मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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पंचदश विधान सभा चतुर्दश सत्र
फरवरी-मार्च, 2023 सत्र
बुधवार, दिनांक 15 मार्च, 2023
(24 फाल्गुन, शक संवत् 1944 )
[खण्ड- 14 ] [अंक- 8 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
बुधवार, दिनांक 15 मार्च, 2023
(24 फाल्गुन, शक संवत् 1944 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.03 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}
11.03 बजे तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
चिकित्सकों के रिक्त पदों की पूर्ति
[लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण]
1. ( *क्र. 1345 ) श्री लक्ष्मण सिंह : क्या लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्न दिनांक तक विधानसभा क्षेत्र में स्थित शासकीय चिकित्सालयों और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में चिकित्सकों/गैर चिकित्सकों के कितने-कितने पद रिक्त हैं? (ख) उपरोक्त रिक्त पदों की सूची के साथ किस-किस दिनांक से रिक्त हैं, इसका विवरण उपलब्ध कराएं? (ग) इन रिक्त पदों को किस दिनांक तक भरा जाएगा?
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ( डॉ. प्रभुराम चौधरी ) : (क) एवं (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) विभाग रिक्त पदों की पूर्ति हेतु निरंतर प्रयासरत है। विशेषज्ञों के रिक्त पदों की पूर्ति हेतु चयन की कार्यवाही संपादित की जा रही है एवं विशेषज्ञों के कुल स्वीकृत पदों में से 25 प्रतिशत पदों पर सीधी भर्ती द्वारा पदपूर्ति की कार्यवाही संपादित की जा रही है। चिकित्सा अधिकारियों के रिक्त पदों की पूर्ति हेतु 1456 पदों का विज्ञापन मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा जारी किया जा चुका है, तृतीय श्रेणी/नर्सिंग एवं पैरामेडिकल पदों पर कर्मचारी चयन मण्डल के माध्यम से चयन की कार्यवाही निरंतर की जा रही है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के माध्यम से भी चिकित्सक/पैरामेडिकल/नर्सिंग संवर्ग की पदपूर्ति की कार्यवाही निरंतर जारी है। पदपूर्ति एक निरंतर प्रक्रिया है, पदपूर्ति हेतु निश्चित समयावधि बताई जाना संभव नहीं है।
श्री लक्ष्मण सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने उत्तर में बताया है कि जो रिक्त पद हैं, उनको भरने की समयावधि बताना संभव नहीं है. मैं इसकी आलोचना नहीं करूंगा क्योंकि यह समस्या कई वर्षों से है और यह अभी भी है. मेरा मंत्री जी से केवल एक नीतिगत प्रश्न है कि आप ही की सरकार ने और आप ही के मुख्यमंत्री जी ने इस विषय में कुछ साल पहले एक निर्णय लिया था कि जहां रिक्त स्थान पड़े हैं, जो शासकीय अस्पताल ठीक से नहीं चल रहे हैं, वहां उन्होंने पी.पी.पी. मॉडल पर अस्पतालों को दिया था और नगर पालिकाओं से एग्रीमेंट कराकर कुछ प्रायवेट हॉस्पिटल ने और प्रायवेट इंडस्ट्रियल ग्रुप्स ने अस्पताल चलाये थे और बड़े सफलता से वह चले भी थे, ऐसा ही एक अस्पताल हमारे राघौगढ़ में गेल ने 50 पलंग का बनाया था. वह अभी भी बना है परंतु दुर्भाग्यवश खाली पड़ा है और वहां स्टॉफ कॉटेज भी है. वह अस्पताल आप ही की सरकार ने जे.पी.ग्रुप को दिया था और नगर पालिका राघौगढ़ ने मिलकर उसको चलाया था पर उस समय आयुष्मान योजना नहीं थी, इसलिये वह अस्पताल चल नहीं पाया, आज आयुष्मान आपके पास है. मैं आपसे यह जानना चाहता हूं कि क्या आप उसी प्रक्रिया को चालू रखते हुए ऐसे अस्पताल जो हैं, जहां स्टॉफ की कमी है, उनको पी.पी. मोड पर निजी क्षेत्र में देंगे.
एक उसमें राघौगढ़ का हमारा अस्पताल भी है, अगर आप ऐसा करेंगे तो अभी क्या है अभी कोरोना से हम निकले हैं, हमारे हजारों साथियों को हमने खो दिया है, एच-3 एन-1 वायरस दस्तक दे रहा है, आया नहीं है तो दस्तक तो दे रहा है, हमारे देश में फैला हुआ है. ऐसे समय में आप यह कहकर कि स्टॉफ नहीं है, अपना पल्ला नहीं झाड़ सकते. आपको कोई नीतिगत निर्णय लेना पड़ेगा, आप अपनी सरकार का निर्णय अगर दोहरायेंगे और आयुष्मान कार्ड की सुविधा आज है तो मैं समझता हूं कि बहुत हद तक हम इस समस्या का समाधान ढूंढ पायेंगे. क्या आप ऐसा करेंगे मेरा यह सवाल है, आप अभी उत्तर न दें कोई बात नहीं पर क्या आप ऐसा करने जा रहे हैं या सोचेंगे ?
डॉ. प्रभुराम चौधरी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय हमारे वरिष्ठ सदस्य लक्ष्मण सिंह जी ने जो डॉक्टरों की पूर्ति के लिये प्रश्न किया था, माननीय अध्यक्ष महोदय, वह तो हम प्रयास कर ही रहे हैं, माननीय सदस्य जी जानते हैं, अभी उन्होंने जो प्रश्न किया है कि निजी अस्पतालों से आयुष्मान की योजना के संबंध में तो निजी अस्पतालों से हम आयुष्मान योजना का अनुबंध अभी करते हैं.
श्री लक्ष्मण सिंह-- नहीं, नहीं निजी अस्पताल नहीं, सरकारी अस्पताल दिया था निजी क्षेत्र में पीपीपी मॉडल पर, क्या आप सरकारी अस्पतालों को उसी तरह निजी क्षेत्र में देने की कोई योजना बना रहे हैं, आपने ही दिया था, आपकी सरकार ने ही दिया था, शिवराज सिंह जी ने दिया था ?
डॉ. प्रभुराम चौधरी-- अभी सरकारी अस्पतालों को पीपीपी मॉडल पर देने की कोई योजना अभी नहीं है.
श्री लक्ष्मण सिंह-- क्या बनायेंगे ?
डॉ. प्रभुराम चौधरी-- इस पर विचार करेंगे.
श्री लक्ष्मण सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बहुत गंभीर विषय है अगर आप भी आदेशित करें और संसदीय कार्यमंत्री जी बैठे हैं आपसे भी मैं निवेदन करूंगा आप मुख्यमंत्री जी से कहें कि थोड़ा इस विषय में गंभीरता से करें और हम लोगों से जो सहयोग बनेगा हम करेंगे. धन्यवाद.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- माननीय अध्यक्ष महोदय, पहले तो लक्ष्मण सिंह जी को धन्यवाद कि उन्होंने माना कि आयुष्मान योजना बहुत सफल जा रही है जैसा उन्होंने कहा वैसे वह वेबाक बोलने के लिये बहुत फैमस हैं उसमें भी उनका आभार और उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जी.....
श्री लक्ष्मण सिंह-- सफल नहीं जा रही, कुछ घपले भी हुये हैं, पर योजना अच्छी है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- अच्छी है, मैं वही कह रहा हूं, आपका आभार कर रहा हूं कि आपने प्रधान मंत्री जी की योजना का, दूसरा उन्होंने मुख्यमंत्री जी को कहने को कहा है, मैं और स्वास्थ मंत्री जी प्रभुराम चौधरी जी दोनों ही एक साथ कहेंगे.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न क्रमांक- 2 (अनुपस्थित)
खाद्य पदार्थों की जांच
[लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण]
3. ( *क्र. 2326 ) श्री सूबेदार सिंह सिकरवार रजौधा : क्या लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मुरैना जिला में 2020 से प्रश्न दिनांक तक निरीक्षक द्वारा किस-किस दिनांक को कहां-कहां खाद्य सामग्री के सेम्पल लिये गये और किस-किस दिनांक को लिये गये सेम्पल प्रयोगशाला में भेजे गये? सेम्पलों की मानक/अमानक परिणामों से अवगत करावें। (ख) प्रश्न दिनांक तक विभाग में कौन-कौन खाद्य निरीक्षक/अधिकारी कितनी समयावधि से पदस्थ हैं और कितने ऐसे कर्मचारी हैं, जिनके स्थानांतरण होने के बावजूद भी स्थानांतरण निरस्त कर वहीं पर पदस्थ कर दिये गये हैं? स्थानांतरण करने के एवं निरस्तीकरण करने के क्या कारण रहे? (ग) क्या लिये गये सेंपलों में से 90 प्रतिशत मानक पाये जाते हैं, ऐसे व्यापारियों के प्रतिष्ठानों से सेंपल लेते समय निरीक्षकों द्वारा अभद्रता, मानहानि एवं लोकल मीडिया व प्रिन्ट मीडिया में समाचार देकर मानहानि की जाती है? यदि हाँ, तो ऐसा क्यों? यदि नहीं, तो सेपल लिये जाना एक सामान्य प्रक्रिया है, बड़े स्तर पर इनका प्रचार क्यों किया जाता है, इस संबंध में विभाग अपने अधिकारियों को दिशा-निर्देश देगा?
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ( डॉ. प्रभुराम चौधरी ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) उत्तरांश ''क'' के आलोक में खाद्य निरीक्षक/अधिकारी की पदस्थी से संबंधित जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (ग) उत्तरांश ''क'' के आलोक में जी नहीं। जी नहीं। शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
श्री सूबेदार सिंह सिकरवार रजौधा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से पूछा है कि खाद्य सुरक्षा के तहत जो आप सेम्पल लेते हैं उस दुकान पर जाकर के, मीडिया को साथ लेकर के और बड़ी भीड़-भाड़ के साथ 100-50 आदमी एकत्रित करके आप सेम्पल लेते हैं. लेकिन जब सेम्पल का परीक्षण होता है तो वह मानक पाया जाता है, मेरे पास जो परिशिष्ट में जो उत्तर दिये हैं उसमें 90 प्रतिशत से अधिक मानक हैं. कोई जवाब तो मंत्री जी ने दिया नहीं है, उसमें लिखा है कि परिशिष्ट में है. मैंने पूछा था कि मुरैना जिले में वर्ष 2020 से प्रश्न दिनांक तक निरीक्षक द्वारा किसी-किस दिनांक को कहां-कहां खाद्य सामग्री के सेम्पल लिये गये और किस दिनांक को सेम्पल लिये गये ?
अध्यक्ष महोदय-- विधायक जी, वह परिशिष्ट भी उत्तर ही है, उसमें आया है, आपको प्रश्नों को पड़ने की जरूरत नहीं है, उसमें आया है.
श्री सूबेदार सिंह सिकरवार रजौधा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह कह रहा हूं कि मेरे विधान सभा क्षेत्र में 2 नगर हैं और उसमें जब इनके इंस्पेक्टर सेम्पल लेते हैं तो भीड़-भाड़ के साथ 100-50 आदमियों के साथ भीड़ एकत्रित कर लेते हैं और उसका सेम्पल मानक पाया जाता है, ऐसी स्थिति में उस दुकानदार का तो फट्टा साफ हो गया. 100-200 लोगों ने उसको देखा है, वह कहेंगे यह तो नकली माल बेच रहा है. मैंने माननीय मंत्री जी से पूछा है कि क्या अधिकारी ऐसी जानकारी आप तक पहुंचाते हैं क्या ?
डॉ.प्रभुराम चौधरी - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो जानकारी मांगी थी हमने पूरी जानकारी दी है कि कब कौन सी तारीख को सेम्पल लिये गये. दो प्रकार के सेम्पल लेते हैं. एक तो सर्विलेंस के सेम्पल और दूसरे लीगल सेम्पल. जैसा माननीय सदस्य ने कहा कि मीडिया को ले जाते हैं तो मीडिया को नहीं ले जाते हैं. जो सेम्पल लिये जाते हैं, सर्विलेंस के सेम्पल जो होते हैं वहां और किसी को इसकी जानकारी नहीं दी जाती. सेम्पल लेने के बाद जो स्थिति होती है वह प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से जनता को बताया जाता है. जैसा माननीय सदस्य ने बताया तो किसी भी व्यापारी को परेशान करने का कोई उद्देश्य नहीं होता. एक तो शुद्ध खाद्य सामग्री नागरिकों को मिले. इसके लिये समय-समय पर विभाग द्वारा नमूने लिये जाते हैं और उनको प्रयोग शाला में भेज दिया जाता है और जो लीगल होते हैं जो पास हो जाते हैं उनको जानकारी मिल जाती है जो फेल हो जाते हैं उन पर कार्यवाही की जाती है.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा सिकरवार - अध्यक्ष महोदय, मैं सेम्पल लेने के खिलाफ नहीं हूं.सेम्पल लेने की हमारी सरकार की मंशा है. सेम्पल लें और जनता को बिकने वाला सामान अच्छा बिके. उसमें किसी प्रकार की मिलावट न हो लेकिन एक जानकारी अध्यक्ष महोदय के माध्यम से लाना चाहता हूं. मैंने जो प्रश्न पूछा है उसमें एक हजार से ज्यादा सेम्पल लिये उसमें केवल 138 मानक हैं और जो सेम्पल लिये गये हैं अमानक और मानक भी वैसे ही नहीं हो गये. इसमें भी उन इन्स्पेक्टरों की बदनीयत है. उनके ट्रांसफर होते हैं केंसिल करा लेते हैं और वहीं जमे हैं. मैं मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि पहली बात तो सेम्पल लें साधारण तरीके से, उसका पंचनामा बना लें. बगल के दुकानदार को बुला लें लेकिन बड़ी भीड़भाड़ के साथ उसका तमाशा बनाकर उसकी दुकान में ताला लग जाता है. उस दुकान में कोई सौदा नहीं लेने जाता कि नकली माल है और जब वह परीक्षण होकर जाता है तो मानक है तो इसकी कोई व्यवस्था माननीय मंत्री जी करेंगे. मेरा सदन में कहना ठीक नहीं है. मेरी भाषा आप समझ रहे होंगे. जितने भी मानक हों, चाहे वह मानक हों या अमानक हों. जितने भी सेम्पल लिये गये हैं उनकी सही नीयत से रिपोर्ट नहीं बनी उसका कारण आप समझ रहे होंगे. मैं सदन में नहीं कह रहा. विपक्ष भी बैठा है लेकिन अधिकारी पूरी तरह से बेईमानी कर रहे हैं.
श्री बापूसिंह तंवर - माननीय मंत्री जी, समझो, माननीय विधायक जी की पीड़ा है. इसमें बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार हो रहा है. (XXX)
श्री सूबेदार सिंह रजौधा सिकरवार - अध्यक्ष महोदय, सरकार की मंशा शुद्ध है नहीं तो सेम्पल नहीं लिये जाते.उनका परीक्षण नहीं होता लेकिन आपके बैठे हुए पुराने जमाने के अधिकारियों की नीयत ठीक नहीं है. हां, उन अधिकारियों के कारण हो भी हो रहा है हो रहा है. सुधारते-सुधारते उनको ठीक कर रहे हैं.
डॉ.प्रभुराम चौधरी - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो प्रश्न उठाया है तो माननीय सदस्य से मैं चर्चा कर लूंगा अगर कोई व्यक्ति है, कोई समस्या है किसी प्रकार की, वैसे शासन,विभाग की ऐसी कोई मंशा नहीं रहती कि किसी भी व्यापारी को परेशान किया जाये. जांच हम लोग करते हैं शुद्धता के लिये और उसके लिये हम लोग हाईजीन(hygiene) रेटिंग भी करते हैं. जिन व्यापारियों की अच्छी गुणवत्तापूर्ण सामग्री मिलती है. उनकी रेटिंग भी करते हैं थ्री स्टार, उनको बताते हैं कि अच्छी सामग्री यहां मिल रही है और कोई व्यक्तिगत ऐसा कोई मामला हो तो माननीय विधायक जी बता देंगे तो उसकी जानकारी लेकर हम उस पर कार्यवाही करेंगे.
अध्यक्ष महोदय - उनकी मंशा केवल यह है कि जो भीड़-भाड़ लेकर जाते हैं तो साधारण तरीके से जाएं.
डॉ.प्रभुराम चौधरी - माननीय अध्यक्ष महोदय, भीड़-भाड़ लेकर कहीं भी नहीं जाते हैं. कभी अगर कोई अमला जाता है भीड़ आटोमेटिक कहीं इकट्ठी हो जाती तो वह बात अलग है लेकिन ऐसे न निर्देश हैं. न कोई इंस्पेक्टर भीड़-भाड़ लेकर जाता है.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा सिकरवार - अध्यक्ष महोदय, मैंने जब यह आपत्ति की है और मैंने प्रश्न लगाया है तो माननीय मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि जो ट्रांसफर करा-कराकर मुरैना में पहुंच जाते हैं और पूरी तरह से वह वहां जमे हुए हैं. मिले हुए हैं. मीडिया वाले को भी बुलाते हैं और पूरी भीड़भाड़ लगती है. मेरे जौरा और कैलारस के व्यापारियों की 60 परसेंट दुकानों से कोई सामग्री नहीं खरीदता लेकिन जब मानक आ जाएं तब भी आप उसी प्रकार से प्रेस कांफ्रेंस करो कि यह सेम्पल लिये गये वह सही निकले लेकिन वह सेम्पल सही निकलने के लिये उन अधिकारियों की नीयत ठीक नहीं है. शासन की मंशा के अनुकूल वह काम नहीं कर रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे यह आग्रह करुंगा कि कोई उचित आप निर्देश इनको दें, जिससे सेम्पल का परीक्षण भी हो जाये और व्यापारी की बदनामी भी नहीं हो.
अध्यक्ष महोदय-- इस संबंध में कोई निर्देश जारी कर दीजिये कि व्यापारी बदनाम नहीं हों.
डॉ. प्रभुराम चौधरी-- अध्यक्ष महोदय, सरकार के द्वारा ऐसे कोई भी निर्देश नहीं दिये गये हैं. मैंने आपके माध्यम से सदस्य जी से निवेदन किया है कि अगर उनको कहीं व्यक्तिगत किसी प्रकार की दिक्कत है, जहां तक पोस्टिंग की बात है, तो सबकी तारीखवार मेरे पास जानकारी है. श्री अनिल प्रताप सिंह 1.7.2017 को, श्री धर्मेन्द्र कुमार जैन 8.12.2016 से, श्री महेन्द्र सिंह 1.7.2017 से, श्रीमती किरण सेंगर 14.9.2021 से और गिरीश राजौरिया 5.8.2022 से वहां पर हैं और मुरैना जिले में किसी का भी न तो स्थानांतरण, खाद्य सुरक्षा अधिकारी का स्थानांतरण निरस्त नहीं किया गया है.
अध्यक्ष महोदय-- ठीक है.
श्री सूबेदार सिंह सिकरवार रजौधा-- अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
पुरानी पेंशन योजना की बहाली
[वित्त]
4. ( *क्र. 1330 ) श्री सज्जन सिंह वर्मा : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या दिनांक 01 अप्रैल, 2004 के बाद प्रदेश में नियुक्त कर्मचारियों की पुरानी पेंशन योजना बंद कर दी गई है? (ख) यदि हाँ, तो क्या राज्य के कर्मचारियों एवं उनके संगठन द्वारा लंबे समय से पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की मांग की जा रही है, को दृष्टिगत रखते हुए पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की दिशा में राज्य सरकार कोई निर्णय लेगी? यदि नहीं, तो क्यों? यदि हाँ, तो कब तक?
वित्त मंत्री ( श्री जगदीश देवड़ा ) : (क) जी नहीं। प्रदेश में दिनांक 01 जनवरी, 2005 अथवा उपरांत नियुक्त कार्मिकों हेतु नवीन पेंशन योजना लागू की गयी है। उक्त दिनांक से पूर्व नियुक्त कार्मिक पुरानी पेंशन योजना (पेंशन नियम 1976) के अंतर्गत है। (ख) पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने के संबंध में कोई प्रस्ताव वर्तमान में विचाराधीन नहीं है। राज्य शासन आवश्यक सभी तथ्यों का उचित विश्लेषण करते हुए, निर्णय लेता है। शेष का प्रश्न उत्पन्न नहीं होता है।
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- अध्यक्ष महोदय, बड़ा महत्वपूर्ण प्रश्न आज आपकी अनुमति से सदन में पूछने का मुझे अवसर मिला है. इस मध्यप्रदेश में बड़ी ज्वलंत समस्या लाखों लाख कर्मचारी पुरानी पेंशन की मांग करने के लिये सड़कों पर भटक रहे हैं, हड़ताल कर रहे हैं. लेकिन यह (XXX) उस पुरानी पेंशन को लागू करने के बारे में कोई निर्णय नहीं ले रही है. मेरा बड़ा सीधा सा स्पेसीफिक प्रश्न है. क्या कर्मचारी संगठनों के द्वारा पुरानी पेंशन बहाल करने के लिये आपसे या मुख्यमंत्री जी से अनुरोध किया गया है. क्या कोई मांग पत्र आपको मिला है, उस बारे में आपने कोई जवाब नहीं दिया है. मिला है, नहीं मिला है. यह बता दीजिये.
श्री जगदीश देवड़ा-- अध्यक्ष महोदय, उत्तर में स्पष्ट लिखा है, हमने उत्तर में बताया भी है कि पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने के संबंध में कोई प्रस्ताव वर्तमान में विचाराधीन नहीं है. राज्य शासन आवश्यक सभी तथ्यों का उचित विश्लेषण करते हुए, निर्णय लेगा.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- अध्यक्ष महोदय, यही तो विसंगति है. मैं आपके शासकीय प्रस्ताव की बात नहीं कर रहा हूं. क्या कर्मचारी संगठनों ने आपसे मुलाकात की, आपको पुरानी पेंशन बहाल करने के लिये अपना मांग पत्र दिया, मैं उसके बारे में बात कर रहा हूं. आप तो विचार करना ही नहीं चाहते हैं. आपकी सरकार विचार करना ही नहीं चाहती है, वह तो पूरे लाखों लाख कर्मचारी देख रहे हैं. मिला कि नहीं मिला, मैं आपसे उसकी बात कह रहा हूं.
श्री जगदीश देवड़ा-- अध्यक्ष महोदय, जैसा कि हमारे आदरणीय सज्जन सिंह जी बोल रहे हैं कि कर्मचारियों के बारे में शासकीय सेवकों के बारे में, तो मैं सदन को यह बताना चाहता हूं कि शासकीय सेवकों के हित में इस सरकार ने क्या निर्णय लिये हैं, मैं यह भी बता दूं.
...(व्यवधान)..
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- अध्यक्ष महोदय, मेरा स्पीसफिक प्रश्न है. बड़ा सिम्पल प्रश्न है.
श्री जगदीश देवड़ा-- अध्यक्ष महोदय, अभी हमारे पास ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है. ..(व्यवधान).. ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है.
..(व्यवधान)..
श्री लक्ष्मण सिंह-- अध्यक्ष महोदय, यह तो मंत्री जी बजट की बात करने लगे. यह प्रश्नकाल है, बजट पर चर्चा नहीं है.
अध्यक्ष महोदय-- वह कह रहे हैं कि कोई प्रस्ताव नहीं है. आपने जो कहा, उसका सीधा उत्तर आ गया ना.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- अध्यक्ष महोदय, मैं जवाब दे रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय-- जवाब आपको थोड़ी देना है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- अध्यक्ष महोदय, आपके लाखों कर्मचारी हड़ताल पर बैठे हैं. इनके मंत्रिमण्डल के लोग वहां उन्हें..
डॉ. सीतासरन शर्मा-- अभी तो साहब आप जवाब मत दो, आप प्रश्न पूछो. आप जवाब देने के लिये यहां थे, अब आप वहां चले गये.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- मैं जो गलत बोल रहे हैं, उसको सुधार दूं ना. आप तो सुधार नहीं पाये यहां बैठकर.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को-- मंत्री जी, एक शब्द बतायें कि पुराना पेंशन लागू करेंगे या नहीं. 5 लाख कर्मचारी आंदोलित हैं आज मध्यप्रदेश में.
अध्यक्ष महोदय-- आप कृपया बैठें. उसका उत्तर आ गया.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- अध्यक्ष महोदय, इनके मंत्रिमण्डल के तमाम सहयोगी मंत्री जो हड़ताल पर बैठे हैं, वहां जाते हैं, उनको बरगलाते हैं कि नहीं, हम लगे हैं, हम तुम्हारी मांग पूरी करायेंगे. वे मांग पत्र लेकर आते हैं वहां से, (XXX) आप लोग, आपकी सरकार के मंत्री जाते हैं (XXX)
श्री जगदीश देवड़ा - अध्यक्ष महोदय, यह कहना बिल्कुल गलत है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - लाखों कर्मचारियों के हित के साथ आप कुठाराघात कर रहे हैं. आप कर रहे हैं, आपकी सरकार कर रही है.
श्री जगदीश देवड़ा - यह सरकार कर्मचारियों का पूरा सम्मान कर रही है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - मंत्री आपके जाते हैं, फोटो खिंचवाकर आ जाते हैं. माननीय मंत्री जी, मुझे बोल लेने दीजिए.
नेता प्रतिपक्ष (डॉ. गोविन्द सिंह) - अध्यक्ष महोदय, क्या अभी आप जो सप्लीमेंट्री बजट आने वाला है, उस सप्लीमेंट्री बजट में कर्मचारियों को पुरानी पेंशन देने के लिए प्रावधान करेंगे ?
अध्यक्ष महोदय - वह उत्तर तो आ गया है कि कोई विचाराधीन नहीं है.
