मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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चतुर्दश विधान सभा सप्तम सत्र
दिसम्बर, 2015 सत्र
मंगलवार, दिनांक 15 दिसम्बर, 2015
(24 अग्रहायण, शक संवत् 1937)
[खण्ड- 9] [अंक- 7 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
मंगलवार, दिनांक 15 दिसम्बर, 2015
(24 अग्रहायण, शक संवत् 1937)
विधान सभा पूर्वाह्न 10.33 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
जिला रायसेन में बैराजों पर व्यय
1. ( *क्र. 2268 ) श्री बाला बच्चन : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला रायसेन में जल संसाधन विभाग की भाडोन बैराज, बडौतिया बैराज, रापरडटी बैराज, नकटी नदी पर पांच बैराज, सिंदूर नदी पर श्रृंखलाबद्ध बैराज एवं पिपलिया केवट बैराज योजना में प्रत्येक पर कुल कितना व्यय शासन द्वारा किया गया तथा इनसे कुल कितनी भूमि सिंचाई के लिए प्रस्तावित थी? (ख) प्रश्नांश (क) में वर्णित योजनाओं के वास्तविक रूप से पूर्ण होने के बाद वर्षवार आज तक कितने हेक्टेयर सिंचाई की गई है? पृथक-पृथक बतावें। (ग) क्या इन योजनाओं में वर्णित बैराज में से अधिकांश नष्ट हो चुके हैं तथा उनसे लगभग निरंक क्षेत्र में सिंचाई हो रही है, इसके लिए उत्तरदायी अधिकारी का नाम बतावें। (घ) उपरोक्त वर्णित समस्त बैराज के निर्माण में हुई अनियमितताओं की क्या शासन जाँच करवाएगा? यदि हाँ, तो कब तक?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) एवं (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) एवं (घ) जी नहीं। निर्मित बैराजों से कृषक सिंचाई जल लेते हैं। अनियमितता की स्थिति नहीं होने से शेष प्रश्नांश उत्पन्न नहीं होते हैं।
श्री बाला बच्चन—माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न जल संसाधन विभाग से संबंधित है. मैंने आदरणीय मंत्री जी तथा सरकार से पूछा है कि अनुविभागीय अधिकारी जल संसाधन उप संभाग देवरी उदयपुरा क्षेत्र के अंतर्गत कुल 17 बैराज जो बनाये गये हैं लगभग 17 करोड़ अथवा कुछ राशि के हैं उसमें आदरणीय मंत्री जी ने जो जवाब दिया है वह जवाब मेरे हिसाब से ठीक नहीं है उसमें जो अनियमितताएं एवं भ्रष्टाचार हुआ है. बैराज बनाने में उससे संबंधित मैं माननीय मंत्री जी से मैं जानना चाहता हूं कि यह केवल रायसैन जिले का ही मामला नहीं है पूरे मध्यप्रदेश में उस-समय वर्ष 2008-09 में बड़े बड़े स्तर पर बैराज बनाये गये और सब जगहों पर अनियमितताएं हुई हैं या तो उनका फिजीकल एक्जिजटेन्स ही नहीं है या तो कुछ बैराज के गेट ही नहीं हैं और कुछ जो बैराज बचे हैं पानी नहीं रहता है जिसके कारण से उनका साईड पर अस्तित्व ही नहीं है. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से यह जानना चाहता हूं कि आपने जो सिंदूर नदी श्रृंखला पर आपने बैराज बनाये हैं.
श्री बाला बच्चन – और बैराजों की प्रशासकीय स्वीकृति जो दी गई है. मेरे पास उस प्रशासकीय स्वीकृति का पत्र है और वह 947 लाख 50 हजार रुपये की है. आपने जो जवाब दिया है उसमें 1,389 लाख 62 हजार रुपये के बैराज आपने बताये हैं तो मैं यह जानना चाहता हूं कि 442 लाख 12 हजार का जो अंतर आ रहा है क्या यह बिना स्वीकृति के आपने वह राशि लगा दी है. यह प्रशासकीय स्वीकृति का आर्डर और दिनांक आप बताएंगे. मेरा जो अंदेशा है यह जो अनियमितता हुई है या तो अध्यक्ष महोदय, आप मुझे अनुमति देते हैं तो मेरे पास जो प्रशासकीय स्वीकृति है उसे मैं पटल पर रख देता हूं.
अध्यक्ष महोदय – नहीं पहले उनका उत्तर तो आ जाने दें.
श्री जयंत मलैया – माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय प्रभारी नेता प्रतिपक्ष ने जो प्रश्न पूछा है उसका पूरा-पूरा उत्तर मैंने दिया है और जहां तक यह जो बात पूछ रहे हैं इस प्रश्न से उद्भूत नहीं होती है अगर इन्होंने अपने प्रश्न में जानकारी चाही होती कि एडमिनिस्ट्रेटिव एप्रूवल कब हुआ कितने का हुआ तो वह मैं जानकारी देता.
श्री बाला बच्चन – अध्यक्ष महोदय, इस नदी के ऊपर जो 8 बैराज बनाए गए हैं उसकी जो प्रशासकीय स्वीकृति हुई है जिसके अंतर्गत आर्डर हुआ है और आपने इसको ए.आई.बी.पी. योजनान्तर्गत बनाना स्वीकार किया है तो 947 लाख की प्रशासकीय स्वीकृति है और आपने 1,389 लाख कैसे खर्च कर दिये हैं. मेरा प्रश्न ही इसलिये था कि अनियमितता हुई है और भ्रष्टाचार हुआ है और आप इसको क्लियर करें कि बिना प्रशासकीय स्वीकृति के कैसे काम हो गया ?
श्री जयंत मलैया – माननीय अध्यक्ष महोदय, अगर यह जानना चाहते थे तो अपने प्रश्न में उल्लिखित करते. मैं उसका भी उत्तर देता. इसमें उल्लिखित नहीं है. माननीय अध्यक्ष महोदय, आप देख लें प्रश्न को और प्रश्न का उत्तर भी देख लें. आप संतुष्ट हो जाएंगे.
श्री बाला बच्चन – अध्यक्ष महोदय, जो आपने पूरी श्रंखला बनाई है 8 बैराजों की तो 442 लाख रुपये का अंतर आ रहा है. इसीलिये शंका की सुई जो घूमती है और जो शंका हो रही है मैं बताना चाहता हूं कि एक तो इन कामों का फिजिकल एग्जस्टेंट ही नहीं है. वहां पर उनका अस्तित्व ही नहीं है. कुछ तो गिर गये कुछ में गेट नहीं हैं. मैं जानना चाहता हूं कि साईट फिजिकल वेरिफिकेशन के लिये आप विधायकों की जांच कमेटी से इसकी जांच कराएंगे जिससे दूध का दूध पानी का पानी हो जायेगा. इसका फिजिकल वेरिफिकेशन कराया जाना चाहिये और आपके विभाग में जो बढ़ता हुआ भ्रष्टाचार है इस पर रोक लगना चाहिये.
श्री जयंत मलैया – उसके लिये आप प्रश्न तो ठीक से पूछते. आपने क्या प्रश्न में यह पूछा है आपने जानकारी चाही है कितने बैराज बने हैं, इनकी निर्माण की लागत क्या है, इसकी रूपांकित क्षमता क्या है इसको बताया गया है और सिंचाई कितनी हुई है. मैं यहां निवेदन करना चाहता हूं कि जितनी हमारी रूपांकित क्षमता रही है इन बैराजों से या तो हमने उतनी रूपांकित क्षमता के बराबर सिंचाई की है या उससे अधिक सिंचाई की है.
श्री बाला बच्चन – अध्यक्ष महोदय, मैंने शुरू में कहा है कि आपने 947 लाख की प्रशासकीय स्वीकृति ली है. आपने लगभग 14 करोड़ रुपये इस पर खर्च किये हैं तो बाकी के 442 लाख रुपये की प्रशासकीय स्वीकृति कहां है. बिना प्रशासकीय स्वीकृति के आपने खर्च कर दिये. क्या यह इससे रिलिवेंट नहीं है और इन निर्माण कार्यों की तथा पानी की क्षमता का वेरिफिकेशन करवाएंगे ?
श्री जयंत मलैया – माननीय अध्यक्ष महोदय, जी नहीं.
श्री बाला बच्चन – अध्यक्ष महोदय, जिस तरह से माननीय मंत्री जी ने बजट पर केवल चार या पांच मिनट में छह हजार करोड़ रुपये का बजट जो हमसे पास कराया है. मैं समझता हूं कि माननीय मंत्री जी आपका तरीका ठीक नहीं है. लगभग पूरे प्रदेश में 15 हजार करोड़ का भ्रष्टाचार हुआ है. बैराज बने नहीं हैं.
श्री के.पी.सिंह - मंत्री जी को फिजिकल वेरिफिकेशन कराने में क्या आपत्ति है.
श्री बाला बच्चन – इतना बड़ा प्रश्न है. विधायकों के दल से नहीं तो आप सी.टी.ए. से करा लीजिये.
श्री रामनिवास रावत – फिजिकल निरीक्षण करा लीजिये.
श्री बाला बच्चन – अध्यक्ष महोदय, चीफ टेक्निकल इंजीनियर से करा लें.
श्री के.पी.सिंह - स्थल निरीक्षण किसी से भी कराया जा सकता है.
श्री बाला बच्चन – अध्यक्ष महोदय, हम भ्रष्टाचार पर कैसे रोक लगा पाएंगे.
श्री रामनिवास रावत – स्थल निरीक्षण करवा लें.
अध्यक्ष महोदय – आप कृपया बैठ जाएं.
श्री के.पी.सिंह - अध्यक्ष महोदय, इसमें तो आपको निर्देश देना चाहिये.
श्री रामनिवास रावत – आसंदी से भी निर्देश होना चाहिये.
अध्यक्ष महोदय – माननीय मंत्री जी.
श्री जयंत मलैया – माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं नहीं समझता हूं कि निरीक्षण कराने की कोई आवश्यक्ता है परंतु आसंदी अगर आदेशित करेगी तो वह भी करा लेंगे.
अध्यक्ष महोदय:- माननीय प्रतिपक्ष के नेता जी की ऐसी इच्छा है और ऐसा प्रस्ताव है कि यह जो आपने सिंचाई की क्षमता बताई है और जितनी सिंचाई हो रही है उसका फिजिकल वेरीफिकेशन हो जाए.
श्री जयंत मलैया :- ठीक है, हम करा लेंगे.
खण्डवा जिले में थंब इम्प्रेशन मशीन की खरीदी
2. ( *क्र. 1681 ) श्रीमती योगिता नवलसिंग बोरकर : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) खण्डवा जिले में समस्त कर्मचारियों की उपस्थिति किस माध्यम से दर्ज हो रही है, थंब इम्प्रेशन मशीन से अथवा ई-अटेंडेंस के द्वारा? (ख) यदि ई-अटेंडेंस के माध्यम से हो रही है तो फिर लाखों रूपये की लागत से क्रय थंब इम्प्रेशन मशीन कहाँ पर है एवं किस हालत में है? (ग) यदि थंब इम्प्रेशन मशीन का उपयोग हो रहा है, तो उनकी उपस्थिति का विवरण दें। यदि नहीं, हो रहा है तो इस खरीदी का क्या औचित्य था? इसमें क्या किसी अधिकारी पर दोष सिद्ध हो सकता है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) से (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है.
श्रीमती योगिता नवल सिंग बोरकर:- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न थंब इम्प्रेशन को लेकर है. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी से जानना चाहती हूं कि थंब इंम्प्रेशन मशीन क्रय की गयी थी, जो अटेंडेंस के लिये क्रय की गयी थी. मैं यह पूछना चाहूंगी कि कितने विभागों में थंब इंम्प्रेशन मशीन का उपयोग किया जा रहा है और कितनी मशीने बंद है और कितनी चालू अवस्था में है.
(राज्य मंत्री, सामान्य प्रशासन विभाग)श्री लाल सिंह आर्य:- अध्यक्ष महोदय, 31 थंब इंम्प्रेशन मशीनों का क्रय 2.8 लाख का हुआ था, उसमें से 12 मशीनें अभी बंद हैं, उसका कारण है कि शिक्षा विभाग में और अनुसूचित जाति कल्याण विभाग में अब ई-अटेंडेंस योजना और शिक्षा मंत्री योजना लागू हो गयी है उसके कारण बंद है, वह खराब नहीं है, वह खराब होने के कारण बंद नहीं है, चालू स्थानों पर अभी 6 स्थानों पर है.
श्रीमती योगिता नवल सिंग बोरकर:- अध्यक्ष महोदय, ई-अटेंडेंस के बाद अगर यह मशीने उपयोग में नहीं ली जा रही हैं तो इन मशीनों को कौन से विभागों में उपयोग में लिया जा सकता है.
अध्यक्ष महोदय:- उन मशीनों को किसी और विभाग में आप उपयोग में ले सकते हैं.
श्री लाल सिंह आर्य:- अध्यक्ष महोदय, वह मशीनें रखी हैं और यदि खराब नहीं होगी तो किसी और विभाग में आवश्कता होगी तो उनको उपयोग में लेंगे.
अध्यक्ष महोदय:- अभी वहीं उपयोग करेंगे और यदि वहां उपयोग नहीं होगा तो और कहीं भेजेंगे.
इंदिरा सागर मुख्य नहर में भीकनगांव विधानसभा का वांछित क्षेत्र सम्मिलित करना
3. ( *क्र. 1452 ) श्रीमती झूमा सोलंकी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या माननीय मुख्यमंत्री महोदय द्वारा विधानसभा चुनाव के दौरान बड़वाह मण्डी प्रांगण में भीकनगांव विधानसभा क्षेत्र के वर्तमान में इंदिरा सागर की उद्वहन नहर से वंचित क्षेत्र के 60 गांव में सिंचाई हेतु योजना बनाकर स्वीकृति हेतु कार्यवाही की घोषणा मंच से की गई थी? (ख) यदि हाँ, तो नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के पत्र क्रमांक/357/555/161-बी/स.(अभि.)/न.घां.वि.प्रा./15, भोपाल दिनाँक 06.06.2015 द्वारा अवगत कराया है कि भविष्य में अतिरिक्त क्षेत्र को उद्वहन क्षेत्र में शामिल किया जाना तकनीकी रूप से संभव नहीं है? तो क्या माननीय मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणा पर कोई कार्यवाही प्रस्तावित नहीं होगी? (ग) क्या भविष्य में इंदिरा सागर मुख्य नहर से उद्वहन कर वर्तमान में वंचित भीकनगांव विधानसभा क्षेत्र में सिंचाई की कोई नवीन योजना शासन द्वारा प्रस्तावित की जावेगी? (घ) उपरोक्त प्रश्नांश (ग) का उत्तर यदि हाँ, है तो उसकी समयावधि क्या होगी? उसका कार्य कब तक प्रारंभ कर पूर्ण होगा? क्या शासन द्वारा इसकी समयावधि बताई जावेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी नहीं। (ख) उत्तरांश ‘’क’’ के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता। जी हाँ। उत्तरांश ‘’क’’ अनुसार। (ग) वर्तमान में ऐसी कोई योजना प्रस्तावित नहीं है। (घ) उत्तरांश ‘’ग’’ के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्रीमती झूमा सोलंकी :- अध्यक्ष महोदय, भीकनगांव विधान सभा के समीप इंदिरा सागर उद्वहन सिंचाई योजना के मुख्य जा रही है और उसी नहर से भीकन गांव के जो 60 गांव हैं जिन्हें सिंचाई की अत्यंत आवश्यता है और मैं चाहती हूं कि इस क्षेत्र को इससे पानी दिया जाए, किन्तु अध्यक्ष महोदय हमारे किसानों के पूरे दल ने जाकर माननीय मुख्यमंत्री से रीक्वेस्ट की थी और उन्होंने माना भी और मंच से घोषणा भी की थी आपके यहां पर सर्वे होगा और आपके इस क्षेत्र को सिंचाई हे लिये पानी दिया जायेगा तो मैं आपसे इस घोषणा की ही मांग कर रही हूं कि आप इसकी घोषणा कर दें. माननीय मुख्यमंत्री की घोषणा है, संवेदनशील मुख्यमंत्री के नाम से पूरे क्षेत्र में जाने जाते हैं उनकी छवि खराब होगी, इसलिये मानना जरूरी है. मैं माननीय मंत्री जी से चाहूंगी कि सर्वे करायें और लिफ्ट इरीगेशन के माध्यम से ही हमें पानी दिया जाये.
(राज्य मंत्री, सामान्य प्रशासन विभाग)श्री लाल सिंह आर्य:- अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्या को पहले ये स्पष्ट करना चाहूंगा कि विधान सभा चुनाव के समय कोई घोषणा होती नहीं है, नहीं तो अपराध पंजीबद्ध हो जाता है, जहां तक आपकी विधान सभा का मामला है,तो लगभग 8 गांव में 1,350 हैक्टेयर और 26 गांव में 6,484 गांव में सिंचाई हो रही है और पानी की उपलब्धता और बिजली की उपलब्धता वहां पर कितनी होगी उसके आधार पर विचार किया जा सकता है. अभी कुछ भी कहना उचित नहीं है.
श्रीमती झूमा सोलंकी—माननीय अध्यक्ष महोदय, पूरक प्रश्न है जो जानकारी माननीय मंत्रीजी दे रहे हैं उसमें जनपद भीकनगांव है विधान सभा भीकनगांव नहीं है भीकनगांव के कोई भी क्षेत्र को पानी नहीं मिल रहा है. अधिकारियों के द्वारा जो जवाब आया है वह असत्य है यह बहुत जरुरी है वहां सूखा पड़ा है और इसके अलावा नर्मदाजी का पानी आने वाला नहीं है इसलिए माननीय मंत्रीजी कहें कि सर्वे होगा और आपके क्षेत्र को पानी देंगे. मंत्रीजी कहें, मंत्रीजी आपको बोलना पड़ेगा क्योंकि बहुत जरुरी है किसान में भी बड़ा उत्साह था.
श्री बाला बच्चन—मंत्रीजी ने बोला कि विधानसभा चुनाव में, हम कहना चाहते हैं कि विधान सभा चुनाव नहीं चुनाव के पहले कहा था. चुनाव डिक्लियर नहीं होने के पहले की माननीय मुख्यमंत्रीजी की 22000 घोषणाएं हैं.
अध्यक्ष महोदय—आप पहले प्रश्न पढ़ लें यह उचित नहीं है जो प्रश्न कहीं से उद्भूत ही नहीं हो रहा है कोई एक लाइन पढ़ ली आपने और उसी पर यदि आप पूरक प्रश्न पूछेंगे, प्रश्न की कोई मंशा नहीं है.
प्रश्न संख्या-4 (अनुपस्थित)
अवैध खनिज के प्रकरण
5. ( *क्र. 2045 ) श्री सज्जन सिंह उईके : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बैतूल जिले में वर्ष 2010-2011 तक खनिज विभाग ने कितने गौण खनिज के प्रकरण दर्ज किये? गौण खनिज के नाम देवें। (ख) घोड़ाडोंगरी क्षेत्र में तवा नदी, नालों से रेत अवैध उत्खनन क्यों हो रहा है? क्या पर्यावरण नियम का दुरुपयोग नहीं हुआ? (ग) घोड़ाडोंगरी क्षेत्र में डम्पर द्वारा प्रतिदिन रेत परिवहन की जानकारी से खनिज विभाग अनजान क्यों है? किसका संरक्षण है? (घ) रेत के अवैध उत्खनन से म.प्र. शासन को लाखों रुपये का नुकसान हुआ है, इसका जिम्मेदार कौन है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) प्रश्नाधीन वर्ष 2010 एवं 2011 में गौण खनिज के दर्ज अवैध उत्खनन, अवैध परिवहन एवं अवैध भंडारण के प्रकरण की प्रश्नानुसार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट में दर्शित है। (ख) जी नहीं। (ग) प्रश्नाधीन क्षेत्र में विभाग द्वारा सतत् निगरानी रखी जा रही है। अत: प्रश्नानुसार कोई स्थिति नहीं है। (घ) प्रश्नांश ‘क’ में दिये उत्तर के परिशिष्ट में रेत खनिज के अवैध उत्खनन परिवहन तथा भंडारण की जानकारी दर्शित की गई है। इससे यह स्पष्ट है कि प्रकरण प्रकाश में आने पर नियमानुसार अर्थदण्ड आरोपित कर कार्यवाही की जाती है। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री सज्जन सिंह उईके—माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्रीजी से जानना चाहता हूँ मेरा खनिज उत्खनन का प्रश्न था घोड़ाडोंगरी क्षेत्र में तवा नदी, नालों से रेत का अवैध उत्खनन क्यों हो रहा है.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ.नरोत्तम मिश्र)—अध्यक्ष महोदय, अवैध उत्खनन हो रहा होगा तो उसको रुकवा देंगे.
श्री सज्जन सिंह उईके—मेरा एक और प्रश्न है कि घोड़ाडोंगरी में डम्पर द्वारा प्रतिदिन जो रेत का परिवहन हो रहा है इसमें मंत्रीजी का जवाब आया है कि निगरानी की जा रही है. मैं मंत्रीजी से चाहूंगा कि वहां पर कोई बेरियर या चेकिंग पोस्ट खुलवायेंगे क्या.
अध्यक्ष महोदय—उन्होंने रुकवाने का बोल दिया है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र—माननीय अध्यक्ष महोदय, निश्चित रुप से रुकवायेंगे.
नदियों पर प्रस्तावित सिंचाई परियोजनाएं
6. ( *क्र. 1367 ) श्री गोविन्द सिंह पटेल : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नरसिंहपुर जिले में शक्कर नदी एवं दुधी नदी पर क्या कोई सिंचाई परियोजना प्रस्तावित है, यदि हाँ, तो प्रश्न दिनाँक तक उसकी क्या स्थिति है? उक्त योजना का कार्य कब से प्रारम्भ होगा एवं कितनी अवधि में पूर्ण होगा? (ख) उक्त योजना से सिंचाई के लिए कौन-कौन से क्षेत्र लाभांवित होंगे?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) एवं (ख) नरसिंहपुर जिले में प्रश्नाधीन नदियों पर जल संसाधन विभाग की कोई सिंचाई परियोजना प्रस्तावित नहीं है। शेष प्रश्नांश उत्पन्न नहीं होता है।
श्री गोविन्द सिंह पटेल—माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के उत्तर में मंत्रीजी की तरफ से जवाब आया है कि प्रश्नाधीन नदियों पर कोई परियोजना प्रस्तावित नहीं है. गाडरवारा विधान सभा की स्थिति यह है कि 3 बड़ी-बड़ी नदियां शक्कर, दुधी और नर्मदा तीनों तरफ से बहती हैं उसके बाद भी कोई सिंचाई परियोजना गाडरवारा विधानसभा में नहीं है सबसे ज्यादा गन्ने का उत्पादन हमारे क्षेत्र में होता है और धान गेहूं भी होता है. आज पानी में मीन प्यासी वाली स्थिति है. हमारे यहां कोई भी सिंचाई योजना प्रस्तावित नहीं है. मैं मंत्रीजी से पूछना चाहता हूँ कि गाडरवारा विधान सभा क्षेत्र को सिंचित करने के लिए कौन सी योजना आप यहां लायेंगे.
श्री जयंत मलैया—माननीय अध्यक्ष महोदय, शक्कर और दुधी नदी नर्मदा ट्रिब्यूनल के अवार्ड की परियोजनाएं प्रस्तावित हैं यह NVDA के क्षेत्र में आती हैं और उसके क्षेत्र में जल संसाधन विभाग कार्य नहीं करता है.
श्री गोविन्द सिंह पटेल—अध्यक्ष महोदय, मैं प्रश्न करना चाहता हूँ कि जल संसाधन विभाग काम नहीं करता है सरकार तो आपकी ही है किसी भी विभाग से वहां किस प्रकार से सिंचाई सुविधान उपलब्ध हो सकती है वह बताने का कष्ट करें क्योंकि दिनोंदिन जल स्तर नीचे जा रहा है आज तो नर्मदा मैया की कृपा से ट्यूबवेलों में पानी है लेकिन भविष्य के लिए हम चाहते हैं कि कैसे हमारा क्षेत्र सिंचित होगा यह चिंता क्षेत्र के किसानों को और सभी लोगों को है इसका समाधान मैं मंत्रीजी से चाहता हूँ.
श्री जयंत मलैया—अध्यक्ष महोदय, जैसा मैंने पूर्व में निवेदन किया कि यह NVDA के कार्य क्षेत्र में आता है और यह भी बात सही है जैसी माननीय विधायकजी ने बात कही है कि उनके यहां पानी आना चाहिए यह मेरे विभाग से संबंधित तो नहीं है NVDA से संबंधित है परन्तु उस विभाग के बारे में जहां तक मेरी जानकारी है वह इस क्षेत्र के लिए कोई सिंचाई की योजनाएं बना रहे हैं.
श्री गोविन्द सिंह पटेल—मैं यह चाहता हूँ कि सरकार की तरफ से जवाब आ जाए कोई सिंचाई योजना वहां जल्दी से जल्दी प्रस्तावित हो जाए जिससे की क्षेत्र के किसानों की चिन्ता समाप्त हो जाए.
अध्यक्ष महोदय—कह तो दिया उन्होंने कि उन्हें जानकारी है कि योजना बन रही है उसे आगे आप परस्यू कर लीजिये.
मुख्य नगर पालिका अधिकारी बोड़ा द्वारा सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश का उल्लंघन
7. ( *क्र. 879 ) श्री गिरीश भंडारी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विधायक के पत्रों का उत्तर देने संबंधी सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश का पालन मुख्य नगर पालिका अधिकारी बोड़ा (नरसिंहगढ़ विधान सभा क्षेत्र अन्तर्गत) को करना चाहिए? (ख) क्या प्रश्नकर्ता विधायक ने क्रमश: पत्र क्र. 1180/1181/1182/1183 दिनाँक 07.08.2015 एवं पत्र क्र. 2728/2729/2730/2731/2732 दिनाँक 18.08.2015 को C.M.O. बोड़ा से लिखित में कुछ जानकारी चाही गई थी? (ग) प्रश्न की कंडिका (ख) का उत्तर यदि हाँ, तो क्या C.M.O. बोड़ा ने G.A.D. द्वारा दिये गये निर्देशों के तारतम्य में किस-किस दिनाँक को क्या-क्या कार्यवाही की? की गई कार्यवाही की जानकारी उपलब्ध करायें। (घ) क्या कंडिका (ग) में की गई कार्यवाही G.A.D. द्वारा निर्वाचित विधायकों के पत्रों के उत्तर देने संबंधी दिये गये निर्देशों के अनुरूप है? यदि नहीं, तो क्या शासन C.M.O. बोड़ा के विरूद्ध कोई कार्यवाही करेगा? यदि हाँ, तो कब तक?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) एवं (ख) जी हाँ। (ग) नगर परिषद बोड़ा जिला राजगढ़ के पत्र क्रमांक 1650 दिनाँक 26-11-2015 से माननीय विधायक महोदय को जानकारी प्रेषित की गई है। (घ) जी नहीं। मुख्य नगर पालिका अधिकारी, नगर परिषद बोड़ा जिला राजगढ़ से प्रकरण के संबंध में स्पष्टीकरण प्राप्त करने हेतु कारण बताओ सूचना पत्र जारी किया गया है। समय-सीमा बताना संभव नहीं है।
श्री गिरीश भंडारी—माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे मुख्यमंत्रीजी द्वारा जो उत्तर दिया गया है उसके (ग) में कि नगर परिषद बोड़ा द्वारा 26.11.2015 को मुझे मेरे पत्रों की जानकारी दे दी गई है, जो कि असत्य है मुझे कोई जानकारी नगर पंचायत बोड़ा द्वारा नहीं दी गई है मेरे द्वारा सीएमओ बोड़ा को अगस्त में मैंने कुछ जानकारी मांगी थी मुझे नहीं मिली. उसके बाद मैंने अक्टूबर माह में मैंने मुख्य सचिव जी को, नगरीय प्रशासन विभाग को एवं सामान्य प्रशासन विभाग को पत्र लिखा उसके बाद भी मुझे जानकारी नहीं दी गई. जब मैंने विधान सभा में 13.11.15 को प्रश्न लगाया तब उसमें भी यह असत्य जानकारी दी गई है कि 26.11.15 को मुझे जानकारी दे दी गई है वह जानकारी मुझे आज तक अप्राप्त है. क्या मंत्री जी ऐसे मुख्य नगर पालिका अधिकारी, जो असत्य जानकारी दे रहा है और 4 महीने तक जानकारी नहीं दे रहा है, तो क्या मंत्री जी उस पर कोई कार्यवाही की जाएगी?
राज्य मंत्री, सामान्य प्रशासन (श्री लाल सिंह आर्य)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे पास वह प्रति है जिसके माध्यम से आपको 26.11.15 को जानकारी प्रेषित की गई है और जानकारी का एक एक पत्र हमारे पास है. मैंने उनको एक नोटिस भी दिया है, चेतावनी भी दी है और भविष्य में अगर यह दोहराया जाएगा तो उसके खिलाफ कार्यवाही भी करेंगे.
श्री गिरीश भण्डारी-- अध्यक्ष महोदय, अगर आपके पास 26.11.15 की, जो उन्होंने मुझे जानकारी दी है, अगर मेरी रिसीट है तो आप मुझे उसको उपलब्ध करा दें. क्या आप मुझे वह उपलब्ध करा पाएँगे? उन्होंने 26.11 का लिखा है लेकिन मुझे जानकारी नहीं दी गई है.
श्री रामनिवास रावत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य को जानकारी प्राप्त नहीं हुई है और शायद विधान सभा में प्रश्न नहीं लगता तो सी एम ओ जानकारी भी नहीं देते. ऐसे लोगों के खिलाफ किस तरह से कार्यवाही करोगे?
अध्यक्ष महोदय-- शो-कॉज़ नोटिस दिया है.
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, शो-कॉज़ नोटिस तो अब दिया है. अगर विधान सभा प्रश्न नहीं लगता तो यह भी नहीं देते. माननीय मंत्री जी ए डी मंत्री भी हैं और नगरीय प्रशासन मंत्री भी हैं.
श्री गिरीश भण्डारी-- अध्यक्ष महोदय, मैं आप से निवेदन करना चाहता हूँ कि जहाँ इस क्षेत्र की समस्याओं के बारे में यहाँ विचार होना चाहिए वहाँ मुझे अपने पत्रों की जानकारी लेने के लिए विधान सभा में प्रश्न लगाना पड़ रहा है (शेम शेम की आवाज) और उसके बाद भी असत्य जानकारी दी जा रही है और 26.11.15 को कोई जानकारी मुझे नहीं दी गई है. अगर कोई जानकारी दी गई होगी 26.11.15 को तो मैं यहाँ घोषणा करता हूँ कि इस विधान सभा से इस्तीफा दे दूँगा..
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, नहीं, इसकी जरूरत नहीं है.
श्री गिरीश भण्डारी-- इतनी असत्य जानकारी देने के बाद भी आप उसके खिलाफ कार्यवाही नहीं कर रहे हों. 26.11.15 की जानकारी की मेरी कोई रिसीट हो, कोई पत्र हों तो आप बताएँ.
अध्यक्ष महोदय-- आप सीधा प्रश्न कर दें...(व्यवधान)..
श्री के के श्रीवास्तव-- माननीय अध्यक्ष जी, काँग्रेस के लोग इस्तीफा देने की बात बहुत कर रहे हैं..(व्यवधान)..
श्री गिरीश भण्डारी-- मतलब कोई विभाग जानकारी देना ही नहीं चाहता है. जब असत्य जानकारी दी जाएगी तो क्या किया जाएगा.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी उत्तर दे रहे हैं.
श्री मुकेश नायक-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आप से विनम्र प्रार्थना है कि आप आसंदी से कृपा करके ये निर्देश दें कि विधान सभा में जिस तरह से गलत जवाब देने का प्रचलन और प्रथा चल पड़ी है, ऐसा लगता है कि जवाब देने वालों को विधान सभा का कोई डर ही नहीं रहा.
अध्यक्ष महोदय-- उसकी प्रक्रिया है. उसमें आप जाएँगे तो सारे सही जवाब मिलेंगे.
श्री मुकेश नायक-- मेरे अपने 8-10 जवाबों में सुधार की प्रक्रिया कब तक चलती रहेगी? कोई उत्तर ही नहीं आता, मैंने स्वयं सुधार के लिए लिख कर दिया है.
अध्यक्ष महोदय-- सुधार की नहीं, आप वरिष्ठ सदस्य हैं आपको मालूम है क्या प्रक्रिया है.
श्री मुकेश नायक-- प्रक्रिया का पालन करेंगे.
श्री रामनिवास रावत-- विधायकों के सम्मान की रक्षा हम आप से करते हैं.
अध्यक्ष महोदय-- ठीक है, मंत्री जी उत्तर दे रहे हैं.
श्री रामनिवास रावत-- जी ए डी के सर्क्यूलर हैं कि जनप्रतिनिधियों के पत्रों का जवाब आना चाहिए.
श्री गिरीश भण्डारी-- मेरे पास सर्क्यूलर की कॉपी रखी है. इसमें तीन दिन में जवाब....
श्री रामनिवास रावत-- यही तो प्रशासनिक अराजकता है कि प्रशासनिक अधिकारी जन प्रतिनिधियों का सम्मान नहीं करते.
अध्यक्ष महोदय-- आप मंत्री जी का उत्तर तो आने दें.
श्री गिरीश भण्डारी-- अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न की भावना को समझें कि मैंने 26 अगस्त को पत्र दिया, मैंने जानकारी मांगी और नवंबर तक मुझे जानकारी नहीं दी गई और उसके बाद भी जो जानकारी का जो 26.11 का पत्र दिया है वह असत्य है. मुझे 26.11 में कोई जानकारी सी एम ओ द्वारा आज तक नहीं दी गई.
श्री लाल सिंह आर्य-- अध्यक्ष महोदय, हमने दिनाँक 7.12.15 को कारण बताओ सूचना पत्र भी उनको भेज दिया है. आपके सम्मान के प्रति को अगर कुछ भी गलत कर रहा है तो यह हम भी सहन नहीं करेंगे क्योंकि सम्माननीय विधायकों का कहीं न कहीं सम्मान रहना चाहिए. मैंने एक पत्र उनको कारण बताओ दिया है और मैंने यह भी कहा है कि भविष्य में इस प्रकार की आप कोई गलती करेंगे तो आपके खिलाफ कहीं न कहीं गंभीरता पूर्वक सोचना पड़ेगा, कार्यवाही करेंगे, तो इसके अलावा और क्या चाहते है? ..(व्यवधान)..
श्री गिरीश भण्डारी-- अध्यक्ष महोदय, मेरा यह कहना है...(व्यवधान)..
श्री लाल सिंह आर्य-- अध्यक्ष महोदय, कोई आर्थिक घोटाला हुआ होता....(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न क्रमांक 8..(व्यवधान)..अब उस पर काफी चर्चा हो गई.प्रश्न क्रमांक 8 श्री अँचल सोनकर...
श्री गिरीश भण्डारी-- अध्यक्ष महोदय, आपका संरक्षण चाहते हुए एक बात रखना चाहता हूँ. अध्यक्ष महोदय, यह कार्यवाही की बात कर रहे हैं उनके रिटायरमेंट का 4 महीना बच रहा है , चार महीने खत्म हो जाएंगे तो उनको सजा भी नहीं मिल पाएगी .कारण बताओ सूचनापत्र जारी कर दिया गया है लेकिन उन पर क्या कार्यवाही होगी.
अध्यक्ष महोदय-- आपकी बात आ गई एक्शन भी हो रहा है कृपया बैठ जाएं. सहयोग करें.
विधायक विकास निधि 2014-15 की राशि लेप्स होना
8. ( *क्र. 2089 ) श्री अंचल सोनकर : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधायक विकास निधि वर्ष 2014-15 से प्रश्नकर्ता के विधान सभा क्षेत्र में कितने निर्माण कार्य स्वीकृत किये गये थे? दिनाँक 30.04.2015 की स्थिति में कितने कार्य पूर्ण हो गये, कितने कार्य अपूर्ण हैं? (ख) प्रश्नांश (क) में स्वीकृत एवं पूर्ण किये कार्यों के भुगतान हेतु क्या संबंधित निर्माण एजेन्सियों/ठेकेदारों को पूर्ण राशि जारी कर दी गई है? यदि हाँ, तो राशि जारी करने की तिथि बतावें। यदि नहीं, तो भुगतान न किये जाने का कारण बतावें। (ग) क्या विधायक विकास निधि वर्ष 2014-15 के कुछ स्वीकृत कार्यों की राशि लेप्स हुई है? यदि हाँ, तो कितनी राशि एवं राशि लेप्स होने का क्या कारण है? राशि लेप्स होने की जिम्मेदारी किसकी है? इनके ऊपर क्या कार्यवाही की जावेगी? (घ) क्या विधायक विकास निधि वर्ष 2014-15 की राशि लेप्स हो जाने के कारण वित्तीय वर्ष 2015-16 में ठेकेदार विधायक विकास निधि के कार्यों को करने में रूचि नहीं ले रहे हैं, जिससे जनहित के कार्यों को समय-सीमा में न होने से प्रश्नकर्ता के विधान सभा क्षेत्र में विकास कार्य रूक गये हैं? यदि हाँ, तो इसका कौन जिम्मेवार है? इन पर क्या कार्यवाही होगी?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र विकास योजनान्तर्गत विधानसभा क्षेत्र पूर्व जबलपुर में वर्ष 2014-15 में कुल 34 कार्य स्वीकृत किये गये, जिनमें से 14 कार्य पूर्ण हो चुके हैं, शेष 20 कार्य प्रगति पर हैं। (ख) विभाग द्वारा संबंधित क्रियान्वयन एजेन्सी को पूर्ण राशि जारी कर दी गई थी। राशि जारी करने की तिथि की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) जी हाँ। योजनान्तर्गत वर्ष 2014-15 में 31.80 लाख की राशि लेप्स हुई है। इसका कारण राशि का आहरण नहीं हो पाना है, सर्वर पर आवंटन दर्शित नहीं होने के कारण राशि आहरित नहीं हो सकी। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (घ) जी नहीं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
श्री अंचल सोनकर—माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री महोदय से पूछना चाहता हूं कि 2014-15 की जो विधायक निधि की राशि है वह अभी तक आई नहीं है और लैप्स हो गई है. मैं मेरी विधानसभा की बात करूं तो 31 लाख 80 हजार लैप्स हुई है दो सालों की. ऐसे कई विधायक हैं कि उनकी राशि लैप्स हुई है, यह क्यों, कैसे , क्या कारण है . कोई अधिकारी इसमें दोषी है क्या.
श्री जयंत मलैया-- अध्यक्ष महोदय, जो माननीय विधायक जी ने चर्चा की यह बात बिल्कुल सही है कि सिर्फ माननीय अंचल सोनकर के ही नहीं और भी कुछ विधायकों की , मंत्रियों की भी जो विधानसभा क्षेत्र में कार्य करने की निधि रहती है व स्वेच्छानुदान की निधि रहती है, जिन्होंने मार्च के अंतिम समय में पेश किया है पहले नहीं दे पाये हैं उसमें वित्त विभाग का उस समय सर्वर डाउन होने के कारण यह राशि उनके खातों में प्रेषित नहीं हो पाई है. परन्तु मुझे यह बताते हुए प्रसन्नता है कि पिछले तृतीय अनुपूरक अऩुमान में हमने इस राशि का समावेश कर लिया है और अतिशीघ्र ही यह राशि पूरे विधायकों के खातों में पहुंच जाएगी और मंत्री जी के खाते में भी पहुंच जाएगी.
श्री अंचल सोनकर --- मंत्री महोदय, आपको बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री मुकेश नायक-- अध्यक्ष महोदय, मुझसे पहले जो विधायक रहे हैं उन्होंने जो विधायक निधि की राशि निर्माण कार्यों के लिए दी है आज तक वह नहीं आई उसके तक काम नहीं हुए हैं.
श्री जयंत मलैया--- नायक जी ने जो बात कही है उस समय तक पैसा सर्वर से जाता ही नहीं था.
अध्यक्ष महोदय--- अब तो समाधान हो गया.
बिजली बिल की बकाया राशि
9. ( *क्र. 1332 ) श्री जतन उईके : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) उपभोक्ताओं द्वारा बिजली बिल नियत अवधि में ना भरने पर उनके विरूद्ध किस प्रकार की कार्यवाही म.प्र. विद्युत मण्डल द्वारा किये जाने का प्रावधान है? (ख) जिन उपभोक्ताओं द्वारा बिजली बिल जमा नहीं किये गये हैं? उनके विद्युत कनेक्शन विच्छेद किये जाकर उनसे बिजली बिल वसूला जा रहा है अथवा नहीं? (ग) क्या म.प्र. विद्युत मण्डल द्वारा बिजली बिल बकाया होने पर पूर्ण क्षेत्र की विद्युत लाईन बंद कर दी जाती है अथवा बकायादारों की ही बिजली आपूर्ति बंद की जाती है? (घ) क्या तहसील पांढुर्ना में बकायादारों के किन-किन क्षेत्र में बिजली आपूर्ति बंद कर दी गई है, क्या इससे रबी फसल की सिंचाई पर भी कोई असर पड़ा है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) उपभोक्ताओं द्वारा बिजली का बिल नियत अवधि में जमा नहीं करने पर उनके विरूद्ध म.प्र. विद्युत प्रदाय संहिता 2013 की कण्डिका 9.13 एवं 9.14 संलग्न परिशिष्ट में उल्लेखित अनुसार प्रक्रिया के तहत संयोजन विच्छेद की कार्यवाही करने का प्रावधान है। (ख) जी हाँ। (ग) बिजली बिल बकाया होने पर पूर्ण क्षेत्र की विद्युत लाईन बंद नहीं की जाती है, वरन् जिन उपभोक्ताओं ने विद्युत बिल राशि का भुगतान नहीं किया है यथासंभव उनकी बिजली आपूर्ति बंद की जाती है। तथापि एक ही ट्रांसफार्मर से संबद्ध अधिक उपभोक्ताओं पर बिजली बिल की राशि बकाया होने पर इन ट्रांसफार्मर के जलने/खराब होने पर बकाया राशि का 50 प्रतिशत जमा करने पर ट्रांसफार्मर बदला जाता था। दिनाँक 28.10.2015 को आदेश जारी कर 50 प्रतिशत जमा करने की बाध्यता शिथिल करते हुए इसे 10 प्रतिशत किया है। (घ) तहसील पांढुर्ना में बकायादारों के किसी भी क्षेत्र में बिजली आपूर्ति बंद नहीं की गई है। तथापि बकाया राशि होने के कारण संबंधित उपभोक्ता की अस्थाई रूप से बिजली आपूर्ति बंद की गई है एवं बकाया राशि जमा होने के बाद लाईन पुन: जोड़कर शीघ्र विद्युत प्रवाह चालू कर दिया जाएगा। उक्त परिप्रेक्ष्य में प्रश्न नहीं उठता।
श्री जतन उईके—माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मैं मंत्रीजी से जानना चाहता हूं मेरे प्रश्न (क) के उत्तर में उन्होंने जवाब दिया है कि नियत अवधि यदि बिल नहीं पटाये गये तो कनेक्शन काटा जाता है. माननीय अध्यक्ष महोदय, 100 कनेक्शन है और 50 लोगों ने बिल पटा दिये हैं और 50 ने नहीं पटाये हैं लेकिन कनेक्शन ट्रासंफार्मर से काट दिया जाता है चूंकि कनेक्शन पोल से काटना चाहिए ताकि जिन्होंने बिल दिये हैं उनका नुकसान न हो.दूसरा मेरा यह कहना था कि मेरे उत्तर (ख) में बताया गया है 10 प्रतिशत राशि किसानों के द्वारा जमा की जाएगी तो ट्रांसफार्मर लग जाएगा और तीसरी बात 28.10.15 के आदेश का पालन न करने वाले अधिकारियों पर क्या कार्यवाही की जाएगी.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--- अध्यक्ष महोदय, शासन के आदेश का यदि कोई पालन नहीं करेगा तो तत्काल और सख्त कार्यवाही की जाएगी. 10 परसेंट के आदेश सभी जगह पहुंच गये हैं और अब जब से यह आदेश पहुंचा है तबसे बिजली के कनेक्शन काटने वाली समस्या लगभग नगण्य हो गई है.
