मध्यप्रदेश विधान सभा
सोमवार, दिनांक 15 मार्च 2021
(24 फाल्गुन, शक संवत् 1942 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.02 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}
11.02 बजे
प्रश्नकाल में मौखिक उल्लेख एवं अध्यक्षीय व्यवस्था
माननीय सदस्यगण को कोरोना संबंधी जाँच करवाने विषयक
संसदीय कार्य मंत्री(डॉ.नरोत्तम मिश्र)-- माननीय अध्यक्ष जी, दो विषय थे, एक तो मेरी बहन साधौ को कोरोना हो गया है, हाउस के चार और विधायकों को कोरोना हो गया है. आप हमारे पालक हैं, मेरा निवेदन था कि जैसे आज सज्जन भैय्या नहीं हैं या और विधायकों के बगल में जो विधायक बैठे थे, (माननीय सदस्य श्री के.पी.सिंह जी द्वारा बैठे बैठे कुछ कहने पर) मैं आने का मना नहीं कर रहा, आप तो पहलवान हों, आपको तो यह बात समझ में आएगी नहीं, तो अध्यक्ष जी, इनके बगल में भी, जैसे बहन के बगल में सज्जन भाई बैठते थे, देवेन्द्र के बगल में और विधायक बैठते थे, एक बार इनके स्वास्थ्य के परीक्षण के संबंध में अध्यक्ष जी, थोड़ा आप विशेष देख लें चूँकि जिस तरह से कोरोना का बैक आ रहा है, उससे हम सबकी जिम्मेदारी बढ़ जाती है.
अध्यक्ष महोदय-- (माननीय सदस्य श्री सज्जन सिंह वर्मा जी के आने पर) सज्जन सिंह जी आ गए.
डॉ. गोविन्द सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी ने जो विषय उठाया है, उसके बारे में आज हमारे नेता माननीय कमल नाथ जी से चर्चा हुई थी. वे कल 11 बजे आ रहे हैं, अगर कोई विशेष स्थिति ऐसी बनती है तो कल आप सबसे बैठकर चर्चा हो जाएगी.
अध्यक्ष महोदय-- बैठेंगे हम. जैसे ही माननीय सदस्यगण की खबर आई थी कि हमारी बहन विजय लक्ष्मी जी कोरोना पॉजिटिव हुई हैं और मैंने उनसे बात की है तथा और लोगों से भी बात की है और मैंने इसीलिए एक तरह का निर्देश जारी किया था कि जो भी माननीय सदस्य आवें अपनी एक जाँच करा लें, रिपोर्ट करा लें, आज भी चिन्ता का विषय है, जैसा संसदीय कार्य मंत्री ने कहा है, आग्रह फिर है कि सब जाँच कराएँ, अभी रिपोर्ट आई है हमारे सिंगरौली के एक और विधायक वे भी पॉजिटिव पाए गए हैं, तो एक उनका यह है.
11.04 बजे
अध्यक्षीय व्यवस्था
वर्ष 2021-22 के आय-व्ययक में विभागवार चर्चा में भाग लेने विषयक
अध्यक्ष महोदय-- वर्ष 2021-22 के आय-व्ययक (बजट) पर सामान्य चर्चा माननीय सदस्यों द्वारा विस्तार से की गई थी तदुपरान्त विभागवार मांगों पर 8 मार्च से चर्चा प्रारंभ हुई पिछले दिनों भोजन अवकाश स्थगित करने और सायं साढ़े पाँच बजे के उपरान्त भी समय वृद्धि की जाकर कार्यवाही चलाने के बाद अभी केवल माननीय मुख्यमंत्री और माननीय लोक निर्माण मंत्री से संबंधित विभागों की मांगों पर ही चर्चा हो सकी है. अन्य विभागों की मांगों पर चर्चा होना शेष है साथ ही कोरोना का प्रकोप पुनः बढ़ रहा है, हाल में कतिपय माननीय सदस्य भी इसके संक्रमण से प्रभावित हुए हैं. अतः इस स्थिति में माननीय सदस्यों की सुरक्षा के साथ विधायी कार्य शीघ्र संपादन के लिए विधायक दलों के मुख्य सचेतकों से अनुरोध है कि कृपया कार्य सूची में शामिल विभागीय मांगों पर चर्चा हेतु सीमित संख्या में ही दोनों पक्षों के सदस्यों के नाम बोलने के लिए दें तथा माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि इस प्रक्रिया में कृपया सहयोग प्रदान करें, जिससे कि तत्परता से विभागों की मांगों पर चर्चा पूर्ण हो सके तथा उसके उपरान्त विनियोग, अन्य विधेयक और विधि विषयक कार्य पूर्ण किया जा सके.
यह भी अनुरोध है कि माननीय सदस्य कृपया सदन में कार्यवाही में भाग लेते समय मास्क, सेनेटाइजर का सतत् उपयोग करें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह जो 68 वर्षीय नौजवान सज्जन वर्मा जी हैं 70 वर्षीय नौजवान गोविन्द सिंह जी के पास बैठे हैं. इन लोगों का परीक्षण पहले करा लें.
डॉ. गोविन्द सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारा तीन बार परीक्षण हो चुका है और मेरे से तीनों बार कोरोना एक किलोमीटर दूर रहा है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, कोरोना की वेक्सीन पर इनका फोटो लगवा दिया जाए, जैसे च्यवनप्राश पर उसका लगा रहता है. (हंसी)
11.06 बजे अध्यक्षीय घोषणा
प्रश्नकाल में केवल प्रथम बार के विधायकों के प्रश्नों को शामिल किया जाना
अध्यक्ष महोदय -- आज प्रश्नकाल में केवल पहली बार के विधायकों के प्रश्नों को लिया गया है, लाटरी उनकी ही निकाली गई है. सदस्यों से यह आग्रह है कि बिना भूमिका के सीधा प्रश्न करेंगे, क्योंकि उनकी भूमिका प्रश्न में लिखी हुई है. मंत्रियों से भी आग्रह है कि पाइंटेड जवाब देंगे जिससे जो प्रथम बार के विधायक हैं उनको एक अवसर मिले. माननीय जो वरिष्ठ सदस्य हैं उनसे भी आग्रह है कि जब प्रथम बार का विधायक कोई प्रश्न कर रहा हो तो उसी को प्रश्न पूछने दीजिए अगल-बगल से उसको सपोर्ट मत करिए. मैं समझता हूँ कि माननीय सदस्य मेरी भावना से सहमत होंगे. प्रथम बार के विधायक को यह मौका देने का काम किया है उसमें साथ देंगे.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपको बहुत-बहुत धन्यवाद है. आपने शलाका में भी नए विधायकों को ही लिया जो आज की प्रश्नोत्तर सूची के 25 प्रश्नों में शामिल हैं. मैं आपको धन्यवाद देना चाहता हूँ यह पहले कभी नहीं हुआ है. आपने प्रथम बार के सदस्यों के लिए नया नवाचार किया है ताकि वे प्रश्न पूछ सकें. आज एक प्रसंग भी है, आज विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस है. आज की प्रश्नोत्तरी खाद्य विभाग से भी संबंधित है जिसमें उपभोक्ताओं से संबंधित प्रश्न भी हैं. इस विधान सभा में ऐसा संयोग बना है कि विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस के अवसर पर हमारी प्रश्नोत्तरी में उपभोक्ताओं से संबंधित प्रश्न भी पूछे जाएंगे, उसका संरक्षण देने के लिए धन्यवाद.
श्रीमती कृष्णा गौर -- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक विनती है. धन्यवाद मैं भी देना चाहूंगी कि आपने नवाचार शुरु किया है प्रथम बार के विधायकों को बोलने का मौका मिल रहा है लेकिन आज की प्रश्नोत्तरी में एक भी महिला विधायक का नाम नहीं है. मेरा निवेदन यह है कि 20 महिलाएं चुनकर आई हैं उसमें से तीन मंत्री बनी हैं. मेरा निवेदन है कि आप एक दिन महिलाओं के लिए ही प्रश्नकाल करें.
अध्यक्ष महोदय -- मैं माननीय सदस्या से सहमत हूँ. आपको जानकारी देना चाहता हूँ कि लॉटरी भी महिला सदस्या ने ही निकाली है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- माननीय अध्यक्ष महोदय, शलाका में तो 25 विधायकों के नाम होते हैं, महिला सदस्य कुल 20 हैं, 5 तो पुरुष आएंगे ही.
श्रीमती कृष्णा गौर -- 20 महिलाओं के प्रश्न के अलावा शेष पुरुषों के प्रश्न आएं तो कोई आपत्ति नहीं है.
अध्यक्ष महोदय -- आज की प्रश्नोत्तरी में प्रश्न संख्या 20 पर महिला विधायक श्रीमती रामबाई गोविंद सिंह जी का प्रश्न शामिल है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- वे श्रीमती रामबाई को महिला मानती ही नहीं हैं.
11.09 बजे तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
उज्जैन
जिले में कोरोनाकाल
में श्रमिकों
को रोजगार
[श्रम]
1. ( *क्र. 5281 ) श्री महेश परमार : क्या खनिज साधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या उज्जैन जिले में संचालित उद्योगों से अनगिनत श्रमिकों को कोरोनाकाल से ही घर बैठा दिया गया है? यदि हाँ, तो श्रमिकों को पुन: रोजगार उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने क्या चिंता की? वर्तमान में कितने क्या प्रस्ताव श्रमिकों के हित में कब पारित कराये? (ख) क्या उज्जैन जिले में बेरोजगार हुए परिवारों से संपर्क करने के लिए कोई प्रयास किया? क्या आपदा प्रबंधन फंड के माध्यम से उदर पोषण के लिए शिविर लगाए? क्या बंद हुए उद्योगों के समाज कल्याण मद से श्रमिकों के घर तक आर्थिक सहायता पुहंचाने के लिए कोई कार्यवाहियां की? श्रमिक परिवारों के प्रति कब-कब और कहां-कहां किन-किन दायित्वों को पूरा किया? (ग) उज्जैन जिले में कोरोना काल के दौरान पंजीकृत श्रमिकों को कौन-कौन सी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ घर तक पहुंचाया गया है? कितने श्रमिक परिवारों को क्या राहत मिली है? विभाग द्वारा श्रमिक परिवारों के कल्याण के लिए पहुंचाई गयी राहत की सूची लाभांवित श्रमिकों की जानकारी सहित उपलब्ध कराएं।
खनिज साधन मंत्री ( श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ) : (क) जी नहीं। उज्जैन जिले में नागदा स्थित ग्रेसिम इण्डस्ट्रीज (स्टेपल फायबर डिवीज़न) के 20 ठेका श्रमिकों को ठेकेदार द्वारा कार्य से बंद करने की शिकायत पर क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा संज्ञान लेते हुए इन प्रकरणों में औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 के अंतर्गत वैधानिक कार्यवाही निरंतरित है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ख) प्रश्नांश (क) के उत्तर के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। श्रम विभाग में बंद हुए उद्योगों हेतु आपदा प्रबंधन फण्ड एवं समाज कल्याण मद का प्रावधान नहीं है। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) उज्जैन जिले की प्रश्नांकित जानकारी निम्नानुसार है :-
क्र. |
योजना का नाम
|
लाभांवित श्रमिक |
प्रदत्त लाभ/हितलाभ
|
1. |
मुख्यमंत्री प्रवासी मजदूर सहायता योजना, 2020 |
1856 |
रूपये 1000/- के मान से रूपये 18,56,000/- 1856 श्रमिकों के बैंक खातों में दिये गए। |
2. |
म.प्र. भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मण्डल |
13488 |
रूपये 1000-1000 के मान से दो बार में राशि रूपये 2,69,76,000/- 13488 श्रमिकों के बैंक खातों में दिये गए। |
श्री महेश परमार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने पहली बार के चुने हुए विधायकों को आशीर्वाद और संरक्षण दिया है. मैं आपका धन्यवाद और आभार व्यक्त करता हूँ. मेरा आपके माध्यम से मंत्री जी से प्रश्न है कि उज्जैन जिले में संचालित उद्योगों में अनगिनत श्रमिकों को कोरोना काल में क्या घर बैठा दिया गया है.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी सीधा जवाब दीजिए. माननीय सदस्य आप बैठ जाइए.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसी विषय से संबंधित ध्यानाकर्षण भी दिनांक 9.3.2021 को आया था. जिसका जवाब भी दिया गया है कि कोरोना काल में जो बंद की अवधि है जो मार्च से लेकर 31 मई तक की है. उसमें कांट्रेक्चर लेबर जो वहां पर लगी थी इस बंद अवधि में वे बाहर हो गए थे. वहां पर जो पांच संचालित मुख्य उद्योग हैं जिसमें ग्रासिम भी शामिल है उसमें 2000 लोग थे जिसमें से 1200 लोगों को रख लिया गया था. 800 लोग जो नहीं थे वे बाहर से वेल्डिंग और रिपेयरिंग का काम करके, जैसा कि ध्यानाकर्षण में भी माननीय सदस्य ने बताया था कि कुछ पर्चियों के गेट पासेस के माध्यम से वे लोग अन्दर आ रहे थे लेकिन हमने भी उस ध्यानाकर्षण के बाद उनको यह भी बोला गया था कि उन्हें जो वेतन पहले मिल रहा था उनको उससे कम वेतन दिया जा रहा है और हमने सदन के अंदर यह सुनिश्चित किया था कि उनको एक बार जो वेतन मिल चुका है वह उन्हें उससे नीचे वेतन नहीं दे सकते हैं. इसके लिए जो वेतन अधिनियम है उसके तहत हमने संबंधित लोगों के खिलाफ केस भी दर्ज किया है और हमने सुनवाई के लिए इनकी एक पेशी भी लगाई है. वह 18 (3) नियम की है. हम इस पर कार्यवाही कर रहे हैं और जो गलत होगा तो हम दंडित करेंगे.
श्री महेश परमार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी मेरा प्रश्न पूरा नहीं हुआ है. मैंने उज्जैन जिले में, उस समय सरकार को जगाने के लिए मेरे साथी विधायक मनोज चावला जी और हम लोगों ने भगवान महाकाल की नगरी उज्जैन से भोपाल तक न्याय यात्रा निकाली थी और यहां माननीय मंत्री जी के विभाग के द्वारा असत्य जानकारी दी गई. आपने बोला कि हमने उस समय श्रमिक मजदूरों को सहायता दी तो बताएं कि आपने कितनी सहायता दी? मेरे प्रश्न के उत्तर में कहा गया है कि जी नहीं किसी भी मजदूर को नहीं निकाला गया है. ध्यानाकर्षण में स्थानीय विधायक दिलीप गुर्जर जी और मेरे पड़ोस के विधायक बहादुर सिंह चौहान जी ने जो ध्यानाकर्षण लगाया था उसमे माननीय मंत्री जी के द्वारा और मंत्री जी के विभाग के द्वारा जो जवाब दिया गया कि सिर्फ 20 लोगों पर कार्यवाही निरंतरित है लेकिन मैं पूरे उज्जैन जिले की और ग्रेसिम की बात कर रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय-- महेश जी आप उत्तर पढि़ए उसमें राशि और संख्या दोनों लिखी हुई हैं.
श्री महेश परमार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें माननीय मंत्री जी स्वयं कह रहे हैं कि 2 हजार श्रमिक हैं और प्रश्न के उत्तर में 20 श्रमिक बता रहे हैं तो कौन सी बात को मैं सही समझूं.
अध्यक्ष महोदय-- आप पूरे उत्तर को पढि़ए उसमें लिखा हुआ है कि कितने श्रमिक लाभान्वित हुए हैं और कितना पैसा दिया गया है.
श्री महेश परमार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, उज्जैन जिले में लगभग 6 लाख श्रमिकों का पंजीयन हुआ है लेकिन उत्तर में लिखा हुआ है कि हमने सिर्फ 1856 लोगों को एक हजार रुपए के मान से सहायता प्रदान की है. 6 लाख श्रमिकों का पंजीयन है और केवल 1856 लोगों को सहायता दे रहे हैं यह तो ऊंट के मुंह में जीरे के समान है.
अध्यक्ष महोदय-- परमार जी आप प्वाइंटेड प्रश्न कीजिए. मैं आपको जवाब दिलवाता हूं. आप सीधा प्रश्न पूछिए कि आप क्या जानना चाहते हैं.
श्री महेश परमार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि पूरे जिले में लगभग 6 लाख श्रमिक पंजीयन है और केवल 1856 लोगों को सहायता दी गई है. कोरोना काल में मध्यप्रदेश की सरकार, कांग्रेस की सरकार गिराने में और अपनी सरकार बचाने में लगी थी.
अध्यक्ष महोदय-- आप कम से कम आज तो प्रश्न बढ़ने दीजिए. आप मंत्री जी से उत्तर ले लीजिए.
श्री महेश परमार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, श्रमिकों के पुन: रोजगार के लिए सरकार ने क्या चिंता की है?
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जहां तक माननीय सदस्य उन 20 लोगों की बात कर रहे हैं वह वे लोग हैं जिन्होंने शिकायत की है समझौते के तहत हम उन पर कार्यवाही कर रहे हैं. मैंने पहले भी कहा था और मैं आज भी कह रहा हूं कि यह ठेका श्रमिक हैं इसमें विभाग का कोई कंट्रोल नहीं है. वह ठेकेदार और उसके नियोक्ता के अंदर का एग्रीमेंट है और इसलिए जो भी बाहर गए हैं उनको वापस रखने के लिए हम क्या कर सकते हैं इसके लिए भी हमने पिछली बार बोला था कि जो 800 सदस्य हमारे बाहर हैं और बाहर से काम करके अंदर आ रहे हैं तो हम कोशिश करेंगे कि एक वातावरण निर्मित करके उनको अंदर लगाया जाए और उस पर हमने कार्यवाही भी की है. जो पिछला ध्यानाकर्षण हुआ था उस पर हम आगे भी काम कर रहे हैं और हम गरीबों के हित में हैं.
श्री महेश परमार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं पूरे उज्जैन जिले की बात कर रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय-- परमार जी आपके प्रश्न को दस मिनट दे दिए हैं.
दमोह जिले में मत्स्य बीज उत्पादन
[मछुआ कल्याण तथा मत्स्य विकास]
2. ( *क्र. 3846 ) श्री धर्मेन्द्र भावसिंह लोधी : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) दमोह जिले में मत्स्य बीज हेतु मत्स्य विभाग की कितनी हैचरी संचालित हैं तथा उनके रख-रखाव व मत्स्य बीज उत्पादन में वर्ष 2019-20 व 2020-21 में कितनी राशि व्यय हुई है तथा कितनी मछली पालक समितियों को मत्स्य बीज उपलब्ध कराया गया व मत्स्य बीज से कितनी आय हुई है? (ख) वर्ष 2019-20 व 2020-21 में प्रश्नांश (क) की मछुआ समितियों को मछली पालन की किन-किन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मत्स्य विभाग द्वारा दिया गया है?
जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) दमोह जिले में मत्स्य बीज उत्पादन हेतु एक सरकुलर हेचरी एवं एक बंगला बंध संचालित है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) वर्ष 2019-20 एवं 2020-21 में विभाग की मछुआ सहकारिता योजना का लाभ दिया गया है।
श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सर्वप्रथम तो मैं आपको धन्यवाद ज्ञापित करना चाहता हूं कि आपने यह नवाचार किया और नए विधायकों को प्रश्न पूछने का अवसर दिया है. मैंने प्रश्न पूछा कि दमोह जिले के मत्स्य बीज हेतु मत्स्य विभाग में कितनी हैचरी संचालित हैं तथा उनके रखरखाव व मत्स्य बीज उत्पादन में वर्ष 2019-2020 और वर्ष 2021 में कितनी राशि व्यय हुई है.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय सदस्य जी माननीय मंत्री जी का उत्तर आया है आप सीधे प्रश्न कीजिए.
श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यही कहना चाहता हूं कि मंत्री जी ने उत्तर दिया है कि जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के अनुसार है लेकिन न तो मुझे पुस्तकालय में कोई परिशिष्ट मिला है और न ही मुझे कोई जानकारी प्रदान की गई है. मैं प्रश्न शाखा में भी गया मैंने वहां पूछा कि इस विषय पर कोई जानकारी प्राप्त नहीं हुई है तो उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा कोई जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई है तो एक तो यह बात गलत कही गई कि परिशिष्ट में जब विभाग द्वारा कोई जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई तो इसमें इस प्रकार का प्रश्न क्यों लिखा है.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय सदस्य जी आपको बाद में जानकारी भी उपलब्ध करा दी गई और दे दी गई है.
श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे कुछ नहीं मिला है.
अध्यक्ष महोदय-- आपको जानकारी दे दी गई है.
श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं प्रश्न शाखा में भी देखकर आया हूं.
अध्यक्ष महोदय-- आपको जानकारी दे दी गई है.
श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे जानकारी नहीं दी गई है.
अध्यक्ष महोदय- आप बैठ जाईये. हम मंत्री जी से पूछते हैं.
श्री तुलसीराम सिलावट- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे सदस्य ने जो भावना व्यक्त की है, हमने इनके प्रश्न के उत्तर में जो विस्तृत जानकारी दी है, माननीय सदस्य के कहे अनुसार, उन्हें पूरी पुस्तिका नहीं मिली है, मैं पूरे दस्तावेज उन्हें उपलब्ध करवा दूंगा.
श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे कोई जानकारी प्राप्त नहीं हुई है.
अध्यक्ष महोदय- माननीय मंत्री जी कह रहे हैं, आपको पूरी जानकारी उपलब्ध करवा देंगे.
श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न अभी पूरा नहीं हुआ है.
अध्यक्ष महोदय- जब आपको पूरी जानकारी प्राप्त नहीं हुई है तो फिर कौन सा प्रश्न पूछेंगे, ठीक है, पूछ लीजिये.
श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह कहना चाह रहा था कि दमोह जिले में मत्स्य बीज परिक्षेत्र गाड़ाघाट जो कि मेरी विधान सभा क्षेत्र में आता है, उसका मैंने दौरा किया और देखा कि वहां तमाम अव्यवस्थायें हैं. उस परिक्षेत्र के संरक्षण के लिए प्रतिवर्ष कुछ न कुछ राशि विभाग द्वारा खर्च की जाती होगी. मैंने पाया कि राशि वहां केवल कागजों में खर्च हुई है. उस मत्स्य बीज परिक्षेत्र में बहुत गड़बडि़यां हैं, वहां विकास जैसा कुछ दिखाई नहीं देता है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इसके अतिरिक्त दमोह जिले में मत्स्य बीज परिक्षेत्र गाड़ाघाट है, वहां मत्स्य बीज उत्पादन क्षमता 2 करोड़ है लेकिन वर्ष 2019-20 में केवल 80 लाख मत्स्य बीजों का उत्पादन हुआ और वर्ष 2020-21 में केवल 44 लाख मत्स्य बीज का उत्पादन हुआ. मेरा प्रश्न यह है कि जब उस मत्स्य बीज परिक्षेत्र की उत्पादन क्षमता 2 करोड़ है तो फिर इतने कम बीजों का उत्पादन क्यों किया जा रहा है ? कहीं न कहीं इसमें अधिकारियों की लापरवाही दिखाई देती है.
श्री तुलसीराम सिलावट- दमोह जिले की जिस हैचरी के रख-रखाव और मत्स्य बीज उत्पादन परिक्षेत्र की बात की जा रही है, मैं बताना चाहूंगा कि वर्ष 2019-20 में 6 लाख 92 हजार रुपये और वर्ष 2020-21 में 6 लाख 36 हजार रुपये का, वहां व्यय हुआ. हैचरी के वर्ष 2019-20 में 22 मछुआ समितियों एवं वर्ष 2020-21 में 17 मछुआ समितियों को बीज उपलब्ध करवाये गए हैं और जहां तक माननीय सदस्य ने जिस बीज की बात की है, प्रतिवर्ष 125 प्रति हजार बीज उत्पादन हो रहा है. जहां माननीय सदस्य के संज्ञान में कोई ऐसी बात आती है, वहां रख-रखाव में गलती हो, तो उसे सुधारा जायेगा और जांच कर ली जायेगी.
श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी- माननीय अध्यक्ष महोदय,
अध्यक्ष महोदय- माननीय मंत्री जी ने कहा है कि वे जांच करवा लेंगे.
श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी- माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी मेरा प्रश्न पूरा नहीं हुआ है.
अध्यक्ष महोदय- आप मंत्री जी से मिल लीजियेगा.
प्रश्न संख्या-3 डॉ. अशोक मर्सकोले (अनुपस्थित)
राजगढ़ विधान सभा क्षेत्रान्तर्गत कृषकों को मुआवज़ा वितरण
[राजस्व]
4. ( *क्र. 720 ) श्री बापूसिंह तंवर : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि(क) दिनांक 01 अप्रैल, 2020 से प्रश्न दिनांक तक राजगढ़ विधान सभा क्षेत्रान्तर्गत रबी एवं खरीफ की फसलें खराब होने के कारण हुए सर्वे में कितने किसानों का मुआवज़ा बंटना लंबित है? किसानों की संख्या सहित जानकारी दें। (ख) प्रश्नांश (क) का उत्तर यदि हाँ, है तो राजगढ़ विधान सभा के किसानों का लंबित मुआवजे का भुगतान कब तक कर दिया जायेगा?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) जी नहीं। दिनांक 01 अप्रैल, 2020 से राजगढ़ विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत रबी एवं खरीफ फसलें खराब नहीं हुईं हैं। अत: शेष प्रश्न उद्भूत नहीं होता। (ख) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उद्भूत नहीं होता।
श्री बापू सिंह तंवर- माननीय अध्यक्ष महोदय, सर्वप्रथम मैं आपको धन्यवाद देना चाहूंगा कि आपने नए विधायकों को प्रश्न पूछने का यह विशेष अवसर दिया है, ऐसा इस सदन में पहली बार हो रहा है, इसके लिए आपके प्रति बहुत-बहुत आभार.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न राजस्व से संबंधित है. खरीफ की, सोयाबीन की फसल में पीला मोजे़क नामक एक बीमारी लगी थी, जिसके कारण सोयाबीन की फसल पूर्णत: नष्ट हो गई थी. इसमें मैंने पूछा है कि इस संबंध में सर्वे करके कि इसमें कितना प्रतिशत नुकसान हुआ और इसमें क्या मुआवज़ा दिया गया है क्योंकि मेरे जिले की केवल एक तहसील सारंगपुर में इसका मुआवज़ा बंटा जबकि फसल पूरे जिले में खराब हुई थी. राजगढ़ विधान सभा में अधिकांशत: पूरी फसल नष्ट हो चुकी थी, इस संबंध में मैंने कई बार पत्र लिखा है और अनावरी रिपोर्ट की भी मांग की थी, कलेक्टर को भी लिखा कि मुझे रिपोर्ट उपलब्ध करवाई जाये लेकिन मुझे आज तक रिपोर्ट उपलब्ध नहीं करवाई गई है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न यह है कि सोयाबीन की फसल खराब हुई लेकिन किसानों को मुआवज़ा नहीं मिला, उनको मुआवज़ा मिलना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय- यह प्रश्न नहीं है, आपका, मंत्री जी से प्रश्न क्या है ?
श्री बापू सिंह तंवर- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न यह है मेरे क्षेत्र के अंतर्गत रबी और खरीफ की फसल खराब होने के कारण सर्वे में कितने किसानों को मुआवज़ा बांटना लंबित है, किसानों की संख्या सहित जानकारी प्रदान करें.
अध्यक्ष महोदय- माननीय मंत्री जी, सदस्य दो बिंदुओं पर जानकारी चाहते हैं.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत:- माननीय अध्यक्ष महोदय, 1 अप्रैल, 2020 से राजगढ़ विधान सभा क्षेत्र में रबी एवं खरीब की फसलें 25 प्रतिशत कम खराब होने का आंकलन आया है इसलिये उन्हें मुआवजा नहीं दिया गया है.
श्री राजवर्धन सिंह:- माननीय अध्यक्ष महोदय,..
अध्यक्ष महोदय:- माननीय सदस्य जी, मेरा आपसे अनुरोध है कि कृपया आप बैठ जाइये. आज मैं किसी को अनुमति नहीं दूंगा, जिसका प्रश्न है सीधा वही सवाल पूछेगा.
श्री बापूसिंह तंवर:- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य को भी इस बात की पीड़ा है कि उनकी विधान सभा में भी फसल खराब हुई और मेरी विधान सभा में फसल खराब हुई.
अध्यक्ष महोदय:- आप तो अपनी बात करें. आप उनकी पीड़ा की चिंता न करें आप अपना सवाल करें.
श्री बापूसिंह तंवर:- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह मेरे जिले का मामला है, इसमें मैं, आपका संरक्षण चाहता हूं. यह इस बात के गवाह हैं और हमने बार-बार ज्ञापन भी दिया, मुख्यमंत्री जी को भी ज्ञापन दिया कि हमारे यहां पर सोयाबीन खराब हुई और उस सोयाबीन को लेकर किसान कलेक्टोरेट में भी गये, लेकिन उन अधिकारियों के खिलाफ जो सर्वे करने वाली टीम थी, उन दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की जायेगी कि आखिर यह 25 प्रतिशत आंकलन कैसे आया और एक तहसील में 50 प्रतिशत से अधिक आंकलन कैसे आया ? मैं यह जानना चाहता हूं कि जिला वही है, जमीन वही है, सोयाबीन वही है और बीमारी वही है उसके बाद भी एक तहसील में 50 प्रतिशत से ज्यादा और बाकी तहसीलों में 25 प्रतिशत से कम ऐसा कैसे हो सकता है.
अध्यक्ष महोदय:- माननीय मंत्री जी, शायद इसकी जांच चाहते होंगे कि इसकी जांच हो जाये.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत:- माननीय अध्यक्ष महोदय, नुकसान जरूरी नहीं की सब जगह एक सा हो, कहीं कम होता है, कहीं ज्यादा होता है, कहीं खेतों में ज्यादा होता है, कहीं बाजू में ओले गिर जाते हैं बाजू में फसल सुरक्षित रह जाती है. सारंगपुर तहसील में 50 प्रतिशत से अधिक नुकसान हुआ था और वहां 20 करोड़ रूपये मुआवजा दिया भी गया है. आपके यहां आरबीसी- 6(4) में प्रावधान हैकि अगर 25 प्रतिशत से कम आंकलन होता है तो सरकार उसमें मुआवजा देने में सक्षम नहीं है, फिर भी यदि माननीय सदस्य कह रहे हैं तो हम इसकी जांच करा लेंगे.
अध्यक्ष महोदय:- ठीक है.
श्री बापूसिंह तंवर:- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक निवेदन और करना चाहता हूं कि इसमें मक्का की फसल बीमा में शामिल नहीं है. मैं आपके माध्यम से अनुरोध करना चाहूंगा हमारे यहां मक्का का उत्पादन ज्यादा होता है तो जब सोयाबीन का बीमा मिलता है तो सोयाबीन के साथ-साथ मक्के को भी बीमें में शामिल किया जाये.
अध्यक्ष महोदय:- अब आप बैठ जायें, आपकी बात आ गयी है.
किसानों को उपज का भुगतान
[खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण]
5. ( *क्र. 4293 ) श्री मेवाराम जाटव : क्या खाद्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या माह दिसम्बर 2020-21 में भिण्ड एवं मुरैना जिले के किसानों द्वारा बाजरा, मक्का की उपज सहकारी समितियों को समर्थन मूल्य पर बेची गई थी? (ख) यदि हाँ, तो क्या किसानों को उनकी बेची गई उपज की राशि का भुगतान कर दिया गया है? यदि नहीं, तो कितने किसानों को कितनी राशि का भुगतान किन कारणों से नहीं किया गया है? (ग) किसानों की बकाया राशि का भुगतान कब तक कर दिया जायेगा?
खाद्य मंत्री ( श्री बिसाहूलाल सिंह ) : (क) खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 में ई-उपार्जन पोर्टल पर पंजीकृत किसानों से समर्थन मूल्य पर बाजरा का उपार्जन सहकारी समितियों द्वारा किया गया है। (ख) समर्थन मूल्य पर उपार्जित बाजरा का स्वीकृत मात्रानुसार कृषकों को भुगतान किया जा चुका है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) प्रश्नांश (ख) के उत्तर के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री मेवाराम जाटव:- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे विधान सभा में बोलने का दूसरी बार मौका प्रश्न के माध्यम से मिला है और यह मौका आपकी असीम अनुकम्पा से मिला है. क्योंकि आपने प्रथम बार के चुनकर आये विधायकों की तकलीफ को महसूस किया है, जिसके चलते आपने नये विधायकों के लिये नवाचार प्रारंभ कर नये विधायकों के तारांकित प्रश्न सोमवार को शामिल करने का निर्णय लिया है. इसके कारण ही आज मेरा प्रश्न चर्चा में आया है और मैं अपेक्षा करता हूं यह व्यवस्था आगे भी बनी रहे.
अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न भिण्ड, मुरैना जिले की उपज बाजरा के उपार्जन का भुगतान किये जाने से संबंधित है, क्योंकि जिस समय मैंने यह प्रश्न लगाया था, उस समय किसानों के बेचे गये बाजरे की राशि का भुगतान नहीं हुआ था. अब मेरे प्रश्न लगाये जाने के बाद सरकार सक्रिय हुई किसानों को बाजरे की राशि का भुगतान किया गया, जैसा कि प्रश्न के उत्तर में बताया गया है. मैं मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि इस प्रकार से सरसों, गेहूं,चना आदि फसलों का समय-सीमा में भुगतान किये जाने की व्यवस्था सुनिश्चित की जायेगी, क्योंकि पिछले वर्ष मैंने देखा कि किसानों को 6- 6 माह तक विक्रय की गयी उपज का भुगतान नहीं किया गया था. क्या आगामी उपज गेहूं, चना और सरसों आदि का किसानों द्वारा विक्रय की उपज का भुगतान निश्चित समय-सीमा में किया जायेगा ?
श्री बिसाहूलाल सिंह:- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो बाजरा के संबंध में प्रश्न किया था, हमने सभी किसानों का भुगतान कर दिया था और दूसरा जो माननीय सदस्य का सुझाव है कि चाहे गेहूं हो,चना हो या अन्य फसल हो सब किसानों का समय-सीमा में भुगतान किया जायेगा.
श्री मेवाराम जाटव:- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपका संरक्षण चाहता हूं कि मैंने विधान सभा में तारांकित प्रश्न भी लगाया और ध्यानाकर्षण भी लगाया है. मेरे गोहद विधान सभा के संबंध में, मैंने माननीय मंत्री जी जल संसाधन से भी बात की. लेकिन आज तक पूरी गेहूं फसल सूख गई है. अभी वहां धरना प्रदर्शन चल रहा है.
गर्भगृह में प्रवेश एवं वापसी
श्री मेवाराम जाटव सदस्य द्वारा गर्भगृह में प्रवेश एवं वापसी
श्री मेवाराम जाटव--अध्यक्ष महोदय, इस समस्या को लेकर के मैं विधान सभा में धरने पर बैठ रहा हूं ताकि इस समस्या का समाधान किया जाये.
(तारांकित प्रश्न संख्या 5 किसानों के उपज का भुगतान संबंधी प्रश्न पर श्री मेवाराम जाटव, सदस्य द्वारा शासन के उत्तर से असंतुष्ट होकर गर्भगृह में आकर धरना दिया) डॉ. गोविन्द सिंह, सदस्य की समझाइश पर थोड़ी देर में अपने आसन पर वापस गये.
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर (क्रमशः)
आपकी सरकार आपके द्वार कार्यक्रम अंतर्गत शिविरों का आयोजन
[राजस्व]
6. ( *क्र. 4645 ) श्री आलोक चतुर्वेदी : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) आपकी सरकार आपके द्वार कार्यक्रम के अंतर्गत छतरपुर विधानसभा के ग्रामीण क्षेत्रों में कहां एवं किन-किन दिनांक को शिविरों का आयोजन किया गया? (ख) प्रश्नांश (क) के अनुक्रम में इन शिविरों में प्राप्त आवेदन एवं उन पर की गई कार्यवाही तथा प्रत्येक आवेदक का नाम, पता सहित विस्तृत जानकारी प्रदाय करें। (ग) प्रश्नांश (ख) के अनुक्रम में प्रश्न दिनांक तक लंबित आवेदनों की संख्या कारणों सहित प्रदाय करें।
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) छतरपुर विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत शासन के निर्देश के अनुक्रम में आपकी सरकार आपके द्वार कार्यक्रम ग्राम पंचायत सुकवां एवं ग्राम पंचायत पडरिया में क्रमश: दिनांक 01.08.2019 एवं दिनांक 28.01.2020 को आयोजित किये गये। (ख) प्रश्नांश (क) के अनुक्रम में जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) प्रश्नांश (ख) के अनुक्रम में प्रश्न दिनांक तक ग्राम पंचायत सुकवां में कुल प्राप्त 214 आवेदन पत्रों में से 21 आवेदन पत्र का तत्काल निराकरण किया गया एवं 184 आवेदन पत्रों का शिविर उपरांत निराकरण किया गया। शेष 9 आवेदन पत्र लंबित स्थिति में हैं। ग्राम पंचायत पडरिया में कुल प्राप्त 246 आवेदन पत्रों में से 24 आवेदन पत्रों का तत्काल निराकरण किया गया एवं 51 आवेदन पत्रों का शिविर उपरांत निराकरण किया गया। 171 आवेदन पत्र लंबित स्थिति में हैं। प्राप्त आवेदन पत्रों का संबंधित विभागों द्वारा सत्यता परीक्षण कराये जाने के कारण आवेदन पत्र लंबित हैं।
श्री आलोक चतुर्वेदी--अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न आपकी सरकार आपके द्वार कार्यक्रम के तहत है उसमें जो प्रकरण आये उसमें दो कैम्प हुए. दोनों कैम्प दिनांक 19-20 को हुए. उसमें प्रकरण आज की तारीख तक लंबित हैं. जो जानकारी जिले में मांगी जाती है उसमें जवाब मिलता है कि प्रचलन में है और सदन में जानकारी मांगी जाती है तो वही जिले की जानकारी जो इसमें मिल रही है. मैं कई उदाहरण दे सकता हूं कि वह असत्य है. दूसरा इसमें पुनः जवाब में आ गया है कि सत्यता का परीक्षण कराये जाने के कारण आवेदन-पत्र लंबित हैं. पहले वहां प्रचलन में चलती रही और अब यहां सत्यता का प्रमाण तलाशा जा रहा है उसका परीक्षण कराया जा रहा है उसमें एक डेढ़ साल में आपकी सरकार आपके द्वार के कार्यक्रम में जो प्रकरण लंबित रहे उसमें आज तक निराकरण नहीं हो पाया. दूसरी तरफ शासन यह कहता है कि हम अंतिम छोर के अंतिम व्यक्ति तक राहत पहुंचाने का काम कर रहे हैं. मेरा प्रश्न यह है कि इसमें निराकरण क्यों नहीं हुए हैं ? और जो निराकरण नहीं हुए हैं उसमें बहुत छोटे छोटे प्रकरण हैं जैसे फोती नामांतरण आपके बी.पी.एल. से संबंधित जो कैम्प में आपके यहां पर आवेदन आये उसका निराकरण एक डेढ़ साल में नहीं हो सकता है तो क्या कर्मचारियों एवं अधिकारियों की जवाबदेही तय नहीं होनी चाहिये, जबकि हम सुशासन की बात करते हैं ? जैसे पटवारी हैं, सचिव है.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत--अध्यक्ष महोदय, आपकी सरकार आपके द्वार कार्यक्रम में ग्राम पंचायत सुकवां एवं पडरिया में कैम्प लगाये गये थे जिसमें 460 आवेदन प्राप्त हुए थे. प्राप्त आवेदनों में 45 आवेदन का शिविर में उसी दिन निराकरण हो गया था. 235 आवेदनों का निराकरण बाद में किया. 180 आवेदन निराकरण के लिये लंबित थे उसमें 124 आवेदनों का निराकरण हो चुका है. केवल 56 आवेदन लंबित हैं, जिन पर कार्यवाही की जा रही है. इसमें क्या होता है कि बहुत सारे आवेदन बी.पी.एल.के आते हैं. बी.पी.एल. के आवेदन के लिये अपील करने का एस.डी.ओ.के यहां पर अधिकार है, उसमें आप दे दें. उसमें भी बहुत कम आवेदन बचे हैं माननीय सदस्य जी कह रहे हैं तो उसमें कार्यवाही कर लेंगे.