श्री जगदीश देवड़ा - अध्यक्ष महोदय, मैंने पहले भी कहा है कि ऐसा कोई प्रस्ताव हमारे पास नहीं है.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न क्रमांक 5 श्री संजय यादव जी.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - अध्यक्ष महोदय, एक मिनट मेरी आखिरी बात कहना है, ज्यादा देर नहीं चला रहे हैं क्योंकि इनके पास में जवाब नहीं है. (XXX)
अध्यक्ष महोदय - अब आपका नहीं आएगा. आपकी बात आ गई है. आप बजट में कह लीजिएगा. प्रश्न क्रमांक 5
डॉ. गोविन्द सिंह - अध्यक्ष महोदय, आपके पास चीतों के लिए 300 करोड़ रुपये हैं, विकास यात्रा के लिए हजारों करोड़ रुपये फूंक रहे हो, 7 लाख कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन के लिए आपके पास में पैसा नहीं है, अनेक प्रदेशों ने इसे लागू कर दिया है. ज्यादा विपक्षी सरकारों ने लागू किया है. जब आपके पास खजाने में पैसे की कमी नहीं है, मुख्यमंत्री जी कहते हैं कि पर्याप्त पैसा है, खजाना भरा हुआ है तो फिर आप कर्मचारियों पर कुठाराघात क्यों कर रहे हो? आप इसका जवाब दीजिए.
(व्यवधान)..
श्री सज्जन सिंह वर्मा -(XXX)
अध्यक्ष महोदय - आपकी बात आ गई है, आपका भाषण आ गया है. श्री संजय यादव जो बोलेंगे वही लिखा जाएगा.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को -(XXX)
(व्यवधान)
11.22 बजे बहिर्गमन
इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा सदन से बहिर्गमन
नेता प्रतिपक्ष (डॉ. गोविन्द सिंह) - अध्यक्ष महोदय, सरकार कर्मचारी विरोधी है, कर्मचारियों को नुकसान पहुंचाने वाली है, कर्मचारियों के हितों का संरक्षण नहीं कर रही है. पुरानी पेंशन योजना लागू नहीं कर रही है, इसलिए कांग्रेस पार्टी विरोधस्वरूप बहिर्गमन करती है.
(नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविन्द सिंह के नेतृत्व में इंडियन नेशनल कांग्रेस पार्टी के सदस्यों द्वारा पुरानी पेंशन बहाली न किये जाने के विरोध में शासन के जवाब से असंतुष्ट होकर सदन से बहिर्गमन किया गया.)
प्रश्न संख्या 5
स्वास्थ्य संस्थाओं का संचालन
[लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण]
5. ( *क्र. 2255 ) श्री संजय यादव : क्या लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधानसभा प्रश्न क्रमांक 694, दिनांक 26.07.2022 के उत्तरांश (ख) में विभाग ने बताया है कि वर्ष 2021 में स्वीकृत 263 स्वास्थ्य संस्थाओं में मानव संसाधन स्वीकृत करने हेतु प्रस्ताव सक्षम अनुमोदन उपरांत मंत्री परिषद में ले जाया जा रहा है? शासन को भेजे गए प्रस्ताव की प्रति देवें। (ख) प्रश्नांश (क) का उत्तर यदि हाँ, है तो अधिकारियों की उदासीनता के चलते 6 माह व्यतीत होने के बाद भी उक्त संस्थाओं में मानव संसाधन उपलब्ध क्यों नहीं हो पाये हैं? उत्तर दिनांक से प्रश्न दिनांक तक की गई समस्त कार्यवाही से अवगत कराते हुए किये गये पत्राचारों/नस्ती की प्रति उपलब्ध करावें। उक्त संस्थाओं में मानव संसाधन कब तक उपलब्ध कराये जावेंगे? (ग) स्वीकृत 263 स्वास्थ्य संस्थाओं में से जिन संस्थाओं में पूर्व से भवन निर्मित हैं, उनकी सूची देवें। उक्त भवनों में स्वास्थ्य संस्थाओं का संचालन कब से कराया जावेगा? (घ) प्रश्नांश (क) में वर्णित 263 संस्थाओं में जिला जबलपुर के बरगी स्वास्थ्य केन्द्र का भी उन्नयन हुआ है? क्या बरगी में अस्पताल संचालन हेतु उपर्युक्त नवीन भवन पूर्व से निर्मित है? यदि हाँ, तो बरगी में 30 बिस्तर अस्पताल का संचालन कब तक प्रारंभ होगा?
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ( डॉ. प्रभुराम चौधरी ) : (क) जी हाँ। 263 स्वास्थ्य संस्थाओं में मानव संसाधन की स्वीकृति के विभागीय प्रस्ताव की मूल नस्ती वित्त विभाग को अभिमत हेतु प्रेषित होने के कारण प्रस्ताव की प्रति अनुपलब्ध है। (ख) उत्तरांश (क) के अनुक्रम में प्रश्न उपस्थित नहीं होता। निश्चित समय अवधि बताया जाना संभव नहीं है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। निश्चित समय अवधि बताया जाना संभव नहीं है। (घ) जी हाँ। जी हाँ। निश्चित समय अवधि बताया जाना संभव नहीं है।
श्री संजय यादव - अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से आदरणीय मंत्री जी से बरगी में 30 बिस्तरों का अस्पताल दिनांक 23.9.21 को 10 बिस्तर से 30 बिस्तर में उन्नयन हुआ है कि नहीं? दूसरा, एक वर्ष से भवन बनकर तैयार हैं और आप अपने जवाब में कह रहे हैं कि पद स्वीकृति के लिए जो फाईल वित्त विभाग में अटकी है उसकी जानकारी आपके पास में नहीं है, इसलिए आपने लिखित में नहीं दिया कि वित्त विभाग के पास मामला गया है कि नहीं गया है, यह सरकार की घोर लापरवाही है कि जो भवन एक साल से स्वास्थ्य जैसी सुविधाओं के लिए तैयार है, उसमें पद स्वीकृत नहीं कर रहे हैं और लापरवाही कहां हुई कि कमलनाथ सरकार के समय वह मैंने डीएमए फंड से भवन बनवा लिया, एक साल बाद आपने उपकरण भी दे दिये. एक साल बाद जब में उन्नयन मांग रहा था, आपने फिर से वही भवन 5 करोड़ 73 लाख रुपये का स्वीकृत कर दिया? जहां भवन बन गया था मैं उन्नयन मांग रहा था, लेकिन विभाग की लापरवाही, विभाग को यह भी नहीं मालूम था कि भवन बन चुका है उसके बाद हमें पद स्वीकृत करना है या उपकरण देना है, लेकिन वाह री अंधेर नगरी चौपट राजा की सरकार, यहां लोगों को यह भी नहीं मालूम आपके विभाग वालों को कि भवन बन चुका है. और गंभीर लापरवाही कहां है कि उपकरण के लिये 10 बिस्तर का मैटरनिटी अस्पताल यहां से इक्युपमेंट, सामान विगत एक साल पहले स्वीकृत हो गये, बजट भी आवंटित हो गया लेकिन सामान कहां रखा है किसी को नहीं मालूम. फिर विभाग की दूसरी लारवाही कि एक बजट आवंटित करके लिखते हैं कि प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के लिये 60 लाख रुपये की राशि स्वीकृत की और अंदर वाले पेज में लिखते हैं कि 30 बिस्तर के लिये हमने बजट राशि आवंटित कर दी. एक बार 68 लाख, एक बार 60 लाख, एक बार 8 लाख और डेढ़ साल पहले से वह सामान कहां है, कहां नहीं रखा है, एक साल पहले से सामान की कोई व्यवस्था कर पाई सरकार कि नहीं कर पाई.
अध्यक्ष महोदय – संजय जी, आप प्रश्न करिये.
श्री संजय यादव – अध्यक्ष महोदय, वहां जो 30 बिस्तर बने हैं उसके लिये आप कब तक पद स्वीकृत करेंगे और वह सामान कब तक वहां अस्पताल में रखवाएंगे ?
डॉ. प्रभुराम चौधरी – अध्यक्ष महोदय, माननीय संजय जी ने जो बात रखी है यह बात सही है कि वर्ष 2021-22 में जो हमने मध्यप्रदेश में 263 स्वास्थ्य संस्थाएं पूरे प्रदेश में खोली थीं उसमें ही आपका बरगी का भी हमने 6 बिस्तर के अस्पताल का उन्नयन 30 बिस्तर में किया था. अब पद स्वीकृति के लिये 30 बिस्तर अस्पताल की प्रशासकीय स्वीकृति जारी की गई और भवन दोबारा नहीं बनाया जा रहा है. डीएमएफ माइनिंग के फंड से भवन बन गया है इसलिये दोबारा नहीं बनाया जा रहा है और पद स्वीकृति के लिये विभाग की फाइनेंस से बात चल रही है और फाइल वहां पर हमने भेजी भी है और अभी हमारे माननीय वित्त मंत्री जी ने बजट भाषण में घोषणा भी की है कि जो हमारे आईपीएच के नॉर्मस हैं उनके अनुसार हम कार्यवाही करेंगे, उन पदों की स्वीकृति हो जाएगी तो अस्पताल शुरू हो जाएगा.
श्री संजय यादव – अध्यक्ष महोदय, मेरा माननीय मंत्री जी, आपसे एक निवेदन है आप कह रहे थे कि डीएमएफ फंड से भवन बन चुका है और हमने स्वीकृति दी है फिर आपने भवन क्यों स्वीकृत कर दिया यह आपकी, आपके अधिकारियों की लापरवाही है कि नहीं ? दूसरी बात, आप कह रहे हैं कि वित्त मंत्री जी ने कहा है, डेढ़ साल पहले भवन बनकर तैयार है आपने कहा कि वित्त मंत्री जी ने कहा है स्वास्थ्य जैसी सुविधाओं के लिये. अभी वित्त मंत्री विचार कर रहे हैं. क्या वित्त मंत्रालय इतना लापरवाह है कि मंत्री जी की बात नहीं सुनता ? 6 महीने से आपकी फाइल वित्त मंत्रालय में पड़ी है, क्या सरकार गंभीर है ? माननीय मुख्यमंत्री लापरवाह हैं, क्योंकि उस क्षेत्र में आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है, अभी 10 मौतें हो चुकी हैं वहां क्योंकि अस्पताल ना होने के कारण जबलपुर आते-आते लोग रास्ते में खत्म हो जाते हैं, लेकिन इस गंभीर मुद्दे पर आपकी सरकार लापरवाही बरत रही है और मैंने आपसे पूछा था कि उपकरण खरीद लिये कि नहीं खरीद लिये. आपको मालूम होना चाहिये कि उपकरण खरीदे जा चुके हैं. अगर खरीदे जा चुके हैं तो इतने पहले बगैर पद स्वीकृति के उपकरण क्यों खरीद लिये आपने ? यह भी तो आपकी लापरवाही है. यह सरकार की घोर लापरवाही है.
डॉ. प्रभुराम चौधरी – अध्यक्ष महोदय, मैंने स्पष्ट कहा कि बजट भाषण में माननीय वित्त मंत्री जी ने स्पष्ट रूप से कहा है कि हम आईपीएच नॉर्मस के अनुसार पद स्वीकृत करेंगे.
श्री संजय यादव – पिछले साल भी तो बजट भाषण में कहा था.
डॉ. प्रभुराम चौधरी – आप अगर बात कर रहे हैं तो आप भी जब सरकार में थे तभी आप स्वीकृत करा लेते ? 263 स्वास्थ्य संस्थाएं भारतीय जनता पार्टी की सरकार, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी की सरकार द्वारा स्वीकृत किये गये हैं जिसमें आपके बरगी का भी शामिल किया गया है.
श्री बाला बच्चन – माननीय मंत्री जी, अभी आपका कहना है कि अभी आप नहीं करेंगे. अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी की बात से यह तात्पर्य और आशय निकलता है कि आप नहीं करेंगे. मतलब हम करेंगे उसका इंतजार कर रहे हैं आप ?
डॉ. प्रभुराम चौधरी – हमने किया है.
श्री संजय यादव – कहीं नहीं किया. मंत्री जी, आप अपने नियम समझ लीजिये.
श्री कांतिलाल भूरिया – कमलनाथ जी की सरकार अच्छी भली चल रही थी, यह सब उधर जाकर बैठ गये नहीं तो अच्छा भला हमारा सब काम हो जाता.
श्री संजय यादव -- मंत्री जी, एक मिनट, आप अपने नियम समझ लें. स्वास्थ्य विभाग क्या करता है, पहले उन्नयन करता है. दो साल बाद बिल्डिंग देता है. जब पांच साल में बिल्डिंग बनती है, तब तीन साल बाद पद देता है. कोई भी अस्पताल के उन्नयन की आपकी प्रक्रिया 10 साल की है. हमने क्या किया, आप ऊपर से नीचे आते हैं, हम नीचे से ऊपर जाते हैं. हमने पहले भवन बनवा लिया, फिर उसका उन्नयन करवा लिया. सुन लें, मेरी बात, हमने पहले कांग्रेस शासन में भवन बनवा लिया..
अध्यक्ष महोदय -- संजय जी, प्रश्न पूछें. यह भाषण का समय नहीं है.
श्री संजय यादव -- हमारा आपसे यह निवेदन है कि आपका सामान कहां रखा है, उसकी व्यवस्था आप बता दें और दूसरा...
डॉ. प्रभुराम चौधरी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य का कहना है कि हमने डीएमएफ फण्ड से भवन बनाया, पहले अस्पताल स्वीकृत ही नहीं हुआ, प्रशासकीय स्वीकृति नहीं हुई, इसके पहले ही भवन बनवा लिया. अब प्रशासकीय स्वीकृति हुई है और सिर्फ एक जगह के पद स्वीकृति की बात नहीं है, मध्यप्रदेश के पूरे 263 स्वास्थ्य संस्थाओं में पद स्वीकृति की बात है, मैंने कहा है कि फाइल वित्त विभाग में है. माननीय वित्त मंत्री जी ने अभी बजट में घोषणा की है. आगे जल्दी ही अस्पताल शुरू होंगे.
श्री संजय यादव -- मंत्री जी, मेरा निवेदन है, घोषणा तो पिछले साल भी की थी, 6 महीने से फाइल अटकी पड़ी है. पिछले बजट में पद स्वीकृत करेंगे कि नहीं, साफ बात बताएं.
डॉ. प्रभुराम चौधरी -- माननीय संजय जी, आप बात तो सुन लें. आप प्रश्न ही प्रश्न कर रहे हैं. आप प्रश्न का जवाब तो सुन लें. आप चिंता मत करिए, सरकार ने आपके बरगी को 30 बिस्तर का सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बनाया है और पद भी स्वीकृत करेंगे. मैंने आपसे कहा है कि फाइनेंस से बात चल रही है. वित्त मंत्री जी ने अभी बजट में घोषणा भी कर दी है.
श्री संजय यादव -- आप बताएं कि कब करेंगे ?
डॉ. प्रभुराम चौधरी -- समय सीमा बताया जाना संभव नहीं है. शीघ्र कार्यवाही करेंगे, वित्त विभाग से चर्चा करके वहां से स्वीकृत कराएंगे.
श्री संजय यादव -- मंत्री जी, आपने एक बात का जवाब नहीं दिया, आप अपने विभाग की लापरवाही स्वीकार कर रहे हैं कि नहीं कर रहे हैं. 30 बिस्तर का भवन हमने स्थानांतरित मांगा कि जब हमारे यहां दोबारा कर दिया तो वह चरगमा में दे दो, चरगमा में क्यों नहीं कर रहे और आप यह बताएं कि उपकरण कहां हैं, मंत्री जी, उपकरण के बारे में तो बता दें. पैसा दे चुके हैं आप और उपकरण ले चुके हैं, उपकरण पड़े कहां हैं ? आपको जानकारी है कि नहीं है ?
अध्यक्ष महोदय -- हो गया. इससे उद्भुत नहीं होता.
डॉ. प्रभुराम चौधरी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रशासकीय स्वीकृति 30 बिस्तर की हुई है. बिल्डिंग की स्वीकृति हम कर रहे थे क्योंकि जो भी हम अस्पताल खोलते हैं, आजकल ऐसा नहीं है कि अस्पताल खोल दिया और बिल्डिंग ही नहीं है. इसमें जब जानकारी मिली कि डीएमएफ फण्ड से वहां पर बिल्डिंग बन रही है, उसी के साथ में प्रक्रिया चलती है कि इक्युपमेंट भी हम भेजें. पद की स्वीकृति भी कराएं. बिल्डिंग भी बने, जिससे अस्पताल समय पर हम लोग चालू कर सकें. यह प्रक्रिया में है. जो भी सामान है, उसका भी उपयोग किया जाएगा. पदों की भी स्वीकृति की जाएगी.
एनेस्थेसिया एवं रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टर की पदस्थापना
[लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण]
6. ( *क्र. 1373 ) श्री बापूसिंह तंवर : क्या लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या राजगढ़ जिला चिकित्सालय में एनेस्थेसिया तथा रेडियोलॉजिस्ट (सोनोग्राफी) डॉक्टर का पद स्वीकृत है? यदि हाँ, तो उपरोक्त दोनों पदों पर डॉक्टरों की पदस्थापना है अथवा पद रिक्त हैं? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार प्रश्न दिनांक तक राजगढ़ जिला चिकित्सालय में एनेस्थेसिया तथा रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टर के पद पर पदस्थापना नहीं है, तो क्या शासन दोनों पदों पर पदस्थापना कर देगा? यदि हाँ, तो कब तक? नहीं तो क्यों नहीं?
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ( डॉ. प्रभुराम चौधरी ) : (क) जी हाँ। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन अंतर्गत संविदा पर एक निश्चेतना विशेषज्ञ की पदस्थापना आदेश दिनांक 31.01.2023 के द्वारा की गई है एवं उक्त विशेषज्ञ जिला चिकित्सालय राजगढ़ में सेवायें प्रदान कर रहे हैं। रेडियोलॉजिस्ट का पद रिक्त है। (ख) वर्तमान में संविदा एन.एच.एम. संविदा निश्चेतना जिला चिकित्सालय राजगढ़ में निश्चेतना विशेषज्ञ सेवायें प्रदान कर रहे हैं। रेडियोलॉजिस्ट के रिक्त पदों की पूर्ति हेतु सीधी भर्ती के लिए मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग को रेडियोलॉजिस्ट के 24 पदों की मांग के विरूद्ध मात्र 06 चयनित अभ्यर्थी ही प्राप्त हुए हैं। चिकित्सकों से विकल्प प्राप्त कर मेरिट अनुसार पदस्थापना की कार्यवाही माननीय उच्च न्यायालय निर्णय के अध्ययधीन प्रचलन में है। पदपूर्ति हेतु निश्चित समयावधि बताई जाना संभव नहीं है।
श्री बापूसिंह तंवर -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा माननीय मंत्री जी से यह अनुरोध है कि पहले तो एक एनेस्थेसिया डॉक्टर की जो पदस्थापना कर दी, उसके लिए धन्यवाद. पर माननीय अध्यक्ष महोदय, रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टर नहीं होने के कारण मामाजी की भांजियों को जो बाजार में अस्पताल में भर्ती रहते हुए तड़पना पड़ता है, वह प्राइवेट सोनोग्रॉफी वाले की दुकान पर जो सोनोग्रॉफी कराने के लिए जाते हैं और उस बीच में रास्ते में कई ऐसी डिलेवरियां हो गईं, ऑटो से जाते हैं, एम्बुलेंस तक उनको उपलब्ध नहीं हो पाती है. तो माननीय मंत्री जी की क्या मंशा है और कब तक सोनोग्रॉफी के डॉक्टर की पदस्थापना जिला चिकित्सालय, राजगढ़ में कर दी जाएगी ?
डॉ. प्रभुराम चौधरी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो चिंता व्यक्त की है तो आपके माध्यम से मैं माननीय सदस्य को बताना चाहता हूँ कि अभी जिला चिकित्सालय, राजगढ़ में एनेस्थेसिया डॉक्टर संविदा पर वहां कार्य कर रहे हैं. उनकी पदस्थापना 2.2.2023 से की गई है. सोनोग्रॉफी के लिए प्राइवेट चिकित्सक प्रतिदिन शासकीय अस्पताल में अपनी सेवाएं देते हैं. उनको प्रति मरीज के हिसाब से हम 300 रुपये देते हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी के नेतृत्व में पहली बार 25 प्रतिशत पोस्ट डॉयरेक्ट स्पेशलिस्ट की भर्ती के लिए हम लोगों ने तय किया. सरकार ने निर्णय लिया. इसके लिए हम लोगों ने पीएससी को भी लिखा है और उसकी भी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और अब स्पेशलिस्ट भी हमको उपलब्ध होते जा रहे हैं. अभी पीएससी ने हमें गॉयनेकोलॉजिस्ट के पद सेलेक्ट करके भेजे थे उनकी हमने नियुक्ति कर दी और भी अलग-अलग विधाओं के जो स्पेशलिस्ट हैं, उनकी भी नियुक्ति जैसे-जैसे पीएससी से आएगी, उनकी हम लोग नियुक्तियां करेंगे और माननीय सदस्य मुझसे स्वयं मिले थे और मैंने इनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए इनका सहयोग करने की कोशिश की है और आगे भी आप बताएंगे, उसको हम करेंगे.
श्री बापूसिंह तंवर -- माननीय मंत्री जी, मैंने उसके लिए आपको धन्यवाद भी दिया लेकिन मेरी जो पीड़ा है यह मेरी नहीं है, बल्कि मामाजी की उन भांजियों की पीड़ा है कि आप मुझे उत्तर में कोर्ट का हवाला दे रहे हैं कि माननीय उच्च न्यायालय का निर्णय विचाराधीन/प्रचलन में है. यह सब व्यापमं के घोटाले के कारण सारी परिस्थितियां निर्मित हो रही हैं. आखिरकार आप इस प्रकार का निर्णय लें कि जिला चिकित्सालय में पदस्थापना कब तक कर देंगे. हो सके, तो संविदा से नियुक्ति कर दें. दूसरा एक कारण यह भी है कि आप जो वेतन डॉक्टरों को देते हैं अगर पोस्टिंग कर भी देते हैं तो वे छोड़कर चले जाते हैं क्योंकि प्राइवेट अस्पतालों में उनको तनख्वाह ज्यादा मिलती है तो वे सरकारी अस्पतालों की नौकरी छोड़कर चले जाते हैं. आप ऐसी क्यों न व्यवस्था बनाएं कि उनको भरपूर वेतन मिले और वे जिला चिकित्सालय में अपनी सेवायें दे सकें.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय विधायक जी, वे यह कह रहे हैं कि आपने जो सोनोग्राफी की समस्या उठाई है वहां कोई प्राइवेट डॉक्टर आता है तो वह केवल 300 रूपए लेता है, यह उत्तर उनका है तो सोनोग्राफी का काम तो हो ही रहा है.
श्री बापूसिंह तंवर -- माननीय अध्यक्ष महोदय, नहीं हो रहा है. वह केवल कागजों में आदेश है. कोई सोनोग्राफी करने के लिए नहीं आते हैं. इसके लिए मैं माननीय मंत्री महोदय से मिला. कमिश्नर साहब ने कलेक्टर साहब को आदेश दिया कि आप जिले में जितने भी सोनोग्राफी वाले हैं, उनकी आप ड्यूटी लगाइए. उन्होंने आदेश भी निकाल दिया लेकिन वह सेवायें सही रूप से नहीं दे पा रहे हैं. वे समय पर नहीं आते हैं. अस्पताल में कब किस मरीज को सोनोग्राफी की जरूरत पड़ जाए, उस समय वह उपलब्ध नहीं होते और उस परिस्थिति में बाजार में जाकर के सोनोग्राफी कराना पड़ता है और उस बीच में हादसे होते हैं. मैं यह चाहता हॅूं कि जिला चिकित्सालय में परमानेंट पोस्टिंग की जाए, जिससे वे बेहतर तरीके से सेवायें दे सकें.
डॉ.प्रभुराम चौधरी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, रेडियोलॉजिस्ट की पोस्ट के लिये हमने पब्लिक सर्विस कमीशन को लिखा था. उसमें भी अभी डॉक्टर कम ही आए हैं और कोर्ट का जैसा माननीय सदस्य ने स्वयं बताया है कि कोर्ट के निर्णय के अनुसार.....
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, वह आपके उस निर्णय के अनुसार...
डॉ.प्रभुराम चौधरी -- अध्यक्ष महोदय, सोनोग्राफी के लिये अभी मैंने बताया है कि हमने वहां जो प्राइवेट..
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी, आपके उस निर्णय के लिए वह कुछ नहीं कह रहे हैं. वे कह रहे हैं कि सोनोग्राफी में, जिनकी आपने ड्यूटी लगायी है वह शायद समय पर नहीं जाते, इसलिए उनको परेशानी होती है तो जो आपने आदेश किया है कि प्राइवेट में उनको हम 300 रूपए देते हैं तो उनको सुनिश्चित करिए कि वहां रहें.
डॉ.प्रभुराम चौधरी -- अध्यक्ष महोदय, आपके आदेश का पालन होगा, हम सुनिश्चित करेंगे, कि वहां रहें.
श्री बापूसिंह तंवर -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह चाहता हॅूं कि उनकी पोस्टिंग कब तक कर देंगे. आप तारीख बता दें. इनके पास 6 पद 6 लोग आएं हैं. 6 में से 6 अभ्यर्थी आए हैं, उनमें से 1 अभ्यर्थी की पोस्टिंग वहां पर कर दें.
नेता प्रतिपक्ष (डॉ.गोविन्द सिंह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, संविदा पर नियुक्ति करते हैं और संविदा में 65-70 हजार रूपए मिलते हैं और उसकी गारंटी नहीं है कि संविदा की सेवायें कब खतम कर दी जाए. इसलिए यह समस्या एक जगह की नहीं है, बल्कि समूचे प्रदेश की है. माननीय मंत्री जी, तमाम पद खाली पडे़ हैं तो आप संविदा की बजाय नियमित नियुक्तियां करना प्रारम्भ करें और पीएससी में आपने पद भेजे नहीं हैं, कुल 4 पद भेजे हैं तो कैसे होगा. सभी विशेषज्ञ के पद खाली हैं. आपने प्रदेश में कई जगह सिविल अस्पताल कर दिये. अब सिविल अस्पताल में 16 पद स्वीकृत किए हैं. सात विशेषज्ञों में एक नहीं है और 5 वर्ष हो चुके हैं. यह स्थिति समूचे प्रदेश की है तो मैं माननीय मंत्री से अनुरोध करता हॅूं कि कम से कम जितने रिक्त पद हैं, सीधे पीएससी को भेजें. यह 1-2-3-4 महीने में हो जाएंगे तो समस्या का निदान हो जाएगा.
