज सभी विभागों में पद खाली पड़े हुए हैं. गरीबों के बच्चे पढ़-लिखकर भटक रहे हैं, शिक्षित बेरोजगार भटक रहे हैं. कोई प्रोविजन नहीं है क्योंकि हमें तो आउटसोर्स में भ्रष्टाचार करना है. सब खेल चल रहा है. यह हो क्या रहा है ?
सभापति महोदय - कमलेश्वर जी, आप अपनी बात समाप्त कीजिये.
श्री कमलेश्वर पटेल - सभापति महोदय, तो आरक्षण का तो वैसे ही आपने खात्मा लगा दिया. आरक्षण का कहां पालन हो रहा है ? आपने 18 वर्ष में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़े वर्ग के लोगों को कमजोर करने का काम किया. पंचायत चुनाव में आपने आरक्षण छीन लिया. यहां जब सरकार की तरफ से वक्तव्य देते हैं तो इनको शर्म भी नहीं आती. यह ऐसी बातें करते हैं कि हमने पिछड़ा वर्ग को आरक्षण दे दिया. आपने मिला हुआ अधिकार छीन लिया. जब हमारा 73 वां एवं 74 वां संविधान संशोधन विधेयक आया था, स्व. राजीव गांधी जी लेकर आए थे. निकाय चुनाव में प्रावधान किया था कि राज्य सरकारें जनसंख्या के अनुपात में पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देंगी. और एक-एक से विद्वान आई.ए.एस. लोगों ने बैठकर वह त्रिस्तरीय पंचायत एक्ट बनाया था, पर देखते देखते नया अध्यादेश लाये उसको खत्म कर दिया. मिला हुआ अधिकार सब आधा कर दिया, आधे से भी कम पिछड़ा वर्ग के प्रतिनिधित्व हो गये तो यह स्थिति है. पिछड़ा वर्ग का जो 27 प्रतिशत आरक्षण था, आज पुलिस में ट्रेनिंग देने के बाद वह आरक्षण हाईकोर्ट से रूक गया, जबकि जिनका सिलेक्शन हो गया था. ऐसे शिक्षा विभाग में चल रहा है, ऐसे ही एम.पी.पी.एस.सी. की चार साल से परीक्षाएं नहीं हो रही हैं. यह हो क्या रहा है, आज आप जिधर नजर दौड़ाईये, आप सिर्फ और सिर्फ लूटखसोट मची हुई है और मिले हुए अधिकार को जो पुराना प्रावधान किया था, उसको खत्म करने में यह सरकार लगी हुई है. हमारा सीधी से सिंगरौली, हम अभी जो बात कर रहे थे और मुख्यमंत्री जिस दिन अभिभाषण में वक्तव्य दे रहे थे, उस टनल की बात है और माननीय मुख्यमंत्री सीधी से सिंगरौली राष्ट्रीय राजमार्ग 11 साल से बन रहा है और मुख्यमंत्री जी ने भूमि पूजन किया था, तीन-चार ठेकेदार चेंज हो गये, पर आज तक लोग परेशान हैं और आये दिन एक्सीडेंट हो रहे हैं और सड़क का निर्माण नहीं हो रहा है.
सभापति महोदय -- श्री कमलेश्वर पटेल जी अब अपनी बात समाप्त करें.
श्री कमलेश्वर पटेल -- माननीय सभापति महोदय, यह सरकार किस तरफ जा रही है, क्या कर रही है? यह चिंता का विषय है. मेरा माननीय वित्तमंत्री जी से निवेदन है कि जो आपने तृतीय अनुपूरक बजट लेकर आये हैं, इस प्रकार से पूरी तरह से आपके कई वर्षों के कुप्रबंधन का यह हाल है कि बार-बार आपको बजट लेकर आना पड़ रहा है. करोड़ों रूपये आप कर्ज ले रहे हैं, इसका सही इस्तेमाल करें.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- श्री कमलेश्वर पटेल जी आप क्या तृतीय अनुपूरक पर बोलें हैं?