श्री जतन उईके--- माननीय मंत्री जी , हम लोग गांवों का दौरा करते रहते हैं. यकीनी तौर पर अभी भी 10 परसेंट की राशि का आदेश अभी तक गांवों में नहीं पहुंचे हैं. मेरे खुद के गांव पाठई में परसों के दिन हमने 50 परसेंट राशि जमा की है और तब कहीं जाकर ट्रांसफार्मर लग पाया है. मंत्री जी उसकी जांच करा लें.
अध्यक्ष महोदय--- कृपया सुनिश्चित कर दें कि आदेश सब जगह पहुंच जाएं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- निश्चित जांच करा लेंगे इसको हम गंभीरता से लेंगे.
श्री सोहनलाल बाल्मीक--- अध्यक्ष महोदय, मान लीजिये गांव में 10 लोगों ने बिजली के बिल नहीं पटाये और पूरे गांव की बिजली काटी जा रही है उसके लिए क्या व्यवस्था है.
अध्यक्ष महोदय—10 परसेंट का नियम भेज दिया है .
प्रश्न संख्या 10 ( अनुपस्थित)
चंबल नदी पर स्टॉपडेम निर्माण
11. ( *क्र. 1051 ) श्री दिलीप सिंह शेखावत : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नागदा नगर में चामुण्डा माता मंदिर के नीचे चंबल नदी पर स्टॉपडेम कब स्वीकृत किया गया था? (ख) क्या नगर पालिका नागदा द्वारा लिखित में जल आवर्धन योजना के लिए डेम बनाने का आवेदन दिया गया था? (ग) यदि स्टॉपडेम स्वीकृत है, तो डेम का निर्माण कार्य अब तक चालू क्यों नहीं हुआ? उक्त कार्य कब तक पूर्ण कर लिया जावेगा?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) प्रश्नाधीन स्थल पर नागदा बैराज परियोजना की प्रशासकीय स्वीकृति दिनाँक 07.08.2007 को राशि रू. 41.25 लाख की दी गई थी। (ख) जी हाँ, मुख्य कार्यपालन अधिकारी, नगर पालिका-परिषद, नागदा ने दिनाँक 04.10.2010 को नागदा नगर के लिए चंबल नदी पर आधारित जल आवर्धन परियोजना बनाने हेतु अनापत्ति प्रमाण पत्र चाहा था, जो दिनाँक 24.11.2010 को जारी किया गया। (ग) विभाग द्वारा स्वीकृत। नागदा बैराज परियोजना नगर पालिका परिषद, नागदा की जल आवर्धन योजना के डूब क्षेत्र में आने के कारण तकनीकी रूप से साध्य नहीं रही। प्रश्नांश उत्पन्न नहीं होता है।
श्री दिलीप सिंह शेखावत—माननीय अध्यक्ष महोदय, जो मेरे प्रश्न का उत्तर आया है, 2007 में चम्बल नदी के डाउन स्ट्रीम में डेम की प्रशासकीय स्वीकृति हो गयी थी और उत्तर में आया है कि नगर पालिका ने जल आवर्धन योजना के लिए पानी की उपलब्धता के प्रमाण पत्र के लिए एनओसी मांगी थी. मैं माननीय मंत्री जी को आपके माध्यम से बताना चाहूंगा कि नगर पालिका नागदा ने शासन को एक लिखित में पत्र दिया है कि ग्रेसिम उद्योग और नगर पालिका के मध्य पर्याप्त पानी का समझौता हो गया है और इसके कारण वह डेम नहीं बनाना चाहती है. माननीय मंत्री जी मैं आपको बताना चाहूंगा कि नागदा एक प्रसिद्ध औद्योगिक क्षेत्र है जहां इस डेम के बनन से सिंचाई तो होगी ही, साथ ही नागदा में जो ग्रेसिम उद्योग लगभग डेढ़ माह पानी की कमी के कारण बंद होता है और 50 करोड़ का सीधे सीधे रेवेन्यू का नुकसान होता है. मैं आपसे निवेदन करुंगा कि यह डेम अगर बनेगा तो नागदा उद्योग,सिंचाई, खाचरौद और रेलवे को पर्याप्त पानी मिल पायेगा. इसलिए मैं आपसे निवेदन करुंगा कि आप काफी सहृदय मंत्री हैं इसलिए मुझे आश्वासन दें कि इसी वर्ष इस डेम की स्वीकृति कर बनाने की कृपा करेंगे.
श्री जयंत मलैया—अध्यक्ष महोदय, पूर्व में यह क्षेत्र जल आवर्धन योजना के डूब में आता था और उसी कारण उसका उत्तर दिया है. जब मेरी माननीय विधायक जी से बात हुई और उन्होंने बताया कि नगर पालिका को कोई आपत्ति नहीं है तो हमने कहा कि इस बात का प्रमाण-पत्र हमें उपलब्ध करा दें. यह प्रमाण-पत्र उऩ्होंने उपलब्ध करा दिया है और हमने निर्माण के आदेश दे दिया हैं.
श्री दिलीप सिंह शेखावत—बहुत बहुत धन्यवाद मंत्री जी.
प्रश्न संख्या-12 (अनुपस्थित)
पेड पार्किंग से प्राप्त आय
13. ( *क्र. 1464 ) श्री आरिफ अकील : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या नगर पालिक निगम अधिनियम के अनुसार नगरीय क्षेत्रों में नागरिकों की सुविधानुसार पेड पार्किंग स्थलों को निविदाएं आमंत्रित कर निर्धारित शुल्क पर वाहनों की पार्किंग ठेकेदारों को दिये जाने का प्रावधान है? (ख) यदि हाँ, तो भोपाल नगर पालिक निगम के अंतर्गत कहाँ-कहाँ पेड पार्किंग की निविदाएं आमंत्रित कर वर्ष 2010 से प्रश्न दिनाँक की स्थिति में किन-किन ठेकेदारों को कब-कब पार्किंग की व्यवस्था दी गई और उससे निगम को प्रतिवर्ष किस-किस पार्किंग से कितनी-कितनी राशि की आय हुई? पार्किंग/ठेकेदार का नाम सहित वर्षवार बतावें। (ग) क्या वर्तमान में भोपाल शहर की कुछ पार्किंग स्थलों को निविदा आमंत्रित कर ठेकेदारों को देने की अपेक्षा निगम के कर्मचारियों द्वारा संचालित किया जा रहा है? यदि हाँ, तो कौन-कौन से पार्किंग स्थलों को कब-कब से किस-किस के द्वारा संचालित किया जा रहा है और उससे कितनी-कितनी आय निगम को प्राप्त हो रही है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। (ख) वर्षवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट पर पृष्ठ क्रमांक 01 से 13 अनुसार है। (ग) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट पर पृष्ठ क्रमांक 01 से 13 अनुसार है।
श्री आरिफ अकील—माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी अनुरोध करना चाहता हूँ कि जिन लोगों ने ठेका नहीं किया, उनके खिलाफ क्या कार्यवाही करेंगे और कार्यवाही करेंगे तो कब तक कर देंगे और जिन लोगों ने यह निविदाएँ नहीं बुलायीं, टेन्डर नहीं किया, नगर निगम के अधिकारी-कर्मचारियों से और 25 दिन के लोगों से,जो रख रखे हैं, उनसे काम कराया, उनके खिलाफ कितने दिन में कार्यवाही कर देंगे?
राज्य मंत्री, सामान्य प्रशासन(श्री लाल सिंह आर्य)—माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो प्रश्न पूछा था उसमें नगर निगम ने समय समय पर कार्यवाहियां की हैं और अगर गलतियां पायीं गयी हैं तो निरस्त भी की हैं. शेष वसूली विभाग द्वारा की जा रही थी.आपका जो मूल प्रश्न है, मुझे लगता है कि आप चाहते हैं कि उसमें कोई न कोई जांच हो जाए, तो मैं आपसे कह रहा हूँ कि अगर कोई गंभीर किस्म की उसमें कोई बात होगी तो मैं उसमें अपर आयुक्त स्तर से जांच करा लूंगा.
श्री आरिफ अकील—अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न ही यह है कि पार्किंग के लिए जो टेन्डर होते हैं, वह टेन्डर नहीं करके नगर निगम ने अपने अधिकारियों-कर्मचारियों से,25 दिन के जो नौकर रख रखे हैं उनसे किये हैं. जहां लाखों रुपये की आमदनी महीने की होना चाहिए थी वहां 2 हजार रुपये की आमदनी हो रही है. टेन्डर 12-12‑ और 15-15 लाख में गये हैं तो क्या ऐसे दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही करेंगे?
श्री लालसिंह आर्य—माननीय अध्यक्ष महोदय,दोषी कौन है और क्या गड़बड़ी हुई है यह तो जांच का विषय है. मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्य को संतुष्ट करना चाहता हूँ कि यदि किसी ने कोई गड़बड़ी की होगी,मैं अपर आयुक्त स्तर से उसकी जांच कराऊंगा और कोई भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ हम कार्यवाही करेंगे.
श्री आरिफ अकील—अध्यक्ष महोदय, नगर निगम के अपर आयुक्त से जांच करायेंगे और ऩगर निगम के लोगों से ही यह ठेके हो रहे हैं,मेरा निवेदन है कि सचिवालय से किसी को भेज के जांच करवा लें और दूसरी बात यह है कि क्या आइंदा आज यह घोषणा करेंगे कि यह जो नगर निगम के लोग ठेके पर वसूली करते हैं इनको हटा के सारे जो पार्किंग स्थल हैं इनके टेन्डर करायेंगे?
अध्यक्ष महोदय—मंत्री जी,माननीय सदस्य का कहना यह है कि नगर निगम के अधिकारी की बजाय बाहर से कहीं से इसकी जांच करायें.
श्री लाल सिंह आर्य—अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्य की भावना की कद्र करता हूँ, वह भी चाहते हैं कि रेवेन्यू बढ़े. मैं आपके माध्यम से यह भी कहना चाहता हूँ कि भविष्य में नगर निगम अमले द्वारा वह वसूली नहीं की जाए, वह ठेके हों, उसके माध्यम से वसूली हो, यह भी हम सुनिश्चित करेंगे.
श्री आरिफ अकील—अध्यक्ष जी, मेरा सीधी सवाल है, जैसे पहले प्रक्रिया थी कि टेन्डर होते थे उसमें लोग बोली लगा के पार्किंग का स्थान लेते थे, क्या वैसे ही लागू करेंगे.
अध्यक्ष महोदय—समाधान आ गया आपका. उऩ्होंने क्लीयर तो कर दिया.
श्री आरिफ अकील—वह कह रहे हैं कि दिखवायेंगे, मैं कह रहा हूँ कि जैसे पहले था, करोड़ों रुपये की आमदनी पार्किंग में होती थी, आज नगर निगम की खस्ताहाल है, तनख्वाह बांटने तक के पैसे नहीं है तो हम तो इनकी भलाई के लिए इनसे अनुरोध कर रहे हैं कि जो सिस्टम पहले लागू था निविदा और टेन्डर बुला के करते थे,वही सिस्टम लागू करेंगे क्या?
अध्यक्ष महोदय – हां बोल तो दिया उन्होंने.
श्री आरिफ अकील – अध्यक्ष महोदय, कहां बोला उन्होंने.
अध्यक्ष महोदय – बोला है उन्होंने.
श्री आरिफ अकील – अध्यक्ष महोदय, आपके बोलने से नहीं होगा.
अध्यक्ष महोदय – उन्होंने कहा कि यह देखेंगे कि इस बार अन्य प्रक्रिया से वसूली हो, ऐसा साफ बोला तो है उन्होंने.
श्री आरिफ अकील – अध्यक्ष महोदय, वे टेंडर कराएं ना, मैं टेंडर कराने का निवेदन कर रहा हूँ, टेंडर कराने में क्या आपत्ति है.
श्री लाल सिंह आर्य – माननीय अध्यक्ष महोदय, टेंडर करा लेंगे.
श्री आरिफ अकील – धन्यवाद.
प्रश्न क्र. 14 – अनुपस्थित
वन मंत्री (डॉ. गौरीशंकर शेजवार) – माननीय अध्यक्ष महोदय, डॉ. नरोत्तम मिश्र जी ऐसे भी हैं कि जो कोई फाइल, कोई जानकारी कुछ नहीं रखते अपने पास और बड़ी सफलतापूर्वक अपना उत्तर दे रहे हैं. यह बात अलग है कि समय पर विधायक भी उपस्थित नहीं रहते, लेकिन मंत्री जी को कुछ पुरस्कार मिलना चाहिए.
श्री आरिफ अकील – अध्यक्ष जी, इसीलिए उनका नाम नरोत्तम है (XXX).
अध्यक्ष महोदय – यह कार्यवाही से निकाल दें.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री गोपाल भार्गव) – अध्यक्ष महोदय, यह तो हमारे नरोत्तम जी की योग्यता है यह पहला उदाहरण है कि बगैर फाइल के सक्षमतापूर्वक समाधानकारक उत्तर दे रहे हैं.
मुटमुरू जलाशय बांध के दोषी सहायक यंत्री को नियम विरूद्ध पदोन्न्त कर पदस्थापना
15. ( *क्र. 1186 ) डॉ. गोविन्द सिंह : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या पन्ना जिले के अंतर्गत वर्ष 2013 में नवनिर्मित भीतरी मुटमुरू जलाशय (बांध) प्रथम वर्षाकाल में ही टूट कर बह गया था? (ख) यदि हाँ, तो उक्त जलाशय (बांध) के टूटने/क्षतिग्रस्त होने से किसानों, ग्रामवासियों तथा शासन को कितनी-कितनी क्षति पहुँची एवं पीड़ितों को क्या-क्या सहायता उपलब्ध कराई गई? (ग) क्या बांध टूटने के लिए जिम्मेदार सहायक यंत्री को निलंबन से बहाल कर पुन: उसी स्थान पर पदस्थ कर उन्हें पदोन्नति प्रदान की गई है? (घ) यदि हाँ, तो उक्त सहायक यंत्री के विरूद्ध क्या विभागीय जाँच समाप्त हो चुकी है? यदि हाँ, तो कब? यदि नहीं, तो विभागीय जाँच समाप्त हुए बिना ही संबंधित सहायक यंत्री को पदोन्नत कर पुन: उसी स्थान पर पदस्थ किया जाना क्या नियम विरूद्ध है? (ड.) यदि हाँ, तो विभागीय जाँच समाप्त होने के पूर्व पदोन्नति देकर पुन: उसी स्थान पर पदस्थ किए जाने के लिये कौन जिम्मेदार है? क्या उसकी जाँच कराकर नियम विरूद्ध पदोन्नति प्रदान करने वाले जिम्मेदार अधिकारी के विरूद्ध कार्यवाही की जाएगी एवं बांध टूटने के लिए जिम्मेदार सहायक यंत्री को पदावनत कर, उन्हें हटाकर अन्यत्र पदस्थ किया जाएगा? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) जी हाँ। (ख) किसानों एवं ग्रामवासियों को कोई जन-धन की हानि नहीं हुई। कार्य को अनुमानित रू. 35.00 लाख की क्षति पहुंची जिसे ठेकेदार द्वारा स्वयं के व्यय से ठीक किया जा रहा है। शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है। (ग) जी नहीं। (घ) एवं (ड.) जी नहीं। शेष प्रश्न उत्पन्न नहीं होते है।
डॉ. गोविन्द सिंह – अध्यक्ष महोदय, मैंने माननीय मंत्री से कार्यवाही चाही थी, मैं आपसे पूछना चाहता हूँ कि जो मैंने प्रश्न लगाया था क्या विभागीय जांच में किसी उपयंत्री पर आरोप सिद्ध पाए गए, क्या उनके विरुद्ध कोई कार्यवाही हुई है ?
श्री जयंत मलैया – माननीय अध्यक्ष महोदय, पूर्व में जो उन्होंने प्रश्न किया था उसमें उन्होंने सहायक यंत्री के बारे में लिखा था तो उसमें लिखा है कि इस प्रकार से न तो किसी को निलंबित किया है न पदोन्नत किया गया है, परंतु इसके कारण हमारे नोटिस में यह बात माननीय विधायक जी लाए हैं, मैं आपके माध्यम से डॉ. गोविन्द सिंह जी का बहुत-बहुत धन्यवाद करना चाहता हूँ कि उन्होंने हमारी एक त्रुटि को पकड़ा है. यद्यपि वह उपयंत्री विद्युत अभियांत्रिकी का सब-इंजीनियर है श्री आर.एम. बागड़ी, इनको त्रुटि से पदोन्नत कर दिया गया था लेकिन जैसे ही आपके पत्र के द्वारा हमें जानकारी मिली है यह त्रुटि हमने सुधार ली है, उस व्यक्ति को फिर से पदावनत कर दिया गया है और वहां से हटाकर रीवा शिफ्ट कर दिया गया है.
डॉ. गोविन्द सिंह – आपने बहादुरी के साथ जवाब दिया है हम आपको धन्यवाद देते हैं.
प्रश्न क्र. 16 – अनुपस्थित
स्वेच्छानुदान/निर्वाचन क्षेत्र विकास योजना की राशि
17. ( *क्र. 1423 ) श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वित्तीय वर्ष 2014-15 में प्रश्नकर्ता द्वारा विधायक स्वेच्छानुदान से जिन-जिन व्यक्तियों को स्वेच्छानुदान की राशि प्रदाय करने हेतु अनुशंसा की थी? क्या उक्त राशि सभी व्यक्तियों को प्राप्त हो चुकी है? यदि नहीं, तो क्यों एवं कब तक राशि अनुशंसित व्यक्ति तक पहुंच जावेगी? (ख) वित्तीय वर्ष 2014-15 में प्रश्नकर्ता द्वारा विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र विकास योजना के अंतर्गत जिन-जिन कार्यों की अनुशंसा की थी, उनमें से किन-किन कार्यों हेतु निर्माण एजेंसी को कार्य प्रारंभ करने हेतु राशि आवंटित की जा चुकी है? किन निर्माण एजेंसी को राशि प्रश्न दिनाँक तक प्रदाय नहीं की गई? राशि प्रदाय न होने के क्या कारण है? कब तक निर्माण एजेंसी को राशि प्रदाय कर दी जावेगी? (ग) विधानसभा क्षेत्र बिजावर में माननीय प्रभारी मंत्री की जनसंपर्क निधि जिन-जिन व्यक्तियों/संस्था को प्रदाय करने हेतु अनुशंसा की गई थी, क्या उक्त राशि संबंधित को प्राप्त हो चुकी है? यदि हाँ, तो कब?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) जी नहीं। अनुशंसित राशि में से 2.28 लाख की राशि 54 हितग्राहियों को प्रदान नहीं की जा सकी है। कोषालय से राशि आहरित न हो पाने के कारण राशि लेप्स हुई। तृतीय अनुपूरक अनुमान में प्राप्त होते ही जारी की जायेगी। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। माह मार्च 2015 के अंतिम सप्ताह में राशि स्वीकृत की गई थी। सर्वर डाउन हो जाने के फलस्वरूप निर्माण एजेन्सी द्वारा राशि आहरित नहीं कर पाने के कारण लेप्स हो गई। समयावधि बताया जाना संभव नहीं है। (ग) जी हाँ। ई-पेमेन्ट के माध्यम से दिनाँक 31.03.2015 को संबंधित भुगतान किया जा चुका है।
श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक – माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रश्नांश ‘क’ के उत्तर में सरकार ने समाधानपूर्वक जवाब दिया है. माननीय मंत्री जी से मेरा प्रश्न यह है कि उनका आभार प्रदर्शित करने के लिए और उन्हें धन्यवाद देने के लिए मैं किन शब्दों का प्रयोग कर सकता हूँ.
अध्यक्ष महोदय – आपके पास शब्दों की कमी नहीं है.
श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक – अध्यक्ष महोदय, वास्तव में यह प्रश्न विधान सभा की निधि से संबंधित था और मुझे जो जवाब मिला है इससे न केवल मेरा बल्कि कई माननीय सदस्यों का समाधान हुआ है. मैं अपने सभी माननीय सदस्य साथियों की तरफ से बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूँ.
नरसिंहपुर विधान सभा क्षेत्र में विद्युतीकरण
18. ( *क्र. 2249 ) श्री जालम सिंह पटेल : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नरसिंहपुर विधान सभा क्षेत्रान्तर्गत अटल ज्योति योजना विद्युतीकरण से कितने ग्राम लाभांवित होने से रह गए हैं? ग्राम एवं टोलों के नाम सहित जानकारी देवें। (ख) इन छूटे हुए ग्राम टोलों में विद्युतीकरण कब तक हो जावेगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) प्रश्नाधीन उल्लेखित ''अटल ज्योति योजना'' योजना न होकर गैर-कृषि उपभोक्ताओं को 24 घण्टे एवं कृषि उपभोक्ताओं को 10 घण्टे विद्युत प्रदाय करने का अभियान है। ''अटल ज्योति अभियान'' के अंतर्गत नरसिंहपुर विधानसभा क्षेत्र के सभी गैर कृषि/मिश्रित उपभोक्ताओं को 24 घण्टे एवं कृषि उपभोक्ताओं को 10 घण्टे नियमानुसार विद्युत प्रदाय किया जा रहा है। योजना का लाभ प्रश्नाधीन क्षेत्रान्तर्गत सभी विद्युतीकृत ग्रामों/मजरों/टोलों को प्राप्त हो रहा है, अत: लाभ प्राप्त न होने वाले ग्रामों एवं टोलों के नाम दिए जाने का प्रश्न नहीं उठता। (ख) चूंकि अटल ज्योति अभियान में ग्राम टोलों के विद्युतीकरण के कार्य शामिल नहीं हैं, अत: उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न नहीं उठता।
श्री जालम सिंह पटेल – माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्नांश ‘क’ में मंत्री जी ने जवाब दिया है कि ग्रामों एवं मजरे टोलों में 24 घंटे बिजली प्राप्त है और प्रश्नांश ‘ख’ में उत्तर दिया है कि मजरे एवं टोलों को अटल ज्योति अभियान के तहत शामिल नहीं किया गया है. मेरा मंत्री जी निवेदन है कि मजरे टोलों में 10 घंटे बिजली तो मिल रही है लेकिन 24 घंटे नहीं मिल रही है. मेरी विधान सभा में लगभग 37 मजरे टोले हैं जो गांवों से लगे हुए हैं क्या उनमें 24 घंटे बिजली मिलेगी, मैं मंत्री जी से पूछना चाहता हूँ.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) – अध्यक्ष महोदय, मजरे टोले भी जो गांवों में हैं, जो गांवों को 24 घंटे मिलती है वह उनको भी 24 घंटे ही मिलेगी, जो खेत को बिजली जाती है वह 10 घंटे है, समान व्यवस्था दोनों जगह रहेगी.
श्री जालम सिंह पटेल – माननीय अध्यक्ष महोदय मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि गांव से लगे हुए कहीं पर 40 घर हैं, कहीं पर 50 या 80 घर हैं तो वहां पर 10 घंटे बिजली मिलती है.
डॉ नरोत्तम मिश्र – अध्यक्ष महोदय कहीं पर भी हों, घर को बिजली 24 घंटे दी जायेगी और खेत को 10 घंटे दी जायेगी.
अवैध कालोनियों को वैध घोषित किया जाना
19. ( *क्र. 1221 ) श्रीमती ऊषा चौधरी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या अतारांकित प्रश्न क्रमांक 1378 दिनाँक 3 मार्च 2015 एवं अतारांकित प्रश्न क्रमांक 801 दिनाँक 30 जुलाई 2015 द्वारा सतना जिले की नगर पालिक निगम सतना में 138 अवैध कॉलोनियां निगम के रिकार्ड में दर्ज होना बताया गया था? (ख) क्या माननीय मुख्य मंत्री द्वारा सतना भ्रमण के दौरान अवैध कॉलोनियों को वैध करने के लिए शासन स्तर पर विभाग द्वारा नीति बनाने की घोषणा की गई थी? (ग) यदि हाँ, तो विभाग द्वारा अवैध कॉलोनियों को वैध घोषित करने हेतु क्या नीति बनाई गई है? आदेश की प्रति उपलब्ध कराई जाए। (घ) क्या माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा यह भी घोषणा की गई है कि नगर पालिका निगम के अंदर 2750 वर्ग फुट में मकान बनाने वाले मकान मालिकों को नगर निगम से नक्शा स्वीकृत कराने की जरूरत नहीं है? यदि हाँ, तो उक्त निर्णय का आदेश कब तक जारी किया जायेगा? समय-सीमा बताएं।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। (ख) जी नहीं। (ग) उत्तरांश ''ख'' के प्रकाश में प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) जी हाँ। माननीय मुख्य मंत्रीजी की घोषणा के परिपालन में म.प्र. नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 एवं म.प्र. नगर पालिका अधिनियम, 1961 में म.प्र. राजपत्र (असाधारण) प्रकाशन दिनाँक 20 अप्रैल 2015 में आवश्यक संशोधन किया गया है और म.प्र. भूमि विकास नियम, 2012 में आवश्यक संशोधन उपरांत म.प्र. राजपत्र (असाधारण) में दिनाँक 27.11.2015 को प्रकाशन किया गया है और नियम-6 (3) के तहत 300 वर्ग मी. तक के क्षेत्रफल के भूखण्डों पर भवन अनुज्ञा जारी करने के साथ-साथ नियम-21 (4) के तहत मानक भवन रेखांक भी उपलब्ध कराने हेतु सक्षम वास्तुविद/संरचना इंजीनियर को प्राधिकृत किया गया है। मुख्यमंत्री जी द्वारा की गई घोषणा की पूर्ति की जा चुकी है।
श्रीमती ऊषा चौधरी – माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने उत्तर में जवाब दिया है कि प्रश्न उपस्थित नहीं होता है लेकिन मैं इस उत्तर से संतुष्ट नहीं हूं. मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहती हूं कि सतना जिले की नगरपालिक निगम में 138 अवैध कालोनियां हैं जिनको वैध करने के लिए मंत्री जी ने एक माह का समय दिया था कि एक माह में कालोनी वैध हो जायेंगी लेकिन 6 माह गुजर गये हैं कालोनियां वैध नहीं हुई हैं.
श्री लाल सिंह आर्य – माननीय अध्यक्ष महोदय मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्या को यह बताना चाहता हूं कि परिशिष्ट में अवैध कालोनियों की सूची दी है. दूसरा यह कि जो अवैध कालोनियां है उनको वैध करने की कोई घोषणा नहीं की है. जहां तक अवैध कालोनियों को वैध करने का मामला है तो कालोनी के रहवासी हैं वे अगर विकास और समन शुल्क जमा करेंगे तो उनको हमें वैध करने में आपत्ति नहीं है.
श्रीमती ऊषा चौधरी – माननीय अध्यक्ष महोदय माननीय मुख्यमंत्री जी ने 30 जुलाई, 2015 को सतना में घोषणा की थी. उसका आज तक निराकरण नहीं हुआ है . मेरा दूसरा प्रश्न यह है कि जो जमीनें खरीद कर पट्टा करके बेची जाती हैं वह भी अवैध के नियम में आ रही है. आज तक उनको वैध घोषित नहीं किया गया हैं. जो कालोनाइजर बनाते हैं वह तो ठीक है वैध हो सकती हैं. लेकिन उनकी भी कोई देखरेख नहीं हैं.
श्री लाल सिंह आर्य – अध्यक्ष महोदय उन कालोनियों में हम पानी दे रहे हैं बिजली दे रहे हैं जहां तक वैध करने की बात है तो..
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) – माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में अधिकांश नगरीय क्षेत्र ऐसे हैं कि जहां पर कई वर्षों से जहां पर कई वर्षों से कालोनाइजर ने कालोनी काटी. मिडिल क्लास या लोअर मिडिल क्लास या गरीब आदमी ने जैसे तैसे वहां पर एक प्लाट खरीद लिया, उ सके बाद में अपनी जिंदगीभर की कमाई लगाकर एक मकान बना लिया. मकान बनकर जब तैयार होता है तब शासन और प्रशासन आ जाता है कि यह कालोनी अवैध है.
अध्यक्ष महोदय मैं यह मानता हूं कि अगर कहीं पर विधिवत रूप से प्लाट खरीदकर किसी ने मकान बनाया है. वह कालोनी चूंकि कालोनाइजर की गलती के कारण या कुटिलता के कारण या उसकी चतुराई के कारण चाहे कुछ भी कह लीजिए वह तो कालोनी काटकर एक तरफ हो गया है. हमने रजिस्ट्री की है, भवन बनाने की अनुमति दी है, बाकी की सारी व्यवस्थाएं की है और बाद में यह कह दिया कि कालोनी अवैध है. मुझे लगता है कि यह उचित नहीं है. इ सलिए मैंने यह कहा है कि इस तरह की जो अवैध कालोनियां हैं उनको वैध किया जायेगा, उनको वैध करने की प्रक्रिया प्रारम्भ की जायेगी..(मेजों की थपथपाहट ) .. इसलिए अवैध कालोनियों को वैध करने की एक प्रक्रिया बनाई गई है लेकिन उस प्रक्रिया में भी , प्रक्रिया बनी व्यवस्था तय हुई है और यह तय हुआ कि अवैध कालोनियों को वैध करने के लिए एक निश्चित धनराशि कालोनी में जो निवासी हैं उनको जमा करना होगा जो राशि तय होगी उसका 50 प्रतिशत रहवासियों को जमा करना होगा और बाकी जो 50 प्रतिशत बचेगी उसके लिए राज्य शासन और नगरीय निकाय 30 और 20 प्रतिशत करके देंगे. बाद में मैंने यह देखा कि जिन लोगों ने मकान बनाये हैं उनसे 50 प्रतिशत लेना भी जायज नहीं है . इसलिए आज इस सदन में मैं इस बात को प्रकट कर रहा हूं कि सरकार इस प्रक्रिया को सरल बनायेगी. मैं यह जरूर मानता हूं कि आगे अवैध कालोनियां न बनें. उस पर ध्यान दिया जाना चाहिए. लेकिन 40 सालों में, 30 साल हो गये हैं लेकिन उसके बाद में भी कालोनी अवैध है. वहां पर सड़क नहीं बन सकती है .वहां पर बिजली नहीं जा सकती है. आखिर वहां पर रहने वाले कहां जायेंगे. इसलिए मैं इस सदन का सम्मान करता हूं, हम सब करते हैं हमारे लिए सर्वोच्च है. इस पवित्र सदन में यह घोषणा करता हूं कि इन अवैध कालोनियों को वैध करने की प्रक्रिया अत्यन्त सरल बनाई जायेगी और उन अवैध कालोनियों में वो सारे विकास के काम जो वहां के निवासियों के लिए आवश्यक हैं उनकी बाधांए दूर कर दी जीएँगी.
श्रीमती ऊषा चौधरी—अध्यक्ष महदोय,जो पट्टेधारियों से खरीद कर मकान बनाये हैं वे कैसे ...
अध्यक्ष महोदय- आपका काम हो गया ना. आपका काम हो गया, बात हो गई. ( व्यवधान ) आपका समाधान हो गया. बैठ जाईए. तिवारी जी, बैठ जाईए.
श्री सुन्दरलाल तिवारी—मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को कहना चाहता हूं कि टाऊन एण्ड कन्ट्री प्लानिंग (व्यवधान) ... जिन शहरों में लागू हैं ..(व्यवधान )— आम आदमी की समस्या है..
अध्यक्ष महोदय—मैने किसी को अनुमति नहीं दी है. बैठ जाईए, प्रश्नकाल है.
श्री रामेश्वर शर्मा—अध्यक्ष महोदय. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को पूरे मध्यप्रदेश की ओर से धन्यवाद देना चाहता हूं.( व्यवधान )
अध्यक्ष महोदय—तीवारी जी, कृपया सहयोग करें. ऊषा चौधरी जी आपका समाधान हो गया है, कोई समस्या हो तो मंत्री जी को बता दीजिए. ..( व्यवधान )..
श्री रामेश्वर शर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, भोपाल के 5 लाख से अधिक लोगों को इसका लाभ मिलेगा ( व्यवधान ) और अगर पूरे प्रदेश में देखा जाय तो लगभग एक करोड़ से अधिक लोगों को इसका लाभ मिलेगा. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को हृदय से धन्यवाद देता हूं, पूरे सदन की ओर से धन्यवाद देता हूं.. मुख्मंत्री जी ने गरीबों की चिन्ता की. जो वादा किया था और उसको सरल बनाने का जो उपाय सुझाया उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय—आगे बढ़ने दीजिए, अन्य सदस्यों के प्रश्न भी महत्वपूर्ण हैं. सबके प्रश्न महत्वपूर्ण होते हैं. तिवारी जी ,आप बैठ जाएं. आप कुछ भी नहीं मानते, कभी. तिवारी जी आप बैठ जायें, आपकी समस्यओं का निराकरण कभी नहीं हो पाएगा. आप बैठ जाईए. ( व्यवधान )
श्री सुन्दरलाल तिवारी—अध्यक्ष महोदय, आपने बिना सुने कह दिया.
अध्यक्ष महोदय—आप दूसरे सदस्यों को पूछने देंगे या नहीं. आपका प्रश्न है क्या यहां ? (व्यवधान )..आपका कुछ नहीं लिखा जाएगा. यह बात ठीक नहीं है, दूसरे के भी प्रश्न महत्वपूर्ण हैं. आप लोगों से मेरा अनुरोध है. कृपया सब बैठ जायें. तिवारी जी,नरेन्द्र सिंह जी बैठ जाईए. ममता मीना अपना प्रश्न करें.
श्री सुन्दरलाल तिवारी—( X X X )
आबकारी दुकानों का नियम विरूद्ध आवंटन
20. ( *क्र. 2231 ) श्रीमती ममता मीना : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या वर्ष 2014 से गुना जिले में देशी एवं विदेशी मदिरा की संचालित दुकानों के लायसेंसधारियों ने ही पुन: वर्ष 2015 में भी उक्त दुकानों को नीलामी में क्रय कर उन्हें संचालित किया जा रहा है? क्या पावर ऑफ अटार्नी के आधार पर उक्त दुकानों को किसी दूसरे को संचालित करने का अधिकार दिया जा सकता है? (ख) यदि नहीं, तो कितनी ऐसी दुकानें हैं, जिनके लायसेंसधारी बदले हैं? क्या उन दुकानों का स्थल भी बदला है? यदि लायसेंसधारी बदल गया तो उनका स्थल क्यों नहीं बदला? उसका उत्तरदायित्व क्या जिलाधिकारी का है या नहीं? बतायें। (ग) गुना जिले में ऐसी कितनी मदिरा दुकानें हैं, जिनके 100 मीटर के दायरे में स्कूल, मंदिर, मस्जिद एवं गुरूद्वारे हैं? यदि हाँ, तो उन दुकानों को 100 मीटर से अधिक दूरी पर करने का क्या प्रावधान है? वर्तमान में स्थित दुकानों को उक्त स्थलों के पास से कब तक हटायेंगे? (घ) प्रश्नांश (क), (ख) एवं (ग) में उल्लेखित बिन्दुओं का निरीक्षण करने, आवंटन करने एवं जाँच करने की जिले में किसकी जिम्मेदारी है? यदि कोई दोषी है तो क्या विभाग कार्यवाही करेगा तथा वर्ष 2015 में जिन लायसेंसधारियों की दुकानें नीलाम हुई थीं, क्या वो ही उन दुकानों को संबंधित प्रश्न दिनाँक को संचालित कर रहे हैं? या कोई लायसेंसधारी बदला गया है? यदि हाँ, तो जाँच कराकर कार्यवाही कब तक करायेंगे?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) वर्ष 2014-15 हेतु शासन नीति अनुसार गुना जिले में संचालित मदिरा दुकानों के लिये नवीनीकरण का प्रावधान होने से वर्ष 2013-14 मदिरा दुकानों के लायसेंस धारियों द्वारा मदिरा दुकानों का नवीनीकरण कराया गया था तथा नवीनीकरण पश्चात् दिनाँक 01.04.2014 से 31 मार्च 2015 तक संचालन किया गया था। वर्ष 2015-16 में टेण्डर के माध्यम से मदिरा दुकानों का निष्पादन होने से जिले में उच्चतम ऑफर वाले टेण्डरदाताओं को जिले की देशी एवं विदेशी मदिरा दुकानों/एकल समूहों के लायसेंस, जिला समिति की अनुशंसा पर जारी किये गये हैं। गुना जिले में संचालित देशी एवं विदेशी मदिरा फुटकर बिक्री की दुकानों के लायसेंसियों को मदिरा दुकानों के संचालन की सुविधा, निजी स्वरूप की सुविधा (मध्यप्रदेश आबकारी अधिनियम, 1915 की धारा 62 के अन्तर्गत निर्मित लायसेंस शर्तों की शर्त क्रमांक- (1) होने से लायसेंसी दुकानों का स्वयं एवं अपने अधिकृत प्रतिनिधियों के माध्यम से संचालन करते हैं। लायसेंस धारियों को पॉवर ऑफ अटार्नी के आधार पर मदिरा दुकानों को किसी दूसरे व्यक्ति को संचालन करने का अधिकार नहीं दिया जा सकता है। (ख) गुना जिले में वर्ष 2015-16 के लिये मदिरा दुकानों/समूहों के लायसेंसी बदले हैं, जिसकी सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-एक अनुसार है। सूची में वर्णित अनुसार बदले हुये लायसेंसी में से एक लायसेंसी द्वारा मदिरा दुकान का संचालन स्थल बदला गया है, जो जिला आबकारी समिति द्वारा घोषित सीमा क्षेत्र के अंतर्गत है। लायसेंसधारियों द्वारा घोषित सीमा क्षेत्र में आपत्तिरहित स्थल पर दुकान का संचालन किया जा सकता है। लायसेंसी के बदले जाने से स्थल का बदला जाना अनिवार्य नहीं है। घोषित सीमा क्षेत्र में आपत्तिरहित स्थल का चयन कर दुकान स्थापित करना लायसेंसी का उत्तरदायित्व है। इसका उत्तरदायित्व जिला आबकारी प्रशासन का नहीं है। (ग) मध्यप्रदेश राजपत्र (असाधारण) क्रमांक 55 दिनाँक 06.02.2015 में प्रकाशित अधिसूचना की कंडिका (2-ख) अनुसार किसी धार्मिक स्थल या किसी शैक्षणिक संस्था आदि के लिये 50 मीटर या इससे अधिक दूरी पर मदिरा दुकान स्थापित करने का प्रावधान है। मध्यप्रदेश राजपत्र (असाधारण) की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-दो अनुसार है। जिले की समस्त देशी एवं विदेशी मदिरा दुकानें आबकारी अधिनियम 1915 के अन्तर्गत निर्मित सामान्य प्रयुक्ति नियमों के अनुरूप अवस्थित होने से हटाये जाने का प्रश्न उत्पन्न नहीं होता है। (घ) आबकारी उपनिरीक्षक सहित विभागीय वरिष्ठ आबकारी अधिकारी के साथ ही कलेक्टर को जिले में मदिरा दुकानों के निरीक्षण के अधिकार प्राप्त हैं। निरीक्षण के दौरान मदिरा दुकान पर लायसेंस शर्तों के उल्लंघन एवं अन्य त्रुटियां पाई जाने पर नियमानुसार कार्यवाही की जाती है। शासन निर्देशों के पालन में कलेक्टर जिला गुना की अध्यक्षता में गठित जिला समिति द्वारा वर्ष 2015-16 में उच्चतम टेण्डर ऑफरदाता को मदिरा दुकानों के संचालन के लायसेंस प्रदान किये हैं। लायसेंसी एवं उनके अधिकृत अभिकर्ता द्वारा मदिरा दुकानों का संचालन किया जा रहा है। पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-एक अनुसार। गुना जिले के दो मदिरा एकल समूहों क्रमश: समूह क्रमांक 15 एवं समूह क्रमांक 16 के लायसेंसियों द्वारा निर्धारित अवधि में देय लायसेंस फीस जमा नहीं करने के कारण नियमानुसार दोनों समूहों का टेण्डर द्वारा निष्पादन किये जाने से लायसेंसी बदल गये हैं। पुनर्निष्पादन की कार्यवाही कलेक्टर जिला गुना की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा सम्पन्न की जाकर विधिवत् लायसेंस जारी होने से जाँच का प्रश्न उत्पन्न नहीं होता है।
श्रीमती ममता मीना—मैं सभी माननीय सदस्यों से निवेदन करना चाहती हूं कि मेरा प्रश्न हो जाने दें. मेरा प्रश्न भी बहुत महत्वपूर्ण है. वह मुश्किल से चर्चा में आ पाया है माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने जो उत्तर दिया है ,क्योंकि शासन की इतनी अच्छी योजनाएं चल रही हैं, लेकिन कभी कभी जवाब जो आता है वह गलत आ जाता है. मेरे प्रश्न का भी जो जवाब आया है वह पूरी तरह से असत्य आया है. वैसे जो शासन की नियमावली इसमें लगा कर दी गई है उससे मैं पूरी तरह से सहमत हूं लेकिन समूह क्रमांक 21 पर उल्लेखित मदिरा की जो दुकान ग्राम पेंची तथा पाकरियापुरा जो राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक(3) पर है वह सड़क के बिलकुल किनारे है ,आधा फिट की भी दूरी नहीं है. चूंकि इसमें स्पष्ट है कि राष्ट्रीय राजमार्गों पर मदिरा की दुकाने नहीं होना चाहिए. इसी तरह से प्रापर गुना जिले में जो गुरूद्वारा है उसके पास में भी अंग्रेजी शराब की दुकान है. गुरूद्वारे के पास दुकान होने के कारण से महिला भक्त और भक्तजनों को आने जाने में परेशानी आती है.
अध्यक्ष महोदय—आप प्रश्न करें.
श्रीमती ममता मीना—अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रश्न ही कर रही हूं. गुरुद्वारा के पास दुकान होने से महिला भक्तजनों को आने-जाने में परेशानी आती है. मेरा आपके माध्यम से मंत्रीजी से अनुरोध है कि ग्राम पेंची, पाकरियापुरा और गुना में गुरुद्वारा के पास विदेशी मदिरा की दुकानों के स्थान परिवर्तन होना चाहिए.
