मध्यप्रदेश विधान सभा

 

की

 

कार्यवाही

 

(अधिकृत विवरण)

 

 

 

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पंचदश विधान सभा                                                                                            चतुर्दश सत्र

 

 

फरवरी-मार्च, 2023 सत्र

 

बुधवार, दिनांक  15 मार्च, 2023

 

(24 फाल्गुन, शक संवत्‌ 1944 )

 

 

[खण्ड-  14 ]                                                                                                         [अंक- 8 ]

 

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मध्यप्रदेश विधान सभा

 

बुधवार, दिनांक 15 मार्च,  2023

 

(24 फाल्गुन, शक संवत्‌ 1944 )

 

विधान सभा पूर्वाह्न 11.03 बजे समवेत हुई.

 

{अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}

                                         

11.03 बजे                            तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर

चिकित्‍सकों के रिक्‍त पदों की पूर्ति

[लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण]

            1. ( *क्र. 1345 ) श्री लक्ष्‍मण सिंह : क्या लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्‍न दिनांक तक विधानसभा क्षेत्र में स्थित शासकीय चिकित्‍सालयों और प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्रों में चिकित्‍सकों/गैर चिकित्‍सकों के कितने-कितने पद रिक्‍त हैं? (ख) उपरोक्‍त रिक्‍त पदों की सूची के साथ किस-किस दिनांक से रिक्‍त हैं, इसका विवरण उपलब्‍ध कराएं? (ग) इन रिक्‍त पदों को किस दिनांक तक भरा जाएगा?

            लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ( डॉ. प्रभुराम चौधरी ) : (क) एवं (ख) जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट अनुसार है। (ग) विभाग रिक्त पदों की पूर्ति हेतु निरंतर प्रयासरत है। विशेषज्ञों के रिक्त पदों की पूर्ति हेतु चयन की कार्यवाही संपादित की जा रही है एवं विशेषज्ञों के कुल स्वीकृत पदों में से 25 प्रतिशत पदों पर सीधी भर्ती द्वारा पदपूर्ति की कार्यवाही संपादित की जा रही है। चिकित्सा अधिकारियों के रिक्त पदों की पूर्ति हेतु 1456 पदों का विज्ञापन मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा जारी किया जा चुका है, तृतीय श्रेणी/नर्सिंग एवं पैरामेडिकल पदों पर कर्मचारी चयन मण्डल के माध्यम से चयन की कार्यवाही निरंतर की जा रही है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के माध्यम से भी चिकित्सक/पैरामेडिकल/नर्सिंग संवर्ग की पदपूर्ति की कार्यवाही निरंतर जारी है। पदपूर्ति एक निरंतर प्रक्रिया है, पदपूर्ति हेतु निश्चित समयावधि बताई जाना संभव नहीं है।

          श्री लक्ष्‍मण सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मंत्री जी ने उत्‍तर में बताया है कि जो रिक्‍त पद हैं, उनको भरने की समयावधि बताना संभव नहीं है. मैं इसकी आलोचना नहीं करूंगा क्‍योंकि यह समस्‍या कई वर्षों से है और यह अभी भी है. मेरा मंत्री जी से केवल एक नीतिगत प्रश्‍न है कि आप ही की सरकार ने और आप ही के मुख्‍यमंत्री जी ने इस विषय में कुछ साल पहले एक निर्णय लिया था कि जहां रिक्‍त स्‍थान पड़े हैं, जो शासकीय अस्‍पताल ठीक से नहीं चल रहे हैं, वहां उन्‍होंने पी.पी.पी. मॉडल पर अस्‍पतालों को दिया था और नगर पालिकाओं से एग्रीमेंट कराकर कुछ प्रायवेट हॉस्पिटल ने और प्रायवेट इंडस्ट्रियल ग्रुप्‍स ने अस्‍पताल चलाये थे और बड़े सफलता से वह चले भी थे, ऐसा ही एक अस्‍पताल हमारे राघौगढ़ में गेल ने 50 पलंग का बनाया था. वह अभी भी बना है परंतु दुर्भाग्‍यवश खाली पड़ा है और वहां स्‍टॉफ कॉटेज भी है. वह अस्‍पताल आप ही की सरकार ने  जे.पी.ग्रुप को दिया था और नगर पालिका राघौगढ़ ने मिलकर उसको चलाया था पर उस समय आयुष्‍मान योजना नहीं थी, इसलिये वह अस्‍पताल चल नहीं पाया, आज आयुष्‍मान आपके पास है. मैं आपसे यह जानना चाहता हूं कि क्‍या आप उसी प्रक्रिया को चालू रखते हुए ऐसे अस्‍पताल जो हैं, जहां स्‍टॉफ की कमी है, उनको पी.पी. मोड पर निजी क्षेत्र में देंगे.                             

          एक उसमें राघौगढ़ का हमारा अस्‍पताल भी है, अगर आप ऐसा करेंगे तो अभी क्‍या है अभी कोरोना से हम निकले हैं, हमारे हजारों साथियों को हमने खो दिया है, एच-3 एन-1 वायरस दस्‍तक दे रहा है, आया नहीं है तो दस्‍तक तो दे रहा है, हमारे देश में फैला हुआ है. ऐसे समय में आप यह कहकर कि स्‍टॉफ नहीं है, अपना पल्‍ला नहीं झाड़ सकते. आपको कोई नीतिगत निर्णय लेना पड़ेगा, आप अपनी सरकार का निर्णय अगर दोहरायेंगे और आयुष्‍मान कार्ड की सुविधा आज है तो मैं समझता हूं कि बहुत हद तक हम इस समस्‍या का समाधान ढूंढ पायेंगे. क्‍या आप ऐसा करेंगे मेरा यह सवाल है, आप अभी उत्‍तर न दें कोई बात नहीं पर क्‍या आप ऐसा करने जा रहे हैं या सोचेंगे ?

          डॉ. प्रभुराम चौधरी--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय हमारे वरिष्‍ठ सदस्‍य लक्ष्‍मण सिंह जी ने जो डॉक्‍टरों की पूर्ति के लिये प्रश्‍न किया था, माननीय अध्‍यक्ष महोदय, वह तो हम प्रयास कर ही रहे हैं, माननीय सदस्‍य जी जानते हैं, अभी उन्‍होंने जो प्रश्‍न किया है कि निजी अस्‍पतालों से आयुष्‍मान की योजना के संबंध में तो निजी अस्‍पतालों से हम आयुष्‍मान योजना का अनुबंध अभी करते हैं.

          श्री लक्ष्‍मण सिंह-- नहीं, नहीं निजी अस्‍पताल नहीं, सरकारी अस्‍पताल दिया था निजी क्षेत्र में पीपीपी मॉडल पर, क्‍या आप सरकारी अस्‍पतालों को उसी तरह निजी क्षेत्र में देने की कोई योजना बना रहे हैं, आपने ही दिया था, आपकी सरकार ने ही दिया था, शिवराज सिंह जी ने दिया था ?

          डॉ. प्रभुराम चौधरी--  अभी सरकारी अस्‍पतालों को पीपीपी मॉडल पर देने की कोई योजना अभी नहीं है.         

          श्री लक्ष्‍मण सिंह-- क्‍या बनायेंगे ?

          डॉ. प्रभुराम चौधरी--  इस पर विचार करेंगे.

          श्री लक्ष्‍मण सिंह-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह बहुत गंभीर विषय है अगर आप भी आदेशित करें और संसदीय कार्यमंत्री जी बैठे हैं आपसे भी मैं निवेदन करूंगा आप मुख्‍यमंत्री जी से कहें कि थोड़ा इस विषय में गंभीरता से करें और हम लोगों से जो सहयोग बनेगा हम करेंगे. धन्‍यवाद.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, पहले तो लक्ष्‍मण सिंह जी को धन्‍यवाद कि उन्‍होंने माना कि आयुष्‍मान योजना बहुत सफल जा रही है जैसा उन्‍होंने कहा वैसे वह वेबाक बोलने के लिये बहुत फैमस हैं उसमें भी उनका आभार और उन्‍होंने कहा कि मुख्‍यमंत्री जी.....

          श्री लक्ष्‍मण सिंह--  सफल नहीं जा रही, कुछ घपले भी हुये हैं, पर योजना अच्‍छी है.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र--  अच्‍छी है, मैं वही कह रहा हूं, आपका आभार कर रहा हूं कि आपने प्रधान मंत्री जी की योजना का, दूसरा उन्‍होंने मुख्‍यमंत्री जी को कहने को कहा है, मैं और स्‍वास्‍थ मंत्री जी प्रभुराम चौधरी जी दोनों ही एक साथ कहेंगे.

 

          अध्‍यक्ष महोदय--  प्रश्‍न क्रमांक- 2  (अनुपस्थित)

 

 

खाद्य पदार्थों की जांच

[लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण]

3. ( *क्र. 2326 ) श्री सूबेदार सिंह सिकरवार रजौधा : क्या लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मुरैना जिला में 2020 से प्रश्‍न दिनांक तक निरीक्षक द्वारा किस-किस दिनांक को कहां-कहां खाद्य सामग्री के सेम्पल लिये गये और किस-किस दिनांक को लिये गये सेम्पल प्रयोगशाला में भेजे गये? सेम्पलों की मानक/अमानक परिणामों से अवगत करावें। (ख) प्रश्‍न दिनांक तक विभाग में कौन-कौन खाद्य निरीक्षक/अधिकारी कितनी समयावधि से पदस्थ हैं और कितने ऐसे कर्मचारी हैं, जिनके स्थानांतरण होने के बावजूद भी स्थानांतरण निरस्त कर वहीं पर पदस्थ कर दिये गये हैं? स्थानांतरण करने के एवं निरस्तीकरण करने के क्या कारण रहे? (ग) क्या लिये गये सेंपलों में से 90 प्रतिशत मानक पाये जाते हैं, ऐसे व्यापारियों के प्रतिष्ठानों से सेंपल लेते समय निरीक्षकों द्वारा अभद्रता, मानहानि एवं लोकल मीडिया व प्रिन्ट मीडिया में समाचार देकर मानहानि की जाती है? यदि हाँ, तो ऐसा क्यों? यदि नहीं, तो सेपल लिये जाना एक सामान्य प्रक्रिया है, बड़े स्तर पर इनका प्रचार क्यों किया जाता है, इस संबंध में विभाग अपने अधिकारि‍यों को दिशा-निर्देश देगा?

लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ( डॉ. प्रभुराम चौधरी ) : (क) जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र '''' अनुसार है। (ख) उत्‍तरांश '''' के आलोक में खाद्य निरीक्षक/अधिकारी की पदस्थी से संबंधित जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र '''' अनुसार है। (ग) उत्‍तरांश '''' के आलोक में जी नहीं। जी नहीं। शेष का प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता है।

          श्री सूबेदार सिंह सिकरवार रजौधा--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय,  मैंने आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री जी से पूछा है कि खाद्य सुरक्षा के तहत जो आप सेम्‍पल लेते हैं उस दुकान पर जाकर के, मीडिया को साथ लेकर के और बड़ी भीड़-भाड़ के साथ 100-50 आदमी एकत्रित करके आप सेम्‍पल लेते हैं. लेकिन जब सेम्‍पल का परीक्षण होता है तो वह मानक पाया जाता है, मेरे पास जो परिशिष्‍ट में जो उत्‍तर दिये हैं उसमें 90 प्रतिशत से अधिक मानक हैं. कोई जवाब तो मंत्री जी ने दिया नहीं है, उसमें लिखा है कि परिशिष्‍ट में है. मैंने पूछा था कि मुरैना जिले में वर्ष 2020 से प्रश्‍न दिनांक तक निरीक्षक द्वारा किसी-किस दिनांक को कहां-कहां खाद्य सामग्री के सेम्‍पल लिये गये और किस दिनांक को सेम्‍पल लिये गये ?

          अध्‍यक्ष महोदय--  विधायक जी, व‍ह परिशिष्‍ट भी उत्‍तर ही है, उसमें आया है, आपको प्रश्‍नों को पड़ने की जरूरत नहीं है, उसमें आया है.

          श्री सूबेदार सिंह सिकरवार रजौधा--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं यह कह रहा हूं कि मेरे विधान सभा क्षेत्र में 2 नगर हैं और उसमें जब इनके इंस्‍पेक्‍टर सेम्‍पल लेते हैं तो भीड़-भाड़ के साथ 100-50 आदमियों के साथ भीड़ एकत्रित कर लेते हैं और उसका सेम्‍पल मानक पाया जाता है, ऐसी स्थिति में उस दुकानदार का तो फट्टा साफ हो गया. 100-200 लोगों ने उसको देखा है, वह कहेंगे यह तो नकली माल बेच रहा है. मैंने माननीय मंत्री जी से पूछा है कि क्‍या अधिकारी ऐसी जानकारी आप तक पहुंचाते हैं क्‍या ?       

            डॉ.प्रभुराम चौधरी - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो जानकारी मांगी थी हमने पूरी जानकारी दी है कि कब कौन सी तारीख को सेम्पल लिये गये. दो प्रकार के सेम्पल लेते हैं. एक तो सर्विलेंस के सेम्पल और दूसरे लीगल सेम्पल. जैसा माननीय सदस्य ने कहा कि मीडिया को ले जाते हैं तो मीडिया को नहीं ले जाते हैं. जो सेम्पल लिये जाते हैं, सर्विलेंस के सेम्पल जो होते हैं वहां और किसी को इसकी जानकारी नहीं दी जाती. सेम्पल लेने के बाद जो  स्थिति होती है वह प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से जनता को बताया जाता है. जैसा माननीय सदस्य ने बताया तो किसी भी व्यापारी को परेशान करने का कोई उद्देश्य नहीं होता. एक तो शुद्ध  खाद्य सामग्री नागरिकों को मिले. इसके लिये समय-समय पर विभाग द्वारा नमूने लिये जाते हैं और उनको प्रयोग शाला में भेज दिया जाता है और जो लीगल होते हैं जो पास हो जाते हैं उनको जानकारी मिल जाती है जो फेल हो जाते हैं उन पर  कार्यवाही की जाती है.

          श्री सूबेदार सिंह रजौधा सिकरवार - अध्यक्ष महोदय, मैं सेम्पल लेने के खिलाफ नहीं हूं.सेम्पल लेने की हमारी सरकार की मंशा है. सेम्पल लें और जनता को बिकने वाला सामान अच्छा बिके. उसमें किसी प्रकार की मिलावट न हो लेकिन एक जानकारी अध्यक्ष महोदय के माध्यम से लाना चाहता हूं. मैंने जो प्रश्न पूछा है उसमें एक हजार से ज्यादा सेम्पल लिये उसमें केवल 138 मानक हैं और जो सेम्पल लिये गये हैं अमानक और मानक भी वैसे ही नहीं हो गये. इसमें भी उन इन्स्पेक्टरों की बदनीयत है. उनके ट्रांसफर होते हैं केंसिल करा लेते हैं और वहीं जमे हैं. मैं मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि पहली बात तो सेम्पल लें साधारण तरीके से, उसका पंचनामा बना लें. बगल के दुकानदार को बुला लें लेकिन बड़ी भीड़भाड़ के साथ उसका तमाशा बनाकर उसकी दुकान में ताला लग जाता है. उस दुकान में कोई सौदा नहीं लेने जाता कि नकली माल है और जब वह परीक्षण होकर जाता है तो मानक है तो इसकी कोई व्यवस्था माननीय मंत्री जी करेंगे. मेरा सदन में कहना ठीक नहीं है. मेरी भाषा आप समझ रहे होंगे. जितने भी मानक हों, चाहे वह मानक हों या अमानक हों. जितने भी सेम्पल लिये गये हैं उनकी सही नीयत से रिपोर्ट नहीं बनी उसका कारण आप समझ रहे होंगे. मैं सदन में नहीं कह रहा. विपक्ष भी बैठा है लेकिन अधिकारी पूरी तरह से बेईमानी कर रहे हैं.

          श्री बापूसिंह तंवर - माननीय मंत्री जी, समझो, माननीय विधायक जी की पीड़ा है. इसमें बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार हो रहा है. (XXX)

          श्री सूबेदार सिंह रजौधा सिकरवार - अध्यक्ष महोदय, सरकार की मंशा शुद्ध है नहीं तो सेम्पल नहीं लिये जाते.उनका परीक्षण नहीं होता लेकिन आपके बैठे हुए पुराने जमाने के अधिकारियों की  नीयत ठीक नहीं है. हां, उन अधिकारियों के कारण हो भी हो रहा है हो रहा है. सुधारते-सुधारते उनको ठीक कर रहे हैं.

          डॉ.प्रभुराम चौधरी - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो प्रश्न उठाया है तो माननीय सदस्य से मैं चर्चा कर लूंगा अगर कोई व्यक्ति है, कोई समस्या है किसी प्रकार की, वैसे शासन,विभाग की ऐसी कोई मंशा नहीं रहती कि किसी भी व्यापारी को परेशान किया जाये. जांच हम लोग करते हैं शुद्धता के लिये और उसके लिये हम लोग हाईजीन(hygiene) रेटिंग भी करते हैं. जिन व्यापारियों की अच्छी गुणवत्तापूर्ण सामग्री मिलती है. उनकी रेटिंग भी करते हैं थ्री स्टार, उनको बताते हैं कि अच्छी सामग्री यहां मिल रही है और कोई व्यक्तिगत ऐसा कोई मामला हो तो माननीय विधायक जी बता देंगे तो उसकी जानकारी लेकर हम उस पर कार्यवाही करेंगे.

          अध्यक्ष महोदय - उनकी मंशा केवल यह है कि जो भीड़-भाड़ लेकर जाते हैं तो साधारण तरीके से जाएं.

          डॉ.प्रभुराम चौधरी - माननीय अध्यक्ष महोदय, भीड़-भाड़ लेकर कहीं भी नहीं जाते हैं. कभी अगर कोई अमला जाता है भीड़ आटोमेटिक कहीं इकट्ठी हो जाती तो वह बात अलग है लेकिन ऐसे न निर्देश हैं. न कोई इंस्पेक्टर भीड़-भाड़ लेकर जाता है.

          श्री सूबेदार सिंह रजौधा सिकरवार - अध्यक्ष महोदय, मैंने जब यह आपत्ति की है और मैंने प्रश्न लगाया है तो माननीय मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि जो ट्रांसफर करा-कराकर मुरैना में पहुंच जाते हैं और पूरी तरह से वह वहां जमे हुए हैं. मिले हुए हैं. मीडिया वाले को भी बुलाते हैं और पूरी भीड़भाड़ लगती है. मेरे जौरा और कैलारस के व्यापारियों की 60 परसेंट दुकानों से कोई सामग्री नहीं खरीदता लेकिन जब मानक आ जाएं तब भी आप उसी प्रकार से प्रेस कांफ्रेंस करो कि यह सेम्पल लिये गये वह सही निकले लेकिन वह सेम्पल सही निकलने के लिये उन अधिकारियों की नीयत ठीक नहीं है. शासन की मंशा के अनुकूल  वह काम नहीं कर रहे हैं.   अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे यह आग्रह करुंगा कि   कोई उचित  आप  निर्देश इनको दें, जिससे सेम्पल का  परीक्षण भी हो जाये  और  व्यापारी की बदनामी भी नहीं हो.

          अध्यक्ष महोदय-- इस संबंध में कोई निर्देश जारी कर दीजिये कि  व्यापारी बदनाम नहीं हों.

          डॉ. प्रभुराम चौधरी-- अध्यक्ष महोदय,  सरकार के द्वारा ऐसे कोई भी निर्देश  नहीं दिये गये हैं. मैंने आपके माध्यम से सदस्य जी से निवेदन किया है कि अगर उनको कहीं व्यक्तिगत  किसी प्रकार की  दिक्कत है, जहां तक पोस्टिंग की बात है, तो सबकी तारीखवार  मेरे पास जानकारी है.  श्री अनिल प्रताप  सिंह 1.7.2017  को, श्री धर्मेन्द्र कुमार  जैन  8.12.2016 से,  श्री महेन्द्र सिंह 1.7.2017 से, श्रीमती  किरण  सेंगर  14.9.2021 से  और गिरीश राजौरिया   5.8.2022 से  वहां पर हैं  और मुरैना जिले में  किसी का भी न तो   स्थानांतरण, खाद्य  सुरक्षा अधिकारी का स्थानांतरण  निरस्त नहीं किया गया है.

          अध्यक्ष महोदय-- ठीक है.

          श्री सूबेदार सिंह सिकरवार रजौधा-- अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.

पुरानी पेंशन योजना की बहाली

[वित्त]

        4. ( *क्र. 1330 ) श्री सज्जन सिंह वर्मा : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या दिनांक 01 अप्रैल, 2004 के बाद प्रदेश में नियुक्‍त कर्मचारियों की पुरानी पेंशन योजना बंद कर दी गई है? (ख) यदि हाँ, तो क्‍या राज्‍य के कर्मचारियों एवं उनके संगठन द्वारा लंबे समय से पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की मांग की जा रही है, को दृष्टिगत रखते हुए पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की दिशा में राज्‍य सरकार कोई निर्णय लेगी? यदि नहीं, तो क्‍यों? यदि हाँ, तो कब तक?

        वित्त मंत्री ( श्री जगदीश देवड़ा ) : (क) जी नहीं। प्रदेश में दिनांक 01 जनवरी, 2005 अथवा उपरांत नियुक्‍त कार्मिकों हेतु नवीन पेंशन योजना लागू की गयी है। उक्‍त दिनांक से पूर्व नियुक्‍त कार्मिक पुरानी पेंशन योजना (पेंशन नियम 1976) के अंतर्गत है। (ख) पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने के संबंध में कोई प्रस्‍ताव वर्तमान में विचाराधीन नहीं है। राज्‍य शासन आवश्‍यक सभी तथ्‍यों का उचित विश्‍लेषण करते हुए, निर्णय लेता है। शेष का प्रश्‍न उत्‍पन्‍न नहीं होता है।

          श्री सज्जन सिंह वर्मा-- अध्यक्ष महोदय,   बड़ा महत्वपूर्ण प्रश्न  आज आपकी अनुमति से सदन  में  पूछने का  मुझे अवसर मिला है. इस मध्यप्रदेश में बड़ी ज्वलंत  समस्या  लाखों लाख कर्मचारी  पुरानी पेंशन की  मांग करने के लिये सड़कों पर  भटक रहे हैं,  हड़ताल कर रहे हैं.  लेकिन यह (XXX) उस  पुरानी पेंशन   को लागू  करने के बारे में  कोई निर्णय नहीं ले रही है.  मेरा बड़ा सीधा सा स्पेसीफिक  प्रश्न है. क्या कर्मचारी संगठनों  के द्वारा  पुरानी पेंशन बहाल  करने के लिये आपसे या मुख्यमंत्री  जी से अनुरोध किया गया है.  क्या कोई मांग पत्र  आपको मिला है,  उस  बारे में आपने कोई जवाब  नहीं दिया है.  मिला है, नहीं मिला है. यह बता दीजिये.

          श्री जगदीश देवड़ा-- अध्यक्ष महोदय,  उत्तर में  स्पष्ट लिखा है,  हमने उत्तर में बताया भी है कि पुरानी पेंशन  योजना को बहाल  करने के संबंध में कोई प्रस्ताव  वर्तमान  में  विचाराधीन नहीं है.  राज्य शासन आवश्यक सभी तथ्यों  का उचित  विश्लेषण करते हुए,  निर्णय लेगा.

          श्री सज्जन सिंह वर्मा-- अध्यक्ष महोदय, यही तो विसंगति है.  मैं आपके शासकीय प्रस्ताव  की बात  नहीं कर रहा हूं.  क्या कर्मचारी संगठनों ने  आपसे मुलाकात की,  आपको पुरानी पेंशन  बहाल  करने के लिये  अपना मांग पत्र दिया, मैं उसके बारे में बात कर रहा हूं.  आप तो विचार  करना ही नहीं चाहते हैं. आपकी सरकार विचार करना ही नहीं चाहती है, वह तो पूरे लाखों लाख कर्मचारी  देख रहे हैं.  मिला कि नहीं मिला,  मैं  आपसे उसकी बात कह  रहा हूं.

          श्री जगदीश देवड़ा-- अध्यक्ष महोदय,   जैसा कि हमारे आदरणीय सज्जन  सिंह जी बोल रहे हैं कि कर्मचारियों के बारे में शासकीय सेवकों के बारे में, तो मैं सदन को यह बताना चाहता हूं  कि शासकीय सेवकों  के  हित में इस सरकार  ने  क्या निर्णय लिये हैं, मैं यह भी बता दूं.

...(व्यवधान)..

          श्री सज्जन सिंह वर्मा-- अध्यक्ष महोदय, मेरा स्पीसफिक प्रश्न है.  बड़ा सिम्पल  प्रश्न है.

          श्री जगदीश देवड़ा-- अध्यक्ष महोदय,   अभी हमारे पास ऐसा कोई  प्रस्ताव नहीं है.  ..(व्यवधान)..  ऐसा कोई प्रस्ताव  नहीं है.

..(व्यवधान)..

          श्री लक्ष्मण सिंह-- अध्यक्ष महोदय, यह तो मंत्री जी बजट की बात करने लगे. यह प्रश्नकाल है,  बजट पर चर्चा नहीं है.

          अध्यक्ष महोदय-- वह कह रहे हैं कि कोई प्रस्ताव नहीं है.  आपने जो कहा, उसका  सीधा उत्तर आ गया ना.

          श्री सज्जन सिंह वर्मा-- अध्यक्ष महोदय, मैं जवाब दे रहा हूं.

          अध्यक्ष महोदय-- जवाब आपको थोड़ी देना है.

          श्री सज्जन सिंह वर्मा-- अध्यक्ष महोदय, आपके लाखों कर्मचारी हड़ताल पर बैठे हैं.   इनके मंत्रिमण्डल के लोग वहां  उन्हें..

          डॉ. सीतासरन शर्मा--   अभी तो साहब आप जवाब मत दो,  आप प्रश्न पूछो.  आप जवाब देने के लिये यहां  थे, अब आप वहां चले गये.

          श्री सज्जन सिंह वर्मा-- मैं  जो गलत बोल रहे हैं,  उसको सुधार दूं ना.  आप तो सुधार नहीं पाये यहां बैठकर.

          श्री फुन्देलाल सिंह मार्को--  मंत्री जी,  एक शब्द बतायें कि पुराना पेंशन लागू करेंगे  या नहीं.   5 लाख कर्मचारी आंदोलित हैं  आज  मध्यप्रदेश में.

          अध्यक्ष महोदय-- आप कृपया बैठें.   उसका उत्तर आ गया.

          श्री सज्जन सिंह वर्मा-- अध्यक्ष महोदय, इनके  मंत्रिमण्डल  के  तमाम सहयोगी  मंत्री  जो हड़ताल पर बैठे हैं,  वहां जाते हैं, उनको बरगलाते हैं  कि नहीं,  हम लगे हैं, हम तुम्हारी  मांग  पूरी करायेंगे.  वे मांग पत्र लेकर आते हैं वहां से, (XXX) आप लोग, आपकी सरकार के मंत्री  जाते हैं (XXX)

श्री जगदीश देवड़ा - अध्यक्ष महोदय, यह कहना बिल्कुल गलत है.

श्री सज्जन सिंह वर्मा - लाखों कर्मचारियों के हित के साथ आप कुठाराघात कर रहे हैं. आप कर रहे हैं, आपकी सरकार कर रही है.

श्री जगदीश देवड़ा - यह सरकार कर्मचारियों का पूरा सम्मान कर रही है.

श्री सज्जन सिंह वर्मा - मंत्री आपके जाते हैं, फोटो खिंचवाकर आ जाते हैं. माननीय मंत्री जी, मुझे बोल लेने दीजिए.

नेता प्रतिपक्ष (डॉ. गोविन्द सिंह) - अध्यक्ष महोदय, क्या अभी आप जो सप्लीमेंट्री बजट आने वाला है, उस सप्लीमेंट्री बजट में कर्मचारियों को पुरानी पेंशन देने के लिए प्रावधान करेंगे ?

अध्यक्ष महोदय - वह उत्तर तो आ गया है कि कोई विचाराधीन नहीं है.

श्री जगदीश देवड़ा - अध्यक्ष महोदय, मैंने पहले भी कहा है कि ऐसा कोई प्रस्ताव हमारे पास नहीं है.

अध्यक्ष महोदय - प्रश्न क्रमांक 5 श्री संजय यादव जी.

श्री सज्जन सिंह वर्मा - अध्यक्ष महोदय, एक मिनट मेरी आखिरी बात कहना है, ज्यादा देर नहीं चला रहे हैं क्योंकि इनके पास में जवाब नहीं है. (XXX)

अध्यक्ष महोदय - अब आपका नहीं आएगा. आपकी बात आ गई है. आप बजट में कह लीजिएगा. प्रश्न क्रमांक 5

डॉ. गोविन्द सिंह - अध्यक्ष महोदय, आपके पास चीतों के लिए 300 करोड़ रुपये हैं, विकास यात्रा के लिए हजारों करोड़ रुपये फूंक रहे हो, 7 लाख कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन के लिए आपके पास में पैसा नहीं है, अनेक प्रदेशों ने इसे लागू कर दिया है. ज्यादा विपक्षी सरकारों ने लागू किया है. जब आपके पास खजाने में पैसे की कमी नहीं है, मुख्यमंत्री जी कहते हैं कि पर्याप्त पैसा है, खजाना भरा हुआ है तो फिर आप कर्मचारियों पर कुठाराघात क्यों कर रहे हो? आप इसका जवाब दीजिए.

(व्यवधान)..

श्री सज्जन सिंह वर्मा -(XXX)

अध्यक्ष महोदय - आपकी बात आ गई है, आपका भाषण आ गया है. श्री संजय यादव जो बोलेंगे वही लिखा जाएगा.

श्री फुन्देलाल सिंह मार्को -(XXX)

(व्यवधान)

 

11.22 बजे                                            बहिर्गमन

इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा सदन से बहिर्गमन

नेता प्रतिपक्ष (डॉ. गोविन्द सिंह) - अध्यक्ष महोदय, सरकार कर्मचारी विरोधी है, कर्मचारियों को नुकसान पहुंचाने वाली है, कर्मचारियों के हितों का संरक्षण नहीं कर रही है. पुरानी पेंशन योजना लागू नहीं कर रही है, इसलिए कांग्रेस पार्टी विरोधस्वरूप बहिर्गमन करती है.

(नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविन्द सिंह के नेतृत्व में इंडियन नेशनल कांग्रेस पार्टी के सदस्यों द्वारा पुरानी पेंशन बहाली न किये जाने के विरोध में शासन के जवाब से असंतुष्ट होकर सदन से बहिर्गमन किया गया.)

 

 

 

 

प्रश्न संख्या 5

स्‍वास्‍थ्‍य संस्थाओं का संचालन

[लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण]

5. ( *क्र. 2255 ) श्री संजय यादव : क्या लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधानसभा प्रश्‍न क्रमांक 694, दिनांक 26.07.2022 के उत्तरांश (ख) में विभाग ने बताया है कि वर्ष 2021 में स्वीकृत 263 स्‍वास्‍थ्‍य संस्थाओं में मानव संसाधन स्वीकृत करने हेतु प्रस्ताव सक्षम अनुमोदन उपरांत मंत्री परिषद में ले जाया जा रहा है? शासन को भेजे गए प्रस्‍ताव की प्रति देवें। (ख) प्रश्‍नांश (क) का उत्तर यदि हाँ, है तो अधिकारियों की उदासीनता के चलते 6 माह व्यतीत होने के बाद भी उक्त संस्‍थाओं में मानव संसाधन उपलब्ध क्यों नहीं हो पाये हैं? उत्‍तर दिनांक से प्रश्‍न दिनांक तक की गई समस्त कार्यवाही से अवगत कराते हुए किये गये पत्राचारों/नस्ती की प्रति उपलब्ध करावें। उक्त संस्थाओं में मानव संसाधन कब तक उपलब्ध कराये जावेंगे? (ग) स्वीकृत 263 स्‍वास्‍थ्‍य संस्थाओं में से जिन संस्थाओं में पूर्व से भवन निर्मित हैं, उनकी सूची देवें। उक्त‍ भवनों में स्वास्थ्‍य संस्थाओं का संचालन कब से कराया जावेगा? (घ) प्रश्‍नांश (क) में वर्णित 263 संस्थाओं में जिला जबलपुर के बरगी स्वास्‍थ्‍य केन्द्र का भी उन्नयन हुआ है? क्या बरगी में अस्पताल संचालन हेतु उपर्युक्त नवीन भवन पूर्व से निर्मित है? यदि हाँ, तो बरगी में 30 बिस्तर अस्पताल का संचालन कब तक प्रारंभ होगा?

लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ( डॉ. प्रभुराम चौधरी ) : (क) जी हाँ। 263 स्वास्थ्य संस्थाओं में मानव संसाधन की स्वीकृति के विभागीय प्रस्ताव की मूल नस्ती वित्त विभाग को अभिमत हेतु प्रेषित होने के कारण प्रस्ताव की प्रति अनुपलब्ध है। (ख) उत्तरांश (क) के अनुक्रम में प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता। निश्चित समय अवधि बताया जाना संभव नहीं है। (ग) जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट अनुसार है। निश्चित समय अवधि बताया जाना संभव नहीं है।            (घ) जी हाँ। जी हाँ। निश्चित समय अवधि बताया जाना संभव नहीं है।

श्री संजय यादव - अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से आदरणीय मंत्री जी से बरगी में 30 बिस्तरों का अस्पताल दिनांक 23.9.21 को 10 बिस्तर से 30 बिस्तर में उन्नयन हुआ है कि नहीं? दूसरा, एक वर्ष से भवन बनकर तैयार हैं और आप अपने जवाब में कह रहे हैं कि पद स्वीकृति के लिए जो फाईल वित्त विभाग में अटकी है उसकी जानकारी आपके पास में नहीं है, इसलिए आपने लिखित में नहीं दिया कि वित्त विभाग के पास मामला गया है कि नहीं गया है, यह सरकार की घोर लापरवाही है कि जो भवन एक साल से स्वास्थ्य जैसी सुविधाओं के लिए तैयार है, उसमें पद स्वीकृत नहीं कर रहे हैं और लापरवाही कहां हुई कि कमलनाथ सरकार के समय वह मैंने डीएमए फंड से भवन बनवा लिया, एक साल बाद आपने उपकरण भी दे दिये. एक साल बाद जब में उन्नयन मांग रहा था, आपने फिर से वही भवन 5 करोड़ 73 लाख रुपये का  स्वीकृत कर दिया? जहां भवन बन गया था मैं उन्‍नयन मांग रहा था, लेकिन विभाग की लापरवाही, विभाग को यह भी नहीं मालूम था कि भवन बन चुका है उसके बाद हमें पद स्‍वीकृत करना है या उपकरण देना है, लेकिन वाह री अंधेर नगरी चौपट राजा की सरकार, यहां लोगों को यह भी नहीं मालूम आपके विभाग वालों को कि भवन बन चुका है. और गंभीर लापरवाही कहां है कि उपकरण के लिये 10 बिस्‍तर का मैटरनिटी अस्‍पताल यहां से इक्‍युपमेंट, सामान विगत एक साल पहले स्‍वीकृत हो गये, बजट भी आवंटित हो गया लेकिन सामान कहां रखा है किसी को नहीं मालूम. फिर विभाग की दूसरी लारवाही कि एक बजट आवंटित करके लिखते हैं कि प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र के लिये 60 लाख रुपये की राशि स्‍वीकृत की और अंदर वाले पेज में लिखते हैं कि 30 बिस्‍तर के लिये हमने बजट राशि आवंटित कर दी. एक बार 68 लाख, एक बार 60 लाख, एक बार 8 लाख और डेढ़ साल पहले से वह सामान कहां है, कहां नहीं रखा है, एक साल पहले से सामान की कोई व्‍यवस्‍था कर पाई सरकार कि नहीं कर पाई.

          अध्‍यक्ष महोदय संजय जी, आप प्रश्‍न करिये.

श्री संजय यादव अध्‍यक्ष महोदय, वहां जो 30 बिस्‍तर बने हैं उसके लिये आप कब तक पद स्‍वीकृत करेंगे और वह सामान कब तक वहां अस्‍पताल में रखवाएंगे ?

डॉ. प्रभुराम चौधरी अध्‍यक्ष महोदय, माननीय संजय जी ने जो बात रखी है यह बात सही है कि वर्ष 2021-22 में जो हमने मध्‍यप्रदेश में 263 स्‍वास्‍थ्‍य संस्‍थाएं पूरे प्रदेश में खोली थीं उसमें ही आपका बरगी का भी हमने 6 बिस्‍तर के अस्‍पताल का उन्‍नयन 30 बिस्‍तर में किया था. अब पद स्‍वीकृति के लिये 30 बिस्‍तर अस्‍पताल की प्रशासकीय स्‍वीकृति जारी की गई और भवन दोबारा नहीं बनाया जा रहा है. डीएमएफ माइनिंग के फंड से भवन बन गया है इसलिये दोबारा नहीं बनाया जा रहा है और पद स्‍वीकृति के लिये विभाग की फाइनेंस से बात चल रही है और फाइल वहां पर हमने भेजी भी है और अभी हमारे माननीय वित्‍त मंत्री जी ने बजट भाषण में घोषणा भी की है कि जो हमारे आईपीएच के नॉर्मस हैं उनके अनुसार हम कार्यवाही करेंगे, उन पदों की स्‍वीकृति हो जाएगी तो अस्‍पताल शुरू हो जाएगा.

श्री संजय यादव अध्‍यक्ष महोदय, मेरा माननीय मंत्री जी, आपसे एक निवेदन है आप कह रहे थे कि डीएमएफ फंड से भवन बन चुका है और हमने स्‍वीकृति दी है फिर आपने भवन क्‍यों स्‍वीकृत कर दिया यह आपकी, आपके अधिकारियों की लापरवाही है कि नहीं ? दूसरी बात, आप कह रहे हैं कि वित्‍त मंत्री जी ने कहा है, डेढ़ साल पहले भवन बनकर तैयार है आपने कहा कि वित्‍त मंत्री जी ने कहा है स्‍वास्‍थ्‍य जैसी सुविधाओं के लिये. अभी वित्‍त मंत्री विचार कर रहे हैं. क्‍या वित्‍त मंत्रालय इतना लापरवाह है कि मंत्री जी की बात नहीं सुनता ? 6 महीने से आपकी फाइल वित्‍त मंत्रालय में पड़ी है, क्‍या सरकार गंभीर है ? माननीय मुख्‍यमंत्री लापरवाह हैं, क्‍योंकि उस क्षेत्र में आदिवासी बाहुल्‍य क्षेत्र है, अभी 10 मौतें हो चुकी हैं वहां क्‍योंकि अस्‍पताल ना होने के कारण जबलपुर आते-आते लोग रास्‍ते में खत्‍म हो जाते हैं, लेकिन इस गंभीर मुद्दे पर आपकी सरकार लापरवाही बरत रही है और मैंने आपसे पूछा था कि उपकरण खरीद लिये कि नहीं खरीद लिये. आपको मालूम होना चाहिये कि उपकरण खरीदे जा चुके हैं. अगर खरीदे जा चुके हैं तो इतने पहले बगैर पद स्‍वीकृति के उपकरण क्‍यों खरीद लिये आपने ? यह भी तो आपकी लापरवाही है. यह सरकार की घोर लापरवाही है.

डॉ. प्रभुराम चौधरी अध्‍यक्ष महोदय, मैंने स्‍पष्‍ट कहा कि बजट भाषण में माननीय वित्‍त मंत्री जी ने स्‍पष्‍ट रूप से कहा है कि हम आईपीएच नॉर्मस के अनुसार पद स्‍वीकृत करेंगे.

श्री संजय यादव पिछले साल भी तो बजट भाषण में कहा था.

डॉ. प्रभुराम चौधरी आप अगर बात कर रहे हैं तो आप भी जब सरकार में थे तभी आप स्‍वीकृत करा लेते ? 263 स्‍वास्‍थ्‍य संस्‍थाएं भारतीय जनता पार्टी की सरकार, मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी की सरकार द्वारा स्‍वीकृत किये गये हैं जिसमें आपके बरगी का भी शामिल किया गया है.

श्री बाला बच्‍चन माननीय मंत्री जी, अभी आपका कहना है कि अभी आप नहीं करेंगे. अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी की बात से यह तात्‍पर्य और आशय निकलता है कि आप नहीं करेंगे. मतलब हम करेंगे उसका इंतजार कर रहे हैं आप ?

डॉ. प्रभुराम चौधरी हमने किया है.

श्री संजय यादव कहीं नहीं किया. मंत्री जी, आप अपने नियम समझ लीजिये.

श्री कांतिलाल भूरिया कमलनाथ जी की सरकार अच्‍छी भली चल रही थी, यह सब उधर जाकर बैठ गये नहीं तो अच्‍छा भला हमारा सब काम हो जाता.

          श्री संजय यादव -- मंत्री जी, एक मिनट, आप अपने नियम समझ लें. स्‍वास्‍थ्‍य विभाग क्‍या करता है, पहले उन्‍नयन करता है. दो साल बाद बिल्‍डिंग देता है. जब पांच साल में बिल्‍डिंग बनती है, तब तीन साल बाद पद देता है. कोई भी अस्‍पताल के उन्‍नयन की आपकी प्रक्रिया 10 साल की है. हमने क्‍या किया, आप ऊपर से नीचे आते हैं, हम नीचे से ऊपर जाते हैं. हमने पहले भवन बनवा लिया, फिर उसका उन्‍नयन करवा लिया. सुन लें, मेरी बात, हमने पहले कांग्रेस शासन में भवन बनवा लिया..

          अध्‍यक्ष महोदय -- संजय जी, प्रश्‍न पूछें. यह भाषण का समय नहीं है.

          श्री संजय यादव -- हमारा आपसे यह निवेदन है कि आपका सामान कहां रखा है, उसकी व्‍यवस्‍था आप बता दें और दूसरा...

          डॉ. प्रभुराम चौधरी -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय सदस्‍य का कहना है कि हमने डीएमएफ फण्‍ड से भवन बनाया, पहले अस्‍पताल स्‍वीकृत ही नहीं हुआ, प्रशासकीय स्‍वीकृति नहीं हुई, इसके पहले ही भवन बनवा लिया. अब प्रशासकीय स्‍वीकृति हुई है और सिर्फ एक जगह के पद स्‍वीकृति की बात नहीं है, मध्‍यप्रदेश के पूरे 263 स्‍वास्‍थ्‍य संस्‍थाओं में पद स्‍वीकृति की बात है, मैंने कहा है कि फाइल वित्‍त विभाग में है. माननीय वित्‍त मंत्री जी ने अभी बजट में घोषणा की है. आगे जल्‍दी ही अस्‍पताल शुरू होंगे.

          श्री संजय यादव -- मंत्री जी, मेरा निवेदन है, घोषणा तो पिछले साल भी की थी, 6 महीने से फाइल अटकी पड़ी है. पिछले बजट में पद स्‍वीकृत करेंगे कि नहीं, साफ बात बताएं.

          डॉ. प्रभुराम चौधरी -- माननीय संजय जी, आप बात तो सुन लें. आप प्रश्‍न ही प्रश्‍न कर रहे हैं. आप प्रश्‍न का जवाब तो सुन लें. आप चिंता मत करिए, सरकार ने आपके बरगी को 30 बिस्‍तर का सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र बनाया है और पद भी स्‍वीकृत करेंगे. मैंने आपसे कहा है कि फाइनेंस से बात चल रही है. वित्‍त मंत्री जी ने अभी बजट में घोषणा भी कर दी है.

          श्री संजय यादव -- आप बताएं कि कब करेंगे ?

            डॉ. प्रभुराम चौधरी -- समय सीमा बताया जाना संभव नहीं है. शीघ्र कार्यवाही करेंगे, वित्‍त विभाग से चर्चा करके वहां से स्‍वीकृत कराएंगे.

          श्री संजय यादव -- मंत्री जी, आपने एक बात का जवाब नहीं दिया, आप अपने विभाग की लापरवाही स्‍वीकार कर रहे हैं कि नहीं कर रहे हैं. 30 बिस्‍तर का भवन हमने स्‍थानांतरित मांगा कि जब हमारे यहां दोबारा कर दिया तो वह चरगमा में दे दो, चरगमा में क्‍यों नहीं कर रहे और आप यह बताएं कि उपकरण कहां हैं, मंत्री जी, उपकरण के बारे में तो बता दें. पैसा दे चुके हैं आप और उपकरण ले चुके हैं, उपकरण पड़े कहां हैं ? आपको जानकारी है कि नहीं है ?

          अध्‍यक्ष महोदय -- हो गया. इससे उद्भुत नहीं होता.

            डॉ. प्रभुराम चौधरी -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, प्रशासकीय स्‍वीकृति 30 बिस्‍तर की हुई है. बिल्‍डिंग की स्‍वीकृति हम कर रहे थे क्‍योंकि जो भी हम अस्‍पताल खोलते हैं, आजकल ऐसा नहीं है कि अस्‍पताल खोल दिया और बिल्‍डिंग ही नहीं है. इसमें जब जानकारी मिली कि डीएमएफ फण्‍ड से वहां पर बिल्‍डिंग बन रही है, उसी के साथ में प्रक्रिया चलती है कि इक्‍युपमेंट भी हम भेजें. पद की स्‍वीकृति भी कराएं. बिल्‍डिंग भी बने, जिससे अस्‍पताल समय पर हम लोग चालू कर सकें. यह प्रक्रिया में है. जो भी सामान है, उसका भी उपयोग किया जाएगा. पदों की भी स्‍वीकृति की जाएगी.

एनेस्‍थेसिया एवं रेडियोलॉजिस्‍ट डॉक्‍टर की पदस्‍थापना

[लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण]

6. ( *क्र. 1373 ) श्री बापूसिंह तंवर : क्या लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या राजगढ़ जिला चिकित्‍सालय में एनेस्‍थेसिया तथा रेडियोलॉजिस्‍ट (सोनोग्राफी) डॉक्‍टर का पद स्‍वीकृत है? यदि हाँ, तो उपरोक्‍त दोनों पदों पर डॉक्‍टरों की पदस्‍थापना है अथवा पद रिक्‍त हैं? (ख) प्रश्‍नांश (क) अनुसार प्रश्‍न दिनांक तक राजगढ़ जिला चिकित्‍सालय में एनेस्‍थेसिया तथा रेडियोलॉजिस्‍ट डॉक्‍टर के पद पर पदस्‍थापना नहीं है, तो क्‍या शासन दोनों पदों पर पदस्‍थापना कर देगा? यदि हाँ, तो कब तक? नहीं तो क्‍यों नहीं?

        लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ( डॉ. प्रभुराम चौधरी ) : (क) जी हाँ। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन अंतर्गत संविदा पर एक निश्चेतना विशेषज्ञ की पदस्थापना आदेश दिनांक 31.01.2023 के द्वारा की गई है एवं उक्त विशेषज्ञ जिला चिकित्सालय राजगढ़ में सेवायें प्रदान कर रहे हैं। रेडियोलॉजिस्ट का पद रिक्त है। (ख) वर्तमान में संविदा एन.एच.एम. संविदा निश्चेतना जिला चिकित्सालय राजगढ़ में निश्चेतना विशेषज्ञ सेवायें प्रदान कर रहे हैं। रेडियोलॉजिस्ट के रिक्त पदों की पूर्ति हेतु सीधी भर्ती के लिए मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग को रेडियोलॉजिस्ट के 24 पदों की मांग के विरूद्ध मात्र 06 चयनित अभ्यर्थी ही प्राप्त हुए हैं। चिकित्सकों से विकल्प प्राप्त कर मेरिट अनुसार पदस्थापना की कार्यवाही माननीय उच्च न्यायालय निर्णय के अध्ययधीन प्रचलन में है। पदपूर्ति हेतु निश्चित समयावधि बताई जाना संभव नहीं है।

          श्री बापूसिंह तंवर -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा माननीय मंत्री जी से यह अनुरोध है कि पहले तो एक एनेस्‍थेसिया डॉक्‍टर की जो पदस्‍थापना कर दी, उसके लिए धन्‍यवाद. पर माननीय अध्‍यक्ष महोदय, रेडियोलॉजिस्‍ट डॉक्‍टर नहीं होने के कारण मामाजी की भांजियों को जो बाजार में अस्‍पताल में भर्ती रहते हुए तड़पना पड़ता है, वह प्राइवेट सोनोग्रॉफी वाले की दुकान पर जो सोनोग्रॉफी कराने के लिए जाते हैं और उस बीच में रास्‍ते में कई ऐसी डिलेवरियां हो गईं, ऑटो से जाते हैं, एम्‍बुलेंस तक उनको उपलब्‍ध नहीं हो पाती है. तो माननीय मंत्री जी की क्‍या मंशा है और कब तक सोनोग्रॉफी के डॉक्‍टर की पदस्‍थापना जिला चिकित्‍सालय, राजगढ़ में कर दी जाएगी ?

              डॉ. प्रभुराम चौधरी -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय सदस्‍य ने जो चिंता व्‍यक्‍त की है तो आपके माध्‍यम से मैं माननीय सदस्‍य को बताना चाहता हूँ कि अभी जिला चिकित्‍सालय, राजगढ़ में एनेस्‍थेसिया डॉक्‍टर संविदा पर वहां कार्य कर रहे हैं. उनकी पदस्‍थापना 2.2.2023 से की गई है. सोनोग्रॉफी के लिए प्राइवेट चिकित्‍सक प्रतिदिन शासकीय अस्‍पताल में अपनी सेवाएं देते हैं. उनको प्रति मरीज के हिसाब से हम 300 रुपये देते हैं. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी के नेतृत्‍व में पहली बार 25 प्रतिशत पोस्‍ट डॉयरेक्‍ट स्‍पेशलिस्‍ट की भर्ती के लिए हम लोगों ने तय किया. सरकार ने निर्णय लिया. इसके लिए हम लोगों ने पीएससी को भी लिखा है और उसकी भी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और अब स्‍पेशलिस्‍ट भी हमको उपलब्‍ध होते जा रहे हैं. अभी पीएससी ने हमें गॉयनेकोलॉजिस्‍ट के पद सेलेक्‍ट करके भेजे थे उनकी हमने नियुक्‍ति कर दी और भी अलग-अलग विधाओं के जो स्‍पेशलिस्‍ट हैं, उनकी भी नियुक्‍ति जैसे-जैसे पीएससी से आएगी, उनकी हम लोग नियुक्‍तियां करेंगे और माननीय सदस्‍य मुझसे स्‍वयं मिले थे  और मैंने इनकी भावनाओं का सम्‍मान करते हुए इनका सहयोग करने की कोशिश की है और आगे भी आप बताएंगे, उसको हम करेंगे.

          श्री बापूसिंह तंवर -- माननीय मंत्री जी, मैंने उसके लिए आपको धन्‍यवाद भी दिया लेकिन मेरी जो पीड़ा है यह मेरी नहीं है, बल्‍कि मामाजी की उन भांजियों की पीड़ा है कि आप मुझे उत्‍तर में कोर्ट का हवाला दे रहे हैं कि माननीय उच्‍च न्‍यायालय का निर्णय विचाराधीन/प्रचलन में है. यह सब व्‍यापमं के घोटाले के कारण सारी परिस्‍थितियां निर्मित हो रही हैं. आखिरकार आप इस प्रकार का निर्णय लें कि जिला चिकित्‍सालय में पदस्‍थापना कब तक कर देंगे. हो सके, तो संविदा से नियुक्‍ति कर दें. दूसरा एक कारण यह भी है कि आप जो वेतन डॉक्‍टरों को देते हैं अगर पोस्‍टिंग कर भी देते हैं तो वे छोड़कर चले जाते हैं क्‍योंकि प्राइवेट अस्‍पतालों में उनको तनख्‍वाह ज्‍यादा मिलती है तो वे सरकारी अस्‍पतालों की नौकरी छोड़कर चले जाते हैं. आप ऐसी क्‍यों न व्‍यवस्‍था बनाएं कि उनको भरपूर वेतन मिले और वे जिला चिकित्‍सालय में अपनी सेवायें दे सकें.

          अध्‍यक्ष महोदय -- माननीय विधायक जी, वे यह कह रहे हैं कि आपने जो सोनोग्राफी की समस्‍या उठाई है वहां कोई प्राइवेट डॉक्‍टर आता है तो वह केवल 300 रूपए लेता है, यह उत्‍तर उनका है तो सोनोग्राफी का काम तो हो ही रहा है.

          श्री बापूसिंह तंवर -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, नहीं हो रहा है. वह केवल कागजों में आदेश है. कोई सोनोग्राफी करने के लिए नहीं आते हैं. इसके लिए मैं माननीय मंत्री महोदय से मिला. कमिश्‍नर साहब ने कलेक्‍टर साहब को आदेश दिया कि आप जिले में जितने भी सोनोग्राफी वाले हैं, उनकी आप ड्यूटी लगाइए. उन्‍होंने आदेश भी निकाल दिया लेकिन वह सेवायें सही रूप से नहीं दे पा रहे हैं. वे समय पर नहीं आते हैं. अस्‍पताल में कब किस मरीज को सोनोग्राफी की जरूरत पड़ जाए, उस समय वह उपलब्‍ध नहीं होते और उस परिस्‍थिति में बाजार में जाकर के सोनोग्राफी कराना पड़ता है और उस बीच में हादसे होते हैं. मैं यह चाहता हॅूं कि जिला चिकित्‍सालय में परमानेंट पोस्‍टिंग की जाए, जिससे वे बेहतर तरीके से सेवायें दे सकें.

          डॉ.प्रभुराम चौधरी -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, रेडियोलॉजिस्‍ट की पोस्‍ट के लिये हमने पब्‍लिक सर्विस कमीशन को लिखा था. उसमें भी अभी डॉक्‍टर कम ही आए हैं और कोर्ट का जैसा माननीय सदस्‍य ने स्‍वयं बताया है कि कोर्ट के निर्णय के अनुसार.....

          अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं, वह आपके उस निर्णय के अनुसार...

          डॉ.प्रभुराम चौधरी -- अध्‍यक्ष महोदय, सोनोग्राफी के लिये अभी मैंने बताया है कि हमने वहां जो प्राइवेट..

          अध्‍यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी, आपके उस निर्णय के लिए वह कुछ नहीं कह रहे हैं. वे कह रहे हैं कि सोनोग्राफी में, जिनकी आपने ड्यूटी लगायी है वह शायद समय पर नहीं जाते, इसलिए उनको परेशानी होती है तो जो आपने आदेश किया है कि प्राइवेट में उनको हम 300 रूपए देते हैं तो उनको सुनिश्‍चित करिए कि वहां रहें.

          डॉ.प्रभुराम चौधरी -- अध्‍यक्ष महोदय, आपके आदेश का पालन होगा, हम सुनिश्‍चित करेंगे, कि वहां रहें.

          श्री बापूसिंह तंवर -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं यह चाहता हॅूं कि उनकी पोस्‍टिंग कब तक कर देंगे. आप तारीख बता दें. इनके पास 6 पद 6 लोग आएं हैं.  6 में से 6 अभ्‍यर्थी आए हैं, उनमें से 1 अभ्‍यर्थी की पोस्‍टिंग वहां पर कर दें.

          नेता प्रतिपक्ष (डॉ.गोविन्‍द सिंह) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, संविदा पर नियुक्‍ति करते हैं और संविदा में 65-70 हजार रूपए मिलते हैं और उसकी गारंटी नहीं है कि संविदा की सेवायें कब खतम कर दी जाए. इसलिए यह समस्‍या एक जगह की नहीं है, बल्‍कि समूचे प्रदेश की है. माननीय मंत्री जी, तमाम पद खाली पडे़ हैं तो आप संविदा की बजाय नियमित नियुक्‍तियां करना प्रारम्‍भ करें और पीएससी में आपने पद भेजे नहीं हैं, कुल 4 पद भेजे हैं तो कैसे होगा. सभी विशेषज्ञ के पद खाली हैं. आपने प्रदेश में कई जगह सिविल अस्‍पताल कर दिये. अब सिविल अस्‍पताल में 16 पद स्‍वीकृत किए हैं. सात विशेषज्ञों में एक नहीं है और 5 वर्ष हो चुके हैं. यह स्‍थिति समूचे प्रदेश की है तो मैं माननीय मंत्री से अनुरोध करता हॅूं कि कम से कम जितने रिक्‍त पद हैं, सीधे पीएससी को भेजें. यह 1-2-3-4 महीने में हो जाएंगे तो समस्‍या का निदान हो जाएगा.

          डॉ.प्रभुराम चौधरी -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं माननीय नेता प्रतिपक्ष जी की जानकारी के लिये बताना चाहता हॅूं कि एक तो संविदा में हम लोग नियुक्‍ति करते हैं तो उसमें 70 हजार रूपए नहीं बल्‍कि 1 लाख 25 हजार रूपए प्रतिमाह मानदेय देते हैं और माननीय नेता प्रतिपक्ष जी ने जैसा कहा है...

          डॉ.गोविन्‍द सिंह -- सहायक सर्जन को आप 65000 रूपए दे रहे हैं.

          डॉ.प्रभुराम चौधरी -- इनको 1 लाख 25 हजार रूपए दे रहे हैं और जैसा कि आपने यहां पर मांग पत्र रखा, तो मैं नेता प्रतिपक्ष जी को बताना चाहता हॅूं कि हमने मांग पत्र ऑलरेडी पीएससी को भेजा है. उसमें मेडिकल स्‍पेशलिस्‍ट के 160 पदों की हमने मांग की है. स्‍त्री रोग विशेषज्ञ के 153 पदों की मांग की थी और 95 पदों का वहाँ से सिलेक्शन भी हो गया और उसकी नियुक्ति के आदेश भी 25.1.2023 को जारी हो गए. अस्थि रोग विशेषज्ञ 57 की मांग की है. पैथालॉजिस्ट 34, निश्चेतना के 96, क्षय रोग के 13, रेडियोलॉजिस्ट के 24, ईएनटी के 21, नेत्र रोग के 29, शिशु रोग विशेषज्ञ के 128, सर्जरी विशेषज्ञ 159, दन्त चिकित्सक 14, सहायक प्रबंधक 63, दन्त शल्य चिकित्सक 193 और चिकित्सा अधिकारी भी 1456 के लिए हमने पीएससी से मांग की है और कइयों का चयन भी हो चुका है जैसा मैंने बताया कि गायनोक्लॉजिस्ट की नियुक्ति भी हो गई है. बाकी प्रक्रिया जैसे जैसे सिलेक्शन होगा और कोर्ट का जैसे ही प्रतिबंध हटेगा इन सबकी नियुक्ति माननीय अध्यक्ष महोदय, की जाएगी.

          श्री बाला बच्चन--  हमारे भी प्रश्न लगे हुए हैं.

          अध्यक्ष महोदय--  प्रियव्रत सिंह जी बोलिए...(व्यवधान)..

          श्री कांतिलाल भूरिया--  अध्यक्ष महोदय, हमारे यहाँ भी पद खाली पड़े हुए हैं नहीं भरे जा रहे हैं...(व्यवधान)..

          श्री प्रियव्रत सिंह--  अध्यक्ष जी, राजगढ़ जिला अस्पताल स्पेसिफिक का मामला है, राजगढ़ जिला अस्पताल में और माननीय विधायक जी ने भी यह क्लियरली पूछा है कि सोनोग्राफी वहाँ पर समय पर नहीं हो रही है और सोनोग्राफी का ऐसा नहीं है कि वहाँ डॉक्टर नहीं है डॉक्टर्स प्रायवेट में बहुत सारे हैं और वो जिला अस्पताल में जिसकी ड्यूटी लगती है वे समय पर नहीं पहुँचते हैं या उनका समय पर भुगतान नहीं होता इसलिए व्यक्ति को प्रायवेट में जाना पड़ता है और अगर मंत्री जी प्रयास करके जिला प्रशासन को साथ में लेकर वहाँ पर कम से कम अभी वर्तमान में राजगढ़ में जिला अस्पताल में रोज समय पर सोनोग्राफी हो और एक व्यक्ति वहाँ पर उपस्थित हो, उसको भुगतान समय पर हो, यह सुनिश्चित करवा लें, वहाँ के कलेक्टर को भी इन्वॉल्व कर लें और खुद भी इन्वॉल्व होकर यहाँ के प्रशासन से उस चीज को करवा लें.

          अध्यक्ष महोदय--  ठीक है.

          डॉ.प्रभुराम चौधरी--  माननीय अध्यक्ष जी, माननीय सदस्य का जो सुझाव है निश्चित रूप से हम सुनिश्चित करेंगे कि वहाँ सोनोग्राफी हो.

          अध्यक्ष महोदय--  प्रश्न क्रमांक 7....

          डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ--  माननीय अध्यक्ष महोदय, डॉक्टर्स से जुड़ा हुआ मामला है.

          अध्यक्ष महोदय--  नहीं, हो गया.

          श्री शैलेन्द्र जैन--  माननीय अध्यक्ष महोदय, यह समस्या सब जगह की है उसमें एक बेहतर विकल्प यह हो सकता है कि अल्ट्रा.....

          अध्यक्ष महोदय--  शैलेन्द्र जी, नहीं, हो गया. अब आगे बढ़ गए.

          श्री शैलेन्द्र जैन--  एक सुझाव है....

          अध्यक्ष महोदय--  सुझाव बाद में दे दीजिएगा.

          श्री शैलेन्द्र जैन--  अध्यक्ष महोदय, अल्ट्रासाउण्ड, सीटी स्केन, में सब आउट सोर्स कर दीजिए. सारी समस्या का समाधान हो जाएगा.

          अध्यक्ष महोदय--  अब बैठ जाइये. प्रश्न क्रमांक 7 रामचन्द्र दांगी....

          श्री बापू सिंह तंवर--  माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा अनुरोध है....

          अध्यक्ष महोदय--  नहीं, हो गया.

          श्री बापू सिंह तंवर--  माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा अनुरोध है कि पूरा जिला इतना बड़ा है. जिले में एक सरकारी डॉक्टर नहीं है और मंत्री जी टालने की कोशिश कर रहे हैं इस तरीके से यह कैसा सदन है, माननीय सदस्य की सुनी नहीं जा रही है. मैं यह चाहता हूँ इस सदन में अध्यक्ष महोदय, मैं आप से गुहार लगा रहा हूँ कि....

          अध्यक्ष महोदय--  बात आ गई ना.

          श्री बापू सिंह तंवर--  पूरे जिले में एक भी सरकारी डॉक्टर नहीं है सोनोग्राफी का कम से कम जिला मुख्यालय में तो एक डॉक्टर दे दो हमको, एक डॉक्टर नहीं दे सकते. आप से केवल एक डॉक्टर मांग रहे हैं.

