मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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पंचदश विधान सभा चतुर्दश सत्र
फरवरी-मार्च, 2023 सत्र
गुरुवार, दिनांक 16 मार्च, 2023
(25 फाल्गुन, शक संवत् 1944 )
[खण्ड- 14 ] [अंक- 9 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
गुरुवार, दिनांक 16 मार्च, 2023
(25 फाल्गुन, शक संवत् 1944 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.03 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}
प्रश्नकाल में मौखिक उल्लेख
दिनांक 15.03.2023 को जिला इंदौर के थाना बडगोदा अंतर्गत पुलिस चौकी डोंगरगांव
में घटित घटना
डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ(महेश्वर) - माननीय अध्यक्ष महोदय,मेरी एक मिनट बात सुनी जाए.यह बहुत गंभीर मामला मेरे विधान सभा क्षेत्र का है.
नेता प्रतिपक्ष(डॉ.गोविन्द सिंह) - माननीय अध्यक्ष महोदय, आज बहुत गंभीर घटना हुई. एक हमारी आदिवासी नाबालिग बच्ची के साथ बलात्कार हुआ और उसकी हत्या हो गई और वहां थाने में मुलजिम पकड़ने के लिये वहां के आदिवासी भाई गये तो पुलिस ने सीज फायर करके एक आदिवासी भाई की हत्या कर दी और कई लोग घायल हुए. छर्रे लगे. ज्यादा गंभीर नहीं हैं लेकिन घायल है. हमारा अनुरोध है कि माननीय गृह मंत्री जी इस संबंध में वक्तव्य दें कि क्या हालात हैं.
गृह मंत्री (डॉ.नरोत्तम मिश्र ) - माननीय अध्यक्ष महोदय, दुखद घटना है. घटना में दो तरह की बातें प्रकाश में आई हैं. एक जैसा सम्मानित नेता प्रतिपक्ष आदरणीय गोविन्द सिंह जी ने कहा और दूसरा पक्ष जो वह बिटिया थी वह उसके साथ में रहती थी और घर में पानी गर्म करने की जो राड होती है उसको जब बाल्टी में डाला तो करंट लगा और उसकी दुखद मृत्यु हो गई. इससे आक्रोषित होकर बिटिया के मायके वालों ने उसको हत्या कहा और जाम लगाया और जाम लगने के बाद उस व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया गया. जब वह व्यक्ति गिरफ्तार होकर थाने आ गया तो यह पूरा मूवमेंट थाने की ओर आया कि हम खुद न्याय करेंगे कि हम खुद न्याय करेंगे. इसने हत्या की है और थाने पर उसके बाद पथराव और हमला हुआ जिसमें वहां का थाना प्रभारी गंभीर घायल हुआ जिन्हें इन्दौर रेफर करके भर्ती किया गया है और 13 पुलिस के जवान घायल हुए.अलग-अलग स्थानों पर उनके चोटें आईं. उसमें घायल हुए. अलग अलग स्थानों पर उनके शरीर में चोटें आईं और इसी बचाव में गोली चली, जिसमें यह दुखद घटना घटित हुई है. बिटिया का फ्यूनरल हो गया है और उसकी भी यह मुख्यमंत्री जी ने घटना की मजिस्ट्रियल जांच यह दो तरह की बात जैसे सम्मानित नेता प्रतिपक्ष कह रहे हैं, वह वाली बात और यह दूसरी बात जो दोनों बातें आई हैं, इनकी सत्यता की और पूरी घटना की और मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिये हैं. थोड़ी देर में स्थिति और साफ हो जायेगी. पी.एम. रिपोर्ट आने वाली है.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ (महेश्वर)-- अध्यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र की घटना है, एक मिनट दिया जाये. जिस तरह से संसदीय कार्य मंत्री जी, गृह मंत्री जी ने बोला. रात को जब लड़की की मृत्यु हुई, उसकी रिपोर्ट नहीं लिखी जा रही थी. तो मेरे क्षेत्र के लोग वहां गये, दबाव डाला, प्रेशर बनाया, घटना है 6.00-7.00 बजे की, रिपोर्ट 10.00 बजे तक नहीं लिखी गई. तो लोग क्या करेंगे और वह भी एसटी वर्ग के लोग, आदिवासी लोग, उन लोगों ने जब प्रेशर डाला, जब माहौल खराब होने लगा, तब जाकर रिपोर्ट लिखी नम्बर एक. नम्बर दो, आज सुबह-सुबह एसपी साहब की कस्टडी में मेरे क्षेत्र में वासली कुण्डिया ग्राम में उस लड़की का दाह संस्कार किया. इसे हम लोग क्या समझें और उसकी मां सीधे सिरे से आरोप लगा रही है कि लड़की के साथ सामूहिक दुष्कर्म हुआ है और उसके बाद हत्या हुई है और हत्या के बाद जो उसका दाह संस्कार हुआ है, वह सुबह सुबह 6.30 बजे, 7.00 बजे पुलिस की कस्टडी में हुआ. इससे क्या आशय निकालें. इससे क्या उद्भूत होता है. एक तरफ तो मामा आदिवासियों का ढिण्ढोरा पीटता है कि हम यह कर रहे हैं, वह कर रहे हैं और इस प्रदेश के अन्दर आदिवासियों की रिपोर्ट तक नहीं लिखी जा रही है. तो आंदोलन नहीं करेंगे, तो क्या करेंगे आदिवासी लोग. क्या अब मरते रहें घर पर.
श्री कमल नाथ (छिन्दवाड़ा)-- अध्यक्ष महोदय, मैंने गृह मंत्री जी की बात सुनीं कि मजिस्ट्रियल जांच मुख्यमंत्री जी ने आर्डर की है. यह मामला टलने वाला नहीं है और मेरे पास आंकड़े हैं यहां, मैं पटल पर रख दूंगा कि आदिवासी अत्याचार के मामले में मध्यप्रदेश का क्या स्थान है और यह बड़ी दुख की बात है कि 18 साल की सरकार का हासिल यह है कि देश में 13 दफे मध्यप्रदेश का पहला स्थान रहा. 5 दफे दूसरा स्थान रहा. यह मैं पटल पर रख रहा हूं. यह मेरे आंकड़े नहीं हैं, यह एनसीआरबी के आंकड़े हैं. यह दुख की बात है और यह मजिस्ट्रियल जांच तो बहुत सारी होती हैं. अंत में मामला टल जाता है और उसके एक महीने के बाद या एक हफ्ते बाद कोई और आदिवासी भाइयों या बहनों पर अत्याचार होता है. ..
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- आप बता दें क्या करना है. एक बात अध्यक्ष जी. दूसरी बात घटना पर अगर आज हम सीमित रहें, एनसीआरबी के आंकड़े और दूसरे फिर मैं उसको ले जाऊं कि आप जब मुख्यमंत्री थे तब पांढुर्ना में भी सेम ऐसा ही केस हुआ था.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, वह नहीं करना है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- इससे घटना की गंभीरता चली जायेगी. इसलिये मेरा यह कहना है कि घटना गंभीर है. आप गंभीर मान रहे हैं, हम गंभीर मान रहे हैं. दोनों दुखद मान रहे हैं. आप भी दुखद मान रहे हैं, मैं भी दुखद मान रहा हूं और प्रश्नकाल है, इसमें आपको जो विचार रखने हैं, अवश्य रुप से रखें. अध्यक्ष जी ने अनुमति दी है, प्रश्नकाल चले, उसके बाद शून्यकाल में जब तक स्थिति और साफ हो जायेगी.
श्री कमल नाथ -- अध्यक्ष महोदय, यह जो मजिस्ट्रियल जांच आर्डर की है, यह एक सीमित समय में हो. इसकी सीमा तय कर लीजिये. इस समय तक इनकी रिपोर्ट आ जायेगी.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- यह भी आप ही तय कर दें सर.
श्री कमल नाथ -- अध्यक्ष महोदय, नहीं, हम क्यों तय करें, आप बता दीजिये. इसमें कोई लम्बी चौड़ी उनको देश विदेश में तो जाना नहीं है. यह तो लोकल मामला है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- कोई लम्बी चौड़ी नहीं होगी. बिलकुल जैसा माननीय पूर्व मुख्यमंत्री जी की इच्छा है, वैसा करेंगे.
श्री कमल नाथ -- अध्यक्ष महोदय, यहां तो दो ही मुद्दे हैं कि यह सुसाइड है या उनका मर्डर है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- सुसाइड नहीं करंट से मौत हुई है या हत्या है.
श्री कमल नाथ -- अध्यक्ष महोदय, मैं तो नहीं कह रहा हूं कि कैसे मरी है. मैंने कहा कि यह तो जांच का विषय है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- सुसाइड नहीं है.
श्री कमल नाथ -- अध्यक्ष महोदय, उसके परिवार ने आरोप लगाया है, तो यह तो मैं कह रहा हूं कि जांच का मामला है. पर उसके बाद जो मौत हुई पुलिस फायरिंग में, किस कारण हुई, क्या आवश्यकता थी पुलिस फायरिंग की. इसकी क्या आवश्यकता थी, किस जोश में इन्होंने पुलिस फायरिंग की. यह मजिस्ट्रियल जांच की बात है और मेरी बस सीमित मांग है कि सीमित समय में यह मजिस्ट्रियल जांच हो जाये और हमारे मध्यप्रदेश के लोगों को पता चल जाय कि सच्चाई क्या है, मैंने यह आंकड़ें बताए थे क्योंकि यह केवल दुख की बात नहीं है, परन्तु (XXX) कि हमारा प्रदेश सबसे बड़ा आदिवासी प्रदेश है और अगर अपने प्रदेश में यह हालात हैं तो केवल आपको नहीं, हमें भी शर्म आनी चाहिए.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ - अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने पहले ही लड़की का चरित्र, चरितार्थ कर दिया कि वह लिव इन रिलेशन में थी, पहले ही संसदीय कार्यमंत्री ने एक बच्ची के ऊपर यह कहा कि वह लिव इन रिलेशन में थी.
अध्यक्ष महोदय - आप थोड़ा सुन लीजिए. इसी विषय पर स्थगन सूचना आज ही प्रातः 10.47 बजे प्राप्त हुई है. शासन से शीघ्र जानकारी प्राप्त की जा रही है. स्थगन सूचना आ गई है. आप निश्चिंत रहें और अभी जब श्री कमलनाथ जी ने कहा, श्री तरुण भनोत जी आप बैठ जाइए, श्री तरुण जी आप प्रश्नकाल को बाधित मत करिए.
श्री तरुण भनोत - अध्यक्ष महोदय, (XXX)
अध्यक्ष महोदय - वह तकलीफ नहीं थी श्री कमलनाथ जी खड़े हैं. श्री कमलनाथ जी ने बोला.
श्री तरुण भनोत - अध्यक्ष महोदय, संरक्षण. एक बात, मैं भी सदन का सदस्य हूं, अपनी बात रखना चाह रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय - आप सदस्य हैं परन्तु अभी श्री कमलनाथ जी ने बोला.
श्री तरुण भनोत - माननीय गृह मंत्री जी ने जो कहा कि शून्यकाल आते-आते स्थिति और क्लियर हो जाएगी तो सिर्फ आप यह व्यवस्था दे दें कि शून्यकाल में जो जानकारी आएगी, वह सदन को दे देंगे और हमारी बात को सुन लेंगे.
अध्यक्ष महोदय - हमने जानकारी मंगा ली है.
श्री तरुण भनोत - इतना शून्यकाल में कर लें. यह व्यवस्था आप दे दें, प्रश्नकाल चलाएं.
अध्यक्ष महोदय - हमने जानकारी मंगाई है.
श्री शैलेन्द्र जैन - आसंदी से कह रहे हैं कि हम खड़े होते हैं और तकलीफ हो जाती है, इसको निकलवाइए. यह असंसदीय है.
श्री तरुण भनोत - अध्यक्ष महोदय, बता दें कि तकलीफ के लिए क्या शब्द होना चाहिए.
श्री शैलेन्द्र जैन - यह बिल्कुल असंसदीय है.
श्री तरुण भनोत - जो विपक्ष बोले, वह सब असंसदीय है क्योंकि हम जनता की बात उठाएं.
श्री शैलेन्द्र जैन - आप आसंदी का अपमान कर रहे हैं.
श्री तरुण भनोत - क्या तकलीफ बोलकर? क्या बोलें तकलीफ की जगह, उनको क्या है?
श्री शैलेन्द्र जैन - उनका आदर और सम्मान है.
श्री तरुण भनोत - परहेज है. आपको तकलीफ पता नहीं क्यों है?
11.12 बजे तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
उचित मूल्य दुकानों की आकस्मिक जांच
[खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण]
1. ( *क्र. 967 ) श्री लाखन सिंह यादव : क्या खाद्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) भितरवार विधानसभा क्षेत्र में कुल कितनी राशन की दुकानें हैं? ग्राम पंचायत एवं नगर परिषद सहित जानकारी दें। (ख) दिनांक 01 जनवरी, 2022 से प्रश्न दिनांक तक राशन वितरण में फर्जीवाड़ा को रोकने के लिए उपरोक्त में से कितनी राशन दुकानों की आकस्मिक जांच किस-किस अधिकारी द्वारा किस-किस दिनांक में कौन-कौन सी दुकानों पर की गई? (ग) जांच में कितनी राशन की दुकानों में गड़बड़ी पाई गई? कितनी राशन की दुकानों पर कार्यवाही की गई तथा कितनी दुकानें निरस्त की गई? (घ) भितरवार विधानसभा क्षेत्र में राशन पर्ची निर्माण की प्रक्रिया एवं इस वर्ष निर्मित राशन पर्ची की संख्या से अवगत कराएं। (ड.) ग्वालियर जिले में खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग में कौन-कौन अधिकारी/कर्मचारी पदस्थ हैं? उनका नाम, पद, जिले में कब से पदस्थ हैं तथा मुख्यालय का नाम बतावें।
खाद्य मंत्री ( श्री बिसाहूलाल सिंह ) : (क) प्रश्नांकित विधानसभा में कुल 123 उचित मूल्य दुकानें हैं। शेष भाग की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (ग) जांच में 06 उचित मूल्य दुकानों में गड़बड़ी पाई गई। उन 06 दुकानों के विक्रेताओं पर F.I.R. दर्ज की गई। कोई भी दुकान निरस्त नहीं की गई है। (घ) हितग्राही द्वारा शासन द्वारा निर्धारित पात्रता श्रेणी के दस्तावेज सहित स्थानीय निकाय में पात्रता पर्ची हेतु आवेदन प्रस्तुत किया जाता है। स्थानीय निकाय द्वारा उक्त आवेदन का परीक्षण किया जाता है एवं पात्र होने के उपरांत राशन मित्र पोर्टल पर ऑनलाईन स्वीकृत किया जाता है, जिसके पश्चात खाद्य विभाग द्वारा आवेदन को स्वीकृत किया जाता है, तत्पश्चात एन.आई.सी. द्वारा आगामी माह में पात्रता पर्ची जारी की जाती है। भितरवार विधानसभा में कुल राशन पर्ची की संख्या 49216 है। दिनांक 01 अप्रैल, 2022 से दिनांक 19.02.2023 तक प्रश्नांकित विधान सभा में 1989 राशन पर्ची निर्मित की गई हैं। (ड.) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'स' अनुसार है।
श्री लाखन सिंह यादव - अध्यक्ष महोदय, ग्वालियर जिले की भितरवार विधान सभा में शासकीय उचित मूल्य की दुकानों के बारे में मैंने जानकारी चाही थी. माननीय मंत्री जी ने 123 दुकानों की जानकारी दी है. मैंने चाहा था कि दिनांक 1 जनवरी, 2022 से प्रश्न दिनांक तक राशन वितरण में फर्जीवाड़े को रोकने के लिए किन-किन अधिकारियों के द्वारा किस-किस दिनांक को किस-किस के सुपरविजन में यह जांच हुई? अध्यक्ष महोदय, इसकी कोई जानकारी नहीं दी, यह पूरा नगण्य है, कोई जानकारी नहीं है. दूसरा, मैंने चाहा था, इन्होंने जानकारी में बताया कि 6 दुकानों पर हमने कार्यवाही की है, 123 में से 6 दुकानों पर आपने कार्यवाही की है. मैं यह जानना चाहता हूं कि वह दुकानों पर जो आपने कार्यवाही की है वह किस कारण से की थी, क्या उसमें फर्जीवाड़ा पाया गया, एक तो यह बात क्लियर कर दें? पहले आप यही बता दें, उसके बाद मैं दूसरा प्रश्न कर लूंगा.
श्री बिसाहूलाल सिंह - अध्यक्ष महोदय, उचित मूल्य की दुकान चरईश्यामपुर, कम मात्रा में वितरण, अधिक कीमत लेना, केरोसिन प्रदाय नहीं करना, अनाज का वितरण न करना, एक तो यह पाया गया. इसमें समिति के प्रबंधक द्वारा शिकायत पर जांच की एवं विक्रेता के विरुद्ध एफआईआर दर्ज की गई और उस दुकान का निलंबन किया गया. दूसरा है, बनियातौर इसमें भी वर्ष 2022 में पीएमजीवाय एवं पीडीएस दोनों योजनाओं में राशन सामग्री बांटी नहीं गई और 7-8 दिन पहले फिंगर प्रिंट लगवा देना, 132 क्विंटल गेहूं, 31 क्विंटल चावल, 6 क्विंटल नमक, 6 क्विंटल शक्कर कम पाया गया. इसमें भी एफआईआर की गई और दुकानदार को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था. इसी ढंग से मस्तुरा में मार्च, 2022 में दोनों योजनाओं की राशन सामग्री बांटी नहीं गई.
श्री लाखन सिंह यादव - अध्यक्ष महोदय, यह तो मैंने भी पढ़ लिया, मैं यह जानना चाह रहा हूं कि जिन विक्रताओं पर एफआईआर की, उन पर एफआईआर तो हो गई, लेकिन जो उपभोक्ता थे उनको क्या फायदा हुआ? दूसरा, एफआईआर हुई तो आज तक कोई वसूली हो पाई क्या? कोई वसूली नहीं हुई है. क्या आप वसूली करा लेंगे और जिन उपभोक्ताओं को उस योजना का फायदा नहीं मिला, उसके लिए आप क्या करेंगे? उपभोक्ता क्यों इसको फेस करें? आपने एफआईआर कर दी, आपने वसूली की नहीं, धीरे-धीरे फिर यह भी समापन की ओर चला जाएगा. इसको भी बता दें कि क्या आप वसूली करा लेंगे? दूसरा, जिन उपभोक्ताओं को राशन वितरण नहीं हो पाया, क्या आप उनको दोबारा उसी दिनांक का राशन दिलवा देंगे? एक चीज. अध्यक्ष महोदय, दूसरा मेरा प्रश्न इससे लगा हुआ है जो बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न है. कोरोना काल में माननीय प्रधानमंत्री जी ने एक योजना चलाई थी प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना, उसमें हर उपभोक्ता को फ्री आफ कॉस्ट अनाज दिया जा रहा था. मेरी विधान सभा में 123 दुकानें हैं. 123 दुकानों में से बमुश्किल 10-12 दुकानों में यह वितरण हुआ है, नहीं तो पूरे 2 साल का अप्रैल 2020 से दिसम्बर 2022 तक किसी भी दुकान में यह माननीय प्रधानमंत्री की योजना के तहत जो फ्री आफ कॉस्ट अनाज दिया जा रहा था किसी भी दुकान पर वितरण नहीं किया. पुराना जो कंटीनिव वाला था उसी को देकर हितग्राहियों को गुमराह करके उसी को कह दिया गया कि यह वही है.
अध्यक्ष महोदय – क्या यह प्रश्न में है, क्या इसको प्रश्न में पूछा है ?
श्री लाखन सिंह यादव – प्रश्न में नहीं है लेकिन प्रश्न तो उसी से रिलेटेड है.
अध्यक्ष महोदय – रिलेटेड हो, परंतु नये सिरे से बात थोड़ी उठा सकते हैं. अभी उनका जवाब आने दीजिये.
श्री लाखन सिंह यादव – अध्यक्ष महोदय, और काहे का प्रश्न है. मैं सिर्फ इतना जानना चाहता हूं कि यदि वितरण हुआ है, आपकी ही योजना है और आप ही उसको लागू नहीं कर रहे हैं, मैं सिर्फ इतना जानना चाहता हूं कि आप 123 दुकानों में से मात्र 5 दुकानों पर जांच करवा लें. यहां से एक समिति गठित कर दें और उसमें क्षेत्रीय विधायक के नाते आप मुझे भी शामिल कर लें, क्या आप ऐसा करेंगे ?
अध्यक्ष महोदय – माननीय मंत्री जी, उनका पहला सवाल यह है कि जिनकी एफआईआर हुई है उनकी वसूली कब तक होगी और जो हितग्राही रहेगा उनको कब तक भुगतान होगा.
श्री बिसाहूलाल सिंह – अध्यक्ष महोदय, जांच पर कार्यवाही प्रक्रियाधीन है, तद्नुसार वसूली की कार्यवाही की जाएगी. यह हो गया. दूसरा, आपने कहा है कि उसकी दोबारा जांच करा लें, तो दोबारा भी जांच करा लेंगे.
अध्यक्ष महोदय – नहीं, दोबारा जांच नहीं कहा.
श्री लाखन सिंह यादव – मैंने यह कहा है कि 123 दुकानों में से आप मात्र 5 दुकानें चुन लें. 5 दुकानों में एक समिति बनाकर क्या माननीय प्रधानमंत्री कल्याण योजना का आपने क्या वहां वितरण किया है, 123 में से 5 में जांच करा लें. एक समिति बना दें. समिति में मुझे भी शामिल कर लें तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा. इसमें क्या आपत्ति है ?
श्री बिसाहूलाल सिंह – अध्यक्ष महोदय, हम जरूर समिति बनाकर जांच करा लेंगे.
श्री लाखन सिंह यादव – अध्यक्ष महोदय, आप मुझे शामिल करेंगे कि नहीं करेंगे ? पिछली बार भी वन मंत्री जी ने यहां एक समिति बनाई, मुझे उसमें शामिल नहीं किया और अभी वह समिति जांच कर रही है जब मैंने अपने लोगों को वहां भेजा. एक भी व्यक्ति से पूछा तक नहीं गया. जिनके कार्यकाल में वह प्लांटेशन हुआ वही जांच समिति के सदस्य हैं. वह क्या जांच करेंगे आज भी आप मुझे शामिल नहीं कर रहे हैं ? आप यह बताएं मुझे क्षेत्रीय विधायक के नाते शामिल करने में आपको क्या आपत्ति है ? मैं तो यह कह रहा हूं कि 123 में से मात्र 5 दुकानों की आप जांच करवा लें. मैं नाम दे रहा हूं, मोहनगढ़, गड़ाजर, चरका, रिचारी खुर्द और मसतुरा, इन 5 दुकानों की जांच करा लें.
अध्यक्ष महोदय – कह दिया जांच करा लेंगे.
श्री लाखन सिंह यादव – नहीं-नहीं कहां, बोल ही नहीं रहे वह.
अध्यक्ष महोदय – बोला ना कि जांच करा लेंगे.
श्री लाखन सिंह यादव – मुझे शामिल करेंगे कि नहीं उन 5 दुकानों में मैं यह जानना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय – नहीं, यह नहीं कहा उन्होंने.
श्री लाखन सिंह यादव – अध्यक्ष महोदय, क्या आपत्ति है. आपका संरक्षण चाहिये. इसमें क्या आपत्ति है ?
नेता प्रतिपक्ष (डॉ. गोविंद सिंह) – अध्यक्ष महोदय, जनता के हित का काम है. आप इतना पाक-साफ हैं तो आपको क्या परेशानी है ? सामने जांच हो जाएगी, गलत होगा, तो क्षेत्रीय प्रतिनिधि हैं उनकी जिम्मेदारी रहती है. क्या उसमें आपको कोई कठिनाई है ? अगर जब आप किसी अधिकारी से जांच कराएंगे तो क्या स्थानीय प्रतिनिधि को शामिल करने में अपराध हो जाएगा बताइये ? माननीय मंत्री जी बताएं. बोलिये ना बहादुर मंत्री जी.
अध्यक्ष महोदय – संसदीय कार्य मंत्री जी, मैंने आपको कहा ना.
श्री लाखन सिंह यादव – आप बैठ जाइये भैया. आप बोलिये माननीय मंत्री जी. पुरानी मित्रता थोड़ी तो निभा दो. अरे आप बैठ जाओ भैया.
अध्यक्ष महोदय – नहीं-नहीं लाखन सिंह जी, मैंने उनको ही कहा है. लाखन सिंह जी, मैंने संसदीय कार्य मंत्री जी को कहा है.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ.नरोत्म मिश्र) – अध्यक्ष महोदय, वह फिर डांटकर बैठा देंगे.
श्री लाखन सिंह यादव – नहीं-नहीं, मेरे बड़े भाई हैं, मैं इनको नहीं डांट सकता.
डॉ. नरोत्तम मिश्र – अध्यक्ष महोदय, सम्मानित मंत्री महोदय ने बहुत स्पष्ट कहा है कि उन्होंने जो 5 दुकानें कहीं हैं उनकी भी जांच हो जाएगी, इनकी भी हो जाएगी. जहां तक सवाल, सम्मानित सदस्य ने कहा है कि मैं रहूंगा कि नहीं रहूंगा, तो उनको सूचना समिति दे देगी, वह अपना पक्ष रख देंगे या यहां मंत्री जी को दे दें वह बिंदु जांच में आ जाएंगे.
श्री लाखन सिंह यादव – अध्यक्ष महोदय, मुझे भी इस सदन में 20-25 साल हो गये. मुझे भी समिति में रखें. हम लोगों की सरकार रहती थी, माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी, आप भी उस समिति में रहते थे.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- आज तक नहीं रहा हूं.
श्री लाखन सिंह यादव -- अरे रहे कैसे नहीं हैं साहब. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह कह रहा हूँ कि आप मुझे इसमें शामिल कराएं. ..(व्यवधान)..
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- मैं आज तक किसी समिति में शामिल नहीं रहा.
श्री लाखन सिंह यादव -- पिछली बार भी मेरा प्रश्न था, माननीय वन मंत्री जी ने मुझे शामिल नहीं किया.
अध्यक्ष महोदय -- हो गया अब. ..(व्यवधान)..
श्री लाखन सिंह यादव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे शामिल करने के लिए आपकी तरफ से निर्देश चले जाएं.
अध्यक्ष महोदय -- अब वे तैयार नहीं हैं तो हम निर्देश कैसे दें.
श्री लाखन सिंह यादव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, वही लीपा-पोती जैसा काम हो जाएगा. कोई कुछ नहीं हो पाएगा. इतना सरंक्षण आपकी तरफ से मिल जाए. 123 दुकानों में से 5 दुकानों के लिए मैं निवेदन कर रहा हूँ.
अध्यक्ष महोदय -- संसदीय कार्य मंत्री जी ने कहा है कि जब समिति जांच करने जाएगी तो आपको सूचना दी जाएगी.
श्री लाखन सिंह यादव -- वह सूचना अभी जो दे दी, किसी को वहां बुलाया नहीं जा रहा, जांच समिति जांच कर रही है, क्या मतलब निकलता है. मैंने उस दिन कहा था मेरी खुद की पंचायत में प्लांटेशन के नाम से करोड़ों रुपये निकल गए और वहां एक प्लांट नहीं है. जांच कर आए, मुझे बुलाया नहीं. कौन इसको सिद्ध करेगा.
श्री पी.सी. शर्मा -- आसंदी से आप दे दीजिए ना निर्देश, उसमें क्या दिक्कत है.
श्री लाखन सिंह यादव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, और इसमें कोई बड़ा इश्यु नहीं है. आप ही बोल दें साहब, कम से कम मुझे शामिल कर लें, और यह आपका ही पुराना क्षेत्र है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- विधायक जी को अपना पक्ष रखना होगा तो वे रख आएंगे, कहां मना कर रहे हैं.
श्री तरूण भनोत -- जांच में रखने में क्या दिक्कत है.
अध्यक्ष महोदय -- कुणाल चौधरी, अपना प्रश्न पूछें. ..(व्यवधान)..
श्री लाखन सिंह यादव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन सुन लें आप..
अध्यक्ष महोदय -- हो गया.
श्री लाखन सिंह यादव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन आप सुन लें, इसमें मुझे शामिल करा दें आप.
अध्यक्ष महोदय -- सुन लिया, कह भी दिया. कुणाल चौधरी जी. ..(व्यवधान)..
श्री कुणाल चौधरी -- माननीय अध्यक्ष महोदय... ..(व्यवधान)..
श्री लाखन सिंह यादव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आप सुनना ही नहीं चाहते.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, सुन लिया मैंने.
श्री लाखन सिंह यादव -- कहां सुन लिया, मुझे शामिल क्यों नहीं करा रहे हैं आप.
अध्यक्ष महोदय -- अब उन्होंने कह दिया कि आपको सूचना देंगे, जरूरी थोड़ी है कि कमेटी में रहें.
नेता प्रतिपक्ष (डॉ. गोविन्द सिंह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें क्या दिक्कत है. जब आप जांच करा रहे हैं, आपकी नीयत साफ है तो क्षेत्रीय प्रतिनिधि समिति में रहेंगे तो क्या परेशानी है.
श्री कुणाल चौधरी -- नीयत साफ ही नहीं है साहब, कहां लगे हो.
लोक निर्माण मंत्री (श्री गोपाल भार्गव) -- अध्यक्ष जी, आजकल जितने प्रश्नोत्तर होते हैं, मैं देखता हूँ, आधे प्रश्नों में एक ही मांग की जाती है कि सदस्य को शामिल करें.
डॉ. गोविन्द सिंह -- तो क्या दिक्कत है.
श्री गोपाल भार्गव -- डॉ. साहब, एक मिनट. मैं सदस्यों से आग्रह करना चाहता हूँ कि हम क्यों यह बेगार का काम करना चाहते हैं. यह काम अधिकारी करें और उसके बाद हम संतुष्ट न हों... ..(व्यवधान)..
श्री लाखन सिंह यादव -- अधिकारी क्या कर रहे हैं, वही तो भ्रष्टाचार करा रहे हैं और वे क्या जांच करेंगे. आप इतने सीनियर मंत्री हैं... ..(व्यवधान)..
श्री गोपाल भार्गव -- यदि वे करेंगे तो उसकी प्रक्रिया है, अध्यक्ष महोदय, बताएं, उसकी प्रक्रिया है, उसके अंतर्गत आप आगे बढ़ सकते हैं. यदि वे आपके कहे अनुसार काम नहीं करें तो आप विशेषाधिकार की सूचना या अन्य प्रकार से आप सदन में ले आइये. उस पर निर्णय होगा. आप क्यों इतनी चिंता कर रहे हैं. यह प्रवृत्ति जो है कि हम शामिल होंगे... ..(व्यवधान)..
श्री लाखन सिंह यादव -- माननीय भार्गव जी, आपको क्या दिक्कत है, आप तो यह बताएं, अगर हम भी उस समिति में शामिल हो जाएं, तो क्या दिक्कत है.. ..(व्यवधान)..
श्री गोपाल भार्गव -- मुझे दिक्कत नहीं है. मैं तो आपकी दिक्कत के लिए कह रहा हूँ कि आप क्यों ..(व्यवधान)..
श्री लाखन सिंह यादव -- हमें कोई दिक्कत नहीं है, जब हम खुद डिमाण्ड कर रहे हैं तो आपको क्या दिक्कत है. माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके तरफ से कुछ निर्देश चले जाएं.
अध्यक्ष महोदय -- निर्देश यही है कि ..(व्यवधान)..
श्री विश्वास सारंग -- अध्यक्ष जी, बड़ी आश्चर्यजनक बात है. पहले जांच समिति की बात हुई, जांच समिति बनाने का बोल दिया, मतलब संतुष्ट नहीं होना है. केवल अपने आपकी जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं करना, अध्यक्ष जी, यह ठीक नहीं है. अगला क्वेश्चन लीजिए. इस तरह से तो लोग बार-बार बोलेंगे..(व्यवधान)..
श्री लाखन सिंह यादव -- चलिए कराइये, आपको भ्रष्टाचार ही पसंद है तो कराइये. ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- श्री कुणाल चौधरी. ..(व्यवधान)..
श्री लाखन सिंह यादव -- भ्रष्टाचार में आप लोग खुद संलग्न हैं. इसलिए आप सदस्य को शामिल नहीं करना चाहते. ..(व्यवधान)..
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- माननीय अध्यक्ष महोदय.. ..(व्यवधान)..
श्री लाखन सिंह यादव -- भ्रष्टाचार को आप लोग बढ़ावा दे रहे हैं, माननीय अध्यक्ष महोदय, हम आपसे निवेदन कर रहे हैं, आप सुनना नहीं चाह रहे हैं..(व्यवधान)..
श्री जयवर्द्धन सिंह -- माननीय अध्यक्ष जी, मेरा इसमें एक प्वॉइन्ट है. ..(व्यवधान)..
श्री लाखन सिंह यादव -- भ्रष्टाचार को आप लोग खुद प्रोटेक्शन दे रहे हैं, आप खुद बढ़ावा दे रहे हैं.. ..(व्यवधान)..
श्री जयवर्द्धन सिंह -- अध्यक्ष जी, मेरा एक प्वॉइन्ट है कि जैसा स्वयं माननीय मंत्री जी ने कहा कि आधे प्रश्नों में विधायक यह मांग करते हैं कि हम भी जांच में शामिल हों, (XXX) कि हर बार हमें अनुमति नहीं मिलती है. आप यहां आसंदी पर विराजमान हैं, हमारे संरक्षण के लिए और अगर हम ये मांग कर रहे हैं...
श्री विश्वास सारंग -- अध्यक्ष जी, ऐसे अलाऊ, एक प्रश्न पर इतने लोगों को बोलना अलाऊ थोड़ी होगा . ..(व्यवधान)..
श्री जयवर्द्धन सिंह -- हां, उन्होंने अनुमति दी है मुझे, आप स्वयं हमारे संरक्षण के लिए आसंदी पर विराजमान हैं तो आपसे मेरा आज विशेष यही आग्रह है कि इनका गंभीर मुद्दा है, वरिष्ठ विधायक हैं, पूर्व मंत्री हैं तो इनकी मांग स्वीकारी जाए.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी, उसमें जिले से बाहर यहां से उच्चाधिकारी भेजकर जांच करा लीजिए. कुणाल चौधरी जी, अपना प्रश्न पूछें. ..(व्यवधान)..
श्री कुणाल चौधरी -- अध्यक्ष महोदय, जिस तरीके से..(व्यवधान)..
श्री लाखन सिंह यादव -- (XXX) ..(व्यवधान)..इसी के लिए आप लोग यहां बैठे हैं. (XXX) यह कोई तरीका नहीं है माननीय अध्यक्ष महोदय. आप वहां बैठकर के पक्षपात कर रहे हैं..(व्यवधान)..
....(व्यवधान)....
श्री कमल नाथ -- माननीय अध्यक्ष जी, मैं बड़ी गंभीरता से सुन रहा था. मुझे यह बात समझ नहीं आती कि क्या परहेज है कि मंत्री जी कहते हैं कि हम जांच समिति बनाएंगे. हमारे साथी सदस्य की यही मांग है कि उस जांच समिति में मुझे भी शामिल कर लिया जाए. अगर आपकी जांच समिति सही है, तो आपको कहना चाहिए कि एक क्या, दो सदस्य आप रख लीजिए, (मेजों की थपथपाहट) पर कौन-सा परहेज है या कौन-सा डर है या कौन-सी बात दबानी है तो इससे तो यही संकेत होता है कि कुछ बात आप दबाना चाहते हैं. इसका खुलासा हो, यह आप भी चाह रहे हैं. आप भी चाह रहे हैं कि हम जांच समिति बनाएं और माननीय अध्यक्ष जी, यह परम्परा आपको घोषित करनी चाहिए कि जब भी ऐसी कोई जांच समिति बने, कोई इस तरफ बैठा हो या उस तरफ बैठा हो, उस जांच समिति में ही, 7 महीने बाद, मैं तो कहता हॅूं हम आपको भी उसमें शामिल करेंगे..(व्यवधान)...
श्री विश्वास सारंग -- अध्यक्ष जी, कमलनाथ जी यही क्यों बोलते हैं. केवल यही बात क्यों बोलते हैं. रोज आते हैं और यह बात बोलकर चले जाते हैं. अपने सभी विधायकों को एकजुट रखने के लिए कर रहे हैं...(व्यवधान)..
श्री कमल नाथ -- अध्यक्ष जी, इसलिए तो मैं सदन में कह रहा हॅूं. मैं आपका ध्यान आकर्षित करने के लिए कहता हॅूं. अभी कुछ महीनों बाद क्या होने जा रहा है...(व्यवधान)..
श्री विश्वास सारंग -- आप यह दिवास्वप्न क्यों देख रहे हो. इतना दिवास्वप्न क्यों देख रहे हो आप. आपका स्वप्न पूरा नहीं होगा और दिवास्वप्न पूरे होते भी नहीं हैं. सरकार हमारी बनेगी...(व्यवधान)..
श्री कमल नाथ -- यह स्वप्न किसका है, यह मध्यप्रदेश की जनता तय करेगी...(व्यवधान)..
श्री तरूण भनोत -- गलत बात है, आप बहस कर रहे हो...(व्यवधान)..
श्री विश्वास सारंग -- हम क्यों न करें बहस. तुम सिखाओगे कि क्या करें, तुम सिखाओंगे, क्या करें. तुम सिखाओगे क्या..(व्यवधान)..
....(व्यवधान)....
श्री तरूण भनोत -- विश्वास भाई, यह कोई तरीका नहीं है..(व्यवधान)..
श्री विश्वास सारंग -- तुम सिखाओगे मुझे..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- अरे आप सब बैठ जाइए, कमल नाथ जी खड़े हैं न...(व्यवधान)..
श्री तरूण भनोत -- बार-बार बालोगे क्या....(व्यवधान)..
श्री विश्वास सारंग -- दस बार बोलेंगे. दस बार बोलेंगे..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- बैठ जाइए, माननीय कमल नाथ जी बोल रहे हैं...(व्यवधान)..
श्री कमल नाथ -- माननीय अध्यक्ष जी, मैं तो आपसे यह निवेदन करता हॅूं कि आपको यहां हर सदस्य की रक्षा करनी चाहिए और अगर कोई सदस्य एक साधारण मांग कर रहा है कि मुझे भी जांच समिति में शामिल कर लें, तो यह तो आपके निर्देश होने चाहिए....(व्यवधान)..
श्री सोहनलाल बाल्मीक -- अध्यक्ष जी, आप इनका सरंक्षण करते हैं.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, हम संरक्षण सबको देते हैं.
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, एक तो अच्छी बात यह है कि सदन में जब-जब 3-4 बार सम्माननीत सदस्य इस तरह का गतिरोध लाए, वह सारी योजनाएं इस बात की द्योतक हैं कि जो हमारी योजनाएं हैं चाहे वह खाद्यान्न बांटने की हो, चाहे जैसे सज्जन भाई ने स्कूल के बच्चों का बताया कि स्कूल के बच्चे हड़ताल कर रहे हैं कि हमको सीएम राइज़ स्कूल में एडमीशन कराया जाए, चाहे उसका हमारे माननीय लक्ष्मण सिंह जी ने आयुष्मान कार्ड.....(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- अरे, उनको बोलने दीजिए न. सबको टाइम दिया है. उनको बोलने दीजिए. (कई सदस्यों के अपने आसन से खडे़ होकर एक साथ कुछ कहने पर)....(व्यवधान)...
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष जी, कृपया, यह माननीय सदस्य को बता दें कि हमने माननीय कमल नाथ जी को धैर्य से सुना था. यह इन सदस्यों को भी बता दें कि हमने पूरा धैर्य से सुना था. हमको भी सुनें, अगर सुनना चाहते हैं. यदि नहीं सुनना चाहते हैं, तो कोई बात नहीं. मेरा सिर्फ इतना सा कहना है...
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्यक्ष जी, सुनें लेकिन, उन्होंने कहा कि 7 महीने बाद, तो वह कौन-सा ज्योतिषी है, आप बता दें तो हम भी सब उसके यहां हो आएं..(हंसी)..
श्री कमल नाथ -- मध्यप्रदेश की जनता मेरी ज्योतिषी है...(हंसी)..
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं पहले भी यह बता चुका, जैसा कि माननीय कमल नाथ जी ने कहा कि इनको जांच समिति में सदस्य बनाने में दिक्कत क्या है. मैं दूसरी बात कह रहा हॅूं कि यह उसका सदस्य बनना क्यों चाहते हैं. मेरा कहना है कि यह तो मना किया नहीं कि जाकर अपनी बात कह नहीं सकते या जब जांच चल रही हो, तब यह पहुंच नहीं सकते, यह बनना क्यों चाहते हैं, इनके पास तथ्य हैं वहाँ वो समिति जाए तो इनको कोई रोक नहीं सकता है, ये विधायक हैं, यह मूल प्रश्न है माननीय अध्यक्ष महोदय, कि ये क्यों बनना चाहते हैं? ऐसे नहीं होना चाहिए और इस तरह की सस्ती बात करना भी नहीं चाहिए, हाउस को इस तरह का रखना चाहिए और विधायक की गरिमा का भी ख्याल रखना चाहिए. मूल बात इतनी सी है. रोज एक सदस्य खड़ा होकर कहेगा हमको जाँच में रखा जाए. यह अच्छी परंपरा नहीं है. अगर कोई तात्कालिक विषय होता है, अगर कोई करंट का विषय होता है, अगर कोई ध्यानाकर्षण का विषय होता है और उसमें आसंदी निर्देश देती है, हम सम्मानित सदस्य की भावनाओं का ख्याल रखने में कभी कोई कोताही नहीं बरतेंगे. लेकिन कंट्रोल का सामान, प्रधानमंत्री जी का दिया हुआ अनाज, कब बँटा, कब नहीं बँटा, इसके लिए सम्माननीय सदस्य को रखो. यह परम्परा अच्छी नहीं है. जहाँ तक कमल नाथ जी ने सरकार बनाने की बात की यह निश्चित रूप से सब सदस्यों को इकट्ठा रहने के लिए कमल नाथ जी अकेले में भी अधिकारियों को भी बुला बुला कर यही कहते हैं. दूसरा, मांगने वालों से भी यही कहते हैं कि हमारी सरकार आएगी, ये कभी नहीं आ सकते...(व्यवधान)..
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- अध्यक्ष महोदय, संसदीय कार्य मंत्री के उत्तर में मैं यह कहता हूँ कि ये सदस्य को क्यों नहीं रखना चाहते हैं? (XXX)...(व्यवधान).. आप सारी विधान सभाओं में डरते हों काँग्रेस के सांसद और विधायकों से..(व्यवधान)..भ्रष्टाचार आपका खुल जाएगा..(व्यवधान)..
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- विदेश में जाकर देश से गद्दारी करता है वो राहुल गाँधी, माननीय अध्यक्ष महोदय, (XXX) ये मोदी जी की बात कर रहे हैं...(व्यवधान)..
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- भाजपाइयों की पोल खोलता है राहुल गाँधी, (XXX)...(व्यवधान).. नरेन्द्र मोदी जिस गलत तरीके से देश चलाते हैं उसकी पोल खोलता है. अडानी अंबानी जैसे लोगों के साथ..(व्यवधान)..मिलकर देश को बेचना चाहता है इसलिए पोल खोलते हैं...(व्यवधान)..
डॉ.सीतासरन शर्मा-- अध्यक्ष महोदय, ये कार्यवाही से निकाले जाएँ...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- कुणाल चौधरी जी...(व्यवधान)..
श्री प्रियव्रत सिंह-- अध्यक्ष महोदय, (XXX)...(व्यवधान)…
अध्यक्ष महोदय-- विधान सभा की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित.
(11.32 बजे विधान सभा की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित की गई)
विधान सभा पुन: समवेत हुई.
11.46 बजे {अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए}
लोकायुक्त एवं ई.ओ.डब्ल्यू. द्वारा की गयी कार्यवाही
[खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण]
2. ( *क्र. 2642 ) श्री कुणाल चौधरी : क्या खाद्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) लोकायुक्त तथा ई.ओ.डब्ल्यू. द्वारा भेजे गये कितने प्रकरण अभियोजन स्वीकृति के लिये किस कारण से लंबित हैं? आरोपी अधिकारी का नाम, प्रकरण के समय का पद, वर्तमान पदस्थापना, कार्यस्थल, प्रकरण दर्ज करने का कारण, दर्ज करने की दिनांक, अभियोजन स्वीकृति हेतु प्राप्त प्रथम पत्र की दिनांक, प्राप्त रिमाइंडर की दिनांक तथा विलंब होने के कारण सहित सूची देवें। (ख) अभियोजन स्वीकृति हेतु सामान्य प्रशासन विभाग को लिखे गये पत्रों की तथा प्राप्त उत्तर की प्रति देवें। (ग) लोकायुक्त तथा ई.ओ.डब्ल्यू. में किन-किन अधिकारियों के खिलाफ, किस प्रकार के प्रकरण में, किस की शिकायत पर जांच प्रक्रियाधीन है, अधिकारी का नाम, पद स्थापना सहित जानकारी दें। (घ) पिछले 10 वर्षों में विभाग में किस-किस प्रकार का भ्रष्टाचार घोटाला तथा आर्थिक अनियमितता पायी गयी? विस्तृत जानकारी दें तथा बतावें कि इन्हें रोकने के लिए समय-समय पर क्या कदम उठाए गए तथा इनमें प्रतिवर्ष वृद्धि या कमी हो रही है?
खाद्य मंत्री (श्री बिसाहूलाल सिंह) :
श्री कुणाल चौधरी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, लोकायुक्त के प्रकरण का एक विवरण मेरे पास आया है. ऐसा लगता है कि (XXX) जिस जीरो टालरेंस के ऊपर सरकार ने वन विभाग के अधिकारियों को 32 की लंबित सूची दी है. मैं अपने पहले प्रश्न से पहले आपसे कुछ पूछना चाहता हूँ जो जानकारी आप दे नहीं पाए हैं. तीन बिंदुओं की जानकारी तो दी है. एक विभाग जो लॉजिस्टिक वाला है, वेयर हाउस है. संजीव तोमर जो यहां पर दो नंबर पर है. यह क्षेत्रीय प्रबंधक थे. इतनी बड़ी लूट चल रही है कि लोकायुक्त ने उनको क्षेत्रीय प्रबंधक के पद पर रंगे हाथों पकड़ा था उनकी पदोन्नति कर दी गई और अभी तक यह जानकारी नहीं दे पाए हैं कि इन पर क्या प्रकरण बना था, कितने रुपए की रिश्वत का प्रकरण था. अभियोजन की स्वीकृति लंबित है या अभी स्वीकृति जारी नहीं हुई है. मंत्री जी प्रकरण किस स्थिति में है यह मुझे बता दें तो मैं आगे इस संबंध में प्रश्न करना चाहूंगा. इसमें आपने स्पष्ट नहीं दिया है, बाकी सब में स्पष्ट दिया है. दूसरे 4 में से 3 में स्पष्ट जानकारी दी है उसके लिए बधाई देना चाहूंगा.
श्री बिसाहूलाल सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, लोकायुक्त और आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो द्वारा....
श्री कुणाल चौधरी -- माननीय मंत्री जी यह तो मैंने पढ़ लिया है. यह जो वेयर हाउसिंग में 2 नंबर और 7 नंबर पर है, इसमें प्रकरण की क्या स्थिति है. प्रकरण दर्ज करने का कारण क्या है. कितने रिश्वत के प्रकरण हैं उसमें क्या स्थिति है. यह जो क्षेत्रीय प्रबंधक थे इनको उप महाप्रबंधक क्यों बना दिया गया. इनका प्रमोशन कर दिया गया. एक न्यूज भी छपी है कि जिनको घूस लेते हुए पकड़ा गया, 100 करोड़ रुपए की संपत्ति जिनसे मिली उनको इस सरकार ने एक हजार करोड़ रुपए की (XXX) ऐसा क्यों किया गया.
अध्यक्ष महोदय -- 2 नंबर और 7 नंबर पर है.
श्री कुणाल चौधरी -- जी हाँ. मतलब वेयर हाउसिंग लॉजिस्टिक कॉर्पोरेशन की इसमें 2 नंबर और 7 नंबर पर. इसमें 3-4 विभाग हैं.
श्री बिसाहूलाल सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, खाद्य संचालनालय से अभियोजन स्वीकृत है. सामान्य प्रशासन विभाग से पत्राचार नहीं किया गया है क्योंकि अभियोजन स्वीकृति हेतु सामान्य प्रशासन विभाग से स्वीकृति लेने का प्रावधान नहीं है.
श्री कुणाल चौधरी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बिलकुल अलग बता रहे हैं. मैं वेयर हाउसिंग कॉर्पोरेशन का पूछ रहा हूँ. वैसे भी मंत्री जी यह आपके समय का नहीं है. आपके समय का होता तो आप निपटा देते. हमें भी निपटा दिया तो इनको क्या छोड़ते आप.
श्री तुलसीराम सिलावट -- कुणाल यह बात तो आप मान गए हैं.
श्री कुणाल चौधरी -- हां, मैं मान गया. मनेसर से तो मंत्री जी को पकड़ लाया था पर यह बैंगलोर में मेरे हाथ नहीं आए थे. वहाँ भी खूब खर्चा किया, खूब मेहनत की थी.
श्री बिसाहूलाल सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रमोशन नहीं किया गया है. अभियोजन की स्वीकृति की गई है.
श्री कुणाल चौधरी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह प्रकरण में दिया गया है कि क्षेत्रीय प्रबंधक थे और अब उप महाप्रबंधक हो गए हैं. यह प्रमोशन नहीं है तो क्या डिमोशन है.
श्री बिसाहूलाल सिंह -- प्रमोशन नहीं किया गया है.
अध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी कह रहे हैं प्रमोशन नहीं किया गया है.
श्री कुणाल चौधरी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक न्यूज यह भी छपी थी कि जो 100 करोड़ रुपए की लूट में पकड़ा जाता है उसकी काबिलियत देखकर उसे एक हजार करोड़ रुपए की लूट के लिए प्रमोशन दे दिया जाता है. यह प्रमोशन है माननीय मंत्री जी आपने खुद ने लिखकर दिया है. यह सारी चीजें मैं स्टडी करके ही आया हूँ. ऐसे ही तो नहीं आया हूँ. आप देखें परिशिष्ट "ब" में 2 नंबर पर है, इसे देखें.
अध्यक्ष महोदय -- वे कह रहे हैं कि यह प्रमोशन नहीं है.
श्री कुणाल चौधरी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, क्या यह प्रमोशन नहीं है क्षेत्रीय प्रबंधक से उप महाप्रबंधक हो गए. मैं गांव का आदमी जरुर हूँ पर इतना तो मैं पढ़कर आया हूँ कि क्या से क्या हो गए हैं.
श्री बिसाहूलाल सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रमोशन नहीं दिया गया है.
श्री कुणाल चौधरी—(XXX) क्या दिया है? यह बड़ी जगह पर पहुंचा दिया है कि जितना भ्रष्टाचार किया था और इसमें क्या प्रकरण है.
अध्यक्ष महोदय- माननीय मंत्री जी प्रकरण क्या था.
श्री कुणाल चौधरी-- माननीय मंत्री जी (XXX)
श्री बिसाहूलाल सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, क्षेत्रीय प्रबंधक और उप महाप्रबंधक समान पद हैं.
श्री कुणाल चौधरी-- उपमहाप्रबंधन आईटी क्या यह बराबर के पद हैं?
श्री बिसाहूलाल सिंह-- हां बराबर के हैं.
श्री कुणाल चौधरी-- माननीय अध्यक्ष जी मुझे यह लगता नहीं है. यह असत्य जानकारी है. माननीय मंत्री जी को जानकारी ही नहीं है. दूसरा प्रकरण इसमें यह है कि आपने मुझे जो 32 प्रकरण की सूची दी है जिसमें से 24 में इनको किस-किस दिनांक तक पदोन्नति दी गई और अभियोजन स्वीकृति के बाद निलंबित और बर्खास्त नहीं किया गया? मंत्री जी बताएं. मंत्री जी आपने हमें तो छोड़ा नहीं इधर इनको इतना क्यों छोड़ रहे हो.
अध्यक्ष महोदय-- कुणाल जी, आप बार-बार रिपीट मत कीजिए. आप प्रश्न पूछिए.
श्री कुणाल चौधरी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से प्रश्न पूछ तो रहा हूं कि यह जो 32 में से 24 प्रकरण हैं जिसमें से 9 प्रकरण की अभियोजन की स्वीकृति जारी की जा चुकी है. इसमें से कितने लोगों की किस-किस दिनांक को पदोन्नति दी गई और इनको निलंबित और बर्खास्त क्यों नहीं किया गया?
श्री बिसाहूलाल सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह सब प्रक्रिया में है.
श्री कुणाल चौधरी--माननीय मंत्री जी आप कब करेंगे. यह लूट की छूट देते हैं. मंत्री जी आप तो हमारे वाले हैं, आप कहां लगे हो इनके चक्कर में सीधे बोलो कि लूट चल रही है.
नेता प्रतिपक्ष (डॉ. गोविन्द सिंह)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जब बिसाहूलाल जी पीडब्ल्यूडी मंत्री थे उस समय यह धाराप्रवाह बोलते थे. अब भाजपा में जाकर इनकी बोलती बंद हो गई है. (हंसी)
अध्यक्ष महोदय-- वह बोल रहे हैं.
श्री कुणाल चौधरी-- अध्यक्ष महोदय, मेरा एक सवाल और है कि यह वर्ष 2017 का प्रकरण आपके समय का नहीं है. यह मुझे मालूम है. यह पांच करोड़ रुपए से ज्यादा के गलत भुगतान का प्रकरण है. अभी तक इसकी वास्तविक जानकारी क्यों छुपाई गई? विभागीय जांच के आदेश के बारे में राशि बताई गई है. शेष राशि के संबंध में कोई जानकारी नहीं है. इसका क्या कारण है?
अध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी उत्तर दें.
श्री कुणाल चौधरी-- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी की जगह अधिकारी को भेज दो तो मैं उनसे बात कर लूं.
श्री बिसाहूलाल सिंह-- यह प्रश्न उद्भूत नहीं होता है.
