मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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पंचदश विधान सभा एकादश सत्र
मार्च, 2022 सत्र
मंगलवार, दिनांक 15 मार्च, 2022
( 24 फाल्गुन, शक संवत् 1943 )
[खण्ड- 11] [अंक- 7 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
मंगलवार, दिनांक 15 मार्च, 2022
( 24 फाल्गुन, शक संवत् 1943 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.01 बजे समवेत हुई.
{ अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}
संसदीय कार्य मंत्री(डॉ. नरोत्तम मिश्र):- अध्यक्ष जी, न नेता प्रतिपक्ष हैं, न प्रभारी नेता प्रतिपक्ष हैं, न सहायक नेता प्रतिपक्ष हैं और न उप सहायक नेता प्रतिपक्ष हैं.
अध्यक्ष महोदय:- गोविन्द सिंह जी तो थे, कहां चले गये.
डॉ. नरोत्तम मिश्र:- हुआ क्या है,अध्यक्ष जी.
श्री सज्जन सिंह वर्मा:- स्पीकर साहब ने बुला लिया हमारे सचेतक जी को.
सिहोरा में आई.टी.आई. की स्वीकृति
[तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास एवं रोज़गार]
1. ( *क्र. 968 ) श्रीमती नंदनी मरावी : क्या खेल एवं युवा कल्याण मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि सिहोरा विधानसभा क्षेत्रांतर्गत विकास खण्ड सिहोरा मुख्यालय में शासकीय आई.टी.आई. खोले जाने की मांग लम्बे समय से युवाओं द्वारा की जा रही है? अभी तक शासकीय आई.टी.आई. न खोले जाने से जो बच्चे निजी आई.टी.आई. का खर्चा उठाने में सक्षम नहीं हैं, वे अपनी इच्छा अनुसार ट्रेड का प्रशिक्षण प्राप्त करने से वंचित रह जाते हैं? सिहोरा मुख्यालय में कब तक शासकीय आई.टी.आई. प्रारंभ कर दी जावेगी?
खेल एवं युवा कल्याण मंत्री ( श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया ) : जी हाँ। विकासखण्ड सिहोरा मुख्यालय से 20 कि.मी. दूरी पर शासकीय आई.टी.आई. मझौली स्थापित है। विकासखण्ड सिहोरा में प्रायवेट आई.टी.आई. संचालित है। विभाग की नीति प्रत्येक विकासखण्ड में एक आई.टी.आई. खोलने की है। अत: वर्तमान में सिहोरा मुख्यालय में नवीन आई.टी.आई. प्रस्तावित नहीं है।
श्रीमती नंदनी मरावी:- मेरे विधान सभा में हरघड़ औद्योगिक क्षेत्र है, परन्तु वहां पर आज तक आई.टी.आई. नहीं खुला है. मैं 2008 से सतत प्रश्न भी लगा रही हूं और सतत प्रयास भी कर रही हूं. परन्तु आज तक आई.टी.आई. नहीं खोला गया है तो मेरा माननीय मंत्री महोदय से निवेदन है कि सिहोरा में आई.टी.आई. खोलेंगे क्या?
डॉ. नरोत्तम मिश्र:- जी, अध्यक्ष जी.
श्रीमती नंदनी मरावी:- धन्यवाद, मंत्री जी.
प्रश्न क्रमांक 2:- XX
उद्यानिकी बीज, दवा, खाद तथा उपकरण की खरीदी
[उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण]
3. ( *क्र. 2502 ) कुमारी हिना लिखीराम कावरे : क्या राज्य मंत्री, उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विभाग द्वारा फलों, फूलों तथा सब्जियों के बीज, दवा, खाद तथा उपकरण जो सब्सिडी पर किसानों को उपलब्ध कराने होते हैं, उनकी खरीदी M.P. State Agro Industries Development Corp. Ltd. के माध्यम से खरीदने की बाध्यता है? क्या यह भी सही है कि सब्जियों के आधुनिक किस्म बीज, दवा तथा उपकरण के रेट M.P. State Agro Industries Development Corp. Ltd. में अनुमोदित नहीं होने के कारण विभाग किसानों को सब्सिडी पर उपलब्ध नहीं करा पाता, जिससे किसानों को शासन की योजना का लाभ नहीं मिल पाता तथा किसानों को मजबूरी में बाजार से पूरी कीमत देकर बीज, खाद, दवा तथा उपरकरण खरीदने पड़ते हैं? (ख) क्या M.P. State Agro Industries Development Corp. Ltd. विषयांकित सभी सामग्री बाजार मूल्य से ज्यादा मूल्य पर विभाग को उपलब्ध कराता है तथा समस्त सामग्री की गुणवत्ता भी बाजार के मुकाबले कम होती है? (ग) क्या M.P. State Agro Industries Development Corp. Ltd. के माध्यम से विषयांकित सामग्री खरीदने की बाध्यता समाप्त करने का मामला केबिनेट में रखा जाएगा?
राज्य मंत्री, उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण ( श्री भारत सिंह कुशवाह ) : (क) जी हाँ। मध्यप्रदेश शासन उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग, मंत्रालय भोपाल का पत्र क्रमांक एफ 6-1/2018/58, दिनांक 25.06.2019 के माध्यम एम.पी. स्टेट एग्रो इंडस्ट्रीज डेव्लपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड से सामग्री क्रय किये जाने हेतु नोडल एजेंसी नियुक्त किया गया है। जी नहीं। निगम द्वारा रेट कॉन्ट्रेक्ट के माध्यम से दरों का अनुबंध किया जाता है। प्रदायकर्ता सभी सामग्रियों की दरें प्रस्तुत करते हैं, सभी सामग्रियां आधुनिक होती हैं। (ख) जी नहीं। निगम द्वारा जारी रेट कॉन्ट्रेक्ट ऑफर में यह प्रावधान किया गया है कि जो दरें निगम को प्रस्तुत की गई हैं, प्रदायकर्ता द्वारा उनसे कम दर पर वह सामग्री बेची नहीं जा सकती है। यदि निगम की जानकारी में अनुमोदित दर से कम दर पर सामग्री विक्रय की जानकारी आती है, तो तत्काल प्रभाव से उस सामग्री पर वह कम दर ही लागू कर दी जाती है तथा प्रदायक के विरूद्ध नियमानुसार कार्यवाही की जाती है। (ग) प्रस्ताव लंबित नहीं है। अत: प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
कुमारी हिना लिखीराम कावरे:- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न करने का उद्देश्य बिल्कुल स्पष्ट है कि एम.पी.एग्रो की जो बाध्यता है उसको समाप्त करने पर मेरा फोकस है. इस प्रश्न को करने का उद्देश्य ही यह है. क्योंकि माननीय अध्यक्ष महोदय, एम.पी.एग्रो की बाध्यता के चलते किसानों को न बीज मिल पाता है, न खाद मिल पाता है, न कृषि के उपकरण मिल पाते हैं और इसके चलते क्योंकि वैसे भी एम.पी.एग्रो जो भी खरीदी करता है, जब एम.पी.एग्रो से विभाग खरीदी करता है तो जो मार्केट रेट होता है उससे ज्यादा ही, जैसे अगर कोई 100 रूपये की चीज मार्केट में उपलब्ध है तो वह एम.पी.एग्रो के माध्यम से 110 रूपये की ही मिलती है. मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, विभाग को ज्यादा पैसा देना है, दे लेकिन इसके चलते किसानों को भुगतना पड़ता है. तो मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से यही कहना चाहती हूं कि क्या वह इस बाध्यता को खत्म करेंगे ?
श्री भारत सिंह कुशवाह:- माननीय अध्यक्ष महोदय, 25.6 2019 के पहले सरकार की जो व्यवस्था थी, मैं माननीय सदस्या को यह बताना चाहूंगा कि 2019 में आपकी सरकार थी और आपने ही एम.पी.एग्रो को नोडल एजेंसी बनाया, आपने ही उसमें वेंडरों को मान्यता दी. हमारी जो पूर्व में सरकार थी, उसमें जिस तरह से किसानों को जो आजादी थी सब्जी, बीज खरीदने की. चूंकि यह प्रथा आपकी सरकार में लागू हुई है और हमारी सरकार किसानों को कोई परेशानी न हो, हमेशा सरकार के माध्यम से ऐसे निर्णय रहे हैं कि किसानों को आसानी से सरकार की योजनाओं का लाभ मिले. मैं आपको यह बताना चाहूंगा कि जिस तरह से वर्ष 2019 में पूर्व सरकार के आदेश को आपकी सरकार ने पलटा, एक तो फल, फूल, सब्जियों में. दूसरी, एक बात और ध्यान दिलाना चाहूंगा कि ठेकेदारी प्रथा को अगर किसी ने बढ़ाया तो 2019 की सरकार ने बढ़ाया. पोषण आहार की जो व्यवस्था थी.
श्री सज्जन सिंह वर्मा- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी, भाषण दे रहे हैं, उत्तर नहीं दे रहे हैं.
कुमारी हिना लिखीराम कावरे- मुझे केवल अपने प्रश्न का उत्तर चाहिए.
श्री भारत सिंह कुशवाह- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, उसी पर आ रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय- मंत्री जी, आप उत्तर दीजिये.
डॉ. अशोक मर्सकोले- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न है, इस पर सीधे-सीधे उत्तर देना चाहिए. मंत्री जी, घुमा-फिराकर उत्तर दें, ये बिलकुल ठीक नहीं है.
अध्यक्ष महोदय- आप बैठ जाईये.
कुमारी हिना लिखीराम कावरे- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने बिलकुल प्वाईंटेड प्रश्न किया है, मंत्री जी, को सीधे-सीधे उत्तर देना चाहिए.
श्री भारत सिंह कुशवाह- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, आपका ध्यान इस ओर आकर्षित करना चाहूंगा कि केवल यही नहीं, जिस तरह से पोषण आहार में जो व्यवस्था थी, उसमें भी वर्ष 2019 में, आपकी सरकार ने ठेकेदारी प्रथा लागू की.
कुमारी हिना लिखीराम कावरे- मंत्री जी, क्या आप इस आदेश को निरस्त करवायेंगे, केवल इतना ही उत्तर देना है.
अध्यक्ष महोदय- मंत्री जी, आप इसमें बतायें.
श्री भारत सिंह कुशवाह- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, इसी पर बात कर रहा हूं. माननीय मुख्यमंत्री जी ने पोषण आहार के आदेश को पलटकर, सीधे ठेकेदारी प्रथा को बंद कर, इस काम को स्व-सहायता महिला समूहों को दिया है.
इसी प्रकार, से अगर ऐसी कोई दिक्कत है और आप इस बात को प्रमाणित कर दें कि वेंडरों द्वारा, जिस दर पर किसानों को बीज उपलब्ध करवाये जाते हैं, उससे सस्ती दर पर, यदि बाजार में कहीं मिल रहा है, ऐसा आपके पास कोई प्रमाण हो तो निश्चित रूप से, मैं, उस पर जांच करवाऊंगा और रही बात वर्ष 2019 के आदेश की, तो आपके द्वारा जिन बिंदुओं पर प्रश्न किया गया है, फल, फूल, सब्जियों पर हम डी.बी.टी. (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के माध्यम से किसानों को सीधा डी.बी.टी. का लाभ देंगे. वेंडरों की प्रथा पूरी तरह से समाप्त करेंगे.
कुमारी हिना लिखीराम कावरे- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने वर्ष 2019 में आपकी सरकार कहकर, मुझे, संबोधित किया था लेकिन अब हमारी सरकार भी उधर ही है. मैं, केवल इतना बताना चाहती हूं कि आप बहुत अच्छे से काम कर रहे हैं, आप समय पर किसानों को खाद, बीज उपलब्ध करवा रहे हैं. दिसंबर 2021 में आपके विभाग ने बालाघाट जिले में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत संकर सब्जी क्षेत्र विस्तार योजना में M.P. State Agro से अनुमोदित किस्मों की मांग की गई थी, आज दिनांक तक भी, वह किसानों को उपलब्ध नहीं करवाई गई है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अब आप बता दें कि आप किस तरह से अच्छा काम कर रहें हैं, मैं, यह भी कहना चाहती हूं कि ऐसा नहीं है कि आपने बीज उपलब्ध नहीं करवाये तो किसानों ने फल, फूल, सब्जी लगाई ही नहीं. हमारे बैहर क्षेत्र में बहुत अच्छी किस्म के फल उग रहे हैं, आप कभी हमारे क्षेत्र में दौरे पर आयें तो देखें कि वहां शानदार सब्जियां और फल उगाये जा रहे हैं लेकिन आपकी सरकार की किसी भी योजना का लाभ, किसानों को नहीं मिल पा रहा है और यह केवल इस वजह से है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इसलिए मेरा निवेदन है कि आप काम कर रहे हैं, अच्छा कर रहे हैं, लेकिन आप इस सरकार, उस सरकार को दोषी ठहराते हैं, आप तो केवल इतना बतायें, वर्तमान में आप सरकार में हैं, आपके मंत्री रहते हुए, आपके विभाग में समय पर कई जगहों पर समय बीज उपलब्ध नहीं हो रहा है, मंत्री जी, आप इस पर ध्यान दें.
अध्यक्ष महोदय- यह तो हो गया, अब आगे बढ़े ?
कुमारी हिना लिखीराम कावरे- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी, स्पष्ट कर दें कि क्या वे इस आदेश को निरस्त करेंगे ? (XXX) यहां ऐसा कोई विधायक नहीं है जो M.P. State Agro के नाम पर रोता न हो. आप तो केवल आदेश समाप्त करें.
अध्यक्ष महोदय- उन्होंने कहा कि आदेश निरस्त करेंगे.
कुमारी हिना लिखीराम कावरे- माननीय अध्यक्ष महोदय, उन्होंने केवल जांच करवाने की बात कही है, सीधे-सीधे आदेश निरस्त करने की बात नहीं कही है.
डॉ. सीतासरन शर्मा- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसे विलोपित किया जाये.
अध्यक्ष महोदय- इसे विलोपित किया जाये.
कुमारी हिना लिखीराम कावरे- माननीय अध्यक्ष महोदय, सारे सदस्य जानते हैं कि M.P. State Agro की स्थिति कैसी है, यदि आपको M.P. State Agro के नाम पर इतना ही दर्द है तो आप उसे अलग से अनुदान दें, सरकार का पैसा लगाकर, किसानों का नुकसान क्यों करवाया जा रहा है ? आपके विभाग का ही ज्यादा पैसा लगता है. मंत्री जी, यदि आपको उनको पैसा देना है तो हमें उससे कोई लेना-देना नहीं है परंतु किसानों को समय पर बीज उपलब्ध करवाये जायें.
श्री भारत सिंह कुशवाह- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, यह कहना चाहूंगा कि मुख्यमंत्री जी की स्पष्ट मंशा, पूर्व से रही है और आज भी है, जिन गड़बडि़यां का उल्लेख माननीय सदस्या ने यहां किया है, वे सभी आपकी सरकार के आदेश की वजह से हुई हैं, आप इसे तो स्वीकार करेंगे ?
अध्यक्ष महोदय- उसको निरस्त कर रहे हैं न ?
श्री भारत सिंह कुशवाह- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसके अतिरिक्त मैं, यह कहना चाहूंगा कि किसान हित में सब्जी, फूल, फलों के बीज पर आपने जो बात रखी है, हम M.P. State Agro की उस बाध्यता को वित्तीय वर्ष से समाप्त करेंगे.
कुमारी हिना लिखीराम कावरे- मंत्री जी, धन्यवाद.
कम दूरी की सड़कों का निर्माण
[पंचायत और ग्रामीण विकास]
4. ( *क्र. 1324 ) श्रीमती लीना संजय जैन : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जिला विदिशा में विकासखण्ड बासोदा एवं ग्यारसपुर अंतर्गत एक ग्राम को दूसरे ग्राम से जोड़ने हेतु एकल मार्ग से जोड़े गये हैं, लेकिन इन मार्गों की दूरी अधिक होने के कारण ग्रामीणों को भारी कठिनाई जाती है? यदि हाँ, तो ऐसे ग्रामों के नाम विकासखण्डवार अलग-अलग बतावें। (ख) क्या विभाग द्वारा प्रश्नांश (क) के उत्तर में वर्णित ग्रामों की दूरी कम करने के लिये कोई दूसरे मार्ग का निर्माण कराया जावेगा? यदि नहीं, तो कारण बतावें। (ग) क्या शासन उपरोक्त ग्रामों को मुख्यमंत्री सड़क योजना अंतर्गत शामिल कर ग्रामों की दूरी कम करने हेतु सड़कों का निर्माण जनहित में करवा कर ग्रामीण जनता को लाभान्वित करवायेगा? यदि नहीं, तो स्पष्ट कारण बतावें।
पंचायत मंत्री ( श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया ) : (क) जी नहीं। प्रश्नांकित विकासखण्डों में एकल सम्पर्क विहीन राजस्व ग्रामों को मुख्यमंत्री/प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजनान्तर्गत बारहमासी मार्ग से सम्पर्कता प्रदान की गई है। योजनान्तर्गत एक ग्राम को दूसरे ग्राम से (दोहरी सम्पर्कता) जोड़ने का प्रावधान नहीं है। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) एवं (ग) उत्तरांश 'क' के संदर्भ में शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्रीमती लीना संजय जैन- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सर्वप्रथम अपनी केंद्र और राज्य सरकार को बहुत-बहुत बधाई देती हूं, जिस प्रकार से पक्की सड़कों का जाल पूरे मध्यप्रदेश में फैल चुका है. हमारे पूर्व प्रधानमंत्री माननीय अटल बिहारी वाजपेयी जी की योजना, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का लाभ सभी गांवों को मिल चुका है और सभी ग्राम पक्की सड़कों से जुड़ गए हैं, और मुख्य सड़क से जुड़ गए हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न है कि मैंने गांवों में द्वितीय कनेक्टिविटी के लिए प्रश्न लगाया था, माननीय मंत्री जी ने उसमें ना का उत्तर दिया है. अध्यक्ष महोदय, मेरे कई ग्राम आस्था के केन्द्र से जुड़े हुए हैं और उन ग्रामों की पक्की सड़क की दूरी अगर माने तो 15 से 20 किलोमीटर होती है, लेकिन अगर हम उन दो गांवों को जोड़ देते हैं तो उनकी दूरी मात्र 5 किलोमीटर की रह जाती है. मेरे क्षेत्र में ऐसे कई गांव पड़ रहे हैं और वह आस्था से जुड़े हैं तो लाखों श्रद्धालुओं को उनका लाभ भी मिलेगा अगर माननीय मंत्री जी सेकेण्ड कनेक्टिविटी के लिए प्रावधान करते हैं तो मेरे ग्रामवासियों को उसका लाभ मिलेगा.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी, माननीय सदस्या का यह कहना है कि आपने सड़कें बनाईं हैं लेकिन बीच में जो कनेक्टिविटी नहीं है वह उसकी मांग कर रही हैं उसको समझ लें.
राज्यमंत्री, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री रामखेलावन पटेल)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, भारत सरकार की प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की गाइडलाईन है कि जो गांव एक बार उससे जुड़ गया उसको दोबारा उससे नहीं जोड़ा जाएगा और यदि वह प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से जुड़ गया है तो मुख्यमंत्री सड़क योजना से भी नहीं जोड़ा जाएगा. अगर कोई नई गाइडलाईन आ जाएगी तो हम उसे जोड़ने का काम करेंगे.
अध्यक्ष महोदय-- उन्होंने एक दो सड़क की ही मांग की है आप इस पर किसी भी तरह से विचार कर लीजिए.
श्री रामखेलावन पटेल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्या से बैठकर चर्चा कर लूंगा.
श्रीमती लीना संजय जैन-- जी, धन्यवाद मंत्री जी.
मण्डी बोर्ड द्वारा निर्मित सड़कों की जानकारी
[किसान कल्याण एवं कृषि विकास]
5. ( *क्र. 2252 ) श्रीमती रामबाई गोविंद सिंह : क्या किसान कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) तहसील पथरिया एवं तहसील बरियागढ़ जिला दमोह में किसान सड़क निधि एवं रा.कृ.वि. बोर्ड से पूर्व में निर्मित की गई सड़कों की मरम्मत एवं विस्तार की क्या योजना बनाई गई है? (ख) यदि योजना नहीं बनाई गई है तो इन सड़कों की मरम्मत एवं विस्तार कैसे संभव होगा? (ग) यदि योजना बनाई गई है तो वह कब प्रारंभ होगी, जिससे आम ग्रामीण को आवागमन में सुविधा मिल सके?
किसान कल्याण मंत्री ( श्री कमल पटेल ) : (क) मध्यप्रदेश शासन के निर्देशानुसार मण्डी बोर्ड द्वारा मण्डी प्रांगण के बाहर अन्य कोई निर्माण कार्य नहीं किया जावेगा। अत: शेष कार्यवाही का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ख) उत्तरांश (क) अनुसार प्रश्नांश (क) की पूर्व निर्मित सडकों के मरम्मत एवं विस्तार संबंधी कार्यवाही मण्डी बोर्ड से संभव नहीं है। (ग) उत्तरांश (क) एवं (ख) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने आज मुझे सदन में बोलने का मौका दिया मैं इसके लिए आपका धन्यवाद करती हूं साथ ही मेरी विधान सभा क्षेत्र के इस महत्वपूर्ण विषय के लिए विपक्ष का साथ एवं सत्ता पक्ष का आशीर्वाद चाहती हूं.
अध्यक्ष महोदय-- आप प्रश्न करें.
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने मंत्री महोदय के समक्ष एक विषय रखा था जिसमें मेरे विधान सभा क्षेत्र में लगभग 65 सड़कें हैं जो मण्डी बोर्ड द्वारा निर्मित की गईं थीं उनके रखरखाव और विस्तार की क्या योजना है इस संबंध में जानकारी चाही गई थी, लेकिन मंत्री महोदय का जो उत्तर मुझे प्राप्त हुआ है उसकी भाषा देखने से ऐसा लगता है कि यह बात मंत्री महोदय द्वारा नहीं बल्कि किसी अन्य के द्वारा लिखी गई है.
अध्यक्ष महोदय-- आप सीध प्रश्न पूछें कि आप मंत्री जी से क्या चाहती हैं.
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं चाहती हूं कि जो मण्डी बोर्ड से रोड बनाए गए हैं और मण्डी बोर्ड के जो 65 रोड हैं वह जर्जर स्थिति में है और स्थिति ऐसी है कि उस पर से इंसान तो क्या जानवर भी नहीं निकल पाते हैं.
अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री महोदय से यह निवेदन करना चाहती हूं कि जो मण्डी बोर्ड में पैसा है वह अन्य विभागों को तो दिया जाता है बिजली के बिल चुकाये जाते हैं, नहरों के लिए पैसा दिया जाता है लेकिन जो (XXX) जो खुद का काम किया है मण्डी बोर्ड से उसका कोई काम ही नहीं होता है, कोई निर्माण ही नहीं होता है.
अध्यक्ष महोदय-- आप चाहती क्या हैं यह प्रश्न तो आप पूछ ही नहीं रही हैं.
कुंवर विजय शाह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, इस शब्द को हटा दिया जाए.
अध्यक्ष महोदय-- इस शब्द को विलोपित किया जाए.
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं चाहती हूं कि इन सड़कों का निर्माण हो.
अध्यक्ष महोदय-- क्या आप सड़कों की मरम्मत चाहती हैं.
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह-- जी हां.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी, माननीय सदस्या बनी हुई सड़कों की मरम्मत चाहती हैं.
श्री कमल पटेल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं बहन रामबाई को यह आश्वस्त करता हूं कि मैंने इसकी पूरी जांच करा ली है. आपके पथरिया में 74 ग्रामीण सड़कें 60 करोड़ 83 लाख की बनाई गईं थीं. पथरिया में 48 और बटियागढ़ में 26 बनाई गई थीं. मरम्मत योग्य जो सड़कें हैं वह 64 सड़कें हैं. चूंकि शासन का एक आदेश निकला था कि मण्डी बोर्ड मण्डी के अंदर प्रांगण में ही निर्माण कार्य करा सकता है बाहर नहीं करा सकता है उसके कारण यह मरम्मत नहीं हो पाई, लेकिन मैंने माननीय मुख्यमंत्री जी से चर्चा की है और उन्होंने सहमति दी है. मैंने उन्हें कल ही पत्र लिखा है मुझे अनुमति मिल जाएगी तो प्राथमिकता के आधार पर वित्तीय स्थिति को देखते हुए सड़कों की मरम्मत कराई जाएगी. मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि हम आपकी सड़कें सुधारेंगे.
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी इसकी समय सीमा निर्धारित कर दें क्योंकि सड़कों की स्थिति बहुत खराब है. मैं कमल पटेल भाई से आपके माध्यम से एक निवेदन करना चाहती हूं कि सड़कों की स्थिति बहुत ही जर्जर है.
अध्यक्ष महोदय-- आपका प्रश्न आ गया है माननीय मंत्री जी कह रहे हैं कि वह करा देंगे.
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी इसकी समय सीमा निर्धारित कर दें.
श्री कमल पटेल-- अध्यक्ष महोदय, मैं इसे शीघ्र से शीघ्र करा दूंगा.
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय और माननीय मंत्री जी को बहुत-बहुत धन्यवाद.
11.15 बजे अध्यक्षीय घोषणा
महिला विधायकों एवं प्रथम बार के विधायकों के ही प्रश्न प्रश्काल में लिए जाना
अध्यक्ष महोदय -- मुझे आपको अवगत कराते हुए प्रसन्नता हो रही है कि आज के प्रश्नकाल में महिला सदस्यों द्वारा लगाए गए प्रश्नों को लाटरी में नहीं रखा गया जितनी भी माननीय महिला सदस्यों के प्रश्न थे उनको बिना लाटरी के ले लिया गया है. इस तरह से सात प्रश्न आए हैं. प्रथम बार के विधायकों की लाटरी निकाली गई है.
11.16 बजे
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर (क्रमश:)
राजस्व ग्रामों को पक्की सड़क से जोड़ा जाना
[पंचायत और ग्रामीण विकास]
6. ( *क्र. 2537 ) श्रीमती झूमा डॉ. ध्यानसिंह सोलंकी : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि भीकनगांव विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत कुल कितने राजस्व ग्राम शेष हैं, जो प्रश्न दिनांक तक पक्की सड़क से नहीं जुड़ पाये हैं तथा नहीं जुड़ने का क्या कारण है? कारण सहित ग्रामों की सूची उपलब्ध करावें तथा यह भी बतायें की कब तक उपरोक्त ग्रामों को पक्की सड़क से जोड़ दिया जायेगा? क्या क्षेत्रीय विधायक द्वारा मार्ग निर्माण करने हेतु विभाग को पत्र प्राप्त हुआ है? यदि हाँ, तो वर्तमान तक क्या कार्यवाही की गई है? कृपया मार्गवार जानकारी उपलब्ध करावें। क्या दिये गये पत्रों में से कोई मार्ग स्वीकृत हुआ है या स्वीकृति हेतु कार्यवाही चल रही है? यदि नहीं, तो क्या कारण हैं?
पंचायत मंत्री ( श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया ) : भीकनगांव विधानसभा क्षेत्रांतर्गत पक्की सड़क से नहीं जुड़े शेष राजस्व ग्रामों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। क्षेत्रीय विधायक द्वारा मार्ग निर्माण करने हेतु विभाग को प्रेषित किये गये पत्रों के संबंध में जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है।
सुश्री हिना लिखीराम कावरे (अधिकृत) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह झूमा सोलंकी जी का प्रश्न था. काफी ऐसे राजस्व गांव हैं जो अभी भी सम्पर्क विहीन हैं उऩकी सड़कों को लेकर उन्होंने प्रश्न किया था. माननीय मंत्री जी ने जो जवाब दिया है उसमें कहा गया है कि इन गांवों की आबादी 250 से कम है. यह आंकड़ें वर्ष 2011 की जनगणना के आंकड़े के अनुसार बताया गया होगा. जनगणना वर्ष 2021 में होना था जो अभी तक नहीं हुई है और कब होगी यह पता नहीं है. वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखते हुए क्या इन सड़कों को बनाया जाएगा. सीएमजीएसवाय में सामान्य क्षेत्र में जनसंख्या 500 चाहिए लेकिन अनुसूचित जनजाति क्षेत्र के लिए 250 की आबादी में आपको सड़कें बनाना है. आज की स्थिति में इन गांवों की आबादी 250 से अधिक है. क्या इन सड़कों का निर्माण कार्य वर्तमान जनसंख्या के आधार पर करवाएंगे.
राज्यमंत्री, पंचायत एवं ग्रामीण विकास (श्री रामखेलावन पटेल) -- माननीय ने जो प्रश्न किया था उसके जवाब में लिखा था कि खराड़ी, लालपुरा, नीमखेड़ी यह वीरान गांव हैं. पोखर, झिरन्ना में निजी भूमि होने के कारण वह सड़क से नहीं जुड़ सका. महुफुटा, खमीदा, बेघन्ना यहां जमीन डूब में आ गई है. इसलिए उनको नहीं जोड़ा गया है. लोहरिया, फाल्या यहां पर जनगणना के आधार पर सम्मिलित न होने के कारण नवीन राजस्व ग्राम नहीं बना है इसलिए नहीं जुड़ पाया है. पीएमजीवायएस 2001 की जनगणना में संख्या लेते हैं और सीएमजीएसवाय में जनसंख्या यहां पर पर्याप्त नहीं है इसलिए यह गांव नहीं जुड़े हैं. भीकनगांव विधान सभा क्षेत्र में जुड़े गांव गैर जुड़े गांवों की संख्या निम्न है. कुल पात्र गांव 211 हैं, जोड़े गये गांव 203 हैं, शेष गांव 8 हैं प्रदेश में 1550 ऐसे राजस्व गांव हैं जो जुड़ने योग्य हैं. जिन्हें शीघ्र ही जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है. जैसे ही बजट उपलब्ध हो जाएगा यह गांव जुड़े जाएंगे.
अध्यक्ष महोदय -- आपने पूरे प्रदेश का बता दिया है. इनके जो गांव हैं क्या वे इसमें जुड़ने वाले हैं.
श्री रामखेलावन पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इनके जो गांव नहीं जुड़े हैं वे खराड़ी, लालपुरा, नीमखेड़ी है यह वीरान गांव हैं इसलिए नहीं जुड़े हैं. पोखर, झिरन्ना में 246 जनसंख्या तो है लेकिन निजी भूमि होने के कारण वह सड़क से नहीं जुड़ सके. निजी भूमि को अद्यतन करा देते हैं तो हम जोड़ देंगे. महुफुटा में 188 जनसंख्या है डीपीआर की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है. मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना से उसको जोड़ने का प्रस्ताव आ गया है. खमीदा, बेघन्ना में भी अपरवदा बांध के डूब में आ जाने के कारण इनको नहीं जोड़ा गया है. यह वहां की स्थिति है.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जिन सड़कों का और जिन गांवों का यहां पर जिक्र हुआ है. मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से यह चाहती हूँ कि इन सड़कों को शीघ्र से शीघ्र बना दिया जाए और इनके न जुड़ने के कारण बताए हैं वे कारण तो आपको भी पता है कि क्या हैं और आप बता भी रहे हैं कि आपने प्रोसेस में करके रखा है तो कृपया इसकी समय सीमा बता दें और इसी प्रश्न में विधायक जी ने आपको काफी सारी सड़कें भी जो हैं वह दी हुई हैं, सब में अलग अलग नॉर्म्स आपने दे दिए हैं. विधायक जी का प्रश्न करने का सीधा उद्देश्य यही था कि यह सड़कें कब तक बन जाएँगी? क्योंकि आदिवासी इलाका है और काफी समय से सड़कें बहुत खराब हैं. आप कहते हैं आपकी सरकार बहुत आदिवासियों के लिए सौहार्द्रपूर्ण तरीके से काम करती है तो बस यह है कि ये सड़कें कब तक बन जाएँगी?
श्री रामखेलावन पटेल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी जो भारत सरकार की गाइड लाइन है उसके आधार पर जोड़ने में नहीं आ रहे हैं. नई गाइड लाइन कोई आएगी तो हम शीघ्रता के साथ जोड़ने का काम करेंगे.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सीएमजीएसवाय में बनवा दीजिए आप क्यों केन्द्र सरकार की योजना का रास्ता देख रहे हैं. सीएमजीएसवाय में तो वैसे भी आबादी को ही इश्यु बनाया गया है. वैसे भी अनुसूचित जनजाति के लिए 250 की संख्या रखी गई है और ये आपके नॉर्म्स में आ रहे हैं. यह जो आप बता रहे हैं यह जनगणना 2001 के आधार पर आप आँकड़े दे रहे हैं 246, तो अध्यक्ष महोदय, वैसे तो 2021 में जनगणना हो जानी चाहिए. 2011 में भी हुई होगी, 2021 में भी हो ही जानी थी. तब तो इनकी संख्या अलरेडी आपके नॉर्म्स में आ जाएगी और अगर यदि नॉर्म्स में आ रहे हैं तो फिर आप पीएमजीएसवाय का रास्ता क्यों देख रहे हैं, इसको सीएमजीएसवाय में करवाइये.
श्री रामखेलावन पटेल-- अध्यक्ष महोदय, 1550 ऐसे राजस्व ग्राम हैं जिनको मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना में जोड़ना है. जैसे ही बजट की उपलब्धता होगी उनको जोड़ने का काम होगा.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे-- अध्यक्ष महोदय, तो क्या ये गाँव शामिल होंगे?
श्री रामखेलावन पटेल-- मैं क्या कह रहा हूँ, जैसे ही बजट का प्रावधान हो जाएगा तो जोड़ने की कार्रवाई की जाएगी.
अध्यक्ष महोदय-- ठीक है.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे-- धन्यवाद.
मनरेगा अंतर्गत दिया गया रोजगार
[पंचायत और ग्रामीण विकास]
7. ( *क्र. 1320 ) श्रीमती कल्पना वर्मा : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सतना जिले में वित्तीय वर्ष 2021-22 में 28 फरवरी, 2022 तक कितने जॉबकार्डधारी परिवारों द्वारा मनरेगा में कार्य की मांग की गई? जनपदवार संख्यात्मक जानकारी देवें। (ख) उपरोक्त अवधि में कितने जॉबकार्डधारी परिवारों को मनरेगा में काम मिला और कितनों को नहीं मिला? (ग) मनरेगा में जॉबकार्डधारी परिवारों द्वारा कार्य की मांग करने के बावजूद उन्हें काम न दिए जाने का क्या कारण है? (घ) क्या सरकार भविष्य में मनरेगा में जॉबकार्डधारी परिवारों को काम दिया जाना सुनिश्चित करेगी? यदि हाँ, तो कब तक, नहीं तो क्यों?
पंचायत मंत्री ( श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया ) : (क) सतना जिले में वित्तीय वर्ष 2021-22 में 28 फरवरी, 2022 तक 126726 जॉबकार्डधारी परिवारों द्वारा मनरेगा में कार्य की मांग की गई। जनपदवार संख्यात्मक विवरण संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) उत्तरांश ''क'' की अवधि में 123704 जॉबकार्डधारी परिवार कार्य स्थल पर उपस्थित हुये हैं, जिन्हें मनरेगा में काम दिया गया है। शेष जॉबकार्डधारी कार्यस्थल पर उपस्थित नहीं हुये, इस कारण काम नहीं देने का प्रश्न ही नहीं उठता। (ग) उत्तरांश ''ख'' के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उत्पन्न नहीं होता। (घ) महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 का उद्देश्य ऐसे प्रत्येक ग्रामीण परिवार जिनके वयस्क सदस्य अकुशल शारीरिक श्रम कार्य करना चाहते हैं, को एक वित्त वर्ष में कम से कम 100 दिनों का गारंटीयुक्त मजदूरी रोजगार उपलब्ध कराना है। मनरेगा में मजदूरी रोजगार को कानूनी गारंटी दी गई है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्रीमती कल्पना वर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सर्वप्रथम आपको प्रणाम करती हूँ एवं यहाँ पर उपस्थित सभी सम्मानित सदस्यगणों को भी प्रणाम करती हूँ. चूँकि मैं पहली बार सदन में बात रख रही हूँ. अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न मनरेगा से संबंधित था और उसमें जो उत्तर आया है उसमें मैं माननीय मंत्री जी से पूछना चाहती हूँ कि कम से कम उन्होंने बोला है कि 100 दिन में गारंटीयुक्त रोजगार दिया जाएगा, तो मैं उनसे पूछना चाहती हूँ कि 100 दिन में कितने लोगों को रोजगार दिया जाएगा. इनकी मुझे सूची उपलब्ध कराई जाए और बताया जाए कि कितने लोगों को रोजगार दिया गया और कब तक दिया गया, वर्ष 2021 से 2022 तक की सूची उपलब्ध कराई जाए.
श्री रामखेलावन पटेल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्या ने जो प्रश्न किया है उसमें....
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी, माननीय सदस्या यह जानना चाहती हैं कि 1 लाख 26 हजार 726 आपके कार्डधारी हैं, जिनको मनरेगा में मजदूरी प्राप्त करने की पात्रता है. आपने 1 लाख 23 हजार 704 को काम दिया है. माननीय विधायिका यह जानना चाहती हैं कि जिनको आपने काम दिया, 1 लाख 23 हजार 704 को इसमें से 100 दिन किसने प्राप्त किया, वह संख्या जानना चाहती हैं.
श्री रामखेलावन पटेल-- अध्यक्ष महोदय, जितने लोगों का सूची में नाम रहता है हंड्रेड परसेंट सबको काम दिया जाता है. कोई बीमारी के कारण, कोई और दूसरे कारण से, काम में नहीं आ पाता. इस कारण वह काम से वंचित हो जाता है. मनरेगा में यह प्रावधान है कि उनका मस्टर 7 दिन में, 15 दिन में, बनता रहता है. दूसरे लोग जब मांग करेंगे, जो उसमें अनुपस्थित थे तो उनको भी आगे काम देने की व्यवस्था है. सौ परसेंट लोगों को काम दिया जाता है.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, नहीं, ये नहीं, उनका प्रश्न यह है कि 1 लाख 23 हजार 704 जो आपने काम दिया, तो सौ दिन का काम है आपका, सौ दिन देना है काम, तो सौ दिन वाले कितनी संख्या आई, इसमें 1 लाख 23 हजार में, सौ दिन वाले सब हैं कि कुछ संख्या कम है, इसकी, यह जानना चाहती हैं.
श्री रामखेलावन पटेल-- अध्यक्ष महोदय, वो लोग अगर काम में आते तो उनको भी काम दिया जाता.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, आपने तो उनको काम दे ही दिया, 1 लाख 23 हजार 704 लोगों को काम आपने दे दिया. अब माननीय विधायिका जी यह जानना चाहती हैं कि कितने लोगों को 100 दिन का काम मिला? कुछ तो आधे भी होंगे ना? कुछ कम दिन के. ऐसा जानना चाहती हैं. यही प्रश्न है ना आपका?
श्री रामखेलावन पटेल-- अध्यक्ष महोदय, यह मांग आधारित योजना है, जो काम मांगेगा उसको सबको काम दिया जाएगा. जो लोग शेष हैं जब काम मांगेंगे उनको काम दिया जाएगा.
श्रीमती कल्पना वर्मा-- मंत्री जी, सीधा सीधा प्रश्न है कि कितने लोगों को दिया गया? मात्र उनकी संख्या जाननी है बाकी वह तो मेरे पास उत्तर है ही. (मेजों की थपथपाहट) माननीय मंत्री जी से एक छोटा सा सवाल....
अध्यक्ष महोदय-- बैठ जाइये.
श्री रामखेलावन पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, 1 लाख 23 हजार 704 लोगों को 100 दिवस के लिए काम दिया गया था.
अध्यक्ष महोदय -- बस, ठीक है.
श्री तरूण भनोत -- अध्यक्ष जी, अपूर्ण उत्तर है. बड़ा स्पष्ट है आपने व्यवस्था भी दी कि मुझे सूची उपलब्ध करा दी जाए.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, उन्होंने सूची नहीं मांगी.
श्री तरूण भनोत -- उन्होंने सूची मांगी है.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं, उन्होंने सूची नहीं मांगी.
श्री तरूण भनोत -- उन्होंने सूची मांगी कि उन्हें सूची दी जाए 100 लोगों की, जिनको काम दिया गया. यह तो आप ही ने व्यवस्था दे दी कि 1 लाख 23 हजार 704 को काम दिया गया.
अध्यक्ष महोदय -- मैं आग्रह करना चाहता हॅूं कि...(व्यवधान)..
श्रीमती कल्पना वर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय,...
अध्यक्ष महोदय -- माननीय तरूण जी, आप भी बैठ जाइए. बैठ जाइए न.
श्रीमती कल्पना वर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय,..
अध्यक्ष महोदय -- अरे, मैं कह रहा हॅूं न कि आप बैठ जाइए न. अरे, आप बैठ तो जाइए. आप, बैठिए तो. एक तो मेरा आग्रह यह है कि प्रथम बार के विधायकों को मैं स्वत: संरक्षण दे रहा हॅूं तो कोई अगल-बगल से मदद न करें. उनको खुलने दीजिए न. उनको पूछने दीजिए. आप मत करिए मदद उनकी. उनका प्रश्न यह था (श्री तरूण भनोत, सदस्य के अपने आसन पर खडे़ होकर बोलने पर) अरे, उनको सूची मांगने दीजिए न. वह पूछ तो रही हैं उनको पूछने दीजिए न.
श्री तरूण भनोत -- पूछ तो रही हैं, आप पूछिए.
अध्यक्ष महोदय -- चलिए, पूछिए. उन्होंने 1 लाख 23 हजार 704 लोगों को 100 दिन का काम दिया. उन्होंने बता दिया आपको.
श्रीमती कल्पना वर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपकी अनुमति से माननीय मंत्री जी से केवल वह सूची चाहती हॅूं कि वह सूची उपलब्ध करायी जाए.
अध्यक्ष महोदय -- हां, पहुंचा देंगे. दिलवा देंगे.
श्री रामखेलावन पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सूची भी उपलब्ध करा दूंगा और पोर्टल में भी उपलब्ध है.
अध्यक्ष महोदय -- चलिए, चलिए. ठीक है.
श्रीमती कल्पना वर्मा -- आप कब तक उपलब्ध करा देंगे, उसकी समय-सीमा कुछ बता दें.
अध्यक्ष महोदय -- चलिए, वह दे देंगे. आपको सूची मिल जायेगी.
श्री रामखेलावन पटेल -- शीघ्र उपलब्ध करा देंगे.
श्रीमती कल्पना वर्मा -- शीघ्र, मतलब कब तक उपलब्ध करा देंगे.
अध्यक्ष महोदय -- हो गया, हो गया. आप बैठिए.
श्री रामखेलावन पटेल -- एक महीने में करा देंगे.
प्रश्न संख्या - 8 (अनुपस्थित)
मनरेगा अन्तर्गत किये गये कार्य
[पंचायत और ग्रामीण विकास]
9. ( *क्र. 2360 ) श्री हर्ष विजय गेहलोत (गुड्डू) : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) रतलाम जिले में विधानसभा अनुसार बतावें की वित्तीय वर्ष 2021-22 में 10 फरवरी, 22 तक कुल कितने जॉबकार्डधारियों ने मनरेगा में काम मांगा? कितने जॉबकार्डधारियों को काम मिला तथा कितने को काम नहीं मिला? काम न दिए जाने का क्या कारण है? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार बतावें कि वर्ष 2017-18 से 2021-22 तक मनरेगा में कितनी राशि का प्रावधान था, कितने जॉबकार्डधारियों को प्राप्त हुई, कितने जॉबकार्डधारियों ने काम मांगा तथा कितने जॉबकार्डधारियों को काम नहीं मिला? (ग) रतलाम जिले में वर्ष 2017 से 2021 तक प्रतिवर्ष किस-किस माह मे, कितनी-कितनी संख्या में पलायन हुआ है? (घ) रतलाम जिले में मनरेगा में वर्ष 2017 से 2021 तक आर्थिक अनियमितता के कितने प्रकरण पाये गये? प्रकरणवार राशि, दिनांक, प्रकार, जिम्मेदार अधिकारी/कर्मचारी सहित जानकारी देवें।
पंचायत मंत्री ( श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया ) : (क) रतलाम जिले में वित्तीय वर्ष 2021-22 में 10 फरवरी, 22 तक 91853 जॉबकार्डधारियों ने मनरेगा में काम की मांग की गई। उपरोक्त अवधि में मांग करने के उपरांत कार्य स्थल पर उपस्थित 76659 जॉबकार्डधारियों को काम दिया गया। मनरेगा अंतर्गत कार्य की मांग करने वाले शेष जॉबकार्डधारी कार्यस्थल पर उपस्थित नहीं हुये, इस कारण काम नहीं देने का प्रश्न ही नहीं उठता। विधानसभावार जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) मनरेगा योजनांतर्गत जिले को राशि आवंटित करने का कोई प्रावधान नहीं है। मजदूरी का भुगतान श्रमिकों के खाते में एवं सामग्री का भुगतान सामग्री प्रदायकर्ता के खाते में FTO द्वारा नोडल खाते से PFMS के माध्यम से हस्तांतरित होता है। शेष जानकारी उत्तरांश ''क'' अनुसार है। (ग) महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजनांतर्गत जॉबकार्डधारी परिवारों के वयस्क सदस्यों द्वारा अकुशल श्रम की मांग किये जाने पर एक वित्तीय वर्ष में एक जॉबकार्डधारी परिवार को 100 दिवस का रोजगार दिये जाने का प्रावधान है। स्थाई पलायन संबंधी आंकड़े पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में संधारित नहीं किये जाते हैं। (घ) रतलाम जिले में मनरेगा योजना में वर्ष 2017 से 2021 तक आर्थिक अनियमितता की प्रकरणवार जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है।
श्री हर्ष विजय गहलोत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत-बहुत धन्यवाद. मुझे बोलने का मौका मिला. आपके माध्यम से मेरा माननीय मंत्री जी प्रश्न है कि हमारा जिला पूरा आदिवासी बाहुल्य जिला है और पलायन की बहुत ही गंभीर समस्या है. विभाग रोजगार की गारंटी देता है लेकिन पलायन की जानकारी संधारित नहीं की जाती है कि पलायन कितने लोगों का हुआ है, पलायन क्यों हुआ है लेकिन इसकी जानकारी नहीं दी जाती, जो कि एक बहुत ही गंभीर समस्या है. अभी से हमारे क्षेत्र के आदिवासी गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान जाने को मजबूर हैं. मनरेगा में काम तो मिलता है लेकिन उसका जो पेमेन्ट होता है, उसमें बहुत देरी की जाती है और देरी होने की वजह से मजदूर की उसमें रूचि कम हो जाती है, जिसके कारण वह पलायन करने को मजबूर हो जाता है, ऐसा क्यों होता है ?
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी, माननीय सदस्य पूछ रहे हैं कि पलायन क्यों होता है ?
श्री रामखेलावन पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जितने लोगों की मांग होती है उनको, जिनका जॉब कार्ड में नाम होता रहता है, मस्टर रोल में जिनका नाम आ जाता है उन सबको काम देने की मनरेगा में व्यवस्था है. सबको काम दिया जाता है. इस पर कोई पलायन नहीं करते.
अध्यक्ष महोदय -- ठीक है.
श्री हर्ष विजय गहलोत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, भारी मात्रा में पलायन होता है.
श्री लक्ष्मण सिंह -- माननीय सदस्य रतलाम का सही कह रहे हैं. जरा, अपनी जानकारी दुरूस्त करिए. क्या बात करते हैं कि पलायन नहीं करते हैं.
श्री रामखेलावन पटेल -- जानकारी दुरूस्त है. नहीं, पलायन नहीं होता है...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- ठीक है.
श्री लक्ष्मण सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, कोविड काल में आपकी सरकार ने हजारों मजदूरों को वापस लायी है और उसमें आपने बड़ा श्रेय लिया है, तो पलायन होता है.
श्री रामखेलावन पटेल -- अध्यक्ष महोदय, मनरेगा में मध्यप्रदेश ऐसे तीन राज्यों में जहां सबको काम देने का काम हुआ है और आगे भी उनको काम देने का काम होगा.
अध्यक्ष महोदय -- ठीक है विधायक जी.
श्री हर्ष विजय गहलोत -- माननीय अध्यक्ष महोदय,..
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, आ गया पूरा. पलायन नहीं होता, उन्होंने इंकार कर दिया.
श्री हर्ष विजय गहलोत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा और भी प्रश्न है.
अध्यक्ष महोदय -- एक प्रश्न पूछ लीजिए, पूछ लीजिए.
श्री हर्ष विजय गेहलोत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मनरेगा के कार्य में जो मजदूरी मिलती है, उसका प्रतिवर्ष कितना-कितना भुगतान किया गया है, मैंने यह भी पूछा है, लेकिन उसमें मुझे कोई जवाब नहीं मिला है और प्रत्येक जॉबकार्डधारी को औसत मजदूरी कितनी मिलती है ?
अध्यक्ष महोदय -- इसमें ऐसा प्रश्न कहां है आपका ?
श्री रामखेलावन पटेल -- अध्यक्ष महोदय, यह प्रश्न में नहीं है.
अध्यक्ष महोदय -- यह प्रश्न उद्भूत नहीं होता.
जॉबकार्ड धारियों का मनरेगा में रजिस्ट्रेशन
[पंचायत और ग्रामीण विकास]
10. ( *क्र. 1293 ) श्री भूपेन्द्र मरावी : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) डिण्डोरी जिले में वित्तीय वर्ष 2021-22 में 28 फरवरी, 2022 तक कितने जॉबकार्ड धारी लोगों ने मनरेगा में रजिस्ट्रेशन कराया था? उपरोक्त अवधि में कितने जॉबकार्डधारियों को मनरेगा में काम मिला? (ख) उपरोक्त अवधि में कितने जॉबकार्ड धारियों को मनरेगा में काम नहीं मिला? (ग) मनरेगा में जॉबकार्ड होने के बावजूद काम मांगने पर उन्हें काम न दिए जाने का क्या कारण है? (घ) क्या सरकार भविष्य में मनरेगा में जॉबकार्ड धारियों को प्रत्येक व्यक्ति को कार्य की मांग करने पर काम दिया जाना सुनिश्चित करेगी?
पंचायत मंत्री ( श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया ) : (क) महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत डिण्डौरी जिले में वित्तीय वर्ष 2021-22 में 28 फरवरी 2022 तक 6465 जॉबकार्डधारी परिवारों ने मनरेगा में रजिट्रेशन कराया। उक्त अवधि में इन 6465 जॉबकार्डधारी परिवारों के साथ-साथ 180976 जॉबकार्डधारी परिवारों को मांग के आधार पर काम/रोजगार उपलब्ध कराया गया। (ख) उत्तरांश ''क'' के परिप्रेक्ष्य में जॉबकार्डधारियों को मनरेगा में काम नहीं मिलने की संख्या शून्य है। (ग) उत्तरांश ''ख'' के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उत्पन्न नहीं होता। (घ) महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 का उद्देश्य ऐसे प्रत्येक ग्रामीण परिवार जिनके वयस्क सदस्य अकुशल शारीरिक श्रम कार्य करना चाहते हैं, को एक वित्त वर्ष में कम से कम 100 दिनों का गारंटीयुक्त मजदूरी रोजगार उपलब्ध कराना है। मनरेगा में मजदूरी रोजगार को कानूनी गारंटी दी गई है।
श्री भूपेन्द्र मरावी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपको बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूँ. मैं प्रथम बार का विधायक हूँ, आपने मुझे सदन में बोलने का मौका दिया, मैं सदन के सभी सम्माननीय सदस्यों को और आपको प्रणाम करता हूँ. माननीय मंत्री जी से मेरा यह सवाल है, मंत्री महोदय जी यह बताने की कृपा करेंगे कि डिण्डोरी जिले में वित्तीय वर्ष 2021-22 में 28 फरवरी, 2022 तक कितने जॉबकार्ड धारी लोगों ने मनरेगा में रजिस्ट्रेशन कराया था?
अध्यक्ष महोदय -- यह तो आपके प्रश्न में है और इसका उत्तर आ गया है. इसका उत्तर लिखा हुआ है. आप पूरक प्रश्न पूछिए.
श्री भूपेन्द्र मरावी -- अध्यक्ष महोदय, उपरोक्त अवधि में कितने जॉबकार्डधारियों को मनरेगा में काम मिला ? उपरोक्त अवधि में कितने जॉबकार्डधारियों को मनरेगा में काम नहीं मिला ?
अध्यक्ष महोदय -- यह भी आपके प्रश्न में है और उत्तर लिखा हुआ है कि शून्य है. सब कुछ लिखा हुआ है. आप पूरक प्रश्न पूछिए ना.
श्री भूपेन्द्र मरावी -- अध्यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहता हूँ क्योंकि मैं प्रथम बार का विधायक हूँ और पहली बार बोल रहा हूँ. हमारा डिण्डोरी जिला आदिवासी बहुल जिला है, जब कोरोना काल चल रहा था तो हमारे डिण्डोरी जिले में प्रशासन के रिकॉर्ड के अनुसार 40 हजार से अधिक लोग पलायन कर रहे थे. आज डिण्डोरी जिले में रोजगार गारंटी योजना को किस तरीके से कुचलने का काम किया जा रहा है. अध्यक्ष जी, मैं माननीय मंत्री जी से यह पूछना चाहता हूँ कि अभी वर्तमान में, जैसे मजदूर वर्ग, वे किसी भी वर्ग के हों, जो गांव में अपना काम करते हैं, उनको एक साथ उनकी मजदूरी नहीं मिल पाती. पहले आदिवासियों का पैसा आता है, फिर अनुसूचित जातियों का पैसा आता है और फिर अन्य पिछड़े वर्गों का पैसा आता है, ऐसा करते-करते लगभग 6 महीनों तक मजदूरों को मजदूरी का भुगतान नहीं हो पाता है, ऐसा क्यों होता है ?
श्री रामखेलावन पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मनरेगा में समय-सीमा में मजदूरी का भुगतान कर दिया जाता है, ऐसी कहीं कोई शिकायत नहीं है. हर मजदूर जो काम करता है, उसको समय-सीमा में भुगतान हो जाता है.
श्री भूपेन्द्र मरावी -- अध्यक्ष महोदय, बिल्कुल नहीं, हमारे डिण्डोरी जिले में अभी 6-6 महीने से, सालों से मजदूरी भुगतान बकाया है.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, अब वह तो जवाब आ गया है सबको मिल जाता है.
श्री भूपेन्द्र मरावी -- अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से कहना चाहता हूँ कि आपकी सरकार बड़ी-बड़ी बातें कर रही हैं.
श्री रामखेलावन पटेल -- अध्यक्ष महोदय, स्पेसिफिक किसी का भुगतान न हुआ हो तो हमें जानकारी दे देंगे, भुगतान हो जाएगा.
श्री भूपेन्द्र मरावी -- माननीय मंत्री जी से मेरा निवेदन है...
अध्यक्ष महोदय -- आप बैठ जाएं, प्रश्न संख्या 11, श्री उमाकांत शर्मा जी.
मनरेगा योजनान्तर्गत निर्माण कार्यों की जानकारी
[पंचायत और ग्रामीण विकास]
11. ( *क्र. 2828 ) श्री उमाकांत शर्मा :
श्री रामखेलावन पटेल, राज्य मंत्री, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग -
श्री उमाकांत शर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपका, सदन का और माननीय विधि, विधायी और संसदीय कार्य मंत्री महोदय का विशेष रूप से ध्यान आकर्षित कराना चाहता हूँ. मेरे प्रश्न क्रमांक 2828 में मूल प्रश्न को ही बदल दिया गया है. मैंने पूछा था, मेरे द्वारा मनरेगा योजना के सामुदायिक एवं हितग्राहीमूलक कार्यों की जानकारी चाही गई थी, नाम सहित, कार्य सहित और मात्र मेरे विधान सभा क्षेत्र के दो विकास-खण्डों की और ये वर्ष 2014 से चाही गई थी, उसमें केवल सामुदायिक कार्यों की संख्या लिखी गई है. पूरी जानकारी क्यों नहीं दी गई है ? यह प्रश्न किसने बदल दिया, विधान सभा के कर्मचारियों ने बदला या विभाग के कर्मचारियों ने बदला, माननीय मंत्री महोदय बताने का कष्ट करें ? वर्ष 2014 से जानकारी देनी थी, वह क्यों नहीं दी गई है, बताने का कष्ट करें ?
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं, किसी ने बदला नहीं है.
श्री रामखेलावन पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं विद्वान सदस्य को बताना चाहता हूँ कि ...
श्री उमाकांत शर्मा -- पहले आप मेरा मूल प्रश्न पढ़ दीजिए, मेरा मूल प्रश्न पढ़िए, क्या था और उसे किसने बदला. यह पूरे सदन के अधिकार की बात है. प्रत्येक सदस्य के सम्मान और अधिकार की बात है.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी और माननीय शर्मा जी, आप बैठ जाइये. यह देखिये आपने जो प्रश्न लगाया था, इतना वृहद था. आप बैठ जाइये. हर बार खड़े होने की आवश्यकता नहीं है. यह विधान सभा के अध्यक्ष का अधिकार है कि प्रश्नों को किस सीमा तक लिया जाए जिससे उत्तर देने में सहूलियत हो. यह अधिकार की बात मत करिये कि किसको अधिकार है. अधिकार मुझे है, आसंदी को अधिकार है. इसलिये आपके प्रश्नों का जवाब जैसा आया है उस पर आप उनसे पूछिये, क्योंकि यह बहुत ज्यादा लंबा था.
श्री उमाकांत शर्मा -- मैं पूछना चाहता हूं कि मैंने जब मात्र दो विकासखंड के सब कार्यों का विवरण मांगा था, तो वह उत्तर क्यों नहीं दिया गया ?
अध्यक्ष महोदय -- वही तो कटौती कर दी गई थी ना, वह बहुत ज्यादा था.
श्री रामखेलावन पटेल -- अध्यक्ष महोदय, प्रश्न संशोधित कराया गया है.
श्री उमाकांत शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, मैंने नहीं किया है.
श्री रामखेलावन पटेल -- प्रश्न के जवाब में सारी जानकारी उपलब्ध है.
श्री उमाकांत शर्मा -- मैं सदन में साक्षी देकर कहता हूं कि मेरे प्रश्न के अनुसार जानकारी उपलब्ध नहीं है. संशोधन के बाद नहीं है. आप 2020 की जानकारी तो दीजिये.
श्री रामखेलावन पटेल -- अध्यक्ष महोदय, मैं जानकारी उपलब्ध कराये दे रहा हूं. विधान सभा के अंतर्गत जनपद पंचायत लटेरी और सिरोंज में अपूर्ण कार्यों की जानकारी है. सिरोंज में 2021 में 93 पंचायतों में कार्यों की संख्या 745 है. 2 अपूर्ण हैं.
श्री उमाकांत शर्मा -- मैंने लटेरी में 7, सिरोंज में...
अध्यक्ष महोदय -- आप जवाब तो सुनिये.
श्री रामखेलावन पटेल -- सिरोंज में 93 पंचायतों में 825 में से...
