मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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पंचदश विधान सभा अष्टम सत्र
फरवरी-मार्च, 2021 सत्र
मंगलवार, दिनांक 16 मार्च, 2021
(25 फाल्गुन, शक संवत् 1942 )
[खण्ड- 8 ] [अंक- 13]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
मंगलवार, दिनांक 16 मार्च, 2021
(25 फाल्गुन, शक संवत् 1942 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.03 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}
हास-परिहास
अध्यक्ष महोदय -- नरोत्तम जी के और गोविन्द सिंह जी के बीच में कोई एक थोड़ा सा गेप बनाकर रखना, एक दूसरे को देख लेने देना भाई.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) -- अध्यक्ष महोदय, क्या है कि वे बड़े आदमी हैं, लेकिन उनकी हाइट छोटी है. ..(हंसी)..
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, तो आप इंतजाम कर लो ना, कुछ ऊंचा करो ना उसको.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, काम में नेपोलियन हैं और हाइट में भी नेपोलियन हैं. इसमें क्या है कि ये कुर्सी बीच में आ जाती है.
राजस्व मंत्री (श्री गोविन्द सिंह राजपूत) -- अध्यक्ष महोदय, दोनों की पाक मोहब्बत फेमस है. ..(हंसी)..
11.04 बजे तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर.
शासकीय आवास के फर्जी आवंटन पर कार्यवाही
[गृह]
1. ( *क्र. 4151 ) श्री विनय सक्सेना : क्या गृह मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) संपदा संचालनालय द्वारा भोपाल में वर्ष 2018 और 2019 में किस-किस श्रेणी के कौन-कौन से आवास, किस-किस अधिकारी/कर्मचारी को किस-किस कोटे से आवंटित किये गये थे? आवंटित किये गये आवासों की सूची, आवंटिती का नाम, पदनाम, विभाग सहित पूर्ण जानकारी उपलब्ध करावें। (ख) क्या वर्ष 2018 और 2019 में संपदा संचालनालय के कर्मचारी द्वारा फर्जी तरीके से पैसे का लेन-देन कर कई कर्मचारियों को आवास आवंटित किये गये थे? यदि हाँ, तो निरस्त किये गये आवासों की सूची, आवंटिती के नाम, विभाग सहित पूर्ण जानकारी देवें। (ग) प्रश्नांश (ख) का उत्तर हाँ, है तो शासन द्वारा उक्त आरोपी कर्मचारी एवं आवंटिती जिन्होंने फर्जी तरीके से पैसे देकर आवास आवंटित कराये थे, क्या शासन ऐसे कर्मचारियों से बाज़ार दर से आवंटित आवास अवधि का किराया वसूल करेगा या नहीं? (घ) क्या शासन द्वारा उन कर्मचारियों का नाम, जो फर्जी तरीके से आवास आवंटित कराने के दोषी हैं तथा जिनके आवास निरस्त किये गए हैं, दण्ड स्वरुप शासकीय आवास की पात्रता सूची से हटाये जायेंगे? यदि हाँ, तो कब? यदि नहीं, तो क्यों? (ड.) दोषी आवंटितियों के विरुद्ध क्या-क्या कार्यवाही की? यदि नहीं, की गयी है तो क्या शासन उनके विरुद्ध भ्रष्टाचार को प्रोत्साहन देने के फलस्वरूप अपराध पंजीबद्ध कराएगा? यदि हाँ, तो कब?
गृह मंत्री ( डॉ. नरोत्तम मिश्र ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (ग) प्रचलित जाँच में फर्जी आवंटन आदेश के आधार पर आवास आवंटितियों को दाण्डिक दर से किराया वसूली की कार्यवाही के अंतर्गत मांग पत्र जारी किये गये हैं। (घ) वर्तमान में ऐसा कोई प्रस्ताव प्रक्रियाधीन नहीं है। (ड.) शासन आदेशों के परिपालन में आवंटन निरस्त कर बेदखली की कार्यवाही की जा रही है। दाण्डिक दर से किराया वसूली की कार्यवाही प्रचलन में है।
अध्यक्ष महोदय -- श्री विनय सक्सेना जी, आप थोड़ा पाइंटेड प्रश्न पूछियेगा, जिससे हम थोड़ा आगे बढ़ सकें. भूमिका कम करना.
श्री विनय सक्सेना -- अध्यक्ष महोदय, जी, हम बिलकुल पाइंटेड पूछेंगे. अध्यक्ष महोदय, मैंने प्रश्नांश (क) में यह पूछा था कि माननीय मंत्री जी यह बताने की कृपा करेंगे कि संपदा संचालनालय द्वारा भोपाल में वर्ष 2018 और 2019 में किस किस श्रेणी के कौन कौन से आवास, किस किस अधिकारी/कर्मचारी को किस किस कोटे से आवंटित किये गये थे. इसका मंत्री जी ने विधिवत जवाब दिया है, इसके लिये मैं उनको धन्यवाद देना चाहता हूं. लेकिन जो मेरा दूसरा प्रश्नांश (ख) है, उसमें फर्जी तरीके से पैसों का लेन देन करके कई कर्मचारियों को आवास आवंटित कर दिये गये और निरस्त किये गये आवासों की सूची और आवंटितियों के नाम की जो उन्होंने सूची है, वह तो दी है, उसमें यह भी स्पष्ट लिखा है कि फर्जी आवंटन के तहत यह मकान दिये गये हैं. अध्यक्ष महोदय, बड़ा गंभीर मामला यह है कि माननीय मुख्यमंत्री जी, शिवराज सिंह जी, जो कहते हैं कि माफियाओं का बिलकुल सफाया कर देंगे, गाढ़ देंगे, भून देंगे, गृह मंत्री जी भी यह कहते हैं. परन्तु ऐसे 100 लोगों को जो फर्जी आवंटन हुए हैं, मंत्री जी उस पर क्या कार्यवाही करेंगे. यह पहला पहला प्रश्न है और मैं ब्रह्म देवता से निवेदन करुंगा कि वे कुछ पहला ही न्याय कम से कम करेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- दोनों ही प्रश्न एक साथ पूछ लीजिये.
श्री विनय सक्सेना - इसमें प्रश्नांश का ग जो है कर्मचारी एवं आवंटिती जिन्होंने फर्जी तरीके से आवास आवंटित कराये हैं, बाजार दर से आवंटिती से किराया वसूल करेंगे या नहीं और उनके ऊपर एफआईआर होगी कि नहीं? इसका प्रश्नांश घ जो है कि कर्मचारियों के नाम जो फर्जी तरीके से आवंटन के दोषी हैं उनका पात्रता सूची से नाम हटाया जाएगा या नहीं, यह भी पूछना है?
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, सम्मानित सदस्य ने अच्छा प्रश्न किया था. पहली बार हैं धन्यवाद देना सीख गये हैं, इसके लिए भी उनको धन्यवाद है. शुरुआत में सीख गये हैं, वकील हैं.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - उन्होंने ब्रह्म देवता भी कहा है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - नहीं, वह तो गलतफहमी है, वह किसी दिन दूर हो जाएगी. मैं देवता बिल्कुल नहीं हूं, बिल्कुल भी नहीं हूं. मैं मानवीय रहना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय - वह गलतफहमी कम से कम आज दूर न हो.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - नहीं, उचित अवसर पर ही करूंगा. अध्यक्ष महोदय, मेरा वह बहुत प्रिय विधायक है और उन्होंने अच्छा प्रश्न उठाया था. यह जो व्यक्ति था, कर्ते. इसने फर्जी नोटशीट से यह काम किया था, यह बात सत्य है. उसके बाद में संज्ञान में यह जैसे ही आया, उस पर कार्यवाही की, केस रजिस्टर्ड किया, गिरफ्तार किया, जेल भेजा और उसके बाद में जो ऐसे आवास थे, वह सारे के सारे निरस्त कर दिये हैं, उनसे वसूली की कार्यवाही प्रारंभ हो गई है, हमने 2.68 लाख रुपये से ज्यादा वसूल भी कर लिये हैं. लगभग 80 से 90 प्रतिशत मकान खाली भी करा लिये हैं, 5-7 प्रतिशत मकान बचे होंगे, वह भी सम्मानित सदस्य का प्रश्न आया है वह भी करा लेंगे.
श्री विनय सक्सेना - अध्यक्ष महोदय, मै माननीय गृह मंत्री जी से आग्रह करना चाहता हूं कि चोरी करने वाला, कराने वाला और माल खरीदने वाला, सभी दोषी होते हैं, जो 100 लोगों का माननीय मुख्यमंत्री जी के दस्तखत से नोटशीट से आवंटन होता है जबकि उनका आवेदन ही नहीं गया था तो उन 100 लोगों पर भी कार्यवाही होनी चाहिए, आप ही सूची दे रहे हैं कि इन्होंने फर्जी आवंटन करा लिया. मैंने मुख्यमंत्री जी को आवेदन नहीं दिया. अध्यक्ष महोदय, आपको आवेदन नहीं दिया तो मेरे नाम से मकान का आवंटन होगा तो मुझे तो पता है कि कुछ न कुछ लेन-देन हुआ है, भ्रष्टाचार हुआ है. माननीय मुख्यमंत्री जी अभी परसों खुद ही नगरोदय कार्यक्रम में कह रहे थे कि कोई रिश्वत ले तो मुझे बताना, कार्यवाही करूंगा तो सरकार की मंशा के अनुरूप उन 100 लोगों पर भी कार्यवाही होना चाहिए. आप तो वैसे भी सरदार वल्लभ भाई पटेल जी की बातें करते हैं तो मैं चाहता हूं कि आप थोड़ा गृह मंत्री जी ताकतवर होकर कोई कार्यवाही करके दिखाएंगे तो कृपा होगी.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - (श्री जितु पटवारी, सदस्य के बैठे बैठे कुछ कहने पर) देखो साहब, यह जितु ने इसी तरह से बोल-बोलकर पूरी सरकार पटक दी. अभी भी इसको सकून नहीं है.
श्री जितु पटवारी - अच्छा, आप कार्यवाही करेंगे? समय समय पर सरकार का विषय तो करते रहेंगे, अभी कार्यवाही करेंगे?
डॉ. नरोत्तम मिश्र -अध्यक्ष महोदय, हमने कार्यवाही की, आगे भी करेंगे. हमारे मुख्यमंत्री जी जो कहते हैं, हम वह करते हैं. हमने कहा था कि शुरुआत तुमने की है, एंड हम करेंगे, क्या कि नहीं? हम जो कहते हैं, करते हैं.
श्री जितु पटवारी - फिर आज भी आया है, कल भी आएगा, परसों भी आएगा. रोज बदलेगा, समय बदलेगा, फिर आपको मैं इसी सदन में कहूंगा कि देखो, समय बदला है, याद रखना यह बात.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - हमने कहा कि 370 हटाएंगे, हटाया. रामजन्म भूमि पर मंदिर बनाएंगे. मेरे भाई, 15 साल, 16 साल ऐसे ही तुमने विपक्ष में बैठाल दिया सबको.
श्री पी.सी. शर्मा - यह एंड आपने किया, लेकिन इसमें दि एंड भी होगा.
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी, जवाब दीजिए.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - देखो, यह दिवा स्वप्न नहीं देखना चाहिए, जगते में सपना नहीं देखना चाहिए. मेरे काबिल दोस्त सक्सेना साहब से प्रार्थना करूंगा कि वह जो आवेदन आए हैं, आप यह कह रहे हैं कि एक भी आवेदन नहीं आया, ऐसा नहीं है. कुछ आवेदन थे, कुछ के आवेदन नहीं थे, इसके लिए हमने जांच के लिए अलग से बोल दिया है.
प्रश्न संख्या 2
शासकीय महाविद्यालय छापीहेड़ा में संचालित कक्षाएं
[उच्च शिक्षा]
2. ( *क्र. 2415 ) श्री प्रियव्रत सिंह : क्या उच्च शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) राजगढ़ जिले के अंतर्गत शासकीय महाविद्यालय छापीहेड़ा में कितने छात्र-छात्राएं दर्ज हैं? (ख) दर्ज छात्र संख्या के अनुरूप कितने कक्षों में कक्षाएं संचालित हो रही हैं? छात्र संख्या के मान से क्या महाविद्यालय में कक्ष उपलब्ध हैं? यदि हाँ, तो कितने कक्ष उपलब्ध हैं? यदि नहीं, तो किस प्रकार से शासन द्वारा बैठक व्यवस्था की जाएगी? (ग) महाविद्यालय के पास छात्र-छात्राओं की बैठक व्यवस्था हेतु कितना फर्नीचर उपलब्ध है व पेयजल की क्या सुविधा है? (घ) अध्यनरत छात्र-छात्राओं की सुविधा के लिए नवीन महाविद्यालय भवन कब तक स्वीकृत किया जाएगा?
उच्च शिक्षा मंत्री ( डॉ. मोहन यादव ) : (क) शासकीय महाविद्यालय छापीहेड़ा में कला संकाय में 289 छात्र एवं 319 छात्रायें, कुल 608 विद्यार्थी दर्ज हैं। (ख) दर्ज छात्र संख्या के अनुरूप 04 कक्षों में कक्षायें संचालित हो रही हैं। छात्र संख्या के मान से कक्षों का अभाव है। आवश्यकतानुसार शासकीय बालक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के कक्षों का उपयोग किया जाता है। (ग) महाविद्यालय के पास पर्याप्त फर्नीचर उपलब्ध है। पेयजल व्यवस्था के लिये नल-जल सुविधा उपलब्ध है। (घ) प्रशासकीय स्वीकृति जारी की जा चुकी है।
श्री प्रियव्रत सिंह - अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के उत्तर में माननीय मंत्री जी ने माना है कि जो कक्षों के अभाव में कॉलेज में व्यवस्थाएं कम हैं. मैं दो प्रश्न पूछना चाहता हूं एक, 4 कक्षों में भी कॉलेज संचालित हो रहा है. अब मैं यह सिद्ध करने का प्रयास करूं कि जो वहां पर शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय है तो वह अन्य विभाग का है तो माननीय मंत्री जी उसका उल्लेख तो यहां पर नहीं कर पाएंगे क्योंकि वहां पर भी कक्ष है नहीं. 4 कक्षों में से 2 कक्षों में ऑफिस संचालित होता है और 2 कक्षों में 608 छात्र अध्ययन करते हैं. मेरा माननीय मंत्री जी से यही प्रश्न है कि आपने प्रशासकीय स्वीकृति छापीहेड़ा कॉलेज की जारी कर दी है. आप कृपया यह बता देंगे कि कितने दिन में निविदा हो जाएगी और कार्य नवीन बिल्डिंग जिसका भू-आवंटन हम लोग करवा चुके हैं, उसका कार्य कब तक प्रारंभ हो जाएगा?दूसरा, मैं माननीय मंत्री जी से यह जानना चाहूंगा कि कला संकाय यहां पर संचालित है, क्या आगामी सत्र से यहां पर वाणिज्य और विज्ञान के संकाय भी प्रारंभ कर दिये जाएंगे? और जो दूसरी मूलभूत सुविधाओं में माननीय मंत्री जी ने बोला कि पेयजल की आपूर्ति, पूरे नगर में ही पेयजल योजना से पेयजल की आपूर्ति नहीं है, अब वह तो नगरीय निकाय का प्रश्न बन जाएगा. परन्तु वहां पर कॉलेज के संचालन में जिन व्यवस्थाओं की आवश्यकता है, वहां मूलभूत व्यवस्थाएं मिलें, इसके लिए क्या यहां से अपने एक उच्च अधिकारी को भेजकर वहां का निरीक्षण करा लेंगे?
डॉ मोहन यादव -- माननीय अध्यक्ष महोदय छापीहेडा का कालेज 2017-18 में प्रारम्भ हुआ है. माननीय विधायक जी ने जो बात कही है यह सही है कि हमारी छात्र संख्या 600 के आसपास है. मैं इस बात को स्वीकार करता हूं कि हमने कोरोना के काल में भी यद्यपि कालेज नया हो तब भी जो बच्चे कालेज में प्रवेश लेना चाहते हैं, भले ही वह घर ही रहें, हमारे पास में जब जब जिन जिन कालेजों में संख्या की मांग आई है हमने तुरंत स्वीकृति दी है. यही कारण है कि हमने इस बात के लिए गुंजाइश दी है कि कोई भी बच्चा सकल पंजीयन अनुपात में छूट नहीं जाय. लेकिन यह बात भी सही है कि जो भवन बनना चाहिए था उसकी फरवरी में हमने मंजूरी दे दी है और इसी सत्र में उस भवन का भूमि पूजन करके हम काम प्रारम्भ कर देंगे. लेकिन आपने कहा कि बच्चों को पढ़ने की दृष्टि से 4 कक्ष कम हैं तो हमने हायर सेकेण्ड्री स्कूल के जो कक्ष खाली हैं, खाली समय में उनका उपयोग करके जो बच्चे आते हैं उनको पढ़ाते हैं लेकिन कोरोना के कारण से आपकी जानकारी में है कि क्या हुआ है और कोई बात हो तो आप बता सकते हैं.
श्री प्रियव्रत सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय मैंने दो चीजें मांगी थीं एक तो कला संकाय वहां पर चल रहा है. क्या वहां पर विज्ञान और वाणिज्य संकाय भी प्रारम्भ करवायेंगे. दूसरा मेरा कहना है कि जो मूलभूत सुविधाओं की कालेज को आवश्यकता है. अध्यक्ष महोदय बहुत ही सिंपल सी बात है कोरोना काल में उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बंद था. अब प्रारम्भ हो गया है. उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में इतने कक्ष नहीं है कि वह कालेज को अलग से दे सकें. वहां पर कम से कम मूलभूत सुविधाएं हो जायें. वहां पर कालेज में बच्चों की परीक्षाएं होंगी. अब वहां पर 608 छात्र हैं तो 4 कक्ष में वह परीक्षा नहीं दे पायेंगे. आने वाले समय में परीक्षाओं का संचालन तो होगा ही, मैं इतना ही चाहता हूं कि जो आपने प्रशासकीय स्वीकृति जारी की है उसका आपने कह ही दिया है की कार्य प्रारम्भ करेंगे. समय सीमा भी तय कर दें और वहां पर वाणिज्य और विज्ञान संकाय अगले सत्र से प्रारम्भ कर दें तो बहुत अच्छा रहेगा.
डॉ मोहन यादव -- अध्यक्ष महोदय माननीय सदस्य कि जैसी भावना है वह चाह रहे हैं कि कुछ अलग से संकाय प्रारम्भ कर दें. मैं उनको ही नहीं सदन के बाकी सभी सदस्यों से निवेदन करना चाहता हूं कि आप सब भी अपने अपने महाविद्यालय में उ च्च शिक्षा से संबंधित नये पाठ्यक्रम जो चालू करना चाहते हैं जिनसे रोजगार मिले, हम सभी सदस्यों को सेल्फ फायनेंस में यह सुविधा देने को तैयार हैं, सभी के लिए गुंजाइश दे रहे हैं. आपने जो दो बतायें हैं उसके अलावा भी वह लेना चाहेंगे तो हम उनके लिए भी वह सुविधा दे रहे हैं, इसके अलावा खासकर कक्ष की बात कही है तो हमने कहा है कि किसी भी हालत में समय सीमा में यह भवन बनकर तैयार भी हो जायेगा और आपको उसका लाभ भी मिलेगा.
श्री प्रियव्रत सिंह -- अध्यक्ष महोदय मेरा कहना है कि किसी अधिकारी को भेजकर वहां पर निरीक्षण करवा लें, जाच करवा लें, व्यवस्था करवा दें.
अध्यक्ष महोदय -- आपके प्रश्न से तो सारे विधायकों को फायदा हो गया है धन्यवाद करके आगे बढ़ने दें.
डॉ मोहन यादव -- अध्यक्ष महोदय निश्चित रूप से आपने कहा कि परीक्षण करा लेंगे तो कोई दिक्कत नहीं है करा लेंगे.
श्री प्रियव्रत सिंह -- धन्यवाद्.
पुराने टेंडर को एक्सटेंशन दिये जाने की जाँच
[ऊर्जा]
3. (*क्र. 5252 ) श्री नीरज विनोद दीक्षित : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या ऊर्जा विभाग की पूर्व, पश्चिम व मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनियों द्वारा आउटसोर्स कर्मचारियों की भर्ती के लिए आउटसोर्सिंग ऑफ मैन पावर निविदा निकाली थी, जिसमें तकनीकी खोले जाने के बाद इसे जून-जुलाई 2020 में निरस्त कर दिया गया था और पुराने टेंडर को ही एक्सटेंशन दिया गया था? कारण बतावें। (ख) क्या प्रश्नांश (क) वर्णित कार्य हेतु अगस्त 2020 में पुन: निविदा बुलाई गई और तकनीकी निविदा खोले जाने के पूर्व निरस्त किया जाकर पुराने टेंडर को एक्सटेंशन दिया गया, क्यों? (ग) क्या उक्त कार्य हेतु जनवरी 2021 में पुन: निविदा बुलाकर 16 फरवरी 2021 को निरस्त कर दिया गया? तीन तीन बार टेंडर निरस्त किये जाने के कारण क्या हैं? क्या किसी कंपनी विशेष को लाभ देने का प्रयास किया जा रहा है? पुरानी एजेंसी के कार्य को कितनी बार एक्सटेंशन दिया गया? क्या यह नियमानुसार है? यदि नहीं, तो क्यों? वर्तमान में कब तक के लिए एक्सटेंशन दिया गया है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ) : (क) जी हाँ। तीनों विद्युत वितरण कंपनियों में आऊटसोर्स कर्मचारियों के आऊटसोर्स प्रदाता फर्म के माध्यम से नियोजन हेतु/निविदाएँ जारी की गईं थीं। प्राईस बिड खोलने के बाद उक्त निविदाओं को माह जून-2020 में निरस्त किया गया था। उक्त निविदाओं को निरस्त किये जाने का कारण संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। जी हाँ। बाहय स्त्रोत से कार्मिकों के नियोजन हेतु पूर्व निविदाओं के अंतर्गत जारी दर अनुबंधों की अवधि समाप्त हो रही थी एवं उक्त नई निविदायें निरस्त की जा चुकी थीं, अत: पुरानी निविदाओं के अंतर्गत जारी दर अनुबंध को एक्सटेंशन दिया गया था, जिससे वितरण कंपनियों के विद्युत व्यवस्था/कार्यालयों से संबंधित कार्य प्रभावित नहीं हो पाये। (ख) जी हाँ। आऊटसोर्स कर्मचारियों के नियोजन हेतु कोई भी निविदाकर्ता निविदा की अर्हताओं पर प्राइज बिड खोलने के योग्य नहीं पाया गया था, अत: उक्त निविदाएं वाणिज्यिक व तकनीकी बिड खुलने के बाद निरस्त की गईं। उक्त के परिप्रेक्ष्य में पुन: पुरानी निविदाओं के अंतर्गत जारी दर अनुबंधों की अवधि नियमानुसार सक्षम अनुमोदन से एक्सटेंड की गयी, जिससे कि विद्युत वितरण कंपनियों के विद्युत व्यवस्था/कार्यालयों से संबंधित कार्य व्यवस्था प्रभावित नहीं हो पाये। (ग) जी हाँ। तीनों विद्युत वितरण कंपनियों द्वारा जारी निविदाएं निरस्त किये जाने का कारण संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। जी नहीं, किसी कंपनी विशेष को लाभ देने का प्रयास नहीं किया जा रहा। पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी व मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा पुरानी एजेन्सियों के अनुबंध का तीन बार एक्सटेंशन किया गया है, जबकि पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा एक एजेंसी के अनुबंध को दो बार, दूसरी एजेंसी के अनुबंध को चार बार तथा अन्य तीन एजेन्सियों के अनुबंध का सात बार एक्सटेंशन किया गया है। उक्त एक्सटेंशन नियमानुसार किये गये हैं। वर्तमान में तीनों विद्युत वितरण कंपनियों द्वारा उक्त एक्सटेंशन मार्च 2021 तक के लिए किये गए हैं।
श्री नीरज विनोद दीक्षित -- अध्यक्ष महोदय मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि जो कर्मचारी आऊट सोर्स कंपनी में कम्पयूटर आपरेटर, सुरक्षा गार्ड, आफिस बॉय आदि के रूप में विभिन्न कार्यालयों में काम करते हैं आऊट सोर्स कंपनी के बदलने पर अचानक बेरोजगार हो जाते हैं, सड़क पर आ जाते हैं. इनका रोजगार यथावत बना रहे. क्या माननीय मंत्री जी ऐसी कोई व्यवस्था देंगे.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमार -- अध्यक्ष महोदय माननीय सदस्य ने मूल प्रश्न में यह बात नहीं कही है. लेकिन मैं कहूं कि आऊट सोर्स पर जो कर्मचारी हैं, जो योग्य हैं, वह काम कर रहे हैं अगर वह कोई त्रुटि करते हैं तो हटाया जाता है. इसलिए माननीय सदस्य को ऐसी कोई शिकायत है तो हम जांच करा लेंगे, अकारण तो किसी को हटाया नहीं जाता है, काम नहीं करेगा तो हटाया जायेगा.