श्री आलोक चतुर्वेदी--अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने बताया. मैं उनके संज्ञान में लाना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय--आपके पास इस तरह के आवेदन हों तो बतायें.
श्री आलोक चतुर्वेदी--अध्यक्ष महोदय, मैं इस तरह के आवेदन नहीं बता रहा हूं. इसका जवाब बता रहा हूं कि जवाब में क्या मिला है. जवाब में है कि पंच का मानदेय का भुगतान किया गया उसके खाते की मेरे पास में नकल है. आज की तारीख में उनके खाते में पैसा नहीं पहुंचा है. तो इस तरह का जवाब सदन में सदस्य को मिलना, यह एक सोचनीय विषय है कि गलत जानकारी दी जायेगी. मैं दूसरा उदाहरण देता हूं कि आशाराम पाठक के नाम पर...
अध्यक्ष महोदय--इसमें दो बाते हैं. आप जिस तरह की समस्या बता रहे हैं उसको आप लिखकर के दे दें कि आप जिस तरह की समस्या बता रहे हैं उसका निराकरण कर लेंगे. दूसरे जो विधान सभा में असत्य जानकारी दी जा रही है, उसमें भी दूसरे नियम हैं.
श्री आलोक चतुर्वेदी--अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन केवल इतना है कि डेढ़ साल में जो कार्यवाही नहीं हुई है जो कर्मचारी अधिकारियों की जवाबदेही है, उन पर मंत्री जी कार्यवाही करें तथा उनकी निश्चित रूप से जवाबदेही तय होनी चाहिये. मेरा केवल इतना अनुरोध है.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत--अध्यक्ष महोदय, मात्र 56 प्रकरण रह गये हैं जिनका जल्दी से जल्दी निपटारा किया जा रहा है. माननीय सदस्य जी को किसी विशेष प्रकरण पर सुझाव है तो मुझे लिखकर के दे दें. मैं आपसे लिखित में लेकर के उसकी जांच करवा लूंगा.
ब्यावरा विधानसभा क्षेत्रांतर्गत रेत खनन हेतु स्वीकृत पटटे
[खनिज साधन]
7. ( *क्र. 1443 ) श्री रामचन्द्र दांगी : क्या खनिज साधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) राजगढ़ जिले की ब्यावरा विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत जो रेत खनन की जा रही है, उसमें ठेकेदार को खनन हेतु कुल कितने पट्टे हैं? रकबा नंबर व स्थान सहित जानकारी उपलब्ध कराएं। (ख) ठेकेदार द्वारा अलग-अलग किन स्थानों पर से कितनी-कितनी रॉयल्टी जमा की गई है व ठेकेदार द्वारा ठेका प्रारंभ से आज तक कुल कितनी रसीद ठेकेदार द्वारा काटी गई है? रकबा नंबर सहित जानकारी उपलब्ध कराएं? (ग) क्या पर्यावरण की स्वीकृति ठेकेदार के पास है? (घ) क्या ठेकेदार द्वारा डुप्लीकेट रसीद जारी की जा सकती है? यदि नहीं, तो क्या उक्त रसीदों की जाँच करवाई जाएगी।
खनिज साधन मंत्री ( श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ) : (क) प्रश्नाधीन विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत रेत खदानों की जानकारी संलग्न परिशिष्ट पर दर्शित है। इनमें से ग्राम बेराड की खदान संचालित है। (ख) ठेकेदार द्वारा राजगढ़ जिला रेत समूह के खदानों की ठेके की देय किश्त राशि (रॉयल्टी सहित) 1.74 करोड़ जमा की गई है। संचालित रेत खदान ग्राम बेराड खसरा क्रमांक 239 रकबा 4.000 हेक्टेयर क्षेत्र पर 351 ई-टीपी जारी की गई है। (ग) प्रश्नांश (ख) में उल्लेखित संचालित रेत खदान की पर्यावरण स्वीकृति प्राप्त है। (घ) जी नहीं। प्रश्नांश (ख) में उल्लेख अनुसार सेण्ड पोर्टल से ई-टीपी जारी की गई है। अत: जाँच किये जाने का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री रामचन्द्र दांगी - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न राजगढ़ जिले में अवैध उत्खनन को लेकर है. राजगढ़ जिले में इस समय, पूरे जिले में सारी नदियों में अवैध उत्खनन हो रहा है. मुझे लगता है कि सरकार ने लूट की खुली छूट दे रखी है. मैने प्रश्न किया है कि कितनी कितनी जगह दी है तो उन्होंने कहा कि एक बेराड खदान पर काम चल रहा है, जबकि मैं कह सकता हूं कि सारी नदियों पर जितनी भी जगह है वहां सारी खदानों पर इस समय अवैध मशीनें चल रही हैं और पूरा जिला, जिला प्रशासन, कलेक्टर और खनिज अधिकारी मिले हुए हैं. दूसरी बड़ी समस्या यह है कि वहां छोटे छोटे किसान ट्रेक्टर लेकर के अपने कामों के लिए रेत लाते हैं और उनको पुलिस भी पकड़ती हैं और राजस्व विभाग के लोग भी पकड़ते हैं, दिन रात उनको पकड़ने के लिए घूमते रहते हैं, चूंकि वहां जिला प्रशासन उनको पकड़ने के बाद में 25 से 30 हजार रूपए का जुर्माना लगाते हैं, तो बीच में ही पुलिस और राजस्व वाले लोग उनसे 5-5, 10-10 हजार रूपए लेकर छोड़ते हैं. मेरा प्रश्न यह है कि उन्होंने कहा है कि एक ही खदान चल रही है, जबकि पूरे जिले में, ब्यावरा विधान सभा में हर नदी पर अवैध मशीनें चल रही है. हमने कई बार कलेक्टर को बोला, खनिज अधिकारी को बोला है, लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं है. मेरा अनुरोध है कि उसकी जांच की जाए और उनक खिलाफ कार्यवाही की जाए.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो प्रश्न किया था वह जिले का न करके ब्यावरा का किया था, लेकिन जिले की उन्होंने बात कही है. ब्यावरा में इनकी एक खदान जो मैंने अपने जवाब में दिया हूं कि जो बेराड खदान है, वह इनके ब्यावरा विधान सभा के अंतर्गत चल रही है. दूसरी जो खदान है वह सारंगपुर में सईदाबाद जो अभी चालू हुई है, कल ही उसमें टी.पी. जारी हुई है. मैं यह मानता हूं कि वहां पर जो काम चल रहे हैं, वह वैधानिक रूप से चल रहे हैं, उसमें कोई भी अनियमितताएं नहीं हो रही हैं, सफल निविदाकार वहां पर कार्य कर रहे हैं.
श्री रामचन्द्र दांगी - माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी बेराड़ की बात कर रहे हैं, ब्यावरा विधान सभा में सेमलापार, रामगढ़ कई नदियों पर अवैध उत्खनन चल रहा है, मेरे पास फोटोग्राफ भी है. दूसरा जो ठेकेदार है वह नकली रसीदें दे रहा है, और नकली रसीदों से वसूल कर रहे हैं, ओरिजनल रसीद नहीं दे रहा है, उसके भी मेरे पास प्रमाण है.
अध्यक्ष महोदय - आप यह सब मंत्री जी को दे दीजिए.
श्री रामचन्द्र दांगी - मैं अनुरोध करुंगा कि उसकी जांच करायी जाए. मंत्री जी से चाहूंगा कि क्या वे आश्वासन देंगे जांच करवाने का, अवैध खनन रोकेंगे क्या.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह - माननीय अध्यक्ष जी, सरकार अवैध उत्खनन पर पूरा काम कर रही है. मैंने ब्यावरा और राजगढ़ जिले के भी प्रकरण बनाए हैं. यदि माननीय सदस्य कहेंगे तो हम उसको दिखवा लेंगे. जहां तक वह पर्ची की बात है वह लोडिंग पर्ची है, जो वह खदान में जाने के लिए दी जाती है, लेकिन जैसे ही गाड़ी निकलती है, वह ई.टी.पी. के माध्यम से जनरेट होकर उसको पिटपास दिया जाता है. लेकिन इसके बाद भी यदि माननीय सदस्य को ऐसा लगता है और ऐसी कोई जानकारी उनके पास हो तो हमें उपलब्ध करवा दें, हम उसका परीक्षण करवा देंगे.
श्योपुर विधानसभा क्षेत्रांतर्गत नवीन सायलो केन्द्र की स्थापना
[खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण]
8. ( *क्र. 3535 ) श्री बाबू जण्डेल : क्या खाद्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला श्योपुर की विधानसभा क्षेत्र श्योपुर में गेहूं की फसल की बम्पर पैदावार को देखते हुये क्या नवीन गेहूं खरीदी केन्द्र/सायलोकेन्द्र प्रस्तावित किये गये हैं? यदि हाँ, तो कहां-कहां पर? सूची उपलब्ध करावें। यदि नहीं, तो क्यों? (ख) क्या श्योपुर वि.स. क्षेत्र के कृषक साइलोकेन्द्र नागदा, सलमान्या से भौगोलिक दृष्टि से दूर करीब सैकड़ों ग्रामों के कृषकों को अपनी उपज विक्रय करने के लिये पन्द्रह से बीस किलोमीटर दूर से उक्त दोनों साइलो केन्द्रों के उबड़-खाबड़ सड़कों से होकर अपनी गेहूं की उपज विक्रय के लिये जान जोखिम में डालकर आना जाना पड़ता है तथा नागदा सायलो केन्द्र पर चम्बल नहर के खराब रास्ते के कारण विगत वर्षों में किसानों के ट्रेक्टर ट्रॉली नहर में गिरने से किसानों के मरने की घटना घटित हुई है? क्या उपज बेचने में करीब 2 से 4 दिन का समय लगता है, जिससे उन्हें अतिरिक्त भाड़ा भी चुकाना पड़ता है एवं कृषकों को लाभ की बजाय हानि हो रही है? (ग) यदि हाँ, तो उक्त वर्णित समस्याओं के समाधान के लिये शासन/प्रशासन द्वारा कोई योजना एवं तैयारी की गयी है? यदि हाँ, तो क्या? यदि नहीं, तो कारण बतावें। (घ) कृषकों की समस्याओं के समाधान हेतु क्या शासन प्रशासन विगत वर्ष 2020-21 की भांति वि.स. श्योपुर में संचालित साइलो केन्द्र नागदा एवं सलमान्या से पृथक कर नवीन संचालित किये गये खरीदी केन्द्र जलालपुरा, आसीदा, गोहेड़ा, सोईकलां, नागरगांवड़ा तथा नयागांव तेहखण्ड, बोरदादेव, लुहाड़, यथावत रखेंगे? यदि हाँ, तो सूची उपलब्ध करावें? यदि नहीं, तो क्यों?
खाद्य मंत्री(श्री बिसाहूलाल सिंह) -
श्री मनोज चावला - पूरे रतलाम जिले में अवैध खनन ठेकेदारों द्वारा कराया जा रहा है और सारे अधिकारियों से मिलीभगत है, हर महीने सबका बंधा हुआ है, क्षिप्रा और चम्बल में पूरा खनन किया जा रहा है.
श्री बाबू जण्डेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपका संरक्षण चाहता हूं. मेरे द्वारा चाही गई जानकारी तारांकित प्रश्न 3535 के जवाब में मंत्री महोदय द्वारा जवाब में कहा गया कि उक्त प्रश्न की जानकारी संकलित की जा रही है. जानकारी कब तक दी जाएगी, जबकि हमारे श्योपुर क्ष्ोत्र में गेहूं की बम्पर खेती है, हमारे यहां गेहूं और धान के अलावा न उद्योग न ही नौकरी का कोई चारा नहीं है. बम्पर खेती होने के कारण हमारे क्षेत्र में दो सायलो केन्द्र हैं. ये 30 से 35 किलोमीटर की दूरी पर है और सड़क उबड़-खाबड़ है, इसके कारण एक किसान की 2018-19 में मौत हो चुकी है जिसमें माननीय मंत्री जी ने जवाब दिया कि इसमें कोई किसान की मौत नहीं हुई है. नईदुनिया में खबर दी है कि चन्दपुरा निवासी भूपेन्द्र सिंह 36 साल, पुत्र विजय सिंह नागर बुधवार गेहूं बेचने नागदा सायलो केन्द्र आया था नम्बर नहीं आने के कारण दो दिन से ट्रेक्टर ट्राली को कतार में खड़ा करके अपनी बारी का इंतजार कर रहा था. माननीय से निवेदन है कि हमारे श्योपुर में दो सायलो केन्द्र स्थापित किए गए हैं, मैं माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि स्थापित किए गए हैं या नहीं और 2018-19 में मेरे द्वारा जो 37 संस्था बढ़ाई गई थी तो वह संस्था स्थगित रहेगी या स्वीकृत रहेगी.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी, दोनों प्रश्नों के उत्तर दें.
श्री बिसाहूलाल सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारा एक केन्द्र खरीदी का है, शासन के नियम के अनुसार 25 किलोमीटर के अन्दर होना चाहिए जबकि 15 किलोमीटर पर एक खरीदी केन्द्र है और जहां तक यह जो मृत्यु की घटना है. मैं माननीय सदस्य को बताना चाहूँगा कि लोक निर्माण विभाग के प्रश्न पर, हमारे लोक निर्माण विभाग के माननीय मंत्री जी ने आश्वस्त किया है कि जो नहर के किनारे, जहां पर रोड बनी है, वहां पर रोड को स्वीकृत किया जायेगा तो यह काम प्राथमिकता पर लोक निर्माण विभाग करेगा. जहां तक मृत्यु का प्रश्न है तो कोई भी व्यक्ति हमारी जानकारी में ऐसा नहीं है कि गेहूँ बेचते समय उसकी मृत्यु हुई हो. दूसरी बात, मैं माननीय सदस्य को बताना चाहूँगा कि 15 किलोमीटर में ही गेहूँ बेचने का प्रावधान है और वहां ही हमने केन्द्र बनाया है. यह कहना गलत है कि 15 किलोमीटर अगर कोई किसान गेहूँ बेचने जाता है तो उसको 4 दिन लगते हैं. उसको 4 दिन नहीं लगते हैं बल्कि एक-डेढ़ दिन में वह वहां जाकर गेहूँ बेच सकता है.
श्री बाबू जण्डेल - मान्यवर, मैं मंत्री महोदय जी से पूछना चाहता हूँ कि सायलो के लिये किसान किराये से ट्रेक्टर लाते हैं, उनको 4 दिन का किराया लगता है. उसका कारण यह है कि जो सायलो वाले रिजेक्ट कर देते हैं और वे किसानों से परसेंट मांगते हैं, प्रति ट्रॉली 1,000 - 2,000 रुपये मांगते हैं, जो किसान उन्हें नहीं देते हैं, उनका रिजेक्ट किया जाता है, फिर उनका तीन-चार दिन में नंबर लगता है.
अध्यक्ष महोदय - माननीय सदस्य जी, आपका उत्तर आ गया है.
श्री बाबू जण्डेल - अध्यक्ष महोदय, जो दुर्गति किसान की हुई है, यह उसका प्रमाणिकरण है एवं रोड के लिये जो माननीय मंत्री जी ने स्वीकृति दी है, उसके लिये मैं उनको धन्यवाद देता हूँ. अगर रोड नहीं सुधरी तो फिर किसानों की मृत्यु हो सकती है.
बौद्ध विहार हेतु भूमि का आवंटन
[राजस्व]
9. ( *क्र. 4465 ) श्री अर्जुन सिंह काकोडि़या : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्नकर्ता के पूर्व तारांकित प्रश्न क्र. 460, दिनांक 29.2.2020 के प्रश्नांश (क) में जानकारी दी गयी थी कि ग्राम भरवेली जिला बालाघाट में माईन लीज़ की अवधि 2020 तक होने से बौद्ध विहार हेतु भूमि आवंटित नहीं की जा सकती? उक्त अवधि उपरान्त क्या वर्ष 2021 में भूमि आवंटन हेतु शासन द्वारा कोई कार्यवाही की गई है? (ख) यदि हाँ, तो कब तक भूमि आवंटित की जाएगी? यदि नहीं, तो क्या? इसके लिये पुन: मांग पत्र अनुशंसा पत्र प्रस्तुत करने होंगे?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) जी नहीं। आवेदित भूमि पर माईन लीज़ दिनांक 30.06.2022 तक स्वीकृत है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) प्रश्नांश (क) के उत्तर के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री अर्जुन सिंह काकोडि़या - माननीय अध्यक्ष जी, बहुत-बहुत धन्यवाद. मेरा बौद्ध समाज की भावनाओं से जुड़ा हुआ एक बड़ा महत्वपूर्ण प्रश्न है, उसका जो जवाब मुझे मिला है, ऐसा लग रहा है कि उसको गंभीरता के साथ नहीं लिया गया है. मैं उस जवाब से असंतुष्ट हूँ.
माननीय अध्यक्ष महोदय जी, भरवेली जहां माइन्स हैं, वहां नवयुवक बौद्ध समिति के लोगों ने एक बौद्ध विहार की मांग की थी, वे बाबा साहेब अम्बेडकर और गौतम बुद्ध के अनुयायी हैं, बहुत बड़े मंदिर के निर्माण की बात नहीं थी, उनको एक छोटी सी जगह चाहिए थी और इस संबंध में, वहां से हमारे सम्माननीय एवं माननीय लोगों के भी पत्र हैं,. बालाघाट के सम्माननीय सांसद जी ने भी अनुरोध किया था, हमारे पूर्व खनिज मंत्री सम्माननीय श्री प्रदीप जायसवाल जी ने भी लिखा था, हमारे वर्तमान माननीय मंत्री नानू कावरे जी हैं, इन्होंने भी अनुरोध किया था, खनिज विभाग से भी पत्र आया था. राजस्व विभाग से पत्र आया था कि इनको वहां पर बौद्ध विहार के लिये जमीन आवंटित की जाये.
अध्यक्ष महोदय - माननीय सदस्य, आप प्रश्न कीजिये.
श्री अर्जुन सिंह काकोडि़या - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न यह है कि अभी बालाघाट के सांसद जी ने जो पत्र लिखा, माननीय मंत्री महोदय और माननीय विधायकों ने जो पत्र लिखे, राजस्व विभाग से जो पत्र आया, खनिज विभाग से जो पत्र आया, उसके ऊपर कोई भी कार्यवाही क्यों नहीं की गई है ? और अभी वहां वर्तमान में काफी मंदिर भी हैं, कुछ जगह अवैध निर्माण भी हो रहा है लेकिन इन्हें सिर्फ यह कहकर कि माइन्स लीज में होने के कारण यह जमीन आपको आवंटित नहीं की जा सकती है, यह गलत है तो अभी तक जमीन आवंटित क्यों नहीं की गई ?
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य द्वारा भखेली की जिस भूमि पर मंदिर बनाने के लिये जो प्रश्न किया गया है, उस जगह की माइनिंग लीज मैग्नीज ऑफ इंडिया लिमिटेड को वर्ष 1962 में दी गई थी, जिसकी लीज अभी वर्ष 2022 तक है. इस प्रकार से जो लीज किसी कंपनी के नाम पर है, उसमें मैं समझता हूं कि किसी अन्य चीज को बनाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है.
श्री अर्जुन सिंह काकोडि़या -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जिस जमीन की बात माननीय मंत्री महोदय कर रहे हैं, वह अभी रिक्त पड़ी हुई है और वहां पर लीज की जो जमीन है, वहां पर दूसरे धर्मों के मंदिर स्थापित है और दूसरे भवनों का भी निर्माण हो रहा है. उसमें संबंधित जिले के तहसीलदार का भी प्रतिवेदन है कि वहां पर दिया जा सकता है, क्योंकि वहां एक बहुत बड़ा मंदिर नहीं बनना है. एक बौद्ध बिहार जहां पर वह धर्म की बात करेंगे, प्रार्थना की बात करेंगे तो यह बड़ा गंभीर विषय है. इसलिये मैं चाहता हूं कि यह लीज के तहत भी दिया जा सकता है तो इसमें आप जरा स्पष्ट निर्देश दे दें.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जब कोई भी जगह किसी पर्टिकुलर कंपनी की है, उसमें अगर मंदिर का निर्माण कर भी लिया है तो वैसे भी वह अवैध है, अब चूंकि हो गया है तो वह वैध नहीं है, लेकिन अब माननीय सदस्य चाहते हैं कि उसके लिये जगह आवंटित की जाये तो वह जगह माइनिंग लीज समाप्त होने के बाद बौद्ध बिहार हेतु जो मंदिर माननीय सदस्य चाहते हैं, उस पर हम विचार करेंगे.
श्री अर्जुन सिंह काकोडि़या -- माननीय अध्यक्ष महोदय.
अध्यक्ष महोदय -- अब हो गया है, आप बैठ जायें, उन्होंने सीधा बता दिया है कि वह कब करेंगे.
सागर जिले की बीला बांध परियोजना निर्माण कार्य की जाँच
[जल संसाधन]
10. ( *क्र. 5289 ) श्री तरबर सिंह : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विषयांकित नहर का निर्माण कार्य स्वीकृत सर्वे व डिजाइन ड्राईंग के अनुसार पूर्ण हुआ है? क्या शासन इस तथ्य का सत्यापन करेगा कि नहर का निर्माण स्वीकृत डिजाइन ड्राईंग के अनुसार ही हुआ है? (ख) क्या बीला पोषक नहर का स्वीकृत डिजाइन के अनुसार जमीन पर वास्तविक निर्माण नहीं किया गया है, केवल कागजों में नियमों की पूर्ति की गई है, इस कारण से बांध में योजना के अनुसार जल संग्रहण नहीं हो रहा है? निर्माण में भारी पैमाने पर भ्रष्टाचार व सरकारी धन की बर्बादी हुई है? यदि हाँ, तो क्या सरकार इन आरोपों की जाँच कराएगी? यदि हाँ, तो कब तक?
जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) जी हाँ। बीला बांध एवं नहर परियोजना का निर्माण कार्य वर्ष 1973 में पूर्ण किया गया था। सामान्य वर्षा की स्थिति में परियोजना से निर्मित क्षमता के अनुरूप सिंचाई की जा रही है। विगत पांच वर्षों में की गई सिंचाई की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) जी नहीं। बीला पोषक नहर का निर्माण बीला बांध के भराव हेतु किया जाना प्रतिवेदित है। बीला पोषक नहर से विगत वर्षों में बांध में जल संग्रहण की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र "ब" अनुसार है। बीला पोषक नहर निर्माण के संबंध में लोकायुक्त संगठन को प्राप्त शिकायत में उल्लेखित अभिकथन सही नहीं पाये जाने से प्रकरण संगठन स्तर पर दिनांक 20.03.2018 को समाप्त किया गया। अत: शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है।
श्री तरबर सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे विधानसभा के अंतर्गत वर्ष 1980 के पहले एक बीला बांध बनाया गया था और लगातार कम वर्षा होने के कारण वह भर नहीं रहा था, जिससे किसानों को पानी नहीं मिल रहा था, उस चीज को लेकर वर्ष 2013-14 में एक बीला पोषक नहर का निर्माण कराया गया था, जो कि वास्तव में जिस उद्देश्य को लेकर नहर का निर्माण कराया गया था, उस उद्देश्य के हिसाब से उसका काम नहीं हुआ है. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री महोदय जी से पूछना चाहता हूं कि इसमें जो भ्रष्टाचार हुआ है, क्या इसकी वह जांच करायेंगे और क्या उसमें सम्मिलित अधिकारी और ठेकेदार उनके ऊपर क्या कार्यवाही करवायेंगे?
श्री तुलसीराम सिलावट -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सम्माननीय सदस्य को मैं स्पष्ट कराना चाहता हूं कि तत् को दृष्टिगत रखते हुए वर्ष 2011 में बीला जलाशय से लगभग 30 किलोमीटर दूरी पर बाकरई नदी पर वेयर स्टाप डेम बनाकर नदी के पानी को रोका गया तथा लगभग 26 किलोमीटर की लंबी पोषक नहर बनाकर नदी के लगभग 16 एम.सी.एम. पानी को बीला जलाशय में डालने की योजना बनाई गई, ताकि जलाशय की क्षमता का पूर्ण उपयोग किया जाकर सिंचाई के लिये अधिक से अधिक पानी उपलब्ध कराया जा सके. यह योजना वर्ष 2016 में पूर्ण हो चुकी थी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जहां तक माननीय सदस्य ने भ्रष्टाचार की बात है,तो इस संबंध में मैं आपके माध्यम से बताना चाहता हूं कि बीला पोषक नहर की योजना में न तो किसी प्रकार का भ्रष्टाचार हुआ है और न ही किसी प्रकार से शासकीय धन की बर्बादी हुई है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से सदन को बताना चाहता हूं कि इस योजना के भ्रष्टाचार के संबंध में प्राप्त एक शिकायत की जांच लोकायुक्त संगठन द्वारा की गई थी, जो असत्य पाये जाने पर दिनांक-20-03-2018 को नस्तीबद्ध कर दी गई है, इससे इस तथ्य की पुष्टि होती है कि इस योजना में किसी प्रकार की अनियमितताएं नहीं की गई हैं.
श्री तरबर सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी को अधिकारियों ने जो जानकारी दी है वह गलत है, वास्तव में उस नहर के माध्यम से जो बाकरई नदी को काटकर, यह जो बीला पोषक नहर बनाई गई है, उसका जितना पानी जैसा कि माननीय मंत्री महोदय ने बोला है कि 18 एम.सी.एम. पानी उसके माध्यम से बीला बांध तक पहुंचाया जाना था लेकिन उतना पानी नहीं जा रहा है, क्योंकि उसमें जितनी खुदाई होनी थी उतनी उसकी खुदाई नहीं की गई और जहां पर जितना पुराव होना था उतना पुराव नहीं किया गया. इसमें वास्तव में माननीय अध्यक्ष महोदय, भ्रष्टाचार हुआ है, मैं इसकी जांच चाहता हूं.
श्री तुलसीराम सिलावट-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से सम्मानीय सदस्य को अवगत कराना चाहता हूं कि पोषक नहर जल की प्राप्ति वर्षा की मात्रा पर निर्भर करती है, मुझसे बेहतर आपको पता है, सामान्य वर्षा होने पर अपेक्षित जल प्रवाहित होता है, किंतु वर्षा कम होने के कारण जल की प्राप्ति कम होती है. 26 किलोमीटर की जो पोषक नहर है, जो केचमेंट एरिया है वह किसानों के बीच में से होकर उस बांध तक पहुंचती है, इसलिये पानी की कमी का कारण है और जब लोकायुक्त जांच कर चुका है फिर कुछ बचता ही नहीं है.
मनावर को जिला बनाने की कार्यवाही
[राजस्व]
11. ( *क्र. 4176 ) डॉ. हिरालाल अलावा : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रश्नकर्ता द्वारा मनावर को जिला बनाने के लिए माननीय मुख्यमंत्री महोदय को पत्र सं. 610/एम.पी.-एम.एल.ए./2020, दिनांक 28.08.2020, पत्र सं. 89/एम.पी.-एम.एल.ए./2020, दिनांक 04.02.2020, पत्र सं. 63/एम.पी.-एम.एल.ए./2020, दिनांक 18.01.2020 पोस्ट एवं ईमेल द्वारा अवगत कराया गया? उक्त पत्रों पर कार्यवाही का ब्यौरा दें। (ख) जिला बनाने के लिए क्या मानक तय किए गए हैं? क्या मनावर जिला बनाने के मानकों को पूरा करता है? (ग) क्या धार जिला मुख्यालय की दूरी डही, कुक्षी, मनावर, गंधवानी तहसील क्षेत्र से 140 कि.मी. से 90 कि.मी. तक होने के कारण लोगों को काफी आर्थिक, मानसिक नुकसान उठाना पड़ता है? क्या मनावर को जिला बनाने से लोगों को इन समस्याओं से निजात मिल सकती है? (घ) क्या मनावर विधानसभा क्षेत्र के ग्राम गणपुर, मांडवी, देवलरा समेत अनेक गांव से जिला मुख्यालय धार की दूरी लगभग 90 कि.मी. से अधिक और कुक्षी विधानसभा क्षेत्र के ग्राम गांगपुर, कवड़ा, कातरखेड़ा आदि की दूरी 140 कि.मी. से अधिक है? (ड.) प्रश्नांश (क) से (घ) के परिप्रेक्ष्य में क्या शासन मनावर को जिला बनाने की कोई योजना बना रहा है? यदि हाँ, तो योजना का विस्तृत ब्यौरा दें। यदि नहीं, तो विधिसम्मत कारण बताएं।
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) माननीय मुख्यमंत्री कार्यालय, मध्यप्रदेश मंत्रालय, वल्लभ भवन भोपाल के पत्र क्रमांक 873/सी.एम.एस./एम.एल.ए./199/2020 भोपाल दिनांक 06.2.2020 के अनुक्रम में विभाग द्वारा मनावर को जिला बनाने के संबंध में कलेक्टर, जिला धार से अभिमत सहित प्रतिवेदन चाहा गया है। (ख) जिला बनाये जाने हेतु मानक निर्धारित नहीं है। प्रभावी व समुचित प्रशासन, जनसामान्य की सुविधा तथा संसाधनों की उपलब्धता के आधार पर नवीन जिलों का सृजन किया जाता है। शेष प्रश्नांश उदभूत नहीं होता। (ग) जी हाँ। जी हाँ। (घ) जी हाँ। (ड.) मनावर को जिला बनाने के संबंध में कलेक्टर जिला धार से प्रस्ताव/प्रविवेदन चाहा गया है। शेष प्रश्नांश उदभूत नहीं होता।
डॉ. हिरालाल अलावा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आज नये विधायकों को आपने यह अवसर प्रदान किया, इसके लिये धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय-- सीधा प्रश्न करें जिससे और सदस्यों के भी प्रश्न आ जायें.
डॉ. हिरालाल अलावा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके इस कदम से नये विधायकों को अवसर तो मिल ही रहा है साथ में उनका आत्मविश्वास बढ़ाने की दिशा में आपका यह प्रयास सराहनीय है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से प्रश्न पूछना चाहता हूं, मैंने प्रश्न में मनावर को जिला बनाने के संबंध में पत्राचार किया था और पूछा था कि जिला बनाने के लिये क्या-क्या क्राइटेरिया होना चाहिये और क्या-क्या मापदण्ड निर्धारित किये गये हैं. माननीय मंत्री जी के जवाब में 2 जनवरी को जिला कलेक्टर धार को पत्राचार के माध्यम से अभिमत चाहा गया है, उनका यह जवाब है, आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी को अवगत कराना चाहता हूं कि नया जिला बनाने के लिये उस क्षेत्र के ढांचागत विकास के साथ-साथ उस क्षेत्र की जनता को प्रशासनिक दृष्टि से सुविधा प्रदान करना एक प्रमुख उद्देश्य होता है.
अध्यक्ष महोदय-- आप सीधा प्रश्न कीजिये.
डॉ. हिरालाल अलावा-- मेरा प्रश्न यह है कि नये जिले के लिये 1 लाख हेक्टेयर से ज्यादा का रकवा होना चाहिये, हमारे विधान सभा में प्रस्तावित जिले का रकवा 4 लाख हेक्टेयर है और जो 30 किलोमीटर से ज्यादा की दूरी होना चाहिये, हमारे मनावर से धार की दूरी 75 किलोमीटर है.
अध्यक्ष महोदय-- आप सीधा प्रश्न पूछें, क्या चाहते हैं.
डॉ. हिरालाल अलावा-- मैं माननीय मंत्री जी से चाहता हूं कि क्या मनावर को जिला बनाने के लिये आने वाले समय में इसके लिये जल्द से जल्द कदम उठाये जायेंगे कि क्षेत्र की जनता को प्रशासनिक स्तर पर सुविधा मिल सके.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मनावर को जिला बनाने के संबंध में माननीय सदस्य ने क्षेत्र की जनता को ध्यान में रखकर कलेक्टर, धार को पत्र लिखा है और पत्र का अभिमत सहित प्रतिवेदन आ जायेगा उस पर विचार कर लेंगे.
खरगोन विधानसभा क्षेत्रांतर्गत संचालित सहकारी संस्थाएं
[सहकारिता]
12. ( *क्र. 4692 ) श्री रवि रमेशचन्द्र जोशी : क्या सहकारिता मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) खरगोन विधानसभा क्षेत्र में सहकारिता विभाग के अधीनस्थ कितनी संस्था, सोसायटी, समितियां (आदिम जाति सेवा सहकारी संस्था) संचालित हैं? नाम, पता सहित सूचीवार जानकारी देवें। (ख) उक्त संस्था, समितियां, सोसायटियों में विगत 5 वर्षों में खाद (फर्टिलाइजर) परिवहन में कितना खर्च किया गया? वर्षवार जानकारी देवें। क्या इतने खर्च में उक्त संस्था, समिति, सोसायटियों में लोन लेकर खुद का खाद गोडाउन निर्मित किया जा सकता है? यदि हाँ, तो उक्त संस्थाओं, सोसायटियों, समितियों द्वारा अभी तक क्या कोई कार्यवाही की गई है? यदि नहीं, तो क्यों? संस्था, समिति, सोसायटीवार कारण सहित जानकारी देवें। (ग) प्रश्नांश (क) अनुसार वर्तमान में सहकारिता विभाग के अधीनस्थ सस्थाओं, समितियों, सोसायटियों के जो कर्मचारी कार्यरत हैं, क्या उनकी नियुक्तियां नियमानुसार की गईं हैं? यदि नहीं, तो कर्मचारीवार कारण सहित विवरण देवें?
सहकारिता मंत्री ( डॉ. अरविंद सिंह भदौरिया ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट प्रपत्र-2 अनुसार है। खरगौन विधानसभा क्षेत्र की सभी प्राथमिक संस्थाओं में पर्याप्त गोदाम एवं भण्डारण क्षमता है, इसलिये अतिरिक्त गोदाम निर्माण की आवश्यकता नहीं है। अतः शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) जी हाँ। नियमानुसार नियुक्तियां की गई हैं।
श्री रवि रमेशचन्द्र जोशी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं. मेरा प्रश्न यह है कि क्या खरगोन विधान सभा क्षेत्र में सोसायटियों में खाद गोडाउनों की आवश्यकता नहीं है, अगर नहीं है तो हम लाखों रूपये सोसायटियों के माध्यम से भाड़ा क्यों दे रहे हैं और भाड़ा दे रहे हैं उसके साथ-साथ नये गोडाउनों का निर्माण हो रहा है, नये गोडाउनों के अलावा मेरी विधान सभा क्षेत्र का गोडाउन जहां स्वीकृत हुआ था उसको उठाकर और किसी विधान सभा क्षेत्र में ट्रांसफर कर दिया गया है एक, दूसरा उसी प्रश्न में मेरा निवेदन है कि क्या को-ऑपरेटिव की सोसायटियों में कई लोगों को नियम विरूद्ध वर्ष 2013 के बाद नौकरी पर रखा है, आपके द्वारा जो उत्तर दिया गया है कि नहीं रखा गया है, लेकिन आपके उत्तर में बैंक का उल्लेख कर दिया गया है कि बैंक में नहीं रखा. मेरा निवेदन सोसायटियों से है. अगर रखा गया है तो माननीय अध्यक्ष जी आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन है कि तत्काल उसकी, जैसा आपने मंदसौर विधायक जी के मामले में बोला था कि एक माह में जांच करा लूंगा, फिर मैं निवेदन कर रहा हूं कि आप एक महीने में जांच करायें, दोषियों को सजा दें और उन पर कार्यवाही करें.
डॉ. अरविंद सिंह भदौरिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, खरगोन विधान सभा क्षेत्र में सहकारिता विभाग के अधीनस्थ 15 संस्थायें हैं जिसमें 35 उर्वरक वितरण केन्द्र संचालित होते हैं. सभी अधीनस्थ 15 संस्थाओं में अधिकतम 1490 मीट्रिक टन उर्वरक का भण्डारण पाया गया लेकिन कुल मिलाकर 41 गोदाम हैं. उन गोदामों में जो क्षमता है 6540 मीट्रिक टन, तो इसीलिये वह पर्याप्त है. मुझे ऐसा लगता है. यह इनके पहले प्रश्न का उत्तर है. दूसरा माननीय विधायक महोदय ने कहा है तो कुल मिलाकर ऐसे 15 कर्मचारी रखे गये थे. तो आपको एक महीना कहने की जरूरत नहीं है माननीय जोशी जी. जैसा यशपाल सिसोदिया साहब ने कहा था. आप सभी के कहने की वजह से 10 लोगों को तत्काल हटाकर उनके लेटर बुला लिये, जो मैं आपको दे दूंगा और ऐसे 5 लोग हैं जो माननीय उच्च न्यायालय के स्टे के आधार पर हैं. मैंने उनको भी पत्र लिखा क्योंकि 2 साल हो गये. उच्च न्यायालय के स्टे में भी 6 महीने बाद पुन: उनको एक बार जाना चाहिये था, तो उनको भी पत्र लिख दिये. वह पत्र भी आपको उपलब्ध करा देंगे. जैसी माननीय विधायक जी की मंशा है. शिवराज जी की सरकार में दृढ़ संकल्पित होकर हम काम कर रहे हैं.
श्री रवि रमेशचन्द्र जोशी - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा स्पष्ट कहना है कि उन सोसायटियों के जो दूर के गांव हैं, 8-8कि.मी. तक, उन गांवों में गोडाउन बनाने के आदेश भी आप दें.
अध्यक्ष महोदय - आपका स्पष्ट उत्तर आ गया. कृपया बैठिये.
अवैध उत्खनन के प्रकरणों को कलेक्टर द्वारा शून्य/माफ किया जाना
[खनिज साधन]
13. ( *क्र. 3291 ) श्री सुनील सराफ : क्या खनिज साधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) दिनांक 01.01.2019 से 31.03.2020 तक कलेक्टर अनूपपुर द्वारा अवैध उत्खनन एवं परिवहन के कितने प्रकरणों में अवैध उत्खननकर्ता एवं परिवहनकर्ता को लाभ पहुंचाते हुए शून्य या माफ कर दिए गए हैं? (ख) ऐसे समस्त प्रकरणों का विवरण तथा कारण बतावें। (ग) क्या इनका पुनर्परीक्षण कराया जाएगा? यदि नहीं, तो कारण बतावें कि अवैध उत्खननकर्ताओं एवं अवैध परिवहनकर्ताओं को संरक्षण क्यों दिया जा रहा है?