श्री कुणाल चौधरी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह सवाल के जवाब देते नहीं हैं. प्रदेश में लूट चल रही है. यह न्यूज ऐसे ही नहीं छप रही हैं कि सौ करोड़ रुपए की संपत्ति वालों को हजार करोड़ रुपए लूट के लिए नियुक्त कर दिया है और इसके अंदर इतनी बड़ी लूट चल रही है. माननीय मंत्री जी इसमें आप इन्हें क्यों बचा रहे हैं. यह इनका बगल का मामला होगा, आपका मामला नहीं है. आप इनको इतने सालों से बचाते घूम रहे हैं. माननीय मंत्री जी एक और सवाल पूछ लूं. यह 12 भ्रष्ट अधिकारी जो रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ाए हैं इसके अंदर आपने तीन की अभियोजन की स्वीकृति दी है इनकी क्या स्थिति है और जो 9 हैं उनकी स्वीकृति जारी हो गई है उसके बाद कार्यवाही क्यों नहीं हुई इनकी क्या स्थिति है? इनके लिए तो नरोत्तम जी भी नहीं बोल रहे. मानेसर से तो ले आया था इनको.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं नहीं आप नरोत्तम जी को थोड़ी ले आये थे.
श्री कुणाल चौधरी-- मैं इनसे लेकर आया था. इनके पास ही तो थे.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- इनको लेकर कोई नहीं आया था लेकिन मैं यह बता दूं इन्होंने कुछ भी नहीं किया है. कुणाल जी और जीतु ने ही सरकार गिरवाई है. मैं आपको पक्का बता रहा हूं. यह कमलनाथ जी को धोखा देते हैं कि मैं यहां से ले आएंगे वहां से ले आएंगे. (XXX)
श्री कुणाल चौधरी--मैं वहां से तो ले आया था. इनके पास से उठाकर.
श्री प्रियव्रत सिंह-- (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- इसे कार्यवाही से निकाल दें.
श्री विश्वास सारंग-- माननीय अध्यक्ष महोदय, बोलती बंद हो गई, यह सदन को किस स्तर पर ले जो रहे हैं.
श्री कुणाल चौधरी-- माननीय मंत्री जी यह वर्ष 2015 का प्रकरण है.
श्री प्रियव्रत सिंह-- आप यह काले कपड़े उतारकर आया करो. काली टोपी और काला जेकेट अच्छा नहीं लगता है. सारा मामला ही काला हो जाता है.
श्री तरूण भनोत- अभी तो श्री अरविंद भदौरिया जी यहां पर नहीं हैं, माननीय मंत्री जी किससे डर रहे हैं ? अभी तो आप जवाब दें. बेंगलुरू में तो डर रहे थे, अब किससे डर रहे हैं. मंत्री जी आप खुलकर बोलिये, अध्यक्ष जी यहां बैठे हैं.
श्री कुणाल चौधरी- मेरा सवाल हो जाने दीजिये.
लोक निर्माण मंत्री (श्री गोपाल भार्गव)- अध्यक्ष महोदय, वैसे तो बिसाहूलाल जी बहुत ही सज्जन मंत्री हैं. कायदे से ये उत्तर आपको GAD से पूछना चाहिए था. ये विषय सामान्य प्रशासन विभाग का था.
श्री कुणाल चौधरी- मैं तो कह रहा हूं कि बिसाहूलाल जी बहुत अच्छे व्यक्ति हैं. भार्गव जी मेरा प्रश्न इसी विभाग का है. मैंने सवाल पूछा है कि लोकायुक्त और EOW द्वारा भेजे गए कितने प्रकरण स्वीकृत किये गए, ये मैंने इस विभाग का पूछा है, पूरे मध्यप्रदेश का नहीं पूछा है. माननीय मंत्री जी मेरा एक सवाल है कि वर्ष 2015 का प्रकरण है, इसमें स्मरण पत्र है. इसकी पूरी जानकारी मुझे दे दीजिये.
श्री बिसाहूलाल सिंह- 12 प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन हैं, लंबित हैं. 4 प्रकरणों में अभियोजन स्वीकृत कर, प्रक्रिया में प्रचलित है.
श्री कुणाल चौधरी- इन पर आपने क्या कार्यवाही की, यही तो मैं पूछ रहा हूं. 10-10 वर्षों से पूरा लोकायुक्त और EOW, ये भी मुझे लगता है कि पिंजरे में बंद चिडि़या ही है. मैं, यही तो पूछ रहा हूं कि प्रकरण की क्या स्थिति है. वर्ष 2015 का प्रकरण है आज 2023 चल रहा है. वर्ष 2010 के प्रकरणों की स्थिति क्या है ?
श्री सज्जन सिंह वर्मा- अभी एक जवाब बचा है कि जानकारी एकत्रित की जा रही है, ये जवाब आयेगा.
अध्यक्ष महोदय- इस प्रश्न का पूरा उत्तर आया है, पूरा परिशिष्ट आया है. कुणाल जी उनका उत्तर आ गया कि प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन है.
श्री कुणाल चौधरी- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे 4 विभाग हैं. मैंने कुछ गलत तो नहीं पूछा है ? लूट चल रही है. लूट के लिए छूट के खिलाफ तो मुझे बात करनी पड़ेगी.
श्री तरूण भनोत- अध्यक्ष महोदय, आप आसंदी पर बैठे हैं. विधान सभा की पूरी प्रक्रिया ही विचाराधीन है. आप संरक्षण दीजिये. सभी प्रश्नों में जवाब यही आता है, अभी जानकारी एकत्रित की जा रही है, विचाराधीन है. ये सदन वास्तविक है कि ये भी विचाराधीन है.
डॉ. अशोक मर्सकोले- अब भ्रष्टाचार की कोई बात आती है तो आगे की पंक्ति के मंत्री हंसते हैं.
अध्यक्ष महोदय- मर्सकोले जी, आप बैठ जायें. प्रश्न क्रमांक 2 में जानकारी एकत्रित की जा रही है, यह उत्तर था. परंतु पूरे प्रश्न का उत्तर आपके विधान सभा आने के पूर्व, उन्हें मिल चुका है. पूरे परिशिष्ट के साथ दे दिया गया है. इसमें जानकारी एकत्रित नहीं की जा रही है.
श्री कुणाल चौधरी- अध्यक्ष महोदय, लेकिन यहां गलत जानकारी दी जा रही है. ये कह रहे हैं न्यायालय में लंबित है. ये प्रकरण लंबित नहीं है.
चिकित्सा शिक्षा मंत्री (श्री विश्वास सारंग)- गलत जानकरी है तो प्रश्न और संदर्भ समिति में जाओ न, किसने रोका है.
अध्यक्ष महोदय- यदि गलत जानकारी दी गई है तो विधान सभा नियम- प्रक्रिया के भीतर कार्यवाही का प्रावधान है.
श्री कुणाल चौधरी- मुझे गलत जानकारी दी. मंत्री जी को भी गलत जानकारी दी जा रही है. मंत्री जी ये तो आपको निपटा रहे हैं. आप कह रहे हैं सारे प्रकरण न्यायालय में हैं. मैं, उनको छोड़कर जो 9 की स्वीकृति जारी हो चुकी है, उनके खिलाफ आपने क्या कार्यवाही की है, यही तो मैं पूछ रहा हूं.
एडवोकेट हर्ष यादव- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न क्रमांक 3 है. ये कब तक चलेगा ?
अध्यक्ष महोदय- तो आप उनको मना करिये.
श्री कुणाल चौधरी- क्या मना करें. अध्यक्ष महोदय, आप मुझे जानकरी दिलवायें. यहां लूट चल रही है. सौ-सौ करोड़ वालों को एक-एक हजार की लूट की छूट दे दो और उसके ऊपर जानकारी मत दो और जानकारी दो तो फिर सवाल का जवाब मत दो फिर प्रश्न का लगाने का फायदा क्या है ?
अध्यक्ष महोदय- उन्होंने जवाब तो दिया है.
श्री कुणाल चौधरी- अध्यक्ष महोदय, मैं, यही तो पूछ रहा हूं कि प्रक्रिया में क्या है ? मैं, यही पूछ रहा हूं कि ये जो प्रकरण हैं वर्ष 2016, 2017, 2019, 2020 के हैं. मैं बिना तैयारी के नहीं आया हूं.
अध्यक्ष महोदय- मंत्री जी ने बताया कि प्रकरण न्यायालय में चल रहे हैं.
श्री कुणाल चौधरी- अध्यक्ष महोदय, सारे कहां से न्यायालय में चल रहे हैं. अभी स्वीकृति ही नहीं हुई तो प्रकरण न्यायालय में कैसे पहुंच जायेंगे. अभी लोकायुक्त ने ट्रैप किया, यहां अभियोजन की स्वीकृति नहीं मिली और प्रकरण न्यायालय में चले जायेंगे, कैसे चले जायेंगे, कौन कह रहा है कि न्यायालय में चले जायेंगे.
अध्यक्ष महोदय- अभी उन्होंने कुछ संख्या बताई है कि वे प्रकरण न्यायालय में चल रहे हैं.
श्री प्रियव्रत सिंह- न्यायालय में प्रकरण कैसे जायेगा, जब उसको स्वीकृति ही नहीं मिली है.
श्री कुणाल चौधरी- मतलब भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिए सरकार चल रही है क्या ?
अध्यक्ष महोदय- कुणाल जी, यदि आपको ऐसा लगता है कि विभाग के द्वारा या उधर से कोई उत्तर गलत आया है, हमारे विधान सभा के भीतर, नियम-प्रक्रिया के भीतर तमाम् कार्यवाहियों के प्रावधान हैं, यदि ऐसा लगता है कि गलत जानकारी है, असत्य जानकारी है तो आप कार्यवाही करें, किसने रोका है.
श्री कुणाल चौधरी- मंत्री जी, जानकारी नहीं दे रहे हैं. मंत्री जी को अधिकारी गलत जानकारी दे रहे हैं कि आपके इतने प्रकरण न्यायालय में चल रहे हैं. मैं, पूछ रहा हूं कि जिनके प्रकरण चल रहे हैं, आपने उन पर क्या कार्यवाही की ? आप बतायें कि क्यों उनका निलंबन नहीं किया गया, क्यों उन्हें निष्कासित नहीं किया, क्यों उनको पदोन्नति दी गई और कब-कब दी. मेरा सीधा सवाल है.
अध्यक्ष महोदय- प्रश्नकाल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त)
12.00 बजे
नियम 267-क के अधीन विषय
अध्यक्ष महोदय:-
12.01 बजे
शून्यकाल में मौखिक उल्लेख
नेता प्रतिपक्ष(डॉ. गोविन्द सिंह):- माननीय अध्यक्ष महोदय, खण्डवा जिले के पंधाना विधान सभा में करीब 25 करोड़ रूपये की लागत से जंगलो में, गड्डों में और पहाड़ों पर वहां घाट बना दिये हैं. जहां पानी नहीं है, नहाने का कोई स्थान नहीं है. मैं माननीय पंचायत मंत्री जी से अनुरोध करता हूं कि जिन लोगों ने 25 करोड़ राशि का प्रयोग पंधाना विकास खण्ड में दुरूपयोग किया है उसकी जांच करायें और दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही करें.
श्री हर्ष यादव(देवरी):- माननीय अध्यक्ष महोदय, सागर सहित पूरे मध्यप्रदेश में जिस तरह से बिजली विभाग के द्वारा जब 10 वीं और 12 वीं की परीक्षाएं चल रही है और किसानों के लिये पानी की जरूरत है. बिजली विभाग जिस तरह से कटौती का काम कर रहा है, जिस तरह से ट्रांसफार्मर उतारे जा रहे हैं, जिस तरह से तार उतारे जा रहे हैं. इससे पूरे मध्यप्रदेश में बेहद आक्रोश पूरे मध्यप्रदेश में है. आसंदी से यह आदेश जारी हों कि परीक्षा का सीजन है और बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए, बिजली की सुगम उपलब्धता हो.
(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय:- नहीं बहुत बातें आ गयी हैं. दो लोगों को समय दे दिया हो गया.
श्री तरूण भनोत(जबलपुर-पश्चिम):- माननीय अध्यक्ष महोदय, 10 वीं और 12 वीं बोर्ड की परीक्षाएं चल रही हैं. मां-बाप अपने बच्चों की तैयारी करवाते हैं. शिक्षा इतनी महंगी हो चुकी है कि अपना पेट काटकर बच्चों को शिक्षा के लिये प्रेरित कर रहे हैं, स्कूलों में पढ़ा रहे हैं और 50 रूपये और 100 रूपये में 10 वीं और 12 वीं बोर्ड का पेपर लीक होकर, वाट्स ऐप में और फोटो कॉपी के माध्यम से बिक रहा है. यह घोर निन्दनीय कृत्य है. शिक्षा व्यवस्था गर्त में जा रही है, जो इसके लिये जिम्मेदार हैं उनके ऊपर तत्काल कार्यवाही होना चाहिये.
श्री महेश परमार:- (XXX)
अध्यक्ष महोदय:- आप बैठ जाइये. आपका नहीं आयेगा. आपको समय नहीं दे रहा हूं. श्री जयवर्द्धन सिंह.
श्री जयवर्द्धन सिंह(राधौगढ़):- माननीय अध्यक्ष महोदय, अशोक नगर जिले में रंग पंचमी के पावन पर्व पर 11 नृत्यांगनों का करीला धाम पर एचआईवी टेस्ट कराया था. वह बहुत ही प्राचीन धाम है. वहां पर लवकुश भगवान का जन्म हुआ था और सदियों से परम्परा है. यह सिर्फ अपमान उन महिलाओं का ही नहीं है. बल्कि वहां जो श्रद्धालु वहां दर्शन करने आते हैं उन पर यह एक बहुत गलत संदेश गया है. महिला बोर्ड ने इसके बारे में प्रश्न पूछा है और उसमें उत्तर 5 दिन में मिल रहा है, कलेक्टर महोदया से. मेरा आपसे विशेष निवेदन है कि माननीय स्वास्थ्य मंत्री जी स्वयं सदन में इसके बारे में उत्तर दें और इसके बारे में स्पष्टीकरण दें.
श्री महेश परमार:- (XXX)
12.03 बजे
पत्रों का पटल पर रखा जाना
नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 (क्रमांक 35 सन् 2009) की अधिसूचना क्रमांक 31-1064713-2023-बीस-2, दिनांक 6 जनवरी, 2023
12.04 बजे
ध्यानाकर्षण
सीधी जिले के बहरी-हनुमना सड़क पर पुल क्षतिग्रस्त होने से उत्पन्न स्थिति
लोक निर्माण एवं ग्रामोद्योग मंत्री (श्री गोपाल भार्गव)--अध्यक्ष महोदय, मेरा ध्यानाकर्षण का उत्तर इस प्रकार है.
श्री कमलेश्वर पटेल--अध्यक्ष महोदय, सबसे पहला मेरा सवाल है कि किस लेब से परीक्षण कराया गया है उसमें इतना समय क्यों लगा है. इसमें तीन महीने सोलह दिन हो गये हैं पुल को बंद हुए उसमें अभी तक परीक्षण हो रहा है. अभी उसमें वैकल्पिक मार्ग भी नहीं बनाया गया है. उसमें वैकल्पिक मार्ग भी बनाया जा सकता था. क्या गरीब जनता एवं किसान के साथ लापरवाही नहीं है कि वह 72 किलोमीटर नहीं उसको 100 किलोमीटर से ज्यादा घूमकर के जाना पड़ता है इसमें गलत जानकारी दी गई है. सियावल से सीधी होकर के बहरी जाते हैं तो जहां तक मुझे जानकारी है आप भी कभी कहीं निमंत्रण पर गये थे उसमें आपको भी घूमकर के जाना पड़ा था तो आप इसमें समझ सकते हैं कि लोगों को परेशानी है. शादी ब्याह से लेकर कभी गमी हो जाये अथवा कुछ भी हो जाये लोग परेशान हो रहे हैं इसमें शासन की उदासीनता तो लगातार है. पीपा का पुल भी बना सकते थे इसमें कोई वैकल्पिक मार्ग बनाकर के लोगों का आवागमन तो सुचारू रूप से संचालित कर सकते थे. मंत्री जी से निवेदन है कि एक तो वैकल्पिक मार्ग कब तक शुरू कर देंगे. दूसरा जो पुराना पुल है जिसमें मरम्मत की बात कही जा रही है. मुझे बताते हुए (XXX) भी आती है कि पुट्टी की भराई करने के बाद पांच मंडल अध्यक्ष एकत्रित होकर उसका भूमि-पूजन पिलर का किया है. पिलर में जो क्रेक आया उसका भूमि-पूजन होता है. हल्के वाहनों के लिये अभी कल फिर से वह मार्ग शुरू करने के लिये फिर से नारियल फोड़ा गया है . क्यों जनता के साथ मजाक कर रहे हैं, क्यों इस तरह का काम कर रहे हैं इसके पार्टी तथा सरकार की भी बदनामी होती है. इससे बड़ी लापरवाही का कोई काम नहीं हो सकता है. मेरा निवेदन है कि नवीन पुल का तीन साल पहले टेन्डर हुआ था. उसका भी काम धीमी गति से चल रहा है. वह कब तक निर्माणाधीन हो जायेगा उसकी समय सीमा बतायें.
दूसरा जो वैकल्पिक मार्ग है, वह कब तक तैयार कर लिया जाएगा और जिसका अभी जिक्र किया है कि लैब से परीक्षण उपरांत जो अभी तक रिपोर्ट आई है और उसको मंत्री जी ने आश्वस्त किया है कि सुचारु रूप से संचालित कर लिया जाएगा, छोटे वाहनों के लिए, तो वह कब तक संचालित हो जाएगा और जो बसें बगैरह हैं, उनके लिए क्या वैकल्पिक व्यवस्था नहीं करेंगे? हर किसी के पास तो छोटा व्हीकल नहीं है. अध्यक्ष महोदय, लोग एक तरफ उतरते हैं और फिर 10-20 रुपए मोटरसायकल वालों का देकर क्रॉस होते हैं, फिर दूसरी तरफ बस खड़ी रहती है. एक किलोमीटर लोग पैदल गठरी लेकर घूमकर जाते हैं, तो ये जो दुर्दशा है, देखी नहीं जाती है. अध्यक्ष जी, आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन है कि जो भी पुल निर्मार्णाधीन है, वह तत्काल हो जाए और जो पुल पुराना है, उसको मरम्मत करवाकर चालू करवाया जाए और वैकल्पिक मार्ग की भी व्यवस्था हो जाए, जिससे छोटे वाहन और बस बगैरह निकल जाए, चाहे तो हैवी व्हीकल एलाउ नहीं करें. लोगों की सुविधा का भी ध्यान रखा जाए.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष जी, जैसा कि उत्तर में मैंने स्वीकार किया है. यह बात सही है कि पुल जर्जर हो गया है और काफी पुराना है, 50 साल पूर्व से पुल बना हुआ था, इस कारण उसमें क्रेक आ गए थे, जिसके कारण कलेक्टर ने, अधिकारियों ने उसका परीक्षण करवाकर उसका आवागमन बंद करवा दिया था. अब उसका मेंटेनेंस का काम हुआ है, ये जो कंपनी है विशेष लैब प्रायवेट लिमिटेड, इसके माध्यम से इसका टेस्ट करवाया गया था, फिजिबिलिटी रिपोर्ट भी आई है, उसमें यह भी कहा गया है कि छोटे वाहन इस पर जा सकते हैं, लेकिर रिस्क है, इस कारण से इसकी अंतिम रिपोर्ट आने तक इस पर यातायात नहीं हो सकता है, लेकिन वैकल्पिक व्यवस्था के लिए इस पर मैं अधिकारियों से चर्चा कर लूंगा और जो कुछ भी संभव हो सकेगा, क्योंकि दो-तीन महीने के बाद बारिश आ जाएगी, इस कारण से कोई वैकल्पिक व्यवस्था हो भी तो मुक्कमिल नहीं होगी. मैं यह प्रयास करूंगा कि दिसम्बर 2023 तक आपका नया पुल जो हमारा विभाग बना रहा है, वह पुल हो जाएगा.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी, इसमें 90 किलोमीटर घूमना पड़ता है. मैं स्वत: एक दिन गया था, वहां तक चला गया फिर अधिकारियों ने कहा कि ये रास्ता बंद है तो फिर लौटकर के सीधी होते हुए जाना पड़ा. ऐसी व्यवस्था देख ले, उस पार भी गाड़ी खड़ी है, इस बार भी गाड़ी खड़ी है. विधायक जी खुद बता रहे हैं कि दोनों पार मोटरसायकल से पहुंचाते हैं, तो जिला प्रशासन से कहिए ऐसी कोई व्यवस्था करें, वह जो पुल है जिसमें छोटी गाड़ी चलती है, पैसेंजर को इस पार से उस पार करें, वह समस्या का निदान हो सकता है, इस पर विचार कर लें.
श्री गोपाल भार्गव - जी अध्यक्ष जी, जैसा आपने निर्देश किया है.
श्री कमलेश्वर पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, एक तो वैकल्पिक मार्ग, कई जगह पीपा के पुल बने हैं, क्योंकि ये क्रेक है पुल में, कोई घटना भी घट सकती है, पुल में. ठीक है आप परीक्षण उपरांत अनुमति दे रहे हैं. पर मेरा निेवेदन है 15 जून तक बहुत आसानी से आवागमन सुलभ हो सकता है, उसके लिए भी अल्टरनेट व्यवस्था करना चाहिए, क्योंकि तीन-साढ़े तीन महीना हो गया और जिला प्रशासन के द्वारा डीएमएफ का भी मद रहता है, दूसरे संसाधन होते हैं, इस तरह की लापरवाही कहीं न कहीं ये संवेदनशीलता के दायरे में आता है. इसी तरह अध्यक्ष महोदय एक बारपांद भैसाहूं पहुंच मार्ग पर दो साल से पुल निर्माण होकर ब्रिज कार्पोरेशन का बना हुआ है पर उसमें दोनों तरफ एप्रोज नहीं जोड़ रहे.
अध्यक्ष महोदय - उस पर नहीं, इसी पर केन्द्रित रहिए.
श्री कमलेश्वर पटेल - अध्यक्ष महोदय, मेरा आग्रह यही है कि एक तो निर्माण जो 2023 तक बोल रहे हैं, मंत्री जी और जल्दी अगर हो जाए तो बहुत अच्छा है. दूसरा ये वैकल्पिक मार्ग जल्दी से जल्दी तैयार हो जाएगा तो अच्छा रहेगा, लोगों का आवागमन व्यवस्थित हो जाएगा.
अध्यक्ष महोदय - पीपा पुल का भी परीक्षण करवा लें, यदि हो सके तो.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष जी, इसका परीक्षण करवा लेंगे और जो नया पुल बन रहा है, उसके पिलर खड़े हो गए हैं, इस कारण से बारिश में दिक्कत नहीं होगी, मैंने पूछा है अभी, दिसम्बर 2023 तक हम पूरा प्रयास करेंगे कि जो नया पुल है, वह हो जाएगा.
श्री कमलेश्वर पटेल - उसके अभी चार पिलर खड़े नहीं हुए हैं. जहां ज्यादा बहाव है, अभी तक वह खड़े नहीं हो पाए हैं.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष जी, नदी बड़ी है. मैंने अभी जो सदन में आश्वासन दिया है, मुझे विश्वास है कि हमारे अधिकारी कर लेंगे.
अध्यक्ष महोदय - ठीक है.
12.15 बजे
(2) सिवनी जिले के पेंच व्यपवर्तन अंतर्गत नहरों का निर्माण न किया जाना.
श्री दिनेश राय 'मुनमुन' (सिवनी) - अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यान आकर्षण सूचना का विषय इस प्रकार है :-
जल संसाधन मंत्री (श्री तुलसीराम सिलावट) - माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री दिनेश राय 'मुनमुन' - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने जो अभी अपना उत्तर दिया है, वह पूरा असत्य है. मैंने जहां-जहां काम बोला है, वह पूरा अधूरा है. अधिकारियों ने गलत जानकारी माननीय मंत्री जी को दी है, पिछली बार मंत्री जी ने आश्वासन दिया था कि मैं स्वयं वहां पर आकर निरीक्षण करूँगा, लेकिन मंत्री जी नहीं आए. मैं आपको बताना चाहता हूँ कि भ्रष्टाचार एक सीमा नहीं, भ्रष्टाचार से पूरे काम हुए हैं. आपने उसकी जांच करवाई, उसमें भी भ्रष्टाचारी अधिकारी मिले हैं. अभी मैं बताना चाहता हूँ कि मंत्री जी, सन् 2013 से जो नहर का काम चल रहा है, यह सन् 2023 है. लगभग- लगभग 9 साल में काम पूर्ण नहीं होना और ठेकेदार सब अधिकारियों को लाये हुए हैं, उनको लाईनिंग काम कराने के चक्कर में जो टेल तक हमारी नहर कम्पलीट हो गई, उनके बीच में गेप को कम नहीं करवा रहे हैं, यह सब ठेकेदार और अधिकारी क्योंकि उनको लाभ देना है, उनसे काम करवाना है और गुणवत्ता हीन काम है. मैं चाहता हूं मंत्री जी आपने पिछली बार आश्वासन दिया था कि मैं स्वयं आऊंगा निरीक्षण में और आपकी जांच में मिला है कि जहां पर हमारी नहर की ऊंचाई है, वहां पर मामूली मिट्टी डाल दिया है. कांक्रीट के काम में जहां ब्रज बनना है, पुलिया बनना है, छोटे-छोटे बना दिये हैं. हमारे यहां के किसानों की यह स्थिति है, वह माननीय मंत्री जी से कहते हैं कि भईया इस नहर को पुरवा दो, हमको हमारी जमीन वापस कर दो, टेल तक पानी नहीं पहुंचा पाये. मैं आपको इतना तक बताना चाहता हूं मंत्री महोदय कि हमारे यहां जब जिन-जिन ग्रामों में विकास यात्रा निकली, वहां हमको रोककर उनने वह नहरें दिखाई, आपके यहां एस.डी.ओ. भलावी है, जो ई.ई. चार्ज में है, उस आदमी आने की फुर्सत नहीं है, वे दिन भर काला चश्मा लगाकर घूमते हैं, उनसे जब हमने रात में वीडियो कॉलिंग की तो वह छिंदवाड़ा में अपने घर में बैठे थे, जब आपके [XXX]
अध्यक्ष महोदय -- आप प्रश्न करें.
श्री तुलसीराम सिलावट -- अध्यक्ष महोदय, मेरी आपत्ति है.
अध्यक्ष महोदय -- इसे विलोपित कर दें, आप सीधा प्रश्न करें.
श्री दिनेश राय मुनमुन -- मैं कहता हूं कि माननीय मंत्री जी आप उसका निरीक्षण करा लो. मेरा तो आपसे आग्रह है कि पहले तो आप उस पर कार्यवाही करो, ऐसे भ्रष्ट अधिकारी पर आप कार्यवाही करो, आप उसका संरक्षण मत कीजिये.
अध्यक्ष महोदय -- मुनमुन जी, आप प्रश्न करें.
श्री दिनेश राय मुनमुमन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आप कहते हैं कि अब हमारे पास पानी है. हमारी सिवनी विधानसभा का क्या दोष वर्ष 2018-19-20 में सरकार बदल गई,पंद्रह महीने की सरकार में मेंटाना कंपनी के एडवांस साढ़े सात करोड़ रूपये निकाल दिये गये और चार सौ करोड़ रूपये सेठ के हाथ में सुपुर्द किये जिसमें 15 महीने में यह सरकार चली गई. एक भारी भ्रष्टाचार वहां हुआ, जिसको हम भुगत रहे हैं, हमने माइक्रो एरीगेशन की योजना वहां पर दो-दो सेंक्शन कराई, माननीय शिवराज सिंह चौहान जी ने कराई, लेकिन उस पंद्रह महीने की सरकार ने हमारा वह निरस्त करके, उसे छिंदवाड़ा जिले ले गये और आज जब हमको पानी की जरूरत है, तो आज आप कहते हैं कि हम पानी नहीं दे सकते हैं, इसमें हमारा दोष क्या है? 9 साल, साढ़े 9 साल. मेरा सीधा-सीधा माननीय मंत्री जी से कहना है कि एक तो भ्रष्ट अधिकारियों के ऊपर आप कार्यवाही करो और स्वयं चलकर निरीक्षण करें और समय सीमा में आप काम कराकर दें. हमारे जो बीच गेप छूटे हैं, वह कम्पलीट करायें और जो असत्य जानकारी अधिकारी दें रहे हैं, उन पर कार्यवाही करें उसके बाद एक प्रश्न और मैं करूंगा.
श्री तुलसीराम सिलावट-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो सम्माननीय सदस्य ने जो भावना व्यक्त की है कि जिस भी विकास यात्रा में जिस अधिकारी ने अभद्र व्यवहार किया है, उसकी पूरी जांच करवाई जायेगी, दोषी होगा तो उस पर कार्यवाही की जायेगी और जो सम्माननीय सदस्य ने कहा कि वाकई में समय अवधि में काम पूरा होना चाहिये और जो वक्तव्य मैंने पिछली बार किया था. मैं फिर सम्माननीय सदस्य को आश्वास्त करता हूं कि मैं स्वयं इनके साथ निरीक्षण भी करूंगा, परीक्षण करूंगा, जो दोषी पाये जायेगा, उस पर कार्यवाही की जायेगी और समयावधि में हम पूरा काम करने की कोशिश करेंगे.
श्री दिनेश राय मुनमुन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अब डेम में पानी नहीं है, अब बाकी हमारे गांव छूट रहे हैं, उनका निरीक्षण करवा लें आप, उनमें पानी दिया जाये, दूसरी बात यह है कि कुछ मेरे डेम बाकी हैं.
अध्यक्ष महोदय -- मुनमुन जी, वह खुद निरीक्षण करने जा रहे हैं, अब आप किसका कह रहे हैं.
श्री दिनेश राय मुनमुन -- मेरे क्षेत्र में जो आदिवासी क्षेत्र ब्लॉक मेरा छपारा है, पहले इस योजना से जोड़ा गया था, श्री अर्जुन कोकोडि़या के विधानसभा में वह पानी जाना था, केवलारी विधानसभा में भी जाना था, लेकिन वह सब पंद्रह महीने की सरकार ने खत्म कर दिया है, पानी जा नहीं पा रहा है. मेरा आग्रह है, मेरे दस बारह डेम है, मैं नाम पढ़ देता हूं, उनका आप निरीक्षण करवा दें.
श्री तुलसीराम सिलावट -- माननीय अध्यक्ष महोदय, वाकई में सम्मानीय सदस्य की पीड़ा है और मैं उसमें अपनी भावनाओं को सम्मिलित करता हूं, पर आज पानी उपलब्ध होगा क्यों, क्योंकि हमारी यह किसानों की सरकार है, हमारा संकल्प है कि हर खेत को पानी देना, मैं पूरा विश्वास के साथ कह सकता हूं कि पानी उपलब्ध होगा, उसका पूरा वरिष्ठ अधिकारियों के साथ परीक्षण कराकर पानी उपलब्ध होगा और तुरंत उन गांवों को जोड़ा जायेगा.
श्री दिनेश राय मुनमुन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे बाकी, जुड़थुरा, दुगली, मुठार, वंदना बेरिया में नहर बन गई है, लेकिन टेल तक पानी नहीं आया, चार गांव और बखारी क्षेत्र में भी टेल तक नहर बन गई वहां भी अभी पानी नहीं दिया, अभी जो सीजन चल रहा है, जब नहर बन गई तब पानी नहीं दे पा रहे हैं, इसी प्रकार रनबेली, छिनबार, मारवोड़ी, झेद, जामहिनोतिया इनमें भी हमारे क्षेत्रों में नहर आई है, कुछ जगह छूट गया है, इनको सम्मिलित करने का मेरे आग्रह है.
मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है, आप बहुत दमदार और दिलेर हैं और उम्मीद करता हूं आप अपनी विधानसभा और जिला प्रभार छोड़कर, पूरा प्रदेश है उसमें मेरा सिवनी जिला भी है, उसमें मेरी कुछ मांगे हैं, जो छोटे डेम अगर आप बना देंगे, अगर आपके यहां पानी नहीं है तो इन छोटे-छोटे लघु डेमों से भी काम हो जायेगा, जिसमें मैं आपसे आग्रह करता हूं. शक्कर नदी में घुंघसा, ग्राम रामगढ़ से जमुनिया के बीच में एक लघु बांध बना दें, ग्राम पंचायत मोहगांव में लघु बांध बना देंगे, जिससे हमारा लालमाटी क्षेत्र का पूरा क्षेत्र सिंचित हो जायेगा, बीजादेवरी और बारी के बीच में एक लघु बांध है, माहुलपानी के भीमनकट्टा नाला पर यह पूरा आदिवासी बेल्ट है, जमीन बंजर है.
यहां पीने तक के लिये पानी नहीं है, खेत में अगर पानी आयेगा तो पीने की व्यवस्था हो जायेगी. नादियाकला के पास पीपल वाली झील में और झिरी के ग्राम में बक्सी निस्तारी तालाब है लाट गांव में है, सर्रा बस्ती के ऊपर गोरखपुर में ग्राम तिलेपानी में कछार लघु बांध और लकवा में लमेरी नाले में सिंचाई हेतु, लकवा के अंतर्गत है मेढ़ाजोली नाले में लघु बांध का है, ववईया में है बेरबारी बाड़ा नाला पर लघु बांध है, इसी प्रकार बक्सी में है, झिरी के बंजारी घाट के नीचे कुर्राटोन नदी में लघु बांध की मांग करता हूं. तेरनी में विजना नाला में मगरबाड़ी में लघु बांध जो स्टोरेज बैराज निर्माण करने का मैं आग्रह करता हूं. गोंदरई ग्राम पंचायत केकड़ा में विजनई नदी में एक हमारा बांध बनना है वह भी स्टोरेज बैराज निर्माण है, इसी प्रकार मोहगांव में लघु बांध बनेगा तो उससे काम हो जायेगा, मेरा आग्रह है कि इन बांधों का आप सर्वे कराकर इनकी भी स्वीकृति प्रदान कर दें जिससे वहां की समस्या का समाधान हो सके.
श्री तुलसीराम सिलावट-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह प्रश्न ध्यानाकर्षण से उद्भूत नहीं होता है, पर सम्मानीय सदस्य की भावनाओं को ध्यान में रखते हुये सारे अधिकारियों को निर्देशित करूंगा कि आपसे चर्चा करके जो हो सकेगा वह जरूर करेंगे.
श्री दिनेश राय मुनमुन-- धन्यवाद, मंत्री जी.
12.26 बजे आवेदनों की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय-- आज की कार्यसूची में सम्मिलित सभी आवेदन प्रस्तुत किये गये माने जायेंगे.
12.27 बजे वर्ष 2022-23 के तृतीय अनुपूरक अनुमान की मांगों पर मतदान
12.28 बजे शासकीय वक्तव्य
दिनांक 15.03.2023 को जिला इंदौर के थाना बडगोदा अंतर्गत पुलिस चौकी डोंगरगांव में घटित घटना.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - माननीय अध्यक्ष महोदय, एक बात इसमें रह गई है कि गोली चालन पर वहां तत्काल उसको 4 लाख रुपये और 2 लाख रुपये घायलों को दिये गये.
डॉ.गोविन्द सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय गृह मंत्री जी ने पूरा वक्तव्य दिया. यह मुद्दा पहले भी उठ चुका है. सवाल यह है कि जो मेडिकल परीक्षण कराया है. मेडिकल परीक्षण में क्या रिपोर्ट आई. दूसरी बात सीधी फायरिंग, 30 राउण्ड चले हैं, अगर पथराव हो रहा था तो लाठी चार्ज किया जा सकता था. इसके अलावा जब गोली चालन करते हैं तो कमर के नीचे गोली चलाने का पुलिस का आदेश रहता है तो सीधी गोली चलाई और उसके सीने में लगी. इससे मतलब यह है कि पुलिस का आक्रोष इतना था कि वे गुस्से में आए और उन्होंने सीधे गोली चालन किया जबकि आदिवासी भाई सीधे,सज्जन होते हैं. उनके ऊपर गोली चलाना अनुचित था. दूसरा, आपने यह भी स्पष्ट नहीं किया कि इसमें मेडिकल परीक्षण हुआ है उसमें जहां तक रेप की बात आई है तो मेडिकल परीक्षण में मृत्यु का कारण क्या है यह भी आपने नहीं बताया है. इसको भी स्पष्ट करें.
डॉ.नरोत्तम मिश्र - माननीय अध्यक्ष जी, विस्तृत मेडिकल रिपोर्ट अभी आई नहीं है. मेरे हाथ में जो जवाब आया है. उसमें उन्होंने प्रथम दृष्टया करंट से मौत बताई है.
अध्यक्ष महोदय - तरुण भनोत जी चर्चा शुरू करें.
डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ - अध्यक्ष महोदय,
अध्यक्ष महोदय - हो गया. अब उस पर बहस नहीं कराना है.
डॉ.अशोक मर्सकोले - अध्यक्ष महोदय, हमारी बात सुनी जाए.बहुत गंभीर मामला है.
अध्यक्ष महोदय - वक्तव्य आ गया उनका. बहस नहीं कराना है. इनका नहीं लिखा जायेगा. श्री तरुण भनोत जी.
डॉ.अशोक मर्सकोले - (xxx)
डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ - माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे बोलने दिया जाए. जिस तरह का माननीय मंत्री जी ने जो जवाब दिया जो मैं सुन पाई हूं कि जो शव वहां रखा गया वह 8 बजकर 30 मिनट पर रखा गया और जो एफ.आई.आर. दर्ज होती है बड़गोदा थाने में वह 21बजकर 15 या 20 मिनट पर तो करीब-करीब 3 घंटे का जो गैप है.एफ.आई.आर.दर्ज नहीं होती. लोग, परिजन और उनके परिवार के लोग 3 घण्टे तक क्या इंतजार करेंगे. शोषित, पीड़ित परिवार, आदिवासी परिवार शव रख करके 3-3 घण्टे तक इंतजार कर रहा है, जो मंत्री जी के वक्तव्य में आया है और उसके बाद जैसे हमारे विपक्ष के नेता जी ने बोला कि आंसू गैस के गोले आपके विपरीत दिशा में गये. उसके पहले आप लाठीचार्ज नहीं कर सकते थे, सीधे आपने गोली मारी, क्योंकि ये एससी,एसटी के लोग आपकी नजर में कुछ हैं ही नहीं. गोली मारो और वक्त आने पर इनके वोट लो और आभामंडित करो, कहीं टंट्या मामा जी का वो करो, कहीं उनका करो. यही जवाब है.
अध्यक्ष महोदय-- बस हो गया. तरुण जी, आप बोलें.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ-- वे चाहें मर जायें, तो यह जवाब ठीक नहीं है.
अध्यक्ष महोदय-- उनका बयान आ गया. यह सब नहीं. कोई अपने को अभी बहस नहीं करानी है भाई.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ--अध्यक्ष महोदय, इन्होंने लीपापोती की. पहले ही इन्होंने कहा, उन्होंने जो दोष मढ़ा, वह लड़की के ऊपर मढ़ दिया.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, इस पर बहस नहीं हो रही है. भनोत जी, आप अपनी बात शुरु करिये.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ-- जो वक्तव्य मिला, उसके पहले ही यह बात बोल दी थी. जो वक्तव्य इन्होंने यहां बोला, हमको पता था कि यह वक्तव्य में भी आना है. अध्यक्ष महोदय, इसकी गंभीरता को देखें.
अध्यक्ष महोदय-- तरुण जी, आप शुरु करिये.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ-- अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे संरक्षण चाहती हूं.
अध्यक्ष महोदय-- इस पर अभी बहस थोड़ी कराना है. स्थगन अब आया है, उसमें जानकारी प्राप्त करेंगे, करेंगे. जो कुछ होगा ना, करायेंगे ना.
श्री सज्जन सिंह वर्मा (सोनकच्छ)-- अध्यक्ष महोदय, सबसे पहले मैंने ही लिखित में सचिवालय को भेजा है. मेरा मंत्री जी से एक ही प्रश्न है. मंत्री जी, मेरी बहन ने कहा, हमारे नेता प्रतिपक्ष जी ने कहा. सीधे ही आप तो गोली मारने के आदेश दे रहे हो, चाहे किसान हो मंदसौर का, उसकी छाती पर गोली मार दो, आदिवासी बेचारा निरीह उसको गोली मार दो. मेरा आपसे यह कहना है कि आपने जब वक्तव्य दिया था शुरु का, शून्यकाल के पहले, प्रश्नकाल के पहले. आपने कहा कि हमने मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दे दिये हैं. अध्यक्ष महोदय, इन्होंने कमिट किया है. मेरा आपसे अनुरोध है, आप और हम सदन में एक लम्बी अवधि से हम लोग सदन में बैठते आ रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, लटेरी काण्ड में, आप भी गवाह हैं उसमें. लटेरी काण्ड में भी इसी तरह की घटना हुई थी आदिवासी के साथ. इन्होंने वहां जांच कमेटी बनाई. जांच कमेटी का समय पूरा हो गया, फिर उस कमेटी का समय बढ़ा दिया. क्या इस तरीके से आप न्याय दिलाओगे, उन लोगों को, आदिवासियों को. यह आपने कमेटी बना दी, मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दे दिये, समय निकलता जायेगा. फिर वह आयेंगे कि समय बढ़ाइये, आप समय बढ़ा देंगे. क्या इससे न्याय मिल पायेगा. दूसरा मेरा यह कहना है कि एक एक करोड़ रुपये दोनों मृतकों के परिवार को देने की शासन आज घोषणा करे, एक एक करोड़ रुपया उनको दे और उस परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने की घोषणा सदन में करना चाहिये.
अध्यक्ष महोदय-- जवाब में आ गया है.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ-- अध्यक्ष महोदय, वह लड़की भी 20-22 साल की थी. जो लड़का शांत हुआ, वह भी 18 साल का था. जो बच्चे, जिनका भविष्य था, जिनके माता पिता ने चाहा था कि उनका भविष्य बने. उन लोगों के साथ यह चीजें हुई हैं. तो जो सज्जन सिंह जी ने बोला है, तो मृतक के परिवार को पैसा देना चाहिये, वित्तीय सहायता और उसके साथ साथ उसके परिवार के एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी देना चाहिये. यह कमिट करें, घोषणा करें.
अध्यक्ष महोदय-- तरुण जी, आप शुरु करें.
श्री तरुण भनोत -- गृह मंत्री जी, मैं आपकी तरफ से बोल दूं कि नौकरी देंगे दोनों के परिवार के सदस्य को.
अध्यक्ष महोदय-- तरुण जी, आप शुरु करें, अपने विषय पर आयें.
श्री तरुण भनोत -- गृह मंत्री जी, दोनों मृतकों के परिवार के सदस्य को नौकरी देंगे.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ--अध्यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहती हूं.
अध्यक्ष महोदय-- आर्थिक सहायता तो कर दी. आर्थिक सहायता की घोषणा कर दी है.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ--अध्यक्ष महोदय, आप आसंदी से निर्देश दें. कि दोनों के परिवारों को नौकरी दें और एक एक करोड़ रुपया उनके परिवार को आर्थिक सहायता दें.
..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- यह नहीं लिखा जायेगा, यह किसी का नहीं लिखा जायेगा.
डॉ. अशोक मर्सकोले -- (xxx)
डॉ. हिरालाल अलावा-- (xxx)
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ --(xxx)
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव -- (xxx)
अध्यक्ष महोदय-- कृपया आप लोग बैठ जायें.
..(व्यवधान)..
(व्यवधान)..
12.40 बजे गर्भ गृह में प्रवेश
इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा गर्भ गृह में प्रवेश
(डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ, सदस्या के नेतृत्व में इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा जिला इंदौर के थाना बड़गोदा अंतर्गत पुलिस चौकी डोंगरगांव में घटित घटना पर शासन के जवाब से असंतुष्ट होकर गर्भ गृह में प्रवेश किया गया एवं नारेबाजी की गई.)
संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) - अध्यक्ष महोदय, यह क्या सदन नहीं चलाना चाहते हैं? क्या विपक्ष सदन चलाना नहीं चाहता है? अध्यक्ष महोदय, आपने कहा वक्तव्य दे दो, हमने वक्तव्य दे दिया, अब क्या यह सदन नहीं चलाना चाहते हैं? नेता प्रतिपक्ष जी, सदन नहीं चलाना है क्या? आप सदन चलाना नहीं चाहते हैं क्या? अध्यक्ष महोदय, आपने कहा, मैंने वक्तव्य दे दिया.
(व्यवधान)
12.41 बजे बहिर्गमन
इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा सदन से बहिर्गमन
नेता प्रतिपक्ष (डॉ. गोविन्द सिंह) - अध्यक्ष महोदय, सरकार के द्वारा, गृह मंत्री के द्वारा मेडीकल रिपोर्ट न देना, रिपोर्ट को छिपाना, सत्यता को छिपाना और गरीब आदिवासी भाई और बच्ची को उचित आर्थिक सहायता न देना, इसके विरोध में विपक्ष की कांग्रेस पार्टी सदन से बहिर्गमन करती है.
(डॉ. गोविन्द सिंह, नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा शासन के जवाब से असंतुष्ट होकर सदन से बहिर्गमन किया गया.)
12.42 बजे वर्ष 2022-23 के तृतीय अनुपूरक अनुमान की मांगों पर मतदान (क्रमशः)
श्री तरुण भनोत (जबलपुर-पश्चिम) - अध्यक्ष महोदय, माननीय वित्त मंत्री महोदय ने तृतीय अनुपूरक बजट सदन में रखा है. वैसे तो मैं इस बात का विरोधी हूं कि कुछ साल से जो यह नयी प्रथा शुरू हुई है कि आम बजट आने के बाद भी तृतीय अनुपूरक बजट आता है, यह दर्शाता है कि कहीं न कहीं बहुत लम्बे समय से कुछ गड़बड़ियां ऐसी हो रही हैं और जिनको ठीक करने का प्रयास भी नहीं किया जा रहा है. अगर कहीं व्यवस्था पटरी से उतरी है तो हम सबका का प्रयास यह होना चाहिए कि उसको वापस पटरी पर लाया जाय. अनुपूरक बजट, आम बजट के बाद अब अध्यक्ष महोदय, 16 हजार करोड़ रुपये का अनुपूरक बजट आप लेकर आए हैं, फिर वही प्रश्न उठता है जो पूरे मध्यप्रदेश की जनता को विचलित करता है कि जनवरी, 2023 से वित्तीय वर्ष पूरा नहीं हुआ, 14 मार्च जो दिनांक दो दिन पहले थी, लगातार आप कर्जा लेते जा रहे हैं. आपने लगभग 25 से 30 हजार करोड़ रुपये का कर्जा दो माह में ले लिया तो यह पूरे मध्यप्रदेश की जनता जानना चाहती है, यह सदन जानना चाहता है कि आपकी प्लानिंग क्या है? आप कैसे इस पैसे को खर्च करते हैं. आप पिछले वर्ष जब बजट 2 लाख 80 हजार करोड़ रुपये का लेकर आए थे, हमने पूरे आंकड़ों को पढ़ा. आपने पूंजीगत व्यय में सिर्फ 40 हजार करोड़ रुपया खर्च किया. पब्लिक वेलफेयर के लिए सड़क बनाने के लिए, पुल पुलिया बनाने के लिए किसानों की सुविधाओं के लिए नाला-नाली बनाने के लिए, सारे विभागों को मिलाकर जो कुल पैसा विकास कार्यों में खर्च हुआ, वह 2 लाख 80 हजार करोड़ रुपये में से मात्र 40 हजार करोड़ रुपया था.
अध्यक्ष महोदय, आप लगभग 17 हजार करोड़ रुपये अनुपूरक बजट लेकर आ रहे हैं. हम आपसे जानना चाहते हैं कि यह बाकी पैसा, यह मैं व्यक्तिगत रूप से नहीं कह रहा हूं. आप बुरा मान जाते हैं. कल मैं देख रहा था. आपका बहुत अच्छा स्वभाव है. आप बहुत अच्छे व्यक्ति हैं. सब आपकी तारीफ करते हैं, परन्तु जब हिसाब की बात आती है वह तो हमारा हक है कि जो पैसा मध्यप्रदेश की जनता का करों के रूप में खजाने में आता है, उसका हिसाब तो हम मांगेंगे और वह मध्यप्रदेश की जनता की तरफ से सदन में खड़े होकर मांग रहे हैं. जितना पूंजीगत व्यय हुआ.
अध्यक्ष महोदय, यह बहुत गंभीर विषय है. जो बजट की राशि आपने प्रावधानित की थी, मध्यप्रदेश की सरकार का एक भी विभाग ऐसा नहीं है, जो आपने प्रावधान किया था, वह पूरी राशि आपने उस विभाग को दी हो और परंपरा क्या बन गई, नया बजट ले आइए, नया आंकड़ा ले आइए, उसको और बढ़ा दीजिए. हम पिछला दे नहीं पा रहे हैं. चाहे स्वास्थ्य जैसा महत्वपूर्ण विभाग हो. शिक्षा जैसा महत्वपूर्ण विभाग हो. हमारा महिला एवं बाल विकास का विभाग हो. महिला बाल विकास विभाग हो, पीडब्ल्यूडी विभाग हो, गृह मंत्रालय हो, खाद्य नागरिक आपूर्ति विभाग हो, कोई भी विभाग हो, हम किसी भी विभाग को आवंटित पैसा जो बजट में करते हैं वह पूरा दे ही नहीं रहे हैं और सप्लीमेंट्री लेकर आते हैं. छोटा सा प्रश्न, बहुत सरल प्रश्न है.
डॉ. सीतासरन शर्मा – अध्यक्ष महोदय, मेरा प्वाइंट आफ आर्डर है. माननीय पूर्व वित्त मंत्री जी.
श्री तरुण भनोत – अध्यक्ष महोदय, आपने प्वाइंट आफ आर्डर स्वीकार कर लिया अब मैं बैठ जाऊं ?
अध्यक्ष महोदय – प्वाइंट आफ आर्डर सुनना पड़ेगा.
श्री तरुण भनोत – माननीय, आपके ऊपर है. मैंने ऐसी कोई बात ही नहीं की जिसके ऊपर प्वाइंट आफ आर्डर आये.
डॉ. सीतासरन शर्मा – नहीं, मैं बताता हूं. अनुपूरक बजट में उसी विषय पर बात की जा सकती है जो अनुपूरक के अंदर व्याप्त हो. आप बाहर की आम बजट की बात करने लगे, इसलिये मैंने इसका विरोध किया. यह नियमों में है. यह अनुपूरक बजट है. अनुपूरक पर बात हो रही है.
श्री तरुण भनोत – सप्लीमेंट्री बजट तो उसी बजट के अंतर्गत आया है. अनुपूरक सप्लीमेंट्री बजट का मतलब क्या है, आपने जो प्रावधान किये थे.
श्री विश्वास सारंग – अध्यक्ष महोदय, तरुण भाई बहुत विद्वान हैं, पूर्व वित्त मंत्री भी हैं, परंतु आम बजट की ओपनिंग में भी यही भाषण दिया था जो अभी दे रहे हैं. यही प्वाइंट आपने उस समय भी उठाया था.
श्री सचिन यादव – अध्यक्ष महोदय, यह तृतीय अनुपूरक है. मुख्य बजट वर्ष 2023-24 क्या है ?
श्री विश्वास सारंग – अध्यक्ष महोदय, सीतासरन जी ने जो बोला है कि अनुपूरक पर आप बोलो, अनुपूरक के प्रावधानों पर आप बोलो यह जनरल बजट की आप बहस कर रहे हैं.
श्री तरुण भनोत – मैं बहस नहीं कर रहा हूं माननीय, आप बैठें. मैं आपकी चिंता कर रहा हूं. आप इतने महत्वपूर्ण विभाग के मंत्री हैं आपके विभाग को पूरा पैसा नहीं मिला.
श्री विश्वास सारंग – आप वही बोल रहे हैं जो बजट की ओपनिंग में आपने बोला था. आप उठाकर मिनिट्स देख लें.
श्री तरुण भनोत – अध्यक्ष महोदय, यह थर्ड सप्लीमेंट्री बजट कहां से आया, क्यों आया, वह जो आप आम बजट लाये थे, जो डिमांड आपने रखी थी, जो इस सदन ने पास की थी उसी के अंतर्गत तो यह थर्ड सप्लीमेंट्री आया है. अगर यह प्रावधान आप नहीं करेंगे, उस बजट में और उसको पास नहीं करेंगे तो पैसा नहीं मिलेगा. आप समझिये मैं क्या कह रहा हूं. आप बोल रहे हैं कि यह थर्ड सप्लीमेंट्री है, थर्ड सप्लीमेंट्री कोई अलग जहाज है क्या जो उतर जाए नीचे. उसी बजट का पार्ट है. आपने जब पिछली बार आम बजट रखा था.
श्री विश्वास सारंग – उसी बजट का पार्ट नहीं है भैया, उस बजट में नहीं आया इसीलिये सप्लीमेंट्री आ रहा है.
श्री तरुण भनोत – अरे भाई, उसी डिमांड्स पर तो सप्लीमेंट्री पास कराया है.
श्री विश्वास सारंग – डिमांड्स पर सप्लीमेंट्री आती रही है तो आपको समझ में नहीं आ रहा है.
डॉ. सीतासरन शर्मा – अध्यक्ष महोदय 156(2) ‘’अनुपूरक अनुदानों पर वाद विवाद केवल उन मदों तक ही सीमित रहेगा जिन पर अनुपूरक अनुदान बताये गये हैं और जब तक तद्धीन मदों की व्याख्या करने और उन्हें स्पष्ट करना आवश्यक न हो मूल अनुदानों पर या उनसे संबंधित निधि पर कोई चर्चा नहीं होगी.’’
श्री बहादुर सिंह चौहान – अध्यक्ष महोदय, तृतीय अनुपूरक में मात्र 29 मांगें हैं.
श्री तरुण भनोत – अध्यक्ष महोदय, यह व्यवस्था का प्रश्न उठाकर मध्यप्रदेश में जो आर्थिक अव्यवस्था फैल रही है आप उससे अगर दिमाग भटकाना चाहते हैं, बड़े विद्वान माननीय हमारे पूर्व स्पीकर भी रहे हैं, हमारे सीनियर भी हैं, मैं उनका बहुत आदर भी करता हूं, मेरी चिंता इस बात की है और पूरे मध्यप्रदेश की जनता की और उनके प्रतिनिधियों की यहां पर चिंता इस बात पर होनी चाहिये कि हम इतने बड़े भारी कर्ज के दलदल में फंसते जा रहे हैं. आरबीआई हमको लगातार चेतावनी दे रहा है कि आर्थिक रूप से मध्यप्रदेश प्रथम पांच राज्यों में हिन्दुस्तान के है जहां पर किसी भी समय वह स्थिति बन सकती है कि आर्थिक आपात काल लगाना पड़ सकता है. अगर हम इस बात पर चिंता कर रहे हैं कि माननीय वित्त मंत्री महोदय स्वास्थ्य विभाग को जितना पैसा मिलना चाहिये था, पीडब्ल्यूडी विभाग को जितना पैसा मिलना चाहिये था वह पैसा नहीं मिला और आप थर्ड सप्लीमेंट्री ला रहे हैं.