श्री जयंत मलैया—अध्यक्ष महोदय, मैं यहां पर निवेदन करना चाहूंगा कि हाईकोर्ट के निर्देश के पास किसी राष्ट्रीय राजमार्ग या राज्यीय राजमार्ग पर सड़क के बीच से लेकर दोनों तरफ 100 मीटर तक कोई भी शराब की दुकान नहीं होना चाहिए. माननीय विधायक जी ने जिन दुकानों का जिक्र किया है, मैं उसका परीक्षण करा लूंगा. अगर किसी ने भी वह दुकानें खोली हैं तो वह दुकानें वहां से शिफ्ट की जायेंगी और दूसरी बात जिन अधिकारियों ने किया है उनके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जायेगी.
दूसरा, आपने जो गुरुद्वारे के कहा है तो इसमें यह नियम है कि कोई भी धार्मिक स्थल जो कि ट्रस्ट में रजिस्टर्ड है, वह 50 मीटर के बाहर ही होना चाहिए. इसमें यह भी उल्लेख है कि जो भी मदिरा दुकानें 31 मार्च, 2007 के पूर्व की संचालित हो रही हैं, उन पर 50 मीटर की दूरी का प्रतिबंध लागू नहीं होता है.
श्रीमती ममता मीना—अध्यक्ष महोदय, यह बात सही है कि पूर्व से यदि संचालित है तो उसमें यह 50 मीटर की दूरी का नियम लागू नहीं होगा. अध्यक्ष महोदय, पहले किसी ने इस बात पर ध्यान ही नहीं दिया. आज यह विषय मेरे ध्यान में आया और मैं आपके माध्यम से मंत्रीजी के ध्यान में इसे लायी हूं. मैं यह चाहती हूं कि इसका पूरी तरह से परीक्षण करा लें. क्योंकि भक्तजनों को विशेषकर महिला भक्तों को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है. तीनों दुकानों का स्थान परिवर्तित होना चाहिए. जो 50 मीटर की दूरी का उल्लेख आया है तो 50 मीटर से भी कम दूरी पर है. मैं मंत्रीजी से उत्तर चाहूंगी.
श्री शैलेन्द्र जैन—अध्यक्ष महोदय, धार्मिक स्थलों वाला विषय पूरे प्रदेश के लिए लागू होना चाहिए. मेरी विधानसभा क्षेत्र में भी यही समस्या है.
अध्यक्ष महोदय—माननीय विधायक भी वही बात कह रही है. आप बैठें. उत्तर तो आने दें.
श्री जयंत मलैया—अध्यक्ष महोदय, जिस बात का उल्लेख माननीय विधायक ने किया है. आपका कहना है कि वह गुरुद्वारा 50 मीटर के अंदर है, तो इसका हम परीक्षण करा लेंगे और अगर वह 50 मीटर के भीतर होगी और ट्रस्ट में रजिस्टर्ड होगी तो निश्चित तौर से वहां से वह दुकान हटा दी जायेगी.
श्रीमती ममता मीना—धन्यवाद.
प्रश्न क्रमांक—21 (अनुपस्थित)
भाण्डेर विधानसभा अंतर्गत विद्युत व्यवस्था
22. ( *क्र. 1388 ) श्री घनश्याम पिरोनियाँ : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या भाण्डेर विधानसभा क्षेत्र के समस्त ग्रामों का विद्युतीकरण हो चुका है? यदि नहीं, तो कौन-कौन से ग्राम किस कारण विद्युतीकरण से वंचित हैं और कब तक विद्युतीकरण हो जावेगा? (ख) क्या भाण्डेर विधानसभा क्षेत्र के अधिकांश ग्रामों में 5-10 वर्ष से विद्युत सप्लाई बंद पड़ी हैं और बिल नियमित रूप से किसानों को थमाये जा रहे हैं? यदि हाँ, तो उन ग्रामों में कब तक विद्युत सप्लाई की जावेगी और विद्युत बिलों को संशोधित किया जावेगा? किन-किन ग्रामों की विद्युत सप्लाई कब से बंद है? कारण सहित सूची उपलब्ध करावें। (ग) क्या भाण्डेर में 132 के.व्ही. सब स्टेशन का निर्माण कार्य चल रहा है? यदि हाँ, तो बार-बार ध्यान आकर्षण कराने के बावजूद उसके निर्माण में एवं लाईन पोलों के निर्माण में घटिया मटेरियल की अभी तक जाँच क्यों नहीं कराई गई? सब स्टेशन, पोल निर्माण की जाँच कब तक कराई जावेगी? (घ) क्या विद्युत विभाग में एप्रेन्टिश एक्ट के प्रावधानों का पालन नहीं हो रहा है? यदि नहीं, तो अब तक कहाँ-कहाँ, कितने-कितने प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जी हाँ, भाण्डेर विधानसभा क्षेत्र के समस्त ग्राम विद्युतीकृत हैं। (ख) जी नहीं, तथापि संलग्न परिशिष्ट में दर्शाए गए 22 ग्रामों में स्थापित फेल वितरण ट्रांसफार्मरों से संबद्ध उपभोक्ताओं द्वारा नियमानुसार विद्युत बिल की बकाया राशि जमा नहीं करने के कारण इन ट्रांसफार्मरों को बदला नहीं जा सका है, किन्तु नियमानुसार बकाया राशि के बिल दिये जा रहे हैं। पूर्व में बकाया राशि का 50 प्रतिशत जमा करने की शर्त को शिथिल किया गया है। वर्तमान में लागू नियमों के अनुसार उक्त ट्रांसफार्मर फेल होने के समय बकाया राशि का 10 प्रतिशत उपभोक्ताओं द्वारा जमा कराए जाने पर इन ट्रांसफार्मरों को प्राथमिकता के आधार पर बदल दिया जायेगा, अत: वर्तमान में समय-सीमा बताना संभव नहीं है। उक्त ग्रामों में विद्युत प्रदाय प्रभावित होने/ट्रांसफार्मर फेल होने संबंधी ग्रामवार जानकारी भी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) जी हाँ। 132 के.व्ही. उपकेन्द्र निर्माण में उपयोग की जाने वाली सामग्री तकनीकी मापदण्डों के अनुरूप पाये जाने पर ही उपयोग में लाई जाती है। निर्माण कार्यों की गुणवत्ता नियंत्रण हेतु म.प्र. पावर ट्रांसमिशन कंपनी के केन्द्रीय स्तर पर गठित प्रकोष्ठ की टीमों द्वारा 132 के.व्ही. भाण्डेर उपकेन्द्र का निरीक्षण किया गया है, जिसमें गुणवत्ता संबंधी शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। अत: अन्य कोई जाँच कराए जाने की आवश्यकता नहीं है। (घ) एप्रेन्टिस एक्ट 1961 के प्रावधानों का पालन प्रश्नाधीन क्षेत्र सहित संपूर्ण म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है। अभी तक 65 प्रशिक्षुओं को पॉवर डिस्ट्रिब्यूशन ट्रेनिंग सेंटर, भोपाल में प्रशिक्षण पूर्ण करने के उपरान्त प्रमाण पत्र दिये गये हैं एवं वर्तमान में 42 प्रशिक्षु उक्त वर्णित एक्ट के अधीन प्रशिक्षणरत है।
श्री घनश्याम पिरोनियां—अध्यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहूंगा. अभी हमारे वन मंत्री जी ने माननीय नरोत्तम मिश्राजी के बारे में कहा था कि वह सभी विभागों के उत्तर देते हैं. आज उर्जा विभाग के प्रश्नों के उत्तर देने की जिम्मेदारी उनके ऊपर है.
अध्यक्ष महोदय—आप प्रश्न पूछें,
श्री घनश्याम पिरोनियां—मैं, निवेदन करुंगा कि सैंया भये कोतवाल तो अब डर काहे का. माननीय मंत्रीजी हमारे पालक मंत्री हैं. उनके दतिया में ही मेरी विधानसभा आती है. जो मैं अपेक्षा करता हूं, उसके बारे में वे खड़े होकर कह दें कि उसको पूरा करेंगे.
अध्यक्ष महोदय—आप प्रश्न तो करें.
श्री घनश्याम पिरोनिया—प्रश्न उनकी जानकारी में है. वह खड़े होकर कह देंगे तो मैं उसको मान जाऊंगा. (हंसी)
अध्यक्ष महोदय—आप कुछ पूछ लें.
श्री घनश्याम पिरोनिया—मंत्रीजी आप तो बोल दें.
अध्यक्ष महोदय—उन्होंने उत्तर दे दिया है.
श्री घनश्याम पिरोनिया—मैं निवेदन यह कर रहा हूं जैसा मंत्रीजी ने कहा है कि 22 गांवों में स्थापित फेल वितरण ट्रांसफार्मर्स हैं,उनको ठीक कर दिया जायेगा और बकाया बिल और ट्रांसफार्मर को बदलने की बात आयी है. मैं निवेदन करूंगा कि ऐसी स्थिति पैदा क्यों हुई, अनेक वर्षों से वहां लाइट नहीं है और वह जो छोटे कर्मचारी रहते हैं उनको नहीं बदला जाता और वह पैसा लेकर के कहीं न कहीं गड़बड़ करते रहते हैं. ऐसे लोगों के उपर कार्यवाही होना चाहिये.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- माननीय अध्यक्ष जी, सम्मानीय सदस्य ने जैसा 22 गांवों का जिक्र किया है, जब से माननीय मुख्यमंत्री जी ने 10 प्रतिशत राशि का कहा है तब से ट्रांसफार्मर बदलना शुरू हो गये हैं और कई ट्रांसफार्मर बदल भी गये हैं और हम निर्देशित करेंगे कि वह शिविर लगाकर के 10 प्रतिशत राशि गांव में ही जाकर एकत्रित करके तत्काल इसका समाधान करें.
अध्यक्ष महोदय-- हो गया समाधान आपका.
श्री घनश्याम पिरोनियां-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं तो वैसे ही कह रहा था वह बोल दें, मैं तो तैयार था. मेरी विधानसभा क्षेत्र में एक गांव है सुनारी वहां पर अभी भी लाइट नहीं है और मैंने पिछली बार भी कलेक्टर महोदय को भी कहा था लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई और एक गांव में मैं गया था....
अध्यक्ष महोदय-- नहीं इस तरह से आप इतिहास नहीं सुना सकते.
श्री घनश्याम पिरोनियां-- मेरा निवेदन है उस के बारे में भी बोल दें मंत्री जी.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- दिखवा लेंगे.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न क्रमांक 23, श्रीमती हिना कावरे (अनुपस्थित)
जल संसाधन विभाग से संबंधित जारी कार्यादेश
24. ( *क्र. 434 ) श्री अनिल फिरोजिया (श्री सतीश मालवीय) : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) उज्जैन जिले के अंतर्गत आने वाले जल संसाधन विभाग के सभी संभागों में एक अप्रैल 2012 से प्रश्न तिथि तक 02 लाख रूपये से कम कार्यादेश किस-किस स्थान के किस-किस कार्य के कब-कब और किस-किस को जारी हुए? (ख) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित समयानुसार मेन्टेनेंस के कार्यों पर कितनी-कितनी राशि, किस-किस स्थान पर क्या-क्या कार्य हेतु व्यय की गई? किस-किस ठेकेदार को कितना भुगतान किया गया? (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) में किये गये कार्यों में से किन-किन कार्यों की शिकायतें अधीक्षण यंत्री/मुख्य अभियंता/प्रमुख अभियंता/राज्य शासन को क्या-क्या प्राप्त हुई? किन आदेश क्रमांक एवं दिनाँक से उक्त सक्षम कार्यालयों द्वारा कब-कब क्या कार्यवाही प्रश्न तिथि तक की गई? विवरण उपलब्ध करावें। (घ) उज्जैन जिले में स्थित जल संसाधन विभाग के कार्यालयों को एक अप्रैल 2012 से प्रश्न तिथि तक कितनी-कितनी राशि किस-किस कार्य हेतु बजट से आवंटित हुई? कितनी-कितनी राशि किस-किस मद में कब-कब, किस-किस स्थान पर किस कार्य हेतु व्यय की गई?
जल
संसाधन
मंत्री ( श्री
जयंत मलैया ) : (क)
एवं (ख) जानकारी
पुस्तकालय
में रखे
परिशिष्ट के
प्रपत्र ''अ'' अनुसार
है। (ग)
अभिलेखों के
मुताबिक
शिकायत
प्राप्त
होना
प्रतिवेदित
नहीं है। (घ) जानकारी
पुस्तकालय
में रखे
परिशिष्ट के
प्रपत्र ''ब'' अनुसार
है।
श्री अनिल फिरोजिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से जो प्रश्न किया था उसमें जल संसाधन विभाग में 2 लाख रूपये के जो मेंटेनेंस हुये हैं, उसकी जानकारी चाही गई थी, कि क्या-क्या मेंटेनेंस किये गये हैं और कहां-कहां किये गये हैं, तो माननीय मंत्री जी का जवाब आया है कि पुस्तकालय में जानकारी दी गई है. माननीय अध्यक्ष महोदय मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से यह पूछना चाहूंगा कि पुस्तकालय में जो जानकारी दी गई है, गलत जानकारी दी गई है. उसका हमने अभी अध्ययन किया है, घट्टिया और तराना विधानसभा में.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न पूछें अपना.
श्री अनिल फिरोजिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, दो मिनट मुझे रूपरेखा तो रखने दीजिये.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं रूपरेखा नहीं रखने देंगे, टाइम हो गया. आप सीधे प्रश्न पूछिये.
श्री अनिल फिरोजिया-- मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि मेरे विधानसभा क्षेत्र तराना में भी 3 स्टॉप डेम बनाये गये, जनता का पैसा है वह स्टॉप डेम बह गये, पानी रूका ही नहीं और जमीन कट गई है और इसमें मेरे विधानसभा क्षेत्र का भी उल्लेख किया गया है और लिखा गया है, इसमें रिपेरिंग कराई गई है, तो मैं माननीय मंत्री जी से पूछना चाहूंगा कि उन अधिकारियों के ऊपर क्या कार्यवाही की गई और क्या हमारे विधानसभा क्षेत्र में जो स्टॉप डेम रिस गये हैं उनके मेंटेनेंस करायेंगे.
श्री जयंत मलैया-- अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक लिखकर दे दें, मेंटेनेंस की भी व्यवस्था की जायेगी और अगर कोई दोषी होंगे उनके खिलाफ भी कार्यवाही की जायेगी.
धसान नदी पर सिंचाई परियोजना
25. ( *क्र. 2198 ) श्री के. के. श्रीवास्तव : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) टीकमगढ़ जिले में धसान नदी पर कौन-कौन सी लघु एवं मध्यम सिंचाई परियोजनाओं के प्रस्ताव शासन के पास विचाराधीन हैं? (ख) ककरवाहा पिक अप बियर (धसान डायवर्सन) में कितने हेक्टेयर भूमि सिंचित किये जाने का लक्ष्य रखा गया है? अद्यतन जानकारी दें। (ग) वर्तमान में योजना की स्थिति क्या है? क्या इसे केन्द्रीय जल आयोग द्वारा स्वीकृत किया जा चुका है? यदि नहीं, तो अद्यतन जानकारी देवें। (घ) टीकमगढ़ विधानसभा क्षेत्र की उक्त महत्वाकांक्षी योजना ककरवाहा पिक अप बियर की स्वीकृति कब तक होकर कार्य प्रारम्भ कर लिया जावेगा?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) से (घ) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
श्री के.के. श्रीवास्तव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत-बहुत धन्यवाद 25 नंबर तक हम पहुंचे हैं.
श्री नरोत्तम मिश्रा-- अध्यक्ष महोदय, 25 प्रश्न पूरे हो गये आपको बधाई.
श्री के.के. श्रीवास्तव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, बुंदेलखंड पूरा सूखा प्रभावित क्षेत्र है, टीकमगढ़ जिले में तीन नदियां प्रमुखता से जाती हैं. एक धसान नदी, एक जामनी नदी. धसान नदी पर एक बहुत बड़ी योजना मध्य प्रदेश की सरकार ने बनाई है वह 1 हजार करोड़ की बांध सुजारा परियोजना है, मैं इसके लिये मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय शिवराज जी को उनकी सरकार को धन्यवाद देता हूं.
अध्यक्ष महोदय-- आप प्रश्न पूछिये.
श्री गोपाल भार्गव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, संसदीय कार्य मंत्री जी ने 25 प्रश्न पूरे होने पर आपको धन्यवाद दिया है मैं उनके लिये धन्यवाद देता हूं कि वगैर फाइल लिये अपनी बौद्धिकता से, अपने ज्ञान से सारे के सारे उत्तर दे दिये.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी उनका प्रश्न आ जाने दें, समय कम है.
श्री के.के. श्रीवास्तव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, धसान नदी पर धसान डायवर्सन योजना ककरवाहा, पिकपबियर योजना की चर्चा और आंदोलन वहां के नेताओं ने किये हैं जिनमें से दो तो इस सदन के पूर्व विधायक हैं.
अध्यक्ष महोदय-- आप प्रश्न पूछिये.
श्री के.के. श्रीवास्तव-- प्रश्न यही है कि हमेशा विभाग से यही जानकारी आती है कि यह धसान डायवर्सन योजना और ककहरा ....... (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय-- आप प्रश्न पूछिये.
श्री के.के. श्रीवास्तव-- यह योजना कहां चली गई माननीय अध्यक्ष महोदय. हमेशा उत्तर गलत आता है.
श्री जयंत मलैया – माननीय अध्यक्ष महोदय, टीकमगढ़ जिले की धसान नदी के ऊपर हमारी बांध सुजारा वृहद सिंचाई योजना है, इसका हम विस्तारीकरण कर रहे हैं और इसकी सिंचाई क्षमता 58,680 हेक्टेयर से बढ़ाकर 75, 000 हेक्टेयर कर रहे हैं. यह निर्माणाधीन है और बांध का निर्माण नदी तल से 5 मीटर की ऊंचाई तक किया जा चुका है . मुख्य नहर का निर्माण कार्य भी प्रगति पर है. जहां तक माननीय विधायक जी ने ककरवाहा पिक अप बियर की बात की है उसमें उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश दोनों राज्यों की जमीनें डूब में आती हैं . अत: इसमें उत्तर प्रदेश के साथ में मिलकर के चर्चा करनी पड़ेगी.
श्री के.के. श्रीवास्तव – माननीय मंत्री जी एक बार इसका सर्वे करवा लीजिये.ताकि जल्दी से स्वीकृति हो जाये.
अध्यक्ष महोदय – मंत्री जी माननीय सदस्य सर्वे कराने का पूछ रहे हैं.
श्री जयंत मलैया—माननीय अध्यक्ष महोदय, सर्वे का काम देख लेंगे.
श्री के. के. श्रीवास्तव – मंत्री जी इसके लिये आपको धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय – प्रश्नकाल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त)
(श्री रामनिवास रावत , सदस्य के खड़े होने पर )
अध्यक्ष महोदय -- पहले शून्यकाल की सूचनायें हो जाने दें.
श्री रामनिवास रावत—माननीय अध्यक्ष महोदय, पहले हमारा निवेदन आप सुन लें. त्रिस्तरीय पंचायती राज संगठन के आव्हान पर ग्राम पंचायत के पदाधिकारी जनपद के पदाधिकारी ,इन्होंने अपने वित्तीय औऱ प्रशासनिक अधिकारों को लेकर के आंदोलन किया था, आंदोलन का किस तरह से दबाया गया मैंने इस पर स्थगन दिया है. चर्चा करा लें.
अध्यक्ष महोदय—पहले शून्यकाल की सूचनायें हो जाने दें.
संसदीय कार्य मंत्री, (डॉ.नरोत्तम मिश्र) – अध्यक्ष महोदय, यह नई परम्परा डाली जा रही है. यह आपत्तिजनक है. अध्यक्ष महोदय यह नई परम्परा हर बार के लिये डाली जा रही है. दो तीन बार हो गया है इस तरह से.
श्री बाला बच्चन—अध्यक्ष महोदय, इसके पहले आप व्यवस्था करा दें.
डॉ.नरोत्तम मिश्र—पहले अध्यक्ष महोदय, जितना बोला है उसको विलोपित करायें. अगर आपकी अनुमति के बिना कुछ बोलेंगे तो....
श्री बाला बच्चन – माननीय अध्यक्ष महोदय, पूरे प्रदेश के लगभग 4 लाख प्रतिनिधि होते हैं ..
अध्यक्ष महोदय—आपकी बात रिकार्ड में आ गई है.
श्री रामनिवास रावत- आ गई तो 4 लाख जनप्रतिनिधियों पर किस तरह से लाठीचार्ज इस सरकार ने कराया है.
अध्यक्ष महोदय—आपकी बात आ गई है. अब पहले इसको हो जाने दें .
डॉ. नरोत्तम मिश्र – किसी भी विषय को गंभीर बनाने की कोशिश की जाती है. इस तरह से इस फ्लोर का उपयोग किया जाता है.
श्री रामनिवास रावत—अरे हमने स्थगन दिया है, ध्यानाकर्षण भी दिया है. बहुत गंभीर मामला है. महत्वपूर्ण विषय है इस पर चर्चा होनी चाहिये.
श्री बाला बच्चन—अध्यक्ष महोदय, विषय गंभीर है. पंचायती राज के सारे जनप्रतिनिधि नाराज हैं . उनको सरकार द्वारा गिरफ्तार किया जा रहा है, महिलाओं के साथ में बदसलूकी की गई. इस पर आप व्यवस्था दें.
अध्यक्ष महोदय—शून्यकाल की सूचनायें हो जाने दें. फिर इसके बाद सुन लेंगे.अभी कृपया बैठ जायें.
11.33 बजे
शून्यकाल की सूचनायें
ग्वालियर नगर निगम में शामिल ग्रामों में पेयजल संकट.
श्री भारत सिंह कुशवाह(ग्वालियर-ग्रामीण) – माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है . नगर निगम ग्वालियर 31 ग्राम पंचायतों के ग्रामों में भीषण पेयजल की समस्या है. इसी तरह से नगर निगम, ग्वालियर के वार्ड क्रमांक 61 से लेकर के वार्ड क्रमांक 66 में भी भीषण पेयजल की समस्या है. उक्त ग्रामों में पेयजल की गंभीर समस्या को देखते हुये इसके निराकरण हेतु शीघ्र पेयजल व्यवस्था की जाये. यदि उक्त स्थानों पर अभी से पेयजल की समस्या के निराकरण हेतु व्यवस्था नहीं की गई तो आने वाले गर्मी के मौसम में यह समस्या और भी जटिल हो जायेगी. उक्त स्थानों पर पेयजल समस्या का निराकरण न होने के कारण स्थानीय निवासियों में असंतोष व्याप्त है.
इछावर क्षेत्र के माऊखेडी से अमलाहा सड़क मार्ग की जर्जर हालत
श्री शैलेन्द्र पटेल (इछावर) – माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है. इछावर विधानसभा अंतर्गत माऊखेडी से अमलाहा मार्ग की सड़क बदहाल अवस्था मं है . इस मार्ग का डामर पूरी तरह से उखड़ कर बड़े बड़े गड्ढो में तब्दील हो गया है. सड़क के किनारे गहरे हो गये हैं. इस संकरे मार्ग पर वाहन चालक गड्ढों में गिर रहे हैं और घायल होकर अस्पताल पहुंच रहे हैं. रात्रि के समय वाहन क्रासिंग करते समय दुर्गपुरा निवासी रामेश्वर वर्मा घायल हो गये हैं. ओवरटेक करने वाले दुपहिया वाहन चालक सड़क के गहरे किनारों से गिर कर दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं. सड़क की बदहाली और बड़े बड़े गड्ढों के कारण हो रही दुर्घटनाओं से ग्रामीणों में आक्रोश है . इस रोड को शीघ्र बनवाया जाये एवं उसकी गेप फीलिंग में सुधार किया जाये.
(3) श्योपुर के कराहल के ग्रामों में निर्मित तालाबों की टूट-फूट को सुधारा जाना.
श्री रामनिवास रावत (विजयपुर) -- अध्यक्ष महोदय,
(4) श्योपुर जिले के चंबल नहर में राजस्थान से पर्याप्त मात्रा में पानी न छोड़ने से उत्पन्न समस्या.
श्री दुर्गालाल विजय (श्योपुर) – अध्यक्ष महोदय,
(5) जिला अनूपपुर के तहसील पुष्पराजगढ़ के ग्राम पंचायत किरगी में नाली का निर्माण न होना.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को (पुष्पराजगढ़ ) – अध्यक्ष महोदय,
अध्यक्ष महोदय – श्री सोहनलाल बाल्मीक.
श्री सोहनलाल बाल्मीक (परासिया) – मेरे परासिया विधानसभा क्षेत्र के ग्राम जमुनिया पठार में (डब्ल्यू.सी.एल.) वेस्टर्न कोल फील्ड लिमिटेड द्वारा भूमिगत कोयला खदानें खोली गईं. इस ग्राम में किसानों की भूमि अधिग्रहण की गईं. इस भूमि को वेस्टर्न कोल फील्ड लिमिटेड द्वारा अधिग्रहण किया गया. इसमें लगभग 227 किसानों को कम्पनी में नौकरी दिये जाने का प्रावधान किया गया है, जिसमें अभी वर्तमान में 53 किसानों को नौकरी प्रदान की गई बाकी प्रभावित किसानों को वेस्टर्न कोल फील्ड लिमिटेड द्वारा नौकरी प्रदान नहीं की गई है, वह कब की जायेगी ? क्योंकि किसानों की आर्थिक स्थिति खराब होती चली जा रही है. इसमें मेरा आग्रह है कि ध्यान दिया जाये.
अध्यक्ष महोदय – डॉ. गोविन्द सिंह
डॉ. गोविन्द सिंह (लहार) – माननीय अध्यक्ष महोदय, अन्तर्राष्ट्रीय हर्बल मेला दि. 11 से 15 दिसम्बर, 2015 तक राजधानी भोपाल के लाल परेड ग्राउण्ड मं परम्परागत वनोषधियों के उपयोग की जानकारी एवं असाध्य बीमारियों के इलाज हेतु आयोजित किया गया है. इसमें देश, प्रदेश एवं सुदूर अंचलों के नाड़ी परीक्षण उपरान्त वनोषधियों से निर्मित दवाईयों द्वारा अनुभवी वैद्यों द्वारा विगत 15 वर्षों से रोगियों को परामर्श एवं दवाई देकर अपने ज्ञान से मानव जाति को स्वास्थ्य लाभ पहुँचा रहे थे. वन मेला आयोजित किए जाने के इस अभिनव प्रयास को प्रदेश की पूर्ववर्ती सरकार द्वारा प्रारम्भ किया गया गया था किन्तु इस वर्ष मेला आयोजन समिति एलोपैथी चिकित्सा को बढ़ावा देने एवं एलोपैथी चिकित्सकों के दबाव में सुदूर अंचल से आए नाड़ी परीक्षण वैद्यों को मेला स्थित निर्धारित कक्षों मैं बैठने नहीं दिया गया. वन मेले में आने वाले जिससे देशी चिकित्सा एवं परम्परागत पद्धति से उपचार कराने वाले मरीज इलाज हेतु यहां-वहां भटकते रहे और अन्त में उन्हें बिना इलाज के ही वापस लौटना पड़ा. इस प्रकार अन्तर्राष्ट्रीय हर्बल मेले में एलोपैथिक चिकित्सकों के दबाव में, देशी जड़ी-बूटियों के जानकार एवं नाड़ी परीक्षण वैद्यों को मेले में स्थान नहीं दिये जाने को लेकर प्रदेश की आम जनता में तीव्र रोष एवं आक्रोश व्याप्त है. यह सब डॉ. शेजवार जी के दबाव में किया गया ताकि डॉक्टरों को एलोपैथी को बढ़ावा मिले.
अध्यक्ष महोदय – माननीय वन मंत्री जी ने इस पर कोई एतराज नहीं उठाया है.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार – मंत्री ने आपत्ति नहीं उठाई, ऐसी बात नहीं है. लेकिन मैं गोविन्द सिंह जी को बताना चाहता हूँ कि जितने भी क्वालिफाईड लोग हैं और जिनके पास अनुभव के प्रमाण-पत्र हैं, उन्हें सबको बराबर स्थान दिया गया है. मतलब, कहीं किसी व्यक्ति की उपेक्षा नहीं की गई है.
अध्यक्ष महोदय – यह प्रश्नकाल नहीं है. यह केवल कॉल अटेन्शन है. वह तो माननीय गृह मंत्री जी ने इंगित किया था. कृपया बैठ जाएं.
डॉ. गोविन्द सिंह – हिन्दुस्तान में नाड़ी परीक्षण का ज्ञान प्राप्त करने का कोई प्रमाण-पत्र है क्या ? बरसों से चल रहा नाड़ी परीक्षण रोक दिया.
अध्यक्ष महोदय – उन्होंने कह दिया तो ऐसा कुछ नहीं है.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार – एक बात जरूर है कि कुछ लोग वहां अकारण इस प्रकार की अफवाहें फैला रहे थे कि हम लड़के के जन्म के लिये दवाई देते हैं तो ऐसे लोगों को जरूर वहां आपत्तिपूर्वक हमने बाहर किया है कि एक तरफ तो जहां हम बेटी बचाओ आन्दोलन की बात कर रहे हैं और दूसरी तरफ हम ऐसे वैद्यों को, हम वहां कैसे एलाउ कर दें ? वह ऐसा कहें कि हम लड़का होने की दवा देते हैं तो इस पर हमने सख्त एतराज उठाया है और ऐसे लोगों को हमने जान-बूझकर वहां बाहर किया है कि हमारे बेटी बचाओ आन्दोलन जो माननीय मुख्यमंत्री जी, माननीय प्रधानमंत्री जी, इसके विपरीत कोई नहीं जा सकता. हमने वहां से सख्ती से ऐसे लोगों को बाहर किया है.
संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) – डॉ. गोविन्द सिंह जी, आप भी बेटी बचाओ आन्दोलन में मदद कीजिये. बेटी बचाओ आन्दोलन में भिण्ड जिले में सबसे ज्यादा लिंगानुपात का अन्तर है. आपको मालूम है, आप भी इसमें सहयोग करें.
अध्यक्ष महोदय – कृप्या बैठ जाइये. बात हो कई है. श्री कमलेश्वर पटेल
श्री कमलेश्वर पटेल (सिहावल) – प्रदेश सरकार एक ओर आमजनों की सुविधा हेतु मार्गों के निर्माण व सुधार कार्य में करोड़ों रूपये व्यय कर रही है, वहीं सीधी, सिंगरौली जिले क राष्ट्रीय राजमार्ग 74 के निर्माण के संबंध में विगत 4 वर्ष पूर्व कार्य प्रारम्भ किया गया था किन्तु निर्माण एजेन्सी व विभागीय अधिकारियों की उदासीनता के कारण, आज तक मार्ग का निर्माण के साथ-साथ शहीर क्षेत्रों में नालियों के निर्माण का कार्य पूर्ण नहीं होने से आये दिन सड़क दुर्घटनायें हो रही हैं. साथ ही, जहां कहीं निर्माण कार्य हो भी रहा है तो गुणवत्ताविहीन हो रहा है. हाल ही में, सिंगरौली जिले के देवसर ब्लाक मुख्यालय के सामने 14 वर्षीय स्कूल छात्रा का दुर्घटना में मृत्यु हो गई है, जिससे हजारों लोगों ने आक्रोशित हो कर राष्ट्रीय राजमार्ग को बन्द कर आन्दोलन एवं प्रदर्शन किया था. पूरे क्षेत्र में धूल का गुब्बारा बना रहता है, जिससे क्षेत्रवासियों को गंभीर संक्रमण व बीमारियां फैल रही हैं. आवागमन पूर्णरूपेण बाधित हो चुका है. क्षेत्रीय जनता में व्यापक आक्रोश एवं असंतोष व्याप्त है, स्थिति कभी भी जन-आन्दोलनात्मक हो सकती है.
अध्यक्ष महोदय, हमारे यहां जो पत्रकार के साथ अन्याय हुआ है, उसमें तो माननीय मंत्री जी से न्याय दिलवाइये.
अध्यक्ष महोदय - पहले रावत जी बोल दें ।
श्री के.पी.सिह(पिछोर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी एक भी शून्यकाल की सूचना पढ़ने में नहीं आती हैं, क्या कारण हैं, मुझे समझ में नहीं आता ।
अध्यक्ष महोदय - देख लेंगे, यह बात यहां करने की नहीं है ।
श्री के.पी.सिह - अध्यक्ष महोदय, करने की बात नहीं है,चूँकि मैं शुरू से लगातार देख रहा हूँ, क्या कारण हैं, मुझे पता लग जाए, बस इतनी सी बात है.
अध्यक्ष महोदय - आप, वरिष्ठ विधायक हैं, आपका कॉल अटेंशन आ गया ।
श्री के.पी.सिंह - कॉल अटेंशन तो अलग बात है, चार सूचनाएं लगाई थीं, एक भी शून्यकाल की सूचना नहीं आई है ।
अध्यक्ष महोदय - आप वरिष्ठ विधायक हैं, मंत्री भी रह चुके हैं, आपसे कक्ष में बात कर लेंगे, श्री रामनिवास रावत, संक्षेप में अपनी बात कहें ।
श्री रामनिवास रावत(विजयपुर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, संक्षेप में ही बोलूंगा, त्रिस्तरीय पंचायती राज संगठन के आव्हान पर जनपद पंचायत, जिला पंचायत,ग्राम पंचायत के चुने हुए जनप्रतिनिधियों द्वारा अपने प्रशासनिक और वित्तीय अधिकार जो पहले से उनको दिए गए थे, उन अधिकारों को वापस लेकर, उन्हें अधिकार विहीन कर दिया गया है, उन्होंने अपने अधिकारों की मांगों के समर्थन में 28.10.15, को सूचना के साथ, आंदोलन करने के लिए, भोपाल में इकट्टे हुए, पंचायत के प्रतिनिधियों पर, पुलिस द्वारा,प्रशासन द्वारा लाठी चार्ज किया गया, उन्हें बंद किया गया, उन्हें रोका गया और उन्हें आंदोलन नहीं करने दिया,यह संविधान के मौलिक अधिकारों का भी हनन है, उनके अधिकार वापस ले लिए गए, माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बहुत आपत्तिजनक है । इस विषय पर स्थगन दिया हुआ है, आप स्थगन ग्राह्य कर लें तो, बड़ी कृपा होगी ।
पंचायत मंत्री(श्री गोपाल भार्गव)- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य का यह कथन पूर्णत: असत्य है, एक भी अधिकार वापस नहीं लिए गए हैं ।
श्री रामनिवास रावत - पंचायत प्रतिनिधियों के सारे अधिकार वापस ले लिए गए हैं ।
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष महोदय,कभी भी लाठी चार्ज नहीं किया गया और न ही कोई प्रताड़ना की कार्यवाही की गई है ,यह जानकारी सही नहीं है,यह पूर्णत: असत्य है ।
श्री रामनिवास रावत – माननीय अध्यक्ष महोदय, संविधान की धारा अनुच्छेद 19 के मौलिक अधिकारों का भी हनन किया गया है, उनको सम्मेलन नहीं करने दिया गया है, उनको अपनी मांगे नहीं रखने दी गईं ।
श्री बाला बच्चन - माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने स्थगन दिया है, उसको ग्राह्य किया जाना चाहिए और चर्चा कराई जानी चाहिए ।
अध्यक्ष महोदय - ठीक है, अब बात हो गई,आपकी बात आ गई है ।
श्री रामनिवास रावत- माननीय अध्यक्ष महोदय, चर्चा कराई जाए माननीय मंत्री जी, गलत बयानी कर रहे हैं, हम इसकी घोर निंदा करते हैं ।
अध्यक्ष महोदय - श्री दिनेश राय, मुनमुन को बोलने दें, वह निर्दलीय विधायक हैं ।
श्री दिनेश राय(सिवनी)- रावत जी, बहुत संवेदनशील मामला है,मुझे बोलने दीजिए ।
श्री रामनिवास रावत- तो क्या हमारा मामला असंवेदनशील है, आप लोग हर मामले की टोका-टाकी करते हैं, बोलने नहीं देते ।
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष महोदय, उनकी मांग के अनुसार हमने उन्हें लाल बत्ती दे दी,गनमैन उपलब्ध करा दिया,गाड़ी और डीजल उपलब्ध करा दिया, 15 अगस्त और 26 जनवरी को ध्वजारोहण करने की अनुमति दी है ।
श्री रामनिवास रावत - उन पर डण्डे भी चलाए गए,उनका अपमान किया गया । माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रदेश सरकार निरन्तर पंचायत प्रतिनिधियों का अपमान कर रही है ।
अध्यक्ष महोदय - आपकी बात आ गई,मंत्री जी की भी बात आ गई है ।
श्री रामनिवास रावत- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने स्थगन दिया है, कोई तो व्यवस्था आ जाए, चर्चा करा लें ।
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, लाल बत्ती दे दी,गनमैन दे दिया,ध्वजारोहण की अनुमति दे दी,गाड़ी दे दी, डीजल दे दिया ।
अध्यक्ष महोदय – मंत्री जी, बैठ जाएं आपकी बात आ गई ।
श्री रामनिवास रावत – अध्यक्ष महोदय, पंचायत प्रतिनिधियों पर लाठी चार्ज किया, यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है ।
श्री बाला बच्चन(राजपुर) - अध्यक्ष महोदय, पंचायतों के माध्यम से लगभग 4 लाख जनप्रतिनिध चुने जाते हैं, अक्टूबर में सरकार ने बड़ी बर्बरता की है, उनके साथ,बदसलूकी की है, लाठी चार्ज किया है, महिलाओं को भी जेल में डाला गया है,उनके जो वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार थे, वह छीन लिए गए हैं । माननीय अध्यक्ष महोदय हमने स्थगन दिया है, इसको ग्राह करना चाहिए, चर्चा कराना चाहिए, यह हमारा हक है ।
श्री दिनेश राय मुनमुन(सिवनी) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना इस प्रकार है ।
अध्यक्ष महोदय - शून्यकाल की सूचना नहीं, आप कोई बात करना चाहते हैं तो वैसे ही कह दीजिए ।
श्री दिनेश राय (सिवनी)- अध्यक्ष महोदय,मैंने सिवनी में जलशोधन संयंत्र में अमानक ब्लीचिंग पावडर का उपयोग किए जाने के संबंध में ध्यानाकर्षण दिया है.
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाइए,आपका यह विषय आ गया, हम उसको ग्राह्य करेंगे ।
पत्रों का पटल पर रखा जाना
भारत के नियंत्रक-महालेखा परीक्षक, के वित्त लेखे, वर्ष 2014-15 खण्ड-1 एवं खण्ड 11 तथा
भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक के विनियोग लेखे वर्ष 2014-15
वित्तमंत्री, (श्री जयंत मलैया)—अध्यक्ष महोदय, मैं, भारत के संविधान के अनुच्छेद 151 के खण्ड (2) की अपेक्षानुसार-
(1) भारत के नियंत्रक-महालेखा परीक्षक, के वित्त लेखे, वर्ष 2014-15 खण्ड-1 एवं खण्ड 11 तथा
(2) भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक के विनियोग लेखे वर्ष 2014-15 पटल पर रखता हूं.
मध्यप्रदेश राज्य सहकारी विपणन संघ मर्यादित, भोपाल का संपरीक्षित वित्तीय पत्रक वर्ष 2014-2015,
मध्यप्रदेश राज्य सहकारी उपभोक्ता संघ मर्यादित, भोपाल का संपरीक्षित वित्तीय पत्रक वर्ष 2014-15 तथा
मध्यप्रदेश राज्य सहकारी आवास संघ मर्यादित, भोपाल का संपरीक्षित वित्तीय पत्रक वर्ष 2014-15,
सहाकारिता मंत्री,(श्री गोपाल भार्गव)—अध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश सहकारी सोसाइटी अधिनियम, 1960 की धारा 58 की उपधारा (1) (दो) (घ) की अपेक्षानुसार-
(क) मध्यप्रदेश राज्य सहकारी विपणन संघ मर्यादित, भोपाल का संपरीक्षित वित्तीय पत्रक वर्ष 2014-15,
(ख) मध्यप्रदेश राज्य सहकारी उपभोक्ता संघ मर्यादित, भोपाल का संपरीक्षित वित्तीय पत्रक वर्ष 2014-15 तथा
(ग) मध्यप्रदेश राज्य सहकारी आवास संघ मर्यादित, भोपाल का संपरीक्षित वित्तीय पत्रक वर्ष 2014-2015, पटल पर रखता हूं.
अटल बिहारी बाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय का प्रथम वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2012-2013
बरकतउल्ला विश्वविद्यालय, भोपाल का 42 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2013-14, तथा
मध्यप्रदेश भोज (मुक्त) विश्वविद्यालय, भोपाल (म.प्र.) का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2014-15
उच्च शिक्षा मंत्री, (श्री उमाशंकर गुप्ता)—अध्यक्ष महोदय, मैं,
(1) अटल बिहारी बाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2011 (क्रमांक 34 सन् 2011) की धारा 44 की उपधारा (2) की अपेक्षानुसार-
अटल बिहारी बाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय का प्रथम वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2012-2013
(2) मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय अधिनियम, 1973 (क्रमांक 22 सन् 1973) की धारा 47 की अपेक्षानुसार बरकतउल्ला विश्वविद्यालय, भोपाल का 42 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2013-2014, तथा
(3) मध्यप्रदेश भोज (मुक्त) विश्वविद्यालय अधिनियम 1991 की धारा 30 की उपधारा (4) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश भोज (मुक्त) विश्वविद्यालय, भोपाल (म.प्र.) का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2014-2015 पटल पर रखता हूं.
मध्यप्रदेश राज्य महिला आयोग भोपाल का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2010-11, 2011-12 एवं 2012-13
महिला एवं बाल विकास मंत्री (श्रीमती माया सिंह)—अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश राज्य महिला आयोग अधिनियम, 1995 (क्रमांक 20 सन् 1996) की धारा 14 की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश राज्य महिला आयोग भोपाल का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2010-11, 2011-12 एवं 2012-13 पटल पर रखती हूं.
ध्यानाकर्षण
श्री सोहनलाल बाल्मीक—माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने कई बार ध्यानाकर्षण की सूचनाएं लगाई हैं, लेकिन मेरी सूचनाएं ग्राह्य नहीं हो पा रही हैं, इसके क्या कारण हैं ?
अध्यक्ष महोदय—आप मेरे कक्ष में चर्चा करने के लिये आ जाएं.
श्री सोहनलाल बाल्मीक—जी हां अध्यक्ष महोदय.
श्री रामनिवास रावत—माननीय अध्यक्ष महोदय, आपकी बड़ी कृपा हुई हमारा ध्यानाकर्षण ग्राह्य किया आया. यह ध्यानाकर्षण मेरा भी है, माननीय महेन्द्र सिंह, माननीय बाला बच्चन जी का भी है. सब ने अलग अलग दिये थे अब मिश्रण हो गया है.
अध्यक्ष महोदय—विषय एक ही था. रावत जी अब आप ध्यानाकर्षण की सूचना पढ़े.
