मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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चतुर्दश विधान सभा दशम् सत्र
फरवरी-अप्रैल, 2016 सत्र
बुधवार, दिनांक 16 मार्च, 2016
(26 फाल्गुन, शक संवत् 1937 )
[खण्ड- 10 ] [अंक- 16 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
बुधवार, दिनांक 16 मार्च, 2016
(26 फाल्गुन, शक संवत् 1937 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.02 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (डॉ.सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
डॉ.नरोत्तम मिश्र--आरिफ भाई के कारण आगे की बेंच का कोई भी नहीं आतै है और यह नहीं बता पाये कि इनकी निष्ठा किनके साथ है क्या बाला-बच्चन, मुकेश नायक, महेन्द्र सिंह जी के साथ है.
श्री आरिफ अकील--हमारी पार्टी तुम्हें मुख्यमंत्री बनायें तो तुम्हारे साथ हैं. शिवराज भाई को प्रधानमंत्री बनाकर के दिल्ली भेज दें. हम कांग्रेस के साथ हैं तुम्हारे साथ नहीं हैं.
श्री बाबूलाल गौर डॉ.नरोत्तम मिश्रा जी आपके कितने शुभचिन्तक हैं कि इनको नेता प्रतिपक्ष बनाना चाहते हैं.
श्री आरिफ अकील--आपका नाम नहीं लिया.
डॉ.नरोत्तम मिश्र--गौर साहब तो चीफ मिनिस्टर बन चुके हैं. मुझे तो आपकी चिन्ता है.
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
वन अधिकार अधिनियम के अंतर्गत पट्टों का बंटन
1. ( *क्र. 2532 ) श्री हितेन्द्र सिंह ध्यानसिंह सोलंकी : क्या आदिम जाति कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वन अधिकार अधिनियम क्या है? इस नियम के अंतर्गत वन भूमि पर काबिज अनुसूचित जनजातियों को भूमि के पट्टे दिये जाने का क्या प्रावधान है? (ख) बड़वाह विधानसभा क्षेत्र में इस अधिनियम के अंतर्गत विगत 03 वर्षों में कितने पात्रों को वन भूमि के पट्टे दिये गये हैं एवं ऐसे कितने आवेदन पत्र हैं, जो किन कारणों से निरस्त किये गये हैं? (ग) प्रश्नकर्ता द्वारा वन अधिनियम के अंतर्गत वन भूमि पर काबिजों को कोई पट्टा दिये जाने की अनुशंसा करने पर कितनों को पट्टे दिये गये हैं एवं कितने किन कारणों से आवेदन पत्र निरस्त किये गये हैं?
आदिम जाति कल्याण मंत्री ( श्री ज्ञान सिंह ) : (क) वन अधिकार अधिनियम 2006 पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। वनभूमि के अधिभोग के अधिकारों की मान्यता के प्रावधान अधिनियम में उल्लेखित हैं। (ख) बड़वाह विधानसभा क्षेत्र में इस अधिनियम के अंतर्गत विगत तीन वर्षों में 401 पात्रों को वन भूमि के वन अधिकार पत्र दिये गये एवं 818 आवेदन पत्र निम्न कारणों से निरस्त किये गये :- (1) दावा की गई भूमि वन भूमि न होना। (संख्या 50), (2) जनजाति के मामले में दिनांक 31.12.2005 के पूर्व का काबिज न होना। (संख्या 540), (3) दावा की गई भूमि पर वास्तविक रूप से काबिज न होना। (संख्या 178), (4) गैर आदिवासी के मामले में 75 वर्ष से निवास का साक्ष्य उपलब्ध न होना। (संख्या 50) (ग) माननीय विधायक की अनुशंसा पर अधिकार पत्र दिये जाने का प्रावधान अधिनियम में नहीं है। अतः इसका अभिलेख संधारित नहीं किया गया है।
श्री हितेन्द्र सिंह सोलंकी--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न आदिवासी भाईयों को वनाधिकार पट्टों से जुड़ा हुआ मामला है. 50 वनाधिकार में काबिज नहीं होना बताया गया है, 540 कब्जेधारक जो 31.12.2005 के पहले के हैं उनके बारे में भी नहीं बताया गया है. 187 दावाहीन भूमि पर काबिज हैं. 50 गैर आदिवासी भाई जो कि 75 वर्षों से वहां पर नहीं हैं, ऐसा बताया गया है. मैं मंत्री जी से यह पूछना चाहता हूं कि जिस अधिकारी ने इसकी जांच की है उसे हटाकर के भोपाल के किसी उच्च अधिकारी से जांच कराएंगे, जिनके पास में कब्जे हैं उन लोगों को वन विभाग के अधिकारीगण मारकूट कर के भगा रहे हैं उनकी फसलें नष्ट कर रहे हैं मैं चाहता हूं कि उस अधिकारी को हटाकर उसकी भोपाल से उच्च स्तरीय जांच करा लेंगे क्या ?
श्री ज्ञानसिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्य को आश्वस्त करना चाहता हूं कि जितने भी पात्र आदिवासी भाई जनजाति परिवार के सदस्य प्रदेश में होंगे या उनके क्षेत्र में पात्र परिवार वनाधिकार प्रमाण-पत्र पाने से वंचित नहीं होंगे, इसका विभाग की तरफ से पूरा प्रयास है. हमने तय किया है कि जून-या जुलाई के अंतराल तक ऐसे पात्रधारी हमारे जनजाति भाई के लोगों को वनाधिकार की मुहिम शुरू की है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आप तो दिलाने का प्रयास कर रहे हैं, शासन भी दे रहा है, परन्तु जो अधिकारी उसमें गड़बड़ कर रहे हैं, आप उनके खिलाफ क्या कार्यवाही कर रहे हैं, मेरा निवेदन है कि आप उस अधिकारी को हटाकर, भोपाल से उच्च स्तरीय जांच कराएंगे, गरीब आदिवासी के साथ रोज मार पीट हो रही है, उनकी फसलें नुकसान हो रही है, मैंने कई बार पत्र भी लिखे हैं, पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है, इसलिए आज विधानसभा में प्रश्न लगाना पड़ा, मैं माननीय मंत्री जी से आश्वासन चाहता हूं कि आप उस अधिकारी को हटाकर भोपाल से जांच कराकर उनके साथ में न्याय करेंगे ।
श्री ज्ञान सिंह- माननीय अध्यक्ष जी,किसी अधिकारी .....
वन मंत्री (डॉं गौरीशंकर शेजवार)- वन विभाग से जुड़ा हुआ जितना भी मामला है, हम उसकी जांच करवा लेंगे ।
श्री हितेन्द्र सिंह सोलंकी- समय - सीमा बता दीजिए ।
डॉ गौरीशंकर शेजवार- जल्दी से जल्दी ।
श्री बाला बच्चन- माननीय अध्यक्ष जी, मेरा एक निवेदन है, माननीय मंत्री जी, वन अधिनियम 2006 बना था, उसको दस साल हो गए हैं, अभी तक आपकी सरकार पात्र और अपात्र की जांच कराने में लगी हुई है, आप कब तक उनको वन अधिकार पत्र देंगे, इतना धीमा काम क्यों चल रहा है, उसके बाद उनको कुंए मिलना है, दूसरी सुविधाएं मिलना हैं, सरकार इतने विलम्ब से कार्यवाही क्यों कर रही है, इसका उत्तरदायित्व किसका है ।
श्री ज्ञान सिंह- माननीय अध्यक्ष जी, कई कारण सामने आए हैं, वन विभाग की टीम और सामूहिक टीम रहती है, कभी - कभी ऐसा होता है कि जनजाति परिवार के लोग सामाजिक काम से कहीं दूसरे गांव में चले जाते हैं, बाहर चले जाते हैं, एक एक सप्ताह में लौटकर आते हैं, इसलिए अब नियमों में सरलीकरण किया गया है, यदि संबंधित व्यक्ति नहीं है तो उनके स्थान पर उनकी पत्नि को भी वन अधिकार के पट्टे दिए जाने का प्रावधान किया गया है ।
राष्ट्रीय उद्यानिकी मिशन योजनांतर्गत निष्पादित कार्य
2. ( *क्र. 6479 ) श्री हेमन्त विजय खण्डेलवाल : क्या पशुपालन मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) बैतूल जिले में राष्ट्रीय उद्यानिकी मिशन योजनांतर्गत विगत 3 वर्षों में कितने कार्य किए गए हैं? इनमें कितना अनुदान दिया गया है? शासकीय एवं निजी क्षेत्र की अलग-अलग वर्षवार जानकारी देवें। (ख) बैतूल जिले में विगत 3 वर्षों में सब्जी बीज उत्पादन कार्यक्रम/बीज अधोसंरचना विकास के लिए शासकीय एवं निजी क्षेत्र में कौन-कौन सी इकाई स्वीकृत की गई तथा कितना-कितना अनुदान दिया गया? इकाई की लागत, किए गए व्यय एवं दिए गये अनुदान की जानकारी देवें। (ग) क्या बैतूल जिले में पुष्प विकास/मसाला विकास/पुराने बगीचों का जीर्णोद्धार किया गया है? यदि हाँ, तो इस पर किए गए व्यय की वर्षवार जानकारी देवें?
पशुपालन मंत्री ( सुश्री कुसुम सिंह महदेले ) : (क) विगत तीन वर्षों में 38 कार्य किये गये जिसकी जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-स अनुसार है।
श्री हेमन्त खण्डेलवाल- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से पशुपालन मंत्री जी से मेरे दो सवाल हैं, राष्ट्रीय उद्यानिकी मिशन में आपने मुझे पूरी सूची दी है, इसी से संबंधित 9 मार्च को 5539 नम्बर का मेरा एक सवाल था, जिसमें माननीय मंत्री जी ने अनियमितता स्वीकार की है और कहा है कि संबंधित को हमने नोटिस दिया है, मैं निश्चित समय सीमा चाहूंगा कि जिन अधिकारियों ने भ्रष्टाचार किया है, अनियमितता की है, कब कार्यवाही होगी और दूसरा ड्रिप सिस्टम या बगीचे विस्तार के लिए राष्ट्रीय उद्यानिकी मिशन में जो अनुदान दिया जाता है, अनुदान देने के बाद में अगले 6 माह, साल या दो साल में कोई उसका निरीक्षण होता होगा उस अनुदान का सही उपयोग हुआ है या नहीं हुआ है, ऐसी कोई निरीक्षण पुस्तिका होगी, मुझे उपलब्ध करा दें, ताकि अनुदान का सही उपयोग हो रहा है कि नहीं हो रहा है, उसकी जानकारी मिल पाए ।
सुश्री कुसुम सिंह महदेले- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो मांग की है, उसको हम अतिशीघ्र पूरा कर देंगे ।
श्री हेमन्त खण्डेलवाल - धन्यवाद ।
प्राथमिक स्कूल के भवन का निर्माण
3. ( *क्र. 764 ) श्री जयवर्द्धन सिंह : क्या स्कूल शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या ग्राम वरपनवाड़ी पंचायत मुहांसा वि.ख. आरोन में प्राथमिक स्कूल आंगनवाड़ी केन्द्र में लगता है? (ख) यदि हाँ, तो प्राथमिक स्कूल के नवीन भवन का निर्माण कार्य कब तक पूर्ण हो जाएगा एवं शासन द्वारा प्राथमिक स्कूल शाला निर्माण के क्या मापदण्ड हैं?
स्कूल शिक्षा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी हाँ। निर्मित शाला भवन का मरम्मत कार्य किया जाना है इस कारण आँगनवाड़ी के भवन में अस्थाई रूप से स्कूल संचालित किया जा रहा है। (ख) वर्ष 2016-17 की कार्य योजना में शाला भवन की मरम्मत प्रस्तावित है, भारत शासन से स्वीकृति प्राप्त होने पर भवन की मरम्मत कराई जा सकेगी। शाला भवन जीर्ण-शीर्ण होने पर नवीन भवन स्वीकृति का मापदण्ड है।
श्री जयवर्द्धन सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी से मेरे दो प्रश्न हैं, पहले प्रश्न में बहुत चिन्ता का विषय है, मध्यप्रदेश में ऐसे काफी स्कूल हैं, जहां भवन न होने के कारण, स्कूल आंगनवाड़ी केन्द्र में लग रहे हैं, जिसके कारण ठीक से शिक्षा नहीं मिल पाती है और न ही आंगनवाड़ी का काम ठीक से हो पाता है, हमने नवीन भवन की मांग की है, जबकि उत्तर में सिर्फ मरम्मत का कहा गया है । माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि वहां पर नवीन भवन का आश्वासन दिया जाए और साथ में समय - सीमा भी बताई जाए, दूसरा प्रश्न यह है कि डिस्ट्रिक्ट इन्फार्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन के आंकड़े हैं कि पूरे प्रदेश में लगभग 25 हजार ऐसे स्कूल हैं, जहां पर अतिरिक्त कक्ष की आवश्यकता है और इस साल 2016-17 के बजट में नवीन भवन निर्माण के आंकड़े दिए गए हैं, वह करीब साढ़े चार सौ करोड़ रूपए है, जिससे भी यह काम पूरा नहीं हो पाएगा, मैं मानता हूं कि शिक्षा के लिए विशेषकर स्कूल शिक्षा के लिए जो नवीन भवन निर्माण का पूंजीगत खर्च हैं, वह भी उसमें वृद्वि होना चाहिए ।
श्री दीपक जोशी - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य द्वारा जो प्रश्न पूछा गया है, प्रश्नांकित भवन का निर्माण 1996 में हुआ था, विभाग के नियम के अनुसार निर्मित भवन यदि 10 वर्ष से पुराना हो जाता है तो उसकी मरम्मत के लिए हम प्रावधान करते हैं और 30 वर्ष के पश्चात यदि भवन इस स्थिति में होता है तो उसके पुननिर्माण की व्यवस्था की जाती है ।
लेकिन माननीय सदस्य की भावनाओं से अवगत होकर विभाग द्वारा 97,000/- रूपये की मांग भेज दी गई है, मंजूर होते ही जीर्ण-शीर्ण व्यवस्था को ठीक कर दिया जायेगा.
श्री जयवर्द्धन सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी से एक बार फिर वही प्रार्थना है कि वहां पर एक नवीन भवन निर्मित किया जाये क्योंकि वहां की खराब स्थिति है एवं सवाल बच्चों का है, जो प्रायमरी स्कूल में पढ़ रहे हैं, तो कम से कम इतना तो संवेदनशील होना चाहिए कि कम से कम नया भवन वहां निर्मित किया जाये और साथ में, वर्ष 16-17 के लिए ऐसे कौन से गुना जिले में प्रायमरी स्कूल हैं, जहां पर नई बिल्डिंग बनने की क्षमता है, वह भी मुझे उपलब्ध की जाये.
अध्यक्ष महोदय - इससे प्रश्न उद्भूत नहीं होता है.
श्री दीपक जोशी - माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि बताया गया है कि हमने 97,000/- रू. की मरम्मत के लिए प्रस्ताव भेज दिया है. मैं समझता हूँ कि वह आने के बाद, भवन की जीर्ण-शीर्ण अवस्था को ठीक कर दिया जायेगा. फिर भी यदि, सदस्य को ऐसा लगता है तो हम इसको एक बार दिखवा लेंगे और पूरी कोशिश करेंगे तथा गुना जिले की सूची इन्होंने मांगी है, हम इनको भिजवा देंगे.
कटंगी में लिंक न्यायालय प्रारंभ किया जाना
प्रश्न 4. ( *क्र. 4797 ) श्री के.डी. देशमुख : क्या पशुपालन मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्या मा. उच्च न्यायालय जबलपुर ने बालाघाट जिले के कटंगी में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश का लिंक न्यायालय प्रारंभ करने की स्वीकृति प्रदान की है? (ख) यदि हाँ, तो अतिरिक्त सत्र न्यायालय का लिंक न्यायालय प्रारंभ होने में विलंब के क्या कारण हैं?
पशुपालन मंत्री ( सुश्री कुसुम सिंह महदेले ) : (क) जी हाँ । (ख) कंटगी जिला बालाघाट में मूलभूत सुविधायें न्यायालय भवन, न्यायाधीश आवासगृह और उपजेल इत्यादि सुविधायें उपलब्ध नहीं हैं।
श्री के. डी. देशमुख - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूँ जब माननीय उच्च न्यायालय ने यह स्वीकार कर लिया है कि बालाघाट जिले कटंगी में 'लिंक न्यायालय' स्थापित किया जाता है तो माननीय उच्च न्यायालय की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए, मैं शासन से कहना चाहता हूँ कि माननीय न्यायालय ने सिद्धान्त: स्वीकृति प्रदान कर दी है तो अब वहां न्यायालय भवन एवं न्यायाधीश आवास गृह नहीं तो माननीय न्यायालय की भावनाओं की कद्र करते हुए, क्या मध्यप्रदेश शासन का विधि विभाग, न्यायालय भवन एवं न्यायाधीश के आवास गृह निर्माण करने की कार्यवाही करेगा ?
सुश्री कुसुम सिंह महदेले - माननीय अध्यक्ष महोदय, शासन जरूर करेगा. जैसे ही कलेक्टर हमें जमीन उपलब्ध कराते हैं वैसे ही न्यायालय भवन एवं न्यायाधीश आवास गृह बनवायेंगे.
श्री के. डी. देशमुख - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से, माननीय मंत्री जी को बताना चाहता हूँ कि कलेक्टर, बालाघाट ने न्यायाधीश आवास गृह के लिए जमीन आवंटित कर दी है, विधि विभाग के नाम पर कर दिया है. न्यायाधीश आवास गृह का भी कर दिया है. यदि यह बात सही पाई जाती है और कलेक्टर ने कर दिया है तो क्या आप न्यायालय भवन और न्यायाधीश आवास गृह के लिए राशि प्रदान करेंगे ?
सुश्री कुसुम सिंह महदेले - माननीय अध्यक्ष महोदय, कटंगी में न्यायालय कक्ष आवास हेतु कलेक्टर के प्रस्ताव पर, माननीय उच्च न्यायालय से अभी अभिमत नहीं आया है. जैसे ही अभिमत आ जायेगा, हम काम पूरा कर देंगे.
श्री के. डी. देशमुख - ठीक है.
कल्याणकारी योजनाओं से लाभांवित श्रमिक
प्रश्न 5. ( *क्र. 5784 ) श्री विष्णु खत्री : क्या श्रम मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विभाग द्वारा श्रमिकों के हित में कौन-कौन सी कल्याणकारी योजनाएं संचालित की जा रही हैं? (ख) बैरसिया विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत कितने श्रमिकों का रजिस्ट्रेशन म.प्र. भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मण्डल के माध्यम से किया गया है?(ग) प्रश्नांश (ख) के तारतम्य में बैरसिया विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत रजिस्टर्ड श्रमिकों को कौन-कौन सी योजनाओं का लाभ वित्तीय वर्ष 2013-14 से 2015-16 तक दिया गया?
श्रम मंत्री ( श्री अंतरसिंह आर्य ) : (क) मध्यप्रदेश भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मण्डल के अंतर्गत पंजीकृत निर्माण श्रमिकों हेतु वर्तमान में कुल 23 कल्याणकारी योजनाएं संचालित की जा रही हैं, जिसकी जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) बैरसिया विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत कुल 8480 निर्माण श्रमिकों का पंजीयन मण्डल के माध्यम से किया गया है। (ग) प्रश्नांश (ख) के परिप्रेक्ष्य में बैरसिया विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत मण्डल द्वारा पंजीकृत निर्माण श्रमिकों हेतु प्रश्नांकित अवधि में योजनांतर्गत लाभांवित हितग्राहियों की संख्यावार जानकारी निम्नानुसार है :-
क्र. |
योजना का नाम |
हितग्राही संख्या |
1. |
प्रसूति सहायता |
364 |
2. |
विवाह सहायता |
09 |
3. |
शिक्षा हेतु प्रोत्साहन राशि एवं मेधावी छात्र/छात्रा को नगद पुरस्कार |
1153 |
4. |
मृत्यु दशा में अंत्येष्टि सहायता एवं अनुग्रह भुगतान |
03 |
श्री विष्णु खत्री - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सर्वप्रथम माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूँ कि कल उन्होंने अनुदान मांगों के बजट भाषण पर बैरसिया में श्रमिकों के लिए 15 लाख रूपये की राशि से शेड की घोषणा की है. इसमें मेरे पृष्ठ में, मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूँ कि मेरे बैरसिया विधानसभा क्षेत्र में क्रेशर बड़ी संख्या में हैं जो क्रेशर श्रमिक हैं- वहां पर उनके रजिस्ट्रेशन के लिए और योजनाओं की जानकारी के लिए, क्या विभाग वहां पर शिविर का आयोजन करेगा ? और साथ ही इन श्रमिकों के स्वास्थ्य परीक्षण के लिए भी क्या शिविरों का आयोजन होगा ?
श्री अंतर सिंह आर्य - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी ने स्वास्थ्य शिविरों और पंजीयन के लिए शिविर लगाने के लिए, जो बात कही है. हम विभाग से, इसके शिविर लगवायेंगे.
श्री विष्णु खत्री - माननीय अध्यक्ष महोदय, केवल स्वास्थ्य परीक्षण नहीं, साथ में योजनाओं की जानकारी और रजिस्ट्रेशन भी.
श्री अंतर सिंह आर्य - माननीय अध्यक्ष महोदय, जो माननीय सदस्य चाह रहे हैं, वह विभाग के माध्यम से हम करेंगे.
गाडरवारा विधान सभा क्षेत्र में संचालित नल-जल योजनाएं
प्रश्न 6. ( *क्र. 5903 ) श्री गोविन्द सिंह पटेल : क्या पशुपालन मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) गाडरवारा विधान सभा क्षेत्र में कितने ग्रामों में हैण्डपंप लगे हुये हैं, जिसमें कितने चालू हैं एवं कितने बंद हैं? बंद पड़े हैण्डपंपों को कब तक चालू किया जाएगा या उनकी जगह नयें हैण्डपंप लगाये जायेंगे? (ख) क्षेत्र के कितने ग्रामों में कितनी नल-जल योजनाएं संचालित हैं तथा जिन ग्रामों में नल-जल योजना नहीं है, उन ग्रामों में नल-जल योजना का निर्माण किया जायेगा? यदि हाँ, तो कब तक यदि नहीं, तो क्यों?
पशुपालन मंत्री ( सुश्री कुसुम सिंह महदेले ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। बसाहट में निर्धारित मापदण्ड से कम पेयजल आपूर्ति होने की स्थिति में नये हैण्डपंप लगाने की कार्यवाही की जाती है। (ख) 97 ग्रामों में नल-जल योजना संचालित है। वर्तमान में नवीन नल-जल योजनाओं की स्वीकृति पर प्रतिबंध है। अतः शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री गोविन्द सिंह पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न एक सामयिक प्रश्न है इसलिए आपका संरक्षण चाहूँगा. मेरे प्रश्न के उत्तर में आया है कि 180 ग्रामों में 2488 हैंड पम्प हैं, जिसमें 122 बन्द हैं. यह तो विभाग की जानकारी के अनुसार 122 बन्द हैं लेकिन मेरे पास उतनी जानकारी आ नहीं पाती है. मेरी जानकारी में 500 हैंड पम्प बन्द हैं और सूखे की स्थिति में जल-स्तर नीचे जा रहा है इसलिए मैं, मंत्री महोदय जी से यह पूछना चाहता हूँ कि जो 500 या जो यथार्थ जानकारी आये, क्या उतने हैंड पम्प इनके विरूद्ध लगवा दिये जायेंगे ?
सुश्री कुसुम सिंह महदेले -- अध्यक्ष महोदय, अभी 15 हैंडपम्प बंद हैं और जनसंख्या के मान से जितने भी हैंडपम्पों की जरुरत होगी, हम लगवा देंगे, बाकी तो चल रहे हैं.
श्री गोविन्द सिंह पटेल -- अध्यक्ष महोदय, जनसंख्या के आधार पर तो लगे हैं. जो डिमांड है, उसी के अनुसार वह लगे हैं. लेकिन डिमांड अनुसार लगे हुए हैंडपम्प बंद हो गये हैं. मेरा सिर्फ यह कहना है कि जितने हैंडपम्प बंद हैं, उनके विरुद्ध क्या हैंडपम्प लगवायेंगे. दूसरा (ख)उत्तर में बताया है कि 97 ग्रामों में नल जल योजनाएं संचालित हैं, लेकिन इनमें से 50 चालू होंगी और 47 बंद होंगी. मैंने चाहा था कि नई योजनाएं क्या बनवाई जायेंगी. मंत्री जी का जवाब आया है कि नवीन योजनाएं बनाने पर प्रतिबंध है. तो मेरा पहला प्रश्न यह है कि वहां हैंडपम्प खुदवा दें. दूसरा,जन भागीदारी योजना के द्वारा योजनायें लगाने का कार्यक्रम है, उस पर प्रतिबंध नहीं है. 3 प्रतिशत सामान्य जनसंख्या द्वारा जमा करने और 1 प्रतिशत आदिम जाति, अनुसूचित जनजाति बस्तियों में जमा करने पर लगाये जा सकते हैं. तो क्या जन भागीदारी के द्वारा, क्योंकि एक बहुत जल संकट अप्रैल में ही आने वाला है. उसके लिये हमारे बिजली विभाग और कृषि विभाग ने तैयारी की और खाद और बिजली की कमी नहीं आ पाई, लेकिन पीएचई विभाग की तैयारी अभी है नहीं. इसलिये क्या आदिम जाति कल्याण विभाग की विकास योजना के द्वारा पैसा लेकर एक प्रतिशत पैसा जमा करने की जहां डिमांड है, वहां नल जल योजनायें लगवाई जायेंगी. यह मेरा मंत्री जी से निवेदन है.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले -- अध्यक्ष महोदय, अभी नई नल जल योजनाओं पर प्रतिबंध लगा हुआ है. जब प्रतिबंध हटेगा, तो उस पर विचार करेंगे. अध्यक्ष महोदय, नरसिंहपुर जिले के गाडरवारा विधान सभा के अंतर्गत 180 ग्रामों में 2488 हैंडपम्प स्थापित हैं, जिसमें से 112 हैंडपम्प विभिन्न कारणों से बंद हैं, जिसका विवरण परिशिष्ट में दिया है. सुधार योग्य हैंडपम्पों का सुधार कार्य नियमित रुप से किया जा रहा है. प्रति व्यक्ति 55 लीटर पानी हम दे रहे हैं. बंद हैंडपम्पों के स्थान पर नये हैंडपम्प लगाने का प्रावधान नहीं है. गाडरवारा विधान सभा के अंतर्गत 97 ग्रामों में नल जल योजनायें संचालित हैं और चल रही हैं. वर्तमान में नवीन नल जल योजनाओं की स्वीकृति पर प्रतिबंध है. अतः नई योजनायें स्वीकृत करना संभव नहीं है.
श्री संजय शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि मेरी विधान सभा के संबंध में एक ऐसा ही प्रश्न लगाया था..
अध्यक्ष महोदय -- शर्मा जी, इसी से संबंधित कुछ हो, तो पूछें.
श्री संजय शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, इसी से संबंधित है. वहां पानी का बड़ा भीषण संकट है. तेंदूखेड़ा में नल जल योजना स्वीकृत है, टेंडर लग रहा है, पिछले 3 साल साल से वहां पर काम प्रारंभ नहीं हुआ है. पानी की बड़ी समस्या आने वाली है और बहुत से हैंडपम्प भी हमारे यहां पूर्ण बताये गये हैं, जो कि मजरों, टोलों पर लगे नहीं हैं. जानकारी गलत आई है. इसको सही कराया जाये.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले -- अध्यक्ष महोदय, मैं जवाब दे चुकी हूं कि नवीन योजनाओं पर प्रतिबंध लगा हुआ है.
श्री संजय शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, नवीन नहीं, पुरानी स्वीकृत योजना है, काम चालू नहीं हो रहा है, टेंडर लग चुका है.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले -- पुरानी स्वीकृत नहीं है, यह मैं आपकी जानकारी में बता दूं.
श्री संजय शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, आपकी जानकारी सही है, लेकिन मेरी जो जानकारी में है, वह मैं बता रहा हूं. टेंडर लग चुका है, काम नहीं लग रहा है.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले -- अध्यक्ष महोदय, कारण यह है कि तीन साल से पानी बरसा नहीं. जमीन के अंदर पानी है नहीं. तो नई योजनाओं को स्वीकृति देने का प्रश्न ही नहीं उठता.
अध्यक्ष महोदय -- विधायक जी, कल पीएचई विभाग की मांगों पर चर्चा भी है.
श्री संजय शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, केवल हैंडपम्पों का हो जाये कि जहां पर गलत जानकारी आई है कि जनसंख्या के मान से पूर्ण है, लेकिन पूर्ण नहीं है, मजरे टोलों पर वहां हैंडपम्प नहीं लग रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- उसके लिये उनसे बात कर लीजिये. प्रश्न संख्या-7.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले -- अध्यक्ष महोदय, जो हैंडपम्प सुधार योग्य हैं, उनका हम राइजिंग का काम कराकर, पम्प लगाकर पानी दे देंगे.
..(व्यवधान)..
श्री अनिल फिरोजिया -- अध्यक्ष महोदय, हमारे यहां भी सूखा है और पानी नहीं है. अगर बोरिंग की परमीशन नहीं हुई, तो लोग प्यासे मर जायेंगे. हमारे विधान सभा क्षेत्र में बहुत जल संकट चल रहा है.
..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- मेरा माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि कल लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की डिमांड्स पर चर्चा है, उसमें अपनी अपनी बात कह देंगे, तो ठीक होगा. अभी कृपया बैठ जायें. ..(व्यवधान).. डण्डौतिया जी, बैठ जाइये. कोई अलाऊ नहीं होंगे. नहीं, व्यवस्था चलने दीजिये. रजौधा जी बैठ जाइये. अनुमति के बगैर कुछ नहीं लिखा जायेगा. गोविन्द सिंह पटेल जी एक बात कह दें.
श्री गोविंद सिंह पटेल --माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा मंत्री जी से कहना है कि मंत्री महोदया गंभीरता से जवाब नहीं दे रही हैं.
अध्यक्ष महोदय-- पूरी गंभीरता से जवाब दे रही हैं. आप प्रश्न पूछें.
श्री गोविंद सिंह पटेल --अध्यक्ष महोदय, गंभीरता से नहीं दे रही हैं और बहुत गंभीर विषय है . 2 वर्ष से मेरे विधानसभा क्षेत्र में एक भी हैंड पंप नहीं खुदा.400 बंद हो गये हैं तो उन बंद हैंपपंपों के विरूद्ध में हैंडपंप लगवा दें.
अध्यक्ष महोदय-- यह कोई प्रश्न नहीं है.
प्रश्न क्रमांक-7 (श्री विजय सिंह सोलंकी) (अनुपस्थित)
आवंटित बजट का उपयोग
8. ( *क्र. 6568 ) श्री चैतराम मानेकर : क्या आदिम जाति कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बैतूल जिले में वर्ष 2015-16 में विभाग अंतर्गत SC/ST/OBC वर्ग/क्षेत्रों के लिये किस-किस मद में कितनी राशियां आवंटित हुईं? (ख) प्रश्नांश (क) में आवंटित राशि का पूर्ण उपयोग किस-किस मद में किया गया और कितनी राशि किस-किस मद में समर्पित की गयी? (ग) क्या विभाग जिले में आवंटित राशि का पूर्ण उपयोग नहीं करने वाले अधिकारियों/कर्मचारियों की जिम्मेदारी तय करेगा? यदि हाँ, तो दोषी अधिकारियों के विरूद्ध विभागीय कार्यवाही कब तक की जायेगी?
आदिम जाति कल्याण मंत्री ( श्री ज्ञान सिंह ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' एवं 'एक' अनुसार है। (ख) एवं (ग) अनुसूचित जनजाति की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है, जबकि अनुसूचित जाति की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''दो'' अनुसार है। अत: प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री चैतराम मानेकर -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने मेरे प्रश्न के उत्तर में बैतूल जिले में वर्ष 2015-16 के प्रथम त्रैमास, द्वितीय त्रैमास तथा तृतीय त्रैमास में प्राप्त आवंटन एवं अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति योजना के अंतर्गत प्राप्त आवंटन के विरूद्ध करोड़ों रूपये समर्पित होना स्वीकार किया है. उसमें अधिकतर कारण त्रैमास के अंत तक देयक प्राप्त न होना बताया है. मैं, मंत्री जी से यह जानना चाहता हूं कि बैतूल जिले के प्रभारी सहायक आयुक्त को किस कारण से त्रैमास के अंत तक देयक प्राप्त नहीं हो पाये? दूसरा प्रश्न मेरा मंत्री जी से यह है कि प्रभारी सहायक आयुक्त, बैतूल के द्वारा अनुसूचित जाति बस्ती विकास में 29.25 लाख रूपये समर्पित किये इसका क्या कारण है ? मेरा तीसरा प्रश्न मंत्री जी है ..
अध्यक्ष महोदय-- आप पहले इसका उत्तर ले लें.
श्री ज्ञान सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, पूरी राशि समर्पित नहीं हुई है, कार्य हुये हैं और वास्तव में जिन कार्यों की पूर्ति के लिये राशि आवंटित की गई थी, वे अति महत्वपूर्ण काम थे, जैसे शाला आश्रम, छात्रावास तथा छात्राओं को सायकिल के मेंटनेंस की राशि दिये जाने जैसे काम थे, मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्य को आश्वस्त करना चाहूंगा कि इस वर्ष का यह अंतिम महीना है और विभाग का प्रयास होगा कि इन जनकल्याणकारी योजनाओं की राशि का पत्र हमारी छात्राओं तक और संबंधित आश्रम छात्रावासों में, जिन कार्यों के लिये राशि आवंटित की गई थी, वह कार्य पूर्ण हो सकें.
श्री चैतराम मानेकर -- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रभारी सहायक आयुक्त के द्वारा अनुसूचित जाति बस्ती विकास में 29.25 लाख रूपये समर्पित किये गये इसका क्या कारण रहा है. मंत्री जी द्वारा परिशिष्ट 2 में जो जानकारी मुझे दी गई है, उसमें कोई कारण नहीं बताया गया है. और इसी से जुड़ा हुआ प्रश्न है इसी अधिकारी के द्वारा मजरे टोलों के विद्युतीकरण में 210 लाख रूपये समर्पित किये और इसी से जुड़ा चौथा प्रश्न है, अनुसूचित जाति के कृषकों के कुंओं तक विद्युत लाइन को ले जाने में 220.74 लाख रूपये समर्पित किये, इसका क्या कारण है.
श्री ज्ञान सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय जी, जैसा कि आपके माध्यम से माननीय सदस्य को मैं अवगत करा चुका हूं और अधिकांश काम तो छात्रावास आश्रमों कई तरह के उपयोगों में लिये जाने के उद्देश्य से राशि जारी की गई थी. चूंकि अभी वर्ष का अंत है राशि उपयोग में खर्च हो सके इसके लिये विभाग की ओर से पूरा प्रयास किया जायेगा.
श्री बाला बच्चन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने कल इस विभाग की अनुदान मांगों पर कितनी राशि जो खर्च नहीं हुई 600 करोड़, 1300 करोड़ उन सबका मैंने उल्लेख किया था अब माननीय मंत्री जी अंत समय की बात कर रहे हैं लेकिन अनुसूचित जाति जनजाति दोनों वर्गों पर जो खर्च होना था करोड़ों अरबों रूपये नहीं हो पाये हैं, माननीय मंत्री जी क्या देखते हैं आप, क्या जवाब देते हैं.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न क्रमांक 9, श्री आर.डी. प्रजापति, एक प्रश्न पूछिये खाली.
पानी की टंकी का हस्तांतरण
9. ( *क्र. 4132 ) श्रीमती रेखा यादव : क्या पशुपालन मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) वर्ष 2005-06 में स्वीकृत छतरपुर जिले की बड़ामलहरा नगर पंचायत में कितनी लागत की पानी की टंकी का विभाग ने किस दिनांक से निर्माण किया? यह टंकी किन-किन कारणों से प्रश्नांकित दिनांक तक नगर पंचायत को सौंपी नहीं जा सकी है? (ख) कितनी लागत के कौन-कौन से कार्य पूर्ण न होने के कारण नगर पंचायत टंकी का प्रभार लिए जाने से इंकार कर रहा है, उन अधूरे कार्यों को पूरा किए जाने के संबंध में विभाग ने कब और क्या कार्यवाही की है? (ग) कब तक टंकी पूरी की जाकर नगर पंचायत को सौंप दी जावेगी? समय-सीमा सहित बतावें।
पशुपालन मंत्री ( सुश्री कुसुम सिंह महदेले ) : (क) रूपये 32.10 लाख लागत की पानी टंकी का निर्माण 08.2.2006 से प्रारंभ किया एवं 23.1.2008 को पूर्ण। पेयजल योजना के अंतर्गत एनीकट का निर्माण व टरबाइन पंप का क्रय न होने से नगर पंचायत द्वारा टंकी आधिपत्य में नहीं ली गई। (ख) एनीकट लागत रूपये 28.85 लाख एवं टरबाइन पंप लागत रूपये 3.00 लाख के कार्य अपूर्ण रहने के कारण। विभाग द्वारा रूपये 322.33 लाख की पुनरीक्षित योजना तैयार की गई है, परंतु नगर पंचायत द्वारा अंशदान की राशि देने में असमर्थता व्यक्त की गई है। अतः विभाग द्वारा एनीकट को छोड़कर शेष कार्य पूर्ण करने की कार्यवाही की जा रही है। (ग) टंकी का कार्य एवं उसका परीक्षण पूर्ण किया जा चुका है। यदि नगर पंचायत सहमति दे तो टंकी विभाग द्वारा तत्काल हस्तांतरित की जा सकती है।
श्री आर.डी. प्रजापति-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा मंत्री जी से आग्रह है कि ऐसे अधिकारी की जांच करा दें.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न क्रमांक 9 फिर से ले लिया है.
श्री आर.डी; प्रजापति-- माननीय अध्यक्ष महोदय जी, मेरा निवेदन एक ही है टंकी जो बनी है, क्या विभाग द्वारा, इसमें कौन दोषी है या तो नगर पंचायत या पीएचई, आम जनता परेशान है, टंकी बन नहीं पा रही है, अगर सहमति नहीं बनी थी तो ठीक इसका उत्तर दिया जाये, क्या वह टंकी चालू हो जायेगी, जो लोग दोषी हैं उनके ऊपर क्या कार्यवाही की जायेगी.
पशुपालन मंत्री (सुश्री कुसुम सिंह महदेले)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, कोई भी दोषी नहीं है और मैं आपको विस्तार से जवाब दे रही हूं कि एनीकट की लागत 28.85 लाख, टरबाइन पम्प लागत 3 लाख रूपये के कार्य अपूर्ण रहने के कारण विभाग द्वारा 322.33 लाख की पुनरीक्षित योजना तैयार की गई है अध्यक्ष महोदय, परंतु नगर पंचायत द्वारा अंशदान की राशि नहीं दी जा रही जिसकी पहले सहमति थी, असमर्थता व्यक्त की है राशि देने में. अत: विभाग द्वारा एनीकट को छोड़कर शेष कार्य पूर्ण किये जा रहे हैं और टंकी का कार्य एवं उसका परीक्षण पूर्ण किया जा चुका है और नगर पंचायत सहमति दे तो टंकी विभाग द्वारा तत्काल हस्तांतरित की जा सकती है. माननीय अध्यक्ष महोदय, एक और निवेदन करना चाहती हूं कि टंकी बनकर चालू है.
सबलगढ़ विधानसभा क्षेत्रांतर्गत संपादित कार्य
10. ( *क्र. 4470 ) श्री मेहरबान सिंह रावत : क्या आदिम जाति कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा दिनांक 01.04.15 से 31.01.16 तक सबलगढ़ विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत कितनी राशि प्रदाय की गई? पंचायतवार एवं मदवार जानकारी बतावें। (ख) यह राशि किस-किस मद में किन-किन कार्यों में खर्च की गई? पंचायतवार, मदवार, कार्य का नाम, स्वीकृत राशि, व्यय राशि, शेष राशि का ब्यौरा दें। यह कार्य किन-किन क्षेत्रों में करवाए गए? (ग) प्रश्नकर्ता द्वारा ग्राम पंचायत खिरका जनपद पंचायत सबलगढ़ को अनुसूचित जाति बस्ती में सी.सी. खरंजा हेतु प्रस्ताव अधीक्षक अनुसूचित जनजाति कल्याण विभाग को देने के बाद भी प्रश्न दिनांक तक ए.एस. जारी नहीं की गई? कारण बतावें एवं कब तक राशि स्वीकृत कर दी जावेगी? (घ) किन-किन जनप्रतिनिधियों ने प्रश्नांश (क) की अवधि में अनुशंसा पत्र किन-किन कार्यों की स्वीकृति हेतु विभाग को इस अवधि में प्रेषित किये हैं? उन पर क्या कार्यवाही की गई?
आदिम जाति कल्याण मंत्री ( श्री ज्ञान सिंह ) : (क) एवं (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' एवं 'ब' अनुसार है। (ग) प्रश्नकर्ता के प्रस्ताव पर दिनांक 24.02.2016 को रूपये 2.00 लाख की प्रशासकीय एवं वित्तीय स्वीकृति जारी कर दी गई है। (घ) जनप्रतिनिधियों से प्राप्त अनुशंसा पत्रों का विवरण संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''स'' अनुसार है। अनुशंसित कार्यों हेतु बस्ती विकास योजना के नियमों के अंतर्गत कार्यों की स्वीकृति जारी की गई है। अनुशंसा के आधार पर राशि जारी करने के प्रावधान नहीं हैं। शेष जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' एवं 'ब' अनुसार है।
श्री मेहरबान सिंह रावत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने मंत्री जी से जानना चाहा कि आदिम जाति कल्याण विभाग के द्वारा सबलगढ़ विधानसभा क्षेत्र में कितनी राशि दी गई, इनके जवाब में आया दो पंचायतों में बेरखेड़ा और एक खिरका, खिरका की तो अभी स्वीकृति जारी हुई है. पहला प्रश्न तो यह है कि कुल राशि सबलगढ़ विधानसभा में वित्तीय वर्ष समाप्त होने जा रहा है, कितनी राशि जारी की है, हमारी दोनों पंचायतों को ही मिलेगी क्या, अन्य विधानसभा में कितनी दी है, और कुल जिले में कितना पैसा आया वित्तीय वर्ष 2015-16 में.
आदिम जाति कल्याण मंत्री (श्री ज्ञान सिंह)-- माननीय अध्यक्ष महोदय जी, माननीय सदस्य आदरणीय मेहरबान सिंह जी रावत ने संबंधित अपने विधानसभा क्षेत्र में बस्ती विकास के माध्यम से आवंटित की गई राशि और कराये गये कार्यों के बारे में जो जानकारी पूछी थी, परिशिष्ट में सारे कार्य उपलब्ध है, स्वीकृति की तारीख भी, आपके द्वारा जो प्रस्तावित किये गये थे उनका भी जिक्र है.
मेहरबान सिंह रावत--अध्यक्ष महोदय,आपने एक जगह लिखा है कि अनुशंसा नहीं की जाती और एक जगह लिख रहे हैं कि अनुशंसा की गई है. मेरे पास स्वीकृत राशि की लिस्ट है. इन्होंने परिशिष्ट में दिया है. केवल 2 पंचायतों में दिया. अध्यक्ष महोदय, जिले में कितनी राशि आयी. वित्तीय वर्ष समाप्त हो रहा है. दूसरा यह कि आपने लिखा की अनुशंसा नहीं की जाती है तो क्या अधिकारी कुछ भी करते रहेंगे? एक तरफ अनुशंसा के लिए मना कर रहे हैं और दूसरी तरफ अनुशंसा की हां कर रहे हैं. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय-- बैठ जाईये दंढोतिया जी. आप हर प्रश्न पर खड़े हो रहे हैं. आप दूसरों को प्रश्न पूछने दीजिए.
श्री ज्ञानसिंह--अध्यक्षजी, राशि आवंटित की जाने के संबंध में माननीय विधायकों के पत्रों को प्राथमिकता दी जाती है. उस अनुपात में माननीय विधायकजी के क्षेत्र में ग्राम कदघर में 2 लाख, ग्राम बिलसैया में 2 लाख, ग्राम पंचायत मऊड़ा में 4 लाख, ग्राम बिलालपुरा में 4 लाख,ग्राम रपताडोंगरी में 6 लाख,ग्राम पंचायत अतारी में 5 लाख, ग्राम पंचायत पचेर में 3 लाख, ग्राम पंचायत पहाड़ी में 3 लाख और ग्राम पंचुरी में 3 लाख रुपये स्वीकृत किये गये.
श्री मेहरबान सिंह रावत--अध्यक्ष महोदय, मंत्रीजी से यह जानना चाहता हूं कि आपने अभी जो नाम पढ़े हैं वहां पर कोई काम नहीं हुआ है. क्या इसकी जांच करायेंगे? और वहां आदिम जाति कल्याण विभाग में एक बाबू 30 वर्ष से उसी जगह पर है. वह जिस तरह से लिस्ट बनाकर देता है, उस तरह से कार्य मंजूर होते हैं. उसे हटायेंगे और जांच करायेंगे क्या?
श्री ज्ञानसिंह-- अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्य को आश्वस्त कराना चाहूंगा कि वह बाबू भी जायेगा और काम की जांच भी होगी. (व्यवधान)
प्रश्न क्रमांक--11 (अनुपस्थित)
वरिष्ठ अध्यापकों को क्रमोन्नति का लाभ
12. ( *क्र. 5064 ) श्रीमती ऊषा चौधरी : क्या स्कूल शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या म.प्र. शासन पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग मंत्रालय वल्लभ भवन भोपाल के आदेश क्रमांक/एफ.1-2/2013/22 /पं.2 दिनांक 21 फरवरी 2013 द्वारा समस्त विभागाध्यक्षों को अध्यापक संवर्ग में संविदा शाला शिक्षकों को नियुक्ति दिनांक से वरिष्ठता देने हेतु निर्देश दिये गये थे? (ख) क्या सतना जिले के मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत एवं जिला शिक्षा अधिकारी सतना द्वारा आज दिनांक तक उक्त आदेश के परिपालन में वरिष्ठ अध्यापकों की क्रमोन्नति नहीं की जा रही है? कारण सहित बताएं। (ग) क्या आयुक्त नगर निगम भोपाल द्वारा संचालक लोक शिक्षण संचालनालय भोपाल को पत्र भेज कर मार्गदर्शन मांगा गया था, जिस पर संचालनालय द्वारा आयुक्त नगर निगम भोपाल जिला भोपाल को आदेश क्रमांक 1457 दिनांक 26.03.14 के द्वारा बिंदु क्रमांक 04 में स्पष्ट रूप से अंकित किया है कि संविदा शाला शिक्षक से अध्यापक संवर्ग में नियुक्त सहायक अध्यापक/अध्यापक/वरिष्ठ अध्यापक के क्रमोन्नति के प्रकरणों में 12/24 वर्ष की अवधि की गणना वर्ष 2001 या इसके उपरांत वास्तविक रूप से संविदा शाला शिक्षक के रूप में नियुक्ति दिनांक से की गई कार्य अवधि को 12/24 वर्ष के अनुभव के रूप में सम्मिलित करते हुए अनुभव की गणना की जाएगी?
स्कूल शिक्षा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) अध्यापक संवर्ग में संविदा शाला शिक्षक को नियुक्ति दिनांक से नियम में उल्लेखित अनुसार योग्यता एवं अन्य शर्तों की पूर्ति करने पर वरिष्ठता का लाभ पदोन्नति एवं क्रमोन्नति के लिए प्राप्त होता है। (ख) सतना जिले में वरिष्ठ अध्यापकों को क्रमोन्नति का लाभ दिये जाने की कार्यवाही प्रचलन में है। अतः शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता (ग) जी हाँ। अध्यापक संवर्ग में क्रमोन्नति की सेवा गणना संविदा शाला शिक्षक के पद पर नियुक्ति दिनांक से करने के उपरान्त 12 अथवा 24 वर्ष की क्रमोन्नति का लाभ दिये जाने का प्रावधान है।
श्रीमती ऊषा चौधरी-- अध्यक्ष महोदय,माननीय मंत्रीजी ने मेरे प्रश्न ख के उत्तर में असत्य जानकारी दी गई है कि क्रमोन्नति की कार्रवाई प्रचलन में है. सतना जिले में पदस्थ वरिष्ठ अध्यापकों की सेवा अगस्त 2013 में 12 वर्ष पूर्ण हो गई है बल्कि 3 वर्ष अधिक भी हो गई है. इस प्रकार 12+3= 15 हो गये हैं किन्तु आज दिनांक तक किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं हुई है. माननीय मंत्रीजी गलत जानकारी देने वाले अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करेंगे?
श्री दीपक जोशी--अध्यक्ष महोदय, चूंकि अध्यापक संवर्ग की नियुक्ति निकायों द्वारा की जाती है. इस कारण से निकायों की व्यवस्था में थोड़ा सा विलंब होने के कारण यह समय पर नहीं हो पाया. हमने निकायों को लिख दिया है कि शीघ्रातिशीघ्र करने का प्रयास करें.
श्रीमती ऊषा चौधरी--अध्यक्ष महोदय, मेरा दूसरा प्रश्न यह है कि जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में पदस्थ स्थापना लिपिक अंजनी तिवारी जो अधिकारियों को गुमराह करके, क्रमोन्नति नहीं होने देने के लिए शासन के आदेश को गलत ढंग से समझा कर, उलझाने का काम किया क्या ऐसे लापरवाह लिपिक को निलंबित किया जायेगा?
श्री दीपक जोशी--अध्यक्ष महोदय,जैसा मैंने पहले कहा कि यह निकाय की व्यवस्था होती है. लेकिन फिर माननीय सदस्या ने जिस लिपिक के बारे में कहा है, वह हमको पेपर उपलब्ध करा दे, हम जांच करवा लेंगे.
श्रीमती ऊषा चौधरी--अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्रीजी से मैं पूछना चाहती हूं कि प्रदेश के कई जिलों में जैसे होशंगाबाद,धार,राजगढ़,नरसिंहपुर जिले में क्रमोन्नति के आदेश जारी हो चुके हैं लेकिन सतना जिले में 2001-02 और 2003 के शिक्षकों की पदोन्नति नहीं हुई. जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी जो कटनी जिले के हैं, सतना जिले में पदस्थ हैं, वे कटनी जिले में यह काम करके आये हैं
अध्यक्ष महोदय--आपके प्रश्न का समाधान भी कर दिया. आपकी मांग भी मान ली.(व्यवधान)
श्रीमती ऊषा चौधरी--अध्यक्ष महोदय, गलत जानकारी देने वाले अधिकारी के संबंध में मंत्रीजी ने कोई आश्वासन नहीं दिया है. (व्यवधान)
प्रश्न क्रमांक--13 (अनुपस्थित)
अध्यक्ष महोदय--प्रश्न क्रमांक 14 श्री यशपाल सिंह सिसोदिया...
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया--(श्री मुरलीधर पाटीदार,सदस्य के खड़े होकर बोलने पर) पाटीदार जी मूल प्रश्नकर्ता को तो प्रश्न करने दो. आप तो विषय विशेषज्ञ हो लेकिन मूल प्रश्न करने वाले को पूछ लेने दो. आप सप्लीमेंट्री की अनुमति मांग लेना.
अध्यापक संवर्ग की पदोन्नतियां
14. ( *क्र. 6004 ) श्री यशपालसिंह सिसौदिया : क्या स्कूल शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मंदसौर जिले में कितने ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में 1 जनवरी, 2011 के पश्चात किस-किस दिनांक को जिला पंचायत एवं नगरीय निकायों द्वारा अध्यापक संवर्ग की पदोन्नति किस अधिकारी द्वारा की गई है? (ख) क्या अध्यापकों की पदोन्नति हर 6 माह में की जाना आवश्यक है? यदि हाँ, तो इस संबंध में लोक शिक्षण संचालनालय एवं विभाग द्वारा कब-कब दिशा-निर्देश जारी किये गये? दिनांकवार जानकारी देवें। (ग) क्या कुछ जिलों में अध्यापकों की पदोन्नतियां समय पर हो रही हैं तथा कुछ में 3 से 4 वर्ष के बावजूद भी पदोन्नति प्रक्रिया शुरू भी नहीं हुई है, जिससे अध्यापकों को अपनी वरिष्ठता का नुकसान भुगतना पड़ रहा है? इसके लिए कौन जिम्मेदार है? (घ) रतलाम मंदसौर जिले में ऐसे कितने अध्यापक हैं, जिनकी अर्हता एवं योग्यता के पूर्ण होने के बाद एवं पद होने के बावजूद भी पदोन्नतियाँ गत दो वर्षों से नहीं मिली हैं?
स्कूल शिक्षा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-एक अनुसार। (ख) जी नहीं। म.प्र. शासन, सामान्य प्रशासन विभाग के ज्ञाप दिनांक 24.04.13 एवं 12.05.14 के अनुसार प्रत्येक वर्ष में दो बार पदोन्नति समिति की बैठक आयोजित करने के निर्देश हैं। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-दो अनुसार। (ग) पदोन्नति एक सतत् प्रक्रिया है। पदों की उपलब्धता, वरिष्ठता, निर्धारित योग्यता, पात्रता के आधार पर पदोन्नति का प्रावधान है। शेषांश अध्यापक संवर्ग स्थानीय निकाय के अधीन एवं नियंत्रण में है। ये पद स्थानीय निकाय स्तरीय होते हैं। निकाय अंतर्गत पदोन्नति होने से वरिष्ठता प्रभावित नहीं होती है। अतः शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) रतलाम जिले में ऐसे कोई अध्यापक नहीं हैं, जिन्हें पात्रता होने के बावजूद पदोन्नत नहीं किया गया। मन्दसौर जिले में अध्यापक से वरिष्ठ अध्यापक (विषयमान) के पद पर पदोन्नति की कार्यवाही प्रचलन में है। ग्रामीण क्षेत्र मन्दसौर जिलान्तर्गत ग्रामीण निकाय जिला पंचायत मन्दसौर क्षेत्रान्तर्गत कार्यरत 1110 अध्यापक में से 634 अध्यापक स्नातकोत्तर उत्तीर्ण होकर पदोन्नति हेतु संबंधित विषय में पात्रताधारी हैं। वर्ष 2015 में पदोन्नति अंतर्गत उपलब्ध 118 पदों पर विषयमान से पदोन्नति किये जाने हेतु दिनांक 01.04.15 की स्थिति में अंतरिम पदक्रम सूची दिनांक 12.10.15 के द्वारा जारी की जाकर दावे आपत्ति उपरान्त अंतिम पदक्रम सूची जारी करने की कार्यवाही प्रचलन में है। नगरीय क्षेत्र अंतर्गत नगर पालिका मन्दसौर में रिक्त 10 पदों पर पदोन्नति की कार्यवाही पूर्ण की जाकर काउंसलिंग दिनांक 08.03.16 को संपन्न होगी। नगर पालिका सुवासरा में 07 पदों पर पदोन्नति हेतु प्रक्रिया प्रचलन में है। नगर पंचायत नगरी, सीतामऊ, शामगढ़, गरोठ, भानपुरा एवं पिपल्यिा मण्डी में पदोन्नति हेतु पद रिक्त नहीं है।
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया- अध्यक्ष महोदय, श्रीमती ऊषा चौधरी जी का जो प्रश्न था, कमोबेश उसी से मिलता जुलता मेरा भी प्रश्न है. अध्यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहूंगा, यह बात ठीक है कि माननीय मंत्री जी का अभी अभी मैंने अध्यापक संवर्ग की पदोन्नति को लेकर उत्तर सुना है. माननीय मंत्री जी ने इस बात को कहा है कि स्थानीय निकाय और जिला पंचायत, इनकी पदोन्नति की प्रक्रिया को पूरी करते हैं क्योंकि नियोक्ताकर्ता वही है. अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से जानना चाहूंगा कि जब निकायों और पंचायतों को उनकी पदोन्नति करने के अधिकार हैं. वे समीक्षा करते हैं और उनकी बैठकों को आहुत करने का उनको अधिकार है. सामान्य प्रशासन विभाग के इसमें स्पष्ट निर्देश हैं कि वर्ष में 2 बार बैठकें होंगी, जिनका पालन नहीं होता है. यह परिशिष्ट में सामान्य प्रशासन विभाग ने स्वयं ने इन्हीं मामलों को लेकर स्वीकार किया है. उन्होंने यह भी तय किया है कि सामान्यतः जनवरी-फरवरी में तथा अगस्त-सितम्बर में पदोन्नतियों को लेकर आवश्यक रूप से बैठकें आयोजित करना पड़ेगी. अध्यक्ष महोदय, दूसरा दिनांक 12 मई, 2014 का एक पत्र परिशिष्ट से में मुझे जानकारी में आया है. यह सामान्य प्रशासन विभाग ने लिखा है और यह स्पष्ट किया है कि समय पर बैठकें नहीं होने के कारण से पदोन्नतियों का लाभ कर्मचारियों को नहीं मिलता है. कई बार कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति हो जाती है और उसकी पदोन्नति भी नहीं होती है. कुल मिलाकर यह गंभीर मामला है. आपकी तरफ से निर्देश तो जाते हैं लेकिन स्थानीय निकाय और जिला पंचायतें इसका पालन नहीं करते हैं.
अध्यक्ष महोदय - आप प्रश्न करें. इसमें इतनी लंबी भूमिका मत बनाइए.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया- अध्यक्ष महोदय, मैं प्रश्न पर ही आ रहा हूं. सामान्य प्रशासन विभाग स्थानीय निकाय पर ढोलता है और स्थानीय निकाय इंतजार करता रहता है, बैठकें नहीं करता है. मैं सिर्फ यह जानना चाहूंगा क्योंकि यह मेरे विधान सभा क्षेत्र का विशेष इसमें मामला है, रतलाम में जब समय पर पदोन्नतियां हो सकती हैं तो मंदसौर जिले में 1110 अध्यापकों में से 634 पात्रताधारी हैं, इनमें 118 की सूची जारी नहीं हो पा रही है, वह प्रचलन में है. अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहूंगा कि यह सूची कब तक जारी हो जाएगी? साथ ही अंतरिम पदक्रम सूची को दिनांक 12.10.15 को जारी किये हुए 5 माह हो गये हैं. यह अभी भी मामले लटके पड़े हैं. सुवासरा में भी 7 पद अध्यापकों के पदोन्नति के लंबित हैं. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से जानना चाहूंगा और मैं आश्वासन चाहूंगा कि आप स्थानीय निकायों और जिला पंचायतों को सख्त निर्देश दें कि पदोन्नतियां समय पर हो जाएं, यह कब तक हो जाएगी?
राज्यमंत्री, स्कूल शिक्षा (श्री दीपक कैलाश जोशी) - अध्यक्ष महोदय, जैसा कि मैंने पहला बताया कि ये निकायों के पद होने के कारण उनकी तरफ से देर होने के कारण बहुत-सी बार यह कारण उपस्थित होते हैं. लेकिन जैसा माननीय सदस्य ने कहा कि स्पष्ट निर्देश के बावजूद यह काम समय सीमा पर नहीं हो पाते हैं, इसलिए माननीय दोनों सदस्यों की भावना से अवगत होकर हमने प्रयोग के तौर पर इंदौर जिले में परीक्षाओं के बाद जब हमारे पास में समय रहता है, तब एक मंच पर इनको बुलाकर इनकी समस्याओं का निराकरण का करने का प्रयास किया था, उसमें काफी हद तक हमें सफलता मिली थी. अब भी इन सब विसंगतियों के लिए अलग-अलग हमारे शिक्षण साथियों की पदोन्नति, क्रमोन्नति में कहीं देरी होती है, इनको एक मंच पर बुलाकर इनकी व्यवस्थाओं को हम शॉर्ट आउट करेंगे, उसके बाद 15 दिवस के अंदर इनका निराकरण करने का प्रयास करेंगे. माननीय सदस्य की मंदसौर नगर पालिका में 10 पद थे, उनके विरुद्ध हमने 9 पदों में पदोन्नति दे दी है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया- अध्यक्ष महोदय, एक मेरा निवेदन है कि आप प्रभारी मंत्री जी हैं और हमारे माननीय स्कूल शिक्षा मंत्री जी भी हैं.
अध्यक्ष महोदय - जब उन्होंने आपकी समस्या का निराकरण ही कर दिया तो अब प्रश्न कहां उठता है?
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया- अध्यक्ष महोदय, अभी निराकरण नहीं हुआ है. मैं फिर कह रहा हूं कि निराकरण नहीं हुआ है.
अध्यक्ष महोदय - वह समय-सीमा दे रहे हैं. श्री मुरलीधर पाटीदार..
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया- अध्यक्ष महोदय, नगरपालिका मंदसौर ने अभी काउंसलिंग की है.
अध्यक्ष महोदय - उन्होंने कह दिया कि कर देंगे. अब इसके बाद क्या रह गया?
श्री दीपक कैलाश जोशी - अध्यक्ष महोदय, 10 में से 9 को पदोन्नति दे दी गई है.
(कई माननीय सदस्यों के एक साथ खड़े होकर बोलने पर)
अध्यक्ष महोदय -- मुरलीधर पाटीदार जी के अलावा किसी का नहीं लिखा जायेगा.
श्री प्रदीप अग्रवाल -- ( X X X )
श्री रणजीत सिंह गुणवान -- ( X X X )
श्री मुरलीधर पाटीदार -- अध्यक्ष महोदय मैं मंत्री जी से पूछना चाहता हूंकि वरिष्ठ अध्यापक के एप्वाइंटमेंट हुए 21 वर्ष हुए हैं अभी तक विभाग ने उनकी पदोन्नति के नियम ही नहीं बनाये हैं. करेगा या नहीं करेगा विभाग उनको हाई स्कूल के पद पर पदोन्नति.
अध्यक्ष महोदय -- यदि इससे उद्भुत नहीं हो रहा है आप चाहें तो बता दें.
श्री दीपक जोशी -- अध्यक्ष महोदय यह इसमें सम्मिलित नहीं है लेकिन फिर भी चूंकि सरकार संवेदनशील है. अ भी अध्यापक साथियों को 6वां वेतनमान देने के लिए हमने राशि उपलब्ध करायी है. यदि इस प्रकार की विसंगतियां होंगी तो इसको भी हम शीघ्रातिशीघ्र दूर करने का माननीय सदस्य को विश्वास दिलाते हैं.
म.प्र. राज्य वक्फ न्यायाधिकरण में लंबित प्रकरण
15. ( *क्र. 4984 ) श्री जितेन्द्र गेहलोत : क्या श्रम मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) म.प्र. राज्य वक्फ न्यायाधिकरण में कितने प्रकरण विगत पाँच वर्ष एवं इससे अधिक समय से लंबित हैं? (ख) वर्ष 2015 तक संपत्ति विवाद के लंबित प्रकरणों की जिलेवार संख्या क्या है? (ग) वर्ष 2012 से दिसंबर 2015 तक म.प्र. वक्फ बोर्ड के कितने प्रकरण लंबित हैं?
श्रम मंत्री ( श्री अंतरसिंह आर्य ) : (क) म.प्र. राज्य वक्फ न्यायाधिकरण में विगत पाँच वर्ष एवं इससे अधिक समय से 60 प्रकरण लंबित हैं। (ख) जिलेवार जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) प्रश्नाधीन अवधि में 308 प्रकरण लंबित हैं।
परिशिष्ट - ''चार''
श्री जितेन्द्र गेहलोत -- अध्यक्ष महोदय मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि वक्फ बोर्ड समिति के जिस प्रकरण के बारे में पूछा था 5 वर्ष की अवधि के कारण जो 60 प्रकरण हैं जिसमें 308 प्रकण लंबित हैं तो इनके निराकरण के लिए कितने दिन और लगेंगे जो कि 5 वर्ष के अंदर वक्फ बोर्ड समिति का मध्यप्रदेश शासन को काफी नुकसान हो रहा है. मंत्री जी बतायें कि यह प्रकरण कब तक समाप्त हो जायेंगे.
( X X X) ---आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
श्री अंतरसिंह आर्य --अध्यक्ष महोदय मैं आपके माध्यम से माननीय विधायक को जानकारी देना चाहूंगा क्योंकि यह ट्रिब्यूनल का न्यायालयीन मामला है कब इसका निराकरण हो जाय यह हम नहीं बता पायेंगेच क्योंकि वक्फ बोर्ड के कितने लंबित प्रकरण है उसकी यहां परसदन में जानकारी दी है. अध्यक्ष महोदय न्यायालय का मामला है इसलिए हम यहां पर नहीं बता पायेंगे.
श्री जितेन्द्र गेहलोत -- अध्यक्ष महोदय मैं मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि प्रकरण न्यायालय में चल रहेहैं, न्यायालय में चलने के बाद में मध्यप्रदेश शासन को और वक्फ बोर्ड समिति को करोड़ों रूपये का नुकसान हो रहा है उसकी भरपाई के लिए इन प्रकरणों का जल्दी से जल्दी निराकरण हो तो समिति के जितने भी सदस्य हैं उनको भीलाभ मिल सकेगा.
गोड़ गोवारी को अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र जारी किया जाना
16. ( *क्र. 6412 ) पं. रमेश दुबे : क्या आदिम जाति कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या म.प्र. आदिम जाति अनुसंधान संस्थान भोपाल के द्वारा छिन्दवाड़ा जिले में गोड़ की उप जाति गोड़ गोवारी, जिन्हें स्थानीय बोली में गोड़ेरा अहीर कहा जाता है, के सदस्यों को अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र प्रदाय किये जाने हेतु पत्र क्रमांक 1404 दिनांक 06.08.2014 कलेक्टर छिन्दवाड़ा को प्रेषित किया है? (ख) क्या तहसील छिन्दवाड़ा, परासिया एवं बिछुआ में गोड़ गोवारी के सदस्यों के पूर्व में अनुसूचितजनजाति का प्रमाण पत्र जारी किया गया है? शेष तहसीलों में और वर्तमान में उक्त तहसीलों में भी अब उक्त वर्ग के लोगों को अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र प्रदाय नहीं किया जा रहा है? हाँ तो क्यों? कारण स्पष्ट करें। (ग) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में म.प्र. आदिम जाति अनुसंधान संस्थान भोपाल के द्वारा कलेक्टर छिन्दवाड़ा को स्पष्ट निर्देश दिये जाने के पश्चात भी गुडेरा अहीर जो गोड़ की उप जाति गोड़ गोवारी है, को अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र प्रदाय क्यों नहीं किया जा रहा है? (घ) क्या शासन उक्त को संज्ञान में लेकर इसकी जाँच कराने तथा गुडेरा अहीर जो गोड़ की उपजाति गोड़ गोवारी है, को जाति प्रमाण पत्र जारी किये जाने के आदेश के साथ उन्हें जाति प्रमाण पत्र जारी किया जा रहा है या नहीं, इसकी मॉनिटरिंग सुनिश्चित करेगा? यदि नहीं, तो क्यों?
आदिम जाति कल्याण मंत्री ( श्री ज्ञान सिंह ) : (क) जी हाँ। (ख) से (घ) सामान्य प्रशासन विभाग से संबंधित।
पं. रमेश दुबे-- माननीय अध्यक्ष महोदय मेरे प्रश्न क के उत्तरमें माननीय मंत्री जी ने उत्तर दिया है कि जी हां. उसी के तारतम्य में मेरे प्रश्न घ में मैंने जो जाति प्रमाण पत्र जारी किये जा रहे हैं इसकी मानिटरिंग सुनिश्चित की जायेगी या नहीं इस बात का मैंने उल्लेख किया है. जिसके उत्तर में मंत्री जी ने कहा है कि यह सामान्य प्रशासन विभाग देखेगा. मध्यप्रदेश आदिमजाति अनुसंधान संस्थान भोपाल के द्वारा कलेक्टर छिंदवाड़ा को निर्देशित किया गया कि जो आपके जिले में गोड की उपजाति गोड गोवारी जिनको स्थानीय बोली में गोडेरा अहीर कहा जाता है इनके प्रमाण पत्र जारी हो रहे हैं. आदिवासी सहायक आयुक्त ने भी जो आवेदन प्राप्त हुए हैं वह आवेदन भी अनुविभागीय अधिकारी चौरई, छिंदवाड़ा और परासिया को दिया है. वह वर्ष 2014 में दिये गये हैं. मैंने यह बहुत स्पष्ट पूछा है कि इसकी मानिटरिंग सुनिश्चित की जावेगी या नहीं. इस प्रकार का उत्तर देंगे कि सामान्य प्रशासन विभाग देखेगा. मैं चाहता हूं कि जो आवेदन सहायक आयुक्त ने अनुविभागीय अधिकारी राजस्व चौरई, छिंदवाड़ा और परासिया को दिये हैं क्या उसकी मानिटरिंग करके सुनिश्चित किया जायेगा कि उनको अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र मिल सके.
श्री ज्ञान सिंह -- माननीय अध्यक्ष जी मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्य को अवगत कराना चाहूंगा यह स्पष्ट है कि गोड गोडारी को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल है माननीय सदस्य का जो पूछना है अहीर,अहीर जाति को या जो भाषा से जानी जाती है उनको अनुसूचित जनजाति में लिये जाने का प्रावधान नहीं है. वास्तव में कलेक्टर एसडीएम जो होते हैं वह सामान्य प्रशासन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी होते हैं. हमारा विभाग प्रयास करेगा कि माननीय सदस्य ने जिस तरह की अव्यवस्था की बात वहां पर की है. हमारा आयुक्त, कलेक्टर एसडीएम जो त्रुटियां हुई हैं उसकी बारीकी से जांचकरा लेंगे.
पं. रमेश दुबे -- अध्यक्ष महोदय, गुडेरा अहीर उसमें दर्ज है और इसके पहले भी उनको अनुसूचित जनजाति के प्रमाण-पत्र जारी हुए हैं. सहायक आयुक्त, आदिवासी ने इस प्रकार के प्रमाण-पत्र दिए हैं. लेकिन दो वर्ष से नहीं बन रहे हैं जबकि इसके पहले उनके अनुसूचित जनजाति के प्रमाण-पत्र बने हैं. गुडेरा अहीर का चूँकि उल्लेख है तो उनको अनुसूचित जनजाति के प्रमाण-पत्र मिलने चाहिए, इस प्रकार की विभाग को मॉनिटरिंग करनी चाहिए.
श्री ज्ञान सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मॉनिटरिंग करा ली जाएगी.
प्रश्न संख्या - 17 -- (अनुपस्थित)
आदिवासी विकास की स्थापना अंतर्गत कार्यरत कर्मचारी
18. ( *क्र. 6448 ) डॉ. योगेन्द्र निर्मल : क्या आदिम जाति कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बालाघाट जिले में सहायक आयुक्त आदिवासी विकास की स्थापना अंतर्गत कार्यालय एवं संस्थाओं में ऐसे कौन-कौन कर्मचारी हैं, जिनका वेतन अन्यत्र किस-किस कार्यालयों में आहरण किया जा रहा है और कब से तिथि बतावें? (ख) प्रश्नांश (क) में बताये गये कर्मचारियों को संलग्न रखने संबंधी शासन के आदेश बतावें? यदि शासन आदेश नहीं हैं, तो किस आधार पर रखा गया? अनियमित भुगतान के लिए दोषी सहायक आयुक्त से वसूली की जाकर दण्डात्मक कार्यवाही की जावेगी? (ग) सहायक आयुक्त आदिवासी विकास कार्यालय से किस-किस लेखापाल एवं सहायक ग्रेड-2 का वेतन उ.मा.शा. मद से आहरण किया जा रहा है? उ.मा.शा. के लेखापालों के पद जिला कार्यालय में अधिग्रहण करने के कोई शासन आदेश हैं, तो बतावें? यदि नहीं, तो अनियमित भुगतान की वसूली भुगतान करने वाले दोषी अधिकारी से की जाकर दण्डात्मक कार्यवाही की जावेगी? यदि हाँ, तो कब तक? नहीं तो क्यों?
आदिम जाति कल्याण मंत्री ( श्री ज्ञान सिंह ) : (क) कोई नहीं। शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास, बालाघाट स्तर पर इस मद से एक लेखापाल का वेतन आहरण किया जा रहा है। पद अधिग्रहण नहीं किये गये हैं। हैड मेंपिंग सहायक आयुक्त बालाघाट के डी.डी.ओ. कोड में दर्ज है। शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
डॉ. योगेन्द्र निर्मल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मैं मंत्री जी से पूछना चाहूंगा, मेरे प्रश्न (क) के उत्तर में आपने ''कोई नहीं'' कहा है जबकि संलग्नीकरण के अंतर्गत बहुत सारे छात्रावासों में उच्च शिक्षा के लोगों को लगाया गया है. क्या मंत्री जी इसकी जांच कराएंगे ? और जबकि ''कोई नहीं'' बोलने के बाद (ग) में आपने स्वीकार किया है कि संलग्नीकरण किया गया है और उसका वेतन आहरण किया जाता है. शासन के नियम हैं कि इसकी अनुमति लेना चाहिए, किसी अधिकारी को इसकी पात्रता भी नहीं है कि वह बगैर शासन की अनुमति के किसी का संलग्नीकरण करे जबकि संविदा अधीक्षक एवं सहायक शिक्षकों को छात्रावास में लगाया जाना चाहिए, इसके बावजूद उच्च श्रेणी शिक्षकों को और अन्यत्र विभाग के लोगों को वहां पदस्थ किया गया है. क्या माननीय मंत्री जी इसकी जांच कराएंगे ? और दोषी अधिकारी पर कोई कार्यवाही करेंगे ?
श्री ज्ञान सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय जी, मैं स्पष्ट करना चाहूंगा कि विभाग में अधिकारियों एवं कर्मचारियों की कमी है और यह कई वर्षों से है लेकिन विभाग की जिम्मेदारी का निर्वहन करने के उद्देश्य से विशेषकर छात्रावासों में समय-समय पर इस तरह की व्यवस्था की जाती है. अगर माननीय सदस्य की जानकारी में ऐसी कोई बात है कि जिन्हें वहां पर पदस्थ नहीं होना चाहिए उन्हें पदस्थ कर दिया गया है तो अवश्य उनकी उपस्थिति में जांच करा दी जाएगी.
डॉ. योगेन्द्र निर्मल -- धन्यवाद मंत्री जी.
भाण्डेर विधान सभा क्षेत्रांतर्गत संचालित नल-जल योजनाएं
19. ( *क्र. 5622 ) श्री घनश्याम पिरोनियाँ : क्या पशुपालन मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्या शासन द्वारा ग्रामीणों से राशि जमा कराकर नल-जल योजनायें बनाने का प्रावधान है? यदि हाँ, तो ग्राम सिकौआ के ग्रामवासियों से राशि जमा कराने के बाद अभी तक नल-जल योजना क्यों नहीं बनाई गई है और इसके लिए कौन जिम्मेदार है? यह योजना कब तक पूर्ण होगी? (ख) क्या भाण्डेर विधान सभा क्षेत्र में मुख्यमंत्री संकल्प पेयजल योजना एवं बुन्देलखण्ड पैकेज के अंतर्गत नल-जल योजनायें संचालित हैं? (ग) यदि प्रश्नांश (ख) हाँ तो कौन-कौन सी योजनाएं चालू हैं एवं कितनी योजनायें ग्राम पंचायतों को हस्तांतरित हैं और शेष योजनायें कब तक पूर्ण कर ग्राम पंचायतों को हस्तांतरित कर दी जावेंगी? (घ) प्रश्नांश (ख) एवं (ग) की अहस्तांतरित योजनायों के लिए कौन जिम्मेदार है और उनके विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई है?