          अध्यक्ष महोदय--  बस हो गया. रामचन्द्र दांगी जी, अपना प्रश्न करें.

          श्री बापू सिंह तंवर--  एक डॉक्टर तो दें. इस तरीके से कैसे चलेगा? इस सदन में प्रश्न लगाने का मतलब क्या हुआ? हमारा उत्तर आया ही नहीं. हमें उत्तर चाहिए. एक डॉक्टर की पोस्टिंग चाहिए.

          अध्यक्ष महोदय--  ठीक है.

          श्री बापू सिंह तंवर--  अभी तत्काल निर्णय करें. सदन से आदेश जारी हो कि राजगढ़ जिला चिकित्सालय में यहाँ से भेजा जाए कि सोनोग्राफी का डॉक्टर जिला चिकित्सालय में पदस्थ किया जाता है. आज आदेश करना चाहिए.

          अध्यक्ष महोदय--  ठीक है.

          श्री बापू सिंह तंवर--  सदन का मतलब क्या है, प्रश्न लगाया उसका जवाब ही नहीं आ रहा है....

          अध्यक्ष महोदय--  बैठ जाइये. हो गया भाई.

          श्री बापू सिंह तंवर--  इनका जवाब आना चाहिए कि वह चला जाएगा, ऐसा आदेश कर दिया.

          अध्यक्ष महोदय--  श्री रामचन्द्र दांगी जी...

          श्री बापू सिंह तंवर--  सदन का मतलब ही क्या रहा?

            अध्यक्ष महोदय--  रामचन्द्र दांगी के अलावा कुछ नहीं लिखा जाएगा.

          श्री बापू सिंह तंवर--  (XXX)

            अध्यक्ष महोदय--  हो गया, खूब हो गया.

          श्री बापू सिंह तंवर--  (XXX)

            अध्यक्ष महोदय--  आपका प्रश्न भी आ गया, भाषण भी आ गया भाई, हो गया.

          श्री बापू सिंह तंवर--  (XXX)

            अध्यक्ष महोदय--  रामचन्द्र दांगी के अलावा कुछ नहीं लिखा जाएगा, किसी का नहीं लिखा जाएगा.

 

 

विकास कार्यों की स्‍वीकृति

[सामान्य प्रशासन]

7. ( *क्र. 996 ) श्री रामचन्‍द्र दांगी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विगत तीन वर्षों में प्रश्‍न दिनांक तक विधानसभा क्षेत्र ब्यावरा जिले राजगढ़ में प्रश्‍नकर्ता द्वारा मुख्यमंत्री जी को किन-किन विकास कार्यों हेतु पत्र भेजे गये? (ख) उपरोक्त में से किन-किन विकास कार्यों के लिए शासन को प्रस्ताव भेजे गये? (ग) इनमें से किन-किन विकास कार्यों के लिए शासन से स्वीकृति मिली है? (घ) जिन विकास कार्यों के लिए स्वीकृति नहीं मिली है? उनका विवरण तथा अस्वीकृति का कारण बताएं।  

मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी संलग्‍न परिशिष्‍ट अनुसार है।                                            (ख) से  (घ) उत्‍तरांश (क) में उल्‍लेखित संलग्‍न परिशिष्‍ट में अंकित विभागों को मुख्‍यमंत्री कार्यालय द्वारा प्रश्‍नकर्ता माननीय सदस्‍य से प्राप्‍त पत्र प्रेषित किए गए हैं। सामान्‍य प्रशासन विभाग ने भी पत्र क्रमांक एफ 6-13/2023/1/4, दिनांक 24.02.2023 के माध्‍यम से इन विभागों को लिखा है कि उनके विभाग से संबंधित पत्रों पर उत्‍तरांश (ख), (ग) एवं (घ) में उल्‍लेखित तथ्‍यानुसार कृत कार्यवाही से प्रश्‍नकर्ता माननीय सदस्‍य को अवगत कराया जावें।

परिशिष्ट - "दो"

          श्री रामचन्द्र दांगी--  माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से यह जानना चाहता हूँ कि मैंने माननीय मुख्यमंत्री जी को ब्यावरा विधान सभा के संबंध में कई पत्र लिखे हैं. एक पत्र लिखा मैंने ब्यावरा में शालाओं के उन्नयन के लिए, एक प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र आमजाट के लिए 10 रोड निर्माण के लिए, एक ब्यावरा शहर में हमारी अजनार नदी है, जो सरकार कहती है कि हम शहरों का सौन्दर्यीकरण करेंगे और पूरी अजनार नदी वहाँ गंदी पड़ी है, बदबू आती है. शहर में बीमारियाँ फैलती हैं, उसके लिए दिया एक मॉडल स्कूल का जो सरकार ने खोला है उसमें पहुँच मार्ग के लिए, ब्यावरा में कृषि महाविद्यालय के लिए और भी बहुत सारे, इलाज के लिए मैंने माननीय मुख्यमंत्री जी को सैकड़ों पत्र लिखे, एक भी पत्र स्वीकृत नहीं हुआ, इसी प्रकार गौ माताओं की सुरक्षा के लिए ब्यावरा नगर में और ग्रामीण क्षेत्रों में अतिवृष्टि हुई उसका सर्वे करा कर के मुआवजा दिया जाए और भी बहुत सारे, कर्मचारियों, संविदा कर्मचारियों के संबंध में, मैंने पत्र लिखे लेकिन माननीय मुख्यमंत्री जी के यहाँ से, सरकार की तरफ से, कोई भी कार्रवाई नहीं हुई और यहाँ तक कि मुझे किसी भी पत्र का आज तक जवाब नहीं दिया गया है. जबकि आज माननीय मुख्यमंत्री जी के यहां से पत्र आया है कि हमने जीएडी को लिख दिया है लेकिन जीएडी ने हमें आज तक कोई जवाब नहीं दिया है.

          श्री इन्दर सिंह परमार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी के अलग-अलग विभागों से संबंधित 13 पत्र मुख्यमंत्री जी के कार्यालय में प्राप्त हुए थे. सभी पत्र अलग-अलग विभागों को भेजे गए हैं और क्या कार्यवाही प्रचलन में है वह भी उल्लेख किया गया है. विभागों को निर्देशित किया गया है कि वर्तमान में विधायक जी के पत्रों में उल्लेखित कामों की जो स्थिति है उसकी जानकारी से माननीय विधायक जी को अवगत कराया जाए.

          श्री रामचन्द्र दांगी -- अध्यक्ष महोदय, तीन साल हो गए हैं.

          अध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी का उत्तर आ जाने दीजिए.

          श्री इन्दर सिंह परमार -- अध्यक्ष महोदय, बहुत सारे काम अलग-अलग विभागों के हैं. चूंकि हम सीएम राइज योजना के 9200 स्कूल बनाने जा रहे हैं उसमें इनकी बड़ी लंबी सूची है. हम उसका परीक्षण करके आगे सरकार की जो नीति बन रही है कि हम पहले 9200 स्कूलों का उन्नयन करेंगे उसके बाद शेष का उन्नयन आवश्यकतानुसार किया जाएगा. इसके परीक्षण का काम चल रहा है जल्दी ही यह सूची जारी हो जाएगी. इनकी जो मांग है उसमें भी यह जुड़ने वाले हैं सभी जिलों में काफी बड़ी संख्या में यह विद्यालय आने वाले हैं. नगरीय प्रशासन विभाग से संबंधित इनके 7 पत्र हैं. उनमें अलग-अलग कामों की मांग की गई है. इसी प्रकार से लोक निर्माण विभाग से संबंधित काम भी हैं जिसमें से इनके कुछ काम हो चुके हैं और कुछ काम स्वीकृति में हैं. इसलिए यह कहना कि 3 साल हो गए हैं, शायद इन्होंने देखा नहीं होगा इसलिए ऐसा कह रहे होंगे. लेकिन मेरे पास लोक निर्माण विभाग से जानकारी आई है काफी काम इनके सम्पन्न हो रहे हैं या स्वीकृत कर दिए गए हैं. इसी प्रकार से नगरीय विकास विभाग के भी इन्होंने जो काम दिए हैं. इस विभाग से संबंधित इन्होंने 7 पत्र दिए थे. इसमें दो काम की जानकारी मेरे पास है. नगरीय विकास विभाग ने जानकारी भेजी है कि यह काम स्वीकृत कर दिए गए हैं. एक काम लोक निर्माण विभाग से हो चुका है. 7 में से 3 काम आपके पत्रों के अनुसार हो चुके हैं. शेष कामों की जो स्थिति से उससे विधायक जी को अवगत कराने वाले हैं.

          श्री रामचन्द्र दांगी -- अध्यक्ष महोदय, अभी माननीय मंत्री जी कह रहे थे कि स्कूलों के उन्नयन के लिए व्यावरा और राजगढ़ जिले में 5 विधान सभा सीट हैं. जहां 5 सीएम राइज स्कूल खोले गए हैं. लेकिन मेरे साथ दुर्भावना की जा रही है, मैं उप चुनाव जीता हूँ. 6 बार माननीय मुख्यमंत्री जी मुझे वहां चुनाव हराने के लिए गए थे. ब्यावरा में सीएम राइज स्कूल के भवन का जानबूझकर शिलान्यास नहीं किया. 4 जगह शिलान्यास कर दिया लेकिन 5 वीं जगह छोड़ दिया, यह भेदभाव है या नहीं है. दूसरी बात बहुत सारे पत्र मैंने दिए हैं लेकिन आज तक जीएडी ने मुझे कोई भी जबाव नहीं दिया है. जबकि सामान्य प्रशासन विभाग का स्थायी आदेश है कि विधायकों के पत्रों का जवाब दिया जाए. तीन वर्ष में मुझे एक भी विभाग ने जवाब नहीं दिया है न ही मुझे पता है कि इन्होंने कौन से काम किए हैं. मैंने जो सूची दी है मैं आपके माध्यम से चाहूंगा कि मेरे पत्रों पर कब तक कार्यवाही हो जाएगी या मुझे कब तक जवाब मिल जाएंगे.

          श्री इन्दर सिंह परमार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी को जो पत्र आते हैं वे सामान्य प्रशासन विभाग के माध्यम से सभी संबंधित विभागों को अलग-अलग भेजे जाते हैं. वह प्रक्रिया हमने पूरी की है साथ में निर्देश यह दिए गए हैं कि संबंधित विभाग आपको अवगत कराने का कष्ट करे. हमने फिर से सभी विभागों को निर्देशित किया है कि जिनके भी पत्र आते हैं उनको जवाब देने का काम संबंधित विभाग करे. इसकी हम लगातार देखरेख कर रहे हैं. माननीय विधायक जी ने जो काम बताए हैं उसमें से कई काम प्रोसेस में हैं, कुछ हो गए हैं. जहां तक सीएम राइज स्कूलों का विषय है हमने जितने भी स्कूल स्वीकृत किए हैं. सभी विद्यालयों की जमीन देखने का काम, उनके नक्शे बनाने का काम. आर्किटेक्ट से लेकर प्रशासकीय स्वीकृति होने के बाद, बजट में पैसा आवंटित होने के बाद, सभी जगह भूमि पूजन करने का काम कर रहे हैं. किसी भी विद्यालय को अप्रैल के बाद हम नहीं छोड़ेंगे जिसके स्थान का भूमि पूजन नहीं हुआ होगा. कहीं-कहीं पर भूमि का जो विवाद आया है उसका निराकरण करने की कोशिश कर रहे हैं. इसलिए यह कहना ठीक नहीं है कि हम किसी के साथ भेदभाव कर रहे हैं. बगैर भेदभाव के सीएम राइज स्कूलों के भवनों का निर्माण किया जा रहा है.                                                                         

          श्री रामचंद्र दांगी-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जब मैंने प्रश्‍न लगाया इसके पहले मुझे आज तक कोई जवाब नहीं दिया और आज प्रश्‍न के उत्‍तर में ही मिला कि सामान्‍य प्रशासन को बोला है कि आपको जवाब दें, जबकि शासन का स्‍थाई आदेश  है कि समय-समय पर जवाब दें तो मुझे आज तक कोई जवाब क्‍यों नहीं मिला? कब तक मिलेगा. विधायकों के प्रश्‍नों के जवाब विभाग कभी देता ही नहीं है, इसमें जीएडी कोई कार्यवाही करता ही नहीं है.

          अध्‍यक्ष महोदय-- माननीय विधायक जी सामान्‍य प्रशासन विभाग के आदेश हैं जब आप विभाग के अधिकारियों को पत्र दें उसका जवाब देने के लिए कहा है.

          श्री रामचन्‍द्र दांगी-- मैंने विभाग के अधिकारियों को भी पत्र दिया है, लेकिन आज तक कोई जवाब नहीं मिला है. मैंने मुख्‍यमंत्री को भी दिया है, सारे मंत्रियों को दिया है लेकिन आज तक वहां से कोई जवाब नहीं आया है.

          अध्‍यक्ष महोदय-- आपने केवल मुख्‍यमंत्री जी का पूछा है. उसका जवाब मंत्री जी ने विस्‍तृत रूप से दे दिया है.

          श्री रामचन्‍द्र दांगी-- अध्‍यक्ष महोदय, जीएडी का निर्देश है.

          अध्‍यक्ष महोदय-- जीएडी का निर्देश अधिकारियों को पत्र का जवाब दिये जाने का है. आप उसे पढि़ए.

          श्री रामचन्‍द्र दांगी-- अध्‍यक्ष महोदय, हम अधिकारियों को भी पत्र दे रहे हैं, लेकिन आज तक कोई अधिकारी भी पत्र का जवाब नहीं दे रहा है. हमको तो यह ही नहीं पता है कि हमने जो पत्र लिखा है उस पर क्‍या कार्यवाही हुई.

          श्री सोहनलाल बाल्‍मीक-- (xxx)

          अध्‍यक्ष महोदय-- नहीं आएगा, आप सभी बैठ जाइए.

          नेता प्रतिपक्ष (डॉ. गोविन्‍द सिंह)-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमेशा यह परम्‍परा रही है. केन्‍द्र में लोकसभा में और मध्‍यप्रदेश में विधान सभा में भी कि माननीय सांसद जी और माननीय विधायक अगर मुख्‍यमंत्री, मंत्री या केन्‍द्रीय मंत्री को पत्र लिखते हैं तो हमेशा सन् 1990 से जब पटवा जी थे तब तक जवाब आते रहे. अब यह परम्‍परा धीरे-धीरे बंद हो गई है. पत्र का कोई जवाब नहीं आता है. कानून में कोई निर्देश नहीं है, लेकिन यह परम्‍परा थी वह परम्‍परा पूरी तरह से समाप्‍त हो गई है. केवल दिल्‍ली में केन्‍द्रीय मंत्री हैं माननीय गडकरी जी उनको जब भी पत्र लिखा है वह काम होने के बाद सूचना देते हैं. यही परम्‍परा आसंदी के निर्देश के बाद मध्‍यप्रदेश सामान्‍य प्रशासन विभाग ने लागू की है, लेकिन आज भी पूरे मध्‍यप्रदेश में आपको भले ही जवाब दे दें. मैं भी नेता प्रतिपक्ष हूं सरकारी अधिकारी आपके सामान्‍य प्रशासन विभाग के आदेश की पूरी तरह से धज्जियां उड़ा रहे हैं. कोई पालन नहीं हो रहा है. एक नहीं मैं आपको ऐसे पचासों पत्र अवलोकनार्थ दे सकता हूं. मेरी आसंदी से विनय है कि कृपया कर आप शासन को तो नहीं लेकिन अधिकारियों को तो निर्देश दे दें कि यदि होने लायक काम है तो वह बता दें. यह लगातार है कि पत्र की सूचना देंगे. काम होने पर फिर सूचना देंगे नहीं है तो देखेंगे. आदेश के बावजूद भी पूरी तरह से इस परम्‍परा का उल्‍लंघन हो रहा है. आपसे मेरी प्रार्थना है कि आप शासन को, मंत्री, मुख्‍यमंत्री को तो उनकी परम्‍परा उनके विचार के ऊपर है वह माने या न माने और यदि उनको प्रजातंत्र में विश्‍वास नहीं है तो न माने, लेकिन कम से कम आप शासन के अधिकारियों को निर्देशित करने का कष्‍ट करें.

 

11.52 बजे                                 अध्‍यक्षीय व्‍यवस्‍था

माननीय विधायकों के पत्रों का जवाब सुनिश्चित करने विषयक

          अध्‍यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी सामान्‍य प्रशासन विभाग के जो आदेश हैं विधायकों के, सांसदों के पत्रों के जवाब दें उसमें आपने तारीख डाली है. यह वाकई में है कि उन पत्रों का जवाब विभाग की तरफ से किसी को नहीं आता है इसलिए सारे मंत्रीगण यह सुनिश्चित करें, अपने विभाग को निर्देशित करें कि वह अधिकारी, विधायकों के पत्रों का जो भी स्थिति हो काम होना न होना एक अलग विषय है उनके पत्र का जवाब आ जाए कि कम से कम हमारे पत्र में हो क्‍या रहा है ऐसा करके आप लोग जवाब सुनिश्चित करें. दूसरी बात यह है कि कल ही आपको प्राप्‍त होगा. कल हमारी जो नई समिति बनी उसकी बैठक हुई थी. उसमें मैंने निर्देश दिया है कि समान्‍य प्रशासन विभाग का वह आदेश और जो हमारा प्रोटोकॉल का है उन दोनों की कॉपी मिलाकर के आपको कल मिल जाएगी. सारे विधायक कम से कम सामान्‍य प्रशासन विभाग का वह आदेश और प्रोटोकॉल का आदेश अपने हाथ में रखें तो कम से कम उनको भी कार्यवाही करने में सुविधा होगी. हमने यह व्‍यवस्‍था कर दी है.

          श्री सोहनलाल बाल्‍मीक-- (xxx)

          अध्‍यक्ष महोदय-- नहीं य‍ह नहीं आएगा.

 

11.53 बजे                    तारांकित प्रश्‍नों के मौखिक उत्‍तर (क्रमश:)

                                         अनुकम्‍पा नियुक्ति के लम्बित प्रकरण

       [सामान्य प्रशासन]

8. ( *क्र. 1738 ) श्रीमती राजश्री रूद्र प्रताप सिंह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विदिशा जिले के विभिन्‍न शासकीय विभागों में अनुकम्‍पा नियुक्ति के अनेक प्रकरण अनिर्णित हैं? किस-किस विभाग में कितने-कितने प्रकरण अनिर्णित है? (ख) क्‍या उक्‍त प्रकरणों पर शीघ्र ही निर्णय लेकर अनुकम्‍पा नियुक्ति प्रदान की जावेगी?

मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) कलेक्‍टर विदिशा से प्राप्‍त जानकारी के अनुसार वन विभाग में 01, सहकारिता विभाग में 01, शिक्षा विभाग में 54 तथा स्‍वास्‍थ्‍य विभाग में 02 प्रकरण अनिर्णित हैं। (ख) जी हाँ। अनुकंपा नियुक्ति के निर्देशानुसार संबंधित संवर्ग में पद रिक्‍त होने पर नियुक्ति की कार्यवाही की जाती है।

          श्रीमती राजश्री रुद्रप्रताप सिंह-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री महोदय से यह जानना चाहती हूं कि शिक्षा विभाग में मेरे जिले में जो हजारों पद खाली हैं क्‍या सरकार इन पदों के विरुद्ध यह 54 प्रत्‍याशियों को अनुकम्‍पा नियुक्ति प्रदान कर सकती है.

          श्री इन्‍दर सिंह परमार-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अनुकम्‍पा नियुक्ति के संबंध में जिसमें 54 शिक्षा विभाग से संबंधित है उनके बारे में कुछ पद ऐसे हैं जो पहले शिक्षा विभाग के अधीन नहीं थे निकायों के अधीन थे और निकायों के अधीन जब तक उनका शिक्षा विभाग में संवि‍लियन होता, तब तक उनका निधन हो चुका था. इस कारण उनकी नियुक्ति का कोई प्रावधान नहीं होने के कारण वो पेंडिंग हैं. इसके अतिरिक्‍त बाद में जो कुछ दु:खद मृत्‍यु हुई हैं, ऐसे कुछ पद हैं जो संविदा नियुक्ति के क्राइटेरिया में आते हैं लेकिन उन्‍होंने जिस पद की मांग की हैं, वे उस पद के पात्र नहीं हैं और इस कारण से संविदा नियुक्ति देने में कठिनाई हो रही है. यदि वे पात्रता परीक्षा पास कर लेंगे, क्‍योंकि अभी पात्रता परीक्षा होने वाली है तो अधिकांश लोगों को उसमें विज्ञान शिक्षक के पद पर, कर देंगे ताकि उनकी अनुकंपा नियुक्ति हो जाये. लेकिन हम बिना योग्‍यता के किसी को भी अनुकंपा नियुक्ति में शिक्षक के पद पर भर्ती नहीं कर सकते हैं. ये RTE का प्रावधान है, जिसका पालन करते हुए, हमने सभी से कहा है कि आप पात्रता परीक्षा पास कर लें. अधिकांश लोगों का इसमें निराकरण हो जाने वाला है. जो लोग आपके संपर्क में हैं, आप उन्‍हें व्‍यक्तिगत सुझाव देंगे तो वे परीक्षा में बैठेंगे, उनका निराकरण हो जायेगा.

          श्रीमती राजश्री रूद्रप्रताप सिंह-  क्‍या यह जानकारी उनको है, क्‍या उनके पत्राचार में कोई कमी है ?

            अध्‍यक्ष महोदय-  मंत्री जी ने दो जवाब दिए हैं. पहला तो यह कि निकाय में थे और निकाय से उनका संविलियन नहीं हुआ इसलिए विभाग के कर्मचारी नहीं हुए, इसलिए उनको अनुकंपा नियुक्ति की पात्रता ही नहीं है.

          दूसरा, शिक्षा विभाग में नियम बन गए हैं कि पात्रता परीक्षा पास होने के बाद ही अनुकंपा नियुक्ति की पात्रता होगी. पात्रता परीक्षा हो रही है. जो इसमें पात्र हैं, वे पात्रता परीक्षा में बैठें, वे पास हो जायेंगे तो उनको अनुकंपा नियुक्ति मिल जायेगी.

          श्रीमती राजश्री रूद्रप्रताप सिंह-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह जानकारी उनको नहीं है.

          अध्‍यक्ष महोदय-  जानकारी तो संभवत: होगी और नहीं है तो मंत्री जी आप सभी को जानकारी दिलवा दीजिये.

          श्री इन्‍दर सिंह परमार-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जब वे आवेदन करते हैं, उस समय DEO के यहां उनको आवेदन करना होता है. जब वे फॉर्मेट में भरते हैं तो वहां उनको सारी जानकारी दी जाती है. फिर भी हम एक बार, माननीय सदस्‍य के क्षेत्र के अलावा, पूरे मध्‍यप्रदेश में, कई जिलों में ऐसे प्रकरण हैं, वर्ष 2018 के पहले जब तक उनका शिक्षा विभाग में संविलियन नहीं हुआ था, तब तक की परिस्थिति अलग है, उनको छोड़कर शेष सभी लोगों को हम सूचना प्रेषित करने का काम करेंगे क्‍योंकि वे किसी न किसी रूप में, मान लीजिये शिक्षा विभाग में शिक्षक नहीं बनना चाहते, दूसरे पद पर रहना चाहते हैं तो हमारे विभाग से हम NOC देने का भी काम कर रहे हैं ताकि जिस जिले में दूसरे विभाग में पद खाली हैं, सहायक ग्रेड-3 या भृत्‍य के पद हैं, वहां जो लोग जाना चाहते हैं और वहां के लिए वे क्‍वालिफाई हैं तो वहां के लिए हम लगातार NOC दे रहे हैं. हम एक बार फिर से सभी DEO को सूचित करेंगे कि वे व्‍यक्तिगत रूप से संबंधितों को सूचना दें, जिससे वे इस प्रक्रिया में शरीक हो जायें.

          श्रीमती राजश्री रूद्रप्रताप सिंह-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अनुकंपा नियुक्ति के लिए जितने भी लोग हैं, जितने भी प्रत्‍याशी हैं, वे वैसे भी परिवार से परेशान हैं और अनुकंपा नियुक्ति में यदि इतना समय लग रहा है और आगे 10 वर्ष यदि और बढ़ जाते हैं तो उनकी उम्र निकल जायेगी, फिर अनुकंपा नियुक्ति का मतलब ही क्‍या रहेगा ? हम उनको कैसे राहत दे सकते हैं, ये समय टलता ही जा रहा है.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, प्रश्‍न बड़ा संवेदनशील है. जैसा कि माननीय सदस्‍या ने बताया यह बात सही है कि परिवार बिखर गया, जो मुखिया था, वही चला गया और उसके घर के योग्‍य, पात्र व्‍यक्ति अनुकंपा नियुक्ति के लिए दर-दर की ठोकरें खाते हैं.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं, मंत्री जी से जानना चाहूंगा कि पात्रता परीक्षा समय पर क्‍यों नहीं हो पाती है, विशेषकर शिक्षा विभाग में. पात्रता परीक्षा समय पर हो जाये, इस‍के लिए विभाग क्‍या करेगा ?

          श्री इन्‍दर सिंह परमार-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, पात्रता परीक्षा लगातार हो रही है. अभी फिर से पात्रता परीक्षा है और अब नीतिगत रूप से तय किया गया है कि हर साल पात्रता परीक्षा होगी और जितने पद रिक्‍त होंगे, हम उन सभी पदों को लगातार भरने का काम करेंगे. हम एक साल में उन 50 हजार शिक्षकों की भर्ती करने जा रहे हैं जो प्रक्रिया में हैं और एक और पात्रता परीक्षा हो रही है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमने अब यह भी कर दिया है कि हम बार-बार पात्रता परीक्षा नहीं लेंगे, जिसने जीवन में एक बार पात्रता परीक्षा पास कर ली, वह आवेदन करेगा, यदि उसका एक बार में चयन नहीं हुआ तो दूसरी बार उसे पात्रता परीक्षा देने की जरूरत नहीं है. उसकी एक विभागीय परीक्षा लेकर हम उन्‍हें शिक्षक बनाने का काम करेंगे. पात्रता परीक्षा हम केवल एक बार लेंगे, अब उनको हर साल पात्रता परीक्षा में बैठने की जरूरत नहीं होगी. इसलिए मैं, समझता हूं कि इस नीति के कारण सभी लोगों का समाधान इससे हो जायेगा. जहां तब अनुकंपा नियुक्ति के आधार पर शिक्षक बनने का सवाल है, हमारी मान्‍यता यह है कि हम शिक्षक के पद पर किसी भी प्रकार से योग्‍यता के साथ समझौता नहीं कर सकते हैं. सभी की पात्रता होनी चाहिए इसलिए TET की परीक्षा हम आयोजित करते हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय-  प्रश्‍नकाल समाप्‍त.

 

(प्रश्‍नकाल समाप्‍त)

   

 

 

12.00 बजे

नियम 267-क के अधीन विषय

          अध्‍यक्ष महोदय:- निम्‍नलिखित माननीय सदस्‍यों की सूचनाएं सदन में पढ़ी हुई मानी जायेगी.

          1.       डॉ. सीतासरन शर्मा

          2.       श्री रामलाल मालवीय

          3.       श्री महेश परमार

          4.       श्री पुरूषोत्‍तमलाल तंतुवाय

          5.       श्रीम‍ती कल्‍पना वर्मा

          6.       श्री कमलेश्‍वर पटेल

          7.       श्री बहादुर सिंह चौहान

          8.       श्री दिनेश राय मुनमुन

          9.       श्री संजय सत्‍येन्‍द्र पाठक

          10.     श्री शैलेन्‍द्र जैन

 

12.02 बजे

शून्‍यकाल में मौखिक उल्‍लेख

 

          नेता प्रतिपक्ष (डॉ. गोविन्‍द सिंह):- माननीय अध्‍यक्ष जी, मध्‍य प्रदेश में प्राथमिक, मिडिल और हाई स्‍कूल की परीक्षा चल रही है. छात्रों के लगातार पेपर लीक हो रहे हैं. इससे छात्रों का समय बर्बाद हो रहा है और उनको आर्थिक नुकसान पहुंचा है. छात्रों के भविष्‍य के प्रति सरकार सचेत नहीं है. मेरा माननीय संसदीय कार्य मंत्री से अनुरोध है कि कृपा कर आप पेपर लीक करने वालों को, गृह मंत्री भी आप, आप जानकारी लीक करने वालों को सजा दिलवायें. इनके ऊपर एफआईआर करवायें. अन्‍यथा इस प्रक्रिया से छात्रों के जीवन के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. आप कठोरता से इसका पालन करें.

          श्री दिनेश राय मुनमुन:- अध्‍यक्ष मेरा भी शून्‍यकाल है. उसको भी आप ले लो.

          अध्‍यक्ष महोदय:- आपका हो तो गया, आपका आ गया है.

          श्री पांचीलाल मेड़ा(धरमपुरी):- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इंदौर के पास गणपति घाट में हजारों लोग मर रहे हैं. आज तक जबसे रोड चालू हुआ, तब से एक हजार मौतें हो गयी और अभी परसों चार लोग जिंदा जलकर मर गये. पर आज क्‍या उसको बजट में लिया क्‍या ? राजमार्ग पर कई लोग मर रहे हैं, परंतु बार-बार विषय उठाने पर भी गणेश घाट की कोई सुध नहीं ली जा रही है. मैंने आज ध्‍यानकर्षण भी दिया है. आप कृपा करके उसको ग्राह्य करेंगे क्‍या ?

            सुश्री विजय लक्ष्‍मी साधौ:- माननीय पांचीलाल मेड़ा जी ने जो बात कही, उससे मेरा एरिया भी लगा है हम दोनों के क्षेत्र हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय:- आप लोग बैठ जाइये. मैंने सज्‍जन सिंह को समय दिया है.

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा(सोनकच्‍छ ):- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आज एक गंभीर प्रश्‍न उप‍स्थित हुआ है मध्‍य प्रदेश के सामने. 1984 में जो गैस त्रासदी हुई. केन्‍द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब देरी से प्रस्‍तुत किया इसलिये केन्‍द्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगायी, कहा कि अब आप पैसा दीजिये. लगभग 8 हजार करोड़ रूपये गैस पीडि़तों को मुआवजा मध्‍य प्रदेश सरकार दे और केन्‍द्र सरकार दे. क्‍योंकि यह इनकी है.

 

 

 

12.03 बजे

पत्रों का पटल पर रखा जाना

मध्‍यप्रदेश पॉवर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड, जबलपुर का 20 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2021-22

          ऊर्जा मंत्री (श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर):- अध्‍यक्ष महोदय, मैं, कंपनी अधिनियम, 2013( क्रमांक18 सन् 2013) की धारा 395 की उपधारा(1) (ख) की अपेक्षानुसार मध्‍यप्रदेश पॉवर जनरेटिंक कंपनी लिमिटेड, जबलपुर का 20 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2021-22 पटल पर रखता हूं.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

12.04 बजे

नियम 138 (1) के अधीन ध्‍यान आकर्षण

           

            श्री प्रियव्रत सिंह (खिलचीपुर ):- माननीय अध्‍यक्ष महोदय,

                                                                                   

            श्री प्रियव्रत सिंह--अध्यक्ष महोदय, यह बात सही है जो माननीय मंत्री जी के जवाब में आयी है कि कालीसिंध नदी का पुल चालू हो गया है. आप इसके जवाब में ही देख लें कि यह राज्यमार्ग है. इसकी चौड़ाई जो राजगढ़ जिले वाले 12 किलोमीटर की है. वह मात्र 3.50 मीटर है. 2 वाहनों की क्रासिंग के लिये उपयुक्त नहीं होती इसमें जो आगरा मालवा वाला पार्ट है उसमें 5.50 मीटर की चौड़ाई है. वह भी 2 लेन पूरी नहीं है. मेरा मंत्री जी से अनुरोध है कि एडीबी से आपको सहमति नहीं मिल पा रही है पिछली बार भी मैंने विधान सभा में ध्यानाकर्षण लगाया था तब मंत्री जी ने कहा था कि इसकी फिजिबिल्टी रिपोर्ट मंगाई है. फिजिबिल्टी रिपोर्ट आने के बाद हम इसकी डीपीआर तैयार करवाके निविदा लगवाएंगे, परन्तु फिजिबिल्टी रिपोर्ट का इस बार कोई जिक्र नहीं है. यह सही है कि वर्ष 2022 में यहां पर डामरीकरण हुआ, पर मेरा माननीय मंत्री जी से यह अनुरोध है कि आप एडीबी का क्यों इंतजार कर रहे हैं. 24 किलोमीटर का मार्ग है. विश्व प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल को जोड़ता है. आपकी सरकार अगर संवेदनशीलता रखे तो 24 किलोमीटर इतना बड़ा रोड़ नहीं है. आप इस रोड़ का स्टेट बजट में लेकर इसकी 2 लेनिंग सेंक्शन कर दें ताकि वहां पर सुगम रूप से आवागमन शुरू हो सके, क्योंकि इस रोड़ पर भीड़-भाड़ रहती है. इस रोड़ पर कई लोग चुनरी यात्रा निकालते हैं, कई श्रद्धालु मार्ग पर पैदल भी जाते हैं. 3.50 के मार्ग पर पैदल भी श्रद्धालु जा रहा है, गाड़ियां भी जा रही हैं उसमें एक्सीडेंट होने की संभावनाएं भी बनती हैं. मेरा अनुरोध है कि आप 2 लेन रोड़ सेंक्शन कर दें. 24 किलोमीटर रोड़ की बहुत बड़ी लंबाई नहीं है. आप प्रदेश के बजट में लेकर के कर दें अभी उसकी निविदा भी लग जायेगी और काम भी प्रारंभ हो जायेगा. क्या यह करेंगे ?

            श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष महोदय, यह बात सही है नलखेड़ा में मां देवी का प्रसिद्ध मंदिर है वहां पर लोगों का आवागमन भी होता है. माननीय सदस्य जी की जो भावना है उनको अवगत कराना चाहता हूं कि इसकी फिजिबिल्टी रिपोर्ट तैयार हो गई है और एडीबी-7 में इसको 2 लेन करने का प्रस्ताव है. जो कि शीघ्र ही क्रियान्वित हो जायेगा.                                                       श्री प्रियव्रत सिंह - अध्‍यक्ष महोदय, एडीबी-7 में परमिशन नहीं मिली रही है.ये इन्‍होंने इसी उत्‍तर में लिखा है.

          अध्‍यक्ष महोदय - मिल जाएगी, मंत्री जी कह तो रहे हैं.

          श्री प्रियव्रत सिंह - अध्‍यक्ष जी, अभी नहीं मिल पाएगी, उन्‍होंने जवाब में लिखा है कि भारत शासन को भेजा है, भारत शासन के वित्‍तीय संसाधन उपलब्‍ध होने पर होगा, तो स्‍टेट बजट में ले लें. कोई बहुत बड़ी बात नहीं है 10-15 करोड़ का मामला है. स्‍टेट बजट में आप ले सकते हैं, अभी बजट पारित भी नहीं हुआ है, अभी उसको स्‍टेट बजट में जुड़वा लो तो ये काम हो जाएगा और अच्‍छा काम हो जाएगा.

          श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्‍यक्ष जी, जो हमारा एशियन डेवलपमेंट बैंक है, इसके सहयोग से हम इसके लिए बना रहे हैं. मैं माननीय सदस्‍य को आश्‍वस्‍त करना चाहता हूं. विषय ये हैं चूंकि सभी लोग जानते हैं. हमारा मैन बजट आ गया, सप्‍लीमेंट्री भी आया सारी बात हो गई, लेकिन मैं ये कहना चाहता हूं कि हम पूरी कोशिश करेंगे कि शीघ्र अतिशीघ्र इस मार्ग का निर्माण टू-लेन दिया जाएगा.

          श्री प्रियव्रत सिंह - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, कुछ समय सीमा तय हो जाए, एक महीना दो महीना में. मेरा अनुरोध है कि आप स्‍टेट बजट में शामिल कर लेंगे तो इसकी अभी निविदा हो जाएगी, एसएफसी हो जाएगी और निविदा लगाई जा सकती है.

          अध्‍यक्ष महोदय - मंत्री जी ने कहा कि स्‍टेट बजट निकल गया है, मुख्‍य बजट भी आ गया, दोनों बोल दिया.

          श्री गोपाल भार्गव - प्रियव्रत जी आप स्‍वयं मंत्री रहे हैं, आप बताएं बजट छप गया, बंट गया.

          श्री प्रियव्रत सिंह - माननीय अध्‍यक्ष जी, छपने और पास होने के बीच में बहुत सारा काम हो सकता है, अगर हो जाएगा तो बड़ी अच्‍छी चीज हो जाएगी. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा छोटा सा निवेदन है बजट छप गया है, राजगढ़ जिले को कुछ भी नहीं मिला है, अगर आप राजगढ़ जिले के लिए ये कर लेंगे तो कम से कम हमारा नाम उस बजट उसमें हो जाएगा, पूरा काम न करें तो 12 किलोमीटर कर लें, क्‍योंकि इसमें उत्‍तर दिया है, उसमें उल्‍लेख है कि 12.40 किलोमीटर जो आगर मालवा जिले का हिस्‍सा है, उसकी डीपीआर स्‍टेट बजट से टू-लेन की तैयार करवा रहे, तो पूरे 24 किलोमीटर की करवा दें, आधा स्‍टेट में, आधा एडीबी में.

          श्री गोपाल भार्गव - अध्‍यक्ष जी, मैं सोचता हूं कि बहुत बड़ी लंबी चर्चा का विषय नहीं है. एक नदी के दो पार्ट है, एक राजगढ़ जिले में आता है और दूसरा आगर मालवा जिले में आता है, आगर मालवा का हिस्‍सा ज्‍यादा चौड़ा है, जैसे माननीय सदस्‍य की इच्‍छा है कि यह टू-लेन हो जाए, तो टू-लेन करवा देंगे, इसके लिए विश्‍वास रखें.

 

12:13 बजे

(2) रीवा जिले के ग्राम अमिरती स्थित शासकीय तालाब के भीठे का अवैधानिक पट्टा दिया जाना.

        श्री शरदेन्‍दु तिवारी - माननीय अध्‍यक्ष महोदय ,

 


 

          श्री शरदेन्‍दु तिवारी - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, बड़े लोगों को पट्टे दिए गए हैं, मंत्री जी का यह जवाब संतोषप्रद नहीं है. मेरा आग्रह है कि खसरा नं. 80 की भूमि के किस तरह से पट्टे हुए, क्‍या हुए ? इस संबंध में वरिष्‍ठ अधिकारियों से उच्‍चस्‍तरीय जांच करवा ली जाये.

          अध्‍यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी, यह मेरी विधान सभा क्षेत्र का मामला है. मैं पहले उसी विधान सभा से विधायक था, अब दूसरी से हुआ हूँ. मैंने इस बात का प्रयास किया था, वहां पर उसी तालाब के भीठे में या उस तालाब में गरीब आदिवासी, अनूसचित जाति के लोग बसे हुए हैं. प्रधानमंत्री आवास से भी उनका पैसा जो आपके यहां से जाता है, वह उनको मंजूर हो गया है. परन्‍तु उन्‍हें इसीलिए बनाने नहीं दिया जा रहा है, मैंने कई बार अधिकारियों को खुद बैठक लेकर कहा, सबको कहा. उन अधिकारियों ने केवल यह निवेदन किया है कि साहब चूँकि इसमें तालाब दर्ज है, इसलिए हम इसका पट्टा नहीं दे सकते, तो इसके एक हिस्‍से में तालाब दर्ज होने पर भूमिस्‍वामियों को पट्टा दिया गया और एक हिस्‍से में सरकार के अधिकारी हाथ उठा रहे हैं तो यह थोड़ी सी दिक्‍कतपूर्ण स्थिति है. इसलिए मेरा  आपसे यह कहना है कि इनका पट्टा कैसे हुआ ? शासकीय तालाब का क्‍यों हो गया ? इस बिन्‍दु की जांच कराना आवश्‍यक है. आप इसकी जांच कराइये.

          श्री गोविन्‍द सिंह राजपूत - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आसन्‍दी का पूरा सम्‍मान है. माननीय विधायक महोदय ने जो रीवा जिले की अमिरती खसरा नं. 80 की 2.5 एकड़ भूमि वर्ष 1995-96 के पूर्व खतौनी वर्ष 1924-25 के अनुसार शासकीय तालाब में दर्ज है, यह तो तय है. अब अध्‍यक्ष महोदय माननीय सदस्‍य चाहते हैं, तो जिस अधिकारी से कहें, कलेक्‍टर से कहें, संभागीय अधिकारी से, जहां से कहें, मैं जांच कराने को तैयार हूँ.    

          अध्‍यक्ष महोदय - मंत्री जी, कलेक्‍टर से करा लीजिये, चल जायेगा, कोई दिक्‍कत नहीं है.

          श्री गोविन्‍द सिंह राजपूत - अध्‍यक्ष महोदय, मैं कलेक्‍टर से इसी जांच करवाऊंगा और चाहूँगा कि उत्‍तर जल्‍दी से जल्‍दी माननीय विधायक जी को दिया जाये.

          अध्‍यक्ष महोदय - ठीक है.

 

 

12.17 बजे                                आवेदनों की प्रस्‍तुति

          अध्‍यक्ष महोदय - आज की कार्य सूची में सम्मिलित सभी आवेदन प्रस्‍तुत किये गए माने जाएंगे.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

12.18 बजे                                  अध्‍यक्षीय घोषणा

वर्ष 2022-23 के तृतीय अनुपूरक अनुमान के उपस्‍थापन के पश्‍चात्

मुद्रित प्रतियां माननीय सदस्‍यों के उपयोगार्थ उपलब्‍ध करायी जाना, साथ ही

माननीय सदस्‍यों को पूर्व में प्रदाय किए गए टेबलेट (आई-पैड) में इसे लोड किए जाने की व्‍यवस्‍था विधान परिषद हॉल में की जाना

 

12.19 बजे      वर्ष 2022-2023 के तृतीय अनुपूरक अनुमान का उपस्‍थापन

 

12.20 बजे               वर्ष 2023-24 के आय-व्‍ययक पर सामान्‍य चर्चा  (पुनर्ग्रहण )

 

श्री विनय सक्‍सेना (जबलपुर उत्‍तर) - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अनुपूरक बजट की बात वित्‍त मंत्री जी कर रहे थे. आप देख रहे हैं कि एक तरफ तो बजट, आम बजट आ रहा है और साथ-साथ अनुपूरक बजट भी, मध्‍यप्रदेश में पहली बार हो रहा है. अनुपूरक बजट की अगर वास्‍तव में जरूरत थी, तो आम बजट में भी शामिल किया जा सकता था.

माननीय अध्‍यक्ष महोदय, वर्ष 2023-24 के 3 लाख 14 हजार 25 करोड़ के बजट के विषय में यह कहना चाहता हूं कि माननीय वित्‍तमंत्री जी तो वास्‍तविक बजट पेश करना चाहते हैं, लेकिन जो प्रदेश के हालात हैं, इसमें घोषणाओं का तो अंबार है और एक तरफ कर्ज की इतनी बड़ी मार है कि हालात यह है कि मध्‍यप्रदेश किसी हालत में अपने आपमें खड़ा नहीं हो पा रहा है, लेकिन उसके बाद भी कहा जा रहा है आत्‍मनिर्भर भारत, आत्‍मनिर्भर मध्‍यप्रदेश और बड़ी-बड़ी बातें की जा रही हैं, माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं माननीय वित्‍तमंत्री जी से कहना चाहता हूं कि जैसा चाणक्‍य ने कहा था वैसे ही आपको वित्‍तमंत्री जी भौंरे के जैसे होना चाहिये कि फूल से रस भी ले लें और फूल की स्थिति वैसी बनी रहे, परंतु मध्‍यप्रदेश में जो आम नागरिकों के हालात हैं, चाहे रोजगार के हालात हों, चाहे किसानों के हालात हों, चाहे महिलाओं की हालत हो.

12.21 बजे                { सभापति महोदय (श्री हरिशंकर खटीक) पीठासीन हुए }

          सभापति महोदय, कोई भी व्‍यक्ति संतुष्‍ट नहीं है तरह-तरह की योजनाएं एक के बाद एक लागू की जा रही हैं और एक ऐसी सरकार के द्वारा जिसे 18 साल से लगातार काम करने का मौका मिला है, लेकिन उस समय वह योजनाएं लागू नहीं की गई, लेकिन चुनावी वर्ष को देखते हुए इतनी घोषणाओं का अंबार लगा दिया है. माननीय मुख्‍यमंत्री जी जब भाषण देते हैं, तो लगता है कि घोषणाओं का झरना उनके मुख से बहता है.

          माननीय सभापति महोदय, मैं यह भी कहना चाहता हूं कि माननीय कमलनाथ जी इस विषय में बिल्‍कुल सही कहते हैं कि यह प्रदेश कर्ज में डूबा है, कमीशनखोरी में डूबा है और प्रदेश को पीछे धकेलने वाला यह बजट है तो वह गलत नहीं कहते हैं क्‍योंकि पिछले वर्ष के जो प्रावधान प्रस्‍तावित किये गये थे, उसमें यह 50 प्रतिशत ही हासिल कर पाये हैं और उसके बावजूद हम हमारा बजट उससे दोगुना करने जा रहे हैं. यह चुनावी कलाकारी और घोषणावीरता का बजट है जो ई- बजट के रूप में पेश किया गया है. मैं आपसे यह भी कहना चाहता हूं कि पिछले 90 लाख बेरोजगार थे, इस साल एक करोड़ से ज्‍यादा बेरोजगार मध्‍यप्रदेश में हो गये हैं, जो अपने आपमें मध्‍यप्रदेश के हालात बता रहा है. यह ये भी आईना दिखा रहा है कि एक लाख लोगों को रोजगार देने की जो घोषणा मध्‍यप्रदेश सरकार ने की है, उसने पिछले तीन सालों में मात्र 21 लोगों को रोजगार दिया है. यह कथनी और करनी में अंतर मध्‍यप्रदेश की सरकार का जनता के सामने हैं, अब किस बात पर भरोसा किया जा सकता है. एक और आर्थिक सर्वेक्षण माननीय वित्‍त मंत्री ने पेश किया है, उसी के आंकड़ें कह रहे हैं कि पिछले एक साल में हमारे जो हैं 60 प्रतिशत प्रायवेट सेक्‍टर में नोकरियों में कमी आई है, जो अपने आप मध्‍यप्रदेश सरकार को आईना दिखा रहा है कि जब प्रायवेट सेक्‍टर में 60 प्रतिशत कटौती हो गई और घटने की स्थिति बन रही है, तो मध्‍यप्रदेश सरकार एक लाख रोजगार शासकीय देने की जो बात कर रही है, उसमें दावे में कितना दम है?

             सभापति महोदय, मैं यह भी कहना चाहता हूं कि बड़ी गंभीर बात है कि स्‍वास्‍थ्‍य, बिजली, शिक्षा, कृषि राजस्‍व ऐसे विभाग मात्र अपने बजट का 50-60 प्रतिशत ही पिछले वर्ष से अभी तक में खर्च पाये हैं, जबकि मार्च कम्‍पलीट होने पर है. ऐसी स्थिति में यह बजट कहीं न कहीं वास्‍तविकता में खरा नहीं उतर रहा है. जब पिछले साल का बजट जो इससे कम था, वह हम खर्च नहीं कर पा रहे हैं, तो इसका मतलब यह है कि यह जो बजट है, वह आंकड़े की बाजीगरी के अलावा कुछ नहीं है. माननीय सभापति महोदय, मैं यह भी कहना चाहता हूं कि मुख्‍यमंत्री जी कहते हैं कि माननीय कमलनाथ जी ने बहुत सारी योजनाएं बंद कर दी हैं, लेकिन खुद विधानसभा में जवाब जो आये हैं, उनसे स्‍पष्‍ट होता है कि न पंच परमेश्‍वर  योजना बंद हुई है, न किसानों का ऋण योजना बंद हुई, न कन्‍यादान योजना बंद हुई, न संबल योजना बंद हुई, न पी.एम.ओ.आवास योजना बंद हुई, न फसल बीमा  योजना बंद हुई. यह खुद विधानसभा के जवाबों में विधानसभा में स्‍वीकार किया गया है. अत: यह बात स्‍पष्‍ट है कि माननीय मुख्‍यमंत्री जी जब विधानसभा के पटल पर जब बोलते हैं, तब भी वह बोलते समय असत्‍य बातों का उल्‍लेख करते रहते हैं जो वाकई में एक गंभीर प्रश्‍न है और यह हमारे विधानसभा की गरिमा के खिलाफ भी है. माननीय सभापति महोदय, यह बात सही है कि मध्‍यप्रदेश में जो वर्तमान हालत हैं, अस्‍पताल हैं, अभी पिछले प्रश्‍नकाल में आपने देख लिया कि यह स्‍पष्‍ट आ गया है कि अस्‍पताल हैं लेकिन डॉक्‍टर नहीं है. माननीय मंत्री जी कह रहे थे कि अब इस साल एक लाख  डॉक्‍टर भर्ती

 कर लेंगे, पिछले 18 साल से जो प्रदेश में मुख्‍यमंत्री जी का राज चला रहा है, हम डॉक्‍टर अरेंज नहीं कर पाये, नर्सें अरेंज नहीं कर पाये, नर्सिंग स्‍टॉफ नहीं दे पाये. हमारे विधायक महोदय जब अपनी तकलीफें बता रहे थे तो बता रहे थे कि पूरे जिले में यह डॉक्‍टर नहीं दे पा रहे हैं. यह अपने आप में मध्‍यप्रदेश के हालात को बयां कर रहा है और (XXX). माननीय सभापति महोदय, एक तरफ कह रहे हैं कि हम आत्‍मनिर्भर प्रदेश हैं, आत्‍मनिर्भर प्रदेश अगर हैं, तो फिर कर्ज की स्थिति क्‍यों हैं, सड़कें बी.ओ.टी. में क्‍यों बन रहीं हैं, प्रदेश के हालात क्‍यों बुरे हैं? एक तरफ आप कहते हो कि हमारे यहां अनाज सड़ रहा है, लेकिन एक साल से आप गेहूं राशन की दुकानों में नहीं देते हैं और दूसरी तरफ रा‍शन की दुकानों में गेंहू न देने के बावजूद हजारों टन गेंहू वेयर हाउस में सड़ रहा है. माननीय सभापति महोदय, मैं आपसे आग्रह करना चाहता हूं कि माननीय मुख्‍यमंत्री महोदय वह गेंहू कम से कम गरीबों को नि:शुल्‍क बांट दें. एक तरफ आप कहते हैं कि प्रदेश आगे बढ़ रहा है, दूसरी तरफ आप कहते हैं कि 5 करोड़ लोगों को हम अनाज दे रहे हैं. देश में कहते हैं कि 80 करोड़ लोगों को हम 5 किलो अनाज दे रहे हैं, यह देश आगे बढ़ रहा है या कर्जदार हो रहा है या हमारे लोग कमजोर हो रहे हैं. अगर इतने लोगों को 5 किलो अनाज देना पड़ रहा है इसका मतलब है कि देश कहीं न कहीं गरीबी की ओर जा रहा है और गरीबी रेखा से नीचे अधिकतर लोग जा रहे हैं. ऐसा प्रदेश की बात करने वाले और देश की बात करने वाले अमृत काल की बात कैसे कर सकते हैं यह भी अपने आप में सोचने का एक विषय है. माननीय सभापति महोदय, चूंकि माननीय वित्‍त मंत्री जी बैठे हैं तो मैं उनका ध्‍यान आकर्षित कराना चाहूंगा कि माननीय कमलनाथ जी के समय जबलपुर शहर में मेरी विधान सभा में विजय नगर में कॉलेज की स्‍थापना का प्रस्‍ताव स्‍वीकृत हुआ था. मेरी विधान सभा में शास्‍त्री ब्रिज की फ्लाई ओवर की स्‍वीकृति हो गई थी, माननीय गोपाल भार्गव साहब भी हैं. मैं आपका भी ध्‍यान आकर्षित करना चाहूंगा कि सबसे महत्‍वपूर्ण शास्‍त्री ब्रिज है जो आज खण्‍डहर होने को आ गया, उस ब्रिज की स्‍वीकृति होने के बाद बार-बार कहते हैं कि टेण्‍डर लगा रहे है, टेण्‍डर लगा रहे हैं, आज तक नहीं हुआ. माननीय जयवर्द्धन सिंह जी ने उस समय जबलपुर की निबाड़गंज मंडी को 3 करोड़ रूपये तत्‍काल दिये थे, आज तक उस योजना को रोक दिया गया है. जबलपुर शहर का हनुमान ताल, जबलपुर शहर के मारूताल की स्‍वीकृति भी दी गई थी, परंतु यह सब आज बंद कर दिये गये हैं और इनकी योजनाओं को रोक दिया गया है. माननीय मैं आपसे कहना चाहता हूं, जबलपुर शहर का मेडीकल कॉलेज बिक्‍टोरिया अस्‍पतालों में आज भी कैंसर का जो अस्‍पताल है उसके उपकरण नहीं दे पा रहे हैं और दूसरी तरफ कहते हैं कि मध्‍यप्रदेश शिक्षा में, स्‍वास्‍थ में हम लोग आगे बढ़ रहे हैं. जो प्रदेश शिक्षा में, स्‍वास्‍थ में सही सुविधायें नहीं दे सकता वह प्रदेश यह कैसे कह सकता है कि हम आत्‍मनिर्भर बन गये. मैं माननीय सभापति महोदय एक और आपको ध्‍यान आकर्षित कराना चाहूंगा कि अभी विकास यात्रायें निकल रही थीं, आज चूंकि माननीय गोपाल भार्गव जी बैठे हैं, मैं उनका उल्‍लेख बार-बार करता हूं इसलिये गोपाल भार्गव जी मैं जब पहले कई साल पहले सुनता था कि गोपाल भार्गव जी चुनाव के समय अपने क्षेत्र में वोट मांगने नहीं जाते. क्‍योंकि जनता को भरोसा रहता है कि उन्‍होंने बहुत विकास किया हुआ है, परंतु 18 साल बाद मध्‍यप्रदेश की सरकार को विकास यात्रायें निकालकर जाना पड़ रहा है और कहना पड़ रहा है कि भई देखो हमने कुछ विकास किया है आपके क्षेत्र में और जनता मानने तैयार नहीं है, 172 जगह आपका विरोध हो रहा है, आपके विरोध के हर जगह पुतले जल रहे हैं. विधायकों तक को विरोध का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन सरकार ढोल बजा-बजाकर असत्‍य बोल-बोलकर महसूस करा रही है, 100 बार असत्‍य बोलो और यह साबित करो कि हमारे यहां विकास हो गया. मैं गोपाल भार्गव जी का उदाहरण इसलिये दे रहा हूं कि उन्‍होनें मध्‍यप्रदेश में एक अलग नजीर पेश की है. मैं तो चाहता हूं कि अगर माननीय शिवराज सिंह चौहान जी ने इतना अच्‍छा काम किया है....

          श्री गोपाल भार्गव-- विनय जी, जितने फ्लाई ओवर जबलपुर में बने, इतने मध्‍यप्रदेश में कहीं नहीं बने.

          श्री विनय सक्‍सेना-- मैं तो कह रहा हूं खंडहर हो रहा है शास्‍त्री ब्रिज तो आपको पता है गोपाल भार्गव साहब आप तो जबलपुर से बड़ा स्‍नेह रखते हैं उसकी स्‍वीकृति हो गई. केबीनेट की जब जबलपुर में बैठक हुई थी, आपने तो मेरी एक बहुत महत्‍वपूर्ण बात मान ली थी मैं उसके लिये आपको धन्‍यवाद देना चाहता हूं. जबलपुर का जो साढ़े सात किलोमीटर का फ्लाई ओवर बन रहा था जिसको दमोह नाके की बजाय गोपाल बाग कर दिया था आपने उसको बढ़वाने के लिये गडकरी साहब को दिया. मैं एक नहीं दो बार हाथ जोड़कर आपको धन्‍यवाद दे रहा हूं आपने एक बहुत बड़ी समस्‍या से जबलपुर शहर को बचा लिया.

          माननीय सभापति महोदय, एक लाख रोजगार देने की हम बात करते हैं, अभी पेसा एक्‍ट लाने के बाद को-आर्डिनेटर की भरती हुई, उसमें क्‍या घोटाल हो रहा है, पद निकाले गये 849 उसके बाद उन पदों को यह कहकर निरस्‍त कर दिया कि हम इनका एक और अलग से चयन करने वाले हैं और फिर किसी विशेष पार्टी की और किसी विशेष शाखा के लोगों की उसमें भर्ती कर दी गई, एक बहुत बड़ा घोटाला हमारे बेरोजगारों के साथ हुआ है. माननीय सभापति महोदय, 500 करोड़ रूपये की राशि कर्मचारी चयन मंडल में होने के बाद हम कितनी परीक्षायें निरस्‍त कर देते हैं, हमारे बेरोजगारों का पैसा वापस नहीं कर‍ते, यह अपने आप में एक बड़ा घोटाला है और मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं वित्‍त मंत्री जी कि कम से कम पहले रोजगार कार्यालय में भर्ती के लिये नि:शुल्‍क आवेदन लिये जाते थे, आप करोड़ों रूपये वसूलते हो, जब आप परीक्षायें निरस्‍त कर देते हो तो वह युवाओं की राशि वापस क्‍यों नहीं होना चाहिये, क्‍या मध्‍यप्रदेश सरकार इसको व्‍यापार बनाकर रखे है. मैं वित्‍तमंत्री महोदय से आग्रह करना चाहता हूं कि जब वह अपना भाषण देंगे तो कम से कम प्रदेश के युवाओं के ऊपर एक कृपा करेंगे कि उनकी नि:शुल्‍क भर्ती के आवेदन लिये जायें. और उसके बाद जो राशि ली जाती है और अगर परीक्षा आप निरस्‍त कर देते हो तो उनका आने जाने से लेकर वह पैसा लौटाने का काम करिये. मध्‍यप्रदेश सरकार कमाई करने वाली सरकार नहीं है, (XXX) युवाओं के साथ आप अगर (XXX) यह मैं आपसे कहना चाहता हूं.

          माननीय सभापति महोदय, कुछ और महत्वपूर्ण बातें हैं. पूरे प्रदेश में होर्डिंग्स लग रहे हैं. 23 हजार एकड़ भूमि माननीय शिवराज सिंह जी ने खाली करा ली. मैं बोलना चाहता हूं कि  यह 23 हजार एकड़ भूमि गरीबों में बंटेगी कब ? सरकार के सामने चुनाव है और  23 हजार एकड़ भूमि पब्लिक डोमेन में डलेगी कब ?  एक बड़ा ज्वलंत उदाहरण आपको देता हूं. जिस दिन नीलबड़ में माननीय मुख्यमंत्री जी इस बात की घोषणा कर रहे थे वहीं के एक पार्षद जी के द्वारा एकड़ों में जमीन पर कब्जा करके रखा हुआ है. उनका पेट्रोल पंप है. कहते हैं कि भूमाफियाओं पर  कार्यवाही करेंगे. उसके मेरे पास कागजात हैं. आप कहो तो मैं उनको पटल पर रख दूं. बिल्कुल साक्षात  अपने आप में ज्वलंत उदाहरण के कागजात हैं कि पार्षद जी के द्वारा वहां पूरी सरकारी जमीन पर कब्जा करके रखा हुआ है. इस पर भी कार्यवाही और भूमाफियाओं पर बुलडोजर कब चलेगा कृपया मंत्री जी बताने का कष्ट करेंगे. माननीय सभापति महोदय, मैं आपके कहना चाहता हूं कि लाड़ली बहना योजना एक अच्छी योजना है.

 

12.31 बजे                                   अध्यक्षीय घोषणा

                                    भोजनावकाश न होने विषयक

          सभापति महोदय - आज भोजनावकाश नहीं होगा. भोजन की व्यवस्था सदन की लाबी में की गई है. माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि सुविधानुसार भोजन ग्रहण करने का कष्ट करें.