श्री कमलेश्वर पटेल -- अनुपूरक पर ही बोला है. आपका जो बजट है, जिन जिन विभागों में है, अब सारे विभागों का हम अगर नाम लेने लगे तो बहुत टाईम लगेगा और एक एक भ्रष्टाचार हम सभी विभागों का गिना सकते हैं. आपने शिक्षा का स्तर पूरी तरह से खराब कर दिया है, आंगनबाड़ी केंद्र भवन नहीं है, भवन विहीन है. (व्यवधान..)
सभापति महोदय-- श्री कमलेश्वर जी, अब आप अपनी बात समाप्त करें और बैठ जायें और राजेंद्र पाण्डेय जी को बोलने दीजये (व्यवधान..)
श्री बहादुर सिंह चौहान -- सभापति महोदय, आप इनका पूरा भाषण निकाल लें, इन्होंने तृतीय अनुपूरक बजट पर एक भी शब्द नहीं बोला है. (व्यवधान..)
श्री कमलेश्वर पटेल -- अरे तो क्या बोलें, सरकार की प्रशंसा करें क्या, हर जगह भ्रष्टाचार है (व्यवधान..)
सभापति महोदय -- श्री कमलेश्वर जी आप अपनी बात समाप्त करें, आप बैठ जायें. श्री राजेंद्र पाण्डेय जी आप अपनी बात रखिये. (व्यवधान..)
श्री बहादुर सिंह चौहान -- यह कांग्रेस की आमसभा जो होती है, ऐसे भाषण दे रहे हैं.
सभापति महोदय -- बहादुर सिंह जी आप बैठ जायें, डॉ.राजेंद्र पाण्डेय जी आप अपनी बात शुरू करिये.
डॉ.राजेंद्र पाण्डेय(जावरा) -- माननीय सभापति महोदय, थोड़ा समय बढ़ा दिये करें, कमलेश्वर जी भी बोल चुके हैं, बहादुर भईया भी बोल चुके हैं, आपस में न जाने क्यों उलझे जा रहे हैं.
सभापति महोदय -- आप अपनी बात रखें.
डॉ.राजेंद्र पाण्डेय -- माननीय सभापति महोदय, मैं माननीय वित्तमंत्री जी द्वारा प्रस्तुत तृतीय अनुपूरक बजट के समर्थन में यहां पर अपने विचार व्यक्त कर रहा हूं. एक बात तो सत्य है कि सिर्फ सड़क पुलियाओं के माध्यम से, सिर्फ सिंचाई योजनाओं के माध्यम से, सिर्फ स्कूल भवन बन जाने के माध्यम से, सिर्फ भवनों के निर्माण के साथ-साथ में यदि आम जन की जो मूलभूत आवश्यकताएं हैं, आमजन के जो जन-जन के कार्य हैं. आम जन की जो जन कठिनाईयां हैं, उन कठिनाईयों के निराकरण के भी कार्य अगर साथ-साथ में किये जायें, तब निश्चित रूप से यह महसूस होता है कि अच्छा बजट बनाया गया है. बजट तो अनुमान के आधार पर ही बनाये जायेगा, बजट से जो व्यय होने वाला है, उसका भी अनुमान ही किया जायेगा, जब बजट अनुमान के आधार पर बनाया गया, बजट से जो व्यय होने वाला है, उस व्यय का भी अनुमान किया गया तो जब अनुमान में अंतर आये, जैसा कि अभी तरूण भनोत जी बार बार कह रहे थे कि भलां विभाग के लिये इतनी करोड़ की राशि स्वीकृत की गई, लेकिन प्रदान इतनी की गई. यह काम करने वाली सरकार है, पहले की सरकारों को हम सबने देखा है पहले के समय को हम सब ने देखा है, पहले का समय मध्यप्रदेश की जनता जानती है, पहले गांव में सड़कें कहां हुआ करती थी और गांव की सड़कों की तो कल्पना न करें. पहले मुख्य मार्ग भी कहां हुआ करते थे, पहले स्कूल भवन कहां हुआ करते थे, पहले स्वास्थ्य भवन कहां हुआ करते थे, पहले आंगनवाड़ी भवन कहां हुआ करते थे और इनके साथ साथ में