श्री नीरज विनोद दीक्षित -- आऊट सोर्स कंपनी अपने नियुक्त कर्मचारियों के हितों की रक्षा करे. इसके साथ में उनको नियमित रूप से वेतन मिले, उनका पीएफ काटा जाय इसकी व्यवस्था के लिए क्या प्रावधान किये गये हैं.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- अध्यक्ष महोदय मैं फिर से कह रहा हूं कि इनका जो मूल प्रश्न हैं उससे यह चीज उद्भुत नहीं हो रही है, फिर भी हमारी माननीय शिवराज सिंह जी की सरकार गरीबों के हित में सकारात्मक सोचती है. फिर भी हमारी माननीय शिवराज सिंह जी की सरकार गरीबों के हित में सकारात्मक सोचती है. माननीय सदस्य की जो भी बात होगी हम बैठकर के सदन के बाहर सुनकर कुछ कमियां होंगी, मैं कह रहा हूं कि सुधार करेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- ठीक है.
श्री प्रियव्रत सिंह -- एक प्रश्न करना है. इसमें बड़ा गंभीर मामला है.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, प्रियव्रत सिंह जी, कितना भी गंभीर हो, चूंकि वह प्रथम बार के विधायक हैं मैं सपोर्ट नहीं करने दूंगा, उन्हीं को दूंगा.
श्री प्रियव्रत सिंह -- अध्यक्ष महोदय, इससे जो प्रश्न उद्भूत हो रहा है मैं उसी में कह रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय -- बिलकुल नहीं. मानिये तो वह प्रथम बार के विधायक हैं मैं उनको ही अवसर दे रहा हूं. आप पूछिये.
श्री नीरज विनोद दीक्षित -- अध्यक्ष महोदय, एक ओर श्रम कानून के तहत 350 रुपये प्रतिदिन भुगतान वही सरकार संविदा के तहत कर रही है लेकिन उसमें कम राशि के साथ संविदा ठेकेदार 4 हजार से 5 हजार रुपये प्रतिमाह भुगतान करते हैं.
अध्यक्ष महोदय -- आप प्रश्न पूछिये. आप पूछना क्या चाहते हैं ?
श्री नीरज विनोद दीक्षित -- अध्यक्ष महोदय, ऐसा कोई कानून बने कि उनका जो साढ़े तीन सौ रुपये प्रतिदिन का है वही महीने में मिले.
अध्यक्ष महोदय -- माने आउटसोर्स के कर्मचारियों का फायदा हो ?
श्री नीरज विनोद दीक्षित -- जी.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- अध्यक्ष महोदय, मैंने कहा कि इसके लिये निश्चित मापदण्ड पहले से ही निर्धारित हैं. आउटसोर्स कर्मचारी के लिये शासन की निर्धारित दर पर उसको पैसा मिलता है. उसको ईपीएफ, पीपीएफ कटता है और जो उसको मिलना चाहिये पूरा दिया जाता है. फिर भी मैं कह रहा हूं कि माननीय सदस्य कोई बात अगर स्पष्ट करेंगे, कोई जरूरत होगी तो बता दीजिये.
अध्यक्ष महोदय -- आप लिखकर दे देना.
श्री नीरज विनोद दीक्षित -- जी अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न क्रमांक 4 श्री संजय शुक्ला जी.
श्री प्रियव्रत सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मैं कुछ कहना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय -- किसी दूसरे विषय पर बोल लेना. नहीं नहीं आगे बढ़ने दीजिये.
श्री प्रियव्रत सिंह -- अध्यक्ष महोदय, आउटसोर्स कर्मचारियों के लिये जो टेण्डर बनाये गये थे प्रथम उसमें समानता बनाई गई थी और पश्चिम डिस्कॉम के माध्यम से यह तैयार किया गया था यह आपके उत्तर में आया है. माननीय मंत्री जी यह बता दें कि एक तो हमारे जो सदस्य की चिंता है वह यह है कि किसी की नौकरी बेजा चली न जाय, तो जो मापदण्ड पूर्व में तय किये गये थे इनकी सिक्योरिटी के लिये, इनकी ड्रेस के लिये, इनके वेतन के लिये और अगर कोई दुर्घटना होती है तो समय पर उनको राशि मिल जाय, वह अभी भी जो नया टेण्डर है इसमें यह कायम रहेंगे कि आपने जो पश्चिम डिस्कॉम का बनाया हुआ पुराना टेण्डर में जो बदलाव किये हैं उसमें वह सब आपने हटा दिया है, दूसरा मेरा यह सिंपल सा प्रश्न है.. अध्यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं पूरा हो गया.
श्री प्रियव्रत सिंह -- अध्यक्ष महोदय, एक मिनट में हो जाएगा. दूसरा, यह है कि यह जब सारी कंपनियों के लिये समान बनाये गये थे, पश्चिम डिस्कॉम द्वारा और समान टेण्डर सारी कंपनियों के द्वारा जारी करने थे, तो इसमें बदलाव करके अलग-अलग टेण्डर करने का और अलग-अलग मापदण्डों के टेण्डर करने का माननीय मंत्री जी क्या कारण रहा है ?
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय पूर्व मंत्री जी को यह बताना चाहता हूं कि जो आप बो गये थे उसको हमने समेटा है. यह समझ लो आप. आप यह कहना चाहते हो कि जब यह 2000 टेण्डर हुये, जब आप मंत्री थे...
श्री प्रियव्रत सिंह -- क्या समेटा यह भी बता दीजिये. यह भी क्लीयर कर दो.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- नहीं, मैं बोल रहा हूं न, अब आप सुन लो. माननीय पूर्व मंत्री जी जरा सुन लें. मैं यह कहना चाहता हूं ..
अध्यक्ष महोदय -- ज्यादा भूमिका की आवश्यकता नहीं है उनका जवाब आ जाय.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- माननीय, मेरा जवाब यह है कि पहले इन्होंने जो कहा है कर्मचारियों के हितों की शर्तों के बारे में इस प्रश्न में ऐसी कोई बात उद्भूत नहीं होती है. सुधार कर लें जरा, अगर है तो मुझे बता दें. फिर भी मैं जवाब देने को तैयार हूं, सदन में अगर कोई बात हो रही है. दूसरी बात, आप समझ लें हमारे जो प्रावधान थे उनके हितों के बारे में उसमें आज जो प्रावधान हैं उसमें कोई परिवर्तन नहीं है. आपके समय में जो टेण्डर हुआ, टेण्डर में कितनी बार शर्तें बदलीं आपको पता है. अगर नहीं, तो उठाओ रिकॉर्ड शर्तें देख लो और टेण्डर में कितनी बार आपने शर्तें बदली हैं, क्यों टेण्डर निरस्त हुये वह मैं सब बताने को तैयार हूं. आप चाहें तो टेबल पर बहस कर लो, पत्रकारों के सामने बहस कर लो और सदन में बहस कर लो. अनियमितताएं आपने की हैं.
श्री प्रियव्रत सिंह -- आप जवाब तो दे दो. आप यहां आरोप लगा रहे हैं.
श्री जितु पटवारी -- अध्यक्ष जी, नहीं नहीं.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं जितु जी, बैठ जाइये. आप लोग बैठ जाइये. देखिये पहले से ही मैंने कहकर रखा है कि प्रथम बार के विधायकों के साथ में कोई खड़ा नहीं होगा. बड़े मुश्किम से प्रियव्रत सिंह जी को दे दिया, सीधा उत्तर आ रहा था उत्तर आ ही नहीं पाया आपने मामले को घुमा दिया.
श्री जितु पटवारी -- उत्तर नहीं आया है. उत्तर दें.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, आप सुन लीजिये. वह दे रहे हैं न, देने देंगे तब न देंगे. मंत्री जी, आप बताइये.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने कहा कर्मचारियों के हित में समान प्रावधान, जो प्रावधान पहले से थे, नवीन टेण्डर में भी वही प्रावधान हैं कोई परिवर्तन नहीं किया गया है.
श्री प्रियव्रत सिंह -- अभी कह रहे थे कि .. (व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, उन्होंने कहा कि कोई परिवर्तन नहीं किया गया है. .. (व्यवधान)...
श्री जितु पटवारी -- अब कह रहे हैं कोई परिवर्तन नहीं किया गया है, मतलब क्या बोलते हैं, क्या पढ़ते हैं और क्या लिखते हैं, भगवान ही मालिक है. .. (व्यवधान)...
श्री प्रियव्रत सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, चार बार टेण्डर निरस्त कर दिए इन्होंने, समेटने के लिए. .. (व्यवधान)...
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- जितु जी, आपका इससे संबंध नहीं है, समझने से, अगर समझने से ही संबंध आपका होता तो फिर आप ये बात ही नहीं करते. .. (व्यवधान)...
प्रश्न क्रमांक 4 -- श्री संजय शुक्ला (अनुपस्थित)
प्रश्न क्रमांक 5 -- श्री निलय विनोद डागा (अनुपस्थित)
टीकमगढ़ तहसील अन्तर्गत अवैध काँलोनियों का निर्माण
[नगरीय विकास एवं आवास]
6. ( *क्र. 3920 ) श्री राहुल सिंह लोधी : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या टीकमगढ़ तहसील अन्तर्गत आने वाले पटवारी हल्का टीकमगढ़ किला, टीकमगढ़ खास, अनन्तपुरा, तखा, नारगुड़ा, गोपालपुरा, नयाखेरा, कुवंरपुरा, मामौन, गनेशगंज, माडूमर, इत्यादि हल्कों में प्रॉपर्टी डीलरों द्वारा धारा 339 एवं 339 (क) एवं टाउन एण्ड कन्ट्री प्लानिंग के नियमों की शर्तों का उल्लघंन कर प्लाटों का विक्रय किया जा रहा है? (ख) क्या डीलरों के द्वारा अवैध कॉलोनियों का निर्माण किया जा रहा है? (ग) यदि हाँ, तो ऐसे डीलरों ओर अवैध कॉलोनियों का निर्माण करने वाले लोगों पर आज दिनांक तक प्रशासन द्वारा क्या-क्या कार्यवाही की गई है? (घ) प्रश्नांश (क) में अंकित पटवारी हल्का में कितनी अवैध कॉलोनियों का निर्माण एवं प्लाटिंग का कार्य प्रगति पर है? (ड.) वर्ष 2015 से आज दिनांक तक प्रश्नांश (क) में अंकित पटवारी हल्का में कितनी कॉलोनियों का निर्माण कराया जा चुका है? (कलेक्टर द्वारा सर्टिफाईड सूची उपलब्ध करायें) (च) कॉलोनाईजर को प्लाटों की बिक्री के पूर्व कौन से लाईसेंस या सर्टिफिकेट शासन की गाईड लाईन के अनुसार अनिवार्य हैं?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ) : (क) अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) टीकमगढ़ द्वारा प्रतिवेदित किया गया है कि प्रश्नांकित ग्रामों में प्रॉपर्टी डीलर्स द्वारा धारा 339-क के उल्लंघन के संबंध में जाँच की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। (ख) अवैध कॉलोनियों के निर्माण की जाँच की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। (ग) जाँच की कार्यवाही पूर्ण होने पर नियमानुसार वैधानिक कार्यवाही की जावेगी। (घ) प्रश्नांकित पटवारी हल्का में 82 कॉलोनियों के भू-स्वामियों द्वारा कृषि भूमि को प्लाट के रूप विक्रय किया जा रहा है जिसके संबंध में जाँच की कार्यवाही वर्तमान में प्रक्रियाधीन है। (ड.) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (च) नगरीय क्षेत्र में कॉलोनी बनाने वाले व्यक्ति को म.प्र. नगर पालिका अधिनियम 1961 की धारा 339-क के तहत कॉलोनाईजर का रजिस्ट्रीकरण, नगर तथा ग्राम निवेश से विकास की अनुमति, सक्षम प्राधिकारी से कॉलोनी के विकास कार्य की अनुमति प्राप्त किया जाना एवं प्रस्तावित कॉलोनी का रेरा में पंजीयन भी कराया जाना अनिवार्य है।
श्री राहुल सिंह लोधी -- माननीय अध्यक्ष जी, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद, आपने बोलने का मौका दिया. मेरा माननीय मंत्री जी को भी बहुत-बहुत धन्यवाद कि उन्होंने त्वरित कार्यवाही करते हुए मेरा जो अवैध कालोनियों के विषय में प्रश्न था, उस पर कार्यवाही की. माननीय मंत्री जी ने मेरे प्रश्न के जवाब में टीकमगढ़ जिले में 82 अवैध कालोनियों के निर्माण के बारे में बताया है तो माननीय मंत्री जी से इसी विषय पर मेरे चार सवाल हैं कि हमारी शिवराज सिंह जी की सरकार किसान हितैषी सरकार है, गरीब हितैषी सरकार है और इन अवैध कालोनियों के निर्माण के बाद सबसे ज्यादा नुकसान जो होता है, वह गरीबों को ही होता है क्योंकि गरीब व्यक्ति वहां जमीन खरीद लेता है, प्लॉट ले लेता है, उसके बाद जब कार्यवाही होती है तो कार्यवाही होने में बहुत समय निकल जाता है तो कार्यवाही होने के समय वह गरीब किसान प्लॉट खरीदने...
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न करें, सीधा प्रश्न पूछें.
श्री राहुल सिंह लोधी -- जी अध्यक्ष महोदय, तो मेरा माननीय मंत्री जी से यह सवाल है कि 82 अवैध कालोनियों का जो जिक्र माननीय मंत्री जी ने किया है, क्या उनमें रजिस्ट्रियों पर रोक लगाई जाएगी ? दूसरा मेरा सवाल माननीय मंत्री जी से यह है कि जो यह अवैध निर्माण करते हैं, अवैध कालोनियां बनाते हैं, उन कालोनियों के बाहर बहुत बड़े-बड़े गेट बना देते हैं, जिससे गरीब व्यक्ति प्रभावित हो जाता है और सोचता है कि बहुत अच्छी कालोनी बन रही है, इन्होंने सारी परमीशंस रेरा इत्यादि की परमीशन ले ली होगी, तो वह गरीब प्रभावित होकर प्लॉट खरीदने के लिए पहुँच जाता है, तो मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि क्या यह जो अवैध निर्माण है, कालोनियों के बाहर बड़े-बड़े गेट बने हुए हैं, क्या माननीय मंत्री जी की तरफ से उन गेटों को तोड़ने का प्रावधान किया जाएगा ? तीसरा मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि जो सरकार की तरफ से कालोनियां बनाने के लिए प्रावधान है कि उनको रेरा की परमीशन अनिवार्य रूप से जरूरी है तो क्या सरकार उन सभी कालोनियों के बाहर अपना बोर्ड लगाएगी कि यह कालोनी अवैध है या अवैध नहीं है या इसको परमिशन मिल गई है या नहीं मिली है ताकि गरीब व्यक्ति जब वहां पर अपना प्लॉट खरीदने के लिए जाए तो उसको यह बोर्ड में लिखा मिल जाए कि हां, यह कालोनी अवैध है या अवैध नहीं है ? और चौथा मेरा माननीय मंत्री जी से सवाल है कि नगरनिगम के क्षेत्र में जितनी भी अवैध कालोनियां बनी हैं या बन रही हैं, नगरनिगम के कर्मचारी भी देखते हैं क्योंकि वे रोज ही वहां से गुजरते हैं, रोड पर ही प्लॉट कटे होते हैं, तब जिस समय वह कालोनी बन रही होगी, उस समय अगर कर्मचारियों की पदस्थापना वहां पर हो तो उस समय उनके ऊपर कार्यवाही की जाएगी कि नहीं ? माननीय मंत्री जी से ये मेरे चार सवाल हैं.
श्री भूपेन्द्र सिंह -- माननीय अध्यक्ष जी, माननीय सदस्य का बहुत ही अच्छा प्रश्न है. टीकमगढ़ जिले में 82 अवैध कालोनियां पाई गई हैं. इन 82 अवैध कालोनियों में 23 अवैध कालोनियां नगरपालिका क्षेत्र में हैं और 59 अवैध कालोनियां ग्रामीण क्षेत्रों में हैं. माननीय अध्यक्ष जी, जो अवैध कालोनियां नगरपालिका क्षेत्र में हैं, उन सभी को कलेक्टर के द्वारा नोटिस जारी किए गए हैं और 59 अवैध कालोनियां जो ग्रामीण क्षेत्रों में हैं, उनमें भी सभी में एसडीएम के द्वारा नोटिस जारी किए गए हैं. माननीय सदस्य यह चाहते हैं कि अवैध कालोनियों को लेकर लोगों के मन में भ्रम न हो, इसलिए अवैध कालोनियों में यदि इस तरह के कहीं गेट वगैरह बने होंगे तो हम वे गेट भी तोड़ देंगे और वहां पर बोर्ड भी लगवा देंगे, दोनों काम कर देंगे.
श्री राहुल सिंह लोधी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी का बहुत-बहुत धन्यवाद.
प्रश्न क्रमांक 7 -- श्री कमलेश्वर पटेल (अनुपस्थित)
प्रश्न क्रमांक 8 -- श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल (अनुपस्थित)
पृथ्वीपुर में न्यायालय की स्थापना
[विधि और विधायी कार्य]
9. ( *क्र. 3480 ) श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर : क्या गृह मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या कलेक्टर निवाड़ी द्वारा अपने पत्र क्र. 1631/स्टेनो/कले.नि./2019, दिनांक 29.5.2019 द्वारा प्रमुख सचिव मध्यप्रदेश शासन, विधि एवं विधायी कार्य को तत्कालीन मंत्री विधि एवं विधायी कार्य म.प्र. शासन द्वारा जिला निवाड़ी अंतर्गत जेरोन में दिनांक 02.02.2019 को पृथ्वीपुर में न्यायालय हेतु घोषणा के क्रियान्वयन के संबंध में पत्र भेजा गया था? (ख) यदि हाँ, तो उक्त घोषणा के क्रियान्वयन हेतु शासन/विभाग द्वारा प्रश्न दिनांक तक क्या कार्यवाही की गई? (ग) कब तक पृथ्वीपुर में न्यायालय हेतु की गई घोषणा पूरी कर ली जावेगी? उक्त घोषणा को पूरी न करने के लिये कौन जिम्मेदार है? उनके खिलाफ क्या कार्यवाही की गई?
गृह मंत्री ( डॉ. नरोत्तम मिश्र ) : (क) जी हाँ। (ख) तहसील पृथ्वीपुर में व्यवहार न्यायालय की स्थापना के संबंध में कलेक्टर, निवाड़ी से प्राप्त पत्र अभिमत हेतु माननीय उच्च न्यायालय को भेजा गया था। माननीय उच्च न्यायालय ने उक्त पत्र के अनुक्रम में अवगत कराया है कि पृथ्वीपुर, जिला टीकमगढ़ (निवाड़ी) में व्यवहार न्यायालय की स्थापना संबंधी मांग निर्धारित मापदण्डों की पूर्ति न होने से अस्वीकार कर दी गई है। (ग) प्रश्नांश "ख" के उत्तर के आलोक में प्रश्न उत्पन्न नहीं होता है ।
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने माननीय मंत्री जी से पृथ्वीपुर तहसील में जो विधानसभा क्षेत्र का मुख्यालय भी है तत्कालीन विधि विधायी मंत्री जी ने घोषणा की थी कि वहां पर न्यायालय की स्थापना कराएंगे और मैं समझता हॅूं कि सोच समझकर ही उन्होंने घोषणा की होगी लेकिन इसके जवाब में जो उत्तर आया है उसमें माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर से कि मापदण्डों में फिट नहीं बैठता तो माननीय मंत्री जी मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हॅूं चूंकि यह एक मध्यप्रदेश शासन के मंत्री की ही घोषणा है और मापदण्ड को देखकर ही घोषणा की जाती है तो क्या इसके ऊपर माननीय उच्च न्यायालय से पुन: विचार के लिये आप आग्रह करके इसका निराकरण कराएंगे ?
11.25 बजे { सभापति महोदय (श्री लक्ष्मण सिंह) पीठासीन हुए }
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- माननीय सभापति जी, दरअसल जब विभागों का बंटवारा हुआ तो बृजेन्द्र सिंह जी ने अपने प्रभाव से आबकारी विभाग ले लिया और वह गरीब सुदामा को विधि विधायी विभाग दिलवा दिया. अब स्थिति ऐसी हुई कि वही प्रभाव का इस्तेमाल इन्होंने घोषणा में कर लिया. अब माननीय पूर्व मंत्री पी.सी.शर्मा जी इतने सज्जन हैं कि इनके प्रभाव में आकर घोषणा कर दी, मापदण्ड का ध्यान नहीं रखा. चूंकि माननीय पूर्व मंत्री जी ने घोषणा की थी. हमने हाईकोर्ट को भेज भी दिया.
श्री पी.सी.शर्मा -- सभापति महोदय, यह मापदण्ड जो विभाग के पीएस होते हैं यह सब खुद हाईकोर्ट और कोर्ट के जजे़स होते हैं और मापदण्ड फाइनल करने के बाद प्रपोज़ल हाईकोर्ट जाता है इसलिए मापदण्ड में कहीं कोई कमी नहीं थी.
सभापति महोदय -- बृजेन्द्र सिंह जी, दूसरा सवाल पूछें.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर -- माननीय सभापति जी, माननीय मंत्री जी का जवाब तो आ जाए.
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- माननीय सभापति जी, वास्तव में हमारे पी.सी. भाई बहुत गऊ हैं अत्यधिक सज्जन आदमी हैं. आप बृजेन्द्र सिंह जी को नहीं समझ पाएंगे, आप बात को समझा कीजिए. अभी लोक लेखा के अध्यक्ष बन गए हैं. भाई मेरा उस दिन के बाद में आज आया है नहीं तो मेरा भाई आ ही नहीं रहा था. बृजेन्द्र सिंह जी को समझा करो. समझने की कोशिश करो. (हंसी)
सभापति महोदय -- आप बृजेन्द्र सिंह जी को उत्तर दे देंगे, वह संतुष्ट हो जाएंगे और वह सब समझ जाएंगे.