खनिज साधन मंत्री ( श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ) : (क) जी नहीं। (ख) एवं (ग) प्रश्नांश (क) में दिए गए उत्तर के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
श्री सुनील सराफ - माननीय अध्यक्ष महोदय, सर्वप्रथम आपको आभार के आपने हम प्रथम बार के विधायकों की चिंता की. आपने नवाचार किया. मेरा सवाल माननीय खनिज मंत्री जी से था. पहले भी इस सदन में यह इसके पहले भी हो चुका है. बड़े दुख का विषय है कि जवाब ऐसे आते हैं कि हमने सवाल ही गलत लगाया है. माननीय मंत्री जी का जवाब है कि जी नहीं. मेरे पास प्रमाण हैं कि हमारे अनूपुर जिले में अवैध परिवहन, अवैध उत्खनन, अवैध भण्डारण की राशि बाद में माफ की गई और शून्य की गई यह मेरे पास प्रमाण हैं क्या मंत्री जी बताने की कृपा करें कि सच्चाई क्या है और ऐसी असत्य जानकारी देने वालों पर क्या कार्यवाही करेंगे.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह - अध्यक्ष महोदय, इसमें असत्य जानकारी देने का कोई औचित्य नहीं है और जहां तक इन्होंने एक टाईम पीरियेड जनवरी से मार्च तक की बात पूछी है कि कितने प्रकरण आपके निराकृत हुए हैं या रजिस्टर्ड हुए हैं तो 324 प्रकरण इसमें रजिस्टर्ड हुए हैं और 306 उसमें से निराकृत हुए हैं और उसमें अर्थदण्ड 82 लाख 26 हजार से ऊपर वसूला गया है. रही माननीय सदस्य की बात तो उसमें से 3 प्रकरण हैं जो उन्होंने शून्य की बात कही है तो शून्य नहीं उनको नस्तीबद्ध करके समाप्त किया गया है जो कलेक्टर महोदय के द्वारा किया गया है. 2 उसमें परिवहन के, एक अवैध उत्खनन का मामला है और जो कलेक्टर ने अपनी अपील में और जो उनके न्यायालय में चल रहा था तो उन्होंने डिसीजन लिया है.
श्री सुनील सराफ - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा सवाल यही है कि कलेक्टर सक्षम है. मैंने यही पूछा था कि कितने प्रकरणों को कलेक्टर ने अपने अधिकार का उपयोग करते हुए शून्य किया है. मंत्री जी जो कह रहे हैं कि नस्तीबद्ध किया गया वह उसी की तो दूसरी भाषा हुई ना. जब जुर्माना माईनिंग विभाग ने लगाया. कलेक्टर ने आदेश पारित किया उसके बाद उसको शून्य या नस्तीबद्ध किया गया. एक प्रकरण ऐसा है जिसमें 40 लाख रुपये का आदेश कलेक्टर ने ही पारित किया बाद में उसी कलेक्टर ने उसको 1 लाख रुपये करके नस्तीबद्ध कर दिया तो क्या यह सरकारी पैसों का गबन नहीं है.
अध्यक्ष महोदय - कोई विशेष जानकारी होतो आप मंत्री जी को दे दीजियेगा. वे परीक्षण करा लेंगे.
श्री सुनील सराफ - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहता हूं.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह - अध्यक्ष महोदय, जहां तक अवैध उत्खनन की बात माननीय सदस्य ने कही है कि जिसका कि 1 लाख जुर्माना हुआ था. जो माईनिंग विभाग की तरफ से प्रस्तावित किया गया उसको फिर नस्तीबद्ध किया गया है. नियम में यह प्रावधान भी है कि यदि कोई आजू-बाजू की खदान पर कोई भी अवैध उत्खनन होता है, यदि संबंधित लीज होल्डर शिकायत करता है तो उसकी जिम्मेवारी नहीं होगी.
श्री सुनील सराफ - माननीय अध्यक्ष महोदय, उसके ऊपर एक केस बना. 40 लाख रुपये के उस पर वसूली के आदेश जारी हुए.
अध्यक्ष महोदय - आप जवाब ले लीजिये. वे जवाब दे रहे हैं ना.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह - अध्यक्ष महोदय, वह जो केस बना उसी की सुनवाई जिला न्यायालय में कलेक्टर महोदय ने की उसमें विधिवत उनके भी बयान लिये गये. उसमें जो कार्यवाही की गई, क्योंकि यह बोला गया कि यह अवैध उत्खनन उसके द्वारा किया गया. तो उसने एक सूचना दी,जो कि चौकी में आपके सूचना दी थी कि साहब हमारे बगल में जो अवैध उत्खनन हो रहा है, उसको बंद कराया जाये. यदि उसने सूचना दी है और अवैध उत्खनन की बात उसने कही है,तो हम यह नहीं कह सकते हैं कि यह उसका अवैध उत्खनन है. जब वह खुद ही कह रहा है कि हमारे बगल में जो अवैध उत्खनन चल रहा है, उसको बंद किया जाये और इसलिये उसकी जांच हुई, उसी पर माननीय कलेक्टर महोदय ने निराकरण किया है. यदि माननीय सदस्य जो बोल रहे हैं कि पहले 40 लाख का बना, फिर 1 लाख का हुआ. यदि ऐसी कुछ उनके पास चीजें, तथ्य हैं, आप मुझे उपलब्ध करवा दें, मैं परीक्षण करा लूंगा.
अध्यक्ष महोदय -- हो गया, आप दे दीजिये, वे उसका परीक्षण करा लेंगे.
श्री सुनील सराफ -- जी. अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
अतिवृष्टि से प्रभावित फसलों का मुआवज़ा भुगतान
[राजस्व]
14. ( *क्र. 3169 ) श्री विजय रेवनाथ चौरे : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्नकर्ता के विधानसभा क्षेत्र सौंसर के जिन किसानों की दिनांक 28.08.2020 एवं 29.09.2020 की अतिवृष्टि एवं भीषण बाढ़ से हानि हुई थी, उनमें से कितने किसानों को कितना प्रतिशत मुआवज़ा प्रदान किया गया? कितना अभी बाकी है? बचा हुआ मुआवज़ा कब तक दिया जायेगा? (ख) उक्त विधानसभा क्षेत्र सौंसर में कन्हान नदी तथा अन्य नदियों में आयी भीषण बाढ़ हजारों किसानों की फसलें तथा किसानों के खेतों से नदी द्वारा उपजाऊ भूमि खदेड़ कर ले गई, कई किसानों के खेतों में रेत के ढेर लग गये? जिम्मेदार प्रशासन के अधिकारी को पत्र लिखे जाने के बाद भी खेतों के गड्ढे समतलीकरण एवं रेत के ढेर हटाने की कार्यवाही क्यों नहीं की गयी? (ग) क्या अतिवृष्टि एवं भीषण बाढ़ की जानकारी प्रशासन द्वारा किसानों को पूर्व में नहीं देना चाहिए था? (घ) उक्त बिन्दुओं पर कार्यवाही कब तक की जावेगी?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) अतिवृष्टि एवं भीषण बाढ़ से प्रभावित कुल 3092 कृषकों को 33 प्रतिशत के मान से प्रथम किश्त की राहत राशि 2,02,89,476/- रूपये प्रदान की जा चुकी है। वितरण हेतु राहत राशि 4,11,93,784/- रूपये शेष है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। (ख) प्रशासन द्वारा खेतों का समतलीकरण एवं रेत के ढेर हटाने का कोई प्रावधान नहीं है। (ग) मौसम विभाग द्वारा समय-समय पर आम सूचनाएं जारी की जाती हैं। (घ) उत्तरांश (क) से (ग) के परिप्रेक्ष्य में शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री विजय रेवनाथ चौरे -- अध्यक्ष महोदय, गत वर्ष मेरी विधान सभा में अगस्त माह में भीषण बाढ़ और आपदा के कारण किसानों को भारी फसलों का नुकसान हुआ है. मैंने मंत्री जी से प्रश्न पूछा था कि कितना मुआवजा दिया गया, कितना बाकी है और वह मुआवजा कब तक देंगे. इसके बारे में मुझे उत्तर मिला है, मेरा सिर्फ सीधा सीधा मंत्री जी से प्रश्न यह है कि जो बचा हुआ किसानों का मुआवजा है, वह कब तक दिया जायेगा. दूसरा प्रश्न यह है कि मेरी विधान सभा में पिछले साल जो बाढ़ आई, 90 और 95 साल के जो बुजुर्ग हैं, वह भी यह कहते हैं कि हमने अपने जीवन काल में इतनी भीषण बाढ़ और इतनी बड़ी त्रासदी कभी अपने जीवन में नहीं देखी. इतनी बड़ी त्रासदी केवल फसल ही बहाकर नहीं ले गई, फसल के साथ साथ जमीन भी खदेड़ कर ले गई और नदी ने दिशा बदल दी. मैं सिर्फ इतना निवेदन करना चाहता हूं कि जिन किसानों के खेतों में रेत के ढेर लग गये, फसलें बर्बाद हो गईं, जिन किसानों के खेतों को नदी खदेड़कर ले गयी, जिन किसानों के खेतों में बड़े बड़े गड्ढे हो गये, क्या मनरेगा की योजना के माध्यम से या किसी अन्य योजना के माध्यम से सरकार या प्रशासन के द्वारा उनके खेत का समतलीकरण किया जायेगा. क्या किसी अन्य योजना के माध्यम से उनकी भूमि उपजाऊ बनाई जायेगी, इस पर मुझे संतोषजनक लिखित जवाब नहीं मिला है, मंत्री जी यह बताने का कष्ट करें.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत-- अध्यक्ष महोदय, जो इन्होंने मुआवजे की बात कही है, वह 2 करोड़ 3 लाख रुपया मुआवजा पहले दिया जा चुका है और दूसरी किश्त मुआवजे की हम जल्दी जारी कर रहे हैं, मार्च के आस पास इसी महीने में.
श्री विजय रेवनाथ चौरे -- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी समय बता दें.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत-- अध्यक्ष महोदय, मैंने कहा न कि मार्च के आस पास. इसी महीने.
अध्यक्ष महोदय --प्रश्न संख्या -15
श्री विजय रेवनाथ चौरे -- अध्यक्ष महोदय, मेरा एक और प्रश्न है. मेरे दो प्रश्न थे.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत-- अध्यक्ष महोदय, इनके प्रश्न जायज हैं, मैं आपसे अनुमति चाहता हूं. इनके यहां बहुत बड़ी बाढ़ आई थी और बाढ़ से खेतों में बहुत ज्यादा रेत जम गई है, जिससे कई किसान बहुत परेशान हैं, करीब 2 हजार किसान, तो मैंने कलेक्टर से बात की है और कलेक्टर से कहा है कि आप इनकी रेत भी हटवाइये और मनरेगा से जितना संभव हो सके, इनकी खेतों को भर दीजिये और इसके अलावा आरबीसी 6(4) के अनुसार जिनकी जमीन 5 एकड़ से कम है, उनको 12,200 रुपये हेक्टेयर के हिसाब से हम मुआवजा भी देंगे.
अध्यक्ष महोदय -- सब आ गया, प्रश्न संख्या 15, श्री संजीव सिंह जी.
भिण्ड जिले में दी गई अनुकम्पा नियुक्तियां
[राजस्व]
15. ( *क्र. 1392 ) श्री संजीव सिंह : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्ष 2020 में तत्कालीन कलेक्टर भिण्ड के द्वारा कितनी अनुकम्पा नियुक्ति की गई? (ख) क्या उक्त अनुकम्पा नियुक्तियों की अनुमति राज्य शासन द्वारा ली गई? यदि नहीं, तो क्या यह नियम है कि अनुकम्पा नियुक्ति शासन की अनुमति की प्रत्याशा में की गई? यदि नहीं, तो उक्त अधिकारी के विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई? (ग) उक्त अनुकम्पा नियुक्ति किन-किन विभागों में की गई? क्या उन विभागों में पद रिक्त थे? यदि नहीं, तो दोषी अधिकारियों के विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) वर्ष 2020 में कलेक्टर भिण्ड द्वारा 18 अनुकम्पा नियुक्ति की गई। (ख) जी नहीं। उक्त अनुकम्पा नियुक्तियां सामान्य प्रशासन विभाग के परिपत्र दिनांक 29.09.2014 निहित प्रावधान के प्रकाश में की गईं हैं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) उक्त अनुकम्पा नियुक्तियां राजस्व विभाग, नगर पालिक गोहद, नगर परिषद फूप, दबोह, मिहोना, उप कोषालय मेहगांव, शिक्षा विभाग एवं जनपद पंचायत भिण्ड में रिक्त पदों पर की गई। जी हाँ। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री संजीव सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी से यह जानना चाहता हूं कि वर्ष 2020 में तत्कालीन कलेक्टर के द्वारा भिण्ड में कितनी अनुकम्पा नियुक्ति की गई.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत-- अध्यक्ष महोदय, कलेक्टर के द्वारा जो अनुकम्पा नियुक्ति की गई, माननीय सदस्य का सीधा प्रश्न का मैं उत्तर दे देता हूं. शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग में रिक्त पद नहीं थे, जिस कारण से तत्कालीन कलेक्टर ने मूल विभाग में पद न होने के कारण राजस्व विभाग में अनुकम्पा नियुक्तियां दी थीं. सहायक ग्रेड 3 में तत्कालीन कलेक्टर द्वारा अनुकम्पा नियुक्तियां दी गई हैं.
श्री संजीव सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मैंने सीधा सीधा पूछा है कि कितनी की गई हैं, टोटल कितनी अनुकम्पा नियुक्तियां की गईं.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत-- अध्यक्ष महोदय, दो अनुकम्पा नियुक्ति दी गई हैं, दोनों ही राजस्व विभाग में दी गई हैं.
श्री संजीव सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने हमारे जवाब में दिया है, पुस्तक में लिखा है कि 2020 में इनके द्वारा 18 अनुकम्पा नियुक्तियां की गईं. आप कह रहे हैं कि 2 अनुकम्पा नियुक्ति की गईं हैं. अब इसमें दिक्कत क्या है. आप कह रहे हैं कि 2 अनुकम्पा की गई हैं और इसमें आप 18 लिख रहे हैं. यह तो बताइये, हम सही क्या मानें.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत-- अध्यक्ष महोदय, 2020 में 18 अनुकम्पा नियुक्तियां दी गईं, लेकिन आप सीधा प्रश्न कर लीजिये कि आप क्या चाहते हैं.
श्री संजीव सिंह -- अध्यक्ष महोदय, 2020 में यह तो आपदा में अवसर वाली बात हुई. 2020 में पूरा देश कोरोना से लड़ रहा था और हमारे भिण्ड के तत्कालीन कलेक्टर अनुकम्पा नियुक्तियों में व्यस्त थे. किन विभागों में अनुकम्पा नियुक्ति की गईं, हमने पूछा कि आपने शासन से अनुमति ली, आपने कहा कि नहीं ली. आपने एक दिनांक 29.9.2014 के निहित प्रावधान का इसमें हवाला दिया है.
अध्यक्ष महोदय -- आप सीधा प्रश्न पूछ लीजिये. मैं उत्तर दिलवा देता हूं.
श्री संजीव सिंह -- अध्यक्ष महोदय, प्रश्न का जब जवाब ही नहीं आयेगा. प्रश्न का जवाब तो आ जाने दीजिये.
अध्यक्ष महोदय -- आप प्रश्न पूछिये ना.
श्री संजीव सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मैंने पूछा, तो आपने बताया है कि दिनांक 29.9.2014 के निहित प्रावधान के प्रकाश में की गईं. उस निहित प्रावधान में साफ लिखा है कि शासन की अनुमति के बगैर कोई भी अनुकम्पा नियुक्ति नहीं की जा सकती. अध्यक्ष महोदय, आपने अनुकंपा नियुक्ति शासन की अनुमति की प्रत्याशा में की, कैसे की? जिन विभागों में पद नहीं थे, उन विभागों में आपने अनुकंपा नियुक्ति की, भ्रष्टाचार करके अनुकंपा नियुक्ति की, आपका इसमें क्या जवाब है? मैं इसमें स्पष्ट अभिमत चाहता हूं.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत - अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य से कह रहा हूं कि आप सीधा प्रश्न कर लें, जलेबी जैसा प्रश्न घुमाफिरा क्यों रहे हैं? शिक्षा विभाग में और स्वास्थ्य विभाग में अनुकंपा नियुक्ति दी गई, आपका प्रश्न है कि प्रत्याशा में दी गई हैं. अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2008 में अनुकंपा नियुक्ति के जो प्रावधान थे, उसमें पीआरसी प्रमुख राजस्व आयुक्त को अधिकृत किया गया था, बाद में वर्ष 2018 में कलेक्टर को अनुकंपा नियुक्ति के लिए अधिकार हैं और उसने प्रत्याशा में जो लिखा है, नहीं लिखना चाहिए था. कलेक्टर को अधिकार थे और दो विभागों में जगह नहीं थी, इसलिए राजस्व विभाग में उसको सहायक ग्रेड तीन पर नियुक्ति की गई.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्नकाल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त)
12.01 बजे नियम 267-क के अधीन विषय
अध्यक्ष महोदय - निम्नलिखित माननीय सदस्यों की शून्यकाल की सूचनाएं सदन में पढ़ी हुई मानी जाएगी.
1. श्री पंचूलाल प्रजापति
2. श्री प्रियव्रत सिंह
3. श्री के.पी. सिंह कक्काजू
4. श्री प्रणय प्रभात पांडे
5. श्री संजय यादव
6. श्री सूबेदार सिंह सिकरवार रजौधा
7. श्री प्रताप ग्रेवाल
8. श्री संजय उईके
9. श्री प्रहलाद लोधी
10. श्री मनोज चावला
12.02 बजे शून्यकाल में मौखिक उल्लेख
(1) ग्वालियर में भू-माफियाओं द्वारा हजारों एकड़ भूमि पर कब्जा किया जाना
श्री सज्जन सिंह वर्मा (सोनकच्छ) - अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देने के लिए खड़ा हुआ हूं. आज इत्तेफाक से मुख्यमंत्री जी है नहीं, हाल ही मैं तीन बार इंदौर की यात्रा मुख्यमंत्री जी ने की और बड़ी बात उन्होंने कही कि भूमि माफियाओं को 10 फीट गड्ढे खोदकर गाढ़ दूंगा. अध्यक्ष महोदय, ग्वालियर तरफ हजारों एकड़ भूमि पर भू-माफियाओं ने कब्जा कर लिया है. माननीय मुख्यमंत्री जी ग्वालियर जाकर यदि इस तरह की घोषणा करें. सबसे बड़ा भूमि घोटाला जब पत्रिकाएं छाप रहे हैं मैं समझता हूं कि यह शर्म की बात है.
अध्यक्ष महोदय - आपकी बात आ गई है, श्री दिनेश राय मुनमुन.
श्री कांतिलाल भूरिया - अध्यक्ष महोदय, यह सरकार की कथनी और करनी में कितना अंतर है? आप देख लीजिए, एक तरफ तो हजारों करोड रुपये का घोटाला, सरकार कह रही है कि भू-माफियाओं को जमीन में गाढ़ दूंगा. यह दोहरी करनी है, यह नहीं होना चाहिए.
(व्यवधान)..
श्री पी.सी.शर्मा - अध्यक्ष महोदय, बहुत गड़बड़ियां हैं.
(2) सिवनी में नहर निर्माण कार्य के संबंध में कार्यवाही की जाना
श्री दिनेश राय मुनमुन (सिवनी) - अध्यक्ष महोदय, नहर का निर्माण कार्य चालू है. आपका संरक्षण चाहूंगा. मेरा कहना है कि वहां पर नहर का काम चालू है. ठेकेदार काम बंद करके भाग गया है. उसको अतिरिक्त भुगतान हो गया है, जिससे मेरे यहां की जनता में भारी आक्रोश है. माननीय मंत्री जी ने जांच भी कराई, दो अधिकारी सस्पेंड हो गये. लेकिन जो बड़े अधिकारी, बड़े मगरमच्छ हैं, उनको सस्पेंड नहीं किया गया है और मैं कहना चाहता हूं कि मेल्टाना कंपनी है (XXX), मैं चाहता हूं कि उसकी जांच करा लें और माननीय मंत्री महोदय स्वयं आकर निरीक्षण कर लें क्योंकि वहां पर जो ठेकेदार है वह कहता है कि 16 तारीख तक मशीन चलाना है और फिर विधान सभा खत्म. उसको यह मालूम हो गया है कि 20 तारीख तक विधान सभा खत्म हो जाएगी. मैं चाहता हूं कि उसमें कार्यवाही हो.
(3) पथरिया में सीतानगर बांध के किसानों को सिंचित भूमि का मुआवजा दिया जाना
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह (पथरिया) - अध्यक्ष महोदय, आपका बहुत धन्यवाद. मेरी विधान सभा में एक सीतानगर बांध बन रहा है, जिसमें गरीब किसानों की जगह उसमें ली गई है, लेकिन उनको सिंचाई का मुआवजा नहीं दिया गया, वह सिंचित है लेकिन असिंचित के पैसे उनको दिये गये हैं. मैं आपसे न्याय चाहती हूं, वह छोटे-छोटे किसान गरीब हैं, बेरोजगार हैं, उनके भूखों मरने के दिन आ जाएंगे, हमारा आपसे निवेदन है कि उनको सिंचित के पैसे दिये जायें, सिंचित का मुआवजा दिया जाय.
(4) नगर निगम चुनाव के लिए वोटर लिस्ट घर घर जाकर बनवाई जाना
श्री पी.सी. शर्मा (भोपाल दक्षिण-पश्चिम) - अध्यक्ष महोदय, शून्यकाल की मैंने सूचना दी है. नगर निगम के जो चुनाव होना है, उसकी जो वोटर लिस्ट बनी है, उसमें बहुत गड़बड़ियां हैं और वर्ष 2019 का जो लोकसभा का चुनाव हुआ था, उसको उसमें संलग्न करना चाहिए और घर-घर जाकर वोटर लिस्ट बने. यह मैंने सूचना दी है और मैं मांग कर रहा हूं.
नगर निगम चुनाव की वोटर लिस्ट घर घर जाकर बनाया जाना
श्री रामेश्वर शर्मा ( हुजूर ) -- माननीय अध्यक्ष महोदय पी सी शर्मा जी ने जो बात की है. आखिर लोकतंत्र में मतदाता ही हमारी तकदीर बनाता है. 2019 की लोक सभा चुनाव की जो वोटर लिस्ट है उसको आधार बनाना चाहिए. 10 साल पहले जो आदमी मर गया है वह आज जिंदा दर्शाया जा रहा है. वोटर लिस्ट में उसका नाम चल रहा है, 18 -19 वर्ष के लड़के हैं उनके वोटर लिस्ट में नाम नहीं जोड़े गये हैं. घर घर जाकर वोटर लिस्ट को लिपिबद्ध किया जाना चाहिए. एक घर में बाप बेटे मां बहू एक साथ रह रहे हैं उनको चार बूथों में डाल दिया गया है. इसलिए अध्यक्ष महोदय पीसी शर्मा जी ने जो सवाल उठाया है यह सब जगह है ग्राम पंचायतों में यह हालत है, नगर पंचायतों में यह हालत है, नगर निगमों में भी यही हालत है. इसलिए माननीय निर्वाचन आयोग को माननीय सदस्यों की भावना से अवगत कराना चाहिए कि वोटर लिस्ट घर घर जाकर बनाई जाय. आप सभी लोग बतायें अगर मैं गलत बोल रहा हूं. वोटर लिस्ट घर घर जाकर बनाना चाहिए...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- हां ठीक है. आपकी बात आ गई है. सभी इस बात से सहमत हैं.
उच्च शिक्षा मंत्री( डॉ मोहन यादव )-- अध्यक्ष महोदय मैं भी यही बात दोहराना चाहता हूं कि वोटर लिस्ट का अगर दोबारा से पुनरीक्षण हो जाय और 2019 की हमारी लोक सभा चुनाव की सूची है. अगर उसको ही एक बार आधार बना लेंगे तो ज्यादा अच्छा होगा.
अध्यक्ष महोदय -- शासन करेगा.
पीईबी द्वारा आयोजित परीक्षाओं में भ्रष्टाचार
श्री जितु पटवारी ( राऊ) -- अध्यक्ष महोदय एक बहुत ज्वलंत मुद्दा है. मध्यप्रदेश में दूसरा व्यापम का काण्ड चर्चाओ में है. मैं सरकार के सारे परिवार के लोगों से अनुरोध करता हूं कि यह पक्ष विपक्ष की लड़ाई नहीं है. सबसे पहले तो 10 लोगों की नियुक्ति हुई. यह प्रश्न डॉक्टर गोविंद सिंह जी ने इस पर ध्यानाकर्षण लगाया है. इसी में सारे साक्ष्य भी अलग अलग सम्मिलित हुए हैं. अखबारों में खबरें बनीं कि यह व्यापम की जो परीक्षा हुई है इसको निरस्त किया जायेगा फिर व्यापम के पोर्टल पर आया कि परीक्षा निरस्त नहीं होगी, त्रुटियों की जानकारी मांगी जायेगी. मेरा कहना है कि यह पूरा प्रकरण गोल मोल है. ऐसा लग रहा है कि फिर से सरकार के सानिध्य में जो नियुक्तियां हुई हैं उनको प्रमाणित करना है. मेरा आपसे अनुरोध है कि जो डॉ गोविंद सिंह जी ने ध्यानाकर्षण लगाया है उसको स्वीकार करें, सदन में इस पर चर्चा करायें. यह दूसरा काण्ड व्यापम का, मध्यप्रदेश का चेहरा कलंकित न हो इसके लिए हम सबकी जिम्मेदारी है इस पर आपसा सहयोग और मार्गदर्शन चाहिए.
अध्यक्ष महोदय -- बहुत हो गया है.शून्यकाल में वैसे भी दो सूचनाएं आती हैं..(व्यवधान) ( अनेक माननीय सदस्यों के एक साथ बोलने के लिए खड़े होने पर ..)
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को ( पुष्पराजगढ़ ) -- अध्यक्ष महोदय शहडोल जिले में पेपर मिल में श्रमिक अस्पताल चल रहा है वहां पर मूलभूत सुविधाएं न होने के कारण श्रमिक बहुत परेशान हैं कृपया व्यवस्था करवाएं...(व्यवधान)..
डॉ गोविन्द सिंह ( लहार ) -- माननीय अध्यक्ष महोदय पीईबी द्वारा जो गलत परीक्षाएं हुई हैं, इसमें पूरी तरह से भ्रष्टाचार हुआ है इसमें हमने आपसे अनुरोध भी किया था आपने कहा था कि चर्चा में लेंगे, लेकिन अभी तक लगातार आपसे और प्रमुख सचिव महोदय से अनुरोध कर रहा हूं. मेरा अनुरोध है कि कृपया इस पर व्यवस्था दे देंय
अध्यक्ष महोदय -- आप कक्ष में आइयेगा, हम बात करेंगे आपसे.
डॉ गोविन्द सिंह -- हम आपसे मिल चुके हैं चार बार बात हो चुकी है..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- आप आइये न कक्ष में बात करते हैं.
श्री जितु पटवारी -- अध्यक्ष महोदय इस पर ध्यानाकर्षण लगा है, स्थगन लगा है किसी भी रूप से चर्चा कराने के लिए आप आश्वासन आज ही दे दें....(व्यवधान).. इसमें कोई पक्ष विपक्ष की लड़ाई नहीं है.
अध्यक्ष महोदय -- मैंने उसको देख लिया है आप चिंता न करें. अवसर दीजिये..(व्यवधान)..
12.09बजे. पत्रों का पटल पर रखा जाना
छिंदवाड़ विश्वविद्यालय, छिंदवाड़ा का वर्ष 2019-20 का वार्षिक प्रतिवेदन एवं विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन का 63वां वार्षिक प्रतिवेदन
वर्ष 2019-20
(1)उच्च शिक्षा मंत्री ( डॉ. मोहन यादव ) -- अध्यक्ष महोदय मैं मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय अधिनियम, 1973 ( क्रमांक 22 सन् 1973 ) की धारा 47 की अपेक्षानुसार-
(क) छिंदवाड़ा विश्व विद्यालय छिंदवाड़ा (म.प्र.) का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2019-20 तथा
(ख) विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन (म.प्र.) का 63वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2019-20 पटल पर रखता हूं.
एम पी इण्डस्ट्रियल डेवल्पमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड का 40 वां वार्षिक प्रतिवेदन तथा लेखे वित्तीय वर्ष 2016-17, इण्डस्ट्रियल इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवल्पमेंट कार्पोरेसन (ग्वालियर) म.प्र. मर्यादित का 33 वां वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखा वर्ष 2017-18, मध्यप्रदेश प्लास्टिक सिटी डेवल्पमेंट कार्पोरेशन ग्वालिय, लिमिटेड का वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखा वर्ष 2017-18
औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन मंत्री ( श्री राजवर्धन सिंह प्रेम सिंह दत्तीगांव)-अध्यक्ष महोदय मैं कंपनी अधिनियम 2013 (क्रमांक 18 सन् 2013 की धारा 395 की उपधारा (1) (ख) की अपेक्षानुसार -
(क) एम पी इण्डस्ट्रियल डेवल्पमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड का 40 वां वार्षिक प्रतिवेदन तथा लेखे वित्तीय वर्ष 2016-17,
(ख) इण्डस्ट्रियल इन्फ्रास्ट्रक्चल डेवल्पमेंट कार्पोरेशन (ग्वालियर) म.प्र. मर्यादित का 33वां वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखा वर्ष 2017-18 तथा
(ग) मध्यप्रदेश प्लास्टिक सिटी डेवल्पमेंट कार्पोरेशन ग्वालियर, लिमिटेड का वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखा वर्ष 2017-18 पटल पर रखता हूं.
श्री जितु पटवारी -- अध्यक्ष महोदय, गृह मंत्री जी, क्या व्यापम वापस कराने की तैयारी चल रही है ? क्या आपका तो कोई इसमें हस्तक्षेप नहीं है ? यह भी बता दें आप. क्या है आपका इसमें, आखिर आप चुप क्यों हैं, मौन क्यों हैं, आपके अंदर की भावना क्या है ? बताइये आप.
डॉ. गोविंद सिंह -- यह असहाय हैं. गृह मंत्री की नहीं चल रही है. भ्रष्टाचारी और लोग हैं. भ्रष्टाचार करने वाला बहुत बड़ा व्यक्ति है पार्टी, सत्ता में बैठा है.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय ने कहा है कि कक्ष में मिल लें, आप नहीं जा पा रहे हैं.
डॉ. गोविंद सिंह -- गोपाल जी, मैं आपसे 3-4 बार निवेदन कर चुका हूं. मैंने लगातार कई बार कहा है.
श्री गोपाल भार्गव -- जब यह कहा जाय कि कक्ष में मिल लें इसका अर्थ यह है कि आप...
श्री जितु पटवारी -- गोल-मोल करना है.
डॉ. गोविंद सिंह -- हम आपका विश्वास करके बैठ रहे हैं चलो.
श्री जितु पटवारी -- नहीं, इसके लिये हमको बाहर चलना पड़ेगा. ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- माननीय सदस्य बैठ जाएं. श्री इन्दर सिंह परमार जी.
12.11 बजे बहिर्गमन
इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा सदन से बहिर्गमन किया जाना
डॉ. गोविंद सिंह (लहार) -- अध्यक्ष महोदय, आज सुनवाई नहीं हो रही है इसलिये कांग्रेस पार्टी इसका विरोध करती है, बहिर्गमन करती है और माननीय पूर्व नेता प्रतिपक्ष जी से निवेदन करती है कि इसमें कल चर्चा करा लें.
डॉ. मोहन यादव -- अभी तो आप बैठकर समर्थन कर रहे थे कि चलो गोपाल भार्गव जी ने बोला तो मान लिया.
(डॉ. गोविंद सिंह, सदस्य के नेतृत्व में इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा पी.ई.बी. द्वारा की गई नियुक्तियों के संबंध में दिये गये ध्यानाकर्षण पर चर्चा न कराये जाने के विरोध में सदन से बहिर्गमन किया गया)
12.12 बजे पत्रों का पटल पर रखा जाना (क्रमश:)
(3) मध्यप्रदेश राज्य सूचना आयोग का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017, 2018 एवं 2019
12.13 बजे ध्यानाकर्षण
सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.
श्री गोविंद सिंह राजपूत -- अध्यक्ष महोदय, डॉ. गोविंद सिंह जी गेट तक जाते हैं और नेता प्रतिपक्ष होते तो वह बर्हिगमन पर कुर्सी से नहीं उठते थे.
डॉ. गोविंद सिंह -- अध्यक्ष महोदय, आप चाहते हैं कि मैं परमानेंट चला जाऊं, आप सब पास कर लो. आप भ्रष्टाचार को दबाकर सबसे हॉं करा लो.
श्री गोविंद सिंह राजपूत -- आपको धन्यवाद. आप गेट तक जाते हैं, नेता प्रतिपक्ष कुर्सी से नहीं उठेंगे.
12.14 बजे
(1) प्रदेश के जिला चिकित्सालयों में आयुष्मान योजना के तहत उपचार पूर्व टेस्ट की सुविधा न होना
सुश्री हिना लिखीराम कावरे (लांजी) -- अध्यक्ष महोदय,
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री (डॉ. प्रभुराम चौधरी) -- अध्यक्ष महोदय,
सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रोविजन्स तो सारे हैं, मैंने जो क्वेश्चन किया था, वह गंभीर बीमारियों के लिए किया था क्योंकि इस योजना में जो दूसरी बीमारियां हैं, जैसे कैंसर गंभीर बीमारी तो है या अपेन्डिक्स के ऑपरेशन की बात हो या अल्सर के ऑपरेशन की बात हो या दूसरी किसी छोटी बीमारी के ऑपरेशन की बात हो, इसमें मरीजों को बहुत ज्यादा परेशान किया जाता है. एनेस्थिसिया के नाम पर या किसी दूसरे टेस्ट के नाम पर मरीजों से पैसे लिए जा रहे हैं. आपकी योजना में प्रोविजन सारे हैं, उसके बावजूद मरीजों से पैसे लिए जाते हैं और उनको ये तक हिदायत दी जाती है कि बाहर यदि किसी पत्रकार ने आपसे पूछा तो आपको नहीं बताना है. ये सब बातें हो रही हैं और वास्तव में ये घटना हो रही है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से यह जानना चाहती हूँ कि क्या जो 7 दिन में पैसे वापिस हुए हैं, आपने इसमें उत्तर दिया है, आपके उत्तर के अनुसार क्या ऐसे जो पैसे वापिस हुए हैं, क्या उनकी जानकारी आपके पास है ? यदि अभी नहीं है तो आप मुझे बाद में उपलब्ध करवा दीजिए, लेकिन मेरे ध्यानाकर्षण का, मेरे प्रश्न करने का मूल उद्देश्य यह है कि जो आप बता रहे हैं, वैसा वास्तविकता में नहीं हो रहा है ? अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी से जवाब दिलवा दीजिए.
डॉ. प्रभुराम चौधरी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्या ने जो यहां अवगत कराया है, मैंने 'आयुष्मान भारत' योजना की पूरी जानकारी आपके समक्ष यहां पर रखी है. आपने जो बताया कि कुछ अस्पताल ऐसे हैं, जो इसका पालन नहीं करते हैं. मैंने आपको अपने उत्तर में टोल फ्री नंबर दिए हैं. इन नंबरों पर कोई भी शिकायतें होती हैं तो उनकी प्रॉपर रूप से जांच होती है, जांच करने के बाद अगर कोई अस्पताल इसमें लिप्त पाया जाता है तो उसको पैनॉल्टी भी लगाई जाती है और उसको असंबद्ध भी किया जाता है. अगर पर्टिकुलर किसी अस्पताल की आपके पास कोई शिकायत है तो आप मुझे दे देंगी, मैं उस अस्पताल की भी जांच कराऊंगा, अगर दोषी पाए जाएंगे तो उनके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने माननीय मंत्री जी से सीधा सा जवाब मांगा है, अभी उनके पास जवाब नहीं भी है, लेकिन जिस हॉस्पिटल ने केवल आपके टेस्ट के लिए पैसे वापिस किए हैं, क्या उनकी पूरी जानकारी आप उपलब्ध करा पाएंगे. क्योंकि वह जानकारी हमारे लिए इसलिए जरुरी है क्योंकि ऐसा नहीं हो रहा है. फील्ड में ऐसा नहीं हो रहा है. यहां तक की पेशेंटों को धमकी दी जाती है कि यदि आपने पत्रकार या नेता के पास जाकर हमारी शिकायत की है तो आपको हम देख लेंगे, इस तरह की शिकायतें हो रही हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यह जानकारी आप देंगे ही, मुझे पूरा विश्वास है और उसके साथ में एक और बात कहना चाहती हॅूं कि अक्सर जो संबद्ध हॉस्पिटल हैं उनकी यह शिकायत होती है कि हमको पुराना पेमेंट नहीं हो रहा है. हमने भी कई बार विधायक होने के नाते, मैंने खुद दो-तीन हॉस्पिटल में कई बार ऐसी बात की है उन्होंने कहा कि आप पुराना पेमेन्ट दिलवा दीजिए. अभी तक हमें पुराना पेमेन्ट मिला नहीं है हम नये लोगों का उपचार कैसे करेंगे. यह बहुत गम्भीर शिकायत है. तो क्या आप उन संचालकों की एक पूरी बैठक करवाएंगे ? क्या उनके पैकेज और पेमेन्ट उन दोनों दिक्कतों को आप सुनेंगे ? मरीजों की भी दिक्कत और आपके हॉस्पिटल की दिक्कत. इन दोनों की बैठक करवाकर क्या कोई समाधान निकालेंगे ? क्योंकि समाधान तो इसमें है लेकिन फील्ड में नहीं है.
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री (डॉ.प्रभुराम चौधरी) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, दिनांक 14.3.2021 तक 691 करोड़ रुपए का भुगतान सम्बन्धित अस्पतालों को किया जा चुका है और जैसे ही जो बिल अस्पताल लगाते हैं उसकी पूरी जांच पड़ताल करने के बाद उनको भुगतान कर दिया जाता है. यदि कोई ऐसा अस्पताल माननीय सदस्य के संज्ञान में आया है कि उस अस्पताल का भुगतान नहीं हो पाया है तो तत्काल वह मुझे जानकारी दे दें, मैं तत्काल उसकी जांच कराकर जिस किसी अस्पताल का रुक गया है मैंने आपको बताया कि 691 करोड़ रुपए अभी तक दिनांक 14.3.2021 तक हम लोग भुगतान कर चुके हैं और जैसे ही बिल आते हैं उनका परीक्षण करने के बाद अस्पतालों को भुगतान कर दिया जाता है.
अध्यक्ष महोदय -- उनका दूसरा प्रश्न था कि क्या संचालकों की कोई बैठक करके उनकी समस्या को भी आप सुनेंगे ?
डॉ.प्रभुराम चौधरी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, 23 विषय विशेषज्ञों के अंतर्गत लगभग 1700 बीमारियों का पैकेज इसमें है. चाहे हृदय रोग हो..
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी, यह प्रश्न उनका नहीं है. उनका प्रश्न यह है कि अस्पताल के संचालक भी यह कहते हैं उनकी समस्या है.उनका प्रश्न यह है कि क्या उनकी भी कोई बैठक लेकर समस्या को भी सुनेंगे ?