श्री विश्वास सारंग – अध्यक्ष महोदय, आपत्ति है आरबीआई ने कहां बोला है ?
श्री तरुण भनोत – मैं तो आपको आरबीआई का कागज दे दूंगा पटल पर.
श्री विश्वास सारंग – ऐसा बोला है कि आर्थिक आपात काल लगने वाला है ?
श्री तरुण भनोत – हां, पांच राज्यों की स्थिति में है.
श्री विश्वास सारंग – देखो आप जितु जी जैसा मत करो तरुण भाई. यह सदन में इस तरह की बातें मत करो.
श्री तरुण भनोत – अगर अध्यक्ष महोदय, सुनने का मादा नहीं है, यह कौन सी बात है मैं आपको कागज दे दूंगा.
श्री विश्वास सारंग – यह असत्य बात मत करो. बिना किसी तथ्य के बात मत करो. आप बोल दो, रख दो पटल पर फिर.
श्री तरुण भनोत – मैंने तो रखा था.
श्री विश्वास सारंग – रखो ना. अभी रख दो.
श्री तरुण भनोत – आज तो नहीं हैं मेरे पास. रख दूंगा.
श्री विश्वास सारंग – आज नहीं हैं क्योंकि जितु जैसा काम मत करो भैया. सही बात बोलो यहां पर.
श्री तरुण भनोत – अध्यक्ष महोदय, अगर पटल पर यह कागज मैं कल आपको न दे दूं तो मेरी विधान सभा की सदस्यता समाप्त कर दीजिएगा. इस प्रकार की बातें अगर मंत्री करेंगे..
श्री विश्वास सारंग – आरबीआई ने ऐसा बोला है कि आर्थिक आपात काल लगने वाला है ?
श्री तरुण भनोत – लगा नहीं है, लगने की स्थिति आ रही है. आपने सुना नहीं है.
श्री विश्वास सारंग – ऐसा बोला है क्या ? आप जिम्मेदारी से बोलें. अध्यक्ष जी, यह नोट करिये. देखिये यह पूरे प्रदेश की आर्थिक स्थिति, अस्मिता का मामला है यह कुछ भी बोलते हैं. निवेश से लेकर सब पर यह असत्य बातें करके अपनी राजनीति चमका रहे हैं.
श्री तरुण भनोत – यह भ्रष्टाचार का मामला है.(XXX)..(व्यवधान)..
श्री विश्वास सारंग – आप पटल पर रखो फिर. इस तरह की असत्य बात आप डिलीट करवाइये. आपात काल लग रहा है कुछ तो भी बोलेंगे.
श्री तरुण भनोत – अध्यक्ष महोदय, मंत्री अगर हमको बोलने नहीं देंगे तो आपका संरक्षण चाहिये.
श्री आशीष गोविंद शर्मा – तरुण जी, आप कांग्रेस के जिम्मेदार नेता हैं.
श्री तरुण भनोत – अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय विश्वास सारंग जी से पूछ रहा हूं यह मुझे बता दें पिछले साल के बजट में इनके विभाग के लिये कितना प्रावधान था और कितना पैसा इनको प्राप्त हुआ बता दें ? अगर 100 प्रतिशत पैसा मिला होगा तो मैं वक्तव्य यहीं समाप्त कर दूंगा.
श्री विश्वास सारंग -- आप बोल रहे हैं, आरबीआई के आप कौन से सर्कुलर की बात कर रहे हैं, मैं उस सर्कुलर की बात कर रहा हूँ. आप बता दो, कुछ तो भी बोलोगे यहां पर ..(व्यवधान)...
श्री तरूण भनोत -- अध्यक्ष महोदय, मैं तो इनके विवाद की बात कर रहा हूँ. ..(व्यवधान)...
श्री विश्वास सारंग -- आप आरबीआई का सर्कुलर बता दो ना..(व्यवधान)...
श्री तरूण भनोत -- हम बताएंगे आपको, दिखाऊंगा आपको. ...(व्यवधान)... आप अपने विभाग का बता दो. ..(व्यवधान)...
नेता प्रतिपक्ष (डॉ. गोविन्द सिंह) -- एक मिनट, माननीय अध्यक्ष जी, सप्लीमेंट्री बजट इसलिए लाया जाता है कि आपने पिछले वर्ष जो बजट से अधिक खर्च कर लिया या कोई आपका पुराना भुगतान बकाया है, उसको देने के लिए आप सप्लीमेंट्री लाते हैं. लेकिन पिछले बजट में जो आपने प्रावधान किया था, उसका करीब 30-40 प्रतिशत हमने खर्च ही नहीं किया तो सप्लीमेंट्री की आवश्यकता क्यों हुई. यह माननीय वित्त मंत्री जी अपने वक्तव्य में बताएं, जब वे उत्तर दें.
अध्यक्ष महोदय -- ठीक है.
श्री तरूण भनोत -- अध्यक्ष महोदय, अगर आपके विभागों को यही बात रेखांकित करने का प्रयास कर रहा हूँ, अगर विभागों को जो राशि प्रावधानित थी, वही नहीं मिली, वही खर्चा नहीं हुआ तो सप्लीमेंट्री लाने का औचित्य क्या है. आप यह कहते कि हमने पीडब्ल्यूडी विभाग को 10 हजार करोड़ रुपये दिए थे, खर्चा 12 हजार करोड़ रुपये हो गया, हमें 2 हजार करोड़ रुपये और अतिरिक्त चाहिए तो हमें बड़ी खुशी होती. आपने 7 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया था, दिया साढ़े 4 हजार करोड़ रुपये, तो हम तो सवाल यह उठा रहे हैं कि कर्जा कैसे बढ़ गया. ब्याज, माननीय सदन के सभी जिम्मेदार साथी यहां बैठे हुए हैं. यह हम सब के लिए चिंता का विषय होना चाहिए. हम सबके लिए, चाहे वहां बैठे हों, चाहे यहां बैठे हों, कि जो कुल बजट की राशि थी, उसका 15 प्रतिशत भी पूंजीगत व्यय नहीं हो रहा है तो क्या आपको चिंता नहीं हो रही है. 2 लाख 80 हजार करोड़ रुपये के बजट में 40 हजार करोड़ रुपये भी विकास कार्यों में खर्चा नहीं हो रहा है, इस्टेब्लिशमेंट में खर्चा हो रहा है, जो हमने पुराना कर्जा लिया है, उसका ब्याज देने में खर्चा हो रहा है. अगर उस बात को हम इस सदन के अंदर उठा रहे हैं तो यह तो प्रदेश के लिए चिंता का विषय है. चाहे सरकार में कोई भी बैठा हो, मैं यह थोड़ी कह रहा हूँ कि माननीय वित्त मंत्री जी ने व्यक्तिगत कर्जा ले लिया. यह कर्जा मध्यप्रदेश के ऊपर चढ़ा है. यह सवाल उठाने का हमारा हक और फर्ज बनता है कि इस पैसे का कैसे उपयोग हो रहा है. अगर आपने नगरीय निकाय विभाग के लिए आवंटन 9 हजार करोड़ रुपये का किया, आपने उसे 6 हजार करोड़ रुपये दिया तो फिर सप्लीमेंट्री लाने की आवश्यकता क्यों पड़ रही है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, बड़ी गंभीरता से मैं यह विषय आपके रखना चाहता हूँ कि जिस समय सदन चल रहा है. बजट मार्च महीने में आपने रखा. इस माह में आपने 15 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्जा ले लिया तो आपकी तैयारी क्या थी. अगर मैं आपसे यह कहूँ कि आपको एक दिन में 30 दिन का अनाज खाना है, क्या आप खा सकते हैं ? आप कैसे साल भर में पूंजीगत व्यय 40 हजार करोड़ रुपये बता रहे हैं और दो माह में आप 25 हजार करोड़ रुपये का कर्जा ले रहे हैं तो यह 25 हजार करोड़ रुपये, आप 15 हजार करोड़ रुपये खर्च नहीं कर पाए, 10 माह में आपने खर्च किए विकास के कार्य में, तो मैं कैसे मान लूँ कि 25 हजार करोड़ रुपये आप डेढ़ महीने में मध्यप्रदेश में विकास कार्यों के लिए खर्चा कर देंगे. अगर यह सवाल हम यहां उठाते हैं तो कहा जाता है कि यह तो विषय नहीं है. विषय क्या है, क्या विषय है, अर्थ ही सबसे बड़ा विषय है. माननीय अध्यक्ष महोदय, हमको हमेशा बचपन से एक बात सिखाई गई, चाहे हमारा परिवार हो, चाहे हमारा व्यापार हो, चाहे हमारी सरकार हो, वह तब अच्छे से चल सकती है जब आर्थिक प्रबंधन सही हो. जो व्यक्ति अपने घर में 10 हजार रुपये भी महीने के लेकर जाता है, मजदूर व्यक्ति, काम करने वाला व्यक्ति, वह व्यक्ति भी उसका प्रबंधन बनाता है कि मुझे स्वास्थ्य के लिए कितना पैसा निकालना पड़ेगा, बच्चों के स्कूल की फीस के लिए कितना पैसा निकालना पड़ेगा. कोई आपातकालीन स्थिति बन जाए तो क्या होगा. उसी में वह अपनी बेटी के भविष्य के लिए भी पैसा जोड़ता है, अपने बच्चों के लिए पैसा जोड़ता है और यहां हजारों करोड़ रुपये ब्याज में जा रहा है और हम चिंता नहीं करते. यह सदन की सामूहिक जिम्मेदारी बनती है. हमारी और आपकी, सबकी जिम्मेदारी बनती है कि हम हिसाब लें. यह पैसा किसका है, यह पैसा मध्यप्रदेश की जनता का है जो करों के रूप में मध्यप्रदेश के खजाने में आ रहा है और उस पर उसका हक है.
माननीय वित्त मंत्री महोदय, मैंने उस दिन भी यही प्रश्न किया था और आज भी यही प्रश्न उठा रहा हूँ. 40 हजार करोड़ रुपये कुल अगर हम पूंजीगत व्यय में डाल रहे हैं तो हम 25 हजार करोड़ रुपये पिछले ढाई महीने में जो हमने ब्याज पर लिया है, कर्जा लिया है, इसका हिसाब कैसे बना रहे हैं. क्या यह सदन को जानने की जरूरत नहीं है्. हर विधायक यहां पर बैठकर चाहता है, हमारे साथी किसी भी पक्ष के हों, सभी चाहते हैं कि नल-जल योजना पूरी होनी चाहिए. उसके क्षेत्र में सड़कें अच्छी होनी चाहिए. उसके क्षेत्र में बढ़िया खेल के मैदान होने चाहिए. स्कूल के भवन पक्के होने चाहिए. शिक्षा अच्छी होनी चाहिए. स्वास्थ्य की सुविधाएं अच्छी होनी चाहिए. कोई भी सरकार हो. सब यही चाहते हैं. सारे सदस्य चाहते हैं.
श्री शैलेन्द्र जैन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आप जो कह रहे हैं कि यह जानने की जिम्मेवारी सदन की है तो सदन को आप बताइये कि आपके कालखण्ड में जो ब्याज का भुगतान होता था, जो लोन लेकर रखा था, उसका प्रतिशत कितना था.
श्री तरूण भनोत -- मैं बता देता हॅूं.
श्री शैलेन्द्र जैन -- राजस्व के मुकाबले आपका प्रतिशत 18 प्रतिशत था. आज हमारा प्रतिशत 10 प्रतिशत हो गया है. घटकर 10 प्रतिशत हो गया है.
श्री तरूण भनोत -- अध्यक्ष महोदय, क्या आपने अनुमति दी है. अगर मैं अपनी दूसरी बात रखूंगा तो आप बोलेंगे...(व्यवधान)...
श्री शैलेन्द्र जैन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बार-बार ब्याज की बात कर रहे हैं, हर बार आप ब्याज की बात कर रहे हैं...(व्यवधान)..
श्री तरूण भनोत -- मैं आपसे थर्ड सप्लीमेंट्री का हिसाब मांग रहा हॅूं...(व्यवधान)..
श्री शैलेन्द्र जैन -- वर्ष 2003 में आपका बजट कितना था ? 23 हजार करोड़ रूपए. अब एक-एक डिपार्टमेंट का हमारा बजट है...(व्यवधान)..
श्री तरूण भनोत -- अध्यक्ष महोदय, अगर आपकी अनुमति हो, तो मैं वर्ष 2003 की बात कर लूं, फिर आप नहीं कहना कि विषय से अलग हटकर बात कर रहे हैं. वर्ष 2003 में मध्यप्रदेश राज्य के ऊपर कुल 26 हजार करोड़ रूपए का कर्जा था, अभी आप 40 हजार करोड़ रूपया...(व्यवधान)..
श्री शैलेन्द्र जैन -- ब्याज कितना था और ब्याज कितना भुगतान कर रहे थे. आप यह बताइए...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- शैलेन्द्र जैन जी, हो गया.
श्री तरूण भनोत -- अरे भई, अगर यह हिसाब वित्त मंत्री जी से पूछो, तो अच्छा लगेगा...(व्यवधान)... हिसाब मुझसे पूछ रहे हो. मैं तो आपके हक की बात कर रहा हॅूं कि आप अभी यहां पर प्रश्न लगाते हो, पानी के लिये पैसा नहीं मिल रहा....(व्यवधान)..
श्री शैलेन्द्र जैन -- पूरे 10 साल आपका रेवेन्यू डेफिसिट था और आप देख लीजिएगा कि 18 वर्षों में एक भी वर्ष रेवेन्यू डेफिसिट नहीं रहा. यह है हमारी कुशल वित्तीय प्रबंधन.(मेजों की थपथपाहट)
श्री तरूण भनोत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इनका कुशल वित्तीय प्रबंधन बता दूं. विश्वास जी, आप फिर नहीं बोलना कि सप्लीमेंट्री से अलग बात कर रहे हो. आपका यह कुशल वित्तीय प्रबंधन है कि जितना कुल कर्जा स्टेट के ऊपर था उससे ज्यादा ब्याज की राशि प्रतिवर्ष मध्यप्रदेश सरकार भर रही है. दूसरी बात, मैं आज अगर पॉलिटिकल नहीं करूंगा, आप कितना भी मुझे उत्तेजित करो मैं उस पर नहीं आऊंगा क्योंकि मैं जानता हॅूं कि आपने सदन में साढे़ सत्ताईस घंटे का कार्य यहां रखा है आप गुलेटिन करके भाग जाना चाहते हो और हम चाहते हैं कि सदन चले. यहां जनता की बातें आए, हम चाहते हैं....(व्यवधान)..
श्री दिलीप सिंह परिहार -- बहुत-बहुत धन्यवाद. हम सदन चलाना चाहते हैं आप नहीं चलाना चाहते हो...(व्यवधान)..
श्री तरूण भनोत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सिर्फ इस ओर माननीय वित्त मंत्री का ध्यान आकर्षित करना चाहता हॅूं कि आप सरकार में हैं, आप रहेंगे. 2023 तक तो रहेंगे, जब तक नये चुनाव नहीं होंगे.
श्री विश्वास सारंग -- ठीक है, आपका हम समर्थन करते हैं. आपने सही बोला और आपने माननीय कमल नाथ जी की बात का खंडन किया.
श्री तरूण भनोत -- अरे, मैंने यह बोला कि 2023 तक तो रहेंगे, जब तक चुनाव नहीं होंगे. अरे, विश्वास जी, आज तुम्हें क्या हो गया. झगड़ा करके आए हो क्या, हमारी भाभी जी से.
श्री विश्वास सारंग -- हम 2023 के बाद भी रहेंगे. यही तो बोला है.
श्री तरूण भनोत -- तुम्हें नाश्ता टाइम पर नहीं मिला क्या. आज यह भाभी जी से झगड़ा करके आए हैं.
श्री विश्वास सारंग -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इन्हें मेरी बड़ी जानकारी है.
श्री तरूण भनोत -- तुम्हारे बचपन के सबसे प्रिय मित्रों में से एक हैं.
श्री तुलसीराम सिलावट -- सारा खुलासा हो गया.
श्री तरूण भनोत -- अभी, सारे खुलासे करूं क्या.
श्री विश्वास सारंग -- माननीय अध्यक्ष जी, यह बिल्कुल सही बात है.तरूण भाई सदन में आये, उससे पहले हमारे मित्र थे. यह भिलाई में इंजीनियरिंग कर रहे थे, मैं गोंदिया में इंजीनियरिंग कर रहा था जबसे हम दोनों मित्र हैं.
श्री तरूण भनोत -- माननीय अध्यक्ष जी, मैं पहले आ गया था. आप पूरी करके आए, यह भी बता दीजिए.
श्री विश्वास सारंग -- हां, यह जरूर बताओ कि आप छोड़कर आए, मैंने पूरी की.
श्री तरूण भनोत -- हां, बिल्कुल.
अध्यक्ष महोदय -- तरूण जी, विषय पर आइए.
श्री तरूण भनोत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा सिर्फ यह कहना है कि आपका बहुमत है थर्ड सप्लीमेंट्री निश्चित रूप से यहां से पास हो जाएगा, वह महत्वपूर्ण है. पास होना चाहिए जिससे सरकार का काम चलेगा. परन्तु सत्ता पक्ष में बैठे हुए और इस सदन में बैठे हुए सभी माननीय सदस्यों का भी यह दायित्व बनता है कि हमारे पैसे का दुरूपयोग तो नहीं हो रहा है. यह विषय ज्यादा गंभीर है. ब्याज की राशि ज्यादा चुकायी जाए और विकास के लिये पैसा कम हो, ऐसे में किसी का कोई व्यक्तिगत व्यापार तो चलता नहीं. घर का काम तो चलता नहीं, तो सरकार का काम क्यों करना चाहिए. ऐसे चलना चाहिए क्योंकि यह सरकार हमारी है. यह इस मध्यप्रदेश की जनता की सरकार है. हम सब यहां बैठे हैं. आप पक्ष में हैं हम विपक्ष में हैं. यह हमारा अधिकार है कि हम उन बातों को रेखांकित करें और उठायें. माननीय वित्त मंत्री जी, यह एक प्रथा समाप्त होना चाहिए.
श्री शैलेन्द्र जैन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह मिथ्या वाचन कर रहे हैं. आप 23 हजार करोड़ के बजट में..(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, हो गया. शैलेन्द्र जी, बैठ जाइए.
श्री शैलेन्द्र जैन -- अध्यक्ष महोदय, मिथ्या वाचन कैसे कर सकते हैं. आप 23 हजार करोड़ के बजट पर बात कर रहे हैं, आप प्रतिशत की बात कीजिए न. एक भी दिन..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- शैलेन्द्र जी, अरे, आपको मौका मिलेगा, तब बोलिएगा.
श्री तरूण भनोत -- अध्यक्ष महोदय, अगर यह ऐसा करते हैं तो यह व्यवहार ठीक है क्या. यह उचित है क्या.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं. यह ठीक नहीं है. अभी सबको दोनों पक्षों को अवसर मिलना है. ऐसा लगता है कि कोई बात कही है तो जब आपका समय आएगा, तब उसमें आप उसका खंडन करिएगा. बीच में हर सवाल में खडे़ होकर के टोकना, वह शायद ठीक नहीं है.
अध्यक्ष महोदय -- तरूण जी, अपनी बात खतम करें. एक मिनट रूकिए.
श्री तरूण भनोत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं दो मिनट में अपनी बात खतम करना चाहता हॅूं.
12.59 बजे अध्यक्षीय घोषणा
भोजनावकाश न होने विषयक
अध्यक्ष महोदय -- आज भोजनावकाश नहीं होगा. भोजन की व्यवस्था सदन की लॉबी में की गई है. माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि सुविधानुसार भोजन ग्रहण करने का कष्ट करें.
12.60 बजे वर्ष 2022-23 के तृतीय अनुपूरक अनुमान की मांगों पर मतदान(क्रमश:)
श्री तरूण भनोत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जिस विभाग को हमने, एक बात और माननीय वित्त मंत्री महोदय, सबसे महत्वपूर्ण बात कहकर अपनी बात को समाप्त करूंगा.
बहुत सारी हमारी सरकार के अलावा हमारी कंपनीज़ हैं, हमारे डिस्कॉम्स हैं, हमारे नगरीय निकाय हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बहुत महत्वपूर्ण सवाल है. हम सब वहीं से चुनकर आते हैं. वहाँ हमसे लोग कहते हैं नाली नहीं बनी, पानी पूरा नहीं है, पानी की टंकी चाहिए, सफाई की व्यवस्था अच्छी नहीं है, वो सब नगरीय निकायों ने अलग से कर्जा लिया और जिसकी गारंटी, प्रतिभूति, मध्यप्रदेश सरकार लेती है और मैं इस बात को इसलिए उठा रहा हूँ क्योंकि महत्वपूर्ण है. हमने एडीबी का लोन लिया, हुडको से लोन लिया, उन लोन्स की शर्त थी कि जिस चीज के लिए आपने लोन लिया है, वहीं से आप उसकी रीपेमेंट करेंगे और वहीं से आप उसके ब्याज का पैसा भरेंगे, वो व्यवस्थाएँ नहीं हैं. वो ब्याज कितना जा रहा है, वो कर्जा कितना हो गया, मैं, आपकी जो आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट थी उसमें भी देख रहा था और जो वित्त सचिव महोदय का पत्र था, उसमें भी देख रहा था. आपके अलावा 35 हजार करोड़ रुपया मध्यप्रदेश की सरकार को माननीय वित्त मंत्री जी, आपका कुल 17 हजार करोड़ रुपये का सप्लीमेंट्री बजट है. आपको पुराना पैसा डिस्कॉम्स से लेना है, जिसका ब्याज आप भर रहे हैं. आप 20 हजार करोड़ रुपये की सब्सीडी उनको हर वर्ष दे रहे हैं और 35 हजार करोड़ रुपये का वो कर्जा, जो उन्होंने आप से लिया है, उस कर्जे के अलावा जो उन्होंने डायरेक्ट लिया है, उसका ब्याज भी आप भर रहे हैं. अगर यह चिन्ताजनक हालत हमारे सामने है तो हम कैसे थर्ड सप्लीमेंट्री का यहाँ पर समर्थन कर सकते हैं, जिसमें जनता के विकास के लिए राशि का प्रावधान नहीं है. सिर्फ हिसाब को और आँकड़ों को पूरा करने की बात है और जो ब्याज हम भर रहे हैं उसका प्रावधान करने की बात है इसलिए मैं इस थर्ड सप्लीमेंट्री का विरोध करता हूँ और अनुरोध करता हूँ माननीय वित्त मंत्री महोदय से कि जब अन्त में आप अपना जवाब दें तो यह जो कर्ज की स्थिति प्रदेश की है इसके बारे में जरूर आप पूरे प्रदेश को बताएँ क्योंकि सब टकटकी लगाकर आपकी ओर देख रहे हैं कि इतने लाखों करोड़ रुपये का कर्जा हमारे ऊपर चढ़ गया और हमें कुछ नहीं मिला. हम जहाँ थे, वहाँ के वहाँ हैं तो यह पैसा गया कहाँ? इसलिए मैं आप से अनुरोध करता हूँ कि इस वक्तव्य में आप अपने कर्ज की स्थिति से जरूर पूरे प्रदेश की जनता को वाकिफ कराएँ और आपके इस थर्ड सप्लीमेंट्री की मांगों का मैं विरोध करता हूँ. एक पैसा भी इस योग्य नहीं है कि आपको आगे काम करने के लिए मिलना चाहिए. धन्यवाद.
श्री बहादुरसिंह चौहान(महिदपुर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, 16,329 करोड़ 50 लाख 6900 रुपये राज्य की संचित निधि से माननीय वित्त मंत्री जी ने प्रस्तावित की है. अध्यक्ष महोदय, हम जानते हैं कि हमारा प्रदेश कृषि प्रधान प्रदेश है और किसानों को राहत राशि और बीमा राशि मिलना चाहिए. अभी तत्कालीन कृषि मंत्री हमारे कमल जी हैं, इसके पहले वे राजस्व मंत्री थे, उन्होंने ग्राम पंचायत को हल्का बनाया और उस कारण आज लाखों रुपये की राहत राशि और बीमा राशि जो है किसानों को मिल रही है.
अध्यक्ष महोदय, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, यह किसानों के हित के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण योजना है आरबीसी 6 (4) के अंतर्गत हमारी सरकार ने यदि एक हैक्टेयर में फसल खराब हो जाती है तो 5 हजार से लगाकर 30 हजार तक प्रति हैक्टेयर मुआवजा राशि देने का प्रावधान भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किया है. इसको लेकर माननीय वित्त मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूँ कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना मांग संख्या 13 सीसी 24 (1) के अनुसार आपने 1,324 करोड़ का तृतीय अनुपूरक अनुमान में किया गया है. मैं मध्यप्रदेश के किसानों की ओर से आपको धन्यवाद देना चाहता हूँ. अध्यक्ष महोदय, अभी 2-3 दिन पहले आँधी, तूफान और ओलावृष्टि से मध्यप्रदेश में गेहूँ, चना, सरसों, धनिया, आदि फसलें खराब हुई हैं ताकि ये 1,324 करोड़ रुपये का प्रावधान करने से उन किसानों को फसल खराब होने पर बीमा राशि दी जा सकेगी, यह प्रावधान माननीय, तृतीय अनुपूरक में बहुत अच्छा किया है, बहुत बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री संबल योजना, यह बहुत महत्वपूर्ण योजना है. हम जानते हैं कि सुबह टीव्ही खोलते हैं तो पता चलता है कि आज वहाँ पर एक्सीडेंट हो गया, बस का हो गया है, दो मोटर साइकिलें टकरा गई हैं. किसी की मृत्यु हो जाती है, किसी का पाँव फ्रैक्चर हो जाता है. यह संबल योजना बहुत ही महत्वपूर्ण योजना है सक्षम आदमी तो कहीं भी अपना इलाज करा लेता है लेकिन गरीब परिवार के साथ ऐसी घटना घटने पर संबल योजना यह बोलती है कि यदि एक्सीडेंट में किसी व्यक्ति का एक हाथ टूट जाए या एक पाँव खराब हो जाए तो उसको 2 लाख रुपये तत्काल देने का प्रावधान संबल योजना मे किया गया है. यदि एक्सीडेंट में मृत्यु हो जाती है तो तत्काल 4 लाख रुपया इस संबंल योजना के समय देने का प्रावधान किया गया है. कांग्रेस सरकार ने इस संबल योजना को बंद कर दिया था. हमारी सरकार आने के बाद हमने पुन: यह योजना प्रारंभ की है.
1.06 बजे {सभापित महोदय (श्री देवेन्द्र वर्मा) पीठासीन हुए}
श्री बहादुर सिंह चौहान -- सभापति महोदय, इस संबल योजना में माननीय वित्त मंत्री जी ने तृतीय अनुपूरक अनुमान में 636 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है. यदि यह प्रावधान नहीं हो तो क्या पैसा मिल जाएगा. यह तो डेली की आवश्यकता है, रोज पैसा देना पड़ता है इसलिए मैं वित्त मंत्री जी को इस योजना में 636 करोड़ रुपए का प्रावधान करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहता हूँ. प्रधानमंत्री आवास शहरी और प्रधानमंत्री आवास ग्रामीण दोनों बहुत ही महत्वाकांक्षी योजनाएं हैं. हमारे शहरी दलित, शोषित, वंचित, पीड़ित लोगों के मकान बनें इसके लिए मांग संख्या 22 में हाउसिंग फॉर ऑल हेतु इस तृतीय अनुपूरक अनुमान में 642.11 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है. तृतीय अनुपूरक में गरीबों के मकान बनें इस आशय के लिए मैं वित्त मंत्री जी को बहुत बहुत धन्यवाद देता हूँ.
सभापति महोदय, इसी प्रकार प्रधानमंत्री आवास ग्रामीण में भी मकान बनाने के लिए तृतीय अनुपूरक अनुमान में माननीय वित्त मंत्री जी ने 1 हजार 12.78 करोड़ रुपए प्रावधान किया है. जिन मकानों को पहली किस्त मिल गई है क्या उनको दूसरी किस्तें नहीं मिलना चाहिए, क्या उनके मकान पूर्ण नहीं होना चाहिए. इसलिए तृतीय अनुपूरक बजट लाना बहुत ही आवश्यक था. जो काम रनिंग हैं उन कामों के भुगतान करने के लिए इन राशियों का प्रावधान करना बहुत ही महत्वपूर्ण था. तृतीय अनुपूरक को सर्वानुमति से पास करना बहुत ही जरुरी था.
सभापति महोदय, मांग संख्या 54 के अनुसार शीर्ष 22 से 25 में पिछड़ा वर्ग कल्याण मेट्रिक छात्रावास, जो पिछड़ा वर्ग के छात्र छात्राएं हैं उनकी छात्रवृत्ति के लिए 100 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है. छात्रवृत्ति से विद्यार्थियों को पढ़ाई में काफी सुविधा मिलती है.
सभापति महोदय, जल संसाधन विभाग बहुत ही महत्वपूर्ण विभाग है. सिंचाई इसके अन्तर्गत आती है. पार्वती जैसी वृहद परियोजना जो चल रही हैं इसमें कार्यों के लिए 20 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है ताकि कामों का भुगतान किया जा सके. कुण्डलिया परियोजना के लिए 25 करोड़ रुपए का प्रावधान इस तृतीय अनुपूरक में किया गया है. बण्डा वृहद परियोजना में भी जो कार्य चल रहे हैं उनके भुगतान के लिए 70 करोड़ रुपए का प्रावधान तृतीय अनुपूरक में किया गया है. धानी वृहद परियोजना इसमें भी 25 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है. मां रतनगढ़ वृहद परियोजना इसके चल रहे कार्यों का भुगतान करने के लिए 20 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है. एक बहुत ही महत्वपूर्ण योजना जिसके बारे में मैं बार-बार सदन में कहता हूँ वह है केन-बेतवा राष्ट्रीय लिंक परियोजना. बुंदेलखंड के लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरसते थे उनके लिए यह बहुत ही महत्वपूर्ण योजना है. केन-बेतवा लिंक परियोजना से बुंदलेखण्ड के 8 लाख 11 हजार हेक्टयर क्षेत्र में सिंचाई होने जा रही है. इससे मध्यप्रदेश के 10 व उत्तर प्रदेश के 4 जिले लाभान्वित होंगे. इस योजना में तृतीय अनुपूरक में माननीय वित्त मंत्री जी 95 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है. मैं इस हेतु माननीय वित्त मंत्री जी को बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहता हूँ. मैं यह भी धन्यवाद करना चाहता हूं कि आप मेरे विधान सभा क्षेत्र में भी 23 फरवरी को पधारे थे. माननीय मुख्यमंत्री जी भी वहां पर आये थे. मेरी विधान सभा में दो 7 सौ, 8 सौ करोड़ रुपए डेमों का शिलान्यास भी आपकी उपस्थिति में हुआ है और आप 338 करोड़ रुपए की लागत से नलजल योजना का शिलान्यास करने के लिए भी उपस्थित थे. आपने हमारी विधान सभा में पर्याप्त राशि दी है इसके लिए मैं आपको बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहता हूं.
माननीय सभापति महोदय, हमारी वृहद परियोजना, मध्यम परियोजना, लघु परियोजना इस प्रकार कुल 475 योजनाएं मध्यप्रदेश में निर्माणाधीन हैं. इस प्रकार तृतीय अनुपूरक अनुमान में सिंचाई विभाग को कुल मिलाकर 300 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है ताकि जो 475 योजनाएं निर्माणाधीन हैं उनका समय पर ठेकेदारों को भुगतान किया जा सके और वह योजनाएं समय पर पूर्ण हो सकें इसके लिए मैं वित्त मंत्री माननीय जगदीश देवड़ा जी, माननीय मुख्यमंत्री जी और भारतीय जनता पार्टी की सरकार को मेरी ओर से बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहता हूं. कृषि विभाग अपने आप में मध्यप्रदेश सरकार का बहुत ही महत्वपूर्ण विभाग है. किसान कल्याण और कृषि विकास विभाग में सब मिशन ऑन फॉर वॉटर मैनेजमेंट हेतु यह 12.98 करोड़ रुपए का प्रावधान तृतीय अनुपूरक अनुमान में किया गया है. किसानों की ओर से मैं वित्त मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं. स्वाइल हेल्थ कार्ड के अंतर्गत भी इसके लिए 20.53 करोड़ रुपए का प्रावधान तृतीय अनुपूरक अनुमान किया गया है. किसान कल्याण और कृषि विकास विभाग में जवाहरलाल कृषि विश्वविद्यालय है, स्ववित्तीय पेंशन योजना के अंतर्गत भी 45 करोड़ रुपए का प्रावधान इस तृतीय अनुपूरक में माननीय वित्त मंत्री जी के द्वारा किया गया है. इसके लिए भी मैं बहुत-बहुत धन्यवाद ज्ञापित करना चाहता हूं.
सभापति महोदय, किसान कल्याण और कृषि विकास विभाग की बहुत महत्वपूर्ण योजना अटल कृषि ज्योति योजना हेतु तृतीय अनुपूरक में 3 हजार 950 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है. यह योजना समय पर पूर्ण हो इसके लिए मैं वित्त मंत्री जी का बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहता हूं. श्रम विभाग के अंतर्गत मुख्यमंत्री जनकल्याण योजना चूंकि मैं पहले इसे बोल चुका हूं कि 636 करोड़ रुपए का प्रावधान इसमें किया गया है. हमारा ऊर्जा विभाग बहुत ही महत्वपूर्ण विभाग है और वर्ष 2003 में मध्यप्रदेश में 5 हजार 153 हजार मेगावॉट बिजली थी और आज इन 18 से 20 वर्षों में 28 हजार मेगावॉट बिजली का प्रोडक्शन हाइड्रो थर्मल से हुआ है और इसके लिए अटल गृह ज्योति योजना के अंतर्गत 2234.44 करोड़ रुपए का प्रावधान तृतीय अनुपूरक अनुपूरक में वित्त मंत्री जी के द्वारा किया गया है. टैरिफ अनुदान योजना के अंतर्गत 300 करोड़ रुपए का प्रावधान तृतीय अनुपूरक अनुमान में किया गया है. पांच हार्स पॉवर के कृषि पम्पों, थ्रेशरों एवं एकबत्ती कनेक्शन के लिए नि:शुल्क विद्युत प्रदाय योजना के अंतर्गत 175 करोड़ रुपए का प्रावधान तृतीय अनुपूरक अनुमान में वित्तमंत्री जी के द्वारा किया गया है. मैं उनको बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहता हूं.
सभापति महोदय, पारम्परिक ऊर्जा स्त्रोतों को बिजली के लिए भी 25 करोड़ रुपए का प्रावधान इस तृतीय अनुपूरक अनुमान में किया गया है. उद्योग नीति एवं निवेश प्रोत्साहन उद्योग के लिए हमारे मुख्यमंत्री जी चाहे एमएसएमई हो या उद्योग नीति हो निवेश प्रोत्साहन योजना अंतर्गत राज्य सहायता हेतु बहुत बड़ी राशि 550 करोड़ रुपए का प्रावधान तृतीय अनुपूरक अनुमान में माननीय वित्तमंत्री जी ने किया है मैं माननीय वित्तमंत्री जी को माननीय मुख्यमंत्री जी को बहुत-बहुत बधाई देना चाहता हूं. मैं 16 हजार 329 करोड़ 50 लाख 6 हजार 9 सौ रुपए का समर्थन करता हूं. इसे सर्वानुमति से पास किया जाए. आपने मुझे बोलने का मौका दिया. धन्यवाद.
श्री पी.सी.शर्मा (भोपाल-दक्षिण-पश्चिम)- सभापति महोदय, वित्त मंत्री ने जो वर्ष 2022-23 के लिए तृतीय अनुपूरक अनुमान रखा है, मैं, उसका विरोध करता हूं. 16 हजार 3 सौ 29 करोड़ रुपये की मांगें आपने रखी हैं, इसमें 6 हजार 6 सौ 84 करोड़ रुपये, बिजली विभाग को सब्सिडी देने के लिए रखे हैं. बिजली विभाग को इतनी सब्सिडी दी जा रही है, उसके बावजूद शून्य काल में भी यह बात उठी थी और बहादुर सिंह जी कह रहे हैं कि 2 हजार 2 सौ 84 करोड़ रुपये, अटल विद्युत योजना के लिए दिये हैं जो कि पहले इंदिरा ज्योति योजना थी, उसका केवल नाम बदल दिया लेकिन उसके बाद भी कुछ हुआ नहीं. लोगों के बड़े-बड़े बिल आ रहे हैं. ट्रांसफार्मर और डी.पी. उखाड़कर आपका विभाग ले जाता है. अभी परीक्षायें चल रही हैं, उस समय बिजली गोल कर दी जाती है, सब तरफ अंधेरा है. भोपाल नगर निगम की अगर मैं, बात करूं, वह बिजली विभाग को पैसा नहीं देता है तो स्ट्रीट लाईट भी बंद कर दी जाती है. आपका पैसा कहां जा रहा है ? वित्त मंत्री जी आप इसे देखें. 6 हजार 6 सौ 84 करोड़ रुपये सब्सिडी दे रहे हैं, उसके बाद भी लोगों को बिजली नहीं मिल रही है. यहां लंबी-लंबी बातें बिजली पर हो रही हैं कि इतना उत्पादन था, अब इतना मेगावॉट हो गया है. यदि लोगों को बिजली नहीं मिल रही है, उनके कनेक्शन काटे जा रहे हैं, आप सब्सिडी दे रहे हैं तो ये कनेक्शन क्यों कट रहे हैं ?
सभापति महोदय, नगरीय विकास आवास योजना के तहत अनुदान दिया गया है. आपके ये मकान कहां बन रहे हैं ? भोपाल में एक 6 लेन सड़क बन रही है, आज सुबह मैं वहां से हो के आया हूं. गरीबों की झुग्गियों को हटाने की बात हो रही है, उनका व्यवस्थापन नहीं किया गया है.
श्री बहादुर सिंह चौहान- प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना में, भोपाल में मकान नहीं बन रहे हैं ?
श्री पी.सी.शर्मा- मैं, आपको बता रहा हूं. आप अभी, मेरे साथ चलें. 35 परिवारों को हटाने की बात हो रही है लेकिन उनका कोई व्यवस्थापन नहीं किया गया है, कोई मकान नहीं दिया गया, कोई पट्टा नहीं दिया गया. यहां बात हो रही है कि पट्टे दिए जा रहे हैं. आप कहां पट्टे दे रहे हैं, शहर के लोगों को बाहर ले जाकर पट्टे देंगे क्या? आपका पैसा जाता कहां है ? भनोत जी ने सही कहा कि हम कर्ज लेकर पैसा ला रहे हैं तो कम से कम ये पैसा योजनाओं में खर्च हो. लोगों को एक बत्ती कनेक्शन तो मिल जाये, मकान तो मिल जाये.
सभापति महोदय, इसमें कहा गया है कि आंगनबाडि़यों में बिजली के कनेक्शन के लिए 26 करोड़ रुपये दिए गए हैं. आंगनबाडि़यों में बिजली के कनेक्शन कहां हैं, हम भोपाल के अंबेडकर कॉलोनी में नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह जी के साथ गए थे तो वहां आनन-फानन में बिजली कनेक्शन दिया गया. लेकिन आंगनबाडि़यों के बिजली के बिल नहीं भरे जा रहे हैं. आप 26 करोड़ रुपये दे रहे हैं तो कम से कम बिजली के बिल तो भरें, जब राजधानी भोपाल में ये स्थिति है तो बाकी के प्रदेश में क्या हो रहा होगा?
आप बिजली की इतनी सब्सिडी ले रहे हैं ये राशि कहां जा रही है ? (ऊर्जा मंत्री के सदन में आने पर)
ऊर्जा मंत्री (श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर)- आप बोल रहे हैं तो किससे बोल रहे हैं. ये आपके सामने बिजली है. आप जिस माइक पर बोल रहे हैं, वह बिजली के कारण ही है न ? रोशनी में आप यहां बैठे हैं.
श्री पी.सी.शर्मा- बिजली केवल यहीं तक है.
श्री कमलेश्वर पटेल- आपने गांव-गांव में बिजली कटवा दी है. बच्चों की परीक्षायें चल रही हैं.
(...व्यवधान...)
सभापति महोदय- पी.सी.शर्मा जी के अलावा किसी का नहीं लिखा जायेगा. मंत्री जी आप बैठ जायें.
डॉ. अशोक मर्सकोले- (XXX)
श्री कमलेश्वर पटेल- (XXX)
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर- (XXX)
श्री कुणाल चौधरी- (XXX)
(...व्यवधान...)
श्री पी.सी.शर्मा- सभापति महोदय, जो बिजली के बिल नहीं भर पा रहे हैं, उन लोगों के घरों से सामान की कुर्की हो रही है. ये स्थिति हो गई है, इस तरह से गरीब लोगों को परेशान किया जा रहा है. अभी परीक्षायें चल रही हैं, 10वीं की, 12वीं की लेकिन वो बात अलग है कि इधर परीक्षा हो रही है और उधर पेपर आउट हो रहे हैं.
श्री विश्वास सारंग:- माननीय सभापति महोदय, मेरा व्यवस्था का प्रश्न है. यह अनुपूरक मतदान की मांगों पर चर्चा चल रही है.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव:- (XXX)
श्री कमलेश्वर पटेल:- (XXX)
श्री विश्वास सारंग:- पी.सी भाई आप यह बता दो कि कितने रूपये का अनुपूरक बजट आया यह बता दो. यदि पढ़ा है तो बताओ ना.
श्री पी.सी.शर्मा:- वह तो बोल दिया.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव:- (XXX)
(व्यवधान)
श्री विश्वास सारंग:- कितने का अनुपूरक बजट है, बता दो. कितने का अनुपूरक बजट आया है यह बता दो. पढ़ा है तो बताओ ना कितने का आया है.
(व्यवधान)
श्री कमलेश्वर पटेल:- (XXX)
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव:- (XXX)
(व्यवधान)
सभापति महोदय:- सचिन जी आप बैठिये.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव:- (XXX) (व्यवधान)
श्री विश्वास सारंग:- आप विषय वस्तु पर बात करें. यह भाषण देने का मंच नहीं है. यह कोई रोशनपुरा की सभा नहीं है. यह सदन है (व्यवधान) आप बताओं ना कि बजट कितने का है.
श्री पी.सी.शर्मा:- सभापति महोदय.. (व्यवधान) हमीदिया अस्पताल में मरीजों को कितना इंतजार करना पड़ता है. (व्यवधान)
श्री विश्वास सारंग:- सभापति महोदय, यह डिलीट करवाइये. (व्यवधान)
सभापति महोदय:- आप अपने विषय पर बोलिये. आपका समय वैसे ही ज्यादा हो चुका है.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव:- (XXX)
सभापति महोदय:- माननीय सचिन जी आप बैठिये. आप सभी बैठ जाइये. शर्मा जी आप अपने विषय पर बात रखिये.यादव जी आप बैठिये. जब आपका क्रम आयेगा तब आप बोलियेगा.
श्री पी.सी.शर्मा:- इनका समय आ गया क्या.
सभापति महोदय:- आप अपने विषय पर बात करिये.
श्री विश्वास सारंग:- माननीय सभापति महोदय, कितने का अनुपूरक बजट पेश किया है यह आप पूछ लें ? बिना किसी बात पर, बिना विषय वस्तु पर बोलेंगे तो यह थोड़े ही चलेगा.
श्री पी.सी.शर्मा:- सभापति महोदय:- विषय वस्तु.. (व्यवधान)
सभापति महोदय:- माननीय शर्मा जी आप सवाल-जवाब मत करिये. आप अपनी बात रखिये, आप विषय पर बोलें और अपनी बात शुरू करें.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव:- (XXX)
सभापति महोदय:- यादव जी, जब आपका नंबर आयेगा तब आप बोलियेगा. शर्मा जी शुरू करिये.
श्री पी.सी.शर्मा:- सभापति महोदय, इसमें स्मार्ट सिटी के लिये अनुदान दिया गया है. सागर,जबलपुर,सतना और भोपाल जो मध्यप्रदेश की राजधानी है. इसमें स्मार्ट सिटी के लिये एक भी पैसा नहीं दिया गया है. स्मार्ट सिटी का काम वहां पर बंद हो गया है. वहां सरकारी मकान तोड़ दिये गये, प्रायवेट मकान तोड़ दिये गये और छोटी-छोटी जो गुमटी और दुकानें थीं वह तोड़ दी गयी. वहां पर काम बंद है लेकिन इसमें भोपाल के लिये कोई प्रावधान नहीं है. जबलपुर, सागर, सतना सभी जगह के लिये प्रावधान है, लेकिन भोपाल के लिये नहीं है. वित्त मंत्री जी, राजधानी के साथ यह सौतेला व्यवहार क्यों ? यह इसमें उल्लेख नहीं है. मैंने आंगनवाड़ी के बारे में बताया, वहां पर बिजली और पानी कनेक्शन के पेमेंट नहीं हो रहे हैं. जिसकी वजह से आंगनवाडि़यों की बिजली बंद हो रही है, यह था.
सभापति महोदय, आयुष्मान योजना, आयुष्मान योजना के लिये दिया है. आयुष्मान योजना में यह है कि जितने भी अस्पताल हैं, उनके तीन-तीन, चार-चार करोड़ रूपये उनके ड्यू हो गये हैं और पेशेंट्स को वहां पर एडमिट नहीं कर रहे हैं. आयुष्मान योजना का उनको फायदा नहीं मिल रहा है. आप इसमें प्रावधान कर रहे हैं, आयुष्मान जैसी योजना जिसमें 5 लाख तक का लोगों को इलाज का मिलेगा. नर्मदा अस्पताल में साढ़े तीन करोड़, लाल बहादुर शास्त्री अस्पतान में 20 करोड़ रूपये, जो अस्पताल कोविड के समय नये अस्पताल खुले थे वह बंद होने की स्थिति में आ गये हैं. क्योंकि उनको जो केन्द्र सरकार से पैसा मिलना चाहिये, वह नहीं मिल रहा है. आदरणीय वित्त मंत्री जी जब आपने यह प्रावधान किया है तो यह मिलना चाहिये ना.
माननीय सभापति महोदय, इसमें जो हमारा कर्मचारी वर्ग है. उनको जो डी.ए. अभी तक जो नहीं मिल पाया है. ऐसी चीजों के लिये इसमें कोई प्रावधान नहीं किया गया है, जो कि आवश्यकता है और भनोत जी ने सही कहा था कि आप कर्ज लेकर यह कर रहे हैं. यह उसी बजट से जुड़ा हुआ है. आज मध्यप्रदेश के हर आदमी पर 50-50 हजार रूपये का कर्ज है, यह हालत हो गयी है. आप कर्ज लेकर जो पैसा ले रहे हैं तो कम से कम वह सही जगह तो पहुंचे. जिनको आवश्यकता है उनके पास तो पहुंचे, आयुष्मान का लाभ तो मिले, बिजली सब्सिडी का लाभ तो मिले. यह हमारा कहना है. इसलिये आदरणीय वित्त मंत्री जी आप इन सब चीजों को देखिये और मैं सोचता हूं कि हमने जो मुद्दे उठाये हैं. उनको आप अपने उत्तर में बताइये. धन्यवाद.
डॉ.सीतासरन शर्मा(इटारसी):- आदरणीय सभापति महोदय, सारे विषय अनुपूरक के बहादुर सिंह चौहान साहब ने बोल दिये हैं. अब रिपीटेशन करने का कोई अर्थ नहीं है. परंतु आदरणीय शर्मा जी ने जो विषय उठाये हैं. आयुष्मान योजना में जो राज्य का अंश है वह दिया गया है, तो उसमें आपको एतराज है.
श्री पी.सी.शर्मा:- गरीब को तो मिले जो वहां पर एडमिट है, मरने की कगार पर है उसको तो मिल जाये.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया--जो भर्ती हैं और जिन भर्ती लोगों की छुट्टी हो गई है उनके लिये 58 हजार करोड़ रूपये हैं आयुष्मान का है.
श्री पी.सी.शर्मा--लेकिन उनको कुछ मिल नहीं रहा है.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया--58 हजार करोड़ रूपये का भुगतान इनके लिये है.
आरिफ मसूद--आयुष्मान में अस्पतालों का पेमेन्ट नहीं हो रहा है.
डॉ.सीतासरन शर्मा--सभापति महोदय, हॉस्पीटल की बिल्डिंग के लिये 55 करोड़ रूपये हैं.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया--उसी को मेंशन किया गया है.
डॉ.सीतासरन शर्मा--सभापति महोदय, इसमें मुख्य जो राशि है वह आयुष्मान में अपने राज्य की है. बाकी स्वास्थ्य सेवाओं के सुदृड़ीकरण के लिये है तो इसमें कोई एतराज नहीं होना चाहिये. बिजली के बारे में कहना चाहता हूं उस समय शर्मा जी आप भी विधायक थे जब बिजली 4-5-6 घंटे आती थी आप ईमानदारी से बताना शर्मा जी जरा मुस्करा तो दो आप और हम साथ साथ थे. 6 घंटे बिजली आती थी.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया--यह भी योग है कि एक शर्मा जी दूसरे शर्मा जी को बता रहे हैं.
डॉ.सीतासरन शर्मा--सभापति महोदय, यह हमारे साथ थे, आदरणीय शुक्ला जी थे. अब तो 24 घंटे बिजली आ रही है. उसमें कुछ खर्चा कर रहे हैं.
ट्रांसफार्मर और डी.पी.उखड़ रही है उसके बारे में कुछ बोलोगे कि नहीं बोलोगे, कुर्की भी ला रहे है, उस जमाने में कुर्की नहीं होती थी.
डॉ.सीतासरन शर्मा--सभापति महोदय, कई लोगों को आपने जेल भी भेजा है.
श्री पी.सी.शर्मा--लाईट नहीं आयी तो सबके साथ एक जैसा व्यवहार था.
डॉ.नरोत्तम मिश्र--सीतासरन जी आज तो पी.सी.शर्मा गोविन्द सिंह जैसा बोल रहे हैं. कुर्की उस जमाने में होगी कैसे जब लाईट ही नहीं आती थी तो बिल ही नहीं आता था. बिल नहीं आयेगा तो कुर्की काहेकी होगी.
श्री पी.सी.शर्मा--देखिये अगर बिजली नहीं थी बिजली का बिल नहीं दो तो कटती नहीं थी बिजली.
डॉ.सीतासरन शर्मा--सभापति महोदय,यह बताईये कि 6 हजार 6 सौ का फिगर आप कहां से लाये बिजली विभाग इस अनुपूरक में कहां हैं ? अनुपूरक में यह फिगर ही नहीं है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र--छिपकली वाला छिपकली नहीं ला पाया तो यह किताब कहां से ला पायेगा.
डॉ.सीतासरन शर्मा--सभापति महोदय, इसलिये कहा था तब भनोत जी गुस्सा हो गये कि आप अनुपूरक के बाहर मत जाओ पर माने नहीं. एक बात कहकर समाप्त करता हूं. बाकी बातें माननीय बहादुर सिंह जी ने बोल दी हैं. एमएसएमई यह हमारी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है और इसलिये अनुपूरक में भी राशि दी गई है. पावरलूम बुनकरों को रियायती दर पर बिजली दे रहे हैं, ब्याज अनुदान दे रहे हैं. उद्यम क्रांति योजना में राज्य सहायता राशि मिला रहे हैं और एमएसएमई के लिये 584 करोड़ रूपये दे रहे हैं. मैं सोचता हूं कि अनुपूरक में जो प्रावधान किये गये हैं, वह ज्यादा भी नहीं हैं. 16 हजार 329 करोड़ रूपये का अनुपूरक बजट है. हमारे साथियों ने पूरी बात कर दी है. माननीय शर्मा जी ने कुछ विषय उठाये थे. इसलिये मैं सदन से प्रार्थना करता हूं कि इन मांगों को पारित किया जाये.
श्री पी.सी.शर्मा--स्मार्ट सिटी के बारे में नहीं बोल रहे हैं.
डॉ.सीतासरन शर्मा--सभापति महोदय, स्मार्ट सिटी आपके पास है, इसलिये इस पर आप ही बोलिये.
श्री कमलेश्वर पटेल (सिहावल)--सभापति महोदय, तृतीय अनुपूरक बजट तो लेकर के आये हैं. पहले वाला था उसका कोई लेखा-जोखा समझ में नहीं आ रहा है. आयेगा भी कैसे जब प्रदेश की जनता को समझ में आये. प्रदेश की जनता खुशहाल हो. किसान परेशान हैं, आज परीक्षाएं चल रही हैं उसमें छात्र परेशान हैं, छात्रवृत्ति का समय पर भुगतान नहीं हो रहा है, चाहे हायर एज्यूकेशन हो, चाहे स्कूल एज्यूकेशन हो, आपका भी कहीं मीटर रीडर नहीं है. आपके पहले के लाईन मेन थे वह रिटायर्ड हो गये हैं उनकी नयी भर्तियां नहीं हो रही हैं. मीटर सब खराब पड़े हुए हैं. गांव गांव में मोबाईल पर सबके 3-4-7 हजार तथा 26 हजार रूपये का बिल आ गया है. जिनका सौ दो सौ रूपये बिल आता था. यह हाहाकार मचा हुआ है. बहुत बढ़िया है आप लेकर के आईये. 16 हजार करोड़ का और आपने तृतीय अनुपूरक बजट लेकर आ गए. पहले जो आया था, आपने उसका भी जो प्रावधान किया, उसमें सिर्फ 40 हजार करोड़ के इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए किया, बाकी सारा पुराना कर्ज चुकाने में. आज पूरा मध्यप्रदेश बेहाल है, आज आवारा पशुओं से सबसे ज्यादा किसान परेशान है, गौशालाओं के लिए क्या व्यवस्थाएं की सरकार ने. मुझे तो उम्मीद थी कि तृतीय अनुपूरक बजट वित्त मंत्री जी लेकर आ रहे हैं तो जो हमारे अधिकारी, कर्मचारी जो रिटायर्ड होने के बाद जिन कर्मचारियों की पेंशन बंद कर दी गई है, उसकी बहाली करेंगे. हमने सोचा था कि कुछ अच्छा प्रबंधन करेंगे, ये तो पूरी तरह से कुप्रबंधित है. अगर हम बात करें तो ये सरकार का जो पूरा नजरिया है, पूरे प्रदेश की जनता तो महसूस नहीं करती. सिर्फ फाइलों में, तुम्हारी फाइलों में..
शहर और गांव का मौसम गुलाबी है,
लेकिन हकीकत यह है कि सब ख्याली है.