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- माननीय सभापति जी, वह वैसे ही संतुष्ट हैं. वह राजा हैं हमारे बुन्देलखण्ड के. मैंने वहां पर द्वारा उनको भेज दिया था और हाईकोर्ट ने उसे पुन: रिजेक्ट कर दिया है राजा फिर आदेश करेंगे, हम फिर भेज देंगे.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर -- माननीय सभापति महोदय, हमारे तत्कालीन विधि विधायी मंत्री जी गऊ हैं. जैसा कि आपने कहा और सामने बैठे हमारे तेंदुआ हैं. तेंदुआ गाय को खा भी जाता है. (हंसी) तो हम चाहते हैं कि तेंदुए वाली जो ताकत है इसका इस्तेमाल करके जरा इसको करवाइए. दूसरी बात आपके माध्यम से मैं निवेदन करना चाहता हूं कि इसके मापदण्ड क्या हैं ? यदि आपको पता हो, तो सदन में बता दें.
सभापति महोदय -- मापदण्ड जानना चाह रहे हैं...(व्यवधान)..
श्री रामेश्वर शर्मा -- तेंदुए की जगह दूसरा कुछ कर दें. शेर कर दीजिए. ...(व्यवधान)..
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर -- मैंने बहुत सोच-समझकर बोला है. ...(व्यवधान)..
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- माननीय सभापति जी, मैं सम्मानित सदस्य को भिजवा दूंगा.
सभापति महोदय -- ठीक है. प्रश्न क्रमांक-10, श्री लाखन सिंह यादव.
ग्वालियर नगर निगम में कराये गये निर्माण कार्य
[नगरीय विकास एवं आवास]
10. ( *क्र. 4532 ) श्री लाखन सिंह यादव : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) ग्वालियर नगर निगम में दिनांक 01 जनवरी, 2018 से प्रश्न दिनांक तक कौन-कौन से निर्माण कार्य, कितनी-कितनी वित्तीय स्वीकृति के कितनी दर पर स्वीकृत कराये गये हैं तथा कराये जा रहे हैं? कार्य का नाम, स्वीकृत राशि, कितनी दर पर स्वीकृत कर किस ठेकेदार/ऐजेन्सी को वर्कआर्डर दिया गया था? निर्माण कार्य किस-किस कर्मचारी, अधिकारी/यंत्री के सुपरवीजन में कराये गये हैं तथा कराये जा रहे हैं? उक्त निर्माण कार्यों की प्रश्न दिनांक तक भौतिक तथा वित्तीय स्थिति क्या है? (ख) प्रश्नांश (क) के अनुसार ऐसे कौन-कौन से निर्माण कार्य हैं, जिनकी खराब गुणवत्ता या अन्य कारणों से दिनांक 01 जनवरी, 2018 से प्रश्न दिनांक तक शिकायतें की गईं हैं? शिकायतकर्ता का नाम, पता, दें। क्या शिकायतों की जाँच कराई गई है? यदि हाँ, तो जाँच कमेटी में कौन-कौन कर्मचारी/अधिकारी रखे गये थे? उनका नाम, पद बतावें। क्या जाँच में कोई कमी पाई गई थी? यदि हाँ, तो किस-किस कार्य में क्या-क्या कमी थी? अलग-अलग कार्यवार बतावें। इसके लिये कौन-कौन कर्मचारी/अधिकारी या निर्माण ऐजेन्सी/ठेकेदार दोषी थे? उनका नाम, पद बतावें? क्या दोषियों के प्रति कोई दण्डात्मक कार्यवाही की गई है या की जावेगी? यदि हाँ, तो क्या और कब तक? यदि नहीं, तो कारण सहित स्पष्ट करें।
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) उत्तरांश (क) में उल्लेखित कार्यों की प्रश्नावधि में कोई शिकायत प्राप्त न होने से, शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
श्री लाखन सिंह यादव -- माननीय सभापति महोदय, ग्वालियर नगर निगम में जितने भी निर्माण कार्य चल रहे हैं और जो पूर्व में हो चुके हैं उन निर्माण कार्यों में बहुत सारे ऐसे निर्माण कार्य हैं जिनको ठेकेदारों द्वारा 45 प्रतिशत से लेकर 50 और बल्कि 53.47 प्रतिशत बिलो रेट पर ले लिया गया. बडे़ आश्चर्य की बात है कि इतने बिलो रेट पर लेने के बाद क्या उन कामों की गुणवत्ता ठीक की जा सकती है? अभी उनमें से बहुत सारे कामों का मैंने खुद ने विजिट किया. गुणवत्ता इतनी खराब रही और ठीक उसी जगह उसी तरह के काम एक तरफ तो 45 प्रतिशत से लेकर और 50-53 प्रतिशत बिलो रेट पर, दूसरा उसी तरह का काम, वही सीसी रोड का काम डेढ़ परसेंट से लेकर दो परसेंट तक बिलो रेट पर है, क्या इतनी भिन्नता में यह गुणवत्ता से ठीक निर्माण कार्य कराए जा सकते हैं और यदि यह निर्माण कार्य कराए जा सकते हैं तो फिर या तो एसओआर गलत है.
माननीय सभापति महोदय, माननीय मंत्री जी से मैं जानना चाहता हॅूं कि ग्वालियर में बडे़ पैमाने पर भ्रष्टाचार है और मैं पिन पाइंट आपसे प्रश्न करना चाहता हॅूं. उनमें ऐसे सैकड़ों काम नगर निगम में चल रहे हैं. तीन-तीन काम ऐसे हैं, उनकी आप जांच करवा लें. यहां से भोपाल स्तर पर अधिकारियों की कमेटी गठित करें और उस कमेटी में प्रश्नकर्ता विधायक को भी आप सम्मिलित करें और तीन-तीन ऐसे काम जो 45 परसेंट से 53 परसेंट के बिलो रेट पर लिए हैं और एक वो तीन काम....
सभापति महोदय-- प्रश्न करिए.
श्री लाखन सिंह यादव-- जी, मैं वही कर रहा हूँ, जो डेढ़ परसेंट से दो परसेंट बिलो हैं, इनकी दोनों की भिन्नता की आप जाँच करा लें. यहाँ से एक समिति गठित कर दें और सभापति महोदय, मैं जानता हूँ कि हमारे मंत्री का जो सदन में पिछले 20-25 साल से मैं जो देख रहा हूँ, आप बहुत गंभीर हैं, आपकी गंभीरता को, पूरे चाहे उधर के लोग हों, चाहे इधर के लोग हों, सब जानते हैं और भैय्या, मैं आप से पूरी उम्मीद करता हूँ कि आपका जवाब गंभीरता से, यह भ्रष्टाचार एक तरफ, आपके मुख्यमंत्री पूरे प्रदेश में (XXX) कहते हैं कि भ्रष्टाचारियों को भगा दूँगा, गाड़ दूँगा, मैं चाहता हूँ कि ऐसा ही जवाब आए, यहाँ से समिति आप गठित कर दें और समिति गठित करके उसमें प्रश्नकर्ता विधायक को भी शामिल करें.
वन मंत्री(कुँवर विजय शाह)-- सभापति महोदय, मुख्यमंत्री जी के बारे में जो शब्द कहे हैं उनको विलोपित करना चाहिए.
सभापति महोदय-- इसको विलोपित कर दें. नगरीय प्रशासन मंत्री जी उत्तर देंगे, यह वन का प्रश्न नहीं है.
श्री भूपेन्द्र सिंह-- माननीय सभापति जी, माननीय वरिष्ठ सदस्य लाखन सिंह जी ने यह जो विषय रखा है, इसमें निश्चित रूप से इतने बिलो रेट नहीं जाना चाहिए, ऐसा मैं मानता हूँ परन्तु आप भी जानते हैं कि ऑन लाइन टेण्डर होते हैं और ऑन लाइन टेण्डर के आधार पर जिसके रेट कम होते हैं उसको टेण्डर दिया जाता है, पर दो तरह का आपने जैसा बताया कि उसी काम में 5 परसेंट बिलो भी है, उसी काम में 45 परसेंट बिलो भी है. आप जो तीन तीन काम बताएँगे, उन तीन तीन कार्यो की हम जाँच करा देंगे और इसमें हम विभाग में रेट ठीक हों, इसको लेकर एसओआर को भी रिवाइज़ कर रहे हैं जो जल्दी रिवाइज़ हो जाएगा. आप जो तीन तीन काम बताएँगे उसकी हम जाँच करा लेंगे.
श्री लाखन सिंह यादव-- माननीय सभापति जी, मेरा अनुरोध यह था कि क्या उस समिति में प्रश्नकर्ता विधायक को आप सम्मिलित करेंगे? दूसरा जो तीन तीन काम हैं वे या तो मैं यहाँ पढ़ कर बता दूँ या फिर, मैंने वह प्वाईंट तैयार किए हैं, तो यह जो 45 परसेंट से जो बिलो वाले हैं वे सीरियल क्रमांक 31 पर, पेज क्रमांक 5, ये किशन वार्ड की गलियों में एक तो सीसी रोड हुआ, एक प्वाईंट, सेकण्ड जो है, सीरियल क्रमांक 823 पेज क्रमांक 102, यह हनुमान नगर में सीसी रोड का काम किया, नंबर तीन, सीरियल क्रमांक 824 पेज क्रमांक 102 पर, यह सिद्धेश्वर नगर, ये तो वे हैं जो 45 से ऊपर वाले हैं. दूसरा तीन काम मैं वह बता रहा हूँ जो डेढ़ से लेकर दो के बीच में हैं. सीरियल क्रमांक 41 पेज क्रमांक 6 पर, ये सीसी नाला निर्माण है, सेकण्ड, सीरियल क्रमांक 36 पेज क्रमांक 6 पर घोसीपुरा पुलिया निर्माण......
सभापति महोदय-- वे चाह रहे हैं कि निष्पक्ष जाँच हो और क्या आप विधायक को सम्मिलित करेंगे, यह वे जानना चाह रहे हैं, जिससे कि निष्पक्ष जाँच हो.
श्री लाखन सिंह यादव-- ये तीन तीन काम की आप जाँच करवा लें और प्रश्नकर्ता विधायक को उसमें शामिल करें.
श्री भूपेन्द्र सिंह-- माननीय सभापति जी, मैंने पूर्व में भी कहा है कि जो आपने अभी पढ़े हैं उन कार्यों की मैं जाँच करा लूँगा, आज ही जाँच के आदेश हो जाएँगे. जाँच कराकर आपको जाँच रिपोर्ट हम देंगे. आपको लगेगा कि जाँच में कहीं कोई कमी है तो हम फिर से जाँच करा लेंगे. मेरा ऐसा मानना है, व्यक्तिगत मैं कोई इसको वैसा नहीं कह रहा, पर सामान्य रूप से ऐसी छोटी जाँचों में विधायकों को नहीं रहना चाहिए, उससे विधायक की गरिमा कम होती है, उसके बाद भी अगर आपको लगता है कि आप चाहते हैं कि जाँच में आप भी रहें तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है, आप भी जाँच में शामिल हों.
सभापति महोदय-- ठीक है. रामेश्वर शर्मा जी, आप पूछिए.
श्री लाखन सिंह यादव-- माननीय सभापति महोदय, मैं धन्यवाद देना चाहता हूँ कि जितने गंभीर माननीय मंत्री जी हैं, उन्होंने गंभीरता का परिचय दिया मैं बहुत धन्यवाद देना चाहता हूँ चूँकि ग्वालियर से रिलेटेड मैटर है, मैं चाहता हूँ कि मैं भी वहीं रहता हूँ, मैं भी उसमें शामिल रहूँ.
सभापति महोदय-- ठीक है.
श्री रामेश्वर शर्मा-- माननीय सभापति महोदय, बहुत गंभीर प्रश्न है, सभी जन प्रतिनिधि इस निर्माण के भूमि पूजन करने हमको जाना रहता है 45 परसेंट, हमारा सब इंजीनियर, एई, एसडीओ, ईई, ये सब जाकर रेट तय करते हैं और उस पर जब आदमी 45 परसेंट बिलो लेगा तो वह कैसा निर्माण होगा इसकी कल्पना करिए इसलिए कहीं न कहीं इस पर एक ऑब्जेक्शन बनता है और कोई न कोई लाइन तय हो.....
सभापति महोदय-- सवाल पूछिए.
श्री रामेश्वर शर्मा-- सवाल मैं मंत्री जी से यही जानना चाह रहा हूँ. माननीय सभापति महोदय, मैं मंत्री जी से यही जानना चाह रहा हूं कि इसके लिए 45 प्रतिशत बिलो किसी काम की कॉस्ट पांच करोड़ रुपए है और 45 प्रतिशत बिलो के हिसाब से वह निमार्ण कार्य 3 करोड़ रुपए में हो रहा है तो क्या हमारे विभाग के अधिकारियों ने उसमें इतना अधिक घाला रखा है, नहीं रखा है लेकिन जो काम को बिलो प्राइज़ में लेकर फिर उस काम को छोड़ देते हैं उन पर कार्यवाही होना चाहिए और दूसरी बात यह कि इस पर एक सिस्टम बनना चाहिए कि बिलो रेट की कोई सीमा तय हो. काम ऐसा हो कि पांच साल जनप्रतिनिधि है तो काम पांच साल चले, दस साल चले उसके कारण कामों में बहुत परेशानी होती है और काम सही भी नहीं होते हैं.
सभापति महोदय-- माननीय सदस्यों की एक चिंता यह है कि इस तरह के जो बहुत ज्यादा बिलो रेट डाल देते हैं उससे काम प्रभावित होता है और कई काम रुक जाते हैं. ऐसा हमने भी कई जगह देखा है. मंत्री जी ने गंभीरता से उत्तर दे दिया है.
श्री शैलेन्द्र जैन-- सभापति महोदय, एक विषय आ जाए कि उसमें मिनिमम बायबिल कितने पर्सेंट में हो सकता है उसके ऊपर के टेंडर हम एक्सेप्ट नहीं करें. इस तरह की व्यवस्था हो जाएगी तो बहुत ही बेहतर हो जाएगा.
श्री पी.सी. शर्मा-- सभापति महोदय, पूरे भोपाल में भी यह स्थिति बन रही है कि 45 प्रतिशत, 50 प्रतिशत बिलो में काम हो रहा है, लेकिन इस तरह से काम कभी हो ही नहीं सकता है और फर्जी बिल बन जाते हैं.
सभापति महोदय-- शर्मा जी यह मामला भोपाल का नहीं है.
जहरीली शराब के कारोबार में लिप्त दोषी अधिकारियों पर कार्यवाही
[गृह]
11. ( *क्र. 3741 ) श्री अजब सिंह कुशवाह : क्या गृह मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधान सभा क्षेत्र सुमावली में माह जनवरी 2021 में जहरीली शराब के सेवन से 24 व्यक्तियों की मृत्यु हुई? सरकार ने दोषी अधिकारियों के विरूद्ध कार्यवाही करते हुये जिला कलेक्टर, जिला पुलिस अधीक्षक, जिला आबकारी अधिकारी का स्थानांतरण कर दिया गया और बागचीनी थाना प्रभारी को निलंबित कर दिया गया, किन्तु आज दिनांक तक सुमावली थाना प्रभारी रवि गुर्जर के विरूद्ध कोई अनुशासनात्मक कार्यवाही क्यों नहीं हुई? (ख) प्रश्नांश (क) के अनुसार सुमावली थाना क्षेत्र के अंतर्गत जहरीली शराब का कारोबार चल रहा था, जिसके कारण पहावली गांव के तीन लोगों की मृत्यु हुई, जिसका जिम्मेदार सुमावली थाना प्रभारी भी है? दोषी सुमावली थाना प्रभारी पर तुरंत कार्यवाही करते हुये, उसे कब तक निलंबित किया जाएगा। (ग) विधान सभा क्षेत्र सुमावली में कितने पुलिस थाने आते हैं? थानों में पदस्थ स्टाफ की जानकारी निम्न बिन्दुओं के आधार पर देवें :- 1. स.क्र., 2. कर्मचारी का नाम, 3. पद, 4. थाने में पदस्थ दिनांक।
गृह मंत्री ( डॉ. नरोत्तम मिश्र ) : (क) जिला मुरैना में जहरीली शराब से ग्राम पहावली के जिन 03 व्यक्तियों की मृत्यु हुई है, वे थाना सुमावली क्षेत्र के रहने वाले अवश्य हैं, परन्तु यह घटना ग्राम छैरा में हुई, जो थाना बागचीनी के अन्तर्गत आता है, अतः थाना बागचीनी थाना प्रभारी के विरुद्ध कार्यवाही की गई। चूंकि घटना थाना सुमावली से संबंधित नहीं है इसलिये थाना प्रभारी सुमावली के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की गई। (ख) थाना सुमावली क्षेत्र के अन्तर्गत जहरीली शराब का कारोबार चलने की घटना नहीं हुई है। मृतक पहावली, ग्राम थाना सुमावली के रहने वाले थे, लेकिन घटना छैरा गांव थाना बागचीनी में हुई है। (ग) विधानसभा क्षेत्र सुमावली जिला मुरैना में 06 थाने आते हैं। अधिकारियों/कर्मचारियों की सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है।
श्री अजब सिंह कुशवाह-- सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से पूछना चाहूंगा कि मेरे विधान सभा क्षेत्र सुमावली में जनवरी 2021 में जहरीली शराब के सेवन से व्यक्तियों की मृत्यु हई. आपके और आपकी सरकार के द्वारा वहां पर जो जांच समिति बनाई थी उसकी रिपोर्ट मेरे पास आई तो मेरे संज्ञान में आया जबकि मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि वह जहरीली शराब सुमावली थाने के अंतर्गत पाहवली गांव में बनी थी. हालांकि बनाने वालों को यह नहीं पता था कि यह जहरीली शराब है उन्होंने भी जैसे ही बिसनपुर गांव में जाकर वह पेटी वहां पहुंचाई उनके साथ में बैठकर दारू पी, मुर्गा बनाया और वह तीनों के तीनों भी खत्म हुए जिन्होंने शराब बनाई थी लेकिन उस पूरे मामले को सांठ-गांठ करके छैरा गांव पर थोप दिया.
सभापति महोदय, यह बात सही है कि छैरा गांव में दो नंबर की दारू बिकती थी, लेकिन जो जहरीली दारू बनी थी वह पाहवली के अंदर बनी थी वहां के शासन, प्रशासन ने मिलकर उसको दबा लिया है. मैं माननीय मंत्री जी से यही पूछना चाहता हूं कि उनके खिलाफ और जो थाना प्रभारी था उसके खिलाफ आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई. मैंने कलेक्टर को ओर एस.पी. को कई लेटर लिखे कि इसको बदलो और इसके खिलाफ कार्यवाही करना चाहिए तो क्या माननीय मंत्री जी कार्यवाही करेंगे कि नहीं करेंगे?
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- सभापति महोदय, सम्मानित सदस्य जी ने नए गांव की ओर ध्यानाकर्षित किया है हम उस गांव को भी दिखवा लेंगे. वैसे हमारे पास जो घटना घटित हुई छैरा की है लेकिन, जो माननीय सदस्य ने बताया है उसे भी ले लेंगे.
विद्युत कंपनियों के लाभ-हानि का विवरण
[ऊर्जा]
12. ( *क्र. 4419 ) श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन. पी.) : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) म.प्र.पा.ज.कं.लि. के अंतर्गत वर्ष 2010 से वर्ष अप्रैल 2020 तक कंपनी को हुई लाभ-हानि का विवरण दें? (ख) क्या कंपनी द्वारा बिजली की दरें बढ़ाने का प्रस्ताव शासन को दिया है? वर्तमान एम.डी. के कार्यकाल में कंपनी को कितना लाभ और कितनी हानि हुई? (ग) प्रश्नांकित अवधि में कंपनी द्वारा बढ़ाये गये टैरिफ कुल कितना प्रतिशत हुआ? घरेलू, कमर्शियल एवं इण्डस्ट्रियल के टैरिफ बढ़ाने के कारण प्रति यूनिट बिजली उपभोक्ताओं को सभी प्रकार के चार्ज जोड़कर कितनी राशि की वसूली की जा रही है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ) : (क) वित्तीय वर्ष 2009-10 से वित्तीय वर्ष 2019-20 तक मध्य प्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड को हुई लाभ-हानि का विवरण संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) जी नहीं। वर्तमान प्रबंध संचालक द्वारा वित्तीय वर्ष 2020-21 में दिनांक 27 मई 2020 को कार्यभार ग्रहण किया गया है। वित्तीय वर्ष 2020-21 में कंपनी को कितना लाभ और कितनी हानि हुई है, वित्तीय वर्ष के समापन एवं वार्षिक लेखों के अंकेक्षण के उपरांत ही बताया जाना संभव होगा। (ग) टैरिफ का निर्धारण मध्य प्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी द्वारा नहीं। अपितु म.प्र.विद्युत नियामक आयोग द्वारा किया जाता है, प्रश्नाधीन अवधि में घरेलू, कमर्शियल एवं इंडस्ट्रियल उपभोक्ताओं से प्रति यूनिट औसत बिजली बिल की वसूल की जाने वाली राशि (समस्त चार्ज जोड़कर) का विवरण संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है।
श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.)-- माननीय सभापति महोदय, दस साल में वर्ष 2010 से लेकर अभी तक जो घरेलू, कमर्शियल और इंडस्ट्रीज़ के टैरिफ बढ़ाए गए हैं मैं उस ओर माननीय मंत्री जी का ध्यानाकर्षित करना चाहूंगा. वर्ष 2010 में सभी प्रकार के चार्ज लगाकर घरेलू के दाम 3 रुपए 8 पैसे थे जो आज वर्ष 2020 में 5 रुपया 13 पैसे हैं जो कि लगभग डबल है. ऐसे ही कमर्शियल के दाम 5 रुपए 70 पैसे थे जो कि आज 8 रुपए 58 पैसे हैं. इंडस्ट्रीज़ के 4 रुपए 89 पैसे थे जो कि 8 रुपए 37 पैसे हैं. मेरा प्रश्न यह है कि क्या हम उपभोक्ताओं के टैरिफ बढ़ाकर ही अपने उपक्रम को चलाएंगे? क्या हम इस माध्यम से प्रदेश में मंहगाई नहीं बढ़ा रहे हैं? क्या हम लगातार टैरिफ जारी रखेंगे? कृपया उत्तर देने का कष्ट करें.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर- माननीय सभापति महोदय, हमारे सम्माननीय प्रजापति जी ने जो पूछा है, मैं बता दूं कि टैरिफ, कंपनियों के जो खर्च होते हैं, उसके आधार पर कंपनी अपना प्रस्ताव देती है और मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग दर तय करता है. कंपनियों में खर्च कम हो, हर क्षेत्र में, चाहे जनरेशन में हो, चाहे डिसकॉम में हो, इसके लिए हम लोगों ने, मैंने, जब से मैं, मंत्री बना हूं, हमारी सरकार बनी है, तब से हमने इस क्षेत्र में सुधार किया है और सुधार के संबंध में, मैं, आपको बताना चाहूंगा कि हमने जनरेशन में जो पहले ट्रिपिंग ज्यादा होती थी और एक ट्रिपिंग में 3-4 करोड़ रुपये का खर्च होता था, उसे हमने कम किया है. कोयले की खपत थोड़ी कम की है, तेल की खपत भी कम की है. अभी हमारी सरकार को आये हुए पूरा एक साल आज-कल में हो रहा है. मेरा आपसे कहना है कि जो रेट बढ़े हैं, जो आपने कहा है, पिछले हमारे माननीय मंत्री जी और विभाग ने, जो नीचे से रिपोर्ट दी ,है उसके आधार पर विद्युत नियामक आयोग ने दरें बढ़ाई हैं. हमारी जब बारी आयेगी तो उसमें हम खर्च कम करने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे हम उपभोक्ताओं का ख्याल रख सकेंगे.