श्री उमाकांत शर्मा -- मैंने 93 का पूछा ही नहीं है. मैंने पूछा था कि जनपद पंचायत लटेरी की 7 एवं सिरोंज की 11 ग्राम पंचायतों की जांच 7 अगस्त, 2020 से जारी है उस पर अभी तक जांच पूर्ण क्यों नहीं हुई और कार्यवाही क्यों नहीं हुई ?
अध्यक्ष महोदय -- उमाकांत जी, आप बैठ जाइये. जवाब तो देने दीजिये.
श्री रामखेलावन पटेल -- अध्यक्ष महोदय, आपने जो कार्यों की शिकायत की है, तीन महीने से उसमें जांच चल रही है. जांच प्रक्रियाधीन है और जैसे ही जांच पूरी हो जाएगी उसमें कार्यवाही हो जाएगी.
श्री उमाकांत शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, सीईओ लटेरी निर्देशक शर्मा इसमें जांच में दोषी पाये जा रहे हैं इसलिये उनकी पहुंच बहुत लंबी है और इसलिये उनको बचाने के लिये इस प्रकार की कार्यवाही हो रही है.(कांग्रेस सदस्यों द्वारा शेम-शेम के नारे लगाये जाने पर) आप लोग प्रसन्न मत होइये.
श्री कमलेश्वर पटेल -- अध्यक्ष महोदय ...
श्री उमाकांत शर्मा -- श्रीमान् मैं सक्षम हूं. मैं पूछ लूंगा. आपके सहयोग की जरूरत नहीं है. और सुन लो ( XXX ) ने विधिवत पत्र लिखकर कहा है कि इन पंचायतों की जांच ना कराई जावे. मेरे पास पत्र है. यह ( XXX ) का पत्र है. क्या मंत्री महोदय और विभाग के कर्मचारी ( XXX ) के अनुसार चल रहे हैं ? मुझे लगता है कि इसमें कोई बड़ी मिली भगत है. अपराधियों को बचाने के लिये कांग्रेस का संरक्षण है.
अध्यक्ष महोदय -- आप प्रश्न पूछिये. प्रश्न में आप क्या चाहते हैं शर्मा जी ?
श्री उमाकांत शर्मा -- मैं यह चाहता हूं कि एक एसआईटी की टीम बनाकर जो तीन साल से जांच नहीं हो रही है उसे समयावधि में पूर्ण कराया जावे. दोषियों को दंडित किया जावे. ( XXX ) की अनैतिक बात न मानी जावे.
अध्यक्ष महोदय -- जो यहां नहीं हैं. आप उनका नाम मत लीजिये. आप नाम मत लीजिये. इसे रिकार्ड न किया जाए.
श्री तरुण भनोत -- अध्यक्ष महोदय, संसदीय कार्य मंत्री जी बताइये. क्या आपकी सरकार ( XXX ) चला रहे हैं ?
श्री उमाकांत शर्मा -- मैं निवेदन करना चाहता हूं कि यह लिखा है. मैं पत्र की कॉपी दे दूंगा. यह दस्तखत देख लो. क्या प्रदेश स्तर पर विशेष टीम बनाकर तीन महीने के अंदर जांच कराकर दूध का दूध, पानी का पानी कर दिया जाएगा ? दोषियों को दंडित कर दिया जाएगा ?
श्री रामखेलावन पटेल -- अध्यक्ष महोदय ...
अध्यक्ष महोदय -- आप बैठ जाइये. संसदीय कार्य मंत्री जी खड़े हैं.
संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) -- अध्यक्ष महोदय, जो सम्मानित सदस्य ने कहा है कि तीन महीने में जांच कराकर दूध का दूध, पानी का पानी कर दिया जाएगा, तो यह कर दिया जाएगा.
डॉ. गोविंद सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मैं कहना चाहता हूं..
अध्यक्ष महोदय -- बस ठीक है. उत्तर आ गया. हो गया गोविंद सिंह जी, आगे मत बढ़ाइये.
डॉ. गोविन्द सिंह - अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे बड़े दुख के साथ कह रहा हूं कि यह बिल्कुल सच्चाई है कि यहां प्रश्न बदले जाते हैं और बदले गये हैं. (शेम-शेम की आवाज) हमारे खुद के, मैं आपसे निवेदन कर रहा हूं कि आपको उसमें कोई जानकारी नहीं है, स्वयं का प्रश्न है, हमने बहुत छोटा प्रश्न लगाया था और उस प्रश्न में केवल एक कार्यालय की दो साल की जानकारी मांगी थी, बहुत छोटी जानकारी मांगी थी, उसमें लिख दिया कि यह विस्तृत जानकारी है और अगर वह जानकारी सही आ जाती तो जो उन्होंने लाखों रुपयों का भ्रष्टाचार किया, वह दोषी अधिकारी उसमें फंसते. अब पता नहीं कैसे आपकी जानकारी में, गैर जानकारी में यह हुआ है, हमारे प्रश्न में, सीपीए के प्रश्न में यह हुआ है. हमने प्रमुख सचिव से निवेदन किया और उन्होंने कहा कि हम इसको भेज रहे हैं. दोबारा जानकारी मंगा रहे हैं, आखिर यह क्यों हो रहा है? अगर वह चला जाता तो वास्तव में सच्चाई सामने आ जाती, इसमें हमारा निवेदन है कि भविष्य में इस पर जहां गड़बड़ी हो रही है, उसमें आप गौर करें और थोड़ा अधिकारियों को निर्देशित करें.
अध्यक्ष महोदय - आप बता दीजिएगा, उसको देख लेंगे.
श्री प्रियव्रत सिंह - अध्यक्ष महोदय, (XXX) के नाम का उल्लेख हुआ है.
अध्यक्ष महोदय - उसको हटवा दिया है.
श्री प्रियव्रत सिंह - या फिर जो आरोप उन्होंने लगाया है, वह मंत्री जी उसका जवाब दे दें कि क्या वह (XXX) के हिसाब से काम कर रहे हैं?
अध्यक्ष महोदय - उसको हटवा दिया है. श्री निलय विनोद डागा.
माध्यमिक शिक्षकों की भर्ती
[स्कूल शिक्षा]
12. ( *क्र. 1047 ) श्री निलय विनोद डागा : क्या राज्य मंत्री, स्कूल शिक्षा महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधानसभा प्रश्न क्रमांक 215, दिनांक 13.12.2021 द्वारा प्रदेश में माध्यमिक शिक्षकों के 54282 पद रिक्त होना बताया गया है, परन्तु विभाग ने केवल 5670 पदों पर ही भर्ती का आयोजन किया है? क्या उक्त पदों में वृद्वि की जावेगी? (ख) मध्यप्रदेश में माध्यमिक शिक्षकों के कितने पद बैकलॉग के रिक्त हैं? विषयवार बतावें। (ग) मुख्यमंत्री जी द्वारा जो घोषणा की गई है उसके अनुसार क्या इसी वित्तीय वर्ष में बैकलॉग पदों की भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ की जाकर पदों की पूर्ति की जावेगी? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों? (घ) वर्ष 2018 में शिक्षक भर्ती परीक्षा का आयोजन किया गया, जिसमें हजारों शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण अभ्यर्थी ओवरएज हो गए हैं, इसके लिए कौन जिम्मेदार है? क्या ओवरएज हुए अभ्यर्थियों को राहत प्रदान की जावेगी?
राज्य मंत्री, स्कूल शिक्षा ( श्री इन्दर सिंह परमार ) : (क) विधान सभा प्रश्न क्रमांक 215, दिनांक 13.12.2021 में बताई गई रिक्तियों में सीधी भर्ती एवं पदोन्नति की रिक्तियां सम्मिलित हैं। पदपूर्ति एक सतत् प्रक्रिया है, पदों में वृद्वि सक्षम स्वीकृति पर निर्भर करेगा। (ख) माध्यमिक शिक्षक भर्ती प्रक्रिया प्रचलित है, भर्ती प्रक्रिया पूर्ण होने के पश्चात बैकलॉग पदों की गणना कर जानकारी दी जा सकेगी। (ग) वर्तमान नियोजन प्रक्रिया में पूर्व के बैकलॉग पदों को सम्मिलित किया गया है, प्रश्नांश 'ख' के उत्तर के प्रकाश में समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) वर्तमान में प्रचलित उच्च माध्यमिक एवं माध्यमिक शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में अभ्यर्थी की न्यूनतम एवं अधिकतम आयु की गणना दिनांक 01.01.2019 की स्थिति में की गई है। अतः शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री निलय विनोद डागा - अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न स्कूली शिक्षा मंत्री जी से है कि माध्यमिक शिक्षा में 54222 पद रिक्त थे, जिसमें 5670 पदों की भर्ती का आयोजन किया गया. बाकी के पद कब तक रिक्त रहेंगे, कब तक उनको भरा जाएगा? माननीय मंत्री जी से प्रश्न है कि बच्चों के भविष्य का अगला सेमिस्टर जो जून में चालू होने वाला है, वह क्या बगैर शिक्षकों के चलेगा? वर्ष 2018 में शिक्षक भर्ती परीक्षा का आयोजन किया गया था, जिसमें हजारों शिक्षक पात्रता परीक्षा में उत्तीर्ण अभ्यर्थी ओवर एज हो गये हैं, इसकी जिम्मेदारी किसकी है, क्या ओवर एज अभ्यर्थियों को राहत प्रदान की जाएगी एवं मध्यप्रदेश माध्यमिक शिक्षकों के कितने पद बैकलॉग के रिक्त हैं, विषयानुसार एवं जाति अनुसार मुझे बताने की कृपा करें?
श्री इन्दर सिंह परमार - अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो प्रश्न पूछा है उसका उत्तर लिखित में दिया गया है, फिर भी मैं बता देता हूं कि प्रक्रिया से बाहर होने का आयु सीमा का जो विषय आया है, दिनांक 1.1.2019 की स्थिति में गणना की गई है, इसलिए ऐसा कोई भी व्यक्ति जो उस समय यह उम्र पूरी कर रहा था, वह अपात्र नहीं हुआ है. साथ ही जो माध्यमिक शिक्षक के पदों का विषय है, उसमें 11199 सीधी भर्ती के पद रिक्त थे, उसमें से हमने 3677 लोगों की अभी भर्ती की है क्योंकि बाकी सब पद पदोन्नति वाले हैं. पदोन्नति की संख्या बड़ी है जो रिक्त है 46760, क्योंकि पदोन्नति की प्रक्रिया हुई नहीं है, इसलिए उन पदों पर हम दूसरी भर्ती कर नहीं सकते थे. वह पद खाली हैं, इसलिए रिक्तियां ज्यादा दिख रही हैं और इसीलिए उसमें भर्ती प्रक्रिया में एक भी व्यक्ति को वह नहीं किया गया है.
अध्यक्ष महोदय, पूरी प्रक्रिया में जो आगे का आपका प्रश्न बैकलॉग पदों को लेकर है. बैकलॉग पदों में शिक्षा विभाग में हम अलग उतने पद जोड़ते हैं और उसके बाद उनकी भी भर्ती करते हैं, शेष जो रहते हैं उसमें भी फिर वापस आरक्षण की प्रक्रिया का पालन करते हुए भर्ती की गई है. मैं आपको आंकड़ा भी बता देता हूं. माध्यमिक शिक्षक के लिए भर्ती में हमने अनुसूचित जाति के 160 एवं अनुसूचित जनजाति के 535 ऐसे बैकलॉग के पदों को सम्मिलित किया है और उनको हमने भर्ती प्रक्रिया में जोड़ा है, शेष को फिर से आरक्षण की प्रक्रिया में लेकर जोड़ा है लेकिन साथ में दिक्कत यह है कि कई सारे विषय में अभी भी हमारे पास में कोई प्रतिभागी आए नहीं हैं, इस कारण से वह पद फिर भी खाली रहेंगे, चूंकि अभी प्रक्रिया चल रही है और प्रक्रिया पूरी होने के बाद में हम पूरे अलग-अलग विषयवार क्या-क्या कितने-कितने पद बैकलॉग के हैं, उसकी संख्या बता पाएंगे. आज की स्थिति में क्योंकि भर्ती प्रक्रिया में हमने वह जोड़े हैं तो उसकी पूरी गणना बची है, अभी भर्ती प्रक्रिया जितनी आज तक हुई है, उसका यह आंकड़ा है, अभी जो वेटिंग लिस्ट है, उसको भी आगे जाकर क्लियर करना है तो उसमें जो होंगे तो उसके बाद इसकी गणना करके हम आपको जानकारी दे पाएंगे.
श्री निलय विनोद डागा -- मंत्री जी, बच्चों के भविष्य का सवाल है. नया सेमेस्टर जून में चालू होने वाला है और आज अगर 46 हजार पद रिक्त हैं, तो इनको कब तक भरा जायेगा,कृपया समय सीमा बता दें, ताकि बच्चों का भविष्य सुरक्षित हो सके. कोरोनाकाल में वैसे भी बच्चे पढ़ नहीं पाये हैं. आप भर्ती कर नहीं पाये हैं. इसलिये मेरा यह निवेदन है कि बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ न करें और इन पदों को नया सेमेस्टर जून में चालू होने के पहले भरवाने की कृपा करें और कृपया इसमें आप हमें समय सीमा निश्चित करके बता दें.
श्री इन्दर सिंह परमार-- अध्यक्ष महोदय, जो पदोन्नति वाला प्रकरण है, पदोन्नति के रिक्त जो पद हैं, उन पर हम अतिथि शिक्षक के माध्यम से उनकी पढ़ाई कराते हैं, क्योंकि जब तक प्रमोशन के संबंध में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में प्रकरण है, जब तक वह निराकरण नहीं होता, तब तक हम उन पर किसी को प्रमोशन नहीं कर सकते हैं और उस कारण वह रिक्त हैं, लेकिन उनकी जगह पर हम अतिथि शिक्षकों की व्यवस्था से अभी पढ़ाई का काम प्रभावित न हो, इसका प्रयास कर रहे हैं. साथ ही यह भी कि जब अतिथि शिक्षक पढ़ा रहे हैं, तो पढ़ाई कोई प्रभावित नहीं हो रही है. लेकिन अभी पिछले साल की हमारी जो भर्ती प्रक्रिया है, वह जल्दी पूरी हो जायेगी. बाकी जो सूची बची है, वह भी करके हम अगले साल में भी, कल भी मुख्यमंत्री जी ने जो राज्यपाल जी के अभिभाषण पर चर्चा में बात कही है, 13 हजार रिक्त पदों पर अगले साल फिर हम भर्ती करने वाले हैं. भर्ती की प्रक्रिया चल रही है और इसी प्रकार से शायद ग्रेड-3 के जो संविदा पद हैं, उनके लिये भी हमारी पात्रता परीक्षा अभी चल ही रही है. प्रक्रिया में है, निरन्तर भर्ती प्रक्रिया जारी रहेगी और बच्चों का किसी भी प्रकार से जीवन बर्बाद न हो, उनकी पढ़ाई बर्बाद न हो, सरकार पूरी तरह से उनका ख्याल रख रही है.
श्री निलय विनोद डागा -- मंत्री जी, 46 हजार पद आज भी रिक्त हैं. अध्यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय-- बस हो गया. उन्होंने कह दिया कि हम अतिथि शिक्षक रख रहे हैं.
श्री निलय विनोद डागा --मंत्री जी, क्या ये पूरे संविदा शिक्षक 46 हजार रखेंगे आप. एक भी बच्चे का भविष्य खराब नहीं होने देंगे. पूरे 46 हजार संविदा शिक्षक रखेंगे. अध्यक्ष जी, मैं आपसे यह संरक्षण चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय-- जहां जरुरत होगी, अतिथि शिक्षक रखेंगे. अतिथि शिक्षक रखने का कह तो रहे हैं.
श्री निलय विनोद डागा -- अध्यक्ष महोदय, क्या पूरे 46 हजार रखेंगे,मैं यह जानना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय-- जितनी जरुरत होगी, उतने रखेंगे, कह तो दिया.
श्री निलय विनोद डागा -- अध्यक्ष महोदय, जितने रिक्त पद हैं, उतने पूरे भरने पड़ेंगे, क्योंकि आज स्कूल बंद पड़े हुए हैं.
श्री इन्दर सिंह परमार-- अध्यक्ष महोदय, जितने पद खाली हैं, प्रमोशन के पद खाली हैं, टोटल जितने पद स्वीकृत हैं, उसमें से इतने पद हमारे प्रमोशन के हैं, प्रमोशन के पद खाली हैं और जहां जहां जिस स्कूल में छात्रों की संख्या के मान पर जितनी आवश्यकता पड़ती है, हमने इस साल भी अतिथि शिक्षक रखे हैं, जरुरत पड़ेगी तो आगे आने वाले सत्र में भी रखेंगे. बच्चों की किसी भी प्रकार से पढ़ाई प्रभावित नहीं होगी. यह सरकार को पूरी चिंता है.
श्री निलय विनोद डागा -- मंत्री जी, कृपया आप हमें सूची प्रदान कर दें कि कितने शिक्षक आपने संविदा पर रखें.
अध्यक्ष महोदय--डॉ. गोविन्द सिंह जी, प्रश्न करिये.
डॉ. गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हूं कि माननीय कमलनाथ जी की सरकार ने उस समय पदोन्नति पर एक सामान्य प्रशासन विभाग का आदेश निकाला है. जिस प्रकार आपके आईएएस,आईपीएस, स्टेट सर्विस के डिप्टी कलेक्टर से जाकर कमिश्नर तक बन रहे हैं. डीएसपी से जाकर आईजी तक बन रहे हैं. उनकी पदोन्नति न होकर यह क्रमोन्नति है. तो यह साफ आदेश आज भी लागू है. पदोन्नति के संबंध में जब तक माननीय सर्वोच्च न्यायालय का स्पष्ट आदेश नहीं आ जाता, तब तक आप क्रमोन्नति कर उनको आगे पद पर दे सकते हैं. क्रमोन्नति पर सुप्रीम कोर्ट से कहीं रोक नहीं है और यह आदेश है. हमारा आपसे अनुरोध है कि आपके विभाग में प्रक्रिया चली भी थी, लेकिन बाद में वह आज कल बंद हो गई, तो कृपा करके उसको दिखवा लें और आप क्रमोन्नति कर दें. तो आपके पद भी भर जायेंगे और समस्या का समाधान भी हो जायेगा.
श्री इन्दर सिंह परमार-- अध्यक्ष महोदय, जो आपने पुरानी सरकार का उल्लेख किया है, उस सरकार के कारण ही भर्ती प्रक्रिया में भी दिक्कत है, जो आरक्षण के इशू को लेकर के ठीक से केस नहीं लड़ा, उसके कारण से सारी दिक्कतें आई हैं और इसके बारे में क्या हो सकता है, हमारे विभाग में इसके बारे में समीक्षा हो रही है. जो ठीक होगा, वह करेंगे.
डॉ. गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष महोदय, इससे सबका भला हो जायेगा, प्रदेश का हित होगा.
श्री इन्दर सिंह परमार-- जी, सबका भला करने के लिये ही भारतीय जनता पार्टी की सरकार है, आपकी सरकार ने भला नहीं किया. उन सबका हम भला करने जा रहे हैं, आप निश्चित रहें.
डॉ.गोविन्द सिंह - आदेश देखो ना. (XXX) हम किसी को भेज देते हैं.
अध्यक्ष महोदय - इसे विलोपित किया जाए.
श्री इन्दर सिंह परमार - अध्यक्ष महोदय,यह गलत तरीका है. मैं इतिहास भी पढ़ा दूंगा उनको.
डॉ.गोविन्द सिंह - अहित कर रहे हो आप.
श्री इन्दर सिंह परमार - पूरा इतिहास पढ़ा दूंगा. आजादी से लेकर 1857 की क्रांति से लेकर 3 हजार साल पहले तक का. आप घबराईये मत. मैं बोलने वाला हूं.आपके विचार आपके कारनामे सब बता दूंगा. निश्चिंत रहिये आप.
अध्यक्ष महोदय - कृपया बैठिये.
स्वीकृत सड़क का निर्माण
[पंचायत और ग्रामीण विकास]
13. ( *क्र. 1984 ) श्री विजय रेवनाथ चौरे : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सौंसर विधानसभा के ग्राम घोगरी से भवानी माता मंदिर की ओर लगभग डेढ़ किलोमीटर की सड़क सन 2019 में स्वीकृत हुई थी? (ख) ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग के अधीन इस सड़क का निर्माण होना था, परंतु आज 3 वर्ष बीत चुके किंतु निर्माण कार्य प्रारंभ क्यों नहीं हुआ? (ग) कार्य प्रारंभ कब तक होगा? (घ) इस सड़क का निर्माण कब तक पूरा किया जाएगा, विभाग के अधिकारियों पर क्या कार्यवही होगी?
पंचायत मंत्री ( श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया ) : (क) सन 2019 में कोपरावाडी रामूढाना रोड से घोघरी तक एक किलोमीटर सड़क स्वीकृत हुई थी। इसी मार्ग पर भवानी माता मंदिर स्थित है। (ख) ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग के अधीन स्वीकृत कोपरावाडी रामूढाना रोड से घोघरी मार्ग में किसानों की निजी भूमि आने एवं किसानों द्वारा शासन पक्ष में भूमि दान देने हेतु तैयार न होने के कारण कार्य प्रारंभ नहीं हुआ। (ग) किसानों द्वारा शासन पक्ष में रजिस्टर्ड दान पत्र देने के उपरांत ही कार्य किया जा सकेगा। (घ) उत्तरांश ''ग'' के परिप्रेक्ष्य में शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
श्री विजय रेवनाथ चौरे - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे विधान सभा क्षेत्र में सन् 2019 में कमलनाथ जी जब मुख्यमंत्री थे उस समय एक सड़क स्वीकृत हुई थी. भवानी माता मंदिर से घूघरी सड़क जो तीन साल हो गये आज दिनांक तक उसका कार्य प्रारंभ नहीं हुआ है. यह आदिवासी बाहुल्य ग्राम है और महिलाओं की डिलेवरी के समय, हमारी बहू-बेटियों की डिलेवरी के समय बरसात के दिनों में महिलाओं को अस्पताल ले जाना पड़ता है तो बैलगाड़ियों पर लादकर ले जाना पड़ रहा है. इसमें मुझे उत्तर यह मिला है किसानों के द्वारा भूमि दान नहीं की गई है. इसमें प्रावधान दान का जरूर है मैं मानता हूं तो क्या किसानों के द्वारा दान हीं की गई तो सड़क नहीं बनेगी. सड़क बनाने के लिये दूसरी तरफ से भी रास्ता है वहां के अधिकारी और वहां का जो अमला है वह गु्मराह कर रहा है मंत्री जो को मैं मंत्री जी निवेदन करता हूं कि मेरे विधान सभा क्षेत्र में राजस्व की जो भूमि है वहां पर एक नाला है वहां से होकर एक सड़क बनाई जाए और जिसके लिये बजट में प्रावधान किया जाए कि इसकी राशि बढ़ाई जाए. यह दुर्भाग्य है कि आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में महिलाओं के साथ ऐसा हो रहा है.
पंचायत राज्य मंत्री(श्री रामखेलावन पटेल) - माननीय अध्यक्ष महोदय, 400 मीटर निजी भूमि आ रही है उसके कारण वह रोड नहीं बन पा रही है. तहसीलदार के कार्यालय में आब्रजन की कार्यवाही की गई है. जिसकी निजी भूमि है उसने मना कर दिया है कि हम जमीन दान नहीं करेंगे इसलिये वह रोड नहीं बन पा रही है. विधायक जी जमीन दान करवा दें तुरंत रोड बन जायेगी.
श्री विजय रेवनाथ चौरे - माननीय अध्यक्ष महोदय, दूसरी जगह से भी जहां नाला है वहां से सड़क बनाई जा सकती है. कनाडपीपला से लेकर सालीढाना एक ऐसा गांव है जहां पर नाले से होकर सड़क बनाई जा सकती है. उसके लिये बजट में प्रावधान किया जाए. एक तरफ भारतीय जनता पार्टी की सरकार महिला हितों की बात करती है. आदिवासियों के हितों की बात करती है. अध्यक्ष महोदय, आपका संरक्षण चाहूंगा.
अध्यक्ष महोदय - उनका कहना है कि कोई बगल से सड़क निकलती है निकल सकती है तो उसे कर दीजिये.
श्री रामखेलावन पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, अगर कहीं दूसरी तरफ से शासकीय जमीन उपलब्ध हो जायेगी तो रोड बनवाने में कोई दिक्कत नहीं है.
श्री विजय रेवनाथ चौरे - माननीय अध्यक्ष महोदय, वहां सड़क बन सकती है वहां रास्ता है.
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाईये. शासकीय जमीन का ही नहीं कहिये यदि और कोई जमीन भी उपलब्ध हो जाती है तो करवा दीजिये.
श्री रामखेलावन पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, हम परीक्षण करा लेंगे. परीक्षण के बाद जमीन उपलब्ध होगी तो उस पर विचार करेंगे.
प्रश्न संख्या - 14 अनुपस्थित
प्रश्न संख्या - 15 अनुपस्थित
प्रश्न संख्या - 16 अनुपस्थित
जॉबकार्डधारी परिवारों को मनरेगा में काम दिया जाना
[पंचायत और ग्रामीण विकास]
17. ( *क्र. 755 ) श्री मुकेश रावत (पटेल) : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) अलीराजपुर जिले में वित्तीय वर्ष 2021-22 में प्रश्न दिनांक तक कितने जॉबकार्डधारी परिवारों द्वारा मनरेगा में कार्य की मांग की गई? (ख) उक्त अवधि में कितने जॉबकार्डधारी परिवारों को मनरेगा में काम मिला और कितने को नहीं मिला? (ग) मनरेगा में जॉबकार्डधारी परिवारों को काम मांगने के बावजूद उन्हें काम न दिए जाने का क्या कारण है? (घ) क्या सरकार भविष्य में मनरेगा में जॉबकार्डधारी परिवारों को काम दिया जाना सुनिश्चित करेगी?
पंचायत मंत्री ( श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया ) : (क) अलीराजपुर जिले में वित्तीय वर्ष 2021-22 में प्रश्न दिनांक तक 107138 जॉबकार्डधारी परिवारों द्वारा मनरेगा में कार्य की मांग की गई। (ख) उत्तरांश ''क'' की अवधि में कार्य स्थल पर उपस्थित 83760 जॉबकार्डधारी परिवारों को मनरेगा में कार्य उपलब्ध कराया गया। शेष जॉबकार्डधारी परिवार कार्यस्थाल पर उपस्थित नहीं हुए। अत: शेष प्रश्नांश उत्पन्न नहीं होता। (ग) उत्तरांश ''ख'' के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उत्पन्न नहीं होता। (घ) महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 का उद्देश्य ऐसे प्रत्येक ग्रामीण परिवार जिनके वयस्क सदस्य अकुशल शारीरिक श्रम कार्य करना चाहते हैं, को एक वित्त वर्ष में कम से कम 100 दिनों का गारंटीयुक्त मजदूरी रोजगार उपलब्ध कराना है। मनरेगा में मजदूरी रोजगार को कानूनी गारंटी दी गई है।
श्री मुकेश रावत(पटेल) - धन्यवाद अध्यक्ष महोदय, मैं पहली बार का विधायक हूं.
अध्यक्ष महोदय - आज सभी पहली बार के हैं.
श्री मुकेश रावत(पटेल) - धन्यवाद अध्यक्ष महोदय, मेरा यह प्रश्न था कि मेरे विधान सभा क्षेत्र में जॉबकार्ड धारकों को मनरेगा योजना के अंतर्गत जो जॉबकार्ड धारकों ने मांग की है और मुझे जो मंत्री जी ने जवाब दिया 107138 जॉबकार्ड मजदूरी की मांग की गई लेकिन दूसरे प्रश्न के उत्तर में कहा है कि 83760 को काम दिया गया. बाकी परिवारों को कार्यस्थल पर उपस्थित नहीं बताया गया तो मैं मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि हमारा क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य है और हमारे मजदूरों को समय पर मजदूरी नहीं मिल रही है और जो वहां पंचायत सचिव रहता है वह मजदूरों के कार्ड उनके घर पर रखता है और वहीं से उनका काम चलता है और लोगों को मजदूरी नहीं मिलती इस तरह वहां पंचायतों में भ्रष्टाचार हो रहा है.
राज्य मंत्री (श्री रामखेलावन पटेल)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि माननीय सदस्य ने कहा है कि 107138 जॉब कार्डधारी थे और उनको काम करने की सूचना दी गई. 83760 लोग काम करने आये उनको काम दिया गया, जो काम में नहीं आये उनको काम देने की सरकार की और पंचायत की ऐसी कोई मंशा नहीं थी. हमने पहले भी दूसरे प्रश्न के जवाब में बताया कि मस्टर 7 दिन में, 15 दिन में बनता है. माननीय विधायक जी हमें बता देंगे कि ऐसे कौन लोग हैं, वहां के सरपंच को, सचिव को, रोजगार सहायक को बता दें कि हमको काम चाहिये, तो काम देने का काम होगा.
अध्यक्ष महोदय-- उनका कहना यह है कि वह जॉबकार्ड रख लेते हैं तो इसकी जांच करा लें.
श्री रामखेलावन पटेल-- कोई अगर स्पेसिफिक बात हो, किसी ने जॉबकार्ड रख लिया होगा तो हम उसकी जांच करा लेंगे.
प्रश्न क्रमांक 18- (अनुपस्थित)
प्रश्न क्रमांक 19- (अनुपस्थित)
देवास जिलांतर्गत खेल सामग्री का वितरण
[खेल एवं युवा कल्याण]
20. ( *क्र. 2404 ) श्री पहाड़सिंह कन्नौजे : क्या खेल एवं युवा कल्याण मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा देवास जिला अन्तर्गत पिछले 3 वर्षों में कहां-कहां खेल सामग्री वितरित की गई? संपूर्ण विवरण दें। कितनी राशि जिला देवास अन्तर्गत खेल विभाग द्वारा दी गई? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में क्या विधानसभा बागली को भी सामग्री दी गई? यदि हाँ, तो क्या सामग्री 3 वर्षों में दी गई? यदि नहीं, तो खेल सामग्री क्यों नहीं दी गई? (ग) प्रश्नांश (ख) के संदर्भ में क्या खेलों को प्रोत्साहित करने हेतु प्रश्नकर्ता के क्षेत्र को भी खेल सामग्री दी जायेगी? यदि हाँ, तो क्या-क्या सामग्री दी जायेगी? यदि नहीं, तो क्यों नहीं दी जायेगी?
खेल एवं युवा कल्याण मंत्री ( श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया ) : (क) खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा जिला देवास अंतर्गत पिछले 03 वर्षों में वितरित खेल सामग्री का तथा इस अवधि में जिला देवास को प्राप्त आवंटन की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) जी हाँ। विधानसभा क्षेत्र बागली को 03 वर्षों में दी गई सामग्री की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (ग) विकासखण्ड बागली में खेलों को प्रोत्साहित करने हेतु वर्ष 2021-22 में प्रदाय खेल सामग्री की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'स' अनुसार है।
श्री पहाड़सिंह कन्नौजे-- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न मंत्री महोदया से है कि मेरे देवास जिले में खेल सामग्री इतनी दी गई और मेरे विधान सभा में बिलकुल नहीं दी, इसकी जानकारी चाहिये.
संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो सामग्री की सम्मानित सदस्य ने बात की है उनके जो परिपत्र हैं उन दोनों में उनको दे दी गई है और जहां तक परिपत्र क्रमांक-ब है परिशिष्ट-2, उसको अगर वह पढ़ेंगे तो वह जानकारी भी उसमें है.
श्री पहाड़सिंह कन्नौजे-- माननीय मंत्री महोदय, ट्राइबल क्षेत्र में यदि खेल सामग्री बढ़ाकर दी जायेगी तो निश्चित ही खेल भावना से और वहां के खिलाड़ी आगे आयेंगे और आदिवासी क्षेत्र के बच्चों को प्रोत्साहन मिलेगा.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अच्छा सुझाव है.
अध्यक्ष महोदय-- आपके सुझाव को उन्होंने मान लिया.
श्री पहाड़सिंह कन्नौजे-- धन्यवाद मंत्री महोदय, मैं आपका आभारी हूं.
प्रश्न क्रमांक 21- (अनुपस्थित)
आर.जी.पी.वी. में की गई अनियमितताओं पर कार्यवाही
[तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास एवं रोज़गार]
22. ( *क्र. 2845 ) श्री मेवाराम जाटव : क्या खेल एवं युवा कल्याण मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्या आर.जी.पी.वी. में नियमों को दर किनार करते हुए लगभग 170 करोड़ रूपयों का भुगतान किये जाने के संबंध में श्री राकेश खरे एवं डॉ. एस.के. जैन की दो सदस्यीय जांच समिति ने जांच कर रिपोर्ट नवम्बर 2021 में संचालनालय को सौंपी थी? (ख) यदि हाँ, तो उक्त रिपोर्ट में की गई अनुशंसा एवं निष्कर्ष के आधार पर दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही नहीं करने के क्या कारण हैं?
खेल एवं युवा कल्याण मंत्री ( श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया ) : (क) जी हाँ। (ख) श्री सुरेश सिंह कुशवाह के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही करने के लिये राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय को नियुक्ति प्राधिकारी होने के कारण जांच प्रतिवेदन प्रेषित किया गया है।
श्री मेवाराम जाटव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मैं माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि क्या आर.जी.पी.वी. में नियमों को दरकिनार करते हुये लगभग 170 करोड़ रूपयों का भुगतान किये जाने के संबंध में श्री राकेश एवं डॉ. एस.के. जैन को दो सदस्यीय जांच...
अध्यक्ष महोदय-- पढि़ये नहीं, प्रश्न पूछिये, आप तो प्रश्न पढ़ रहे हैं.
श्री मेवाराम जाटव-- मेरा यही प्रश्न है कि जो यह जांच की जा रही है इसमें सुरेश सिंह कुशवाह के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही करने के लिये राजीव गांधी विश्वविद्यालय द्वारा जो जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया है तो इनके विरूद्ध कार्यवाही की जायेगी कि नहीं.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी, प्रतिवेदन आया है उसमें कार्यवाही कब तक होगी.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र)-- माननीय अध्यक्ष जी, सम्मानित सदस्य थोड़ा दोबारा पूछ लें.
श्री मेवाराम जाटव-- मेरा माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि आर.जी.पी.वी. के नियमों को दरकिनार करते हुये जो 170 करोड़ का घोटाला किया है, उसमें जो अनुशासनात्मक कार्यवाही की गई है, आपके उत्तर में दिया है कि सुरेश सिंह कुशवाह के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही करने के लिये राजीव गांधी प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय को नियुक्त किया गया है. जांच प्रतिवेदन आया है, उसमें कार्यवाही की जायेगी, लेकिन उन दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही कब तक की जायेगी, मैं यह पूछना चाहता हूं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- जो भी दोषी पाया जायेगा, 3 महीने में सभी पर कार्यवाही हो जायेगी.
(प्रश्नकाल समाप्त)
12.00 बजे बधाई उल्लेख
महिला विधायकों एवं प्रथम बार के विधायकों को प्रश्नकाल में प्रश्न पूछने का मौका दिये जाने विषयक.
संसदीय कार्यमंत्री(डॉ.नरोत्तम मिश्र) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपको बधाई दे रहा हूं कि पूरे प्रश्न हो गये हैं. आपको यह भी बधाई की महिला सदस्य सम्मानितों को आपने पर्याप्त मौका दिया है, इसके लिये मैं आपको बहुत-बहुत बधाई देता हूं (मेजों की थपथपाहट) एक नई परंपरा जो आपके द्वारा शुरूआत की गई थी,उसका सफल संचालन हुआ है.
अध्यक्ष महोदय -- नेताप्रतिपक्ष जी और डॉ.गोविन्द सिंह जी आप.
श्रीमती नीना विक्रम वर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसी तरह से आप हमेशा मौका देते रहें.
अध्यक्ष महोदय -- आप सुन लीजिये, मैं उसी पर बोलने जा रहा हूं. मैं जो बोलने जा रहा हूं, वह सबकी चिंता का विषय है. मैंने प्रयास यह किया है कि पहली बार के विधायकों को एक दिन उनके लिये आरक्षित करूं और आज आरक्षण है(मेजों की थपथपाहट). मैंने महिला विधायकों के लिये यह तय किया है कि जितने प्रश्न लगते हैं, उनकी लॉटरी नहीं लाना है, वह सीधे नंबर एक से जितनी दूर तक आ पायें आ जायें. आज शायद सात महिला विधायकों के प्रश्न थे परंतु चिंता का विषय यह है कि प्रथम बार के विधायकों की प्रश्नों के प्रति गंभीरता क्या है? आपने देखा है कि आज करीब 6 या 7 सदस्य अनुपस्थित हैं, यह चिंता का विषय सबके लिये होना चाहये. यह दोनों पक्ष के लिये चिंता का विषय होना चाहिये.
डॉ.गोविन्द सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय ,आगे से ध्यान रखेंगे.
12.01 बजे नियम 276-क के अधीन विषय
अध्यक्ष महोदय -- निम्नलिखित माननीय सदस्यों की शून्यकाल की सूचनाएं सदन में पढ़ी हुई मानी जायेंगी.
1- डॉ.सतीश सिंह सिकरवार
2- डॉ.सीतासरन शर्मा
3- श्री बहादुर सिंह चौहान
4- श्री कमलेश्वर पटेल
5- श्री मनोज चावला
6- डॉ. योगेश पंडाग्रे
7- श्री प्रताप ग्रेवाल
8- श्री कुंवर सिंह टेकाम
9- श्री सुनील सर्राफ
10- श्री संजय सत्येंद्र पाठक
12.02 बजे शून्यकाल में मौखिक उल्लेख
कर्मचारियों की पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल करने संबंधी ध्यानाकर्षण को चर्चा में लिया जाना.
श्री पी.सी.शर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी एक शून्यकाल की सूचना थी, जो आई नहीं है. (व्यवधान)..
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, पुरानी पेंशन का मामला सारे विधायकों ने लगा रखा है. ध्यानाकर्षण शून्यकाल सब में पुरानी पेंशन के लिये राजस्थान सरकार और छत्तीसगढ़ सरकार ने जो मांग मंजूर की है (व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, आप अलग से बात कर लेना.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह गंभीर मुद्दा है, इसको लेना चाहिये.
डॉ. गोविन्द सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसे ध्यानाकर्षण में लेना चाहिये.
श्री पी.सी.शर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह लिया जाना चाहिये, यह कर्मचारियों की पेंशन का मुद्दा है इसको आप लीजिये.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इससे लाखों परिवार इफेक्टेड हैं(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- बैठकर बातचीत कर लेंगे. (व्यवधान)
श्री कमलेश्वर पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें ध्यानाकर्षण भी लगा हुआ है. (व्यवधान)
श्री पी.सी.शर्मा -- सब लगा हुआ है (व्यवधान)..
श्री कमलेश्वर पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सबकी मंशा है कि पुरानी पेंशन बहाली मध्यप्रदेश में होना चाहिये (व्यवधान)..पुरानी पेंशन की बहाली होना चाहिये. (व्यवधान).. इस पर चर्चा कराने की आवश्यकता है. (व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- (एक साथ कई माननीय सदस्यों के अपने आसन से कुछ कहने पर) आप बैठ जायें. अब ध्यानाकर्षण होगा, सुश्री हिना लिखीराम कावरे जी आप आपकी सूचना पढ़े.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- इस पर सदन में चर्चा कराया जाना चाहिये. (व्यवधान)..
श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति(एन.पी.) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने ध्यानाकर्षण लगाये हैं, इस पर आप चर्चा कब करायेंगे? (व्यवधान).. अध्यक्ष महोदय, शून्यकाल में यह सूचना उठाना हमारा विधिवत अधिकार है, आप इस पर गौर करियेगा. हम लोगों ने ध्यानाकर्षण लगाये हैं कि पेंशन योजना लागू की जाये जैसे अन्य राज्यों ने की है. (व्यवधान).. आप जानकारी तो लीजिये. आप जानकारी क्यों नहीं दे रहे हैं? माननीय अध्यक्ष महोदय, लाखों कर्मचारियों का मामला है, हम लोगों ने ध्यानाकर्षण लगाये हैं. आप ध्यानाकर्षण पर चर्चा करवाईये. (व्यवधान)..
श्री सोहनलाल बाल्मीक -- माननीय अध्यक्ष महोदय, उनकी जीवन सुरक्षा का सवाल है, उनको पुरानी पेंशन नहीं मिलेगी, तो इतने साल नौकरी करने के बाद, उनको कुछ नहीं मिल पा रहा है. 30 साल नौकरी करने के बाद वह आदमी भूखा मरेगा, बुढ़ापे में कोई साथ नहीं होगा, उसके परिवार का सहारा कोई नहीं होगा, लाखों कर्मचारी इससे प्रभावित हो रहे हैं. दूसरे राज्य इसको लागू कर रहे हैं, मध्यप्रदेश में भी इसको लागू किया जाना चाहिये, यह गंभीर मामला है. लाखों कर्मचारी इससे प्रभावित हो रहे हैं, इनके जीवन सुरक्षा की व्यवस्था होना चाहिये. माननीय अध्यक्ष महोदय, यह विषय लाखों कर्मचारियों का है, उनके परिवार का सवाल है, इसको लागू किया जाये, यह बहुत आवश्यक है, दूसरे राज्य इसको लागू कर रहे हैं. (व्यवधान)..
12.03 बजे बर्हिगमन
इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा सदन से बर्हिगमन
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हम सदन से वॉकआउट करते हैं. (व्यवधान)..
श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति(एन.पी.) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारा ध्यानाकर्षण ग्राह्य न करने पर पूरे सदन के कांग्रेस पक्ष के सदस्य वॉकआउट करते हैं (व्यवधान)..
(इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाली संबंधी ध्यानाकर्षण चर्चा में न लिये जाने से असंतुष्ट होकर नारे लगाते हुए सदन से बर्हिगमन किया गया)
(व्यवधान)..
12.04 बजे पत्रों का पटल पर रखा जाना.
(1) पांचवें राज्य वित्त आयोग मध्यप्रदेश का प्रतिवेदन खण्ड 1 तथा 2 (अप्रैल, 2019) तथा प्रतिवेदन
वित्त मंत्री (श्री जगदीश देवड़ा) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, भारत के संविधान के अनुच्छेद 243-झ के खण्ड (4) एवं अनुच्छेद 243-म के खण्ड (2) की अपेक्षानुसार पांचवें राज्य वित्त आयोग मध्यप्रदेश का प्रतिवेदन खण्ड 1 तथा 2 (अप्रैल, 2019) तथा प्रतिवेदन पर राज्य शासन द्वारा कृत कार्यवाही पटल पर रखता हूं. (व्यवधान)..
(2) जिला खनिज प्रतिष्ठान, जिला पन्ना, ग्वालियर, कटनी एवं नरसिंहपुर का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2020-2021
खनिज साधन मंत्री (श्री ब्रजेन्द्र प्रताप सिंह)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश जिला खनिज प्रतिष्ठान नियम, 2016 के नियम 18 के उपनियम (3) की अपेक्षानुसार जिला खनिज प्रतिष्ठान, जिला पन्ना, ग्वालियर, कटनी एवं नरसिंहपुर का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2020-2021 पटल पर रखता हूं. (व्यवधान)..
12.05 बजे ध्यान आकर्षण
(1) प्रदेश के स्कूलों में अध्ययनरत् छात्र-छात्राओं को साइकिल का वितरण
न किया जाना.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे (लांजी) [श्री शरद जुगलाल कोल] - अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यान आकर्षण सूचना का विषय इस प्रकार है:-
वर्ष 2019-20 में प्रदेश के समस्त स्कूलों को सायकल प्रदान की गयी, किन्तु आजदिनांक तक उनके वितरण को लेकर कोई दिशा-निर्देश विभाग से प्राप्त न होने के कारण सायकिलें खराब हो रही हैं. विधान सभा क्षेत्र लांजी में कुल प्राप्त 403 सायकिलों में से 205 सुरक्षित हैं तथा शेष सायकिलें जंग लगने से खराब हो चुकी हैं. विकासखंड किरनापुर में कुल प्राप्त 431 सायकिलों में से 234 सायकिलें सुरक्षित हैं. इसी प्रकार शहडोल जिले के मऊ के छात्र-छात्राओं को उक्त लाभ से वंचित कर रखा है. यही स्थिति प्रदेश के सभी विकासखंडों में अनिर्णय के कारण छात्र-छात्राओं के लिए भेजी गयी सायकल उन्हें प्राप्त नहीं होने से छात्र-छात्राओं में असंतोष व्याप्त है.
राज्यमंत्री स्कूल शिक्षा (श्री इन्दर सिंह परमार) - अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2019-20 में विकासखण्ड लांजी एवं किरनापुर में सभी पात्र छात्र-छात्राओं को सायकिल वितरित की गई. वितरण उपरांत शेष बची सायकिलों को आगामी वर्ष में समायोजित किया जाता है, किन्तु वर्ष 2020-21 एवं 2021-22 में कोविड-19 की परिस्थितियों को देखते हुए योजना स्थगित रखे जाने से सायकिलों का समायोजन नहीं किया जा सका. सभी पात्र विद्यार्थियों को वितरित करने के उपरांत शेष बची सायकिलों को सुरक्षित रख-रखाव हेतु पूर्व से निर्देश हैं. सत्र 2022-23 में सायकिल योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है. अत: पूर्व वर्ष की शेष सायकिलों को आवश्यक मरम्मत एवं सर्विसिंग उपरांत पात्र छात्र-छात्राओं को वितरित किया जावेगा. प्रदेश में वर्ष 2019-20 की स्थिति में सभी पात्र छात्र-छात्राओं को सायकिल वितरण करने के उपरांत सायकिल वितरण हेतु कोई भी पात्र विद्यार्थी शेष नहीं है. अत: छात्र-छात्राओं में असंतोष की स्थिति नहीं है.
सायकिल वितरण के पात्रता की शर्त के अनुसार दूसरे ग्राम से आने वाले विद्यार्थियों तथा उसी गांव के ऐसे टोले मजरे जिनकी दूरी विद्यालय से 2 किलोमीटर या अधिक है, तो ऐसे मजरे टोले से विद्यालय में आने वाले विद्यार्थियों को सायकिल प्रदाय की जाती है. ब्यौहारी विकास खण्ड के सभी पात्र विद्यार्थियों को सायकिल प्रदाय की गई है. भूमि उपलब्धता एवं सुविधा की दृष्टि से शासकीय हायर सेकेण्डरी मऊ का भवन खामडाह में बना है, मऊ एवं खामडाह लगे हुये ग्राम हैं. नि:शुल्क सायकिल प्रदाय योजना के अंतर्गत पात्रता रखने वाले मऊ ग्राम पंचायत के 57 विद्यार्थियों को नि:शुल्क सायकिल प्रदाय की गई है. यह कहना सही नहीं है कि मऊ के विद्यार्थियों को सायकिल का लाभ नहीं मिल रहा है. खामडाह ग्राम पंचायत के पात्र विद्यार्थियों को भी इसका लाभ दिया गया है. अत: यह कहना सही नहीं है कि सायकिल का लाभ नहीं मिलने से क्षेत्र में आक्रोष व्याप्त है.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे - माननीय अध्यक्ष महोदय, विधान सभा का जब सत्र शुरू हो रहा था. विधान सभा के सत्र शुरू होने से पहले, मैंने विधान सभा स्तरीय प्रशासकीय बैठक करवाई, तो उस बैठक में जनपद अध्यक्ष भी उपस्थित थे. उस समय जब मीटिंग चल रही थी तो हमारे जनपद अध्यक्ष ने मुझसे कहा कि मैडम, हमारे जनपद के भवन में सायकिलें रखी हुई हैं और खराब भी हो रही है. यदि आप हमको कुछ ऐसा करवा दें तो जो हमारे पंच हैं, उनके पास सायकिलें नहीं हैं, तो मैं कम से कम अपने पंचों को ही सायकिलें बंटवा देता हूँ, तो मैंने पूछा कि यह स्थिति कैसे निर्मित हो गई है ? तो जो विभाग के अधिकारी वहां पर बैठे थे, उन्होंने मुझे बताया कि वर्ष 2019-20 सत्र से सायकिलें आई हुई हैं और जो सायकिलें बची हुई हैं, वह रखी हुई हैं और वह खराब हो रही हैं. चूँकि शासन की तरफ से कोई ऐसा निर्देश उनको प्राप्त नहीं है, इसलिए वह सायकिलों का कोई निर्णय नहीं कर पा रहे हैं. मैं आपके माध्यम से, माननीय मंत्री जी से केवल यह कहना चाहती हूँ कि आपने उत्तर में दिया है कि वर्ष 2022-23 के सत्र में सायकिलों का वितरण किया जायेगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, कोविड के चलते दो शैक्षणिक सत्र में सायकिल वितरण में दिक्कत आई, तो सायकिल वितरण नहीं हो सका. जो हमारा पिछला सत्र गया, वर्ष 2021-22 का, उसमें कक्षाएं भी आयोजित हुईं, उसमें छात्र-छात्राएं भी आए. लेकिन सायकिलों का वितरण नहीं होने से, वह बच्चे जो हमारे छटवीं एवं नवीं कक्षा के हैं, उनको सायकिल नहीं मिल पाई. क्या माननीय मंत्री जी वर्ष 2022-23 में जब आप सायकिलों का वितरण करेंगे, तो क्या इस सत्र के विद्यार्थियों को उसका लाभ मिलेगा, जो पास होकर सातवीं एवं दसवीं कक्षा में जाएंगे, तो क्या आप उन विद्यार्थियों को इसका लाभ देंगे ?
श्री इन्दर सिंह परमार - माननीय अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2020-21 और वर्ष 2021-22 का जो हमारा सत्र था, क्योंकि ज्यादा समय कक्षाएं नहीं लगी थीं और स्कूल की पढ़ाई भी प्रभावित हुई थी, स्कूल भी प्रभावित हुआ था. बच्चे भी स्कूल नहीं आ पाए थे. जब हमने स्कूल खाले, तब भी सभी बच्चों की उपस्थिति सुनिश्चित नहीं हो पाई थी, अभी परीक्षाएं चल रही हैं. इसलिए हमने शासन स्तर पर यह तय किया है कि वर्ष 2020-21 और वर्ष 2021-22 में इस योजना को स्थगित रखा जाये. वर्ष 2022-23 से फिर से हम सत्र प्रारंभ होते से ही सायकिलों को बच्चों को वितरण करने वाले हैं. मैं समझता हूँ कि उसके लिए हमारी सारी प्रक्रिया प्रचलन में है, बहुत जल्दी हम उस पर काम शुरू कर देंगे.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने पूछा है कि इस सत्र के जो बच्चे स्कूल जा रहे हैं, एक्जाम दे रहे हैं. क्या उनको आप वर्ष 2022-23 में इसका लाभ देंगे ? चूँकि इस सत्र में तो स्कूल लगा हुआ है.
श्री इन्दर सिंह परमार - अध्यक्ष महोदय, क्योंकि जब उस सत्र की योजना स्थगित है, इसलिए फिलहाल हमने उस पर अभी विचार नहीं किया है.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यही तो चाह रही हूं कि आप उस पर विचार करें, क्योंकि वे बच्चे अभी स्कूल जा रहे हैं, जितने दिन भी स्कूल लगा है, वे स्कूल गए हैं और रेगुलर स्कूल लग रहे हैं. आप अभी उन बच्चों के लिए क्या कर रहे हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से संरक्षण चाहती हूं कि कम से कम आप उन बच्चों को आने वाले साल में सायकल दे दें.
श्री इन्दर सिंह परमार - माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने अभी न तो उस पर बजट में प्रावधान किया है और न ही उस पर विचार किया है.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे - माननीय अध्यक्ष महोदय, पुरानी साइकिलें रखी हैं, जो उनके हिस्से में आनी थी, अब उनको नहीं मिल पाई तो इस सत्र में आप उनको दिलवा दें, बच्चे भी वही है.
श्री इन्दर सिंह परमार - पुरानी साइकिलें, वे वर्ष 2019-20 की हैं और 66 हजार से अधिक साइकिलें ज्यादा खरीदी थी. फिर मैं कहूंगा तो हमारे माननीय गोविन्द सिंह जी को तकलीफ होगी.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे - आप बोलिए न कोई तकलीफ नहीं है.
श्री इन्दर सिंह परमार - गोविन्द सिंह जी को तकलीफ होगी, इसलिए मैं वह नहीं कहना चाहता हूं ये 2019-20 की साइकिलें हैं, वास्तव में इतनी ज्यादा नहीं खरीदते हैं, लेकिन आ गई हैं तो हम उनको ठीक करके समायोजित करेंगे, और अगले सत्र 2022 और 2023 में सभी छात्रों को साइकिलें देने वाले हैं.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे - माननीय अध्यक्ष महोदय, इन बच्चों को भी साइकिलें देंगे क्या जो इस सत्र में अध्ययनरत है.
श्री इन्दर सिंह परमार - जो दो साल के जो छात्र हैं, उसमें योजना नहीं थी, उसमें नहीं देंगे.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपसे मेरा निवेदन हैं वे बच्चें अभी अध्ययनरत हैं. कृपया करके इसमें ऐसा कुछ निर्णय करवाइए कि अभी जो बच्चे पढ़ रहे हैं, उनको भी अगले सत्र में साइकिलें मिले.
अध्यक्ष महोदय - नहीं, मंत्री जी ने तो कह दिया कि व्यवस्था नहीं है, प्रावधान नहीं है.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं निवेदन कर रही हूं. प्रावधान नहीं है, तो प्रावधान कर दीजिए अध्यक्ष महोदय, आप ही को तो निर्णय लेना है.
श्री इन्दर सिंह परमार - इस विषय पर अलग से बात कर लेंगे.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे - माननीय मंत्री जी, अलग से बात कर लेंगे, लेकिन घोषणा तो यहां कर दीजिए.
श्री इन्दर सिंह परमार - नहीं, अभी तो प्रावधान नहीं है.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यही चाहती हूं कि आप इन बच्चों को साइकिलों से क्यों वंचित कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - आपका जवाब आ गया.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे - अध्यक्ष महोदय, आप एक बार बोल दीजिए, क्योंकि जायज प्रश्न है.
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी ने कहा न कि इस विषय पर अलग से बात कर लेंगे.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे - अध्यक्ष महोदय, ध्यानाकर्षण लगाने का उद्देश्य सफल हो जाएगा, यदि उन बच्चों को भी साइकिलें मिल जाएगी तो.
अध्यक्ष महोदय - दिव्यराज सिंह जी, पंचूलाल प्रजापति जी, राजेन्द्र शुक्ल जी, प्रथम नाम दिव्यराज सिंह जी का है, यशपाल सिसौदिया जी मैंने आपको अनुमति दी है.
12.13 बजे (2) रीवा जिले की नईगढ़ी माइक्रो सिंचाई परियोजना का कार्य पूर्ण न होना
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया(मंदसौर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यानाकर्षण की सूचना का विषय इस प्रकार है.
जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट) --अध्यक्ष महोदय,
हमारा प्रयास होगा कि इसका कार्य हम अतिशीघ्र प्रारंभ करेंगे.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के पहले ही माननीय मंत्री जी ने जवाब दे रहे हैं इसलिये आपको धन्यवाद. माननीय मंत्री जी ने बहुत ही विस्तार से बाण सागर की इस महत्वाकांक्षी योजना का यहां पर वक्तव्य दिया है. जो कार्य-योजना हजारों हैक्टेयर सिंचाई के क्षेत्र में लाभांवित करने वाली हो. चाहे खिंचा हुआ पार्ट 2 का हो, चाहे पार्ट 1 का हो माननीय मंत्री जी ने यह भी स्वीकार किया है कि नई गढ़ी का कार्य लगभग 67-68 पूरा हो चुका है उसके लिये मैं धन्यवाद दे सकता हूं. लेकिन सवाल यह कि मेरा जो ध्यानाकर्षण है. वह बहुती कैनाल को लेकर है. माननीय अध्यक्ष महोदय, ऐसा कौन सा ठेकेदार जिसने ठेका तो लिया, अनुबंध भी किया और बीच में काम छोड़कर के चला गया और जब काम छोड़कर के चला गया तो इसमें री-टेण्डर करने को लेकर, निवादाएं आमंत्रित करने को लेकर के इतना विलंब क्यों हुआ, वह अभी साधिकार समिति में है, अन्य जगह है और उसकी छानबीन में चल रहा है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आसमान से गिरा और खजूर में अटका है. मैं समझता हूं कि यह रीवा क्षेत्र की बहुत महत्वपूर्ण और महत्वाकांक्षी सिंचाई योजना होगी, जिसको बाण सागर के साथ जोड़ा गया है और माननीय अध्यक्ष महोदय मैं मत्री जी से यह भी सवाल पूछना चाहूंगा कि 11.5.2020 को अनुबंध निरस्त किया गया है , उसके बाद वापस फिर री-टेण्डर हुए हैं. अब तक क्यों टेण्डर खोले गये,अब क्यों विलंब हो रहा है ? विलंब का कोई कारण तो होगा, क्या सामंजस्य की कोई कमी है, समन्वय की कमी है, ठेकेदार का कहीं दबाव, पुर्न उसको जीवित करना या उसका फिर इंतजार करना और जो नई निविदा है उसको तत्काल खोलकर, मैं आपका संरक्षण चाहते हुए माननीय मंत्री जी से यह भी निवेदन करूंगा कि वह आज सदन में घोषणा करें दें, आश्वासन दे दें या समय बता दें कि कितने दिन में निविदाएं खुल जायेंगी, टेण्डर खुलने में विलंब क्यों हो रहा है. इसकी विलंबता के बाद आप क्या पुन: शार्ट टेण्डर आन निकालेंगे ?
श्री तुलसीराम सिलावट:- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने बहुत स्पष्ट कहा है कि साधिकार समिति की बैठक फिर से होगी, निविदा आमंत्रित की जायेगी और सारी औपचारिकताएं अतिशाघ्र पूरी कर ली जायेंगी.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया:- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो योजना इतनी महत्वपूर्ण है, इतनी महत्वाकांक्षी, टेण्डर हो चुका था, अनुबंध हो चुका था, काम अधूरा छोड़कर चला गया अब फिर साधिकार समिति में अटका पड़ा है. मैं सीधे-सीधे माननीय मंत्री जी, से पूछना चाहूंगा कि निविदा कब तक खुल जायेंगी, निविदा खुल जाना चाहिये थी और अगर आप री-टेण्डर कर रहे हैं, जैसा मंत्री जी ने कहा है कि साधिकार समिति, तो साधिकार समिति कब फैसला करेगा उसकी तिथि बता दें. माननीय मंत्री जी, री-टेण्डर होगा तो क्या शार्ट टेण्डर करेंगे ?
श्री तुलसीराम सिलावट:- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने जो आपत्ति ली, विलंब का कारण जो ठेकेदार उसका स्वर्गवास हो चुका है और हमने ठेकेदार की 19 करोड़ रूपये की राशि भी जब्त की है, विलंब का कारण यह है.