सभापति जी, आम जन परेशान है, सब ख्याली है, पूरा प्रावधान हो जाता है, कहां जाता है पैसा, सब भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाता है. आज डिप्टी कलेक्टर्स की चार चार साल से भर्तियां नहीं हो रही हैं, ये भी तो कुप्रबंधन है, आज हमारे जिले में, विधान सभा क्षेत्र में जो 100-150 किलोमीटर दूर का जो एसडीएम है उसको प्रभार देकर रखा हुआ है. तहसीलदार नहीं है, जनपद सीईओ नहीं है, हमारे विधान सभा क्षेत्र में दोनों जनपद में कोई जनपद सीईओ नहीं है. तो काहे का वित्तीय प्रबंधन, आपके ग्रामसेवक नहीं है, कृषि विस्तार अधिकारी नहीं है, वेटनरी सर्जन नहीं है, आप किसानों के लिए लाभ का धंधा बनाने की बात करते हैं, उनकी आय दोगुनी कर देंगे. अभी जो अतिवृष्टि हुई, किसानों का इतना नुकसान हो गया, फसल चौपट हो गई, पर सरकार तो सिर्फ भाषणों में है. हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी भी लच्छेदार भाषण देते हैं और मंत्रीगण तो हमारे एक से बढ़कर एक (xxx) है.
श्री रघुनाथ सिंह मालवीय - ये घोर आपत्तिजनक शब्द बोल रहे हैं, कमलेश्वर जी. (...व्यवधान)
सभापति महोदय - इसको रिकार्ड में न लें.
श्री कमलेश्वर पटेल - सरकार के नगीने हैं. नगीने तो ठीक है. जनता तो चुनती है विधायक, सांसद इसके लिए. अभी आप विकास यात्रा में देख लीजिए, किस तरह से संवैधानिक व्यवस्था की खिल्ली उड़ी है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - कमलेश्वर जी, भाषण दीजिए लेकिन भाषा का तो थोड़ा संयम रखिए.
श्री कमलेश्वर पटेल - नहीं हमने नगीने बोल दिया अब.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - पहले क्या बोला, काहे को बोला, खेद व्यक्त कीजिए.
श्री कमलेश्वर पटेल - कोई बात नहीं, वैसे कई जो हमारी तरफ के उधर के हैं वह (xxx) जैसे ही हैं. जिस तरह की आज स्थिति है. जिस तरह के हालात प्रदेश में है. हम खुश होते रहे, मंत्री खुश हो लें, विधायक खुश हो लें, अभी हम बात कर रहे थे विकास यात्रा की. विकास यात्रा में जिस तरह से चुने हुए जनप्रतिनिधियों का अपमान हुआ है, अगर वह विपक्ष की तरफ था, चाहे वह जनपद अध्यक्ष हो, जिला पंचायत अध्यक्ष, उपाध्यक्ष हो, विधायक हो. विकास यात्रा में सरकारी तंत्र का जितना दुरुपयोग हुआ, मुझे तो कहते हुए शर्म भी आती है, दु:ख भी होता है कि हमारे अधिकारी कर्मचारी का स्तर भी आज कल इतने नीचे चला गया है कि अपने पद को बचाकर रखने के लिए इतना झुक जाते हैं, उनको शर्म आनी चाहिए, बहुत सारे अधिकारियों को देखते हैं कि उनकी कुर्सी बची रहे और आज कल तो सरकार रिचार्ज पर चलती है, ऐसे ही मैसेज आता है कि तुम्हारा कूपन खत्म हो गया है, रिचार्ज करवाओ, ये चल रहा है प्रदेश में. इस तरह का भ्रष्टाचार का आलम है, तहसील स्तर पर आज चले जाइए, लोक सेवा गारंटी की क्या स्थिति है, जो समय सीमा निर्धारित है लोक सेवा गारंटी में उस समय पर तो कोई काम होना ही नहीं है, होना तो सिस्टम से ही है. जब तक लेन देन नहीं होगा, तब तक कोई काम नहीं होता तो जिस तरह की स्थिति आज बनी हुई है, हमारे क्षेत्र में ही एक पुल दो साल से बनकर तैयार है, दोनों तरफ एप्रोच नहीं बन पा रही है कि दोनों तरफ एप्रोज तैयार करके सड़क बनाकर उसको चालू कर दें. अभी हमारे सीधी जिले में ही इतनी बड़ी घटना घटी, सतना जो गृहमंत्री जी के कार्यक्रम में आदिवासियों को लेकर गए थे, कितनी बड़ी घटना घटी सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही से घटी. टनल दिखाने के लिए 100-150 किलोमीटर का चक्कर लगाकर जा रहे हो और मेन हाईवे पर बसें रोककर, खड़ी करके पूरी बांट रहे हैं, पानी बांट रहे हैं और ट्रक आता है, वह टक्कर मारकर चला जाता है, उसमें 16 लोगों की जान चली जाती है, उसमें 50 लोग हॉस्पिटलाइज्ड होते हैं. क्या गरीब की जान इतनी सस्ती है ? तो इस बजट में आप प्रावधान कीजिये. मेरा तो यह कहना है और मैं ऐसा मानता हूँ कि सरकार अच्छा काम कर रही है, तो जनता को विकास दिखाने की जरूरत नहीं है. विकास अपने आप दिखता है, लोग महसूस करते हैं.
सभापति महोदय, आज हर विभाग के कर्मचारी आन्दोलनरत् हैं. रोजगार सहायक हों, सचिव हों, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हो, आशा कार्यकर्ता हो, आप जिधर नजर दौड़ाइये, सब लोग आन्दोलनरत् हैं और जिनके लिए सरकार ने जो वादा किया था, 1,500 रुपये आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, सहायिकाओं के लिए, लेकिन 5 वर्ष होने वाले हैं, सरकार ने वादा किया था कि हम डीए देंगे, आज तक 1,500 रुपये उनके खाते में नहीं गये तो कहां इस बजट का प्रावधान हो रहा है ? यह पैसा कहां जा रहा है ? आज जो बाणसागर के मेंटेनेंस का काम है, हमारे क्षेत्र में भी मेंटेनेंस होता नहीं, पैसा ऊपर-ऊपर निकल जाता है. किसान की फसल खराब हो जाती है, पानी भराव हो जाता है, कई बार विधान सभा में भी ध्यान आकर्षण लगाया, अधिकारियों से बात की. मगर सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंगती है. जिधर जिस विभाग में आप नजर दौड़ाइये, हर तरफ भ्रष्टाचार का आलम है.
सभापति महोदय, आजीविका मिशन, जिसकी शुरूआत सन् 2011 में यूपीए गवर्नमेंट ने झुंझुनवाला से की गई थी. आज वह (XXX) जिसके माध्यम से गरीब महिलाओं को आत्मस्वावलंबी बनाने के लिए यह योजना लागू की गई थी, वह राजनीति का अखाड़ा हो गया है. एक व्यक्ति जो रिटायर्ड हो गया, आईएफएस थे. वह दो-दो, तीन-तीन बार संविदा नियुक्ति पर थे, जबकि स्पष्ट भारत सरकार की गाइडलाईन है कि वहां किसी आईएएस की पोस्टिंग होनी चाहिए. कोई मिस्टर बेलवाल हैं, पता नहीं, उनके क्या संबंध हैं ? उनकी कितनी पकड़ है और वह सरकार को कौन-सा गणित दे देते हैं. एक-एक सक्षम आईएएस ईमानदार, अधिकारी बैठे हैं, पर उनकी पोस्टिंग वहां नहीं होगी. पोस्टिंग किसकी होगी ? जो भ्रष्टाचारी होगा, बदमाश होगा या रिटायर्ड होगा, संविदा दे रहे हैं. नियम-प्रक्रिया से अलग हटकर, क्यों ऐसा हो रहा है ? हम बहुत बजट का प्रावधान करते हैं, पर यह बजट का प्रावधान अगर प्रशासनिक कसावट नहीं हो, प्रशासन अगर लचर हो जाये और मुख्यमंत्री जी को कहना पड़े कि हम उल्टा लटका देंगे, गड्डे में गाड़ देंगे, यह कोई भाषा है क्या ? इसी प्रदेश में हमने देखा है कि अर्जुन सिंह जी मुख्यमंत्री थे, श्री डी.पी.मिश्रा जी थे, श्री सुन्दरलाल पटवा जी भी मुख्यमंत्री थे. एक-एक से लोग यहां सक्षम हुए हैं, जो बोलते कम थे, पर उनका काम आज भी बोलता है. अधिकारी डरते थे, अगर स्व. अर्जुन सिंह जी चश्मे के नीचे से देख लेते थे तो अधिकारी डर जाते थे, कई ऐसे उदाहरण हैं, पर दुर्भाग्य है कि यहां तो सब संविदा पर चलेगा. एक से एक सक्षम अधिकारी बैठे हुए हैं.
डॉ. सीतासरन शर्मा - सभापति जी, 16 वर्ष से मुख्यमंत्री हैं.
श्री कमलेश्वर पटेल - मुख्यमंत्री बनना ठीक है. माननीय शर्मा जी, 16 वर्ष नहीं, आप 25 वर्ष बन जाइये.
सभापति महोदय - कमलेश्वर जी, आप अपनी बात समाप्त कीजिये.
श्री आशीष गोविंद शर्मा - कमलेश्वर भाई, धन्यवाद.
श्री कमलेश्वर पटेल - माननीय सभापति महोदय, माननीय डॉ. शर्मा जी बहुत सीनियर सदस्य हैं. आप कई वर्ष (XXX) असत्य बयानी करके, गुमराह करके, सत्ता देश और प्रदेश में हासिल कर लीजिये. आपने पिछड़े वर्गों का, आपने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति का मिले हुए अधिकार को छीनने का कार्य किया है. हमें उम्मीद थी कि मध्यप्रदेश में जितने भी विभागों में जगह खाली हैं, यह सरकार भर्तियां करेगी. हमने तो सोचा था कि अनुपूरक बजट में ऐसा कुछ प्रावधान करेंगे, यह चुनावी वर्ष है. आज सभी विभागों में पद खाली पड़े हुए हैं. गरीबों के बच्चे पढ़-लिखकर भटक रहे हैं, शिक्षित बेरोजगार भटक रहे हैं. कोई प्रोविजन नहीं है क्योंकि हमें तो आउटसोर्स में भ्रष्टाचार करना है. सब खेल चल रहा है. यह हो क्या रहा है ?
सभापति महोदय - कमलेश्वर जी, आप अपनी बात समाप्त कीजिये.
श्री कमलेश्वर पटेल - सभापति महोदय, तो आरक्षण का तो वैसे ही आपने खात्मा लगा दिया. आरक्षण का कहां पालन हो रहा है ? आपने 18 वर्ष में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़े वर्ग के लोगों को कमजोर करने का काम किया. पंचायत चुनाव में आपने आरक्षण छीन लिया. यहां जब सरकार की तरफ से वक्तव्य देते हैं तो इनको शर्म भी नहीं आती. यह ऐसी बातें करते हैं कि हमने पिछड़ा वर्ग को आरक्षण दे दिया. आपने मिला हुआ अधिकार छीन लिया. जब हमारा 73 वां एवं 74 वां संविधान संशोधन विधेयक आया था, स्व. राजीव गांधी जी लेकर आए थे. निकाय चुनाव में प्रावधान किया था कि राज्य सरकारें जनसंख्या के अनुपात में पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देंगी. और एक-एक से विद्वान आई.ए.एस. लोगों ने बैठकर वह त्रिस्तरीय पंचायत एक्ट बनाया था, पर देखते देखते नया अध्यादेश लाये उसको खत्म कर दिया. मिला हुआ अधिकार सब आधा कर दिया, आधे से भी कम पिछड़ा वर्ग के प्रतिनिधित्व हो गये तो यह स्थिति है. पिछड़ा वर्ग का जो 27 प्रतिशत आरक्षण था, आज पुलिस में ट्रेनिंग देने के बाद वह आरक्षण हाईकोर्ट से रूक गया, जबकि जिनका सिलेक्शन हो गया था. ऐसे शिक्षा विभाग में चल रहा है, ऐसे ही एम.पी.पी.एस.सी. की चार साल से परीक्षाएं नहीं हो रही हैं. यह हो क्या रहा है, आज आप जिधर नजर दौड़ाईये, आप सिर्फ और सिर्फ लूटखसोट मची हुई है और मिले हुए अधिकार को जो पुराना प्रावधान किया था, उसको खत्म करने में यह सरकार लगी हुई है. हमारा सीधी से सिंगरौली, हम अभी जो बात कर रहे थे और मुख्यमंत्री जिस दिन अभिभाषण में वक्तव्य दे रहे थे, उस टनल की बात है और माननीय मुख्यमंत्री सीधी से सिंगरौली राष्ट्रीय राजमार्ग 11 साल से बन रहा है और मुख्यमंत्री जी ने भूमि पूजन किया था, तीन-चार ठेकेदार चेंज हो गये, पर आज तक लोग परेशान हैं और आये दिन एक्सीडेंट हो रहे हैं और सड़क का निर्माण नहीं हो रहा है.
सभापति महोदय -- श्री कमलेश्वर पटेल जी अब अपनी बात समाप्त करें.
श्री कमलेश्वर पटेल -- माननीय सभापति महोदय, यह सरकार किस तरफ जा रही है, क्या कर रही है? यह चिंता का विषय है. मेरा माननीय वित्तमंत्री जी से निवेदन है कि जो आपने तृतीय अनुपूरक बजट लेकर आये हैं, इस प्रकार से पूरी तरह से आपके कई वर्षों के कुप्रबंधन का यह हाल है कि बार-बार आपको बजट लेकर आना पड़ रहा है. करोड़ों रूपये आप कर्ज ले रहे हैं, इसका सही इस्तेमाल करें.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- श्री कमलेश्वर पटेल जी आप क्या तृतीय अनुपूरक पर बोलें हैं?
श्री कमलेश्वर पटेल -- अनुपूरक पर ही बोला है. आपका जो बजट है, जिन जिन विभागों में है, अब सारे विभागों का हम अगर नाम लेने लगे तो बहुत टाईम लगेगा और एक एक भ्रष्टाचार हम सभी विभागों का गिना सकते हैं. आपने शिक्षा का स्तर पूरी तरह से खराब कर दिया है, आंगनबाड़ी केंद्र भवन नहीं है, भवन विहीन है. (व्यवधान..)
सभापति महोदय-- श्री कमलेश्वर जी, अब आप अपनी बात समाप्त करें और बैठ जायें और राजेंद्र पाण्डेय जी को बोलने दीजये (व्यवधान..)
श्री बहादुर सिंह चौहान -- सभापति महोदय, आप इनका पूरा भाषण निकाल लें, इन्होंने तृतीय अनुपूरक बजट पर एक भी शब्द नहीं बोला है. (व्यवधान..)
श्री कमलेश्वर पटेल -- अरे तो क्या बोलें, सरकार की प्रशंसा करें क्या, हर जगह भ्रष्टाचार है (व्यवधान..)
सभापति महोदय -- श्री कमलेश्वर जी आप अपनी बात समाप्त करें, आप बैठ जायें. श्री राजेंद्र पाण्डेय जी आप अपनी बात रखिये. (व्यवधान..)
श्री बहादुर सिंह चौहान -- यह कांग्रेस की आमसभा जो होती है, ऐसे भाषण दे रहे हैं.
सभापति महोदय -- बहादुर सिंह जी आप बैठ जायें, डॉ.राजेंद्र पाण्डेय जी आप अपनी बात शुरू करिये.
डॉ.राजेंद्र पाण्डेय(जावरा) -- माननीय सभापति महोदय, थोड़ा समय बढ़ा दिये करें, कमलेश्वर जी भी बोल चुके हैं, बहादुर भईया भी बोल चुके हैं, आपस में न जाने क्यों उलझे जा रहे हैं.
सभापति महोदय -- आप अपनी बात रखें.
डॉ.राजेंद्र पाण्डेय -- माननीय सभापति महोदय, मैं माननीय वित्तमंत्री जी द्वारा प्रस्तुत तृतीय अनुपूरक बजट के समर्थन में यहां पर अपने विचार व्यक्त कर रहा हूं. एक बात तो सत्य है कि सिर्फ सड़क पुलियाओं के माध्यम से, सिर्फ सिंचाई योजनाओं के माध्यम से, सिर्फ स्कूल भवन बन जाने के माध्यम से, सिर्फ भवनों के निर्माण के साथ-साथ में यदि आम जन की जो मूलभूत आवश्यकताएं हैं, आमजन के जो जन-जन के कार्य हैं. आम जन की जो जन कठिनाईयां हैं, उन कठिनाईयों के निराकरण के भी कार्य अगर साथ-साथ में किये जायें, तब निश्चित रूप से यह महसूस होता है कि अच्छा बजट बनाया गया है. बजट तो अनुमान के आधार पर ही बनाये जायेगा, बजट से जो व्यय होने वाला है, उसका भी अनुमान ही किया जायेगा, जब बजट अनुमान के आधार पर बनाया गया, बजट से जो व्यय होने वाला है, उस व्यय का भी अनुमान किया गया तो जब अनुमान में अंतर आये, जैसा कि अभी तरूण भनोत जी बार बार कह रहे थे कि भलां विभाग के लिये इतनी करोड़ की राशि स्वीकृत की गई, लेकिन प्रदान इतनी की गई. यह काम करने वाली सरकार है, पहले की सरकारों को हम सबने देखा है पहले के समय को हम सब ने देखा है, पहले का समय मध्यप्रदेश की जनता जानती है, पहले गांव में सड़कें कहां हुआ करती थी और गांव की सड़कों की तो कल्पना न करें. पहले मुख्य मार्ग भी कहां हुआ करते थे, पहले स्कूल भवन कहां हुआ करते थे, पहले स्वास्थ्य भवन कहां हुआ करते थे, पहले आंगनवाड़ी भवन कहां हुआ करते थे और इनके साथ साथ में थोड़ा यह भी जानने की उत्सुकता होती है कि पहले जनकल्याणकारी योजनायें कहां होती थीं, पहले क्या लाडली लक्ष्मी योजना होती थी, पहले क्या मुख्यमंत्री कन्यादान योजना होती थी, पहले क्या मुख्यमंत्री विवाह योजना होती थी, पहले क्या संबल योजना होती थी, पहले क्या तीर्थ दर्शन योजना होती थी, पहले काई योजना नहीं होती थी और न ही कोई विकास के कार्य होते थे, अब जब लगातार विकास के कार्य होना प्रारंभ हुये, उन विकास कार्यों के साथ-साथ में जनकल्याणकारी योजना लगातार साथ-साथ में बनना प्रारंभ हुई और अभी तो अनेक योजनायें बनने के साथ-साथ माननीय मुख्यमंत्री जी लाडली बहना योजना भी प्रारंभ कर रहे हैं और उसके लिये भी बजट का प्रावधान किया गया है, यह सरकार एक ओर विकास कार्यों को करने के साथ-साथ में जनकल्याणकारी योजनाओं का क्रियान्वयन भी करती है क्योंकि माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का संकल्प है हम आत्मनिर्भर भारत को बनाने वाले हैं. माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी का संकल्प है कि हम आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश का निर्माण करना चाहते हैं, जब हम आत्मनिर्भर भारत की कल्पना करते हैं जब हम आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश की कल्पना करते हैं तो विकास कार्यों के साथ-साथ में जब हर घर परिवार में खुशहाली न आये. हर घर परिवार तक समृद्धि न पहुंचे हर घर परिवार का परिवारजन पूरी तरह से सशक्त न हो तो हम कैसे कल्पना कर सकते हैं कि हम आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहे हैं और जब आत्मनिर्भर भारत की कल्पना के साथ-साथ में मध्यप्रदेश की आत्मनिर्भर बनने की कल्पना के साथ-साथ में हम स्वर्णिम मध्यप्रदेश की कल्पना को भी साकार रूप देना चाहते हैं और इसलिये कोई कमी कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं. बजट को निश्चित रूप से पारित किया गया, बजट निश्चित रूप से पारित हुआ, आशंकायें अनेक व्यक्त की जा सकती हैं और इसीलिये अनुपूरक लाया गया है कि अगर बजट जो लाया गया है अगर उसमें जो व्यय होता है और अगर व्यय की अधिकता हो जाती है तो कम से कम इस अनुपूरक बजट के माध्यम से उस होने वाली संभावित व्यय की कमी को दूर किया जा सके, उन सारे विभागों के विभागीय कार्यों में जो विभाग भिन्न-भिन्न योजनाओं के माध्यम से अपने विकास कार्यों के साथ-साथ में उन जनकल्याणकारी योजनाओं का क्रियान्वयन भी करते हैं वे भी साथ-साथ में किये जा सकें, इसलिये यह अनुमानित अनुपूरक बजट यहां पर प्रस्तुत किया गया है और माननीय सभापति महोदय, पहले तो योजनायें बंद कर दी जाती थी, पहले मुख्यमंत्री कन्यादान योजना बंद कर दी गई, पहले संबल योजना बंद कर दी गई, पहले तीर्थदर्शन योजना बंद कर दी गई. उन योजनाओं को बंद करने के साथ-साथ में न कोई विकास के कार्य हुये और मात्र डेढ़ साल में ही सरकार चली गई, डेढ़ साल में सरकार लुढ़क गई. डेढ़ साल भी इस मध्यप्रदेश को वह चला नहीं पाये और वे आक्षेप लगाते हैं. माननीय सभापति महोदय, यहां पर बिजली के बारे में बहुत सारी बातें हो रही हैं, एक कल्पना करें 24 घंटे लगातार बिजली मिलने के कारण लगातार 10 घंटे सिंचाई के लिये बिजली मिलने के कारण न केवल हमारा शिक्षा का स्तर सुधरा है उसी के साथ साथ में पूरे मध्यप्रदेश भर का उत्पादन भी बढ़ा है, उन सिंचाई योजनाओं के बनने के कारण उन अपूर्ण योजनाओं को फिर से प्रारंभ करते हुये उनमें बजट का प्रावधान करते हुये उन योजनाओं को पूर्ण करने के साथ-साथ में नवीन योजनाओं की सिंचाई योजनाओं की स्वीकृति दी जाकर के पूरे मध्यप्रदेश भर में बड़े-बड़े डेम बनाकर, बड़े-बड़े उद्योग विद्युत संयंत्र बनाकर के सौर ऊर्जा के माध्यम से ऊर्जा का उत्पादन करने के साथ-साथ में जब पानी की उपलब्धता थी, पूरे मध्यप्रदेश भर में पर्याप्त पानी की उपलब्धता मिलने लगी, जब बिजली पर्याप्त मिलने लगी, यह इस बात का प्रमाण बार-बार कहा जा रहा है कि राजा नवाबों के समय से, देश की आजादी के पहले से लेकर देश की आजादी के बाद तक 2003 तक यहां पर सिंचित रकवा मध्यप्रदेश का साढ़े सात लाख हेक्टेयर हुआ करता था जो मध्यप्रदेश भारतीय जनता पार्टी की सरकार और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी चौहान के नेतृत्व में माननीय जगदीश देवड़ा जी जैसे कुशल वित्तीय प्रबंधन वाले मित्र मंत्री के माध्यम से जो बजट का प्रावधान किया गया है वह साढ़े 7 लाख हेक्टेयर का जो सिंचित रकवा अब बढ़कर के 45 लाख सिंचित रकवा हमारा बढ़ जाता है और लगभग हम 60 लाख हेक्टेयर तक रकवा बढ़ाने की बात करते हैं और हमारा कृषि उत्पादन बढ़ते-बढ़ते लगातार इतना बढ़ जाता है कि हमें एक बार नहीं,दो बार नहीं,तीन बार नहीं,सात-सात बार राष्ट्रपति महोदय के द्वारा कृषि कर्मण पुरस्कार प्राप्त होता है और यही एक बड़ा प्रमाण है कि हम पूरे देश भर में गेहूं उत्पादन में अग्रणी राज्य की ओर आगे बढ़ते हैं और पूरे देश में हम गौरवान्वित होते हैं इससे बड़ा प्रमाण कहां मिलेगा. आज लाखों कि.मी. की सड़कें बनाई जा रही हैं. आज सिंचाई योजनाओं के साथ-साथ में उन स्वास्थ्य सुविधाओं को भी ठीक करने का काम किया है. आज जिला मुख्यालयों से लेकर अगर हम छोटे-छोटे सिविल अस्पतालों का स्तर देखें. मेरे जावरा जैसे स्थान पर जब कोरोना काल आया था उस कोरोना काल में हमने आमजन से भी आव्हान किया था. आपको जानकर प्रसन्नता होगी कि जनता के द्वारा वहां पर उन जन आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये एक करोड़ रुपये का दान देकर वहां आक्सीजन प्लांट लगाया तो माननीय मुख्यमंत्री जी ने भी इसी के साथ-साथ में प्रसन्नता के साथ एक और आक्सीजन प्लांट की वहां घोषणा की और आज दो-दो आक्सीजन प्लांट एक तहसील मुख्यालय पर चलायमान होकर स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को सुदृढ़ करने का काम करते हैं और इसीलिये माननीय वित्त मंत्री जी ने 16329.50 करोड़ का प्रावधान इस अनुपूरक बजट में उन भाव और भावनाओं के साथ किया है. उर्जा की सब्सिडी क्यों नहीं दी जानी चाहिये. निश्चित रूप से शहरों के साथ-साथ गांवों में भी ऊर्जा की सब्सिडी के माध्यम से हमारे अनुसूचित जनजाति के लोग, हमारे पिछड़े वर्ग के लोग, हमारे गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोग, उन पर परिवारों को निशुल्क रूप से 100 यूनिट तक उपभोग करने पर यह सब्सिडी प्रदान की जाती है और उसी के साथ-साथ में जब हम किसानों को,कृषि को समृद्ध करना चाहते हैं. खेती को लाभ का धंधा बनाना चाहते हैं तो उन्हें विद्युत में, कृषि पंपों में सब्सिडी दी जानी चाहिये और वह सब्सिडी दी जा रही है. मैंने पहले भी व्यक्त किया था कि जो सब्सिडी दी जा रही है एक-एक गांव के बारे में आप कल्पना करें. मेरा तो बार-बार जनप्रतिनिधियों से निवेदन है कि वे अपने विधान सभा क्षेत्र में एक-एक गांव में विद्युत सब्सिडी घरेलू उपभोक्ताओं को और कृषि सिंचाई पंपों के उपभोक्ताओं को जितनी विद्युत सब्सिडी दी जा रही है. आपको जानकर निश्चित रूप से प्रसन्नता होगी कि एक वर्ष में एक छोटे से गांव में लगभग एक करोड़,दो करोड़, ढाई करोड़ रुपये तक की वार्षिक सब्सिडी दोनों को मिलाकर दी जा रही है अगर हम उसका मासिक अनुमान लगाएं तो माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी ने और माननीय वित्त मंत्री जी की सरकार ने इतने काम किये हैं,विकास कामों के साथ में,इतनी जनकल्याणकारी योजनाएं बनाई हैं कि उनका जिक्र करते-करते तो हमें समय की कमी हो जाती है और हमारे विपक्षी बंधु उन्हें व्यवधान करके रोकने की एक आदत सी पड़ गई है. काम की बातें वे करते नहीं क्योंकि काम वे नहीं कर पाए उनसे काम हो नहीं पाया क्योंकि वे काम करना नहीं चाहते थे क्योंकि वह तो छलावा देकर आए थे वे तो वचनपत्र लेकर आए थे और वचन भंग करके उनकी सरकार भंग हो गई और आज वे सामने बैठे है. मैंने कल भी कहा था कि बार-बार खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचती है. हम काम करने वाले लोग हैं हमारी सरकार काम करने वाली है और इसीलिये वित्त मंत्री जी ने ऊर्जा सब्सिडी में 6684 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है और इसी के साथ आवास की जहां तक बात है किन कारणों से जब राज्याशं मिलाया जाना था राज्यांश की राशि मध्यप्रदेश की कांग्रेस की सरकार ने नहीं मिलाई थी और हमारे गरीब परिवारों के दो लाख प्रधानमंत्री आवास रोक दिये गये थे सिर्फ राज्यांश न मिलाने के कारण और माननीय मुख्यमंत्री जी ने वह राज्यांश मिलाकर आज प्रधानमंत्री आवास लगातार बन रहे हैं और अनुपूरक में पुन: उसके लिये 1013 करोड़ रुपये का प्रावधान उसमें रखा है जिससे यह आवास लगातार बनते रहें. माननीय सभापति महोदय. आपने जो बोलने का समय दिया उसके लिये बहुत-बहुत धन्यवाद.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे (लांजी)-- सभापति महोदय, मैं वर्ष 2022-23 के तृतीय अनुपूरक पर अपनी बात रख रही हूं. मध्यप्रदेश की जो जनता है, चाहे वह प्रत्यक्ष हो या अप्रत्यक्ष रुप से टैक्स के माध्यम से सरकार के खजाने को भरती है और उस राशि का यदि सही उपयोग नहीं हो पाता है और ऐसे में यदि विपक्ष प्रश्न करता है,तो मुझे लगता है कि कहीं कोई गलत बात नहीं है. इस तृतीय अनुपूरक की जरुरत वैसे तो पड़नी ही नहीं चाहिये थी, क्योंकि जो सरकार है, पिछला जो बजट आया 2022-23 का, उस बजट में जो आपने प्रावधान किये थे, मुझे लगता है कि इस अनुपूरक को आपको लाना इसलिये पड़ा, क्योंकि उस काम में, जिस काम के लिये आपने प्रावधान किया था, उस काम में आपने पैसा खर्च ही नहीं किया. जो प्लॉन का पैसा था, वह नान प्लॉन में खर्च हुआ है और ऐसा मेक्सीमम उसमें आपने किया है. मुझे अच्छे से याद है कि पिछली बार आपने स्कूल शिक्षा विभाग में साइकिल देने के लिये प्रावधान किया था. लेकिन बड़े दुख के साथ मुझे कहना पड़ता है कि पिछला जो सत्र गया, ट्राइबल ब्लॉक्स को यदि हम छोड़ दें, तो आपके दूसरे जो ब्लॉक्स हैं नॉन ट्राइबल, उनमें आपने स्कूल में साइकिल नहीं दी. पूरा वर्ष बीत गया. साइकिल हमारे बच्चों को नहीं मिली. अब आप अनुपूरक लेकर आ रहे हैं, वह बच्चे जो पिछले सत्र में एडमिशन लिया था, अब तो वे परीक्षा देने की कगार पर आ गये हैं, अब पता नहीं इसमें भी आपने कोई व्यवस्था की है कि नहीं की है. अगर आप सरकारी खजाने का उपयोग इस तरह से करेंगे, तो आपको ऐसे बार-बार जरुरत पड़ती जायेगी और आप यह अपेक्षा करेंगे कि विपक्ष बिना किसी आरोप के, प्रत्यारोप के अनुपूरक में सहयोग करे, इसको पास करवाने में. मुझे अच्छे से याद है कि पिछली बार हमारे सदस्य, श्री जितु पटवारी जी ने एक ऐसा ही मामला उठाया था. उन्होंने इस बात का प्रमाण भी दिया. जब उन्होंने विधान सभा में प्रश्न लगाया और प्रश्न के उत्तर में ही उनको यह बात आई कि भाजपा के कार्यकर्ताओं के लिये सरकारी खजाने से खर्च किया गया, उनको खाना खिलाने में पैसा. तो उनको केवल उसी बात पर निलंबित किया गया. तो ऐसा कैसे चलेगा. मेरे पास, मैं आपको बता दूं कि..
श्री तुलसी राम सिलावट-- आप उनकी आत्मा से दूर रहो.
श्री कुणाल चौधरी-- आप और वह दोनों बगल-बगल में ही रहते हैं और आप उनके पिताजी के दोस्त हैं, यह तो मालूम है.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे-- जितु पटवारी जी मेरे भाई हैं और उन्होंने कोई गलत नहीं किया था. ठीक है, सबकी अभिव्यक्ति का अपना अपना तरीका होता है. उन्होंने आधारपूर्ण ही बात की थी. चलिये, मैं आगे बात करुं. मेरे पास मध्यप्रदेश शासन के श्रम विभाग का एक पत्र है 8.3.2022 का. इस पत्र में यह जिक्र है कि हाल ही में कुछ जिलों में यह स्थिति समक्ष में आई है कि कतिपय पदाभिहित अधिकारियों द्वारा फर्जी प्रकरण तैयार कर ईपीओ डिजिटल हस्ताक्षर कर भुगतान हेतु प्रेषित कर दिये गये, जबकि वास्तविक रुप में हितग्राही की मृत्यु नहीं हुई थी. सभापति महोदय, मेरा ही प्रश्न लगा था अब इस बार सत्र में 2 तारीख का. 2 तारीख के प्रश्न के जवाब में आया है कि जनपद पंचायत छिंदवाड़ा, मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने स्वीकार किया है कि पंजीकृत श्रमिक का नाम, जिनके फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र के आधार पर राशि का आहरण किया गया और यह कोई थोड़ा नहीं है. 2-2 लाख रुपये इस तरह की राशि निकाल ली गई है. यह अपव्यय नहीं है तो क्या है. वहीं दूसरी तरफ देखिये जनपद पंचायत बैरसिया की बात, जिला भोपाल. इसमें भी इन्होंने यही किया है कि फर्जी मृत्यु प्रमाण जारी करके इसमें इन्होंने जो है राशि का आहरण कर लिया है. ऐसे 2 लाख 6 हजार कर करके ढेर सारी राशियां इन्होंने इस तरह से निकालीं हैं. मैं वित्त जी का ध्यान आकर्षित करना चाहती हूं कि आप किस सुशासन की बात कर रहे हैं. बड़ी बड़ी बातें यहां पर हो रही हैं. यदि इस तरह से अपव्यय हमारे प्रदेश के पैसों का होगा, सरकार के खजाने का होगा और मैं यह कह सकती हूं कि इसका प्रमाण तो मेरे पास नहीं है, लेकिन दावे के साथ कह सकती हूं कि जिन अधिकारियों ने इस तरह के अपराध किये हैं, हां मैं इसको अपराध मानती हूं, क्योंकि जिन अधिकारियों ने यह अपराध किया है, वह आज भी कहीं न कहीं किसी दूसरी जगह अच्छे पदों पर ही काम कर रहे होंगे. उनके ऊपर कोई दंडात्मक कार्यवाही आपने नहीं की होगी. सभापति महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से कहना चाहती हूं कि आप एक तरफ तो अनुपूरक बजट के माध्यम से राशि की मांग करते हैं लेकिन जो राशि आपके पास है उसका सदुपयोग करने की जवाबदारी किसकी है? आपने जो भी प्राविज़न इसमें किया है उसमें ज्यादा अंदर तक नहीं जाना चाहती हूं. आप यह देख लीजिए कि हमारे यहां अनुपूरक आप लेकर आए हैं. मैंने पिछली बार भी बजट की सामान्य चर्चा में कहा था कि मुख्यमंत्री जी ने सार्वजनिक रूप से इस बात डिक्लेयर किया था कि यदि जो पंचायत निर्विरोध रूप से जीतकर जाती है, यदि वहां महिला निर्विरोध चुनकर जाती है तो 15 लाख रुपये उनकी ग्राम पंचायत को मिलेगा और पुरुष निर्विरोध रूप से चुनकर जाते हैं तो साढ़े 7 लाख रुपये उनकी ग्राम पंचायत के विकास के लिए मिलेगा. सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से जानना चाहती हूं कि क्योंकि यह पिछली बार के बजट की बात है और ग्राम पंचायत के चुनाव को भी काफी समय बीत गया है तो क्या आपने व्यवस्था की है और यदि नहीं की है तो क्या आप व्यवस्था करेंगे? यह करना चाहिए क्योंकि मुख्यमंत्री जी की घोषणा है. सार्वजनिक मंच की घोषणा है और बहुत उत्साह भी है जिन्होंने निर्विवाद रूप से अपना सरपंच बना लिया. वहां बहुत उत्साह है. इसकी संख्या भी मैं आपको बता दूं, इसकी मैंने स्टडी की थी. जब मैंने इसकी संख्या निकालकर देखी तो निर्विरोध रूप से 234 तो पुरुष चुनकर गये हैं और महिलाएं 459, यह बहुत अच्छी बात है. निर्विरोध रूप से सरपंच का चुनाव सभापति महोदय, क्योंकि मुझे लगता है कि सरपंच का चुनाव तो सबसे खतरनाक होता है. विधान सभा जीतना आसान है परन्तु यदि आप सरपंच चुनकर जा रहे हो तो यह बड़ी चुनौतीपूर्ण बात है और यदि वह जीतकर आ रहे हैं, चुनकर आ रहे हैं इस तरीके से तो आपका काम बनता है कि आप अपनी बोली हुई बात को पूरा करें क्योंकि मुख्यमंत्री जी की तरफ सबकी निगाह है. वित्त मंत्री जी जिस तरीके सिर हिला रहे हैं, मुझे लग रहा है कि वह सहमति दे रहे हैं. अगर सहमति है तो मैं बिना सुने ही धन्यवाद कर देती हूं.
सभापति महोदय, दूसरी बात, संबल योजना, इसके बारे में सब लोग बहुत तारीफ करते हैं. संबल के बारे में बड़ी बड़ी बातें यहां पर होती है लेकिन पिछले कुछ वर्षों से संबल की राशि जनपदों में नहीं जा रही है. जो हितग्राही को संबल की राशि मिलना है, वह अभी भी केवल बजट के आवंटन के अभाव में वह केवल रास्ता ही देख रहे हैं. इस बात को भी सुनिश्चित किया जाय क्योंकि अनुपूरक आप ले आए हैं, निश्चित रूप से पिछले वर्ष की जितनी बकाया राशि है, उनकी भी प्रतिपूर्ति आप इससे कर दें. मैंने कहा था कि नॉन प्लान में पैसा खर्च होता है. अगर विपक्ष इस बात को उठाता है कि आपने जिस काम को करने के लिए जो राशि मांगी है, उसका ज्यादा इस्तेमाल तो आप केवल प्रचार-प्रसार में करते हैं. अब यह मुख्यमंत्री जन सेवा अभियान, इस प्रोग्राम की जरूरत क्या थी ? इस प्रोग्राम के तहत आपने उन्हीं को स्वीकृति पत्र बांटे थे, जिनको आपको रूटीन में देना था. आपने कार्यक्रम कर लिया, लेकिन कम से कम आप इस बात को भी मान लें कि जिनको स्वीकृति पत्र मिला है, उन लोगों को राशि जारी हो जाय. इस बात की भी सुनिश्चितता निश्चित रूप से यहां पर होनी चाहिए.
सभापति महोदय, हमारे पास कई लोग आते हैं कि वर्ष 2018 में जब चुनाव हुआ था, उस समय हमने टेंट लगाया.अभी तक हमको राशि का भुगतान नहीं हुआ. कोविड के समय प्रशासन की तरफ से बोलने के बाद हमने टेंट लगाया. हमको उसका पेमेंट अभी तक नहीं हुआ है. यह सब चीजों का आप कब पेमेंट करेंगे? यह तो वर्ष 2023 का अंतिम बजट आप प्रस्तुत कर चुके हैं लेकिन अगर आप अनुपूरक बजट लेकर आए हैं तो इन सब बातों का ध्यान आपको रखना पड़ेगा.
सभापति महोदय, आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से कहना चाहती हूं कि ज्यादा दूर की बात नहीं है. मैं विधान सभा की उपाध्यक्ष थी. मेरे स्टॉफ में एक टीचर थे, उनको हॉर्ट की प्रॉब्लम हुई. अभी वह स्वस्थ हैं और यह बात मेरे ख्याल से वर्ष 2020 की है. आज दिनांक तक मैं विधान सभा के अंदर की बात ही कर रही हूं. उपाध्यक्ष का कर्मचारी जो उसके पास था, उसका आपरेशन हो गया दिसम्बर 2020 में आज वर्ष 2023 आ गया. आज दिनांक तक उस व्यक्ति का मेडीकल बिल वह मात्र साढ़े 3 लाख रुपये का है. मुझे भी शर्म आती है कि वह जब मेरे सामने आते हैं तो मुझे लगता है कि मैं इनका क्या कर सकती हूं? आप खुद बताइए कि कितनी गंभीर बात है. अब तो मैं उनसे मिलने में बचती हूं क्योंकि जवाब देते नहीं बनता है, कौन-सा पत्राचार मैंने नहीं किया, मुख्य सचिव तक भी मैंने पत्राचार किया. मैं स्वयं उनसे जाकर मिली. यहां तक कि इस बार तो मुझे विधान सभा का प्रश्न लगाना पड़ा, क्योंकि मुझे अपने आप में आत्मग्लानि लगती थी कि कहीं नहीं हो कि अभी तो केवल बाइपास हुआ है आगे ऐसी स्थिति हो जाए..
सभापति महोदय – और कितना समय लेंगी आप ?
सुश्री हिना लिखीराम कावरे – बस मैं समाप्त कर रही हूं. यह कुछ ऐसे विषय हैं जिससे ..
श्री सज्जन सिंह वर्मा – हिना जी, इससे ऐसा नहीं लगता है कि सरकार दिवालिया हो गई है. बीमारों के नाम पर राजनीति करती है. (XXX)
सुश्री हिना लिखीराम कावरे – घोषित करवा ले तो ज्यादा अच्छा है. कम से कम आस जो लगाकर बैठी है मध्यप्रदेश की जनता कम से कम वह तो इस तरह की आस नहीं लगाएगी. जो सत्ता में बैठा है आस तो उन्हीं से लगेगी ना. इस तरह के प्रकरण न जाने कितने हैं. चूंकि मेरे पास वह कर्मचारी थे इसलिये मुझे पता है लेकिन ऐसे कितने कर्मचारी होंगे जो केवल अपने मेडिकल बिल के भुगतान के लिये अभी तक वेट कर रहे होंगे. क्या आप कभी समीक्षा भी नहीं करते हैं, क्या आपको ऐसा नहीं लगता कि ऐसी समीक्षाएं होती रहती चाहिये ? जो अपनी सेवाएं अपने प्रदेश को दे रहा है ऐसे कितने सारे प्रकरण होंगे, यह तो घोटाले की बात मैं कर रही हूं. मुझे अच्छे से याद है कि छिंदवाड़ा के प्रभारी मंत्री हमारे कमल पटेल जी हैं, अभी बात आई थी उस दिन मैं बैठे-बैठे सुन रही थी कि कमल पटेल जी जब छिंदवाड़ा सामूहिक विवाह में गये तो भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष ने उनसे शिकायत किया कि जो सामग्री क्रय की गई है वह ठीक नहीं है, खराब सामग्री है, तो उन्होंने उस पर जांच भी बैठा दी. अभी हमारी सीनियर विधायक, पूर्व मंत्री साधौ मैडम ने भी इस बात को लेकर प्रश्न किया. मंत्री जी जांच बिठा रहे हैं. विधायक बात रख रहे हैं. आपकी मंत्री मीना सिंह जी वह अभी यहां पर नहीं हैं उन्होंने खुद इस बात को स्वीकार किया कि हमने गड़बड़ी पाई और उस पर हमने कार्यवाही के लिये लिखा है. यह सब क्या चल रहा है यह कैसी आप लोगों की सुव्यवस्था है, सुशासन की बात आप लोग करते हैं ? क्या अधिकारियों पर आपका थोड़ा भी दबाव नहीं है, क्या थोड़ा भी प्रेशर नहीं है या उनके दिल, दिमाग से डर खत्म हो गया है ? यदि सरकार इस तरीके से चलती रही तो इसमें कोई दो मत की बात नहीं है कि जिन हितग्राहियों की बात हम करते हैं, अंतिम छोड़ तक बैठे व्यक्ति को लाभ पहुंचाने की बात हम करते हैं, यदि इस तरीके से भ्रष्टाचार चलता रहा तो हम उनके हक का पैसा उनको कैसे पहुंचाएंगे ? सभापति महोदय, आपने मुझे बोलने का समय दिया बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री आशीष गोविंद शर्मा (खातेगांव) – धन्यवाद सभापति महोदय. तृतीय अनुपूरक बजट 16,329 करोड़ का मैं समर्थन करता हूं. सामान्य बजट की चर्चा हो या अनुपूरक की चर्च हो, एक बात विपक्ष ने बार-बार रेखांकित करने का प्रयास किया कि सरकार कर्जा ले रही है. देखिये अगर गरीब महिला की प्रसूती के लिये, बेटा-बेटी की स्कूल की ड्रेस के लिये, किताबों के लिये, गरीब की थाली में दोनों समय का भोजन पहुंच जाए इसके लिये, बेटी का कन्यादान हो जाए, गरीब को इलाज मिल जाए, किसान की फसल खराब होने पर उसको मुआवजा मिल जाए, इन कार्यों के लिये अगर सरकार कर्जा लेती है तो मैं ऐसा मानता हूं कि समाज के सबसे वंचित और कमजोर वर्गों के कल्याण की सरकार की भावना है. इसलिये सर्वप्रथम जिनका हित हमारी सरकार के प्रमुख पायदान पर रहता है उनके लिये हम अर्थ का प्रबंधन निरंतर कर रहे हैं.
श्री संजय यादव – आशीष भाई, आप कह रहे थे ड्रेस, आज अखबार में आया है कि भोपाल में दो साल से बच्चों को ड्रेस नहीं मिली है. भोपाल ही नहीं पूरे मध्यप्रदेश में नहीं मिली. भोपाल में नहीं मिली जहां मुख्यमंत्री रहते हैं.
श्री आशीष गोविंद शर्मा – संजय भैया, किसी एकाध जगह हो सकता है. लाखों ड्रेस बनाने में समय भी लगता है लेकिन हमारी सरकार दे रही है. आज माता पिता को बच्चों की ड्रेस खरीदने के लिये टेलर के पास नहीं जाना पड़ता है. आप अखबार की खबरों पर ही राजनीति किया करें.
श्रीमती सुनीता पटेल – सत्र समाप्त हो रहा है अभी न साइकिल मिली हैं ना ड्रेस मिली हैं.
श्री संजय शर्मा – कहीं नहीं मिलीं आशीष भाई, सच्चाई बोलो आप.
सभापति महोदय – आप लोग आपस में बातचीत मत करिये. अपने स्थान पर बैठिये.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा -- मुझे यह समझ में नहीं आता कि कांग्रेस के भाइयों को यह काम क्यों नहीं दिखते. ..(व्यवधान)..
श्री संजय यादव -- आशीष भाई, ड्रेस नहीं मिली. ..(व्यवधान)..
श्री आशीष गोविन्द शर्मा -- मिली है भैया, संजय भैया, एकाध स्कूल में थोड़ा विलंब हो गया होगा, क्योंकि हमारी सरकार समूहों से ड्रेस बनवा रही है.
श्री संजय यादव -- दो साल से नहीं मिली आशीष भाई. ..(व्यवधान)..
श्री आशीष गोविन्द शर्मा -- कोरोना के कारण स्कूल लगे ही कहां, बताओ, आप और हम वर्चुअल स्काइप पर बैठकर डिबेट करते थे. आप भी भोपाल नहीं आते थे.
श्री कुणाल चौधरी -- तो फिर खेल कैसे हो गए.
सभापति महोदय -- दांगोरे जी, बैठिए. आशीष शर्मा जी, आप आसंदी की तरफ देखकर अपना उद्बोधन दीजिए.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा -- सभापति महोदय, हमारी सरकार महिलाओं के स्व-सहायता समूहों के माध्यम से टेक होम राशन आंगनवाड़ियों में वितरित करा रही है. और तो और गेहूँ और अनाज का उपार्जन भी महिला स्व-सहायता समूहों को दिया. यह बहुत अच्छी बात है. चूँकि इस अनुपूरक बजट में सिंचाई परियोजनाओं के लिए मांग की गई है. नर्मदा-मालवा गंभीर लिंक, मालवा का वो हिस्सा, जो कभी सूखा हुआ करता था, आज वहां पर सिंचाई के लिए पानी पहुँच रहा है. निश्चित ही सरकार की यह मंशा रहती है कि उसका कोई भी जिला, उसका कोई भी क्षेत्र सुविधाओं और विकास से वंचित न रहे. इसलिए हमारी सरकार ने इस अनुपूरक बजट में सिंचाई परियोजनाओं के लिए बड़ी संख्या में धनराशि की मांग की है. मैं इसका समर्थन करता हूँ.
02.14 बजे {अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}
श्री आशीष गोविन्द शर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, किसानों के लिए फसल बीमा योजना, चूँकि अभी हाल ही में मौसम विभाग की भी चेतावनी है कि मध्यप्रदेश में मौसम खराब होने की संभावना है. लेकिन अगर सरकार मददगार हो तो किसान को इस बात की चिंता नहीं होती कि प्रकृति की मार पड़ेगी तो हमारा क्या होगा, क्योंकि तब भी सरकार उनके साथ मदद के लिए अपने हाथ लेकर खड़ी रहेगी. इसलिए चाहे किसानों को कृषि पम्पों पर सब्सिडी देने का मामला हो, अटल कृषि ज्योति योजना के लिए 3,950 करोड़ रुपये का प्रावधान इस अनुपूरक बजट में किया गया है. चूँकि बहादुर भैया ने सभी बजट शीर्षों के अनुसार धनराशि अपने वक्तव्य में वर्णित की थी, मैं तो केवल इतना कहना चाहता हूँ कि हमारी सरकार प्रधानमंत्री आवास योजना, राष्ट्रीय राजमार्गों के मरम्मत, अनुरक्षण के लिए और आशा कार्यकर्ताओं से लेकर गरीब के इलाज के लिए आयुष्मान कार्ड जैसी महत्वपूर्ण योजना, श्रमिक की पत्नी की, बेटी की प्रसूति सहायता हेतु और युवाओं के लिए मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना, ऐसी योजनाओं के माध्यम से समाज के विभिन्न वर्गों को उपकृत करने का काम कर रही है. निश्चित ही चाहे आम बजट हो, चाहे अनुपूरक बजट हो, सरकार ने विकास को लेकर महत्वपूर्ण चिंता और उनका समाधान इस अनुपूरक बजट में प्रस्तुत किया है. मैं इतना कहना चाहता हूँ कि सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ आज गरीब वर्गों को मिलने लगा है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री मेधावी छात्र योजना के अंतर्गत हजारों छात्र-छात्राएं, जिनकी फीस मध्यप्रदेश की सरकार भर रही है. मेरे विधान सभा क्षेत्र के भी अनुसूचित जनजाति के दो बेटा-बेटियों की इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेज की फीस मध्यप्रदेश की सरकार भर रही है. ऐसे अनेक बच्चे, जो पैसे के अभाव में उच्च शिक्षा का अध्ययन नहीं कर पाते थे, उन्हें मुख्यमंत्री मेधावी छात्र योजना के अंतर्गत लाभ मिल रहा है. सबसे बड़ी बात यह है कि सरकार ने ई-गवर्नेंस की दिशा में कदम आगे बढ़ाया है. राज्य के विभिन्न कार्यालयों को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ने के लिए ब्रॉडबैण्ड की सुविधाएं, चूँकि 5जी आ गया है, इसलिए मशीनें और उपकरण क्रय करने के लिए संचार के मामले में, टैक्नॉलॉजी के मामले में हमारा कार्यालय, हमारा स्टॉफ पीछे न रहे, इसलिए इस अनुपूरक बजट में प्रावधान माननीय वित्त मंत्री ने किया है. अस्पताल और औषधालय, इनका भी विस्तार मध्यप्रदेश में हो, इसके लिए अनुपूरक बजट में 55 करोड़ रुपये की राशि प्रदान की गई है. साथ ही साथ संबल जैसी महत्वपूर्ण योजना, जिसके कारण गरीब परिवारों को सामान्य मृत्यु और दुर्घटना में मृत्यु होने पर 2 लाख रुपये और 4 लाख रुपये की राशि मिलती है. इसके लिए भी इस अनुपूरक बजट में राशि का प्रावधान किया गया है. मैं माननीय वित्त मंत्री जी द्वारा प्रस्तुत इस अनुपूरक बजट का समर्थन करता हूँ. अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
श्री विनय सक्सेना (जबलपुर उत्तर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय वित्त मंत्री जी के द्वारा सोलह हजार तीन सौ उनतीस करोड़, पचास लाख, छ हजार, नौ सौ रुपये का अनुपूरक बजट विधान सभा के पटल पर रखा गया है और विश्वास सांरग जी आज सुबह से ही सबसे पूछते हैं कि कितनी राशि का रखा गया. इंग्लिश के शब्दों का अर्थ बताएं. मुझे लगता है कि इनको सूक्ष्म विश्लेषण मंत्री का नाम दे देना चाहिए. छिद्रान्वेषण का काम करने का काम दे देना चाहिए. कोई-कोई विभाग ऐसा होना चाहिए कि जो विश्वास भैया के अपने विभाग के अलावा अन्य विभाग दे देना चाहिए. मैं यह कहना चाहता हॅूं कि संसदीय मंत्री जी का काम है कि बीच में वे सलाह दें. इनका काम है जितने विधायक बोलें, उसको कहीं न कहीं उसका छिंद्रान्वेषण करें तो मंत्री जी, मैं आपको नमस्कार करता हॅूं. मैंने इसलिए राशि बता दी कि कहीं आपको फिर से न पूछना पड़ जाये.