डॉ.प्रभुराम चौधरी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय नेता प्रतिपक्ष जी की जानकारी के लिये बताना चाहता हॅूं कि एक तो संविदा में हम लोग नियुक्ति करते हैं तो उसमें 70 हजार रूपए नहीं बल्कि 1 लाख 25 हजार रूपए प्रतिमाह मानदेय देते हैं और माननीय नेता प्रतिपक्ष जी ने जैसा कहा है...
डॉ.गोविन्द सिंह -- सहायक सर्जन को आप 65000 रूपए दे रहे हैं.
डॉ.प्रभुराम चौधरी -- इनको 1 लाख 25 हजार रूपए दे रहे हैं और जैसा कि आपने यहां पर मांग पत्र रखा, तो मैं नेता प्रतिपक्ष जी को बताना चाहता हॅूं कि हमने मांग पत्र ऑलरेडी पीएससी को भेजा है. उसमें मेडिकल स्पेशलिस्ट के 160 पदों की हमने मांग की है. स्त्री रोग विशेषज्ञ के 153 पदों की मांग की थी और 95 पदों का वहाँ से सिलेक्शन भी हो गया और उसकी नियुक्ति के आदेश भी 25.1.2023 को जारी हो गए. अस्थि रोग विशेषज्ञ 57 की मांग की है. पैथालॉजिस्ट 34, निश्चेतना के 96, क्षय रोग के 13, रेडियोलॉजिस्ट के 24, ईएनटी के 21, नेत्र रोग के 29, शिशु रोग विशेषज्ञ के 128, सर्जरी विशेषज्ञ 159, दन्त चिकित्सक 14, सहायक प्रबंधक 63, दन्त शल्य चिकित्सक 193 और चिकित्सा अधिकारी भी 1456 के लिए हमने पीएससी से मांग की है और कइयों का चयन भी हो चुका है जैसा मैंने बताया कि गायनोक्लॉजिस्ट की नियुक्ति भी हो गई है. बाकी प्रक्रिया जैसे जैसे सिलेक्शन होगा और कोर्ट का जैसे ही प्रतिबंध हटेगा इन सबकी नियुक्ति माननीय अध्यक्ष महोदय, की जाएगी.
श्री बाला बच्चन-- हमारे भी प्रश्न लगे हुए हैं.
अध्यक्ष महोदय-- प्रियव्रत सिंह जी बोलिए...(व्यवधान)..
श्री कांतिलाल भूरिया-- अध्यक्ष महोदय, हमारे यहाँ भी पद खाली पड़े हुए हैं नहीं भरे जा रहे हैं...(व्यवधान)..
श्री प्रियव्रत सिंह-- अध्यक्ष जी, राजगढ़ जिला अस्पताल स्पेसिफिक का मामला है, राजगढ़ जिला अस्पताल में और माननीय विधायक जी ने भी यह क्लियरली पूछा है कि सोनोग्राफी वहाँ पर समय पर नहीं हो रही है और सोनोग्राफी का ऐसा नहीं है कि वहाँ डॉक्टर नहीं है डॉक्टर्स प्रायवेट में बहुत सारे हैं और वो जिला अस्पताल में जिसकी ड्यूटी लगती है वे समय पर नहीं पहुँचते हैं या उनका समय पर भुगतान नहीं होता इसलिए व्यक्ति को प्रायवेट में जाना पड़ता है और अगर मंत्री जी प्रयास करके जिला प्रशासन को साथ में लेकर वहाँ पर कम से कम अभी वर्तमान में राजगढ़ में जिला अस्पताल में रोज समय पर सोनोग्राफी हो और एक व्यक्ति वहाँ पर उपस्थित हो, उसको भुगतान समय पर हो, यह सुनिश्चित करवा लें, वहाँ के कलेक्टर को भी इन्वॉल्व कर लें और खुद भी इन्वॉल्व होकर यहाँ के प्रशासन से उस चीज को करवा लें.
अध्यक्ष महोदय-- ठीक है.
डॉ.प्रभुराम चौधरी-- माननीय अध्यक्ष जी, माननीय सदस्य का जो सुझाव है निश्चित रूप से हम सुनिश्चित करेंगे कि वहाँ सोनोग्राफी हो.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न क्रमांक 7....
डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ-- माननीय अध्यक्ष महोदय, डॉक्टर्स से जुड़ा हुआ मामला है.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, हो गया.
श्री शैलेन्द्र जैन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह समस्या सब जगह की है उसमें एक बेहतर विकल्प यह हो सकता है कि अल्ट्रा.....
अध्यक्ष महोदय-- शैलेन्द्र जी, नहीं, हो गया. अब आगे बढ़ गए.
श्री शैलेन्द्र जैन-- एक सुझाव है....
अध्यक्ष महोदय-- सुझाव बाद में दे दीजिएगा.
श्री शैलेन्द्र जैन-- अध्यक्ष महोदय, अल्ट्रासाउण्ड, सीटी स्केन, में सब आउट सोर्स कर दीजिए. सारी समस्या का समाधान हो जाएगा.
अध्यक्ष महोदय-- अब बैठ जाइये. प्रश्न क्रमांक 7 रामचन्द्र दांगी....
श्री बापू सिंह तंवर-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा अनुरोध है....
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, हो गया.
श्री बापू सिंह तंवर-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा अनुरोध है कि पूरा जिला इतना बड़ा है. जिले में एक सरकारी डॉक्टर नहीं है और मंत्री जी टालने की कोशिश कर रहे हैं इस तरीके से यह कैसा सदन है, माननीय सदस्य की सुनी नहीं जा रही है. मैं यह चाहता हूँ इस सदन में अध्यक्ष महोदय, मैं आप से गुहार लगा रहा हूँ कि....
अध्यक्ष महोदय-- बात आ गई ना.
श्री बापू सिंह तंवर-- पूरे जिले में एक भी सरकारी डॉक्टर नहीं है सोनोग्राफी का कम से कम जिला मुख्यालय में तो एक डॉक्टर दे दो हमको, एक डॉक्टर नहीं दे सकते. आप से केवल एक डॉक्टर मांग रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- बस हो गया. रामचन्द्र दांगी जी, अपना प्रश्न करें.
श्री बापू सिंह तंवर-- एक डॉक्टर तो दें. इस तरीके से कैसे चलेगा? इस सदन में प्रश्न लगाने का मतलब क्या हुआ? हमारा उत्तर आया ही नहीं. हमें उत्तर चाहिए. एक डॉक्टर की पोस्टिंग चाहिए.
अध्यक्ष महोदय-- ठीक है.
श्री बापू सिंह तंवर-- अभी तत्काल निर्णय करें. सदन से आदेश जारी हो कि राजगढ़ जिला चिकित्सालय में यहाँ से भेजा जाए कि सोनोग्राफी का डॉक्टर जिला चिकित्सालय में पदस्थ किया जाता है. आज आदेश करना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय-- ठीक है.
श्री बापू सिंह तंवर-- सदन का मतलब क्या है, प्रश्न लगाया उसका जवाब ही नहीं आ रहा है....
अध्यक्ष महोदय-- बैठ जाइये. हो गया भाई.
श्री बापू सिंह तंवर-- इनका जवाब आना चाहिए कि वह चला जाएगा, ऐसा आदेश कर दिया.
अध्यक्ष महोदय-- श्री रामचन्द्र दांगी जी...
श्री बापू सिंह तंवर-- सदन का मतलब ही क्या रहा?
अध्यक्ष महोदय-- रामचन्द्र दांगी के अलावा कुछ नहीं लिखा जाएगा.
श्री बापू सिंह तंवर-- (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- हो गया, खूब हो गया.
श्री बापू सिंह तंवर-- (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- आपका प्रश्न भी आ गया, भाषण भी आ गया भाई, हो गया.
श्री बापू सिंह तंवर-- (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- रामचन्द्र दांगी के अलावा कुछ नहीं लिखा जाएगा, किसी का नहीं लिखा जाएगा.
विकास कार्यों की स्वीकृति
[सामान्य प्रशासन]
7. ( *क्र. 996 ) श्री रामचन्द्र दांगी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विगत तीन वर्षों में प्रश्न दिनांक तक विधानसभा क्षेत्र ब्यावरा जिले राजगढ़ में प्रश्नकर्ता द्वारा मुख्यमंत्री जी को किन-किन विकास कार्यों हेतु पत्र भेजे गये? (ख) उपरोक्त में से किन-किन विकास कार्यों के लिए शासन को प्रस्ताव भेजे गये? (ग) इनमें से किन-किन विकास कार्यों के लिए शासन से स्वीकृति मिली है? (घ) जिन विकास कार्यों के लिए स्वीकृति नहीं मिली है? उनका विवरण तथा अस्वीकृति का कारण बताएं।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) से (घ) उत्तरांश (क) में उल्लेखित संलग्न परिशिष्ट में अंकित विभागों को मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा प्रश्नकर्ता माननीय सदस्य से प्राप्त पत्र प्रेषित किए गए हैं। सामान्य प्रशासन विभाग ने भी पत्र क्रमांक एफ 6-13/2023/1/4, दिनांक 24.02.2023 के माध्यम से इन विभागों को लिखा है कि उनके विभाग से संबंधित पत्रों पर उत्तरांश (ख), (ग) एवं (घ) में उल्लेखित तथ्यानुसार कृत कार्यवाही से प्रश्नकर्ता माननीय सदस्य को अवगत कराया जावें।
श्री रामचन्द्र दांगी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से यह जानना चाहता हूँ कि मैंने माननीय मुख्यमंत्री जी को ब्यावरा विधान सभा के संबंध में कई पत्र लिखे हैं. एक पत्र लिखा मैंने ब्यावरा में शालाओं के उन्नयन के लिए, एक प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र आमजाट के लिए 10 रोड निर्माण के लिए, एक ब्यावरा शहर में हमारी अजनार नदी है, जो सरकार कहती है कि हम शहरों का सौन्दर्यीकरण करेंगे और पूरी अजनार नदी वहाँ गंदी पड़ी है, बदबू आती है. शहर में बीमारियाँ फैलती हैं, उसके लिए दिया एक मॉडल स्कूल का जो सरकार ने खोला है उसमें पहुँच मार्ग के लिए, ब्यावरा में कृषि महाविद्यालय के लिए और भी बहुत सारे, इलाज के लिए मैंने माननीय मुख्यमंत्री जी को सैकड़ों पत्र लिखे, एक भी पत्र स्वीकृत नहीं हुआ, इसी प्रकार गौ माताओं की सुरक्षा के लिए ब्यावरा नगर में और ग्रामीण क्षेत्रों में अतिवृष्टि हुई उसका सर्वे करा कर के मुआवजा दिया जाए और भी बहुत सारे, कर्मचारियों, संविदा कर्मचारियों के संबंध में, मैंने पत्र लिखे लेकिन माननीय मुख्यमंत्री जी के यहाँ से, सरकार की तरफ से, कोई भी कार्रवाई नहीं हुई और यहाँ तक कि मुझे किसी भी पत्र का आज तक जवाब नहीं दिया गया है. जबकि आज माननीय मुख्यमंत्री जी के यहां से पत्र आया है कि हमने जीएडी को लिख दिया है लेकिन जीएडी ने हमें आज तक कोई जवाब नहीं दिया है.
श्री इन्दर सिंह परमार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी के अलग-अलग विभागों से संबंधित 13 पत्र मुख्यमंत्री जी के कार्यालय में प्राप्त हुए थे. सभी पत्र अलग-अलग विभागों को भेजे गए हैं और क्या कार्यवाही प्रचलन में है वह भी उल्लेख किया गया है. विभागों को निर्देशित किया गया है कि वर्तमान में विधायक जी के पत्रों में उल्लेखित कामों की जो स्थिति है उसकी जानकारी से माननीय विधायक जी को अवगत कराया जाए.
श्री रामचन्द्र दांगी -- अध्यक्ष महोदय, तीन साल हो गए हैं.
अध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी का उत्तर आ जाने दीजिए.
श्री इन्दर सिंह परमार -- अध्यक्ष महोदय, बहुत सारे काम अलग-अलग विभागों के हैं. चूंकि हम सीएम राइज योजना के 9200 स्कूल बनाने जा रहे हैं उसमें इनकी बड़ी लंबी सूची है. हम उसका परीक्षण करके आगे सरकार की जो नीति बन रही है कि हम पहले 9200 स्कूलों का उन्नयन करेंगे उसके बाद शेष का उन्नयन आवश्यकतानुसार किया जाएगा. इसके परीक्षण का काम चल रहा है जल्दी ही यह सूची जारी हो जाएगी. इनकी जो मांग है उसमें भी यह जुड़ने वाले हैं सभी जिलों में काफी बड़ी संख्या में यह विद्यालय आने वाले हैं. नगरीय प्रशासन विभाग से संबंधित इनके 7 पत्र हैं. उनमें अलग-अलग कामों की मांग की गई है. इसी प्रकार से लोक निर्माण विभाग से संबंधित काम भी हैं जिसमें से इनके कुछ काम हो चुके हैं और कुछ काम स्वीकृति में हैं. इसलिए यह कहना कि 3 साल हो गए हैं, शायद इन्होंने देखा नहीं होगा इसलिए ऐसा कह रहे होंगे. लेकिन मेरे पास लोक निर्माण विभाग से जानकारी आई है काफी काम इनके सम्पन्न हो रहे हैं या स्वीकृत कर दिए गए हैं. इसी प्रकार से नगरीय विकास विभाग के भी इन्होंने जो काम दिए हैं. इस विभाग से संबंधित इन्होंने 7 पत्र दिए थे. इसमें दो काम की जानकारी मेरे पास है. नगरीय विकास विभाग ने जानकारी भेजी है कि यह काम स्वीकृत कर दिए गए हैं. एक काम लोक निर्माण विभाग से हो चुका है. 7 में से 3 काम आपके पत्रों के अनुसार हो चुके हैं. शेष कामों की जो स्थिति से उससे विधायक जी को अवगत कराने वाले हैं.
श्री रामचन्द्र दांगी -- अध्यक्ष महोदय, अभी माननीय मंत्री जी कह रहे थे कि स्कूलों के उन्नयन के लिए व्यावरा और राजगढ़ जिले में 5 विधान सभा सीट हैं. जहां 5 सीएम राइज स्कूल खोले गए हैं. लेकिन मेरे साथ दुर्भावना की जा रही है, मैं उप चुनाव जीता हूँ. 6 बार माननीय मुख्यमंत्री जी मुझे वहां चुनाव हराने के लिए गए थे. ब्यावरा में सीएम राइज स्कूल के भवन का जानबूझकर शिलान्यास नहीं किया. 4 जगह शिलान्यास कर दिया लेकिन 5 वीं जगह छोड़ दिया, यह भेदभाव है या नहीं है. दूसरी बात बहुत सारे पत्र मैंने दिए हैं लेकिन आज तक जीएडी ने मुझे कोई भी जबाव नहीं दिया है. जबकि सामान्य प्रशासन विभाग का स्थायी आदेश है कि विधायकों के पत्रों का जवाब दिया जाए. तीन वर्ष में मुझे एक भी विभाग ने जवाब नहीं दिया है न ही मुझे पता है कि इन्होंने कौन से काम किए हैं. मैंने जो सूची दी है मैं आपके माध्यम से चाहूंगा कि मेरे पत्रों पर कब तक कार्यवाही हो जाएगी या मुझे कब तक जवाब मिल जाएंगे.
श्री इन्दर सिंह परमार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी को जो पत्र आते हैं वे सामान्य प्रशासन विभाग के माध्यम से सभी संबंधित विभागों को अलग-अलग भेजे जाते हैं. वह प्रक्रिया हमने पूरी की है साथ में निर्देश यह दिए गए हैं कि संबंधित विभाग आपको अवगत कराने का कष्ट करे. हमने फिर से सभी विभागों को निर्देशित किया है कि जिनके भी पत्र आते हैं उनको जवाब देने का काम संबंधित विभाग करे. इसकी हम लगातार देखरेख कर रहे हैं. माननीय विधायक जी ने जो काम बताए हैं उसमें से कई काम प्रोसेस में हैं, कुछ हो गए हैं. जहां तक सीएम राइज स्कूलों का विषय है हमने जितने भी स्कूल स्वीकृत किए हैं. सभी विद्यालयों की जमीन देखने का काम, उनके नक्शे बनाने का काम. आर्किटेक्ट से लेकर प्रशासकीय स्वीकृति होने के बाद, बजट में पैसा आवंटित होने के बाद, सभी जगह भूमि पूजन करने का काम कर रहे हैं. किसी भी विद्यालय को अप्रैल के बाद हम नहीं छोड़ेंगे जिसके स्थान का भूमि पूजन नहीं हुआ होगा. कहीं-कहीं पर भूमि का जो विवाद आया है उसका निराकरण करने की कोशिश कर रहे हैं. इसलिए यह कहना ठीक नहीं है कि हम किसी के साथ भेदभाव कर रहे हैं. बगैर भेदभाव के सीएम राइज स्कूलों के भवनों का निर्माण किया जा रहा है.
श्री रामचंद्र दांगी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जब मैंने प्रश्न लगाया इसके पहले मुझे आज तक कोई जवाब नहीं दिया और आज प्रश्न के उत्तर में ही मिला कि सामान्य प्रशासन को बोला है कि आपको जवाब दें, जबकि शासन का स्थाई आदेश है कि समय-समय पर जवाब दें तो मुझे आज तक कोई जवाब क्यों नहीं मिला? कब तक मिलेगा. विधायकों के प्रश्नों के जवाब विभाग कभी देता ही नहीं है, इसमें जीएडी कोई कार्यवाही करता ही नहीं है.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय विधायक जी सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश हैं जब आप विभाग के अधिकारियों को पत्र दें उसका जवाब देने के लिए कहा है.
श्री रामचन्द्र दांगी-- मैंने विभाग के अधिकारियों को भी पत्र दिया है, लेकिन आज तक कोई जवाब नहीं मिला है. मैंने मुख्यमंत्री को भी दिया है, सारे मंत्रियों को दिया है लेकिन आज तक वहां से कोई जवाब नहीं आया है.
अध्यक्ष महोदय-- आपने केवल मुख्यमंत्री जी का पूछा है. उसका जवाब मंत्री जी ने विस्तृत रूप से दे दिया है.
श्री रामचन्द्र दांगी-- अध्यक्ष महोदय, जीएडी का निर्देश है.
अध्यक्ष महोदय-- जीएडी का निर्देश अधिकारियों को पत्र का जवाब दिये जाने का है. आप उसे पढि़ए.
श्री रामचन्द्र दांगी-- अध्यक्ष महोदय, हम अधिकारियों को भी पत्र दे रहे हैं, लेकिन आज तक कोई अधिकारी भी पत्र का जवाब नहीं दे रहा है. हमको तो यह ही नहीं पता है कि हमने जो पत्र लिखा है उस पर क्या कार्यवाही हुई.
श्री सोहनलाल बाल्मीक-- (xxx)
अध्यक्ष महोदय-- नहीं आएगा, आप सभी बैठ जाइए.
नेता प्रतिपक्ष (डॉ. गोविन्द सिंह)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमेशा यह परम्परा रही है. केन्द्र में लोकसभा में और मध्यप्रदेश में विधान सभा में भी कि माननीय सांसद जी और माननीय विधायक अगर मुख्यमंत्री, मंत्री या केन्द्रीय मंत्री को पत्र लिखते हैं तो हमेशा सन् 1990 से जब पटवा जी थे तब तक जवाब आते रहे. अब यह परम्परा धीरे-धीरे बंद हो गई है. पत्र का कोई जवाब नहीं आता है. कानून में कोई निर्देश नहीं है, लेकिन यह परम्परा थी वह परम्परा पूरी तरह से समाप्त हो गई है. केवल दिल्ली में केन्द्रीय मंत्री हैं माननीय गडकरी जी उनको जब भी पत्र लिखा है वह काम होने के बाद सूचना देते हैं. यही परम्परा आसंदी के निर्देश के बाद मध्यप्रदेश सामान्य प्रशासन विभाग ने लागू की है, लेकिन आज भी पूरे मध्यप्रदेश में आपको भले ही जवाब दे दें. मैं भी नेता प्रतिपक्ष हूं सरकारी अधिकारी आपके सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश की पूरी तरह से धज्जियां उड़ा रहे हैं. कोई पालन नहीं हो रहा है. एक नहीं मैं आपको ऐसे पचासों पत्र अवलोकनार्थ दे सकता हूं. मेरी आसंदी से विनय है कि कृपया कर आप शासन को तो नहीं लेकिन अधिकारियों को तो निर्देश दे दें कि यदि होने लायक काम है तो वह बता दें. यह लगातार है कि पत्र की सूचना देंगे. काम होने पर फिर सूचना देंगे नहीं है तो देखेंगे. आदेश के बावजूद भी पूरी तरह से इस परम्परा का उल्लंघन हो रहा है. आपसे मेरी प्रार्थना है कि आप शासन को, मंत्री, मुख्यमंत्री को तो उनकी परम्परा उनके विचार के ऊपर है वह माने या न माने और यदि उनको प्रजातंत्र में विश्वास नहीं है तो न माने, लेकिन कम से कम आप शासन के अधिकारियों को निर्देशित करने का कष्ट करें.
11.52 बजे अध्यक्षीय व्यवस्था
माननीय विधायकों के पत्रों का जवाब सुनिश्चित करने विषयक
अध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी सामान्य प्रशासन विभाग के जो आदेश हैं विधायकों के, सांसदों के पत्रों के जवाब दें उसमें आपने तारीख डाली है. यह वाकई में है कि उन पत्रों का जवाब विभाग की तरफ से किसी को नहीं आता है इसलिए सारे मंत्रीगण यह सुनिश्चित करें, अपने विभाग को निर्देशित करें कि वह अधिकारी, विधायकों के पत्रों का जो भी स्थिति हो काम होना न होना एक अलग विषय है उनके पत्र का जवाब आ जाए कि कम से कम हमारे पत्र में हो क्या रहा है ऐसा करके आप लोग जवाब सुनिश्चित करें. दूसरी बात यह है कि कल ही आपको प्राप्त होगा. कल हमारी जो नई समिति बनी उसकी बैठक हुई थी. उसमें मैंने निर्देश दिया है कि समान्य प्रशासन विभाग का वह आदेश और जो हमारा प्रोटोकॉल का है उन दोनों की कॉपी मिलाकर के आपको कल मिल जाएगी. सारे विधायक कम से कम सामान्य प्रशासन विभाग का वह आदेश और प्रोटोकॉल का आदेश अपने हाथ में रखें तो कम से कम उनको भी कार्यवाही करने में सुविधा होगी. हमने यह व्यवस्था कर दी है.
श्री सोहनलाल बाल्मीक-- (xxx)
अध्यक्ष महोदय-- नहीं यह नहीं आएगा.
11.53 बजे तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर (क्रमश:)
अनुकम्पा नियुक्ति के लम्बित प्रकरण
[सामान्य प्रशासन]
8. ( *क्र. 1738 ) श्रीमती राजश्री रूद्र प्रताप सिंह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विदिशा जिले के विभिन्न शासकीय विभागों में अनुकम्पा नियुक्ति के अनेक प्रकरण अनिर्णित हैं? किस-किस विभाग में कितने-कितने प्रकरण अनिर्णित है? (ख) क्या उक्त प्रकरणों पर शीघ्र ही निर्णय लेकर अनुकम्पा नियुक्ति प्रदान की जावेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) कलेक्टर विदिशा से प्राप्त जानकारी के अनुसार वन विभाग में 01, सहकारिता विभाग में 01, शिक्षा विभाग में 54 तथा स्वास्थ्य विभाग में 02 प्रकरण अनिर्णित हैं। (ख) जी हाँ। अनुकंपा नियुक्ति के निर्देशानुसार संबंधित संवर्ग में पद रिक्त होने पर नियुक्ति की कार्यवाही की जाती है।
श्रीमती राजश्री रुद्रप्रताप सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री महोदय से यह जानना चाहती हूं कि शिक्षा विभाग में मेरे जिले में जो हजारों पद खाली हैं क्या सरकार इन पदों के विरुद्ध यह 54 प्रत्याशियों को अनुकम्पा नियुक्ति प्रदान कर सकती है.
श्री इन्दर सिंह परमार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अनुकम्पा नियुक्ति के संबंध में जिसमें 54 शिक्षा विभाग से संबंधित है उनके बारे में कुछ पद ऐसे हैं जो पहले शिक्षा विभाग के अधीन नहीं थे निकायों के अधीन थे और निकायों के अधीन जब तक उनका शिक्षा विभाग में संविलियन होता, तब तक उनका निधन हो चुका था. इस कारण उनकी नियुक्ति का कोई प्रावधान नहीं होने के कारण वो पेंडिंग हैं. इसके अतिरिक्त बाद में जो कुछ दु:खद मृत्यु हुई हैं, ऐसे कुछ पद हैं जो संविदा नियुक्ति के क्राइटेरिया में आते हैं लेकिन उन्होंने जिस पद की मांग की हैं, वे उस पद के पात्र नहीं हैं और इस कारण से संविदा नियुक्ति देने में कठिनाई हो रही है. यदि वे पात्रता परीक्षा पास कर लेंगे, क्योंकि अभी पात्रता परीक्षा होने वाली है तो अधिकांश लोगों को उसमें विज्ञान शिक्षक के पद पर, कर देंगे ताकि उनकी अनुकंपा नियुक्ति हो जाये. लेकिन हम बिना योग्यता के किसी को भी अनुकंपा नियुक्ति में शिक्षक के पद पर भर्ती नहीं कर सकते हैं. ये RTE का प्रावधान है, जिसका पालन करते हुए, हमने सभी से कहा है कि आप पात्रता परीक्षा पास कर लें. अधिकांश लोगों का इसमें निराकरण हो जाने वाला है. जो लोग आपके संपर्क में हैं, आप उन्हें व्यक्तिगत सुझाव देंगे तो वे परीक्षा में बैठेंगे, उनका निराकरण हो जायेगा.