अध्यक्ष महोदय:- माननीय मंत्री जी, वह नहीं है वह मृतक हो गया, आपने राशि जब्त कर ली और नया टेण्डर बुला लिया. नया जो टेण्डर आया वह 9 महीने पेंडिग रहा, उसको आपने नहीं खोला. दूसरा, इसमें यह जो नेशनल हाइवे क्रास करना था. मैं वहां स्वत: गया था, चूंकि मेरी स्वयं की विधान सभा, हमारे विधान पंचूलाल जी की विधान सभा, मऊंगज विधान सभा इससे कव्हर होती हैं, तो मैं स्वत: गया था. नेशनल हाइवे क्रासिंग की मैं स्वयं मंजूरी लेकर वहां से आया था, पहले तो आपकी सड़क ही क्रास नहीं हो रही थी. अब केवल यह कहना है कि यह 2014 की घोषणा है, 67 प्रतिशत और 68 प्रतिशत तो वह आप प्रतिशत में गिनती मत कराइये, आप तो यह बतायें कि नईगढ़ी को पानी कब मिल जायेगा, यह सीधा बताइये. आप तो सीधे जोरदारी से तारीख की घोषणा करो, किसी को बुलाइये और काम शुरू करिये.
श्री तुलसीराम सिलावट:- माननीय अध्यक्ष महोदय, इस परियोजना के अंतर्गत आने वाले 576 ग्राम हैं, जिसमें की आपकी विधान सभा के 323 ग्राम हैं, मेरे पूरे संज्ञान में हैं.
अध्यक्ष महोदय:-हां सोच लीजिये.
श्री तुलसीराम सिलावट:- मैंने आपसे अनुरोध किया है कि अतिशीघ्र मतलब अतिशीघ्र करी जायेगी, आप निश्चिंत रहें. आसंदी के आदेश का पालन किया जायेगा.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया:-अध्यक्ष महोदय, अतिशीघ्र कभी समाप्त नहीं होता है. आप समय-सीमा बता दें कि दो महीने में टेण्डर हो जायेंगे.
श्री तुलसीराम सिलावट:- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने बहुत स्पष्ट कहा है कि आसंदी के एक-एक शब्द का पालन किया जायेगा, उसमें सारी विस्तृत सब समय-सीमा भी आ जायेगी. अतिशीघ्र जब तुलसी सिलावट बोल रहा है तो आप मानकर चलिये कि होगा.
अध्यक्ष महोदय- पंचूलाल जी की बात आ जाये.
श्री पंचूलाल प्रजापति- मानननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी से निवेदन है कि क्या एक माह के अंदर ये शॉर्ट टेण्डर करेंगे ? इसके न होने से किसानों को बहुत बड़ा नुकसान है, वहां हमारा विधान सभा क्षेत्र लग जाता है. इससे कई गांव प्रभावित हो रहे हैं ,माननीय मुख्यमंत्री जी और सिंचाई मंत्री जी बहुत ही उदार हैं वे किसानों को अधिक से अधिक पानी पहुंचायेंगे.
श्री तुलसीराम सिलावट- मानननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने कहा कि आसंदी का सम्मान किया जायेगा. अब हमारे विद्वान, सम्माननीय सदस्य, वरिष्ठतम सदस्य को, मैं, आपके सम्मुख आश्वस्त करता हूं कि रबी की वर्ष 2023 की फसल हेतु प्रयास करेंगे कि रबी की उस फसल में पानी मिले.
श्री पंचूलाल प्रजापति- मानननीय अध्यक्ष महोदय, इससे तो बहुत समय लग जायेगा, इसमें शॉर्ट टेण्डर करवा दें.
श्री लक्ष्मण सिंह- मानननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र से हजारों मजदूरों ने पलायन किया है, बार-बार निविदा बुलाकर, काम को लटकाया जा रहा है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया- मानननीय अध्यक्ष महोदय, अभी गेहूं, चना, सरसों कट रहा है, अगली रबी की फसल में तो बहुत समय है.
अध्यक्ष महोदय- मंत्री जी, मैं, आपको सर्वप्रथम धन्यवाद देना चाहूंगा कि ये पहला ध्यान आकर्षण है, जो माननीय सदस्य ध्यानआकर्षण लगाते हैं कि जनता में आक्रोश है और उसके उत्तर में जवाब आता है कि कोई आक्रोश नहीं है ,यह पहली बार हुआ है कि आपके जवाब में इसका जिक्र नहीं किया गया है, इस हेतु आपको धन्यवाद. सरकार की ओर से इसे अस्वीकार नहीं किया गया है.
दूसरा आग्रह यह है कि यह मुख्यमंत्री जी का ड्रीम प्रोजेक्ट था कि रीवा जिले के सभी गांवों को पानी देना है और इसमें मैंने स्वत:, मैं, आप सभी को बताना चाहता हूं कि मैंने स्वत: 15 दिन साइकिल चलाई है, मैं, साइकिल चलाकर, मुख्यमंत्री जी को नईगढ़ी ले गया था, वहां उन्होंने घोषणा की थी, यह काम है, तो कम से कम इस परिश्रम का कुछ तो फल मिलना चाहिए. मंत्री जी, इसमें आप देखें, कुछ व्यवस्था करें कि इसमें कैसे काम हो सकता है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया- मानननीय अध्यक्ष महोदय, शीघ्र और अतिशीघ्र के बीच में एक तिथि होती है, माह होता है, दिनांक होती है.
श्री तुलसीराम सिलावट- मानननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, आपकी बात से सहमत हूं, यह एक बड़ी योजना है, जिसके बांध से 2 लाख 51 हजार 620 हेक्टेयर में सिंचाई होगी, यह बहुत बड़ी योजना है और बड़ी योजना होती है तो कम से कम 18 माह लगते हैं इसलिए मेरा आपसे अनुरोध है इसमें 300 करोड़ रुपये और लगेंगे. मैं, आसंदी के आदेश का पालन करूंगा और मैं, प्रयास करूंगा कि जितना जल्दी हो सकता है, उसे करके, आपको सूचना दी जायेगी.
श्री सज्जन सिंह वर्मा- निर्माण में 18 माह लगते हैं, टेण्डर में नहीं.
12.26 बजे
अनुपस्थिति की अनुज्ञा
निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 215 घट्टिया (अ.जा.) से निर्वाचित सदस्य, श्री रामलाल मालवीय को विधान सभा के मार्च, 2022 सत्र की बैठकों से अनुपस्थित रहने की अनुज्ञा
12.27 बजे
प्रतिवेदनों की प्रस्तुति
(1) शासकीय आश्वासनों संबंधी समिति का द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ प्रतिवेदन
12.28 बजे
याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय- आज की कार्यसूची में सम्मिलित सभी याचिकायें प्रस्तुत की गई मानी जायेंगी.
12.29 बजे
वक्तव्य
दिनांक 2 मार्च, 2021 को पूछे गये अतारांकित प्रश्न संख्या 46 (क्रमांक 1683) के उत्तर में संशोधन करने के संबंध में पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री का वक्तव्य
राज्यमंत्री, पंचायत एवं ग्रामीण विकास (श्री रामखेलावन पटेल)- माननीय अध्यक्ष महोदय,
12.30 बजे शासकीय विधि विषयक कार्य
(1) मध्यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज (संशोधन) विधेयक, 2022 (क्रमांक 1 सन् 2022 का पुर:स्थापन
(2) मध्यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज ( द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2022 (क्रमांक 2 सन् 2022 का पुर:स्थापन
12.31 बजे वर्ष 2022-2023 के आय-व्ययक पर सामान्य चर्चा
श्री तरुण भनोत (जबलपुर-पश्चिम)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सर्वप्रथम आपसे एक विनम्र निवेदन करना चाहता हूं और आपका संरक्षण भी चाहता हूं कि आप वित्तमंत्री महोदय को इस बात के लिए जरूर कहेंगे कि जो बातें विपक्ष के सदस्यों के द्वारा, सदन के सदस्यों के द्वारा यहां रखी जाती हैं वह उनका बिन्दुवार उत्तर जरूर दें क्योंकि पिछली बार यह देखने में आया था कि हमने अपनी बात तो रखी थी परंतु हमें उसका जवाब माननीय वित्तमंत्री महोदय की तरफ से सदन में नहीं मिला था.
माननीय अध्यक्ष महोदय, वित्तमंत्री महोदय ने लगभग 2 लाख 80 हजार करोड़ रुपए का बजट अनुमान वर्ष 2022-2023 के लिए विधान सभा के समक्ष रखा है और इसी से निर्धारण होगा कि आने वाले इस वित्तीय वर्ष में मध्यप्रदेश में किस गति से काम होंगे, किस विभाग को कितना आवंटन किया जाएगा और जो जनता की जरूरत है उसे कैसे पूरा किया जाएगा. कल हम सदन के नेता माननीय मुख्यमंत्री जी का वक्तव्य सुन रहे थे और उन्होंने कहा कि बजट की कमी नहीं होने दी जाएगी, पैसे की कमी नहीं होने दी जाएगी जो भी शासकीय योजनाएं हैं और जो भी घोषणाएं की गईं हैं हम उनको पूरा करेंगे चाहे इसके लिए हमें अतिरिक्त ऋण लेना पड़े. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने हमेशा से यह माना है और यह प्रचलित भी है कि निश्चित रूप से किसी भी सरकार के लिए ऋण लेना महत्वपूर्ण होता है और हम बिना ऋण के जो बहुत सारे काम प्रस्तावित करते हैं उन्हें पूरा नहीं कर सकते हैं. परंतु क्या यह ध्यान में रखना जरूरी नहीं है कि हम जो ऋण ले रहे हैं उसको किस प्रकार से उपयोग किया जा रहा है. हम व्यक्तिगत जीवन में भी कहीं न कहीं किसी न किसी तरह से जुड़े रहते हैं चाहे हमारे घर का बजट हो, हमारे व्यावसायिक काम हों निश्चित रूप से वहां भी ऋण लेने की जरूरत पड़ती है पर ऋण लेते समय हम इस बात का ध्यान भी सबसे पहले रखते हैं कि जब इसके ब्याज का भुगतान करना पड़ेगा इसको वापस करने की क्या तैयारी है और क्योंकि मैं नहीं मानता ऐसा कोई भी ऋण है जो कि बिना ब्याज के मिलता हो. ब्याज तो भरना पड़ता है तो हम उसकी तैयारी करते हैं. हर सरकार ने ऋण लिया है. कांग्रेस पार्टी के कार्यकाल की और वर्तमान सरकार के कार्यकाल की बार-बार तुलना की जाती है. मैं पूरे सदन का ध्यान इस ओर आकर्षित करना चाहता हूं कि सन् 2003 तक जब मध्यप्रदेश में कांग्रेस पार्टी की सरकार थी उसके बाद वर्ष 2004 से भारतीय जनता पार्टी की सरकार आई. आपको मैं यह जानकारी देना चाहता हूं कि सभी विद्वान सदस्य यहां सदन के अंदर बैठे हैं कि मध्यप्रदेश के ऊपर जो कुल कर्जे की राशि थी वह लगभग 26 हजार करोड़ रुपए की थी. आज स्थिति यह है कि मध्यप्रदेश के ऊपर जितना कुल ऋण था उससे ज्यादा प्रतिवर्ष हम सिर्फ ब्याज के रूप में भर रहे हैं.
12.35 बजे { सभापति महोदया (श्रीमती नन्दिनी मरावी) पीठासीन हुईं }
श्री तरुण भनोत -- सभापति महोदया, उस राशि पर जिस राशि को ऋण के रुप में हमने लिया है. अपने-अपने तर्क हम सदन के अन्दर रख सकते हैं, तुलना कर सकते हैं कि पिछले 17-18 वर्षों में मध्यप्रदेश की तस्वीर किस क्षेत्र में कितनी बदली. उसके साथ-साथ यह भी ध्यान रखिए कि कितना पैसा मध्यप्रदेश की आम जनता से जो हम टैक्स के रुप में वसूलते हैं उसका किस प्रकार से खर्च हुआ. किसान अपने आपको संतुष्ट नहीं पाते हैं. हम में से कोई भी एक दावे के साथ यह नहीं कह सकता है कि किसानों की सारी समस्याएं दूर हो गईं हैं. किसानों की आय दोगुना हो गई है. बेरोजगारी का प्रतिशत 40 वर्ष में सर्वाधिक हो गया है. बेरोजगारी की समस्या भी सामने खड़ी है. इन्फ्रास्ट्रकचर का जिस तरह से डेवलपमेंट होना चाहिए था, जो राशि उस पर खर्च होना चाहिए थी उसमें भी हमें कमी दिखती है.
सभापति महोदया, अगर हम मध्यप्रदेश के औद्योगिक विकास की बात करें उसमें भी बड़ी भारी कमी दिखती है. जिस प्रकार से जो इनवेस्टमेंट आना चाहिए था वह नहीं आया है. मैं एक आंकड़ा आपके सामने रखना चाहता हूँ वित्त विभाग का जो रिवाइज्ड इस्टीमेट है उसके अनुसार मार्च 2023 तक मध्यप्रदेश के ऊपर लगभग 3 लाख 47 हजार करोड़ रुपए का कर्ज होगा. यह बहुत बड़ी राशि है. आपने जो इस बार प्रस्तावित किया तो खर्च के साथ साथ आपने बता तो दिया, यह मध्यप्रदेश के इतिहास में पहली बार हो रहा है स्वर्णिम अक्षरों में आपका नाम लिखा जाएगा कि जो बजट की राशि है उससे ज्यादा मध्यप्रदेश के ऊपर कर्ज है. मैंने हमेशा एक बात कही है कि कर्ज लेना गलत बात नहीं है हमारी सरकार ने भी कर्ज लिया था. वित्त मंत्री के रुप में काम करने का 15 महीने मौका मिला पर आप हमसे उसका हिसाब पूछ सकते हैं. मैं उन आकड़ों का जवाब भी दे सकता हूँ. 13 हजार करोड़ रुपए का कर्ज 15 माह के कार्यकाल में लिया था. हम हमेशा कृषि की बात करते हैं कृषि के बारे में बात करना इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि हमारी अर्थव्यवस्था का 70 प्रतिशत से अधिक भाग किसानों के ऊपर निर्भर करता है. मध्यप्रदेश की जनसंख्या का 70 प्रतिशत से ज्यादा भाग कृषि के ऊपर आधारित है. जो ऋण हमने लिया था उसमें से 60 प्रतिशत से अधिक राशि हमने किसान कर्ज माफी के तहत दी थी. 20 लाख से अधिक किसान भाइयों का 1 लाख रुपए तक का कर्ज माफ किया था. जिसको आपकी सरकार ने भी प्रश्नों के माध्यम से विधान सभा में स्वीकार किया है. एक बात और याद दिलाना चाहता हूँ. कल सदन के नेता ने कहा था कि मै उपस्थित रहूंगा. मैंने उनसे निवेदन भी किया था कि आप रहें. वे मुख्यमंत्री हैं हो सकता है कुछ ऐसे अपरिहार्य कारण हों कोई काम आ गया हो जो इस चर्चा से ज्यादा महत्वपूर्ण हो इसलिए यहां उपस्थित नहीं हैं. यह बात उन तक तो जरुर पहुंचेगी वे सदन के नेता हैं हो सकता है अपने कक्ष में बैठकर सुन भी रहे हों.
सभापति महोदया, सामाजिक उत्थान की बात की जाती है. मध्यप्रदेश में सामाजिक सुरक्षा पेंशन जो वर्ष 2018 तक मिलती थी वह 300 रुपए प्रतिमाह मिला करती थी. हमने उसको तत्काल बढ़ाकर 300 से 600 रुपए किया था. हमने अपने घोषणा-पत्र में कहा था मैं सदन के अन्दर स्वीकार करता हूँ कि इसको हम 1000 रुपए तक करेंगे. कोई भी सरकार आती है तो उसे वित्तीय प्रबंधन करने में समय लगता है. संसाधन भी जुटाने पड़ते हैं. हमने उस वर्ग का ख्याल रखते हुए यह किया था कि 300 रुपए को बढ़ाकर 600 रुपए किया जाए. मध्यप्रदेश की बच्चियों का जो विवाह होता था उसकी राशि 25 हजार रुपए से बढ़ाकर 51 हजार रुपए की थी. ऐसे बहुत सारे कार्य थे जो हमने किये थे. इन बातों को कहने का तथ्य यह है कि..
श्री रघुनाथ मालवीय -- भाई साहब आपने 51 हजार रुपए दिए ही नहीं थे.
श्री तरुण भनोत -- आपको तो 51 हजार रुपए देने का प्रावधान भी नहीं था बच्चियों के विवाह के लिए प्रावधान था. सभापति महोदया, मेरा निवेदन है कि माननीय सदस्य मुझसे सीधे बात न करके आपके द्वारा बात करें.
सभापति महोदया-- टोका-टाकी न करें.
श्री तरुण भनोत -- करें, हमने भी की थी आप भी करें पर पॉजिटिव करें. सकारात्मक बात करें उसको स्वीकार करेंगे. हमें टोका-टाकी से डर थोड़ी लगता है. आज आप सरकार में हैं आप करिए, हमने प्रावधान किया था. नियम बनाया था, कानून बनाया था. अब आप सरकार में हैं आपका दायित्व है आप कीजिए.
सभापति महोदया, मेरा निवेदन है कि आपने 2 लाख 80 हजार करोड़ का अनुमानित बजट रखा है. आपने जो जानकारी सदन को दी है उसके मुताबिक आपको लगभग 64 हजार करोड़ रुपया आपने लिखा है. करोड़ रुपया आपने लिखा है कि आपको सेंट्रल गवर्नमेंट से जीएसटी में आपका जो रिवेल्यूएशन शेयर है उसके तहत मिलेगा और बढ़कर जो अन्य केन्द्रीय सहायता है उसको मिलाकर लगभग 64 हजार करोड़ रुपये की राशि आपको प्राप्त होगी. उसके बाद आपने लिखा कि लगभग 72 हजार 860 करोड़ रुपया आपको राज्य का जो राजस्व है उससे आएगा. अब 64 हजार और 72 हजार को अगर हम जोड़ें तो लगभग 1 लाख 37 हजार करोड़ रुपया होता है. माननीय वित्त मंत्री महोदय, माननीय सभापति महोदया, मैं आपके माध्यम से यह बात सदन के सामने रखना चाहता हूँ कि आपकी प्रस्तावित आय सेंट्रल गवर्नमेंट के रिवेल्यूएशन शेयर के बाद, अन्य अनुदान प्राप्त करने के बाद, आपका टैक्स जो आपने एस्टीमेट किया है कि हमें, बजट का जो आपने यहाँ प्रावधान किया है कि हमें इतना प्राप्त होगा, इसको अगर जोड़ लिया जाए तो 1 लाख 36 हजार, 1 लाख 38 हजार करोड़ रुपया यह होता है और यह 2 लाख 80 हजार करोड़ रुपये का बजट आपने इस सदन के सामने रखा है, तो यह सदन जानना चाहता है और इस सदन के माध्यम से मध्यप्रदेश की साढ़े आठ करोड़ जनता आपसे जानना चाहती है वित्त मंत्री महोदय कि यह बाकी रुपया कहाँ से आएगा?
औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन मंत्री(श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगाँव)--
माननीय सभापति महोदया, माफी चाहता हूँ तरुण हमारे बड़े विद्वान हमारे पूर्व वित्त मंत्री हैं. सभापति जी, अगर ये वित्त मंत्री जी का भाषण ठीक से सुन लेते, मैचिंग ग्रांट समझ लेते, जो हमें ऋण की ऊपर से परमिशन मिली है, उसको देख लेते, हमने जो परफॉर्मेंस की है, जो रिफॉर्म्स किए हैं, जो इज़ बिज़नेस बाकायदा, वह सब चीजें समझ लेते, तो शायद बजट पर इनकी समझ बेहतर होती.
श्री तरुण भनोत-- मुझे तो आपकी समझ पर थोड़ा सा वह लग रहा है, मैं तो उस पर अभी आ रहा था. मैं यही तो पूछ रहा हूँ, यह तो आपने एस्टीमेट दिया है कि यह हमें प्राप्त होने वाला है. आपकी बहुत बेहतर परफॉर्मेंस है अभी उसकी बात भी करते. इतनी अच्छी परफॉर्मेंस है कि लगभग लगभग 60 हजार करोड़ रुपये का कर्जा आपने 18 महीने में ले लिया. कितनी बेहतर परफॉर्मेंस है. किसानों के तो कहीं आन्दोलन नहीं हो रहे, गृहणियों को तो सस्ती गैस भी मिल रही है, पेट्रोल, डीज़ल के रेट भी आपने कम कर दिए हैं, बेरोजगारी को भी आपने दूर कर दिया है, कितना अच्छा आपका परफॉर्मेंस है. आपको कर्मचारियों के हित में भी जो सारे निर्णय लेने थे, वह भी आप ले चुके हैं. माननीय, आप थोड़ा सा धैर्य रखिए, मैं उस पर भी आऊँगा. आप फिर उसी बात को कह रहे हैं, रेखांकित करना चाह रहे हैं कि हम और कर्जा ले लेंगे. मैंने शुरू में कहा कि हम कर्ज के विरोधी नहीं हैं, पर यह कर्ज जो आप ले रहे हैं, यह मेरे या आपके किसी की प्रायवेट लिमिटेड कंपनी का कर्जा नहीं है, जो हम उठाते जा रहे हैं. यह मध्यप्रदेश की जनता के ऊपर आप कर्ज का बोझ बढ़ा रहे हैं. माननीय विद्वान सदस्य ने एक बात कही, मैं आप से जानना चाहूँगा अगर आपने यह आँकड़े पढ़े हों, आप मुझे यह बताइये कि मध्यप्रदेश के प्रति व्यक्ति के ऊपर इस समय कितना कर्जा है? बताइये मुझे कितना कर्जा मध्यप्रदेश के प्रति व्यक्ति के ऊपर है? उसके काम में तो कर्जा नहीं आया, उसका विकास तो नहीं हुआ...(व्यवधान)..उसकी बेरोजगारी तो दूर नहीं हुई, उसकी मंहगाई तो कम नहीं हुई और आपने उसको कर्जे में डाल दिया.
श्री बहादुर सिंह चौहान-- सभापति जी, प्रति व्यक्ति की आय 1 लाख 34 हजार हो गई है.
श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगाँव-- सभापति जी, माननीय पूर्व वित्त मंत्री ने कहा है तो माननीय सभापति जी, आपकी अनुमति से कहना चाहता हूँ. पिछली बार काँग्रेस के बजट पर मैंने ही शुरुआत की थी, वह एक-एक आँकड़ा आज भी मुझे याद है, उस पर ज्यादा नहीं जाऊँगा लेकिन....(व्यवधान)..
श्री तरुण भनोत-- आप जाइये, मैं आपका स्वागत करता हूँ, वह आँकड़े भी लाया हूँ. आप बात करिए.
श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगाँव-- कहाँ 60 हजार करोड़ से 48 हजार करोड़ तक का कम से कम अनुमान था किसान कर्ज माफी का माननीय वित्त मंत्री जी ने मात्र 6 हजार करोड़ का उस बजट में प्रावधान किया था, आप बताइये छलावा था कि नहीं? कैसे होती 60 हजार करोड़ की कर्ज माफी, 6 हजार करोड़ के प्रावधान से?
श्री तरुण भनोत-- सभापति जी, आपकी अनुमति अगर इनको थी तो मुझे पता नहीं. पर उस विषय पर मैं आता. पर अब दूसरे तरीके से आऊँगा. आप ही के तरीके से आऊँगा. माननीय, मैं सिर्फ यह जानना चाह रहा हूँ कि यह बाकी जो पैसा है, जो आपने प्रस्तावित किया है, जिसमें आपका विभाग भी है और आपके विभाग पर चर्चा होगी तो आप से भी हम पूछेंगे इस सदन में ही कि कितना पैसा प्रस्तावित हुआ था बजट में और कितना पैसा मिला. कितने उद्योग लगे, कितने बेरोजगारों को नौकरी मिली? आप तो हमारे कार्यकाल की बात कर रहे थे, हमने तो यह भी कानून बनाया था कि मध्यप्रदेश के 75 परसेंट युवाओं को यहाँ पर हम काम देंगे उन उद्योगों में और तमाम तरह की राहतें दी थीं. तब तो आपने सरकार का विरोध नहीं किया था. आज परिस्थितिवश आप कर रहे हैं. आपको यहाँ से कूदकर वहाँ जाना पड़ा, तो ठीक है...(व्यवधान)..
श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगाँव-- माननीय मेरे भाई, मैं आपका बहुत आदर करता हूँ. मैं विरोध नहीं कर रहा हूँ मैं केवल याद दिला रहा हूँ.
श्री तरुण भनोत-- यहाँ विधायक के रूप में थे, वहाँ मंत्री के रूप में बैठ रहे हैं. यह आपकी उपलब्धि है, यहाँ विधायक के रूप में बैठते थे, वहाँ आप मंत्री के रूप में बैठे हैं और जिनको मंत्री के रूप में बैठना था वह बेचारे हमारे विधायक के रूप में बैठे हैं, यह आपकी उपलब्धि हो सकती है, पर यह मध्यप्रदेश की उपलब्धि नहीं है, यह आपकी व्यक्तिगत उपलब्धि हो सकती है. सभापति जी, विषयांतर न हो और मुझे ऐसा लगता है कि एक सक्षम, जो बहुत सीनियर, आप से और हम से, दोनों से है और बाकी सदन के बहुत सारे सदस्यों से भी हैं. हमारे वरिष्ठ नेता वित्त मंत्री के रूप में यहां बैठे हैं वह अपने जवाब देंगे, उनको आता है. बजट भी उन्होंने प्रस्तुत किया है और उनके ऊपर विश्वास और धैये रखिए आप. थोड़ा-सा धैय भी रखिए और विश्वास भी रखिए. माननीय, कोरोना काल के समय केन्द्र सरकार ने एक कार्य किया था. केन्द्र सरकार ने यह कहा कि सभी राज्यों को सिर्फ मध्यप्रदेश को ही नहीं, हिन्दुस्तान के सभी राज्यों को, क्योंकि रेवेन्यू 100 परसेंट, हम भी सरकार में होते, हमारे सामने भी चुनौतियॉं होतीं, जिन चुनौतियों का सामना आपने किया, पर आपने उसका रास्ता जो आसान रास्ता था, ढूंढ लिया जो आगे आने वाले समय में इस प्रदेश की जनता के लिए बहुत कठिन है. केन्द्र सरकार ने कहा कि हम आपको किसी प्रकार की कोई सहायता नहीं दे रहे हैं. हम आपकी एफआरबीएम की लिमिट को बढ़ा दे रहे हैं. एफआरबीएम की लिमिट का मतलब यह होता है कि जो आपकी कर्ज लेने की सीमा है, उसको बढ़ा देते हैं और कर्ज ले लीजिए, हम आपको सहायता नहीं करेंगे. निश्चित तौर पर वह एक दौर था. आपको कर्ज लेने की जरूरत भी थी, हम भी होते तो हम भी लेते. आपने उस एफआरबीएम सीमा का, उस बढ़ी हुई सीमा का पूरा दोहन किया और कर्जा लिया. माननीय वित्त मंत्री महोदय, मैं आपसे जानना चाहता हॅूं कि कोरोना काल में क्या मध्यप्रदेश का हर वर्ग का व्यक्ति जब पीड़ित था, उसके खाते में कोई राशि डालकर उसकी मदद की गई कि उसके व्यक्तिगत खाते में 10 हजार, 15 हजार, 20 हजार रूपए की राशि डाली गई हो. उस कठिन दौर में उसका तो प्रावधान हमने कहीं नहीं देखा, न किसी को मिला. सामान्य परिवारों के लोगों के जो लाखों रूपए इलाज में लग गए, क्या उसका किसी भी प्रकार का अंश का, कोई पूरा तो छोड़िए, कोई उसका छोटा-सा अंश भी सरकार ने वापस किया ? नहीं किया, तो माननीय वित्त मंत्री महोदय, यह सवाल खड़ा होता है कि यह कर्ज का पैसा कहां गया. कल माननीय सदन के नेता यहां कह रहे थे कि कांग्रेस पार्टी के समय में हमने फसल बीमा का पैसा जमा नहीं कराया, मैं ऑन रिकॉर्ड आपसे कह रहा हॅूं कि यहां अधिकारी बैठे हैं, उनसे मंगवा लीजिए. आज भी वहीं अधिकारी हैं जो उस समय थे. फसल बीमा योजना का पैसा जो किसानों के अंश का था, वह हमारी तत्कालीन सरकार ने जारी करने के आदेश किए थे या नहीं किए थे. माननीय, यह जो लगभग-लगभग डेढ़ लाख करोड़ रूपए का अंतर है, मैं जानना चाहता हॅूं कि यह पैसा कहां से आएगा और इसको उठाने का मकसद मेरा यह नहीं है कि मैं आपको सिर्फ कटघरे में खड़ा करके आपकी आलोचना करना चाहता हॅूं. मैंने इस बात को पिछली बार भी सदन में दोहराया था और आज भी दोहराना चाहता हॅूं कि हमें अपने पैरों पर खड़ा होना सीखना पडे़गा. हमारी आय कैसे बढे़गी बिना आम जनता के ऊपर टैक्स लगाये, इसके लिए हमें कोई न कोई रूपरेखा बनानी पडे़गी. वह मुझे कहीं नहीं दिख रहा है कि हम एक समय में, आने वाले समय में, लंबे समय में आज आप सरकार में हैं आप एक वित्त मंत्री के रूप में यहां मौजूद हैं, हम यहां पर हैं सदन में हम हों या न हों, प्रदेश तो रहेगा. कोई न कोई तो सरकार चलायेगा, तो कैसा समय आयेगा कि जब हमारी ऋण लेने की सीमा भी पूरी हो जाएगी, ब्याज का बोझ प्रदेश के ऊपर बढ़ जाएगा और विकास भी नहीं होगा. आपने कोई भी ऐसा एक भी ठोस प्रस्ताव सदन के सामने इस बजट के माध्यम से नहीं रखा कि इस आने वाले वित्तीय वर्ष में हम अपने साधनों के अलावा, इस ऋण के अलावा जो सरकार से मिल रहा है, कैसे अपनी आय को बढ़ायेंगे, कैसे हमारा जो फिस्कल डेफिसिट बढ़ गया है उसको कम करेंगे और वहां से हमारे पूर्व के साथी विद्वान, जो उधर मंत्री बने बैठे हैं उन्होंने एक बात उठायी थी, एक महोदय पीछे से बोल रहे थे कि प्रति व्यक्ति आय बढ़ गई. अपने दिल पर हाथ रखकर इसी मुद्दे पर अपने क्षेत्र में घूमकर चुनाव लड़ लेना कि प्रति व्यक्ति की आय बढ़ गई, हमें वोट दे दीजिए. आप भी जानते हैं मैं भी जानता हॅूं कि क्या होगा. इसी को मुद्दा बना लीजिए.
माननीय सभापति महोदया, दूसरी बात मैं यह कहना चाहता हॅूं कि आज मध्यप्रदेश का प्रत्येक नागरिक, चाहे उसको सरकार की किसी योजना का लाभ मिला हो अथवा न मिला हो, चाहे उसके यहां पानी भरपूर आता हो या न आता हो, चाहे बिजली का बिल उसका बढ़ा हुआ आता हो, चाहे सड़कें खराब हों, चाहे उसके बच्चे बेरोजगार हों, माननीय वित्त मंत्री जी इस बात पर ध्यान दीजिएगा कि प्रत्येक व्यक्ति को आपने जो तोहफा दिया है कि मध्यप्रदेश का प्रत्येक नागरिक 51 हजार रूपए का कर्जदार हो गया है. इसको आप अपनी उपलब्धि में गिनना चाहते हैं, तो गिन लीजिए. मैं बार-बार सदन के माध्यम से आपसे सिर्फ एक निवेदन पिछली बार भी करता रहा, आज भी कर रहा हॅूं कि जब तक हम वैकल्पिक आय के साधन नहीं ढूंढेगें, सिर्फ कर्ज के ऊपर निर्भर रहेंगे, तो यह कितने दिन चलने वाला है. माननीय, बात हो रही थी सदन में बहुत हमेशा चर्चा भी होती है और माननीय मुख्यमंत्री जी सदन के नेता का भी हमने एक वक्तव्य सुना कि हम मध्यप्रदेश में और राज्यपाल महोदय का जो अभिभाषण था, उसमें भी उसका उल्लेख था, रीज़नल बैलेंस करके विकास करेंगे, क्षेत्रीय संतुलन बनाएंगे. सब क्षेत्रों में सामान्य रूप से काम होगा.
माननीय वित्त मंत्री महोदय, जब आप यह बात कहते हैं तो वह आपके बजट में परिलक्षित नहीं होती. कहीं न कहीं हमें यह दिखता है कि भेदभाव हो रहा है. आप अगर यह कहें कि 15 करोड़ रुपये तक के कार्य इस सदन के सदस्य, जो पक्ष के क्षेत्र से आते हैं, उनके हम स्वीकार करेंगे और जो दूसरे पक्ष से आते हैं, विपक्ष से आते हैं, इसी सदन के सदस्य हैं, वे भी मध्यप्रदेश की जनता का अपने-अपने क्षेत्रों से प्रतिनिधित्व करते हैं, उनके स्वीकार नहीं करेंगे तो कैसे आप इस बात का दावा कर सकते हैं कि आप क्षेत्रीय संतुलन बनाकर पूरे प्रदेश का सामान्य रूप से विकास करना चाहते हैं. वित्त मंत्री महोदय, मैं आपसे निवेदन करूंगा इस सदन के 230 सदस्य हैं...(व्यवधान)...
श्री अनिरूद्ध माधव मारू -- आपने पहले विकास कर लिए ना, 15 महीने में, आपके क्षेत्रों के, तो बाकी के भी हो जाने दो. 15 महीनों में आपने यही तो किया है कि सारी योजनाएं अपने-अपने क्षेत्रों में ले गए हैं, कहीं पूरे प्रदेश में काम नहीं किया है आपने...(व्यवधान)...
श्री तरूण भनोत -- सभापति महोदया, मैं बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहता हूँ मेरे विद्वान साथी को कि जिन्होंने इस सदन में कबूल किया कि हमने 15 माह में भरपूर विकास किया. आपका बहुत-बहुत धन्यवाद...(व्यवधान)...
श्री अनिरूद्ध माधव मारू -- प्रदेश की सारी योजनाएं बंद करके आपने अपने-अपने क्षेत्रों में लेकर गए, सारा पैसा अपने क्षेत्रों में लगाया, केवल 2-4 जिलों में, कहीं काम नहीं किया, पूरे प्रदेश को सूखा रख दिया आपने. ...(व्यवधान)...
श्री तरूण भनोत -- हमारे क्षेत्र तो अफगानिस्तान की सीमा में आते हैं, पाकिस्तान की सीमा में आते हैं...(व्यवधान)...
श्री अनिरूद्ध माधव मारू -- आप भी क्षेत्रीय संतुलन का ध्यान रखते तो आज ये स्थिति नहीं होती. क्या आपने क्षेत्रीय संतुलन का ध्यान रखा ? आपने ही सारे रास्ते खोले हैं...(व्यवधान)...
सभापति महोदया -- बैठ जाइये.. ...(व्यवधान)...
श्री तरूण भनोत -- माननीय सदस्य महोदय, आप अनुमति ले लें. सभापति महोदया, मैं सम्मानित सदस्य से विनम्र निवेदन करूंगा, बहुत सारे सदस्य आज भी उस पक्ष में बैठे हैं, जब हमने बजट प्रस्तुत किया था, उन्होंने जो हमें कार्य दिए थे, वे हमने किए हैं, मेरे पास सूची रखी है. आप मुझसे ले सकते हैं, मैं आपको दे दूंगा. जिस-जिस ने कहा था, उस-उस के काम हमने स्वीकृत किए थे. भेदभाव का आरोप हमारे ऊपर नहीं लग सकता, पर जब आप क्षेत्रीय संतुलन की बात करते हैं, पूरे मध्यप्रदेश का बराबर से विकास करने की बात करते हैं, तो ऐसा तो नहीं हो सकता कि बाजू वाले विधान सभा क्षेत्र में काम हो और उसके साथ वाले विधान सभा क्षेत्र में अगर कोई विपक्ष का सदस्य प्रतिनिधित्व कर रहा हो तो वहां काम न हो. ...(व्यवधान)...
श्री दिलीप सिंह परिहार -- नीमच जिले को एक रुपये नहीं दिया था भैया.. ...(व्यवधान)...
श्री तरूण भनोत -- माननीय सभापति महोदया, एक आंकड़ा और बहुत चौंकाने वाला है. माननीय वित्त मंत्री जी यहां बैठे हुए हैं, जो वित्त विभाग के भी मंत्री हैं, योजना विभाग के भी मंत्री हैं... ...(व्यवधान)...
डॉ. योगेश पण्डाग्रे -- माननीय सभापति महोदया, इन्होंने थोड़ी सी अनुमति प्रदान की थी कि बीच में टोका-टोकी कर सकते हैं. मैं आपकी अनुमति से थोड़ी सी टोका-टोकी करना चाह रहा हूँ. बैतुल जिले में कुल पांच विधान सभा क्षेत्र हैं, चार विधान सभा क्षेत्रों में किसान कर्ज माफी की द्वितीय किश्त जारी कर दी गई थी, आमला विधान सभा क्षेत्र में चूँकि विपक्ष का विधायक था, नहीं की गई थी. ...(व्यवधान)...
श्री तरूण भनोत -- पुन: आपको धन्यवाद कि आपने स्वीकार किया कि आपके जिले के पांच विधान सभा क्षेत्रों में से चार विधान सभा क्षेत्रों में ऋण माफी हुई थी...(व्यवधान)...
डॉ. योगेश पण्डाग्रे -- मैं भेदभाव का आरोप लगा रहा हूँ. आप अगर यह बोलें कि सब जगह आप विकास कार्य कर रहे थे तो फिर आमला क्षेत्र को क्यों छोड़ा गया था, मैं यह जानना चाह रहा हूँ ...(व्यवधान)...
श्री रामेश्वर शर्मा -- वे यह बोल रहे हैं कि चार विधान सभा क्षेत्रों में आपने फॉर्म बांट दिए थे, फर्जी कर्जमाफी के, उनकी विधान सभा में नहीं दिए थे. ...(व्यवधान)...
सभापति महोदया -- सभी लोग बैठ जाएं. माननीय भनोत जी, आपको 20 मिनट हो गए हैं, अभी और आप कितना समय लेंगे. आप जल्दी से समाप्त करें.
श्री तरूण भनोत -- सभापति महोदया, समय ही समय है, समय की क्या कमी है.
सभापति महोदया -- नहीं नहीं. अन्य सदस्यों को भी बोलना है, उन्हें भी समय देना है.
श्री तरूण भनोत -- समय तो चाहिए, बहुत महत्वपूर्ण है. हमारे सदस्यों का समय काट लीजिए.
सभापति महोदया -- आपके पक्ष से ही बोलने वाले सदस्य ज्यादा हैं.
श्री तरूण भनोत -- उसमें से आप जिसको बोलेंगे, वह समय नहीं लेगा, हम लोग आपस में बात कर लेंगे.
सभापति महोदया -- नहीं, नहीं.
श्री सचिन यादव -- माननीय सभापति महोदया, हमारे ओपनिंग बैट्समेन हैं. इन्हें बोलने दीजिए.
श्री तरूण भनोत -- माननीय सभापति महोदया, कृपया इस बात को रिकॉर्ड से निकालें, फर्जी, साढ़े 8 हजार करोड़ रुपये की राशि मेरे घर से नहीं, कमलनाथ जी के घर से नहीं, हमारे मंत्रिमण्डल के सदस्यों के घर से नहीं, मध्यप्रदेश के खजाने से निकलकर किसान भाइयों की कर्जमाफी में गई थी. वह फर्जी नहीं हो सकती. उसको हमारे आज के मंत्री महोदय, अभी वे यहां उपस्थित नहीं हैं, उन्होंने इसी विधान सभा में एक प्रश्न के माध्यम से स्वीकार भी किया कि हां, हुई थी, तो यह गलत बात है. यदि रह गई तो आप कर दीजिए. मैं आपको भी यही बात कहना चाहता हूँ, माननीय सभापति महोदया, कल मुख्यमंत्री जी ने ये कहा कि हम किसानों का 200 करोड़ रुपया वह माफ करने जा रहे हैं जो उनके ऊपर लोन का हो गया था, जो डिफॉल्टर हो गए थे. क्या यह सदन यह निर्णय नहीं ले सकता कि जो 15 माह के कार्यकाल में बाकी किसान भाई कर्जमाफी से बच गए थे, जिनकी कर्जमाफी नहीं हो पाई थी, आप कर दीजिए, हम आपको बधाई देंगे और कहेंगे कि आपके माध्यम से किसानों की कर्जमाफी हुई. आप घोषणा कीजिए. ...(व्यवधान)...
डॉ. योगेश पण्डाग्रे -- महोदय जी, आपने 10 दिनों के अंदर कर्जमाफी की बात की थी. आपको 15 महीने मिले, हमारे ऊपर क्यों लाद रहे हो, यह आपने बोला था...(व्यवधान)...
श्री तरूण भनोत -- हमारा वादा था, हम कर रहे थे. ...(व्यवधान)...
श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगांव -- सभापति जी, राहुल गांधी जी ने मंदसौर की सभा में कहा था कि 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 दिन में कर्जा माफ हो जाएगा.
श्री पी.सी. शर्मा -- आपने 35 करोड़ के लिये कहा था.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव -- घोषणा में आप भी जीते थे. इस घोषणा से आप भी उस समय जीते थे. 15-15 लाख आने की बात कही थी. 15 लाख आ गये क्या खाते में ? ..(व्यवधान)...
श्री हरिशंकर खटीक -- आपने 10 दिन में कहा था.
सभापति महोदया -- सब लोग बैठ जाइये.
श्री रामेश्वर शर्मा -- माननीय सभापति जी, कांग्रेस के नेता बोलते हैं लेकिन यह पूरा नहीं करते तो हम उनके माननीय नेता की बात पूरी करते हैं कि 10 दिन में मुख्यमंत्री बदल दूंगा और जब कर्ज माफी नहीं हुई तो सदन ने मुख्यमंत्री ही बदल दिया. हमने उनकी बात पूरी की.
डॉ. हिरालाल अलावा -- इसलिये मैं कह रहा हूं कि 15-15 लाख आ गये खाते में. किस-किस के खाते में 15 लाख आ गये ?
श्री तरुण भनोत -- सभापति महोदया, यह समय न जोड़ा जाए. इसी को आप जोड़ देते हैं. मैं माननीय वित्तमंत्री महोदय, आपसे...
डॉ. अरविंद सिंह भदौरिया -- माननीय तरुण जी...
श्री तरुण भनोत -- अब आप शुरू हो गये. बैठ जाइये अरविंद भाई. आपको हम कभी छेड़ते नहीं, आप चाहते हैं कि मैं आपको भी छेड़ना चालू करूं ?
डॉ. अरविंद सिंह भदौरिया -- नहीं नहीं, आप तो हमेशा ही छेड़ते हैं. इतने प्यारे आदमी हैं आप. आप तो दूसरे को छेडि़ये नहीं तो मुझे छेड़ेंगे, मैं बैठ जाता हूं.
श्री हरिशंकर खटीक -- एक भी उपलब्धि अपनी बता नहीं सकते. इन्होंने कुछ भी नहीं किया और इनकी सरकार चली गई. आज यह विपक्ष में बैठे हैं.
श्री अनिरुद्ध माधव मारू -- विधान सभा में खुली धमकी.
सभापति महोदया -- माननीय विधायक जी, बोलने दीजिये.
श्री तरुण भनोत -- सभापति महोदया, आपको भरपूर मौका मिलेगा आप जवाब दीजियेगा और आप विश्वास कीजिये सीतासरन शर्मा जी के ऊपर, मेरी एक-एक बात का जवाब वह देंगे. आपके पास बहुत वरिष्ठ और विद्वान लोग बैठे हैं आप टोका-टाकी करते हैं.
सभापति महोदया -- भनोत जी, अपनी बात करिये आप.
श्री तरुण भनोत -- सभापति महोदया, दोनों विभागों के मंत्री आप हैं. बजट के एक दिन पहले आर्थिक सर्वेक्षण आया, उसमें यह बताया गया कि हमारी ग्रोथ है जीएसडीपी मध्यप्रदेश की वर्ष 2022-23 में 11 लाख, 69 हजार करोड़ होने वाली है. दूसरा, आपने जब बजट इस्टीमेट यहां पर रखे 2 लाख, 79 हजार करोड़ रुपये के, तो आपने कहा कि 10 लाख, 36 हजार करोड़ रुपये यह वित्त विभाग ने कहा कि हमारी जीडीपी होने वाली है. यह दोनों में से कौन सा आंकड़ा सही है ? दोनों विभाग के मंत्री आप हैं. आप एक दिन पहले यह कहते हैं कि 11 लाख, 69 हजार करोड़ हमारी जीएसडीपी होगी और आप जब बजट रखते हैं तो कहते हैं कि 10 लाख, 36 हजार करोड़ होगी. मैं आपसे इस बात का जवाब जरूर चाहूंगा माननीय. एफआरबीएम की जो सीमा केन्द्र सरकार ने हिन्दुस्तान के सारे राज्यों के लिये बढ़ाई थी उसको पुन: कम कर दिया गया है. जो पहले थी उसी को कर दिया गया है, तो यह जो आपके बजट में असंतुलन है, जो प्रस्ताव आपने रखे हैं और जो आपने अपनी आय दिखाई है इसमें आपने केन्द्र सरकार का पैसा भी शामिल किया है, उसको आप कैसे पूरा करेंगे ? इस सदन को बताइये और वह इस सदन को बताना इसलिये जरूरी है क्योंकि यह जो पैसा इस्तेमाल करेंगे या जो कर्जा आप करेंगे उसका माध्यम भी हमें पता होना चाहिये और उसकी ब्याज की राशि भी पता होना चाहिये. पता यह चल रहा है कि मध्यप्रदेश के विकास के लिये 20 हजार करोड़ रुपया कुल मिल रहा है सारे विभागों को खर्च करने के लिये और मध्यप्रदेश की सरकार 25 हजार करोड़ रुपये ब्याज के रूप में भर रही है. क्या यह स्वीकार है, क्या यह सदन स्वीकार करेगा ? पक्ष-विपक्ष को भूल जाइये. यह हमें तय करना पड़ेगा कि हमें अपनी जो फायनेंसियल रिस्पॉंसिबिल्टी है उसको हम कैसे पूरी करें. हमारा काम यह बस नहीं है कि हम कर्ज लें, लेते जाएं, प्रदेश की जनता को कर्ज के बोझ में डुबोते जाएं. माननीय वित्तमंत्री जी, एक चीज को और आप स्पष्ट कीजियेगा, समाचार पत्रों के माध्यम से बजट के बाद हमारे जो समाचार पत्रों के अलावा जो विभिन्न इलेक्ट्रिानिक मीडिया चैनल के माध्यम से आपने खूब अपनी और सरकार की पीठ थपथपाई, हमारे सदस्यों ने भी यहां पर बैठकर खूब ताली बजाई कि इस बार मध्यप्रदेश देश में पहला प्रदेश बन रहा है जो चाइल्ड बजट लेकर आ रहा है और 57 हजार करोड़ रुपये की राशि हम प्रदेश में चाइल्ड बजट में खर्च करने वाले हैं.
श्री दिलीप सिंह परिहार -- यह तारीफ की बात है ना. बच्चों का ध्यान रखना पड़ेगा. अपने ही परिवार के हैं.
श्री तरुण भनोत -- पूरी बात तो सुन लो फिर दिल पर हाथ रखकर तारीफ कर लेना. जब बाथरुम में आइने के सामने खड़े होंगे तब भी नहीं कर पाएंगे.
श्री दिलीप सिंह परिहार -- बजट की तारीफ तो सारे आर्थिक विशेषज्ञ कर रहे हैं. बजट की तारीफ सब लोग कर रहे हैं.
श्री तरुण भनोत -- मैं आपको बता रहा हूं वह विशेषज्ञ कौन हैं, वह भी सब देख रहे हैं. 57 हजार करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान माननीय विद्वान वित्तमंत्री जी कहां पर किया गया है यह हमें बता दीजिये. मुझे एक अलग से हैड कहीं नहीं दिखा आपके बजट अनुमान में कि 57 हजार करोड़ रुपये हम चाइल्ड वेलफेयर के लिये उन बच्चों के ऊपर खर्च करने जा रहे हैं जिनकी 18 वर्ष से कम की आयु हो. कोई भी सम्मानित सदस्य मुझे निकालकर वह पन्ना बता दे और निकाल ले. भाषण में था, इसमें दिखा दे. आपने क्या किया है, सम्माननीय अधिकारी तो वही हैं जो हमारे समय भी थे, आपने निश्चित रूप से बोला होगा कि हमें कुछ करना है, उन्होंने कर दिया, उसमें भी कहीं न कहीं पूरा नहीं कर पाए, थोड़ी-सी चूक हो गई. 18 साल से नीचे के बच्चों की जितनी योजनाएं मध्यप्रदेश में चलती हैं और उसमें जो पैसा खर्च होता है, उसको आपने बता दिया कि हमने चाइल्ड बजट बना दिया. यह चाइल्ड बजट के लिए आप 57000 करोड़ रुपये की राशि तो छोड़िए, अगर 5000 करोड़ रुपये की राशि देते तो मैं सदन में तो संभव नहीं था, बाहर आकर आपको जरूर माला पहनाता और मध्यप्रदेश के बच्चों की ओर से धन्यवाद देता.
अध्यक्षीय घोषणा
माननीय सदस्यों के लिए लॉबी में भोजन व्यवस्था विषयक
सभापति महोदया - आज भोजनावकाश नहीं होगा, माननीय सदस्यों के लिए भोजन की व्यवस्था सदन की लॉबी में की गई है. माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि सुविधानुसार भोजन ग्रहण करने का कष्ट करें.
1.01 बजे वर्ष 2022-2023 के आय-व्ययक पर सामान्य चर्चा (क्रमशः)
नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्री (श्री हरदीप सिंह डंग) - सभापति महोदया, बच्चों के ऊपर जो खर्चा किया गया है, उसमें बच्चों को आंगनवाड़ी में दलिया.
श्री तरुण भनोत - यह अपने विभाग का जवाब नहीं दे पाते.
श्री हरदीप सिंह डंग - उसका उत्तर तो भेज दिया, उन्होंने जो अलग हटकर बोला था, उनको भी मालूम है. अलग हटकर भी जो पूछा था वह भी मालूम है, बच्चों के ऊपर जो खर्च किया उसका पूरा हिसाब आज जो बच्चों को साईकिलें दी जा रही हैं, आंगनवाड़ी में जो दलिया दिया जा रहा है, जो बच्चों पर खर्च किया जा रहा है, वह सब उसी में है. परन्तु बच्चों का अलग से बजट है. यह बच्चों के लिए किया है.
श्री तरुण भनोत - सभापति महोदया, सरकार के मंत्री स्वीकार कर रहे हैं सदन में कि हां, मैं सही कह रहा हूं. जो दलिया दिया जाता है, जो बाकी पैसा दिया जाता है, जो बाकी के कपड़े दिये जाते हैं. साईकिलें दी जाती हैं. आप बैठ जाओ.
श्री हरदीप सिंह डंग - बच्चों के लिए अलग से खर्च किया है, बच्चों पर जो खर्च किया जा रहा है वह बच्चों का बजट है.
श्री सुखदेव पांसे - वह बैंगलोर में खर्च हो गया.
श्री हरदीप सिंह डंग - बैंगलोर के बाद सुवासरा से 20000 वोट से जीतकर आए.
श्री सुखदेव पांसे- बच्चों का भी खा गये. शेम
श्री दिलीप सिंह परिहार - बैंगलोर के बाद तो आप कोमा में चले गये. जनता ने उनको जनादेश दिया है. जनता ने जनादेश देकर जिताया है.
श्री बहादुर सिंह चौहान - यह सरदार जी मालवा के शेर हैं.
श्री तरुण भनोत - सभापति महोदया, मैं यही कह रहा हूं कि आपने कोई चाइल्ड बजट का प्रावधान नहीं किया है कोई चाइल्ड बजट मध्यप्रदेश के लिए नहीं आया है, जो विभिन्न योजनाओं के तहत 18 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए पैसे से सरकार जो खर्चा करती थी, आपने उसको जोड़कर बता दिया कि हमने चाइल्ड बजट लाए हैं और 57000 करोड़ रुपये का प्रावधान उसके माध्यम से किया है.
सभापति महोदया, इसी के साथ कल सम्मान निधि की बात हो रही थी. सम्मान निधि किसानों की जमा नहीं हुई, हमने कार्यकाल में पूरी सूची नहीं भेजी थी तो बहुत सारे किसान वंचित रह गये. आप बताइए और सदन को जवाब दीजिए कितने ऐसे किसान भाई जिनको यह सम्मान निधि मिल चुकी थी उनको आपने अवैध मानकर उनके नाम काटकर उनको वसूली के नोटिस दिये, सदन में आप कुछ कहते हैं और बाहर उनको नोटिस देते हैं कि हम यह करेंगे.
सभापति महोदया, एक बात कहकर अपने बात समाप्त करूंगा, मुद्दे तो बहुत सारे हैं, हमारे साथ में बहुत सारे ऐसे वक्ता यहां पर बैठे हैं जो बातों को और बढ़िया तरीके से रखेंगे. सबसे प्रमुख बात और किसी भी सरकार की रीढ़ की हड्डी होते हैं, उसके सरकारी कर्मचारी और अधिकारी.
राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास (श्री भारत सिंह कुशवाह) - नाम काटने का काम तो आपने संबल योजना में किया था.
श्री तरुण भनोत - मैं आपको चुनौती देता हूं सदन में, संबल योजना के अंदर अगर 6 माह से किसी भी एक भी आदमी को पैसा मिला होगा तो मैं सदस्यता छोड़ दूंगा.
श्री हरदीप सिंह डंग - संबल में नाम तो आपने काटे हैं. (व्यवधान)..
श्री तरुण भनोत - आप इतना असत्य बोलते हैं.
एक माननीय सदस्य - संबल का पाप आप लोगों ने किया है. (व्यवधान)..
श्री तरुण भनोत -मेरी विधान सभा की बात करो, आपकी विधान सभा पूरा मध्यप्रदेश नहीं है.
श्री दिलीप सिंह परिहार - सभापति महोदया, नया सवेरा में नहीं मिले.
डॉ. सीतासरन शर्मा - बजट में प्रावधान किया है.
श्री रामेश्वर शर्मा (हुजूर) - सभापति महोदया, आप पूर्व मंत्री हैं, बहुत अच्छे हैं, तरुण भी हैं, थोड़ा-सा इनसे कहें कि इतना चैलेंज क्यों? आप जो बोल रहे हैं सुन तो रहे हैं, क्यों इतने गुस्से में आ रहे हो, कुछ मत करो, बने रहो भैया, मुश्किल से बनते हैं.
श्री तरुण भनोत - असत्य पर अगर क्रोध न आए तो वह खून नहीं पानी है. सभापति महोदया, मैं एक मांग आपके सामने रखना चाहता हूं और मैं आशा करता हूं कि मध्यप्रदेश की विधानसभा के सारे सदस्य इस मांग का समर्थन भी करेंगे, बिना भेदभाव के करेंगे, बिना पक्ष-विपक्ष को देखकर करेंगे कि हमारे प्रदेश के कर्मचारियों अधिकारियों की मांग बहुत लम्बे समय से चली आ रही है, ओपीएस, ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू करने की. (मेजों की थपथपाहट).. जो राजस्थान और छत्तीसगढ़ की सरकार ने कर भी दिया है. मैं उन सरकारों को भी धन्यवाद देता हूं. मैं आप सबसे पूछना चाहता हूं कि भाइयों और बहनों, लागू होनी चाहिये कि नहीं होनी चाहिये. आप सब बताइये, लागू होनी चाहिये कि नहीं होनी चाहिये. हमारे कर्मचारी भाइयों को ओल्ड पेंशन स्कीम का लाभ मिलना चाहिये कि नहीं मिलना चाहिये. बोलिये भाइयों बहनों. ..(हंसी)..
श्री जालम सिंह पटेल -- सभापति महोदया, वह बंद किसने की थी. यह आपकी सरकार ने किया.
..(व्यवधान)..
सभापति महोदया-- कृपया सब बैठ जायें. तरुण भनोत जी, कृपया समाप्त करें.
श्री तरुण भनोत -- सभापति महोदया, दो मिनट का समय दे दें, मैं दो मिनट में खत्म करुंगा. कर्मचारी, अधिकारियों के लिये हमारी सरकार ने यह योजना बनाई थी, कर्मचारी एवं अधिकारियों के हित में कि हम स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ हम उनको देना चाहते थे. वह भी लम्बित निर्णय पड़ा है. वित्त मंत्री जी, मैं आपको निवेदन करना चाहूंगा कि ओल्ड पेंशन स्कीम के साथ साथ वह जो उनके लाभ के लिये उपचार की योजना बनाई गई थी, उसको भी लागू करिये और इस बात को कहकर मैं अपनी बात समाप्त करुंगा कि हम सदन में सिर्फ आपका विरोध करने के लिये खड़े नहीं हुए हैं. जो कमियां रह गई हैं, जो प्रावधान नहीं हुए हैं. मुख्यमंत्री जी ने कल सारे सदस्यों के अनुरोध पर, सारे सदस्यों के दबाव में, जनता के दबाव में, जनता के अनुरोध पर, मैं सदन के माध्यम से उनको धन्यवाद देना चाहता हूं कि इस बात को स्वीकार किया कि हम बिजली के बिल जो हमने घोषणा की थी, जिसको हम पूरा नहीं कर पा रहे थे, कल उन्होंने सदन में घोषणा की कि हम करेंगे. मैं वित्त मंत्री जी से यह निवेदन करना चाहता हूं कि उस राशि का प्रावधान भी इस बजट में कर लिया जाये, जिससे जब हम कोई भी अपने अपने क्षेत्रों में जायें, तो जनता परेशान न हो, उसका प्रावधान नहीं किया गया है, कर लीजिये.
श्री भारत सिंह कुशवाह-- तरुण जी, आप यह भी तो बता दो कि आपके कारण जो लोगों ने ब्याज भरा है, वह भी तो माफ किया है. यह भी तो बता दो.