माननीय अध्यक्ष महोदय, एक बड़े विशेष रूप से मैं देख रहा था कि मध्यप्रदेश के बजट में जो पिछले साल का बजट है उसमें कई विभाग आधे से ज्यादा राशि खर्च नहीं कर पाये. फरवरी तक नहीं कर पाये और बड़ी (XXX) बात यह है कि इस साल जो हमारे दो अनुपूरक बजट पिछले वर्ष के आए, वर्ष 2023-24 का बजट अभी आया है और इसके पहले आपने सभी विभाग में जो 10 परसेंट की बढ़ोत्तरी मांगी है और पिछले साल मिले पैसे को ही विभाग पूरा इस्तेमाल नहीं कर पाए. स्वास्थ्य, कृषि, बिजली, शिक्षा जैसे प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में भी पूरे बजट का इस्तेमाल नहीं हुआ. अभी तक के जो आंकडे़ं बता रहे हैं वह सभी विभागों को दो सप्लीमेंट्री के साथ 3 लाख 333 करोड़ का जो बजट दिया गया था जो अतिरिक्त अनुपूरक मांगा था, उसकी भी आधी राशि अभी बची हुई है फिर यह तीसरा अनुपूरक बजट क्यों लाना पड़ा, यह समझ से परे है और उस पर भी माननीय वित्त मंत्री जी, मैं देख रहा हॅूं कि कम से कम 100 रूपए खोलकर नवीन प्रावधान आपने नये बजट के हेड खोल दिये. यह किस तरफ रास्ता दिखाया जा रहा है. जो वर्तमान में हेड है क्या वह खर्च के लिए कम है. आप देखिए कि जो नया अनुपूरक बजट पेश किया है इसमें कई विभागों का, जिन विभागों ने अपनी राशि खर्च नहीं कर पाए. प्रचार के नाम पर 100 रूपए का नवीन प्रावधान कर दिया. यह जरूरत क्यों पड़ रही है और जब आपके पास अभी नया बजट है आप मार्च में पेश कर रहे थे, तो फिर अनुपूरक बजट में नवीन प्रावधानों को खोलने की अगर 100 रूपए से आवश्यकता थी, तो वह नये बजट में खोल लेते. कहीं न कहीं ऐसे रास्ते बनाये जा रहे हैं कि अधिकारी मनमाने ढंग से पैसे का अपव्यय कर सकें. यह स्पष्ट आरोप आपके इन कागज़ातों को देखने से समझ में आता है. वित्त विभाग में 100 रूपए के अनुपूरक विनियोग की आपको क्या आवश्यकता पड़ गई. आपकी मांग संख्या 007 में 100 रूपए के अनुपूरक अनुदान की आवश्यकता है मुख्य शीर्ष आपका 2045 में भी आप इसी तरह का प्रावधान कर रहे हैं. मांग संख्या 008 में भी 100 रूपए के प्रतीक अनुपूरक अनुदान की आवश्यकता है. जब आपको पैसा खर्च ही करना है तो 100 रूपए का क्यों. वास्तविक अनुदान क्या चाहिए, यह राशि देखना चाहिए न. आप एक महीने के लिये राशि मांग रहे हैं तब भी आपको अपनी असलियत नहीं पता कि, आपको एक महीने में खर्च क्या करना है. तो ऐसा लगता है कि सरकार के नीचे जमीं नहीं लेकिन मजबूरी है कि इनको अभी भी यकीं नहीं. ये हालात हैं मध्यप्रदेश सरकार के. आप देखिए अनुपूरक बजट में 100 रूपए के प्रावधान के कम से कम 15 ऐसे प्रतीक इन्होंने इसमें प्रावधान किए हैं. अगर हमको पता है कि इस बजट में हमको राशि कम पड़ रही है तो अनुपूरक बजट में तो पूरी वास्तविक राशि आनी चाहिए और आपने कई जगह वास्तविक राशि दर्शाई है लेकिन यह जो 100 रूपए के अनुदान वाली जो बात है वह मुझे तो समझ नहीं आ रही है. बाकी यह बात और है कि माननीय वित्त मंत्री जी की अपनी मजबूरी होगी. वह अच्छे आदमी हैं. और उनको मजबूरी किसके तहत ऐसे प्रावधान करने पड़ रहे हैं यह मध्यप्रदेश सरकार का जनता के साथ कहीं न कहीं स्पष्ट रूप से धोखा है जो हम बता नहीं पा रहे. आज हमारी जो तारीख हो गई है महीने के कितने दिन बचे हैं जब आप अनुपूरक बजट लेकर आए हैं. उसी के साथ-साथ आप हजारों करोड़ों रूपए का लोन भी ले रहे हैं इसी महीने में. 5-5 बार सरकार ने लोन ले लिया. लोन आप ले रहे हैं लेकिन आपको वास्तविकता में यह नहीं पता है नवीन प्रावधान आप 100 रूपए का कर रहे हैं इसका मतलब है कि कहीं न कहीं गड़बड़ी है और जो मध्यप्रदेश सरकार में लगातार घोटालों के आरोप लग रहे हैं वह चाहे श्रम की बात हो. अभी आप बड़ी तारीफ कर रहे थे. संबल की बात में, इसी विधानसभा में आपकी पार्टी के कई विधायक आरोप लगा रहे हैं कि संबल योजना माननीय कमलनाथ जी ने बंद कर दी. आदरणीय सज्जन भैया के जवाब में इसी विधान सभा में जवाब आया कि उनके समय में संबल योजना चालू थी. कल मैंने बताया कि पंच परमेश्वर चालू थी, उद्यम क्रांति चालू थी. यह इतना असत्य बोलना आपने बड़ा अच्छा प्रावधान बीच में किया था. असंसदीय शब्दों पर रोक लगायी थी. मेरा आपसे आग्रह है कि अगली बार जब आप कोई नवाचार करेंगे, तो इस बात पर रोक लगायेंगे कि माननीय मुख्यमंत्री जी हों, या मंत्री जी हों या माननीय विधायक हों, इस तरह के असंसदीय बातों को माना जाए कि अगर असत्य बोल रहे हो, तो उस पर भी कोई कार्यवाही होना चाहिए.एक बार (XX) बोलने पर कम सजा, दूसरी बार (XX) बोलने पर, जिसको आप असत्य कहते हो, असंसदीय रूप से.
श्री विश्वास सारंग-- जीतू भाई पर उसी पर तो हुई है.
अध्यक्ष महोदय-- “झूठ” नहीं लिखना.
श्री विनय सक्सेना-- अध्यक्ष महोदय, मैं इसलिए कह रहा हूँ आज से लेकर पिछले 4 दिन में ये (XXX) शब्द का प्रयोग सौ बार हो गया. मैं जानबूझकर (XXX) और असत्य दोनों बोल रहा हूँ. जिससे आपको बोलना पड़े कि विलोपित करो. मैं आप से कहना चाहता हूँ....
अध्यक्ष महोदय-- उस शब्द को हटा दिया है.
श्री विनय सक्सेना-- मैं चाहता हूँ आप उसको हटाएँ. लेकिन (XXX) बोलने वाला या (XXX) काम करने वाला ज्यादा बड़ा अपराधी है यह बात भी तय होना चाहिए. मंत्री लोग असत्य जवाब देंगे चलेगा. कार्रवाई प्रचलन में है चलेगा, विचाराधीन है, चलेगा, तो फिर संसदीय गरिमा का मतलब क्या है? माननीय मुख्यमंत्री जी तक कह देते हैं माननीय कमल नाथ जी के बारे में कि इन्होंने यह योजना बन्द कर दी और विधान सभा में जवाब हो रहा है, सब चालू है. सज्जन भैय्या गवाह के रूप में बैठे हैं. मेवालाल जी के भी जवाब में है, उद्यम क्रांति का, माननीय अध्यक्ष महोदय, अगर विधान सभा के जवाब में आया है कि किसानों का कर्ज 27 हजार करोड़, माननीय कमल नाथ जी के समय का दिया गया किसानों का ऋण माफ किया गया. अगर विधान सभा जवाब में आया है तो अगर इस विधान सभा में मुख्यमंत्री जी भी बोलें या मंत्री बोलें या कोई भी विधायक अगर उसको असत्य साबित करे तो उसके ऊपर कड़ी कार्रवाई होना चाहिए. ऐसा भी कोई नवाचार आपके माध्यम से अगर होगा तो एक नई नजीर मध्यप्रदेश में पेश होगी कि हमारी विधान सभा में असत्य बोलने वालों को दण्ड दिया जाता है. यह मैं आप से आग्रह करना चाहता हूँ.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय विनय सक्सेना जी, पहले से ही प्रावधान है आप जरा किताब उठाकर तो देखो.
श्री विनय सक्सेना-- कार्रवाई नहीं होती ना माननीय.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, नहीं, आपने अर्जी नहीं लगाई. प्रश्न सन्दर्भ समिति सिर्फ इसी बात के लिए है कि यदि हमारी विधान सभा के भीतर कोई असत्य, भ्रामक, इस तरह की जानकारी देने वालों के खिलाफ प्रश्न एवं सन्दर्भ समिति यही जाँच करती है. आप लगाओ तो, उसका प्रयोग करते नहीं हों आप.
श्री आलोक चतुर्वेदी-- अध्यक्ष जी, एक ही सवाल पर 3-3 तरह के जवाब आते हैं.
अध्यक्ष महोदय-- तो अर्जी लगाना चाहिए ना.
श्री आलोक चतुर्वेदी-- लगाई है.
अध्यक्ष महोदय-- भाई, विधान सभा क्यों बनी है, यह समिति क्यों बनी, इसीलिए बनी है.
श्री विनय सक्सेना-- अध्यक्ष महोदय, मैं आपको धन्यवाद देना चाहता हूँ कि इस बारे में कि आपने हम लोगों का ध्यानाकर्षित किया और आपने उसका हम लोगों को मार्गदर्शन भी दिया. अध्यक्ष महोदय, लेकिन मुझे यह भी ज्ञात है कि कई कार्रवाइयां, जीएडी के मामले में हम परसों आपके साथ बैठे थे. यह नियम है कि जिलाध्यक्ष महोदय हो, आईएएस, आईपीएस, पीएस, प्रोटोकॉल में हमारे विधायकों के नीचे हैं. लेकिन आज तक कितनों को दण्ड मिला, इसके बारे में हमने गंभीर चर्चा की. यही हाल विभागों के हैं. हम प्रश्न सन्दर्भ समिति में कोई प्रश्न लगा देंगे उस पर कितने दिन में कार्रवाई होगी यह भी एक नवाचार तय करना चाहिए. मैं आप से आग्रह करना चाहता हूँ चूँकि आप से उम्मीदें हैं हम लोगों की. आने वाले भविष्य में इस तरह की कार्रवाइयों पर रोक लगे, कड़ी कार्रवाइयां हो और बल्कि आपने जैसा हमारे समक्ष बताया, अपनी जो चर्चा हुई, कि आने वाले भविष्य में उत्तर प्रदेश जैसी कोई नजीर, विधान सभा अध्यक्ष जी के माध्यम से मार्शल होने जैसी कोई नजीर, इस मध्यप्रदेश विधान सभा में होगी तो मुझे लगेगा विधायकों का भी सम्मान होगा, अधिकारियों का भी सम्मान होगा और हमारे उन कर्मचारियों का भी सम्मान होगा...
श्री विश्वास सारंग-- अध्यक्ष जी, लेकिन आपको एडवाइस देने का कोई भाषण चल रहा है?
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, नहीं, ठीक है. कोई बात नहीं.
श्री विनय सक्सेना-- भाई साहब, आपको एडवाइस देने का तो चल रहा है....(व्यवधान)..
श्री विश्वास सारंग-- अध्यक्ष जी, जब इन्होंने आँकड़ा बोला तब मुझे लगा पढ़ लिख कर आए होंगे.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- जब सरकार गलत दिशा में जाती है तो सुझाव देना ही पड़ता है. आपकी सरकार का मार्गदर्शन हमको करना ही पड़ता है.
श्री विश्वास सारंग-- सज्जन भाई, अनुपूरक बजट पर चर्चा है थोड़ा समझाओ, उस पर तो बोले.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- सुझाव जरूरी है.
श्री रामेश्वर शर्मा-- सरकार का करो आसन्दी का नहीं करो.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- सीधी लाइन पर चलो दिसम्बर 2023 में गायब हो जाओगे इसलिए.
श्री रामेश्वर शर्मा-- सरकार का मार्गदर्शन करो आसन्दी का नहीं करो....
श्री विनय सक्सेना-- अध्यक्ष महोदय, मुझे अच्छा लगा कि हमारे जो...
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- क्या बोले, विश्वास सारंग जी ऐसा करना, रामेश्वर शर्मा जी, ऐसा करना. अरे, आसन्दी हमें संरक्षण देती है, उसी के माध्यम से तीर उधर जाते हैं.
श्री विनय सक्सेना-- अध्यक्ष महोदय, मुझे तो अच्छा लगता है, संसदीय मंत्री से भी बड़े कोई संसदीय मंत्री अगर इस विधान सभा में हैं तो माननीय विश्वास सारंग जी हैं. अब हम लोग तो पहली बार के विधायक हैं.
श्री विश्वास सारंग-- सलाह मान रहे हों ना मेरी?
श्री विनय सक्सेना-- मैं कह तो रहा हूँ सलाह भी मान रहा हूँ....
श्री विश्वास सारंग-- सलाह मान कर ही चलो विनय भाई.
श्री विनय सक्सेना-- लेकिन सब सलाह विधान सभा में ही देते हैं .
श्री विश्वास सारंग-- थोड़ा विषय वस्तु पर बोलो.
श्री विनय सक्सेना-- चलिए, विषय वस्तु पर भी सुनिएगा. समय दिलाइयेगा. अध्यक्ष महोदय, मैं सारंग जी को कहना चाहता हूँ कि इस विधान सभा में तो सबको सलाह देते हैं लेकिन इनकी टोपी और इनके चश्मे विधान सभा के बाहर निकलो तो ये पहचानते भी नहीं हैं किसी को. ऐसे व्यक्ति से क्या सलाह लूँगा भाई जी. अब मुस्कुरा रहे हैं यह बात सच है.
श्री विश्वास सारंग-- अध्यक्ष महोदय, मुझे नहीं मालूम इनको कौनसा दर्द मेरे प्रति है, पर आप आओ, आपको पहचानुँगा मैं. साथ में चलेंगे.
श्री विनय सक्सेना-- हमको तो यह दर्द है कि माननीय मुख्यमंत्री जी के बाजू में बैठकर काले कपड़े रोज पहन कर आते हैं और यह विरोध दर्ज कराते हैं सरकार के खिलाफ. कहीं न कहीं पीड़ा इनके मन में है कि इनको सही जगह मिल नहीं पा रही है इसलिए प्रदर्शन करते रहते हैं. अध्यक्ष महोदय, मैं कुछ आँकड़े आपके समक्ष प्रस्तुत करना चाहता हूँ. सारंग जी को भी ठंडक लग जाएगी. हमारे 5 विभाग ऐसे हैं जो फरवरी तक पंचायत विभाग पिछले बजट का 47 प्रतिशत व्यय कर पाया. राजस्व विभाग 55 प्रतिशत, महिला बाल विकास विभाग 69 प्रतिशत, अनुसूचित जाति विभाग 55 प्रतिशत अपने बजट का खर्च कर पाए. वाणिज्यिक कर विभाग जिसको आप अनुपूरक में लाए हैं. यह विभाग अनुपूरक बजट में राशि मांग रहा है यह विभाग फरवरी तक 21 प्रतिशत राशि खर्च कर पाया है. मेरे बोलने पर मंत्रियों को तकलीफ होती है यह आंकड़े आपको सोचने के लिए मजबूर करेंगे. वन विभाग ने अनुपूरक बजट में 600 करोड़ रुपए तो सिर्फ प्रचार-प्रसार के लिए मांगे हैं. एक महीने के अन्दर ऐसा कौन-सा प्रचार-प्रसार होने वाला है जिसमें 600 करोड़ रुपए खर्च होंगे. वित्त मंत्री जी गौर कीजिएगा, किसका प्रचार-प्रसार होना है. पूंजीगत व्यय के लिए कोई राशि नहीं मांग रहा है. यह मध्यप्रदेश की विडम्बना है कि पिछले वर्ष के बजट में से 45 प्रतिशत भी पूंजीगत व्यय पर खर्च नहीं हुआ. इस वर्ष भी जब तरुण भनोत जी पूछ रहे थे इस बजट में अगर आप 55 हजार करोड़ रुपए भी पूंजीगत व्यय में खर्च करने की बात नहीं कर रहे हैं तो बाकी बजट आप किसमें खर्च करेंगे. यह वह आंकड़े हैं जिनसे पता चलता है कि मध्यप्रदेश का पैसा कहां जा रहा है, किन योजनाओं की आड़ में भ्रष्टाचार हो रहा है. एक बात माननीय मंत्री लोग आराम से सुन लें. अस्पताल हैं, पद नहीं हैं, मशीनरी नहीं है. मध्यप्रदेश में शिक्षा के लिए नए-नए स्कूल बन रहे हैं लेकिन शिक्षक नहीं हैं. अस्पतालों के साथ-साथ विद्युत मंडल की बात कर रहे थे. अनुपूरक बजट में आप सबसीडी की बात कर रहे हैं. अभी राजेन्द्र भैया और एक विधायक सलाह दे रहे थे कि सबसीडी पर ध्यान दो. आपने 4000 करोड़ रुपए की तो उद्योगपतियों को छूट दे दी. 785 करोड़ रुपए की अलग से छूट दे दी. पॉवर सेस के नाम पर आपने 83 करोड़ रुपए की छूट दे दी. मध्यप्रदेश के गरीबों के लिए क्या किया यह बताएं. क्या इनके घरों में लाड़ली बहना नहीं है. इनके घरों में कुर्की के नोटिस आ रहे है. पिछले 2 माह के अन्दर शहरी क्षेत्र और गांव में तहसीलदारों के नोटिस बहुत गए हैं. अभी एक विधायक जी कह रहे थे कि 100 यूनिट की सबसीडी दी जा रही है. ऐसी कौन सी छूट है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, 2-3 प्रश्नों के जवाब आपके माध्यम से इस अनुपूरक बजट में आ जाएं. मध्यप्रदेश सरकार बहुत अच्छी स्थिति में है, बहुत ज्यादा आत्मनिर्भर बन गई है. अमृतकाल चल रहा है. कहते हैं कि जब अमृत निकला था तो देवी-देवताओं को मिला था. लगता है मंत्रियों को और सरकार को सब कुछ मिल रहा है. इस अमृतकाल में प्रदेश की गरीब जनता को क्या मिल रहा है, यह भी बताने का कष्ट सरकार करेगी ऐसी मुझे आपसे आशा है. एक प्रश्न का जवाब पूरी विधान सभा में नहीं मिला जो कि प्रदेश के हालात दिखाता है. मैं दिवालिया नहीं कहूंगा. लेकिन मैंने सुना था कि किसी के घर की सम्पत्ति कुर्क हो जाए उसकी सम्पत्ति सरकार या बैंक बेच दे तो उसको दिवालिया कहा जाता है. क्या यह बात सच है कि आरबीआई यानि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने मध्यप्रदेश सरकार की 10 हजार करोड़ रुपए की संपत्ति को मात्र 3 हजार करोड़ रुपए में बेच दिया है. लोग कहते हैं जितु पटवारी गलत कह रहे हैं उनका निलंबन कर दिया.
माननीय अध्यक्ष महोदय, लोक निर्माण विभाग ने उच्च आय वर्ग के लोगों के लिए 74 बंगलों में अनुपूरक बजट में प्रावधान रखा है. यह प्रावधान कितने बंगलों का है. एक बंगला बी-9 डिस्मेंटल हुआ है बाकी बंगले तो डिसमेंटल नहीं हुए हैं तो फिर इतनी ज्यादा राशि की आवश्यकता क्यों पड़ रही है. हर साल अनुरक्षण के नाम पर आप चार इमली के बंगलों में चले जाइए कोई ऐसा बंगला नहीं है जिसमें एक नहीं दो दो गजीबो न लगे हों. गजीबो समझते हैं, जहां अधिकारी और बड़े-बड़े मंत्री परिवार के साथ बैठकर चाय पीते हैं . इतना पैसा अनुरक्षण पर खर्च करते हैं तो नए मकान क्यों नहीं बना लेते हैं. 1-1 करोड़ रुपए एक-एक मकान पर खर्च करते हैं. विधायकों के विश्राम गृह की हालत आप देख लीजिए कितनी बुरी है. अगर गलत कह रहा हूँ तो बोलिए. यह 230 विधायक जब सरकार के पक्ष में बातें करते हैं उनसे पूछना चाहता हूँ चार इमली जाकर घूमकर देखना हमारे अधिकारियों के बंगलों में देखना क्या हालत है इन पर कितने करोड़ रुपए खर्च होते हैं. यदि 74 बंगले के पूरे मकान डिसमेंटल होने लायक हैं तो सबको डिसमेंटल करके वहां पर विधायकों के लिए अच्छा सा विश्राम गृह भी बना दीजिए, वहां पर अधिकारियों के लिए जैसा चार इमली में क्लब बना है ऐसा एक क्लब बना दीजिए. जहां माननीय मंत्री जी नहीं, मुख्यमंत्री जी नहीं हमारे विधायक भी कभी कभी जाएं और जनता भी देख आए कि हमारे विधायक लोग क्या कर रहे हैं. यह बहुत सारी बातें थी. आशा है इन पर जवाब मिलेगा. अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
श्री देवेन्द्र वर्मा (खण्डवा)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय वित्तमंत्री जी ने राज्य की संचित निधि से जो अनुपूरक बजट प्रस्तावित किया है मैं उसका समर्थन करता हूं. हमारे प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी के नेतृत्व में अगर हम कहें कि मध्यप्रदेश कृषि के क्षेत्र में आगे ही नहीं बढ़ा है बल्कि आज हम सारे देश में कृषि के क्षेत्र में अव्वल हैं तो निश्चित रूप से उनके द्वारा किये गए उन कार्यों से हैं जिनके माध्यम से आज हमारी कृषि विकास दर बढ़ी है. एक समय में मध्यप्रदेश में यदि कोई युवा खेती की ओर अग्रसर होता था तो वह अपने आप में अपमान महसूस करता था और हम सभी ने देखा है कि कृषि विकास दर मायनस में जा रही थी. आज हम वर्तमान में देखें तो मध्यप्रदेश की कृषि विकास दर लगभग 18 प्रतिशत से....
श्री सोहनलाल बाल्मीक-- (XXX)
अध्यक्ष महोदय--कुछ नहीं लिखा जाएगा. यह नहीं लिखना है. कुछ नहीं लिखना है. देवेन्द्र वर्मा जी आप अपना भाषण जारी रखें. सोहनलाल जी जब आपका नंबर आएगा आप तब बोलिए. क्या आप हर बार बोलेंगे. अपने समय में भी बोलेंगे और दूसरों के समय में भी बोलेंगे. आप बैठ जाइए.
श्री सोहनलाल बाल्मीक-- (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- जब आपका नंबर आएगा, आपको मौका मिलेगा आप तब ही बोलना. यह कौन सी बात हुई कि आप अपने समय में भी बोलेंगे और दूसरों के बीच में भी बोलेंगे.
श्री सोहनलाल बाल्मीक-- (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- आप बैठ जाइए. देवेन्द्र वर्मा जी आप बोलें.
श्री देवेन्द्र वर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे यह आंकड़ें आज सिर्फ मध्यप्रदेश के ही आंकड़े नहीं हैं, चाहे कांग्रेस शासित राज्य हो, चाहे हिन्दुस्तान के कोई से भी राज्य हों अगर मध्यप्रदेश में आ रहे हैं तो मध्यप्रदेश के कृषि की विकास दर देखने आ रहे हैं. आज मध्यप्रदेश कृषि में आज अव्वल बना है. आज खेती लाभ का धंधा बनने की ओर अग्रसर है. इस कड़ी में अगर हम बात करें तो आज अनुपूरक में माननीय मुख्यमंत्री जी ने उन विषयों को भी शामिल करने का काम किया है जो केन्द्र द्वारा ऐसी योजना है जिनके माध्यम से कृषि की विकास दर जहां एक ओर आगे तो बढ़ेगी ही इस प्रकार के जो छोटे-छोटे विषय हैं जिसमें अगर हम कहें कि हमारे माननीय मंत्री जी ने लगभग 12 करोड़ रुपए का प्रावधान सबमिशन ऑन फॉर वॉटर मैनेजमेंट अर्थात कि किस प्रकार हम छोटे स्तर पर कृषि में वॉटर का मैनेजमेंट कर सके और ज्यादा से ज्यादा उपयोग कर सकें. जहां एक ओर स्वाइल हेल्थ कार्ड, एक आम किसान जिस विषय को नहीं समझता है, लेकिन अगर हमारा कृषि विभाग हो, हमारी सरकार हो जहां किसान को उन्नत कृषि से जोड़ रही है तो वहां एक ओर आज आम किसान भी स्वाइल हेल्थ कार्ड बनाने की ओर अग्रसर है. मेरे कहने का तात्पर्य यह है कि हमारे यहां पर किसान परम्परागत खेती तो करता है, लेकिन परम्परागत खेती के साथ-साथ आज उन्नत कृषि की ओर भी अग्रसर हो रहा है तो उसके अंतर्गत चाहे स्वाइल हेल्थ कार्ड हो, चाहे वॉटर मैनेजमेंट हो इसको और बढ़ाते हुए हमारे माननीय मंत्री जी ने लगभग 20 करोड़ रुपए का प्रावधान रखा है. हम सबने देखा है कि पूर्व में कांग्रेस की लगभग 15 माह सरकार रही. बड़े-बड़े स्तर पर आयोजन हुए हैं. हमारे किसानों की फसलें खराब हुईं तो इस प्रकार के आयोजन हुए कि हम किसानों को 25 प्रतिशत मुआवजा राशि, बीमा राशि देने जा रहे हैं और आने वाले समय में 100 प्रतिशत देंगे लेकिन अगर देखें तो वह किसान आज भी 25 प्रतिशत का बहाना रो रहे हैं कि हमको कांग्रेस की सरकार ने 25 प्रतिशत राशि ही तो दी थी लेकिन बाकी की 75 प्रतिशत राशि को कांग्रेस की सरकार ने गबन करने का काम किया था. वह 75 प्रतिशत की राशि आज तक उन किसानों को नहीं मिली. हमारे मुख्यमंत्री जी की दूरदृष्टि है जिन्होंने फसल बीमा के लिए लगभग 1 हजार 324 करोड़ रुपए प्रधानमंत्री फसल बीमा में प्रावधान करने का काम किया है. निश्चित रूप से इसके माध्यम से अगर हमारे किसान की फसल खराब होती है तो आज मध्यप्रदेश के प्रत्येक किसान के साथ हमारे मुख्यमंत्री जी खड़े हैं और निश्चित रूप से आने वाले समय में इसके माध्यम से हमारे किसान की फसल तो सुनिश्चित होगी ही उनका भविष्य भी सुनिश्चित होगा.
अध्यक्ष महोदय, अभी हमारे सभी भाई बिजली की बात कर रहे थे. हम सभी ने देखा है कि उस समय आपका टैरिफ कैसा होता था अगर गांव में जाते थे तो एक ही बात होती थी कि हम 21 वीं सदी में पहुंच गए हैं लेकिन आज भी अगर बात रखी जाती है कि तीन टर अनिवार्य थे. ऐसा कहते थे कि अगर कोई सामाजिक, सांस्कृतिक कार्यक्रम हो तो जनरेटर हमारा अभिन्न अंग होता था. शहरी क्षेत्र में घर-घर में इन्वर्टर और ग्रामीण क्षेत्र में प्रत्येक गांव में, किसान के घर बोरा भर-भर के कंडेंसर. इस प्रकार ये तीन टर हमारे जीवन के अभिन्न अंग हो गए थे. आज ये तीनों टर यदि समाप्त करने का काम किसी ने किया है तो हमारी सरकार ने किया है. मेरे कहने का तात्पर्य यह है कि किस प्रकार किसानों को अच्छी बिजली मिले, पर्याप्त बिजली मिले, उसके जीवन में भी रोशनी आये, गांव और शहर का भेद समाप्त हो, यदि यह सुनिश्चित करने का काम किसी ने किया है तो आज हमारी सरकार ने किया है. इस कड़ी में एक कदम और आगे बढ़ाते हुए ''अटल कृषि ज्योति योजना'' के अंतर्गत 3 हजार 9 सौ 50 करोड़ रुपये का प्रावधान रखने का काम आज हमारी सरकार ने किया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे कहने का तात्पर्य है कि हमारी सरकार द्वारा पूर्व में निर्णय लिया गया था कि हमारे किसानों को अनुदान के अंतर्गत ट्रांसफार्मर दिए जायेंगे लेकिन हमारी पूर्व सरकार ने उस योजना को भी बंद कर दिया था. हमारी सरकार ने एक बार पुन: निर्णय लिया है और ''किसान अनुदान ट्रांसफार्मर योजना'' को प्रारंभ किया जाए. जिसके माध्यम से किसानों के जीवन में और खुशहाली आयेगी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे प्रदेश की ऐसी योजना, जिसने समाज के हर वर्ग को, समाज के अंतिम वर्ग को जोड़ने का काम किया गया था, वह संबल योजना थी. जिसके अंतर्गत आम गरीब को अंत्येष्टि के लिए भी सहायता दी जाती थी. आम गरीब की सामान्य मृत्यु पर 2 लाख रुपये और दुर्घटना में मृत्यु होने पर 4 लाख रुपये दिए जाते थे. लेकिन इनकी सरकार ने उस योजना को भी बंद करने का काम किया था. हम कहते हैं कि इन्होंने गरीब का कफन छीनने का भी काम किया था.
श्री सोहनलाल बाल्मीक- इस तरह की मिथ्या बात करना उचित नहीं है. सदन में पूर्व में भी चर्चा हो चुकी है कि कांग्रेस की सरकार ने कभी संबल योजना बंद नहीं की थी.
श्री सज्जन सिंह वर्मा- माननीय अध्यक्ष महोदय, इनकी सरकार ने ही मेरे प्रश्न के जवाब में कहा था कि संबल योजना कभी बंद ही नहीं हुई थी.
श्री देवेन्द्र वर्मा- माननीय अध्यक्ष महोदय, संबल योजना हमारे अनुपूरक का विषय है, मैं, अनुपूरक पर ही अपनी बात रख रहा हूं. आपने संबल योजना बंद की थी. आपने 15 माह के कार्यकाल में किसी को 2 लाख रुपये दिए क्या ? हमारी सरकार ने संबल योजना के माध्यम से गरीब के घर में खुशहाली और समृद्धि लाने का प्रयास किया है.
आपने 15 माह में एक भी आदमी को संबल योजना से सहायता नहीं दी थी. हमारे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी ने एक बार पुन: संबल योजना के अंतर्गत लगभग 6 सौ 36 करोड़ रुपये रखने का प्रावधान किया है, यह राशि उन लोगों को संबल प्रदान करेगी, जिनका हक आपने छिनने का काम किया है. संबल योजना गरीब के जीवन में खुशहाली लाती है, उसको संबल देती है. ऐसी योजना को हमारे मंत्री जी ने अनुपूरक बजट में शामिल किया है तो यह उनकी संवेदना है. विपक्ष की संवेदनशीलता भी समाप्त हो गई है, जो इस प्रकार की, गरीब की योजना का भी विरोध करने का काम कर रहे हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इन्होंने कहा कि हमारे मंत्री जी ने जो बजट प्रस्तुत किया है, उसमें पूंजीगत व्यय कम है. मैं, आपके माध्यम से सदन को बताना चाहता हूं कि इन्होंने पूंजीगत व्यय की बात की है, जल संसाधन के क्षेत्र में यदि हम बात करें तो पार्वती रिंसी वृहद् परियोजना के लिए 20 करोड़ रुपये, कुण्डालिया परियोजना के लिए 25 करोड़ रुपये, बंडा वृहद् परियोजना के लिए 70 करोड़ रुपये, भानी वृहद् परियोजना के लिए 25 करोड़ रुपये, इस प्रकार अनेक परियोजनाओं के लिए प्रावधान किया गया है. आज यदि हम मेरे क्षेत्र की, नर्मदा घाटी की बात करें तो अकेले मेरे खण्डवा शहर में लगभग 5 हजार करोड़ रुपये की सिंचाई की परियोजनाओं पर काम चल रहा है. ये ऐसे पूंजीगत व्यय हैं, जिसके माध्यम से आम जनता के जीवन में खुशहाली आयेगी. आम व्यक्ति के साथ-साथ, किसान के जीवन में किस प्रकार खुशहाली आये, उसके लिए ये जल संसाधन की, सिंचाई की योजनायें आज प्रस्तावित करने का काम किया गया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी के नेतृत्व में हम सभी ने देखा कि इंदौर शहर में जिस प्रकार अप्रवासी भारतीय सम्मेलन हुआ. जो ऐतिहासिक और अनूठा रहा, जिससे सारे विश्व में मध्यप्रदेश की चर्चा है. उसके साथ इन्वेस्टर्स समिट का भी आयोजन किया गया था. जिसके माध्यम से आज औद्योगिक नीति में एक और परिर्वतन करते हुए, निवेश को प्रोत्साहन देने के लिए मंत्री जी द्वारा लगभग 5 सौ करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. आज हमारे प्रदेश के 27 लाख युवाओं के लिए, रोजगार सुनिश्चित करने का काम, अगर कोई कर रहा है तो हमारे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी कर रहे हैं और इस प्रकार की निवेश योजनाओं के माध्यम से आने वाले समय में लगभग 15 हजार करोड़ रुपये का निवेश भी हमारे मध्यप्रदेश में आयेगा. मैं, इन मांगों का समर्थन करता हूं. इसके माध्यम से हमारा प्रदेश विकास के रास्ते पर आगे बढ़ेगा, तरक्की करेगा. माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री संजय यादव:- अध्यक्ष महोदय, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद. मैं तो सिर्फ आपके माध्यम से आदरणीय वित्त मंत्री जी से यह व्यवस्था चाहूंगा कि जब अपने भाषण में बोले तो एक तो अनुपूरक बजट के बारे में हमें अच्छे से समझा दें कि जब कच्छु हाये नहीं तो पैसा काहे के मंग रहे हैं. इस बात का मैं आपको प्रमाण दे सकता हूं कि जब हम वल्लभ भवन में चक्कर काटते हैं तो अधिकारी कहते हैं कि विधायक जी कुछ नहीं है. यह सब आंकड़ों का खेल है, सरकार के पास पैसे-वैसे नहीं हैं. फिर जब दोबारा जाते हैं तो कहते हैं कि वित्त विभाग किसी की सुनता नहीं है,फाईल लौटा देता है और मेरे पास तो उदाहरण हैं, आप बड़े सीधे सज्जन आदमी हैं. आपकी भी वित्त विभाग नहीं सुनता है. क्योंकि मेरे यहां 2019 में जो कॉलेज स्वीकृत हुआ था, उसके लिये आपने भी चिट्ठी लिखी तो वित्त विभाग ने 6 बार आपकी बात नहीं मानी और फाईल वापस कर दी.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया:- अगर आप वल्लभ भवन जाते हैं तो इस प्रकार का जवाब मिलता है तो फिर क्यों जाते हैं ?
श्री संजय यादव(बरगी):- हम तो प्रश्न लगाते हैं. अध्यक्ष जी के माध्यम से पर्यटन विभाग का परसों ही मेरे जवाब में आया तो मैं, बजट में कैसे विश्वास कर लूं. आदिवासी देव स्थल के लिये मैंने 2 करोड़ की राशि स्वीकृत करायी थी. चलते काम में एक करोड़ की कटौती कर दी गयी. परसों जवाब दिया कि बजट के अभाव में हम राशि नहीं दे पायेंगे. जब आदिवासी क्षेत्र के लिये आपके पास एक करोड़ नहीं है तो फिर अनुपूरक बजट लाने का मतलब क्या है. यह आप आंकड़ों की बाजीगीरी क्यों करते हो. आप तो सीधे-सीधे चार पन्ने में बता दिया करो कि हम यह कर पायेंगे, यह नहीं कर पायेंगे और हमारे क्षेत्र महाकौशल से तो मुख्यमंत्री वैसे ही नाराज हैं. कोई भी विभाग में महाकौशल की घोर उपेक्षा की है, मुख्यमंत्री जी ने और वित्त मंत्री जी ने. आप साफ -साफ कह दो कि हम आपके यहां कुछ नहीं कर सकते जो करना हो कर लो. स्पष्ट कह दें, आप उलझायें ना. क्योंकि मैं तो आंकड़े सहित वित्त मंत्री जी को बताऊंगा कि आप स्वास्थ्य की बात करते हैं ? आप बताइये मध्प्रदेश में डॉक्टर कहां हैं. कितने अस्पताल बंद पड़े हैं, कितने प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बंद पड़ें हैं. हमारे यहां तो 6 महीने से बिल्डिंग बनी पड़ी है और सरकार कहती है, कल ही जवाब दिया गया था कि 169 अस्पतालों में डॉक्टरों के पद भर्ती करने के लिये मांगे गये हैं. जहां बिल्डिंग नहीं बनी, वहां आप डॉक्टर मांग रहे हैं और जहां बिल्डिंग बन गयी, वहां आप डॉक्टर नहीं दे पा रहे हैं. यह कैसा आपका बजट है, यह कैसा अनुपूरक बजट है. मैंने पहले भी कहा कि मध्यप्रदेश में शिक्षा की हालत आपने बदतर कर दी है. शिक्षक नहीं है, पढ़ाने वाला कोई नहीं है. अगर ट्रांसफार्मर है तो तार नहीं है, तार हैं तो ट्रांसफार्मर नहीं है. बिजली का आज गांव में अतापता नहीं है, किसान खून के आंसू रो रहे हैं.
श्री हरिशंकर खटीक:- आपके समय में टीचर को 500 मिलते थे. हम 30-40 और पचास हजार रूपये दे रहे हैं.आप 500 रूपये में बनाकर गये थे.
श्री संजय यादव:- आपने विश्वास सारंग जी की जिम्मेदारी ले ली क्या ?
श्री हरिशंकर खटीक:- क्योंकि हम सौभाग्यशाली हैं कि हमारी सरकार है और हमारे पास विश्वास है. हमारी सरकार और हमारा विश्वास भी है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया:- हमारे साथ विश्वास है.
श्री संजय यादव:- लेकिन कहीं विकास नहीं है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया:- विकास भी है.
श्री संजय यादव:- विश्वास है विकास कहीं नहीं है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया:- विश्वास और विकास दोनों हैं.
श्री संजय यादव:- विकास कहां है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया:- पूरे मध्यप्रदेश में विकास है.
श्री हरीशंकर खटीक:- आप पूरे मध्यप्रदेश में जाइये, सब जगह विकास ही विकास दिख रहा है. पहले जबलपुर कितने घंटे में पहुंचते थे. अब कितने घंटे में पहुंचते हो.
श्री संजय यादव--जबलपुर से भोपाल की सड़क माननीय कमलनाथ जी जब केन्द्र में मंत्री थे.
श्री विश्वास सारंग--वाह दिव्य ज्ञानी पुरूष वाह.(व्यवधान)
श्री सुरेश राजे--एक सदस्य बोल रहा है आप लोगों की तरफ से चार चार सदस्य खड़े हो जाते हैं. आप लोग असत्य पर असत्य बोल रहे हैं. हमें तो सिर्फ सुनना है. (व्यवधान)
श्री हरिशंकर खटीक--एक सौ से डेढ़ सौ किलोमीटर की सड़कें बनाई हैं.
श्री संजय यादव--मेरा निवेदन है कि सच्चाई पर जाईये तथा आंकड़ों पर जाईये हरिशंकर जी. रिकार्ड चाहिये तो आप मुझसे ले लीजिये.
श्री दिलीप सिंह परिहार--यही हरिशंकर जी आपको बोल रहे हैं रिकार्ड में जाओ और सच्चाई पर जाओ.
श्री हरिशंकर खटीक--आपका 15 महीने का रिकार्ड भी हमारे पास में है जिसमें आपने सड़कें स्वीकृत की थीं एक-दो-तीन किलोमीटर कीं.
श्री संजय यादव--17 साल का हिसाब नहीं देंगे, सिर्फ आप 15 महीने का हिसाब मांगोंगे.
अध्यक्ष महोदय--संजय जी आप अपने विषय पर बोलें.
श्री संजय यादव--अध्यक्ष महोदय, 1956 में जब मध्यप्रदेश का गठन हुआ कितने साल रहे आप तो सिर्फ 15 महीने का रोना रोते हो. 15 महीने में तो बुजुर्गों की 300 रूपये से 600 रूपये पेंशन हुई.
श्री हरिशंकर खटीक--आपकी सरकार ने कुछ नहीं किया है. हमने सिंचाई के साधन बेहतर किये हैं.
अध्यक्ष महोदय--संजय जी आप जारी रखें.
श्री संजय यादव-- अध्यक्ष महोदय आप सभी साथीगण असत्य बोल रहे हैं. मैं तो आप लोगों को आईना दिखा रहा हूं. मैं आपके प्रश्न का जवाब देता हूं. आप सिंचाई की बात करते हैं. मैं इसका उत्तर देता हूं. माननीय मुख्यमंत्री जी का विभाग है नर्मदा घाटी मैं दो साल पूर्व मुख्यमंत्री जी से मिला था मैं पहली बार मिला था मुख्यमंत्री जी से मुख्यमंत्री जी बड़े सीधे-साधे हैं गरीबों पर बड़ी दया करते हैं. मैं गया मैंने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री जी माननीय सिसोदिया जी भी थे. मुझे लगा कि मुख्यमंत्री जी ने इसमें चिट्ठी लिख दी यह लिफ्ट इरिगेशन का मामला था नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण का मैं इसमें बड़ खुश हो गया कि मेरी चिट्ठी मुख्यमंत्री जी ने लिख दी. यह काम शायद आज ही हो जायेगा, लेकिन मुझे पता चलता है कि मुख्यमंत्री जी जिसकी चिट्ठी लिखते हैं आपके अधिकारीगण जवाब देते हैं कि मुख्यमंत्री जी रोज हजारों चिट्ठियां लिखते हैं काम उसी में होता है जिसमें व्यक्तिगत रूचि लेते हैं अथवा उसमें मुख्यमंत्री जी फोन करते हैं. जब तक मुख्यमंत्री जी व्यक्तिगत नहीं बोलेंगे तब तक कोई भी सिंचाई की योजना हो, चाहे कालेज हो, स्कूल हो, चाहे मंडी निधि हो, किसी भी विभाग का काम क्योंकि वनमेन शो हैं आपके मुख्यमंत्री जी आप लोग खुद भी परेशान हैं, लेकिन यहां पर बोल नहीं पा रहे हैं. किसी की मंत्री की तो चलती ही नहीं है.
श्री बहादुर सिंह चौहान--मुख्यमंत्री जी के पास हम जाते हैं और वह हमारा काम करते हैं.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया--संजय भईया मुख्यमंत्री जी ने कागज लिया कुछ लिखा कमलनाथ जी की तरह चलो चलो तो नहीं बोला.
श्री संजय यादव--कमलनाथ जी ने काम किया. कमलनाथ जी ने क्या किया यह सुनने की क्षमता रखो.
अध्यक्ष महोदय--संजय जी आप विषय पर आईये इसको पूरा करिये.
श्री संजय यादव-- अध्यक्ष महोदय, मंडियों के आज बुरे हाल हैं. जो किसान मंडी में अपना अनाज लेकर के आता है. उसके पास में सड़क नहीं है. क्योंकि मंडी निधि की राशि का अता-पता नहीं है. लोक निर्माण विभाग की सड़कों में अनुपूरक बजट में भी महाकौशल की एक भी सड़क का नाम नहीं है. कितना घोर अन्याय ये सरकार महाकौशल के साथ कर रही, क्योंकि हमारा वहां जनजाति का व्यक्ति बसता है, वह हमारा आदिवासी बहुल क्षेत्र है, इसलिए यह सरकार जनजाति के साथ अन्याय कर रही है, यह पीडब्ल्यूडी मंत्री का यह अनुपूरक बजट बता रहा है.चाहे शिक्षा के क्षेत्र में हो, स्वास्थ्य के क्षेत्र में हो, सिंचाई के क्षेत्र में हो, यह सरकार लगातार उपेक्षा कर रही है, इसका परिणाम आने वाले समय में सात महीने बाद इस प्रदेश की जनता भारतीय जनता पार्टी को सबक सिखाएगी. मैं तो कामना करुंगा कि हमारे जो दो चार अच्छे लोग हैं वह दिख जाए, बाकी भाजपा से 10-15 लोग ही न आ पाए, बाकी चार पांच लोगों की कामना करुंगा अध्यक्ष जी सहित वह दिख जाए.
श्री कुणाल चौधरी(कालापीपल) - माननीय अध्यक्ष महोदय, आज अनुपूरक बजट के ऊपर मुझे बोलने का मौका दिया. माननीय वित्त मंत्री जी मुझे दिख नहीं रहे हैं कि अनुपूरक बजट लेकर आए हैं और यहां पर मंत्री जी है नहीं, उनको होना चाहिए था ताकि उनसे बातें समझते तो बेहतर होता.
अध्यक्ष महोदय - अभी थे, अभी अभी दो मिनट पहले गए हैं.
श्री कुणाल चौधरी - अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश वह गुलिस्तां था, जो महाराजा छत्रसाल के शौर्य से महकता था, रानी दमयन्ती के पराक्रम से सुर्ख होता था, आल्हा ऊदल के भाईचारे से हरियाता था, टण्ट्या भील की जड़ों से मजबूत होता था, माता अहिल्या के संस्कारों से प्रकृति का मन मोह लेता था. लेकिन मध्यप्रदेश का आज नागरिक बड़े दुख के साथ कह रहा है..
कांटों से गुजर जाता हूं, दामन को बचाकर..
फूलों के सियासत से मैं बेगाना नहीं हूं.
श्री विश्वास सारंग - अध्यक्ष जी, जितु पटवारी जैसा लग रहा. (...हंसी)
श्री कुणाल चौधरी - अध्यक्ष जी, मुझे बोलने तो दें.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - कवि सम्मेलन नहीं हो रहा है. एक बार बिना पढ़े बोल दीजिए.
अध्यक्ष महोदय - यशपाल जी कुणाल को बोलने दीजिए. बैठ जाइए.
श्री कुणाल चौधरी - भाई साहब आपको मंत्री नहीं बनाएंगे.
श्री संजय यादव - लोगों के सुनने की क्षमता खत्म हो गई है.
श्री कुणाल चौधरी - माननीय अध्यक्ष महोदय, आज हम लोग ये अनुपूरक बजट है और कई सालों से विकास, विकास का जो तबला बज रहा है, ढफली बज रही है, रोज, जहां सुनो विकास हुआ, विकास हुआ, सही में मैं देख रहा कि बजट का जो विकास हुआ है, ये कहीं न कहीं मेरे लिए यह चिन्ता का विषय है.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा - शिव का डमरु बज रहा है कुणाल भाई.
अध्यक्ष महोदय - आशीष जी, बैठ जाए.
श्री कुणाल चौधरी - विकास पुरुष मतलब, स्वघोषित विकास पुरुष. जब जनता ने पूछा कि ये विकास है कहां, तो स्वघोषित विकास पुरुष हेलीकाप्टर से कुदाली लेकर निकले और दे गड्ढे खोद, दे गड्ढे खोद,.. खट खट खट खट.. पर गड्ढों में देखा तो विकास तो निकला ही नहीं. कई किसानों की आत्महत्या निकली, बेरोजगार नौजवानों की स्थिति निकली और कहीं (XXX) के माध्यम से. आज ही मैंने सवाल किया, विश्वास जी अभी तो बहुत बोल रहे, जब तो समझा भी नहीं पाए कि क्या हुआ क्या नहीं हुआ, कैसे जिन्दे 100 करोड़ की लूट की उन्हें 1000 करोड़ की जगहों पर पहुंचा दिया, तब तो जवाब बना नहीं. अभी मेरे पास वह भी सवाल है अगर आप चाहोगे तो मैं उसके ऊपर चर्चा करूंगा. लगभग 16 हजार करोड़ रुपए से ऊपर का यह बजट, जिसमें हम इसका पूंजीगत व्यय और राजस्व व्यय देखते हैं कि जिसमें राजस्व व्यय लगभग 15 हजार करोड़ का है और पूंजीगत व्यय की स्थिति क्या है यह आप देखना और किस किस में किया, वित्तमंत्री जी बैठे होते तो मैं उनसे पूछूंगा भी सही कि क्यों न नोबल पुरस्कार मध्यप्रदेश सरकार को देना चाहिए. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं जब भी बजटों में जाता हूं तो 2007-08 के पहले तो हो सकता है मध्यप्रदेश का पाषाण युग होगा, तब भी एक लाख करोड़ का पूरे मध्यप्रदेश का बजट हुआ करता था, आज 13 लाख करोड़ की हमारी जीडीपी हो गई. अब हर साल 100 प्रतिशत बढ़ना, 13 लाख करोड़ का हो गया, तो ये तो अमृत सेन के अलावा मध्यप्रदेश सरकार को भी मिलना चाहिए, क्योंकि ये फर्जी आंकड़ें हैं या ओरिजनल आंकड़ें हैं, क्योंकि पंजाब जहां बहुत ज्यादा इंण्डस्ट्रीज भी है, कृषि भी बहुत उन्नत है उसका बजट साढ़े पांच लाख करोड़ का है, महाराष्ट्र का 37 लाख करोड़ का है, गुजरात जो हिन्दुस्तान का मैनचेस्टर कहलाता है वहां 22 लाख करोड़ का बजट है और मध्यप्रदेश की जितनी तेजी के साथ बढ़ रही है, अगर इस आंकड़ों पर जाता हूं तो मुझे लगता है कि मंत्री जी मेरा आग्रह है कि एक बार नोबल पुरस्कार के लिए बात जरुर करें..
श्री दिलीप सिंह परिहार - साढ़े तीन लाख करोड़ का.
श्री कुणाल चौधरी - क्या कह रहे हैं भाई साहब, मत करो आपने बजट भाषण में दिया, प्रधानमंत्री जी ने कौन सा आंकड़ा दिया, क्या किया मैं स्टडी करके आता हूं, मेरे ऊपर मत किया करो भाई साहब तो यह बड़ी चिन्ता का विषय है. आप यह असत्य आंकड़े इसलिए कहते हैं ताकि हम कर्ज ले पाएं जो रिजर्व बैंक की गाइडलाईन है कि 5 प्रतिशत तो हर वर्ष बढ़ाने के लिए, यह फर्जी आंकड़ों की दुनिया में, अब बजट के अन्दर काम किया गया है. मैं यह देख रहा था. मैं इस पर जाऊँ. एक जो कहीं इधर से उधर कूदकर, यहां से पहले मनेसर गए, मनेसर से निकलकर बैंगलोर चले गए.
श्री दिलीप सिंह परिहार - यह बजट में है क्या ?
श्री कुणाल चौधरी - माननीय अध्यक्ष महोदय, चिन्ता करनी पड़ेगी. जो अतिथि विद्वान जिनके लिए इसमें कितना प्रावधान किया गया है कि इनके मानदेय के लिए इतना प्रावधान किया गया. क्या बात है ? इनको तो आपने, हमने परमानेंट नहीं किया था, वह इसके लिए सड़कों पर उतरे थे. महाराज तो बड़े-बड़े महलों के अन्दर चले गए और यह अतिथि विद्वान, अतिथि शिक्षक, जिनके लिए इसके अन्दर प्रावधान नहीं है. मैं इसलिए बात कर रहा हूँ. यह तो अभी सड़क पर ही बैठे हैं और इनके लिए अभी कुछ हो ही नहीं रहा है और इनकी स्थिति देखें तो यहां पर अतिथि विद्वान की किस योजना के लिए दिया ? तो इनको परमानेंट कब करेंगे ? यह मध्यप्रदेश के अतिथि विद्वान, अतिथि शिक्षक यहां पर पूछ रहे हैं. बड़ी-बड़ी बातें अभी बिजली के लिए हुई क्योंकि बिजली के अन्दर जितना इन्होंने प्रावधान किया है. ऊर्जा के लिए 27,000 करोड़ लगभग है और अभी बड़ी बातें चल रही थीं, मैं इतनी देर में पेपर उठा लूँ कि यह सब्सिडी क्यों दी जा रही है ? यह आया था कि बिजली खरीदे बिना भुगतान से सरकार की जेब खाली. 21,000 करोड़ रुपये का भुगतान, बगैर बिजली खरीदे कर दिया. क्या इसके लिए हम यहां पर बिजली की सब्सिडी दे रहे हैं, ऊर्जा विभाग को इतना पैसा अनुपूरक बजट में दे रहे हैं और कर्जा भरेगा कौन ? यह रोज कर्जा सरकार ले रही है. यहां पर यह बड़ी बातें बिजली की कि हमने इतना किया है कि हम एससी वालों का भरेंगे, अटल ज्योति योजना का भरेंगे. यह सारी योजनाएं भी, फिर यह पेपर में दिनांक 13.3.23 की खबर है कि बिजली बिल जमा नहीं करने पर 19 बाईकें, आटा चक्की और वॉशिंग मशीन की कुर्की की है, तो यह सब्सिडी किसलिए दे रहे हैं ? आप राजस्व व्यय कर रहे हो, मतलब कंपनियों को दे भी रहे हो, बिजली भी नहीं खरीद रहे हो. और जब फील्ड पर जाकर देखो, तो यह भोपाल की बात है. उस दिन विश्वास जी बहुत बोल रहे थे, मैंने यह भी बोला कि इनकी विधान सभा में 9,000 कनेक्शन कटे हुए हैं, भाई साहब. सब डीपी उठाकर ले गए हैं और बड़ी-बड़ी बातें बिजली पर करते हैं. यह पेपर कटिंग आपको दे देता हूँ (कटिंग हाथ से दिखाते हुए) और चाहें तो आपके पास भेज देता हूँ. इसमें कौन-कौन नगर हैं ? आप तो जाते नहीं होगे. यहीं बातें करते हो तो इनके कनेक्शन क्यों काट रहे हैं. अगर इतना पैसा भी दे रहे हैं और इतनी सब्सिडी भी दे रहे हैं, इतना कर्जा भी ले रहे हैं और उसके बाद भी गरीबों के साथ अन्याय कर रहे हैं. आप रोज किसानों की बातें बहुत करते हैं, किसानों की आय दुगुनी कब होगी ? इसका आज तक जवाब नहीं दिया. 2,100 रुपये क्विंटल मिट्टी खरीदने वाले और 200 रुपये से ज्यादा बिल आ जाये तो भरना मत कहने वाले मुख्यमंत्री जी कहां चले गए. अब बिल कितना आ रहा है. आप थोड़ा क्षेत्रों में जाकर पता करना और ऊर्जा विभाग को हम इतना पैसा दे रहे हैं, कितनी बड़ी लूट इस मध्यप्रदेश में है, जो डीपी आती है, वहां पर क्या ओएनएम में मेंटेनेंस के नाम पर कितनी बड़ी लूट है कि रोज डीपी आई, ठीक हुई और कल फिर खराब हो गई, फिर मेंटेनेंस के नाम पर उसकी लूट हो रही है, तो क्या इसके लिए पैसा मध्यप्रदेश की जनता का लिया जा रहा है. पैसा किसलिए लिया जा रहा है. यहां पर न तो 200 रुपये के अन्दर बिल आ रहा है, 800 रुपये, 1,000 रुपये एवं 1,500 रुपये बिल आ रहा है. किसानों के लिए मोटरों की बात चल रही थी कि पांच हॉर्सपावर की मोटर किसान खरीदकर लाता है, एमपीईबी के मीटर आठ हॉर्सपावर बताने का काम करते हैं, तो बड़ी-बड़ी बातें किसान के लिए किस चीज में दी. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, शेरपुरा में जो कागज के शेरों ने बात कही थी कि इतना हो जायेगा, इसको इकाई मान लिया जायेगा. आज कितना पैसा किसान बीमा कंपनियों को दे देता है. अभी मैंने यहां पर अतिवृष्टि हुई, असमय बारिश हुई, ओलावृष्टि हुई- पहले दिन मांग करी, तो मुख्यमंत्री ने बयान दिया, फिर कृषि मंत्री ने बयान दिया, जब क्षेत्र में जाकर देखा तो वहां पर आज तक कोई ऑर्डर नहीं पहुँचा है कि सर्वे किसानों का चालू कर दिया जाये. अब जब किसानों की फसलों का कलर खराब हो गया, वहां पर उसका वजन कम हो गया तो जितना निकलना चाहिए था, उससे आधा-आधा निकल रहा है. वहां पर किसानों के साथ कुर्की करने का काम किया जा रहा है. अभी जब यह खरीदकर सोसायटियों में जाएंगे, क्योंकि मुख्यमंत्री जी ने कहा था कि हम आय दुगुनी कर देंगे, उसी शेरपुरा में कहा था. तो अभी तक यह नहीं बताया कि जब 1,900 रुपये क्विंटल गेहूँ था, तो आज 3,500 रुपये क्विंटल होगा कि नहीं और सवाल पूछ लो, तो श्री जितु पटवारी जी को सस्पेंड कर दें कि आपने किसान की बात कैसे कर दी ? यह जिस सरकार की नीति किसान के पेट में लात, छाती पर गोली मारने और उसे नंगा करके मारने की है और बात कर रहे थे कि हम एक कमेटी बना रहे हैं. मंदसौर गोलीकांड की आज तक रिपोर्ट नहीं आई, जहां पर यह हमारे दोनों तथाकथित विकास पुरुष भी धरने पर बैठे थे कि भैया मेरा मन व्यथित है और इधर से गये बड़े महाराज भी बैठे थे, अब दोनों मिलकर भी उस मंदसौर गोलीकांड की रिपोर्ट नहीं ला पाये कि किसने किसानों की हत्या की? किसकी गलतियों से हत्या हुई थी? उसके ऊपर बातें नहीं कर पाये, पर पैसे बहुत चाहिये भईया हमें कि कैसे भी करके किसानों के नाम पर लूट करेंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अब बिजली कंपनियां क्या किसानों से लूट करती हैं, बीमा कंपनियां क्या किसानों से लूट करती हैं, यहां पर आपकी जो यूरिया, डी.ए.पी., खाद्य विभाग कितनी लूट करती हैं? इस बात के लिये बड़ी बातें हैं. मैं देख रहा था कि यहां पर 82 करोड़ अभी दिये गये काहे के लिये दिये गये जन संपर्क के लिये दिये गये. आज दिन कितने बचे हैं साहब इस मध्यप्रदेश के अंदर अभी इस बजट में अगर हम 82 करोड़ रूपये मतलब रोज कितना 10 करोड़ रोज का खर्चा करेंगे काहे के लिये चेहरा चमकाने के लिये. यह तो सिर्फ एक जन संपर्क ही है, अलग अलग विभागों में प्रचार प्रसार का एक विभाग में 500 करोड़ रूपये का, तो किस लूट की ओर मध्यप्रदेश जा रहा है? किसलिये हम कर्जा ले रहे हैं और यह फर्जी आंकड़े दे देकर मतलब बजट को बढ़ाने का काम कर रहे हैं, फर्जी आंकड़े देकर कर्जा लेने का काम कर रहे हैं. फर्जी आंकड़े देकर मध्यप्रदेश की जनता को (XXX) कर रहे हैं और यहां पर यह इस बजट का समर्थन करने की बात करते हैं, न तो जनता को इस के अंदर राहत होती है, न जनता के लिये कुछ होता है.