पशुपालन मंत्री ( सुश्री कुसुम सिंह महदेले ) : (क) जी हाँ। नल-जल योजना रूपये 20.55 लाख लागत की तैयार की गई है। योजना की स्वीकृति हेतु ग्राम पंचायत का ठहराव एवं प्रस्ताव व योजना से हितग्राहियों द्वारा नल कनेक्शन लेने की सहमति प्रस्तुत न करने एवं नवीन नल-जल योजनाओं की स्वीकृति पर प्रतिबंध होने के कारण। शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता। (ख) जी हाँ। (ग) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (घ) योजनाएं विभिन्न कारणों से अहस्तांतरित हैं, कोई जिम्मेवार नहीं है। कार्यवाही का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री घनश्याम पिरोनियां -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने माननीय मंत्री महोदया से मेरी भाण्डेर विधान सभा क्षेत्र में संचालित नल-जल योजनाओं के बारे में जानना चाहा था. मेरे प्रश्न (क) के उत्तर में माननीय मंत्री जी ने कहा है कि नल-जल योजना 20.55 लाख रुपये की लागत से तैयार की गई है और योजना की स्वीकृति हेतु ग्राम पंचायत का ठहराव एवं प्रस्ताव व योजना से हितग्राहियों द्वारा नल कनेक्शन लेने की सहमति प्रस्तुत न करते एवं नवीन नल-जल योजनाओं की स्वीकृति पर प्रतिबंध होने के कारण प्रारंभ नहीं हो पाई है तो मेरा निवेदन है कि वर्तमान में अभी भी अनेक प्रकार के ऐसे शुभारंभ हुए हैं और यह गलत जानकारी दी जा रही है तो मंत्री जी कृपया इसका जवाब दें और माननीय अध्यक्ष महोदय, दूसरी बात यह है कि अतारांकित प्रश्न में भी मेरा इसी विषय से संबंधित प्रश्न है तो उसमें भी मैं माननीय मंत्री जी से चाहूंगा कि जो उन्होंने मुझे जवाब भेजा है कि गोंदन, उड़िना, पंडोखर, दुर्सड़ा, पिररूआकलां, भर्रोली और बरका आदि में ये कार्ययोजनाएं वर्तमान में बंद बताई गई हैं और बंद के कारणों में उन्होंने एक जगह विद्युत अवरोध बताया है और बाकी जगह पाइप-लाइन एवं विद्युत अवरोध, पाइप-लाइन प्रगतिरत, कम जल आवक एवं पाइप-लाइन प्रगतिरत आदि बताया है, अब यह समझ में नहीं आ रहा है कि वर्ष 2002 में योजनाएं स्वीकृत हो रही हैं और अभी वर्ष 2016 चल रहा है और अभी भी हम पाइप-लाइन नहीं डाल पा रहे हैं. तो ठेकेदारों को प्रोत्साहित करने के लिए टंकियां बनाई जा रही हैं क्या ? मेरा यह भी निवेदन है कि ऐसे अधिकारी जो समय पर काम पूरा कराने में सक्षम नहीं हैं और ऐसे ठेकेदार जो काम नहीं कर रहे हैं क्या इनके खिलाफ माननीय मंत्री महोदया कुछ ठोस कदम उठाते हुए दिशा देने का काम करेंगी, जिससे आगे मई के महीने में जो पानी की समस्या आने वाली है उसका निराकरण हो सके ?
सुश्री कुसुम सिंह महदेले-- अध्यक्ष महोदय, स्पष्ट लिखा है कि ग्रामवासी सहमति दे देंगे, वह नल कनेक्शन लेंगे तो हम चालू कर देंगे.
श्री घनश्याम पिरोनियां-- अध्यक्ष महोदय, यह तो आपने भेज दिया था लेकिन मेरा निवेदन है कि यह जो मैंने आपको दूसरा पत्र पढ़ के सुनाया है,इतनी सारी हमारी नल जल योजनाएँ बंद हैं और वर्षों से बंद हैं. इसमे समय सीमा लिखी हुई है, सब दिया है तो इसके लिए कौन जिम्मेदार है और इसके खिलाफ आप कोई कार्यवाही करेंगे या नहीं?
सुश्री कुसुम सिंह महदेले-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं स्पष्ट जवाब दे रही हूँ कि भाण्डेर विधानसभा में कुल स्थापित हैण्डपम्प 1955 हैं, चालू 1837 हैं, 118 बंद हैं, साधारण खराबी से 18 और असुधार योग्य 110 हैं और जल स्तर गिरने से 11 बंद हैं. 55 लीटर के हिसाब से हम पूरे भाण्डेर में पानी दे रहे हैं. ऐसा कहीं कोई हाहाकार या संकट नहीं है. मैंने पूरी जानकारी दे दी है.
श्री घनश्याम पिरोनियाँ-- अध्यक्ष महोदय, मैं बिलकुल विधानसभा क्षेत्र में रहता हूँ. यह जो अधिकारी कह रहे हैं कि हाहाकार नहीं है और पानी की समस्या नहीं है. मैं निवेदन करुंगा कि दीदी किसी को वहां पर भिजवा दें, देख लें कि वहां टंकियां चालू हैं कि नहीं. आप कहेंगी तो मैं अगली बार प्रश्न उठाना बंद कर दूंगा.मेरा निवेदन है कि केवल एक बार दिखवा तो लें.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले--अध्यक्ष महोदय,वैसे हमारी तरफ से कोई लापरवाही नहीं है फिर भी यदि विधायक जी कहते हैं तो हम अधिकारी को भिजवा देंगे.
कसरावद विधानसभा क्षेत्रांतर्गत लाभांवित हितग्राही
20. ( *क्र. 3164 ) श्री सचिन यादव : क्या पशुपालन मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) पशुपालन विभाग द्वारा मध्य प्रदेश में राज्य योजनाएं एवं केन्द्र प्रवर्तित योजनाओं के अंतर्गत विगत 03 वर्षों से कुल कितनी-कितनी राशि प्राप्त हुई? योजनावार बतायें तथा जिला पश्चिम निमाड़ में कितनी-कितनी राशि खर्च की गई? उक्त राशि खर्च के संबंध में कितनी-कितनी अनियमितताओं की शिकायतें प्राप्त हुईं और उस पर प्रश्न दिनांक तक क्या कार्यवाही की गई? (ख) प्रश्नांश (क) में दर्शित योजनाओं के अंतर्गत कसरावद विधानसभा क्षेत्र में कौन-कौन सी हितग्राहीमूलक योजनाएं संचालित हैं और उनके उद्देश्यों के तहत कितने-कितने हितग्राहियों को लाभांवित किया जा रहा है? हितग्राहीवार एवं ग्रामवार जानकारी दें।
पशुपालन मंत्री ( सुश्री कुसुम सिंह महदेले ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' एवं ''ब'' अनुसार है। उक्त राशि खर्च के संबंध में अनियमितताओं की कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''स'' एवं ''द'' अनुसार है।
श्री सचिन यादव--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा माननीय मंत्री जी से प्रश्न है कि मेरे विधानसभा क्षेत्र में पशु चिकित्सकों की और स्टाफ की भारी कमी है और मेरे विधानसभा क्षेत्र में पशुपालनकर्ता बार बार शिकायत करते हैं, चिकित्सकों के अभाव में जो जानवर बीमार होते हैं उनकी मृत्यु हो जाती है जिसमें दुधारू गाय और बैल भी शामिल हैं, जो काफी महंगे हैं. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूँ कि आपके विभाग की शासन की जो योजनाएँ संचालित हो रही हैं उनका लाभ लोगों तक पहुंचाने के लिए और जो चिकित्सकों की कमी है जिसके कारण पशुपालकर्ताओं को समस्याएँ आ रही हैं, क्या इनको दूर करने का प्रयास करेंगे?
सुश्री कुसुम सिंह महदेले-- अध्यक्ष महोदय, किस स्थान पर पशु चिकित्सक नहीं हैं, माननीय सदस्य बता दें.
अध्यक्ष महोदय-- आप उनको सूची उपलब्ध करा दें.
श्री सचिन यादव-- अध्यक्ष महोदय,सूची हम उपलब्ध करा देंगे.
कटनी जिले में समितियों का गठन
21. ( *क्र. 6378 ) श्री संदीप श्री प्रसाद जायसवाल : क्या स्कूल शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या राज्य केन्द्र के पत्र क्रमांक-राशि के/03/2016/368 भोपाल, दिनांक 14.01.2016 के अनुसार जिला एवं विकासखण्ड स्तर पर गठित जिला इकाई विकासखण्ड इकाई एवं अन्य समितियों की नियमित बैठक आयोजित करने के प्रावधान हैं? (ख) क्या प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में कटनी जिले में समितियों का गठन किया गया है? यदि हाँ, तो इनमें कौन-कौन सी समितियां हैं एवं वर्तमान तक उनका पूर्ण विवरण देवें? (ग) क्या उक्त समितियों की बैठकें समय-सीमा में आयोजित करने के संबंध में स्कूल शिक्षा मंत्री म.प्र. शासन द्वारा पत्र क्र. 6381, भोपाल, दिनांक 22.12.2015 द्वारा अधिकारियों को निर्देशित किया गया था? (घ) क्या प्रश्नांश (क) एवं (ख) के परिप्रेक्ष्य में कटनी जिले में मान. मंत्री महोदय के समय-सीमा के निर्देशों का पालन हुआ? यदि नहीं, तो स्वयं शिक्षा मंत्री महोदय एवं शासन के निर्देशों का पालन न करने वाले कटनी जिले के संबंधित अधिकारियों के विरूद्ध क्या कार्यवाही कब तक की जावेगी? यदि नहीं, तो क्यों?
स्कूल शिक्षा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी हाँ। (ख) जी हाँ। सर्व शिक्षा अभियान अंतर्गत जिले में जिला इकाई, जिला क्रय समिति, जिला नियुक्ति समिति, जिला अनुदान समिति, जिला निर्माण कार्य समितियां होती हैं, जिसमें पदेन शासकीय एवं मनोनीत अशासकीय सदस्यों का समावेश होता है। अशासकीय सदस्यों के मनोनयन की प्रक्रिया प्रचलन में है। (ग) जी हाँ। (घ) उत्तरांश 'ख' के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
श्री संदीप जायसवाल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री महोदय से जानना चाहूंगा कि आपके द्वारा जो जवाब दिया गया है उसमें अशासकीय सदस्यों का समावेश होता है समितियों में, मनोनयन की प्रक्रिया प्रचलन में है. क्या अशासकीय सदस्यों के मनोनयन के बिना समिति की बैठक संभावित हो सकती हैं. अगर नहीं तो अशासकीय सदस्यों के मनोनयन की प्रक्रिया कब तक पूरी हो जाएगी? उसकी कोई निश्चित समयावधि बता दें.
राज्य मंत्री, स्कूल शिक्षा(श्री दीपक जोशी)- अध्यक्ष महोदय, चूंकि शासकीय कार्य आवश्यक कार्य होते हैं इसलिए शासन के नियमानुसार मनोनीत सदस्य के बिना भी बैठक की जा सकती है और अशासकीय सदस्यों का मनोनयन प्रभारी मंत्री के द्वारा किया जाता है जिलाध्यक्ष के माध्यम से. प्रभारी मंत्री जैसे ही अनुमोदन करके जिलाध्यक्ष को भेजेंगे, हम इनको जोड़ लेंगे.
श्रीमती अर्चना चिटनिस-- माननीय मंत्री जी, आप कृपया जिलाध्यक्ष को क्लीयर कर दें कि जिलाध्यक्ष मतलब कौन तो बेहतर रहेगा?
श्री दीपक जोशी-- जिलाध्यक्ष मतलब संबंधित जिले के कलेक्टर महोदय.
अनु. ज.जा. एवं परंपरागत वन निवासी अधिनियम का क्रियान्वयन
22. ( *क्र. 5732 ) श्री मधु भगत : क्या आदिम जाति कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बालाघाट जिले के अंतर्गत अनुसूचित जनजाति एवं परंपरागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम 2006 तथा नियम 2008 के क्रियान्वयन हेतु क्या-क्या, कार्यवाही कब-कब की गई? (ख) परसवाड़ा विधान सभा क्षेत्र के कितने प्रकरण उक्त अधिनियम/नियम के मापदण्डों के अनुसार बनाये गये हैं, कितने बनाये जाना शेष हैं? ग्रामवार बतायें। (ग) क्रियान्वयन में हो रहे विलंब का क्या कारण है? क्या शासन स्तर/आयुक्त स्तर/विभागाध्यक्ष स्तर पर विलंब के कारण आपत्तियों, कठिनाइयों के निराकरण, हेतु चर्चा/बैठक कब-कब की गई? यदि नहीं, तो क्यों? (घ) क्या विभाग द्वारा मामले वन विभाग को भेजे गये? तिथि सहित बतायें। क्या वन विभाग द्वारा प्रकरणों को निराकृत करने के उद्देश्य से कोई कार्यवाही की? यदि हाँ, तो ब्यौरा दें?
आदिम जाति कल्याण मंत्री ( श्री ज्ञान सिंह ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-एक अनुसार है। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-दो अनुसार है। (ग) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-तीन अनुसार है। (घ) जी नहीं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री संजय उइके-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूँ कि प्रश्न के उत्तर में वन अधिकार अधिनियम के तहत् पट्टा आवंटन के दावा प्रकरण में परसवाड़ा विधानसभा में 122 प्रकरण और बालाघाट जिले में 524 प्रकरण शेष हैं, इसका क्या कारण हैं और कब तक इसका निराकरण कर दिया जाएगा?
श्री ज्ञान सिंह-- माननीय अध्यक्ष जी, वन अधिकार से संबंधित पात्र जनजाति परिवारों को, जनजाति व्यक्ति को समय पर वन अधिकार के पट्टे प्राप्त हो सकें, इसके लिए माननीय मुख्यमंत्री जी के स्पष्ट निर्देश हैं. मैं आपके माध्यम से उनको आश्वस्त करना चाहूंगा कि जून या जुलाई के अंतराल में पूरे प्रदेश में ऐसे जो प्रकरण हैं उन सब का निराकरण कर दिया जाएगा.
भिण्ड जिले में परीक्षा केन्द्रों का निर्धारण
23. ( *क्र. 4088 ) श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह : क्या स्कूल शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मध्यप्रदेश शासन द्वारा कक्षा 10वीं व 12वीं हेतु वर्ष 2015-16 में शासकीय हाईस्कूल हवलदारसिंह का पुरा व शासकीय कन्या हाईस्कूल नुन्हाटा विकासखण्ड भिण्ड में परीक्षा केन्द्र बनाने के लिए शासन से क्या मापदण्ड निर्धारित किए गए? (ख) प्रश्नांश (क) में वर्णित विद्यालय देहात कोतवाली भिण्ड, दूरी 6 कि.मी. और थाना उमरी भिण्ड से करीब 5 कि.मी. दूरी है? शासकीय हाईस्कूल हवलदार सिंह का पुरा का परीक्षा केन्द्र अशासकीय विद्यालय के.व्ही.एम. ग्वालियर रोड भिण्ड, दूरी 17 कि.मी. पर परीक्षा केन्द्र रखने की क्या आवश्यकता थी? परीक्षा केन्द्र को बदलने के क्या कारण हैं? (ग) प्रश्नांश (क) में छात्राओं की संख्या 59 और 55 है, परीक्षा केन्द्र बदलने से असुरक्षित, आवागमन भिण्ड शहर से करीब तीन कि.मी. दूर रखने के लिए जिला योजना समिति से अनुमोदन कराया गया? यदि नहीं, तो क्यों? परिवर्तन करने के क्या कारण हैं? (घ) प्रश्नांश (क) में भिण्ड विधान सभा क्षेत्र में शासकीय विद्यालय से अशासकीय विद्यालय में परीक्षा केन्द्र बनाने के क्या कारण हैं? निर्धारित परीक्षा केन्द्र में से कितने परीक्षा केन्द्र बदले/परिवर्तन/परिवर्धन किए गए? क्या कारण हैं?
स्कूल शिक्षा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) परीक्षा केन्द्र निर्धारण में मण्डल द्वारा निर्धारित मापदण्डों का पालन किया गया है एवं कानून व्यवस्था को दृष्टिगत रखते हुये किया गया है। परीक्षा केन्द्र निर्धारण में मापदण्ड के बिन्दु क्रमांक-05 का पालन किया गया है। (ग) मण्डल द्वारा निर्धारित मापदण्डों में छात्राओं के लिये पृथक से कोई निर्देश नहीं हैं। म.प्र.शासन, स्कूल शिक्षा विभाग, मंत्रालय, वल्लभ भवन के निर्देश क्रमांक-1139/1151/2015/20-3, भोपाल, दिनांक 24.7.2015 द्वारा निर्धारित मापदण्ड अनुसार केन्द्र निर्धारण हेतु गठित चयन समिति द्वारा परीक्षा केन्द्रों का निर्धारण किया गया। केन्द्र निर्धारण का कार्य समय-सीमा में संपादित कराया जाना था, तत्समय जिला योजना समिति की बैठक प्रस्तावित नहीं थी। (घ) मण्डल द्वारा निर्धारित मापदण्डों के बिन्दु क्रमांक-15 के अनुसार परीक्षा केन्द्र निर्धारित किये गये हैं। निर्धारण के पश्चात किसी भी केन्द्र में परिवर्तन/परिवर्धन नहीं कराया गया है।
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सबसे पहले तो मैं आपको धन्यवाद देना चाहता हूँ.
अध्यक्ष महोदय-- कृपया संक्षेप में.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा शिक्षा से संबंधित प्रश्न था. मध्यप्रदेश शासन द्वारा 10 वीं एवं 12 वीं की परीक्षा हेतु 2015-16 में शासकीय हाई स्कूल हवलदार सिंह का पुरा, शासकीय कन्या हाई स्कूल नुन्हाटा, विकासखंड भिण्ड में परीक्षा केन्द्र बनाने के लिए शासन के क्या मापदंड थे? अध्यक्ष महोदय, उन्होंने जो जानकारी दी है, क्योंकि भिण्ड जिले में सेंटर बनाने में बहुत बड़े पैमाने पर अनियमितताएँ हुई हैं और इसी कारण 20 हजार छात्र परीक्षा से वंचित हो गए हैं. जो इन्होंने दूसरी जानकारी दी है उसमें बताया गया है कि परीक्षा केन्द्र निर्धारण में मण्डल द्वारा निर्धारित मापदंडों का पालन किया गया है एवं कानून व्यवस्था को दृष्टिगत रखते हुए किया गया है. परीक्षा केन्द्र निर्धारण में मापदंड के बिन्दु क्रमांक-05 का पालन किया गया है. अध्यक्ष महोदय, बिन्दु क्रमांक 05 क्या कह रहा है, जिला शाला के परीक्षा केन्द्र बनाया जाना प्रस्तावित हो. उसमें अध्ययन अनुसार छात्राओं को निकटतम किसी अन्य परीक्षा केन्द्रों में संलग्न किया जाए. अध्यक्ष महोदय, हमारा हवलदार सिंह का पुरा का जो सेंटर बनाया गया, वहीं शासकीय हाई स्कूल नुन्हाटा, जिसकी दूरी 2 किलोमीटर थी, शासकीय हाई स्कूल जामना, जिसकी दूरी 3 किलोमीटर थी, वह सेंटर वहाँ न बनाते हुए, हमारे भिण्ड विधान सभा का सेंटर अटेर क्षेत्र में बनाया गया, दूरी 17 किलोमीटर, इसमें बड़े पैमाने पर अनियमितताएँ हुई हैं. जो हमारा टेन्गुर अंतिम छोर का गाँव है, आधा हिस्सा उत्तर प्रदेश में पड़ता है और आधा हिस्सा मध्यप्रदेश में पड़ता है. उसका सेंटर, 50 किलोमीटर दूर भिण्ड में बनाया गया है और दूसरा...
अध्यक्ष महोदय-- आप उत्तर तो ले लें. आपका समय ही खतम हो जाएगा, आपके प्रश्न का उत्तर ही नहीं आ पाएगा.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह-- अध्यक्ष महोदय, अब तो चलेगा. आपकी कृपा है. अध्यक्ष महोदय, किसान संस्कार उच्चतर विद्यालय नयागाँव, जिसका सेंटर प्रायवेट में बना दिया. शासकीय स्कूल के सेंटर प्रायवेट में बना दिए गए. जबकि शासकीय स्कूल में बच्चे, बच्चियाँ, गरीब लोग पढ़ते हैं. उनके सेंटर प्रायवेट स्कूल में बनाए गए हैं.
राज्य मंत्री, स्कूल शिक्षा(श्री दीपक जोशी)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, पारदर्शी परीक्षा कराना बोर्ड का पहला उद्देश्य है इसलिए लगातार प्रक्रिया में सुधार की दृष्टि से नवाचार होते रहते हैं और विगत वर्ष भी जो परीक्षाएँ संचालित हुई हैं, उसमें चिन्हित जिले, मैं नाम तो नहीं ले सकता, लेकिन सीमावर्ती जिले, जहाँ पर सामूहिक नकल के बड़ी संख्या में प्रकरण होते थे. विगत परीक्षा में एक भी प्रकरण देखने में नहीं आया क्योंकि व्यवस्था इस प्रकार से परिवर्तित की गई थी कि जिससे पारदर्शिता पूर्वक परीक्षा संपन्न हो सके. फिर भी माननीय सदस्य द्वारा जो प्रश्नांश केन्द्रों के बारे में पूछा गया, वे निर्धारित मापदण्ड के अनुसार ही हैं और इनका मापदंड जिला स्तर की हमारी एक कमेटी होती है, जिसमें माननीय कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला शिक्षा अधिकारी, प्राचार्य उत्कृष्ठ विद्यालय और संभागीय अधिकारी उच्च शिक्षा विभाग, ये लोग बैठ कर तय करते हैं कि किसको सेंटर बनाना, किसको सेंटर नहीं बनाना. इसके बाद जिला योजना समिति से भी इसकी सहमति ली जाती है. लेकिन भिण्ड जिले में तत्समय जिला योजना समिति प्रस्तावित नहीं होने के कारण जिला योजना समिति से इसकी सहमति नहीं ले पाए और इस कारण से शायद सदस्य को कहीं न कहीं संशय रह गया. मैं माननीय सदस्य से यही अनुरोध करता हूँ कि अगली बार इन सेंटर्स के बारे में जब भी सूची आए तो जिला योजना समिति के माध्यम से, चूँकि वे जनप्रतिनिधि हैं, अपनी बात को पूरी कर सकते हैं और जहाँ कहीं विसंगतियाँ हैं, उनको दूर करने का हम प्रयास भी कर सकते हैं.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह-- अध्यक्ष महोदय, जैसा कि माननीय मंत्री जी बोल रहे हैं, जिला योजना समिति की बैठक हुई थी, जिसमें महाराज सिंह उपाध्याय, जिला पंचायत भिण्ड, द्वारा परीक्षा केन्द्र का अनुमोदन चाहा गया था. लेकिन उसका मना कर दिया गया था. यह कहा गया अनुमोदन की जरूरत ही नहीं है. एक ओर माननीय मंत्री जी कह रहे हैं योजना समिति में आना चाहिए और दूसरी ओर प्रशासनिक अधिकारी कह रहे हैं कि योजना समिति में प्रकरण नहीं आते हैं.
जो कि रिकार्ड में है. दूसरी बात मैं यह कह रहा हूँ कि भिण्ड जिले को पहले डाकुओं के नाम पर कलंकित किया गया और अब नकल के नाम पर कलंकित कर रहे हैं, 20-25 हजार छात्र अनुपस्थित रहे हैं यह किसकी जिम्मेदारी है. अधिकारियों को सस्पेंड करें...(व्यवधान)
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार--माननीय अध्यक्ष महोदय, 20 हजार छात्र-छात्रायें परीक्षा नहीं दे पाये केवल इस कारण कि उनके सेन्टर 50 किलोमीटर दूर बना दिये गए गरीब छात्र-छात्रायें केवल इसलिये सेंटर तक नहीं पहुंच पाये (व्यवधान)
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह--माननीय अध्यक्ष महोदय, पहले संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करना चाहिये.
श्री दीपक जोशी--पहले तो मैं माननीय सदस्य की इस भावना से असहमत हूं जिसमें उन्होंने भिण्ड जिले को चिह्नित करके बात कही. शासन की ऐसी कोई मंशा नहीं रही है और भिण्ड जिला तो हमेशा से देश की सेवा करने वाले सैनिकों की भर्ती करने वाला जिला रहा है इसलिये यह तो हमारे लिये बहुत ही सम्माननीय जिला है. मैंने भिण्ड जिला नहीं कहा मैंने कहा कि भिण्ड जिला सीमावर्ती जिला होने के कारण कहीं-न-कहीं इन परीक्षाओं में दिक्कत आती है उस दिक्कत को दूर करने के लिए हमने यह व्यवस्था की है. यदि इसके बाद भी माननीय सदस्य असंतुष्ट हैं तो वे अगली बार अपनी तरफ से सूची बनाकर दे दें जिसके माध्यम से हम उस काम को कर सकते हैं.
डॉ. गोविन्द सिंह--योजना समिति को अधिकार नहीं है यह मना किया गया है जिला प्रशासन द्वारा (व्यवधान)
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह--माननीय अध्यक्ष महोदय, अगली बार नहीं इस बार क्या कर रहे हैं. (व्यवधान) इसमें बहुत बड़ा घोटाला हुआ है.
अध्यक्ष महोदय--आपकी बात आ गई है. आप मंत्रीजी से मिल लीजिएगा.
( प्रश्नकाल समाप्त)
12.02 बजे नियम 267-क के अधीन विषय
अध्यक्ष महोदय--निम्नलिखित माननीय सदस्यों की सूचनायें सदन में पढ़ी हुई मानी जायेंगी--
11.58 बजे शून्यकाल में उल्लेख
श्री बाला बच्चन--अध्यक्ष महोदय, मैंने शुक्रवार से स्थगन प्रस्ताव दिया हुआ है. प्रदेश के कर्मचारी धरने, आन्दोलन और हड़ताल पर हैं. शासकीय कामकाज हो नहीं रहे हैं आपने अभी तक मेरे स्थगन प्रस्ताव पर विचार नहीं किया है. मैं फिर से इस बात को बोल रहा हूँ कि आप उस पर विचार करें और व्यवस्था दें. संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी अभी भी हड़ताल पर हैं इसके अलावा और भी कर्मचारी हड़ताल पर हैं आन्दोलन कर रहे हैं.
डॉ. गोविन्द सिंह--अभी भी आन्दोलन चल रहा है (व्यवधान) लगातार स्वास्थ्य संविदा कर्मी हड़ताल कर रहे हैं (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--आप बैठ जायें कृपा करके, प्रतिपक्ष के नेता जी बोल रहे हैं (व्यवधान) आप सब लोग खड़े हो गये. अब सिर्फ माननीय बाला बच्चन जी बोलेंगे और कोई नहीं बोलेगा और आपसे एक अनुरोध है बिलकुल संक्षेप में अपनी बात कहें क्योंकि यह कोई बहस का समय नहीं है माननीय मंत्रीजी संक्षेप में उत्तर दे देंगे.
श्री बाला बच्चन--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने आपको शुक्रवार से स्थगन प्रस्ताव दिया हुआ है. संविदा कर्मचारी अभी भी हड़ताल पर हैं अभी भी आंदोलन पर हैं सरकार इसका जवाब क्यों नहीं दे रही है. मैं आपसे यह आग्रह करना चाहता हूँ कि सरकार इस पर जवाब दे इस पर चर्चा हो जिससे की सारी चीजें स्पष्ट हो सकें.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सम्मानित नेता प्रतिपक्ष जी ने जो उल्लेख किया है उसमें से अधिकांश संगठनों से कल बात हो गई है बहुउद्देशीय वाले और दूसरे संगठन, पंचायत कर्मियों के संगठन सभी की लगभग हड़ताल समाप्त हो गई है सिर्फ एक संविदा स्वास्थ्य वाले बचे हैं. उनसे भी लगभग सारगर्भित चर्चा हुई है और मैं समझता हूँ आज सभी का समापन हो जायेगा.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री गोपाल भार्गव):- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे विभाग के जो कर्मचारी, पंचायत के सचिव, रोजगार सहायक या जो भी कर्मचारी और संविदा के भी कर्मचारी और मनरेगा के कर्मचारी हड़ताल पर थे, कल रात को उन्होंने हड़ताल समाप्त कर दी है. उन्होंने यह भी कहा है कि जो 20 दिन की हड़ताल हुई है और 20 दिन का जो काम लंबित था उसको हम 20 घण्टे में हम आपको निपटाकर देंगे. इससे बड़ी खुशी की क्या बात होगी.
(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय :- श्री तिवारी जी भी बोल रहे हैं,वह रिकार्ड में नहीं आयेगा.
श्री सुन्दरलाल तिवारी :- (x x x)
(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय :- आप सभी लोग बैठ जाईये.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ नरोत्तम मिश्र):- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह घोर आपत्तिजनक है. अखबारों में नाम छपने के लिये कुछ भी कहते रहते हैं. (व्यवधान) यह विधायकों का अपमान है, इसको सहन नहीं किया जायेगा. (व्यवधान)
श्री सुन्दरलाल तिवारी :- (x x x)
अध्यक्ष महोदय :- आप कृपा करके बैठ जाईये. तिवारी जी आप कृपा करके मर्यादा में रहे. तिवारी जी आपका कुछ भी रिकार्ड में नहीं आ रहा है. (व्यवधान)
श्री सुन्दर लाल तिवारी :- (x x x)
(व्यवधान)
डॉ नरोत्तम मिश्र :- माननीय अध्यक्ष महोदय, असम्मानित व्यक्ति सम्मान की बात करते हैं.
.
(व्यवधान)
पत्रों का पटल पर रखा जाना.
(क) मध्यप्रदेश राज्य सहकारी बैंक मर्यादित भोपाल का संपरीक्षित वित्तीय पत्रक वर्ष 2014-2015,
(ख) मध्यप्रदेश राज्य सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंक मर्यादित, भोपाल का संपरीक्षित वित्तीय पत्रक वर्ष 2014-15
(ग) मध्यप्रदेश राज्य पावरलूम बुनकर सहकारी संघ मर्यादित, बुरहानपुर (म.प्र)का
संपरीक्षित वित्तीय पत्रक वर्ष 2014-15
सहकारिता मंत्री (श्री गोपाल भार्गव):- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश सहकारी सोसाइटी (संशोधन) अधिनियम, 2015 (क्रमांक 10 सन् 2015) की धारा 58 की उपधारा (1) (दो) की अपेक्षानुसार -
(क) मध्यप्रदेश राज्य सहकारी बैंक मर्यादित भोपाल का संपरीक्षित वित्तीय पत्रक वर्ष 2014-2015,
(ख) मध्यप्रदेश राज्य सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंक मर्यादित, भोपाल का संपरीक्षित वित्तीय पत्रक वर्ष 2014-15 तथा
(ग) मध्यप्रदेश राज्य पावरलूम बुनकर सहकारी संघ मर्यादित, बुरहानपुर (म.प्र) का संपरीक्षित वित्तीय पत्रक वर्ष 2014-15 पटल पर रखता हूं.
बहिर्गमन
उप नेता प्रतिपक्ष (श्री बाला बच्चन ):- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने एक स्थगन प्रस्ताव दिया है. स्थगन प्रस्ताव पर आप चर्चा नहीं करा रहे हैं. कर्मचारी हड़ताल कर रहे हैं. हम हड़ताली कर्मचारियों के समर्थन में सदन से बहिर्गमन करते हैं.
(श्री बाला बच्चन,उप नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा न कराये जाने के विरोध एवं हड़ताली कर्मचारियों के समर्थन में सदन से बहिर्गन किया गया. )
गृह मंत्री (श्री बाबूलाल गौर):- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे अनुरोध करना है कि अखबारों में कोई समाचार छपे, तो उसके आधार पर यहां कोई प्रश्न नहीं उठाया जा सकता है. अखबारों में मुख्यमंत्री के बारे में कहा या विधायकों की तनख्वाह नहीं बढ़ायी, इसके आधार पर क्या चर्चा हो सकती है. उसको कार्यवाही से निकाला जाये.
अध्यक्ष महोदय:- अब उनको कैसे समझायें,उसका उपाय भी आप बता दें. श्री सुन्दर लाल तिवारी का कार्यवाही में लिखा ही नहीं गया है. माननीय मंत्री जी उसको निकालने की बात क्या उसको एन्टर ही नहीं होने दिया कार्यवाही में.
वन मंत्री (डॉ. गौरीशंकर शेजवार) :- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा विधायकों से निवेदन है कि वह जो गस्से में आकर आपकी तरफ ऐसे ऐसे करते हैं. (आसंदी की तरफ इशारा करते हुए) कुछ लोग ऐसे करते हैं. वह थोड़ा संयम बरतें. दूसरी बात यह है कि कभी गुस्से में इसको ऐसे मारते हैं. (मेज की ओर इशारा करते हुए.) कुछ चीजों पर कुछ लोग संयम बरतें.
श्री जितू पटवारी :- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने तो गलती की होगी. मैं तो पहली बार का विधायक हूं. लेकिन कल आप तो बार बार बोल रहे थे कि मंत्री जी, मंत्री जी. तो उसका क्या.
डॉ गोविन्द सिंह :- माननीय अध्यक्ष महोदय, (XXX).
डॉ नरोत्तम मिश्र :- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसको कार्यवाही से निकलवा दें.
अध्यक्ष महोदय :- इसको कार्यवाही से निकलवा दें.
ध्यान आकर्षण
(1)इन्दौर नगर में सड़क चौड़ीकरण के नाम पर पुराने रिहाइशी मकानों को तोड़े जाने से उत्पन्न स्थिति
श्री जितू पटवारी(राऊ) - अध्यक्ष महोदय,
श्री लाल सिंह आर्य,राज्यमंत्री,नगरीय विकास एवं पर्यावरण - अध्यक्ष महोदय,
श्री जितू पटवारी --माननीय अध्यक्ष महोदय, दो बातें मंत्री जी के जवाब में आयी हैं एक तो जिन भूमिस्वामियों को वहां से हटाया जा रहा है उनका पूर्ण मकान टूटता है उनको भूरी टेकरी पर गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले मकानों में जगह दी जाएगी. एक उत्तर आया है कि उनको एफएआर दिया जाएगा जिनके पास में जमीन ही नहीं बची वह एफएआर के कागज को लेकर के क्या करेगा मालगंज एक पुराना इन्दौर है वहां पर रहने वाला व्यक्ति जैन परिवार है अथवा जो भी है मैं जाति पर नहीं जाना चाहता हूं. क्या उनको गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले एक मकान में कम्पनसेशन देकर, यह न्याय है इसका उत्तर दें.
श्री लालसिंह आर्य--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो ध्यानाकर्षण लगाया है पहले तो उनसे कहना चाहता हूं कि डबल बेंच में यह प्रकरण एक याचिका के रूप में कोर्ट में सुनवाई लगा हुआ है वहां पर शासन का उत्तर भी पहुंच गया है. न्यायालय में जो प्रकरण चलता है उस पर इस सदन में चर्चा नहीं हो सकती है, यह मध्यप्रदेश विधान सभा की प्रक्रिया तथा कार्य-संचालन संबंधी नियम 28 नंबर पेज पर हैं.
अध्यक्ष महोदय--यह उससे सहमत हैं आप इनको पढ़कर के सुना दें.
श्री लालसिंह आर्य--माननीय अध्यक्ष महोदय, लेकिन हो सकता है कि माननीय जितु पटवारी को जानकारी नहीं होगी इसीलिये किसी भी प्रकार की घोषणा अथवा आश्वासन यहां पर नहीं दिया जा सकता है.
डॉ.गोविन्द सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, सरकार का प्रतिबंध नहीं है, इसमें स्टे नहीं लगा है. शासकीय निर्णय यहां पर लिये जा सकते हैं विधान सभा न्यायालय से नहीं चलेगी विधान सभा अपने नियम-कायदे से चलेगी.
श्री लालसिंह आर्य--माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे लगता है कि माननीय गोविन्द सिंह जी ने ज्यादा ज्ञान प्राप्त कर लिया है, मुझे ऐसा लगता है. इसी सदन में बहुत सारी व्यवस्थाएं इसी प्रकार से कोर्ट में जब कोई चीज संज्ञान में रहती है, तब नहीं उठायी जाती है, लेकिन फिर भी मैं आपको उतना पक्ष तो बताना चाहता हूं कि जैसा कि जितू जी ने कहा है कि जिनके पास किसी प्रकार का मकान नहीं होगा, जमीन नहीं होगी, उनको हम शासन की नीति के अनुसार दूसरी जगह विस्थापित करेंगे ही, इसमें कहने की कोई आवश्यकता नहीं है ।
माननीय अध्यक्ष महोदय, अतिक्रमण में जिनके मकान दो, चार, पांच फीट टूटे होंगे, उनके पास यदि कोई जगह नहीं है तो वह ऊपर निर्माण कर सकते हैं, ऐसे 144 लोगों को एफ.ए.आर. का लाभ दिए जाने के लिए पत्र जारी कर दिया है, पहले 36 लोगों को मिल चुका है, जितू पटवारी जी या तो वहां गए नहीं हैं या पेपर की कटिंग के आधार पर ध्यानाकर्षण लगाया है, इसके साथ ही 26 लोगों ने स्वयं अपना अतिक्रमण हटा लिया है ।
श्री जितू पटवारी - मैं गौर साहब से अनुरोध करना चाहता हूं कि कभी भी किसी सदस्य के अपमान करने की मेरा द्वारा चेष्टा नहीं की जाती है, अगर आपको कुछ लगा हो तो मैं माफी चाहता हूं, दूसरा जो कानून और कोर्ट के आदेशों की बात हुई थी, एक भोपाल के प्रकरण का जबलपुर में ......
अध्यक्ष महोदय- यह बहस का विषय नहीं है, जब मैंने कॉल अटेंशन अलाऊ कर दिया है और अब प्रश्न भी अलाऊ कर रहा हूं, इसलिए वह बात समाप्त हो गई है, मंत्री जी ने नियम ठीक पढ़ा है, किन्तु वह बहस का विषय नहीं है, मैं आपको अलाऊ कर रहा हूं, आप सीधा प्रश्न करिए ।
श्री जितू पटवारी- जो उन्होंने कहा है, उसके संदर्भ में बात नहीं कर रहा हूं, मैं तो उस संदर्भ में कर रहा हूं कि जो नगर निगम के नाम से नियम, कानून की कण्डिकाओं का जो वर्णन उन्होंने किया है, उसमें भोपाल का प्रकरण ऐसा था, जिसमें संबंधित का मकान टूटा था, उसके पक्ष में उन्होंने न्याय किया है और कोर्ट ने भी यह बात रखी, मैं उस बात को कोड कर रहा हूं कि मुख्यमंत्री जी एक ओर तो कहते हैं कि किसी गरीब की झोपड़ी नहीं टूटेगी और टूटेगी तो पहले व्यवस्थापन होगा तब टूटेगी, मैं आपसे सिर्फ इतना अनुरोध करना चाहता हूं, नियम क्या है, कायदे क्या हैं, कानून क्या है, यह सब अपनी जगह होगें पर मानवीय आधार पर जिनकी पांच मंजिल 50 साल से बनी हुई है या पुराना मकान जो पुराने इंदौर में है, भूमि अधिग्रहण नियम में, उसको तोड़ने के लिए, शहरी क्षेत्र में डबल मुआवजा दिया जाता है, कांग्रेस की केन्द्र सरकार ने लागू किया था, क्या उसके अंतर्गत कोई प्रावधान करेंगे ।
श्री लाल सिंह आर्य- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य जी को यह बताना चाहता हूं कि किसी की भूमि को यदि शासन लेती है, तो मुआवजा दिया जाता है, 74 लोग जो कि कमजोर आय वर्ग के थे, उनके व्यवस्थापन की कार्यवाही हमने की और बताना चाहता हूं इसमें याचिकाएं भी लगीं, जिला न्यायालय में, 11.3.16 को खारिज हो गई, फिर तीन लोगों ने उच्च न्यायालय में लगाया, फिर खारिज हो गई, नगर निगम को कहा है कि आप सात दिवस में कार्यवाही करें, अब डबल बेंच में वह याचिका लगी हैं, तो न्यायालय, शासन को जो भी आदेश करता है, यह मध्यप्रदेश की सरकार है, न्यायालय के आदेश का पालन करती है, न्यायालय हमें कोई आदेश देगा और यदि हमारी नियम प्रक्रिया में वह चीज आ रही है, तो हम संतुष्ट करने का प्रयास करेंगे ।
श्री जितू पटवारी- मेरा उत्तर नहीं आया है, मेरा अनुरोध यह है कि कानून अपनी जगह है ।
अध्यक्ष महोदय- आपकी बात आ गई है, आपको पर्याप्त समय भी दिया इंदौर के और माननीय सदस्य भी हैं, वह भी आप की बात को रखेंगे, इसलिए वह भी एक - एक प्रश्न से अधिक नहीं पूछेंगे, ध्यानाकर्षण इंदौर के हैं, इसलिए यह विशेष अनुमति दी जा रही है ।
श्री सुदर्शन गुप्ता (इंदौर)- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो अतिक्रमण हटाया जा रहा है, उसमें से कुछ हिस्सा मेरी विधानसभा में भी आता है, इंदौर, स्मार्ट सिटी के लिए चयनित हुआ है और जिस क्षेत्र से अतिक्रमण हटाया गया है, वह क्षेत्र स्मार्ट सिटी विकास क्षेत्र के अंतर्गत आता है, इस मार्ग पर भारी यातायात रहता है और आए दिन वहां पर ट्रेफिक जाम हो जाता है, यातायात सुगमता के लिए सड़क का चौड़ीकरण अति - आवश्यक है, नागरिकों द्वारा पूर्व में विरोध किया गया था, किन्तु अब नागरिक स्वेच्छा से अतिक्रमण हटा रहे हैं, मेरा अनुरोध है, जैसा कि माननीय मंत्री जी ने कहा है कि उनको विस्थापित करने के लिए जगह दी जाएगी, उसका पालन हो जाए ।
श्री मनोज पटेल (देपालपुर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह इन्दौर का निश्चित रूप से गम्भीर मामला है. इस प्रकरण में, चूँकि यातायात को सुगम करने के लिए इन्दौर के लिए यह योजना बनी है एवं यातायात भी सुगम हो और नागरिक परेशान भी न हों. ऐसा कोई हल सरकार निकाले, वहां पर 50 वर्ष, 60 वर्ष एवं 70 वर्ष पहले से जो रहवासी रह रहे हैं, जिनकी प्रायवेट जमीनें है, उन प्रायवेट जमीनों को, जो तोड़ा जा रहा है. अब किसी की 25 फीट है, उसका 20 फीट टूट जायेगा, वह बेचारा 5 फीट में, कचोड़ी की दुकान या फूल बेचकर व्यवसाय कर रहा है.
अध्यक्ष महोदय - कृपया प्रश्न या सुझाव दे दें.
श्री मनोज पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, अगर 5 फीट की उसकी जगह बचेगी तो वह 5 फीट में एफ.ए.आर. कैसे बनायेगा. वह वैसे ही रोज कमाकर खाता है. मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि उनको एफ.ए.आर. की जगह, मुआवजा दिया जाये, जिससे कि वे कहीं और रहने की व्यवस्था और व्यवसाय स्थापित कर सकें.
अध्यक्ष महोदय - आपकी बात आ गई है.
श्री राजेन्द्र वर्मा (सोनकच्छ) - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह जो विषय है, इसमें हमें दोनों साईडें देखनी पड़ेगीं. यह बात बिल्कुल सत्य है कि टोरीकानी से बियाबानी तक का रास्ता, बहुत कन्जस्टेड है. वहां कई बार एम्बूलेन्स एवं कई मरीज तथा वहां आग लग जाये तो फायर ब्रिगेड तक नहीं पहुँच सकती है तो उसको ट्रैफिक के लिए क्लीयर करना पड़ेगा. लेकिन मेरा उसके साथ, एक कहना और है कि इन्दौर में पाटनीपुरा से अतिक्रमण हटायें. उस समय भी यही स्थिति आई थी लेकिन आज वहां पर जमीन के भाव क्या हो गए हैं ? मेरा आपसे आग्रह यह है कि हमको मुआवजे की साईड और डेव्हलपमेन्ट की साईड भी देखना पड़ेगा.
अध्यक्ष महोदय, कोई ऐसे उच्चस्तरीय अधिकारी को भेजकर क्योंकि कोर्ट का भी विषय आया है, मुआवजे को लेकर भी आया है, 2021 के मास्टर प्लान को लेकर भी अनेक कन्प्यूजन्स यहां आए हैं. यह सारे कन्प्यूजन को क्लीयर करने के लिये, कोई अधिकारी और जन-प्रतिनिधियों की एक समिति बना दें, जो जाकर मास्टर प्लान, मुआवजे का एवं सारी विसंगतियों को देखकर उसका हल निकालें और आम आदमी को उसका मुआवजा मिल जाये. आपने बोलने का अवसर दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री मनोज पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, सही में सदन की एक समिति बना दें तो ज्यादा अच्छा रहेगा.
अध्यक्ष महोदय - बैठ जाइये.
श्री लाल सिंह आर्य - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय 3 सदस्यों ने अपनी जो अपनी बात रखी है. मैं फिर कहना चाहता हूँ कि अगर किसी की जमीन पर सरकार अधिग्रहण करती है तभी मुआवजा दिया जाता है, न कि अतिक्रमण के आधार पर. मैंने यह भी कहा है कि जिनके पास भूमि का टुकड़ा कुछ भी नहीं बचा है, हम उनका व्यवस्थापन भी कर रहे हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश नगर पालिक अधिनियम, 1956 की धारा 305 के प्रावधानों के अंतर्गत मुआवजें का कोई प्रावधान नहीं है. लेकिन फिर भी माननीय सदस्यों ने जो बात कही है. हम उनकी भावनाओं का ख्याल रखेंगे और अधिकारियों को निर्देश देंगे कि नियम के तहत, कोई कार्यवाही है तो आप उसको संचालित करें.
श्री जितू पटवारी - अध्यक्ष जी, क्या आप कमेटी बनायेंगे ? यह तो पारदर्शिता होगी.
अध्यक्ष महोदय - मैं किसी को अलाउ नहीं करना चाहता हूँ. श्री के.के.श्रीवास्तव बोलेंगे.
श्री मनोज पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा यह निवेदन है कि जिनका 100 वर्षों से मालिकाना हक है, जिन्होंने जमीन खरीदी है, क्या उनको मुआवजा देंगे. (व्यवधान)
श्री जितू पटवारी - अध्यक्ष महोदय, मैं समझता हूँ कि इस प्रश्न को उठाने का मूल संदर्भ क्लीयर नहीं हुआ है. मेरा अनुरोध है कि शासन की यह गोल-मोल बातें तो रोज हो रही हैं. कोई स्पष्ट निराकरण वाली बात नहीं हुई है. (व्यवधान)
श्री मनोज पटेल - माननीय, जो पैतृक जमीन है, मेरे माता-पिता ने खरीदी है. अगर उस जमीन में से, सरकार कोई जमीन लेती है तो उसका तो मुआवजा मिलना चाहिए. यहां सदन को एवं माननीय मंत्री जी को अधिकारीगण गुमराह कर रहे हैं.
श्री लाल सिंह आर्य - मैं, मित्र श्री मनोज पटेल जी को बताना चाहता हूँ कि हम ऐसी कोई जमीन नहीं ले रहे हैं, जो किसी की स्वयं की है. हम केवल, जो सरकारी जमीन थी, सन् 1975 में, जिसका उल्लेख 24 मीटर किया गया था. (व्यवधान)
श्री मनोज पटेल - अध्यक्ष महोदय, मेरे पास रिकॉर्ड है.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी, जो रिकॉर्ड लाये हैं, उनको आप बाद में देख लीजियेगा. आप माननीय मंत्री जी को उपलब्ध करा दीजिये.
श्री जितू पटवारी -- अध्यक्ष जी, मैं एक मिनट और लूंगा. मंत्री जी, वहां एक जैन परिवार है, 19 लोग उसमें निवास करते हैं. ..
अध्यक्ष महोदय -- अब नहीं, आप मंत्री जी को उपलब्ध करवा दें. श्री के.के.श्रीवास्तव, अपने ध्यान आकर्षण की सूचना पढ़ें.
श्री जितू पटवारी -- ..पूरा घर टूट गया. आज से 60 साल पहले का वह घर है. आप कह रहे हैं कि नहीं, आपका और मेरा जन्म नहीं हुआ था, उससे पहले का घर है उनका. आप इस तरीके से बात कर रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, यह तो गलत तरीका है, इसका निराकरण ही नहीं हुआ. बात का संदर्भ ही नहीं निकल पाया. कुछ आश्वासन तो मिले कि हमने सदन का इतना बहुमूल्य समय लिया है.
अध्यक्ष महोदय -- कृपा करके बैठ जायें, श्री के.के. श्रीवास्तव.
..(व्यवधान)..
श्री जितू पटवारी -- मैं समझता हूं कि यह ठीक नहीं है.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, आपके समझने से नहीं होता. श्री के.के.श्रीवास्तव.
श्री जितू पटवारी -- अध्यक्ष महोदय, मेरी आपसे हाथ जोड़कर प्रार्थना है कि आपने अनुमति दी. इस विषय पर गंभीरता रखी. सरकार की तरफ से कोई ऐसी बात ही नहीं आई.
अध्यक्ष महोदय -- आप कृपया बैठ जायें.
श्री जितू पटवारी -- अध्यक्ष महोदय, इस पर कोई एक जांच समिति बनवा दें.
अध्यक्ष महोदय -- इसमें अब किसी को कोई प्रश्न एलाऊ नहीं होगा. सिर्फ के.के. श्रीवास्तव जी का लिखा जायेगा. के.के.श्रीवास्वत,अब आप ध्यान आकर्षण सूचना पढ़िये.
12.31 बजे बहिर्गमन
श्री जितू पटवारी, सदस्य द्वारा शासन के उत्तर से असंतुष्ट होकर सदन से बहिर्गमन.
श्री जितू पटवारी -- अध्यक्ष महोदय, सरकार की तरफ से इसके उत्तर में ऐसी कोई बात नहीं आई है. इसलिये मैं सदन से बहिर्गमन करता हूं.
(श्री जितू पटवारी, सदस्य द्वारा शासन के उत्तर से असंतुष्ट होकर सदन से बहिर्गमन किया गया.)
12.32 बजे ध्यान आकर्षण (क्रमशः)
(2) भोपाल स्थित राजीव गांधी कालेज समिति प्रबंधन द्वारा अनियमितता की जाना.
श्री के.के.श्रीवास्तव (टीकमगढ़) -- अध्यक्ष महोदय,
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री उमाशंकर गुप्ता) -- अध्यक्ष महोदय,
श्री के.के.श्रीवास्तव -- अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी से यह जानना चाहता हूं कि भोपाल के अंदर इस समिति का पूरा कारोबार चल रहा है. उसको बड़े बड़े नेता और शिक्षा माफियाओं का पूरा संरक्षण है. वहां शिक्षा की थोक दुकान चलाई जा रही है. मैं मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि क्या उसमें भर्ती किये गये कर्मचारी, प्राध्यापकों की भर्ती प्रकिया की जांच करायेंगे. क्या इसमें आरक्षण की शर्तों का पालन किया गया है. सोसायटी के कौन कौन सदस्य हैं, इसके जो सदस्य हैं,यह आप सदन को अवगत करायेंगे.
श्री उमाशंकर गुप्ता -- अध्यक्ष महोदय, जो जानकारी माननीय सदस्य कह रहे हैं, वह हम उपलब्ध करा देंगे. जानकारी प्राप्त कर लेंगे, अभी जो मेरे पास जानकारी थी, वह मैंने उपलब्ध कराई है और मैं एक धन्यवाद जरुर देना चाहता हूं सदस्य जी को. इस कारण मुझे प्रायवेट कालेज के सिस्टम को समझने को और अवसर मिला. इन जनरल दो-तीन बातें हमारे ध्यान में और भी आई हैं कि सिस्टम में जो ठीक करने की जरुरत है. प्रवेश को लेकर भी, पाठ्यक्रम जो हम परमीशन देते हैं. अभी जो मुझे ध्यान में आया है कि उच्च शिक्षा विभाग के निर्धारित पाठ्यक्रम जो हैं विश्वविद्यालय के उसके लिये तो इन्फ्रास्ट्रक्चर का ध्यान रखा जाता है लेकिन जो पाठ्यक्रम सूचीबद्ध नहीं है..
श्री के.के.श्रीवास्तव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, पहले मेरे प्रश्न का उत्तर तो आने दें. मेरे प्रश्न का उत्तर नहीं आया है, मैं पूछ कुछ रहा हूं और उत्तर कुछ आ रहा है.
अध्यक्ष महोदय-- पहले आप उत्तर तो सुन लें.(हंसी)
श्री के.के. श्रीवास्तव -- मंत्री जी, मैं पूछ रहा हूं कि भर्ती किये गये कर्मचारी और अधिकारियों के लिये जो प्रक्रिया अपनाई गई है, उस प्रक्रिया की क्या मंत्री जी जांच करायेंगे ? और सोसायटी के कौन कौन से सदस्य हैं, उसकी सूची क्या सदन को उपलब्ध करायेंगे, क्या इसमें भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण का पालन किया गया है क्या पहले इस बात का मंत्री जी उत्तर दें फिर हम अपना दूसरा प्रश्न करेंगे.
अध्यक्ष महोदय-- बाद में नहीं , एक ही प्रश्न बस.
श्री के.के.श्रीवास्तव- तो माननीय अध्यक्ष महोदय, पूरी बात मैं अभी कर लेता हूं.
अध्यक्ष महोदय--चलिये मंत्री जी का उत्तर ले लीजिये. नहीं तो प्रश्न बहुत लंबा हो जायेगा.सब प्रश्नों का इकट्ठा उत्तर मंत्री जी दे दीजिये.
श्री उमाशंकर गुप्ता -- मैं इसकी जांच करा लूंगा.
श्री के.के. श्रीवास्तव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, कितने पाठ्यक्रम चल रहे हैं,उसके नामदंड के हिसाब से क्या संस्था ने फर्नीचर, भवन, इन्फ्रास्ट्रक्चर, निर्माण किये हैं, क्या उस आधार पर प्रयोगशाला, लायब्रेरी, प्राध्यापकों की संख्या है. अगर मापदंड के अनुसार नहीं है और पाठ्यक्रम अधिक हैं, भवन नहीं है, फर्नीचर नहीं है, तो क्या उसकी मान्यता समाप्त करेंगे. मंत्री जी यह बता दें.
श्री उमाशंकर गुप्ता -- अध्यक्ष महोदय, मैंने कहा है कि मैं जांच करा लूंगा. मैं तो इससे अतिरिक्त बता रहा था कि मुझे कुछ और बातें पता चली हैं.
श्री के.के.श्रीवास्तव-- अध्यक्ष महोदय, मैं पूछ रहा हूं कि प्रवेश के समय छात्रों की संख्या कम होती है, परीक्षा के समय में छात्रों की संख्या कम होती..
श्री उमाशंकर गुप्ता -- मैं इस बात से सहमत हूं कि प्रवेश के समय छात्र और परीक्षा के समय छात्रों की संख्या में अंतर है.
श्री के.के.श्रीवास्तव -- अध्यक्ष महोदय, भोपाल का मामला है.
अध्यक्ष महोदय- बैठ जाईये, मंत्री जी आपकी बात से सहमत हो रहे हैं, जांच कराने की बात कह दी अब और क्या चाहते हैं.
श्री के.के. श्रीवास्तव- बहुत बहुत धन्यवाद.
12.36 बजे याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय-- आज की कार्यसूची में सम्मलित सभी याचिकायें प्रस्तुत की हुई मानी जायेंगी.
12.27 बजे वर्ष 2016-17 की अनुदानों की मांगों पर मतदान
मांग संख्या-22 नगरीय विकास एवं पर्यावरण
मांग संख्या-71 सिंहस्थ, 2016 से संबंधित व्यय
मांग संख्या-75 नगरीय निकायों को वित्तीय सहायता.
उपस्थित सदस्यों के कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए. अब मांगों और कटौती प्रस्तावों पर एक साथ चर्चा होगी.
श्री कमलेश्वर पटेल(सिहावल) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 22, 71 और 75 के विरोध में तथा कटौती प्रस्ताव के समर्थन मे अपनी बात कहने के लिये खड़ा हुआ हूं. माननीय अध्यक्ष महोदय,शहरों को सुनियोजित ढंग से संचालित करने के लिये नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायत की बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका होती है. अध्यक्ष जी आपके माध्यम से कहना चाहता हूं कि आये दिन पूरे प्रदेश नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायत में जो अव्यवस्थाओं का आलम है उसके बारे में मंत्री जी को बताना चाहता हूं. आजकल एक बहुत बड़ा जुमला पूरे देश में चल रहा है वह है स्मार्ट सिटी का, यह स्मार्ट सिटी कौन सी स्मार्ट सिटी बनेगी, कैसी स्मार्ट सिटी बनेगी, किसी को पता नहीं है कि कहां से राशि आयेगी, कितनी राशि आयेगी, राशि कौन देगा, क्या व्यवस्थायें होगी और सीधे सीधे अभी तक जो हमें समझ में आ रहा है स्मार्ट सिटी बनाने का औचित्य वह यह है कि बड़े बड़े उद्योगपतियों को बड़े बड़े बिल्डरों को सरकारी जमीनें देकर के उनको उपकृत करने का मामला ही नजर आ रहा है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारा आपके माध्यम से इस सरकार से और विभाग के मंत्री जी से प्रश्न है और हम मंत्री जी से यह जानना चाहते हैं कि जिस तरह से आज पूरे मध्यप्रदेश में जितने नगरीय निकाय, नगर पालिका और नगर पंचायतें हैं, वहां पर जिस तरह की अव्यवस्थायें देखने को मिल रही है, उसको देखते हुये मुझे नही लगता कि आपको अभी स्मार्ट सिटी के बारे में सोचना चाहिये. पहले आपके पास में जो व्यवस्थायें हैं उनको तो आप स्मार्ट बनायें. आप नालियों की सफाई कर नहीं पा रहे हैं, सुनियोजित सड़कें दे नहीं पा रहे हैं, आपकी नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायत आम नागरिकों को बेसिक सुविधायें दे नहीं पा रही हैं लोग मच्छरों से लोग परेशान हैं, पीने के पानी की सप्लाई बराबर दे नहीं पा रहे हैं, और बात करते हैं कि हम स्मार्ट सिटी बनायेंगे. जो आपके पास में मौजूदा नगर निगम, नगर पालिकायें और नगर पंचायतें हैं उनकी व्यवस्थायें तो आप सुधार नहीं पा रहे हैं और कौन सी स्मार्ट सिटी आप बनायेंगे. यह बड़ी चिंता का विषय है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न में ही पूरे मध्यप्रदेश की जनता का प्रश्न है और स्थानीय और बुद्धीजीवि लोग भी इस बात को लेकर के चिंतित हैं. भोपाल में जिस जगह को स्मार्ट सिटी के नाम पर चिह्नित किया गया है मंत्री जी वहां के हजारों पेड़ काटे जायेंगे.
12.42 बजे {उपाध्यक्ष महोदय(डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह)पीठासीन हुए}
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह स्मार्ट सिटी कौन बनायेगा. सुना है कि प्रायवेट बिल्टर्स को दे रहे हैं. कौन से बिल्डर्स को देंगे, क्या नियम-कायदा होगा, किस शर्त पर देंगे. क्या मध्यप्रदेश सरकार के पास में इतना आर्थिक संकट आ गया है कि सरकारी जमीनें बेचकर के मध्यप्रदेश का विकास करेंगे, इस पर सरकार को चिंता करने की आवश्यकता है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एक तरफ पर्यावरण संरक्षण के लिये करोड़ों रूपये साल में खर्च किये जाते हैं. पर्यावरण की क्या दुर्दशा है कि आज जो शेर हैं, चीता हैं,वन्य प्राणी हैं जिनको जंगल में जिनको विचरण करना चाहिये वह आज शहर की ओर आ रहे हैं और जब शहर की और आते हैं तो प्रदेश के मुख्यमंत्री जी का हमने वक्तव्य पढ़ा था, जिनको जंगल में विचरण करना चाहिये, जिनकी जगह जंगल में है, जिनका संरक्षण जंगल में होना चाहिये अगर वह शहर में दिखाई देते हैं तो मुख्यमंत्री जी खुशी जाहिर करते हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इसी से आप अंदाजा लगा लीजिये कि क्या वन्य प्राणियों के संरक्षण की यह सरकार कितनी चिंता कर रही है. किस तरह से वन्य प्राणियों का हरासमेंट हो रहा है किस तरह से जंगलों की कटाई हो रही है. और सत्य बात यही है कि जंगलों की अंधाधुंध कटाई होने की वजह से वन्य प्राणी अब शहर और गांव की और आ रहे हैं. जिनको जंगल में रहना चाहिये वह आये दिन शहर में दिखाई दे रहे हैं. एक जगह नहीं मध्यप्रदेश में आये दिन किसी न किसी दिन, किसी न किसी हिस्से में कहीं चीता कुंए में गिरा मिलता है कहीं शेर मिलता है, हमारे क्षेत्र में भी एक दिन चीता एक आदिवासी के घर पर आ गया था 24 घंटा विचरण किया. उपाध्यक्ष महोदय, एक तरफ जहां पर्यावरण संरक्षण का काम सरकार का है वह यह सरकार नहीं कर रही है. जंगल विभाग का काम पर्यावरण का संरक्षण करना है, इनको पौधों का संरक्षण करना चाहिये परंतु वहां पर ऐसे अधिकारी की पोस्टिंग सरकार के द्वारा की जाती है जो भ्रष्टाचार में लिप्त रहते हैं जो लेन देन ज्यादा करते हैं उनको उपकृत करते हैं, उनको बड़ी बड़ी पोस्टिंग देते हैं. यह सरकार का कृत्य है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड बड़ा महत्वपूर्ण विभाग है पर सच बात तो यह है कि वहां पर अध्यक्ष को लेकर ही लड़ाई कई वर्षों से चली आ रही है, वह लड़ाई ही खतम नहीं हो रही है. अब जो विभाग प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष की नियुक्ति को व्यवस्थित करने में ही लगातार लड़ रहे हैं तो आम जनता को न्याय दिलाने के लिये, उद्योगों को कन्ट्रोल करने के लिये जो प्रदेश को प्रदूषित करते हैं उनको कन्ट्रोल करने के लिये यह कैसे काम करेंगे . यह बड़ी चिंता का विषय है. National_Green_Tribunal बोर्ड ने मध्यप्रदेश सरकार की कड़ी आलोचना की है. सिंगरोली में पॉवर प्रोजेक्ट के कारण वायु प्रदूषण बहुत बढ़ गया है और इसके लिये सरकार ने कुछ नहीं किया यह हमारा नहीं, जो प्रदेश की सर्वोच्य संस्था National_Green_Tribunal है उसका स्टेटमेंट है. यहीं भोपाल में आये दिन गांव से लगे हुये जो जंगल हैं उनको उजाड़कर बस्तियां बसाई जा रही है, बिल्डरों को मकान बनाने की अनुमतियां दी जा रही हैं.कैसे संरक्षण होगा यह बड़ी चिंता का विषय है. आज लोग परेशान हैं. सरकार एक तरफ पर्यावरण दिवस मनाती है, योग करवाती है और करोड़ों रुपये खर्च करती है. उपाध्यक्षजी, हमने सरकार से एक प्रदुषण के संबंध में एक प्रश्न किया था कि प्रदेश में प्रदुषण बहुत फैल रहा है यह चिन्ता का विषय है. सरकार की तरफ से एक लाईन में जवाब आया था कि मध्यप्रदेश में पाल्युशन है ही नहीं. पिछले सत्र में ही हमको इस तरह का जवाब मिला था. यह कितना गैर जिम्मेदाराना जवाब है.
उपाध्यक्ष महोदय, अगर सही में स्मार्ट सिटी बनाने का थोड़ा बहुत काम हुआ है तो केन्द्र सरकार ने जो जवाहर लाल नेहरु अर्बन डेवलपमेंट के तहत जब मनमोहन सिंह जी प्रधानमंत्री थे, कई करोड़ रुपये प्रदेश सरकार को दिये. भोपाल में थोड़ी बहुत सूरत बदली हुई देखते हैं या आप इंदौर, जबलपुर या बड़े बड़े महानगरों में सूरत बदली हुई देखते हैं तो जो राशि आयी है, उससे बदली है. हालांकि उसमें भी भारी भ्रष्टाचार हुआ है. फिर भी थोड़ी बहुत सड़कें दिख रही है. प्लांटेशन दिख रहा है तो वह जवाहरलाल नेहरु अर्बन डेवलपमेंट के तहत जो राशि मध्यप्रदेश सरकार को मिली थी, उससे दिख रहा है.
उपाध्यक्ष महोदय, सिंगरौली नगर निगम के अंतर्गत एनटीपीसी, एनसीएल के तहत जो विस्थापित लोग बहुत दिनों से बसे हुए थे, नगर निगम ने वहां पूरा विकास किया और उन कॉलोनियों के विकास में एनटीपीसी, एनसीएल ने भी भागीदारी निभाई और आज उनको विस्थापित कर रहे हैं. क्या मुख्यमंत्रीजी या यह सरकार इसी तरह से सिंगरौली को सिंगापुर बनायेगी. एक तरफ प्रदुषण की वजह से लोग परेशान हैं. श्वांस लेना मुश्किल हो रहा है. वन्य जीव भी खत्म हो रहे हैं. प्रदुषण के कारण किसानों की फसलें चौपट हो रही है. सतना,सिंगरौली, सीधी पूरे संभाग में सीमेंट फैक्ट्रियों की वजह से,पावर प्रोजेक्ट के कारण प्रदुषण हो रहा है. दूसरी तरफ कई वर्षों से जो गरीब विस्थापित बसे हुए हैं. सरकार ने उनको विधिवत् बसाया था आज उनको विस्थापित कर रहे हैं, उजाड़ रहे हैं. यह नहीं होना चाहिए. उनको न्याय मिलना चाहिए.
उपाध्यक्ष महोदय, आये दिन समाचार पत्रों में छपता है. भोपाल में केपिटल प्रोजेक्ट CPA है जिसने भोपाल में विकास में काफी योगदान दिया वह कई बार भ्रष्टाचार का अड्डा भी बन जाता है जैसा कि अभी बना हुआ है. यह हम नहीं बोल रहे हैं यह भारतीय जनता पार्टी के स्थानीय विधायक बोल रहे हैं. कई लोगों ने पेपर में स्टेटमेंट दिया है. अभी दो-चार दिनों में ही पढ़ा है कि कितने सौ करोड़ रुपये भोपाल के तालाब संरक्षण के लिए खर्चा हुए लेकिन उस राशि का सदुपयोग नहीं हुआ और राशि लगातार निकलती गई. आज भी जो ड्रेनेज सिस्टम है, गंदा पानी तालाब में जाने से रुकना चाहिए, वह पानी आज भी तालाब मिल रहा है. वह तालाब का पानी हम लोग पीते हैं. उपाध्यक्ष महोदय, हम इतनी व्यवस्था तो कर नहीं पाये तो हम कौन सी स्मार्ट सिटी बनायेंगे !
उपाध्यक्ष महोदय, पहले हमारी जो पुरानी व्यवस्था है, नगर पालिका, नगर पंचायत,नगर निगम की साफ-सफाई व्यवस्था और ड्रेनेज सिस्टम है, नालियां है उसको पहले व्यवस्थित करना चाहिए. सड़कें बनाना चाहिए. हमारे सीधी जिला मुख्यालय में धूल उड़ती है.सड़कें इतनी खराब है कि लोगों का पैदल चलना मुश्किल है. आप भी ध्वजारोहण के लिए गये हैं, आपने भी देखा होगा कि लोग कितना परेशान हैं. कितना प्रदुषण है. इस तरह के तो हालात हैं और बोलते हैं कि स्मार्ट सिटी बनायेंगे. कौन सी स्मार्ट सिटी बनायेंगे. जिस तरह से स्मार्ट विलेज की बात की थी. आपने आदर्श गांव बनाये थे, जिसके लिए केन्द्र सरकार ने कोई राशि नहीं दी. उपाध्यक्षजी,नाम देकर, काम खत्म कर देंगे. जिस तरह से गोकूल गांव की भी परिकल्पना की थी. उसकी क्या स्थिति है. आप विजिट करिये. सरकार के मंत्रिगण देख कर आयें कि गोकूल धाम आज कहां और किस स्थिति में है. इस तरह से स्लोगन देने से काम नहीं बनेगा. सरकार को लोगों के लिए काम करना पड़ेगा. बुनियादें सुविधाएं हैं, वह मुहैया कराना पड़ेगा.
उपाध्यक्ष महोदय, आज आप किसी कॉलोनी में भी चले जाईये, मच्छरों का प्रकोप है. नगर पालिका, नगर निगम मच्छर मारने के लिए लाखों रुपया खर्चा कर रही है. यह राशि कहां जाती है. माननीय मंत्रीजी, सरकार को और चूंकि यह विभाग माननीय मुख्यमंत्रीजी के पास है, तो उनको चिन्ता करना चाहिए. एक बड़ी चिन्ता का विषय है. जब आप मंत्री थे, उस समय मध्यप्रदेश के कई शहरों के मास्टर प्लान बने थे. मास्टर प्लान बन नहीं रहे हैं, कितने वर्ष हो गये हैं. मध्यप्रदेश के कई नगर पंचायत, नगर निगम,नगर पालिका के मास्टर प्लान कई वर्षों से नहीं आये और कहते हैं हम स्मार्ट सिटी बनायेंगे. कैसी स्मार्ट सिटी बनायेंगे? उपाध्यक्ष महोदय, पूरे प्रदेश की हर नगर पालिका,नगर निगम, नगर पंचायतों में जो सुनियोजित विकास होना चाहिए, वह न होकर (XXX)...क्षमा कीजिएगा हम उनको अवैध कॉलोनियां कह सकते हैं. उस शब्द को विलोपित करा दीजिए.
उपाध्यक्ष महोदय-- उस शब्द को कार्यवाही से निकाल दें.
श्री कमलेश्वर पटेल--उपाध्यक्ष महोदय, अवैध कॉलोनियों का पूरे प्रदेश में भण्डार हो गया है. चाहे इंदौर हो, चाहे भोपाल, जबलपुर हो, ग्वालियर हो, सतना या रीवा हो, हम जिस शहर पर भी नजर दौड़ायेंगे अवैध कॉलोनियां बढ़ती जा रही है. फिर सरकार कहती है हम उनको नियमित कर देंगे. अब अगर गरीब जनता ने पैसा लगा दिया है तो ठीक है आप उनको नियमित करिये लेकिन आपका पहले से मास्टर प्लान आ जाये तो यह स्थिति न बने. कई शहरों का मास्टर प्लान कई वर्षों से लंबित है. आप मास्टर प्लान बना नहीं पा रहे हैं. राजधानी,भोपाल का लंबित है. विदिशा जहां के मुख्यमंत्रीजी हैं वहां का भी लंबित है. हमने एक प्रश्न पूछा था तो जवाब आया कि समय सीमा बताना संभव नहीं है. अगर समय सीमा सरकार नहीं बतायेगी, सरकार नहीं तय करेगी तो हम तय करने आयेगें? उपाध्यक्ष महोदय, या तो यह सरकार हम लोगों की सरकार का इंतजार कर रही है कि यह काम हम नहीं कर सकते, जब कांग्रेस सरकार आयेगी वही सुनियोजित काम कर सकती है.
उपाध्यक्ष महोदय, अभी भी वही नीति चल रही है जो 1999 में माननीय दिग्विजय सिंह जी की सरकार के समय चलती थी.
उपाध्यक्ष महोदय--कितना समय लेंगे?
श्री कमलेश्वर पटेल--उपाध्यक्षजी, बहुत सारा मटेरियल है लेकिन आप जितना समय दे देंगे हम समाप्त कर देंगे.
उपाध्यक्ष महोदय--अपने भाषण को नियोजित कर लीजिए. 4 मिनट में समाप्त कर दीजिए.
श्री कमलेश्वर पटेल--उपाध्यक्ष महोदय, सरकार को हमारा सुझाव भी है कि जिस तरह से केन्द्र में वन और पर्यावरण मंत्रालय एक साथ हैं. अगर मध्यप्रदेश सरकार भी उस तरह की व्यवस्था बनाती है तो हमारा ख्याल है कि हो सकता है कि वन और पर्यावरण के एक ही मंत्री हो जाने से जो पेड़ कटाई वाला मामला है उसमें कंट्रोल होगा और पर्यावरण को संरक्षण देने में कुछ सहयोग मिले. और वन विभाग के जो अधिकारी कर्मचारी हैं, उनको पर्यावरण के बारे में काफी कुछ अध्ययन भी रहता है और केन्द्र और राज्य सरकार को भी आपस में तालमेल बैठाने में काफी सुविधा होगी.
उपाध्यक्ष महोदय, अभी सिंहस्थ होने जा रहा है. सिंहस्थ के बारे में आप भी रोज पढ़ते होंगे कि अलग अलग अखाड़ें जो धर्मगुरु लोग हैं वह रोज धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं. यह बड़ा चिन्ता का विषय है. हालांकि अभी सिंहस्थ में समय है. हम लोग पिछले सत्र से लेकर अभी तक सुन रहे हैं कि सरकार ने सिंहस्थ के लिए यह कर दिया वह कर दिया लेकिन यह जो व्यवस्था है मुझे लगता है कि वह अभी अनुकूल नहीं है. जिस तरह से भ्रष्टाचार की सुगबुगाहट आती रहती है. पेपरों में छपता रहता है.
श्री वेलसिंह भूरिया--कमलेश्वर जी जाकर देख आना कितनी अच्छी सड़कें बन रही हैं, कितना बेहतरीन काम हो रहा है और क्षिप्रा में एकाध डुबकी भी लगा आना, आपके थोड़े-बहुत जो पाप हैं, वह धुल जायेंगे..
श्री कमलेश्वर पटेल-- जो पाप किये हों,आपके जैसे लोग, उनको डुबकी लगाना चाहिए. हम बराबर बाबा महाकाल की नगरी में साल में दो बार, कभी चार बार जाते हैं, दर्शन करते हैं, भस्म आरती में भी शामिल होते हैं और बराबर श्रद्धा है.