 

12.32 बजे               वर्ष 2023-2024 के आय-व्ययक पर सामान्य चर्चा (क्रमश:)    

            श्री विनय सक्सेना - माननीय सभापति महोदय, एक और सच्चाई सामने आई है कि मध्यप्रदेश में एक साल के अंदर 28 रोजगार मेले लगाए गए लेकिन हर महिने सवा लाख बेरोजगार बढ़ रहे हैं. यह हालत मध्यप्रदेश की है. मध्यप्रदेश में पिछली बार के बजट में तो चाईल्ड बजट के नाम पर कितनी वाहवाही लूटी गई लेकिन 220 ऐसी योजनाएं हैं जिनको बजट का पैसा नहीं दिया गया. स्वयं आनंद विभाग जिसकी बड़ी तारीफ मुख्यमंत्री जी करते थे. 5 करोड़ का आवंटन हुआ ढाई करोड़ रुपये मात्र खर्च कर पाए. इसका मतलब है कि सरकार की कथनी और करनी में भारी अंतर है. मैं यह भी बताना चाहता हूं कि 6 साल में गरीबों को आपने बिजली में कोई छूट नहीं दी लेकिन 4 हजार करोड़ रुपये की छूट मध्यप्रदेश के उद्योगतियों को दी गई. 63 करोड़ रुपये तो मात्र पावर फैक्टर के नाम पर छूट दे दी गई. यह जो 785 करोड़ की छूट विद्युत मण्डल और 43 करोड़ की छूट, साथ ही साथ 4 हजार करोड़ रुपये की जो उद्योगपतियों को छूट दी गई. क्या मध्यप्रदेश में जिस तरह तहसीलदारों के नोटिस गरीबों के घरों पर जा रहे हैं.एक-एक विधायक के कार्यालय में 100-100 लोगों की रोज भीड़ लग रही है. तहसीलदार नोटिस दे रहे हैं कि आपको जेल भेजा जायेगा. जब 4 हजार करोड़ की छूट दे सकते हैं. 785 करोड़ की छूट उद्योगपतियों को दे सकते हैं लेकिन प्रदेश के गरीबों की जिनकी आज हालत नहीं है, कोरोना काल के बाद वे खड़े नहीं हो पाए. सरकार उनको 10 हजार रुपये का लोन देती है हाथ ठेला खरीदने के लिये और दूसरी तरफ नगर निगम का अमला उनके हाथ ठेले जब्त कर लेता है. क्या उनको बिजली की छूट उनको नहीं देनी चाहिये हमको. क्या उनके लिये कोई विशेष योजना नहीं लायी जानी चाहिये थी. लाड़ली बहना योजना आप लाए 18 साल बाद. आपको बहनों की याद आई लेकिन हमारी उन लाड़ली बहनों का क्या होगा जिनकी पुरानी पेंशन आप लागू नहीं कर रहे. सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय वित्त मंत्री जी से आग्रह करना चाहता हूं कि हमारी उन लाड़ली बहनों की भी चिंता करिये जिनको पूर्व वाली पेंशन मिलना है. उनको वह पेंशन मिलेगी तो उनको आपके 1 हजार रुपये की जरूरत नहीं पड़ेगी. आयुष्मान योजना का बड़ा ढिंढोरा पीटा जा रहा है लेकिन वह भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही है.आज ही मेरे पास जो जवाब आया है जबलपुर संभाग में 139 अस्पतालों के खिलाफ गड़बड़ी पाई गई. यह गड़बड़ी आपके शासन में हो क्यों रही है. आप तो सुशासन की बात करते हैं और एक संभाग में 139 अस्पतालों में गड़बड़ियां चल रही हैं यह स्वीकार करने का मतलब है कि मध्यप्रदेश में सुशासन नहीं कुशासन चल रहा है और विकास यात्रा कुछ भी निकालो लेकिन अब अंतिम दिन चल रहे हैं यह बात भी प्रदेश की जनता समझ गई है. हमारे मध्यप्रदेश में जो हालात हैं तीन साल में 4 हजार करोड़ रुपये का बजट मनरेगा में घट गया है. आप एक तरफ कहते हैं कि हम मजदूरों की चिंता कर रहे हैं. मध्यप्रदेश के आदिवासी भाई दूसरे प्रदेशों में जा रहे हैं. आप उनका हर साल बजट घटा रहे हो. यह अपने आप में दिखाता है कि मजदूरों के प्रति और आदिवासियों के प्रति  मध्यप्रदेश सरकार संजीदा नहीं है. मैं यह जरूर कहना चाहता हूं कि आयुष्मान मामले में जिस आशीष के खिलाफ कार्यवाही हुई लेकिन उन बड़े अधिकारियों को क्यों बचाया जा रहा है जिन बड़े अधिकारियों के संरक्षण के चलते आयुष्मान में इतने बड़े-बड़े घोटाले हो रहे हैं. एक और महत्वपूर्ण बात है  इसी भोपाल शहर की. यहां पर एक बंगला है.  माननीय गोपाल भार्गव साहब चले गये.यहीं 74 बंगले में हम सुनते थे कि 32 बंगले  बी टाइप के हैं.  एक बंगला है, वहां   पर,  जिसका नम्बर  9 है  और एक 8 नम्बर  किस व्यक्ति का है, यह  पूरा प्रदेश जानता है.  बगैर उसके  डिसमैंटलिंग  की अनुमति लिये,गोपाल भार्गव साहब से  और सरकार से. कलेक्टर महोदय के आदेश पर उस मकान  में  2 करोड़  रुपये की स्वीकृति  भी की गई.  एक तरफ  आप डिसमैंटल भी कर रहे हैं मकान को,  इसके पहले 74 बंगले  के कोई मकान  डिसमैंटल  नहीं किये गये और उस मकान को डिसमैंटल करके  मंत्री जी की बगैर अनुमति के,  उस पर 2 करोड़ रुपये किस आधार  पर स्वीकृत हो गये. यह गरीबों का काम  करने वाली सरकार है कि प्रदेश के  जो  प्रमुख लोग हैं,  उनके मकान बनाने के लिये नियम विरुद्ध तरीके से  आप 2 करोड़ रुपये की स्वीकृति दे रहे हैं और फाइल मंत्री जी   तक जा नहीं रही है. मंत्री जी के पास अगर फाइल गई  हो, तो  वह कृपा करके  बता दें,  जबकि उनके बगैर तो  2 करोड़ रुपये स्वीकृत  भी नहीं हो सकता था पीडब्ल्यूडी से.  जब बंगला आप डिसमैंटल  कर रहे हैं,  तो वहां पर  बंगला बनाने  के लिये 2 करोड़ रुपये की स्वीकृति  कैसे   आप दे रहे हैं.  एक और बड़ा घोटाला सामने  आ रहा है  और लगातार ऐसे घोटाले सामने आ रहे हैं.  मध्यपप्रदेश के अधिकारियों की तो आप  बात करें तो 49  अधिकारी हैं,  जिसको प्रदेश सरकार  ने  अनुमति नहीं दी है ईओडब्ल्यू  को  और मध्यप्रदेश के लोकायुक्त महोदय ने माना..

          सभापति महोदय-- कृपया अपनी बात समाप्त कीजियेगा.

          श्री विनय सक्सेना-- सभापति महोदय, एक मिनट में अपनी  बात समाप्त करता हूं.  जब बड़े लोगों की बात आती है,  तो  क्यों आप रोकने लगते हैं.

          सभापति महोदय-- नहीं, बोलिये आप.  एक मिनट में अपनी बात समाप्त कीजियेगा.

          श्री विनय सक्सेना-- सभापति महोदय,  मैं आपसे एक बात और कहना चाहता हूं कि  माननीय लोकायुक्त का जो खुलासा हुआ है. पिछले एक साल के अन्दर  मध्यप्रदेश में 26 परसेंट  भ्रष्टाचार बढ़ा.  एक साल में 26 परसेंट  भ्रष्टाचार बढ़ा, यह मध्यप्रदेश  के लोकायुक्त खुलासा कर रहे हैं.  इसका मतलब है कि मध्यप्रदेश  की सरकार किस तरह से चल रही है.  कुछ चंद अधिकारी बजट बना रहे हैं, कुछ चंद अधिकारी पूरे बड़े बड़े काम कर रहे हैं  और  जब कमलनाथ जी कहते हैं कि  यह कलाकारी की सरकार  है,  इसका मतलब है कि यहां भ्रष्टाचार  सिर पर चढ़कर बोल रहा है.  सभापति महोदय, आपने  बोलने के लिये समय दिया, इसके लिये धन्यवाद.

          श्री आशीष गोविन्द शर्मा(खातेगांव)--  सभापति महोदय, धन्यवाद.  मैं  सामान्य  बजट  माननीय वित्त मंत्री, श्री जगदीश देवड़ा जी ने  जो प्रस्तुत किया है, उसका समर्थन करता हूं.  बजट किसी भी सरकार का  आने वाले वर्ष का लेखा जोखा  होता है और इस सरकार ने   कई सारे  बजट  इस मध्यप्रदेश  को दिये.  श्री जगदीश देवड़ा जी ने जो  बजट  इस मध्यप्रदेश को दिया है,  वह   बेहद संतुलित है,समाज के हर वर्ग का  उसमें ध्यान रखा गया है. खास करके  उन योजनाओं को या उन क्षेत्रों को  इस बजट में विशेष ध्यान दिया गया है. जिनके कारण  मध्यप्रदेश की पहिचान  पूरे भारत वर्ष  में और पूरी दुनिया  में हुई  है. सरकार हम हर 5 साल में बनाते हैं  और लोकतंत्र  में व्यक्ति  अपने मताधिकार  का  उपयोग इसी भावना के साथ करता है  कि जो सरकार चुनी जाये,  वह उसके जीवन में आमूल-चूल  बदलाव लाये  और जो सरकार  इस बदलाव को लेकर आती है,  उस सरकार के प्रति  व्यक्ति के  मन में सकारात्मक भाव उत्पन्न होते हैं.    मध्यप्रदेश की जनता का शिवराज सिंह जी की सरकार के प्रतति जो विश्वास है, वह किसी एक साल के काम का नतीजा  नहीं है. लगातार जब सरकार ने  काम किया, लोगों के जीवन में परिवर्तन  आने लगे,  तब इस सरकार को प्रशंसा मिली. सरकार को जनता का समर्थन मिला  और इस कारण से लगातरार चौथी बार  मध्यप्रदेश में  शिवराज सिंह जी की सरकार आज काम कर रही है.  मध्यप्रदेश  अगर आज के विकास की हम बात करते हैं,  तो  हमें पुरानी बदहाली की तरफ भी  देखना पड़ता है,  क्योंकि विकास की तुलना उन परिस्थितियों से अवश्य की जाती है,जो जनता ने पहले भुगती हैं.  आज अच्छी ससड़कें हैं, गांव-गांव, शहर-शहर मकान बन रहे हैं. पेयजल की सुनिश्चितता  हो रही है. तो कहीं न कहीं हमारा मध्यप्रदेश  बदल रहा है.  इस बात को स्वीकार करने में  किसी को  आपत्ति नहीं होना चाहिये. क्योंकि  आज आम व्यक्ति, किसान,मजदूर,  गरीब के  जीवन में जो परिवर्तन  आया है, वह सरकार के कामों का ही एक प्रकाश है.  इसलिये मैं कह सकता हूं कि वित्त मंत्री जी ने  इस बार के बजट में प्रधान मंत्री  आवास   के लिये  जो  बजट ग्रामीण क्षेत्र में 8 हजार करोड़  और शहरी क्षेत्र में  2800 करोड़ रुपये की  जो राशि  का प्रावधान किया है,  इससे निश्चित ही गरीबों  के पक्का मकान बनाने का  जो सपना है, वह साकार हो सकेगा. लोग जिंदगी भर कमाते हैं, लेकिन उसके   बाद  भी  इतना पैसा नहीं जोड़ पाते थे कि अपना  मकान बना पायें.  प्रधानमंत्री जी की यह महत्वकांक्षी  योजना,  जिसे मध्यप्रदेश में  प्रभावशाली तरीके से लागू किया जा रहा है.  निश्चित ही वर्ष 2023-24 तक  हम और लाखों लोगों के मकान  बनते हुए मध्यप्रदेश में देखेंगे. इससे गरीब का पक्के मकान में रहने का सपना साकार करने में मदद मिलेगी. सरकार, शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, बिजली इन क्षेत्रों में बहुत काम करती है, बहुत बजट का हिस्सा खर्च करती है. एक समय में गरीब के मकान की पहचान लालटेन और चिमनी हुआ करती थी और पैसे वाला जब बिजली नहीं मिलती थी तो अपने घर इनवर्टर और जनरेटर का प्रबंध करके लाइट की व्यवस्था करता था. लेकिन आज हम बिजली में सरप्लस हैं. इस पर सबको गौरव होना चाहिए. एक समय हम बिजली खरीदते थे. घंटों तक लोड सेटिंग, अंडर फ्रिक्वेंसी में लाइट कटती थी, लेकिन आज ग्रामीण क्षेत्र हो या शहरी क्षेत्र हो, किसी तकनीकी त्रुटि के कारण व्यवधान उत्पन्न होता है तो चलता है, लेकिन कमोबेश हर जगह 24 घंटे घरेलू उपभोक्ताओं को बिजली मिल रही है. 10 घंटे किसान को बिजली मिल रही है. सबसे बड़ी बात यह है कि इससे किसान के जीवन में बहुत सकारात्मक परिवर्तन आया है.

          सभापति महोदय, बहुत सारे कांग्रेसी मित्र बार-बार यह प्रश्न उठाते हैं कि खेती लाभ का धंधा बनेगी. किसानों की आय दोगुनी करेंगे. निश्चित ही यह हमारा संकल्प है क्योंकि किसान जो इस धरती का अन्न दाता है, जिसके कारण हमारे बाजारों में रौनक रहती है. उसको खेती करने में लाभ हो, इसके लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है. वास्तव में किसान को अगर सिंचाई के पर्याप्त साधन मिल जाय. पर्याप्त मात्रा में बिजली मिल जाय. जीरो प्रतिशत ब्याज पर उसको ऋण मिल जाय, उसकी उपज का सही दाम मिल जाय. ओला पाला गिरने पर,  फसल खराब होने पर उसकी अगर नुकसान की भरपाई हो जाय तो निश्चित ही उस किसान को इस बात का भरोसा रहता है कि सरकार संकट के समय मेरे साथ खड़ी रही.

सभापति महोदय, मैं यह कहना चाहता हूं कि शिवराज जी की सरकार ने लगातार किसानों के लिए चरणबद्ध रूप से काम किये हैं क्योंकि जमीनें तो बढ़ती नहीं हैं, उतनी ही जमीन किसान के पास होती है, जो उसके पूर्वजों से उसको मिली हुई है, लेकिन आज से 20 वर्ष पूर्व जिस किसान को खाद के लिए ऋण के लिए भटकना पड़ता था, आज उसको समय पर ऋण मिल रहा है, जीरो प्रतिशत ब्याज पर ऋण मिल रहा है. ओला पाला गिरने पर, प्राकृतिक आपदा आने पर सरकार उसको मुआवजा भी देती है. बीमे का प्रबंध भी कराती है और तो और उस किसान की कृषि कार्य करते हुए यदि दुर्घटना में मृत्यु हो जाय तो भी 4 लाख रुपये की राशि सरकार उसके परिवार को देती है. खेती और उससे जुड़ी हुई चाहे पशु हों, चाहे उसकी अन्य संपदा हो, उसका भी नुकसान होने पर सरकार ने आरबीसी 6 (4) में संशोधन करके उस किसान की मदद की है. इस बार फसल बीमा योजना के लिए  2000 करोड़ रुपये का प्रावधान बजट में किया गया है. मैं वित्त मंत्री जी को धन्यवाद देता हूं और जीरो प्रतिशत ब्याज पर किसानों को ऋण देने के लिए सरकार 32100 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष खर्च करती है, यह भी अपने आप में एक उल्लेखनीय आंकड़ा है, जिसके कारण आज किसान भाइयों को साहूकारों के आगे हाथ नहीं फैलाना पड़ता है. साथ ही मध्यप्रदेश की सरकार, केन्द्र सरकार, जो हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी किसान सम्मान निधि के 6000 रुपये किसान भाइयों को दे रहे हैं उसमें किसान कल्याण योजना के माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री जी भी 4000 रुपये दे रहे हैं. किसी को लगता होगा कि 10000 रुपये में क्या होता है, लेकिन जिस छोटे किसान को 10000 रुपये की राशि प्रतिवर्ष मिलती है उससे पूछिए गरीब को अगर एक रुपया भी मिल जाय तो उसको इस बात का मन में संतोष होता है कि सरकार मेरी सीधे तौर पर मदद कर रही है.

सभापति महोदय, डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर स्कीम के माध्यम से सरकार की विभिन्न योजनाओं का पैसा आज सीधा किसान भाइयों, मजदूरों, महिलाओं के खाते में पहुंच रहा है . साथ ही साथ सरकार ने सिंचाई के क्षेत्र में बजट में बड़े प्रावधान किये हैं. इस बात का संतोष है कि उन क्षेत्रों में जहां पर सिंचाई के लिए ट्यूबवेल और कुएं पर किसान न केवल निर्भर  थे, आज वहां सिंचाई परियोजनाएं पहुंच रही है. एक समय में अलीराजपुर, झाबुआ, सरदारपुर हमारा जो आदिवासी क्षेत्र है, जहां पर सिंचाई की कोई बड़ी परियोजना नहीं होती थी, आज वहां पर नर्मदा झाबुआ पेटलावद थांदला सरदारपुर उद्वहन सिंचाई परियोजना, बदनावर नर्मदा पार्वती लिंक, मालवा नर्मदा गंभीर लिंक, मेरे विधानसभा क्षेत्र में माननीय मुख्यमंत्री और विभाग के माध्यम से छीपानेर माइक्रो इरिगेशन, जिसमें 52 गांवों की हजारों हैक्टेयर भूमि सिंचित होगी. हंडिया बैराज परियोजना जिससे लगभग 35 हजार हैक्टेयर भूमि सिंचित होगी, यह किसानों के लिए सपना ही हुआ करता था, लेकिन सरकार ने इस बजट में सिंचाई परियोजनाओं के लिए विकास के लिए भी राशि स्वीकृत की है. मैं वित्त मंत्री जी को धन्यवाद देता हूं. साथ ही साथ स्वास्थ्य सुविधाएं अगर अच्छी हों, बेहतर हों तो व्यक्ति को बीमार होने पर इस बात का भरोसा रहता है. सरकार हमारा इलाज कराएगी. आज शासकीय अस्‍पतालों में 500 से अधिक दवाएं नि:शुल्‍क मिल रही हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि सरकार ने 108 जैसी सुविधाओं का, जननी एक्‍सप्रेस जैसी सुविधाओं का विस्‍तार किया है जिसके कारण धात्री माताओं को, गर्भवती महिलाओं को हॉस्पिटल जाने में, प्रसूती केन्‍द्र जाने में असुविधा नहीं हो रही है. आज परिवार में कोई हो, नहीं हो लेकिन आशा कार्यकर्ता और जननी एक्‍सप्रेस उस महिला को ले जाकर सुरक्षित प्रसव कराती है और उसको प्रधानमंत्री मातृ वंदन योजना के माध्‍यम से प्रथम डिलेवरी पर 5,000 रुपये द्वितीय डिलेवरी पर अगर बेटी उसके यहां होती है तो 6,000 रुपये की राशि और जननी सहायता भी मध्‍यप्रदेश की सरकार उनको प्रदान कर रही है. साथ ही साथ स्‍वास्‍थ के क्षेत्र में जिला मुख्‍यालयों पर डायलिसिस और सीटी स्‍केन की जो व्‍यवस्‍था सरकार ने की है उसके कारण आज गरीब लोगों को भी इन जांचों को कराने में सुविधा प्राप्‍त हो रही है. ब्‍लाक स्‍तर के मुख्‍यालयों पर विभिन्‍न तरह की लगभग 100 तरह की जांचें अस्‍पतालों में नि:शुल्‍क की जा रही हैं. कुल मिलाकर हमारी सरकार ने गरीब के जीवन को, मध्‍यम वर्ग के जीवन को और ज्‍यादा सुलभ बनाने के लिये प्रयास किया है. इस कारण मैं यह कह सकता हूं कि चाहे स्‍वास्‍थ्‍य हो, चाहे शिक्षा हो, सरकार उल्‍लेखनीय काम कर रही है. अगर यह काम बहुत पहले हो जाते तो आज हमारा मध्‍यप्रदेश, आज हमारा देश बहुत आगे विकास के मामले में पहुंच गया होता.

          सभापति महोदय, शिक्षा के क्षेत्र में हमारी सरकार सीएम राइज़ जैसे महत्‍वपूर्ण संस्‍थान लेकर आई है. निश्चित ही जब सीएम राइज़ स्‍कूल पूरी तरह से बनकर तैयार होंगे, चालू होंगे तब लगेगा कि किसी निजी विद्यालय से बढि़या शिक्षा व्‍यवस्‍था सरकार प्रदान कर रही है. मैं ऐसा मानता हूं कि निजी क्षेत्रों में बहुत कम वेतन और सुविधाएं मिलती हैं लेकिन सबसे अच्‍छे डॉक्‍टर, सबसे अच्‍छे टीचर आज भी सरकार के पास ही हैं. इसलिये सीएम राइज़ के माध्‍यम से जब गरीब बच्‍चे अपने घरों से शासकीय स्‍कूल बसों में बैठकर जाएंगे तब वास्‍तव में परिवार का वह सपना साकार होगा कि हमारे पास पैसा नहीं था लेकिन आज सरकार ने इतना अच्‍छा स्‍कूल हमारे बच्‍चों को दिया है कि वह भी निजी स्‍कूलों से कमतर सुविधाओं के अलावा आज अच्‍छे स्‍कूलों में पढ़ पा रहे हैं. निश्चित ही सरकार के इन प्रयासों से एक सामाजिक परिवर्तन हमको देखने के लिये मिल रहा है. ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूर के बेटा-बेटी उसके साथ ही मजदूरी करते थे, लेकिन आज वह स्‍कूल तक जा रहे हैं. आंगनबाडि़यों के माध्‍यम से पोषण आहार की सुविधा हो, चाहे कुपोषित बच्‍चों की परवरिश का मामला हो, निश्चित ही हमारी आंगनबाड़ी की कार्यकर्ता बहनें, आशा कार्यकर्ता बहुत अच्‍छा काम कर रही हैं.

          सभापति महोदय सम्‍मानित सदस्‍य जी, अपनी बात थोड़ी जल्‍दी समाप्‍त करें.

          श्री आशीष गोविंद शर्मा जी. सभापति महोदय, सबसे महत्‍वपूर्ण बात मैं आपको बताना चाहता हूं कि पहले की सरकारें चाहे ग्रामीण क्षेत्र हो, चाहे शहरी क्षेत्र हों हैंड पम्‍प लगाने की मांग हम सब जनप्रतिनिधियों से जनता करती थी. गांवों में नल से पानी मिल जाए यह तो एक सपना था, लेकिन आज मध्‍यप्रदेश के 56 लाख घरों तक सरकार ने नलों के माध्‍यम से पानी पहुंचाया है. इस बजट में भी लगभग 900 के आसपास पेयजल योजनाएं स्‍वीकृत की गई हैं. गांव में जो महिलाएं अपने सिर पर मटका रखकर, गगरी रखकर पानी लाती थीं, बरसों से वह यह उपक्रम करती जा रही हैं, गांव का कुँआ सबकी प्‍यास बुझाता था लेकिन आज उन गांवों में घर की देहरी पर जब नलों से पानी पहुंचता है तब लगता है कि हॉं आज भारत वास्‍तव में हमको आजाद महसूस हो रहा है. महिलाओं को आज इस बात की आजादी मिली है कि उनको घर पर पीने के पानी की सुविधा सरकार मुहैया करा रही है. वर्ष 2025 तक जब मध्‍यप्रदेश के प्रत्‍येक घर में नलों से पानी पहुंचने लगेगा तब ग्रामीण क्षेत्र हो या शहरी क्षेत्र हो, एक अलग तरह का मध्‍यप्रदेश हमको देखने के लिये मिलेगा. सरकार ने इस बार भी जल जीवन मिशन के लिये 58,800 करोड़ रुपये की योजना बनाई है. मैं धन्‍यवाद देता हूं. लगभग 65 प्रतिशत आंगनबाडि़यों में भी पेयजल की सुविधा उपलब्‍ध कराई है. स्‍कूलों में भी लगभग 60 प्रतिशत स्‍कूलों तक नल की सुविधा सरकार ने मुहैया कराई है.

            सभापति महोदय, सबसे बड़ी बात यह है कि सरकार ने तीर्थदर्शन जैसी योजना को भी इस बजट में जारी रखा है. मैं माननीय वित्‍त मंत्री जी को इसके लिये धन्‍यवाद देता हूं. इंदौर और भोपाल हमारे बहुत बड़े शहर हैं. एक आर्थिक राजधानी है और एक हमारे मध्‍यप्रदेश की राजधानी है, यहां पर मेट्रो रेल का काम देखते हुये संतोष होता है कि आज हमारा मध्‍यप्रदेश भी उन महानगरों से पीछे नहीं है जहां पर मेट्रो रेल चल रही है. निश्चित ही बढ़ता यातायात और दुर्घटनाएं हमको लोक परिवहन की तरफ ले जाने के लिये आकर्षित करती हैं और इसलिये लोक परिवहन आने वाले समय में नागरिकों की सुविधाओं का यातायात का जरिया बने यह हम सबकी प्राथमिकता होनी चाहिये. संबल योजना हो चाहे हमारी नई योजना..

          सभापति महोदय -- सम्‍माननीय सदस्‍य जी, अपनी बात जल्‍दी समाप्‍त कीजिए.

          श्री आशीष गोविन्‍द शर्मा -- जी हां, सभापति महोदय, अभी जल्‍दी ही समाप्‍त कर रहा हूँ. संबल योजना के माध्‍यम से गरीब परिवारों को सामान्‍य मृत्‍यु होने पर 2 लाख रुपये और दुर्घटना में मृत्‍यु होने पर 4 लाख रुपये की राशि सरकार मदद स्‍वरूप देती है. इस योजना से भी गरीब के मन में सरकार के प्रति विश्‍वास बढ़ता है. सरकार ने किसानों के लिए गेहूँ, चना, मूंग, सरसों, इन सब उपजों का उपार्जन किया है. मेरे ख्‍याल से मध्‍यप्रदेश ही देश का एकमात्र ऐसा राज्‍य होगा जो इतने सारे खाद्यान्‍नों का उपार्जन किसानों भाइयों से करता है, जिसके कारण किसान को सही दाम मिल पाता है और उसे पैसे मिलने में भी दिक्‍कत नहीं होती. ऐसी बहुत सारी योजनाएं मध्‍यप्रदेश की सरकार ने इस बजट में ली है. मैं इस बजट का समर्थन करता हूँ और माननीय वित्‍त मंत्री जी को धन्‍यवाद देता हूँ कि जिन्‍होंने इतना अच्‍छा बजट प्रस्‍तुत किया. बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          श्री जयवर्द्धन सिंह (राघोगढ़) -- माननीय सभापति महोदय, 1 मार्च, 2023, जिस दिन बजट प्रस्‍तुत हो रहा था, उसी दिन सुबह पूरे प्रदेश को बहुत बड़ी खुशखबरी मिली. रसोई गैस में 50 रुपये की वृद्धि हुई और व्‍यावसायिक रसोई गैस में 263 रुपये की वृद्धि हुई. भाजपा सरकार की तरफ से पूरे प्रदेश को बहुत बड़ा तोहफा मिला. यह तो सौदे वाली सरकार का आखरी बजट है.

          सभापति महोदय, बहुत आश्‍चर्य की बात है कि बजट इस बार ऐसा पेश हुआ है, जहां सरकार की प्राप्‍तियां अनुमानित रूप से लगभग 2 लाख 25 हजार करोड़ रुपये की है और वहीं जो व्‍यय अनुमानित रूप से है, वह 3 लाख 14 हजार करोड़ रुपये का है. मतलब कि जो शेष 90 हजार करोड़ रुपये हैं, वे कहां से आने वाले हैं, मुझे पूरा विश्‍वास है कि माननीय वित्‍त मंत्री जी जब अपना उद्बोधन देंगे तो इसके बारे में स्‍पष्‍टीकरण करेंगे. सभापति महोदय, अगर हम वर्ष 2022-23 का हिसाब देखें तो पिछले वर्ष के बजट में भी अनुमानित व्‍यय 2 लाख 47 हजार करोड़ रुपये का था, लेकिन सरकार उसमें से 1 लाख 17 हजार करोड़ रुपये खर्च ही नहीं कर पाई. यह इनकी वास्‍तविकता है. मैं तो आपसे अर्ज करना चाहूँगा कि अब एक नियम इसमें बने विधान सभा के अंदर कि जब नया बजट पेश हो तो कम से कम माननीय वित्‍त मंत्री जी इसका भी उल्‍लेख करें कि जो पिछला बजट था, उसमें जो अनुमानित खर्चा था, उसमें से कितना खर्च हो पाया, कितना खर्च नहीं हो पाया. आपने इस बार हर विपक्ष के विधायक को सुना होगा, हम सबने इस बात का उल्‍लेख किया है कि आज सबसे बड़ा खतरा अगर कोई है तो जो सरकार पर बढ़ता हुआ ब्‍याज है, सरकार पर लगातार ब्‍याज बढ़ रहा है, उसके कारण जो नई नीतियां हैं, वे साकार नहीं हो पा रही हैं.

          सभापति महोदय, आज यह स्‍थिति बन गई है कि सिर्फ इन्‍टरेस्‍ट का अगर हम अनुमान निकालें, ब्‍याज का अनुमान निकालें तो लगभग 80 हजार करोड़ रुपये हर साल यह सरकार ब्‍याज में खर्च कर रही है. सीएम साहब कहते हैं कि हां, हमने ब्‍याज लिया है, लेकिन विकास के लिए लिया है, परंतु अगर हम पूरे बजट का ध्‍यान से अध्‍ययन करेंगे, मैं आपको अर्ज करना चाहता हूँ, वर्ष 2018 में आज से पांच साल पहले पूर्व वित्‍त मंत्री श्री जयंत मलैया जी ने भाषण दिया था, उसमें उन्‍होंने उल्‍लेख किया था और उस भाषण में यह लिखा गया है कि वर्ष 2025 तक मध्‍यप्रदेश में सिंचाई का रकबा 80 लाख हैक्‍टेयर हो जाएगा. इस बार जो बजट है, उसके भाषण में कहा गया है कि वर्ष 2025 तक सिंचाई का रकबा 65 लाख हैक्‍टेयर तक होगा. तो यह क्‍या त्रुटि है, इसका स्‍पष्‍टीकरण कर दें. वर्ष 2018 में कह रहे थे कि वर्ष 2025 तक 80 लाख हैक्‍टेयर सिंचित हो जाएगा और अब ये कह रहे हैं कि वर्ष 2025 तक 65 लाख हैक्‍टेयर हो जाएगा. इसका कारण क्‍या है. इसका कारण यही है कि...

          श्री रामपाल सिंह -- इसका कारण यह है कि 10 दिन में 2 लाख हो गए. ऐसे ही मान लो इसको.

          डॉ. सीतासरन शर्मा -- बीच में आप आ गए ना.

          श्री जयवर्द्धन सिंह -- आप इतना मत बौखलाइये, क्‍योंकि एक बार जब बजट में ये बातें आ जाती हैं..

          डॉ. सीतासरन शर्मा -- माननीय सिंह साहब, बीच में आप आ गए, एक साल, तो गड़बड़ा गया बजट. हमको 15 लाख कम करना पड़ा.

          श्री जयवर्द्धन सिंह -- आपको भी वहां बैठना चाहिए था. अब 7 महीने रह गए हैं.

            श्री बाला बच्‍चन -- और कभी 5 साल टिक जाते, तो कितना गड़बड़ा जाता. 5 साल टिक जाते, तो क्‍या हाल हो जाते...(व्‍यवधान)...

          सभापति महोदय -- सम्‍मानीय सदस्‍य, अपनी बात बोलें..(व्‍यवधान)..

          डॉ. सीतासरन शर्मा -- 7 लाख पर आ जाते..(व्‍यवधान)..

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- बाला जी, एक कहावत है (XXX)

          सभापति महोदय -- इसे विलोपित करें और माननीय सदस्‍य आप अपनी बात बोलिए.

          श्री जयवर्द्धन सिंह -- माननीय सभापति महोदय, वर्ष 2022-23 के बजट में बहुत विशेष तौर पर उल्‍लेख किया गया था कि इस साल का बजट चाइल्‍ड बजट कहलाया जाएगा. बच्‍चों पर, कुपोषण पर विशेष ध्‍यान दिया जाएगा लेकिन बहुत अफसोस की बात है कि पिछले वर्ष 2022-23 में एक तरफ महिला बाल विकास विभाग के लिये 7000 करोड़ रूपए का प्रावधान था, लेकिन उसमें से सरकार सिर्फ 3800 करोड़ रूपए खर्च कर पायी. इससे स्‍पष्‍ट दिखता है कि इस सरकार की क्‍या हालत है. आप चाइल्‍ड बजट की बात कर रहे हैं लेकिन उसी बजट के और उसी कार्यकाल में पोषण आहार का घोटाला हुआ. वह घोटाला, जिसके कारण जो कुपोषित बच्‍चे पूरे मध्‍यप्रदेश में हैं उनका ही पोषण आहार यह भ्रष्‍ट सरकार डकार गई.

          सभापति महोदय, मैं आपसे अर्ज करना चाहता हॅूं कि आज अगर सबसे बड़ी चुनौती हम सबके सामने है तो जो शिक्षित युवा हैं, जिसका पहले व्‍यापमं घोटाले के कारण भविष्‍य खराब हो गया था, आज वही शिक्षित युवा परेशान है, बेरोजगार घूम रहा है. विनय भाई ने उनके भाषण में माननीय मेवाराम जाटव जी के प्रश्‍न का उल्‍लेख किया था जिसमें कि उन्‍होंने पूछा कि पिछले तीन साल में कितने लोग बेरोजगार हैं जिन्‍होंने आवेदन दिया है.कितनों को सरकारी नौकरी मिली है. उनके उत्‍तर में आया कि 37 लाख बेरोजगार हैं और उनमें से सिर्फ 21 युवाओं को सरकारी नौकरी मिली है और (XXX) अभिभाषण में भी और बजट में भी उल्‍लेख कर रही है कि इस साल 1 लाख सरकारी पद दिये जाएंगे जबकि आज के समय अगर हम जमीन पर देखें तो शिक्षाकर्मी आंदोलित हैं, चिकित्‍साकर्मी आंदोलित हैं, हड़ताल कर रहे हैं. एक-एक कोविड वॉरियर की भर्ती कब की गई थी, जब पूरा देश संकट में था. उस समय सरकार ने कोविड के लिये एमबीबीएस डॉक्‍टरों को हॉयर किया था, उनको नौकरी दी थी लेकिन जैसे ही कोविड खतम हो गया, उनकी नौकरी खतम हो गई. क्‍या यह उनके साथ न्‍याय है ? हमारी उसमें विशेष मांग रहेगी कि अगर माननीय वित्‍त मंत्री जी इस विषय पर गंभीर हैं तो सबसे पहले एक-एक कोविड वॉरियर को भी स्‍थायी रूप से रखा जाए. यही नहीं, मैं तो स्‍पष्‍ट कहना चाहता हॅूं कि वर्तमान में मध्‍यप्रदेश में जो भी सरकारी नौकरियां हैं, चाहे वह पंचायत सचिव हो, चाहे रोजगार सहायक हो, चाहे आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हो, चाहे आंगनवाड़ी सहायिका हो, चाहे आशा कार्यकर्ता हो, अगर यह सब किसी की देन है, तो कांग्रेस सरकार की देन है.

          सभापति महोदय, एक तरफ माननीय शिवराज सिंह चौहान जी 15 साल से मुख्‍यमंत्री रहे हैं लेकिन उनके पूरे कार्यकाल में मध्‍यप्रदेश के पूरे युवाओं को एक भी नये सरकारी पद नहीं दिये गये हैं. यह वास्‍तविकता है. मैं आपसे अर्ज करना चाहता हॅूं कि सिर्फ स्‍थायीकर्मी ही नहीं, सिर्फ हमारे संविदाकर्मी ही नहीं बल्‍कि आज पूरे मध्‍यप्रदेश में सहारा चिटफंड घोटाले के कारण कल मध्‍यप्रदेश में बड़ा प्रदर्शन था और अगर हम इसके आंकड़ों का अध्‍ययन करें, तो पूरे मध्‍यप्रदेश में, अकेले सिर्फ मध्‍यप्रदेश में ही 5000 करोड़ रूपयों का गबन हुआ है. अफसोस की बात यह है कि न तो सरकार इस पर कोई कार्यवाही कर रही है. यह लोग हर जिले में घूम रहे हैं. एफआईआर की मांग कर रहे हैं और उस पर यह भी मांग कर रहे हैं कि सहारा कंपनी के पास संपत्‍ति हर जिले में है और संपत्‍ति ऐसी है जो मेन रोड पर है, हाईवे पर है. अगर सरकार इस विषय पर गंभीर है तो सबसे पहले एक-एक जिले में, जहां सहारा कंपनी की कंपनियां हैं जहां उनकी जमीनें हैं, उसको कुर्क किया जाए लेकिन भाजपा के अमृतकाल में क्‍या किया जा रहा है. मैं इस पूरे सदन का ध्‍यान आकर्षित करना चाहता हूँ. मेहगांव और भिण्‍ड की बात है. जहां पर दो किसान मुरली कुशवाह, राजकुमार कुशवाह, जिनका बिजली का बिल बकाया था, उनकी जमीन कुर्क की गई, सभापति महोदय, यह इनकी असलियत है और जब इसमें बयान लिया गया तहसीलदार का, तो उन्होंने खुद स्वीकारा है कि जिन खसरा राशि पर बिल चढ़ाए गए हैं, उनकी भूमि राजस्व रिकार्ड में बंधक रहेगी, बंधक क्यों रहेगी क्योंकि उन्होंने बिजली के बिल नहीं भरे हैं. सभापति महोदय, भाजपा सरकार की यह असलियत है इसमें मैं आपको अर्ज करना चाहता हूँ कि इसकी शुरुआत कहाँ से हुई है. मैं सदन में पंचायत ग्रामीण विकास विभाग के राजपत्र के बारे में उल्लेख करना चाहता हूँ जो प्रस्तुत हुआ था 12 अक्टूबर 2022 को, जिसमें पहली बार 75 साल में ऐसा हुआ है कि अब मध्यप्रदेश की पंचायतों में भी आवासीय भवन पर, व्यावसायिक भवन पर, टैक्स लगाया जाएगा, यह वर्तमान सरकार की असलियत है. अगर आप इस विषय पर गंभीर हैं, मैं आज अर्ज करूँगा वित्त मंत्री जी से कि अगर आप एक प्रतिशत भी संवेदनशील हैं तो आज आप घोषणा करें कि पंचायतों में, ग्रामीण क्षेत्रों में,  जो संपत्ति कर लगाया गया है, जो पहले कभी नहीं था, इसको वापिस लिया जाए. सभापति महोदय, यह हमारी विशेष मांग रहेगी.

          सभापति महोदय--  आप अपनी बात जल्दी समाप्त कीजिए.

          श्री जयवर्द्धन सिंह--  बस दो मिनिट और लूँगा. सभापति महोदय, इसके साथ साथ वर्तमान में जैसा कि हम सब जानते हैं, समय चल रहा है कटाई का, किसान भी व्यस्त हैं, लेकिन केसीसी में जो बकाया है उसकी पूर्ति करने की तारीख आई है 28 मार्च की, जबकि हम सब जानते हैं कि यह कटाई चलेगी पूरे अप्रैल के महीने में भी तो इसमें तत्काल आदेश दिए जाएँ कि कम से कम जो भी वसूली की जा रही है किसानों से वह विलम्ब की जाए, अप्रैल के महीने तक, 30 अप्रैल तक ताकि किसानों को पर्याप्त समय मिले.

इसके अलावा सभापति महोदय, मैं आप से अर्ज करना चाहता हूँ कि शिवराज सिंह जी आजकल हर भाषण में बुलडोजर के बारे में कहते हैं. लेकिन 2018 के पहले उनको यह शब्द पता नहीं था, न उसका उल्लेख किया जाता था. लेकिन 2018 के बाद जब 15 महीने सरकार कमल नाथ जी की थी तो हम वो समय याद करें जब इन्दौर में एक लैण्ड माफिया था जीतू सोनी के नाम का जिसमें, अनेक अखबार के ऑर्टिकल के माध्यम से, वीडियो के माध्यम से, कुछ चीजें छापी थीं और जिसमें भाजपा की पूर्व सरकारों के जो लोग लिप्त थे लेकिन उन पर कमल नाथ जी ने, ऐसे माफिया पर, बुलडोजर चलाया था और उसके बाद ही शिवराज सिंह जी आजकल पिछले 2 सालों से ऐसे बयान देते हैं बुलडोजर के बारे में, तो कहीं न कहीं, जो उन्होंने काफी कुछ जो सीखा है 15 महीने कमल नाथ जी से, मैं इस समय कहना चाहता हूँ कि अब इनके सिर्फ 7 महीने रह गए हैं, 7 महीने बाद पुनः सरकार काँग्रेस की बनेगी और अभी और बहुत सारे काम हैं जो इनको.....(व्यवधान)..

श्री रघुनाथ सिंह मालवीय--  ये सपने ही देखते रहना आप.

श्री जयवर्द्धन सिंह--  सभापति महोदय, आपका बहुत बहुत धन्यवाद.

सभापति महोदय--  सम्माननीय श्री सूबेदार सिंह रजौधा जी अपनी बात कहें.

          श्री सूबेदार सिंह रजौधा(जौरा)--  माननीय सभापति जी, बड़े सौभाग्य की बात है कि जब मुझे बोलने का अवसर मिलता है तो माननीय, आप आसन्दी पर विराजमान होते हैं. निश्चित रूप से मैं आशा करता हूँ कि मुझे 5 या 10 मिनिट का टाइम पहले ही दे दें, बीच में कहोगे कि बैठ जाओ तो फिर मामला बिगड़ जाता है.

          सभापति महोदय--  आप अपनी बात शुरू कीजिए.

          श्री सूबेदार सिंह रजौधा--  माननीय सभापति जी, हमारे माननीय वित्त मंत्री जी ने जो मध्यप्रदेश के सर्वांगीण विकास के लिए जो बजट में प्रावधान किए गए हैं उसमें वैसे तो सभी वर्गों का समावेश है लेकिन उन्होंने माता और बहनों के लिए बजट में जितना प्रावधान किया है. मैं उनका बहुत बहुत धन्यवाद करता हूँ. 3 लाख में से 1 लाख से अधिक का बजट माताओं और बहनों के लिए रखा है. सभापति जी, एक से बढ़कर एक योजना हमारी नारी शक्ति के लिए,  ताकतवर बनाने के लिए, आत्मनिर्भर बनाने के लिए, जो माननीय वित्त मंत्री जी ने, माननीय मुख्यमंत्री जी ने, बजट में प्रावधान किया है, वास्तव में मैं उनकी भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूँ बहुत-बहुत साधुवाद देता हूँ. सबसे पहले हमारे प्रदेश में जब ग्रामीण क्षेत्र में प्रसव होता था उस समय बैलगाड़ी के अलावा कोई साधन नहीं थे. ट्रेक्टर एकाध व्यक्ति के पास होता था. जननी सुरक्षा योजना के माध्यम से हमारे यशस्वी मुख्यमंत्री जी ने महिलाओं पर इतना स्नेह किया है इतनी मेहरबानी की है कि उनकी जितनी भी प्रशंसा की जाए वह कम है. मैं जब 15-20 साल की उम्र का था तब गांव में जब महिलाओं को प्रसव होता था, उस समय इनके जमाने में गांव में तो बिजली थी नहीं, बिजली तो वर्ष 2003 के बाद आई है. ग्रामीण महिलाएं द्वार में एक चादर लगा देती थीं उसको खड़िया कहते हैं वह लगा देती थीं और अग्नि पर गंधक डाल देती थीं कि कहीं जरावली की बीमारी न हो जाए. सभापति महोदय, जरावली नाम की कोई बीमारी नहीं थी बल्कि टिटनस की बीमारी का जच्चा और बच्चा दोनों को खतरा होता था. हमारे मुख्यमंत्री जी ने जननी सुरक्षा योजना शुरु की जिसमें 108 नंबर पर फोन करते हैं तो तत्काल गाड़ी आ जाती है और उनका स्वस्थ प्रसव कराकर घर पर गाड़ी छोड़ती है. कई बार तो आदमी को पता ही नहीं होता है, माताएं-बहनें ही 108 नंबर पर फोन करके गाड़ी से चली जाती हैं. स्वस्थ प्रसव के बाद मध्यप्रदेश के खजाने से 1500 रुपए लड्डू के लिए देने का भी काम किया जाता है. यह महिलाओं का हमारे मुख्यमंत्री जी ने सम्मान किया है.

          सभापति महोदय, चंबल क्षेत्र में लड़कियों का प्रतिशत बहुत गिर गया था. जब प्रतिशत गिरता है और लड़कों की संख्या ज्यादा होती है तो शादी नहीं होती है फिर ऐसी स्थिति में आदमी क्या करता है यह हम सब जानते हैं. परिवार में जब बेटी पैदा होती थी तो एक बेटी तक तो परिवार सहन कर लेता था लेकिन दूसरी बेटी पैदा हो जाती थी तो सास बहु की तरफ दुश्मनों की तरह देखती थी. मुख्यमंत्री जी ने इस श्राप को भी दूर किया है. माननीय मुख्यमंत्री जी ने लाड़ली लक्ष्मी योजना बनाकर बजट में 929 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है. आज बच्ची पैदा होने पर परिवार में खुशियां मनाई जाती हैं. सिर्फ इतना ही नहीं कि बिटिया को लाड़ली लक्ष्मी बनाकर उसकी शादी पर 1 लाख 18 हजार रुपए दे दें बल्कि उसको पढ़ाने लिखाने की जिम्मेदारी, उसको छात्रवृत्ति देने की जिम्मेदारी, उसको गणवेश देने की जिम्मेदारी, उसको साइकिल देने की जिम्मेदारी भी ली गई. यदि वह स्नातक करना चाहती है, विदेश में लाडली पढ़ना चाहती है तो मध्यप्रदेश के खजाने से उसकी फीस भरी जाएगी. यह बहुत बड़ा काम है.

          सभापति महोदय, प्रधानमंत्री वंदना योजना में 467 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है. इसमें भी किसी प्रकार की कोई लापरवाही नहीं है. सभी महिलाएं इस योजना की सराहना कर रही हैं. हमारे वित्त मंत्री जी ने मुख्यमंत्री सेवा प्रसूति सहायता प्रारंभ की है. जो असंगठित क्षेत्र के मजदूर होते हैं वे बड़ी संख्या में इसमें आ जाते हैं. कांग्रेस सरकार ने इसको बीच में बंद कर दिया था. आज यह लाभ हमारी माताओं और बहनों को मिल रहा है. इसके योजना के तहत पहले 4 हजार रुपए मिलते हैं और बाद में 12 हजार रुपए  मिलते हैं. यह एक बड़ी योजना है इससे माताओं और बहनों को ताकत मिली है. माननीय सभापति महोदय, जो अभी-अभी लाड़ली बहना योजना चली है इस पर कांग्रेस को बड़ी बिलबिलाहट हो रही है. आप साक्षी हैं कांग्रेस कह रही है कि माननीय शिवराज सिंह जी तो एक हजार रुपया महीना देंगे हम अपने वचन पत्र में पंद्रह सौ रुपए महीने का प्रावधान करेंगे. तुम्‍हारी बात को कौन मानेगा. आपने   बड़ी-बड़ी सभाओं में दस दिन में दो लाख रुपए का कर्ज माफ करने का जो निर्णय लिया था. माननीय राहुल गांधी जी ने कहा कि दस दिन में अगर हम दो लाख तक के पूरे प्रदेश के किसानों के कर्जे माफ नहीं करेंगे तो निश्चित रूप से हम दस दिन में उस मुख्‍यमंत्री को हटा देंगे. आप सभी साक्षी हैं और यह सदन भी साक्षी है उन्‍होंने उस वचन को खंडित किया है. रामायण में राजा दशरथ जी ने कैकेयी को वचन दिया था और उन्‍होंने जो वरदान मांगा था उस वरदान में उन्‍होंने राम जैसे पुत्र के लिए वनवास मांगा था लेकिन उन्‍होंने वचन दिया था और उस वचन के कारण उन्होंने अपने प्राण छोड़ दिये लेकिन, अपना वचन पूरा किया था.

          श्री ओमकार सिंह मरकाम-- मोदी जी ने तो वचन नहीं निभाया. सात फेरे लेने के बाद छोड़ दिया. यह मत बोलो कि भगवान राम के आदर्श में चले.

          सभापति महोदय-- उनको अपनी बात‍ बोलने दीजिए.

          डॉ. सीतासरन शर्मा-- प्राण इन्‍होंने भी छोड़ दिये. इनके प्राण कुर्सी में थे वह चली गई उधर.

          श्री सूबेदार सिंह रजौधा--माननीय सभापति महोदय, कांग्रेस ने तुलसीदास जी की इस चौपाई को खंडित किया है. इस योजना का इनके पास कोई काट नहीं है. जिस प्रकार से हमारी सरकार ने, हमारे मुख्‍यमंत्री जी ने महिलाओं को सशक्‍त किया है मैं यह कह सकता हूं कि महिला बड़ी ताकत रखती है. महिलाओं में बहुत बड़ी ताकत है. हमारे वेद पुराणों में उल्‍लेख है सती सावित्री अपने पति के यमराज से प्राण वापस ला सकती है तो आज शिवराज सिंह जी के लिए उनकी पूरी तरह से दुआ और आशीर्वाद है. इसके कारण कांग्रेस में बिलबिलाहट हो रही है.

          हमारी रामायण में राजनीति का पूरा उल्‍लेख किया गया है. जब हनुमान जी सीता माता की खोज करते-करते लंका में पहुंच गए थे. मात्र उन्‍होंने यह कहा कि माताजी राम अपने अनुज सहित कुशल हैं और एक माह में आपको यहां से लेकर चले जाएंगे और रावण का वध करेंगे. आप चिंता मत करिए तो उन्‍होंने हनुमान जी को क्‍या आशीर्वाद दिया कि अजर अमर गुननिधि सुत होहू. उन्‍होंने हनुमान जी को अजर और अमर होने का जो आशीर्वाद‍ दिया वही महिला है जिसको माननीय शिवराज सिंह चौहान जी ने बेटी से लेकर वृद्ध होने तक उनकी चिंता की है. मैं निश्चित रूप से यह दावे से कह सकता हूं कि हमारे मुख्‍यमंत्री जी को उन्‍होंने पूरी तरह से आशीर्वाद दिया है. जो पंद्रह महीने की सरकार गिरी थी वह इनके वचन पत्र में झूठ बोलने के कारण गिरी थी और आज कह रहे हैं कि हम सरकार बनाएंगे. दिन में सपने देख रहे हैं, विकास यात्रा की भारी आलोचना कर रहे हैं. पूरी तरह से इनकी जमीन खिसक गई है. अब इनके पास कुछ बचा नहीं है. इससे यह प्रमाणित होता है कि बौखलाकर कुछ भी कहें. सदन में हमारे बड़े विद्वान विनय सक्‍सेना जी हैं वह यह कह रहे थे कि बिजली आती नहीं है. छ:-छ: बार जागना पड़ता है तो जब मुख्‍यमंत्री राजा साहब थे तब बिजली जाती थी मैं यह कह रहा हूं कि 2900 मेगावॉट बनाने वाले आप और 2900 मेगावॉट में से आपके फैक्‍ट्री भी चलानी है आपको शहरों को भी बिजली देनी है और आपको ग्रामीण क्षेत्र में भी बिजली देनी है.

          सभापति महोदय, मैं आज मुख्‍यमंत्री जी का बहुत-बहुत धन्‍यवाद करता हूं जब वर्ष 2013 में मैं विधायक बनकर आया तो मैंने सदन में पूछा कि माननीय मुख्‍यमंत्री जी मेरे क्षेत्र में ऐसे कितने गांव हैं जिनमें बिजली नहीं है, तार नहीं हैं, खंबे नहीं हैं तो ऐसे 147 गांव थे. परंतु मैं कहना चाहता हूं कि 147 गांव थे, उन गांवों में एक वर्ष के अंदर बिजली आ गई, यह हमारी सरकार की उपलब्धि है. ये कह रहे हैं कि 22 हजार मेगावॉट बिजली नहीं बनी है. लेकिन जब देश आजाद हुआ, तब से अपने कार्यकाल तक आप 29 सौ मेगावॉट बिजली ही बना पाये और हमने इतने कम समय में 22 हजार मेगावॉट बिजली बनाई है तो यह हमारी बड़ी उपलब्धि है. ये कह रहे थे कि 24 घंटा आबादी को बिजली देते हैं लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में पंपों के लिए 24 घंटा बिजली क्‍यों नहीं देते हैं ? मैं किसान हूं, हमारे विनय सक्‍सेना जी कह रहे थे कि मैं किसान हूं. मैं, जानता हूं आप यदि किसान होते तो आपको यह जानकारी जरूर होती कि  24 घंटे यदि पंप चलेंगे तो जमीन में पानी ही नहीं बचेगा, भू-जल स्‍तर ही चला जायेगा. इस हेतु हमारी सरकार ने व्‍यवस्‍था की है. 10 घंटे बिजली इधर देंगे और 10 घंटे दूसरी तरफ देंगे, जिससे भू-जल का संतुलन ठीक हो जायेगा.

          श्री नीरज विनोद दीक्षित10 घंटे भी बिजली नहीं मिल रही है. कई गांव की लाइनें कटी डली हैं.

          श्री सूबेदार सिंह रजौधा-  आप 100 प्रतिशत असत्‍य कह रहे हैं. हम कारखाने भी चला रहे हैं, हम शहरों को भी बिजली दे रहे हैं और हम ग्रामीण क्षेत्रों को भी 24 घंटे बिजली दे रहे हैं.

          सभापति महोदय, मैंने शून्‍यकाल में अध्‍यक्ष महोदय से समय मांगा था, मेरे क्षेत्र में कल बड़ी ओला-वृष्टि हुई है. हमारे जिम्‍मेदार मंत्री यहां बैठे हैं, 27-28 गांव ऐसे हैं, जहां बहुत ज्‍यादा क्षति हुई है. मेरे यहां सररैनी, पंचमपुरा, भवनपुरा, बरसैनी, बहादुरकापुरा, अजवाकापुरा, सुखकापुरा, उत्‍तमपुरा, ताजपुर, गुरजा, डूडोखर, मोहरपुरा, बिरखापुरा, रणछोड़पुरा, खिडोरा, बघेल, खरका, चिनौनी, करेरा, जलालपुरा आदि गांवों में क्षति हुई है. हमारे मंत्री जी सुन लें. अभी सदन चल रहा है नहीं तो मैं उसने भेंट करता. मेरे क्षेत्र में, गांवों में सर्वे हो जाये और उनको क्षतिपूर्ति मिल जाये. धन्‍यवाद.

          श्री रामचंद्र दांगी-  माननीय विधायक जी बहुत दु:खी हैं लेकिन आपकी बात सुनने वाला यहां कोई नहीं है.

          श्री दिलीप सिंह परिहार-  मेरे भाई सब जगह सर्वे चालू हो गया है.

          श्री प्रवीण पाठक (ग्‍वालियर-दक्षिण)-  सभापति महोदय,

झूठे वायदे करने वाले, शामिल हैं सरकारों में,

हरिशचंद्र को भीख मांगते, देख रहे मध्‍यप्रदेश के बाज़ारों में.

          श्री अनिरूद्ध (माधव) मारू-  आपने हरिशचंद्र किसको कहा, उसका उल्‍लेख भी कर दें. क्‍योंकि हमारी सरकार में कोई भीख नहीं मांग रहा है.

          श्री प्रवीण पाठक-  हरिशचंद्र कहा मध्‍यप्रदेश की जनता को.

          श्री दिलीप सिंह परिहार-  कमलनाथ जी वायदा करके भूल गए.

(...व्‍यवधान...)

          श्री राम दांगोरे-  तुम तो हरिशचंद्र से भी ऊपर वाले हो भईया. न बेरोजगारी भत्‍ता दिया, न किसानों का कर्ज माफ किया, किसानों को बैंक में डिफॉल्‍टर कर दिया.

          श्री प्रवीण पाठक-  आपका जब अवसर आयेगा तो आप बोल लीजियेगा.

          श्री आरिफ मसूद-  सभापति महोदय, हमने कोई टोका-टाकी नहीं की थी तो अब भी नहीं होनी चाहिए.

(...व्‍यवधान...)

          सभापति महोदय-  पाठक जी, आप अपनी बात रखें.

          श्री अनिरूद्ध (माधव) मारू-  सभापति महोदय, शब्‍दों का थोड़ा ध्‍यान रखा जाना चाहिए. ये भीख मांगना किसके लिए कहा गया है. 

          श्री महेश परमार-  किसको बोला है, आप समझ गए हो.

(...व्‍यवधान...)

          श्री राम दांगोरे-  शब्‍दों की मर्यादा रखेंगे तो कोई नहीं टोकेगा.

          सभापति महोदय-  भीख वाले शब्‍द को विलोपित किया जाये.

          श्री सुनील सराफ-  मारू भाई अभी तक सब शांति से चल रहा था. कृपया शांति से चलने दें.

(...व्‍यवधान...)

          श्री दिलीप सिंह परिहार-  सुनील भाई, शब्‍दों का कायदा तो रखना पड़ेगा.

          सभापति महोदय-  आप सभी बैठ जायें. पाठक जी बोल रहे हैं, उनका लिखा जायेगा. जिसका नंबर आयेगा वे तब ही बोलें.  

          श्री प्रवीण पाठक:- जब माननीय मंख्‍य मंत्री बोल रहे थे और हमको निर्देशित किया था कि हम सबको शांत रहना है तो हमने पूरे धेर्य के साथ पूरी शांति के साथ माननीय मुख्‍यमंत्री जी की बात को गंभीरता से और धेर्यपूर्वक सुना है. मेरा आपसे अनुरोध है कि सबको बोलने का अवसर मिलता है और जब आपको बोलने का अवसर मिले तो आप बता दीजियेगा कि हरिशचन्‍द्र जी क्‍यों विवश नहीं हैं, मध्‍य प्रदेश में ..

          सभापति महोदय:- आप इधर देखकर बात करिेये, उधर पीछे देखकर नहीं.

          श्री प्रवीण पाठक:- माननीय सभापति महोदय,मध्‍यप्रदेश में सरकार द्वारा स्‍व-घोषित अमृतकाल में आज जो आपने मुझे सामान्‍य बजट पर बोलने का अवसर दिया है इसलिये मैं, अपनी कृतज्ञता आपको इसके लिये ज्ञापित करता हूं. चूंकि माननीय वित्‍त मंत्री महोदय ने अपने बजट में कई बार राष्‍ट्र की बात की है. मुझसे पहले हमारे यहां के काबिल वक्‍ताओं ने चाहे वह जयवर्द्धन सिंह जी हों, हिना कांवरे जी हों, तरूण भनोत जी हों सबने तथ्‍यों पर आधारित बातें, आंकड़ों पर आधारित बातें सदन के सामने रखी हैं. दुर्भाग्‍य इस बात का है कि जब सच सुनने की बारी आती है, तब सामने की संख्‍या शून्‍य हो जाती है और बहुत ज्‍यादा जिम्‍मेदार लोग बैठे नहीं होते. कई शताब्दियों से हमारे राष्‍ट्र में जो भी व्‍यक्ति जन्‍म लेता है, उसका जन्‍म के बाद एक ही सपना होता है कि हमारा राष्‍ट्र विश्‍व गुरू कैसे बने. हमारे पूर्वजों ने सतत् इसके लिये संघर्ष भी किया है, बलिदाल भी दिया है और शहीद भी हुए हैं. किसी भी राष्‍ट्र को विश्‍व गुरू बनने के लिये क्‍या आवश्‍यक है ? आवश्‍यक यह है कि वह आर्थिक रूप से सशक्‍त हो, सम्‍पन्‍न हो, वहां की जनता समृद्ध हो और किसी भी राष्‍ट्र को सशक्‍त करने के लिये, समृद्ध करने के लिये, प्रगतिशील करने के लिये यह आवश्‍यक है कि उसके राज भी सशक्‍त हों, आर्थिक रूप से मजबूत हों. क्‍योंकि राष्‍ट्र की सफलता की कुंची राज्‍य होते हैं. कल जब मैं, यह सब लोग बैठे हैं, विपक्ष के भी हैं और हमारे बहुत सम्‍माननीय सीतासरन शर्मा जी बैठे हैं, बहुत विद्वान और विदुशी हैं. हम लोग जरा आत्‍म आंकलन करें और आइने के सामने वास्‍तव में यह भाजपा, कांग्रेस सरकार विपक्ष छोड़कर यह आत्मिक तौर पर सोचें  कि वास्‍तव में हमारे मध्‍यप्रदेश की दशा और दिशा कहां जा रही है. मैंने देखा है वर्ष 2003 में मध्‍यप्रदेश की जनता ने कांग्रेस पार्टी से सत्‍ता छीनी थी और पिछले 20 साल में यह जितना पानी विधान सभा में मिलता है, उसका 80 प्रतिशत पानी भारतीय जनता पार्टी के सदस्‍यों ने पी-पीकर, हमारे उस समय के तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री जी को कोसा है और सरकार को कोसा है. मुझे कहने में कोई आपत्ति भी नहीं है. तकलीफ इस बात की होती है कि उसके बाद आयीं उमा भारती जी, फिर आये बाबूलाल गौर साहब और पिछले 17 से हैं शिवराज जी. अब चूंकि नाम शिवराज हैं, देवादि देव जो हमारी ऐतिहासिक संस्‍कृति है उसमें हमारे भगवान शिव का नाम, हमारे आराध्‍य देव का नाम बड़े सम्‍मान के साथ और बड़ी आस्‍था के साथ लिया जाता है. दुख की बात यह है कि पिछले 17 साल में हमने शिव की दयालुता नहीं देखी, शिव का तांडव देखा है इस मध्‍यप्रदेश में, सिर्फ तांडव और मुरशिद को..

          श्री धर्मेन्‍द्र भाव सिंह लोधी:- महाकाल लोक घूम कर आ गये क्‍या?

     प्रवीण पाठक:- बिल्‍कुल घूमकर आये हैं. मुरशिद की छूट की सजा बेहिसाब है. मैं जानता हूं कि आप छोड़ेंगे नहीं मध्‍यप्रदेश को बिना सेहरा पहनाये, मतलब बर्बाद करे बिना छोड़ेंगे नहीं. मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हूं और डॉ. गोविन्‍द सिंह जी से भी कहना चाहता हूं, इस सदन के एक-एक सदस्‍य से अनुरोध करना चाहता हूं कि जब जब माननीय मुख्यमंत्री जी का भाषण इस सदन में हो, क्योंकि मैं इसको चार साल से सुन रहा हूं मेरा आपसे निवेदन है कि उसको मध्यप्रदेश की जनता के सामने सबको आधिकारिक रूप से दिखाया जाये. कारण यह है कि जब यहां पर बैठकर के माननीय मुख्यमंत्री जी का भाषण सुन रहा था तो मुझे लगा कि वास्तव में मुझे घर पर जाकर के सत्यनारायण की कथा करानी चाहिये. पिछले चार साल से जब भी मुख्यमंत्री जी का भाषण सुनाया आप इनके सारे भाषण मिला लीजिये. 90 प्रतिशत भाषण आपको एक जैसे मिलेंगे. मुख्यमंत्री जी की बातों में सत्यता है तो इस मध्यप्रदेश में गरीबी नहीं हो सकती, मुख्यमंत्री जी की बातों में सत्यता है तो इस मध्यप्रदेश में किसी महिला पर अत्याचार नहीं हो सकता, मुख्यमंत्री जी की बातों में सत्यता है तो इस मध्यप्रदेश में कोई महिला अबला नहीं हो सकती, मुख्यमंत्री जी की बातों में सत्यता है तो इस मध्यप्रदेश में कोई बच्चा, कोई गरीब, कोई किसान रात में भूखा नहीं सो सकता है. इतना असत्य का पुलन्दा मैंने जीवन में कहीं नहीं देखा. मुझे इस बात का दुःख है कि मैं उस विधान सभा का सदस्य हूं जहां पर हमें अपने वरिष्ठों से यह सीखने को मिलता है. अरे जब कोई मन करता है, तब बन जाते हैं. जब कभी मन किया कि हमें श्रवणकुमार बनना है. तो उन्होंने कहा कि मैं मध्यप्रदेश का श्रवणकुमार सारे बुजुर्गों को तीर्थ यात्रा करवाऊंगा.

          श्री मनोज चावला--करवा ही रहे हैं. कांग्रेस ने कब तीर्थ-यात्राएं करवाईं बता दो.