(1) अशोक नगर सहित अन्य जिलों में सूखे से उत्पन्न स्थिति
श्री रामनिवास रावत(विजयपुर),महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा,बाला बच्चन-अध्यक्ष महोदय,
राजस्व मंत्री (श्री रामपाल सिंह) - अध्यक्ष महोदय,
श्री रामनिवास रावत:- माननीय अध्यक्ष महोदय,मेरी ध्यानाकर्षण का विषय सीमित कर दिया है और आपने इस पर चर्चा भी ली है और इसके लिये सहदृयता से आभार भी है. मेरा इस में एक ही प्रश्न है कि सूखाग्रसत घोषित करने के लिये कलेक्टर प्रस्ताव भेजते हैं और कलेक्टर के प्रस्ताव पर घोषित करते हैं.
अध्यक्ष महोदय, श्योपुर कलेक्टर द्वारा दिनांक 23.10.15 को प्रमुख सचिव के.के.सिंह जी राजस्व विभाग, राहत आयुक्त को पत्र भेजा है जो कि श्योपुर जिले की तहसील कराहल को सूखा ग्रस्त घोषित किये जाने के संबंध में. मंत्री जी को भी मैंने उपलब्ध करा दिया है शायद विभाग में भी होगा, यदि आप कहें तो में पढ़कर सुना देता हूं.
अध्यक्ष महोदय:- नहीं आप पढ़कर नहीं सुनायें.
श्री रामनिवास रावत :- मंत्री जी स्वीकार कर लें कि पत्र प्राप्त हो गया है तो पढ़ने की जरूरत नहीं है.
अध्यक्ष महोदय:- आप अपनी बात पूरी कर दीजिये, पढ़ने की जरूरत नहीं है.
श्री रामनिवास रावत:- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं बिल्कुल नीचे का पैरा पढ़ देता हूं कि उपरोक्त गंभीर समस्याओं को दृष्टिगत रखते हुए श्योपुर जिले की तहसील कराहल को भी सूखाग्रस्त घोषित करने का कष्ट करें. इस प्रस्ताव के बाद भी कराहल तहसील सूखाग्रस्त घोषित नहीं की गयी है. इसी का कारण है कि कराहल में भी जबरदस्त रूप से फसलें नष्ट होने के बाद भी मुआवजा केवल ओलावृष्टि से जो फसलें नष्ट हुई थी उनका तो वितरीत किया गया है और जो पहले सर्वे कराया था उस सर्वे को न तो दिखाया गया और न ही उस सर्वे की राहत राशि वितरीत की गयी. तो क्या मंत्री महोदय कराहल तहसील को सूखाग्रस्त घोषित करने की घोषणा उस प्रस्ताव के बाद करेंगे.
श्री रामपाल सिंह :- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय रावत जी का प्रस्ताव है, आपके क्षेत्र की एक तहसील रह गयी है. लेकिन अध्यक्ष महोदय, पूरे प्रदेश में बड़ी गंभीरता से बारीकी से अध्ययन कर रहे हैं और पूरी रिपोर्ट जिला प्रशासन से और कलेक्टरों से बुलवा रहे हैं. उस पर हम लोग शीघ्र ही कार्यवाही करेंगे. जैसा कि माननीय रावत जी ने बताया है और भी सदस्य मेरी तरफ देख रहे हैं उनका भी प्रस्ताव आया है.
श्री रामनिवास रावत:- अध्यक्ष महोदय, यह तो कामन बात हो गयी. मैं यही तो पूछ रहा हूं कि क्या कलेक्टर का प्रस्ताव प्राप्त हुआ कि नहीं सूखाग्रस्त घोषित करने के लिये. मैं आपसे सिर्फ यही पूछ रहा हूं कि श्योपुर कलेक्टर का कराहल तहसील को सूखाग्रस्त घोषित करने के लिये राज्य शासन को प्रस्ताव प्राप्त हुआ या नहीं, हां या नां में जवाब दीजिये.अगर मेरी भाषा अन्यथा है तो माननीय मंत्रीजी से विनम्रतापूर्वक निवेदन करता हूं कि क्या कलेक्टर श्योपुर द्वारा प्रमुख सचिव, राजस्व राहत आयुक्त को प्रस्ताव भेजा गया है या नहीं कृपापूर्वक बता दें.
श्री रामपाल सिंह—माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी जो बात कह रहे हैं मैं वही निवेदन कर रहा था क्योंकि यह विषय सूखे से संबंधित हैं कई माननीय सदस्य मेरी तरफ देख रहे हैं केपी सिंह साहब भी देख रहे हैं तो मैं आपके माध्यम से निवेदन कर रहा हूँ पत्र आया है पीएस को निर्देश कर रहे हैं उसका परीक्षण करके, प्रदेश से और भी माननीय सदस्यों के सुझाव आए हैं उस पर हम लोग गंभीरता से निर्णय करेंगे.
अध्यक्ष महोदय—आपकी बात का उत्तर आ गया.
श्री रामनिवास रावत—उत्तर बिलकुल नहीं आया क्या मैं कांग्रेस का हूं इसलिए सूखा प्रभावित घोषित नहीं कर रहे हैं. यह पार्शलिटी है.
अध्यक्ष महोदय—मंत्रीजी बार बार कह रहे हैं कि पूरे प्रदेश की फिक्र कर रहे हैं.
श्री रामनिवास रावत—मैं केवल अपनी कराहल विधान सभा का पूछ रहा हूँ जिसका प्रस्ताव प्राप्त हो चुका है यह 23.10.15 को आया है अभी तक सूखाग्रस्त घोषित नहीं हुआ है. बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न है. कई चीजें हैं.
अध्यक्ष महोदय—उन्होंने कह दिया कि पत्र मिला है आपका उत्तर आ गया है.
श्री रामनिवास रावत—उत्तर नहीं आया है, यह तो उपेक्षा है कि केवल हम कांग्रेसी हैं इसलिए...
अध्यक्ष महोदय—नहीं इस तरह से बात नहीं करें.
श्री रामनिवास रावत—जब आपने 23 जिलों की 168 तहसीलें घोषित कर दीं.
अध्यक्ष महोदय—जबरदस्ती कैसे कर सकते हैं.
श्री रामनिवास रावत—जबरदस्ती इसलिए है कि प्रस्ताव आ चुका है.
अध्यक्ष महोदय—प्रस्ताव आ चुका है इसके लिए उन्होंने मना कहां किया है.
श्री घनश्याम पिरोनियां—अध्यक्ष महोदय, मेरा भी निवेदन है कि भाईसाहब कह रहे हैं कि मैं कांग्रेसी हूँ इसलिए नहीं हुआ है मेरी विधान सभा भी सूखाग्रस्त घोषित नहीं हुई है मैं तो भाजपा का हूँ.
श्री रामनिवास रावत—प्रस्ताव आ चुका है, अगर प्रस्ताव आया हो तो आपके साथ भी गलत हुआ है.
अध्यक्ष महोदय—आप सहयोग करें इस तरह से नहीं होगा ध्यानाकर्षण में इस तरह से बहस नहीं की जा सकती है आपकी बात का उत्तर आ गया है. आपके प्रश्न का पाइंटेड उत्तर आ गया है जो आपने पूछा था उन्होंने कहा है कि हम इसका परीक्षण करा रहे हैं यह बात आ गई अब आप और क्या चाहते हैं.
श्री रामनिवास रावत—परीक्षण कराकर कब तक निर्णय कर लेंगे निर्णय की स्थिति से हमें अवगत करा दें.
श्री रामपाल सिंह—माननीय अध्यक्ष जी जल्दी ही हम समीक्षा करेंगे. अतिशीघ्र करेंगे. एक सप्ताह में फैसला करेंगे.
डॉ.गोविन्द सिंह—मंत्रीजी यह पर्चियां पहले ही मंगा लिया करो.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा—अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्रीजी से यह जानना चाहता हूँ कि अशोकनगर जिले में...
डॉ. नरोत्तम मिश्र—अध्यक्ष महोदय, कालूखेड़ाजी लोक लेखा समिति के अध्यक्ष हैं और वास्तव में धन्यवाद के पात्र भी हैं कि सर्वाधिक प्रतिवेदन इनकी लोक लेखा समिति के आए हैं.
अध्यक्ष महोदय—वे बधाई के पात्र हैं जब प्रतिवेदन प्रस्तुत करेंगे तब भी हम उनको बधाई देंगें.
श्री रामनिवास रावत—आप लोग सुनते नहीं हैं अशोकनगर जिले की भी कोई तहसील सूखाग्रस्त घोषित नहीं की गई है.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा—मैं संसदीय मंत्रीजी का आभारी हूँ कि उन्होंने मुझे बधाई दी है. 206 रिपोर्ट आज मैं पेश कर रहा हूं, प्रमुख सचिव व विधान सभा के स्टाफ का आभारी हूँ अध्यक्ष महोदय का आभारी हूं कि उन्होंने हमको इतना प्रेरित किया कि हम इतनी रिपोर्टें प्रस्तुत कर पाये.
अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्रीजी से जानना चाहता हूँ कि क्या अशोकनगर में कृषि विभाग और राजस्व विभाग द्वारा की जाने वाली क्राप कटिंग के आंकड़े सरकारी वेबसाइट पर 31 जुलाई के पहले तक अपलोड नहीं किए गए इसके कारण बीमा करने वाली एग्रीकल्टर इंश्योरेंस कंपनी को बर्बाद फसल के आंकड़े नहीं मिलने से बीमा होने के बाद भी सैंकड़ों किसानों को बीमा की राशि नहीं मिली है तो मेरा आपसे अनुरोध है कि उनको भी दंडित करें, उन किसानों को क्यों दंडित कर रहे हैं जो राजस्व और कृषि विभाग के लोगों की गलती के कारण जो बीमा से वंचित रह गए. अशोकनगर जिले में फसल नष्ट होने का यह तीसरा साल है मुझे ताज्जुब है कि पहली सूची में इसका नाम आना चाहिए था लगता है हमारे प्रभारी मंत्री गोपाल भार्गवजी क्या इतने कमजोर हैं कि आप उनकी उपेक्षा कर रहे हैं और उनके प्रभार जिले की तीनों तहसीलों को आप घोषित नहीं कर रहे हैं. नईसराय, ईषागढ़ अशोकनगर जिले की चार तहसीलों की गंभीर स्थिति है गोपाल भार्गव इतने कमजोर थोड़ी हैं कि आप उनकी उपेक्षा करके हमारे को सूखा घोषित नहीं कर रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, यह असत्य उत्तर भी दे रहे हैं, अशोक नगर जिले में 4 किसानों ने आत्महत्या की है. यह आप बताएँ कि की या नहीं की, श्रीराम यादव, मढ़ी महिदपुर, बिलाखेड़ी के कलेक्टर सिंह यादव, अशोक अहरिवार, बानौरा और....
अध्यक्ष महोदय-- कृपया प्रश्न करें.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा-- भरत सिंह लोधी, कुँवरपर, इन 4 किसानों ने आत्महत्या की है या नहीं. ये जो मेरे सवाल हैं इनका उत्तर देने का कष्ट करें. आपने कैसे लिख दिया कि आत्महत्या नहीं है.
अध्यक्ष महोदय-- एक ही प्रश्न पूछना है इसलिए आप अपने क्षेत्र से संबंधित कोई रिलेवेंट पूछ लें तो ठीक रहेगा.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा-- अध्यक्ष महोदय, इन्होंने अपने उत्तर में कहा है कि आत्महत्या नहीं हुई है.
अध्यक्ष महोदय-- वह तो उत्तर में आ ही गया. अब उससे क्या? आप कुछ और रिलेवेंट पूछ लें.
सहकारिता मंत्री (श्री गोपाल भार्गव)-- अध्यक्ष महोदय, चूँकि मेरे नाम का उल्लेख किया है, आत्महत्या का जहाँ तक प्रश्न है, मुझे जानकारी है कि किसी ने कोई डाइंग डिक्लेरेशन उसमें नहीं दिया कि इस कारण से मैं सुसाइड कर रहा हूँ. अब कोई भी मृत्यु होती है तो उसको किसी विषय के साथ जोड़ दिया जाता है, मैं उसमें नहीं जाना चाहता. लेकिन माननीय सदस्य ने जो कहा है सूखे के बारे में, उसकी जिले से कृषि विभाग से और राजस्व विभाग से जो कुछ भी रिपोर्ट आई है, उसका हम परीक्षण करवा रहे हैं और इसके बारे में राजस्व मंत्री जी उत्तर देंगे. मैं आश्वस्त करना चाहता हूँ कि आगे कुछ न कुछ करेंगे.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा-- आप हमारे लिए लड़ो, प्रभारी मंत्री हों आप.
अध्यक्ष महोदय-- आप कृपया प्रश्न कर लें.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा-- अध्यक्ष महोदय, मैंने पूछा है कि अधिकारियों ने जो क्रॉप कटिंग के आँकड़े समय पर नहीं भेजे हैं, आप उनको दंडित तो करेंगे लेकिन जिन किसानों को इसके कारण बीमा राशि नहीं मिली है, क्या उनको आप बीमा राशि दिलवाएँगे? कलेक्टर ने भी आपको चिट्ठी भेजी है कि समय पर आँकड़े नहीं भेजे.
श्री रामपाल सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हम लोग प्रदेश के अँन्दर जो तहसीलें सूखाग्रस्त घोषित कर रहे हैं उसके मापदंडों में वर्षा के आँकड़े, फसल कटाई प्रयोग में नहीं आने की वजह से और हम अगली आने वाली फसल भी देख रहे हैं तथा आँकड़े प्राप्त कर रहे हैं. दूसरा आपने जो ईसागढ़ तहसील का प्रश्न किया है वास्तव में समय पर जानकारी नहीं देने से किसानों का नुकसान हुआ है, आपने जो बात रखी मैं उसको स्वीकार कर रहा हूँ. आप पहले कृषि मंत्री भी रहे हैं इसमें एक समिति है डायरेक्टर उसके रहते हैं उस समिति के पास इस केस को भेज रहे हैं कि इस पर पुनर्विचार करें और जिसने भी लापरवाही की है, किसानों के हितों की अनदेखी की है, तो उनके खिलाफ हम सख्त कार्यवाही करेंगे.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा-- अध्यक्ष महोदय, उन किसानों को आप पैसा दिलवाएँगे कि नहीं? केवल दंडित करेंगे तो क्या हुआ.
श्री रामपाल सिंह-- अध्यक्ष महोदय, हम किसानों का प्रकरण समिति के पास भेज रहे हैं और उस पर तुरन्त निर्णय होगा.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा-- अध्यक्ष महोदय, मेरे एक प्रश्न का उत्तर नहीं आया.
अध्यक्ष महोदय-- आप वरिष्ठ सदस्य हैं कृपया सहयोग करें.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा-- अध्यक्ष महोदय, पिछले वर्षों में बड़े-बड़े लोगों को मुआवजा दे दिया गया और बी पी एल तथा एस सी, एस टी, के लोगों को नहीं मिला. इसकी आप जाँच करेंगे क्या?
अध्यक्ष महोदय-- यह आज के कॉल अटेंशन का विषय नहीं है.
उप नेता प्रतिपक्ष (श्री बाला बच्चन) (राजपुर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा भी इस संबंध में ध्यानाकर्षण था और आपने मुझे इसमें बोलने के लिए अवसर दिया उसके लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूँ और आपके माध्यम से माननीय सरकार की जानकारी में लाना चाहता हूँ, जिस तरह से अभी आदरणीय कालूखेड़ा जी ने भी यह प्रश्न किया था कि फसल बीमा योजना की माननीय मुख्यमंत्री जी पहले बहुत आलोचना करते थे, जब हमारी यू पी ए की सरकार थी. अब डेढ़ साल से आपकी सरकार है और अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी नीति आयोग के अध्यक्ष हैं. अभी तक क्यों नहीं इसमें कोई सुधार करवाया है? जो उप समिति है उसके जो अध्यक्ष हैं नीति आयोग के और आज तक उसमें कोई परिवर्तन नहीं कराया जिससे कि किसानों का भला हो सके. अध्यक्ष महोदय, किसानों की माली हालत बहुत खराब है.
अध्यक्ष महोदय-- आप सीधा प्रश्न कर दें.
श्री बाला बच्चन-- किसान आत्महत्याएँ कर रहे हैं और हजारों की संख्या में आत्महत्याएँ हो रही हैं. मेरे यहाँ पर बड़वानी जिले के मालवन सोलवन सेंधवा विधान सभा के किसान ने भी आत्महत्या की है. मैं सरकार से यह प्रश्न करना चाहता हूँ कि सरकार का दोमुँहापन चेहरा सामने आता है और जितने वादों पर मुख्यमंत्री जी ने जो पर्दे डाल रखे हैं, उन पर्दों का, पर्दाफाश भी होता है....
अध्यक्ष महोदय-- आप कृपया प्रश्न कर लें.
श्री बाला बच्चन-- माननीय मुख्यमंत्री जी ने भूमि विकास बैंक को बंद करने की बात की है......
अध्यक्ष महोदय-- आप कृपया कॉल अटेंशन से संबंधित प्रश्न कर दें.
श्री बाला बच्चन-- जी, किसानों से संबंधित मामला है, भूमि विकास बैंक को बंद कर दिया है और अब वसूली 31 तारीख तक का, दो किश्तों में वसूली की जा रही, 31 दिसंबर 2015 तक का समय दिया है, जो कि 30 प्रतिशत राशि 31 दिसंबर 2015 तक वसूली जा रही है और 70 प्रतिशत राशि 30 जून 2016 तक वसूली जाएगी, तो इस बीच में कहाँ से किसानों के पास पैसा आ जाएगा जिससे कि वे कर्ज की अदायगी कर सकेंगे?
अध्यक्ष महोदय-- आप इससे संबंधित प्रश्न कर लें.
श्री बाला बच्चन-- मैं माननीय मंत्री जी से भी आग्रह करना चाहता हूँ, चूँकि मेरा अपना बड़वानी जिला, जो कि ट्रायबल जिला भी है, जिसकी मेरी अपनी विधान सभा की पानसेमल तहसील है, राजपुर तहसील है, अँजड़ तहसील है और इसके अलावा भी जो पानसेमल विधान सभा की निवाली और पानसेमल तहसीलें हैं उसके अलावा सेंधवा, ठीकरी है, पाटी और बड़वानी तहसील हैं, सब जगह पूरे मध्यप्रदेश के साथ मेरे अपने जिले में, मेरी अपनी विधासभा की तहसीलों का मैंने उल्लेख किया है, वहाँ बड़े लेवल पर सहकारी बैंकों की, राष्ट्रीयकृत बैंकों की ऋण की वसूली की जा रही है, बिजली के बिलों के वसूली की जा रही है,स्थानीय सेठों द्वारा वसूली की जा रही है तो किसान व्यवस्थायें नहीं हो पाने के कारण ऋण की अदायगी नहीं कर पाते हैं . अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से सरकार से यह पूछना चाहता हूं कि क्या माननीय मंत्री जहाँ कहीं सूखा पड़ा है, अल्पवर्षा हुई है, अतिवृष्टि हुई है, कहीं ओलावृष्टि हुई है उन किसानों की जो ऋण वसूली और बिजली के बिलों की ऋण वसूली है उसको स्थगित करने का कोई आदेश सरकार ने निकाल है. नहीं निकाल है तो कब तक निकालेंगे जिससे कि वह वसूली रुक सके और कम से कम इस वर्ष का बैंकों का ब्याज भी माफ हो सके.
श्री रामपाल सिंह-- माननीय अध्य़क्ष महोदय, एक तो बड़वानी के विषय में बच्चन साहब ने कहा है उसका हम परीक्षण कराएंगे. दूसरा बीमा के विषय में है ,इस विषय में मैं बताना चाहता हूं कि पिछली बार भी हमने मध्यप्रदेश में लड़कर बीमा दिया . आधी राशि भारत सरकार से यहाँ दी और बीमा के लिए कृषि विभाग के माध्यम सुधार कर रहे हैं और दुनिया भर के विशेषज्ञों को हमने बुलाया है. इस पर माननीय मुख्यमंत्री जी भी चिंता कर रहे हैं लेकिन आप जो सुझाव किसानों की वसूली का दे रहे हैं, उसके निर्देश भी जा चुके हैं कि यदि कोई साहूकार भी किसी तरह जबर्दस्ती करते हैं तो हम कार्यवाही करेंगे और दूसरी जो सुविधायें हैं, ऋण के विषय में , वसूली के विषय में भी निर्देश जारी हो चुके हैं और आज भी अल्पकालीन फसल ऋण को मध्यकालीन ऋण में परिवर्तित कर दिया गया है और कई महत्वपूर्ण निर्णय सरकार की तरफ से किसानों के हित में लिये हुए हैं मैं बच्चन जी आपको आग्रह करना चाहूंगा कि इतने अच्छे काम मध्यप्रदेश सरकार किसानों के हित में कर रही है और भी क्या अच्छा कर सकते हैं हमें इसका सुझाव आप देंगे तो आपके क्षेत्र से लेकर और भी जो प्रदेश के जिलों में समस्यायें हैं उनका निराकरण हम करेंगे. बिजली के विषय को आज केबिनेट में मुख्यमंत्री जी ने रखा है उस पर भी गंभीरता से निर्णय लिया जाएगा हमारे प्रभारी मंत्री जी उसको रखेंगे उस पर विचार करेंगे. अध्यक्ष महोदय, किसानों की चिंता सरकार कर रही है और बड़े साहसिक निर्णय मध्यप्रदेश सरकार ने लिये हैं, पूरा बजट रोककर मध्यप्रदेश के किसानों के लिए एक दिन का विधानसभा सत्र यहाँ बुलाया था यह मध्यप्रदेश के अंदर रिकार्ड है . यह किसानों की सरकार है .
श्री बाला बच्चन-- माननीय मंत्री जी ने बोला है कि यह ऋणों की वसूली स्थगित करने के लिए आदेश निकाला है तो मैं कहना चाहूंगा कि उसका सख्ती से पालन करायें दूसरा जो कृषक अनुदान योजना है जिसके अंतर्गत बिजली के कनेक्शन दिये जाते हैं वह साल भर से पेंडिंग है, कनेक्शन नहीं दिये जा रहे हैं और अस्थाई कनेक्शन लेने के लिए बिजली विभाग बहुत सख्ती बरत रहा है तो इसको भी रोके. ताकि किसान आत्महत्यायें रुक सके और यह जो सख्ती से वसूली की जा रही है उससे भी बच सके क्योंकि तंत्र इसका पालन नहीं कर रहा है इसलिए इसको समयसीमा में पालन करवाने का निर्देश करवा दें.
अध्यक्ष महोदय-- वह तो मंत्री जी ने कह दिया है आपका सुझाव भी आ गया है. मंत्री जी जो आदेश आपने दिये हैं समय सीमा में उसका पालन करवा दें ऐसा आपका अनुरोध है.
श्री रामपाल सिंह--- अध्यक्ष महोदय , निश्चित रूप से हम इसको पूरे गंभीरता से लेंगे.
डॉ. गोविंद सिंह--- अध्यक्ष महोदय, मैं राजस्व मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि आपने भिंड जिले की लहार, मिहोना, रौन, अटेर और भिंड तहसीलों को सूखाग्रस्त घोषित किये दो माह हो गये हैं अभी तक सर्वे नहीं हुआ है. मंत्री जी ,कितने समय में सर्वे कराकर कितने समय में राशि किसानों को बंटवा देंगे.
अध्यक्ष महोदय—अब यह सूचना में नहीं है.
श्री रामपाल सिंह—माननीय अध्यक्ष महोदय,यह उद्भूत नहीं हो रहा है लेकिन माननीय गोविन्द सिंह जी कह रहे हैं तो मैं बताना चाहता हूँ कि भिण्ड की भी पूरी कार्यवाही कर रहे हैं, राशि बांटने का काम शुरु हो गया है और भी जानकारी आपको उपलब्ध करा देंगे.
श्री गोपाल सिंह चौहान—माननीय अध्यक्ष महोदय,आधे मिनट का समय दे दें.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा—अध्यक्ष महोदय, गोपाल सिंह जी ने ध्यानाकर्षण दिया है, वह अशोक नगर जिले के एमएलए हैं.
अध्यक्ष महोदय-- अब सब लोगों का, आपका आ गया, आप भी उसी जिले से हैं.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा—एक प्रश्न उन्हें पूछने दें.
अध्यक्ष महोदय—अब नहीं. अब यह अंतहीन सिलसिला नहीं चलाने देंगे हम. कॉल अटेंशन में इस तरह से नहीं किया जा सकता.आप लोग सहयोग नहीं करेंगे तो कोई काम नहीं हो पायेगा.आपको जो कुछ भी कहना है कृपया लिखकर के दे दीजिए.
श्री गोपाल सिंह चौहान—अध्यक्ष महोदय, मेरा भी ध्यानाकर्षण है,मुझे आधा मिनट का समय दे दें. 3 किसानों ने आत्महत्या की है
अध्यक्ष महोदय—माननीय सदस्य,मेरा आपसे अनुरोध है कि आप सहयोग करें. आप लिखकर के दे दीजिए. कॉल अटेंशन में कोई चर्चा नहीं होती, हम बिलकुल अलाऊ नहीं करेंगे, कहीं न कहीं लाइन खींचना पड़ेगा, दिस इज नॉट प्रॉपर. डॉ. गोविन्द सिंह कृपया अपनी ध्यानाकर्षण की सूचना पढ़ें. केवल डॉ. गोविन्दसिंह का लिखा जाएगा, ध्यानाकर्षण का बस.
(2) ग्वालियर चंबल संभाग में मिलावटी सरसों के तेल की बिक्री होना
डॉ.गोविन्द सिंह(लहार)—अध्यक्ष महोदय,
संसदीय कार्य मंत्री( डॉ. नरोत्तम मिश्र)—माननीय अध्यक्ष महोदय,
12.25 बजे {उपाध्यक्ष महोदय (डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए}
डॉ. गोविंद सिंह – माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने कहा कि कोई रोष व्याप्त नहीं है जबकि अमानक सेंपल भरे गए और साढ़े तेरह लाख का जुर्माना भी कोर्ट द्वारा लगाया गया है. मैं आपसे यह जानना चाहता हूँ कि राईस ब्रान और डीओसी जो सोयाबीन का निकलता है, जब तक कि सोयाबीन रिफाइंड नहीं होता, वह 40-50 रुपये किलो आता है और इसी प्रकार क्रूड राइस जो चावल से निकलता है इन दोनों का परीक्षण कराके आप पता करें कि प्रतिदिन 1-2 टैंकर पंजाब से या बाहर से मुरैना जिले में आ रहे हैं तो आखिर उनकी खपत कहां हो रही है ? आसपास के जिलों से सबसे ज्यादा आइल मिलें मुरैना जिले में हैं और वहां पर आ रही है तो कहीं न कहीं खपत तो रही है क्योंकि लोग इसका उपयोग खाने में नहीं करते तो कहां उपयोग में आ रहा है और दूसरी चीज मुझे यह पूछना है कि चूँकि आपके पास स्टॉफ तो है नहीं, भिंड और मुरैना जिले में क्या कोई ड्रग इंस्पेक्टर है ? और जो मिलावटखोरी कर रहे हैं क्या आप परीक्षण करवाएंगे कि कहां से आ रहा है और खपत कहां हो रही है ?
डॉ. नरोत्तम मिश्र – माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पंजाब से आ रहा है या कहां से आ रहा है और मिल रहा है कि नहीं मिल रहा है इसकी जांच हम यहां से फ्लाइंग स्कॉड भेजकर करवा लेंगे.
उपाध्यक्ष महोदय – डॉक्टर साहब आपका जवाब आ गया है.
डॉ. गोविंद सिंह – माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरा सवाल आम जनता के स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है, मुझे यह जानकारी चाहिए कि क्या कोई ड्रग इंस्पेक्टर भिंड और मुरैना जिलों में है ? अगर नहीं हैं तो कब तक उपलब्ध करवा देंगे ? वास्तविकता यह है कि यहां से टीम भेजी जाती है तो सेटिंग करके सेंपल बदल दिए जाते हैं. साथ ही मुझे यह भी पूछना है कि क्या आप समय-समय पर और प्रतिमाह भिंड और मुरैना जिले में 2 या 4 बार सेंपलिंग करवाते रहेंगे क्योंकि एक ही मिल सही पाई गई है बाकी 20-25 मिलों का तेल केवल शनिदेव को चढ़ाने के लिए ही है और खाने के लिए शासन ने जिला प्रशासन ने प्रतिबंधित कर रखा है और इससे सिद्ध हो रहा है कि इन 20-25 मिलों का तेल खानेयोग्य नहीं है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र – माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सम्माननीय सदस्य ने जैसा कहा है यह काम फूड इंस्पेक्टर देखते हैं, तीन फूड इंस्पेक्टर भिंड में पदस्थ हैं और 3 फूड इंस्पेक्टर मुरैना में पदस्थ हैं. जहां तक स्वास्थ्य के मानकों की बात कही गई है तो 20 केस हैं इन बीसों में स्वास्थ्य को हानि पहुँचाने वाले हानिकारक तत्व इनमें नहीं पाए गए हैं जो जांच में आए हों.
डॉ. गोविन्द सिंह – माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सैंपलिंग की कार्यवाही कब तक हो जाएगी क्योंकि यह भी जरूरी है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र – माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जैसा गोविंद सिंह जी सैंपलिंग की कार्यवाही के लिए कहा है हम तत्काल सेंपलिंग की कार्यवाही करा देंगे.
3. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड के अधीन कार्यरत कंपनियों द्वारा अनुबंध की शर्तों का पालन न किया जाना.
श्री दुर्गालाल विजय ( श्योपुर ) --
संसदीय कार्य मंत्री ( डॉ.नरोत्तम मिश्र )- उपाध्यक्ष महोदय,
श्री दुर्गालाल विजय -माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मध्यक्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के द्वारा सेवा प्रदाता कंपनी की सेवाएँ ली गईं. उपाध्यक्ष महोदय, जो सेवा प्रदाता कंपनी थी उसके द्वारा जिन लोगों को रोजगार पर लगाया गया उनको वेतन नहीं दिया गया, यह वेतन देने की जिम्मेदारी किसकी आती है, उसके लिए मध्यक्षेत्र विद्युत कंपनी कोई भी जवाब देकर बात को टालना चाहती है. मेरा मंत्री जी से सीधा प्रश्न है, - जिन कर्मचारियों को 8 महीने से वेतन नहीं दिया है उनको वेतन देने के लिए क्या मंत्री जी कोई आश्वासन देंगे? और यदि सेवा प्रदाता कंपनी के द्वारा कोई गड़बड़ की गई है और वह वेतन नहीं देना चाहती है तो क्या आप उनके खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज करायेंगे और उनके खिलाफ कार्यवाही करेंगे? दूसरा मेरा प्रश्न यह है कि जो लोग 7-7,8-8 साल से लगातार वहां पर सेवा दे रहे हैं, कुछ को 10 साल भी हो गए हैं . अब 10 वर्ष होने के बाद जो नई आऊट सोर्स कंपनी आयी उसने उनको हटा दिया. अब वो लोग क्या करें, कहां पर जायें. और जब यह बात उस कंपनी से कही गई कि आप इनको न हटायें तो उनका कहना यह है कि भोपाल से ये निर्देश हैं कि जिन लोगों ने राजस्थान से ITI किया है उनको मध्यप्रदेश में नौकरी नहीं देंगे. उपाध्यक्ष महोदय, श्योपुर जिला तो राजस्थान से लगा है,कोटा की सीमा लगी हुई है. सवाईमाधोपुर, जयपुर की सीमा लगी हुई है. वहीं तो लड़के शिक्षा अध्ययन के लिए जाते हैं लेकिन वे रहने वाले तो श्योपुर जिले के हैं. तो श्योपुर जिले के निवासियों को तो काम पर लगाया जाय, उन्होंने राजस्थान से डिप्लोमा प्राप्त करके कोई गुनाह तो नहीं किया है. क्योंकि श्योपुर में इस तरह की कोई सुविधा नहीं थी. सुविधा राजस्थान में थी. वहां से उन्होने डिप्लोमा प्राप्त किया और वे अच्छा काम कर रहे हैं ,उनके काम में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं है. मेरा माननीय मंत्री जी से यह प्रश्न है और आग्रह भी है कि उन सब लोगों को सेवा में ले लेंगे जिनको हटा दिया गया है, ऐसे लोगों की संख्या 250 है.
डॉ नरोत्तम मिश्र—उपाध्यक्ष महोदय, सम्मानित सदस्य ने बहुत गंभीर विषय की ओर ध्यान आकर्षित किया है. मैं उनको धन्यवाद भी दूंगा. यह ऐसा विषय था जिसमें कहीं न कहीं कोई विसंगति आ रही थी. जो बच्चे राजस्थान पढ़ने चले जाते हैं तो उनकी डिग्री के आधार पर यह नहीं किया जाये चूंकि इसमें जो बच्चे रखे गये उसमें हमने प्रारंभ में जो एग्रीमेंट किया था, उसमें शर्त ऐसी थी कि मध्यप्रदेश के लोगों को ही रखा जाये. अब इसका खुलासा उपबंधों में किया नहीं गया कि वो राजस्थान की डिग्री को कैसा मानेंगे. अभी जो रखे गये हैं वह सभी मध्यप्रदेश के ही हैं. जैसा सम्मानित सदस्य ने सुझाव दिया है कि भविष्य में रखें जायें तो हम उसको दिखवा लेंगे.
दूसरा, प्रश्न जो उनके वेतन-आहरण से संबंधित माननीय विधायक जी ने किया है. मैं उसमें यही गुजारिश करुंगा कि हम यहां पर SE/CE को यह निर्देश करेंगे कि जो संबंधित व्यक्ति हैं जिनको भुगतान नहीं मिला है वह अपने सक्षम अधीनस्थ को बुलायें और जो ठेकेदार हैं,उन्हें बुलायें और उनके भुगतान का निराकरण करें. उसके बाद अगर ठेकेदार भुगतान नहीं करेगा तो निश्चित रुप से हम कानूनी कार्रवाई करेंगे.
श्री दुर्गालाल विजय—मैं, माननीय मंत्रीजी को धन्यवाद देना चाहता हूं. एक सवाल बहुत छोटा सा है.
उपाध्यक्ष महोदय—माननीय मंत्रीजी ने आपके सारे सवालों के उत्तर दे दिये हैं.
श्री दुर्गालाल विजय—मेरा सवाल यह है कि जिन लोगों को हटा दिया गया है, उनको रख लिया जायेगा. क्योंकि उनकी सेवा से संबंधित कोई शिकायत नहीं है.उनके काम बहुत अच्छे हैं. उनको 8-8,9-9 साल का अनुभव प्राप्त हो गया है तो ऐसे अनुभवी व्यक्तियों को जिनको केवल इस आधार पर हटाया कि आपका ITI का डिप्लोमा है.
डॉ नरोत्तम मिश्र—उपाध्यक्ष महोदय, वे कभी राज्य शासन या विद्युत बोर्ड के कर्मचारी नहीं रहे. वे आऊटसोर्स से हैं जैसी प्रथा है. फिर भी सम्मानित सदस्य ने ध्यान आकर्षित किया है तो देखते हैं कि क्या मार्ग हो सकता है.
श्री गोपाल सिंह चौहान—उपाध्यक्ष महोदय, बहुत गंभीर मुद्दा है. आधा मिनट का समय चाहिए.
डॉ गोविंद सिंह—उपाध्यक्षजी, इनको भी आधा मिनट का समय दे दीजिए. बार बार डिस्टर्ब कर रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय— गोविंद सिंह जी पहले आप पूछ लीजिए फिर देखते हैं. आपका नाम मूल ध्यानाकर्षण में है.
डॉ गोविंद सिंह—इसके बाद आपका (श्री गोपाल सिंह चौहान) नंबर.
उपाध्यक्ष महोदय—गोविंद सिंह जी क्या आप कंडीशनल प्रश्न कर रहे हैं कि उनको हम अवसर देंगे तब आप प्रश्न करेंगे.
डॉ गोविंद सिंह—आपकी इच्छा है.
उपाध्यक्ष महोदय—आपका चूंकि मूल ध्यानाकर्षण में नाम है. नियम यह कहता है कि आपको पहले अवसर मिलना चाहिए.
डॉ गोविंद सिंह—मैं इसलिए बोल रहा हूं कि बार बार खड़े होते हैं और 10-5 मिनट चले जाते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय—आपकी ठोस पैरवी है.
डॉ गोविंद सिंह—7-8 बार खड़े हो चुके हैं. महाराजा-राजा ही देश को परेशान करे बैठे हैं. उपाध्यक्ष महोदय, मंत्रीजी ने जवाब दिया है. मेरे भिंड जिले से संबंधित है. सचाई यह है कि पूरी भर्ती विभाग ने की है. आपने एसई से कहा, महाप्रबंधक से कहा तो दोनों ने कहा कि वहां इरफान के पास आवेदन जमा कराओ. कई लड़के गये और जमा कराकर आये. इसमें थोड़ी विसंगति है, हमने मय सीडी के प्रमाण दिये हैं. मंत्रीजी का उत्तर आया है कि जांच के लिए कमेटी गठित की गई है और कमेटी की रिपोर्ट आ गई और उसमें निर्दोष पाये गये. मेरे समक्ष एक आवेदन कर्ता राजीव शर्मा है, वह संविदा कर्मी हेल्पर है, कोई बड़ा आदमी नहीं है, उसने फर्जी सील लगाकर जो ITI नहीं है, उनकी नकली ITI के प्रमाण पत्र के 50-50, 60-60 हजार रुपये लिये.
उपाध्यक्ष महोदय-- डॉ. साहब प्रश्न करें आप.
डॉ. गोविंद सिंह-- प्रश्न तो करने दें आप तभी तो वह जवाब दे पायेंगे.
उपाध्यक्ष महोदय-- वह तैयारी में हैं आप प्रश्न कर लीजिये.
डॉ. गोविंद सिंह-- उनको पता ही नहीं है, भ्रष्टाचारियों ने जो जवाब दे दिया उस पर मंत्री जी की मोहर लग गई. सीडी में सारी सच्चाई है और मेरे सामने बात हुई, मैंने सीएमडी को पत्र लिखा, पोरवाल सीएमडी ने पत्र का कोई जवाब नहीं दिया. इसके बाद हमने कहा तो बोले जांच चल रही है. मैं माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि आपने जो जांच कमेटी गठित की है, जांच कमेटी किस दिन गई, किस-किस के बयान लिये, क्या जिसकी बात थी उसके बयान लिये, जांच कमेटी में कौन-कौन थे और शिकायतकर्ता मैं हूं तो क्या मुझसे भी जानकारी लेने की कोशिश की, की तो कब की, मैं एक सवाल और करूंगा इसके बाद.
स्वास्थ्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जांच को बहुत गंभीरता से लिया गया है. महाप्रबंधक संचालक और संधारण की देख-रेख में जांच कराई गई है. दिनांक 03.09.2015 को उसकी जांच रिपोर्ट भी आ गई है. उस सीडी का परीक्षण भी आईटी सेल के द्वारा स्पेशल कराया गया है और उसके बयान भी लिये गये हैं जिसके बारे में शिकायत थी उससे भी बातचीत की गई है और वह शिकायत सही नहीं पाई गई थी.
डॉ. गोविंद सिंह-- माननीय उपाध्यक्ष जी, अब तो आसमान फट गया, इतना फर्जीवाड़ा, मेरे सामने की घटना और आप कह रहे हैं, मैं कहना चाहता हूं कि यह सब दलाली का काम हुआ है, राजीव शर्मा संविदा हेल्पर जो है वह आपके सीएमडी का दलाल है, सीएमडी के लिये पैसा लेता है. उस पर मैं आरोप लगा रहा हूं. शासन के निर्देश हैं, जीएडी के निर्देश हैं जो पत्र लिखे उसका जवाब दिया जाये, आज तक जवाब दिया आपके अधिकारियों ने और जवाब न देकर गलत तरीके से, मेरे सामने की बात है और आप कह रहे हैं नहीं है. आप सीआईडी जांच कराईये, इसमें वैसी ही जांच हुई होगी, जैसी व्यापम में हुई है. क्या आप दोबारा मेरे समक्ष लेब में भेजकर गुजरात की लेब या मैं जहां कहूंगा वहां भेजकर जांच करायेंगे और अगर जांच में दोषी पाये गये, सीडी सही पाई गई तो क्या मय सीएमडी को जेल भेजने का काम करेंगे. नीचे से ऊपर तक भ्रष्टाचार मचा हुआ है और आप कह रहे हैं कुछ नहीं, मेरे सामने की घटना है, हमारे सामने बात हुई. मैं आपसे पूछ रहा हूं कि क्या आप गुजरात या हैदराबाद की लैब में सीडी की जांच करायेंगे.(XXX)
उपाध्यक्ष महोदय-- डॉ. साहब यह उचित नहीं है, इसको कार्यवाही से निकाल दें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- इसे कार्यवाही से विलोपित करा दें माननीय उपाध्यक्ष महोदय.
उपाध्यक्ष महोदय-- करवा दिया मैंने माननीय मंत्री जी.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- दूसरा माननीय सदस्य ने दोबारा जांच का कहा है, करवा देंगे उपाध्यक्ष जी.
श्री सुंदरलाल तिवारी-- पूरे प्रदेश में भ्रष्टाचार मचा हुआ है, विलोपित करवा रहे हैं आप.
उपाध्यक्ष महोदय-- डग्गीराजा आप प्रश्न पूछिये, छोटा प्रश्न पूछियेगा, भूमिका नहीं बनाईयेगा.
श्री गोपाल सिंह चौहान (चंदेरी)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अशोकनगर जिले में वर्ष 2013-14 में अतिवृष्टि एवं ओलावृष्टि से रवी की फसलें नष्ट हो गई थीं जिसका मुआवजा भी बांटा गया......
उपाध्यक्ष महोदय-- नहीं यह उदभूत नहीं होता है इस ध्यानाकर्षण से इसमें अनुमति नहीं दी जा सकती. गोविंद सिंह जी आपने खड़ा किया है तो आप ही बिठाईये इनको.
श्री गोपाल सिंह चौहान-- आधा मिनट मांग रहा हूं मैं मेरी बात नहीं सुनी जा रही है. ...... (XXX)
उपाध्यक्ष महोदय—गोपाल सिंह जी आपको पहले कहना था अभी ध्यानाकर्षण चल रहा है.
श्री गोपाल सिंह चौहान –मैंने कहा था मैं 20 बार खड़ा हो चुका हूं.कोई मेरी बात को सुन ही नहीं रहा है.
उपाध्यक्ष महोदय—मैं सोचा था कि उसी ध्यानाकर्षण पर आप प्रश्न करेंगे.
श्री गोपाल सिंह चौहान –उपाध्यक्ष महोदय, मेरी विधानसभा में 3 किसानों ने आत्महत्या कर ली है उनसे जुड़ा हुआ मुद्दा है . इस पर आप विचार करें.
उपाध्यक्ष महोदय –(डॉ. गोविंद सिंह से) डॉक्टर साहब आपने गलत पैरवी की है. गोपाल जी, अभी तो आप कृपा करके बैठ जाये. खतम हो गई आपकी बात. बैठ जायें.