थोड़ा यह भी जानने की उत्सुकता होती है कि पहले जनकल्याणकारी योजनायें कहां होती थीं, पहले क्या लाडली लक्ष्मी योजना होती थी, पहले क्या मुख्यमंत्री कन्यादान योजना होती थी, पहले क्या मुख्यमंत्री विवाह योजना होती थी, पहले क्या संबल योजना होती थी, पहले क्या तीर्थ दर्शन योजना होती थी, पहले काई योजना नहीं होती थी और न ही कोई विकास के कार्य होते थे, अब जब लगातार विकास के कार्य होना प्रारंभ हुये, उन विकास कार्यों के साथ-साथ में जनकल्याणकारी योजना लगातार साथ-साथ में बनना प्रारंभ हुई और अभी तो अनेक योजनायें बनने के साथ-साथ माननीय मुख्यमंत्री जी लाडली बहना योजना भी प्रारंभ कर रहे हैं और उसके लिये भी बजट का प्रावधान किया गया है, यह सरकार एक ओर विकास कार्यों को करने के साथ-साथ में जनकल्याणकारी योजनाओं का क्रियान्वयन भी करती है क्योंकि माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का संकल्प है हम आत्मनिर्भर भारत को बनाने वाले हैं. माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी का संकल्प है कि हम आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश का निर्माण करना चाहते हैं, जब हम आत्मनिर्भर भारत की कल्पना करते हैं जब हम आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश की कल्पना करते हैं तो विकास कार्यों के साथ-साथ में जब हर घर परिवार में खुशहाली न आये. हर घर परिवार तक समृद्धि न पहुंचे हर घर परिवार का परिवारजन पूरी तरह से सशक्त न हो तो हम कैसे कल्पना कर सकते हैं कि हम आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहे हैं और जब आत्मनिर्भर भारत की कल्पना के साथ-साथ में मध्यप्रदेश की आत्मनिर्भर बनने की कल्पना के साथ-साथ में हम स्वर्णिम मध्यप्रदेश की कल्पना को भी साकार रूप देना चाहते हैं और इसलिये कोई कमी कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं. बजट को निश्चित रूप से पारित किया गया, बजट निश्चित रूप से पारित हुआ, आशंकायें अनेक व्यक्त की जा सकती हैं और इसीलिये अनुपूरक लाया गया है कि अगर बजट जो लाया गया है अगर उसमें जो व्यय होता है और अगर व्यय की अधिकता हो जाती है तो कम से कम इस अनुपूरक बजट के माध्यम से उस होने वाली संभावित व्यय की कमी को दूर किया जा सके, उन सारे विभागों के विभागीय कार्यों में जो विभाग भिन्न-भिन्न योजनाओं के माध्यम से अपने विकास कार्यों के साथ-साथ में उन जनकल्याणकारी योजनाओं का क्रियान्वयन भी करते हैं वे भी साथ-साथ में किये जा सकें, इसलिये यह अनुमानित अनुपूरक बजट यहां पर प्रस्तुत किया गया है और माननीय सभापति महोदय, पहले तो योजनायें बंद कर दी जाती थी, पहले मुख्यमंत्री कन्यादान योजना बंद कर दी गई, पहले संबल योजना बंद कर दी गई, पहले तीर्थदर्शन योजना बंद कर दी गई. उन योजनाओं को बंद करने के साथ-साथ में न कोई विकास के कार्य हुये और मात्र डेढ़ साल में ही सरकार