उच्च शिक्षा मंत्री(श्री उमाशंकर गुप्ता)-- इनका कहना है कि क्षिप्रा में पापी ही डुबकी लगाते हैं, यह कहना ठीक नहीं है. क्षिप्रा एक पवित्र नदी है. सिहंस्थ में करोड़ों धर्मालु श्रद्धालु आते हैं. देश विदेश के लोग आते हैं. कमलेश्वरजी का यह कहना कि वहां पापी लोग डुबकी लगाते हैं, मेरे ख्याल से सबका अपमान है. बोलते समय थोड़ा संयम रखना चाहिए.
श्री कमलेश्वर पटेल--माननीय मंत्रीजी, हमने नहीं बोला. यह बात आपके माननीय सदस्य ने कही है.
श्री उमाशंकर गुप्ता--पापी लोग डुबकी लगाते हैं. यह मेरे ख्याल से उचित नहीं है. यह शब्द अगर आप वापस लेंगे तो ज्यादा अच्छा है.
उपाध्यक्ष महोदय--माननीय मंत्रीजी, कार्यवाही में देखना पड़ेगा कि कमलेश्वर जी ने कहा है या वेलसिंह भूरिया जी ने कहा है.
श्री कमलेश्वर पटेल (जारी)-- माननीय मंत्री जी हमने नहीं बोला है, यह आपके माननीय सदस्य ने बोला है इस बात को. ...(व्यवधान)...
श्री उमाशंकर गुप्ता-- पापी लोग डुबकी लगाते हैं यह मेरे ख्याल से उचित नहीं है, यह शब्द अगर आप वापस लेंगे तो अच्छा है.
उपाध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी कार्यवाही में देखना पड़ेगा, कलेश्वर जी ने कहा है या वेल सिंह भूरिया जी ने कहा है.
श्री रामेश्वर शर्मा-- उन्होंने यह बोला है कि आपके पाप कम करने के लिये आप धोकर आयें तो इन्होंने कहा कि जो पाप करते हैं वह नहाकर आयें, मेरा कहना है कि इन शब्दों को निकाला जाये.
श्री कमलेश्वर पटेल-- हमने गलत कहां बोला, हमने तो कोई पाप किया नहीं है ..... (व्यवधान)...
श्री रामेश्वर शर्मा-- माननीय उपाध्यक्ष जी न यह तय कर रहे न मैं तय कर रहा लेकिन गंगा में नहाना, नर्मदा में नहाना, छिप्रा में नहाना, गंगोत्री में नहाना, इससे पाप का उदाहरण देना गलत है, मेरा अर्थ यह है कि इसमें जो पापी हैं वही नहायें, ये शब्द गलत हैं, मैं चाहता हूं इनको निकाला जाये.
श्री कमलेश्वर पटेल-- यह आप वेल सिंह जी को समझाइये. हम समझते हैं. हम गलत नहीं ले रहे शर्मा जी.
उपाध्यक्ष महोदय-- आपकी बात आ गई शर्मा जी, आप बैठ जायें.
श्री महेन्द्र सिंह-- माननीय उपाध्यक्ष जी, पाप के ऊपर इतना डिस्कशन नहीं होना चाहिये.
उपाध्यक्ष महोदय-- हां होना तो नहीं चाहिये था.
श्री कमलेश्वर पटेल-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एक बड़ा महत्वपूर्ण और टेक्नीकल पाइंट है, अभी तक नर्मदा, छिप्रा परियोजना को पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार की मंजूरी नहीं मिली है और उसके बाद भी छिप्रा और नर्मदा जी को जोड़ने का जो अभियान है वह पूरी तरह से अंतिम छोर पर है, भले ही पानी अभी वहां नहीं पहुंचा हो, असंतोष है लोगों के मन में. ऐसी कई परियोनायें हैं माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जो बिना केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय के अनुमति के चल रही है, यदि पर्यावरण के लिये अब तक काम हुआ होता तो छिप्रा नदी के लिये नया जीवन मिल गया होता. अगर सरकार इतनी गंभीर और इतनी चिंतित होती तो नर्मदा जी को वहां ले जाने की जरूरत नहीं थी, छिप्रा नदी के जो वहाव थे उसके संरक्षण के लिये भी सरकार बहुत अच्छे से काम कर सकती थी पर इतने वर्षों में काम नहीं किया, जब नर्मदा जी का पानी अन्य नदियों जैसे पार्वती, कालीसिंध में डालने की बात कर रही है सरकार, फिर से वही गलती दोहराने पर सरकार उतारू है, जब पानी का बहाव कम हो जायेगा, नर्मदा जी के जीवन को भी खतरा हो जायेगा, नर्मदा जी से दूसरी नदियों की सेहत बनाने की तो बात सरकार करती है, लेकिन नर्मदा जी आज किस हालत में है, किस तरह से दोहन हो रहा है, अवैद्य उत्खनन से लेकर और किस तरह से आज उनका बहाव भी जितना था वह भी कम होता जा रह है, हमें तो चिंता है कि आगे चलकर कहीं नर्मदा मैया का अस्तित्व खतने में नहीं पड़ जाये और मां नर्मदा इस सरकार को माफ नहीं करने वाली जिस तरह से मां नर्मदा जी के साथ ये सरकार अन्याय कर रही है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, निगम के दफ्तर में बदबू के मारे बुरा हाल, हल नहीं हो रही समस्या.
उपाध्यक्ष महोदय-- सब अखबार आप पढ़ेंगे क्या, यह सब माननीय सदस्य पढ़ते हैं.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- कमलेश्वर जी जितू पटवारी दे गये होंगे आपको.
श्री कमलेश्वर पटेल-- हमें किसी की जरूरत नहीं है, मेरा एक और छोटा सा निवेदन है, हाउसिंग बोर्ड एक बड़ी महत्वपूर्ण संस्था है मध्यप्रदेश की और जिसका जो उदद्यदेश्य था कि हम मध्यम वर्गीय लोगों के लिये आवास बनाकर देंगे, उससे कहीं न कहीं हाउसिंग बोर्ड भटक गई है, सरकार को उस पर विचार करना चाहिये और जिस तरह की व्यवस्थायें बीडीए और हाउसिंग बोर्ड का जो उद्देश्य था मध्यम वर्गीय गरीब लोगों के लिये आवास मुहैया कराने का उस पर सरकार को काम करना चाहिये. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का अवसर दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद. बस मेरा आखिरी निवेदन है कि सरकार ने जो राशि का प्रावधान किया है वह भ्रष्टाचार की भेंट नहीं चढ़े, आम नागरिकों को न्याय मिले और इसका सदुपयोग हो, धन्यवाद.
श्री शैलेन्द्र जैन (सागर)-- उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 22, 71, 75 का समर्थन करता हूं. शहरी क्षेत्र जो हैं वह किसी भी देश और प्रदेश का आइना होते हैं, किसी भी देश और प्रदेश की पहचान जो है, शहरी क्षेत्र से होती है, इस नाते से शहरी क्षेत्रों के विकास के लिये वहां पर सुविधायें मुहैया कराने के लिये सरकार इस मामले में बहुत ही चिंतित है और सक्रिय है. अभी जो जनगणना 2011 के आंकड़े सामने आये हैं, उसके हिसाब से मध्यप्रदेश की कुल जनसंख्या जो है, वह 7 करोड़ 25 लाख मानी गई है, उसके हिसाब से शहरी क्षेत्र में लगभग 2 करोड़ 59 लाख जनसंख्या शहरी क्षेत्र की है, अगर इसको हम अनुपात के रूप में देखें तो हम पायेंगे कि लगभग 27.58 प्रतिशत जनसंख्या कुल जनसंख्या का इतनी बड़ी जनसंख्या हमारी शहरी क्षेत्र में रहती है. 74वें संविधान संशोधन के पश्चात जो 12वीं अनुसूची उसमें जोड़ी गई है, उसमें नगरीय क्षेत्रों के कार्यों का और उसके उत्तरदायित्व में काफी वृद्धि की गई है. अब यह वृद्धि हुई है इसके लिये हमारी नगरीय क्षेत्र की कार्यक्षमता को बढ़ाने के लिये एक बहुत बड़ी चुनौति है, हमारी सरकार ने इस चुनौति को स्वीकार किया है और हमने अपने बजट में उस चुनौति को स्वीकार करने के लिये जो आवश्यक कदम है वह उठाने के लिये हमने कार्य किया है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, शहरी क्षेत्र जो है वह हमारी आर्थिक उन्नति के एक बहुत बड़े घटक होते हैं और इस नाते से हमने शहरी क्षेत्रों के विकास के लिये निरंतर बजट में वृद्धि करते आये हैं, अभी माननीय कमलेश्वर पटेल जी अपने जमाने का याद करना चाह रहे थे, मैं उसको भूलना चाहता हूं. वर्ष 2003-04 के आंकड़े हमारे पास उपलब्ध हैं, उस समय नगरीय क्षेत्र के विकास के लिये महज 807 करोड़ रूपये खर्च होते थे, और आज उन नगरीय क्षेत्रों के विकास के लिये पिछले वर्ष 2015-16 में हमने लगभग 7374 करोड़ रूपये खर्च किये हैं और वर्तमान में वर्ष 2016-17 में जो हमारा बजट अनुमान है वह लगभग 10 हजार 7 करोड़ का है, 2003‑04 से तुलना करें तो यह बजट 14 गुना अधिक है और अगर हम पिछले बजट 2015-16 से तुलना करें तो हमारा वर्तमान का जो प्रोजेक्टेट बजट है वह ढाई हजार करोड़ अधिक है. शहरी क्षेत्र की अपनी आवश्यकतायें हैं, चाहे पेयजल की आवश्यकता हो, सफाई की व्यवस्था हो, बिजली की समस्या हो, सीवर का काम हो, इन तमाम कामों के लिये बहुत बड़ी धनराशि की आवश्यकता होती है. लेकिन मुझे कहते हुये अत्यंत दुख हो रहा है कि जिस कार्यकाल का कमलेश्वर पटेल जी जिक्र कर रहे थे उस कार्यकाल में कुछ करने को था ही नहीं वह कह रहे थे उस समय हमने कुछ नहीं किया, स्मार्ट सिटी की कल्पना करना आपके बस की बात नहीं थी क्योंकि स्मार्ट सिटी के लिये पैसे की आवश्यकता होती है, उसके लिये मैचिंग ग्रांट की आवश्यकता होती है, अकेले केन्द्र सरकार की मदद से स्मार्ट सिटी नहीं बन पती. इन तमाम कामों के लिये हमने एक बड़ी रचना बनाई है, इन तमाम कामों के लिये, शहरी क्षेत्र के विकास के लिये आगामी पांच वर्षों में हमारी सरकार 75 हजार करोड़ रूपये खर्च करने वाली है.
अध्यक्षीय घोषणा
माननीय सदस्यों के भोजन विषयक
उपाध्यक्ष महोदय-- माननीय सदस्यों के लिये सदन की लॉबी में भोजन की व्यवस्था की गई है, माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि अपनी सुविधानुसार भोजन ग्रहण करने का कष्ट करें.
श्री शैलेन्द्र जैन-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं कहना चाहता हूं किसी ने कहा है कि-
अपनी ही करनी का फल है नेकियां और रूसवाईयां,
आपके पीछे चलेंगीं आपकी परछाइयां.
आपने जो कुछ भी वर्ष 2003-04 तक किया है उसी की परिणिती है कि आज हमारे सदस्यगण सामने बैठे हैं और हम यहां बैठे हैं. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इस समय हमारे पूरे के पूरे शहर हैं उनकी छबि जो है, एकदम बदल रही है, आज तेज गति से काम शुरू हो रहे हैं और उन तेज गति से काम शुरू करने के लिये निश्चित रूप से हम केन्द्र सरकार को और मध्यप्रदेश की सरकार को बहुत बधाई देना चाहते हैं. बात कर रहे थे कमलेश्वर जी स्मार्ट सिटी की, स्मार्ट सिटी की हमने कल्पना की है, स्मार्ट सिटी की भारत वर्ष के प्रधानमंत्री जी ने कल्पना की है और हमें इस बात की अत्यंत प्रसन्नता है कि एक शहर का विकास किस तरह से होना चाहिये. जो एक इनक्लुसिव डेव्हलपमेंट की हमने कल्पना की है. एक समग्र विकास कैसे होना चाहिए, उसकी जो हमने कल्पना की है, उसकी पूर्ति के लिए निश्चित रूप से स्मार्ट सिटी जैसी योजनाओं की महती आवश्यकता है. स्मार्ट सिटी की जो कल्पना है, यह महज एक कल्पना नहीं है. इसको कार्यरूप में लेने के लिए हमारी सरकार ने गंभीर प्रयत्न शुरु किये हैं. यह राशि केवल केन्द्र सरकार से ही नहीं मिल रही है, स्मार्ट सिटी की 50 प्रतिशत राशि हमें केन्द्र से मिल रही है और 50 प्रतिशत की राशि का अंशदान राज्य सरकार का है. स्मार्ट सिटी के लिए हमें प्रत्येक वर्ष लगभग 100 करोड़ रुपए प्राप्त होने वाले हैं. इन आगामी 5 वर्षों में यह राशि लगभग 500 करोड़ रुपए से अधिक की होगी. हमें यह कहते हुए अत्यंत प्रसन्नता है कि हमारे 100 शहरों का चयन जो पूरे देश भर में स्मार्ट सिटी के रूप में हुआ है उसमें 7 शहर मध्यप्रदेश के हैं और द्वितीय चरण में जब इनमें आपस में प्रतिस्पर्धा करके टॉप 20 का चयन किया गया तो टॉप 20 में मध्यप्रदेश के 3 शहरों का चयन हुआ है. मैं मध्यप्रदेश की सरकार को इस बात के लिए बधाई देना चाहता हूं कि इस दिशा में जो उन्होंने तैयारियां की थी. हमारे नगरीय विकास मंत्री जी ने जो तैयारी की थी, मैं उसकी प्रशंसा करता हूं और यह कुल 20 में से 3 शहरों का चयन हुआ है, पूरे भारत वर्ष में किसी भी प्रदेश के 3 शहरों का चयन नहीं हुआ. मध्यप्रदेश इस मामले में बहुत भाग्यशाली है. मैं इस सरकार को इस बात के लिए बधाई देना चाहता हूं. इस योजना में वर्ष 2015-16 में भारत सरकार ने लगभग 596 करोड़ की स्वीकृति दी है और इस योजना में मध्यप्रदेश सरकार ने अपने बजट वर्ष 2016-17 में 400 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है. यह बहुत ही प्रशंसनीय है.
उपाध्यक्ष महोदय, अब मैं 'Atal Mission for Rejuvenation and Urban Transformation' (AMRUT) अमृत योजना की बात करना चाहता हूं. यह योजना भी हमारी एक बहुत महत्वपूर्ण योजना है. यह केन्द्र सरकार की प्रतिपादित योजना है. इसमें 1 लाख की जनसंख्या से अधिक की जनसंख्या वाले जितने भी देश भर के शहर हैं उनको अमृत योजना में लेकर उनका विकास करने का काम हाथ में लिया है. मध्यप्रदेश के 33 शहर और 1 हमारा धार्मिक शहर ऐसे कुल मिलाकर 34 शहरों का चयन इस अमृत योजना में हुआ है. अमृत योजना में पेयजल की समस्या, सेनिटेशन की, वर्षा से उत्पन्न जो जनहित की समस्याएं होती हैं, उनका निष्पादन कैसे किया जाए, जो शहरों के ट्रांसपोर्टेशन का मामला है उसको कैसे निपटेंगे, इन तमाम विषयों पर हमने अमृत योजना के माध्यम से काम करने का संकल्प लिया है. मुझे यह कहते हुए भी अत्यंत प्रसन्नता है कि अमृत योजना में भी मध्यप्रदेश पूरे भारत वर्ष में अग्रणी है, एक नम्बर पर है. इस योजना में मध्यप्रदेश ने प्रथम स्थान प्राप्त किया है. भारत सरकार द्वारा हमारी 5 वर्ष की जो योजना है, उसको सैद्धांतिक स्वीकृति दी गई है और लगभग 8579 करोड़ रुपए की स्वीकृति भारत सरकार से मिल चुकी है.
उपाध्यक्ष महोदय, वित्तीय वर्ष 2016-17 में इस हेतु हमारी सरकार ने 1712 करोड़ रुपए का बजट का प्रावधान किया है. उपाध्यक्ष महोदय, 'Housing for All' आज पूरे देश में और हमारे प्रदेश में ऐसे अनेक हजारों लाखों परिवार हैं, जिनके सिर पर छत नहीं है. सारे के सारे हिन्दुस्तान और मध्यप्रदेश के सारे परिवारों के सिर पर छत हो, यह हमारी सरकार का संकल्प है. इसके लिए हमारी सरकार ने बहुत गंभीर प्रयत्न शुरु किये हैं. इसमें प्रधानमंत्री आवास योजना एक बहुत महत्वपूर्ण योजना है, इसके हेतु भी मध्यप्रदेश की सरकार ने बहुत त्वरित कार्यवाही की है. लगभग 39 शहरों का एक्शन प्लॉन, housing for all तैयार करके इसको भारत सरकार के समक्ष प्रस्तुत कर दिया है. इस दृष्टि से भी मध्यप्रदेश देश का सबसे पहला राज्य है, जिसने अपना housing for all का जो प्रपोजल है, वह भारत सरकार के समक्ष रखा है.
उपाध्यक्ष महोदय, एक विषय और भी महत्वपूर्ण है, जो हमारे ग्वालियर का एक्शन प्लान है, उस एक्शन प्लान को पूरे के पूरे देश में मॉडल प्लॉन के रूप में माना गया है. उसको पूरे देश में उसी के हिसाब से लागू करने का काम किया जा रहा है. इस बात के लिए मैं मंत्री महोदय को बधाई देना चाहता हूं. भारत सरकार द्वारा प्रदेश के 16 शहरों के लगभग 19241 आवासीय इकाइयों की 890 करोड़ रुपए की राशि की उन्होंने स्वीकृति दी है. मैं उसके लिए भी मध्यप्रदेश की सरकार को बधाई देना चाहता हूं. यह हमारी केन्द्र से पोषित योजनाएं थी. कुछ योजनाएं ऐसी है जिनको हमने मध्यप्रदेश की सरकार ने अपने बूते पर चालू की हैं. उसमें एक योजना मुख्यमंत्री जी के नाम पर मुख्यमंत्री शहरी पेयजल योजना है. वे शहर, जिनकी आबादी 1 लाख से कम की है, ऐसे तमाम शहर अमृत योजना में कवर नहीं हो रहे थे और अन्य किसी योजना में उन शहरों के लिए कोई योजना नहीं थी, ऐसे तमाम शहर जो पेयजल की समस्या से जूझ रहे थे,वहां के लोगों की कंठ की प्यास बूझाने का काम माननीय मुख्यमंत्री जी ने किया है. मुख्यमंत्री शहरी पेयजल योजना की शुरुआत की है. वर्तमान में लगभग 135 नगरीय निकायों में 1889 करोड़ रुपए की योजनाएं क्रियान्वित की जा रही हैं. मैं इस सरकार को बहुत बहुत बधाई देना चाहता हूं. उपाध्यक्ष महोदय, एक योजना और हमारी सरकार ने शुरू की थी वर्ष 2012 से, 'मुख्यमंत्री शहरी अधोसंरचना योजना.' किसी भी शहर के लिए मुझे लगता है कि पूरे भारतवर्ष की सबसे अनूठी योजना होगी, जो किसी भी राज्य के द्वारा संचालित की जा रही है. अपने ही संसाधनों से हमने अपने महत्वपूर्ण सड़कों की महत्वपूर्ण शहरों की सड़क व्यवस्थाएं हैं, नाली व्यवस्थाएं हैं, बिजली की व्यवस्थाएं हैं, इन तमाम व्यवस्थाओं को ठीक करने का काम हम इसके माध्यम से कर रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, 277 नगरी निकायों की लगभग 1419 करोड़ की योजनाओं की स्वीकृति दी जा चुकी है. इसमें एक कंपोनेंट बहुत महत्वपूर्ण है, जिसका उल्लेख मैं आपके माध्यम से इस सदन में करना चाहता हूं, इसके लिए हमारी सरकार ने हुडको से लोन लिया है. लेकिन इस लोन का जो रिपेमेंट है, लोन के रिपेमेंट के लिए नगरीय निकायों पर लोड कम करने के लिए लगभग 75 प्रतिशत का हिस्सा सरकार वहन कर रही है और रिमेनिंग जो 25 प्रतिशत भी नहीं आता है, लगभग 18 प्रतिशत की राशि पड़ती है, वह राशि नगरीय निकायों को भरनी पड़ रही है. यह भी एक बहुत महत्वपूर्ण बात है, जिस बात के लिए मैं बधाई देना चाहता हूं. एक काम और हमारी सरकार ने किया है जो इसकी पूर्व की सरकारों ने नहीं किया था थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन का काम, जो निर्माण कार्य की गुणवत्ता है, हमेशा उस पर प्रश्न चिह्न लगता रहा है, उन तमाम बातों को ध्यान में रखते हुए थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन की और इस तरह के क्वालिटी कंट्रोल एजेंसी की नियुक्ति करने की हमारी सरकार ने शुरुआत की है. मैं उस बात के लिए भी सरकार को बहुत बहुत बधाई देना चाहता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय, बहुत सारे नगरीय निकाय ऐसे हैं जहां पर स्कील्ड मैन पॉवर की बहुत कमी है. उनके चलते बड़ी बड़ी योजनाएं जो केन्द्र से पोषित हैं, राज्य से पोषित हैं इन योजनाओं के क्रियान्वयन में बहुत तकनीकी तकलीफ आती थी और उनकी कभी कभी तो प्रॉपर डीपीआर नहीं बन पाती थी. इन सब के अभाव में वह योजनाएं न बन पाती थीं, न क्रियान्वित हो पाती थीं.इस काम के लिए मध्यप्रदेश की सरकार ने बहुत महत्वपूर्ण क्रांतिकारी कदम उठाया और 'मध्यप्रदेश अर्बन डेव्हलपमेंट कंपनी' की उन्होंने स्थापना की है. स्थानीय निकायों को न केवल वित्तीय सहायता वरन् तकनीकी सहायता देकर उसमें सहयोग करके इन योजनाओं के क्रियान्वयन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय - आप कितना समय लगें.
श्री शैलेन्द्र जैन -- उपाध्यक्ष महोदय मैं 5 मिनट में समाप्त कर देता हूं. स्वच्छता मिशन न केवल केन्द्र सरकार की वरन मध्यप्रदेश सरकार का भी एक मिशन है. इस मिशन मोड में हम लोग काम कर रहे हैं और हमारी सरकार ने 4 लाख निजी शौचालय के निर्माण की स्वीकृति प्रदान की है. उसमें एक लाख पचास हजार निजी शौचालय हमारी सरकार के द्वारा अभी तक बनाये जा चुके हैं . यह भी पूरे देश में हमारा द्वितीय स्थान है. यह भी प्रसन्नता का विषय है.
उपाध्यक्ष महोदय सोलिड बेस मैनेजमेंट का काम पूर्व के वर्षों में न के बराबर हुआ है. हमारी सरकार ने इस पर तेजी से साथ काम शुरू किया है और सागर व कटनी जैसे हमारे नगरीय निकाय में सोलिड बेस के मैनेजमेंट की शुरूवात हो गई है. हम बहुत जल्दी डोर टू डोर कचरा कलेक्शन से लेकर लेण्ड फिल साइड तक ले जाकर वैज्ञानिक पद्धति से कचरे को निष्पादन का काम हम लोग वहां पर करने वाले हैं . यह भी एक प्रसन्नता का विषय है.
उपाध्यक्ष महोदय नगरीय निकायों में एडमिनिस्ट्रेशन अपने आप मेंहमेशा एक विवाद का विषय रहा है. ई गर्वनेंस की व्यवस्था सबसे पहले हमारी सरकार ने नगरीय निकायों में शुरू की है और ई नगरपालिका की परियोजना की शुरूवात की है. इसके लिए सबसे ज्यादा समस्या जो आती थी भवन अनुज्ञा की आती थी, उसके नक्शे आदि पास कराने को लेकर . इ स काम को सुविधाजनक बनाने के लिए, आटोमेटिक बिल्डिंग प्लान एप्रूवल सिस्टम सरकारने शुरू किया है. यह भी एक प्रशंसनीय विषय है.
उपाध्यक्ष महोदय जीआईएस सिस्टम से हमारी नगरीय निकायों की आय बढ़ाने का काम भी हमारी सरकार के द्वारा किया जा रहा है, जियोग्राफीकल इंफार्मेशन सिस्टम के माध्यम से सेटेलाइट मेपिंग के माध्यम से हम एक एक घर के डिटेल लेकर करेक्ट तरीके से उनके घर का केलकूलेशन कर पा रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय मैं अपने क्षेत्र की एक दो बातें रखकर अपनी बात को समाप्त करूंगा. हाऊसिंग फार आल में हमारी सरकार बहुत अच्छा काम कर रही है. इसकी पूर्व की हमारी जो योजना थी. राजीव आवासीय योजना इसके तहत सागर में एक पायलेट प्रोजेक्ट और एक प्रथम राउण्ड का प्रोजेक्ट शुरू हुआ था. अर्थाभाव केकारण हमारे वह प्रोजेक्ट कंपलीट नहीं हो पारहे हैं अर्धनिर्मित अवस्था में वह हमारे प्रोजेक्ट पड़े हुए हैं. मैं आपके माध्यम से सरकार से और मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हू कि हमारे जो प्रथम राउण्ड के जो प्रोजेक्ट हैं उसको किसी तरह से पूरा करवानेकी व्यवस्था करें.
उपाध्यक्ष महोदय अभी बीच में मंत्री जी का सागर आगमन हुआ था. हमारे सागर विधान सभा क्षेत्र के श्मशान घाट की स्थिति अच्छी नहीं थी. मैंने उनका ध्यानाकर्षित किया तो उसके लिए उन्होंने 1 करोड़ रूपये की राशि प्रदान की है. मैं इसके लिए उनका धन्यवाद करता हूं. लेकिन निवेदन करना चाहता हूं कि यह राशि अपर्याप्त है इस नये बजट में लगभग इतनी ही राशि और वह देंगे तो निश्चित रूप से सागर के श्मशान घाट को हम उन्नत करने में सफल होंगे.
उपाध्यक्ष महोदय सागर की झील के बगैर हमारी बात समाप्त नहीं होगी. सागर की झील के लिए एक योजना बनायी है उस योजना को केन्द्र को भेजा गया है लेकिन मैं मध्यप्रदेश की सरकार के मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि उ समें डीसिलटिंग का कंपोनेंट तकनीकी कारण से छूट गया है. डीसिलटिंग के बगैर वह तालाब अपनी गरिमा और विस्तार खोते जा रहे हैं अगर उस दिशा में हमारी सरकार कुछ विशेष प्रयास करेगी क्योंकि सागर का जो तालाब है मेन मेड मध्यप्रदेश का दूसरे नंबर का तालाब है. इस दृष्टि से हमें झील संरक्षण केलिए तालाब के संरक्षण के लिए आपके संरक्षण की बहुत आवश्यकता है. उपाध्यक्ष महोदय अंत में माननीय मुख्यमंत्री जी को मंत्री जी को सरकार के लिए इन लाइनों के साथ में अपनी बात को समाप्त करूंगा-- कहते हैं कि कदम निरंतर चलते जिनके, श्रम जिनका अविराम है, विजय सुनिश्चित होती उनकी घोषित यह परिणाम है. बहुत बहुत धन्यवाद्.
डॉ गोविन्द सिंह ( लहार ) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय नगरीय प्रशासन की मागें प्रदेश की जनता की सुख सुविधाओं को सुधारने के लिए रखी गई हैं. मैं इ सके बारे में कहना चाहता हूं कि इसकी बड़ी जोर शोर से हमारे तमाम साथी, प्रदेश मेंचर्चा चल रही हैकि स्मार्ट सिटी.
भारत सरकार ने स्मार्ट सिटी योजना को बड़े जोर शोर से प्रचारित किया है. भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी को जून 2015 में सपना दिखाई दिया. वे लगातार दौरा कर रहे थे और वह विदेशों देख आये तो पूछा कि यह क्या है स्मार्ट सिटी वहां से पता करके आये और यहां पर भी चालू कर दिया है स्मार्ट सिटी, स्मार्ट सिटी, और उसके बाद में पूरे देश में कहा गया कि आप प्रस्ताव लायें. उसके बाद में योजनाएं बन गई करोड़ो रूपये उसकेलिए खर्च कर दिये गये. हमारी मध्यप्रदेश की सरकार ने भी प्रस्ताव भेजा. पहले यह आया कि केवल 7 शहरों में स्मार्ट सिटी बनायेंगे. इसके बाद में आया कि केवल तीन शहरों को बनायेंगे. भोपाल इंदौर जबलपुर को, और स्मार्ट सिटी में भी प्रतिवर्ष पांच वर्ष तक भारत सरकार 100 - 100 करोड़ रूपये देगी और उतना ही राशि सरकार और नगरीय निकाय मिलकर मिलायेंगे.
उपाध्यक्ष महोदय मेरा कहना है कि कई नगरीय निकायों की हालत तो यह है कि उनके पास में वेतन बांटने का पैसा नहीं है लेकिन आपने अभी शुरूवात की है तीन शहरों से और फिर आपने स्मार्ट सिटी में भी क्या कर दिया है. पूरा शहर नहीं है शहर का कुछ हिस्सा ले लिया है, वास्तव में आप देखें तो यह स्मार्ट सिटी नहीं है स्मार्ट मोहल्ला है. एक ही मोहल्ले को स्मार्ट कर रहे हैं. लोगों को उजाड़ने का काम कर रहे हैं. हजारों लाखों जो खूबसूरत मोहल्ला हैं, जहां पर आपने देखा कि यह खूवसूरत है तो आप वहां स्मार्ट सिटी के नाम पर पेड़ काट रहे हैं. लोगों को उजाड़ रहे हैं पेड़ों को काट रहेहैं 100 - 100 साल के बने हुए मकानों को तोड़ने का प्लान कर रहे हैं, आपने यह काम तो इंदौर में चालू कर दिया है.
उपाध्यक्ष महोदय जहां पर लोग वर्षों से 100 साल से अपना मकान बनाकर रह रहे थे उनके मकान भी तोड़ने का काम कर रहे हैं. न तो उनके बसाहट के इंतजाम हैं और न ही कोई सुविधा है उनको कह रहेहैं कि मुआवजा देंगे, तब तक सड़कों परही घूमों.
इसलिए मेरा कहना है कि यह स्मार्ट सिटी में स्मार्ट मोहल्ले को क्यों बीच में ला रहे हैं. आप हंस क्यों रहेहैं आप उसमें भी पूरा वार्ड नहीं ले रहेहैं.( डॉ नरोत्तम मिश्र जी को हंसते हुए देखने पर ) भोपाल और इंदौर के आप पूरा एक वार्ड भी नहीं ले रहे हैं एक वार्ड पूरा क्यों नहीं ले रहे हैं. यह स्मार्ट मोहल्ले को स्मार्ट सिटी का नाम देकर प्रचारित कर रहे हैं. यह हालत है इनकी. इसके अलावा मैं यहभी बता देना चाहता हूं कि यह स्मार्ट सिटी बनाने के पहले रिंग रोड बना रहे हैं कई शहरों में, इंदौर जैसे महानगर की स्मार्ट सिटी का प्लान बिल्डर बना रहे हैं, उन्होंने कहा कि यहां पर पहले रिंग रोड बना दो तो नेताओं ने बैठक की बिल्डरों को बुलाया, भू माफियाओं को बुलाकर , पहले तो इन्होने प्लानिंग की कि कहां पर रिंग रोड निकलेगी तो वहां पर ज्यादा से ज्यादा जमीनें खरीद लीं, नेताओं और भू माफियाओं के द्वारा और उसके बाद में वहां पर रिंग रोड डाल दी. जो जमीन गरीब किसानों को उजाड़कर 2 - 4 लाख रूपये बीघा ली थी आज वह एक एक करोड़ रूपये बीघा हो गई है.
चौधरी मुकेश सिंह चतु्र्वेदी -- उपाध्यक्ष महोदय डॉक्टर साहब बड़े अनुभव से बोलते हैं. पुराना बहुत तगड़ा अनुभव है.
डॉ गोविन्द सिंह -- आपकी तरह नहीं है पंडित जी. इसके साथ ही साथ आपने जो प्लान किया है यहतो नई परंपरा है, प्लान बनायें जमीनें खरीदें और फिर पैसा कमाओ वहीं आसपास की जमीनें, करोड़ो रूपये में बिक गई , जो कि किसानों के खेत उजाड़कर कौड़ियों के मोल खरीदी थीं. स्कूलों के लिए बिल्डरों के लिए कालोनी बनाने के लिए.
डॉ नरोत्तम मिश्र -- पर्चा आपने दुबारा उठा लिया रिपीट हो गया वह.
डॉ गोविंद सिंह -- हम तो अपने प्वाइंट यहीं बैठे बैठे बनाये हैं.
श्री मुकेश नायक -- यह वही पर्चा नहीं है इन्होंने दुबारा नहीं उठाया है. इन्होंने मध्यप्रदेश में रिंग रोड की बात की है. जो रिंग रोड बन रहीहैं बनाने के पहले बड़े बड़े नेताओं ने सत्ताधारी दल के गठबंधन के साथ में काम करने वाले लोगों ने वह रिंग रोड़ो के आस पास बड़े पैमाने परजमीनें खरीदी हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- गोविंद सिंह जी आपसे दुगुनी बार जीत के आए हैं आपके ट्यूशन की जरूरत नहीं है इनको.
श्री मुकेश नायक -- जमीनों का हेर-फेर ऐसे मजाक से दूर नहीं होगा.
डॉ. गोविन्द सिंह -- मुकेश नायक जी, हमसे बहुत सीनियर रहे हैं, वे 1980 वाले हैं हम 1990 वाले हैं. हम तो 10 साल पीछे वाले हैं उनसे.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- मैंने बात 6 बार और 3 बार की की है.
उपाध्यक्ष महोदय -- गोविंद सिंह जी आप जारी रखें.
डॉ. गोविन्द सिंह -- क्या साहब ?
उपाध्यक्ष महोदय -- मैं कह रहा हूँ कि आप जारी रखें, आपके तेवर एकदम बदल गए थे, आपने सोचना मैं बैठने के लिए कह रहा हूँ, नहीं आप जारी रखें.
डॉ. गोविंद सिंह -- बीच-बीच में ये डिस्टर्ब कर देते हैं, आप इनको रोक दिया करो.
उपाध्यक्ष महोदय -- जितना व्यवधान होता है मैं नोट करता हूँ. आप जारी रखें.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार -- आप उस पर्चे को हटा दो और अगले को देखो.
डॉ. गोविंद सिंह -- बैठ जाइये, व्यवधान पुरुष जी.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार -- उसमें कोई नोयडा वगैरह तो नहीं लिखा है.
डॉ. गोविंद सिंह -- इसमें एक पर्चा है व्यवधान पुरुष के नाम का, पूरा लेख लिखा है इस पर. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हाऊसिंग बोर्ड जमीनें ले लेता है और प्लॉट बनाकर बेचता है, उपभोक्ताओं को मकान उपलब्ध कराता है लेकिन मकान 4-4, 5-5 वर्ष तक वे देते नहीं हैं जबकि लोग बैंकों से ब्याज से लोन लेकर मकान खरीदते हैं, उनको ब्याज का भुगतान भी नहीं किया जाता है. इस तरह हाऊसिंग बोर्ड एक लूट का जरिया बन चुका है यहां आम जनता को लूटा जा रहा है. मेरा सरकार से अनुरोध है कि वह इस पर कार्यवाही करे उनके विरुद्ध कार्यवाही करे ताकि नियत समय में उनको मकान मिल सकें. रिवेरा टाऊन में भी तमाम विधायकों ने मकान खरीदे लेकिन ठेकेदार भाग गया, वहां पर ठेकेदार से 20 प्रतिशत कमीशन मांगा जाता था, ठेकेदार ने नहीं दिया तो छोड़कर ही भाग गए. 3-3, 4-4 वर्षों का ब्याज विधायकों ने दिया लेकिन हाऊसिंग बोर्ड ने नहीं दिया.
उपाध्यक्ष महोदय, पर्यावरण की सुरक्षा के लिए ग्रीन ट्रिब्यूनल ने तमाम निर्देश जारी किए परंतु उनपर कोई असर नहीं हो रहा है. जैसे हमारा मालनपुर विधान सभा क्षेत्र है वहां कैडबरी फैक्ट्री है तो उससे पानी गंदा हो रहा है और गंदा पानी पीकर बस्ती के लोग बीमार हो रहे हैं. वहां के मंत्री बैठे हुए हैं लेकिन उनको भी चिंता नहीं है, उनको जनता से कोई मतलब नहीं है, वाहवाही लूटकर और जनता को गुमराह करके जीतकर आ गए लेकिन जनता कोई ध्यान नहीं है. वहां पर जो क्रेशर चल रहे हैं उनको पर्यावरण की मंजूरी नहीं मिली है, मैं चुनौती देता हूँ वहां पर 15-20 क्रेशर लगे हुए हैं लेकिन 1-2 को छोड़कर किसी ने परमीशन नहीं ली है. अत: मैं कहना चाहता हूँ कि कम से कम अपना जमीर जगाइये लाल सिंह जी, वहां से रोजाना निकलते हैं देखते हैं कि गंदगी कैसे फैल रही है, खदानों से धूल कैसे उड़ रही है, वहां पर मकान चटक रहे हैं तो आपके पास प्रदूषण विभाग है तो इन सब चीजों पर रोक लगाएं और जो क्रेशर वहां अवैध रूप से चल रहे हैं उन पर भी आप अंकुश लगाएं. अभी तक यह होता था कि किसी विभाग का भारसाधक मंत्री होता था तो उसे चार्ज की अधिसूचना जारी होती थी लेकिन बिना अधिसूचना के आप फुलफ्लेस मंत्री बन गए, यह नगरीय प्रशासन विभाग बहुत बड़ा विभाग है, लेकिन अधिसूचना भी जारी कराइये.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सिंहस्थ और पेंशन घोटाले के बारे में कहना चाहता हूँ. इसी विभाग के तहत पेंशन घोटाला हुआ है. जैन आयोग की रिपोर्ट आ गई, वह वर्षों से रखी हुई है, मंत्रियों की समिति बना दी गई, उसकी समीक्षा हो गई लेकिन क्या कारण है वह रिपोर्ट अभी तक जारी नहीं हुई है. आपकी हिम्मत क्यों नहीं हो रही है, लाल सिंह जी, भिंड का पानी पिया है जरा हिम्मत दिखाओ, इसकी रिपोर्ट जल्दी जारी करो, और अगर ऐसा नहीं कर सकते तो तत्काल इस्तीफा दे दो, क्यों बैठे हुए हो. इसी प्रकार सिंहस्थ में भी जो गड़बड़ियां हुई थीं उसकी भी जांच रिपोर्ट आ गई, दोनों रिपोर्ट पर कार्यवाही करें तो मैं लाल सिंह को रेड लॉयन घोषित करूंगा.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- रेड और लाल में अंतर क्या है ये बता देना.
डॉ. गोविंद सिंह -- अंग्रेजी नाम हो जाएगा.
उपाध्यक्ष महोदय -- डॉक्टर साहब, उसको फिर रेड लॉयन करना पड़ेगा क्योंकि पूरे नाम का अंग्रेजी अनुवाद करना पड़ेगा.
डॉ. गोविंद सिंह -- मैंने भी तो रेड लॉयन ही कहा था.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- कहीं रेड लॉयन डेड लॉयन न हो जाए.
डॉ. गोविंद सिंह -- ऐसा नहीं होगा.
श्री यादवेन्द्र सिंह -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, डॉक्टर साहब को बोर नहीं लगता, एक देशी कहावत है हमारे यहां कि -- आंधर के आगे रौवे आपन दीदा खाबे -- पौधा नहीं लग रहा है हो जाएंगे तो कुछ नहीं. धन्यवाद.
डॉ. गोविंद सिंह -- मैं कहना चाहता हूँ कि कई छोटी-छोटी नगर-परिषदें हैं, नगर पालिकाएं हैं वहां पर स्टाफ की कमी है. जनवरी, 2015 में नई नगर-परिषदों और नगर-पालिकाओं ने अपना कार्यभार ग्रहण कर लिया और जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों ने भी अपना-अपना कार्यभार ग्रहण कर लिया. लेकिन वहां पर स्टाफ नहीं है, वहां पर सब-इंजीनियर नहीं हैं, सीएमओ नहीं हैं, नाकेदार नहीं हैं, पंप ड्रायवर नहीं हैं. पहले एक चयन-समिति होती थी जिसमें उपसंचालक रहते थे, जिले के सीनियर सीएमओ और नगर-पालिका के सीएमओ रहते थे और वे चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की तथा सब-इंजीनियर्स आदि की भरती करते थे तो कम से कम भरती हो जाती थी. अब जबकि नाकेदारों के, चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के पद खाली हैं, सब-इंजीनियर नहीं हैं तो स्टाफ की कमी के कारण शहरों का विकास कैसे होगा. हम सुझाव देना चाहते हैं कि यदि आपके पास सब-इंजीनियर नहीं है तो लोक निर्माण विभाग, सिंचाई विभाग और आरईएस विभाग में जो सब-इंजीनियर हैं वे ले लिए जाएं, आप जिले में कलेक्टर को यह अधिकार दें वह उनकी पूर्ति करे.
उपाध्यक्ष महोदय, एक निविदा-समिति है, जो कि हर नगर-परिषद् और नगर-पालिका में बनाई गई है, इसमें तीन लोग हैं - सीएमओ, उपयंत्री और उपसंचालक. अब अगर एक जेसीबी खरीदना है तो वह निविदा-समिति में जाता है यहां महीनों लग जाते हैं. हमारी मिहोना नगर-परिषद् है उनके पास पैसे हैं एक वर्ष से उनको जेसीबी मशीन खरीदना है लेकिन निविदा-समिति का सब-इंजीनियर 15 प्रतिशत कमीशन मांग रहा है बोल रहा है मुझे दो तभी मैं दस्तखत करूंगा. जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों का ये क्या मान कर रहे हैं, यह स्थिति है कि जैसे गांव में कहावत है कि बच्चे बिच्छू लेकर घूमते हैं. हमने कहा कि ये क्या कर रहे हो तो बोले डंक कटा हुआ है डंक में ही जहर होता है तो चुने हुए प्रतिनिधियों के डंक काटे जा रहे हैं. अध्यक्ष को कोई उनको पावर नहीं है, इनके अधिकार सीमित कर दिए गए हैं. इसी तरह एक मूल्यांकन समिति है, मूल्यांकन के लिए पहले तो सब-इंजीनियर नहीं है, ग्वालियर में महीनों-महीनों पड़े रहते हैं, विकास कार्य हो ही नहीं पा रहे हैं. पहले जाओ तो कहते हैं कि एस्टीमेट बनाइये, केवल 5 लाख रु. तक का नगर-परिषद् को अधिकार दिया गया है आजकल 5 लाख रुपये में होता क्या है. 5 लाख के ऊपर कलेक्टर करेगा, कलेक्टर के बाद ज्वाइंट डायरेक्टर ग्वालियर करेगा फिर वह भोपाल आएगा. आखिर चुनाव कराते ही क्यों हो. नामिनेशन कर दो,(XXX). 5 प्रतिशत सब-इंजीनियर, 5 प्रतिशत कार्यपालन यंत्री ले लेते हैं, सालों तक एस्टीमेट और बिल पड़े रहते हैं, ठेकेदार लोग नगर-परिषदों के चक्कर लगाते रहते हैं.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल -- डॉक्टर साहब, (XXX)?
डॉ. गोविंद सिंह -- बैठ जाइये, हरी नहीं पहनी है न काली टोपी लगाए हैं.
श्री जितु पटवारी -- डॉक्टर साहब, मेरी आपत्ति है पेंट हो गया है, बार-बार चड्डी का नाम नहीं लेंगे.
डॉ. गोविंद सिंह -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपसे अनुरोध है कि पुराने आदेश को ही लागू करें और आप लोग उन अधिकारों को अपने तक ही केन्द्रीयकृत न करें. जो नीतिगत निर्णय हैं वह नगर-परिषदों को दें, उसमें नगर-परिषदों के अध्यक्षों को बैठाएं ताकि भ्रष्टाचार न हो और अंकुश लगा रहे. उनको पावर है नहीं.
उपाध्यक्ष महोदय -- आपके हाथ में बहुत कागज हैं, अब आप क्षेत्र पर आ जाएं.
डॉ. गोविंद सिंह -- चलो दो कागज फेंक दिए हमने, अब एक ही रह गया है.उपाध्यक्ष महोदय, लहार नगर परिषद है उसमें तमाम् पद खाली है. मिहोना में साल से सीएमओ नहीं है. दबोह में सीएमओ नहीं है. अभी तक क्या था कि बिल बनते थे तो सब इन्जीनियर अकेला था. अब नये कुछ प्रमोशन हो गये अब असिस्टेंट इंजीनियर तक फाइल जाने लगी. अब 5 प्रतिशत उसको भी चढ़ौती चढ़ाओ.कितनी जगह चढ़ौती चढ़ेगी. कृपा करके इसमें सुधार करो, समीक्षा करो. आप जब बैठते हैं विभाग में तो कभी कभी जनप्रतिनिधियों को बुला लिया करो, एकाध बार उनसे भी बात कर लो. उनको जनता ने चुना है. उनसे पूछो क्या कठिनाई आ रही है, क्यों काम में व्यवधान हो रहा है, क्यों काम की क्वालिटी नहीं बन पा रही है. अब 30-30 प्रतिशत अगर वहीं वसूल कर लेंगे तो काम कहां से होगा? मजबूरी में उनको देना पड़ रहा है. इसके साथ ही हमारा कौरव-पाण्डवों के समय का भाटनताल है उस समय जब लाख का महल जला था तो उस समय पाण्डवों ने उस भाटनताल में जाकर स्नान किया था, वह ऐतिहासिक तालाब है उसके जीर्णोद्धार के लिए हमने मांग की है. मुख्यमंत्री जी से भी अनुरोध किया था. उन्होंने कहा था कि हम भेजेंगे लेकिन अभी तक हुआ नहीं है. पता नहीं कागज कहां चले जाते हैं. इसके साथ ही हमारे लहार में 1930 की नगरपालिका है उसको नगर परिषद् बना दिया. नगरपालिका का 1930 का जो भवन बना था एक दिन मीटिंग चल रही थी वह पूरा गिर पड़ा है. अब भवन के लिए पैसे नहीं हैं. हमने कहा कि भवन मंजूर करा दो लेकिन अभी तक पैसा नहीं मिला है. इसके साथ ही हमारा अनुरोध है कि आईडीएसएमटी की योजना है उसके तहत् 10 वर्ष पहले दुकाने बनाने की मंजूरी मिली थी. 10 वर्ष पहले दुकानें बन गयीं, वहां 90 दुकानें बनी हैं लेकिन वह दुकानें ऐसी जगह बनी है कि उनको किसी ने लिया नहीं, बिक नहीं रही थीं, अभी नगर परिषद ने काफी प्रयास करके 30 दुकानों की नीलामी कर दी है, 50 हजार से ऊपर की उनकी नीलामी आयी है. अधिकार है कि 50 हजार से ऊपर सरकार तक पहुंचेगी, अब उसकी दुकाने हैं, बाकी की फिर टूटने लगी हैं क्योंकि अब नीलामी के बाद कब्जा नहीं दे पा रहे हैं, पैसा जमा हो चुका है, दो-दो, चार-चार महीने प्रस्ताव पड़े रहते हैं तो यह छोटे मोटे काम हैं, नगर परिषदों को ताकतवर बनाइये,जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों का सम्मान करो, भोपाल में हमारे भाई हैं उन्होंने कई शिकायतें कर रखी हैं, मंत्री जी ने जांच के आदेश भी दिये थे, दो चार महीने हो गये, उसमें कार्यवाही करें. भोपाल में आप नर्मदा का पानी ला रहे हैं. उस पानी के लिए बहुत पैसा ले रहे हैं, जितना मिनरल वाटर के लिए पैसा लगता है उस हिसाब से पैसा ले रहे हैं. हमारा अनुरोध है कि नर्मदा का पानी दें, एक दिन छोड़ के पानी दे रहे हैं, जल्दी प्रारम्भ करें. लेकिन गरीब आदमी से पीने के पानी के लिए मिनरल वाटर के समान पैसा न लें. उपाध्यक्ष महोदय, आपको बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री रामेश्वर शर्मा( हुजूर)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 22,71 और 75 के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूँ. जिस तरह हम पूरे मध्यप्रदेश की कल्पना करते हैं उस कल्पना में अगर जोड़ा जाए तो शहरी अधोसंरचना एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. अगर हम शहरी अधोसंरचना को इससे बाहर करें तो पूरे मध्यप्रदेश की कल्पना नहीं की जा सकती और इसलिए अगर इस कल्पना पर करें तो पहली बार एक ऐतिहासिक फैसला मध्यप्रदेश की सरकार करती है, माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान करते हैं. मैं भी चूंकि जहां से मेरी राजनैतिक शुरुआत हुई. नगर निगम के पार्षद से जब हम लोग चुनकर आते थे और माननीय आप भी उस समय मंत्री हुआ करते थे, डाक्टर साहब भी मंत्री हुआ करते थे और भी अनेक लोग मंत्री हुआ करते थे.जब कभी हम नगरीय प्रशासन से किसी से मिलने आये या सेक्रेट्री से या माननीय मंत्री से मिले, अगर दो चार लाख के कोई काम की घोषणा हो जाती थी या 2-4 लाख रुपये का कोई काम मिल जाता था तो एक बड़ी बात होती थी लेकिन आज बताने की बड़ी खुशी की बात है कि माननीय शिवराज सिंह चौहान ने एक मध्यप्रदेश में नवीन परिवर्तन किया है. जब हम गांव का विचार करेंगे तो गांव में उन्होंने एक पंच परमेश्वर योजना लागू करके गांव के जनकल्याण की योजना बनायी, गांव के विकास की योजना बनायी. जब हम शहरी अधोसंरचना की बात करेंगे तो हमको वहां पर दो लाख, तीन लाख रुपये के लिए ढूंढना पड़ता था लेकिन आज एक शहर एक शहर का विचार करें तो मुख्यमंत्री अधोसंरचना में करोड़ो रुपये की राशि उस शहर के विकास के लिए दी जाती है. शहरों की तस्वीर बदली है, शहरों की तकदीर बदली है और केवल एक ही नहीं है. आप देखिये, वहां पर हर योजना, चाहे पीने का पानी हो, चाहे सीवेज हो, चाहे सड़क हो, चाहे खेल का मैदान हो या और भी कोई काम हो, सब उस अधोसंरचना के तहत् काम हो रहे हैं, वहां पर परिवर्तन हुआ है. हमने उन बस्तियों की भी बात की जो अवैध कालोनियां मानी जाती हैं. उन अवैध कालोनियों में भी परिवर्तन हुआ. वहां भी अब खुशहाली की लहर है और इसलिए अगर इस बात के लिए किसी को बधाई दी जाए तो माननीय शिवराजसिंह जी चौहान को बधाई दी जाए, माननीय लालसिंह जी को बधाई दी जाए कि शहर के विकास के लिए सरकार ने कोई अधोसंरचना बनायी. अभी हमारे कमलेश्वर जी थे नहीं, वह बात कर रहे थे कि क्षिप्रा, आखिर क्षिप्रा है क्या, हमने तो अपने पूर्वजों से कहानी से सुना है, हमने धर्मशास्त्र से सुना है कि एक भागीरथ पैदा हुआ जिसने अखण्ड तपस्या की और तपस्या करके गंगा की धरा पर गंगा को अवतरित किया तो भागीरथी रुप से गंगा हो गयी. आज अगर शिवराज जी को इस बात के लिए धन्यवाद दिया जाए कि नर्मदा और क्षिप्रा जोड़ने में कोई भागीरथी है तो उसका नाम शिवराजसिंह चौहान है जिसने मध्यप्रदेश के अऩ्दर यह तो सत्य करके दिखा दिया कि नर्मदा का पानी क्षिप्रा के तट में मिल सकता है और जब नर्मदा और क्षिप्रा दो महान पुण्य नदियां जब एक साथ मिलेंगी,जो भी जाएगा, पापी है या नहीं, नहायेगा, जिन्दगी जरुर उसकी धन्य हो जाएगी, जिन्दगी में जरुर उसके परिवर्तन ला देगा और यह परिवर्तन का काम माननीय मुख्यमंत्री जी ने किया और आज मैं बता देना चाहता हूँ, आपने एक भी कुम्भ कराया है, आपके भाग्य में कभी कोई कुम्भ है? नहीं है. अगर भारतीय जनता पार्टी ने कुम्भ कराया है तो आज 2016 का कुम्भ आने वाले 12 साल बाद जो कुम्भ है उसमें कोई अलग से काम कराने की जरुरत नहीं पड़ेगी. आने वाले कुम्भ की तैयारी भी आज शिवराज सिंह जी चौहान सरकार ने कर दी है. वहां पर आज जो विकास के कार्य किये गये, वहां पर जितने रेलवे स्टेशनों पर कार्य कराये, केवल अकेले उज्जैन ही नहीं, उज्जैन से लगे हुए जो गांव थे, उज्जैन से लगे हुए जो शहर थे, उज्जैन, इन्दौर, देवास¸ओंकारेश्वर,महेश्वर,मंदसौर आदि क्षेत्रों में भी विकास की योजनाएं इसलिए ली गयीं कि वहां पर जब धार्मिक श्रृद्धालु आयेंगे, करोड़ों की संख्या में लोग आयेंगे, इनके लिए रहने की व्यवस्था होगी, इनके लिए रेलवे स्टेशन लगेगा, इनके लिए बस स्टैण्ड लगेगा और जब इतनी व्यवस्थाएँ वहां पर करनी पड़ेंगी तो अकेला उज्जैन कैसे झेलेगा और आज आप उज्जैन में जाइये, मैं यह कहना चाहता हूँ और मैं माननीय मंत्री श्री लालसिंह जी से आग्रह भी करुंगा कि इस सदन के पूरे सदस्यों को आप उज्जैन के महाकुम्भ प्रारम्भ होने के पहले एक बार दिखा दो कि यह वह उज्जैन नहीं जो पहले था. अब वह उज्जैन है जो परिवर्तन करके एक विकास का आकार ले लिया है. हम स्मार्ट सिटी की कल्पना कर रहे हैं लेकिन स्मार्ट सिटी का अगर सौंदर्य कोई रुप देखा जाए, वैसे तो सत्यम् शिवम् सुन्दरम्, शिव तो अपने आप में सुन्दर हैं, अद्भुत हैं लेकिन उज्जैन की नगरी को देखा जाए तो स्मार्ट सिटी का अंग उसमें झलकता है. आज वहां पर व्यवस्थाएँ नजर आ रही हैं, वहां पर आज कितने पुल बन गये, कितनी नवीन सड़कें बन गयीं, कितने करोड़ों यात्रियों के रुकने की व्यवस्था हो गयी, यह हम वहां पर देख सकते हैं और इसलिए मैं चाहूंगा कि माननीय मंत्री जी आप पूरे सदन को आग्रह करिये,एक बार जरुर ले जाकर दिखाइये. महाकाल में दूसरे लोग आयेंगे, दूसरे प्रदेशों के लोग आयेंगे, साधु समाज आयेगा,विदेशों से लोग आयेंगे लेकिन इससे पहले मध्यप्रदेश की विधानसभा के सदस्य जाकर देखें कि महाकाल श्रृंगार करके तैयार है, लोगों के कल्याण के लिए दर्शन देने के लिए महाकाल तैयार है. वह महाकाल की पुण्य नगरी आज लोगों का आव्हान कर रही है कि आइये क्षिप्रा के तट में, अमृत का मेला लगेगा, आज देश विदेश में इसका आकार ले रहा है, इसका प्रचार हो रहा है, अमृत के मेले का इस तरह माहौल बनाया जा रहा है जिससे लोगों को लगना चाहिए कि वास्तव में केवल वहां पर लोग आयेंगे, स्नान करके नहीं बल्कि वैचारिक कुम्भ का भी वहां पर अधिष्ठान होगा, वहां पर विचार किया जाएगा कि हमारा धर्म क्या है, हमारा पर्यावरण क्या है, हमारे पेड़ क्या हैं, हमारे पशु क्या हैं, हमारे पक्षी क्या हैं, हमारे जीव-जन्तु क्या हैं इनके कल्याण के लिए कैसा विकास होना चाहिए, इस पर भी वहां पर बातचीत होगी.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल-- वैसे भी पूरे सदन को ले जायेंगे तो इधर के सत्ता पक्ष के लोग तो जाते रहते हैं, विपक्ष के लोग भी जाएं तो सभी के पाप धुल जाएंगे क्योंकि क्षिप्रा नदी को पापनाशिनी बोलते हैं.
श्री रामेश्वर शर्मा-- वह बाद में बता देना. वैसे सब को पता है और उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपसे एक और प्रार्थना करना चाहता हूँ कि शहरी विकास में कुछ महत्वपूर्ण और भी जवाबदारियां हैं.जैसे कि आज चर्चा हो रही थी, डॉक्टर साहब ने हाउसिंग बोर्ड के विषय उठाए थे. हाउसिंग बोर्ड और विकास प्राधिकरण, यह भी एक हिस्सा है और टी एंड सी पी, यह भी एक हिस्सा है. पहली बार सरकार ने योजना बनाई कि अलग अलग विकास हुआ करते थे, अलग अलग योजनाएँ, जब नगरीय से संबंधित कोई एजेन्सियाँ हैं, उनको एक विभाग के अंतर्गत कर दिया गया और एक मंत्री को उसको चार्ज दे दिया गया. उसमें विकास की योजनाएँ बनाई जाएँगी, सामंजस्य बैठाया जाएगा और वह सामंजस्य बैठेगा, तो शहर का सौन्दर्य होगा. अब लोग कह रहे थे कि शहर के अन्दर शेर आ गए. मैं धन्यवाद देना चाहता हूँ कि भोपाल राजधानी में आज हमारे सी पी ए द्वारा कम से कम इतने बड़े बड़े बगीचे तो तैयार कर दिए गए हैं कि शेर भी आकर वहाँ रात गुजारे तो लोगों को परेशानी नहीं होगी. हमने पर्यावरण को बढ़ाया कि पर्यावरण निपटाया? हमने पर्यावरण को बढ़ाया. एकांत पार्क देख लीजिए. आप श्यामाप्रसाद मुखर्जी पार्क देख लीजिए. स्वर्ण जयन्ती पार्क देख लीजिए. इंदिरा गाँधी पार्क देख लीजिए और तो और भारत के स्वाभिमान के और भारत के शौर्य को प्रदर्शित करने वाला शौर्य स्मारक भी बन कर इसी विभाग के द्वारा तैयार किया जा रहा है. जहाँ पर भारत की आने वाली पीढ़ी को बताया जाएगा कि आखिर वे कौन लोग थे जिन्होंने देश की रक्षा की. आखिर वे कौनसे सैनिक थे जिन्होंने सीमा पर युद्ध झेला, आखिर उनके परिवारों ने इतने कष्ट झेलने के बाद भी केवल देश के तिरंगे को स्वाभिमान की चोटी पर खड़ा किया और इसको भी सर्वोच्च प्राथमिकता दी. उनका भी यहाँ एक शौर्य स्मारक बना कर उसको भी प्रदर्शित किया जाएगा. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं एक बात से बिल्कुल सहमत हूँ, जो डॉक्टर साहब ने कही है और मैं माननीय मंत्री महोदय से प्रार्थना करूँगा कि हाउसिंग बोर्ड जब मकान बनाता है तो तारीख भी तय करता है कि हम इतनी तारीख को मकान दे देंगे. इतना इस पर ब्याज रहेगा. लेकिन बाद में जब यह तारीखें बढ़ाता है तो यह उपभोक्ता से ब्याज नहीं लिया जाना चाहिए. बल्कि हाउसिंग बोर्ड पर दाण्डिक ब्याज लगना चाहिए क्योंकि आखिर हम नागरिकों की जवाबदारी तो तय करना पड़ेगी. विकास प्राधिकरण की जवाबदारियाँ तो सुनिश्चित करना ही पड़ेगी इसलिए विकास प्राधिकरण हैं, हाउसिंग बोर्ड है, जब यह गरीब कल्याण की योजनाएँ बनाते हैं. मेरे क्षेत्र में हाउसिंग बोर्ड ने बहुत से प्रोजेक्ट बनाए हैं. मैं मंत्री महोदय से निवेदन करना चाहूँगा.
उपाध्यक्ष महोदय-- रामेश्वर जी, पार्लियामेंट ने जो अभी बिल्डर्स के लिए हाउसिंग पॉलिसी बनाई है उसमें ब्याज का प्रावधान है. बिल्डर को ही देना पड़ेगा.
श्री रामेश्वर शर्मा-- अब वह इस पर लागू है कि नहीं, अभी मैंने पूरा देखा नहीं. इस पर भी लागू होगा कि नहीं?
उपाध्यक्ष महोदय-- लागू होगा. ये भी बिल्डर ही हैं लागू होगा.
डॉ गोविन्द सिंह-- उपाध्यक्ष महोदय, अगर पिछला वसूल कर लिया गया है तो उसका क्या होगा?
उपाध्यक्ष महोदय-- पीछे का नहीं. भूतलक्षी नहीं होगा.
डॉ गोविन्द सिंह-- भूतलक्षी होना चाहिए. जो ले चुके उसको भी तो वापस होना चाहिए.
श्री रामेश्वर शर्मा-- जो कुछ भी है वर्तमान है.
डॉ गोविन्द सिंह-- अब आगे से तो उन पर अंकुश लग जाएगा.
उपाध्यक्ष महोदय-- यहाँ भूतों वाली बात न करें.
श्री रामेश्वर शर्मा-- डॉक्टर साहब, जो कुछ भी है वर्तमान है.
उपाध्यक्ष महोदय-- अब वह चर्चा का विषय नहीं है. मैंने सिर्फ बात कही थी.
डॉ गोविन्द सिंह-- आपने जो बताया तो वह अभी पालन हुआ नहीं है. अब हो रहा है.
श्री रामेश्वर शर्मा-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं इस बात का भी धन्यवाद देना चाहता हूँ कि आज हाउसिंग बोर्ड हो, विकास प्राधिकरण हो, ये कम पैसे में, कम पूँजी के ऐसे आवास बना रहे हैं. राजधानी के अन्दर ही विकास प्राधिकरण और हाउसिंग बोर्ड 8 हजार मकानों को इसी साल बनाकर तैयार करने वाला है. जो गरीबों के लिए जो सरकार का सपना है. जो मुख्यमंत्री जी का सपना है. जो प्रधानमंत्री जी का सपना है कि आने वाला जो भारत का समय है, 2022 तक और माननीय मुख्यमंत्री जी ने तो कहा है कि 2018 तक शहर में जितने भी लोग रह रहे हैं, जिनके पास आवास नहीं है, उन आवासहीन लोगों को पट्टे उपलब्ध कराए जाएँगे और आवश्यकता पड़ने पर उनको मकान उपलब्ध कराए जाएँगे और मकान नहीं तो अगर आवश्यकता पड़ी तो उनको लोन की व्यवस्था भी कराई जाएगी. यह भी माननीय मुख्यमंत्री जी ने घोषणा की है. हम 8 हजार से अधिक मकान इसी वर्ष बनाकर इन गरीबों को देने वाले हैं. गरीबों के लोक कल्याण के भी काम यह विभाग कर रहा है. लेकिन टी एंड सी पी से मेरा थोड़ा सा आग्रह है कि हम जो टी एंड सी पी (टाउन एंड कंट्री प्लानिंग) हैं इस पर थोड़ा सा गंभीरता से विचार करने की जरुरत है. क्या स्वतंत्र रूप से इस विभाग को काम करना चाहिए या यह विभाग नगरीय प्रशासन अर्थात् नगर निगम में सम्मिलित कर दिया जाना चाहिए या कोई पर्टिक्यूलर प्राधिकरण के अंतर्गत इस विभाग को चला जाना चाहिए क्योंकि माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आप भी इस विभाग के मंत्री रहे हैं. मैं यह बात महसूस कर रहा हूँ कि टी एंड सी पी बैठकर रेखांकित कर देती है, यह सड़क 80 फिट चौड़ी है, यह सड़क 40 फिट चौड़ी है और न तो मौके पर देखने जाते कि वहाँ पर सड़क उपलब्ध है कि नहीं, जगह उपलब्ध है कि नहीं, मकान वहाँ पर बन गए कि नहीं और सड़क का रेखांकित करके दे दिया जाता है. बाद में जब मौके पर जाते हैं तो कब्जा मिलता है तो कम से कम शासन की एक व्यवस्था ऐसी हो, चाहे तो भोपाल के अन्दर इसका प्रयोग करके देखें कि जितनी भी टी एंड सी पी ने सड़कें सुनिश्चित की हैं, उन सभी सड़कों का एक प्राधिकरण या एक सरकार की एजेन्सी पहले सड़कों का निर्माण करेगी, अगर उस पर प्रायवेट बिल्डर्स के मकान आते हैं तो. मुझे किसी ने बताया था, मैंने देखा नहीं और कन्फर्म भी नहीं, हैदराबाद और बैंगलोर में कोई ऐसी व्यवस्था है कि वहाँ पर प्रायवेट बिल्डर्स से उसका आनुपातिक शुल्क लेकर उनको सड़क, सीवेज, पानी की लाइन और स्ट्रीट लाइट के खंभे, ये गाड़ कर फिर वहाँ पर शुल्क निर्धारित करके बिल्डर को वह जमीन दे दी जाती है, जिसकी जमीन है. अगर ऐसी हम समूची व्यवस्था करें तो आने वाले दिनों में अवैध कॉलोनी, अविकसित कॉलोनी, असुविधाजनक कॉलोनी, नागरिक पानी के लिए, सीवेज के लिए, सड़क के लिए जो लड़ते हैं, वह लड़ाई शायद इसमें कम होगी और मैं चाहता हूँ कि माननीय मंत्री महोदय अगर आप चाहें तो राजधानी परियोजना को कम से कम भोपाल की जो मास्टर प्लान की सड़कें हैं, उन सड़कों के लिए अधिकृत करना चाहिए कि कम से कम यह सड़क बनाएगा. विकास प्राधिकरण अगर बनाना चाहता है तो वह बनाए. लेकिन मास्टर प्लान की सड़कों पर अब हमें ध्यान देना होगा क्योंकि जिस तरह आबादी बढ़ रही है इस आबादी का संतुलन...
उपाध्यक्ष महोदय-- रामेश्वर जी, 2-3 मिनट में समाप्त करें.
श्री रामेश्वर शर्मा-- डॉक्टर साहब से 10 मिनट कम बोलूँगा क्योंकि वे हम से बहुत सीनियर हैं और मैंने उन से ही अभी कुछ सुना है तो थोड़ा थोड़ा बोलूँगा. मैं उनकी कुछ चीजों का समर्थन भी कर रहा हूँ .
उपाध्यक्ष महोदय-- मेरे पास यहाँ लेखाजोखा है.
श्री रामेश्वर शर्मा-- आप से क्यों लेखाजोखा लूँगा. आप हम लोगों का लेखाजोखा रखते हैं इस बात के लिए बहुत बहुत धन्यवाद. उपाध्यक्ष महोदय, मैं आप से एक और प्रार्थना करना चाहता हूँ कि आप विचार करिए. माननीय मनमोहन सिंह जी प्रधानमंत्री थे, हम लोग जाते थे. हम लोग बीच बीच में आरिफ भाई से भी बात करते थे चलें, भोपाल के लिए कुछ ले आएँ, ट्रेन ले आएँ, एकाध ट्रेन रुक जाए, तो पैसेंजर भी नहीं मिलती थी. अब तो भोपाल के लिए ही नहीं, इन्दौर, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर, अगर मध्यप्रदेश की 7 नगरी हैं तो क्रमशः सातों नगरियों को मध्यप्रदेश की सरकार ने जोड़ा है और इन सातों नगरियों में पहले फेस में भोपाल और इन्दौर में हम मेट्रो ट्रेन लाने वाले हैं. इस बात के लिए भी मैं सरकार को बहुत बहुत बधाई देता हूँ. (मेजों की थपथपाहट) कहाँ टूटी बसें नसीब नहीं थी, अब मेट्रो ट्रेन आ रही है और मैं चाहता हूँ कि यह मेट्रो ट्रेन आए, इसके पहले हमारे जो प्राधिकरण या सी पी ए, कम से कम टी एंड सी पी की जो सड़कें हैं उनको बनाए. मैं एक और प्रार्थना करना चाहता हूँ कि फ्लाय ओव्हर हमें कहाँ से कहाँ चाहिए. इसको तय कौन करेगा. कभी कभी इसका तय नगर निगम, नगर पालिका या नगर पंचायत पर छोड़ दिया जाता है पर मैं सीनियर अधिकारियों से प्रार्थना करूँगा, मैं मंत्री महोदय से प्रार्थना करूँगा कि ये केवल अधिकारियों पर या नगर निगम, नगर पालिका, पर न छोड़ा जाए. बल्कि इसकी एक ज्वाईंट टीम बनाई जाए कि आखिर कौनसे पुल की हमें कितने साल की आवश्यकता है. कितने साल तक यह पुल हमको आगे काम देगा. कितनी आबादी को वहाँ पर इससे लाभ मिलेगा और इसलिए अगर ऐसे पुल का निर्माण किया जाए तो जो सुगमता मध्यप्रदेश की सरकार यातायात में लाना चाहती है. उसको और चार चाँद लगेंगे. मैं यह भी प्रार्थना करना चाहता हूँ कि ई-गव्हर्नेंस में भी आज आप देख लीजिए. पहले नगर निगम, नगर पालिकाओं का ढर्रा था. 2 लाख, 3 लाख, 5 लाख, 10 लाख की फाइलें बनती थीं. हो जाता था, हो गया, नहीं हुआ, पता नहीं चलता था. लेकिन आज सरकार को इस बात के लिए बधाई देता हूँ कि सरकार ने 1 लाख तक के नीचे उतार दिया है कि 1 लाख से ऊपर की कोई भी फाइल है वह ई-टेंडरिंग में जाएगी, उसका टेंडर कौन ले रहा है, उसका कौन ठेकेदार होगा, यह किसी को पता नहीं होता. एक अच्छी व्यवस्था हमारी सरकार ने लागू करने का प्रयास किया है. उपाध्यक्ष महोदय, एक और आप से प्रार्थना करना चाहता हूँ कि शहर में हमने बी आर टी एस योजना को लागू किया है. शहर में मेट्रो योजना को हम लागू कर रहे हैं. शहर में हम और भी दूसरी योजनाओं को बनाने की तैयारी कर रहे हैं. अगर हम इन तीनों चारों योजनाओं को लागू करना चाहते हैं. स्मार्ट सिटी की योजना भी हम लागू करना चाहते हैं. मैं माननीय मंत्री महोदय से प्रार्थना करूँगा कि स्मार्ट सिटी हो या बी आर टी एस हो, या हमारी मेट्रो ट्रेन हो, ये तीनों की कमेटियों में विधायकों को और सांसदों को प्राथमिकता रखनी चाहिए. पूरा नक्शा इनकी मॉनिटरिंग कमेटी के सामने आना चाहिए. कहाँ कहाँ, कितना, कितना, निर्माण होगा, मॉनिटरिंग भी होना चाहिए क्योंकि यह प्रार्थना मैं इसलिए करना चाहता हूँ कि सरकार की मंशा साफ है. सरकार सुविधा देना चाहती है. कई जगह बी आर टी एस को बसें दीं लेकिन हम देखते हैं कि प्रायवेट ओनर जब एक बस लेता है तो अगले साल दूसरी बस खरीद लेता है. लेकिन बी आर टी एस में हमने जो बसें दीं वह घाटे में आ गईं इसलिए मॉनिटरिंग कमेटी जरूरी है. सरकार की कोई चीज घाटे में नहीं, हम मुनाफा कमाने के लिए नहीं हैं, लेकिन हम घाटा खाने वाली सरकार भी नहीं बनें इसलिए नगर पालिकाएँ, नगर पंचायतें और नगर निगम को कम से कम यह सुनिश्चित किया जाए कि वह व्यवस्था का सुचारु रूप से संचालन करें. मैं अपने क्षेत्र की दो तीन मांगें रखना चाहता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय--यह बीआरटीएस और मेट्रो रेल तो आपकी ही मांग थी.
श्री रामेश्वर शर्मा--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जी बिलकुल हमारी मांग थी इनकी समीक्षा समय समय पर होनी चाहिये यह मेरी प्रार्थना है स्वागत तो मैंने किया ही है कि यह आ रही हैं. भोपाल और कोलार को डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी नगर और भोपाल, चूना भट्टी, शाहपुरा को जोड़ने वाली एक नदी है जिसको कलियासोत नदी कहते हैं हालांकि वह नदी नहीं है हम इसको बारहमासी नदी बना सकते हैं पहले इस पर बात हुई थी माननीय मुख्यमंत्रीजी की भी घोषणा है कि इस नदी का विकास साबरमती नदी के पैटर्न पर किया जाये इसका यदि साबरमती के पैटर्न पर विकास करेंगे तो यह शहर के बीच में एक सौन्दर्य की जगह होगी इसका विकास करके पर्यटन को भी बढ़ावा मिल सकता है इस पर थोड़ा ध्यान देने की आवश्यकता है.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं यह भी प्रार्थना करना चाहता हूँ कि जितना काम अधोसंरचना के माध्यम से नगरीय निकाय विभाग ने किया है यह अभी तक के इतिहास में सबसे ज्यादा काम है. मैं इसलिये भी बधाई देना चाहता हूँ कि हम और आप देखते हैं हमारे सामने एक ही मांग होती है सड़क नहीं है, सीवेज नहीं है, पानी नहीं है चाहे पक्ष का हो या विपक्ष का सदस्य हो हर सदस्य का कहना यह होता है कि यह काम मैं कराउंगा लेकिन जब वह काम हो जाता है तो मेरा आग्रह यह है कि हर सदस्य को यह भी कहना चाहिये कि देखो यह काम मैंने कराया लेकिन यह काम शिवराज जी के आशीर्वाद से या मध्यप्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना से यह काम सफल हुआ है. हमें सरकार की उपलब्धियों का बखान करने की भी आवश्यकता है.