श्री तरुण भनोत -- आप जवाब देना, जब आपकी बारी आये. सभापति महोदया, मैं इस बात को कहकर, यह मेरा दायित्व भी बनता है, मैं भी इस सदन का सदस्य हूं, हम सब इस सदन के सदस्य हैं. मुख्यमंत्री जी को उस बात के लिये साधूवाद कि उन्होंने स्वैच्छानुदान की राशि और हमारी जो विधायक निधि है, उसको बढ़ाने की बात की. पर एक बात कहना चाहता हूं कि आज से दो वर्ष पूर्व जब आप यहां बैठे थे, आज माननीय मंत्री जी जो उस समय विपक्ष में थे. विश्वास सारंग जी और रामेश्वरशर्मा जी ने एक बात उठाई थी कि विधायक निधि को बढ़ाया जाना चाहिये. स्वैच्छानुदान निधि को बढ़ाया जाना चाहिये. 20 मार्च जिस दिन हमारी सरकार गिरी, उस दिन हमारा बजट आना था, हम उसमें यह प्रावधान करके ला रहे थे कि विधायक निधि को बढ़ाकर हम साढ़े 3 करोड़ रुपये और स्वैच्छानुदान को 50 लाख रुपये करने जा रहे थे. आज हमारी सरकार नहीं है, आपने ढाई करोड़ रुपये किया. 50 लाख स्वैच्छानुदान किया. मैं पूरे सदन की ओर से वित्त मंत्री जी से निवेदन करता हूं कि यह बात आप सदन के नेता तक ले जायें. हम सबकी ओर से उनको धन्यवाद, साधूवाद भी दें और साथ में यह निवेदन भी करें कि उसको फिर से बढ़ाकर जब वह जवाब दें, आप जवाब दें, तो साढ़े 3 करोड़ रुपये विधायक निधि और 50 लाख रुपये स्वैच्छानुदान करके कुल 4 करोड़ रुपये की राशि कर दें. जब छत्तीसगढ़ जैसा छोटा राज्य यह कर सकता है, तो हम तो उनके हमेशा बड़े भाई रहे हैं. बढ़ाकर करना चाहिये, पर बढ़ाकर न करें, तो कम से कम उतना तो कर दें. धन्यवाद, जय हिन्द, जय भारत.
श्री शैलेन्द्र जैन (सागर)-- सभापति महोदया, मध्यप्रदेश सरकार के द्वारा वित्तीय वर्ष 2022-23 के आय व्ययक, इस समय समयानुकूल और एक आदर्श बजट इस सदन के नेता, मध्यप्रदेश सरकार के यशस्वी मुख्यमंत्री, सम्मानीय शिवराज सिंह चौहान जी के नेतृत्व में हमारे विद्वान वित्त मंत्री महोदय, सम्मानीय जगदीश देवड़ा जी के द्वारा जो बजट पेश किया गया है, मैं उनको और पूरी सरकार को बहुत बहुत बधाई एवं साधूवाद देना चाहता हूं. कहते हैं कि हे वही सूरमा इस जग में जो अपनी राह बनाता है, कुछ चलते पद चिह्नों पर, कोई पद चिह्न बनाता है. वित्त मंत्री जी ने लीक पर चलना श्रेयस्कर नहीं समझा और उन्होंने इस कोविड संक्रमणकाल के पश्चात् परिस्थितियों को बेहतर से बेहतर बनाने के लिये एक ऐसा आदर्श बजट बनाया. जिसमें विशेष रूप से हमारे पूंजीगत व्यय को बढ़ाने का काम किया है. मैं आज इस बात के लिये सरकार को और वित्त मंत्री महोदय को बधाई देना चाहता हूं कि पूंजीगत व्यय जो वर्ष 2019-20 में 30228 करोड़ था कोविड की प्रथम लहर के बाद भी इस पूंजीगत व्यय को हमने कम नहीं होने दिया हमारी सरकार ने कम नहीं होने दिया और उसमें इजाफा करते हुए 2021-22 में इसको लगभग 8829 करोड़ बढ़ाकर 40115 करोड़ तक पहुंचाने का काम किया है. यह कीर्तिमान है. यह वृद्धि लगभग 28 प्रतिशत है और कोविड जैसे संक्रमण काल के बाद भी हमारी सरकार ने बगैर विचलित हुए बेरोजगारों को रोजगार दिलाने के लिये और सरकार के स्थाई संपत्तियों के सृजन करने के लिये जो पूंजीगत व्यय में वृद्धि की है यह अद्वितीय है यह नया कीर्तिमान है इसके लिये मैं वित्त मंत्री जी को बधाई देता हूं. माननीय सभापति महोदया,अभी हमारे वरिष्ठ सदस्य और इस सरकार के पूर्व मंत्री सम्मानीय भनोत जी ने कुछ विषय रखे हैं. सबसे पहले तो जो बात उन्होंने कही कि प्रति व्यक्ति जो कर्ज है वह हर व्यक्ति के सिर पर 51 हजार रुपये हो गये हैं. आपके ही वरिष्ठ सदस्य लक्ष्मण सिंह जी प्रति व्यक्ति कर्ज को 30 हजार बता रहे हैं. आप लोग यह तय कर लीजिये कि आपके आंकड़े और उनके आंकड़े में क्या फर्क है.
श्री तरुण भनोत - माननीय सभापति महोदया, मेरा नाम लिया तो मैं इनको बता दूं. उनका क्या आंकड़ा है. मेरा क्या आंकड़ा है. इसके बाद बोलने वाले सदस्य का क्या आंकड़ा है यह मायने नहीं रखता. आंकड़ा वह मायने रखता है जो सरकार के पास फिगर है. आप सम्मानित वरिष्ठ सदस्य हैं आप सही आंकड़ा बता दीजिये अगर हम गलत आंकड़ा बता रहे हैं. कितना कर्जा है बता दीजिये. आप नाम नहीं लेते तो मैं खड़ा नहीं होता. मैंने तो स्वीकार कर लिया मेरा आंकड़ा गलत है. सम्मानित सदस्य लक्ष्मण सिंह जी का आंकड़ा गलत है.
सभापति महोदया - आप बैठ जाईये.
श्री शैलेन्द्र जैन - आपने आंकड़े के बारे में कहा है. आप दोनों एक ही दल के वरिष्ठ सदस्य हैं आप लोग तय करिये ताकि उसका जवाब हमारे वित्त मंत्री जी दे सकें.
श्री तरुण भनोत - सरकार हमें थोड़ी चलाना है. हम कैसे तय करेंगे. आप बताईये कि क्या सही है मैं उसको स्वीकार कर लूंगा अगर मैं और लक्ष्मण सिंह जी गलत हैं आप सही बता दीजिये ना.
श्री शैलेन्द्र जैन - आप बैठिये तो.
सभापति महोदया - आप बैठ जाईये.
श्री शैलेन्द्र जैन - अब सब जवाब ही हम दे देंगे तो वित्त मंत्री महोदय क्या करेंगे.
श्री तरुण भनोत - अंत में करना यही पड़ेगा आप ही को देना पड़ेगा. वह कुछ नहीं करेंगे.
श्री शैलेन्द्र जैन - मैं आपकी सरकार के द्वारा जो सामाजिक सुरक्षा पेंशन में वृद्धि की गई थी. 300 रुपये से बढ़ाकर 600 रुपये की गई थी. इस बात के लिये मैं आपको धन्यवाद देना चाहता हूं. पूरे सदन की ओर से धन्यवाद देना चाहता हूं लेकिन मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि आपने मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के अँतर्गत जो हमारी राशि थी उसको बढ़ाकर 51 हजार रुपये किया. आप मुझे यह बता दीजिये कि आपके 15 महिने के कालखण्ड में किस कन्या के खाते में पैसे जमा हुए. किस कन्या को इस राशि का लाभ मिला है. अकेले घोषणाएं कर देने से अकेले राशि बढ़ा देने से काम और सरकार का दायित्व पूरा नहीं होता. 51 हजार की राशि आपने की. मुझे अच्छा लगा था मुझे प्रसन्नता हुई थी लेकिन जब उन कन्याओं और उनके अभिभावकों ने आकर अपना दुखड़ा रोया,एक भी बेटी के खाते में एक भी पैसा आपने नहीं दिया. उसके लिये आपको इस बात के लिये कन्याएं कभी माफ नहीं करेंगी.
श्री लखन घनघोरिया - माननीय सभापति महोदया, 75 हजार शादियां 15 महिने में हुई हैं. 316 करोड़ रुपये का भुगतान हुआ है.
(...व्यवधान..)
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- शैलेन्द्र जी, सरकार बनने की उम्मीद थी नहीं, 500, 700 वचनपत्र में डाल दिये, अब सरमाथे आ गये. ...(व्यवधान)...
श्री शैलेन्द्र जैन-- आप उस विभाग के मंत्री थे. अनुसूचित जनजाति क्षेत्र के विकास के लिये कितनी बार अनुरोध किया, लेकिन एक भी पैसा आपने अनुसूचित जनजाति के विकास के लिये हमारे किसी भी साथी को नहीं दिया. आपको स्मरण होगा माननीय लखन जी, अभी हमारे सम्मानीय पूर्व वित्त मंत्री जी ने बेरोजगार भाईयों की व्यथा को चिन्हांकित करने का काम किया. मैं उनसे पूछना चाहता हूं आपका जो विजन डाक्यूमेंट था, आपका जो वचन पत्र था उस वचन पत्र में 4 हजार रूपये प्रतिमाह बेरोजगारों को देने के लिये घोषणा की थी, ...(व्यवधान)... यह घोषणा हमारी नहीं थी, यह घोषणा आपकी थी. हमारे बेरोजगार साथी पूछना चाहते हैं, ...(व्यवधान)... हमारे बेरोजगार नौजवान पूछना चाहते हैं कि आपने वह 4 हजार रूपये की राशि हमें क्यों नहीं दी. ...(व्यवधान)...
श्री तरूण भनोत-- सभापति महोदया, आप इनको बिठाईये, मैं बहुत महत्वपूर्ण बात रखना चाहता हूं. ...(व्यवधान)... आप हमसे पूछना चाहते हो ...(व्यवधान)... आप क्या कर रहे हैं बेरोजगारों के लिये ...(व्यवधान)... आप वित्तमंत्री महोदय से पूछिये कि उन्होंने बेरोजगारों के लिये क्या प्रावधान किया. अगर आप ऐसा करेंगे, आप तो ठीक है जब आखिरी में सीतासरन जी बोलेंगे तो हम लोग (हंसते हुये) चुप होकर बैठे रहेंगे. आप क्या चाहते हैं, आप हमसे सवाल नहीं पूछिये. आप जवाब दीजिये.
श्री शैलेन्द्र जैन-- आप बैठिये तो जनाब.
सभापति महोदया-- आप बैठ जाईये तरूण जी.
श्री तरूण भनोत-- माननीय सभापति महोदया, इनको जवाब देना है, यह सवाल पूछते हैं. ...(व्यवधान)...
श्री शैलेन्द्र जैन-- आपके भाषण से यह उद्भूत हुआ है. ...(व्यवधान)...
श्री तरूण भनोत-- इस बजट में से उद्भूत हुआ है जो आपने पेश किया है, जो प्रावधान नहीं किया, इसमें से आया है. ...(व्यवधान)...
श्री शैलेन्द्र जैन-- आपने किसान भाईयों की कर्जमाफी की बात कही है, मैं आपसे पूछना चाहता हूं, हमारे आमला क्षेत्र के विधायक महोदय ने अपनी पीड़ा का इजहार किया. चीन-चीन कर आपने कर्ज माफी का काम किया, हालांकि पूर्ण नहीं किया, लेकिन चिन्हित कर-कर के यह हमारा है, यह आपका है, यह पीली शर्ट वाला है, यह नीली शर्ट वाला है, यह केसरिया है ऐसा करके आपने किसान भाईयों में...(व्यवधान)...
श्री तरूण भनोत-- आप चिंता मेरी मत करो, आप चिंता करो गोपाल भार्गव जी की, गोविंद सिंह राजपूत की और किसकी भूपेन्द्र सिंह जी की ...(व्यवधान)...
जब ये बाहर जायेंगे तब आप अंदर आओगे. ...(व्यवधान)...
श्री हरिशंकर खटीक-- यह हम लोगों के अंदर का परिवार का मामला है, आपको कष्ट नहीं होना चाहिये. ...(व्यवधान)... आपको बहुत कष्ट हो रहा है. आपको चिंता नहीं होना चाहिये.
श्री तरूण भनोत-- कष्ट तो आपको भी है खटीक जी ...(व्यवधान)...
मंत्री नहीं बन पाये. ...(व्यवधान)...
श्री शैलेन्द्र जैन-- हमारी सरकार पर यह आक्षेप लगा रहे थे कि किसान भाईयों को नोटिस देने का काम किया, सरकार ने किसी भी किसान भाई को नोटिस नहीं दिया, उन बैंकों ने नोटिस दिया है जिन बैंकों ...(व्यवधान)...
सभापति महोदया-- तरूण जी आप बैठ जाईये ...(व्यवधान)... आपके सदस्य जब बोलेंगे तब वह जवाब देंगे न. ...(व्यवधान)...
श्री गोविंद सिंह राजपूत-- जब पूर्व वित्त मंत्री तरूण जी बोल रहे थे, पूरा सदन सुन रहा था. ...(व्यवधान)... माननीय विधायक बोल रहे हैं, जरा सुनने की आदत डालिये. ...(व्यवधान)... माननीय विधायक स्वयं एक उद्योगपति हैं वह वित्त के मामले में अच्छे से जानते हैं, आप सुनिये आगे चलकर काम आयेगा. ...(व्यवधान)...
श्री तरूण भनोत-- मेरे भाषण में भी सबने टोका टाकी की ...(व्यवधान)... वह तो कह रहे हैं कि गोविंद राजपूत को वापस ले जाओ मेरी जगह ले गया है.
श्री शैलेन्द्र जैन -- माननीय सभापति महोदया, उन किसान भाईयों ने यह सोचकर की हमारी कर्ज माफी होने वाली है, उन्होंने कर्ज का भुगतान करना बंद कर दिया, उन्होंने ब्याज का भुगतान करना बंद कर दिया, लेकिन न कर्ज माफी हुई, न वायदों को पूरा किया गया और वह किसान भाई घर बैठे बिठाये डिफाल्टर हो गये.
श्री तरूण भनोत -- फसल बीमा के नाम पर किसानों से छल, डमी चेक देकर फोटों खिंचवाये, फसल बीमा की राशि एकाउंट में नहीं डाली, धार भास्कर. तीन महीने पहले पटल पर आया, पैसा अभी तक नहीं पहुंचा, कहां फंस गया भाई?
सभापति महोदया -- श्री तरूण भनोत जी. (व्यवधान..)
श्री आशीष गोविन्द शर्मा -- ऐसी बहुत सारी कटिंग हमारे पास भी है तरूण भाई.
सभापति महोदया -- श्री तरूण भनोत जी आप बैठ जायें. श्री शैलेन्द्र जी को बोलने दीजिये.
श्री शैलेन्द्र जैन -- सभापति महोदया, इससे लय टूट जाती है. (व्यवधान)
सभापति महोदया -- (श्री तरूण भनोत, सदस्य द्वारा अपने आसन से लगातार कुछ कहने पर) आप बैठ जायें, उनको बोलने दीजिये. श्री भनोत जी आप जवाब मत दीजिये.
श्री तरूण भनोत -- गौशाला के पास ढेर में 85 प्रतिशत गायों की हड्डियां प्राप्त हुई, यह देखिये, आपकी सरकार है. गौमाता मर रही, किसानों का पैसा नहीं पहुंच रहा है, नौजवान डंडे खा रहा है और राम राज्य है.
सभापति महोदया -- श्री भनोत जी आप जवाब मत दीजिये.
श्री अरविंद सिंह भदौरिया -- श्री भनोत जी जो हमारे शैलेन्द्र जी बोल रहे हैं, आपने जो किसानों के साथ धोखा किया है. (श्री भनोत, सदस्य द्वारा अपने आसन से कुछ दिखाने पर) अब आप बैठ जायें, मैं आपके लिये बैठ गया था. आप वह कागज न दिखायें, आप हमारी तरफ देखें. तरूण भाई आप बैठ जायें. (व्यवधान)...
श्री आशीष गोविन्द शर्मा -- ऐसी बहुत सारी कटिंग मेरे पास भी है.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- सदन में अखबार नहीं दिखाया जा सकता है.
सहमारिता मंत्री(श्री अरविंद सिंह भदौरिया)-- एक्च्युअली माननीय सभापति महोदया, जो पैक सोसायटियों के आपने कर्ज माफ करने के जो वायदे किये थे. एक्च्युअली पैक सोसायटियां होती किसकी हैं? किसानों की अंशु पूंजी वहां पर जमा होकर, किसानों की पैक सोसायटियां हैं. किसानों की पैक सिसायटिंयों से किसानों के नाम पर पचास परसेंट, उसमें से कर्जे माफ करने की कोशिश की, इसके कारण कांग्रेस पार्टी ने उस समय जो है पूरी कोऑपरेटिव जो हमारी सोसायटियां बर्बाद करने का काम किया है, इसलिये किसानों का पैसा किसानों को वापस करने की कोशिश की है.
डॉ.गोविन्द सिंह -- ऐसा है, माननीय सभापति महोदया, आप दोनों की समीक्षा कर लो, पिछले कार्यकाल की और सवा साल हमारे कार्यकाल की. अगर हमारे समय में भ्रष्टाचार, सोसायटियों की थोड़ी बहुत मदद हुई है, तब आप कहना. हम उसके लिये तैयार है, अगर हमारे टाईम पर, हमारे समय में गिरी है, पहले ही आप मटिया मैट कर गये थे, तो बचा ही क्या था? आप देख लो जरा, आप एक साल का अपने विभाग के अधिकारियों को बुलाओ और अधिकारियों से बुलाकर पूछ लो.
राजस्व मंत्री(डॉ.गोविन्द सिंह राजपूत) -- डॉक्टर साहब आपके मन का विभाग नहीं था, आपको थोपा गया था, इसलिये आपने उसको चलाया है.
डॉ. गोविन्द सिंह --सभापति महोदया, सौंपा गया था, लेकिन हमने उसको सुधारने की कोशिश की. अब पूरी तरह से तो नहीं हो सकती थी, जब पूरा मटियामैट हो चुका था, तो कहां से होती. काले हाथ डालना उसमें कुछ है नहीं, बेकार में, सबसे ज्यादा सहकारिता नहीं है, भ्रष्टाचारिता विभाग है वह.
श्री जालम सिंह पटेल -- डॉक्टर साहब वर्ष 2003 के पहले भी बजट होता था. सड़क नहीं बनी, बांध नहीं बने, 24 घण्टे बिजली नहीं मिली, प्रधानमंत्री आवास नहीं, यह सब उस समय बन जाते 50 साल में, पैसा कहां से चला गया?
श्री तरूण भनोत -- सब कुछ 50 साल में ही बना. (व्यवधान)
सभापति महोदया -- श्री शैलेन्द्र जैन जी आप तो बोलिये. (व्यवधान)
श्री जालम सिंह पटेल -- मैं मूलभूत सुविधाओं की बात कर रहा हूं, वह क्यों नहीं बने, उस समय बजट कहां चला गया? (व्यवधान)
श्री शैलेन्द्र जैन --सभापति महोदया, ऐसे में तो हम कुछ बोल ही नहीं पायेंगे.
सभापति महोदया -- श्री शैलेन्द्र जैन जी आपका ही लिखा जायेगा और किसी का नहीं लिखा जायेगा.
श्री शैलेन्द्र जैन -- माननीय सभापति महोदया, हमारे काबिल दोस्त, चले गये वह कर्ज की बात कर रहे थे. इनके समय काल में जब वर्ष 2003 तक यह सत्ता में रहे, वर्ष 1993 से 2003 तक, तब इस सरकार के ऊपर कितना ऋण का बोझ था? इनसे पूछिये, उस समय इनके बजट की साईज क्या थी? 20 हजार, 25 हजार, 30 हजार और क्या जितनी राशि के हम अनुदान दे रहे हैं, उतनी राशि का मध्यप्रदेश सरकार का टोटल बजत होता था.
श्री तरूण भरोत -- माननीय सभापति महोदया, जितना कर्जा होता था, उससे ज्यादा का आप ब्याज भर रहे हैं, आप इसको स्वीकार नहीं करते हैं.
सभापति महोदया - भनोत जी, आप हर बात का जवाब देंगे तो कैसे चलेगा ?
श्री तरुण भनोत - इनको जवाब मेरी बातों का नहीं देना है. इनको बजट पर चर्चा करना है.
सभापति महोदया - भनोत जी, आपके अगले वक्ता जवाब देंगे.
श्री तरुण भनोत - यह मेरी बातों का जवाब दे रहे हैं. मैं वित्त मंत्री नहीं हूँ, भूतपूर्व हूँ. आपको बजट पर बोलना है.
सभापति महोदया - आप हर बात का जवाब देंगे तो कैसे चलेगा. भनोत जी, आप उन्हें बोलने दीजिये. जो आपके अगले वक्ता होंगे, वह उसका जवाब देंगे.
श्री शैलेन्द्र जैन - सभापति महोदया, इनके 10 वर्षों के कालखण्ड में, पूरे 10 वर्ष इनकी रेवेन्यू घाटे में रही. राजस्व घाटे का दसों वर्ष इनका बजट रहा. ऐसा कोई माह नहीं जाता था, जब ओवरड्राफ्ट की स्थिति न बनती हो. ऐसा कोई माह नहीं जाता था, जब अधिकारियों-कर्मचारियों की सैलरी पर रोक न लगा दी जाती हो, ऐसा कोई माह नहीं जाता था, जब हमारे निर्माण कार्यों से संबंधित हमारे जितने पूँजीगत व्यय होते थे, उनके निर्माण पर रोक न लगा दी जाती हो.
सभापति महोदया, लेकिन मुझे यह कहते हुए और सदन को बताते हुए प्रसन्नता होती है कि जब माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान जी, हमारी श्रद्धेय सुश्री उमा भारती दीदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी, तब वर्ष 2004-2005 से रेवेन्यू सरप्लस की स्थिति में पहली बार आया और 1,717 करोड़ रुपये का रेवेन्यू सरप्लस रहा. यह मैं इस सदन को बताना चाहता हूँ, उसके बाद लगातार वर्ष 2004-2005, वर्ष 2005-2006 लगतार रेवेन्यू सरप्लस की स्थिति बनी और यह जिस कर्ज की बात कर रहे हैं, माननीय सभापति महोदया, वर्ष 2000-2001 में इन्होंने जो कर्ज लिया था, उस कर्ज पर जो ब्याज का भुगतान था, वह राजस्व के प्रतिशत के हिसाब से 18 प्रतिशत था, वर्ष 2001-2002 में 20 प्रतिशत, वर्ष 2002-2003 एवं वर्ष 2003-2004 में क्रमश: 19 प्रतिशत एवं 22 प्रतिशत, आज वर्ष 2021-2022 में, जो कुछ भी ब्याज हम दे रहे हैं, वह हमारी रेवेन्यू का 11 प्रतिशत है, 12 प्रतिशत है एवं 10 प्रतिशत है. यह हमारे पिछले वर्षों के रिकॉर्ड हैं, आप उठाकर देख लीजिये. अब आप यह बताइये कि लोन अधिक किसने लिया था, लोन उस समय लिया गया था या इस समय लिया गया. उस समय तो आपके लोन लेने की स्थिति नहीं थी, उस समय लोन लेने की आपमें ताकत नहीं थी. आज मध्यप्रदेश सशक्त बना है, आज मध्यप्रदेश अर्थव्यवस्था का स्तम्भ बना है. इसलिए इतने लोन लेकर और लोन लेने के पश्चात्, हमने उस लोन का क्या किया ?
सभापति महोदया, मैं बताना चाहता हूँ. लाड़ली लक्ष्मी योजना, प्रथम करके समाप्त नहीं कर ली, लाड़ली लक्ष्मी योजना द्वितीय के बारे में हमने चिन्ता की है. हमारी लाड़ली लक्ष्मियां जो उच्च शिक्षा ग्रहण करने की स्थिति में आ गई हैं. उनके उच्च शिक्षा की व्यवस्था करने के लिए, हमारी इस सरकार ने इस बजट में प्रावधान किया है. मैं सरकार को, सम्मानीय वित्त मंत्री महोदय को उनकी इस हृदयशीलता के लिए उनको बधाई देना चाहता हूँ. हमारे सामने बैठे हुए मित्रों की जब 15 माह की सरकार थी. वह मजदूरों की दुनिया की सबसे बड़ी योजना- संबल योजना को, जिसके माध्यम से हजारों-लाखों मजदूर भाइयों को लाभ हुआ, वे लाभान्वित हुए. इतनी महत्वपूर्ण योजना को बंद करने का जो पाप किया है, वह किसने किया था, वह आपने किया था. मध्यप्रदेश सरकार के माननीय शिवराज सिंह जी चौहान के चौथी बार मुख्यमंत्री बनने के पश्चात, हमने संबल योजना जैसी महत्वपूर्ण योजना को फिर से शुरू करने का काम किया है, इसके लिए हमें अगर ऋण लेने की जरूरत पड़ी तो हम ऋण जरूरी लेंगे.
श्री कमलेश्वर पटेल - सभापति महोदया...(आसन पर खड़े होने पर)
श्री शैलेन्द्र जैन - कमलेश्वर भाई जरा रुक जाओ, अरे मेरे दोस्त जरा रुक तो जाओ यार, मुझे अभी बहुत लंबा बोलना है, जरा सुनने की ताकत रखिए.
सभापति महोदया - पटेल साहब आप बैठ जाइए, जब आपकी बारी आएगी, तब आप जवाब दीजिए.
श्री शैलेन्द्र जैन - सभापति महोदया, मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना जैसी महत्वकांक्षी, महत्वपूर्ण योजना जिसकी लोकप्रियता पूरे मध्यप्रदेश के अंदर थी, हमारे बुजुर्ग लोगों को तीर्थदर्शन करवाने की मुख्यमंत्री जी ने अद्भुत पहल की थी, उसका अनुसरण पूरी दुनिया ने किया, उसका अनुसरण किया पूरे भारत वर्ष के राज्यों ने. उस योजना को आपने पलीता लगाने का काम किया, उस योजना को आपने बंद करने का काम किया और अगर ऐसी ही तमाम योजनाओं के लिए ऋण लेने की आवश्यकता पड़ी तो एक बार नहीं 10 बार ऋण लिया जाएगा.
सभापति महोदया, ऐसा नहीं कि अकेले सत्तापक्ष के विधायकों को मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान का लाभ मिल रहा है. आज ऐसे लोग जो बीमार हैं, जो बड़े बड़े इलाज कराने के लिए सक्षम नहीं है और ऐसे लोग भी होते हैं, जिनके पास आयुष्मान कार्ड नहीं है और जिनके पास आयुष्मान कार्ड हैं, उन्हें पांच लाख रुपए तक की राशि का उनका इलाज मुफ्त हो रहा है. ऐसे लोग जिनका आयुष्मान कार्ड नहीं बन पा रहा है, वर्ष 2011 की सूची में जिनके नाम नहीं है, वे क्या करेंगे, ऐसे गरीब लोगों को इलाज करवाने के लिए मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान के माध्यम से हजारों लाखों परिवारों को सहायता पहुंचाने का काम किया है. (...व्यवधान)
श्री विनय सक्सेना - किसी को स्वेच्छानुदान की राशि नहीं मिलती है, सभी को रिजेक्ट कर दिया जाता है. आपकी सरकार सबका साथ, सबका विकास की बातें भर करती हैं, लेकिन पैसा देने में, गरीबों के इलाज में भेदभाव करती है, ये बिल्कुल स्पष्ट बात है. (...व्यवधान)
सभापति महोदया - विधायक जी, आप बैठ जाइए.
श्री शैलेन्द्र जैन - सभापति महोदया, हमारी सरकार ने सड़कों के निर्माण को प्राथमिकता के साथ में लिया है. सड़कें किसी भी राज्य की अर्थव्यवस्था की लाइफ लाइन होती है. जैसे शरीर में कोशिकाएं होती हैं, रक्तवाहिनी होती हैं, वैसे ही सड़कें किसी भी प्रदेश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. हमारी सरकार ने कोविड काल के संक्रमण के दौरान भी वर्ष 2021-22 में लगभग दो हजार नई सड़कें बनाने का काम किया. इतनी ही सड़कों का नवीनीकरण किया गया, सुदृढ़ीकरण किया गया, उनकी स्ट्रेथिंनिंग और उनकी बाइडनिंग का कार्य किया गया और वर्ष 2022-23 के लिए हमारी सरकार ने जो अपना अनुमान किया है, लगभग 3 हजार सड़कों का निर्माण किया जाएगा, 88 बड़े पुलों का निर्माण किया जाएगा और एक काम हमारी सरकार ने जो शुरूआत की है, उसके लिए वित्तमंत्री महोदय का धन्यवाद करता हूं. संपत्ति के संधारण के लिए, रखरखाव के लिए, उनकी पुताई के लिए, मरम्मत के लिए पहले कभी कोई मद सृजन नहीं किया गया था, पहली बार उस मद का सृजन किया गया है, ऐसी लोकप्रिय सरकार को मैं धन्यवाद देना चाहता हूं.
हमारा अटल प्रगति पथ, प्रगति के पथ पर आगे बढ़ रहा है, लगभग 404 किलोमीटर का 8 हजार करोड़ रूपए का हमारा प्रगति पथ आगे बढ़ रहा है, उससे भिण्ड, मुरैना, श्योपुर जैसे हमारे जो क्षेत्र हैं, वहां पर विकास की अपार संभावनाएं विकसित होने वाली हैं, लोगों को रोजगार मिलने वाला है, लॉजिस्टिक हब बनने वाले हैं, ये तमाम कार्य हमारी सरकार कर रही है.
श्री शैलेन्द्र जैन--नर्मदा प्रगति पथ का निर्माण कार्य शुरू हो गया है. मां नर्मदा मईया के चारों ओर लगभग 906 किलोमीटर लंबा प्रगति पथ बनने की ओर अग्रसर है.
श्री रविन्द्र सिंह तोमर--सभापति महोदया, मैंने पहले भी निवेदन किया था उसका नाम यदि बदल दिया गया तो राम प्रसाद बिसमिल जिन्होंने आजादी आंदोलन में प्राण देकर के चंबल घाटी का नाम ऊंचा किया है, वह होना चाहिये.
श्री शैलेन्द्र जैन-- सभापति महोदया, अटल जी भी हमारे चंबल के गौरव थे. आप इतिहास-भूगौल का कुछ तो ख्याल रखिये.
श्री बहादुर सिंह चौहान--अटल जी ग्वालियर के ही थे तथा वे देश के प्रधानमंत्री जी थे.
सभापति महोदया--माननीय विधायक जी आप बैठ जाईये.
श्री रविन्द्र सिंह तोमर--सभापति महोदया, मेरा निवेदन है कि इसमें किसानों की जमीनें जो डूब में आयी हैं उनको दोगुनी करके दें. किसान अभी अपनी जमीन देने के लिये राजी नहीं है. जिस प्रकार से किसान जमीन चाह रहे हैं. उस प्रकार से उनको दी जाये.
श्री शैलेन्द्र जैन-- सभापति महोदया, सिंचाई के क्षेत्र में हमारी सरकार ने जो प्रगति की है. जिस तरह से सिंचाई के संसाधनों को बढ़ाने का काम किया है. यह निश्चित रूप से किसान भाईयों के लिये एक मील का पत्थर साबित हुआ है. हम 7 लाख हैक्टेयर से इस समय लगभग 43 लाख हैक्टेयर सिंचाई के क्षेत्र में पहुंचने में सफल हो रहे हैं. वर्ष 2025 तक हमारी सिंचाई क्षमता को 65 लाख हैक्टेयर तक पहुंचाने का हमारा लक्ष्य है. सिंचाई के साधन जैसे ही बढ़ते जायेंगे इससे किसान खुशहाल होगा. माननीय प्रधानमंत्री जी का जो लक्ष्य किसान भाईयों की आय को दोगुनी करने का, उस लक्ष्य को हम जरूर प्राप्त करेंगे. केन लिंक परियोजना का उल्लेख जरूर होना चाहिये, क्योंकि इस परियोजना के माध्यम से हमारे बुंदेलखण्ड के जो हमारा पिछड़ा हुआ क्षेत्र है. उस बुंदेलखण्ड के क्षेत्र का द्वार खुलने वाला है. इसके माध्यम से लगभग 8 लाख 11 हजार हैक्टेयर अतिरिक्त भूमि पर सिंचाई के साधन उपलब्ध होंगे. इससे लगभग 40 लाख परिवारों को शुद्ध पेयजल प्राप्त होने वाला है. इससे लगभग 103 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा.
श्री लक्ष्मण सिंह--केन बेतवा लिंक परियोजना के मैं खिलाफ नहीं हूं इससे सिंचाई होगी अच्छी बात है. मैं एक सुझाव देना चाहता हूं कि कई पर्यावरणविदों से इस बारे में चर्चा करके मैं इस प्रस्ताव को रख रहा हूं कि निर्माण स्थल थोड़ा बदल दिया जाये बहुत सारा पन्ना नेशनल पार्क का जो आरक्षित जंगल है, जहां पर बाघ विचरण करते हैं वह क्षेत्र बच जायेगा और बहुत सारे आदिवासियों के गांव डूबने से बच जायेंगे. इसको हम पवई के पास हम बनाते हैं तो इससे मध्यप्रदेश में सिंचाई तो होगी ही और मध्यप्रदेश को ज्यादा पानी मिलेगा, बजाय अभी जो पानी मिल रहा है, अभी पानी कम मिल रहा है उत्तरप्रदेश को ज्यादा मिल रहा है. अगर स्थान को परिवर्तित करके आप पवई के पास बनाते हैं तो मध्यप्रदेश का ज्यादा क्षेत्र सिंचित होगा और पन्ना नेशनल पार्क का एक बड़ा ऐतिहासिक पार्क जहां पर पांडवों के विश्राम करने का इतिहास है. यह भी नेशनल पार्क के अंदर है, यह सब बच जायेगा. धन्यवाद.
श्री शैलेन्द्र जैन-- सभापति महोदया, हमारे वरिष्ठ सदस्य ने जो विचार व्यक्त किये हैं उससे मैं अपनी सहमति व्यक्त करता हूं. इसमें आवश्यकता अगर पड़ेगी तो हम भी साथ में चलने के लिये तैयार हैं. ऊर्जा के क्षेत्र में हमारी सरकार ने बहुत अच्छा काम किया है. ऊर्जा के क्षेत्र में आपके द्वारा एवं सरकार के द्वारा किये गये अच्छे कार्यों की वजह से जो हमारी ऋण लेने की क्षमता है. उस क्षमता को 0.5 प्रतिशत बढ़ाने में हमारी ऊर्जा के क्षेत्र में बहुत बड़ा योगदान दिया है और आज मैं, आपके माध्यम से पूरे सदन को भी बधाई देता हूं और मध्यप्रदेश की साढ़े आठ करोड़ जनता को बधाई देता हूं कि कल अपने उद्बोधन में माननीय मुख्यमंत्री जी ने कोविड काल के वो बिल जो उस समय स्थगित कर दिये गये थे, उन स्थगित बिलों को माफ करने की घोषणा की है उनके लिये मैं, साधुवाद देना चाहता हूं, बधाई देना चाहता हूं.
सम्माननीय सभापति महोदया, नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में हमारी सरकार ने बहुत अच्छा काम किया है, परिणाम यह निकला की लगभग जो 21हजार मेगावाट की हमारी टोटल स्थापित क्षमता है उसका 25 प्रतिशत है, लगभग 5 हजार मेगावाट बिजली उत्पादन हम नवकरणीय ऊर्जा और जो हमारे गैर परम्परागत स्त्रोत हैं, उनसे कर रहे हैं. यह भी अपने आप में एक बहुत बड़ा कीर्तिमान है. मैं सम्माननीय वित्त मंत्री महोदय, को बुन्देलखण्ड की जनता की ओर से धन्यवाद देना चाहता हूं कि वर्ष 2022-23 के नये बजट में एक सोलर पावर प्लांट सागर जिले में 1500 मेगावाट का और एक सोलर प्लांट छतरपुर जिले में 1500 मेगावाट का स्थापित करने का इस बजट में उन्होंने प्रावधान किया है. मैं उनके प्रति हम बुन्देलखण्डवासियों की ओर से धन्यवाद देना चाहते हैं.
सम्माननीय सभापति महोदया, किसी भी प्रदेश की और देश की अर्थव्यवस्था की सम्पन्नता की कल्पना नहीं की जा सकती है. संक्रमणकाल में, कोविड काल में जबकि हमारी सरकार ने सत्ता के सूत्र सम्भाले थे उन दो वर्षों में हमारी सरकार ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 1लाख, 72 हजार करोड़ रूपये किसान भाइयों को देने का काम किया है. यह भी आज तक के इतिहास में एक कोई कीर्तिमान बनकर उभरकर आया है. यहां मैं जैविक खेती की बात जरूर करना चाहता हूं. जैविक खेती आज की आवश्यकता है.
श्री शंशाक श्रीकृण्ण भार्गव:- माननीय सभापति महोदय, हमारे माननीय सदस्य 1 लाख, 72 हजार करोड़ रूपये की बात कर रहे हैं. उसमें गेहूं खरीदी का 66 हजार करोड़ रूपये भी शामिल हैं. आपने 66 हजार रूपये गेहूं का पैसा दिया है वह सहायता राशि नहीं है.
श्री शैलेन्द्र जैन:- 66 हजार है. नहीं है, कौन बोल रहा है.
श्री शंशाक श्रीकृण्ण भार्गव:- ऋण दिया है 30 हजार करोड़ रूपये का. वह सहायता राशि नहीं है.
श्री शैलेन्द्र जैन:-भार्गव जी, मैं कह ही नहीं रहा हूं कि वह अनुदान है.
श्री शंशाक श्रीकृण्ण भार्गव:- वह सहायता राशि नहीं है, आपने कहा है कि सहायता राशि है.
सभापति महोदय:- आप बैठ जायें, उनको बोलने दीजिये.
श्री शैलेन्द्र जैन:- लेकिन उसमें बीमा की राशि तो है ? जो बीमा की राशि आप लोगों की अक्षमता के चलते नहीं मिल पायी थी.( व्यवधान)
श्री शंशाक श्रीकृण्ण भार्गव:- बीमा का प्रीमियम..
श्री तरूण भनोत :-अब फिर वही बात. (व्यवधान) हमने फसल बीमा राशि जमा की है, आप बार-बार असत्य बोलेंगे तो हम मान थोड़े ही लेंगे.
श्री शैलेन्द्र जैन:- अब यह भोजन करके आ गये हैं.
श्री तरूण भनोत:- मैं भोजन करके नहीं आया हूं.
श्री शैलेन्द्र जैन:- मैं खाली पेट हूं, मुझे भी भूख लग रही है.
श्री तरूण भनोत:- जाओ भोजन करो, बंद करो कितना असत्य बोलोगे.
श्री रघुनाथ सिंह मालवीय:- आप तो बार-बार खड़े हो जाते हो वक्ता को बोलने तो देते ही नहीं हो.
श्री जालम सिंह पटैल:- मनमोहन सिंह जी की सरकार के समय कोयला घोटाला हुआ था 1 लाख, 72 हजार रूपये का. आप तो कोर्ट का निर्णय भी मानने को तैयार नहीं है.
सभापति महोदया:- आप हर बात का जवाब देंगे.( श्री तरूण भनोत जी के खड़े होने पर.)
श्री तरूण भनोत:- माननीय सुप्रीम कोर्ट का, यह बात रिकार्ड से निकाली जाये कि सदस्य महोदय ने कहा कि 1 लाख, 72 हजार करोड़ रूपये का घोटाला हुआ. यह सुप्रीम कोर्ट की अवमानना है. उसमें सुप्रीम कोर्ट निर्णय दे चुका है कि कोई घोटाला नहीं हुआ है और जो तत्कालीन कैग थे विनोद राय वह माफी मांग चुके हैं.
सभापति महोदय:- भनोत जी, आप बैठ जायें.
श्री तरूण भनोत:- और जो कैग थे जिन्होंने आरोप लगाये थे वह माफी मांग चुके हैं. आप यहां बैठ कर कुछ भी कहेंगे.
सभापति महोदय:- भनोत जी, आप बैठ जायें.
डॉ.सीतासरन शर्मा:-रिकार्ड से तो निकाल नहीं सकते हो, जो है तो वह है.
श्री तरूण भनोत:- क्यों वह तो नहीं है, जो है सो है. मेरी मर्जी, मैं चाहे ये करूं, मैं चाहूं वो करूं, आप भी ऐसे ही हो गये हैं. आप तो ऐसे नहीं थे.
सभापति महोदय:- भनोत जी बैठ जाइये. शैलेन्द्र जी एक मिनट में अपनी बात समाप्त करिये.
श्री शैलेन्द्र जैन:- पांच मिनट में समाप्त करता हूं. जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिये ..
श्री तरूण भनोत:- जैविक खेती में 74 करोड़ रूपये का घोटाला हुआ है,सदन में स्वीकार किया है.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव- सभापति महोदया, जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए मध्यप्रदेश की पूरी सोसायटियों में खाद और बीज दिया जा रहा है, जो किसान लेना नहीं चाहता था.
(...व्यवधान...)
श्री आशीष गोविंद शर्मा- भार्गव जी, मध्यप्रदेश जैविक खेती में नंबर वन पर पहुंच गया है.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव- यदि मध्यप्रदेश जैविक खेती में नंबर वन होता तो आज किसानों को रासायनिक खाद और डी.ए.पी. की जरूरत नहीं होती.
श्री शैलेन्द्र जैन- सभापति महोदया, मैं आपके माध्यम से, माननीय कृषि मंत्री महोदय आज यहां नहीं है लेकिन माननीय वित्त मंत्री महोदय, उन तक हमारी बात का संप्रेषण करेंगे, पेस्टिसाइड-इंसेक्टिसाइड और कीटनाशक जो भी हैं, इनका इतनी बड़ी मात्रा में, इतनी प्रचुर मात्रा में इस्तेमाल हो रहा है और वह इस्तेमाल असंतुलित हो रहा है, किसान भाईयों को ये नहीं पता है कि हमें पेस्टिसाइड-इंसेक्टिसाइड का इस्तेमाल कितनी मात्रा में करना चाहिए इसलिए हमारी जो सब्जियां पैदा हो रही हैं, विषाक्त हो रही है और उस कारण से अभी जो कैंसर के मरीज बढ़ रहे हैं, यह पूरे प्रदेश और देश के लिए चिंता का विषय है.
सभापति महोदया, मैं, आपके माध्यम से निवेदन करना चाहता हूं कि जब कोई भी नई फसल लगाई जायेचाहे रबी की हो या खरीफ की हो, तो किसानों की जमीन का सबसे पहले, उनकी खेत की मिट्टी का परीक्षण करवा लेना चाहिए. उसमें किस तरह के पेस्टिसाइड-इंसेक्टिसाइड की आवश्यकता है, देखना चाहिए.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव- सभापति महोदया, 472 मिट्टी परीक्षण की प्रयोगशालायें हैं लेकिन वहां कोई कर्मचारी नहीं है.
एडवोकेट हर्ष यादव- शैलेन्द्र भाई, हमारे जिले में मशीनें लगी हुई हैं, प्रयोगशालायें बन गई हैं लेकिन वहां परीक्षण करने वाले नहीं है, वहां करोड़ों की मशीनें लगी हुई हैं लेकिन आप लोग परीक्षण करने वालों की नियुक्ति नहीं कर पाये.
श्री विजय रेवनाथ चौरे- सभापति महोदया, मिट्टी परीक्षण की शालाओं में कोई अधिकारी/कर्मचारी नहीं हैं, वहां जानवर बैठते हैं.
श्री शैलेन्द्र जैन- हमारे माननीय साथी को कौन बताये कि यह मिट्टी के परीक्षण को करने वाला कार्य भी, हमारी सरकार द्वारा किया गया था.
(...व्यवधान...)
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव- यह केंद्र सरकार की नीति है.
श्री आशीष गोविंद शर्मा- माननीय नरेंद्र मोदी जी ने मिट्टी परीक्षण की प्रयोगशालायें खुलवाई हैं.
(...व्यवधान...)
श्री शैलेन्द्र जैन- सभापति महोदया, केवल जैविक खेती करने से काम नहीं चलेगा लेकिन उसकी मार्केटिंग करने का भी कोई तंत्र जरूर तैयार करना चाहिए.
श्री तरूण भनोत- उसका प्रावधान बजट में होना चाहिए था.
श्री पी.सी.शर्मा- सभापति महोदया, यह कार्य तो सरकार करेगी और कौन करेगा ?
श्री शैलेन्द्र जैन- हम सरकार से ही तो निवेदन कर रहे हैं.
श्री तरूण भनोत- आप निवेदन कर रहे हैं, इसका मतलब ये बजट बेकार है.
श्री शैलेन्द्र जैन- सभापति महोदया, जैविक उत्पादों के लिए अलग से हाट-बाजार होने चाहिए.
सभापति महोदया- जैन जी, आप अपनी बात जल्दी समाप्त करें.
श्री शैलेन्द्र जैन- सभापति महोदया, वे लोग बीच में बोल रहे हैं और आप मुझे बैठने के लिए कह रही हैं. मैं, केवल एक-दो और महत्वपूर्ण विषयों को रखकर अपनी बात समाप्त करूंगा.
श्री तरूण भनोत- सभापति महोदया, आपने हमसे ज्यादा समय इन्हें दिया है.
सभापति महोदया- नहीं दिया है भाई, आपको दिया है.
श्री शैलेन्द्र जैन- सभापति महोदया, हमारे जनजातीय क्षेत्रों में, जहां पर बहुत दूर-दूर राशन की दुकानें हैं और हमारे उन जनजातीय भाई-बहनों को राशन लेने के लिए बहुत लंबी दूरी तय करनी पड़ती थी, ऐसे जनजातीय क्षेत्रों में उनके घरों तक नि:शुल्क और न्यूनतम राशि के साथ, राशन की डिलीवरी की है, यह प्रयोग आप भी कर सकते थे, आप केवल तालियां बजाते रहना.
श्री विजय रेवनाथ चौरे- सभापति महोदया, कोई राशन घर पर नहीं पहुंच रहा है, माताओं-बहनों को, अभी-भी 10-10 किलोमीटर पैदल जाना पड़ता है.
(...व्यवधान...)
सभापति महोदया- माननीय सदस्य, आप बैठ जाईये, आपको, अपनी बात रखने का भी समय मिलेगा.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव- माननीय सदस्य, यह बतायें कि वर्ष 2013 में "भोजन का अधिकार" किसने दिया है, किसने कानून बनाया है, 5 किलोग्राम गेहूं देने का, शायद इस बात की जानकारी इनको नहीं है, यदि उसको आगे बढ़ाते हुए सरकार ने राशन को घर तक पहुंचाने की व्यवस्था कर दी, तो उसके लिए पीट थपथपाने का काम नहीं, डॉक्टर मनमोहन सिंह जी को धन्यवाद देना चाहिए कि उन्होंने भोजन के अधिकार का कानून इस हिन्दुस्तान की गरीब जनता के लिए बनाया.
सभापति महोदया- भार्गव जी, यह प्रश्न काल नहीं है, आप कृपया बैठ जायें.
श्री शैलेन्द्र जैन- सभापति महोदया, एक रुपये किलोग्राम गेहूं, चावल, नमक यह सब किसने शुरू किया था, पूछो पंडित जी से और दूसरी बात इस संक्रमण काल में पूरी की पूरी बी.पी.एल. की, राशन की, जो राशि मिल रही थी. उतनी ही राशि का उतनी ही मात्रा की राशि सम्मानित प्रधानमंत्री जी ने विशेष रूप से पूरे हिन्दुस्तान के लोगों के लिए दी थी वह अभी भी प्रचलन में है मैं उनके प्रति भी धन्यवाद व्यक्त करना चाहता हूं.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव-- अति गरीबी रेखा के कार्ड बंद कर दिए. उस पर 35 किलो अनाज मिलता था. अब मात्र पांच किलो दे रहे हैं.
सभापति महोदया-- विधायक जी आप बैठ जाइए. यह कोई प्रश्नकाल नहीं है.
श्री शैलेन्द्र जैन-- माननीय सभापति महोदया, रोजगार के बारे में हमारे मित्रों ने बहुत चिंता की है.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत-- हमारे इतने विद्वान विधायक बोल रहे हैं आप लोग क्यों व्यवधान पैदा कर रहे हैं.
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- सबसे बड़े विद्वान तो आप हो आप ही बैठ जाइए सब बैठ जाएंगे.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत-- ओमकार जी फायनेंस आपके दिमाग के ऊपर से निकल जाएगा. आप कहां फायनेंस के चक्कर में पड़े हो.
श्री पी.सी. शर्मा-- गोविन्द भाई यह फायनेंस का मामला तो केवल आपको ही मालूम है, आपके साथ वालों को मालूम है.
सभापति महोदया-- विधायक जी आप बैठ जाइए. यह प्रश्नकाल नहीं है. आप शैलेन्द्र जी को बोलने दीजिए. जैन साहब आप अपनी बात रखिए.
श्री रामपाल सिंह-- माननीय सभापति महोदया, यह बहुत ही आपत्तिजनक है जब मंत्री जी बोलें तो आप समय लें और बोलिए आपका विषय रखिए, लेकिन जब हमारे विद्वान विधायक आपके बता रहे हैं तो आपको तकलीफ नहीं होना चाहिए. आप आंकड़ों से क्यों घबरा रहे हैं. बार-बार खड़े होकर व्यवधान उत्पन्न कर रहे हैं. यह बहुत ही आपत्तिजनक है. ऐसा कभी नहीं देखा है यह पहली बार देख रहे हैं कि एक विधायक बोल रहे हैं तो आप टोक रहे हैं. मंत्री भी बोल रहे होते तो आप एक बार टोक सकते थे. आप उन्हें उनका विषय रखने दीजिए कृपा कीजिए.
श्री तरुण भनोत-- हमें बोलने दिया था. (सीट से बैठे-बैठे)
श्री शैलेन्द्र जैन-- मैंने आपको एक बार भी नहीं टोका. आप कार्यवाही निकलवा लीजिए.
श्री तरुण भनोत-- मैं आपको नहीं टोकूंगा. (सीट से बैठे-बैठे)
श्री शैलेन्द्र जैन-- माननीय सभापति महोदया, वर्ष 2021-2022 में लगभग 12 हजार शिक्षकों की नियुक्ति की गई. आगामी वर्ष 2022-2023 में 13 हजार नए शिक्षकों की भर्ती करने का हमारा लक्ष्य है. पुलिस आरक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया चालू है लगभग 6 हजार पुलिस आरक्षकों की भर्ती वर्ष 2022-23 में पूर्ण होगी. जनजाति शिक्षा के क्षेत्र में हमारे सरकार की जो कमिटमेंट है, जो प्रतिबद्धता है 4 हजार 137 ऐसे शिक्षक वहां पर पदस्थ किए गए हैं जो जनजाति बाहुल्य क्षेत्र हैं और आगामी वर्ष 2022-2023 में 11 हजार 556.. (व्यवधान)
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- आपके शासनकाल में आपका 5 हजार स्कूलों को बंद करवाने का प्रस्ताव है और जनजाति विभाग के बजट में तो आप और विभागों को दे रहे हो, जनजातियों का तो आप नुकसान कर रहे हो.
सभापति महोदय-- आप शैलेन्द्र जैन जी को बोलने दीजिए.
श्री शैलेन्द्र जैन-- आपने बजट नहीं देखा है कि कितने प्रतिशत का इजाफा किया है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- शैलेन्द्र जी अब गला दुख गया होगा. अब रहने दो बहुत देर हो गई है.
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- मैं आपको बता दूं कि बजट में हमारा 22 प्रतिशत का अधिकार बनता है. उसमें 2 लाख 80 हजार करोड़ रुपए में हमारा 55 हजार करोड़ रुपए का अधिकार है. आप 10 हजार करोड़ रुपए दे रहे हो. डीएसपी के प्लान में हमारा 22 प्रतिशत बजट के अलॉटमेंट में आना चाहिए आप कहां दे रहे हैं.
सभापति महोदया--माननीय विधायक जी यह प्रश्नकाल नहीं है. आप कृपया बैठ जाइए.
श्री शैलेन्द्र जैन-- कृपया कर मुझे अपना भाषण समाप्त करने दें. सभापति महोदया, वर्ष 2021-2022 में 28.6 लाख व्यक्तियों को 14 हजार 551 रुपए का ऋण देकर जोड़ने का काम भी किया है यह भी बहुत बड़ा कीर्तिमान है. मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना इसमें 100 करोड़ का प्रावधान किया गया है कि यह एक क्रांतिकारी योजना है इससे निश्चित रूप से हमारे नौजवान भाइयों के लिए एक बहुत बड़ा...
श्री आलोक चतुर्वेदी-- सभापति महोदया, शैलेन्द्र जी उद्यम क्रांति के बारे में कह रहे हैं. इसमें टारगेट फिक्स किए गए हैं. एक-एक जिले में मात्र 100 या 50 लोगों को उद्यम क्रांति का लाभ मिल रहा है. पूरे मध्यप्रदेश में पांच हजार लोगों को लाभ मिलना है इस टारगेट को बढ़वाइए.
श्री आलोक चतुर्वेदी -- मैं आपसे यह कह रहा हूँ कि आप टारगेट को बढ़वाइए ताकि मध्यप्रदेश के लोगों को और अधिक लाभ मिल सके.
श्री शैलेन्द्र जैन -- आप जागृत अवस्था में बने रहिए हम टारगेट जरुर बढ़ाएंगे.
श्री आलोक चतुर्वेदी -- बजट का सवाल है बजट में शामिल होगा तो लोगों को लाभ मिलेगा.
डॉ. अशोक मर्सकोले -- आलोक भैया एक बात भूल गए अभी दो साल के बाद यह मुख्यमंत्री उद्यमी योजना लागू की गई है इससे पहले दो साल बंद हो गई थी.
सभापति महोदया -- यह प्रश्काल नहीं है, विधायक जी बैठ जाइए.
श्री शैलेन्द्र जैन -- अब यह डॉक्टर साहब अपना नर्सिंग होम चलाएंगे या उद्यमी योजना. डॉक्टर साहब आप एक बहुत बड़े सर्जन हैं आप अपना काम जरुर करिए.
सभापति महोदया, मैं, अंत में हमारी सरकार को, सम्माननीय शिवराज सिंह जी को हमारे विद्वान वित्त मंत्री महोदय को इस बहुत ही अच्छे बजट के लिए, समयानुकूल और क्रांतिकारी बजट के लिए बधाई देते हुए इन शब्दों के साथ अपनी बात समाप्त करुंगा कि --
मंजिल मिल ही जाएगी, मुश्किल ही सही,
गुमराह तो वो हैं जो घर से निकले ही नहीं.
माननीय सभापति महोदया, बहुत- बहुत धन्यवाद.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ (महेश्वर) -- माननीय सभापति महोदया, माननीय वित्त मंत्री द्वारा जो बजट प्रस्तुत किया गया है उसका मैं विरोध करती हूँ और कटौती प्रस्ताव का समर्थन करती हूँ.
सभापति महोदया, इस बजट को देखकर ऐसा लगता है कि अर्थव्यवस्था वेंटीलेटर पर है, रोजगार सृजन कोमा में चला गया है. न नौकरी है न रोजगार है. कृषि के क्षेत्र में भी मंदी की दशा चल रही है. कृषक मार खा रहा है. बेहद खराब आर्थिक प्रबंधन के चलते रोजगार में भारी कमी है जिससे युवा वर्ग जो कल का भविष्य है उसका भविष्य अन्धकारमय है. जब उसका भविष्य अंधकारमय है तो देश तो गर्त में जा ही रहा है. गृहिणी की थाली में से एक-एक चीज खिसकती जा रही है. उसका स्वरुप छोटा होता जा रहा है.
डॉ. योगेश पण्डाग्रे -- देश गर्त में जा रहा है मतलब राजस्थान भी उसमें इनक्लूड कर रहे हो क्या. अभी तो अपन प्रदेश की बात कर रहे हैं.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ -- आप तो चुप ही रहिए भाई साहब. आपकी बारी आएगी तब आप बोलिएगा.
इंजीनियर प्रदीप लारिया -- 15 महीने आपने बेरोजगारी भत्ता क्यों नहीं दिया.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ -- यह मोदी जी से पूछिए.
इंजीनियर प्रदीप लारिया -- आपको अवसर मिला आपने बेरोजगारी भत्ता दिया नहीं, कह रही हैं देश गर्त में जा रहा है.
सभापति महोदया -- विधायक जी सदस्या को बोलने दीजिए. (व्यवधान)
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ -- सभापति महोदया, केन्द्र सरकार ने हर साल जब वर्ष 2014 में...आपको तो डेढ़ घंटा मिला आपको तो खुली छूट दी थी हमारे ओपनर के समय में कटौती कर दी. (व्यवधाऩ)
श्री शैलेन्द्र जैन -- आपके माननीय आईसीयू में हैं. (व्यवधाऩ)
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ -- आईसीयू में नहीं हैं. आईसीयू में तो आप थे जब आप दो थे. (व्यवधाऩ)
इंजीनियर प्रदीप लारिया -- कांग्रेस पार्टी पूरे देश में वेंटीलेटर पर है. (व्यवधाऩ)
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ -- मात्र पूरे देश में दो थे, दो से यहां पर आए हो. (व्यवधाऩ)
श्री शैलेन्द्र जैन -- यू पी में दो ही बचे हैं. प्रदर्शनी में रखे गए हैं. (व्यवधाऩ)
इंजीनियर प्रदीप लारिया -- आने वाले समय में ढूंढते रह जाओगे. (व्यवधाऩ)
श्री पी.सी. शर्मा -- दो के बाद ही देश पर कब्जा होता है. आप सिर्फ दो थे अब दिल्ली में बैठे हो.
श्री धर्मेंन्द्र भाव सिंह लोधी -- कांग्रेस के लोगों को कहना चाहता हूँ कि दिल को बहलाने को गालिब ख्याल अच्छा है.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ -- रंगा बिल्ला की जोड़ी. यह समय मुझे दिए गए समय में न जोड़ें.
सभापति महोदया -- आप अपनी बात बोलिए.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ -- यह डेढ़ घंटा बोले और हमारा ओपनर आधा घंटा भी नहीं बोला क्या यह डिस्क्रिमिनेशन नहीं हुआ. यह भेदभाव क्यों, विपक्ष को तो ज्यादा बोलना चाहिए. विपक्ष का काम है कमियाँ निकालना खामियाँ निकालना तभी तो यह सुधरेंगे. दो करोड़ नौकरियों का लालच दिया गया था देश में, यहाँ पर 10 लाख नौकरियों का लालच दिया गया था. नौकरी देना तो दूर जो चयनित लोग बेचारे 3-4 साल से जो घूम रहे हैं. वह जब नौकरी मांगने जाते हैं तो महिलाओं को भी नहीं छोड़ा जाता, पुलिस के डंडे, लाठी, से उनको खदेड़ा जाता है. यह इस सरकार का मानवीय चेहरा है. मैं सिर्फ इन्दौर की बात करूँ. इन्दौर में 2019 में जो बेरोजगारों ने पंजीयन कराया था, मात्र 32 हजार ने, 2020 में यह आँकड़ा 57 हजार हो गया, 2021 में पहुँच कर यह आँकड़ा 1 लाख 5 हजार हो गया. आज मध्यप्रदेश के रोजगार पोर्टल पर बेरोजगारों का जो पंजीयन है मैडम करीब करीब 33 लाख बेरोजगारों ने पंजीयन कराकर रखा है. सेंटर फॉर मानिटरिंग आफ इंडियन इकानॉमी यह कहता है कि बेरोजगारी की जो दर है वह 8.5 प्रतिशत है, जो आजादी के बाद से सबसे कम बेरोजगारी की यह दर, मैं नहीं कह रही हूँ, सेंटर फॉर मानिटरिंग आफ इंडियन इकानॉमी यह कह रही है. इंटरनेश्लल लेबर ऑर्गेनाइजेशन आइलो के अनुसार दुनिया में बेरोजगारी की दर 4.9 परसेंट है, उससे भी डबल बेरोजगारी हमारे यहाँ चल रही है. इस बार तो सरकार ने और ही कमाल कर दिया. रोजगार विभाग ने जो बेरोजगारी की संख्या कम करने के लिए एक नया तरीका खोज निकाला है, वह कैसा मैडम, 1 फरवरी से नये फॉर्मेट में पंजीयन किया जा रहा है. इसमें 3 कैटेगिरी निर्धारित की गई है, कैटेगिरी नंबर वन, आप पूरी तरह से बेरोजगार हैं, कैटेगिरी नंबर टू, आप नौकरी कर रहे हैं, कैटेगिरी नंबर तीन खुद का कोई काम कर रहे हैं या नहीं.