श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन. पी.)- मंत्री जी, इसको राजनैतिक लपेटीगण मत करिये कि 1 वर्ष और 10 वर्ष. यह 1 वर्ष की बात नहीं है, मैं स्पष्ट पूछ रहा हूं कि जब आप भी यहां नहीं थे, पिछले 10 वर्षों में ये टैरिफ बढ़े हैं. मतलब जो अधिकारी वहां परमानेंट हैं, ये उनकी जवाबदारी थी और उन्होंने अपनी जवाबदारी का निर्वहन नहीं किया. आप जनरेशन की बात कर रहे हैं, 6 माह से आपका सिंगाजी पावर प्लांट बंद है, टोंस की जो, जल विद्युत परियोजना है, वह लगातार बंद है, जिससे आधे से कम टैरिफ होता है. उत्पादन और उपलब्धता का यहां खेल है. आपका उत्पादन हो नहीं रहा है, उपलब्धता के लिए आप बाहर से बिजली खरीद रहे हैं, उसके कारण घाटा हो रहा है और उस घाटे की पूर्ति के लिए उपभोक्ताओं के ऊपर अधोरोपण किया जा रहा है. (मेजों की थपथपाहट) माननीय सभापति महोदय, इससे मंहगाई बढ़ रही है. मेरा प्रश्न यह है कि आप जिस विद्युत नियामक आयोग की बात कर रहे हैं, क्या शासन विद्युत नियामक आयोग को प्रस्ताव नहीं करता, जिसकी वजह से टैरिफ बढ़ते हैं ? आप बता दीजिये.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर- माननीय सभापति महोदय, मैं सर्वप्रथम यह स्पष्ट कर दूं कि सरकार, आपके समय में ही वर्ष 2003 में ये कंपनियां बनी हैं.
सभापति महोदय- मंत्री जी, आप इनके प्रश्न का प्वाईंटेड उत्तर दे दीजिये.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर- माननीय सभापति महोदय, आप कृपया मुझे सुन तो लीजिये.
सभापति महोदय- आपको सुन रहे हैं, ठीक है, आप बोलिये.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर- माननीय सभापति महोदय, प्रजापति जी का यह कहना गलत है कि शासन, विद्युत नियामक आयोग को प्रस्ताव भेजता है. मैं बताना चाहता हूं कि शासन, विद्युत नियामक आयोग को कोई प्रस्ताव नहीं भेजता है.
सभापति महोदय- मंत्री जी, आप वर्ष 2021 में क्या करने वाले हैं, वह बताइये.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर- माननीय सभापति महोदय, विद्युत वितरण कंपनियां, अपनी बैलेंस शीट के आधार पर, अपने खर्च के आधार पर, अपना प्रस्ताव विद्युत नियामक आयोग को देती हैं और उसके आधार पर दर निर्धारित की जाती है, उस दर का पालन कंपनियां करती हैं.
श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन. पी.)- माननीय सभापति महोदय, मेरा कहना है कि आपने वर्ष 2020-21 की लाभ-हानि अभी तय नहीं की है. आपने, अपने उत्तर में कहा है लेकिन ज़माने भर में बात आ रही है कि टैरिफ बढ़ाया जा रहा है. यह गलत तरीका है, यह न्यायोचित नहीं है, यह इस प्रदेश के उपभोक्ताओं के साथ छल-कपट है. (मेजों की थपथपाहट)
माननीय सभापति महोदय, मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि आप जिस जगह पर आये हैं, अधिकारी जो आपको बताते हैं, कृपया अपने एक-दो अच्छे लोगों को तय कर लीजिये और उनके जो सुझाव आते हैं, पहले उनका तो परीक्षण कर लीजिये. हम विधायक प्रश्न करते हैं तो आप इनके कहने पर उत्तर देते हैं. कम से कम आप स्वयं भी परीक्षण करके, यह तय कीजिये क्योंकि आप हमारे बीच से ही मंत्री बने हैं, उन अधिकारियों के बीच से नहीं बने हैं. अभी वर्ष 2020-21 का लाभ-हानि आपने तय नहीं किया है, ये आप उत्तर में दे रहे हैं और अभी 1 तारीख को आप टैरिफ बढ़ा देंगे. जब अभी आपको, अपना लाभ-हानि नहीं मालूम तो फिर कैसे टैरिफ बढ़ा देंगे ? सभापति महोदय, मतलब साफ है कि पूरा विभाग हर वर्ष यह पूरे 10 वर्ष के लाभ हानि के आंकड़े है जो इसमें दिये हैं 'अ' प्रपत्र मे. इसमें बहुत बड़ी हानि नहीं हुई है, आप देख लीजिये बहुत बड़ी हानियां नहीं हुई है दौ-पांच सौ करोड़ रूपये की हानि हुई है और हम इस प्रदेश के उपभोक्ताओं के साथ कितना छल-कपट करना चाहते हैं, टैरिफ बढ़ाकर. कितनी मंहगाई बढ़ेगी.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत:- आप जब ऊर्जा मंत्री थे तब पूरे प्रदेश की लाईट गुल रहती थी. (व्यवधान)
सभापति महोदय:- गोविन्द सिंह जी आप बैठ जायें.
श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति(एन.पी.):- सभापति महोदय, यह प्रश्न को विषयांतर न करें.
सभापति महोदय:- उनके प्रश्न का उत्तर आने दें, मंत्री जी उत्तर दे रहे हैं.
श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति(एन.पी.):- सभापति जी, जब इस वर्ष का लाभ हानि नहीं आया फिर आप टैरिफ बढ़ाने की कैसे बात कर रहे हैं.
सभापति महोदय:- आप बैठ जायें, मैं आपकी मदद कर रहा हूं. मंत्री जी, वह यह चाह रहे हैं कि सस्ती सुलभ बिजली मिले और जो पावन प्लांट्स हैं उनका मेंटेनेंस अच्छा हो, यह उनकी चिंता है और एक बात उन्होंने कही कि आप ऐसे अधिकारी रखें कि जो आपको गुमराह न करें तो आप इस बात का संज्ञान ले लीजिये.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर:- सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हूं कि माननीय सदस्य बहुत वरिष्ठ हैं और उन्हें ऊर्जा विभाग का अनुभव भी है और अगर कोई बात होगी तो मैं उनसे जरूर जाकर चर्चा कर लूंगा, पर माननीय मैं एक बात कहना चाहता हूं कि आपने अभी एक बात कही कि अभ सिंघाजी की इकाई बंद है, इसमें आप थोड़ा सा संशोधन कर लें कि यह इकाई बंद क्यों हुई. (व्यवधन) आपने कहा कि आरोप प्रत्यारोप की राजनीति नहीं, पक्ष-विपक्ष की नहीं अगर उपभोक्ता की सही बात सुनना चाहते हो तो मैंने आपसे क्या कहा मैं यहां सदन में बैठा हूं और कोई जानकारी गलत नहीं दूंगा, यह सिंघाजी इकाई बंद क्यों हुई..(व्यवधान) री-स्टार्ट क्यों नहीं हुई.(व्यवधान)
श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति(एन.पी.):- मैं आपको यह कह रहा हूं कि 6 महीने से इसलिये बंद है कि टरबाइन का पार्ट टूट गया है, जो करोड़ों रूपये का आता है, इसलिये वह आपकी इकाई बंद है.
सभापति महोदय:- देखिये, सुनिये जब विभागों की मांगों पर चर्चा होगी उस समय आप उस समय चर्चा कर लीजियेगा. प्रश्न संख्या-13, श्री पी.सी.शर्मा.(व्यवधान) यह प्रश्नकाल है, जब विभाग पर चर्चा होगी उस समय चर्चा कर लेना.
श्री जितू पटवारी:- सभापति महोदय, मंत्री जी उत्तर देना चाह रहे हैं.
सभापति महोदय:- अभी और भी प्रश्न आने हैं, जब विभाग पर चर्चा होगी तब कर लेंगे.
श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति(एन.पी.):- इस प्रश्न का उत्तर नहीं आया है और टैरिफ बढ़ाने की बात क्यों की जा रही है ? मेरा सीधा प्रश्न है इसका उत्तर चाहिये मुझे.
सभापति महोदय:- देखिये, और भी प्रश्न आने हैं माननीय अध्यक्ष जी का आदेश है कि ज्यादा से ज्यादा प्रश्न आज हमको करने हैं.
श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति(एन.पी.):- वह अपनी जगह ठीक है. लेकिन प्रश्न का उत्तर भी तो आये.
सभापति महोदय:- श्री पी.सी.शर्मा, आप अपना प्रश्न करें. अगला प्रश्न भी बहुत महत्वपूर्ण है.
श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति(एन.पी.):- देखिये, हर उपभोक्ता से जुड़ा हुआ प्रश्न है, इस वर्ष का लेखा-जोखा नहीं आया है, यह घुमावदार बात करके कि टैरिफ विद्युत नियामक आयोग बढ़ाता है, मैं इससे सहमत नहीं हूं. प्रस्ताव ये तीनों विद्युत कंपनियां देती हैं. मंत्री जी आप बता दीजिये की टैरिफ बढ़ा रहे हैं क्या ? नहीं आप बताइये कि आप बढ़ा रहे हैं क्या ?
श्री जितू पटवारी:- सिंघाजी पावर प्लांट क्यों बंद है, बताओ मंत्री जी ?
सभापति महोदय:- आप लोग बैठ जाइये.(व्यवधान)
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर:- क्या यह प्रश्नकर्ता कमजोर हैं क्या ? इनको आपसे बहुत अनुभव है.
सभापति महोदय:-मंत्री जी आप बैठ जाइये.
श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति(एन.पी.):- माननीय सभापति महोदय, मैंने सिर्फ सीधा प्रश्न किया है कि आप टैरिफ बढ़ा रहे हैं क्या ?
श्री गोविन्द सिंह राजपूत:- जब जितू पटवारी स्कूल में थे तब वह विधायक बन गये थे. एन.पी. प्रजापति जी हमारे गुरू रहे हैं, आप तो पालने में खेलने वाले बच्चे हो.
सभापति महोदय:- गोविन्द सिंह जी आप बैठ जाइये.
श्री जितू पटवारी:- मैं आपकी बात से सहमत हूं.
सभापति महोदय:- पी.सी.शर्मा जी आप अपना प्रश्न पूछ रहे हैं या नहीं, नहीं तो मैं अगला प्रश्न ले रहा हूं.
श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति(एन.पी.):- सभापति महोदय, मेरे प्रश्न का उत्तर नहीं आया है. मंत्री जी क्या आप टैरिफ बढ़ा रहे हैं, यह इससे उद्भूत हो रहा है.
सभापति महोदय:- श्री पी.सी.शर्मा सवाल पूछिये. चलिये पी.सी.शर्मा नहीं पूछ रहे हैं तो अगला प्रश्न श्री शैलेन्द्र जैन.
श्री पी.सी.शर्मा:- सभापति महोदय, मैं पूछ रहा हूं.
बहिर्गमन
11. 48 बजे इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा सदन से बहिर्गमन
श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति(एन.पी.):- अगर मध्यप्रदेश के उपभोक्ताओं के साथ यही छल-कपट है और टैरिफ बढ़ा रहे हैं तो हम सभी बहिर्गमन कर रहे हैं.
(श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति( एन.पी) के नेतृत्व में इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा शासन के उत्तर से असंतुष्ट होकर सदन से बहिर्गमन किया गया.)
11.49 बजे तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर(क्रमश:)
संपत्ति कर से प्राप्त राशि
[नगरीय विकास एवं आवास]
13. ( *क्र. 2986 ) श्री पी.सी. शर्मा : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) भोपाल दक्षिण पश्चिम विधान सभा क्षेत्र के नेहरु नगर, कोटरा, वैशाली नगर, आकाशवाणी, सरस्वती नगर, जवाहर चौक, न्यू मार्केट, 5 नं. मार्केट, शिवाजी नगर, सरिता कॉम्पलेक्स, शिवानी परिसर, एच.आई.जी., एम.आई.जी., एल.आई.जी., माचना कॉलोनी में वित्तीय वर्ष 2019-20, 2021 में कितना संपत्ति कर प्राप्त हुआ है? वर्षवार बतायें। (ख) प्रश्नांश (क) में प्राप्त राशि की कितनी राशि का व्यय किस-किस कॉलोनी एवं क्षेत्र में किस-किस कार्य में किया गया है? कॉलोनीवार पृथक-पृथक बतायें। (ग) प्रश्नांश (क) में कॉलोनियों की सड़क निर्माण, सड़क मरम्मत, निर्माणाधीन नाले और पार्क के कार्यों पर कितनी राशि व्यय की गई है एवं कितनी-कितनी राशि व्यय की जाना प्रस्तावित है? (घ) प्रश्नांश (ग) में कार्य कब तक पूर्ण कर लिया जावेगा? अवधि बताएं? यदि नहीं, तो क्यों?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (ग) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में वर्ष 2019-20 में व्यय की गई राशि की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है एवं उत्तरांश (ख) के परिप्रेक्ष्य में शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (घ) वित्तीय वर्ष 2019-20 के समस्त कार्य पूर्ण हैं, की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। उत्तरांश (ख) के परिप्रेक्ष्य में शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
श्री पी.सी.शर्मा:- माननीय सभापति महोदय, मैंने मंत्री जी से अपने विधान सभा के बारे में प्रश्न पूछा था. इसमें पूरा जगह मैंने गिनवायी थी नेहरू नगर, कोटरा, वैशाली और न्यू मार्केट सभी, इससे कितना अलग अलग प्रापर्टी टैक्स आया. जहां से यह प्रापर्टी टैक्स आया उसका उपयोग मेरे विधान सभा क्षेत्र में हुआ कि नहीं हुआ ? उसकी वजह यह है कि यह मिक्स्ड एरिया है यहां पर अच्छी कॉलोनियां भी हैं. यहां मार्केट भी है जहां से प्रापर्टी टैक्स अच्छा आता है. यहां पर स्लम्स एरिया भी हैं. मैंने यह प्रश्न किया था उसके उत्तर में आया है कि प्रापर्टी टैक्स कहां कहां पर है यह करोड़ो रूपये के प्रापर्टी टैक्स नेहरू नगर, कोटरा, वैशाली नगर, यह सब जगहों से आये हैं. इन जगहों से जो प्रापर्टी टैक्स आया है उसमें से कितना पैसा खर्च हुआ इन क्षेत्रों में ही जहां से यह प्रापर्टी टैक्स आया. यह प्रश्न इसलिये है कि प्रापर्टी टैक्स देने वालों के क्षेत्र में तो काम हो नहीं पाता. वहां पर कई बार मैंने निवेदन भी किया कि पेमेंट नहीं हो पा रहा है तो वहां पर विकास कार्य रूके हुए हैं. स्ट्रीट लाईट बंद हो जाती है, क्योंकि उस एरिये की स्ट्रीट लाईट का पेमेंट नहीं होता. उस एरिये से जो पैसा आया है इसका 60 प्रतिशत पैसा वहां पर ही खर्च हो, चाहे वह कॉलोनियां हों उसमें खर्च हों या स्लम्स एरिया में हों या दोनों में हो यह मेरा सवाल था उसमें एक सवाल के जवाब में यह भी आया है कि पार्षदों ने प्रस्ताव नहीं दिये हैं. उसमें मेरा दूसरा प्रश्न यह था कि अगर पार्षदों ने प्रस्ताव नहीं दिये हैं तो उस क्षेत्र का विधायक प्रस्ताव देगा तो काम वहां पर होंगे क्या ? 60 प्रतिशत प्रापर्टी टैक्स उस क्षेत्र में उपयोग किया जायेगा यह पहला प्रश्न है.
श्री भूपेन्द्र सिंह--सभापति महोदय, यह पूरा डिटेल आपको दिया हुआ है. आप चाहें तो मैं पढ़ दूं.
श्री पी.सी.शर्मा-- सभापति महोदय, डिटेल है. पर उसमें यह भी डिटेल है कि उसमें खर्च नहीं हुआ है. यह उत्तर आया है कि पार्षदों ने प्रस्ताव नहीं दिया अथवा उसने नहीं दिया. उस एरिये में 60 प्रतिशत पैसा खर्च हो, यह हमारी मांग है जिससे वहां के काम पूरे हो सकें. दूसरा यह है कि यह मिक्स्ड एरिया है, आधे स्लम्स हैं, आधी अच्छी कॉलोनियां हैं, स्लम्स में सीवेज की समस्या आती है. अगर यह पैसा वहां पर लग जायेगा तो वहां पर सारी परेशानियां दूर हो जायेंगी. जिन्होंने वहां पर काम किये हैं उनके पेमेंट भी हो जायेंगे. पेमेंट हो जायेंगे तो काम आगे चलता रहेगा.
श्री भूपेन्द्र सिंह--सभापति महोदय, माननीय सदस्य का जो प्रश्न है वह निश्चित रूप से अपने क्षेत्र में विकास कार्यों को लेकर है. मेरा ऐसा मानना है कि जहां से जितना सम्पत्ति कर आये वहां का 60-50 प्रतिशत उसी जगह पर खर्च किया जाये, यह उचित नहीं है. हमारे प्रदेश में नगर निगमों में अनेक वार्ड ऐसे हैं जो एस.सी.एस.टी. के वार्ड हैं वहां से तो उतना टैक्स आ नहीं सकता तो वहां तो कभी विकास के कार्य हो ही नहीं पायेंगे. प्रदेश की हम बात करें तो कई जिलों से तो बहुत अच्छा राजस्व आता है तथा कई जिलों से नहीं आता है. तो विकास तो सामूहिक रूप से सब जगहों पर एक सा करना है. पहली बात तो यह है कि मैं इस व्यवस्था से सहमत नहीं हूं, क्षमा करें. माननीय सदस्य का जो प्रश्न है उस प्रश्न से मैं पूरी तरह से सहमत हूं कि आपके क्षेत्र में जो रोड़ के दो काम हैं वह दोनों काम बंद हैं या धीमी गति से चल रहे हैं उसका जो बड़ा कारण जो वहां पर ठेकेदार है. उन ठेकेदारों को भुगतान पर्याप्त नहीं हो पा रहा है. आप भी मंत्री रहे हैं आप भी इस बात को समझते हैं कि पूरा वित्तीय वर्ष हम कोरोना संकट से निकले हैं. नगर निगम की अपनी कुछ कठिनाईयां हैं, परन्तु मैं यह आज निर्देश जारी कर रहा हूं कि जो ठेकेदार हैं उनको जितना संभव हो सकता है जैसी हमारी वित्तीय स्थिति है उस आधार पर उनको पैसा भी दें जिससे कि आपके यहां पर दो रोड़ का काम रूका हुआ है वह दो रोड़ का काम जल्दी हो जाये.
सभापति महोदय--श्री शैलेन्द्र जैन.
श्री पी.सी.शर्मा-- सभापति महोदय, मुझे कुछ पूछना है.
सभापति महोदय--इसमें विस्तार से उत्तर आ गया है.
श्री पी.सी.शर्मा-- सभापति महोदय, आपने कहा है कि एस.सी.एस.टी.एरिया है वहां के काम डायवर्ट हो जाये. झुग्गी झोपड़ी पर करोना काल में इन पर भी टैक्स लगता है. लोगों के काम धन्धे ठप्प हो गये हैं उनको आप कुछ न कुछ रियायत देंगे, क्योंकि उनका भी प्रापर्टी टैक्स लग रहा है ?
सभापति महोदय--मंत्री जी इसका उत्तर नहीं देंगे.
श्री पी.सी.शर्मा-- सभापति महोदय, मंत्री जी ने जो कहा है उनका मैं आभार मानना चाहता हूं.
केन्द्रीय जेल सागर में पदस्थ कर्मियों हेतु शासकीय आवास का निर्माण
[जेल]
14. ( *क्र. 2548 ) श्री शैलेन्द्र जैन : क्या गृह मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या केन्द्रीय जेल सागर के अधिकारियों/कर्मचारियों के आवास निर्माण का कोई प्रस्ताव शासन के समक्ष विचाराधीन है? यदि हाँ, तो कितने आवास निर्माण कराये जाना हैं एवं कब तक तथा इस हेतु क्या कार्यवाही प्रचलन में है? (ख) क्या केन्द्रीय जेल सागर में लगभग 200 अधिकारी/कर्मचारी पदस्थ हैं, जिनके लिये कुल 106 शासकीय आवास हैं, जिससे शेष अधिकारियों/कर्मचारियों को जेल परिसर के बाहर किराये के भवनों में रहना पड़ रहा है? (ग) क्या शासकीय नियमानुसार जेल अधिकारियों/कर्मचारियों को जेल परिसर में ही रहने का प्रावधान है? यदि हाँ, तो क्या शासन शीघ्र ही शासकीय आवास भवनों का निर्माण करायेगा तथा कब तक?
गृह मंत्री ( डॉ. नरोत्तम मिश्र ) : (क) जी हाँ। मध्यप्रदेश की सभी जेलों के लिए कुल 3278 आवासगृहों का प्रस्ताव विचाराधीन है, जिसमें केन्द्रीय जेल सागर के आवास गृह भी शामिल हैं। समय-सीमा बताना संभव नहीं है। (ख) जी हाँ। केन्द्रीय जेल सागर में वर्तमान में 184 अधिकारी/कर्मचारी पदस्थ हैं, जिनके लिए 106 आवास उपलब्ध हैं। (ग) जी हाँ। समय-सीमा तय करना संभव नहीं है।
श्री शैलेन्द्र जैन - सभापति जी, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री महोदय से पूछना चाहता हूं कि पूरे मध्यप्रदेश में पुलिस हाउसिंग बोर्ड के माध्यम से पुलिस विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों के लिए मकान बनाए जा रहे हैं, लेकिन जेल विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों को, जो शासन के नियम है, उसके हिसाब से उनको जेल परिसर में रहना आवश्यक है, लेकिन हमारी विधान सभा क्षेत्र में स्थिति यह है कि लगभग 200 कर्मचारी हैं और 100 आवास हैं. नए आवास लंबे समय से नहीं बनाए गए हैं और बाजार में कमर्शियल क्षेत्र में उन्हें 5-5, 7-7 हजार रूपए देकर मकान लेना पड़ता है, आने जाने का, पेट्रोल का खर्चा है, तो यह सब चीजें उन पर आर्थिक और वित्तीय बोझ होता है. सभापति महोदय मैं बहुत पिन पाइंट प्रश्न पूछना चाहता हूं कि इस दिशा में माननीय मंत्री महोदय बताएंगे कि जेल विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों के लिए आवास कब तक बनाए जाएंगे?
डॉ. नरोत्तम मिश्र - सम्मानित सदस्य ने बहुत भावनाओं से जुड़ा प्रश्न पूछा है, जो बाहर रहते हैं उनके लिए, उसी को ध्यान में रखते हुए पुलिस विभाग भी अपनी क्वार्टर बना रहा है और जेल विभाग भी बना रहा है. वर्तमान में सागर में जो हमारे 184 प्रहरी हैं, उसके विरुद्ध 106 को आवास है. बाकी प्रदेश से स्थिति अच्छी है. अभी वर्तमान में कोरोनाकाल की वजह से थोड़ी आर्थिक स्थिति में दिक्कत आई थी, लेकिन हम पुलिस हाउसिंग में और जेल में भी पीपीपी मोड की तरफ बढ़ रहे हैं. हमारे काफी प्रस्ताव शासन के पास लंबित भी हैं, जैसे ही वापसी आती है, हम प्राथमिकता सागर को देंगे. मैं यह सम्मानित सदस्य को आश्वस्त करता हूं.