उपाध्यक्ष महोदय, मैंने पंचायत विभाग पर भी सुझाव दिया था आज मैं एक सुझाव नगरीय प्रशासन विभाग को देना चाहता हूँ. पार्षद का चुनाव, महापौर का चुनाव, नगरपालिका अध्यक्ष का चुनाव, नगर पंचायत अध्यक्ष का चुनाव, नगर पंचायत, पालिका का चुनाव इनका आरक्षण पांच साल के रोटेशन पर होता है इन चुनावों में इनको यह भरोसा नहीं होता है कि इनका अगला चुनाव लड़ना है इसलिये इनके अन्दर दूसरी प्रवृत्ति विकसित होती है. अगर कानून इसकी अनुमति दे तो कम से कम इस आरक्षण रोटेशन को 10 साल के लिए करना चाहिए जिससे जो पार्षद जीता है, अध्यक्ष जीता है, महापौर जीता है इनको यह लगना चाहिये कि हमें अगले चुनाव में भी जनता का सामना करना है उसके साथ उनका व्यवहार ठीक हो, काम की गारंटी रहे, वादे पूरे हों और परस्पर संवाद भी स्थापित हो. अगर माननीय मंत्रीजी और सरकार यह काम करे तो मैं बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहता हूँ. मैं एक बार फिर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी चौहान साहब को मध्यप्रदेश की जनता की ओर से बहुत-बहुत बधाई देना चाहता हूँ कि शहर की अधोसंरचना तो ठीक की ही है लेकिन उज्जैन के महांकाल का आपने जो श्रृंगार किया है महांकाल की कृपा और आशीर्वाद इस सरकार पर सदैव बना रहे और जो नर्मदा का निर्मल जल है वह लोगों के पाप भी धोये कष्ट भी धोये और किसानों की खेती हरियालीयुक्त बनाये इसी निवेदन के साथ आप सबका धन्यवाद. मेरा यह सुझाव था कि नगरीय क्षेत्रों में अमृत या दूसरी योजनाओं के तहत सीवेज का काम आने वाला है और नगर पालिका, नगर निगम, नगर पंचायतों पर अधिकारी नहीं हैं और पीएचई का जो सीवेज विभाग है वह 100 प्रतिशत इस समय खाली बैठा हुआ है या पुराने प्रोजेक्ट चला रहा है अगर नगर निगम, नगर पालिका इसको टेक ओवर करें तो अच्छा होगा नहीं तो किसी योजना के तहत इस विभाग को अपने अन्दर ले लें इसके माध्यम से सीवेज के प्रोजेक्ट हल करायेंगे तो नागरिकों को जल्दी लाभ मिलेगा. उपाध्यक्ष महोदय, आपको धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय--सौरभ सिंह जी, शुरु करें पांच मिनट में अपनी बात कहें. समय कम दे पायेंगे.
कुंवर सौरभ सिंह (बहोरीबंद) --उपाध्यक्ष महोदय, माननीय पता नहीं क्या है इस सीट से एंगिल कुछ ऐसा होता है कि तिरछी दृष्टि हो जाती है. जब भी मैं बोलने के लिये खड़ा होता हूँ तो समय हमेशा घटने लगता है.
उपाध्यक्ष महोदय--नहीं, कल मैं आसंदी पर था किसी विभाग पर आपने शुरुआत की थी और आपको लगभग 15 मिनट मिले थे तो ऐसा नहीं है कि आपको समय नहीं मिलता है. आप तीसरे स्पीकर हैं तो समय की कमी तो है.
कुंवर सौरभ सिंह--मांग संख्या 22, 72 एवं 75 के विरोध में बोलने के लिए मैं खड़ा हुआ हूं.
उपाध्यक्ष महोदय, नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत किसी भी जिले या क्षेत्र के चेहरे होते हैं शायद इसीलिये स्मार्ट सिटी का कांसेप्ट डेपलप हुआ है और सारी जगह पर स्मार्ट सिटी बनाने का प्रयास किया जा रहा है.
कहां तो तय था, चिराग हर एक घर के लिए
चिराग मयस्सर नहीं शहर के लिए.
प्रतिवेदन के पृष्ठ क्रमांक 11 के बिंदु क्रमांक 3.4 पर 3 लाख रुपये और 3 लाख से 6 लाख की बीच की आय वाले लोगों के लिए मकान बनाने का प्रयोजन रखा गया है. बिंदु क्रमांक 3.7 में कुल 23 शहरों का चयन हुआ है उसमें सौभाग्य से हमारा कटनी भी शामिल है. इसमें 115 करोड़ रुपये केन्द्र ने दिये हैं राज्य का अंश 107 करोड़ रुपये था कुल 222 करोड़ रुपए हुए. दुर्भाग्य यह है कि जितने भी मकान बन रहे हैं उनके दरवाजे चोरी हो गए हैं वहां कुछ भी नहीं बचा है. इसी प्रतिवेदन में वर्ष 2014-15, 2015-16 में बजट का कोई जिक्र नहीं है न यह बताया गया है कि कितने आवास बनाये गये हैं. मैं कटनी जिले से हूं सरलानगर और पढवारा में इन दोनों जगहों पर आवासों का निर्माण हुआ. पेज क्रमांक 30 बिंदु क्रमांक 6 में प्रदेश के बड़े शहरों में सार्वजनिक परिवहन की व्यवस्था है. बिंदु क्रमांक 6.5 में मिशन के तहत 16 शहरों को शामिल किया गया है जिसमें कटनी भी है. 10 करोड़ रुपये अनुदान योजना रखी हुई है भोपाल सिटी लिंक से अनुबंध किया गया है पर कोई कार्य नहीं हुआ है. नगर निगम के पैसे का दुरुपयोग हो रहा है मंत्रीजी के पास को प्लान नहीं है. ठेकेदार की केटेगिरी कमीशन के रेट पर तय होती है किसी भी अतिक्रमण को पहले आधा अधूरा तोड़ देते हैं फिर रोड बनाते हैं फिर गड्ढा करते हैं फिर पाइप लाइन डालते हैं फिर रोड बनाते हैं और फिर गड्ढा भरते हैं. मेरा कहना है आपके पास कोई रोड मेप नहीं है आप जनता के पैसे का दुरुपयोग कर रहे हैं नगर निगम क्षेत्र में लीज के नामान्तरण में स्टाम्प ड्यूटी की चोरी हो रही है. सरकार का एक विभाग दूसरे विभाग को चूना लगा रहा है. संबंधित व्यक्ति उसी दिन भोपाल में रहता है और कटनी में भी गाड़ी का वाउचर लगाता है. मेरे बोलने का कारण यह है कि जो व्यक्ति इतने फर्जी आंकड़े दे रहा है उसके रिकार्ड के आधार पर आप योजना तैयार करते हैं.
पीछे बंधे हैं हाथ, मगर शर्त तहै सफर,
किससे कहें कि पांव के कांटे निकाल दे.
पेज नंबर 82 में मध्यप्रदेश गृह निर्माण अधोसंरचना विकास मंडल इसमें पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय के अन्तर्गत रीवा और जबलपुर में अनेक विश्वविद्यालय हैं फिर भी वहां दिये गये हैं मेरा निवेदन है कि कटनी को इसमें शामिल किया जाय. उच्च शिक्षा में इसी मद से रीठी विकासखण्ड में भी एक विश्वविद्यालय दिया जाये. पेज क्रमांक 83 में मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, शहडोल, सिंगरौली, सतना में आप 6.90 करोड़ रुपये खर्च कर रहे हैं पर कार्यों का कोई उल्लेख नहीं है. राजस्व में कटनी का प्रदेश में दूसरा स्थान है मेरा मानना है कि वहां पर भी अमले को उन्नत करने की आवश्यकता है. थर्मल पावरों की भरमार आ गयी है. ऊर्जा विभाग के आंकड़ों में हम उलझ रहे हैं. सिर्फ एक जगह पर आप सारे प्लांट लगाते हैं वह चाहे सीमेंट हो या थर्मल पावर हों.उसका कारण यह होता है कि आपकी वहां पर कास्टिंग कम होती है और खनिज प्रचुर मात्रा में है, पर अगर कास्टिंग कम है, मतलब यह है कि वह व्यक्ति या वह मुनाफा कमा रहे हैं, अगर मुनाफा कमा रहे हैं तो निश्चित रूप से वहां पर पाल्युशन के वहां पर उनको ज्यादा कंपन्शन देना चाहिये. उनको ज्यादा पैसा लगना चाहिये, जो वहां परएक जगह में लगाते है. सीधी और सीमेंट वाला हिस्सा सतना इसका एक उदाहरण है. माननीय नदियों से रेत निकल रही है. माननीय खनिज मंत्री जी कर हैं कि कोई अवैध खनन नहीं हो रहा है. हकीकत हम और आप सब जान रहे हैं. पूरी रेत नदी से निकल रही है और पानी का कोई फ्लट्रेशन नहीं हो रहा है. धीरे धीरे सीड जमा होने लगेगी और इस तरह से नदियां सूख जायेंगी. सालिड वेस्ट मेंनेजमेंट का पैसा आपने डायवर्ट कर दिया है प्रदेश में लगभग 70 प्रतिशत जगहों पर जिला प्रशासन ने आपको जमीन आवंटित नहीं की है. साईंटिफिक मैथड से आपका सालिड वेस्ट मेंनेजमेंट नहीं हो रहा है. आपकी नाक के नीचे भानपुर खंती भोपाल का इसका जीवंत उदाहरण है. पेज नंबर 86 में हाऊसिंग बोर्ड वर्ष 2015-16 में मध्यप्रदेश गृह निर्माण मंडल की कालोनी, झींझरी मानसरोवर में हेंडओवर की गयी है. 600 करोड़ रूपये सरकार ने इसमें दिये हैं. इसमें पूरे प्रदेश में आठ कालोनियां हैं जिसमें कटनी की दो कालोनियां हैं, इसमें सुविधा नहीं दी जाती हैं. सुविधाएं द्वारका जैसी प्रायवेट कालोनियों को दी जाती हैं. जहां पर आप रीटेनिंग वाल बनाते हैं, पार्क बनाते हैं, नगर निगम के पैसे से प्रायवेट लोगों को सुविधा दी जाती है. हाऊसिंग बोर्ड में सुविधा नहीं दी जा रही है. हाऊंसिंग बोर्ड गृह निर्माण एवं अधोसंरचना विकास बोर्ड का निर्धारण का उद्देश्य इसलिये था कि सस्ती दर पर सही लोगों को आवास मिले निम्न और उच्च वर्ग के लोगों को. प्रदेश वासियों को सस्ते देने में आपको हाऊसिंग बोर्ड पूरी तरह से असफल है. भोपाल राजधानी का उदाहरण देना चाहता हूं कि कीलन देव अपार्टमेंट और महादेव अपार्टमेंट, इसका विज्ञापन 2010 में निकला और 2 वर्ष में कार्य पूर्ण करने की शर्त थी लेकिन आज आज दिनांक तक कार्य पूर्ण नहीं हुआ है, समस्या यह है कि जिस फ्लैट की कीमत 29 लाख 50 रूपये थी उसके लिये 5.6.2010 से 22.6.2013 तक आप 28 लाख 5 हजार रूपये आप ले चुकें हैं. लगभग 93 प्रतिशत राशि जमा हो चुकी है,आप तो प्रायवेट बिल्डर को भी फेल कर रहे हैं. हितग्रामी को प्रतिमाह 10 लाख 80 हजार रूपये का ब्याज देना पड़ रहा है. माननीय जब पैसा देने के बाद, उसके बाद पुन: कलेक्टर रेट से निर्धारण होता है जब हाऊसिंग बोर्ड ने समय पर काम नहीं किया तो उसका पुन: निर्धारण क्यों होता है, यह तो पूरी तरह अमानवीय है. नगर निगमों में पेंशन नहीं बंट रही है. खाद्यान्न पर्ची नहीं जा रही है नगर पालिका और नगर निगमों में. इंदौर, कटनी, और जबलपुर में बड़ी बड़ी जगहों पर भू माफियाओं के कब्जे हैं. टी एन सी के बारे में मेरा निवेदन है कि यह बहुत पहले से बनी हुई है, हमारे कटनी जिले में दो नये स्टेशन बन गये हैं, एक मुड़वारा और साऊथ, और आपके टी एन सी पुरानी चल रही है. मेरा निवेदन है कि इस परआप विचार करें. इतना कहते हुए मैं अपनी बात को समाप्त करूंगा कि लड़े थे साथ मिलकर रोशनी के लिये हम दोनों, तुम्हारे घर ऊजाले हैं और हमारे घर में अंधेरे हैं.धन्यवाद्.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया (मंदसौर) :- माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 22, 71 और 75 का समर्थन करता हूं.
सभापति महोदय, तीस वर्ष पहले मैं मंदसौर नगर पालिका परिषद पार्षद रहा, पुन: पार्षद बना फिर मैं नगर पालिका का अध्यक्ष बना. तीस वर्ष पहले नगर पालिका के पार्षदों को अपने वार्ड में स्ट्रीट लाईट के पोल पर एक सप्ताह में दो बल्ब मिला करते थे. वह लट्टू आज लगते थे और कल शार्ट हो जाते थे. आप परिवर्तन आया है, चारों तरफ हाई मास्क, पावर सेवर लाईट्स और अब एल ई डी का जमाना आ गया है. यह सब कुछ एक आधारभूत संरचना में परिवर्तन आया है. उसके कारण से पूरे मध्यप्रदेश की 16 नगर निगमों को 98 नगर पालिका को, 265 नगर पंचायतों को कुल 379 नगर पालिका, नगर निगमों नगर परिषदों को इसका लाभ मिला है. माननीय सभापति महोदय, स्वच्छता अभियान माननीय प्रधानमंत्री जी का जो संकल्प और नारा है. उसके अंतर्गत अभी हाल ही में इसी महीने पूरे मध्यप्रदेश की नगर पलिका और नगर निगमों में सायरन वाली गाडि़या उपलब्ध करायी गयी हैं और वह गाडि़यां सायरन बजाकर और घंटी बजाकर लोगों के घरों के सामने आती हैं और डोर टू डोर कचरे का कलेक्शन करती हैं. मैंने यह महाराष्ट्रा में 25 -30 साल पहले देखा था, आज हमारे मध्यप्रदेश में इसकी तस्वीर बदलती नजर आ रही है. अण्डर ब्रिज और ओवर ब्रिज में काफी इजाफा हो रहा है. करदाताओं में भी राजस्व को लेकर के और उसकी वसूली को लेकर के रूचि बढ़ रही है, नगर निगम और नगर पालिका का प्रशासन भी राजस्व की अपनी संरचना के आधार पर इसकी वसूली करने में शहरी क्षेत्र में लगा हुआ है. शहरी घरेलू कामकाजी महिलाओं के लिये पंचायत और महापंचायत लगायी और उसी में से निकलकर आया कि जो झाड़ू लगाने वाली जो गरीब तबके की महिलायें हैं उनको कहीं न कहीं नगर निगमों ओर नगर पालिकाओं से जोड़ा जाये और उनको प्रसूती सहायता, विवाह सहायता और चिकित्सा सहायता उसमें उनको दी जाये. सभापति महोदय, एक हम्माल जो एक क्विंटल की बोरी अपने कंधों पर रखकर ईधर उधर घूमता फिरता रहता है उसकी पूरी पीठ लहूलुहान हो जाती है, ऐसे हम्मालों के लिये भी नगरपालिकाओं से से जोड़ते हुए हाथ ठेला एवं सायकिल रिक्शा दिेये जाने की बहुत महत्वकांशी योजना मध्यप्रदेश में लागू हुई है इसके अंतर्गत 52094 लोगों को सहायता मिली है. केश शिल्पियों का भी नगर निमगों के माध्यम से विशेष ध्यान दिया गया है और उनकी पंचायत लगाकर के माननीय मुख्यमंत्री जी ने इसमें जोड़ने का प्रयत्न किया है. जब मैं नगर पालिका का पार्षद और अध्यक्ष हुआ करता था, तब यह बातें सामने आती थी कि चुंकी क्षतिपूर्ति आक्सट्राय की जो राशि नगर पालिकों को मिलना है उसके लिये हमको भोपाल के चक्कर काटना पड़ते थे, डायरेक्ट्रेट के चक्कर काटना पड़ेंगे , कोई एक अधिकारी थे शायद मुझे उनका नाम का स्मरण नहीं आ रहा है, उनके ईदगिर्द घुमों और फिर देवास और इंदौर में एक पूर्व मंत्री कांग्रेस के उनके एक सिपहसलार हैं, उनका भी मैं नाम नहीं लेना चाहता हूं, उनका नाम तो मुझे याद है, यदि वह लक्ष्मण महाराज प्रसन्न हो जाते थे तो सब कुछ हो जाता था. उनके इर्दगिर्द घुमने से ही टी टी आया करती थी. आज सारे का सारा पैसा सीधे खातों में जा रहे हैं और ई पेमेंट और ई टेंडरिंग, ई मेजरमेंट आदि की दिशा में हम आगे बढ़े हैं. राजस्व के अंदर 13 वें और 14 वें वित्त की राशियां भी सीधे नगर पालिका और नगर निगमों के खातों में जा रही है. इस बार पहली बार चम्बर का पानी मंदसौर के शहरवासियों को मिलेगा.उसके लिये मैं माननीय मंत्री जी आपका भी हृदय से आभारी हूं और मुख्यमंत्रीजी का भी आभार व्यक्त करता हूं और जिन अधिकारियों ने इस कार्य योजना में बनाने में महति भूमिका निभायी, उन सब अधिकारियों का भी आभार व्यक्त करता हूं. 72 करोड़ रूपये की राशि चम्बल एल वी कोल्वी से सीधे मंदसौर शहर के लिये पाईप लाईन के माध्यम से पेयजल की आपूर्ति के लिये व्यवस्था की है. नदियों से नदियों को जोड़ने की की बात है तो चम्बल का पानी चलकर के सीधा शिवना नदी के रामघाट और मिर्जापुरा डेम में आकर मिलेगा. उसके टेण्डर हो गये हैं. नया फील्टर प्लांट हमको 35 वर्षों के इंतजार के बाद पुन: संघर्ष के बाद मिला है. यह 28 करोड़ की लागत से हमको वह सुविधा मिली है और उसका टेण्डर निकल गया है और कार्य भी द्रुत गति से चल रहा है. सिंहस्थ का जिक्र रामेश्वर जी ने किया था, मंदसौर शहर भी सौभाग्यशाली शहर है, जहां अष्टमुखी भगवान पशुपति नाम महादेव की नैनाभीराम प्रतिमा है, सिंहस्थ के कार्यों को लेकर के अधोसंरचना के विकास की बात चल पड़ी है तो मंदसौर भी पीछे नहीं रहा और मंदसौर शहर भी लगभग 30 करोड़ की राशि से अधोसंरचना विकास में काम मिले हैं. वहां पर सड़कों का चौरीकरण का कार्य चल रहा है और धर्मशाला बन रही है और ओवर ब्रिज बन रहे हैं और काफी प्रयत्न किये जा रहे हैं, और आज मंदसौर शहर की पूरी तस्वीर बदल गयी है, इसके लिये भी मैं माननीय मंत्री जी का और मुख्यमंत्री जी का आभार व्यक्त करता हूं और जिन्होंने इस कार्ययोजना को बनाने में जिन अधिकारियों ने मदद की है,उनका आभार व्यक्त करता हूं.
सभापति महोदय, मेरे कुछ छोटे छोटे सुझाव हैं कि नगर तथा ग्राम निवेश का बहुत ज्यादा महत्व नगर पालिका और नगर निगमों से पड़ता है, टी एन सी पी की जो कार्यप्रणाली है उसमें लोगों को बहुत दिक्कत आती है, जिन लोगों को नक्शे पास कराना पड़ता है, कालोनाईजर्स के लिये उनको प्लान तैयार कराना पड़ता है, इनकी दूरियां बहुत ज्यादा हैं, उसकी दूरियां कम करना चाहिये. मंदसौर जिला मुख्यालय इतना बड़ा काम है तो हमको नीमच जैसे शहर में जाना पड़ता है और नीमच में कार्यालय है, लेकिन हम चाहते हैं कि दो दिन की ही व्यवस्था क्यों न हो जाये, टी एन सी पी का कार्यालय मंदसौर में होना चाहिये. अगर आप देखेंगे तो सब तरह ऐसी व्यवस्था है. सभापति महोदय एक बड़ी विडम्बना है कि एक कालोनाईजर ने कालोनी काटी और उस कालोनी में अगर एक व्यक्ति के पास दो हजार स्क्वायर फीट का कोई प्लाट है तो और उसकी क्षमता नहीं है कि वह दो हजार स्कवायर फीट में वह निर्माण कार्य कर लेगा, वह एक हजार स्कवायर फीट वह किसी और को देना चाहता है या बेचना चाहता है और वह बेच भी देगा और उसकी रजिस्ट्री भी हो जायेगी, लेकिन माननीय सभापति महोदय उस व्यक्ति के प्लाट को खंडित करके नहीं दिये जाने के कारण से अनेक लोग वंचित हो रहे हैं और उसके कारण से नगर पालिका और नगर निगम को नुकसान भी हो रहा है. अगर दो प्लाट कटेंगे तो दो बार अलग अलग नामांतरण होंगे, अलग अलग नल कनेक्शन मिलेंगे, अलग अलग लाईट का कनेक्शन लेना होगा तो कुल मिलाकर के यह नई समस्या आ खड़ी हुई है. जिससे लोगों को काफी परेशानी हो रही है. इसकी तरफ आप ध्यान देंगे. सभापति महोदय, यह जो ई टेंडरिंग के अंतर्गत 2 लाख रूपये तक के छोटे छोटे कामों की ई टेंडरिंग की गयी हे उससे काफी परेशानी हो रही है. पांच लाख या दस लाख का काम यदि ई टेंडरिंग क माध्यम से होगा तो ज्यादा अच्छा होगा क्योंकि 2 लाख के ई- टेंडरिंग में भी माननीय सभापति महोदय, उज्जैन से सिंगौली की दूरी 200 से 250 किलोमीटर की है. मन्दसौर से 170 कि.मी. दूर उज्जैन है अभी ऐसी व्यवस्था चल पड़ी है उस पर मैं माननीय मंत्री जी का ध्यान चाहूंगा मन्दसौर नगर पालिका की 2 लाख रुपये तक की तकनी स्वीकृति लेने के लिये अधिकारी को उज्जैन जाना पड़ता है उज्जैन जाता है तो 2 लाख रुपये तक की तकनीकी स्वीकृति पंद्रह-बीस दिन,एक महिने तक में विधायक निधि के कामों की स्वीकृति लाने में उनको विलंब होता है तो 2-3-5 लाख रुपये तक की तकनीकी स्वीकृति वहां ई.ई. दे दें तो सुविधाजनक होगा. मुख्यमंत्री आदर्श सड़क योजना मील का पत्थर साबित हुई है. मेरे मन्दसौर में 3 सड़कें 11 करोड़ रुपये की बनीं. अभी इसकी और अधिक दरकार है अगर सरकार चाहे तो मुख्यमंत्री आदर्श सड़क योजना को और आगे अगर तेजी से बढ़ाएंगे तो जिस तरीके से मन्दसौर का विकास हुआ है तो मन्दसौर शहर में यशनगर,केन्द्रीय विद्यालय,रामटेकरी की तरफ दो सड़कें और अपेक्षित हैं. इंजीनियरों की कमी का जब आपने उल्लेख किया था तो मेरे पास यह बिन्दु थे. माननीय सभापति महोदय, पदों की कमी है जिला शहरी विकास विभाग में 356 पद रिक्त हैं. संभागीय कार्यालयों में 45 पद रिक्त हैं. विकास यांत्रिकी प्रकोष्ठ संचालनालय में 48 पद अभी भी रिक्त हैं. संभागीय संयुक्त संचालनालय,नगर प्रशासन में 113 पद रिक्त हैं संचालनालय के प्रशासनिक अमले में 87 पद रिक्त हैं. इंजीनियरों की आवश्यक्ता इसलिये ज्यादा पड़ी रही है क्योंकि काम बहुत ज्यादा आ गये हैं. काम की जिम्मेदारी नगर पालिकाओं के पास ज्यादा आ गई है इसलिये स्टाफ की कमी की वजह से कहीं न कहीं काम प्रभावित होते हैं मैं समझता हूं माननीय मंत्री जी इस ओर भी ध्यान देंगे. आपने समय दिया धन्यवाद.
श्रीमती शीला त्यागी(मनगंवा) - माननीय सभापति महोदय, मैं नगरीय विकास एवं पर्यावरण विभाग की मांग संख्या 22 एवं 75 के संबंध में अपनी बात रखकर माननीय मंत्री जी का ध्यान आकृष्ट कराना चाहती हूं कि सरकार की मंशा के अनुसार स्मार्ट सिटी की घोषणा की गई लेकिन समाज की बहुत बड़ा हिस्सा,एस.सी.,एस.टी.,ओ.बी.सी. के लोगों के पास आज भी रहने के लिये आवास नहीं हैं वे झुग्गी झोपड़ियों एवं गंदी बस्तियों में रहने के लिये मजबूर हैं. बड़े-बड़े उद्योगपति,पूंजीपति,औद्योगिक घरानों को ही लाभ मिलेगा साथ ही साथ स्मार्ट सिटी बनने से गरीबी और अमीरी के बीच खाई बढ़ती जायेगी और सरकार की जो मंशा है कि हमारे प्रदेश में जो एस.सी.,एस.टी.ओ.बी.सी. के भाई हैं जिनके रोटी,कपड़ा और मकान की ही व्यवस्था अभी नहीं हो पाई है तो यह जो घोषणा है वह कोरी ही साबित होगी मैं माननीय मंत्री जी को सुझाव देना चाहती हूं कि आप और आपकी सरकार यदि शहरों को स्मार्ट बनाना चाहती है तो शहरों में गंदी बस्तियों में रहने वाले लोग हैं उनको यदि दो-दो कमरे के पक्के मकान उपलब्ध करा दिये जायेंगे तो शहरों की जो झुग्गी बस्तियां हैं वे भी व्यवस्थित हो जायेंगी और हमारे गरीब समाज के लोग हैं उनको रहने के लिये पक्के मकान मिल जायेंगे और आपकी सरकार की मंशा भी ठीक हो जायेगी कि जो गरीबी की रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे हैं ऐसे लोगों को भी मकान मिल जायेंगे. साथ ही साथ मध्यप्रदेश राज्य सफाई कामगार आयोग का जो कार्य है बहुत धीमी गति से चल रहा है. सफाई कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं मिल पाता. उनके बच्चों के लिये स्वास्थ्य और शिक्षा की व्यवस्था नहीं है और साथ ही साथ नगरीय निकायों में जो भर्तियां हो रही हैं पहली बात तो बहुत सारे जो बेकलाग के पद हैं वह अभी तक नहीं भरे गये हैं उन्हें भरने का प्रयास किया जाये और स्थानांतरण एवं पदोन्नति का जो काम है वह भी लोक सेवा प्रबंधन अधिनियम के तहत् नहीं हो रहा है. मैं अपने क्षेत्र की कुछ मांगे मंत्री जी के समक्ष रखना चाहती हूं. मनगंवा नगर पंचायत के बीचों-बीच नेशनल हाईवे-7 से एक नयी बायपास सड़क बनाई गई लेकिन ओव्हरब्रिज उस पर न होने से आये दिन कोई न कोई एक्सीडेंट होता रहता है. साथ ही क्षेत्रीय विधायक निधि के द्वारा हमने एक यात्री प्रतीक्षालय दिया था. उसको भी एक ट्रक के द्वारा दुर्घटनाग्रस्त किया गया. सी.एम.ओ. की तरफ से आज तक कार्य नहीं किया गया. क्योंकि जब कोई विधायक निधि का कार्य होता है तो जिस क्षेत्र के अंतर्गत आता है उसकी संपत्ति हो जाती है तो नगर पंचायत की सम्पत्ति घोषित होने के बाद मैं उसको नहीं सुधरवा सकती इसलिये मैं मंत्री जी का ध्यान आकृष्ट कराना चाहती हूं मैंने उस सी.एम.ओ. को मौखिक भी कहा था और पत्राचार भी किया था कि उस यात्री प्रतीक्षालय को जिस ट्रक के मालिक ने क्लेम किया था उसको जो क्लेम की राशि प्राप्त हुई उसके द्वारा पुन: सुव्यवस्थित किया जाये. साथ ही हमारी नगर पंचायत मनगंवा में कन्या छात्रावास नहीं है. एक छात्रावास है लेकिन वह भी बहुत छोटा है और वह कम से कम 150 गांवों का केन्द्र बिन्दु है तो वहां एक छात्रावास की व्यवस्था की जाये. चूंकि मनगंवा रीवा हेडक्वार्टर से 40-45 कि.मी. है और लड़कियों को वहां जाने में दिक्कत होती है. नगरीय प्रशासन विभाग के माध्यम से मनगंवा में जो पुराना हाईवे था वह नगर पंचायत सीमा के जो वार्ड हैं वार्ड नंबर 10,12,13,14,15 की जो सड़कें हैं उनका चौड़ीकरण करके आर.सी.सी. या डामरीकरण करके सड़क के किनारे बिजली के खम्बों के बीच में शिफ्ट कर डिवाईडर बनाया जाये. साथ ही साथ आधुनिक लाईटिंग की व्यवस्था की जाये दूसरी मेरी मांग है मलकपुर तालाब का सौंदर्यीकरण किया जाये उसे पर्यटक स्थल बनाने का काम किया जाये इसके लिये मैं प हले भी माननीय मंत्री जी से पत्राचार कर चुकी हूं. साथ ही साथ वार्ड नंबर 14,15 में एक फुटपाथ की व्यवस्था की जाये साथ ही साथ 1 करोड़ 10 लाख की लागत से बनी 10 साल पूर्व के जो ठप्प पड़ी योजना है उसे चालू कराकर नगर के निवासियों को स्वच्छ जल आपूर्ति कराने की भी व्यवस्था कराएं. जो 1 करोड़ की लागतसे वहां टंकी बनी हुई थी और आज तक उसको चालू नहीं किया गया उसको तत्काल चालू कराने का कष्ट करेंगे. वर्तमान में वार्ड क्रमांक 15 में जल आवर्धन योजना आईएसएमटी के तहत् तैयार की गई थी लेकिन आज तक उसको भी व्यवस्थित नहीं किया गया. साथ ही साथ गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वालों के लिये आवास व्यवस्था नहीं है. वार्ड क्रमांक 13 में पुराने ग्राम सेवक क्वार्टर बने हुए हैं उनके स्थान पर शापिंग काम्प्लेक्स बनाने एवं रैन बसेरा बनाने का कष्ट करेंगे. साथ ही साथ एक हमारी मनगंवा नगर पंचायत में धर्मशाला भी नहीं है उसके लिये भी आप कष्ट करेंगे. साथ ही साथ वार्ड क्रमांक 15 में अस्पताल केम्पस में डाक्टर क्वार्टर्स हैं एवं थाना केम्पस वार्ड में पुलिस क्वार्टर्स हैं इनमें भी पेयजल की व्यवस्था नहीं है. तो माननीय मंत्री जी हमारी मनगंवा नगर पंचायत एक एतिहासिक नगर पंचायत है और उसकी जनसंख्या काफी बढ़ गई है तो नगर पंचायत से नगर पालिका में कनवर्ट
करने का कष्ट करेंगे. आपने समय दिया बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री जितू पटवारी(राऊ) - माननीय सभापति महोदय, आपने मुझे मांग संख्या 22,71 और 74 पर बोलने का समय दिया उसके लिये आपको धन्यवाद देता हूं. आदरणीय मंत्री जी से मैं आपके माध्यम से अनुरोध करना चाहता हूं कि जनगणना के ताजे आंकड़े के अनुसार 30 परसेंट से ज्यादा गांव से शहर की तरफ लोग आ रहे हैं और जब वह शहर की तरफ आते हैं तो स्वाभाविक है कि तो स्वाभाविक है वह गरीब होता है इसलिये काम धंधे की तलाश में शहर आता है. शहरी गरीब बस्तियों के बड़े शहरों में बढ़ने का जो कारण है खासकर मध्यप्रदेश के शहर जिनको हमने स्मार्ट सिटी के अंतर्गत लिया है उनमें अगर गरीब बस्तियां बढ़ती हैं तो उसका मूल कारण यह है कि जो काम धंधे की तलाश में शहरों में आते हैं उनको हम घर मुहैया नहीं करा पाते इसलिये ऐसी स्थिति आती है. टाउन एण्ड कंट्री प्लानिंग में यह प्रोविजन है कि जितनी भी नई कालोनियां बनती हैं उसमें 20 प्रतिशत गरीबी रेखा के नीचे रहने वालों के लिये प्रोविजन किया गया है और आप नहीं बनाना चाहो तो उसमें आर्थिक भी शासन को जमा करके वह मेनुकुलेट हो जाता है. तो मेरा उसमें अनुरोध सिर्फ यह है सुझावात्मक रूप में कि जगह को जगह के रुप में गरीबी रेखा के अंतर्गत रहने देना चाहिये. पैसे किसी और मद में खर्च हो जाते हैं और फिर जो बस्तियों में जो आपको काम करना है मकान बनाने पर जो काम करना है वह पैसा उपयोग में नहीं आता तो एक अच्छे शहर की संरचना में सबसे पहले टाउन एण्ड कंट्री प्लानिंग उस शहर के विकास की एक संरचना बनाता है और जितने भी विकास प्राधिकरण हैं और भी विकास की जितनी सारी एजेन्सियां हैं उसके विकसित करने में सहयोग करती हैं तथा अपना काम करती हैं. नगर निगम हुआ उसकी आधारभूत सुविधाओं का ध्यान रखते हुए अपना काम करता है, पर देखने में यह आया है कि जितने भी विकास प्राधिकरण हैं, यह सरकारी डिवलपर हो गये हैं आप भोपाल, इन्दौर तथा उज्जैन शहर को ले लें उसका मूल काम हैं उसके विकास के साथ साथ कैसे हम प्राफिटेबिल करें, क्योंकि किसी भी संस्था को प्राफिक में नहीं चलाएंगे, यह भी नहीं हो सकता है. पर उसका मूल भाव केवल डवलपमेंट के रूप में काम करने लगता है, इससे उसका चेहरा बिगड़ा है, उसको सुधारने की आवश्यकता है. विकास प्राधिकरण एवं नगर निगम अलग अलग काम करते हैं और उतनी ही राशि का अनबेलेंस भी होता है, अथवा खराब भी होती है. अगर इसको नगर निगम में मर्ज किया जाए तो ज्यादा बेहतर होगा. एक वृहद सोच के साथ तो ज्यादा बेहतर है. दूसरा अभी मुख्यमंत्री जी ने अपने वक्तव्य में स्मार्ट सिटी के बारे में बड़ी ताकत के साथ अपनी बातें कहीं 2 सिटी और आयी हैं तीसरे का नंबर लगा है, मध्यप्रदेश देश का ऐसा पहला राज्य है, यह भी कहा. उन्होंने स्मार्ट सिटी की बात कही एवं स्मार्ट मौहल्ले का चयन किया इसमें क्या चयन किया कि इन्दौर को अगर हम देखेंगे कि जो पुराना इन्दौर है जहां पर ऑलरेडी विकास हो गया था तकरीबन बहुत अच्छा वातावरण है प्राचीन राजवाड़ा है, उसका चयन हुआ है. चयन उसका होना चाहिये जिसमें ज्यादा विकास की दरकार होना चाहिये उसमें भी 100-100 करोड़ रूपये राज्य शासन, केन्द्र शासन बाकी स्थानीय एजेन्सी नगर निगम को उगाहना है, फिर इस योजना का कितना लाभ मिला मैं समझता हूं कि पब्लिकसिटी मटेरियल ज्यादा रहा और उस पर मूर्त रूप कम रहा . ऐसे ही भोपाल में आपने क्या किया चयन करने में नगर निगम के अधिकारी एवं कर्मचारी लग गये अभी मैं दैनिक भास्कर के अखबार में पढ़ रहा था कि नगर निगम की एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ने पांच हजार एस.एम.एस किये कि भोपाल का चयन होना चाहिये उसमें अलग अलग डाटाबेस दिये हैं जब यह लोग कम्प्यूटर से पकड़ाए तो एक ही व्यक्ति ने एक ही साईड से उसको कर दिया. खैर कैसे भी किया. भोपाल का पुराना शिवाजी नगर को लिया इसका कितना अखबारों में आता है, लोग विरोध करते हैं कहते हैं कि इसके बजाय पुराने भोपाल को लेते जहां पर सबसे ज्यादा आवश्यकता थी इस पर सरकार एवं मंत्री आपका ध्यान होना था, यह एक कमी रही है. मुझे तो स्मार्ट सिटी की बजाय स्मार्ट मौहल्ला ज्यादा दिखता है. कई शहरों में पर्यावरण को सुधारने के लिये सरकार प्रोग्राम चलाती है, लोगों को जागृत करती है लोग उस पर काम भी करते हैं. एक इन्दौर में पिपल्याहाना तालाब है यह 28 हैक्टेयर का तालाब था इसमें 700 स्किवेयर मीटर का पानी इकट्ठा होता था यह मेरे मामा का गांव है. 4 हैक्टेयर की उसकी पॉल है जो तालाब के पानी को रोकती है यह सब चीजे भू-अभिलेखों में अलग अलग साक्ष्यों में मिले भी हैं. राज्य शासन ने 3.7 हैक्टेयर का तालाब नयी योजना के अंतर्गत कर दिया है उसमें 4 हैक्टेयर में पॉल कर दी, अब आप बताओ कि कितनी बड़ी विसंगति है. 4 हैक्टेयर की पॉल है तथा 3.7 हैक्टेयर का तालाब है, यह कैसे संभव हो सकता है वहां पर लोग इसका विरोध करते हैं इसका विरोध कोई राजनीतिक व्यक्ति कांग्रेस एवं बीजेपी के नहीं करते हैं, केवल आम आदमी विरोध करते हैं उसमें अलग अलग नेताओं के, मंत्रियों तथा अधिकारियों के पास में जाते रहते हैं. उसको फिर से संज्ञान में आना चाहिये अधिकारियों ने गलत जानकारी के आधार पर कोर्ट को उक्त जमीन उपलब्ध करवाई कोर्ट ने उस जमीन पर दिलीप बिल्ट गाम को फिर से ठेका दिया है इसके पीछे सारी बातें आपको समझ में भी आयी होंगी, इसका फिर से मूल्यांकन किया जाए. पर्यावरण के बारे में बात होती है तो तालाब में इतनी बड़ी विसंगति होती हो, मैं नहीं समझता हूं कि यह अच्छी बात हुई होगी. कचरा निष्पादन के लिय बहुत बड़ी बातें होती हैं हमारे इन्दौर के मास्टर प्लान में एक प्लान लागू नहीं हुआ है, केवल कामचलाऊ लागू हुआ. अगर इसको स्मार्ट सिटी एवं विश्व के 10 शहरों में लाना है. उस स्थिति में कचरे का निष्पादन टिचिंग ग्राऊंड शहर के मध्य में है, यह कितनी बड़ी विसंगति है और उसके आसपास 100 कॉलोनिया इसमें टाऊन एण्ड कंट्री प्लानिंग ने टंचिंग ग्राऊंड के आसपास की जमीनों के नक्शे कैसे पास किये, क्या इसकी जांच नहीं होना चाहिये. मास्टर प्लान एक अच्छे नगर-निवेश का कार्यक्रम होता है उसमें 40 किलोमीटर दूर टिचिंग ग्राऊंड होना चाहिये उसके नार्म्स को क्यों फालो नहीं किया गया है, अगर नहीं किया गया है, तो कब तक किया जाएगा. मंत्री जी पर्यावरण के बारे में लोग बहुत दुःखी हैं अभी डॉक्टरों ने एक रिपोर्ट दी है कि उसमें पैदा हुए बच्चे को छः महीने तक नहीं रख सकते हैं दिल्ली का जो मापदंड है उसमें जिस तरह से आसपास बीमारियां फैल रही हैं उससे इसकी गति खराब है यह बात सरकार संज्ञान में लायें तथा उस पर कार्यवाही करे. किसी भी शहर की संरचना में इन्दौर, भोपाल, जबलपुर, बड़े शहरों में जनसंख्या का घनत्व बढ़ता जा रहा है मुआवजे के रूप में हम एफएआर देने की कोशिश करते हैं जिससे जनसंख्या का घनत्व और बढ़ता है अच्छे शहर के विकास के नार्म्स के हिसाब से 1 स्किवेयर मीटर में 10 हजार लोगों से ज्यादा नहीं रहना चाहिये जो इन्दौर में 15 हजार से 25 हजार के बीच में रहते हैं भोपाल में भी इससे थोड़-बहुत कम होंगे. राज्य शासन के द्वारा किसी भी नगर निगम को वॉटर एवं सीवेज को लेकर के कोई बड़ फंड आवंटित नहीं किया जाता है, बल्कि उसकी सबसे ज्यादा आवश्यकता स्थानीय निकायो पर होती है उसमें राज्य शासन राशि ज्यादा आवंटन करें तो ज्यादा अच्छा होगा. यातायात आज बड़े शहर की समस्या है अब यह ट्रेंड बना है कि सार्वजनिक ट्रांसपोर्टशन पर सरकार का ध्यान गया है पर इसमें और ताकत के साथ ध्यान देने की आवश्यकता है इसमें भी इन्दौर नगर निगम को ज्यादा धन मिलना चाहिये, सभी नगर निगमों में मिलना चाहिये, लेकिन इन्दौर में खास आवश्यकता है. लोकल स्तर पर कर्मचारियों की सीधी भर्ती क्यों नहीं होती कर्मचारियों की कमी हर नगर निगम, हर पंचायत एवं हर जगह पर है उसको यह अधिकार क्यों नहीं होना चाहिये इस पर सरकार को काम करना चाहिये. आपने 29 गांव नगर निगम में बढ़ायें हैं, लेकिन उनके संसाधनों पर कोई फंड आवंटित नहीं किया है, केवल नगर निगम बढ़ा लिये हैं इस पर आपका ध्यानाकर्षित करना चाहता हूं. आपने समय दिया धन्यवाद.
श्री भारतसिंह कुशवाह (ग्वालियर ग्रामीण)--माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 22-71 एवं 75 का समर्थन करता हूं. मैं माननीय मुख्यमंत्री जो नगरीय निकायों के लिये बजट में पिछले वर्ष की तुलना में लगभग दो गुना की वृद्धि करने पर धन्यवाद ज्ञापित करना चाहता हूं, साथ ही मध्यप्रदेश को पूरे देश में जिस तरह से मध्यप्रदेश के तीन जिलों का स्मार्ट सिटी के रूप में चयन हुआ है, यह प्रदेश को सौगात मिली है, साथ ही मेरे दो तीन सुझाव है जिस प्रकार से नगर निगम एवं नगरपालिका क्षेत्र में ग्रामीण अंचल कु कुछ पंचायतें एवं गांव सम्मिलित किये गये हैं उनमें मेरा अनुरोध है कि उसमें जो बस्तियां एवं गांव हैं उनमें पहले सीवर एवं वॉटर लाईन डाली जाए उसके बाद ही सीमेन्ट की पक्की रोड़े बनायी जाए, ऐसा मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करता हूं.
दूसरा सुझाव मेरा इस प्रकार है, चाहे वह स्थानीय निधि हो, चाहे प्रदेश सरकार की निधि हो, कई वार्डों में जो नवीन वार्ड बने हैं, उनमें विद्युत समस्या काफी खराब है, कई पोलों की शिफ्टिंग होना है, कई तार इधर- उधर झूल रहे हैं, उनको शिफ्टिंग करने के लिए प्राथमिकता होना चाहिए ।
माननीय सभापति महोदय, नगर निगम क्षेत्रों में जो पहले से रोडें बनी हुई हैं, कई वार्ड इस प्रकार के हैं कि वहां डामर का काम पूर्णत: ठीक प्रकार से हुआ है और उसके बाद भी उस निधि का दुरूपयोग इस प्रकार से होता है कि फलाने के द्वार से फलाने के द्वार तक, रोड बनी हुई है, बीच में ही स्थानीय पार्षदों द्वारा उसको दूसरे नाम से अंकित कराकर वहां पर पुन: उन रोडों पर डामरीकरण किया जाता है, इसलिए मेरा सुझाव है, जो पुराना नगर निगम क्षेत्र है, जहां पर भी रोडों की स्वीकृति की बात आए, वहां की वीडियो ग्राफी की जाए, जिससे कि पैसे का दुरूपयोग न हो और जहां आवश्यकता है, वहां पर डामरीकरण हो, जहां आवश्यकता नहीं है, उन रोडों पर दोबारा डामरीकरण न हो ।
माननीय सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से अनुरोध करना चाहूंगा कि प्रदेश के अन्य नगरीय निकायों की तरह प्रदेश में पांच Contonment Bord हैं, जिसमें चार Contonment Bord को आपके द्वारा चुंगी क्षतिपूर्ति की राशि दी जाती है, लेकिन मेरे विधानसभा क्षेत्र के मुरार Contonment के लिए चुंगी क्षतिपूर्ति की राशि नहीं दी जा रही है, कृपया मुरार केंट के लिए चुंगी क्षतिपूर्ति की राशि प्रदाय करने का कष्ट करें ।
माननीय सभापति महोदय, इस बात के लिए भी आपका ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा, माननीय मंत्री जी से अनुरोध करना चाहूंगा और सदन का भी ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा कि Contonment Bord वस्तुत: नगरीय निकाय की श्रेणी में आते हैं और संविधान के अनुच्छेद 243 में परिभाषित नगरीय निकायों की श्रेणी में Contonment Bord के अधिनियम अनुसार Contonment Bord को भी सम्मिलित किया गया है, अत: आपसे अनुरोध है कि प्रदेश में स्थित Contonment Bord को अन्य नगरीय निकायों की तरह मूलभूत सुविधाएं तथा अन्य विकास कार्य के लिए राज्य शासन के बजट से अनुदान उपलब्ध कराया जाए, साथ ही मेरे Contonment क्षेत्र की एक और बहुत - बड़ी समस्या है, जिस प्रकार से Contonment मुरार के अंतर्गत, बंसीपुरा पुलिया से रावत मैरिज हॉल की पुलिया तक, लंबाई लगभग 1100 मीटर है, पुराना नाला बना हुआ है, कच्चा नाला है, मिट्टी का नाला है, शहर का सीवर खुले रूप से बहता है, इसलिए मेरा आपके माध्यम से मंत्री जी से अनुरोध है कि यदि इस नाले को सीमेंट कांक्रीट से बनाया जाता है तो निश्चित रूप से वहां के लोगों को उसका लाभ मिलेगा । जिस प्रकार से ग्वालियर विधानसभा की 31 पंचायतों को नगर निगम, ग्वालियर में सम्मिलित किया गया है, पंचायतों का जो स्वरूप है, पूरे शहर के आस - पास सारी पंचायतों से शहर घिरा हुआ है और वहां की आवश्यकता के अनुसार मेरा अनुरोध है कि 6 वार्डों के लिए अलग से कोई अनुभवी 2-3 अधिकारी नियुक्त किए जाएं, वहां की स्थानीय व्यवस्था को देखते हुए भविष्य की एक प्लानिंग तैयार की जाए और विकास के रूप में उन पंचायतों में रहने वाले उन लोगों को भी यह महसूस हो कि जिस प्रकार से हमें शहर में सम्मिलित किया गया है, उसके अनुसार इस क्षेत्र का भी विकास हो रहा है और कई अन्य नगर पंचायतों में, नगर पालिकाओं में, नगर निगम है, जिस प्रकार से कई पंचायतों का संविलियन हुआ है और संविलियन होकर वहां के वार्ड बने हैं, वहां पर जो तैनात कर्मचारी हैं, कई नगर निगमों में उनका संविलियन कर दिया गया है, ग्वालियर नगर निगम की 31 पंचायतों के पंचायत सचिवों का संविलियन नहीं हुआ है, मेरा आपके माध्यम से मंत्री जी से अनुरोध है कि उन पंचायत सचिवों का भी नगर निगम में संविलियन किया जाए, आपने बोलने का मौका दिया बहुत बहुत धन्यवाद ।
श्री गिरीश भण्डारी (नरसिंहगढ़)- माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 22, 71 और 75 के संबंध में अपने कुछ सुझाव देना चाहता हूं । नगरीय निकायों में विभिन्न योजनाएं लोन के संबंध में होती हैं, जिनके फार्म नगर पालिका द्वारा लिए जाते हैं और उन फार्मों को बैंकों में लोन स्वीकृत करने के लिए पहुंचा दिए जाते हैं, लेकिन नगर पालिका के अधिकारी या कर्मचारी उन हितग्राहियों को यह सहयोग नहीं करते हैं, उनका लोन स्वीकृत हो, वह बैंकों के चक्कर लगाते हैं, चूंकि गरीब लोग होते हैं, रोज कमाने और रोज खाने वाले होते हैं, दो, तीन, चार दिन परेशान होने के बाद अपने - अपने घरों में बैठ जाते हैं, चतुर और चालाक लोग, अपात्र लोग बैंकों से लोन ले लेते हैं, मेरा मंत्री जी से अनुरोध है कि नगर पालिका के कर्मचारियों की एक टीम होना चाहिए, जो पात्र लोग हैं, उनको लेकर जाए, उनको बताए और उनके लोन स्वीकृत कराए ।
माननीय सभापति महोदय, एक चीज की ओर मैं माननीय मंत्री जी का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं, प्रशासकीय प्रतिवेदन 2015-16 के पृष्ठ क्रमांक 36 पर बताया गया है कि वित्तीय वर्ष के दौरान 599 अधिकारी, कर्मचारियों को प्रान आवंटित किए गए है, योजना के अंतर्गत अभी तक 2,961 कर्मचारियेां को प्रान आवंटित हो चुके हैं, शेष डाटा एन.एच.डी.एल. मुम्बई को अंतरित किए जा रहे हैं, एन.एच.डी.एल. ने प्रान आवंटित करने का कार्य कब से प्रारंभ किया और 2,961 प्रान कितने वर्षों में आवंटित किए, यह उल्लेख प्रतिवेदन में नहीं है, लेकिन परिभाषित पेंशन अंशदान योजना में वेतन का 10 प्रतिशत अंश व निकाय का 10 प्रतिशत अंश प्रतिमाह नियमित रूप से कटौत्रा किया जाकर, नियमित रिकार्ड रखने के नियम हैं, लेकिन कहीं पूरे वर्ष का एक समय में काट दिया जाता है, कहीं रिकार्ड में प्रविष्टि नहीं की गई है, ऐसी समस्या उत्पन्न हो रही है, विशेषकर मेरे जिले के नगरीय निकायों में बहुत ज्यादा गंभीर समस्या है, मैंने विधान सभा में प्रश्न भी लगाया है, अधिकारी, कर्मचारी समय पर सी.आर. नहीं लिखते हैं और न ही सेवा पुस्तिका में पृविष्टि करते हैं, सेवानिवृत कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है, उनका परिवार जरूर निकाय और कई अधिकारियों के चक्कर लगाता रहता है, शासन के नियमानुसार एक वर्ष में दो बार डीपीसी होना चाहिए, ताकि पदोन्नति के माध्यम पद की पूर्ति हो सके, लेकिन पांच – पांच, छै- छै, वर्ष में एक बार भी डीपीसी का कार्य नहीं किया जा रहा है, यह प्रक्रिया निरन्तर होना चाहिए, इस पर शासन को ध्यान देना चाहिए ।
माननीय सभापति महोदय, मैं बहुत महत्वपूर्ण चीज बताना चाह रहा हूं, चाहे वह नगर पालिका को, नगर पंचायत हो या नगर निगम हो, वहां पर जो रोज की आवश्यकता की चीजें हैं, चाहे चाहे लाइट की बात हो, चाहे वह सफाई के सामान की बात हो, चाहे और भी सामान जो नगर पालिका द्वारा खरीदे जाते हैं, उसमें काफी भ्रष्टाचार होता है और मुझे पता है कि उसमें चालीस – चालीस, पचास- पचास परसेंट कमीशन दिया जाता है, मेरा सुझाव है कि जो दैनिक रोज की वस्तुए हैं, ब्लीचिंग, ऐलम, लाइट का सामान, सफाई की सामग्री, इनकी कहीं न कहीं कोई अच्छी कंपनियों से, अच्छी ब्राण्डेट कंपनियों से इनकी दरें बुलवा ली जाए, पूरे प्रदेश के लिए वह दरें निश्चित कर दी जाएं और उन्हीं दरों पर पूरी नगर पालिका, नगर निगम उन सामानों को खरीदे । इस बात की अगर निश्चितता करेंगे तो निश्चित ही जो भ्रष्टाचार के कारनामे हैं, उन पर रोक लग सकती है.
माननीय सभापति महोदय, मेरा एक और सुझाव है कि ज्यादातर नगर पालिका और नगर पंचायतों में प्रभारी सी.एम.ओ. के रूप में कार्य करते हैं और प्रभारी सी.एम.ओ. ऐसे होते हैं, जिनका रिटायरमेन्ट कहीं एक साल, कहीं 6 महीने और कहीं 4 महीने होते हैं और आप समझ सकते हैं कि जो एक साल, 6 महीने और 4 महीने के रिटायरमेन्ट पर हैं. वे नगर पालिका के कार्य देखने के लिए नहीं हैं बल्कि वहां पर सिर्फ कमीशन खाने और भ्रष्टाचार करने जाते हैं. इसलिए मेरा निवेदन है कि सभी जगह पर, जो भी सी.एम.ओ. हो, प्रभारी की बजाय वहां पर नियमित सी.एम.ओ, नियमित कर्मचारियों एवं अधिकारियों की नियुक्ति की जाये. आज कहीं-कहीं तो यह हालत हो गई है कि पूरा 5 वर्ष का कार्यकाल हो जाता है, सेनेटरी इंस्पेक्टर की नियुक्ति नहीं हो पाती है.
सभापति महोदय - कृपया समाप्त करें.
श्री गिरीश भण्डारी - माननीय सभापति महोदय, मैं एक-दो बातें रखना चाहता हूँ. छोटे-छोटे कार्यों के लिये, चाहे 1 लाख रूपये, 2 लाख रूपये और 10 लाख रूपये के कार्यों के लिये, जिसमें मेरा नरसिंहगढ़ नगर पालिका है. उसमें 3-4 नगर पालिका एवं नगर पंचायतें आती हैं. हम विधायक निधि से भी 2-4 लाख रूपये देते हैं, उन राशियों की टी.एस. करने के लिए भोपाल आते हैं. मेरा यह सुझाव है कि क्यों न जिला स्तर पर एक ऐसा अधिकारी नियुक्त कर दिया जाये कि वह पूरे जिले की तकनीकी स्वीकृति वहां प्रदान कर दे ताकि आने-जाने में समय खराब न हो और भ्रष्टाचार पर रोक लग सके. मेरा एक और निवेदन है कि नगरीय निकायों में तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के बहुत सारे डेली वेजेज पर कर्मचारी लगे हुए हैं, नगरीय निकायों में कर्मचारियों की कमी भी है. क्यों न उनकी भर्ती में, जो लोग वहां 8-10 वर्षों से लगे हुए हैं, उन्हीं को क्यों न नियमित कर दिया जाये ? ताकि भर्ती के नाम पर भ्रष्टाचार का जो खेल होता है, उस पर रोक लग सके. एक चीज और मैं बताना चाहता हूँ कि कहीं-कहीं तो यह हालत है कि भर्ती के नाम पर, जो कर्मचारी रखे जाते हैं, वे कहीं नेताओं के घरों पर काम करते हैं तो कहीं अधिकारियों के घर पर कार्य करते हैं. जिनका काम नगर पालिका में होना चाहिए, वे लोग नेताओं और अधिकारियों के घर पर काम करते रहते है, इस पर भी रोक लगाने की आवश्यकता है.
माननीय सभापति महोदय, एक सबसे महत्वपूर्ण चीज है, सब छोटी जगहों में जहां नगर निगम, नगर पालिका है, अतिक्रमण है. हम प्रशासन से जब बात करते हैं तो वहां के एस.डी.एम. एवं कलेक्टर अतिक्रमण हटाने की बात करते हैं, अतिक्रमण हटा दिया जाता है लेकिन नगर पालिका बिल्कुल सहयोग नहीं करती है कि जब अतिक्रमण हटा दिया है तो वह दोबारा न हो, इसके लिए नगर पालिका की टीम बनना चाहिए कि वह दोबारा अतिक्रमण न करे लेकिन यह समस्या हमेशा बनी रहती है. हर एक महीने और दो महीने में यह कार्यवाही चलती रहती है. आपने समय दिया, उसके लिए धन्यवाद.
सभापति महोदय - अब समाप्त करें.
श्री सुदर्शन गुप्ता - माननीय उपाध्यक्ष महोदय.
सभापति महोदय - इसमें आपका नाम नहीं है. आपका पर्चा पीछे कर दिया गया है. आपकी पार्टी की तरफ से आपका नाम नहीं आया है.
श्री संदीप जायसवाल (मुड़वारा) - माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 22 एवं 75 के समर्थन में बोल रहा हूँ. संविधान संशोधन के माध्यम से, स्थानीय सरकार को अधिकार देने की जो शुरूआत हुई थी, उसके अच्छे दिन अब दिख रहे हैं. अभी हमारे कई साथियों ने स्मार्ट सिटी की अवधारणा पर बहुत से प्रश्न चिन्ह लगाये हैं. मैं यह कहना चाहूँगा कि देश के नम्बर वन राज्य मध्यप्रदेश को बनाने की जो बात थी, जब स्मार्ट सिटियों का चयन 2 चरणों में हुआ था तो यह बात सिद्ध हुई थी कि किस तरह से मध्यप्रदेश नम्बर वन का प्रदेश है. पहले चरण में राज्य स्तर पर 7 नगर निगमों का चयन हुआ और दूसरे चरण में प्रदेश द्वारा स्मार्ट सिटी हेतु चयनित शहरों को राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित नगर चुनौती में भाग लेने के लिए स्वयं की स्मार्ट सिटी का प्रस्ताव तैयार कर भारत सरकार को प्रेषित किये गये थे. उक्त चरण में मध्यप्रदेश के 3 शहरों का चयन हुआ- भोपाल, इन्दौर एवं जबलपुर. इस सदन के माध्यम से, मैं उन शहरों के महापौर, जन-प्रतिनिधियों एवं साथ में वहां के अधिकारियों और कर्मचारियों को भी बधाई देना चाहता हूँ. मध्यप्रदेश देश का एकमात्र ऐसा राज्य है, जिस प्रदेश के तीन शहरों को स्मार्ट सिटी हेतु चयन किया गया है.
माननीय सभापति महोदय, हम छोटे शहरों के प्रतिनिधित्व करने वाले लोगों की एक शिकायत होती थी कि अधिकांश बड़े नगर-निगम को विकास के ज्यादा अवसर मिलते थे लेकिन केन्द्र शासन की 'अमृत मिशन योजना' के अंतर्गत छोटे मझौले नगर-निगमों एवं नगर पालिकाओं का भी चयन किया गया है. जिसके माध्यम से गरीब वंचितजनों के जीवन-स्तर में सुधार से लेकर, जल आपूर्ति इत्यादि के लिये वर्षा एवं जल-नालों के विकास के लिये योजनाएं बनेंगी. मैं प्रदेश शासन और माननीय मंत्री जी को बधाई देना चाहूँगा. उसमें मेरी विधानसभा कटनी को भी शामिल किया गया है, इसके साथ ही साथ अच्छी कार्यप्रणाली के लिये प्रोत्साहन के रूप में एक विशेष प्रावधान किया गया है कि अगर नगर सुधार कार्यक्रम का क्रियान्वयन निर्धारित समय-सीमा में पूर्ण किया जायेगा तो भारत सरकार द्वारा स्वीकृत परियोजना के केन्द्रांश की कुल राशि का 10 प्रतिशत प्रोत्साहन निधि के रूप में दिये जाने का प्रावधान किया गया है.
माननीय सभापति महोदय, प्रधानमंत्री आवास योजना के माध्यम से निम्न आय के साथ-साथ मध्यमवर्गीय आय के लोगों के लिये भी इन्तजाम किये गये हैं. मैं पुन: बधाई देना चाहूँगा कि इसमें कटनी को भी शामिल किया गया है. स्वच्छ भारत मिशन के तहत व्यक्तिगत शौचालयों का निर्माण, सामुदायिक शौचालयों का निर्माण, सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण, ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन इत्यादि की भी व्यवस्थायें की गई हैं. मैं प्रदेश शासन को बधाई देना चाहूँगा. मैं माननीय मंत्री महोदय जी से, आपके माध्यम से अनुरोध करना चाहूँगा कि एक व्यावहारिक कठिनाई व्यक्तिगत शौचालयों के निर्माण में आ रही है, कुल इकाई की लागत 13,600/- रूपये हैं- उसमें केन्द्र का अंश 4,000/- रूपये हैं, राज्य का अंश 6,880/- रूपये हैं, निकाय का अंशदान 1,360/- रूपये है और हितग्राही का अंशदान 1,360/- रूपये है. गरीब बस्ती में बनने वाले, इस व्यक्तिगत शौचालय के निर्माण के लिए नगर निगम जाते हैं तो हितग्राही का अंशदान न मिल पाने के कारण, इस योजना का क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री महोदय से अनुरोध करना चाहूँगा कि जहां हम अनेक योजनाओं में गरीबों के हित में करोड़ों रूपये की राशि व्यय कर रहे हैं तो स्वच्छता मिशन को ध्यान में रखते हुए, व्यक्तिगत शौचालय एक महत्वपूर्ण पहलू है. उसको ध्यान में रखते हुए हितग्राही के अंशदान को 100 रूपये या 136 रूपये तक सीमित करते हुए, शेष राशि संबंधित नगरीय निकाय या राज्य शासन द्वारा वहन करने की स्वीकृति प्रदान करें.
सभापति महोदय - जायसवाल जी, कृपया समाप्त करें.
श्री संदीप जायसवाल - सर, बस 5 मिनिट दीजिये. बाकी लोगों ने ज्यादा समय ले लिया है, माफी चाहूँगा. मैं इस संबंध में कुछ सुझाव देना चाहता हूँ. कटनी नगर निगम में खदानों की अत्यधिक मात्रा होने के कारण, खदानों के पानी का फिल्टर प्लांट के माध्यम से सप्लाई के लिये योजना बनाये जाने हेतु, मैं सुझाव देना चाहता हूँ. मैं नदियों में मिलने वाले नालों के पानी को ट्रीटमेन्ट प्लान्ट के माध्यम से उसको साफ करके नदियों में मिलाने के लिए, कई सालों से ट्रांसपोर्ट नगर की योजना लम्बित है उसके संबंध में फॉरेस्टर प्लेग्राउन्ड के संबंध में एवं दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी जो काफी सालों से नगर निगम में लगे हुए हैं, उनको नियमित करने के संबंध में विशेष आग्रह करना चाहूँगा.
माननीय सभापति महोदय, एक महत्वपूर्ण बिन्दु की ओर मैं माननीय मंत्री महोदय की ओर ध्यान आकर्षित करना चाहूँगा. पूर्व में आई.एस.डी.पी. योजना के माध्यम से गरीबों के लिए मकान बने थे, उस समय एस.ओ.आर. के माध्यम से मकानों की लागत रखी गई और जो हितग्राही हैं, उसको शेष 10 प्रतिशत राशि देने को कहा गया था, लागत बढ़ने से उसकी राशि 58 से 60,000/- रू. हो गई है. जिसके कारण वह मकान नहीं उठ पा रहे हैं, उसमें भी हितग्राही का अंश कम करने की कृपा करें. नगर निगम की स्टाम्प ड्यूटी जो एक प्रतिशत है, उसको दो प्रतिशत करने का अनुरोध है. कुछ स्थानीय निकाय द्वारा अपने स्तर पर, जो कर लगाये जाते हैं, बाजार बैठक इत्यादि उनको भी समाप्त करने के प्रस्ताव लम्बित पड़े हुए हैं, उस पर भी छूट दी जाये. सभापति महोदय, 15 दिसम्बर,2015 को हमारे मुख्यमंत्री जी के द्वारा सदन में इस बात पर सहमति दी गयी थी, उसको मैं पढ़ना चाहूंगा कि "अध्यक्ष महोदय, मैं यह मानता हूं कि अगर कहीं पर विधिवत रुप से प्लाट खरीद कर किसी ने मकान बनाया है, तो वह कालोनाइजर की गलती के कारण या कुटिलता के कारण वह कालोनी काटकर एक तरफ हो गया है. यह तय हुआ कि अवैध कालोनियों को वैध करने के लिये एक निश्चित धनराशि कालोनी में जो निवासी हैं, उनको जमा करना होगा. जो तय राशि होगा, उसका 50 प्रतिशत रहवासियों को जमा करना होगा. बाकी जो 50 प्रतिशत बचेगी, उसके लिये राज्य शासन और नगरीय निकाय 30 और 20 प्रतिशत वहन करेंगे." मुख्यमंत्री जी ने आगे कहा है कि " बाद में मैंने देखा कि जिन लोगों ने मकान बनाये हैं, उनसे 50 प्रतिशत लेना भी जायज नहीं है. इसलिये आज इस सदन में मैं इस बात को प्रकट कर रहा हूं कि..
सभापति महोदय-- यह कोई बोलने की जरुरत है क्या.
श्री संदीप जायसवाल -- सभापति महोदय, मैं यह चाहता हूं अवैध कालोनी में जनता का जो अंशदान है, वह कम किया जाये और उस अशंदान में भी विधायक निधि अगर कुछ शामिल हो सके, तो उसको भी शामिल करने की अनुमति दी जाये. आपने मुझे बोलने के लिये अवसर दिया, इसके लिये धन्यवाद.
श्री दिनेश राय (सिवनी) -- सभापति महोदय, मै मांग संख्या 22,71 एवं 75 के संबंध में मंत्री जी का ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा. सिवनी विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत सिवनी नगर में दलसागर तालाब, मठ मंदिर तालाब, बुधवारी तालाब स्थित है और शहर के अकबर वार्ड एवं शास्त्री वार्ड के करीब ही बबरिया तालाब है. इनकी सुरक्षा एवं सौन्दर्यीकरण के लिये आपने इसमें राशि आवंटित नहीं की है. तो आपसे आग्रह है कि इनके लिये राशि सम्मिलित करने की कृपा करें. सिवनी नगरीय क्षेत्र में बुधवारी बाजार, बारापत्थर, शुक्रवारी में पार्किंग की व्यवस्था नहीं है, जिससे प्रति दिन आवागमन बाधित होता है. शहरवासियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. सबसे बड़ी बात तो यह है कि सिवनी में नगर पालिका है, लेकिन सिवनी नगर पालिका कार्यालय का भवन ही नहीं है. दूसरी जगह पर नगरपालिका का कार्यालय लग रहा है, तो आप सोच सकते हैं कि वह नगरपालिका सिवनी का विकास क्या कर सकती है. आपसे आग्रह है कि कम से कम उसके बिल्डिंग के लिये राशि प्रदान कर दें. वहां पेयजल की व्यवस्था लड़खड़ा गई है. एक जल आवर्द्धन योजना 62 करोड़ रुपये की प्रारंभ हुई है, जिसमें 9 करोड़ रुपये का पेमेंट कर दिया गया है. उसमें जो पाइप्स का उपयोग हो रहा है, वह गुणवत्ताहीन है. पतले हैं, उनकी जांच करा लें. मैंने पूर्व में भी एलम ब्लीचिंग का मामला सदन में उठाया था. आपने आश्वासन दिया था कि उसकी जांच होगी और अतिशीघ्र होगी. दूसरी बार विधान सभा का सत्र चालू हो गया है, लेकिन आज तक क्या कार्यवाही हुई उसकी जानकारी नहीं है. न ही संबंधित अधिकारी, कर्मचारियों पर कोई कार्यवाही हुई है. माडल रोड बेहाल है हमारे यहां की. रेल्वे लाइन का कार्य हमारे यहां चल रहा है. वहां पर कम से कम 400 झुग्गी बस्ती हैं, मंत्री जी, 400 लोग हैं, वह उस जगह पर 200 साल से रह रहे हैं. उनको वहां से हटाने का आदेश हो गया है. मेरा निवेदन है कि उनको शहर में कहीं न कहीं बसाने की आप व्यवस्था करें. ऐसे ही हमारे यहां अभी ईई और सब इंजीनियर के लिये हमारे नगरपालिका अध्यक्ष और पार्षद आये, मंत्री जी एवं मुख्यमंत्री जी से मिले, लेकिन अधिकारियों ने उनको चलता कर दिया. आये, घूमे, फिरे खा पीकर निकल गये, लेकिन काम कुछ नहीं हुआ. कम से कम उधर अधिकारी नहीं रहेंगे, तो कैसे विकास होगा. आप देख रहे हैं कि कर्मचारी संविदा में काम कर रहे हैं. भर्तियां आप निकालते जा रहे हैं. उनको आप परमानेंट करिये. इतनी बड़ी बड़ी नगरपालिकाएं है, वह कर्मचारी 10-10, 20-20 साल से काम कर रहे हैं, उनको आप परमानेंट नहीं कर रहे हैं. अवैध कालोनियों की बात अभी जायसवाल जी बोल रहे थे. वहां पर बिजली विभाग वाले विकास शुल्क ले रहे हैं. नगर पालिका विकास शुल्क ले रही है. लेकिन अवैध कालोनियों में एक रुपये का खर्च नहीं होता. न नगरपालिका कर सकती है. आपने डंडा लगाये रखा है कि वहां पर आप राशि खर्च नहीं कर सकते. बिजली विभाग एक खम्भा भी शिफ्ट करता है, तो पूरा विकास शुल्क लेता है. विधायक निधि हम देना चाहें, तो जो 20 हजार का बिजली का खम्भा है, उसका हमको डेढ़ लाख का बिल आता है कि आप डेढ़ लाख जमा कर दीजिये विधायक जी हम यह खम्भा लगा देंगे. उसमें भी आप गौर करिये. विधायक निधि भी लगे. हमारे वहां पर जो एक बात आई थी कि एक निश्चितता तो करें. अवैध कालोनी बनाने वाला तो भाग जाता है, लेकिन वहां की जनता का क्या दोष है.
3.00 बजे उपाध्यक्ष महोदय (डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए.
उपाध्यक्ष महोदय, पर्यावरण पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है. पर्यवारण के लिये शहर को अब हरा भरा करें. नाली की साफ सफाई हमारे यहां होती नहीं है. सीवर लाइन की वहां पर व्यवस्था करायें, क्योंकि जब भी पानी गिरता है हमारे यहां रोड्स में पानी आ जाता है. मंत्री जी, निर्माण कार्य जो चल रहे हैं, उनमें वहां पर भ्रष्टाचार की कोई सीमा नहीं बची है. आये दिन हम लोग पेपर्स में पढ़ते हैं कि यहां भ्रष्टाचार हो रहा है. इस काम में भ्रष्टाचार हो रहा है. ठेका भी अपनी मन मर्जी से देते हैं. ठेका भी उन लोगों को दिया जाता है, जो नेता नुमा, छुट भैया नेता हैं. कहीं न कहीं उसमें वास्तव में जो जायज है 50 हजार रुपये तक की आपने छूट दे दी है. जिसको देख वह ठेका जारी कर रहा है. पूल बना लिया है, दूसरों को काम नहीं लेने दिया जाता है. जो वास्तव में सक्षम ठेकेदार हैं, उनसे काम करवायें. सब्जी मंडी हमारी अव्यवस्थित है. फुटकर सब्जी मंडी और थोक सब्जी मंडी को आप व्यवस्थित करें. हमारे यहां रिक्शा चालक एवं आटो चालक हैं, कम से कम उनके लिये पार्किंग की व्यवस्था करा दें. मंत्री जी या कोई भी बड़े अधिकारी बस स्टेंड के अंदर में अगर एक बार चले जायें, अगर उसमें नाक पर कपड़ा न लगाकर बस स्टेंड घूमना पड़े, तो मेरे को इस पद से हटा दीजिये. यातायात की जो लाइट्स लगाई गई है. लेकिन चौकों में लाइट्स जलती नहीं है. गंदी बस्ती के लिये आप पर्याप्त राशि की व्यवस्था नहीं कर रहे हैं. गंदी बस्ती उन्मूलन के लिये आप योजना चलाये हुए हैं. लेकिन उनको आप राशियां तो दीजिये, तब तो वहां पर विकास होगा. टाउन एंड कंट्री प्लानिंग की हमारे यहां छिंदवाड़ा से जाकर पूरी परमीशन ली जाती है. टाउन एंड कंट्री प्लानिंग सीधी भ्रष्टाचार की दुकान है. मेरा मंत्री जी से आग्रह है कि हमारे जिले में टाउन एंड कंट्री प्लानिंग का आफिस रखा जाये. आप सिवनी में टाउन एंड कंट्री प्लानिंग का ऑफिस स्थापित करें. हमारे यहां स्वीमिंग पूल की कमी है. क्रिकेट ग्राउंड नहीं है. श्मशान घाट हो या कब्रिस्तान हो, सभी सुरक्षित, व्यवस्थित और हरा भरा करें. सौंदर्यीकरण करने के लिये मैं आपसे आग्रह करता हूं. अतिक्रमण में भेदभाव किया गया है. जब पहले कलेक्टर थे उन्होंने अतिक्रमण तोड़ा, उनका ट्रांसफर होते ही अतिक्रमण तोड़ने का काम रुक गया. जो बड़े लोग हैं, उनको बचा लिया गया, जो गरीब लोग हैं, उनका अतिक्रमण तोड़ा गया.
उपाध्यक्ष महोदय -- कृपया समाप्त करें.
श्री दिनेश राय -- रेन बसेरा या वृद्ध आश्रम हों चाहे गरीबी रेखा के कार्ड हों. ..
उपाध्यक्ष महोदय -- कृपया समाप्त करें. आपप बाकी लिखकर मंत्री जी को दे दीजिये.
श्री दिनेश राय -- उपाध्यक्ष महोदय, लिखकर तो मैं दे चुका हूं, देखिये यहां बोलने से भी तो कुछ हो नहीं रहा है, लेकिन प्रयास कर लेता हूं. एक मिनट दीजिये. समय पर हमारे यहां पेंशन नहीं मिल रही है. वाटर हार्वेस्टिंग को कठोरता से लागू करें. शहर के अंदर आने वाली शेष रोड्स जो रुकी हैं, उनको पूर्ण करायें. फ्लाई ओव्ह ब्रिज हमारे शहर में चारों रोड्स पर मैं चाहता हूं. शंकराचार्य पार्क का आप निर्माण करा दें. केंद्र द्वारा संचालित योजनाओं की राशि भी समय पर पहुंचायें. ठोस अपशिष्ट पर विशेषकर आप ध्यान दें. हमारे यहां फुटपाथ और ठिलिया वालों के लिये आपसे आग्रह है कि स्थान दें. लोन देने एवं अनुदान देने में भारी भ्रष्टाचार है. सिंहस्थ की आप बात कर रहे थे. हम विधायकों को भी कोई स्थान वहां मिल जाये. हम लोग रुकने के लिये राशि का भुगतान करेंगे. हमारे लिये सिंहस्थ, उज्जैन में रहने की व्यवस्था हो जाये. परिषद् की बैठक समय पर हो. प्रस्तावों पर क्रियान्वयन होना आवश्यक है. एलयूएन के जो रेट्स हैं, वह बहुत अधिक हैं. वहां हम टेंकर देना चाहते हैं, लेकिन वहां पर आप देखिये, टैक्स इतना अधिक है कि वह 85 हजार का टेंकर हमको सवा डेढ़ लाख में पड़ता है. गरीबी रेखा का कार्ड तहसीलदार और एसडीएम से न बनवाइयेगा, नगरपालिका को पावर दे दीजिये, जिससे उद्धार होगा. उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने के लिये समय दिया, बहुत बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी. .. (व्यवधान)..