श्री गोपाल सिंह चौहान –मेरी बात अभी खतम नहीं हुई है . दो लाईनें और बची है .
उपाध्यक्ष महोदय—भाई नियम प्रक्रिया भी जानिये. हम खड़े हुये हैं आपको बैठना चाहिये. बैठ जाईये.
श्री गोपाल सिंह चौहान –मेरा आपसे विनम्र निवेदन है कि आप मेरी बात तो सुन लें.
उपाध्यक्ष महोदय – बाला बच्चन जी आप सदस्य को समझाईये. मैं खड़ा हूं वे बैठ ही नहीं रहे हैं. उनको बैठना चाहिये. आप माननीय राजस्व मंत्री जी से जाकर के मिल लीजिये. उनके समक्ष आप बात रखिये. वे आपकी समस्या का निराकरण करेंगे.यह मैंने व्यवस्था दे दी है. अब आप बैठ जाईये.
श्री बाला बच्चन—माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं भी आग्रह करना चाहता हूं माननीय विधायक जी की तरफ से उनके विधानसभा से संबंधित यह ध्यानाकर्षण था और अगर आप एक प्रश्न की अनुमति दे दे.
डॉ.नरोत्तम मिश्र – माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जबाव हम कैसे दे पायेंगे.
श्री सुबेदार सिंह रजौधा—उपाध्यक्ष महोदय, दो ध्यानाकर्षण हो गये इसके बाद में यह पूछ रहे हैं.
श्री के.के. श्रीवास्तव – माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने प्रभारी नेता प्रतिपक्ष माननीय बाला बच्चन जी को माननीय सदस्य को समझाने के लिये कहा था वे स्वयं शुरू हो गये.
डॉ.नरोत्तम मिश्र – उपाध्यक्ष महोदय, आपकी उदारता के कारण से यह स्थिति हो रही है.
उपाध्यक्ष महोदय—माननीय बाला बच्चन जी मान लीजिये कि हम माननीय सदस्य को अनुमति भी दे दें. तो इसका जबाव कौन देगा. यह विषय तो अभी चर्चा में है नहीं.
डॉ.नरोत्तम मिश्र—उपाध्यक्ष महोदय, कम से कम मेरे विषय से तो यह विषय उद्भुत ही नहीं हो रहा है. (माननीय सदस्य से ) मेरे ध्यानाकर्षण में अनुमति दे रहे हैं तो जबाव तो मुझे ही देना पड़ेगा न.
उपाध्यक्ष महोदय -- (श्री गोपाल सिंह चौहान सदस्य के खडे होने पर )नहीं, यह गलत परम्परा है. आप जो कुछ बोलेंगे वह कार्यवाही में नहीं आयेगा. कृपया बैठ जायें. देखिये ध्यानाकर्षण चल रहा है बात आगे बढ़ गई है उससे संबंधित अगर प्रश्न होता तो मैं अनुमति दे देता. डॉ. गोविंद सिंह जी ने भरपूर पैरवी की थी मैं एलाऊ कर देता.
श्री गोपाल सिंह चौहान –उपाध्यक्ष जी आपने कहा था कि डॉक्टर साहब के बाद मैं आपको अनुमति दूंगा.
उपाध्यक्ष महोदय—विषय से संबंधित प्रश्न तो होना चाहिये.
श्री बाला बच्चन – अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य को बाद में कभी चांस दे देना, ताकि यह अपनी बात रख सकें.
उपाध्यक्ष महोदय—अब आगे वक्ता आयेगा तो फिर कभी रख लीजियेगा.
मुरैना जिले के ग्राम पिपरोनिया में सर्प दंश से मौत होने पर आर्थिक सहायता न दिये जाने संबंधी
श्री सूबेदार सिंह रजौधा (जौरा ) – माननीय उपाध्यक्ष महोदय,
राजस्व मंत्री (श्री रामपाल सिंह ) – माननीय उपाध्यक्ष महोदय
उपाध्यक्ष महोदय – अब आपका तो इसमें पूरा जवाब आ गया है.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा – उपाध्यक्ष महोदय, मेरा बिलकुल भी जवाब नहीं आया है. मैं मंत्री जी से यह अनुरोध करना चाहता हूं कि सर्प किसी हवेली, कोठी में रहने वाले को नहीं काटता है. सर्प गरीब, झोपड़ी वाला मजदूर और किसान को काटता है. तो उसको एक साल हो गया, जबकि उसमें पोस्टमार्टम की कोई आवश्यकता नहीं थी, जबकि यह कहा गया कि पोस्टमार्टम होना जरुरी है. पंचनामा भी चलता है. गांव का किसान एवं गरीब स्वावलम्बी और स्वाभिमानी होता है.
उपाध्यक्ष महोदय – आप प्रश्न पूछिये.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा – उपाध्यक्ष महोदय, मैं प्रश्न ही पूछ रहा हूं. उसको चिकित्सा के लिये केलारस के लिये ले जा रहे थे, रास्ते में उसकी मौत हो गई. अब आदमियों ने कहा कि उसका पोस्टमार्टम करवाइये. तो उसने कहा कि मेरी बेटी खत्म हो गई, 18 साल की बेटी थी.
12.56 बजे {अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
अध्यक्ष महोदय, आप ठीक समय पर आये हैं, मैं आपका बहुत बहुत आभारी हूं कि आपने मेरे इस ध्यान आकर्षण को ग्राह्य किया. आपने मेरे क्षेत्र पर बहुत कृपा की है. मेरा कहना यह है कि गांव में रहने वाला किसान, गरीब, झोपड़ी में रहने वाला मजदूर ..
अध्यक्ष महोदय – कृपया प्रश्न कर लें.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा – अध्यक्ष महोदय, एक साल से बार बार कोशिश करने पर, विधान सभा में यह मामला आने के बावजूद ..
अध्यक्ष महोदय – आप कृपया प्रश्न पूछिये.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा – अध्यक्ष महोदय, उसके बाद प्रश्न पूछ रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय – इसमें भाषण देने की जरुरत नहीं है. आप प्रश्न करिये.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा –अध्यक्ष महोदय, मैं भाषण नहीं दे रहा हूं. एक साल हो गया. गरीब पैसे का भूखा नहीं है. उस पैसे से उसका जीवन नहीं कटेगा. लेकिन सरकार की संवेदना उस व्यक्ति तक पहुंच जाये, इसलिये यह 50 हजार रुपये की मांग कर रहे थे. मैं यह पूछना चाहता हूं कि एक तो कल उसको 50 हजार रुपये का चेक मंत्री जी देने की घोषणा करेंगे और दूसरा निवेदन यह कर रहा हूं कि एक साल से वह विधान सभा को गुमराह कर रहा है, अधिकारियों को गुमराह कर रहा है, उस तहसीलदार के विरुद्ध निलम्बन की कार्यवाही की जायेगी.
श्री रामपाल सिंह – अध्यक्ष महोदय, वास्तव में यह बात सही है कि पहले नियम बहुत जटिल थे. पहले आरबीसी में लिखा हुआ था कि सांप काटेगा तो ही देंगे, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, मर्ग कायम यह सब जटिल था, इसलिये हमने सरल किया. हम माननीय सदस्य को भी धन्यवाद देंगे कि एक मृतक के प्रति संवेदना रखते हुए उन्होंने विधान सभा में यह मामला उठाया और आज भी वे चिंता कर रहे हैं. तो हमने कल ही निर्देश दिया और संबंधित को 50 हजार रुपये की राशि स्वीकृत भी हो गई. अध्यक्ष महोदय, दूसरा, ऐसी घटना हो, तो अधिकारियों को भी संवेदनशील रहना चाहिये. इसलिये हमने नियम सरल बनाया है, उसकी वह परिभाषा पढ़े और उसी हिसाब से प्रदेश के अन्दर तुरन्त सहायता राशि भी मिले. इसकी चिंता शासन की तरफ से की जा रही है. रहा सवाल इसमें किसी तरह की कोई गड़बड़ी की है, जैसा कि माननीय विधायक जी का कहना है, वे भी वहां से निर्वाचित जन प्रतिनिधि हैं, उनकी जी भावना है और उनको यहां तक आना पड़ा, तो निश्चित रुप से कहीं न कहीं कष्ट होता है. मैं आपके माध्यम से विधायक जी को आश्वस्त करता हूं कि वे जिस तरह की बात रख रहे हैं, वहां संबंधित जो भी अधिकारी होंगे, तहसीलदार होंगे, उनको हटाकर जांच भी की जायेगी और कोई गड़बड़ी पाई गई, तो और कठोर कार्यवाही की जायेगी.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा – मंत्री जी, धन्यवाद.
01.00 बजे
सदन के समय में वृद्धि
अध्यक्ष महोदय – कार्य सूची के पद पांच तक कार्य पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाये. मैं समझता हूँ कि सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई)
01.01 बजे प्रतिवेदनों की प्रस्तुति
(1) लोक लेखा समिति का उनचासवॉ से दो सौ तिरेपनवॉ प्रतिवेदन
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा (सभापति) – अध्यक्ष महोदय, मैं लोक लेखा समिति का उनचासवॉ से दो सौ तिरेपनवां (कुल दो सौ पॉंच ) प्रतिवेदन प्रस्तुत करता हूँ.
अध्यक्ष महोदय - मैं आपको बहुत-बहुत बधाई देता हूँ. आपने अभूतपूर्व कार्य किया है और जो बहुत दिनों से बैकलॉग चल रहा था. उसको आपने पूरा कर बराबर में लाये हैं. समिति के काम इसी प्रकार हों, ऐसा ही मेरा भरोसा है. पुन: आपको बधाई.
श्री रामनिवास रावत – यह पहला अवसर होगा. जब 200 से ऊपर प्रतिवेदन विधानसभा में किसी समिति द्वारा एक साथ प्रस्तुत किये गये हैं. इसके लिए सत्ता पक्ष को धन्यवाद देना चाहिए.
पंचायत मंत्री (श्री गोपाल भार्गव) – रावत जी, क्या आप सभी लोग श्री महेन्द्र सिंह जी को इस वर्ष भी लोक लेखा समिति का अध्यक्ष मनोनीत करवायेंगे ?
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा – अध्यक्ष महोदय, मैं आपका आभारी हूँ. प्रमुख सचिव और सभी अधिकारियों का आभारी हूँ.
श्री बाला बच्चन – आपने बहुत अद्भुत कार्य किया है. बधाई.
(2) सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति के इक्यासीवां से चौरासीवां प्रतिवेदन
श्री हितेन्द्र सिह सोलंकी (सदस्य) – अध्यक्ष महोदय, मैं सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति के इक्यासीवां से चौरासीवां प्रतिवेदन सदन में प्रस्तुत करता हूँ.
(3) शासकीय आश्वासनों संबंधी समिति का तृतीय, चतुर्थ, पंचम्, षष्टम्,
सप्तम्, अष्टम् एवं नवम् प्रतिवेदन
श्री राजेन्द्र पाण्डेय (सभापति) – माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं शासकीय आश्वासनों संबंधी समिति का तृतीय, चतुर्थ, पंचम्, षष्टम्, सप्तम्, अष्टम् एवं नवम् प्रतिवेदन प्रस्तुत करता हूँ, साथ ही मैं आपका, प्रमुख सचिव, सचिव, हमारी समिति के अधिकारियों एवं कर्मचारियों का भी धन्यवाद ज्ञापित करना चाहता हूँ एवं मैं पूर्ववर्ती समिति का भी, धन्यवाद ज्ञापित करना चाहता हूँ. चूँकि पूर्ववर्ती समिति अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने आपके मार्गदर्शन में प्रमुख सचिव के माध्यम से, निश्चित रूप से सराहनीय कार्य किया और वर्ष 2000 से लंबित आश्वासन थे, उनका निराकरण करने में समिति अग्रसर हुई है. मैं नवीन समिति के समस्त सदस्यों का अधिकारियों एवं कर्मचारियों का आप सहित बहुत-बहुत धन्यवाद.
(4) प्रश्न एवं संदर्भ समिति का चतुर्थ एवं पंचम प्रतिवेदन तथा षष्टम्
एवं सप्तम् (कार्यान्वयन) प्रतिवेदन
श्री विश्वास सारंग (सभापति) – अध्यक्ष महोदय, मैं प्रश्न एवं संदर्भ समिति का चतुर्थ एवं पंचम प्रतिवेदन तथा षष्टम् एवं सप्तम् (कार्यान्वयन) प्रतिवेदन प्रस्तुत करता हूँ.
01.02 बजे
याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय – आज की कार्यसूची में सम्मिलित सभी याचिकाएं प्रस्तुत की हुई मानी जायेंगी.
01.03 बजे
अध्यक्षीय घोषणा
आज मंगलवार, दिनांक 15 दिसम्बर, 2015 को सांय 7.00 बजे मध्यप्रदेश विधान सभा भवन स्थित मानसरोवर सभागार में माननीय सदस्यों के लिये सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. जिसमें विशाला सांस्कृतिक समिति, उज्जैन द्वारा सिंहस्थ नाद नाट्य प्रस्तुति (लाईन एण्ड साऊण्ड शो) एवं ओरिएंटल कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, भोपाल के छात्रों द्वारा ‘रामचरित मानस’ की नाट्य प्रस्तुति दी जायेगी.
कार्यक्रम उपरान्त ‘माननीय सदस्यों’ के लिये सदन से जुड़ी लॉबी परिसर में माननीय संस्कृति राज्य मंत्री जी की ओर से रात्रि भोज आयोजित है. माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि उपर्युक्त कार्यक्रमों में पधारने का कष्ट करें.
सदन की कार्यवाही अपराह्न 2.30 बजे तक के लिये स्थगित.
(1.03 से 2.30 बजे तक अन्तराल)
.
02:35 बजे अध्यक्ष महोदय(डॉ.सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए
वक्तव्य
राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना खरीफ मौसम 2015 के लिए कपास फसल पर अनुदान
अध्यक्ष महोदय – श्री गौरीशंकर बिसेन, किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री कृषि बीमा योजना के संबंध में वक्तव्य देंगे ।
किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री(श्री गौरीशंकर बिसेन) - माननीय अध्यक्ष महोदय, राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना खरीफ मौसम 2015 के लिए राज्य शासन द्वारा कपास फसल पर वास्तविक प्रीमियम दर 13 प्रतिशत में से 6.5 प्रतिशत राज्य शासन द्वारा अनुदान के रूप में दी जावेगी तथा शेष 6.5 प्रतिशत किसानों द्वारा वहन किया जावेगा ।
श्री बाला बच्चन (राजपुर)- माननीय अध्यक्ष महोदय,केन्द्र सरकार को भी अनुदान देना चाहिए, इतना बड़ा सूखा पड़ा है,अल्प वर्षा हुई है, कहीं अतिवृष्टि, ओलावृष्टि हुई है, बड़ी मात्रा में किसान प्रभावित हुआ है । निमाड़ के लगभग सभी जिलों में बड़ी मात्रा में कपास की फसल ऊगाई जाती है , बड़वानी,खरगौन,बुरहानुपर,खण्डवा और उसके आस-पास के जिले अलीराजपुर, झाबुआ उसके बाद पूरे प्रदेश में होता है, लेकिन निमाड़ में कपास का उत्पादन बहुत ज्यादा होता है, जो प्रतिशत आपने लिखा है, बताया गया है । माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रधान मंत्री राहत कोष से जो राहत राशि मध्यप्रदेश सरकार को मिलना चाहिए थी, वह अभी तक नहीं मिली है, जब हमारी यूपीए की सरकार थी तो हजारों, करोड़ों में राशि आती थी और बटती थी ।
अध्यक्ष महोदय - वक्तव्य के संबंध में बोलिए ।
श्री बाला बच्चन - जी,अध्यक्ष महोदय, केन्द्र सरकार का जो हिस्सा, अनुदान जो मिलना चाहिए, जो अनुदान पहले मिलता था, उसका उल्लेख नहीं किया गया है ।
श्री गौरीशंकर बिसेन - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह 13 प्रतिशत प्रीमियम कपास पर लगा है, यह भारी था, क्योंकि इसको कामर्शियल क्राफ्ट माना गया और पिछले वर्षों में 2012 में 5.45 प्रतिशत,2013 में 5.95, 2014 में 6.50 और फिर इस बार 2015 में 13 प्रतिशत किया गया, आधा भार, राज्य सरकार उठा रही है, और इसमें लगभग 28 करोड़ रूपये प्रीमियम का जमा होता है, उसमें 14 करोड़ से अधिक राशि कृषि विभाग के मद से जाएगी ।
अध्यक्ष महोदय - अब श्री भूपेन्द्र सिंह, परिवहन मंत्री, लोक सेवा केन्द्रों की नीति के संबंध में वक्तव्य देंगे ।
श्री रामनिवास रावत - माननीय अध्यक्ष महोदय,दो शब्द कहना चाहता हूँ ।
अध्यक्ष महोदय - बिल्कुल नहीं, इसमें वाद-विवाद नहीं होता है ।
श्री रामनिवास रावत- माननीय अध्यक्ष महोदय, राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना के संबंध में स्थिति स्पष्ट हो जाती ।
अध्यक्ष महोदय - नहीं, स्थिति स्पष्ट हो गई है, प्रतिपक्ष के नेता बोलते हैं या मुख्य सचेतक बोलते हैं या कोई सदस्य बोलते हैं, यही परम्परा है कि मंत्री के वक्तव्य पर नेता प्रतिपक्ष के नेता की प्रतिक्रिया होती है, आपको यह बात मालूम है ।
श्री रामनिवास रावत - जी, मालूम है, आपकी अनुमति से, मैं नीति के बारे में बोल रहा हूँ ।
अध्यक्ष महोदय - अनुमति नहीं है ।
वक्तव्य
लोक सेवा प्रबंधन मंत्री (श्री भूपेन्द्र सिंह)—माननीय अध्यक्ष महोदय--
श्री रामनिवास रावत—माननीय अध्यक्ष महोदय, लोक सेवा केन्द्र बढ़ाने के संबंध में माननीय मंत्री जी ने वक्तव्य दिया है. बात वहीं आती है कि इसमें एक व्यवस्था और करें कि लोक सेवा केन्द्र आपने बना दिये हैं. वैसे कल ही चर्चा हुई थी कि आपने निर्देश दिये हैं कि बीपीएल के आवेदन सीधे लिये जाएं, लेकिन ज्यादातर हो यह रहा है कि अधिकारी लोक सेवा अधिनियम लागू होने के बाद यह मानते हैं कि अब हमारा कोई कर्तव्य नहीं रहा सारे के सारे आवेदन लोक सेवा गारंटी केन्द्र के माध्यम से आयेंगे. जब लोक सेवा केन्द्र गारंटी के माध्यम से आयेंगे तो अनावश्यक ऐसे बीपीएल के लोग या गरीब लोग जिन्हें नकल लेना होती हैं, जबकि उन लोगों को जिनको विलंब से नकल मिलने वाली है या मेरा काम विलंब से होगा वही लोक सेवा केन्द्र में जाए. प्रशासन को इतनी तत्परता रहनी चाहिये कि जो गरीब लोग हैं वह सीधे भी आवेदन कर सकें और जहां आपने लोक सेवा केन्द्र खोलने की बात कही है शहरों में कई कई जगहों पर आपके 4-4, 5-5 घंटे आपका ऑफिस का टाईम है, वहां बिजली ही नहीं रहती है, ऐसी स्थिति में वहां आप किस तरह से डिजिट्लाईजेशन का कार्यक्रम किस तरह से आप डिजिटल इंडिया के सपने को साकार करेंगे. कहीं कहीं पर तो नेटवर्क ही नहीं रहता है, अभी कई तहसीलों में यह सेवा केन्द्र खोले जाने बाकी हैं, आप खोल भी रहे हैं, यह अच्छी बात है. आप उसके लिये भवन, फर्नीचर दे भी रहे हैं . मैं समझता हूं कि इससे उन लोगों को लाभ हो रहा है जो कि लोक सेवा गारंटी केन्द्र चला रहे हैं, लेकिन आप इसमें विधिवत् यह भी व्यवस्था कर दें कि अगर कोई आवेदन निरस्त होकर के आता है या समय सीमा में नहीं आया उसमें अपील की व्यवस्था लोक सेवा गारंटी केन्द्र के माध्यम से करा दें अथवा सीधे करवा दें आप इस तरह की व्यवस्था कर दें. लोक सेवा गारंटी में और सेवाएं लें हमें इसमें कोई आपत्ति नहीं है इससे लोगों को लाभ तो हुआ है, लेकिन इसमें कभी कभी यही दिक्कत है कि कभी कभी बिजली नहीं होने के कारण ठीक से काम नहीं हो पाता है, मंत्री जी आप इन्हीं व्यवस्थाओं को देख लें.
(2.45 बजे) 6.शासकीय विधि विषयक कार्य
(1) मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता(संशोधन)विधेयक,2015(क्रमांक 15सन् 2015)
राजस्व मंत्री(श्री रामपाल सिंह) – माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता(संशोधन)विधेयक,2015)(क्रमांक15 सन् 2015) पर विचार किया जाय.
अध्यक्ष महोदय – प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता(संशोधन)विधेयक,2015)(क्रमांक15 सन् 2015) पर विचार किया जाय.
श्री रामनिवास रावत(विजयपुर)) - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय राजस्व मंत्री द्वारा मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता(संशोधन) विधेयक,2015 प्रस्तुत किया गया है. अध्यक्ष महोदय, आपने भी इसका पूरा अध्ययन किया होगा. बड़ी हास्यास्पद स्थिति इस सरकार की और इस विभाग की है. यह जो संशोधन आज लाया गया है इसके संबंध में 21 अगस्त,2015 को अध्यादेश जारी करवाया गया था क्रमांक-5, 21 अगस्त,2015. इसकी क्या आवश्यक्ता थी. अध्यादेश की आवश्यक्ता क्यों पड़ी जिसके कारण पूरे राज्य को या राज्य की जनता को या भू-राजस्व अमले को नुकसान हो रहा था जिसकी वजह से अध्यादेश लाना पड़ा. यह स्पष्ट नहीं किया गया. यह बड़ी चिंतनीय विषय है और अध्यादेश क्यों लाये जाते हैं इसकी भी एक आवश्यक्ता और इसका भी महत्व होना चाहिये कि वर्तमान में विधान सभा सत्र है यह 21 अगस्त को लाया गया है. 5 नवंबर को विधान सभा सत्र हुआ. अभी विधान सभा सत्र है तो अध्यादेश लाने की जरूरत क्या थी क्या कारण थे कि अध्यादेश लाना पड़ा और अध्यादेश लाने के बाद जब विधेयक के रूप में यह प्रस्तुत किया गया है. यह बड़ी हास्यास्पद स्थिति है. मैं इसके बारे में निवेदन करना चाहूंगा कि अध्यादेश जिस समय लाना पड़ा. अध्यादेश जारी होने के बाद जैसे हमें जानकारी मिली मैंने 23 सितम्बर,2015 को माननीय मुख्यमंत्री जी को एक पत्र लिखा. माननीय मंत्री जी इस अध्यादेश को पढ़ें. इस अध्यादेश के माध्यम से आपने प्रदेश के गरीब आदिवासियों को, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के लोगों को और ऐसे लोग जो भूमिहीन थे जिन्हें सरकारी पट्टे पर भूमि दी गई है उनको भूमिहीन बनाने का उनकी भूमि को क्रय-विक्रय करने के आसान तरीके से उन्हें अनुमति देने का प्रावधान इसके माध्यम से किया गया. यह बड़ी चिंताजनक बात है. इसमें मेरे द्वारा पत्र लिखकर मैंने आपत्ति दी थी और मेरा निवेदन था कि इसको तुरंत वापस लिया जाये अगर इसको वापस नहीं लिया गया तो मध्यप्रदेश के अनुसूचित जाति,जनजाति वर्ग के एवं लघु सीमांत कृषक,शासकीय भू-दान पट्टा धारक व्यक्तियों, अनुसूचित जनजाति के लोग इस अध्यादेश के तहत् सामन्य प्रक्रिया से अन्तरण होने के कारण पूरे प्रदेश में भूमिहीन बन जायेंगे और बेकार और बेघरबार हो जायेंगे उनके पास भूमि नहीं बचेगी. यह मैंने पत्र लिखा था. माननीय मंत्री जी द्वारा अब विधेयक लाया गया है. इस विधेयक में मेरे द्वारा संशोधन भी दिया गया. इस विधेयक में भूमि के अंतरण की व्यवस्था विशेष रूप से की गई है कि भूमि के अंतरण की अनुमति प्रदान करने के बारे में और इसमें धारा-50 में संशोधन है. धारा-50 में रिव्यू के संबंध में दिया गया है. इसमें हमें कोई आपत्ति नहीं है. धारा158 में भी संशोधन किया गया है. धारा 158 के भाग-तीन में उन व्यक्तियों को भूमि आवंटित की जाती है यह वह भूमि है जो शासकीय पट्टे से प्राप्त करते हैं. भूमि वंटन से प्राप्त करते हैं. जो भूमिहीन हैं वे भूदान या यत्र बोर्ड से पट्टे में प्राप्त की है. भूमिहीन व्यक्तियों को ही भूमि दी जाती है और उस भूमि में यह अहस्तांतरणीय भूमि लिखने का या हस्तांतरित नहीं की जा सकती. ऋण पुस्तिका,भू-अधिकार पुस्तिका में लिखने का इसमें संशोधन किया गया है और इसका लेख भी पूर्व से ही किया जा रहा है. इसमें आपने संशोधन भी किया और संशोधन के बाद अब लोप भी कर दिया. इसको लोप करने की आवश्यक्ता नहीं थी. राजस्व अधिकारी भी यहां बैठे हैं. इसमें तो केवलइतना ही था कि उक्त भूमि जो धारा-158(तीन) के अंतर्गत किसी व्यक्ति ने प्राप्त की है भूदान या यज्ञ बोर्ड से या पट्टे से और भूमिहीन है और उसके पास कम भूमि है. पांच एकड़ तक या एक हेक्टेयर तक भूमि है उस भूमि को अहस्तांतरित भूमि लिखा जायेगा कि इसका अंतरण नहीं किया जा सकता. तो इसको हटाने की जरूरत नहीं थी. आपने धारा-162 में संशोधन करके निम्नलिखित उपधारा स्थापित की. धारा-162 की उपधारा एक के स्थान पर जा सकता. तो इसको हटाने की जरूरत नहीं थी. आपने धारा-162 में संशोधन करके निम्नलिखित उपधारा स्थापित की. धारा-162 की उपधारा एक के स्थान पर निम्नलिखित उप धारा स्थापित की जाए. इस उपधारा के अंतर्गत इन्होंने यह व्यवस्था दी है कि ‘’धारा 248 में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी तथा इस निमित्त बनाए गयी नियमों के अध्यधीन रहते हुए, ऐसे क्षेत्रों में, जो कि राज्य सरकार द्वारा राजपत्र के अधिसूचित किए जाएं, राज्य सरकार की किसी भूमि का जो कि अनधिकृत कब्जे में हो, कलेक्टर द्वारा उस सीमा तक तथा ऐसी राशि का भुगतान कर दिए जाने पर ऐसी कि विहित की जाए, कृषिक प्रयोजनों के लिए भूमिस्वामी अधिकारों में और अकृषिक प्रयोजनों की लिए सरकारी पट्टेधारी हक में व्ययन किया जा सकेगा.’’ – आप इसमें एक लाईन और जोड़ देते कि जो वाकई गरीब होगा, वाकई भूमिहीन होगा. वह शहरी भूमि को भी आप ऐसे लोग जो भू-माफिया हैं, जो बलशाली लोग हैं या जो बल के दम पर या लटठ के दम पर किसी जमीन पर कब्जा कर लेते हैं, उस कब्जे को भी रेग्यूलराईजन करने का भी और उस कब्जे को भी पट्टे देने का भी प्रावधान आपने कलेक्टर का अधिकार आपने दे दिया है. मैं समझता हूं कि इसे नहीं दिया जाना चाहिये था. आप इसका लोप करते तो मुझे खुशी होती. 158 का लापने लोप किया है, संशोधन लाकर किया है, जो आप अध्ययादेश के माध्यम से लाये. अगर आप इसका लोप करते तो मुझे ,खुशी होती.
अध्यक्ष महोदय, दूसरा धारा 165 में 7- क के स्थान पर निम्नलिखित उप धारा स्थापित की जाये- निम्नलिखित पर धाएं स्थापित की जाएं- यह महत्वपूर्ण संशोधन अध्यादेश के माध्यम से लाये थे. इसको आपने लोप भी कर दिया. समाप्त भी कर दिया. मेरे ख्याल से इस इस अध्यादेश को कोई ज्यादा मतलब नहीं रहा. मैं केवल एक बात जानना चाहता हूं कि आपने प्रदेश के कौन-कौन लोग हैं कौन-कौन से नगरों में किन-किन व्यक्तियों को फायदा देने के लिये यह अध्यादेश लागू किया. आप किस किस की भूमि का अंतरण कराना चाहते थे. अभी जैसे कल परसों की विधान सभा के दौरान मुरैना के विधायक ने भी प्रश्न उठाया था कि अनुसूचित जाति की ऐसी कितनी भूमि की परमीशन दी गयी. आपने मुरैना नगर की भूमि का परमीशन दे दी.आप किनको लाभ देना चाहते थे. आप इसको निरसित भी कर रहे हैं. मैं यह चाहूंगा कि इसके निरसिान के बाद आप इसका लोप भी कर रहे हैं. आपको इसमें एक लाईन और डाल देना चाहिये थी 21 अगस्त, 2015 से अध्यादेश जारी होने के बाद से आज दिनांक तक जितनी भी भूमियों का इस अध्यादेश के प्रभावी होने के बाद से अंतरण किया गया है से गरीबों को अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के लोगों को भूमिहीन बनाने का काम किया गया है. ऐसी भूमि के अंतरण की भी पूरे प्रदेश से जानकारी मंगा करके कि जितनी भी अनुमति आपने अनुविभागीय अधिकारी के माध्यम से दी गयी है, जो आपने इसमें व्यवस्था की थी. अध्यक्ष महोदय, इसमें यह व्यवस्था दी थी कि 158 के अंतर्गत प्राप्त भूमि के भूमिस्वामी जो भूमिहीन होते हैं और भूमिहीन होने के कारण उनको भूदान यज्ञ बोर्ड से या सरकारी पट्टे की पात्रता प्राप्त करने की पात्रता में आता है. ऐसे व्यक्तियों की भूमि का अंतरण वांचा करने पर एसडीएम उसकी 20 प्रतिशत राशि जमा करने के बाद दे सकता है. आज तक ऐसे कितने अंतरण हो गये हैं. आप इसका लोप करने के साथ-साथ यह जानकारी सदन को दिलाये के प्रदेश के सभी जिलों में, सभी तहसीलों में, सभी महानगरों में ऐसी कितनी भूमियों के आपने परमीशनें दी और कितनी भूमि का अंतरण किया है. मुझे लगता है कि आपके द्वारा लाया गया अध्यादेश किसी एक निश्चित उद्देश्य के लिये लाया गया. इसमें किसी न किसी षड़यंत्र की झलक आती है. अगर षड़यंत्र की झलक नहीं दिखती तो आप इसकी पूरी जानकारी उपलब्ध करायेंगे कि इस बीच की अवधि में 21 अगस्त से लेकर के आज तक के बीच की अवधि में कितनी भूमियों के अंतरण की स्वीकृति प्रदान की और कौन-कौन लोग थे वह एससीएसटी के लोग थे, माननीय उपाध्यक्ष महोदय मैं समझता हूं कि माननीय मंत्री जी ने सहृदयता दिखायी . मेरेद्वारा संशोधन भी दियागया था उनके द्वारा सहृदयता दिखायी. उन्होंने स्वीकार भी किया कि गलत हुई है. ऐसा क्यों हुआ आप प्रभारी मंत्री हैं; अध्यादेश लाने से पूर्व भी आपके सामने से गुजरा होगा. तब भी आपने पढ़ा होगा. या तो अधिकारी आपकी नहीं सुनते या अधिकारी आपकी नहीं सुनते. इसमें कहीं न कहीं गड़बड़ हुई है. इस तरह का अध्यादेश सहृदयता से वापस लिया. शायद यह अध्यादेश अधिनियम में परिवर्तित होकर लागू हो जाता तो मैं समझता हूं कि पूरे प्रदेश का अनुसूचित जनजाति का बिना भूमि के रह जाता वह अपनी सारी भूमि बेच देता आप और हम सब जानते हैं मैं इसकी भी बात करना चाहूंगा कि इसके पूर्व भी धारा 165 (6-ख) में आज भी आपके कलेक्टरों को अनुज्ञा देने की पात्रता है लेकिन जो अधिसूचित क्षेत्र हैं उनमें आज भी पूरी तरह से रोक है आदिम जनजाति के जितने भी क्षेत्र हैं. भू-राजस्व संहिता के अनुसार किसी भी अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति की भूमि की अनुमति नहीं दी जा सकती है. भू-राजस्व संहिता के 165 में एक अन्तरण पर रोक विनिर्दिष्ट दिनांक 26 जनवरी 1977 के पश्चात आदिम जनजाति के विनिर्दिष्ट क्षेत्र के भूमि स्वामी अधिकारों के गैर आदिम जनजाति के व्यक्ति के हितों में अन्तरण पर पूर्ण रोक लगा दी गई है कलेक्टर भी अब ऐसे क्षेत्र के अन्तरण की पूर्व अनुमति देने के लिए सक्षम नहीं रहेगा यह 1977 का जारी हुआ है बाद में भी इसमें संशोधन हुए हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमें खुशी होती आपके इन विनिर्दिष्ट आदिवासी बहुल क्षेत्रों को देख लें कई तहसीलें नई बन गईं इसमें आदिवासी अधिसूचित क्षेत्र श्योपुर दिया हुआ है आज श्योपुर के बाद से तहसील कराहल बन गई जो ट्रायबल ब्लाक है कम से कम इन्हीं में संशोधन करा देते इन्हीं में सुधार करा देते कई तहसीलें इसका लाभ लेकर के कि श्योपुर तहसील को तो अधिसूचित क्षेत्र में माना गया है लेकिन कराहल तहसील जो ट्रायबल क्षेत्र है जहां पांचवीं अनुसूची लागू होती है इसका इसमें विवरण नहीं दिया गया है ऐसे ही अधिनियमों को देखकर संशोधन करा लेते तो हमें खुशी होती. धारा 165 में अन्तरण के पहले किसी भी अन्तरण की अनुमति देने से पहले किसान के पास कम से कम पांच एकड़ सिंचित भूमि या दस एकड़ असिंचित भूमि किसी भी विलिंगम या भार से मुक्त के रुप में उसके पास न बच जाए तब तक अन्तरण की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. पता नहीं किस तरह से अन्तरण की अनुमति का यह संशोधन विधेयक आपके द्वारा प्रस्तुत किया गया है. मेरे द्वारा जो संशोधन दिया गया है मैं तो चाहता हूँ कि उसे मूल अधिनियम में भी स्थापित करें कि पूरे प्रदेश में अनुसूचित जनजाति के भूमिस्वामी के अधिकारों की भूमि किसी भी स्थिति में अन्तरण की अनुमति नहीं जाएगी या अन्तरित नहीं की जाएगी इस तरह की व्यवस्था करें. इसके बाद मूल अधिनियम की धारा-7 में भी संशोधन किया गया था इसमें भी बिना डायवर्सन के जो नियम कानूनों का उल्लंघन करते हैं उन पर जो अधिक दंड उसको कम करने का प्रयास आपने किया था ठीक है आपने इसका लोप कर दिया लेकिन इसका लाभ भी इस अवधि के बीच में किसी न किसी ने लिया होगा. मैं यही कहूंगा कि यह बड़े दुर्भाग्य की बात है दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि जो संशोधन लाया गया वह किस तरह से आया इसका परीक्षण जरुर करें इसमें आपने पुन: संशोधन प्रस्तुत किया. खण्ड 3, 5 और 7 का आपने विलोपन भी किया निश्चित रुप से बाकी के जो खंड हैं उसमें हमें कोई आपत्ति नहीं है बल्कि मैं तो यह कहूंगा कि खण्ड-3 का आप विलोपन न भी करें तो उससे कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला बल्कि उससे तो उन व्यक्तियों को जिन्होंने 158 में जमीन प्राप्त की है उनको लाभ होगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, चूंकि माननीय संसदीय कार्य मंत्री कह रहे हैं कि पर्याप्त है चूंकि उन्होंने तीनों खण्डों का लोप कर दिया है संशोधन वापिस ले लिए हैं इसलिए ज्यादा कुछ नहीं कहना लेकिन आप संसदीय मंत्री हैं आप राजस्व मंत्री हैं यही सबसे निवेदन है कम से कम इस तरह के अध्यादेश न लायें अध्यादेश की आवश्यकता क्यों पड़ी इस अध्यादेश के माध्यम से प्रदेश के भूमिहीन गरीबों ने सरकारी पट्टे से या भूदान यज्ञ बोर्ड से प्राप्त की थी उनको भूमिहीन बनाने का कुत्सित प्रयास किया लेकिन समय पर आपकी आंखें खुल गईं और उनका लोप करा दिया इसके लिए मैं यही कहूंगा कि यह बात आना चाहिए कि अध्यादेश इस तरह से नहीं लाए जाएं. आपने बोलने का समय दिया धन्यवाद.
श्री रामेश्वर शर्मा(हुजूर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय राजस्व मंत्री द्वारा प्रस्तुत मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता (संशोधन) विधेयक, 2015 (क्रमांक 15 सन् 2015) का मैं समर्थन करता हूँ और मैं आपको यह भी बता देना चाहता हूँ कि बड़े वर्षों बाद आज एक न्याय की प्रक्रिया की शुरुआत मध्यप्रदेश की विधान सभा में हो रही है. हम और आप यह जानते हैं कि 1947 का विभाजन जिन लोगों ने झेला आज वे लोग भी परेशानी की चपेट में हैं. सरकार उनके साथ भी बार-बार न्याय की बात करने के बाद भी, न्याय के पत्राचार होने के बाद भी, उनके साथ भी न्याय नहीं हो पाया, मैं ऐसे क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता हूँ. आरिफ भाई भी उस क्षेत्र में कुछ हिस्से में प्रतिनिधित्व करते हैं. जहाँ 50-50, 60-60 साल से लोग मकान बनाकर रह रहे हैं, कइयों को तो परमीशनें भी मिली हैं, एन ओ सी भी जारी हुए हैं. लेकिन अचानक एक प्रस्ताव आता है और वह आदेश बनकर जारी हो जाता है कि मर्जर नाम का एक कानून और एक्ट बन जाता है. मर्जर के कारण हमारा बैरागढ़ जो वार्ड क्रमांक 1 में भी बसता है, वार्ड क्रमांक 2 में भी बसता है, वार्ड क्रमांक 3 में भी बसता है, वार्ड क्रमांक 4 में भी बसता है, वार्ड क्रमांक 5 में भी बसता है, वार्ड क्रमांक 6 में भी बसता है और ईदगाह, जो उत्तर भोपाल का कुछ क्षेत्र है वह, कुछ क्षेत्र हमारे उच्च शिक्षा मंत्री आदरणीय उमाशंकर जी का कोटरा सुल्तानाबाद, ऐसे ही शाहपुरा, जो मध्य विधान सभा का क्षेत्र है, ऐसे तमाम क्षेत्रों में जहाँ लोग 50-50, 60-60 साल से रह रहे हैं उनका मालिकाना हक ही शून्य हो गया. उन्होंने किस आधार पर वहाँ पर मकान बना लिए. उनको किसी तरह की वहाँ पर सुविधा नहीं है और इस बारे में बार-बार विचार करने के बाद आज मैं यह कह सकता हूँ, माननीय अध्यक्ष महोदय, आपका भी क्षेत्र हो सकता है. आपकी विधान सभा में भी ऐसे क्षेत्र हो सकते हैं. सतना में भी कुछ क्षेत्र हो सकते हैं. कटनी में भी कुछ क्षेत्र हो सकते हैं. उज्जैन में भी कुछ क्षेत्र हो सकते हैं. जहाँ इस तरह के लोग प्रभावित हैं उन्होंने 1947 के विभाजन का दर्द वहाँ भी भोगा और आवास को लेकर दर्द आज भी वे भोग रहे हैं, उनके साथ न्याय नहीं हुआ. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को, आज कहा जाए तो मध्यप्रदेश की विधान सभा के अँन्दर बड़ा शुभ दिन है. एक दिन वह था जब एक दिन के लिए मध्यप्रदेश के लाखों किसानों के लिए सत्र बुलाकर किसानों को मुआवजा इस विधान सभा ने बाँटा, वह दिन भी स्वागत योग्य था, आज का दिन भी स्वागत योग्य इसलिए है कि जब माननीय मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जो अवैध कॉलोनियाँ हैं, आप जानते हैं नगरीय क्षेत्र से चुने हुए जन प्रतिनिधि जानते हैं, वे विधायक भी जानते हैं जिनके क्षेत्र में नगर पालिकाएँ, नगर पंचायतें, हैं उन क्षेत्रों में अवैध कॉलोनियों की किस तरह बाढ़ है. आज हम वोट लेने के लिए जाते हैं पर उनसे बात करते हैं, आश्वासन दे आते हैं पर उनकी सड़क नहीं बना पाते, उनको पानी नहीं दे पाते, उनके यहाँ बिजली का खंबा नहीं गाड़ पाते. लेकिन आज मध्यप्रदेश की विधान सभा में माननीय मुख्यमंत्री जी ने जो घोषणा की कि उन अवैध कॉलोनियों को वैध किया जाएगा. यह मध्यप्रदेश के इतिहास में गरीबों के लिए सबसे बड़ा न्याय का दिन साबित होगा, आज उनको भी इस बात के लिए न्याय मिलेगा. आज एक बात इसके लिए भी है कि लाखों की आबादी, जो इस बात से वंचित थी, लाखों की आबादी जो अपने हक या अधिकार से वंचित थी, जिन क्षेत्रों का मैंने नाम लिया, आज इस प्रस्ताव को पारित करने के बाद, यह संशोधन लाने के बाद, उनको भी न्याय मिलेगा, वे भी यह कह सकते हैं कि जहाँ हमारे पिता का जन्म हुआ था, जहाँ हमारे बाबा रहते थे, जहाँ हमारी शादी हुई, जहाँ हमारे बच्चे पैदा हुए, यह मकान हमारा है और मध्यप्रदेश सरकार जब उन्हें पट्टा देकर उन्हें मालिकाना हक देगी तो यह मध्यप्रदेश सरकार के साथ साथ उन जिन्दगियों के लिए भी सुखद दिन होगा, जो वर्षों से वहाँ पर निवास कर रहे हैं और इसलिए माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं इस प्रस्ताव का समर्थन करता हूँ साथ में यह भी निवेदन करना चाहता हूँ माननीय राजस्व मंत्री जी से कि उनके साथ न्याय हो, उनके साथ अन्याय न हो. आज की दर वे नहीं दे सकते, बल्कि उस समय की दर, जब से उन्होंने मकान बनाए हैं. जब से वे गरीब रह रहे हैं. उस समय की जो दर है, वह शून्य, बल्कि निःशुल्क उनको इन आवासों के पट्टे दिए जाने चाहिए. उन्होंने क्या अपराध किया 50 साल से रह रहे हैं, तब नहीं दिया जाता लेकिन 2001 में उनको नोटिस चला जाता है. 2000 के पहले अगर उनको मकान बनाने की एन ओ सी दी गई तो आज फिर उनको नोटिस क्यों दिया गया है इसलिए माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं इस प्रस्ताव का समर्थन करता हूँ और उम्मीद करता हूँ कि उन लाखों परिवारों को इसके साथ न्याय मिलेगा, उन परिवारों के साथ जो मकान बनाकर रह रहे हैं पर आज वह मर्जर के भय के कारण अपनी जिन्दगी संशय में जी रहे हैं, उनको भी न्याय मिलेगा, उनको आवास का मालिकाना हक मिलेगा. मैं मध्यप्रदेश सरकार और हमारे मुख्यमंत्री शिवराज जी का, हमारे राजस्व मंत्री आदरणीय रामपाल सिंह जी का, हृदय से स्वागत करता हूँ, धन्यवाद करता हूँ और जिस दिन जिन लोगों के हाथों में पट्टे मिलेंगे उस दिन पूरा प्रदेश भी आपका स्वागत करेगा, आपका अभिवादन करेगा, आपका अभिन्दन करेगा. अध्यक्ष महोदय, मैं चाहता हूँ कि इस प्रस्ताव का समर्थन किया जाए और साथ में माननीय मंत्री जी से यह भी प्रार्थना करना चाहता हूँ कि जल्दी कानून बनकर यह सामने आए और पीड़ित परिवारों को इसका न्याय मिल सके, इसी निवेदन के साथ धन्यवाद.