अध्यक्ष महोदय, यह नर्मदा विकास प्राधिकरण यह मतलब जिसके अंदर 900 करोड़ का फिर दे दिया गया है. क्या यह वही योजना है? क्योंकि अभी भोपाल में अभी कई ठेकेदारों की बैठक हुई है कि लगभग बीस हजार करोड़ रूपये के ठेके दिये जायेंगे, उसमें से इतना पैसा 600 करोड़ रूपये उगाही का प्रावधान है और एक बार तो मैं धन्यवाद दूंगा. गृहमंत्री जी ने केबिनेट की बैठक में बताया था कि पाईपों में कितना भ्रष्टाचार होता है, वह सदन में भी तो बतायें कि 90 प्रतिशत भ्रष्टाचार के इन पाईपों की स्थिति क्या है? यह खुशी की बात है कि मां नर्मदा मध्यप्रदेश से निकलती है.80 प्रतिशत मां नर्मदा बहती है, जो नर्मदा ट्रिब्युनल कोर्ट का फैसला था कि 18 एम.पी.एफ. पानी मध्यप्रदेश को उपयोग करना है पर हम लोग हमारे यहां के मुख्यमंत्री, हमारे यहां की सरकार गुजरात के बाबू के रूप में काम कर रही है, जो यहां पर जितने डेम बनने थे, 18 बड़े डेमों को हमने खत्म कर दिया है, तीन सौ छोटी वॉटर बॉडीज को हमने खत्म कर दिया. एक तरफ मां नर्मदा बहती है, एक तरफ चंबल बहती है, उसके बाद भी मध्यप्रदेश यहां पर पानी से वंचित है.
अध्यक्ष महोदय, आपने यहां पर उद्योगों के निवेश के लिये साढ़े पांच सौ करोड़ रूपये दिये हैं. अरे उद्योग आ कौन सा रहा है, जो लोग उद्योग लगाते थे पहले गुजराती, मारवाड़ी उन सबको आपने मध्यप्रदेश के हितों का हनन करके यहां मध्यप्रदेश का पानी गुजरात के उद्योगपतियों को दे दिया है. उद्योगपति उद्योग लगाने कौन सा आयेगा? क्यों मध्यप्रदेश के अंदर आयेगा और कहीं न कहीं ये आपकी जो सोची समझी साजिश है जो सरदार सरोवर डेम की हाईट देश के प्रधानमंत्री ने 50 मीटर बढ़ाई, उस समय मध्यप्रदेश की जनता की तरफ से मध्यप्रदेश की सरकार को विरोध करना था कि कैसे जंगल हमारा जा रहा है, जमीन हमारी जा रही है, लोग हमारे विस्थापित हो रहे हैं और चंद उद्योगपतियों के लिये पानी जा रहा है. हजारों करोड़ का कर्जा हम लेकर कहीं न कहीं विस्थापित कर रहे हैं और मध्यप्रदेश की जगह गुजरात यहां से सर्मद्ध होने का काम कर रहा है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि जिस तरीके से मध्यप्रदेश के अंदर लूट और असत्य की सरकार चल रही है, आपने सुबह के सवाल में देखा मंत्री बंगले झांकते नजर आये. यहां पर कहीं न कहीं भ्रष्टों को बढ़ाने, बचाने का काम करा जा रहा है, मध्यप्रदेश के नौजवान की यह हालत हो गई है कि रोज शिक्षा के लिये हम रोज बजट में प्रावधान करते हैं, न रोजगार है, न शिक्षा है, पर रोज बेरोजगारों से फीस के नाम पर इतना पैसा लिया जाता है और जब होता है तो कहीं न कहीं उसके पेपर को आउट कर दिया जाता है.
अध्यक्ष महोदय, अभी आदिवासियों के साथ धोखा हुआ है. पेसा कानून की बड़ी बड़ी बातें हुईं. आदिवासियों के साथ जो धोखा करा,उसके ऊपर में बात करना चाहता हूं. मैं निवेदन करना चाहता हूं माननीय अध्यक्ष महोदय, यह संबल की बात कर रहे थे, अरे चुनौती देता हूं इस मध्यप्रदेश के अंदर मेरे यहां चार शादी के सम्मेलन कमलनाथ जी की सरकार में हुए, कांग्रेस की सरकार में हुए चारों सम्मेलनों में 48-48 हजार रूपये मिले बेटियों के नाम पर.आज ही में पेपर में पढ़ रहा था, अरे हल्दी लग गई, मेंहदी लग गई बेटियों के सम्मेलन को स्थगित कर दिया, क्योंकि नकली सामान था.अरे 51 हजार रूपये के 55 हजार रूपये किये तो हम जब 48 हजार रूपये नगद देते थे.....(व्यवधान)
श्री रघुनाथ सिंह मालवीय -- अरे कुणाल भईया एक जगह भी नहीं दिया. ..(व्यवधान)
श्री कुणाल चौधरी -- अध्यक्ष महोदय, इस मध्यप्रदेश के विधायकों को चुनौती है ..(व्यवधान)
श्री रघुनाथ सिंह मालवीय -- आपके यहां के नाम बता दो, जिनको आपकी विधानसभा में दिया है, तो नाम बताओ, यहां पर हम जांच करेंगे. ..(व्यवधान)
श्री कुणाल चौधरी -- अध्यक्ष महोदय, या तो इस सदन में या तो ये इस्तीफा देंगे या मैं इस्तीफा दूंगा, अगर ये असत्य बोल रहे हैं. आ जाओ और चारों सम्मेलन हुए, चारों के पैसे मिले 48-48 हजार रूपये मिले, यह रोज असत्य बातें करते हैं. ..(व्यवधान)
श्री रघुनाथ सिंह मालवीय -- आपकी विधानसभा में मिला होगा ..(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- ( एक साथ कई माननीय सदस्यों के अपने आसन पर खड़े होने पर) आप सभी बैठ जायें. उनको बोलने दीजिये, उनको खत्म करने दीजिये. उनको अपना भाषण खत्म करने दें. ..(व्यवधान)
श्री कुणाल चौधरी-- यह तीर्थदर्शन की बात करेंगे, अरे तीर्थ दर्शन योजना में मेरे यहां से ट्रेने गई हैं, यह चुनौती है इस भारतीय जनता पार्टी को और स्पष्ट रूप से यह भ्रष्टाचार पहले 28 हजार में भी करते थे और बेटियों की शादी के पैसे में आज भी भ्रष्टाचार करते हैं, कमीशनखोरी करते हैं, इसलिये इस अनुपूरक बजट का मैं विरोध करने का काम करता हूं और निवेदन करता हूं कि इस बेपनाह अंधेरों ...
अध्यक्ष महोदय-- हो गया आपका, बैठ जाइये. जालम सिंह जी के अलावा किसी का नहीं लिखा जायेगा.
श्री कुणाल चौधरी-- (XXX)
श्री जालम सिंह पटेल (नरसिंहपुर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आदरणीय वित्त मंत्री जी ने जो अनुपूरक बजट पेश किया है इसका मैं समर्थन करता हूं और माननीय अभी कांग्रेस के सभी सम्मानीय बंधू बजट का विरोध कर रहे थे, अनुपूरक का भी कर रहे हैं, हमारी पॉलिसी का भी विरोध कर रहे हैं और मैं ऐसा मानता हूं कि झूठी वादे करने वाली कांग्रेस और अभी एक सर्वेक्षण आया है इस सर्वेक्षण में मध्यप्रदेश आर्थिक सर्वेक्षण और उसमें लिखा है कि वर्ष 2001 में जो हमारा बजट था, इस बजट का जो आकार था 16393 था....
श्री कुणाल चौधरी-- और कर्जा कितना था, वह भी बता दें. ...(व्यवधान)... मैं यही तो कह रहा हूं कि इतना बढ़ा कैसे, अगर इतना बढ़ गया है तो ...(व्यवधान)... मध्यप्रदेश की सरकार को भी वह मिलना चाहिये. ...(व्यवधान)...
श्री जालम सिंह पटेल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, इस प्रकार जो हमने काम किया है, वर्तमान हमारा जो बजट 3 लाख करोड़ से ज्यादा का जो हमारा बजट है और यह अंतर जब हम काम करते हैं तो उनके परिणाम भी दिखते हैं. हम इसके पहले बजट की बात करें, बजट पहले भी आते थे उसमें व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार भी होता था और मैं ऐसा मानता हूं कि पॉलिसी पैरालिसिस सिस्टम पहले था कि पॉलिसी को पूरा खा जाओ और उसके परिणाम भी हम सबने देखे हैं, बड़े-बड़े घोटाले मध्यप्रदेश में भी हुये, देश में भी हुये हैं जब मनमोहन सिंह जी की सरकार थी उसके पहले भी जो सरकारें थीं उसमें बहुत ज्यादा भ्रष्टाचार हुआ है.
श्री निलय विनोद डागा-- एक भी साबित नहीं हुआ और न एक को सजा हुई. अब अडाणी के भ्रष्टाचार की बात भी कर लो.
श्री जालम सिंह पटेल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, (XXX) और वह कोर्ट का इंतजार नहीं कर रहे और मैं ऐसा मानता हूं कि जब आपने भ्रष्टाचार किया है तो उसके परिणाम तो भुगताने पड़ेंगे. वर्तमान हमारी सरकार है चाहे मध्यप्रदेश में हो और चाहे देश में हो लगातार विकास के कार्य कर रही है और इसमें हमारा जो वर्ष 2005 में हमारा ऋण हुआ करता था तो उसमें जो हमारा पूंजीगत व्यय उस समय था 37 लाख 89 हजार करोड़ था जो 45 लाख 685 हजार करोड़ रूपये का हमारा पूंजीगत व्यय इसमें हुआ है और इसी प्रकार से हमने अगर अभी हम बात कर रहे थे कि बच्चों को साइकिल नहीं मिली हैं, इसी में लिखा है वर्ष 2022-23 में एक लाख से अधिक छात्राओं को अभी साइकिल का वितरण किया गया है जो छठवीं से नौवीं क्लास के बीच में हैं, इसी प्रकार से गांव की बेटी योजना है इसमें प्रत्येक हमारी बेटी को 500 रूपये प्रतिमाह 10 माह तक मिलता है, उसमें 23269 छात्राओं को इसका लाभ मिला है, गांव की बेटी योजना प्रतिभा किरण योजना में इस वर्ष इसमें 1 लाख 66 हजार जो हमारी बेटियां हैं, छात्रायें हैं उसमें उनको लाभ मिला है और इसी प्रकार से अनेक प्रकार के हमारी सरकार ने कीर्तिमान स्थापित किये हैं. कांग्रेस के बंधुओं से मैं बात करना चाहता हूं कि जो हमारा अनुपूरक बजट है इसमें हमने किसानों के लिये भी प्रावधान किया है. इसमें हमने प्रधानमंत्री आवास के लिये भी प्रावधान किया है लेकिन आपने एक वचनपत्र दिया था, यह हमारे पास है. किसानों का कर्जा 2 लाख का माफ करेंगे. बिजली का बिल आधा करेंगे. स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करेंगे. माननीय सदस्य चले गये. स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को कोई जानता है कि नहीं. सम्माननीय हमारे डॉ.मनमोहन सिंह जी जब देश के प्रधानमंत्री थे. 2004-05 में वह रिपोर्ट आई थी. 2023 हो गया है. जब से देश के प्रधानमंत्री सम्माननीय नरेन्द्र मोदी जी बने हैं तब से हम उस क्षेत्र में लगातार काम कर रहे हैं चाहे समर्थन मूल्य बढ़ाने की बात करें,चाहे सिंचाई के क्षेत्र की बात करें. आपने अनेक प्रकार के बोनस देने की बात कही. गेहूं,धान,कपास,अरहर,सरसों,सोयाबीन में, लहसुन,प्याज,टमाटर,गन्ने पर. एक पैसा नहीं दिया. दूध में 5 रुपये लीटर देंगे. आपने एक पैसा नहीं दिया. डीजल,पेट्रोल में करों में छूट देंगे इसमें आपने काम नहीं किया. किसानों के लिये नई फसल बीमा योजना लेकर,आपने बीमा की राशि जमा नहीं की. इसी प्रकार से खाद्य,प्रसंस्करण उद्योगों से जी.एस.टी. से छूट दिलाएंगे. यह आपके वचन हैं इसमें. किसानों के पुत्र,पुत्रियों को 5 वर्ष के लिये ऋण रियायती दर पर देंगे. किसानों की कन्याओं को विवाह में 51 हजार रुपये देंगे. किसी भी कन्या का विवाह आपने नहीं किया है. किसानों को स्मार्ट कार्ड देंगे और पान निगम का गठन करेंगे. उद्यानिकी में लाभ देंगे.
श्री राकेश मावई - यह सत्ता पक्ष के विधायक हैं या विपक्ष के.
श्री जालम सिंह पटेल - आप लोग जो बोल रहे हो उसका जवाब दे रहा हूं. बजट पर तो बोल ही रहा हूं और श्रमिक अधिकार का भी आपने दिया. उसको भी पढ़कर बता देता हूं. श्रमिक और गरीबों के लिये नया सवेरा कार्यक्रम आपने कहा था प्रारंभ करेंगे जिसके अंतर्गत 450 वर्गफीट का भूखण्ड देंगे. 295 रुपये की सहायता देंगे. 100 यूनिट बिजली 1 रुपये दर पर देंगे. रसोई गैस पर 100 रुपये छूट देंगे.चिकित्सा सहायता देंगे.
श्री राकेश मावई - माननीय अध्यक्ष महोदय, ऐसा लग रहा कि यहां कमलनाथ जी की सरकार हो और यह विपक्ष में बैठे हों. यह जो पढ़कर सुना रहे हैं.
श्री जालम सिंह पटेल - यह जानकारी होनी चाहिये. 246 असत्य वचन हैं यह.जिसके कारण धोखे से आपकी सरकार आ गई थी. यह आपका घोषणा पत्र है.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव - 100 यूनिट का 100 रुपये बिल आपके यहां आया कि नहीं आया. किसानों के बिल आधे आए कि नहीं. यह असत्य वचन नहीं है. 100 रुपये में 100 यूनिट बिजली के बिल पूरी मध्यप्रदेश की जनता को मिले हैं. किसानों का 1500 रुपये प्रति हार्सपावर का बिल आता था, 750 रुपये आज तक आ रहे हैं.
श्री जालम सिंह पटेल - 60 वर्ष से अधिक उम्र के प्रत्येक व्यक्ति को एक हजार रुपये देंगे. इन असत्य वचनों के कारण से आपको वोट मिल गये थे. अब आपको ढूंढे नहीं मिलने वाले और मैं ऐसा मानता हूं कि इस बजट के माध्यम से हमने प्रत्येक वर्ग के लिये हमने काम किया है और जो हमारी नीति है जो हम काम करने वाले हैं. इस बजट के माध्यम से चाहे शिक्षा हो, स्वास्थ्य हो, चाहे संबल योजना हो उस क्षेत्र में हमने काम किया है और मध्यप्रदेश सरकार की बात करें. एक निडर और निर्णायक सपनों के लिये काम करने वाली हमारी सरकार है. एक ईमानदार और सम्मान देने वाली हमारी सरकार है और इसी प्रकार से गरीबों को स्थायी समाधान और उनके स्थायी सशक्तीकरण के लिये काम करने वाली यह सरकार है और मध्यप्रदेश को इनोवेशन और टेक्नालाजी के माध्यम से जनकल्याण को सर्वोपरि रखने वाली हमारी यह सरकार है. मध्यप्रदेश में महिलाओं के सामने से हर बाधा को दूर करने वाली हमारी सरकार है जिसमें अनेक प्रकार के प्रावधान उसमें किये हुए हैं और मध्यप्रदेश में प्रगति के साथ प्रकृति का भी संरक्षण करने वाली हमारी यह सरकार है और अन्नश्री के माध्यम से जो हमारा मोटा अनाज है उसके लिये हमारे प्रदेश की सरकार भी लगातार काम कर रही है. मुख्यमंत्री जी ने अलग से अन्नश्री का बोर्ड बनाने का काम किया है और वह ऐसा अन्न है जो कम पानी में, कम उपजाऊ भूमि में वह अन्न पैदा होता है. देश के प्रधानमंत्री जी ने उसको प्रेरित किया है. पूरे विश्व में उसका निर्यात हम करने वाले हैं.जो हमारे किसान भाई दूरस्थ रहते हैं जहां पानी,बिजली की कमी है जहां ऊबड़-खाबड़ जमीन है इससे वहां लाभ मिलेगा. मेरा निवेदन है कि इस अनुपूरक बजट को हम पास करें.बहुत-बहुत धन्यवाद. श्री महेश परमार (तराना)-- अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2023-23 के तृतीय अनुपूरक अनुमान पर मुझे आपने बोलने का अवसर दिया है. यह बजट सिर्फ एक असत्य का पुलिन्दा है. वर्ष 2020-21,201-22 दोनों बजट में जो प्रावधान था मध्यप्रदेश सरकार का वह खर्च नहीं किया. पूरे मध्यप्रदेश में स्थिति बड़ी भयावह है. सिर्फ अच्छी पुस्तक छपवाने से और इसमें आंकड़े दर्शाने से मध्यप्रदेश का विकास नहीं होगा. अभी गृह एवं जेल मंत्री जी उज्जैन पधारे थे और वित्त मंत्री जी हमारे उज्जैन जिले के प्रभारी मंत्री जी हैं. अध्यक्ष महोदय, आप भी उज्जैन पधारे थे, भगवान महाकाल की नगरी उज्जैन में. उज्जैन के बारे में मेरे पूर्व वक्ताओं, साथियों ने आपको बताया. मध्यप्रदेश में हर वर्ग में हताशा है. वह चाहे हमारे बुजुर्ग माता पिता हों, चाहे हमारे युवा साथी हों, किसान भाई हों, बच्चे, बहनें हों. लेकिन इस सरकार ने, नरोत्तम मिश्र जी बैठे हैं, वे नरों में उत्तम हैं. इनके विभाग का उज्जैन की भैरवगढ़ जेल में लगभग 13-14 करोड़ रुपये का गबन हुआ. जेल मंत्री जी वहां पधारे और जो मुख्य दोषी डीडीओ है, वह महिला इनके साथ आपका स्वागत कर रही थी. वहां के हमारे प्रभारी मंत्री जी, वित्त मंत्री जी हैं. 14 करोड़ रुपये जिन जेल के अधिकारियों, कर्मचारियों ने बड़ी मेहनत से परिश्रम करके उनकी भविष्य निधि का पैसा गबन हुआ और दो-तीन प्रहरियों के ऊपर रिपोर्ट दर्ज कराकर इससे इतिश्री हो गयी. मेरा निवेदन है कि गृह मंत्री जी, वित्त मंत्री जी इतना बड़ा भ्रष्टाचार अभी तत्काल हुआ है. इतनी बड़ी दोषी अधिकारी खुलेआम घूम रही है और आज कोई भी जिम्मेदार सरकार का जन प्रतिनिधि मंत्री जी हों, मुख्यमंत्री जी हों या मध्यप्रदेश शासन के डीजीपी साहब हों या जेल डीजी हों. ये कोई भी जिम्मेदार व्यक्ति इसके ऊपर चर्चा नहीं कर रहे हैं. तो मेरा आपसे निवेदन है कि मध्यप्रदेश भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुका है. किसानों की बात करें. तो बजट में बड़ी बड़ी बातें हुईं. प्रदेश में मनरेगा जैसी महत्वपूर्ण योजना पिछले 2 वर्ष से बंद है. यह स्थिति मध्यप्रदेश शासन की है. मनरेगा जैसी महत्वपूर्ण योजना गांव में बंद है. आज आंगनवाड़ी नाम के ऊपर है, लेकिन आंगवाड़ी का भवन नहीं है. प्राथमिक विद्यालय, माध्यमिक विद्यालय, हाई स्कूल एवं हायर सेकेण्ड्री स्कूल के भवन नहीं हैं. स्कूल में शिक्षक नहीं हैं. सचिव, जीआरएस और जितने भी शासकीय विभाग के अधिकारी, कर्मचारी हैं, मध्यप्रदेश शासन के खिलाफ लगातार आंदोलन कर रहे हैं. मेरा निवेदन आपसे यही है कि किसान भाइयों की बात करने वाली सरकार मुख्यमंत्री जी कृषि कर्मण अवार्ड लेने दिल्ली जाते हैं. अपनी पीठ थपथपाते हैं, लेकिन मध्यप्रदेश का किसान रात दिन मेहनत करके उस किसान परिवार के माता पिता, उनके बच्चे रात दिन मेहनत करके अपनी फसल उगाते हैं और जब अपने आपको ठगा हुआ महसूस करते हैं कि उनकी फसलों का उचित दाम नहीं मिलता है. मुख्यमंत्री जी अवार्ड की वाह-वाही लूटते हैं. पूरी सरकार अवार्ड के लिये अपनी पीठ थपथपाती है, लेकिन किसानों को उचित मूल्य नहीं मिलता है. चाहे डीजल,खाद,बीज एवं कृषि उपकरण हो, इनकी कीमतों की वृद्धि 20-25 गुना हुई, लेकिन किसानों की उपज के दाम आज वहीं के वहीं हैं. मेरा यही निवेदन है कि अगर यह सरकार इस अनुपूरक बजट में किसानों के लिये सोचती तो निश्चित रुप से प्रदेश के किसानों का भला होता. प्रतियोगी परीक्षाओं में लगभग 450 करोड़ रुपये जो हमारे यहां के नौजवान बेरोजगार हैं, अभ्यार्थी हैं, उनसे फीस के माध्यम से करोड़ों रुपये ले लिये जाते हैं. लेकिन सिर्फ प्रतियोगी परीक्षा होती है, न कि कभी उनकी भर्ती होती है. यह स्थिति है सरकार की. बिजली की स्थिति यह है कि मेरे विधान सभा क्षेत्र तराना और पूरे उज्जैन जिले एवं पूरे मध्यप्रदेश में एक एक विधान सभा में 50-50,60-60 गांव की बिजली कटी हुई है. लेकिन कोई भी जिम्मेदार अधिकारी शासन, प्रशासन का, मंत्री जी बैठे हैं यहां, कोई सुनने वाला नहीं है. किसानों का दर्द कोई बांटने वाला नहीं है. उज्जैन में भगवान महाकाल में हमारे तत्कालीन मुख्यमंत्री, कमल नाथ जी ने 300 करोड़ रुपये दिये थे, उन 300 करोड़ रुपये में भ्रष्टाचार सरकार के अधिकारी चार-चार आईएएस के ऊपर लोकायुक्त की प्राथमिकी दर्ज हुई. लेकिन आज कोई भी जिम्मेदार मंत्री या मुख्यमंत्री जी इसके ऊपर जवाब देने के लिये तैयार नहीं हैं. पुण्य सलीला मां क्षिप्रा में लगभग 300 करोड़ रुपये खर्च करने के बाद भी कान्हा नदी का गंदा पानी मिल रहा है. शनिश्चरी अमावस्या हो या पूर्णिमा हो या सोमवती अमावस्या हो, जब हजारों लाखों की संख्या में श्रद्धालू वहां स्नान करने आते हैं तो गंदे पानी में उनको स्नान करना पड़ता है. यह सरकार की स्थिति है. मेरा आपसे यही निवेदन है कि उज्जैन में भैरवगढ़ जेल में माननीय गृह मंत्री और माननीय वित्तमंत्री, आपसे मेरा विशेष निवेदन है कि जो लगभग 14 करोड़ रुपये का इतना बड़ा भ्रष्टाचार है, आप लोग क्यों चुप हैं, क्यों मूकदर्शक बनकर देख रहे हैं, मुझे इस बात पर बड़ा आश्चर्य हो रहा है. मेरा यही निवेदन है कि मध्यप्रदेश में यह जो अनुपूरक बजट आया है. मध्यप्रदेश के युवाओं के लिए मध्यप्रदेश के किसानों के लिए मध्यप्रदेश की हमारी बहनों के लिए किसी के लिए भी कोई काम नहीं हुआ है. अध्यक्ष महोदय, मेरा यही निवेदन है कि मैं इस अनुपूरक बजट की निंदा करता हूं.
श्री देवीलाल धाकड़ (एड्वोकेट) (गरोठ) - अध्यक्ष महोदय, माननीय वित्तमंत्री जी के 16 हजार 329 करोड़ 50 लाख रुपये के तृतीय अनुपूरक बजट के पक्ष में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं. हम यह जानते हैं कि प्रदेश के सर्वांगीण विकास के लिए योजनाएं बनाना पड़ती है और योजनाओं का क्रियान्वयन करना पड़ता है, तब विकास होता है. मैं अभी विपक्ष के कई बंधुओं को सुन रहा था. मैं विचार कर रहा था. झूठ बोलो, जोर से बोलो और झट बोलो. हमारे गांव में एक कहावत है कि जो बोलते हैं उनके बुरे भी बिक जाते हैं और जो नहीं बोलते, उनके ज्वार भी रह जाती है. आखिर जितनी योजनाएं हमारी सरकार ने विकास की बनाई, उसके कारण परिवर्तन हुआ है. आज लगातार कृषि कर्मण पुरस्कार यदि मिला. माननीय श्री मनमोहन सिंह जी के समय भी कृषि कर्मण पुरस्कार मध्यप्रदेश सरकार को मिला है. यह केवल भाषण देने से नहीं होता है. अभी हम विकास यात्रा के तहत ग्रामीण क्षेत्र में गये, सरकार ने कितनी योजनाएं बनाई. हम पूछते हैं तो 8-10 योजना का नाम अनपढ़ व्यक्ति भी बता देता था और फिर हम पूछते थे कि वर्ष 2003 के पहले विकास की कितनी योजना बनी थी तो कोई नहीं बोलता. केवल एकाध सदस्य बोल जाता था कि हां, आवास के लिए इंदिरा आवास योजना बनाई थी, कितनी रुपये की? वह 15 हजार रुपये की. इसके अलावा कोई योजना का नाम नहीं था, वह भी मेरा नाम काटकर दूसरे का नाम कर दिया था. केवल भाषण देने से नहीं होता है. इतनी विकास की योजनाएं बनाई हैं. आवास की दृष्टि से प्रधानमंत्री आवास योजना, आज 1012 करोड़ 80 लाख रुपये का प्रावधान उसमें किया है, उसके कारण गरीबों को आवास मिलने वाले हैं. गरीबों का जीवन बदलने की वे योजनाएं हैं, इसलिए मैं इसका समर्थन करता हूं. अभी लाड़ली बहना योजना में जो 1000 रुपये हमारी सरकार ने किये. विपक्ष ने 1500 रुपये कर दिये चूंकि उनको मालूम है कि सरकार तो बनना नहीं है क्योंकि पहले श्री कमलनाथ जी की सरकार के समय उनको यह नहीं मालूम था कि पूरे प्रदेश में टोटल कर्जा किसानों का कितना है? और घोषणा कर दी थी कि 2 लाख रुपये का कर्जा माफ करेंगे, वह हुआ नहीं. किसानों के साथ जितना बड़ा धोखा किया है. उसका कारण किसान अभी भी भुगत रहे हैं बंधुओं. चूंकि जितनी योजनाएं बनी हैं उसके कारण आज भारतीय जनता पार्टी की देश में 20 राज्यों में सरकारें हैं. केवल गिनती के राज्य बच गये हैं. अभी विपक्ष के ही बंधु कह रहे थे कि 6-7 महीने और रुक जाओ. हमको मालूम है कि जनता क्या सोच रही है, जनता ने परिवर्तन देखा है, जनता में गरीबों का जीवन बदलने का काम किया है, इसलिए यह चिंता तो आप लोगों को करना चाहिए. अभी हमारी सरकार ने युवा लोगों को रोजगार देने के लिए एमएसएमई योजना के तहत पांव पर खड़े हों युवा, नये नये उद्योग डाले, इसके लिए 584 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है कि वह अपने पांव पर खड़े हों और दूसरों को रोजगार भी देवें, इसलिए इस अनुपूरक बजट में जो प्रावधान किया है मैं उसका समर्थन करता हूं. लोक निर्माण विभाग के तहत भी जो विभाग के पुराने आवास बने हैं, उनकी मरम्मत करना ताकि वह ठीक प्रकार से आवास के उपयोग में आएं. उनकी मरम्मत के लिए 40 करोड़ रुपये का प्रावधान किया. 75 करोड़ रुपये का प्रावधान अनुरक्षण के लिए राजमार्गों के लिए किया है. मैं इसलिए इसका भी समर्थन करता हूं. सामाजिक न्याय विभाग, दिव्यांग बंधु अपने आपको उपेक्षित न मानें और इसलिए उनके लिए भी 174 करोड़ 78 लाख रुपये का जो प्रावधान किया है, यह दिव्यांग बंधुओं के लिए बहुत आवश्यक था. पर्यटन विभाग की दृष्टि से पर्यटन का विकास हो, पर्यटन का जब विकास होता है तो निश्चित रूप से रोजगार के अवसर बढ़ते हैं लोगों को रोजगार मिलता है, इसलिए पर्यटन की दृष्टि से भी 51 करोड़, 85 लाख रुपये का जो प्रावधान किया है उसके कारण निश्चित रूप से कई लोगों को रोजगार भी मिलेगा और पर्यटन क्षेत्र में विकास भी होगा. हम यह जानते हैं कि शिक्षा प्रत्येक देश के लिये विकास का प्रमुख आधार होती है और शिक्षा के क्षेत्र में जब योजनाएं बनती हैं, युवाओं को शिक्षा के अवसर मिलते हैं तो निश्चित रूप से समाज और देश में परिवर्तन होता है. मेधावी विद्यार्थी योजना के तहत 15 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है. हम यह जानते थे कि अभी तक गरीबों के बच्चे जो प्रतिभाशाली होते थे कभी डॉक्टर, इंजीनियर बनने का सपना नहीं देख पाते थे, हमारी सरकार ने मेधावी छात्र योजना बनाई और उसके कारण आज गरीबों के बच्चे भी मेडिकल कॉलेज और इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ रहे हैं. निश्चित रूप से गरीबों के परिवारों का विकास होना सबका साथ और सबका विकास ही हमारी सरकार का संकल्प है और इसलिये मेधावी छात्र योजना के तहत भी जो 50 करोड़ का प्रावधान किया है उसके कारण ऐसे प्रतिभाशाली और युवाओं को जो गरीब परिवारों से आते हैं उनको भी निश्चित रूप से लाभ होगा और इसलिये अनेक विभागों की योजनाओं में अनुपूरक मांगों में जो प्रावधान किया है वह बहुत आवश्यक है. इसलिये मैं उनका समर्थन करते हुये अपनी बात समाप्त करता हूं धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय – श्री नारायण सिंह पट्टा जी, संक्षेप में कहना. अनुपूरक पर भाषण होगा, लंबा चौड़ा मत खींचना.
श्री नारायण सिंह पट्टा (बिछिया) – अध्यक्ष महोदय, मैं लंबा तो कभी दिया ही नहीं, जो-जो चीज आपने अनुमति दी वही मैंने बोला है. माननीय वित्त मंत्री जी के द्वारा तृतीय अनुपूरक अनुमान बजट पेश किया गया है मैं उसके विरोध में बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. बैंकिंग एक बहुत पेचीदा व्यापार है. कर्ज लेना, कर्ज देना और उससे मुनाफा कमाना जैसे तलवार की धार पर चलना है और यही तलवार आज मध्यप्रदेश की जनता तक तन चुकी है. आज प्रति व्यक्ति आय घट रही है, कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है. जन्म लेते ही 48,000 का बोझ लेकर व्यक्ति भयभीत है. मध्यप्रदेश में 18 वर्ष से भारतीय जनता पार्टी की सरकार है. जिस प्रकार भ्रष्टाचार और बेरोजगार बढ़ा है इसका श्रेय अगर किसी को जाता है तो वह वर्तमान सरकार को जाता है. आज मध्यप्रदेश में एक लाख से ज्यादा बैकलाग के पद खाली हैं और जब-जब चुनाव का समय करीब आता है तो हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी कहते हैं कि हम एक लाख बैकलाग पदों को भरेंगे. यह लगातार विगत लंबे समय से मध्यप्रदेश का वह नौजवान सुनता आ रहा है लेकिन रोजगार की तलाश में आज भी यहां-वहां भटकता फिरता आ रहा है. सबसे ज्यादा अगर किसी प्रदेश में बेरोजगारी के आंकड़े हैं तो वह आज मध्यप्रदेश में हैं. 39 लाख पद खाली हैं. आज अगर ग्रामीण क्षेत्रों की बात करें तो स्कूलों में शिक्षकों की कमी है, अन्य विभागों में भी अधिकारी और कर्मचारियों के पद खाली पड़े हुये हैं. आज जिस तरह वित्त मंत्री जी ने लगभग 16,000 करोड़ से ज्यादा की जो अनुपूरक बजट की मांग की है जबकि मैं आदिवासी सब प्लान की बात करना चाहता हूं कि पिछले वर्ष 2022-23 में जो 26,940 करोड़ का प्रावधान था. जिसमें 60 प्रतिशत खर्च नहीं किया गया था. वर्ष 2023-24 में 36,900 करोड़ रुपये से अधिक का प्रावधान किया गया है. इसमें सभी वर्ग के लोगों को इस सब प्लान का पैसा मिलता है. अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय वित्त मंत्री जी से गुजारिश करता हूँ कि अगर मध्यप्रदेश में आदिवासियों की आबादी 21 प्रतिशत है तो आबादी के हिसाब से अगर हम अनुमान लगाते हैं तो लगभग 60 से 70 हजार करोड़ रुपये होना चाहिए. इस अनुपूरक बजट में इसका प्रावधान होना चाहिए. मैं आदरणीय वित्त मंत्री महोदय से कहना चाहता हूँ कि हमारे यहां मण्डला जिले में 334 जो जर्जर स्कूलों के शिक्षा विभाग द्वारा डीपीसी के माध्यम से प्रस्ताव भेजे गए थे, उनकी आज तक स्वीकृति नहीं मिल पाई है. मुख्य बजट में भी इसका उल्लेख नहीं हो पाया है तो कम से कम जो हमारा अनुपूरक अनुमान बजट है, उसमें आप इनको शामिल करके स्वीकृति प्रदान का कष्ट करें.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इसी तरह मैंने तारांकित प्रश्न लगाया था, जिसमें 900 से अधिक और 522 मिनी आंगनवाड़ी पूरे जिले में जो भवनविहीन और जर्जर हैं, इनका भी मुख्य बजट में कोई प्रावधान नहीं किया गया है. अनुपूरक अनुमान बजट में अगर इन मिनी आंगनवाड़ी भवनों को बनाने के लिए स्वीकृति प्रदान की जाती है तो आदिवासी क्षेत्रों में, जो हमारे नौनिहाल हैं, उनको अच्छा पोषण देकर अच्छी शिक्षा और संस्कार देने का काम उन आंगनवाड़ियों के माध्यम से किया जाएगा, जिससे उन बच्चों का भला होगा.
अध्यक्ष महोदय, पीडब्ल्यूडी विभाग में भी जो अनुपूरक बजट में मांग की गई है, जिसमें मुझे यह कहते हुए और इस सदन को बताते हुए बहुत खेद है कि जब बजट को हम देखते हैं तो मण्डला जिले में मात्र एक सड़क की स्वीकृति दी जाती है. मण्डला विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत 7 किलोमीटर जिसकी लंबाई है. मैंने लोक निर्माण मंत्री भार्गव साहब से निवेदन किया है और उन्होंने भी मुझे आश्वासन दिया है. अभी अनुपूरक बजट में जोड़ने के लिए वित्त मंत्री जी से भी अनुग्रह किया है कि मेरे क्षेत्र में एक करियागांव चिकनिया नाला है, जिसका पुल एक साल से क्षतिग्रस्त है. उस पुल के क्षतिग्रस्त होने से वहां पर खाद्यान्न नहीं जा सकता. बारिश के समय में लोगों का आवागमन बाधित होता है और छात्र-छात्राओं को स्कूल जाने में भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. विभाग द्वारा प्राक्कलन भी भेज दिया गया है. मैं विभागीय मंत्री आदरणीय भार्गव साहब का और आदरणीय वित्त मंत्री, दोनों का ध्यान आकर्षित कराना चाहता हूँ और मैंने बार-बार आग्रह भी किया है. विभाग ने इसका प्राक्कलन भी भेज दिया है, लेकिन एक साल से ज्यादा समय हो चुका है क्षतिग्रस्त हुए, महज 72 लाख रुपये का प्राक्कलन है, मैं निवेदन करना चाहता हूँ, आपसे इसके संबंध में पत्राचार भी किया है, निवेदन भी किया है, दोनों माननीय मंत्री जी बैठे हुए हैं, आप जब अपना वक्तव्य देंगे, चूँकि यह लोगों से जुड़ा, गांव से जुड़ा और बच्चों से जुड़ा हुआ मामला है...
लोक निर्माण मंत्री (श्री गोपाल भार्गव) -- अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्य की भावना का आदर करता हूँ. आज ही विभाग की मांगों पर चर्चा है, उसमें आप इन सब बातों का उल्लेख कर लें.
श्री नारायण सिंह पट्टा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं निश्चित रूप से चर्चा करूंगा. माननीय वित्त मंत्री जी भी बैठै हुए हैं, इसलिए मैंने उनका ध्यान आकर्षित कराने की कोशिश की. इसी तरह आपसे एक और मेरा आग्रह है कि विभाग की अनुदान मांगों पर जब चर्चा होगी, तब मैं उसमें भी आग्रह करूंगा. वर्ष 2017 में माननीय मुख्यमंत्री जी मंडला जिले के बिछिया मुख्यालय आए थे. वहां जो एनएच 30 है, जो बिछिया शहर के अंदर से गुजरता है और शहर के अंदर होने के नाते वहां अनेक ऐसी दुर्घटनाएं होती हैं, जिससे लोगों में भय का वातावरण बना रहता है. माननीय मुख्यमंत्री जी ने वर्ष 2017 में बाइपास की घोषणा की थी. अभी वर्ष 2022 में भी माननीय मुख्यमंत्री जी ने नगर परिषद् के चुनाव के समय में मन से घोषणा करते हुए बिछिया बाइपास की स्वीकृति की घोषणा की. मुख्य बजट में इसका प्रावधान नहीं है. मैं वित्त मंत्री जी से आग्रह करना चाहता हॅूं कि अनुपूरक बजट में इसको जोड़ लिया जाए. इस तरह से अनुपूरक बजट में जनता से जुडा़ हुआ, लोकहित में अनुपूरक बजट की मांग की गई है और जहां पर यदि लोकहित में यह अनुपूरक बजट में समाहित नहीं किया गया हो, तो निश्चित रूप से हम ऐसे अनुपूरक बजट का विरोध करते हैं. आपने बोलने का अवसर दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
वित्त मंत्री (श्री जगदीश देवड़ा) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, तृतीय अनुपूरक बजट की मांग पर सभी हमारे सम्माननीय सदस्य सर्वश्री तरूण भनोत जी, बहादुर सिंह जी, पी.सी.शर्मा जी, कमलेश्वर पटेल जी, राजेन्द्र पाण्डेय जी, सुश्री हिना लिखीराम कावरे जी, आशीष शर्मा जी, विनय सक्सेना जी, देवेन्द्र वर्मा जी, संजय यादव जी, कुणाल चौधरी जी, जालम सिंह पटेल जी, महेश परमार जी, देवीलाल धाकड़ जी, नारायण पट्टा जी, मैं सभी का धन्यवाद करता हॅूं. काफी विस्तार से तृतीय अनुपूरक अनुमान पर आपने अपने विचार रखे हैं और बहुत विस्तार से हमारे साथी श्री बहादुर सिंह जी, डॉक्टर साहब ने और हमारे अनेक साथियों ने तृतीय अनुपूरक अनुमान के बजट पर काफी विभागों में जो-जो भी प्रावधान किए हैं और प्रावधान क्यों किए हैं, इसके बारे में भी काफी विस्तार से बताया है. हमारे माननीय सदस्यों ने उसमें सुझाव भी दिये हैं. निश्चित रूप से उन सबका, उन सबकी भावनाओं का सम्मान करते हुए जो भी उसमें उचित होगा, वह करेंगे लेकिन माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रथम अनुपूरक, द्वितीय अनुपूरक और तृतीय अनुपूरक या मुख्य बजट के बाद में ऐसा प्रावधान भी है. भारत के संविधान में अनुच्छेद 205 में यह प्रावधान है और उसी कड़ी में यह तृतीय अनुपूरक आज यहां पर प्रस्तुत किया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें कतिपय, अप्रत्याशित, प्रतिबद्ध तथा शासन की प्राथमिकता वाली योजनाएं केन्द्रीय योजनाओं के लिए भी अतिरिक्त आवश्यकता जो राशि मांगी जाती है और अभी इसी कड़ी में मेरे द्वारा रूपए 16 हजार 329 करोड़ 50 लाख 7 हजार का तृतीय अनुपूरक अनुमान प्रस्तुत किया है. इस प्रस्ताव में रूपए 1 हजार 487 करोड़ 30 लाख 19 हजार 5 सौ की राशि पूंजीगत कार्यों के लिये की गई है. माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत विस्तार से मुझे लगता है कि एक एक विभाग की कोई बात करने की आवश्यकता नहीं है. विभिन्न विभागों में यह प्रावधान किया गया है. मैं सदन से अनुरोध करूँगा कि तृतीय अनुपूरक अनुमान की मांग को सर्वसम्मति से पारित किया जाए. (मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न यह है कि-
“दिनाँक 31 मार्च 2023 को......
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- वित्त मंत्री जी, इतने सारे विधायकों ने जो सुझाव दिए आप समाहित कर लो तब तो सर्वसम्मति से...(व्यवधान)..
श्री गोपाल भार्गव-- तो विधायक सुनने के लिए ही बैठे हैं...(व्यवधान)..
श्री दिलीप सिंह परिहार-- माननीय, आपके विधायक ही नहीं बचे देखो तो सही घूम के.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- अकेले आप बैठे हों. आगे की बैंच पर, देखो तो जरा नजर घुमाओ, पीछे तक देख लो, इस बार देख लो, अगली बार की स्थिति बताती है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- हनुमान की ताकत बहुत है.
(मेजों की थपथपाहट)
3.44 बजे
वर्ष 2023-2024 की अनुदानों की मांगों पर मतदान.
(1) |
मांग संख्या – 1 |
सामान्य प्रशासन |
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मांग संख्या – 2 |
विमानन |
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मांग संख्या – 20 |
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी |
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मांग संख्या – 32 |
जनसम्पर्क |
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मांग संख्या – 41 |
प्रवासी भारतीय |
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मांग संख्या – 45 |
लोक परिसम्पत्ति प्रबंधन |
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मांग संख्या – 48 |
नर्मदा घाटी विकास |
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मांग संख्या – 55 |
महिला एवं बाल विकास |
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मांग संख्या – 57 |
आनंद.
|
अध्यक्ष महोदय -- अब, इन मागों पर कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत होंगे. कटौती प्रस्तावों की सूची पृथकत: वितरित की जा चुकी है. प्रस्तावक सदस्य का नाम पुकारे जाने पर जो माननीय सदस्य हाथ उठाकर कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत किए जाने हेतु सहमति देंगे, उनके ही कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए माने जायेंगे.
मांग संख्या - 1 सामान्य प्रशासन
डॉ. अशोक मर्सकोले 1
मांग संख्या - 2 विमानन
डॉ. अशोक मर्सकोले 2
मांग संख्या - 20 लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी
डॉ. अशोक मर्सकोले 2
श्री कुणाल चौधरी 3
श्री नारायण सिंह पट्टा 8
मांग संख्या - 32 जनसम्पर्क
डॉ. अशोक मर्सकोले 2
मांग संख्या - 41 प्रवासी भारतीय
इस मांग संख्या पर कोई कटौती प्रस्ताव नहीं आया है.
मांग संख्या - 45 लोक परिसम्पत्ति प्रबंधन
श्री नारायण सिंह पट्टा 4
मांग संख्या - 48 नर्मदा घाटी विकास
डॉ. अशोक मर्सकोले 2
श्री सज्जन सिंह वर्मा 6
श्री संजय यादव 8
मांग संख्या - 55 महिला एवं बाल विकास
डॉ. अशोक मर्सकोले 2
श्री संजय यादव 13
मांग संख्या - 57 आनंद
अध्यक्ष महोदय -- उपस्थित सदस्यों के कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए. अब मांगों और कटौती प्रस्तावों पर एक साथ चर्चा होगी.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, अचम्भा यह है कि आपने जीएडी के जितने भी नाम पढ़े उसमें एक भी सम्मानित सदस्य नहीं है, जितने नाम आपने पढ़े हैं.
अध्यक्ष महोदय -- अशोक मर्सकोले जी हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- एक हैं, आपको बधाई हो, सज्जन जी को भी बधाई हो.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- अध्यक्ष महोदय, जो ओल्ड पेंशन वाले हड़ताल कर रहे हैं, सारे सदस्य वहां पर गए हैं.
श्री तुलसीराम सिलावट -- आप नहीं गए, प्रश्न तो आपने उठाया था.
श्री कमलेश्वर पटेल (सिंहावल) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 1, 2, 20, 32, 41, 45, 48, 55 एवं 57 पर बोलने के लिए खड़ा हुआ हूँ.
अध्यक्ष महोदय, सामान्य प्रशासन विभाग जिसे जीएडी कहा जाता है. बहुत महत्वपूर्ण विभाग है हम कह सकते हैं कि पूरे प्रदेश की प्रशासनिक व्यवस्था का मूल स्तम्भ अगर किसी विभाग को कहा जाए तो वह सामान्य प्रशासन विभाग है. परन्तु दुर्भाग्य है सामान्य प्रशासन विभाग पूरी तरह असामान्य हो गया है. अव्यवस्थित तरीके से यह विभाग चल रहा है. पूरी तरह से अराजकता की भेंट चढ़ चुका है. जो ईमानदार अधिकारी हैं, जो अच्छा काम करना चाहते हैं, जो निष्पक्ष होकर काम करना चाहते हैं उनको महत्वपूर्ण जिम्मेदारी नहीं दी जाती है. सामान्य प्रशासन विभाग सभी विभागों का एक तरह से केन्द्र बिंदु है पर सामान्य प्रशासन विभाग का कोई कन्ट्रोल नहीं है. परमार साहब तो राज्यमंत्री हैं इनको तो कुछ पता भी नहीं होता है, साइन करने के लिए कभी फाइल आती होगी या नहीं आती होगी, पता ही भगवान जाने. मुख्यमंत्री जी के पास यह विभाग है. वर्तमान में इस विभाग का प्रदेश स्तर से लेकर जिला स्तर तक जिधर भी नजर दौड़ाइए लाओ और ऑर्डर ले जाओ जिलों और तहसीलों में भी यही हाल है और इतनी निरंकुशता
3.50 बजे {सभापति महोदय (श्री हरिशंकर खटीक) पीठासीन हुए. }
श्री कमलेश्वर पटेल -- ... है इसी विधान सभा में दो तीन दिन पहले इसी सत्र में हमारे सत्ता पक्ष के विधायकों ने भी अपनी पीड़़ा माननीय उमाकांत शर्मा जी और सूबेदार सिंह जी ने खुद अपनी पीड़ा व्यक्त की है कि इस सरकार में क्या स्थिति है. अगर सामान्य प्रशासन विभाग अपनी जिम्मेदारियों का सही ढंग से निर्वहन नहीं करता है तो ऐसी स्थिति बनना स्वाभाविक है. आज निचले स्तर पर भी जो काम होते हैं, तहसील स्तर पर, जनपद स्तर पर सभी जगह (XXX) मचा हुआ है और जिस तरह से छोटी-छोटी चीजों के लिए समस्याओं का निदान कराने के लिए किसान मजदूर, बेरोजगार भटकते रहते हैं कहीं न कहीं प्रशासनिक व्यवस्था में कसावट न होने की वजह से या अच्छे सक्षम अधिकारियों को प्रमुख जिम्मेदारी नहीं देने की वजह से यह स्थिति उत्पन्न हो रही है. आज माननीय मुख्यमंत्री जी कहीं किसी जिले में जाते हैं और पूरे ईवेंट के माध्यम से शासकीय धन का किस तरह से दुरुपयोग करते हैं और वहां पर अधिकारियों के साथ जिस तरह का बर्ताव करते हैं हम समझते हैं कि मुख्यमंत्री जी को यह शोभा नहीं देता है. जो हमारे अधिकारी, कर्मचारी हैं उनको खुलेआम इन शब्दों का इस्तेमाल करना कि उल्टा लटका देंगे, गाड़ देंगे हम समझते हैं कि किसी जिम्मेदार पद पर जिसको संवैधानिक अधिकार है कि वह कुछ भी कर सकते हैं उनके पास जो अधिकार है वह कलम का अधिकार है पर दिखाने के लिए, सिर्फ (XXX) करने के लिए इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल करके (XXX) लूटते हैं और सच बात तो यह है कि गरीब मजदूर किसान को जो न्याय मिलना चाहिए वह भी बिलकुल नहीं मिलता है. आज आलम यह है कि सभी विभागों में प्रभारियों के माध्यम से काम चलाया जा रहा है. अधिकारी कर्मचारियों की पदोन्नति जो कि वर्षों से अटकी हुई है जिसे इसी सरकार ने अटकाकर रखा है. बहुत सारे अधिकारी, कर्मचारी पदोन्नति की प्रतीक्षा करते हुए बिना पदोन्नति के रिटायर हो गए. यह सामान्य प्रशासन विभाग की जिम्मेदारी थी. न्यायालयों में प्रकरण चल रहा है. वहां भी निराकरण नहीं हो रहा है. मिले हुए अधिकार छिनते जा रहे हैं और तो और सभी विभागों में पद रिक्त हैं. नौकरियों में जो भर्तियां होना चाहिए वह भर्तियां नहीं हो रही हैं. एक तरफ आप स्वर्णिम मध्यप्रदेश की बात करते हैं. एक तरफ आत्मनिर्भरता की बात करते हैं. एक तरफ बात करते हैं कि हम पूरी तरह से अपने आपको अग्रणी घोषित करते हैं कि हम पूरे देश में सबसे अग्रणी हैं पर जहां हमने इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा कर दिया, भवन बना दिए यदि वहां बैठने वाले अधिकारी, कर्मचारी नहीं हैं तो फिर कैसे संचालन होगा यह चिंता का विषय है. जो विभागीय बजट है उसमें इस तरह का कोई प्रावधान नहीं किया गया है. जो खाली पद है, जो रिक्त हैं उनको कब भर्ती करेंगे. एक-एक पटवारी के पास तीन-तीन, चार-चार हल्के का प्रभार है. तहसीलदार, प्रभारियों के माध्यम से, नायब तहसीलदार, आरआई के पास प्रभार है. तहसीलदार नहीं है, डिप्टी कलेक्टर की चार साल से भर्ती नहीं हुई है. हमारे स्वयं के जिले में डिप्टी कलेक्टर का अभाव है. हम चीफ सेकेट्री से हमारी जो एसीएस सामान्य प्रशासन हैं उनसे भी मिले थे और मुख्यमंत्री जी से भी मिलकर निवेदन किया था. मेरे स्वयं के विधान सभा क्षेत्र में 150 किलोमीटर दूर के एसडीएम को वहां का प्रभार देकर रखा है. वह वहां सप्ताह में एक दिन जाते हैं. कैसे न्याय मिलेगा और इस बजट का क्या मतलब है. अगर हमारे गांव मे रहने वाले लोगों को समय पर न्याय नहीं मिले. जिलों में अधिकारियों का अभाव हो फिर कैसे समाधान होगा. मेरा आपके माध्यम से आग्रह है कि सीधी जिले में डिप्टी कलेक्टर का अभाव है आप वहां तत्काल व्यवस्थाएं कराएं. हमारे विधान सभा क्षेत्र में आप जिसको भेजना है भेज दीजिए हमारी कोई नामजद डिमांड नहीं है. जिले में सारा काम प्रभावित हो रहा है. हमारे समाजिक न्याय विभाग के डिप्टी डायरेक्टर नहीं है. सभी जगह जिन विभागों में आप नजर दौड़ाइए वहां कहीं डिप्टी कलेक्टर के पास प्रभार है तो कहीं कोई और अधिकारियों के पास प्रभार है हर विभाग में यही स्थिति है. इसलिए हमने कहा था सामान्य प्रशासन विभाग, पूरी तरह से असामान्य हो चुका है. जो अच्छे अधिकारी हैं, उनको अच्छी पोस्टिंग या जिम्मेदारी नहीं दी जा रही है. संविदा पर लोगों को बार-बार एक्सटेंशन दिया जा रहा है. आजीविका मिशन में एक भ्रष्ट अधिकारी को, जिसके खिलाफ लोकायुक्त में जांच चल रही है, माननीय उच्च न्यायालय में जांच चल रही है, उस व्यक्ति को लगातार रिटायरमेंट के बाद भी प्रभार दिया जा रहा है, ऐसा क्यों हो रहा है ? एक अधिकारी जो जांच करती है, नेहा मारव्,या सही जांच करती है, उनको अटैच कर दिया जाता है, बिना गाड़ी-घोड़े के कर दिया जाता है, उन्हें प्रताडि़त किया जाता है. एक शायद बड़वानी में भी ऐसी ही घटना घटी थी, एक नए जिम्मेदार आई.ए.एस. लड़के को, जिसने प्रमोटी कलेक्टर के भ्रष्टाचार की शिकायत की, वे शायद किसी से रिलेटेड थे, उनके खिलाफ कार्यवाही कर दी गई और आज भी शायद वे लूप लाईन में हैं. ऐसे कई उदाहरण हैं तो क्या ईमानदार अधिकारी, जो अच्छा काम करते हैं, उनके लिए सरकार में जगह नहीं है. ये चिंता का विषय है और इस पर काम करने की आवश्यकता है. जो भ्रष्ट अधिकारी हैं, उनके खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए. अभी दो दिन पहले ही दैनिक भास्कर अखबार में छपा था, जिन्हें घूस लेते पकड़ा वे SDM से अब ADM बन गए. छापों में जिनसे सौ करोड़ रुपये की संपत्ति मिली, वे अब डिप्टी कमिश्नर बन गए. मतलब भ्रष्टाचारियों के लिए जगह है और ईमानदार लोगों के लिए नहीं है. मैं, यहां उनके नाम का उल्लेख नहीं कर रहा हूं, इस तरह का भ्रष्टाचार इस सरकार में चल रहा है. ऐसे ही समाचार आया था 44 केस, 105 आरोपी, ज्यादातर क्लास वन ऑफिसर, सबूत भी पूरे, लेकिन 5 वर्षों से चार्जशीट तक नहीं, ये क्या हो रहा है ? ये सामान्य प्रशासन विभाग क्यों इतना असामान्य हो गया है, क्या चुनाव जितने के लिए हम इतना समझौता करेंगे. जो जिम्मेदार लोग हैं, जो गड़बड़ी करते हैं, भ्रष्टाचार करते हैं, क्या उनको हम निरंकुश रहने देंगे, उनके खिलाफ कार्यवाही नहीं करेंगे. जो अधिकारी ईमानदारी से कार्य करते हैं, उनको मौका नहीं देंगे. हम समझते हैं कि सरकार को सोचने और चिंता करने की आवश्यकता है.