श्री शैलेन्द्र जैन - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा एक प्रश्न और है, हमारे सागर के जो कारागार हैं, उसमें कैदियों को रखने की क्षमता 900 हैं और वर्तमान में वहां 1700 कैदी हैं, उनके बैरकों के निर्माण का कार्य लंबे समय से नहीं हुआ है. लगभग 10 वर्ष से कोई भी नई बैरक नहीं बनाई गई. क्या माननीय मंत्री महोदय, बैरकों के नए निर्माण करने के लिए घोषणा करेंगे और क्या उसकी दिशा में काम करेंगे?
डॉ. नरोत्तम मिश्र - सभापति जी, यह प्रश्न उद्भूत नहीं होता है, क्योंकि यह बैरक से संबंधित विषय नहीं था, फिर भी गनीमत है मेरे भाई, माइक पर बोलने के लिए मुंह पर से मास्क हटा लेते हैं, इस कोरोना ने कैसे इनको कैद कर रखा है, आप देखों नख से लेकर शिख तक हाथ के ग्लव्स, सागर वाले अद्भुत हैं देखों तो(...हंसी) क्या हालत इस कोरोना ने कैदियों के रूप में इनकी की है. मैं भगवान से प्रार्थना करुंगा कि कोरोना के कैद से जल्दी इनको आजादी मिले उसके बाद फिर बैरक पर भी विचार करते हैं. (...हंसी).
श्री शैलेन्द्र जैन - सभापति जी, माननीय मंत्री जी को बहुत बहुत धन्यवाद.
सागर जिले के बिलहरा ग्राम में हुई हत्या की जाँच
[गृह]
15. ( *क्र. 5057 ) श्री तरबर सिंह : क्या गृह मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सागर जिले के बिलहरा ग्राम की बेटी सूर्या सिंह वैश्य जिसकी शादी ग्वालियर के डॉ. संजय सिंह के साथ हुई थी? क्या उसकी हत्या उसके पति के द्वारा गला दबा कर की गई थी और मारने के बाद क्या लाश को घर से बाहर ले जाकर जला दिया गया था? यदि हाँ, तो क्या अकेला एक व्यक्ति इस घटना को अंजाम दे सकता है? (ख) यदि नहीं, तो इस घटना में और कौन-कौन दोषी हैं? पुलिस ने क्या कार्यवाही की? (ग) इस हत्या में उसके पति संजय सिंह वैश्य, ननद नेहा शर्मा, नंदोई अयान शर्मा और सास मनोरमा वैश्य का हाथ होना बताया जा रहा है, क्या यह सही है? क्या पहले संजय सिंह और उसके बहनोई की गिरफ्तारी की गई थी, बाद में उसके बहनोई को क्यों छोड़ दिया गया?
गृह मंत्री ( डॉ. नरोत्तम मिश्र ) : (क) जी हाँ। मर्ग जाँच एवं पी.एम. रिपोर्ट से हत्या कर साक्ष्य छुपाने का अपराध पाये जाने से संदिग्ध संजय सिंह से पूछताछ की गई तो स्वयं के द्वारा अपराध करना स्वीकार किया कि पत्नी मृतिका से घर पर विवाद/झगड़ा हो जाने के कारण पत्नी को छाती में मुक्के मारे व गला दबाया, जिससे पत्नी की मृत्यु हो गई, बाद में मृतिका के शव को रात्रि में एक प्लास्टिक की बोरी में भर कर रात्रि में ही स्कूटी से कलेक्ट्रेट के पास झाड़ियों में फेंक कर पेट्रोल डालकर आग लगाकर वहां से भाग गया। (ख) आरोपी पति संजय सिंह बैस के द्वारा ही घटना कारित करना पाये जाने से आरोपी को दिनांक 17.01.2021 को गिरफ्तार किया गया। (ग) प्रकरण में आरोपी संजय सिंह बैस उम्र 31 साल, नि. एच.आई.जी. 1103 न्यू दर्पण कॉलोनी को गिरफ्तार किया गया है। अभी तक की विवेचना में ननद नेहा शर्मा, नंदोई अयान शर्मा, सास मनोरमा बैस की संलिप्तता नहीं पाई गई है और न ही किसी अन्य व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है।
सभापति महोदय - श्री तरबर सिंह जी, 2 मिनट बचे हैं, जल्दी पूछिए.
श्री तरबर सिंह - माननीय सभापति महोदय जी, मेरा जो प्रश्न था, उसका माननीय गृह मंत्री जी ने जवाब दिया है. सुरखी क्षेत्र के बिलहरा ग्राम की बेटी सूर्या जिसकी शादी ग्वालियर में हुई थी. कुछ समय पहले उसकी हत्या कर दी गई. मैं आपके माध्यम से गृह मंत्री जी से सीधा प्रश्न पूछना चाहता हूं कि क्या जो सूर्या सिंह की हत्या की गई थी.
सभापति महोदय - प्रश्नकाल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त)
श्री जितु पटवारी - सभापति महोदय, आपको इसको संज्ञान में लेना पड़ेगा. यह सदन क्या चल रहा है ? यह तो आपत्तिजनक है. ऐसे तो यह लग रहा है कि यही शून्यकाल का विषय है.
श्री प्रियव्रत सिंह - माननीय सभापति महोदय, मंत्री जी सीट पर नहीं हैं. एक मिनट बाकी था, उत्तर आ जाता. पहली बार के सदस्य हैं, गंभीर प्रश्न था.
12.01 बजे नियम 267-क के अधीन विषय
सभापति महोदय -
12.03 बजे
पत्रों का पटल पर रखा जाना
परिवहन विभाग की निम्नलिखित अधिसूचनाएं :-
(क) क्रमांक एफ 22-43/2019/आठ, दिनांक 17 जुलाई, 2019,
(ख) क्रमांक एफ 22-124/2019/आठ, दिनांक 02 अगस्त,2019,
(ग) क्रमांक एफ 22-10/2017/आठ, दिनांक 09 सितम्बर, 2019,
(घ) क्रमांक एफ 22-18/2018/आठ, दिनांक 05 नवम्बर, 2019,
(ङ) क्रमांक एफ 22-167/2019/आठ, दिनांक 05 नवम्बर, 2019,
(च) क्रमांक एफ 22-254/2019/आठ, दिनांक 06 दिसम्बर, 2019,
(छ) क्रमांक एफ 22-02/2019/आठ, दिनांक 23 दिसम्बर, 2019 एवं
(ज) क्रमांक एफ 22-124/2019/आठ, दिनांक 11 नवम्बर, 2020.
श्री जितु पटवारी - आदरणीय सभापति महोदय, यह तो बहुत गंभीर विषय है. आपको इसको संज्ञान में लेना चाहिए.
श्री प्रताप ग्रेवाल - सभापति महोदय, ....
सभापति महोदय - आप क्यों बोल रहे हैं ? आप गोविन्द सिंह राजपूत हैं क्या ? आप बैठ जाइये. अभी गोविन्द सिंह राजपूत बोल रहे हैं. शून्यकाल की सूचनाएं पटल पर रखी गई हैं, सभी की पढ़ी हुई मानी गई हैं. आप अध्यक्ष जी, से मिल लीजिये.
श्री प्रताप ग्रेवाल - सभापति महोदय, आज ही भूमिपूजन हो रहा है. यह विशेषाधिकार हनन का मामला है. आज हम लोग यहां विधान सभा में हैं और ग्राम सनमोड में भूमिपूजन किया जा रहा है, जिलाध्यक्ष हैं, मण्डल अध्यक्ष हैं एवं खुद अध्यक्ष हैं. हमारे हितों का संरक्षण करें, हम आपसे नहीं कहेंगे तो किससे कहेंगे.
सभापति महोदय - आप अध्यक्ष जी से मिल लीजिये.
(..व्यवधान...)
श्री प्रताप ग्रेवाल - (विपक्ष के कई सदस्यों के अपने स्थान पर खड़े होकर बोलने पर) सभापति महोदय, यह हमारे हितों का मुद्दा है.
(..व्यवधान...)
12.04 बजे गर्भगृह में प्रवेश
इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा गर्भगृह में प्रवेश.
(इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा श्री प्रताप ग्रेवाल विधायक को भूमिपूजन में न बुलाने की बात के विरोध में गर्भगृह में प्रवेश किया गया.)
सभापति महोदय - सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित की जाती है.
( 12.03 बजे से सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित की गई.)
12.16 बजे विधान सभा पुनः समवेत हुई.
{सभापति महोदय (श्री लक्ष्मण सिंह) पीठासीन हुए}
12.17 बजे शासकीय कार्यक्रमों में माननीय विधायकों को आमंत्रित करने एवं उनका नाम पट्टिका में लिखे जाने विषयक.
सभापति महोदय -- डॉ. गोविन्द सिंह जी आप कुछ कहना चाहेंगे.
डॉ. गोविन्द सिंह(लहार) -- माननीय सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से सरकार का ध्यान आकर्षित कराना चाहता हूं कि हमारे पास एक पत्र है, जिसमें सामान्य प्रशासन विभाग का यह स्पष्ट आदेश है. मेरे समय का भी एक आदेश है और माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान सरकार के भी सामान्य प्रशासन विभाग के चार आदेश हैं कि जहां जन प्रतिनिधि विधायक के क्षेत्र में, विधायक जो चुना हुआ हो, शासकीय कार्यक्रमों में उनको आमंत्रित किया जाये, उनका नाम पट्टिका पर लिखा जाये. लेकिन यह लगातार हमारे सरदारपुर में हुआ है (श्री जालम सिंह पटेल, सदस्य द्वारा अपने आसन से कुछ कहने पर) अब ऐसा है कि आप बाद में बोल लेना.
(व्यवधान..)
श्री जालम सिंह पटेल -- उसमें नाम भी नहीं लिखा गया है. उसमें किसी को नहीं बुलाया था, यह परंपरा आपने बनाई है. (व्यवधान..)
सभापति महोदय -- श्री जालम सिंह पटेल जी आप बैठ जायें. (व्यवधान..)
श्री रामपाल सिंह -- माननीय सभापति महोदय, नियम इन्होंने तोड़ा है. (व्यवधान..)
श्री जालम सिंह पटेल -- आपकी पंरपरा है, यह इसके पहले सबको बुलाया जाता है. (व्यवधान..)
श्री रामपाल सिंह -- 15 महीने इन्होंने बुलाया नहीं. यह हारे हुए विधायकों को बुलाते थे परंतु इन्होंने हमको नहीं बुलाया था. अब आप उपदेश दे रहे हैं. (व्यवधान..)
डॉ. गोविन्द सिंह -- आप सुन लीजिये. (व्यवधान..)
श्री रामपाल सिंह -- आपने जो नियम बनायें, उनका पालन होगा. 15 महीने में जो नियम आपने बनायें हैं, उनका पालन होना चाहिये. हम इसका विरोध करेंगे. (व्यवधान..)
सभापति महोदय -- श्री गोविन्द सिंह जी बोलेंगे और कोई नहीं बोलेगा. (एक साथ कई माननीय सदस्यों के अपने-अपने आसन से कुछ कहने पर) आप सभी बैठ जायें. (कुंवर विक्रम सिंह, सदस्य के अपने आसन से कुछ कहने पर) श्री नातीराजा जी आप बैठ जायें. श्री गोविन्द सिंह जी के अलावा कोई नहीं बोलेगा.
डॉ. गोविन्द सिंह -- माननीय सभापति महोदय, जैसा कि आदरणीय पटेल साहब ने मुद्दा उठाया है, इन्होंने सामान्य प्रशासन मंत्री के नाते मुझे लिखा था. आप माननीय संसदीय कार्यमंत्री जी से सरकार के दस्तावेज निकलवा लो, मैंने कढ़ाई से उनको नोटिस जारी करके जवाब तलब किया था और मुख्य सचिव को आदेश दिया था कि भविष्य में ऐसा न हो. मैंने आपसे निवेदन भी किया था कि आपका अपमान हमारा अपमान है, मैं यह बर्दाश्त नहीं करूंगा (मेजों की थपथपाहट) मैंने वह कढ़ाई से लिखा था. अब शायद बाद में जब हमारी सरकार नहीं रही, इसलिये पूरी कार्यवाही नहीं हो पाई. हमारा आपसे निवेदन है कि अब आपकी सरकार है, जो मैंने आदेश दिये थे, उन आदेशों पर कढ़ाई से पालन हो और जिसने भी ऐसा किया हो, उसको दंडित किया जाये. प्रजातंत्र में जनता के निर्वाचित प्रतिनिधियों का अपमान न मैंने कभी सहा है और न मैं कभी सहने देता हूं. यह लगातार पंरपरा चल रही है और हो सकता है कि यह सरकार की जानकारी में नहीं हो, यह निचले स्तर पर चलता है. मेरा माननीय संसदीय कार्यमंत्री जी से अनुरोध है कि जिस प्रकार की कार्यवाही 3-4 जगह एक तो सुश्री कलावती भूरिया जी के यहां हुआ है, तरबर सिंह जी के यहां हुआ है और यह सरदारपुर में हुआ है.
जल संसाधन मंत्री (श्री तुलसीराम सिलावट) -- आप हंसते रहा करो(हंसी..)
डॉ. गोविन्द सिंह -- (हंसी..) अरे यार आप बैठ जाओ. (व्यवधान..)
सभापति महोदय -- (श्री रामपाल सिंह, सदस्य द्वारा अपने आसन से कुछ कहने पर) देखिये विधायकों के अधिकार का मामला है, आप डॉ. गोविन्द सिंह जी को बोलने दीजिये.
डॉ. गोविन्द सिंह -- क्या मैंने लिखा नहीं था, क्या मैंने कोई कार्यवाही नहीं की थी ?
श्री रामपाल सिंह -- माननीय सभापति महोदय, वह बोलें तो, वह सही तो बोल रहे हैं. आपको 15 महीने में यह ज्ञान प्राप्त नहीं हुआ था. 15 महीने तक आपने लिख दिया तो हो गया, वहां निर्वाचित विधायकों का अपमान होता रहा. 15 महीने तक सांसदों का अपमान हुआ, तब आप कहां थे.
सभापति महोदय -- आप उस 15 महीने की बात छोडि़ये, आगे की बात करिये.
डॉ. गोविन्द सिंह -- आप सुनिये, अगर आपका अपमान हुआ है और कार्यवाही नहीं हुई है तो उसके लिये मैं खेद व्यक्त करता हूं, ठीक है. वैसे ऐसा हुआ नहीं होगा.
सभापति महोदय -- (एक साथ कई माननीय सदस्यों द्वारा अपने अपने आसन से कुछ कहने पर) आप सभी बैठ जायें.
डॉ. गोविन्द सिंह -- मैं आज आपसे अनुरोध कर रहा हूं कि आप कृपा करके आज व्यवस्था दें और भविष्य में सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को ऐसा निर्देश दें कि उन चुने हुए निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के नाम भी पट्टिका में अनिवार्य रूप से लिखे जायें. जो अधिकारी चुने हुये विधायकों का अपमान करते हैं, चाहे सत्ता पक्ष के हों या विपक्ष के हों उन पर भी कार्यवाही करना चाहिये, यह आपसे हमारा अनुरोध है, प्रार्थना है.
नेता प्रतिपक्ष (श्री कमलनाथ)-- अध्यक्ष जी, गोविन्द सिंह जी ने केवल गंभीर बात ही नहीं उठाई, यह महत्वपूर्ण बात है, इस सदन के सम्मान की बात है और अभी जैसा साथी ने कहा कि हमारे कार्यकाल में ऐसा हुआ, यह मेरी जानकारी के बाहर है. अगर ऐसा हुआ तो यह गलत हुआ. मेरे निर्देश थे, गोविन्द सिंह जी ने भी निर्देश दिये थे और यह निर्देश कोई नये नहीं थे यह जब पहली सरकार थी, शिवराज सिंह जी की सरकार थी, यह निर्देश उस समय भी थे और यह इस समय भी जारी हैं. अगर स्थानीय प्रशासन की चूक की वजह से ऐसा हुआ है, यह होता है, स्थानीय प्रशासन की चूक की वजह से यह कभी हो जाता है. मेरे ध्यान में एक बार यह बात लाई गई थी तो मैंने जब चेक किया तो मुझे बताया गया कि यह स्थानीय प्रशासन की चूक है, अगर स्थानीय प्रशासन की चूक है, उन पर एक्शन लिया जाये, पर अंत में आप सब इस सदन के रक्षक हैं, इस सदन के सदस्य हैं तो यह मामला हल्केपन में न लिया जाये, जो एक परंपरा चल रही है, जो आपके खुद के आदेश थे और हमने वह आदेश जारी भी किये थे, ये आदेश कायम रहें.
सभापति महोदय-- मंत्री जी कुछ कहना चाहेंगे.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र)-- माननीय सभापति महोदय, नेता प्रतिपक्ष जी माननीय कमलनाथ जी ने बहुत अच्छा विषय उठाया है. ...(व्यवधान)... माननीय नेता प्रतिपक्ष जी के साथ-साथ आदरणीय गोविन्द सिंह जी ने भी यह विषय उठाया है और जैसा माननीय नेता प्रतिपक्ष जी ने कहा भी है कि पूर्व के ही माननीय शिवराज सिंह जी की सरकार के वन, टू, थ्री में यह आदेश थे, फोर्थ है, कहां कोई त्रुटि हो रही है उसको दिखवा लेंगे, लेकिन फोर्थ में त्रुटि की बात तो गोविन्द सिंह जी इसलिये आई कि जब आपका कार्यकाल आया तो (अपने सदस्यों की ओर इशारा करते हुये) इनमें से एक को भी नहीं बुलाया गया, कोई को भी नहीं बुलाया गया और यह जो रामपाल सिंह जी की पीड़ा है, या जालम सिंह जी की या यशपाल सिंह जी की पीड़ा है, यह फोर्थ में यह वाली दिक्कत, यह परंपरा गलत डली.
सभापति महोदय-- नेता प्रतिपक्ष इसको स्वीकार चुके हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- इसलिये मैंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष जी ने बहुत सारगर्भित बात कही है और हम उसका पूरी तरह ध्यान रखेंगे.
12.22 बजे ध्यानाकर्षण
सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.
सभापति महोदय-- श्री लाखन सिंह यादव अपनी ध्यानाकर्षण की सूचना पढ़ें.
श्री तरबर सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय....
सभापति महोदय-- आपका नाम लाखन सिंह यादव है, आप बैठ जाइये. ..(व्यवधान)..
श्री जितु पटवारी-- सभापति महोदय, ..(व्यवधान).. उसका प्रश्न आया, दो मिनट बचे थे, मंत्री जी अपने आसन पर नहीं थे, ..(व्यवधान).. तो यह शून्यकाल चल रहा है. ..(व्यवधान).. प्रश्नकाल चला गया, चूंकि उधर समय था, आसन पर मंत्री जी नहीं थे. ..(व्यवधान)..
सभापति महोदय-- मंत्री जी लिखित में उत्तर दे दीजियेगा. ..(व्यवधान)..
श्री जितु पटवारी-- आदरणीय सभापति महोदय, मंत्री जी आसन पर नहीं थे ..(व्यवधान)..
सभापति महोदय-- मंत्री जी लिखित में उत्तर दे देंगे. ..(व्यवधान).. आप मंत्री जी से बाद में मिल लीजियेगा. ..(व्यवधान).. ध्यानाकर्षण के अलावा कोई भी रिकार्ड में नहीं जायेगा.
श्री लाखन सिंह यादव-- XXX
सभापति महोदय-- आपका ध्यानाकर्षण क्या है, पढि़ये.
(..व्यवधान..)
श्री रामेश्वर शर्मा - xxx
सभापति महोदय - आप बैठ जाईये. मैं अलाउ नहीं कर रहा हूं. श्री लाखन सिंह यादव ध्यानाकर्षण पढ़िये.
12.25 बजे
(1) ग्वालियर के हिम्मतगढ़ फीडर एवं आरौन पाटई माइक्रो लिफ्ट
की सिंचाई की स्वीकृति न मिलने
श्री लाखन सिंह यादव(भितरवार),डॉ.गोविन्द सिंह - सभापति महोदय,
जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) - सभापति महोदय,
श्री लाखन सिंह यादव - माननीय सभापति महोदय, यह तुलसी भाई जब हमारे साथ थे जब ऐसे नहीं थे उधर जाकर इतने बदल गये.
श्री तुलसीराम सिलावट - मैं पहले भी वैसा ही था अभी भी वैसा ही हूं.
सभापति महोदय - अपना प्रश्न पूछिये. और भी सदस्य हैं.
श्री लाखन सिंह यादव - सभापति महोदय, यह हिम्मतगढ़ फीडर एवं आरोन पाटई, जो आप पटई कह रहे हो वह पाटई है.
श्री तुलसीराम सिलावट - पाटई है.
श्री लाखन सिंह यादव - पढ़ लिया करो जरा. इतने मत बदलो.
श्री तुलसीराम सिलावट - न बदला हूं न बदलूंगा.
श्री लाखन सिंह यादव -- सभापति महोदय, यह आरोन पाटई माक्रो लिफ्ट सिंचाई योजना का डीपीआर 179.88 करोड़ का दिनांक 9.3.2000 को मध्यप्रदेश शासन को एक साल पहले भेज दिया था स्वीकृति के लिये. आपने अभी जवाब में लिख दिया, मैंने कहा ना कि आपने पोलिटिकल जवाब दे दिया. आपने लिख दिया कि प्रकरण साधिकार समिति के समक्ष प्रस्तुत नहीं हो पाया एक साल में. सभापति महोदय, मैं मंत्री जी से यह निवेदन करना चाहता हूं कि एक तरफ तो आपने यह नहीं किया मात्र 179.88 करोड़ का, दूसरी तरफ वहीं से लगे हुए जिले में आपने 1100 करोड़, जिसका डीपीआर अभी अभी जस्ट बना है. वह 1100 करोड़ रुपये का आपने जो है, वहां प्रावधान कर दिया और बजट में भी ले लिया. मंत्री जी, यह इस तरह का आप व्यवहार मत करो, वह भी क्षेत्र के लोग हैं, वहां भी लोग हैं. आपने कह दिया कि कोई आक्रोश नहीं है. आपने लिख दिया, मैंने मान लिया कि साधिकार समिति को प्रस्तुत नहीं हो पाया, कोई बात नहीं है, गलती हो गई. तुलसी भाई, मेरा आपसे विनम्रता पूर्वक अनुरोध है कि कभी आप इधर तुलसी की बहार बिखेरते थे, आज कल उधर बिखेर रहे हैं. हम आपके छोटे भाई हैं. मैं आपसे विनम्रतापूर्वक अनुरोध करना चाहता हूं कि चलिये अभी नहीं हो पाया, क्या अपन इसको सप्लीमेंट्री बजट में लेकर इस योजना को पूर्ण करायेंगे, जिससे 9365 हेक्टेयर भूमि में वहां के किसानों की सिंचाई हो पायेगी और पलायन से वह 35,38,40 गांव बच पायेंगे. मैं आपसे चाहता हूं कि क्या इसको सप्लीमेंट्री में लेकर अपन करा लेंगे.
श्री तुलसीराम सिलावट -- सभापति महोदय, सम्मानीय सदस्य वाकेही में मेरे अनुज हैं. आगामी वित्त वर्ष में कोशिश करेंगे परियोजना की प्रशासकीय स्वीकृति शीघ्र हो जाये.