श्री महेंद्र सिंह कालूखेड़ा(मुंगावली)--- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं इस अध्यादेश को लाये जाने का विरोध करता हूं. अध्यादेश लाने की जरूरत नहीं थी , यह बिना तैयारी के लाया गया और इसके कारण आपने कुछ सुधार भी किया. अगर यह अध्यादेश आ जाता तो प्रदेश के सैकड़ों एस.टी. के लोग जिनको पट्टे की भूमि मिली थी , भू माफिया उनकी सब भूमि हड़प कर लेता लेकिन आपने एक्ट कुछ संशोधन किया है इसका मैं स्वागत करता हूं . आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जो बहुत गरीब व्यक्ति है, उसके मकान के अतिक्रमण को रेगुलराईज कर रहे हैं वहाँ तक तो ठीक है लेकिन उसके कारण आप कहीं भू माफिया को मदद न कर दें. क्योंकि पूरे प्रदेश में अगर आप जांच कराये तो जिलाधीश की अनुमति से अऩुसूचित जनजाति के लोगों की जो भूमि ट्रांसफर हुई है, बेची गई है उसमें आपको बहुत अनियमिततायें मिलेंगी. मैं चाहता हूं कि अभी तक जितनी भूमि ट्रांसफर हुई है, उसकी जांच करवाये.
अध्यक्ष महोदय, मैंने आपको और प्रमुख सचिव, राजस्व को एक चिट्ठी लिखी है कि मेरे यहाँ मुंगावली विधानसभा क्षेत्र में सैकड़ों पट्टेधारियों की भूमि पर भू-माफिया का कब्जा हो गया है और उन्होंने पटवारी कागजों में कुछ को ट्रांसफर भी करवा लिया है मेरी आपसे मांग है कि पिछले दस सालों में जितने भी पट्टे मिले थे उनकी जांच की जाए कि उन पर किस किस का कब्जा है और जिन्होंने अतिक्रमण किया है उसको हटाया जाये. सरकार की एक अच्छी नीति थी कि आदिवासियों को पट्टे दिये जायें . जितने आदिवासियों को पट्टे दिये गये हैं उन आदिवासियों के पट्टे पर पहले तो वह काबिज नहीं हो पाये हैं क्योंकि बड़े बड़े भू-माफिया का उन पर कब्जा था और जिन पर काबिज भी हो गये थे उनको ललचा करके , पैसा दे के वह भूमि भू-माफिया ने अपने कब्जे में कर ली है तो उनके हितों का संरक्षण आपने नहीं किया है. मेरे विधानसभा क्षेत्र का उदाहरण दूं तो मेरे यहाँ एक ही भू-माफिया है, राजस्व मंत्री जी उसको जानते हैं . मैं नाम नहीं लेना चाहूंगा. उसने अथाईखेड़ा में एक ही भूमि की दो रजिस्ट्रियां करवा ली. एक में एक किलोमीटर दूर और एक में सड़क के पास और बार -बार उस अतिक्रमण को हटाने की कोशिश की गई लेकिन नहीं हटाया और वह व्यक्ति भू-माफिया पिछले सप्ताह जिला पंचायत की बैठक में बोला , जब एक जिला पंचायत के सदस्य ने मांग की कि सरकारी भवनों से और सरकारी भूमि से गरीबों की भूमि से कब्जे हटाये जाये तो उसने यह कहा कि किसमें ताकत है, हटवाकर देखे. यानि भू-माफिया की इतनी जबर्दस्ती ? अशोक नगर शहर के मध्य करोड़ो की भूमि से श्रीमती नीलम संजीव राव ,जो गुना कलेक्टर थी, उन्होंने 15 साल पहले पुलिस के माध्यम से कब्जा हटाया था. वह कब्जा वापस हो गया और आज उस भूमि पर से कब्जा नहीं हट रहा है और लोग मकान बनाकर रह रहे है. वहां एक ही भू-माफिया है दो नहीं है, उसने पिपरई में मकान बना लिया, दुकानें बना ली.मेरा आपसे अनुरोध है कि ऐसे भू-माफिया इस कानून का फायदा उठा सकते हैं इसका नियमितीकरण करा सकते हैं. इसलिए मेरा आपसे अनुरोध है कि आपको ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए कि इस कानून का कोई फायदा न उठा पाये और अनुसूचित जनजाति के लोगों को जो पट्टे पर भूमि मिली है वह कोई और न ले सके. आप सोचिये कि बिना जिलाधीश के इजाजत के एसटी के लोग भूमि बेच नहीं सकते हैं लेकिन एक आत्मसमर्पित डाकू भदौरिया जिसकी मुंगावली में भूमि थी, जिलाधीश की अनुमति के बिना उसको बेच दिया गया और दो दो लोगों ने बेच दिया. यह सारे मेरे विधानसभा के प्रकरण हैं आपके पास ,इस संबंध में मैंने आपको चिट्ठियां भी लिखी हैं तो मेहरबानी करके एक विशिष्ट अधिकारियों को टीम बनाये और जो अन्याय हुआ है उसे दूर करें और यह सुनिश्चित करें. मैं तो मेरे मुंगावली का उदाहरण दे रहा हूं लेकिन प्रदेश में सब तरफ भू-माफिया इस प्रकार से कब्जे कर रहा है और जमीनों को ले रहा है, जो सरकारी जीनिंग मिल्स की फैक्ट्री है , उन सब पर कब्जे कर लिये हैं, नामांतरण हो गये हैं, इन सबकी आपको जांच कराना चाहिए और यह भूमि शासकीय घोषित करना चाहिए भू-माफियाओं को कमजोर करना चाहिए. गरीबों ,अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों की हितों की सुरक्षा हो ऐसे प्रावधान आपको करना चाहिए. धन्यवाद.
श्री विश्वास सारंग(नरेला)—माननीय अध्यक्ष महोदय, मै राजस्व मंत्री जी द्वारा प्रस्तुत मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता(संशोधन) विधेयक,2015 का समर्थन करता हूं. इस बहुत महत्वपूर्ण विधेयक में जो संशोधन माननीय राजस्व मंत्री जी लेकर के आये हैं उस पर यहां पर चर्चा हुई और इसकी शुरुआत आदरणीय राम निवास रावत जी ने की और उन्होंने कहा कि सरकार बिना किसी स्टडी के, बिना किसी पढ़ाई-लिखाई के यह अध्यादेश लेकर के आयी हैं और यही बात महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा जी ने भी कही. मैं रावत जी को बताना चाहता हूँ कि यह अध्यादेश नहीं विधेयक है. आप अपने पूरे भाषण में अध्यादेश-अध्यादेश बोलते रहे जबकि यह विधेयक है. अध्यादेश पहले लाये थे जब सदन नहीं था, यह इसी के लिए तो विधेयक लाये हैं और मुझे बड़ा आश्चर्य है कि उन्होंने इन संशोधनों का विरोध भी कर दिया. धारा 162 के संशोधन का भी विरोध कर दिया. आरिफ भाई यहां पर बैठे हैं, मैं पूछना चाहता हूँ कि क्या वह भी इसका विरोध करेंगे क्योंकि यह सीधी सीधा जो संशोधन हो रहा है, जैसा रामेश्वर शर्मा जी ने बताया, आज का यह दिन मध्यप्रदेश के इतिहास का बहुत गौरव वाला दिन है क्योंकि ऐसे हजारों लोग जो बैरागढ़ में निवास करते हैं, ऐसे हजारों लोग जो ईदगाह हिल्स में रहते हैं, जो माननीय आरिफ अकील जी का क्षेत्र है वहां के लोगों का इस संशोधन के बाद उनको सीधी सीधा फायदा मिलेगा. धारा 162 में जो संशोधन किया गया है जैसा कि हम जानते है, जब पाकिस्तान का विभाजन हुआ उसके बाद बहुत सारे लोग पूर्वी पाकिस्तान से,पाकिस्तान के बहुत सारे क्षेत्रों से यहां पर हिस्दुस्तान में आये और उनको उस समय विस्थापन करने के लिए अलग अलग कालोनियों में बसाया गया, उसी में से एक बैरागढ़ है, ईदगाह हिल का क्षेत्र ऐसा था जहां पर ऐसे विस्थापित रखे गये, जिनको वहां पर पुर्नवास के लिए जगह दी गयी पर 2001 में एक कलेक्टर का आदेश ऐसा आ गया जिसके कारण उनकी पूरी स्थिति डगमगा गयी परन्तु यह संशोधन आने के बाद उन्हें स्थायी पट्टा मिलेगा और केवल उन्हें ही नहीं जो किसान ऐसी जगह पर खेती करते हैं जिनका उन पर मालिकाना हक नहीं है, इस संशोधन के बाद उनको मालिकाना हक मिलेगा. आवासीय क्षेत्र में भी उनको मालिकाना हक मिलेगा, उनको पट्टे मिलेंगे और इस संशोधन में मैं राजस्व मंत्री जी को बधाई देना चाहता हूँ कि सबसे महत्वपूर्ण बात है कि यदि और किसी प्रयोजन से भी यदि उस जमीन का उपयोग किया जा रहा है चाहे वह व्यावसायिक प्रयोजन हो, चाहे शैक्षणिक प्रयोजन हो उसको भी रेग्युलर करने में इस संशोधन के माध्यम से रहवासियों को बहुत सुविधा मिलेगी, मैं इस संशोधन का पुरजोर समर्थन करता हूँ.
अध्यक्ष महोदय, इसी तरह धारा 50 में जिस प्रकार से संशोधन किया गया है, हम देखते हैं कि प्रक्रिया में,विधि में, नियम में बहुत बार ऐसा होता है कि जब राजस्व न्यायालय का कोई निर्णय आता है तो उसमें देखने को मिलता है कि कुछ टेक्नीकल गलती या विधिक गलती या प्रक्रिया की गलती सामने आती है पर वह गलती उस न्यायालय द्वारा इंगित की जाती है तो उसका निराकरण केवल उसके ऊपर वाला न्यायालय ही कर सकता है, केवल भू-राजस्व मंडल में ही वह गलती हम चेंज करवा सकते हैं या ठीक करवा सकते हैं चाहे वह निर्णय तहसीलदार ने दिया हो, या एसडीएम के कोर्ट ने दिया हो, चाहे अपर कलेक्टर के कोर्ट ने दिया हो, या कलेक्टर के कोर्ट ने दिया हो, यदि संभागायुक्त भी गलती को देख लेता है तो स्वमोटो उसमें कोई परिवर्तन नहीं कर सकता था पर इस धारा 50 के संशोधन के बाद संभागायुक्त को भी यह अधिकार दिया गया है कि वह उस गलती को ठीक कर सके. इस पूरी प्रक्रिया का सरलीकरण होगा. मैं बहुत बधाई देना चाहता हूँ और इसके साथ ही मैं माननीय राजस्व मंत्री जी का ध्यान एक विषय की ओर दिलाना चाहता हूँ क्योंकि आपने धारा 162 में जो संशोधन किया है उससे निश्चित रुप से बैरागढ़ के मर्जर एग्रीमेंट से जो ग्रसित लोग हैं उनको फायदा मिलेगा, ईदगाह हिल वालों को भी फायदा मिलेगा पर उसके साथ ही इटारसी और होशंगाबाद में भी ऐसे सैकड़ों रहवासी हैं जो 1964 से और 1971 के बीच में विस्थापित होकर यहां आये और उनको सरकार द्वारा इटारसी में और होशंगाबाद में जगह दी गयी. बंगाली कालोनी में उनको जमीन दी गयी, उनको वहां पर मकान बनाकर के दिये गये परन्तु उनको मालिकाना हक के लिए लगातार मौखिक आश्वासन दिया गया परन्तु लिखित में उन्हें आज तक कुछ भी नहीं मिला है. मैं माननीय राजस्व मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूँ कि इस बात को वह जरुर सुनिश्चित करें कि इटारसी में और होशंगाबाद में जो बंगाली कालोनी में रहने वाले रहवासी हैं, होशंगाबाद में जो सिंधी परिवार हैं, जो लगभग 50 वर्षों से वहां पर रह रहे हैं पर उनको कोई पट्टा अभी तक नहीं मिला है मैं यह चाहूंगा कि माननीय राजस्व मंत्री जी आज इस बात की घोषणा करें कि उनको भी इस संशोधन विधेयक के बाद जल्द से जल्द पट्टे देने की व्यवस्था की जाएगी. जैसा कि रामेश्वर शर्मा जी ने बोला मेरा भी मानना है कि जो आज से 50 वर्ष पहले किसी भूमि पर काबिज हुए थे यदि हम आज की तारीख में उनसे प्रीमियम लेंगे तो निश्चित रूप से उन पर बहुत बड़ा वित्तीय भार पड़ेगा. मैं चाहता हूँ कि राजस्व मंत्री जी इस बात को सुनिश्चित करें कि उनसे प्रीमियम की राशि अव्वल तो ली न जाए और यदि ली भी जाए तो बहुत मिनिमम हो जो उनके लिए अफोर्डेबल हो नहीं तो इस संशोधन का बहुत ज्यादा फायदा उन रहवासियों को नहीं मिल पाएगा. मेरा तो ऐसा निवेदन है कि उनसे कोई भी पैसा नहीं लिया जाना चाहिए. साथ ही अध्यक्ष महोदय, इस बात को सुनिश्चित किया जाना चाहिए जो 50 वर्षों से रहवासी हैं उनके पट्टों की वैधानिक स्थिति वैसी ही रहे जैसी रजिस्ट्री की रहती है. कहने का तात्पर्य यह है कि जैसे रजिस्ट्री देकर हम किसी बैंक से लोन ले सकते हैं उसी तरह इस पट्टे की भी वैधानिक स्थिति हो.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय राजस्व मंत्री जी को बहुत बधाई देना चाहता हूँ और वैसे भी मध्यप्रदेश के इतिहास में जब से माननीय शिवराज सिंह चौहान जी मुख्यमंत्री बने हैं, मध्यप्रदेश में अंग्रेजों के समय के वे कानून जिनके कारण प्रक्रिया में बहुत दिक्कत होती थी उनको परिवर्तित करने का एक अच्छा कदम इस सरकार ने उठाया है, चाहे आरबीसी में परिवर्तन की बात हो या ऐसे परिवर्तन जिसके माध्यम से रहवासियों को बहुत फायदा मिलता हो, मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को भी बहुत बधाई देना चाहता हूँ और माननीय राजस्व मंत्री जी को भी कि उन्होंने यह संशोधन विधेयक यहां पर प्रस्तुत किया. इसी के साथ धारा 166 और 247 में भी जो भाषाई सुधार है उसका भी मैं समर्थन करता हॅूं और जो पुनर्स्थापन विधेयक के खंड 3, 5 और 7 में जिनको रोका गया है निश्चित रूप से उन्हें रोकना इसलिए जरूरी था कि इस विषय में और विचार-विमर्श के बाद उसको यदि लाया जाएगा तो शायद उसके दूरगामी परिणाम हमें देखने को मिलेंगे. माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे लगता है कि हम सबको मिलकर इस विधेयक का पूर्ण रूप से समर्थन करना चाहिए क्योंकि इसके माध्यम से उन रहवासियों को जो 50 वर्षों से उन जमीनों पर काबिज हैं उनको मालिकाना हक मिलेगा, उनको अपना अधिकार मिलेगा और वे अपना जीवनयापन और अच्छे से कर सकते हैं. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को, माननीय राजस्व मंत्री को बहुत बधाई देना चाहता हूँ और अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का मौका दिया, उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री सुन्दर लाल तिवारी (गुढ़) – माननीय अध्यक्ष महोदय, यह विधेयक जो सदन में संशोधन के लिए प्रस्तुत किया गया है इसमें बहुत सी शंकाएं सामने आ रही हैं. पहली शंका यह है कि शेड्यूल कास्ट्स और शेड्यूल ट्राइब्स की जमीनों को भूमाफिया सस्ते दामों पर खरीद लेंगे. हमारे संविधान में बहुत सोच-समझकर ऑर्टिकल 46 में यह प्रावधान किया गया था कि अनुसूचित जनजाति को कोई आर्थिक हानि न हो यह सुनिश्चित किया जाए. शिक्षा के साथ-साथ उनके इकॉनॉमिक इंटरेस्ट को भी संरक्षित किया जाए, यह भी हमारे ऑर्टिकल 46 में है. यह जब शंका उठी है और स्पष्ट भी है कि 10 साल बाद उन जमीनों को बेचने के लिए वे आजाद हो जाएंगे तो उन बेचारे आदिवासियों को थोड़ा बहुत प्रलोभन दे देकर लोग उनकी जमीन खरीद लेंगे और फिर वे उसी जगह पहुँच जाएंगे. वे पुन: भूमिहीन हो जाएंगे और फिर पहले की तरह घूमने लगेंगे. धारा 50 में हमें कोई आपत्ति नहीं है इस पर हम कुछ नहीं कहना चाहते लेकिन धारा 162 में पहले भूमि कृषि प्रयोजन के लिए और आवास के लिए दी जाती थी और अब इन्होंने कर दिया है कि अकृषिक प्रयोजनों के लिए सरकारी पट्टेधारी हक में व्ययन किया जा सकेगा. अकृषिक प्रयोजनों को आपने स्पष्ट नहीं किया है कि क्या प्रयोजन है इसमें कुछ भी हो सकता है. अगर यह कामर्शियल है यह व्यावसायिक भी हो सकता है, अब अगर यह आपका व्यावसायिक की स्थिति में है तो उस भूमि का क्या मूल्य होगा. बड़े बड़े लोग उसको कैसे खरीद लेंगे.इसमें आपने जो धारा 162 में परिवर्तित कर दिया है कि अकृषिक प्रयोजनों में तो यह जो आपने अकृषिक प्रयोजन लिख दिया है. पहले तो यह आवास के लिए था. अब इससे स्पष्ट होता है कि सरकार की जमीन व्यावसायिक के लिए भी लुटा देंगे. यह आपकी नीति इसमें दिख रही है. क्योंकि आपके मूल एक्ट में यह नहीं दिख रहा है कि कितनी जमीन आप दे सकते हैं. अब आप इसमें कह सकते हैं कि आप हमें नियमों में बतायेंगे कि किसी आदमी को कितनी जमीन दे सकते हैं. मेरा यह कहना है कि सरकार की जमीन अमीर बिल्डर और व्यापारी यह सब लूट लें इस पर सदन को ध्यान देने की आवश्यकता है. इसमें आपने किसी को एक एकड़ दे दिया या दो एकड़ दे दिया तो आपने इसमें कोई क्षेत्रफल तो बताया नहीं है कि कितना देना चाहते हैं.
यह व्यावसायिक जमीन अगर आप थोड़ी बहुत हो तो दे दें तो कम से कम यह तो आप प्रमाणित करें कि वह भूमिहीन है. यह तो आवास की बात अच्छी थी कि जिसके पास में जमीन नहीं है उसे रहने के लिए दो चार कमरे बनाना है तो 20X 40 या 30 X 40 जो भी सरकार समझे उसे दे दिया. अब यह ऐसा शब्द आपने रख दिया है इसको आप स्पष्ट करें कि अकृषित प्रयोजनों के लिए आपने लिखा है. यह किन किन प्रयोजनों के लिए जमीन देंगे जरा 162 में इसको स्पष्ट करें क्योंकि यह बहुत शंका का विषय हो गया है.
हमारा इसमें यह भी कहना है कि इसमें आप क्षेत्रफल का भी स्पष्ट उल्लेख मूल एक्ट में धारा 162 में किया जाय कि हम इतनी ही जमीन देंगे. अब इस 162 में क्या है कि इसमें स्कूलों की जमीनें हैं उनमें भी अतिक्रमण है क्योंकि एक्ट की मूल धारा में लिखा है या सरकार के और कोई उपक्रम हैं उनके पास भी यह जमीनें हैं तो यह जमीनें फिर से बिल्डर्स को चली जायेंगी, बड़े बड़े उद्योगपति ले लेंगे. इसमें जो संशोधन और विचार करने की आवश्यकता है उस पर विचार किया जाय. आगे मेरा यह कहना है कि आप यह कहते हैं कि आप 10 साल के बाद में जमीन बेचने की उनको अनुमति दे देंगे. कलेक्टर को अनुमति देने की कोई आवश्यकता नहीं है पुराना हमारा जो प्रावधान था उसमें आप यह संशोधन करें, मेरा इसमें यह सुझाव है मंत्री जी इस पर गौर करें , अगर यह जमीन एससी एसटी की है या किसी की भी हो वह बेचना चाहता है तो वह ही प्रीमियम लेकर उस तत्कालीन समय में उस क्षेत्र का जो रेट हो वह सरकार पैसा देकर जमीन खुद ले ले उसके बाद में उस जमीन को बेचने का टेण्डर करे, उसके बाद में जिसको लेना हो तो वह ओपन टेण्डर के माध्यम से आयें और इस जमीन को खरीदें, तब तो यह काला धंधा बंद होगा, नहीं तो यह बिल्डर्स का धंधा चलेगा. अ गर वह बेचना चाहता है तो 10 प्रतिशत प्रीमियम जमा करके वह कहता है कि हमें यह जमीन बेचना है. सरकार को उस जमीन की बाजार में जो कीमत हो वह उसको देकर जमीन अपने कब्जे में ले ले और ऐसी भूमियों के लिए टेण्डर किये जाये फिर बड़े व्यापारी या बिल्डर्स आयें वे सभी कंपिटीशन में आयें और उस जमीन को ले लें, तब जाकर बिल्डर्स की जो गलत नीयत है वह पूरी नहीं होगी.
डॉ नरोत्तम मिश्र – यह कभी कभी तो समझदारी की बात करते हैं कर लेने दिया करें.
श्री रामनिवास रावत – इसका आशय क्या है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- इसका आशय यह है कि हम 63 आंखों के बारे में न पूछें.अध्यक्ष महोदय, दो बातें मैं और कहना चाहता हूं. ये जमीनें landless को देंगे या जिनके पास 50 एकड़, 100 एकड़, 500 एकड़ जमीन है, उनको भी ये दे देंगे.? इसमें एक प्रश्न यह और भी उठता है . landless की एक सीमा बनाये कि जिसके पास इतनी जमीन होगी उसको हम यह दे देंगे. अब 100 एकड़ वाले को भी आप दे दोगे. दूसरा मेरा कहना है, आज मैं मुख्यमंत्री जी से भी यह सवाल करना चाहता था लेकिन अध्यक्ष महोदय ने मुझे अनुमति नहीं दी. क्योंकि शायद अध्यक्ष महोदय को ऐसा कुछ प्रतीत हुआ होगा कि ये ऐसा सवाल करेंगे कि मुख्यमत्री जी को अच्छा नहीं लगेगा या कुछ वाद-विवाद खड़ा हो जायेगा. एक विभाग और है, Town and Country planning का ....
डॉ.नरोत्तम मिश्र—अध्यक्ष जी आपको तो कभी ऐसा लगता ही नहीं है क्योंकि ये कभी ऐसा सवाल करते ही नहीं हैं कि जिससे वाद-विवाद खड़ा हो. भले आदमी हैं.
श्री सुन्दर लाल तिवारी—अध्यक्ष महोदय, ये घोषणाएं तो हो जाती हैं. अब जैसा ये बोल रहे हैं कि कमर्शियल परपज के लिए आपने दे दिया, रेसीडेंशियल परपज के लिए आपने वह जमीन दे दी और वह forest के लिए town and country planning में रिजर्व है या कमर्शिलय लेण्ड है. आप उसको दूसरी चीज में कनवर्ट करके उसको एलाट कर रहे हैं. वहां झगड़ा मच जाता है. तो मेरा कहना है कि इन सब चीजों पर विचार करके कानून बनाया जाय. अच्छे से विचार करके, सोच समझ कर के यह कानून सदन में प्रस्तुत नहीं किया गया है. इसे अभी माननीय मंत्री जी withdraw कर लें और विचार कर लें. दुबारा लायें जिससे और बेहतर स्वरूप में यह आ सके. और एक अच्छा कानून इस राज्य के गरीब आदमी के लिए ,मध्यम वर्गीय के लिए बन सके ,यह कानून केवल बिल्डर्स के लिए हो जाये ऐसा न हो... इसे प्रवर समिति को सौंपने की बाद हमारे रावत जी कर रहे हैं ,चला जाये,वहां भी हम लोग डिसकस कर लेंगे और बढ़िया कानून बन जायेगा.
अध्यक्ष महोदय—उनकी बात उनको ही कहने दें.
श्रीमती प्रमिला सिंह (जयसिंह नगर )-- माननीय अध्यक्षजी, मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता (संशोधन ) विधेयक 2015 के संबंध में सरकार के द्वारा पर्याप्त विचार विमर्श किया गया है इसलिए अच्छा ही होगा, लेकिन कुछ आशंका है. अध्यक्ष महोदय, धारा 165(7)(ख) भू-राजस्व संहिता के तहत कलेक्टर को अनुमति का प्रावधान था. अब निर्धारित राशि जमा करने के पश्चात् एस.डी.ओ. हस्तान्तरण कर सकेगा. इसका ध्यान रखा जाये ताकि इसका दुरूपयोग न हो. अध्यक्ष महोदय, अनुसूचित जनजाति के पट्टेदार ,गैर अनुसूचित जनजाति को ऐसी भूमियां विक्रय कर सकेंगे यह स्पष्ट नहीं है. ऐसी स्थिति में अनुसूचित जनजाति की भूमियां सब बिक जायेंगी, ऐसी आशंका है. ऐसी स्थिति में विक्रय की अनुमति का अधिकार सिर्फ कलेक्टर को ही हो, तभी उचित होगा. अनुसूचित जिलों में भी कृषि भूमियों को गैर अनुसूचित जनजाति को विक्रय कर सकेंगे ,ऐसा स्पष्ट नहीं है. मेरे मतानुसार अनुसूचित जनजातियों की कृषि भूमि को विक्रय की अनुमति का प्रावधान ऐसे जिलों को नहीं होना चाहिए. अध्यक्ष महोदय, इसमे यह स्पष्ट नहीं है और विधेयक में इसका ,स्पष्ट उल्लेख किया जाय ताकि हमारे आदिवासी भ्रमित न रहें. इस प्रकार से इसमें संशोधन कर सुधार करें.
डॉ गोविंद सिंह(लहार)—अध्यक्ष महोदय,माननीय मंत्रीजी द्वारा जो मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता(संशोधन)विधेयक,2015 लाया गया है. इसमें कुछ तो ठीक है. लेकिन मैं पूछना चाहता हूं कि इसकी आवश्यकता क्यों पड़ी. मैं कहना चाहता हूं कि इस विधेयक की अभी कोई आवश्यकता नहीं थी. इसके लाने के पीछे एक षडयंत्र था. एक चाल थी. पहले अप्रैल में अध्यादेश आया. फिर 21 अगस्त 2015 को लाये. अध्यादेश के उद्देश्य में आपने साफ लिखा है चूंकि यह मामला अत्यंत आवश्यक था. मध्यप्रदेश विधानसभा सत्र चालू नहीं था इसलिए संशोधन अध्यादेश इस प्रयोजन के लिए प्रख्यात किया गया अध्यादेश को अधिनियम में लाने के लिए प्रस्तावित किया गया.
अध्यक्ष महोदय, मैं पूछना चाहता हूं कि ऐसा कौन सा अत्यावश्यक था. यह आप भी जानते हैं. मैं प्रदेश की जनता को बताना चाहता हूं. अध्यक्षजी, यह इसलिए आवश्यक था कि इतने समय में 7-8 महीने का समय मिल गया और अध्यादेश कानून बन गया और अध्यादेश के तहत तब तक (XXX), उनको पूरे प्रदेश की जमीनें इन्होंने इस माध्यम से अध्यादेश के माध्यम से बिकवा दी.
डॉ गौरीशंकर शेजवार—अध्यक्ष महोदय, बिना प्रमाण के कोई बात कहना उचित नहीं है. भाषा पर संयम रखें. डॉ. साब संसदीय भाषा का उपयोग करो. यदि आपके पास कोई प्रमाण है तो दूसरे नियम हैं उनके अंतर्गत लाईये और आरोप लगाईये.
डॉ गोविंद सिंह—मैं प्रमाण दे रहा हूं. बैठ जाईये. मैं एक एक लिखित आदेश की प्रतियां दूंगा.
श्री रामनिवास रावत—आप क्यों लाये और फिर क्यों वापस ले रहे हैं.
डॉ गौरीशंकर शेजवार—अध्यक्ष महोदय, इन्होंने जो (XXX) और ये सब कहा है इसे कार्यवाही से निकाला जाये. उचित नहीं है.
अध्यक्ष महोदय—पार्टी का नाम निकाल दें.
डॉ गोविंद सिंह—पार्टी का नाम निकाल दो. शेजवारजी का ड़ाल दो. (हंसी)
डॉ गौरीशंकर शेजवार—कार्यवाही दिखवा लीजिए.
अध्यक्ष महोदय—पार्टी का नाम निकाल दिया.
श्री रामनिवास रावत—आप क्या पक्ष में हो कि जैसा अध्यादेश लाये थे, वैसा ही अधिनियम बने. आप पक्ष में हो क्या. बताओ डॉक्टर साब...डॉक्टर साब चुप हो गये.
श्री के पी सिंह—डॉ गोविंद सिंह जी की विद्वता पर दो बार प्रश्नचिह्न खड़ा कर चुके हैं कि डॉक्टर साहबअससंदीय भाषा का प्रयोग करते हैं. यह बड़ी दुर्भाग्यपूर्ण बात है. डॉक्टर साब ये भी हैं और डॉक्टर साहब भी हैं. ऐसा ये क्यों कर रहे हैं, मुझे समझ में नहीं आता.
श्री उमाशंकर गुप्ता—केपी सिंह साहब दो डॉक्टरों के चक्कर में आप क्यों पिस रहे हो. (हंसी) दोनों विद्वान हैं. दोनों को उलझने दो. (हंसी)
अध्यक्ष महोदय—गोविंद सिंह जी अपनी बात संक्षेप में जारी रखें.
श्री के के श्रीवास्तव—अध्यक्ष महोदय,(व्यवधान)...
डॉ गोविंद सिंह—अध्यक्षजी, बड़ी परेशानी वाली बात है. कोई जानकार हो. पढ़ा-लिखा हो. समझदार हो तो बोले लेकिन मैं पूछना चाहता हूं कि (XXX).(हंसी)
अध्यक्ष महोदय—सभी सदस्य समझदार हैं.
श्री के के श्रीवास्तव—अध्यक्षजी, मैं अपनी बात कह रहा हूं इसमें क्या दिक्कत है. इसमें तो कम से कम विद्वता मुझे है ही.
श्री रामेश्वर शर्मा—डॉ साहबआपसे उम्मीद ही नहीं की जा सकती कि आप किसी व्यक्ति की शक्ल किससे मिलवाना चाहते हैं.
डॉ गोविंद सिंह—हमारे बीच में आप हस्तक्षेप नहीं करेंगे (हंसी)
श्री रामेश्वर शर्मा—यह बात अलग है लेकिन यह शब्द क्या डॉक्टर के हिसाब से ठीक है क्या?
डॉ गोविंद सिंह—हंसी-मजाक में बात हो गई.
एक माननीय सदस्य—डॉक्टर साहबआपने आईना देखा की नहीं.
अध्यक्ष महोदय—आप किसी का उत्तर नहीं दें. आप उत्तर देते हैं इसलिए वह बोलते हैं. आप अपनी बात जारी रखें.
श्री रामेश्वर शर्मा—अध्यक्ष महोदय, उस शब्द को विलोपित करायें.
अध्यक्ष महोदय—माननीय सदस्य के बारे में जो कहा वह हटा दीजिए. श्रीवास्तवजी कृपया बैठ जायें.
श्री रामनिवास रावत—हम संसदीय कार्यमंत्रीजी से अनुरोध करेंगे कि माननीय सदस्य को जरा संस्कार सिखायें. इस तरह से बात करते हैं. क्या कह रहे हैं. ये आपकी अनुमति से बोल रहे हैं?
अध्यक्ष महोदय—कार्यवाही से निकाल दिया है.
डॉ गोविंद सिंह—हमें बोलने ही नहीं दिया. अभी केवल शुरुआत हुई है.
अध्यक्ष महोदय—बैठ जाईये.
डॉ. गोविंद सिंह - माननीय अध्यक्ष जी, वास्तव में जो अध्यादेश बीच में हुआ है, जैसा कि डॉ. साहब ने कहा कि हमारे पास प्रमाण है. ग्वालियर में भारी पैमाने पर तत्कालीन कलेक्टरों ने जो अनुसूचित जाति जनजाति की भूमि थी और हमारे पास करीब 22 दस्तावेज कलेक्टर के आदेश के हैं और वही कलेक्टर जो ग्वालियर से ट्रांसफर होकर इंदौर चले गये और वही पटवारी, नायब तहसीलदार और एसडीएम जितने थे उन सभी को ट्रांसफर कराकर ले गये, ऐसे मैं प्रमाण भी दे सकता हूं और मैंने विधानसभा प्रश्न भी लगातार लगाया. माननीय राजस्व मंत्री जी आप तो बहुत ही सज्जन हैं, लेकिन इस पर गौर करो. मेरे प्रत्येक प्रश्न पर यही जानकारी दी गई कि जानकारी एकत्रित की जा रही है, आज तक जानकारी नहीं दी गई है. हमने सचिवालय को भी लिखकर दिया है. मैं आपसे यह कहना चाहता हूं वास्तव में इस दरमियान आप यह अध्यादेश किसी भी उद्देश्य से लाये हों लेकिन इसके उद्देश्य की जो नीयत है उसमें कई अधिकारियों ने, कई भू-माफियाओं ने भारी पैमाने पर दुरूपयोग किया है. मैं आपको प्रमाणित दस्तावेज सहित दूंगा. मैं आपसे प्रार्थना भी करना चाहता हूं कि जिन आदिवासियों, अनुसूचित जाति, जनजातियों के लोगों की जमीनें गईं हैं उनको वापस मिलना चाहिये.
दूसरा जहां श्योपुर जिले का करहल ब्लॉक है, भारी पैमाने पर गड़बडी हुई हैं, वहां 5 हजार 10 हजार रूपये देकर 30-30, 40-40 बीघा जमीन अपने नाम लिखा लीं और कब्जा किये हुये हैं. कई लोगों ने पटवारियों से सांठ गांठ कर कब्जे के आधार पर और हो सकता है इसी दरमियान यह अध्यादेश का दुरूपयोग उन्होंने किया हो और भारी पैमाने पर अनुसूचित जाति, जनजातियों की जमीनें अपने कब्जे में ली हों.
अवैध कालोनियों का जहां तक सवाल है, अवैध कालोनी वर्षों से बनी हुई हैं, कॉलोनाइजर काम कर रहे हैं, लेकिन इतना तो आप देखें कि जो कॉलोनी बनी है, अगर 50 साल से जिनके मकान वहां बने हैं उनको आप परमीशन दे सकते हैं, लेकिन वास्तव में जिनके पास 2-2, 4-4 मकान हैं उन भू माफियओं ने कब्जा कर करके बेचने का काम किया है, उनके लिये भी कोई न कोई संशोधन लायें. इसी के साथ-साथ जो ग्वालियर में घोटाला हुआ है, मुरैना में भी 99 लोगों ने जमीनें बेची हैं, विधानसभा में आ चुका है, उनका भी परीक्षण करायें, आपसे अनुरोध है, प्रार्थना है कि ऐसे गरीबों की जो भू-माफिया, बिल्डरों ने जमीने अपने नाम करा लीं है ऐसा न हो. एक बम्बई की कंपनी है, इन्होंने बाद में बेंच दीं वह दस्तावेज भी हम साथ में लाये हैं, एक दिल्ली की कंपनी है इन लोगों ने वहां के आदिवासियों के पट्टे खरीद लिये हैं जिन आदिवासी भूमिहीनों को दिग्विजय सिंह जी के कार्यकाल में जमीन दी गई थी, वह नहीं बिकना चाहिये, अहस्तांतरण लिखा है. दो भूमि तो ऐसी बिकी हैं जिनके दस्तावेज हम आपको सौंप देंगे, आज ही सौंप देंगे उसमें अहस्तांतरण लिखा है कि यह भूमि शासकीय हाईस्कूल के लिये है, शासकीय इंटर छाबनी बोर्ड वार्ड नगर निगम में शामिल हो गया है उसकी करीब 1 हेक्टेयर भूमि बेची गई वह करीब साढ़े 4 करोड़ की थी, जिसको पट्टा दिया गया था उसने दूसरे व्यक्ति को साढ़े 4 करोड़ में उक्त भूमि बेच दी. अध्यादेश के दरमियान जो दुरूपयोग हुआ है उसका आप पूरे प्रदेश में परीक्षण करा लें, यह हम कह सकते हैं कि इसमें आपकी कोई गलत नीयत न हो लेकिन जो लोग इस नीयत से लाये हैं उन पर भी निगाह रखें, वह तो निकल जायेंगे और आप फंस जायेंगे जबरन में कोर्ट कचहरी करना पड़ेगी, इसलिये अपना बचाव करें, जो गड़बड़ी करें उनको फसने दो.
श्री गोविंद सिंह पटेल (गाडरवारा)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय राजस्व मंत्री द्वारा प्रस्तुत म.प्र. भू-राजस्व संहिता संशोधन विधेयक 2015 (क्रमांक 15 सन् 2015) के समर्थन में खड़ा हुआ हूं. माननीय मंत्री जी जो संशोधन लाये हैं वह बहुत स्वागत योग्य है और बहुत दिनों की समस्या थी. आज आबादी का घनत्व बढ़ रहा है, जनसंख्या बढ़ रही है और लोगों के पास आवास की समस्या है और आवास की समस्या के हिसाब से जहां भी लोगों को जमीन मिलती है वहां अपने आशियाने बनाकर रह रहे हैं, लेकिन उनको एक डर रहता है कि कहीं अतिक्रमण से हमको यहां से विस्थापित न कर दिया जाये, हमको हटा न दिया जाये, तो आज उनको जब पट्टे मिलेंगे तो वह एक सुकून की जिंदगी जियेंगे और अपने मकान में रहेंगे. आज म.प्र. सरकार मुख्यमंत्री आवास योजना चला रही है और मुख्यमंत्री आवास योजना में पट्टे का होना बहुत आवश्यक है, लेकिन आज जो कच्चे, ऐसे ही खपड़ेल मकान बनाकर रह रहे थे, लेकिन उनके पास पट्टे नहीं थे तो इस योजना का लाभ उनको नही मिल पा रहा था, लेकिन आज उनको जब पट्टे मिल जायेंगे तो वह मुख्यमंत्री आवास योजना के द्वारा जो 1 लाख 20 हजार रूपये मिलते हैं वह राशि उनको मिल जायेगी और वह अपने मकान बना लेंगे, जिससे इस समस्या का समाधान हो जायेगा. बड़ी बड़ी कई ऐसी शासकीय कालोनियां हैं जहां पर लोग वर्षों से मकान बनाकर के रह रहे हैं. हमारे गाडरवारा में भी कई ऐसी जगह है. एक ऐसा प्लाट जिसको लोग कहते हैं मिलेट्री का प्लाट उसमें कम से कम 300-400 मकान बने हैं, उसमें वे अपने ढंग से मकान भी नहीं बना पा रहे हैं, न कुछ कर पा रहे हैं. लेकिन अब पट्टे मिल जाने के बाद वह आराम से अपने मन के मुताबिक मकान बना लेंगे, इससे लाखों लोगों को फायदा हुआ है. वास्तव में इस संशोधन विधायक को बहुत पहले से लागू करने की आवश्यकता थी. अध्यक्ष महोदय, जैसे इस संशोधन विधेयक की धारा 162 में इसका प्रावधान किया गया है. कई ऐसे लोग थे जो शासकीय जमीनों पर कृषि भूमि पर खेती कर रहे थे लेकिन उनका अधिकार नहीं था क्योंकि उनके नाम पर पट्टा नहीं था ऐसे लोगों को राजस्व मंत्री जी भूमि स्वामी होने का अधिकार देने जा रहे हैं, इसके लिये उनको बधाई.