श्रीमती राजश्री रूद्रप्रताप सिंह- क्या यह जानकारी उनको है, क्या उनके पत्राचार में कोई कमी है ?
अध्यक्ष महोदय- मंत्री जी ने दो जवाब दिए हैं. पहला तो यह कि निकाय में थे और निकाय से उनका संविलियन नहीं हुआ इसलिए विभाग के कर्मचारी नहीं हुए, इसलिए उनको अनुकंपा नियुक्ति की पात्रता ही नहीं है.
दूसरा, शिक्षा विभाग में नियम बन गए हैं कि पात्रता परीक्षा पास होने के बाद ही अनुकंपा नियुक्ति की पात्रता होगी. पात्रता परीक्षा हो रही है. जो इसमें पात्र हैं, वे पात्रता परीक्षा में बैठें, वे पास हो जायेंगे तो उनको अनुकंपा नियुक्ति मिल जायेगी.
श्रीमती राजश्री रूद्रप्रताप सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह जानकारी उनको नहीं है.
अध्यक्ष महोदय- जानकारी तो संभवत: होगी और नहीं है तो मंत्री जी आप सभी को जानकारी दिलवा दीजिये.
श्री इन्दर सिंह परमार- माननीय अध्यक्ष महोदय, जब वे आवेदन करते हैं, उस समय DEO के यहां उनको आवेदन करना होता है. जब वे फॉर्मेट में भरते हैं तो वहां उनको सारी जानकारी दी जाती है. फिर भी हम एक बार, माननीय सदस्य के क्षेत्र के अलावा, पूरे मध्यप्रदेश में, कई जिलों में ऐसे प्रकरण हैं, वर्ष 2018 के पहले जब तक उनका शिक्षा विभाग में संविलियन नहीं हुआ था, तब तक की परिस्थिति अलग है, उनको छोड़कर शेष सभी लोगों को हम सूचना प्रेषित करने का काम करेंगे क्योंकि वे किसी न किसी रूप में, मान लीजिये शिक्षा विभाग में शिक्षक नहीं बनना चाहते, दूसरे पद पर रहना चाहते हैं तो हमारे विभाग से हम NOC देने का भी काम कर रहे हैं ताकि जिस जिले में दूसरे विभाग में पद खाली हैं, सहायक ग्रेड-3 या भृत्य के पद हैं, वहां जो लोग जाना चाहते हैं और वहां के लिए वे क्वालिफाई हैं तो वहां के लिए हम लगातार NOC दे रहे हैं. हम एक बार फिर से सभी DEO को सूचित करेंगे कि वे व्यक्तिगत रूप से संबंधितों को सूचना दें, जिससे वे इस प्रक्रिया में शरीक हो जायें.
श्रीमती राजश्री रूद्रप्रताप सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, अनुकंपा नियुक्ति के लिए जितने भी लोग हैं, जितने भी प्रत्याशी हैं, वे वैसे भी परिवार से परेशान हैं और अनुकंपा नियुक्ति में यदि इतना समय लग रहा है और आगे 10 वर्ष यदि और बढ़ जाते हैं तो उनकी उम्र निकल जायेगी, फिर अनुकंपा नियुक्ति का मतलब ही क्या रहेगा ? हम उनको कैसे राहत दे सकते हैं, ये समय टलता ही जा रहा है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रश्न बड़ा संवेदनशील है. जैसा कि माननीय सदस्या ने बताया यह बात सही है कि परिवार बिखर गया, जो मुखिया था, वही चला गया और उसके घर के योग्य, पात्र व्यक्ति अनुकंपा नियुक्ति के लिए दर-दर की ठोकरें खाते हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, मंत्री जी से जानना चाहूंगा कि पात्रता परीक्षा समय पर क्यों नहीं हो पाती है, विशेषकर शिक्षा विभाग में. पात्रता परीक्षा समय पर हो जाये, इसके लिए विभाग क्या करेगा ?
श्री इन्दर सिंह परमार- माननीय अध्यक्ष महोदय, पात्रता परीक्षा लगातार हो रही है. अभी फिर से पात्रता परीक्षा है और अब नीतिगत रूप से तय किया गया है कि हर साल पात्रता परीक्षा होगी और जितने पद रिक्त होंगे, हम उन सभी पदों को लगातार भरने का काम करेंगे. हम एक साल में उन 50 हजार शिक्षकों की भर्ती करने जा रहे हैं जो प्रक्रिया में हैं और एक और पात्रता परीक्षा हो रही है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने अब यह भी कर दिया है कि हम बार-बार पात्रता परीक्षा नहीं लेंगे, जिसने जीवन में एक बार पात्रता परीक्षा पास कर ली, वह आवेदन करेगा, यदि उसका एक बार में चयन नहीं हुआ तो दूसरी बार उसे पात्रता परीक्षा देने की जरूरत नहीं है. उसकी एक विभागीय परीक्षा लेकर हम उन्हें शिक्षक बनाने का काम करेंगे. पात्रता परीक्षा हम केवल एक बार लेंगे, अब उनको हर साल पात्रता परीक्षा में बैठने की जरूरत नहीं होगी. इसलिए मैं, समझता हूं कि इस नीति के कारण सभी लोगों का समाधान इससे हो जायेगा. जहां तब अनुकंपा नियुक्ति के आधार पर शिक्षक बनने का सवाल है, हमारी मान्यता यह है कि हम शिक्षक के पद पर किसी भी प्रकार से योग्यता के साथ समझौता नहीं कर सकते हैं. सभी की पात्रता होनी चाहिए इसलिए TET की परीक्षा हम आयोजित करते हैं.
अध्यक्ष महोदय- प्रश्नकाल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त)
12.00 बजे
नियम 267-क के अधीन विषय
अध्यक्ष महोदय:- निम्नलिखित माननीय सदस्यों की सूचनाएं सदन में पढ़ी हुई मानी जायेगी.
1. डॉ. सीतासरन शर्मा
2. श्री रामलाल मालवीय
3. श्री महेश परमार
4. श्री पुरूषोत्तमलाल तंतुवाय
5. श्रीमती कल्पना वर्मा
6. श्री कमलेश्वर पटेल
7. श्री बहादुर सिंह चौहान
8. श्री दिनेश राय मुनमुन
9. श्री संजय सत्येन्द्र पाठक
10. श्री शैलेन्द्र जैन
12.02 बजे
शून्यकाल में मौखिक उल्लेख
नेता प्रतिपक्ष (डॉ. गोविन्द सिंह):- माननीय अध्यक्ष जी, मध्य प्रदेश में प्राथमिक, मिडिल और हाई स्कूल की परीक्षा चल रही है. छात्रों के लगातार पेपर लीक हो रहे हैं. इससे छात्रों का समय बर्बाद हो रहा है और उनको आर्थिक नुकसान पहुंचा है. छात्रों के भविष्य के प्रति सरकार सचेत नहीं है. मेरा माननीय संसदीय कार्य मंत्री से अनुरोध है कि कृपा कर आप पेपर लीक करने वालों को, गृह मंत्री भी आप, आप जानकारी लीक करने वालों को सजा दिलवायें. इनके ऊपर एफआईआर करवायें. अन्यथा इस प्रक्रिया से छात्रों के जीवन के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. आप कठोरता से इसका पालन करें.
श्री दिनेश राय मुनमुन:- अध्यक्ष मेरा भी शून्यकाल है. उसको भी आप ले लो.
अध्यक्ष महोदय:- आपका हो तो गया, आपका आ गया है.
श्री पांचीलाल मेड़ा(धरमपुरी):- माननीय अध्यक्ष महोदय, इंदौर के पास गणपति घाट में हजारों लोग मर रहे हैं. आज तक जबसे रोड चालू हुआ, तब से एक हजार मौतें हो गयी और अभी परसों चार लोग जिंदा जलकर मर गये. पर आज क्या उसको बजट में लिया क्या ? राजमार्ग पर कई लोग मर रहे हैं, परंतु बार-बार विषय उठाने पर भी गणेश घाट की कोई सुध नहीं ली जा रही है. मैंने आज ध्यानकर्षण भी दिया है. आप कृपा करके उसको ग्राह्य करेंगे क्या ?
सुश्री विजय लक्ष्मी साधौ:- माननीय पांचीलाल मेड़ा जी ने जो बात कही, उससे मेरा एरिया भी लगा है हम दोनों के क्षेत्र हैं.
अध्यक्ष महोदय:- आप लोग बैठ जाइये. मैंने सज्जन सिंह को समय दिया है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा(सोनकच्छ ):- माननीय अध्यक्ष महोदय, आज एक गंभीर प्रश्न उपस्थित हुआ है मध्य प्रदेश के सामने. 1984 में जो गैस त्रासदी हुई. केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब देरी से प्रस्तुत किया इसलिये केन्द्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगायी, कहा कि अब आप पैसा दीजिये. लगभग 8 हजार करोड़ रूपये गैस पीडि़तों को मुआवजा मध्य प्रदेश सरकार दे और केन्द्र सरकार दे. क्योंकि यह इनकी है.
12.03 बजे
पत्रों का पटल पर रखा जाना
मध्यप्रदेश पॉवर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड, जबलपुर का 20 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2021-22
ऊर्जा मंत्री (श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर):- अध्यक्ष महोदय, मैं, कंपनी अधिनियम, 2013( क्रमांक18 सन् 2013) की धारा 395 की उपधारा(1) (ख) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश पॉवर जनरेटिंक कंपनी लिमिटेड, जबलपुर का 20 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2021-22 पटल पर रखता हूं.
12.04 बजे
नियम 138 (1) के अधीन ध्यान आकर्षण
श्री प्रियव्रत सिंह (खिलचीपुर ):- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री प्रियव्रत सिंह--अध्यक्ष महोदय, यह बात सही है जो माननीय मंत्री जी के जवाब में आयी है कि कालीसिंध नदी का पुल चालू हो गया है. आप इसके जवाब में ही देख लें कि यह राज्यमार्ग है. इसकी चौड़ाई जो राजगढ़ जिले वाले 12 किलोमीटर की है. वह मात्र 3.50 मीटर है. 2 वाहनों की क्रासिंग के लिये उपयुक्त नहीं होती इसमें जो आगरा मालवा वाला पार्ट है उसमें 5.50 मीटर की चौड़ाई है. वह भी 2 लेन पूरी नहीं है. मेरा मंत्री जी से अनुरोध है कि एडीबी से आपको सहमति नहीं मिल पा रही है पिछली बार भी मैंने विधान सभा में ध्यानाकर्षण लगाया था तब मंत्री जी ने कहा था कि इसकी फिजिबिल्टी रिपोर्ट मंगाई है. फिजिबिल्टी रिपोर्ट आने के बाद हम इसकी डीपीआर तैयार करवाके निविदा लगवाएंगे, परन्तु फिजिबिल्टी रिपोर्ट का इस बार कोई जिक्र नहीं है. यह सही है कि वर्ष 2022 में यहां पर डामरीकरण हुआ, पर मेरा माननीय मंत्री जी से यह अनुरोध है कि आप एडीबी का क्यों इंतजार कर रहे हैं. 24 किलोमीटर का मार्ग है. विश्व प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल को जोड़ता है. आपकी सरकार अगर संवेदनशीलता रखे तो 24 किलोमीटर इतना बड़ा रोड़ नहीं है. आप इस रोड़ का स्टेट बजट में लेकर इसकी 2 लेनिंग सेंक्शन कर दें ताकि वहां पर सुगम रूप से आवागमन शुरू हो सके, क्योंकि इस रोड़ पर भीड़-भाड़ रहती है. इस रोड़ पर कई लोग चुनरी यात्रा निकालते हैं, कई श्रद्धालु मार्ग पर पैदल भी जाते हैं. 3.50 के मार्ग पर पैदल भी श्रद्धालु जा रहा है, गाड़ियां भी जा रही हैं उसमें एक्सीडेंट होने की संभावनाएं भी बनती हैं. मेरा अनुरोध है कि आप 2 लेन रोड़ सेंक्शन कर दें. 24 किलोमीटर रोड़ की बहुत बड़ी लंबाई नहीं है. आप प्रदेश के बजट में लेकर के कर दें अभी उसकी निविदा भी लग जायेगी और काम भी प्रारंभ हो जायेगा. क्या यह करेंगे ?
श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष महोदय, यह बात सही है नलखेड़ा में मां देवी का प्रसिद्ध मंदिर है वहां पर लोगों का आवागमन भी होता है. माननीय सदस्य जी की जो भावना है उनको अवगत कराना चाहता हूं कि इसकी फिजिबिल्टी रिपोर्ट तैयार हो गई है और एडीबी-7 में इसको 2 लेन करने का प्रस्ताव है. जो कि शीघ्र ही क्रियान्वित हो जायेगा. श्री प्रियव्रत सिंह - अध्यक्ष महोदय, एडीबी-7 में परमिशन नहीं मिली रही है.ये इन्होंने इसी उत्तर में लिखा है.
अध्यक्ष महोदय - मिल जाएगी, मंत्री जी कह तो रहे हैं.
श्री प्रियव्रत सिंह - अध्यक्ष जी, अभी नहीं मिल पाएगी, उन्होंने जवाब में लिखा है कि भारत शासन को भेजा है, भारत शासन के वित्तीय संसाधन उपलब्ध होने पर होगा, तो स्टेट बजट में ले लें. कोई बहुत बड़ी बात नहीं है 10-15 करोड़ का मामला है. स्टेट बजट में आप ले सकते हैं, अभी बजट पारित भी नहीं हुआ है, अभी उसको स्टेट बजट में जुड़वा लो तो ये काम हो जाएगा और अच्छा काम हो जाएगा.
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष जी, जो हमारा एशियन डेवलपमेंट बैंक है, इसके सहयोग से हम इसके लिए बना रहे हैं. मैं माननीय सदस्य को आश्वस्त करना चाहता हूं. विषय ये हैं चूंकि सभी लोग जानते हैं. हमारा मैन बजट आ गया, सप्लीमेंट्री भी आया सारी बात हो गई, लेकिन मैं ये कहना चाहता हूं कि हम पूरी कोशिश करेंगे कि शीघ्र अतिशीघ्र इस मार्ग का निर्माण टू-लेन दिया जाएगा.
श्री प्रियव्रत सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, कुछ समय सीमा तय हो जाए, एक महीना दो महीना में. मेरा अनुरोध है कि आप स्टेट बजट में शामिल कर लेंगे तो इसकी अभी निविदा हो जाएगी, एसएफसी हो जाएगी और निविदा लगाई जा सकती है.
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी ने कहा कि स्टेट बजट निकल गया है, मुख्य बजट भी आ गया, दोनों बोल दिया.
श्री गोपाल भार्गव - प्रियव्रत जी आप स्वयं मंत्री रहे हैं, आप बताएं बजट छप गया, बंट गया.
श्री प्रियव्रत सिंह - माननीय अध्यक्ष जी, छपने और पास होने के बीच में बहुत सारा काम हो सकता है, अगर हो जाएगा तो बड़ी अच्छी चीज हो जाएगी. माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा छोटा सा निवेदन है बजट छप गया है, राजगढ़ जिले को कुछ भी नहीं मिला है, अगर आप राजगढ़ जिले के लिए ये कर लेंगे तो कम से कम हमारा नाम उस बजट उसमें हो जाएगा, पूरा काम न करें तो 12 किलोमीटर कर लें, क्योंकि इसमें उत्तर दिया है, उसमें उल्लेख है कि 12.40 किलोमीटर जो आगर मालवा जिले का हिस्सा है, उसकी डीपीआर स्टेट बजट से टू-लेन की तैयार करवा रहे, तो पूरे 24 किलोमीटर की करवा दें, आधा स्टेट में, आधा एडीबी में.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष जी, मैं सोचता हूं कि बहुत बड़ी लंबी चर्चा का विषय नहीं है. एक नदी के दो पार्ट है, एक राजगढ़ जिले में आता है और दूसरा आगर मालवा जिले में आता है, आगर मालवा का हिस्सा ज्यादा चौड़ा है, जैसे माननीय सदस्य की इच्छा है कि यह टू-लेन हो जाए, तो टू-लेन करवा देंगे, इसके लिए विश्वास रखें.
12:13 बजे
(2) रीवा जिले के ग्राम अमिरती स्थित शासकीय तालाब के भीठे का अवैधानिक पट्टा दिया जाना.
श्री शरदेन्दु तिवारी - माननीय अध्यक्ष महोदय ,
श्री शरदेन्दु तिवारी - माननीय अध्यक्ष महोदय, बड़े लोगों को पट्टे दिए गए हैं, मंत्री जी का यह जवाब संतोषप्रद नहीं है. मेरा आग्रह है कि खसरा नं. 80 की भूमि के किस तरह से पट्टे हुए, क्या हुए ? इस संबंध में वरिष्ठ अधिकारियों से उच्चस्तरीय जांच करवा ली जाये.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी, यह मेरी विधान सभा क्षेत्र का मामला है. मैं पहले उसी विधान सभा से विधायक था, अब दूसरी से हुआ हूँ. मैंने इस बात का प्रयास किया था, वहां पर उसी तालाब के भीठे में या उस तालाब में गरीब आदिवासी, अनूसचित जाति के लोग बसे हुए हैं. प्रधानमंत्री आवास से भी उनका पैसा जो आपके यहां से जाता है, वह उनको मंजूर हो गया है. परन्तु उन्हें इसीलिए बनाने नहीं दिया जा रहा है, मैंने कई बार अधिकारियों को खुद बैठक लेकर कहा, सबको कहा. उन अधिकारियों ने केवल यह निवेदन किया है कि साहब चूँकि इसमें तालाब दर्ज है, इसलिए हम इसका पट्टा नहीं दे सकते, तो इसके एक हिस्से में तालाब दर्ज होने पर भूमिस्वामियों को पट्टा दिया गया और एक हिस्से में सरकार के अधिकारी हाथ उठा रहे हैं तो यह थोड़ी सी दिक्कतपूर्ण स्थिति है. इसलिए मेरा आपसे यह कहना है कि इनका पट्टा कैसे हुआ ? शासकीय तालाब का क्यों हो गया ? इस बिन्दु की जांच कराना आवश्यक है. आप इसकी जांच कराइये.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत - माननीय अध्यक्ष महोदय, आसन्दी का पूरा सम्मान है. माननीय विधायक महोदय ने जो रीवा जिले की अमिरती खसरा नं. 80 की 2.5 एकड़ भूमि वर्ष 1995-96 के पूर्व खतौनी वर्ष 1924-25 के अनुसार शासकीय तालाब में दर्ज है, यह तो तय है. अब अध्यक्ष महोदय माननीय सदस्य चाहते हैं, तो जिस अधिकारी से कहें, कलेक्टर से कहें, संभागीय अधिकारी से, जहां से कहें, मैं जांच कराने को तैयार हूँ.
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी, कलेक्टर से करा लीजिये, चल जायेगा, कोई दिक्कत नहीं है.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत - अध्यक्ष महोदय, मैं कलेक्टर से इसी जांच करवाऊंगा और चाहूँगा कि उत्तर जल्दी से जल्दी माननीय विधायक जी को दिया जाये.
अध्यक्ष महोदय - ठीक है.
12.17 बजे आवेदनों की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय - आज की कार्य सूची में सम्मिलित सभी आवेदन प्रस्तुत किये गए माने जाएंगे.
12.18 बजे अध्यक्षीय घोषणा
वर्ष 2022-23 के तृतीय अनुपूरक अनुमान के उपस्थापन के पश्चात्
मुद्रित प्रतियां माननीय सदस्यों के उपयोगार्थ उपलब्ध करायी जाना, साथ ही
माननीय सदस्यों को पूर्व में प्रदाय किए गए टेबलेट (आई-पैड) में इसे लोड किए जाने की व्यवस्था विधान परिषद हॉल में की जाना
12.19 बजे वर्ष 2022-2023 के तृतीय अनुपूरक अनुमान का उपस्थापन
12.20 बजे वर्ष 2023-24 के आय-व्ययक पर सामान्य चर्चा (पुनर्ग्रहण )
श्री विनय सक्सेना (जबलपुर उत्तर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, अनुपूरक बजट की बात वित्त मंत्री जी कर रहे थे. आप देख रहे हैं कि एक तरफ तो बजट, आम बजट आ रहा है और साथ-साथ अनुपूरक बजट भी, मध्यप्रदेश में पहली बार हो रहा है. अनुपूरक बजट की अगर वास्तव में जरूरत थी, तो आम बजट में भी शामिल किया जा सकता था.
माननीय अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2023-24 के 3 लाख 14 हजार 25 करोड़ के बजट के विषय में यह कहना चाहता हूं कि माननीय वित्तमंत्री जी तो वास्तविक बजट पेश करना चाहते हैं, लेकिन जो प्रदेश के हालात हैं, इसमें घोषणाओं का तो अंबार है और एक तरफ कर्ज की इतनी बड़ी मार है कि हालात यह है कि मध्यप्रदेश किसी हालत में अपने आपमें खड़ा नहीं हो पा रहा है, लेकिन उसके बाद भी कहा जा रहा है आत्मनिर्भर भारत, आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश और बड़ी-बड़ी बातें की जा रही हैं, माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय वित्तमंत्री जी से कहना चाहता हूं कि जैसा चाणक्य ने कहा था वैसे ही आपको वित्तमंत्री जी भौंरे के जैसे होना चाहिये कि फूल से रस भी ले लें और फूल की स्थिति वैसी बनी रहे, परंतु मध्यप्रदेश में जो आम नागरिकों के हालात हैं, चाहे रोजगार के हालात हों, चाहे किसानों के हालात हों, चाहे महिलाओं की हालत हो.
12.21 बजे { सभापति महोदय (श्री हरिशंकर खटीक) पीठासीन हुए }
सभापति महोदय, कोई भी व्यक्ति संतुष्ट नहीं है तरह-तरह की योजनाएं एक के बाद एक लागू की जा रही हैं और एक ऐसी सरकार के द्वारा जिसे 18 साल से लगातार काम करने का मौका मिला है, लेकिन उस समय वह योजनाएं लागू नहीं की गई, लेकिन चुनावी वर्ष को देखते हुए इतनी घोषणाओं का अंबार लगा दिया है. माननीय मुख्यमंत्री जी जब भाषण देते हैं, तो लगता है कि घोषणाओं का झरना उनके मुख से बहता है.
माननीय सभापति महोदय, मैं यह भी कहना चाहता हूं कि माननीय कमलनाथ जी इस विषय में बिल्कुल सही कहते हैं कि यह प्रदेश कर्ज में डूबा है, कमीशनखोरी में डूबा है और प्रदेश को पीछे धकेलने वाला यह बजट है तो वह गलत नहीं कहते हैं क्योंकि पिछले वर्ष के जो प्रावधान प्रस्तावित किये गये थे, उसमें यह 50 प्रतिशत ही हासिल कर पाये हैं और उसके बावजूद हम हमारा बजट उससे दोगुना करने जा रहे हैं. यह चुनावी कलाकारी और घोषणावीरता का बजट है जो ई- बजट के रूप में पेश किया गया है. मैं आपसे यह भी कहना चाहता हूं कि पिछले 90 लाख बेरोजगार थे, इस साल एक करोड़ से ज्यादा बेरोजगार मध्यप्रदेश में हो गये हैं, जो अपने आपमें मध्यप्रदेश के हालात बता रहा है. यह ये भी आईना दिखा रहा है कि एक लाख लोगों को रोजगार देने की जो घोषणा मध्यप्रदेश सरकार ने की है, उसने पिछले तीन सालों में मात्र 21 लोगों को रोजगार दिया है. यह कथनी और करनी में अंतर मध्यप्रदेश की सरकार का जनता के सामने हैं, अब किस बात पर भरोसा किया जा सकता है. एक और आर्थिक सर्वेक्षण माननीय वित्त मंत्री ने पेश किया है, उसी के आंकड़ें कह रहे हैं कि पिछले एक साल में हमारे जो हैं 60 प्रतिशत प्रायवेट सेक्टर में नोकरियों में कमी आई है, जो अपने आप मध्यप्रदेश सरकार को आईना दिखा रहा है कि जब प्रायवेट सेक्टर में 60 प्रतिशत कटौती हो गई और घटने की स्थिति बन रही है, तो मध्यप्रदेश सरकार एक लाख रोजगार शासकीय देने की जो बात कर रही है, उसमें दावे में कितना दम है?