डॉ.प्रभुराम चौधरी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अगर किसी संचालक की कोई समस्या है तो वह मुझसे मिल लें. मैं उनकी समस्या का निराकरण करा दूंगा.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- माननीय, मैंने सीधा सा प्रश्न किया था कि जिन पेशेन्टों का...
अध्यक्ष महोदय -- वह तो कह रहे हैं कि बैठक करेंगे.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- माननीय अध्यक्ष महोदय, वह उत्तर तो आया ही नहीं है.
अध्यक्ष महोदय -- वह कह तो रहे हैं ऐसी बात आयी है.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- माननीय, आपने हॉस्पिटल को जो पेमेन्ट किया है उसकी जानकारी आप दे रहे हैं. हॉस्पिटल ने मरीजों को जो किया है उसकी जानकारी का तो आपने नाम ही नहीं लिया है.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, वह यह कह रहे हैं कि संचालकों से इस तरह की कोई बात आती है, तो हम उनकी बैठक करेंगे.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- माननीय अध्यक्ष महोदय, दोनों मैटर अलग हैं. संचालकों की बैठक अलग मैटर है और जिन पेशेन्ट को ट्रीटमेंट का हॉस्पिटल ने पेमेन्ट किया है वह एक अलग प्रश्न किया है. पहली बात तो यह है कि मरीजों को बताया ही नहीं जाता कि आयुष्मान कार्ड के तहत आपको जो बीमारी है उसमें कितना खर्चा आया है, इसको स्पेसिफाई किया ही नहीं जा रहा है तो मेरा पूछने का यही मतलब है कि जिन पेशेन्टों को संबद्ध हॉस्पिटल ने पैसा वापस किया है क्या वह जानकारी आप हमें देंगे ?
डॉ.प्रभुराम चौधरी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो पेमेन्ट आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत हम लोग करते हैं वह अस्पताल को करते हैं और जो पेशेन्ट अस्पताल के अंदर एडमिट होते हैं उन्हें इस योजना का लाभ दिया जाता है और उन्होंने यदि 7 दिन पहले से उसी अस्पताल में इलाज कराया है, यदि उसका कोई भुगतान नहीं हुआ है तो पर्टीकुलर कोई आपके पास संज्ञान में आया है तो आप मुझे बता दें, मैं उनकी पूरी जॉंच करा लूंगा. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने माननीय सदस्य को बताया है.
12..23 बजे अध्यक्षीय घोषणा
कार्यसूची के पद क्रमांक 3 की उपधारा (2) में उल्लेखित ध्यानाकर्षण सूचना को आगामी कार्यदिवस में लिया जाना
अध्यक्ष महोदय -- आज की कार्यसूची के पद क्रमांक 3 की उपधारा (2) में उल्लेखित ध्यानाकर्षण सूचना के संबंध में प्रस्तुतकर्ता माननीय सदस्य श्री देवेन्द्र वर्मा ने किसी अस्वस्थता के कारण आगामी कार्यदिवसों में लेने का अनुरोध किया है. प्रथम प्रस्तुतकर्ता श्री बहादुर सिंह चौहान ने भी इस पर अपनी सहमति दी है. अत: इस सूचना को आगामी कार्यदिवसों में लिया जाएगा.
मैं समझता हॅूं कि सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.)
श्री बहादुर सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय रामेश्वर शर्मा जी के पास भी उनका फोन आया था और उन्होंने आग्रह किया है कि इसको अगले सत्र में ले लिया जाए.
अध्यक्ष महोदय -- हां, ठीक है. मैंने कहा, बात आ गई है. श्री जयवर्द्धन सिंह अपनी सूचना पढे़ं.
12.24 बजे ध्यानाकर्षण (क्रमश:)
(3) गुना जिले के राघोगढ़ क्षेत्र के अनेक ग्रामों को मुख्य सड़क मार्ग से न जोड़े जाने से उत्पन्न स्थिति
श्री जयवर्द्धन सिंह (राघोगढ़)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री(श्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया)-- माननीय अध्यक्ष जी, माननीय सदस्य ने जो ध्यानाकर्षण रखा है, उसकी वैसे तो आवश्यकता नहीं थी क्योंकि मैं राघौगढ़ का विशेष ध्यान रखता हूँ.
श्री जयवर्द्धन सिंह-- अध्यक्ष जी, इनको पहले उत्तर पढ़ना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय-- पहले उत्तर पढ़िए.
श्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया-- माननीय अध्यक्ष जी, गुना जिले के राघौगढ़ विधान सभा के राघौगढ़ विकासखण्ड अंतर्गत 8 ग्राम नटरीयाई, पिपरोदा, महमूदनगर, जैतपुर, नारायणपुरा, रघुनाथपुरा, कांकरवास एवं इकोदिया को मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना अंतर्गत एकल संपर्कता प्रदाय किए जाने के लिए प्रकरण स्वीकृति हेतु विचाराधीन है, आवंटन की उपलब्धता के आधार पर स्वीकृतियां जारी की जाएंगी.
श्री जयवर्द्धन सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री ने उनके उत्तर में यह कहा है कि अभी प्रकरण विचाराधीन है, मैं उनका ध्यानाकर्षित करना चाहता हूँ इस साल के बजट भाषण में, जहाँ माननीय वित्त मंत्री जी ने पेज 30 पर कहा है कि जो भी ऐसे गाँव हैं, जिनकी जनसंख्या 500 से कम है उनको 12 मासी एकल संपर्कता की उपलब्धता के उद्देश्य से मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के द्वारा विश्व बैंक और एसजीएन इन्फ्रास्ट्रक्चर बैंक के द्वारा ग्रैवल से डामरीकरण किया जाएगा. इसमें लगभग 800 किलोमीटर का लक्ष्य रखा गया है और साथ में 250 किलोमीटर, दोहरी संपर्कता के लिए क्योंकि ये गाँव तो अभी कहीं से नहीं जुड़े हैं इसीलिए मैं मंत्री जी से आग्रह करना चाहता हूँ क्योंकि उन्होंने कहा भी है कि वे विशेष ध्यान देंगे, तो वे यहाँ पर आश्वासन दे दें कि इसी बजट में वह सम्मिलित हो जाएगा. धन्यवाद.
श्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया-- माननीय अध्यक्ष जी, माननीय सदस्य जी ने जो बात रखी है, हमारी स्टेट कनेक्टिविटी की योजना अभी चालू है और अभी जो 8 सड़कें माननीय सदस्य जी ने प्रस्तावित की हैं उन सड़कों में डामरीकरण करना अभी संभव नहीं है क्योंकि अभी उनमें ग्रैवल का काम आरईएस द्वारा किया जाएगा और फिर आगे चलकर हमारा एमपीआरसीए जो है उसके तहत जो वर्ल्ड बैंक की स्कीम है जिसमें 10,000 किलोमीटर का लक्ष्य था वह लक्ष्य हमारा चूँकि एचिव हो चुका है और आगामी में जो हमारी फेज़ 2 में जो योजना बन रही है, उसमें निश्चित रूप से आपकी सड़कों को और अकेली यह 8 सड़कें ही नहीं बल्कि राघौगढ़ की समस्त सड़कों को जोड़ने का मैं प्रस्ताव रखूँगा.
श्री जयवर्द्धन सिंह-- अध्यक्ष महोदय, कम से कम जो ये 8 सड़कें हैं उनका ग्रैवल तो इस साल हो जाएगा, इतना माननीय मंत्री जी आश्वासन दे दें.
श्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया-- माननीय अध्यक्ष जी, बजट के अभाव के कारण इनका प्रस्ताव जोड़ दिया गया है, जैसे जैसे बजट का आवंटन होता जाएगा ये 8 सड़कें भी ले ली जाएंगी. ....(व्यवधान)...
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर-- धन्यवाद तो दे दो. ..(व्यवधान)..
श्री जयवर्द्धन सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने कहा है कि बजट का अभाव है जबकि इसका उल्लेख है....
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, अब आ गया. उन्होंने कहा है कि क्रमानुसार लेंगे.
श्री जयवर्द्धन सिंह-- इसमें पर्याप्त प्रावधान होना भी चाहिए तो इतना तो आश्वासन दे दें कि जो कम से कम ग्रैवल की सड़क है, वह तो बनाई जाएगी.
अध्यक्ष महोदय-- उन्होंने आपको आश्वस्त किया कि क्रमानुसार लेंगे, अभी तो उन्होंने बोला, लेंगे एक एक करके.
श्री जयवर्द्धन सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, बाकी सब सड़कें हो चुकी हैं. ये तो वे सड़कें हैं जिन पर ग्रैवल भी नहीं हो पाया था इसलिए कम से कम इनका काम तो पूरा हो जाए.
अध्यक्ष महोदय-- अब अगला ध्यानाकर्षण आने दीजिए.
12.29 बजे
मुरैना जिले के पहाड़गंज में पदस्थ बी.आर.सी. सी. के विरूद्ध कार्यवाही न किया जाना
श्री सूबेदार सिंह रजौधा(जौरा)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यानाकर्षण सूचना का विषय इस प्रकार है-
राज्यमंत्री, स्कूल शिक्षा (श्री इन्दर सिंह परमार) -- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री सूबेदार सिंह सिकरवार रजौधा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, पहले तो मैं माननीय मंत्री जी से यह पूछना चाहता हूँ कि....
अध्यक्ष महोदय -- कार्यवाही तो हो गई है.
श्री सूबेदार सिंह सिकरवार रजौधा -- तीन महीने से यह कार्यवाही प्रस्तावित थी लेकिन वह इतना बड़ा कारीगर है कि तीन महीने तक उसको पेंडिंग रखा और जब मैंने ध्यानाकर्षण लगाया है तब कहीं जाकर कल या परसों उसको निलंबित किया गया है. मेरे विधान सभा क्षेत्र में जितनी भी महिला शिक्षिकाएं हैं उनमें से ज्यादातर महिलाओं ने मुझे फोन पर बताया कि इसकी नीयत ठीक नहीं है. यह बेतमीज़ आदमी है, लेकिन महिलाएं अपनी बदनामी के भय से शिकायत नहीं कर रहीं थीं. वह तो पुष्पा शर्मा ने...
अध्यक्ष महोदय -- आप तो प्रश्न पूछें.
श्री सूबेदार सिंह सिकरवार रजौधा -- सबसे पहले तो मैं यह कह रहा हूँ कि जो निलंबन हुआ है उसका माननीय मंत्री जी अनुमोदन करेंगे कि निलंबन सही हुआ है. दूसरी बात मैं कहूंगा कि उसके खिलाफ एफआईआर है, धारा 409 का मुकदमा कायम है. वहां का जनपद सीईओ, जिला सीईओ से यह कह रहा है कि इसकी अनियमितताओं से निज़ात दिला दें, लेकिन वह इतना पॉवरफुल आदमी है कि कहीं-न-कहीं से कोई कार्यवाही नहीं होने देता है. सबसे पहले मैं माननीय मंत्री जी से यह चाहूँगा कि वे यह कहें कि निलंबन ठीक हुआ है. तीसरी बात है मेरे पास रिकार्ड है. माननीय मंत्री जी भोपाल से टीम भेजकर जाँच करवाएंगे क्या.
अध्यक्ष महोदय -- कार्यवाही कर दी गई है, सस्पेंशन हो गया है.
श्री सूबेदार सिंह सिकरवार रजौधा -- सस्पेंशन से कुछ नहीं होगा, वह तो तुरंत बहाल हो जाता है. मेरे पास उसका पूरा चिट्ठा है.
श्री इन्दर सिंह परमार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, तथ्यों के आधार पर निलंबन किया गया है इसका अर्थ यह है कि कार्यवाही सही है और लेट होने का कारण भी क्योंकि आयुक्त चंबल संभाग के द्वारा दिनांक 8 मार्च को ही किया गया और दिनांक 9 मार्च को कलेक्टर के द्वारा आदेश मिला है इसलिए विभागा के द्वारा कोई विलंब नहीं किया गया है. निलंबन के उपरांत विभाग के द्वारा उसकी जांच कराई जा रही है और माननीय सदस्य उसमें जितने भी बिंदु बता रहे हैं उन सबका समावेश भी हम उसमें करेंगे. आप जो एफआईआर का उल्लेख कर रहे हैं हमारे पास उसका कोई रिकार्ड नहीं है और न ही हमें कोई शिकायत प्राप्त हुई है क्योंकि एफआईआर हुई होगी तो पुलिस विभाग के द्वारा उसकी सूचना संबंधित को देना था वह हुई नहीं है लेकिन हम जांच करके उसके खिलाफ कार्यवाही करेंगे.
श्री सूबेदार सिंह सिकरवार रजौधा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, क्या मंत्री जी भोपाल से जांच कमेटी भेजेंगे?
अध्यक्ष महोदय-- माननीय सदस्य जी, मंत्री जी, ने जांच का आश्वासन दे दिया है.
श्री इन्दर सिंह परमार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हम भोपाल से कमेटी भेज देंगे.
12:37 बजे याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय-- आज की कार्यसूची में सम्मिलित सभी माननीय सदस्यों की याचिकाएं प्रस्तुत की हुई मानी जाएंगी.
12:37 बजे
अध्यक्षीय घोषणा
भोजनावकाश न होने विषयक
अध्यक्ष महोदय-- आज भोजनावकाश नहीं होगा. माननीय सदस्यों के लिए भोजन की व्यवस्था सदन की लॉबी में की गई है. माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि सुविधानुसार भोजन ग्रहण करने का कष्ट करें.
12:37 बजे
शासकीय विधि विषयक कार्य
(1) मध्यप्रदेश वित्त विधेयक, 2021 (क्रमांक 19 सन् 2021) का पुर:स्थापन
(2) मध्यप्रदेश सहकारी सोसाइटी (संसोधन) विधेयक, 2021 (क्रमांक 21 सन् 2021) का पुर:स्थापन
सहकारिता मंत्री (डॉ. अरविन्द सिंह भदौरिया) -- माननीय अध्यक्ष महोदय,
12:39 बजे
वर्ष 2021-2020 की अनुदानों की मांगों पर मतदान ....... (क्रमश:)
(1) मांग संख्या- 13 किसान कल्याण तथा कृषि विकास
मांग संख्या- 54 कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा
कृषि विकास मंत्री--
अध्यक्ष महोदय- उपस्थित सदस्यों के कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए. अब मांगों और कटौती प्रस्तावों पर एक साथ चर्चा होगी. मांग संख्या 13 एवं 54 पर चर्चा हेतु 1 घण्टा 30 मिनट का समय नियत है. तदानुसार दल संख्यावार चर्चा हेतु भाजपा के लिए 46 मिनट, इंडियन नेशनल कांग्रेस हेतु 35 मिनट, बसपा के लिए 3 मिनट, समाजवादी के लिए 2 मिनट, एवं निर्दलीय सदस्यों हेतु 4 मिनट का समय आवंटित है. इस समय में माननीय मंत्री जी का उत्तर भी सम्मिलित है. मेरा बोलने वाले सदस्यों से अनुरोध है कि वे समय-सीमा को ध्यान में रखकर, संक्षेप में अपने क्षेत्र की समस्यायें रखने का कष्ट करें.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव (कसरावद)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अपने वक्तव्य की शुरूआत इन पंक्तियों के साथ करना चाहता हूं-
ऋण मुक्त हो अन्नदाता हमारा, यही है प्रदेश के विकास का नारा I
ऋण माफी से होगा संपन्न किसान, तभी बनेगा प्रदेश महान II
माननीय अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2018 के विधान सभा चुनाव में, जो बहुमत हमें मिला और उस दौरान चुनाव प्रचार में जब हम किसानों के बीच गए तो उनका एक ही दर्द, एक ही पीड़ा थी कि पिछले 15 वर्षों की भारतीय जनता पार्टी की जो सरकार थी, उसकी जो किसान विरोधी नीतियां थीं, उसके कारण मध्यप्रदेश का किसान अपने आपको असहाय महसूस कर रहा था, उसको उम्मीद की कोई किरण नहीं दिखाई दे रही थी, उसका हाथ पकड़ने वाला कोई दिखाई नहीं दे रहा था, उसके आंसू पोंछने वाला कोई दिखाई नहीं दे रहा था और उसी का परिणाम था कि पिछले 15 वर्षों में लगभग 23 हजार किसानों को आत्महत्या करने पर मजबूर होना पड़ा.
12.42 बजे
{सभापति महोदय (श्री यशपाल सिंह सिसौदिया) पीठासीन हुए.}
माननीय सभापति, महोदय वर्ष 2018 के चुनावों में, मध्यप्रदेश के अन्नदाताओं ने, जो हमें बहुमत दिया,
श्री शैलेन्द्र जैन- सचिन भाई, ज़रा ये तो बता दो कि बहुमत के लिए कितनी संख्या चाहिए होती है, आप बहुमत की बात कर रहे हैं, आप कौन-से बहुमत की बात कर रहे हैं ?
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव- भईया, आप बैठिये. हमारी सरकार थी, डेढ़ साल हमने सरकार चलाई, अभी मैं बताऊंगा कि हमारी सरकार ने क्या-क्या किया.
श्री दिलीप सिंह परिहार- वायदे पूरे नहीं किये.
सभापति महोदय- कृपया माननीय सदस्य आपस में चर्चा न करें. सचिन जी आप अपनी बात जारी रखें.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव- माननीय सभापति महोदय, लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत चुनी हुई, जनमत की सरकार थी, प्रजातांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार थी. (मेजों की थपथपाहट)
माननीय सभापति महोदय, हमारी सरकार के आने के बाद किसानों की जो सबसे बड़ी पीड़ा थी, उस पीड़ा के निराकरण के लिए, हमने ''किसान ऋण माफी'' का ऐतिहासिक कार्यक्रम चलाने का कार्य, इस मध्यप्रदेश की धरा पर किया. एक ऐसी किसान ऋण माफी योजना, जहां पर किसान साथी, चाहे उसने जिला बैंक से ऋण लिया हो, चाहे राष्ट्रीयकृत बैंक से ऋण लिया हो, चाहे ग्रामीण बैंक से ऋण लिया हो, ऐसे तमाम किसान साथियों को किसान ऋण माफी योजना के दायरे में लाने का कार्य हमारी सरकार ने किया है. यह पहली ऐसी किसान ऋण माफी योजना थी, जहां पर किसान का अगर चालू खाता था, तो उस चालू खाते को भी लाभ देने का काम हमारी सरकार ने, हमारे नेता आदरणीय कमलनाथ जी के कुशल और सक्षम नेतृत्व में करने का काम किया है.
माननीय सभापति महोदय, यह पहली ऐसी किसान ऋण माफी योजना थी, जहां पर हमने मध्यप्रदेश के 10 लाख किसान साथियों, जिनके लिए बैंकों के दरवाजे पूर्ण रूप से बंद हो चुके थे, उनको ऋण माफी के दायरे में लाकर, उनके जो कालातीत खाते थे, उनका 2 लाख रुपये तक का ऋण माफ करके, उनको दुबारा ऋण की प्रक्रिया में शामिल करने का काम, हमारी सरकार के दौरान हमने किया.
माननीय सभापति महोदय, पूरे मध्यप्रदेश में चरणबद्ध तरीके से लगभग 27 लाख किसानों के, लगभग 11 हजार करोड़ रुपये से अधिक का ऋण माफ करने का काम हमारी सरकार ने किया. माननीय सभापति महोदय, अभी जो बजट प्रस्तुत हुआ है उस बजट में जो ऋण माफी के लिये राशि आवंटित की गयी है, उससे यह प्रतीत होता है और इससे पहले भी सरकार की तरफ से, जिम्मेदार लोगों की तरफ से यह वक्तव्य आये हैं कि किसानों की कर्जमाफी नहीं की जायेगी और किसानों की ऋणमाफी की जो योजना कमल नाथ सरकार ने, कांग्रेस सरकार ने चालू करी थी उसको आगे नहीं बढ़ाया जायेगा. सभापति महोदय, मेरा इस सदन से और सरकार से अनुरोध है इस ऋणमाफी योजना की दोबारा शुरूआत की जाये. हमारे समय में हमने जिनके दो लाख रूपये तक के एनपीए थे उनको ऋणमाफी का लाभ दिया. एक लाख तक के जिनके चालू खाते थे उनको हमने ऋणमाफी के दायरे में लाने का काम किया. अब वह किसान साथी ऋणमाफी की राह देख रहे हैं. जिनके एक लाख से दो लाख तक के चालू खाते थे और जिनके ऋण बकाया हैं वह अभी अपनी ऋणमाफी इंतजार कर रहे हैं. बड़ा ताज्जुब होता है कि जहां पर पूरे प्रदेश की लगभग 70 प्रतिशत आबादी खेती- किसानी से जुड़ी हुई है और जब किसान ऋणमाफी की बात आती है तो ना जाने क्यों भारतीय जनता पार्टी की सरकार को तकलीफ होती है, उनको परेशानी होती है.
सभापति महोदय, अभी पिछले दिनों ही एक समाचार प्रकाशित हुआ और उस समाचार में लगभग 1 लाख 15 हजार करोड़ रूपये के जो बड़े-बड़े उद्योगपति थे उनके ऋणों को राईट ऑफ करने का काम उसमें लिखा गया था, तो जब बड़े-बड़े लोगों के ऋण राईट आफ किये जा सकते हैं, बड़े-बड़े कारपोरेटरों के ऋण राईट ऑफ किये जा सकते हैं तो मेरे किसान, मेरे अन्नदाता के ऋण माफी का कार्यक्रम क्यों नहीं चलाया जा सकता है. मेरा पुन: कृषि मंत्री जी से अनुरोध है, वह यहां पर बैठे हुए हैं कि आप पुन: ऋणमाफी की प्रक्रिया को चालू करें,.
सभापति महोदय, हमारे इस विभाग का नाम है किसान और किसान कल्याण, लेकिन मैंने जो बजट देखा उस बजट को देखकर ऐसा लगा कि न तो किसान और न ही किसान के कल्याण के लिये इसमें कोई रूपरेखा तैयार की गयी है और न ही उसके दु:खों को हरने के लिये कोई कार्यक्रम या कोई योजना बनायी गयी है. तमाम योजनाएं जो हमारे शासनकाल में चलायी गयी गयी थीं, चाहे वह मुख्यमंत्री तीर्थ योजना हो, बलराम तालाब योजना हो, नलकूप खनन योजना हो, सूरजधारा योजना हो, अन्नपूर्णा योजना हो, कृषि विभाग के शासकीय परिक्षेत्र को विकसित करने की बात हो और कृषि अभियांत्रिकी, आज पूरा हमारा सबका ध्यान, हमारे जो किसान साथी हैं उनको कैसे हम आधुनिकीकरण की ओर ले जायें उस दिशा में हम सबकी कोशिश और प्रयास हैं. लेकिन यह जो बजट है उस बजट में इसके लिये पर्याप्त प्रावधान नहीं किया गया है और इससे लगता है कि हम जिस सोच को लेकर के आगे बढ़ रहे थे ,कहीं न कहीं उसमें हमें कमी देखने को मिलेगी.
सभापति महोदय, हमने हमारी सरकार के दौरान किसान साथियों को उनकी फसल, उनकी उपज के सही मूल्य मिले इसके लिये एक योजना बनाने का काम किया था और हमने उसके लिये जो हमारा बजट पारित हुआ था, उसमें लगभग 1600 करोड़ रूपये का प्रावधान हमने किया था, जो गेहूं के उपार्जन की प्रक्रिया हमने शुरू करी थी, जो गेहूं हमने उपार्जित किया था उसमें लगभग हम 12 लाख किसानों को लाभांवित करने जा रहे थे. उसके बजटीय प्रावधान भी करने का काम हमने किया था. लेकिन अभी जो बजट प्रस्तुत किया गया है उसमें कहीं भी उन किसान साथियों को उस फ्लैट भावांतर योजना का लाभ देने का जिक्र , उस बोनस को वितरित करने का जिक्र नहीं किया गया है. अभी किसान सम्मान की बात आती है तो निश्चित रूप से बहुत अच्छा लगता है. लेकिन जिस प्रकार से एक बहुत ही छोटी राशि देकर के मैं यहां तक कहूंगा कि किसानों का मजाक उड़ाने का काम किया गया है. प्रधानमंत्री सम्मान निधि योजना के अंतर्गत उनको 6 हजार रूपये देने की बात कही गई थी. अगर हम उसको देखें तो 3 रूपये प्रति व्यक्ति उनके हिस्से में आती है. 6 हजार रूपये प्रति साल देने की आप बात कर रहे हैं. पांच व्यक्ति का अगर उनका परिवार है तो मात्र उनको 3 रूपये है. आपने वाहवाही लूटने के लिये अपनी तरफ से एक और योजना चालू की उसमें 4 हजार रूपये देने की बात की. अगर इन दोनों योजनाओं की राशि को मिला दिया जाये तो मात्र 27 रूपये प्रति व्यक्ति को मिलते हैं. आज के इस महंगाई के दौर में जहां पेट्रोल एवं डीजल के दाम शतक तक पहुंच गये हैं. ऐसी परिस्थितियों में मैं समझता हूं कि यह कहीं न कहीं हमारे किसानों का इस योजना के माध्यम से उपवास उड़ाने का काम किया जा रहा है.
अभी पिछले कई दिनों से जो तीन काले कृषि कानून लागू किये गये उस पर बहुत चर्चा हुई. यह तीनों कृषि कानून जिसमें पहले कानून में देश में कहीं पर खाद्यान्न फसल एवं सब्जियों की असीमित खरीदी हो सकती है और कहीं पर अथवा मंडी के बाहर भी बेचा जा सकता है. कोई भी व्यक्ति जिसके पास आधार कार्ड, पेन कार्ड है वह किसानों के बीच में जाकर के उसकी उपज को खरीद सकता है. अभी यह कानून ठीक से लागू भी नहीं हुआ है अभी से ही उसके दुष्परिणाम सामने आने लग गये हैं. सरकार की तरफ से बड़े दावे किये जा रहे हैं कि मंडियां बंद नहीं होंगी. मंडियों को और विकसित करने का काम करेंगे. लेकिन यह तमाम दावे यह वायदों तक ही सीमित हैं. हालात यहां तक निर्मित हो गये हैं कि अभी 49 मंडियां बंद होने की कगार पर आ गई हैं. हमारे समय में जिस मंडी की आय 220 करोड़ रूपये से अधिक होती थी वह सिमट करके 150 करोड़ रूपये तक आ गई है, यह हालात हैं. अगर यही हालात रहे तो निश्चित रूप से चाहे उसमें मंडी के कर्मचारी हों, चाहे वह तुलावटी हो, हम्माल हो, छोटे-छोटे व्यापारी हों, जो मुश्किल से अपने परिवार का जीवन-यापन करते हैं उनके ऊपर बहुत बड़ा संकट इस काले कानून के तहत होने वाला है. इस कानून एक और दुष्परिणाम देखने को मिला है. हमारे कृषि मंत्री जी के खुद के क्षेत्र में खातेगांव का एक व्यापारी खोजा ट्रेडर्स जिनके कर्ता-धर्ता पवन एवं सुरेश हैं वह चार जिलों में जाकर के मूंग एवं चने की खरीदी करते हैं और लगभग 20 से 22 करोड़ रूपये की खरीदी होती है.
लेकिन जो हमारी शंका थी, किसान साथियों की शंका थी, आखिरकार वही हुआ, वह व्यापारी फसल खरीदकर के भाग गया और उन प्रभावित किसानों में हमारे कृषि मंत्री जी के भतीजे भी हैं, उन भतीजे को भी लगभग 15 से 20 लाख रुपए के चना और मूंग का भुगतान अभी होना बाकी है. ताज्जुब की बात है कि जो नया कृषि कानून आया है, उस नये कृषि कानून में आप एफआईआर नहीं करवा सकते, लेकिन माननीय कृषि मंत्री जी ने चूंकि उनके घर का मामला था, उनके भतीजे का मामला था, खरीदी हुई नये कृषि कानून के तहत और एफआईआर जो हुई है, 420 का जो मुकदमा दायर हुआ है वह पुराने कानून के तहत दायर हुआ है, तो यह अपने आपमें दर्शाता है कि हमारा जो पुराना कृषि कानून था, जो हमारी मंडियां थीं, उसके नियम कानून कितने सख्त थे और किसान हितैषी थे. दूसरा, जो कानून आया, उसका कंटेन्ट है कि बड़े व्यापारी जितना चाहे अनाज खरीद सकते हैं, फल सब्जियां स्टोर कर सकते हैं, जितना चाहे जमाखोरी और कालाबाजारी कर सकते हैं, उसका परिणाम आज यह आ रहा है कि आज आमजन को, आम उपभोक्ताओं को तुअर की दाल 100 रूपए, चने की दाल 60 रूपए, सोया तेल 140 रूपए में मिल रहा है, सूरजमुखी का तेल 150 रूपए, शक्कर 40 रूपए पहुंच गई है, यह उस कानून के दुष्परिणाम है.
सभापति महोदय, तीसरा कानून कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग एक्ट है, उसमें कई जगहों पर बहुत सारी शिकायतें आईं, कंपनियों ने किसानों से अनुबंध कर लिया और अनुबंध के बाद जब किसान अपनी उपज बेचने के लिए उन व्यापारियों के पास गए, कंपनियों के पास गए, तो तरह तरह के नियम कानून बताकर के उनसे उनकी उपज लेने से मना कर दिया गया, तो यह सारी बातें हैं, समय का अभाव है, आपने सीमित दायरे में बात करने को कहा है. इसलिए धन्यवाद दे रहा हूं.
सभापति महोदय, हमारे हरियाणा कांग्रेस की विधायक शकुंतला खटीक जी ने पिछले विधान सभा का सत्र जो सम्पन्न हुआ उसमें एक कविता पढ़ी, उस कविता को आज इस सदन में दोहराना चाहूंगा.
'' किसानों का दर्द एक बार खेत में जाकर तो देखो,
किसी जमीन के टुकड़े पर अनाज उगाकर तो देखो,
कभी जून की धूप में, कभी दिसम्बर की सर्दी में एक बार खेत में जाकर तो देखो, भूखे-प्यासे खेतों में हल चलाकर तो देखो, कभी गर्मी की दोपहर में, कभी सर्दी की रात में 3 बजे एक बार खेत पर सिंचाई के मोटर-पंप को चलाकर तो देखो.'' धन्यवाद सभापति महोदय.
श्री बहादुर सिंह चौहान (महिदपुर) - माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या-13 एवं 54 का समर्थन करते हुए, अपनी बात कहना चाहता हूँ.
सभापति महोदय, मध्यप्रदेश सरकार में कृषि विभाग अति महत्वपूर्ण विभाग है. यह विभाग मजबूत है तो अन्य विभाग अपने आप ताकतवर बन जाते हैं. सन् 2021-22 में जो बजट में प्रावधान किया गया है, तो जितने विभाग हैं, उन विभागों में से सबसे अधिक बजट का प्रावधान कृषि विभाग को किया गया है. इसमें 35,353 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जो विगत वर्ष की तुलना में 23,000 करोड़ रुपये अधिक है. हमारे पूर्व विद्वान वक्ता कह रहे थे कि प्रधानमंत्री सम्मान निधि में वर्ष में 6,000 रुपये दिये जाते हैं और ये 3 किश्तों में दिये जाते हैं, उसी की तर्ज पर माननीय मुख्यमंत्री जी ने मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना बनाई और उसमें एक वर्ष में 4,000 रुपये दिये जाते हैं, यह राशि 2 किश्तों में दी जाती है- इस प्रकार कुल राशि 10,000 रुपये हो जाती है. हम जानते हैं कि इस सदन में बैठे हुए अधिकांश हमारे माननीय सदस्य किसान हैं और मेरा स्वयं का मानना है कि मध्यप्रदेश में 80 से 85 प्रतिशत लघु और सीमान्त किसान हैं.
माननीय सभापति जी, जिस किसान के पास एक हेक्टेयर या एक एकड़ कृषि भूमि है. उसके लिए 10,000 रुपये कितने महत्वपूर्ण हैं, वह किसान ही जानता है. सक्षम किसान तो कहीं से भी अपना कार्य कर लेता है, लेकिन किसान इस 10,000 रुपये से एक एकड़ या एक हेक्टेयर के लिये उन्नत किस्म के बीज खरीद सकता है, उन्नत किस्त का उर्वरक खरीद सकता है और उन्नत किस्त की दवाई खरीद सकता है. इन 10,000 रुपयों से वह एक एकड़ और एक हेक्टेयर में अपनी कृषि आराम से कर सकता है. इस 10,000 रुपये की राशि का जो महत्व है, वह सिर्फ वह गरीब किसान के लिए है, जो हमारे प्रदेश में लगभग 80 से 85 प्रतिशत के लगभग हैं. आप और हम सब जानते हैं कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना केन्द्र के द्वारा प्रारंभ की गई है और इसमें किसानों की फसल अतिवृष्टि होने से, अल्पवर्षा होने से, इल्ली के प्रकोप से, टिड्डी दल से, शीतलहर से आदि किसी भी कारण से यदि किसानों की फसल खराब हो जाती है तो उनको प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमा लेने का अधिकार है.
माननीय सभापति जी, मैं आपके माध्यम से, इस सदन के माध्यम से कृषि मंत्री जी को एक कृषक होने के नाते धन्यवाद देना चाहता हूँ. माननीय कृषि मंत्री जी पूर्व में राजस्व मंत्री भी रहे हैं और पहले फसल बीमा योजना का जो हल्का था, वह तहसील किया गया था. वे एकमात्र देश के ऐसे राजस्व मंत्री उस समय हुए थे, जिन्होंने तहसील को, हल्के को बदलकर, ग्राम पंचायत हल्का किया (मेजों की थपथपाहट). हमारे कृषि मंत्री, उस समय के राजस्व मंत्री थे. मैं कमल पटेल जी को इस सदन की ओर से और भारतीय जनता पार्टी की सरकार और माननीय मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूँ. यही मध्यप्रदेश और यही लघु किसान, यही सीमान्त किसान, बड़े किसान, क्षेत्रफल भी इतना ही, सन् 2019-20 में तत्कालीन सरकार द्वारा उपार्जन का कार्य किया गया था, तो पूरे मध्यप्रदेश से 23 लाख क्विंटल का उपार्जन किया गया था. अब इतने ही किसान है, मध्यप्रदेश भी इतना ही बड़ा है और हमारी सरकार आने के बाद माननीय मुख्यमंत्री जी ने कोरोनाकाल में भी, जब कोरोनाकाल चल रहा था, उस समय प्रदेश की बड़ी विषम परिस्थितियां थी, उस समय माननीय मुख्यमंत्री जी के द्वारा वर्ष 2020-21 में 1 करोड़ 29 लाख मैट्रिक टन गेहूं का उपार्जन किया गया है, जो एक रिकार्ड है (मेजों की थपथपाहट) माननीय सभापति महोदय, इस प्रकार से इनसे जस्ट डबल किसानों के गेहूं का उपार्जन किया गया है और इसका श्रेय में माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान और माननीय कृषि मंत्री कमल पटेल को देना चाहता हूं. इस गेहूं उपार्जन से किसानों को 24 हजार 833 करोड़ रूपये का भुगतान सरकार के द्वारा समय पर किया गया है और उनके खाते में दिया गया है और इस पेमेंट में कभी भी विलंब नहीं हुआ है.
माननीय सभापति महोदय, मैं इसके साथ-साथ हमारी सरकार के द्वारा जो धान की खरीदी की गई है, इसके तहत बड़ी राशि का बीमा प्रीमियम किया गया है और इसमें 18 लाख 38 हजार किसानों से 3 हजार 262 करोड़ का उसमें पेमेंट किया गया है. कुल दोनों राशि मिलाकर 8 हजार करोड़ रूपये का भुगतान हमारी सरकार के द्वारा किया गया है.
श्री रामलाल मालवीय -- श्री बहादुर सिंह चौहान साहब मेरा निवेदन है कि पिछले बार जो दस-दस लाईन में लगे थे, वह नहीं लगे और बैंकों में भुगतान में जो परेशानी आई थी, उसके संबंध में मंत्री जी से आग्रह करें कि उसका समाधान करा दें, आपके भाषण में यह बात भी आ जाये.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- माननीय सभापति महोदय, उज्जैन जिले के हमारे विद्वान सदस्य हैं. माननीय सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से उनको बताना चाहता हूं कि हमारे यहां खरीदी केंद्र पहले कम थे, उज्जैन जिले में 172 संस्थाएं हैं और उसमें से 144 केंद्रों को उपार्जन केंद्र बना दिया गया है. इस प्रकार से काफी उपार्जन केंद्र बना दिये गये हैं. अब कोई लाईन नहीं लगेगा, ऐसा मैं आपको माननीय कृषि मंत्री जी की ओर से आश्वास्त करना चाहता हूं, सरकार की ओर से आश्वास्त करना चाहता हूं.
श्री रामलाल मालवीय -- अब तो मंत्री जी की जरूरत ही नहीं पड़ेगी (हंसी)
सभापति महोदय -- आप इधर-उधर देखकर जवाब न दें, आप आसंदी की ओर देखकर जवाब दें.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- माननीय सभापति महोदय, पूर्व सरकार के द्वारा सरसों की खरीदी 13 क्विंटल प्रति हैक्टेयर की गई थी. आज एकमात्र कृषि मंत्री हुए हैं जिन्होंने13 क्विंटल से बढ़ाकर एक हैक्टेयर में 20 क्विंटल किया है (मेजों की थपथपाहट) यदि एक क्विंटल पर हजार रूपये का भी लाभ होता है तो एक हैक्टेयर पर सात हजार रूपये का लाभ सीधा-सीधा किसान कमाता है, इसका श्रेय माननीय कमल जी पटेल जी को जाता है.
माननीय सभापति महोदय, चना एक हैक्टेयर में 15 क्विंटल खरीदते थे और पूर्व की सरकार ने सिर्फ अगर बढ़ाये थे तो छिंदवाड़ा में 19 क्विंटल प्रति हैक्टेयर बढ़ाकर किये थे और प्रदेश में कहीं पर नहीं किये थे. परंतु एकमात्र कमल जी पटेल हैं जिन्होंने मध्यप्रदेश के जिलों में 15 क्विंटल प्रति हैक्टेयर से चना बढ़ाकर 20 क्विंटल प्रति हैक्टेयर किया है और अगर यह किसी ने किया है तो माननीय कृषि मंत्री जी ने किया है.
माननीय सभापति महोदय, आज चने का समर्थन मूल्य 5100 रूपये है और सरसों का समर्थन मूल्य 4650 रूपये है, गेहूं का समर्थन मूल्य 1975 रूपये है.
श्री सुनील उईके -- सम्मानीय सदस्य महोदय, मक्के का भी समर्थन मूल्य बता दें और समर्थन मूल्य के साथ खरीदी भी बता दें.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- उसमें लिखा है.
सभापति महोदय -- श्री सुनील जी आप बैठ जायें, श्री बहादुर सिंह चौहान जी आप उधर देखकर संवाद न करें, इधर- उधर देखकर चर्चा का जवाब न दें. आप आसंदी की ओर देखकर संवाद करें. आप अपना वक्तव्य जारी रखें, पन्ने नहीं पलटायें नहीं तो आप भटक जायेंगे.
श्री सुनील उईके -- माननीय सभापति महोदय, यह बहुत सीनियर और संवदेनशील सदस्य हैं, आप मक्के का समर्थन मूल्य बता दें.