सभापति महोदय, महिला बाल विकास की क्या स्थिति है आप समझ सकते हैं. किस तरह से पोषण आहार घोटाला हुआ और करोड़ों रुपये का पोषण आहार बाईक, ऑटो, कार से ढोया गया, ये सब इस सरकार में हुआ है. ऑडिट रिपोर्ट सत्यापन में इस सरकार की पोल खुली है.
सभापति महोदय- कृपया अपनी बात जल्दी समाप्त करें. 23 लोगों के नाम हैं.
श्री कमलेश्वर पटेल- सभापति महोदय, अभी हमने शुरूआत की है. पोषण आहार में इतना बड़ा घोटाला हुआ है. कुपोषण में मध्यप्रदेश नंबर वन पर है. हमारे स्वयं के जिले सीधी-सिंगरौली में 3-4 महीने पोषण आहार गया ही नहीं. पूरे प्रदेश में यही होता है. यह पोषण आहार जाता कहां है, जो उन्हें समय पर नहीं मिलता. छोटे-छोटे बच्चों के साथ सरकार यह अन्याय क्यों कर रही है ? बातें बड़ी-बड़ी हो रही हैं. एक तरफ हम लाड़ली बहना और कौन-कौन सी योजना की बात कर रहे हैं, दूसरी तरफ भईया लोगों की जेब से पूरी कटौती की जा रही है, सारे पैसे भ्रष्टाचार में निकाले जा रहे हैं, कोई काम नहीं हो रहा है.
सभापति महोदय, यदि हम विमानन की बात करें तो जनता की गाढ़ी कमाई के 65 करोड़ रुपये का नया विमान लिया गया था. जो परफेक्ट पायलट नहीं थे उनको उड़ाने को दे दिया. जनता की गाढ़ी कमाई का क्या हश्र हुआ लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई. जो दोषी थे, उनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हुई. जनता के पैसे को ये कैसे गंवा रहे हैं, इसका आप अंदाजा लगा सकते हैं.
सभापति महोदय, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी में क्या स्थिति है ? आज नल-जल योजना होनी चाहिए, घर-घर पानी पहुंचना चाहिए परंतु आज सभी गांवों की सड़कें खोदकर खराब कर दी गई हैं. सी.सी. सड़क खोदकर खराब कर दी गई है, कहीं-कहीं प्रधानमंत्री सड़क खराब कर दी गई है. उसे वापस जैसा बनाना चाहिए था वैसा नहीं बनाया गया. नल-जल योजना में जिन पाइपों का इस्तेमाल किया गया है, बिल्कुल घटिया स्तर की पाईप का उपयोग किया गया है, पता नहीं किस कंपनी की पाईप हैं. कहां गुजरात या किसी राज्य से वे पाईप आ रहे हैं. इसमें बहुत बड़ा घोटाला हुआ है. हैण्डपंप का खनन जिस तेजी से होना चाहिए, नहीं हो रहा है. मेंटेनेंस का काम सब ठेके पर दे दिया गया है. पहले हमारे मैकेनिक मेंटेनेंस का काम करते थे लेकिन अब सब ठेके पर दे दिया है, वे बस पैसा बनाने में लगे हुए हैं. हम समझते हैं कि यह बहुत बड़ी समस्या है.
सभापति महोदय:-आप एक मिनट में अपनी बात समाप्त करें.
श्री कमलेश्वर पटेल:- एक मिनट में बात समाप्त हो ही नहीं सकती.
सभापति महोदय:- सभी लोगों को समय देना है.
श्री कमलेश्वर पटेल:- सभापति महोदय, अभी तो शुरूआत की है, मैं पहला वक्ता हूं. आपके क्षेत्र में भी समस्या हैं, आप नहीं बोल सकते हैं. मुझे आप थोड़ा सा समय दें.
माननीय सभापति महोदय, पानी बहुत महत्वपूर्ण है, हम समझते हैं कि गरीबों के लिये गरीब बस्तियों के लिये बहुत महत्वपूर्ण समस्या होती है और अब गर्मी आ ही गयी है. आपकी तरफ से मंत्री जी भी बैठे हैं, व्यवस्था बननी चाहिये कि जो तत्काल नवीन हैंडपंप होने हैं, वह भी हो और संधारण का काम तेजी से हो और जो ठेका प्रथा संधारण में कर दी है, वह खत्म होनी चाहिये और जो विभागीय कर्मचारी हैं उनके माध्यम से ही कराना चाहिये. मेरा ऐसा मानना है. क्योंकि ठेका प्रथा वाले सिर्फ पैसा बनाने में लगे हैं, फायदा बनाने में लगे हैं उनको इससे मतलब नहीं है कि कितना लोगों को लाभ मिलेगा.
माननीय सभापति महोदय, जनसंपर्क विभाग का पता नहीं कि क्या हो गया है, वहां से पूरा इवेंट मैनेजमेंट का काम हो रहा है. जनसंपर्क विभाग में बैठे हुए अधिकारी/कर्मचारी हैं, वह बिना काम के बैठे हैं और आजकल मीडिया हाऊसेस की पहले जो व्यवस्था की जाती थी, उनसे भी काम छीन लिया. आजकल तो इवेंट वालों को सारा ठेका दे दिया है और जिस तरह से मुख्यमंत्री जी जाते हैं, कोई इवेंट होता है तो सारा ठेका प्रथा के माध्यम से पूरा हो रहा है और भारी भ्रष्टाचार हो रहा है. जहां लोगों को एक उम्मीद होती थी..
सभापति महोदय:- ठीक है,आप अपनी बात समाप्त करिये. श्री आशीष गोविन्द शर्मा जी.
श्री कमलेश्वर पटेल:- एक मिनट और लूंगा. सभापति महोदय, आनंद विभाग, जिसका सरकार बहुत तेजी से प्रचार-प्रसार करती है. आज वहां पर जो नेकी की दीवार और जो प्रचार-प्रसार होता था वह सब बंद हो गया है. आनंद में होगी तो यह सरकार होगी. प्रदेश की जनता नहीं है, ना वहां अधिकारी/कर्मचारी हैं, सब आंदोलनरत हैं. किसान, मजदूर शिक्षित बेरोजगार भटक रहे हैं. पूरी तरह से यह सरकार अव्यवस्थित है और मेरा आपसे आग्रह है कि यह जो अनुदान संख्या..
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर:- आप आनंद में हो कि नहीं ?
श्री कमलेश्वर पटेल:- आप तो आनंद में हो ही. बिजली के खंबों पर चढ़ो सब जगह लाइटें कट गयी हैं. सब जगह लाइटें कट गयी हैं.
सभापति महोदय:- अब आप अपनी बात समाप्त करिये. श्री आशीष गोविंद शर्मा.
प्रियव्रत सिंह:- मंत्री जी, 15 मिनट पहले अपने बंगले पर सो रहे थे.
श्री कमलेश्वर पटेल:- वह जगते-जगते भी सोचते रहते हैं कि आज हा-हाकर मचा है. आप किसी जिले में जाओ तो मंत्री जी को पता चलेगा.
संसदीय कार्य मंत्री( डॉ. नरोत्तम मिश्र):- मैं यह कह रहा था कि पूर्व ऊर्जा मंत्री से, वर्तमान ऊर्जा मंत्री और पूर्व पंचायत मंत्री से कि आप तो आनंद में हो ही. प्रद्युम्न का पूछ रहे थे. इन दोनों का आनंद यह अकेला छुड़ा कर ले आया है.
श्री प्रियव्रत सिंह:- भाई साहब, यह इतने आनंद में हैं कि इनको कोई चिंता नहीं है कि बिजली मिले या न मिले, कटे या जुड़ी रहे. यह अपने आराम में हैं. ऐेसे फ्रेश दिख रहे हैं.
श्री कमलेश्वर पटेल:- हमारे गृह मंत्री जी ने जिक्र किया है आनंद का. हम बिल्कुल आनंद में हैं. जनता की सेवा करके बहुत आनंद मिलता है. इनके जैसे भ्रष्टाचारियों का प्रमाण पत्र लेने की जरूरत नहीं है. हम विपक्ष की जिम्मेदारियों का निर्वहन नहीं कर रहे हैं इसलिये आनंद में हैं.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर:- हम तो आनंद में हैं, तुमसे ज्यादा काम कर रहे हैं; आपके सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है. .(व्यवस्था)
सभापति महोदय:- कमलेश्वर पटेल जी बात नहीं लिखी जायेगी. शर्मा जी आप अपनी बात शुरू करिये.
श्री कमलेश्वर पटेल:- (XXX)
सभापति महोदय:- कमलेश्वर पटेल जी, आप बैठ जाइये.
श्री प्रियव्रत सिंह:- आप तो एक बात बताओ कि घर पर सो रहे थे या नहीं.
श्री कमलेश्वर पटेल:- (XXX)
श्री आशीष गोविंद शर्मा(खातेगांव):- सभापति महोद, मैं इन मांगों पर अपनी ओर से समर्थन करता हूं. सुशासन किसी भी सरकार का एक तरीका होता है, एक छवि होती है. जिससे वह लोगों के बीच वह अपनी पैठ बनाती है. हम एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया का अनुसरण करते हैं. हम एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया का अनुसरण करते हैं. लोकतंत्र में हर पांच वर्ष में सरकार चुनी जाती है. सुशासन के बारे में कहा गया है कि किसी भी देश के विकास की प्रथम सीढ़ी सुशासन होती है. जिसके माध्यम से देश के विभिन्न अंगों का संचालन विवेकपूर्ण एवं सुशासित तरीके से किया जाता है. हमारी सरकार की विश्वसनीयता है, पारदर्शिता है और जनकांक्षाओं पर खरा उतरना इस सरकार का एक विशेष लक्ष्ण है. इसलिये इस सरकार ने इतने वर्षों तक मध्यप्रदेश की जनता का विश्वास जीता है. सरकार के कामों की छाप आज जनता के मन पर स्पष्ट रूप से दिखाई देती है. सामान्य प्रशासन विभाग जिसमें अधिकारी कर्मचारियों का एक लंबा तंत्र होता है. यह सरकार की नीतियों को विकास कार्यों को धरातल तक पहुंचाता है. इसलिये हर सरकार के कामों को जनता तक निर्बाध रूप से पहुंचाने का काम अधिकारी एवं कर्मचारी करते हैं. हमारा सामान्य प्रशासन विभाग निश्चित तौर पर इस काम को बखूबी कर रहा है. सभी विभागों में सामंजस्य बनाकर विभागीय भर्तियों को करना इन भर्तियों पर नियम बनाने का काम और अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा वर्ग, दिव्यांग और महिलाओं को जो आरक्षण मिला है उसको शत-प्रतिशत लागू कराने का काम, उसकी मॉनीटरिंग करने का काम हमारा सामान्य प्रशासन विभाग करता है. मध्यप्रदेश की सरकार ने आय प्रमाण-पत्र एवं जाति प्रमाण पत्र, स्थानीय निवासी प्रमाण-पत्र को बनाने के लिये विशेष अभियान चलाया. करोड़ों की संख्या में विद्यालयों के अंदर ही विद्यार्थियों के जाति प्रमाण-पत्र बनाकर के दिये. कई बार इन प्रमाण-पत्रों के लिये लोगों को कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ते थे. आय प्रमाण-पत्र हो, स्थानीय निवासी प्रमाण-पत्र हो, इसके लिये हमारी सरकार ने शपथ पत्र की बाध्यता को समाप्त किया. अब स्वघोषणा या स्वप्रमाण-पत्र के आधार पर भी स्वप्रमाणीकरण के आधार पर भी यह प्रमाण-पत्र जनता को मिल रहे हैं. हमारी सरकार ई कार्यलयों के निर्माण की दिशा में बहुत तेजी से आगे बढ़ रही है. आज हमारे तहसील के कार्यों का कम्प्यूटरीकरण हुआ है. वर्च्यूअल मीटिंग के माध्यम से प्रतिमाह माननीय मुख्यमंत्री जी कलेक्टर-कमिश्नर की कांफ्रेंस करते हैं. समस्त विभागों के तहसील स्तर पर विडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से आज संवाद स्थापित किया जा सकता है. सरकार की विश्वसनीयत और जनता के प्रति जवाबदेही को तय करने के लिये हमारी सरकार, हमारे मुख्यमंत्री जी सीएम हेल्प लाईन लेकर के आये, समाधान आन लाईन लेकर के आये. 181 टोलफ्री नंबर जनता को दिलवाया और इनके माध्यम से जनता की लाखों शिकायतों को निराकरण सरकार के द्वारा किया जा रहा है. एक सामान्य आदमी भी अपनी शिकायत दर्ज करवाकर संबंधित काम समय पर नहीं होने पर, चाहे हेंडपम्प सुधारने का काम हो, चाहे बिजली कनेक्शन जोड़ने का काम हो, हमने प्रशासन को जवाबदेह बनाया. जो अधिकारी इन कामों में लेट-लतीफी करता है उस पर अर्थ दंड भी आरोपित किया जाता है और उस पर कार्यवाही भी होती है. यही पारदर्शी सरकार का लक्ष्ण है कि काम करने वाले को अच्छा प्रतिसाद मिले और जो काम नहीं करें उसको दंड मिले. इसलिये हमारी सरकार जनता के बीच लगातार लोकप्रिय होती जा रही है. माननीय मुख्यमंत्री जी का स्वैच्छानुदान जिसके बारे में बहुत सारी बातें होती हैं. केन्द्र की सरकार के द्वारा आयुष्मान कार्ड आने के बाद लगातार गरीब लोगों का इलाज प्रतिवर्ष पांच लाख रूपये का हो रहा है. लेकिन इसके अलावा भी जो बीपीएल कार्डधारी या अन्य लोग होते हैं जिन्हें किसी योजना से लाभ नहीं मिल पाता है. उन मरीजों का उपचार माननीय मुख्यमंत्री जी की स्वैच्छानुदान मद से कराया जाता है. इसमें लगभग 200 करोड़ रूपये का बजट इसके लिये प्रावधान किया गया है, जिसका लाभ मरीजों को मिल रहा है. माननीय मुख्यमंत्री जी सर्वहारा वर्ग की चिन्ता करते हैं, गरीबों की चिन्ता करते हैं इसलिय बहुत उदारतापूर्वक इस मुख्यमंत्री स्वैच्छानुदान योजना से गरीबों का इलाज कराया जाता है. माननीय मंत्रियों की स्वैच्छानुदान की सीमा को सरकार के द्वारा बजट में बजट में बढ़ाया गया है. इस कारण से गरीबों का, मध्यम वर्ग के लोगों का इलाज के प्रति सरकार के सहयोग का दायरा और पहले से ज्यादा बढ़ा है. साथ ही साथ हमारी सरकार स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को और उनके परिवारों को पेंशन देने के साथ साथ उनके सम्मानपूर्वक अंतिम संस्कार और आश्रितों की चिन्ता तो करती ही हैं, लेकिन 25 जून 1975 को जो आपातकाल इस देश में लगा था, कई लोग जो हमारे पूर्व के पीढ़ी थी दो-दो वर्षों तक जेल में कठिन कारावास जिन्होंने भुगता, बिना किसी कारण के जिन्हें तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने जेल में ठूंस दिया था, उन परिवारों को भी लोकतंत्र सेनानी मानते हुए सम्मान निधि प्रदान कर रहे हैं, इसके लिए 60 करोड़ रुपए का बजट प्राप्त हुआ है, निश्चित ही एक अच्छी सरकार के लिए आवश्यक है कि भ्रष्टाचार मुक्त शासन व्यवस्था हो, इसलिए लोकायुक्त संगठन को पहले से ज्यादा मजबूत बनाया गया है. 110 प्रकरणों में वर्ष 2022 में आरोपीगण को दंडित किया गया और जितनी भी शिकायतें विभाग के पास आती हैं, ऐसी 290 शिकायतें इस वर्ष में पंजीकृत की गई है. इसके अलावा आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ये सब भी लगातार आर्थिक अपराध से जुड़े मामलों में तत्परतापूर्वक कार्य कर रहे हैं. भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति हमारी सरकार की है. समस्त जिलों में लगभग जो हमारे 54 विभाग हैं उनको ही आफिस के रूप में तब्दील करने का काम सरकार कर रही है. सबसे बड़ा जब किसी शासकीय सेवक की मृत्यु हो जाती थी, उसकी अनुकंपा नियुक्ति के नियमों का सरकार ने सरलीकरण किया है, और पहले एकजाई अनुकंपा नियुक्ति संविदा शाला में मिलती थी, अब प्राथमिक शिक्षक, प्रयोग शाला शिक्षक, विज्ञान शिक्षक इसमें प्रतिस्थापित करने संबंधी आदेश भी सरकार ने जारी किया है. निश्चित ही सरकार के कामों के कारण विभिन्न विकास की योजनाएं धरातल पर लागू हो रही है.
हमारी सरकार का जनसम्पर्क विभाग एक महत्वपूर्ण है और जनसम्पर्क विभाग का अध्ययन करने के लिए आज दूसरे राज्यों से भी जनसम्पर्क अधिकारी आते हैं, यह हमारे विभाग की ख्याति है. अब हमारे जो पत्रकार हैं, उनको 1 वर्ष की बजाए 2 वर्ष की अधिमान्यता प्राप्त की जाने लगी है. मैं पत्रकारों की तरफ से सरकार को धन्यवाद देता हूं. हमारे भोपाल में जहां पर बड़ी मात्रा में विभिन्न समाचार पत्रों, इलेक्ट्रानिक मीडिया, प्रिंट मीडिया के बड़े बड़े कार्यालय है, नामी धामी पत्रकार हैं. यहां पर तीन पत्रकार गृह निर्माण समिति को सरकार ने गृह निर्माण भूखंड आवंटित किया है और जो पत्रकारिता के लिए जो उत्कृष्ट पत्रकारिता पुरस्कार सरकार देती है उसमें 16 पुरस्कार सरकार ने स्थापित किया है, इस नवीन योजना में इलेक्ट्रानिक चैनल के पत्रकार और कैमरामैन को भी सम्मानित किया जाएगा. संचार क्षेत्र में जुड़े हुए प्रतिनिधियों के लिए स्वास्थ्य और दुर्घटना बीमा योजना भी संचालित है, इसकी मांग पत्रकारगण समय समय पर करते आए थे. दो लाख रुपए इस बीमा योजना में और दुर्घटना बीमा में 5 लाख रुपए, चूंकि बुजुर्ग समाज की संपदा होते हैं, जो बुजुर्ग पत्रकार हैं उनके लिए सरकार श्रद्धानिधि योजना का संचालन कर रही है और हर महीने 60 वर्ष की आयु पूर्ण करने वाले पत्रकार को 10 हजार रुपए की राशि दी जाती है, लगभग हमारे जो 252 वरिष्ठ पत्रकार हैं, उन्हें श्रद्धानिधि सरकार प्रदान कर रही और पत्रकारों को चिकित्सा, चूंकि पत्रकार भी निरंतर जनप्रतिनिधियों की तरह 24 घंटे सक्रिय रहकर काम करते हैं, इसलिए अस्वस्थता की स्थिति में सरकार उनकी मदद करती हैं. अभी तक 228 पत्रकारों को सरकार चिकित्सा सुविधा प्रदान कर चुकी है.
सभापति जी, मैं आपके माध्यम से नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण में इतना ही कहना चाहता हूं कि नर्मदा जी के किनारे 900 किलोमीटर का जो नर्मदा के समानांतर मार्ग है, उसका निर्माण सरकार कर रही है. निश्चित ही इस मार्ग के बनने से नर्मदा किनारे पैदल परिक्रमावासी यात्रा करने जाते हैं, लगभग 25 जिले के यात्रियों को और आम जनता को सुविधा प्राप्त होगी ही होगी. महिला बाल विकास विभाग पर मैं बोलना चाहता हूं कि कोई भी देश यश के शिखर पर तब तक नहीं पहुंच सकता, जब तक उसकी महिलाएं कंधे से कंधा मिलाकर नहीं चले, महिला बाल विकास और महिलाएं के लिए योजनाएं हमारे मुख्यमंत्री जी और इस सरकार के हृदय से निकली योजनाएं हैं, एक समय था जब बेटी के बारे में समाज में ये कल्पना थी कि 'उसे हम पर तो देते हैं मगर उड़ने नहीं देते, हमारी बेटी बुलबुल है मगर पिंजरे में रहती है ।' किसी ने यह दो लाईन कही थी कि बेटियों को परिवार से बाहर नहीं जाने दिया जाता था. अगर बेटी पांचवीं की परीक्षा गांव में पास कर लेती थी, तो उसे दूसरे गांव इसलिए पढ़ने नहीं भेजते थे क्योंकि उसकी सुरक्षा की चिन्ता होती थी. लेकिन आज बेटियां खुले आसमान में उच्छृंखल रूप से उड़ान भर रही हैं, अपने सपनों को साकार कर रही हैं. क्योंकि इस सरकार ने लाड़ली बेटी जैसी महत्वपूर्ण योजना चलाई. बेटी परिवार पर बोझ नहीं है, इसलिए छटवीं कक्षा में 2,000 रुपये, जब वह बेटी नवीं कक्षा में जाती है तब 4,000 रुपये की राशि, ग्यारहवीं कक्षा में जाती है तब 6,000 रुपये की राशि और उच्च शिक्षा के लिए 25,000 रुपये की सहायता राशि, लाड़ली लक्ष्मी 2 योजना के अंतर्गत माननीय शिवराज जी की सरकार दे रही है.
श्री कमलेश्वर पटेल - आप कितनी बार यह बात यहां बोलेंगे. मुख्यमंत्री जी ने कई बार बोल लिया और लोगों ने भी बोल लिया है.
श्री आशीष गोविंद शर्मा - कमलनाथ जी ने कुछ किया नहीं.
सभापति महोदय - कमलेश्वर जी, आप बैठ जाइये.
श्री कमलेश्वर पटेल - (XXX).
सभापति महोदय - यह नहीं आयेगा. आप अपनी बात जल्दी समाप्त करें. श्री आशीष गोविंद शर्मा जी.
श्री आशीष गोविंद शर्मा - सभापति महोदय, उदिता योजना जो हमारे मध्यप्रदेश सरकार की है, वह एनीमिया और कुपोषण को दूर करने के लिए महिलाओं के बीच लगातार काम कर रही है. हमारी सरकार ने पिंक ड्रायविंग लाइसेंस योजना के अंतर्गत 4,166 लाड़ली बेटियों का लर्निंग लाइसेंस बनाकर दिया, यह सरकार बेटियों के प्रति संवेदनशील है. कभी कांग्रेस की किसी सरकार ने बेटियों के लिए, महिलाओं के लिए इस तरह की योजनाएं नहीं बनाईं, इसलिए आज इनको कष्ट होता है. जब हम महिलाओं पर काम करते हैं.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव - योजना की शुरूआत सन् 2019 में ही हुई थी.
सभापति महोदय - आप अपनी बात जल्दी समाप्त कीजिये.
श्री आशीष गोविंद शर्मा - शशांक जी, आप कहां की बात कर रहे हैं. सभापति महोदय, हमारे मध्यप्रदेश ने 'बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ' अभियान के माध्यम से बेटियों का समाज में सम्मान बढ़ाने का लगातार काम सरकार ने किया है, इसके कारण आज हमारा लिंगानुपात पहले से बेहतर हुआ है. महिला बाल विकास विभाग के माध्यम से बाल विवाह रोकने के लिए भी विभिन्न जगहों पर काम हुआ है और बाल विवाह, जो एक सामाजिक बुराई है, उसको रोकने के लिए भी विभाग सफल हुआ है.
सभापति महोदय, प्रधानमंत्री मातृ वंदन योजना जो कि माननीय प्रधानमंत्री जी की बहुत महत्वकांक्षी योजना है. उसमें प्रथम डिलीवरी पर 5,000, द्वितीय प्रसव पर अगर बेटी का जन्म हो तो 6,000 रुपये हमारी सरकार देती है, गरीब परिवार को बेटी का प्रसव जो की चिंता की बात होती थी, अस्पताल ले जाने से लेकर डॉक्टर से प्रसव करवाने तक उसका खर्चा होता था, आज इन सब खर्चों को सरकार ने कम करते हुए, इस जिम्मेदारी को अपने कंधों पर ले लिया है, सबसे बड़ी
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XXX : आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
बात यह है कि सरकार ने महिला स्वयं सहायता समूहों को आत्मनिर्भर बनाया है, आज टेक होम राशन वितरण का काम स्वयं सहायता समूह कर रहे हैं, मेरी विधान सभा क्षेत्र में दो स्वयं सहायता समूहों को गेहूँ के उपार्जन का काम सरकार ने दिया था, जिससे उन महिला स्वयं सहायता समूहों को 5-5 लाख से अधिक की राशि का लाभ प्राप्त हुआ है, वास्तव में यही महिला सशक्तिकरण है. नारी को आर्थिक रूप से समृद्ध करना, नारी को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाना, इसी का नाम नारी सशक्तिकरण है और इस दिशा में सरकार लगातार काम कर रही है. मैं पीएचई विभाग पर थोड़ा बोलना चाहता हूँ. एक समय था, जब गांव का कुआं और हैंडपम्प, गांव की प्यास बुझाता था. देश की आजादी के 60 वर्ष गुजर जाने के बाद भी गांवों को उन कुओं और हैंडपम्पों से मुक्ति नहीं मिल पाती थी, कई बार हैंडपम्प का पानी खराब हो जाता था, मिट्टी मिलकर आती थी, कई बार उसमें फ्लोराइड आता था, कई बार कुओं में जानवरों के मरने से और कुछ गंदी चीज गिर जाने से कुआं अपवित्र हो जाता था, लेकिन सरकार आज पेयजल की योजनाएं गांव-गांव में टंकियों का निर्माण हो रहा है. एक-एक लाख लीटर, दो-दो लाख लीटर की टंकियां गांव में पाइपलाईन बिछ रही है और गरीब आदमी के घर, आज नलों के माध्यम से पानी पहुँच रहा है. कल्पना कीजिये कि जो गांव की महिलाएं कभी सिर पर गागर रखकर पनघट से पानी लेकर आती थीं. आज उनके घरों पर नल से पानी पहुँचने लग गया है, इसी का नाम आजाद भारत है, इसी का नाम गौरवमयी भारत है और इसी के लिए माननीय प्रधानमंत्री जी ने 15 अगस्त, 2019 से जल जीवन मिशन की शुरूआत की थी. आज गर्व इस बात का है कि मध्यप्रदेश के लगभग 57 लाख से अधिक परिवारों तक जल जीवन मिशन योजना के अंतर्गत पीने का पानी सरकार पहुँचा चुकी है. मैं आपके माध्यम से एक बात और कहना चाहता हूँ कि जो आनन्द विभाग है, विकास तो हम बहुत कर लेते हैं, भौतिक सुख-सुविधाएं भी जुटा लेते हैं, बड़ी-बड़ी बिल्डिंग्स भी बन जाती हैं, लेकिन जीवन में आनन्द और सुख नहीं होता है तो हम किसी वस्तु का उपभोग अच्छे से नहीं कर पाते हैं. इसलिए हमारी सरकार, लोगों को आनन्द मिले, इस दिशा में भी स्वयं सेवकों के माध्यम से आनन्दकों के माध्यम से लगातार काम कर रही है. मध्यप्रदेश में 9,000 स्थानों में आनन्द उत्सव मानाया गया. कोई रस्सी खिंचता है, कोई म्युजिक सुनाता है. कोई नृत्य प्रस्तुत करता है, सरकार विकास के विभिन्न कार्यों के लिये करोड़ों रूपये खर्चा करती है, लेकिन वास्तविक आनंद की अनुभूति तभी होती है, जब मन प्रसन्न होता है, जब बेटी लाड़ली लक्ष्मी बनकर उसके खातों में पैसा आता है, तब वह बेटी प्रसन्न होती है, वही आनंद है. जब किसी कन्या का कन्यादान सरकार करवाती है, तो दोनों जनों के चेहरों पर जो आत्मीय सुख का भाव होता है, वही आनंद है और जब किसी गरीब की थाली में दोनों समय का भोजन मिल जाता है, तो उसे जो सुख की अनुभूति होती है, वहीं आनंद है. माननीय सभापति महोदय, आपने बोलने का समय दिया उसके लिये बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री कमलेश्वर पटेल - इतनी मंहगाई कर दी, कहां से आनंद है. दो टाईम का खाना खाने की मुश्किल पड़ रहा है, इस मंहगाई के दौर में.
सभापति महोदय -- आप बैठ जायें, सम्माननीय सुश्री हिना लिखीराम कावरे जी आप बोलें.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे(लांजी) -- माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 1 सामान्य प्रशासन, मांग संख्या 55 महिला एवं बाल विकास एवं मांग संख्या 20 लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी पर अपनी बात रखने के लिये खड़ी हुई हैं.
माननीय सभापति महोदय, हमारा जो मध्यप्रदेश है, वह भारत में मध्य में स्थित है और निश्चित रूप से पांच राज्यों से हमारा प्रदेश घिरा हुआ है. यू.पी. से महाराष्ट्र से, छत्तीसगढ़ से और आपके गुजरात से, राजस्थान से. चूंकि चारों तरफ से हमारा प्रदेश दूसरे राज्यों से घिरा हुआ है, तो निश्चित रूप से जो वैवाहिक संबंध बनते है, वह भी दूसरे प्रदेशों से बनते हैं तो मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी का ध्यानाकर्षित करवाना चाहती हूं कि जो महिलाएं हमारी शादी होकर हमारे प्रदेश में आती हैं, उनको जाति प्रमाण पत्र को लेकर बहुत ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. अभी हमने देखा कि जब पंचायतों के चुनाव हुए, नगरीय निकाय के चुनाव हुए उन सब चुनावों में उनको जाति प्रमाण पत्र को लेकर काफी दिक्कते हुईं. केवल चुनाव में ही नहीं, जब किसी नौकरी में उनका यदि सिलेक्शन हो जाता है, तो जब भी वह अपने वेरिफिकेशन के लिये जाते हैं तो जाति प्रमाण पत्र का जब भी मामला आता है तो वह रिजेक्ट हो जाती हैं, ऐसी स्थिति में मैं यह कहना चाहती हूं कि मैंने इसको लेकर सामान्य प्रशासन विभाग का एक प्रश्न भी लगाया था, तो उसका बहुत गोलमोल उत्तर आ गया, लेकिन मैं आज यह बात कहना चाहती हूं कि जब हाईकोर्ट ने भी ऐसी महिलाएं जो हमारे यहां विवाह करके आती हैं, वह तो हमारे मध्यप्रदेश की ही हो जाती हैं, तो इनको तो उन्होंने माईग्रेंड नहीं माना है तो प्रारूप एक के तहत इनका जाति प्रमाण पत्र क्यों नहीं बनाया जाता है? यदि हम उनको अपने घर में विवाह करके लाते हैं, हमारे परिवार का हिस्सा वह बन जाती हैं तो फिर जाति प्रमाण पत्र को लेकर इतनी दुविधा उनके साथ क्यों होती है? क्यों उनको इसका लाभ नहीं मिल पाता है, निश्चित रूप से सामान्य प्रशासन में इसमें सुधार होना चाहिये और उनको भी आरक्षण का लाभ मिलना चाहिये, यदि आप वह कर दें कि उस प्रदेश में वह जाति ओ.बी.सी. में आती है और मध्यप्रदेश में वह जाति ओ.बी.सी. में आती है तो उसको तो कम से कम मान्य करना चाहिये जो नहीं हो पाता है. उनका जाति प्रमाण पत्र बनता है प्रारूप -3 में जिसका कोई औचित्य नहीं निकलता है, जिसको मान्यता प्राप्त नहीं है.
माननीय सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से यह कहना चाहती हूं कि वह इस बारे में संशोधन करें क्योंकि जो दिक्कते हैं, वह सब समझते हैं, इसमें सत्ता पक्ष और विपक्ष की बात नहीं है और अगर अधिकारी गोल मोल उत्तर देकर विधानसभा में कोई सा भी जवाब देकर यदि इन सब चीजों को नहीं करते हैं तो फिर हम किसलिये हैं. हम चुने हुए जनप्रतिनिधि हैं, सारे नियम कायदे कानून विधानसभा में बनते हैं और हमको जब पता है कि यह दिक्कते हैं तो इसको सुधार करने की भी जवाबदारी हमारी है. मैं चाहती हूं कि हमारे माननीय मंत्री जी अपने सामान्य प्रशासन के इस आदेश में संशोधन करें और हमारे यहां की महिलाओं को इसका लाभ मिले.
सभापति महोदय -- उन्होंने आपकी बात को नोट भी कर लिया है, वह लिख रहे हैं.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- माननीय सभापति महोदय, केवल नोट तक ही न रहे, आगे भी हमें इसका लाभ मिले ऐसी हम अपेक्षा करते हैं, क्योंकि जो जवाब आया उससे तो ऐसा लगता है कि अधिकारियों की तो मंशा नहीं है, लेकिन यदि आप लोगों ने चाह लिया तो निश्चित रूप से हो जायेगा.
माननीय सभापति महोदय, हमारे यहां एक ओर जाति आती है गोवारी जाति, इसको लेकर बहुत ज्यादा आंदोलन हमारे यहां पूरे प्रदेश में हो रहे हैं, इनके पास कंफ्यूजन की केवल एक ही बात है कि गोवारी जाति को एक तो आपके आरक्षण की सूची में जो आपकी ओ.बी.सी. है, उसमें भी यह गोवारी जाति शामिल है और अनुसूचित जनजाति वाली सूची में भी गोंड ग्वारी के नाम से यह जाति शामिल है,इसलिये यह लोग आंदोलन कर रहे हैं क्योंकि इनका कहना है कि हम लोग जो हैं अनुसूचित जनजाति में आते हैं, क्योंकि गोंड ग्वारी ऐसी कोई जाति होती ही नहीं है. मैंने इस मामले में भी प्रश्न उठाया है, या तो आप जो गोंड गोवारी जाति बता रहे हैं, तो ऐसी कोई एक आध मध्यप्रदेश में जाति वाला व्यक्ति हो उसको आप बता दें?
जहां तक मेरी जानकारी है कि गोंड गोवारी जाति कोई होती नहीं, गोंड अलग जाती होती है और गोवारी अलग जाती होती है, तो यह जो कंफ्यूजन बना हुआ है जिसके कारण हमारे गोवारी समाज के लोग आरक्षण का लाभ नहीं ले पा रहे हैं, मैं आपके माध्यम से कहना चाहती हूं कि जो ओबीसी की सूची है उसमें से गोवारी जाति को विलोपित कर दिया जाये तो कम से कम उनका कंफ्यूजन खत्म हो जायेगा, जो वह लड़ाई लड़ रहे हैं वह खत्म हो जायेगी, कोई एक बात तो हो, या तो आप यहां से अनुसूचित जनजाति से हटा दो या आप ओबीसी की सूची में से हटा दो, कोई एक काम तो आप करो, क्यों उनको कंफ्यूजन में बनाकर रखा है, यह ऐसे मामले हैं माननीय सभापति महोदय, कि जिसके लिये मुझे अच्छे से याद है मैं वर्ष 2013 में चुनकर आई थी उस समय भी मैंने इस बात को लेकर सदन में मामला उठाया था, लेकिन आज दिनांक तक उस पर कोई निर्णय सरकार की तरफ से नहीं हुआ है.
माननीय सभापति महोदय, मध्यप्रदेश में प्रमोशन पिछले 7 वर्षों से नहीं हो रहे हैं, यह बड़ी बिडम्बना वाली बात है. प्रमोशन की जब भी बात आती है तो सरकार कोर्ट का सहारा ले लेती है, कोर्ट ने प्रमोशन पर कोई रोक नहीं लगाई है, मुझे अच्छे से पता है कि अभी हमारे यहां के नायब तहसीलदार हैं वह सब मिलकर कोर्ट गये थे, हाईकोर्ट ने उनकी याचिका को स्वीकार करते हुये यह स्पष्ट कर दिया है कि हमको प्रमोशन पर कोई आपत्ति नहीं है, सरकार प्रमोशन करे, राज्य शासन को अधिकार है प्रमोशन करने का, लेकिन राज्य शासन केवल इस बात से कि अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों पर हाईकोर्ट ने रोक लगाई हुई है कि प्रमोशन में आरक्षण नहीं मिलेगा अनुसूचित जाति और जनजाति का, लेकिन इसका यह मतलब तो नहीं है कि आप जनरल को भी इस प्रमोशन के दायरे में न लाओ, ओबीसी को भी इस प्रमोशन के दायरे में न लाओ, इनके साथ नुकसान क्यों हो रहा है. सरकार सुप्रीम कोर्ट गई है मुझे पता है, हम भी चाहते हैं कि प्रमोशन में आरक्षण का लाभ हमारे अनुसूचित जाति, जनजाति के लोगों को भी मिलना चाहिये, लेकिन जब तक यह निर्णय नहीं हो जाता तब तक ओबीसी और हमारे सामान्य वर्ग के लोगों के साथ उनको प्रमोशन क्यों नहीं मिल रहा है, इसका भी निराकरण होना चाहिये, माननीय सभापति महोदय, बहुत लंबा समय हो गया है, 7 वर्ष कम नहीं होते. ठीक है 10 वर्ष का उनका कार्यकाल बीतता है उनको पदोन्नति वाला वेतन मिल जाता है लेकिन उनको वह स्टेटस नहीं मिल पाता है. यह सब चीजें होना चाहिये.
माननीय सभापति महोदय, एक बात और आती है हमारे अर्जित अवकाश की, यह हमारे प्रदेश की स्थिति है कि जो हमारे आईएएस अधिकारी होते हैं उनको अर्जित अवकाश में जो 300 दिन का नगदीकरण होता है वह तो सीधे-सीधे हो जाता है, लेकिन जो राज्य के कर्मचारी होते हैं उनको अवकाश के नगदीकरण में इतने सारे नियम क्यों लगा दिये जाते हैं, खजाना वही है, आप आईएएस अधिकारी को भी इसी खजाने से राशि देते हैं तो हमारे राज्य सरकार के जो कर्मचारी हैं उन्होंने क्या गुनाह किया है, उनको भी इसका लाभ मिलना चाहिये, क्यों उनको इतने नियमों में बांध दिया जाता है, सीधे-सीधे अगर आईएएस अधिकारी को लाभ मिल रहा है तो इनको भी मिलना चाहिये.
माननीय सभापति महोदय, आउटसोर्स की बात मैं करना चाहूंगी. आरक्षण की बहुत बात इस हाउस के अंदर होती है, सारे अधिकतम विभाग ऐसे हमारे यहां हैं जिसमें आपने आउटसोर्सेस के माध्यम से कर्मचारी रखे हैं. नौकरियां तो आप रेगुलर वाली दे नहीं रहे हैं, अब आपने आउट सोर्सेस को अपना एक नया हथियार बना लिया है लेकिन उसमें भी तो ऐसे जो हमारे आरक्षित वर्ग के लोग हैं उनका तो नुकसान हो ही रहा है, क्योंकि इनको कहीं पर भी आरक्षण का उनके पास कोई नियम नहीं है और न उसमें कोई प्रावधान है तो कम से कम माननीय सभापति महोदय, यह सरकार आउटसोर्सेस से ही काम करवाना चाहती है तो उसमें भी आरक्षण को लगा दें तो हमारे लोगों का फायदा हो जायेगा क्योंकि अभी तो यह भटकने वाली स्थिति हो गई आप आरक्षण के नाम पर वाहवाही लूट लेते हैं लेकिन जब उनको लाभ देने की बात आती है तो उनको लाभ मिलता नहीं है.
माननीय सभापति महोदय, लोकायुक्त की बात मैं करना चाहूंगी. संभागीय स्तर पर लोकायुक्त के अधिकारी बैठते हैं इनको जिला स्तर पर भी बिठाना चाहिये क्योंकि भ्रष्टाचार के ऐसे बहुत सारे मामले होते हैं जो लोग सामने लाना चाहते हैं, शिकायत करना चाहते हैं और चूंकि उनका अधिकारी बैठता ही आपके संभागीय स्तर पर है यदि जिला स्तर पर उनके अधिकारी बैठेंगे तो कम से कम बहुत आसानी से वह लोकायुक्त में शिकायत कर पायेंगे. माननीय सभापति महोदय, मैं यह नहीं कहती कि उतने बड़े स्तर का अधिकारी वहां बिठाओ, एडिशनल एस.पी. बिठा दो, अगर ऐसा होता है तो निश्चित रूप से भ्रष्टाचार पर रोक लगेगी.
माननीय सभापति महोदय, सरकार ने प्रभारी सचिवों की नियुक्ति की थी, मुझे तो आज तक समझ में नहीं आई कि बालाघाट का कौन सा सचिव प्रभारी नियुक्त है, उसका क्या काम है, मुझे लगता है मुझे ही नहीं काफी सारे विधायकों को पता नहीं होगा कि उनके जिले का प्रभारी सचिव कौन है, उनका आखिर काम क्या है, सरकार नियुक्ति कर देती है, लेकिन उसके पीछे कहीं कोई रिकार्ड मेनटेन करती है या नहीं करती है, सचिव जिले में गये नहीं गये, उन्होंने क्या काम किया, उनकी क्या उपलब्धि रही. क्या उनका काम रहा है इस पर कभी कहीं कोई विचार-विमर्श होता है. मैंने दोनों विभागों की बात कही.अब मैं महिला बाल विकास की बात कर लूं. मैंने लाड़ली लक्ष्मी योजना को लेकर मैंने ध्यानाकर्षण भी लगाया है उसका उद्देश्य केवल यही था कि जब यह योजना 1 जनवरी,2006 से लागू हुई थी. 2006 में योजना जब प्रारंभ हुई उस समय यह नियम था कि परिवार में यदि पहला बच्चा होता है, बेटी होती है उसको लाड़ली लक्ष्मी योजना का लाभ मिलेगा लेकिन यदि दूसरा बच्चा होगा तो उसको लाभ नहीं मिलेगा लेकिन हमारी संस्कृति में एक बच्चे पर परिवार नियोजन कोई नहीं करवाता है और इसी के चलते एक बार इसमें 1 अप्रैल,2008 में संशोधन आया और उसमें यह हुआ कि यदि दूसरा बच्चा भी आपके यहां बेटी आती है तो उस बच्ची को भी इस योजना का लाभ मिलेगा लेकिन उनको तो मिल रहा है क्योंकि 1 अप्रैल के बाद जो संशोधन हुआ है लेकिन 1 जनवरी 2006 से लेकर 31 मार्च,2008 तक के उन बच्चों को यह लाभ नहीं मिल रहा है तो मैं मंत्री जी से निवेदन करूंगी कि वह उन बच्चियों को लाड़ली लक्ष्मी योजना का लाभ दें. पीएचई की बात मैं कर लूं. चूंकि पीएचई में अभी काफी काम चल रहे हैं लेकिन उन कामों का स्तर जो है इतना गुणवत्ता विहीन काम हो रहा है कि कितनी सारी अभी हमारे यहां देखने को मिली हैं. बड़वानी जिले में एक घटना देखने में आई जिसमें सात वर्षीय बालक की मृत्यु केवल प्याऊ के ढह जाने से हुई. बुरहानपुर जिले में तो यह हुआ कि एक कोई पानी की टंकी बन रही थी और उस टंकी के पास मजदूर काम कर रहे थे लेकिन टंकी की सीढ़ियां ढह जाने से वहां तीन मजदूरों की मृत्यु हो गई क्योंकि उन्होंने वहां की सेंटरिंग समय से पहले हटा दीं. कितनी ऐसी घटनाएं मेरे पास रिकार्ड में है चूंकि समय कम है तो मैं यह बताना चाह रही हूं कि इस तरह की घटनाएं आए दिन हमारे सामने पेपर के माध्यम से आ रही हैं तो जो काम हो रहा है उनकी गुणवत्ता पर विशेष रूप से ध्यान देने की आवश्यकता है. एक और बात मैं कहना चाहती हूं विकास दर की बात अक्सर यहां होती है. मैंने प्रश्न किया विधान सभा में कि वर्तमान विकास दर मध्यप्रदेश की क्या है. आपको सुनकर आश्चर्य होगा कि यह उत्तर आता है कि जानकारी एकत्रित की जा रही है. यह किस तरह की विडंबना है. एक तरफ हमारे मुख्यमंत्री जाकर सार्वजनिक कार्यक्रम में कहते हैं कि मध्यप्रदेश की विकास दर देश में सबसे ज्यादा है. सार्वजनिक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री जी बोल रहे हैं कि मध्यप्रदेश की विकास दर देश में सबसे ज्यादा 19 प्रतिशत के लगभग है और चार-पांच दिन बाद केन्द्र सरकार के आंकड़े आते हैं तो पता चलता है कि मध्यप्रदेश तो सातवें नंबर पर है. इसमें मैं मुख्यमंत्री जी की बुराई नहीं कर रही हूं इसमें मैं उन अधिकारियों के लिये बात कर रही हूं जिन्होंने मुख्यमंत्री जी को यह आंकड़े प्रस्तुत किये. आखिर यह किस तरह का मजाक मध्यप्रदेश में चल रहा है. यदि एक जनप्रतिनिधि कोई गड़बड़ी कर ले लेकिन मुख्यमंत्री जी जैसे पद पर बैठे व्यक्ति यदि इस तरह के गलत आंकड़े प्रस्तुत करेंगे तो मध्यप्रदेश के युवाओं पर इसका क्या असर पड़ेगा.ठीक है बहुत से लोगों को विकास दर से मतलब नहीं होता लेकिन जिनको मतलब होता है उनके लिये यह अपने आप में शर्म की बात है कि एक तरफ हमारे मुख्यमंत्री जी कुछ बोल रहे हैं और एक तरफ जो आंकड़े आ रहे हैं तो हमको शर्म का सामना करना पड़ रहा है मैं आपको बताना चाहती हूं कि टाप फाईव में जो प्रदेश में आए हैं जिनकी विकास दर सबसे ज्यादा है जिसमें आंध्र प्रदेश नंबर वन पर है भारतीय जनता पार्टी शासित एक भी राज्य आपके टाप फाईव में नहीं है. आप इस बात को सोचकर देखो. हमारे यहां अक्सर हम देखते हैं जब भी सी.एम. जाते हैं कहीं पर भी सी.एम. जाएं मैं यह बात सिर्फ भारतीय जनता पार्टी के सी.एम. के लिये नहीं बोल रही हूं जब कमलनाथ जी भी सी.एम. थे. यह बात मुझे कभी भी अच्छी नहीं लगी कि इतने कार्यक्रमों के भूमि पूजन और लोकार्पण उनसे एक साथ करा लिये जाते थे. इतने लंबे-चौड़े पत्थर और एक साथ सी.एम. साहब उनका लोकार्पण करते थे. कईयों का भूमि पूजन करते थे. कई बार मैं सोचती थी यदि सी.एम. साहब से किसी पत्रकार ने पूछ लिया कि साहब आपने इतने सारे कार्यक्रमों का लोकार्पण किया एकाध का नाम तो बता दो तो शायद थोड़ा सा मुश्किल हो जायेगा. इस तरह का जो काम होता है वह नहीं होना चाहिये यदि मुख्यमंत्री जी जैसा व्यक्ति किसी का लोकार्पण या भूमि पूजन कर रहा है तो वास्तव में वह उस स्तर का काम हो. केवल एक भावना यदि हमारा वहां विधायक नहीं है जहां उनका विधायक नहीं है वहां के विधायकों को भी उस पत्थर में शामिल कर लिया जाता है तो ऐसी भावना तो मत रखो. मैं यह नहीं कह रही हूं कि कमलनाथ जी के कार्यकाल में ऐसा नहीं हुआ. मैं तो इस बात का विरोध करती हूं क्योंकि यह वास्तव में नहीं होना चाहिये और हमारी सरकार यदि भविष्य में बनती है तो हम ऐसा होने भी नहीं होने देंगे. माननीय सभापति महोदय, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया धन्यवाद.
श्री शैलेन्द्र जैन (सागर)-- सभापति महोदय, मैं मध्यप्रदेश के वित्तीय विर्ष 2023-24 की मांग संख्या- 1,2,20,32,41,45,48,55 एवं 57 का समर्थन करता हूं. सर्वप्रथम मैं सामान्य प्रशासन विभाग पर अपने विचार व्यक्त करना चाहूंगा. सामान्य प्रशासन विभाग का आम आदमी से प्रत्यक्ष रुप से बहुत सम्पर्क नहीं होता है, लेकिन गुड गवर्नेंस, सुशासन स्थापित करना और सुशासन के माध्यम से जनता तक उन सुविधाओं का सही ढंग से लाभ पहुंचे, यह सुनिश्चित करना, इस विभाग का महत्वपूर्ण कार्य होता है. जितने भी हमारे विभाग हैं, उन विभागों के बीच में समन्वय स्थापित करके और एक ऑप्टिमम गुड गवर्नेंस कैसे दिया जा सकता है, यह तमाम कार्य हमारे सामान्य प्रशासन विभाग के अंतर्गत आते हैं. एक बड़ा महत्वपूर्ण घटक जो है सामान्य प्रशासन विभाग का, वह हमारे मुख्यमंत्री महोदय, हमारे मंत्री महोदय, राज्यमंत्री महोदय और हमारे विधायक साथियों के स्वैच्छानुदान का विषय है. मुझे सदन को यह बताते हुए अत्यन्त प्रसन्नता है कि मुख्यमंत्री जी के स्वैच्छानुदान से पूरे मध्यप्रदेश के अन्दर ऐसे हजारों परिवारों तक हम वह आर्थिक सहायता पहुंचाने में सफल रहे हैं, जो बीपीएल कार्ड के अभाव में या आयुष्मान कार्ड इत्यादि के अभाव में स्वास्थ्य संबंधी व्याधियों से मुक्ति पाने में सफल नहीं हो पाते, ऐसे तमाम परिवारों के लिये मुख्यमंत्री स्वैच्छानुदान निश्चित रुप से एक बहुत बड़ा सम्बल बनकर आया है. मैं मुख्यमंत्री जी का इस बात के लिये धन्यवाद करना चाहता हूं कि यह कोविड काल में जो विधायकों की स्वैच्छानुदान की राशि महज 15 लाख रुपये होती थी, उसको उस समय उन्होंने बढ़ाकर 50 लाख किया था और अभी जिस तरह से विधायकों के माध्यम से जनता की सेवा कर रहे हैं, मुख्यमंत्री जी ने उसमें 25 लाख रुपये का और इजाफा किया है. मैं सदन की ओर से मुख्यमंत्री जी का बहुत बहुत धन्यवाद करना चाहता हूं. इसमें जो जानकारी मुझे है कि मुख्यमंत्री जी अधिकतम 2 लाख रुपये की राशि एक हितग्राही को दे सकते हैं और जो मंत्रिगण हैं, उनको 40 हजार की सीमा है, राज्यमंत्री जी को 16 हजार रुपये की सीमा है. मैं समझता हूं कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में इस सीमा को बढ़ाया जाना चाहिये. मैं मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि लीवर,किडनी ट्रांसप्लांट के मामले आते हैं और अन्य कुछ इस तरह की जब असामान्य आवश्यकताएं आती हैं, तो मैं समझता हूं कि उसमें यह राशि पर्याप्त नहीं होती. इस राशि को निश्चित रुप से बढ़ाया जाना चाहिये. हमारे देश की आन,मान, शान और देश की आजादी के लिये जिन्होंने संघर्ष किया, ऐसे हमारे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को केन्द्र सरकार के अलावा राज्य सरकार ने भी वर्ष 2016 से राज्य सम्मान निधि देने का कार्य किया है, उसमें 25 हजार रुपये ऐसे हमारे सेनानियों को दिया जाता है. इसी के समान हमारे जो प्रजातंत्र, लोकतंत्र के सेनानी हैं. मीसा बंदी हमारे बंधु-बांधव, उन्हें भी उसी के समान उसी के समकक्ष 25 हजार रुपये की राशि देने का हमारी सरकार ने निर्णय किया है. यह निर्णय वर्ष 2018 में किया है. मैं इस निर्णय के लिए भी सरकार का अभिवादन करना चाहता हूं. इसके लिए लोकतंत्र के जो हमारे सेनानी है, उनके परिवार के लिए भी और सेनानियों के परिवार के लिए भी जो हमारी चिकित्सकीय सुविधाएं हैं उनमें अब विस्तार करने की आवश्यकता है. इन तमाम विषयों को किसी समिति के माध्यम से, उनके संबंध में जो कठिनाइयां आ रही हैं, उनके परिजनों की शिक्षा के संबंध में जो कठिनाइयां आ रही हैं, उस संबंध में अगर एक बार समीक्षा हो जाएगी तो बेहतर होगा.