सभापति महोदय, मैं यह भी कहना चाहता हूं कि बड़ी गंभीर बात है कि स्वास्थ्य, बिजली, शिक्षा, कृषि राजस्व ऐसे विभाग मात्र अपने बजट का 50-60 प्रतिशत ही पिछले वर्ष से अभी तक में खर्च पाये हैं, जबकि मार्च कम्पलीट होने पर है. ऐसी स्थिति में यह बजट कहीं न कहीं वास्तविकता में खरा नहीं उतर रहा है. जब पिछले साल का बजट जो इससे कम था, वह हम खर्च नहीं कर पा रहे हैं, तो इसका मतलब यह है कि यह जो बजट है, वह आंकड़े की बाजीगरी के अलावा कुछ नहीं है. माननीय सभापति महोदय, मैं यह भी कहना चाहता हूं कि मुख्यमंत्री जी कहते हैं कि माननीय कमलनाथ जी ने बहुत सारी योजनाएं बंद कर दी हैं, लेकिन खुद विधानसभा में जवाब जो आये हैं, उनसे स्पष्ट होता है कि न पंच परमेश्वर योजना बंद हुई है, न किसानों का ऋण योजना बंद हुई, न कन्यादान योजना बंद हुई, न संबल योजना बंद हुई, न पी.एम.ओ.आवास योजना बंद हुई, न फसल बीमा योजना बंद हुई. यह खुद विधानसभा के जवाबों में विधानसभा में स्वीकार किया गया है. अत: यह बात स्पष्ट है कि माननीय मुख्यमंत्री जी जब विधानसभा के पटल पर जब बोलते हैं, तब भी वह बोलते समय असत्य बातों का उल्लेख करते रहते हैं जो वाकई में एक गंभीर प्रश्न है और यह हमारे विधानसभा की गरिमा के खिलाफ भी है. माननीय सभापति महोदय, यह बात सही है कि मध्यप्रदेश में जो वर्तमान हालत हैं, अस्पताल हैं, अभी पिछले प्रश्नकाल में आपने देख लिया कि यह स्पष्ट आ गया है कि अस्पताल हैं लेकिन डॉक्टर नहीं है. माननीय मंत्री जी कह रहे थे कि अब इस साल एक लाख डॉक्टर भर्ती
कर लेंगे, पिछले 18 साल से जो प्रदेश में मुख्यमंत्री जी का राज चला रहा है, हम डॉक्टर अरेंज नहीं कर पाये, नर्सें अरेंज नहीं कर पाये, नर्सिंग स्टॉफ नहीं दे पाये. हमारे विधायक महोदय जब अपनी तकलीफें बता रहे थे तो बता रहे थे कि पूरे जिले में यह डॉक्टर नहीं दे पा रहे हैं. यह अपने आप में मध्यप्रदेश के हालात को बयां कर रहा है और (XXX). माननीय सभापति महोदय, एक तरफ कह रहे हैं कि हम आत्मनिर्भर प्रदेश हैं, आत्मनिर्भर प्रदेश अगर हैं, तो फिर कर्ज की स्थिति क्यों हैं, सड़कें बी.ओ.टी. में क्यों बन रहीं हैं, प्रदेश के हालात क्यों बुरे हैं? एक तरफ आप कहते हो कि हमारे यहां अनाज सड़ रहा है, लेकिन एक साल से आप गेहूं राशन की दुकानों में नहीं देते हैं और दूसरी तरफ राशन की दुकानों में गेंहू न देने के बावजूद हजारों टन गेंहू वेयर हाउस में सड़ रहा है. माननीय सभापति महोदय, मैं आपसे आग्रह करना चाहता हूं कि माननीय मुख्यमंत्री महोदय वह गेंहू कम से कम गरीबों को नि:शुल्क बांट दें. एक तरफ आप कहते हैं कि प्रदेश आगे बढ़ रहा है, दूसरी तरफ आप कहते हैं कि 5 करोड़ लोगों को हम अनाज दे रहे हैं. देश में कहते हैं कि 80 करोड़ लोगों को हम 5 किलो अनाज दे रहे हैं, यह देश आगे बढ़ रहा है या कर्जदार हो रहा है या हमारे लोग कमजोर हो रहे हैं. अगर इतने लोगों को 5 किलो अनाज देना पड़ रहा है इसका मतलब है कि देश कहीं न कहीं गरीबी की ओर जा रहा है और गरीबी रेखा से नीचे अधिकतर लोग जा रहे हैं. ऐसा प्रदेश की बात करने वाले और देश की बात करने वाले अमृत काल की बात कैसे कर सकते हैं यह भी अपने आप में सोचने का एक विषय है. माननीय सभापति महोदय, चूंकि माननीय वित्त मंत्री जी बैठे हैं तो मैं उनका ध्यान आकर्षित कराना चाहूंगा कि माननीय कमलनाथ जी के समय जबलपुर शहर में मेरी विधान सभा में विजय नगर में कॉलेज की स्थापना का प्रस्ताव स्वीकृत हुआ था. मेरी विधान सभा में शास्त्री ब्रिज की फ्लाई ओवर की स्वीकृति हो गई थी, माननीय गोपाल भार्गव साहब भी हैं. मैं आपका भी ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा कि सबसे महत्वपूर्ण शास्त्री ब्रिज है जो आज खण्डहर होने को आ गया, उस ब्रिज की स्वीकृति होने के बाद बार-बार कहते हैं कि टेण्डर लगा रहे है, टेण्डर लगा रहे हैं, आज तक नहीं हुआ. माननीय जयवर्द्धन सिंह जी ने उस समय जबलपुर की निबाड़गंज मंडी को 3 करोड़ रूपये तत्काल दिये थे, आज तक उस योजना को रोक दिया गया है. जबलपुर शहर का हनुमान ताल, जबलपुर शहर के मारूताल की स्वीकृति भी दी गई थी, परंतु यह सब आज बंद कर दिये गये हैं और इनकी योजनाओं को रोक दिया गया है. माननीय मैं आपसे कहना चाहता हूं, जबलपुर शहर का मेडीकल कॉलेज बिक्टोरिया अस्पतालों में आज भी कैंसर का जो अस्पताल है उसके उपकरण नहीं दे पा रहे हैं और दूसरी तरफ कहते हैं कि मध्यप्रदेश शिक्षा में, स्वास्थ में हम लोग आगे बढ़ रहे हैं. जो प्रदेश शिक्षा में, स्वास्थ में सही सुविधायें नहीं दे सकता वह प्रदेश यह कैसे कह सकता है कि हम आत्मनिर्भर बन गये. मैं माननीय सभापति महोदय एक और आपको ध्यान आकर्षित कराना चाहूंगा कि अभी विकास यात्रायें निकल रही थीं, आज चूंकि माननीय गोपाल भार्गव जी बैठे हैं, मैं उनका उल्लेख बार-बार करता हूं इसलिये गोपाल भार्गव जी मैं जब पहले कई साल पहले सुनता था कि गोपाल भार्गव जी चुनाव के समय अपने क्षेत्र में वोट मांगने नहीं जाते. क्योंकि जनता को भरोसा रहता है कि उन्होंने बहुत विकास किया हुआ है, परंतु 18 साल बाद मध्यप्रदेश की सरकार को विकास यात्रायें निकालकर जाना पड़ रहा है और कहना पड़ रहा है कि भई देखो हमने कुछ विकास किया है आपके क्षेत्र में और जनता मानने तैयार नहीं है, 172 जगह आपका विरोध हो रहा है, आपके विरोध के हर जगह पुतले जल रहे हैं. विधायकों तक को विरोध का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन सरकार ढोल बजा-बजाकर असत्य बोल-बोलकर महसूस करा रही है, 100 बार असत्य बोलो और यह साबित करो कि हमारे यहां विकास हो गया. मैं गोपाल भार्गव जी का उदाहरण इसलिये दे रहा हूं कि उन्होनें मध्यप्रदेश में एक अलग नजीर पेश की है. मैं तो चाहता हूं कि अगर माननीय शिवराज सिंह चौहान जी ने इतना अच्छा काम किया है....
श्री गोपाल भार्गव-- विनय जी, जितने फ्लाई ओवर जबलपुर में बने, इतने मध्यप्रदेश में कहीं नहीं बने.
श्री विनय सक्सेना-- मैं तो कह रहा हूं खंडहर हो रहा है शास्त्री ब्रिज तो आपको पता है गोपाल भार्गव साहब आप तो जबलपुर से बड़ा स्नेह रखते हैं उसकी स्वीकृति हो गई. केबीनेट की जब जबलपुर में बैठक हुई थी, आपने तो मेरी एक बहुत महत्वपूर्ण बात मान ली थी मैं उसके लिये आपको धन्यवाद देना चाहता हूं. जबलपुर का जो साढ़े सात किलोमीटर का फ्लाई ओवर बन रहा था जिसको दमोह नाके की बजाय गोपाल बाग कर दिया था आपने उसको बढ़वाने के लिये गडकरी साहब को दिया. मैं एक नहीं दो बार हाथ जोड़कर आपको धन्यवाद दे रहा हूं आपने एक बहुत बड़ी समस्या से जबलपुर शहर को बचा लिया.
माननीय सभापति महोदय, एक लाख रोजगार देने की हम बात करते हैं, अभी पेसा एक्ट लाने के बाद को-आर्डिनेटर की भरती हुई, उसमें क्या घोटाल हो रहा है, पद निकाले गये 849 उसके बाद उन पदों को यह कहकर निरस्त कर दिया कि हम इनका एक और अलग से चयन करने वाले हैं और फिर किसी विशेष पार्टी की और किसी विशेष शाखा के लोगों की उसमें भर्ती कर दी गई, एक बहुत बड़ा घोटाला हमारे बेरोजगारों के साथ हुआ है. माननीय सभापति महोदय, 500 करोड़ रूपये की राशि कर्मचारी चयन मंडल में होने के बाद हम कितनी परीक्षायें निरस्त कर देते हैं, हमारे बेरोजगारों का पैसा वापस नहीं करते, यह अपने आप में एक बड़ा घोटाला है और मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं वित्त मंत्री जी कि कम से कम पहले रोजगार कार्यालय में भर्ती के लिये नि:शुल्क आवेदन लिये जाते थे, आप करोड़ों रूपये वसूलते हो, जब आप परीक्षायें निरस्त कर देते हो तो वह युवाओं की राशि वापस क्यों नहीं होना चाहिये, क्या मध्यप्रदेश सरकार इसको व्यापार बनाकर रखे है. मैं वित्तमंत्री महोदय से आग्रह करना चाहता हूं कि जब वह अपना भाषण देंगे तो कम से कम प्रदेश के युवाओं के ऊपर एक कृपा करेंगे कि उनकी नि:शुल्क भर्ती के आवेदन लिये जायें. और उसके बाद जो राशि ली जाती है और अगर परीक्षा आप निरस्त कर देते हो तो उनका आने जाने से लेकर वह पैसा लौटाने का काम करिये. मध्यप्रदेश सरकार कमाई करने वाली सरकार नहीं है, (XXX) युवाओं के साथ आप अगर (XXX) यह मैं आपसे कहना चाहता हूं.
माननीय सभापति महोदय, कुछ और महत्वपूर्ण बातें हैं. पूरे प्रदेश में होर्डिंग्स लग रहे हैं. 23 हजार एकड़ भूमि माननीय शिवराज सिंह जी ने खाली करा ली. मैं बोलना चाहता हूं कि यह 23 हजार एकड़ भूमि गरीबों में बंटेगी कब ? सरकार के सामने चुनाव है और 23 हजार एकड़ भूमि पब्लिक डोमेन में डलेगी कब ? एक बड़ा ज्वलंत उदाहरण आपको देता हूं. जिस दिन नीलबड़ में माननीय मुख्यमंत्री जी इस बात की घोषणा कर रहे थे वहीं के एक पार्षद जी के द्वारा एकड़ों में जमीन पर कब्जा करके रखा हुआ है. उनका पेट्रोल पंप है. कहते हैं कि भूमाफियाओं पर कार्यवाही करेंगे. उसके मेरे पास कागजात हैं. आप कहो तो मैं उनको पटल पर रख दूं. बिल्कुल साक्षात अपने आप में ज्वलंत उदाहरण के कागजात हैं कि पार्षद जी के द्वारा वहां पूरी सरकारी जमीन पर कब्जा करके रखा हुआ है. इस पर भी कार्यवाही और भूमाफियाओं पर बुलडोजर कब चलेगा कृपया मंत्री जी बताने का कष्ट करेंगे. माननीय सभापति महोदय, मैं आपके कहना चाहता हूं कि लाड़ली बहना योजना एक अच्छी योजना है.
12.31 बजे अध्यक्षीय घोषणा
भोजनावकाश न होने विषयक
सभापति महोदय - आज भोजनावकाश नहीं होगा. भोजन की व्यवस्था सदन की लाबी में की गई है. माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि सुविधानुसार भोजन ग्रहण करने का कष्ट करें.
12.32 बजे वर्ष 2023-2024 के आय-व्ययक पर सामान्य चर्चा (क्रमश:)
श्री विनय सक्सेना - माननीय सभापति महोदय, एक और सच्चाई सामने आई है कि मध्यप्रदेश में एक साल के अंदर 28 रोजगार मेले लगाए गए लेकिन हर महिने सवा लाख बेरोजगार बढ़ रहे हैं. यह हालत मध्यप्रदेश की है. मध्यप्रदेश में पिछली बार के बजट में तो चाईल्ड बजट के नाम पर कितनी वाहवाही लूटी गई लेकिन 220 ऐसी योजनाएं हैं जिनको बजट का पैसा नहीं दिया गया. स्वयं आनंद विभाग जिसकी बड़ी तारीफ मुख्यमंत्री जी करते थे. 5 करोड़ का आवंटन हुआ ढाई करोड़ रुपये मात्र खर्च कर पाए. इसका मतलब है कि सरकार की कथनी और करनी में भारी अंतर है. मैं यह भी बताना चाहता हूं कि 6 साल में गरीबों को आपने बिजली में कोई छूट नहीं दी लेकिन 4 हजार करोड़ रुपये की छूट मध्यप्रदेश के उद्योगतियों को दी गई. 63 करोड़ रुपये तो मात्र पावर फैक्टर के नाम पर छूट दे दी गई. यह जो 785 करोड़ की छूट विद्युत मण्डल और 43 करोड़ की छूट, साथ ही साथ 4 हजार करोड़ रुपये की जो उद्योगपतियों को छूट दी गई. क्या मध्यप्रदेश में जिस तरह तहसीलदारों के नोटिस गरीबों के घरों पर जा रहे हैं.एक-एक विधायक के कार्यालय में 100-100 लोगों की रोज भीड़ लग रही है. तहसीलदार नोटिस दे रहे हैं कि आपको जेल भेजा जायेगा. जब 4 हजार करोड़ की छूट दे सकते हैं. 785 करोड़ की छूट उद्योगपतियों को दे सकते हैं लेकिन प्रदेश के गरीबों की जिनकी आज हालत नहीं है, कोरोना काल के बाद वे खड़े नहीं हो पाए. सरकार उनको 10 हजार रुपये का लोन देती है हाथ ठेला खरीदने के लिये और दूसरी तरफ नगर निगम का अमला उनके हाथ ठेले जब्त कर लेता है. क्या उनको बिजली की छूट उनको नहीं देनी चाहिये हमको. क्या उनके लिये कोई विशेष योजना नहीं लायी जानी चाहिये थी. लाड़ली बहना योजना आप लाए 18 साल बाद. आपको बहनों की याद आई लेकिन हमारी उन लाड़ली बहनों का क्या होगा जिनकी पुरानी पेंशन आप लागू नहीं कर रहे. सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय वित्त मंत्री जी से आग्रह करना चाहता हूं कि हमारी उन लाड़ली बहनों की भी चिंता करिये जिनको पूर्व वाली पेंशन मिलना है. उनको वह पेंशन मिलेगी तो उनको आपके 1 हजार रुपये की जरूरत नहीं पड़ेगी. आयुष्मान योजना का बड़ा ढिंढोरा पीटा जा रहा है लेकिन वह भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही है.आज ही मेरे पास जो जवाब आया है जबलपुर संभाग में 139 अस्पतालों के खिलाफ गड़बड़ी पाई गई. यह गड़बड़ी आपके शासन में हो क्यों रही है. आप तो सुशासन की बात करते हैं और एक संभाग में 139 अस्पतालों में गड़बड़ियां चल रही हैं यह स्वीकार करने का मतलब है कि मध्यप्रदेश में सुशासन नहीं कुशासन चल रहा है और विकास यात्रा कुछ भी निकालो लेकिन अब अंतिम दिन चल रहे हैं यह बात भी प्रदेश की जनता समझ गई है. हमारे मध्यप्रदेश में जो हालात हैं तीन साल में 4 हजार करोड़ रुपये का बजट मनरेगा में घट गया है. आप एक तरफ कहते हैं कि हम मजदूरों की चिंता कर रहे हैं. मध्यप्रदेश के आदिवासी भाई दूसरे प्रदेशों में जा रहे हैं. आप उनका हर साल बजट घटा रहे हो. यह अपने आप में दिखाता है कि मजदूरों के प्रति और आदिवासियों के प्रति मध्यप्रदेश सरकार संजीदा नहीं है. मैं यह जरूर कहना चाहता हूं कि आयुष्मान मामले में जिस आशीष के खिलाफ कार्यवाही हुई लेकिन उन बड़े अधिकारियों को क्यों बचाया जा रहा है जिन बड़े अधिकारियों के संरक्षण के चलते आयुष्मान में इतने बड़े-बड़े घोटाले हो रहे हैं. एक और महत्वपूर्ण बात है इसी भोपाल शहर की. यहां पर एक बंगला है. माननीय गोपाल भार्गव साहब चले गये.यहीं 74 बंगले में हम सुनते थे कि 32 बंगले बी टाइप के हैं. एक बंगला है, वहां पर, जिसका नम्बर 9 है और एक 8 नम्बर किस व्यक्ति का है, यह पूरा प्रदेश जानता है. बगैर उसके डिसमैंटलिंग की अनुमति लिये,गोपाल भार्गव साहब से और सरकार से. कलेक्टर महोदय के आदेश पर उस मकान में 2 करोड़ रुपये की स्वीकृति भी की गई. एक तरफ आप डिसमैंटल भी कर रहे हैं मकान को, इसके पहले 74 बंगले के कोई मकान डिसमैंटल नहीं किये गये और उस मकान को डिसमैंटल करके मंत्री जी की बगैर अनुमति के, उस पर 2 करोड़ रुपये किस आधार पर स्वीकृत हो गये. यह गरीबों का काम करने वाली सरकार है कि प्रदेश के जो प्रमुख लोग हैं, उनके मकान बनाने के लिये नियम विरुद्ध तरीके से आप 2 करोड़ रुपये की स्वीकृति दे रहे हैं और फाइल मंत्री जी तक जा नहीं रही है. मंत्री जी के पास अगर फाइल गई हो, तो वह कृपा करके बता दें, जबकि उनके बगैर तो 2 करोड़ रुपये स्वीकृत भी नहीं हो सकता था पीडब्ल्यूडी से. जब बंगला आप डिसमैंटल कर रहे हैं, तो वहां पर बंगला बनाने के लिये 2 करोड़ रुपये की स्वीकृति कैसे आप दे रहे हैं. एक और बड़ा घोटाला सामने आ रहा है और लगातार ऐसे घोटाले सामने आ रहे हैं. मध्यपप्रदेश के अधिकारियों की तो आप बात करें तो 49 अधिकारी हैं, जिसको प्रदेश सरकार ने अनुमति नहीं दी है ईओडब्ल्यू को और मध्यप्रदेश के लोकायुक्त महोदय ने माना..
सभापति महोदय-- कृपया अपनी बात समाप्त कीजियेगा.
श्री विनय सक्सेना-- सभापति महोदय, एक मिनट में अपनी बात समाप्त करता हूं. जब बड़े लोगों की बात आती है, तो क्यों आप रोकने लगते हैं.
सभापति महोदय-- नहीं, बोलिये आप. एक मिनट में अपनी बात समाप्त कीजियेगा.
श्री विनय सक्सेना-- सभापति महोदय, मैं आपसे एक बात और कहना चाहता हूं कि माननीय लोकायुक्त का जो खुलासा हुआ है. पिछले एक साल के अन्दर मध्यप्रदेश में 26 परसेंट भ्रष्टाचार बढ़ा. एक साल में 26 परसेंट भ्रष्टाचार बढ़ा, यह मध्यप्रदेश के लोकायुक्त खुलासा कर रहे हैं. इसका मतलब है कि मध्यप्रदेश की सरकार किस तरह से चल रही है. कुछ चंद अधिकारी बजट बना रहे हैं, कुछ चंद अधिकारी पूरे बड़े बड़े काम कर रहे हैं और जब कमलनाथ जी कहते हैं कि यह कलाकारी की सरकार है, इसका मतलब है कि यहां भ्रष्टाचार सिर पर चढ़कर बोल रहा है. सभापति महोदय, आपने बोलने के लिये समय दिया, इसके लिये धन्यवाद.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा(खातेगांव)-- सभापति महोदय, धन्यवाद. मैं सामान्य बजट माननीय वित्त मंत्री, श्री जगदीश देवड़ा जी ने जो प्रस्तुत किया है, उसका समर्थन करता हूं. बजट किसी भी सरकार का आने वाले वर्ष का लेखा जोखा होता है और इस सरकार ने कई सारे बजट इस मध्यप्रदेश को दिये. श्री जगदीश देवड़ा जी ने जो बजट इस मध्यप्रदेश को दिया है, वह बेहद संतुलित है,समाज के हर वर्ग का उसमें ध्यान रखा गया है. खास करके उन योजनाओं को या उन क्षेत्रों को इस बजट में विशेष ध्यान दिया गया है. जिनके कारण मध्यप्रदेश की पहिचान पूरे भारत वर्ष में और पूरी दुनिया में हुई है. सरकार हम हर 5 साल में बनाते हैं और लोकतंत्र में व्यक्ति अपने मताधिकार का उपयोग इसी भावना के साथ करता है कि जो सरकार चुनी जाये, वह उसके जीवन में आमूल-चूल बदलाव लाये और जो सरकार इस बदलाव को लेकर आती है, उस सरकार के प्रति व्यक्ति के मन में सकारात्मक भाव उत्पन्न होते हैं. मध्यप्रदेश की जनता का शिवराज सिंह जी की सरकार के प्रतति जो विश्वास है, वह किसी एक साल के काम का नतीजा नहीं है. लगातार जब सरकार ने काम किया, लोगों के जीवन में परिवर्तन आने लगे, तब इस सरकार को प्रशंसा मिली. सरकार को जनता का समर्थन मिला और इस कारण से लगातरार चौथी बार मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह जी की सरकार आज काम कर रही है. मध्यप्रदेश अगर आज के विकास की हम बात करते हैं, तो हमें पुरानी बदहाली की तरफ भी देखना पड़ता है, क्योंकि विकास की तुलना उन परिस्थितियों से अवश्य की जाती है,जो जनता ने पहले भुगती हैं. आज अच्छी ससड़कें हैं, गांव-गांव, शहर-शहर मकान बन रहे हैं. पेयजल की सुनिश्चितता हो रही है. तो कहीं न कहीं हमारा मध्यप्रदेश बदल रहा है. इस बात को स्वीकार करने में किसी को आपत्ति नहीं होना चाहिये. क्योंकि आज आम व्यक्ति, किसान,मजदूर, गरीब के जीवन में जो परिवर्तन आया है, वह सरकार के कामों का ही एक प्रकाश है. इसलिये मैं कह सकता हूं कि वित्त मंत्री जी ने इस बार के बजट में प्रधान मंत्री आवास के लिये जो बजट ग्रामीण क्षेत्र में 8 हजार करोड़ और शहरी क्षेत्र में 2800 करोड़ रुपये की जो राशि का प्रावधान किया है, इससे निश्चित ही गरीबों के पक्का मकान बनाने का जो सपना है, वह साकार हो सकेगा. लोग जिंदगी भर कमाते हैं, लेकिन उसके बाद भी इतना पैसा नहीं जोड़ पाते थे कि अपना मकान बना पायें. प्रधानमंत्री जी की यह महत्वकांक्षी योजना, जिसे मध्यप्रदेश में प्रभावशाली तरीके से लागू किया जा रहा है. निश्चित ही वर्ष 2023-24 तक हम और लाखों लोगों के मकान बनते हुए मध्यप्रदेश में देखेंगे. इससे गरीब का पक्के मकान में रहने का सपना साकार करने में मदद मिलेगी. सरकार, शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, बिजली इन क्षेत्रों में बहुत काम करती है, बहुत बजट का हिस्सा खर्च करती है. एक समय में गरीब के मकान की पहचान लालटेन और चिमनी हुआ करती थी और पैसे वाला जब बिजली नहीं मिलती थी तो अपने घर इनवर्टर और जनरेटर का प्रबंध करके लाइट की व्यवस्था करता था. लेकिन आज हम बिजली में सरप्लस हैं. इस पर सबको गौरव होना चाहिए. एक समय हम बिजली खरीदते थे. घंटों तक लोड सेटिंग, अंडर फ्रिक्वेंसी में लाइट कटती थी, लेकिन आज ग्रामीण क्षेत्र हो या शहरी क्षेत्र हो, किसी तकनीकी त्रुटि के कारण व्यवधान उत्पन्न होता है तो चलता है, लेकिन कमोबेश हर जगह 24 घंटे घरेलू उपभोक्ताओं को बिजली मिल रही है. 10 घंटे किसान को बिजली मिल रही है. सबसे बड़ी बात यह है कि इससे किसान के जीवन में बहुत सकारात्मक परिवर्तन आया है.
सभापति महोदय, बहुत सारे कांग्रेसी मित्र बार-बार यह प्रश्न उठाते हैं कि खेती लाभ का धंधा बनेगी. किसानों की आय दोगुनी करेंगे. निश्चित ही यह हमारा संकल्प है क्योंकि किसान जो इस धरती का अन्न दाता है, जिसके कारण हमारे बाजारों में रौनक रहती है. उसको खेती करने में लाभ हो, इसके लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है. वास्तव में किसान को अगर सिंचाई के पर्याप्त साधन मिल जाय. पर्याप्त मात्रा में बिजली मिल जाय. जीरो प्रतिशत ब्याज पर उसको ऋण मिल जाय, उसकी उपज का सही दाम मिल जाय. ओला पाला गिरने पर, फसल खराब होने पर उसकी अगर नुकसान की भरपाई हो जाय तो निश्चित ही उस किसान को इस बात का भरोसा रहता है कि सरकार संकट के समय मेरे साथ खड़ी रही.