सभापति महोदय -- (श्री सुनील उईके सदस्य द्वारा, श्री विनय सक्सेना, सदस्य के आसन से बोलने पर) आप किस-किस आसन से बोलेंगे, आप पहले उस आसन से बोल रहे थे, फिर आप इस आसन से बोल रहे हैं. कृपया आप अपने आसन से बोलें.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- माननीय सभापति महोदय, इसमें सब लिखा है.
श्री फुंदेलाल सिंह मार्को -- माननीय सभापति महोदय, क्या माननीय सदस्य थोड़ा कोदो का समर्थन मूल्य बता देंगे ?
श्री बहादुर सिंह चौहान -- आप इसे पढ़ लेना, इसमें पूरे न्यूनतम समर्थन मूल्य जितने भी हैं, जो कि केन्द्र सरकार के द्वारा दिये गये हैं और जो मुझे याद है मैंने बता दिये हैं. बाकी इसमें लिस्ट पूरी है, मैं पढ़कर सुना दूंगा.
सभापति महोदय -- आप इनको कॉपी उपलब्ध करवा देना.
श्री फुंदेलाल सिंह मार्को -- श्री बहादुर सिंह चौहान जो लिस्ट आपने रखी है, उसमें कोदो लिखा ही नहीं है, आप थोड़ा उसको पढि़ये. (व्यवधान..)
सभापति महोदय -- माननीय सदस्य आप व्यवधान खड़ा न करें, आपका बोलने का अवसर आयेगा, तब आप अपनी बात रखियेगा. श्री बहादुर सिंह चौहान जी आप जारी रखें.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- माननीय सभापति महोदय, गेहूं का उपार्जन जब किसान ट्रेक्टर लेकर जाता था, तो उसमें 35 क्विंटल, 40 क्विंटल, 50 क्विंटल तक लेकर जाता था और मात्र एक समय में एक किसान 25 क्विंटल से ज्यादा उपार्जन गेंहॅूं नहीं तोल सकता था. एकमात्र कृषि मंत्री ऐसे हुये हैं कि एक साथ जितनी भी फसल है 100 क्विंटल या 200 क्विंटल एक साथ जाकर किसान तौल सकता है, यह कानून कृषि मंत्री जी ने बनाया है, उनको बार-बार आने जाने की जरूरत नहीं है. माननीय सभापति महोदय, मैं अच्छी तरह से जानता हूं कि वर्ष 2003 में जब मैं पहली बार विधायक बनकर आया था उस समय यूरिया खाद का ट्रक आता था तो आप भी जानते हैं माननीय सभापति जी, पूरा सदन जानता है कि उस यूरिया खाद के लिये पूरे थानों की पुलिस, वहां के अनुविभागीय अधिकारी, वहां के एसडीओपी थाने में गाड़ी खड़ी करके फिर यूरिया खाद का वितरण होता था, इसको मैं अच्छी तरह से जानता हूं, नहीं तो आप रिकार्ड उठाकर देख लो. मेरे द्वारा उस समय नागार्जुन नकली खाद पकड़ा गया था और 27 ट्राले पकड़कर 3/7 आवश्यक वस्तु अधिनियम 1 जनवरी 2007 थाना महिदपुर में प्रकरण दर्ज करवाया गया था, यह बात मैं आज सदन में कर रहा हूं. उस समय खाद की कालाबाजारी होती थी, उन्नत बीज की कालाबाजारी होती थी, नकली दवाईयों की कालाबाजारी होती थी, हमारी सरकार आने के बाद माननीय कमल पटेल जी जैसे कृषि मंत्री आने के बाद कालाबाजारी करने वाले लोग आज डरे हुये हैं, वह प्रदेश में कालाबाजारी नहीं कर सकते हैं, यह किसानों की सरकार है, इसलिये मैं कहना चाहता हूं किसान होने के नाते कि आने वाला समय पहले किसान बहुत पीछे था, लेकिन धीरे-धीरे हमने पूरे प्रदेश में सिंचाई का रकवा बढ़ाया उससे उपार्जन बहुत अधिक हुआ और एक बार नहीं, दो बार नहीं, तीन बार नहीं 7 बार लगातार कृषि कर्मण अवार्ड मध्यप्रदेश सरकार, भारतीय जनता पार्टी की सरकार को मिला. यह कार्य भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किया है और माननीय सभापति महोदय, मैं जानता हूं कि वर्ष 2003 में मैं जब पहली बार विधायक बनकर आया था उस समय साढ़े 7 लाख हेक्टेयर में सिंचाई होती थी, उस समय 29 हजार मेगावाट बिजली थी और सिंचाई का रकवा कम था, बिजली कम थी. माननीय सभापति महोदय, कृषि विभाग के साथ-साथ ऊर्जा विभाग और जल संसाधन विभाग का भी संबंध कृषि से जुड़ा हुआ है, उसकी कोई मांग पर मैं चर्चा नहीं कर रहा हूं, लेकिन पूर्व की सरकार की स्थिति क्या थी कि जहां कृषि करने योग्य भूमि थी, वहां पर बिजली नहीं, जहां पर कृषि करने योग्य भूमि थी वहां पर पानी का डेम नहीं और यदि कृषि योग्य भूमि है और पानी है तो बिजली नहीं इसलिये कृषक अपने पानी को खेतों तक नहीं ले जा पाता था. यह पहली सरकार है वर्ष 2003 के बाद पूरे मध्यप्रदेश का अध्ययन करके जहां बिजली की आवश्यकता थी वहां 132 बनाया, जहां नदियां थीं वहां डेम बनाये. माननीय सभापति महोदय, कृषि के लिये जल संसाधन विभाग और ऊर्जा विभाग की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका इसमें है, उन दोनों विभाग के कारण आज लगातार किसान अपनी फसलों को आगे बढ़ाता जा रहा है और लगातार हम गेहूं हो, चना हो, सरसों हो, मसूर हो जो-जो भी उपज है वह बढ़ती जा रही है और मध्यप्रदेश हर क्षेत्र में ताकत से काम कर रहा है.
माननीय सभापति महोदय, मैं आपसे कहना चाहता हूं कि ऐसे कृषि मंत्री हैं जिन्होंने रविवार के दिन राष्ट्रीयकृत बैंके खुलवाई हैं, आज तक का इतिहास नहीं है. पहले बीमा की 31 जुलाई तक आखिरी तारीख थी और फसल बीमा योजना यह केन्द्र की योजना है और केन्द्र से चलती है, एकमात्र ऐसे कृषि मंत्री हुये कि 31 जुलाई को बढ़ाकर 30 अगस्त तक की सीमा इन्होंने बढ़ाई और यहां तक नहीं 7 सितम्बर तक फसल बीमा करया. पहले 25 लाख किसान थे और अब 44 लाख किसान इसमें जुड़ गये, डबल बीमा हुआ और मेरा मानना है कि वर्ष 2020-21 का जो बीमा आयेगा, अभी तक बीमा राशि नहीं आई है इतनी अधिक क्यों, क्योंकि किसानों ने प्रीमियम ही डबल जमा कर दिया, किसानों की प्रीमियम डबल जमा हुई है तो उनको बीमा भी डबल मिलेगा. मेरी माननीय कृषि मंत्री जी से चर्चा हुई थी कि यह लघु और सीमांत कृषक हैं, अब लघु यानी क्या, 1 हेक्टेयर, 2 हेक्टेयर के. माननीय सभापति महोदय, यह प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना केन्द्र की है और माननीय कृषि मंत्री जी से मेरी चर्चा हुई थी कि लघु और सीमांत कृषक जो मध्यप्रदेश के हैं उनके लिये फसल बीमा की एक नई नीति बनाई जा रही है और वह नई नीति बनाने के बाद जो 80-85 प्रतिशत लघु और सीमांक कृषक हैं उनके लिये पूरे प्रदेश में बीमा नीति बनाकर, ऐसा मेरा कृषि मंत्री जी से आग्रह है कि जब आप अपना उद्बोधन दें तो मैं चाहता हूं कि यह प्रधानमंत्री फसल बीमा सक्षम आदमी तो करवा लेता है लेकिन लघु और सीमांत कृषक नहीं करवा पाता है तो जो 80-85 प्रतिशत मध्यप्रदेश के जो ऐसे किसान हैं उनका प्रीमियम सरकार द्वारा भरवा दिया जाये अगर उनका बीमा सरकार करवा देगी तो जो बीमा दो गुना हो रहे हैं तो यह तीन गुना हो जायेंग और उन सभी कृषकों को उसका लाभ मिल जायेगा. मध्यप्रदेश को सक्षम और कृषक को सक्षम बनाने के लिये मेरा एक सुझाव है कि जब किसान को सर्टिफाईड और फाउंडेशन बीज मिल जायेगा. उनको मल्टी नेशनल कंपनियों की दवाई मिल जायेगी और मल्टी नेशनल उर्वरक मिल जायेगा. असली खाद, असली बीज, असली दवाई जब किसानों के खेत में डलेंगी. तो मेरा अपना मानना है कि उनकी आय दोगुनी हो जायेगी और यह कार्य, मध्यप्रदेश में असली दवाई,असली बीज, असली खाद, यदि यह सब व्यवस्था की है तो वह मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज जी और कृषि मंत्री जी ने की है. बहुत-बहुत धन्यवाद.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे(लांजी) - माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 13 और 54 पर अपनी बात रखने के लिये खड़ी हुई हूं. माननीय सभापति महोदय, किसान की जब बात आती है तो हम सब इस बात को स्वीकार करते हैं, जैसा बहादुर सिंह जी ने कहा कि कृषि यदि मजबूत हो जायेगी तो सभी चीजें मजबूत हो जायेंगी लेकिन किसान मजबूत कब होगा, जब किसान को सही समय पर सही बीज उपलब्ध होगा. मैंने पूरा बजट पढ़ा. प्रतिवेदन पढ़ा और जो अनुदान की मांगे हैं, मैंने देखा कि इसमें मध्यप्रदेश राज्य बीज,फार्म विकास निगम को मजबूत करने की जरूरत है लेकिन जिस बीज निगम की मैं बात कर रही हूं उसके लिये बजट का आवंटन नहीं के बराबर है. माननीय मंत्री जी नोट कर रहे हैं. 2 योजनाएं हमारे यहां चलती थीं. सूरज धारा योजना, अन्नपूर्णा योजना. अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के कृषकों के लिये यह योजनाएं चलती थीं. इसमें 75 प्रतिशत अनुदान उनको मिलता था. उस योजना में जीरो बजट है. पिछली बार भी जब इन योजनाओं का लाभ उनको नहीं मिला था तो लगा था कि चलिये आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है लेकिन इस बार के बजट में भी यह दोनों योजनाओं के लिये पैसे नहीं है. दूसरी बात बीज ग्राम योजना, जो सभी वर्गों के लिये है. इस योजना का जिक्र आपके प्रतिवेदन में तो है पर बजट की किताब में आप या तो इसको डालना भूल गये हैं या यह योजना भी आपने बंद कर दी. आपको इस योजना को बजट में शामिल करना चाहिये क्योंकि यह बहुत अच्छी योजना है क्योंकि हमारे यहां बालाघाट में जो बीज की आवश्यकता पड़ती है. खरीफ में करीब 30 हजार क्विंटल धान के बीज की जरूरत पड़ती है. रबी में 8 हजार क्विंटल गेहूं के बीज की जरूरत पड़ती है और 8 हजार क्विंटल चने के बीज की जरूरत पड़ती है. जिसकी पूर्ति शासन नहीं करवा पाता और मजबूरी में किसानों को प्रायवेट लोगों से, प्रायवेट कृषि केन्द्रों से यह बीज खरीदना पड़ता है और ऐसी स्थिति में जो हमारी समितियां हैं जिन समितियों के माध्यम से सरकारें बीज उपलब्ध किसानों को करवाती हैं उन समितियों का समय पर भुगतान नहीं हो पाता. यदि उन समितियों का ही समय पर भुगतान नहीं होगा तो वह कैसे समय पर बीज उपलब्ध करवा पाएंगी. यह बहुत महत्वपूर्ण चीज है. बीज का उत्पादन, बीज की उपलब्धता यह समय पर किसान को उपलब्ध करवाना बहुत आवश्यक है. इसके लिये आपको बजट में प्रावधान करना चाहिये. बालाघाट की बात करूंगी क्योंकि जब बीज की बात हो रही है. मुझे अच्छे से याद है कि जवाहर लाल नेहरू के वाइस चांसलर से मेरी चर्चा हुई थी. उस चर्चा के दौरान उन्होंने मुझे बताया कि पूरे मध्यप्रदेश में बालाघाट और सिवनी की जलवायु ऐसी है कि रबी में यदि धान जो उगाया जाता है उसका इस्तेमाल हम बीज के रूप में हम कर सकते हैं. यदि वास्तव में बीज की इतनी दिक्कत पूरे प्रदेश में है और बालाघाट और सिवनी की जलवायु ऐसी है तो हम को उस पर अनुसंधान करना चाहिये. अनुसंधान हुए है तभी पता चला है लेकिन उस पर आगे कोई प्रोसेस नहीं हुई. यदि इस पर सही दिशा में कार्य हो गया तो पूरे मध्यप्रदेश को बीज की कमी बालाघाट और सिवनी दूर कर सकता है. इस पर पहल होनी चाहिये. अभी मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना की बात हो रही थी. मैंने अपने सामान्य बजट की जब चर्चा हो रही थी, उस समय भी कहा था. बहादुर सिंह जी अभी कह रहे थे कि हमारे प्रधानमंत्री जी 6 हजार रुपये किसानों को दे रहे हैं. अच्छी बात है, हम तो तारीफ करते हैं इस बात की और उन्हीं किसानों को हमारे मुख्यमंत्री जी 4 हजार रुपये दे रहे हैं, कुल मिलाकर 10 हजार रुपये किसान को मिल रहा है. बहादुर सिंह जी, गौर से सुनियेगा. जिन किसानों को 6 हजार रुपया प्रधानमंत्री जी दे रहे हैं, उन किसानों को यदि 4 हजार रुपया मध्यप्रदेश की सरकार दे रही है, तो उसके लिये आपको बजट में प्रावधान करना चाहिये था 5333 करोड़. आपने दिया कितना है पिछली बार. आपने पिछली बार जो दे दिया है और जो देने वाले हैं, उसको भी मैं मिला दूं तो 1550 करोड़ ही आपने अभी तक प्रोवीजन किया है और अभी जो वर्ष 2021-22 में देने वाले हैं, उसमें भी आपने जो प्रोवीजन किया है, वह 3200 करोड़ रुपये है. दोनों का आप अंतर मिलायेंगे, तो 2 हजार करोड़ रुपये हमारे किसानों का पैसा कहां गया. वह-वाही तो आपने बहुत लूटी कि हम 4 हजार रुपये दे रहे हैं, लेकिन आप बिना बजट के देंगे कहां से. उसका प्रावधान आपको करना पड़ेगा. मंत्री जी नोट कर रहे हैं, मैं खुश हूं और वे नोट कर रहे हैं तो प्रावधान हो ही जायेगा, क्योंकि ये आंकड़े मैंने आपने जो दिया है बजट में, उसी से निकाला है, तो इसका प्रावधान होना चाहिये, किसानों को उनका पैसा मिलना चाहिये. पिछली बार का भी और इस बार का भी. यदि आंकड़े जो कम हुए हैं, तो कोई दिक्कत नहीं है, उस आंकड़े के अनुसार भी प्रावधान आपके अभी भी कम हैं. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन, इसमें जो भी घटक आते हैं, वह फसलों की पैदावार बढ़ाने के लिये होता है. बालाघाट, पिछली बार जब हमारे बालाघाट के कृषि मंत्री जी थे, तो मैंने पिछली बार भी यह बात उठाई थी कि बालाघाट को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन से गेहूं को हटा दिया गया है. गेहूं के उससे बालाघाट को हटा दिया गया है. एक तरफ तो सरकार यह प्रेशर देती है बालाघाट के किसानों के ऊपर कि आप धान मत लगाइये, गेहूं लगाइये. गेहूं लगायेंगे और उसके लिये आप हमको राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन में तो दीजिये. पिछली बार तो हमारे मंत्री जी कह दिया करते थे कि यह केन्द्र का मामला है. ठीक है, जब तक शत प्रतिशत अनुदान केन्द्र सरकार देती थी तो तब तक हम मान भी लेते थे. लेकिन आज तो 40 प्रतिशत हमारी भी हिस्सेदारी है. तो मैं मंत्री जी से निवेदन करना चाहूंगी कि उसके लिये बालाघाट को आप गेहूं के घटक में जुड़वाने का काम करें और केवल गेहूं नहीं गन्ने को भी आप जुड़वाइये, क्योंकि बालाघाट में इसकी बहुत ज्यादा संभावनाएं हैं. एक तो नक्सल प्रभावित क्षेत्र है, कृषि के अलावा हम किसी और चीज पर बहुत ज्यादा सोच भी नहीं पा रहे हैं. तो कम से कम कृषि पर तो हम कुछ कर लें. मुख्यमंत्री फसल ऋण माफी योजना. मैं तो धन्यवाद करना चाहूंगी, मैंने अनुदान की मांग की किताब में देखा कि इसमें आपने 3 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया है. मैं आपको धन्यवाद करती हूं कि आपने कर्ज माफी की योजना को, मतलब यह योजना जीवित, जिन्दा है, मरी नहीं है, पर आपने 3 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान इसमें किया है, इसको आप पूरा करिये. क्योंकि जब कर्ज माफी के लिये कार्यक्रम आयोजित किये गये, तो जो कार्यक्रम हुए, उसमें किसानों को जो प्रमाण पत्र मिला है, उसके लिये तो राशि आपने भिजवाई, मैं उसके लिये आपको धन्यवाद करती हूं. हमारे यहां दो ट्रायबल ब्लाक हैं. एक तो बैहर और दूसरा परसवाड़ा. वहां के किसानों को अभी तक कर्ज माफी का पैसा नहीं मिला है, मेरा निवेदन है कि आप वह राशि भी डलवा दें. एक तो सातवां वेतनमान, सब जगह सातवां वेतनमान मिल गया, लेकिन कृषि विश्वविद्यालय के कर्मचारियों, अधिकारियों को सातवां वेतनमान का लाभ नहीं मिल रहा है. यह जो मुख्यमंत्री भावान्तर योजना है, जिस समय यह योजना लांच हुई थी, हमको ऐसा लग रहा था कि केन्द्र सरकार इतनी प्रभावित है हमारी भावान्तर योजना से कि मध्यप्रदेश की तर्ज पर पूरे देश में इस योजना को लागू करवायेगी. लेकिन ऐसा क्या हो गया इस बार कि इस भावान्तर योजना के लिये मध्यप्रदेश सरकार के बजट में जीरो रुपये है. क्या हो गया इस योजना का. सभापति महोदय, आप जिस तरीके से मेरी तरफ देख रहे हैं, मैं समझ रही हूं, लेकिन मैं अंतिम बात कह रही हूं. जब भी किसान की बात आती है, तो हमेशा पुरुषों का नाम क्यों आता है. हमारा जो विभागीय प्रतिवेदन है, नारी सम्मान तो हम एक ही दिन करते हैं, अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर, लेकिन हमारे विभागीय प्रतिवेदन की किताब में जितने किसानों की जो फोटो बनी है, वह सब पुरुष हैं. बालाघाट में 50 प्रतिशत से ज्यादा काम महिलाएं करती हैं, उनका फोटो भी इसमें होना चाहिये. (सदन में मेजों की थपथपाहट) आपके किसान के जो भी लोगो बनें, उसमें महिलाओं का स्थान प्रमुखता से होना चाहिये. सभापति महोदय आपने जो प्रावधान किया है इसमें महिलाओं के लिए एक लाइन है कि कृषि में महिलाओं की भागीदारी बजट का आवंटन जीरो, केवल आयोजन करके सम्मान मत दो, थोड़ा अपने कार्यक्रम के माध्यम से भी प्रदेश की जनता को बताइये कि महिलाओं का सम्मान हम किस तरह से कर रहे हैं.
माननीय सभापति महोदय एक छोटी सी बात मैं जरूर कहना चाहूंगी. हमारे यहां पर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की बात होती है. यह अच्छी बात है कि इसमें पिछले साल से किसानों के लिए एच्छिक कर दिया गया है. लेकिन हम सब इस बात को जानते हैं कि हमारे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी ने सार्वजनिक रूप से भी इस प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की दिक्कतों को स्वीकार किया है. उस समय के हमारे कृषि मंत्री जी ने भी स्वीकार किया था तो क्या इस योजना में केवल किसान के लिए एच्छिक बातें हैं. क्या मध्यप्रदेश सरकार के लिए एच्छिक नहीं होना चाहिए. अभी हमारे बहादुर सिंह चौहान जी कह रहे थे कि हमारे मंत्री जी ने पंचायत को इकाई बनाया है, नहीं, पंचायत को इकाई बनाने के बाद भी इस प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ नहीं मिल सकता जब तक आप किसान को इकाई नहीं बनायेंगे. यदि वास्तव में प्रधानमंत्री फसल बीमा का लाभ देना चाहते हैं तो आपको किसान को इकाई बनाना पड़ेगा. यह फील्ड की दिक्कत है जो मैं आपको बता रही हूं. माननीय सभापति महोदय आपने बोलने का समय बहुत बहुत धन्यवाद्य
श्री जालम सिंह पटेल ( नरसिंहपुर ) -- सभापति महोदय मैं मांग संख्या 13 और 54 का समर्थन करता हूं और कटौती प्रस्तावों का विरोध करता हूं. जैसा कि हम सभी जानते हैं कि मध्यप्रदेश कृषि प्रधान प्रदेश है हमारी आबादी का लगभग 75 से 80 प्रतिशत हिस्सा कृषि पर आधारित है. अभी बजट और बजट प्रावधान की भी बात हो रही थी बिंदूवार बजट पर चर्चा हुई है. मैं हमारे कांग्रेस के सम्मानित विद्वान वक्ता हैं. उनको बताना चाहता हूं कि 2003 और उसके पहले के बजट की भी हमें जानकारी होना चाहिए कि 2003 में जो मध्यप्रदेश का बजट था वह 267 करोड़ 40 लाख 30 हजार रूपये और आज के बजट में जो प्रावधान किया है वह बहुत अच्छा है. हर वर्ष की अगर मैं जानकारी दूं तो प्रत्येक वर्ष जब से भाजपा की सरकार बनी है लगातार उसमें बजट में वृद्धि हुई है. 2004 में 312 करोड़17 लाख 62 हजार रूपये 2005 से आप देखें तो लगातार आमूल चूल परिवर्तन हुए हैं. उ सका कारण मैं मानता हूं कि प्रदेश में कृषि के क्षेत्र में सिंचाई के माध्यम से उ त्पादन भी बढ़ा है लोगों को रोजगार भी प्राप्त हुआ है और कांग्रेस के बंधुओं ने जो पिछली बार सरकार बनाई थी अभी जो बात हो रही थी कि हमारी सरकार बन गई. मैं ऐसा कह सकता हूं कि उसमें प्रलोभन देकर कैसे सरकार की चोरी की जाती है, इनका मेरे पास में एक वचन पत्र है, यह वैसे फटने लगा है लेकिन मैंइसे अच्छे तरीके रखे हुए हूं. मैं इसमें बताना चाहता हूं कि लिखा है कि हम किसानों का कर्जा माफ करेंगे, फिर कहा है कि स्वामीमाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करेंगे, दूध में पांच रूपये प्रति लीटर बोनस देंगे यह कहा है. पैट्रोल और डीजल के करों में छूट देंगे, किसानों के लिए नई फसल बीमा योजना लेकर आयेंगे. इसके अलावा कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को जीएसटी से छूट दिलायेंगे. किसानों के पुत्र पुत्रियों को पांच वर्ष के लिए रियायती ब्याज पर ऋण देकर रोजगार उपलब्ध करायेंगे, किसानों की कन्याओं को 51 हजार रूपये विवाह में देंगे, किसानों को स्मार्ट कार्ड देंगे, इस तरह से एक बहुत लंबी चौड़ी लिस्ट है इसमें 24 वचन दिये थे, और किसान इसमें लगभग भ्रमित हो गया था कि उनके नेता ने कहा है कि 10 दिन में कर्जा माफ हो जायेगा. मैं ऐसा मानता हूं कि आज किसानों इतनी बूरी हालत है जो कि उऩके झांसे में आ गये हैं वह सारे के सारे किसान बंधू डिफाल्टर हो गये हैं डिफाल्टर होने के कारण मैं ऐसा मान सकता हूं कि वह कर्ज नहीं ले पा रहे हैं उनके बच्चों की नौकरी अगर लग जाती है तब वह समस्या रोज नित नई खड़ी है. उससे इनका दूर-दूर तक लेना-देना नहीं है और जहां तक प्रदेश के हमारे कृषि मंत्री महोदय हैं वह लगातार इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं. मूलत: वह भी किसान हैं. मैं ऐसा मानता हूं कि जब कोई व्यक्ति खेती-किसानी करता है तो उसको हर कष्ट और सबकी जानकारी होती है. बहुत सारे लोग तो ऐसे होते हैं जो कृषि में पढ़-लिखकर बोलते हैं. कृषि की चर्चा पर सिर्फ भाग लेते हैं लेकिन दूर-दूर तक उनका इन सबसे लेना-देना नहीं है. पहले हमारी सरकार ने, प्रदेश के आदरणीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी ने चाहे हमारे कृषि यंत्र हों, कृषि से जुड़ी हुई जितनी भी आपदाएं-विपदाएं आती थीं, बीमा की अभी बात हुई कि बीमा पहले कितना मिलता था अब कितना मिल रहा है, उसमें आरबीसी 6(4) में कई प्रकार के और बहुत सारे परिवर्तन किये हैं. हम सबको जानकारी भी है कि कोई किसान बंधु पहले खेत में किसी भी कारण से खतम हो जाता था तो उसको एक पैसा नहीं मिलता था, आज हम कह सकते हैं कि कोई किसान की अगर एक तो मौत न हो, लेकिन अगर मौत हो जाती है तो उसको 4 लाख, 5 लाख रुपये की राशि दी जाती है. घटना-दुर्घटना कहीं की भी होती है, अगर विकलांग हो जाता है तो 2 लाख रुपये की राशि उसको प्रदान की जाती है. इसी प्रकार से अगर हमारे मवेशी आपदा से खतम होते हैं, चाहे गाय हो, चाहे भैंस हो, अन्य पशु हों, उसमें 16 हजार रुपये की राशि दी जाती है. बकरी के मामले में 10 हजार रुपये की राशि दी जाती है. अन्य प्रकार के और भी छोटे-छोटे मुआवजा देने का काम करते हैं. इसी प्रकार से जैसे हमारा कुंआ है, पम्प है, किसी प्राकृतिक आपदा से समाप्त होता है तो उसको पहले 6 हजार की राशि मिलती थी और हमारी सरकार ने बढ़ाकर उसको 25 हजार रुपये करने का काम किया है. इसी प्रकार से और भी अनेक प्रकार के काम हैं. पहले बिजली से कोई व्यक्ति खतम हो जाता था तो वर्ष 2017 के पहले कोई पैसा नहीं मिलता था, लेकिन वर्ष 2017-18 में हमारी सरकार ने प्रावधान किया कि अब विद्युत मण्डल में उनको 4 लाख रुपये की राशि मुआवजा के रूप में देते हैं और विकलांग होने पर 2 लाख की राशि, कम विकलांग होने पर 59 हजार रुपये की राशि दी जाती है. ऐसे अनेक प्रकार के सुधार हमारी सरकार ने किये हैं.
स्वामीनाथन रिपोर्ट की मैं बात करना चाहता हूं और इनके वचन पत्र में भी था. स्वामीनाथन आयोग जो बना था यह आयोग कांग्रेस के समय वर्ष 2004 में बना था. इसकी पहली रिपोर्ट दिसम्बर 2004 में आयी, दूसरी रिपोर्ट अगस्त 2005 में आयी, तीसरी रिपोर्ट दिसम्बर 2005 में आयी और चौथी रिपोर्ट 2006 में आयी. इसमें जितनी भी सिफारिशें लगभग 201 सिफारिशें की गई थीं, मैं सम्माननीय प्रदेश के मुख्यमंत्री, प्रदेश के सम्माननीय कृषि मंत्री और देश के सम्माननीय प्रधानमंत्री जी, देश के सम्माननीय कृषि मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि 201 सिफारिशों में से 200 सुझाव लागू कर दिये गये हैं और उसके कारण जो उन्होंने सिफारिश की है कि 50 फीसदी से ज्यादा उसको लाभ मिलना चाहिये, तो उसके लिये हमारी सरकार ने वर्ष 2013 में मोदी जी की सरकार के बाद लगातार समर्थन मूल्य बढ़ाया है. उसके पहले समर्थन मूल्य की हालत क्या थी, गेहूं किस भाव बिकता था, बहुत सारे किसान नेता बनते हैं, उनसे पूछ लें कि 2013 में चने का समर्थन मूल्य क्या था, गेहूं का क्या था, धान का क्या था, सरसों का क्या था और आज क्या है, उसमें बहुत सारे सुझाव लागू किये गये हैं. इसके अलावा किसान की आमदनी वर्ष 2022 तक दुगुनी करनी है. इसके लिये अभी रोडमैप बनाया गया है. उसमें भी बागवानी और कृषि के क्षेत्र में भी हमारी सरकार काम कर रही है. अभी जो कृषि कानून में संशोधन हुये उसकी चर्चा हो रही थी, उसको काला कानून कहने की हमारे जो पूर्व कृषि मंत्री सचिन यादव जी ने अपनी बात कही थी, मैं सबसे पहले यह पूछना चाहता हूं कि उसमें कमी क्या है, एक तो समर्थन मूल्य पर अनाज खरीदा जा रहा है, पहले भी खरीदा जा रहा था, आगे भी खरीदा जाएगा, मंडियां यथावत रहेंगी. मंडी की आय घटी है, तो मैं बताना चाहता हूं कि पहले दो प्रतिशत उसमें मंडी शुल्क लगती थी वह कम हो गया है इसलिये उसमें आय घटी है, ऐसा मैं मानता हूं. उत्पादन बढ़ा है, इसलिये उसमें लगातार सुधार हो रहे हैं. तीसरा, उसमें कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की बात हो रही है. जो किसान है वह जानता है कि पहले से कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग हो रही है.
सम्मानीय लक्ष्मण सिंह जी, हमारे वरिष्ठ सदस्य बैठे हुए हैं, खुद तो खेती नहीं करते होंगे, मगर सिक्मी जरूर देते होंगे.
श्री लक्ष्मण सिंह -- मैं खेती भी करता हूँ और खेत में मकान बनाकर रहता भी हूँ, आपका स्वागत है, पधारिये, विराजिए, देखिए.
श्री जालम सिंह पटेल -- मैं उदाहरण भर दे रहा हूँ कि इतने बड़े किसान हैं, ऐसे किसान हैं बड़े राजा, महाराजा जो भी हैं.
सभापति महोदय -- अब तो आपको आमंत्रण दे दिया, अकेले-अकेले.
श्री लक्ष्मण सिंह -- मैं बहुत बड़ा किसान नहीं हूँ. सीलिंग के अंदर भूमि है. हमारे पूरे परिवार की जितनी भूमि है, सब सीलिंग के अंदर है.
श्री जालम सिंह पटेल -- मैं सिर्फ एक उदाहरण देना चाहता हूँ कि पट्टे पर जो जमीन दी जाती है वह सिक्मी कहलाती है. कांट्रैक्ट फॉर्मिंग पहले से ही है. कांग्रेस सरकार के समय ऐसा था कि लगातार 10 साल तक अगर सिक्मी ले तो वह कब्जा कर लेता था. वह कानून हमारी सरकार ने खत्म कर दिया. अब कोई भी कांट्रैक्ट फॉर्मिंग करे, लेकिन किसी प्रकार का कोई कब्जा नहीं हो सकता.
सभापति महोदय -- कितना समय और लेंगे ?
श्री जालम सिंह पटेल -- सभापति महोदय, बस एक मिनट. दूसरी बात मैं यह कहना चाहता हूँ और बताना चाहता हूँ कि मैंने अभी एक दिन और अपनी बात रखी थी कि कांग्रेस की सरकार पंजाब में है, आप सब लोगों को जानकारी होगी. कांट्रैक्ट फॉर्मिंग वहां पर लागू है. उसमें जो क्लॉज दिया गया है, मेरे पास अभी है, मैं अभी माननीय कृषि मंत्री जी को देने वाला हूँ, माननीय मुख्यमंत्री जी को मैंने दिया है. जाने-अनजाने में अगर कांट्रैक्ट किसान से टूट जाए तो एक लाख रुपये से पांच लाख रुपये तक उसका जुर्माना है. प्रतिदिन का अलग है. जो कानून कंपनी के लिए लागू है वही कानून किसानों के लिए पंजाब में भी लागू है. मगर हमारा जो कानून है, मोदी जी जो कानून लेकर आए हैं, उसमें जितनी भी प्रकार की छूटें हैं, सब किसानों को हैं, किसी कंपनी को नहीं हैं. दूसरी बात उसमें यह है कि किसान न्यायालय नहीं जा सकता है. न्यायालय में जाने का किसान को कोई अधिकार नहीं है. मगर अभी केन्द्रीय कृषि मंत्री जी ने, मोदी जी ने जो कानून में संशोधन किया है, उसमें यह है कि एक महीने के अंदर किसान न्यायालय में जा सकता है. उसको उसमें न्याय मिलेगा. इस प्रकार से मैं कह सकता हूँ कि लगातार कृषि के क्षेत्र में हम बात कर सकते हैं. कृषि पर, गांव पर, किसानों पर लगातार लोग बोलते हैं. उसकी उसमें संभावनाएं भी बहुत हैं. आज सुबह मैं नरसिंहपुर से आया हूँ, सुबह-सुबह 7 बजे जब वहां से चला था तो मैं आप सबको भी बताना चाहता हूँ कि सुबह कितना अच्छा लग रहा था कि जो चना कट रहा है, वह लगभग लाल है तो अभी उत्पादन चल रहा है. अभी हमारे यहां जो गाहनी हो रही है, चना 5 क्विंटल से लेकर 10 क्विंटल तक निकल रहा है.
सभापति महोदय -- कृपया समाप्त करें.
श्री जालम सिंह पटेल -- सभापति महोदय, मसूर की भी यही हालत है, गेहूँ भी अच्छा है. हम सभी चाहते हैं, आप भी चाहते हैं कि भगवान, आपदा-विपदा अभी न आए, ओले वगैरह अभी न पड़े, ऐसा ही चाहते हैं. आपने मुझे बोलने का समय दिया, माननीय मंत्री जी को और सभापति महोदय, आपको बहुत-बहुत धन्यवाद.
सभापति महोदय -- श्री जितु पटवारी जी, समय का आप ध्यान निश्चित रूप से रखेंगे.
श्री जितु पटवारी (राऊ) -- आदरणीय सभापति महोदय, धन्यवाद. सौभाग्य से आदरणीय कृषि मंत्री जी से मेरे बहुत अच्छे रिश्ते हैं और चूँकि मैं जो बातें कर रहा हूँ, वह सब कृषि पर, कृषि की उन्नति पर, मध्यप्रदेश के किसानों के भविष्य पर सकारात्मक असर डाले, उसके लिए उनसे सहयोग की अपेक्षा भी है.
आदरणीय सभापति महोदय, हमारे लिए सौभाग्य का विषय एक और है कि हमारे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री किसान पुत्र हैं, साथ ही एक और भी सौभाग्य का विषय है कि हमारे देश के कृषि मंत्री भी हमारे ही मध्यप्रदेश के हैं. ये तीन-तीन एक साथ हाईजैक या एक पॉवर और प्रेशर से किसानों की उन्नति में जब लगते हैं तो मैं समझता हूँ कि असर उसका कुछ ज्यादा हो रहा है. मांग संख्या 13 - कृषि कल्याण तथा कृषि विकास, मांग संख्या 54 - कृषि अनुसंधान और शिक्षा, इन मांगों की चर्चा में मुझे बोलने का अवसर मिला, मैं मानता हूँ कि मध्यप्रदेश में कृषि के कल्याण को लेकर लगभग एक लाइन में कोई चेहरा दिखता है तो 400 प्रश्न सदन ने इस बार आसंदी के माध्यम से सरकार से किए, जिसमें 400 में से 23 प्रतिशत प्रश्न एग्रिकल्चर और उसके आसपास के थे. इसमें 23 प्रतिशत प्रश्नों के 70 प्रतिशत उत्तर, संख्या में भी मैं बता सकता हूँ, उसमें यह जवाब दिया गया है कि जानकारी एकत्र की जा रही है. यह कृषि के विकास का अहसास कराता है. अब बजट की बात आई, भाषण अच्छे थे, मुख्यमंत्री जी के भी भाषण अच्छे थे. माननीय राज्यपाल महोदया के अभिभाषण पर माननीय वित्त मंत्री जी ने भी बड़ी बातें कीं. फिर जितने विधायक सत्तापक्ष के हैं उन्होंने भी कहा कि एग्रीकल्चर को लेकर बजट बढ़ा. 47 हजार करोड़ रुपए का बजट माननीय कमलनाथ जी ने किया था. उसका लगभग 50 प्रतिशत घटा दिया. थोड़ा-बहुत ऊपर नीचे हो सकता है तो ऐसी बातें करना जीरो बटे सन्नाटा हैं. बात पैसे की पैसे से ही होगी. यह कहना कि हम विकास कर रहे हैं, विकास कर रहे हैं बजट नहीं दे रहे हैं बजट नहीं दे रहे हैं तो यह जादू से कैसे आप कृषि का विकास बढ़ाएंगे ? भगवान ही मालिक है. मैं मानता हॅूं कि परिस्थिति ऐसी है जैसे कि मेरे ही प्रश्नों के उत्तरों की बात चालू करुं कि इनके विकास का आईना कैसा है और चेहरा कैसा है.
माननीय सभापति महोदय, पहला प्रश्न मैंने इनसे पूछा कि किसान कर्ज माफी की जानकारी, उस पर सरकार का मत कर्जमाफी जारी रहेगी, कमल नाथ सरकार ने जो कर्ज माफी की है, क्या वह वसूलेंगे ? जारी करेंगे या वसूलेंगे, यह क्यों प्रश्न बना ? ऐसे ही केवल राजनैतिक प्रश्न नहीं है. हरदा, हरदा के बाद सीहोर, सीहोर के बाद बुधनी, बुधनी के बाद सारे भोपाल और फिर मध्यप्रदेश के सारे समाचार पत्रों में छपा कि 28 तक जमा करें. करना है कर्ज राशि वापस. यह सीहोर का है जहां मुख्यमंत्री जी का विधानसभा क्षेत्र है. ऐसा कई पत्रों में छपता रहता है. माननीय कमल पटेल जी आपके माध्यम से मैं उनसे पूछना चाहता हॅूं कि यह सरकार पार्टी की होती है, यह सरकार शिवराज सिंह जी की है या कमलनाथ जी की है. यह संविधान के तहत बनी है. क्या एक योजना, जिसमें 27 लाख किसानों का कर्जा आपने माफ कर दिया. आपने बोला. आपका वह भी उत्तर मेरे पास है. कागज से बात कर सकते हैं तो मेरा अनुरोध है कि बचे हुए किसानों ने क्या पाप किया ? योजना लगातार लागू क्यों नहीं रहना चाहिए ? आप यह बताएं या फिर जिन किसानों को दे दिया, क्या उनसे राशि वसूलेंगे ? यदि आप सही हैं, आप ऐसा कर रहे हैं तो उत्तर देना था कि हमारी यह योजना है. आपने उत्तर क्यों नहीं दिया ? इसका मतलब उन किसानों ने, जो हरदा के हैं माननीय कमल पटेल जी को विधायक चुना और कृषि मंत्री बनाया, यहां बैठे हैं तो उन बचे हुए 2 लाख तक किसानों ने, आपको वोट देकर, विधायक बनाकर क्या कोई पाप किया था ? क्या मेरी विधानसभा के लोगों ने किया था, यह पीछे बैठे हैं क्या इनकी विधानसभा के लोगों ने किया ? क्या माननीय गोपाल भार्गव जी के क्षेत्र के लोगों ने किया था ? क्या गुनाह किया ? एक बात तो बताइए कि जो किसान बच गए, उनको देना चाहिए या नहीं देना चाहिए. यह तो सर्वसम्मति से निकलने वाली बात है. मेरा आपसे अनुरोध है कि यह तेरा- मेरा छोड़कर जो योजना आधी-अधूरी है, उसको कम्प्लीट कीजिए. अगर नहीं करेंगे तो सही में आप पाप के भागी बनेंगे और इसका उत्तर पूरा सदन आपसे चाहता भी है.