श्री लाखन सिंह यादव -- (श्री तुलसीराम सिलावट, मंत्री के पीछे देखने पर) मेरे भाई, दिल ठोक कर कह दो, उधर पूछने की जरुरत नहीं है, वह तो मना करेंगे. वहां पूछोगे तो वह नहीं चाहेंगे कि कभी हो.
श्री तुलसीराम सिलावट -- सभापति महोदय, तुलसी सिलावट को किसी से पूछने की आवश्यकता नहीं होती है.
श्री लाखन सिंह यादव -- तुलसी भैया, पूरी क्रेडिट आप ले जाना, आपकी क्रेडिट के चक्कर में किसानों को मत मरवाओ और वहां से लाइन मत लेना, वह लाइन कभी मिलेगी नहीं. इसलिये बड़े भाई, मेरा आपसे विनम्रता पूर्वक अनुरोध है कि आप यहां डंके की चोट पर कहो, 179 करोड़ रुपये हैं, कोई ज्यादा नहीं हैं, डंके की चोट पर कहो. जब 1100 करोड़ रुपये बगल में दिये हैं आपने, तो 179 करोड़ रुपये बहुत कम हैं, आप जरा दमदारी दिखाओ.
श्री रामपाल सिंह -- यादव जी, आप तुलसी जी के साथ आ जाते, तो आप आज खुद करते. आपने बड़ी चूक की.
श्री लाखन सिंह यादव -- रामपाल सिंह जी, प्लीज.
सभापति महोदय -- यादव जी, हो गया. डॉ.गोविन्द सिंह जी भी इसी में प्रश्न पूछ रहे हैं.
श्री लाखन सिंह यादव -- सभापति महोदय, मंत्री जी का थोड़ा जवाब आ जाये कि क्या नेक्स्ट सप्लीमेंट्री बजट में इसको ले लेंगे क्या. भैया, थोड़ा दमदारी से उत्तर आ जाना चाहिये.
सभापति महोदय -- चलिये, डॉ. गोविन्द सिंह जी.
डॉ. गोविन्द सिंह (लहार) -- सभापति महोदय, मैं मंत्री जी से यह जानना चाहता हूं कि आपने उत्तर में एक तो यह कहा है कि प्रशासकीय स्वीकृति के लिये वित्त विभाग द्वारा निर्धारित सूचकांक अधिक्रमित होने के कारण प्रकरण साधिकार समिति के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया जा सका है. मैं जानना चाहता हूं कि यह आपका निर्धारित सूचकांक क्या है, मैं यह आपसे स्पष्ट जानना चाहता हूं.
श्री तुलसीराम सिलावट -- सभापति महोदय, माननीय सदस्य सदन के वरिष्ठतम् सदस्य हैं, हम जिन्हें प्रणाम भी करते हैं. प्रशासकीय स्वीकृति हेतु वित्त विभाग द्वारा सूचकांक 6 होना निर्धारित है, जो अधिक्रमित हो चुका है, इस कारण से प्रशासकीय स्वीकृति में विलम्ब हो रहा है.
डॉ. गोविन्द सिंह -- सभापति महोदय, मैंने आपसे यही पूछा था कि यह है क्या. मैं भी तो समझ लूं. अब हम वरिष्ठ हैं, सब हैं, लेकिन मैं आपसे केवल यही जानना चाहता हूं कि अगर आपका मन साफ है, नीयत है किसानों के हित में, सिंचाई के लिये यह बड़ी योजना है, कम लागत में है. साढ़े पांच -छः हजार हेक्टेयर रकबे से ज्यादा सिंचाई होना है. इसलिये हमारा आपसे अनुरोध है कि एक तो यदि सूचकांक अधिक्रमित हो रहा है, तो उस अधिक्रमित को समाप्त करके, कृपा करके एक तो यह सूचकांक है क्या. और इसमें अभी नहीं है, तो आगे पीछे कब तक वह डीपीआर स्वीकृत कराकर काम प्रारंभ कर सकेंगे. कोई समय सीमा हो, अभी नहीं है तो आगे जैसा लाखन सिंह जी ने कहा है, उस हिसाब से बतायें.
श्री तुलसीराम सिलावट -- सभापति महोदय,यह किसानों का गंभीर मामला है, क्योंकि आप जानते हैं कि जब किसानों की बात हो और मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री किसान का बेटा हो, तो किसान के प्रति यह सरकार सहानुभूति पूर्वक विचार करके आने वाले वर्ष में जो सकारात्मक हो सकता है, वह पूरा प्रयास किया जायेगा.
डॉ. गोविन्द सिंह - सभापति महोदय, मैं आगे नहीं पूछ रहा हूं, वित्त विभाग का सूचकांक अतिक्रमित हो रहा है, यह बताएं कि यह है क्या चीज़?
श्री तुलसीराम सिलावट - सभापति महोदय, यह मैं आपको बताता हूं, किसी भी वित्त वर्ष में कुल उपलब्ध बैलेंस बजट का 6 गुना.
डॉ. गोविन्द सिंह - 6 गुना क्या? यह 6 गुना से ज्यादा हो रहा है.
श्री तुलसीराम सिलावट - यह कम हो रहा है, इसलिए दिक्कत आ रही है.
डॉ. गोविन्द सिंह - कम हो रहा है तो फिर पैसा है आप मंजूर कर दो.
श्री लाखन सिंह यादव - यदि कम हो रहा है तो वहां 1100 करोड़ रुपये कैसे स्वीकृत हो गये, यह भेदभाव मत करो.
श्री तुलसीराम सिलावट - पैसा जब आ जाएगा, मैंने बोला कि अभी कम हो रहा है, आने वाले वर्षों में आपकी भावनाओं को गंभीरता से लेते हुए यह लाखन जी किसानों का मामला है, यह राजनीति का मामला नहीं है, यह तेरा-मेरा मामला नहीं है, यह वित्त का मामला है, आने वाले वर्षों में इस पर बहुत गंभीरता से विचार सरकार करेगी.
श्री सुरेश राजे (डबरा) - सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से यह पूछना चाहता हूं कि मां रतनगढ़ बहुउद्देशीय जो परियोजना का शिलान्यास लगभग वर्ष 2017 में हुआ और उसके बाद अभी तत्काल जो उप चुनाव हुए, उसमें भी सियावरमाता पर उन्होंने घोषणा की कि वहां से जिगनिया वारकरी नहर लाएंगे और वहां पर पाइप भी डलवा दिये तो सभापति महोदय, मैं तो सिर्फ इतना पूछना चाहता हूं कि वह जिगनिया वारकरी नहर आएगी कि नहीं? वर्तमान में क्या स्थिति है वह बताने का कष्ट करें?
श्री तुलसीराम सिलावट - सभापति महोदय, सरकार अन्नदाता और किसानों के लिए गंभीर है और गंभीर प्रयास किये जाएंगे.
श्री सुरेश राजे - वहां पर पाइप डले हुए हैं. जब चुनाव चल रहा था तब वहां कहा गया था कि यहां नहर खुदेगी तो हुजूर यह तो बताने का कष्ट करें कि वह नहर खुदेगी कि नहीं?
श्री तुलसीराम सिलावट - सभापति महोदय, मैंने कहा कि यह किसानों का मामला है, सरकार गंभीर है, आप निश्चिंत रहें.
श्री सुरेश राजे - मंत्री महोदय सिर्फ इतना बता दें कि वह नहर का काम कब शुरू होने वाला है? वहां पर पाइप डले हुए हैं और कुछ पाइप तो वहां से उठ भी गये?
श्री तुलसीराम सिलावट - सम्माननीय सदस्य मेरे संज्ञान में ले आए हैं, मैं इसका परीक्षण करा लूंगा.
श्री सुरेश राजे - माननीय मंत्री जी धन्यवाद.
श्री के.पी. सिंह कक्काजू - (अनुपस्थित)
12.37 बजे
(2) भोपाल शहर के वार्ड क्रमांक 53 एवं 55 में मूलभूत सुविधाओं का अभाव होना
श्रीमती कृष्णा गौर (गोविन्दपुरा) - सभापति महोदय,
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्री भूपेन्द्र सिंह) - सभापति महोदय,
श्रीमती कृष्णा गौर -- माननीय सभापति महोदय पिछले एक वर्ष से लगातार नगर निगम के माध्यम से वहां के नागरिक अपनी समस्या बता रहे हैं और जूझ रहे हैं. मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन करना चाहूंगी कि आप समय निकालकर मेरे साथ चलें. वहां पर घरों के सामने घुटनों घुटनों तक सीवरेज भरा हुआ है लोग बहुत परेशान हैं. हमने अपनी पूरी कोशिश कर ली है. वहां पर जितने कालोनाइजर्स बिल्डर हैं आधे तो गायब हो गये हैं आधे हैं उन्होंने अपने मोर्टगेज प्लाट छुड़वा लिये हैं. अब कार्यवाही करें तो किसके ऊपर करें. इसलिए नगर निगम पर दवाब बनाकर यह कहा कि हमारी समस्या का हल निकालें तो उन्होंने एक सीवरेज की ट्रंक लाइन का स्टीमेट बनाया है जिसकी लागत एक से डेढ करोड़ रूपये है मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से यही निवेदन है कि इस समस्या का निराकरण सिर्फ और सिर्फ आपका विभाग ही कर सकता है. इसलिए विशेष अनुदान देकर समस्या का निराकरण करें और लोगों को नारकीय जीवन से मुक्ति दिलाएं.
सभापति महोदय -- मंत्री जी गंभीर मामला है. बिल्डर की प्रशासन सुनता है विधायक की नहीं सुनता है. यह गंभीर मामला है. थोड़ा आप जाकर देखिये इसे.
श्री भूपेन्द्र सिंह -- नहीं ऐसा नहीं है.
सभापति महोदय -- विधायक कह रही हैं.
श्री भूपेन्द्र सिंह -- सभापति महोदय माननीय विधायिका जी जो कह रही हैं. वह बिल्कुल सही है. वह एक एक बात को बिल्कुल सही कह रही हैं. यह कठिनाई वहां पर है. इसके दो रास्ते हमारे पास हैं. एक रास्ता यह है कि यह सब लीगल कालोनी है इसमें कोई भी अवैध कालोनी नहीं है. कालोनी को जब हम मान्यता देते हैं तो उनके प्लाट को बंधक बनाते हैं तो जो प्लाट हैं बंधक हैं. उन प्लाटों को सेल आफ करके उस पैसे से जो वहां पर सीवर सिस्टम की कठिनाई है उसे हम लोग ठीक करें. माननीय विधायिका जी सभी जो नाम कालोनियों के दिये हैं इन सभी के प्लाट रजिस्टर्ड रूप से बंधक हैं. उसमें हम लोग निर्णय कर रहे हैं कि उन प्लाटों को बेचकर वहां पर सीवर लाइन के लिए जो भी काम करना है वह काम वहां पर करें.
श्रीमती कृष्णा गौर -- धन्यवाद्.
(3) नरसिंहपुर जिले में नर्मदा नदी से रेत का अवैध उत्खनन किया जाना.
श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति(एन.पी.) (गोटेगांव)-- सभापति महोदय,
खनिज
साधन मंत्री
(श्री बृजेन्द्र
प्रताप सिंह) --
अध्यक्ष
महोदय,
श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति -- सभापति जी, उत्तर शासन दे रहा है. ये पहली बार ऐसा प्रश्न कर रहा हूँ, क्या माननीय मंत्री जी, आप स्वयं कार्पोरेशन के रिटायर्ड अधिकारियों को लेकर या वर्तमान अधिकारियों को लेकर जो मैंने मूल ध्यानाकर्षण किया है कि मां नर्मदा को कैसे छलनी कर रहे हैं और मां नर्मदा के नाम पर दूधी को कैसे छलनी कर रहे हैं, मंत्री जी, आप स्वयं वहां के क्षेत्रीय विधायकों के साथ में दौरा कर दूध का दूध और पानी का पानी करेंगे, ताकि ये जवाब आप लोगों के माध्यम से सदन में असत्य बुलवाया जाता है, वह अब दूध का दूध पानी का पानी आए ? माननीय मंत्री जी.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह -- माननीय सभापति महोदय, आप हमारे सीनियर हैं, मैं उनका जूनियर हूँ और मैं यह मानता हूँ क्योंकि वे हमारे बड़े सीनियर सदस्य हैं.
सभापति महोदय -- और मैं आप दोनों का सीनियर हूँ स्कूल में.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह -- निश्चित रूप से, मैं आदर करता हूँ. मैं यह मानता हूँ कि जो हमारे सीनियर माननीय सदस्य ने यह बात कही है, जो बातें उनके द्वारा बोली गई हैं, क्योंकि इसमें विधिवत पहले भी कुछ शिकायतें मिली थीं, जिसमें कि हमारे वहां के कलेक्टर महोदय द्वारा भी इसमें एक जांच करवाई गई थी 20 फरवरी को, और कमिश्नर के माध्यम से भी उसमें जांचें हुई थीं और उसमें कोई ऐसी गलत चीज नहीं आई थी. मुर्गाखेड़ा में बात जरूर आई थी कि वहां पर 103 घनमीटर अवैध उत्खनन पाया गया था, लेकिन उसमें संबंधित ठेकेदार द्वारा किया गया है, ऐसा उसमें प्रचलित नहीं हुआ था, जिसके लिए 25 (2) में कलेक्टर ने एसपी को एक लेटर भी लिखा है कि जिसने अवैध उत्खनन किया है, उसकी एफआईआर या उसको तत्काल ढूंढा जाए, जिसके कारण उस पर कार्यवाही की जा सके. इसलिए मैं यह मानता हूँ कि माननीय सीनियर सदस्य द्वारा जो यह बात कही गई है, वह कहीं न कहीं ऐसा प्रतीत नहीं हो रहा है, जिस रिपोर्टिंग के आधार पर कि ऐसा कार्य वहां पर हुआ है और उसके बाद माननीय सदस्य जैसा बोल रहे हैं, उस पर निश्चित रूप से हम विचार करेंगे, जो वे बात कर रहे हैं.
श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति -- माननीय मंत्री जी, हमें प्रशासन पर भरोसा नहीं है, इसलिए हम शासन पर भरोसा करके पूछ रहे हैं क्या शासन खुद वहां तक उतरेगा ?
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह -- माननीय सभापति महोदय...
सभापति महोदय -- अभी बहुत सारे माननीय सदस्य और भी हैं, जवाब तो देना पड़ेगा.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह -- तो फिर सबके प्रश्न आ जाने दीजिए, फिर मैं बात करूंगा.
श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति -- सभापति महोदय, मेरा उत्तर आने तो दें.
सभापति महोदय -- कई नाम हैं, इसी विषय पर कई नाम हैं.
श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति -- सभापति महोदय, वह ठीक है, मैं प्वॉइंटेड प्रश्न कर रहा हूँ, मुझे प्वॉइंटेड उत्तर मिल जाए, समाधान हो जाए. मैं बहुत साफगोई प्रश्न कर रहा हूँ. मुझे प्रशासन पर भरोसा नहीं है, मैं वहां का चुना हुआ प्रतिनिधि हूँ. चुने हुए प्रतिनिधि के तहत इस विधान सभा में मेरा अधिकार है कि शासन मुझे साफगोई जवाब दे. जब साफगोई जवाब नहीं आ रहा है तो मैं आपसे निवेदन कर रहा हूँ, शासन से निवेदन कर रहा हूँ कि आइये, जनप्रतिनिधि आपका स्वागत करते हैं, वस्तुस्थिति हम पहचानें, अन्यथा जो आप बोल रहे हैं, वह सत्य इस पटल पर रखा जाता है और वही बातें फिर घूम-फिरकर रह जाती हैं और मेरी मां जीवनदायिनी छलनी हो रही है. ये आपको भी गौर करना पड़ेगा.
सभापति महोदय -- मंत्री जी, वे चाहते हैं कि आप स्वयं जाएं.
श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति -- एक प्रश्न मेरा यह है. दूसरा प्रश्न यह है कि क्या वर्तमान शासन मां नर्मदा को मानता है और अगर मानता है तो उसमें पूर्णत: वैध और अवैध उत्खनन बंद कराएगा ?
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह -- माननीय सभापति महोदय, क्योंकि इसमें बाकी और भी माननीय सदस्य हैं तो या तो साथ में सब चीजें आ जाएं, नहीं तो अलग-अलग आने से वही चीजें रिपीट होंगी.
सभापति महोदय -- आप यह कह दीजिए क्योंकि वे बुला रहे हैं आपको, आप जाकर देख लेंगे, व्यक्तिगत रूप से भी देख लेंगे. इतनी सी बात कह रहे हैं.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह -- नहीं सभापति महोदय, दूसरे लोगों से भी बातें आने वाली हैं, तो मैं सोच रहा हूँ कि सामूहिक जवाब दे दूंगा.
सभापति महोदय -- ठीक है, श्री पी.सी. शर्मा.
श्री संजीव सिंह -- माननीय सभापति महोदय....(व्यवधान)..
श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति -- सभापति जी, जिस सदस्य का जो प्रश्न है, मेरी आपसे गुजारिश है, उसे कृपापूर्वक संतुष्ट हो जाने दीजिए.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह -- माननीय सभापति महोदय, यदि ऐसा ही है.. ..(व्यवधान)..
सभापति महोदय -- सभी को संतुष्ट करना है. श्री पी.सी. शर्मा जी बोलें.
श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति -- मूल प्रश्नकर्ता का प्रश्न तो पूरा हो जाने दीजिए. मेरे दोनों उत्तर नहीं आए. क्या मां नर्मदा को मानने वाले शासनकर्ता पूर्णत: वैध और अवैध उत्खनन मां नर्मदा में बंद कराएंगे ?
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह -- अवैध उत्खनन, निश्चित रूप से, कहीं पर भी हो, मां नर्मदा सबकी पूजनीय है, हर नदी का बंद कराएंगे.
सभापति महोदय -- चलिए ठीक है, श्री पी.सी. शर्मा.
श्री पी.सी. शर्मा -- माननीय सभापति महोदय, मां नर्मदा मध्यप्रदेश की जीवनरेखा है और नर्मदा ट्रस्ट, हमारी जब सरकार थी, उनका एक ट्रस्ट भी बनाया.उस समय सरकार ने यह भी फैसला लिया था कि मॉं नर्मदा जी में पोकलेन मशीनों से कोई उत्खनन नहीं होगा. जैसा अभी माननीय प्रजापति जी ने कहा कि उत्खनन लगातार हो रहा है. वैध के साथ अवैध उत्खनन भी हो रहा है. दूसरी बात यह है कि इस चीज के लिए माननीय मंत्री कमल पटेल जी ने कलेक्टर और आयुक्त को चिट्ठी लिखी थी कि अवैध उत्खनन हो रहा है. यह आपकी सरकार के मंत्री जी का पत्र है (पत्र दिखाते हुए) और सब जगह छपा भी है. मैं केवल यह सवाल आपसे पूछना चाहता हॅूं कि नर्मदा जी को हमने जीवित संज्ञान दिया है तो जो वहां होता है जैसा कि अभी माननीय प्रजापति जी ने बताया है कि रेत इकट्ठा किया जा रहा है. रेत इकट्टा करके यह डबल रेट पर बरसात में बेचेंगे. मतलब महंगाई और बढे़गी, जनता और परेशान होगी. मेरा सवाल यह है कि मॉं नर्मदा जी को जीवित संज्ञान दे रहे हैं तो जो वहां से उत्खनन होगा, क्या उस पर धारा 307 के तहत एक्शन लेंगे ? यह मेरा सीधा प्रश्न है.
खनिज साधन मंत्री (श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह) -- माननीय सभापति महोदय, किसी पर अटेम्प्ट टू मर्डर वाला केस पता नहीं, माननीय पी.सी.शर्मा जी भी वहां के प्रभारी रहे हैं और मॉं नर्मदा जी के वहां पर भी विधि मंत्री भी रहे हैं. रही बात नर्मदा जी को लेकर जो बातें आ रही हैं.....
सभापति महोदय -- एक मिनट मंत्री जी.
12.56 बजे अध्यक्षीय घोषणा
भोजनावकाश न होने विषयक
सभापति महोदय -- आज भोजन अवकाश नहीं होगा. माननीय सदस्यों के लिये भोजन की व्यवस्था सदन की लॉबी में की गई है. माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि सुविधानुसार भोजन ग्रहण करने का कष्ट करें.
12.57 बजे ध्यानाकर्षण (क्रमश:)
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह -- माननीय सभापति महोदय, जैसा कि जो भी हमारे माननीय मंत्री के द्वारा शिकायत की गई थी, उसमें विधिवत विभाग द्वारा उसको संज्ञान में लिया गया है और उसमें कमिश्नर को आदेशित भी किया गया है कि इसकी एक जॉंच रिपोर्ट वह भेजें और वह जॉंच प्रचलन में है और जो रिपोर्ट आएगी, उस पर हम कड़ी कार्यवाही करेंगे. यदि गलत होगा, तो कार्यवाही करेंगे.
सभापति महोदय -- श्री संजय शर्मा.
श्री संजय शर्मा (तेंदूखेड़ा) -- माननीय सभापति महोदय, बड़ा विचारणीय विषय है कि सदन में इतनी असत्य जानकारियां अधिकारियों द्वारा मंत्री जी से पढ़ाई जा रही हैं. मंत्री जी, आप भी जनता द्वारा चुनकर आए हैं. आपको भी धरातल पर पूरी जानकारी है. ठेकेदार को संरक्षण दें, यह अच्छी बात है. आप वैध काम करें, कोई दिक्कत नहीं है लेकिन इस प्रकार से कई जिलों में हत्याएं करने के प्रयास, जबरदस्ती लूट-खसोट करके खदानों पर कब्जा, जहां पर रेत सड़क के पास में मिल जाए, वहां से उठाकर भण्डारण करना, वैध खदानों की स्वीकृति नहीं कराना, अवैध खदानों को चलाकर पूरे जिले में आसपास के जिलों में सप्लाई करना इस प्रकार के काम पूरे जिलों में चल रहे हैं. नरसिंहपुर जिला खासतौर पर शांतिप्रिय जिला है. मॉं नर्मदा जी के दोनों तरफ लोग निवास करते हैं और सबसे ज्यादा संवेदनशील और शांत जिला कृषि बाहुल्य क्षेत्र हमारा नरसिंहपुर है. वहां पर इस प्रकार की गतिविधियां हो रही हैं.
सभापति महोदय -- आप सवाल पूछिए.
श्री संजय शर्मा -- माननीय सभापति महोदय, यहां पर जानकारी दी गई है कि इन खदानों की स्वीकृति है. आज इसमें मेरा प्रश्न भी लगा था. जैसा कि माननीय मंत्री जी ने उत्तर में कहा था कि अवैध उत्खनन नहीं किया जा रहा है और रेत भण्डारण नहीं किया जा रहा है जबकि रेत भण्डारण पूरे हाइवे, फोरलेन पर (दस्तावेज दिखाते हुए) है इसके दस्तावेज भी रखे हैं, आप कहें तो इसे पटल पर रख देंगे. यदि मंत्री जी चाहें तो अभी आधे घंटे के अंदर वीडियो कॉलिंग पर स्टॉक दिखा देंगे. जहां आपके अधिकारियों ने जानकारी दी है कि यहां भण्डारण नहीं है. खुलेआम हर जगह अवैध भण्डारण चल रहा है और तो और रास्तों में बडे़-बडे़ गड्ढे खोदकर उनमें रेत भरी जा रही है. आप चाहें तो मौके का परीक्षण कराकर आपको दिखा देंगे. दूसरा आपने उत्तर में जवाब दिया था कि अनुमति के अनुसार कार्य किया जा रहा है.