सभापति महोदय, मैं यह कहना चाहता हूं कि शिवराज जी की सरकार ने लगातार किसानों के लिए चरणबद्ध रूप से काम किये हैं क्योंकि जमीनें तो बढ़ती नहीं हैं, उतनी ही जमीन किसान के पास होती है, जो उसके पूर्वजों से उसको मिली हुई है, लेकिन आज से 20 वर्ष पूर्व जिस किसान को खाद के लिए ऋण के लिए भटकना पड़ता था, आज उसको समय पर ऋण मिल रहा है, जीरो प्रतिशत ब्याज पर ऋण मिल रहा है. ओला पाला गिरने पर, प्राकृतिक आपदा आने पर सरकार उसको मुआवजा भी देती है. बीमे का प्रबंध भी कराती है और तो और उस किसान की कृषि कार्य करते हुए यदि दुर्घटना में मृत्यु हो जाय तो भी 4 लाख रुपये की राशि सरकार उसके परिवार को देती है. खेती और उससे जुड़ी हुई चाहे पशु हों, चाहे उसकी अन्य संपदा हो, उसका भी नुकसान होने पर सरकार ने आरबीसी 6 (4) में संशोधन करके उस किसान की मदद की है. इस बार फसल बीमा योजना के लिए 2000 करोड़ रुपये का प्रावधान बजट में किया गया है. मैं वित्त मंत्री जी को धन्यवाद देता हूं और जीरो प्रतिशत ब्याज पर किसानों को ऋण देने के लिए सरकार 32100 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष खर्च करती है, यह भी अपने आप में एक उल्लेखनीय आंकड़ा है, जिसके कारण आज किसान भाइयों को साहूकारों के आगे हाथ नहीं फैलाना पड़ता है. साथ ही मध्यप्रदेश की सरकार, केन्द्र सरकार, जो हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी किसान सम्मान निधि के 6000 रुपये किसान भाइयों को दे रहे हैं उसमें किसान कल्याण योजना के माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री जी भी 4000 रुपये दे रहे हैं. किसी को लगता होगा कि 10000 रुपये में क्या होता है, लेकिन जिस छोटे किसान को 10000 रुपये की राशि प्रतिवर्ष मिलती है उससे पूछिए गरीब को अगर एक रुपया भी मिल जाय तो उसको इस बात का मन में संतोष होता है कि सरकार मेरी सीधे तौर पर मदद कर रही है.
सभापति महोदय, डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर स्कीम के माध्यम से सरकार की विभिन्न योजनाओं का पैसा आज सीधा किसान भाइयों, मजदूरों, महिलाओं के खाते में पहुंच रहा है . साथ ही साथ सरकार ने सिंचाई के क्षेत्र में बजट में बड़े प्रावधान किये हैं. इस बात का संतोष है कि उन क्षेत्रों में जहां पर सिंचाई के लिए ट्यूबवेल और कुएं पर किसान न केवल निर्भर थे, आज वहां सिंचाई परियोजनाएं पहुंच रही है. एक समय में अलीराजपुर, झाबुआ, सरदारपुर हमारा जो आदिवासी क्षेत्र है, जहां पर सिंचाई की कोई बड़ी परियोजना नहीं होती थी, आज वहां पर नर्मदा झाबुआ पेटलावद थांदला सरदारपुर उद्वहन सिंचाई परियोजना, बदनावर नर्मदा पार्वती लिंक, मालवा नर्मदा गंभीर लिंक, मेरे विधानसभा क्षेत्र में माननीय मुख्यमंत्री और विभाग के माध्यम से छीपानेर माइक्रो इरिगेशन, जिसमें 52 गांवों की हजारों हैक्टेयर भूमि सिंचित होगी. हंडिया बैराज परियोजना जिससे लगभग 35 हजार हैक्टेयर भूमि सिंचित होगी, यह किसानों के लिए सपना ही हुआ करता था, लेकिन सरकार ने इस बजट में सिंचाई परियोजनाओं के लिए विकास के लिए भी राशि स्वीकृत की है. मैं वित्त मंत्री जी को धन्यवाद देता हूं. साथ ही साथ स्वास्थ्य सुविधाएं अगर अच्छी हों, बेहतर हों तो व्यक्ति को बीमार होने पर इस बात का भरोसा रहता है. सरकार हमारा इलाज कराएगी. आज शासकीय अस्पतालों में 500 से अधिक दवाएं नि:शुल्क मिल रही हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि सरकार ने 108 जैसी सुविधाओं का, जननी एक्सप्रेस जैसी सुविधाओं का विस्तार किया है जिसके कारण धात्री माताओं को, गर्भवती महिलाओं को हॉस्पिटल जाने में, प्रसूती केन्द्र जाने में असुविधा नहीं हो रही है. आज परिवार में कोई हो, नहीं हो लेकिन आशा कार्यकर्ता और जननी एक्सप्रेस उस महिला को ले जाकर सुरक्षित प्रसव कराती है और उसको प्रधानमंत्री मातृ वंदन योजना के माध्यम से प्रथम डिलेवरी पर 5,000 रुपये द्वितीय डिलेवरी पर अगर बेटी उसके यहां होती है तो 6,000 रुपये की राशि और जननी सहायता भी मध्यप्रदेश की सरकार उनको प्रदान कर रही है. साथ ही साथ स्वास्थ के क्षेत्र में जिला मुख्यालयों पर डायलिसिस और सीटी स्केन की जो व्यवस्था सरकार ने की है उसके कारण आज गरीब लोगों को भी इन जांचों को कराने में सुविधा प्राप्त हो रही है. ब्लाक स्तर के मुख्यालयों पर विभिन्न तरह की लगभग 100 तरह की जांचें अस्पतालों में नि:शुल्क की जा रही हैं. कुल मिलाकर हमारी सरकार ने गरीब के जीवन को, मध्यम वर्ग के जीवन को और ज्यादा सुलभ बनाने के लिये प्रयास किया है. इस कारण मैं यह कह सकता हूं कि चाहे स्वास्थ्य हो, चाहे शिक्षा हो, सरकार उल्लेखनीय काम कर रही है. अगर यह काम बहुत पहले हो जाते तो आज हमारा मध्यप्रदेश, आज हमारा देश बहुत आगे विकास के मामले में पहुंच गया होता.
सभापति महोदय, शिक्षा के क्षेत्र में हमारी सरकार सीएम राइज़ जैसे महत्वपूर्ण संस्थान लेकर आई है. निश्चित ही जब सीएम राइज़ स्कूल पूरी तरह से बनकर तैयार होंगे, चालू होंगे तब लगेगा कि किसी निजी विद्यालय से बढि़या शिक्षा व्यवस्था सरकार प्रदान कर रही है. मैं ऐसा मानता हूं कि निजी क्षेत्रों में बहुत कम वेतन और सुविधाएं मिलती हैं लेकिन सबसे अच्छे डॉक्टर, सबसे अच्छे टीचर आज भी सरकार के पास ही हैं. इसलिये सीएम राइज़ के माध्यम से जब गरीब बच्चे अपने घरों से शासकीय स्कूल बसों में बैठकर जाएंगे तब वास्तव में परिवार का वह सपना साकार होगा कि हमारे पास पैसा नहीं था लेकिन आज सरकार ने इतना अच्छा स्कूल हमारे बच्चों को दिया है कि वह भी निजी स्कूलों से कमतर सुविधाओं के अलावा आज अच्छे स्कूलों में पढ़ पा रहे हैं. निश्चित ही सरकार के इन प्रयासों से एक सामाजिक परिवर्तन हमको देखने के लिये मिल रहा है. ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूर के बेटा-बेटी उसके साथ ही मजदूरी करते थे, लेकिन आज वह स्कूल तक जा रहे हैं. आंगनबाडि़यों के माध्यम से पोषण आहार की सुविधा हो, चाहे कुपोषित बच्चों की परवरिश का मामला हो, निश्चित ही हमारी आंगनबाड़ी की कार्यकर्ता बहनें, आशा कार्यकर्ता बहुत अच्छा काम कर रही हैं.
सभापति महोदय – सम्मानित सदस्य जी, अपनी बात थोड़ी जल्दी समाप्त करें.
श्री आशीष गोविंद शर्मा – जी. सभापति महोदय, सबसे महत्वपूर्ण बात मैं आपको बताना चाहता हूं कि पहले की सरकारें चाहे ग्रामीण क्षेत्र हो, चाहे शहरी क्षेत्र हों हैंड पम्प लगाने की मांग हम सब जनप्रतिनिधियों से जनता करती थी. गांवों में नल से पानी मिल जाए यह तो एक सपना था, लेकिन आज मध्यप्रदेश के 56 लाख घरों तक सरकार ने नलों के माध्यम से पानी पहुंचाया है. इस बजट में भी लगभग 900 के आसपास पेयजल योजनाएं स्वीकृत की गई हैं. गांव में जो महिलाएं अपने सिर पर मटका रखकर, गगरी रखकर पानी लाती थीं, बरसों से वह यह उपक्रम करती जा रही हैं, गांव का कुँआ सबकी प्यास बुझाता था लेकिन आज उन गांवों में घर की देहरी पर जब नलों से पानी पहुंचता है तब लगता है कि हॉं आज भारत वास्तव में हमको आजाद महसूस हो रहा है. महिलाओं को आज इस बात की आजादी मिली है कि उनको घर पर पीने के पानी की सुविधा सरकार मुहैया करा रही है. वर्ष 2025 तक जब मध्यप्रदेश के प्रत्येक घर में नलों से पानी पहुंचने लगेगा तब ग्रामीण क्षेत्र हो या शहरी क्षेत्र हो, एक अलग तरह का मध्यप्रदेश हमको देखने के लिये मिलेगा. सरकार ने इस बार भी जल जीवन मिशन के लिये 58,800 करोड़ रुपये की योजना बनाई है. मैं धन्यवाद देता हूं. लगभग 65 प्रतिशत आंगनबाडि़यों में भी पेयजल की सुविधा उपलब्ध कराई है. स्कूलों में भी लगभग 60 प्रतिशत स्कूलों तक नल की सुविधा सरकार ने मुहैया कराई है.
सभापति महोदय, सबसे बड़ी बात यह है कि सरकार ने तीर्थदर्शन जैसी योजना को भी इस बजट में जारी रखा है. मैं माननीय वित्त मंत्री जी को इसके लिये धन्यवाद देता हूं. इंदौर और भोपाल हमारे बहुत बड़े शहर हैं. एक आर्थिक राजधानी है और एक हमारे मध्यप्रदेश की राजधानी है, यहां पर मेट्रो रेल का काम देखते हुये संतोष होता है कि आज हमारा मध्यप्रदेश भी उन महानगरों से पीछे नहीं है जहां पर मेट्रो रेल चल रही है. निश्चित ही बढ़ता यातायात और दुर्घटनाएं हमको लोक परिवहन की तरफ ले जाने के लिये आकर्षित करती हैं और इसलिये लोक परिवहन आने वाले समय में नागरिकों की सुविधाओं का यातायात का जरिया बने यह हम सबकी प्राथमिकता होनी चाहिये. संबल योजना हो चाहे हमारी नई योजना..
सभापति महोदय -- सम्माननीय सदस्य जी, अपनी बात जल्दी समाप्त कीजिए.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा -- जी हां, सभापति महोदय, अभी जल्दी ही समाप्त कर रहा हूँ. संबल योजना के माध्यम से गरीब परिवारों को सामान्य मृत्यु होने पर 2 लाख रुपये और दुर्घटना में मृत्यु होने पर 4 लाख रुपये की राशि सरकार मदद स्वरूप देती है. इस योजना से भी गरीब के मन में सरकार के प्रति विश्वास बढ़ता है. सरकार ने किसानों के लिए गेहूँ, चना, मूंग, सरसों, इन सब उपजों का उपार्जन किया है. मेरे ख्याल से मध्यप्रदेश ही देश का एकमात्र ऐसा राज्य होगा जो इतने सारे खाद्यान्नों का उपार्जन किसानों भाइयों से करता है, जिसके कारण किसान को सही दाम मिल पाता है और उसे पैसे मिलने में भी दिक्कत नहीं होती. ऐसी बहुत सारी योजनाएं मध्यप्रदेश की सरकार ने इस बजट में ली है. मैं इस बजट का समर्थन करता हूँ और माननीय वित्त मंत्री जी को धन्यवाद देता हूँ कि जिन्होंने इतना अच्छा बजट प्रस्तुत किया. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री जयवर्द्धन सिंह (राघोगढ़) -- माननीय सभापति महोदय, 1 मार्च, 2023, जिस दिन बजट प्रस्तुत हो रहा था, उसी दिन सुबह पूरे प्रदेश को बहुत बड़ी खुशखबरी मिली. रसोई गैस में 50 रुपये की वृद्धि हुई और व्यावसायिक रसोई गैस में 263 रुपये की वृद्धि हुई. भाजपा सरकार की तरफ से पूरे प्रदेश को बहुत बड़ा तोहफा मिला. यह तो सौदे वाली सरकार का आखरी बजट है.
सभापति महोदय, बहुत आश्चर्य की बात है कि बजट इस बार ऐसा पेश हुआ है, जहां सरकार की प्राप्तियां अनुमानित रूप से लगभग 2 लाख 25 हजार करोड़ रुपये की है और वहीं जो व्यय अनुमानित रूप से है, वह 3 लाख 14 हजार करोड़ रुपये का है. मतलब कि जो शेष 90 हजार करोड़ रुपये हैं, वे कहां से आने वाले हैं, मुझे पूरा विश्वास है कि माननीय वित्त मंत्री जी जब अपना उद्बोधन देंगे तो इसके बारे में स्पष्टीकरण करेंगे. सभापति महोदय, अगर हम वर्ष 2022-23 का हिसाब देखें तो पिछले वर्ष के बजट में भी अनुमानित व्यय 2 लाख 47 हजार करोड़ रुपये का था, लेकिन सरकार उसमें से 1 लाख 17 हजार करोड़ रुपये खर्च ही नहीं कर पाई. यह इनकी वास्तविकता है. मैं तो आपसे अर्ज करना चाहूँगा कि अब एक नियम इसमें बने विधान सभा के अंदर कि जब नया बजट पेश हो तो कम से कम माननीय वित्त मंत्री जी इसका भी उल्लेख करें कि जो पिछला बजट था, उसमें जो अनुमानित खर्चा था, उसमें से कितना खर्च हो पाया, कितना खर्च नहीं हो पाया. आपने इस बार हर विपक्ष के विधायक को सुना होगा, हम सबने इस बात का उल्लेख किया है कि आज सबसे बड़ा खतरा अगर कोई है तो जो सरकार पर बढ़ता हुआ ब्याज है, सरकार पर लगातार ब्याज बढ़ रहा है, उसके कारण जो नई नीतियां हैं, वे साकार नहीं हो पा रही हैं.
सभापति महोदय, आज यह स्थिति बन गई है कि सिर्फ इन्टरेस्ट का अगर हम अनुमान निकालें, ब्याज का अनुमान निकालें तो लगभग 80 हजार करोड़ रुपये हर साल यह सरकार ब्याज में खर्च कर रही है. सीएम साहब कहते हैं कि हां, हमने ब्याज लिया है, लेकिन विकास के लिए लिया है, परंतु अगर हम पूरे बजट का ध्यान से अध्ययन करेंगे, मैं आपको अर्ज करना चाहता हूँ, वर्ष 2018 में आज से पांच साल पहले पूर्व वित्त मंत्री श्री जयंत मलैया जी ने भाषण दिया था, उसमें उन्होंने उल्लेख किया था और उस भाषण में यह लिखा गया है कि वर्ष 2025 तक मध्यप्रदेश में सिंचाई का रकबा 80 लाख हैक्टेयर हो जाएगा. इस बार जो बजट है, उसके भाषण में कहा गया है कि वर्ष 2025 तक सिंचाई का रकबा 65 लाख हैक्टेयर तक होगा. तो यह क्या त्रुटि है, इसका स्पष्टीकरण कर दें. वर्ष 2018 में कह रहे थे कि वर्ष 2025 तक 80 लाख हैक्टेयर सिंचित हो जाएगा और अब ये कह रहे हैं कि वर्ष 2025 तक 65 लाख हैक्टेयर हो जाएगा. इसका कारण क्या है. इसका कारण यही है कि...
श्री रामपाल सिंह -- इसका कारण यह है कि 10 दिन में 2 लाख हो गए. ऐसे ही मान लो इसको.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- बीच में आप आ गए ना.
श्री जयवर्द्धन सिंह -- आप इतना मत बौखलाइये, क्योंकि एक बार जब बजट में ये बातें आ जाती हैं..
डॉ. सीतासरन शर्मा -- माननीय सिंह साहब, बीच में आप आ गए, एक साल, तो गड़बड़ा गया बजट. हमको 15 लाख कम करना पड़ा.
श्री जयवर्द्धन सिंह -- आपको भी वहां बैठना चाहिए था. अब 7 महीने रह गए हैं.
श्री बाला बच्चन -- और कभी 5 साल टिक जाते, तो कितना गड़बड़ा जाता. 5 साल टिक जाते, तो क्या हाल हो जाते...(व्यवधान)...
सभापति महोदय -- सम्मानीय सदस्य, अपनी बात बोलें..(व्यवधान)..
डॉ. सीतासरन शर्मा -- 7 लाख पर आ जाते..(व्यवधान)..
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- बाला जी, एक कहावत है (XXX)
सभापति महोदय -- इसे विलोपित करें और माननीय सदस्य आप अपनी बात बोलिए.
श्री जयवर्द्धन सिंह -- माननीय सभापति महोदय, वर्ष 2022-23 के बजट में बहुत विशेष तौर पर उल्लेख किया गया था कि इस साल का बजट चाइल्ड बजट कहलाया जाएगा. बच्चों पर, कुपोषण पर विशेष ध्यान दिया जाएगा लेकिन बहुत अफसोस की बात है कि पिछले वर्ष 2022-23 में एक तरफ महिला बाल विकास विभाग के लिये 7000 करोड़ रूपए का प्रावधान था, लेकिन उसमें से सरकार सिर्फ 3800 करोड़ रूपए खर्च कर पायी. इससे स्पष्ट दिखता है कि इस सरकार की क्या हालत है. आप चाइल्ड बजट की बात कर रहे हैं लेकिन उसी बजट के और उसी कार्यकाल में पोषण आहार का घोटाला हुआ. वह घोटाला, जिसके कारण जो कुपोषित बच्चे पूरे मध्यप्रदेश में हैं उनका ही पोषण आहार यह भ्रष्ट सरकार डकार गई.
सभापति महोदय, मैं आपसे अर्ज करना चाहता हॅूं कि आज अगर सबसे बड़ी चुनौती हम सबके सामने है तो जो शिक्षित युवा हैं, जिसका पहले व्यापमं घोटाले के कारण भविष्य खराब हो गया था, आज वही शिक्षित युवा परेशान है, बेरोजगार घूम रहा है. विनय भाई ने उनके भाषण में माननीय मेवाराम जाटव जी के प्रश्न का उल्लेख किया था जिसमें कि उन्होंने पूछा कि पिछले तीन साल में कितने लोग बेरोजगार हैं जिन्होंने आवेदन दिया है.कितनों को सरकारी नौकरी मिली है. उनके उत्तर में आया कि 37 लाख बेरोजगार हैं और उनमें से सिर्फ 21 युवाओं को सरकारी नौकरी मिली है और (XXX) अभिभाषण में भी और बजट में भी उल्लेख कर रही है कि इस साल 1 लाख सरकारी पद दिये जाएंगे जबकि आज के समय अगर हम जमीन पर देखें तो शिक्षाकर्मी आंदोलित हैं, चिकित्साकर्मी आंदोलित हैं, हड़ताल कर रहे हैं. एक-एक कोविड वॉरियर की भर्ती कब की गई थी, जब पूरा देश संकट में था. उस समय सरकार ने कोविड के लिये एमबीबीएस डॉक्टरों को हॉयर किया था, उनको नौकरी दी थी लेकिन जैसे ही कोविड खतम हो गया, उनकी नौकरी खतम हो गई. क्या यह उनके साथ न्याय है ? हमारी उसमें विशेष मांग रहेगी कि अगर माननीय वित्त मंत्री जी इस विषय पर गंभीर हैं तो सबसे पहले एक-एक कोविड वॉरियर को भी स्थायी रूप से रखा जाए. यही नहीं, मैं तो स्पष्ट कहना चाहता हॅूं कि वर्तमान में मध्यप्रदेश में जो भी सरकारी नौकरियां हैं, चाहे वह पंचायत सचिव हो, चाहे रोजगार सहायक हो, चाहे आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हो, चाहे आंगनवाड़ी सहायिका हो, चाहे आशा कार्यकर्ता हो, अगर यह सब किसी की देन है, तो कांग्रेस सरकार की देन है.
सभापति महोदय, एक तरफ माननीय शिवराज सिंह चौहान जी 15 साल से मुख्यमंत्री रहे हैं लेकिन उनके पूरे कार्यकाल में मध्यप्रदेश के पूरे युवाओं को एक भी नये सरकारी पद नहीं दिये गये हैं. यह वास्तविकता है. मैं आपसे अर्ज करना चाहता हॅूं कि सिर्फ स्थायीकर्मी ही नहीं, सिर्फ हमारे संविदाकर्मी ही नहीं बल्कि आज पूरे मध्यप्रदेश में सहारा चिटफंड घोटाले के कारण कल मध्यप्रदेश में बड़ा प्रदर्शन था और अगर हम इसके आंकड़ों का अध्ययन करें, तो पूरे मध्यप्रदेश में, अकेले सिर्फ मध्यप्रदेश में ही 5000 करोड़ रूपयों का गबन हुआ है. अफसोस की बात यह है कि न तो सरकार इस पर कोई कार्यवाही कर रही है. यह लोग हर जिले में घूम रहे हैं. एफआईआर की मांग कर रहे हैं और उस पर यह भी मांग कर रहे हैं कि सहारा कंपनी के पास संपत्ति हर जिले में है और संपत्ति ऐसी है जो मेन रोड पर है, हाईवे पर है. अगर सरकार इस विषय पर गंभीर है तो सबसे पहले एक-एक जिले में, जहां सहारा कंपनी की कंपनियां हैं जहां उनकी जमीनें हैं, उसको कुर्क किया जाए लेकिन भाजपा के अमृतकाल में क्या किया जा रहा है. मैं इस पूरे सदन का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ. मेहगांव और भिण्ड की बात है. जहां पर दो किसान मुरली कुशवाह, राजकुमार कुशवाह, जिनका बिजली का बिल बकाया था, उनकी जमीन कुर्क की गई, सभापति महोदय, यह इनकी असलियत है और जब इसमें बयान लिया गया तहसीलदार का, तो उन्होंने खुद स्वीकारा है कि जिन खसरा राशि पर बिल चढ़ाए गए हैं, उनकी भूमि राजस्व रिकार्ड में बंधक रहेगी, बंधक क्यों रहेगी क्योंकि उन्होंने बिजली के बिल नहीं भरे हैं. सभापति महोदय, भाजपा सरकार की यह असलियत है इसमें मैं आपको अर्ज करना चाहता हूँ कि इसकी शुरुआत कहाँ से हुई है. मैं सदन में पंचायत ग्रामीण विकास विभाग के राजपत्र के बारे में उल्लेख करना चाहता हूँ जो प्रस्तुत हुआ था 12 अक्टूबर 2022 को, जिसमें पहली बार 75 साल में ऐसा हुआ है कि अब मध्यप्रदेश की पंचायतों में भी आवासीय भवन पर, व्यावसायिक भवन पर, टैक्स लगाया जाएगा, यह वर्तमान सरकार की असलियत है. अगर आप इस विषय पर गंभीर हैं, मैं आज अर्ज करूँगा वित्त मंत्री जी से कि अगर आप एक प्रतिशत भी संवेदनशील हैं तो आज आप घोषणा करें कि पंचायतों में, ग्रामीण क्षेत्रों में, जो संपत्ति कर लगाया गया है, जो पहले कभी नहीं था, इसको वापिस लिया जाए. सभापति महोदय, यह हमारी विशेष मांग रहेगी.
सभापति महोदय-- आप अपनी बात जल्दी समाप्त कीजिए.
श्री जयवर्द्धन सिंह-- बस दो मिनिट और लूँगा. सभापति महोदय, इसके साथ साथ वर्तमान में जैसा कि हम सब जानते हैं, समय चल रहा है कटाई का, किसान भी व्यस्त हैं, लेकिन केसीसी में जो बकाया है उसकी पूर्ति करने की तारीख आई है 28 मार्च की, जबकि हम सब जानते हैं कि यह कटाई चलेगी पूरे अप्रैल के महीने में भी तो इसमें तत्काल आदेश दिए जाएँ कि कम से कम जो भी वसूली की जा रही है किसानों से वह विलम्ब की जाए, अप्रैल के महीने तक, 30 अप्रैल तक ताकि किसानों को पर्याप्त समय मिले.
इसके अलावा सभापति महोदय, मैं आप से अर्ज करना चाहता हूँ कि शिवराज सिंह जी आजकल हर भाषण में बुलडोजर के बारे में कहते हैं. लेकिन 2018 के पहले उनको यह शब्द पता नहीं था, न उसका उल्लेख किया जाता था. लेकिन 2018 के बाद जब 15 महीने सरकार कमल नाथ जी की थी तो हम वो समय याद करें जब इन्दौर में एक लैण्ड माफिया था जीतू सोनी के नाम का जिसमें, अनेक अखबार के ऑर्टिकल के माध्यम से, वीडियो के माध्यम से, कुछ चीजें छापी थीं और जिसमें भाजपा की पूर्व सरकारों के जो लोग लिप्त थे लेकिन उन पर कमल नाथ जी ने, ऐसे माफिया पर, बुलडोजर चलाया था और उसके बाद ही शिवराज सिंह जी आजकल पिछले 2 सालों से ऐसे बयान देते हैं बुलडोजर के बारे में, तो कहीं न कहीं, जो उन्होंने काफी कुछ जो सीखा है 15 महीने कमल नाथ जी से, मैं इस समय कहना चाहता हूँ कि अब इनके सिर्फ 7 महीने रह गए हैं, 7 महीने बाद पुनः सरकार काँग्रेस की बनेगी और अभी और बहुत सारे काम हैं जो इनको.....(व्यवधान)..
श्री रघुनाथ सिंह मालवीय-- ये सपने ही देखते रहना आप.
श्री जयवर्द्धन सिंह-- सभापति महोदय, आपका बहुत बहुत धन्यवाद.