सभापति महोदय, दूसरा प्रश्न मैंने इनसे पूछा. यह बार-बार कहते हैं कि किसानों की शिवराज सरकार, अभी हमारे दोनों सदस्यों ने बोला. 10 साल से लगातार कृषि कर्मण अवार्ड मिला. मैंने प्रश्न पूछा कि माननीय कमल पटेल जी बताने की कृपा करें कि किसानों का रकबा प्रति किसान मध्यप्रदेश में वर्ष 2010 से लेकर वर्ष 2021 तक घटा है या बढ़ा है ? तो वर्ष 2011-12 में रकबे के आधार पर किसानों की जो संख्या थी, उसमें 46 प्रतिशत किसान थे, 26 प्रतिशत खेतिहर मजदूर थे. आपकी कृपा से माननीय शिवराज सिंह चौहान जी ने पांच बार कृषि कर्मण अवार्ड का तमगा गले में लटकाया. उसकी भावनाओं से अभी 26-27 प्रतिशत किसान बच गए हैं और 36 प्रतिशत खेतिहर मजदूर हो गए हैं यह आप ही की कृपा बनी है इस प्रदेश में. आपने इन 16 सालों में किसानों के लिए क्या किया. यह 16 साल की सरकार यह किसानों को बताती है. फिर तीसरा प्रश्न मैंने प्रदेश की ऋण माफी योजना संचालित आय के संबंध में पूछा कि माननीय शिवराज सिंह जी, आपने वर्ष 2010, 2011 और वर्ष 2012 में देश को, प्रदेश को एक नया विज़न दिया. विज़न था किसानों की आय दुगुनी करना है. देश के प्रधानमंत्री जी ने उसको आत्मसात किया. अब वह भी बोलते हैं कि किसानों की आय दुगुनी करना है. यह कहते हैं कि काला कानून लेकर आए हैं इसलिए कि किसानों की आय दुगुनी करना है. उसमें काला क्या है, यह बताने की आवश्यकता है, मैं बताता हॅूं.
सभापति महोदय -- जितु भाई, आपने कई प्रश्न पूछे होंगे, तो उनका जवाब तो आया ही होगा.
श्री जितु पटवारी -- माननीय सभापति महोदय, नहीं आया है, जानकारी निरंक, जानकारी एकत्रित की जा रही है. यही तो इसका सवाल है, यह आपको संरक्षण देना है.
सभापति महोदय, यह आप जो वहां पर बैठे हैं, जवाब नहीं दिया. मैंने यह कैग की रिपोर्ट में से कुछ आंकडे़ं निकाले हैं जो मध्यप्रदेश सरकार के आर्थिक सर्वेक्षण ब्यूरो के आधार पर जो-जो बातें आयीं.
सभापति महोदय -- आप अनुदान पर भी आ जाइए. अपने क्षेत्र की बातें करें.
श्री जितु पटवारी -- माननीय सभापति महोदय, मेरा अनुरोध अनुदान पर ही है. मुझे क्षेत्र की बातें पूछनी नहीं है. मुझे तो यही पूछना है. पूरा प्रदेश मेरा क्षेत्र है.
सहकारिता मंत्री(श्री अरविन्द सिंह भदौरिया)-- माननीय जीतू भाई, अभी आपने कहा कि कृषि कर्मण पुरस्कार 5-5, 6-6 बार मिला, तो जब देश के माननीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह साहब थे उस समय भी चार बार कृषि कर्मण पुरस्कार मिले उस समय के माननीय प्रधानमंत्री मनमोहन जी ने भी दिया है तो कम से कम उनका तो सम्मान रखिए भैय्या.
श्री जितु पटवारी-- सम्मान मैं मेरे मुख्यमंत्री का भी रख रहा हूँ, शिवराज सिंह चौहान मेरे मुख्यमंत्री हैं, उनका भी और देश के प्रधानमंत्री, आज मेरे भी प्रधानमंत्री हैं....
सभापति महोदय-- वह तो प्रारंभ में ही आ चुका है.
श्री जितु पटवारी-- उनका भी सम्मान रख रहा हूँ पर मेरा अधिकार इस सदन में जो आने का है उसका भी सम्मान मुझे रखना है और वह यह कहता है कि शिवराज सिंह जी ने 2010 से भाषण देना चालू किए कि किसानों की आय मुझे दुगनी करनी है, जब मैंने पूछा कि किसानों की आय दुगनी, डेढ़ी हुई, सवाई हुई, कहाँ पहुँचे, तो उत्तर मिला निरंक. फिर मैंने कैग की रिपोर्ट का.....
श्री दिलीप सिंह परिहार-- जीतू भाई, सिंचाई का रकबा बढ़ाया भाई.
श्री जितु पटवारी-- कैग की रिपोर्ट के आधार पर जो सरकार के ही निर्देशित करने वाले आँकड़े होते हैं, उससे निकाला कि किसानों की आय कितनी है, उसके अनुसार मैंने सकल राज्य कृषि उत्पाद और किसानों की आबादी से किसानों की आय निकाली. उसमें 36000 रुपये पर प्रति किसान की आय मध्यप्रदेश में इस वक्त, उस किताब के, यदि हम उस किताब पर भरोसा करें तो, आधार पर है. अब 36000, अब भाई साहब, कृषि मंत्री जी, बताने की कृपा करें, जैसा मैंने कहा कि 38 प्रतिशत किसान थे जो 24 प्रतिशत रह गए. 26 प्रतिशत खेतिहर मजदूर थे जो 41 प्रतिशत हो गए. अब आप बताओ कि ऐसे में किसानों की जो आय है, प्रति किसान, जो किसान मजदूर होता जा रहा है और इधर आय घटती जा रही है तो आपने 16 साल में क्या किया? इसका उत्तर अभी आपके भाषण में आप देना. अभी सम्मान की बात होती है. अभी हमारी बहन ने भी किसान सम्मान को लेकर आपको साधुवाद दिया. किसानों का सम्मान करते हों ऐसा सब करके आप. आप 4000 रुपये देते हों तो एक किसान को 12 रुपये रोज पड़ता है. 12 रुपये में हरदा के आपके गाँव में पीवर दूध की चाय नहीं देते, शक्कर अलग रहती है उसमें. एक 16 रुपये देते हैं, देश के प्रधानमंत्री, उन्होंने कहा 16 रुपये रोज, किसानों का मैं सम्मान करूँगा.....
श्री के.पी.त्रिपाठी-- आपकी सरकार में किसानों की कर्जा माफी का वादा करके जो ब्याज का बोझ किसानों के ऊपर लादा है और आज जितने किसान कालातीत होते हैं उसके लिए काँग्रेस को और आपको उसके लिए प्रदेश के किसानों से माफी मांगना चाहिए.
श्री जितु पटवारी-- सभापति महोदय, 16 रुपये रोज किसानों का सम्मान...(व्यवधान)..करना चाहता हूँ, मेरे समझ से परे है, गाँव में किसान हमेशा बड़ी आबादी में रहता है. मध्यप्रदेश की सरकार ने कहा कि हमने 5 करोड़ 54 लाख लोगों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली से राशन दिया और ग्रामीण क्षेत्र की 90 प्रतिशत आबादी को सार्वजनिक वितरण प्रणाली से राशन दिया तो आपने गाँव में यह कहा ज्यादा गरीब हैं इसका मतलब आपका असली चेहरा दिखता है कि आपने किसानों के साथ क्या किया....
श्री रघुनाथ सिंह मालवीय-- भाई साहब, आपकी सरकार ने बोनस 160 रुपये का कहा था वह भी नहीं दिया.
श्री जितु पटवारी-- आदरणीय सभापति महोदय, कागज तो मेरे पास बहुत हैं कमल पटेल जी के पर अब इन पर बात नहीं करूँगा.
सभापति महोदय-- नहीं, इतना समय नहीं हैं.
लोक निर्माण मंत्री(श्री गोपाल भार्गव)-- सभापति जी, जीतू भाई, जरा इतिहास के पन्नों में जाएँ डॉक्टर राममनोहर लोहिया ने संसद में बहस में इस बात को प्रमाणित किया था, जब जवाहर लाल जी प्रधानमंत्री थे, तीन आने आय, उस समय किसान की और पर कैपिटा इनकम थी भारत की, अब यदि 16 रुपये भी है, जो प्रामाणिक नहीं है, तब भी मैं कह सकता हूँ कि देश बहुत आगे बढ़ा है.
श्री जितु पटवारी-- धन्यवाद, आपने माना तो सही, नहीं तो नरेन्द्र मोदी जी तो कह रहे थे देश वहीं है. जहाँ देश की आजादी के.....
श्री रामेश्वर शर्मा-- नहीं, नहीं, ये आय नहीं है. माननीय सभापति जी, यह किसानों की आय नहीं है, सम्मान को आय में नहीं जोड़ सकते, आप समझ लीजिए.
श्री जितु पटवारी-- यह हमने नहीं कहा, मेरे भाषण में यह इधर ही इधर है...(व्यवधान)...और उन्होंने जो कहा वह रिकार्ड में है.
सभापति महोदय-- आप अपनी बात कहिए. ..(व्यवधान)...
श्री रामेश्वर शर्मा-- किसानों को सम्मान निधि का लाभ लेने देना नहीं चाहते हों..(व्यवधान)...
सभापति महोदय-- सचिन यादव जी बैठिए, जीतू भाई, अपनी बात समाप्त करें....(व्यवधान)...
श्री के.पी.त्रिपाठी-- इनको गरीबों, किसानों और नौजवानों से कोई मतलब नहीं है..
सभापति महोदय-- त्रिपाठी जी, बैठिए.
श्री जितु पटवारी-- आप बैठो, आपकी गरीबी और नौजवानों की फिकर का मुझे अंदाजा है बैठो.
सभापति महोदय-- आप मत बैठाइये. त्रिपाठी जी, बैठिए.
श्री जितु पटवारी-- आप बोलिए.
सभापति महोदय-- मैंने बोल दिया. आप अपनी बात को धन्यवाद के साथ समाप्त करें.
श्री जितु पटवारी-- सभापति जी, मेरा अनुरोध इतना है कि एक कृषि से संबंधित बात है और इस बात पर कोई तर्क वितर्क नहीं हो सकते और आरोप-प्रत्यारोप नहीं हो सकता है. मैंने अभी शून्यकाल में इस विषय को उठाया था. मैं यह अनुरोध करना चाहता हूँ कि मध्यप्रदेश में कृषि विस्तार अधिकारियों का चयन हुआ और पहले 10 से 15 लोगों पर रिसर्च हुई. मीडिया ने भी की, बाकी लोगों ने भी की और हमने भी की.
सभापति महोदय -- वह बात शून्यकाल के रिकार्ड में आ चुकी है.
श्री जितु पटवारी -- सभापति महोदय, यह प्रश्न कृषि से संबंधित है. मैंने पहले इसलिए मांग संख्या की बात की थी.
सभापति महोदय -- आप समाप्त करें.
श्री जितु पटवारी -- सभापति महोदय, यह समाप्त करने का विषय नहीं है, यह समझ का विषय है. मेरा अनुरोध है कि व्यापम में 11 फरवरी को एक एग्जाम हुआ. वर्ष 2021 में वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी, ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी इनका चयन हुआ. व्यापम की परीक्षा में कई परीक्षार्थियों ने 200 में से 190 नंबर प्राप्त किए. यह बड़ी बात है, वे लोग कौन हैं. परिणाम में टॉप 10 जो लोग हैं सभी एक क्षेत्र के हैं. जैसा मैं पहले बता चुका हूँ यह रिकॉर्ड में आ चुका है. व्यापम की त्रुटि से एग्रीकल्चर के तीन प्रश्न ऐसे थे जिनके व्यापम ने उत्तर ही गलत दे दिए. प्रश्न पत्र में ही उत्तर गलत दे दिए.
सभापति महोदय -- आपकी बात आ गई, बहुत-बहुत धन्यवाद. श्री हरिशंकर खटीक. समय हो गया है.
श्री जितु पटवारी -- सभापति महोदय, यह विषय तर्क वितर्क का नहीं है. यह विषय हम सभी का है, आपका, मेरा, मेरे बच्चों का, आपके बच्चों का, प्रदेश के बच्चों का है.
सभापति महोदय -- समय की मर्यादा है. समाप्त करें.
श्री जितु पटवारी -- सभापति महोदय, यह तर्क वितर्क की जगह ही नहीं है. मैंने बहुत शार्ट में अपनी बात कही है. इसमें एक प्रश्न बना सेब के पेड़ का कि एक जगह से दूसरी जगह बगीचा लगाएं तो अन्तर कितना होता है. कृषि मंत्री जी आप एग्रीकल्चर के स्टूडेंट हैं सेब के बगीचे में एक पेड़ से दूसरे पेड़ की दूरी क्या होती है, क्या अभी बता देंगे, कृपा होगी. भाई जैसा व्यवहार हो रहा है, एक राजनीतिक व्यक्ति जैसा नहीं. नहीं बताएंगे, क्या बताएंगे. (श्री कमल पटेल, मंत्री, किसान कल्याण व कृषि विकास द्वारा बैठे-बैठे हाँ में सिर हिलाया गया.)
सभापति महोदय -- जितु जी समाप्त करें. माननीय सदस्यों को भी मौका मिलेगा. जितु भाई आपने काफी समय ले लिया है. श्री हरिशंकर खटीक.
श्री जितु पटवारी -- सभापति महोदय, जिन्होंने 5-5 बार में एग्रीकल्चर में डिग्री ली है.
सभापति महोदय -- आपकी बात आ गई है.
श्री जितु पटवारी -- सभापति महोदय, 5-5, 7-7 बार में जिन बच्चों ने एग्रीकल्चर में, अलग-अलग रिकॉर्ड है. मैं एक-एक का पढ़कर बता सकता हूँ.
सभापति महोदय -- बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री जितु पटवारी -- सभापति महोदय, वे कहते हैं कि चार बाय चार की दूरी होना चाहिए, व्यापम ने गलत उत्तर दिया, उन्होंने भी कहा जो व्पापम ने कहा है. बच्चों ने भी वही कहा है जो व्यापम ने कहा है. ऐसे चार प्रश्न हैं, यह अपने आप में बताता है कि इस सरकार ने फिर से व्यापम चालू कर दिया है. अगर व्यापम की इस तरीके से कृषि के विस्तार को लेकर उन अधिकारियों कि नियुक्ति होगी तो क्या कृषि का विकास होगा और क्या कृषि का विकास करप्शन के साथ करेंगे.
सभापति महोदय -- श्री आशीष गोविन्द शर्मा.
सभापति महोदय -- जैसे 16 साल में मुख्यमंत्री ने झुनझुना दिया और यह कहा कि मैं आय दुगुनी करुंगा, नहीं की. आज तक बता नहीं पा रहे हैं निरंक उत्तर है. (व्यवधान)
श्री बहादुर सिंह चौहान -- जितु भाई आपने क्या किया. किसानों को धोखा दिया है. स्व-सहायता समूहों को धोखा दिया है. (व्यवधान)
श्री जितु पटवारी -- सभापति महोदय, इस प्रकार का इस सरकार का असली चेहरा है. यह विषय ऐसा है ही नहीं कि इस पर तर्क वितर्क किया जाए. यह विषय ऐसा है इसमें सभी को मिलकर बात करनी चाहिए. इतना बड़ा काण्ड, यह छोटा-मोटा काण्ड नहीं है. मैं मानता हूँ कि इस पर शासन को, प्रशासन को और सदन को यह विरोध है यह आना चाहिए. (व्यवधान)
श्री मनोज चावला -- सभी लोगों को सुनने की ताकत रखना चाहिए.
श्री अनिरुद्ध (माधव) मारू (मनासा) -- सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 13 और 54 के समर्थन में खड़ा हुआ हूँ. हमारा देश कृषि प्रधान देश है. आजादी के बाद से जिस कृषि को सबसे ज्यादा बढ़ावा मिलना चाहिए था उसका वैसा विस्तार कभी नहीं हुआ. कृषि हमारी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है. इसीलिए निरन्तर कृषि का उत्पादन बढ़ाने की ओर ध्यान दिया गया उसी का परिणाम है कि लगातार सात बार माननीय मुख्यमंत्री जी को कृषि कर्मण पुरस्कार दिया गया है. मनासा की भी बात आएगी, हर हाल में आएगी. अभी सम्मान की बात चल रही थी. माननीय जितु भाई, हिना जी और सचिन भैया ने भी सम्मान की खूब बातें कीं. आप लोग ससुराल जाते हैं और वहां पर आपको 1100 रुपए का लिफाफा मिलता है तो सम्मान में स्वीकार कर लेते हैं या नहीं करते हैं? आप लोग सम्मान की कीमत कर रहे हैं. किसान को सम्मान मिला. 6 हजार रुपए माननीय प्रधानमंत्री जी ने दिए, 4 हजार रुपए माननीय मुख्यमंत्री जी ने दिए ऐसे कुल 10 हजार रुपए हुए उसको सम्मान निधि बोला है, किसान को भीख नहीं दे रहे हैं किसान से असत्य वादा आप लोगों ने किया. पूरे प्रदेश में दो लाख रुपए देने का वादा किया, घर-घर जाकर प्रमाण-पत्र बांट दिए लेकिन क्या आपने उनके खातों में राशि डाली? फिर काहे की कर्ज माफी? कर्ज माफी तब होती है जब आप लोग वास्तव में उन 28 लाख किसानों के खातों में पैसा जमा करा देते तो वह कर्ज माफी होती. आपने उनको झूठ बोलकर प्रमाण-पत्र पकड़ा दिया उन्होंने अपना फायदा जमा नहीं कराया और डिफॉल्टर हो गए. यह तो माननीय मुख्यमंत्री जी का धन्यवाद है जिन्होंने उनका पैनाल्टी ब्याज जमा करके उनके खाते चालू करवाए. आप लोगों ने एक हाथ से देने की बात कही कि हम दो लाख रुपए माफ कर रहे हैं और दूसरे हाथ से उनसे पैसा वापस ले लिया, सारी सुविधाएं छीन लीं, सारी योजनाएं छीन लीं और उसके बाद देने की बात कर रहे हैं.
माननीय सभापति महोदय, मैं इस सदन के माध्यम से यह कहना चाहूंगा कि आप लोगों ने झूठे प्रमाण-पत्र बांटकर किसानों को ठगा है और इसीलिए जब 10 हजार रुपए की राशि किसानों को सम्मान निधि में प्राप्त होती है तो वह निश्चित रूप से अपना बीज खरीद सकता है, बाजार से दवाईयां खरीद सकता है, वह उसका सही उपयोग कर सकता है. आप प्रतिदिन की आय मत जोडि़ए, प्रतिव्यक्ति आय मत जोडि़ए, आप यह देखिए कि 10 हजार रुपए का वह क्या उपयोग कर सकता है. निश्चित रूप से किसान को फायदा मिला. हमारे प्रदेश में माननीय मुख्यमंत्री जी ने सारे डिफॉल्टर किसानों का ब्याज का पैसा जमा कराके उनके खाते चालू करवाए, निरंतर खाद पर उनको सब्सिडी मिलती है. वह सोसायटी से खाद, बीज खरीदते हैं तो उनको 10 प्रतिशत की सब्सिडी मिलती है. उनको शून्य प्रतिशत ब्याज पर पैसा उपलब्ध होता है तो निश्चित रूप से जो छोटी-छोटी मदद उसको होती है तो वह आराम से अपना पैसा वापस रोटेट कर सकता है. आपने तो खाते भी बंद करा दिए, सब्सिडी भी बंद करा दी, सारी व्यवस्था गड़बड़ कर दी और उसके बाद मध्यप्रदेश में खाद की उपलब्धता की क्या स्थिति कर दी थी. यह तो हमारे प्रदेश का भाग्य है कि हमारे मुख्यमंत्री जी किसान के बेटे हैं और हमारे कृषि मंत्री जी भी किसान के बेटे हैं श्री मनोज चावला-- (आसन पर बैठै-बैठे) लहसुन प्याज.
श्री अनिरूद्ध (माधव) मारू-- लहसुन प्याज के भाव भी बहुत अच्छे हैं आपको पता नहीं है क्या कि लहसुन के भाव क्या हैं? मेरे से पूछिए मेरे ही क्षेत्र में लहसुन होता है. आपके क्षेत्र में शायद नहीं होता है इसलिए आपको भाव नहीं पता है.
सभापति महोदय, अभी एक और बात हो रही थी कि क्या किसानों की आय दोगुनी हुई? मुख्यमंत्री जी और प्रधानमंत्री जी ने घोषणा की थी. इनको नहीं पता कि किसान की आय दोगुनी हुई है कि नहीं हुई. मध्यप्रदेश में इतना उत्पादन बढ़ा है कि 1 करोड़ 29 लाख टन गेहूं किसानों ने तोला है और सातवे दिन पैसा उनके खातों में चला गया. क्या किसानों को इतना पैसा नहीं मिला, क्या किसानों का उत्पादन नहीं बढ़ा और यह दूसरी बात करते हैं आप मुझे एक बात बताएं कि इनके समय में वर्ष 2003 तक कितनी बिजली मिलती थी. केवल दो घंटे बिजली मिला करती थी. दो आदमी सिंचाई करने जाते थे और एक रात को वहीं बैठता था और आज किसानों को दस घंटे लगातार बिजली मिल रही है. किसान का रकबा बढ़ा है, किसान का सिंचाई का क्षेत्र बढ़ा है. 7 लाख हेक्टेयर से लेकर आज 35 लाख हेक्टेयर की सिंचाई चालू हो गई है और 65 लाख हेक्टेयर होने जा रही है तो निश्चित रूप से जब उसका रकबा बढ़ा है तो उत्पादन भी बढ़ा है. आय केवल भाव बढ़ने से नहीं होती है. भाव तो बढ़े ही हैं लेकिन जब उसका उत्पादन ही चार गुना हो गया है तो आय डबल होगी या चार गुना होगी क्या आप हिसाब लगाते हैं? इस सदन में कितने किसान बैठे हैं सभी को पता है कि किसानों की स्थिति क्या है. आप अपने-अपने खाते चेक कीजिए आपको समझ में आएगा.
सभापति महोदय-- मनोज जी, कृपया आप बैठे-बैठै व्यवधान न करें उनको अपना वक्तव्य जारी रहने दें.
श्री अनिरूद्ध (माधव) मारू-- सभापति महोदय, मैं मूल बात पर आता हूं कि प्रदेश में अलग-अलग क्षेत्र में अलग-अलग पैदावार होती है. हमारा विधान सभा क्षेत्र नीमच जिला विशेष रूप से मनासा तहसील हमारा नीमच, मंदसौर जिला पूरे विश्व में सबसे ज्यादा औषधि फसलें पैदा करता हैं और पूरे विश्व की सबसे ज्यादा मसाला फसलें पैदा करता है. हमारी कुछ फसलें ऐसी हैं जो पूरे विश्व में पैदा नहीं होती हैं जैसे कि अश्वगंधा, अफीम, ईसबगोल हम दुनिया में सबसे ज्यादा पैदा करते हैं और अश्वगंधा तो पूरी दुनिया में कहीं होती नहीं है सिर्फ हमारे मनासा में होती है. मेरा निवेदन है कि कृषि के इन क्षेत्रों में हमारे अनुसंधान लगातार बढ़ना चाहिए. हर जिले को कम से कम एक एग्रीकल्चर कॉलेज मिलना चाहिए. हमारी मनासा तहसील में महागढ़ एक कृषि फार्म पड़ा हुआ है वह लगभग 150 बीघा का है जिसका कोई उपयोग नहीं हो रहा है अगर वहां पर कृषि महाविद्यालय खोल दिया जाएगा तो मैं माननीय मंत्री जी से अनुरोध करना चाहूंगा कि वह मेरे क्षेत्र को एक सौगात देने की कृपा करें. ताकि वहां जो हमारे 90-95 प्रतिशत किसान हैं और हमारे क्षेत्र के लोग, जो खेती से जुड़े हुए हैं यदि उन्हें इस एग्रीकल्चर कॉलेज की सुविधा मिल जायेगी और वहां विभिन्न अनुसंधान केंद्र होंगे, जिससे वहां हर फसल पर अनुसंधान हो सकेगा, उसका उत्पादन कैसे बढ़ाया जाये, इस पर काम होना चाहिए.
माननीय सभापति महोदय, इसके अतिरिक्त मेरा निवेदन है कि आपको जैविक कृषि की ओर विशेष ध्यान देना होगा क्योंकि हमारी परंपरागत कृषि के जो तरीके हैं, हमारे पशुओं को हमारी कृषि से जोड़ना होगा और उससे जो लाभ आयेगा, जो उत्पादन होगा, उसके विपणन की व्यवस्था, सरकार अलग से करे, उस पर सब्सिडी की व्यवस्था सरकार करे.
माननीय सभापति महोदय, आजकल बाजारों में जैविक दवाओं के नाम पर 50-100 रुपये की दवा की बोतल के 1500 रुपये वसूले जाते हैं तो इनका भी मूल्य-नियंत्रण करवाया जाये, जिससे किसान को वे जैविक उत्पाद, जिनका उपयोग कृषि में होता है, सस्ते दामों पर मिल सके, जिससे किसान जैविक कृषि की ओर आकर्षित होंगे. हमें प्रदेश को विशेष रूप से, जैविक कृषि के क्षेत्र में आगे लाना चाहिए. आज कोरोना के बाद पूरे विश्व में जैविक कृषि की मांग है, चूंकि पूरे विश्व में इसकी मांग है, यदि हम इस पर अभी से कार्य करेंगे तो निश्चित रूप से हम अपने लक्ष्य को प्राप्त करेंगे. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी और कृषि मंत्री जी को धन्यवाद दूंगा कि उन्होंने प्रदेश के किसानों के लिए इतना बड़ा बजट रखा है. आपने मुझे बोलने के अवसर दिया उसके लिए धन्यवाद.
श्री बाला बच्चन- (अनुपस्थित)
श्री लाखन सिंह यादव- माननीय सभापति महोदय, मैं इस पर नहीं, आगामी पर बोलूंगा.
श्री सुनील सराफ- (अनुपस्थित)
श्री तरबर सिंह (बण्डा)- माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 13 और 54 के कटौती प्रस्तावों का समर्थन करता हूं. जैसा कि हम जानते हैं कि मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना के बारे में कहा गया है कि मध्यप्रदेश के किसानों के खातों में 4 हजार रुपये और प्रधानमंत्री कृषक सम्मान निधि के माध्यम से किसानों के खातों में 6 हजार रुपये डाले जायेंगे. मैं आपके माध्यम से राज्य और केंद्र सरकार से कहना चाहूंगा कि क्या 6 और 4 हजार रुपये से किसान का भला हो सकता है ? क्या 6 हजार और 4 हजार रुपये से किसान आत्मनिर्भर बन सकता है ?
माननीय सभापति महोदय, जब तक डीज़ल-पेट्रोल, कृषि-यंत्र, खाद-बीज और किसानों की फसलों का उचित मुआवज़ा, उन्हें नहीं दिया जायेगा, तब तक किसान का भला नहीं हो सकता है. जैसा कि हमारे आदरणीय कमलनाथ जी ने किसान ऋण माफी करके मध्यप्रदेश में एक इतिहास बनाया है, वास्तव में उन्होंने 28 लाख किसानों का कर्ज माफ करके, उनका 11 हजार 696 करोड़ रुपये का कर्ज माफ किया है, ऐसी ही नीति इस सरकार को भी बनानी पड़ेगी.
माननीय सभापति महोदय, सहकारी बैंकों द्वारा जो नीति बनाई गई है कि किसान 100 रुपये का ऋण लेकर 90 रुपये वापस करें लेकिन उसमें एक समय-सीमा दिनांक 31 मार्च तक तय की गई है अर्थात् यदि 31 मार्च तक किसान ऋण भर देता है तो वह 100 रुपये के बदले 90 रुपये भर सकता है. इस सदन में ऐसे बहुत से किसान बैठे हैं, मैं उनसे पूछना चाहूंगा कि क्या 31 मार्च तक सभी किसानों की फसल तैयार हो जाती है जबकि गेहूं खरीदी का समय अप्रैल माह में है तो किसान कहां से अपना गेहूं बेचकर, इस नीति के तहत फायदा ले सकता है.
सभापति महोदय- तरबर जी, कृपया आप, अपने सुझाव एवं अपने क्षेत्र की बात सीधे-सीधे बतायें.
श्री तरबर सिंह- माननीय सभापति महोदय, मेरा सुझाव है कि इस योजना की तिथि 30 मार्च के स्थान पर बढ़ाकर 30 अप्रैल कर दी जाये. इसके अतिरिक्त मैं कहना चहूंगा कि यदि किसान कोई भी कृषि यंत्र चाहे हार्वेस्टर हो या ट्रैक्टर, यदि किसी दूसरे प्रदेश से खरीदते हैं तो अपने प्रदेश में जब उसका रजिस्ट्रेशन करवाया जाता है तो उस पर 10 प्रतिशत टैक्स लगता है, यह भी गलत है.
सभापति महोदय- माननीय सदस्य, मैं आपको बता दूं कि वह टैक्स अब 1 प्रतिशत हो गया है.
श्री तरबर सिंह- माननीय सभापति महोदय, आप कह रहे हैं लेकिन कंप्यूटर अभी भी 10 प्रतिशत ही टैक्स ले रहा है, इसमें भी सुधार किया जाये. वर्ष 2020 में खरीफ फसल का जो नुकसान हुआ था. उसमें मेरी दो तहसीले हैं बण्डा और शाहगढ़ उसमें बण्डा तहसील के लिये तो खरीफ फसल की नुकसान का मुआवजा दिया गया है, मेरा निवेदन है कि बण्डा के किसानों को भी नुकसान का मुआवजा दिया जाये. अभी वर्तमान में मेरे विधान सभा और पूरे जिले में तुषार और पाला पड़ने से..
सभापति महोदय:- माननीय मंत्री जी, आप अभी थोड़ा बाहर चले गये थे, माननीय सदस्य ने कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिये हैं आप लिखित में उनसे प्राप्त कर लीजियेगा.
श्री तरबर सिंह:- सभापति महोदय, अभी वर्तमान में मेरे विधान सभा क्षेत्र में और जिले में तुषार, पाला और ओलावृष्टि से किसानों का बहुत नुकसान हुआ है. मेरा आपके माध्यम से निवेदन है कि इसकी भी तुरंत जांच करके किसानों को मुआवजा दिलाया जाये.
सभापति महोदय, अभी जो कृषि बिल पास हुआ है उसके संबंध में बोलना चाहूंगा कि जो मण्डी, जिसमें केन्द्र सरकार ने जो नियम बनाया है कि किसान कहीं भी अपना अनाज बेच सकता है इसमें यदि व्यापारी घर बैठे किसानों का अनाज खरीदेगा तो मैं आपको बता दूं कि जब मण्डियों में व्यापारी किसानों का अनाज खरीदता है तो उस पर प्रशासन की नजर रहती है उसके बाद भी व्यापारी बदमाशी कर देते हैं तो क्या घर बैठे व्यापारी किसानों को फायदा देंगे ? माननीय बस मैं इतना ही कहना चाहता हूं, आपने बोलने का समय दिया, उसके लिये धन्यवाद.
कुं. प्रद्युम्न सिंह लोधी:- अनुपस्थित.
श्री श्याम लाल द्विवेदी(त्योथर):- माननीय सभापति महोदय, आपके माध्यम से पहली बार मुझे सदन में बोलने का अवसर मिला इसके लिये मैं कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए आपको धन्यवाद देता हूं. साथ ही हमारे सदन में जो हमारे प्रदेश का मंदिर है, लोकतंत्र के इस मंदिर में हमारे जो सम्माननीय सदस्यगण हैं उन्हें दीर्घ अनुभव प्राप्त है. मैं उनसे अपने सहयोग की अपेक्षा करते हुए सदन को श्रद्धापूर्वक नमन करता हूं और अपनी बात रखने का प्रयत्न करूंगा.
मित्रों, मैं मांग संख्या 13 एवं 54 के समर्थन में खड़ा हुआ हूं, जिस प्रकार से देश के यशस्वी प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी का एक संकल्प है, एक सपना है कि हम भारत देश को आत्म निर्भर भारत बनायेंगे, उसी प्रकार से हमारे मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह जी चौहान का यह संकल्प और सपना है कि प्रदेश को भी हम आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश बनायेंगे और वित्त मंत्री महोदय ने जो बजट प्रस्तुत किया है वह लोक हित का बजट है और हमारे कृषि मंत्री महोदय जो सदैव किसानों के हित की बात किया करते है और किसानों के हित में ही सदैव बोलने का काम करते हैं, उनको कृषि की सुविधाएं देने का काम करते हैं, उनके लिये भी मैं हृदय से धन्यवाद ज्ञापित करता हूं.
माननीय सभापति महोदय, हमारे बघेलखण्ड में एक कहावत है कोई उस बात को माननीय सदस्यगण समझेंगे, अन्यथा भी न लेंगे मैं क्षमा चाहता हूं, कहावत यह है कि- आपन भेड़ा न निहारे, आन का फूल ही निहारे. हमारे कांग्रेस के भाइयों ने जब 2003 के पूर्व इनकी सरकार थी, इतने दिन से शासन सत्ता में विराजमान थे. किसानों के हित के संवर्धन के लिये एक भी काम नहीं किया. तत्कालीन मुख्यमंत्री एवं मंत्रियों से निवेदन किया जाता था तो बजट का अभाव जनता-जनार्दन को बोलकर पल्ला झाड़कर चले जाते थे. आज मैं देख रहा हूं, सुन रहा हूं कि कांग्रेस के मित्रगण कितनी लंबी-चौड़ी एवं असत्य बातें कहकर बड़ा प्रलाप कर रहे हैं. मित्रों 2003 में जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार आयी प्रदेश की जनता ने आशीर्वाद दिया.
सभापति महोदय--माननीय मंत्री जी विराजित हैं आप उनसे अपने क्षेत्र की समस्या तथा आपकी आवश्यक मांगों का बता दें तो ज्यादा अच्छा होगा.
श्री श्यामलाल द्विवेदी--सभापति महोदय, हमारे मुख्यमंत्री जी ने बजट के अभाव का रोना कभी नहीं रोया, जबकि हमारे कांग्रेस के मित्र हमेशा बजट का रोना रोये हैं. मैं एक निवेदन करना चाहूंगा क्योंकि मैं स्वयं भुक्तभोगी हूं. विधान सभा क्षेत्र त्योंथर से सदस्य हूं. पिछले साल धान खरीदी में जहां इसी सदन में माननीय कमल नाथ जी विराजमान थे. मैं उनसे निवेदन करने गया कि पोर्टल को एक दिन के लिये खोल दिया जाये हमारे क्षेत्र में 42 हजार क्विंटल धान 8-9 महीने से नवम्बर से किसान रखे हुए हैं, वह सड़ रही है. मैं उनके उत्तर से आश्चर्यचकित हो गया मैंने अपना परिचय दिया कि मैं श्यामलाल द्विवेदी त्योंथर क्षेत्र से विधायक हूं आपसे लोक हित में निवेदन करने आया हूं उन्होंने कहा कि बताईये हमने कहा कि एक दिन के लिये यदि आप पोर्टल खोल दें तो हमारे क्षेत्र में 42 हजार क्विंटल धान सड़ रही है वह किसानों की बच जाये उसका किसानों को लाभ मिल जायेगा. माननीय मुख्यमंत्री जी ने मुस्कराकर कहा कि आप तो रीवा से हैं ना. मैं रीवा से हूं इसका आशय समझा नहीं. उन्होंने कहा कि आप तो बड़े समझदार हैं आप रीवा से हैं. मैं चुपचाप उनकी आसंदी से उठकर अपने आसन पर चला आया. हमारे यहां की 42 हजार क्विंटल धान फील्ड में ही सड़ गई. 15 महीने के बाद हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी फिर से सत्ता में आये तो उन्होंने कभी भी बजट का रोना नहीं रोया. उनके संबंध में दो पंक्तियां कहना चाहता हूं.
प्रखर प्रतिभा सुयश पाती,
अनोखा कुछ नाय रचकर,
सृजन खुद ही किया जाता,
सृजन मांगा नहीं जाता,
परो में शक्ति हो तो,
नाप लो उपलब्ध नभ सारा,
उड़ानों के लिये पंछी गगन,
मांगा नहीं करते मांगा नहीं करते.