2.2 बजे
{सभापति महोदय (श्री यशपाल सिंह सिसौदिया) पीठासीन हुए}
सभापति महोदय, इस बदलाव से अब तक जितने भी लोगों का पंजीयन हुआ है उनकी कैटेगिरी बन गई है, जिससे निर्धारित करके बेरोजगारों की जो संख्या है सुनियोजित तरीके से इसका परसेंटेज कम निकाला जा रहा है. मुख्यमंत्री जी ने कल राज्यपाल जी के अभिभाषण में बोला कि रोजगार के विषय में हम कोई कसर बाकी नहीं छोड़ेंगे, बिल्कुल सही है. कुछ सालों पहले पकौड़े तलवाए गए थे, फिर गटर की गैस से रोजगार उत्पन्न कराया गया था. अब जो छुट्टे जानवर हैं उनके गोबर से बहुत शीघ्र ही रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा. यह बहुत अच्छा तरीका 21 वीं सदी में हम ढूंढ रहे हैं.
सभापति महोदय, अब बात करें कोरोना कार्यकाल की..(व्यवधान)..अरे आप तो बैठ ही जाओ जो कमलनाथ जी की सरकार ने गौ माताओं को आपने नेश्नल हाई वे पर छोड़ दिया था और रोज गाय माताएँ वहाँ मरती थीं उन गाय माताओं को सुरक्षित और सही रूप से रखा गया. इस प्रदेश के अन्दर कमलनाथ जी की सरकार ने गौ शालाएँ खोली थीं उनमें आप चारा भी उपलब्ध नहीं करवा पा रहे हों. सबसे बड़ा उदाहरण पी.सी. भाई कहाँ चले गए, आपकी भाजपा की एक नेता के यहाँ सैकड़ों गायें मर गईं. इस पर भी जरा चर्चा कर लो...(व्यवधान)..
सभापति महोदय-- माननीय सदस्य बैठ जाएँ. ..(व्यवधान)..
डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ-- माननीय सभापति महोदय, टोकाटाकी होगी तो....
सभापति महोदय-- आप जारी रखें.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ-- सभापति महोदय, कोरोना के ऊपर कल माननीय मुख्यमंत्री ने कहा कि रात भर सो नहीं पाते थे, सही है, हम सब भी नहीं सो पाते थे. ऑक्सीजन की कमी, बेड की कमी, रेमडेसिवर की कमी, अन्य दवाओं की कमी, ये उन्होंने भी स्वीकार किया. कल उन्होंने बोला था कि रात रात भर सोने नहीं दिया. ऑक्सीजन का संकट था, अस्पतालों में बिस्तर नहीं थे. ट्रेन से ऑक्सीजन के टैंकर मंगाना पड़ते थे. सेना को बोलना पड़ता था. यह बार बार कहा मुख्यमंत्री जी ने. साथ में यह भी कहा डबल इंजन की सरकार. कितना हास्यास्पद लगता है डबल इंजन की सरकार. डबल इंजन की सरकार में जो ऊपर वाला इंजन है, जो देश की सर्वोच्च पंचायत है, वहां कहा जाता है कि ऑक्सीजन की कमी से एक भी मौत नहीं हुई और प्रदेश के हाउस में, इस मंदिर में कहा जाता है कि रात-रात भर हम सोये नहीं क्योंकि ऑक्सीजन की कमी थी. वाह रे डबल इंजन की सरकार.
डॉ. योगेश पंडाग्रे -- ऑक्सीजन उपलब्ध कराने के लिए रात-रात भर नहीं सोये थे. पूरी मेहनत की उसके लिए...(व्यवधान)...
एक माननीय सदस्य -- अव्यवस्था कांग्रेस की सरकार 15 महीने में करके गई थी, उसी को सुधारने में टाइम लगा. ..(व्यवधान)..
सभापति महोदय -- कृपया, बोलने दीजिए.
डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ -- माननीय सभापति महोदय, एक बोलता है डबल इंजन की सरकार ने यहां पर, यह कुछ समझ में नहीं आया...(व्यवधान)..
श्री अनिरूद्ध माधव मारू -- व्यवस्था तो करनी पडे़गी. रात-रात भर जागकर व्यवस्था की है. आपके पूर्व मुख्यमंत्री ने तो कोरोना को लेकर एक बैठक तक नहीं की...(व्यवधान)..
सभापति महोदय -- कृपया, आप बोलिए.
डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ -- माननीय सभापति महोदय, मध्यप्रदेश की सरकार ने मौतों में भी हेराफेरी की. मौतों के आंकडे़ भी छिपाये गये. घोषणाएं कीं कि जो वॉरियर्स हैं, जो फ्रंट लाईन वॉरियर्स हैं उनकी मौतों पर उनके परिवार को सहायता दी जायेगी. जिन बच्चों के माता-पिता दोनों की मृत्यु हो गई हैं उनके बच्चो को सहायता दी जायेगी या जिन बच्चों के माता-पिता में से एक की मौत हुई है उसको सहायता दी जायेगी, लेकिन वाह री सरकार मौतों पर भी खेल, खेल गए. मौतों पर भी लापरवाही कर गये. अगर आप आंकडे़ उठाकर देखेंगे तो जो सामान्य मौतें होती हैं मध्यप्रदेश में 12 माह में वर्ष 2017 में जो सामान्य मौतें हुईं हैं वह 3 लाख 50 हजार औसतन एक वर्ष में मौतें हुईं हैं. मैं सामान्य मौतों की बात कर रही हूँ. वहीं जब कोरोना का काल आया तो वर्ष 2020 में जब इन्होंने पिछले दरवाजे से सरकार में बैठे थे और कोरोना को चुपके-चुपके प्रदेश में आने दिया और प्रदेश की जनता को धोखे में रखकर कोरोना के काल में ग्रसित करवा दिया. वर्ष 2020 में 5 लाख 18 हजार मौतें हुई हैं. वर्ष 2021 में 3 लाख 28 हजार 963 मौतें पंजीकृत हुई हैं यह मात्र वर्ष 2021 में 5 महीने के आंकड़ें हैं. अगर इन सब आंकड़ों को जोडे़ं और औसत निकालें, सामान्य मौतों का आंकड़ा निकालें तो 54 प्रतिशत से अधिक मौतें इस कोरोना काल में हुई हैं जो लगभग 1 लाख 13 हजार बैठती है. सरकार का आंकड़ा क्या है 10 हजार. प्रदेश में कितनी मौतें सरकार बता रही है केवल 10 हजार. माननीय, सरकार की लापरवाही से यह निर्दोष तो मर गये से, बेड नहीं मिले, ऑक्सीजन नहीं मिली लेकिन मुझे रेमडेसिविर के बारे में यहां बताना नहीं है तुलसी भाई कहां गये, उनकी नाक के नीचे कालाबाजारियॉं हुईं, मैं उसमें नहीं जाना चाहती. जबलपुर से एक जखीरा पकड़ाया. कौन पकड़ाया, इसमें नहीं जाना चाहती. सब शहर, पूरा प्रदेश जानता है. यह सब चीजें होने के बाद उन मृत परिवारों का क्या दोष है. आपने घोषणाएं कीं कि उनको हम लाभ देंगे, लेकिन आपने मौतें भी छिपायीं कि लाभ न दे सकें क्योंकि आपके पास पैसा ही नहीं है, खजाना खाली है तो कहां से लाभ देंगे. यह चीजें हुई हैं. इसलिए मेरा निवेदन है कि मौतों की राजनीति न करें. आज भी बहुत से परिवार ऐसे हैं लिखा क्या गया, हम रोज-रोज परेशान होते हैं. मृत्यु प्रमाण पत्र पर सरकार के यह निर्देश हैं कि मृत्यु प्रमाण पत्र पर कोरोना न लिखा जाये. उस पर लिखा जाए कि यह जो मौतें हुई हैं कोरोना का नाम न लिखा जाये. सस्पेक्टेड शब्द, कोरोना शब्द न डालकर यह आप भी भलीभांति जानते होंगे, सस्पेक्ट शब्द छपवाया, जिससे डेथ हुई है इसलिए उन परिवारों को लाभ नहीं दिया जा रहा है.
माननीय सभापति महोदय, मेरा निवेदन है कि जब हम वैक्सीन लगवाते हैं तो मुफ्त शब्द आता है. मुफ्त से यह साउंड निकलकर आता है कि प्रदेश की जनता को खैरात मिल रही है. मुफ्त शब्द से खैरात का शब्द उद्घोषित होता है. माननीय सभापति महोदय, अगर यह 70 साल की बात करते हैं तो हम और आपको, सब को टीके लगे हैं डिप्थीरिया का, टिटनेस का, चिकनपॉक्स का, हमने तो कभी मुफ्त शब्द नहीं लिखा. क्योंकि जनता का टैक्स था, जनता के टैक्स से व्यवस्थाएं कर रहे थे, हमने मुफ्त नहीं लिखा, लेकिन इस मुफ्त शब्द से खैरात का बोध होता है कि कोई हमें खैरात दे रहा है. फिर उसमें एक बड़ा भारी दाढ़ी लगाकर फोटो रविन्द्रनाथ टैगोर का, बड़ा भारी फोटो, तो जब आप वैक्सीन के प्रमाण-पत्र पर फोटो लगा रहे हैं तो मृत्यु प्रमाण-पत्र पर भी लगा दो. हम लोग यह भी चाहते हैं कि कोरोना से मृत्यु हुई तो मृत्यु प्रमाण-पत्र पर भी फोटो लग जाए.
सभापति महोदय -- माननीय सदस्या, कितना समय और लेंगे ?
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -- सभापति महोदय, अभी तो शुरू किया है.
सभापति महोदय -- अभी शुरू नहीं किया है, 15 मिनट हो गए हैं.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -- सभापति महोदय, इसके साथ मैं बोलना चाहती हूँ, आज दोनों आदरणीय नहीं हैं, मेरे भाई विश्वास सारंग जी भी नहीं है और हमारे बड़े भाई डॉ. शर्मा जी भी नहीं हैं. राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान उन्होंने कहा था, सुनने की आदत नहीं है, मन की बात करते हैं, लेकिन मन की बात नहीं सुनते हैं. उन्होंने मेडिकल कॉलेज को लेकर कहा था और यह कहा था कि पिछले सालों में मात्र 5 या 6 मेडिकल कॉलेज थे. उस वक्त की जनसंख्या के आधार पर उस वक्त की आवश्यकता थी. प्रकृति का नियम है, सतत् चलना, चलते रहना, जनसंख्या बढ़ती गई, चीजें आती गईं. जब उन्होंने यह बात की कि हमारी सरकार ने इतने मेडिकल कॉलेज लाए तो किसी एक सरकार का यह काम नहीं है, यह केन्द्र और राज्य सरकार का मिला-जुला मेडिकल कॉलेज होता है, स्पेशियलिटी और एम्स मेडिकल कॉलेज केन्द्र की सहायता से आते हैं. 50-50 प्रतिशत का इसमें प्रावधान रहता है. 50 प्रतिशत राज्य सरकार और 50 प्रतिशत केन्द्र सरकार का हिस्सा रहता है. माननीय सभापति महोदय, मैं आपकी जानकारी में ला दूँ, आप जो अपनी वाहवाही ले रहे हैं, पीठ ठोंक रहे हैं, इसमें आदरणीय मनमोहन सरकार, यूपीए सरकार का भी हिस्सा है कि जिन्होंने आपको मेडिकल कॉलेज की सौगातें दीं, एम्स की सौगात दी. आपको मैं यह भी याद दिला दूँ, हालांकि वे यहां पर हैं ही नहीं तो क्या बोलूँ, कि विजयलक्ष्मी साधौ जब आदरणीय श्री दिग्विजय सिंह जी के मंत्रिमण्डल में वर्ष 2002-03 में चिकित्सा शिक्षा मंत्री थीं, सागर का मेडिकल कॉलेज एफिलिएशन डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल का यह हमने ही शुरू किया था. प्राइवेट सेक्टर में इसकी शुरुआत भी हमने ही की थी. चाहे वह अरविन्दो मेडिकल कॉलेज हो, चाहे आरकेडीएफ कॉलेज हो, चाहे गार्गे मेडिकल कॉलेज हो, चाहे यहां का चिरायु मेडिकल कॉलेज हो, पिपुल्स मेडिकल कॉलेज हो, यह प्राइवेट सेक्टर में देने की शुरुआत श्री दिग्विजय सिंह जी के कार्यकाल में हो चुकी थी. फिर आप अभी वर्ष 2019 की बात करके पीठ थपथपा रहे हैं कि हमने 9 मेडिकल कॉलेज कर लिए. माननीय सभापति महोदय, विजयलक्ष्मी साधौ जब मंत्री थीं, यहां से प्रस्ताव 10 मेडिकल कॉलेज के भेजे गए थे. 10 मेडिकल कॉलेजेस में ये भेदभाव जो इन्होंने अभी कहा था कि हम सबका साथ, सबका विकास लेकर चलेंगे.
सभापति महोदया -- माननीय सदस्या महोदया, स्वास्थ्य विभाग के बारे में जब चर्चा होगी, जब डिमाण्ड्स पर चर्चा होगी, तब आप इस विषय पर विस्तार से प्रकाश डाल दीजिएगा.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -- माननीय सभापति महोदय, मैं बताऊंगी, बस थोड़ा सा है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- प्रदेश का स्वास्थ्य ठीक रखना है, इसलिए ज्यादा बोलना पड़ रहा है.
श्री रामपाल सिंह -- (डॉ. गोविन्द सिंह एवं अन्य 4-5 सदस्यों द्वारा आसन के समीप खड़े होकर चर्चा करने पर) माननीय सभापति महोदय, माननीय गोविन्द सिंह जी जो यह कर रहे हैं, यह उचित नहीं है, देखिए आप, ये व्यवधान पैदा कर रहे हैं. कोई बड़ी योजना ये बना रहे हैं (हंसी). योजना का पटाक्षेप करें.
सभापति महोदय -- यह योजना लाभकारी रहेगी.
श्री रामपाल सिंह -- ये उकसा भी रहे हैं और माननीय सदस्यों को उत्तेजित कर रहे हैं.
सभापति महोदय -- माननीय सदस्य, आप चिंता मत करें, योजना लाभकारी होगी.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -- माननीय सभापति महोदय, आदरणीय कमलनाथ जी की सरकार में 10 मेडिकल कॉलेज के प्रस्ताव गए थे. 10 प्रस्तावों में से दलगत राजनीति के आधार पर डिस्क्रिमिनेशन किया गया, 9 के तो एमओयू चिकित्सा शिक्षा विभाग ने किए, लेकिन एकमात्र मेडिकल कॉलेज, विजयलक्ष्मी साधौ के एरिए का, महेश्वर का छोड़ दिया गया. यह भेदभाव नहीं है तो और क्या है, फिर कैसे कहते हैं कि सबका साथ, सबका विकास और सबको साथ में लेकर हम चलते हैं. यह आदेश 20 मार्च, 2020 का है, यह भारत सरकार ने दिया, उसके पहले 14.01.2020 को यानि जनवरी, 2020 में राज्य सरकार ने महेश्वर में 300 बिस्तरीय हॉस्पिटल, लागत करीब 116 लाख रुपये, इसमें वित्त विभाग से भी अनापत्ति मिली, इसमें परिवार कल्याण विभाग से भी मिला और आयटम नंबर 16 में बजट में यह स्वीकृत हुआ और इसी के आधार पर मार्च 2020 में गवर्नमेंट ऑफ इंडिया की यह चिट्ठी है जिसमें Centrally Sponsor Scheme, For establishment of new Medical Colleges attach with existing Institutes, I am directed to refer to the subject mentioned above and I convey the approval of this Ministry to the Proposal for establishment of two new Medical Colleges जिसमें सिंगरौली और महेश्वर को इन्होंने मेंशन किया है, जो कि मार्च 2020 में आया था. इसमें यह डायरेक्शन दिया गया है.
श्री राजेश कुमार प्रजापति -- सभापति महोदय, यह स्वास्थ्य की चर्चा नहीं है. यह आम बजट की चर्चा है.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ -- सभापति महोदय, अब यह मुझे बताएंगे ?
सभापति महोदय -- नहीं, नहीं आप इधर बात करें. उधर जवाब ना दें.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ -- आपको यह जानकारी में होना चाहिये कि यह जो बजट चल रहा है यह सामान्य बजट पर चर्चा चल रही है, किसी विषय पर नहीं चल रही है. गवर्नमेंट ऑफ इंडिया ने अंडरसेमिंग का डायरेक्शन दिया था. अंडरसेमिंग एमओयू जल्दी से जल्दी बुलाने का आदेश दिया था. सभापति जी, यह मैं पटल पर रखना चाहूंगी.
सभापति महोदय -- आप कितना समय और लेंगी ? बस दो मिनट में पूरा करें. 20-22 मिनट हो गये हैं.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ -- बस 5 मिनट. आपने मेरे पूर्व कितना समय दिया था.
सभापति महोदय -- वह दोनों तो ओपनर थे इसलिये समय दिया. आप तो जानती हैं. आप तो सदन की वरिष्ठ सदस्य हैं. दोनों दलों के ओपनर्स ने जितना समय लिया है. दो मिनट में समाप्त करें. वक्ता बहुत हैं.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ -- सभापति जी, आपके माध्यम से कृषि पर मैं कहना चाहूंगी कि पिछले सत्र में मैंने एक मुद्दा उठाया मुआवजे की राशि का. आदरणीय कमलनाथ जी की सरकार के समय जो वर्ष 2019-20 में अतिवृष्टि हुई थी उसमें मेरे विधान सभा क्षेत्र में 48 हजार, 834 किसानों को मुआवजा राशि का वितरण हुआ था. जिसकी करीब 1 अरब, 56 लाख, 60 हजार रुपये की मुआवजा राशि स्वीकृत हुई थी. जिसका 25 प्रतिशत भाग 38 करोड़, 18 लाख रुपये का वितरण हो गया था. 75 परसेंट वह राशि शेष थी. आसंदी से भी निर्देश हुआ था. संसदीय कार्यमंत्री जी ने भी इसमें भाग लिया था. राजस्व मंत्री जी ने भी कहा था कि फरवरी-मार्च का बजट आएगा उसमें यह राशि दी जाएगी, तो आदरणीय वित्तमंत्री जी, से मेरा निवेदन है कि इसी सदन में यह हुआ था, इसलिये इसमें राहत दें तो मैं समझती हूं कि बहुत अच्छी बात होगी.
सभापति महोदय -- आपका धन्यवाद प्रकट कर दूं. काफी समय हो गया. 22 मिनट हो गया. 2 मिनट में समाप्त करें. काफी वक्ता हैं. दोनों तरफ से काफी नाम हैं.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ -- बस, 5 मिनट. टोका-टाकी बहुत हुई है. अपने क्षेत्र की बात करना चाहती हूं. 5 मिनट में अपने क्षेत्र की बात करूंगी. जल जीवन मिशन में जो बात कही गई है यहां पर इसमें माननीय मुख्यमंत्री जी ने जो कल बोला था कि हर घर को हम नल देंगे. इसमें यह हो रहा है कि जो नल जा रहे हैं गांव के अंदर, उसमें एससी, एसटी के मोहल्ले छूट रहे हैं. आपको हर घर को देना है. यह जो ठेकेदार हैं एक मोहल्ला टच करके छोड़ देते हैं.
श्री विजयपाल सिंह -- सभापति महोदय, कहीं ऐसी स्थिति नहीं है. हर घर को नल दिये जा रहे हैं. गलत जानकारी दे रही हैं.
इंजी.प्रदीप लारिया -- सभापति जी, ऐसा कहीं नहीं है. होना तो यह था कि 55 वर्षों में जो मूलभूत आवश्यकता थी लोगों की वह पूरा इनको करना था. पीने का पानी तक लोगों को नहीं मिल पाया. कहीं कुछ नहीं हो रहा, जल जीवन मिशन में सब जगह पानी जाएगा.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ -- मैं सुझाव दे रही हूं. मेरे क्षेत्र में जो हो रहा है वह बोल रही हूं. इसमें एससी, एसटी मोहल्ले को पानी नहीं मिल पा रहा है. कई लाइनें गई हैं जहां 5-5, 6-6 दिन में पानी आ रहा है.
श्री भारत सिंह कुशवाह -- बदले की राजनीति मत करें, सच्चाई की बात करें.
सभापति महोदय -- माननीय मंत्री जी, आप बैठ जाएं.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ -- मैं अपने क्षेत्र की बात कर रही हूं. चलकर मेरे साथ देख लें क्या हो रहा है वहां, लोगों को पानी मिल रहा है कि नहीं मिल रहा है ? यहां आकर बोलना आसान है. महोदय, धरातल पर जाकर देखिये.
सभापति महोदय -- माननीय सदस्या, आपस में चर्चा न करें. इधर देखकर बात करें. आपकी बात 2 मिनट में समाप्त करें.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ -- माननीय, वह क्यों टोक रहे हैं ? इसलिये मेरा निवेदन है कि ठेकेदार को यह ताकीद किया जाए, यह विभाग को ताकीद किया जाए कि जब गांव में पूरी हो नहीं जाती तब तक यह योजना पूरी नहीं मानी जाएगी.
सभापति महोदय -- आपकी बात आ गई. सबको मिलेगा. सबको मिलना चाहिये.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ -- मेरे यहां से जो नेशनल हाइवे क्रमांक 347 जा रहा है, जो इंदौर-एटलाबाद-इच्छापुर मार्ग है वहां पर जो मुआवजे की राशि है लोगों में बहुत असंतोष है. वहां पर जो किसानों के एसेट्स थे चाहे उनके कुंए हों, या उनकी पाईपलाइन हों, उसको उसमें नहीं जोड़ा जा रहा है इसलिये लोगों में बड़ा असंतोष है. दूसरा, जो बचारे गरीब लोगों ने जो प्रधानमंत्री आवास से कुटीर दी हैं. दूसरा, जो बेचारे गरीब लोगों को प्रधानमंत्री आवास में कुटीर दी हैं, वह सरकारी जमीन पर बनाई है, उनको राशि मात्र 2 लाख रुपये दी जा रही है, जो कुटीर का होता है. वह जमीन कहां से लाकर दूसरा मकान कहां बनाएंगे. इसके ऊपर भी बहुत गंभीरता से विचार करने की जरूरत है. मध्यप्रदेश का जो सेक्टर इन्होंने घोषित किया है, इसके मुआवजा वितरण का जो गुणांक निकालते हैं. वह मध्यप्रदेश का जो गुणांक है, वह नम्बर वन है कि अगर 1 लाख रुपये का मुआवजा है तो 1 लाख रुपये ही देंगे, सोलेशियम 1 लाख रुपये जो भारत सरकार देगी तो यह 2 लाख रुपये होगा और महाराष्ट्र का 2 गुणांक है तो वहां पर 4 लाख रुपये मिलेगा तो ऐसी कोई व्यवस्था करें ताकि अपने यहां के लोगों को भी लाभ मिले.
सभापति महोदय - अपना वक्तव्य समाप्त करें.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ - माननीय 2 मिनट.
सभापति महोदय - आपको 26 मिनट हो चुके हैं. अब आप समाप्त कर दें.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ - सभापति महोदय, आधा समय तो मेरा टोका-टाकी में चला गया है. सभापति महोदय, बलवाड़ा माइक्रो योजना, इसमें भी किसानों को पानी नहीं मिल रहा. क्षिप्रा लिंक योजना से किसानों को पानी नहीं मिल रहा. सारा पानी ऊपर जा रहा है, जहां के किसान हैं जिनके जमीनें गई हैं, उनको बिल्कुल पानी नहीं मिल रहा है. एक और जो योजना हमारे यहां पर है गंभीर योजना, जो तुलसीबाई के इधर जा रही है, उसमें भी किसानों की जमीन में दल-दल हो रहा है. सीपेज हो रहा है, योजना बहुत खराब बनी है. इसके ऊपर भी माननीय मंत्री जी कुछ बोलेंगे. धन्यवाद.
श्री बहादुर सिंह चौहान (महिदपुर) - सभापति महोदय, वर्ष 2022-23 के बजट पर पक्ष और विपक्ष, सभी अपने-अपने विचार रख रहे हैं. हमारे सदन के नेता माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान जी, भारतीय जनता पार्टी की सरकार के द्वारा और हमारे मालवा के बहुत ही लोकप्रिय नेता और वर्तमान में वित्त मंत्री माननीय श्री जगदीश देवड़ा जी के नेतृत्व में बहुत ही अच्छा बजट समस्त वर्गों को स्पष्ट करते हुए बनाया गया है. मैं माननीय मुख्यमंत्रीजी को, माननीय वित्त मंत्री जी को धन्यवाद ज्ञापित करता हूं. भिन्न-भिन्न विभाग हैं लेकिन मैं कृषक परिवार से होने के कारण सिंचाई, ऊर्जा, राजस्व इन पर मेरी व्यक्तिगत रुचि रहती है. किसी भी प्रदेश का विकास करने के लिए सिंचाई का रकबा बढ़ाना बहुत ही महत्वपूर्ण होता है.
सभापति महोदय, इस वर्ष 2022-23 के बजट में सिंचाई के लिए 9259 करोड़ रुपये का प्रावधान माननीय वित्तमंत्री जी ने किया है, मैं उनको धन्यवाद देना चाहता हूं. सिंचाई विभाग के द्वारा मध्यप्रदेश में 27 वृहद परियोजना का निर्माण चल रहा है और 46 मध्यम परियोजना का निर्माण चल रहा है, 288 लघु परियोजना का निर्माण कार्य चल रहा है, इस प्रकार मध्यप्रदेश में कुल स्वीकृत योजनाएं हैं, वह 361 योजनाएं निर्माणधीन हैं. ये 361 योजनाएं पूर्ण होने पर मध्यप्रदेश में जो वर्तमान रकबा 43 लाख हैक्टेयर है, उसमें 23 लाख 21 हजार हैक्टेयर रकबा और बढ़ जाएगा.
सिंचाई का विषय आया है तो हम जानते हैं कि जैसे मालवा, निमाड़, ग्वालियर-चंबल, महाकौशल, मध्यभारत क्षेत्र है, लेकिन बुन्देलखण्ड जिसकी चर्चा होती है, सिंचाई के पानी को लेकर, पीने के पानी को लेकर हमेशा समस्या बनी रहती है. कई प्रकार की योजना पूर्व में बनाई, लेकिन मैं नरेन्द्र मोदी जी की केन्द्र की सरकार को और मध्यप्रदेश की शिवराज जी की सरकार को धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने बुन्देलखण्ड की बहुत ही महत्वपूर्ण योजना केन बेतवा नदी लिंक परियोजना स्वीकृत की है और उसके लिए 44605 करोड़ रुपये स्वीकृत किये गये हैं. इस योजना के बनने से मध्यप्रदेश के 8 जिले छतरपुर,टीकमगढ़,सागर,पन्ना,दमोह,विदिशा, रायसेन और गृह मंत्री जी का जिला दतिया, ये 8 जिले लाभान्वित होंगे. उत्तर प्रदेश के 3 जिलों में भी पानी मिलेगा- झांसी, बांदा और महोबा. लेकिन इस योजना का 80 प्रतिशत पानी जो है, वह मध्यप्रदेश को मिलने वाला है. इस योजना से 8 लाख 11 हजार हेक्टेयर पर मध्यप्रदेश में सिंचाई होगी और 41 लाख गांवों को बुन्देलखण्ड में पीने का पानी इस केन बेतवा नदी लिंक परियोजना से दिया जायेगा. यहां तक ही नहीं 103 मेगावाट विद्युत हाइड्रो इलैक्ट्रिसिटी इससे उत्पादित होगी और 23 मेगावाट बिजली सौर ऊर्जा से इस योजना के बनने से पैदा होगी. चिनकी बोरास परियोजना के लिये 8 हजार करोड़ का इसमें प्रावधान रखा गया है. पूरा नरसिंहगढ़, रायसेन जिला एवं सांवेर, जो हमारे तुलसी सिलावट जी, जो जल संसाधन मंत्री जी हैं, इस योजना के साथ साथ माइक्रो उद्वहन सिंचाई परियोजना हमारे खरगोन क्षेत्र दीदी जी बोल रही थी वह एवं इन्दौर इन तीनों योजनाओं से मिलाकर 2 लाख 12 हजार हेक्टेयर में सिंचाई की जायेगी.
श्री रामपाल सिंह -- सभापति महोदय, अभी समिति भी गई थी चिंकी परियोजना देखने और (श्री लक्ष्मण सिंह, माननीय सदस्य की तरफ देखते हुए) आप उस दिन लौट आये थे बेगमगंज से, समिति के माननीय सदस्य. बहुत बड़ी योजना है और इससे 3-4 जिलों को बहुत बड़ा लाभ मिलने वाला है, इसके लिये सरकार को हम धन्यवाद देते हैं.
श्री बहादुर सिंह चौहान-- मैं भी वित्त मंत्री जी को धन्यवाद देता हूं.
श्री लक्ष्मण सिंह -- सभापति महोदय, चूंकि मेरा नाम लिया है आपने. मैं एक चीज स्पष्ट करना चाहूंगा. आप भी बैठक में थे, हम भी बैठक में थे. पहली बात तो यह है कि वह जो समितियां हैं, उनमें क्या चर्चा होती है, उसकी बात सदन में नहीं होनी चाहिये.
सभापति महोदय -- यह बात आपकी जब आपका वक्तव्य आयेगा, उद्बोधन होगा, तब कर लीजियेगा.
श्री लक्ष्मण सिंह -- इन्होंने मेरा नाम लिया है, इसलिये मैं कह रहा हूं. चलिये ठीक है.
श्री संजय यादव -- बहादुर सिंह जी, उज्जैन में क्षिप्रा में नर्मदा जी का पानी मिल रहा है कि नहीं मिल रहा है. पहले यह बताओ. यह योजना फेल हो गई है, आप क्या बात कर रहे हैं.
श्री बहादुर सिंह चौहान-- मिल रहा है.
श्री महेश परमार -- सभापति महोदय, अभी आप देख सकते हैं कि अभी अमावस्या का स्नान कहीं दूर तक पानी नहीं था. सिर्फ कागजों में चल रहा है.
सभापति महोदय -- संजय जी, परमार जी, आप बैठिये. बहादुर सिंह जी, आप कंटीन्यू करें, डिस्टर्ब मत होइये, आप अपना वक्तव्य कंटीन्यू करें. आप वक्तव्य जारी रखिये.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- सभापति महोदय, मैंने नर्मदा की बात ही नहीं की. नर्मदा वाला विषय मैंने लिया ही नहीं.
सभापति महोदय -- बहादुर सिंह जी, आप अच्छा बोल रहे हैं, आप वक्तव्य जारी रखिये. आप अच्छा बोल रहे हैं, तभी तो डिस्टर्ब कर रहे हैं.
श्री बहादुर सिंह चौहान-- सभापति महोदय, जी. चिंकी बोरास परियोजना है, इससे 50 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा. सिंचाई विभाग की 9 माइक्रो सिंचाई परियोजनाएं इस बजट में सम्मिलित की गई हैं. इससे 3 लाख 72 हजार हेक्टेयर पर सिंचाई होगी और 150 मेगावाट बिजली इन 9 उद्वहन योजनाओं से पैदा होगी.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ -- सभापति महोदय, आप माइक्रो परियोजनाओं की बात कर रहे हैं. मेरे यहां बलवाड़ा माइक्रो के बारे में आपने बोलने ही नहीं दिया. जो चल रही हैं, जो हो गई हैं, वही सही नहीं चल रही हैं, तो ये आगे की बात कर रहे हैं. फूंट रही हैं, हैंड ओव्हर कर दिया,जगह जगह से पाइप फूंट रहे हैं. सीपेज हो रहा है, किसानों की जमीनें दल दल हो रही हैं, लेकिन पानी नहीं मिल रहा है.
सभापति महोदय -- दल दल की बात आपने कही थी अपने वक्तव्य में.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- सभापति महोदय, योजना बनाने मैं तो नहीं गया हूं. मैं कोई टेक्नीकल तो नहीं हूं.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ -- आपकी सरकार गई है.
सभापति महोदय -- बहादुर सिंह जी, आप प्रतिक्रिया मत दीजिये.
श्री बहादुर सिंह चौहान-- सभापति महोदय, इस प्रकार मध्यप्रदेश में वर्तमान में 43 लाख हेक्टेयर पर सिंचाई मिलाकर हम 2025 तक 65 लाख हेक्टेयर पर सिंचाई मध्यप्रदेश में हो जायेगी. इससे सिंचाई का रकबा बढ़ने से किसान की आय निश्चित रुप से दोगुना होती है, मैं अच्छी तरह से जानता हूं. कृषि का विषय, किसान होने के नाते जैविक खेती को प्रोत्साहन देने के लिये भी बजट में प्रावधान किया गया है. एक जिला एक उत्पाद. माननीय सभापति महोदय, जैसे आपका जिला मंदसौर वहां पर लहसुन उत्पाद, उज्जैन में प्याज,बुरहानपुर में केला. इसकी मार्केटिंग करके एक उत्पाद होने से एक किसान को सीधा बड़ा फायदा होने वाला है. पैसे कम होंगे लेकिन योजना का महत्व बहुत है.
श्री मनोज चावला - लहसुन के भाव तो दिलवा दीजिये. एमएसपी लागू करवा दीजिये.
श्री बहादुर सिंह चौहान - यह हमारी सरकार है मैं किसान हूं. 2003 में चने,गेहूं क्या बिकते थे मैं इसका चित्रण नहीं कर रहा हूं लेकिन आज केन्द्र की सरकार ने गेहूं का समर्थन मूल्य 2015 रुपये प्रति क्विंटल किया है. यहां तक नहीं केन्द्र ने चने का 5230 रु पये प्रति क्विंटल न्यूनतम समर्थन मूल्य किया है. यहां तक ग्वालियर में जो सरसों 3-4 हजार में बिकती थी. सरसों का रेट 5050 रुपये जो है समर्थन मूल्य किया गया है. यह समर्थन मूल्य बढ़ाने का काम केन्द्र की डबल इंजन की सरकार ने ही किया है.
(..व्यवधान..)
श्री विजय रेवनाथ चौरे - तेल का भाव भी आपके समय में 200 रुपये हुआ है. मक्के के समर्थन मूल्य पर मक्का नहीं खरीद रहे.
श्री बहादुर सिंह चौहान - अगर उपार्जन योजना नहीं होती तो यही किसानों का गेहूं 1600-1700 रुपये में मंडियों में बिकता. आज 2015 में प्रत्येक सहकारी संस्थाएं चाहे मार्केटिंग हो चाहे सरकारी विभाग हो वह इसके लिये बाध्य है.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव - उपार्जन की योजना कौन लेकर आया इसके बारे में माननीय सदस्य बता दें.
(..व्यवधान..)
सभापति महोदय - हर बात पर व्यवधान खड़ा करना कदाचित उचित नहीं है.
डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ - माननीय सभापति महोदय, गेहूं की खरीदी में छन्नी लगाई जा रही है और 20 रुपये प्रति क्विंटल किसानों से वसूला जा रहा है.
सभापति महोदय - 26 मिनट में भी आप नहीं बोल पाए. फिर बोल रहे हैं. बहादुर सिंह जी अपना वक्तव्य जारी रखें.
श्री बहादुर सिंह चौहान - मेरी अपनी जानकारी में मैं किसान हूं. अभी उपार्जन का काम चालू ही नहीं हुआ है तो कहां छन्नी लग रही है.
सभापति महोदय - प्रतिक्रिया नहीं दें.
श्री बहादुर सिंह चौहान - सभापति महोदय, 25 मार्च से खरीदी मध्यप्रदेश में चालू होगी तो छन्नी कहां से लग गई.
डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ - किस नींद में हो. हमारे एरिये में देखो जरा.
श्री बहादुर सिंह चौहान - 25 मार्च से उपार्जन का काम चालू होगा 15 मई तक.
डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ - आप ख्याली पुलाव में हो. आप मुंगेरीलाल के सपने देख रहे हो.(..व्यवधान..)आप मैदान में उतरो तब पता चलेगा.
सभापति महोदय - कृपया आपस में चर्चा न करें.
श्री बहादुर सिंह चौहान - आपको न जानकारी महेश्वर की है और बुखार की गोली क्या कृषि की जानकारी भी नहीं है.
डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ - सभापति महोदय, यह क्या बोल रहे हैं. मेरा आरोप है. मुझे भी खेती-किसानी जानती हूं.(..व्यवधान..) सारा ज्ञान आपमें नहीं है.
श्री बहादुर सिंह चौहान - (..व्यवधान..) हरी मिर्च और लाल मिर्च में क्या अंतर है.
(..व्यवधान..)
श्री सज्जन सिंह वर्मा - मैं बता देता हूं लाल मिर्च और हरी मिर्च का फर्क. लाल मिर्च लाल रंग की होती है हरी मिर्च हरे रंग की होती है.
डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ - आप क्यों भूल जाते हैं कि निमाड़ मिर्च का एरिया है. निमाड़ की मिर्च बहुत तीखी होती है.
(..व्यवधान..)
सभापति महोदय - कृपया सभी बैठ जाएं. बहादुर जी वक्तव्य जारी रखिये.
श्री बहादुर सिंह चौहान - सभापति महोदय, जितना मेरा समय है उतना दें. मुझे सभी विभागों पर बोलना है. आप मालवा के हैं तो कृपा तो मेरे ऊपर रहेगी.
सभापति महोदय - हमारी तो सब पर कृपा है.
श्री बहादुर सिंह चौहान - सभापति महोदय, हमारी सरकार ने फसल बीमा योजना जो 2019-20, 2021-22 तक का 17 हजार करोड़ किसानों के खाते में शिवराज जी की सरकार ने और वित्त मंत्री जी ने प्रावधान किया है.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव - (अपने आसन पर बैठे-बैठे) सभापति महोदय,
सभापति महोदय - भार्गव जी, बिल्कुल नहीं. बैठ-बैठे भी नहीं बोलेंगे और बोलने के लिये खड़े भी नहीं होंगे.
श्री बहादुर सिंह चौहान-- माननीय सभापति महोदय, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि और मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना राशि छोटी होगी, लेकिन इस योजना का महत्व बहुत है. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि में एक वर्ष में 6 हजार रूपये 3 किश्तों में दिये जाते हैं और मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना में 4 हजार रूपये 2 किश्तों में दिये जाते हैं. इस प्रकार 10 हजार रूपये एक कृषक को एक वर्ष में मिलते हैं.
श्री नीरज विनोद दीक्षित-- मुख्यमंत्री सम्मान योजना के नोटिस लोगों के पास जा रहे हैं. वापस पैसे मांगे जा रहे हैं.
सभापति महोदय-- नीरज जी बार-बार व्यवधान न करें.
श्री बहादुर सिंह चौहान-- माननीय सभापति महोदय, यह 10 हजार रूपये एक सक्षम किसान के लिये, सक्षम व्यक्ति के लिये कम होते हैं, लेकिन वह मध्यप्रदेश का किसान जो सीमांत कृषक और लघु कृषक है जिसके पास एक हेक्टेयर, एक बीघा, दो बीघा जमीन है उसके लिये 10 हजार रूपये बहुत ही महत्वपूर्ण हैं. इसमें हमारे सीमांत और लघु कृषक इन दोनों योजनाओं से मध्यप्रदेश में 80 से 82 प्रतिशत तक कवर होते हैं. 10 हजार रूपये प्राप्त करके किसान अपना उच्च किस्म का बीज, दवाई और अच्छी खेती कर लेता है. यह योजना 1 फरवरी 2019 को केन्द्र ने लागू की थी और इसी तरह 25 सितम्बर 2020 को मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना हमारी सरकार ने शुरूआत की थी. इन दोनों योजनाओं से अभी तक 76 लाख 53 हजार किसानों के खातों में 15 हजार करोड़ रूपये मध्यप्रदेश सरकार ने स्थानांतरित कर दिये हैं और अभी तक भिन्न-भिन्न योजनाओं से, हां उसमें उपार्जन की राशि है, अब उपार्जन में फायदा कैसे हो रहा है, मैं बताना चाहता हूं. हम एक क्विंटल गेंहू ले जाते हैं 1600 में, 1700 में बिकता है और वही गेंहू यदि हम उपार्जन केन्द्र पर ले जाते हैं तो 2015 में बिकेगा. 300 रूपये प्रति क्विंटल, 200 रूपये प्रति क्विंटल किसान को लाभ हुआ कि नहीं हुआ. इस प्रकार 66684 करोड़ रूपया का उपार्जन योजना में माननीय जगदीश देवड़ा जी ने प्रावधान रखा है. मैं बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहता हूं जगदीश देवड़ा जी को ताकि किसानों का गेंहू उपार्जन केन्द्रों पर बिक सके.
सभापति महोदय-- आप कितना समय और लेंगे. दो मिनट में अपना भाषण खत्म करें.
श्री बहादुर सिंह चौहान-- माननीय सभापति महोदय, हम जानते हैं कि वर्ष 2018 का चुनाव जब हुआ था तो कांग्रेस पार्टी का घोषणा पत्र था कि हम मध्यप्रदेश के प्रत्येक किसान के 2 लाख रूपये माफ करेंगे, अच्छी घोषणा की थी, मैं धन्यवाद देना चाहता हूं. इन्होंने एक बड़ी जानकारी दी एक सफेद कागज, एक नीला कागज, एक गुलाबी कागज हर गांव-गांव में बंटवाये गये. अब सुनिये उसमें क्या हुआ 11 हजार करोड़ माफ हुये कितने हुये मुझे पूरा आंकड़ा पता नहीं है, लेकिन मैं जानकारी देना चाहता हूं वह 2 लाख रूपये किसानों को देने की घोषणा की थी उसमें मध्यप्रदेश के कई किसान चक्कर में आ गये और बहुत सारों ने बैंक में पैसा जमा नहीं किया. आज मध्यप्रदेश के कई किसान डिफाल्टर हो गये और मेरी विधान सभा के विधायक जी और मैं गया था तो मुझे नगद, ऋण, बीज और उर्वरक नहीं मिल रहा है, क्योंकि वह डिफाल्टर हो गये. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को इस मंच से इस बात के लिये धन्यवाद देना चाहता हूं ...(व्यवधान)... कल माननीय मुख्यमंत्री जी ने ऐसे डिफाल्टर किसान जो इनकी वजह से परेशान हुये हैं ...(व्यवधान)... उनका पैसा हमारी सरकार ने भरने का निर्णय लिया है, मैं उनको धन्यवाद देना चाहता हूं. ...(व्यवधान)...
सभापति महोदय-- मैं भी आपको धन्यवाद देना चाहता हूं, अपना वक्तव्य समाप्त करें.
श्री नीरज विनोद दीक्षित-- आपके डबल इंजन की वजह से ...(व्यवधान)... आपके मंत्री ने खुद कहा है 27 लाख किसानों का कर्जा माफ हुआ है. ...(व्यवधान)...
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव-- के.सी.सी. की किश्तें बनाई थी ...(व्यवधान)... उसका क्या होगा. ...(व्यवधान)...
सभापति महोदय-- भार्गव जी आपका नाम लिखवा दीजियेगा, आपको बोलने का अवसर मिलेगा.
श्री बहादुर सिंह चौहान-- माननीय सभापति महोदय, हमारी सरकार ने और मुख्यमंत्री जी ने कोरोना काल में बिजली के बिल माफ करने की बात कही थी.
श्री बहादुर सिंह चौहान (जारी..)
और उसको लेकर सरकार समाधान योजना लाई थी और समाधान योजना में कई लोगों ने बिल जमा कर दिये थे. मैं मुख्यमंत्री जी को और माननीय जगदीश देवड़ा जी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि कोरोनाकाल के बिल भी माननीय मुख्यमंत्री जी ने और हमारी सरकार ने माफ किया है.
सभापति महोदय -- बहुत बहुत धन्यवाद, कृपया अब समाप्त करें.
..(व्यवधान..)
श्री बहादुर सिंह चौहान -- माननीय सभापति महोदय, जिन्होंने समाधान योजना में पैसे भर दिये थे, उनको भी अलग बिल में समायोजित किया जायेगा.
सभापति महोदय -- बहुत-बहुत धन्यवाद, माननीय सदस्य कृपया अब समाप्त करें.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- माननीय सभापति महोदय, एक योजना पर बोलना बहुत जरूरी है. (व्यवधान..)
सभापति महोदय -- (श्री नीरज विनोद दीक्षित एवं शशांक श्रीकृष्ण भार्गव सदस्यगण द्वारा लगातार अपने आसने से कुछ कहने पर) श्री नीरज एवं शशांक श्रीकृष्ण भार्गव जी आप बार-बार मत उठिये, हर बार उठना जरूरी नहीं है. आपके कारण ही समय ज्यादा हो रहा है. आप दोनों सदस्यों के कारण समय ज्यादा व्यतीत हो रहा है, आप दोनों बैठ जाईये. श्री बहादुर सिंह चौहान जी आप भी अब समाप्त करें. (व्यवधान..)
श्री बहादुर सिंह चौहान -- माननीय सभापति महोदय, पंचायत, ग्रामीण और संबल योजना पर बोलकर मैं अपनी बात समाप्त कर दूंगा.
सभापति महोदय -- आप जल्दी समाप्त करें.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- माननीय सभापति महोदय, बहुत महत्वपूर्ण बात है. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना पर समय कम होने के कारण प्रधानमंत्री आवास ग्रामीण और शहरी पर बोलना चाहता हूं. माननीय सभापति महोदय, हमारी सरकार अभी तक 23 लाख 50 हजार मकान पूर्ण कर चुकी है. हमारी सरकार अगले तीन वित्तीय वर्षों में मध्यप्रदेश में 33 लाख मकान बनाने वाली है. माननीय सभापति महोदय, जल जीवन मिशन बहुत महत्वपूर्ण है.
शशांक श्रीकृष्ण भार्गव -- माननीय सभापति महोदय, एक बात बतायें.
सभापति महोदय -- भार्गव जी यह बिल्कुल ठीक बात नहीं है. भार्गव जी की कोई बात रिकार्ड में नहीं आयेगी.
शशांक श्रीकृष्ण भार्गव -- XXX
सभापति महोदय -- आप बैठ जायें, श्री बहादुर सिंह चौहान जी आप बोलें और समाप्त करें.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- माननीय सभापति महोदय, जल जीवन मिशन हम जानते हैं, इतने साल राजनीति में हो गये हैं. हैंडपंप लगाकर, मोटर डालकर अभी तक पानी की समस्या आज तक हल नहीं हुई है, यह हमारी सरकार है कि सतह से योजना बनाकर 38.55 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों को पानी दे चुकी है.
श्री बैजनाथ कुशवाह -- माननीय सभापति महोदय, इनकी एक भी नल जल योजना सफल नहीं है.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- माननीय सभापति महोदय, 75 योजनाएं सतह की बनाई गई है.
सभापति महोदय -- श्री लक्ष्मण सिंह जी आप बोलें.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- माननीय सभापति महोदय, 75 योजनाओं से 16 हजार 853 गांवों में नल जल योजना बनाकर पानी दिया जायेगा.
सभापति महोदय -- बहुत-बहुत धन्यवाद, श्री लक्ष्मण सिंह जी आप बोलें.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- माननीय सभापति महोदय, अंत में संबल योजना पर बोलकर समाप्त कर दूंगा. (व्यवधान..)
सभापति महोदय -- आपका बहुत-बहुत धन्यवाद, अब आप विभाग की अनुदान मांगों पर बोल लीजियेगा. (व्यवधान..)
श्री बहादुर सिंह चौहान -- माननीय सभापति महोदय, एक मिनिट दे दीजिये. (व्यवधान..)
सभापति महोदय -- श्री बहादुर सिंह जी, आप डिमांड पर बोल लीजियेगा, पर्याप्त समय हो गया है. (व्यवधान..)
श्री बहादुर सिंह चौहान -- माननीय सभापति महोदय, मैं एक मिनिट में अपनी बात समाप्त कर दूंगा.
श्री लक्ष्मण सिंह(चाचौड़ा) -- माननीय सभापति महोदय, यह सर्वश्रेष्ठ पुरस्कृत विधायक हैं, समय का ध्यान रखेंगे.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- माननीय सभापति महोदय, 01 जुलाई 2018 को संबल योजना माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा शुरू की गई थी, इस योजना में 3 लाख 29 हजार हितग्राहियों का लाभ हुआ और 2 हजार 727 करोड़ रूपये उन हितग्राहियों के खाते में सरकार द्वारा अंतरित किये गये हैं. माननीय सभापति महोदय, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री लक्ष्मण सिंह -- बहुत बढि़या, अब आपकी थोड़ी बहुत पोल खोलते हैं.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- मेरी तो कोई पोल नहीं है.
श्री लक्ष्मण सिंह-- माननीय सभापति महोदय, मैं ज्यादा समय नहीं लूंगा पांच मिनिट में अपनी बात समाप्त करूंगा. वित्तमंत्री जी और पूरी सरकार यह वैसे ही बहुत परेशानी में है. मैं इनकी परेशानी उलझन ज्यादा नहीं बढ़ाऊंगा.
माननीय सभापति महोदय, अभिभाषण पर मुख्यमंत्री जी ने जो भाषण दिया, एक बजट का प्रतिबिंब होता है और माननीय वित्तमंत्री जी ने जो बजट पेश किया है, 2 लाख 80 करोड़ रूपये का बजट और कर्जा उससे ज्यादा होने का अनुमान है. बजट भी बढ़ रहा है और कर्जा भी बढ़ रहा है और भ्रष्टाचार के प्रकरण भी बढ़ रहे हैं. मैं आपको आपके लोकायुक्त के आंकड़े देता हूं. बड़ी गंभीर बात है 3 लाख करोड़ रूपये के ऊपर आपका कर्ज हो जायेगा और भ्रष्टाचार के मामले बढ़ते जायेंगे तो यह पैसा कहां जायेगा? और आर्थिक दबाव से प्रदेश दबा रहेगा, इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है. लोकायुक्त पुलिस और आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ के आंकड़ों का अध्ययन किया गया है, वर्ष 2020 में सिर्फ 118 लोगों ने रिश्वतखोर अधिकारी अथवा कर्मचारी की शिकायत की थी और अब यह बढ़कर 341 हो गए हैं, यानि 289 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, लोकायुक्त की कार्यवाही में, रिश्वतखोरी की कार्यवाही में. यह गंभीर बात है. फिर मध्यप्रदेश में आईएएस, आईपीएस और आईएफएस के 100 से अधिक अफसरों पर भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के मामले में, उन पर ईओडब्ल्यू की जांच चल रही है, वे ईओडब्ल्यू के घेरे में हैं. डॉ. गोविन्द सिंह जी ने इस पर प्रश्न लगाया था, यह उसके उत्तर में आपने जवाब दिया है. आप सन् 2021 के आंकड़े देखें, तो राजस्व में 53 मामले हैं, पंचायत और ग्रामीण विकास में 32 मामले हैं, आपने अभी बहुत सारे तो रजिस्टर्ड नहीं किए हैं, इनको मैं इससे दस गुना मानता हूँ, कोई शिकायत लेकर जाता है, तो मामले रजिस्टर्ड नहीं होते हैं. इसको आप थोड़ा सुदृढ़ कीजिये, सतर्कता आयोग को सुदृढ़ बनाइये. गुना में सतर्कता आयोग का दफ्तर हम देखने गए तो बहुत समय तक उसे ढूंढ़ते रहे, दफ्तर ही नहीं मिला, भ्रष्टाचार की शिकायत करनी थी. कहीं दूर, एक छोटे से कमरे में वहां सतर्कता आयोग का दफ्तर था, जिसमें अंधेरा था, वहां हमें कोई नहीं मिला, फाईलों का ढेर लगा हुआ था. तो एक प्रयास होगा भ्रष्टाचार को दबाने का, यदि कोई उसमें फंस गया है तो उसको बचाने का. इस पर विशेष ध्यान दीजिये. यह मेरा आपसे निवेदन है.
माननीय सभापति महोदय, आपने पशुपालन पर बजट बढ़ाया है, बहुत अच्छी बात है. लेकिन पशुपालन में सबसे बड़ी समस्या क्या आती है कि जो बैंक होती हैं, वह रोजगार के लिए लोन नहीं देती हैं, पशुपालन के लिए लोन नहीं देती हैं. आपकी योजना है, 5-6 लाख रुपये आप पशुपालन के लिए देते हैं. लेकिन मेरे पास ऐसे कई किसान आते हैं. हमारे सभी साथी मुझसे सहमत होंगे और भाजपा के साथी भी सहमत होंगे कि बैंक उनको ऋण नहीं देते हैं, को-ऑर्डिनेशन की कमी प्रशासन और बैंक में है.
सभापति महोदय, वनों के बारे में आपने कहा है कि आप जिनको नेशनल पार्क से हटाते हैं, आपने उसको 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 15 लाख रुपये मुआवजा कर दिया, यह बहुत अच्छी बात है. लेकिन महंगाई को देखते हुए यह राशि कम है, कम से कम 20 लाख रुपये आप उनको दें, जिनको आप वन क्षेत्र से विस्थापित कर रहे हैं और वन क्षेत्र को बढ़ाना भी बहुत आवश्यक है. सेंचुरी बनाना आवश्यक है. आपने रातापानी सेंचुरी अभी डिक्लेयर किया है. यह अच्छी बात है, हमें और भी बनाना है. एक राघौगढ़ की सेंचुरी प्रस्तावित है.
श्री उमाकांत शर्मा - आदरणीय उसमें सिरोंज-लटेरी भी जोड़ना है.
श्री लक्ष्मण सिंह - सभापति महोदय, इनका जंगल भी हमारे जंगल से जोड़ दीजिये, बहुत-बहुत धन्यवाद. इससे और अच्छी सेंचुरी बन जायेगी. लटेरी का जंगल भी लगा हुआ है, हमारे जंगल से, तो वह भी जुड़ जाएगा. क्योंकि आप देखिये कि जो बाघ हैं, यह भोपाल शहर के आस-पास घूम रहे हैं.
2.48 बजे [सभापति महोदय (डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय) पीठासीन हुए]
सभापति महोदय, आप यहां न्यू मार्केट से जाइये, आपको 20-25 किलोमीटर दूर बाघ दिख जायेगा और यह बाघ जो शहर के पास आ रहे हैं, यह बहुत खतरनाक बात है. इनका एक बहुत पुराना कॉरिडोर होता था. भोपाल-बैरसिया-मधुसूदनगढ़-राघौगढ़-गुना-फतेहगढ़ और फिर राजस्थान में सवाई माधौपुर निकल जाते थे. यह कॉरिडोर बनाने के लिए आपको राघौगढ़ की सेंचुरी बनाना बहुत आवश्यक है. इसलिए मैं आपसे निवेदन करूँगा कि आप यह करें. फिर आपके जो वन विभाग में प्लांटेशन होते हैं, क्योंकि वन विभाग एक ऐसा विभाग है कि जो बहुत सारा रोजगार, बहुत सारी मजदूरी, हमारे गरीब मजदूरों को दे सकता है, तो प्लांटेशन आप करते हैं, उसमें ट्यूबवेल का प्रावधान नहीं होता है. अभी हमने राघौगढ़ में एक प्लांटेशन चाचौड़ा में बनवाया है, तो मैंने देखा है कि वहां पानी का कोई स्त्रोत नहीं था, मैंने उनसे पूछा कि तुम पेड़ लगा रहे हो, तुम पानी कहां से दोगे, वह बोला कि प्लांटेशन में पानी टैंकर से देंगे. तो मैंने कहा कि टैंकर से कैसे इतना बड़ा प्लांटेशन सर्वाइव करेगा ? तो वह बोला कि इसमें प्रावधान नहीं है कि हम ट्यूबवेल करें. मुझे यह सुनकर बड़ा आश्चर्य हुआ कि जब आप लाखों रुपये खर्च करके प्लांटेशन करते हैं और एक ट्यूबवेल का प्रावधान नहीं करते हैं, तो इसका प्रावधान करें.
सभापति महोदय, मैं गौ धन योजना के बारे में आपसे कहूँगा. यह गौशालाएं, जो हमने बनाई हैं, उनका संचालन ठीक से नहीं हो पा रहा है. आप जो राशि भेजते हैं, वह पता नहीं कि क्या कारण है, वह राशि वहां खर्च नहीं होती है. यदि राशि खर्च होती है तो दिखती नहीं है और जैसा मैंने जब मुख्यमंत्री जी बोल रहे थे, उस समय हस्तक्षेप करके भी कहा था और मैं फिर से कह रहा हूँ कि ये गौशालाएं आपकी तब तक नहीं चलेगी, जब तक आप सस्ता चारा और भूसा उपलब्ध नहीं करवाएंगे और सस्ता भूसा उपलब्ध तब होगा, जब आप भूसे का अन्य प्रदेशों में परिवहन रोकेंगे. अभी जब मैं सदन के लिए सोमवार को आ रहा था, तो मैंने देखा कि यहां भोपाल के पास और हमारे उधर भी बहुत सारे हार्वेस्टर लगे हैं, जब हार्वेस्टर चलता है तो भूसा उड़ा जाता है, बचता नहीं है, हार्वेस्टरों पर रोक लगाइए. बहुत सारे भूसे के व्यापारी किसानों के खेतों में जा रहे हैं और उनसे कह रहे है कि हमें भूसा दे दो. अब ये महाराष्ट्र, गुजरात या कहीं ले जाएंगे तो यहां भूसे की दिक्कत होगी. इस बार 15 रुपए किलो भूसा खरीदा है. छत्तीसगढ़ में जिस तरह की गौधन योजना चल रही है, उसको यहां चलाने में क्या आपत्ति है, आप जाइए छत्तीसगढ़ वहां के मजदूर खुद कहते हैं कि ये गौधन योजना से हमने अपनी बच्चियों के लिए जेवर तक खरीदा है. गोधन योजना से. वहां का जो मजदूर है, वह इतना पैसा कमा रहा है. सरकार वहां पर दो रुपए किलो में गोबर खरीदती है और 6 रुपए में बेचती है टाटा फर्टीलाइजर को, तो 4 रुपए सरकर कमाती है और 2 रुपए किसान कमाता है. इसमें कोई नुकसान वाली बात नहीं है. इस तरह की योजना का भी आप कियान्वयन करें तो अच्छा होगा.