श्री हरदीप सिंह डंग -- उपाध्यक्ष महोदय, यह रोज हमारा नाम कट जाता है. 24 घण्टे इंतेजार करने के बाद हमको दो मिनट भी बोलने नहीं दिया जा रहा है.
उपाध्यक्ष महोदय -- एक और विभाग की चर्चा होनी है. फिर एक कार्यक्रम भी है शाम को विधान सभा का ही. डंग साहब मेरी बात सुन लीजिये.
श्री हरदीप सिंह डंग -- उपाध्यक्ष महोदय, रोज के रोज मेरा नाम कट रहा है. हम 24 घण्टे इतंजार करते हैं. दो मिनट भी बोलने के लिये नहीं मिल रहे हैं. यह बिलकुल गलत बात है. फिर यहां आना हमारा बेकार है. कम से कम दो मिनट तो हमको दीजिये.
उपाध्यक्ष महोदय -- नहीं, इस तरह से नहीं चलेगा. आप बैठ जाइये. डंग साहब, पहली बार आप चुनकर आये हैं, कुछ सीखिये. इस तरह से नहीं चलता है, बैठ जाइये. (व्यवधान).. आप लोग मेरी बात सुन लीजिये. उसके बाद फिर हम आप लोगों की बात सुनते हैं. संसदीय कार्य मंत्री जी और प्रभारी नेता प्रतिपक्ष से तय हुआ था कि इतने लोग ही बोलेंगे और जितने लोगों ने बोल लिया, समय उतना हो गया. जितना निर्धारित था.
उपाध्यक्ष महोदय-- ठीक है लेकिन शर्त यह है कि सिर्फ आप अपने क्षेत्र की बात एक- मिनट में कहेंगे. सुदर्शन जी क्या आप मेरी बात से सहमत हैं.
श्री सुदर्शन गुप्ता आर्य (इंदौर-1)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सहमत हैं. आपने जो समय सीमा दी है उसी समय सीमा में हम अपनी बात को समाप्त कर देंगे.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मांग संख्या 22, 71 और 75 का मैं समर्थन करता हूं. मेरी विधानसभा क्षेत्र-1 में नर्मदा के तृतीय चरण के अंतर्गत एशियन डेवलेपमेंट बैंक के तहत वहां पर उपलब्ध कराई गई राशि से प्रोजेक्ट उदय के तहत नर्मदा के पानी की टंकियां व नर्मदा की लाईन बिछाई गई है किंतु इनको पाईप लाइन से नहीं जोड़ा गया है इस कारण से उसका लाभ जनता को नहीं मिला है . शासन के करोड़ों रूपये जमीन में पड़े हुये हैं . एक तरफ सरकार को इस कार्य हेतु लिये गये बैंक के कर्ज पर उसका ब्याज लग रहा है दूसरी तरफ जनता को पीने का पानी नहीं मिल पा रहा है, वहां जनता पीने के पानी के लिये परेशान है . इस एशियन डेवलेपमेंट बैंक से पैसा लेने पर सरकार को ब्याज भी निरंतर देना पड़ रहा है. अगर यह लाईन जुड़ जायेगी तो एक तरफ जनता को फायदा होगा .दूसरी तरफ सरकार को इनकम भी होगी. इसी तरह से मेरे विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत कई पुरानी जर्जर पानी की टकियां हैं, उनके स्थान पर नई पानी की टंकी बनाये जाने की आवश्यकता है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पूरे प्रदेश के अंतर्गत नगर पालिका निगम में जागीरदारी प्रथा समाप्त कर दी गई है किंतु आज भी हमारे इंदौर में यह जागीरदारी प्रथा चल रही है. वहां जागीरदारी प्रथा के नाम पर लोगों से अवैध वसूली करते हैं . लोगों के साथ में दुर्व्यवहार करते हैं, मारते पीटते हैं. इसी तरह से वहां पर जो अवैध कालोनियां कट रही है उसके लिये भी मैंने माननीय मुख्यमंत्री जी से और माननीय मंत्री जी से कहा था कि उन अवैध कटने वाली कालोनियों को रोका जाये. जो जर्जर पुलियां हैं उनकी शीघ्र बनाया जाये. जो छोटे कार्य होते हैं उनको ई-टेण्डर की प्रक्रिया से मुक्त किया जाये. क्योंकि अगर चेंबर बनाना है या छोटा मोटा काम है तो ई-टेण्डर की प्रक्रिया बहुत लंबी होने के कारण कई दिन काम में लग जाते हैं. ठेकेदार भी बाहरी होने के कारण काम गुणवत्तापूर्ण नहीं करते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, इसी प्रकार से मेरे विधानसभा क्षेत्र में तालाबों के केचमेंट एरिया में भूमाफियाओं द्वारा अतिक्रमण किया जा रहा है . उसमें निर्माण कराया जा रहा है उस पर तत्काल प्रभाव से रोक सरकार को लगाना चाहिये. उसी प्रकार से खाली प्लाटों पर गंदगी का साम्राज्य हो रहा है . इसके लिये सरकार को कोई नीति बनाना चाहिये और इसको रोकना चाहिये. पर्यावरण सुधार लाने के लिये जो कचरा जलाये जाने की प्रथा है वह हमारे यहां काफी है, जो मोहल्लों में सफाई कर्मचारी हैं कचरा जला देते हैं इस कारण से वहां का पर्यावरण दूषित हो रहा है. इसी प्रकार से इंदौर में सर्वाधिक आवारा पशुओं पर सख्ती से कार्यवाही होनी चाहिये. आये दिन आवार पशुओं के कारण दुर्घटनायें होती हैं. अमानक पोलीथिन का खुले आम हमारे यहां पर चलन चल रहा है. उसको रोका जाना चाहिये. नगर निगम, सभापति अथवा अध्यक्ष को निगम के वाहन मिलना चाहिये, पूर्व में इनको वाहन की सुविधा थी वह बंद हो गई है. इसी प्रकार से मेरी विधानसभा में एयरपोर्ट में बनी हुई अशोक नगर कालोनी के उद्यान के लिये जो सुरक्षित भूमि है उस पर कालोनाईजर्स द्वारा प्लाट काटे जा रहे हैं. वहां पर उद्यान की जमीन को समाप्त किया जा रहा है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय आपने मुझे मांग पर अपनी बात रखने का अवसर प्रदान किया उसके लिये आपको बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री घनश्याम पिरौनिया(भाण्डेर) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मांग संख्या 22, 71 और 75 के समर्थन में मैं अपनी बात कहने के लिये खड़ा हुआ हूं. उपाध्यक्ष महोदय, मेरी विधानसभा भाण्डेर में 2 करोड़ रूपये की लागत से हटापुर के पास में पानी की टंकी का निर्माण हुआ है लेकिन इतने वर्ष बीत जाने के बाद भी वह कार्य प्रारंभ ही नहीं हो पाया है. मंत्री जी इसको प्रारंभ कराये. 3 करोड़ रूपये जल आवर्धन योजना के तहत भाण्डेर नगर पंचायत को दिये गये हैं. लेकिन उसका भी कार्य अभी प्रारंभ नहीं हुआ है, मंत्री जी इसको भी शीघ्र प्रारंभ करायेंगे. उपाध्यक्ष होदय, आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हूं कि भाण्डेर का जहां पर बस स्टेण्ड है वहां पर सुलभ शौचालय और रैन बसेरा बनायें ताकि वहां आने जाने वाले आगंतुकों को और नागरिकों को उसकी सुविधा का लाभ मिल सके. सोनतलैया का जीर्णोद्धार किया जान आवश्यक है. वहां पर महारानी लक्ष्मी बाई जी ने कुछ समय बिताया था , ऐसा शास्त्रों में लिखा है, वह एक ऐतिहासिक स्थल भी है. सोन तलैया के लिये माननीय मुख्यमंत्री जी ने घोषणा भी की है तो इस काम को भी यथाशीघ्र करायें. उपाध्यक्ष महोदय, एक और निवेदन मैं माननीय मंत्री जी से करना चाहता हूं कि मेरे भाण्डेर नगर में जो सड़क है उसके चौड़ीकरण की आवश्यकता है, बीच में डिवाइडर लगाकर के पोल की शिफ्टिंग करके वास्तव में चौराहों का सौन्दर्यीकरण हो जिससे लगे कि हम जिस उद्देश्य में सफल हुये हैं. उपाध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया उसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री हरदीप सिंह डंग(सुवासरा) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सुवासरा विधानसभा क्षेत्र में तीन नगर पंचायते हैं जिसमें सीतामऊ में एक बहुत ही सुन्दर तालाब है, वह जनपद के अधीन है उसको तुरन्त नगर पंचायत को दिलाने की कृपा करें, वह बिल्कुल शहर के बीच में स्थापित है. उसकी देख रेख चूंकि जनपद करती है इस कारण से उसकी प्रापर देखभाल नहीं हो पा रही है. उसको नगर पंचायत के हेंडओवर किया जाये. दूसरी बात मैं मंत्री जी से यह कहना चाहता हूं कि सुवासरा में 7 साल पहले एक स्टेडियम बनाया गया था उसको आज तक पूर्ण नहीं किया गया है और वहां पर जो झुग्गी-झोपड़ी बनी थी उनको भी हटा दिया गया है तो उस स्टेडियम का पूर्ण निर्माण जल्दी से जल्दी किये जाने की मैं मांग करता हूं. नगर पंचायत सुवासरा में भवन हेतु 20 लाख रूपये पांच वर्षों से डिपाजिट पडे हुये हैं परंतु आज तक उसको जमीन नहीं मिल पाई है, इसलिये इस प्रकरण का शीघ्र निराकरण करते हुये एक भवन बनाया जाये. उपाध्यक्ष महोदय, सबसे बड़ी बात यह है कि संविलियन जो कर्मचारियों का किया जा रहा है उसमे भ्रष्टाचार करके अपात्र लोगों का संविलियन कर दिया गया है और जो पात्र हैं पुराने कर्मचारी हैं उनको नहीं लिया जा रहा है. नये नये लोगों को रख लिया गया है. शौचालय के बारे में मंत्री जी से निवेदन करना चाहूंगा कि सीतामऊ और श्यामगढ़ में अभी तक शौचालय का काम चालू नहीं हो पाया है. उसका कार्य भी शीघ्र प्रारंभ करने की कृपा करेंगे.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हुडको द्वारा एक करोड़ की जो सड़क का निर्माण हमारे यहां पर होना था उसमें भी भारी भ्रष्टाचार हुआ है और स्वीकृत राशि में से मात्र आधी राशि में वह सड़क का कार्य किया गया है, मेरी विधानसभा के तीन स्थानों पर जो स्टेडियम की मांग मैंने की है उसको पूर्ण किया जाये. स्वीमिंग पुल की मांग भी है उसको भी मंत्री जी पूर्ण करेगे. मेरी मंत्री जी से आशा है कि मैंने जिन मांगों को अभी बताया है उन मांगों के बारे में मंत्री जी अपने वक्तव्य में कहने की कृपा करेंगे. उपाध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का अवसर प्रदान किया उसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद.
श्रीमती नीना विक्रम वर्मा(धार) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 22, 71 और 75 के समर्थन में अपनी बात कहने के लिये खड़ी हुई हूं. उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहती हूं कि पीथमपुर नगर पालिका जो कि 22 किलोमीटर के क्षेत्र में फेली हुई है. उसके विकास के लिये क्योंकि जो भी जमीन थी किसानों की और राजस्व विभाग की वह मध्यप्रदेश औद्योगिक केन्द्र विकास निगम को दे दी गई है. पीथमपुर नगर पालिका के पास में कोई जमीन नहीं है तो मेरी मंत्री जी से और माननीय मुख्यमंत्री जी से यह मांग है कि जो जमीन 10-15 वर्षों से खाली पड़ी हुई है, मध्यप्रदेश औद्योगिक केन्द्र विकास निगम ने जिसका उपयोग नहीं किया है, वह जमीन वापस पीथमपुर नगर पालिका को दे दी जाये ताकि वहां पर विकास के काम हो सकें, स्कूल, कॉलेज, हॉट बाजार और तमाम तरह की जितनी भी बेसिक सुविधाओं की जरूरत है वह वहां पर हो सकें. साथ ही वहां पर सुव्यवस्थित विकास के लिये प्राधिकरण की सख्त आवश्यकता है मेरा माननीय मुख्यमंत्री जी से माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि जल्दी से जल्दी, जितना जल्दी हो सके विकास प्राधिकरण का गठन करें तो वहां पर विकास करने में सुविधा होगी.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरा मंत्री जी से यह भी निवेदन है कि स्ट्रीट लाईट और पेयजल के लिये सबसे ज्यादा नगर पालिका, नगर परिषदों के बिल रख रखाव और कर्मचारियों की तनख्वाह का खर्चा यह सब छोटी छोटी नगर पालिकायें वहन नहीं कर सकती हैं तो मेरा सुझाव है कि बिजली के बिलों में इनको 50 प्रतिशत तक की छूट दी जाये और अंतिम निवेदन यह है कि पहले जो पेयजल की व्यवस्था पीएचई विभाग के पास में थी वह वापस पीएचई विभाग को दी जाये ताकि पेयजल व्यवस्था सुव्यवस्थित हो सके. इसके साथ ही एटएंडसी और तकनीकी स्वीकृति के लिये बार बार इंदौर या भोपाल में आना पड़ता है तो मेरा अनुरोध है कि टीएंडसी और तकनीकी स्वीकृति के लिये या तो धार के अंदर क्षेत्रीय कार्यालय खोला जाये या फिर सप्ताह में दो दिन वहां पर आकर के बैठें ताकि हमारे को विकास के कार्य हेतु जो स्वीकृति आदि लेना पड़ती है उसमें बार बार व्यवधान न हो, पैसे की बर्बादी न हो, देरी न हो. ई-टेण्डरिंग बड़ी राशि के काम करवाने हेतु की जाये तो अच्छा होगा, ई-टेण्डर की व्यवस्था भ्रष्टाचार रोकने के लिये लागू की गई है यह बात सच है इससे हम सहमत भी है लेकिन बड़ी राशि के कार्य के लिये ई-टेण्डरिंग की जायेगी तो वह उचित रहेगा लेकिन 2-3 लाख रूपये तक की राशि के विधायक या नगर पालिका काम करवाती थी , पहले लोकल ठेकेदारों के द्वारा भाईचारे के मार्फत उससे जल्दी काम करवा लेते थे, काम में क्वालिटी रहती थी, क्योंकि लोकल ठेकादर होने के कारण वह गलत काम नहीं करता था और क्वालिटी को मेन्टेन करता था इसलिये पहले छोटे छोटे काम अच्छी गुणवत्ता के होते थे लेकिन अब ई-टेण्डर के कारण 2 लाख तक की राशि के काम होते हैं उनमें विलंब भी हो रहा है. धार के अंदर इंदौर और भोपाल का ठेकेदार आता है तो वह कार्य में लापरवाही करता है काम भी क्वालिटी का नहीं करता है क्योंकि उसको किसी से कोई लेना देना नहीं होता है. मेरा मंत्री जी से आपके माध्यम से यह निवेदन है कि जो ई-टेण्डरिंग की प्रणाली है इसको सुधारते हुये 5 या 10 लाख की राशि से ऊपक के कार्य ई-टेण्डर के माध्यम से किेये जायें. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने मुझे अपनी बात को रखने का अवसर प्रदान किया उसके लिये आपको बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री मुकेश सिंह चतुर्वेदी (मेहगांव)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि मेरे यहां दो नगर पंचायत हैं एक मेहगांव और एक गोरमी, गोरमी नगर पंचायत के मध्य से एक नाला निकलता है और जिसमें पिछले वर्ष बहुत बाढ़ की स्थिति नगर पंचायत क्षेत्र में आ गई थी, तो कृपया उस नाले को पक्का कर दिया जाये और पानी के निकास की पूरी व्यवस्था की जाये. दूसरा मेरे क्षेत्र में दो बड़ी-बड़ी पंचायतें हैं अमायन और रौन और दोनों की जनसंख्या लगभग 15-15 हजार है तो मेरा अनुरोध आपके माध्यम से मंत्री महोदय से है कि इन पंचायतों को नगर पंचायत में उन्नयन कर दिया जाये तो बड़े आभारी रहेंगे. दूसरी गोरमी नगर पंचायत और मेहगांव नगर पंचायत माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हमारे यहां एक बड़ी समस्या है कि शमशान घाट प्रापर नहीं है, स्थिति बड़ी जटिल हो जाती है जब बारिश के समय कहीं कोई क्रीमेशन करना होता है तो बहुत जटिल स्थिति हो जाती है, लोगों के बैठने तक की व्यवस्था नहीं है, तो मेरा आपसे अनुरोध है कि हमारे यहां के दोनों नगर पंचायत मेहगांव और गोरमी के लिये लमसम राशि आवंटित की जाये जिससे वहां के शमशान घाट की व्यवस्था अच्छी हो जाये और सुगम हो जाये. मैं आखिरी बात कहते हुये खत्म कर रहा हूं, एक धन्यवाद मैं देना चाहूंगा पूरी सरकार को, माननीय मुख्यमंत्री जी को, माननीय मंत्री जी को और उस समय के तत्कालीन सचिव श्री मलय श्रीवास्तव जी को कि उन्होंने जो व्यवस्था बनाई, मैं नगर पालिका अध्यक्ष रहा हूं, मैं जब अध्यक्ष था तो बहुत ही गंदी व्यवस्था अपनाई हुई थी, दलालों की दुकानें खुली हुई थीं कि जो पैसा दे जाता था उसको बजट आवंटित हो जाता था, जो व्यवस्था इन्होंने की वह बहुत सराहनीय है, पर केपिटा जो व्यवस्था की गई उसके लिये संपूर्ण सदन को इनका धन्यवाद देना चाहिये और मैं संपूर्ण नगर पालिका, नगर पंचायत की ओर से उन्हें धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने पर केपिटा बजट अलाटमेंट की व्यवस्था की उसके लिये धन्यवाद, आपने समय दिया उपाध्यक्ष महोदय, उसके लिये धन्यवाद.
श्री प्रदीप अग्रवाल (सेवड़ा)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 22 और 75 का समर्थन करता हूं. मेरे विधानसभा क्षेत्र में दो नगर पंचायतें हैं, एक इंदरगढ़ और दूसरी सेवढ़ा, सेवढ़ा नगर अति प्रचीन नगर होते हुये सिंध नदी के पावन तट पर स्थित है, यहां पर परमपिता ब्रह्मा जी के मानस पुत्रों सनक, सनंदन, सनातन, सनद कुमार द्वारा घोर तपस्या की गई है, ऐसा भी कहा जाता है कि संपूर्ण भारत में फैले नागा साधुओं का उद्भव भी इसी प्राचीन स्थल से हुआ है. वर्तमान में उनकी मठें भी वहां स्थित हैं, वेदपुराणों में भी इसका उल्लेख मिलता है. यहां प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु अमावस्या, शिवरात्रि एवं कार्तिक स्नान के लिये आते हैं, लेकिन घाट, विद्युत व्यवस्था, धर्मशाला एवं शौचालय न होने के कारण कई प्रकार की घटनायें घटित होती हैं, अत वहां पर घाटों का निर्माण किया जाये, विद्युत व्यवस्था सुचारू रूप से की जाये. मेरी नगर पंचायत सेवड़ा में पानी की व्यवस्था न होने से बीमारियां फैलती हैं इसलिये वहां एक फिल्टर प्लांट की व्यवस्था की जाये. रोड के बीच में डिवाइडरों की व्यवस्था की जाये. इसी प्रकार माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरी नगर पंचायत इंदरगढ़ में सड़क के बीचों बीच डिवाइडर की व्यवस्था की जाये. मुख्य बाजार के दोनों ओर 2-2 मीटर सीसी रोड का निर्माण किया जाये, नगर में फैलने वाली बीमारियों को देखते हुये एवं मच्छरों के प्रकोप से बचने के लिये नगर में भरे हुये पानी की निकासी के लिये नाले का निर्माण किया जाये. शहर में आने वाले लगभग 100 ग्रामों के लोगों के लिये शुलभ शौचालयों का निर्माण एवं एक रैन बसेरा का निर्माण किया जाये. मुख्यमंत्री अधोसंरचना के तहत दाल मिल रोड को नाले सहित उत्कृष्ट मार्ग बनाया जाये. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एक-एक नगर पंचायत से 100-100 गांव लगते हैं और नगर पंचायतों में सिर्फ एक-एक फायर ब्रिगेड होती है, जो कि विषम परिस्थितियों में आग नहीं बुझा पाती है, अत नगर पंचायतों को एक-एक या दो-दो फायर ब्रिगेड और दी जायें. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का समय दिया इसके लिये मैं आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूं.
कुंवर विक्रम सिंह (राजनगर)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 22 और 75 का विरोध करता हूं. नगरीय प्रशासन में माननीय उपाध्यक्ष महोदय, राजनगर विधानसभा मेरा क्षेत्र हैं इसमें 3 नगर परिषद पड़ती हैं. लवकुश नगर परिषद की समस्यायें इस प्रकार है-
वर्ष 2016-17 का जो आवंटन माननीय मंत्री जी ने किया है उसमें लवकुश नगर का बायपास रोड ले लिया जाये तो बहुत उचित रहेगा क्योंकि संकीर्णता होने के कारण और बड़े वाहन निकलने के कारण वहां पर आये दिन एक्सीडेंट होते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय-- विक्रम सिंह जी मांग रखिये आप एक्सप्लेन करेंगे तो समय लंबा हो जायेगा.
कुंवर विक्रम सिंह-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, लवकुश नगर में 3 तालाब हैं तीनों तालाब के गहरीकरण के प्रस्ताव आ चुके हैं शासन के पास में और पूरी कार्य योजना आ चुकी है, इसको भी माननीय मंत्री जी करवा लें. राजनगर में नया बस स्टेंड का निर्माण होना बहुत जरूरी है माननीय मंत्री जी, क्योंकि राजनगर में जहां पर बस स्टेंड है वहां पर व्यवस्था कुछ है नहीं, तिराहे पर मैन तिराहे पर राजनगर का बस स्टेण्ड है, नवीन बस स्टेण्ड होना वहां पर अति आवश्यक है. गोकुलधाम से जो रोड़ है वह थोड़ी सी चौड़ी हो जाये माननीय मंत्री जी तो ज्यादा अच्छा रहेगा, आवागमन बायपास के रूप में उसको इस्तेमाल किया जा सकता है.
उपाध्यक्ष महोदय-- समाप्त करें अब.
कुंवर विक्रम सिंह-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, खजुराहो की बात तो अभी रह ही गई.
उपाध्यक्ष महोदय-- बस आखिरी बात कह लीजिये, नहीं अब आप पूरा पर्चा निकाल रहे हैं.
कुंवर विक्रम सिंह-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं पर्चा नहीं निकाल रहा हूं, खररोही खजुराहो रोड जो 2001 में स्वीकृत हुई थी माननीय मंत्री जी इस बजट में उसको भी कर दें ताकि खररोही, खजुराहो रोड कम्पलीट हो सके. धन्यवाद माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने समय दिया.
श्री वीरसिंह पंवार (कुरवाई)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से यह निवेदन करना चाह रहा हूं कि मेरा जो कुरवाई विधानसभा क्षेत्र है उसमें मात्र एक नगर पंचायत है वह भी काफी पिछड़ी हुई है, माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि मेरी नगरपंचायत में लोगों के बैठने के लिये, सार्वजनिक कार्य करने के लिये कोई कम्युनिटी हाल नहीं है माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि एक कम्युनिटी हाल, मेरी कुरवाई नगर पंचायत के लिये प्रदान करने की कृपा करेंगे. माननीय महोदय एक और छोटी सी मेरी मांग है माननीय मंत्री जी से कि हमारे क्षेत्र में कोई भी गार्डन या बच्चों के खेलने कूंदने के लिये कोई व्यवस्था नहीं है तो एक सुसज्जित गार्डन और डेवलप किया जाये, यही मेरे क्षेत्र की मांग थी माननीय उपाध्यक्ष महोदय आपने समय दिया इसके लिये बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा (मुंगावली)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मुझे एक ही सुझाव देना है, मंत्री जी नीमच में बंगला बगिचा की समस्या और अभी आपने कुछ निर्णय लिया कि 5000 स्क्वायर फीट वालों को शायद कुछ छूट दे रहे हैं वहां बहुत सारे खाली प्लाट हैं, जनता में असंतोष है कि आप सबको सुविधा दें, नीमच की बंगला समस्या को हल करें, सीएम ने घोषणा की थी कि इसको हल किया जायेगा, बंगला बगीचा की समस्या को हल करें और सबको रिलीफ दें, बहुत पुरानी समस्या है और यह टाउन एण्ड कंट्री प्लानिंग का कार्यालय आप सीधी से सिंगरौली ले जा रहे हैं, सिंगरौली जरूर नया कार्यालय खोलें लेकिन सीधी को बंद न करें.
इंजी. प्रदीप लारिया (नरयावली)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मांग संख्या 22, 71, 75 का मैं समर्थन करता हूं और कटौती प्रस्ताव का विरोध करता हूं. मैं तो नहीं बोलता लेकिन इसलिये जरूरी है कि हमारी मकरोनिया नगर पालिका अभी सवा साल पहले बनी है और 6 महीने पहले चुनाव भी हो गये, लेकिन सवा साल में सिर्फ एक सब इंजीनियर और एक सीएमओ है, वहां लगातार यह मांग आ रही है कि वहां पर कर्मचारी बढ़ा दिये जायें, न वहां पर राजस्व अधिकारी है, न हेल्थ आफीसर है, न एकाउंटेंट है, न कोई टेक्नीशियन अमला है, ऐसे कैसे नगर पालिका का काम आगे बढ़ेगा, वहां पर काम चल रहे हैं, पैसा आ रहा है मैं उसकी शिकायत नहीं कर रहा हूं, लेकिन उसके लिये जो कर्मचारी होना चाहिये वह हैं नहीं है. एक तो कर्मचारियों की पूर्ति वहां हो जाये. दूसरा नई नगर पालिका बनी है तो संसाधन जुटाने की भी आवश्यकता है, तो वह साधन भी सारे जुट जायें और आपने हमारे यहां एमपीयूआईपी, आईआईपी के तहत 50 शहरों में मकरोनिया को लिया है, मैं धन्यवाद देता हूं कि आपने पेयजल के लिये शामिल किया है.
उपाध्यक्ष महोदय, वहां पर एक दीनदयाल नगर कॉलोनी है. वह कॉलोनी 30 साल पहले हाऊसिंग बोर्ड ने बनायी थी. आज उस कॉलोनी की इतनी बेकार स्थिति हो गई है कि सीवरेज लाईन और वाटर सप्लाय की लाईन आपस में मिल गई है. और वैसा ही पानी वहां के लोग पी रहे हैं. अभी हाऊसिंग बोर्ड नगर पालिका के बीच चर्चा चल रही है. मेरा कहना है कि वह हस्तांतरित हो जाये जिससे कॉलोनी के निवासियों को राहत मिल सके.
उपाध्यक्ष महोदय, वहां नगर निगम वाटर सप्लाय करता था लेकिन 3-4 गांव गंभीरिया,कोरेगांव,सेमराबाग, बडकुंआ शामिल किये गये हैं. वहां पर पानी की बहुत समस्या है. आप आगे योजना में ले रहे हैं उससे पेयजल समस्या का निराकरण तो होगा लेकिन अभी वहां तत्काल पानी की समस्या का निदान हो जाये.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं एक चीज का मंत्रीजी से निवेदन करना चाहता हू कि लगभग 80 हजार की जनसंख्या की यह नगर पालिका है. यदि यह अमृत मिशन में जुड़ जायेगा. क्योंकि नई नगर पालिका बनेगी उनका व्यवस्थित विकास करने की आवश्यकता होगी अगर अमृत मिशन में आ जायेगी तो सुनिश्चित विकास यहां का हो जायेगा. धन्यवाद.
श्री बहादुर सिंह चौहान(महिदपुर)--उपाध्यक्ष महोदय, मुझे दूसरे नंबर पर बोलने के लिए कहा था मैं तैयारी करके आया था.
उपाध्यक्ष महोदय--आपका नाम संसदीय कार्यमंत्रीजी के यहां से 12वें नंबर पर आया है.
श्री बहादुर सिंह चौहान--कैसे नंबर चेंज हो गये पता नहीं. इस बारे में बाद में बात करेंगे. उपाध्यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र में सिंहस्थ मद से 5.17 करोड़ रुपये का बस स्टेंड जिसका 80 प्रतिशत कार्य हो गया है. इसके लिए मैं माननीय मंत्रीजी और विभाग के अधिकारियों को धन्यवाद देना चाहता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय, भूतभावन महाकाल की नगरी पर बहुत बोलना चाहता था लेकिन समय के अभाव के कारण मोक्षदायिनी क्षिप्रा को लेकर कई तरह की बातें यहां पर कही गई. वह मोक्षदायिनी नदी है. वहां पर स्नान करने से मोक्ष प्राप्त होता है.
उपाध्यक्ष महोदय--यह सब मत बताईये. आप अपनी मांग रखिये. यह सब कोई जानता है.
श्री बहादुर सिंह चौहान-- उस समय बात हो रही थी. मैंने उसको क्लियर किया है. आप उस समय नहीं थे. मेरे क्षेत्र की महत्वपूर्ण मांग यह है कि नगर पालिका महिदपुर में पर्याप्त जमीन है. मैं चाहता हूं कि वहां पर गरीबों के लिए 500-700 मकान बनाये जायें. मैं मंत्री के आग्रह करना चाहता हूं कि इस योजना में जोड़कर वहां गरीबों के लिए मकान बनाये जायें
उपाध्यक्ष महोदय, एक अंतिम बात कहना चाहता हूं कि विभाग द्वारा 17 करोड़ रुपये की नल जल योजना बनायी गई है लेकिन ठेकेदार की गलती से वह योजना सफल नहीं हुई है. मैं चाहता हूं कि इसको चेक करवा लें ताकि गरीबों को पानी मिले. धन्यवाद.
श्री दिलीप सिंह परिहार(नीमच)--उपाध्यक्ष महोदय, जैसा माननीय महेन्द्र सिंह साहब ने बोला नीमच में बंगला बगीचा की लंबे समय से समस्या चल रही है. माननीय मुख्यमंत्रीजी की घोषणा भी है. वहां पर लोगों में भय का वातावरण बना है इसलिए इस समस्या का निराकरण किया जाये. लोगों को सुविधा उपलब्ध करायी जाये. किसी के मकान तोड़े नहीं जाये.
उपाध्यक्ष महोदय, हमारे यहां पेयजल की समस्या है. वहां डेढ़ लाख की आबादी है. वहां तीन दिन में पानी मिलता है. मुख्यमंत्री पेयजल की जो योजना चल रही है वह योजना की सीमा भी पूरी हो गई है, लोगों को पानी मिले इसलिए वह योजना शीघ्र पूरी करायी जाये.
उपाध्यक्ष महोदय, वहां का टाऊन हाल क्षतिग्रस्त है. मैं टाऊनहाल के लिए भी आपसे निवेदन करुंगा कि वहां उसके लिए कुछ राशि स्वीकृत की जाये. नीमच में नदी गहरीकरण का मामला है. जो सीटीओ छावनी तक जाती है, उससे जलस्तर बढ़ जायेगा लोगों को पानी पीने को मिल जायेगा.
वन मंत्री(डॉ गौरीशंकर शेजवार)--उपाध्यक्षजी, मेरा आपके माध्यम से निवेदन है कि सभी विभागों के लिए कार्यमंत्रणा समिति में कार्य आवंटित हैं. व्यवस्था ऐसी है कि सभी सदस्यों को अलग अलग बोलना चाहिए लेकिन मेरी विनम्र प्रार्थना है कि रोज वो ही सदस्य और बार बार व्यवस्था बनाकर बोलेंगे तो हमारे कई विभाग रह जायेंगे जिन पर चर्चा ही नहीं हो पायेगी. मेरे ख्याल से संसदीय कार्यमंत्री की व्यवस्था में हम सबको चलना चाहिए. मेरा ऐसा आग्रह है.
श्री दिलीप सिंह परिहार-- चल रहे हैं.
डॉ गौरीशंकर शेजवार-- मैं आपके लिए कुछ नहीं कह रहा मैं तो उपाध्यक्ष महोदय के माध्यम से यह बात कहना चाहता हूं वैसे तो आप यहां उपस्थित बहुत बड़ी बात है. इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री दिलीप सिंह परिहार--मैं अपने क्षेत्र की बात कह कर समाप्त करता हूं. उपाध्यक्ष महोदय, वहां पानी की बहुत समस्या रहती है. दो-तीन दिन में पानी मिलता है तो जो हमारी योजना है, वह पूरी की जाये. बंगला बगीचा समस्या का निदान करें.धन्यवाद.
श्री रणजीत सिंह गुणवान(आष्टा)--उपाध्यक्ष महोदय, मैं संक्षेप में अपनी बात कहूंगा. हमारा आष्टा क्षेत्र भोपाल और उज्जैन के मध्य में है. उस आष्टा से तीन तरह के रास्ते जाते हैं. एक तरफ भोपाल से ग्वालियर का रास्ता, उधर खंडवा से हरदा का रास्ता और शाजापुर का रास्ता. उपाध्यक्षजी यह साल सिंहस्थ का है. मेरा मंत्रीजी से आग्रह है कि हमारे यहां दो नगर पंचायत और एक नगर पालिका है. तीनों ही इस रास्ते पर स्थित है. मेरा निवेदन है कि सिंहस्थ मेले में लोगों की व्यवस्था के लिए नगर पालिका के लिए 2 करोड़ रुपये स्वीकृत करें. एक करोड़ रुपये जावद नगर पंचायत और एक करोड़ रुपये कोठरी नगर पंचायत के लिए स्वीकृत करें. मेरा आग्रह है कि सिंहस्थ के दौरान हजारो-लाखों लोग वहां से गुजरेंगे तो उनके ठहरने, पानी की व्यवस्था,भोजन आदि के लिए समुचित व्यवस्था करें. मेरा आपसे, मंत्रीजी से और यहां अधिकारी बैठे हैं,उनसे आग्रह कि मेरा क्षेत्र लंबा-चौड़ा है और बीच में होने से सभी संतों का और आप सबका भी आवागमन होगा. आपकी कृपा उस आष्टा क्षेत्र पर रहे. धन्यवाद.
श्री हजारीलाल दांगी(खिलचीपुर)--उपाध्यक्ष महोदय, मेरे विधानसभा क्षेत्र में चार छोटी-छोटी नगर पंचायतें हैं. मैं आपके माध्यम से मंत्रीजी से यह निवेदन करना चाहता हूं कि खिलचीपुर नगर पंचायत में एक गंदा नाले से पूरे नगर का पानी बहकर निकलता है और वह गाड़गंगा नदी में मिलता है और उसी गाड़गंगा नदी का पानी पूरी बस्ती के लोगों को फिल्टर प्लांट के माध्यम से फिल्टर करके मिलता है. मेरा निवेदन है कि वहां के लिए जो जल आवर्धन योजना स्वीकृत हुई है उसका कार्य तत्काल पूर्ण कराया जाये और जल व्यवस्था प्रारंभ करायें. जो गंदा नाला है उसका पानी निकाल नीचे निकाल दिया जाये.
उपाध्यक्ष महोदय--समाप्त करें.
श्री हजारीलाल दांगी-- एक ही तो बिंदु हुआ. खिलचीपुर में 30 हजार की आबादी है. उसको आवास योजना में जोड़ें जिससे गरीबों को आवास मिल सके. इसी तरह से नगर पंचायत जीरापुर है. नगर पंचायत माचलपुर, चापेड़ा में आवास योजना स्वीकृत करायी जाये. मेरा अनुरोध है कि जो छोटी छोटी नगर पंचायतें हैं उनको प्राथमिकता पर काम दिया जाये.
उपाध्यक्ष महोदय--आप मंत्रीजी को लिखकर दे दीजिए.
श्री हजारीलाल दांगी--उपाध्यक्ष महोदय, मैं एक निवेदन करुं ये वरिष्ठ लोग आधा समय तो वैसे ही बरबाद कर देते हैं हम नये लोगों को तो बोलने ही नहीं देवे.
श्री आर डी प्रजापति( चंदला )--उपाध्यक्ष महोदय, मेरी विधानसभा में दो नगर पंचायतें चंदला और आरीगढ़ हैं. चंदला में 5 साल से पानी की टंकी पूर्ण रुप से जीर्ण-शीर्ण है. उसके कई हिस्से गिर चुके हैं. बस स्टेंड पर है. उसको गिराया जाये. मेरा निवेदन है उक्त दोनों नगर पंचायतों में चूंकि मेरा इलाका सबसे पिछड़ा है, वहां रैनबसेरा और यात्री प्रतीक्षालय नहीं है. गायों की संख्या अधिक है इसलिए गायों के लिए व्यवस्था हो जाये. मेरा व्यक्तिगत निवेदन है कि जो टंकी है, उससे बहुत जनहानि हो सकती है. धन्यवाद.
श्री नारायण सिंह पंवार( ब्यावरा )--उपाध्यक्ष महोदय, मेरी ब्यावरा विधानसभा में एक नगर पालिका ब्यावरा और एक नगर पंचायत सुढ़ालिया है. ब्यावरा शहर की आबादी लगभग 60 हजार हो चुकी है. शहर में से एक गंदा नाला निकला है जो पूरे शहर के लिए बीमारियों का कारण बना हुआ है. उसके पक्का करने की आवश्यकता है. मैंने कई बार मांग की है.
उपाध्यक्ष महोदय, शहर में एक ऑडिटोरियम हाल की बहुत आवश्यकता है. मैंने विभाग को डीपीआर भेज रखी है. शहर में एक पार्क बनाया जाये, उसकी भी बहुत आवश्यकता है. सुढ़ालिया नगर पंचायत को 85 प्रतिशत पैसा नहीं मिला है. ब्यावरा और सुढ़ालिया दोनों को पैसा दिया जावे और अनेक छोटे छोटे कार्य जो विभाग को पूर्व से प्रेषित हैं, उनकी स्वीकृति दिलायी जावे. धन्यवाद.
श्री आशीष शर्मा ( खातेगांव ) -- उपाध्यक्ष महोदय मेरी विधान सभा में तीन नगर पंचायतें हैं. मां नर्मदा के नाभी स्थल पर नेमावर जिसका नवीन निर्माण हुआ है मैं मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि वहां पर मूल भूत सुविधा के रूप में पेयजल व्यवस्था का विस्तार किया जाय इसके लिए नेमावर की पेयजल योजना स्वीकृत की जाय. बड़ी संख्या में मां नर्मदा जी के किनारे शव दाह होते हैं . इसलिए वहां पर श्मशान घाट के लिए राशि प्रदान की जाय. खातेगांव बड़ा व्यापारिक नगर है वहां के बस स्टेण्ड के विकास के लिए राशि प्रदाय की जाय. वहां पर एक बड़े खेल स्टेडियम के लिए राशि प्रदाय की जाय. तीसरी नगर पंचायत कन्नौद कीहै वहां पर भी बस स्टेण्ड और खेल स्टेडियम के लिए राशि प्रदाय की जाय आपने समय दिया धन्यवाद्.
श्री प्रहलाद भारती ( पोहरी ) -- उपाध्यक्ष महोदय आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि बैराढ़ मेरी नई नगर परिषद है उसके लिए मैं मुख्यमंत्री अधोसंरचना योजना से 4 करोड़ रूपये की राशि स्वीकृत की जाय. बैराढ़ के लिए पेयजल के लिए पचपुरा जल आवर्धन योजना का क्रियान्वयन कराया जाय. पोहरी विकास खण्ड मुख्यालय है लेकिन आज दिनांक तक ग्राम पंचायत ही है उसे पोहरी नगर पंचायत का दर्जा दिलाया जाय.
श्री जालमसिंह पटेल ( नरसिंहपुर ) -- उपाध्यक्ष महोदय नरसिंहपुर जिला मुख्यालय है और वहां पर एक सिगरी नदी निकलती है पूरे नगर का गंदा पानी उसमें जाता है इसलिए नदी को जीवित करने के लिए मध्यप्रदेश अर्बन डेव्हल्पमेंट योजना के तहत उसको लिया जाय और शहर में एक सड़क है इसलिए वहां पर एकरिंग रोड बनाने की व्यवस्था की जाय. जिला मुख्यालय पर टाऊन एण्ड कंट्री प्लानिंग का जो विभाग है उसका कार्यालय हमारे पर नहीं है इसलिए निवेदन करता हूं कि उसका कार्यालय वहां पर खोला जाय. आपने समय दिया धन्यवाद
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को (पुष्पराजगढ़) -- उपाध्यक्ष महोदय मां नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक है और उनके दर्शन करने मात्र से ही पूरे पाप धुल जाते हैं. बाकी जगह पर तो स्नान करने से पाप धुलतेहैं लेकिन मां नर्मदा जी के दर्शन मात्र करने से ही पाप धुल जाते हैं. मैं चाहता हूं मंत्री जी से कि एक प्रदेश स्तर की टीम बना दें, देश विदेश के वहां पर पर्यटक और तीर्थयात्री जाते हैं. मैं चाहता हूं कि उस स्पाट पर जाकर एक अच्छा सर्वे का काम किया जाय और एक प्लान बनाया जाय क्योंकि वहां पर विदेशी लोग भी दर्शन को आते हैं तो वहां पर एक अच्छी व्यवस्था हो, बहुत सारी समस्याएं हैं बहुत सारीलिस्ट हैं. मैं उनको जल्दी प्रस्तुत नहीं कर पाऊंगा . इसलिए मंत्री जी से निवेदन है कि आप अपने वक्तव्य में इस बात का उल्लेख करेंगे.
उपाध्यक्ष महोदय -- चलिये एक टीम बनवा देंगे और वह अध्ययन करेगी. आप वहां पर सुझाव भी दीजियेगा.
नगरीय विकास एवं पर्यावरण, मंत्री ( श्री लाल सिंह आर्य ) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय मेरे विभाग की अनुदान की मांगों पर 32 माननीय सदस्यों ने अपने विचार व्यक्त किये है. बहुत सारे सुझाव यहां पर माननीय सदस्यों ने दिये हैं. कुछ मूलभूत सुविधाओं से संबंधित बातें भी रखी हैं. जहां कहीं पर उनको कमी दिखाई दे रही है उसकी ओर उन्होंने महत्वपूर्ण सुझाव भी दिये हैं.
उपाध्यक्ष महोदय मैं सभी सम्मानित सदस्यों को धन्यवाद देता हूं औरउनका आभार व्यक्त करता हूं. जब मांगों पर चर्चा चल रही थी तो मुझे ऐसा लग रहा था कि विपक्ष की ओर से जो काम मध्यप्रदेश में पिछले 12 - 13 सालों में ऐतिहासिक रूप से एक नहीं कई प्रकार के मैं अभी उनका उल्लेख करूंगा, उसके संबंध में कहीं न कहीं उनके शहर को कुछ मिला है तो सरकार की पीठ थपथपाने का कहीं न कहीं काम होगा. हमारे प्रथम वक्ता कमलेश्वर जी थे उन्होंने सिंगरौली का यहां पर उल्लेख किया था. उपाध्यक्ष महोदय ऐसा लगता था कि मध्यप्रदेश की सरकार जो पेयजल के क्षेत्र में सिवरेज के क्षेत्र में हाऊसिंग फार आल के क्षेत्र में, विकास के काम में जो धन राशि बढ़ायी है उसके क्षेत्र में सिंहस्थ के क्षेत्र में कहीं न कहीं प्रशंसा करेंगे ऐसी अपेक्षा थी. लेकिन मुझे लगता है कि उन्होंने केवल अपना विपक्षी धर्म जो होता है निंदा करने का वह वहीं तक सीमित रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय मैं माननीय सदस्यों को धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने मध्यप्रदेश की सरकार के द्वारा माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में जो विकास कार्य हो रहे हैं उनकी ओर भी सत्ता पक्ष के लोगों ने इंगित किया है.
उपाध्यक्ष महोदय 1 नवम्बर 1956 को मध्यप्रदेश का गठन हुआ था और तब से लेकर 60 वर्ष से ज्यादा इस मध्यप्रदेश को हो गये हैं. उसमें से 43 साल तक एक मुश्त एक हीसरकार रही है लेकिन मूलभूत सुविधाएं नगरीय क्षेत्र में जहां पर 2 करोड़ 59 हजार लोग रहते हों, वहां पर सीवरेज की और पेयजल की जो व्यवस्थाएं होना चाहिए उस ओर मुझे लगता है कि अगर ठीक तरह से ध्यान दिया होता तो आज मध्यप्रदेश स्वर्णिम प्रदेश की श्रेणी में खड़ा हो गया होता.
उपाध्यक्ष महोदय माननीय डॉ गोविन्द सिंह जी ने भी आरोप लगाये. मैं आरोपों पर अभी बात नहीं करूंगा, बाद में करूंगा लेकिन जहां पर मध्यप्रदेश में एक ओर तीन साल से लगातार ओला पड़ रहा है पाला पड़ रहा है बरसात ज्यादा हो रही है, उधर हमारा बहुत बड़ा बजट जाता है लेकिन उसके बाद में भी प्रदेश के 378 नगरीय क्षेत्रों को हमने दरकिनार नहीं किया है. मैं कहना चाहता हूं कि समुनदर को गुमां है तूफान उठाने का, तो हमें भी शौक है कश्ती वहीं चलाने का. उपाध्यक्ष महोदय इसको पंडित दीनदयाल जी ने अनुप्रमाणित किया है यह कह कर कि भविष्य से डरिये मत बल्कि उसके निर्माण में रूचि लीजिये, संजोये सपनों को संवारिये, कल्पना को कर्म से गढ़िये और योजना को युक्ति से पूरा कीजिए. उपाध्यक्ष महोदय माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में 12 वर्ष से यह ही काम करते आ रहे हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय यह बजट इस ओर इंगित करता है , जैसा कि कुछ माननीय सदस्यों ने इस ओर इंगित कियाहै 2003-04 जो बजट केवल 807 करोड़ हुआ करता था वह बजट 2016-17 में 10060 करोड़ रूपये हुआ है. सिंहस्थ 2016 के बजट को हमने 2003-04 की तुलना में जो बढ़ाया है इसे भी कई माननीय सदस्यों ने उल्लेख किया है कि 3000 करोड़ का बजट हमने अलग से सिंहस्थ को दिया है. सिंहस्थ की बात यहां पर बहुत से लोगों ने की है. मैं कहना चाहता हूं गौरव के साथ जो सिंहस्थ हमारा उज्जैन की धरती पर लग रहा है, इससे केवल उज्जैन का ही मान सम्मान स्वाभिमान नहीं टिका है बल्कि मध्यप्रदेश और हिन्दुस्तान का भी मान सम्मान और स्वाभिमान इससे संलग्न है. इसलिए मैं इस ओर इंगित करना चाहता हूं अगर 1956 से जितने भी सिंहस्थ लगे हैं उन सिंहस्थों में अगर स्थायी निर्माण करदिया होता तो आज वहां पर 3000 करोड़ के निर्माण करने की आवश्यकता नहीं होती. मुख्यमंत्री जी ने एक बड़ी सोच रखकर कि आने वाले 12 वर्ष के बाद में जब अगला कुंभ लगेगा तो उसमें जो मूल्यवृद्धि होगी तो 10 हजार करोड़ रूपये खर्च होगा. यह 10 हजार करोड़ रूपये अगर सिंहस्थ में खर्च होंगे तो और भी जो मूलभूत आवश्यकताएं हैं उनमें उन पैसों को कहीं न कहीं लगाया जा सकता है. इसीलिए सिंहस्थ में स्थायी निर्माण कार्यों की दृष्टि से केवल सिंहस्थ में आसपास के भी जो शहर है जैसा कि अनेक माननीय सदस्यों ने उल्लेख किया है मंदसौर हो, चाहे हमारे देवास के आसपास के इलाके हों, महेश्वर हों ,ओंकारेश्वर हों सभी जगह पर माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में यह तय हुआ और सतत् मॉनिटरिंग उनके द्वारा हो रही है. प्रत्येक मंत्री वहां पर पहुंचाया जा रहा है, मुख्य सचिव मॉनिटरिंग कर रहे हैं . हमारे विभाग के अधिकारी सजग होकर इस बात की मॉनिटरिंग कर रहे हैं कि पूरे विश्व में जो मध्यप्रदेश को सम्मान इस सिंहस्थ से मिलने वाला है, उसको चार चांद लगाने का कैसा काम हो, उपाध्यक्ष महोदय, आयोजना बजट में भी वर्ष 2015-16 में जो बजट 4158 करोड़ रुपए था. अभी बढ़कर 5150 करोड़ रुपए यह आयोजना बजट में हम लोगों ने रखा है. नगरीय क्षेत्रों में जो हमारी मूलभूत आवश्यकताएं हैं पेयजल हो, स्वच्छता हो, सड़क हो, शहरी परिवहन हो, इसके संबंध में भी बहुत सारी योजनाओं को इस बजट में लिया गया है. चाहे स्मार्ट सिटी का मामला हो, चाहे मेट्रो रेल हो, चाहे सिंहस्थ हो, मुख्यमंत्री स्वच्छता हो, इन सबको कहीं न कहीं इस बजट में जो स्थान दिया गया है यह स्पष्ट रेखांकित होता है कि जो हमारी मंजिल है, हमारे मुख्यमंत्री जी की मंजिल है, वह स्वर्णिम मध्यप्रदेश है. हमारा लक्ष्य है मध्यप्रदेश को चहुमुखी विकास देना. सम्पूर्ण विकास मध्यप्रदेश के इन 378 नगरीय क्षेत्रों का हो जाय. इसमें कहीं न कहीं स्वर्णिम मध्यप्रदेश की परिकल्पना निकलती है और इसलिए उपाध्यक्ष महोदय,मैं आपको यह बात उल्लेखित करना चाहता हूं कि मुख्यमंत्री शहरी पेयजल योजना के संबंध में बहुत सारे सदस्यों ने कहा है कि हमारे यहां पेयजल का संकट है, उपाध्यक्ष महोदय, यदि यह वर्ष 1956 में हो गया होता तो आज इसकी आवश्यकता नहीं पड़ती. मध्यप्रदेश के 34 शहरों को माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में हमने चयनित किया है, उन 34 शहरों में जो अमृत योजना में आए उसमें पेयजल की व्यवस्था का प्रावधान है. सीवरेज की व्यवस्था का भी प्लान है.
उपाध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री शहरी पेयजल योजना में 135 नगरों में जो वर्तमान में हैं, 1889 करोड़ रुपए इस योजना में रखे गये हैं. 18 नगरीय निकायों की पेयजल योजना पूर्ण हो चुकी है. 48 नगरीय निकायों में यह कार्य प्रगति पर है. 69 योजनाओं में काम प्रचलित है. आने वाले समय में इनको पैसे की आवश्यकता होगी इसलिए वित्तीय वर्ष 2016-17 में 122 करोड़ 21 लाख का बजट का प्रावधान भी किया गया है. मुख्यमंत्री जी का स्पष्ट मत है उन्होंने दृष्टिपत्र तैयार किया था और दृष्टिपत्र को आधार मानकर 100 दिन की कार्य योजना बनाने का काम किया था. इसी कार्य योजना में मुख्यमंत्री ने संकल्प व्यक्त किया था कि पूरे मध्यप्रदेश के जो हमारी शहरी व्यवस्था में रहने वाले लोग हैं उनको 135 लीटर पानी प्रतिदिन मिल जाय, इस संकल्प को पूरा करने के लिए मुख्यमंत्री शहरी पेयजल योजना का निर्माण हुआ है.
उपाध्यक्ष महोदय, यूआईडीएसएसएमटी योजनांतर्गत जो नगरों को पेयजल उपलब्ध कराया जाएगा, उसमें 144 शहरों में 179 परियोजनाएं क्रियान्वित की जा रही हैं. वर्ष 2106-17 में 322 करोड़ रुपए का प्रावधान सरकार ने इस योजना के तहत करने का काम किया है. अभी मध्यप्रदेश में स्मार्ट सिटी आ रही है. 128 शहरों में पेयजल योजनाएं एडीबी बैंक के माध्यम से स्वीकृत करा रहे हैं. हमारी जो अमृत सिटी है, अमृत शहर बनें, बहुत सारे मूलभूत और काम होने वाले हैं. इसलिए तकनीकी दक्षता की कमी होने के कारण नगरीय क्षेत्रों में लेटलतीफी होती थी. पिछले दिनों हमने तय किया कि मध्यप्रदेश अर्बन डेव्हलपमेंट कंपनी का निर्माण हो ताकि गुणवत्ताविहीन काम न हो पाए और यह जो काम हमारा चलेगा, यह स्थायी रूप से लोगों को हाथ में देना चाहते हैं, इस कंपनी के माध्यम से जांच उस चलने वाले कामों की हो सके. वर्ल्ड बैंक से राज्य सरकार स्वच्छ पेयजल के लिए, सीवरेज के लिए 1000 करोड़ रुपए 25 नगरीय निकायों के लिए, एडीबी बैंक से 2280 करोड़ रुपए 128 नगरीय निकायों के लिए और केएफडब्ल्यू से 550 करोड़ 7 नगरीय निकाय जो धार्मिक महत्व के हैं, पवित्र शहर हैं, नदियों के किनारे रहने वाले जो शहर हैं, उनके लिए जैसे विदिशा, होशंगाबाद, सनावद, बड़वानी, सेंधवा, मंडला, और नरसिंहपुर है, उपाध्यक्ष महोदय, इन योजनाओं के लिए इनकी देखरेख करने के लिए एक ऐसी एजेंसी होनी चाहिए जो ठीक ढंग से गुणवत्ता का काम करा सके. अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं से भी हमको कहीं ऋण मिलता है तो ऋण हमारी साख के आधार पर मिलता है. माननीय मुख्यमंत्री जी का यह प्रयास है कि लगातार वह जैसा मैंने कहा कि मध्यप्रदेश को स्वर्णिम मध्यप्रदेश बनाना है तो लगातार उसके लिए प्रयास कर रहे हैं कि एक तरफ हमारा ग्रामीण क्षेत्र है और दूसरी ओर हमारा नगरीय क्षेत्र है, उसमें बहुत बड़ा काम हो जाय. इसीलिए वर्ष 2016-17 में वर्ल्ड बैंक सहायता की जो योजना है उसका 100 करोड़ रुपए का बजट, एडीबी सहायता की योजना है उसमें 245 करोड़ रुपए और केएफ डब्ल्यू सहायता वाली योजना में 44 करोड़ 80 लाख रुपए का प्रावधान है.
उपाध्यक्ष महोदय, स्मार्ट सिटी की जहां तक बात चल रही थी, मैं आपके माध्यम से सम्मानित सदस्यों से कहना चाहता हूं कि कोई भी शहर हो, कोई भी नगर हो, कोई भी गांव हो, बिना स्मार्ट सोच के उसको स्मार्ट बनाने का काम नहीं हो सकता है. इसी को ध्यान में रखते हुए जो स्मार्ट सिटी के चयन की पहली प्रक्रिया में जो 100 शहरों में चयन हुआ था, उसमें मध्यप्रदेश के 7 शहर थे. इन शहरों में जो हमारे अधिकारी हैं, उन्होंने वहां पर गोष्ठियां करने का एक वातावरण बनाने का काम किया. जिस वातावरण के माध्यम से हम जो स्मार्ट शहर बनाने वाले हैं उसमें मैंने पहले ही कहा है कि जब तक स्मार्ट सोच नहीं होगी, तब स्मार्ट शहर खड़ा नहीं हो सकता है. हम डस्टबिन रख रहे हों, कोई गलत काम कर रहा हो, हम अच्छी दीवारें बनाने का काम कर रहे हों और कोई पोस्टर लगाने का काम कर रहा हो. यह जो काम है, जिसमें एक बहुत बड़ी राशि खर्च होती है और इसलिए संगोष्ठियों के माध्यम से एक मध्यप्रदेश में वातावरण बनाने की कोशिश हुई कि यह शहर हमारा है, यह मध्यप्रदेश हमारा है और स्मार्ट सिटी का चयन अगर हमारे लिए हुआ है तो हमको इसको स्मार्ट बनाकर रखना पड़ेगा. हमने जनता से सुझाव लिये, जन प्रतिनिधियों से सुझाव लिये. आदरणीय श्री रामेश्वर जी ने कहा था कि स्मार्ट सिटी का जो कंसेप्ट है इसमें जो मॉनिटरिंग होती है, उसमें विधायकों को, सांसदों को रखना चाहिए. मैं उनसे यह कहना चाहता हूं कि इसमें पहले से ही प्रावधान है जो हमारी परामर्शदात्री समिति है, उसमें विधायकों को, सांसदों को बुलाने का काम करते हैं और यदि ऐसा कहीं नहीं हो रहा होगा तो मैं आदेशित करूंगा कि वहां पर माननीय सांसदों और माननीय विधायकों को बुलाने का काम हो.
उपाध्यक्ष महोदय, इस पर बहुत सारे सदस्यों ने बोला है, इसलिए मैं ज्यादा नहीं बोलना चाहता हूं, यह जो योजनाएं हैं इसमें जो केन्द्र का और राज्य का अंश 50-50 प्रतिशत है. प्रथम चरण में हमको 7 शहरों में से 3 शहर मिले हैं, यह हमारे लिए सौभाग्य की बात है, गौरव की बात है. इसमें जो हमारी टीम है, उस टीम ने बहुत मेहनत करके कि मध्यप्रदेश को ज्यादा स्मार्ट सिटी मिले इसके लिए काम किया है. अभी श्री कमलेश्वर जी ने कहा कि पैसा ही नहीं है. यह क्या हो रहा है? बहुत सारे लोगों ने कहा कि केवल हवाई बातें हो रही हैं. उपाध्यक्ष महोदय, ऐसा नहीं है.
श्री कमलेश्वर पटेल - माननीय मंत्री जी यह स्मार्ट सिटी की सोच, 'अच्छे दिन' जैसे ही न हो.
श्री रामेश्वर शर्मा -- अच्छे दिन में से ही तो स्मार्ट सिटी निकली. सब पता लग जाएगा कुछ दिन रूको.
श्री लाल सिंह आर्य -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं सभी सम्माननीय सदस्यों को यह कहना चाहता हूँ कि आपकी जब सरकार थी तो ''अंधा बांटे रेवड़ी और चीन्ह-चीन्ह के दे'' कांग्रेस की नगरपालिका कौन सी है उसको दो, बीजेपी को दूर कर दो. जो पहले आयुक्त थे वे आज हमारे विभाग के पीएस हैं. मैं पूछना चाहता हूँ कि आखिर मध्यप्रदेश के 378 नगरपालिका और नगरनिगम जो हैं क्या वे किसी दल के हैं ? इनमें जो आम जनता रहती है क्या वह किसी दल की है ? माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में जो भी जनता रहती है वह सब हमारी है. इसलिए सभी नगरों का विकास हो, सभी नगरों में मूलभूत आवश्यकताएं लोगों को मिलें, इसी के तहत मध्यप्रदेश की सरकार ने काम किया है, जो हमारे पीएस उस समय आयुक्त थे उनके नेतृत्व में यह तय किया गया था कि हर नगरपालिका को, हर नगरनिगम को आबादी के अनुपात में राशि दी जाएगी. इसी के अनुसार, चाहे कोई स्वीकार करे या न करे, लेकिन हर नगरपालिका अध्यक्ष अब यह कहता है कि इतनी राशि अगर पहले आ जाती तो मध्यप्रदेश कहीं न कहीं अपने पैरों पर खड़ा दिखाई देता.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह कोई 10-20 करोड़ की योजना नहीं है, प्रत्येक शहर को स्मार्ट सिटी में 100 करोड़ प्रतिवर्ष दिए जाएंगे और पांच वर्ष में 500 करोड़ दिया जाना बहुत बड़ी बात है, 500 करोड़ की राशि कुछ होती है.
श्री बाला बच्चन -- माननीय मंत्री जी, अनुसूचित जाति जनजाति योजना मद से 100 करोड़ रुपये लिए हैं उसकी पूर्ति कहां से करोगे. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैंने कल अपने ओपनिंग स्पीच में बोला है कि अनुसूचित जाति मद से 100 करोड़ रुपये लिए गए हैं, ये उनका हक मारा गया है, इसकी पूर्ति कहां से करोगे ?
श्री लाल सिंह आर्य -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं प्रभारी नेता प्रतिपक्ष को यह आश्वस्त करना चाहता हूँ कि यह शिवराज सिंह चौहान जी की सरकार है, ये किसी का हक मारने वाली सरकार नहीं है बल्कि हक देने वाली सरकार है. जितु पटवारी जी, आप राऊ के हो, बगल में मऊ लगा है, आपकी सरकार ने आंबेडकर विश्वविद्यालय कभी नहीं बनाया, कभी राष्ट्रीय स्मारक नहीं बनाया, कभी 14 अप्रैल को आंबेडकर महाकुंभ नहीं लगाया, कभी उनके नाम से छुट्टी नहीं की.
श्री जितु पटवारी -- करोड़ों रुपये आंबेडकर संस्थान के लिए कांग्रेस ने दिए हैं आप अपनी जानकारी दुरुस्त करो. शोध संस्थान कांग्रेस पार्टी की ही देन है दिग्विजय सिंह जी के सरकार की ही देन है उसमें बुराई नहीं कर सकते हो आप.
श्री रामेश्वर शर्मा -- कांग्रेस ने आंबेडकर जी को दिया क्या है, केवल कागजों पर बनाया है कांग्रेस ने, इसलिए अब कांग्रेस स्मारक बन रहा है.
श्री शैलेन्द्र जैन -- कागजों पर बनाने से देन नहीं हो जाती है.
श्री लाल सिंह आर्य -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, भारत सरकार द्वारा इन तीन शहरों को 596 करोड़ रुपये राशि की स्वीकृति प्रदान कर दी गई जिसका मंत्रि-परिषद् के द्वारा अनुमोदन भी हो गया है और वर्ष 2016-17 में फिर 400 करोड़ रुपये का प्रावधान स्मार्ट सिटी के लिए किया गया है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, स्वामी विवेकानंद ने कहा है कि भगवान पोथी-पुराणों में नहीं, धार्मिक पुस्तकों में नहीं, गरीबों में हैं, क्या सभी कमजोर, सभी पीड़ित भगवान नहीं हैं तो उनकी पहले पूजा क्यों नहीं करते हैं. यही मूल मंत्र माननीय शिवराज सिंह चौहान जी लेकर चले हैं और उसी का परिणाम है शहरी गरीबों को आवास, यदि आपने शहरी क्षेत्र के गरीबों को आवास दे दिए होते तो आज झुग्गी-झोपड़ी दिखाई नहीं दे रही होती. 30 स्क्वेयर मीटर के ईडब्ल्यूएस के भवन, 30 से 60 स्क्वेयर मीटर के एलआईजी भवन, यह शहरी गरीबों को आवास उपलब्ध कराने की हमारी प्राथमिकता है जो माननीय मुख्यमंत्री जी की इच्छाशक्ति है उसके द्वारा हाऊसिंग फॉर ऑल यानि सबके लिए आवास, इस योजना के अंतर्गत मध्यप्रदेश देश का पहला है जिसने अपने 39 शहरों का चयन किया है. प्रधानमंत्री की इस आवश्यक घोषणा के अनुसार प्रथम चरण में प्रदेश के 74 शहरों में सबके लिए आवास योजना के लिए वर्ष 2017-18 तक लक्ष्य रखा गया है. 16 शहरों की 19241 आवास इकाइयों के लिए 890 करोड़ 25 लाख रुपये की स्वीकृति दी गई है. ईडब्ल्यूएस आवास, इस आवास में 6.5 प्रतिशत जो ब्याज उनको देना पड़ेगा उसका अनुदान मध्यप्रदेश की सरकार देने का काम करेगी. इसके लिए वित्त वर्ष 2016-17 में 400 करोड़ का प्रावधान भी किया गया है. 39 शहर इसके तहत आए हैं और 35 शहर ऐसे हैं जिनका एक्शन प्लान डीपीआर बनाकर तैयार किया जा रहा है. मेरे पास सूची है बहुत सारे सदस्य जिन्होंने अभी उद्भोदन किया है कुछ चीजों का उन्होंने उल्लेख भी नहीं किया होगा लेकिन इंदौर, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर, सागर, कटनी, रतलाम, सिंगरौली, रीवा, सतना, छिंदवाड़ा, मुरैना, बुरहानपुर, छतरपुर, होशंगाबाद, बिरसा, डिण्डौरी, दमोह, राजगढ़, खुरई, चंदला, पथरिया, रामपुर बघेलान, बुदनी, हरदा, भिंड, गुना, मंदसौर, बैतुल, सिवनी, दतिया, सारणी, बालाघाट, टीकमगढ़, खजुराहो, नसरूल्लागंज, अनूपपुर, शाहगंज आदि शहरों का सबके लिए आवास योजना में चयन किया गया है जिससे हजारों और लाखों हितग्राही लाभान्वित होने वाले हैं. इसके बाद जो शहर बचेंगे उनकी सूची भी मेरे पास है जिसमें 35 शहर हैं, उनकी डीपीआर भी बनाने का काम हो रहा है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, प्रधानमंत्री आवास योजना के अतिरिक्त मध्यप्रदेश सरकार ने भी 31 जिलों में कुल 11897 आवासीय भवनों को समाज के कमजोर वर्ग और निम्न आय वर्ग के लोगों के लिए अटल आश्रय योजना स्वीकृत की है. हमारे विकास प्राधिकरण और मध्यप्रदेश गृह निर्माण मण्डल अधोसंरचना विकास के अंतर्गत 3 लाख रु. से अधिक जिनकी आय है उनको इडब्ल्यूएस आवास जो कि 6 से 8 लाख तक के होंगे, 6 लाख से अधिक की वार्षिक आय वाले लोगों को एलआईजी आवास जो कि 10 लाख से 14 लाख तक के होंगे, ये मकान देने का काम भी मध्यप्रदेश की सरकार करेगी. इसमें भी ब्याज पर जो अनुदान है 6.50 प्रतिशत सरकार देने का काम करेगी. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, और हम केवल भवन ही बनाकर नहीं देंगे, हम कालोनी बनाएंगे, वह कालोनी भी अवैध कालानी की तरह नहीं होगी, इसमें सड़कें होंगी, फुटपाथ होंगे, जल प्रदाय की व्यवस्था होगी, सीवरेज की व्यवस्था भी होगी और पार्क आदि की भी व्यवस्था होगी. इस प्रकार 2 लाख रुपये तक का अनुदान इन अटल आश्रय योजना के भवनों पर मध्यप्रदेश की सरकार माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में देने वाली है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अमृत योजना की बात बहुत सारे मित्रों ने की, इसमें 34 शहरों का चयन हुआ है और इन 34 शहरों में हम पेयजल की व्यवस्था करेंगे, सीवेज की व्यवस्था करेंगे, वर्षा जल निकासी की व्यवस्था करेंगे. हमारे कुछ माननीय सदस्य कह रहे थे कि बीच का नाला है, बरसात में उन नालों के भरने के कारण दिक्कत आती है. शहरी यातायात की व्यवस्था है. हरित क्षेत्र शिशु पार्क विकास की व्यवस्था है और पेयजल के लिए 2911.63 करोड़, सीवेज की व्यवस्था के लिए 4628.27 करोड़, वर्षा जल निकासी के लिए 180.01 करोड़, शहरी यातायात के लिए 351.05 करोड़ और शिशु पार्क विकास के लिए 207.64 करोड़. कुल मिलाकर 8279.05 करोड़ इस अमृत सिटी में राशि की व्यवस्था करने का काम किया है. मुझे कहते हुए हर्ष है कि अमृत योजना में मध्यप्रदेश पूरे देश में प्रथम स्थान पर कहीं न कहीं आया है और यह जो हमारे शहर हैं, इन्दौर, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन, देवास, मुरैना, सतना, सागर, रतलाम, रीवा, कटनी, सिंगरौली, छिंदवाड़ा, भैय्या सिंगरौली भी है, आपको धन्यवाद देना चाहिए था, बुरहानपुर, खण्डवा, भिण्ड, गुना, शिवपुरी, विदिशा, छतरपुर, मंदसौर, खरगौन, नीमच, पीथमपुर, दमोह, होशगाबाद, सीहोर, बैतूल, सिवनी, दतिया, नागदा. एक लाख से अधिक जनसंख्या वाले यह शहर हैं. अभी किसी ने कहा था कि मेरे नगर की 80 हजार की आबादी है तो उसके नार्म्स हैं, उसको हम नहीं ले पायेंगे लेकिन एक लाख से अधिक आबादी वाले इन 34 शहरों में हमारी 16 नगर निगमें हैं, 17 नगर पालिकाएँ और 01 नगर परिषद है. 2016-17 में भी 1712 करोड़ के बजट का प्रावधान अमृत सिटी में किया है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री शहरी स्वच्छता और भारत स्वच्छता अभियान की अगर हम बात नहीं करेंगे तो अन्याय होगा. माननीय प्रधानमंत्री जी का सपना है, माननीय मुख्यमंत्री जी का सपना है कि शहर अगर सुन्दर होगा, चेहरा अगर सुन्दर होगा तो स्वभाविक है कि उसका मैसेज कहीं न कहीं जाता है और इसलिए 4 लाख से अधिक शौचालयों की स्वीकृति दी है जिसमें से 1 लाख 50 हजार से अधिक शौचालयों का निर्माण मध्यप्रदेश की सरकार ने किया है जो हिन्दुस्तान में दूसरे नम्बर पर सभी राज्यों में मध्यप्रदेश आता है. सामुदायिक शौचालयों में 5068 सीट का निर्माण हमने कराया. सार्वजनिक क्षेत्रों में स्वच्छता बनाये रखने के लिए 637 सामुदायिक और सार्वजनिक शौचालयों की स्वीकृति प्रदान कर दी गयी है. 208 सामुदायिक और सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण कराया जा चुका है और स्वच्छता को ध्यान में रखते हुए सरकार ने यह तय किया कि जो हमारा ठोस अपशिष्ट प्रबंधन है यह जब तक प्रभावी ढंग से लागू नहीं होगा तब तक उस गंदगी को हम सड़कों के किनारे फेंक सकते हैं, उसका प्रबंधन नहीं कर सकते. इसी के तहत् 69.53 करोड़ सफाई के उपकरणों को मध्यप्रदेश की सरकार ने देने का काम किया है. कटनी और सागर में इसके कार्यादेश जारी हो गये और भोपाल और इन्दौर में भी हम इसकी टेन्डरिंग प्रक्रिया में हैं ताकि इन दोनों बड़े शहरों में ठोस अपशिष्ट का काम हो सके. 2016-17 में 100 प्रतिशत लक्ष्य प्राप्त करने के हमारी मंशा है और 2016-17 में मुख्यमंत्री शहरी स्वच्छता मिशन के लिए 23.20 करोड़ का बजट और स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत 502 करोड़ का प्रावधान इस स्वच्छता मिशन के अंतर्गत मध्यप्रदेश की सरकार ने करने का काम किया है. अधोसरंचना के विकास की दृष्टि से शहरीकरण के बढ़ते दबाव के कारण हमने कोशिश की है कि 2012-13 में मुख्यमंत्री शहरी अधोसंरचना विकास का काम प्रारम्भ हुआ था, अभी तक 277 नगरीय निकायों को 1429 करोड़ की स्वीकृतियां प्रदान की गयीं. 810 किलोमीटर की उत्कृष्ट सड़कों की स्वीकृतियां प्रदान की गयीं. क्वालिटी कंट्रोल के लिए थर्ड पार्टी इन्स्पेक्शन के लिए एजेन्सियां गठित करने का निर्णय हमने लिया है ताकि हमारे इंजीनियरिंग कालेज में पढ़ने वाले लोग है, जो उधर काम कर रहे हैं, वह नगरीय क्षेत्र में अधोसंरचना के विकास की थर्ड पार्टी मॉनीटरिंग करें ताकि उसकी गुणवत्ता बनायी जा सकें. हमने केवल नगरीय क्षेत्रों में नहीं जिला मुख्यालय और धार्मिक, ऐतिहासिक, पर्यटन क्षेत्र को भी ध्यान में रखा है और इसके लिए 2016-17 में 274 करोड़ का प्रावधान किया है और जो हुडको से हमने लोन लिया है उसका जो हमने भुगतान करना है उसका भी बजट में 132 करोड़ प्रावधान किया है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय मेट्रो रेल की अगर बात नहीं करेंगे तो बात पूरी नहीं होगी. जितू भाई, आपको कहीं न कहीं सरकार को धन्यवाद देना चाहिए था, हौसला अफजाई होती है. शहरी क्षेत्र में जनसंख्या के दबाव के कारण, यातायात व्यवस्था चौपट होती है. इसी को ध्यान में रखते हुए मेट्रो परियोजना की डीपीआर केन्द्र सरकार को प्रस्तुत कर दी गयी है. मैं बताना चाहता हूँ कि भोपाल में कुल लम्बाई 95 किलोमीटर, इन्दौर में कुल लम्बाई 103 किलोमीटर और प्रथम चरण में भोपाल 28 किलोमीटर जिसमें 7 हजार करोड़ की योजना है और इऩ्दौर में प्रथम चरण में 31 किलोमीटर जिसमें 8 हजार करोड़, कुल मिलाकर 15 हजार करोड़ की योजना है.
श्री बाला बच्चन-- माननीय मंत्री जी, मेट्रो रेलवे का प्रस्ताव केन्द्र सरकार को अभी राज्य सरकार ने प्रस्तावित नहीं किया है, यह गलत बयानबाजी है. अभी प्रस्ताव नहीं गया है. प्रस्ताव जाने के बाद अंतरिम आर्डर होने में भी उसमें टाइम लगेगा.अभी राज्य सरकार ने प्रस्ताव नहीं भेजा है. इसके पहले भी बयानबाजी हुई है, जो गलत करते हैं.
श्री लालसिंह आर्य-- पूत के पांव पालने में दिखाई दे जाएंगे, थोड़े समय बाद मालूम पड़ जाएगा, जब काम प्रारम्भ होगा. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, डीपीआर पहुंच चुकी है. जबलपुर और ग्वालियर की मेट्रो रेल परियोजना के लिए भी प्री-फिजीबिलिटी सर्वे हेतु एजेन्सी के चयन की भी कार्यवाही हम कर रहे हैं. भारत सरकार द्वारा 20 प्रतिशत अनुदान उपलब्ध कराया जाएगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय,मैं पर्यावरण के बारे में जरुर बोलना चाहता हूँ. पर्यावरण के बारे में बहुत सारी बातें हुई हैं. प्रदूषण के संबंध में कहीं न कहीं प्रश्नवाचक चिह्न लगाने का काम किया है. जब इनकी सरकार थी, मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हूँ कि उद्योगों को जो सहमति दी जाती थी वह ऑन लाइन व्यवस्था नहीं थी लेकिन अब हमने ऑन लाइन व्यवस्था की है. स्वप्रमाणित दस्तावेज, ई-शुल्क ऑन लाइन भुगतान, मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण के माध्यम से हम लोग कर रहे हैं. इससे हमने 23 उद्योगों को जोड़ लिया है. सिंगरौली की बात आयी थी. सिंगरौली में पॉवर प्लांट से होने वाले प्रदूषण के नियंत्रण के लिए कुछ नहीं हो रहा है. मैं कमलेश्नर जी आपको बताना चाहता हूँ, हमारा जो प्रदूषण विभाग है वह सतत् वहां मॉनीटरिंग करने का काम कर रहा है और मॉनीटरिंग का काम आदमी नहीं कर रहा है, ऑन लाइन व्यवस्था है. आप यह नहीं कह सकते, हमने व्यवस्था को चाक-चौबंद करने के लिए..