सभापति महोदय, हमारे क्षेत्र में थाम्भा से ककहरा 52 गांव सिंचित होंगे हमने उसका प्रोजेक्ट बनाकर माननीय मुख्यमंत्री जी तथा प्रमुख सचिव जी को दिया है और एक लोनी सिंचाई परियोजना है यदि दोनों परियोजनाएं स्वीकृत हो जायें तो हमारा पूरा का पूरा त्योंथर क्षेत्र सिंचित हो जायेगा वहां पर हरितक्रांति आ जायेगी. आपने समय दिया धन्यवाद.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव (विदिशा) - माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 13 और 54 के विपक्ष में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं. पहली बार का विधायक हूं और आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, इसके लिए मैं आपका आभारी हूं. हम सभी जानते हैं कि भारत कृषि प्रधान देश है और 70 प्रतिशत आबादी खेती पर निर्भर है. आपके माध्यम से मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि चुनी हुई सरकार द्वारा कोई निर्णय लिया जाए और बीच में वह सरकार चली जाए तो क्या आगे की सरकार उस निर्णय को मानने के लिए बाध्य है या नहीं है. चुनी हुई सरकार द्वारा ऋण माफी की घोषणा की गई, प्रजातंत्र में कोई सरकार यदि निर्णय लेती है तो आने वाली सरकार उसका अक्षरश: पालन करती है. लेकिन बजट में 2 लाख रूपए तक का लोन माफ करने के लिए कोई प्रावधान नहीं किया. कृपया किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए इसका माननीय मंत्री जी बजट में प्रॉविजन करेंगे और पुरानी सरकार का जो वायदा था, उसे किसानों के हित में पूरी करने की कृपा करेंगे. विदिशा जिले में प्राकृतिक आपदा आने पर किसान भाईयों का अल्पकालीन ऋण जमा नहीं होने की वजह से कन्वर्जन कर दिया था, हमारे यहां तीन साल पहले और तीन साल की उनके लिए किश्तें बना दी गई थीं, माननीय मुख्यमंत्री जी के निर्देश पर, लेकिन आज जब वह किश्तों की वापसी हो रही है तो हमारे यहां 11 से 14 प्रतिशत की दर से ब्याज वसूला जा रहा है, जबकि माननीय मुख्यमंत्री जी ने उस समय यह घोषणा की थी कि जीरो प्रतिशत पर ऋण उपलब्ध करवाया जाएगा. आप बड़ी बड़ी बातें करते हैं, बजट में भी कहा कि जीरो प्रतिशत पर ऋण उपलब्ध करेंगे, लेकिन यह अन्याय किसानों के साथ हो रहा है, इसके लिए मंत्री जी से निवेदन करता हूं कि तुरंत इसके आदेश जारी किए जाए कि जो किश्तें अभी जमा हो रही हैं, उन पर ब्याज न लगे. विदिशा जिले में अभी करीब 14 हजार किसान भाई ऐसे हैं, जिन्होंने बीमे की राशि जमा की है, बैंक में जमा की है बैंक कृषि विभाग को ट्रांसफर नहीं कर पाया जिसकी वजह से एक पोर्टल चालू किया गया उसमें करीब 14 हजार किसानों का नाम अंकित हैं. बीच में जब लोगों ने देखा तो उसमें कलेक्टर महोदय ने यह आदेश दे दिया कि जिस बैंक की गलती है, उसके अधिकारी या वह बैंक इसकी भरपाई करेंगे. लेकिन आज दिनांक तक एक पैसे की, किसी भी किसान भाई की भरपाई नहीं हो पाई. लिहाजा आप या तो बजट में प्रावधान करें या बैंक से दिलाए, जो भी सरकार निर्णय ले वह सिर-आंखों पर है, लेकिन किसानों को पैसा मिलना चाहिए. माननीय सभापति जी वर्ष 2019-20 और 2020-21 में प्राकृतिक आपदा से हमारे जिले में खरीफ की फसल नष्ट हुई थी उसमें एक बार 25 प्रतिशत और एक बार 33 प्रतिशत मुआवजा मिला. दोनों साल का बाकी का मुआवजा हमारे किसान भाईयों का बाकी है. मैं आग्रह करता हूं कि बजट में प्रॉविजन करके आप मुआवजे की बाकी राशि दिलवाने का किसानों के खाते में कष्ट करें. विदिशा में कृषि विज्ञान कॉलेज के लिए जमीन का आवंटन हो चुका है, करीब डेढ़ साल से ज्यादा हो चुका है इस बात को. मेरा कृषि मंत्री जी से आग्रह है कि इस बजट में कृषि विज्ञान केन्द्र बनाने का प्रावधान किया जाए. विदिशा में नयी कृषि मंडी 3 साल से चालू हो गई है, लेकिन वहां पर आज तक लालफीताशाही के इन्टरफियरेंस की वजह से मंडी बोर्ड व्यापारियों को प्लाट नहीं दे पा रहा हैं, उसके लिए कई बार मैंने प्रयास किया लेकिन कोई भी आदमी निर्णय लेने की क्षमता नहीं रख रहा है. बात सिर्फ इतनी सी है कि पुरानी जो मंडी है, उसमें जो व्यापारियों को पुरानी लीज मिली हुई है 99 साल की, उसमें से जो बचा हुआ पीरियड है उसका बचा हुआ सेंटआफ नई मंडी में दे दे, जो पुरानी मंडी की ऑफसेट वैल्यु देखते हैं और नई मंडी की ऑफसेट वैल्यु उसका दोनों का सेटऑफ देकर और व्यापारियों को प्लाट उपलब्ध कराया जाए. लेकिन मैंने कल एक बात और सुनी माननीय मंत्री जी से उसका जवाब भी चाहूंगा कि क्या गंजबासोदा और विदिशा की मंडी किसी प्रायवेट कंपनी को बेच दी गई है,
2.20 बजे (सभापति महोदय (श्री लक्ष्मण सिंह) पीठासीन हुए.)
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव - यह बात मेरे कानों में आई थी कि मैं आपसे इसका जवाब, आपके उत्तर में चाहूँगा. कृषि उपज मण्डी में कुछ दिन किसानों को सस्ती दरों पर भोजन की व्यवस्था थी, पर अब यह बन्द हो गई है, उसको पुन: चालू किया जाये. कृषि उपज मण्डी में किसानों के लिए विश्रामगृह के लिये बैड का प्रावधान नहीं किया गया है. सभी मण्डियों में, पूरे मध्यप्रदेश की मण्डियों में विश्रामगृह की व्यवस्था होनी चाहिए.
माननीय सभापति जी, मेरा आपके माध्यम से आग्रह है कि कृषि उपकरणों पर जीएसटी पर छूट प्रदान की जावे एवं ट्रेक्टर-ट्रॉली, हार्वेस्टर को आरटीओ पंजीयन से मुक्त रखा जावे. आप इसका टाइम बढ़ाते हैं- कभी कहते हैं एक प्रतिशत है, 10 प्रतिशत ले लिया जाता है तो इस पूरी विसंगति को ही खत्म कर दिया जाये. इन तीनों-चारों चीजों पर आरटीओ से ही मुक्ति मिल जाये तो किसानों के ऊपर बड़ी कृपा होगी. हममें से कई बड़े किसान भी हैं, मझौले किसान भी है, वह अपने खेतों पर भण्डारगृह बनाना चाहते हैं लेकिन सरकार ने खेत के ऊपर भण्डारगृह बनाने के लिये कोई सबसिडी का प्रावधान नहीं किया है, वह आवश्यक रूप से करने की कृपा करें. मेरा माननीय मंत्री जी से एक सुझाव है कि डीजल की कीमतें बहुत बढ़ गई हैं और डीजल की कीमतों की वजह से किसान के माल की लागत भी बहुत बढ़ गई है. यहां बहुत लोग बातें कर रहे थे कि दुगुनी आय कर देंगे.
सभापति महोदय - भार्गव जी, एक मिनट रुकें. मंत्री जी, भार्गव जी ने गोदाम बनाने का अच्छा सुझाव दिया है तथा सभी किसानों की यह मांग है और सभी विधायकों की भी इसमें एक राय है कि एक कानून है कि खेत पर कोई किसान मकान बनाकर रहता है तो उसको टैक्स देना पड़ता है तो आप उसको भी जरा दिखवाइये और उसको भी जरा एक्जैम्प करिये. उसमें काफी विरोध हो रहा है.
किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री (श्री कमल पटेल) - जी.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव - माननीय सभापति जी, मेरा सुझाव है और आग्रह भी है कि जो हमारी ऋण पुस्तिका होती है, उसको देखकर यह तय किया जाये कि इस किसान को कितने लीटर डीजल की आवश्यकता है ? अगर उस पर आप कुछ विशेष सबसिडी देने की कृपा करेंगे तो किसानों के हित में बड़ा फैसला होगा क्योंकि डीजल की मार इतनी ज्यादा है कि फसल की लागत मूल्य अत्यधिक हो गई है, इससे बचाव के लिये मेरा सुझाव है. इस पर आप शायद अमल करेंगे.
माननीय सभापति जी, सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी में आपके द्वारा मुख्य रूप से तीन-चार विभागों को जोड़ा गया है. कृषि, सहकारिता, खाद्य विभाग और वेयरहाउस कार्पोरेशन इन सबका जब सामंजस्य बैठता है, उसके बाद ही किसान का माल सही तरह से तुल पाता है, खरीदी के समय एक विभाग बारदाना सप्लाई करता है, एक विभाग तौल कराता है, एक विभाग क्वालिटी कंट्रोल करता है, जिन सोसायटियों पर खरीदी केन्द्रों पर इनका सामंजस्य नहीं होता है, वहां के किसानों को माल बेचने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है. वहां कभी बोरी खत्म हो जाती हैं, कभी गुण नियंत्रक नहीं होता, कभी ट्रांसपोर्टर गाड़ी नहीं लगाता, इसका खामियाजा किसानों को उठाना पड़ता है. पिछले वर्ष विदिशा जिले में इन्हीं विसंगतियों को लेकर लालफीताशाही के इन्टरफेरेंस की वजह से सरकार का 4,500 टन खरीदा हुआ गेहूँ भीग गया, उसको सस्ती दरों पर बेचा गया, इसके लिये जवाबदार कौन है ? आपके यहां से जवाब आया कि कोई अधिकारी-कर्मचारी दोषी नहीं है. अगर इतनी बड़ी मात्रा में गेहूँ भीगा है और आपकी सरकार यह कह रही है कि कोई भी अधिकारी-कर्मचारी उसके लिये दोषी नहीं है तो फिर यहां प्रश्न पूछने का कोई औचित्य ही नहीं है.
सभापति महोदय - आप बाकी लिखकर दे दीजियेगा. धन्यवाद.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव - सभापति महोदय, मैं एक मिनट और लूंगा. पिछले वर्ष खरीदी में अव्यवस्थाओं की वजह से हमारे करीब 2,000 किसान, उनका माल नहीं बेच पाये थे. उसमें मामला यह था कि वह कह देते थे कि ऊपर से पोर्टल बंद है और नीचे स्टॉफ वाले कह देते थे कि इसके पास चले जाओ, उसके पास चले जाओ. उसके बाद दोबारा खरीदी चालू नहीं हुई. अभी हमारे माननीय सदस्य कह रहे थे.
सभापति महोदय - भार्गव जी, आपका भाषण हो गया है.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव - सभापति जी, समर्थन मूल्य सरकार ने बहुत बढ़ाया है. मेरा निवेदन है कि आप अपनी त्रुटि सुधार कर लें. 100 रुपये से लेकर 1,650 रुपये तक, जब कांग्रेस की सरकार रही, तब न्यूनतम समर्थन मूल्य मिला.
सभापति महोदय - अच्छा सुझाव है, आप लिखकर दे दीजिये.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव - आपने पांच वर्ष में 50-50 रुपये बढ़ाया है. मामला किसानों से संबंधित है, इसलिये इस बात का भी उल्लेख करना चाहूँगा कि प्रायवेट गोदाम में रखे हुये माला के बारे में कहा जाता है कि एफसीआई द्वारा 1 प्रतिशत बढकस गेन लिया जाता है, जिसका कोई हिसाब आज तक भारत सरकार और राज्य सरकार में हमें देखने को नहीं मिला, एक प्रतिशत गेन लेने की वजह से वजन पूरा करने के लिये गोदाम संचालक कुछ ऐसी क्रियाएं भी करते हैं, जिसमें की गेहूँ का वजन बढ़ जाये. इन प्रक्रियाओं को करने में राशन की दुकानों पर सड़ा हुआ गेहूँ वितरण हो रहा है, एक प्रतिशत गेन लेने की व्यवस्था बंद की जाये. जितना माल जमा है, उतना ही वापस लिया जाये. आपने बोलने का मौका दिया. उसके लिये धन्यवाद, जय हिन्द.
श्री रवि रमेशचंद्र जोशी( खरगौन) -- माननीय सभापति महोदय, मैं बजट के अंदर कृषि विभाग ने जिन बातों जिक्र नहीं किया और जिन बातों से किसानों के कल्याण की योजनाएं बन सकती थीं, किसान मजबूत हो जाते, ऐसी योजनाओं पर चर्चा करने के लिये यहां पर बोलने के लिये उपस्थित हूं. मैं उसके पूर्व कृषिमंत्री जी को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने कई फसलें जैसे चना, मसूर इसको 15 क्विंटल की जगह 20 क्विंटल मानकर बढ़ाया है, उससे किसानों को थोड़ी राहत होगी( मेजों की थपथपाहट)
माननीय सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हूं कि इस बजट के अंदर किसानों के लिये प्रावधान होना चाहिये कि दस एकड़ का किसान हो तो अगर वह एक एकड़ में वह फल, फूल और सब्जियां उगाता है और उसकी फसल किसी कारण से खराब हो जाती है तो फल और सब्जियों को अगर वह रोज मण्डी में बेचेगा तो उस किसान को रोज आवक हो सकती है और किसान एक ऐसी शक्ति है कि उसको अगर बजट में दूध के प्रोडक्शन पर हम प्रोत्साहन दें तो निश्चित ही एक दिन में दो बार दूध का उसका विक्रय हो सकता है. इस प्रकार से दूध पर हमको ज्यादा से ज्यादा जोर देना चाहिये ताकि जो किसान परिवार दूध का प्रोडक्शन करें वह दिन में दो बार दूध बेच सके और उसको अगर दिन में दो बार पैसे मिलते हैं तो हमारा फल-फूल, सब्जी और दूध के व्यवसाय पर जोर होना चाहिये.
माननीय सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से मुख्य रूप से माननीय कृषि मंत्री श्री कमल पटेल जी से बोलना चाहता हूं कि खरगोन जिले में ऋण माफी का जो कार्यक्रम चला, उसमें पांच विधानसभा क्षेत्रों के अंदर पूर्ण रूप से ऋण माफी द्वितीय चरण की हुई है, खरगौन और गोगावा तहसील के 7676 किसान बचे हैं, जिनका 57.45 करोड़ रूपया और राष्ट्रीकृत बैंकों के दो सौ से अधिक किसानों की द्वितीय चरण की कर्ज माफी हुई है. द्वितीय चरण में 14 किसान राष्ट्रीकृत बैंकों के बचे हैं जिनका 11 लाख रूपया कर्ज बाकी है. मैं आदरणीय कमल पटेल जी आप मंत्री हैं और किसान के बेटे भी हैं, अगर आपने पहले चरण की जो कर्ज माफी पूरे जिले में हुई है, उसके बाद द्वितीय चरण में पांच विधानसभा क्षेत्रों में अगर किसी कारण से भी खरगौन विधानसभा रह गई है तो उन किसानों को जोड़कर उनको द्वितीय चरण का लाभ दें.
माननीय सभापति महोदय, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में वर्ष 2016 से 18 के बीच 14 हजार 320 करोड़ रूपये की प्रीमियम किसानों से बीमा कंपनी ने ली है और किसानों को 10 हजार 588 करोड़ रूपये की राहत राशि दी थी तो क्या यह वर्ष 2016 से 18 के बीच जो प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का अंतर है, 3772 करोड़ रूपये किसानों से ज्यादा लिया गया है और किसानों को कम मिला है. मेरा यह कहना है कि ऐसी योजनाओं पर विशेषकर आपको ध्यान देना चाहिये.
माननीय सभापति महोदय,मध्यप्रदेश के अंदर खरगौन जिला कपास का सबसे ज्यादा उत्पादन देने वाला जिला है, फिर भी खरगोन जिले के लिये इस बजट में कहीं पर भी किसानों को कपास के लिये कोई योजना नहीं बनाई गई है. मैं आपसे निवेदन करता हूं कि आप इस बजट में प्रावधान करें कि कपास का खरगोन जिले में ओर अधिक प्रोडक्शन कैसे हो सकता है ? उस पर जोर दिया जाना चाहिये. विगत दो वर्षों में खरगौन और गोगावा तहसील को प्रधानमंत्री बीमा राशि के सौ से अधिक ऐसे किसान हैं, जिनको मात्र पचास-पचास रूपये राहत राशि मिली है. भावांतर योजना में जिन किसानों ने मक्का बेची थी, पिछले दो वर्ष से उसका भुगतान अभी तक नहीं हुआ है और इस चालू वर्ष में खरगोन जिले में मक्का को एम.एस.पी. पर शासन ने खरीदने की कोई योजना नहीं बनाई है. मैं सभापति महोदय के माध्यम से आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि मक्का पर भी जोर दिया जाये. खरगोन जिले में कपास के बाद अगर अधिक प्रोडक्शन होता है तो वह मक्का का अधिक प्रोडक्शन होता है.
माननीय सभापति महोदय, रायसेन जिले के अंदर विपणन संघ ने जो चना खरीदा था, उसमें 1498 किसान ऐसे हैं, जिनका वर्ष 2018 का 2 करोड़ रूपये से अधिक के भुगतान का पैसा नहीं दिया गया है, आप वह दिलवायें. मक्का की एम.एस.पी. तय होना चाहिये.
माननीय सभापति महोदय, खरगौन जिले में प्रधानमंत्री सम्मान निधि की जो योजना है, उसके चार हजार हितग्राहियों को अभी तक राशि नहीं मिली है. ग्राम पंचायत लिक्खी के दो किसान ऐसे हैं, जिनको शासन ने अपने रिकार्ड में मृत मान लिया है, उनको जीवित रहते हुए भी अभी तक उनको राशि नहीं मिल रही है. मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन करता हूं कि उन दो किसानों को राहत राशि मिलती रहे.
माननीय सभापति महोदय, प्रदेश के अंदर 261 मिट्टी परीक्षण की लैब हैं, लेकिन उन 261 लैबों में जो लैब टेक्नीशियन होना चाहिये, उन लैब टेक्नीशियनों के पूरे पद खाली पड़े हैं. हम अगर उन लैब टेक्नीशियन के पदों पर सुव्यवस्थित पढ़े लोगों की भर्ती करेंगे, तो निश्चित ही लैब परीक्षण जो हमने करोड़ों की बनाई हैं, वह काम आयेगी और किसानों को राहत मिलेगी. शासन एक तरफ जैविक खेती को बढ़ावा देता है, लेकिन इस बजट के अंदर जैविक खेती पर किसी प्रकार का कोई बड़ा बजट नहीं रखा ताकि किसानों को जैविक खेती पर और जोर मिले. सूरजधारा और अन्नपूर्णा योजना 2 योजनायें गरीब, आदिवासी और दलित लोगों के किसानों को, सामान्य लोगों के किसानों को जो 75 प्रतिशत से अधिक सब्सिडी मिलती थी बीज के ऊपर वह दो योजनायें आपने इस बजट में ऐसा लगता है बंद कर दी हैं, किसानों को अच्छा बीज नहीं मिल पायेगा. बलराम तालाब की योजना पर भी हमें जोर देना चाहिये, उससे सिंचाई के साधन और सिंचाई के लिये पानी मिलेगा और जमीन का वाटर लेवल बढ़ेगा. माननीय सभापति महोदय, उपार्जन केन्द्रों पर कई किलोमीटरों की लाइन लगी रहती है. मेरा आपके माध्यम से कृषि मंत्री जी से निवेदन है कि जो किसान किलोमीटरों की लाइनों में खड़ा है वह सुबह से लेकर 2 दिनों तक वहां खड़ा रहता है उसके पीने के पानी तक की व्यवस्था कई उपार्जन केन्द्रों पर नहीं है, उसको भी करना चाहिये. हमने एक समिति कृषि विभाग की ''आत्मा'' बना रखी है, उसकी केवल कागजों में लिखा पढ़ी होती है, आत्मा का कोई काम फील्ड पर नहीं है, आप आत्मा के माध्यम से गरीब किसान, छोटे किसान, दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक, पिछड़ा वर्ग के किसानों के लिये योजनायें बनायें. उर्वरकों की अग्रिम व्यवस्था जो है, हमने देखा है कि उर्वरकों की जो हम डिमांड मांगते हैं, डिमांड के अनुपात में 30 से 35 प्रतिशत से अधिक हम व्यवस्था नहीं कर पाते हैं. सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से निवेदन करूंगा कि अगर उर्वरक किसान को समय पर मिल जाये तो उसकी पैदावार और अच्छी हो सकती है. मेरी यही सारी चीजें हैं, कई चीजों का मैंने माननीय मंत्री जी से निवेदन किया है कि कई चीजें जो नहीं हैं उनको जोड़ें तो निश्चित ही मध्यप्रदेश का किसान मजबूत होगा तो हम सब मजबूत होंगे. धन्यवाद.
श्री बैजनाथ कुशवाह (सबलगढ़)-- माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 13 और 54 पर इस कटौती प्रस्ताव के पक्ष में खड़ा हुआ हूं. मैं माननीय सभापति महोदय, आपके माध्यम से माननीय मंत्री महोदय को बताना चाहता हूं कि जितने भी हमारे माननीय सदस्य महोदय ने जो बात कृषि के संबंध में रखी है लगभग-लगभग सभी ने यही कहा है कि मध्यप्रदेश में 70 प्रतिशत लोग किसानी पर आधारित हैं, 70 प्रतिशत लोग खेती किसानी करते हैं. इस संबंध में मेरा यह कहना है कि जब 70 प्रतिशत लोग किसानी पर आधारित है, खेती पर आधारित हैं तो फिर बजट में 70 नहीं तो कम से कम 35, 35 नहीं तो कम से कम 25 प्रतिशत कृषि पर बजट रखा जाये तो मेरे हिसाब से मध्यप्रदेश आत्मनिर्भर बन सकता है. क्योंकि ऐसा कोई घर नहीं है जिस घर से 3-4 लोग कृषि के कार्य में नहीं लगे रहते हों. अगर कृषि पर बजट बढ़ाया जाये और एक घर से 3-4 लोगों को रोजगार मिले तो मेरे हिसाब से भारत की धरती पर ऐसा कोई विभाग नहीं है, कोई उद्योग नहीं है, कोई कारखाना नहीं है जितना रोजगार कृषि से लोगों को मिल सकता है, उतना रोजगार किसी से नहीं मिल सकता है. निश्चित तौर पर मेरे क्षेत्र में अभी भारतीय जनता पार्टी के द्वारा ये शायद 17वां बजट पेश किया गया है, 15 साल की सरकार बीत चुकी है, 16वीं इनकी चल रही है और 17वीं है. आज मेरे क्षेत्र में लगभग ऐसे 100-150 गांव हैं जहां पीने के लिये पानी नहीं है, जमीन के अंदर भी पानी नहीं है, वहां पर काफी लंबे समय से विजयपुर में एक चेटीखेड़ा डेम है, उसको लेकर 10 साल से वहां के किसान आंदोलन कर रहे हैं. अगर वह चेटीखेड़ा डेम बन जाता है जिसकी काफी लंबे समय से मांग चल रही है, कई बार बताते हैं कि वह स्वीकृत होने वाला है, कई बार बोलते हैं कि हो गया है, बस पैसा आने वाला है, बनने वाला है यह चर्चा काफी लंबे समय से चल रही है और कई समय से विजयपुर में और वहां लोग धरने पर बैठे हैं. इससे कम से कम बहुत सारे ऐसे गांव हैं चाहे आपका गौल्हारी, पनिहारी, विमूती, देवरी, नागमणी, खनपुरा, जखौदा, बेरखेड़ा, भवोछा, देवरा, रामपुर, वागसौली, चातेड़ा, नाउडाडा, सिगरौदा, सालई, रूनधान, सन्तीपुरा, वहरारा, नवलपुरा, झारैला, सिगरौदा, देवरा, गोवरा, निठारा, गणेशपुरा, सलमपुर, घरसौला, वातेड़ नगामती, बघरैटा, गीतनचारा, ययारामपुरा, सिंघारदे, जारौली, सालई, ऐचवाड़ा जैसे कई गांव हैं जहां जमीन के अँदर बोर करते हैं तो हर बोर सूखा चला जाता है. हमारे सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने मेरे क्षेत्र में कोलारी और रामपुर घाटी क्षेत्र है जहां लगभग 1 लाख की आबादी है. वहां 2 डैमों की साध्यता आ चुकी है. एक कोलारी में मछेड़ नाला, रामपुर के पास बेरखेड़ा में बांसारी नदी है तो निश्चित तौर पर अगर मध्यप्रदेश को आत्मनिर्भर बनाना है तो मेरा सबलगढ़ विधान सभा क्षेत्र भी मध्यप्रदेश में आता है. मैं आपके माध्यम से यह अनुरोध करना चाहता हूं. मैं पूरे प्रदेश की बात नहीं करूंगा अपने क्षेत्र की बात तो कर सकता हूं कि आजादी के 73 साल बाद भी अगर लोगों को पानी के लिये तरसना पड़े. पलायन करना पड़े तो निश्चित तौर पर यह बात ठीक नहीं है और मध्यप्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने की बात बेमानी होगी. मैं माननीय मंत्री जी का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं. धन्यवाद.
सभापति महोदय - कुशवाह जी, आपने जो गांव के नाम बताए हैं शायद रिकार्ड में नहीं आ पाए होंगे. वह लिखकर दे दीजियेगा. आपने याद रखे बहुत अच्छी बात है.
श्री देवेन्द्र सिंह पटेल(उदयपुरा) - माननीय सभापति महोदय, एक ध्यान आकर्षित कराना चाहता हूं कि 2018 में 1498 किसानों को 2 करोड़ 2 लाख रुपये चनों का पैसा, जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार थी मिलना था लेकिन वह 2 करोड़ 2 लाख रुपये अभी तक 1498 किसानों को नहीं मिला. वह पैसा क्यों नहीं मिल रहा वह पैसा दिलाने की कृपा करें. धन्यवाद.
श्री संजय यादव(बरगी) - माननीय सभापति महोदय, मैं अपने क्षेत्र की मांग के साथ-साथ जो हमारे बरगी विधान सभा क्षेत्र में हमारे पूर्व मंत्री लाखन सिंह यादव जी ने वहां डेयरी ट्रेनिंग कालेज दिया था उसके लिये जमीन भी आवंटित हो गयी क्योंकि डेयरी का व्यवसाय जबलपुर में बहुतायत में होता है. मुझे पूर्ण विश्वास है कि जैसे हमारे यह मंत्री दमदार थे वैसे ही कमल पटेल जी भी दमदार मंत्री हैं और जबलपुर के प्रभारी मंत्री भी हैं. मुझे पूर्ण विश्वास है कि आप न्याय करेंगे और जो डेयरी ट्रेनिंग कालेज कमलनाथ सरकार में स्वीकृत हुआ था उसको वहां लगवाने का काम करेंगे. दूसरा मेरा आपसे निवेदन है कि सहजपुर मटर मण्डी, मटर का व्यवसाय जबलपुर में बहुत होता है. पिछले पांच वर्ष से 5 करोड़ की लागत से सहजपुर मटर मण्डी बनी है लेकिन उसका उपयोग आज तक नही हो रहा वह क्यों नहीं हो रहा यह आपने जानने की कोशिश नहीं की. क्योंकि इसमें आपके जो सचिव हैं. जो व्यापारी हैं वे मिलकर उसमें भ्रष्टाचार करते हैं इसलिये वह मण्डी आज तक चालू नहीं हो पाई. मैंने पता किया तो पता चला कि अधिसूचित नहीं हुई. एक बहाना बना देते हैं कि सड़क चौड़ी नहीं हुई. आदरणीय सचिन यादव जी से मैंने सड़क ले ली लेकिन आज भी वहां व्यापारी नहीं जाना चाहते. इसलिये नहीं जाना चाहते कि जब आपने मटर मण्डी बनाई है 5 करोड़ की लागत से, क्या शासन के पैसे का नुकसान हो जायेगा. क्या वह खण्डहर हो जायेगी. तो मेरा आपसे आग्रह है कि उस सहजपुर मटर मण्डी को शीघ्र चालू करवाने का काम करें. इसी तरह से जबलपुर में शहपुरा मण्डी, बहुत विशाल उसका क्षेत्र है लेकिन वह खत्म कर दी गई.माफियाओं के कारण वह पिछले तीन वर्षों से खत्म हुई है लेकिन आज तक शहपुरा मण्डी में कोई काम नहीं होता.कोई व्यापार नहीं होता. इस शहपुरा मण्डी को आप चालू करवाएं. पहले जब लपुर जिले की एक रेट की मण्डी थी. लेकिन आज उस शहपुरा मण्डी के हालात खराब हैं. चौथा मेरा आपसे निवेदन है कि आप सम्मान निधि देते हैं लेकिन उस सम्मान निधि में जो विसंगतियां आ रही हैं. सम्मान निधि के बाद कलेक्टर या एसडीएम उनको नोटिस देता है. दूसरी बात अगर किसान कोई कर्ज लेता है. बैंकों को अधिकार नहीं है कि कोई राशि उसको दी जाए. चाहे सम्मान निधि दी जाए. चाहे पेंशन दी जाए. उस खर्च से नहीं काटी जा सकती लेकिन आप सम्मान निधि दो चाहे पेंशन दो. बैंक उसको काटने का काम करते हैं. इसलिये उसको काटा नहीं जाना चाहिये. ऐसे निर्देश सख्ती से आप कलेक्टर महोदय को दें. मेरा आपसे निवेदन है कि आप सम्मान निधि सबको बराबर से दे रहे हो लेकिन मैं समझता हूं कि सम्मान निधि उन वर्गों को 10 हजार रुपये काफी कम होती है. आदिवासी,एस.सी.,एस.टी. को सम्मान निधि की राशि बढ़ाई जानी चाहिये क्योंकि उनके पास एक-एक,दो-तीन एकड़ जमीन होती है. पथरीली होती है. वह कुछ कर नहीं सकते. तो सम्मान निधि अगर हम सबको बराबर से दस हजार दे रहे और अगर आप आदिवासी,एस.सी.,एस.टी. वालों को बढ़ा दें तो स्वाभाविक रूप से उनके ऊपर कृपा होगी. धन्यवाद.
श्री रामलाल मालवीय (घट्टिया) -- सभापति महोदय, मैं आपको धन्यवाद देता हूं कि आपने मुझे बोलने का अवसर दिया.
सभापति महोदय -- नहीं, आपका नाम था, इसमें धन्यवाद की जरुरत नहीं है. कृपया आप अपना भाषण दें.
श्री रामलाल मालवीय -- सभापति महोदय, मुझे मालूम पड़ा कि मेरा नाम नहीं है, इसलिये मैंने यह कहा. सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से बहुत विद्वान हमारे कृषि मंत्री जी, माननीय कमल पटेल साहब और वे उज्जैन से भलीभांति परिचित हैं. आपने मंत्री बनने के पहले भी कई बार उज्जैन की आवाज उठाई और मंत्री बनने के बाद आपने भगवान महाकालेश्वर की नगरी में आकर दर्शन किये, किसानों के साथ चर्चा की, व्यापारियों के साथ चर्चा की. मैं मंत्री जी का दो-तीन बातों की ओर ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं. हमारे मुख्यमंत्री जी जुलाई से लगाकर अभी चुनाव हुए नवम्बर,2020 तक, 3 बार मुख्यमंत्री जी उज्जैन में आये हैं. पहली बार उज्जैन आये, तो उज्जैन में आकर घोषणा की कि मैं आज किसानों के खातों में 46 हजार करोड़ रुपये देकर जा रहा हूं. आज तक एक रुपया नहीं मिला. मुख्यमंत्री जी दूसरी बार उज्जैन आये, भगवान महाकालेश्वर के दर्शन किये, महाकाल मंदिर का विस्तार करने की चर्चा की और अंत में उन्होंने सामाजिक न्याय परिसर में एक बहुत बड़ी सभा की. उन्होंने घोषणा की कि यह सुन लो रे मेरे उज्जैन के किसानों, यह शब्द मेरे नहीं हैं, उनके हैं, यह पेपर की कटिंग है. यह सुन लो रे मेरे उज्जैन के किसानों, आपको 1600 करोड़ रुपये की राहत राशि आपकी सोयाबीन की फसल खराब हुई, मैं देकर जा रहा हूं. एक रुपया आज तक नहीं मिला. मंत्री जी, आप अपने जवाब में बताना कि आपने हमें कितना पैसा दिया, ताकि मुझे मालूम पड़े कि आपने कितना पैसा दिया. एक भी किसान अगर कोई कह दे, मंत्री जी आप जो कहेंगे, वह हम लोग करेंगे. अभी तीसरी बार फिर मुख्यमंत्री जी उज्जैन आये और कहा कि हम लोग प्रधानमंत्री सम्मान निधि में, 4 हजार रुपये मैं मुख्यमंत्री सम्मान निधि देने जा रहा हूं. उसको भी दो महीने हो गये, अभी तक एक रुपया नहीं आया. दूसरा, पिछले वर्ष 2018-19 का भावान्तर का भुगतान सोयाबीन का और प्याज का उज्जैन जिले में करीब 800 करोड़ रुपये देना बाकी है, इनकी जो घोषणा थी, इनके जो मांग पत्र हैं, हम लोगों ने पिछली बार विधान सभा में प्रश्न भी लगाया, लेकिन आज तक उनका भुगतान नहीं हो पाया. मैं मंत्री जी से जो वर्ष 2019-20 का बीमा था, कई किसानों के अपने खातों की त्रुटि होने से, अब वे जब भी जाते हैं बैंक में, आपका खाता नम्बर गलत था, इसलिये भुगतान नहीं हो पाया. तो मंत्री जी आप कम से कम जो किसानों को बीमे की राशि नहीं मिल पाई है, उनको दिलाने की कृपा करेंगे, तो आपके हम लोग उज्जैनवासी आभारी रहेंगे. सभापति महोदय, अभी बहादुर सिंह चौहान साहब बहुत ही विद्वान और मेरे मित्र हैं, उन्होंने सरकारी गेहूं खरीदी के मामले में बात की थी. मैं मंत्री जी से यह आग्रह करता हूं कि पिछली बार 10-10 और 15-15 दिन किसानों को लगे गेहूं बैचने में और भुगतान में जो समय लगा,उतना कभी आज तक हमने देश में, मैं इस विधान सभा में वर्ष1998 से आया हूं. अभी तक हमने इतना नहीं सुना कि 15-15 दिन लोग लाइन में भुगतान के लिये लगे हैं. एक हमारी पास की विधान सभा है आगर, एक किसान तनोड़िया में लाइन में लगकर उसकी मृत्यु हो गई थी. दूसरी इसमें बहुत बड़ी विसंगति जो माल तुल जाता है सेवा सहकारी संस्था में और जो उठाने का एक ठेका दिया. उज्जैन में एक रंगा बिल्ला के नाम से एक ठेकेदार प्रसिद्ध है, बरसों से एक ही आदमी का है और वह व्यक्ति स्वयं ठेका ले लेता है, ट्रासंपोर्ट का कार्य ले लेता है और वह समय पर नहीं उठाता है, इसलिये किसान अपना माल समय पर तोल नहीं पाते हैं और तोलने के बाद हजारों क्विटंल गेहूं पिछली बार बरसात होने की वजह से सड़ गया. इसलिये कम से कम अलग अलग जिलों का ठेका होना चाहिये, उसने पूरे संभाग का ठेका लिया हुआ है एक ही व्यक्ति ने.तो अलग अलग जिलों का अलग व्यक्ति को अगर वह ट्रांसपोर्ट का काम दिया जायेगा, तो किसानों को भी उसका फायदा मिलेगा और सरकार का नुकसान भी नहीं होगा और सभापति महोदय आपके माध्यम से आग्रह करता हूं कि उज्जैन में कृषि महाविद्यालय नहीं है. मेरा आपसे आग्रह है, आपने प्रेस में भी कहा था कि हम लोगों को जब भी समय मिलेगा, उज्जैन में कृषि महाविद्यालय खोलेंगे तो मेरा आपसे आग्रह है कि हम लोग चाहते हैं कि उज्जैन जो कि भगवान महाकाल की धार्मिक नगरी है. वहां उज्जैन के आसपास मालवा एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें सबसे ज्यादा खेती होती है चाहे गेहूं, सोयाबीन, प्याज या लहसुन की खेती हो तो वहां पर कृषि महाविद्यालय होने से छात्रों को उसका लाभ मिलेगा.
अंत में, मैं माननीय मंत्री जी से आग्रह कर रहा हूं कि जिन किसानों का पिछली बार एक लाख रुपये तक का जो ऋण माफ हुआ था, जिनको हमने प्रमाण पत्र दिये, उनका भुगतान आज तक नहीं हो पाया है. मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से आग्रह है कि उन किसानों को जिनको प्रमाण पत्र दिये, जिनका एक लाख रुपये तक का ऋण माफ हुआ, उनको राशि देने की कृपा करें. सभापति महोदय, आपने मुझे बोलने का समय दिया, उसके लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा - सभापति महोदय, मुझे भी समय दीजिएगा. मेरा नाम निकल गया था. मुझे भी समय दीजिएगा.
सभापति महोदय - आप सदन में नहीं थे. आप बैठ जाइए.
सभापति महोदय - श्री दिलीप सिंह गुर्जर जी आधा मिनट में अपनी बात रखें. आपका नाम नहीं है फिर भी आधा मिनट दे रहा हूं, बस एक पाइंट रेज़ करिए फिर मंत्री जी बोलेंगे.
श्री दिलीप सिंह गुर्जर (नागदा-खाचरोद) - सभापति महोदय, मैं सिर्फ अपने क्षेत्र की समस्या रखूंगा. मैं माननीय मंत्री जी का ध्यान इस ओर आकर्षित करना चाहता हूं. माननीय मंत्री जी ने पूर्व में मुझे आश्वस्त कर रखा है परन्तु मैं सदन के माध्यम से उनका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं. वर्ष 2018 में नागदा में नयी सर्वसुविधायुक्त कृषि उपज मंडी की स्वीकृति प्रदान की गई थी, उसके लिए 5 हैक्टेयर भूमि क्रय भी कर ली गई थी. 1 करोड़ 10 लाख रुपये की लागत से बाउंड्रीवॉल का निर्माण भी कर दिया है, अभी विधान सभा के प्रश्न में माननीय मंत्री जी का जवाब आया है कि बजट के कारण निर्माण कार्य नहीं किया जा रहा है तो माननीय मंत्री जी उसमें आश्वस्त करें. दूसरी एक महत्वपूर्ण बात पर ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं, मंडी जाने के लिए एक ही रास्ता है. किसान मंडी जाने के लिए दूसरे रास्ते के लिए तैयार है, उसकी अनुशंसा की गई है तो दूसरे रास्ते के लिए आप अनुमति दे दें क्योंकि जो पुराना रास्ता है, उस पर तीन ट्रेक्टर खड़े हो जायं तो उस रास्ते पर जाम की स्थिति हो जाती है, वहां दूसरे रास्ते की अनुमति प्रदान करें. खाचरोद में फल मंडी की स्वीकृति भी प्रदान करें.
श्री उमाकांत शर्मा (सिरोंज) - अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री महोदय से अपने क्षेत्र की समस्या बताते हुए निवेदन करता हूं कि हमारे यहां पर कृषि उपज मंडी बनना है लेकिन मंत्री महोदय से मैंने संपर्क किया था, उन्होंने कहा कि हम नयी कृषि उपज मंडी नहीं बना रहे हैं. लेकिन उनका क्या होगा, जहां बहुत परेशानी है, इसलिए कृपया कृषि उपज मंडी प्रारंभ करें. साथ ही हमारे यहां कृषि विज्ञान केन्द्र जो वर्षों से संचालित था, वह बंद पड़ा हुआ है.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव- अब तो वह बंद हो रही हैं, आप खुलवाने की बात कर रहे हो.
श्री उमाकांत शर्मा - पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय जबलपुर द्वारा संचालित करने हेतु 3 वर्ष से आदेश हो गये हैं उसे भी प्रारंभ करवाने का कष्ट करें.
सभापति महोदय - शर्मा जी आप बोल लीजिए, आधा मिनट.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा ( खातेगांव) - सभापति महोदय, आधा मिनट में चूंकि विषय हो नहीं पाएगा.