सेल्फ हेल्प ग्रुप के बारे में आपने कहा है, आपने बहुत सारी धनराशि इस ग्रुप को दी है. धनराशि देना एक बात है उसका क्रियान्वयन कराना अलग बात है, आपका काम ये भी है कि जो धनराशि आप दे रहे हैं, क्या वह सही हाथों में जा रही है, क्या उसका क्रियान्वयन सही हो रहा है, ये जरूर देखिए, नहीं तो ये सारा पैसा इसी तरह इधर उधर हो जाएगा और उसका लाभ नहीं होगा. राघौगढ़ में एक एनसीयूआई का प्रोजेक्ट है, वह कई सालों से चल रहा था, वहां पर उस प्रोजेक्ट को आपने बंद कर दिया और उसी प्रोजेक्ट को आपकी सरकार ने 3 साल पहले पुरस्कृत किया. हमारे जो एनसीयूआई के कर्मचारी जो उसको चला रहा है, आपने उन्हें दिल्ली में बुलाकर, आपकी ही केन्द्र सरकार ने उसको पुरस्कृत किया और फिर इसको बंद कर दिया. मेरा यह निवेदन है, अभी सहकारी मंत्री भी बैठे हैं, मंत्री जी आप भी नोट कर लें, जो एनसीयूआई का जो प्रोजेक्ट है, राघौगढ़ का, इसको शुरू कर दीजिए. इससे बहुत सारे सेल्फ हेल्प ग्रुप जुड़े हैं, हमारे यहां जो डॉ. श्रीवास्तव इसको चला रहे हैं, उनको आपने पुरस्कृत किया तो इस प्रोजेक्ट को आप बंद न करें.
फिर मनरेगा, मनरेगा में क्या हो रहा है, क्या नहीं हो रहा है, यह किसी से छिपा नहीं है. मनरेगा में मशीनों से आप काम करवाते हैं, मजदूर पलायन करते हैं और मजदूरी की जो दर है, वह बहुत कम है. केरेला में मजदूर को एक दिन के लिए 700 रूपए मिलते हैं, गुजरात में 400 रूपए मिलते हैं और यहां पर केवल 150-180 रुपए मिलते हैं, जो बहुत ही कम है, इसको बढ़ाकर के कम से कम 300-400 रूपए करिए, जिससे कि मजदूर पलायन न करें और ये मशीनों से काम न हो, आप इसको सुनिश्चित करें.
फिर आपकी जो आबकारी नीति है, उसकी आलोचना भी हो रही है, उसकी तारीफ भी हो रही है. मेरा यह सोचना है कि आप एकदम शराबबंदी करते हैं तो आपको जो रेवेन्यु मिलता है, वह नहीं मिलेगा. जिन प्रदेशों में शराब बंदी आपने की है, वहां शराबमाफिया इतना सक्रिय है और वहां शराब मिल रही है, ऐसा नहीं है और क्राइम रेट बढ़ा है. शराब बंदी के बाद बिहार और गुजरात में क्राइम रेट बढ़ा है, तो शराब बंदी एक दम से करना उचित भी नहीं है, लेकिन मैं चाहता हूं कि शराब की आदत भी न पढ़े, लत भी न पड़े, हमारे युवा इस तरह से न भटके. उसके लिए बहुत सारे एनजीओ है, बहुत सारी संस्थाएं हैं, जो इसके विरुद्ध कार्य करती है आप ऐसी संस्थाओं को बढ़ाइए. आप इसको बंद करके रेवेन्यु को एकदम खत्म मत कीजिए, नहीं तो आपका ये जो 3 से साढ़े तीन लाख का जो कर्जा है ये और बढ़ जाएगा, इस तरफ भी थोड़ा ध्यान दीजिए.
सभापति महोदय - माननीय कितना समय और लेंगे.
श्री लक्ष्मण सिंह - आप कहें तो बैठ जाऊं, और बस 1 मिनिट. कोरोना की महामारी किसी से छिपी नहीं है. कोरोना के समय हमने जो दुखदायी स्थितियां देखी, वह निश्चित रूप से किसी से छिपी नहीं है. सरकार बनते ही सरकार पर जो सबसे बड़ी जिम्मेदारी आयी थी, अगले दिन ही लॉक डाउन लग जाना, अगले दिन लॉक डाउन लग जाने से सारी आर्थिक गतिविधियां रूक जाना,सारे स्त्रोतों का बंद हो जाना और वैसी चुनौतीपूर्ण स्थिति में शासन को, सरकार को काम करना. सरकार ने काम करना प्रारंभ किया और उसी का परिणाम रहा, चाहे विश्व भर में कोरोना को लेकर जो स्थिति रही हो लेकिन मध्यप्रदेश में माननीय मुख्यमंत्री जी स्वयं सड़कों पर निकले. माननीय मुख्यमंत्री जी स्वयं आगे बढ़कर के लोगों को जागरूक करने की कोशिश की और उसी का परिणाम रहा कि हमने तेजी के साथ में पूरे मध्यप्रदेश में कोरोना पर नियंत्रण किया. आज पूरे मध्यप्रदेश भर में आक्सीजन प्लांट तहसील मुख्यालयों तक लग जाना कोई छोटी और सामान्य बात नहीं है. आप हममें से कई लोग यहां पर पहली बार नहीं आये हैं. हम सबने वह कमियां देखी हैं. ग्रामीण क्षेत्र की स्थिति को हम ध्यान में लाये, हम तहसील मुख्यालयों की स्थितियों को ध्यान में लाये.विगत वर्षों में हमारे ग्रामीण क्षेत्र कितने कमजोर हुआ करते थे, पहुंचने के लिये सड़कें नहीं थी. अब प्रतिवर्ष हजारों किलोमीटर सड़कें बनायी जा रही हैं. एक गांव से दूसरे गांव को जोड़ा जा रहा है, उस गांव में कैसे अच्छा स्कूल बन सके उसकी कार्य योजना बनायी रही है. घर-घर में कैसे पानी नलों के माध्यम से पानी पहुंच सके, नल-जल योजना जल मिशन के माध्यम से उसे पूरा किया जा रहा है. शिक्षा गुणवत्तापूर्ण मिले , उन्हें स्वच्छ पेयजल मिल सके, उन्हें अच्छी सड़क मिल सके और इसी के साथ में हमारा मध्यप्रदेश कृषि बाहुल्य क्षेत्र है और यह भी किसी से छुपा नहीं है कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने प्रारंभ किया था कि बिना बिजली के बिना पानी के, बिजली भी पर्याप्त हो जाये और मैं एक बात पुन: दोहराना चाहूंगा कि हमारा सिर्फ 3100 मेगावाट बिजली का उत्पादन पूरे मध्यप्रदेश भर में हुआ करता था. तात्कालिक समय में आज हम सिर्फ पवन ऊर्जा के माध्यम से 5000 मेगावाट से अधिक उत्पादन कर रहे हैं, हम 29 हजार मेगावाट से कई गुना आगे पहुंच गये हैं., अगर मैं, छोटी सी बात करूं तो हर विधान सभा में छोटे बड़े डेमों की संख्या देखी जाये तो लगातार डेम बढ़ते गये, पर्याप्त पानी हमें मिलने लगा, पर्याप्त बिजली हमें मिलने लगी.कृषि उत्पादन हमारा लगातार बढ़ा है और यही कारण रहा कि मध्यप्रदेश एक बार नहीं एकाधिक बार कृषि कर्मण पुरस्कार माननीय राष्ट्रपति महोदय के द्वारा प्रदान किया गया और उस समय यह भी देखा गया कि अभी भले ही केन्द्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है, लेकिन जब केन्द्र में कांग्रेस की सरकार केन्द्र में होने की स्थिति में भी मध्यप्रदेश में कृषि का उत्पादन बढ़ने के कारण कृषि कर्मण पुरस्कार इस भारतीय जनता पार्टी की सरकार माननीय के परिश्रम से प्राप्त हुआ था.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ:- माननीय अध्यक्ष महोदय,यह बार-बार 2003 के बाद की बात कर रहे हैं. आप यह क्यों भूल जाते हो कि उस समय सरदार सरोवर, ओंकारेश्वर ऑन गोइंग प्रोसस थे, पाइप लाइन में थे. वह जब बने तो आपको बिजली मिली. यह तो दिग्विजय सिंह की सरकार भी बोल रही थी कि हम आपको 2013 में बिजली देंगे. यह तो हम भी बोल रहे थे. आपने यह कोई बड़ा काम नहीं किया, यह ऑन गोइंग प्रोसस थी.
श्री रघुनाथ सिंह मालवीय:- 2013 में आपने बिजली कब दी ?
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय:- आपने तो हमने जो योजनाएं बनायीं थी उन योजनाओं को बंद कर दिया. देंगे, दी नहीं. आपने तो कहा था कि दो लाख रूपये कर्ज माफ करेंगे,आपने दो लाख रूपये का कर्ज माफ किया नहीं और नहीं किया इसी के कारण आपकी यह दुर्दशा हुई है. आज आप आइसीयू में आ गयी हैं.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ:- कोई दुर्दशा नहीं हुई है, आइसीयू में नहीं हूं. जो मुद्दे आपने लिये,जो प्रदेश की जनता को भड़काया, उसके कारण आप हो. अभी तो आप पिछले दरवाजे पर बैठे हो
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय:- पूरी कांग्रेस तो पूरे देश भर में वैसे ही वेंटीलेटर पर आ गयी है और कांग्रेस आइसीयू में बैठी हुई है.
श्री मनोज चावला:- राजेन्द्र जी आप कितनी भी तारीफ कर लो आपको मंत्री नहीं बनायेंगे.
डॉ. अशोक मर्सकोले:- आप सुरक्षित हो, मंत्री बन गये क्या.
अध्यक्ष महोदय:- आप बैठ जायें.
श्री मनोज चावला:- मंत्री बनने के चक्कर में तारीफ कर रहे हैं.सरकार की तारीफ इसीलिये हो रही है.
अध्यक्ष महोदय:- आप लोग बैठ जायें. विषय पर आइये.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय- माननीय अध्यक्ष महोदय, पूरे मध्यप्रदेश में सामाजिक समरसता का वातावरण निर्मित करने के लिए, समस्त वर्गों के लिए, चाहे अनुसूचित जनजाति हो, जाति हो, पिछड़ा वर्ग हो या सामान्य वर्ग हो, उन समस्त वर्गों के लिए, उन सारी योजनाओं का क्रियान्वयन करने के लिए, इस बात को आगे बढ़ाते हुए, मैं कहना चाहूंगा कि हमारी सरकार ने बच्चों के लिए अलग से जो बजट बनाया है, बच्चों के भविष्य के लिए, 1 वर्ष की आयु से लेकर 18 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए, एक विशेष कार्य योजना प्रारंभ की गई है, वह सराहनीय है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, पूरे मध्यप्रदेश में 11 नवीन औद्योगिक क्षेत्र प्रारंभ किए जा रहे हैं, इससे हमारे प्रदेश में उद्योगों के लिए औद्योगिक वातावरण का निर्माण होगा, हमारे यहां निवेश बढ़ेगा, लोगों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे. अभी रोजगार मेले के माध्यम से लगातार युवाओं को रोजगार के अवसर दिये जा रहे हैं. साधौ दीदी, मैं, आपको बताना चाहूंगा कि सिर्फ और सिर्फ विगत चार माह में 5 हजार करोड़ रुपये से अधिक का ऋण, नए छोटे-बड़े रोजगार धंधे प्रारंभ करने के लिए दिया गया है. यह केवल इन चार महीनों में हुआ है, मैं, कोई पिछली बात नहीं कर रहा हूं. अभी फिर रोजगार-मेला लगने वाला है, आप, अपने जिले में जो रोजगार मेला लगे, उसमें अवश्य जाइयेगा ताकि आपको यह पता चल सके कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार, रोजगार के लिए, बेरोजगारों की बेरोजगारी को दूर करने के लिए, कितना काम कर रही है. मैं, पुन: इसका स्वागत करता हूं, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री बाला बच्चन (राजपुर)- माननीय अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2022-23 के आय-व्ययक पर सामान्य चर्चा हो रही है लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि माननीय वित्त मंत्री जी, आय-व्यय पर जो चर्चा हो रही है, उसकी बुकलेट कहां है ? हर वर्ष इससे संबंधित बुक मिलती है, हम किसको देखकर आंकड़े जुटायेंगे ?
माननीय वित्त मंत्री जी, आप इस पर ध्यान दें कि आपने इस वर्ष बुकलेट सर्कुलेट नहीं की है, हमें नहीं मिली है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, सरकार का जितना बजट है, उससे अधिक सरकार पर कर्ज है. जहां तक मैंने जो समझा है और मैंने जो देखा है जो विनियोग है, माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी, आपसे और सरकार से मैं, पूछना चाहता हूं कि पिछली बार जब माननीय वित्त मंत्री जी को सदन के सदस्यों की बातों का उत्तर देना था, उनके प्रश्नों का जवाब देना था तो आपने फटाफट वित्त मंत्री जी की ओर इशारा किया और उसके बाद, उनसे अपना वक्तव्य समाप्त करवा लिया.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से सरकार से आग्रह है कि राज्य सरकार का जो बजट है, जहां तक मैंने समझा है लगभग 2 लाख 79 हजार 253 करोड़ रुपये का विनियोग है और कर्ज में जो सरकार डूबी हुई है, वह लगभग 3 लाख 25 हजार 153 करोड़ रुपये है. सरकार को बजट बनाना चाहिए, जिन व्यक्तियों के लिए, जिस क्षेत्र के लिए, जिन कामों के लिए, सर्वांगीण विकास के लिए, सर्वहारा वर्ग को कवर करने के लिए, आप आंकाड़ों का मायाजाल तो बुक में बहुत बढि़या संजो लेते हैं लेकिन जब उसे खर्च करने की बात आती तो आपने किस-किस तरीके से, बजट को लुटाया है, मैं, उसका जिक्र और वर्णन यहां करना चाहूंगा. आपने बजट की शुरूआत मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्री राम का स्मरण करते हुए की है, दोनों स्थानों पर राज्यपाल जी के अभिभाषण में और वित्त मंत्री जी के बजट भाषण में भी संत रविदास जी के दोहों को आपने अंत में इंगित करते हुए उसका समापन किया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, इसी को कोड करते हुए भगवान श्री रामचंद्र जी को स्मरण करते हुए, आपने जो बजट बनाया है, उसी से, मैं, भी अपनी शुरूआत करता हूं कि सरकार कितनी भटकी हुई है, आपने यहां जिन कंडिकाओं का उल्लेख किया है, मैंने आपकी पूरी बजट की पुस्तिका पढ़ी है, इसमें लगभग 53 पृष्ठ हैं और 202 कंडिकायें हैं, ऐसे ही राज्यपाल जी के अभिभाषण को भी मैंने पढ़ा है और मैंने जो समझा है, उस बात को, मैं, अपनी विधान सभा क्षेत्र राजपुर और जिला बड़वानी एवं पूरे मध्यप्रदेश की जनता-जनार्दन की ओर से आपका ध्यान आकर्षित कर रहा हूं कि आप बजट कहां रखते हो, किस काम के लिए रखते हो, किन वर्गों के लिए रखते हो लेकिन आप उसे खर्च कहां करते हैं, वह मैं आपको कंडिकाओं सहित और उसके बाद अनुदान मांगों में जो छपा है. उसको पढ़कर मैं आपका ध्यान आकर्षित कर रहा हूं कि कृपया ऐसा न करें कि जिनके लिए बजट रखा गया है वह बजट आप नहीं चुराएं. उसको दूसरी जगह खर्च न करें और वह भ्रष्टाचार का शिकार न हो. मैं इसी से संबंधित आपकी जानकारी में लाना चाहता हूं कि आपने अपने बजट भाषण में राम जी के स्मरण से शुरुआत की है. प्रदेश में रामराज्य स्थापित करने के हिसाब से या जो भी आपकी राजनैतिक बात हो सकती है वह आप जाने सरकार जाने, लेकिन मैं जो भी कहूंगा एथेंटिक चीज रखूंगा और आप जो बजट बनाते हैं हो सकता है कि आप उस पर खुद ही कितना ध्यान दे पाते हैं कितना आपने उसे समझा या उसे कितना इम्प्लीमेंट करा पाते हैं. धार्मिक न्यास तथा धर्मस्व विभाग के मद क्रमांक 5 हजार 384 राम पथ गमन अंचल विकास योजना में विगत वर्ष आपने 30 करोड़ रुपए का प्रोवीजन किया था, लेकिन मात्र 12 करोड़ रुपए व्यय हुए. मैंने इसे पढ़ा है, इसे देखा है और उसके बाद हम यह सब देखकर दुखी हो जाते हैं कि आपने ऐसा क्यों किया? जब आपने 30 करोड़ रुपए का बजट प्रोवीजन किया तो आप केवल 12 करोड़ रुपए खर्च कर रहे हो 18 करोड़ रुपए आपने कहीं और खर्च कर दिया. आप इसका जवाब भी दें कि आपने वह 18 करोड़ रुपए कहां खर्च किए. जो राम जी के नाम से जुड़ा हुआ बजट है उसको भी सरकार खा रही है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं कल माननीय मुख्यमंत्री जी को सुन रहा था अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्ग के मैं समझता हूं कि उन वर्ग के लोगों के लिए, उन क्षेत्रों के विकास और इंफ्रास्ट्रक्चर की बात तो दूर है वहां करप्शन करने की बात तक तो ठीक है, लेकिन इन वर्ग के छात्रों की छात्रवृत्तियों में भी आपने कमी कर दी और कटौती कर दी और उनको खत्म कर दिया या उनकी हेरा फेरी कर दी. मैं इन सबका मद सहित, कंडिका सहित उल्लेख करना चाहता हूं यह मेरा पहला प्वाइंट था. दूसरा आपने जो शुरुआत की है महामहिम राज्यपाल जी के अभिभाषण में और आपके बजट में भी इस बात का उल्लेख किया गया है. आपने संत रविदास जी का उल्लेख किया है, लेकिन आपने इस वर्ग के लोगों को कितना चूना लगाया है कितना ठगा है, कितना छला है. यह मद क्रमांक 47, 22 में वर्ष 2021-2022 में 61 करोड़ रुपए का बजट आपने अनुसूचित जाति बस्ती विकास के लिए प्रावधानित किया था लेकिन आपने मात्र 18 करोड़ रुपए खर्च किए जो बाकी की राशि थी वह राशि कहां गई? आपने वह राशि कहां खर्च की या उसको कहीं चुनाव में तो नहीं लुटवा दिया या आजकल जो हेराफेरी भाजपा करने लग गई है उसमें तो आपने नहीं किया है. आप जब बोलें इन बातों का जवाब दें.
माननीय अध्यक्ष महोदय, तीसरा बिंदु यह है कि मुख्यमंत्री जी बड़ी-बड़ी डींगे हांक रहे थे, जो बड़ी-बड़ी बात कर रहे थे, लच्छेदार भाषण दे रहे थे. अनुसूचित जाति कल्याण विभाग में विभागीय परिसम्पत्तियों के संधारण के लिए 49.69 करोड़ का बजट प्रोवीजन आपने किया है लेकिन इस वर्ग के युवाओं को रोजगार देने की जब बात आती है तो मात्र 40 करोड़ रुपए है. आप 40 करोड़ रुपए में अनुसूचित जाति वर्ग के युवाओं को क्या रोजगार दे दोगे? अभी आर्थिक सर्वेक्षण के आंकड़े आपने देखे हैं. यह अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा वर्ग के छात्र-छात्राओं के लिए या इन वर्गों के विकास या इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए चौकाने वाले आंकड़ें हैं कि सरकार क्या कर रही है, सरकार होश में भी है कि नहीं है. माननीय वित्त मंत्री जी आप इसे देखिए आप इसके मुखिया हो.
अध्यक्ष महोदय, इसका चौथा बिंदु है अनुसूचित जाति छात्रावास में वर्ष 2021-2022 में सरकार ने 315 करोड़ रुपए का प्रावधान किया था. आप छात्रवृत्ति में भी मात्र 188 करोड़ रुपए खर्च कर रहे हो. माननीय वित्त मंत्री जी, माननीय मंत्रीगण, संसदीय कार्यमंत्री जी आपने छात्रवृत्ति में 315 करोड़ रुपए का प्रावधान किया था. अनुसूचित जाति वर्ग के शेड्यूल कास्ट की स्टूडेंट के लिए 315 करोड़ में से मात्र 188 करोड़ रुपए दे रहे हैं. आपकी यह जो बजट अनुदान मांगों की जो बुके हैं उससे मैंने सारी चीजें निकाली हैं. सरकार इन पर ध्यान दे और जिनके लिए बजट बनाती है, जिनके लिए बजट रचती है उनको उपलब्ध कराएं.
अध्यक्ष महोदय, मेरा पांचवा बिंदु है कि अनुसूचित जाति के कक्षा एक से आठवीं तक के विद्यार्थियों की छात्रववृत्ति जो 22 करोड़ रुपए थी उसको इस बार कम कर दी है उसे 14 करोड़ रुपए कर दी है. 8 करोड़ रुपए कम कर दिए हैं. माननीय वित्त मंत्री जी आप इन सब चीजों का ध्यान दीजिए. अनुसूचित जाति शासकीय ज्ञानोदय विद्यालय में विगत वर्ष 72 करोड़ रुपए का आवंटन था लेकिन आपने केवल करोड़ रुपए 39 खर्च किया है. आप हमसे यहां बजट पर चर्चा कराते हैं. आप हमसे बजट पास कराते हो लेकिन जिनके लिए है उन पर खर्च क्यों नहीं करते हो. ऐसे ही एसटी वर्ग के छात्रों के लिए और उनके लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर और निर्माण कार्य के लिए भी मैं आपका ध्यान आकर्षित कराना चाहता हूँ. इसलिए मैंने इसको शुरुआत में कोट किया है क्योंकि कल का मैंने मुख्यमंत्री जी का भाषण सुना था उसमें उन्होंने इस पर बहुत ज्यादा बात कही थी इसलिए मैं उस पर आपका और सरकार का ध्यान आकर्षित कराना चाह रहा था.
अध्यक्ष महोदय, अनुसूचित जनजाति कल्याण कंडिका क्रमांक 95 से 101, जो अनुदान मांगों की बुक हैं, उसमें सरकार विभागीय परिसम्पत्तियों के संधारण हेतु इस विभाग में 194 करोड़ रुपए का प्रावधान करती है. लेकिन इस वर्ग के युवाओं के लिए मात्र 60 करोड़ रुपए का प्रावधान है. एससी के स्टूडेंट्स के लिए 40 करोड़ रुपए का और एसटी के कल्याण के लिए केवल 60 करोड़ रुपए का प्रावधान है. जिस प्रदेश में बेरोजगारों की संख्या 31-32 लाख हो उसमें 40 और 60 करोड़ रुपए से सरकार क्या कर लेगी. सरकार उनको कब रोजगार उपलब्ध करा पाएगी. सरकार इस बात पर ध्यान दे सरकार को इस पर काम करना पड़ेगा. वर्ष 2021-22 में जनजातीय कार्य विभाग का बजट अनुमान 9700 करोड़ रुपए था लेकिन आपने केवल 7600 करोड़ रुपए ही व्यय किए हैं. लगभग 2100 करोड़ रुपए आप खर्च नहीं कर पाए हैं. माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी, लोक निर्माण मंत्री जी, पीछे बैठे मंत्री जी, वित्त मंत्री जी के सपोर्ट में भी आप बोले. जहां 9700 करोड़ रुपए के बजट के अगेंस्ट मात्र 7600 करोड़ रुपए ही खर्च हो रहे हैं. आप 2100 करोड़ रुपए खर्च क्यों नहीं कर पा रहे हैं. ऐसा ही मैंने एससी और एसटी का बताया है. कहीं आप अपनी राजनीति चमकाने के लिए कहीं पॉलिटिकल कार्यक्रमों में तो नहीं खर्च कर रहे हैं. माननीय वित्त मंत्री जी इसको आपको देखना पड़ेगा हम लोगों का इस पर ध्यान है. पिछली बार भी हमने जो मुद्दे उठाए थे आप उनका जवाब नहीं दे पाए थे.
अध्यक्ष महोदय, तीसरा पाइंट है मद क्रमांक 7881 अनुसूचित जनजाति क्षेत्र विकास में वर्ष 2021-22 में 490 करोड़ रुपए का बजट में प्रावधान किया गया था. उसके विरुद्ध केवल 80 करोड़ रुपए ही आप खर्च कर पाए हैं. 410 करोड़ रुपए खर्च नहीं हुए हैं. उधर 2100 करोड़ रुपए और इधर 410 करोड़ रुपए खर्च नहीं हुए हैं. मध्यप्रदेश देश का सबसे बिगेस्ट ट्रायबल स्टेट है और अगर यहां पर इन वर्गों के साथ ऐसा कर रहे हैं तो आप कितना बड़ा षड्यंत्र उनके खिलाफ रच रहे हैं. उनके साथ भाजपा और आपकी सरकार छलावा कर रही है. मैं जो आंकड़े दे रहा हूँ वे एथेंटिक हैं. इनमें कुछ भी हेरा फेरी हो तो आप जो सजा देना चाहें वह सजा भुगतने के लिए मैं तैयार हूँ. यह सब मैंने बजट भाषण से लिया है. मध्यप्रदेश राजकोषीय उत्तरदायित्व बजट प्रबंधन अधिनियम एक्ट की आप क्या धज्जियाँ उड़ाते हैं. आपको संभलना पड़ेगा लोगों में इसका मैसेज जा रहा है. हमारा भी उस पर ध्यान है. कंडिका क्रमांक मद क्रमांक 9853 अनुसूचित जनजाति संस्कृति का परीक्षण विकास, इस मद में विगत वर्ष केवल 80 लाख रुपए का बजट था. आपने इसमें 47 करोड़ रुपए खर्च कर दिए. जिस हेड में आपको खर्च करना चाहिए था वहां पर 2100 करोड़ रुपए खर्च नहीं कर पा रहे हैं. 410 करोड़ रुपए खर्च नहीं कर रहे हैं. सरकार कहां जा रही है, किस दिशा में जा रही है. मुख्यमंत्री जिस समय यह भाषण दे रहे थे उस समय इन वर्गों की पीड़ा को, प्रदेश की जनता की पीड़ा को मैं व्यक्त कर रहा था इसलिए मैं उस समय बोल रहा था.
अध्यक्ष महोदय, संस्कृति विभाग में भीमा नायक की कल बात आई थी. चाहे फौजा नायक जी की बात हो, भीमा नायक की जी बात हो, टंटया मामा की बात हो. भीमा नायक प्रेरणा केन्द्र पर केवल एक हजार रुपए का प्रावधान रखा है. मुख्यमंत्री जी बड़ी बात कर रहे थे इसलिए मैंने यह कहा था. यह जो आपका बजट का लिट्रेचर है उससे यह सारी चीजें मैंने निकाली हैं. माननीय वित्त मंत्री जी आप सरकार को होश में लाइए. विभागीय परिसम्पत्तियों के संधारण में अधिकांश अनुसूचित जाति, जनजाति उपयोजनाओं से ली गई राशि है. यह जो बजट दिखाने के लिए रखते हैं एससी, एसटी के लिए और उसके बाद इस बजट को यह चुराते हैं. सरकार को इस पर संभलना होगा. यह अनुसूचित जाति, जनजाति के स्टूडेंट्स और उनके क्षेत्र के नव निर्माण और विकास पर खर्च होने के लिए जो बजट बनता है, नहीं तो यह बजट की सिर्फ नहीं तो यह बजट की सिर्फ औपचारिकता रह जाएगी. बजट की चर्चा का और इसका कोई मतलब नहीं और इसका कोई महत्व नहीं बच जाएगा. आपको इस बात में हमको सहयोग करना पड़ेगा.
अध्यक्ष महोदय, विभागीय परिसंपत्तियों के संधारण पर सरकार 13 सौ 55 करोड़ रुपये खर्च कर रही है. लेकिन यह सुनिश्चित करे कि जिस संपत्ति के संधारण पर यह राशि व्यय हो रही है, अध्यक्ष महोदय, अब हमें इनकी सरकार के ऊपर विश्वास और भरोसा नहीं बचा है क्यों नहीं बचा है कि यह जो शासकीय परिसंपत्तियाँ हैं उनको सरकारें बेचने लग गई हैं. केन्द्र सरकार ने केन्द्र सरकार के 13 विभागों को 30 साल के लिए 6 लाख करोड़ पर उसको गिरवी रख रही है इसलिए हमारा यहाँ कहना है कि जो परिसंपत्तियाँ पूर्व की सरकारों ने जो सिंची हैं, बनाई हैं, नवनिर्माण किया है, विकास किया है, प्रदेश और देश को जो खड़ा किया है. कृपा करके उसको आप बेचने का काम न करें. माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी, इस पर आपको ध्यान देना पड़ेगा. अध्यक्ष महोदय, कंडिका 79.......
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ.नरोत्तम मिश्र)-- माननीय अध्यक्ष जी, मेरे को बार बार कहते हैं मुझे ध्यान देना चाहिए. मैंने एक बार ध्यान दिया था जलवा ही खत्म हो गया इसका. (हँसी) इधर से इधर पहुँच गया. इसका विभाग मेरे पर आ गया बार बार कहते हैं संसदीय कार्य मंत्री जी ध्यान दो. वित्त मंत्री ध्यान देंगे.
श्री बाला बच्चन-- वित्त मंत्री जी आपके ही इशारे से चलते हैं इसमें.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- नहीं, नहीं. मेरे इशारे पर कोई नहीं चलता.
श्री बाला बच्चन-- पिछली बार मैंने देखा है. जब वित्त मंत्री जी जवाब दे रहे थे, बोलना चाह रहे थे, तुलनाएँ कर रहे थे तब आपने ही इशारा किया था.....
डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ-- सरकार बनाने में मुख्य भूमिका भैय्या आपकी ही थी. आपके ऊपर दोषारोपण नहीं करेंगे तो किसके ऊपर करेंगे.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- मैं तो स्वीकार कर रहा हूँ हाँ मेरी थी.
श्री उमाकांत शर्मा-- बहन जी, आपको क्या पता, लगता है आप भी मिली हुई थीं.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- मैं तो स्वीकार कर रहा हूँ कि हाँ मेरी थी.
डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ-- मुख्य भूमिका में थे पर अफसोस कि नंबर एक पर नहीं बैठ पाए.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- पर मैं जहाँ बैठा हूँ बहुत खुश हूँ.
डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ-- हमें बड़ा दुख है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- मै जहाँ हूँ बहुत खुश हूँ. वहाँ आप बहुत दुखी हो गए.
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय-- दीदी, अगर आप संपर्क में होते तो आप भी इधर ही होते.
डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ-- आप भूल जाते हों कि मैं किस बाप की बेटी हूँ.
श्री बाला बच्चन-- अध्यक्ष महोदय, यह कंडिका 79 में आपने उल्लेख किया है कि इस वर्ष विभिन्न स्वरोजगार योजनाओं के अन्तर्गत आपने आँकड़े दिए हैं 28 लाख 63 हजार 779 व्यक्तियों को 14 हजार 556 करोड़ रुपये का ऋण उपलब्ध कराने के आँकड़े दिए हैं. मैं जानना चाहता हूँ कि उनकी सब्सिडी कहाँ है. जहाँ तक मेरी जो जानकारी में है जो सब्सिडी के हकदार हैं मध्यप्रदेश के व्यक्ति उनकी सब्सिडी यह सरकार खा गई उनको सब्सिडी आज तक सरकार ने उपलब्ध नहीं कराई है.
अध्यक्ष महोदय, मैं अब आना चाहता हूँ जो कर्जमाफी की जो बात चलती है. मैंने कल भी यह बात मुख्यमंत्री जी के सामने कोट की थी, मैंने मुख्यमंत्री जी को रोका था. कर्जमाफी की बात आती है. कमलनाथ जी ने, हमारी सरकार ने, 27 लाख किसानों का साढ़े 11 हजार करोड़ का कर्जा माफ किया है. मुझे मालूम है मेरे बड़वानी जिले में 283 करोड़ रुपये का कर्जा 7 हजार 203 किसानों का हमने कर्जा माफ किया है. लेकिन जब हम अब पूछते हैं कि दूसरा चरण पूरी तरह से संपन्न हो जाए और कर्ज माफी की तीसरे चरण की शुरुआत कब होगी? अध्यक्ष महोदय, इस सत्र में भी मेरा प्रश्न था, हमारी पार्टी के विधायक साथियों के भी प्रश्न थे, सभी प्रश्नों पर सरकार जानकारी देती है, जानकारी एकत्रित की जा रही है, सरकार डंडाई कर रही है मैं समझता हूँ कि इससे बड़ी बेइमानी सरकार के द्वारा जो की जा रही है यह हो नहीं सकती है. इस बार माननीय अध्यक्ष महोदय, किसान कल्याण विभाग किसान कर्ज माफी के लिए केवल 3 हजार रुपये का आप प्रोविजन करते हों, 3 हजार रुपये का. बचे हुए किसानों की कर्ज माफी का मुझे मालूम है आप और हम वर्ष 2013-18 के सदन में उस समय की चौदहवीं विधान सभा में भी हम थे. 20 हजार किसानों की आत्महत्या कर्ज माफी के कारण हुई थी. कोई जहर पीकर, कोई पानी में डूब कर तो कोई फाँसी पर लटक कर मरे थे, 20 हजार. एक दिन में लगभग 6 से 8 किसान आत्म हत्याएँ करते थे कर्ज के कारण. अध्यक्ष महोदय, 15 महीने की सरकार में लगभग लगभग वह शराब सा मामला हो गया था. माननीय वित्त मंत्री जी, 3 हजार रुपये कर्ज माफी के लिए, यह आप धोखा कर रहे हों किसानों के साथ में. ऐसे ही अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री कृषक फसल उपार्जन योजना में विगत वर्ष 3 हजार करोड़ रुपये व्यय हुए थे. लेकिन इस वर्ष बजट में आपने केवल 15 सौ करोड़ रुपये ही रखे हैं. 3 हजार करोड़ जिसमें खर्च हो गए तो फिर आपने उसको आधा क्यों कर दिया? फिफ्टी परसेंट उसको कम क्यों किया? यह तो लगभग आपको उसको बढ़ा कर रखना चाहिए था और फिर अगर आपने 3 हजार करोड़ खर्च करने की बात कही है तो कर्ज माफी की बात है, बिजली के बिलों की बात है, 3 से 5 हॉर्स पावर के जो बढ़े हुए बिजली के बिल आ रहे हैं, ट्रांसफार्मर खत्म होते जा रहे हैं. किसान परेशान है. उस पर आपको प्रोविजन करना था और इसको आपने फिफ्टी परसेंट कम कर दिया. इसको बढ़ाना चाहिए था.
माननीय अध्यक्ष महोदय, नगरीय विकास के बारे में कहना चाहता हॅूं. इन्दौर, भोपाल मेट्रो रेल योजना लगभग 13 हजार करोड़ रूपए की है लेकिन आप बजट में केवल 500 करोड़ रूपए का प्रोवीजन कर रहे हैं. आप इसको कब स्टार्ट करेंगे. स्टार्ट हो चुकी लेकिन इसको एंड कब करोगे, इसको कब दौड़ाना शुरू करोगे. मध्यप्रदेश के इंदौर, भोपाल की जनता मेट्रो ट्रेन का लाभ कब ले पायेगी. 13 हजार करोड़ रूपए के अगेंस्ट मात्र 500 करोड़ रूपए.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री अधोसंरचना योजना में विगत वर्ष 103 करोड़ रूपए का प्रावधान था और इस वर्ष मात्र 29 करोड़ रूपए का है. कहां 103 करोड़ और कहां अभी केवल 29 करोड़ रूपए. फिर चौंकाने वाला एक आंकड़ा है. शहरी स्वच्छ भारत मिशन में विगत वर्ष 200 करोड़ रूपए का प्रावधान था. खर्च कितना हुआ है 2000 रूपए, अगर हम इस बात को जो यहां कह रहे हैं मैंने जो आपको बोला है, मैं पांचवीं बार का इस सदन का मेम्बर हॅूं मेरी रिस्पॉसिबिलिटी को मैं समझता हॅूं और उसको समझते हुए मैं इस बात को रख रहा हॅूं. 200 करोड़ रूपए के अगेंस्ट मात्र 2000 रूपए खर्च कर रहे हो. क्या जवाब दोगे मध्यप्रदेश की जनता को, इसलिए मैंने यह कहा था कि सरकार कितनी होश में है, क्या सरकार का ध्यान है ? कहां 200 करोड़ रूपए के अगेंस्ट 2000 रूपए खर्च कर रहे हो आप.
माननीय अध्यक्ष महोदय, सामाजिक न्यास योजना के बारे में कहना चाहता हॅूं. कन्या अभिभावक पेंशन योजना, जो इसका हेड है वह बता रहा हॅूं. विगत वर्ष 44 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया था और आप खर्च कर रहे हैं केवल 20 करोड़ रूपए. इस बार आपने इस वर्ष केवल 20 करोड़ रूपए रखे, मतलब 40 करोड़ रूपए थे, उसको 20 करोड़ रूपए कर दिये. 50 प्रतिशत उसको कम कर दिया. सामाजिक सुरक्षा पेंशन के बारे में कहना चाहता हॅूं.
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- बाला भाई, अभी आपने जो चौंकाने वाला आंकड़ा बोला था, अगर जितु भाई या ओमकार भाई वह आंकड़ा बता दें कि क्या बोला था तो मान जाऊं...(हंसी) इन दोनों से पूछकर बता दो. ओमकार भाई, बताओ जरा. कितना बोला था इन्होंने वह आंकड़ा. सुन ही नहीं रहा कोई. ध्यान नहीं दे रहे आप उस पर..(हंसी)..
श्री गोपाल भार्गव -- इतना चेताने के बाद भी सज्जन भाई अभी भी नहीं सुन रहे...(हंसी)..
श्री ओमकार मर्सकोले -- माननीय पंडित जी, आप विद्वान हैं. हमारे दल के नेता सुना रहे हैं लेकिन आप सुन नहीं पा रहे हो, तो उलटा दोषारोपण इधर कर रहे हो. सुनना आपको है, रिकार्ड आपको रखना है (XXX )
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- (XXX )
श्री बाला बच्चन -- (XXX )
श्री विजय रेवनाथ चौरे -- (XXX )
....(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- यह कुछ नहीं लिखा जाएगा.
श्री बाला बच्चन -- वह तो फाइनल है और इसका रिजल्ट, परिणाम आने वाले वक्त में मिल भी जाएगा. यह इसी की तो है सब कुछ जो दिख रही है इधर. वह क्या शब्द बोल रहे हैं वह बोलने के लिए बहुत सारे शब्द हैं लेकिन वह मैं बोलना नहीं चाहता हॅूं. लोकतंत्र को जिस तरह से आपने पानी में मिला दिया, आप उसका परिणाम आगे देखना. मैं आपको बताना चाहता हॅूं.
श्री अरविन्द सिंह भदौरिया -- बाला भाई, आशीर्वाद लिये होते. पंडित जी का आशीर्वाद लिये होते, तो इसलिए पंडित जी से आग्रह था.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, यह जो जितने गये हैं, वैसे वह हो सकते हैं. बाला बच्चन या बचे हुए विधायक नहीं हो सकते. यह ध्यान रखना.
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- कह-कहके 30 हटा दिये तुमने. ऐसा बोल-बोलकर 30 चले गये और उसके बाद कह रहे हो, कि जितने बचे हैं जो चला जाएगा उसको ही कह दोगे. ...(हंसी)..
श्री उमाकांत शर्मा -- माननीय बाला बच्चन जी, वह लोग अभी है न, उन्हें एक बयान दिलवा दो नेता जी से, सड़क पर आ जाओ, यह भी चले जाएंगे...(हंसी)..
श्री बाला बच्चन -- आगे के वक्त को पकड़ना है, वक्त इंतजार कर रहा है. मेरा आग्रह है कि सामाजिक सुरक्षा पेंशन माननीय कमलनाथ जी ने और हमारी सरकार ने 300 रूपए से 600 रूपए कर दी थी. आप उसको दे भी नहीं पा रहे हो. मुझे आज नंदा नगर, इंदौर से एक पाटीदार जी का चौथी-पांचवीं बार फोन आया. मैंने वहां के उनके नेताओं के नाम का उल्लेख किया, वह बोले भैया, कोई नहीं सुनता. वह बोले कि पेंशन हमारे खाते में नहीं आ रही है 4-4, 5-5 महीने हो गए, कृपया करके खाते में पेंशन डलनी चाहिए.
माननीय अध्यक्ष महोदय, खाद्य, नागरिक आपूर्ति विभाग के बारे में कहना चाहता हॅूं. विगत वर्ष गोदामों के निर्माण के लिए 50 करोड़ रूपए रखे गए थे लेकिन व्यय सिर्फ 5 करोड़ रूपए हुए. क्या कर रही है सरकार? 50 करोड़ रूपए के अगेंस्ट 5 करोड़ रूपए. खाद्यान्नों के परिवहन में भ्रष्टाचार की शिकायतें जो हम लोग करते हैं, विधानसभा में हम प्रश्न उठाते हैं, सबकी जानकारी एकत्रित की जा रही है, घुमाया जा रहा है यह आपका दौर है कब तक चलेगा, यह भी आने वाले 2023 में समाप्त हो जायेगा. यह ध्यान रखना. यह हमारे प्रभारी मंत्री जी हैं खलघाट के डाकबंगले में बैठकर क्या कर रहे थे, आप उनसे पूछना. (श्री हरदीपसिंह डंग, माननीय मंत्री की ओर इशारा करते हुए) डंग जी आपके पास बैठे है. अधिकारियों को लेकर जो टारगेट..(व्यवधान)...
श्री आशीष गोविन्द शर्मा -- बाला भाई, जो आप करते थे, वही हरदीप भाई भी कर रहे हैं...(हंसी)...
श्री बाला बच्चन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें एक और पाइंट है उसके बाद मैं एक-दो मिनट में बजट पर बोलकर समाप्त करूंगा. यह आरटीई के तहत अशासकीय संस्थाओं को दिये जाने वाले 100 करोड़ रूपए की कमी कर दी गई. लेकिन इस बार जो कमी कर दी गई है और वह जो मैंने बजट में उल्लेख किया है, अतिथि शिक्षकों पर सरकार ध्यान दे. उन पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने अभी एफआरबीएम का उल्लेख किया था, फिस्कल रिसपॉन्सिबिलिटी एंड बजट मैनेजमेंट एक्ट की सरकार कितनी धज्जियां उड़ा रही है. अब आप सुन लीजिए, मैं उस बारे में उल्लेख करना चाहता हूँ, मैंने तैयारी की है, आप मुझे जो समय दे रहे हैं, उसके लिए मैं आपको धन्यवाद भी करता हूँ. मेरे प्रश्नों का जवाब नहीं दिया गया है, अनुसूचित जाति, जनजाति पर अत्याचार प्रकरण बढ़े हैं, प्रश्न क्रमांक 1162, दिनांक 24.12.2021 का है, उसका भी मैं उल्लेख कर रहा हूँ. मैं बताना चाहता हूँ कि 1500 से अधिक प्रकरणों में चालान पुट अप नहीं हुआ है, 3 हजार से अधिक आरोपियों को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है. यह गृहमंत्री जी का काम है, गृहमंत्री जी को मैं अवगत करा रहा हूँ. जबकि वर्ष 2020 में और 30 नवंबर, 2021 में राजपुर विधान सभा क्षेत्र में चोरी से संबंधित जो मामला है, मैं भूल जाऊंगा, राजपुर विधान सभा में ..(व्यवधान)...
श्री अनिरूद्ध माधव मारू -- यह बजट से संबंधित कोई चर्चा नहीं है, यह बजट भाषण में नहीं है. ..(व्यवधान)...
श्री बाला बच्चन -- मैं बजट भाषण पर आ रहा हूँ. ..(व्यवधान)...
श्री अनिरूद्ध माधव मारू -- ये कहीं भी विषय को डायवर्ट करते जा रहे हैं. ये व्यक्तिगत विषयों पर आ गए..(व्यवधान)...
श्री बाला बच्चन -- मेरा एक प्वॉइन्ट बता दो, जितना मैंने बजट पर उल्लेख किया है, उसका एक आंकड़ा बता दो. अगर आपने ध्यान दिया होगा तो ..(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- बच्चन जी, बोलिए.
श्री बाला बच्चन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, कर भिन्न राजस्व प्राप्तियों में सरकार ध्यान दे. कर भिन्न राजस्व प्राप्तियों में 13,618.20 करोड़ रुपये का बजट अनुमान है. आपने बजट में बताया है कि इसमें जीएसटी के अंतर्गत सरकार से होने वाली क्षतिपूर्ति शामिल है. अध्यक्ष महोदय, कर भिन्न राजस्व प्राप्तियों में, जिसका यह हेड है, उसमें 13,618.20 करोड़ रुपये मिलने हैं, केन्द्र की जीएसटी की क्षतिपूर्ति शामिल है, लेकिन क्या सरकार होश में है ? अभी जून, 2022 में पांच साल पूरे हो जाएंगे, और उसके बाद यह क्षतिपूर्ति की राशि आपको मिलना बंद हो जाएगी तो फिर आप इस 13,618.20 करोड़ रुपये की व्यवस्था कहां से करेंगे ? जून, 2022 में जीएसटी को लागू होने को पांच साल हो जाएंगे, केन्द्र से क्षतिपूर्ति मिलना बंद हो जाएगी, कहां से लोगे आप, आपने कभी इसकी चिंता की, इस पर ध्यान दिया है ?
माननीय अध्यक्ष महोदय, ऐसा ही मेरा दूसरा प्वॉइंट सरकार की ऋण लेने की सीमा का है. श्रीमान जी, पहले आपने ऋण लेने की सीमा को तीन से साढ़े तीन प्रतिशत किया, साढ़े तीन से चार प्रतिशत किया, फिर चार प्रतिशत से साढ़े चार प्रतिशत कर दिया. अब कर्ज लेने की सीमा को भी सरकार ने लांघ दिया है, 4.5 प्रतिशत कर्ज लेने की सीमा होना चाहिए, इस सरकार ने 4.56 प्रतिशत कर्ज ले लिया है, 0.06 प्रतिशत अधिक कर्ज लिया है. कर्ज लेने की जो सीमा खत्म हो चुकी है, उसको आप लांघ रहे हैं. मुख्यमंत्री जी कई बार केन्द्रीय वित्त मंत्री जी को कर्ज की सीमा बढ़ाने के लिए पत्र लिख रहे हैं, लेकिन आज तक केन्द्र सरकार ने सीमा बढ़ाने की मंजूरी नहीं दी है. मैं यह कहना चाहता हूँ, अब जो आप कर्ज लेंगे, जैसे पिछले वर्ष में एक वर्ष में ही आपने लगभग 52 हजार करोड़ रुपये कर्ज लिया है, तो अब जो आप कर्ज लेंगे तो वह किस रेट ऑफ इन्टरेस्ट पर लेंगे. मध्यप्रदेश की जनता की गाढ़ी कमाई को कितना चूना लगाएंगे, उसको कितना छलेंगे, कितना ठगेंगे, माननीय वित्त मंत्री जी, इस बात पर आप ध्यान दें. कर्ज लेने की सीमा आपने लांघनी शुरू कर दी है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, एकाध प्वॉइन्ट और है. वर्ष 2021-22 में पुनरीक्षित अनुमान में राजस्व प्राप्तियों में केवल 4.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. इस बार आप अनाप-शनाप वृद्धि होना बता रहे हैं, यह भी संभव नहीं है. इसको मैंने पढ़ा है, इसको मैंने समझा है, इसलिए मैं माननीय वित्त मंत्री जी को बोल रहा हूँ. इसी तरह कुल प्राप्तियां वर्ष 2021-22 में केवल 2 प्रतिशत बढ़ी है और इस वर्ष आप जो अनुमान लगा रहे हैं, 10 और 11 और 12 और 13 और 14 और 15 प्रतिशत तक, माननीय वित्त मंत्री जी, वह कहां से बढ़ेगी. क्या आपने बजट बनाते समय इन चीजों को समझा है, इन चीजों पर ध्यान दिया है ? क्या आपने देखा है कि प्राप्तियों में इतने-इतने प्रतिशत वृद्धि कहां से होगी ?
माननीय अध्यक्ष महोदय, ऐसे ही केन्द्रीय सहायता अनुदान जो हमें मिलती है, वर्ष 2020-21 में हमें केन्द्रीय सहायता अनुदान 35,101 करोड़ रुपये मिली थी, वर्ष 2021-22 में यह बढ़कर 36,896 करोड़ रुपये हुई थी, दो वर्ष में केवल आपको 1,800 करोड़ रुपये बढ़कर मिली थी और इस बार आप और सरकार जो अनुमान लगा रही है कि लगभग 44,594 करोड़ मिलेगी. माननीय वित्त मंत्री जी, यह संभव नहीं है. जब पिछले दो वर्षों में वह 1,800 करोड़ रुपये ही बढ़ी तो अब 44,594 करोड़ रुपये कहां से मिलेगी. आपने क्या बजट बनाया है ? क्या आपने देखा है ? और कैसे ऐसे धोखे से आप इसका इम्पलीमेंट भी लोगों के साथ में कराएंगे ? ऋण तथा अग्रिम विविध पूंजीगत प्राप्तियों की वसूली आपने विगत वर्ष 2828 करोड़ रुपये की की थी और इस बार आप अनुमान केवल 24 करोड़ रुपये का लगा रहे हैं. इतनी भारी कमी, इतनी भारी गिरावट कैसे ? जब आपका पहला बजट अनुमान होता है और उसके बाद बजट पुनरीक्षित होता है, जो लेखा होता है, वह 2020-21 का आज आ चुका है, इसमें मैंने अभी जो आंकड़े बताए कि 2828 करोड़ रुपये की वसूली और इस साल के बजट अनुमान में मात्र आप 24 करोड़ रुपये की वसूली कर रहे हैं, तो वह जो आपका अनुमान बिगड़ा था, वह माननीय वित्तमंत्री जी, मैं आपको बताना चाहता हूं कि पहले 1507 करोड़ रुपये की थी, लेकिन वह पुनरीक्षित अनुमान में 2828 करोड़ रुपये की हो गई, तो अब जब आपका अनुमान 1507 का था उसकी जगह वसूली 2828 करोड़ की हो गई तो फिर आप मात्र 24 करोड़ रुपये की वसूली बता रहे हैं. क्या देखा है माननीय वित्त मंत्री जी, समझा है ? पढ़ा है ? इसको पढ़ें, इसको समझें और उसको देखें और जिन हैड्स में, जिन कामों में, जिन व्यक्तियों के लिये, जिन क्षेत्रों के लिये जिसका आपने प्रॉवीजन किया है, माननीय वित्तमंत्री जी, आप खर्च करें.
अध्यक्ष महोदय, एक प्वाइंट और बचा है. सरकार ने विभागीय संपत्तियों के संधारण पर हर विभाग से बजट तो लिया है लेकिन आजादी के अमृत महोत्सव को मनाने के लिये बजट में क्यों प्रोवीजन नहीं किया गया है ? क्या आजादी को भाजपा नहीं मानती ? आजादी के लिये जिस तरह से लड़ाई लड़ी गई, जिस तरह से हमारे फ्रीडम फाइटर्स ने आजादी की लड़ाई में अपना जीवन खपाया है, आपने आजादी के इस अमृत महोत्सव पर कोई बजट का प्रोवीजन नहीं किया है. मेरा आपसे यह आग्रह है, जैसा हमारे एक साथी ने बोला है बजट पर आइये, मैं समझता हूं पूरी-पूरी अपनी जो बात बजट पर रखी है, माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी उनको रोकेंगे. हमारे विधायक साथियों ने जो बातें पूछी हैं, जो प्रश्न किये हैं, ऐसे ही अवसर होते हैं चाहे वह अभिभाषण हो.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अपनी जिंदगी में इतना लंबा भाषण बाला जी ने कभी नहीं दिया.
श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) -- आपने कभी सुना भी नहीं होगा.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- नहीं, सवाल ही नहीं है. मैं यह कह रहा था कि इनको इतना कभी इनकी सरकार में नहीं बोलने दिया गया जितना आपने बोलने दिया है. अध्यक्ष जी, मैं आपका आभारी हूं.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं-नहीं, आभार उनको व्यक्त करना चाहिये जिनको अवसर दिया है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- उन्होंने वह कला सीखी ही नहीं है.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, मेरी बात समाप्त करने के बाद मैं आपको धन्यवाद दूंगा. मैं अध्यक्ष महोदय का हार्दिक अभिनंदन भी करूंगा और उनको धन्यवाद भी दूंगा. मैं तो यह कहना चाहता हूं कि और भी बहुत सारे बिंदु जो मैंने और मेरी पार्टी के विधायक साथियों ने उठाये हैं और उसके बाद हमारे सामने के साथियों ने भी उठाये हैं, पहले इस सदन का विधायक होता है सदस्य, पहले 230 में से विधायक की सदस्यता आती है, उसके बाद मंत्री, मंत्रिमंडल और उसी में से मुख्यमंत्री चुने जाते हैं. आप हमारी इन सब बातों को मैं समझता हूं कि आप इस पर ध्यान देंगे और उसके बाद इस पर कार्यवाही करेंगे और जितने मुद्दे हमने सुझाये हैं उसका आप ठीक ढंग से प्रदेश की जनता के लिये इम्पलीमेंटेशन करेंगे ऐसी मैं उम्मीद करता हूं. मैं अभी तक पिछले काफी समय से आप लोगों के साथ में हूं लेकिन बहुत बुरे हाल और हालात हैं और आप माननीय गृह मंत्री जी, सावधान रहिये, गृह विभाग आ रहा है अनुदान मांगों पर, जो राजपुर और बड़वानी जिले में आपका विभाग, जहां से मैं चुनकर आता हूं, राजपुर विधान सभा में मेरे घर के आसपास, पूरे बड़वानी जिले में आपका विभाग क्या गुल खिला रहा है. अब जब गृह विभाग पर चर्चा आएगी उस समय मैं आपके कान के कीड़े झाड़ूंगा. माननीय गृह मंत्री जी, आप इस बात का ध्यान रखना.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, अपने नेता से पूछ लेना कि गृह विभाग की चर्चा आएगी कि नहीं आएगी. (हंसी) मुझसे मत ही पूछो, उनसे पूछ लेना जो आपके नेता आगे बैठते हैं.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, आपको मेरी तरफ से बहुत-बहुत धन्यवाद. जितनी मैंने तैयारी की थी वह पूरी-पूरी बात मैं डिलिवर कर पाया हूं. अब मैं आपसे यह विनती करता हूं कि सरकार पर लगाम लगाएं. बेलगाम सरकार है. आंकड़ों के इस मायाजाल को जितना इम्पलीमेंटेशन फील्ड पर हो सके उसकी भरपाई हो, उनका फायदा और लाभ मिले. अध्यक्ष महोदय, आपने जो वक्त दिया है उसके लिये कोटि-कोटि धन्यवाद.
श्री दिलीप सिंह परिहार (नीमच) - अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2022-23 के बजट के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं. मैं मध्यप्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री और हमारे मालवा के गौरव प्रदेश के वित्त मंत्री श्री जगदीश देवड़ा जी को बहुत धन्यवाद देता हूं, उनका समर्थन करता हूं.
कृषि के क्षेत्र में किसान को यदि कुछ चाहिए तो बिजली, पानी, सड़क और खाद की पर्याप्त व्यवस्था मध्यप्रदेश के इस बजट में रखी गई है. यह बजट सर्वहारा वर्ग के कल्याण का बजट है. सिंचाई की क्षमता बढ़ाने के लिए लगातार मध्यप्रदेश के वित्तमंत्री जी मनोयोग से लगे हुए हैं. वर्ष 2003 में साढ़े सात लाख हैक्टेयर सिंचाई होती थी. हमारी सरकार ने नवीन प्रयासों के माध्यम से सिंचाई क्षमता 43 लाख हैक्टेयर तक पहुंचाई है और आज कहीं न कहीं अन्न के भण्डार मध्यप्रदेश की धरती पर भरे हुए हैं. कृषि को लाभ का धंधा बनाने के लिए केन्द्र और प्रदेश की सरकार लगातार लगी हुई है. देश के प्रधानमंत्री जी श्री नरेन्द्र मोदी, कृषि मंत्री मान्यवर श्री नरेन्द्र सिंह तोमर, हमारे मान्यवर मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान लगातार लगे हैं. सिंचाई का क्षेत्र 65 लाख हैक्टेयर तक पहुंचाने का जो लक्ष्य लिया है उस लक्ष्य के आधार पर खेती का धंधा लाभ का धंधा बनेगा और किसान की आय दोगुनी होगी.
अध्यक्ष महोदय, हम देखते हैं कि बजट में जल संसाधन विभाग के माध्यम से भी आज हमारे क्षेत्र में 27 वृहद, 56 मध्यम और कुल 188 लघु सिंचाई योजनाएं रखी गई हैं. केन बेतवा नदी को जोड़ने की योजना बहुत महत्वपूर्ण है. जो सिंचाई के क्षेत्र में बहुत ही अग्रिम होगी. उद्वहन सिंचाई योजना में 1209 करोड़ रुपये का प्रावधान इस बजट में माननीय वित्तमंत्री जी ने किया है. इसमें रामपुरा और मनासा की उद्वहन सिंचाई योजना, जिसमें 1209 करोड़ रुपये की स्वीकृति प्रदान की है. मैं इसके लिए माननीय वित्तमंत्री जी और माननीय मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देता हूं. हमारा मालवा क्षेत्र, उसमें नीमच, मंदसौर और जावद में जो जल स्तर नीचे जाता जा रहा था, वह जल स्तर बढ़ाने में यह रामपुरा, मनासा उद्वहन सिंचाई योजना मंजूर करके एक बहुत बड़ा काम किया गया है, उससे जल स्तर भी बढ़ेगा और लगभग 250 गांव इस क्रियान्वयन योजना में लिये गये हैं, जिसमें हजारों किसान लाभान्वित होंगे.
मेरी विधान सभा के नीमच के 28 गांव आ रहे हैं जिसमें मां भादवा माता का एक स्थान है. वहां कोई भी आता है, जिनको लकवा मार जाता है तो वह कंधे पर बैठकर आते हैं और मां की कृपा से वह पैदल घर चलकर जाते हैं, उस स्थान में जल स्तर नीचे हो रहा था. इस योजना से हमारे भादवा माता के मंदिर क्षेत्र में जल स्तर भी ऊंचा बढ़ेगा और किसान सिंचाई कर पाएंगे. अन्न उत्पादन कर पाएंगे. 11774 हैक्टेयर की सिंचाई इस योजना में होगी, इसके लिए मैं मान्यवर श्री जगदीश देवड़ा जी को धन्यवाद देता हूं क्योंकि वह स्वयं भी रामपुरा के रहने वाले हैं और उन्होंने नीमच जिले के लिए खजाना खोल दिया है, मैं इसके लिए उनको धन्यवाद देता हूं.