चली गई, डेढ़ साल में सरकार लुढ़क गई. डेढ़ साल भी इस मध्यप्रदेश को वह चला नहीं पाये और वे आक्षेप लगाते हैं. माननीय सभापति महोदय, यहां पर बिजली के बारे में बहुत सारी बातें हो रही हैं, एक कल्पना करें 24 घंटे लगातार बिजली मिलने के कारण लगातार 10 घंटे सिंचाई के लिये बिजली मिलने के कारण न केवल हमारा शिक्षा का स्तर सुधरा है उसी के साथ साथ में पूरे मध्यप्रदेश भर का उत्पादन भी बढ़ा है, उन सिंचाई योजनाओं के बनने के कारण उन अपूर्ण योजनाओं को फिर से प्रारंभ करते हुये उनमें बजट का प्रावधान करते हुये उन योजनाओं को पूर्ण करने के साथ-साथ में नवीन योजनाओं की सिंचाई योजनाओं की स्वीकृति दी जाकर के पूरे मध्यप्रदेश भर में बड़े-बड़े डेम बनाकर, बड़े-बड़े उद्योग विद्युत संयंत्र बनाकर के सौर ऊर्जा के माध्यम से ऊर्जा का उत्पादन करने के साथ-साथ में जब पानी की उपलब्धता थी, पूरे मध्यप्रदेश भर में पर्याप्त पानी की उपलब्धता मिलने लगी, जब बिजली पर्याप्त मिलने लगी, यह इस बात का प्रमाण बार-बार कहा जा रहा है कि राजा नवाबों के समय से, देश की आजादी के पहले से लेकर देश की आजादी के बाद तक 2003 तक यहां पर सिंचित रकवा मध्यप्रदेश का साढ़े सात लाख हेक्टेयर हुआ करता था जो मध्यप्रदेश भारतीय जनता पार्टी की सरकार और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी चौहान के नेतृत्व में माननीय जगदीश देवड़ा जी जैसे कुशल वित्तीय प्रबंधन वाले मित्र मंत्री के माध्यम से जो बजट का प्रावधान किया गया है वह साढ़े 7 लाख हेक्टेयर का जो सिंचित रकवा अब बढ़कर के 45 लाख सिंचित रकवा हमारा बढ़ जाता है और लगभग हम 60 लाख हेक्टेयर तक रकवा बढ़ाने की बात करते हैं और हमारा कृषि उत्पादन बढ़ते-बढ़ते लगातार इतना बढ़ जाता है कि हमें एक बार नहीं,दो बार नहीं,तीन बार नहीं,सात-सात बार राष्ट्रपति महोदय के द्वारा कृषि कर्मण पुरस्कार प्राप्त होता है और यही एक बड़ा प्रमाण है कि हम पूरे देश भर में गेहूं उत्पादन में अग्रणी राज्य की ओर आगे बढ़ते हैं और पूरे देश में हम गौरवान्वित होते हैं इससे बड़ा प्रमाण कहां मिलेगा. आज लाखों कि.मी. की सड़कें बनाई जा रही हैं. आज सिंचाई योजनाओं के साथ-साथ में उन स्वास्थ्य सुविधाओं को भी ठीक करने का काम किया है. आज जिला मुख्यालयों से लेकर अगर हम छोटे-छोटे सिविल अस्पतालों का स्तर देखें. मेरे जावरा जैसे स्थान पर जब कोरोना काल आया था उस कोरोना काल में हमने आमजन से भी आव्हान किया था. आपको जानकर प्रसन्नता होगी कि जनता के द्वारा वहां पर उन जन आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये एक करोड़ रुपये का दान देकर वहां आक्सीजन प्लांट लगाया तो माननीय मुख्यमंत्री जी ने भी इसी के साथ-साथ में प्रसन्नता के साथ एक और आक्सीजन प्लांट की वहां घोषणा की और आज दो-दो आक्सीजन प्लांट एक तहसील मुख्यालय पर चलायमान होकर स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को