          श्री सुनील सराफ--सब कुछ शांतिपूर्ण चल रहा है मेरा सभी सदस्यों से आग्रह है कि शांतिपूर्ण सदन को चलने दें. जब आपका समय बोलने के लिये आयेगा तब बोलियेगा. टोका टाकी करेंगे तो आपकी बातों को भी कोई नहीं सुनेगा.

          सभापति महोदय--पाठक जी आप बोलें.

          श्री प्रवीण पाठक--सभापति महोदय, और तो सब ठीक है बस उलझन भी है यह जो हमारी सरकार है ना यह हमारी दुश्मन भी है. मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री जी का जब मन करता है उनको श्रवणकुमार बनना है तो वह श्रवणकुमार बन जाते हैं. यात्रा करवाते हैं एक करोड़ रूपये की और प्रचार करवाते हैं 36 करोड़ रूपये का. अब उनको गांधारी का भाई बनना है, अर्थात् मामा बनना है. तो मध्यप्रदेश की गांधारियों की आंखों पर पट्टी बांध देते हैं और जब मध्यप्रदेश की बहिनों, भांजियों और भांजों को जब समझ आता है कि यह तो द्वापर युग के मामा हैं. जब उनका मन करता है कि अब तो मुझे भाई बनना है तो फिर लाड़ली बहिना योजना लेकर के आते हैं. फिर कभी मन करता है तो कहते हैं कि टाईगर अभी जिन्दा है. अरे भाई बताओ तो मैं तो माननीय गोविन्द सिंह जी से अनुरोध करना चाहता हूं कि माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान जी जिस रंगमंच के मंझे-मझाये खिलाड़ी हैं, जिस प्रकार की अद्भुत क्षमता के धनी है, जिस प्रकार का नाट्य प्रदर्शन यहां पर करते हैं मैं तो आदरणीय जी आपसे अनुरोध करना चाहता हूं कि आपकी मित्रता माननीय नरोत्तम मिश्र जी से अच्छी है और माननीय मुख्यमंत्री जी भी आपका सम्मान बहुत करते हैं कि हम सब युवा विधायकों की एक बार तीन घंटे की क्लास लगवा दीजिये.

          डॉ.गोविन्द सिंह--सभापति महोदय, हमारा सम्मान करते हैं ई.डी.का नोटिस दिलवा रहे हैं, यही उनका सम्मान दिख रहा है.

          श्री प्रवीण पाठक-- सभापति महोदय, यह जो लोग हमदर्दी दिखलाने वाले हैं लाड़ली बहिना के विषय में कह रहा हूं और मध्यप्रदेश की मेरी बहिनें सुन रही हैं कि

यह जो लोग हमदर्दी दिखलाने वाले हैं,

 यह फिर से कोई जख्म देने वाले हैं.

और पानी का धन्धा करती हैं सरकारें यहां,

जनता को लगता है कि प्यास बुझाने वाली हैं.

2003 में जब मध्यप्रदेश की जनता ने हमसे सत्ता छीनी थी तब मध्यप्रदेश के प्रत्येक व्यक्ति के ऊपर 3300 रूपये का कर्ज था. आज हालत क्‍या है, आज प्रत्‍येक व्‍यक्ति के ऊपर 48 हजार रुपए का कर्ज है. आपको मालूम है, मध्‍यप्रदेश की स्थिति क्‍या है? हमारी जिस मां, जिस बहन, जिस बेटी के पेट में जब गर्भ धारण होता है और जब कोई बच्‍चा मध्‍यप्रदेश की धरती पर जन्‍म लेता है तो आप उसको विरासत में स्‍वागत में क्‍या देते हैं, उस बच्‍चे को 48 हजार रुपए का कर्जदार बना देते हैं(...मेजों की थपथपाहट)

          सभापति महोदय, आपसे अनुरोध करना चाहता हूं कि इतनी सारी योजनाएं हैं, अगर मुख्‍यमंत्री जी कहीं सुन रहे हो तो सुन लें, एक योजना के लिए मैं भी उनके चरणों में निवेदन करके बोलना चाहता हूं, हर व्‍यक्ति की मंशा होती है. सभी लोग चाहते हैं, जब एक उम्र हो जाती है 70-80 साल की कि अब सब कुछ कर्जा ऊतारकर अब ऊपर जाया जाए, इस मध्‍यप्रदेश में तो मोक्ष भी नसीब नहीं होगा, क्‍योंकि हर बुजुर्ग के ऊपर भी 48 हजार रुपए का कर्जा है. मैं आपसे कहना चाहता हूं सभापति महोदय कि एक बार मुख्‍यमंत्री जी से कहिए कि मध्‍यप्रदेश बुजुर्गों का मोक्ष योजना भी शुरू करवा दे तो जो चाहे 48 हजार रुपए मध्‍यप्रदेश के मुख्‍यमंत्री के खाते में जमा करें, जिससे मध्‍यप्रदेश के ऋण से मुक्‍त हो. कैसे साहस के साथ आप असत्‍य बोल लेते हैं, पिछले बार के बजट में आपने चाइल्‍ड बजट डाला था, कहां गया चाइल्‍ड बजट? आपने पिछली बार योजना रखी थी, पंख, पी फॉर प्रोटेक्‍शन, कहां गए आपके पंख कहां गए हमारी बहनों के पंख, आपने ये कहा था कि मध्‍यप्रदेश में मेरी किसी बहन को जब भी बच्‍चा होगा तो हम एक योजना निकालेंगे स्‍वागत लक्ष्‍मी योजना, कहां गई वह लक्ष्‍मी योजना, भूल गए. मुझे मालूम है सभापति महोदय, मुझे आप फिर टोकेंगे. पर एक बात और बोलना चाहता हूं ये मध्‍यप्रदेश की हालत बता रहा हूं, मुख्‍यमंत्री जी की हालत बता रहा हूं, एक बार एक राजस्‍थान का किसान था, उसने कहा हरियाणा में गाय बहुत अच्‍छी मिलती है, दूध ज्‍यादा देती है तो वह हरियाणा से गाय खरीद लाया, जब राजस्‍थान में गाय अपने घर ले गया तो वहां तो रेगिस्‍तान, वहां गाय तो दूध नहीं दे रही थी, उसने संबंधित को फोन लगाया कि आपने इतनी महंगी गाय दी यहां तो ये दूध ही नहीं देती, तो उसने कहा कि दूध तो ये तब देगी, जब हरा चारा खायेगी, जब तक ये हरा नहीं देखती, दूध नहीं देती, तो किसान ने कहा कि अब हम क्‍या करें, राजस्‍थान में तो हरियाली बहुत कम है, तो उन्‍होंने एक सुझाव दिया और मुझे लगता है मध्‍यप्रदेश के माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने वह सुझाव सुन लिया, उन्‍होंने कहा कि एक काम करो, राजस्‍थान में जहां आप रहते हों, वहां हरी घास तो उगा नहीं सकते, तो वह जो गाय है उसके आंखों पर हरा चश्‍मा लगा दो तो पीली घास भी उसको हरी घास दिखने लगेगी. ऐसे ही आपने मध्‍यप्रदेश में चश्‍मा लगा दिया.

          सभापति महोदय - आप अपनी बात जल्‍दी समाप्‍त कीजिएगा.

          श्री प्रवीण पाठक - सभापति महोदय, 17 साल का दर्द है 17 मिनट में कैसे समाप्‍त हो जाए. आंकड़ों को आप सुनते नहीं हो, ध्‍यान देते नहीं हो, जो भी आते हैं भाषणबाजी करते हैं.

          श्री कमलेश जाटव - अभी ये दर्द और बढ़ेगा भैया.

          सभापति महोदय - आप बैठ जाइए. पाठक जी अपनी बात जल्‍दी समाप्‍त कीजिएगा.

          श्री प्रवीण पाठक - सभापति जी, जरा ग्‍वालियर की हालत भी देख लें, कल मुख्‍यमंत्री जी बोल रहे थे, बड़े साहस के साथ कि जो इधर आए हैं, लाखों वोट से जीते हैं, आप कैसे आरोप लगा रहे हैं, (xxx)

          जल संसाधन मंत्री (श्री तुलसीराम सिलावट) - सभापति जी, मुझे आपत्ति है. (...व्‍यवधान)

          सभापति महोदय - ऐसे शब्‍दों का प्रयोग नहीं कीजिएगा.

          श्री प्रवीण पाठक - आप पर तो मैंने नहीं कहा.

          श्री रघुनाथ सिंह मालवीय - सभापति जी, माननीय मुख्‍यमंत्री जी के मामले में शब्‍द देखिए. ये ठीक व्‍यवस्‍था नहीं है.

          सभापति महोदय - इसको रिकार्ड नहीं किया जाएगा.

          श्री प्रवीण पाठक - उनको आत्‍मग्‍लानि नहीं होती, ये शब्‍द तो ठीक है. माननीय मुख्‍यमंत्री जी को आत्‍मग्‍लानि नहीं होती, ये तो ऐसा हो गया कि किसी 302 कराया और उसको नीचे से बरी करवाकर कर दिया कि देखो हम तो बिल्‍कुल निष्‍पक्ष है, इसको तो कोर्ट ने बरी कर दिया.

          सभापति महोदय - आप अपनी बात समाप्‍त कीजिएगा

          डॉ. राजेन्‍द्र पाण्‍डेय - प्रजातंत्र का तो सम्‍मान कीजिए, प्रजातांत्रिक रूप से निर्वाचित होकर आए हैं. चुनाव जीतकर आए है, सदन में माखौल न उड़ाये.

          डॉ. सीतासरन शर्मा - जनता ने जिताया है, बरी नहीं किया है. (..व्‍यवधान)

          डॉ. विजय लक्ष्‍मी साधौ - डॉक्‍टर साहब, जनता ने नहीं जिताया है, सरकार लगी थी, सरकार ने जिताया है, अब आ जाओ 2024 में मैदान में तब पता चलेगा. (..व्‍यवधान)

          सभापति महोदय - आप बैठ जाइये. सम्‍माननीय श्री अनिरुद्ध माधव मारू जी.

(..व्‍यवधान..)

          डॉ. योगेश पंडाग्रे - अध्‍यक्ष महोदय, आंकड़ों पर अगर बात करें तो तब 3,300 रुपये प्रति व्‍यक्ति आय थी. आज 1 लाख 48 हजार पर प्रति व्‍यक्ति आय है. आज प्रति व्‍यक्ति कर्ज कम हुआ है.

(..व्‍यवधान..)

          सभापति महोदय - अब श्री अनिरुद्ध माधव मारू के अलावा जो बोलेगा, उसका नहीं लिखा जायेगा.

          श्री प्रवीण पाठक -  (XXX)

          श्री अनिरुद्ध माधव मारू (मनासा) - सभापति महोदय, मैं आपको धन्‍यवाद देते हुए अपनी बात शुरू करना चाहता हूँ. सरकार का सर्वोपरि लक्ष्‍य मध्‍यप्रदेश की जनता की जिन्‍दगी बदलना और इसी लक्ष्‍य को लेकर हमारे वित्‍त मंत्री श्री जगदीश देवड़ा ने कुल 3 लाख 14 हजार 25 करोड़ रुपये का बजट प्रस्‍तुत किया है. मध्‍यप्रदेश के समुचित विकास के लिए, सभी क्षेत्रों में विकास के लिए, हर वर्ग के विकास के लिए एक समावेशी बजट प्रस्‍तुत करने के लिए, मैं माननीय वित्‍त मंत्री जी को धन्‍यवाद देता हूँ. मैं इसके पहले एक बात कहना चाहता हूँ- विकास यात्रा को लेकर, जो मध्‍यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने विकास किया है, मुख्‍यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्‍व में, विकास-यात्रा को लेकर हमारे विपक्षी दल के नेताओं ने तरह-तरह से कपड़े फाड़ने का भी काम किया, किसी ने कोसा भी है, किसी ने भला-बुरा भी कहा. लेकिन मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूँ कि मैं भी उस विकास यात्रा में गया था तथा ग्रामीण क्षेत्र, शहरी क्षेत्र में घूमा. मुझे एक बात का बड़ा आश्‍चर्य हुआ कि जब वहां नई पीढ़ी के मतदाता हमारे 18 वर्ष, 20 वर्ष, 22 वर्ष के बच्‍चे मिले, उनको कभी यह नहीं बताया गया कि इस प्रदेश में कांग्रेस की सरकारों के समय में बिजली नहीं हुआ करती थी, न खेत की बिजली होती थी, न घर की बिजली होती थी, उन बच्‍चों को पता ही नहीं था, उन बच्‍चों को यह तक नहीं पता था कि इस प्रदेश में सड़कों का जाल कभी नहीं बिछा. जिन सड़कों पर वह आज ग्रामीण क्षेत्रों में चलते हैं, वह सड़कें कभी भी कांग्रेस के समय में नहीं बनीं. उनको यह नहीं पता था कि न किसान क्रेडिट कार्ड था, न किसानों की सम्‍मान निधि थी, न महिलाओं को कोई सहायता थी, न कोई लाड़ली लक्ष्‍मी योजना थी. न कोई सिंचाई योजना थी, न कोई पेयजल योजना थी. अब ये बार-बार प्रश्‍न उठाते हैं कि मध्‍यप्रदेश की भारतीय जनता पार्टी की सरकार  द्वारा किया जा रहा विकास इनको नजर नहीं आता है. जिन सड़कों पर आज ये चलते हैं, वह सड़कें किसने बनाईं ? वह कब बनीं ? बार-बार हर बात पर प्रश्‍न उठाते हैं,  इनको विकास नजर नहीं आता है. यह अपने चश्‍में बदलें. मेरा ऐसा मानना है कि इन सबको नये चश्‍में बनवाना चाहिए, विधान सभा से व्‍यवस्‍था करवा दें ताकि इनको विकास नजर आये कि प्रदेश में जिन सड़कों पर आज यह चलते हैं, आज मध्‍यप्रदेश में बिजली की हम बात कर रहे हैं, तो सन् 2003 के बाद आज हम सोलर पावर, विंड पावर और बैक वाटर पर हमारे जो सोलर के जाल बिछाए जा रहे हैं, अगर उनका हिसाब लगाएं तो सन् 2003 में कुल 2,850 मेगावाट बिजली भी नहीं बनती थी, आज हमारी 2,850 मेगावाट बिजली केवल सोलर से बन रही है, इनको मालूम पड़ना चाहिए कि आज 28,000 मेगावाट बिजली बन रही है.

          श्री संजय यादव - यदि बन रही है तो कहां जा रही है ?

          श्री रघुनाथ सिंह मालवीय - संजय भैया, सबके घरों में जा रही है. सबको बिजली मिल रही है.

श्री अनिरुद्ध माधव मारू - सभापति महोदय, किसान खेतों में सिंचाई करने जाता था लेकिन खेतों में बिजली नहीं होती थी. शायद यह भूल गए उस स्थिति को. आज हमारे घरों में 24 घण्‍टे बिजली है, यह सब भूल जाते हैं. इनको कुछ याद नहीं रहता है, इनको वह गड्डे वाली सड़कें भी याद नहीं रहती हैं, जिन पर चल-चलकर आधे बूढ़े हो चुके हैं. शायद वह सड़कें उनको याद नहीं हैं. आज मध्‍यप्रदेश में सड़कों के लिए हमारी सरकार ने जो बजट में प्रावधान किया है, ग्रामीण सड़कों के लिए और जिला मार्गों के 1,020 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है. सड़कों के सुदृढ़ीकरण के लिए 1,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है. जिला मार्गों के उन्‍नयन हेतु 750 करोड़, अनुरक्षण के लिये 739 करोड़, जिला मार्गों के लिये 700 करोड़, सिंचाई पेय जल योजनाओं के सौर ऊर्जा करण के लिये 500 करोड़ रूपये का प्रावधान हमारी सरकार ने किया है. ऊर्जा योजनाओं में एक वर्ष में हमारी विभिन्‍न योजनाओं में हितग्राहियों को 23 हजार 666 करोड़ रूपये की सब्‍सिडी दी जा रही है, इतनी सब्‍सिडी सीधे खातों में जाती है. यहां बीच में उसे कोई नहीं खाता है. यह तो एक बार राजीव गांधी जी ने कहा था कि मैं एक रूपया भेजता हूं और अंतिम सिरे तक 15 पैसे पहुंचते हैं, तो 85 पैसे कौन खाता था, यही आपके बीच के लोग खाने वाले थे और आप हमारे ऊपर आरोप लगाते हैं कि हम भ्रष्‍टाचार कर रहे हैं, जबकि (XXX) और यह आपके प्रधानमंत्री कह गये थे. लेकिन यहां तो खाते में सीधे पूरा पैसा जाता है, सरकार के खाते से हितग्राही के खाते में बीच में कोई नहीं खाता है. यह हमारी व्‍यवस्‍था है, आज किसान शक्ति में अटल कृषि योजना हेतु 5520 करोड़ रूपये, किसान कल्‍याण योजना के लिये 3200 करोड़ रूपये का प्रावधान और नि:शुल्‍क बिजली प्रदान करने के लिये 2475करोड़ रूपये, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिये 2 हजार करोड़ रूपये का प्रावधान, निवेश प्रोत्‍साहन योजना में 1250 करोड़ रूपये का प्रावधान, फसल उपार्जन के लिये एक हजार करोड़ रूपये का प्रावधान, सहकारी बैंकों को अंशपूंजी में 1500 करोड़ रूपये, पशु विकास के लिये 845 करोड़ रूपये. यह सब व्‍यवस्‍थाएं हमारी सरकार इस बजट में कर रही हैं. ग्राम विकास के लिये प्रधानमंत्री आवास योजना. याद करिये आप जब आपकी पंद्रह महीने की सरकार थी, आपकी सरकार ने मना कर दिया था कि मध्‍यप्रदेश को आवास की आवश्‍यकता नहीं है, हमारे पास देने को पैसा नहीं है, एक ही रोना आप बार-बार रोते गये कि हमारे पास पैसा नहीं है, खजाना खाली है तो खजाना भरता किसलिये है? खर्च करने के लिये या बचाने के लिये. खजाना खर्च के लिये ही होता है, बार-बार आप खजाने पर प्रश्‍न उठाते हैं, प्रधानमंत्री आवास योजना हेतु 8 हजार करोड़ रूपये का प्रावधान हमारे मुख्‍यमंत्री जी ने किया है. राष्‍ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में 35 सौ करोड़ रूपये का प्रावधान, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना हेतु 1826 करोड़ का प्रावधान किया गया है, प्रधानमंत्री सड़क योजना निर्मित सड़कों का नवीनीकरण 801 करोड़ रूपये, राष्‍ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन में 660 करोड़ और पोषण शक्ति आहार निर्माण में 600 करोड़ का प्रावधान हमारे वित्‍तमंत्री जी ने किया है. हम पेयजल की बात करें तो राष्‍ट्रीय जल जीवन मिशन योजना, हर घर को  नल से जल देना है. मैं माननीय मुख्‍यमंत्री जी और वित्‍तमंत्री जी को धन्‍यवाद देता हूं कि उन्‍होंने हमारे क्षेत्र में 18 सौ करोड़ रूपये की योजना बनाकर हर घर को जल देने का काम किया है और योजना पर काम निरंतर चालू है, मेरे मनासा विधानसभा क्षेत्र में लगातार बहुत तेजी से काम चल रहा है और मुझे आशा है कि अगले आठ महीने में पानी घर-घर तक पहुंच जायेगा, इतनी तेजी से काम चल रहा है. अभी विकास यात्रा में लगभग 40 ओवरहेड टैंक का तो मैं खुद भूमि पूजन करके आया हूं. आप सोच सकते हैं कि कितनी तेजी से काम चल रहा होगा. जल जीवन मिशन के माध्‍यम से नेशनल रूरल ड्रिकिंग वाटर मिशन हेतु 7 हजार 332 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है. पेयजल योजनाओं में नगर निगम के लिये 703 करोड़ की योजना का प्रावधान, ग्रामीण समूह जल प्रदाय योजना के लिये 4 सौ करोड़ रूपये का प्रावधान किया है. याद कीजिये वह समय जब कांग्रेस के समय में किसानों को कुछ नहीं मिलता था, हमारी सरकार किसान सम्‍मान के लिये लगातार काम कर रही है.

            माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हम सांस्‍कृतिक पुनरूत्‍थान की बात करें, अभी पूछ रहे थे कि किस तरह का मध्‍यप्रदेश बनाना चाहते हैं. आज मध्‍यप्रदेश में महाकाल लोक घूमकर आईये, आपको अपने प्रदेश पर गौरव होगा कि राजा महाकाल हमारे यहां उज्‍जैन नगरी में बैठे हुए हैं और वहां का महाकाल लोक जैसा बना है, वह अनुपम है, वह देखने लायक है, इस प्रकार से हमारी आस्‍था और विश्‍वास को पुनर्स्‍थापित करने का काम मुख्‍यमंत्री जी कर रहे हैं. ओंकारेश्‍वर में एकात्‍म धाम की स्‍थापना, इनको सब चीजों का विरोध करना है, हर बात का इनका विरोध करना है. एकात्‍म धाम का भी ये विरोध करते हैं कि ओंकारेश्‍वर में आदि शंकराचार्य का स्‍टेच्‍यू बनाने की क्‍या जरूरत है, उससे भी इनको तकलीफ है.                          

          आदि शंकराचार्य जी का स्‍टेच्‍यू बनाने में, उससे भी इनको तकलीफ है, हर बात के लिये इनको तकलीफ होती है, वहां वेदांत पीठ की स्‍थापना, मुख्‍यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना में 50 करोड़ रूपये का प्रावधान है, इन्‍होंने कहा खर्च कर दिये, यहां प्रावधान लिखा है, इन्‍होंने कहा खर्च कर दिये, मतलब कुछ भी बोलना है इनको, असत्‍य बोलो, जोर से बोलो, जल्‍दी जल्‍दी बोलो यही काम इनका समझ में आता है और सबसे मुख्‍य योजना जो हमारी है, अभी एक प्रश्‍न उठाया था हमारे विपक्षी किसी नेता ने कि गैस पर 50 रूपये बढ़ा दिये गये, बड़ा स्‍वागत किया था उन्‍होंने इस बात का भी स्‍वागत कर लेते कि लाडली बहना योजना में उसी बहन के हाथ में जब हजार रूपये महीना जायेगा साल के 12 हजार रूपये जायेंगे उसका आपने स्‍वागत नहीं किया. 50 रूपये जो गैस पर बढ़े है उसके लिये तो आपने बड़ी ढपली बजाई, बड़ी नौटंकी की तो उसका भी स्‍वागत कर लेते कि हमारी बहन के हाथ में 12 हजार रूपये साल के जायेंगे. मैं धन्‍यवाद देता हूं माननीय मुख्‍यमंत्री जी को कि आज नारीशक्ति को मजबूत करने का काम, आत्‍मविश्‍वास देने का काम आत्‍म सम्‍मान से जीने का अधिकारी उन्‍होंने दिया लाडली बहना योजना के माध्‍यम से, इस प्रदेश में एक नया इतिहास बनाया पूरे भारत वर्ष में और इन्‍होंने कह दिया आपके पूर्व मुख्‍यमंत्री जी तो कह रहे थे कि हम 1500 रूपये देंगे, आप उसकी पहले ही घोषणा कर लेते, नहीं खाली किसी भी योजना को पलीता लगाने की बात करते हैं, किसी भी योजना में नुक्‍ता चीनी करने का काम करना, हम 1500 देंगे, तो यहां वोट खरीदी का काम चल रहा है क्‍या, मुख्‍यमंत्री जी ने महिलाओं के आत्‍म सम्‍मान बढ़ाने के काम के लिये यह पैसा दिया है, उनके सम्‍मान में यह पैसा दिया है, आप वोट खरीदने की बात करते हैं, पहले कह गये थे कि हम 2 लाख देंगे, आपने माफ कर दिये क्‍या 2 लाख, अभी तक वह 2 लाख माफ नहीं किये इन्‍होंने. मैं तो गांव-गांव में बात करता हूं कि उन कांग्रेसियों को पकड़ना चाहिये जिन्‍होंने 2 लाख की घोषणा की थी क्‍यों नहीं पूछते आप उनसे कि हमारी पेनाल्‍टी लग गई, हमारा ब्‍याज लग गया, हम डिफाल्‍टर हो गये, हम बीमे से गये, हम दूसरी सब्सिडियों से गये, खाद बीज पर जो सब्सिडी मिलती है उससे गये, क्‍यों नहीं पूछते इनसे, इनसे पूछा जाना चाहिये और मेरा निवेदन तो एक और है मुख्‍यमंत्री जी से कि हमारी किताबों में एक पाठ बढ़ाया जाये कि विकास इस प्रदेश में कब शुरू हुआ, विकास कब शुरू हुआ इसकी जानकारी भी देना चाहिये कि प्रदेश में तब तक सड़कें नहीं थी किसकी सरकार थी, सड़कें कब बनी, किसकी सरकार थी तब बिजली नहीं आती थी, बिजली कब आई, किसान क्रेडिट कार्ड कब बना, प्रदेश में लाडली बहना योजना कब बनी, प्रदेश में लाडली लक्ष्‍मी योजना कब बनी, अभी वह कह रहे थे कि हर व्‍यक्ति जब पैदा होता है इस प्रदेश की धरती पर तो 48 हजार 500 रूपये कर्ज होता है, उनको पता है. हमारी बहनें गर्भवती बहनें 7वें महीने में अस्‍पताल जाती हैं तो 7वें महीने में उनको 4 हजार रूपये मिल जाते हैं कि उस गर्भवती माता का और बच्‍चे का पालन पोषण अच्‍छे से हो, स्‍वस्‍थ रहेगी तो स्‍वस्‍थ बच्‍चे को जन्‍म देगी और जब डिलेवरी करवाकर हमारी सरकार की गाडी़ घर छोड़ती है तो उसको 12 हजार रूपये फिर मिल जाते हैं कि जच्‍चा बच्‍चा का पूरा ध्‍यान रखा जाये, आपने तो यह योजना ही बंद कर दी थी और आपने संबल योजना में उसकी अंत्‍येष्‍टी सहायता तक जो 5 हजार रूपये उसके घर जाकर दिये जाते थे वह भी बंद कर दिये, सारी सहायता बंद करने का काम आपने किया और आप आक्षेप लगाते हैं हम पर, अभी किसी नेता ने कहा था कि बजट में इतना प्रावधान करते हो और खर्च नहीं करते, इनको पता होना चा‍हिये कि योजनाओं के टेण्‍डर होते हैं, डेढ़ से 2 साल उनका समय रहता है और उसके बाद उनको पैसा दिया जाता है, वह खर्च करते हैं योजना की प्रोग्रेस के हिसाब से वह पैसा बचा हुआ दिखता है तो वह पैसा कहा जायेगा और टेण्‍डर तो वैसे ही 18-20, 25 प्रतिशत नीचे होते हैं तो उस 25 प्रतिशत का पैसा भी सरकार का बचता है यह भी हिसाब लगाना चाहिये, यह लोग भी पुराने मंत्री रहे हैं, इनको भी पता होना चाहिये कि पैसा क्‍यों बचता है, कौन नहीं चाहता जब योजनायें बनती हैं तो लांच करने के लिये बनती है, विकास कार्यों को करने के लिये योजनायें बनती हैं और उसके लिये हमारी सरकार प्रतिबद्ध है. मैं धन्‍यवाद देता हूं माननीय मुख्‍यमंत्री जी और माननीय वित्‍तमंत्री जी को कि उन्‍होंने यह समावेशी बजट इस प्रदेश के विकास के लिये एक अनुपम विकास अमृतकाल की इस बेला में इस प्रदेश का होगा, ऐसा विश्‍वास है. सभापति महोदय, बहुत बहुत धन्‍यवाद.

             डॉ.अशोक मर्सकोले(निवास) -  माननीय सभापति महोदय, मैं 2023-24 के बजट के विरोध में बोलने के लिये अपनी बात रखना चाह रहा हूं. सभापति महोदय, जब कोई बजट आता है तो उससे बहुत सारे लोगों को उम्मीदें जुड़ी रहती हैं. हमारे देश में, प्रदेश में महंगाई, गरीबी,बेरोजगारी,पलायन,कुपोषण ऐेसे विषय हैं जिन पर कहीं न कहीं कोई तो काम होगा.  जो हमारे अधिकारी,कर्मचारी और बेरोजगार युवा यह उम्मीद रख रहे थे कि  ओल्ड पेंशन मिलेगी. कहीं न कहीं उनके लिये सीधे तौर पर रोजगार मिलेगा परंतु पूरी तरह से उनकी भावनाओं को ठेस पहुंचाई गई और कहा गया कि अमृत काल का बजट. सभापति महोदय, अगर यह अमृत काल का बजट है जिसने सबकी भावनाओं  को ठेस पहुंचाई है तो पहले के 18 साल के बजट को हम क्या बोलेंगे. वह कौन से काल का बजट था. सभापति महोदय, सीधे तौर पर स्वीकार करना पड़ेगा कि यह चुनावी बजट है और सिर्फ लुभावना बजट है जिसमें सिर्फ लुभावने वायदे किये गये हैं. इस बात का मैं स्वागत करूंगा कि इसमें महिलाओं के लिये तो बजट का सीधे तौर पर प्रावधान है लेकिन उसमें अधिकांश ऐसे वायदे हैं जो उनकी आजीविका से तो जुड़े हुए नहीं हैं परंतु उनको लुभावने वायदे करके उनको अपने वोट के लिये अपनी तरफ खींचने से ज्यादा कुछ नहीं है, अगर मां,बेटी,बहन इनका ख्याल रखा तो बेचारे जीजा ने क्या किया था. कौन से पाप जीजा ने कर दिये थे कि उसकी तरफ ध्यान नहीं दिया. बहुत ऐसी विसंगतियां हैं जैसे अभी इस बजट में बात आई. वित्त मंत्री जी आप भी सुनेंगे कि अगर आप नये बजट की बात कर रहे हैं तो यह जवाब भी आपको देना चाहिये था कि एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च आप विभिन्न विभागों में खर्च क्यों नहीं कर पाए. हमारे यहां कुपोषण है और   महिला,बाल विकास विभाग का आधा बजट अगर खर्च होगा. हमारे यहां आंगनवाड़ियों की स्थितियां इतनी गंभीर बनी रहेंगी. यह इतनी बुरी स्थिति है. हम बोलते हैं कि हमारे स्कूल जर्जर अवस्था में हैं. वहां  शिक्षक नहीं हैं. अतिथि शिक्षकों के सहारे जैसे तैसे काम चलाना पड़ रहा है. आप सी.एम.राईज स्कूल पर आ जाते हैं. जब वह डेवलप होंगे तब होंगे लेकिन जो अभी वर्तमान के स्कूल हैं कम से कम उनकी मेंटेनेंस की व्यवस्था बनाएं. एकदम से सी.एम.राईज स्कूल खोल देने से शिक्षक नहीं आ जायेंगे. शिक्षकों की व्यवस्था बनवाएं. ऐसे ही मेडिकल की बात जब हम करते हैं. हमारे अस्पतालों में डाक्टर नहीं हैं. विशेषज्ञ नहीं हैं. आप मेडिकल कालेज की बात करने लगते हो परंतु जहां डाक्टर नहीं हैं विशेषज्ञ नहीं हैं. आप जब मशीनों की बात करते हैं तो एक महिने में मशीनें पहुंच जाती हैं. जब हमारे पास  में एच.आर. नहीं है. हमारे पास टेक्निकल स्टाफ नहीं है. उन मशीनों को आधी जगह खोल नहीं पाते हैं और वह मशीनें क्यों भेजी जाती हैं सबको मालुम है. कमीशन रहता है उसमें लेकिन जब एच.आर. की बात करते हैं तो कोई जवाब नहीं आता. कई सालों से उसका इंतजार करते रहते हैं. अस्पतालों में सिर्फ डाक्टर नहीं रहता है. नर्सें भी होती हैं. लैब टेक्नीशियन भी होते हैं. वार्ड ब्वाय भी होते हैं स्वीपर के भी पद होते हैं लेकिन एच.आर. पर कब ध्यान दिया जायेगा, अगर इनमें से कोई भी सिस्टम का एक पार्ट पेरालाईज होता है. अगर स्टाफ नहीं है तो ठीक से काम डाक्टर भी नहीं कर पाएंगे. मैं अपने मण्डला क्षेत्र का उदाहरण देना चाहूंगा मेरे मणअडला जिले में स्वीपर के पद नहीं हैं और अन्य पद हैं लेकिन मैं स्वीपर की बात कहना चाहूंगा. प्रायवेट ऐसे व्यक्तियों को जो कि नियमों के बिल्कुल विरुद्ध है, उसको हेल्प करने के लिये पोस्ट मार्टम के लिये बुलाया जाता है  और  वह मनमाने तरीके से  2 से 3 हजार  रुपये लेता है.  यह कलेक्टर,सीएमएचओ, सभी ब्लॉक ऑफिसर्स के संज्ञान में है.  मैं बार बार हर बार   कहता हूं, 2-3-4  साल से कहता  हूं, लेकिन इसका जवाब उनके पास भी नहीं है. यह हालत है. तो हमें एक बात  के लिये रहने चाहिये कि  यह जो  हमारे यहां पर सिर्फ  उच्च पदों की बात कह रहे हैं.  आज तो अभी की  व्यवस्थाएं ऐसी हो रही हैं, पूरी सारी चीजों को आउट सोर्सिंग  पर दे दिया है.  बड़े बड़े पद तो ठीक है,  लेकिन नीचे के लेवल के  जो पद  हैं क्लास फोर, थ्री के पद हैं,  इनके पद कब भरेंगे.  हमारे जो युवा हैं,  अब उनकी उम्र निकलती  जा रही है. यह  उनको जो उम्मीदें हैं, जो बेरोजगार हैं,  वह उम्र की सीमा से बाहर जा रहे हैं.  इस पर भी बात होनी चाहिये.

          सभापति महोदय--  आप भी तो डॉक्टर हैं.

          डॉ. अशोक मर्सकोले-- मैं  डॉक्टर हूं, इसीलिये  तो  बात कह रहा हूं.  नहीं तो कौन बोलता है.  मैं हूं, मैं जान रहा हूं, समझ रहा हूं.  अब  इस पर विशेष रुप से ध्यान दिया जाये.  संविदा शिक्षक हैं,  आउट सोर्सिंग  में.  एक बार मैं व्यापम पर आऊंगा थोड़ी देर के लिये, क्योंकि  भ्रष्टाचार, जहां पर महंगाई , बेरोजगारी  यह तो है ही.  लेकिन अगर कोई एक है तो  भ्रष्टाचार चरम  पर है, उसके साथ साथ उदाहरण  पहले व्यापम का घोटाला हुआ, आपने व्यापम का नाम बदला. आपने  पीईबी दे दिया.  पीईबी में घोटाला हुआ,  आपने  कर्मचारी चयन  मण्डल नाम रखा.  उसमें भी भ्रष्टाचार हो रहा है. यह स्थिति है कि   अब अगर हम  प्रश्न  करते हैं, एक मंत्री जी जवाब नहीं दे पाते हैं,  उनको प्रोटेक्ट करने के लिये  4 मंत्री खड़े होते हैं.  चार मिलकर भी जवाब  नहीं दे पाते हैं. संसदीय कार्य मंत्री जी को खड़ा होना पड़ता है,   वह जवाब देते हैं कि इसका परीक्षण करा लेंगे. लेकिन बस इतना करके  पूरी फाइलें बंद हो जाती हैं.  उसका परीक्षण कब होता है, कब उसका जवाब मिलता है, यह बिलकुल कोई बात नहीं है. तो यह होना चाहिये कि अगर  कोई बातें आती हैं तो  उनका परीक्षण होना चाहिये.   अगर कोई विधायक   उसमें  जुड़ा है, तो उन विधायकों को भी उसमें  रखना चाहिये.  यह  बहुत गंभीर विषय है.  मैं पेसा   एक्ट की बात कर रहा हूं.  बहुत बड़े लेवल पर  ट्राइबल मूव्हमेंट्स  ऐसा कह रहा था  स्वावलम्बन, सुशासन  के लिये  पेसा एक्ट जो  1996 में केन्द्र सरकार   के माध्यम से बन गया था. हमारे यहां पर पेसा  एक्ट लागू करने के बाद में  ऐसी बातें हो रही हैं कि   हमारा मध्यप्रदेश पहला  स्टेट है, जिसमें पेसा एक्ट  लागू किया,  पेसा एक्ट के नियम बनाये. 10 में से    आठवां प्रदेश है,  जहां पर  पेसा एक्ट के नियम बने हैं.  अब पेसा एक्ट के नियम बन गये हैं.  आज ही के पेपर में आप देख लीजिये.  कोऑर्डिनेटर के  जो पद  हैं, जो सीधे तौर पर पहले  890 पद जिनको   भरने थे वर्ष 2021- 2022  में,  8, 9 फरवरी  को जिनका इन्टरव्यू  होना था.  एक दिन पहले उनकी निरस्ती हो गई  और कुछ  चुनिन्दा रिश्तेदार  और पार्टी से जुड़े हुए लोगों  की सीधे तौर पर भर्ती की है.  यह पेसा  एक्ट  में क्या है, हर जगह जिस प्रकार   से करप्ट सिस्टम है, पेसा  एक्ट में  भी वही आ गया है.  तो यह सीधे तौर पर ट्रायबल्स को बहुत  अपनी तरफ खींचने की तो बातें  हुई हैं, लेकिन  उन पर  कभी ध्यान नहीं दिया गया है. अभी  ट्रायबल्स महापुरुषों के नाम  पर  ये नाम खुल रहा है, वह मूर्ति बनाई जा रही है, इसकी बात कह रहे हैं.  यह सब 18 साल बाद क्यों हो रहा है.   18 साल बाद आपको ट्रायबल्स  कैसे याद आ रहे हैं.  यह बहुत चिंता का विषय है.  यह पूरा ट्रायबल समाज देख रहा है  कि क्या सच है और क्या असत्य है और क्या पुलिन्दा है.    अब सिंचाई की बात कर लें, ऊर्जा की बात कर लें  या रोड की बात कर लें.  सिंचाई की मैं बात करुंगा,  मैं नर्मदा क्षेत्र, नर्मदा पट्टी से आता हूं.  यह एनवीडीए  मुख्यमंत्री  जी का क्षेत्र है. हमें ऐसी उम्मीदें थीं कि  कहीं न कहीं  हमारा जो क्षेत्र है, मण्डला,  जबलपुर,  सिवनी,  डिण्डोरी  का जो क्षेत्र है,  नर्मदा पट्टी है और अपार जल स्रोत है. कहीं न कहीं सिंचाई के लिये  कोई प्रोजेक्ट मिलेगा.  प्रोजेक्ट तो नहीं मिला.  वह  बसनिया  बांध  की बात कह रहे हैं, जिसमें  फिर से पलायन, विस्थापन   की बातें आयेंगी.   वित्त मंत्री जी, मुझे लगता है कि  थोड़ा सा तो दीजिये.  सालों से मांग कर रहे हैं,  4 साल से मैं लगातार यही बात कह रहा हूं. कुछ तो दीजिये. यही हाल पीडब्ल्यूडी की बात कह रहे हैं. हम हमारे ग्राम क्षेत्र जो है वह डिस्कनेक्ट हैं, दूर-दूर गांव हैं. अगर हम रोड की बात कह रहे हैं  तो एक रोड नहीं मिल पाया. सागर में 60 रोड मिल गये हैं. सीहोर में 27 रोड मिल गये हैं, यह क्या है? यह तो ऐसा लग रहा है जैसे आप लोगों का आखिरी बजट है. अपने अपने क्षेत्र में ले लो बाकी जाएं (XXX) में. यह बहुत चिंता की बात है. यह बजट में पूरे मध्यप्रदेश के साथ छल हुआ है.

          सभापति महोदय - अपनी बात जल्दी समाप्त करें.

डॉ. अशोक मर्सकोले- सभापति महोदय, अपन तो परिचित हैं, थोड़ा-सा 5-7 मिनट और दे दो.

सभापति महोदय - एक-दूसरे के सभी लोग परिचित रहते हैं. (हंसी). आप अपनी बात पूरी करिए.

डॉ. अशोक मर्सकोले- सभापति महोदय, ऊर्जा की बात करें. सरप्लस बिजली है, पवन चक्की, पवन ऊर्जा, सौर ऊर्जा सबकी बातें होती हैं. हम बहुत परेशान होते हैं जब यह बात सुनते हैं. यह हमारे क्षेत्र में क्यों नहीं हैं. ट्रायबल क्षेत्र में क्यों नहीं है. इसके लिए कब प्रावधान आएंगे? माननीय वित्त मंत्री जी जब आप बजट बनाते हैं  तो कहीं तो जिलेवार, विभागवार आपके पास में कोई तो डाटा आता होगा कि सब अपना-अपना भर लेते हैं? कोई जिलेवार शिकायत आती है तो बजट में उन बातों का प्रावधान तो होना चाहिए कि कहां कितने लेवल पर, बड़े बड़े लेवल पर अगर डिमांड आ रही है. अगर टीएल सिस्टम है, या फिर जनसुनवाई है, यह होता किसलिए है? अगर शिकायत आ रही है तो उन विषयों पर चर्चा होना चाहिए, उन विषयों को समाहित करना चाहिए. ऐसा तो नहीं होना चाहिए कि 2 जिलों को संपन्न बना दिया. हमारे मण्डला की तुलना क्या इंदौर और भोपाल से करेंगे? इंदौर खुश रहे, भोपाल खुश रहे, ग्वालियर, सागर खुश रहे, परन्तु हमारी खुशी का ध्यान कौन रखेगा? हम भी मूलभूत सुविधाओं की चाहत रखते हैं. आज हम जनप्रतिनिधि हैं. हमारे क्षेत्र की जनता किससे अपेक्षा रखती हैं? हमसे अपेक्षा रखती है. हम अपनी बातें लगातार रख रहे हैं परन्तु बातें सुनी नहीं जाती हैं.

सभापति महोदय, कुनो की बात आ रही है. कुनों में चीता क्या ले आए, इतना ढिंढोरा पीटा है, लेकिन वह चि में एक बिन्दी लगती है तो वह चिंता होता है, वह चिंता आदिवासियों को हो रहा है जो 25 गांव विस्थापित हो रहे हैं. यह जो विस्थापन है, यह आदिवासियों के हित में आता है और यह सोचना पड़ेगा. यह जो ट्रायबल वर्सेस टाइगर, इसको अलग क्यों करते हैं? ट्रायबल ने पूरी जिंदगी टाइगर्स के बीच में जिया है. आप टाइगर के नाम पर ट्रायबल्स को अलग कर देते हैं, उनकी स्थितियों का कभी आंकलन हुआ है कि विस्थापन के बाद में उनका क्या हुआ है. उनके साथ बहुत अन्याय हो रहा है.

सभापति महोदय, दो-तीन बातें इसमें और जोड़ना चाहूंगा. शराब, पहले तो सारी दुकानों को डबल कर दिया. अब डबल करने के बाद में एक झुनझुना ऐसा बना दिया कि आहता बंद किया. आहता आपने बंद किया, उसका मैं स्वागत करता हूं. माननीय मुख्यमंत्री जी अभी नहीं हैं लेकिन उससे संबंधित एक बात रखना चाहता हूं कि यह  शराब अतिआवश्यक तो नहीं है. बजट के हिसाब से हो सकता है लेकिन समाज के लिए तो अतिआवश्यक नहीं है, फिर इसकी दुकान का जो समय है, सुबह 6 बजे से लेकर रात को 11.30 बजे तक रखने की क्या आवश्यकता है? माननीय वित्त मंत्री जी, मेरी इस बात को जरा ध्यान से सुनें. आप माननीय मुख्यमंत्री जी, माननीय गृह मंत्री जी से बात करें. रात को 11 बजे तक अगर शराब की दुकानें चलती रहेंगी तो क्राइम रेट, एक्सीडेंट्स बढ़ेंगे और ऐसी सब बातें होंगी, पारिवारिक सुरक्षा कैसे रह पाएगी, इस बात पर विचार किया जाय कि उसका जो समय है. शराब की दुकानें अगर हैं तो उसका जो समय है, सुबह के 11 बजे से रात को 8 बजे तक कर दें ताकि उसके बाद में ऐसी बातें न आए कि लोग लेकर जा रहे हैं और फिर रात में एक्सीडेंट हो रहा है तो इस बात को आप देखें.

सभापति महोदय, एक बड़ी महत्वपूर्ण बात कह रहा हूं. माननीय वित्तमंत्री जी स्कूल की बात मैं आपसे कहना चाह रहा हूं. प्राइवेट स्कूल हैं, सरकारी स्कूल हैं. स्कूली सिस्टम ऐसा होना चाहिए कि स्कूलों का जो समय हो, चाहे वह प्राइवेट हों या शासकीय हो, छोटे बच्चों का हो, या बड़े छात्रों का हो, साढ़े 10 बजे से 4 बजे के बीच में स्कूल का समय ऐसा करवाएं, ऐसा होना चाहिए. ताकि यह जो सुबह 5 बजे उठना, 6 बजे उठना और रात तक छोटे बच्‍चों का रहना या उठना, मुझे लगता है कि उनकी स्‍वतंत्रता, उनको पढ़ने का समय यह बराबर रहना चाहिये. स्‍कूल का जो समय है साढ़े दस बजे से चार-साढ़े चार बजे तक अगर रखा जाता है तो मुझे लगता है कि बच्‍चों के लिये सुविधाजनक होगा. मैं पीएचई की बात पर आता हूं, बहुत पानी पिला रहे हैं, पानी की बात कह रहा हूं.

          सभापति महोदय अपनी बात जल्‍दी समाप्‍त कीजिएगा. अब आपका समय हो गया है.

          डॉ. अशोक मर्सकोले सभापति महोदय, बहुत महत्‍वपूर्ण है. पीने के पानी की बात है. पीने के पानी के लिये बहुत सारे टेंडर दे दिये गये हैं. टेंडर बिलो में गये हैं. अब मैंने अभी अपने क्षेत्र के अधिकारी को बुलाया, आंगनबाड़ी और स्‍कूलों तक सबने फिटनेस दे दिया कि सब जगह पीने के पानी की आपूर्ति हो गई. जिस क्षेत्र में मैं जाता हूं, मैं जब वहां पर परीक्षण कराता हूं तो नल वाले ने नल लगा दिया, टंकी वाले ने टंकी रख दिया पानी भर नहीं मिल पा रहा है. फिटनेस ले लिये हैं. यह इस प्रकार की बातें हैं. यही जल जीवन मिशन की बातें हम कहें. जब मैंने पीएचई के अधिकारी को बुलाया, अपने पास बैठाया, मैंने दो तीन जगह की बात पूछी तो उन्‍होंने बोला टंकी बन रही है, लाइन लग गई है, पाईप जुड़ गये हैं, सब व्‍यवस्‍था हो गई है इसलिये फिटनेस दी है.

          सभापति महोदय डॉ. साहब, आपकी बात पूरी हो गई है. अब आप समाप्‍त करें. धन्‍यवाद डॉ. साहब. 

          डॉ. अशोक मर्सकोले बस एक मिनट और. सभापति महोदय, पानी नहीं मिल पा रहा है, तो अगर कोई भी अधिकारी असत्‍य बोलता है, अगर वह फिटनेस देता है तो उसके विरुद्ध कार्यवाही होनी चाहिये. यह मुख्‍य बातें हैं. आवास एक महत्‍वपूर्ण विषय है. पीएम आवास की बातें आ रही हैं. मुझे लगता है कि ग्रामीण क्षेत्र में डेढ़ लाख रुपये, जहां पर परिवहन भाड़ा ज्‍यादा लगता है और शहरी क्षेत्र में ढाई लाख रुपये यह तो न्‍यायसंगत नहीं है. क्‍या इसकी रिपोर्टिंग आपके पास नहीं पहुंची है ? अगर पहुंची है, अगर उस ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के दर्द से आप वाकिफ हैं, आप पक्‍के मकान बनाने की बात तो कह रहे हैं लेकिन खेत बेचकर, जेवर बेचकर अगर वह अपना मकान बनाता है तो उसका पुण्‍य आपको कैसे मिल पायेगा. मेरा यह कहना है कि इस डेढ़ लाख रुपये की राशि को भी ढाई लाख किया जाए ताकि ग्रामीण क्षेत्र में ठीक से उनके मकान बन सकें.

          सभापति महोदय ठीक है आपकी बात रिकार्ड में आ गई. सम्‍मानीय डॉ. अशोक मर्सकोले जी, अपनी बात समाप्‍त कीजिएगा.

          डॉ. अशोक मर्सकोले सभापति महोदय, एक मिनट और. आदिवासियों की बात पर मैं आता हूं क्‍योंकि मैं भी उससे बिलाँग करता हूं. ट्राइबल सब प्‍लान की राशि की जो बात हो रही है, लगभग 37,000 करोड़ की बातें आ रही हैं, लेकिन उसका पूरा बंदरबांट तो बजट से ही हो गया है. ट्राइबल्‍स को मिला कितना है. यह ट्राइबल सब प्‍लान का जो पैसा है ट्राइबल एरिया के उत्‍थान के लिये है ना कि अन्‍य विभागों की सैलरी के लिये है और यह बात उधर के पक्ष के विधायकों को भी स्‍वीकार करनी पड़ेगी और इधर के पक्ष के ट्राइबल के विधायकों को भी स्‍वीकार करनी पड़ेगी और वह जो 37,000 करोड़ का पूरा का पूरा खर्चा वह जो सिर्फ ट्राइबल डिस्ट्रिक्‍ट हैं वहां पर होना चाहिये जहां पर ट्राइबल्‍स रहते हैं, उनके वेलफेयर के लिये ख्‍ार्च होना चाहिये तब उनका उत्‍थान होगा. सभापति महोदय, यही वजह है और कई विसंगतियों की वजह से मैं बजट का विरोध करता हूं. आपने बोलने का अवसर दिया धन्‍यवाद.

          श्री हरिसिंह सप्रे (कुरवाई) सभापति महोदय, मैं माननीय मुख्‍यमंत्री जी और वित्‍त मंत्री जी के बजट के पक्ष में बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. यहां बार-बार तीन चार लोगों का मैंने स्‍टेटमेंट सुना. माननीय हमारे मरकाम जी चले गये क्‍या ? हां मरकाम जी,  बैठिये. बापूसिंह तंवर जी हैं ?  हां बैठे हैं. सक्‍सेना जी बैठे हैं ?

          सभापति महोदय देखिये, आप अपनी बात बोलिये. अपनी बात शुरू कीजिये.

          श्री हरिसिंह सप्रे सभापति महोदय, मैं बोल रहा हूं.

          डॉ. विजयलक्ष्‍मी साधौ सभापति महोदय, क्‍या यहां हाजिरी लग रही है ? अटेंडेंस लग रही है ?

          सभापति महोदय नहीं-नहीं, हमने बोल दिया है.

            डॉ. विजयलक्ष्‍मी साधौ -- विधान सभा की गरिमा होती है. ..(व्‍यवधान)..

          सभापति महोदय -- सम्‍माननीय हरिसिंह सप्रे जी, अपनी बात बोलिएगा.

          श्री दिलीप सिंह परिहार -- नहीं, नहीं, ये सम्‍मान दे रहे हैं उनको, दोस्‍तों को याद कर रहे हैं. ..(व्‍यवधान)..

          श्री धर्मेन्‍द्र भावसिंह लोधी -- सत्‍ता पक्ष विपक्ष का जवाब दे रहा है. ..(व्‍यवधान)..

          श्री हरिसिंह सप्रे -- दीदी, जरा रहम करो. आप बहुत सीनियर हैं. ..(व्‍यवधान)..

          सभापति महोदय -- सप्रे जी, अपनी बात बोलिए.

          श्री हरिसिंह सप्रे -- सभापति महोदय, बार-बार कांग्रेसी मित्र कह रहे हैं कि 17 साल का दु:ख. आपने इस मध्‍यप्रदेश में शुद्ध 42 साल राज किया. ..(व्‍यवधान)..

          श्री शशांक श्रीकृष्‍ण भार्गव -- माननीय सभापति महोदय, ये इतिहास न बताएं. अपनी बात करें. ..(व्‍यवधान)..

          श्री हरिसिंह सप्रे -- इतिहास बताना पड़ेगा, आप जिले में पहले हो, इस बार बच नहीं रहे. ये और सुन लो. इस बार तुम भी साफ हो जाओगे.

          सभापति महोदय -- अपनी बात बोलिए.

          श्री हरिसिंह सप्रे -- माननीय सभापति महोदय, विकास की बात कर रहे हैं ना, मरकाम जी से ही बात कर रहा हूँ. मरकाम जी, आप बार-बार कह रहे थे कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, हमारे माननीय मुख्‍यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के विकास के लिए जितना काम किया है, पैसा खर्च किया है, किसी मुख्‍यमंत्री ने आज तक नहीं किया. ..(व्‍यवधान)..

          श्री संजय यादव -- एक नाम बता दो.  ..(व्‍यवधान)..

          श्री पांचीलाल मेड़ा -- कारम डैम का नाम सुना है आपने, कारम डैम पर लोग झोपड़ी बनाकर रह रहे हैं. आज तक शिवराज सिंह जी गए क्‍या, कोई मंत्री गया क्‍या, आप जाकर देखो कारम डैम के आदिवासी लोग कैसे रह रहे हैं वहां जंगलों में, माननीय मुख्‍यमंत्री जी को बताओ आप ..(व्‍यवधान)..

          सभापति महोदय -- उनको अपनी बात बोल लेने दीजिए.

          श्री हरिसिंह सप्रे -- बोलने दो भैया, जरा सुन तो लो, हमने आपकी सुनी पूरी, हमारी भी सुन लो. ..(व्‍यवधान)..

          श्री बापूसिंह तंवर -- अनुसूचित जाति के भाइयों के जाति प्रमाण-पत्र नहीं बन रहे हैं.

          श्री हरिसिंह सप्रे -- सब बन रहे हैं भाई.

          श्री बापूसिंह तंवर -- मेघवाल जाति के लिए जो आदेश किया था, उनके जाति प्रमाण-पत्र नहीं बन रहे हैं.

          श्री हरिसिंह सप्रे -- मैं भी अनुसूचित जाति वर्ग से हूँ.

          श्री बापूसिंह तंवर -- मेघवाल समाज का जाति प्रमाण-पत्र नहीं बन रहा है, जो कमलनाथ सरकार ने आदेश किया था, उसका परिपालन नहीं हो रहा है..(व्‍यवधान)..

          श्री हरिसिंह सप्रे -- मत कहलवाओ साहब आप, (XXX) 2018 में, आप लोगों ने असत्‍य बोलकर सरकार बना ली थी. दो लाख का कर्ज माफ, चार हजार रुपये.. ..(व्‍यवधान)..

          श्री बापूसिंह तंवर -- (XXX) ..(व्‍यवधान)..

          सभापति महोदय --  इसको रिकार्ड न किया जाए. ऐसे शब्‍दों का प्रयोग मत कीजिएगा.

          डॉ. योगेश पंडाग्रे -- इसके पहले क्‍या असत्‍य और (XXX) की सरकार थी, (XXX) करके सत्‍ता में आ गए थे. किसानों के साथ (XXX) करके सत्‍ता में आए थे, बेरोजगारों के साथ (XXX) करके सत्‍ता में आए थे. ..(व्‍यवधान)..

          श्री प्रियव्रत सिंह -- अब तो सत्‍ता में आ गए, बोलने दीजिए उनको. ..(व्‍यवधान)..

          श्री हरिसिंह सप्रे -- महिला सशक्‍तिकरण के लिए माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने लाडली लक्ष्‍मी योजना चलाई. क्‍या आपने 42 साल में एकाध लाड़ली लक्ष्‍मी योजना चलाई. क्‍या आपने कभी 42 साल में एक महिला की प्रसूति के लिए 2 रुपये खर्च किए. शुद्ध 42 साल कांग्रेस ने इस मध्‍यप्रदेश में राज किया है और आप लोगों ने 62 साल केन्‍द्र में शासन किया है. हमारे माननीय मुख्‍यमंत्री जी सर्वहारा वर्ग, सभी समाजों के हित का बजट पेश किया है. मैं इस बजट की भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूँ. सभापति महोदय जी, धन्‍यवाद.       

            श्री रविन्‍द्र सिंह तोमर (दिमनी) -- सभापति महोदय, मैं आपका धन्‍यवाद ज्ञापित करता हॅूं कि आपने मुझे बजट पर बोलने का अवसर दिया. मध्‍यप्रदेश में सत्‍ता पक्ष में बैठे हुए भाजपा के हमारे नेताओं का नारा है कि बच्‍चा-बच्‍चा राम का, और मध्‍यप्रदेश की जनता के नहीं है किसी काम का. आपको निवेदन करना चाहता हॅूं कि अभी हमारे पूर्व वक्‍ता इतिहास की बात कर रहे थे,. कांग्रेस पार्टी के 42 साल का इतिहास बता रहे थे. यह 19 साल का हिसाब तो नहीं दे पा रहे हैं, लेकिन पिछले 42 साल का इतिहास बताकर के 19 साल से हिसाब मांग रहे हैं. मैं आज सदन के सामने यह कहना चाहता हॅूं कि जब मैं गांव में रहता था, मैं आम आदमी किसान परिवार में पैदा हुआ, तो मुझे लगता था कि विधानसभा में बहुत अच्‍छे लोग पहुंचते हैं जो सत्‍य बात के आधार पर इस प्रदेश और देश को चला रहे हैं. यह आपसे बताना चाहता हॅूं कि यह कांग्रेस पार्टी की सरकारों के 42 साल के हिसाब की बात करते हैं. इस देश में जब आजादी आयी तब वर्ष 1952 में पहला चुनाव हुआ. तमाम प्रत्‍यक्षदर्शी यहां बैठे हुए हैं. मैं पूछना चाहता हॅूं कि देश की क्‍या हालत थी. क्‍या स्‍थिति थी. हमारे देश में पर्याप्‍त अनाज उत्‍पादन नहीं होता था. वर्ष 1960 में हरित क्रांति का नारा देकर के पंडित जवाहरलाल नेहरू जी ने पर्याप्‍त उत्‍पादन इस देश में किया, जिससे आज हम निर्यातक देश बन गए हैं, पहले हम आयातक देश थे. फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया किसने बनाया ? इस देश में आईआईएम किसने बनाया, आईआईटी किसने बनाया. भिलाई इस्‍पात कारखाना किसने बनाया. भांखड़ा नागल बांध किसने बनाया. इस देश में नहरें किसने खुदवायीं. आरटीआई कानून कौन लेकर आया. मनरेगा मजदूर योजना कौन लेकर आया. आए दिन केवल यही चर्चा आती है कि कांग्रेस पार्टी ने कुछ नहीं किया है. इस झूठ का पुलिंदा लेकर के भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश की जनता के सामने जो आईना दिखाया है, उसने विधायिका की गरिमा को कम किया है. मैं दावे से इस बात को कह सकता हॅूं कि आज विधायिका की गरिमा कम हुई है. अभी कुछ 15 दिन पहले की बात है, मैं ट्रेन में यात्रा कर रहा था. कुछ यात्रियों से चर्चा हो रही थी. वह कह रहे थे कि विधायिका की गरिमा को इस सरकार ने कम कर दिया है. मैं इस सदन में कहना चाहता हॅूं कि-

           "कुछ याद उन्‍हें भी कर लो, जो लौट के घर ना आए.

                   जब देश में थी दीवाली, वो खेल रहे थे होली,

                             जब हम बैठे थे घरों में, वो झेल रहे थे गोली. "

          उन शहीदों को याद कर लो, जिन्‍होंने इस देश को आजाद कराया. आज हम सब भूलकर सत्‍ता के मद में है और मैं दावे के साथ इस सदन में कह सकता हॅूं कि लोकतंत्र में जो सरकारें अपने आपको भगवान समझने लगती हैं, जनता उनको कभी माफ नहीं करती है. मैं आपसे कह सकता हॅूं कि मैं चंबल क्षेत्र से आता हॅूं और मध्‍यप्रदेश की धरती के लिए यह कहता हॅूं कि "युग-युग से कल-कल बहता नर्मदा और चंबल का पानी, इस धरती पर जन्‍म लिया बस अपनी यही कहानी." एक  सभ्‍यता, एक संस्‍कृति अपना पंत इस माटी का, जाति-पाति भले ही अलग हो, पर खून है मध्‍यप्रदेश की माटी का.

          सभापति महोदय, मैं सदन के माध्‍यम से निवेदन करना चाहता हॅूं कि हमारे मुख्‍यमंत्री जी और गृहमंत्री जी के मुखारबिन्‍दु से हमने सुना है कि (XXX) लेकिन मैं आज सदन के माध्‍यम से इस बात का खण्‍डन करना चाहता हॅूं (XXX). अन्‍याय के खिलाफ बगावत करने की क्षमता अगर कहीं किसी लोगों में है तो वह चंबल की माटी के लोगों में है.

          सभापति महोदय -- यह बात विलोपित करें.

           श्री रविन्‍द्र सिंह तोमर -- चंबल क्षेत्र में जयप्रकाश नारायण जी ने एक अभियान चलाया था. विनोबा भावे जी ने उससे पहले मिशन चलाया था. उस समय 11 बागियों का आत्‍मसमर्पण करवाया था और जयप्रकाश नारायण जी के नेतृत्‍व में आदरणीय सुब्‍बाराव जी ने, जो अब हमारे बीच में नहीं रहे हैं उन्‍होंने 500 बागियों का आत्‍मसमर्पण जौरा की धरती पर कराया था. आज भी जौरा में आश्रम है जो, गाँधी आश्रम, उसमें शिला पट्टिका लगी हुई है, उस शिला पट्टिका में यह लिखा हुआ है कि बागियों की बंदूकें गाँधी के चरणों में, सभापति महोदय, मैं निवेदन करना चाहता हूँ आजादी आँदोलन में बिस्मिल जैसे वीरों ने, उस आजादी आँदोलन में, अपने प्राण देकर के,  उस चम्बल घाटी का माथा भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में ऊँचा किया है. यह बिस्मिल जी का ही नारा है

सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,

देखना है  कितनी ताकत बाजू ए कातिल में है.