सभापति महोदय-- सम्माननीय श्री सूबेदार सिंह रजौधा जी अपनी बात कहें.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा(जौरा)-- माननीय सभापति जी, बड़े सौभाग्य की बात है कि जब मुझे बोलने का अवसर मिलता है तो माननीय, आप आसन्दी पर विराजमान होते हैं. निश्चित रूप से मैं आशा करता हूँ कि मुझे 5 या 10 मिनिट का टाइम पहले ही दे दें, बीच में कहोगे कि बैठ जाओ तो फिर मामला बिगड़ जाता है.
सभापति महोदय-- आप अपनी बात शुरू कीजिए.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा-- माननीय सभापति जी, हमारे माननीय वित्त मंत्री जी ने जो मध्यप्रदेश के सर्वांगीण विकास के लिए जो बजट में प्रावधान किए गए हैं उसमें वैसे तो सभी वर्गों का समावेश है लेकिन उन्होंने माता और बहनों के लिए बजट में जितना प्रावधान किया है. मैं उनका बहुत बहुत धन्यवाद करता हूँ. 3 लाख में से 1 लाख से अधिक का बजट माताओं और बहनों के लिए रखा है. सभापति जी, एक से बढ़कर एक योजना हमारी नारी शक्ति के लिए, ताकतवर बनाने के लिए, आत्मनिर्भर बनाने के लिए, जो माननीय वित्त मंत्री जी ने, माननीय मुख्यमंत्री जी ने, बजट में प्रावधान किया है, वास्तव में मैं उनकी भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूँ बहुत-बहुत साधुवाद देता हूँ. सबसे पहले हमारे प्रदेश में जब ग्रामीण क्षेत्र में प्रसव होता था उस समय बैलगाड़ी के अलावा कोई साधन नहीं थे. ट्रेक्टर एकाध व्यक्ति के पास होता था. जननी सुरक्षा योजना के माध्यम से हमारे यशस्वी मुख्यमंत्री जी ने महिलाओं पर इतना स्नेह किया है इतनी मेहरबानी की है कि उनकी जितनी भी प्रशंसा की जाए वह कम है. मैं जब 15-20 साल की उम्र का था तब गांव में जब महिलाओं को प्रसव होता था, उस समय इनके जमाने में गांव में तो बिजली थी नहीं, बिजली तो वर्ष 2003 के बाद आई है. ग्रामीण महिलाएं द्वार में एक चादर लगा देती थीं उसको खड़िया कहते हैं वह लगा देती थीं और अग्नि पर गंधक डाल देती थीं कि कहीं जरावली की बीमारी न हो जाए. सभापति महोदय, जरावली नाम की कोई बीमारी नहीं थी बल्कि टिटनस की बीमारी का जच्चा और बच्चा दोनों को खतरा होता था. हमारे मुख्यमंत्री जी ने जननी सुरक्षा योजना शुरु की जिसमें 108 नंबर पर फोन करते हैं तो तत्काल गाड़ी आ जाती है और उनका स्वस्थ प्रसव कराकर घर पर गाड़ी छोड़ती है. कई बार तो आदमी को पता ही नहीं होता है, माताएं-बहनें ही 108 नंबर पर फोन करके गाड़ी से चली जाती हैं. स्वस्थ प्रसव के बाद मध्यप्रदेश के खजाने से 1500 रुपए लड्डू के लिए देने का भी काम किया जाता है. यह महिलाओं का हमारे मुख्यमंत्री जी ने सम्मान किया है.
सभापति महोदय, चंबल क्षेत्र में लड़कियों का प्रतिशत बहुत गिर गया था. जब प्रतिशत गिरता है और लड़कों की संख्या ज्यादा होती है तो शादी नहीं होती है फिर ऐसी स्थिति में आदमी क्या करता है यह हम सब जानते हैं. परिवार में जब बेटी पैदा होती थी तो एक बेटी तक तो परिवार सहन कर लेता था लेकिन दूसरी बेटी पैदा हो जाती थी तो सास बहु की तरफ दुश्मनों की तरह देखती थी. मुख्यमंत्री जी ने इस श्राप को भी दूर किया है. माननीय मुख्यमंत्री जी ने लाड़ली लक्ष्मी योजना बनाकर बजट में 929 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है. आज बच्ची पैदा होने पर परिवार में खुशियां मनाई जाती हैं. सिर्फ इतना ही नहीं कि बिटिया को लाड़ली लक्ष्मी बनाकर उसकी शादी पर 1 लाख 18 हजार रुपए दे दें बल्कि उसको पढ़ाने लिखाने की जिम्मेदारी, उसको छात्रवृत्ति देने की जिम्मेदारी, उसको गणवेश देने की जिम्मेदारी, उसको साइकिल देने की जिम्मेदारी भी ली गई. यदि वह स्नातक करना चाहती है, विदेश में लाडली पढ़ना चाहती है तो मध्यप्रदेश के खजाने से उसकी फीस भरी जाएगी. यह बहुत बड़ा काम है.
सभापति महोदय, प्रधानमंत्री वंदना योजना में 467 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है. इसमें भी किसी प्रकार की कोई लापरवाही नहीं है. सभी महिलाएं इस योजना की सराहना कर रही हैं. हमारे वित्त मंत्री जी ने मुख्यमंत्री सेवा प्रसूति सहायता प्रारंभ की है. जो असंगठित क्षेत्र के मजदूर होते हैं वे बड़ी संख्या में इसमें आ जाते हैं. कांग्रेस सरकार ने इसको बीच में बंद कर दिया था. आज यह लाभ हमारी माताओं और बहनों को मिल रहा है. इसके योजना के तहत पहले 4 हजार रुपए मिलते हैं और बाद में 12 हजार रुपए मिलते हैं. यह एक बड़ी योजना है इससे माताओं और बहनों को ताकत मिली है. माननीय सभापति महोदय, जो अभी-अभी लाड़ली बहना योजना चली है इस पर कांग्रेस को बड़ी बिलबिलाहट हो रही है. आप साक्षी हैं कांग्रेस कह रही है कि माननीय शिवराज सिंह जी तो एक हजार रुपया महीना देंगे हम अपने वचन पत्र में पंद्रह सौ रुपए महीने का प्रावधान करेंगे. तुम्हारी बात को कौन मानेगा. आपने बड़ी-बड़ी सभाओं में दस दिन में दो लाख रुपए का कर्ज माफ करने का जो निर्णय लिया था. माननीय राहुल गांधी जी ने कहा कि दस दिन में अगर हम दो लाख तक के पूरे प्रदेश के किसानों के कर्जे माफ नहीं करेंगे तो निश्चित रूप से हम दस दिन में उस मुख्यमंत्री को हटा देंगे. आप सभी साक्षी हैं और यह सदन भी साक्षी है उन्होंने उस वचन को खंडित किया है. रामायण में राजा दशरथ जी ने कैकेयी को वचन दिया था और उन्होंने जो वरदान मांगा था उस वरदान में उन्होंने राम जैसे पुत्र के लिए वनवास मांगा था लेकिन उन्होंने वचन दिया था और उस वचन के कारण उन्होंने अपने प्राण छोड़ दिये लेकिन, अपना वचन पूरा किया था.
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- मोदी जी ने तो वचन नहीं निभाया. सात फेरे लेने के बाद छोड़ दिया. यह मत बोलो कि भगवान राम के आदर्श में चले.
सभापति महोदय-- उनको अपनी बात बोलने दीजिए.
डॉ. सीतासरन शर्मा-- प्राण इन्होंने भी छोड़ दिये. इनके प्राण कुर्सी में थे वह चली गई उधर.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा--माननीय सभापति महोदय, कांग्रेस ने तुलसीदास जी की इस चौपाई को खंडित किया है. इस योजना का इनके पास कोई काट नहीं है. जिस प्रकार से हमारी सरकार ने, हमारे मुख्यमंत्री जी ने महिलाओं को सशक्त किया है मैं यह कह सकता हूं कि महिला बड़ी ताकत रखती है. महिलाओं में बहुत बड़ी ताकत है. हमारे वेद पुराणों में उल्लेख है सती सावित्री अपने पति के यमराज से प्राण वापस ला सकती है तो आज शिवराज सिंह जी के लिए उनकी पूरी तरह से दुआ और आशीर्वाद है. इसके कारण कांग्रेस में बिलबिलाहट हो रही है.
हमारी रामायण में राजनीति का पूरा उल्लेख किया गया है. जब हनुमान जी सीता माता की खोज करते-करते लंका में पहुंच गए थे. मात्र उन्होंने यह कहा कि माताजी राम अपने अनुज सहित कुशल हैं और एक माह में आपको यहां से लेकर चले जाएंगे और रावण का वध करेंगे. आप चिंता मत करिए तो उन्होंने हनुमान जी को क्या आशीर्वाद दिया कि अजर अमर गुननिधि सुत होहू. उन्होंने हनुमान जी को अजर और अमर होने का जो आशीर्वाद दिया वही महिला है जिसको माननीय शिवराज सिंह चौहान जी ने बेटी से लेकर वृद्ध होने तक उनकी चिंता की है. मैं निश्चित रूप से यह दावे से कह सकता हूं कि हमारे मुख्यमंत्री जी को उन्होंने पूरी तरह से आशीर्वाद दिया है. जो पंद्रह महीने की सरकार गिरी थी वह इनके वचन पत्र में झूठ बोलने के कारण गिरी थी और आज कह रहे हैं कि हम सरकार बनाएंगे. दिन में सपने देख रहे हैं, विकास यात्रा की भारी आलोचना कर रहे हैं. पूरी तरह से इनकी जमीन खिसक गई है. अब इनके पास कुछ बचा नहीं है. इससे यह प्रमाणित होता है कि बौखलाकर कुछ भी कहें. सदन में हमारे बड़े विद्वान विनय सक्सेना जी हैं वह यह कह रहे थे कि बिजली आती नहीं है. छ:-छ: बार जागना पड़ता है तो जब मुख्यमंत्री राजा साहब थे तब बिजली जाती थी मैं यह कह रहा हूं कि 2900 मेगावॉट बनाने वाले आप और 2900 मेगावॉट में से आपके फैक्ट्री भी चलानी है आपको शहरों को भी बिजली देनी है और आपको ग्रामीण क्षेत्र में भी बिजली देनी है.
सभापति महोदय, मैं आज मुख्यमंत्री जी का बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूं जब वर्ष 2013 में मैं विधायक बनकर आया तो मैंने सदन में पूछा कि माननीय मुख्यमंत्री जी मेरे क्षेत्र में ऐसे कितने गांव हैं जिनमें बिजली नहीं है, तार नहीं हैं, खंबे नहीं हैं तो ऐसे 147 गांव थे. परंतु मैं कहना चाहता हूं कि 147 गांव थे, उन गांवों में एक वर्ष के अंदर बिजली आ गई, यह हमारी सरकार की उपलब्धि है. ये कह रहे हैं कि 22 हजार मेगावॉट बिजली नहीं बनी है. लेकिन जब देश आजाद हुआ, तब से अपने कार्यकाल तक आप 29 सौ मेगावॉट बिजली ही बना पाये और हमने इतने कम समय में 22 हजार मेगावॉट बिजली बनाई है तो यह हमारी बड़ी उपलब्धि है. ये कह रहे थे कि 24 घंटा आबादी को बिजली देते हैं लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में पंपों के लिए 24 घंटा बिजली क्यों नहीं देते हैं ? मैं किसान हूं, हमारे विनय सक्सेना जी कह रहे थे कि मैं किसान हूं. मैं, जानता हूं आप यदि किसान होते तो आपको यह जानकारी जरूर होती कि 24 घंटे यदि पंप चलेंगे तो जमीन में पानी ही नहीं बचेगा, भू-जल स्तर ही चला जायेगा. इस हेतु हमारी सरकार ने व्यवस्था की है. 10 घंटे बिजली इधर देंगे और 10 घंटे दूसरी तरफ देंगे, जिससे भू-जल का संतुलन ठीक हो जायेगा.
श्री नीरज विनोद दीक्षित- 10 घंटे भी बिजली नहीं मिल रही है. कई गांव की लाइनें कटी डली हैं.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा- आप 100 प्रतिशत असत्य कह रहे हैं. हम कारखाने भी चला रहे हैं, हम शहरों को भी बिजली दे रहे हैं और हम ग्रामीण क्षेत्रों को भी 24 घंटे बिजली दे रहे हैं.
सभापति महोदय, मैंने शून्यकाल में अध्यक्ष महोदय से समय मांगा था, मेरे क्षेत्र में कल बड़ी ओला-वृष्टि हुई है. हमारे जिम्मेदार मंत्री यहां बैठे हैं, 27-28 गांव ऐसे हैं, जहां बहुत ज्यादा क्षति हुई है. मेरे यहां सररैनी, पंचमपुरा, भवनपुरा, बरसैनी, बहादुरकापुरा, अजवाकापुरा, सुखकापुरा, उत्तमपुरा, ताजपुर, गुरजा, डूडोखर, मोहरपुरा, बिरखापुरा, रणछोड़पुरा, खिडोरा, बघेल, खरका, चिनौनी, करेरा, जलालपुरा आदि गांवों में क्षति हुई है. हमारे मंत्री जी सुन लें. अभी सदन चल रहा है नहीं तो मैं उसने भेंट करता. मेरे क्षेत्र में, गांवों में सर्वे हो जाये और उनको क्षतिपूर्ति मिल जाये. धन्यवाद.
श्री रामचंद्र दांगी- माननीय विधायक जी बहुत दु:खी हैं लेकिन आपकी बात सुनने वाला यहां कोई नहीं है.
श्री दिलीप सिंह परिहार- मेरे भाई सब जगह सर्वे चालू हो गया है.
श्री प्रवीण पाठक (ग्वालियर-दक्षिण)- सभापति महोदय,
झूठे वायदे करने वाले, शामिल हैं सरकारों में,
हरिशचंद्र को भीख मांगते, देख रहे मध्यप्रदेश के बाज़ारों में.
श्री अनिरूद्ध (माधव) मारू- आपने हरिशचंद्र किसको कहा, उसका उल्लेख भी कर दें. क्योंकि हमारी सरकार में कोई भीख नहीं मांग रहा है.
श्री प्रवीण पाठक- हरिशचंद्र कहा मध्यप्रदेश की जनता को.
श्री दिलीप सिंह परिहार- कमलनाथ जी वायदा करके भूल गए.
(...व्यवधान...)
श्री राम दांगोरे- तुम तो हरिशचंद्र से भी ऊपर वाले हो भईया. न बेरोजगारी भत्ता दिया, न किसानों का कर्ज माफ किया, किसानों को बैंक में डिफॉल्टर कर दिया.
श्री प्रवीण पाठक- आपका जब अवसर आयेगा तो आप बोल लीजियेगा.
श्री आरिफ मसूद- सभापति महोदय, हमने कोई टोका-टाकी नहीं की थी तो अब भी नहीं होनी चाहिए.
(...व्यवधान...)
सभापति महोदय- पाठक जी, आप अपनी बात रखें.
श्री अनिरूद्ध (माधव) मारू- सभापति महोदय, शब्दों का थोड़ा ध्यान रखा जाना चाहिए. ये भीख मांगना किसके लिए कहा गया है.
श्री महेश परमार- किसको बोला है, आप समझ गए हो.
(...व्यवधान...)
श्री राम दांगोरे- शब्दों की मर्यादा रखेंगे तो कोई नहीं टोकेगा.
सभापति महोदय- भीख वाले शब्द को विलोपित किया जाये.
श्री सुनील सराफ- मारू भाई अभी तक सब शांति से चल रहा था. कृपया शांति से चलने दें.
(...व्यवधान...)
श्री दिलीप सिंह परिहार- सुनील भाई, शब्दों का कायदा तो रखना पड़ेगा.
सभापति महोदय- आप सभी बैठ जायें. पाठक जी बोल रहे हैं, उनका लिखा जायेगा. जिसका नंबर आयेगा वे तब ही बोलें.
श्री प्रवीण पाठक:- जब माननीय मंख्य मंत्री बोल रहे थे और हमको निर्देशित किया था कि हम सबको शांत रहना है तो हमने पूरे धेर्य के साथ पूरी शांति के साथ माननीय मुख्यमंत्री जी की बात को गंभीरता से और धेर्यपूर्वक सुना है. मेरा आपसे अनुरोध है कि सबको बोलने का अवसर मिलता है और जब आपको बोलने का अवसर मिले तो आप बता दीजियेगा कि हरिशचन्द्र जी क्यों विवश नहीं हैं, मध्य प्रदेश में ..
सभापति महोदय:- आप इधर देखकर बात करिेये, उधर पीछे देखकर नहीं.
श्री प्रवीण पाठक:- माननीय सभापति महोदय,मध्यप्रदेश में सरकार द्वारा स्व-घोषित अमृतकाल में आज जो आपने मुझे सामान्य बजट पर बोलने का अवसर दिया है इसलिये मैं, अपनी कृतज्ञता आपको इसके लिये ज्ञापित करता हूं. चूंकि माननीय वित्त मंत्री महोदय ने अपने बजट में कई बार राष्ट्र की बात की है. मुझसे पहले हमारे यहां के काबिल वक्ताओं ने चाहे वह जयवर्द्धन सिंह जी हों, हिना कांवरे जी हों, तरूण भनोत जी हों सबने तथ्यों पर आधारित बातें, आंकड़ों पर आधारित बातें सदन के सामने रखी हैं. दुर्भाग्य इस बात का है कि जब सच सुनने की बारी आती है, तब सामने की संख्या शून्य हो जाती है और बहुत ज्यादा जिम्मेदार लोग बैठे नहीं होते. कई शताब्दियों से हमारे राष्ट्र में जो भी व्यक्ति जन्म लेता है, उसका जन्म के बाद एक ही सपना होता है कि हमारा राष्ट्र विश्व गुरू कैसे बने. हमारे पूर्वजों ने सतत् इसके लिये संघर्ष भी किया है, बलिदाल भी दिया है और शहीद भी हुए हैं. किसी भी राष्ट्र को विश्व गुरू बनने के लिये क्या आवश्यक है ? आवश्यक यह है कि वह आर्थिक रूप से सशक्त हो, सम्पन्न हो, वहां की जनता समृद्ध हो और किसी भी राष्ट्र को सशक्त करने के लिये, समृद्ध करने के लिये, प्रगतिशील करने के लिये यह आवश्यक है कि उसके राज भी सशक्त हों, आर्थिक रूप से मजबूत हों. क्योंकि राष्ट्र की सफलता की कुंची राज्य होते हैं. कल जब मैं, यह सब लोग बैठे हैं, विपक्ष के भी हैं और हमारे बहुत सम्माननीय सीतासरन शर्मा जी बैठे हैं, बहुत विद्वान और विदुशी हैं. हम लोग जरा आत्म आंकलन करें और आइने के सामने वास्तव में यह भाजपा, कांग्रेस सरकार विपक्ष छोड़कर यह आत्मिक तौर पर सोचें कि वास्तव में हमारे मध्यप्रदेश की दशा और दिशा कहां जा रही है. मैंने देखा है वर्ष 2003 में मध्यप्रदेश की जनता ने कांग्रेस पार्टी से सत्ता छीनी थी और पिछले 20 साल में यह जितना पानी विधान सभा में मिलता है, उसका 80 प्रतिशत पानी भारतीय जनता पार्टी के सदस्यों ने पी-पीकर, हमारे उस समय के तत्कालीन मुख्यमंत्री जी को कोसा है और सरकार को कोसा है. मुझे कहने में कोई आपत्ति भी नहीं है. तकलीफ इस बात की होती है कि उसके बाद आयीं उमा भारती जी, फिर आये बाबूलाल गौर साहब और पिछले 17 से हैं शिवराज जी. अब चूंकि नाम शिवराज हैं, देवादि देव जो हमारी ऐतिहासिक संस्कृति है उसमें हमारे भगवान शिव का नाम, हमारे आराध्य देव का नाम बड़े सम्मान के साथ और बड़ी आस्था के साथ लिया जाता है. दुख की बात यह है कि पिछले 17 साल में हमने शिव की दयालुता नहीं देखी, शिव का तांडव देखा है इस मध्यप्रदेश में, सिर्फ तांडव और मुरशिद को..
श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी:- महाकाल लोक घूम कर आ गये क्या?
प्रवीण पाठक:- बिल्कुल घूमकर आये हैं. मुरशिद की छूट की सजा बेहिसाब है. मैं जानता हूं कि आप छोड़ेंगे नहीं मध्यप्रदेश को बिना सेहरा पहनाये, मतलब बर्बाद करे बिना छोड़ेंगे नहीं. मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हूं और डॉ. गोविन्द सिंह जी से भी कहना चाहता हूं, इस सदन के एक-एक सदस्य से अनुरोध करना चाहता हूं कि जब जब माननीय मुख्यमंत्री जी का भाषण इस सदन में हो, क्योंकि मैं इसको चार साल से सुन रहा हूं मेरा आपसे निवेदन है कि उसको मध्यप्रदेश की जनता के सामने सबको आधिकारिक रूप से दिखाया जाये. कारण यह है कि जब यहां पर बैठकर के माननीय मुख्यमंत्री जी का भाषण सुन रहा था तो मुझे लगा कि वास्तव में मुझे घर पर जाकर के सत्यनारायण की कथा करानी चाहिये. पिछले चार साल से जब भी मुख्यमंत्री जी का भाषण सुनाया आप इनके सारे भाषण मिला लीजिये. 90 प्रतिशत भाषण आपको एक जैसे मिलेंगे. मुख्यमंत्री जी की बातों में सत्यता है तो इस मध्यप्रदेश में गरीबी नहीं हो सकती, मुख्यमंत्री जी की बातों में सत्यता है तो इस मध्यप्रदेश में किसी महिला पर अत्याचार नहीं हो सकता, मुख्यमंत्री जी की बातों में सत्यता है तो इस मध्यप्रदेश में कोई महिला अबला नहीं हो सकती, मुख्यमंत्री जी की बातों में सत्यता है तो इस मध्यप्रदेश में कोई बच्चा, कोई गरीब, कोई किसान रात में भूखा नहीं सो सकता है. इतना असत्य का पुलन्दा मैंने जीवन में कहीं नहीं देखा. मुझे इस बात का दुःख है कि मैं उस विधान सभा का सदस्य हूं जहां पर हमें अपने वरिष्ठों से यह सीखने को मिलता है. अरे जब कोई मन करता है, तब बन जाते हैं. जब कभी मन किया कि हमें श्रवणकुमार बनना है. तो उन्होंने कहा कि मैं मध्यप्रदेश का श्रवणकुमार सारे बुजुर्गों को तीर्थ यात्रा करवाऊंगा.
श्री मनोज चावला--करवा ही रहे हैं. कांग्रेस ने कब तीर्थ-यात्राएं करवाईं बता दो.
श्री सुनील सराफ--सब कुछ शांतिपूर्ण चल रहा है मेरा सभी सदस्यों से आग्रह है कि शांतिपूर्ण सदन को चलने दें. जब आपका समय बोलने के लिये आयेगा तब बोलियेगा. टोका टाकी करेंगे तो आपकी बातों को भी कोई नहीं सुनेगा.
सभापति महोदय--पाठक जी आप बोलें.
श्री प्रवीण पाठक--सभापति महोदय, और तो सब ठीक है बस उलझन भी है यह जो हमारी सरकार है ना यह हमारी दुश्मन भी है. मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री जी का जब मन करता है उनको श्रवणकुमार बनना है तो वह श्रवणकुमार बन जाते हैं. यात्रा करवाते हैं एक करोड़ रूपये की और प्रचार करवाते हैं 36 करोड़ रूपये का. अब उनको गांधारी का भाई बनना है, अर्थात् मामा बनना है. तो मध्यप्रदेश की गांधारियों की आंखों पर पट्टी बांध देते हैं और जब मध्यप्रदेश की बहिनों, भांजियों और भांजों को जब समझ आता है कि यह तो द्वापर युग के मामा हैं. जब उनका मन करता है कि अब तो मुझे भाई बनना है तो फिर लाड़ली बहिना योजना लेकर के आते हैं. फिर कभी मन करता है तो कहते हैं कि टाईगर अभी जिन्दा है. अरे भाई बताओ तो मैं तो माननीय गोविन्द सिंह जी से अनुरोध करना चाहता हूं कि माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान जी जिस रंगमंच के मंझे-मझाये खिलाड़ी हैं, जिस प्रकार की अद्भुत क्षमता के धनी है, जिस प्रकार का नाट्य प्रदर्शन यहां पर करते हैं मैं तो आदरणीय जी आपसे अनुरोध करना चाहता हूं कि आपकी मित्रता माननीय नरोत्तम मिश्र जी से अच्छी है और माननीय मुख्यमंत्री जी भी आपका सम्मान बहुत करते हैं कि हम सब युवा विधायकों की एक बार तीन घंटे की क्लास लगवा दीजिये.
डॉ.गोविन्द सिंह--सभापति महोदय, हमारा सम्मान करते हैं ई.डी.का नोटिस दिलवा रहे हैं, यही उनका सम्मान दिख रहा है.
श्री प्रवीण पाठक-- सभापति महोदय, यह जो लोग हमदर्दी दिखलाने वाले हैं लाड़ली बहिना के विषय में कह रहा हूं और मध्यप्रदेश की मेरी बहिनें सुन रही हैं कि
यह जो लोग हमदर्दी दिखलाने वाले हैं,
यह फिर से कोई जख्म देने वाले हैं.
और पानी का धन्धा करती हैं सरकारें यहां,
जनता को लगता है कि प्यास बुझाने वाली हैं.