श्री कमलेश्वर पटेल-- आप वहां निरीक्षण करने जाइये और एक दिन वहां रुककर आइये तो आपको समझ में आ जायेगा कि किस तरह वहां आसपास पूरा खेती का उत्पादन चला गया, लोगों का जीवन स्तर क्या हो गया, कितने लोग बीमार हैं, आप निरीक्षण करके तो आइये.
श्री लालसिंह आर्य-- सिंगरौली के उद्योग जो लगे हैं, आपके परिवार में भी यह विभाग रहा है, तब की व्यवस्था और आज की व्यवस्था देख लें, तब ऑन लाइन व्यवस्था नहीं थी, आज सरकार ने ऑन लाइन व्यवस्था की है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, गोविन्द सिंह जी ने कहा मालनपुर में केडबरी का गंदा पानी गोहद में जा रहा है बेसली में. मैं उनको कहना चाहता हूँ कि केडबरी पर कार्यवाही इसी लाल सिंह आर्य ने की थी और मैं मंत्री और विधायक भी नहीं था.
श्री गोपाल भार्गव-- उपाध्यक्ष महोदय, जब इनके परिवार में था उस समय सिंगरौली में कुछ था ही नहीं. वहाँ पर तो बीजारोपण भी नहीं हुआ था.
श्री कमलेश्वर पटेल-- उपाध्यक्ष महोदय, एन टी पी सी और एन सी एल की स्थापना बहुत पूर्व में हुई है और काँग्रेस के पंडित जवाहरलाल नेहरू जी, बहुत पुरानी संस्था है और...
श्री गोपाल भार्गव-- आज की तुलना में 10 प्रतिशत भी नहीं था.
श्री कमलेश्वर पटेल-- माननीय मंत्री जी, आज की तुलना में सिर्फ वहाँ के लोग परेशान हैं. उद्योग जरूर लगे हैं, उद्योगपति खुश हैं, स्थानीय लोग बहुत परेशान हैं.
श्री जितू पटवारी-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं कोई राजनैतिक दुर्भावना से आपको नहीं कह रहा हूँ पर सिंगरौली इनके साथ मैं भी एक दिन दौरे पर गया था. आप विश्वास करें वहाँ सोए और जब वहाँ उठे तो (चेहरे पर हाथ फेरते हुए) यूँ यूँ करें तो धुँआ हाथ में था. अगर आपके मुँह पर लग जाए तो क्या बताऊँ मैं आपको...(व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदय-- अब आप खड़े होंगे तो इधर बहुत सारे लोग खड़े हो जाएँगे. बैठ जाइये.
श्री रामलल्लू वैश्य-- उपाध्यक्ष महोदय, सिंगरौली, सिंगरौली है. सभी तरह से सुसज्जित है..(व्यवधान)..कालिख नहीं पोछना पड़ेगी. यह आप लोगों की देन थी..(व्यवधान)...
उपाध्यक्ष महोदय-- रामलल्लू जी, बैठ जाइये.
श्री गोपाल भार्गव-- ये क्या कहने चाहते हैं कि कमलेश्वर जी का रंग क्या इसी कारण से ऐसा है. (हँसी)
श्री लाल सिंह आर्य-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्यों ने कुछ बातें रखी हैं मैं उसमें शंका समाधान कर दूँ. यह जो नर्मदा नदी है. उसके बगल से जो शहर हैं, प्रदूषित किया जा रहा है. मैं बताना चाहता हूँ कि हिन्दुस्तान की सरकार ने सभी नदियों का जो सर्वे कराया है उसमें नर्मदा नदी को सर्वोत्तम पाया. (मेजों की थपथपाहट) लेकिन फिर भी मैं आप से कहना चाहता हूँ कि 18 शहर, जबलपुर है, होशंगाबाद है, मण्डला, नरसिंहपुर, बड़वानी, सेंधवा, सनावद, महेश्वर, मंडलेश्वर, अमरकंटक, डिंडौरी, बुदनी, शाहगंज, नेमावर, धरमपुरी, ओंकारेश्वर, भेड़ाघाट और नसरुल्लागंज, उपाध्यक्ष महोदय, ये शहर हैं बगल से. लेकिन भविष्य की योजना भी सरकार के दिमाग में है इसलिए नर्मदा प्रदूषित न हो जाए इसके लिए 13 सौ करोड़ का प्रावधान हमने करने का काम किया है...(व्यवधान)..अभी किसी मित्र ने कहा कि सुठालिया....
श्री जसवन्त सिंह हाड़ा-- लाल सिंह जी, हम आपकी मदद कर रहे हैं.
श्री लाल सिंह आर्य-- अभी बता रहा हूँ.
श्री रामेश्वर शर्मा-- मदद हम करें नाम उधर लो ऐसे थोड़ी होता है. हमारा भी बोलो भाई. हमारे डी पी आर का क्या हुआ, कलियासोत नदी का बोलो.
श्री लाल सिंह आर्य-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्यों को अभी जब मैं बात कहूँगा तो आप संतुष्ट हो जाएँगे इसलिए आप बैठे रहिए. अभी सुठालिया की बात आई थी. द्वितीय चरण में हम इसको सम्मिलित कर रहे हैं. आष्टा नगर पालिका में सिंहस्थ के लिए क्या मिला, एक करोड़ हमने स्वीकृत कर दिए. 14 वें वित्त आयोग की अनुशंसा के तहत 2015-16 में..(व्यवधान)..मैं एक चीज और कहना चाहता हूँ, किसी मित्र ने कहा था कि केन्द्रीकृत खरीदी होना चाहिए. चूँकि नगर पालिका, नगर निकाय हैं, ये स्वायत्तशासी संस्थाएँ हैं. अगर हम केन्द्रीकृत खरीदी शुरू कर देंगे तो फिर उनके अधिकारों का कहीं न कहीं हनन होगा. लेकिन एक बात का किसी ने सुझाव दिया था कि अगर किसी एक कंपनी की कोई चीज अगर अलग अलग नगरीय क्षेत्रों में खरीदी होती है तो उसके रेट अलग आते हैं यह हमारे संज्ञान में है और मैंने पिछले दिनों अधिकारियों की बैठक में इस ओर इंगित भी किया है इसलिए आपने जो सुझाव दिया, मैं एक चीज और कहना चाहता हूँ.
उपाध्यक्ष महोदय-- अब सबकी बातों का जवाब देना जरूरी नहीं है.
श्री लाल सिंह आर्य-- उपाध्यक्ष महोदय, कुछ लोगों ने इंगित किया है कि कर्मचारी नहीं हैं. मैं सभी माननीय सदस्यों को बताना चाहता हूँ कि 4 सौ से अधिक पद उप यंत्री के, सहायक यंत्री के, सी एम ओ के और जो छोटे कर्मचारी हैं हमने नीचे भर्ती प्रक्रिया नहीं की, नहीं तो माननीय सदस्य कहीं न कहीं ऊँगली उठाने का काम करेंगे. हमने पी एस सी को और अन्य संस्थाओं को देने का काम कर दिया ताकि मई और जून तक उनको भरने का काम हो जाए और सभी माननीय सदस्यों ने, शीला जी ने कहा कि हमारे क्षेत्र में पेयजल योजना नहीं है, मैं आपको बताना चाहता हूँ अभी मुकेश जी ने कहा है. इन लोगों ने कहा है 128 शहरों में, अभी गोविन्द सिंह जी ने, दुर्भाग्य है माननीय उपाध्यक्ष महोदय....,
उपाध्यक्ष महोदय-- जब वे सदन में नहीं है तो फिर क्यों आप नाम ले रहे हैं.
श्री लाल सिंह आर्य-- उपाध्यक्ष महोदय, आप सुन तो लें. वह जो भाषण दे रहे थे उन्होंने दबोह के लिए, आलमपुर के लिए, पेयजल योजना नहीं मांगी. लेकिन इसके बावजूद भी 128 शहर हैं, उसमें हमारा गोरमी भी आ रहा, मेहगाँव भी आ रहा है, उसमें भिण्ड भी है, उसमें गोहद भी है. उसमें दबोह भी है, आलमपुर भी है, मौ भी है, 128 शहर और जिन माननीय सदस्यों ने अभी कुछ मूलभूत आवश्यकताओं की बात की है. मरघट की बात की है. अग्निशमन की बात की. नालों की बात की है. मैं आपके माध्यम से उन्हें आश्वस्त करना चाहता हूँ, हमारे सभी कर्मचारी, अधिकारी, लिख रहे हैं, जितने भी विधायकों ने मूलभूत आवश्यकताओं की चीजों के बारे में उल्लेख किया है. उनका परीक्षण कराएँगे और प्राथमिकता आम जनता को उनसे सहूलियत मिले यह हम प्रावधान करेंगें. उपाध्यक्ष महोदय, अंत में मैं इतना ही कहना चाहता हूँ ...
श्री जसवन्त सिंह हाड़ा-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी को आपके माध्यम से बात कहना चाह रहा हूँ कि जिन्होंने उल्लेख किया है या बोला है, जिनको अवसर मिला है, उनकी तो बात जोड़ ली. लेकिन जिनको अवसर नहीं मिला है...(व्यवधान)..
श्री लाल सिंह आर्य-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैंने पहले ही कहा है कि जिन सदस्यों ने बोला भी नहीं है उनके शहरों को भी हमने इन योजनाओं में ध्यान रखा है. चूँकि समय कम था और अभी बहुत मेटर था. लेकिन माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने, माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी ने भी इंगित किया है. उपाध्यक्ष महोदय, मैं पूरे सदन को आश्वस्त करना चाहता हूँ कि 378 जो हमारी नगर पालिका, नगर निगम हैं, उनमें मूलभूत आवश्यकताएँ और आपने जो मांगा है उनका परीक्षण कराते हुए कहीं न कहीं हमारे अधिकारी करेंगे. उपाध्यक्ष महोदय, मैं सभी सदस्यों से आग्रह करता हूँ कि इस सरकार ने माननीय शिवराज जी के नेतृत्व में नगरीय क्षेत्रों में अभूतपूर्व काम किया है इसलिए मैं आप लोगों से आग्रह करता हूँ कि हमारी मांगों को स्वीकृत करें ताकि हम नगरों में और तेज गति से काम कर पाएँ. बहुत बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय-- धन्यवाद, माननीय मंत्री जी.
(मेजों की थपथपाहट)
श्री बाला बच्चन--मंत्रीजी आपने अपने पक्ष के सभी विधायकगणों को छोड़ दिया.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--नेता जी आपके पक्ष के तो कोई विधायक नहीं छूटे है न यह उदारता है भारतीय जनता पार्टी की आप जो कह रहे हैं वही मैं कह रहा हूं.
श्री बाला बच्चन--हमें सिर्फ भाषण से समझाया है हमें यह उम्मीद थी कि कम से कम सत्तापक्ष के विधायक साथियों को तो जरुर सौगात मिलेगी लेकिन कुछ नहीं मिला.
श्री गोपाल भार्गव--हम लोगों की बहुत दिक्कत है न हम यहां चर्चा कर सकते हैं न कहीं ओर कर सकते हैं.
मांग संख्या - 8 भू राजस्व तथा जिला प्रशासन
मांग संख्या - 9 राजस्व विभाग से संबंधित व्यय
मांग संख्या - 35 पुनर्वास
मांग संख्या - 58 प्राकृतिक आपदाओं एवं सूखाग्रस्त क्षेत्रों में राहत पर व्यय
उपाध्यक्ष महोदय-- उपस्थित सदस्यों के कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए.
अब मांगों और कटौती प्रस्तावों पर एक साथ चर्चा होगी.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा (मुंगावली)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 8, 9, 35 एवं 58 के बारे में जो कटौती प्रस्ताव दिए गए हैं उनके समर्थन में खड़ा हुआ हूं.
उपाध्यक्ष महोदय, राजस्व विभाग में तहसीलदार, नायब तहसीलदार, आरआई, पटवारियों की जबरदस्त कमी है. कई सालों से कमी होने के बाद भी आप इन पदों को नहीं भर पा रहे हैं इसके कारण प्रशासन प्रभावित हो रहा है. तीन वर्षों से ओला,पाला और अन्य प्राकृतिक संकट से जो स्थिति उत्पन्न हुई है उसमें पटवारी, आरआई की कमी के कारण आंकलन भी प्रभावित हुआ है, प्रभावी आंकलन नहीं हुआ है आपको यह कोशिश करनी चाहिए कि जल्दी से जल्दी यह पद भर जायें. किसानों से संबंधित जो राजस्व के मामले हैं उसमें सीमांकन, नामांतरण, बंटवारा प्रमुख हैं और इसके लिए कांग्रेस शासन में सिटीजन चार्टर लागू किया गया था इसमें एक सीमित समय में बंटवारे, नामांतरण आदि होना थे लेकिन आप उसको लागू करने में असफल हो गये वह समय सीमा में आपने नहीं करवाये और लोगों को बहुत परेशानियां हुईं बजाय कि आप सिटीजन चार्टर को सख्ती से लागू करते आप लोक सेवाओं के प्रदाय की गारंटी एक्ट ले आये. मेरे ख्याल से इसकी जरुरत ही नहीं थी अगर आप सिटीजन चार्टर सख्ती से लागू करवाते. आपके द्वारा लोक सेवा गारंटी प्रदाय एक्ट लाने के बाद भी आप दिल पर हाथ रखकर बता दें कि पटवारी समय पर सीमांकन, नामांकन, बंटवारा, नामान्तरण आदि कर रहे हैं क्या ? बिलकुल नहीं कर रहे हैं एक-एक पटवारी के पास कई हल्के हैं उनके लिये यह संभव ही नहीं है कि वे समय सीमा में यह कार्य करें इसी कारण जो रसीद दी जाना चाहिये वे रसीद नहीं देते हैं क्योंकि रसीद दे देंगे तो उन्हें समय सीमा में काम करना पड़ेगा. आपको सख्ती से रसीद दिलाने के लिए प्रावधान करना चाहिये. सभी कर्मचारी खराब नहीं होते हैं पटवारियों के लिये आपको इन्सेंटिव और डिसइन्सेंटिव दोनों स्कीम लागू करना चाहिये. पटवारियों द्वारा रिश्वत लिए बिना नामांतरण और सीमांकन नहीं करने की बहुत शिकायतें हैं. जो अच्छे पटवारी हैं जिनकी शिकायतें नहीं हैं जो अपना काम ईमानदारी से कर रहे हैं उनको आप प्रमोट करिये सुरक्षा दीजिये ताकि अन्य पटवारियों को भी सीखने को मिले कि यदि हम ईमानदारी से बिना रिश्वत लिए काम करेंगे तो हमारा भी प्रमोशन होगा और इसको रिकगनाइज्ड किया जायेगा. यह गहरी समस्या है किसान इसके कारण बहुत परेशान है आप राजस्व विभाग की एक इंटेलीजेंस विंग रखिये यह विंग आपको सूचना दे कि कौन-कौन से पटवारी ऐसे हैं जो आदतन रिश्वत लिए बिना काम नहीं करते हैं उनको आप खुद लोकायुक्त से पहले पकड़वाइये. ऐसी एक विंग आपके पास होनी चाहिये. ऐसे कर्मचारियों ने पिछले 10-15 सालों में कितनी भूमि, भवन अपने, बेनामी और रिश्तेदारों के नाम से खरीदे हैं उसकी सूची लीजिये ताकि कम से कम लोग डरें कि आपको जानकारी है कि बेईमानी से कमाये हुए धन से भूमि, भवन खरीदे जा रहे हैं. इसको आपको बहुत गंभीरता से लेना चाहिये.
उपाध्यक्ष महोदय, प्रदेश में बहुत सारे गांव हैं जिनके नक्शे उपलब्ध नहीं हैं. राजस्व विभाग की पुस्तिका में लिखा है पेज 14 पर कि अधिसूचित नक्शाविहीन कुल ग्रामों की संख्या 1203 है. नक्शे नहीं होने के कारण लोगों को बहुत तकलीफ होती है इसलिए आपको यह सुनिश्चित करना चाहिये कि सभी गांवों के नक्शे उपलब्ध हो जायें. मेरे क्षेत्र मुंगावली अशोक नगर जिले में ही काफी बड़ी संख्या में ऐसे गांव हैं जहां घुमक्कड़ जाति के लोग मोगिया, सांसी रहते हैं उनके गांव मुंगावली से लगे हुए हैं उनके गांवों के नक्शे उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं आपको नक्शे उपलब्ध करवाना चाहिए.
उपाध्यक्ष महोदय, आप राहत मंत्री भी हैं, राहत आयुक्त आपके अधीन हैं राहत विभाग भी आपके पास है और प्राकृतिक आपदाओं से हुए नुकसान का आंकलन
4.33 बजे {अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए}
पीड़ितों को राहत की मॉनिटरिंग खासतौर से जो सूखा, बाढ़, ओला, आग, भूकम्प, पशुओं द्वारा हानि यह जो किसानों की होती है इसकी मॉनिटरिंग भी आपके विभाग को करना है यह आपकी पुस्तिका में लिखा है. मेरा आपसे अनुरोध है कि पिछले तीन सालों से प्रकृति के प्रकोप से किसान परेशान हैं और शासन ने 800 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है लेकिन यह नाकाफी है मेरा आपसे अनुरोध है कि जिस तरह से मनमोहन सिंह जी ने कांग्रेस शासन में 74000 करोड़ रुपये के कर्जे किसानों के माफ किये थे आप सब मंत्रिमंडल के लोग चाहें तो हम भी साथ चलेंगे प्रधानमंत्रीजी के पास जायें व मनमोहन सिंह जी से प्रेरणा लेकर किसानों के ऋण माफ करें जब तक आप ऋण माफ नहीं करेंगे तब तक किसानों को राहत नहीं मिलेगी. यदि कांग्रेस के जमाने में 74000 करोड़ रुपये के ऋण माफ किये जा सकते हैं तो आपके शासन में ऋण माफ क्यों नहीं किया जा सकता है और मध्यप्रदेश में इसकी महती आवश्यकता है क्योंकि पिछले तीन सालों में किसानों को जबरदस्त नुकसान हुआ है.
अध्यक्ष महोदय, मेरे विधान सभा क्षेत्र में ओला, पाला, सूखा के कारण तीन साल से चने की फसल का अफलन हुआ, उड़द और सोयाबीन की फसल नष्ट हो गई और पटवारियों ने ढंग से आंकलन नहीं किया. बड़े-बड़े किसानों को 2-2, 3-3 लाख रुपये मुआवजा मिल गया लेकिन जो एससी, एसटी और बीपीएल के किसान थे उनको नहीं मिला है. आपने यह प्रावधान जरूर किया है कि इनंकम टैक्स देने वालों किसानों को राहत न दी जाये, आपने यह अच्छा काम किया है इसके लिये मैं आपको बधाई देना चाहता हूं. मैं आपसे यह भी अनुरोध करता हूं कि बी पी एल और एस सी एस टी के किसानों के किसानों के साथ मेरे क्षेत्र में बहुत बड़ा अन्याय हुआ है और आपको यह प्रावधान करना चाहिये कि बड़ा किसान तो नुकसान बर्दाश्त कर सकता है, लेकिन छोटा किसान नुकसान बर्दाश्त नहीं कर सकता है. इसलिये छोटे किसान को आप ज्यादा से ज्यादा मुआवजा दें और बड़े किसान को कम दें. एक ही मापदण्ड में उनको न लें. इस पर आप विचार करने का कष्ट करें. हमारे यहां पर जब दो साल पहले बहुत बड़ा अन्याय हुआ, लोगों को आंकलन नहीं हुआ गरीबों को मुआवजा नहीं मिला, उनका नाम पटवारियों ने नहीं दिया, तो हमने हमारी प्रभारी मंत्री गोपाल भार्गव जी थे हमने बैठक में इस मामले को रखा कि सैंकड़ो किसान ऐसे रह गये हैं कि जिनका पटवारियों ने आंकलन नहीं किया है. तो प्रभारी मंत्री ने एक समिति बना दी, कि यह समिति उन सब आवेदनों पर विचार करेगी. जिनके साथ अन्याय हुआ है, मैंने इनसे अनुरोध किया था कि उस समिति में एक जनप्रतिनिधि को भी रख दीजिये. लेकिन शायद अधिकारियों ने इनको कनवींस कर लिया होगा कि जनप्रतिनिधियों को आप रखोगे तो बहुत सारा पैसा आपको देना पड़ेगा. इसलिये जनप्रतिनिधि को उस समिति में नहीं रखा गया. मैंने बोरी भरकर आवेदन कलेक्टर को दिये. आपने जिलाधीश को यह जिम्मेदारी दी थी, मुझे इस बात का दुख है कि उसने एक भी व्यक्ति के आवेदन पर दोबारा पुन:विचार नहीं हुआ, जिन पटवारियों ने दो साल पहले लिख दिया था, वह लिख दिया, वह लोहे की लकीर हो गयी. मैंने वहां के कलेक्टर प्रजापति को एक टेप प्रस्तुत किया, जिसमें पटवारी एक किसान को यह बोल रहा है कि तुमने मुझे पैसे दिये थे लेकिन तुम्हारा नाम सूची में नहीं डल पाया है, तुम अपने पैसे वापस ले जाओ. लेकिन उस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई. कलेक्टर को यह आडियो टेप दिया गया था. वहां पर एक पटवारी ने किसान को कहा कि अगले साल जब ओले पड़ेंगे तब हम तुम्हारा आंकलन करेंगे. यह झागर के पटवारी जी थे, यह बिल्कुल अमानवीय दृष्टिकोण है. मेरा आपसे अनुरोध है कि जब बहुत ज्यादा असंतोष लोगों को हुआ तो, किसानों ने वहां के तहसीलदार को घेरा कि आप लोगों को आंकलन दोबारा करिये,कम से कम प्रभारी मंत्री जी ने निर्देश दिये हैं, आप उसका पालन करिये, जो लोग रह गये हैं उनको आप मुआवजा दिलवायें, तो उन लोगों को एक शिवराम सिंह गुंदाल रघुवंशी और सतपाल सिंह, मंडी सदस्य इनको तहसीलदार ने कहा कि ''गेट आऊट''. वह टेप भी उन लोगों ने प्रस्तुत कर दिया जिन लोगों को यह कहा था और मंत्री जी को ही दो साल पहले प्रस्तुत किया था, लेकिन उस संबंध में भी कोई कार्यवाही नहीं हुई है. इसलिये यह जो अभी शासन चल रहा है,यह शासन कर्मचारियों का चल रहा है, उसमें जनप्रतिनिधियों की कोई कीमत नहीं है. इसलिये मेरा आपसे अनुरोध है कि आप कुछ ऐसा करिये कि जो गरीब किसान है, जिसका नुकसान हुआ है, उसको भले ही आप उसका नुकसान न दें, परन्तु आप उसकी बेईज्जती तो करें. उसको गेट आऊट तो न करें. मेरा आपसे अनुरोध है कि गुना में भी एक बड़ा आंदोलन इसको लेकर हुआ था, उस समय दिग्विजय सिंह स्वयं हड़ताल पर बैठे थे और वहां पर भी उन्होंने इस चीज को लेकर आंदोलन किया था, लेकिन उसके बाद भी उन लोगों को कोई राहत नहीं मिली. मैंने यह मानूंगा कि आपने उसके बाद सुधार जरूर किया यह मैं मानूंगा. जब हमारे साथ अन्याय हुआ तो सिर्फ पटवारियों ने जो किया वह आपने मान लिया, वह लोहे की लकीर हो गयी. उसके बाद आपने अन्य विभाग के कर्मचारियों को भी जोड़ा है. इस बार भी मुझे खुशी है कि पंचायत विभाग के कर्मचारियों को इसमें जोड़ा गया है. मुझे विश्वास है कि इस बार इतना अन्याय किसानों के साथ नहीं होगा. लेकिन जिन लोगों के साथ अन्याय हो गया है, उनका क्या होगा ? उनको आप कैसे कम्पनसेट करेंगे. उसका रास्ता यही है कि आप प्रधानमंत्री जी के पास जायें और 74 हजार करोड़ रूपये का कर्जा जो माफ हुआ था उसी तरह आप भी किसान का कर्जा माफ करवाईये. क्योंकि तीन साल में किसान बहुत पिट चुका है. किसान बहुत परेशान हो चुका है, अभी भी किसान की बिजली काटी जा रही है. आप कितनी भी घोषणा कर दें कि सूखा घोषित कर दिया गया है और कर्ज को स्थगित कर दिया गया है. हमारे मंत्री जी ने घोषणा की थी कि किस प्रकार से लॉग टर्म कर्ज को शॉर्ट टर्म में कर दिया गया है. सुविधा देने की कोशिश जरूर की है, लेकिन यह सब नाकाफी है. अभी भी ओलावृष्टि हो रही है. इतने जबरदस्त तरीके से ओले से किसानों का नुकसान हुआ है कि किसान उससे उठ नहीं पायेगा और आपने यह हो 800 करोड़ रूपये का प्रावधान किया है यह नाकाफी है. आप इसको सख्ती से लागू करें और कर्ज माफ करिये.
मेरा आपसे अनुरोध है कि आयुक्त भू-अभिलेख और बंदोबस्त का आपका जो कार्यालय है इसको आप ठीक करिये. जितने भी सेटलमेंट हुए हैं, इसके संबंध में मैंने प्रश्न भी विधान सभा में किये हैं, जावरा के तालीदाना में,नीमच में पिछले सात सालों में जिन अधिकारियों ने सेटलमेंट में गड़बड़ी की, आपने किसी को आईडेंटिफाई नहीं किया और पनीश भी नहीं किया है. आपने रेवेन्यू बोर्ड को लूप लाईन आपने बना रखा है. जिन अधिकारियों को आपको पनीश करना होता है, उनको आप रेवेन्यू बोर्ड में डाल देते हैं. इस कारण से वह लोग रूचि नहीं लेते हैं और रेवेन्यू बोर्ड में जितने भी प्रकरण चले जाते हैं, जितने भी अतिक्रमण के प्रकरण हैं, वहां से उनको स्टे मिल जाता है और लंबी लंबी तारीखें मिल जाती है.
मेरा आपसे अनुरोध है कि जितने भी भू- माफिया हैं , अशोकनगर में तो भू-माफिया फेमस हैं. अभी राज्यपाल जी के अभिभाषण में कहवाया गया है कि भू-माफियाओं ने जो सरकारी भवनों और सरकारी भूमियों से कब्जे हटायेंगे. मैं एक ही भू माफिया की बात नहीं कर रहा हूं.
डॉ नरोत्तम मिश्र :- माननीय अध्यक्ष जी, मैं तो यह कह रहा हूं कि मध्यप्रदेश के राजस्व विभाग पर चर्चा चल रही है और आदरणीय अशोकनगर ने बाहर निकलने को ही तैयार नहीं हैं.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा:- अभी मैंने आपसे प्रदेश के ओला वृष्टि की बात की, पटवारियों की बात की, की नहीं. अब मैं आपको यह कहना चाहता हूं कि गुना की कलेक्टर थी श्रीमती नीलम राव, उन्होंने करोड़ों की भूमि का कब्जा हटा दिया था, अशोकनगर नया जिला बना तो फिर वहां पर लोगों ने कब्जा कर लिया. अब एस डी ओ और नायम तहसीलदार तारीखें देते रहे, प्रकरण रेवेन्यू बोर्ड में चले गये और प्रकरण पेंडिग हैं. आप मेहरबानी करके उनको तो दण्डित करिये. जिन्होंने पुन: कब्जा होने दिया. एक बार तो कब्जा हटा दिया गया था. वहां पर पूर्व सरपंच का सरकारी स्कूल पर कब्जा है, कस्बारेंज प्रधानमंत्री चयनित ग्राम है, उस पर कब्जा है. जारोलीबुजुर्ग पर मिडिल स्कूल की जमीन पर कब्जा है. दगेशरी में सरकारी पंचायत का भवन प्लस सामुदायिक भवन की जमीन पर कब्जा है. मुंगावली में मंदिर के पास स्कूल पर कब्जा है, मदऊखेड़ी में कब्जा है, सेहरायी में कब्जा है, हथईखेड़ा एवं पिपरई में कब्जा है वह साबित हो गया है. वहां पर दुकानें बनी हुई है और अशोकनगर में करोड़ों रूपये की जमीन पर कब्जा है, आप इसको हटा नहीं पा रहे हैं. प्रदेश की जितनी भी जिनिंग फैक्ट्रियां थीं, उसकी सब भूमि कालोनाइजर्स ने ले ली हैं. उस पर प्लाट, मकान और कालोनी बना दे दी हैं. वह चाहे मंदसौर हो, चाहे ताल हो, उज्जैन हो या जावरा हो, पिपलौदा है, पिपलौदा में तो रेवेन्यू रिेकार्ड से पता ही नहीं चलता है कि कैसे उसने अपना दर्ज करवा दिया. आप पता क्यों नहीं करते कि कैसे उसने अपना नाम लिखवा दिया. आज भी वहां पर कालोनी बन रही है . मैं इतना ही कहूंगा. धन्यवाद्
अध्यक्ष महोदय:- मेरा माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि आप पहले सदस्य हैं , फिर भी आप थोड़ा सा नियंत्रित रखेंगे. यातो दोनों दलों के नेता तय कर दें तो कम कम नाम सूची में से कम कर दें. या फिर माननीय बाला बच्चन जी और संसदीय कार्य बैठें आप कृपा करके नाम कर सकें तो कम कर दें. क्योंकि ओले पर काफी चर्चा हो गयी है.
श्री बाला बच्चन :- माननीय अध्यक्ष मेरा निवेदन है कि बहुत कम विभाग अब बचे हैं और लास्ट पांच के बाद जो विधायक होते हैं, वह बोलने के लिये एक एक, दो दो मिनिट बोलने के लिये चाहते हैं. उनका कहना होता है कि हम सदन में किसलिये बैठें हैं.
अध्यक्ष महोदय :- सुनने के लिये भी तो बैठना चाहिये.
श्री बाला बच्चन :- अध्यक्ष महोदय, हम और आप भी उस दौर से गुजर चुके हैं. वह केवल दो दो मिनिट चाहते हैं, उनका नाम रिकार्ड में आ जाये और बात भी वहां तक पहुंच जाये. पांच सदस्यों के बाद तो बाकी सदस्य तो दो दो मिनिट समय ही चाहते हैं. शायद में ऐसा समझता हूं कि संसदीय कार्य मंत्री भी इससे सहमत हैं.
डॉ गौरीशंकर शेजवार :- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी प्रार्थना यह है कि कार्यमंत्रणा समिति का भी अपना महत्व है, दलों के भी अपने अनुशासन हैं और यह कहना कि हम काहे के लिये यहां पर बैठे हैं. हम भी बैठते हैं लेकिन हमको भाषण का मौका मिलता है क्या ? संसदीय कार्य मंत्री सुबह से शाम तक बैठे रहते हैं. ऐसा नहीं है कि इसमें हमारी सहभागिता नहीं है, हम शामिल नहीं हैं या हम कार्यवाही से कहीं अलग हैं. कार्यवाही को सुनना समझना यह भी अपने आप में महत्पूर्ण है. मेरी आपसे विनम्र प्रार्थना है कि जो व्यवस्था बनी है, उसी से हम सब चलें.
श्री यशपालसिंह सिसोदिया(मन्दसौर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 8,9,35 और 58 का समर्थन करता हूं. माननीय अध्यक्ष महोदय, यह एक ऐसा विभाग है जो मध्यप्रदेश के 1 करोड़ 19 लाख 25 हजार किसानों से संबंध रखता है. वह किसान जो खुले आसमान के नीचे प्राकृतिक आपदाओं से संघर्ष करते, दिन-रात परिश्रम करके कभी भी असामयिक उन घटनाओं का शिकार हो जाते हैं जो सरकारों के हाथ में नहीं हैं. ओला है,पाला है,प्राकृतिक आपदा है,शीतलहर है, अतिवृष्टि है,ओलावृष्टि है,कम बारिश है अधिक बारिश है इन सबके झंझावात में किसान फंसा रहता है. किसान को राहत देने का काम,मरहम लगाने का काम,ढाढस और दिलासा और भरोसा दिलाने का काम किसी लोकप्रिय मुख्यमंत्री ने किया है तो उस शख्सियत का नाम है श्री शिवराज सिंह चौहान. मैं इस सदन में विधायक होने के नाते माननीय मुख्यमंत्री और माननीय मंत्री जी का भी आभार व्यक्त करता हूं क्योंकि लगातार तीन वर्षों से अभी महेन्द्र सिंह जी भी कह रहे थे कि तीन वर्षों से किसान लगातार प्राकृतिक आपदाओं की पीड़ा झेल रहा है लेकिन परेशानियों के इस झंझट में किसानों को जो राहत दी किसानों को ताकत दी वह पूर्ववर्ती सरकारों की अगर तुलना करें तो पचास वर्षों में कांग्रेस के कार्यकाल में जितनी भी प्राकृतिक आपदाएं आईं मैं यह नहीं कहता की उस समय प्राकृतिक आपदाएं नहीं आई होंगी निश्चित आई होंगी लेकिन तब की राजस्व पुस्तिका की धारा 6(4) की देख लें और तब की राहत राशि देख लें और अब की देख लें और तब का ग्रांट टोटल आवंटन राजकीय कोष से देखें तो जमीन,आसमान का अंतर रहेगा. जितनी राशि पिछले पांच वर्षों में मध्यप्रदेश के खजाने में विशेषकर एक दिन का विशेष सत्र भी किसानों के लिये सरकार ने लगाया और इस बजट में भी 800 करोड़ का बजट किसानों को राहत देने के लिये किया है. पहले 1400 करोड़ का किया था और लगातार प्राकृतिक आपदाओं के संकट से जूझ रहे किसान को कहीं सहकारिता के माध्यम से अल्पकालीन ऋण को मध्यकालीन में परिवर्तित करना हो या जीरो प्रतिशत ब्याज पर ऋण देने की बात आई हो हर तरह से किसान को उस संकट से उबारने में महत्वपूर्ण काम किया. यह अलग विषय है कि कांग्रेस के कार्यकाल को अफलन को प्राकृतिक आपदा नहीं मानते थे अब लंबे अरसे बाद अफलन को इसमें जोड़ लिया गया कि अफलन भी कहीं न कहीं आपदा है और जैसे सोयाबीन की फसल का डेढ़,दो फिट का पौधा दिख रहा है हराभरा दिख रहा है लेकिन उसका समय निकल गया उसका फूल भी निकल गया और फली भी नहीं आई तो किसान को लगा कि इसे क्या हो गया तो तब अफलन की बात आई और जब अफलन की बात आई तो मुख्यमंत्री जी ने अफलन को भी इसमें जोड़ने का काम किया. नजरिया,नुकसानी आंकलन, यह नया शब्द मैंने भी सुना था कि नजरिया आंकलन के माध्यम से भी किसान को राहत दे दी जायेगी. किसी समय में जिले की आनावारी देखी जाती थी फिर तहसील की देखी जाती थी कांग्रेस के कार्यकाल में लेकिन पटवारी हलके तक लाना,गांव तक ले जाना और इन दिनों प्राकृतिक आपदा के समय कोई किसान सर्वे से वंचित रह गया छूट गया इतनी पारदर्शिता कभी नहीं देखी कि ग्राम पंचायत के सूचना पटल पर उन किसानों के नाम लिस्टेड किये जायेंगे और यह बताने की सार्वजनिक कोशिश की जायेगी कि अगर किसी किसान का नाम छूट गया हो तो वह सर्वे के दौरान अपना नाम जुड़ा सकता है हो सकता है कि इतने ब ड़े सिस्टम में कहीं चूक हो जाये लेकिन इसके लिये भी अलग दल बनाया अलग-अलग तरह के विभाग के अधिकारियों को उसमें जोड़ा गया. मैं तेरहवीं विधान सभा का सत्र था जब केन्द्र में यूपीए की कांग्रेस की सरकार थी तो यह बात आई कि पाला गिर गया तो माननीय मुख्यमंत्री जी ने जाकर केन्द्रीय मंत्री,वित्त मंत्री जी को और प्रधानमंत्री जी से मिलकर क हा तो यह कहा गया कि पाला क्या होता है पाला प्राकृतिक आपदा में नहीं आता. केन्द्र में कांग्रेस की सरकार में यह बात तय ही नही कर पा रहे थे. उनका कभी पाला पड़ा ही नहीं कि किसानों की समस्या किस-किस प्रकार से आ सकती थी.
कुंवर विजय शाह - सोनिया गांधी को पाले का पता ही नहीं था.
एक माननीय सदस्य - अध्यक्ष महोदय, तभी 72 हजार करोड़ रुपये का कर्जा यूपीए की सरकार ने माफ किया था.
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, सोनिया गांधी जी का वह निर्णय नहीं होता किसानों का कर्ज माफी का नहीं तो अभी तक किसानों की आत्महत्या में और तेजी आ गई होती. सोनिया गांधी ही थीं जिन्होंने यूपीए की चेयर पर्सन रहते हुए उन्होंने 72 हजार करोड़ रुपये का कर्ज माफ किया था ऐसा नहीं कि आप इस समय केवल वसूली स्थगित कर रहे हो.
चौधरी चन्द्रभान सिंह –(XXX)
(..व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय - कृपया बैठ जायें. निकाल दें कार्यवाही से.
श्री यशपालसिंह सिसोदिया - माननीय अध्यक्ष जी, महेन्द्र सिंह जी कालूखेड़ा ने बताया कि सिटीजन चार्टर को लोकसेवा गारंटी में तब्दील कर दिया गया. सिटीजन चार्टर चार्टर्ड था कोई एक्ट थोड़े था कोई अधिनियम नहीं था उसमें प्रतिबद्धता नहीं थी. उसमें किसी प्रकार की दण्डात्मक व्यवस्था करने का नहीं था. एक सूचना फलक पर था कि आपके नामांतरण इतने दिनों में हो जायेंगे. कभी भी सिटीजन चार्टर का पालन लोक सेवा गारंटी अधिनियम के अंतर्गत नहीं किया गया और मुझे बताते हुए अत्यंत प्रसन्नता हैकि विश्व में अद्वितीय निर्णय यदि हिन्दुस्तान में किसी सरकार ने किया है तो मध्यप्रदेश की सरकार ने सिटीजन चार्टर्ड लागू करके बताया और उसके माध्यम से पहले 15 विभाग जोड़े कभी 16 अभी राजस्व अमले को भी सिटीजन चार्टर्ड के अंतर्गत जोड़कर अनुकरणीय काम किया है. मैंने पहले भी किया आरबीसी 6(4) में जो प्रावधान किये गये. कांग्रेस के जमाने में ऊंट के मुंह में जीरे के समान होते थे. मुझे अच्छी तरह से मालुम है कि माननीय मुख्यमंत्री जी जब मैं तेरहवीं विधान सभा का सदस्य था तो वे मेरे क्षेत्र में ग्राम गुराड़ियादिघा में नीमच आये थे और मनासा भी आये थे. तो ईसबगोल जैसे फसल जो हमारे इलाके में होती है वह इतनी नाजुक फसल होती है कि उस पर 10-20 छींटे भी अगर पानी के गिर जाते हैं तो ईसबगोल की फसल बर्बाद हो सकती है और आरबीसी 6(4) में पहली बार प्रावधान किया गया कि खेत में उगने वाली इसबगोल की फसल को भी आरबीसी 6(4) में डाला जाता है और उसमें जो राहत राशि प्रदान की गई पहले 16 हजार प्रति हेक्टेयर थी उसे बढ़ाकर 20 हजार और उसके बाद 25 हजार रुपये तक की राहत राशि आरबीसी 6(4) के अंतर्गत दी जा रही है. संतरे के पौधे जब कभी नष्ट हो जाते थे कभी पूर्वर्वती सरकारों ने संतरे की फसल का न आकलन किया न राहत राशि प्रदान की अब यदि किसी का एक पौधा नष्ट हो जाता है तो लगभग 500 रुपये की राशि प्रति पौधे के हिसाब से किसान को देने का काम सरकार द्वारा किया जा रहा है. बैलों, का,बकरी का,ऊंट का,मुर्गा,मुर्गी आदि प्राकृतिक आपदाओं में नुकसान को शामिल किया.
श्री महेन्द्र सिंह - अफीम को शामिल करवाओ पहले. उसके नुकसान को भी आपको शामिल करना चाहिये.
श्री यशपालसिंह सिसोदिया -अफीम तो भारत की सरकार से संबंधित है उसका आकलन हम नहीं करते हैं.चीरा भी नहीं लगवाते हैं पट्टा भी नहीं देते हैं निगरानी भी नहीं करते हैं इसका पूरा काम भारत सरकार की नारकोटिक्स विभाग की टीम करती है. अभिलेखागारों की स्थिति के बारे में महेन्द्र सिंह जी ने बताया. आधुनिक परिवर्तन इसमें किये गये हैं और मध्यप्रदेश के पांच जिले भोपाल,सीहोर,होशंगाबाद,जबलपुर,सिवनी की सभी तहसीलों में अभिलेखागारों के आधुनिकीकरण का कार्य प्रस्तावित है उसके लिये मैं माननीय मुख्यमंत्री जी और माननीय मंत्री जी को बधाई देना चाहता हूं. कृषि सांख्यिकी के प्रपत्र मंगाये जाने का डाटा केन्द्रों के माध्यम से भी किया जाना स्वागत योग्य है. भूमि सर्वेक्षण और सीमांकन के प्रकरण समय-सीमा में निपटें इसका भी निर्देश और परीक्षण किया जा रहा है. आनलाईन कम्प्यूटराईज्य व्यवस्थाओं से अब राजस्व विभाग सुसज्जित है. प्रदेश में कुल तहसीलें 366,अनुविभाग 202,जिले 51 एवं संभाग 10 हैं. सभी में राजस्व न्यायालयों एवं जिसमें लगभग 1400 नायब तहसीलदार भी सम्मिलित हैं.उन सबको इस व्यवस्था से जोड़ते हुए राजस्व न्यायालयों को आनलाईन कम्प्यूटराईज्ड सिस्टम के साथ शामिल किया गया है. सरकार की एक बड़ी उपलब्धि है. प्रदेश के पांच जिले प्रथम चरण सिंगरौली,सिवनी,भिण्ड,सीहोर,बुरहानपुर न्यायालयों, संभागीय आयुक्त इन्दौर, राजस्व न्यायालयों को आनलाईन कम्प्यूटराईज्ड सिस्टम से जोड़ने का काम किये जाने का एक अनुकरणीय काम किया जा रहा है. मजरे,टोले को लेकर लंबे अरसे के बाद पुन; चर्चा चल पड़ी है छोटे-छोटे गांव विकास की दरकार रखते हैं. मजरे टोले में निवासरत किसानों का कहीं नामांकन ही नहीं होता उनका विकास भी नहीं हो पाता. नुकसानी का, क्षति का आकलन भी उन तक नहीं पहुंच पाता. लेकिन माननीय मुख्यमंत्री जी की घोषणा के पालन में मजरो टोलों को पृथक राजस्व ग्राम बनाये जाने की एक नई व्यवस्था सुनिश्चित की थी.पूर्ववर्ती सरकार के समय लकीर के फकीर हुआ करते थे और कभी भी उसको आगे बढ़ाने की चिंता नहीं की. आज इसको आगे बढ़ाने का काम हो रहा है और चिन्हांकित किये जा रहे हैं. 42 जिलों में 667 मजरे-टोले चिन्हांकित किये गये हैं. शासन इन छोटे मजरे-टोलों को जोड़ने का काम कर रहा है. लगातार हर दिशा में राजस्व अमला काम कर रहा है. हम पहले सुनते थे कि भू-राजस्व पुस्तिका भाग 1 एवं भाग 2 के झंझट में किसान हुआ करता था इन दोनों को इकजाई करते हुए एक भू-अभिलेख से जुड़ी पुस्तिका को एक किया बल्कि सार्वजनिक कार्यक्रमों में केम्प लगाकर के हर किसान के हाथ में उसका दस्तावेज जिसका निर्णय सरकार ने किया है उस तक पहुंच जाए उसके लिये बड़े आयोजन करके किसानों की जो भूमियां हैं तथा उनकी जो सम्पत्तियों को लेकर अधिकार-पत्र है पुस्तिका को देने के काम किये गये हैं.
अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री हेल्पलाईन इससे विभिन्न विभागों को जोड़ने का अनुकरणीय काम किया है 181 नंबर डॉयल करो एवं राजस्व विभाग से संबंधित समस्या रखता है उसमें सीएम हेल्पलाईन में कुल 1 लाख 81,863 शिकायतों में से 1 लाख 75356 शिकायतों का निराकरण अब तक किया जा चुका है. अध्यक्ष महोदय, विरासत में मिली व्यवस्थाएं जिसको लेकर के प्रदेश में राजस्व के मामले में परेशान हुआ करता था उसको पटरी पर लाने में काफी मशक्कत करना पड़ी तो परिणाम सामने आ रहे हैं किसानों को भू-राजस्व से जुड़ी तमाम प्रकार की व्यवस्थाएं मिलीं. आपने समय दिया धन्यवाद.
श्री शैलेन्द्र पटेल (इछावर)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 8-9-35-58 का विरोध करता हूं कटौती प्रस्तावों का समर्थन करता हूं. सबसे पहले राजस्वमंत्री जी को बधाई देना चाहता हूं कि एक मामले में तो यह विभाग प्रदेश में ही नहीं देश में नंबर 1 है. वह मामला है कि प्रदेश में जितने भी विभाग हैं पिछले 12 साल में 22 प्रमुख सचिव रहे हैं, उनके ट्रांसफर के मामले में यह विभाग देश में नंबर एक है. या तो यह विभाग बहुत ही अच्छा है जिसमें हर आदमी उसमें काम करना चाहता है या इतना खराब है कि इसमें कोई काम करना ही नहीं चाहता है, यह मंत्री जी निर्णय करें कि इसका कारण क्या है. आप अभी 2 अथवा सवा दो साल से हैं इसमें चार बार स्थानांतरण हो गया है इसके पहले की बात नहीं करना चाहता हूं. यह सोचने की बात है कि जब बार-बार प्रमुख सचिव बदले जाएंगे तो विभाग में कसावट कैसे आयेगी, इसमें बहुत बड़ा प्रश्नचिन्ह लगता है. दूसरी बात राजस्व विभाग में बहुत भ्रष्टाचार है हाथ पर हाथ धरे मत बैठे रहो डंडा चलाओ, यह मैंने नहीं कहा माननीय मुख्यमंत्री जी ने सीहोर जिले के जावर में 25.2.16 को बोला , यह उनकी बात है तो आज जो भ्रष्टाचार के मामले हैं जब प्रदेश का मुखिया सार्वजनिक रूप से कह रहा है तो निश्चित रूप से इस विभाग के ऊपर प्रश्नचिन्ह लगते हैं उन्होंने माना कि पट्टे मांगने पर भी पैसा लिया जाता है, मुख्यमंत्री आवास के मामले में पैसा मांगा जाता है, यह सब बातें हैं जिनके बारे में विचार करने की आवश्यकता है. जो मुआवजे की बात इस सदन से बार-बार कही गई और बार-बार जो हमने सपने देखे उसके बारे में चंद लाईनों में अपनी बात को कहना चाहता हूं. यह पंकज सुबीर जी की लाईने हैं.
जख्म धरती पुत्र के नासूर बनकर के रिस गये,
राहतें तो क्या मिलीं सपने जो दिखाए थे आपने चूर-चूर हो गये,
खेल खेला मुआवजे का इस तरह चक्की में राजस्व खुद अन्नदाता पिस गये.
उसके कारण हैं मैं बिना कारण कोई बात नहीं करता हूं. जो आरबीसी 6 (4) एक्ट है उसमें जो मुआवजे का प्रावधान है उसके बार में विस्तारपूर्वक बात कहना चाहता हूं अभी तक खरीफ फसल के मुआवजे के प्रकरण निपटारे नहीं हुए हैं अभी भी बहुत सारे किसान इसमें रह गये हैं जिनको मुआवजे के पैसे नहीं मिले हैं. दूसरी बात फिर से ओले गिर गये हैं फिर से यह एक्सरसाईज चालू हो गई है उसमें पिछला काम निपटा नहीं है जो आरबीसी 6 (4) एक्ट कहती है उसके 0 से 2 हैक्टेयर तक के किसान हैं और जिनका 33 प्रतिशत से अधिक का नुकसान होता है उसका 100 प्रतिशत माना जाता है उसे 8 हजार हैक्टेयर यानि 3200 रूपये प्रति एकड़ का मुआवजा मिलता है और जो किसान 25 से 33 प्रतिशत के बीच में आते हैं उनको 5 हजार रूपये हैक्टेयर यानि कि 2 हजार हैक्टेयर का मुआवजा मिलता है और जो इनसे बड़े किसान हैं उनका 33 प्रतिशत से अधिक का नुकसान है तो उसको 100 प्रतिशत माना गया तो उनको 6800 रूपये यानि 2750 रूपये प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजे की बात कही गई थी. 25 से 33 प्रतिशत वालों को साढ़े चार हजार 1800 रूपये प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजे की बात कही गई थी. यह बात मैं इसलिये कह रहा हूं कि मुआवजा कहा तो बहुत गया, लेकिन किसानों को मिला ही नहीं उसके पीछे लंबी कहानी है मैं एक एक गांव की लिश्ट लेकर के आया हूं हुआ क्या मैं आपको बताना चाहता हूं. पहली बार लिश्ट बनी एक्च्युट्ल लिश्ट बनी जब पटवारियों ने रिपोर्ट देखी, लेकिन उसमें मुआवजे की राशि इतनी बढ़ गई कि उनसे कहा गया कि इसको कम करके लेकर के आओ तो फिर कैसे कम किया जाए तो जिन किसानों का 33 प्रतिशत से ज्यादा नुकसान था क्योंकि 25 एवं 33 में ज्यादा अंतर नहीं होता है उसमें नुकसान को 33 से घटाकर कहीं पर 25-26-27-28 कर दिया गया तो 100 प्रतिशत से 50 प्रतिशत हो गया तो मुआवजा राशि आधी हो गई. फिर भी कहा कि मुआवजा राशि ज्यादा है तो फिर कहा गया कि इनकी जमीन कम कर दो उसमें जमीन कम करने के कारण जिसने अपने खेत में 6 एकड़ का खेत था उसको 3 एकड़ का बना दिया गया मेरे पास उसके उदाहरण है. एक किसान के पास 6 एकड़ जमीन है उसको 3 एकड़ का मुआवजा दिया इस तरह का काम आपके विभाग ने किया और तो और बुदनी माननीय मुख्यमंत्री जी की विधान सभा वहां पर 55 करोड़ रूपये दे दिये. जो बाकी की विधान सभाएं हैं इछावर में 25 करोड़, आष्टा में 20 करोड़, सीहोर में 13 करोड़ तो मुआवजे के वितरण में बहुत ज्यादा असमानताएं हैं. मैं एक बात आरबीसी एक्ट में मृत्यु के उपरांत अलग अलग राशि मिलती है उसकी ओर आपका ध्यानाकर्षित करना चाहता हूं अगर आकाशीय बिजली से कोई इंसान मरता है तो उसको 4 लाख रूपये दे दिया जाता है, कुएं में डूब जाता है तो उसको 1 लाख रूपये मिल जाता है, बाढ़ में बहने में 4 लाख, सर्प दंश पर 50 हजार यह जो अलग अलग मृत्यु के कारण से पैसा मिलता है उसको एकजाई करने की आवश्यकता है. अगर बाढ़ में भी बहता है वह भी इंसान ही बहता है, अगर कुएं भी डूबता है तो इंसान ही होता है इसको एकजाई करने की जरूरत है. इसी तरह से सर्प दंश के इलाज में भी मुआवजे की आवश्यकता है. इसी तरह से भ्रम की स्थिति है बिजली से जलने में, बाढ़ में बहने से तो पैसा मिलता है, लेकिन करंट लगने से नहीं मिलता है. कुएं तालाब में डूबकर किसी जानवर की मृत्यु हो जाती है तो उसमें मुआवजा नहीं मिलता, सर्पदंश अथवा एक्सीडेन्ट में भी नहीं मिलता, इनके बारे में भी सोचना पड़ेगा. अगर वाकई में हम किसान के हित की बात की बात करते हैं.
अध्यक्ष महोदय, मैंने पूर्व वक्ताओं के भाषण पढ़े उसकी पुस्तिकें पढ़ीं उसके बाद में जमीनी हकीकत देखी तो मुझे अंतर दिखा उस अंतर को रखना चाहता हूं ताकि उसमें सुधार हो. यह नहीं कि इसमें विरोध करके बात को खत्म कर दें, लेकिन बहुत सुधार की गुंजाइश है. अधिकारियों की कितनी कमी है पूर्व वक्ताओं ने मेरे पास में लिश्ट रखी है तहसीलदार से लेकर डिप्टी कलेक्टर के 175 पद खाली थे, तहसीलदार के 165 पद खाली थे, नायब तहसीलदार के 334, आरआई के 700, 3500 पटवारी, एक एक पटवारी तीन तीन हल्के संभाल रहे हैं इससे सारा का सारा काम कैसे होगा. किसान को दर दर भटकना पड़ता है उनके जूते घिस जाते हैं, तब जाकर के पटवारी मिलता है अधिकारियों की कमी को दूर करना चाहिये. मुझे भी राजस्व विभाग में जाने से घबराहट होती थी इतना धीमा काम आज भी होता है, आदमी जा-जाकर के परेशान हो जाता है, लेकिन उसका काम पूरा तरीके से नहीं होता. किसानों के रिकार्ड अभी भी सही नहीं हैं उनके रिकार्ड को दुरूस्त करने के लिये प्रोग्राम आपको बनाना पड़ेगा. जमीन किसी के कब्जे में, नाम किसी के, इसके अलावा काम होता नहीं है. पटवारियों के बारे में यह अवधारणा बन गई है. बिना पैसे के कोई पटवारी काम नहीं करता है, यह अवधारणा बनी हुई है, जितू भाई आपके बारे में नहीं कह रहा हूं, पटवारियों के बारे में कह रहा हूं । इनके लिए भवन बना दिए, क्या वह रात में रूकते हैं, इस बारे में किसी ने चेक किया, भवन, कार्यालय बने हुए दिख रहे हैं, क्योंकि कण्डिका 17 एक में निर्माण की बात की है, लेकिन कोई रात में रूकता नहीं है और कार्यालय में भी कोई नहीं मिलता, उनको उनके घर पर जाकर ही देखना पड़ता है, सीमांकन के काम की रसीद नहीं देते है,काम नहीं होता है, कौन कितने दिनों में काम करके देते हैं, इन कामों की मॉनिटरिंग की आवश्यकता है, नकल 30 रूपए प्रति पेज की मिलने लगी है, के.सी.सी. बनाने में नकलों की जरूरत होती है, यह बहुत महंगी है, जो साफ्टवेयर आपने विकसित किया है, उसमें 7 प्वाइंट भरने पड़ते हैं, कई बार सर्वर डाउन होने के कारण भर नहीं पाते और किसान को समय पर के.सी.सी. के सारे रिकार्ड नहीं मिल पाते हैं, एक और महत्वपूर्ण बात है, राशन कार्ड का काम तहसीलदार और नायब तहसीलदार के जिम्मे कर दिया गया और कोई भी तहसीलदार और नायब तहसीलदार.....
श्री जितू पटवारी- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा पूरा समय दे दें, मैं आज नहीं बोलूंगा ।
अध्यक्ष महोदय- आपका नाम ही नहीं है, कल के समय में से आपका समय दे देंगे, आज की लिस्ट में आपका नाम नहीं है ।
श्री शैलेन्द्र पटेल- माननीय अध्यक्ष महोदय, तहसीलदार और नायब तहसीलदार नहीं जानते हैं कि गांव में कौन गरीब है और इसके बारे में आज भी .....
अध्यक्ष महोदय- आप बैठ जाइए, श्री गोविन्द सिंह जी, बोलिए ।
श्री शैलेन्द्र पटेल- अध्यक्ष महोदय, दो बातें कह कर बैठ जाउंगा ।
अध्यक्ष महोदय- नहीं बैठेंगे, भरोसा टूट रहा है, दो बातें बोलकर समाप्त करिए ।
श्री शैलेन्द्र पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, आज भी प्रदेश में 10 प्रतिशत से ज्यादा ऐसे गरीब लोग हैं जो वास्तविक हकदार हैं, उनको राशन कार्ड नहीं मिल रहा है, इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है, गरीबों का हक मारा जा रहा है और मृत्यु के उपरान्त मुखिया को फिर उसी प्रोसेस से गुजरना पड़ता है, इस ओर भी व्यवस्था करें, ताकि उनको राशन कार्ड मिले, पंचायतों में आबादी की समस्या है, उसको शीघ्र निपटाएं, अध्यक्ष जी, आपने बोलने का मौका दिया, बहुत सारी बातें थीं, फिर कभी मौका मिलेगा तो बोलेंगे धन्यवाद ।
श्री गोविन्द सिंह पटेल(गाडरवारा)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं राजस्व विभाग की मांग संख्या 8, 9, 35 और 58 के संबंध में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं, राजस्व विभाग एक महत्वपूर्ण विभाग है, हर व्यक्ति से जुड़ा हुआ विभाग है, भूमियों के रिकार्ड का रख – रखाव, उनका संधारण, समय- समय पर उनमें प्रविष्टियां, यह काम राजस्व विभाग करता है, राजस्व विभाग में प्राकृतिक आपदा और बहुत से काम आते हैं, हमारे मुख्यमंत्री जी ने और राजस्व मंत्री जी ने राजस्व विभाग में जो समय - समय पर सुधार किए हैं, वह सराहनीय योग्य हैं और मैं इसके लिए मुख्यमंत्री जी और माननीय राजस्व मंत्री जी की प्रशंसा करता हूं ।
माननीय अध्यक्ष महोदय,हमारे प्रदेश में 51 जिले और 364 तहसीलें हैं, पहले पटवारी हल्के दो- दो, तीन - तीन पंयायत के होते थे, इस कारण काम करने में दिक्कत होती थी, तो पटवारी हल्कों का पुनर्निधारण हुआ और हर पंचायत स्तर पर पटवारी हल्के बनाए गए, 11, 273 पटवारी हल्कों की अभी तक स्वीकृति मिल चुकी है, जिसके कारण काम करने में सुविधा हुई है । प्राकृतिक आपदा की बात आती है, पहले भी प्राकृतिक आपदा आती थी, ओला, पालासे नुकसान होता था, लोग सरकारों से कोई अपेक्षा नहीं रखते थे, क्योंकि सरकारें कुछ नहीं करती थीं, दो, चार, पांच सौ रूपए एकड़ पर मिल गए तो बहुत मिल गए और चीन, चीन कर रेवड़ी, मतलब पहचान- पहचान कर अपने लोगों को देने की बात होती थी , लेकिन जब माननीय शिवराज सिंह चौहान जबसे मुख्यमंत्री बने, आर.बी.सी. 6(4) अंगेजों के जमाने का कानून था, आर.बी.सी. 6(4) उसमें कभी परिवर्तन नहीं हुए, लेकिन माननीय शिवराज सिंह चौहान जब मुख्यमंत्री बने, उस समय प्राकृतिक आपदाओं की बहुत कम राशि मिलती थी, उन्होंने अधिकारियों से पूछा कि इतनी कम राशि क्यों मिलती है, अधिकारियों ने कहा कि पुरानी व्यवस्था है, आर.बी.सी. 6(4) कौन बनाता है, कानून तो सरकार बनाती है, हम सरकार हैं, उसमें परिवर्तन करेंगे, पहली बार उसमें परिवर्तन किए और सम्मान जनक राशि किसानों को मिले, इसलिए आर.बी.सी. 6(4) में संशोधन करके प्राकृतिक आपदाओं से राहत मिलने का काम किया, कई नई- नई चीजें उसमें जोड़ी हैं, जैसे अफलन वाली बात है और तुसार वाली बात है, जो प्राकृतिक आपदा में नहीं आती थी, उसको भी प्राकृतिक आपदा में जोड़ा, यदि फसल में अफलन होता है, वो भी प्राकृतिक आपदा में आए, तुसार पड़ता है, वह भी आए और समय- समय पर इन आपदाओं में सरकार ने लाभ दिया है, आज से 10 वर्ष पूर्व बहुत कम राशि दी जाती थी, उसमें पहले परिवर्तन भी किया, 2004 में किया, 2013 में किया है और अभी 1 अप्रैल 2015 में पुन: राहत राशि की दरों का निर्धारण सरकार ने किया है, उदाहरण के लिए बारहमासी फसलों का अभी 2015 के पहले 14 हजार रूपए प्रति हेक्टेयर मिलता था, उसको 18 हजारमिलता है, जैसे तुअर की फसल जो बारह महीने में एक बार होती है, उसको अब 18 हजार तक मिलता है, जो असंचित फसल है, वर्षा आधारित फसल उसको 6 हजार के स्थान पर 6800 मिलता है, सिंचित फसल के लिए 11 हजार के स्थान पर 13,500 प्रति हेक्टेयर मिलता है, सब्जी, मसाले और ईसबघोल के लिए 25 हजार के स्थान पर 3000 प्रति हेक्टेयर मिलता है, फलदार पेड़ों, संतरा, अनार के लिए 10 हजार 500 रूपए प्रति हेक्टेयर के स्थान पर 500 रूपए प्रति पेड़ अन्य फलदार नीबू, पपीता के लिए 10,500 प्रति हेक्टेयर के स्थान पर 13, 500 रूपए इस प्रकार की राहत राशि दी जाती है, दुघारू पशुओं की यदि प्राकृतिक आपदा से मौत हो जाए, गाय, भैंस के लिए 16,500 के स्थान पर 30 हजार प्रति पशु मिलते हैं, भेड़ बकरियों के लिए 1650 के स्थान पर 3000 रूपए दिए जाते हैं, यदि गरीबों के पास पशु हों और उनकी मौत प्राकृतिक आपदा में हो जाए, उनके लिए भी व्यवस्था की है, प्राकृतिक आपदा में व्यक्ति की आकाशीय बिजली गिरने से, पानी में डूबने से, पेड़ से गिरने से, सर्पदंश से यदि मौत होती है, 1 लाख 50 हजार के स्थान पर अब 4 लाख रूपए दिए जाते हैं, इसी प्रकार अन्य मदों में भी बढोत्तरी की गई है, राज्य शासन द्वारा प्राकृतिक आपदाओं के लिए मांग संख्या 58 का प्रावधान किया गया है और उसके लिए 877 करोड़ रूपया निर्धारित किया गया है, जिसमें 75 प्रतिशत केन्द्रांश है और 25 प्रतिशत राज्यांश है, मजरे टोले होते थे, उनके विकास के लिए, क्योंकि उनमें प्रधान मंत्री की सड़क भी नहीं बनती थी, जो राजस्व ग्राम होता है, उसके लिए प्रधान मंत्री सड़क बनती है, मजरे टोले के लिए प्रावधान नहीं था, अब 200 की आबादी और 2 किलोमीटर की दूरी मूल गांव की है, तो उन मजरे टोलों को राजस्व ग्राम बना दिया जाएगा, ऐसे 900 के लगभग मजरे टोले राजस्व ग्राम बन गए हैं, अब वह मुख्य धारा से जुड़ गए हैं, उनके सड़क के प्राक्कलन भी बन गए हैं, प्रधान मंत्री सड़क वालों ने भी उनको जोड़ लिया है, प्रधानमंत्री सड़क बनेगी, उनको पेयजल की व्यवस्था, उनको सड़कों की व्यवस्था, यह सब व्यवस्था होगी, नाप जो होते थे, क्योंकि हमारे पास मुनारे होते हैं, राजस्व भूमि की सीमांकन के लिए, वह मिट चुके थे कहीं मुनारे नहीं थे, इसके लिए बड़ी दिक्कत होती थी, विवाद बनते थे, अब टोटल मशीन आई, उस मशीन के द्वारा नाप होते हैं, इसलिए नाप सही होते हैं और हर एक तहसील में एक टोटल मशीन उपलब्ध करा दी गई है और बड़े स्थान भोपाल, इंदौर में 20-20 मशीन उपलब्ध करा दी गई हैं, जिससे सीमाकंन में सुविधा होती है, सीमांकन में अब दिक्कत नहीं होती है, पहले जो कच्चे पक्के मकान थे...
अध्यक्ष महोदय- कृपया समाप्त करें ।
श्री गोविन्द सिंह पटेल- जी, अध्यक्ष महोदय, बस एक मिनट में पूर्ण कच्चा मकान यदि नष्ट हो जाता है, तो 2006 में उसको 20 हजार रूपए मिलते थे, अब उसके 95 हजार रूपए मिलते हैं, यदि झुग्गी झोपड़ी नष्ट हो जाए, 2006 में 6 हजार मिलते थे, अब उसमें 6 हजार मिलते हैं और गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त पक्का मकान जहां पर कोई प्रावधान ही नहीं था, अब 95 हजार रूपए मिलते हैं, झुग्गी झोपड़ी में भी कम से कम दो या तीन हजार मिलते हैं, हर प्रकार की क्षति में आर.बी.सी. 6(4) में संशोधन करके लोगों को उसका फायदा पहुंच रहा है, मैं अपने क्षेत्र की बात मंत्री महोदय को बताना चाहता हूं, मेरे यहां सांईखेड़ा को तहसील बनाने की प्रक्रिया चल रही है, अभी वह जनपद मुख्यालय है, नगर पंचायत का मुख्यालय भी है, मंत्री महोदय से निवेदन करूंगा, उसको जल्दी से तहसील में परिवर्तित किया जाए, क्योंकि गाडरवारा तहसील एक बड़ी तहसील है, इतना कहकर मैं आपको धन्यवाद देता हूं ।
कुँवर सौरभ सिंह (बहोरीबन्द) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 8, 9, 35 एवं 58 के विरोध में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूँ. राजस्व विभाग की सबसे छोटी कड़ी पटवारी है पर यह सबसे शक्तिशाली व्यक्ति हो गया है, फौती, नामान्तरण, बँटवारा, ओला, पाला, अतिवृष्टि, सीमांकन, खसरा-खतौनी की नकल एवं कृषि उपज का इन्द्राज करना आदि. अब पटवारी इन कामों को न करने की पगार सरकार से लेता है और इन कामों को करने की फीस हमसे लेता है. वसूली की फीस 5,000/- रू. से चालू होकर सरकारी घोषणाओं की तरह बढ़ती रहती है. इस खेल में निचली कड़ी से लेकर ऊपर तक जुड़ाव की खबर आती है. आम आदमी आज जब भी छापे की कार्यवाही होती है तो अखबार में जब राशि का उल्लेख होता है तो उस राशि को देखकर उद्योगपति भी घबरा जाते हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, शासकीय भूमि के तबादले के खेल का उदाहरण कटनी एवं अन्य जिलों में पिछले दिनों देखने को मिला था. इस विषय में, कई प्रकरण ई.ओ.डब्ल्यू. एवं लोकायुक्त में चल रहे हैं. आपको शासकीय भूमि के तबादले को रोकना पड़ा है, आपने आदेश भी दिये हैं. लेकिन आपने जिनके खिलाफ आदेश दिए हैं, वे आज भी उन जमीनों पर काबिज़ हैं. आदिवासी भूमि पर अनुमति, हमारे साथी माननीय विधायक श्री सुशील तिवारी जी ने पनागर क्षेत्र में लगे एक विषय को पिछले साल सदन में उठाया था, नजूल भूमि. नियम यह है कि लम्बे समय से कब्जे में चले आ रहे लोगों को व्यस्थापन के पट्टे मिलते हैं और लीज की जमीन फ्री होल्ड हो जाती है. ये आदेश भी फाईलों के बोझ से नहीं निकल पाये हैं, इस पर कार्यवाही करने की आवश्यकता है, एक समय-सीमा तय होनी चाहिए, लीज पर जो शासकीय जमीन दी गई है, वह भी अन्य प्रयोजनों में उपयोग हो रही है. माननीय बन्दोबस्त त्रुटियां हमारे यहां कुछ ग्रामों में पूरा का पूरा रकबा, जब सन् 80 में बन्दोबस्त हुआ था तब गलत हो गया था, बड़वारा और बहोरीबन्द में लोगों में लड़ाईयां हो रही हैं, पुलिस केस बन रहे हैं. इसका उदाहरण देखने को मिल रहे हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे कटनी जिले में पुनर्वास, 399 एकड़ जमीन शरणार्थियों के लिए रिजर्व की गई थी, 771 पात्र परिवारों को आवास और अन्य कार्यों के लिये उनके पट्टे दिये गये और बड़े-बड़े व्यापारियों ने कब्जा कर लिया, उन जमीनों को बेच रहे हैं. एक सही नीति और पॉलिसी की आवश्यकता है. यहां भी पता नहीं किस-किस का संरक्षण है, जमीनें बहुत महँगी हो गई हैं. 100 रूपये के स्टाम्प पेपर पर खरीद-फरोख्त हो रही है, शासन को राजस्व की हानि हो रही है. हमारे जिले में और पूरे प्रदेश में पट्टे की जमीन गरीबों को दी गई थी, उन जमीनों का पटवारी और दलालों के माध्यम से विक्रय हो रहा है और उन जमीनों की रजिस्ट्री हो रही है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, एक मेरा निवेदन है कि खसरा बी वन कंप्यूटराईज्ड लेते हैं तो उसमें बकाया लिखकर आता है. जब हर किसान, हर साल अपना लगान देता है तो बकाया क्यों लिखकर आता है ? मेरा निवेदन माननीय मंत्री जी से है कि इस विषय में बकाया नहीं होना चाहिए. गिरदावली अगर समय पर हो और वास्तव में हो तो जो हमारी समस्याएं होती हैं कि किसने चना बोया और किसने गेहूँ बोया. वह आपके पास वास्तव में होगा पर गिरदावली पटवारी, अपने घर में बैठकर करते हैं और जब ओलावृष्टि या अन्य किसी तरह से नुकसान होता है तो उसका आंकलन नहीं हो पाता है. एक विषय और है. जब किसान लगान दे रहा है तो आपकी तरफ से, उसके पास एक पर्ची या रसीद होनी चाहिए. अगर किसान के पास रसीद होगी तो हमारे विवाद नहीं होंगे कि किस जमीन का मालिक कौन है ?
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे यहां रीठी विकासखण्ड में देवगांव, जमुनिया, सैदा, मढ़ादेवरी, पटौहा, सिमरा, मढि़या, चिकलापटौह ये गांव रीठी बहोरीबन्द उपखण्ड में हैं. मैं आपसे निवेदन करूँगा कि इनको वापिस रीठी में जोड़ दिया जाये, यह व्यावहारिक नहीं है. बड़गांव में अगर एक दिन के लिये तहसीलदार बैठे तो काफी सहूलियत हो जायेगी क्योंकि वहां से रीठी विकासखण्ड की दूरी लगभग 40-50 किलोमीटर हो जाती है. सलीमनाबाद की तहसील का चल रहा है तो मेरा निवेदन है कि उस पर आपकी कृपा दृष्टि हो जायेगी तो काफी अच्छा रहेगा. मेरा आपसे राहत राशि के बारे में निवेदन है कि पटवारी लोग पता नहीं किस कारण से कम बनाते है, जो वास्तव में है, अगर वह बना दें तो विवाद अपने आप समाप्त हो जायेगा. जो कृषि विस्तार अधिकारी साथ में चलते हैं. अगर वे दोनों बैठकर बना रहे हैं और जो आपने पिछली बार बताया है कि साथ में जनपद का सरपंच भी रहेगा तो मेरा आपसे निवेदन है कि सही प्रतिशत बन जायेगा पिछले दिनों, जब दो दिनों पहले ओला गिरा था तो एक पटेल किसान के खेत में जब वह गया तो पटवारी ने कहा कि आपके यहां नुकसान मात्र 15 प्रतिशत हुआ है तो उस पटेल को हार्ट अटैक आ गया और वह वहीं पर मर गया. मेरा आपसे निवेदन है कि सहानुभूतिपूर्वक एक बार किसानों के बारे में सोचें. आपने बोलने का समय दिया, बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री बहादुर सिंह चौहान (महिदपुर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मांग संख्या 8, 9, 35 एवं 58 का मैं समर्थन करता हूँ. जिस विभाग पर चर्चा हो रही है, बहुत महत्वपूर्ण विभाग है, किसानों से जुड़ा हुआ विभाग है. मैं 12वीं विधानसभा का भी सदस्य था और उस समय एक हैक्टेयर में क्या राशि मिलती थी ? उसका चित्रण करने का मेरे पास समय नहीं है. अभी नगरीय प्रशासन की चर्चा हो रही थी तो उसमें कहा गया 27.58 प्रतिशत लोग नगरीय निकायों में रहते हैं तो यह स्वत: ही सिद्ध हो गया है कि 72.48 प्रतिशत लोग हैं, वे गांव में रहते हैं और वे कृषि से जुड़े हुए हैं. मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हूँ कि 2004 से आज तक जो आर.बी.सी 6:4 में जो परिवर्तन हुए हैं, वह एक ऐतिहासिक कदम सरकार ने उठाया है. जो हमारी बारहमासी फसलें होती हैं तो उसको 1 अप्रैल, 2015 में निर्णय लिया गया कि 14,000/- रू. से बढ़ाकर एक हैक्टेयर के 18,000/- रू. कर दिये गये. असिंचित एक हैक्टेयर की जो जमीन है, उसको 6,000/- रू. से बढ़ाकर 6,800/- रू. कर दिया है और जो सिंचित है उनको 11,000/- रू. से बढ़ाकर 13,500/- रू. कर दिया है. यह एक बड़ा निर्णय है. जहां से दूध देने वाली गाय है, भैंस है, उसको प्रति पशु 30,000/- रू. कर दिया है. इसका बहुत ज्यादा चित्रण हो चुका है, इस बात को मैं ज्यादा नहीं कहते हुए, अनावरी का विषय आया था तो 0 से 25 एक रेन्ज है, 26 से 37 एक रेन्ज है और 37 से 50 एक रेन्ज है. अब चूँकि माननीय राजस्व मंत्री जी को इसमें एक सुझाव देना चाहता हूँ जब फसलों का सर्वे होता है तो वरिष्ठ अधिकारियों को रेन्डम उसकी जांच करनी चाहिए कि पटवारी एवं ग्राम सेवक द्वारा जो रिपोर्ट बनाई गई है, वह सही बनाई गई है या नहीं बनाई गई है. अब पूरी रिपोर्टे बनकर आ जाती है और उसके बाद अगर बात करें तो यह संभव नहीं है क्योंकि एक बार कागज साईन से निकल जाता है तो उसको चेन्ज करना बड़ा मुश्किल होता है. जो पात्र व्यक्ति होते हैं, वे उसमें छूट जाते हैं और बाद में कई तरह के शंका-कुशंकायें पैदा होती हैं. मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हूँ कि इस बार एक ऐतिहासिक कदम, माननीय शिवराज सिंह जी एवं भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने उठाया है. सोयाबीन कट गई और मण्डी में बिक गई, उसके बाद सर्वे हुआ है. यह मध्यप्रदेश के इतिहास में नहीं, सारे हिन्दुस्तान के इतिहास में यह हुआ है. यह कहीं भी नहीं हुआ है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, 5 नवम्बर, 2015 को एक विशेष सत्र, इस सदन के लिए, अन्नदाता किसानों के लिए बुलाया गया था और उस दिन हम दिन प्रदेश के पक्ष एवं विपक्ष के लोग इस सदन में आए थे और माननीय मुख्यमंत्री जी ने भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने करोड़ों रूपये की राहत राशि की घोषणा, इस सदन में की थी. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी एवं माननीय राजस्व मंत्री जी को बधाई देना चाहता हूँ. हम स्वयं किसान हैं, निश्चित रूप से किसानी से जुड़े हुए हैं, यह 72.42 प्रतिशत लोग रहते हैं, गांव में जाइये, या तो कृषक कृषि कर रहे होंगे या पशुपालन कर रहे होंगे. इसके अलावा कोई उद्योग एवं काम नहीं है. यदि किसान की फसल नष्ट हो जाती है और उसको राहत राशि नहीं मिलती है तो उस किसान पर क्या गुजरती है ? वह किसान ही जानता है. इसमें सबसे बड़ी बात अच्छी कही, मैं कालूखेड़ा जी का समर्थन करता हूँ कि 200 बीघा और 150 बीघा वाले किसान की फसल खराब हो तो उसको कोई फर्क नहीं पड़ता है, वह सक्षम हैं. लेकिन लघु और सीमान्त कृषक जो छोटा है और उसी पर आश्रित है. हमारे एस.सी., एस.टी. के और ओ.बी.सी. के जो लोग होते हैं- वे अधिकतम लघु एवं सीमान्त किसान होते हैं. जब उनकी फसल नष्ट हो जाती है तो मजबूर होकर जब उनको राहत राशि नहीं मिलती है तो वे आत्महत्या के लिए मजबूर हो जाते हैं.