माननीय अध्यक्ष महोदय, भूमि स्वामी का अधिकार मिलने के बाद अब बैंकों से ऋण भी मिल जायेगा, उसी भूमि पर नलकूप भी बना सकते है, बाकी के काम भी भूमि स्वामी का हक मिलने के बाद में लोग करने लगेंगे. पहले विवाद की स्थिति बनती थी. अभी तक होता क्या था कि जैसे कोई व्यक्ति 2 एकड़ पर खेती कर रहा है तो ताकतवर व्यक्ति उस पर कब्जा कर लेता था, विवाद की स्थिति बनती थी, न्यायालय कुछ नहीं कर पाते थे, क्योंकि न्यायालय में मामले जाते थे तो कहते थे कि सरकारी जमीन है आपकी भी नहीं है उनकी भी नहीं है, तो पुलिस और न्यायालय पक्ष नहीं लेता था. अब उनको भूमि स्वामी का अधिकार मिल जायेगा तो वे खेती कर सकेंगे. जनप्रतिनिधि भी जब गांव में दौरा करते हैं तो ऐसी स्थिति देखने को मिलती है कि 100-100 मकानों के गांव बने हैं लेकिन उनके पास में पट्टे न होने के कारण वह हमेशा जनप्रतिनिधियों से इसकी मांग करते थे, क्योंकि आबादी के लिये जमीन बची नहीं है और पट्टे देने का अधिकार आबादी भूमि पर है. आबादी घोषित करने की जो प्रक्रिया है वह कलेक्टर के माध्यम से होती है और उसमें भी बहुत अधिक विलंब होता है. अब उनको सीधे पट्टे मिलेंगे तो लोग अपने मकान बनाकर के रह सकेंगे. खेती करने वाले लोग खेती करने लगेंगे. इसलिये राजस्व मंत्री जी के द्वारा जो मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता (संशोधन) 2015 विधेयक यहां पर प्रस्तुत किया है उसका मैं स्वागत करता हूं. वास्तव में इससे प्रदेश के गरीब लोगों को फायदा होगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, एक और निवेदन मैं माननीय राजस्व मंत्री जी से करना चाहता हूं और वह यह है कि धारा 50 के द्वारा यदि निचले न्यायालय के द्वारा कोई ऐसा निर्णय जिसमें कोई त्रुटि रह गई है तो उसकी वरिष्ठ न्यायालय में अपील का अथवा सुधार का पहले प्रावधान नहीं था, सीधे राजस्व मंडल में अपील का और त्रुटि सुधार का अधिकार था लेकिन अब वरिष्ठ न्यायालय त्रुटि का सुधार कर देंगे यह भी स्वागत योग्य कदम है. इसके लिये भी राजस्व मंत्री को बधाई देता हूं.अध्यक्ष महोदय भू-राजस्व संहिता संशोधन विधेयक में जो दो प्रावधान होने जा रहे हैं वास्तव में इसकी बहुत पहले से आवश्यकता प्रतीत हो रही थी. लेकिन मुझे भी कुछ शंका है उनका समाधान करने की अपेक्षा मैं राजस्व मंत्री जी से चाहता हूं. अध्यक्ष महोदय, जैसे पट्टे देंगे या भूमि स्वामी अधिकार देंगे तो उसमें क्या यह भूमिहीनों को देंगे या किसी को भी दे देंगे. यह मुझे शंका है और इसमे मेरा सुझाव यह है कि जैसे आवासीय पट्टे दिये जायें या कृषि योग्य जमीन पर भूमि स्वामी का अधिकार दें, वह भूमिहीनों को ही दिये जायें. अभी हमारे कई मित्रों ने भी इस बारे में अपनी शंका व्यक्त की है, वास्तव में सरकार की मंशा तो गरीब भूमिहीनों का लाभ पहुंचाने की है कि कोई खेती योग्य एक दो एकड़ जमीन का पालन पोषण कर रहा है उसको उसका भूमि स्वामी मिलना चाहिये और जो आवास हीन है उनको पट्टा मिलना चाहिये, यह मंशा सरकार की भी है और सदन की भी है. किंतु ऐसा न हो कि किसी किसान के पास में 500 एकड़ जमीन हो 50 एकड़ हम तोड़ें या हमें उसका अधिकार मिल जाये तो ऐसा नहीं होना चाहिये. नहीं तो विधेयक की मंशा पूरी नहीं होगी, इस विधेयक का दुरूपयोग नहीं होना चाहिये, इसका ध्यान शासन को रखना चाहिये.
माननीय अध्यक्ष महोदय, राजस्व मंत्री जी को कुछ सुझाव भी उनके विभाग के संबंध में मैं देना चाहता हूं. मतलब जो खसरा होता है, देखने में आया है कि प्राकृतिक आपदा जब आती है तो इसमें विवाद की स्थिति बनती है. पुरानी परम्परा भी है कि पहले जमाने में पटवारी खेत खेत जाकर के खसरा करता था. कौन सी फसल लगाई है उसका खसरा खेत खेत जाकर के होता था.
अध्यक्ष महोदय—पटेल जी यह मामला विषय के बाहर हो जायेगा. बेहतर होगा यदि आप विभागीय बजट के समय में इस बात पर मंत्री जी का ध्यान दिलायें.
श्री गोविंद सिंह पटेल- अध्यक्ष महोदय, विभाग से संबंधित हैं. आपका संरक्षण चाहता हूं. विभाग पर अच्छे सुझाव दूंगा. खसरा विधिवत हो जिससे कि कभी ऐसी प्राकृतिक आपदा की स्थिति आती है तो विवाद पैदा होता है कि हमने तो सोयाबीन बोई थी हमारे पटवारी ने गन्ना लिखा है, ऐसी स्थिति न आये और दूसरा सुझाव यह है कि प्राकृतिक आपदा जब आती है तो उसका सर्वे होता है , सर्वे के लिये जो भी दल सरकार की तरफ से गठित हो वह किसान के खेत का सर्वे करके , जितना उसका नुकसान हुआ है उसकी रसीद उस किसान को तुरंत दे दी जाये जब भरपाई की स्थिति आयेगी तो विवाद तो नहीं होगा. ऐसे ही एक-दो मेरे सुझाव थे. अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय राजस्व मंत्री जी द्वारा प्रस्तुत मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता(संशोधन) विधेक, 2015 का समर्थन करता हूं और आपने मुझे अपनी बात को रखने का अवसर प्रदान किया उसके लिये आपको भी बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री
शैलेन्द्र
पटेल (इछावर) –
अध्यक्ष
महोदय, हमारे
कांग्रेस दल
के बहुत से
सदस्यों ने
माननीय
राजस्व
मंत्री जी
द्वारा लाये
गये
भू-राजस्व
संहिता
द्वितीय
(संशोधन)
अध्यादेश,2015,
जो कि अगस्त
महीने में
लाया गया था,
उसके लाये जाने
पर अपनी
चिंता व्यक्त
की है और
निश्चित रुप से
एक नये सदस्य
होने के नाते
मेरे मन में
भी बहुत सारे
प्रश्न
उद्भूत होते
हैं. एक अचानक
इस तरह का
अध्यादेश
क्यों लेकर
आये, क्योंकि
ऐसी कोई
इमरजेंसी
प्रदेश में
नहीं थी. ऐसा
कोई कारण उस
समय प्रदेश
में नहीं था
कि जो यह
अध्यादेश
लेकर आये.
क्योंकि
विधान सभा,
हमारा सब का
मन्दिर है और
नये सदस्यों
के लिये एक
पाठशाला है,
जहां बहुत सी
चीजें हम सदन
की कार्यवाही
के दौरान
सीखते हैं.
मैंने भी यह
संशोधन पढ़ा,
कुछ चीजें समझ
में आईं. कुछ
चीजें अभी
वक्ताओं ने भी
कहीं, उससे
मुझे प्राप्त
हुईं. मैं
इसके बारे में
अपने कुछ
विचार रखना
चाहता हूं.
मैं राजस्व मंत्री
जी से चाहता
हूं कि इस
विधेयक के
क्या उद्देश्य
हैं, उसे
स्पष्ट करें,
ताकि हम सभी
लोगों को समझ
में आये, इस
विधेयक को
लाने के पीछे
क्या क्या
कारण हैं.
मुझे एक और
जानकारी
चाहिये, एक
प्रश्न उठता
है कि क्या यह
विधेयक लैंड
बैंक बनाने
वालों के
लिये तो मदद
नहीं करेगा.
जो जगह जगह से
जमीन खरीदकर
और इकट्ठा कर
लेते हैं और
बाद में
कालोनी बना लेते
हैं. कहीं
उनके लिये तो
यह मददगार
नहीं होगा.
कहीं यह भी
शंका, कुशंका
दिमाग में
आती है कि जोर
जबरदस्ती से
कुछ जमीनों
पर जो कि
निर्धन लोगों
के कब्जे हैं,
उनसे कब्जा
करके और बाद
में उनके
पट्टे अपने
नाम पर तो
नहीं करवा
लिये
जायेंगे. एक
बड़ी अच्छी
बात अभी यहां
पर कही गई है,
अगर उन
विस्थापितों
को,
जिन्होंने
विस्थापन का 1947
में दर्द भोगा
है, उनके लिये
अगर मकान बनते
हैं, तो यह
स्वगत योग्य
है, जो 50-60 साल के
बाद में भी
अपने मकानों
का मालिकाना
हक उस तरह का नहीं
है, उन्हें यह
मिलता है, तो
निश्चित रुप से
स्वागत योग्य
है.
अध्यक्ष महोदय, मैं ग्रामीण क्षेत्र से आता हूं और वहां देखता हूं कि सरकारी भूमि पर दो तरह के कब्जे होते हैं. एक तो कब्जे उन निर्धन लोगों के होते हैं, जिनके पास कोई जमीन नहीं होती है और उस कब्जे की जमीन पर खेती-बाड़ी करके वे अपनी जीविका चलाते हैं और अपनी रोजी रोटी का इंतजाम करते हैं. कुछ लोगों के पास जो बेघर होते हैं, ऐसे लोगों ने सरकारी जमीन पर मकान बना लिये हैं. निश्चित रुप से अगर ऐसे लोगों को इस विधेयक के लाने के बाद फायदा मिलता है, तो वह स्वागत योग्य है. दूसरी ओर जैसा कि अभी पटेल साहब कह रहे थे कि बहुत से ऐसे किसान भी हैं, जिनके पास बहुत सारी जमीनें हैं, बहुत सारे उनके मकान हैं, उसके बाद भी वे सरकारी भूमि पर कब्जा करते हैं, तो निश्चित रुप से इस विधेयक का दुरुपयोग होगा और उसका लाभ निर्धन लोगों को नहीं मिल पायेगा. दूसरी बात एक और है कि गांवों में अधिकतर जमीनों पर कब्जा हो चुका है. सरकारी जमीनें धीरे धीरे कम हो चुकी हैं. इस विधेयक के लाने के बाद एक चिंता यह भी उठती है कि कहीं ऐसा न हो कि सभी को पट्टे मिल जायें, फिर सरकारी बिल्डिंग या भवन या योजना लागू होने के लिये सरकारी जमीन नहीं बचे. इस ओर भी ध्यान देने की आवश्यकता है. इस विधेयक से एक और आशंका है कि कहीं पूंजीपति, बिल्डर या भू-माफिया जमीनों पर कब्जा कर या तो कालोनी काटें या कालोनी काटने की फिराक में रहेंगे. इस ओर भी विशेष तौर से ध्यान देने की जरुरत है. जो हमारे दल के बहुत से वक्ताओं ने बात रखी है कि अध्यादेश आने और विधेयक के बीच में जो-जो ट्रांजेक्शंस हुए हैं, जो जो लोगों ने इसका फायदा उठाया है, निश्चित रुप से उनको फिर से जानकारी लेकर के उन्हें कैंसिल किया जाये, उन पर विचार किया जाये कि कहीं किसी विशेष लोगों ने इसका फायदा उठाकर लैंड बैंक तो नहीं बना लिया. अध्यक्ष जी, आपने बोलने का मौका दिया, उसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री दुर्गालाल विजय (श्योपुर) – अध्यक्ष महोदय, मैं राजस्व मंत्री जी द्वारा लाये गये मध्यप्रदेश भू राजस्व संहिता (संशोधन) विधेयक,2015 का स्वागत करता हूं और राजस्व मंत्री जी को बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहता हूं. धन्यवाद इसलिये कि बहुत ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण यह विधेयक आज सदन में उन्होंने प्रस्तुत किया है. पूरे मध्यप्रदेश में एक लम्बे समय से कब्जे को लेकर के विभिन्न सारी समस्याओं से जूझ रहे लोगों को इससे बहुत राहत प्राप्त होगी. मैं राजस्व मंत्री जी को इस बात के लिये भी धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने जो प्रस्तावित विधेयक था, उसमें से खण्ड 3,5 और 7 का विलोप कर दिया. उसमें और अधिक चिन्तन और मन्थन करने की आवश्यकता थी और इसको माननीय राजस्व मंत्री जी एवं माननीय मुख्यमंत्री जी ने विचार करके, फिलहाल इसको रोक दिया है. इसके लिये भी माननीय मंत्री जी को बहुत-बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय, धारा 162 के अन्तर्गत लम्बे समय से मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता के अन्दर जो प्रावधान थे. उन प्रावधानों के अन्तर्गत, ऐसे किसानों को कोई राहत प्राप्त नहीं हो रही थी, जो लगातार 50 वर्षों से अधिक समय से जमीन पर काबिज होकर खेती करते आ रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, शंकाएं अपने स्थान पर हैं लेकिन जो लोग लगातार 50 वर्षों से समस्याग्रस्त थे, जमीन पर खेती कर रहे हैं, 248 के अन्तर्गत, समय-समय पर जुर्माना/अर्थदण्ड अदा कर रहे हैं. लेकिन उनको भू-स्वामी अधिकार प्राप्त न होने के कारण समय-समय पर राजस्व अधिकारियों की प्रताड़ना का सामना भी करना पड़ता था और गांव में भी ऐसे बलशाली लोग, कमजोर कब्जेधारी को बेदखल करने का प्रयत्न करते थे, जिसके कारण उससे बहुत बड़ी दुविधा पैदा होती थी.
अध्यक्ष महोदय, यह संशोधन विधेयक आने के बाद ऐसे सभी कब्जेधारियों को, जो बहुत वर्षों से जमीन पर खेती कर रहे हैं और जिनको इस बात की दरकार है कि उन्हें भू-स्वामी अधिकार मिलें और भू-स्वामी अधिकार मिलने के बाद, वे निश्चिंतता के साथ खेती करें. खेती तो आज भी कर रहे हैं, कब्जा तो आज भी है. लेकिन निश्चितंता के साथ कर सकें, इसके लिए उसमें यह अवसर प्रदान किया गया है.
अध्यक्ष महोदय – कृपया समाप्त करें. सारी बातें पहले ही आ चुकी हैं.
श्री दुर्गालाल विजय – अध्यक्ष महोदय, एक बात कहकर समाप्त करता हूँ. यह केवल आवास की दृष्टि से नहीं है बल्कि अन्य दृष्टि से भी है और उसका समाधान होना आवश्यक था. विभिन्न सारी संस्थाओं या अन्य लोगों के द्वारा उनका कार्य संचालित किया जा रहा है, जिनको 50 वर्षों का बहुत लम्बा समय हो गया है. उनकी दृष्टि से भी यह बहुत महत्वपूर्ण विधेयक है. यह केवल भोपाल के लिए नहीं है. यह कहा गया है कि भोपाल के लोगों को बहुत लाभ मिलेगा. एक अच्छी बात है लेकिन पूरे प्रदेश के अन्दर ऐसे बहुत सारे लोग हैं, जिन्होंने अपने मकान बनाए हैं, जो अपने मकानों में रह रहे हैं लेकिन वे सुविधायें प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि उनको पट्टा प्राप्त नहीं है, उनको भूमि स्वामी अधिकार प्राप्त नहीं है.
अध्यक्ष महोदय, मैं यह निवेदन करना चाहता हूँ कि जो लोग अनुमतियां देकर, आज चिन्ता व्यक्त कर रहे हैं. अगर मध्यप्रदेश का रिकॉर्ड देखा जाये तो 1993 से 2003 तक आदिवासियों की जमीनों का जितना विनिमय हुआ है, आदिवासियों की जमीनों की जितनी अनुमतियां प्राप्त हुई हैं, वह आपके द्वारा दी गई अनुमतियां हैं तथा आपकी सरकार के द्वारा दी गई अनुमतियां हैं. आज उसके बारे में चिन्ता करने की बात कर रहे हैं. यह दुर्भाग्यपूर्ण है. आपने समय दिया, उसके लिये धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय – कृपया विधेयक पर बोलें. श्रीमती झूमा सोलंकी.
श्रीमती झूमा सोलंकी (भीकनगांव) – माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता (संशोधन) विधेयक 2015 का, मैं विरोध करती हूँ. धारा 158 के तहत पट्टे पर हस्तांतरित भूमि आवंटन 10 वर्ष तक हस्तांतरित नहीं होगी तथा 10 वर्ष पश्चात् कलेक्टर तथा समकक्ष अधिकारी के लिखित आदेश के बिना हस्तांतरित नहीं करेगा, ऐसा उसमें उल्लेख किया गया है.
अध्यक्ष महोदय, चूँकि शासन का पूर्व प्रावधान जन-कल्याणकारी था क्योंकि शासन भूमिहीनों को पट्टे ही देती थी. जिनके पास पट्टे की जमीन नहीं होती थी किन्तु अब चूँकि हस्तान्तरण हो जायेगा और फिर वे भूमिहीन हो जायेंगे. फिर क्या सरकार उन्हें पुन: पट्टे देगी ? एक विचारणीय प्रश्न आता है. जिन गरीब व्यक्तियों को आवंटित पट्टे को कोई भी खरीद सकता है, ऐसे गरीबों को भूमिहीनता के कारण, उनका परिवार बेघर तो होगा ही साथ ही, वे फिर से सड़क पर आ जायेंगे और उनके परिवार के बिखरने की संभावना रहेगी. इसलिए ऐसे कानून में बदलाव की आवश्यकता अभी नहीं है.
अध्यक्ष महोदय, मैं निवेदन करती हूँ कि धारा 158 में आवंटित पट्टे को धारा 165 की उपधारा 7 (ख), (ग) में भी संशोधन नहीं किया जाये. क्योंकि संशोधन,शोषण का प्रतीक है और धनाढ्य लोगों के द्वारा शोषण करने की खुली छूट देता है, अध्यक्ष महोदय,कृषि में भू-राजस्व संशोधन आदिवासी क्षेत्रों,अनुसूचित क्षेत्रों में शामिल है, वहां पर लागू नहीं होना चाहिए, आदिवासी रसूखदारों के हाथों में कटपुतली बनकर रह जाएंगे, सरकार के इस फैसले से भूमिहीन लोगों के हाथों से जमीन निकल जाएगी और कॉलोनाईजर और दबंगों के लालच में वह अपनी जमीन खो बैठेंगे । अध्यक्ष महोदय,अजीविका चलाने के लिए गरीबों के पास कुछ नहीं बचेगा, आदिवासी जिलों में यह लागू नहीं होना चाहिए, क्योंकि इस कानून के बनने से बुनियादी अधिकारों का हनन होगा साथ ही जमीन से जुड़ा हुआ आदिवासी समुदाय जो सदियों से जमीन के लिए संघर्ष करता है, जमीन से उसका रिश्ता अन्य समुदाय से भिन्न है, जमीन पर उसका नैसर्गिक अधिकार है और अपने पूर्वजों के प्रति अपना फर्ज समझकर उसको सम्भाल कर रखता है, यह खेती करने वाली परिश्रमी जाति, इस कानून के द्वारा उजड़ जाएगी । अध्यक्ष महादेय, यदि आदिवासियों के हितों के लिए कुछ करना है तो ऐसे कानून बनाएं जिसमें उनको बसाया जा सके, बसाने के साथ -साथ उनकी जमीनों का बंदोबस्त हो, बंदोबस्त के साथ- साथ राजस्व नोटिफिकेशन जो अभी तक नहीं हुआ है, वह किया जाए, मजरे, टोलों में रहने वालों को आबादी में लेकर उनका विकास किया जाए और सही बसाहट की जाए, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद ।
श्रीमती सरस्वती सिंह(चितरंगी)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहती हूँ कि हमारे अनुसूचित जाति,जनजाति के लोग जो वर्षों से शासकीय भूमि में काबिज हैं, जो कब्जेधारी हैं,उनको कब्जा दिलाया जाए । क्या खसरे में उनका नाम दर्ज करने का कोई प्रावधान है यदि नहीं है तो इस नियम में प्रावधान किया जाना चाहिए और जो अनुसूचित जाति,जनजाति के लोग शासकीय भूमि में काबिज हैं, भूमिहीन हैं उन लोगों को बंटन का प्रावधान नहीं गया है, इसको भी इस नियम में सम्मिलित किया जाए,मेरी चितरंगी विधानसभा में सबसे ज्यादा गरीब आदिवासी लोग निवासरत हैं, इस बात का ध्यान दिया जाए, माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहती हूँ कि अनुसूचित जाति,जनजाति के लोग जो शासकीय भूमि में काबिज हैं, उनको भूमिहीन का पट्टा दिया जाए, 2013-14 में दिया गया था शायद अभी यह नियम बंद कर दिया गया है, इस नियम को तत्काल चालू किया जाए और खासकर शासकीय कर्मचारी जो वर्षों से, कम से कम चार –पांच साल से उसमें बसे हुए हैं अगर उनको हटाया जा रहा है तो उनको सही मुआवजा दिया जाए ताकि अपना मुआवजा पाकर दूसरी जगह घर बनाकर अपना जीवन यापन कर सकें । माननीय अध्यक्ष महोदय जी, मैं आपके माध्यम से एक और निवेदन करना चाहती हूँ कि जो रजिस्ट्री,बायनामा,नामांतरण, अलग -अलग किया जाता है, खासकर किसान इसमें भटकते रहते हैं, इसको एक साथ करने का काम पटवारी या राजस्व विभाग द्वारा किया जाए, एक साथ नामातंरण रजिस्ट्री किए जाने का आदेश दिया जाए, आपने बोलने का मौका दिया, उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद ।
अध्यक्ष महोदय - कृपया विधेयक पर ही बोलेंगे तो ठीक रहेगा ।
श्री ओंकार सिंह मरकाम(डिण्डोरी)- जी,माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने धारा 50,158,162,165,166,172,147 में संशोधन करने के लिए सदन में प्रस्ताव दिए हैं, जिस पर चर्चा चल रही है, माननीय अध्यक्ष महोदय जी, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहूंगा कि संशोधन के लिए इन धाराओं में आपसे अनुमति चाहे रहे हैं और शासन में कानून बनाने के लिए यह जो प्रयास कर रहे हैं, माननीय अध्यक्ष महोदय जी,माननीय मंत्री जी मेरा निवेदन है और मैं समझता हूँ कि विधायिका,कार्यपालिका और न्यायपालिका के ये तीनों के कार्यक्षेत्र होते हैं और ऐसी स्थिति में विधायिका की एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है ।
श्री ओमकार सिंह मरकाम(जारी)—कहीं न कहीं एक बड़ा प्रश्नचिन्ह लगता है कि अधिकारियों के द्वारा जो ड्राफ्ट तैयार किये जाते हैं, उस पर मंत्री एवं सरकार मात्र अपनी सील लगा देती हैं, राजनैतिक लोग जो जनता एवं मीडिया के बीच में जाते हैं उनको विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है. मेरा निवेदन है कि इन संशोधनों के लिये आप उचित समझें तो सबसे पहले विषय विशेषज्ञों के माध्यम से इसकी समीक्षा की जानी चाहिये और स्पष्ट रूप से यह देख लेना चाहिये कि वाकई में यह जो संशोधन ला रहे हैं इसमें कहीं हमारे ऊपर आरोप न लग जाएं कि अधिकारियों के द्वारा तैयार किये गये ड्राफ्ट को ही हम लोग स्वीकार कर रहे हैं. अध्यक्ष जी,इसमें मैं आपकी कृपा चाहता हूं. अगर आप उचित समझें तो सदन के अंदर एक विशेषज्ञों की टीम जो राजस्व की जमीनी हकीकत को समझती हो, वह पहले उसको देखें. क्योंकि अभी मैंने देखा कि धारा 162 की उपधारा 7 (ख) के स्थान पर जो 7 (ख) लिखा है इसमें 10 वर्ष के बाद इस भूमि को पहले कलेक्टर देते थे अब इसमें भूमि एसडीएम दे देंगे इसमें मेरा निवेदन यह है कि इसमें स्पष्ट नहीं है कि एस.सी.एस.टी, ओ.बी.सी के जो कृषक हैं उसके विषय में आपकी क्या नीति है, आप इसको पूरी तरह से अंधेरे में रखे हैं, तथा इसमें गुमराहपूर्वक कथन किया है? इसमें स्पष्ट करना चाहिये कि एस.सी.एस.टी, ओ.बी.सी केटेगिरी के जो कृषक होंगे उनके विषय में क्या नीति होगी, यह आपने स्पष्ट नहीं किया है ? चूंकि ऐसी स्थिति में यह स्पष्ट हो जाता है कि इस उपधारा 7 (ख) के माध्यम से आप बहुत बड़ी गड़बड़ी करने वालों को आप भ्रष्टाचार का बहुत बड़ा अवसर दे रहे हैं इसमें साफ लिखा है कि जो बाजार मूल्य होगा उसका 10 प्रतिशत आप लेकर के आप बहुत बड़ा भ्रष्टाचार करने के लिये आप अधिकारियों को खुली छूट दे रहे हैं आपको इसमें 10 प्रतिशत के संशोधन की आवश्यकता क्यों पड़ी, यह बहुत ही गंभीर विषय है और इस पर हम चाहते हैं कि माननीय मंत्री तथा आपका सानिध्य मिले कि इसमें स्पष्ट रूप से एस.सी.एस.टी, ओ.बी.सी के जो गरीब लोग हैं उसके विषय में जो स्पष्ट नीति है, वह लागू करें ?
अध्यक्ष महोदय, दूसरा मैं निवेदन करना चाहता हूं कि 7 (ग) में जो लिखा है कि वह भूमि जो पहले विक्रय कर दी गई है और अभी तक उस भूमि में कब्जा नहीं हुआ है उसको कोषालय में जमा कर लिया जाएगा, ऐसा इसमें संशोधन है इसमें मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि वह जो आदमी बेचने वाला था, उसने भूमि को बेच दिया है उसका अभी तक कब्जा नहीं हुआ है तो क्या इस संशोधन बिल में बेचने वाला गरीब आदमी है वह किस परिस्थिति में तथा कहां पर है उसकी समीक्षा करके क्या उसको जमीन देने के लिये सरकार कोई कोशिश करेगी, जो पहले गरीबी के कारण विपरीत परिस्थिति में मजबूरी के कारण भूमि को बेच दिया हो ? उसमें लिखा है कि कोषालय में जमा कर दिया जाएगा. अंत में माननीय मंत्री जी निवेदन करना चाहता हूं कि आप सिर्फ भारतीय जनता पार्टी के मंत्री नहीं हैं आप हमारे 230 विधायकों के बीच में राजस्व के एक जिम्मेदार मंत्री हैं आप बिना समीक्षा किये बिना संशोधन करते हैं तो आप हम लोगों की काबिलियत पर प्रश्नचिन्ह खड़ा न करें?
श्रीमती ऊषा चौधरी(रैगांव) – माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं इस विधेयक की धारा 165 का पूर्ण रूप से विरोध करती हूं क्योंकि इसमें सरकार की अऩुसूचित जाति,जनजाति को भूमिहीन बनाने की पूर्ण रूप से साजिश है. मैं बताना चाहूंगा कि यह जो विधेयक मंत्री जी लाये हैं लेकिन बिना इस अध्यादेश के ही अनुसूचित जाति,जनजाति की जमीन,कालोनाईजरों के माध्यम से उनके पतियों को दारू पिलाकर और साजिश के तहत थोडी-बहुत राशि देकर उनकी जमीन अपने नाम करा ली जाती है. बिना विधेयक के तो यह हालत है और यह विधेयक पारित हो जाने के बाद आप उसको लागू कर देंगे तो इस मध्यप्रदेश के आदिवासी और अनुसूचित जाति के लोग पूर्ण रूप से भूमिहीन हो जायेंगे. मैं सतना जिले की बात बता दूं. अभी रीवा रोड जो नेशनल हाईवे बन रहा है उसमें लामी करई में कुछ अनुसूचित जाति के लोगों की रोड में जमीन फंस गईं. उनका पुनर्वास नहीं किया गया है. वे इधर-उधर भटक रहे हैं. उनके लिये भी व्यवस्था बनाई जाये. सतना विधान सभा क्षेत्र में माननीय शंकरलाल तिवारी जी अभी नहीं हैं उनके क्षेत्र में सौ सालों से अनुसूचित जाति के लोग काबिज थे. रोड की जमीन थी वे जोत,बो रहे थे. पट्टे की जमीन है और मध्यप्रदेश शासन की जमीन है लेकिन उसको पटवारी ने उसका नंबर बदलकर दूसरे को बिकवा दी दलाली करके तो मैं इस विधेयक का और धारा 165 का विरोध करना चाहती हूं. माननीय मंत्री जी से यह निवेदन है कि इसको न लाया जाये और इसमें और भी संशोधन किया जाये क्योंकि अगर वास्तव में गरीब लोग जमीन बेचना चाहते हैं तो उसके लिये एक नियम हो. या तो बेटी की शादी हो, या बहुत बड़ी बीमारी हो, उनके पूरे परिवार से सहमति ली जाये. आपने बोलने का मौका दिया इसके लिये बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री रामपाल सिंह – माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत महत्वपूर्ण सुझाव हमारे सम्माननीय सदस्यों ने दिये हैं. मैं रामनिवास रावत जी,महेन्द्र सिंह जी,रामेश्वर शर्मा जी को धन्यवाद दूंगा. विश्वास सारंग जी ने भोपाल,इटारसी की समस्याओं का उल्लेख किया है. सुन्दरलाल तिवारी जी ने भी अध्ययन करके अपने अमूल्य सुझाव दिये हैं. उन्होंने अध्ययन नहीं किया क्योंकि इसमें अनुसूचित जाति,जनजाति का कोई उल्लेख नहीं था. आप अध्ययन कर लें. उसकी परिभाषा आप गलत ढंग से न लें यह मैं निवेदन करूंगा. कृषि प्रयोजन भी ठीक से पढ़ लें. नियत भी साफ है काम भी साफ है. दिशा स्पष्ट है. स्पष्ट दिशा सही नीति है तिवारी जी आप ध्यान रखें. भू-माफिया को भी सही करेंगे यह चिंता आदरणीय गोविन्द सिंह जी ने व्यक्त की. मुरैना की हो भिण्ड की हो आप लिखकर दीजिये निष्पक्ष जांच कराएंगे और कड़ी कार्यवाही करेंगे आप निश्चिंत रहें.
डॉ. गोविन्द सिंह – ग्वालियर की और जो मैंने उल्लेख किया वहां की जांच कराएंगे ?
श्री रामपाल सिंह – जांच कराएंगे माननीय अध्यक्ष महोदय. आपने कहा भी है कि आप लिखकर देने वाले हैं मुझे. कड़ी कार्यवाही होगी. गाडरवारा के विधायक गोविन्द सिंह जी, उन्होंने गाडरवारा की समस्या रखी है. उसमें भी कार्यवाही होगी. शैलेन्द्र पटेल जी,दुर्गालाल विजय जी,श्रीमती प्रतिभा सिंह,श्रीमती झूमा सोलंकी,श्रीमती सरस्वती सिंह,श्री ओमकार सिंह मरकाम जी आप चिंता कर रहे थे. इसमें आदिवासी भाईयों को नहीं लिया गया था आप अध्ययन कर लें. बहन ऊषा चौधरी सहित यहां पर हमारे सम्मानित सदस्यों ने जो बड़े अमूल्य सुझाव दिये हैं. वास्तव में मेरा ज्ञानवर्धन भी हुआ. क्योंकि एक जमाना मुझे याद आ रहा है. जब हम विपक्ष में विधायक थे. एक बार पट्टों की मार हुई मध्यप्रदेश में तो राजगढ़ जिले में जांच करने हम गये तो वहां पट्टे तो नहीं पट्टियां मिली थीं. मरघट के,शमशान के पट्टे दे दिये थे,रास्ते के पट्टे दे दिये थे. हम समिति में विधायक थे. राजगढ़ जिले में 3 मर्डर हो गये थे. हम लोग समिति के साथ जांच करने गये थे. पूरे प्रदेश में अराजकता का वातावरण बन गया था. पट्टे की जगह,पट्टियां मिली थीं, लेकिन आज माननीय सदस्यों को धन्यवाद करूंगा,काफी विद्वान सदस्य हैं. माननीय कृषि मंत्री जी भी रहे, आप भी रहे, आप जो चिंता कर रहे हैं कि माफियाओं को संरक्षण न रहे, यह आपकी चिंता है. निश्चित रूप से अध्यक्ष महोदय, जनता की सेवा के लिए इस बात का भी ध्यान रखेंगे. वर्षों से जो काबिज हैं उनकी हम चिंता कर रहे हैं. जो पाकिस्तान से यहां विस्थापित आए उनको अभी तक यहां व्यवस्थित नहीं कर पाए, जैसा हमारे भोपाल के साथियों ने,माननीय विधायकों ने आज तारीफ की. जब मैं पी.एच.ई. मंत्री था, उस जमाने में मैंने नर्मदा जल लाने की बात की थी, उस समय मेरी यहां पर तारीफ हुई थी और नर्मदा जल यहां भोपाल आ गया,अध्यक्ष महोदय, और उसी तरह हम यह निर्णय पुरानी भूमियों के लिये ले रहे हैं. जिनको वर्षों से विस्थापित लोगों को आप मालिकाना हक नहीं दे रहे हैं. उनके लिये हम यह नियम लेकर आ रहे हैं तो आपको कष्ट नहीं होना चाहिये. लेकिन मैं सझता हूं कि विषय बहुत लम्बे हो चुके हैं, एक एक माननीय सदस्य का उत्तर भी दे सदस्य का उत्तर भी दे सकता हूं. लेकिन एक चीज मैं स्पष्ट करूंगा कि अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों के लिये जो नियम है उसको हम रोक रहे हैं. उसको इसलिये रोक रहे हैं कि हमने एक बहुत महत्वपूर्ण निर्णय हमने लिया है. क्योंकि हमने इसी हाऊस में घोषणा करी थी कि भू-सुधार हम बनायेंगे. वह आयोग मध्यप्रदेश सरकार ने बना दिया है और गहन परीक्षण एक एक चीज का करके हम लोग हम लोग उसको करवायेंगे और हम लोग उसमें आपके सुझाव भी लेंगे. क्योंकि आपके सुझाव भी अमूल्य हैं. उनके माध्यम से हम लोग अच्छे नियम बना सकें और इसके लिये यह जरूरी है कि आपके अनुभवों का हम लोग लाभ लें. लेकिन यह जो हम संशोधन लायें है इसमें हमारी कोई गलत नीयत नहीं थी . धारा 50 की बात कर रहे हैं. छोटे-छोटे मामले में सीधे राजस्व मण्डल जाना पड़ता था.संभाग के आयुक्त को हम अधिकार दे रहे हैं. यह सरल न्याय कर रहे हैं ताकि लोगों को दूर तक न भटकना न पड़े. यह सब चीजें आपके ध्यान में आना चाहिये. इसमें हमने सब चीजों का हमने नियम बनाये हैं. अगर राजस्व मण्डल में सुनवाई चल रही है तो वह अतिक्रमण एक दूसरे पर न हो. इसके लिये हम यह संशोधन लाये हैं, जनता की सुविधा के लिये लायें हैं. ताकि उनको न्याय मिले. उनको कहीं भटकना न पडें और ऐसे महत्वपूर्ण संशोधन आपके समक्ष उपस्थित हुआ है. खण्ड 3 का लोप हम लोग इसलिये कर रहे हैं कि हमने आयोग का गठन कर दिया है वह और बारीकी से इसका परीक्षण करेगा और परीक्षण करके वह सुझाव देगा. उसके बाद आपके सुझाव भी लेंगे, आदरणीय रावत जी ने सुझाव दिया था, आप अनुसूचित जाति, जनजाति की चिंता कर रहे थे लेकिन वह इससे अलग था. आप उसका गहन अध्ययन करेंगे तो आपको उसकी जानकारी मिल जायेगी. सरकार हितों के संरक्षण करने के लिये धारा 162 हम लाये हैं, आदरणीय तिवारी जी चिंतित थे, बरसों से जो पुराने कब्जे हैं, जो विस्थापित हैं, जो दूसरे प्रांतों से आये हुए हैं, उनकी चिंता करने के लिये धारा 162 हम लाये हैं. उसमें हमारे शर्मा जी ने जिक्र किया भोपाल का, होशंगाबाद, इटारसी, विदिशा,सतना, दतिया का भी पूरे प्रदेश में वर्षों से लोग रह रहे हैं और उनकी रात में नींद नहीं लगती थी, क्योंकि उनका मालिकाना हम नहीं है कि कब उनके पास नोटिस आ जाये, ऐसा जीवन वह व्यक्ति कर रहे हैं, उनके जीवन को व्यवस्थित करने के लिये रहने के लिये ही हम धारा 162 ला रहे हैं. इसमें हमें आपका आशीर्वाद और समर्थन चाहिये. इसमें और सब खण्डों में आपने विचार किया है. वह भी हम आपके समक्ष उपस्थित कर रहे हैं. हमारी सरकार सेवा भाव से विचार कर रही है. किसानों के हित में हम लोग विचार कर रहे हैं. हम और भी महत्वपूर्ण निर्णय हम लोग रहे हैं. उस पर भी हम आगे आपसे चर्चा करेंगे. जिनके पास रहने को जमीन नहीं है, मकान नहीं हैं, जिनके पास क्षत नहीं है उनके लिये भी हम विचार कर रहे हैं. मध्यप्रदेश की सरकार गरीब जनता के हितों में किसानों के हितों में सरकार निरंतर निरंतर निर्णय लेगी.
अध्यक्ष महोदय, खण्ड 5 165 (7) का इस पर रावत जी आपने भी सुझाव दिया था, लेकिन आपने कहा था आपके सुझाव को मानकर हमने रोक दिया है और भू-सुधार आयोग के माध्यम से आयेगा और आपसे सुझाव लेकर हम इसको लायेंगे. इसमें आपकी सहमति भी जरूरी है.
श्री रामनिवास रावत:- माननीय अध्यक्ष महोदय, धारा 162 संबंध में माननीय मंत्री जी ने कहा और मैं समझता हूं कि सारे सदस्यों से धारा 162 में भाषण कराया. ऐसे कह रहे हैं कि जैसे पहली बार कोई धारा जोड़ी गयी है. धारा 162 पहले से ही विद्यमान है और उसकी पूरी परिभाषा पढ़ लें. कृषकों के लिये आवासीय पट्टे प्रदाय करने के लिये पहले से ही व्यवस्था है. आप ऐसे कह रहे हो कि यह पारित होने के बाद कल से पट्टे बांटने शुरू कर दोगे. यह भू-राजस्व संहिता है आप कहो तो इसको पढ़कर सुना देता हूं.
श्री रामपाल सिंह—मैं खुद किताब रखा हूँ मैं पढ़ दूंगा मुझे कंठस्थ याद है मैंने भी लॉ किया है उसमें पहले जो व्यवस्था थी अकृषि, जैसे कई जगह स्कूल हैं निशक्तजनों के लिए कोई कल्याण केन्द्र चला रहे हैं इसमें अकृषि शब्द लाकर हम संशोधन लाए हैं यह पहले हम कर चुके हैं उसमें संशोधन लाकर उसमें भूमिहीनों को प्राथमिकता दी गई है कोई जमींदारों के लिए नहीं करेंगे. जो गरीब हैं परेशान हैं इटारसी के विस्थापित लोग यहां आकर हमसे मिले थे होशंगाबाद के लोग मिले भोपाल के लोग मिले उनके लिए हम धारा 162 लेकर आए हैं यह बहुत पुराने मामले हैं नए पर यह लागू नहीं होगा. आपके मन में प्रश्न आ रहा होगा कि कोई नए आयेंगे और अपने नाम करवा लेंगे इसके लिए हम नियम बना रहे हैं उप नियम भी बनायेंगे और सरल करके उसको व्यवस्थित करेंगे. जैसा आपके राज में हुआ था पट्टे के बदले पट्टी मिली थी ऐसा हम नहीं करेंगे हम इसको व्यवस्थित करके लाएंगे और जनता की सेवा करेंगे. भू-सुधार आयोग हमने बनाया जो हमने कहा वह हमने करके दिखाया है.
डॉ.गोविन्द सिंह—मंत्रीजी बार बार कह रहे हैं पट्टे नहीं पट्टी दी है यह शब्द कौन सी डिक्शनरी में है तीन बार रिपीट कर चुके हैं.
अध्यक्ष महोदय—आप बैठ जाएं यह कोई प्रश्नकाल नहीं है.
श्री रामपाल सिंह—आपके राज में यह हुआ था सात विधायकों की टीम राजगढ़ गई थी. वह तो मैं एक उदाहरण दे रहा था आप बुरा मत मानिए आपको अगर लग रहा है तो मैं अब नहीं कहूंगा.
श्री रामनिवास रावत—अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्रीजी से निवेदन करुंगा कि धारा 162 में आपने 248 का प्रॉवीजन किया है 248 के अन्तर्गत वह अतिक्रामक है उनको पट्टे भी दिए जाएंगे और उधर धारा 250 के तहत कि ऐसे व्यक्ति जो अतिक्रामक है उनको उस जमीन की कीमत का 20 प्रतिशत जुर्माना देना पड़ेगा तो लोग जमीनें छोड़-छोड़कर और भाग रहे हैं आप कौन सी चीज लागू करना चाहते हैं पहले आप खुद ही स्पष्ट कर लें.
श्री शंकरलाल तिवारी—अध्यक्ष महोदय, पाकिस्तान बनने के बाद पूरे प्रदेश हजारों की संख्या में सिंधी परिवार रह तो रहे हैं बेचारे पर उनको पट्टा नहीं मिला है मैं माननीय मंत्रीजी को धन्यवाद दूंगा और कहूंगा इसे जल्दी पास कराकर सतना, इटारसी, भोपाल और सब जगह के सिंधी विस्थापितों को पट्टे दिए जाएं यह बहुत ही पुरानी मांग है.
श्री रामपाल सिंह—माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं वही निवेदन कर रहा था धारा 172 वाला मैंने निवेदन किया इस पर और गंभीरता से माननीय सदस्यों के सुझाव हम ले रहे हैं. भू-सुधार आयोग, हमारे जनप्रतिनिधियों ने और सम्मानीय विधायकों ने भी सुझाव दिए हैं इसको हम आगे बढ़ा रहे हैं. खण्ड-8 के लिए हम लेकर आए हैं उसमें नाम बदलना है अब नया नाम होगा भूमि अर्जन पुनर्वास पुनर्व्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता का अधिनियम लागू होगा यह नया नामकरण होगा और 2-3 हमने लोप किए हैं. खण्ड 9 की जगह थोड़ा संशोधन लेकर सदन के समक्ष हम प्रस्ताव लाए हैं. माननीय सदस्यों ने जो चिंता की है मैं उनको पूरी तरह विश्वास दिलाना चाहता हूँ कि आपके जो अमूल्य सुझाव मिल रहे हैं आपको इस बात की आशंका है कि किसी तरह की गड़बड़ न हो अनुसूचित जाति, जनजाति का पूरा संरक्षण किया जाएगा. कोई गड़बड़ी कर रहा है या किसी के साथ अन्याय कर रहे हैं या कोई माफिया किसी तरह की गड़बड़ कर रहे हैं, माननीय महेन्द्र सिंह जी जिस तरह कह रहे थे, इस तरह की बातें भी अध्यक्ष महोदय, ध्यान में आएगी तो मध्यप्रदेश शासन की तरफ से, विभाग की तरफ से, हम लोग सख्त कार्यवाही करवाएँगे, माननीय सदस्य, अवगत निश्चित रूप से कराएँगे. कहीं गड़बड़ी होती है या कोई अच्छे अमूल्य सुझाव हैं, कई चीजें हम लोगों को और भी आपकी चर्चा में निकल कर आज आई हैं. अध्यक्ष महोदय, इतने विस्तार से काफी अमूल्य समय आपने हमको दिया है, इससे अमूल्य विचार निकल कर हमारे वरिष्ठ विद्वान बच्चन जी सहित सभी लोगों ने हमको दिए है, निश्चित रूप से माननीय अध्यक्ष महोदय, अगली बार जब आएँगे सुधार लाकर, जो हमने 2-3 चीजें रोक कर रखी हैं, आप से चर्चा कराकर, उनको जनता के सामने लाएँगे बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, एक निवेदन है.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, अब कोई निवेदन नहीं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- यह विधेयक है...