सुदृढ़ करने का काम करते हैं और इसीलिये माननीय वित्त मंत्री जी ने 16329.50 करोड़ का प्रावधान इस अनुपूरक बजट में उन भाव और भावनाओं के साथ किया है. उर्जा की सब्सिडी क्यों नहीं दी जानी चाहिये. निश्चित रूप से शहरों के साथ-साथ गांवों में भी ऊर्जा की सब्सिडी के माध्यम से हमारे अनुसूचित जनजाति के लोग, हमारे पिछड़े वर्ग के लोग, हमारे गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोग, उन पर परिवारों को निशुल्क रूप से 100 यूनिट तक उपभोग करने पर यह सब्सिडी प्रदान की जाती है और उसी के साथ-साथ में जब हम किसानों को,कृषि को समृद्ध करना चाहते हैं. खेती को लाभ का धंधा बनाना चाहते हैं तो उन्हें विद्युत में, कृषि पंपों में सब्सिडी दी जानी चाहिये और वह सब्सिडी दी जा रही है. मैंने पहले भी व्यक्त किया था कि जो सब्सिडी दी जा रही है एक-एक गांव के बारे में आप कल्पना करें. मेरा तो बार-बार जनप्रतिनिधियों से निवेदन है कि वे अपने विधान सभा क्षेत्र में एक-एक गांव में विद्युत सब्सिडी घरेलू उपभोक्ताओं को और कृषि सिंचाई पंपों के उपभोक्ताओं को जितनी विद्युत सब्सिडी दी जा रही है. आपको जानकर निश्चित रूप से प्रसन्नता होगी कि एक वर्ष में एक छोटे से गांव में लगभग एक करोड़,दो करोड़, ढाई करोड़ रुपये तक की वार्षिक सब्सिडी दोनों को मिलाकर दी जा रही है अगर हम उसका मासिक अनुमान लगाएं तो माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी ने और माननीय वित्त मंत्री जी की सरकार ने इतने काम किये हैं,विकास कामों के साथ में,इतनी जनकल्याणकारी योजनाएं बनाई हैं कि उनका जिक्र करते-करते तो हमें समय की कमी हो जाती है और हमारे विपक्षी बंधु उन्हें व्यवधान करके रोकने की एक आदत सी पड़ गई है. काम की बातें वे करते नहीं क्योंकि काम वे नहीं कर पाए उनसे काम हो नहीं पाया क्योंकि वे काम करना नहीं चाहते थे क्योंकि वह तो छलावा देकर आए थे वे तो वचनपत्र लेकर आए थे और वचन भंग करके उनकी सरकार भंग हो गई और आज वे सामने बैठे है. मैंने कल भी कहा था कि बार-बार खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचती है. हम काम करने वाले लोग हैं हमारी सरकार काम करने वाली है और इसीलिये वित्त मंत्री जी ने ऊर्जा सब्सिडी में 6684 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है और इसी के साथ आवास की जहां तक बात है किन कारणों से जब राज्याशं मिलाया जाना था राज्यांश की राशि मध्यप्रदेश की कांग्रेस की सरकार ने नहीं मिलाई थी और हमारे गरीब परिवारों के दो लाख प्रधानमंत्री आवास रोक दिये गये थे सिर्फ राज्यांश न मिलाने के कारण और माननीय मुख्यमंत्री जी ने वह राज्यांश मिलाकर आज प्रधानमंत्री आवास लगातार बन रहे हैं और अनुपूरक में पुन: उसके लिये 1013 करोड़ रुपये का प्रावधान उसमें रखा है जिससे यह आवास लगातार बनते रहें. माननीय सभापति महोदय. आपने जो बोलने का समय दिया उसके लिये बहुत-बहुत धन्यवाद.