12.59 बजे { अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए }
अध्यक्ष महोदय, महेश्वर, सांईखेड़ा, तुमड़ा, संसारखेड़ा, धरमपुरी आदि खदानों की पर्यावरण की अनुमति अप्राप्त है तो वहां कैसे उत्खनन हो रहा है. आप ही बता रहे हैं कि पर्यावरण की अनुमति अप्राप्त है और वहां पर अवैध उत्खनन चल रहा है, उसको आप वैध मान रहे हैं. मुर्गाखेड़ा खदान की बात करना चाहता हॅूं जब माननीय कमल पटेल जी नरसिंहपुर जिले में गए थे. उस समय ग्राम के सभी लोग इकट्ठे होकर वीडियो के माध्यम से उनको जानकारी दी गई थी कि यहां पर 10 पोकलेन मशीनें चल रही हैं. 100 हेक्टेयर के आसपास अवैध उत्खनन हो रहा है.
अध्यक्ष महोदय -- आप प्रश्न पूछें. मैं समझ गया, जो लिखा है वही है.
श्री संजय शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, आप अभी आए हैं आप थोड़ी कृपा करें. प्रश्न किया है, लेकिन जवाब गलत आए हैं.
अध्यक्ष महोदय -- वह तो कर लिया. मैं सुन रहा था. इसलिए आप प्रश्न करिए.
श्री संजय शर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आप सही जवाब दिलवा दीजिए.
अध्यक्ष महोदय -- आप प्रश्न करिए, तभी वह जवाब देंगे. अभी तो आप पढ़ रहे हैं.
श्री संजय शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, जहां-जहां अवैध उत्खनन हो रहा है और माननीय मंत्री जी को जानकारी में दिया गया है कि अवैध उत्खनन नहीं हो रहा है और हम लोग यहां सदन में बता रहे हैं कि अवैध उत्खनन हो रहा है. आप चाहें तो मौके का परीक्षण करवा लें. माननीय मंत्री जी स्वयं चले जाएं. कोई टीम बनाकर भिजवा दें. हम लोग उनके साथ में चले जाएंगे और जिन अधिकारियों ने इन्हें गलत जानकारी दी है और जिला खनिज अधिकारी लगातार भ्रमित कर रहे हैं.
उस दिन भी उन्होंने कहा कि वहाँ पर अवैध उत्खनन नहीं हो रहा है, एक मंत्री, प्रभारी मंत्री ने आदेश किया, उसके बाद माननीय विधायक जी ने जाकर मौके पर देखा और गाँव के सब लोगों को लेकर गए, सैकड़ों एकड़ में अवैध उत्खनन होना पाया गया. जालम सिंह पटेल जी ने जाकर वहाँ से वीडियो भी भेजे, प्रभारी मंत्री कमल पटेल जी ने भी वीडियो भिजवाए. इसके बाद आपके अधिकारी कहते हैं कि यह हमारे कोई मंत्री नहीं हैं, इनका कोई अधिकार नहीं हैं, नकली मंत्री हैं.
अध्यक्ष महोदय-- तो प्रश्न करें ना भाई, यह तो हो गया. प्रश्न तो आप पूछ ही नहीं रहे हैं.
श्री संजय शर्मा-- अब अधिकारियों को बताओ असली मंत्री, नकली मंत्री, क्या होता है....
अध्यक्ष महोदय-- अरे भाई, संजय जी, यह कोई प्रश्न नहीं हुआ. आप तो प्रश्न पूछें.
श्री संजय शर्मा-- माननीय अध्यक्ष जी, मेरा प्रश्न यह है कि उन अधिकारियों को वहाँ से हटाकर दोबारा आप जाँच कराने के लिए क्या समिति बनाएँगे?
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, वहाँ पर 36 खदानें सेंक्शन हैं, जिनमें से 17 संचालित हैं और अभी 3 खदानें और हुईं, इस तरह से 20 खदानें वहाँ पर टोटल हैं और मैं यह मानता हूँ जो 17 संचालित हैं, उनमें विधिवत सब परमिशन उसकी है, ईसी की भी है, सीटीओ की परमिशन्स, दोनों परमिशन्स उसमें हैं, जो संचालित हो रही हैं. जहाँ तक भण्डारण की बात कही है, 7 भण्डारण स्वीकृत हैं, जिनमें से 6 संचालित हैं. आज अवैध उत्खनन को लेकर माननीय सदस्य द्वारा जो बात कही जा रही है और खास कर हमारे जो पूर्व सदस्य, माननीय सीनियर सदस्य के द्वारा, कहीं पर यदि ऐसा है और यह लग रहा है कि वहाँ पर अवैध उत्खनन हो रहा है, तो मैं उसमें कोई, मुझे वो नहीं है, क्योंकि हम लोग, हमारी सरकार, माननीय मुख्यमंत्री जी, हम अवैध उत्खनन को या अवैध जो भी काम करने वाले हैं उनको हम संरक्षण नहीं देने वाले हैं और रही बात ठेकेदार की तो वही ठेकेदार आपके पास थे तो वे सफल ठेकेदार थे. आज सरकार बदल गई तो वह आज माफिया बन जाएँ, तो यह थोड़ा सा कहना गलत है लेकिन गलत जो चीज है, गलत है, यदि ऐसी चीजें आ रही हैं तो हम एक राज्य स्तरीय समिति बनाकर उसकी हम विधिवत जाँच करा लेंगे.
अध्यक्ष महोदय-- श्री संजय यादव जी, केवल एक प्रश्न. ..(व्यवधान)..
श्री देवेन्द्र सिंह पटेल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा 140 उदयपुरा की विधान सभा में.... ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- दूसरी जगह का नहीं, एक मिनट उनका आने दीजिए. श्री संजय यादव जी, पूछें.
श्री संजय यादव(बरगी)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से यह पूछना चाहता हूँ कि आप रेत का ठेका करते हैं, जो पानी के किनारे रहती है या नर्मदा जी का ठेका करते हैं? इस बात का आपको जवाब देना चाहिए क्योंकि बगैर परीक्षण करे अभी जो ठेका हो रहा है वह पानी का ठेका हो रहा है, मैं नर्मदा जी की बात इसलिए कर रहा हूँ 2010-11 में स्टेट मायनिंग कार्पोरेशन में आपकी सरकार थी, आपके एमडी ने, जो प्रबंध संचालक भी थे स्टेट मायनिंग कार्पोरेशन के, जो सेक्रेटरी भी थे, उन्होंने जबलपुर से लेकर नरसिंहपुर तक की रेत खदानें, नर्मदा की रेत खदानें, इसलिए प्रतिबंधित कर दी गई थीं कि बरगी डैम बनने के बाद रेत आती नहीं है और जो रेत होती है वह पानी के अन्दर होती है और पानी के अन्दर बगैर हाईफाई डिवाइस या बगैर मशीन के रेत निकाली नहीं जा सकती इसलिए पानी से रेत नहीं निकाली जानी चाहिए नदी, नदी इसलिए है कि वह बहती है और रेत जो होती है वह माँ नर्मदा का आभूषण है.
अध्यक्ष महोदय-- संजय जी, प्रश्न पूछें भाई.
श्री संजय यादव-- किसी स्त्री से आप उसका आभूषण भी छीन लोगे तो उसकी दशा क्या हो जाएगी. मेरा आप से यह प्रश्न है कि जो 2010-11 में प्रतिबंधित की गई थीं, जबलपुर की नर्मदा की रेत खदानें और नरसिंहपुर की रेत खदानें, अगर वहाँ रेत नहीं है तो क्या आप प्रतिबंधित करने का काम करेंगे?
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जहाँ पर रेत नहीं है वहाँ ठेकेदार क्यों ठेका लेगा, पहली बात. दूसरी बात, हम लोग क्यों मायनिंग कार्पोरेशन वाले उन सब चीजों को चिन्हित करेंगे. हम आज यदि वहाँ पर कोई भी ठेका कर रहे हैं तो वहाँ का ठेकेदार भी वहाँ जाकर स्पॉट देखता है, उस आधार पर उसकी बोली बोलती है और ये बोलियाँ सब उन्हीं के समय पर हुई हैं, कोई हमने तो नहीं की और उनके द्वारा जब ठेकेदार चयनित हो गए, एग्रीमेंट हमारे समय पर हुए हैं क्योंकि हो नहीं रहे थे और उन्हीं का संचालन किया जा रहा है. जहाँ तक नर्मदा जी की बात है, नरसिंहपुर में 5 खदानें संचालित हैं, जो वहाँ पर चल रही हैं और आज अब वो जबलपुर की बात कर रहे हैं जबकि उनका प्रश्न भी इसमें हमारे ख्याल से वह है भी नहीं इसमें ध्यानाकर्षण में, लेकिन आपने उनको मौका दिया है, लेकिन मेरा यह कहना है कि कोई भी अवैध काम चाहे वह नर्मदा जी का हो, या दूसरी अन्य नदियों का हो, हम, जो भी वहाँ पर गलत होगा, उसके खिलाफ हम विधि सम्मत कार्यवाही करेंगे.
श्री संजय यादव -- माननीय मंत्री जी आपने कहा कि ठेकेदार रेत देखता है, लेकिन जब आप निविदा जारी करते हो उसमें आप खदान की सूची देते हैं उसके बाद ठेकेदार एग्रीमेंट करता है. क्या स्टेट माईनिंग कार्पोरेशन या खनिज विभाग का यह कर्तव्य नहीं बनता है कि निरीक्षण करने के बाद खदान को सूची में रखा जाए. शासन का कर्तव्य बनता है कि रेत का ठेका किया जाए, पानी का ठेका नहीं किया जाए, इसमें सरकार दोषी है. ठेकेदार तो इसलिए ले लेता है क्योंकि उसे मालूम है कि रेत पानी के अन्दर से निकालना है लेकिन आप ठेका क्यों करते हैं यह आपकी गलती है, आप अपनी गलती स्वीकार करें. यह सरकार की गलती है चाहे पिछली सरकार रही हो या अभी की सरकार हो. अगर पिछली सरकार के अधिकारियों ने गलती की है तो आप उस गलती को क्यों दोहरा रहे हैं. आप यह मत कहिए कि ठेकेदार खदान देखने के बाद ठेका लेता है. आप नर्मदा जी के ठेके की सूची में वह खदान शामिल क्यों करते हैं. इस बात का आप उत्तर दीजिए. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- शर्मा जी नाम होगा तो आएगा. (व्यवधान)
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो भी खदानें चिह्नित की गई हैं, यह खदानें पूर्व में चिह्नित की गई हैं और उसी समय यह ठेके हुए हैं. आज हम इस पोजिशन में नहीं हैं कि उन खदानों को हटा दें या किसी ठेकेदार को हम टर्मीनेट कर दें यदि हम करते हैं तो वह लिटिगेशन में जाएगा. यह खदानें पूर्व में इनकी सरकार के समय चिह्नित हुई हैं, उसी समय ठेके हुए हैं. आज यदि आप कहें कि हम उन्हें हटा दें. यह तो इन्हें पहले सोचना चाहिए था कि ठेका पानी में दे रहे हैं या किनारे में दे रहे हैं. जब आप चिह्नित कर रहे थे तब आपने सोचा नहीं, अब आज आप जब उसे टेण्डर मिल गया है या उसको ठेका मिल गया है. आज हम किस पोजीशन पर उसको टर्मीनेट करें. आपने पानी की खदान दी है या बगल में रेत की खदान दी है यह तो पूर्व निर्धारित थी. जो ऑक्शन हुए हैं उसके हिसाब से ठेके हुए हैं. अब भविष्य में ऐसी गलती न हो इस पर हम विचार करेंगे.
श्री संजय यादव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2010-11 में आपकी सरकार थी या नहीं थी. वर्ष 2010-11 में प्रतिबंधित किया गया था या नहीं किया गया था.
अध्यक्ष महोदय -- आपका हो गया है, अब आप बैठ जाइए. श्री फुन्देलाल मार्को, श्री प्रवीण पाठक. सदस्य से अनुरोध है कि केवल एक प्रश्न पूछेंगे.
श्री देवेन्द्र सिंह पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा एक लाइन का प्रश्न है.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं. श्री प्रवीण पाठक. श्री कुणाल चौधरी. (व्यवधान)
श्री देवेन्द्र सिंह पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि मेरे विधान सभा क्षेत्र उदयपुरा में 120 किलोमीटर की खदान है. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- श्री विनय सक्सेना अपना प्रश्न पूछें. (व्यवधान)
श्री कुणाल चौधरी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा नाम है. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- आपके साथी प्रश्न पूछ रहे हैं उनको पूछने दीजिए न. (व्यवधान)
श्री कुणाल चौधरी -- उसके बाद मुझे पूछ लेने दीजिए.
श्री विनय सक्सेना (जबलपुर उत्तर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय जालम सिंह पटेल जी भी नर्मदा भक्त हैं वे कृपया सदन को बताएं तो माननीय मंत्री जी की आंखें खुल जाएंगी कि वहां पर क्या हुआ है. माननीय जालम सिंह पटेल जी को आप की ही सरकार ने वहां का दौरा करने के लिए भेजा था. मैं चाहता हूँ कि माननीय जालम सिंह पटेल जी माँ नर्मदा की वास्तविक वस्तुस्थिति सदन को बताएं कि वहां पर क्या बुरे हालात करके रखे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- आपका यही प्रश्न है.
श्री विनय सक्सेना -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं चाहता हूँ कि जालम सिंह पटेल जी पटल पर रख देंगे तो स्पष्ट हो जाएगा. दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा.
अध्यक्ष महोदय -- वो नहीं बोलना चाहता है तो जबरदस्ती थोड़ी बुलवाएंगे. आप अपनी तरफ से प्रश्न पूछें.
श्री विनय सक्सेना -- सरकार ने उन्हें भेजा था हमने नहीं भेजा था.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य को यदि कोई बात करना होगी तो व्यक्तिगत रुप से बात कर लेंगे. (व्यवधान)
श्री विनय सक्सेना -- माननीय मंत्री जी उनको सरकार ने सार्वजनिक रुप से जाँच करने के लिए भेजा था. (व्यवधान)
श्री कुणाल चौधरी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न है.
अध्यक्ष महोदय -- अभी आप रुक जाइए. विनय सक्सेना जी क्या आपका कोई प्रश्न है.
श्री विनय सक्सेना -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी यह बता दें कि माँ नर्मदा को सरकार ने जीवित इकाई घोषित किया था. उस मामले में सरकार हाँ या नहीं में जवाब दे दे. क्या सरकार माँ नर्मदा को जीवित इकाई मानती है या कोरी घोषणा कर रही थी या भारतीय जनता पार्टी की सरकार में कथनी और करनी में अन्तर है. माँ नर्मदा को जीवित इकाई मानने की घोषणा की गई थी उसके मामले में आज सरकार की क्या स्थिति है.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अब यह जीवित हैं, मृत है वे तो सभी की पूज्यनीय हैं. आप भी पूज रहे हैं हम भी पूज रहे हैं. यह कोई सवाल है.
अध्यक्ष महोदय -- श्री हर्ष यादव.
श्री कुणाल चौधरी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मेरा नाम पुकारा था, मेरा सवाल है. मेरा ध्यानाकर्षण में नाम है.
श्री कुणाल चौधरी (कालापीपल) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से एक सवाल है कि रोजाना बड़े-बड़े अखबारों में खबरें छपती हैं कि आज यहां पर माफिया ने पुलिस को पीटा, आज रेत खदान में ठेकेदारों के बीच हुई फायरिंग (समाचार पत्रों की कटिंग दिखाते हुए). क्या यह अवैध खनन नहीं हो रहा है. मंत्री जी यहां पर जवाब दे रहे हैं कि कोई अवैध खनन नहीं हो रहा है. रोज की पूरी खबरें हैं. रेत के ठेकेदार के कर्मचारियों ने जेसीबी से किसान की फसल चौपट कर दी. अलग-अलग सरकार के आदेश ताक पर रख ठेकेदार नर्मदा में पोकलेन से खनन करा रहे हैं. पूरी तरह से मध्यप्रदेश में अवैध खनन हो रहा है. माँ नर्मदा को छलनी किया जा रहा है. मंत्री जी यहां पर असत्य पर असत्य बोले जा रहे हैं. मेरा उनसे अनुरोध है कि शासन पर भरोसा नहीं है. यह बात सदन के मंत्री कमल पटेल भी लिख चुके हैं कि शासन और प्रशासन मिलीभगत के साथ यहां पर अवैध खनन करा रहा है तो सरकार के मंत्री और सभी अधिकारी साथ में लोकल विधायकों को लेकर वहां चलकर उसके ऊपर कार्यवाही क्यों नहीं करना चाहते हैं? (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- इसे रिकार्ड से निकाल दें. कुणाल जी आप सीधे अपना प्रश्न पूछिए, आपका प्रश्न नहीं आया है.
श्री कुणाल चौधरी-- अध्यक्ष महोदय, मेरा सीधा प्रश्न है कि इसमें लगातार कैसे अवैध खनन हो रहा है.
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी दोनों का जवाब एक साथ दे दीजिए. आप सभी भूमिका नहीं बनाएं सीधा प्रश्न पूछिए.
श्री देवेन्द्र सिंह पटेल (उदयपुरा)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत 120 किलोमीटर की रेत खदाने हैं. ठेकेदारों के बीच में गोलीबारी की घटना हुई है जिससे ग्रामीणों में भय का वातावरण बना हुआ है.
अध्यक्ष महोदय-- देवेन्द्र जी, आप इसे पढि़ए मत. कृपया सीधे अपना प्रश्न पूछिए.
श्री देवेन्द्र सिंह पटेल-- हर घाट पर ठेकेदारों के हथियार बंद कर्मचारी हथियारों का प्रदर्शन करते हुए रास्ते में मेरे यहां जो खदाने हैं उनमें केतुहन, अलीगंज, सिवनी, कोटपात, पतई, गौरा, अंडिया, केलकट, सोकलपुर, सोजनी इनमें निरंतर अवैध उत्खनन हो रहा है. सिर्फ मेरे ही विधान सभा क्षेत्र में 120 किलोमीटर में रेत की खदाने हैं. मेरा आपसे निवेदन है कि 120 किलोमीटर नर्मदा मेरे विधान सभा क्षेत्र में सिर्फ रायसेन जिले में बहती हैं. अगर रायसेन जिले में खनिज है तो सिर्फ मेरे विधान सभा क्षेत्र में है. वहां बहुत अवैध उत्खनन हो रहा है इसलिए मेरा माननीय मंत्री महोदय से एक ही निवेदन है कि जांच करवाकर इस उत्खनन को तुरंत बंद कराया जाए और जो लीगल खदानें हैं केवल उन्हें ही प्रभावी रखा जाए.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी, आप दोनों का जवाब एक साथ दे दीजिए.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हम इसे दिखवा लेंगे. जहां तक उन्होंने पूरे प्रदेश की बात की है पूरे प्रदेश में जो मैं बताना चाहता हूं कि हमने करीब 376 प्रकरण दर्ज किए हैं और 188 प्रकरण में जिसमें कि जेसीबी, पोकलेन के खिलाफ कार्यवाही की है और103 एफआईआर हुई हैं.
अध्यक्ष महोदय, मैं इस सदन को यह बताना चाहता हूं कि हमारे निरंतर अवैध उत्खनन में, अवैध परिवहन में, अवैध भण्डारण में निरंतर कमी आ रही है और हमारा राजस्व बढ़ता जा रहा है इसलिए यह साबित हो रहा है कि हम लोग उसमें पाबंदी कर रहे हैं, कड़ाई कर रहे हैं.
श्री हर्ष यादव (देवरी) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, एन.पी. प्रजापति जी ने जो मामला उठाया है कि मां नर्मदा सबकी आस्था का प्रतीक हैं. निश्चित रूप से जिस तरीके से मां नर्मदा के क्षेत्र में अवैध उत्खनन हो रहा है, अवैध परिवहन हो रहा है खासतौर से शासन की गाइडलाइन के आधार पर जो अवैध उत्खनन हो रहा है उसके खिलाफ सरकार के द्वारा कोई कार्यवाही नहीं हो रही है. अवैध परिवहन हो रहा है, ओवर लोडि़ंग हो रही है. मेरा विधान सभा क्षेत्र वहां से लगा हुआ है. असामाजिक तत्वों का बोलबाला है. जालम सिंह जी ने अपनी बात नहीं रखी दुर्भाग्यपूर्ण है, मगर मीडिया में कहा था. कमल पटेल जी, जो कि वर्तमान में मंत्री हैं उन्होंने प्रश्न लगाया है मेरा कहना यह है कि सरकार का स्पष्ट दृष्टिकोण सामने आना चाहिए कि अवैध उत्खनन, अवैध परिवहन और खासतौर से जिस तरह से जिले में माफियाओं का राज है, नरसिंहपुर में बोलबाला है क्या उसके खिलाफ खिलाफ कार्यवाही करेंगे? मेरा दूसरा प्रश्न जैसा कि विनय सक्सेना जी ने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री जी कहते हैं कि हम मां नर्मदा को जीवित इकाई मानते हैं मैं चाहता हूं कि मंत्री जी उसका भी जवाब दे दें.
अध्यक्ष महोदय-- उनका प्रश्न वह पूछ चुके हैं आप उसी प्रश्न को बार-बार क्यों पूछते हैं. आप सभी बैठ जाइए अब किसी को अलाऊ नहीं करेंगे जिनका नाम है वही प्रश्न करेंगे.
श्रीमती सुनीता पटैल (गाडरवारा)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, कृपया मेरी बात सुने यह नरसिंहपुर जिले में अवैध उत्खनन की बात है. नरसिंहपुर जिले में, गाडरवारा विधान सभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा रेत है. पूरे क्षेत्र और पूरे मध्यप्रदेश के सभी लोगों की नजर उसी पर रहती है.
अध्यक्ष महोदय, मैं आपको सचेत करना चाहती हूं, बताना चाहती हूं कि गाडरवारा की विधान सभा में जो धनलक्ष्मी मर्चेंट कंपनी है. उसने वहां से रेत के भंडारण का ठेका लिया है. कमलनाथ जी की सरकार में वहां चेक-पोस्ट बनाये गए थे लेकिन वहां आज बाहर के, दूसरे प्रदेशों के, अवैध काम करने वाले लोग बैठते हैं. गाडरवारा में वे हवाई फायरिंग करते हैं और हथियार लेकर भी घूमते हैं. जिनके स्वयं के खेतों में रेत हैं, उसे भी किसान नहीं उठा पा रहे हैं. आवास बनाने के लिए उन्हें 3000 रुपये में एक ट्रॉली रेत दी जाती है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आपसे निवेदन है कि आप यहां से निर्देशित करें और मंत्री जी ऐसी व्यवस्था बनवायें ताकि लोग कम से कम स्वयं के खेत की रेत उठा सकें. धनलक्ष्मी कंपनी का वहां इतना अधिक प्रभाव है कि हमारा पूरा क्षेत्र उनसे भयभीत है. वहां चेक-पोस्टों पर जितने भी लोग हैं, उनकी मुसाफि़री दर्ज करवाई जाये. जिससे गाडरवारा क्षेत्र को भय से मुक्ति दिलाई जा सके.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, सदन के बड़े वरिष्ठ सदस्य ने अपनी बात कही है, मैंने तो इसमें राज्य स्तरीय कमेटी बनाकर जांच करने के बोल दिया है, अब बाकी की सभी चीजें उद्भूत ही नहीं हो रही हैं, मैंने मूल प्रश्नकर्ता के प्रश्न में जवाब दे ही दिया है.