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता (संशोधन) विधेयक, 2015 पर विचार किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2 इस विधेयक का अंग बना.
अध्यक्ष महोदय-- खण्ड 3 इस खण्ड में एक संशोधन है.
राजस्व मंत्री (श्री रामपाल सिंह)-- अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूँ कि-- “खण्ड 3 का लोप किया जाए.”
अध्यक्ष महोदय-- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
प्रश्न यह है कि--
“ खण्ड 3 का लोप किया जाए.”
संशोधन स्वीकृत हुआ.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न यह है कि खण्ड 4 को पुनर्क्रमांकित खण्ड 3 किया जाए तथा यह खण्ड इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 3 इस विधेयक का अंग बना.
अध्यक्ष महोदय-- खण्ड 5 इस खण्ड में एक संशोधन है.
श्री रामपाल सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूँ कि--
“खण्ड 5 का लोप किया जाए.”
अध्यक्ष महोदय-- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
प्रश्न यह है कि—
“ खण्ड 5 का लोप किया जाए.”
संशोधन स्वीकृत हुआ.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न यह है कि खण्ड 6 को पुनर्क्रमांकित खण्ड 4 किया जाए तथा यह खण्ड इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 4 इस विधेयक का अंग बना.
अध्यक्ष महोदय-- खण्ड 7 इस खण्ड में एक संशोधन है.
श्री रामपाल सिंह-- अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूँ कि--
“खण्ड 7 का लोप किया जाए.”
अध्यक्ष महोदय-- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
प्रश्न यह है कि--
“खण्ड 7 का लोप किया जाए.”
जो इस प्रस्ताव के पक्ष में हों वे कृपया हाँ कहें...
श्री रामनिवास रावत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सर्वानुमति से, यह लोप तो हमारी वजह से किए गए हैं, नहीं तो ये तो लोप करते ही नहीं.
संशोधन सर्वानुमति से स्वीकृत हुआ.
अध्यक्ष महोदय--प्रश्न यह है कि खण्ड 8 एवं 9 को क्रमशः पुनर्क्रमांकित खण्ड 5 एवं 6 किया जाए तथा यह खण्ड इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 5 एवं 6 इस विधेयक के अंग बने.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न यह है कि खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बना.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
श्री रामपाल सिंह-- अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूँ कि मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता (संशोधन) विधेयक, 2015 पारित किया जाए.
अध्यक्ष महोदय-- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता (संशोधन) विधेयक, 2015 पारित किया जाए.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता (संशोधन) विधेयक, 2015 पारित किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
अध्यक्ष महोदय-- वक्तव्य, अब डॉक्टर नरोत्तम मिश्र, संसदीय कार्य मंत्री सूखे के कारण 50 प्रतिशत से अधिक प्रभावित फसलों वाले किसानों के बिजली बिलों के भुगतान के आस्थगन के संबंध में वक्तव्य देंगे.
4.25 बजे वक्तव्य
सूखे के कारण 50 प्रतिशत से अधिक प्रभावित फसलों वाले किसानों के बिजली बिलों के भुगतान आस्थगन के नीति निर्णय विषयक
संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र)—माननीय अध्यक्ष महोदय,
अध्यक्ष महोदय--- वक्तव्य पर एक ही प्रतिक्रिया आती है यही परंपरा है केवल नेता प्रतिपक्ष की या वह किसी को अधिकृत कर दें उसकी.
श्री बाला बच्चन-- अध्यक्ष महोदय, जो सूखे के कारण 50 प्रतिशत से अधिक प्रभावित फसलों वाले किसानों के बिजली के बिलों के भुगतान आस्थगन की नीति का निर्णय जो किया है और उस पर मंत्री जी ने वक्तव्य दिया है. मेरा यह आग्रह है कि जिस तरह से प्रदेश में अल्पवर्षा और सूखे के कारण जो स्थिति बनी है. कहीं-कहीं अतिवृष्टि और ओलावृष्टि हुई है इस कारण से किसान की पिछले दो तीन साल से लगातार माली हालत बहुत खराब और जर्जर हो चुकी है, उनकी आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो चुकी है ऐसे में जो 50 प्रतिशत तक का फिगर रखा है उसको और कम करना चाहिए. कहीं कहीं 20 से 30 प्रतिशत फसलें भी प्रभावित हुई हैं, उनको भी लेना चाहिए. मंत्री जी,मैं यह चाहूंगा कि बिजली का बिल पूरा माफ करना चाहिए क्योंकि किसान बहुत बुरी तरह से प्रभावित है . जिस समय कांग्रेस की सरकारें थीं और कांग्रेस की सरकार जो माफ करती थी यह मेरा आग्रह है चूंकि किसानों की हालत बहुत खराब है. दूसरी बात बैंकों की वसूली हो रही है , सहकारी समितियों के ऋणों की वसूली हो रही है इसलिए यह 50 प्रतिशत बहुत कम होगा . इसको 100 प्रतिशत करें और 31 मार्च 2016 तक का आस्थगित रखने का जो निर्णय आपने किया है तो 31 मार्च 2016 तक कौनसी फसल आ जाएगी . सूखा पड़ा है, रबी की फसल कहाँ से और कैसे आएगी. पानी की व्यवस्था है नहीं इसलिए माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारी कांग्रेस पार्टी के सब विधायकों की तरफ से और थर्ड फोर्स के विधायकों की तरफ से मेरा आग्रह है और मैं तो यह भी निवेदन करना चाहूंगा कि सत्ता पक्ष के जो विधायक हैं, शायद उनकी भी अप्रत्यक्ष रुप से मौन स्वीकृति रहेगी इसलिए बिजली के बिल स्थगित करने से काम नहीं चलेगा पूरा पूरा बिजली का बिल माफ किया जाये यह मेरा आग्रह है और मैं समझता हूं कि मंत्री जी इसको स्वीकार करें.
अध्यक्ष महोदय-- (श्री रामनिवास रावत जी द्वारा हाथ उठाने पर) इसमें हाथ उठाने की कोई परंपरा नहीं है कृपा करके आप लोग इस बात को समझिये .
श्री रामनिवास रावत--- मैं इसमें भाषण नहीं दूंगा,टैक्नीकल बात कहूंगा.
अध्यक्ष महोदय-- कोई टेक्नीकल बात नहीं होगी, भाषण भी नहीं होगा. आप बहुत वरिष्ठ विधायक हैं , मंत्री जी के वक्तव्य के बाद में एक प्रतिक्रिया आती है बस उसके बाद अगला विषय लेते हैं.
4.30 बजे शासकीय विधि विषयक कार्य(क्रमश:)
(2) मध्यप्रदेश आयूर्विज्ञान परिषद्(संशोधन)विधेयक,2015(क्रमांक 19 सन्2015)
चिकित्सा शिक्षा मंत्री(डॉ. नरोत्तम मिश्र)—अध्यक्ष महोदय, मै, प्रस्ताव करता हूँ कि मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान परिषद्(संशोधन)विधेयक,2015 पर विचार किया जाए.
अध्यक्ष महोदय- प्रस्ता प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान परिषद्(संशोधन)विधेयक,2015 पर विचार किया जाए.
श्री रामनिवास रावत(विजयपुर)—माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी द्वारा मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान परिषद् अधिनियम,1987 में संशोधन करते हुए यह संशोधन विधेयक,2015 लाया गया है. यह विधेयक माननीय मंत्री जी को क्यो लाना पड़ा, इसके पीछे क्या कारण हैं,इसके पीछे क्या मजबूरियां हैं, इसके पीछे कहां हम कमजोर हैं इसलिए आपको विधेयक लाना पड़ा. यह विधेयक निश्चित रुप से चिकित्सा के क्षेत्र में अभी तक की व्यवस्थाओं के नाम पर मध्यप्रदेश सरकार पर एक कलंक के रुप में जाना जायेगा, जिसकी वजह से यह चिकित्सा शिक्षा मंत्री को यह विधेयक लाना पड़ा.बुन्देलखण्ड चिकित्सा महाविद्यालय सागर बेचलर ऑफ मेडीसन, बेचर ऑफ सर्जरी, जिन लड़कों ने एमबीबीएस किया है, उन लोगों को एमसीआई ने इस कालेज की मान्यता दी ही नहीं है, इस बार प्रवेश के मामले में जीरो ईयर घोषित किया है और शायद प्रवेश दिये भी नहीं हैं. मान्यता दी ही नहीं है.एमसीआई ने इनकी मान्यता रोक दी है और सागर मेडीकल कालेज को इस साल जीरो ईयर घोषित किया है. मैं समझता हूँ कि यह प्रदेश के लिए बहुत शर्मनाक स्थिति है कि हम अपने छात्रों के भविष्य के साथ एक खिलवाड़ कर रहे हैं जो पढ़ लिखकर के अपने प्रदेश को स्वास्थ्य सुविधाएँ मुहैया करायेंगे, तो ऐसी स्थिति में छात्रों का क्या भविष्य होगा और जब उनका खुद का ही भविष्य निश्चित नहीं है, निर्धारित नहीं है तो किस तरह से प्रदेश को स्वास्थय सुविधाएँ मुहैया करा पायेंगे.अध्यक्ष महोदय, सागर मेडीकल कालेज को क्यों नहीं मान्यता मिली, क्योंकि वहां सीटी स्केन नहीं है, एक्सरे, टेक्नीशियन, रेडियोलाजी नहीं है, फेकल्टी डाक्टर्स नहीं है,इन्सेंटिव केयर यूनिट नहीं है, मेडीकल वार्ड नहीं है और अभी भी जो आप मान्यता दिलाने की बात कर रहे हैं जो प्रोफेसर्स आपने ट्रांसफर करके भेजे हैं उन प्रोफेसरों का भी एमसीआई के निरीक्षण में दूसरे कालेजों में हेडकाउंट हो चुका हूँ,पर्सनल एपरीयंस हो चुकी है,आप उनको ट्रांसफर करके वहां भेज रहे हो. आप स्टाफ भेजिये,आप स्टाफ निर्धारित कीजिए.भर्ती कीजिए, डाक्टरों की व्यवस्था कीजिए,क्यों माननीय मंत्री जी, इस तरह की व्यवस्थाएँ प्रदेश में बना रहे हैं जिससे जैसा कि बड़वानी में 63 लोगों की आंखें गयी हैं और भी लोग स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में, इलाज के अभाव में मरने लगे हैं. भविष्य में भी यह जो 100 लड़कों का जो बैच सागर से अभी पास आउट हुआ है इन लड़कों को आप मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान परिषद् (संशोधन) विधेयक,2015 के माध्यम से यहां पर आप रजिस्ट्रेशन करवा देंगे. रजिस्ट्रेशन करवाने के बाद निश्चित रुप से यह कहां के लिए एलीजेबिल होंगे, केवल मध्यप्रदेश के लिए ही एलीजेबिल होंगे, ये प्रदेश के बाहर जाकर के नौकरी नहीं कर सकते, प्रदेश के बाहर जाकर के ये प्रेक्टिस नहीं कर सकते. यह कितना बड़ा दुर्भाग्य है कि यहां से डाक्टरी पास करें, एमबीबीएस पास करें लेकिन प्रदेश के बाहर न तो नौकरी के लिए आवेदन दे पायें, न वहां पर प्रेक्टिस कर सकें. क्यों? क्योंकि एमसीआई इनका रजिस्ट्रेशन करने को तैयार नहीं है. (XXX)
अध्यक्ष महोदय—यह कार्यवाही से निकाल दीजिए.
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय,अगर आपने समय पर व्यवस्था की होती, मैं आपसे चर्चा में भी कह रहा था कि ग्वालियर संभाग का नाम डुबा रहे हो माननीय मंत्री जी. आपको तो सक्षम होना चाहिए. कोई जरुरी नहीं है कि माननीय मुख्यमंत्री जी जो घोषणा करें उनका पालन कराओ,बिना किसी व्यवस्था के, बिना उसकी व्यवस्था किए, बिना स्टॉफ की व्यवस्था किए. आप पहले समुचित व्यवस्था मुहैया कराएं उसके बाद मेडिकल कॉलेज चलाएं किसने रोका है आपको, हमें कोई आपत्ति नहीं है. सागर मेडिकल कॉलेज के एमसीआई द्वारा 5 इंस्पेक्शन हो चुके हैं और एक इंस्पेक्शन का 3 लाख रुपये जमा करते हैं तो इस तरह से कम से कम 15 लाख रुपये तो आप व्यर्थ ही व्यय कर चुके. लेकिन एमसीआई लगातार रिजेक्ट करती जा रही है और आपने जिस तरह से सागर मेडिकल कॉलेज में अन्य मेडिकल कॉलेज से स्टॉफ भेजा है उनकी एमसीआई दूसरे कॉलेजों में निरीक्षण के समय हेड काऊंट कर चुकी है अगर यह बात क्लीयर एमसीआई के सामने पहुँचती है तो अन्य मेडिकल कॉलेजों की मान्यता भी खतरे में पड़ जाएगी, यह बहुत चिंता का विषय है कम से कम प्रदेश के आने वाले भविष्य, आने वाली पीढ़ी का भी ख्याल रखना चाहिए जो यहां मेडिकल कॉलेज की शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं. यदि वे बाहर जाना चाहते हैं तो किस तरह से जाएं, किस तरह से अपना मुंह दिखाएं. कम से कम इस तरह की व्यवस्था बनाएं जिससे मध्यप्रदेश को देश के अन्य प्रदेशों में शर्मनाक स्थिति का सामना न करना पड़े.
अध्यक्ष महोदय – परंतु संशोधन के तो पक्ष में हैं ना आप.
श्री रामनिवास रावत – यही आपकी कार्यप्रणाली को प्रदर्शित करता है कि आप देश के विद्यार्थियों के प्रति देश के युवाओं के प्रति कितने चिंतित हैं ? (XXX)
अध्यक्ष महोदय – आपकी बात आ गई है, कृपया बैठ जाएं. यह कार्यवाही से निकाल दें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र – अध्यक्ष महोदय,(XXX).
अध्यक्ष महोदय – यह सब भी कार्यवाही से निकाल दें. सीधे आरोप-प्रत्यारोप न करें, ये कुछ भी नहीं लिखा जाएगा. माननीय मंत्री जी भी कृपया बैठ जाएं.
(xxx) आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
श्री शैलेन्द्र जैन (सागर) – माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय चिकित्सा शिक्षा मंत्री द्वारा प्रस्तावित मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान परिषद् (संशोधन) विधेयक, 2015 का समर्थन करता हूँ. हमारी विधान सभा क्षेत्र का यह विषय है. सन् 1963 में रीवा मेडिकल कॉलेज की स्थापना के बाद लगभग 35-36 वर्षों के इंतजार के बाद सागर बुंदेलखंड के लिए माननीय मुख्यमंत्री महोदय जी ने बहुत ही सहृदयतापूर्वक मेडिकल कॉलेज की सौगात दी थी. वर्ष 2009 में उस मेडिकल कॉलेज ने अपना काम करना शुरू कर दिया था और 100 विद्यार्थियों का पहला बैच एडमिशन पाया था. हमारे इस प्रथम बैच ने मार्च, 2014 में एमबीबीएस की परीक्षा पास कर ली थी. उसके बाद मार्च, 2015 में इंटर्नशीप भी उनकी पूरी हो गई लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण यह रहा कि मेडिकल कॉलेज ऑफ इंडिया से हमारे बुंदेलखण्ड मेडिकल कॉलेज को मान्यता नहीं मिल पाई. हालांकि मैं बधाई और धन्यवाद देना चाहता हूँ मध्यप्रदेश की सरकार को, माननीय मुख्यमंत्री जी को, माननीय चिकित्सा शिक्षा मंत्री जी को कि उन्होंने व्यक्तिगत रूप से जो डेफिशियेंसी प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर्स की 50, 60 और 70 प्रतिशत थी, वह घट कर 10 प्रतिशत आ गई है. जिस बात का उल्लेख यह अभी कर रहे थे कि सीटी स्केन की सुविधा नहीं है, माननीय अध्यक्ष महोदय, सीटी स्केन की सुविधा उपलब्ध है एमसीआई ने सिर्फ इतना कहा है कि सीटी स्केन इनहाऊस होना चाहिए, आऊटसोर्स तो वह है लेकिन कैंपस के बाहर से अंदर लाने की व्यवस्था कर ली गई है. जितने भी प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर्स के ट्रांसफर किए गए हैं उनमें से अधिकांश लोगों ने ज्वॉइन कर लिया है और चूँकि हेड काउंट किया जाता है जिन लोगों ने ज्वॉइन नहीं किए हैं एक माह के अंदर हम परीक्षण करायेंगे और जांच करायेंगे मुझे पूरी उम्मीद है कि इस जांच में हमारे एमसीआई के द्वारा बुंदेलखण्ड मेडीकल कालेज को मान्यता प्रदान कर दी जायेगी. उसी समय में 100 में से 54 बच्चे, 100 बच्चे पास नहीं हुए हैं लेकिन 54 ऐसे बच्चे जिन्होंने पास कर लिया है, लेकिन यह बेचारे रजिस्ट्रेशन के अभाव में किसी तरह का जॉब नहीं कर पा रहे हैं, न ही कोई नौकरी कर पा रहे हैं, न ही यह कोई प्रेक्टिस नहीं कर पा रहे हैं बल्कि पीजी के लिए भी क्वालिफाई नहीं हुए हैं. तो ऐसे तमाम हमारे होनहार डॉक्टर हैं उनके भविष्य को ध्यान में रखते हुए हमारे शासन ने और चिकित्सा शिक्षा मंत्री जी जो यह विधेयक लाये हैं , तो इस विधेयक के माध्यम से कम से कम मध्यप्रदेश में तो हमारे उन विद्यार्थियों का रजिस्ट्रेशन हो जायेगा . उसके बाद में वह कम से कम मध्यप्रदेश के अंदर कार्य कर पायेंगे प्रेक्टिस कर पायेंगे. हमारी एमसीआई की एक बहुत बड़ी कमी थी जो कि रेसीडेंट डॉक्टर की थी यह 54 विद्यार्थी ज्यों के त्यों जब मेडीकल कालेज में काम करना शुरू कर देंगे तो एक बहुत बड़ी कमी हमारी दूर हो जायेगी. एमसीआई के द्वारा बुंदेलखण्ड मेडीकल कालेज को मान्यता मिल जायेगी.
मैं यहां पर एक बात जरूर कहना चाहता हूं कि हमारे ऐसे विद्यार्थियों के साथ अन्याय हुआ है प्रकृति ने अन्याय किया है. ऐसे अन्याय का दंश भोगने वाले विद्यार्थियों के साथ में न्याय हमारी सरकार ने किया है, हमारे नरोत्तम मिश्र जी ने किया है मैं उनके प्रति धन्यवाद् देता हूं. इस विधेयक का समर्थन करता हूं यह लाइन कहकर मैं उन विद्यार्थियों की पीड़ा जरूर बताना चाहूंगा हमारे प्रतिपक्ष के साथियों को कि कम से कम वह इस न्याय संगत विषय को अगर सर्वसम्मति से पास करेंगे तो बहुत अच्छा होगा कहते हैं कि – कब कि पत्थर हो चुकी थी मुंतजिर आंखें मगर, छूकर जब देखा तो मेरे हाथ गीले हो गये. अध्यक्ष महोदय मुख्यमंत्री जी का बहुत बहुत धन्यवाद माननीय चिकित्सा शिक्षा मंत्री जी का बहुत बहुत धन्यवाद् जिन्होंने इस तरह का विधेयक लाकर विद्यार्थियों को न्याय दिलाने का काम किया है आपने मुझे अपनी बात कहने का समय दिया उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद्.
श्री बाला बच्चन ( राजपुर ) – माननीय अध्यक्ष महोदय मैं केवल इतना ही कहना चाहता हूं माननीय मंत्री जी से कि जो गठित की जाने वाली परिषद है. परिषद में सदस्यों की संख्या का उल्लेख तो किया गया है. लेकिन उसमें यह उल्लेख नहीं है कि एससीएसटी और ओबीसी का भी प्रतिनिधित्व रखा जायेगा. मैं आपके माध्यम से यह निवेदन करना चाहता हूं कि इसमें एससीएसटी और ओबीसी के एक एक सदस्य सुनिश्चित किया जाय.
दूसरा यह कि बुंदेलखण्ड चिकित्सा महाविद्यालय सागर में कई कमियां हैं. इन कमियों के चलते अखिल भारतीय स्तर पर मान्यता नहीं मिलने के कारण जो डॉक्टर वहां से डिग्री लेते हैं उनकी डिग्री काम में नहीं आती हैं तो आपके हाथ में है कि इन कमियों को समाप्त करायें जिससे कि वह डॉक्टर अपनी डिग्री का उपयोग कर सकें और उनको मान्यता भी मिल सके.
श्री शैलेन्द्र पटेल ( इछावर ) – माननीय अध्यक्ष महोदय चिकित्सा शिक्षा मंत्री नरोत्तम मिश्र जी ने मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान परिषद् (संशोधन) विधेयक प्रस्तुत किया है. मैं समझता हूं कि अध्यक्ष होने के अलावा आप डॉक्टर भीहैं इसकी ज्यादा बारीकियां आप भी समझते हैं. हमें जो मोटी मोटी बातें समझ में आयी हैं कि जिन डॉक्टरों ने 2014 में अपनी एमबीबीएस की परीक्षा पास कर ली है 2015 में इंटर्नशिप भी कर ली है उनका प्रवेश 2009-10 में हो गया था. परीक्षा पास करने के बाद में किसी विद्यार्थी को उसकी डिग्री नहीं मिले उससे बड़े दुख का और कोई कारण नहीं हो सकता है. विषय यह है कि एमसीआई ने सागर मेडीकल कालेज को मान्यता क्यों नहीं दी है जो कमियां थी उन कमियों को समय रहते पूरा क्यों नहीं किया गया है. जैसा कि बताया गया है अभी रावत जी भी बोल रहे थे कि पांच वर्ष में हर वर्ष इंस्पेक्शन होता है और जब इंस्पेक्शन होता है तो कमियां भी समझ में आती हैं उन कमियों को पकड़कर समय रहते दूर करना था . यदि वह कमियां दूर होतीं तो निश्चित रूप से जिन विद्यार्थियों ने वहां से इंटर्नशिप कर ली एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी कर ली वह पूरे देश में या विदेश में कहीं पर भी जाकर अपनी सेवाएं प्रदान कर सकते थे. लेकिन मेरा प्रश्न यह है कि क्या इस संशोधन विधेयक को लाने के बाद भी उनको वो सारी सुविधाएं मिलेंगी जो मेडिकल कौंसिल ऑफ इंडिया से जिनका पंजीयन होता है, उनको होती है. निश्चित रूप से सरकार देर से जागी और यह कदम उठाया ताकि उन बच्चों का भविष्य अंधकार में न रहे .इसके लिए यह जो संशोधन लाये इसके लिए जरूर वे धन्यवाद के पात्र हैं. लेकिन यह भी उनके लिए एक आगाह की बात है कि वो देखें कि किसी भी मेडिकल कॉलेज में इस तरह की अनियमितता न रहे,ताकि इस तरह की बात आगे कभी न हो. बहुत बहुत धन्यवाद.
डॉ.योगेन्द्र निर्मल ( वारासिवनी )—अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से जो यह विधेयक स्वास्थ्य मंत्री जी लाये हैं इसका समर्थन करता हूं. और इसमें मैं एक बात कहना चाहता हूं कि यह जो कार्य हमारे मुख्यमंत्री जी और स्वास्थ्य मंत्री जी ने किया है वह अभूतपूर्व है. हमारे यहां डॉक्टर्स की बहुत कमी है. अभी यह बात आई कि ये डॉक्टर अन्य प्रदेशों में नहीं जा सकते. हमारा प्रदेश बहुत बड़ा है. इन 100 डॉक्टर्स का उपयोग हम अपने प्रदेश में करेंगे और अपने यहां के बीमारों का स्वास्थ्य ठीक करने का प्रयास करेंगे. मैं एक बात आपसे कहना चाहता हूं कि बार बार यह त्रेहसठ शब्द आता है...
अध्यक्ष महोदय—आप तो कोई विवादास्पद विषय न बोलें, आप तो इस विधेयक पर बोलिए.
डॉ.योगेन्द्र निर्मल – मैं उसी पर बोलना चाहता हूं. अभी चर्चा आई थी कि खलबत्ता वालों को भगा दिया. नाड़ी परीक्षा वालों को भगा दिया. कभी कहा जाता है कि सिटी स्केन नहीं है, सोनोग्राफी नहीं है. एक तरफ हम आधुनिक युग में जाना चाहते हैं और दूसरी तरफ हम जो बात करते हैं ,वह हम पुरानी बात भी करते हैं. तो दोनों बातों में कोई तालमेल हमको समझ में नहीं आता. हम एक बात कहते हैं कि हमारे स्वास्थ्य मंत्री जी ने यह विधेयक लाकर बहुत अच्छा काम किया है. उन 100 लोगों को जो सड़क पर घूमते, जो दर दर की ठोकरे खाते उनको आज एक विश्वास के साथ डॉक्टर का नाम दिया है. मैं इतना कह कर अपनी बात को समाप्त करता हूं और माननीय नरोत्तम जी को और माननीय मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देता हूं ,उनको बधाई देता हूं, भारत माता की जय.
श्री जितू पटवारी (राऊ)—धन्यवाद अध्यक्ष जी, मैं समझता हूं कि यह विधेयक बहुत महत्वपूर्ण है और एक बात समझ में आयी कि जितनी मध्यप्रदेश में डॉक्टरों की कमी है ,करीब लगभग 15 हजार से ज्यादा. नये मेडिकल कॉलेज खुलेंगे,
नई सोच बनेगी, शायद कुछ तो भला होगा और मेरे से पूर्व हमारे दो माननीय सदस्यों ने बताया है कि ये ये कमियां हैं वो नहीं गिनाऊंगा क्योंकि समय की कमी है. मुझे नरोत्तम मिश्रजी की मंशा समझ में आ रही है कि ऐसे डॉक्टर तैयार करना चाहिए कि जो प्रदेश से बाहर जायें ही नहीं. क्य़ोंकि बाहर से परमिशन है नहीं. बाहर जा नहीं पायेंगे तो मध्यप्रदेश के ग्रामीण अंचल में कम पैसे में ज्यादा से ज्यादा डॉक्टर भेज सकें ,मैं समझता हूं कि इस मंशा के साथ जो दिख नहीं रही है, लिख नहीं रही है ,छुपी हुई एक मंशा है आपके मन में.इसके लिए मैं धन्यवाद देना चाहता हूं. खासकर मेडिकल कॉलेज सागर के संदर्भ में यह जो बात चालू हुई है ,सबने कहा ,मैं समझता हूं कि सरकार ने अपनी बुराइयों को छुपाने के लिए आनन फानन में सरकार ने इस तरह का आयोजन किया है. कुछ बातें ऐसी होती हैं कि थोड़ा हम जब काम करते हैं तो तारीफ भी होती है, पुरस्कृत भी होते हैं और निंदा भी होती है. तो अगर सही तरीके से सही काम थोड़ी निंदा के साथ भी करना पड़े तो मैं समझता हूं कि करना चाहिए. इसमें इतनी जल्दी सरकार ने नहीं करनी थी. एक बात और है , जिस तरीके से प्रायवेट मेडिकल कॉलेजों की 900 सीटों पर आरक्षण नहीं हो पाया है. इस बारे में मैं आपके माध्यम से नरोत्तम मिश्रा जी को कहना चाहूंगा . आयुर्वेदिक कॉलेज के संदर्भ में फोन पर चर्चा भी की थी कि कई सीटें खाली रह जाती हैं ,आप उसमें एक तारीख दे दें. या उन कॉलेजों को अवसर भी दें , सरकार इतना तो कर नहीं पा रही है. आयुर्वेदिक कॉलेज DME में उससे पहले SC,ST और पिछड़े वर्ग की करीब 450 सीटें खाली रह गयीं.
अध्यक्ष महोदय,-- यहां उसका संदर्भ न करें.
श्री जितू पटवारी—अध्यक्ष जी, संदर्भ नहीं है, अवसर है. मेरा अनुरोध यह है कि एक तो मैं आपका इतना लिहाज करता हूं कि खड़ा भी नहीं हो पाता हूं. आपकी आँखों से डरता हूं और वह भले ही प्यार की हों. मैं समझता हूं कि मैं नियम कायदे कानून,सदन की मर्यादा का ध्यान रखूं और आपने अवसर दिया है तो कुछ तो बोलूंगा ना? तो मेरा आपसे अनुरोध है RKDF मेडिकल कॉलेज में भी इस साल जो प्रवेश होना था ,DME ने उसको परमिट ही नहीं किया. मैं समझता हूं कि वे छात्र भी इधर उधर भटक रहे हैं, उनकी ओर भी स्वास्थ्य मंत्री जी और सरकार ध्यान देगी तो बेहतर होगा. और जैसा राम निवास रावत जी ने कहा ,जैसा बाला बच्चन जी ने कहा इन सब बातों को मैं सम्मिलित करके अनुरोध करना चाहता हूं, मध्यप्रदेश में अच्छी शिक्षा और इसके नाम के साथ यहां के छात्र को पूरे देश और विश्व में मान्यता मिले ऐसी व्यवस्था निर्मित करने की कोशिश करेंगे तो महत्वपूर्ण होगा. मैं आपके माध्यम से नरोत्तम मिश्रा जी से अनुरोध करूंगा कि हमारी बात पर ध्यान देंगे और जल्दी में वाहवाही लेने के लिए कोई काम ऐसा नहीं करेंगे कि छात्रों का भविष्य खराब हो…
डॉ गोविंद सिंह(लहार)—अध्यक्ष महोदय...
डॉ नरोत्तम मिश्रा—गोविंद सिंह जी आयुर्वेद के डॉक्टर हैं और MBBS पर बोल रहे हैं.
डॉ गोविंद सिंह—रामनिवास जी बोले तब आपने कुछ नहीं कहा.
डॉ नरोत्तम मिश्रा—उनको बोलेरिया वाला सिस्टम था. (हंसी)
डॉ गोविंद सिंह—अध्यक्षजी यह बोलेरिया कौन सी बीमारी है.स्पष्ट करें.
डॉ नरोत्तम मिश्रा—मैं बताता हूं यह बीमारी उनको कहां से लगी है.
डॉ गोविंद सिंह—अभी वे मौजूद है नहीं इसलिए जवाब दे नहीं सकते. बोलेरिया कौन सी बीमारी है.
अध्यक्ष महोदय—आप कृपया विधेयक पर बोलें.
डॉ गोविंद सिंह—अध्यक्षजी, विधेयक पर तो हमारा इतना कहना है कि विधेयक का मैं समर्थन करता हूं. सरकार ने जो गलती की थी उसको वर्षों के बाद सुधारी. कम से कम लोकराज है तो लोकलाज आयी. लोकलाज के कारण आपने अपनी गलती को सुधार कर संशोधन लाये हैं. इसके साथ ही और तमाम व्यवस्थाएं भी है. आयुर्वेद कॉलेजों की मान्यता समाप्त हो रही है. कॉलेज है नहीं. जो क़ॉलेज हैं, उनके पदों को आप तत्काल भरने का काम करें और रिक्त सीटों को भरने का काम करें.
अध्यक्ष महोदय, आपकी एक संस्था है मातृ संस्था. वह देसी चिकित्सा पद्धति को लाने का पूरा प्रयास कर रही है और आप उसको नष्ट करने में लगे हो. इसलिए उसका भी सम्मान करें. समूचे चिकित्सा विभाग में स्टाफ की कमी है, उनको भरने का काम करें. (श्री रामनिवास रावत सदस्य के सदन में उपस्थित होने पर) रामनिवास जी, यह (डॉ नरोत्तम मिश्र) कह रहे हैं कि आपको बोलेरिया की बीमारी है. पूछो यह कौन सी बीमारी है. धन्यवाद.
श्री शरद जैन—अध्यक्ष महोदय, एक बात जो रामपाल जी ने कही थी कि बाला बच्चन जी वरिष्ठ विद्धान है. मेरा आग्रह है कि इस डिग्री को ट्रांसफर कर दिया जाये और यह डिग्री डॉक्टर गोविंद सिंह जी को दे दी जाये.
श्री सुन्दर लाल तिवारी(गुढ)—अध्यक्ष महोदय, यह जो संशोधन आया है. मुझे ऐसा अहसास हो रहा है कि मध्यप्रदेश सरकार के सामने जो एक संकट खड़ा हो गया कि एमसीआई के द्वारा जिन मेडिकल कॉलेजों को रिक्गनाईज नहीं किया गया, उसकी वजह से यह समस्या सरकार के सामने आकर खड़ी हो गई है. माननीय मंत्रीजी संशोधन के माध्यम से उस समस्या का थोड़ा निदान करना चाहते हैं कि जो MBBS पास डॉक्टर्स हैं वह कम से कम मध्यप्रदेश में अपनी सेवाएं दे सकें, उनका जीवन यापन चल सके.
अध्यक्ष महोदय, मैं, आपके माध्यम से माननीय मंत्रीजी का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं कि यह समस्या केवल मध्यप्रदेश में नहीं है, यह देश के सामने भी एक बार आयी थी. जो बच्चे अब्राड से MBBS पढ़कर डॉक्टर बनकर हमारे देश में आते थे जैसे रूस आदि जगह से, उनको एमसीआई रिक्गनाईज नहीं करती थी. यहां उनका रजिस्ट्रेशन नहीं करती. यह बहुत बड़ी समस्या थी. अब यह समस्या हो गई कि रुस से, इंग्लैंड से, चाईना से MBBS पढ़कर आ रहे हैं. यहां उनका रजिस्ट्रेशन नहीं हो रहा. सरकार कहती थी कि मेडिकल कॉंसिल ऑफ इंडिया (MCI) तभी करेगी, जब हम उनको यह मानेंगे कि वे हमारे स्तर के हैं. उसके लिए एक रास्ता निकाला गया था. वह यह रास्ता था कि एमसीआई उन छात्रों की एक अलग से परीक्षा लिया करती थी और जब विदेश से पढ़ कर आये हुए बच्चे जब उस परीक्षा को पास कर लेते थे तब एमसीआई उनका रजिस्ट्रेशन अलाऊ करती थी और उनका रजिस्ट्रेशन होता था.
अध्यक्ष महोदय, मेरा माननीय मंत्रीजी से यह कहना है कि जो कदम उन्होंने उठाया है वह तो ठीक है लेकिन इसके साथ-साथ केन्द्र सरकार या एमसीआई ने जो कदम उठाया था, उस तरह का कदम उठा कर शायद उन बच्चों को उस परीक्षा में बैठने की अनुमति मिल जाये तो उनका रजिस्ट्रेशन हो सके , ऐसा रास्ता ढूंढे. यह मेरा सुझाव है. धन्यवाद.
अध्यक्षीय घोषणा
4.55 बजे सदन के समय में वृद्धि विषयक
अध्यक्ष महोदय-- इस विधेयक पर चर्चा पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाये मैं समझता हूं सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई)
शासकीय विधि विषयक कार्य (क्रमश)
मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान परिषद् (संशोधन) विधेयक, 2015
लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आज हमारे सम्मानित सदस्यों ने श्री रामनिवास रावत, श्री शैलेन्द्र जी जैन, आदरणीय श्री बाला बच्चन जी, आदरणीय श्री शैलेन्द्र पटेल साहब, योगेन्द्र निर्मल बाबा जी, जितू पटवारी जी, गोविंद सिंह जी, सुंदर लाल तिवारी जी,
एक माननीय सदस्य—कौन से बाबा जी.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- मैं उनको प्यार से बाबा ही कहता हूं.
श्री कमलेश्वर पटेल-- संत आसाराम बाबा तो नहीं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- क्या है कि बिल्ली को सोते में भी छिछेड़े ही दिखते हैं, जब देखों तब बुराई ही ढूंढते रहते हैं माननीय अध्यक्ष जी, कभी तो कुछ अच्छा भी सोचें न, बहुत बड़े-बड़े संत हैं उनसे तुलना करें. माननीय अध्यक्ष महोदय, सम्मानित सदस्यों की चिंता स्वाभाविक भी है और हमारे प्रदेश के जो होनहार बच्चे हैं उनके संबंध में वह चिंता कर रहे हैं और वास्तव में उनकी चिंता स्वागत योग्य भी है, लेकिन मैं कोशिश करूंगा कि मैं उनकी चिंता का कुछ समाधान कर सकूं. कांग्रेस के सदस्यों द्वारा यह आशंका जाहिर की गई कि क्यों लाना पड़ रहा है, वास्तव में कहीं न कहीं त्रुटि रह गई थी और इसलिये इसकी आवश्यकता प्रतीत हुई. चूंकि हमने जब दंत रोग के, प्रसूती के, स्त्री रोग के डॉक्टर सागर में पदस्थ किये, रिक्त पदों को भरने की कोशिश की तो न्यायालय के द्वारा वह स्थगन आदेश ले आये, यहां से विसंगति का प्रारंभ हुआ. सोचा कि आज निपट जायेगा, कल निपट जायेगा और फिर वह विसंगति बढ़ी, लेकिन जो पदों की पूर्ति हमें करना थी माननीय अध्यक्ष महोदय, एमसीआई जब प्रारंभ में आई थी, मेरे भाई आदरणीय शैलेन्द्र जैन ने उसमें विस्तार से बता दिया है, मैं रिपीट नहीं करना चाहता, लेकिन हमने लगभग उसकी पूर्ति कर ली है. मैं किसी को दोषी नहीं मान रहा और खासकर आप तो दोषी हो ही नहीं सकते (विपक्ष की तरफ इशारा करते हुये) माननीय अध्यक्ष महोदय, दोषी नहीं हैं, विसंगति कहां से प्रारंभ हुई मैं वह कह रहा हूं, मैं किसी को दोष नहीं दे रहा हूं. मेरा कहना यह है कि इसके बावजूद भी हमने उसकी पूर्ति की और यह कहना कि उनका भविष्य खराब हो गया, मैं पूरे विश्वास के साथ आसंदी को विश्वास दिलाना चाहता हूं कि एम एमसीआई की मान्यता लेकर ही रहेंगे उसके लिये जो कमी पूरी करना होगी हम करेंगे, लेकिन छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ नहीं होने देंगे, लेकिन अब चूंकि तात्कालिक इनको रिलीफ चाहिये था और Something is better then nothing माननीय अध्यक्ष महोदय, कुछ भी नहीं है उनको अगर भविष्य अंधकार में दिखाई देगा तो उसके लिये हम ये विधेयक आज लेकर आये हैं. इसके माध्यम से अब वह मध्य प्रदेश में प्रेक्टिस कर सकेंगे. अभी हमारे पास भी बहुत सारे डॉक्टरों की जरूरत हमको है वह चाहें तो सीधे के सीधे सरकार के पास आ सकते हैं, हम अपनी तरह से व्यवस्था करेंगे, लेकिन मैं खुद भी कह रहा हूं कि यह टेम्प्रेरी है. हमारी कोशिश है कि म.प्र. में डॉक्टरों की कमी खत्म हो और उसके लिये दीर्घकालिक योजना ही बनानी पड़ेगी और इसलिये हमने मध्य प्रदेश के अंदर 7 नये सरकारी और 7 नये प्राइवेट मेडीकल कॉलेज खोलने का तय किया है और हम बहुत जल्दी ही, मैं समझता हूं कि अगले साल से हम इनमें प्रवेश प्रक्रिया भी प्रारंभ कर देंगे. हमने कॉलेज चालू होने के पूर्व ही पदों की पूर्ति के लिये हम कार्यवाही कर रहे हैं कि छात्र आने के पहले ही सारे पदों की पूर्ति हो जाये, एमसीआई का निरीक्षण हो जाये, और इस विसंगति को माननीय अध्यक्ष महोदय हम दूर कर सकें.
श्री रामनिवास रावत-- 5 खोल रहे हैं कि 7.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- 7
श्री रामनिवास रावत-- नाम और बता दें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- बता देंगे आपको. अभी हमारे 5 तो प्रारंभ ही हो गये हैं.
श्री सोहनलाल बाल्मीक-- अध्यक्ष महोदय, छिंदवाड़ा है क्या इसमें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- जी हां छिंदवाड़ा प्रस्तावित है. शिवपुरी प्रस्तावित है, महाराज को बता दें आप. माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे पेरामेडीकल स्टॉफ के भी हमें सारे पद जो वहां खाली थे सारे के सारे मिल गये और माननीय अध्यक्ष महोदय मैं पुन इस बात को कहना चाहता हूं कि हम पूरी मंशा बाचा कर्मणा इस बात की चिंता कर रहे हैं कि इन छात्रों का भविष्य खराब न हो और आने वाले दिनों में मान्यता मिलकर के यह सभी छात्र अपने-अपने गंतव्य की ओर रवाना होंगे और इसलिये मैं आपसे विनम्र प्रार्थना करना चाहता हूं, सम्मानित सदस्यों को भी विश्वास दिलाना चाहता हूं कि इस विधेयक को सर्व सम्मति से पारित करें, यह छात्रों के भविष्य से जुड़ा हुआ मामला है.
अध्यक्ष महोदय—प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान परिषद् (संशोधन) विधेयक, 2015 पर विचार किया जाये.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2 तथा 3 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2 तथा 3 इस विधेयक के अंग बने.
प्रश्न यह है कि खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड एक विधेयक का अंग बना.
प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
डॉ.नरोत्तम मिश्र – माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान परिषद् (संशोधन) विधेयक, 2015 पारित किया जाये.
अध्यक्ष महोदय—प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान परिषद् (संशोधन) विधेयक, 2015 पारित किया जाये.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान परिषद् (संशोधन) विधेयक, 2015 पारित किया जाये.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
अध्यक्षीय घोषणा
अध्यक्ष महोदय—आज सायंकाल 7 बजे उज्जैन के सिंहस्थ पर और ओरियेंटल कालेज के बच्चों के द्वारा एक नृत्य नाटिका प्रस्तुत की जायेंगी, उसके तत्काल पश्चात संस्कृति मंत्री द्वारा भोज दिया जायेगा. आप सभी से अनुरोध है कि वे सांस्कृतिक कार्यक्रम में और भोज में पधारने का कष्ट करें.
विधानसभा की कार्यवाही बुधवार दिनांक 16 दिसम्बर, 2015 को प्रात: 10.30 बजे तक के लिये स्थगित.
सायं 5.02 बजे विधान सभा की कार्यवाही बुधवार, दिनाँक 16 दिसम्बर, 2015 (25 अग्रहायण शक संवत् 1937) के प्रात: 10.30 बजे तक के लिए स्थगित की गई.
भगवानदेव ईसरानी
भोपाल, प्रमुख सचिव,
दिनांक : 15 दिसम्बर 2015. मध्यप्रदेश विधानसभा