यह बिस्मिल जी का नारा है. सभापति महोदय, हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी ने 15169 घोषणाएँ असत्य कर दी हैं, उसमें हमारे दिमनी विधान सभा की सैकड़ों करोड़ की घोषणा है. जो आज तक पूरी नहीं हुई है. मैं आप से यह कहना चाहता हूँ कि विधायिका की गरिमा की बात करते हैं, आप सत्ताधारी हमारे साथी, लेकिन यह ध्यान किसको रखना है लॉ एण्ड ऑर्डर किसका है, सत्ता किसकी है, बेरोजगारी की चिन्ता कौन करेगा, मैं आप से सदन के माध्यम से सभापति महोदय, कहना चाहता हूँ कि इस चम्बल में जहाँ आजादी आँदोलन से लेकर के आज तक का इतिहास उठा लो, लाखों नौजवानों ने, अपने प्राण दे दिए भारत माँ के लिए और मैं यह भी कहना चाहता हूँ, मैं दावे से कह रहा हूँ कि भारत माँ की सीमा की सुरक्षा करते हुए लाखों नौजवानों ने अपने प्राण आहूत कर दिए, लाखों माताओं की गोदियाँ सूनी हो गईं, लाखों बहनों के सिन्दूर उजड़ गए. सभापति महोदय, आज भी सेना में कंधे पर बन्दूक लिए हुए कोई नौजवान सबसे बड़ी संख्या में भारत माँ की सुरक्षा कर रहा होगा तो उसमें भी सबसे बड़ी संख्या चम्बल की माटी के लाल की होगी. मैं आप से कहना चाहता हूँ आज सभापति महोदय, सदन के माध्यम से कि माननीय मुख्यमंत्री जी ने,  19 वर्ष हो गए भारतीय जनता पार्टी की सत्ता को लेकिन उन्होंने चम्बल पर कभी कोई ध्यान नहीं दिया. केवल यह कह कर के बात को खत्म किया है कि (XXX). सभापति महोदय, मैं आप से कहना चाहता हूँ कि चम्बल में हजारों एकड़ भूमि क्वारी आसन और सिन्ध और चम्बल के बीहड़ों में बेकार पड़ी हुई है. अगर एक इन्वेस्टर्स मीट चम्बल की धरती पर भी हो गई होती तो वहाँ के लोगो को समझ में आ जाता कि मुख्यमंत्री जी को हमारा ध्यान है. लेकिन एक भी इन्वेस्टर्स मीट नहीं हुई, हमारे क्षेत्र के लाखों नौजवान, जिनको सरकारी नौकरी नहीं मिलती है. बहुत दूर जाकर के सूरत, बड़ौदा, अहमदाबाद, दिल्ली, बम्बई, तमाम शहरों में जाकर के छोटी छोटी नौकरियाँ करते हैं और उस चम्बल में हजारों एकड़ भूमि का उपयोग हो जाए तो वहाँ उद्योग धन्धे लगाए जा सकते थे. लेकिन 19 साल में एक भी बार पहल नहीं हुई है. मैं आप से कहना चाहता हूँ सभापति महोदय, उन बेरोजगारों के लिए कि जब बच्चा पैदा हुए आज से 19 वर्ष पहले और अगर वह 5 वर्ष का था बच्चा तो उस समय जब उसने होश संभाला, तो इस प्रदेश का मुख्यमंत्री कौन था, माननीय शिवराज सिंह जी और आज उनके शादी ब्याह हो गए, आज भी मुख्यमंत्री कौन है, शिवराज सिंह जी चौहान, लेकिन वे बेरोजगार हैं, वे रोजगार की मांग कर  रहे हैं. वे कह रहे हैं, माँ-बाप उनके कोस रहे हैं कि हमारा बच्चा बेरोजगार है, इसका जिम्मेदार कौन है, सभापति महोदय, इसको सोचने और विचार करने की आवश्यकता है.

          सभापति महोदय, चम्बल में एक्सप्रेस-वे की बात हो रही है. कई सालों से हो रही है. पहले उसका नाम था चम्बल एक्सप्रेस-वे और उसका नाम तो बदल करके अटल प्रोग्रेस-वे रख दिया गया है. अटल बिहारी बाजपेयी के नाम पर हमारी कोई टिप्पणी नहीं है. मैं सहर्ष कह रहा हूँ, लेकिन मैं एक बात और कह रहा हूँ कि आजादी आँदोलन में जिन्होंने अपने प्राण दे दिए एक बहुत अच्छा नाम भी था पंडित रामप्रसाद बिस्मिल, उनके नाम पर अगर इस प्रोग्रेस-वे का नाम रखा जाता तो और भी लोगों को खुशी होती.

          सभापति महोदय, मैं यह भी कहना चाहता हूँ कि पहले चम्बल एक्सप्रेस-वे का सर्वे बीहड़ी क्षेत्र से हुआ था उसे यथावत रखा जाए क्योंकि जो नया सर्वे हो रहा है उसमें हजारों एकड़ जमीन किसानों की जा रही है. हमारे चम्बल में पहले से बेरोजगारी है. जमीनें भैय्या बांटों में कम हो गईं थीं. अगर इस एक्सप्रेस-वे को पुन: उसी तरह से नहीं रखा गया तो किसान आंदोलन कर रहे हैं, परेशान हो रहे हैं, तमाम बार विज्ञापन दे चुके हैं. इसलिए मैं ध्यान आकर्षित कराना चाहता हूँ. हमारे साथियों ने कहा कि चीता के लिए कूनो-पालपुर नेशनल पार्क में 35 करोड़ रुपए की लागत से  काम हुआ है. माननीय प्रधानमंत्री जी को ध्यान आ गया और गौ-माता पर सरकार चल रही है. गौ-माता पर बार-बार जो चर्चा आ रही है. मैं आपसे सदन के माध्यम से कहना चाहता हूँ कि चंबल में पहले ही किसान परेशान है. गौमाता की दुर्दशा क्या है. अगर आप रोड पर 50 किलोमीटर की यात्रा कर लेंगे तो कम से कम 2-4 गायें रोड पर बुरी हालत में मरी हुई पड़ी मिलेंगी. इसलिए इन्हें गौ और हिरन की चिन्ता करनी थी इन्होंने गौ और हिरन की चिंता तो नहीं की लेकिन चीता पर अपनी पीठ थपथपाकर उसका क्रेडिट लेने की कोशिश की जा रही है. यह सरकार की बहुत ओछी मानसिकता का परिचय है. मैं आपसे कह सकता हूँ कि धर्मस्व विभाग के लिए मैंने विधान सभा में पहली बार कोई प्रश्न उठाया तो मैंने मंदिरों का प्रश्न उठाया था. मंदिरों के लिए हमने मांग की थी हमारे तोमर वंश की कुल देवी का मंदिर 1100 वर्ष पुराना है. महाराजा अनंगपाल सिंह जी तोमर जब दिल्ली से चलकर अहसा नामक स्थान पर आए तो उन्होंने कुल देवी की वहां पर स्थापना की. उस मंदिर के संवर्द्धन और संरक्षण की हमने तत्कालीन मंत्री ऊषा ठाकुर जी से मांग की थी. एक ककनमठ हमारा ऐतिहासिक धरोहर है जिसको पर्यटन में दे दिया गया है. मैं उस क्षेत्र में 15 साल से राजनीति कर रहा हूँ. बल्लियां लगी हुई हैं लेकिन वहां पर कोई काम नहीं हो रहा है. पर्यटन के लिए कोई प्रोत्साहन नहीं दिया गया है. मैंने विधान सभा में कई बार प्रश्न लगाया लेकिन माननीय मंत्री जी ने आश्वासन तो दिया कि हम बजट का प्रावधान करेंगे लेकिन आज तक उस पर कोई चिंता नहीं की है.

          सभापति महोदय, मैं अधोसंरचना पर भी बात करना चाहता हूँ. हमने दिमनी क्षेत्र में 42 मार्गों का प्रस्ताव दिया जिसका प्राक्कलन भी तैयार हो गया था. सड़कें बहुत-ज्यादा लंबी चौड़ी नहीं थी. सरकार के लोग बार-बार अपनी पीठ थपथपा रहे हैं और कह रहे हैं कि हमने बहुत डेवलपमेंट किया है. मुख्यमंत्री जी कह रहे हैं कि हमने बहुत डेवलपमेंट किया है. मेरे क्षेत्र में एक किलोमीटर, आधा किलोमीटर, दो किलोमीटर  की 42 सड़कें थीं उन प्रस्तावों में यह लिखकर भेजा गया है कि बजट के अभाव में यह वापिस किए जाते हैं. मैं पूछना चाहता हूँ कि तमाम बातें तो होती हैं, आरोप और प्रत्यारोप होते हैं लेकिन जिनके घर शीशों के हैं वे दूसरों के घर में पत्थर फेंक कर क्या साबित करना चाहते हैं. यह विचार करने की आवश्यकता है.

          सभापति महोदय, आपने मुझे बोलने का समय दिया. मैं सदन का और आपका धन्यवाद करता हूँ.

          श्री दिलीप सिंह परिहार (नीमच) -- माननीय सभापति महोदय, मन में बड़ी प्रसन्नता है और विधान सभा में उत्साह भी है. 3 लाख 14 हजार 25 करोड़ रुपए का बजट आया है. इस बजट को सहज सरल मंत्री जगदीश देवड़ा जी ने प्रस्तुत किया है. इसका मैं स्वागत और अभिनन्दन करता हूँ. सभापति महोदय, मान्यवर मुख्यमंत्री जी के निर्देशानुसार यह बजट गरीब का, किसान का, महिलाओं का और सर्वहारा वर्ग के कल्याण का बजट है. अभी हमारे बंधु कुछ संस्कृति के संबंध में बात कर रहे थे. राम के संबंध में बात कर रहे थे. यह देश तो राम का है परिवेश राम का है और प्रभु के आदेश से ही जन्म भूमि पर राम का मंदिर बन रहा है. आज मध्‍यप्रदेश में भी राम राजा के दरबार का उन्‍नयन हो रहा है और महाकाल बाबा के लोक का भी उन्‍नयन आज हम देख रहे हैं. जिस हिसाब से पर्यटन बढ़ रहा है उस हिसाब से एक अच्‍छा अवसर मध्‍यप्रदेश की धरती पर आया है. जब देश के प्रधान सेवक पांच अगस्‍त के दिन अयोध्‍या में न्‍यायालय के आदेश से भूमिपूजन करते हैं तो इन सब कांग्रेस के बंधुओं के जो कि आरोप लगाते थे उनके मुंह बंद हो जाते हैं. यह कहते हैं की तारीख भी नहीं बताएंगे और मंदिर भी नहीं बनाएंगे. आज हमारे देश में प्रभु श्री राम का भव्‍य मंदिर बन रहा है. राजा राम के दरबार में उन्‍नति हो रही है. चित्रकूट का धाम बन रहा है, महाकाल लोक का विकास हो रहा है. यह अद्भुत करिश्‍मा कहीं हो रहा है तो मध्‍यप्रदेश की धरती पर हो रहा है. आज जब देश के प्रधान सेवक मध्‍यप्रदेश में आते हैं तो मध्‍यप्रदेश के मुख्‍यमंत्री जी उनका पलकपावड़े बिछाकर स्‍वागत करते हैं और जब वह चीता लेकर आते हैं तो हम देखते हैं कि वहां अभ्‍यारण्‍य के लिए पर्यटन बढ़ना प्रारम्‍भ हो जाता है. अब वही चीता अगले वाले टर्म में नीमच जिले के मनासा तहसील है उसमें आएंगे तो यहां भी पर्यटन स्‍थल बनेगा.

          सभापति महोदय, हम सभी जानते हैं कि गांधीसागर डेम मानव निर्मित‍ डेम है और उस डेम का पानी हम नीमच और मंदसौर जिले के लोग कभी नहीं ले पाते थे. उस डेम का पानी यदि जाता था तो वह कोटा जाता था, झालावाड़ जाता था, चम्‍बल जाता था और वहां के लोग उस पानी का उपयोग करते थे. मध्‍यप्रदेश में पानीदार मुख्‍यमंत्री हैं मान्‍यवर शिवराज सिंह जी चौहान साहब जिन्‍होंने नर्मदा को क्षिप्रा में मिलाया और चम्‍बल का पानी जो नीमच और मंदसौर के गांव-गांव में प्‍यासे कंठों की प्‍यास बुझाएगा वह दो हजार करोड़ रुपए की योजना मुख्‍यमंत्री जी ने मान्‍यवर जगदीश देवड़ा जी ने बजट में मंजूर की है और उस पर काम प्रारंभ हो गया है. इसके लिए मैं इस बजट का स्‍वागत करता हूं, अभिनन्‍दन करता हूं. नीमच भोपाल के अंतिम छोर में है और दीनदयाल जी यही कहते थे कि चलो चलाएं दीप वहां जहां अभी भी अंधेरा है. हमारे मुख्‍यमंत्री जी और देवड़ा जी ने जो अंतिम छोर में नीमच है उस नीमच में स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाएं उपलब्‍ध कराने का काम किया है. आज हम देख रहें हैं कि मध्‍यप्रदेश में जहां 25 मेडिकल कॉलेज बन रहे हैं उसमें नीमच जिले को भी लिया गया है और आज नीमच जिले में भी मेडिकल कॉलेज बन रहा है. उसकी स्‍पीड तेज है और जब वहां मेडिकल कॉलेज बन जाएगा तो हमारे वहां के बेटा-बेटी वहां शिक्षा प्राप्‍त करेंगे. निश्चित ही मैं प्रदेश के मुख्‍यमंत्री जी को भी धन्‍यवाद दूंगा. मान्‍यवर कमलनाथ जी बीच में आए थे और वह बीच में इसलिए चले गए कि आपने जो वादे जनता से किए थे वह पूरे नहीं किए हैं और उसकी वजह से जब आप गए हैं तो आपके मन में वह तकलीफ स्‍वाभाविक है. उस तकलीफ को हम महसूस करते हैं कि आपके मन में जो तकलीफ है वह हमेशा बनी रहेगी क्‍योंकि आप अच्‍छे काम करते तो आपको लोग याद करते.

          सभापति महोदय, मुझे याद है जब मैं नीमच का विधायक था आपके यहां कराड़ा जी प्रभारी मंत्री थे वह विधायक को भूमिपूजन में नहीं बुलाते थे, लोकार्पण में नहीं बुलाते थे अब हम आपका नाम कैसे लें. अब केन्‍द्र में और प्रदेश में हमारी सरकार है. प्रदेश में शिवराज मामा हैं, यहां विश्‍वास सारंग जी हैं वह हमें मेडिकल कॉलेज दे रहे हैं. मेडिकल कॉलेज की सौगात नीमच में मिल रही है इसके लिए मैं वित्‍त मंत्री जी को बहुत धन्‍यवाद देता हूं, बहुत आभार प्रकट करता हूं. निश्चित ही अंतिम छोर में जो नीमच जिला है उसमें गांधी सागर का पानी जो मानव निर्मित जहां हमारे गांब डूबे, जहां हमारी खेती डूबी उस खेती और गांव के डूबने के बाद हमें एक इंच पानी नहीं मिला था आज पानीदार मुख्‍यमंत्री हैं उन्‍होंने दो हजार करोड़ रुपए की योजना मंजूर की है. नीमच और मंदसौर जिले के गांव-गांव में पानी पहुंचेगा. पाईप लाईन डल गई है, टंकी बन रहीं हैं अब माताओं और बहनों को हैण्‍डपम्‍प चलाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. सिर पर बेवड़ा रखकर पानी लाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. वह आंगन में नल खोलेगी और जनता की और परिवार की प्‍यास बुझाने का काम करेगी तो उस समय बहने दुआएं देंगी कि हमारे वित्‍त मंत्री जी और मान्‍यवर मुख्‍यमंत्री जी को कि आपने यह योजना मंजूर करके हम पर बहुत बड़ा उपकार किया है. निश्चित ही सरकार जनता की सेवा के लिए होती है और जनता की सेवा आज हमारी भारतीय जनता पार्टी की सरकार और सरकार के मुखिया लगातार कर रहे हैं. मैं धन्‍यवाद दूंगा कि हम मां बहन बेटी का सम्‍मान करते हैं यह हमारी सनातन संस्‍कृति है. अभी बहन साधौ जी बोल रही थीं हम उनका सम्‍मान करते हैं, उनको धन्‍यवाद देते हैं. हम सभी को कोई भी बेटी हो, कोई भी मां हो, बहन हो यह हमारा संस्‍कार है और इस संस्‍कृ‍ति की वजह से ही मध्‍यप्रदेश के मुख्‍यमंत्री जी ने आज मध्‍यप्रदेश की धरती पर लाडली बेटियां बनाने का काम किया है. जब वे लाड़ली बेटियां स्‍कूल में जाती हैं, अभी जब हम विकास यात्रा में गए तो हमने उन बेटियों के पांव पूजे, वे बेटियां कलश लेकर खड़ी रहती थीं, वे स्‍वागत के लिए खड़ी रहती थीं कि मध्‍यप्रदेश में पानीदार मुख्‍यमंत्री है वह पानी लाने का काम कर रहे हैं. निश्चित ही आज हम देख रहे हैं कि बहनों के लिए ''मुख्‍यमंत्री लाड़ली बहना योजना'' जो मुख्‍यमंत्री जी ने प्रारंभ की है, उसके लिए 8 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान इस बजट में किया गया है. इसके लिए मैं वित्‍त मंत्री जी को धन्‍यवाद देता हूं. प्रतिमाह 1 हजार रुपये उनको मिलेंगे, जिस गरीब बहन के पास पैसा नहीं होता है, उसके लिए वह 1 हजार रुपये बहुत महत्‍व रखता है. आप, हम कह सकते हैं कि 1 हजार रुपये से क्‍या होता है ? लेकिन उस गरीब बहन के पास 1 हजार रुपये पहुंचेगा तो वे मुख्‍यमंत्री जी को दुआयें देंगी. इस योजना के तहत 9 सौ 29 करोड़ रुपये का प्रावधान प्रस्‍तावित किया गया है.

          सभापति महोदय, ''प्रधानमंत्री मातृत्‍व वंदना योजना'' में भी 4 सौ 67 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. महिला स्‍वसहायता समूह, बहनें आत्‍मनिर्भर बनें, इसलिए मध्‍यप्रदेश की धरती पर, इन समूहों को बनाया गया है. 47 लाख से अधिक महिलायें इससे जुड़ी हुई हैं. आज हम देखते हैं कि जो बहनें घर से नहीं निकलती थीं, लोग कहते थे कि बहनें तो चौका-चूल्‍हा करने के लिए हैं, मगर आज बहनें सभी क्षेत्रों में आगे बढ़ रही हैं. मध्‍यप्रदेश में हमारी बहनें राजनीति में आगे आ रही हैं. मुख्‍यमंत्री जी ने बहनों को 50 प्रतिशत का आरक्षण दिया है, जिससे वे विधायक बन रही हैं, नगर पालिका में अध्‍यक्ष बन रही हैं, जिला पंचायत में अध्‍यक्ष बन रही हैं, सरपंच बनकर बहनें न्‍याय करने का काम कर रही हैं. हम जानते हैं कि पंच के मुंह से परमेश्‍वर बोलता है, आज हमारी बहनें सरपंच बनकर गांव की सेवा कर रही हैं. इसके अलावा भी बहनें के समूहों को हमने 3 लाख रुपये तक का बैंक ऋण और 2 प्रतिशत अतिरिक्‍त ब्‍याज दिये जाने का काम किया है.

          डॉ. विजय लक्ष्‍मी साधौ-  माननीय सदस्‍य कह रहे हैं कि विधान सभा में भी बहनें आरक्षण में आई हैं. मैं, कहना चाहती हूं कि वहां केंद्र आज जो आपकी सरकार है, केंद्र में कांग्रेस की सरकार ने राज्‍यसभा में महिलाओं के आरक्षण का बिल पारित कर दिया है. आप कृपया उसे लोकसभा से पास तो करवा लें, जिससे राज्‍यसभा और लोकसभा में आरक्षण हो सके.  

          श्री दिलीप सिंह परिहार-  सभापति महोदय, आज हमारी बहुत सी बहनें जीत के यहां आई हैं. आप अपने यहां देख लो, आपके यहां कोई बहनें हैं क्‍या ? कांग्रेस में बहनों का सम्‍मान नहीं होता था. हम मां-बहन-बेटी का सम्‍मान करते हैं, जितनी बहनें आज मध्‍यप्रदेश की विधान सभा में हमारी तरफ से जीतकर आयी हैं, उतनी बहनें कांग्रेस की तरफ से जीतकर नहीं आई हैं क्‍योंकि उन्‍हें कांग्रेस ने अवसर ही नहीं दिया है क्‍योंकि कांग्रेस कहती कुछ है और करती कुछ और ही है.

          सभापति महोदय-  परिहार जी, आपके सम्‍मान के लिए, बहनों के सम्‍मान के लिए ही बोल रहे हैं.

          डॉ. विजय लक्ष्‍मी साधौ-  सभापति महोदय, ये कोई बात नहीं है. मैंने कोई असंसदीय बात नहीं की है. जो वे बोल रहे हैं कि महिला आरक्षण है, मैं उस पर बोल रही हूं.

          श्री दिलीप सिंह परिहार-  सभापति महोदय, हमारे यहां नीमच में आपके मुखिया आये थे. किसानों से असत्‍य वादा करके चले गए. वे आये थे, कहकर गए थे कि 2 लाख रुपये तक के कर्ज 10 दिनों में समाप्‍त कर देंगे, कर्ज माफ कर देंगे. स्‍व सहायता समूह का ऋण माफ कर देंगे, बेरोजगारों को भत्‍ता देंगे. उन्‍होंने कुछ किया नहीं. जनता की अदालत में हारे. हम सभी जानते हैं कि जो लोग असत्‍य बोलते हैं, उनका ज्‍यादा दिन नहीं चलता है.

रघुकुल रीत सदा चली आई,  प्राण जाई पर वचन न जाई।

          सभापति महोदय, हमारे मुख्‍यमंत्री ने कहा कि हम 24 घंटे बिजली देंगे तो आज प्रदेश में 24 घंटे बिजली मिल रही है. हमरे मुख्‍यमंत्री जी ने कहा कि गरीब की थाली रहे न खाली. तो हमने गरीब की थाली में अन्‍न देने की व्‍यवस्‍था की है. इसके अलावा दीनदयाल रसोई जो जिला स्‍तर पर चल रही है, कोई भी गरीब भूखा न सोए इसलिए वहां 5 रुपये में भरपेट भोजन की व्‍यवस्‍था की है. इस प्रकार आनंद उत्‍सव मध्‍यप्रदेश में मना रहे हैं. आज लगातार ऐसे-ऐसे काम मध्‍यप्रदेश में हो रहे हैं, खेल के क्षेत्र में हमारी मंत्री महोदया और वित्‍त मंत्री जी ने बजट में 7 सौ 38 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है. कांग्रेस और दिग्विजय सिंह जी के समय इसके लिए कभी बजट ही नहीं होता था. आज हमने खेल के क्षेत्र में अद्भुत प्रदर्शन किया है. खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2022 में मध्‍यप्रदेश ने 39 स्‍वर्ण, 30 रजत पदक प्राप्‍त कर, तीसरे स्‍थान पर रहा है. खेल की गतिविधियां निरंतर मध्‍यप्रदेश की धरती पर बढ़ रही हैं. मैं, अकसर कहता हूं कि एक स्‍वस्‍थ शरीर में ही, एक स्‍वस्‍थ मस्तिष्‍क का निवास होता है. युवाओं को खेलने के लिए अवसर मिल रहे हैं. युवा खेलकर मध्‍यप्रदेश का नाम पूरे देश में रोशन कर रहे हैं. इसके लिए मैं, आपको धन्‍यवाद दूंगा.

          सभापति महोदय, शासकीय सेवाओं में नौजवानों के लिए 1 लाख पदों पर भर्ती की प्रक्रिया चालू हो गई है. अभी हमारी बहनें कर रही थी, हमने 50 प्रतिशत का आरक्षण टीचरशिप में बहनों को दिया, 33 प्रतिशत का आरक्षण पुलिस विभाग में दिया तो हम तो बहनों को हर जगह सम्‍मान देने का काम निरन्‍तर मध्‍यप्रदेश के यशस्‍वी मुख्‍यमंत्री कर रहे हैं. बेरोजगारों को लोन देने के लिये वित्‍त मंत्री ने हमारे यहां प्रावधान किया है. एमएसएमई मंत्री सखलेचा जी यहां पर हैं,अभी उद्योग से लिये 1 करोड़ से लेकर 50 करोड़ के लोन देश के प्रधान मंत्री और मुख्‍य मंत्री जी दे रहे हैं. नीमच में नया औद्योगिक क्षेत्र बना है,बेरोजगार वहां उद्योग ले रहे हैं. वहां अभी हमने नया पायलेट ट्रेनिंग सेंटर नीमच की धरती पर प्रारंभ हो रहा है. जो हमारे बेटा-बेटी हैं, वह पायलेट ट्रेनिंग लेंगे और मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई अब तो हिन्‍दी में होगी तो गांव की बेटी भी वहां डाक्‍टर बन सकेंगी. जब वह डॉक्‍टर बनेंगी तो विदेश में शिक्षा देने नहीं जायेगी,नीमच और आस पास के गांव में शिक्षा देने का काम करेगी, तो निश्चित ही इस बजट में जो प्रावधान किये गये हैं वह अद्भूत प्रावधान किये गये हैं और यह बजट सर्वहारा वर्ग का कल्‍याण करने वाला बजट है. इस बजट में जो लाड़ली लक्ष्‍मी योजना में 44 लाख, 39 हजार लक्ष्‍मी बेटियां लाभांवित हुई हैं,इसके अलावा हमारे मातृत्‍व वंदना में 30 लाख हितग्राहियों को हमने लाभ दिया है. लाड़ली बहना योजना में भी 8 हजार करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है. प्रसूति सहायता में 400 करोड़ का प्रावधान मान्‍यवर हमारे वित्‍त मंत्री जी ने किया है. लाड़ली लक्ष्‍मी योजना में भी 929 करोड़ का प्रावधान मान्‍यवर वित्‍त मंत्री जी ने किया है. कन्‍या विवाह और निकाह मैं, अभी बताना चाहता हूं कि जब अभी नीमच में मुख्‍यमंत्री कन्‍यादान योजना हुई. मेरी शादी में कलेक्‍टर, एसपी नहीं आया होगा, विधायक और सांसद नहीं आया होगा. मगर जब बेटी का विवाह और निकाह हुआ तो वहां कलेक्‍टर भी था और विधायक और सासंद भी वहां उपस्थित थे और दीदी एक तरफ पंडित जी मंत्रोच्‍चारण कर रहे थे, दूसरे तरफ मौलवी जी कलमा पढ़ रहे थे और बेटी का विवाह हो रहा था, निकाह हो रहा था. ऊपर से भगवान अल्‍लाह ताला भी देख रहे थे तो मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को कह रहे थे कि मुख्‍यमंत्री जी आप बार-बार प्रदेश के मुख्‍य मंत्री बनना.

          श्री विजय लक्ष्‍मी साधौ:- आपके मंत्री ने जो बोला कि नकली जेवर बोले, यह भी बोल दो कि नकली जेवर मिले मंत्री के एरिये में यह भी बोल दो.

          श्री विजय रेवनाथ चौरे:- आपने जो अलमारी दी वह एक आदमी से उठ जाती है. इतना बड़ा भ्रष्‍टाचार और घोटाला हुआ है.

          श्री दिलीप सिंह परिहार:- अरे आपने तो जो स्‍वीकृति पत्र दिये थे, उन बहनों की डिलेवरी होने आ गयी तब तक भी इनको पैसे नहीं मिले थे और मैं, स्‍वयं इसका साक्षी हूं. हमारे कराड़ा जी ने मेरे से भी एक स्‍वीकृति पत्र दिला दिया था. जनपद के आफिस के सामने मैं रहता हूं. जब बहनों की डिलेवरी होने आ गयी,तब तक भी वह पैसा नहीं मिला तो आप तो कहते हो वह करते ही नहीं हो और जो हम कहते हैं, वह करते हैं. आज    मध्‍यप्रदेश की धरती पर शिवराज सिंह चौहान साहब ने जो-जो भी कहा है, वह करके दिखाया है. इसलिये जनता भी उनके साथ है और उनको हमेशा गरीबों की दुआएं भी मिलती है. हर वर्ग की दुआएं मिलती है, निश्चित ही आज हम यही चाहेंगे कि मुख्‍यमंत्री कौशल योजना में भी हमारे मुख्‍यमंत्री जी ने बहुत अधिक काम किये हैं, जो आज 12 वीं कक्षा में बेटी सर्वोच्‍च अंक लेकर आयेगी, चाहे वह किसी भी स्‍कूल में हो, चाहे गांव या शहर का स्‍कूल हो, उसको स्‍कूटी दी जायेगी. इस निर्णय का भी हम स्‍वागत करते हैं, अभिनन्‍दन करते हैं. उच्‍च शिक्षा हेतु भी मध्‍यप्रदेश के महाविद्यालयों में भवन निर्माण हेतु 687 करोड़ का प्रावधान किया है. आज यहां पर मोहन यादव जी नहीं हैं, क्‍योंकि उनकी पूज्‍य माता जी शांत हो गयी हैं. मैं उनको धन्‍यवाद दूंगा कि उन्‍होंने हमारे जीनन में भी कॉलेज दिया है. मैं निश्चित ही यह जो बजट रखा गया है, उसमें नये नर्सिंग कॉलेज खोलने के लिये 25 करोड़ रूपये का प्रावधान किया है. चिकित्‍सा सुविधा विस्‍तार के लिये भी नवीन चिकित्‍सालयों के अलावा भी. जिला सिविल अस्‍पतालों में औषधि के लिये 1486 करोड़ का प्रावधान किया गया है. कृषक की सिंचाई, आज हम देख रहे हैं कि यह कृषि प्रधान देश है और फिर मालवा कहते हैं ना कि ''मालव माटी गहन गंभीर, पग-पग रोटी, डग-डग धीर'' यह कहावत यदि चरितार्थ होती है तो मालवा की धरती पर होती है. पहले पानी नहीं हुआ करता था. आज बड़े-बड़े डेम हमारे वित्‍त मंत्री जी ने बनाये हैं, मुख्‍य मंत्री जी ने बनाये हैं और पहले नीमच जिला राजस्‍थान से लगा होने की वजह से रेत के कण आने लग गये थे. जब मान्‍यवर कांग्रेस के मुख्‍यमंत्री जी थे तो मुझे नीमच भोपाल आने में 18 घण्‍टे लगे थे. आज में पांच-साढ़े पांच घण्‍टे में भोपाल आता हूं. ऐसी रपटीली सड़कें आज गांव गांव, गली-गली, मौहल्ले-मौहल्ले में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री जी ने बनाने का काम किया है इसमें वित्तमंत्री जी ने पैसा देने का काम किया है. नीमच में एक बायपस पहले बनाया था वित्तमंत्री जी ने अभी 60 करोड़ रूपये हमारे नीमच से नये गांव के लिये बायपास के लिये दिये हैं इसके लिये वित्तमंत्री जी, माननीय मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देता हूं. यह छोटे-मोटे काम तो वह हमेशा करते ही रहते हैं जब भी वह देते हैं तो वह गिन के नहीं देते हैं ना ही तौल के देते हैं और जब भी दे देते हैं तो दिल खोल के देते हैं. इन्होंने बिना कर लगाये मध्यप्रदेश की जनता को दिल खोलकर के पैसे दिये हैं इसके लिये तहेदिल से बजट का समर्थन करता हूं. आप तो आगे आगे चलते रहना आप धीरे धीरे चलें माननीय वित्तमंत्री जी को मैं बहुत ही निकट से जानता हूं तेज दौड़ने वाला कराह दो पग चल कर हार गया तो यह धीरे धीरे चलने वाले वित्तमंत्री जी बाजी मार गये. नीचे से चलकर प्रदेश के खजाने के मालिक बने हैं.चाहे कांग्रेस के सदस्य हों, चाहे बीजेपी के सदस्य हों, सबको समान देने का काम कर रहे हैं. जैसे इन्द्र देवता पानी बरसाते हैं तो सभी खेत को देते हैं, उसी प्रकार वित्तमंत्री जी बजट देते हैं तो कांग्रेस के विधायक को भी देते हैं, बीजेपी के विधायक को भी देते हैं. स्वैच्छानुदान में भी घोषणा हुई है दीदी क्या उसको आप नहीं लेंगी क्या ? इसके लिये वित्तमंत्री जी को धन्यवाद देते हैं कि कोई गरीब दुःखी हमारे पास आयेगा, किसी बेटी का विवाह करना होगा तो 20-25 हजार रूपये हम भी और आप भी स्वैच्छानुदान से दे सकेंगे. इसलिये बजट में माननीय मुख्यमंत्री जी एवं वित्तमंत्री जी को धन्यवाद देता हूं कि आओ हम सब लोग मिलकर इस मध्यप्रदेश को स्वर्णिम मध्यप्रदेश बनायें. यह देश फिर से सोने की चिड़िया बने. यहां पर दूध एवं दही की नदियां बहें. हम किसी भी जाति-धर्म अथवा समाज के हों समाज में समरसता का संदेश देते हुए इस देश को पुनः विश्व गुरू के स्थान पर ले जायें. मध्यप्रदेश को आत्मनिर्भर बनाते हुए हम सशक्त बनाते हुए ऊंचे ले जायें. कुछ बंधु हमारे गौमाता की बात कर रहे थे. मैं बजरंग दल की जब सेवा करता था तो कोई कसाई गौमाता जी को काटने के लिये ले जाता था तो उसको बचाकर गौमाता को गौशाला में छोड़ा करते थे. गौमाता हिन्दू अथवा मुसलमान दोनों को दूध पिलाती है, बच्चे, वृद्ध को भी दूध पिलाती है. जब वह गौमाता कटती थी तो मन में पीड़ा होती थी. आज उस पीड़ा को लेकर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री जी ने दो-दो-चार-चार पंचायतें छोड़कर गौशालाएं बनाने का काम किया है. अभी नीमच जेल में कमल मुनी जी आये थे उन्होंने एक गौशाला में पैसे भी दिये और उसका भी शुभारंभ किया है. गौशालाओं का निर्माण इस धरती पर है और होना चाहिये. जो गौमाता कृष्ण जी पालते थे जिसमें करोड़ो देवी-देवता निवास करते थे. इन्हीं गौमाताओं के आशीर्वाद से ही हमारे मुख्यमंत्री जी राज कर रहे हैं, गरीबों की दुआओं की वजह से ही राज कर रहे हैं. कांग्रेस ने तो हमेशा से ही असत्य बोला. आपने सभापति जी समय दिया हृदय की गहराईयों से आपका धन्यवाद.

          श्री सुनील सराफ(कोतमा)--सभापति महोदय, बजट अनुमान 2023-24 यह आंकड़ों की बाजीगरी का बजट है, यह चुनावी बजट है. प्रदेश की जनता को एक लबोलुबाब इस बजट के माध्यम से दिखाया जा रहा है. सरकार का विजन जनता का हित साधने में विफल है. अमृतकाल के इस बजट में यूं तो कोई टेक्स नहीं लगाया गया है. डीजल, पेट्रोल एवं रसोई गैस और महंगाई से किसी भी तरह की राहत नहीं दी गई है. सरकार 2008 से लेकर 2022 कई इनवेस्टर्स समिट कर चुकी है. लेकिन प्रदेश में बेरोजगारी हर वर्ष बढ़ती जा रही है. इनवेस्टर्स समिट का खर्च एक तरफ सरकार के ऊपर बढ़ता जा रहा है. आज के दैनिक भास्कर में मध्यप्रदेश में हर महीने सवा लाख बेरोजगार लोग बढ़ रहे हैं और जो इनके रोजगार मेले लग रहे हैं उस रोजगार मेले में एक हजार रूपये माह की नौकरी दी जा रही है. यह इस प्रदेश के युवाओं के साथ कैसा (XXX) यह सरकार कर रही है. कंडिका 24 से 30 तक युवा शक्ति की बात करते हैं लेकिन उद्यम क्रांति योजना के हजारों आवेदन आज लंबित हैं. रोजगार मेलों में केवल आफर लेटर दिए जा रहे हैं, लेकिन उसके आधार पर नौकरी नहीं मिलती. कंडि़का 44 से 53 तक किसानो के संबंध में है. कंडि़का 55 में बताया है कि मुख्‍यमंत्री कृषक उपार्जन सहायता योजना में एक हजार करोड़ रुपए का प्रावधान है, लेकिन विगत वर्ष यह 15 सौ करोड़ रुपए का था, वर्ष 2021-22 में तीन हजार करोड़ का था, फिर ऐसा क्‍या कारण हुआ कि वर्ष 2023-24 में इसे एक हजार करोड़ कर दिया गया, इसमें कमी की गई. किसानों की आय दोगुनी करने की बात 2022 तक की जाती थी, आज 2023 आरंभ हो चुका है, किसानों की आय दोगुनी नहीं हुई, हां डीजल, पेट्रोल और मंहगाई दोगुनी हो गई है. मद संख्‍या 654 मुख्‍यमंत्री ग्राम सड़क योजना वर्ष 2022-23 में 400 करोड़ रुपए का प्रावधान  था, इस वर्ष 2023-24 में मात्र 100 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है, जो निश्चित रूप से हमारी ग्रामीण जनता के लिए, गांव में आज मध्‍यप्रदेश में स्थिति ये है कि ज्‍यादातर ग्राम पंचायतों में दो गांव, तीन गांव, टोले और मजरे होते हैं, मुख्‍य गांव तो प्रधानमंत्री सड़क योजना से जुड़ गया है, लेकिन उसी ग्राम पंचायत का दूसरा गांव जो दो-तीन किलोमीटर होता है, चूंकि वह दूसरा गांव दूसरी तरफ से जुड़ा हुआ है, इसलिए उन दोनों गांवों के बीच की जो सड़क है, वह ग्राम पंचायत की जिम्‍मेदारी में आती है. ग्राम पंचायतो के पास इतना मद नहीं होता कि उन सड़कों को बना सके, और उन सड़कों की ये दुर्दशा है कि बारिश के महीने में लोग साईकिल को अपने कंधों पर उठाकर चलते हैं. कोई बीमार हो जाए, किसी गर्भवती महिला की डिलेवरी होनी हो, मेरे क्षेत्र का मैंने दो-तीन बार यह बात सदन में उठाया. यहां पीडब्‍ल्‍यूडी मंत्री बैठे हैं व्‍यक्तिगत मिलकर इनसे मैंने कहा कि ऐसे कई गांव हैं हमारे यहां, जैसे कटकोना से हर्री, कटकोना से पिपराहा, कटकोना से नया टोला, सडडी से लोढ़ी ऐसे कई गांव हैं, जिनकी दुर्दशा है, जिनके बारे में सरकार ने बजट में न कोई प्रावधान किया है और न ही विचार किया है और तो और सभापति महोदय, मैं जब चुनाव लड़ रहा था, जब चुनाव प्रचार में जा रहा था तो एक गांव है, बुढ़हानपुर, पीडब्‍ल्‍यूडी मंत्री जी आपका ध्‍यान चाहूंगा बुढ़हानपुर गांव में एक स्‍कूल बस आ रही थी, मैंने उस बस में छोटे छोटे बच्‍चों से बात किया उनसे पूछा बच्‍चों क्‍या आप मुझे पहचानते हों, बच्‍चों ने कहा हां अंकल पहचानते हैं, मैंने बोला बेटा में मैं चुनाव लड़ रहा हूं, अपने मम्‍मी पापा को बोलेगे मुझे वोट देने के लिए, हां अंकल लेकिन जब आप जीत जाओगो तो इस रोड़ को बनवाओगे, मैंने कहा बेटी वचन देता हूं, इसको सबसे पहले बनवाऊंगा. हमारी सरकार बनी, ठीक है सरकार हमारी बनी या आपकी बनी, है तो जनता के लिए न, सबसे पहले काम मैंने अपने क्षेत्र में किया कि तीन सड़कें पीडब्‍ल्‍यूडी से स्‍वीकृत करवाई, उसका पैसा आ गया, टेण्‍डर हो गया, वर्क आर्डर हो गया, अर्थ वर्क हो गया. आज चार साल बाद भी वह सड़कें, बड़े दुख के साथ कहना पड़ रहा कि चार साल बाद भी वे तीनों सड़कें सिर्फ अर्थ वर्क होकर पड़ी है, वे सड़कें कम्‍पलीट नहीं हो रही है. मैंने मुख्‍यमंत्री और वित्‍तमंत्री जी से आग्रह किया. मेरा क्षेत्र मुख्‍यत: कॉलरी आधारित क्षेत्र है, हमारे यहां कोल माइंस है, जिसके कारण हमारे यहां पानी का स्‍तर बहुत नीचे चला जाता है. खेती की जमीनें काफी हैं, पर सिंचाई का कोई साधन नहीं है. कॉलरियां भी धीरे धीरे बंद होती जा रही है, बेरोजगारी बढ़ती जा रही है, कॉलरी में भर्ती बंद है, आउटसोर्स के कर्मचारी लिए जा रहे हैं. हमारे यहां एक बहुप्रतिक्षित बांध सीतामढ़ी बांध परियोजना 346 करोड़ की, वर्ष 2019 में उसे बजट तक लाने काम किया है, यदि वह बांध बन जाता है तो कोतमा विधान सभा क्षेत्र वहां से सटे विधान सभा क्षेत्रों के कम से कम 50 से 60 गांव वहां पर सिंचित हो जाएंगे और वहां पर कृषि कार्य होने लगेगा. मेरा वित्‍त मंत्री महोदय से आग्रह है कि हो सके तो किसानों के हित में, बेरोजगारों के हित में उस बांध को शामिल करने की कृपा करेंगे. मद संख्‍या 1329 मध्‍यान्‍ह भोजन हेतु दुग्‍ध प्रदाय विगत वर्ष 45 करोड़ रुपए का प्रावधान था, इस वर्ष  केवल 3 हजार रुपए का प्रावधान है. मद संख्‍या 5198 प्रधानमंत्री आवास योजना में 2 हजार करोड़ रुपए की कमी कर दी गई, इस तरह का ये बजट है. मद संख्‍या 7153 गौसंवर्धन विगत तीन वर्ष से अपने बजट में एक रुपया भी नहीं बढ़ाया गया है. तीन वर्ष से बजट 90 करोड़ का 90 करोड़ ही है फिर कैसा गौ संवर्धन. सभापति महोदय, किसानों और पशुपालकों के लिए सरकार बड़ी-बड़ी बातें करती है, जबकि कमलनाथ जी की सरकार द्वारा बनाई गई 1,000 गौशालाएं थीं. आज उन गौशालाओं की दुर्दशा यह है कि वहां हमारी गौमाताओं की मौत हो रही है. गौशालाओं के अगल-बगल में उनकी अस्थियां मिल जाएंगी, लोग गौशालाओं के पम्‍प उखाड़कर ले गए हैं, गौशालाओं के दरवाजे एवं टीन शेड उखाड़कर ले गए हैं. जो गौशालाएं बनाई गई थीं, उनका संरक्षण नहीं हो रहा है, तो उनमें रहने वाली गौमाताओं का संरक्षण और पालन कैसे होगा ?

          सभापति महोदय, मद संख्‍या 2365 संबल योजना, बजट वर्ष 2021-22 में 1,325 करोड़ रुपये था, जबकि वर्ष 2022-23 व वर्ष 2023-24 में इसका प्रावधान 600 करोड़ रुपये कर दिया गया है. संबल योजना के बारे में बड़ी-बड़ी बातें कही जा रही हैं, पिछले 2 वर्षों से संबल योजना का पैसा लोगों को नहीं मिल रहा है, लोगों के घर मृत्‍यु हो जाती है, उनको जो पैसा मिलता था, उससे उनका पूरा परिवार कैसे भी अपने आपको सर्वाइव करता है, 2 वर्षों से संबल योजना का पैसा लोगों के खाते में नहीं जा रहा है. यह बड़े दुख का विषय है कि 18 वर्ष सत्‍ता में रहने के बाद, अब आप विकास यात्रा निकाल रहे हैं. जब विकास यात्रा निकाल रहे हो, तो लोग वहां पर कह रहे हैं कि संबल का पैसा नहीं आया है. हमारा अभी तक कुछ नहीं हुआ, इसलिए आपकी विकास यात्राओं का लागातार विरोध हो रहा है. सभापति महोदय, मैं वित्‍त मंत्री महोदय से आग्रह करूँगा कि संबल योजना में बजट का प्रावधान बढ़ाने की कृपा करेंगे.

          सभापति महोदय, इसी तरह कोविडकाल में लाखों लोगों की मृत्‍यु हुई. न ही आपके पास कोई रिकॉर्ड है, न किसी को भी संबल योजना का किसी तरह से कोई लाभ मिला है. मद क्रमाक 5623 अन्‍नपूर्णा योजना. 400 करोड़ रुपये का बजट, 200 करोड़ रुपये कर दिया गया है. आपने गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन करने वाले को धोखा दिया है. मद क्रमांक 7272 गोदामों के निर्माण के लिए, वर्ष 2022-23 में 100 करोड़ रुपये का प्रावधान था, लेकिन उसमें केवल 33 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं. खाद्य वितरण के संबंध में बड़ी-बड़ी बातें कही जा रही हैं, लेकिन बड़े दुर्भाग्‍य का विषय है कि डेढ़ वर्ष से राशन की दुकानों में गेहूं गरीब को देखने को नहीं मिल रहा है, सिर्फ चावल मिल रहा है. डेढ़ से दो वर्ष हो गए हैं. वह चावल भी फूड मिनिस्‍ट्री ऑफ इण्डिया ने जांच करके पाया कि मध्‍यप्रदेश में खाद्य की दुकानों से जो चावल गरीबों को मिल रहा है, वह मुर्गी क्‍वालिटी का, पोल्‍ट्री क्‍वालिटी का चावल है और उस चावल को केन्‍द्र सरकार ने बन्‍द कराया. पूरे देश के सामने हमारे प्रदेश का सिर झुक गया, यह स्थिति है. मेरा खुद का जिला जो खाद्य मंत्री का जिला भी है. उस जिले में अभी एक हफ्ते पहले मेरी विधान सभा क्षेत्र के एक राइस मिल में छापा पड़ा, उसमें जो धान उठाव हुआ था, वहां वह धान न मिलकर,  झारखण्‍ड और अन्‍य प्रदेशों की पोल्‍ट्री क्‍वालिटी का चावल मिला और उसके बाद सारी कार्यवाही, अधिकारी और मिलर के साथ मिलकर सब रफा-दफा कर दिया गया, कुछ दिन पहले होली की एक पार्टी में जांच करने वाला एसडीएम और राइस मिल का मालिक दोनों डांस करते दिखे थे, फोटो सोशल मीडिया में वायरल हुई थी. यह स्थिति खाद्यान्‍न की है.

          सभापति महोदय, कंडिका 157 मुख्‍यमंत्री नगरीय भू-अधिकार योजना की बात करते हैं, लेकिन स्थिति यह है कि एक तरफ नगरीय निकाय के लिए कंडिका 162 में ''कायाकल्‍प अभियान'' की बात की जा रही है, दूसरी तरफ नगरीय विकास विभाग की मद संख्‍या 9935 नगरीय निकायों की कार्यशील पूंजी, जो वर्ष 2021-22 में 700 करोड़ रुपये थी, इस वर्ष आपने 1,000 रुपये कर दी. 700 करोड़ रुपये से सीधे 1,000 रुपये कर दी. आपने बस योजना का नाम बदलकर लगातार प्रदेश के लोगों को नई-नई योजना बताकर और इतनी योजनाएं बताई जाती हैं कि लोग भूल जाते हैं. हमही लोग भूल जाते हैं कि वास्‍तव में योजनाएं कितनी हैं ? हर वर्ष एक योजना, बड़े-बड़े लब्‍बोलुआब दिखाए गए, कुछ दिनों बाद वह योजना बन्‍द पेटी में चली जाती है. बजट में उसका प्रावधान खत्‍म कर दिया जाता है. शहरी क्षेत्रों में आवासीय भूमि के पट्टे वितरित किए गए, बहुत पट्टे वितरित किए गए. मेरे खुद की कोतमा विधान सभा में पट्टे वितरित तो कर दिए गए, लेकिन अभी तक उन पट्टाधारकों को यह नहीं बताया गया है कि तुम्‍हारी जमीन कहां है ? उस पट्टे को, उस कागज के टुकड़े से उसका घर बनाएं, उसका क्‍या करें ? मेरा आग्रह है कि इस तरह से मध्‍यप्रदेश की जनता से (XXX). बहुत-बहुत धन्‍यवाद. जय हिन्‍द.        

इंजी.प्रदीप लारिया( नरयावली) -- माननीय सभापति महोदय, मैं सबसे पहले माननीय मुख्‍यमंत्री जी को और हमारे वित्‍तमंत्री जी को बधाई भी देता हूं, शुभकामनाएं भी देता हूं. यह बजट मध्‍यप्रदेश के विकास का बजट है. यह बजट   गरीब, किसान, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति सर्वहारा वर्ग के कल्‍याण का है. वर्ष 2018 में कमलनाथ जी की सरकार आई तो हम लोगों ने लगातार सवा साल एक ही बात सुनी, खजाना खाली है , खजाना खाली है, उसके बाद इनकी सरकार चली गई और दो साल तक कोरोना का डंक भी हम सब लोगों ले झेला है, लेकिन यदि देखा जाये तो यह बजट आया है तो इस बजट में जहां 3 लाख 14 हजार 25 करोड़ का प्रावधान है, इसमें सब वर्गों के हितों का ध्‍यान रखा गया है. मैं एक बार पुन: मुख्‍यमंत्री जी को और वित्‍तमंत्री जी को बधाई देता हूं.

माननीय सभापति महोदय, वर्ष 2018 में भी दुर्भाग्‍य से कांग्रेसी सरकार आई थी और जिस तरह  [XXX] वादे किये गये और कमलनाथ जी ने और राहुल गांधी जी ने कहा कि हम मध्‍यप्रदेश की जनता से वचन हारते हैं, घोषणा नहीं करते हैं. अभी श्री दिलीप जी कह रहे थे. 

श्री प्रवीण पाठक -- सभापति महोदय, इन शब्‍दों को विलोपित करवा दीजिये.

सभापति महोदय -- इन शब्‍दों को विलोपित कर दें.

इंजी. प्रदीप लारिया -- मैं [XXX]  किसलिये कह रहा हूं यह खुद सिद्ध हो जायेगा, दो लाख रूपये तक किसानों के कर्ज माफ करने की बात हुई और मध्‍यप्रदेश की जनता को वचन दिया, इस प्रकार से मध्‍यप्रदेश की भोली भाली जनता मध्‍यप्रदेश का किसान इनके वचन में आ गया. अभी श्री दिलीप जी कह रहे थे कि रघुकुल रीत सदा चली जाये, प्राण जाये पर वचन न जाये. वचन का एक अलग महत्‍व है, लेकिन मध्‍यप्रदेश की जनता इस बात को जानती है कि इनने वचन पूरा नहीं किया है, अब चाहे यह 1500 रूपये की लाड़ली बहना योजना के लिये बात कर लें या कोई भी बात कर लें, अब इनकी कोई भी बात टिकने वाली नहीं है और इसलिये यह जो बजट आया है, इसमें सब वर्गों के हितों का ध्‍यान रखा गया है.

माननीय सभापति महोदय, इन्‍होंने (XXX) कहा कि हम किसानों का दो लाख रूपये तक का कर्जा माफ करेंगे, इन्‍होंने हमारे बेरोजगार साथियों से कहा कि हम चार हजार रूपये रोजगार भत्‍ता देंगे लेकिन न तो किसानों का कर्ज माफ हुआ न युवाओं को चार हजार रूपये बेराजगार भत्‍ता मिला और इसलिये इनकी सरकार को किसानों की हाय लगी, युवाओं की हाय लगी और चली गई.

माननीय सभापति महोदय,अभी विकास यात्रा पर काफी प्रश्‍न उठाये जा रहे थे, कुछ लोग सपने भी देख रहे हैं कि सात महीने, छ: महीने, आठ महीने बाद इसके बाद कांग्रेस की सरकार आयेगी. वह मुंगेरीलाल के हसीन सपने देखे जा रहे हैं, वैसे सपने देखने में कोई परहेज नहीं है. निश्चित तौर पर सपने देखना चाहिये और कुछ लोगों को 17 साल, 19 साल का दर्द है जो बढ़कर 22 और 24 साल का होने वाला है,इसमें भी कोई शक नहीं है.

03.04 बजे                { सभापति महोदय (श्री लक्ष्‍मण सिंह) पीठासीन हुए }

माननीय सभापति महोदय, हम लोग यदि विकास यात्रा निकाल रहे हैं, तो आज मध्‍यप्रदेश में जो विकास हुआ है, उसको बतलाने के लिये, स्‍मरण कराने के लिये जनता की अदालत में बार बार जाते हैं और जब काम करते हैं तभी जा सकते हैं, यदि हम विकास यात्रा निकाल रहे हैं तो आज मध्‍यप्रदेश में हमने विकास किया है. आपको विचार करना पड़ेगा कि वर्ष 2003 के पहले का मध्‍यप्रदेश कैसा था, आज यदि हम वर्ष 2023 में खड़े हैं, तो मध्‍यप्रदेश में जो परिवर्तन आया है, वह मध्‍यप्रदेश में परिवर्तन दिखाने के लिये विकास यात्राओं के माध्‍यम से जनता को बताने की आवश्‍यकता है.

            माननीय सभापति महोदय, वर्ष 2003 के पहले मध्‍यप्रदेश की सड़कों की स्थिति क्‍या थी ? वह बताने की आवश्‍यकता नहीं है. आप उस समय देखते थे कि मुख्‍य सड़कों की हालत क्‍या है ? सागर से भोपाल, जबलपुर कहीं भी चले जाते थे, आठ से दस घण्‍टे लगते थे, लेकिन आज खेतों में सड़कों को बनाने की बात हो रही है और 44 हजार किलोमीटर से आज 4 लाख किलोमीटर तक सड़कें बनाने का काम किया है. बिजली की क्‍या स्थिति थी ? 27 सौ मेगावाट वर्ष 2003 के पहले थी, बिजली आई और गई जैसी स्थिति होती थी. लेकिन आज 22 हजार मेगावाट बिजली, आज मध्‍यप्रदेश में इसलिये विकास यात्रायें हैं. यदि हम सिंचाई की बात करें तो कांग्रेस के इतने लंबे शासन काल में केवल 7 लाख हेक्‍टेयर जमीन सिंचित होती थी, लेकिन आज हम 45 लाख हेक्‍टेयर जमीन सिंचित कर रहे हैं और वर्ष 2025 में 65 लाख हेक्‍टेयर करेंगे और इसलिये विकास यात्राओं की जरूरत है. आज हम देख रहे हैं कि शहर तेजी के साथ विकास में आगे बढ़ रहे हैं, गांव शहर की तर्ज पर विकास कर रहे हैं, इसलिये विकास यात्रायें हैं. आज तमाम प्रकार की जनकल्‍याणकारी योजनायें चाहे मुख्‍यमंत्री जन सेवा योजना की बात करें जिसके माध्‍यम से मध्‍यप्रदेश के लाखों लाख लोगों को आयुष्‍मान कार्ड मुख्‍यमंत्री स्‍वरोजगार योजना से लेकर, प्रधान मंत्री आवास योजना से लेकर न जाने कितनी योजनाओं का लाभ मिला है, इसको बताने के लिये मैं समझता हूं यह विकास यात्रा है और इसलिये बहुत विकास यात्राओं को जनता ने स्‍वीकार किया, बहुत स्‍नेह और आशीर्वाद दिया, इसलिये यह विकास यात्रायें हैं. माननीय सभापति महोदय, मैं माननीय मुख्‍यमंत्री जी और हमारे वित्‍त मंत्री जी का धन्‍यवाद देना चाहता हूं कि लगातार अनुसूचित जाति के कल्‍याण के लिये सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय के लिये यह सरकार काम कर रही है. यदि देखा जाये तो वर्ष 2023-24 में जो अनूसूचित जाति के लिये बजट का प्रावधान है वह 26 हजार 87 करोड़ रूपये का है जो पिछले वर्ष से 37 प्रतिशत अधिक है. मैं माननीय मुख्‍यमंत्री जी को हृदय की गहराईयों से बधाई देना चाहता हूं, जहां एक तरफ अनुसूचित जाति वर्ग के कल्‍याण के लिये अनेकों योजनायें चल रही हैं और अभी हमारे महापुरूषों का हम देखते थे कि उनकी जयंति के आयोजन बड़े स्‍वरूप में हों, अनुसूचित जाति समाज के बंधू ऐसे आयोजन नहीं कर पाते थे, लेकिन मध्‍यप्रदेश की धरती पर संत रविदास महाकुंभ का आयोजन, संत कबीर महोत्‍सव, बाल्‍मीकि प्रकटोत्‍सव जैसे आयोजन इस मध्‍यप्रदेश की धरती पर हुये और संत रविदास महाकुंभ का आयोजन सागर में हु‍आ हमारे वित्‍त मंत्री जी, हमारे तुलसी सिलावट जी हमारे जल संसाधन मंत्री, हमारे गोपाल भार्गव जी उसमें शामिल हुये, लाखों लाख लोग उस कार्यक्रम में एकत्रित होते हैं और संत रविदास जी का मंदिर सागर के अंदर माननीय मुख्‍यमंत्री जी घोषणा करते हैं. मैं यह कहना चाहता हूं लंबे समय तक हमारी अनुसूचित जाति, हमारे अनुसूचित जनजाति और अल्‍पसंख्‍यक भाईयों के वोट लेने का काम कांग्रेस के मित्रों ने किया है, लेकिन यदि देखा जाये तो उनके जीवन में भी सुख आये और उनके जीवन में भी समृद्धि आये, यह कांग्रेस के मित्रों ने चिंता नहीं की. इन्‍होंने हमारे महापुरूषों का सम्‍मान नहीं किया, न हमारे वर्ग के कल्‍याण के लिये कोई इस प्रकार की योजना चलाई, हम देखते थे कि अनुसूचित जाति की बस्‍ती में जाते थे तो वहां सड़क समाप्‍त हो जाती थी, जनजाति की बस्‍ती में जाते थे तो वहां सड़क समाप्‍त हो जाती थी, उनकी बस्तियों में जाते थे तो समझ में आ जाता था कि यह दलित समाज की बस्‍ती है, यह जनजाति की बस्‍ती है, लेकिन उसको पक्‍का मकान देने का काम कर रही है तो भारतीय जनता पार्टी की सरकार कर रही है. संत रविदास जी के वचनों को सरकार में यदि उतारने का काम कर रही है तो वह भारतीय जनता पार्टी के सरकार कर रही है. संत रविदास जी महाराज कहा करते थे-

          ''ऐसा चाहूं राज मैं, जहां मिले सबन को अन्न,

          छोट बड़ा सब संग बसे रैदास रहे प्रसन्न'' 

          आप रविदास जी की वाणी को 55 साल तक नहीं उतार पाये, आज संत रविदास जी की वाणी जो उन्‍होंने कल्‍पना की थी आज मध्‍यप्रदेश की सरकार और हमारी केन्‍द्र की सरकार ने उसे साबित कर दिया है. सभापति महोदय, बहुत-बहुत धन्‍यवाद.                                                             श्री अजय कुमार टण्डन (दमोह) - माननीय सभापति महोदय, मैं इस सदन में पहली बार विधायक चुनकर आया हूं. मैं पूर्व में भी जब मेरे पिता विधायक थे तो यहां पर आता था. ऊपर दर्शक दीर्घा में. अलग नजारा होता था. अलग चीजें सीखने को मिलती थीं. अब इस सदन में तो केवल झगड़े के अलावा कुछ सीखने को मिलता नहीं.  पक्ष विपक्ष की बात सुनने को तैयार ही नहीं. मैं बजट पर कुछ बोलना चाहता हूं. पहली बार बोल रहा हूं अगर कोई गलती होगी तो मैं अभी यहीं से माफी मांग लेता हूं. माननीय सभापति महोदय, यह जो सरकार है कर्ज में डूबी हुई सरकार है. चारों तरफ हाहाकार मचा है करोड़ों रुपये का कर्ज है सरकार पर. ऐसा लगता है कि नौजवान अब कर्ज में दब जायेगा और उसके बोझ से कभी उठ नहीं पाएगा अगर हम अलग-अलग बात करें. अलग-अलग चीजों पर जाएं तो स्वास्थ्य सेवाएं बिल्कुल चरमराई हुई हैं. किसी भी देश या प्रदेश के आमजनों को मूलभूत अधिकार है अच्छे स्वास्थ्य और अच्छी शिक्षा का मगर व्यवस्था मौजूदा सरकार की स्थिति में बहुत ही दयनीय है. डाक्टरों की कमी है. नर्सों की कमी है. यह देखने में आता है कि वार्ड ब्वाय तक की कमी है. यह देखने में आता है कि अस्पतालों में तो इलाज हो रहा है. आयुष्मान कार्ड का उपयोग तो हो रहा है लेकिन आप देख रहे हैं कि प्रदेश के 120 अस्पतालों में आयुष्मान योजना के अंतर्गत  200 करोड़ रुपये का घोटाला किया गया है. आयुष्मान योजना में गड़बड़ी करने पर बड़ा सोचनीय विषय है कि 40 अस्पतालों में छापा पड़ा. भोपाल के 18 सहित प्रदेश के 27 निजी अस्पतालों में आयुष्मान योजना में मिलने वाले लाभ को बंद कर दिया गया. 5 लाख रुपये की बात करते हैं कि आयुष्मान कार्ड से इलाज होगा लेकिन धरातल पर क्या है यह उन गरीबों से पूछा जाये जिन्हें इस योजना का लाभ नहीं मिल रहा है. स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के बुरे हाल हैं. अस्पतालों में कमीशन सेट है. 108 गाड़ियां जो चलती हैं वह मेडिकल कालेज या चाहे हुए अस्पताल में न ले जाकर सीधी उनकी 108, चालक और उनके अधीनस्थ डाक्टरों की सेटिंग है वह प्रायवेट अस्पतालों में ले जाते हैं जहां पर कि उसको वहां अपना इलाज कराना पड़ता है. मैं बड़े दुख के साथ कहना चाहता हूं. अभी दमोह में जब उप चुनाव हुआ था. मेरा उप चुनाव था. साढ़े सत्रह हजार वोटों से जनता ने मुझे जिताया था अगर कोरोना काल न होता तो मैं विपक्ष को बता देता मेरे जो विपक्ष में लड़ रहे थे मैं कम से कम 25-30 हजार वोट से उन्हें हराकर दिखाता. यह जनता का स्नेह था कि जनता ने वर्तमान सरकार के ऊपर करारा तमाचा मारा था. उसकी अव्यवस्थाओं पर करारा तमाचा मारा था कि आप अब भी सुधर जाओ लेकिन इस सदन में कोई सुधार की स्थिति नहीं दिखती. इस सदन में यह कुछ नहीं दिखता. मुझे  अफसोस के साथ कहना पड़ता है. माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा 27 फरवरी,2021 को दमोह में सार्वजनिक मंच से 432 करोड़ की योजनाओं का शिलान्यास और भूमि पूजन किया गया था लेकिन मेडिकल कालेज के लिये क्योंक जनता का वोट चाहिये था उस समय, 325करोड़ की लागत का दमोह में मेडिकल कालेज खोलने का वायदा किया था जो आज तक पूरा नहीं हुआ. मैंने इसके पहले जो बजट सत्र हुआ था मैंने यह प्रस्ताव रखा था तो माननीय मंत्री महोदय ने यह कहा था कि यह प्रस्ताव मंत्रिमण्डल में विचाराधीन था. मैंने उनसे कहा था कि उसकी समय-सीमा बताई जाए कि कब तक उस पर विचार होगा. एक साल हो गया. आज तक कितनी मंत्रिपरिषद् की बैठकें  हो चुकीं. हर हफ्ते में मंत्रिपरिषद् की बैठक होती है लेकिन आज तक दमोह के मेडिकल कालेज का अता-पता नहीं है जबकि 5 जिलों में मेडिकल कालेज स्वीकृत हो चुके हैं परंतु दमोह उसके लिये अछूता है. मैं कहना चाहता हूं कि उसके लिये बजट में प्रावधान रखा जाए और कम से कम इस बात का प्रावधान तो रख दें कि दमोह में जो अस्पताल में कमी है. उपकरणों की कमी है.  डॉक्टरों की कमी है, नर्सेस की कमी है,  उनको तो कम से कम भर दीजिये.  मेडिकल कालेज जब खुलेगा, तो  खुलेगा. वह तो खोलना  ही पड़ेगा,  क्योंकि यह आपने वादा किया है.  नहीं खुलेगा, तो जनता  सड़कों पर आयेगी और 2023  का चुनाव आने को  कोई देर नहीं है.  मैं कहना चाहता हूं कि मेडिकल कालेज का मंत्रि-परिषद् में  शीघ्र निर्णय हो और  उसकी स्वीकृति प्रदान की जाये.  हम आपको धन्यवाद देंगे,  अगर आप हमारी इस बात को  आगे बढ़ायेंगे,  क्योंकि यह नितांत आवश्यक है. लोग कहां जाते हैं.  दमोह एक छोटी जगह है.  4 विधानसभाएं हमारे  में आती हैं.  दमोह,जबेरा,पथरिया और हटा आता है. लाखों की जनसंख्या वाला यह जिला  आज मेडिकल कालेज से अधूरा है. लोगों को अगर सिर दर्द भी  होता है,  तो  जबलपुर या भोपाल  या नागपुर जाना पड़ता है.  दमोह से एक बस चलती है,जो नागपुर जाती है रोज रात को 9.00 बजे. हम लोगों ने उसका नाम  एम्बुलेंस बस रख दिया है.  आप जाकर देखें, केवल मरीजों की संख्या वहां रहती है. केवल मरीज ही उस बस से जाते हैं और नागपुर में  अपना इलाज  कराते हैं. यह आपकी  सरकार की व्यवस्थाएं हैं.  स्कूल शिक्षा के माध्यम से स्कूल शिक्षा विभाग में  अनेक शालाएं जर्जर भवन में संचालित  की जा रही हैं. कल हमारे माननीय विधायक जी ने  इस बात को उठाया था, लेकिन सदन में कोई जवाब ही नहीं देता. कोई बताता ही नहीं है कि  अब इसका होने वाला क्या है.  कुछेक शालाओं में  भवन तो हैं, पर  शिक्षक नहीं हैं.  भवन बन गया है या जर्जर भी है,  हमारे ऊपर आरोप लगता था,  हमारी सरकार के ऊपर कि भवन नहीं हैं, स्कूल आम के पेड़ के नीचे लगते हैं. चलिये आम के पेड़ के नीचे लगते थे, हम स्वीकार करते हैं, लेकिन वहां मास्टर होता था और पढ़ाई भी हुआ करती थी.  ऐसा नहीं होता था कि  भवन है  और खाली है.  बैंचें हैं, तो स्टूल नहीं  है.  पाठ्य समाग्री नहीं है.  इस प्रकार का सरकार ने मचा रखा है.    आप स्वीकार करते हैं कि मां बाप   के  अशिक्षि होने एवं गरीब होने के  कारण  बच्चे पढ़ाई छोड़ देते हैं.  एक आंकड़े के अनुसार  2 साल में 13.78 लाख बच्चों ने स्कूल छोड़ा  है.  3.35 लाख  परिवार  पलायन कर गये हैं.  जो कि अब स्कूलों में शिक्षा  प्राप्त  नहीं  कर रहे हैं, क्या कारण है.            