अध्यक्ष महोदय - आप समाप्त करें.
बहादुर सिंह चौहान - एक मिनिट में मैं आपकी आज्ञा का पालन करूँगा. मैं कहना चाहता हूँ कि मैं आपको यह सुझाव देना चाहता हूँ कि यह क्षेत्र की छोटी सी समस्या है, यह माननीय मंत्री जी आप हल कर सकते हैं कि जब किसी भी व्यक्ति की जमीन की रजिस्ट्री दूसरे को भी हो जाती है और नामान्तरण समय-सीमा में हो जाता है लेकिन देखने में यह आता है कि कम्प्यूटर के अन्दर पटवारी जो है, उस नाम को बेदखल नहीं करता है. मेरा सुझाव है कि समय-सीमा में कम्प्यूटर में जिसके नाम चढ़ाना है, वह चढ़ायें तो सही नकल संबंधित व्यक्ति को मिलेगी. बहुत सारी बातें कहनी थी, आपने मुझे बोलने का समय दिया धन्यवाद.
5.25 बजे अध्यक्षीय घोषणा
माननीय सदस्यों के लिये स्वल्पहार विषयक
अध्यक्ष महोदय -- माननीय सदस्यों के लिये सदन की लॉबी में स्वल्पहार की व्यवस्था की गई है. सदस्यों से अनुरोध है कि सुविधानुसार स्वल्पहार ग्रहण करने का कष्ट करें.
5.26 बजे वर्ष 2016-17 की अनुदानों की मांगों पर मतदान.
श्री ओमकार सिंह मरकाम (डिण्डोरी) -- अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 8,9,35 एवं 58 के विरोध में और कटौती प्रस्तावों के समर्थन में बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. राजस्व मंत्री जी बहुत बातें कहते हैं और खुद अपना गुणगान कराते है और सत्ता पक्ष के लोग भी समर्थन करते हैं. परंतु वे इस बात को भूल जाते हैं कि वास्तव में जो राजस्व विभाग है, अगर हजारों किसानों को घर में भूखों रहने के लिये मजबूर किया है, तो राजस्व विभाग की नीति ने किया है. गरीबों को न्यायालय में आकर के चक्कर काट काट कर अपने हक के लिये मांग करने के लिये अगर मजबूर किया है, तो राजस्व विभाग ने किया है. एक गांव में ईमानदार किसान, जिसको कभी यह नहीं पता था कि राजस्व विभाग की कलम उनको अदालत तक भेज देगी, यह काम भी किया है, तो राजस्व विभाग ने किया है. जो बी वन और खसरा पांच साल का रिकार्ड है, उसके कम्प्यूटरीकरण करने के लिये आपने एक नया कार्यक्रम चलाया. उसमें राम का नाम श्याम लिख दिया, श्याम का नाम राम लिख दिया. अब वह किसान जाता है भैया मेरा नाम तो राम है. तो कहेंगे कि हम नहीं काट सकते. आप न्यायालय में जाइये वहां अपील करिये और वहां आपके लिये आर्डर होगा. वह गरीब जायेगा, फिर आर्डर के लिये कहेंगे वकील लगाओ और वह पच्चीस चक्कर लगायेगा. 3-4 साल तक प्रकरण चलेगा, ऐसी स्थिति में वह गरीब आदमी किस की वजह से लुट रहा है, आपके गलत नाम दर्ज करने के कारण लुट रहा है. कम्प्यूटरीकरण करने का आदेश वह किसान ने तो नहीं कराया. अगर आपने किया है, अगर त्रुटि होती है, तो आपके स्तर पर उसमें सुधार किया जाये. न कि न्यायालय में जाकर उस किसान को परेशान करके और आप फटाक से कह देंगे कि हमारी बहुत बड़ी अच्छी व्यवस्था चल रही है. दूसरी तरफ एक किसान को अगर जरुरत पड़े, सारे प्रकरणों में अभी बी वन की आवश्यकता पड़ती है, खसरा पांच साल की. 200 गांव की एक तहसील है. एक कम्प्यूटर आपने रख दिया है, वहजहां पहले 50 पटवारी दे देते थे, अब एक कम्प्यूटर में जाकर के वह लाइन लगा रहे हैं और मैं तो यह कहता हूं कि कौन सा दिन आ गया कि आप लोग उसके लिये भी 30 रुपये शुल्क ले लेते हैं. वह किसान को शुल्क देना पड़ता है. वह लाइन में जाकर एक दिन लगेगा, 50-100 किलोमीटर दूर उसका गांव है, वह दूसरे दिन फिर आयेगा, फिर तीसरे दिन देगा और मंत्री जी कह रहे हैं कि हमारी बहुत बढ़िया व्यवस्था चल रही है और यह 50 साल में कभी नहीं हुआ. अरे भाई, हम सब यह बात जानते हैं, देश में पहले व्यवस्था ऐसी थी, देश जब आजाद हुआ उस समय क्या था, धीरे धीरे व्यवस्था होती गयी. जब आप लोगों को जनता ने सरकार बनाने का अवसर दिया है, तो काम करना चाहिये. आधा भाषण तो ये देते रहते हैं कि 50 साल में क्या हुआ. आप अभी सरकार में हो, आप क्या कर रहे हो, उसमें आप देखिये और आपको बनी बनाई व्यवस्था मिली है, आपको जनता ने बिठाया है, तो आप व्यवस्था चलाओ. यह क्या कि गरीब, किसान को आप पीस करके रख रहे हैं. गरीब किसान त्राहि त्राहि कर रहा है. मंत्री जी, आप किसी भी क्षेत्र का आंकलन करा लें, वहां जो एक कम्प्यूटर है, उसमें एक आदमी बैठा रहता है, 200 आदमी का काम आपने एक आदमी को दे दिया है. उसमें आप कह रहे हैं कि बहुत बढ़िया है. मंत्री जी, कृपा करके इसकी आप समीक्षा कराकर इसमें और आप क्या सुधार कर सकते हैं, इसमें आपको सुधार करने की आवश्यकता है और यह मैं महसूस करता हूं. जो पुनर्वास नीति है. मध्यप्रदेश के अंदर एक जीने, खाने वाले आदमी को बेघर करके उसको पलायन करने के लिये मजबूर किया गया है, तो वह आपकी पुनर्वास नीति है और राजस्व विभाग की कार्यप्रणाली के कारण वह गरीब आदमी जितनी जगह पुनर्वास की आवश्यकता पड़ी है. बड़े बड़े बांधों में पड़ी है. अन्य जगह में जो बड़े बड़े उद्योगों के लिये आवश्यकता पड़ी है, उस समय पूरी तरह से उद्योगों के साथ यह सरकार खड़ी हो जाती है, उस गरीब आदमी की तरफ कोई ध्यान नहीं देता उस पुनर्वास नीति में. अभी हमने 14 तारीख को मंडला जिले के चुटका परमाणु संयंत्र के व्यवस्थापन के विषय में देखा था. बरगी बांध के जो विस्थापित हैं, जिनको नियमानुसार विस्थापित करके उनको बसाया गया है, पर जिस जगह में वह बसे हैं, वह राजस्व ग्राम में अभी घोषित नहीं हुए हैं. जिसके कारण वहां के लोगों में आज भी वेदना है. वह मांग कर रहे हैं. ऐसी आपकी पुनर्वास नीति है. जिस पुनर्वास नीति के कारण गरीब आदमी को बेघर होने के लिये आपने मजबूर किया है. मैं मंत्री जी का ध्यान प्राकृतिक आपदाओं की तरफ आकर्षित करना चाहता हूं. मेरा मंत्री जी से अनुरोध है कि प्राकृतिक आपदा में जो आप देना चाह रहे हैं, आपकी बात अभी आ जायेगी कि कांग्रेस के समय में यह हुआ. यह हम भी जानते हैं. हमारे दादाजी के पास पहले कुछ नहीं था. व्यवस्था अब थी ही नहीं, तो क्या करते. हमारे पिताजी और हम लोग अब कुर्ता पहन लिये तो यह कह दें कि हमारे दादाजी बेकार थे क्या. बताइये. अगर हम कुर्ता पहन लिये तो यह कह दें. वैसे ही आप लोग मत कहा करो. सरकार में हो, चलाओ. यह प्राकृतिक आपदा में जिस तरह से आप लोगों ने गरीब किसान के साथ अन्याय किया है, आपने जले पर नमक छिड़कने का काम किया है. वहां अगर 100 लोगों का नुकसान होता है, तो आप 20 लोगों को मुआवजा दे देते हैं. 80 लोगों के दिल में दुख पहुंचता है. एक तो ईश्वर ने, ईश्वर ने नही जब से देश के अंदर प्रधानमंत्री जी आये हैं, तब से सूखा, ओला पड़ रहा है और यह आप लोग सरकार में आये हो, यह इसलिये पड़ रहा है. इसलिये किसान को राहत देने की जिम्मेदारी भी आप लोगों की है. लगातार प्रधानमंत्री जी असत्य बात करके देश के अंदर गुमराह करते हैं. भगवान से डरना चाहिये. भगवान से भी ये नहीं डरते हैं. इसलिये प्राकृतिक, ओला पड़ता है..
श्री शंकरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, उन्होंने कहा कि प्रधान मंत्री जी असत्य बोलते हैं, कृपा करके यह विलोपित कराइये.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने कहा कि प्रधानमंत्री बनने के बाद ओला वृष्टि हो रही है, यह विलोपित कराइये.
अध्यक्ष महोदय -- यह राजनैतिक बात है. कृपया समाप्त करें.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- अध्यक्ष महोदय, रामचरित्र मानस में लिखा है. पंडित जी, स्वयं बताते हैं. जैसे राजा का प्रभाव, वैसे हालात होते हैं. जब से वे बैठे हैं, तब से ओला, सूखा पड़ रहा है. अब मैं अपने क्षेत्र की बात करता हूं. मैं मंत्री जी से यह निवेदन कर रहा था कि मैं अपने क्षेत्र का विधायक हूं. मैंने आंदोलन किया अपने क्षेत्र को सूखाग्रस्त क्षेत्र में शामिल कराने के लिये. आपने सूखाग्रस्त क्षेत्र में शामिल कर दिया. पर मेरे क्षेत्र के चार सूखाग्रस्त जो आरई सर्किल हैं, उसमें इसलिये राहत नहीं दिया गया. सूखाग्रस्त आपने ही किया, इसके बात के लिये आपको धन्यवाद. पर आप यह समझ गये कि कांग्रेसी विधायक है, शायद इसलिये 4 आरआई सर्किल को आपने छोड़ दिया है. ..
राज्यमंत्री संसदीय कार्य (श्री शरद जैन) -- विधायक जी, मैं आपके जिले का प्रभारी मंत्री हूं. मैं दौरे पर गया था. कई गांव गये थे. आप मेरे साथ गये थे. ओमप्रकाश जी अभी यहीं कहीं बैठे होंगे. साथ में थे. पूरे अधिकारी साथ में थे. पूरे काफिल के साथ गये थे.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- जी.
श्री शरद जैन -- हर बात पर जी हो गया ना. काहे के लिये गये थे. अपन कोई पिकनिक मनाने गये थे क्या.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- आपके जाने के बाद राहत नहीं दी.
श्री शरद जैन -- अध्यक्ष महोदय, विधायक जी, हमें प्रभारी मंत्री तो मानते हो ना. आप हमारे साथ थे ना.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- हम तो चाहते हैं कि आप केबिनेट में आ जाओ.
अभी छोटा पद है. ..(हंसी),,
श्री शरद जैन -- हर जगह हमने आम सभाएं की थीं. आपके सांसद, विधायक सब थे. हर आम सभा में तत्काल समस्या का निराकरण किया था. पूरी राहत मिल गयी.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- राहत नहीं मिला है, वही तो मैं कह रहा हूं. आप भी हमारी तरफ आ जाओ. राहत दिलाने के लिये हम तो कहते हैं कि प्रभारी मंत्री जी भी हमारी तरफ आ जायें.
अध्यक्ष महोदय -- आप कृपया बैठ जायें. श्री दुर्गालाल विजय.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- अध्यक्ष महोदय, मेरे जिले के किसानों को राहत दिलवाने के लिये आपका निर्देश प्राप्त हो. मैं यही निवेदन करना चाहता हूं और सभी लोगों को न्याय मिले, यही निवेदन करना चाहता हूं. अध्यक्ष महोदय, आप निर्देश दे देंगे, ऐसा मेरा भरोसा है. मेरे क्षेत्र के सभी किसानों को राहत मिले और ओला पाला से जो नुकसान हुआ है, उसका भी सर्वे कराकर राहत दिलाने का कष्ट करेंगे. आपने बोलने के लिये समय दिया, इसके लिये धन्यवाद.
श्री दुर्गालाल विजय(श्योपुर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं राजस्व मंत्री द्वारा प्रस्तुत मांग संख्या 8, 9, 35 और 58 का समर्थन करता हूं. माननीय अध्यक्ष महोदय, पिछले समय में राजस्व विभाग ने प्रदेश में जो परिवर्तन किये हैं और जो नवाचार किये हैं उसके कारण से प्रदेश के किसानों को बहुत सारी राहत प्राप्त हुई है. अभी कम्प्यूट्रीकृत नकल देने के बारे में हमारे साथी चर्चा कर रहे थे. पहले तो पटवारियों के माध्यम से नकल मिलती थी और सर्टिफाई कापी अगर प्राप्त करना होती थी तो तहसील में जाना पड़ता था. बाद में कम्प्यूटर के माध्यम से लोक सेवा गारन्टी में आवेदन करने पर नकलें प्राप्त होने का प्रावधान किया गया जिससे किसानों को बहुत राहत प्रदान हुई. अब मध्यप्रदेश के राजस्व विभाग ने यह प्रयत्न किया है कि इन्टरनेट के माध्यम से , क्रिर्योस्क के माध्यम से नकलें किसानों को प्राप्त हो जायें. यह जो प्रावधान और व्यवस्था की जा रही है हालांकि यह व्यवस्था अभी केवल भोपाल जिले में की गई है लेकिन आगे आने वाले समय में जब प्रदेश के सभी जिलों में यह व्यवस्था लागू होगी तो किसान कहीं भी अपने खाते की नकल प्राप्त करने के लिये सक्षम हो सकेगा और इसके साथ साथ उसे अपने न्यायालयीन कार्य के लिये भी उन नकलों का उपयोग करने का एक अवसर और एक अधिकार उसको प्राप्त होगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री जी ने और प्रदेश के राजस्व मंत्री जी ने किसानों को सुविधाजनक दृष्टि से उनको रिकार्ड की नकल प्राप्त हो जाये इसके लिये अच्छा प्रयास किया है इसके लिये मैं उनको बहुत बहुत धन्यवाद देता हूं लेकिन अभी भी जो कम्प्यूटर में डॉटा फीड हुये हैं उनमें बहुत सारी कमियां हैं. हमारे श्योपुर जिले के बारे में मैं कहना चाहूंगा कि आज ही विधानसभा में प्रश्न का उत्तर आया है कि 2500 ऐसे किसान हैं जो कृषक भूमि स्वामी पिछले 50-60 सालों से, लेकिन अभी भी सरकारी जमीन के रूप में उनके भूमि स्वामी खाते की जमीनें दूसरे खाते में दर्ज हो गई हैं तो उसको दुरूस्त कराने की आवश्यकता है क्योंकि यह बार बार आने वाली कठिनाई है, और भी कुछ त्रुटियां उसके अंदर हुई हैं. मंत्री जी एक बार उसका ठीक से परीक्षण करने की बहुत आवश्यकता है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रदेश में लगभग 750 गांव में नक्शा न होने की एक बहुत बड़ी समस्या थी. मैं राजस्व मंत्री जी को बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने जो नक्शा विहीन गांव थे उनके नक्शे बनाकर, उनको ठीक करके, उनको दुरूस्त करके और अब केवल लगभग 175 गांव ऐसे बचे हैं जिनके अभी नक्शे नहीं हैं वे भी आगे चलकर के ठीक हो जायेंगे तो यह एक बड़ी समस्या है जिसके कारण से आगे चल कर सीमांकन में कठिनाई आ रही थी, उनको अपने अधिकारों का उपयोग करने में कठिनाई आ रही थी, यह समस्या भी जैसा राजस्व विभाग ने संकल्प किया है कि ...
अध्यक्ष महोदय-- कृपया समाप्त करें.
श्री दुर्गालाल विजय -- अध्यक्ष महोदय, अभी तो मैंने शुरू किया है.
अध्यक्ष महोदय-- कृपया सहयोग करें.
श्री दुर्गालाल विजय -- अध्यक्ष महोदय, मैं तो हमेशा ही सहयोग करता हूं. दो तीन बातें मैं और कहना चाहूंगा.
अध्यक्ष महोदय-- आप 2 मिनट में अपनी बात कह लें.
श्री दुर्गालाल विजय -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे राजस्व विभाग ने एक और महत्वपूर्ण परिवर्तन किया है. पिछले समय में नामांतरण और बंटवारे जो अविवादित स्थिति के हैं, पहले नामांतरण और बंटवारे का अधिकारी तहसील में था उसको वापस अब ग्राम पंचायतों को दे दिया है. ग्राम पंचायत को अविवादित नामांतरण और बंटवारा करने का अधिकार देने के कारण से अब उनको तहसील में पटवारियों के चक्कर लगाने के बजाए किसानों को अपने ग्राम पंचायत स्थल पर बंटवारे और नामांतरण कराने का एक अच्छा अवसर प्राप्त हो गया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं निवेदन यह करना चाहता हूं जैसा अभी उल्लेख कर दिया है सीएम हेल्प लाईन, लोक सेवा गारण्टी का लेकिन एक महत्वपूर्ण काम और जो राजस्व विभाग के द्वारा किया जा रहा है, माननीय मुख्यमंत्री जी की घोषणा के अनुसार मजरे-टोलों को गांव बनाने का और गांव का दर्जा देने का काम जो किया जा रहा है उसके लिये मैं माननीय मुख्यमंत्री जी की और माननीय राजस्व मंत्री जी की बहुत प्रशंसा करता हूं, धन्यवाद करता हूं कि मध्यप्रदेश में भी और हमारे श्योपुर जिले में भी ऐसे मजरे-टोले हैं जिनके ग्रामवासी जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त करने के लिये, सड़क बनवाने के लिये और अन्य प्रकार से राजस्व ग्राम न हो पाने के कारण से आने वाली कठिनाई का सामना कर रहे थे उन कठिनाईयों का निवारण राजस्व ग्राम हो जाने के कारण से हो गया. माननीय अध्यक्ष महोदय मेरे श्योपुर जिले में चक बमूलिया और माधव का डेरा जो मगदिया पंचायत में है, उनको...
अध्यक्ष महोदय-- श्री रामपाल सिंह व्यौहारी,
श्री दुर्गालाल विजय-- मैं 2-3 बातें और कहना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं अब हो गई. श्रीमती सरस्वती सिंह.
श्री दुर्गालाल विजय-- मैं अपने क्षेत्र की बात कर रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं आपको पहले करना था न 7 मिनट हो गये हैं.
श्री दुर्गालाल विजय-- मैं वहीं कर रहा हूं, अगर मुझसे कह दिया जाता कि क्षेत्र की बात करना है, सरकार के द्वारा किये गये कार्यों का उल्लेख नहीं करना तो मैं उन कार्यों का कोई उल्लेख नहीं करता.
अध्यक्ष महोदय-- एक मिनट में बोल दें, रिपीटेशन हो रहा है न.
श्री दुर्गालाल विजय-- नहीं रिपीटेशन नहीं हो रहा, मैं अपनी बात कह रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय-- चलिये बोलिये.
श्री दुर्गालाल विजय-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा अभी कहा गया कि बहुत सारे पद खाली हैं, हमारे श्योपुर में भी पटवारियों के पद खाली हैं और माननीय अध्यक्ष महोदय 56 लोग चयन कर लिये गये हैं और उनको माननीय उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय ने भी आदेश देकर के कहा है कि इनका पदस्थापना मिलनी चाहिये, लेकिन वह 56 लोग अभी भी सर्वोच्च न्यायालय के आदेश होने के बावजूद भी भटक रहे हैं, माननीय राजस्व मंत्री जी से मैंने कल भी निवेदन किया था आज मैं पुन निवेदन करता हूं कि उनको नियुक्ति दे दें तो हमारे यहां खाली पड़े हुये पद भर जायेंगे और उसमें किसी भी प्रकार की जो समस्या आ रही है उसका समाधान हो जायेगा. माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे श्योपुर में लगभग 15-16 गांव अभी भी ऐसे हैं जिनके नक्शे नहीं है और वह कठिनाई मैं समझता हूं कि राजस्व विभाग के अधिकारी हमारे सीएलआर और ये सब देखकर के जल्दी ही उनका समाधान करा देंगे. माननीय अध्यक्ष महोदय आपने समय दिया उसके लिये बहुत-बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय-- श्रीमती ऊषा चौधरी, कृपया संक्षेप में अपनी बात रखें.
श्रीमती ऊषा चौधरी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं राजस्व पर बोलना चाहती हूं, यह बात सत्य है कि मध्यप्रदेश के अंदर जब से भाजपा की सरकार आई है तो किसानों के खेतों में ही नहीं किसानों की किस्मत में ही ओले पड़ना शुरू हो गये हैं. मेरे सतना जिले में अधिकतम व्यापम से बड़ा घोटाला राजस्व घोटाला है, सतना जिले की तहसील रघुराज नगर में सतना नगर निगम के क्षेत्र शहरी सीमा के पदस्थ पटवारियों का स्थानांतरण विधानसभा प्रश्न क्रमांक 31 में सदन में दिये जवाब में तत्कालीन कलेक्टर के.के. खरे सतना द्वारा किया गया था, किंतु 6 माह के अंदर पुन इन पटवारियों को वहीं पदस्थ कर दिया गया. आदेश पूर्व कलेक्टर मोहनलाल मीणा द्वारा भी जारी कर दिया गया था जिस कारण सदन के निर्णय की अवहेलना भी की गई. उक्त पटवारी भ्रष्टाचार में लिप्त होने के बावजूद भी भूमाफियाओं से सांठगांठ करके शासकीय जमीन खुर्द-बुर्द करके अत इन पटवारियों को शहरी क्षेत्र के आसपास के पटवारी हल्कों से अन्यत्र हटाया जाये. यही पटवारी हमारे सतना जिले के नगर निगम क्षेत्र के कृपालपुर नई बस्ती की शासकीय आराजी नं. 1285 को ऐसे लोगों के नाम रजिस्ट्री करा दिये हैं जो वहां पर रहते ही नहीं वहां पर निवास ही नहीं करते, फर्जी तरीके से रजिस्ट्री इनके नाम हो गई है. मैं उनके नाम भी बता दूं माननीय अध्यक्ष जी, इन लोगों के नाम ईश्वर प्रताप सिंह, रामायण प्रताप, राम नारायण विश्वकर्मा, सीता राम विश्वकर्मा, बद्री प्रसाद, गोरेलाल, लक्ष्मीनारायण, रामनरेश, रामसिरोमण यह लोग कृपालपुर में निवास भी नहीं करते, इनके नाम सरकारी जमीनें करा दी गईं. मैं कुछ अपने क्षेत्र की बातों को बता दूं, मेरे विधानसभा क्षेत्र में रैगांव हल्के में आर.आई नहीं है, मैंने एक साल हो गया, सतना कलेक्टर को कई बार पत्र भी लिखा, फाइल भी पढ़ी उसके बाद भी रैगांव सर्किल में आरआई नहीं है, वह हल्का खाली पड़ा हुआ है. मेरे विधानसभा क्षेत्र में कई ऐसे गांव हैं जो नक्शाविहीन हैं और नक्शाविहीन होने के कारण वहां के गरीबों को वहां के दबंग लोग काफी परेशान करते हैं, उनकी जमीनों में कब्जा कर लेते हैं, उनको फिर तहसील न्यायालय में जाना पड़ता है और काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, यहां तक कि जिस तरह से आज मध्यप्रदेश की सरकार मुख्यमंत्री योजना की बात करती है, लेकिन मेरे विधानसभा में एक भी मुख्यमंत्री आवास योजना संचालित नहीं है.एक भी मुख्यमंत्री आवास योजना संचालित नहीं है. अगर कोई सर्वे करके देखे तो पता चलेगा कहीं भी संचालित नहीं है. यहां तक की शिवराजपुर में एक गरीब तबके का व्यक्ति जो रोड़ के किनारे सरकारी, चूंकि उसके पास खुद की जमीन नहीं है, पर एक झोपड़ी बनाकर रह रहा है उसको बार बार अतिक्रमण के दायरे में लाकर झोपड़ी गिराने का काम किया जाता है.
अध्यक्ष महोदय, मैंने नगरीय निकाय क्षेत्र में इतने पटवारियों के नाम बताये हैं ये लोग सरकारी जमीनों को इनके नाम फर्जी तरीके से कर रहे हैं, उनके लिए कोई कानून नहीं बना. मेरे विधानसभा क्षेत्र में शिवराजपुर तो नक्शाविहीन है. परसों ओलावृष्टि पर चर्चा हो रही थी. मुझे लगा मेरा क्षेत्र बचा हुआ है लेकिन 14 मार्च को मेरे विधानसभा क्षेत्र के कई गांवों में 100-100 ग्राम से बड़े ओले गिरे हैं. पूरा क्षेत्र चौपट हो गया. कम से कम 50 गांवों से ज्यादा में ओले गिरे हैं. पिछले समय के ओलावृष्टि, अतिवृष्टि का मुआवजा किसानों को अभी तक नहीं मिला है. जिन गरीब किसानों की 5 बीघा जमीन थी उनको भी 2 हजार रुपये मुआवजा और जिन किसानों की 10 बीघा या 1 बीघा जमीन थी उनको भी 2 हजार मुआवजा मिला. मुझे पता चला कि चेक बनाये गये लेकिन उनके खाते में आज तक मुआवजे का पैसा नहीं गया.
अध्यक्ष महोदय--कृपया समाप्त करें.
श्रीमती ऊषा चौधरी--अध्यक्ष महोदय, मेरे विधानसभा क्षेत्र में उसरार से लेकर महतैन,गुल्लुआ,पवैया,अर्जुनपुर,रामपुरचौरासी,कुशियाहाटी,खाम्हा पोड़ी और तमाम कई गांवों में 14 मार्च को जो ओले गिरे हैं उससे फसलें चौपट हो गई हैं. मैं मंत्रीजी से निवेदन करना चाहती हूं कि सतना में पटवारी, तहसीलदार और कलेक्टर को निर्देशित करें कि पिछले 2 बार के जो ओला पीड़ित किसान हैं उनका भी मुआवजा दें. किसानों की कमर टूट चुकी है. इस बार जो ओले गिरे हैं उनका सही तरीके से सर्वे करे, और उनका मुआवजा मिले.धन्यवाद.
श्री रामलल्लू वैश्य(सिंगरौली)--अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 8,9,35 और 58 के समर्थन में अपनी बात रख रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय,राजस्व विभाग के अंतर्गत शासकीय भूमि पर जो लंबे समय से काबिज थे उनके लिए विधान बनाने के लिए मैं माननीय मुख्यमंत्रीजी और राजस्व मंत्रीजी को धन्यवाद और बधाई दूंगा. उन्होंने धारा 162 में आमूलचूल परिवर्तन किये हैं, मैं समझता हूं उससे जो शासकीय भूमि पर अतिक्रमण किये थे उनको भविष्य में भूमि स्वामी अधिकार मिल जायेगा. आबादी के पट्टे मिल जायेंगे.
अध्यक्ष महोदय, मैं एक बात और कहना चाहूंगा. मैं रिपीटेशन नहीं करना चाहता. मैं पुनर्वास के संबंध में बात कहना चाहता हूं. पुनर्वास के संबंध में मेरा एक सुझाव है कि सिंगरौली में नार्दन कोल फील्ड लिमिटेड, भारत सरकार का उपक्रम द्वारा ओसीबी एक्ट के तहत भूमियों का अर्जन किया जाता है जिससे उनके पुनर्वास के कार्य कोल इंडिया की ओर से होते हैं और मध्यप्रदेश की पुनर्वास नीति का यहां कोई असर नहीं पड़ता. भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 पारित हो जाने के बाद मैं समझता हूं कि पुनर्वास के नियम बनाने के राज्य को भी अधिकार हैं. मैं उसके अनुसार सुधार करने के लिए राजस्व मंत्रीजी से अनुरोध करुंगा कि मूलतः पुनर्वास नीति में संशोधन करने की आवश्यकता है.
अध्यक्ष महोदय, सरई और माडा तहसील जो 2-3 साल पहले संचालित हुई उसके भवन बनाने के लिए राशि मिल जाये और उसका मुख्यमंत्रीजी आप भूमि पूजन कर दें. वहां पर रिलायंस, हिंडाल्को,एस्सार कंपनियों के पुनर्वास के संबंध में समीक्षा हो, बहुत से लोग अभी भी भटक रहे हैं. उनको वास्तविक रुप से उसका लाभ मिल जाये, प्लाट मिल जाये, उनको जीविकोपार्जन के लिए रोजगार मिल जाये. ये सब चीजें आवश्यक हैं. अध्यक्ष महोदय, जिस जिले से पूरे प्रदेश को बिजली मिलती हो, राशि मिलती हो इसलिए मैं ज्यादा न कहते हुए वहां के लोगों की सुविधाओं पर ध्यान दिया जाये और मांगों को पूरा किया जाये. धन्यवाद.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को (पुष्पराजगढ़) - अध्यक्ष महोदय, वास्तव में प्रदेश में जिस तरीके से प्रकृति की मार के साथ आज किसान परेशान हैं और उन किसानों को कैसे राहत दे सकते हैं, इसके बारे में बहुत सारी चर्चाएं सदन में हुई और सारी व्यवस्थाएं भी दी गई है. मेरे विधान सभा क्षेत्र पुष्पराजगढ़ में मैंने स्वयं खेतों में जाकर हल्का पटवारियों के साथ, तहसीलदारों के साथ एसडीएम को लेकर और विभागीय अमले के साथ सर्वे कराया और सर्वे कराकर उन पीड़ित किसानों का मुआवजा बनवाने का काम किया. उसमें मेरी विधान सभा की तहसीलों में करीब 26 करोड़ रुपए का मुआवजा बना है. तहसीलदारों के माध्यम से जब खातों में पैसा भेजने का काम शुरू हुआ. पटवारियों ने किसानों के बैंक के खातों को लिया, अब यहीं से गड़बड़ हो जाती है, जिन किसानों की ज्यादा राशि थी, उन किसानों के एक-एक बैंक के खातों को पटवारियों ने गड़बड़ कर दिया. दूसरा नम्बर लिख दिया और जब वह किसान बैंक में जाता है तो वह पैसा उनके खाते में है ही नहीं, चूंकि गलत खाता नम्बर अंकित हो गया. इस तरीके से ई-पेमेंट से जो भुगतान करने वाले थे, उसमें काफी अभी विलम्ब हुआ और लगभग 15 करोड़ रुपए की यह राशि भुगतान के अभाव में उनको नहीं मिल सकी. किसान अपने हाथों में कम से कम 5 करोड़ रुपए का चेक लेकर घूम रहा है. मैं माननीय मंत्री महोदय जी से इस व्यवस्था के संबंध में निवेदन करना चाहूंगा कि यह जो 5 करोड़ रुपए के उनके चेक वितरण किये गये, उन चेक्स में 20-20 लोगों के नाम लिख दिये गये. दादा के दादा, दादा के दादा, जिनकी मृत्यु हो गई, उनका भी नाम आ गया. अब परेशानी यह हो गई कि उनके नाम कैसे काटे जाएं, वह खाते में कैसे जमा किये जाएं. इसके लिए माननीय मंत्री महोदय से मैं एक निवेदन करना चाहता हूं कि यह समयबद्ध तरीके से फौती नामांतरण आप तय कर दें कि प्रत्येक महीने में जो ग्राम सभा लगती है, जो जनसुनवाई मंगलवार को आयोजित करते हैं उसमें फौती नामांतरण अनिवार्यतः लिया जाय और कराया जाय ताकि इस तरीके की समस्या न आए. अध्यक्ष महोदय, जो राहत राशि का भुगतान करना है, एक निश्चित समय आप कर दें, आपने पैसा भेजा है, उस पैसे को आज तारीख से 10 दिन 15 दिन में वहां तहसीलदार, एसडीएम से जानकारी तो लें कि उस पैसे का भुगतान हुआ है कि नहीं हुआ. एक समय सीमा में आप कर दें कि इतनी तारीख के बाद भुगतान आपको करना ही है. उसका पालन प्रतिवेदन हमको चाहिए. वहां काम आपका स्पीड से हो जाएगा और सारे किसानों को राहत राशि आप समय से भुगतान कर देंगे. अध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का मौका दिया, इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री दिनेश राय (सिवनी) - अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 8 में बोलना चाहूंगा कि सिवनी जिले के सूखाग्रस्त घोषित ओलावृष्टि प्रभावित क्षेत्र ग्रामों में सहकारी बैंक व बिजली विभाग द्वारा अभी भी वसूली की जा रही है. माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि उसको तत्काल रोकने के लिए निर्देशित करें. सिवनी जिले के अंतर्गत सभी तहसीलों में भूमि बंटवारे व नामांतरण के लंबित आवेदनों व प्रकरणों का शीघ्र निराकरण किया जावे. सिवनी जिले में कई स्थानों पर भू-माफियाओं द्वारा शासकीय भूमि पर अवैध कब्जे किये जा रहे हैं इस पर रोक लगाए जाने हेतु कठोर कदम उठाए जावें और दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्यवाही का जाय. अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से बोलना चाहूंगा कि भूमि माफियाओं द्वारा भू-राजस्व संहिता धारा 159 क , वर्ष 2009 से 2012 का मेरे क्षेत्र सिवनी जिले की आप जांच करवा लें आदिवासियों की जमीन गैर आदिवासी ने ले ली है . हजार हजार एकड़ का एक एक आदमी मालिक बना बैठा है, भू माफिया मेरे क्षैत्र में अगर आप जांच करा लेंगे तो पता चलेगा कि शासकीय अधिकारी तंत्र किस तरह से मिला हुआ है. आप अच्छा काम कर रहे हैं सरकार अच्छा काम कर रही है आपको सब जगह पर हरा हरा दिख रहा है, आप देखें तो कि किस तरह का सूखा और पाला पड़ा है उन अधिकारियों के द्वारा जनता के बीच में. उधर आपकी बारीक नजर होना चाहिए. मांग संख्या 35 सिवनी विधान सभा के अंतर्गत कई स्थानों में सड़क निर्माण चौड़ीकरण के नाम पर गरीबों को हटा दिया गया है . मेरा निवेदन है कि उनको कहीं न कहीं पुनर्वास के लिए स्थान दें, अतिक्रमण के नाम पर झुग्गी बस्तियों को हटाया जाता है तोड़ा जाता है, उनको कहीं पर स्थान दें. रेल्वे के द्वारा अभी 400 झुग्गी झोपड़ियों को हटाने के निर्देश दिये हैं. आपसे निवेदन है कि उनको कहीं न कहीं स्थान प्रदान करने की कृपा करें. सामाजिक सुरक्षा कल्याण और पुनर्वास के काम में काफी विलंब होता है इसमें बजट की कमी को कारण बताया जाता है, इसलिए पुनर्वास के लिए बजट की कमी को दूर किया जाय.
मांग संख्या 58 प्राकृतिक आपदा एवं सूखा क्षेत्र तो हमारे विधान सभा को सूखा क्षेत्र घोषित किया गया है. सिवनी विधान सभा क्षेत्र सूखा ग्रस्त एवं प्राकृतिक आपदा ग्रस्त घोषित होने के बाद में भी राशि नहीं मिल पायी है आपसे आग्रह है कि वहां पर राशि पहुंचाने की कृपा करें.
हम यह कहना चाहते हैं कि अभी 13 तारीख को हमारे यहां पर 32 गांवों में बहुत अधिक ओला गिरा है 28 गांवों का मैंने एक दिन में 14 तारीख को दौरा किया है, कलेक्टर वहां से डामर की रोड पर घूमकर चले गये हैं, कहीं पर भी मुझे तहसीलदार, आर आई, नायब तहसीलदार. एसडीएम नही मिले हैं. उनकी जवाबदारी नहीं है कि वह क्षेत्र में घूमें, जहां जहां पर पटवारी दो तीन गांव में मिले हैं, उन्होंने देखा है कि 50 से 60 प्रतिशत नुकसान है वहां से मैं आ गया था आज सुबह से किसानों के फोन आ रहे हैं कि उनके कोई मुआवजा नहीं बनना है या तो आपके यहां से निर्देश हो गये या ऊपर से अधिकारियों के निर्देश हो गये हैं. उस क्षेत्र में काफी आक्रोश है.
जनसुनवाई में गरीब लोग आते हैं लेकिन जनसुनवाई का कोई औचित्य समझ में नहीं आता है, गरीबी रेखा के कार्ड बिल्कुल नहीं बनते हैं बार बार आवेदन लगाते हैं तो पटवारी घर में बैठकर ही रिजेक्ट कर देता है, बिना पैसे लिये कोई काम नहीं हो रहा है. मेरा आपसे आग्रह है कि किसानों के सभी ऋण माफ करें. सूखा पाला हमारे यहां पर 4 साल से लगातार पड़ रहा है. अभी जब मैं घूम रहा था तो एक किसान बिलख बिलखकर रो रहा था मैंने पूछा कि क्या बात है तो बोला कि पुराना हमें पैसा नहीं मिला है ओलावृष्टि और सूखा काऔर अभी फसल इतनी अच्छी आयी है लेकिन वह सब ध्वस्त हो गई है, कैसे पैसा मिलेगा. मेरा आपसे आग्रह है लोगों को राशि मिले और मुआवजा बढ़ाने की कृपा करें.
मैं कहना चाहता हूं कि गोपालगंज बंडोल चमारी बखारी में नायब तहसीलदार बैठा दें तहसील बना दें आप, सिवनी को तो संभाग बना दो आप, कुछ तो कर दो हमारे जिले के लिए, उद्धार कर दें आप हमारा, अभी आपने सूखा पाला क्षेत्र के लिए हमारे यहां पर कन्या विवाह योजना में 30 हजार रूपये देने की घोषणा की है उसमें स्पष्ट नियम है कि जिसको मुआवजा मिलेगा या सूखाग्रस्त घोषित किया गया होगा तब ही उ से देंगे तब ऐसे में वह भी प्रताड़ित है माननीय अध्यक्ष महोदय आपने समय दिया धन्यवाद्.
अध्यक्ष महोदय -- जैसा कि तय किया गया था कि 5 - 5 सदस्य दोनों ओर से हो गये हैं और निर्दलीय और बीएसपी के भी हो गये हैं. अब एक एक मिनट में अपने क्षेत्र की बात करेंगे. ऐसा मेरा माननीय सदस्यों से अनुरोध है ताकि समय पर पूरा हो सके क्योंकि अभी एक विभाग और लेना है, जिनके नाम है केवल वह ही. यदि नाम वाले सदस्य समय की मर्यादा में रहते हैं तो फिर आगे लेंगे.
श्री वीर सिंह पंवार ( कुरवाई ) -- माननीय अध्यक्ष महोदय माननीय मुख्यमंत्री जी और माननीय मंत्री जी के मार्गदर्शन में राजस्व विभाग ने काफी अच्छे काम किये हैं. मैं मांगों के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं. जैसा कि आपका आदेश है कि अपने क्षेत्र की ही बात रखना है. मैं अपने क्षेत्र की ही बात रखना चाह रहा हूं. माननीय मंत्री जी मेरा एक मंजूरखेड़ी गांव है उसको कुरवाई तहसील में जोड़ा गया है, स्टेट टाइम से ही जब बंटवारा हुआ था, उस समय से यह कुरवाई तहसील में जोड़ा गया है. वास्तव में उसको सिरोंज तहसील मेंहोना चाहिए था. कुरवाई की दूरी 30 से 35 किलोमीटर है और सिरोंज की मात्र 15 किलोमीटर की दूरी है. मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि इसे सिरोंज तहसील में जोड़ा जाय कुरवाई तहसील से हटाकर , दूसरा मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि कुरवाई तहसील के लगभग 15 गांव ऐसे हैं जो किन्हीं कारणों से नक्शा विहीन रह गये हैं. शासकीय जमीन वहां पर पर्याप्त है खातों में दिखायी जाती है लोग वहां पर लोग वहां पर शासकीय जमीन पर अतिक्रमण कर रहे हैं. जो नक्शा विहीन गांव किन्हीं कारणों से रह गये हैं उनके नक्शे तैयार करवाये जायें. उनका नक्शा तैयार करवाया जाए. माननीय मंत्री जी से एक और निवेदन है कि हमारी विधान सभा क्षेत्र में पथरिया बड़ा कस्बा है जिसकी तहसील सिरौंज लगती है वहां पर अलग से नायब-तहसीलदार, गिरदावर और अन्य अमला जो भी लगता है वह है और उसको अगर टप्पा घोषित करते हैं तो वहां के किसानों को काफी सुविधा मिलेगी. उनको अपने राजस्व के कामों से लगभग 40 से 45 किलोमीटर दूर सिरौंज जाना पड़ता है और पथरिया की दूरी मात्र 20 किलोमीटर है तो माननीय मंत्री जी से निवेदन है अलग से अमले की आवश्यकता नहीं है अमला उस क्षेत्र का पहले से ही पूरा है उसको अगर टप्पा घोषित कर देते हैं तो वहां पर राजस्व अधिकारी बैठने लगेंगे तो वहां के किसानों को उसका निश्चित ही लाभ मिलने लगेगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी से मेरा एक और निवेदन है कि मेरी विधान सभा क्षेत्र में एक पठारी तहसील है जिसमें अभी कंप्यूटरीकृत व्यवस्था लागू नहीं हो पाई है वहां के किसानों को भी कुरवाई आना पड़ता है तो कृपया उसको भी कंप्यूटरीकृत कराने की कृपा करें. माननीय अध्यक्ष महोदय, इसके अलावा मेरे जिले का एक आनंदपुर कस्बा है, यह बड़ा कस्बा है, यह लटेरी तहसील में आता है वहां के लोग बार-बार आकर हम लोगों से बातचीत करते हैं अगर उसको भी टप्पा घोषित कर दिया जाए तो माननीय मंत्री जी की अति कृपा होगी. आपने मुझे बोलने का समय दिया, धन्यवाद.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा (जौरा) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 8, 9, 35 और 58 के पक्ष में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूँ. हमारे सामने बैठे हुए जो मित्र हैं, ये विद्वान भी हैं, योग्य भी हैं और सूरमा भी हैं कि माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी की आंधी में चुनकर आए हैं इसलिए इनका बहुत सम्मान करते हैं लेकिन अभी-अभी ओमकार सिंह बोल रहे थे कि जब से शिवराज सिंह जी मुख्यमंत्री बने हैं, मोदी जी प्रधानमंत्री बने हैं तब से अकाल पड़ रहा है. मैं अपने इन मित्रों से कहना चाहता हूँ कि वर्ष 2003 से पहले पार्टी ने हमको एक गांव चलो अभियान दिया था तो सड़कों में गड्ढे ही गड्ढे थे और सड़क ही नहीं थी लेकिन जब कांग्रेसी मिलते थे हमको, झण्डा ऊँचा रहे हमारा और बिजली 24 घण्टे में 4 घण्टे भी नहीं मिलती थी, ये साक्षी हैं, जबकि आज 24 घण्टे बिजली मिल रही है जब से श्री शिवराज सिंह चौहान जी मुख्यमंत्री बने हैं.
अध्यक्ष महोदय -- कृपया अपने क्षेत्र की बात करें, दूसरे विभाग हैं आप राजस्व विभाग की जो बात कहना हो एक मिनट में कह दें.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा -- अध्यक्ष महोदय, मैं क्षेत्र की बात कर रहा हूँ. जब से भारतीय जनता पार्टी की सरकार आई है किसानों के खेत लहलहा रहे हैं. हम कोई भी सामान घर में रखते हैं तो ताला लगाते हैं, एक विज्ञापन आता है कि लाखों का माल किसके भरोसे, हम यह दावे से कह सकते हैं कि मध्यप्रदेश का किसान पूरी तरह से आश्वस्त है कि कैसी भी प्राकृतिक आपदा आ जाए, लेकिन माननीय मुख्यमंत्री जी उनके साथ खड़े दिखते हैं, पूरे भरोसे में हैं, पूरे विश्वास में हैं और पूरा लाभ मिल रहा है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक थोड़ा सा सुझाव माननीय राजस्व मंत्री जी को देना चाहता हूँ जैसा कि अभी और मित्रों ने भी कहा कि पानी में डूबने से अगर मृत्यु हो जाती है तो 4 लाख रुपये मिलते हैं, यह डेढ़ लाख से 4 लाख कर दिया गया है, आकाशीय बिजली के भी 4 लाख रुपये मिलते हैं लेकिन सर्प भी तो प्राकृतिक आपदा में आता है, जब ज्यादा गर्मी पड़ती है तो निकलता है और काटता है, खेतों में काम करते हैं तो वह काटता है और जब ज्यादा वर्षा होती है तो वह निकलता है और काटता है, ऐसी स्थिति में माननीय मुख्यमंत्री जी से और माननीय राजस्व मंत्री जी से मैं प्रार्थना करना चाहता हूँ कि सर्पदंश को भी प्राकृतिक आपदा में शामिल कर समान 4 लाख रुपये की राशि दी जाए.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र की बात यह है कि मेरे 20 गांवों में ओले पड़े हैं, माननीय राजस्व मंत्री जी से निवेदन करता हूँ कि इन गांवों में ओले पड़े हैं - नरहैला, अलापुर, देवगढ़, कुंअरपुर, चिन्नौनी, करैरा, करौरी, रसोंधना, खुटियानी, बेहड़, ठेहा, बुड़ावली, मेहदेवा, रन्छोरपुरा, मोहनपुर, गुर्जा, डिड़ोखर, कोलूड़ाड़ा, कोटरा, मिलौआ, बृजगढ़ी, गुनापुरा आदि - इन गांवों का माननीय राजस्व मंत्री जी अच्छे से सर्वे कराके उनको मुआवजा दिलाने की कृपा करेंगे. इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी वाणी को विराम देता हूँ, धन्यवाद.
श्री गिरीश भंडारी(नरसिंहगढ़)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सिर्फ अपने क्षेत्र की बात रखना चाहता हूँ. मेरे नरसिंहगढ़ विधानसभा क्षेत्र के दो गांव हैं माना और झाड़पिपिल्या उनका काफी वर्षों से राजस्व नक्शा नहीं होने के कारण वहां के लोग परेशान हैं, उनके शीघ्र राजस्व नक्शे की कार्यवाही की जाए. दूसरा मेरे यहां पटवारी और तहसीलदारों की बहुत कमी है, उसकी पूर्ति की जाए. मैं माननीय मंत्री जी का ध्यान चाहूंगा कि जो अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों को माननीय दिग्विजयसिंह जी के समय पट्टे दिये गये थे उसमें अभी भी 25 प्रतिशत लोगों को अपने जमीनों का अधिकार नहीं मिल पाया है. कृपया उसका अधिकार मिलना सुनिश्चित करें, यह मेरा आपसे निवेदन है. अध्यक्ष महोदय, जो अविवादित नामांतरण बंटवारा होता है और उसमें जो भ्रष्टाचार होता है वह सब लोग जानते हैं कि किस तरीके से बंटवारे और नामांतरण में क्या कार्यवाही होती है. इसमें कोई न कोई ऐसी एक प्रणाली बनायें, या कोई ऐसी नीति निश्चित करें जिससे कि किसान जो 10-20 हजार रुपये जो नामांतरण, बंटवारे के नाम पर लिये जाते हैं उससे बच सकें क्योंकि मैं आपको एक उदाहरण देता हूँ, पटवारी के पास जाता है कि नामांतरण करना है. नामांतरण के लिए जब वह कहता है कि आपकी बहनों के नाम हैं और नाम चढ़ायेंगे तो वह कहता है कि अगर यह नाम हटाने की बात करोगे, तभी आपका नामांतरण हो पायेगा और दस दस हजार रुपये मांगे जाते हैं और वहीं अगर वह पैसा दे देता है तो वह बहनों के नाम हट जाते हैं और सिर्फ आदमियों के नाम चढ़ जाते हैं. इसमें कहीं न कहीं कोई ठोस नीति बनायी जाए, कोई ठोस ऐसी कार्यवाही की जाए जिससे कि किसान जो नामांतरण के मामले में लुटता-पिटता है, जो भ्रष्टाचार में डूबता है, वह बच जाए.अध्यक्ष महोदय, मेरे नरसिंहगढ़ नगर का एक महत्वपूर्ण मसला है कि मेरा जो नरसिंहगढ़ नगर है उसका अभी नजूल बंदोबस्त ही नहीं हो पाया है जिसके कारण पूरा नरसिंहगढ़ शहर ही शासकीय भूमि के नाम पर दर्ज है. यह एक बहुत बड़ी विडम्बना है.कृपया उसके नजूल बंदोबस्त की कार्यवाही की जाए.मेरा निवेदन है कि जो चीजें मैंने सदन में रखी हैं उसपर तत्काल कार्यवाही की जाए. अध्यक्ष महोदय, आपकी समय-सीमा का ध्यान रखते हुए मैं अपना स्थान ग्रहण कर रहा हूँ.
श्री हेमंत विजय खण्डेलवाल(बैतूल)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 8,9,35 और 58 के पक्ष में खड़ा हुआ हूँ. मुख्यमंत्री हेल्पलाइन के लिए मैं सरकार को धन्यवाद दूंगा कि उऩ्होंने 2 लाख प्रकरण राजस्व के इसके माध्यम से किये. लोक सेवा गारंटी में लगभग 86 लाख प्रकरण इस सरकार ने किये. मजरे टोले को राजस्व ग्राम बनाने का एक बड़ा निर्णय किया जिससे सारी सुविधाओं के साथ प्रधानमंत्री सड़क बनाने में सरकार को मदद मिलेगी और आरबीसी 6(4) में बारहमासी फसलों के लिए 18 हजार रुपये तक मुआवजा राशि प्रति हेक्टेयर इस सरकार ने देने का काम किया. मैं कुछ सुझाव के साथ अपनी बात करना चाहूंगा. मेरा मंत्री जी से आग्रह है कि परिवार परामर्श केन्द्र की तर्ज पर परिवार राजस्व कोर्ट भी बनाया जाए ताकि परिवारों के ऐसे बहुत से मामले जिसमें आपसी सहमति से हल हो सकते हैं, उसे अनिवार्य किया जाए और उसके बाद ही कोई परिवार का मामला अगर हल नहीं होता है तो तहसील कोर्ट में जाए. इसी के साथ ही साथ ग्रामीण सचिवालय को पुन: शुरु किया जाए. पांच छ: पटवारी हल्कों को मिला कर आरआई लेविल पर अगर ग्राम सचिवालय बनाये जाते हैं तो तहसील में चक्कर लगाने से लोग बचेंगे. मेरा आपके माध्यम से मंत्री जी से आग्रह है कि सीमांकन के लिए जो आपने मशीन एक तहसील स्तर पर एक दी है, उससे सीमांकन बहुत लेट हो रहे हैं, उसकी संख्या बढ़ायी जाए और इस सीमांकन के काम को हमारे बहुत सारे इंजीनियर बेरोजगार हैं अगर हम इसे आउट सोर्स करें और अगर दोनों पक्ष उसके सीमांकन को मानते हैं तो कोर्ट में भी उस सीमांकन को मान्य किया जाए इससे हमारे राजस्व के अमले का काम बहुत कम होगा. दूसरा पटवारी हल्के आपने अभी पंचायत स्तर के कर दिये हैं जबकि आपके पटवारियों के पद पुराने ही हैं और जो आपके पटवारियों के पद हैं,जो पटवारियों के हल्के हैं वह पुराने हैं और आपने पंचायत के आधार पर हल्के गठित कर दिये जैसे बैतूल में कुल पटवारी पदस्थापना मात्र 45 है और पटवारी हल्के 77 हैं. अब जब नयी प्रधानमंत्री बीमा योजना है, ग्राम इकाई तक आ गयी है तो मेरा मंत्री जी से आग्रह है कि जो पुराने पटवारी हल्के हैं उसी हिसाब से पदस्थापना उस हिसाब से कर दें तो आपके पटवारियों की कमी पूरे प्रदेश में दूर हो जाएगी. एक मेरा और सुझाव था हक त्याग की रजिस्ट्री, एक परिवार में अगर बँटवारा होता है...
अध्यक्ष महोदय-- आप अच्छा बोलते हैं पर थोड़ा जल्दी समाप्त करें.
श्री हेमंत खंडेलवाल-- जी, आप हक त्याग, जो परिवार में फौती नामांतरण होते हैं, किसी परिवार में मृत्यु होने के बाद अगर परिवार के दो लोगों में बँटवारा होता है तो हक त्याग की रजिस्ट्री के साढ़े तीन परसेंट लगते हैं और साढ़े तीन परसेंट कोई भी अपनी पुश्तैनी जमीन पर नहीं देना चाहता इसलिए महाराष्ट्र में हक त्याग की रजिस्ट्री मात्र एक हजार रुपये के स्टांप पर होती है. मेरा आप से आग्रह है कि एक परसेंट की राशि पर अगर करेंगे तो बहुत सारे मामले लीगल हो जाएँगे और परिवार में विवाद की स्थिति नहीं आएगी. माननीय मंत्री जी, अंत में नजूल विभाग की एक बात कह कर मैं अपनी बात समाप्त करना चाहूँगा. नजूल विभाग ने 1993-94 में जिन लोगों को अस्थायी पट्टे दिए थे उस समय उनका किराया सौ स्क्वेयर फिट का सात सौ रुपये लगता था. लेकिन आपकी सरकार ने उसे गाइड लाइन से जोड़ दिया और गाइड लाइन में उस प्रॉपर्टी के रेट में सौ गुने की वृद्धि हो गई तो जो गरीब लोगों के पट्टे थे जो 1993-94 में सौ स्क्वेयर फिट के सात सौ थे वह गाइड लाइन में वृद्धि होने के कारण 2013-14 में एक लाख रुपये उसका किराया हो गया. जबकि नजूल ने अपनी जमीन उन्हें नहीं बेची थी. सिर्फ किराए पर दी थी और जब किराए पर दी थी तो आपको कोई अधिकार नहीं कि आप उससे साढ़े सत्रह परसेंट गाइड लाइन का ले. मेरा आप से आग्रह है कि उस पर किराया अधिनियम लागू होना चाहिए. अगर 20 साल पहले किसी अस्थायी पट्टे का किराया सात सौ था तो 20 साल बाद अधिकतम 5 हजार रुपये होना चाहिए. 1 लाख नहीं होना चाहिए. यह बहुत भारी त्रुटि हमारे राजस्व विभाग की है और जिसके कारण करोड़ों रुपये का राजस्व आपका विभाग वसूल नहीं कर पा रहा है. मेरा आप से आग्रह है कि इस बात पर ध्यान दें. अध्यक्ष जी, मैं पुनः आपको धन्यवाद देना चाहूँगा कि आपने मुझे बोलने का अवसर दिया और मंत्री जी, मैंने जो सुझाव दिए हैं उस पर अगर गंभीरता से विचार करेंगे तो ठीक रहेगा. धन्यवाद.
श्री कमलेश्वर पटेल(सिहावल)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का अवसर दिया बहुत बहुत धन्यवाद. अध्यक्ष महोदय, मांग संख्या 8,9 35 एवं 58 के कटौती प्रस्तावों के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूँ. अध्यक्ष महोदय, बाकी जो हमारे साथियों ने बात की अमुमन हमारे विधान सभा क्षेत्र में भी इसी तरह की स्थिति है. सूखे के संकट में भी जिस तरह की राहत राशि किसानों को मिलनी चाहिए थी, अभी भी बहुत सारे लोगों को नहीं मिली है. अभी भी परेशान हैं. माननीय मंत्री जी से व्यक्तिगत रूप से भी मिल कर निवेदन किया था. आज फिर से निवेदन कर रहे हैं कि जिले से जो डिमांड आई है उसकी जल्दी व्यवस्था करा दें जिससे जो बचे हुए किसान हैं, उनको भी मिल जाए. हालाँकि सर्वे में भी विसंगतियाँ रही हैं उसकी वजह से भी बहुत सारे किसानों को उसके बाद भी नहीं मिल पा रहा है. अभी ओलावृष्टि से भी किसानों को काफी नुकसान हुआ. उसका भी माननीय मंत्री जी से निवेदन करेंगे कि सर्वे कराकर तत्काल किसानों को राहत राशि दिलवाएँ. अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी का ध्यान आकर्षित कराना चाहूँगा. माननीय मंत्री जी, सूखे की वजह से जो स्थिति हमारे सीधी, सिंगरौली जिले में, अनुसूचित जनजाति बाहुल्य जिला है, सूखे की वजह से जो स्थिति वर्तमान में उत्पन्न हुई है. जिस तरह से मनरेगा के काम होने चाहिए थे. वे काम भी बंद हैं. मजदूरी का भुगतान भी नहीं हो रहा है. दूसरी तरफ राहत कार्य जो शुरू होने चाहिए, सूखे के समय, उसका प्रावधान सरकार की तरफ से कोई कार्य योजना नहीं बनी है. मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि जो सूखा प्रभावित जिले हैं, आप राहत कार्य शुरू करने की व्यवस्था बनाएँ क्योंकि मजदूर मजदूरी के अभाव में पलायन कर रहे हैं. जब गाँव में मजदूरी नहीं मिल रही है, उनको स्थानीय स्तर पर काम नहीं मिल रहा है तो लोग पलायन कर रहे हैं. उनको रोकने की व्यवस्था आप करिए और स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराने का काम करेंगे. हमारे यहाँ पटवारी, आर आई, तहसीलदार, नायब तहसीलदार, इनकी भी संख्या कम है सीधी, सिंगरौली जिले में, हमारे क्षेत्र में भी, इसी वजह से बहुत सारे शासकीय काम बाधित होते हैं और कई ऐसे भी अधिकारी पदस्थ हैं. एक तहसीलदार साहब हैं भारी भ्रष्टाचार में संलिप्त रहते हैं. ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों को, जहाँ भी हैं, उनको स्थानांतरित करें. ऐसे अधिकारियों को मेरी समझ से थोड़ी बहुत सजा सरकार की तरफ से मिलना चाहिए. अध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का मौका दिया. बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री ओमप्रकाश धुर्वे (शहपुरा)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं राजस्व विभाग की मांगों के समर्थन में बोल रहा हूं. अध्यक्ष महोदय, मैं राजस्व मंत्रीजी, वन मंत्रीजी और आदिम जाति कल्याण विभाग के मंत्री तीनों का धन्यवाद देना चाहता हूँ कि पूरे देश में डिण्डौरी जिले के समनापुर ब्लाक में वन अधिकार के पट्टे बांटे जा रहे हैं यह सभी को मालूम है लेकिन एक डिण्डौरी जिले में एक अद्वितीय काम हुआ है वनग्राम में जो आदिवासी रह रहे हैं उन्हें वन अधिकार पत्र दो दिये गये हैं साथ ही साथ पूरे देश में समनापुर ब्लाक के सात गांवों में हेवीटेशन राइट के पट्टे दिये गये हैं. मैं पूरे सदन को यही बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं. हेवीटेशन राइट मतलब बसाहट का अधिकार दिया गया है उनको दिया गया है वहां पर न वन विभाग, न राजस्व विभाग न ही किसी का हस्तक्षेप होगा ऐसे सात गांवों का चयन किया गया है. मैं पुन: वन विभाग के मंत्री, राजस्व विभाग के मंत्री और ट्रायबल मंत्री तीनों को धन्यवाद देते हुए मैं इतना कहना चाहूंगा कि सूखा राहत के बारे में कि पैसा है सरकार और विभाग राशि बांटना चाह रही है लेकिन नेटवर्क न होने के कारण सर्वर डाउन होने के कारण लोगों को राशि समय पर नहीं मिल रही है लोग 2-2, 3-3 दिन तक राशन साथ में लेकर बैंकों के चक्कर लगा रहे हैं. एक तो हमारे जिले में बैंक नहीं एक ब्लाक में मात्र एक बैंक है कियोस्क बैंक को आपने 18000 रुपये का पॉवर दिया है. बीसी को 10000 रुपये का पावर दिया है इससे बहुत असुविधा हो रही है इसके लिये सरकार कुछ विचार करे ऐसा मेरा निवेदन है. पटवारी अपने-अपने मुख्यालय में रहें यह भी सुनिश्चित किया जाये. बहुत-बहुत धन्यवाद.
पुनर्वास मंत्री (श्री शरद जैन)--माननीय अध्यक्ष महोदय, जो बात अभी ओमप्रकाश जी ने कही है यह मध्यप्रदेश शासन की बहुत बड़ी उपलब्धि है राजस्व विभाग की उपलब्धि है. हेबीटेशन राइट के पट्टे दिये गये हैं अब उस गांव में किसी प्रकार का क्रय विक्रय नहीं होगा यह गांव आदिवासी बैगा समाज के हैं मैं भी उस गांव के प्रवास पर गया था. यह काम संपूर्ण देश में सिर्फ मध्यप्रदेश में डिण्डौरी में हुआ है.
अध्यक्ष महोदय--बहुत से सदस्यों के नाम हैं किन्तु अब समय की अपनी मर्यादा और सीमा है और इसलिये मैं ...
श्री बाला बच्चन--माननीय अध्यक्ष महोदय, वे बाहर चले गये थे..
अध्यक्ष महोदय--आपके अनुरोध पर इतने लोगों को बोलने दिया गया, उनका नाम लिस्ट में नहीं था.ि
श्री बाला बच्चन--सूची में हमने उनका नाम भी दिया था माननीय यादवेन्द्र सिंह जी को बुलवा लीजिये.
अध्यक्ष महोदय--नहीं दिया लिस्ट में नाम नहीं है. एक मिनट बैठ जायें आप.
श्री बाला बच्चन--हमने सूची में उनका नाम भी दिया था वे बाहर चले गये थे उनको बुलवा लीजिये प्लीज.
श्री यादवेन्द्र सिंह--अध्यक्ष महोदय, मैं बोलूंगा नहीं..
अध्यक्ष महोदय--एक मिनट आप मेरी बात सुन लें.
श्री यादवेन्द्र सिंह--अभी आपको 1 तारीख तक विधान सभा चलाना है आपको और सात बजे तक बैठाये रखते हो, (XXX).
अध्यक्ष महोदय--कोई किसी का बंधुआ मजदूर नहीं है सब स्वतंत्र जीतकर आये हैं. आप बैठ जायें कृपया.
………………………………………………………..
XXX : आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
श्री यादवेन्द्र सिंह--टाइम होता है कर्मचारी का पांच बजे, सात बज रहे हैं. आप हर समय यही कहते हैं क्या जल्दी है जब रात के 9 बजे तक चलाते हैं तो 10 मिनट और चलायें, हमको बोलना ही नहीं है. आप कहेंगे तब भी नहीं बोलेंगे जब तक...
6.18 बजे बहिर्गमन
(इंडियन नेशलन कांग्रेस के श्री यादवेन्द्र सिंह, सदस्य द्वारा बोलने हेतु समय न दिए जाने पर आसंदी के प्रति असंसदीय टिप्पणी करते हुए सदन से बहिर्गमन किया गया.)
अध्यक्ष महोदय--मेरा अनुरोध यह है कि..
श्री बाला बच्चन--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय यादवेन्द्र सिंह जी को बुलवा लीजिये.
अध्यक्ष महोदय--11 नाम और हैं. अच्छा चलिये आ जाइये (श्री यादवेन्द्र सिंह जी के नाराज होकर जाने पर) आइये बैठ जाइये बोलिये.
श्री यादवेन्द्र सिंह--विधायक हैं हम अपनी बात नहीं कर सकते हैं. अब हमको नहीं बोलना है.
अध्यक्ष महोदय--बोलिए आइये बोलिए चलिए. यह कार्यवाही से निकाल दीजिए.
श्री यादवेन्द्र सिंह--नहीं नहीं, मैं नहीं बोलूंगा.
अध्यक्ष महोदय--चलिए ठीक है. माननीय मंत्रीजी.
खाद्य मंत्री (कुंवर विजय शाह)--माननीय अध्यक्ष महोदय, इसे कार्यवाही से निकलवायें. आपके ऊपर आक्षेप लगाकर वे सदन चलाना चाहते हैं क्या ?
अध्यक्ष महोदय--उनके दल के नेता उनको बुला रहे हैं वे नहीं आ रहे हैं तो ठीक है उनकी मर्जी.
कुंवर विजय शाह--नियम परम्पराओं से सदन चलेगा, अध्यक्ष की अनुमति से चलेगा, आपकी मर्जी से नहीं चलेगा और जो आपत्तिजनक बातें आपने की हैं उसमें मेरा निवेदन है कि उनको कार्यवाही से निकालें.
अध्यक्ष महोदय :- वह कार्यवाही से निकाल दी गयी हैं. यादवेन्द्र सिंह जी, आपको नहीं आपकी बात कार्यवाही से निकाल रहे हैं .
डॉ गौरीशंकर शेजवार :- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें आश्चर्य की बात यह है कि प्रभारी नेता प्रतिपक्ष जिनके सिफारिश कर रहे थे, उनका सदन में आचरण कैसा है, यह सोचने की बात है.
अध्यक्ष महोदय :- अब ठीक है, वह ज्यादा नियम प्रक्रियायों को समझते नहीं हैं इसलिये उनकी बात को फॉरगेट एण्ड फॉरगिव किया जा सकता है.
संसदीय कार्य मंत्री (श्री शरद जैन):- अध्यक्ष महोदय, लेकिन इसकी निन्दा की जानी चाहिये. यह घोर आपत्तिजनक बात है.
कुंवर विजय शाह:- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपत्ति यह है कि आपकी अवहेलना करके, आपकी तरफ इशारा करके और यह कहा कि अब आप बोलोगे तो नहीं बोलूंगा. इस तरह से यदि कोई सदस्य करता है तो मुझे लगता है कि सदस्य को प्रताडि़त करना चाहिये.
अध्यक्ष महोदय :- अभी उनको बहुत से नियम नहीं मालूम हैं,वह नये सदस्य हैं.
श्री कमलेश्वर पटेल :- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसको इतना बड़ा मुद्दा बनाने की आवश्यकता नहीं है, वह क्षेत्र की जनता के प्रति चिन्तित होने की वजह से इस तरह से बोल दिया होगा.
श्री शरद जैन :- माननीय अध्यक्ष जी, यह आचरण चिन्तनीय है.
कुंवर विजय शाह:- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह सदन का अपमान है. जिस तरह से उन्होंने आचरण किया है. आपके निर्देशों से सदन चलता है.
अध्यक्ष महोदय :- आप लोग बैठ जाईये.
डॉ गौरीशंकर शेजवार :- अध्यक्ष महोदय, आपका मैं आभार व्यक्त करता हूं, आपने असंसदीय आचरण को भी बर्दाश्त किया. तो मैं यहा आपकी प्रशंसा करना चाहता हूं, मगर मैं विपक्ष के नेता से आग्रह करूंगा कि वह उन सदस्य की सिफारिश कर रहे थे और उनका सदन में क्या आचरण रहा, आपको अध्यक्ष जी से और सदन क्षमायाचना करना चाहिये. मेरा आपसे विनम्र अनुरोध है कि आप अपनी कमी को यदि ठीक करना चाहते हैं तो एक यही रास्ता है नहीं तो आपका नाम भी उनके साथ ही जुड़ना चाहिये, आचरण में.
अध्यक्ष महोदय :- आप मेरी बात सुन लें अभी 12-13 सदस्यों के नाम हैं. नाती राजा भी बोलना चाहते हैं, गोवर्धन उपाध्याय जी भी और 12-13 सदस्य इधर से हैं. मेरा अनुरोध आपसे यह है कि यदि आप सहयोग करेंगे तो अपन विषयों को समाप्त कर सकेंगे. इस संबंध में संसदीय कार्य मंत्री जी क्या कहते हैं.
श्री शरद जैन :- मेरा आपसे कहना है कि माननीय मंत्री जी का भाषण प्रारंभ कराया जाये.
श्री आर.डी प्रजापति :- माननीय अध्यक्ष महोदय, सिर्फ एक मिनिट का समय लूंगा.
अध्यक्ष महोदय :- आप यह देखिये एक साथ बोलने के लिये कितने लोग खड़े हुए हैं.
श्री शरद जैन :- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें तो समय काफी हो जायेगा, आप अध्यक्ष महोदय का भाषणा प्रारंभ करायें.
अध्यक्ष महोदय :- अब आप लोग सहयोग करें. आप लोग अपनी अपनी बात मंत्री जी को लिखकर के दे दें.
श्री शरद जैन :- आप लोग मंत्री जी को लिखकर दे दें.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा:- माननीय अध्यक्ष महोदय, सबको बोलने दें.
अध्यक्ष महोदय:- आप बहुत वरिष्ठ सदस्य हैं, बहुत साल से. क्या विधान सभा ऐसे ही चलती है, जैसा कि आप सुझाव दे रहे हैं. उनको माफ किया जा सकता है, क्योंकि वह पहली बार चुनकर आये हैं. आप इतने वरिष्ठ सदस्य हैं तो क्या पहले नहीं रोका जाता था क्या.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा:- मेरा निवेदन यह है कि बोलने दीजिये न सबको.
अध्यक्ष महोदय :- क्या पहले समय-सीमा नहीं थी .ऐसा होता है क्या ? ऐसा संभव है क्या. क्या ऐसे अनन्तकाल तक विधान सभा चल सकती है.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा :- विधान सभा 1 तारीख तक चलनी है, अभी बहुत समय है. क्या आप जल्दी खत्म करना चाहते हैं.
अध्यक्ष महोदय :- उनकी बात तो क्षम्य है. परन्तु आप तो सन् 1972 से विधान सभा में आ रहे हैं. आपको 45 साल हो गये हैं. क्या आपको यह नहीं मालूम की रोका जाता है. क्या आपको नहीं मालूम की नाम कम किये जाते हैं. यह सब होता रहा है, वरिष्ठ सदस्यों को तो यह नहीं कहना चाहिये. इस तरह से संदेशा ठीक नहीं जायेगा. नया सदस्य बोले तो कोई बात नहीं है. क्योंकि उनको मालूम नहीं है पर आपको तो मालूम है.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा :- अध्यक्ष महोदय, मेरा तो निवेदन था.
अध्यक्ष महोदय :- नहीं आपका निवेदन था. आपने यह बोला कि सबको बोलने दो. क्या इसके पहले कभी ऐसा हुआ है.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा :- 1 तारीख तक विधान सभा चलेगी तो आपके पास समय है.
अध्यक्ष महोदय :- आप तो अनेक बार मंत्री रहे हैं. लोक सभा के सदस्य रहे हैं, विधायक रहे हैं. आप को कुछ मैं बताऊं तो यह मुझे भी संकोच होता है.