श्री राकेश मावई- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा एक प्रश्न है.
अध्यक्ष महोदय- मंत्री जी द्वारा कमेटी बनाकर, जांच के लिए कह दिया गया है. श्री कमलेश जाटव जी, अपनी ध्यान आकर्षण की सूचना पढ़ें.
(सदन में कई माननीय सदस्यों के एक साथ खड़े होने पर)
कमलेश भाई, आप थोड़ा बैठ जाइये. एन.पी. जी, संजू भाई कृपया सभी बैठ जायें. मेरा सदस्यों से आग्रह है कि अभी तक आप भी इसी आसंदी पर बैठे थे, शर्मा जी भी बैठते थे. यहां जो 6-6 ध्यान आकर्षण लिये जा रहे हैं, मेरी इच्छा केवल यह थी कि ज्यादा से ज्यादा सदस्यों की बात सदन में आ जाये. मेरा आग्रह यह है कि इसमें आप सभी को सहयोग करने की आवश्यकता है. एक ही ध्यान आकर्षण में कई लोग प्रश्न पूछने लगते हैं, जिनका सूची में नाम नहीं है वे भी पूछने लगते हैं, हालांकि मैं उनको भी समय देता हूं, कृपया सभी इसमें सहयोग करें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र- एन.पी. भाई, एन.पी. भाई, कभी दूसरे की भी सुना करो. (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन. पी.) जी के खड़े होने पर)
इनके प्रश्न में गोविंद सिंह जी ने कहा था, जब वे मंत्री थे कि हम अवैध परिवहन नहीं रोक पाये, इसके लिए माफ़ी मांगते हैं. इनके वन मंत्री ने कहा था कि अवैध माफिया कौन है ? रेत माफिया कौन है ? शराब माफिया कौन है ? क्या वे भी इस जांच में शामिल होंगे ?
श्री रामपाल सिंह- इनके 15 माह को भी जांच में शामिल किया जाये.
(....व्यवधान....)
अध्यक्ष महोदय- मंत्री जी ने कमेटी बनाकर जांच करने का कह दिया है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र- जितु भाई, कभी गोविंद सिंह जी को भी बोलने दिया कर तू क्यों बार-बार खड़ा हो जाता है, मुझे समझ नहीं आता है.
(श्री जितु पटवारी जी के खड़े होने पर)
(....व्यवधान....)
1.18 बजे
बहिर्गमन
इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा सदन से बहिर्गमन किया जाना
श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन. पी.)- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने जो व्यवस्था दी है, मैं आपका ध्यान इस ओर आकर्षित कर रहा था कि कई माननीय सदस्यों के, प्रश्नों के, उत्तर अधूरे रह गए हैं. कभी-कभी आसंदी से यदि निर्देश मिल जायें तो विषय न उलझेगा. मेरा अनुरोध यह है कि प्रशासन, अवैध ठेकेदारी करने वाला ठेकेदार, जिन खदानों की वैधता है, उनको छोड़कर अवैध खदानों पर खनन करना, भंडारण करना, इस चीजों के जवाब न आना, हम कांग्रेस दल के लोग मां नर्मदा की खातिर सदन से बहिर्गमन करते हैं.
(श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन. पी.) के नेतृत्व में इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा खनिज साधन मंत्री के जवाब से असंतुष्ट होकर मां नर्मदा से रेत के अवैध उत्खनन रोकने से संबंधित नारे लगाते हुए सदन से बहिर्गमन किया गया)
(....व्यवधान....)
1.19 बजे
(4) राजधानी भोपाल में अधिकारियों की मिलीभगत से अमानक शराब का कारोबार होने पर भी कार्यवाही न किया जाना
श्री कमलेश जाटव (अम्बाह) [कुँवर विक्रम सिंह, श्री पी.सी. शर्मा]- माननीय अध्यक्ष महोदय,
डॉ. नरोत्तम मित्र:- गोविन्द सिंह जी कभी बहिर्गमन एन.पी. कर देता है, कभी बहिर्गमन सज्जन कर देता है, कभी पी.सी कर देता है, यह एन.पी, पी.सी में पूरी पार्टी उलझी है. आप काहे को बैठे हो चीफ बनकर, इस्तीफा दो. आप अभी इस्तीफा दो जैसे एन.पी. ने दे दिया है. (हंसी)
डॉ. गोविन्द सिंह:- मैंने ही स्वीकृत किया है. हमारी सहमति से ही हुआ है. हमारे यहां डेमोक्रेसी है, प्रजातंत्र है सबको स्वतंत्रता है.
श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति(एन.पी):- नरोत्तम भाई, एक-एक करके सबसे करवाओ. (हंसी)
वाणिज्यिक कर मंत्री (श्री जगदीश देवड़ा):- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री कमलेश जाटव--अध्यक्ष महोदय, मेरा मंत्री जी से आग्रह है कि अभी मुरैना में शराब के कारण 28 लोगों की मृत्यु हुई थी. ऐसे अधिकारियों पर जिन पर एफआईआर दर्ज है. एफआईआर दर्ज के बाद में दोषी ठहराये गये हैं उसके बाद भी उनको निलंबित नहीं किया जा रहा है, जिसके कारण हमारी सरकार की छबि पर आरोप लग रहे हैं. इसलिये मंत्री से आग्रह करना चाहता हूं कि ऐसे अधिकारी को तत्काल निलंबित किया जाये.
श्री जगदीश देवड़ा--अध्यक्ष महोदय, मैंने अपने उत्तर में कहा है कि मामला न्यायालय में विचाराधीन है. उसमें न्यायालय का निर्णय जैसे ही होगा उसको जरूर मानेंगे.
अध्यक्ष महोदय--मंत्री जी कह तो रहे हैं न्यायालय के निर्णय को मानेंगे.
श्री कमलेश जाटव--अध्यक्ष महोदय, तब तक उस अधिकारी को निलंबित किया जाये.
कुंवर विक्रम सिंह (नातीराजा)--अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी से सीधा प्रश्न करना चाहता हूं कि इतने गंभीर आरोप जिस व्यक्ति के ऊपर लगे हों सरकार क्या उन्हें पुरस्कृत कर रही है कि उन्हें ऐसे पद पर अभी भी रखे हुए है, उनका तो तत्काल निलंबन होना चाहिये. निलंबन के साथ साथ जब तक उनकी जांच पूरी नहीं हो उनकी कहीं पर भी पदस्थापना नहीं होनी चाहिये. मैं आपका संरक्षण चाहता हूं कि यह गंभीर विषय है. पूरे मध्यप्रदेश में छतरपुर जिला, मुरैना जिला, भोपाल जिले में पता नहीं कितने लोगों की जाने गई हैं. मैं मंत्री जी से चाहूंगा उनके तत्काल निलंबन के आदेश करें तथा सदन में निलंबन का आश्वासन दें.
श्री जगदीश देवड़ा--अध्यक्ष महोदय, जैसा कि माननीय सदस्य जी बोल रहे हैं न तो उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज है उनका प्रकरण किसी ने व्यक्तिगत न्यायालय में दर्ज किया है. प्रकरण न्यायालय में चल रहा है, अगर कोई मामला न्यायालय में विचाराधीन है उसका जो निर्णय आयेगा वह शिरोधार्य होगा, हम उसको मानेंगे.
कुंवर विक्रम सिंह (नातीराजा)--अध्यक्ष महोदय, इनका मूल प्रश्न यह है कि गंभीर आरोप किसी भी व्यक्ति के ऊपर होते हैं. तो एक सहजता के नाते, सरकार के नाते उसको देखना चाहिये कि इस व्यक्ति को यहां से अलग करके जब तक उसकी जांच पूरी नहीं हो जाती या उसका पेंडेंसी ऑफ केस है उसमें ट्रायल पूरी नहीं हो जाती है. ट्रायल में अगर वह दोष सिद्ध होता है बात अलग है. दोष मुक्त होता है तो उसको फिर से बहाल कर सकते हैं. मेरा मंत्री जी से साफ-साफ कहना है कि यह व्यक्ति जो रघुवंशी जी हैं यह भोपाल जिले के प्रभारी हैं. भोपाल जिले में आबकारी विभाग की दारू और शराब और दो नंबर की शराब के द्वारा जो इनकी नाक के नीचे और आंखों के सामने हो रहा था, तो इन्होंने उस समय एक्शन क्यों नहीं लिया? तब उन लोगों की जानें बच सकती थीं, जिनकी जानें गई हैं. अध्यक्ष महोदय, यह बहुत मानवीय संवेदना का प्रश्न है. आपके माध्यम से मैं चाहूंगा कि मंत्री महोदय, उन्हें निलंबित करके, जब तक कोर्ट का फैसला नहीं हो जाए, तब तक उनको यहां के प्रभार से मुक्त रखें और सस्पेंड करें.
श्री पी.सी. शर्मा - माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें कुछ चीजें अभी यहां पर नहीं आई हैं. मैंने भी इसमें दिया है, जब इनके ऊपर यह केस चला तो ये हाईकोर्ट गए, हाईकोर्ट ने इनकी श्री विनोद रघुवंशी जी की याचिका खारिज कर दी, फिर ये सु्प्रीम कोर्ट गए, वहां खारिज हो गई. इसके अलावा इंदौर के अंदर एक फर्जी 42 करोड़ रूपए का चालान का मामला इनके खिलाफ था, पर जिस तरह से अवैध शराब और भोपाल में रैकेट चला रहे हैं, तो इस तरह से उनको प्रोटेक्शन देने की बात नहीं है. श्री जालम सिंह पटेल जी ने भी इसमें प्रश्न नंबर 4323 लगाया था, उसके जवाब में यहां शासन और मंत्री जी ने क्लियर कट कहा है और अभी भी उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश सेवा सिविल सेवा वर्गीकरण नियंत्रण तथा अपील नियम 1966 के नियम 9 के तहत शासन जहां उनके विरूद्ध किसी भी दांडिक अपराध के संबंध में कोई मामला अन्वेषण जांच या परीक्षण के अधीन हो तो निलंबित कर सकेगा, तो निलंबित कर सकेगा तो निलंबित कर दीजिए, पक्ष विपक्ष सब बोल रहे हैं, जालम सिंह जी ने भी लगाया था, आदरणीय ठाकुर साहब भी कह रहे हैं. जहां तक मैं समझता हूं कि ये अपनी जांचों को उस पद पर बने रहकर प्रभावित करते हैं, तो जांच प्रभावित न कर सके, इसलिए उनको आप संस्पेंड कर दीजिए, सस्पेंड कोई बहुत बड़ी सजा भी नहीं होती, यह हमारी मांग है और सभी सदस्य इसी बात को रख रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - जब सभी का एक ही प्रश्न आ रहा तो पहले सभी का हो जाए, श्री सुरेन्द्र सिंह, उनका भी नाम है. एक ही जवाब देना है तो उनकी भी बात आ जाए. श्री बैजनाथ कुशवाह जी.
श्री बैजनाथ कुशवाह (सबलगढ़) - माननीय अध्यक्ष जी, माननीय पी.सी. शर्मा जी ने जो कहा, मैं उसी से सहमत हूं, मैं भी वही जानकारी चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय - श्री जयवर्द्धन सिंह जी.
श्री जयवर्द्धन सिंह(राघोगढ़) - माननीय अध्यक्ष महोदय, सदन में ऐसे बहुत कम उदाहरण आते हैं जहां सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायक एक ही मुद्दे पर सहमत होते हैं. जैसा आपने देखा शुरूआत की थी, सत्ता पक्ष के विधायक श्री कमलेश जाटव जी ने, पी.सी. भाई ने उल्लेख किया, श्री जालम सिंह पटेल जी जो सत्ता पक्ष के वरिष्ठ विधायक हैं, उन्होंने भी इस अधिकारी के खिलाफ प्रश्न पूछा था और बहुत आश्चर्य की बात ह, अध्यक्ष महोदय मंत्री जी के उत्तर में यह बात सामने आई है कि एक ही वर्ष में अवैध शराब से संबंधित 72 हजार प्रकरण दर्ज हुए हैं, इस अधिकारी को दंडित भी किया गया है, जिला कोर्ट से भी हाईकोर्ट से भी. अगर सभी लोग मांग कर रहे हैं तो या फिर निलंबित किया जाए या फिर जो एक बहुत ही प्लम पोस्ट पर उसको रखा गया है, उससे हटा दीजिए. कम से कम आपकी कार्यवाही से एक बड़ा संदेश पूरे मध्यप्रदेश में जाएगा, क्योंकि इस अवैध शराब के कारण अनेक उदाहरण सामने आए हैं, मुरैना, छतरपुर, उज्जैन में आए हैं, जहां लोगों की मृत्यु हुई हैं, तो अगर माननीय मंत्री जी आज इस पर कार्यवाही करते हैं तो मैं मानता हूं एक अच्छा संदेश पूरे प्रदेश में जाएगा.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी सबका एक साथ जवाब दे दें.
श्री पी.सी. शर्मा - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपका संरक्षण चाहिए, उसका निलंबन कर दें, जांच हो जाएगी सब सामने आ जाएगा.
श्री जगदीश देवडा़ - माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रदेश के और स्थान के जैसे मुरैना की बात भी आई है, सभी बात आई है तो सरकार की ओर से जितनी कड़ी से कड़ी कार्यवाही हो सकती थी, कार्यवाही हुई है, गिरफ्तारियां हुई हैं, सरकार किसी को बचाने के पक्ष में नहीं है. लेकिन अभी इस विषय पर न तो कोई उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज है और जो प्रायवेट किसी ने न्यायालय में प्रकरण लगा रखा है तो वह विचाराधीन है. अगर उसका निर्णय आ जायेगा तो जरूर करेंगे. हमारा कोई बचाने का ...
श्री पी.सी.शर्मा - इस मामले में वह हाई कोर्ट गये, सुप्रीम कोर्ट गये. इन्दौर में मामला है. यह इस तरह का चला रहे हैं.
श्री जगदीश देवड़ा - हम किसी को बचाने के पक्ष में नहीं हैं, शर्मा जी. हम बिल्कुल बचाने के पक्ष में नहीं हैं.
श्री पी.सी.शर्मा - यह पूरा रैकेट भोपाल में चलाते हैं. इसका मतलब आप उस रैकेट को संरक्षण दे रहे हैं. ऐसा क्या है उनमें कि हम उनको संरक्षण दे रहे हैं.
श्री जगदीश देवड़ा - अध्यक्ष जी, इस प्रकार की कोई ...
श्री आरिफ मसूद - अध्यक्ष महोदय, भोपाल से संबंधित है.
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी, जवाब दे रहे हैं.
श्री आरिफ मसूद - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी से पूछना चाह रहा हूँ कि क्या आप भोपाल का इन्तजार कर रहे हैं कि जो घटनाएं मुरैना में हुई हैं, अब क्या भोपाल के लोग मरें, तब निर्णय लेंगे या भोपाल के अन्दर इसी तरह का अवैध कारोबार चलेगा.
श्री जगदीश देवड़ा - अध्यक्ष महोदय, विभाग पूरी तरह से गंभीर है और निश्चित रूप से कहीं कोई त्रुटि है तो जरूर उसको संज्ञान में लेकर कार्यवाही करेंगे.
श्री पी.सी.शर्मा - आदरणीय मंत्री जी, उसको निलंबित कीजिये न. पक्ष एवं विपक्ष सब चाह रहे हैं. इसमें क्या दिक्कत है ? अध्यक्ष महोदय, आपका संरक्षण चाहिये कि उनका निलंबन हो.
अध्यक्ष महोदय - वह तो कह ही रहे हैं.
श्री पी.सी.शर्मा - माननीय अध्यक्ष जी, आपका संरक्षण चाहिए. भोपाल में यह घटना हो जायेगी. वह पूरा रैकेट चला रहे हैं.
श्री आरिफ मसूद - माननीय अध्यक्ष जी, दो-तीन जगह की बात सदन में आ गई है. उसके बावजूद अगर ऐसे व्यक्ति को छोड़ा जायेगा तो बड़ी गंभीर बात हो जायेगी.
कुँवर विक्रम सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बहुत गंभीर विषय है. इतने सारे सदन के सदस्य आपके समक्ष आपका संरक्षण मांग रहे हैं.
श्री पी.सी.शर्मा - आपको इसको गंभीरता से लेना चाहिए.
श्री आरिफ मसूद - दो जगह घटनाएं हो चुकी हैं और एक आदमी घुमा-फिराकर बार-बार एक न्यायालय से हारता है, दूसरे न्यायालय में जाता है और दूसरे न्यायालय से हारता है, तीसरे न्यायालय में जाता है और न्यायालय का बहाना लेकर बचना चाह रहा है, यह तो गलत है.
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाइये, शर्मा जी.
1.38 बजे
(5) अशोकनगर क्षेत्र में विद्युतीकरण योजना के तहत स्वीकृत उपकेन्द्र
स्थापित न किया जाना
श्री
जजपाल सिंह
जज्जी (अशोक
नगर) - अध्यक्ष
महोदय,
ऊर्जा मंत्री (श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर) -
श्री जजपाल सिंह जज्जी - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने बताया कि सेमराहाट से यह संचालित हो रहा है जबकि यह अशोकनगर विद्युत मण्डल का लेटर मेरे पास है, जिसमें उन्होंने बताया है कि 33/11 के.व्ही. कचनार उपकेन्द्र पर 1x3.15 MVA, 1x5MVA पर उपलब्ध कुल 6 नंबर फीडर में से कचनार पंप फीडर जिसका अधिकतम लोड 135 एम्पीयर तक जाता है, इस फीडर के दो भाग करके, दूसरे भाग को नवीन उप केन्द्र मसीदपुर से जोड़ा जायेगा. उसके बाद भूमि आवंटन हेतु पत्र पर पत्र, कई पत्र गये हैं, जिनकी कॉपी मेरे पास है कि तत्काल भूमि वहां पर मसीदपुर में जिस भूमि को चयनित किया गया है, वहां पर एक किसान ने खेती कर रखी थी और विभाग के लोग एक साल पहले वहां पर पहुंचे, वहां पर सारा गांव इकट्ठा हो गया था. फसल का टाईम दो महीने बाद आना था, गांव के लोगों ने कहा कि विद्युत केन्द्र बन रहा है, इसलिये उस किसान ने उसकी खड़ी फसल को खुद के ट्रेक्टर से जोत डाला और उसके बाद आज यह बता रहे हैं कि यह स्वीकृत नहीं है. इसलिये मेरा निवेदन है कि इन सब चीजों के लिये जिम्मेदार कौन है ? और वहां पर बोल्टेज की समस्या है.मंत्री जी जो बता रहे हैं, वह मेरे साथ चले और वहां पर जाकर देखें किसान को बोल्टेज नहीं मिल रहा है और आस पास के चार, छ: गांव प्रभावित हो रहे हैं. वहां पर कचनार से विद्युत मिल रहा है, वह सब स्टेशन वहां से 15 किलोमीटर दूर है. मेरा निवेदन है कि आप किसानों की हितैषी सरकार हैं. आप हमेशा किसानों के हित में बात करते हैं, इसलिये मेरा निवेदन यह है कि मसीदपुर में सब स्टेशन बनाने के जो भी अवरोध हैं, उनको दूर करें और मसीदपुर में विद्युत सब स्टेशन की स्वीकृति प्रदान कर निर्माण करायें.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय यह हमारी सरकार किसानों की हितैषी सरकार है, माननीय सदस्य की अगर कोई शिकायत होगी तो उसको हम मौके पर देखकर दूर भी करवा देंगे परंतु अब जमीन चिह्नांकित की गई है, जैसे ही लोड की समस्या आयेगी और वित्तीय भार भविष्य में जैसे बढ़ेगा और वित्तीय साध्यता को देखते हम उनकी भावनाओं का सम्मान करेंगे.
श्री जजपाल सिंह जज्जी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
1.43 बजे (6) विदिशा जिले की टेम मध्यम सिंचाई परियोजना के प्रभावित भूमि मालिकों को मुआवजा दिये जाने में भेदभाव होना.
श्री उमाकांत शर्मा (सिरोंज) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आज दो वर्ष में पहली बार मेरा ध्यानाकर्षण स्वीकृत हुआ है, उसके लिये मैं माननीय अध्यक्ष महोदय का बहुत-बहुत आभारी हूं. माननीय अध्यक्ष महोदय,
जल संसाधन मंत्री (श्री तुलसीराम सिलावट)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा वक्तव्य निम्नानुसार है-
श्री उमाकांत शर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री महोदय से निवेदन करता हूं. विशेष पैकेज की संक्षेपिका बनी थी और वह मंत्रिमंडल में प्रस्तुत की जानी थी, वह विशेष पैकेज की संक्षेपिका मंत्रिमंडल में कब प्रस्तुत कर दी जायेगी और प्रस्तुत क्यों नहीं की गई है यह जानकारी देने का कष्ट करें.
श्री तुलसीराम सिलावट-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्य को यह बतलाना चाहता हूं कि किसी भी परियोजना के लिये भू-अर्जन का कार्य भू-अर्जन अधिनियम 2013 के प्रावधान के अनुसार किया जाता है. संबंधित प्रकरण में इस अधिनियम के प्रावधानों का पालन सशब्द किया जा रहा है.
श्री उमाकांत शर्मा-- माननीय मंत्री जी, मैं आपसे पुन: निवेदन करना चाहता हूं एक ओर आप 7 लाख रूपये प्रति हेक्टेयर भोपाल जिले में दे रहे हैं और विदिशा जिले में 3 लाख प्रति हेक्टेयर दे रहे हैं. सहानुभूतिपूर्वक विचार करके विशेष पैकेज देने की कृपा किसानों के हित में करेंगे.
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी, आप दिखवा लीजिये.
श्री तुलसीराम सिलावट-- माननीय अध्यक्ष महोदय, किसानों का मामला है, गंभीर मामला है पर हर जिले की अपनी-अपनी अलग गाइड लाइन होती है, पर इसे मैं गंभीरता से दिखवा लूंगा.
श्री उमाकांत शर्मा-- मोहनपुरा में भी विशेष पैकेज दिया गया, अन्य परियोजनाओं में भी विशेष पैकेज दिया गया, इसमें असमानता क्यों की जा रही है.
श्री प्रियव्रत सिंह-- अध्यक्ष जी, शर्मा जी खुद ही एक विशेष पैकेज हैं, तो पैकेज की जरूरत क्यों पड़ रही है, आप ही विशेष हैं.
श्री उमाकांत शर्मा-- आपके यहां का पैकेज हमारे यहां भिजवा दीजिये.
श्री प्रियव्रत सिंह-- वह तो किसानों को बंट गया, अब कुछ भी नहीं मिल रहा.
1.48 बजे याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय-- आज की कार्यसूची में सम्मिलित सभी माननीय सदस्यों की याचिकायें प्रस्तुत की हुई मानी जायेंगी.
1.49 बजे वर्ष 2021-2022 की अनुदानों की मांगों पर मतदान .. (क्रमश:)
(1) मांग संख्या - 16 मछुआ कल्याण तथा मत्स्य विकास.
मांग संख्या - 23 जल संसाधन.
अध्यक्ष महोदय-- अब मांग संख्या 16 एवं 23 पर चर्चा का पुनर्ग्रहण होगा. श्री जजपाल सिंह जज्जी अपना भाषण पूरा करें.
श्री जजपाल सिंह ''जज्जी'' (अशोकनगर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय धन्यवाद. म