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे (लांजी)-- सभापति महोदय, मैं वर्ष 2022-23 के तृतीय अनुपूरक पर अपनी बात रख रही हूं. मध्यप्रदेश की जो जनता है, चाहे वह प्रत्यक्ष हो या अप्रत्यक्ष रुप से टैक्स के माध्यम से सरकार के खजाने को भरती है और उस राशि का यदि सही उपयोग नहीं हो पाता है और ऐसे में यदि विपक्ष प्रश्न करता है,तो मुझे लगता है कि कहीं कोई गलत बात नहीं है. इस तृतीय अनुपूरक की जरुरत वैसे तो पड़नी ही नहीं चाहिये थी, क्योंकि जो सरकार है, पिछला जो बजट आया 2022-23 का, उस बजट में जो आपने प्रावधान किये थे, मुझे लगता है कि इस अनुपूरक को आपको लाना इसलिये पड़ा, क्योंकि उस काम में, जिस काम के लिये आपने प्रावधान किया था, उस काम में आपने पैसा खर्च ही नहीं किया. जो प्लॉन का पैसा था, वह नान प्लॉन में खर्च हुआ है और ऐसा मेक्सीमम उसमें आपने किया है. मुझे अच्छे से याद है कि पिछली बार आपने स्कूल शिक्षा विभाग में साइकिल देने के लिये प्रावधान किया था. लेकिन बड़े दुख के साथ मुझे कहना पड़ता है कि पिछला जो सत्र गया, ट्राइबल ब्लॉक्स को यदि हम छोड़ दें, तो आपके दूसरे जो ब्लॉक्स हैं नॉन ट्राइबल, उनमें आपने स्कूल में साइकिल नहीं दी. पूरा वर्ष बीत गया. साइकिल हमारे बच्चों को नहीं मिली. अब आप अनुपूरक लेकर आ रहे हैं, वह बच्चे जो पिछले सत्र में एडमिशन लिया था, अब तो वे परीक्षा देने की कगार पर आ गये हैं, अब पता नहीं इसमें भी आपने कोई व्यवस्था की है कि नहीं की है. अगर आप सरकारी खजाने का उपयोग इस तरह से करेंगे, तो आपको ऐसे बार-बार जरुरत पड़ती जायेगी और आप यह अपेक्षा करेंगे कि विपक्ष बिना किसी आरोप के, प्रत्यारोप के अनुपूरक में सहयोग करे, इसको पास करवाने में. मुझे अच्छे से याद है कि पिछली बार हमारे सदस्य, श्री जितु पटवारी जी ने एक ऐसा ही मामला उठाया था. उन्होंने इस बात का प्रमाण भी दिया. जब उन्होंने विधान सभा में प्रश्न लगाया और प्रश्न के उत्तर में ही उनको यह बात आई कि भाजपा के कार्यकर्ताओं के लिये सरकारी खजाने से खर्च किया गया, उनको खाना खिलाने में पैसा. तो उनको केवल उसी बात पर निलंबित किया गया. तो ऐसा कैसे चलेगा. मेरे पास, मैं आपको बता दूं कि..
श्री तुलसी राम सिलावट-- आप उनकी आत्मा से दूर रहो.
श्री कुणाल चौधरी-- आप और वह दोनों बगल-बगल में ही रहते हैं और आप उनके पिताजी के दोस्त हैं, यह तो मालूम है.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे-- जितु पटवारी जी मेरे भाई हैं और उन्होंने कोई गलत नहीं किया था. ठीक है, सबकी अभिव्यक्ति का अपना अपना तरीका होता है. उन्होंने आधारपूर्ण ही बात की थी. चलिये, मैं आगे बात करुं. मेरे पास मध्यप्रदेश शासन के श्रम विभाग का एक पत्र है 8.3.2022 का. इस पत्र में यह जिक्र है कि हाल ही में कुछ जिलों में यह स्थिति समक्ष में आई है कि कतिपय पदाभिहित अधि