          श्री आशीष गोविन्द शर्मा-- सदस्य जी, यह आंकड़े आप कहां से लाये हैं.

श्री अजय कुमार टंडन--यह आंकड़े मेरे पास हैं. आप ही के द्वारा दिये गये हैं. कोई हमने नहीं बनाये हैं.  अगर पढ़ने में कोई गलती  हो गई हो तो आप सुधार कर लेना. मुझे बोलने दीजिये. जब आप लोग बोलते हैं, तो हम  लोग कुछ नहीं बोलते. कोई गलती हुई है तो सदन बैठा है, अध्यक्ष महोदय बैठे हैं.  सुधार कर लिया जायेगा. प्रदेश सरकार के स्कूल चलें हम और हर बच्चे  से  शिक्षा का अधिकार  के नारे  और दावे के बावजूद जमीनी हकीकत  इससे काफी भिन्न है.  प्रदेश भर के स्कूलों में  शिक्षकों की कमी है.  प्रदेश में 2357 सरकारी स्कूल ऐसे हैं, जहां एक भी शिक्षक नहीं है. दिग्विजय सिंह जी  की सरकार  थी. जब शिक्षकों की कमी हुई थी, तो  एक ऐसी सरकार थी, जिसने 40 हजार  शिक्षा कर्मी  एक वर्ष में  भर्ती किये थे, वह मिसाल पेश की थी दिग्विजय सिंह जी ने.  आज 50 हजार हैं. मेरा कहने का मतलब यह है कि स्कूलों की हालत इस प्रकार से चल रही है.  आप स्कूटी देने की बात  कर रहे हैं.  आप स्कूटी केवल बालिकाओं  को देंगे,  उन बच्चों ने क्या बिगाड़ा है.  उन बच्चों    से आप कौन सा भेद रखते हैं.  आप खुद भेद पैदा करते हैं बच्चे और बच्चियों में.  बच्चियों को स्कूटी देंगे, लेकिन बच्चों को नहीं देंगे. यह कौन सा सवाल है. यह कौन सी बात हुई.  बच्चों को भी स्कूटी दीजिये.  क्या वह पढ़ते नहीं हैं. क्या वे मेहनत नहीं करते हैं.  आप यह भेदभाव क्यों पालना चाहते हैं.  शराब नीति,  आपने कह दिया कि अहाते  बंद.  अहाते नहीं होंगे.  अरे, ये तो उमा भारती जी के प्रेशर में अहाते  बंद हुए हैं.  आप पूरी शराब नीति ऐसी लाइये ना, जिससे प्रदेश के अन्दर  शराब  न बिके. आप यह लाइये ना.  हो यह रहा है सरकार में,  आप गांव चले जाइये, गांव के ढाबों में, होटलों में  अगर आप एक ग्लास  पानी  मांगेंगे, तो नहीं मिलेगा.  एक पौवा शराब  मांगोगे अभी मिल जायेगी.  गांव के ढाबों में उनको पकड़िये. उनको पकड़कर आप अंदर करिए, कौन रोकता है? पक्ष या विपक्ष कौन विधायक रोकता है या कौन रोकता है? इस प्रकार की कोई बात नहीं हो रही है. हम आपसे यह कहना चाहते हैं कि सरकार कोई भी आए, कोई भी जाय. सरकार जनहितकारी योजनाएं बनाती है और उसका कर्तव्य होता है कि वह जनहितकारी योजनाएं बनाए, यह सरकारी जनहितकारी योजनाएं तो बनाती है लेकिन जनहितकारी योजनाओं का क्रियान्वयन कैसे हो, इस सरकार को कुछ अता-पता नहीं है. केवल इनके चेहते लोग, इनके लोग उन योजनाओं में ठेकेदारी करेंगे, उन योजनाओं में काम करेंगे, उसके हिसाब से यह सरकार चलेगी, जो भाजपा का झंडा उठाएगा.

सभापति महोदय, यह बजट अमृतकाल का नहीं, (XXX). लोग विष पी रहे हैं. इस बजट में विष पीना पड़ रहा है. कर्ज में डूबी हुई सरकार, जो मैंने पूर्व में कहा, फिर और कर्ज ले लेगी और कर्ज लेती जाएगी. प्रदेश को कंगाल कर देगी. गर्भ का बच्चा भी इस कर्ज में डूब जाएगा. यह कर्ज चुकेगा कैसे? इसकी कभी चिंता हुई? क्या इसकी चिंता कभी की जा रही है? इस पर सदन में कभी चर्चा हो रही है? सरकार ने यह चर्चा की कि हम इस कर्ज को चुकाएंगे कैसे? इस कर्ज को हम पटाएंगे कैसे? उतना तो ब्याज हो रहा है, जितनी इस सरकार की आय नहीं है. उतना ब्याज दे रहे हैं. इस कर्ज का इतना ब्याज दे रहे हैं.

सभापति महोदय, मैं ग्राम की तरफ आपको ले जाना चाहता हूं. ग्राम रोजगार सहायक वर्तमान में ग्राम पंचायतों की रीढ़ की हड्डी होते हैं, वही से योजना चालू होती है, वही बताता है कि आपको इन योजनाओं का लाभ कैसे मिलना है. ग्राम रोजगार सहायक जिनके द्वारा शासन की सभी योजनाओं का संचालन कंप्यूटर के माध्यम से किया जाता है जिनमें एमबीएम योजना, पीएम आवास योजना, मनरेगा के कार्य, लाड़ली बहना योजना आदि अन्य शासकीय योजनाओं का क्रियान्वयन पंचायत स्तर पर ग्राम रोजगार सहायक द्वारा किया जाता है. इनका मानदेय कितना है? कुल 9000 रुपये. 9000 रुपये में अपने बच्चों को क्या वह अच्छी शिक्षा दिलवा देगा? क्या 9000 रुपये में अपने बच्चों की पढ़ाई करवा देगा? 9000 रुपये में क्या वह अपनी बीमारी का इलाज कर लेगा? इनका मानदेय बढ़ाना चाहिए, उसका बजट में प्रावधान होना चाहिए कि इसको 9000 रुपये से बढ़ाकर इसको कम से कम 15000 रुपये किया जाना चाहिए. तब वह अपनी रोटी खा पाएगा. तब वह शायद ही घी लगी रोटी नमक के साथ खा ले. 9000 रुपये में कुछ नहीं होने वाला है. काम तो आपको लेना है, काम तो आपको करवाना है लेकिन उसका पेट भी तो आप देखिए. उसके बच्चों की तरफ तो देखिए. सारी चीजें देखिए. इस तरफ कोई ध्यान नहीं. बजट में कोई प्रावधान नहीं है. बजट आपने पेश कर दिया. अंधा बजट है. कुछ भी करते जाओ, विपक्ष अगर कुछ बोलता है तो उसको सुनना है नहीं. अपनी-अपनी हांकना है. एक शायर ने अच्छा कहा है कि

वो कत्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होती,

हम आह भी करते हैं तो हो जाते हैं बदनाम.

सभापति महोदय, डीआरडीए से संबंधित बात है. डीआरडीए योजना जो थी. वह भारत सरकार के द्वारा चलाई जाती थी. भारत सरकार के द्वारा डीआरडीए योजना चलाई जाती थी, अब यह योजना राज्य सरकार पंचायत विभाग के द्वारा चलाई जा रही है. यह योजना राज्य सरकार तो चला रही है लेकिन कर्मचारियों का भुगतान नहीं हो रहा है. दीपावली के बाद आज तक उनको तनख्वाह नहीं मिली है. आठ महीने हो गये हैं. अवकाश का नगदीकरण, ग्रेच्युटी नहीं मिली है. कर्मचारियों के लिए पेंशन का कोई प्रावधान नहीं है. इससे बड़ा जीता-जागता उदाहरण क्या हो सकता है?  सभापति महोदय, बहुत से मौके और मिलेंगे, फिर मिलेंगे. हमारी कांग्रेस उस तरफ बैठेगी और भैया लोग इस तरफ बैठेंगे. आपने समय दिया, आपने बोलने दिया उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.

सभापति महोदय -- माननीय वित्‍त मंत्री जी को मेरा एक सुझाव है, अगले वक्‍ता बोलें उसके पहले हमारे जो विपक्ष के माननीय सदस्‍य हैं उनका यह कहना है कि हम लोग जो बोलते हैं उनमें से कुछ योजनाएं अगर रिवाइज्‍ड़ एस्‍टीमेंट में आप शामिल कर लें, एक बैठक अगर विपक्ष के विधायकों के साथ कर लें तो बहुत अच्‍छा होगा. यह मेरा सुझाव है. धन्‍यवाद. अगले वक्‍ता हैं श्री देवीलाल जी धाकड़, अच्‍छा वह हो गये हैं. श्री प्रद्युम्‍न सिंह लोधी. श्री जजपाल सिंह जज्‍जी. 

          श्री गोपाल भार्गव -- प्रद्युम्‍न जी बैठे हैं.

          श्री जजपाल सिंह ‘’जज्‍जी’’-- धन्‍यवाद सभापति महोदय. हमारी मध्‍यप्रदेश सरकार के मुखिया सम्‍माननीय शिवराज सिंह जी के वित्‍त मंत्री जी ने मध्‍यप्रदेश के विकास के लिये एक बहुत ही अच्‍छा बजट दिया है.

          श्री संजय यादव -- दादा, उनको बजट अच्‍छा नहीं लग रहा है. सत्‍ता पक्ष के दो लोग नहीं बोले, उनको बजट अच्‍छा नहीं लग रहा है.

          श्री गोपाल भार्गव -- प्रद्युम्‍न जी, आपका नाम बोला गया है.

          सभापति महोदय -- जजपाल जी, एक मिनट. प्रद्युम्‍न लोधी जी, आपका नाम बोला था आप बोले नहीं. चलिये बोल लीजिये.

          डॉ. विजयलक्ष्‍मी साधौ -- सभापति महोदय, यह पश्‍चाताप कर रहे हैं कि हम कहां आ गये इसलिये वह नहीं बोल रहे हैं.              

          कुँवर प्रद्युम्‍न सिंह लोधी (मलहरा) -- सभापति महोदय, हमारी सरकार ने माननीय शिवराज जी के नेतृत्‍व में आदरणीय वित्‍त मंत्री जी ने जो बजट पेश किया है वह सर्वहारा गरीब के लिये और गरीब जनता का बजट है और निश्चित रूप से इस बजट में सभी का ध्‍यान तो रखा है परंतु जिस प्रकार से हमारे प्रदेश की बहनों का इस बजट में ध्‍यान रखा है और निश्चित रूप से हमारे विपक्ष को वह पच नहीं पा रहा है. हमारे विपक्ष के विधायक बार-बार मेरी ओर देख रहे हैं, मैं उनको कहना चाहता हूं, यह लोग कहते भी हैं, कांग्रेस के विधायक भी कहते हैं कि यह माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने जो योजना चलाई है यह राम बाण है और अब वर्ष 2023 में पता चलेगा, आने वाले नवम्‍बर में पता चलेगा. इस योजना से गरीब बहनों को जो फायदा होने वाला है, जो उनकी आर्थिक विपन्‍नता को दूर करेगा. इस बजट में और भी अन्‍य चाहे कृषि का क्षेत्र हो, सिंचाई का क्षेत्र हो, बिजली का क्षेत्र हो, सब में प्रावधान करते हुये प्रदेश को आगे बढ़ाने का काम किया है. पिछले समय मुख्‍यमंत्री कन्‍यादान योजना में जैसा कि हम सब जानते हैं, पूरा प्रदेश जानता है कि पिछली सरकार ने 51,000 रुपये की राशि देने का काम किया था, उस योजना में उनको तो वह राशि नहीं दी गई परंतु हमारी सरकार ने उस योजना को और बढ़ाते हुये 56,000 रुपये किया. जिसके तहत पूरे प्रदेश के अंदर गरीब बेटियों की शादियां बड़े धूमधाम से हमारे विभाग कर रहे हैं. आज चाहे संबल योजना हो, चाहे आयुष्‍मान योजना हो, आयुष्‍मान योजना के ऊपर बहुत से लोगों ने बात की, परंतु आप उन गरीबों से पूछिये जब वह गरीब हॉस्पिटल में जाकर कार्ड दिखाकर अपना इलाज कराते हैं. मोदी जी को आशीर्वाद भी देते हैं. देश में यह पहली ऐसी योजना है, जहां पर मध्‍यप्रदेश में हम पांच लाख रुपये तक का गरीबों का इलाज मुफ्त करा रहे हैं. लगातार हमारी सरकार गरीबों के संबंध में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग के कल्‍याण के लिए काम कर रही है.

          सभापति महोदय, अभी पिछले दिनों सागर में संत रविदास जी का महाकुंभ हुआ. माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने पूरी उदारता के साथ वहां पर 100 करोड़ रुपये का मंदिर बनाने का काम किया है. यह हमारे देश में, हमारे प्रदेश में एक मिसाल होगी. (विपक्ष के विधायकों द्वारा बैठे-बैठे कुछ कहने पर) चिंता न करो, वह भी बन जाएगा. आप लोगों ने तो सिर्फ वोट लेने का काम किया है्. परंतु उनको दिया कुछ नहीं.

          सभापति महोदय -- प्रद्युम्‍न जी, इधर देखिए, यहां देखकर बोलिए और पांच मिनट में समाप्‍त कीजिए.

          कुंवर प्रद्युम्‍न सिंह लोधी -- सभापति महोदय, बहुत से हमारे साथी विधायक इस मामले में चिंता कर रहे हैं, परंतु जिस प्रकार अनुसूचित जाति के वर्गों को...(व्‍यवधान)...

          श्री प्रियव्रत सिंह -- ये विचार कर रहे हैं कि पक्ष में बोलें कि विपक्ष में बोलें, ये पक्‍का तय नहीं कर पा रहे हैं, मुन्‍ना भैया, विपक्ष में बोलो.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र -- इनकी मान कर जिन-जिन ने बोला, उनकी हालत देख लो.

          कुंवर प्रद्युम्‍न सिंह लोधी -- सभापति महोदय, विपक्ष के लोगों ने जिस प्रकार अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के लोगों का वोट लेकर दोहन किया है, आज हमारी सरकार दोनों हाथों से इन वर्गों को देने का काम कर रही है. यह बजट हमारे प्रदेश को आगे बढ़ाने वाला बजट है और आने वाले समय में हमारा प्रदेश देश में नंबर वन होगा. इतना कहकर मैं अपनी वाणी को विराम देता हूँ. जय मध्‍यप्रदेश, जय बुंदेलखण्‍ड.

          डॉ. हिरालाल अलावा (मनावर) -- माननीय सभापति महोदय, बहुत-बहुत धन्‍यवाद, वर्ष 2023-24 के बजट के विरोध में बोलने के लिए आपने मुझे समय दिया.        

          सभापति महोदय, आपके माध्‍यम से मैं बताना चाहता हूँ कि बजट 2023-24 में 3 लाख 14 हजार करोड़ रुपये का मध्‍यप्रदेश के इतिहास का सबसे भारी भरकम बजट इस प्रदेश में लाया गया. इस बजट के आंकड़ों के इस मायाजाल में हमारे एसटी और एससी वर्ग के लिए प्रावधान किया गया है. जहां पर एसटी वर्ग के लिए 36,950 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है और एससी वर्ग के लिए 26 हजार करोड़ रुपये प्रावधान किया गया है.

          माननीय सभापति महोदय, आपके माध्‍यम से मैं सदन को बताना चाहता हूँ कि इन वर्गों के लिए यह आंकड़ों का मायाजाल है. प्रतिवर्ष हजारों करोड़ रुपयों का बजट में प्रावधान किया जा रहा है, लेकिन सरकार की मंशा वास्‍तव में इन वर्गों के लोगों को लाभ पहुँचाने की नहीं रही और आपके माध्‍यम से मैं सदन को अवगत कराना चाहता हूँ कि वित्‍त वर्ष 2022-23 में जहां पर एसटी वर्ग के लिए 26 हजार करोड़ और एससी वर्ग के लिए 19 हजार करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया गया था. लेकिन पिछले वित्‍तीय वर्ष में सिर्फ और सिर्फ 60 प्रतिशत बजट का ही उपयोग किया गया, खर्च किया गया. ऐसा क्‍यों ? मैं पिछले 4 सालों से देख रहा हॅूं. प्रत्‍येक अनुपूरक बजट में एसटी और एससी वर्ग के लिये कोई पैसे का प्रावधान नहीं होता है. ऐसा इसलिए क्‍योंकि एसटी और एससी वर्ग के लिये सरकार ऐसी योजनाएं बनाने के लिए प्रतिबद्ध नहीं है जो उनके बजट का पैसा, उनके कल्‍याण के लिये खर्च हो सके. पिछले कई वर्षों से हम देख रहे हैं कि सरकार 1-2 ऐसी योजनाएं लाती है जिससे एसटी और एससी वर्गों के आर्थिक विकास और सामाजिक विकास की बात करती है. इस बार भी सरकार ने बिरसा मुंडा स्‍वरोजगार योजना और टंट्या मामा आर्थिक कल्‍याण योजना के लिये 60 करोड़ रूपए का प्रावधान किया है. पिछली बार भी 100 करोड़ रूपए के लगभग मुख्‍यमंत्री स्‍वरोजगार योजना और प्रधानमंत्री स्‍वरोजगार योजना के तहत प्रावधान किया गया था लेकिन किसी भी एसटी वर्ग के हितग्राही को इस योजना का लाभ नहीं मिला और इस बार भी इस योजना का लाभ नहीं मिलने वाला है क्‍योंकि उनको बैंक लोन ही नहीं देती. जब लोन मांगने जाते हैं तो इतने डॉक्‍यूमेंटेशन पूरे करवाए जाते हैं, इतनी शर्तें रख दी जाती हैं कि वे उन योजनाओं का लाभ नहीं ले पाते हैं.

          सभापति महोदय, मध्‍यप्रदेश में एसटी और एससी वर्ग के सबप्‍लान का जो पैसा है, वह आदिवासी इलाकों में सबसे ज्‍यादा भ्रष्‍टाचार की भेंट चढ़ रहा है और यह इसलिए भेंट चढ़ रहा है क्‍योंकि एससी और एसटी सबप्‍लान एक्‍ट मध्‍यप्रदेश सरकार ने आज दिनांक तक नहीं बनाया. मध्‍यप्रदेश सरकार ने यह 19वां आम बजट पास किया लेकिन एसटी और एससी वर्ग के बजट का सही इस्‍तेमाल हो, उसके लिये आज तक एसटी, एससी सबप्‍लान एक्‍ट नहीं बना पाए जबकि आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक जैसे राज्‍यों ने एक्‍ट बनाया और भ्रष्‍टाचार रोका. जिन लोगों ने वहां भ्रष्‍टाचार किया, उन लोगों को दण्‍डित किया गया.

          सभापति महोदय, सबप्‍लान के पैसों के तहत आदिवासी इलाकों में स्‍मार्ट क्‍लॉस खोले गए लेकिन डिंडौरी, खरगौन, सिवनी और मंडला जिलों में जेम्‍स पोर्टल पर 75 इंच के जो स्‍मार्ट टचस्‍क्रीन पैनल लगाए गए हैं जिनकी कीमत 1.5 लाख रूपए थी, उनको 4-4 लाख रूपए में खरीदा गया और आज दिनांक तक उन भ्रष्‍टाचारी अधिकारियों के ऊपर कोई कार्यवाही नहीं की गई.

          सभापति महोदय, मध्‍यप्रदेश सरकार ने आम बजट वर्ष 2023-24 में सिकल सेल हीमोग्‍लोबिनोपैथी मिशन के लिए 50 करोड़ रूपए का प्रावधान किया है. सिकल सेल आदिवासी क्षेत्रों में एक गंभीर समस्‍या है, एक जेनेटिक बीमारी है. मैं आपके माध्‍यम से सदन को अवगत कराना चाहता हॅूं कि सिर्फ 50 करोड़ रूपए का प्रावधान कर देने से, जिसमें वर्ष 2023-24 के प्रस्‍तावित अनुमानित बजट में 36 हजार करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया, अगर वास्‍तव में सरकार एसटी, एससी वर्ग की हितैषी होती, तो कम से कम धार, झाबुआ, बड़वानी, खरगौन जैसे आदिवासी बाहुल्‍य इलाकों में मेडिकल कॉलेज कुक्षी, मनावर, अलीराजपुर जो मूल ट्राइबल इलाके हैं जहां पर 90 प्रतिशत आदिवासी आबादी है, यहां पर मेडिकल कॉलेज खोलना चाहिए था. आज हमारे धार जिले में गणेश घाट है. गणेश घाट में पिछले एक साल में 1000 से ज्‍यादा एक्‍सीडेंट हुए और 1000 से ज्‍यादा हमारे निर्दोष लोग काल के गाल में समा गए. इस गणेश घाट से हमारे कई माननीय विधायकों को भी उस क्षेत्र से गुजरना होता है और हर दूसरे, तीसरे दिन एक्‍सीडेंट होते हैं जिससे वह एक्‍सीडेंट का जोन बना हुआ है. खलघाट से मनावर रोड है. मनावर एक औद्योगिक क्षेत्र है, इस रोड पर भी सबसे ज्‍यादा एक्‍सीडेंट हो रहे हैं. हमें सरकार से उम्मीद थी कि बजट 2023-24 में कम से कम टू लेन को फोर लेन में कन्वर्ट किया जाएगा. सभापति महोदय, गणेश घाट के लिए एक समिति के माध्यम से इस घाट में एक्सीडेण्ट रोकने के लिए बजट में विशेष प्रस्ताव किया जाएगा लेकिन हमें निराशा ही हाथ लगी.

          सभापति महोदय, पीएम आवास योजना में हमारे ग्रामीण क्षेत्रों और शहरी क्षेत्रों में इतना बड़ा भेदभाव क्यों? जहाँ पर ग्रामीण इलाकों में आवास योजना के लिए 1 लाख 35 हजार रुपये और शहरी क्षेत्रों में पीएम आवास के लिए ढाई लाख रुपये. आज के इस महंगाई के दौर में हमारे गरीब किसान, आदिवासी भाई, पीएम आवास बनाने के नाम पर कर्जे में डूबते जा रहे हैं. मैं मध्यप्रदेश सरकार से मांग करता हूँ कि कम से कम पाँच लाख रुपये की राशि पीएम आवास योजना के तहत मिलनी चाहिए. हमारे मनावर विधान सभा क्षेत्र में एक औद्योगिक क्षेत्र होने के साथ साथ एक बड़ा ट्रायबल एरिया भी है पर यहाँ पर बायपास की हमने सरकार से लम्बे समय से मांग की थी. पिछले 4 साल से हम लगातार संघर्ष कर रहे हैं लेकिन सरकार ने हमारे लिए एक बायपास स्वीकृत नहीं किया.

          सभापति महोदय, मध्यप्रदेश में मध्यप्रदेश सरकार पेसा कानून लेकर आई. मध्यप्रदेश सरकार, जनजातीय गौरव दिवस, मध्यप्रदेश सरकार आदिवासियों के विकास की बात कर रही है लेकिन आदिवासी इलाकों में जो भ्रष्टाचार किया जा रहा है वह मध्यप्रदेश सरकार को नहीं दिखाया जा रहा है. अभी पिछले दिनों मध्यप्रदेश में जब 2021 में विज्ञप्ति के आधार पर 960 अभ्यार्थियों का मेरिट के आधार पर चयन किया था और 10-11 फरवरी को साक्षात्कार के माध्यम से इनकी पेसा कोऑर्डिनेटर की नियुक्ति होनी थी लेकिन उस विज्ञप्ति को 8 फरवरी 2022 को निरस्त करके सरकार ने पिछले दरवाजे से भारतीय जनता पार्टी और भारतीय जनता पार्टी से जुड़े संगठनों के युवाओं को पेसा कोऑर्डिनेटर के रूप में नियुक्त कर दिया, यह भारी भ्रष्टाचार है, मैं इसका सख्त विरोध करता हूँ (मेजों की थपथपाहट) और इस नियुक्ति को निरस्त किया जाए तथा नये सिरे से पारदर्शिता के साथ नये युवाओं की नियुक्ति की जानी चाहिए.

          सभापति महोदय, ओपीएस एक बड़ा गंभीर मुद्दा है मेरे विधान सभा क्षेत्र में,  जब मैं विधान सभा क्षेत्र के लिए आ रहा था तो बुजुर्ग, जो ऐसे कर्मचारी जो रिटायर हो चुके थे और बड़े अच्छे पदों से रिटायर हुए पर उनका दर्द था कि आज सरकार ने हमारी ओपीएस बंद कर दी है और कई ऐसे भी अधिकारी थे जिनके बच्चे उनको घरों से निकाल कर वृद्धाश्रम में छोड़ आए थे, उनकी मांग थी और हमारी भी मांग है कि मध्यप्रदेश सरकार को ओपीएस लागू करना चाहिए और सबको ओपीएस मिलना चाहिए.

          माननीय सभापति महोदय, हमें बजट 2023-24 में एक बड़ी उम्मीद थी कि सरकार हमारे क्षेत्र में बेरोजगार आदिवासी युवाओं के लिए, उनको रोजगार देने के लिए, स्थानीय स्तर पर ऐसी नीति बनाएगी कि आदिवासियों का पलायन रुकेगा. आज सबसे ज्यादा हमारे धार, झाबुआ, बड़वानी से, प्रति दिन हजारों की संख्या में आदिवासी पलायन करके अन्य राज्यों में नौकरी के लिए,  दर-दर भटकने के लिए, मजबूर है. मैं सरकार से मांग करता हूँ कि आदिवासी युवाओं को रोजगार मिले, उनका पलायन रुके. इसके लिए सरकार स्थानीय स्तर पर ऐसी नीति बनाए ताकि वास्तव में हम कह सकें कि यह सरकार आदिवासियों की हितैषी है.

सभापति महोदय, जब हमारे कमलनाथ जी की सरकार थी तो उन्होंने मुख्यमंत्री गौशाला योजना शुरू की थी. हमने मनावर विधान सभा के करौली में मात्र एक गौशाला के लिए जिले स्तर पर पूरे हमारे ग्रामीण क्षेत्रवासियों के साथ आँदोलन किया, लेकिन सरकार ने हमें आज दिनाँक तक एक गौशाला स्वीकृत नहीं की. मैं मांग करता हूँ कि हमारे विधान सभा क्षेत्र में करौली में एक गौशाला हमको दी जाए.

            सभापति महोदय, हमारे प्रदेश में बेरोजगारी गंभीर मुद्दा है और आज हमारे आदिवासी इलाकों में सबसे ज्यादा अतिथि शिक्षक, अतिथि विद्वान, आज काम कर रहे हैं. उनकी लम्बे समय से मांग रही है कि उनको कम से कम, जब काम लिया जा रहा है, तो उनको परमेनेंट किया जाए. मैं सरकार से मांग करता हूँ कि अतिथि शिक्षकों, अतिथि विद्वानों और हमारी आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और आँगनवाड़ी सहायिकाओं, उनकी मांग है, आज उनसे ग्राउन्ड पर सबसे ज्यादा काम लिया जाता है और उनको वेतन के रुप में मात्र 5 हजार और 10 हजार रुपए दिए जा रहे हैं. मेरे विधान सभा क्षेत्र में 70 आंगनवाड़ी केन्द्र ऐसे हैं जो भवन विहीन हैं, छोटे-छोटे बच्चों को सड़क के किनारे बैठाकर पढ़ाया जा रहा है. माननीय वित्त मंत्री जी अगर आप हमारी बात को लेकर गंभीर हैं तो मेरे क्षेत्र में जो आंगनवाड़ी केन्द्र भवन विहीन हैं उन भवनों के लिए पैसा दिया जाए ताकि उन बच्चों को उचित शिक्षा और उचित वातावरण मिल सके.

          सभापति महोदय, आज मध्यप्रदेश में आदिवासी समाज की बेटियाँ अन्य राज्यों में काम करने के लिए जा रही हैं. सरकार भले ही इस बात का दावा करती है कि हम लाड़ली बहना योजना के माध्यम से प्रति माह उन्हें एक हजार रुपए देंगे.  सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से मांग करता हूँ कि आदिवासी समाज और विशेषकर पिछड़ी जो जनजाति हैं जैसे सहरिया, भारिया और बारिया इनको भारत सरकार द्वारा विशेष पिछड़ी जनजाति घोषित किया गया है. इनके लिए विशेष तौर पर ऐसी योजनाएँ लागू की जाना चाहिए कि इनका सामाजिक और आर्थिक विकास हो सके. मध्यप्रदेश सरकार द्वारा सिर्फ आदिवासियों के नाम पर योजना बनाने से काम नहीं चलेगा. मेरी मांग यही है कि सरकार एक ऐसा मॉनिटरिंग सिस्टम आदिवासियों के लिए लागू करे जिससे सरकार की योजनाएं आदिवासी क्षेत्रों तक, आदिवासी गांव तक, आदिवासी मोहल्लों तक पहुंच रही हैं या नहीं पहुंच रही हैं उसकी जानकारी प्रतिमाह या प्रति छह माह में मिल सके. इसकी रिपोर्ट सरकार तक आना चाहिए.

          सभापति महोदय, पिछली बार का बजट सिर्फ 60 प्रतिशत तक ही व्यय किया गया था. यह प्रदेश के एससी और एसटी वर्ग के साथ धोखा है. आज मध्यप्रदेश में आदिवासी समाज की जनसंख्या लगभग  2 करोड़ है इस हिसाब से हमारा बजट 60 हजार करोड़ रुपए का होना चाहिए. लेकिन इस बजट में आदिवासियों के साथ धोखा किया गया है उनके लिए मात्र 36 हजार करोड़ रुपए का ही प्रावधान किया गया है.

          सभापति महोदय, आपने मुझे अपनी बात रखने का मौका दिया, आपको धन्यवाद.

          श्री जजपाल सिंह (अशोकनगर) -- सभापति महोदय, मैं वर्ष 2023-2024 के बजट के समर्थन में अपनी बात रख रहा हूँ.

          सभापति महोदय, मैं इस बजट के लिए माननीय मुख्यमंत्री जी, माननीय वित्त मंत्री जी को बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूँ. वे प्रदेश के विकास और सर्वहारा वर्ग के लिए यह बजट लाए हैं. आलोचना हर चीज की हो सकती है. सभी जानते हैं कि कोरोना काल में प्रदेश के साथ देश और पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को जो चोट लगी है उससे उबरने में निश्चित रुप से समय लगेगा. इसके बावजूद भी माननीय वित्त मंत्री जी जो बजट लेकर आए हैं इसमें उन्होंने कोई नया कर नहीं लगाया है. कोरोना काल में हमारे देश के प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी और हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी की जो आर्थिक नीतियां रहीं उनकी वजह से दुनिया ने यह माना है कि जनकल्याणकारी योजनाओं को लागू करते हुए यदि किसी देश ने कोरोना से अपना बचाव किया है तो वह भारत है. आज हम देख रहे हैं कि कोरोना की वजह से कई देशों की क्या स्थिति है, कई देश तो दिवालिया हो गए हैं. हमारे पड़ोसी देश को हम देख सकते हैं. हमारा देश प्रधानमंत्री जी की नीतियों की वजह से उस मुसीबत से बाहर निकला और सशक्त होकर निकला है. मैं कल इंग्लैण्ड के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर का इंटरव्यू देख रहा था उन्होंने भारत को लेकर कहा कि भारत इतना ताकतवार आज तक कभी नहीं रहा. उन्होंने कहा कि अभी तक लोग यह देखते थे कि या तो अमेरिका के साथ आपको रहना है या तो चीन के साथ रहना है. लेकिन मोदी जी के नेतृत्वकाल के बाद एक तीसरा विकल्प दुनिया के सामने है कि भारत के साथ भी हम रह सकते हैं. यह स्थिति आज दुनिया में भारत की है. साथियों हम जो बात कर रहे हैं. साथियों मैं यहां सुन रहा था कि हमारे प्रदेश पर प्रति व्‍यक्ति कर्ज 48 हजार रुपए है, लेकिन उसके साथ-साथ हमको यह भी ध्‍यान रखना है कि हमारे देश की आम व्‍यक्ति की प्रति व्‍यक्ति आय बढ़कर 1 लाख 40 हजार 583 हजार रुपए हुई है हम इस पर भी गौर करें जो वर्ष 2011-2012 में 38 हजार 497 रुपए थी. अद्भुत बजट नारी सशक्तिकरण के लिए मैं समझता हूं कि शायद ही देश की कोई सरकार ऐसा काम कर रही है जो मध्‍यप्रदेश की शिवराज सिंह जी की सरकार कर रही है. वित्‍त मंत्री जी ने नारी सशक्तिकरण के लिए विभिन्‍न योजनाओं में लगभग 1 लाख 2 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया है जो निश्चित रूप से प्रशंसनीय है. जिसके अंतर्गत गर्भवती मां के पोषण आहार के लिए आर्थिक मदद दी जाती है. यह हम सभी जानते हैं कि गरीब मां जब उसके घर में बच्‍चा आता है तो कई ऐसे परिवार हैं जहां मां को पौष्टिक पोषण आहार नहीं मिलता है उसकी चिंता भी हमारी सरकार ने की है. छात्राओं को पूर्ण रूप से नि:शुल्‍क शिक्षा, लाड़ली लक्ष्‍मी योजना 44 लाख 39 हजार बेटियों को इस सरकार ने लखपति बनाने का काम किया है. अभी तक हमारी सरकार शिक्षा के साथ-साथ छात्राओं को साईकिल देती थी, लेकिन अब छात्राओं को कॉलेज जाने के लिए मुख्‍यमंत्री जी ने स्‍कूटी योजना प्रारम्‍भ की है, क्‍योंकि इससे एक तो गांव में छात्राओं में पढ़ाई का स्‍तर बढ़ेगा, हर स्‍कूल में कॉम्‍पटीशन बढ़ेगा और जो छात्रा टॉप आएगी वह स्‍कूटी से कॉलेज जाएगी यह योजनाएं बच्चियों को लेकर की हैं. लाड़ली  बहना योजना एक‍ ऐसी योजना है जिसकी कभी किसी ने कल्‍पना नहीं की थी कि एक गरीब मां, बहन को एक हजार रुपए प्रतिमाह मिलेगा और वह भी कोई जाति नहीं, कोई धर्म नहीं, कोई वर्ग नहीं और उसमें ऐसा नहीं है कि कोई लिमिट लगाई हो. मैं इसके लिए वित्‍तमंत्री जी को धन्‍यवाद देता हूं. अभी शराब नीति को लेकर बात चल रही थी तो मैं माननीय मुख्‍यमंत्री जी को इसके लिए धन्‍यवाद देता हूं कि उन्‍होंने अपनी संवेदनशीलता का परिचय देते हुए एक ऐसा मानवीय निर्णय लिया कि शराब के अहातों को बंद किया. जो अभी एक भाई बोल रहे थे कि 6 बजे से 11 बजे तक रात का टाईम क्‍यों है. यह किसी भी सरकार की नीति हो सकती है, लेकिन सबसे महत्‍वपूर्ण यह है कि उन अहातों की वजह से वहां पर लोग बैठकर रात को ग्‍यारह बजे तक शराब पीते थे.

          श्री मनोज चावला-- दुकानें तो बढ़ा दी हैं, अहाते बंद हुए थे उसका क्‍या हुआ. आप शराब ही बंद करवा दो.

          श्री जजपाल सिंह-- पूरे देश और हमारे देश में जितनी भी सरकारें रही हैं यह हम भी समझ रहे हैं और आप भी समझ रहे हैं, लेकिन आप अपना धर्म निभा रहे हो यह मजबूरी है. जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखी तिन तैसी. हमको उसमें भी अच्‍छाई नजर आ रही है कि रात को लोग अहातों में बैठकर दारु पीते थे. रात को ग्‍यारह बजे एक साथ झुंड के झुंड निकलते थे, रास्‍ते में उधम कर रहे हैं, सारे समाज को परेशान कर रहे हैं. मुख्‍यमंत्री जी ने उस पर ध्‍यान दिया है. यह उनकी एक संवेदनशीलता है और यह एक मानवीय निर्णय है. मैं इस निर्णय की प्रशंसा करता हूं. साथियों अभी रोजगार की बात चल रही थी कि युवाओं को रोजगार नहीं मिल पा रहा है. यह हम सभी समझते हैं और सारे लोग जानते हैं चाहे वह किसी भी दल में हों, किसी भी पार्टी में हों, सत्‍ता में हों या विपक्ष में हों यह कभी दुनियां में नहीं हो सकता है कि सारे बेरोजगारों को सरकार नौकरी दे दे और नौकरी से लगा दे लेकिन, मध्‍यप्रदेश की शिवराज जी की सरकार ने जो रोजगार मेले लगाए लगातार उन्‍होंने जो युवा रोजगार के लिए दर-दर भटक रहे थे पहली बार रोजगार मेलों के माध्‍यम से 46 लाख युवाओं ने स्‍वयं के रोजगार खोले और वह जो रोजगार के लिए खुद भटकते थे आज वह दूसरे कई लोगों को रोजगार दे रहे हैं. ऐसे लोग भी मेरे शहर में हैं. युवाओं को नौकर नहीं मालिक बनाने का काम यह अद्भुत काम भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किया है. इंजीनियर, डॉक्‍टर की हिन्‍दी भाषा में शिक्षा होना चाहिए. आज जब भी हम पढ़ते हैं या देखते हैं कि हमारे देश की प्रतिभाएं दूसरे देशों में जाकर अपनी सेवाएं दे रहे हैं. यदि वह प्रतिभा हमारे देश में होती तो निश्चित रूप से हमारे देश को लाभ मिलता. अगर वे हिन्‍दी में आज डॉक्‍टरी करेंगे, इंजीनियर बनेंगे, अन्‍य क्षेत्रों में जायेंगे तो वे देश में रहकर सेवा करेंगे, ये एक बहुत ही दूरदर्शी निर्णय है, इसके परिणाम हम सभी को भविष्‍य में देखने को मिलेंगे.

          सभापति महोदय, मुख्‍यमंत्री जी ने सहकारी बैंक के डिफॉल्‍टर किसानों के ब्‍याज माफ हेतु 25 सौ करोड़ रुपये का प्रावधान किया है और एक सबसे महत्‍वपूर्ण बात, सहकारी संस्‍थाओं के कंप्‍यूटरीकरण हेतु 80 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. यह इसलिए महत्‍वपूर्ण है क्‍योंकि हमारे क्षेत्र में आज भी किसान बहुत भोला-भाला है, सहकारी संस्‍थाओं में बैठे कई कर्मचारी, मैं, खुले मन से कह रहा हूं. मैं, स्‍वयं जानता हूं कि किसान कर्ज कितना ले रहा है, कितना जमा कर रहा है, कई बार उसके साथ धोखा होता था. अब कंप्‍यूटरीकरण हो जायेगा तो उसे पता होगा कि उसने कितना कर्ज लिया और कितना जमा किया. यह एक बहुत ही महत्‍वपूर्ण निर्णय है.

          सभापति महोदय, सिंचाई परियोजनाओं के लिए 11 हजार 49 करोड़ रुपये. इसी तरह विद्युत योजनाओं के लिए 23 हजार करोड़ रुपये. अभी हमारे एक साथ कह रहे थे कि चाइल्‍ड बजट का क्‍या हुआ ? मैं, उनको बताना चाहता हूं कि जब कोरोना-काल में ऐसे अनेक बच्‍चे, जिनके माता-पिता छिन गए, उनकी देखभाल के लिए जब कोई नहीं था, तब हमारे प्रदेश के मुखिया, मुख्‍यमंत्री जी उनके गार्जियन बने और ''मुख्‍यमंत्री कोविड बाल सेवा योजना'' उन्‍होंने प्रारंभ की. इसके अलावा ''मुख्‍यमंत्री बाल आशीर्वाद योजना'', आज भी हम कहीं गांव में जाते हैं तो देखते हैं, छोटे बच्‍चे जिनकी न मां है, न बाप है, उनके संरक्षक मुख्‍यमंत्री जी बने और उन्‍होंने यह योजना प्रांरभ की, जिसके अंतर्गत 4 हजार 7 सौ 4 करोड़ रुपये का प्रावधान वित्‍त मंत्री जी ने किया है, जिसके लिए मैं, उनका आभार व्‍यक्‍त करता हूं क्‍योंकि ये बच्‍चों के भविष्‍य के लिए है, जिन्‍हें देखने वाला कोई नहीं था.

          सभापति महोदय, शहरी क्षेत्रों के विकास के लिए अमृत-2, कायाकल्‍प अभियान में 13 हजार 6 सौ 8 करोड़ रुपये दिए हैं. शहरों का कायाकल्‍प हो रहा है. लोगों ने कल्‍पना नहीं की थी, ऐसी सड़कें शहरी क्षेत्रों में बनाने का संकल्‍प लिया गया है. मूलभूत सुविधाओं के लिए 8 सौ 42 करोड़ रुपये, शहरों की सूरत बदलने का काम हमारे मुख्‍यमंत्री जी और वित्‍त मंत्री जी इस बजट के माध्‍यम से कर रहे हैं.

          सभापति महोदय, जल जीवन मिशन हेतु 7 हजार 3 सौ 31 करोड़ रुपये का प्रावधान है. किसी ने कल्‍पना नहीं की थी कि प्रत्‍येक घर में शुद्ध पेयजल नलों के माध्‍यम से आयेगा. हमारे जिले में लोग कल्‍पना नहीं कर पाते थे. सभापति महोदय, भी जानते हैं कि राघौगढ़ तक राजघाट का पानी, इस योजना के अंतर्गत जा रहा है. कभी हमने कल्‍पना नहीं की थी. राजघाट मतलब झांसी के किनारे से, ललितपुर से पानी राघौगढ़, गुना, अशोकनगर सभी जगह पानी जा रहा है.

          सभापति महोदय-  राघौगढ़ में पानी वहां से नहीं आ रहा है, वहां पानी गोपीकृष्‍ण सागर डैम से आ रहा है. आप जारी रखें.

          श्री जजपाल सिंह (जज्‍जी)-  लेकिन हमने इतनी बड़ी योजना की कल्‍पना नहीं की थी. लोग एक-एक हैण्‍डपंप के लिए तरसते थे लेकिन आज वे देखते हैं, सड़कों के किनारे पाईप ही पाईन पड़े हैं. ऐसी अद्भुत योजनाओं के बारे में, देश में किसी ने सोचा नहीं था. मानव के लिए हवा के बाद सबसे ज्‍यादा जो जरूरी है, पानी, वह भी ये पुरानी सरकारें मुहैया नहीं करा पाई थीं. ये काम भी हमारे मुख्‍यमंत्री जी ने किया इसलिए मैं, उनका आभार व्‍यक्‍त करता हूं.

          सभापति महोदय, मैं, अपने क्षेत्र की एक व्‍यक्तिगत बात पर माननीय वित्‍त मंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हूं कि मेरा निवेदन है कि वे इस पर गौर करें. अशोकनगर के बिल्‍कुल बीच से एक रेलवे लाईन निकली है. रेलवे लाईन में एक तरफ 20 प्रतिशत शहर है और 80 प्रतिशत शहर दूसरी तरफ है. जिस तरफ 20 प्रतिशत शहर है, वहीं हमारा जिला चिकित्‍सालय है, कलेक्‍टर कार्यालय है, तहसील कार्यालय है, अदालत है, जेल है, सारे विभाग वहीं हैं. लेकिन वहां यदि हमें जाना हो तो चिकित्‍सालय, रेलवे लाईन से मात्र 50 मीटर की दूरी पर है. लेकिन यदि शहर के इधर कोई बीमार हो जाये, कोई आपात स्थिति हो जाये तो 3‍ किलोमीटर चक्‍कर लगाकर एम्‍बुलेंस को जाना होता है. वहां एक अंडर ब्रिज स्‍वीकृत हुआ है. पिछले लंबे समय से उसका काम चल रहा है लेकिन रेलवे ने अंडर ब्रिज इस शर्त पर स्‍वीकृत किया था, उनके नॉर्मस् थे कि थोड़ी दूरी पर ओवर ब्रिज है लेकिन उन्‍होंने नज़दीक में स्‍वीकृति दे दी और काम भी रेलवे करेगा लेकिन उन्‍होंने कहा कि आप फण्‍ड कहीं से भी जुटायें. उस समय उसकी लागत  3 करोड़ 65 लाख रुपये थी.

          मेरा वित्‍त मंत्री जी से विशेष निवेदन और आग्रह है कि 1 करोड़ 53 लाख रुपये तत्‍काल हमारे तत्‍कालीन सांसद महोदय श्रीमन् ज्योतिरादित्य  सिंधिया जी ने अपनी सांसद निधि से दिए, 50 लाख रुपये हमने अशोकनगर नगर पालिका से रेलवे विभाग को ट्रांसफर करवाये और 1 करोड़, 62 लाख रूपये पीडब्‍ल्‍यूडी के माध्‍यम से राज्‍य शासन ने दिये और वह रेलवे डिपार्टमेंट को ट्रांसर्फर करवाये. अब उसमें काम भी चल रहा है और काम क्‍यों रूके. क्‍योंकि वह शहर के लिये बहुत जरूरी है, बहुत बड़ी समस्‍या है. अब उसमें समस्‍या यह है किे जिस जगह अण्‍डर ब्रिज बना है, वह कम्‍प्‍लीट हो गया है लेकिन साइड रोड जो बनना है उसमें विद्युत विभाग की अण्‍डर ग्राउंड लाइने हैं, वह ट्रांसफर होना है. उसके लिये 1 करोड़, 25 लाख रूपये का एस्‍टीमेट दिया है वह रेलवे को 1 करोड़, 25 लाख रूपये देना है. वित्‍त मंत्री जी से निवेदन है कि 1 करोड़, 25 लाख रूपये का प्रावीज़न करके रेल विभाग को दे दें, ताकि अशोक नगर का अण्‍डर ब्रिज बन सके. मैं और मेरा क्षेत्र हमेशा आपका आभारी रहेगा. आपने मुझे समय दिया, धन्‍यवाद.

          श्री ओमकार सिंह मरकाम(डिंडौरी):- माननीय सभापति महोदय जी, मध्‍यप्रदेश की 8 करोड़, 50 लाख जनता बड़ी उम्‍मीद लगाकर के भाजपा सरकार के आखिरी बजट का इंतजार कर रहे थे कि सरकार आखिरी बजट लेकर आ रही है और उसमें हमारी हितों का ध्‍यान रखा जायेगा. परंतु जैसे ही हमारे वित्‍त मंत्री जी ने अमृतकाल की बात की तो हम बड़े प्रसन्‍न हुए और अमृत एक ऐसा संयोग है, यदि अमृत की बात जगदीश जी करें '' ओम जय जगदीश हरे'' तो फिर सबकी उम्‍मीद जाग जाती है. क्‍योंकि हमने सुना है कि जहां जगदीश है वहां अन्‍याय कभी नहीं होता, न्‍याय होता है. यह हमने सुना था. माननीय वित्‍त मंत्री के क्षेत्र में ही पूछा जाए कि कितना अमृत बरस गया तो पता चला कि आपके यहां पिपलिया में नौजवान बोले कि खेल के मैदान नहीं है, हमारे मंत्री जी ध्‍यान ही नहीं दे रहे हैं. उसके बाद हमने देखा कि वहां पानी की समस्‍या, पीने के पानी की समस्‍या है. हम और आगे बढ़े पिपलिया मंडी से खात्‍या मंडी तक सड़क ही गड़बड़ है. मंत्री जी की गाड़ी अच्‍छी है तो उनको पता ही नहीं चलता, आगे निकल जाते हैं. उसके आगे जब हम बढ़ते हैं तो वहां बिल्‍लौद...

          श्री दिलीप सिंह परिहार:- उधर सड़कें बन गयी हैं, डेम बन गये हैं, सब दूर. मरकाम जी आप वहां आकर देखो.         

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया:- आपको गाड़ी अच्‍छी नहीं दी क्‍या.

          श्री ओमकार सिंह मरकाम:- आप लोग दल बनाकर चले जाइये. आप भी वहीं के हो ना और हमारे सरदार जी को भी ले जाना एक ही साथ हो, चार लोग हो पर्याप्‍त हो. विकास कार्य के लिये चार की टीम कम नहीं है. आगे हमने देखा कि बिल्‍लौद से रंजीत निवास स्‍कूल भवन नहीं है. बिल्‍लौद ब्‍लॉक है जहां भवन नहीं है. बादरी से बूढ़ा बिल्‍लौद मार्ग नहीं है और इसके बाद एक आदिवासी ग्राम बरदन है, वहां पर आपने कुछ किया ही नहीं है.       

          श्री तुलसी राम सिलावट:- मरकाम जी, भारी तैयारी करके आए हो उनके विधान सभा की. आप अपनी विधान सभा की बात करों.

          वित्‍त मंत्री (श्री जगदीश देवड़ा):- मरकाम जी, मेरी प्रार्थना है कि आप एक-दो दिन का समय निकालकर मेरे साथ आप चलना. यह जिसने भी आपको जानकारी दी है.

          श्री ओमकार सिंह मरकाम:- बिल्‍कुल चलूंगा. मैं तो ताक में लगा था कि आप बोलो और हम चलें.

          सभापति महोदय:- मरकाम जी, इधर देखकर बोलें.

          श्री ओमकार सिंह मरकाम:- सभापति महोदय जी, जो चंबल डेम का पानी है वह भी नहीं पहुंचा और आप बोल रहे हैं, अमृत. वित्‍त मंत्री जी हमारा आपसे अनुरोध है कि कम से कम अपने क्षेत्र में तो अमृत बरसाओ. फिर मैंने माननीय मुख्‍यमंत्री जी के क्षेत्र में बात की तो माननीय मुख्‍यमंत्री जी के क्षेत्र में तो अमृत ही अमृत होगा. जितने अधिकारी हैं वह वहीं से अमृत प्राप्‍त कर रहे हैं, जितने मंत्रालय के अधिकारी हैं, वह सब अमृत ही अमृत प्राप्‍त कर रहे हैं. इनको अमृत इतना मिल गया है की इनकी सारी गड़बडि़यां भी उस अमृत में पूरी समाहित हो जाती है. सुआपानी से टेकरीपुरा,सेमलपानी से लावापानी, नहार खेड़ा से रतनपुर, काकरिया से नहार खेड़ा, आमरो से खजुरी सड़कें ही नहीं है.

          श्री विजयपाल सिंह:- मरकाम जी, यह असत्‍य बात नहीं करनी चाहिये. आप आपकी विधान सभा में देखो.

          एक माननीय सदस्‍य:-यह आपको लिखकर किसने दे दिया. चलिये मेरे साथ. बोलने के पहले कुछ सोच के तो बोले

          श्री ओमकार सिंह मरकाम:- सभापति महोदय, मुख्‍यमंत्री जी के ग्राम खजूरी खाती में पीने के पानी में पीने का पानी नहीं है, आदिवासी गांव है. नसरूल्‍लागंज में आदिवासी बालक छात्रावास है, उसका भवन नहीं है. मैं आप लोगों को आमंत्रित करता हूं. माननीय सभापति चाहें और वित्‍त मंत्री जी चाहें तो आज ही शाम को चलें आप और हम माननीय मुख्यमंत्री जी जहां पर रहते हैं वहां से 100 मीटर की दूरी पर आदिवासी बालक छात्रावास है आप चलिये मेरे साथ मैं आपको दिल से बधाई दूंगा मैं राजनीतिक दल की बात नहीं कर रहा हूं. दम है तो आप चलिये मेरे साथ जितने हमारे साथी यहां पर बोल रहे हैं.

          श्री तुलसीराम सिलावट--100 प्रतिशत चलेंगे ओमकार सिंह जी जब भी आप तारीख तय कर लो आपको लेकर ही चलेंगे.

          श्री सुनील सराफ--मंत्री जी आज शाम को ही चलने के लिये बोल रहे हैं.

          श्री ओमकार सिंह मरकाम--सभापति जी माननीय मंत्री जी जय हो तुलसी माता बड़े हैं हमारे भ्राता.

          श्री पी.सी.शर्मा--यह नहीं चलेंगे आपके साथ.

          श्री ओमकार सिंह मरकाम--सभापति जी हमारे बजट के लिये हमारे मठ जो हमारे पंचायतों में 8-8-10-10 हैं वह भी आपकी चालीसा पढ़ रहे थे ओम जय जगदीश हरे हमारी तरफ भी कृपा करें. रोजगार सहायक, संविदा स्वास्थ्य कर्मी, अतिथि शिक्षक, रसोईया, तृतीय कर्मचारी संघ, चतुर्थ कर्मचारी संघ, आशा कार्यकर्ता, अंशकालीन कर्मचारी, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, लेम्स अधिकारी, पंच-सरपंच सभी लोग हम विधायक लोग भी उम्मीद कर रहे थे कि विधायक निधि तथा हमारी तरफ भी आप देखोगे, क्योंकि हमारी भौगोलिक दृष्टि से जो बड़े बड़े विधान सभा क्षेत्र हैं खासकर के आदिवासी विधायक का खास करके अनुसूचित जाति क्षेत्र बड़े बड़े क्षेत्र हैं. हमारे सत्तापक्ष के सदस्यों को अमृत मिल गया है, बहुत अच्छी बात है. आप लोग तो प्रसन्न हो, पर हम सच्चाई बता रहे हैं. हमने देखा आपने किसी के लिये कोई प्रावधान नहीं किया. आप विकास यात्रा की बात करते हैं. मैं पूछना चाहता हूं कि डिण्डोरी जिले की कलापिपरिया में विकास यात्रा गई.लोगों ने वहां पानी एवं सड़क की मांग की तो लोगों पर 353 के मुकदमे दर्ज कर दिये. चिन्ता मत करना हमारी सरकार सात महीने के बाद आयेगी हम उसको वापस कर देंगे. आप लोग नहीं कर सकत हैं. हमारे वित्तमंत्री जी हमारे अपने हैं. हमें प्रसन्नता हुई कि हमारा आदमी बजट लाया है उसमें ताज्जुब तब हुआ कि हमारा राईट है ट्राईबल की राईट्स 22 प्रतिशत है. यह मैं नियम की बात कर रहा हूं. 22 प्रतिशत में 3 लाख 14 हजार 42 करोड़ 83 लाख के बजट में हमारा राईट बनता है 68 हजार करोड़ रूपये बनता है. आपने हमारी बहिन मंत्री जी को आपने दिये मात्र 11 हजार 7 सौ 48 करोड़, हमारे एससी विभाग के लिये आपने दिया 2 हजार 162.27 करोड़, ओबीसी के लिये दिये 1438.36 करोड़, आपने बहुत बढ़िया बजट दिया है आनन्द विभाग प्रदेश की 8 करोड़ 50 लाख जनता का हक है आपको आनन्द देना है आपने मात्र 07 करोड़ रूपये आनन्द के लिये रखा है आप कैसे कैसे आनन्द बनाओगे आपके मंत्रियों को आनन्द हो सकता है, इसमें विधायकों का तो नम्बर ही नहीं लगना है. खेल एवं युवक कल्याण के लिये बड़ी बड़ी बात कि खेलो इंडिया की बात प्रधानमंत्री जी करते हैं. गांव गांव में खेल के मैदानों की आवश्यकता यह मांग नौजवान लोग भी कर रहे हैं. आप लोग पूरा लिया होगा क्योंकि आपके क्षेत्र में पूरा अमृत मिल गया है. इसमें हमारे लिये मात्र 738 करोड़ रूपये रखा है. और वहीं पर कुटीर एवं ग्रामोद्योग जो महत्वपूर्ण विभाग है ग्रामों से जुड़ा हुआ इसके लिये बजट में 132 करोड़ रूपये रखे हैं. इसके अलावा हमारे ट्राईबल एरिये में जो पर्यटन विकास विभाग की जुड़ी हुई व्यवस्था है उसके लिये 3 लाख 14 हजार 25 करोड़ में आपने 269 करोड़ रूपये रखे हैं. आप हमारे हित का बजट बता रहे हैं आप कह रहे हैं कि अमृत बरस गया.  

          सभापति जी, जो हमारे मुख्‍यमंत्री जी हैं, मैं तो मुख्‍यमंत्री जी की जो बातें, जो वचन है, उसमें मां नर्मदा का जो मुख्‍यमंत्री जी ने सेवा यात्रा के माध्‍यम से नर्मदा जी के दोनों तरफ हरी चुनरी के रूप में बेहतर पौधा रोपण करके मां नर्मदा को हरी चुनरी चढ़ाने की जो बात कहीं थी, आज हमने पढ़ा कि नर्मदा एक्‍सप्रेस-वे, नर्मदा के समानांतर मार्ग का निर्माण होगा. परिक्रमावासी मेरे पास आते हैं, डिण्‍डोरी में, पूछते हैं कि नर्मदा एक्‍सप्रेस-वे, का कया प्‍लान है, तो नर्मदा एक्‍सप्रेस-वे, का प्‍लान ये है कि नर्मदा जी को कई बार क्रॉस करके एक्‍सप्रेस-वे, जा रही है तो नर्मदा परिक्रमावासी कैसे उसका उपयोग करेंगे, आप लोग चाहते हैं कि क्‍या नर्मदा परिक्रमा खंडित करके परिक्रमा करें. जो परिक्रमा में जाते हैं वे कई जगह सरकार की गलती के कारण नर्मदा में दूसरी तरफ चले जाते हैं, जिसके कारण परिक्रमा खंडित हो जाती है और मुख्‍यमंत्री जी कहते हैं कि मैं तो नर्मदा जी का भक्‍त हूं, मुख्‍यमंत्री जी आप भक्‍त बनिए आपके लिए हम रात दिन प्रार्थना कर रहे हैं, आप भक्‍त बन जाइए, अभी आप भक्‍त नहीं बन पाए हैं, आप तो असत्‍य भक्‍त बन पाए हैं, जितनी बात आप कर रहे हैं वह आज असत्‍य सिद्ध हो रही है. आप हमारे डिण्‍डोरी में 2008 में गए थे. आपने उस समय बहुत बढि़या खेल मैदान के लिए भूमि पूजन किया, आज भी उसके लिए आवंटन प्राप्‍त नहीं हुआ. आपने हमारे आदिवासी भाईयों के लिए जो विकास की बात कर रहे हैं, मैं कहना चाहता हूं कि सरकार बात कुछ करती है और काम कुछ करती है. आदिवासी भाईयों के लिए यह सरकार पूरी तरह से बेबुनियाद बात कर रही है, वास्‍तविक काम कहीं पर नहीं कर रही है. अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़े वर्ग और प्रदेश के सर्वहारा वर्ग के लिए आज आप लोगों ने जो बजट पेश किया है, उसमें कहीं कोई ध्‍यान नहीं दिया है, इसलिए मैं चाहता हूं माननीय वित्‍तमंत्री जी एक दमदारी का प्रतीक दे दीजिए, आपसे अनुरोध है कि आप एक बार समीक्षा करने के लिए बोल दीजिए, हम फिर आ जाएंगे सदन में, आखिरी तक बैठ जाएंगे, एक समीक्षा कर लीजिए अनुसूचित जाति, जनजाति के लिए प्रावधान बढ़ा दीजिए. हम आपका समाज की तरफ से सम्‍मान करवाएंगे और आप नहीं बढ़ाओगे तो हम बताएंगे कि आप वहां रहे और सरकार के इशारे में आपकी नहीं चली. मैं जानता हूं, आप हमारी समाज के लिए बहुत अच्‍छा सोचते हैं, तुलसी भैया भी सोचते हैं, पर क्‍या करें मंत्री बनना है यदि उधर की चालीसा नहीं पढ़ेंगे तो छुट्टी. गड़बड़ हो जाएगा.(..हंसी)

          श्री बहादुर सिंह चौहान - इसलिए आपकी भी चालीसा उधर चली गई.