श्री रामपाल सिंह,मंत्री,राजस्व - माननीय अध्यक्ष महोदय, राजस्व विभाग की अनुदान मांगों पर आपका पूरा संरक्षण और पूरा सहयोग रहा और पूरा समय आपने दिया उसके लिये मैं आपको और वरिष्ठ सदस्य जो वर्षों से हमारे साथ हैं उन्होंने अपने अच्छे अनुभवों से हमको अवगत कराया और मेरा भी ज्ञानवर्धन किया. उनका नामों का मैं उल्लेख करूंगा. सम्माननीय महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा साहब ने गंभीरता से विषय रखे. जो बिन्दु ध्यान में लाये उसको हम करेंगे. सम्माननीय यशपालसिंह सिसोदिया जी,सम्माननीय शैलेन्द्र पटेल जी,आदरणीय गोविन्द पटेल जोकिसान नेता हैं, कुंवर सौरभ सिंह जी, श्री बहादुर सिंह चौहान जो बहादुरी से बात रखते हैं श्री ओंकार सिंह मरकाम जी अभी हमारे मंत्री जी बता रहे थे कि बड़े काम आपके क्षेत्र में हुए हैं. श्री दुर्गालाल विजय जी, बहन ऊषा चौधरी जी, श्रीमान रामलल्लू वैश्य जी, श्रीमान फुन्देलाल मार्को साहब, श्रीमान दिनेश राय मुनमुन,श्री वीर सिंह जी पवार, श्रीमान सूबेदार सिंह राजौधा, श्री गिरीश भण्डारी जी, श्रीमान विजय खण्डेलवाल जी, हेमन्त भाई खण्डेलवाल जी, कमलेश्वर पटेल जी,श्रीमान ओमकार सिंह धुर्वे जी जो पूर्व मंत्री हैं इन सबका धन्यवाद करता हूं. मध्यप्रदेश के अंदर जो सरकार काम कर रही है और विभाग के माध्यम से हम लोगों ने जो अपनी सेवाएं देने का काम किया है वह प्रत्यक्ष है प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यक्ता होती नहीं है. "कृषि निरामयी चतुर किसाना,जिमि बुध तजहि मोहे मद माना" यह लिखा हुआ है. किसान बड़ी मेहनत से खेती करता है.अन्नदाता है और उसके सम्मान में मध्यप्रदेश सरकार काम कर रही है. फसल को बहुत संभालता है निंदाई करता है खरपतवार को निकालता है. "परोपकाराये सतामविभुष्याते" परोपकार करने वाला मध्यप्रदेश का किसान है और मध्यप्रदेश की सरकार भी इस तरीके से काम कर रही है कि "जाके पैर न फटे बिवाई, वो क्या जाने पीर पराई" एक मध्यप्रदेश में किसान पुत्र शिवराज सिंह चौहान जी हैं वे किसानों की चर्चा के लिये विधान सभा में इतना समय दे रहे हैं. हम भी दस साल विपक्ष में रहे लेकिन हमारा अनुभव हैकि किसानों की चर्चा ही नहीं करते थे. ओला,पाला गिरता था सरकार चर्चा के लिये मना करती थी हम लड़ते थे पलायन कर जाते थे लोग बाहर चले जाते थे किसानों के बीच नहीं जाते थे लेकिन यह किसान पुत्र शिवराज जी चौहान साहब की ओले गिरते हैं तुरंत हेलिकाप्टर पहुंच जाता है गाड़ी से हमारे मंत्री और सब साथी पहुंच जाते हैं. आज भी माननीय मुख्यमंत्री जी गये हुए हैं हम भी जाते हैं यह सरकार किसानों की सरकार है किसानों के साथ है कृषि केबिनेट अगर बनी है तो मध्यप्रदेश में किसानों की बात रखते हैं. एक सरकार है जो किसानों को दर्द होता है उसकी चिंता करती है चोट उनको लगती है दर्द सरकार को होता है वह सरकार शिवराज जी की सरकार है. एक दिन का विशेष सत्र बुलाया,कृषि केबिनेट में बजट पास किया. मुख्यमंत्री जी ने कहा कि एक बार सड़क नहीं बनेगी चल जायेगा डेम नहीं बनेगा चल जायेगा लेकिन हमारे किसानों की आंखों में आंसू नहीं आने दूंगा यह संकल्प आदरणीय शिवराज सिंह चौहान साहब का. उस पर हम काम कर रहे हैं. राजस्व विभाग की जहां तक बात है और भी सरकारें रहीं उन सरकारों ने आज तक वल्लभ भवन के अधिकारियों को निर्देश दिये कि किसान पीड़ित है बड़े बड़े अफसर भी गांव के अंदर खेतों में गये. किसानों के बीच में पूरे प्रदेश में गये उनकी पूरी समस्याएं लेकर आये उसकी समीक्षा हमने यहां पर की और समीक्षा करके हमने नियमों में संशोधन किया. ऐसे कई अद्भुत काम हम कर रहे हैं. मध्यप्रदेश के अंदर हमारे माननीय सदस्यों ने अवगत कराया म्मानित महेन्द्र सिंह जी कालूखेड़ा साहब ने पिछली बार पटवारियों के बारे में सुझाव दिया था मुझे याद है. पटवारियों पर पिछली बार आपको ज्यादा नाराजी थी इस बार कम नाराजी है लेकिन पटवारी भी दिन रात काम करते हैं एक-दो लोग गड़बड़ होते हैं लेकिन हमने सिस्टम ऐसा बना दिया कि कोई दिक्कत नहीं आयेगी. तीन लोगों का नियम बना दिया. जब तीन लोग जायेंगे तो वे क्षति का आकलन करेंगे और हम लोग प्रयास कर रहे हैं कि किसानों को दिक्कत न हो और आकलन सही हो. ग्राम पंचायत के प्रतिनिधियों को दूर रखा जाता था. मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उनको भी शामिल करो. क्षति का आकलन वे भी करें. पंचायत भी हमने बनाई है, जनपद बनाई है, जिला पंचायत भी तो बनाई है, विधायक,सांसद भी तो हमारे हैं वे भी तो क्षति का आकलन देखें और पत्रक को पंचायत वन के अंदर लगायें ताकि वहीं बुराई करें बुराई सरकार पर क्यों आती है. यह पहले चर्चा ही नहीं होती थी. यह हमने सुधार किया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, पिछले सत्र में मैंने यहीं पर आयोग के गठन का निवेदन किया था, लेकिन मैं सौभाग्यशाली हूं कि मेरी घोषणा पर भूमि सुधार आयोग का गठन हो गया है उसके अध्यक्ष एवं सचिव भी नियुक्त हो चुके हैं मध्यप्रदेश की जो विवादित भूमि है उसका निराकरण करेगी, यह सरकार किसानों की चिन्ता कर रही है. माननीय सदस्यों के अमूल्य सुधार हैं उस पर अमल करना है. अगर समस्या है तो उसमें सुधार करने की हम लोगों की जवाबदारी है. आरोप लगाना ठीक नहीं है, उसमें सुझाव भी हम लोगों को दें ताकि हम कार्यवाही कर सकें तथा नियम में सुधार कर सकें. कई संशोधन भी कर दिये हैं. पूर्व में जब सांप काटता था तो पैसा कम देते थे मामला उठाते थे तो पैसा किसानों को दें तो नहीं मिलता था ऐसे उल्टे नियम थे, लेकिन अब मुख्यमंत्री जी ने नियम को बदल दिया है अब कोई भी जहरीला जानवर काटेगा उसकी मृत्यु पर पैसा देंगे उसमें पोस्ट-मार्टम भी अनिवार्य नहीं किया है. पूर्व में पीएम होता था किसने काटा स्पष्ट नहीं होता था, लेकिन यह काम भी शिवराज सिंह जी की सरकार कर रही है किसानों को और भी सुविधाएं दे रहे हैं. आकाशीय बिजली और करंट लगने पर प्रावधान किया है किसानों को बांटेंगे पैसा यह किसानों की सरकार है. भूमि सुधार के बारे में बता दिया है भूमि सुधार के लिये बरसों से जो मामले पड़े हैं उस पर कार्यवाही करेंगे.
अध्यक्ष महोदय, विगत् 2 वर्षों में 6294 करोड़ रूपये किसानों के खातों में दी है, इसमें एक भी शिकायत गांवों से नहीं आयी है पैसा किसानों के खातों में जा रहा है, इसके लिये धन्यवाद देना चाहिये. कहीं पर भी पैसा बांटने में हम लोगों को बुराई मिलती थी, यह अनुभव हम लोगों ने किया है इसमें पहली बार शिकायतें नहीं आ रही हैं, यह राजस्व विभाग का अमला है. हमारे विभाग का चौकीदार भी किसानों की सेवा के लिये बैठा हुआ है, विभाग भी दिन रात मेहनत कर रहा है और इतने कम समय में यह राशि बांटी है और समय सीमा में बांटी है इसके लिये विपक्ष को धन्यवाद देना चाहिये, किसी की भी कोई बुराई नहीं करें.
माननीय महेन्द्र सिंह जी ने एक शिकायत बतायी है उसमें निश्चित रूप से कार्यवाही करेंगे. एकाध जगह पर गड़बड़ी हुई होगी, लेकिन सब जगहों पर बुराई मत करो. आपको अच्छे कामों की तारीफ करना चाहिये. बड़े साहसिक एवं अद्भूत काम किसानों के हित में किये हैं और अनुपूरक में 800 करोड़ रूपये का उल्लेख कर रहे हैं, यह अलग है, यह पुराना बकाया है और जिलों से भी मांग आ रही है पैसा बांटेंगे. ओलों के लिये अतिरिक्त राशि है राशि की कोई कमी नहीं है किसानों को तत्काल सहायता दी जाएगी. ओलापीड़तों किसान भाईयों को सदन के माध्यम से निवेदन करूंगा तथा विश्वास दिलाऊंगा कि किसी तरह की कोई कमी नहीं रहेगी. जमीन के आवंटन के मामले में कई निर्णय लिये हैं. रीजनल पैरा मेडिकल इंस्टीट्यूट भोपाल की स्थापना के लिये खजूरीकलां में हमने 4 हैक्टेयर भूमि निशुल्क उपलब्ध कराई है. विद्युत मंत्रालय भारत सरकार को भी राष्ट्रीय विद्युत प्रशिक्षण प्रतिष्ठान की स्थापना के लिये शिवपुरी में जिले 6 हैक्टेयर निशुल्क भूमि उपलब्ध कराई है ताकि बाहर से टीमें आयें उनका प्रशिक्षण भी हों ताकि लोगों को रोजगार के साधन मिले.
विकलांगों के लिये भी हमारे थावरचन्द गेहलोत जी ने जमीन मांगी थी हमने तुरंत सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्रालय भारत सरकार को भोपाल में कोटरा सुल्तानाबाद में 5 एकड़ भूमि दे दी ताकि मध्यप्रदेश के अंदर लोग आयें काम करें और उनको बाहर न जाना पड़े और प्रगति करें. इसी तरह से क्रिकेट स्टेडियम बनाने के लिये बरखेड़ा नाथू भोपाल में 20 हैक्टेयर भूमि निशुल्क करायी है इसमें खिलाड़ियों की भी चिन्ता की है. कृषि निर्माण के लिये निगम जो कि भारत सरकार का उपक्रम है 2 हैक्टेयर भूमि उपलब्ध करायी है.
श्री रामेश्वर शर्मा- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी को बहुत - बहुत धन्यवाद देता हूं, वर्षों पुरानी मांग थी, जो जमीन खेल विभाग को दी है, उसके लिए रामपाल जी को और पूरे विभाग को बहुत बहुत धन्यवाद देते हैं और स्वयं मंत्री जी इसमें रूचि ले रहे हैं ।
श्री रामपाल सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, निश्चित रूप से सरकार काम कर रही है, हम विभाग के माध्यम से सेवा का काम कर रहे हैं और इसमें पूरा प्रयास कर रहे हैं कि अच्छे परिणाम आएं, शर्मा जी, जो कि निश्चित रूप से भोपाल की चिंता कर रहे हैं, मामला भी उठा रहे थे, उसका भी निराकरण होगा, बहुत पुरानी भोपाल की समस्या है, माननीय शर्मा जी को मैं निवेदन कर दूंगा ।
अध्यक्ष महोदय, पुराने कानून वर्षों से पड़े हुए थे, किसी ने पढ़े ही नहीं थे, उनका कोई उपयोग नहीं था, हमने विभाग से प्रस्ताव कर दिया है, राजस्व में बकाया भूमि विक्रय का अधिनियम 1845, राजस्व संपदा विभाजन अधिनियम, यह भी हमने कर दिया, 1883 मध्यप्रांत, 1881 मध्यप्रांत, भ्रगति अधिनियम 1883 समाप्त करने के लिए हमने लिख दिया है, कृषि उधार नियम 1884 से बना हुआ था, उसका अध्ययन किया, कोई उपयोग नहीं था, तो निरशन के लिए विधि विभाग भेज दिया, ऐसे नियम को भी बदलने का काम कर रही है, जो नियम उपयोगी नहीं हैं, उनके निरशन का काम कर रहे हैं, भू - अभिलेखों के कम्प्यूटरीकरण की बात है, पिछले साल हमने कृषि महोत्सव चलाया था, किसानों के बीच में पूरी सरकार गई हुई थी, गांव गांव में उनकी समस्याओं का निराकरण करती थी, उसमें हमने अभियान जोड़ दिया था, 3 करोड़ 72 लाख खसरे एवं बी नि:शुल्क वितरित किए, मुझे बताने में प्रसन्नता हो रही है, किसानों की सरकार है, बीच में जा रहे हैं, परिणाम भी दे रहे हैं, तहसील स्थित अभिलेखागारों का आधुनिकीकरण हम कर रहे हैं, प्रदेश के 5 जिलों भोपाल, सीहोर, जबलपुर, होशंगाबद, सिवनी की सभी तहसीलों के अभिलेखागारों का आधुनिकीकरण का कार्य कर लिया गया है और कम्प्यूटराईज्ड नकल प्रदाय की जा रही है, यह भी एक बड़ी उपलब्धि मध्यप्रदेश के अंदर है । इसी तरह इंटरनेट क्योस्क के माध्यम से कम्प्यूटरीकृत अभिलेखों की डिजीटली हस्ताक्षरित नकलों का प्रदाय किए जाने का काम माननीय मुख्यमंत्री जी की घोषणा थी, उस हिसाब से हमने पूरी तैयारी कर ली है, पायलेट टेस्टिंग चल रही है और इसके बाद हम यह व्यवस्था तुरन्त लागू कर रहे हैं और डिजीटल हस्ताक्षरित नकल न्यायालयीन प्रकरण में भी, विधिक कार्यों में, मैनुअली हस्ताक्षरित नकलों के समान मान्य किया जाएगा, ताकि आने जाने में कोई दिक्कत हमारे किसान भाईयों को न हो, राजस्व विभाग ऐसी उपलब्धि की लेकर आपके सामने निवेदन कर रहे हैं ।
अध्यक्ष महोदय, राजस्व विभाग को कम्प्यूटरीकृत किया जा रहा है, सीमांकन के लिए टोटल स्टेशन मशीन विगत वर्ष भी मैंने कहा था, आपको ध्यान में होगा, ऑनलाइन खसरा उपलब्ध कराया जा रहा है, ऐसे कई सुधार हम इस तरह कर रहे हैं ताकि कोई गड़बड़ी न हो, मशीन से सीमांकन होगा, तो उसमें कोई फरेबदल नहीं कर पाएगा, कम्प्यूटर से नकल निकल रही है, गड़बड़ी अपने आप रूक रही हैं, इसके लिए हम सुझाव दे रहे हैं, पंचायतों को भी हम इसमें शामिल कर रहे हैं, उनको भी शामिल करके कोई गड़बड़ी है, तो उसमें सुधार और पूरी कसावट के साथ किसानों की सेवा होना चाहिए, यह पवित्र उद्देश्य लेकर हम कार्य कर रहे हैं । एक और बहुत महत्वपूर्ण, न्यायालयों के प्ररकणों का ऑनलाइन कम्प्यूटरीकरण करके मध्यप्रदेश के अंदर बहुत बड़ा निर्णय हमने लिया है, प्रदेश की कुल तहसीलों में 367 तहसीलें, अनुभाग 202, जिले 51 एवं 10 संभाग इनमें राजस्व न्प्यायालयों में तहसीलदार सब मिलाकर 1400 राजस्व संबंधी न्यायालय, इनका पूरा हम सिस्टम जमा कर, कम्प्यूटरीकरण करके पूरा सिस्टम ऐसा जमा रहे हैं, ताकि वकील को भी पता चले, किसान को भी पता चले कि मेरी पेशी कब है और केसों को दबाकर न बैठ पाएं, इसलिए बहुत बड़ा निर्णय लिया है, इसकी पूरी तैयारी कर रहे हैं, यूनिकोड हिन्दी में तैयार किया जाएगा जो यूजर फ्रेंडली होगा ।
माननीय अध्यक्ष जी, जो राजस्व मामले वर्षों से पड़े हुए हैं, सब लिलिबद्ध हो जाएंगे, इसमें कोई गड़बड़ी होगी तो हम यहां बैठकर भी पकड़ सकते हैं, मध्यप्रदेश के अंदर ऐसे महत्वपूर्ण निर्णय हम ले रहे हैं । मजरे टोलों की बात की है, माननीय अध्यक्ष जी, संक्षिप्त में ही कर रहा हूं, 1205 मजरे टोलों में से 453 रह गए हैं, मजरे टोलों को गांव का दर्जा देने का काम भी सरकार ने किया है ।
श्री बाला बच्चन - आप परसों भी दिन भर बोले थे. आपने सबके प्रश्नों के जवाब दिये थे. आपने, मेरे हिसाब से आपके विभाग से संबंधित सभी चीजें डिलीवर्ड कर दी थी. बहुत कुछ आपने बोल ही दिया है.
श्री रामपाल सिंह - माननीय अध्यक्ष जी, नेता प्रतिपक्ष प्रभारी ने स्वागत योग्य प्रस्ताव दिया है. माननीय अध्यक्ष जी, ये सब चीजें आपने नक्शाविहीन गांवों की बात की है. उसको हमने लक्ष्य दे दिया है और भी कई महत्वपूर्ण निर्णय राशि के मामले में, हमने जो राशि बढ़ाई है. उसका उल्लेख हमारे माननीय विधायकों ने की है, आर.बी.सी. 6 4 में संशोधन करके, हमने समय-समय पर संशोधन किये हैं और ऐसी कई फसलों पर भी राशि बढ़ाई है. फलदार पेड़ों पर बढ़ा दी है, पशुओं पर बढ़ा दी है, मकानों पर बढ़ा दी है. इसमें आपत्ति नहीं होनी चाहिए. अगर हमने पशुओं पर, मकानों पर बढ़ा दी है और कुंओं पर भी दे रहे हैं. अगर मुर्गा-मुर्गी की भी आप चिन्ता कर रहे हैं तो आपको आपत्ति नहीं होनी चाहिए. लेकिन अध्यक्ष महोदय, ऐसा नहीं कि कोई खा जाये और कह दे कि मुर्गा-मुर्गी का भी दे दो. यह उल्टा हो जायेगा. यह सब काम कर रहे हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, प्राकृतिक आपदा में मध्यप्रदेश के किसानों के साथ मध्यप्रदेश की सरकार है. लोक सेवा गारन्टी अधिनियम में हमारी 15 सेवायें हैं. अगर 15 सेवाएं हम वापिस ले लेंगे तो वहां कोई काम नहीं बचेगा इसलिये यह काम समय पर हो रहा है तो यह महत्वपूर्ण निर्णय मध्यप्रदेश सरकार का है. इसकी प्रशंसा हमारे माननीय विधायकगण कर रहे थे कि यह अच्छा कानून है कि समय-सीमा में काम नहीं करते तो उनके खिलाफ कार्यवाही होती है, दण्ड होता है. ऐसा महत्वपूर्ण कार्यक्रम यहां चल रहा है, मैं इसकी संख्या भी बता सकता हूँ. 93 लाख 65 हजार 799 आवेदन प्राप्त हुए थे और 86 लाख 42 हजार 411 आवेदन लगभग 92 प्रतिशत आवेदनों का निराकरण समय पर हो गया. यह उपलब्धि है.
अध्यक्ष महोदय, माननीय सदन की भावना को देखते हुए, मैं समझता हूँ कि इनके उत्तर माननीय सदस्यों ने तैयार किये हैं, लेकिन इनने जो विषय रखा है उसकी जानकारी से मैं उनको अवगत भी कराऊँगा और निवेदन भी करूँगा. जो आपके अमूल्य सुझाव सुधार के लिए हैं, वे समय पर देते रहें. इस पवित्र सदन में, हम इसलिए आये हैं कि जन-भावना में खरे उतरें. उसके लिये माननीय अध्यक्ष महोदय, उसी का संकल्प लेते हुए और मध्यप्रदेश के मुखिया किसान पुत्र आदरणीय श्री शिवराज सिंह जी चौहान साहब, जिन्होंने किसानों के लिए काम किया है.
श्री कमलेश्वर पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी से एक निवेदन करूँगा.
श्री रामपाल सिंह - अध्यक्ष महोदय, देश के प्रधानमंत्री जी सीहोर आए थे. 'प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना' की शुरूआत मध्यप्रदेश से हो रही है. जहां तक बात थी, कह रहे थे कि जब मैं पहली बार राजस्व मंत्री था. मैं दिल्ली प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह जी से मिलने गया था तो उन्होंने हमको समय नहीं दिया था. ये आज जाने की बात कह रहे हैं लेकिन यह बात उस दिन कहते तो अच्छी लगती. अब आप कह रहे हैं. चलो दिल्ली, माननीय मुख्यमंत्री जी को 24 घण्टे उपवास में बैठना पड़ा था. हमने लोगों ने फसल 'तुषार' की भी बात की थी. उस लड़ाई में आपने साथ नहीं दिया था.
श्री कमलेश्वर पटेल - अब चल दीजिये.
श्री रामपाल सिंह - जब तुम्हारी सरकार दिल्ली में थी तब चलते तो हम आपकी हौंसला अफजाही करते.
श्री कमलेश्वर पटेल - माननीय मंत्री जी, सूखा राहत कार्य (व्यवधान)
श्री प्रताप सिंह - डॉ. मनमोहन सिंह जी के पास है क्या, जो ले आओगे.
श्री कमलेश्वर पटेल - मोदी जी से मांगने चलेंगे, कुछ नहीं दिया है.
श्री प्रताप सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी से बोल रहे हैं कि जिन सदस्यों को बोलने का अवसर नहीं मिला है, जो अपने क्षेत्र की बात नहीं कर पाये हैं. वे लिखित में यदि सुझाव दें तो आप स्वीकार करें.
अध्यक्ष महोदय - जो सदस्य नहीं बोल पाये हैं. वे माननीय मंत्री जी लिखित में सुझाव दें तो मंत्री जी उनको कन्सीडर करेंगे.
श्री रामपाल सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके निर्देशानुसार उनको लेंगे, उनको जवाब भी देंगे.
6.44 बजे अध्यक्षीय घोषणा
माननीय सदस्यों के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं भोजन विषयक्
आज 7.30 बजे विधानसभा भवन स्थित मानसरोवर सभागार में माननीय सदस्यों के लिये सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया है. कार्यक्रम में श्री अरूण गोयल एवं सहयोगियों द्वारा कबीर के निर्गुण भजनों की प्रस्तुति की जायेगी. कार्यक्रम के उपरान्त रात्रि भोज भी आयोजित है.
माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं भोज में सम्मिलित होने का कष्ट करें.
वर्ष 2016-17 की अनुदान की मांगों पर मतदान (क्रमश:)
अध्यक्ष महोदय - मैं पहले कटौती प्रस्तावों पर मत लूँगा. मांग संख्या 8, 9, 35 एवं 58 पर प्रस्तुत कटौती प्रस्ताव स्वीकृत किये जायें.
कटौती प्रस्ताव अस्वीकृत हुए.
अब, मैं मांगों पर मत लूँगा.
(3) मांग संख्या - 55 महिला एवं बाल विकास
अध्यक्ष महोदय -- अनुदान की मांग के बारे में प्रस्ताव. श्रीमती माया सिंह.
संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) -- अध्यक्ष महोदय, एक गुजारिश करनी थी. आज हमारे महिला बाल विकास विभाग की मांग पर चर्चा है. इसकी मंत्री, सम्मानित मंत्री जी महिला हैं. यह महिला वर्ष भी है और मेरा एक निवेदन था बाला बच्चन जी से भी कि इसमें प्रारंभ हिना कांवरे जी कर रही हैं. तो इस चर्चा में केवल महिला सदस्य ही भाग लेकर के एक नई परंपरा प्रारंभ करें इस बार के लिये, चूंकि महिला वर्ष है, इस बार के लिये परंपरा प्रारंभ हो जाये. भले एक सही. सवाल एक या दो का नहीं है. अध्यक्ष जी, एक परंपरा की बात है या एक नई चीज की बात है.
अध्यक्ष महोदय -- उप नेता प्रतिपक्ष जी क्या कह रहे हैं.
उप नेता प्रतिपक्ष (श्री बाला बच्चन) -- अध्यक्ष महोदय, इस विभाग में हमारी तरफ से जो शुरुआत कर रही हैं, वह भी महिला ही हैं और हमारी अकेली महिला पूरे विभाग पर भारी पड़ेगी. लेकिन यह एक ऐसी परंपरा बन जायेगी. फिर आगे भी बजट सत्र आना है..
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- यह परंपरा नहीं है, चूंकि यह महिला वर्ष है.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, आगे भी इस विभाग से संबंधित डिमांड आना है, तो मैं समझता हूं कि हमारी तरफ से जो महिला शुरुआत कर रही हैं, वह काफी हैं, मैं समझता हूं कि जो मंत्री जी आपने बोला है.
उपस्थित सदस्यों के कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए. अब मांग और कटौती प्रस्तावों पर एक साथ चर्चा होगी. सुश्री हिना कावरे.
श्रीमती माया सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे एक आश्वासन चाहती हूं कि विभाग की चर्चा के लिये जो समय आवंटित किया गया है और अभी 7.00 बजने वाले हैं. तो दो घंटे का समय निर्धारित है, दो घंटे की चर्चा विभाग के ऊपर होगी, यह मैं आपसे आश्वासन चाहती हूं.
अध्यक्ष महोदय -- आपके उत्तर सहित प्रयत्न करेंगे कि यह दो घंटे में हो , पर माननीय सदस्य कम बोलेंगे, तो फिर तो कुछ नहीं किया जा सकता.
सुश्री हिना कावरे (लांजी) -- अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 55 महिला एवं बाल विकास विभाग पर अपनी बात रखने के लिये खड़ी हुई हूं. मैं सबसे पहले कुपोषण के ऊपर ध्यान आकर्षित करवाना चाहती हूं. नेश्नल फेमिल हेल्थ सर्वे रिपोर्ट के अनुसार कुपोषण हमारे देश में बिहार के बाद मध्यप्रदेश का ही नंबर आता है और जब भी कुपोषण की बात आती है, तो हमारे दिमाग में सबसे पहले यदि कोई स्मृति होती है, तो वह गरीबी, जंगल में रहने वाले लोग, इन्हीं लोगों का छाया चित्र हमारे दिमाग में आता है. लेकिन जहां तक मैं समझती हूं कि कुपोषण का संबंध गरीबी से ज्यादा अज्ञानता से है. बच्चों के कुपोषण को दूर करने के लिये शासन ने एनआरसी संचालित किया है, जिसमें कुपोषित बच्चों को 14 दिन तक रखा जाता है और उनके साथ साथ जो बच्चे NRC (National Resource Center) में जाते हैं उनके साथ में उनकी माता या परिवार का कोई भी एक सदस्य उन बच्चों के साथ में रहता है और जो परिवार का सदस्य या बच्चों की माता रहती है उनको शासन की ओर से प्रोत्साहन राशि लगभग 1100 रूपये के बराबर दी जाती है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से यह निवेदन करना चाहती हूं कि 1100 रूपये बहुत कम राशि होती है. यदि हम एक दिन की मजदूरी के हिसाब से भी हिसाब यदि लगाते हैं तो 14 दिन जो मातायें वहां पर रूकती हैं उनको कम से कम 2500 रूपये शासन की ओर से दिये जाना चाहिये. मैं यह बात इसलिये कह रही हूं क्योंकि 2500 रूपये उनको दिये जायेंगे तो कहीं न कहीं उनको भी हम प्रोत्साहित करेंगे ताकि कुपोषण को दूर किया जा सके. और हम तो उन बच्चों को वहां से उठाकर के लाते हैं जहां वास्तव में गरीबी है, अज्ञानता है और उन्हीं क्षेत्रों से उन बच्चों को हम लोग लाते हैं. उनकी माता को यदि इतनी राशि दी जायेगी तो इसमें कोई दो मत नहीं है कि वो बच्चों को लेकर के आयेंगी और उत्साह के साथ में लेकर के आयेंगी, पूरी डॉक्टरों की जो टीम है जो कुपोषित बच्चों को सुविधायें देती है, उनको सुधारने का काम करती है, उनके लिये काम करती है, उनके साथ वो भी सहभागी बनकर के काम करेंगी. मैं माननीय मंत्री जी से यह निवेदन करना चाहती हूं कि सरकार के द्वारा जितने भी कार्यक्रम चलाये जाते हैं, खासकर कुपोषण के लिये जो कार्यक्रम चलाये जाते हैं उसमें केवल सरकारी कार्यक्रम से इतिश्री कर लेने पर हम कुपोषण को दूर नहीं कर सकते हैं, इसके लिये हमको सामाजिक क्रांति की भी बहुत बड़ी आवश्यकता है.माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं जानती हूं कि हमारे प्रदेश में यदि कोई प्राकृतिक आपदा आ जाये यह प्राकृतिक आपदा चाहे देश में या विदेश में कहीं पर आ जाये , चाहे बाढ़ , भूकम्प, तूफान इस तरह की यदि कोई भी प्राकृतिक आपदायें आती हैं तो हमारे लोग पूरा प्रयास करते हैं, उनका सहयोग करते हैं. हर संभव प्रयास जो वे अपने स्तर पर कर सकते हैं पूरा सहयोग करते हैं . कई बार तो हमने देखा है कि लोग प्रदेश से बाहर जाकर के भी सेवायें देते हैं. मैं, कुपोषण के संबंध में ऐसी ही अभियान चलाने की आशा करती हूं. यदि ऐसा अभियान चलाया जाता है तो निश्चित रूप से हमारे प्रदेश में ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो आगे बढ़कर प्रदेश में कुपोषण समाप्त करने के लिये आगे नहीं आयेंगे. जरूरत केवल इस दिशा में आगे बढ़ने की है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं दूसरी बात कहना चाहती हूं गर्भवती महिलाओं के बारे में. जब केन्द्र में UPA government थी, उस समय देश में खाद्य सुरक्षा कानून के तहत गर्भवती महिलाओं को पोषण आहार गर्भावस्था के समय तथा गर्भावस्था के बाद देने के प्रावधान किये गये थे. आज हमारे प्रदेश में , मैंने विभाग का शासकीय प्रतिवेदन पढ़ा है और उसमें इंदिरा गांधी मातृत्व सहयोग योजना , यह हमारे प्रदेश में केवल दो जिलों में संचालित की जा रही है. सागर और छिंदवाड़ा में. अध्यक्ष महोदय मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से यह अनुरोध करना चाहती हूं कि यह योजना बहुत अच्छी है और इसे आप निश्चित रूप से पूरे प्रदेश में संचालित करें . इस योजना में मुख्य बात है स्तनपान. इसमें बच्चों के स्वास्थ्य में ज्यादा फायदा होता है. दूसरी बात कि जब गर्भावस्था के दौरान तथा उसके बाद माता काम पर नहीं जा पाती है और उनके रोजगार की आपूर्ति करने के लिये भी खासकर यह योजना बनाई गई है. तो इसमें प्रोत्साहन राशि उन लोगों को 6000 रूपये दी जाती है. अध्यक्ष जी, मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि इस योजना को तो आप लागू करें ही लेकिन इसमें कुछ संशोधन करके आप यह योजना पूरे प्रदेश में लागू करें. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह सुझाव देना चाहती हूं कि खाद्य सुरक्षा कानून के तहत पोषण आहार तो निश्चित रूप से महिलाओं को मिल रहा है लेकिन गर्भावस्था में तीसरे महीने से, प्रसव के तीन महीने बाद तक यदि उन महिलाओं को 1000 रूपये प्रतिमाह देने का प्रावधान यदि यह सरकार करेगी तो निश्चित रूप से पोषण आहार के साथ साथ, फल, फूल, सब्जी, भाजी तथा दूध जैसे पोष्टिक तत्व लेने में मदद मिलेगी और उससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि महिलाओं का उनके परिवार में और भी ज्यादा सम्मान बढ़ जायेगा और मुझे यह बात कहने में कहीं कोई 2 मत नहीं हैं कि जिस तरीके से मुख्यमंत्री कन्यादान योजना दूसरा लाडली लक्ष्मी योजना जो सरकार की बहुत अच्छी योजनायें हैं, निश्चित रूप से यदि आप इस योजना को आप लागू करते हैं तो उसका भी ऐसा ही लाभ हमारे प्रदेश के लोगों को मिलेगा. तीसरी बात मैं यह कहना चाहती हूं कि मुख्यमंत्री बाल हृदय उपचार योजना, यह योजना निश्चित रूप से बहुत अच्छी है और इसका लाभ हमारे यहां के जीरो से लेकर 14 वर्ष के बच्चों को मिल रहा है, लेकिन आपके माध्यम से मैं माननीय मंत्री जी से यह निवेदन करना चाहती हूं कि केवल बाल हृदय, हृदय के लिये गरीबी रेखा का बंधन नहीं है, लेकिन इसके अलावा भी कई ऐसे गंभीर रोग हैं, जैसे कैंसर, किडनी यह ऐसे रोग हैं जिन पर गरीबी रेखा का बंधन है. मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन करना चाहती हूं कि आप जैसे हृदय रोगों के लिये आपने गरीबी रेखा का बंधन हटाया है, वैसे ही आप इन रोगों के लिये भी गरीबी रेखा का बंधन हटायेंगे तो निश्चित रूप से इससे हमारे प्रदेश का भविष्य और बेहतर हो पायेगा. मैं आपके माध्यम से मंत्री जी का ध्यान आकर्षित करवाना चाहती हूं कि हमारे प्रदेश में बालाघाट जिले सहित अन्य कई जिलों में आईएपी और बीआरजीएफ जैसी योजनायें चलती थीं, आज केन्द्र सरकार ने इसमें राशि देना बंद कर दिया है. मुझे बताने में कोई दिक्कत नहीं है कि जब यह योजनायें चलती थीं तो इस राशि का उपयोग सबसे ज्यादा आंगनबाड़ी केन्द्रों के निर्माण के लिये हम लोग किया करते थे, लेकिन आज यह योजनायें बंद हो जाने की वजह से आंगनबाड़ी केन्द्रों के निर्माण में दिक्कत हुई है. मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से यह बात कहना चाहती हूं कि बजट में आंगनबाडि़यों के निर्माण के लिये ज्यादा प्रावीजन आप करवाईये ताकि हम आंगनबाड़ी केन्द्र ज्यादा से ज्यादा और जल्दी से जल्दी बनवा सकें.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक घटना का जिक्र यहां करना चाहूंगी, मैं ट्रेन में दिल्ली जा रही थी, उस समय मेरी सामने वाली सीट पर एक बच्ची थी, बातों-बातों में जब उसे पता चला कि मैं एमएलए हूं तो उन्होंने बातें चालू की तो मैंने पूछा कि आप बताईये आप मेरे बराबर हैं, आप एक एमएलए से क्या अपेक्षा रखती हैं, तो बोले कि दीदी सबसे पहले तो आप एक काम हमारे लिये करिये, मैंने बोला बोलिये क्या बात है, बोला कि जो कोचिंग सेंटर हमारे हैं आप उनकी टाइमिंग में परिवर्तन करवाईये, मैंने कहा आप क्या चाहती हो, उन्होंने कहा कि जितने भी काम्पीटिशन एग्जाम के कोचिंग सेंटर चलते हैं, वह देर रात तक चलते हैं और मैं हॉस्टल में रहती हूं, मेरे जैसी बहुत सारी लड़कियां जो एग्जाम की तैयारी करती हैं वह सब हॉस्टल में रहती हैं. हॉस्टल का टाइमिंग निश्चित रूप से बहुत देर रात तक नहीं रहता, कोचिंग सेंटर चलते रहते हैं लेकिन हमें हॉस्टल की टाइमिंग की वजह से जल्दी आना पड़ता है तो कहीं न कहीं हमारे अधिकारों का तो हनन हो ही रहा है. लड़के तो कोचिंग करते रहते हैं 11-12 बजे रात तक और हम साढ़े 9 बजे वापस आ जाते हैं, तो आप कुछ ऐसा करिये कि कोचिंग सेंटर के टाइमिंग से, अब हॉस्टल का टाइमिंग तो नहीं बदल सकते क्योंकि वह तो देर रात की बात है, तो उनका टाइमिंग कोचिंग सेंटर से हॉस्टल का टाइमिंग आप सेट करवाईये ताकि हमें भी पूरी आजादी के साथ पूरी कोचिंग की सुविधा का हम लाभ उठा सकें, और मैं उनसे बोलकर तो आ गई हूं कि जितना प्रयास मुझसे हो पायेगा, मैं निश्चित रूप से करूंगी, और मुझे पूरा विश्वास है कि आज इस सदन में जितने लोग बैठे हैं वह सब लोग मेरी इस बात से सहमत होंगे और मैं इसमें भी आपका संरक्षण चाहती हूं माननीय अध्यक्ष महोदय. एक और बात दहेज, दहेज के विषय में मैं एक बात कहना चाहती हूं…
अध्यक्षीय घोषणा
सदन के समय में वृद्धि विषयक
अध्यक्ष महोदय-- सदन के समय में 7.30 बजे तक की वृद्धि की जाये मैं समझता हूं सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति व्यक्त की गई.)
सुश्री हिना कांवरे-- माननीय अध्यक्ष महोदय, दहेज की जब भी बात आती है तो दहेज में मैंने अक्सर देखा है कि दहेज के लिये बहुत सारे कानून बना दिये जाते हैं, दहेज वाला जब भी प्रकरण होता है, लेकिन मुझे लगता है कि कानून बना देने से सजा दे देने से दहेज को हम लोग दूर नहीं कर सकते, यह समाज की बहुत बड़ी बुराई है, गांव में यह चीज बहुत कम होती है और मैंने यह चीज बहुत पास से महसूस की है कि गांव में रहने वाली जो महिलायें हैं, खासकर वह महिलायें जो खेत में काम करती हैं. वह वर्ग जो खेत में काम करता है, वहां पर दहेज प्रताड़ना के केस हमको बहुत कम देखने को मिलते हैं. उसका कारण यह है कि जो महिलाएं पुरुषों के साथ बराबरी से काम करती हैं. वह खेत में जायेंगे तो महिलाएं भी खेत में जाती हैं. पुरुष यदि बाजार दुकान पर बैठते हैं तो महिलाएं भी सब्जी बेचने के लिए बराबर दुकान में बैठती हैं. ये महिलाएं निश्चित रुप हमेशा पुरुषों की बराबरी में उनके साथ खड़ी होती हैं.
अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्रीजी से यह निवेदन करना चाहती हूं कि आप महिलाओं के लिए रोजगार की उपलब्धता बढाईये. यदि आपकी बच्ची किसी सरकारी नौकरी में हैं, चाहे वह संविदा शिक्षक हो,चाहे वह बैंक में नौकरी करती हो या किसी प्रायवेट संस्था में काम करती हो तो उस बच्ची का जब भी रिश्ता आता है, तो दहेज की बात सामने नहीं आती वहां सब समझौता हो जाता है. लेकिन जो बच्चियां कहीं जॉब नहीं करती हैं,उनके लिए यह दहेज की स्थिति निर्मित होती है. मेरा मानना है कि महिलाओं के लिए हम ज्यादा से ज्यादा रोजगार उपलब्ध करायेंगे तो दहेज जैसी बुराई को हम दूर करेंगे.
अध्यक्ष महोदय, मैं जब यह प्रशासकीय प्रतिवेदन पढ़ रही थी तो उसमें लाडली लक्ष्मी योजना जिसकी मैंने अभी तारीफ की, उसमें भौतिक संख्या लगातार कम हो रही है. क्या बच्चियों की जन्म दर कम हो गई है? क्या यही कारण है कि लाड़ली लक्ष्मी की संख्या लगातार कम होती जा रही है. मुझे ऐसा लगता है कि इस योजना में आपने जो ऑन लाईन आवेदन का प्रावधान कर दिया है. लड़कियां जन्म तो ले रही हैं, लेकिन चूंकि सिस्टम की खराबी की वजह से, ऑन लाईन आवेदन की वजह से आपके यहां जो आंकड़े आ रहे हैं, वह निश्चित रुप से धीरे धीरे कम हुए हैं. प्रतिवेदन में पूरे आंकड़े दिये हैं. मैं चाहती हूं कि माननीय मंत्रीजी जब भी अपना उत्तर दें, उसमें इस बात की जानकारी जरुर दें.
अध्यक्ष महोदय, हमारे यहां प्रसव के दौरान मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में बहुत ज्यादा इजाफा हुआ है. मुझे अच्छे से याद है कि केन्द्र सरकार की ओर से भी राज्यशासन को यह निर्देश दिये गये थे, समझाईश दी गई थी कि आप प्रायवेट डॉक्टर्स...
अध्यक्ष महोदय--कृपया समाप्त करें.
सुश्री हिना कांवरे--अध्यक्ष महोदय, जब सब लोगों ने मुझे बोलने के लिए सहमति दी है तो थोड़ा आप मेहरबानी दिखाईये.
अध्यक्ष महोदय--सहमति तो है लेकिन समय की भी अपनी मर्यादा है. 2 मिनट में अपनी बात समाप्त करें.
सुश्री हिना कांवरे-- जी. अध्यक्ष महोदय, प्रसव के दौरान प्रायवेट डॉक्टर्स का उपयोग करने का निर्देश केन्द्र सरकार की तरफ से मिला है लेकिन मुझे नहीं लगता कि अभी तक इस दिशा में कहीं कोई प्रयास सरकार की ओर से किया जा रहा है क्योंकि अभी भी शिशु और मातृ मृत्यु दर प्रसव के दौरान उसी गति से हो रही है. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्रीजी से निवेदन करना चाहती हूं कम से कम यदि केन्द्र सरकार आपको आगाह करता है तो उस पर तो जल्दी से जल्दी आप कार्रवाई करें.
अध्यक्ष महोदय, हमारे यहां किशोर अवस्था में जो बच्चे प्रवेश करते हैं उनमें एक बात सामान्य रुप से दिखाई देती है कि वो गुटखा,तम्बाकू,मद्यपान इन सबमें बहुत ज्यादा लीन होते हैं. मैं मंत्रीजी से यह निवेदन करना चाहती हूं कि इस दिशा में कोई विशेष कार्यक्रम या योजना बनाये ताकि बच्चों को इन सब व्यसनों से दूर रख सकें.
अध्यक्ष महोदय, अंत में एक बात और कहना चाहती हूं कि हमारे माननीय मंत्रीजी ने प्रत्येक ब्लाक में 4-4 आदर्श आंगनवाडी बनाये हैं. पहले तो इसके लिए आपको बहुत बहुत बधाई देती हूं. इसमें आपने एक लाख रुपये की राशि दी है. यह एक लाख रुपये की राशि आंगनवाड़ी की जो हमारी कार्यकर्ता है उसके खाते में जमा हो जाती है. अभी तीन दिन पहले जब मैं अपने क्षेत्र में थी और भोपाल के लिए जब निकली तो मुझे हमारे यहां कि एक ग्राम पंचायत बिरनपुर में अनुसूचित जाति की आंगनवाड़ी कार्यकर्ता है इत्तेफाक से उनके जो जेठ हैं, वह UPSC की तैयारी कर रहे हैं उन्होंने प्रिलिम्स क्लियर कर लिया, अभी मैन्स दिया है उन्होंने मुझे बताया कि हमारे यहां जो आंगनवाड़ी की कार्यकर्ता है, 1 लाख रुपए उनके खाते में तो आए, लेकिन पर्यवेक्षक ने दबाव देकर 50000 रुपए की जो राशि है वह उनके खाते से निकलवाली है. निश्चित रूप से मुझे लगता है कि केवल यह हमारे यहां की बात नहीं है, बाकी आंगनवाड़ियों से भी जुड़ा हुआ यह मुद्दा है.
अध्यक्ष महोदय - कृपया समाप्त करें.
सुश्री हिना लिखीराम कांवरे - बस यह बात पूरी कर लूं फिर मैं निश्चित रूप से आपकी आज्ञा का पालन करूंगी. मैंने जब फोन करके पूछा कि यह सब क्या चल रहा है तो परियोजना अधिकारी ने मुझे बताया कि मैडम क्रय समिति के माध्यम से हमको खरीददारी करना है और जब हमको पेमेंट करने की बात आएगी तो क्या हम इन आंगनवाड़ी की कार्यकर्ताओं के पीछे घूमेंगे क्या, यह उनका जवाब था. इसलिए मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से कहना चाहती हूं कि 50000 रुपए तो निकलवा लिये, चाहे दबाव से निकाले हों, चाहे जैसे भी निकलवाए हों, लेकिन उसके बाद जो 50000 रुपए बचे हैं, उसमें भी उन्होंने आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के पास दूसरे लोगों को भेज दिया कि जाओ आप 25000 रुपए निकलवाकर लाओ, जब उन्होंने पूछा कि यह 25000 रुपए किस हिसाब से मांग रहे हैं तो उन्होंने कहा कि साहब ने हमको भेजा है और कहा है कि हमको पुताई का काम करवाना है, पेटिंग करवाना है इसलिए 25000 रुपए मंगवा रहे हैं. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से कहना चाहती हूं कि इस विषय को गंभीरता से आप लें क्योंकि आपने जिन उद्देश्यों को लेकर आदर्श आंगनवाड़ी केन्द्र बनवाया है, कहीं न कहीं इस तरह की जो हरकतें हैं उनसे आपकी अच्छी भावनाओं को दिक्कत होगी. हम सबकी भावनाओं को दिक्कत होगी. अध्यक्ष महोदय, आपने जो मुझे बोलने का अवसर दिया, मैं आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करती हूं.
सुश्री ऊषा ठाकुर (इंदौर-3) - अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 55 के समर्थन में अपनी बात कहना चाहती हूं. हम सब जानते हैं कि Child is father of the man. बच्चे राष्ट्र की अमूल्य धरोहर हैं. राष्ट्र की पूंजी हैं. वह जितने स्वस्थ्य सुंदर और मजबूत होंगे. राष्ट्र उतना ही स्वस्थ सुंदर और मजबूत होगा. अध्यक्ष महोदय, हमारा महिला एवं बाल विकास विभाग अपनी पूरी क्षमता के साथ बच्चों और महिलाओं के सर्वांगीण विकास के लिए कटिबद्ध है. अध्यक्ष महोदय, 453 एकीकृत बाल विकास परियोजनाओं के माध्यम से 80160 आंगनवाड़ियां संचालित की जा रही हैं. 12070 मिनी आंगनवाड़ी भी हैं अध्यक्ष जी, और एक बहुत अभिनव प्रयोग आंगनवाड़ी के संदर्भ में हुआ, 4 चलित आंगनवाड़ियां जिन्हें जुगनू की संज्ञा दी है, उसे इंदौर, भोपाल, उज्जैन और ग्वालियर में प्रारंभ किया गया. अध्यक्ष महोदय, यह सभी आंगनवाड़ियों के माध्यम से पूरे प्रदेश में 70 लाख बच्चे लाभान्वित हो रहे हैं, 14 लाख गर्भवती और धात्री महिलाओं की चिंता की जा रही है. हमारे आंगनवाड़ी केन्द्र अपने मोहल्लों के जनजागृति के बहुत ही लोकप्रिय सांस्कृतिक केन्द्र बन गये हैं. इनकी एक निश्चित समय सारणी है, इनका अपना पाठ्यक्रम और कार्ययोजना भी तय हैं. अध्यक्ष महोदय, मंगलवार को तो मंगल दिवस ही घोषित कर दिया. पहले मंगलवार को गोद भराई होती है. दूसरे मंगलवार को अन्न प्रासन्न होता है, तीसरे मंगलवार में जन्म दिन मनाए जाते हैं और चौथा मंगलवार किशोरी बालिकाओं के प्रशिक्षण के लिए सुनिश्चित किया गया है. 'अटल बिहारी वाजपेयी बाल आरोग्य पोषण मिशन' हमारे बच्चों और गर्भवती महिलाओं को संतुलित आहार प्रदान करने उनके स्वास्थ्य की समुचित चिंता करने के लिए कटिबद्ध है. अध्यक्ष जी विभाग के प्रयासों से ही हमारी माननीय मंत्री जी संतुष्ट नहीं हैं. उन्होंने जनजागृति का जन अभियान छेड़ दिया है और 'स्नेह सरोकार' जैसी एक सुंदर योजना समाज के सामने प्रस्तुत की है. इसके माध्यम से कम वजन वाले बच्चों को जन भागीदारी से स्वस्थ बच्चों की श्रेणी में लाकर खड़ा किया जा रहा है. इस अभिनव प्रयोग ने 87000 बच्चों को कुपोषण से सुपोषण की ओर अग्रसर किया है. अध्यक्ष जी, मामीजी की प्रेरणा से मैंने भी अपनी विधान सभा के 45 बच्चों की जिम्मेदारी ली है, और उन्हें समाज के गणमान्य नागरिकों को सौंपा है. (मेजों की थपथपाहट).. ये अभिभावक बच्चों के खान-पान और रख-रखाव की चिंता करते हैं, हमने कई बच्चों को 6 माह बाद जब देखा तो सचमुच जिन्होंने उसकी जिम्मेदारी ली थी वे भी उसे पहचान न पाने की स्थिति में थे, वे सभी बच्चे स्वस्थ, सुंदर, रुष्ट-पुष्ट दिखाई देने लगे. यह बहुत ही मानव के लिए कल्याणकारी अति संवेदनशील योजना प्रारंभ है.
अध्यक्ष जी हमारी बेटियां रोजगार से प्रशिक्षित हों, वह हेल्थ और हाइजिन के प्रति भी जागरूक हों, इस हेतु हम उदिता नाम के प्रोजेक्ट से उन्हें निरंतर प्रशिक्षित करते रहते हैं.
माननीय अध्यक्ष जी मध्यप्रदेश की सरकार ने सामाजिक कार्य में स्नातक डिग्री को प्रारम्भ किया गया है, ताकि इसके माध्यम से जो स्नातक समाज में आयेंगे नि:संदेह वह समाज की लोक कल्याणकारी योजनाओं को जन जन तक पहुंचाकर समाज परिवर्तन का वातावरण बना देंगे. इस वर्ष अध्यक्ष जी 12520 बच्चे इसमें शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं. समाज कार्य की डिग्री का जो कोर्स है वह महात्मा गांधी ग्रामीण विश्वविद्यालय चित्रकूट को सौंपा गया है. हम सब जानते हैं कि चित्रकूट परमश्रद्धेय नाना जी देशमुख की तपस्थली है वह सदैव कहते थे कि राजनीति को जनसेवा का सशक्त माध्यम बनाओ. मैं अपने लिए नहीं अपनों के लिए हूं और अपने वह हैं जो उपेक्षित और पीड़ित हैं. हम सबको भी नानाजी से प्रेरणा लेते हुए सभी भाई बहन हम यहां परतय करें कि कोई न कोई सेवा प्रकल्प की जिम्मेदारी हम अपनी अपनी विधान सभाओं में अवश्य लें.
अध्यक्ष जी हमारा विभाग जवाहर बाल भवन के माध्यम से ललित कलाओं का प्रशिक्षण देता है सिलाई, कढ़ाई, बुनाई, कम्पयूटर और मूर्तिकला, चित्रकला इन सभी का प्रशिक्षण देकर राज्य स्तरीय प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती हैं. ताकि बच्चों की प्रतिभा को एक उचित मंच मिले.
माननीय अध्यक्ष जी इस अवसर पर प्ले स्कूल का वर्णन करना मैं नहीं भूल सकती हूं. मैं यहां पर निवेदन करना चाहती हूं. हमारी मामी जी खुद जितनी खुबसूरत हैं उतनी ही खूबसूरती से उन्होंने आंगनबाड़ियों को संवारने का संकल्प लिया है. प्रदेश में 2350 आंगनबाड़ियों का वातावरण उनका परिसर बहुत ही सुन्दर और आकर्षक बनाया है. अभिनव पाठ्य सामग्रियों के माध्यम से खेल खेल में बच्चों को पढ़ाने की व्यवस्था इसमें की गई है, बहुत ही आकर्षक और ऐसा परिसर जिसमें हम बच्चों को पढ़ते हुए देखते हैं तो हमारा मन गौरव से भर उठता है . वह छोटे छोटे आंगनबाड़ी के गरीब बच्चे भी कुर्सी और टेबल पर बैठकर अपनी कविताओं को याद कर रहे हैं, पढ़ रहे हैं यहबहुत ही सुखद स्थिति है.
माननीय अध्यक्ष जी इस मौके पर मैं मानदेय के विषय पर भी बात करना चाहती हूं कि 2003 के पहले कहीं पर 100 , 150 रूपये प्रतिमाह ही मिलता था. लेकिन जब से हमारी सरकार आयी है, हमने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को 5 हजार, सहायिकाओं को 2500 और मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को भी 2250 रूपये प्रतिमाह उनके बैंक खाते में पहुंचा दिया जाता है.
माननीय अध्यक्ष जी आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहती हूं कि आंगनबाड़ी की कार्यकर्ता सहायिका बहनें जब मुझसे मिलती हैं तो निवेदन करती हैं कि दीदी जो कार्य आता है वह काम हम बहुत प्रामणिकता लग्न और मेहनत से उसे पूरा करते हैं. हम आपसे निवेदन करते हैं कि आप हमारा निवेदन विभाग तक पहुंचा दीजिए कि मतदाता परिचय पत्र, आधार कार्ड, जनगणना, पशुगणना यदि यह काम भी हमें सौंपे जायेंगे तो हम मेहनत लग्न और ईमानदारी से राष्ट्र के इन कार्यों की सेवा करेंगे, इन कार्यों का अगर अतिरिक्त मानदेय हमें मिल जायेगा तो हमारी भी आमदनी में बढोतरी होगी.
माननीय अध्यक्ष जी गिव मी ए गुड मदर आई विल गिव ए गुड नेशन ग्रेट नेशन. हमारे शास्त्र भी यह ही कहते हैं जननी जने तो भक्तजन कहदाता के सूर, नहीं तो जननी बांझ रहे अर्थात् वर्थ गवायो नूर, मां संसार की संसरण की धूरि है, माननीय अध्यक्ष जी उसका संकल्प ही बच्चों में नैतिकता को धर्म को आध्यात्मिकता को राष्ट्रयिता को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में हस्तांतरित करती हैं. इसलिए मां स्वस्थ हो संतुष्ट हो सुखी हो यह नितांत आवश्यक है. यह उसी पर तो निर्भर है कि वह दानव बनाये या मानव बनाये, या देवों का निर्माण करे. अध्यक्ष जी भारतीय इतिहास का स्वर्णिम पृष्ठ हूं. मैं उन मातृ शक्ति को अवश्य प्रणाम करना चाहूंगी जिनकी उपलब्धियों ने भारतीय इतिहास के स्वर्णिम पृष्ठों को रच दिया है और वह यह माताएं हम सब की प्रेरणा हैं. मैं ऐतिहासिक उन माताओं को प्रणाम करते हुए निवेदन करना चाहती हूँ कि...
मैं जीजा की अमर सहेली, पन्ना की प्रतिछाया हूँ,
हाड़ी की हूँ अमिट निशानी, जसवंत की मैं भार्या हूँ,
मैं हल्दी घाटी की रज का सिंदुर लगाया करती हूँ,
अरिसोणित की लाली से मैं पांव रचाया करती हूँ,
पद्मावति हूँ रतनसिंह की, चूड़ावत की सैनानी,
मैं जोहर की भीषण ज्वाला, रणचंडी हूँ पाषाणी,
कालीदास का मधुर काव्य हूँ तुलसी की मैं रामायण,
अमृतवाणी हूँ गीता की, घर-घर होता पारायण,
मैं भूषण की शिवा बावनी, आला की हूँकार हूँ,
सूरदास का मधुर गीत मैं, मीरा का इक तारा हूँ,
बरदाई की अमर कथा मैं, बज्र और गंभीर हूँ,
मेरा परिचय इतना कि मैं भारत की तस्वीर हूँ,
माननीय अध्यक्ष जी, हमारा इतिहास ही स्वर्णिम नहीं था, मुझे यह कहते हुए गर्व है कि हमारा वर्तमान भी अपनी उपलब्धियों को स्वर्णाक्षरों में अंकित कराने के लिए आमादा है. जब हम कल्पना चावला और सुनिता विलियम्स को अंतरीक्ष में परचम फहराते हुए देखते हैं तो हमारा मन गौरव से भर उठता है. जब हम डॉ. सारदुला को अफ्रीका के जंगलों में वन-वन भटकते हुए देखते हैं, वह 325 औषधियों को इकट्ठा करती है और एड्स जैसे भयावह रोग की दवा ढूंढ लेती है. उसे जड़-मूल से समाप्त करने का प्रण कर लेती है.
माननीय अध्यक्ष जी, इस मौके पर हम ऋतु पारिख को भी नहीं भूल सकते हैं वह बीएसएफ के सर्वोच्च पद पर पहुँचती है और सीमा की सजग प्रहरी बनकर खड़ी हो जाती हैं. मैं मंदाकिनी आम्टे को भी जरूर याद करना चाहूंगी क्योंकि जब वनवासी पुकारते हैं तो वह गढ़चिरौली में जाकर बस जाती है और उनके बीच में शिक्षा और स्वास्थ्य की सेवा नक्सलियों से बिना भयभीत हुए निरंतर देती रहती है.
माननीय अध्यक्ष जी, यही वजह है कि हमारे विभाग ने महिलाओं के सर्वांगीण विकास के लिए सैकड़ों योजनाएं प्रस्तावित कर दी हैं. लाड़ली लक्ष्मी योजना को हम कैसे भूलें, इसकी श्रेष्ठता पर हमें केन्द्र की सरकार ने प्लेटिनम स्कॉच एवार्ड दिया है. माननीय अध्यक्ष जी, 22 लाख बेटियां आज हमारी लाड़ली लक्ष्मी हैं, नहीं तो हम जानते हैं कि चार-चार नवरात्रियों का पूजन करने वाला यह भारतीय समाज बड़े विधि-विधान से उनको निभाता था पर जब साक्षात् दुर्गा का विग्रह कोख में आई तो उसकी जान लेने पर आमादा हो जाता था. इस जघन्य अपराध से, भौतिकता की इस अंधी दौड़ से यदि किसी ने मनुष्यता को बचाया है तो लाड़ली लक्ष्मी योजना ने बचाया. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को कोटि-कोटि धन्यवाद देना चाहती हूँ और माननीय मंत्री महोदया का भी अभिनंदन करती हूँ.
माननीय अध्यक्ष जी, शौर्य दल की यदि हम बात करें तो 22934 शौर्य दल जन-जागरण की अलख जगा रहे हैं. इन शौर्य दलों में मोहल्ले के गणमान्य नागरिक, माताएं, बहनें, युवा सब शामिल हैं. ये घर-घर जाकर कल्याणकारी योजनाओं की भी जानकारी देते हैं, मोहल्ले के वातावरण को स्वस्थ और सुरक्षित बनाने का प्रयास कर रहे हैं. इनकी उपलब्धि पर टाइम्स ऑफ इंडिया ने इन्हें एडवोकेसी एंड इम्पावरमेंट पुरस्कार से पुरस्कृत किया है.
माननीय अध्यक्ष जी, लाड़ो का जिक्र करना नितान्त आवश्यक है. हम जानते हैं राजा राम मोहन राय ने बाल विवाह निषेध कराया लेकिन शत प्रतिशत परिणाम समाज के सामने नहीं आ पा रहे थे, आज लाड़ो ने जन-जागरण का जो अलख जगाया, उनकी अथक मेहनत से 81724 बाल विवाह रूके और जो 170 लोग नहीं माने उन पर प्रकरण भी दर्ज कराया.
माननीय अध्यक्ष जी, अमृतम कक्ष, अनमोल दत्तक योजना जिसके लिए हम फिर पुरस्कृत हुए, स्वागतम् लक्ष्मी, तेजस्विनी, ग्रामीण महिला सशक्तीकरण, इन सभी योजनाओं को प्रणाम करती हूँ. ये महिलाओं के स्वाभिमान को बढ़ाने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं.
माननीय अध्यक्ष जी, यदि आपकी आज्ञा होगी तो मैं अपने मन की दो पीड़ाएं यहां पर साझा करना चाहती हूँ. अध्यक्ष जी, भिक्षावृत्ति उन्मूलन का शत प्रतिशत अनुकरण किया जाना बहुत आवश्यक है. आप और हम सबने चौराहों पर महिलाओं को गोद में बच्चे लिए देखे होंगे. चिलचिलाती हुई धूप में वह खाली दूध की बोतल लेकर ऐसे भयावह दृश्य प्रस्तुत करती है जैसे इस प्रदेश में उनकी चिंता करने वाला कोई न हो. माननीय अध्यक्ष जी, क्यूँ न हम कोई एक ऐसी योजना बनाए कि जो बच्चों को जन्म देकर भीख मांगने का माध्यम बनाते हैं उनसे वे बच्चे ले लिए जाएं और पहली से बारहवीं तक उन्हें अनिवार्य शिक्षा दी जाए, उन्हें राष्ट्र की मुख्य धारा में जोड़ा जाए, सेवा के क्षेत्र में उन्हें भेज दिया जाए.
माननीय अध्यक्ष जी, अपना घर के नाम से, आश्रय घर के नाम से योजना प्रदेश द्वारा संचालित की जा रही है. एक आश्रय घर का मैंने निरीक्षण किया, उसी के बारे में निवेदन आपके सामने रखना चाहती हूँ. इन आश्रय घरों में बच्चे जो शनि महाराज का कमण्डल लेकर घूमते हैं वे हैं, कभी-कभी बाल श्रमिकों को पकड़कर लाया जाता है. अभी हाल ही में इंदौर में 40 बच्चे बिहार के पकड़े गए, 18-18 घण्टे उनसे बस्ते बनाने का काम लिया जा रहा था. उन बच्चों के हाथ छलनी हो गए थे पर जब उनके माता-पिता को संपर्क कर उन्हें पहुँचाया जाने लगा तो माननीय अध्यक्ष जी, वे बच्चे रोने लगे, उन्होंने प्रार्थना की कि दीदी हमें इन माता-पिता के पास वापस मत भेजिए. आप हमें भेजेंगी ये हमें फिर किसी के हाथ बेच देंगे. अत: मैं सदन से प्रार्थना करती हूँ कि ऐसे बच्चे जो आश्रय घर या अपना घर में आते हैं, उनकी भी बारहवीं तक की अनिवार्य शिक्षा का प्रबंध किया जाए. आपने बोलने का मौका दिया, बहुत धन्यवाद.
श्री ओमकार सिंह मरकाम(डिण्डौरी)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या-55 के विरोध में और कटौती प्रस्ताव के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं. महिला बाल विकास एक महत्वपूर्ण विभाग है और इसमें महिलाओं के और बच्चों के देखरेख और उनके विकास के लिए और तमाम् उनके आगे प्रगति के लिए कार्य निरन्तर विभाग में किया जाना चाहिए और जिस तरह से महिला बाल विकास विभाग की भूमिका होनी चाहिए, उसमें मैं समझता हूँ कि वर्तमान समय में बात बहुत ज्यादा, वास्तविक काम बहुत कम और परिस्थितियों में यह ऐसा मीडिया के माध्यम से भी प्रचार होता है और बातों के माध्यम से भी प्रचार होता है परन्तु हकीकत में हम देख रहे हैं कि जब आंगनवाड़ी के संचालन के लिए ग्राम इकाई पर हम जाते हैं तो हमको भवनों की समस्या से सबसे पहले जूझना पड़ता है. भवनों की समस्या के लिए हम बताना चाहेंगे कि कोई विभागीय बजट आज तक इसमें नहीं बन रहा है. हम कहीं हमारे क्षेत्र में बीआरजीएफ से बना रहे थे. मैं अपने जिले की बात करना चाहता हूँ,वहां पर 20 प्रतिशत भी भवन विभाग के नहीं बनाये गये. हम कहीं बीआरजीएफ से बना रहे हैं, कहीं आईएपी मद से बना रहे हैं, कहीं रोजगार गारंटी से बना रहे हैं. विभाग का तो कोई बजट ही नहीं है कि अपने आंगनवाड़ी भवन बनाये, वहां पर व्यवस्था बनाये. अन्य विभाग में अगर शिक्षा विभाग है तो बिल्डिंग बनान के लिए उसका अपना बजट होता है, अगर स्वास्थ्य विभाग है तो उसका बिल्डिंग बनाने के लिए अपना अलग बजट होता है, अगर ट्रायबल के स्कूल हैं तो उसका अपना बजट होता है पर आंगनवाड़ी विभाग का, महिला बाल विकास का कोई बजट ही नहीं है और एक तरफ कहते हैं कि हमने महिला बाल विकास में सुदृढ़ता लाने के लिए ग्राम के बच्चों को व्यवस्थित करने के लिए जब आपके बजट ही गांव में भवन बनाने के लिए नहीं है, आप किस तरह से वहां व्यवस्था देखेंगे. हम यह देख रहे हैं कि लगातार अगर हम निरीक्षण करते हैं तो मेरे यहां 60 प्रतिशत से ज्यादा जो आंगनवाड़ी भवन हैं जो विभिन्न मदों से बनाये थे, वह जर्जर हो गए, उनके मेन्टेनेंस तक की व्यवस्था नहीं है, पीने के स्वच्छ पानी की व्यवस्था नहीं है और साथ में वहां पर बाऊण्ड्री के साथ अगर बरसात के दिनों में बच्चों को आना जाना है वहां खेलने के लिए थोड़ी सी जगह है तो वह भी नहीं है और हम चाहते हैं कि वहां उत्तरोत्तर विकास उन बच्चों के लिए कर जाएं तो मैं समझता हूँ कि कहीं न कहीं इसमें विभाग को यह देखना चाहिए. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री महोदया से निवदेन करना चाहूंगा कि आप किसी भी जिले के भवन हैं उनकी वास्तविक फिजीकल स्थिति देख लीजिए, जिला मुख्यालय डिण्डौरी के शहर में आपके जो आंगनवाड़ी केन्द्र संचालित थे उसमें कोई प्रबंधन नहीं हो पा रहा था, आखिर मैंने बीआरजीएफ मद से आंगनवाड़ी भवन बनाने के लिए स्वीकृति दिलाने का काम किया, पर इस समय अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि वर्तमान में जो केन्द्र की सरकार है उसने बीआरजीएफ योजना को बंद कर दिया.
7.24 बजे उपाध्यक्ष महोदय( डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए
आईएपी योजना से हमने प्री-फेब्रीकेटेड आंगनवाड़ी भवन का बेहतर निर्माण कराने के लिए मध्यप्रदेश के अन्दर मेरे विधानसभा के अऩ्दर मैंने शुरुआत करायी थी और आईएपी मद से प्री-फेब्रीकेटड आंगनवाड़ी भवन के लिए हम काम कर रहे थे, जैसे ही हमारी सरकार केन्द्र में गयी, वह आईएपी योजना भी बंद हो गयी. अब एक तरफ विभाग यह कहता है कि सुदृढ़ता के साथ हम बच्चों की देखरेख के लिए काम करें, पर आपका प्रबंधन में जो बजट की आवश्यकता है वह है ही नहीं. इसमें आपका पूरी तरह से मैं समझता हूँ माननीय मंत्री महोदया जी, ठीक बात है आप अपने विभाग की जो अच्छाई है उसको आप रखेंगी लेकिन वास्तविक स्थिति यह है कि आपको अपने विभाग में और सरकार को बजट देकर को आंगनवाड़ी भवनों के निर्माण, पीने के स्वच्छ पानी की व्यवस्था और वहां बच्चों के खेलने के पर्याप्त अगर जगह है तो वहां व्यवस्था यह होना आवश्यक है. इसके बिना आपका जो उद्देश्य है वह हकीकत में जब वहां भवन ही नहीं रहेगा. तो किस प्रकार से आप संचालित कराएँगे. अभी इसमें बहुत बड़ा संशय का विषय है और हम आप से निवेदन करना चाहते हैं कि महिला के विकास के संदर्भ में जिस तरह से अभी हमारी बहन और विधायिका ऊषा जी बात कर रही थीं. मैं आपको बताना चाहता हूँ कि सरकार जो अभी प्रयास कर रही है उससे बेहतर ही हमारा रिजल्ट आप देखेंगे. मध्यप्रदेश में अगर लिंगानुपात में कोई जिला पहला है तो वह बड़वानी है और दूसरा है तो वह डिंडौरी है. आज हमारे एक हजार पर एक हजार सात महिलाओं का अनुपात में हमारा दर्ज है और इसका प्रथम कारण यदि देखोगे तो हमारे समाज का वह ट्रायबल कल्चर है जिसके कारण हमारी महिलाओं को बराबर का दर्जा दिया जाता है. हम जानते हैं कि हमारे समाज में आर्थिक कमियों के कारण हम लोगों को तमाम तरह के विषयों पर, जो बुद्धिजीवी हैं, वह विश्लेषण करने में कहेंगे पर ईमानदारी और अगर सम्मान में देखना चाहें तो हमारे समाज में बेटियों के पैदा होने में जश्न मनाया जाता है और बेटियों के आने पर हमारे आँगन में खुशहाली आ जाती है और हमारे आँगन में कभी बेटियों को बोझ नहीं समझा जाता है. हमारी बेटियों को हमेशा हमारे सर्वोच्च स्थान में हमारे जन्म से लेकर के जीवन तारने तक के लिए उन्हें हमेशा सम्मानित किया जाता है. ऐसी कल्चर जो हमारे बीच में है. आज हम कह सकते हैं कि हमारे कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ पर जो हमारे बहुत बुद्धिजीवी लोग निवास करते हैं. अगर वहाँ पर देखा जाए तो इन विषयों में बहुत दर्दनाक घटना सामने आती है और मैं तो यह कहना चाहता हूँ कि हमारे जो सबसे ज्यादा प्रदेश और देश के अन्दर जो बुद्धिजीवी, जो सभ्य समाज, जो विकसित समाज के रूप में देखेंगे, अगर महिलाओं के ऊपर अत्याचार पाया जाएगा तो वहाँ बहुत ज्यादा पाया जाता है. हम बहुत शादियों को भी देखते हैं. बड़ी बड़ी शादियों में भी जाते हैं देखते हैं और अगर आप हमारे समाज की शादी देखेंगे तो बेटी वालों को एक लोंग भी नहीं लगती. ऐसी हमारी परंपरा थी पर वर्तमान समय में इस परंपरा में भी बहुत ज्यादा बदलाव आ रहा है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं तो यह कहना चाहता हूँ कि हमारी संस्कृति में जो माता, बहनों का सम्मान और उनके लिए जो व्यवस्थाएँ हैं उनको संरक्षित करने की आवश्यकता है ताकि हमारी जो मूल संस्कृति है उसमें जो आगे बढ़ने के लिए हमारे माता, बहनों के लिए जो अवसर मिला है. उसको आगे बढ़ने में कोई दिक्कत न हो. वर्तमान समय में माननीय मंत्री महोदय जी से मैं अनुरोध करुँगा कि इस विषय में भी आपको गंभीरता से देखना पडे़गा और मैं तो यह कहना चाहता हूँ कि जो लोग हमारे यहाँ ऐसी संस्कृति को बढ़ावा दे रहे हैं जिससे हमारे महिला समाज के विकास में उनको दिक्कत हो रही है. साथ में मैं कहना चाहूँगा कि दुनिया के अन्दर अगर किसी भी देश को देखेंगे कोई जर्मनी है, अमेरिका है, तो उसको माता की संज्ञा नहीं दी गई है पर हिन्दुस्तान एक ऐसा देश है जहाँ हमारे देश को माँ की संज्ञा दी गई है इसलिए हम चाहते हैं कि हमारी जो मातृ शक्ति है, जो महिला बाल विकास की माननीय मंत्री महोदया जी हैं, इस विषय में आपको, सरकार को, गंभीरता से निर्णय लेना चाहिए और जो दहेज प्रथा का एक बहुत प्रचलन जो बुद्धिजीवियों के बीच में है हम तो उसमें सार्वजनिक डिबेट करने के लिए भी तैयार हैं. जो अपने आप को बुद्धिजीवी कहते हैं वह किस बात के लिए बुद्धिजीवी हैं जहाँ रिश्ता, वहाँ पर व्यवसाय और पैसे के माध्यम से होता है. जबकि मैं ऐसा मानता हूँ कि हमारा जो ट्रायबल कल्चर है वहाँ अगर कोई रिश्ता होता है तो अपने विश्वास का होता है और वहाँ पर कभी भी ऐसा विश्वास नहीं होता. यह महिला बाल विकास के माध्यम से जो महिलाओं पर अत्याचार पर जो बात की जाती है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी से मैं निवेदन करना चाहूँगा और खास करके जो ट्रायबल जिले हैं वहाँ पर इसमें हमारी संस्कृति से जुड़ी हुई इस व्यवस्था में आप देखेंगे तो आपको जरूर मिलेगा. अभी जो शादियों के लिए कम उम्र की बच्चियों की शादी को रोकने का जो प्रयास किया जा रहा है और इसमें जो हमारे बीच में जो हालात निर्मित हो रहे हैं उसमें कहीं न कहीं अगर सबसे बड़ा जिम्मदार मैं मानता हूँ. उपाध्यक्ष महोदय, मैं मेरे क्षेत्र के बारे में मंत्री जी से एक निवेदन और कर लेना चाहता हूँ. माननीय मंत्री महोदया, हमारे क्षेत्र में हमने एक और प्रयास किया था आई ए पी योजना से हमारी जो महिला थी उनको हमने तमाम क्षेत्रों में किस तरह से आगे बढ़ें और ड्रायविंग लायसेंस की ट्रेनिंग के लिए भी हमने आई ए पी की मद से पैसा दिया था. चूँकि आई ए पी हमारा बंद हो गया तो इस स्कीम में हम पैसा नहीं दे पा रहे हैं और हमारे यहाँ और कार्यक्रम व गतिविधियों में महिला सशक्तिकरण के लिए भी आईएपी मद से पैसा दिया था हम चाहते हैं कि डिण्डोरी जिले में मोर डुगलिया कार्यक्रम जो आपने प्रदेश में चलाया है उसका कांसेप्ट देखकर मैंने आईएपी मद से पैसा दिलाया था मैं चाहता हूँ इसके लिए बजट में प्रबंध हो. अंत में एक चीज यह कहना चाहता हूँ माननीय मंत्रीजी कह रहे थे महिला वर्ष के कारण बोलना पड़ेगा हमारे दल के नेताओं पर भी हमें गर्व है प्रथम महिला प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के रुप में पाने का गर्व हमें है और देश की प्रथम महिला राष्ट्रपति के रुप में श्रीमती प्रतिभा पाटिलजी के होने का भी गर्व हमें है. देश में जो महिलाओं को प्रताड़ित करते हैं उन्हें मैं कहना चाहूंगा--
प्रताड़ित मत करिये महिलाओं को
उनको भी मुस्कान चाहिये
हंसती मुस्कुराती आगे बढ़ें मेरे देश की महिलायें
हमें ऐसा हिन्दुस्तान चाहिये, हमें ऐसा हिन्दुस्तान चाहिये.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का मौका दिया बहुत-बहुत धन्यवाद. जयहिंद जय भारत.
उपाध्यक्ष महोदय--चर्चा जारी रहेगी. विधान सभा की कार्यवाही गुरुवार दिनांक 17 मार्च 2016 को प्रात: 11:00 बजे तक के लिए स्थगित.
रात्रि 7.32 बजे विधान सभा की कार्यवाही गुरुवार, दिनांक 17 मार्च, 2016 (27 फाल्गुन, शक संवत 1937) के पूर्वाह्न 11:00 बजे तक के लिए स्थगित की गई.
भोपाल भगवानदेव ईसरानी
दिनांक : 16 मार्च, 2016 प्रमुख सचिव
मध्यप्रदेश विधान सभा