2003 में जब मध्यप्रदेश की जनता ने हमसे सत्ता छीनी थी तब मध्यप्रदेश के प्रत्येक व्यक्ति के ऊपर 3300 रूपये का कर्ज था. आज हालत क्या है, आज प्रत्येक व्यक्ति के ऊपर 48 हजार रुपए का कर्ज है. आपको मालूम है, मध्यप्रदेश की स्थिति क्या है? हमारी जिस मां, जिस बहन, जिस बेटी के पेट में जब गर्भ धारण होता है और जब कोई बच्चा मध्यप्रदेश की धरती पर जन्म लेता है तो आप उसको विरासत में स्वागत में क्या देते हैं, उस बच्चे को 48 हजार रुपए का कर्जदार बना देते हैं(...मेजों की थपथपाहट)
सभापति महोदय, आपसे अनुरोध करना चाहता हूं कि इतनी सारी योजनाएं हैं, अगर मुख्यमंत्री जी कहीं सुन रहे हो तो सुन लें, एक योजना के लिए मैं भी उनके चरणों में निवेदन करके बोलना चाहता हूं, हर व्यक्ति की मंशा होती है. सभी लोग चाहते हैं, जब एक उम्र हो जाती है 70-80 साल की कि अब सब कुछ कर्जा ऊतारकर अब ऊपर जाया जाए, इस मध्यप्रदेश में तो मोक्ष भी नसीब नहीं होगा, क्योंकि हर बुजुर्ग के ऊपर भी 48 हजार रुपए का कर्जा है. मैं आपसे कहना चाहता हूं सभापति महोदय कि एक बार मुख्यमंत्री जी से कहिए कि मध्यप्रदेश बुजुर्गों का मोक्ष योजना भी शुरू करवा दे तो जो चाहे 48 हजार रुपए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के खाते में जमा करें, जिससे मध्यप्रदेश के ऋण से मुक्त हो. कैसे साहस के साथ आप असत्य बोल लेते हैं, पिछले बार के बजट में आपने चाइल्ड बजट डाला था, कहां गया चाइल्ड बजट? आपने पिछली बार योजना रखी थी, पंख, पी फॉर प्रोटेक्शन, कहां गए आपके पंख कहां गए हमारी बहनों के पंख, आपने ये कहा था कि मध्यप्रदेश में मेरी किसी बहन को जब भी बच्चा होगा तो हम एक योजना निकालेंगे स्वागत लक्ष्मी योजना, कहां गई वह लक्ष्मी योजना, भूल गए. मुझे मालूम है सभापति महोदय, मुझे आप फिर टोकेंगे. पर एक बात और बोलना चाहता हूं ये मध्यप्रदेश की हालत बता रहा हूं, मुख्यमंत्री जी की हालत बता रहा हूं, एक बार एक राजस्थान का किसान था, उसने कहा हरियाणा में गाय बहुत अच्छी मिलती है, दूध ज्यादा देती है तो वह हरियाणा से गाय खरीद लाया, जब राजस्थान में गाय अपने घर ले गया तो वहां तो रेगिस्तान, वहां गाय तो दूध नहीं दे रही थी, उसने संबंधित को फोन लगाया कि आपने इतनी महंगी गाय दी यहां तो ये दूध ही नहीं देती, तो उसने कहा कि दूध तो ये तब देगी, जब हरा चारा खायेगी, जब तक ये हरा नहीं देखती, दूध नहीं देती, तो किसान ने कहा कि अब हम क्या करें, राजस्थान में तो हरियाली बहुत कम है, तो उन्होंने एक सुझाव दिया और मुझे लगता है मध्यप्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री जी ने वह सुझाव सुन लिया, उन्होंने कहा कि एक काम करो, राजस्थान में जहां आप रहते हों, वहां हरी घास तो उगा नहीं सकते, तो वह जो गाय है उसके आंखों पर हरा चश्मा लगा दो तो पीली घास भी उसको हरी घास दिखने लगेगी. ऐसे ही आपने मध्यप्रदेश में चश्मा लगा दिया.
सभापति महोदय - आप अपनी बात जल्दी समाप्त कीजिएगा.
श्री प्रवीण पाठक - सभापति महोदय, 17 साल का दर्द है 17 मिनट में कैसे समाप्त हो जाए. आंकड़ों को आप सुनते नहीं हो, ध्यान देते नहीं हो, जो भी आते हैं भाषणबाजी करते हैं.
श्री कमलेश जाटव - अभी ये दर्द और बढ़ेगा भैया.
सभापति महोदय - आप बैठ जाइए. पाठक जी अपनी बात जल्दी समाप्त कीजिएगा.
श्री प्रवीण पाठक - सभापति जी, जरा ग्वालियर की हालत भी देख लें, कल मुख्यमंत्री जी बोल रहे थे, बड़े साहस के साथ कि जो इधर आए हैं, लाखों वोट से जीते हैं, आप कैसे आरोप लगा रहे हैं, (xxx)
जल संसाधन मंत्री (श्री तुलसीराम सिलावट) - सभापति जी, मुझे आपत्ति है. (...व्यवधान)
सभापति महोदय - ऐसे शब्दों का प्रयोग नहीं कीजिएगा.
श्री प्रवीण पाठक - आप पर तो मैंने नहीं कहा.
श्री रघुनाथ सिंह मालवीय - सभापति जी, माननीय मुख्यमंत्री जी के मामले में शब्द देखिए. ये ठीक व्यवस्था नहीं है.
सभापति महोदय - इसको रिकार्ड नहीं किया जाएगा.
श्री प्रवीण पाठक - उनको आत्मग्लानि नहीं होती, ये शब्द तो ठीक है. माननीय मुख्यमंत्री जी को आत्मग्लानि नहीं होती, ये तो ऐसा हो गया कि किसी 302 कराया और उसको नीचे से बरी करवाकर कर दिया कि देखो हम तो बिल्कुल निष्पक्ष है, इसको तो कोर्ट ने बरी कर दिया.
सभापति महोदय - आप अपनी बात समाप्त कीजिएगा
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय - प्रजातंत्र का तो सम्मान कीजिए, प्रजातांत्रिक रूप से निर्वाचित होकर आए हैं. चुनाव जीतकर आए है, सदन में माखौल न उड़ाये.
डॉ. सीतासरन शर्मा - जनता ने जिताया है, बरी नहीं किया है. (..व्यवधान)
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ - डॉक्टर साहब, जनता ने नहीं जिताया है, सरकार लगी थी, सरकार ने जिताया है, अब आ जाओ 2024 में मैदान में तब पता चलेगा. (..व्यवधान)
सभापति महोदय - आप बैठ जाइये. सम्माननीय श्री अनिरुद्ध माधव मारू जी.
(..व्यवधान..)
डॉ. योगेश पंडाग्रे - अध्यक्ष महोदय, आंकड़ों पर अगर बात करें तो तब 3,300 रुपये प्रति व्यक्ति आय थी. आज 1 लाख 48 हजार पर प्रति व्यक्ति आय है. आज प्रति व्यक्ति कर्ज कम हुआ है.
(..व्यवधान..)
सभापति महोदय - अब श्री अनिरुद्ध माधव मारू के अलावा जो बोलेगा, उसका नहीं लिखा जायेगा.
श्री प्रवीण पाठक - (XXX)
श्री अनिरुद्ध माधव मारू (मनासा) - सभापति महोदय, मैं आपको धन्यवाद देते हुए अपनी बात शुरू करना चाहता हूँ. सरकार का सर्वोपरि लक्ष्य मध्यप्रदेश की जनता की जिन्दगी बदलना और इसी लक्ष्य को लेकर हमारे वित्त मंत्री श्री जगदीश देवड़ा ने कुल 3 लाख 14 हजार 25 करोड़ रुपये का बजट प्रस्तुत किया है. मध्यप्रदेश के समुचित विकास के लिए, सभी क्षेत्रों में विकास के लिए, हर वर्ग के विकास के लिए एक समावेशी बजट प्रस्तुत करने के लिए, मैं माननीय वित्त मंत्री जी को धन्यवाद देता हूँ. मैं इसके पहले एक बात कहना चाहता हूँ- विकास यात्रा को लेकर, जो मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने विकास किया है, मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में, विकास-यात्रा को लेकर हमारे विपक्षी दल के नेताओं ने तरह-तरह से कपड़े फाड़ने का भी काम किया, किसी ने कोसा भी है, किसी ने भला-बुरा भी कहा. लेकिन मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूँ कि मैं भी उस विकास यात्रा में गया था तथा ग्रामीण क्षेत्र, शहरी क्षेत्र में घूमा. मुझे एक बात का बड़ा आश्चर्य हुआ कि जब वहां नई पीढ़ी के मतदाता हमारे 18 वर्ष, 20 वर्ष, 22 वर्ष के बच्चे मिले, उनको कभी यह नहीं बताया गया कि इस प्रदेश में कांग्रेस की सरकारों के समय में बिजली नहीं हुआ करती थी, न खेत की बिजली होती थी, न घर की बिजली होती थी, उन बच्चों को पता ही नहीं था, उन बच्चों को यह तक नहीं पता था कि इस प्रदेश में सड़कों का जाल कभी नहीं बिछा. जिन सड़कों पर वह आज ग्रामीण क्षेत्रों में चलते हैं, वह सड़कें कभी भी कांग्रेस के समय में नहीं बनीं. उनको यह नहीं पता था कि न किसान क्रेडिट कार्ड था, न किसानों की सम्मान निधि थी, न महिलाओं को कोई सहायता थी, न कोई लाड़ली लक्ष्मी योजना थी. न कोई सिंचाई योजना थी, न कोई पेयजल योजना थी. अब ये बार-बार प्रश्न उठाते हैं कि मध्यप्रदेश की भारतीय जनता पार्टी की सरकार द्वारा किया जा रहा विकास इनको नजर नहीं आता है. जिन सड़कों पर आज ये चलते हैं, वह सड़कें किसने बनाईं ? वह कब बनीं ? बार-बार हर बात पर प्रश्न उठाते हैं, इनको विकास नजर नहीं आता है. यह अपने चश्में बदलें. मेरा ऐसा मानना है कि इन सबको नये चश्में बनवाना चाहिए, विधान सभा से व्यवस्था करवा दें ताकि इनको विकास नजर आये कि प्रदेश में जिन सड़कों पर आज यह चलते हैं, आज मध्यप्रदेश में बिजली की हम बात कर रहे हैं, तो सन् 2003 के बाद आज हम सोलर पावर, विंड पावर और बैक वाटर पर हमारे जो सोलर के जाल बिछाए जा रहे हैं, अगर उनका हिसाब लगाएं तो सन् 2003 में कुल 2,850 मेगावाट बिजली भी नहीं बनती थी, आज हमारी 2,850 मेगावाट बिजली केवल सोलर से बन रही है, इनको मालूम पड़ना चाहिए कि आज 28,000 मेगावाट बिजली बन रही है.
श्री संजय यादव - यदि बन रही है तो कहां जा रही है ?
श्री रघुनाथ सिंह मालवीय - संजय भैया, सबके घरों में जा रही है. सबको बिजली मिल रही है.
श्री अनिरुद्ध माधव मारू - सभापति महोदय, किसान खेतों में सिंचाई करने जाता था लेकिन खेतों में बिजली नहीं होती थी. शायद यह भूल गए उस स्थिति को. आज हमारे घरों में 24 घण्टे बिजली है, यह सब भूल जाते हैं. इनको कुछ याद नहीं रहता है, इनको वह गड्डे वाली सड़कें भी याद नहीं रहती हैं, जिन पर चल-चलकर आधे बूढ़े हो चुके हैं. शायद वह सड़कें उनको याद नहीं हैं. आज मध्यप्रदेश में सड़कों के लिए हमारी सरकार ने जो बजट में प्रावधान किया है, ग्रामीण सड़कों के लिए और जिला मार्गों के 1,020 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है. सड़कों के सुदृढ़ीकरण के लिए 1,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है. जिला मार्गों के उन्नयन हेतु 750 करोड़, अनुरक्षण के लिये 739 करोड़, जिला मार्गों के लिये 700 करोड़, सिंचाई पेय जल योजनाओं के सौर ऊर्जा करण के लिये 500 करोड़ रूपये का प्रावधान हमारी सरकार ने किया है. ऊर्जा योजनाओं में एक वर्ष में हमारी विभिन्न योजनाओं में हितग्राहियों को 23 हजार 666 करोड़ रूपये की सब्सिडी दी जा रही है, इतनी सब्सिडी सीधे खातों में जाती है. यहां बीच में उसे कोई नहीं खाता है. यह तो एक बार राजीव गांधी जी ने कहा था कि मैं एक रूपया भेजता हूं और अंतिम सिरे तक 15 पैसे पहुंचते हैं, तो 85 पैसे कौन खाता था, यही आपके बीच के लोग खाने वाले थे और आप हमारे ऊपर आरोप लगाते हैं कि हम भ्रष्टाचार कर रहे हैं, जबकि (XXX) और यह आपके प्रधानमंत्री कह गये थे. लेकिन यहां तो खाते में सीधे पूरा पैसा जाता है, सरकार के खाते से हितग्राही के खाते में बीच में कोई नहीं खाता है. यह हमारी व्यवस्था है, आज किसान शक्ति में अटल कृषि योजना हेतु 5520 करोड़ रूपये, किसान कल्याण योजना के लिये 3200 करोड़ रूपये का प्रावधान और नि:शुल्क बिजली प्रदान करने के लिये 2475करोड़ रूपये, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिये 2 हजार करोड़ रूपये का प्रावधान, निवेश प्रोत्साहन योजना में 1250 करोड़ रूपये का प्रावधान, फसल उपार्जन के लिये एक हजार करोड़ रूपये का प्रावधान, सहकारी बैंकों को अंशपूंजी में 1500 करोड़ रूपये, पशु विकास के लिये 845 करोड़ रूपये. यह सब व्यवस्थाएं हमारी सरकार इस बजट में कर रही हैं. ग्राम विकास के लिये प्रधानमंत्री आवास योजना. याद करिये आप जब आपकी पंद्रह महीने की सरकार थी, आपकी सरकार ने मना कर दिया था कि मध्यप्रदेश को आवास की आवश्यकता नहीं है, हमारे पास देने को पैसा नहीं है, एक ही रोना आप बार-बार रोते गये कि हमारे पास पैसा नहीं है, खजाना खाली है तो खजाना भरता किसलिये है? खर्च करने के लिये या बचाने के लिये. खजाना खर्च के लिये ही होता है, बार-बार आप खजाने पर प्रश्न उठाते हैं, प्रधानमंत्री आवास योजना हेतु 8 हजार करोड़ रूपये का प्रावधान हमारे मुख्यमंत्री जी ने किया है. राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में 35 सौ करोड़ रूपये का प्रावधान, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना हेतु 1826 करोड़ का प्रावधान किया गया है, प्रधानमंत्री सड़क योजना निर्मित सड़कों का नवीनीकरण 801 करोड़ रूपये, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन में 660 करोड़ और पोषण शक्ति आहार निर्माण में 600 करोड़ का प्रावधान हमारे वित्तमंत्री जी ने किया है. हम पेयजल की बात करें तो राष्ट्रीय जल जीवन मिशन योजना, हर घर को नल से जल देना है. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी और वित्तमंत्री जी को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने हमारे क्षेत्र में 18 सौ करोड़ रूपये की योजना बनाकर हर घर को जल देने का काम किया है और योजना पर काम निरंतर चालू है, मेरे मनासा विधानसभा क्षेत्र में लगातार बहुत तेजी से काम चल रहा है और मुझे आशा है कि अगले आठ महीने में पानी घर-घर तक पहुंच जायेगा, इतनी तेजी से काम चल रहा है. अभी विकास यात्रा में लगभग 40 ओवरहेड टैंक का तो मैं खुद भूमि पूजन करके आया हूं. आप सोच सकते हैं कि कितनी तेजी से काम चल रहा होगा. जल जीवन मिशन के माध्यम से नेशनल रूरल ड्रिकिंग वाटर मिशन हेतु 7 हजार 332 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है. पेयजल योजनाओं में नगर निगम के लिये 703 करोड़ की योजना का प्रावधान, ग्रामीण समूह जल प्रदाय योजना के लिये 4 सौ करोड़ रूपये का प्रावधान किया है. याद कीजिये वह समय जब कांग्रेस के समय में किसानों को कुछ नहीं मिलता था, हमारी सरकार किसान सम्मान के लिये लगातार काम कर रही है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हम सांस्कृतिक पुनरूत्थान की बात करें, अभी पूछ रहे थे कि किस तरह का मध्यप्रदेश बनाना चाहते हैं. आज मध्यप्रदेश में महाकाल लोक घूमकर आईये, आपको अपने प्रदेश पर गौरव होगा कि राजा महाकाल हमारे यहां उज्जैन नगरी में बैठे हुए हैं और वहां का महाकाल लोक जैसा बना है, वह अनुपम है, वह देखने लायक है, इस प्रकार से हमारी आस्था और विश्वास को पुनर्स्थापित करने का काम मुख्यमंत्री जी कर रहे हैं. ओंकारेश्वर में एकात्म धाम की स्थापना, इनको सब चीजों का विरोध करना है, हर बात का इनका विरोध करना है. एकात्म धाम का भी ये विरोध करते हैं कि ओंकारेश्वर में आदि शंकराचार्य का स्टेच्यू बनाने की क्या जरूरत है, उससे भी इनको तकलीफ है.
आदि शंकराचार्य जी का स्टेच्यू बनाने में, उससे भी इनको तकलीफ है, हर बात के लिये इनको तकलीफ होती है, वहां वेदांत पीठ की स्थापना, मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना में 50 करोड़ रूपये का प्रावधान है, इन्होंने कहा खर्च कर दिये, यहां प्रावधान लिखा है, इन्होंने कहा खर्च कर दिये, मतलब कुछ भी बोलना है इनको, असत्य बोलो, जोर से बोलो, जल्दी जल्दी बोलो यही काम इनका समझ में आता है और सबसे मुख्य योजना जो हमारी है, अभी एक प्रश्न उठाया था हमारे विपक्षी किसी नेता ने कि गैस पर 50 रूपये बढ़ा दिये गये, बड़ा स्वागत किया था उन्होंने इस बात का भी स्वागत कर लेते कि लाडली बहना योजना में उसी बहन के हाथ में जब हजार रूपये महीना जायेगा साल के 12 हजार रूपये जायेंगे उसका आपने स्वागत नहीं किया. 50 रूपये जो गैस पर बढ़े है उसके लिये तो आपने बड़ी ढपली बजाई, बड़ी नौटंकी की तो उसका भी स्वागत कर लेते कि हमारी बहन के हाथ में 12 हजार रूपये साल के जायेंगे. मैं धन्यवाद देता हूं माननीय मुख्यमंत्री जी को कि आज नारीशक्ति को मजबूत करने का काम, आत्मविश्वास देने का काम आत्म सम्मान से जीने का अधिकारी उन्होंने दिया लाडली बहना योजना के माध्यम से, इस प्रदेश में एक नया इतिहास बनाया पूरे भारत वर्ष में और इन्होंने कह दिया आपके पूर्व मुख्यमंत्री जी तो कह रहे थे कि हम 1500 रूपये देंगे, आप उसकी पहले ही घोषणा कर लेते, नहीं खाली किसी भी योजना को पलीता लगाने की बात करते हैं, किसी भी योजना में नुक्ता चीनी करने का काम करना, हम 1500 देंगे, तो यहां वोट खरीदी का काम चल रहा है क्या, मुख्यमंत्री जी ने महिलाओं के आत्म सम्मान बढ़ाने के काम के लिये यह पैसा दिया है, उनके सम्मान में यह पैसा दिया है, आप वोट खरीदने की बात करते हैं, पहले कह गये थे कि हम 2 लाख देंगे, आपने माफ कर दिये क्या 2 लाख, अभी तक वह 2 लाख माफ नहीं किये इन्होंने. मैं तो गांव-गांव में बात करता हूं कि उन कांग्रेसियों को पकड़ना चाहिये जिन्होंने 2 लाख की घोषणा की थी क्यों नहीं पूछते आप उनसे कि हमारी पेनाल्टी लग गई, हमारा ब्याज लग गया, हम डिफाल्टर हो गये, हम बीमे से गये, हम दूसरी सब्सिडियों से गये, खाद बीज पर जो सब्सिडी मिलती है उससे गये, क्यों नहीं पूछते इनसे, इनसे पूछा जाना चाहिये और मेरा निवेदन तो एक और है मुख्यमंत्री जी से कि हमारी किताबों में एक पाठ बढ़ाया जाये कि विकास इस प्रदेश में कब शुरू हुआ, विकास कब शुरू हुआ इसकी जानकारी भी देना चाहिये कि प्रदेश में तब तक सड़कें नहीं थी किसकी सरकार थी, सड़कें कब बनी, किसकी सरकार थी तब बिजली नहीं आती थी, बिजली कब आई, किसान क्रेडिट कार्ड कब बना, प्रदेश में लाडली बहना योजना कब बनी, प्रदेश में लाडली लक्ष्मी योजना कब बनी, अभी वह कह रहे थे कि हर व्यक्ति जब पैदा होता है इस प्रदेश की धरती पर तो 48 हजार 500 रूपये कर्ज होता है, उनको पता है. हमारी बहनें गर्भवती बहनें 7वें महीने में अस्पताल जाती हैं तो 7वें महीने में उनको 4 हजार रूपये मिल जाते हैं कि उस गर्भवती माता का और बच्चे का पालन पोषण अच्छे से हो, स्वस्थ रहेगी तो स्वस्थ बच्चे को जन्म देगी और जब डिलेवरी करवाकर हमारी सरकार की गाडी़ घर छोड़ती है तो उसको 12 हजार रूपये फिर मिल जाते हैं कि जच्चा बच्चा का पूरा ध्यान रखा जाये, आपने तो यह योजना ही बंद कर दी थी और आपने संबल योजना में उसकी अंत्येष्टी सहायता तक जो 5 हजार रूपये उसके घर जाकर दिये जाते थे वह भी बंद कर दिये, सारी सहायता बंद करने का काम आपने किया और आप आक्षेप लगाते हैं हम पर, अभी किसी नेता ने कहा था कि बजट में इतना प्रावधान करते हो और खर्च नहीं करते, इनको पता होना चाहिये कि योजनाओं के टेण्डर होते हैं, डेढ़ से 2 साल उनका समय रहता है और उसके बाद उनको पैसा दिया जाता है, वह खर्च करते हैं योजना की प्रोग्रेस के हिसाब से वह पैसा बचा हुआ दिखता है तो वह पैसा कहा जायेगा और टेण्डर तो वैसे ही 18-20, 25 प्रतिशत नीचे होते हैं तो उस 25 प्रतिशत का पैसा भी सरकार का बचता है यह भी हिसाब लगाना चाहिये, यह लोग भी पुराने मंत्री रहे हैं, इनको भी पता होना चाहिये कि पैसा क्यों बचता है, कौन नहीं चाहता जब योजनायें बनती हैं तो लांच करने के लिये बनती है, विकास कार्यों को करने के लिये योजनायें बनती हैं और उसके लिये हमारी सरकार प्रतिबद्ध है. मैं धन्यवाद देता हूं माननीय मुख्यमंत्री जी और माननीय वित्तमंत्री जी को कि उन्होंने यह समावेशी बजट इस प्रदेश के विकास के लिये एक अनुपम विकास अमृतकाल की इस बेला में इस प्रदेश का होगा, ऐसा विश्वास है. सभापति महोदय, बहुत बहुत धन्यवाद.
डॉ.अशोक मर्सकोले(निवास) - माननीय सभापति महोदय, मैं 2023-24 के बजट के विरोध में बोलने के लिये अपनी बात रखना चाह रहा हूं. सभापति महोदय, जब कोई बजट आता है तो उससे बहुत सारे लोगों को उम्मीदें जुड़ी रहती हैं. हमारे देश में, प्रदेश में महंगाई, गरीबी,बेरोजगारी,पलायन,कुपोषण ऐेसे विषय हैं जिन पर कहीं न कहीं कोई तो काम होगा. जो हमारे अधिकारी,कर्मचारी और बेरोजगार युवा यह उम्मीद रख रहे थे कि ओल्ड पेंशन मिलेगी. कहीं न कहीं उनके लिये सीधे तौर पर रोजगार मिलेगा परंतु पूरी तरह से उनकी भावनाओं को ठेस पहुंचाई गई और कहा गया कि अमृत काल का बजट. सभापति महोदय, अगर यह अमृत काल का बजट है जिसने सबकी भावनाओं को ठेस पहुंचाई है तो पहले के 18 साल के बजट को हम क्या बोलेंगे. वह कौन से काल का बजट था. सभापति महोदय, सीधे तौर पर स्वीकार करना पड़ेगा कि यह चुनावी बजट है और सिर्फ लुभावना बजट है जिसमें सिर्फ लुभावने वायदे किये गये हैं. इस बात का मैं स्वागत करूंगा कि इसमें महिलाओं के लिये तो बजट का सीधे तौर पर प्रावधान है लेकिन उसमें अधिकांश ऐसे वायदे हैं जो उनकी आजीविका से तो जुड़े हुए नहीं हैं परंतु उनको लुभावने वायदे करके उनको अपने वोट के लिये अपनी तरफ खींचने से ज्यादा कुछ नहीं है, अगर मां,बेटी,बहन इनका ख्याल रखा तो बेचारे जीजा ने क्या किया था. कौन से पाप जीजा ने कर दिये थे कि उसकी तरफ ध्यान नहीं दिया. बहुत ऐसी विसंगतियां हैं जैसे अभी इस बजट में बात आई. वित्त मंत्री जी आप भी सुनेंगे कि अगर आप नये बजट की बात कर रहे हैं तो यह जवाब भी आपको देना चाहिये था कि एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च आप विभिन्न विभागों में खर्च क्यों नहीं कर पाए. हमारे यहां कुपोषण है और महिला,बाल विकास विभाग का आधा बजट अगर खर्च होगा. हमारे यहां आंगनवाड़ियों की स्थितियां इतनी गंभीर बनी रहेंगी. यह इतनी बुरी स्थिति है. हम बोलते हैं कि हमारे स्कूल जर्जर अवस्था में हैं. वहां शिक्षक नहीं हैं. अतिथि शिक्षकों के सहारे जैसे तैसे काम चलाना पड़ रहा है. आप सी.एम.राईज स्कूल पर आ जाते हैं. जब वह ड