सभापति महोदय, मैं विमानन विभाग की ओर भी मंत्री महोदय का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं. अभी इस बजट में हमारे अनेक जो हवाई पट्टियां थीं, उनको हवाई अड्डे के रूप में परिवर्तित करने का और विस्तार देने का काम हो रहा है. इसमें रीवा भी है, उज्जैन भी है. सिंगरौली एक महत्वपूर्ण स्थान है. वह हमारा पावर मैग्नेट, पॉवर केपिटल है और वहां तक पहुंचना निश्चित रूप से बहुत कठिन था. वहां पर हवाई सेवाओं का विस्तार होने से निश्चित रूप से वहां जाने वालों के लिए बहुत सुविधा हो जाएगी. इस संबंध में मैं माननीय मंत्री महोदय से निवेदन करना चाहता हूं कि सागर की हवाई पट्टी बहुत पुरानी है, ब्रिटिशकाल के समय से यह हवाई पट्टी बनी थी, लेकिन इस हवाई पट्टी का लम्बे समय से विस्तार न हो पाने के कारण सागर में हवाई यातायात सुलभ नहीं हो पा रहा है.
सभापति महोदय, आप भी चूंकि हमारे बुन्देलखण्ड अंचल से आते हैं. आप उस समस्या को समझ सकते हैं. सागर शहर भी, सागर हमारा संभागीय मुख्यालय है, उस संभागीय मुख्यालय को निश्चित रूप से हवाई यातायात से आज जोड़ने की आवश्यकता है. एक लम्बे समय से जो हमारी हवाई पट्टी है, उसका न विस्तार हुआ है और उसके मेंटिनेंस का काम भी उतना ठीक ढंग से नहीं हो रहा है. वहां पर चाइम्स एविएशन करके एक अकेडमी चल रही है.मैं यह जरूर माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि हवाई पट्टी के मेंटिनेंस का काम चाइम्स एविएशन के स्कोप में है कि राज्य सरकार के स्कोप में है. इस तरह की सारी व्यवस्थाओं के लिए जो हैड लोक निर्माण विभाग के अंतर्गत आता था, विमानन विभाग के अंतर्गत उसको ले लिया गया है. यह निश्चित रूप से बहुत आनंद का विषय है और इससे मध्यप्रदेश की विमानन सेवाएं जो हैं, बेहतर से बेहतर होंगी.
सभापति महोदय, मैं आनंद विभाग की ओर सदन का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं. मैं समझता हूं कि मध्यप्रदेश पूरे देश का एकमात्र राज्य होगा जिसने इस तरह की अभिनव और अनूठी पहल की है. आनंद विभाग की शुरुआत जो है वर्ष 2016 में हुई. तब से लेकर लगातार हमारे शासन की, हमारे प्रशासन की, हमारे मुख्यमंत्री जी की यह सद्-इच्छा रही है कि सिर्फ संसाधनों से, सिर्फ सुविधाओं से और भौतिक सुख संसाधनों से हमें वह शांति, वह आनंद प्राप्त नहीं हो सकता है. आनंद की प्राप्ति करने का अलग तरह का वातावरण होना चाहिए, अलग तरह का एक फील होना चाहिए, अलग तरह का एक इनवॉयरंमेंट होना चाहिए, इन तमाम कार्यों के लिए हमारी सरकार ने एक विभाग का ही गठन किया है और उस विभाग के माध्यम से लगभग 172 केन्द्र ऐसे बनाये गये हैं. जहां पर लोग के पास अपनी आवश्यकता से अधिक कोई वस्तुएं हैं, जो उनके लिए अनावश्यक हो गई हैं, ऐसी वस्तुओं को वहां पर छोड़कर और उन लोगों के लिए जिनके लिए उन वस्तुओं की आवश्यकता हो सकती है, ऐसे केन्द्र स्थापित किये हैं. एक बहुत अच्छी अभिनव पहल है. इसके साथ में हमारे विद्यार्थियों के अंदर जिस तरह का कॉम्पिटिशन हो रहा है, जिस तरह की प्रतिस्पर्धा हो रही है, ऐसी प्रतिस्पर्धा में लोगों का मानसिक संतुलन खास तौर से विद्यार्थियों का मानसिक संतुलन बना रहे. परीक्षाओं के समय उनका मानसिक संतुलन न बिगड़े और परीक्षाओं को वह एक चुनौती के रूप में तो लें लेकिन एक बोझ के रूप में न लें इस उद्देश्य से आनंद सभा का आयोजन करने का सरकार ने निर्णय किया है और अब यह कार्य हमारे सीएम राइज़ स्कूल के माध्यम से इस वर्ष से और भी विस्तार के साथ करने का निर्णय लिया है. ऐसे लोग जो इस तरह की सेवाओं से लाभान्वित हुये हैं ऐसे तमाम लोगों ने जिनकी संख्या मध्यप्रदेश में 73,000 लोग ऐसे हैं जो इस तरह की सुविधाओं से प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित हुये हैं और उन्होंने अपने आप को जिन्हें आनंदक कहते हैं, उन्होंने स्वयं को इस कार्य के लिये समर्पित किया है, मैं ऐसे आनंदक बंधु-बांधवों का, माताओं-बहनों का धन्यवाद करना चाहता हूं. सभापति महोदय, अभी एकाध विभाग और रह गया है आपकी आज्ञा हो तो इसको मैं बोल लूं.
सभापति महोदय, हमारा पीएचई विभाग एक बहुत महत्वपूर्ण कार्य में इस समय संलग्न है. जल जीवन मिशन, जल जीवन जैसा हमारे यहां कहा गया है कि ‘’रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून, पानी गए न ऊबरो मोती, मानुष, चून.’’ जल के बगैर सब कुछ होते हुये भी हमारे आनंद की प्राप्ति नहीं हो सकती, हमारी आवश्यकताओं की प्राप्ति नहीं हो सकती और अब जल के लिये हमारी माताओं-बहनों को पोखर तक, जलाशयों तक, कुँओं तक जाने की आवश्यकता नहीं होगी, हर घर में टोटी के माध्यम से जल की प्राप्ति हो इस दिशा में केन्द्र सरकार और राज्य सरकार ने बड़े महत्वपूर्ण कदम उठाये हैं और लगभग 44,000 करोड़ रुपये के कार्य इस समय मध्यप्रदेश में जल जीवन मिशन के अंतर्गत चल रहे हैं. मैं पूरी की पूरी साढ़े आठ करोड़ जनता जनार्दन की ओर से माननीय मुख्यमंत्री जी का धन्यवाद करना चाहता हूं कि उन्होंने यह एक बहुत आनंद पूर्वक एक बहुत महत्वपूर्ण कार्य की शुरुआत की है.
सभापति महोदय, एक महत्वपूर्ण विषय रह गया था सामान्य प्रशासन विभाग का, वह विषय है हमारे विधायक साथियों के प्रोटोकाल को लेकर. यह देखने में आता है कि हमारे विधायकों के प्रोटोकाल को लेकर अनेक बार विसंगतियां ध्यान में आती हैं, हालांकि मैं धन्यवाद देना चाहता हूं माननीय विधान सभा अध्यक्ष महोदय का, उन्होंने प्रोटोकाल के संबंध में एक अलग नई समिति का गठन किया है और समिति के माध्यम से जितने भी हमारे जन प्रतिनिधि हैं, जितने भी विधायक साथी हैं उनके प्रोटोकाल के संबंध में जो उल्लंघन इत्यादि होते हैं उनकी समस्याओं के समाधान की दिशा में काम हो रहा है. पूर्व विधायकों के लिये प्रोटोकाल की कोई सुविधा नहीं है, आज हम विधायक हैं कल हमें पूर्व होना है. लेकिन आप देखिएगा चीफ सेक्रेटरी मध्यप्रदेश के रिटायर होते हैं तो उनको प्रोटोकाल में कहीं न कहीं स्थान दिया गया है लेकिन आप जब तक विधायक होते हैं आप चीफ सेक्रेटरी से ऊपर होते हैं प्रोटोकाल में, लेकिन पूर्व विधायक, पूर्व होने के बाद प्रोटोकाल में..
श्री संजय यादव – शैलेन्द्र भैया, आपने पूर्व मान लिया क्या टिकट कट रही है. बड़े भाई पूर्व क्यों मान रहे हैं ?
श्री शैलेन्द्र जैन – टिकट नहीं कट रही है. हम पुन: जीत रहे हैं. आप कभी न कभी पूर्व होंगे.
श्री दिलीप सिंह परिहार – कोई न कोई तो होगा.
श्री राम दांगोरे – हो सकता आपको उसका फायदा मिल जाए.
श्री शैलेन्द्र जैन – जीवन भर आप विधायक नहीं रहेंगे. सभापति महोदय, मैं उन विधायक साथियों की पीड़ा आपके माध्यम से मंत्री महोदय तक कहना चाहता हूं कि जो पूर्व हो चुके हैं लेकिन प्रोटोकाल में आज शासकीय कार्यक्रमों में कहीं भी जाते हैं उन्हें वहां प्रोटोकाल में कोई स्थान नहीं है. मैं आपके माध्यम से आग्रह करता हूं कि प्रोटोकाल की जो हमारी व्यवस्था है उसको दुरुस्त किया जाए ताकि हमारे पूर्व विधायक साथियों को सम्मान पूर्वक शासकीय कार्यक्रमों में आने के लिये हम लोग आमंत्रित कर सकें. आपने मुझे अपनी बात कहने का जो मौका दिया उसके लिये धन्यवाद देता हूं. सभापति महोदय, बहुत-बहुत धन्यवाद. डॉ. अशोक मर्सकोले (निवास) -- धन्यवाद सभापति महोदय, आपने मुझे अवसर दिया. मैं वर्ष 2023-24 की अनुदान मांग संख्या 1, 20, 32, 48 और 55 पर अपनी बात रखने के लिए खड़ा हुआ हूँ.
सभापति महोदय, सामान्य प्रशासन विभाग, अगर इस विभाग की हम बात करें तो यह जिम्मेदारी वाला विभाग है. सुशासन की अगर हम बात कहते हैं तो पूरे के पूरे सुशासन की एक प्रकार से जिम्मेदारी इस विभाग पर रहती है. उसका पालन ठीक तरह से किया जाए. पर अभी जो निरंकुशता, भ्रष्टाचार और एक और इसको बिगड़ा हुआ स्वरूप बोलें तो कई बार ऐसा देखने में आता है कि कई अधिकारी एक एजेंट के रूप में काम करते हैं. उनके ऊपर कई करप्शंस की बातें आती हैं. उनके माध्यम से या उनके अधीनस्थ कर्मचारियों के ऊपर कई करप्शंस की बातें आती हैं. लेकिन उन बातों का न तो कोई खुलासा हो पाता है और उनको लगातार संरक्षण मिलता है. भ्रष्टाचार की यह जो समस्या है, यहां पर हमारे जो आए दिन प्रश्न लगते हैं, उन प्रश्नों में हमारे मंत्रीगण ढंकते-मूंदते दिखते हैं. अधिकारियों के माध्यम से गलत-सलत जवाब आते हैं, जिन पर रोज विवाद होता है.
सभापति महोदय, 280 कर्मचारियों पर अभियोजन की स्वीकृति के लिए पेंडिंग पड़े हुए केस हैं. स्वीकृति के लिए 4 महीने का समय रहता है, लेकिन कई साल होने के बाद में भी उन पर किसी भी प्रकार से ध्यान नहीं दिया जाता है.
सभापति महोदय, मैं व्यापमं की बात करूं, पीईबी की बात करूं या कर्मचारी चयन मण्डल की बात करूं..
श्री उमाकांत शर्मा -- कांग्रेस शासन में शिक्षाकर्मियों की नियुक्ति की भी बात कर लो, जनपद के समय की, दिग्विजय सिंह के समय की..
डॉ. अशोक मर्सकोले -- दादा, बैठ जाओ. सभापति महोदय, जिस प्रकार से व्यापमं पीईबी, कर्मचारी चयन मण्डल, लगातार नाम बदल रहे हैं, ठीक है, नाम बदल दिया, कर्मचारियों को ओपन तो नहीं कर पाए. लेकिन अगर आज कम से कम कर्मचारी चयन मण्डल आया है तो यह जो जिस प्रकार से कर्मचारियों की नियुक्ति, आरक्षण, जिसमें सभी वर्गों का कैलकुलेशन होना चाहिए, एससी, एसटी, ओबीसी, जनरल, ईडब्ल्यूएस, लेकिन आज यह हो रहा है कि अभी बीच में कई वेकेंसीज आई थीं, तो एसटी, एससी का जो रेश्यो है, उसको ठीक से कैल्कुलेट नहीं किया गया था. यह एक बहुत बड़ी नाराजगी थी कि ईडब्ल्यूएस के जो पद आए थे, उनको सबको बाईपास करते हुए, एसटी और इन सबसे ऊपर आए थे. यह किसी को समझ नहीं आ पाया था क्योंकि जब अगर वेकेंसीज आती हैं तो क्लियर कट एक रेश्यो में आनी चाहिए. जो कि सबको समझ में आनी चाहिए. सबको न्याय मिल सके, इस प्रकार की व्यवस्था होनी चाहिए. विभाग की यह एक सबसे बड़ी जिम्मेदारी होती है.
सभापति महोदय, लोक सेवा गारंटी, मेरी इस बात को थोड़ा ध्यान से सुना जाए. लोक सेवा गारंटी का निश्चित रूप से एक बहुत अच्छा उद्देश्य है. लोगों को उनके सर्टिफिकेट्स, सुविधाएं हम अच्छे से दिला पाएं, लेकिन जो सर्वर की परेशानी है, शहरों में तो शायद अच्छा सर्वर चलता होगा, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में सर्वर की इतनी दिक्कत होती है कि लोगों को दिन-दिन भर बैंकों के सामने, लोक सेवा केन्द्रों के सामने, पीडीएस दुकानों के सामने खड़ा रहना पड़ता है. आज से नहीं, कई सालों से यह समस्या बनी हुई है. आज मेरा यह कहने का मतलब है कि अल्टरनेट व्यवस्था होनी चाहिए, जब इसमें इतने बजट की स्वीकृति है. 9,200 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं तो कम से कम यह व्यवस्था भी होनी चाहिए कि अल्टरनेट सुविधा हो, ताकि लोगों को परेशानियां न हों. इस बात का ध्यान रखा जाए.
सभापति महोदय, एक बात और है कि जिला स्तर के बड़े अधिकारी या जिम्मेदार पदाधिकारी मंत्री अगर उस क्षेत्र में आते हैं तो जो उस क्षेत्र के जनप्रतिनिधि हैं, उनको सूचना प्रशासन के माध्यम से पहुँचनी चाहिए. माननीय मंत्री जी, आप इस बात को भी नोट करें. मैंने माननीय मुख्यमंत्री जी को भी इस संबंध में पत्र लिखा था, मुख्य सचिव साहब को भी पत्र लिखा था, उन्होंने कलेक्टर साहब को लिख दिया, कलेक्टर साहब से जानकारी मांगी, लेकिन यह सिर्फ लिखना हुआ है, इसका पालन कभी नहीं हुआ.
सभापति महोदय, जब कोई विभागीय मंत्री आते हैं या विभागीय अधिकारी आते हैं तो हम लोग जो जनप्रतिनिधि हैं, क्षेत्र के विषय में उनके साथ में कुछ चर्चा कर सकें, उनके साथ उन विषयों पर बात कर सकें. इस बात पर ध्यान देकर इसका पालन ठीक से किया जाए. इसको सुनिश्चित किया जाए.
सभापति महोदय, अब मैं पीएचई की बात पर आता हॅूं. हर घर नल-जल योजना की आज बहुत बड़ी मांग है. योजना बहुत अच्छी है, होना चाहिए लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में एक बड़ी समस्या यह आती है कि आधा जोन हमारा फ्लोराइड जोन है. फ्लोराइड से इतना हॉर्ड वाटर हो जाता है कि पीने की पानी की बहुत समस्या रहती है. अभी कई नल-जल के कनेक्शंस भी लग रहे हैं. इतने जो टेंडर हुए हैं, उनमें से कई में इतने बिलो टेंडरिंग हुए हैं कि वे लोग आधे कर पाते हैं. उनका मटेरियल लो क्वॉलिटी का रहता है. उनके पास में निश्चित रूप से 6 महीने, 9 महीने का जो समय रहता है उसमें आप चाहें स्कूल, आंगनवाड़ी की बात कर लें या किसी गांव में नल-जल योजना की बात कर लें, लेकिन 1-2-3 साल होने के बाद में भी वे अपना काम नहीं कर पा रहे हैं. काम करते भी हैं तो इतनी बुरी स्थिति में हैं कि एक ने पाईप बिछा दिया, दूसरे ने टंकी लगा दिया, तीसरे ने टोटी लगा दिया, एक ने बोर लगा दिया लेकिन पानी चालू नहीं हो पाया और प्रशासन के माध्यम से उनको पूर्णता का प्रमाण पत्र मिल जाता है. यह निश्चित रूप से बहुत बड़ी चिन्ता का विषय है.
सभापति महोदय, पीएचई में होता यह है कि नल-जल योजना चालू करके पंचायत को हैंडओवर कर रहे हैं. उसके बाद 1-2 महीने थोड़ा ठीक-ठीक चलता है. चलने के बाद में वह बंद हो जाता है. न उसका मेंटेंनेंस पंचायत कर पाती है, न विभाग कर पाता है तो एक तकनीकी टीम विभाग की तरफ से तो होना ही चाहिए कि अगर पंचायत लेवल पर उसकी डिमांड होती है तो एक टाइम लिमिट के अंदर वे जाकर उसको क्लियर कर दें. यह बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इन छोटी-छोटी बातों को लेकर 10-10, 15-15 दिनों तक अगर हमारे यहां पर पीने के पानी की व्यवस्था न हो पाए, तो यह बहुत ही कष्टदायक होता है. मेरे क्षेत्र में कई ऐसे गांव हैं जिनमें प्राइमरी स्कूल, मिडिल स्कूल में पेयजल की उपलब्धता के प्रमाण पत्र जारी कर दिये गये हैं लेकिन आज भी केवल प्रमाण पत्र ही जारी हुए, उनमें पानी की उपलब्धता आज भी नहीं है. ऐसे ही कई गांव हैं जहां पर नल-जल की बातें, फिटनेस की बातें हुईं हैं लेकिन वहां पर पानी की उपलब्धता नहीं है तो माननीय मंत्री जी, विभाग के माध्यम से कम से कम आप लोग भी विजिट करें और जो अधिकारी यहां पर असत्य प्रमाण पत्र जारी करके आंकडे़ आपके पास पहुंचा देते हैं, उनके विरूद्ध भी कार्यवाही होनी चाहिए.
सभापति महोदय, महिला बाल विकास या नारी शक्ति कहें, अभी केन्द्र में बनी हुई है. 1 लाख से ज्यादा का बजट उनके लिए आया है. निश्चित रूप से यह स्वागतयोग्य है लेकिन यह भी एक चिन्ता का विषय है. चाहे महिला बाल विकास या लाड़ली लक्ष्मी की बात कर लें या फिर आशा आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका के मानदेय की बात कर लें, पीएम मातृत्व वंदना योजना, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओं योजना है, इन सब योजनाओं में उसका पैसा तक खर्च नहीं कर पा रहे हैं. यह बहुत चिन्ता की बात है. लाखों-करोड़ों रूपए का बजट देने के बाद भी उनके लिए बजट खर्च नहीं कर पा रहे हैं. नारी के मान-सम्मान, रोजगार और इनकी रक्षा के लिये अगर कोई कदम नहीं उठा पाते हैं तो इतने बजट का क्या मतलब रहेगा. यह तो ऐसा हो गया कि सिर्फ चुनावी फायदे के लिये हम उनका उपयोग कर पा रहे हैं, बाकी सब धरा का धरा रह जाता है.
सभापति महोदय, आंगनवाड़ी केन्द्रों में कुपोषण की जो स्थिति है यह ऐसी बनी हुई है यदि आज भी ग्रामीण क्षत्रों में देखें, तो आंगनवाड़ी नहीं हैं. वे कहते हैं कि विधायक देंगे, पंचायत देगी या विभाग देगा. कई सालों से यह पेंडिंग पड़ा है. यह बातें अति आवश्यक है. यह एक ऐसा विषय है कि इन पर विभागों के माध्यम से अति आवश्यक रूप से ध्यान देना चाहिए.
सभापति महोदय, नर्मदा घाटी की बात करें तो नर्मदा घाटी का हमारा जो क्षेत्र है जहां पर सिंचाई के लिये हमारे खेत और खलिहान कई सालों से इंतजार कर रहे हैं वहां पर्यटन की भी अपार संभावनाएं हैं और बजट में हम हमेशा देखते हैं कि पानी तो हमारे यहां लबालब भरा रहता है लेकिन योजनाएं हमारे यहां मिस हो जाती हैं. हमारे यहां ऐसे नारे लगते हैं कि...
5.00 बजे {अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम)पीठासीन हुए}
डॉ.अशोक मर्सकोले -- ...नहर दो या जहर दो, पानी लबालब भरा पड़ा है और अगर पानी हमको नहीं मिल पाता है तो स्वाभाविक रूप से इस तरह के नारे लगेंगे, यात्राएँ होंगी, तो यह एक बहुत गंभीर विषय है. अभी माननीय वित्त मंत्री जी से भी हमने कहा था कि अगर यह छूट गई है तो कम से कम डिस्ट्रिक्ट वाइज़ जो कार्य योजना बनती है, अगर बार बार यह बातें निकल कर आती हैं तो हमको उस कार्य योजना में जोड़कर यदि इतने बड़े बड़े लेवल पर अगर नर्मदा घाटी का हमारे यहाँ पर अगर 3865 करोड़ है तो 100-200 करोड़ हमारे क्षेत्र में दे दें महोदय, पुण्य मिलेगा.
अध्यक्ष महोदय, बसनिया बाँध का एक क्षेत्र है, बार बार हम बोलते हैं कि अगर उसमें यह है कि 8780 हैक्टेयर जमीन पर सिंचाई होना है और बड़े आश्चर्य की बात है कि उसमें 6343 हैक्टेयर जमीन डूब में आ रही है. जिसमें से 1793 हैक्टेयर जमीन है 2107 हैक्टेयर फॉरेस्ट की जमीन है 2463 हैक्टेयर है, यह प्रायवेट जमीन है, सिर्फ मात्र यह है कि 25 परसेंट के आसपास की जो जमीन है वह एक्सट्रा है, बाकी सब डूब में आई, जैव विविधता का क्षेत्र है, ट्रायबल एरिया है, पलायन बहुत बड़े लेवल पर उसमें होगा, तो कम से कम यह जो नर्मदा घाटी में यह जो बाँध है इसकी बजाय हम वहाँ पर छोटे छोटे अगर स्टाप डैम बनाते हैं, उसमें से लिफ्ट करके हम सिंचाई के लिए पानी का उपयोग कर सकते हैं, तो यह एक बहुत बड़ा क्षेत्र होगा, नहीं तो पहले की कई योजनाएँ आईं हैं जिसमें पलायन और विस्थापन बहुत बड़े लेवल पर हुआ है. इन सबको रोकना हमारी सबकी आवश्यकता है.
अध्यक्ष महोदय, एक और विषय मैं इसमें जोड़ना चाह रहा हूँ, यह एक ऐसा विषय है कि जन संपर्क के माध्यम से जो बातें आ रही हैं. योजनाएँ होती हैं, 4-6 पोस्ट के लिए आप आवेदन करते हैं, चाहे वनाधिकार के पट्टे बाँटे या किसी की वैकेंसी, लेकिन उनका प्रचार प्रसार इस कदर होता है और उसमें जिस प्रकार से जो खर्चा किया जाता है, बजाय इस प्रकार से खर्च करने की वो जो राशि है उसका सदुपयोग अगर गरीब क्षेत्र से जुड़ी हुई योजनाओं के लिए किया जाए तो एक महत्वपूर्ण विषय है. यही बात कहते हुए मैं इन बिन्दुओं पर चूँकि नाराजगी है....
अध्यक्ष महोदय-- हो गया, श्री बहादुर सिंह चौहान जी, बोलिए.
डॉ. अशोक मर्सकोले-- अध्यक्ष महोदय, आपने जो समय दिया उसके लिए धन्यवाद.
श्री बहादुर सिंह चौहान(महिदपुर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 1, 2, 20, 32, 41, 45, 48, 55 एवं 57 का समर्थन करते हुए मैं अपनी बात सदन में रखना चाहता हूँ. अध्यक्ष महोदय, भिन्न भिन्न विभागों से, नर्मदा घाटी विकास विभाग, मध्यप्रदेश सरकार के जितने विभाग हैं उसमें पानी की दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण विभाग है. अध्यक्ष महोदय, अमरकंटक से नर्मदा निकल कर गुजरात में खंबात की खाड़ी में जाकर अरब सागर में समाहित हो जाती है. 1312 किलोमीटर पूर्व से पश्चिम की ओर से बहने वाली हिन्दुस्तान की बहुत बड़ी नदी है. इसमें से 1077 किलोमीटर मध्यप्रदेश के मात्र 25 जिलों में होकर यह बहती है. जल के बँटवारे को लेकर कई प्रदेशों का बीच में विवाद रहा है. 1968 में भारत सरकार द्वारा नर्मदा जल विवाद न्यायाधिकरण बनाया गया और लगभग 10 वर्षों तक पानी के बँटवारे को लेकर संघर्ष चला और 1979 में नर्मदा जल विवाद न्यायाधिकरण ने फैसला दिया और मध्यप्रदेश को 18.25 एमएएफ (मिलियन एकड़ फिट) पानी आवंटित किया. इसी प्रकार गुजरात को 9.00 एमएएफ (मिलियन एकड़ फिट) पानी दिया गया. इसी प्रकार राजस्थान को 0.50 एमएएफ पानी दिया गया. महाराष्ट्र को बहुत कम 0.25 एमएएफ पानी दिया गया. चारों प्रदेशों को मिलाकर 28.00 एमएएफ पानी होता है. न्यायाधिकरण ने यह कहा है कि 31 दिसम्बर, 2024 तक मध्यप्रदेश को जो भी पानी नर्मदा घाटी विकास द्वारा दिया गया है इसको खर्च करना अनिवार्य है. इसको लेकर विभिन्न विभागों ने सिंचाई की अपनी-अपनी योजनाएं बनाई हैं. नर्मदा घाटी विकास के द्वारा इस 18.25 एमएएफ पानी को खर्च करने के लिए 11.83 एमएएफ पानी खर्च करने के लिए कुछ योजनाएं बनकर पूर्ण होने वाली हैं कुछ प्रक्रियाधीन हैं. जल संसाधन विभाग द्वारा 4.71 एमएएफ पानी की योजनाएं कुछ पूर्ण हो गई हैं कुछ के कार्य चल रहे हैं. इसी प्रकार पीने के पानी के लिए पीएचई ने उद्योगों और कृषकों के द्वारा 1.08 एमएएफ पानी खर्च करने की योजना बनाई है. इस प्रकार 17.62 एमएएफ पानी खर्च करने की योजना बना चुके हैं. आज भी यदि 18.25 में से 17.62 घटा दिया जाए तो अभी भी 0.63 एमएएफ पानी हमारे पास बचा है. यह 31 दिसम्बर, 2024 तक हमें मध्यप्रदेश के लिए खर्च करना है. मध्यप्रदेश में नर्मदा मां के कारण सिंचाई हुई है इसमें भिन्न-भिन्न प्रकार की योजनाएं बनाई गईं हैं. इसको लेकर सबसे पहले बाबा महांकाल की नगरी उज्जैन में हर 12 वर्षों में सिंहस्थ महापर्व आता है. यहां पर क्षिप्रा नदी में स्नान के लिए प्रदेश, देश और विदेश से लोग आते हैं. मालव माटी गहन गंभीर, डग-डग रोटी पग-पग नीर. यह मालवा की एक कहावत है. उज्जैन-शाजापुर में नर्मदा क्षिप्रा लिंक परियोजना बनाई गई थी. उसके अलावा नर्मदा क्षिप्रा बहुउद्देशीय जो योजना बनाई गई है इससे 30 हजार हेक्टयर भूमि पर सिंचाई होने जा रही है. यह योजना सितम्बर, 2023 तक पूर्ण होने वाली है. इसी प्रकार क्षीपानेर माइक्रो सिंचाई योजना सीहोर देवास के लिए 35 हजार हेक्टयर पर इससे सिंचाई होगी. जून 2023 तक यह योजना पूर्ण होने वाली है. बिस्टान उद्वहन माइक्रो योजना, खरगोन की 22 हजार हेक्टयर पर, इसका कार्य पूर्ण हो चुका है. नांगलवाड़ी उद्वहन योजना खरगोन-बड़वानी के लिए इससे 47 हजार हेक्टयर पर सिंचाई होगी. यह योजना जून 2023 तक पूर्ण होने वाली है. छैगांव माखन उद्वहन सिंचाई योजना, खण्डवा की है इससे 35 हजार हेक्टयर पर सिंचाई होना है. इसका कार्य पूर्ण हो चुका है. अलीराजपुर उद्वहन योजना इसमें 35 हजार हेक्टयर का काम भी पूर्ण हो गया है. नर्मदा, झाबुआ,पेटलावद,थांदला और सरदारपुर उद्वहन सिंचाई परियोजना यह बहुत बड़ी योजना है. यह झाबुआ और धार जिले के लिए है. 57 हजार 400 हेक्टयर पर यह सिंचाई होना है. इसका कार्य प्रगति पर है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी ने चार बहुत बड़ी योजनाओं की नर्मदा घाटी विकास की ओर से घोषणा की है. बहोरीबंद माइक्रो उद्वहन सिंचाई योजना यह कटनी जिले की है. बहोरीबंद के 151 गांवों में इससे सिंचाई होगी और 32 हजार हेक्टयर पर सिंचाई होगी. 1100 करोड़ रुपए की लागत से यह योजना बनाई जा रही है. शहीद इलाप सिंह माइक्रो उद्वहन योजना, हरदा जिले के 118 गांवों को सिंचाई के लिए, 26 हजार 890 हेक्टयर पर इससे सिंचाई होना है. 720 करोड़ रुपए की लागत से यह बन रही है. इसकी घोषणा माननीय मुख्यमंत्री जी ने की है. खण्डवा माइक्रो उद्वहन सिंचाई योजना. खण्डवा एवं पंधाना तहसील के 84 ग्रामों में 47 हजार 200 हेक्टयर इससे सिंचाई होगी. इस योजना की लागत 1 हजार 956 करोड़ रुपए है. महेश्वर-जापापाना उद्वहन सिंचाई परियोजना खरगोन, धार, इंदौर जिले की बड़वाह, महेश्वर, पीथमपुर और महु तहसील में 108 गांवों में 2600 हेक्टयर पर सिंचाई होगी. इसकी लागत 1159 करोड़ रुपए है. हम कह सकते हैं कि मध्यप्रदेश में जितनी सिंचाई हो रही है उसमें अधिकांश पानी माँ नर्मदा जी का है. अभी भी जो पानी बचा है उसकी भी योजना विभाग द्वारा बनाए जाने की पूरी तैयारी है. हम सब जानते हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हम सब जानते हैं कि 15 अगस्त 2019 को देश के प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी ने जल जीवन मिशन की घोषणा की है. इसे हम लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग कहते हैं. इसी के तहत वर्ष 2012 में माननीय मुख्यमंत्री जी के द्वारा जल निगम का गठन किया गया है. जल जीवन मिशन के तहत 58 हजार 800 करोड़ रुपए की योजना अभी तक मध्यप्रदेश में स्वीकृति प्रदान की जा चुकी है. इन योजनाओं से 56 लाख 70 हजार ग्रामीण परिवारों को शुद्ध पीने का पानी उपलब्ध होगा और अब वर्ष 2023-2024 के बजट में जो नेशनल रुरल ड्रिंकिंग वॉटर मिशन हेतु 7 हजार 332 करोड़ रुपए का प्रावधान इस बजट में पीएचई विभाग को दिया गया है. मैं माननीय मंत्री जी और सरकार को भी इसके लिए धन्यवाद देना चाहता हूं. वर्ष 2012 में जल निगम बना है उसमें जल निगम द्वारा जो पेयजल योजना संचालित है इसके लिए 703 करोड़ रुपए का प्रावधान इस बजट में किया गया है. ग्रामीण समूह जल प्रदाय योजना के लिए 400 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है. कुल मिलाकर लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग का जल निगम विभाग बना है उसमें से 117 समूह योजनाएं बनेंगी जिसकी लागत 43 हजार 64 करोड़ रुपए है. इन 117 योजनाओं के बनने से 26 हजार 786 ग्रामों को पीने का शुद्ध पानी उपलब्ध होगा. चूंकि लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के चीफ इंजीनियर और ईएनसी भी यहां पर उपलब्ध हैं. मैं एक बहुत ही महत्वपूर्ण सुझाव देना चाहता हूं. मैं सन् 1990 में जनपद सदस्य बना था. बोर ड्रिलिंग का एक डीडीएचए वर्क होता है और एक कॉम्बिनेशन वर्क होता है. आप चाहे तो इसे एग्जामिन करवा लें. 10 बोर डीडीएचए खनन किया जाता है जिसे 6 इंची का छोटा बोर बोलते हैं. सालभर में दस में से एक और दो ही चलेगा बाकी कोलेब्स हो जाता है या तो उसकी मोटर की रॉड अंदर गिर जाती है या तो किसी अन्य कारण से जैसे कि वह मिट्टी के कारण बंद हो जाता है, लेकिन आप यदि दस कॉम्बिनेशन बोर खनन कर रहे हैं तो मेरा अपना वादा है कि सालभर में दस में से आठ बोर आपको चलते हुए मिलेंगे. डीडीएचए वर्क से कॉम्बिनेशन वर्क की कॉस्ट थोड़ी ज्यादा है, लेकिन यह कार्य स्थाई कार्य है. वह बोर पूरे गांव की आबादी को पानी पिलाने में सक्षम होता है इसलिए मेरा विभाग के इंजीनियरों से आग्रह है कि वह माननीय मंत्री जी से चर्चा करके भिन्न-भिन्न जिलों की रिपोर्ट मंगवाकर इसका एग्जामिन करके यदि यह पाया जाए कि वास्तव में दस मे से आठ बोर बदं हो जाते हैं और कॉम्बिनेशन बोर दस में से आठ चलते हैं तो मेरा आग्रह है कि यदि जांच में यह रिपोर्ट ऐसी आती है तो पीएचई विभाग यह निर्णय ले कि आने वाले समय में बोर आधारित योजनाएं बनाना है जहां ट्यूबवेल के आधार पर योजनाएं बनाकर जनता को पानी पिलाना है वहां पर मेरा आग्रह है, मेरा सुझाव है कि इस विभाग द्वारा सिर्फ कॉम्बिनेशन बोर ही किये जाएं. मेरा आग्रह है कि अभी हाईप्रेशर की बहुत बड़ी मशीनें आ गई हैं. 11300 की बड़ी-बड़ी मशीनें आ गई हैं. प्राईवेट से 200 मशीनों का अनुबंध कर रखा है इसकी बजाए मेरा आग्रह है कि विभाग स्वयं की और नई मशीनें खरीदें और ऐसे कॉम्बिनेशन बोर मध्यप्रदेश के भिन्न-भिन्न जिले में करें. जो आपकी पुरानी मशीनें हैं वह छोटी मशीन हैं अब समय बदल गया है बोर की गहराई 400 फीट से 700 फीट तक हो गई है. 11300 बड़ी मशीनें ही काम करने वाली हैं. मेरा आग्रह है कि पुरानी मशीनों का ऑक्शन करके आप नई मशीनें जरूर खरीदें और मेकेनिकल से काम कराएं. मेरा अपना मानना है कि विभाग की मशीनें बहुत अच्छा काम करती हैं.
अध्यक्ष महोदय, मैं केवल एक मिनट का समय और लूंगा. मैं महिला बाल विकास विभाग के लिए बोलना चाहता हूं. महिला बाल विकास विभाग में बहुत सी योजनाएं हैं. लाड़ली लक्ष्मी योजना के लिए 929 करोड़ रुपए का प्रावधान इस बजट में किया गया है. माननीय मुख्यमंत्री जी के द्वारा लाड़ली बहना योजना प्रारम्भ की गई है. और इसमें 8 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. विधायक दल की बैठक में हमारे मित्रों ने कहा कि ये राशि कम है तो माननीय मुख्यमंत्री जी ने कहा कि इसमें 12 हजार करोड़ रुपये लगें, 16 हजार करोड़ रुपये लगें, जो-जो भी फॉर्म वैलिड होकर आयेंगे, सभी बहनों को इसकी राशि दी जायेगी. 1 हजार रुपये की राशि बड़े व्यक्ति के लिए छोटी होती है लेकिन गरीब परिवार को 12 माह में जब 12 हजार रुपये मिलेंगे तो निश्चित रूप से, उस परिवार के संचालन में इस राशि का महत्व होगा. लाड़ली बहना योजना में के फॉर्म 25 मार्च, 2023 से भरने प्रारंभ होने जा रहे हैं और मुझे उम्मीद है कि इसका लाभ हमारी महिला शक्ति को होगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, नर्मदा घाटी विकास विभाग के हमारे मंत्री भारत सिंह जी, यहां बैठे हैं. उज्जैन और शाजापुर के लिए जो बहुद्देशीय योजना बनी है, ये मेरे महिदपुर से होकर निकल रही है, मेरा एक क्षेत्र 25-30 गांवों का ऐसा है, इस योजना में पानी भी पर्याप्त है, मैं, आपके माध्यम से मंत्री जी से आग्रह करूंगा कि इन 25-30 गांवों को भी पानी देने की घोषणा, जब मंत्री जी अपना उत्तर दें, तो जरूर करें.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का बहुत समय दिया, उसके लिए मैं, आपका अभिनंदन करते हुए, स्वागत करते हुए, अपनी वाणी को विराम देता हूं, धन्यवाद.
श्री प्रताप ग्रेवाल (सरदारपुर)- अनुपस्थित
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव (विदिशा)-
श्री संजय यादव (बरगी)- माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी हम सुन रहे थे कि सुशासन है लेकिन मुझे नहीं लगता है कि सुशासन है, क्योंकि कुशासन दिखता है. पहले जब हम सुनते थे कि कोई सरकार होती थी, उसका प्रशासन पर नियंत्रण होता था लेकिन वर्तमान हालात में प्रशासन का नियंत्रण शासन पर है. क्योंकि प्रशासन जैसा चला रहा है, वैसी सरकार चल रही है. इसके कई उदाहरण हैं कि आज मध्यप्रदेश में प्रशासन द्वारा अराजकता का वातावरण है, पूरे प्रदेश में अराजकता मची हुई है. अधिकारी जिला योजना समिति की बैठक क्यों नहीं करवाते, क्योंकि अधिकारियों को यह डर रहता है कि उसमें अधिकारियों की जो गलतियां होती हैं, क्योंकि अधिकारी सरकार को गुमराह करके, भ्रमित करके अपनी गलती छुपाने का काम करते हैं लेकिन जिला योजना समिति में जो छोटे-छोटे जनप्रतिनिधि होते हैं, वे अपनी क्षेत्र की समस्याओं और अधिकारियों की गलतियों को बताते हैं तो स्वाभाविक रूप से उनकी गलतियां जनता के सामने आती हैं. हमने सुना था कि अगर सरकार किसी को चलाना आता था तो उसमें आदरणीय प्रकाश चंद सेठी जी, सुंदरलाल पटवा जी, अर्जुन सिंह जी और कमलनाथ जी का नाम आता था. लेकिन माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी के बारे में सुना जाता है कि उनको अधिकारी चलाते हैं, अधिकारियों को मुख्यमंत्री नहीं चलाते हैं. आज किसी मंत्री की हैसियत नहीं है कि कोई अपने विभाग के किसी अधिकारी से काम करवा ले.
श्री दिलीप सिंह परिहार- कमलनाथ जी को कौन चलाता था आप ?
श्री संजय यादव- कमलनाथ जी, सरकार चलाते थे और अधिकारी उनके कहे का पालन करते थे.
श्री दिलीप सिंह परिहार- माननीय शिवराज जी भी सरकार चला रहे हैं, गरीबों और सबका कल्याण कर रहे हैं.
श्री संजय यादव- हम तो आगे सरकार चलायेंगे. अभी वर्तमान में हालात बहुत खराब हैं. क्योंकि जिस तरह से प्रशासन का दुरूपयोग शासन करती है, वे असत्य सपने मुख्यमंत्री जी को दिखा देते हैं.
श्री बहादुर सिंह चौहान- आप सुनिये, सब की चल रही है, तुलसी भईया ने मुझे 8 सौ करोड़ रुपये के 3 डैम दिए हैं.
श्री संजय यादव- डैम बन गए क्या ?
श्री बहादुर सिंह चौहान- उनका काम चल रहा है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा- बहादुर जी, उसमें से कितने डैम फूट गए हैं ?
श्री संजय यादव- माननीय अध्यक्ष महोदय, इन्होंने विकास यात्रा निकाली तो प्रशासन ने क्या किया कि मुख्यमंत्री जी को खुश करने के लिए, जो 20-50 हजार रुपये के डस्टबिन हैं, जहां सरपंच का अधिकार है भूमिपूजन का, उसके लिए आपने आदेश निकाला कि मंडल-कमंडल सब रहेगा. मडंल वाले भी रहेंगे, कमंडल वाले भी रहेंगे और कलश कौन उठायेगा, बेचारी वह आंगनवाड़ी की कार्यकर्ता. बेचारी वह आशा बहन उनसे आप कलश उठवाते हो और यहां मुख्यमंत्री को यहां फोटो भेजकर बता देते हो कि कितनी भीड़ थी.
श्री दिलीप सिंह परिहार:-वह बेचारी नहीं है, वह सम्मान से सारे काम करती है. वह हमारी सबकी बहना है और वह सब काम करती है.
श्री संजय यादव:-सम्मान से काम नहीं करती, दबाव में और डर के काम करती है. बगैर आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ..
श्री दिलीप सिंह परिहार:- वह सब काम करती है, वह सम्मान की पात्र है.
श्री संजय यादव:- बिना आशा कार्यकर्ता के आप एक भी यात्रा सफल बता दो. क्योंकि प्रशासन बेलगाम हो चुका है. मध्यप्रदेश में यह हालात हैं, मैं उदाहरण बता रहा हूं कि हमारे यहां शहपुरा- भिटौनी तहसील, वह बहुत बड़ी तहसील है, लेकिन आज तक वहां पर राजस्व अनुभाग का पद स्वीकृत नहीं किया गया. यह प्रशासन का काम है. मेरा काम नहीं है, जब हमारी सरकार बनी तो हमने वहां पर एस.डी.एम बैठाया. अगर प्रशासनिक व्यवस्था, प्रशासन अपने प्रशासन के लिये नहीं कर पा रहा है तो इससे बेलगाम कौन सा प्रशासन या प्रशासन को कहेंगे कि आज शहपुरा-भिटौनी जो राजस्व अनुभाग घोषित होना चाहिये, वह घोषित नहीं हो पा रहा है.
अध्यक्ष महोदय, अभी हमारे आशीष भाई एक बात बोल रहे कि मुख्यमंत्री स्वेच्छादान में किसी गरीब के इलाज के लिये सहायता दी जाती है. लेकिन आप इन अधिकारियों के कारण, आप बताइये कि अगर मेरे पास या किसी विपक्ष के विधायक के पास कोई गरीब आता है तो वह भी तो जनता है. इसी प्रदेश की जनता है उसके प्रकरण नस्तीबद्ध कर दिये जाते हैं, उसके प्रकरण निरस्त कर दिये जाते हैं तो क्या यह भेदभाव नहीं है, यह सम्भाव है क्या ? फिर किस तरह की आपकी नीति है, क्या आपने अधिकारियों को यह बता दिया या अधिकारियों को यह मालूम है कि यह कांग्रेस का विधायक है. अगर उसको नहीं मालूम, अगर मालूम है तभी तो वह कांग्रेस के विधायकों की मांग निरस्त करते हैं. इस तरह से सुशासन नहीं, यह कुशासन हो गया है. क्योंकि यह कुशासन, माननीय शिवराज सिंह जी चौहान साहब का कुशासन है. अधिकारी आपके नियंत्रण में नहीं है,सरकार के नियंत्रण में नहीं हैं. क्योंकि अधिकारी बेलगाम हो चुके हैं. अगर अधिकारियों के ऊपर नियंत्रण नहीं होगा तो वही स्थिति होगी जो वर्ष 2003 में हम लोगों की हुई थी. क्योंकि उस समय यह कहा जाता रहा कि अधिकारी शासन रहे हैं और अभी भी यही स्थिति है कि एक भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता से बात करो तो वह भारतीय जनता पार्टी का भी कार्यकर्ता कहता है कि हम लोग भी पीडि़त हैं, क्योंकि अधिकारियों का राज चल रहा है. जिस-जिस सरकार में अधिकारियों ने राज चलाया, उस-उस सरकार का पतन हुआ है और यह सुनिश्चित रूप से आने वाले समय में दिख रहा है कि अधिकारी राज के कारण शिवराज सरकार का पतन होना सुनिश्चित है. यह आप लोगों के लिये भी खतरे की घंटी है. आपको भी हमारा समर्थन करना चाहिये कि वाकई अगर शासन का, अधिकारियों का राज चलेगा तो आपको भी खतरा है. आप भी कोई जीतने वाले नहीं हैं. क्योंकि यह सरकार को भ्रमित, गुमराह करने का काम करते हैं. इसी तरह से आपने लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के माध्यम से जन जीवन मिशन के तहत कार्य करने जा रही है सरकार.लेकिन अधिकारी यह नहीं बता सकते कि जिले के पास नर्मदा नदी पास में है. वहां नर्मदा जी से पानी देना चाहिये ? या आपको बोर से पानी देना चाहिये ? आप उसी जगह से नगर परिषद में पानी ले जा रहे हैं, भेड़ाघाट या पाटन ले जा रहे हैं. लेकिन जहां-जहां से नर्मदा नदी की लाइन जा रही है और वहां पर बाजू में गांव है तो वह पाईप लाइन की टकटकी देखता है. आप योजना ए.सी. में बैठकर वल्लभ भवन के कमरे में बनाते हैं. क्योंकि आपके कोई भी अधिकारी फील्ड में नहीं जाते हैं. अगर जिला योजना समिति की बैठक होती तो निश्चित रूप से यह जानकारी सामने आती. अगर मेरे भेडा़घाट से पाटन तक पानी जा रहा है उस बीच में जितने गांव पड़ते हैं तो वहां पानी क्यों नहीं दिया जा सकता. यह इनकी व्यवस्था खराब है, इनका तंत्र खराब है. आप दो बार सरकार का पैसा खर्च करवा रहे हैं. सरकार वैसे ही कर्ज ले रही है और आप सरकार को कर्ज में और लादना चाह रहे हैं. अगर किसी क्षेत्र में नदी का पानी पास में है तो नदी का पानी दीजिये. वहां प्लांट लगा सकते हैं लेकिन नहीं लगाया और जो जल-जीवन मिशन के ठेके ले रहे हैं, वह काम इसलिये नहीं कर रहे हैं कि उनको डर है कि सरकार जाने वाली है उनका भुगतान नहीं होगा. इस डर के कारण जल-जीवन मिशन के काम कहीं भी नहीं हो रहे हैं. अव्यस्थित रूप से हो रहे हैं. एक तो इसमें हमारी पड़वार- पडरिया योजना जो पांच किलोमीटर में है, जहां नर्मदा नदी का पानी जाना चाहिये. लेकिन उन अधिकारियों ने आज तक पड़वार-पडरिया योजना की प्रशासकीय स्वीकृति नहीं दी. जहां से पनागर के भारतीय जनता पार्टी के विधायक हैं आदरणीय इंदु तिवारी जी. क्योंकि जल-जीवन मिशन के काम मिलेंगे तो उनको मिलेगा दो बार. अभी कमीशन मिल जायेगा उसके बाद जब नर्मदा की योजना देंगे फिर कमीशन मिल जायेगा. लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग में कमीशन का खेल बड़े रूप से चल रहा है. इसकी तो जांच करवानी चाहिये. केन्द्र की सरकार का बहुत पैसा आया है इनको मालूम है. इसलिये उसमें भारी भ्रष्टाचार हो रहा है. मैं जनसम्पर्क की बात करूं. वर्तमान में अधिमान्यता प्राप्त वरिष्ठ पत्रकारों को 10 हजार रूपये प्रतिमाह श्रद्धानिधि देने का प्रावधान है. गैर अधिमान्यता प्राप्त वरिष्ठ पत्रकारों को भी श्रद्धानिधि दी जानी चाहिये. वर्तमान में दी जा रही 10 हजार रूपये की श्रद्धानिधि को बढ़ाकर छत्तीसगढ़, राजस्थान और पंजाब की तरह 20 हजार रूपये की जानी चाहिये. वरिष्ठ पत्रकारों की मृत्यु के बाद श्रद्धानिधि का लाभ उसके आश्रितों जैसे पत्नी, माता-पिता आदि को प्रदान किया जाये. जैसा कि कर्मचारियों की मृत्यु के बाद उनके आश्रितों को पेंशन का लाभ दिया जाता है. तीर्थ दर्शन योजना में 5 प्रतिशत कोटा वरिष्ठ पत्रकार को दिया जाना चाहिये. इन मांगों को लेकर पिछले 2 वर्षों से आंदोलन भी हो रहा है. मैं अब नर्मदा घाटी की बात कर रहा हूं. बड़े दुःख के साथ कहना पड़ता है कि भरे समुन्द्र में घोंघा प्यासा मेरे क्षेत्र में बरगी डेम है जो नहर कहां तक जा रही है माननीय मुख्यमंत्री जी ने विगत् दो साल में तीन बार विभाग को निर्देशित कर चुके हैं कि हमारे 167 आदिवासी गांवों में सिंचाई के साधन उपलब्ध हो जाते हैं. हमारी सरकार ने योजना बनायी उसको आगे हमारी सरकार ने बढ़ाया, लेकिन इन्होंने गिरा दी जिसके कारण आज आदिवासी लोग अपनी जमीन बेचने के लिये मजबूर हैं. पिछली बार आपने मेरे ध्यानाकर्षण के माध्यम से व्यवस्था भी दी थी उसमें माननीय मंत्री जी ने आश्वासन भी दिया था आपने खुद कहा था कि पहाड़ी क्षेत्र में केनाल में पानी नहीं खींचा जा सकता है पम्प के माध्यम से उसमें माननीय मंत्री जी ने आश्वासन दिया था कि हम चेक करवा लेंगे, लेकिन आज छः महीने हो गये हैं कोई भी अधिकारी वहां पर चेक करने के लिये नहीं आया. ना ही विभाग झांकने गया है, ना ही मंत्री जी की नज़रे इनायत हुईं, क्या बात है भाई ? क्यों नहीं आदिवासियों को पानी देना चाहते हैं. बरगी डेम उनके पास में हैं. आप आदिवासी विरोधी हैं. वह बेचारे जो विस्थापित हुए थे वह आज अपनी सिंचाई नहीं कर पा रहे हैं. अपनी जमीन का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं. इससे बड़ा दुर्व्यहार इस सरकार का आदिवासियों के प्रति तथा महाकौशल के प्रति है. जिसकी जितनी निन्दा की जाये उतनी कम है. आप भेदभाव कर रहे हैं. बरगी डेम कांग्रेस ने बनाया था उसके बाद आपने नहर बढ़ाने का काम नहीं किया. आप नरसिंहपुर तक पानी नहीं पहुंचा पाये. आप बाजू में पानी नहीं दे पा रहे हैं तो आपसे हम क्या उम्मीद कर सकते हैं. महिला बाल विकास के बात कहना चाहता हूं. महिला बाल विकास विभाग माननीय मुख्यमंत्री जी का विभाग है. उसमें मुख्यमंत्री जी जवाब देते हैं मेरे प्रश्न में कि मध्यप्रदेश में 48 प्रतिशत आंगनवाड़ी भवन विहीन हैं आप 18 सालों में 50 प्रतिशत आंगनवाड़ी भवन नहीं बना पाये तो आपसे जनता क्या उम्मीद रखेगी. उन छोटे-छोटे भांजियों के बच्चे हैं, बहनों के बच्चे पढ़ रहे हैं इस बारे में अधिकारगण आपको बताते नहीं हैं क्या आपके आंगनवाड़ी भवन नहीं हैं. आप स्वीकार कर रहे हैं कि 50 प्रतिशत आंगनवाड़ी भवन नहीं हैं. जिस तरह से नर्मदा घाटी में मैंने प्रश्न लगाया था सिंचाई योजना कहां चल रही है बहादुर भाई गा रहे थे कि इतनी चल रही हैं. मेरे प्रश्न के जवाब में आया कि जानकारी एकत्रित की जा रही है. जब आपको जानकारी नहीं है तो आप सदन को क्यों गुमराह कर रहे हैं. इसी तरह से आंगनवाड़ी भवनविहीन हैं तो इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है ?
अध्यक्ष महोदय--विधान सभा की कार्यवाही शुक्रवार, दिनांक 17 मार्च, 2023 को प्रातः 11.00 बजे तक के लिये स्थगित.
अपराह्न 5.30 बजे विधान सभा की कार्यवाही शुक्रवार, दिनांक 17 मार्च 2023 (फाल्गुन 26, शक संवत 1944) के पूर्वाह्न 11.00 बजे तक के लिये स्थगित की गई.
भोपाल :
दिनांक : 16 मार्च, 2023 अवधेश प्रताप सिंह
प्रमुख सचिव
मध्यप्रदेश विधान सभा