अध्यक्ष महोदय, एक जिला एक उत्पादन योजना में जो सरकार की योजना चल रही है, उसमें किसान जिस जिले में उत्पादन श्रेष्ठ हो सकता है, वहां बोरे का काम करते हैं और उसमें ग्रेडिंग के माध्यम से भी हम बेरोजगारों को लोन दे सकते हैं. नीमच जिले में धनिया उसमें रखा गया है और धनिया की फसल वहां बहुत होती है. वैसे तो नीमच में लगभग 65 प्रकार की जींस पैदा होती है तो धनिया उत्पादन में भी नीमच अग्रिम है और उस एक जिला एक उत्पादन योजना में धनिया रखा गया है. मंदसौर में श्री यशपाल जी के यहां लहसुन रखी गई है. मध्यप्रदेश में जिलों में अलग-अलग उत्पादन के संबंध में प्रावधान किया गया है. साथ ही हमारे प्रधानमंत्री जी भी किसानों को सम्मान निधि के रूप में 6000 रुपये उपलब्ध कराते हैं, मुख्यमंत्री 4000 रुपये उपलब्ध कराते हैं. लघु और सीमांत जो किसान हैं उनकी आय में कहीं न कहीं वृद्धि भी होती है और उनको लाभ भी मिलता है. यह योजना वर्ष 2019 से प्रारंभ की गई है. मैं इसका भी स्वागत करता हूं. 2 लाख रुपये तक के कर्ज माफी की बात कही गई थी. अब उस बात पर मैं जाना नहीं चाहता हूं, फिर भी किसान मत्स्य उत्पादन, पशु दूध उत्पादन के मामले में भी अग्रिम रहा है. हम देखते हैं कि देश में अन्न उत्पादन में तो 5 बार कृषि कर्मण पुरस्कार लगातार प्राप्त कर रहे हैं. हम देखते हैं कि मध्यप्रदेश में मालवा में दूध उत्पादन के संबंध में पशुपालन की ओर विशेष ध्यान दिया गया है. दूध उत्पादन में मध्यप्रदेश कहीं न कहीं तृतीय स्थान पर आया है. मैं इसके लिए भी वित्तमंत्री जी और मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देता हूं. प्रदेश में लगभग ढाई करोड़ गौ भैंस वंशीय पशुओं के लिए प्रावधान किया गया है. पशुओं के उपचार हेतु भी 406 नये पशु चिकित्सा वाहनों की व्यवस्था की गई है. साथ ही 142 करोड़ रुपये का प्रावधान इसमें किया गया है. गौशालाओं के संबंध में भी हम देखते हैं कि पशुधन का पुराने समय में बहुत महत्व होता था. यदि जिसके यहां भी पशु होते थे, तो वह सम्मान की दृष्टि से देखा जाता था और हम देखते हैं कि गाय भैंस, गौमाता सबको दूध पिलाती है. छोटे को, बड़े को, हिन्दू को, मुसलमान को और आज उन गौमाताओं की रक्षा के लिये हमने गौशालाओं का निर्माण पंचायत-पंचायत स्तर पर किया है, इसके लिये भी मैं वित्त मंत्री जी को धन्यवाद देता हूं. लगातार सड़कों के क्षेत्र में भी, सड़क हमारे आवागमन का माध्यम होती है और वही विकास में अधिक कारगर साबित होती है. वर्ष 2022-23 के बजट में 3 हजार किलोमीटर नवीन सड़कों का कार्य, लगभग 1250 किलोमीटर का सड़क नवीनीकरण कार्य तथा 88 नवीन पुल पुलियाओं का भी बजट में प्रावधान किया गया है. अटल प्रगति पथ, मध्यप्रदेश में नर्मदा प्रगति पथ ऐसे प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना के मामध्यम से हम देखते हैं कि जो गांव से पहले लोग पलायन करके शहरों की तरफ आ रहे थे और पंडित अटल बिहारी वाजपेयजी जी ने यह प्रधानमंत्री सड़क योजना जब से प्रारम्भ की है. छोटे छोटे गावों को भी जोड़ने का काम हमारे मुख्यमंत्री जी एवं वित्त मंत्री जी ने इस बजट में प्रावधान किया है. प्रधानमंत्री सड़क योजना में वित्तीय वर्ष 2022-23 में 4584 किलोमीटर की सड़कें, 180 पुल-पुलियाओं का निर्माण का लक्ष्य है मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2021-22 में माह जनवरी,2022 तक 618 किलोमीटर सड़कों के कार्य पूर्ण किये गए हैं. वित्तीय वर्ष 2022-23 में इस योजना अंतर्गत 1200 किलोमीटर सड़क निर्माण का लक्ष्य रखा गया है. सड़क जैसे हम देखते हैं कि शरीर में रक्त चलता है ध्वनियों में इसी प्रकार अच्छी सड़क यदि देश में हो जाती है, तो प्रगति के पथ पर देश दौड़ता है. सड़क निर्माण एवं सडॉक संधारण के लिये वित्त वर्ष 2022-23 के अनुसार लगभग 8590 करोड़ रुपये और 2443 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा गया है. हमारी सिंचाई योजनाओं के साथ साथ ही मैं मुख्यमंत्री जी एवं वित्त मंत्री जी को धन्यवाद दूंगा कि पेयजल पुराने समय में हम देखते थे पानी का स्तर नीचे होता था, हैंडपम्प चला चलाकर माताएं एवं बहनें पानी भरा करती थीं और पेयजल के लिये जल जीवन मिशन की एक क्रांति सी हमारे मध्यप्रदेश में आई है. 4 हजार से अधिक गांवों में शत प्रतिशत घरों में नल जल योजना पहुंचा चुके हैं और वर्तमान में 47 लाख से अधिक परिवारों में पेयजल सुविधा उपलब्ध कराई जा चुकी है. इस वर्ष कुल 11190 करोड़ की 17318 गांवों में एकल ग्राम नल योजनाएं तथा 18454 करोड़ की 16853 गांवों में 75 समूह नल जल योजनाएं स्वीकृत की जा चुकी है. इसके लिये भी मैं वित्त मंत्री जी एवं मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देता हूं. जल जीवन मिशन के तहत भी वर्ष 2022-23 में केंद्रांश रु. 3 हजार 150 करोड़ तथा राज्यांश रु. 3150 करोड़,कुल 6300 करोड़ रुपये का प्रावधान प्रस्तावित है, यह भी बहुत स्वागत योग्य है. आज हमारे यहां भगवानपुरा में नीमच जिले में सौर ऊर्जा से बिजली उत्पादन करने में भी, जो नीचम जिला कहीं बिजली के लिये पीछे रहता था, आज वह दाता के रुप में बना है. ऊर्जा के क्षेत्र में भी हमारे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री जी ने प्रावधान रखा है. ऊर्जा क्षेत्र के लिये वर्ष 2022-23 के लिये रुपये 23 हजार 255 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है. हमारा किसान जो अन्न दाता होता है, किसान के कल्याण के लिये भी लगभग 1 लाख 72 हजार करोड़ से अधिक की सहायता राशि प्रदेश के किसान भाई बहनों को दी गई है. इस बजट में हमारी लाडली लक्ष्मी बेटियों के लिये भी प्रावधान किया गया है. पशुपालन के अलावा रोजगार मूलक जो हमारे यहां अभी हमेशा रोजगार के मेले लग रहे हैं. जो बेरोजगार हैं, उनको रोजगार देने के लिये भी बजट में प्रावधान किया गया है. अनुसूचित जाति,जनजाति के बंधुओं के लिये इस बजट में विशेष रुप से प्रावधान किया गया है. शिक्षा के अंतर्गत सी.एम. राइज स्कूल जो अभी खोले जा रहे हैं, उसके लिये मैं हमारे वित्त मंत्री जी को धन्यवाद दूंगा. अभी 360 स्कूल प्रारम्भ किये जाने का लक्ष्य है. साथ ही इन विद्यालयों की लागत रुपये 7 हजार करोड़ से अधिक होना अनुमानित है. मैं पुन: अनुकुंज कलाओं में समृद्ध शिक्षा,शिक्षा ही हमारे देश के प्राण है. शिक्षा में आमूलचूल परिवर्तन के लिये सी.एम.राईज स्कूल खोले जा रहे हैं उसके लिये भी मैं स्वागत करता हूं. आज इस अवसर पर मैं वित्त मंत्रीजी को हमारी जो रामपुरा गांधी सागर योजना जो प्रारम्भ हुई है इसके लिये धन्यवाद देता हूं. इस बजट में एक भी कर नहीं बढ़ाया इसके लिये भी धन्यवाद देता हूं.
अध्यक्ष महोदय - श्री जितु पटवारी जी.
श्री उमाकांत शर्मा - अध्यक्ष महोदय, मैं जितु जी का बहुत धन्यवाद करता हूं कि वे सदन में स्वयं उपस्थित हुए, बहिष्कार नहीं कर रहे हैं और सहभागी हो रहे हैं.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - आपकी क्या मर्जी थी कि किसी और को भेजते क्या.
श्री जितु पटवारी(राऊ) - धन्यवाद अध्यक्ष महोदय, आपने वर्ष 2022-23 के बजट की सामान्य चर्चा में भाग लेने का अवसर दिया उसके लिये आपको धन्यवाद. वित्त मंत्री जो को भी मैं साधुवाद देता हूं.उन्होंने कहा कि गरीबी से उठा हूं गरीबी का दर्द जानता हूं आसमां से ज्यादा जमीं की कद्र जानता हूं. मैं मानता हूं. उन्हीं का विभाग है वाणिज्यिक कर और उससे संदर्भित जितनी जमीनी हकीकत है उससे शायद उनको अवगत करा सकूं . मध्यप्रदेश के आर्थिक हालात क्या हैं और यह जनभावनाओं में कैसे मूर्त रूप लेती है इसका उदाहरण भोपाल में मिला. एक बाप ने अपनी 15 साल की बेटी को बेच दिया 50 हजार का कर्ज देने के लिये. यह हालात हैं. शिवराज जी के 17 सालों के बजट के प्रावधानों की है. 2 लाख 97 हजार करोड़ रुपये का अनुमानित बजट. 8 हजार करोड़ रुपये की शराब से आय. 8 हजार करोड़ रुपये सिर्फ 3 लाख करोड़ के लगभग बजट में. मैं मानता हूं पूर्व मुख्यमंत्री विरोध कर रही हैं. पूरे देश की प्रदेश की जनभावनाएं नशे से मुक्त की है तो 8 हजार करोड़ रुपये की आय बहुत बड़ी नहीं होती. सकारात्मक रूप से सरकार को कोई सहयोग करते हुए, उमा भारती जी का सहयोग करते हुए और प्रदेश की जनता के हित में कोई भावना ऐसी बनाना चाहिये क्योंकि 8 हजार करोड़, 2 लाख 97 हजार करोड़ के बजट में कोई बड़ा हिस्सा नहीं बनता. तो मैं अनुरोध करता हूं कि इस पर सकारात्मकता से सोचें,देखें समझें. कल मुख्यमंत्री जी ने 3 बार यह कहा कि किर्ज लेना कोई बुरी बात नहीं है. बिल्कुल सही कहा देश में,दुनियां में बैंकों का निर्माण हुआ. चाहे रिजर्व बैंक का हुआ,वर्ल्ड बैंक का हुआ.सरकारी बैंकों का हुआ. प्रायवेट बैंकों का हुआ. संस्थानों को कर्ज दें. संस्थान उन्नति करें. व्यक्तियों को कर्ज दें. वह उन्नति करें. प्रदेश और देश भी कर्ज लेते हैं और अच्छे प्रावधान करते हैं. पाजिटिविटी है. वित्त मंत्री जी, एक बात समझ से परे है कि कर्ज लेना गर्व की बात है मुख्यमंत्री जी ने कहा परंतु कर्ज लेकर 80 करोड़ रुपये का हवाई जहाज लापरवाही से खराब कर देना. शून्य कर देना फिर 100 करोड़ का नया हवाई जहाज खरीदना. 2.40 करोड़ रुपये की गाड़ियां खरीदना. अधिकारियों,नेताओं के बंगलों की साज-सज्जा,सुविधा बढ़ाना, यह किसी प्रकार स्वस्थ परंपरा के बजट प्रबंधन में नहीं आता.इस पर गौर करेंगे तो शायद मध्यप्रदेश का आने वाला भविष्य सुनहरा आपके नेतृत्व में होगा. माननीय अध्यक्ष जी, 3 लाख 38 हजार करोड़ के लगभग अभी जो प्रोवीजन बताए गए. आय-व्यय के आंकड़े आए उसमें कर्ज है. लगभग 76 हजार करोड़ रुपये का कर्ज आने वाले साल में लेंगे. जैसे बार-बार अनुमति मांग रहे हैं केन्द्र सरकार से.मैं डिटेल में नहीं जाना चाहता. इस नाते लगभग 4 लाख 14 हजार करोड़ का कर्ज इस साल के अंत तक,इस बजट के अंत तक होगा. इसका मतलब है कि आपका इस साल जब आपने देनदारियां देने की बात कही तो 24 हजार करोड़ रुपये मात्र आपको ब्याज देना है और लगभग 26 हजार करोड़ रुपये की आपकी किश्तें जायेगी. 50 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा 2 लाख 97 हजार करोड़ रुपये में सिर्फ ब्याज और देनदारियां हैं कैसा कुप्रबंध होता है इससे खराब उदाहरण कहीं देखने को नहीं मिलेगा.(डॉ.गोविन्द सिंह जी से) डॉ.साहब अपनी सीट पर आ जाओ. आधे नेता प्रतिपक्ष के रूप में आ जाओ.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - जितु भाई,आधा कौन सा होता है. यह आधा-पूरा कब से होने लगा.
श्री जितु पटवारी-- हमारी सरकार को तोड़ने वाले मंत्री जी (डॉ.नरोत्तम मिश्रा जी) से अनुरोध है कि अपनी जगह पर जायें.
अध्यक्ष महोदय-- जितु भाई गोविंद सिंह जी को आधा मत कहो.
श्री जितु पटवारी-- अध्यक्ष जी, मैं तो आपसे सिर्फ इतना ही आग्रह करना चाहता हूं कि हमारी सोच है कि सरकार अच्छा प्रबंध करें, स्वस्थ परंपरायें बनें, स्वस्थ आर्थिक गतिवधियां हों, प्रदेश का भविष्य सुनहरा हो. 17 साल का कुप्रबंध क्या होता है इससे खराब उदाहरण कोई देखने को नहीं मिलता. मैंने जैसा आपसे कहा कि किसानों की आय दोगुनी करूंगा, 20 साल से यह वाक्य सबके कानों में धुन बनकर तैर रहा है, किसानों की आय दोगुनी, किसानों की आय दोगुनी. इस बार न बजट में किसान की बात आई, न मुख्यमंत्री के भाषण में किसान की बात आई. 27 रूपये रोज किसान की आय कर गये, यह अपने आप में बताता है कि कितने भाषणों का राजनीतिक कुप्रबंध इस सरकार का रहा है, यह स्पष्ट दिखता है. मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हूं, बातें बहुत हैं पर चूंकि मैंने आपसे कहा था, आपके शेर के माध्यम से कि कर्ज लेना बुरी बात नहीं है, कर्ज भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाये तो सवाल पूछना और जवाब देना हम दोनों का धर्म है. केवल पीएचई का एक विभाग है, अभी लक्ष्मण सिंह जी ने भ्रष्टाचार की बात की अधिकारियों के नाम बताये, आईपीएस, आईएएस के भी नाम बताये, केवल पीएचई में मेरे प्रश्न के उत्तर में 365 छोटे और बड़े कर्मचारी इंदौर संभाग में जिन पर मुकदमें और विभागीय जांच चल रही है, यानी कितना भ्रष्टाचार होता होगा, कितना 17 साल में हुआ होगा, कितना कर्ज लेकर खा गये होंगे और कितना आय-व्यय को समाप्त करने के लिये बाकी जो जिम्मेदार लोग हैं उन्होंने भी मेनेज किया होगा, स्पष्ट दिखता है और यह कोई कहे कि हमने कोई मेनेज नहीं किया, यह भी मैं समझता हूं आने वाली बातों में स्पष्ट होगा. अध्यक्ष जी, बिजली की शिवराज सिंह जी ने दो घोषणायें कीं, कोविड में जिन परिवारों की सहायता की साधुवाद, जिन लोगों के बिल ले लिये और उनके वापस करेंगे इसके लिये भी साधुवाद, पर शिवराज जी, वित्त मंत्री जी यह सरकार बताये कि सिंगाजी पॉवर प्लांट पिछले 2 साल से बंद है. 400 करोड़ रूपये हर साल केवल बिजली विभाग को घाटा होता है जो उत्पादन कंपनी है उसको होता है, जिम्मेदार कौन है. आप यह बताओ कि बिना बिजली खरीदे 12 हजार करोड़ रूपये आपने बिजली कंपनियों को फ्री में दे दिये, कैसा कुप्रबंधन है आपका. 20 हजार करोड़ रूपये का सब्सिडी को लेकर प्रावधान किया और 12 हजार करोड़ रूपये फ्री के दे दिये. कर्ज लेंगे, कर्ज लेना गर्व महसूस करेंगे, कर्ज लेकर गबन करेंगे इसके लिये मध्यप्रदेश की सरकार पर आप नहीं बैठे हो, मैं मानता हूं यह आप लोगों को सुधारना चाहिये. दूसरी बात जैसा कि वाणिज्य विभाग आपका विभाग है, वित्तमंत्री जी इसका जवाब प्रदेश की जनता मांगती है, सदन मांगता है, सारे विधायक मांगते हैं, केवल 10 बकायादार वाणिज्यकर विभाग की लिस्ट भी आप कहो तो मैं यहां पर प्रस्तुत कर सकता हूं. 10 लोगों पर बकाया था 714 करोड़, सरकार ने उनसे म्युचुअल अंडर स्टेंडिंग की कि आप पर जो बकाया है, कितना भर सकते हो यह बता दो, तो सात सौ, सवा सात सौ करोड़ रूपये का आधा तो भरवाया होगा वित्तमंत्री जी, आधा तो कम से कम बनता है. जिस व्यक्ति ने वाणिज्य कर का पैसा ही नहीं भरा, जिस संस्था ने नहीं भरा, सात सौ करोड़ का आपने 146 करोड़ रूपया भरवाया, 566 करोड़ रूपया छूट दे दी, क्यों. यह गबन नहीं तो क्या है और कर्ज ले रहे हो तो फिर यह मध्यप्रदेश की आने वाली भावी पीढ़ी पर नहीं पड़ेगा तो किस पर पड़ेगा, यह मेरे प्रश्न के उत्तर के तथ्य और तर्कसंगत बातें हैं. मैं अनुरोध करना चाहता हूं इतना भ्रष्टाचार में कर्ज लेकर मध्यप्रदेश को मत डुबाओ. अध्यक्ष जी, मेट्रो ट्रेन की अभी बात आई थी, शिवराज सिंह जी ने भी कही और भी कई वक्ताओं ने कही. गबन की परिसीमा क्या होती है, भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा क्या होती है, 6 हजार करोड़ रूपये की इंदौर मेट्रो को लेकर डीपीआर बनी, 4 महीने बीते हैं और वह 8 हजार करोड़ रूपये की हो गई. मैंने 3 प्रश्नों में 7 महीनों में पूछा डीपीआर उपलब्ध होगी क्या, एक बार भी नहीं दी, आज भी नहीं दी. मैंने अपने सोर्स से पता लगाया कि 8 हजार करोड़ रूपये की मेट्रो ट्रेन क्यों हो गई तो आखिरी में दो लाइनें जोड़ी गईं कि इसको भूकंप के क्राइटेरिये के अंतर्गत बनाया गया है इसलिये 2 हजार करोड़ रूपये एक्स्ट्रा इसके प्रोजेक्ट को बढ़ाया गया है.
मैं समझ नहीं पा रहा हूं, इंदौर में आज तक कोई भूकंप नहीं आया, इंदौर के आसपास कोई भूकंप नहीं आया. आज तक कोई बिल्डिंग भूकंप से या कोई सरकार ईमारत या कोई ऐसी सार्वजनिक चीज, ऐसी नहीं बनी है और जब छ: महीने पहले डी.पी.आर. बनवाने वाले यही अधिकारी थे और छ: महीने बाद भी बनवाने यही अधिकारी हैं, दो हजार करोड़ रूपये की वेल्यू को आप समझते नहीं हो क्या? यह किस पर जायेगा, इस मध्यप्रदेश पर ही तो जायेगा. इतना ही नहीं, एक कंसलटेंट कंपनी सरकार जाने के बाद 6 सौ करोड़ रूपये में वह केवल आपको सलाह देगी, यह छोटी - मोटी बात है ? 6 सौ करोड़ रूपये की कोई वेल्यू ही नहीं है. इतना ही नहीं ठेका किसको मिला ? सज्जन भईया इंदौर का ठेका मेट्रो का किसको मिला है? दिलीप बिल्डकॉन, मतलब इससे बस समझ जाओ कि भ्रष्टाचार हुआ है कि नहीं हुआ है. समझने की बात है, समझाने की बात है (मेजों की थपथपाहट) कर्ज लो, शिवराज सिंह जी सुन रहे हो तो, पर कम से कम इस प्रदेश का 18 साल तक का कर्ज भी चुकाओ, यह सब वास्तविकता है.
श्री अनिरूद्ध (माधव)मारू -- जितु भाई फिर लिफाफा देखकर मजमून भांप गये. कांग्रेस को वरदान प्राप्त है कि लिफाफा देखकर मजमून बता देते हैं(हंसी)..
श्री जितु पटवारी -- आप जरा फिर से बताओ.
अध्यक्ष महोदय --जितु जी, आप ईधर देखकर बोलें.
श्री अनिरूद्ध (माधव)मारू -- लिफाफा देखकर मजमून बता देतो हो, कांग्रेस को तो वरदान प्राप्त है, इसलिये बजट के लिये भी यही है. (व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- आप बैठ जायें, जितु जी आप बोलें.
श्री जितु पटवारी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, ये बातें तो अपनी जगह हैं, बेरोजगारी की बात को लेकर. व्यापमं व्यासायिक परीक्षा मण्डल कितना गबन हुआ है ? यह सर्वविदित है. मध्यप्रदेश का मुंह कितना काला हुआ है? सर्वविदित है. हर साल कम से कम एक लाख से ज्यादा विद्यार्थी इसमें परीक्षा देते हैं. तीन सौ रूपये से हजार रूपये तक बेरोजगारों से फीस वसूली जाती है. वित्तमंत्री जी यह राजनीतिक प्रश्न नहीं है, यह प्रश्न भावनाओं का है, अपने ही बच्चों का है. आपके व्यासायिक परीक्षा मण्डल के पास अभी 404 करोड़ रूपये की एफ.डी. हैं, बीस करोड़ रूपये हर साल उन एफ.डी. का ब्याज आता है और फिर हम बेरोजगार बच्चों से हजार रूपये तक की फीस वसूलते हैं, यह अन्याय बंद करो, मैं अनुरोध करता हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया इसके लिये धन्यवाद, साधुवाद. पर जो बातें थीं, वह तर्क और सत्य थीं, इसको राजनीतिक अमली जामे में न पहनाकर, वास्तविकता में भ्रष्टाचा
र को कम करेंगे तो आपने कहा है कि मैं गरीब का बेटा हूं, गरीब का दर्द जानता हूं, आसमां अपनी जगह है, जमीं को अच्छे से पहचानता हूं तो पहचानों, धन्यवाद.
श्री हरिशंकर खटीक(जतारा) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान जी का और मध्यप्रदेश के यशस्वी वित्तमंत्री श्री जगदीश देवड़ा जी के द्वारा जो बजट प्रस्तुत किया गया है, उसके समर्थन में मैं खड़ा हुआ हूं. माननीय अध्यक्ष महोदय, बजट एक सतत् निरंतर प्रक्रिया है, अगर राजनीतिक दृष्टिकोण से हम देखें तो इस बजट में सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय के साथ आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश देखने का मौका मिलता है. इसमें मध्यप्रदेश का विकास कैसे हो? पर्याप्त धनराशि इस बजट में हर विभाग को कैसे मिले ? इसके साथ-साथ गरीब वर्ग के कल्याण के लिये, अंत्योदय के लिये भी इस बजट में प्रावधान किया गया है. इसमें अनुसूचित जाति और जनजाति के साथ-साथ, हमारी माताओं और बहनों के लिये रोजगार किस प्रकार से मिले, इसके लिये भी बजट का प्रावधान किया गया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय हम आपको बताने चाहते हैं कि आज हम गर्व के साथ कह सकते हैं कि वर्ष 2003 के बाद जो मध्यप्रदेश का विकास हुआ है, वह ऐतिहासिक विकास हुआ है. किसी भी बिंदु पर अगर हम जाये, चाहे सड़कों की बात है, चाहे मध्यप्रदेश की जनता को शुद्ध पेयजल कराने की बात हो, चाहे किसी भी प्रकार से मध्यप्रदेश के विकास की बात हो, हमारे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी के दिशा निर्देशों में मध्यप्रदेश का विकास हुआ है और आज हमारे पूरे देश में हमारा मध्यप्रदेश विकास दर के आधार पर सबसे पहले नंबर पर पहुंच गया है. मध्यप्रदेश से अगर हम तुलना करके अन्य राज्यों की बात करें तो गोवा का विकास 8.99 प्रतिशत हुआ है, केरल के विकास की दर 9.47 प्रतिशत हुई है.
4.05 बजे [सभापति महोदय (श्री लक्ष्मण सिंह) पीठासीन हुए]
श्री हरिशंकर खटीक - सभापति महोदय, मेघालय के विकास की दर 12.14 प्रतिशत है, उड़ीसा के विकास की दर 17.57 प्रतिशत है, पंजाब के विकास की दर 10.19 प्रतिशत है. सिक्किम की विकास की दर की बात करें तो वह 14.67 प्रतिशत है, तमिलनाडु के विकास की दर 14.57 प्रतिशत है, तेलंगाना के विकास की दर अगर देखें तो 19.1 प्रतिशत है. उत्तरप्रदेश के विकास की दर 11.22 प्रतिशत है, पांडिचेरी में विकास की दर 5.17 प्रतिशत है. लेकिन आज हम सौभाग्यशाली है कि मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने जो मेहनत की है, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने जो मेहनत की है, हमारे वित्त मंत्री जी के द्वारा विकास के लिए पर्याप्त धनराशि दी गई है, उसके आधार पर हम गर्व के साथ कह सकते हैं कि मध्यप्रदेश की विकास दर 19.47 प्रतिशत है, जो देश में सबसे अग्रणी रही है.
माननीय सभापति महोदय, विकास की अगर हम बात कहें तो मैं आपको बताना चाहता हूँ कि जल जीवन मिशन की योजनान्तर्गत, आज हम सौभाग्यशाली हैं कि मध्यप्रदेश, हिन्दुस्तान में एक ऐसा राज्य बनने जा रहा है, जिसमें हमारे मध्यप्रदेश का बुरहानपुर जिला एक ऐसा जिला बना, जहां पर शत-प्रतिशत घरों में, नल के माध्यम से पानी देने का प्रावधान किया जा रहा है. उसके लिए हमारे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी जल महोत्सव कार्यक्रम का आयोजन करने जा रहे हैं. सन् 2003 के पहले अगर हम सिंचाई क्षेत्र की बात करें तो मध्यप्रदेश में सिंचाई के क्षेत्र में मात्र 4 लाख 68 हजार हेक्टेयर भूमि सिंचित हुआ करती थी. पहले भी हमारे मध्यप्रदेश की धरती पर नदियां थीं, पहले भी हमारे मध्यप्रदेश की धरती पर तालाब थे. लेकिन सन् 2003 के पहले दृढ़ इच्छाशक्ति नहीं थी. जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार सन् 2003 में बनी, उसके बाद हमारी सरकार ने दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ में काम किया. हम आज आपको बताना चाहते हैं कि आज मध्यप्रदेश की धरती पर 43 लाख हेक्टेयर भूमि मध्यप्रदेश की सिंचित होने लगी है और आज एक चीज और हम आपको बताना चाहते हैं कि वर्ष 2025 में मध्यप्रदेश की हमारी 65 लाख हेक्टेयर भूमि सिंचित होगी और किसानों के खेतों में हम पानी भिजवाने का काम करेंगे.
माननीय सभापति महोदय, हम अपने विधान सभा क्षेत्र की भी बात करें, जहां एक हेक्टेयर भी भूमि सिंचित नहीं हुआ करती थी, कुंओं से पानी पम्प के माध्यम से लेते थे और किसान बाहर पेट पालने के लिए जाते थे.
सभापति महोदय - आप दो मिनट में समाप्त करें.
श्री हरिशंकर खटीक - माननीय सभापति महोदय, मैं आपको बताना चाहता हूँ कि हमारे टीकमगढ़ जिले के जतारा विधान सभा की धरती पर, बानसुजारा बांध के माध्यम से 75 हजार हेक्टेयर भूमि अकेले हमारे विधान सभा क्षेत्र की सिंचित होने लगी है. जिसमें खरगापुर विधान सभा क्षेत्र का कुछ हिस्सा और जतारा विधान सभा क्षेत्र का हिस्सा सिंचित होने लगा है. अगर हम केन बेतवा सिंचाई लिंक परियोजना की बात आपके बीच में करें तो माननीय अटल बिहारी वाजपेयी जी माननीय तत्कालीन प्रधानमंत्री जी का सपना था, जो क्षेत्र प्राकृतिक आपदाओं में आता है, उसका हमारे तत्कालीन प्रधानमंत्री जी ने सर्वे करवाया था. उसमें बुंदेलखण्ड का एक ऐसा भाग था, जहां पर प्राकृतिक आपदाएं सबसे ज्यादा आती थीं, वह बुंदेलखण्ड का एरिया था, वहां पर सूखा पड़ता था, अतिवृष्टि होती थी, ओलावृष्टि होती थी, किसानों की फसलें बर्बाद हो जाती थीं. लेकिन उस समय हमारे माननीय अटल बिहारी वाजपेयी जी का सपना था, उस सपने को साकार करने का अगर किसी ने काम किया है तो हमारे देश के प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी ने किया है और केन बेतवा सिंचाई लिंक परियोजना के माध्यम से 44,605 करोड़ रुपये की धनराशि बजट में प्रावधान के रूप में दी गई है. मध्यप्रदेश की धरती पर अब कई ऐसे जिले हैं, जो केन बेतवा सिंचाई परियोजना के माध्यम से 8 लाख 11 हजार हेक्टेयर भूमि उससे सिंचित होगी.
माननीय सभापति महोदय, आज हम जल संसाधन विभाग की बात करें. मंत्री महोदय, अभी नहीं बैठे हैं. मैं बताना चाहता हूँ कि इस बार 23 लाख 21 हजार हेक्टेयर भूमि सिंचित करने का प्रावधान हमारी सरकार ने किया है. जिसमें 27 वृहद परियोजनाएं, 46 मध्यम परियोजनाएं, 288 लघु सिंचाई परियोजनाएं- जो निर्माणाधीन हैं, उनका काम प्रगति पर है. सिंचाई क्षेत्र के लिए बजट में सन् 2022-23 में 9,267 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है.
माननीय सभापति महोदय, हम आपको बताना चाहते हैं, पशुपालन के क्षेत्र की बात आ रही थी. पशुपालन के विकास के लिए बजट में 150 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है. पशुओं के उपचार, पशुपालकों के पास जाकर घर घर हो सके, जो भारत सरकार की योजना चल रही है, उस नई योजना के माध्यम से मध्यप्रदेश में भी 406 नए पशु चिकित्सा वाहनों के माध्यम से पशु चिकित्सक और उनके सहयोगी गांव गांव जाएंगे और जो पशु बीमार होंगे, उनका इलाज नि:शुल्क रूप से किये जाने का प्रावधान किया गया है. इसके लिए भी 142 करोड़ रुपए की राशि इसमें खर्च करने का प्रावधान किया गया है.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव(विदिशा) - माननीय सभापति महोदय, एक डायल योजना थी, उसके माध्यम से पशुओं के लिए घर पहुंच सेवा दी जाती थी, लेकिन वह पिछले दो साल से बंद है और अभी जो प्रावधान किया गया है, मैं नहीं समझता कि उसमें वह चालू हो पाएगी.
श्री हरिशंकर खटीक - माननीय सभापति जी, कोरोना के समय ये योजना बंद हो गई होगी, लेकिन अब चालू होने जा रही है. अगर हम जनजाति वर्ग के कल्याण की बात करें तो जनजाति वर्ग के हो या किसी भी वर्ग के हो, जो गरीब वर्ग के लोग जंगल में तेन्दूपत्ता तोड़ने के लिए जाते हैं, उनको जो राशि दी जाती है, तेन्दूपत्ता संग्राहकों की लाभांश राशि 70 प्रतिशत से बढ़ाकर 75 प्रतिशत की गई है. इसके अंतर्गत हमारी सरकार ने एक ऐसा अधिनियम, जो वन समितियां हैं, उन वन समितियों के माध्यम से पेसा कानून लाने का प्रावधान किया है.
सभापति महोदय - खटीक जी, समाप्त करें, आपने अच्छे सुझाव दिए धन्यवाद. संजय जी शुरू करें.
श्री हरिशंकर खटीक - सभापति महोदय, आपने बोलने का समय दिया इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री संजय यादव(बरगी) - माननीय सभापति महोदय, निश्चित रूप से मैं आपको धन्यवाद देता हूं, लेकिन बोलने के पहले, चूंकि कल हमने एक घंटे 40 मिनिट झेला है, तो स्वाभाविक है कुछ प्रतिकार भी करना पड़ेगा. जैसे पिक्चरों में होता है फिल्म शुरू होने के पहले आता है, हम देखते हैं, फिल्मों या बेवसीरीज में, ऊपर खंडन लिखा होता है, बताया जाता है कि यह घटना सत्य पर आधारित नहीं है, पूर्णत: काल्पनिक है, कृपया इसे गंभीरता से न लें, जैसे ही मुख्यमंत्री जी ने कहा विधायक निधि बढ़ा देंगे, स्पष्ट नहीं किया, इसी सत्र में बढ़ाएंगे या अगले वित्तीय वर्ष में बढ़ाएंगे. अनेक योजना के बारे में कह कि ये कर देंगे, वो कर देंगे, लेकिन ये नहीं कहा, अभी करेंगे कि आगे करेंगे.
सभापति महोदय, ये आपदा में अवसर ढूंढने वाली पार्टी है. ऐसे समय में सेवा भाव की जाती है और सेवा को प्रचार की आवश्यकता नहीं होती. मगर फिर भी इन्होंने आपदा को अवसर में बदलकर सेवा के प्रचार में ज्यादा खर्च किया. जितने का अनाज नहीं, उतने का थैला, मतलब जितने का ढोल नहीं, उतने का मंजीरा, ये है इनकी सरकार. कल सी.एम. साहब कह रहे थे कि मैं भेदभाव नहीं करता, कितना बड़ा भेदभाव किया, आपने सत्ता पक्ष के लोगों को 15-15 करोड़ रुपए देने का काम किया, बुला बुलाकर दिए कि हम 15 करोड़ रुपए दे रहे हैं. लेकिन क्या कह रहे थे कि मैं भेदभाव नहीं करता, पूरे मध्यप्रदेश की जनता उनकी नहीं है? मैं तो आरोप लगा रहा हूं कि अगर सांसद प्रधानमंत्री जी को सुनते हैं. मेरी विधान सभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के सांसद 65 हजार वोटों से जीते हैं. क्या मोदी जी का अपमान कर रही है सरकार, क्योंकि हमारी विधान सभा क्षेत्र भी तो संसदीय क्षेत्र हैं, फिर क्यों उस क्षेत्र की उपेक्षा की जा रही है. मैं सी.एम. साहब से पांच बार मिला, वे कह रहे थे कि मैं सी.आर. से डरता हैं, मैं नहीं डरता. मैं तो पांच बार गया और फोटो डाली, वे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री हैं, लेकिन जब अफसरों से मिलता हूं, उन्होंने मेरे पांच पत्रों में 'ए' प्लस सी.एम. मॉनिट लिखा, मैं खुश हो गया, 'ए' प्लस सी.एम. मॉनिट लिखा गया, पक्का काम हो जाएगा. मैंने पता किया, वल्लभ भवन जाता हूं, तो वे कहते हैं कि भैया मुख्यमंत्री कितना ही लिख दे विधायक जी, जब तक स्वयं मुख्यमंत्री जी नहीं बोलते कोई काम नहीं होते, देवड़ा जी के तो हाथ बंधे हुए हैं, उन्होंने तो पढ़ा भर है, करना कुछ नहीं है. मेरे काम के लिए उन्होंने एक साल पहले चिट्ठी लिखी थी, जो आज तक नहीं हुआ. अगर सी.एम. मॉनिट में 'बी' लिख देते हैं तो कहते हैं, बेकार है. 'सी' लिख देते हैं तो कहते हैं कचरा है. मैंने कहा 'डी' मतलब क्या, तो वे कहते हैं देखते रहो.
सभापति महोदय - माननीय सदस्य, बजट पर बोले.
श्री संजय यादव - मुख्यमंत्री जी कल कह रहे थे कि कांग्रेस ने कमलनाथ जी ने अवैध भवन तोड़े, इनकी बिल्डिंग गिरा दी, उनकी बिल्डिंग गिरा दी, उनको दुख हो रहा था कि माफियाओं की बिल्डिंग गिरा दी(..विपक्षी दल द्वारा मेजों की थपथपाहट) कमलनाथ जी ने शुद्ध के लिए युद्ध चलाया, उसमें तकलीफ हो रही शिवराज सिंह चौहान की सरकार को कि वह बैठें हैं पानी वाले मंत्री, वह भी एक नल लगवाने की स्थिति में नहीं हैं. क्योंकि डायरेक्ट टेण्डर होकर डायरेक्ट उनका कनेक्शन रहता है.
श्री ब्रजेन्द्र सिंह यादव:- संजय जी, बता दो कहां पर नल लगवाना है, पूरे प्रदेश में लग रहे हैं.
श्री संजय यादव:- कहां लगाया अभी तक एक साल पहले बोला था भइया.
श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लौधी:- हमारे पूरे विधान सभा में नल लग गये हैं, आप असत्य मत बोलो. आप लोग असत्य का पुलिन्दा हो.
श्री संजय यादव:- मेरे क्षेत्र में जल निगम का काम चल रहा है. माननीय सुखदेव पांसे जी ने, मेरा क्षेत्र नर्मदा किनारे का क्षेत्र है लेकिन प्यासा है. उन्होंने 137 गांवों में जल निगम के माध्यम से योजना बनायी थी.
श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लौधी:- कांग्रेस पार्टी असत्य पर आधारित पार्टी है. हमारी विधान सभा में 50 ग्राम पंचायतों में नल जल योजना से नल जल योजना के नल लग गये हैं और अभी पानी 30 मार्च से शुरू होने वाला है.
सभापति महोदय:- आपकी विधान सभा की बात यहां पर मत करिये.
श्री संजय यादव:- जल मिशन योजना के अंतर्गत, जहां जल निगम का काम शुरू हुआ है. वहां जल मिशन के अंतर्गत यह काम नहीं दे रहे हैं. आज स्थिति यह है कि जो एल.एण्ड.टी काम करने जा रही है उसको कम से कम तीन से चार साल लगेंगे. अगर आप जल जीवन मिशन के अंतर्गत यह योजना नहीं दे रहे हैं तो क्या वहां का व्यक्ति प्यासा रहेगा; आज मध्यप्रदेश की आधी आबादी पीने के पानी के अभाव में पलायन करके जाती है. आपने देखा जब कोविड आया था तो महाराष्ट्र, गुजरात और बैंगलोर से मजदूर क्यों आ रहे थे, यह भारतीय जनता पार्टी की 15 सालों की सरकार की नाकामी थी कि आज मजदूर को काम करने के लिये इसलिये जाना पड़ता है, क्योंकि न तो यहां दाम मिलता है, न पानी मिलता है. इसलिये वह सैंकड़ों की तादाद में आये थे.
श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लौधी:- कांग्रेस की सरकार महाराष्ट्र से भगा रही थी मजदूरों को.
श्री संजय यादव:- सुन लो, सुन लो भाई, मोदी की सरकार भगा रही थी महिला बाल विकास में, आज इन्होंने यह नहीं बताया कि मध्यप्रदेश में कितने भवन-विहीन आंगनवाड़ी हैं. मेरे विधान सभा क्षेत्र में समझो 230 हैं तो अंदाज लगा लीजिये कि कितने आंगनवाड़ी भवनविहीन हैं. यह 15 साल में आंगन वाड़ी भी नहीं बना पाये. यह आदिवासियों की बात करते हैं, क्यों पूरी आदिवासियों की योजनाएं बंद नहीं कर दीं ? आष्टान योजना बंद नहीं कर दी.
सभापति महोदय:- वित्त मंत्री जी यहां पर उपस्थित नहीं हैं, कौन मंत्री जी भाषण को नोट कर रहे हैं, कोई कर नहीं रहे हैं. कोई मंत्री जी नोट करें. माननीय सदस्य जो कह रहे हैं, वह महत्वपूर्ण पाइंट्स हैं, बजट से संबंधित हैं.
श्री बाला बच्चन:- धन्यवाद, माननीय सभापति महोदय.
श्री संजय यादव:- सभापति महोदय, आदिवासी योजना के अंतर्गत आष्टान योजना क्यों कमलनाथ सरकार ने प्रारंभ की थी कि जो आदिवासी देव स्थल है उनको काम करने के लिये, आपने वह बंद कर दी. अन्न प्रदाय योजना थी कि यदि किसी आदिवासी परिवार में अगर बच्चा पैदा होता है तो उसको इतना पैसा दिया जायेगा और यदि किसी की मृत्यु हो जाती है तो तेरहवीं संस्कार में इतना अन्न देंगे, उसको आपने बंद करने का काम किया. एक तरफ आप आदिवासियों की हित की बात करते हैं लेकिन उनकी जो कल्याणकारी योजनाएं हैं उनको बंद करने का काम भी करते हैं. लेकिन दु:ख तो तब होता है उसी समुदाय की मंत्री शांत बैठी रहती हैं और सरकार से लड़ने का काम नहीं करतीं, दु:ख वहां होता है. हम लोगों को आदिवासी समुदाय बोलता है कि कम से कम आप हमारी बातें रखते हैं, लेकिन दुख तब होता है, जब हमारी समुदाय की मंत्री ने इन योजनाओं को बंद क्यों होने दिया.
सुश्री मीना सिंह मांडवे:- सभापति महोदय, यह 340 रूपये शिष्य वृत्ति देते थे और हम 1400 रूपये दे रहे हैं. आप कहां की बात कर रहे हैं. हम बैगा परिवार की महिलाओं को एक-एक हजार रूपये देते थे उसको भी जब आपकी 13 महीने की सरकार आयी तो आपने बंद कर दी.
श्री संजय यादव:- चलिये ठीक है. गौ शालाओं की तो यह बदतर स्थिति बना दी है, इन्होंने तो जो गौशाला बन रही थी उनको रोकने का काम किया है. लेकिन जो हमारी सरकार ने गौशाला बनायी थी उसमें यह गौ पालने का काम नहीं कर पा रह हैं. मेरे पास उदाहरण हैं, मेरी विधान सभा क्षेत्र में मैंने 27 गौ शाला बनवायी थी. हमारे यहां नीमखेड़ा गौशाला में 60 गायों की मृत्यु हो चुकी है. शहपुरा में 44 गायों की मृत्यु हो चुकी है, नय नगर में 15 गायों की मृत्यु हो चुकी है.
श्री हरीशंकर खटीक:- जब गौ माता की मृत्यु हुई तो आप कहां गये थे, आप भी तो उनको डॉक्टरों से दिखवा सकते थे.
श्री संजय यादव:-खटीक जी सुन लो माल कछार में 51 गायों की मृत्यु हो चुकी है. ये क्यों मृत्यु हो रही है क्योंकि आज शिवराज के नाम से गायें तड़प रही हैं, गायें शिवराज के नाम से रो रही हैं, मैं देखता हूं, मैं, अहीर आदमी हूं. मैं एक उदाहरण बता रहा हूं.
श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी- यादव जी, आप भी क्षेत्र के विधायक हैं, इसके लिए आप भी जवाबदार हैं
डॉ. गोविन्द सिंह- लोधी भाई, हमें मालूम है आप बहुत होशियार हैं.
डॉ. सीतासरन शर्मा- आप अहीर हैं, आप जैसे लोगों ने गाय पालना छोड़ दिया और नेतागिरी करने लगे इसलिए गायों की ये हालात हो रही है.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव- सभापति महोदय, भारतीय जनता पार्टी तो गोवा में गौ-मांस सस्ता करवाने का वायदा कर रही है.
श्री विजय रेवनाथ चौरे- सभापति महोदय, भाजपा सरकार की गाय वोटबैंक का काम करती है लेकिन हमारी गाय दूध, दही, मक्खन देती है.
श्री संजय यादव- चलो ठीक है, खाओ दूध-दही-मक्खन. सभापति महोदय, ये कहते हैं, हम हर साल किसानों को 10 हजार रुपये दे रहे हैं लेकिन 10 हजार साल देकर, ये लोग 20 हजार रुपये महीना वसूल रहे हैं. कैसे वसूल रहे हैं, आपने जो कृषि उपकरणों में, डॉ. मनमोहन सिंह जी की सरकार में सब्सिडी मिलती थी, उसे आपने बंद करके 18 प्रतिशत जी.एस.टी. लगा रहे हैं और अभी हम जिस सिंचाई का सौ रुपये लेते थे, आपने उसे 1200 रुपये करने का काम किया है. अभी मध्यप्रदेश की सरकार ने एक और काम किया है कि जो गेहूं सोसायटी में जायेगा, उसकी साफ-सफाई जो करवाई जायेगी, उसकी राशि किसान देगा, ये लोग ऐसे कृषि को लाभ का धंधा बना रहे हैं.
सभापति महोदय, ये कहते हैं, कितने किसानों को गोली मारी ? ये कहते हैं, हमने दूध का उत्पादन बढ़ाया. अरे, दूध का उत्पादन तो गाय, बकरी और भैंस बढ़ाती है, ये कहां से दूध का उत्पादन बढ़ायेंगे, ये कौन सी बात हो गई.
श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी- भईया, कोई भी योजना तो सरकार ही बनाती है.
श्री उमाकांत शर्मा- सभापति महोदय, मुझे इनके कॉमन सेंस पर तरस आता है कि आपको ये भी मालूम नहीं है कि दूध कौन देता है, दूध का उत्पादन कौन बढ़ाता है, यह तो सभी को मालूम है.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव- सभापति महोदय, इन्हें ये तो मालूम है कि गोवा में बीफ सस्ता बिकवाने का वायदा, इन्होंने ही किया था.
श्री उमाकांत शर्मा- भार्गव जी, रूकिये हम आ रहे हैं मैदान में.
सभापति महोदय- शर्मा जी, आप बैठ जायें. यादव जी, आप जल्दी समाप्त करें.
श्री संजय यादव- सभापति महोदय, मैं शिक्षा की बात करूंगा, आज मध्यप्रदेश में शिक्षा की सबसे दयनीय हालात है. मेरे पास सरकार से किए गए प्रश्नों के जवाब हैं, इन्होंने जवाब दिया है कि मेरे एक विधान सभा क्षेत्र में 13 हजार 824 बच्चों ने, कक्षा आठवीं तक के बच्चों ने पढ़ाई छोड़ी. नौवीं के 1570, दसवीं के 77, ग्याहरवीं के 258 और बारहवीं के 377 बच्चों ने पढ़ाई छोड़ी है और इसके बाद इनका जवाब आता है कि बच्चों के पढ़ाई छोड़ने का कारण माता-पिता का पढ़ा-लिखा न होना, आर्थिक रूप से कमजोर होना, बच्चों का रूचि न लेना है, तो मेरे भाई, फिर क्यों आप इतना पैसा खर्च कर रहे हैं, आज शिक्षकों के कितने पद खाली हैं, जहां 100 बच्चे हैं वहां 1 शिक्षक है, जहां 4 बच्चे हैं वहां 4 शिक्षक हैं, ये विसंगतियां हैं
श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी- सभापति महोदय, ये विसंगतियां कांग्रेस की सरकार ने खड़ी की थीं. हमारी विधान सभा से शिक्षकों के ट्रांसफर कर दिये, शालायें शिक्षकविहीन हो गई.
श्री मनोज चावला- लोधी जी बार-बार खड़ हो जाते हैं, इनकी सीट बदल दो इनकी सीट में अंदर कुछ है तो नहीं ?
श्री संजय यादव- सभापति महोदय, आपने सी.एस.राइज की घोषणा की, घोषणा हुए एक साल हो गया, मेरी विधान सभा में बहुत मुश्किल से एक शाला दी है क्योंकि जहां विपक्ष का विधायक है, वहां की जनता को ये अपना नहीं मानते हैं. एक सी.एस.राइज स्कूल आज तक चालू नहीं हुआ और न ही होगा, ये कह रहे थे 1200-1500 बना देंगे. आप पिछला रिकॉर्ड उठाकर देखें, चाहे शिक्षा हो, चाहे उच्च शिक्षा हो, मध्यप्रदेश की उसमें दयनीय स्थिति है. जो सक्षम हैं, उनके बच्चे दिल्ली, बैंगलोर, हैदराबाद में पढ़ रहे हैं. कभी मध्यप्रदेश में काउंसलिंग नहीं होती है कि हमारे बच्चे पढ़ाई क्यों छोड़ रहे हैं, इतना पैसा क्यों खर्च हो रहा है.
सभापति महोदय- शिक्षा सिंचित का मामला बहुत गंभीर है, मंत्री जी, इसे नोट कर लें.
श्री संजय यादव- सभापति महोदय, मैं, अब केवल नर्मदा घाटी पर कहूंगा कि ये कह रहे हैं कि सिंचित रकबा बढ़ायेंगे क्योंकि बरगी डैम के पास, बरगी विधान सभा क्षेत्र में आज भी सिंचाई के साधन उपलब्ध नहीं है, अभी ध्यानाकर्षण में मुझे, मंत्री जी ने कहा था कि पंप से खींच लो, तो क्या पंप से 3 किलोमीटर तक पानी खींच जायेगा ? मंत्री जी स्वयं चलें और खींचवा दें. हम जो बोरिंग करवाकर सिंचाई करते हैं, ये उसे भी कह देते हैं कि सिंचित रकबा बढ़ गया और ये उसका भी श्रेय ले लेते हैं.
सभापति महोदय- यादव जी, अब हो गया.
श्री उमाकांत शर्मा (सिरोंज)-- परम आदरणीय सभापति महोदय, मैं आपके और सदन के सदस्यों के सम्मान में एक बात कहना चाहता हूं.
'' एकमप्यक्षरं यस्तु गुरु: शिष्ये निवेदयेत्
पृथिव्यां नास्ति तद् द्रव्यं यद्यत्वा हृयनृणी भवेत्''
गुरू, शिक्षक अथवा वह व्यक्ति जिसने हमें कुछ सिखा दिया यदि गुरू शिष्य को एक भी अक्षर सिखा देता है तो पृथ्वी पर ऐसा कोई धन नहीं है जिसे देकर ऋण मुक्त हुआ जा सके. मैंने माननीय आसंदी से, माननीय सदस्यों यहां आकर बहुत कुछ सीखा है अब मैं आपका जिन्दगीभर ऋणी रहूंगा. इसके लिए मैं आप सभी का धन्यवाद व्यक्त करता हूं. मेरे प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी गांव, गरीब, किसान, मजदूर, आम आदमी के लिए, काम करने वालों के लिए आदर्श सिद्ध हो रहे हैं और मध्यप्रदेश की सेवा करने का बड़ा गजब का उत्साह है और मैं कहना चाहता हूं कि-
''तूफानों से आंख मिलाओ
सैलाबों पर वार करो
मल्लाहों का चक्कर छोड़ो
स्वयं तैरकर दरिया पार करो''
मैं ऐसे जन नायक प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री जी का और इतना अच्छा लोककल्याणकारी बजट पेश करने के लिए माननीय वित्त मंत्री जी का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं वह हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी हैं और हमेशा रहेंगे मैं उनका अभिनन्दन करता हूं. माननीय देवड़ा जी मैं आपके सम्मान में कहना चाहता हूं और कहूंगा कि-
''सरकार चलाने का हुनर रखते हैं
विरोधियों पर भी असर रखते हैं
कौन डराएगा इन्हें आंधियों से
यह वह माली हैं जो तूफानों में भी सफर करते हैं''
सभापति महोदय-- उमाकांत जी अब जरा बजट पर भी चर्चा हो जाए.
श्री उमाकांत शर्मा-- सभापति महोदय, थोड़ी सी कृपा करें. आप पड़ोसी हैं मेहरबानी रखें.
सभापति महोदय-- उमाकांत जी मैं तो आपकी मदद कर रहा हूं. आप अपने बजट में कुछ मांग करेंगे तो वित्तमंत्री जी मंजूर कर देंगे. सिरोंज, लटेरी के लिए मांग लें.
श्री उमाकांत शर्मा-- सभापति महोदय, मैं बजट पर ही आ रहा हूं. आप मुझे थोड़ा समय दें. आपने यादव जी को बिलकुल नहीं टोका आप मुझे टोक रहे हैं.
सभापति महोदय-- आप अपनी योजनाओं के बारे में बोलिए. कुछ मांग करिए.
श्री उमाकांत शर्मा-- अब मैं माननीय संसदीय मंत्री जी के लिए भी निवेदन करना चाहता हूं. उन्होंने संसदीय मंत्री के रूप में और विभिन्न मंत्रियों के पदों के रूप में हम सबका मार्गदर्शन किया है.
''सदन में जब आप रहते हैं
विधान सभा महकती है
सदन में आप कुछ कहते हैं
विधान सभा चहकती है
प्रखरवाणी से जब आप बोलें तो,
विपक्ष की छाती धधकती है,
क्या रुआब है आपका, चेहरे को देखकर आपके,
कभी कभी जवानी भी मचलती है.''
सभापति महोदय, एज पर स्टेट, द वेलफेयर स्टेट, इज ए सिस्टम इन विच गवर्मेंट एग्री टू अंडर राइट्स सरटेंट लेवल्स ऑफ इम्पलायमेंट, एजूकेशन, मेडिकल एण्ड सोशल सिक्युरिटी एण्ड हाउसिंग फार ऑल इट्स सिटीजन्स.
सभापति महोदय, कल्याणकारी राज में व्यवस्था है जिसमें सरकार रोजगार, शिक्षा, चिकित्सा सहायता, सामाजिक सुरक्षा और आवास के निर्धारित स्तर को सभी नागरिकों को समान रुप से प्रदान करने के लिए सहमत रहती है.
सभापति महोदय, यह हमारे बजट का कल्याणकारी राज का काम होता है. मैं कहते हुए हर्षित हूँ कि प्रधानमंत्री जी के अद्भुत नेतृत्व में माननीय मुख्यमंत्री जी के गौरवशाली नेतृत्व में देश और मध्यप्रदेश आत्म निर्भर भारत, आत्म निर्भर मध्यप्रदेश की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है. सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास हमारा और भारत का मूलमंत्र बन गया है. वैसे ही आज मध्यप्रदेश में भी किसान पुत्र, गांव, गरीब, मजदूर आम आदमी के मसीहा. प्रदेश में बेहतर आम आदमी के लिए काम करने के लिए माननीय मुख्यमंत्री जी काम कर रहे हैं.
सभापति महोदय, यथाल्पाल्पमदनत्याद्या वार्योकोवत्सषट्पदा
तथाल्पाल्पो ग्रहीतव्यो राष्ट्रादाज्ञाब्दिक: कर:
अर्थ विशेषज्ञ समझ लें, भारत की परम्परा रही है माननीय वर्मा जी चले गए उनको समर्पित है. शब्दों को भी समझ लें जैसे बछड़ा, भंवरा, तितली, मधुमक्खी थोड़ा-थोड़ा अनाज को ग्रहण करते हैं ऐसे ही मेरे वित्त मंत्री जी ने बिना कर के ही बजट प्रस्तुत करके समाज के कल्याण के लिए काम किया है उसकी मैं सराहना करता हूँ.
सभापति महोदय -- मैं यह कह रहा हूँ कि आप अपने क्षेत्र के लिए कुछ मांग रख लीजिए. सिरोंज में उससे लाभ होगा.
श्री उमाकांत शर्मा -- अब मैं निवेदन करना चाहता हूँ माननीय विपक्ष के प्रतिपक्ष के नेतागण दिन भर से अपनी बातें रख रहे हैं.
सभापति महोदय -- आपको बजट में कुछ नहीं चाहिए. जल्दी समाप्त करिए, आप बजट पर बोलिए.
श्री उमाकांत शर्मा -- अन्य लोग बहुत-बहुत बोले हैं. अब मैं कहना चाहता हूँ-
काँग्रेस सरकारों का जब जब शोधन होगा क्या पाओगे. समय चक्र जब बोलेगा, कैसे
आप पचाओगे.
तब लिखा जाएगा चारण, अधिनायक के चेले थे. कपड़े उनके उजले थे,
पर भीतर से वो मैले थे. सच कहने वालों को वे, गला फाड़ गरयाते थे.
सिंह लगाकर नामों के आगे, वे भेड़ों से मिमियाते थे, एक खानदान विशेष के सामने.
(मेजों की थपथपाहट)
सभापति महोदय-- सिरोंज के अस्पताल के लिए कुछ बजट मांग लीजिए.
श्री उमाकांत शर्मा-- साहब, एक बार आप भी बजट पर मेरी तरफ से बोल देना.
सभापति महोदय-- श्री लखन घनघोरिया जी, आप बोलें.
श्री उमाकांत शर्मा-- माननीय सभापति महोदय, मैं निवेदन करना चाहता हूँ गौ वंश की रक्षा की बहुत बात की जा रही है. मैं यहाँ नेता प्रतिपक्ष से, माननीय सदस्यों से, पूछना चाहता हूँ कौनसा गौ वंश प्रतिषेध अधिनियम....
सभापति महोदय-- भाषण हो गया.
श्री उमाकांत शर्मा-- बोलना पड़ेगा साहब, और लोगों ने ज्यादा बोला है.
सभापति महोदय-- हो गया. मैंने लखन घनघोरिया जी का नाम बोल दिया है.
श्री उमाकांत शर्मा-- सभापति जी, मैं अपने विषय पर अब आया हूं.
सभापति महोदय-- अब आप बैठ जाइये.
श्री उमाकांत शर्मा-- नहीं, नहीं, हाथ जोड़कर निवेदन है थोड़ा समय देने की कृपा करें.
सभापति महोदय-- आपका भाषण सिरोंज में सुनेंगे, मैं आपका भाषण सुनने आऊँगा.
श्री उमाकांत शर्मा-- मैं भाषण नहीं दे रहा. मेरी उपेक्षा मत उड़ाइये.
सभापति महोदय-- कृपा करके माननीय सदस्य बैठ जाइये. उनका नाम बुला लिया है. वे बोलेंगे. धन्यवाद. लखन घनघोरिया जी बोलिए. ..(व्यवधान)..