          श्री ओमकार सिंह मरकाम - आप लोगों का नंबर मंत्रीमंडल में नहीं लगेगा, सिसौदिया भैया चले गए, उनका भी नंबर नहीं है.

          सभापति महोदय - समाप्‍त करिए.

          श्री ओमकार सिंह मरकाम - सभापति जी, आज आपके माध्‍यम से सरकार के इस बजट का इस बात पर विरोध करता हूं कि आपने जनमानस के लिए..सिसौदिया जी आ गए आप, आपको मंत्री नहीं बना रहे तो हम क्‍या करें(..हंसी) हम तो ताक में लगे थे कि आप कुछ कर लोगे.. पर ये मिश्रा जी(डॉ. नरोत्‍तम मिश्र) ध्‍यान ही नहीं देते. हमारे शर्मा जी को बनने नहीं दिए. मैं एक बात के साथ समाप्‍त कर रहा हूं.

          डॉ. विजय लक्ष्‍मी साधौ - ओमकार भैया मिश्रा जी भी क्‍या करेंगे, नंबर तो लगा रहे थे, सरकार भी गिरा दी नंबर ही नहीं लगा तो मिश्रा जी भी क्‍या करेंगे.

          श्री ओमकार सिंह मरकाम - मैं एक बात के साथ अपनी बात समाप्‍त करता हूं. मध्‍यप्रदेश का हृदय स्‍थल महाकौशल है, महाकौशल में नेता सुभाषचन्‍द्र बोस आकर के आंदोलन किए, पूज्‍य महात्‍मा गांधी जाकर के त्रिपुरी वहां पर हमारा अधिवेशन हुआ. महाकौशल की धरती पवित्र है, जहां का अपमान ये सरकार ने किया है, पूरे महाकौशल में एक ही राज्‍यमंत्री दिए हैं, सरकार बनाने के चक्‍कर में ग्‍वालियर ओर सागर पूरा भर लिए हो, क्‍या जरुरत भाई, हमारे इधर भी कुछ दो न, इस बार मैं चुनौती के साथ यह बता रहा हूं, अब जनता समझ गई है. अब आने वाला अगला मुख्‍यमंत्री इस सदन में महाकौशल का होगा ये मैं कहते हुए अपने शब्‍दों को विराम देता हूं, उस समय हम आपका भी न्‍याय करेंगे. बहुत बहुत बधाई, धन्‍यवाद.

          जल संसाधन मंत्री (श्री तुलसीराम सिलावट) - इसका अभी से डिसाइड हो गया क्‍या? 

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - सभापति महोदय, मंत्री पद जाने का इतना दर्द है कि आप किसी को मंत्री बना रहे हैं, अगला मुख्‍यमंत्री बना रहे हैं. मरकाम जी, मंत्री, मंत्री है दिमाग में. चारों तरफ मंत्री-मंत्री, इतनी तकलीफ.

          श्री बाला बच्‍चन - माननीय सिसौदिया जी, विधायक ही तो मुख्‍यमंत्री बनाते हैं. वह विधायक हैं, उनको अधिकार हैं. उनको हक है कि कौन मुख्‍यमंत्री बनेगा, कैसा मंत्रिमण्‍डल होगा, कौन मंत्री होगा ? आप नहीं बने, उन्‍होंने उसका भी बता दिया.

          श्री देवीलाल धाकड़ (गरोठ) - माननीय सभापति महोदय, मैं बजट 2023-24 के समर्थन में अपनी बात रखने के लिए खड़ा हुआ हूँ. समय-सीमा में अपनी बात पूरी करूँगा, पुनरावृत्ति न हो, इसका भी प्रयास करूँगा. बजट से आत्‍मनिर्भर मध्‍यप्रदेश, देश में अग्रणी राज्‍य मध्‍यप्रदेश बने, इस उद्देश्‍य को रखकर जो बजट पेश किया गया है, मैं इसके लिए माननीय मुख्‍यमंत्री जी और माननीय वित्‍त मंत्री जी का हृदय से आभार व्‍यक्‍त करता हूँ, धन्‍यवाद देता हूँ एवं अभिनन्‍दन करता हूँ. पहली बार बजट से पूर्व जनता से सुझाव मांगे गए और उन सुझावों को दृष्टिगत रखते हुए बजट में प्रावधान किए गए हैं, इस बजट में नया कर नहीं लगाया गया है, यह निश्चित रूप से हर वर्ग को लाभ देने वाला बजट है और इसलिए मैं इसका समर्थन करता हूँ.

          माननीय सभापति महोदय, सबसे मुख्‍य काम महिला सशक्तिकरण के लिए जो योजनाएं बनाई हैं. हम यह जानते हैं कि पहले ग्रामीण क्षेत्र में गरीब व्‍यक्ति अपनी बेटी को नहीं पढ़ाते थे, सड़कें नहीं होती थीं, इसलिए पढ़ने के लिए घर से दूर भी नहीं भेजते थे. परन्‍तु अभी हमारी सरकार ने जो बजट में महिला सशक्तिकरण की योजना बनाई है, उसके कारण आज गरीब व्‍यक्ति भी अपनी बेटी को पढ़ा रहा है.

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा - सभापति महोदय, भाईसाहब यह जीता-जागता (डॉ. विजयलक्ष्‍मी साधौ की ओर देखकर) उदाहरण मेरे बगल में बैठा है. डॉक्‍टर है, बहुत वर्षों से.

          श्री देवी लाल धाकड़ - सभापति महोदय, मैं अभी वही बता रहा हूँ. उसके कारण आज बेटियां पढ़ रही हैं और महिला सशक्तिकरण के नाम पर जो योजना बनी, उसका परिणाम हमें आगे मिलने वाला है. आज एक बेटी पढ़-लिखकर बड़ी होती है, संस्‍कारित होती है तो वह दो परिवारों को सुधारती है- पीहर का परिवार और ससुराल का परिवार. संस्‍कारित मां बेटे को संस्‍कार देती है. हम यह जानते हैं कि मां जीजा बाई ने छत्रपति शिवाजी को जो वीरता की कहानी सुनाई थी, उसके कारण छत्रपति शिवाजी वीर बने थे, इसलिए महिला सशक्तिकरण के कारण जो योजना हमारी सरकार ने बनाई, उसका निश्चित रूप से आगे जाकर, हमारे समाज एवं देश को बहुत बड़ा लाभ मिलेगा और बहुत बड़ा परिवर्तन देश में होगा, ऐसा मेरा विश्‍वास है.

          माननीय सभापति महोदय, लाड़ली बहना योजना में 8,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है और आज हम जानते हैं कि हर क्षेत्र में महिलाओं के लिए, बेटियों के लिए जो योजनाएं बनी हैं, उसका परिणाम निश्चित रूप से समाज में हमको देखने को मिल रहा है. युवा शक्ति के लिए खेलो इंडिया 349 करोड़ रुपये का बजट रखा है, आज हम जानते हैं कि देश का युवा यदि खेल के मैदान में जाता है तो उसके अन्‍दर खिलाड़ी भावना आती है और जब खिलाड़ी भावना उसके अन्‍दर रहती है तो निश्चित रूप से वह किसी भी क्षेत्र में जाकर काम करेगा, जैसे वह कृषि क्षेत्र में करेगा या व्‍यावसायिक क्षेत्र में करेगा, वह प्रशासनिक क्षेत्र में भी जाएगा, राजनीतिक क्षेत्र में जायेगा तो उसके विचार समाज के हित में, देश के हित में बनेंगे, इसलिए युवाओं को जो महत्‍व खेलो इंडिया के मार्फत दिया है, उसका परिणाम भी हमारे देश और प्रदेश के लिए बहुत अच्‍छे आएंगे, ऐसा मेरा विश्‍वास है.

माननीय सभापति महोदय, शिक्षा के क्षेत्र में हम यह जानते हैं कि अभी हमारे एक मित्र कह रहे थे. शिक्षा के क्षेत्र में हम जानते हैं कि सन् 2003 के पहले जो शिक्षाकर्मी और संविदा शिक्षकों को जो वेतन मिलता है, आज हमारी सरकारों ने इतनी वेतन वृद्धि की है कि उसके कारण आज कोई भी शिक्षक अभाव महसूस नहीं करता, डेढ़-दो हजार रुपये मासिक वेतन मिलता था, अभी 25 हजार, 30 हजार, 35 हजार रुपये मासिक वेतन मिलता है, तो शिक्षा के क्षेत्र में जो परिवर्तन हमारी सरकार ने किया है, उसका भी परिणाम ठीक मिलने वाला है. अभी शिक्षा नीति में, हम यह जानते हैं कि जो परिवर्तन किए हैं. जो सीएम राइज स्‍कूल व शाला भवन हैं, उनकी मरम्‍मत के लिए जो उसमें प्रावधान किया है, कई भवनों की रंगाई-पुताई हुई है, उसके कारण विद्यालय का वातावरण भी अच्‍छा हुआ है, कई विद्यालयों के उन्‍नयन करने की योजना हमारी सरकार ने बनाई है, उसके कारण शिक्षा क्षेत्र में और काफी बड़ा परिवर्तन हम देखेंगे, ऐसा मेरा विश्‍वास है. स्‍वास्‍थ्‍य के क्षेत्र में निश्चित रूप से बजट में जो प्रावधान किया है और जो अस्‍पतालों की दुर्दशा पहले थी, कोरोनाकाल के बाद, जो अस्‍पतालों की दशा ठीक हुई है. सब प्रकार के डॉक्‍टर्स, कई प्रकार की व्‍यवस्‍थाएं, कई प्रकार की प्रयोगशालाओं की स्‍थापनाएं, एबुंलेंस की व्‍यवस्‍थाएं, इस प्रकार की व्‍यवस्‍थाओं के कारण आज चिकित्‍सा क्षेत्र में काफी बड़ा परिवर्तन हमको देखने को आगे जाकर मिलेगा. आयुष औषधालयों के लिये भी जो प्रावधान बजट में किया गया है, उसका भी परिणाम और बहुत ज्‍यादा अच्‍छा आयेगा ऐसा मेरा विश्‍वास है.

सभापति महोदय, सड़कों के क्षेत्र में हम जानते हैं और अभी हमारे एक मित्र कह रहे थे कि प्रधानमंत्री सड़क योजना एक गांव से दूसरे गांव में नहीं मिल रहीं है. सुदूर सड़कें और खेत सड़क योजनाओं का प्रावधान हमारी सरकार ने किया है. आज कोई भी गांव ऐसा नहीं है, जहां पर और अच्‍छी सड़कें नहीं बनी हों. किसानों के जाने लिये हमारे खेतों से कच्‍चे रास्‍ते होते थे, आज खेतों पर जाने के लिये सुदूर सड़कें बन रही हैं और इस बजट में खेत सड़क योजना के लिये भी प्रावधान किया गया है, उसके कारण किसानों को बहुत बड़ा लाभ मिलने वाला है. अब वह सड़कों के क्षेत्र में भी काफी असुविधाओं से बच सकेंगे.

माननीय सभापति महोदय, कृषि के क्षेत्र में हम यह जानते हैं कि कृषि के लिये सिंचाई और बिजली ये दो आवश्‍यकताएं और प्रमुख रहती हैं, हम यह जानते हैं कि बिजली के क्षेत्र में और जब दस घण्‍टे फुल लोडेड बिजली मिल रही है, सिंचाई के क्षेत्र में जितनी योजनाएं और करोड़ों की योजनाएं हमारी सरकार ने बनाईं, उसका परिणाम आज हम देख रहे हैं कि किसानों की आमदनी दोगुनी होती हुई हम देख रहे हैं.

माननीय सभापति महोदय, मेरे क्षेत्र में जहां चंबल का पानी जो चंबल में भरा हुआ था, उसके लिये एक अदभुत योजना माईक्रो एरीगेशन बनाई है. चंबल का पानी 70 फिट जमीन में नीचे सुरंग खोदकर आठ किलोमीटर तक जमीन के अंदर सुरंग से पानी बाहर निकाला है, उसमें दो पि‍कअप चली जाये, इस प्रकार की सुरंग के द्वारा चंबल का पानी बाहर निकाला है, उसके कारण हमारे क्षेत्र में हर खेत में पानी है और इसलिये एक भी इंच जमीन ऐसी नहीं है, जहां पानी न होता हो. यह परिवर्तन किसानों के क्षेत्र में हुआ है, आप कभी आकर देखिये.

04.21 बजे                { सभापति महोदय (श्री हरिशंकर खटीक) पीठासीन हुए }

          माननीय सभापति महोदय, कृषि के क्षेत्र के अलावा ग्राम विकास में हम जब देखें तो पानी पीने की व्‍यवस्‍था और अब हम यह विचार करें कि आत्‍मनिर्भर मध्‍यप्रदेश और आत्‍मनिर्भर परिवार गरीबों की गरीबी दूर करने के लिये बजट में जितनी योजनाओं में प्रावधान किया गया है, तो आज एक परिवार को क्‍या चाहिये,उसको खाद्यान्‍न की व्‍यवस्‍था है, गेहूं, चावल की व्‍यवस्‍था है, उसके लिये शौचालय बना दिया, उसके लिये पक्‍का मकान बना दिया है, उसके लिये गैस का चूल्‍हा, सिलेंडर दे दिया और उसके लिये पानी पीने की व्‍यवस्‍था, जल जीवन मिशन और जल आयोग के द्वारा 14 सौ 62 करोड़ रूपये की योजना, अभी हमारे जिले में स्‍वीकृत हुई है, उसका काम भी शुरू हो गया है. चंबल नदी से पानी आकर और उसका फिल्‍टर प्‍लांट बनना शुरू हो गया है और शुद्ध पानी प्रत्‍येक घर में पहुंचने वाला है और उसके कारण गरीबों का जीवन बदलने वाला है, जो हम देख रहे हैं.

          माननीय सभापति महोदय, कई प्रकार की योजनाएं जैसे संबल योजना. आप आश्‍चर्य करेंगे कि आयुष्‍मान योजना के कारण कई परिवारों ने इलाज करवाकर आये हैं, आप उनसे जाकर पूछेंगे तो आपको आश्‍चर्य होगा, वह बोलते हैं कि हमारा जीवन सुधर गया, नहीं तो इलाज के अभाव में हम भगवान को प्‍यारे हो जाते,  इस प्रकार से आयुष्‍मान योजना प्रारंभ की गई. संबल योजना के कारण कई परिवारों के मुखिया जिनकी किसी दुर्घटना में मृत्‍यु हो गई और उसके परिवार को संबल योजना का लाभ मिलने के कारण उसके बच्‍चे, जो महिलाएं, जो मजदूरी करते थे, उनका जीवन सुधर गया है, ऐसी संबल योजना का हमारी सरकार ने प्रावधान किया है और इसलिये आज मैं इस बजट में जो प्रावधान किये गये हैं,उनका समर्थन करते हुए अपनी बात समाप्‍त करता हूं, बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          श्री प्रियव्रत सिंह(खिलचीपुर) -- माननीय सभापति महोदय, बड़ा जोरदार बजट है, ऐसा बजट जिसका समर्थन कैसे करें यह समझ में नहीं आ रहा है. मैं शुरूआत माननीय सभापति महोदय, इस बात से करूंगा कि ऊर्जा के क्षेत्र में यहां बहुत सारे साथियों ने बहुत सारी बातें की हैं, कांग्रेस के समय कितनी इंस्‍टॉल्‍ड केपीसिटी थी? कितने मेगावॉट बिजली का उत्‍पादन होता था? आज कितने मेगावॉट बिजली का उत्‍पादन हो रहा है? कितनी इंस्‍टॉल्‍ड केपीसिटी है? पर किसी ने यह कागज ध्‍यान से नहीं पढ़ा, अगर आप ध्‍यान से पढ़ते तो इसमें यह लिखा है कि 23 हजार करोड़ रूपये से ऊपर की सब्‍सिडी हर वर्ष दी जायेगी और प्रावधान किया है 18 हजार करोड़ रूपये का, तो क्‍या फिर पांच हजार करोड़ रूपये वित्‍तमंत्री कहीं ओर से व्‍यवस्‍था करेंगे या कोई व्‍यक्तिगत व्‍यवस्‍था करने वाले हैं? यह बताने की कृपा करें.

माननीय सभापति महोदय, मेरे कई साथी मुस्‍कुरा रहे हैं, जब गांव की बिजली कटी हुई है, ट्रांसफार्मर उतारे गये हैं और लगभग-लगभग अगर फाइनेंशियल डेफिसिट है तो 35 हजार करोड़ रूपये से ज्‍यादा की आवश्‍यकता ऊर्जा विभाग को है, जिसके विरूद्ध आप आधा पैसा दे रहे हैं. मुस्‍कुरालो, हंस लो अभी बहुत सारे साथी बड़े मुस्‍कुरा, मुस्‍कुरा के भाषण दे रहे हैं पर जब बिजली नहीं मिलेगी, गांव में अंधेरा होगा और आप  न कोयला खरीद पायेंगे न आप जनरेटिंग कंपनी चला पायेंगे.

          श्री दिलीप सिंह परिहार--  आप तो दुआयें करों बिजली अच्‍छी मिले.

          श्री प्रियव्रत सिंह--  आपके नीमच में तो सबसे ज्‍यादा, आप खड़े हो रहे हैं बहुत अच्‍छा है, पर माननीय सभापति महोदय, पूरे 52 जिलों में और नीमच में खासकर बिजली बंद है और आज जब बोर्ड की परीक्षायें चल रही हैं तब यह परिस्थिति बनी हुई है.

          श्री दिलीप सिंह परिहार--  नीमच जिलें में सौर ऊर्जा का प्‍लांट लगा हुआ है, दाता बने हुये हैं बिजली देने के मामले में.

          श्री प्रियव्रत सिंह--  माननीय सभापति महोदय, जनरेटिंग कंपनी की हालत खस्‍ता है, आपको जितना पैसा देना चाहिये था आपने नहीं दिया, आपको करीबन 15 हजार करोड़ रूपये का प्रावधान तो सिर्फ जनरेटिंग कंपनी के लिये करना था ताकि आपकी जो जनरेशन की इंस्‍टॉल केपेसिटी है वह आप पूरी चला सकें और बड़ा आश्‍चर्य होता है जब बिना बिजली खरीदे गुजरात के एक पॉवर प्‍लांट को 17 रूपये यूनिट के मान से 50 मेगावाट का पेमेंट हर साल मध्‍यप्रदेश करता है. एक तरफ तो वह किसकी कंपनी है, वित्‍त मंत्री जी जांच करवायेंगे क्‍या, किसकी कंपनी है जिसको 17 रूपये प्रति यूनिट से 50 मेगावाट का पेमेंट हो रहा है और गुजरात का यह गैस आधारित बिजली का कारखाना मध्‍यप्रदेश के रहमोकरम पर चल रहा है और गुजरात में क्‍यों चल रहा है यह गैस उत्‍पादन का कारखाना आप मध्‍यप्रदेश में बना लेते तो हो सकता था मध्‍यप्रदेश में कुछ लोगों को रोजगार मिल जाता, पर गुजरात के कारखाने को आप पोषित कर रहे हैं.

          माननीय सभापति महोदय, यही नहीं जो आपका सरदार सरोबर बांध से हिस्‍सा बनता है यहां बड़वानी जिले के हमारे विधायक बैठे हैं और भी हमारे आदिवासी क्षेत्र के विधायक बैठे हैं जिनकी जमीन डूबी सरदार सरोबर में, जितना हमारा शेयर है 63 प्रतिशत का उसमें से आधा भी आप ड्रा नहीं कर रहे हैं तो आप गुजरात की सरकार का हिस्‍सा हैं या मध्‍यप्रदेश की सरकार का हिस्‍सा हैं. मैं मानता हूं कि अगर गुजरात के ऊपर ऊंगली उठाओगे तो कुर्सी चटक जायेगी, सब अपनी-अपनी कुर्सी बचाओ पर मध्‍यप्रदेश के साथ तो न्‍याय करो जिस 7 करोड़ जनता ने चुनकर आपको यहां बिठाया है उसके साथ तो न्‍याय करो, उसके साथ आप न्‍याय नहीं कर रहे, आप अपनी कुर्सी बचाने के चक्‍कर में गुजरात की सरकार को मदद कर रहे हैं और यही नहीं अब क्‍या कहें बिजली तो बहुत दूर की बात है, शेर, तेंदूए ही भेज दिये वहां और वहां से तोते लेकर आये, वह तोते हैं कि उड़ गये.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र-- (अपनी सीट पर बैठे बैठे) छिपकली वाले के पास चले गये.

          श्री प्रियव्रत सिंह--  यह छिपकली वाला कौन है साहब यह भी बता दें. माननीय सभाप‍ति महोदय, आप छिपकली वाले की बात तो छोड़ो अब आपके जाने का समय आ रहा है 7 महीने बाद, उसके बाद विचार करना. 

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र-- (अपनी सीट पर बैठे बैठे) 20 साल से ऐसे ही सोच रहे हो.

          श्री प्रियव्रत सिंह--  जुमले, जुमलों से भरा बजट. माननीय सभापति महोदय, खेती में देख लो, कृषि के मामले में यह एक बड़े जोरदार आंकड़े हैं, प्राकृतिक खेती की बात माननीय मुख्‍यमंत्री जी यहां से करते हैं, 19 साल में 72 हजार किसानों को मध्‍यप्रदेश में प्राकृतिक खेती से लाभांवित किया और भाषण 2 घंटे का हर जिले में और आंकड़ा आता है 72 हजार. मोटा अनाज इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स यह तो दिल्‍ली में भी इसकी जांच होगी माननीय वित्‍त मंत्री जी कि आपने इसमें क्‍या कदम उठाया, न के बराबर कदम आपने उठाया जबकि मोटा अनाज और यह जो मिलेट्स हैं यह हमारे प्रदेश में चाहे बुंदेलखंड हो, चाहे बघेलखंड हो, चाहे मालवा हो, हमारे सारे इलाकों में इसकी खेती बहुत अच्‍छे तरीके से की जा सकती है. सभापति महोदय, आप भी बुंदेलखंड से आते हैं.

          सभापति महोदय--  बिलकुल.

          श्री प्रियव्रत सिंह--  आपके यहां भी यह खेती होती है, पर क्‍या प्रोत्‍साहन मिला, कोई प्रोत्‍साहन नहीं मिला, हमारे कई साथी यहां पर बैठे हैं और माननीय सभापति महोदय...

          श्री बाला बच्‍चन-- (अपनी सीट पर बैठे-बैठे) आपने तो आसंदी से हां कहलवा दिया.

          श्री प्रियव्रत सिंह--  सभापति महोदय भी मेरी बात से सहमत हैं.

          सभापति महोदय--  आपने कहा कि आप बुंदेलखंड से हैं तो हमने कहा कि हां हम बुंदेलखंड से हैं.

          श्री प्रियव्रत सिंह--  माननीय सभापति महोदय, हर जगह ऐसे ही जुमले हैं इसमें कोई बात ऐसी नहीं है जिस पर विश्‍वास किया जा सके. आप लोग अभी कह रहे थे, कर्जमाफी की बात की, अभी बहुत सारे हमारे साथियों ने की कि कांग्रेस ने धोखा दे दिया. माननीय सभापति महोदय, 10 दिन के भीतर प्रक्रिया प्रारंभ की गई.  फार्म भराए गए. गलत लोगों के नाम हटाए गए. ऐसे लोगों के जो सरकारी सेवा में है. ऐसे लोग जो इनकम टैक्स देते हैं. ऐसे लोग जो जनप्रतिनिधि हैं जिनकी जेबों में माल भरा हुआ है और उनके पास किसी की जमीन है और उन्होंने ऋण ले रखा था. ऐसे लोगों के नाम हटाकर किसानों को ऋण माफी दिलाने का काम हमारी कमलनाथ जी की सरकार ने करके दिखाया साढ़े ग्यारह हजार करोड़ रुपये का. 27 लाख किसानों को लाभान्वित हमने 15 महिने में कर दिया. आप 20 साल में 27 लाख किसानों के लिये आपने क्या किया. क्या आपने खेती की आमदनी दुगुनी कराई. आपने उनको उचित मूल्य दिलाया. माननीय मुख्यमंत्री महोदय के वीडियो हैं सोशल मीडिया पर कि 2100 रुपये में गेहूं तो क्या खेत की मिट्टी खरीद लूंगा. मैंने नहीं कहा मुख्यमंत्री जी ने कहा जब वे पूर्व मुख्यमंत्री थे. यह भी कहा था कि 200 रुपये से ऊपर का बिल आये तो जमा मत करना. कोई बिजली काटने आये तो मामा जोड़ने आयेगा. यह भी कहा था. सभापति महोदय, यह अलग बात है परंतु आज कीमत पूछी जाए तो आज भी समर्थन मूल्य मध्यप्रदेश में 2100 रुपये से नीचे है. इसको बढ़ाना चाहिये. 3 हजार करो 3 हजार न करो तो 2500 करो परंतु बढ़ाओ तो सही. अरे, इनसे तो इतनी उम्मीद नहीं. 3 हजार होगा 2024 में कांग्रेस की सरकार 3 हजार रुपये खरीदेगी. यह 7 लाख हेक्टेयर की सिंचाई थी 65 लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षमता हो जायेगी. मेरे ही जिले में मेरे विधान सभा क्षेत्र में 2 वृहद सिंचाई परियोजनाओं के काम प्रगति पर हैं और 2013 से प्रगति पर हैं. तालाब बन गये. उद्घाटन हो गये लेकिन पाईप लाईन ढंग से नहीं डली आज तक. 10 हजार हेक्टेयर का नया कांट्रेक्ट हमारी सरकार में हुआ. उसमें 70 प्रतिशत काम हो गया. गुना की कंपनी है. 2019-20 में उसका कांट्रेक्ट हुआ जब कांग्रेस की सरकार थी. जो दस हजार हेक्टेयर इलाका मेरे विधान सभा क्षेत्र में छूटा हुआ था परंतु एल.एण्ड टी., अब एल.एण्ड टी. से क्या रिश्ता है सरकार का यह समझ में नहीं आता सभापति महोदय. 2016 में कांट्रेक्ट हुआ और आज तक 40-45 प्रतिशत से ऊपर काम नहीं हो पाया. आज भी राजगढ़ जिले में निकल जाओ तो सड़क के किनारे पाईपों की लाईन लगी रहती है. मोहनपुरा परियोजना में राजगढ़ और खिलचीपुर तहसील का छोटा हिस्सा चालू हुआ वहां पर भी रोज पाईप फूटते हैं और वहां पर प्रेशर पाईप लाईन आपकी फेल हो रही है अगर इस पर कदम सरकार ने नहीं उठाए और क्वालिटी पर कंट्रोल नहीं रखा तो यह योजनाएं फेल होने की कगार पर आ जायेंगी. यह प्रेशर पाईप लाईन की आप दुहाई दे रहे हो. यह टेक्निकल मामला है. अच्छे सलाहकार आपको रखना चाहिये. उनकी सलाह लो. उनकी सलाह मान लोगे तो मध्यप्रदेश के किसानों को लाभ होगा क्योंकि आपकी पाईप लाईन फूट रही हैं. आपकी पाईप लाईन सही तरीके से नहीं डाली गई हैं और यदि सही तरीके से पाईप लाईन नहीं डाली गईं तो खेत तक पानी नहीं पहुंच पाएगा. आपने जल जीवन मिशन में बहुत सारा प्रावधान किया है. हमारे ही क्षेत्र राजगढ़ में जो जल जीवन मिशन का काम चल रहा है वह निहायत ही घटिया किस्म का चल रहा है. माननीय मुख्यमंत्री जी मेरे विधान सभा क्षेत्र में गये. मैंने उनसे मंच से अनुरोध किया कि माननीय मुख्यमंत्री जी खराब काम चल रहा है. मैं भोपाल जाकर मीटिंग करूंगा यहां तक कि एक बार मुख्यमंत्री जी खुद एक बार अपने विधान सभा क्षेत्र में बुधनी गये और वहां जनता ने बोला कि जल जीवन मिशन का पानी नहीं आ रहा है. आनन-फानन में मुख्यमंत्री निवास पर मीटिंग बुलाई गई. पीएचई के सारे लोग बुलाए गए और उसके बाद भी आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई. न उनके विधान सभा क्षेत्र में पानी मिल पा रहा है न मेरे विधान सभा क्षेत्र राजगढ़ में पानी मिल रहा है. जब मुख्यमंत्री के क्षेत्र में घटिया काम हो रहा है. तो फिर प्रदेश में हम क्या विचार करें और हम अपनी विधान सभा  के बारे में क्या कहें इस विधान सभा में खड़े होकर.  आज पूरा राजगढ़ जिला  खुदा हुआ है.गांव में पाइप लाइनें खुदी  हुई हैं. कोई काम नहीं हो रहा है और  एलएंडटी पर कार्यवाही करने से  सब बचते हैं. यहां  के राज्यमंत्री पहुंचे थे  जिले में. बड़ी बड़ी हेडलाइंस  छपीं कि एफआईआर दर्ज की जायेगी. कोई एफआईआर दर्ज  नहीं की गई  और आज भी उम्मीद नहीं है कि चुनाव  से पहले वहां पर  पानी पहुंच सके.तो मेरा यह निवेदन है  कि आप अगर यह सब बजट प्रावधान  कर रहे हैं और इतना घटिया काम हो रहा है और ठेकेदारों  को प्रोटेक्शन मिल रहा है, तो क्या हो रहा है.  खेल कहां हो रहा है. गड़बड़ कहां हो रही है.  इसकी जांच कौन करेगा.  मेरा एक अनुरोध है कि हमारे यहां   अभी जो बजट छपा टेबलेट  में मैंने भी बजट पढ़ा.  बड़ा जोरदार था, टेबलेट  में था.  हमारे कई विधायक साथी उसको ध्यान  से देख रहे थे कि जिले का  नाम मिल  जाये. पीडब्ल्यूडी के बजट  में  राजगढ़ जिले का एक नाम नहीं.  हमने सिंचाई विभाग का बजट खोला, मैंने कहा कि हो  सकता है कि  अभी तो सलाहकार बना रहे हैं बड़े  भाई  साहब  कि कुछ व्यवस्था की हो. तो उसमें कोई नाम नहीं.  अगर ऐसा सौतेला व्यवहार होगा  और प्रदेश के साथ  ऐसा  खिलवाड़  होगा, तो कैसे काम चलेगा.  मेरा आपसे अनुरोध है कि  आप चीते लेकर आये.  300 करोड़ रुपये की लागत से  चीते आये यहां पर.  कहां, कोई तो नामीबिया से आया, कोई साउथ अफ्रीका से आया. यह जो कूनो का राष्ट्रीय उद्यान  है, यह तैयार किया गया था  एशियाटिक लॉयन के लिये.

          श्री सज्जन सिंह वर्मा-- प्रियव्रत जी, एक मिनट. सभापति जी, बड़ा अच्छा विषय है.  कूनो में   इतने  सारे चीते आये.  श्योपुर में करोड़ों करोड़ रुपये  खर्च हुआ.  दुर्भाग्य है मध्यप्रदेश का कि श्योपुर जिला जहां यह चीते लाये गये,  सबसे ज्यादा कुपोषित यदि मध्यप्रदेश  में कोई जिला है, तो श्योपुर है. यदि यह राशि  उन कुपोषित बच्चों के लिये खर्च  की जाती तो  शायद यह दाग हमारे माथे से  मिट जाता.

          श्री प्रियव्रत सिंह-- और वह अब तो  अफ्रीका से  आये हुए मेहमान भी  कुपोषित हैं.  उनके पोषण के लिये भी कोई ध्यान नहीं दे रहा है.   उन चीतों की भी जांच कराई जाये कि उनको पोषण तो मिल रहा है.  वह तो मेहमान हैं  न अफ्रीका  से  लाये हुए.  वह भी कुपोषित हो गये,  तो फिर क्या परिस्थिति बनेगी.  यह  एशियाटिक लॉयन के लिये तैयार किया गया था.  गुजरात  से लॉयन  आना था, पर गुजरात में तो एक लॉयन है, जो यहां के सभी लोगों को डरा देता है एक दहाड़ में. तो लॉयन लाने की बात तो दूर,  नामीबिया से  से चीता  लेकर आये.  अगर आप लॉयन लेकर आते  हमारे यहां पर, तो हम मानते कि दम है मध्यप्रदेश की सरकार में.  यहां से टाइगर भेजे,  अब वहां से  क्या लाये,  उसके बदले में तो    यह बात पहले ही   आ चुकी है.   (श्री सज्जन सिंह वर्मा,सदस्य द्वारा बैठे  बैठे बोलने पर कि  निलम्बित  होना  है क्या.) कर दें निलम्बित.  वैसे भी 2-4 दिन की विधान सभा बची है.  अगर करना चाहें तो. कमल पटेल जी मुस्करा रहे हैं, पर आपकी नहीं चलेगी.  आपकी वहां पर नहीं चलती है.

          श्री कमल पटेल -- कमल हमेशा ही मुस्कराता है और हमेशा ही खिलेगा.

          श्री प्रियव्रत सिंह-- कमल कीचड़  में खिलेगा. सभापति महोदय, यही नहीं,  हमारे शिक्षा मंत्री जी बिराजमान हैं.  सीएम राइज स्कूल खोले जा रहे हैं.  अब सीएम राइज स्कूल में आप ने  जो ट्रांसपोर्टेशन  की व्यवस्थाओं  के जो  पेरामीटर तय किये हैं,  वह इतने कड़े हैं कि  ज्यादा   जिलों में  उनके टेंडर ही नहीं हो पाये हैं.  सभापति महोदय, मुझे लगता है कि आपके  जिले में भी नहीं हुआ होगा.  मेरे विधान सभा क्षेत्र में  जिस सीएम राइज स्कूल  में आप  बच्चों को लाने की व्यवस्था की दुहाई देते हैं,  वहां पर बच्चों के माता पिता ने,  पेरेंट्स ने पैसा इकट्ठा करके  अपने बच्चों को स्कूल  पहुंचाने के लिये वेन हायर  की हैं. सरकार की वेन्स वहां उपलब्ध नहीं हो पाईं और ज्यादातर  जो सीएम राइज स्कूल हैं, वहां पर खेलने और  बच्चों के जिम लगा दिये हैं, पर वहां पर पुख्ता व्यवस्थाएं  नहीं हुई हैं.   न ही स्मार्ट क्लास के निर्माण हुए हैं और अब 9 हजार और  आप सीएम राइज के स्कूल   खोलेंगे.  आप सीएम राइज के स्कूल खोलें, पर अगर मेरे जिले  राजगढ़  में  तो अधिकांश शालाओं में टीचर  ही नहीं हैं.  टीचर विहीन हैं शालाएं और  टीचर विहीन शाला को अगर आप सीएम राइज  का  स्कूल  भी बना देंगे, तो  जब वहां पर शिक्षक ही नहीं होगा, तो वहां  सीएम राइज स्कूल का हम क्या करेंगे और पूरे प्रदेश का यही हाल है.

          श्री पी.सी. शर्मा-- प्रियव्रत  सिंह जी, एक मिनट.  सभापति महोदय, आपको पता है कि  मुंगेरी लाल मर गया.  उसने जब बजट देखा  कि मेरे सपनों से भी  यह आगे  है,  तो वह देखकर मर गया. ..(हंसी)..

श्री प्रियव्रत सिंह - सभापति महोदय, मेरा तो यह अनुरोध है कि पहले आप शिक्षकों की व्यवस्था करें. आप स्कूल के इंफ्रास्ट्रक्चर की व्यवस्था करें. वहां पर बच्चों को लाने ले जाने की व्यवस्था करें. इसके ऊपर ध्यान दें. आप संख्या बल पर ध्यान दे रहे हैं कि हमने 9000 बना दिये, हमने 6000 बना दिये, हमने 4000 बना दिये, क्या करेंगे उन स्कूलों का जब उनमें कुछ होगा ही नहीं? जब उनमें शिक्षा का स्तर ही नहीं होगा, यही हालत आपके अस्पतालों की है. इसमें लिखा है कि 12000 से ऊपर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बनाए गए. मध्यप्रदेश में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों की क्या हालत है? डॉक्टर तो बहुत दूर की बात कम्पाउंडर नहीं हैं, ड्रेसर नहीं हैं, नर्स नहीं हैं, दवा नहीं है और दरवाजे नहीं खुलते हैं, ताले लगे रहते हैं, इन हालात में अगर यहां की स्वास्थ्य व्यवस्थाएं हैं तो आप मेडीकल कॉलेज का क्या करेंगे? भूमि पूजन आपने कर दिया, आप तो संतुष्ट हो जाते हैं. अभी एक मंत्री जी कह रहे थे कि भूमि पूजन करेंगे. हमारे शिक्षा मंत्री जी कह रहे थे कि आने वाले समय में हम भूमि पूजन करेंगे, क्या भूमि पूजन टारगेट है कि जनता को सुविधा दिलाना इस सरकार का टारगेट है, यह मुझे बताने की कृपा करें?

सभापति महोदय, मैं इस बजट से बिल्कुल सहमत नहीं हूं, शिक्षा के क्षेत्र में यह फेल है, कृषि के क्षेत्र में यह फेल है और स्वास्थ्य के क्षेत्र में यह फेल है, सिंचाई के क्षेत्र में जो काम हो रहा है वह पूरे प्रदेश में घटिया हो रहा है, वह कारम डेम का तो उदाहरण है ही, परन्तु यह प्रेशर पाइप लाईन राजगढ़ की, यह भी एक बहुत बड़ा कारण बनेगा. पीएचई के मामले में घटिया काम हो रहा है. आप आंकड़ों में गांव जोड़ रहे हैं परन्तु उन गांवों में पानी सही तरीके से उपलब्ध नहीं करवा पा रहे हैं. आपकी सरकार इन सारे मोर्चों पर फेल हो चुकी है और आप सिर्फ (XXX) में हैं.

सभापति महोदय, आखिर बात, लाड़ली बहना, बहुत अच्छा, द्वापर युग में भी एक भाई था, जिसकी थी लाड़ली बहना, उसने सत्ता प्राप्ति के लिए अपनी बहन की आंखों पर पट्टी बांध दी और गांधार नरेश ने हस्तिनापुर में आकर राज किया, वैसे का वैसे ही मध्यप्रदेश में होने जा रहा है, इसलिए मैं इस बजट का विरोध करता हूं और यह बजट झूठ का पुलिंदा है. सभापति महोदय, धन्यवाद. (श्री कमल पटेल, सदस्य के बैठे-बैठे कुछ कहने पर) बजट का विरोध कर रहा हूं और लाड़ली बहना योजना में जो आप (XXX) कर रहे हो, उसका विरोध कर रहा हूं. (XXX), आप जिनको सपने दिखा रहे हो, उनको आप राशि नहीं देने वाले. जून में फार्म भराएंगे, जुलाई में राशि मिलेगी, अगस्त में चुनाव हो जाएंगे और उसके बाद जय हिन्द. अगर आपको इतनी ही बहनों की चिंता है तो एक साल का पैसा एडवांस खाते में डालिए फिर मानेंगे कि आपकी सरकार चल रही है.

श्री दिलीप सिंह परिहार - आपने 2 लाख रुपये एडवांस खाते में नहीं डाले थे, आपको 2 लाख रुपये एडवांस खाते में डालना थे?

श्री बापूसिंह तंवर - लाड़ली बहना की अगर इनको इतनी चिंता है तो गैस की टंकी फ्री कर दो, सब लाड़ली बहनों को फायदा मिल जाएगा.

श्रीमती मनीषा सिंह (जैतपुर) - सभापति महोदय, मध्यप्रदेश के इस बजट का मैं समर्थन करती हूं और माननीय मुख्यमंत्री जी को बहुत बहुत धन्यवाद देती हूं कि मध्यप्रदेश में "यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः ।" अर्थात् जहां नारी की पूजा होती है, जहां नारी का सम्मान होता है, वहां देवता का वास होता है, यह बात चरितार्थ होती है. हमारे मध्यप्रदेश के इस बजट के माध्यम से, चूंकि इस बजट के माध्यम से मध्यप्रदेश में जिस तरह से महिलाओं के सम्मान में, महिलाओं को आगे बढ़ाने में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए और सशक्त मध्यप्रदेश बनाने के लिए जिस तरह से महिलाओं के लिए योजनाएं बनाई गई हैं.

डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ - यह कोट भी आप पढ़ दीजिए, यह भी चला आया (XXX) यह भी कहा गया है.

            श्रीमती मनीषा सिंह - सभापति महोदय, जो बजट दिया गया है उसका मैं बहुत सम्मान करती हूं कि ऐसे यशस्वी मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश के जिन्होंने यह सोचा और यह विचार किया, ऐसा कि महिलाओं की  जो पीड़ा होती है, दुख होता है, नारी को सम्मान देने की बात अगर हमारे यशस्वी मुख्यमंत्री जी ने की है तो निश्चित ही यह एक स्वागत योग्य योजना है. इसके माध्यम से आज हम देखते हैं कि गरीब कल्याण से लेकर महिलाओं तक के लिए आज बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना के माध्यम से जिस तरह से आज समाज में मध्यप्रदेश में जन जागरुकता फैलाई गई है उसके माध्यम से आज महिलाओं को एक सम्मानजनक स्थान प्राप्त हुआ है. मध्यप्रदेश की महिलाएं आज सशक्त हुई हैं, आगे बढ़ रही हैं. आज हम देखते हैं कि जिस तरह से कन्या रत्न की पहली किलकारी के साथ, अगर परिवार में बेटी की किलकारी आती है, उस किलकारी के साथ हमारी बेटियों को इस लाड़ली लक्ष्मी योजना के माध्यम से जोड़ा जाता है. जैसे ही बेटी जन्‍म लेती है उसे लाड़ली लक्ष्‍मी योजना के माध्‍यम से जोड़ा जाता है और जब बेटी पांचवीं पढ़ने के बाद छठवीं में जाती है तो उसे 2,000 की राशि और इसके बाद नौवीं में जाती है तो उसे 4,000 की राशि और इसके बाद ग्‍यारहवीं में जाती है तो उसे 6,000 की राशि, बारहवीं में जाती है तो 6,000 की राशि मिलती है और इसके बाद जब वह 18 वर्ष की होती है तो उसे लखपति की श्रेणी में रखा जाता है.  इसके बाद लाड़ली लक्ष्‍मी योजना-2 के अंतर्गत जब बेटी कॉलेज में पढ़ने जाती है तो वहां भी 25,000 की राशि उस बेटी को दी जाती है. फर्स्‍ट इयर में वह प्रवेश करती है तो साढ़े बारह हजार की राशि और इसके बाद फाइनल करती है तो उसे साढ़े बारह हजार, इस प्रकार उसे 25,000 रुपये की राशि देकर माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने हमारी लाड़ली बेटियों को आगे बढ़ाने का काम किया है और उनका भविष्‍य सशक्‍त हो, भविष्‍य उज्‍ज्‍वल हो, इसके लिये यह लाड़ली लक्ष्‍मी योजना है. निश्चित ही एक बेटी जन्‍म लेती है, किलकारी लेती है तो वह उस समय नहीं सोचती कि मैं वोटर हूँ, मैं वोट डालने जाऊंगी, लेकिन हमारे माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने जिस तरह से बेटियों को मजबूत बनाने के लिये कि बेटियां हमारे आगे भविष्‍य की नारी होगी, आगे उनका भविष्‍य सुनहरा हो, इसके लिये आज लाड़ली लक्ष्‍मी योजना के माध्‍यम से हमारी बेटियों को आगे बढ़ाने का काम किया है. यह योजना वर्ष 2007 से प्रारंभ होकर आज माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने 44 लाख 3,900 बालिकाओं को लाभान्वित किया है और आज वर्ष 2023-24 के इस बजट में 929 करोड़ रुपये लाड़ली लक्ष्‍मी योजना के लिये प्रस्‍तावित हैं इसके लिये मैं माननीय मुख्‍यमंत्री जी को बहुत-बहुत धन्‍यवाद देती हूं कि आपने लाड़ली बेटियों के लिये यह राशि तय की और इसी तरह से आज हम देखते हैं कि मध्‍यप्रदेश में ऐसी 47 लाख से अधिक स्‍वसहायता समूह की बहनें काम करती हैं. आज हम देखते हैं कि गांव-गांव में स्‍वसहायता समूह की बहनें आत्‍मनिर्भर हो रही हैं, स्‍वावलंबी हो रही हैं. आज यह छोटे से स्‍वसहायता समूह की बहनें गांव में एक स्‍वरोजगार स्‍थापित कर रही हैं और इस स्‍वरोजगार को स्‍थापित करने से एक मजबूत हमारा स्‍वसहायता समूह हो रहा है. आज गांव-गांव में अगर कहीं किसी के पास रोजगार नहीं है, सर्विस नहीं है, लेकिन आज हमारी जो बहनें दसवीं पढ़ने के बाद शादी हो जाती थी, बारहवीं पढ़ने की बाद शादी हो जाती थी, लेकिन आज इन स्‍वसहायता समूह के माध्‍यम से उन्‍हें गांव में एक अच्‍छा छोटा स्‍वरोजगार स्‍थापित करने का मौका मिला है और यह माननीय मुख्‍यमंत्री जी का कि हमारी बहनें आत्‍मनिर्भर बनें, स्‍वावलंबी बनें इस सोच को, इस दृष्टिकोण को स्‍थापित करने के लिये आज स्‍वसहायता समूह की बहनें गांवों में काम करती हैं और इसलिये ऐसी हमारी 47 लाख से अधिक मध्‍यप्रदेश में स्‍वसहायता समूह की बहनें हैं. इसका लाभ हमारी स्‍वसहायता समूह की बहनें ले रही हैं.

            सभापति महोदय, इसी तरह से मध्‍यप्रदेश के यशस्‍वी मुख्‍यमंत्री ने हमारी बैगा महिलाओं को कुपोषण से बचाने के लिये, कुपोषण से इन्‍हें लड़ने के लिये 1,000 की राशि तय की थी और अभी हम विकास यात्रा के माध्‍यम से क्षेत्र में जाते थे तो लोग हमें कहते थे, हमारी जो बैगा महिलाएं थीं कि विधायक जी हमें 1,000 रुपये जो माननीय मुख्‍यमंत्री जी दे रहे हैं हम माननीय मुख्‍यमंत्री जी को धन्‍यवाद देते हैं कि हम जो पिछड़ी जनजाति से आते हैं, समाज के अंतिम छोर में हम लोग रहते हैं, गांवों में रहते हैं और हमारे लिये हमारे माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने सोचा कि 1,000 रुपये हमारी बैगा महिलाओं को दे रहे हैं पोषण आहार के लिये जिससे वह भी मजबूत रहें, वह भी अपने परिवार में अच्‍छी स्‍वस्‍थ रहें इसके लिये 1,000 रुपये की राशि हमारी बैगा महिलाओं को दी जा रही है. इसके लिये भी मैं माननीय मुख्‍यमंत्री जी को धन्‍यवाद देती हूं और इसी के तहत जैसे अभी लाड़ली बहना योजना के माध्‍यम से हमारे सभी वर्ग की महिलाओं को जो कि आर्थिक रूप से बहुत कमजोर हैं, जिनकी आय ज्‍यादा नहीं है ऐसी महिलाओं को लाड़ली बहना योजना के माध्‍यम से जोड़ने का काम हमारे माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने किया कि हम यह बैगा महिलाओं को तो देते ही हैं लेकिन इसके अलावा हमारी सभी सर्वहारा वर्ग की जो महिलाएं हैं, आर्थिक रूप से कमजोर हैं, ऐसी भी महिलाओं को 1,000 की राशि दी जाए. अभी हम लोगों ने देखा कि जो पेंशन पाती थीं 600 रुपये जो वृद्ध माता पेंशन पाती थीं, उन्‍हें भी 1,000 की राशि दी जाएगी. जिस तरह से वृद्ध माता को 1,000 की राशि मिलेगी उसी तरह से उस घर में रह रही बहू को भी 1,000 की राशि मिलेगी. इस तरह सास और बहू दोनों को एक-एक हजार रुपये की राशि मिलेगी, जिससे कि उसके परिवार का एक सम्‍मान रहेगा और सम्‍मानजनक रूप से वह अपना जीवन यापन कर सकेगी.

          सभापति महोदय, इसी तरह से 'समृद्ध मध्‍यप्रदेश' के तहत हमारे किसान भाइयों को भी सशक्‍त बनाने के लिए हमारे माननीय मुख्‍यमंत्री जी की ओर से 4 हजार रुपये की राशि और माननीय प्रधानमंत्री जी की ओर से 6 हजार रुपये की राशि दी जा रही है. हमारे माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने वर्ष 2022-23 में 2500 करोड़ रुपये की राशि हमारे किसानों को दी है. हमारे किसान भाई मजबूत हों, हमारे किसान भाई खेती को लाभ का धंधा बनाएं, इसके लिए हमारी सरकार ने किसानों को आगे बढ़ाने के लिए यह राशि तय की, जिससे कि हमारे जो किसान भाई हैं, सर उठाकर जी सकें और अपने परिवार का अच्‍छी तरह से भरण-पोषण कर सकें. इसके लिए हम माननीय मुख्‍यमंत्री जी को धन्‍यवाद देते हैं कि इस बजट में किसान से लेकर हमारी बहनों तक के लिए हरेक तरह से योजना बनाई गई है और उनको ध्‍यान में रखकर बजट तैयार किया गया है. मैं माननीय मुख्‍यमंत्री जी को धन्‍यवाद देती हूँ.

          माननीय सभापति महोदय, साथ ही मैं वित्‍त मंत्री जी से अपने क्षेत्र के लिए कुछ मांगें रखना चाहती हूँ. बटूरा से खमरौद एक रोड है, इस रोड की मांग बहुत दिनों से हो रही है, यह रोड अगर बन जाएगा तो वहां पर आवागमन की सुविधा होगी. इसी तरह से जैतपुर से नगपुरा रोड की भी हमारे क्षेत्रवासियों की बहुत दिनों से मांग है. साथ ही एक कुनुक नदी है, कुनुक नदी में सिंचाई के लिए लिफ्ट इरिगेशन हो जाए और सोन नदी में भी लिफ्ट इरिगेशन के माध्‍यम से सिंचाई सुविधा हो जाए तो इससे भी हमारे किसान भाई आगे बढ़ेंगे. धन्‍यवाद.

          सभापति महोदय -- धन्‍यवाद मनीषा सिंह जी. आप बहुत अच्‍छा बोलीं.

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा -- मनीषा, बहुत अच्‍छा बोलीं, बधाई आपको, खूब अच्‍छा बोलीं, पहली बार बोलीं, एक वाक्‍य रह गया था तो अब बड़ी बहन बोल देंगी. 

          डॉ. विजयलक्ष्‍मी साधौ -- माननीय सभापति महोदय, मनीषा जी ने जो बोला, मुख्‍यमंत्री की तारीफ में जो कसीदे पढ़े कि लखपति बहना बन गईं. आज से तीन साल पहले सिर्फ 2-3 बहनों को ही करोड़पति बनाया, बाकी बहनों पर तो अत्‍याचार हो रहा है. तीन साल पहले सिर्फ तीन बहनों को ही करोड़पति बनाया, बाकी भी करोड़पति हो जाए तो ज्‍यादा अच्‍छा है.

          श्री विश्‍वास सारंग -- तीन साल पहले कमलनाथ जी की सरकार थी.

          श्री सोहनलाल बाल्‍मीक (परासिया) -- माननीय सभापति जी, वर्ष 2023-24 के बजट के विरोध में मैं अपनी बात रखना चाहता हूँ. जैसे हमारे सभी वक्‍ताओं ने सदन में अपनी बात रखी है. बजट के पक्ष में बहुत से लोगों ने अपने-अपने तरीके से अपनी बात रखी है. जिस तरीके से मेरा यह 10वां वार्षिक बजट है और इस 10वें वार्षिक बजट में जिस तरह से प्रावधान किए गए हैं, माननीय वित्‍त मंत्री जी ने जो प्रावधान किए हैं, अलग-अलग विभागों में अलग-अलग योजनाओं में राशि आवंटित की गई है. निश्‍चित रूप से यह उनकी सरकार की अपनी सोच है. यह उनके काम करने का अपना तरीका है. पर जितनी उम्‍मीदें प्रदेश की जनता को वित्‍त मंत्री जी से और सरकार से थीं, वह कहीं न कहीं खरी नहीं उतर पाई हैं, जिससे हम लोगों को बहुत निराशा हुई है.

          माननीय सभापति महोदय, साथ ही साथ बजट का प्रावधान तो कर दिया गया, बजट पेश भी कर दिया गया, पर मैं पिछले 10 वर्षों से देख रहा हूँ कि बजट प्रस्‍ताव आता है, बजट आता है, मगर हम जो इधर सदस्‍य बैठे हुए हैं, उन विधायकों के साथ, उन माननीय सदस्‍यों के साथ भेदभाव किया जाता है. जिस तरीके से बजट में प्रावधान रखते हैं और प्रावधान रखने के बाद सत्‍ता पक्ष के विधायकों के क्षेत्र में ज्‍यादा काम दिया जाता है, उनको ज्‍यादा योजनाओं का लाभ मिलता है और हम लोगों के साथ भेदभाव करके हमें बजट आवंटित नहीं किया जाता. इससे हमारे क्षेत्र में निराशा होती है और विकास के काम रुकते हैं.

          सभापति महोदय, निश्‍चित रूप से इस बात को ध्‍यान में रखना चाहिए कि यदि विधान सभा के सदस्‍य हैं और दूसरा पक्ष भी बैठा हुआ है और हम लोग भी विधान सभा के सदस्‍य हैं तो इस तरह का भेदभाव न करते हुए संपूर्ण विकास पर ध्‍यान दिया जाना चाहिए क्‍योंकि सरकार जब बनती है तो सरकार किसी पार्टी की नहीं होती. सरकार प्रदेश की जनता की होती है और जनता के हित में जो जरूरी काम होते हैं, उन सबको मिलकर करने की आवश्‍यकता होती है.

          माननीय सभापति जी, विकास यात्रा के संबंध में बहुत सारे लोगों ने बड़ी-बड़ी बातें कहीं. यह सरकार का योजनाबद्ध षड्यंत्र था कि विकास यात्रा के नाम से जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी ने अपना प्रचार-प्रसार किया और सरकारी अमले का जो दुरुपयोग किया. यह बहुत गलत था और मैं आपके माध्‍यम से माननीय वित्‍त मंत्री जी से पूछना चाहता हॅूं कि विकास यात्रा में जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी के प्रचार में जो खर्चा किया, क्‍या इस बजट के अंदर में उसका प्रावधान था. क्‍या सप्‍लीमेंट्री बजट में उसका प्रावधान था. जिस तरह से पंचायतों के अंदर में, नगरपालिकाओं के अंदर, नगर निगम के अंदर व्‍यवस्‍था बनायी गई, सारा सरकारी पैसा खर्च करके भारतीय जनता पार्टी ने इस विकास यात्रा में अपना प्रचार किया है, जो सरकार के माध्‍यम से एक अनुचित काम हुआ है. आज यदि आप इतना अच्‍छा काम करते, बहुत अच्‍छी आपकी सरकार की उपलब्‍धि होती, तो आप अपने भारतीय जनता पार्टी के बैनर पर अपना पैसा खर्च करते और जनता को बुलाते, तब पता चल जाता कि कितनी जनता आपके साथ में खड़ी होती. यह सरकारी अमले का उपयोग करके, जनता को इकट्ठा करके झूठी वाहवाही लूटने का जो काम किया गया, यह एकदम लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍था के विरूद्ध किया गया है, जो नहीं होना था, वह हुआ है.

          माननीय सभापति जी, बजट के संबंध में हमारे साथियों ने बहुत सारी बातें रखीं. मैं भी बजट के संबंध में यह कहना चाहता हॅूं कि बजट में मेरे छिंदवाड़ा जिले के साथ में आज भी भेदभाव हुआ है. जब कांग्रेस की सरकार थी, माननीय कमलनाथ जी मुख्‍यमंत्री थे तो माननीय कमलनाथ जी ने मेडिकल कॉलेज के लिए जो सीम्‍स कॉलेज बनाया गया था उसमें 1465 करोड़ रूपए का प्रावधान रखा था. उस 1465 करोड़ रूपए के बजट में सारी व्‍यवस्‍थाएं थीं. उसमें कैंसर, हार्ट, लीवर, किडनी का इलाज होता, वह सारी व्‍यवस्‍था उसके अंदर थी लेकिन कांग्रेस की सरकार गिरने के बाद में भारतीय जनता पार्टी की सरकार जब बनी, उस 1465 करोड़ रूपए के बजट को काटकर के 700 करोड़ रूपए कर दिया गया. मैं आपके माध्‍यम से वित्‍त मंत्री जी से पूछना चाहता हॅूं कि यह किस तरीके का भेदभाव है. क्‍या यह इस तरीके से कार्यवाही होती है कि एक सरकार अपना प्रस्‍ताव लाती है, प्रपोजल लाती है और किसी काम के लिए बजट देती है और जब दूसरी सरकार आती है तो इस तरीके का भेदभाव करके हमारे जिले की जनता, जिले के साथ में अनुचित व्‍यवहार किया जाता है. हमारे क्षेत्र की जनता को स्‍वास्‍थ्‍य का जो लाभ मिलना चाहिए था, उस लाभ को रोका जाता है.

          सभापति महोदय, आज हॉर्टीकल्‍चर कॉलेज की व्‍यवस्‍था हमारे क्षेत्र में बनी है लेकिन जिले में वह रूकी हुई है. एग्रीकल्‍चर कॉलेज का बजट नहीं मिल पा रहा है. विश्‍वविद्यालय कॉलेज का बजट नहीं मिल पा रहा है तो इस तरीके का व्‍यवहार छिंदवाड़ा जिले के साथ क्‍यों किया जा रहा है. मैं माननीय वित्‍त मंत्री जी से प्रश्‍न करना चाहता हॅूं.

          माननीय सभापति महोदय, साथ ही साथ शिक्षा के क्षेत्र की बात आ रही है चूंकि मेरा क्षेत्र एससी है. मैंने अभी जो जानकारी ली है उसमें पिछले 3 सालों से एससी और एसटी वर्ग के छात्र-छात्राओं को यूपीएससी या उच्‍च शिक्षा के लिये जो अनुदान मिलता था, वह पिछले 3 वर्षों से बंद पड़ा है तो इसकी भी स्‍थिति स्‍पष्‍ट होना चाहिए कि आखिर इस तरीके की बड़ी-बड़ी बातें होती हैं, शिक्षा की बातें होती हैं और जो उच्‍च शिक्षा प्राप्‍त करना चाहते हैं, यूपीएससी के कोचिंग सेंटर में जाना चाहते हैं, उनके लिए बजट में कोई प्रावधान नहीं किया जा रहा है. पिछले 3 सालों  से शिक्षा का यह काम बंद पड़ा हुआ है, इसमें भी आपको ध्‍यान रखना चाहिए.

          साथ ही साथ यहां शिक्षा के बारे में बहुत सारे बडे़-बडे़ बोल बोले गये कि माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने यह किया, माननीय शिक्षा मंत्री जी ने यह किया. मैं मेरे विधानसभा क्षेत्र की बात बताना चाहता हॅूं कि जो शासकीय शिक्षण संस्‍थाएं हैं आज भी मेरे विधानसभा क्षेत्र में 1600 शिक्षक कम हैं. बहुत सारी बातें होती हैं. सीएम राइज स्‍कूलों की बातें होंगी या कन्‍या परिसर की बातें होंगी. अनेक विद्या निकेतनों की बातें होंगी लेकिन आप देखें कि जहां शिक्षा की कमी होती है, क्‍या वहां  छात्र-छात्राएं शिक्षा प्राप्‍त कर सकते हैं तो यह चीजें सरकार को बचाने के लिए, सरकार की वाहवाही लूटने के लिए जिस तरीके से बातें रखी गईं, इसमें जो वास्‍तविकता है वह वास्‍तविकता हम सबके सामने है. मैं यह नहीं कह रहा हॅूं कि यह मेरे विधानसभा क्षेत्र में है, आप यदि एक-एक सदस्‍य से पूछेंगे तो जितने भी शिक्षण संस्‍थान हैं उन सभी जगहों पर सारे शिक्षक-शिक्षिकाओं की कमी है जिसके चलते कई विषयों के शिक्षक नहीं हैं और कई जगह क्‍लास नहीं लग पाती है और हम शिक्षा की बड़ी-बड़ी बातें करते हैं.

          माननीय सभापति महोदय, मैं माननीय शिक्षा मंत्री जी का ध्‍यान इस बजट के माध्‍यम से दिलाना चाहता हूँ.

          सभापति महोदय -- शिक्षा मंत्री जी, माननीय सदस्‍य बार-बार आपका नाम बोल रहे हैं.

          श्री सोहनलाल बाल्‍मीक -- सभापति महोदय, जब 3-4 मंत्री बैठ जाते हैं तो वह किसी गंभीरता को नहीं समझते.

          सभापति महोदय -- नहीं, वह सुन रहे हैं. वह आपकी बात को पूरा सुन रहे हैं.

          श्री सोहनलाल बाल्‍मीक -- सभापति महोदय, हंसी-मजाक में ही अपना समय बिता देते हैं. हमारे संसदीय मंत्री जी का तो यही काम है कि किस तरह से सदन को बिगाड़ा जाए.(हंसी).. और दोष हमारे ऊपर लग जाएगा कि विपक्ष बात करना नहीं चाहता, चर्चा करना नहीं चाहता. इस बजट के अंदर में जिस तरीके से पूरे प्रदेश के अंदर में आंगनवाड़ी की जो बात होती है उसमें एक व्‍यवस्‍था बनी थी कि जो बच्‍चे 2-3 साल के होते हैं उनको आंगनवाड़ी में ले जाकर उनको शिक्षा दी जाए और उनको आगे बढ़ाने की कोशिश की जाए. मगर आज पूरे प्रदेश में, मेरे विधान सभा क्षेत्र में, मेरे जिले में भी, मैं देख रहा हूँ कि बहुत सारे क्षेत्रों में हमारे आँगनवाड़ी भवन नहीं हैं, भवनहीन हैं और कुछ जगह तो झाड़ के नीचे आँगनवाड़ी केन्द्र लग रहे हैं. किसी के किराए के मकान में आँगनवाड़ी भवन लग रहे हैं. जिससे जो उद्देश्य हमारा आँगनवाड़ी बनाने का था, जो आँगनवाड़ी केन्द्र खोलने का था, वह उद्देश्य पूरा नहीं हो पा रहा है. जिसके चलते हमारे क्षेत्र में, पूरे प्रदेश में, आँगनवाड़ी भवन की स्थितियाँ बहुत नगण्य हो चुकी हैं.

          माननीय सभापति जी, महंगाई के संबंध में हमारे साथियों ने बात रखी. हम लोगों को और प्रदेश की जनता को यह महसूस होता है कि आज देश और प्रदेश में महंगाई बढ़ी हुई है, मगर शायद इस तरफ के लोगों को महंगाई का एहसास नहीं होता क्योंकि ये महंगाई के बारे में नहीं बात करते. सरकार की असत्य तारीफ करते हैं. आज महंगाई की जो स्थिति है, महंगाई पहले भी बढ़ी है, हम मानते हैं कि पहले भी बढ़ती रही है, मगर महंगाई को नियंत्रित करने का काम केन्द्र सरकार और राज्य सरकार का होता है. आज राज्य सरकार, इस विषय में, महंगाई को नियंत्रित करने के लिए, क्या कार्रवाई कर रही है? कोई कार्रवाई नहीं हो रही है. आज बहुत सारी बातें हो रही हैं, बहुत सारी योजनाएँ आप चुनाव के चलते लेकर आ रहे हैं मगर महंगाई को नियंत्रित करने के विषय में आपने कोई प्रावधान नहीं रखा कि किस तरीके से, चाहे वह गैस सिलेण्डर की बात करें, चाहे पेट्रोल, डीजल, की बात करें. एक गरीब व्यक्ति, एक मध्यम वर्ग का व्यक्ति, जो 3 हजार रुपये का किराना अपने लिए हर महीने लेता था और घर चलाता था. आज उसी व्यक्ति को, मध्यम वर्ग के व्यक्ति को, गरीब व्यक्ति को, उसका दुगना प्रावधान उसके अन्दर  किराने में हो गया है, उसको हर महीने 6 हजार रुपये खर्चा करना पड़ रहा है और रोजगार की कोई व्यवस्था नहीं है. रोजगार के विषय में सरकार का कोई ध्यान नहीं है.

          सभापति महोदय, आत्मनिर्भर की बात करते हैं. आत्मनिर्भर आदमी बनेगा कैसे? किस तरीके से बनेगा? सिर्फ बोल, बचन, से नहीं बनेगा, स्लोगन से नहीं बनेगा आत्मनिर्भर, आत्मनिर्भर बनने के लिए, सरकार को जमीनी स्तर पर योजना लाना पड़ेगी, तब बात बन पाएगी. मगर आत्मनिर्भर एक सिर्फ नारा बनकर रह गया है और आत्मनिर्भर के लिए कोई काम नहीं किया जा रहा माननीय सभापति जी. यह हम सबके लिए एक गंभीर विषय है.

सभापति जी, बेरोजगारी धीरे धीरे बढ़ती जा रही है. मैं अपने विधान सभा क्षेत्र का आपको एक छोटा सा उदाहरण देना चाहता हूँ. मेरे विधान सभा क्षेत्र में 91 पंचायतें हैं और इन 91 पंचायतों के अन्दर आज तक कोई रोजगार की व्यवस्था नहीं मिल पाई. जिसमें 38 पंचायतें है मेरी पूरे की पूरे, चाहे वह महिला हो, चाहे पुरुष हो, चाहे बच्चे हों, पलायन कर जाते हैं, काम ढूंढते रहते हैं कि काम कहाँ मिले, काम कहाँ करने जाएँ, तो यह स्थिति बेरोजगारी की हो रही है. बहुत सारे बच्चे हमारे पढ़े-लिखे हैं जिनके माँ-बाप ने शिक्षा दिलाई, अपना खर्चा काटा, अपने जेब का खर्चा काटा, घर का खर्चा काटा और अपने बच्चे को पढ़ाया, किसी ने डिप्लोमा लिया, किसी ने डिग्री ली, किसी ने एमबीए किया, किसी ने पीएचडी की, आज बेरोजगार दर दर भटक रहे हैं, हमारे नौजवान साथी, कोई रोजगार की व्यवस्था नहीं हो पा रही है. इसके लिए कोई विशेष रूप से प्रावधान ऐसा नहीं बन पाया है जिससे कि उन बेरोजगारों को रोजगार मिले.

साथ ही साथ माननीय सभापति जी, मैं आपका और हमारे वित्त मंत्री जी का ध्यानाकर्षित करना चाहता हूँ कि मेरा विधान सभा क्षेत्र पूरा कोल माइन एरिया है. आधे से ज्यादा जहाँ कोल माइन है, खदानें चलती हैं, अब धीरे धीरे खदानें बन्द होते चले जा रही हैं उसके चलते बहुत सारा नुकसान भी हम सबका हुआ है. रोजगार की व्यवस्था नहीं बन पाई है और जहाँ खदानें चलती हैं वहाँ पानी की कमी होती है और पानी की कमी के कारण न वहाँ खेती हो पाती है, न लोगों के पीने के पानी की व्यवस्था बन पाती है.

सभापति जी, आज मैं हमारे जो राजस्व मंत्री और वित्त मंत्री जी हैं उनका भी ध्यान दिलाना चाहूँगा कि आपने मेरे विधान सभा क्षेत्र में जो कोल माइन चलती थीं वो सारी कोयला खदानें आज बन्द हो गई हैं और वहाँ हजारों एकड़ भूमि आज भी लीज़ पर चल रही है,  कोल माइन, वेस्टर्न कोल फील्ड की.....

 

 

 

5.04 बजे             {अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए}

            माननीय अध्यक्ष जी, मेरा विधान सभा क्षेत्र एक कोल माइन एरिया है और बहुत सारी कोयला खदानें बन्द हो गई हैं और कोयला खदानें बन्द होने के बाद में वह जमीन आज भी खाली पड़ी हुई है और वहाँ कई सालों से लोग अपना मकान बनाकर रह रहे हैं. मेरा आप से आग्रह है, मैं संबंधित विभाग का ध्यानाकर्षित करना चाहता हूँ कि 2021 में मध्यप्रदेश सरकार ने जो कोयला खदानें बन्द हो गईं उनकी लीज़ फिर से जारी कर दी गई है, जो अनुचित है. जबकि उनकी कोयला खदानें बंद हो चुकी थीं और कोयला खदान में कोई नया प्रपोज़ल नहीं है और न ही कोई प्रोजेक्ट आने वाला है. ऐसी परिस्थिति में जो जमीन है उसको लीज़ दुबारा रिन्यू करना यह कहीं न कहीं उचित नहीं है और इस मध्यप्रदेश सरकार को ध्यान देना चाहिए क्योंकि जो सरकारी योजना है, चाहे प्रधानमंत्री आवास की हम बात करें, चाहे मुख्यमंत्री आवास की हम बात करें ऐसी अनेक अनेक योजनाएँ हैं,  न वहाँ गरीब लोगों को पट्टे मिल पा रहे हैं. करीब 50 साल से वहां पर लोग रह रहे हैं मगर आज तक उनके पट्टे का प्रावधान इसलिए नहीं हो पाया है क्योंकि वह वेस्टर्न कोल फील्डस् लिमिटेड की जमीन है. उस जमीन की लीज खत्म करके गरीब लोगों के लिए उसका प्रावधान रखा जाए उनको पट्टा दिया जाए. वहां पर चाहे प्रधानमंत्री आवास बनाना हो या मुख्यमंत्री आवास बनाना हो या अन्य शासकीय योजना की बात हो उन योजनाओं का लाभ मेरे क्षेत्र में नहीं मिल पाता है. वेस्टर्न कोल फील्डस् लिमिटेड की जमीन होने के कारण यह स्थिति बनी है.

          अध्यक्ष महोदय, छिंदवाड़ा जिले में खनिज का पैसा पिछले 3 सालों से पड़ा हुआ है. हम हमारे प्रभारी मंत्री जी को बार-बार बोलते हैं मगर हमारे प्रभारी मंत्री जी का कोई ध्यान नहीं रहता है. आज भी प्रभारी मंत्री जी का ध्यान नहीं है. सामने बैठे हुए हैं वित्त मंत्री जी के साथ में और उनका ध्यान नहीं है कि मैं क्या बोलने जा रहा हूँ. माननीय प्रभारी मंत्री जी आते हैं और चले जाते हैं, हमसे मिलते भी नहीं हैं और हम मिलने भी जाते हैं तो मिलते भी नहीं हैं. इनको पत्र भी लिखते हैं तो पत्र का जवाब भी नहीं देते हैं.

          अध्यक्ष महोदय -- आज तो अभी वित्त मंत्री जी को जबाव देना है.

          श्री सोहनलाल बाल्मीक -- वे आकर वित्त मंत्री जी के साथ में बैठे थे इसलिये मैंने बोला कि करंट वहां तक चला जाए.

          श्री कमल पटेल -- अध्यक्ष महोदय, यह बात बिलकुल असत्य है. मैं तो अभी
इनके यहां कन्यादान योजना में गया था, आप ही नहीं थे.

          अध्यक्ष महोदय -- बस कमल जी ठीक है.

          श्री सोहनलाल बाल्मीक -- अध्यक्ष महोदय, मैं प्रमाणित कर दूंगा यह जब जाते हैं न, यह प्रभारी मंत्री के रुप में नहीं जाते हैं यह भारतीय जनता पार्टी के नेता के रुप में जाते हैं.

          श्री कमल पटेल -- भारतीय जनता पार्टी के नेता तो हैं ही.

          श्री सोहनलाल बाल्मीक -- आप रहो हम नहीं बोल रहे हैं. मगर प्रभारी मंत्री का दायित्व भी तो निभाओ.

          श्री कमल पटेल -- मैं आपके यहां गया था. आपके साथ उद्घाटन करके आया था. आपके साथ में कार्यक्रम करके आया. दो बार गया.

          श्री सोहनलाल बाल्मीक -- दो साल पहले गये थे. अध्यक्ष महोदय, मैं कहना चाहता हूँ कि हमारा डीएमएफ का करोड़ों रुपया पड़ा हुआ है. वित्त मंत्री जी का ध्यान दिलाना चाहता हूँ कि उसको खर्चे में लाया जाए, विकास किया जाए. उसकी स्कीम बन गई है, कलेक्टर को अधिकार दे दिया गया है और अब, जब प्रभारी मंत्री जाएंगे तब वह काम बनेगा वो काम इस स्थिति में नहीं हो पा रहा है.

          माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र में कन्हान कॉम्पलेक्स एक बहुत बड़ी योजना आई थी. कमलनाथ जी मुख्यमंत्री थे, कांग्रेस की सरकार थी. 4500 करोड़ रुपये की वह योजना थी. इस योजना को भी भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद में रोक दिया गया. मेरे क्षेत्र में एक उमरेठ ब्लाक है,  इस योजना से 42 हजार हेक्टयर भूमि सिंचित होती, मगर आज उसका काम रुका हुआ है. मैंने 2-3-4 बार विधान सभा में प्रश्न लगाया. मैंने हमारे सिंचाई मंत्री से भी आग्रह किया कि जो डेम सिंचाई योजना के हैं उन्हें स्वीकृत किया जाए. उसकी इतनी लम्बी चौड़ी प्रक्रिया हो रही है कि कभी सर्वे का टेंडर होता है, कभी डीपीआर का होता है. न टेंडर लग पा रहे हैं न कुछ हो पा रहा है. ऐसी परिस्थितियों में किसानों को बहुत ज्यादा दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. मेरे लिए बहुत मुश्किल हो रही है इसलिए मेरा वित्त मंत्री जी से निवेदन है कि सड़कों के भी मेरे कई प्रपोजल गए हैं. मैंने मंत्री जी को भी दिया है. पिछले 10 वर्षों से मैं देख रहा हूँ कि मेरे विधान सभा क्षेत्र में 4 सड़कों से ज्यादा मुझे आज तक नहीं मिल पाई हैं. किस तरह के बजट का प्रावधान हो रहा है क्यों इस तरह का भेदभाव हो रहा है. मेरा आपसे आग्रह है कि आने वाले समय में जब आवंटन की स्थिति बने तो मेरे विधान सभा क्षेत्र में सड़कों का जो प्रपोजल मैंने दिया है उसको भी स्वीकृत कराने का कष्ट करें. आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.

          वित्त मंत्री (श्री जगदीश देवड़ा) -- (मेजों की थपथपाहट)  माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे द्वारा सदन में वर्ष 2023-2024 का मुख्य बजट 1 मार्च को प्रस्तुत किया गया था. इस बजट की चर्चा में सदन के हमारे सदस्य माननीय तरुण भनोत जी, डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय जी, माननीय बाला बच्चन जी, माननीय बहादुर सिंह जी, सुश्री हिना कावरे जी, माननीय हरिशंकर खटीक जी, माननीय संजय यादव जी, माननीया श्रीमती कृष्णा गौर जी, माननीय विनय सक्सेना जी, माननीय आशीष शर्मा जी, माननीय जयवर्धन जी, माननीय सूबेदार सिंह जी, माननीय प्रवीण पाठक जी, माननीय माधव मारु जी,  डॉ. अशोक मर्सकोले जी,  माननीय हरिसिंह जी सप्रे, माननीय रविन्द्र सिंह जी तोमर, माननीय दिलीप सिंह जी परिहार, माननीय सुनील सराफ जी, इंजी. प्रदीप लारिया जी, माननीय अजय टंडन जी, कुंवर प्रद्युम्न सिंह लोधी जी, डॉ. हिरालाल अलावा जी, माननीय जजपाल सिंह जी जज्जी, माननीय ओमकार सिंह जी मरकाम, माननीय देवीलाल धाकड़ जी, माननीय प्रियव्रत सिंह जी, माननीया श्रीमती मनीषा सिंह जी, माननीय सोहनलाल बाल्मीक जी.

          अध्यक्ष महोदय, माननीय सभी सदस्यों ने बहुत गंभीरता से इस चर्चा में भाग लिया.               श्री सज्‍जन सिंह वर्मा-- माननीय वित्‍त मंत्री जी यह बजट एक मार्च की बजाय एक अप्रैल के लायक बजट था. आप गलती से एक मार्च को पढ़ गए.

          श्री जगदीश देवड़ा-- मैं आपसे आकर के थोड़ा ज्ञान अर्जित कर लूंगा.

          श्री तरुण भनोत--लोग वैसे ही इसे एक अप्रैल का मान रहे हैं.

          श्री जगदीश देवड़ा-- हमारे सत्‍ता पक्ष के सभी माननीय सदस्‍यों ने जो बजट आया है उस पर बहुत ही गंभीरता से चर्चा की और हमारे विपक्ष के सभी साथियों ने बहुत सारी योजनाओं के बारे में धन्‍यवाद भी किया और आलोचना भी की. यह उनका राजधर्म है, लेकिन जो बजट प्रस्‍तुत हुआ है हमने इस बजट के लिए आम जनता से सुझाव आमंत्रित किए थे. हमने उद्योगपतियों को, हमने चार्टर्ड एकाउंटेंट सारे इस प्रकार के अनेक लोगों से बैठकर विचार-विमर्श भी किया और बड़ी संख्‍या में सुझाव आए.

          श्री तरुण भनोत-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय.

          अध्‍यक्ष महोदय-- तरुण जी, आप पहले भाषण तो आने दीजिए. वित्‍तमंत्री जी ने अभी एक लाईन बोली है कि आप खड़े हो गए पहले कुछ आने तो दीजिए. अभी तो चार शब्‍द बोला है और आप खड़े हो गए. आप पहले वित्‍त मंत्री जी को कुछ बोल लेने दीजिए फिर खड़े होइए. अभी उन्‍होंने दो शब्‍द कहे और आप खड़े हो गए. वह एक हजार शब्‍द बोलेंगे तो आपको सौ बार खड़ा होना पड़ेगा. (व्‍यवधान)

          श्री तरुण भनोत-- अध्‍यक्ष महोदय, कौन से ऐसे मुद्दे आए थे जो बजट में शामिल किए गए वित्‍त मंत्री जी बता दें. (व्‍यवधान)

          अध्‍यक्ष महोदय-- तरुण जी आप उनका भाषण आ जाने दीजिए. उन्‍हें बोलने तो दीजिए. आप उन्‍हें बोलने देंगे वह तब ही बता पाएंगे. (व्‍यवधान)

          श्री जगदीश देवड़ा-- भनोत जी आपने जो बोलना था बोल दिया और आपने जो कहा था मैं उसका जवाब भी दूंगा.

          श्री तरुण भनोत-- बस आम जनता की बात बता दो.

          श्री जगदीश देवड़ा-- अभी यहां पर इतने सारे सुझाव आए हैं तो क्‍या यहां  सभी के सुझवों को आपके सामने रखेंगे. अध्‍यक्ष महोदय, एक तो मैं इनकी गलतफहमी दूर कर दूं कि शायद इनको लगता है कि इनसे ज्‍यादा ज्ञान किसी का है नहीं और इन्‍होंने यहां यह भी कहा  है कि यह पढ़कर के आए  हैं कि नहीं आए और यह बजट कहां बैठकर बनाया. आपकी सरकार ने भी बजट मंत्रालय में ही बैठकर बनाया होगा, आपके घर में बैठकर नहीं बनाया होगा. चार महीनों से वित्‍त विभाग के अधिकारियों ने परिश्रम करके और सारे लोगों के सुझावों पर गंभीरता से विचार करके बजट बनाया और मैं माननीय मुख्‍यमंत्री जी को धन्‍यवाद दूंगा कि उन्‍होंने लगातार इसकी मॉनीटरिंग की, लगातार उन्‍होंने समीक्षा की और इस प्रदेश का बजट कैसे बेहतर बन सकता है, कितना अच्‍छा बन सकता है, वह बजट बनाने का प्रयास किया. मुझे यह कहने में अच्‍छा नहीं लग रहा है लेकिन भनोत जी और हमारे सभी विद्वान साथी बैठे हैं मैने भी अर्थशास्‍त्र में एमए किया है, मैंने लॉ भी किया है. मैंने कभी यह अपने मुंह से नहीं कहा लेकिन मैंने लॉ किया है. मैंने प्रैक्टिस भी की है लेकिन कभी-कभी होता है न कि आप जब बोलते हो तो ऐसा महसूस होता है कि जैसे आपसे ज्‍यादा कोई जानता नहीं है लेकिन आपका ज्ञान है और मैं आपका सम्‍मान करता हूं.

          अध्‍यक्ष महोदय, पूरे मध्‍यप्रदेश मे जिस दिन यह बजट प्रस्‍तुत हुआ और मुझे तो इस बात का भी आश्‍चर्य है कि पिछली बार इसी सदन में जब बजट प्रस्‍तुत किया हमारे कांग्रेस के साथियों ने एक शब्‍द नहीं सुना और बिना बजट को सुने यहां पर आलोचना कर दी, यहां पर हंगामा कर दिया. मध्‍यप्रदेश की जनता सुन रही थी, वह चाहती थी कि हम सुने लेकिन यहां सदन में मुझे बड़ा कष्‍ट हुआ कि एक शब्‍द पूरे बजट का नहीं सुना और अभी भी बजट में जो विघ्‍न हो सकता था, वह करने का पूरा प्रयास किया है. यह प्रजातंत्र है, मेरा कहना है कि आपको कहना है तो आप यहां भी कह सकते हैं, बाहर जाकर प्रेस में भी बोलें, जरूर यहां आलोचना करें, यह परंपरा है. लेकिन किसी की बात को सुनना चाहिए. यह बजट प्रस्‍तुत हुआ और मुझे यह कहते हुए प्रसन्‍नता है कि यह बजट सर्वस्‍पर्शी बजट है, सारे वर्गों का गांव, गरीब, किसान, महिला, मजदूर, युवा सभी का समावेश इस बजट में किया गया है. (मेजों की थपथपाहट)

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह ई-बजट था, इसके बहुत से लाभ हैं. मैं, आपको बताऊंगा. यह बजट प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने जो कहा है- ''सबका साथ, सबका विकास, और सबका विश्‍वास'',  आत्‍मनिर्भर भारत, उस परिकल्‍पना को पूरा करने वाला बजट है और यह बजट प्रदेश को आगे बढ़ाने वाला है, विकास का बजट है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह राजस्‍व आधिक्‍य का बजट है. रुपये 412.76 करोड़ का राजस्‍व आधिक्‍य है. मैं, यह जानकारी देना चाहूंगा कि कोविड के वर्ष 2019-20 और 2020-21 का कार्यकाल छोड़ दें तो हमारी सरकार ने राजस्‍व आधिक्‍य का ही बजट पेश किया है. कोई नया टैक्‍स हमने न पहले लगाया था और न ही अभी जो बजट प्रस्‍तुत किया, उसमें कोई नया टैक्‍स हमने लगाया है. वित्‍तीय वर्ष 2023-24 में कुल विनियोग का जो 3 लाख 14 हजार 25 करोड़ रुपये का बजट पेश हुआ, जिसमें राजस्‍व व्‍यय के लिए 2 लाख 25 हजार 2 सौ 97 करोड़ रुपये है और पूंजीगत व्‍यय के लिए 56 हजार 2 सौ 56 करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान रखा गया है. पूंजीगत व्‍यय से अधोसंरचना का निर्माण होगा. पूंजीगत व्‍यय की राशि 56 हजार करोड़ है, इससे पूरे प्रदेश में विकास होगा, सड़कें बनेंगी, सिंचाई योजनायें, तालाब, स्‍टॉप डैम, कॉलेज, ये सारे अधोसंरचना के काम होंगे. ये बड़ा काम हमने किया है. ठीक है, आलोचना करना विपक्ष का धर्म है.

          श्री तरूण भनोत-  आपने 3 लाख 14 हजार करोड़ रुपये का बजट पेश किया और पूंजीगत व्‍यय के लिए 56 हजार करोड़ की राशि का प्रावधान किया तो मैं, ये सदन और पूरा प्रदेश आपसे जानना चाहता है कि पूंजीगत व्‍यय के लिए पूरे बजट की मात्र 15 प्रतिशत राशि भी नहीं है.

          अध्‍यक्ष महोदय-  तरूण जी, ये तो जब उन्‍होंने बजट भाषण हुआ था, तब भी  कहा था कि 56 हजार करोड़ रुपये है. आपके पास मौका था, आपको पहले कहना चाहिए था. ऐसा नहीं है कि आप एक ही सवाल बार-बार करेंगे.

          श्री तरूण भनोत-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हम तो यह अपेक्षा यह कर रहे थे कि हमने जो मुद्दे उठाये थे, वित्‍त मंत्री जी उनका जवाब देंगे. ये तो फिर से बजट भाषण पढ़ रहे हैं, आपने बजट प्रस्‍तुत कर दिया.

          श्री जगदीश देवड़ा-  मैं, भाषण नहीं पढ़ रहा हूं. मैं, बता रहा हूं कि पूंजीगत व्‍यय की कितनी रकम है.

          अध्‍यक्ष महोदय-  तरूण जी, यह प्रश्‍न काल नहीं है.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-  इस प्रकार टोका-टाकी से काम नहीं चलेगा.

          श्री तरूण भनोत-  3 लाख 14 हजार करोड़ रुपये का बजट और पूंजीगत व्‍यय केवल 56 हजार करोड़ रुपये, आपके पास विकास के लिए पैसा ही कहां है ? इससे ज्‍यादा तो आप ब्‍याज दे रहे हैं, आप कर्ज ले रहे हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय-  तरूण जी यह प्रश्‍न काल नहीं है. आपने अपनी बात कह दी है, अब आप उन्‍हें बोलने दीजिये. आपके मन का उत्‍तर नहीं दिया जा सकता है.

 

5.19 बजे

बहिर्गमन

श्री तरूण भनोत, इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्‍य द्वारा सदन से बहिर्गमन

          श्री तरूण भनोत (जबलपुर पश्चिम)-  अध्‍यक्ष महोदय, मैं, स्‍वीकार करता हूं कि प्रश्‍नकाल नहीं है लेकिन हमने जो मुद्दे उठाये थे, हम उम्‍मीद कर रहे हैं कि हमारी बात का जवाब तो मिले. आप तो स्‍वयं अपनी पीठ थपथपा रहे हैं. मैं, इससे सहमत नहीं हूं. मैं, बहिर्गमन करता हूं.

(श्री तरूण भनोत, इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्‍य द्वारा वर्ष 2023-24 के आय-व्‍ययक पर सामान्‍य चर्चा में वित्‍त मंत्री के जवाब से असंतुष्‍ट होकर सदन से बहिर्गमन किया गया.)

 

 

  5.20 बजे

वर्ष 2023-24 के आय-व्‍ययक पर सामान्‍य चर्चा......(क्रमश:)

          वित्‍त मंत्री (श्री जगदीश देवड़ा)-  अध्‍यक्ष महोदय, मैं, इनकी बात का भी जवाब दूंगा. जनता ने देख लिया, जनता ने आपको देखा है, 15 माह में भी देखा है और पहले भी देखा है. मैं, इस पर यह कहना चाह रहा हूं कि

मंजिलों पर जिन्‍हें जाना है, वे शिकवा नहीं करते,

      जो शिकवा करते हैं, वे मंजिलों पर नहीं पहुंचते.    

यह विषय बार-बार आता है. बाहर भी यही बात होती है कि ऋण लिया. यहां भी कोई सदस्‍य बोलता है तो कहता है कि ऋण लिया. ऋण लिया, हां हम कह रहे हैं कि ऋण लिया और कितना लिया, यह भी उसमें लिखा है. ब्‍याज कितना लग रहा है, ऋण कितना लिया. अध्‍यक्ष महोदय, ऋण लेना कोई बुराई  है क्‍या ? सब सरकारें ऋण लेती हैं, ऋण समय पर चुकाना, ब्‍याज चुकाना और

          श्री कुणाल चौधरी:-  600 करोड़ रूपये इकट्ठे करने के लिये जो एक बैठक हुई है, उसका क्‍या हुआ है.

          श्री जगदीश देवड़ा:- लक्ष्‍मण सिंह जी, हमने ऋण लिया पूंजीगत,हमने ऋण लिया पूंजीगत व्‍यय के लिये.

          श्री लक्ष्‍मण सिंह:- आपकी पार्टी के जो राज्‍य सभा के डिप्‍टी स्‍पीकर हैं, हरवंश जी. मोदी जी ने उनको डिप्‍टी स्‍पीकर बनाया डिप्‍टी स्‍पीकर का एक लेख, मैं, आपको अभी दे दूंगा. उसमें उन्‍होंने लिखा है, उन्‍होंने खुद ने लिखा है कि अधिक ऋण लेना गलत है जो सरकारें ले रही हैं, वह गलत कर रही हैं. उससे और अधिक हालत खराब होने वाली है, यह मैं आपकी जानकारी के लिये बता रहा हूं.

          श्री जगदीश देवड़ा:- दे देना. लक्ष्‍मण सिंह जी, मैं आपको सम्‍मान के साथ कह रहा हूं कि अधिक ऋण नहीं ले रहे हैं. एफ.आर.बी.एम की जो गाईड लाइन है, जो नियम है जो नियम प्रक्रिया है,जितनी सीमा है उसी में ऋण ले रहे हैं और समय पर ब्‍याज चुका रहे हैं,समय पर ऋण चुका रहे हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय:- वित्‍त मंत्री के अलावा किसी का नहीं लिखा जायेगा.

          श्री कुणाल चौधरी:- (XXX)

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया:-(XXX)

          डॉ. राजेन्‍द्र पाण्‍डेय:- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह उचित व्‍यवस्‍था नहीं है,जब माननीय वित्‍त मंत्री महोदय ने बजट प्रस्‍तुत किया उसके पश्‍चात दो दिन तक चर्चा हो गयी. दो दिन चर्चा में आसंदी ने पूरा समय दिया, किसी ने बहुत अधिक व्‍यवधान नहीं किया. सबने एक दूसरे को परस्‍पर सम्‍मान देते हुए सुना, समझा जब सारी चर्चा हो चुकी है तो यह न्‍यायोचित नहीं है.

          अध्‍यक्ष महोदय:- नहीं,मैंने व्‍यवस्‍था दे दी है.

          श्री कुणाल चौधरी:-(XXX)

          श्री पी.सी. शर्मा:- यह जो बात आयी है, लोगों ने जो मुद्दे उठाये हैं उनके जवाब दें.यह बाकी चीजें तो पहले आ चुकी है.

          अध्‍यक्ष महोदय:- वह जवाब देंगे ना. आप सुनिये ना.

          श्री जगदीश देवड़ा:- अध्‍यक्ष महोदय, शर्मा जी, आप इतनी जल्‍दी क्‍यों कर रहे हो, बैठो ना. कहां जा रहे हैं, आप भी बैठे हैं, हम भी बैठे हैं बात कर रहे हैं ना, जवाब देंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय:- जिन विधायकों ने चर्चा में भाग लिया, उन सबका नाम लिया है उन्‍होंने.

          नेता प्रतिपक्ष( डॉ. गोविन्‍द सिंह):- अभी आप सज्‍ज्‍न मंत्रियों को छोड़ो, नरोत्‍तम जी से निपटना.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र:- आ जाओ, अब निपट लो.

          श्री जगदीश देवड़ा:- अध्‍यक्ष महोदय, जब-जब भी ऋण लिया पूंजीगत व्‍यय के लिये लिया, अधोसरंचना के लिये लिया. अभी मैं आपको बता रहा हूं कि आपने भी जब ऋण लिया तो वेतन भत्‍ते दे दिये. आपने सड़क बनाने के लिये, तालाब बनाने के लिये, स्‍टाप डेम के लिये या कोई भवन बनाने के लिये ऋण नहीं लिया. आपने ऋण लिया तो वेतन-भत्‍ते देने के लिये. आपने लिया तो दूसरे काम के लिये, राजस्‍व व्‍यय के लिये.

          अध्‍यक्ष महोदय, भनोत जी ने कहा था कि राजकोषीय घाटा 4.02 प्रतिशत का आधार वित्‍त सचिव के स्‍मृतिपत्र में स्‍पष्‍ट है. केन्‍द्रीय वित्‍त आयोग की अनुशंसा अनुसार जीएसडीपी का तीन प्रतिशत ऊर्जा के क्षेत्र में सुधार के आधार पर 0.5 प्रतिशत एवं केन्‍द्र सरकार से विशेष केन्‍द्रीय सहायता अंतर्गत रूपये 9 हजार, 500 करोड़ को मिलाने पर राजकोषीय घाटा की सीमा 4.02 प्रतिशत होती है. बजट इसी आधार पर बनाया गया है. केन्‍द्र सरकार से ही सहायता राशि का लाभ लेने के लिये हमारी सरकार आवश्‍यक लक्ष्‍यों की पूर्ति कर रही है.

          अध्‍यक्ष महोदय, अभी तरूण भनोत जी हैं नहीं. आपने कहा था कि आपकी सरकार के द्वारा कर्ज लेकर सामाजिक सुरक्षा पेंशन, किसान भाइयों के कर्ज माफ किये. राजस्‍व व्‍यय की श्रेणी में हमारी सरकार ने कर्ज लेकर के पूंजीगत अधोसंरचना की, यह है और कल तरूण भनोत जी ने बोला तो यह विधान सभा का रिकार्ड है कि पेंशन और किसान भाईयों की कर्ज माफी के लिये. इन्‍होंने कोई विकास कार्य के लिये नहीं लिया, यह खुद इस बात को स्‍वीकार कर रहे हैं, इस बात को. इस सरकार ने कर्ज लिया तो विकास के लिये लिया.

          श्री कुणाल चौधरी:- (XXX)

          श्री पी.सी.शर्मा:-(XXX)

          श्री कुणाल चौधरी--6 सौ करोड़ रूपये किन किन लोगों तथा ठेकेदारों से इकट्ठा कर रहे हैं.

          श्री जगदीश देवड़ा--अध्यक्ष महोदय, बाला बच्चन जी ने जीएसटी के लिये पूछा था तो जून 2022 तक रूपये 4 हजार 189 करोड़ 70 लाख रूपये थी जिसमें इसमें से 730 करोड़ प्राप्त हो चुके हैं. शेष राशि रूपये 3 हजार 460 करोड़ एजी की रिपोर्ट प्राप्त होने पर रिपोर्ट को केन्द्र सरकार के पास भेजी जायेगी. यह राशि तुरंत आ जायेगी.

          श्री बाला बच्चन--अध्यक्ष महोदय, 2021-22 का है  4 हजार 301 करोड़ रूपये उसमें से मात्र 7 सौ करोड़ है.

          श्री जगदीश देवड़ा--अध्यक्ष महोदय, यह राशि पूरी आयेगी. एक एक पैसा आयेगा. ई बजट से मुद्रण की बचत हुई है जो कि पर्यावरण के लिये उपयुक्त है. मुद्रण नहीं किये जाने से डेढ़ मेट्रिक टन कागज की खपत बची है. इससे लगभग प्रतिवर्ष 30 लाख रूपये की बचत होगी, यह ई बजट पेश करने से. बाला बच्चन जी ने कहा कि अतिथि शिक्षक की राशि कम कर दी. विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्तियां की जा रही हैं. विगत् दो वर्षों में 17 हजार से अधिक शिक्षकों की नियुक्ति दी गई. आगामी वर्षों में 29 हजार शिक्षकों को नियुक्तियां दी जायेंगी. रिक्त पदों की भर्ती के कारण अतिथि शिक्षकों की आवश्यकता में कमी आयेगी.

          श्री बाला बच्चन--अध्यक्ष महोदय, इसमें 360 करोड़ था इसमें आपने मात्र 66 करोड़ रूपये कर दिया.

          श्री जगदीश देवड़ा--अध्यक्ष महोदय, थोड़ा सुन तो लो आप. नियुक्तियों को ध्यान में रखते हुए स्कीम नंबर 4396, 3491 एवं 0581 में लगभग 21 हजार करोड़ रूपये का प्रावधान किया है. जो कि पिछले वर्ष से लगभग 2 हजार करोड़ रूपये अधिक है. यह जो आप कह रहे हैं कि शिक्षकों की राशि कम कर दी, इसमें बढ़ाई है.

          श्री बाला बच्चन--अध्यक्ष महोदय, मैंने आपको वार्षिक वित्त विवरण में मदवाईस आपको जानकारी दी है कि विगत् वर्ष में 360 था अब उसमें मात्र 66 करोड़ रूपये कर दिया है.

          डॉ.सीतासरन शर्मा--आप तो उनसे वाद-विवाद कर रहे हैं.

          श्री बाला बच्चन--अध्यक्ष महोदय, वह मेरा जवाब दे रहे हैं इसलिये मैंने बोला है.

          श्री जगदीश देवड़ा--अध्यक्ष महोदय, सदन में हमारी बहन सुश्री हिना कावरे जी ने भी पूछा था कि बजट में जब कोई कर ही नहीं लगाया है तब वृद्धि का अनुमान काल्पनिक है. मैं माननीय सदस्या जी को बताना चाहता हूं कि हम करों की चोरी को रोकने में सफल रहे हैं तथा हमारे मुख्यमंत्री जी भी प्रतिमाह राजस्व संग्रहण करने वाले विभागों की समीक्षा बैठकें की जाती हैं इसके परिणामस्वरूप जहां वर्ष 2021-22 में हमारी राजस्व प्राप्तियां 1 लाख 85 हजार 875 करोड़ थी वही 2022-23 में पुनरीक्षित अनुमान में बढ़कर 2 लाख 3 हजार 966 करोड़ अभी है.

          श्री तरूण भनोत--इसमें कर्जा कितना है.

          श्री जगदीश देवड़ा--अध्यक्ष महोदय, हमने बताया कर्ज कितना है तब आप बाहर चले गये थे.

          अध्यक्ष महोदय--इस विषय को लेकर के आप सदन से बहिर्गमन कर चुके हैं.

          श्री जगदीश देवड़ा--अध्यक्ष महोदय,इसके बारे में बार बार थोड़े ही बताएंगे. कोई बात छिपाने की नहीं है.

          श्री तरूण भनोत--इसमें कर्जा कितना है.

          श्री जगदीश देवड़ा--अध्यक्ष महोदय, कर्जा लिया है तो सड़कें बनायी हैं, तालाब बनाये, स्टाप डेम बनाये, सिंचाई योजनाएं कीं.

          अध्यक्ष महोदय--जिस सवाल को लेकर के आप सदन से बहिर्गमन कर चुके हैं उसी सवाल को लेकर के फिर से खड़े हो गये हैं. यह तो कोई बात नहीं हुई. तरूण जी इसको कोई मतलब नहीं है.

          श्री जगदीश देवड़ा--अध्यक्ष महोदय, आपने लाड़ली बहिना के बारे में कहा था. अनुपूरक बजट में जैसी जरूरत पड़ेगी हम उस हिसाब से उस राशि को बजट में डालेंगे, इसकी व्यवस्था करेंगे. बहिन उसमें कोई कमी नहीं रखेंगे आप इसकी चिन्ता ना करें.

          सुश्री हिना लिखीराम कावरे--अध्यक्ष महोदय, मैं कोई प्रश्नचिन्ह नहीं उठा रही हूं. मैं केवल आपको एक सुझाव देना चाह रही हूं.

          अध्यक्ष महोदय--आपने 10 अथवा 12 हजार करोड़ का कहा था हम कह रहे हैं मंत्री जी कह रहे हैं इसका इंतजाम करेंगे.

          सुश्री हिना लिखीराम कावरे--अध्यक्ष महोदय, ठीक है इसके लिये उनका धन्यवाद करती हूं. वह इंतजाम करेंगे, अच्छी बात है.

          श्री जगदीश देवड़ा--अध्यक्ष महोदय, बिल्कुल केरेंगे.

          सुश्री हिना लिखीराम कावरे--अध्यक्ष महोदय, मैं केवल आपको एक सुझाव देना चाहती हूं कि आपने कहा कि करों में कोई वृद्धि नहीं की है. हम कर चोरी को रोक रहे हैं. मैं माननीय वित्तमंत्री जी का ध्यानाकर्षित करना चाहती हूं कि भू-अर्जन के मामले जो आपके प्रत्येक जिलों में हैं जो देरी की वजह से उसमें आपको करोड़ो करोड़ रूपये केवल ब्याज देना पड़ता है थोड़ा ध्यान उस पर भी लगाईये, उससे भी बहुत बचत होने वाली है. धन्यवाद अध्यक्ष महोदय.

          श्री तरूण भनोत--अध्यक्ष महोदय, मुझे भी एक मिनट बोलने का मौका दिया जाये.

          अध्‍यक्ष महोदय - नहीं नहीं तरुण जी(तरुण भनोत के खड़े होने पर) आपके सावल से आगे बढ़ जाएंगे तब देखेंगे, अभी नहीं. (...व्‍यवधान)

          श्री जगदीश देवड़ा - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, ऐसा लगा रहा जैसे प्रश्‍नकाल चल रहा हो. (...व्‍यवधान)

          अध्‍यक्ष महोदय - नहीं प्रश्‍नकाल नहीं है.

          श्री तरुण भनोत - यहां नहीं पूछेंगे तो कहां पूछेंगे(...व्‍यवधान)

          अध्‍यक्ष महोदय - तरुण जी का नहीं लिखना.

          श्री जगदीश देवड़ा - यहीं पूछना हमने बता दिया, जब मैं बता रहा था तब आप बाहर चले गए. (...व्‍यवधान)

          श्री तरुण भनोत (xxx)

          अध्‍यक्ष महोदय - तरुण जी ये प्रश्‍नकाल नहीं है.

          श्री तरुण भनोत - ये प्रश्‍नकाल नहीं है, मध्‍यप्रदेश के भविष्‍य का सवाल है(...व्‍यवधान)

          अध्‍यक्ष महोदय - आपको भाषण का मौका दिया, प्रदेश की जनता को आपने समझा दिया अब उनको जवाब देने दीजिए.  (...व्‍यवधान)

          श्री तरुण भनोत - जवाब देते कहां है ये. (...व्‍यवधान)

          अध्‍यक्ष महोदय - जवाब दे रहे है न. आपके मन का उत्‍तर कैसे रख दे वे बताइए, आप चाहते हैं कि वे उत्‍तर दें.

          श्री तरुण भनोत - आप चाहते ही नहीं, मुझे आप संरक्षण ही नहीं दे रहे हैं. आप फिर चाहते हैं कि मैं बाहर चले जाऊं. (...व्‍यवधान)

          अध्‍यक्ष महोदय - वह आपका अधिकार है, उसको मैं क्‍या कर सकता हूं.

          श्री जगदीश देवड़ा - भनोत जी सुन लो, अध्‍यक्ष महोदय मैं कह रहा ये यहां कर्ज की बात कर रहे हैं, राजस्‍थान से पूछ लो. ये राजस्‍थान का मैं बता देता हूं.

          श्री तरुण भनोत - आप राजस्‍थान के वित्‍त मंत्री नहीं हो. क्‍या राजस्‍थान के वित्‍त मंत्री हो.

          श्री जगदीश देवड़ा - वहां आपकी सरकार है, वह भी कर्जा ले रही. हम मंत्री यहां के हैं.

          श्री तरुण भनोत - हम मध्‍यप्रदेश की बात करते हैं, ये राजस्‍थान की बात कर रहे. राजस्‍थान ने ओल्‍ड पेंशन स्‍कीम लागू की आप भी कीजिए. (...व्‍यवधान)

          श्री जगदीश देवड़ा - ये बौखलाहट है, ये विचलित हो रहे हैं. मध्‍यप्रदेश का जो बजट आया है उसको देखकर ये विचलित हो रहे हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय - वित्‍त मंत्री के अलावा किसी का नहीं लिखा जाएगा.

          डॉ राजेन्‍द्र पाण्‍डेय - (xxx)     

            प्रियव्रत सिंह - (xxx)  

          श्री तरुण भनोत - (xxx)       

          श्री मनोज चावला - (xxx)     

          अध्‍यक्ष महोदय - तरुण भनोत जी सुनिए, मैं बहिर्गमन के लिए किसी को कह नहीं सकता. ये आपका प्रजातांत्रिक अधिकार है बतौर विधायक, आप बहिर्गमन करों, भीतर आओ, बाहर जाओ, उसमें हम कैसे रोक सकते हैं? 

          श्री तरुण भनोत - आप बताओ मैं करुं कि नहीं करुं.

          अध्‍यक्ष महोदय - हम कैसे रोक सकते हैं.

          श्री तरुण भनोत - आप बोल रहे है कि जाओ.

          अध्‍यक्ष महोदय - आपने कहा कि मैं बहिर्गमन कर रहा हूं तो हमने कहा कि ठीक है, आपको अधिकार है. (...व्‍यवधान)

          श्री तरुण भनोत - आपने कहा आप जाओ, आप अध्‍यक्ष की कुर्सी पर बैठे हैं माननीय किसी को निलंबित कर दो, किसी को बोलो जाओ.

            अध्‍यक्ष महोदय - नहीं नहीं मैंने नहीं कहा.

          नेता प्रतिपक्ष (डॉ. गोविन्‍द सिंह) - नहीं नहीं अभी ऐसा है.

          अध्‍यक्ष महोदय - नहीं नहीं ये सवाल नहीं है.

          श्री तरुण भनोत - कृपा करो आप तो हमारे संरक्षक हैं.

            अध्‍यक्ष महोदय - संरक्षण कर तो रहे हैं. आप ही बताईए एक सवाल को (व्‍यवधान..) लेकर फिर लौटकर के सवाल को पूछ रहे हैं.

          श्री तरुण भनोत - ये बताएं कि किसको पूरा पैसा दिया. (...व्‍यवधान)

          अध्‍यक्ष महोदय - माननीय वित्‍त मंत्री जी शुरू करें.

          श्री जगदीश देवड़ा - अध्‍यक्ष महोदय, इसमें जो मुख्‍य प्रावधान किए हैं. जब इतना बड़ा बजट आया, पिछले बजट से 13 प्रतिशत बढ़ा है. ये आकार बढ़ा है, ये बर्दाश्‍त नहीं कर पा रहे हैं.

 

5:34 बजे                                          बहिर्गमन

          श्री तरुण भनोत, इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्‍य द्वारा सदन से बहिर्गमन.

          श्री तरुण भनोत - अध्‍यक्ष महोदय, मैं जा रहा हूं. ये असत्‍य नहीं सुन सकता.

          (श्री तरुण भनोत, सदस्‍य द्वारा शासन के उत्‍तर से असंतुष्‍ट होकर सदन से बहिर्गमन किया गया.)

 

वर्ष 2023-24 के आय-व्‍ययक पर सामान्‍य चर्चा(क्रमश:)

          श्री बाला बच्‍चन - आप 13 बोल रहे हैं, मैं 12 बोल रहा हूं, 12 प्रतिशत ज्‍यादा है, सालाना खर्च आपने 12 प्रतिशत ज्‍यादा बताया है और उसके बदले आपको 55 हजार करोड़ रुपए लेना पड़ेगा.

          श्री जगदीश देवड़ा - अध्‍यक्ष महोदय, महिलाओं के सशक्तिकरण का इससे बड़ा उदाहरण क्‍या होगा.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - अध्‍यक्ष महोदय, कांग्रेस की हालत तो देखो आप क्‍या हो गई है. नेता प्रतिपक्ष बैठे हैं, उप नेता बैठे हैं, एक बहिर्गमन करता है, एक गायब हो जाता है, कोई आ जाता है, कोई चला जाता है. (XXX)

          डॉ. गोविन्‍द सिंह - अब की बार बहिष्‍कार किया है, अब की बार नहीं लौटेंगे. (...हंसी)

          श्री बाला बच्‍चन - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय वित्‍त मंत्री जी 13 प्रतिशत बोल रहे हैं, 13 नहीं 12 प्रतिशत बढ़ा हुआ है, सालाना खर्च के लिए 12 प्रतिशत बढ़ाया है, और उसके बदले में हमने पूछा है कि वह राशि कहां से जुटाओगे. उसके बदले में 55,000 करोड़ रुपये कर्ज लेना पड़ रहा है. आप 13 प्रतिशत बोल रहे हैं, 13 प्रतिशत नहीं हैं, वह 12 प्रतिशत है.

          श्री जगदीश देवड़ा - अध्‍यक्ष महोदय, महिलाओं को सशक्‍त करने के लिए यह जो राशि आवंटित की है, 1 लाख 2 हजार 976 करोड़ रुपये का प्रावधान महिलाओं की सशक्तिकरण का इससे बड़ा कोई उदाहरण नहीं हो सकता है. (मेजों की थपथपाहट) हमने भी देखी है 10 साल सरकार. यहां बैठे हैं, श्री जयवर्द्धन जी कह रहे थे कि (XXX) नहीं आ रही है सरकार को. मैं कह रहा हूँ कि (XXX) तो उस समय आनी चाहिए थी, जब 10 साल वह रहे.

          श्री जयवर्द्धन सिंह - अध्‍यक्ष महोदय, क्‍योंकि इन्‍होंने मेरा नाम लिया है.

          श्री जगदीश देवड़ा - अध्‍यक्ष महोदय, 10 साल वह सरकार रही है, उस समय बिजली एक घण्‍टा नहीं मिलती थी.

          श्री जयवर्द्धन सिंह - अध्‍यक्ष महोदय, बात वो नहीं है.

          श्री जगदीश देवड़ा - एक घण्‍टा बिजली नहीं मिलती थी.

          श्री प्रियव्रत सिंह - अध्‍यक्ष महोदय, अब आप कौन सी दिलवाने जा रहे हो ? आप 23,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी दे रहे हो और 18,000 करोड़ रुपये .... (..व्‍यवधान..)

(..व्‍यवधान..)

          अध्‍यक्ष महोदय - आप लोग बैठ जाइये.

          श्री प्रियव्रत सिंह -  अध्‍यक्ष महोदय.

          अध्‍यक्ष महोदय - आप बैठ जाइये.

 

5.38 बजे                                        बहिर्गमन

श्री प्रियव्रत सिंह, इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्‍य द्वारा सदन से बहिर्गमन

          श्री प्रियव्रत सिंह - अध्‍यक्ष महोदय, मेरी बात नहीं सुनी जा रही है, इसलिए मैं सदन से  बहिर्गमन करता हूँ.

          (श्री प्रियव्रत सिंह द्वारा उनकी बात नहीं सुने जाने के विरोध में सदन से बहिर्गमन किया गया)

 

5.39 बजे                वर्ष 2023-24 के आय-व्‍ययक पर सामान्‍य चर्चा..  (क्रमश: )    

          श्री जगदीश देवड़ा - अध्‍यक्ष महोदय, पहले मध्‍यप्रदेश में एक घण्‍टा भी बिजली नहीं मिलती थी.

(..व्‍यवधान..)

          एक माननीय सदस्‍य - जयवर्द्धन सिंह जी, आपके राज में सड़कें नहीं थीं.

(..व्‍यवधान..)

          श्री इन्‍दर सिंह परमार - अध्‍यक्ष महोदय, आपके राज में एक घण्‍टा भी बिजली नहीं मिलती थी.  पूरे मध्‍यप्रदेश को बर्बाद करके रख दिया था. आपके राज में बिजली नहीं मिलती थी, सारी जनता जानती है. (..व्‍यवधान)

(..व्‍यवधान..)

          अध्‍यक्ष महोदय - आप लोग बैठ जाइये. अब किसी का नहीं लिखा जा रहा है. कुछ भी बोलो, अब नहीं लिखा जा रहा है. बोलने का कोई अर्थ नहीं है. आप मत थको, बैठ जाओ.

          श्री पी.सी.शर्मा - (XXX)

            श्री सुरेश राजे - (XXX)

          श्री मनोज चावला - (XXX)

          नेता प्रतिपक्ष (डॉ. गोविन्‍द सिंह) - माननीय अध्‍यक्ष जी, हमारा माननीय वित्‍त मंत्री जी से अनुरोध है कि आप जो पुराने (XXX) उखाड़ देते हैं, उससे दिक्‍कत है. आप अपना वक्‍तव्‍य दीजिये.

          डॉ. राजेन्‍द्र पाण्‍डेय - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, (XXX)

          डॉ. गोविन्‍द सिंह - आप बैठ जाओ. अध्‍यक्ष महोदय, बस ऐसे ही चलने दो, अगर नहीं सुनाना चाहते हो तो. आप 20 वर्ष में कब तक रोएंगे ? आप कृपा बजट में बोलें, जो अपना वक्‍तव्‍य तैयार किया है, वह बोलें. बिजली कब आई ? यह तो आप 20 वर्ष से रो रहे हो, कब तक रोओगे ?

          श्री जगदीश देवड़ा - अध्‍यक्ष महोदय, मैं निवेदन कर रहा हूँ. मैं उस बात पर नहीं जा रहा हूँ. हमने जो कहा है, जो बजट पेश किया है, उसमें हमने सब बताया है. कौन-कौन से विभागों में कितना बजट दिया है ? क्‍या-क्‍या काम किए हैं ? कहां सड़कें बनाईं ? कितने स्‍टॉपडेम बनाए ? कितने तालाब बनाए ? कितनी सिंचाई योजनाएं बनाईं ? यह सबको पता है. लेकिन यह बात विषय यहां माननीय सदस्‍यों ने भी रखीं तो मैं इस बात को कहूँगा कि जब पिछली बार आपकी सरकार बनी थी. 

 नेता प्रतिपक्ष(डॉ.गोविन्‍द सिंह) -- आप फिर झगड़ा कराना चाहते हो, आप अपनी बात कहिये न कि आगे आप क्‍या कर रहे हो, फिर पिछली बात करोगे तो फिर झगड़ा होने लगेगा.

श्री जगदीश देवड़ा -- अध्‍यक्ष महोदय, अब वह बात तो दोहराना पड़ेगी न. (व्‍यवधान..)

श्री मुरली मोरवाल -- गांव की लाईट काटी जा रही (व्‍यवधान..)

श्री जगदीश देवड़ा -- नई साल, नई सरकार आपने कहा.  (व्‍यवधान..)

श्री धमेंद्र भाव सिंह लोधी -- कांग्रेस की बंटाधार सरकार का ध्‍यान करो भईया.  (व्‍यवधान..)

श्री नीरज विनोद दीक्षित -- माननीय मंत्री जी रेल्‍वे का ब्रिज अधूरा पड़ा है. (व्‍यवधान..) उनके लिये एक ब्रिज तो दे दो. (व्‍यवधान..)

अध्‍यक्ष महोदय-- आप सभी बैठ जायें. (व्‍यवधान..)

श्री जगदीश देवड़ा -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, किसानों की हितैषी सरकार ने कृषि एवं कृषि से संबंधित योजनाओं के लिये 53 हजार 964 करोड़ रूपये का प्रावधान अभी किया है. हमने भी आपके बजट मैं पहले देखा है, मैं भी वर्ष 1990 से विधायक हूं. (व्‍यवधान..)

श्री प्रियव्रत सिंह -- अध्‍यक्ष महोदय, बार बार पुरानी सरकार की बात करते हैं. आप 18 हजार करोड़ रूपये का प्रावधान बिजली का करते हैं, 23 हजार करोड़ रूपये की अकेले तो आपकी सब्सिडी है तो बिजली कहां से दोगे, सब्सिडी दोगे की बिजली दोगे ? यह समझ नहीं आ रहा है. (व्‍यवधान..)

श्री जगदीश देवड़ा -- बैठे तो आप हो तो, आपकी बात नहीं करेंगे तो किसकी करेंगे. (व्‍यवधान..)

अध्‍यक्ष महोदय -- श्री प्रियव्रत सिंह जी बैठ जायें, श्री जगदीश देवड़ा की बात रिकार्ड में आयेगी और किसी का नहीं लिखा जायेगा. (व्‍यवधान..)

श्री प्रियव्रत सिंह --[ XXX]

श्री जगदीश देवड़ा -- अध्‍यक्ष महोदय, हमारे माननीय सदस्‍यों ने बहुत सारी बातें कही हैं. (व्‍यवधान..)

श्री पी.सी.शर्मा -- [ XXX]

श्री जगदीश देवड़ा -- अरे शर्मा जी सुन लें. (व्‍यवधान..)

श्री सोहनलाल बाल्‍मीकि-- [ XXX]

श्री बापूसिंह तंवर -- [ XXX]

श्री नीरज विनोद दीक्षित --      [ XXX]         (व्‍यवधान..)

श्री जगदीश देवड़ा -- मैं पुरानी बात नहीं ला रहा हूं, मैं दस साल वाली बात नहीं ला रहा हूं. मैं पंद्रह महीने की सरकार की कह रहा हूं. जब पंद्रह महीने थे, अभी आपने कहा कि 27 हजार किसानों के कर्जे माफ कर दिये, हम तो अभी पूरे प्रदेश में घूम रहे हैं (व्‍यवधान..)

श्री प्रियव्रत सिंह -- [ XXX]

श्री नीरज विनोद दीक्षित --      [ XXX]

श्री प्रियव्रत सिंह --  [ XXX]

डॉ.राजेन्‍द्र पाण्‍डेय -- [ XXX]

श्री जगदीश देवड़ा -- इन्‍होंने प्रदेश की महिलाओं को कहा कि माफ करेंगे कोई माफ नहीं हुआ, कोई कर्जा माफ नहीं हुआ. (व्‍यवधान..)

श्री मनोज चावला-- [ XXX]

श्री जगदीश देवड़ा -- नौजवानों को कहा कि भत्‍ता देंगे चार हजार रूपये का, एक नया पैसा नहीं दिया किसी नौजवान को. (व्‍यवधान..)

श्री प्रियव्रत सिंह -- [ XXX]

श्री जगदीश देवड़ा -- और फिर वहां बड़े-बड़े होडिंग लगा रहे हैं(व्‍यवधान..) आप पहले उनका जवाब दो. (व्‍यवधान..)

श्री प्रियव्रत सिंह -- [ XXX]

श्री पी.सी.शर्मा -- [ XXX]

अध्‍यक्ष महोदय -- श्री प्रियव्रत सिंह जी बैठ जायें. आप बोल चुके हैं. आप पूरा बीस मिनिट बोल चुके हैं. (व्‍यवधान..)

श्री जगदीश देवड़ा -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अनुसूचित जाति वर्ग योजनाओं के लिये, अब यह कह रहे हैं कि उसमें प्रावधान नहीं किया है, उसमें 26 हजार 87 करोड़ रूपये का प्रावधान किया है, जनजाति के लिये 36 हजार 950 करोड़ का प्रावधान किया है. (एक माननीय सदस्‍य के अपने आसन से कुछ कहने पर) अरे राशि कम होगी तो हम आगे देंगे. (व्‍यवधान..)

श्री पी.सी.शर्मा -- [ XXX]

श्री जगदीश देवड़ा -- अरे कर्जा लेकर आपने घी पिया, कर्जा लेकर आपने वेतन भत्‍ते दिये, आपने विकास नहीं किया, यह पिछले बजट का रिकार्ड उठाकर देख लें. (व्‍यवधान..)

श्री धमेंद्र भाव सिंह लोधी -- [ XXX]

श्री अशोक मर्सकोले -- [ XXX]

अध्‍यक्ष महोदय -- किसी का नहीं लिखा जायेगा.

श्री जगदीश देवड़ा -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इस बजट में पूरे मध्‍यप्रदेश में कोई वर्ग ऐसा नहीं रहा, जिसको इस बजट में सम्‍म‍िलित नहीं किया गया हो.  

श्री पी.सी.शर्मा-- [ XXX]

श्री जगदीश देवड़ा -- हर वर्ग को इसमें सम्‍म‍िलित किया गया है. (व्‍यवधान..)

श्री अशोक मर्सकोले -- [ XXX]

अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं आप बैठ जायें, मर्सकोले का नहीं लिखा जायेगा.

श्री जगदीश देवड़ा -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह मध्‍यप्रदेश की सरकार का जो बजट आया है और जो योजनाएं बनी हैं, मुख्‍यमंत्री हमारी लाड़ली बहना योजना बनी, इससे ये बोखला गये हैं, इससे विचलित हो गये हैं. खेल के लिये चार गुना ज्‍यादा युवाओं के लिये बजट किया है. खेलो इंडिया, चार गुना बजट किया. (व्‍यवधान..)

            श्री प्रियव्रत सिंह -- (XXX)

          डॉ. गोविन्‍द सिंह-- वित्‍त मंत्री जी आप धीरे बोले आपको वैसे ही हार्ट की बीमारी है, आप धीरे-धीरे बोल लो.

          श्री जगदीश देवड़ा--  आप हो तो सब ठीक हो जायेगी. अध्‍यक्ष महोदय, मैं तो मध्‍यप्रदेश के हमारे यशस्‍वी मुख्‍यमंत्री जी का जिनके मार्गदर्शन में यह सरकार चल रही है और यह अमृतकाल का बजट है, हम तो 25 साल और बजट पेश करेंगे. आने वाले 25 सालों तक बजट पेश करेंगे और मैं मुख्‍यमंत्री जी का बार-बार धन्‍यवाद करूंगा कि मध्‍यप्रदेश के मुख्‍यमंत्री जी ने इस मध्‍यप्रदेश में जो विकास किया है और जो जनकल्‍याणकारी योजनायें बनाई हैं, शायद मुझे लगता है कि आज तक के इतिहास में कभी नहीं हो पाईं. अध्‍यक्ष महोदय, वास्‍तव में यह बजट सर्वस्‍पर्शी बजट है, यह प्रदेश को आगे बढ़ाने वाला बजट है और जो कल्‍पना हमारे देश के प्रधान मंत्री जी ने की है जो 5 ट्रिलियन डॉलर का जो लक्ष्‍य रखा है और उसमें मध्‍यप्रदेश का जो योगदान रहेगा 550 मिलियन डॉलर का उसको हम पूरा करेंगे और यह बजट हमारा वास्‍तव में सर्वस्‍पर्शी बजट है और यह जनता के हित का बजट है और जनता के लिये बजट है और निश्चित रूप से मैं तो हमारे साथियों ने अनेक बातें हमारे पक्ष के विपक्ष के बंधुओं ने की हैं, उनकी बातों का भी मैं सम्‍मान करता हूं और अगर कोई समस्‍यायें बताई हैं तो हम उनको सुलझाने का भी प्रयास करेंगे. बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

 

 

 

 

 

5.47 बजे     विशेषाधिकार समिति के प्रथम प्रतिवेदन पर विचार एवं स्‍वीकृति.

          डॉ. राजेन्‍द्र पाण्‍डेय (सभापति, विशेषाधिकार समिति)--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपके मार्गदर्शन में विशेषाधिकार समिति निरंतर कार्य करते हुये अपना प्रथम प्रतिवेदन सदन में प्रस्‍तुत कर रही है. मैं आपका धन्‍यवाद ज्ञापित करना चाहता हूं और इसी के साथ-साथ विशेषाधिकार समिति के सभी सदस्‍यों का, सभी सम्‍मानीय अधिकारियों का हृदय से बहुत-बहुत कृतज्ञता ज्ञापित करता हूं.

         

अध्‍यक्ष महोदय--  विधान सभा की कार्यवाही गुरूवार, दिनांक 16 मार्च 2023 को प्रात: 11.00 बजे तक के लिये स्‍थगित.

          अपराह्न 5.49 बजे विधान सभा की कार्यवाही गुरूवार, दिनांक 16 मार्च 2023 (फाल्‍गुन 25, शक संवत 1944) के पूर्वाह्न 11.00 बजे तक के लिये स्‍थगित की गई.

 

भोपाल :                                                                अवधेश प्रताप सिंह

दिनांक : 15 मार्च, 2023.                                                  प्रमुख सचिव

                                                                                         मध्‍यप्रदेश विधान सभा