श्री लखन घनघोरिया(जबलपुर-पूर्व)-- शर्मा जी बैठ जाओ.
सभापति महोदय-- लखन घनघोरिया जी, आप बोलिए. आप अपना भाषण शुरू करें.
श्री लखन घनघोरिया-- माननीय सभापति महोदय जी, बजट पर और ताजे हालात पर तमाम लोगों ने बड़े अच्छे से बहुत सी बातें कही हैं और उमाकांत जी ने तो गजब कर दिया दो दो शेर मार दिए. लेकिन एक सच्चाई का शेर बताना चाहता हूँ उमाकांत जी, और यह बजट के ऊपर है. चेहरे कैसे अलग अलग होते हैं, घोषणा का चेहरा अलग, अमल का चेहरा अलग, किसी ने लिखा है कि--
अहम् से ताल्लुक गहरे बहुत हैं, अहम् से ताल्लुक गहरे बहुत हैं.
और जुबा पर झूठ के पहरे बहुत हैं, और कैसे बनाऊँ मैं तस्वीर इनकी,
इनके एक जिस्म में चेहरे बहुत हैं.
(मेजों की थपथपाहट)
आदरणीय सभापति महोदय, कोरोना की विभीषिका पर सब ने बोला और गजब का बोला है. लेकिन यथार्थ को स्वीकार कोई नहीं कर रहा. जमीन की हकीकत क्या कह गई. यहाँ ऐसे बहुत से लोग बैठे हैं जिन्होंने कोरोना की विभीषिका को झेला है. अपने लोगों को खोया है. बहुत से लोग बैठे हैं. कितने भी ताकतवर हों. लेकिन इस एहसास को अच्छे से मन में दबाए होंगे कि बहुत गलत हुआ, कितने भी ताकतवर हों. दिल पर हाथ रखकर बोल दें कि उस कोविड काल के दौरान किसी में इतनी सक्षमता थी कि किसी अस्पताल में अपनी मर्जी से कोई भी अस्पताल में मरीज को भर्ती करा सके. किसी की इतनी स्थिति नहीं थी. सरकार आती है, जाती है, सरकार का अपना एक सिस्टम होता है. लेकिन इन्सानियत तार तार हुई थी, इन्सान तो बाद में मरा था, इन्सानियत पहले मर गई थी. उसके बाद हम श्रेय लेने की राजनीति कर रहे. हम पीठ थपथपा रहे हैं. हम शाबासी की राजनीति कर रहे हैं. जब अस्पतालों में बिस्तर की जरुरत थी, बिस्तर नहीं थे. जब इंजेक्शन की जरुरत थी, इंजेक्शन नहीं मिले थे. जब ऑक्सीजन की जरुरत थी, ऑक्सीजन नहीं मिली और जब वैक्सीन की जरुरत थी...(व्यवधान).. बैठ जाइये उमाकांत जी, लक्ष्मीकांत जी से हमारे अच्छे संबंध थे, वे सज्जन आदमी थे, आप उनका एकाध गुण तो रखो...(व्यवधान)..
श्री उमाकांत शर्मा-- राजस्थान और महाराष्ट्र में क्या था वह भी बताने की कृपा करें.
सभापति महोदय-- घनघोरिया जी, आप बोलिए.
श्री लखन घनघोरिया-- जब वैक्सीन की जरुरत थी तो वैक्सीन नहीं मिली. वैक्सीन विदेश भेज दी गई थी. नाम के श्रेय के चक्कर में और जब पीक उतर गया तो हम पीठ अपनी थपथपा रहे हैं. शाबास, धन्यवाद, फ्री वैक्सीन, धन्यवाद. यह क्या है. हमने व्यवस्थाएं कीं, हम यथार्थ को स्वीकार करें कि हमसे वहां चूक हुई थी. चूक पर सुधार करके हम आगे बढे़ं. अभी भी हम कह रहे हैं कि 35 जिलों के जिला चिकित्सालयों में आईसीयू वॉर्ड जो होते हैं वह पहले 601 थे, हमने 4 हजार 446 कर दिये. आपने कर दिया, अच्छी बात है. हमने तो जबलपुर मेडिकल कॉलेज में एक पोर्टेबल वॉर्ड बना देखा है जिसमें आज तक एक मरीज भर्ती नहीं हुआ और 50 लाख रूपए का खर्चा आया. आपदा में अवसर कैसे ढूंढा जाता है, यह भी देखा है. रेमडेसिविर इंजेक्शंस में क्या हुआ. इंसानियत तार-तार हुई लेकिन हम उस पर नहीं बोल रहे. हम क्या व्यवस्था कर सकते हैं. पूरे प्रदेश में 5000 चिकित्सकों के पद खाली हैं. आप 4446 जितने भी आईसीयू में बेड बना लो, जब आपके पास डॉक्टर नहीं हैं, पेरामेडिकल स्टॉफ में 65 हजार डॉक्टरों की कमी है आपके पास जब वह नहीं हैं, तो आप क्या सुविधा दे पाएंगे. माननीय मंत्री जी, आपसे निवेदन है कि इस विभीषिका को सबने झेला है. किसी ने कम झेला है किसी ने ज्यादा झेला है और जिन्होंने झेला है, कम से कम हम उस एहसास को अपने मन में रखकर उसमें सुधार करके तो आगे बढे़ं. श्मशान घाटों की स्थिति क्या रही, अभी माननीय संजय यादव जी बता रहे थे. अंतिम संस्कार कराने के लिए लोगों को 24-24 घंटे लगे हैं, स्थिति बहुत विकट थी लेकिन हम पीठ थपथपा रहे हैं. धन्यवाद फ्री वैक्सीन के लिए. एहसान है. एहसान को उपलब्धि में, नाकामी को उपलब्धि में हम बदल रहे हैं और वह भी एहसान के साथ. वह भी एहसान के साथ उपलब्धियां बता रहे हैं जो नाकामी थी, उस पर बडे़ एहसान थोप रहे हैं. कब कौन-सी महामारी में देश की सरकारों ने फ्री इलाज नहीं किया है, किसके घर का पैसा लगता है (मेजों की थपथपाहट) जनता का पैसा, जनता के लिये है. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश थे, उसके बाद पीठ थपथपा रहे हैं. धन्यवाद फ्री वैक्सीन के लिये. फ्री वैक्सीन मुफ्त वैक्सीन. यह कहा जा रहा था.
आदरणीय सभापति महोदय जी, तुलसी भैया आप बैठ जाइए. (श्री तुलसीराम सिलावट, मंत्री के अपने आसन से खडे़ होकर कुछ कहने पर) मैं बहुत कम बोलता हॅूं. आप ही थे और उस समय बैंगलोर में घूम रहे थे.
सभापति महोदय -- चलिए, 2-3 मिनट में आप अपनी बात समाप्त करें. जल्दी बोलिए. अपनी बात कहिए.
श्री लखन घनघोरिया -- सभापति महोदय, हम सेकेंड वेरिएंट की बात कर रहे हैं. फर्स्ट वेरिएंट पर कुछ नहीं बोलते. फर्स्ट वेरिएंट किसकी गलतियों पर भयावह हुआ था. मध्यप्रदेश में किसकी गलतियॉं थीं. नौटंकी कह रहे थे. हमने कहा कि कोरोना फैल रहा तो आप कह रहे थे नौटंकी हो रही है. किसकी गलती थी.
सभापति महोदय -- चलिए, अब कोरोना के आगे बढ़िए. और भी मुद्दे हैं और भी पाइंट हैं.
श्री लखन घनघोरिया -- माननीय सभापति महोदय, यह सबसे संवेदनशील मुद्दा है. हमारे दो-तीन मुद्दे हैं.
श्री तुलसीराम सिलावट -- सभापति महोदय, इन्होंने जो कहा कि आप बैंगलोर में थे. मैं पूरा विस्तार से बता देता हॅूं..(व्यवधान)...
श्री लखन घनघोरिया -- तुलसी भैया, यह हम लोग नहीं कह रहे, आप खुद भी स्वीकार करेंगे...(व्यवधान)...
सभापति महोदय -- आप बोलिए.
श्री लखन घनघोरिया -- माननीय सभापति महोदय जी, कोरोना काल में लोगों की कमर टूट गई, बिजली के बिलों के मामले में कल भी घोषणा हुई. माननीय मुख्यमंत्री जी ने बहुत अच्छे से बोला, बहुत विस्तार से भी बोला.
श्री उमाकांत शर्मा -- घनघोरिया जी बहुत ही बोल रहे हैं. यह तो वहां बैंगलोर में थे, लेकिन आप लोग आईफा अवॉर्ड की तैयारी कर रहे थे..(व्यवधान)..
श्री लखन घनघोरिया -- माननीय सभापति महोदय जी, आज स्थिति यह है कि हम बिजली के उत्पादन की बात कर रहे हैं कि 21 हजार मेगावाट हो गई. हम बात कर रहे हैं 21 हजार करोड़ सब्सिडी देने की, लेकिन बिजली के बिलों से जो लोग परेशान थे. जो रोजी और रोजगार से वंचित हुए, 8 महीने का लॉक डाऊन सभी नहीं झेल पाए. मध्यम वर्गीय, गरीब वर्गीय व्यक्ति परेशान हैं, आपने इस तरीके से प्रताड़ित किया और कल घोषणा की कि हम वह बिल माफ करेंगे, जून, 2020 से जून, 2021 तक का आपका ही फरमान था कि ये बिल लिए नहीं जाएंगे. लेकिन उसके बाद भी वसूले गए. अब हम कैसे भरोसा कर लें, जब तक आप बजट में नहीं लाएंगे. हम कैसे भरोसा कर लें. माननीय वित्त मंत्री जी, आपसे एक निवेदन करना चाहता हूँ और एक शेर के साथ कहना चाहता हूँ कि ''ये हुकुमत भी गजब का काम करती है, छीन लेती है आखें, फिर चश्मा दान करती है''. पहले बिल के मामले में लोगों को मरने पर मजबूर कर दिया, अब घोषणा कर रहे हैं तो कम से कम अच्छे से करें. दिल से करें. बाकी सब चीजों में तो छूट कर रहे हैं, गरीबों के लिए तो कम से कम संवेदनाएं दिखा दें.
माननीय सभापति महोदय, शिक्षा के क्षेत्र में बात करना चाहता हूँ. अभी संजय यादव बता रहे थे और मेरा भी कहना है कि लॉक डाऊन के समय बहुत सी व्यवस्थाएं चरमराई थीं. गरीब अपने बच्चों की स्कूल की फीस नहीं दे पा रहा था. एक लाख अस्सी हजार बच्चे स्कूल से बेदखल हुए हैं. कारण वही है आर्थिक अभाव के कारण. ...(व्यवधान)...
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- आदरणीय सभापति जी, मैं एक बात कहना चाहता हूँ, अगर लखन जी इजाजत दें. मैं यह कहना चाहता हूँ कि आपकी सरकार रही...(व्यवधान)...
श्री लखन घनघोरिया -- आप भी थे उस सरकार में ...(व्यवधान)...
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- सुन तो लो, बिजली में आपने क्या किया, ये आप मुझे बता दो. गरीबों के कितने बिल माफ किए..(व्यवधान)...
श्री लखन घनघोरिया- आप बैठ जाइये ...(व्यवधान)...
श्री संजय यादव -- 100 रुपये बिल किया था ...(व्यवधान)...
सभापति महोदय -- श्री लखन घनघोरिया जी, अपना भाषण जारी रखें, जल्दी समाप्त करें.
श्री लखन घनघोरिया -- माननीय सभापति महोदय, एक लाख अस्सी हजार बच्चे शिक्षा से वंचित रहे, कारण भी सीधा-सीधा है आर्थिक अभाव में बच्चों के नाम स्कूलों से कटे हैं. हमारा माननीय वित्त मंत्री जी से एक निवेदन है कि आप ये भी प्रावधान बजट में ले आइये कि कम से कम फीसों के अभाव से जिन बच्चों को स्कूल से बेदखल किया जा रहा है और विशेषकर प्राइवेट स्कूलों में, कम से कम इतनी व्यवस्था कर दीजिए कि उनकी सारी फीसें माफ हो जाएं. मैं हमेशा की फीस की बात नहीं कर रहा हूँ, लॉक डाऊन के दौरान की फीस माफ हो जाए क्योंकि उस समय लोगों के पास रोजगार नहीं था.
माननीय सभापति महोदय, दूसरा मैं यह निवेदन करना चाहता हूँ कि मेरा एक प्रश्न था और उस प्रश्न में मैंने नर्मदा प्रगति पथ के बारे में माननीय लोक निर्माण मंत्री जी से प्रश्न पूछा था कि अमरकंटक से लेकर भरूच तक जो 906 किलोमीटर का नर्मदा प्रगति पथ बनना है, उसमें सरकार ने कब और कितने..
सभापति महोदय -- प्रश्नकाल नहीं है, आप बजट पर चर्चा करें.
श्री लखन घनघोरिया -- जवाब क्या दिया गया है, मैं वही बता रहा हूँ. मैंने उनसे पूछा था कि आपने कितने बजट का प्रावधान किया है. मेरे प्रश्न के जवाब में बहुत स्पष्ट रूप में दिया गया है कि इसमें प्रदेश सरकार ने कोई बजट नहीं रखा. फिर बजट के भाषण में कहां से यह आ गया. उत्तर में साफ लिखा है कि इसके निर्माण में राज्य शासन द्वारा बजट के प्रावधान की आवश्यकता नहीं है. लेकिन श्रेय राज्य सरकार को लेना है.
माननीय सभापति महोदय, नगरीय निकाय पर मैं बात करना चाहता हूँ. एक चुंगी क्षतिपूर्ति सारे नगरीय निकायों के लिए होता था, चुंगी क्षतिपूर्ति का पैसा सारे नगरीय निकायों को मिलता था और उससे सारे नगरीय निकाय संचालित होते थे, नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत, इस बार के बजट में 36 हजार करोड़ रुपये नगरीय निकायों का चुंगी क्षतिपूर्ति का पैसा इन्होंने समाप्त कर दिया है, जीरो, जीरो आ रहा है. सभापति जी, आप सोचिए कि यदि नगर निगम की आय और पूरे मध्यप्रदेश में लगभग डेढ़ लाख नियमित और दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों हैं और कम से कम 75 हजार पेंशनधारी हैं. आप पुरानी पेंशन वाली बात तो मान ही नहीं रहे हैं, अभी जिनकी मिल रही थी उनकी ही आप खत्म किये पड़े हैं. कोई उसका प्रावधान नहीं है. आपने चुंगी क्षतिपूर्ति खत्म कर दी. यदि नगर निगम, नगर पालिका को संचालित करना है तो जो नगर निगम और नगर पालिका के संसाधन हैं उसी टैक्स से वह अपने कर्मचारियों की पेमेंट देंगे और जब पेमेंट देंगे तो विकास के सारे काम रुकेंगे और यह उनका अधिकार था चुंगी क्षतिपूर्ति, क्योंकि वाणिज्य कर आपने लिया है. एक एग्रीमेंट था कि वाणिज्य कर में यह सारी चुंगी क्षतिपूर्ति समाहित हो जाएगी. प्रदेश वाणिज्य कर लेगा और एवज में नगर निगम, नगर पालिका को चुंगी क्षतिपूर्ति देगा जिससे नगर निगम, नगर पालिका अपना संचालन कर सकें और हर वर्ष 5 परसेंट बढ़ाकर देगा. 5 परसेंट बढ़ाना तो छोड़ दो आपने पूरा ही खत्म कर दिया. इससे पूरे प्रदेश की स्थिति बहुत विचित्र रूप से है. अभी आप चाहे जितने नारे दे दें, स्मार्ट सिटी का दे दें, स्वच्छता अभियान का दे दें, जब नगर निगम के कर्मचारियों के पास पैसा नहीं होगा, नगर निगम, नगर पालिका के पास पैसा नहीं होगा तो कौन सी योजना आपकी जमीन पर फलीभूत होगी ? सभापति महोदय, बहुत बड़ी-बड़ी बातें सब कर रहे हैं संपत्ति संधारण की, मैं तो दो लाईन में अपनी बात कहना चाहता हूं.
सभापति महोदय -- बस दो लाईन में ही कहिये. इसके बाद समाप्त करिये.
श्री लघन घनघोरिया -- सभापति महोदय, आप संधारण की बात कर रहे हैं और हैरीटेज के नाम पर सब बेचना चाहते हैं. सब चीज बेचे पड़े हैं. ''सांस लेने के लिये जादू खरीदे जाएंगे और बारिस के लिये आंसू खरीदे जाएंगे, और बेच दोगे एक दिन चांद, तारे और सारे दिये, और फिर कहोगे उजाले के लिये जुगनू खरीदे जाएंगे.'' सब चीजें बेचे पड़े हो और उसके बाद विकास की बात कर रहे हो. सभापति महोदय, मैं माननीय वित्तमंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि जबलपुर के तमाम पीडब्ल्यूडी के वह काम हैं, माननीय संजय यादव जी बोले, अभी विनय सक्सेना जी भी बोलेंगे, हम लोगों का आपसे यह आग्रह है कि चलते हुये कामों को रोक दिया गया, इसका प्रावधान करें.
श्री अनिरुद्ध माधव मारू (मनासा) -- सभापति महोदय, इस प्रदेश में माननीय प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी जी और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह चौहान जी के नेतृत्व में जो नीतियों पर काम हुआ, उसी का परिणाम है कि 19.4 प्रतिशत् हमारी प्रोगेस हुई है. देश में सर्वाधिक प्रगति की दर मध्यप्रदेश की है.
4.58 बजे { माननीय अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए. }
अध्यक्ष महोदय, आंकड़ों की बात सबने की. मैं बहुत आंकड़ों की बात नहीं करूंगा. हमारे विपक्षी मित्र जिस तरह से बातें कर रहे हैं, मैं पहली बार का विधायक हूं, उन सबको सुनकर मुझे ऐसा लगता है जैसे बंद आखों से, बंद कान से और बंद दिमाग से जैसा मन में आया वैसा बोल दिया, खाली विरोध करना है. बोलना है इसलिये यह लोग बोलते हैं. कोई लॉजिक नहीं है किसी के पीछे. हर चीज बजट में दी हुई है और चहुमुंखी विकास का बजट हर समाज के लिये, हर वर्ग के लिये, इस बजट में प्रावधान किये गये हैं और पहले से बढ़ाकर प्रावधान किये गये हैं. मैं आपको एक छोटा सा किस्सा सुनाऊ, मैं हजार रुपये लेकर सामान खरीदने के लिये बाजार गया कि हजार रुपये का सामान आएगा तो मैं ले आऊंगा. सामान 800 रुपये में आ गया, 200 बच गये, तो घर वाली ने मुझसे झगड़ा तो नहीं किया कि 200 रुपये क्यों बच गये. बाला भैया बचे हुये रुपयों का हिसाब मांग रहे थे कि इनका क्या किया. अरे ! वापस घर का पैसा घर में. खर्च नहीं किया क्योंकि जो टारगेट थे वह कम पैसे में पूरे हो गये, क्योंकि बजट में आप भी जानते हैं, आप लोग भी मंत्री रहे हैं कि जब टेंडर लगते हैं तो कोई 25 परसेंट नीचे, कोई 20 परसेंट नीचे, कोई 30 परसेंट नीचे टेंडर लगकर होता है. क्या आप बची हुई राशि उसी को दे देते हैं ? वह वापस आपके खजाने का हिस्सा होती है और इसलिये आप उनका हिसाब लगा रहे थे कि बचे हुये पैसे का क्या हुआ. अरे ! पैसा बचा तो सरकार का उतना ही घाटा कम हुआ. बात कर रहे हैं कि कर्ज लेकर घी पी गये? कर्ज लेकर घी पी गये! अरे, कर्ज तो उसको मिलता है जो सम्मानजनक होता है जो देने की स्थिति में होता है, जिसकी इज्जत होती है उसको कर्ज मिलता है. आपको कर्ज नहीं मिला तो उससे क्या फर्क पड़ता है और सरकार ने कर्ज लेकर क्या किया, आप लोग 7 लाख हैक्टेयर में ही सिंचाई कर पाए जबकि आज 43 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई हो रही है और 65 लाख हैक्टेयर सिंचाई का क्षेत्र टारगेट पर है.
अध्यक्ष महोदय, आज प्रदेश में 43 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में जमीन सिंचित हो रही है और इतनी बड़ी बड़ी योजनाएं आ रही हैं, इतने सारे विकास के काम हो रहे हैं. मुझे याद है, पहले जब इनकी सरकारें हुआ करती थीं, वर्ष 2003 की बात है. भोपाल से इंदौर का रास्ता 6-7 घंटे का था, आप सब लोग उस समय आते थे. हमारे नीमच से आना होता था तो 14-15 घंटे की यात्रा भोपाल तक की हो जाती थी. एक ब्रेक रास्ते में करना पड़ता था और तीन समय का खाना साथ में लेकर चलते थे. आज साढ़े चार घंटे में नीमच से भोपाल आ जाते हैं. दूरी कम नहीं हुई है, लेकिन सुविधाएं बढ़ी है, सड़कें अच्छी हुई हैं. आज प्रदेश में सड़कों का जितना जाल बिछा है. पूरे देश में सबसे अधिक सड़कें मध्यप्रदेश में बन रही हैं. कहीं 8 लेन, कहीं 4 लेन बन रहा है, कहीं सड़कों का उन्नयन हो रहा है, कितनी सड़कें बन रही हैं. सड़कों की मध्यप्रदेश में बात करूं तो आवागमन का यह सबसे बड़ा साधन है और विकास का हमारा सबसे बड़ा साधन है.
वर्ष 2022-23 के बजट में 3000 कि.मी. नयी सड़कें बनेंगी. 1250 कि.मी. सड़कों का नवीनीकरण होना है, 88 नये पुल बनना है, इतनी बड़ी राशि सड़कों के लिए जारी की गई है.
अध्यक्ष महोदय, सिंचाई की बात करें तो मैंने आंकड़ें दिये हैं कि 43 लाख हैक्टेयर में सिंचाई हो रही है. मैं इसके लिए माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान, माननीय वित्त मंत्री श्री जगदीश देवड़ा, माननीय सिंचाई मंत्री श्री तुलसीराम सिलावट का धन्यवाद अदा करूंगा कि मेरी पीढ़ा माइक से पिछली बार, पिछले भाषण में मैंने कही थी कि गांधी सागर बांध वर्ष 1962 में बना और एक बूंद पानी नहीं मिला. मनासा तहसील में जल के साथ भी छल हो गया और उस छल के साथ माननीय मुख्यमंत्री, माननीय वित्त मंत्री और माननीय सिंचाई मंत्री न्याय करेंगे, यह मैंने आग्रह किया था. हमारे संवेदनशील मुख्यमंत्री जो हर बात को बहुत नजदीक से समझते हैं. उन्होंने तुरन्त भांप लिया कि वास्तव में मनासा के साथ बहुत अन्याय हुआ है और इसी साल सिंचाई के लिए मनासा तहसील के साथ हमारे 20 गांव नीमच के आएंगे, 10 गांव उसमें जावद के आएंगे, इतना बड़ा 65 हजार हैक्टेयर क्षेत्र के लिए उन्होंने 1208 करोड़ रुपये की मंजूरी दी, उसको बजट में शामिल करने पर मैं तहेदिल से मनासा तहसील, नीमच जिले की ओर से माननीय मुख्यमंत्री, माननीय वित्तमंत्री और माननीय सिंचाई मंत्री का धन्यवाद करता हूं. (मेजों की थपथपाहट)..और इसमें सहयोगी रहीं हमारी प्रभारी मंत्री आदरणीय ऊषा दीदी, ऐसा ही अगर पेयजल की बात करें तो माननीय मोदी जी का मिशन, जल जीवन मिशन, देश के हर गांव में, हर घर को, हर परिवार को नल से जल देना है और जल की सप्लाई भी परमानेंट सोर्स से देना है. मैं इसके लिए भी माननीय मुख्यमंत्री, माननीय वित्तमंत्री को धन्यवाद देना चाहूंगा कि 1408 करोड़ रुपये की योजना हमारी स्वीकृत करके उन्होंने उसके टेंडर लगवा दिये और इसमें जावद भी आ गया, मनासा और नीमच जिला और आखिरी सिरे तक राजस्थान की बार्डर तक पानी जाएगा. 1408 करोड़ रुपये की योजना देकर टेंडर लगवा दिये. मैं उसके लिए भी उनका धन्यवाद अदा करता हूं कि माननीय मुख्यमंत्री जी का पूरे प्रदेश को जो पानी घर घर तक पहुंचाने का संकल्प है, वह लगातार उस पर काम कर रहे हैं. वह हमारा सबसे आखिर क्षेत्र है, वह 28, 29 और 30 नम्बर की हमारी विधान सभा है. सबसे आखिरी विधान सभा में वह इतनी चिंता करते हैं कि वहां तक भी व्यवस्था पहुंचे ऐसी उन्होंने व्यवस्था की. अध्यक्ष महोदय, बिजली की बात करें तो माननीय मुख्यमंत्री जी ने तो बिजली में गजब कर दिया. कोविड काल के बिलों को माफ करने की कल घोषणा कर दी और जिन्होंने समाधान योजना में पैसा दिया, उनका भी पैसा वापस आगे कर देंगे, यह घोषणा की. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी का धन्यवाद करता हूं इसके साथ उन्होंने अगले 4 वर्ष का जो रिवेम्पड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम में 15434 करोड़ रुपये का प्लान किया है जिसमें 2500 करोड़ रुपये प्रस्तावित हैं उसमें सारे ट्रांसफार्मर नये लगेंगे, चाहे वह ओवर लोड हों, चाहे लाइनें खराब हो रही है, पारेषण लाइनें ठीक की जाएंगी. वह सारी व्यवस्थाएं इस साल होना है, इसके लिए अलग से प्रावधान किया है, इसके लिए माननीय मुख्यमंत्री जी को बहुत धन्यवाद देता हूं कि हर क्षेत्र में हमारे किसानों की चिंता वह लगातार कर रहे हैं. मैं आगे बात करुं तो विभागीय परिसंपत्तियों के संधारण के लिये भी उन्होंने 1 हजार 355 करोड़ रुपये का प्रावधान कर दिया. किसान कल्याण की बात करें, तो किसानों पर तो मुख्यमंत्री जी किसान के पुत्र, हमारे माननीय देवड़ा जी भी किसान के पुत्र, हमारे ज्यादातर मंत्रीगण तो सब किसान के ही पुत्र हैं और हम भी किसान के पुत्र हैं. तो लगातार किसानों के लिये, सिंचाई की चिंता किसनों के लिये, बिजली की चिंता किसानों के लिये और अभी भी हमारे यहां ओलावृष्टि हुई, तो मुख्यमंत्री जी ने उस रात को ही शाम को 6-7.00 बजे ओले गिरे, 7.00 बजे सभी कलेक्टर एवं एसडीएम को मेसेज हो गया कि तुरन्त सर्वे करवाकर और तत्काल ओलावृष्टि एवं ओला प्रभावित क्षेत्रों का सर्वे करके और इनका मुआवजा देना है. मैं मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देना चाहूंगा कि डेढ़ महीने पहले भी ओलावृष्टि हमारे यहां हुई थी, सिर्फ दो गांवों में और दूसरे दिन सवेरे सर्वे होने के ठीक एक माह बाद उन सबके खातों में लगभग 5 करोड़ रुपये डले हैं. मैं धन्यवाद देना चाहता हूं मुख्यमंत्री जी को, ऐसे संवेदनशील मुख्यमंत्री जी, जिन्होंने मध्यप्रदेश की हर व्यवस्था की चिंता की. भले ही आदिवासी सम्मान की बात करें. जनजाति बंधुओं के लिये भी अभी बात कर रहे थे. युवाओं के रोजगार के लिये आर्थिक सहायता 60 करोड़ रुपये प्रस्तावित की है. यह कम है तो बढ़ जायेगी, चिंता करने की जरुरत नहीं है. हम तो चाहते हैं कि इनमें आगे नये बच्चे आयें. देवारण्य योजना के माध्यम से औषधि फसलों की मार्केटिंग तक के लिये प्रोत्साहन की व्यवस्था की. तेंदूपत्ता संग्राहकों के लिये 70 प्रतिशत से बढ़ाकर 75 प्रतिशत कर दिया उन्होंने कमीशन. साथ में श्योपुर,शहडोल,डिंडौरी, मंडला एवं छिंदवाड़ा जिलों में कम्प्यूटर प्रशिक्षण कौशल विकास केंद्र बनकर तैयार हो रहे हैं. ऐसा ही उन्होंने विभिन्न विभागों की योजनाओं में बजट को बढ़ाकर अनुसूचित जनजाति के लिये और राज्य वित्त आयोग की अनुशंसा पर 26 हजार 941 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित किया है. अनुसूचित जाति कल्याण के लिये 19 हजार 20 करोड़ का प्रवधान प्रस्तावित किया है. ऐसा ही रोजगार मूलक योजनाओं के लिये 50 करोड़ रुपये का प्रावधान प्रस्तावित किया है.घुमन्तु और अर्धघुमन्तु जनजाति कल्याण के लिये भी उन्होंने इसमें प्रस्ताव किये हैं. लगातार हर समाज के लिये प्रयास हुए हैं. सहकारिता में भी 1 हजार करोड़ का निवेश किया जाना प्रस्तावित किया गया है और सहकारिता की समितियां, सोसाइटियां हमारी वापस दमखम में आयें. मैं मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देना चाहूंगा कि कल सदन के माध्यम से उन्होंने घोषणा की कि किसानों का जो ओव्हर ड्यू लगा है. एक कांग्रेस के असत्य के पीछे कितने किसान परेशान हुए हैं. उनके बीमे नहीं हुए और वह सब जितना बीमे का नुकसान हुआ, वह सब कांग्रेस की मेहरबानी रही सारे हमारे किसान बंधुओं पर, जिसकी वजह से किसानों का इतना नुकसान हुआ, लगातार नुकसान किया हमारे किसानों का. सिर्फ एक असत्य के पीछे और वह पाप हमारे माथे पर रख रहे थे कि आप घोषणा कर दो कि हम माफ कर दें, हम माफ कर दें.
अध्यक्ष महोदय -- अब हो गया. कृपया बैठ जायें.
श्री अनिरुद्ध (माधव) मारु -- वादे आप गलत कर आये, असत्य कर आये, हम काहे के लिये माफ कर दें भाई. पर फिर भी हमारे संवेदनशील मुख्यमंत्री जी ने उनका ब्याज और पैनाल्टी माफ कर दी. किसान ईमानदार है. किसान अपना पैसा जमा करना जानता है. लेकिन आप लोगों के असत्य की वजह से वह पैनाल्टी लग गई. नहीं तो जीरो परसेंट ब्याज का पैसा किसी को खराब नहीं लगता है. इसलिये यह असत्य बोलना बंद करे कांग्रेस. किसानों को अच्छे से जीने दे.
अध्यक्ष महोदय -- कृपया बैठ जायें. मारु जी, हो गया.
श्री अनिरुद्ध (माधव) मारु‑- अध्यक्ष महोदय, मैं एक बात और वैक्सीन की बात करना चाहता हूं. अभी वैक्सीन की बात हो रही थी. आरोप लगाना बहुत आसान है. (xxx)
अध्यक्ष महोदय -- यह नहीं लिखा जायेगा. ..(व्यवधान).. आपका हो गया मारु जी. आप कृपया बैठिये. श्री विनय सक्सेना जी.
श्री विनय सक्सेना(जबलपुर उत्तर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, सबसे पहले मैं आपको धन्यवाद देना चाहता हूं मुझे बोलने की अनुमति देने के लिये.आदरणीय मारू जी तो मुझे लगता है कि बजट के बजाय व्यक्तिगत भाषणों पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं. मैं बड़े निवेदन के साथ कहना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश में सरकार की जो नीतियां हैं उसका उदाहरण मुझे हाल ही में समझ में आया. मैं कवि दुष्यंत की कुछ पंक्तियों को कहना चाहता हूं कि - " कौन कहता है कि आसमां में सुराख हो नहीं सकता, एक पत्थर तो दिल से उछालो यारो " एक पत्थर मध्यप्रदेश में उछला है जो मध्यप्रदेश के हालात बता रहा है कि मध्यप्रदेश के हालात कितने बुरे हैं. मध्यप्रदेश में दारू सस्ती हो गई है परन्तु तेल महंगा हो गया है. यह कैसी सरकार है.एक तरफ कहती है हमें बेटियों की चिंता है. एक तरफ मुख्यमंत्री जी कहते हैं कि हमें बहनों की चिंता है और दूसरी तरफ शराब की इस तरह की नीति ला रहे हैं कि उसको सस्ता करते जा रहे हैं. उस पर छूट देते जा रहे हैं.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे सदस्य ने शराब नीति पर सवाल उठाए हैं. वास्तव में अभी की शराब नीति इतनी वाहियात बनी है. विधान सभा तक शराब की बोटलें कल आ गई हैं. एक पूर्व विधायक गाड़ी में रखकर यहां तक ले आया. नीति बदल दो.
श्री विनय सक्सेना - माननीय अध्यक्ष महोदय, मां नर्मदा की पूजा की बात करते हैं. कुछ दिन पहले वाकया सामने आया कि हनुवंतिया में टेंट में पर्यटन विभाग द्वारा शराब परोसी जा रही है. यह सरकार का बस चल जाए तो वह तो घर-घर में शराब की होम डिलेवरी की व्यवस्था कर रही थी केबिनेट में, अच्छा हुआ कुछ माननीय मंत्रियों ने हिम्मत दिखाई और शराब की होम डिलेवरी पर रोक लग गई लेकिन इस शराब नीति में एक और निर्णय लिया गया कि घरों में भी शराब रखने की अनुमति देंगे.
डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ - माननीय अध्यक्ष महोदय, इनकी शराब की नीति इतनी खराब है कि इनकी पार्टी की भूतपूर्व मुख्यमंत्री ने अभी चार दिन पहले ही पत्थर मारकर इसका विरोध किस तरह किया.
अध्यक्ष महोदय - वह उसी पर तो बोल रहे हैं.
श्री विनय सक्सेना - मैंने तो नाम नहीं लिया था बहन जी का लेकिन उन्होंने हिम्मत दिखा दी पत्थर उछालने वाली बात कहकर.
अध्यक्ष महोदय - उन्होंने भी नाम नहीं लिया.
श्री विनय सक्सेना - मैं कहना चाहता हूं कि इस मध्यप्रदेश के बजट में सब कुछ कहा गया. माननीय वित्त मंत्री को धन्यवाद कि उन्होंने बड़ी मेहनत की. बड़े-बड़े बण्डल बने. बहुत सारी अनुदानों की किताबें भी मिलीं. चार-चार बंडल चार दिन में हम घर तक उठाकर ले गये. माननीय मुख्यमंत्री जी ने भी बहुत लंबा भाषण दिया. लगता है कि वे मुख्यमंत्री कम कलाकार ज्यादा हैं. मैं पूछना चाहता हूं कि उन्होंने पेट्रोल,डीजल,रसोई गैस के बारे में एक शब्द नहीं कहा. एक आम नागरिक को रोज जरूरत किस चीज की पड़ती है. सुबह खाना बनाओ तो रसोई गैस की जो 400 से 1000 रुपये हो गई. जरूरत पड़ती है घर से निकलते ही पेट्रोल की. घर में आने वाली सब्जी सहित सब चीजें डीजल से आती हैं और डीजल महंगा कर दिया. मैं अध्यक्ष महोदय, बताना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश में जो हालात हैं. पिछले 19 साल में पेट्रोल में 212 परसेंट माननीय मुख्यमंत्री जी के राज में पेट्रोल की कीमतें बढ़ी हैं और डीजल 280 परसेंट महंगा हुआ और सरकार की कमाई कितनी बढ़ी इस पर गौर करने की जरूरत है. पेट्रोल में 212 परसेंट की बढ़ोत्तरी हो रही है और डीजल की 280 परसेंट की और सरकार की कमाई 450 परसेंट बढ़ रही है. माननीय वित्त मंत्री जी, आपने यह तो कह दिया कि टैक्स कुछ नहीं लगा रहे लेकिन पेट्रोल,डीजल में आपकी सरकार कह रही है कि हमारा कोई कंट्रोल ही नहीं. तो इसका मतलब यह कि एक हाथ देंगे एक हाथ ले लेंगे. एक और आंकड़ा आता है कि मध्यप्रदेश में महंगाई बढ़ी वह 40 परसेंट बढ़ी लेकिन प्रति व्यक्ति आय 10 परसेंट बढ़ी. यह मध्यप्रदेश के खुद के आंकड़े हैं आर्थिक सर्वेक्षण के. जब मध्यप्रदेश के व्यक्ति की 40 परसेंट महंगाई बढ़ जायेगी और 10 परसेंट आय बढ़ेगी तो उसके घर की क्या हालत होगी और देश के प्रधानमंत्री कहते हैं कि हिन्दुस्तान में हमने 80 करोड़ लोगों को 5 किलो अनाज दे दिया. माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारा देश आगे जा रहा है कि पीछे जा रहा है. 130 करोड़ में से 80 करोड़ लोगों को यदि हम 5 किलो अनाज दे रहे हैं तो ये गरीबी रेखा के नीचे के लोग हो ग.ये तो फिर 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था की हमारी बात में सत्यता कैसे हो सकती है. देश गरीबी की ओर जा रहा है और दूसरी तरफ आप गरीब को हटाए जा रहे हो. इस देश में 80 करोड़ लोगों को हम 5 किलो अनाज दे रहे हैं तो देश आगे बढ़ रहा है कि गरीब हो रहा है. यही प्रदेश में आप कह रहे हो. बहुत अच्छा माननीय वित्त मंत्री जी ने चश्मा लगाकर दिखा दिया. वित्त मंत्री जी अच्छे व्यक्ति हैं. बहुत गंभीरता से वे काम कर रहे हैं
माननीय अध्यक्ष महोदय, लेकिन ऐसी कौन सी मजबूरी है कि माननीय वित्तमंत्री जी हमारे मुख्यमंत्री जी घोषणा पर घोषणा करते जाते हैं, आप भी मजबूर हैं, आप क्या करें, आप पैसा कहां से लायें. पिछले कार्यकाल में 22 हजार घोषणाओं की बात करते थे, लेकिन घोषणायें पूरी नहीं होती, यह हालात हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, किसी भी शहर में काम की बात करो नगर निगमों ने पिछले 2 सालों में एक लाइट नहीं लगाई. मैं जबलपुर का उदाहरण दे रहा हूं, पूरे प्रदेश की बात तो यह लोग बता पायेंगे. पूरा जबलपुर शहर खुदा पड़ा है माननीय अध्यक्ष महोदय और अधिकारी कहते हैं कि काम करने के लिये पैसा नहीं है, हम क्या करें. अभी चुनाव को देखते हुये इस बार बजट में नगर निकायों को पैसा दिया गया, मालूम है शायद चुनाव आने वाले हैं, लेकिन जनता तो आपको 5 साल के लिये चुनती है, आप उनको यह कहकर कैसे रोक सकते हो कि आप दो साल कोरोना के बहाने चलते रहे. मैं पहली बार ऐसी सरकारें देख रहा हूं जिसको हर चीज में धन्यवाद चाहिये, नहीं तो हम लोग जनता के लिये, जनता के द्वारा, जनता के लिये चुने कहलाते हैं, धन्यवाद तो जनता को हमें देना चाहिये कि तुमसे हम इतनी कमाई कर रहे हैं पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस में और उसके बदले में तुम्हें मात्र 200 रूपये का इंजेक्शन दे रहे हैं, धन्यवाद जनता होना चाहिये कि धन्यवाद नेता होना चाहिये, यह भी अपने आप में एक शर्मनाक है. माननीय वित्तमंत्री जी चाहें तो जो फोटो आजकल पेट्रोल पम्प पर लगी है वह आम नागरिकों के ऊपर एक तमाचा होती है, इतनी महंगाई बढ़ा देते हो और ऊपर से बोलते हो कि सरकार को धन्यवाद दो. मेरा आपसे आग्रह है कि ऐसी फोटो दिखाने से मध्यप्रदेश सरकार नहीं चल पायेगी. माननीय अध्यक्ष महोदय, 6 साल के वह आंकड़े देना चाहता हूं, मध्यप्रदेश सरकार जो झूठ बोलती है, असत्य बोलती है, झूठ की वजाय मैं असत्य शब्द का उपयोग करूंगा जैसा आपने यहां निर्देशित किया है. 6 साल में कच्चा तेल 60 प्रतिशत सस्ता हुआ वह भी पेट्रोल और डीजल के दाम 20 रूपये आपने बढ़ा दिये. जब बेरल की कीमतें 44...
5.17 बजे अध्यक्षीय घोषणा
माननीय सदस्यों हेतु स्वल्पाहार की व्यवस्था विषयक
अध्यक्ष महोदय-- माननीय सदस्यों के लिये सदन की लाबी में चाय की व्यवस्था की गई है, अनुरोध है कि सुविधानुसार चाय ग्रहण करने का कष्ट करें.
5.18 बजे वर्ष 2022-2023 के आय-व्ययक पर सामान्य चर्चा (क्रमश:)
श्री विनय सक्सेना-- माननीय अध्यक्ष महोदय एक और नया तरीका इस सरकार में पहली बार मैं देख रहा हूं. मैं पहले छोटे सदन का नेता रहा हूं, 20 साल नगर निगम में काम किया, लेकिन मध्यप्रदेश सरकार ने और अच्छे आयाम ढूंढे हैं जिस काम में असफल हो जाओ उसकी नई नीति ले आओ. अब इस बार एक नई गौ सेवा नीति आ गई. कल हमारे भारतीय जनता पार्टी के विधायक जज्जी जी ने मध्यप्रदेश सरकार की पोल खोलकर रख दी, माननीय मंत्री जी को मुंह की खानी पड़ी, उन्होंने कहा कि आप 15 रूपये और पांच रूपये गौ शाला में दे रहे हो, लेकिन कर्मचारी का भुगतान कैसे करेंगे यह बता दो, हमारे मंत्री जी कल जवाब नहीं दे पाये. वह तो अच्छा हुआ संसदीय मंत्री जी उस समय नहीं होगी, अगर संसदीय मंत्री जी होते तो शेरो शायरी में उसकी भी कुछ व्यवस्था कर देते, लेकिन शेरो शायरी से माननीय काम तो नहीं चलेगा, जब तक अन्न नहीं होगा पेट में कैसे काम चलेगा. मैं फिर कहना चाहता हूं कि गौसेवा को ईमानदारी से करने के लिये नई नीति बनाने की जरूरत नहीं है, माननीय अध्यक्ष महोदय, नीयत की जरूरत है. अब प्रदेश में नौकरी नहीं देना, 65 हजार शासकीय भर्ती के पद खाली पड़े हैं, 5 हजार डॉक्टर के पद खाली हैं, आंगनबाड़ी के लिये माननीय मुख्यमंत्री जी कहते हैं कि विधायक गोद ले लो, मतलब जो काम सरकार नहीं कर पायेगी वह विधायक जी आप गोद ले लो, शहर के चौराहे और सड़कें नहीं बना पायेंगे बोले कंपनियों को गोद दे दो. यह मध्यप्रदेश के हालात हैं और मुख्यमंत्री जी भाषण में कह रहे थे कोई कमी नहीं है.
अध्यक्ष महोदय-- 9 मिनट हो गया.
श्री विनय सक्सेना-- माननीय अध्यक्ष महोदय, 15 मिनट के अंदर खत्म कर दूंगा, सबने 25 मिनट बोला है, लेकिन एक भी शब्द आपके विषय से हटकर नहीं बोलूंगा, आप तत्काल रोक देना. माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी ने कहा कि मैं रोने वाला मुख्यमंत्री नहीं हूं, वह अक्सर कहते रहते हैं तो मैं पूछना चाहता हूं कि कांग्रेस विधायकों के काम करने में रोना क्यों आता है. फिर आपका नारा सबका साथ, सबका विकास क्यों लागू नहीं होता. माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत तकलीफ की बात है, गरीब आदमी किसी पार्टी का नहीं होता वह तो अपने जनप्रतिनिधि के पास पहुंच जाता है, पार्षद के पास, अपने विधायक के पास, सांसद जी मिलते नहीं हैं तो विधायक के पास पहुंच जाता है, वह कहता है कि मेरे मां-बाप मरने की स्थिति में हैं, मुझे कुछ राशि दिला दो और विधायक एक पत्र लिखकर उसको भोपाल भेज देता है, उस व्यक्ति के आने-जाने में 2 हजार रूपये खर्च हो जाते हैं लेकिन उसके बदले में मिलता क्या है, विधायक के मोबाइल पर एसएमएस आ जाता है. एक भी विधायक कांग्रेस का मोबाइल का रिकार्ड आप देख लीजिये, जबसे माननीय शिवराज जी मुख्यमंत्री बने हैं, कांग्रेस के एक भी विधायक के कहने पर अगर एक रूपये की भी राशि स्वीकृत हुई हो, बल्कि उल्टा मैं कहना चाहता हूं, बड़ी गंभीर बात कहना चाहता हूं, लेकिन अगर अस्पतालों की सेटिंग है, अगर आपके अस्पताल सेट हैं, वह कहते हैं आप तो अपनी चिट्ठी भर दे दो.
हम अपनी सेटिंग से कराकर ले आयेंगे. लेकिन मैं आपको खुद अपनी गवाह के रूप में,सत्यता के रूप में कहना चाहता हूं कि पिछले दो साल में जितने भी मैंने पत्र भेजे हैं, उसमें एक में भी स्वीकृति नहीं मिली है. फिर कैसा सबका साथ और कैसा सम्मान और कैसा विश्वास ? गरीब आदमी को भी कांग्रेस पार्टी का नहीं होना चाहिये, भाजपा का ठप्पा लगाकर भेजें ? हमें ऊपर वाला जब जमीन में भेजता है, तब तो किसी पार्टी का ठप्पा लगाकर नहीं भेजता है. एक गरीब आदमी को लगता है कि हमें कोई विधायक मिल जाये, चिट्ठी मिल जाये, उसको क्या पता कि कांग्रेस के लेटर हेड पर उसके मां बाप को जिंदगी नहीं मिल सकती है, मौत मिलेगी मौत. माननीय अध्यक्ष महोदय, इससे खराब बात क्या होती है, आप सोचिये हम लोग बड़े विश्वास से कहते हैं, माननीय मुख्यमंत्री जी के पास भेज रहे हैं, हमारे सदन के नेता हैं, हमको तो उन पर विश्वास है. मैंने पिछली बार भी कहा है, चिट्ठी के आधार पर गरीब आदमी प्रायवेट अस्पताल में एडमिट करवा देता है. उसको लगता है चार दिन में मुख्यमंत्री के यहां से एक लाख रूपये आ जायेगा, पचास हजार रूपये आ जायेगा, लेकिन माननीय अध्यक्ष महोदय, उसका जवाब आता है कि किन्हीं कारणों से आपका जो पत्र है, वह रिजेक्ट कर दिया जा रहा है. मैं इस बारे में भी माननीय वित्त मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि अगर मुख्यमंत्री पार्टी के उस पर लेकर इतने बेरुखे दिल के हो गये हैं, तो गृहमंत्री तो बड़े दिल के हैं, यह अधिकार उनको दे दिया जाये. माननीय वित्तमंत्री जी यह अधिकार यदि आपके पास आता है, तो आप अपने हाथ में ले लो लेकिन इन गरीबों के साथ यह अन्याय करना, माननीय अध्यक्ष महोदय, आपको इस पर हस्तक्षेप करना पड़ेगा, क्योंकि वह गरीब आदमी इस भरोसे पर है. आप सुन नहीं पाये होंगे, वह इस भरोसे पर है कि विधायक की चिट्ठी पर उसको कुछ न कुछ मिलेगा वह प्रायवेट अस्पताल में एडमिट करा देता है कि मां बाप का इलाज हो जायेगा लेकिन वहां से जब रिजेक्शन आता है, तो वह कर्जा लेकर जेवर बेचकर अपनी भी व्यवस्था नहीं कर पा रहा है. यह मैं आपसे कहना चाहता हूं स्वविवेक की जो निधि उनकी है, उसके लिये कुछ न कुछ निर्णय और माननीय मुख्यमंत्री जी तक हम लोगों की यह बात पहुंचा दीजिये.
माननीय अध्यक्ष महोदय, कुपोषण में मध्यप्रदेश सबसे नंबर वन पर है, सबसे ज्यादा महिलाओं पर अत्याचार मध्यप्रदेश में हो रहे हैं, चार करोड़ की आबादी मध्यप्रदेश में महिलाओं की है.
माननीय अध्यक्ष महोदय,अब आपने एक ओर नया विभाग चाईल्ड केयर बना दिया है. जिस विभाग में आप फेल हो, उसमें नया बना देते हो. आत्मनिर्भर एक नई नीति ले आये, जब आप नौकरी नहीं दे पा रहे हो, मतलब जिसमें सरकार असफल होती है, उसमें एक नई नीति ले आती है, यह नीति लाने से काम नहीं चलेगा. माननीय वित्तमंत्री जी को कुछ न कुछ इस प्रदेश के लिये करना पड़ेगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपको एक ओर बड़ी महत्वपूर्ण बात कहना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश में एस.सी.,एस.टी. और ट्रायबल के तीन दर्जन विभागों के पिछले सालों से पद खाली पड़े हुए हैं. अनुसूचित जनजाति के 5291, अनुसूचित जाति के 12 हजार 481 और अन्य पिछड़े वर्ग के 1249 पद खाली पड़े हुए हैं. हमारा जो आर्थिक सर्वेक्षण आया था, उसमें एस.सी,एस.टी के अधिनियम 1994 की धारा, 1925 वां जो वार्षिक प्रतिवेदन विधानसभा में पेश हुआ है, रिपोर्ट से प्रथम श्रेणी के किसी भी पद के लिये किसी विभाग में कोई पद आरक्षित नहीं है. जबकि द्वितीय, तृतीय और चतुर्थ के लिये आरक्षण का प्रावधान है. एक पत्र पर उनको नौकरी मिल सकती है, कोई उसके लिये काम्पटीशन भी नहीं है, लेकिन हम कहते हैं कि हम एस.सी. के बड़े हितैषी हैं, हम एस.टी. के बड़े हितैषी हैं, हम ओ.बी.सी. के बड़े हितैषी हैं, तो फिर यह बीस हजार पद क्यों खाली पड़े हुए हैं? माननीय वित्तमंत्री जी थोड़ा इस पर भी गौर करिये, कम से कम समाज में जो पिछड़ा वर्ग है, समाज में जो पीछे रहने वाले नागरिक हैं और एक नारा इस समय बड़ा अच्छा लगता है दीनदयाल जी का, हमारी सरकार जो है, सबसे आखरी पंक्ति में बैठने वाले व्यक्ति के लिये काम कर रही है, तो यह बीस हजार पद क्यों खाली हैं ? मैं यह भी प्रश्न माननीय वित्तमंत्री जी के ऊपर छोड़ना चाहता हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अपने जबलपुर की कुछ बात करना चाहता हूं. पूरा जबलपुर शहर इस समय खुदा पड़ा है, कहते है साहब स्मार्ट सिटी से पैसा दे दिया. यह स्मार्ट सिटी का पैसा कोई माननीय प्रधानमंत्री जी के कोष से आया है क्या? माननीय अध्यक्ष महोदय, पहले भी जवाहरलाल नेहरू अर्बन मिशन का पैसा आया था, इन्होंने सौ करोड़ रूपये प्रति शहर एक साल में दिये हैं, जवाहरलाल नेहरू अर्बन मिशन में आपको याद होगा जबलपुर को 1929 करोड़ रूपये मिले थे, भोपाल को 4 हजार करोड़ रूपये मिले थे, इंदौर को 5 हजार करोड़ रूपये मिले थे, लेकिन नारा क्या था, माननीय मुख्यमंत्री जी जबलपुर आये बोले 4 हजार करोड़ रूपये का निवेश होगा और 4 हजार करोड़ रूपये का निवेश कैसे होगा? जब आप साल का सौ करोड़ रूपये दोगे, तो बोले विदेशों से निवेश आ जायेगा. मैं माननीय वित्तमंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश में ऐसा कौन सा शहर है, जिसमें स्मार्ट सिटी की धारणा के बाद जबलपुर इंदौर और ग्वालियर में कितने रूपये का निवेश आया? इसका जवाब इस सदन को देने का कष्ट करियेगा. मैं आपको एक ओर बात याद दिलाना चाहता हूं] जबलपुर शहर में वर्ष 2008 में जो 58 हजार करोड़ रूपये के एम.ओ.यू. हुए थे, उसमें से एक भी परवान नहीं चढ़ा है. यह मध्यप्रदेश सरकार जो करोड़ों रूपये अपनी सरकार के दिखावे में खर्च करती है, उसको पूरा नहीं कर पाती है, जरा इसकी ओर से भी ध्यान दीजियेगा. माननीय अध्यक्ष महोदय,मैं आपको धन्यवाद देना चाहता हूं कि आपने मुझे बोलने का मौका दिया है.
डॉ. योगेश पंडाग्रे-- अनुपस्थित.
श्री जजपाल सिंह (अशोक नगर) - धन्यवाद, अध्यक्ष महोदय. मैं माननीय वित्त मंत्री ने जो बजट सन् 2022-23 का प्रस्तुत किया है. उसके लिए मैं उनको बहुत-बहुत साधुवाद देता हूँ. माननीय अध्यक्ष महोदय, पिछले लम्बे समय से देश और प्रदेश की कोरोना महामारी से जो अर्थव्यवस्था की खराब हालत थी, उसमें भी उन्होंने मध्यप्रदेश को एक सकारात्मक सोच के साथ, श्रेष्ठ बजट देने का प्रयास किया है और उस बजट के माध्यम से, मैं समझता हूँ कि जो हमारे देश के प्रधानमंत्री आदरणीय मोदी जी और हमारे मुख्यमंत्री आदरणीय श्री शिवराज सिंह जी की मध्यप्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने की जो मंशा है. यह बजट हमारे प्रदेश को उस दिशा में लेकर जायेगा. किसी भी प्रदेश और देश की उन्नति के लिए जरूरी है कि सड़क, पानी, बिजली की सुविधाएं आम जनता को मिलें और इस बजट में माननीय वित्त मंत्री जी ने इसके लिए वह सारे प्रयास किए हैं. मध्यप्रदेश में जैसा कि अभी हमारे कई साथियों ने बताया कि पूर्व में सड़कों की क्या स्थिति थी और वर्तमान में क्या स्थिति है, इसके लिए माननीय श्री शिवराज सिंह जी की सरकार के लगातार सार्थक प्रयासों की वजह से आज प्रदेश सड़कों के मामले में देश में अव्वल है. इसी तरह इस बजट में भी 3,000 किलोमीटर सड़कें, 88 पुलों का प्रावधान माननीय वित्त मंत्री जी ने किया है और प्रधानमंत्री सड़क 4,584 किलोमीटर, जिसमें मुख्यमंत्री सड़क 1,200 किलोमीटर है, तो यह एक बहुत सकारात्मक प्रयास माननीय मुख्यमंत्री जी का है. चाहे पानी सिंचाई के लिए हो, तो सभी को यह जानकारी है कि जब प्रदेश में शिवराज जी की सरकार नहीं थी, तो उसके पूर्व कितने क्षेत्रों में सिंचाई होती थी, पहले और आज में बहुत अन्तर है. वर्तमान में लगभग 46 लाख हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई हो रही है और अगले 2 वर्षों में 65 लाख हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई का लक्ष्य रखा गया है. उसके लिए माननीय वित्त मंत्री जी ने प्रावधान किया है. जहां तक पेयजल की व्यवस्था है. यह राजनीतिक बात नहीं है. हम यह सोचें कि देश की आजादी के 70 वर्षों के बाद भी, हम आम आदमी को पीने का पानी नहीं दे पाए हैं और जो भी सरकारें आईं, चाहे वह किसी भी पक्ष की रही हों, कोई भी नेता रहे हों. लेकिन यह साधारण सी बात है कि एक गरीब के पास पक्का मकान हो, आम आदमी को पीने का साफ पानी मिले, यह भी व्यवस्था हम नहीं कर पाये. यह भी बात अगर किसी की सोच में आई है तो वह हमारे देश के प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी की सोच में आई कि देश में हर गरीब को पक्की छत के नीचे रहने का अधिकार है और हर घर की बहन और बेटी को पानी उसके घर में मिले. मुझे याद आ रहा है कि 5-7 वर्ष पहले, मैं एक गांव से जा रहा था, दोपहरी का समय था, मैंने देखा कि एक गांव से दो किलोमीटर दूर से 10-12 बच्चियां पानी लिए आ रही थीं, दोपहरी पड़ रही थी और किसी बच्ची ने पानी सिर पर रखा हुआ था, किसी बच्ची ने सायकिल पर पानी का भरा डिब्बा रखा हुआ था, कोई बच्ची हाथ में बाल्टी लेकर चली आ रही थी. मैं भरी गर्मी में उनको देखकर रुका और उनसे कहा कि बेटा, आप इतनी दोपहरी में पानी ला रहे हो. तो उन्होंने बताया कि गांव से दो किलोमीटर दूर केवल एक किसान के यहां कुआं है, जो पानी देता है और पूरा गांव वहां से पानी भरता है, पानी लेने जाता है. मैंने बात की कि सुबह ठण्डे समय में ला सकते हो, तो उन्होंने बताया कि चूँकि किसान की गन्ने की खेती है तो जब वह इंजन चलाता है, मोटर चलाता है, तो सुबह कुआं खाली हो जाता है, फिर उसको भरने में 4-5 घण्टे लगते हैं तो दोपहर बाद ही पानी ले सकते हैं. आप कल्पना कीजिये कि उसके बाद मैं विधायक बना और मैं माननीय प्रधानमंत्री जी और मुख्यमंत्री जी को इस बात के लिए धन्यवाद देता हूँ. मैंने लगातार उनके लिए प्रयास किए और आज मैं इस सदन में बताना चाह रहा हूँ कि पिछले 2 वर्ष में उपचुनाव के समय मैंने माननीय मुख्यमंत्री जी से मांग की थी और उन्होंने वहां पेयजल योजना स्वीकृत की. दो किलोमीटर दूर से वहां से ट्यूबवेल में बोर करवाकर, उस गांव में पानी दिया और आज उस गांव में पानी मिल पा रहा है. यह योजना माननीय प्रधानमंत्री जी और मुख्यमंत्री जी की सबसे बड़ी देन हमारे प्रदेश को है, इसके लिए, इस बजट में जल जीवन मिशन का प्रावधान किया है.
अध्यक्ष महोदय - आय व्ययक पर सामान्य चर्चा कल भी जारी रहेगी. विधान सभा की कार्यवाही बुधवार, दिनांक 16 मार्च, 2022 को प्रात: 11.00 बजे तक के लिए स्थगित. अपराह्न 5.30 बजे विधान सभा की कार्यवाही बुधवार, दिनांक 16 मार्च, 2022 (25 फाल्गुन, शक संवत1943) के पूर्वाह्न 11.00 बजे तक स्थगित की गई.
ए. पी. सिंह
भोपाल, प्रमुख सचिव
दिनांक 15 मार्च, 2022 मध्यप्रदेश विधान सभा