सभापति महोदय - लिखकर दे दीजिए.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा - सभापति महोदय, कृषि मंत्री श्री कमल पटेल जी का इसलिए धन्यवाद ज्ञापित करता हूं, सरकार वही जो अन्नदाता के साथ संघर्ष के समय खड़ी रहे. हमारे पिछले एक वर्ष में ओला पाला गिरने के कारण फसल खराब होने के कारण माननीय मुख्यमंत्री जी और माननीय कृषि मंत्री जी तत्काल क्षेत्रों में पहुंचे. किसानों को तत्काल राहत प्रदान की. मेरे क्षेत्र में किसानों को खरीफ, रबी की फसल का बीमा भी प्राप्त हुआ और मुआवजा भी प्राप्त हुआ. मैं माननीय कृषि मंत्री जी का आपके माध्यम से धन्यवाद ज्ञापित करता हूं.
श्री बापू सिंह तंवर (राजगढ़) - सभापति महोदय, माननीय कृषि मंत्री महोदय से मैं अनुरोध करूंगा कि राजगढ़ एक जिला है और जिला मुख्यालय होने के बाद भी आज तक वहां पर कृषि उपज मंडी नहीं है क्योंकि अब वहां पर कृषि उपज मंडी की आवश्यकता लगने लगी है कि मोहनपुरा बांध, कुडालिया बांध, मुंडला बांध, बांकपुरा बांध, बड़े- बड़े बांध बनने के बाद वहां उपज बढ़ गई है, इसलिए वहां पर कृषि उपज मंडी होना बहुत आवश्यक है. किसानों की मांग है और इसका प्रस्ताव भी यहां पर शासन के पास भेज चुके हैं, इसलिए वहां पर कृषि उपज मंडी बनाई जाय. साथ ही ब्यावरा में माननीय मुख्यमंत्री जी ने कृषि महाविद्यालय के लिए घोषणा की थी, मेरा अनुरोध है कि ब्यावरा में कृषि महाविद्यालय खोला जाय, माननीय मंत्री जी उसे अपने बजट में शामिल करें. धन्यवाद.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को ( पुष्पराजगढ़ ) -- सभापति महोदय मेरा एक सुझाव है कृषि मंत्री जी सबसे ज्यादा किसानों को निदाई, रूपाई, गुड़ाई एवं कटाई में पैसा लगता है. मध्यप्रदेश में राष्ट्रीय रोजगार ग्यारंटी लागू है मेरा यह कहना है कि यदि इस योजना को कृषि से जोड़ दिया जाय तो किसानों को ज्यादा लाभ होगा.
श्री सुनील उइके -- सभापति महोदय बहुत ही महत्वपूर्ण प्वाइंट है चर्चा में छूट गया है.
सभापति महोदय --नहीं कोई नहीं बोलेगा. माननीय मंत्री जी बोल रहे हैं. आप लिखकर दे दीजिये रिकार्ड में आ जायेगा.
श्रीमती सुनीता पटेल ( गाडरवारा ) -- सभापति महोदय मैं मंत्री जी से निवेदन करती हूं कि मेरी विधान सभा गाडरवारा के सांईखेड़ा में मंडी का उद्घाटन हो गया है लेकिन वह आज तक चालू नहीं हो पाई है उसको चालू करवायें.
श्री नीरज विनोद दीक्षित (महाराजपुर) -- सभापति महोदय मैं मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि मेरे जिले एवं मेरे विधान सभा क्षेत्र में एक कृषि महाविद्यालय खोला जाय.
सभापति महोदय -- आप अपनी बात लिखकर दे दें मैं भी नहीं बोल पाया हूं मैं भी लिखकर दूंगा.
श्री सुनील उइके ( जुन्नारदेव ) -- सभापति महोदय आधा सेकण्ड चाहिए बहुत ही महत्वपूर्ण चीज है इस चर्चा में नहीं आयी है मैं इसलिए अपनी बात रखना चाहता हूं. मंत्री जी प्वाइंट नंबर 72 में बताया गया है कि 78 लाख किसानों को सम्मान निधि दी है और प्वाइंट नंबर 74 में बताया जा रहा है कि 57 लाख किसानों को 4 हजार रूपये डाले गये हैं. यह जो बीच का अंतर है या तो त्रुटिवश छूटा होगा या तो उन किसानों को लाभ नहीं मिला है तो आप उऩ किसानों को जोड़ लें यह ही आपसे निवेदन है.
किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री ( श्री कमल पटेल ) -- सभापति महोदय सबसे पहले तो मैं कृषि विकास एवं किसान कल्याण विभाग की अनुदान मांगों पर हमारे सम्माननीय विधायकों ने गंभीरता से चर्चा में भाग लिया है. उन सबका धन्यवाद् करता हूं माननीय पूर्व कृषि मंत्री मेरे छोटे भाई माननीय सचिन सुभाष यादव, मेरे अभिन्न मित्र और दमदार धुंआधार विधायक बहादुर सिंह चौहान जी, हमारी बहन सुश्री हिना लिखीराम कावरे जी, श्री जालम सिंह पटेल जी, श्री जितु पटवारी जी, श्री अनिरूद्ध माधव मारू, श्री तरवर सिंह जी, श्री श्यामलाल द्विवेदी, श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव, श्री रवि जोशी, श्री बैजनाथ कुशवाह, श्री संजय यादव, श्री रामलाल मालवीय, श्री दिलीप गुर्जर, श्री उमाकांत शर्मा, श्री मनीष शर्मा, श्री बापू सिंह तंवर जी, श्री फुन्देलाल सिंह मार्को, श्रीमती सुनीता पटेल, श्री सुनील उइके, श्री नीरज जी सहित सभापति महोदय आपने भी कहा है कि आपको भी कुछ कहना था तो आपका भी नाम शामिल कर लेता हूं.
सभापति महोदय माननीय सदस्यों द्वारा जो विभिन्न सुझाव दिये गये हैं वह बहुत ही महत्वपूर्ण सुझाव हैं. मैं इन सब सुझावों पर गंभीरता से विचार करूंगा और किसानों के हित में और प्रदेश के हित में जो भी संभव होगा वह करने का प्रयास करूंगा क्योंकि मैं पहले किसान हूं, बाद में विधायक, नेता और मंत्री हूं. यह देश किसानों का देश है और जब देश आजाद हुआ था तब 80 प्रतिशत जनसंख्या गांवों में रहती थी और 20 प्रतिशत जनसंख्या शहर में रहती थी. देश का दुर्भाग्य़ रहा कि केन्द्र में जिनके हाथ में शुरू में सत्ता आयी उन्होंने गांवों की उपेक्षा की और बजट का 60 साल तक जहां पर 80 प्रतिशत लोग गांव में रहते थे वहां, कुशवाह जी ने अच्छा सुझाव दिया था कि जितने लोग गांव में रहते हैं उतना बजट गांव में दे दें और जितने लोग शहर में रहते हैं उतना शहर में दे दें तो समस्या ही हल हो जाय. यह बहुत अच्छा सुझाव है आपका लेकिन जरा अपनी पार्टी के नेताओं को सुझाव दीजिए जहां पर 80 प्रतिशत लोग रहते थे वहां पर बजट का 20 पैसा खर्च किया गया और जहां पर 20 प्रतिशत लोग रहते थे वहां पर 80 प्रतिशत पैसा खर्च किया गया. इसलिए शहर विकसित हो गए गांव और किसान पिछड़ गये. सरकार की पहले किसान प्राथमिकता नहीं थे. किसान और गांव की प्राथमिकता सरकार के सामने सबसे पहले तब आयी जब 1998 अटल बिहारी बाजपेयी जी प्रधानमंत्री बने. उन्होंने जो पहला बजट पेश किया और कहा कि गांव में कितने प्रतिशत लोग रहते हैं वह ही परंपरा के अनुसार विभाग लेकर आया लेकिन उन्होंने वापस किया तो उस समय तक 68 प्रतिशत लोग गांव में बचे थे. उसमें कहा कि गांव में कितने प्रतिशत लोग रहते हैं, वही परम्परा के अनुसार विभाग लेकर आया, उन्होंने वापस किया, तो उस समय तक 68 प्रतिशत लोग गांव में बचे थे और 32 प्रतिशत शहर में आ गये यानी 12 परसेंट लोग गांव से शहर में पलायन कर गये. इसलिये उन्होंने कहा कि विकास का पहिया उल्टा घूम रहा है, उसको सीधा करें, तो 68 प्रतिशत राशि गांव में खर्च की गई और 32 प्रतिशत शहरों में खर्च की गई. उसके कारण प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना आयी जो आज गांव-गांव में सड़कें हैं, मैं प्रधान मंत्री अटल जी को नमन करता हूं.
सभापति महोदय -- अनुदान मांगों तक ही सीमित रहें.
श्री कमल पटेल -- सभापति महोदय, मैं जवाब दे रहा हूं. इसलिये हमारी प्राथमिकता गांव है, गरीब है, किसान है और इसलिये हमारे प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने भी संकल्प लिया है कि आत्मनिर्भर भारत, लेकिन आत्मनिर्भर भारत कब बनेगा, जब आत्मनिर्भर गांव होगा, आत्मनिर्भर किसान होगा और आत्मनिर्भर मजदूर होगा. इसके लिये उन्होंने किसान की आय को दुगुनी करने का लक्ष्य वर्ष 2022 तक रखा है. उसी संकल्प को पूरा करने के लिये मध्यप्रदेश के गांव, गरीब और किसानों के मसीहा हम सबके लाड़ले नेता मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी के नेतृत्व में हमने आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश का संकल्प लिया है. उसका रोडमैप तैयार किया है. उसके लिये भी मध्यप्रदेश आत्मनिर्भर तब होगा जब हमारा किसान आत्मनिर्भर होगा.
सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से सदन को अवगत कराना चाहता हूं कि प्रदेश में वर्ष 2015-16 की जनगणना के अनुसार आंकड़े हैं कि 1 करोड़, 3 हजार 135 किसान मध्यप्रदेश में हैं जिसमें से सीमांत, लघु, लघु सीमांत, मध्यम और बड़े किसान, यह 5 कैटेगरी किसानों की है. प्रदेश में वर्ष 2010-11 की गणना में 88 लाख, 72 हजार, 370 किसान थे जो 2015-16 में 1 करोड़, 3 लाख, 135 हो गये, क्योंकि खाते छोटे होते गये और परिवार बढ़ता है, शादी होने के बाद वह अलग होते हैं तो खाते अलग किये जाते है. इसीलिये वह खाते बढ़े हैं और अभी बढ़ गये हैं. सीमांत और लघु कृषकों की संख्या प्रदेश में 48 लाख, 34 हजार, 531 है, जिनके पास एक हैक्टेयर से कम जमीन है. 27 लाख, 24 हजार, 684 किसान लघु हैं जिनके पास 1 हैक्टेयर से 2 हैक्टेयर तक जमीन है यानी ढाई एकड़ से 5 एकड़ के बीच जमीन है, उसके बाद टोटल मिलाकर यह संख्या 75 लाख, 59 हजार, 215 किसान लघु और सीमांत हैं यानी 75-76 प्रतिशत किसान तो लघु और सीमांत हैं. लघु मध्यम किसान की संख्या भी अगर हम 4 हैक्टेयर तक भी मानते हैं तो 10 एकड़ तक, तो वह 86 प्रतिशत तक जाती है. इस प्रकार 100 में से 86 किसान छोटे हैं जो अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़े या सामान्य वर्ग के गरीब हैं. इनकी चिंता आज तक किसी ने नहीं की. यह पहले प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी जी और पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी चौहान हैं जिन्होंने इसकी चिंता की है किसान सम्मान निधि देकर, किसान कल्याण निधि देकर. अब आप कहते हैं 3 रुपये, अरे भाई ! आपने तो एक पैसा भी नहीं दिया न, मैं आपसे ही पूछता हूं कि 60 साल आपने राज किया लेकिन इनके लिये क्या किया ? और इसलिये छोटा किसान कर्ज में आता है और वह कर्ज में आने के कारण आत्महत्या करता है. जो आत्महत्याएं देश में आजादी के बाद से हुई हैं वह इसी कारण हुई हैं और इसलिये प्रधानमंत्री जी ने किसान की आय को दुगुना करने का संकल्प लिया है और यह 6 हजार रुपये की सम्मान निधि जिनको मिली है उसमें 78 लाख वही छोटे किसान हैं.
सभापति महोदय, उदाहरण के लिये मैं एक वनवासी हूं, जंगल में रहता हूं, वनभूमि पर कब्जा करके रह रहा हूं, मुझे पट्टे दिये गये हैं, मेरे 4 बेटे हैं और हमारे पास कुल जमीन है 5 एकड़, तो एक-एक एकड़ करके पांचो को, मेरे चारों बेटों को जिनकी शादी हो गई है, तो उनको भी 10-10 हजार रुपये मिलेंगे और मुझे भी 10 हजार मिलेंगे, यानी 5 एकड़ वाले को भी 50 हजार रुपये मिलेंगे. मेरी जमीन असिंचित है, ऊबड़-खाबड़ है, ऊंची-नीची है जिसमें मैं कोदो, कुटकी बोता हूं, तो लागत भी नहीं निकलती है और इसलिये घाटे की खेती होती है और इस कारण मैं गले में फंदा लगाता हूं. यह प्रधान मंत्री जी ने उस गरीब की चिंता की है, मुख्यमंत्री जी ने उस गरीब की चिंता, वनवासी की, अनुसूचित जाति की, पिछड़े की चिंता की है जिसको 10-10 हजार करके 50 हजार रुपये दे रहे हैं. जरा कल्पना करें, जाएं, मैं जाता हूं मेरे क्षेत्र में भी आदिवासी, वनवासी रहते हैं, 50 हजार रुपये जीवन में उन्होंने देखे नहीं, उनकी कभी 10 हजार की भी फसल नहीं होती है. लागत ज्यादा लगती है और इसलिए सोलह सौ के हजार होते हैं. इसलिए किसान कर्ज में आता है. उनको बैंक ऋण भी नहीं देते हैं. इसलिए ऐसे लोग, जिनको बैंक ऋण न दें, जो साहूकारों से 10 प्रतिशत, 15 प्रतिशत प्रति महीने के हिसाब से ब्याज पर कर्ज लेते थे, इसलिए उनको कर्ज से मुक्ति दिलाने के लिए, उनकी खेती लाभकारी धंधा बने, वे आत्मनिर्भर बनें और वे देश के विकास में अपना योगदान दे सकें, इसलिए ये किसान कल्याण निधि और किसान सम्मान निधि, प्रधानमंत्री जी द्वारा 6 हजार रुपये और मुख्यमंत्री जी द्वारा 4 हजार रुपये प्रारंभ की गई है. अभी हम इसकी संख्या और बढ़ा रहे हैं. मैंने अपने कृषि विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया है कि एक-एक घर जाएं, इसके अंदर पति, पत्नी, नाबालिक बच्चे को एक इकाई हमने माना है. परिवार में 10 लोग हैं तो 10 इकाई होगी तो 1 लाख रुपये मिलेंगे. गरीब और अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के परिवारों की संख्या ज्यादा है और इसलिए आजाद भारत के 73 सालों के इतिहास में पहली बार किसानों और गरीबों की हमने चिंता की. भाषण देना अलग बात है, अन्नदाता, किसान, आदिवासी, अनुसूचित जाति की बातें करना अलग बात है लेकिन करके दिखाना अलग बात है. अभी तक उनके नाम पर सिर्फ भाषण दिए गए, राजनीतिक रोटियां सेंकी गईं, सत्ता प्राप्त की गई, लेकिन करने वालों में अगर किसी ने किया है तो हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी की सरकार ने, हमारी सरकार ने किया है.
श्री प्रियव्रत सिंह -- सभापति महोदय, 15 साल की आपकी सरकार के बाद आप बोल रहे हैं कि आपके क्षेत्र में आदिवासी अभी भी 10 हजार रुपये की फसल पैदा नहीं कर पा रहे हैं. ..(व्यवधान)...
श्री कमल पटेल -- मेरे क्षेत्र में नहीं, पूरे प्रदेश में, वहां सिंचित भूमि ही नहीं थी. ..(व्यवधान)...
श्री प्रियव्रत सिंह -- पूरे प्रदेश में, तो ये जो कृषि कर्मण अवॉर्ड आपने लिए हैं और ये जो आपने अपनी पीठ 15 साल तक थपथपाई है, उसकी सच्चाई आपके भाषण में आज सदन में आ रही है. ..(व्यवधान)...
श्री कमल पटेल -- सुनिए, ये आजाद भारत में.. ..(व्यवधान)...
श्री झूमा डॉ. ध्यान सिंह सोलंकी -- सभापति महोदय, एक परिवार में यदि सम्मान निधि दो किसानों के नाम से आ गई तो दूसरे के नाम नोटिस आ रहे हैं और उनको कहा जा रहा है कि ... ..(व्यवधान)...
श्री विजय रेवनाथ चौरे -- सभापति महोदय, सम्मान निधि वापस हो गई है. ..(व्यवधान)...सम्मान निधि वापस हो रही है.. ..(व्यवधान)...
एक माननीय सदस्य -- सभापति महोदय, ये बिल्कुल सच्ची बात है, पूरे उज्जैन जिले में .. ..(व्यवधान)...
श्री मुरली मोरवाल -- माननीय सभापति महोदय, किसानों की बहुत हालत खराब है..(व्यवधान)...
सभापति महोदय -- सभी सदस्य, बैठ जाइये. ..(व्यवधान)...
श्री उमाशंकर शर्मा -- माननीय सभापति महोदय, कांग्रेस के प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री सम्मान निधि दे देते, उनको किसने रोका था.. ..(व्यवधान)...
सभापति महोदय -- आप बैठ जाइये. ..(व्यवधान)...
श्री मुरली मोरवाल -- पूरे जिले में किसानों की राशि नहीं बंटी है और आप बड़ी-बड़ी बातें कर रहे हैं. ..(व्यवधान)...
सभापति महोदय -- मोरवाल जी, बैठ जाइये.. ..(व्यवधान)...
श्री कमल पटेल -- देखिए भाई, आपने जितनी बातें बोलनी थीं, बोलीं, मैंने पूरी शांति से सुना.. ..(व्यवधान)...
सभापति महोदय -- मंत्री जी, आप अपना भाषण चालू रखें, आगे बोलें.
श्री कमल पटेल -- माननीय सभापति महोदय, 23 मार्च, 2020 को सत्ता का परिवर्तन हुआ और कमलनाथ जी की जगह शिवराज सिंह जी मुख्यमंत्री बने. 21 अप्रैल को हमें पांच मंत्रियों को शपथ दिलाई गई. 22 अप्रैल को मुझे कृषि मंत्री का दायित्व दिया गया. मैं सत्य घटना बता रहा हूँ. 26 अप्रैल को मंत्रालय में मुझे ऑफिस मिला, मैं वहां जाकर बैठा. मेरे प्रमुख सचिव आए और कहा कि माननीय मुख्यमंत्री जी ने घोषणा की है कि 29 अप्रैल से चना, सरसों और मसूर खरीदेंगे और इसलिए आप इसमें अनुमोदन कर दें.
3.03 बजे {अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने उस फाइल को पढ़ा और देखा कि कहां-कहां कितना खरीद रहे हैं. देखकर मुझे इतना आश्चर्य हुआ कि छिंदवाड़ा में चना प्रति हेक्टेयर 19 क्विंटल, होशंगाबाद में 15 क्विंटल, हरदा में 15 क्विंटल, ये मेरे मित्र छोटे भाई श्री सचिन यादव जी बैठे हुए हैं, उस समय कमलनाथ जी के मुख्यमंत्रित्व काल में ये कृषि मंत्री थे. इनके यहां 15 क्विंटल, आगर मालवा में 15 क्विंटल, लगभग 45 जिलों में 15 क्विंटल और छिंदवाड़ा में 19 क्विंटल, मैंने कहा हरदा और होशंगाबाद में तो चने का देश में नंबर वन उत्पादन होता है, वहां 15 क्विंटल और छिंदवाड़ा जिले में ऐसी कौन सी भूमि आ गई भाई, मैंने प्रमुख सचिव से कहा, मैंने कहा कि ये क्या है, उन्होंने बोला कि सर, वे मुख्यमंत्री थे, इसलिए उन्होंने उस समय कर दिया होगा. मैंने कहा कि हम सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास, जो कि प्रधानमंत्री जी का नारा है, उसको हम अंगीकृत करेंगे और मैंने वह फाइल लौटा दी. लौटाने के बाद, थोड़ी देर के बाद वे वापस आए और हरदा और होशंगाबाद का भी 19 क्विंटल कर दिया. जैसा अधिकारियों का रहता है कि मंत्री, मुख्यमंत्री को कैसे खुश किया जाए. ईमानदारी से मैं आपको बता रहा हूँ. मैंने देखते ही वह फाइल लौटा दी, मैंने कहा कि मैं हरदा और होशंगाबाद का विधायक हूँ लेकिन मंत्री पूरे प्रदेश का हूँ इसलिए पूरे प्रदेश का करूंगा. (मेजों की थपथपाहट). उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने घोषणा की है तो मैंने कहा कि मुख्यमंत्री जी से मैं चर्चा कर लूंगा और मैंने मुख्यमंत्री जी से चर्चा की. 10 दिन तक संघर्ष करना पड़ा. मैंने मुख्यमंत्री जी को कन्वेंस कराया कि इतने पैसे नहीं हैं, इतने बजट की व्यवस्था नहीं है आखिर में मुख्यमंत्री जी मेरी बात से कन्वेंस हुए और सचिन यादव जी, जब आप कृषि मंत्री थे आप मुख्यमंत्री के सामने मुहं नहीं खोल पाए कि आपके यहां 17 क्विंटल प्रति हेक्टेयर औसत होता है. मैंने सीएलआर से तत्काल रिपोर्ट बुलवाई. कोविड काल था. मुझे कहा गया कि कोविड है, रिपोर्ट नहीं आएगी. मैंने कहा कि आजकल ऑनलाईन रिपोर्ट आ जाती है. मैंने तत्काल फोन करके रिपोर्ट बुलवाई. पता किया कि छिंदवाड़ा में तो चना 17 क्विंटल ही होता है. लेकिन खरीदा जा रहा है 19 क्विंटल और हरदा में 25 क्विंटल 9 किलो प्रति हेक्टेयर, होशंगाबाद में 14 क्विंटल 14 किलो प्रति हेक्टेयर खरीदा जा रहा है. सचिन यादव जी आपको पता नहीं होगा, मैं आपको बता रहा हॅूं. आपके यहां खरगोन में 22 क्विंटल प्रति हेक्टेयर चना होता है. आगर- मालवा में 23 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होता है लेकिन आपके यहां 15 क्विंटल खरीदा गया. हमने कहा सचिन यादव जी भले ही अपने जिले को न्याय नहीं दिला पाए, लेकिन कमल पटेल खरगोन के किेसान हैं, वनवासी हैं. हमारे लिए किसान कोई कांग्रेसी नहीं हैं न ही बीजेपी का है. किसान किसान है और किसान हमारा है सरकार का है सबका है और इसलिए चाहे वह कांग्रेसी किसान भी है तो वह हमारे लिए सम्मानीय हैं. इसलिए हमने पूरे प्रदेश में 20 क्विंटल चना खरीदने का निर्णय लिया. इसी के साथ सरसों पूरे देश में ग्वालियर-चंबल में सबसे अधिक होती है वहां 13 क्विंटल प्रति हेक्टेयर ही खरीदा जाता था.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे कृषि मंत्री जी बोल रहे थे कि चाहे कांग्रेसी किसान हो, ऐसा वर्गीकरण कभी नहीं हुआ.
श्री कमल पटेल -- सज्जन भाई, आपने किया है. मैं बता रहा हॅूं.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- कमल भाई, देखिए, यह शब्द वापस लीजिए. किसान न तो कांग्रेस का है और न बीजेपी का है. किसान अन्नदाता है. उसको पार्टियों में मत बांटिए, मेरा यह कहना है.
श्री कमल पटेल -- हम वही तो कह रहे हैं. किसान अन्नदाता है जीवन दाता है मैं उसको प्रणाम करता हॅूं. आपने बांटा है हमने नहीं बांटा. आप यह बताइए कि फिर छिंदवाड़ा में 19 क्विंटल क्यों किया. हरदा में 25 की जगह 15 क्विंटल क्यों किया, आप जवाब दीजिए. कमलनाथ जी होते, तो मैं उनसे पूछता. क्योंकि कमलनाथ जी सिर्फ छिंदवाड़ा के मुख्यमंत्री थे. और शिवराज सिंह जी पूरे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री हैं....(व्यवधान).....
श्री विजय रेवनाथ चौरे -- मंत्री जी, मक्के की खरीदी पर भी बोल दीजिए. मक्के के क्या हाल हुए, उस पर भी थोड़-सा आप बोल दीजिए. 1850 रुपए समर्थन मूल्य रखा और छिंदवाड़ा में मक्का खरीदा नहीं गया. किसान बेहाल हो गए.
अध्यक्ष महोदय -- आप बैठ जाइए.
श्री कमल पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, चना, मसूर 13 क्विंटल खरीदा गया. मैंने रिपोर्ट बुलवाई. 20 से 22 क्विंटल होती है. हमने मुख्यमंत्री जी से 20 क्विंटल पूरे प्रदेश के लिए किया और उसके कारण चने का समर्थन मूल्य 4875 था और सरसों का समर्थन मूल्य 4425 था. मैं मीडिया के माध्यम से और आपके माध्यम से किसानों को बताना चाहता हॅूं.
श्री मनोज चावला --माननीय मंत्री जी, रतलाम जिले का सोयाबीन का मुआवजा आज तक नहीं मिला है, वह भी आप बता दीजिए.
श्री कमल पटेल -- वह भी बताएंगे और उसके कारण जो सरसों पिछले साल हमारे निर्णय लेने के बाद जब 20 क्विंटल किया तो पूरा समर्थन मूल्य पर आने लगा. एक नियम और था मुझे बताया गया. माननीय मनमोहन सिंह जी के समय से था. क्या था. एक दिन में 25 क्विंटल ही चना, सरसों, मसूर खरीदेंगे. क्यों भाई यदि मैं किसान हॅूं मेरा 1000 क्विंटल चने का पंजीयन हुआ था आपको 1000 क्विंटल ही खरीदना है तो मैं एक दिन में क्यों न लाऊं.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव -- माननीय, यह आपकी पुरानी सरकार में यह नियम आपने लगाया था. यह माननीय मनमोहन सिंह जी के समय नहीं था.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय सदस्य, आप बैठ जाइए.
श्री कमल पटेल -- वह 25 क्विंटल की सीमा के कारण किसान मजबूर होकर मंडी में जाता था और मंडी में माल ज्यादा होता था और पूर्ति ज्यादा होने से मांग कम होती और रेट डाउन हो गए थे.सरसों 3000 रुपए क्विंटल बिक रहा था और चना 2500 से 3800 रुपए क्विंटल बिक रहा था.
श्री सचिन सुभाष यादव -- माननीय मंत्री जी, 15 साल क्या कर रहे थे ? अब तो 16वां साल लग गया. आप माननीय मनमोहन सिंह जी की बात कर रहे हैं...(व्यवधान)...
श्री दिलीप सिंह परिहार -- माननीय कमल पटेल जी जो बोल रहे हैं , वह सुन लीजिए...(व्यवधान)...
श्री मुरली मोरवाल -- बड़नगर में किसानों को अभी तक चने का मुआवजा नहीं मिला. हजारों, लाखों रुपए का मुआवजा बाकी है...(व्यवधान)..
श्री कमल पटेल -- आप बैठिए. आप 15 साल विपक्ष में थे आपने कभी मांग उठाई कि 25 क्विंटल ही क्यों खरीद रहे हैं. क्या यह मांग उठाई आपने. आप 15 महीने सत्ता में थे आपके पास पावर था आपने मांग उठाई क्या. कमल पटेल कृषि मंत्री बनते ही मैंने हटाई है. डंके की चोट पर कह रहा हॅूं और उसके कारण किसान को 1000 करोड़ से अधिक का फायदा हुआ.
श्री सचिन सुभाष यादव -- आप 15 साल तक क्या कर रहे थे. 15 सालों से आपकी सरकार थी...(व्यवधान)...
श्री बहादुर सिंह चौहान -- श्री कमल पटेल जी पहली बार कृषि मंत्री बने हैं इसलिए उन्होंने निर्णय लिया. पहले वह राजस्व मंत्री थे. उन्हें मौका मिला, तो उन्होंने 20 क्विंटल कर दिया..(व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय -- माननीय बहादुर सिंह जी.....(व्यवधान)...
श्री संजय यादव -- जो पहले कृषि मंत्री थे, क्या वह बेकार थे...(व्यवधान)...
श्री बहादुर सिंह चौहान -- मैंने यह नहीं कहा है...(व्यवधान)..
श्री अनिरुद्ध मारु -- उत्पादन हमारी सरकार ने बढ़ाया..(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- बैठ जाइए.
(..व्यवधान)..
..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- बैठ जाइये. बहादुर सिंह जी, वे सक्षम मंत्री हैं.
श्री कमल पटेल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह कहना चाहता हूँ कि हम दिल से काम कर रहे हैं और उसके बाद न तो किसी किसान संगठन ने मांग की, न विपक्ष ने मांग की, लेकिन उसके बावजूद भी हमने, चूँकि मैं किसान हूँ और मुझे पता है..(व्यवधान)..बैठ जाओ भाई, और मैंने किसानों के लिए यह निर्णय करवाया, लड़ कर करवाया, अड़ कर करवाया, अधिकारियों से, सरकार से, और उसके कारण किसानों को हजार करोड़ से ज्यादा दिलवाए. यह मुझे खुशी है और मेरा बनना सार्थक हो गया, मंत्री बनना और इस बार हमने 15 मार्च से, आज से, खरीदने का निर्णय लिया. आज आप भारत में पहली बार, अच्छा बताओ, चना पहले आता है कि गेहूँ? (चना चना की आवाज) और खरीदा कब जाता था? आखिरी में और वह भी कम, हमने पूरा खरीदा है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- माननीय अध्यक्ष जी, मेरा बीच में बोलने का इरादा नहीं है चूँकि इतना महत्वपूर्ण बिन्दु उठाते हैं हमारे कृषि मंत्री जी, इन्होंने आज से खरीदी का निर्णय ले लिया. अध्यक्ष जी, 22 मार्च से आपने गेहूँ खरीदी का निर्णय लिया और 28 मार्च को क्या घोषणा की कि 28 मार्च तक जो पैसा जमा करा देंगे, 22 मार्च को खरीदी का पैसा किसान को कब मिलेगा, यह जरूर बताना.
श्री कमल पटेल-- वह भी बता रहा हूँ. एक एक चीज बताऊंगा.
श्री बापू सिंह तंवर-- सदन में माननीय मंत्री जी ने कहा आज से खरीदी चालू हो गई लेकिन आज से कोई खरीदी चालू नहीं हुई.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष जी, अभी सज्जन भाई को आए हुए 15 मिनट हुए हैं और 15 मिनट में 3 बार खड़े हुए और कह रहे हैं मेरा बीच में बोलने का इरादा नहीं है. शोले पिक्चर में बसन्ती थी, वह कहती थी मुझे ज्यादा बोलने की आदत तो है नहीं.....(हँसी)
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- उसमें हाथ कटा ठाकुर भी था याद रखना. हाथ कटा ठाकुर बड़ा खतरनाक होता है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- अभी आया नहीं वह. (हँसी)
श्री कमल पटेल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने जो निर्णय लिया 15 मार्च से चूँकि
मौसम खराब हो गया इसलिए उसको 22 मार्च किया है लेकिन उसका फायदा क्या हुआ यह मैं बताना चाहता हूँ. जो सरसों, जैसे हमने निर्णय लिया 25 की लिमिट हटाई, 13 से 20 किया सरसों, 15 से 20 किया चना, पिछले साल का, तो जो 2500 से 3800 बिक रही थी, 3000 औसत बिक रही थी, जैसे ही हमने समर्थन मूल्य पर खरीदना शुरू किया, मंडी में माल जाना बन्द हुआ तो व्यापारी को माल नहीं मिला जब व्यापारी को माल नहीं मिला तो उद्योगों को सप्लाय नहीं हुआ, जब उद्योगों को सप्लाय नहीं हुआ तो आईल मिलें और दाल मिलें, बन्द हो गईं और इसलिए उनको मजबूर होकर 4500 से 5600 खरीदना पड़ा. (मेजों की थपथपाहट) याने किसान को हम 2000 से 3000 रुपये क्विंटल ज्यादा दिलाने में सफल हुए. यह है भारतीय जनता पार्टी की सरकार, यह है जो हम किसानों की सरकार कहते हैं तो हम हैं किसान, तो हमने करके दिखाया और इस बार 15 मार्च से खरीदी करने के कारण 1 फरवरी से पंजीयन करने के कारण, बाजार में, मंडियों में, चना, जो आने के पहले 3400 से 4000 बिक रहा था वह आज 5000 से 5600-5700 बिक रहा है. (मेजों की थपथपाहट) सरसों जिसका समर्थन मूल्य 4650 है, जो पिछली बार......
श्री पी.सी.शर्मा-- आपने जो पंजीयन का एक फरवरी से किया है और जो पंजीयन नहीं कर पाया उसको बाद में पड़त दिखा दी गई वहाँ पर, कि यह पड़त है, मैं यह भोपाल की बता रहा हूँ.
श्री कमल पटेल-- हमने 5 दिन समय बढ़ाया था भाई, पोर्टल खोला. और उसके कारण इस बार 4650 समर्थन मूल्य सरसों का, लेकिन चूँकि पूरी हम खरीदेंगे इसलिए व्यापारियों को नहीं मिलेगी, उद्योग बन्द हो जाएंगे तो उन्होंने रेट कर दिए 5600-5700, कहाँ 3000 और कहाँ 5600 इसलिए मध्यप्रदेश में इस बार साढ़े 58 लाख मीट्रिक टन चना होने की संभावना है. साढ़े 15 लाख मीट्रिक टन सरसों की संभावना है, साढ़े 5 लाख मीट्रिक टन मसूर होने की संभावना है. याने 80 लाख मीट्रिक टन याने 8 करोड़ क्विंटल और 2000 मीनिमम से लेकर 3000 रेट बढ़े हैं, हमारी नीति परिवर्तन करने के कारण इसलिए 16000 करोड़ से 24000 करोड़ किसान को ज्यादा मिलेंगे यह है भाजपा की सरकार, किसानों की सरकार. (मेजों की थपथपाहट) एक नीतिगत निर्णय, क्यों नहीं बदला आपने, आपको तो सिर्फ छिन्दवाड़ा के अलावा कुछ दिखता ही नहीं था इसलिए हमने सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास, यह सरकारी हमने निर्णय लिया. इसके अलावा अध्यक्ष महोदय, हमारे सम्माननीय विधायक यशपाल सिंह जी सिसौदिया बैठे हैं, इनका मेरे पास 23-24 तारीख को फोन आया, मैं मुख्यमंत्री जी के पास बैठा था, तुलसी भाई भी थे, हम पाँचों मंत्री थे, कोविड पर चर्चा कर रहे थे, इन्होंने मुझे बधाई दी और साथ में एक शिकायत भी की कि आपने बहुत अच्छा काम किया कि कोरोना में मंडियों में भीड़ न लगे इसलिए आपने सौदा अनुबन्ध की जगह, सौदा पर्ची घर से भी खरीदने का निर्णय लिया और हमने 1000 क्विंटल गेहूँ बेचा है लेकिन फिर भी हमने अपने घर के मजदूर से ट्रक भरवाया, व्यापारी के यहाँ जाकर उसके गोडाउन पर इलेक्ट्रॉनिक कांटे से तुला लेकिन जब मंडी की पर्ची बनी, बिल बना, तो तुलावटी के दस्तख्त होते हैं उसके ऊपर इसलिए 10000 रुपये काट लिए गए, हम्माली, जबकि हम तो घर से हम्माल दे चुके, न मंडी का हम्माल आया न मंडी का तुलावटी आया, फिर भी यह लग रहा है कि किसानों के लिए कमल भाई, ठीक नहीं है. मैंने तत्काल माननीय मुख्यमंत्री जी से चर्चा की और मैंने कहा कि यशपाल जी ने सही सुझाव दिया है, इसको भी कानून में, मैंने भी एमडी से बात की, उन्होंने कहा कानून बना हुआ है कि जब तक तुलावटी के दस्तखत नहीं होंगे तब तक पेमेंट नहीं होगा. मैंने कहा ठीक है कानून बदल देंगे और हमने वह कानून बदल दिया कि यदि तुलावटी और मण्डी के हम्माल ने हाथ नहीं लगाया है तो उसको तुलावटी का पैसा नहीं दिया जाएगा. इससे हमने किसानों के सैंकड़ों करोड़ रुपए दूसरे ही दिन बचाने में सफलता प्राप्त की है. फिर मैंने एमडी की बैठक बुलाकर कहा कि मण्डियों के अन्दर पहले हाथ से तुलाई होती थी. बाद में इलेक्ट्रानिक कांटा आ गया, हाइड्रोलिक वाली ट्राली आ गई. सीधा गया 60 क्विंटल हाइड्रोलिक से खाली की, 20 क्विंटल खाली ट्राली, 40 क्विंटल का बिल 18 रुपए, 17 रुपए, 13 रुपए जो दे चुका होता है उसके बावजूद भी जब बिल बनता है तो फिर व्यापारी उसका आधा पैसा काटता है, आधा किसान, आधा व्यापारी. इस प्रकार 200 करोड़ हर साल अवैध वसूली होती थी, धोखाधड़ी के साथ. एक बार इलेक्ट्रानिक कांटे की तुलाई का पैसा दे चुका है तो दूसरी बार क्यों. देखिए, हमारा किसान भोला-भाला है उसने भी विरोध नहीं किया, उसे लगा चलता है परम्परा है. मैंने उसको भी रुकवाया.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- माननीय मंत्री जी उसके लिए आपका दिल से बहुत-बहुत धन्यवाद. किसानों और व्यापारियों दोनों की जेबों से जो पैसा जाता था वह बच गया है. किसान आपको धन्यवाद दे रहे हैं. इस सदन के माध्यम से मैं भी आपका आभार व्यक्त करता हूँ.
श्री कमल पटेल -- हमने 200 करोड़ रुपए साल के वह बचाए हैं. चूंकि मैं किसान हूँ. मेरे पास गंजबासौदा से विदिशा जिले के कलेक्टर का फोन आया कि आपके निर्णय से व्यापारियों और हम्माल तुलावटियों ने हड़ताल कर दी है. मैंने उनसे पूछा कि क्या प्रतिनिधि मण्डल आपके पास बैठा है. उन्होंने कहा कि हाँ आए हुए हैं, मैंने उनसे कहा कि आप एस.पी. को बुलाओ और इनको धारा 120बी और धारा 420 में गिरफ्तार करने का बोलो यह लोग एक मिनट में हड़ताल वापस कर लेंगे और जैसे ही एसपी ने कहा कि तुलाई का पैसा आप इलेक्ट्रॉनिक कांटे पर ले चुके हो और जब आपने हाथ नहीं लगाया है तो क्यों न आप पर धारा 120बी और धारा 420 लगाई जाए. उसी समय उन लोगों ने हाथ जोड़कर हड़ताल वापस ले ली उसके बाद मध्यप्रदेश में हड़ताल नहीं हुई. यह है भारतीय जनता पार्टी की सरकार जो हम किसानों के हित में कहते हैं वह हम करते हैं. आप तो लुटवाते रहे 15 महीने तक, आपने 200 करोड़ रुपए लुटवाए. वह भी मैं किसानों के वापिस करवा रहा हूँ, उसके भी आदेश दे रहा हूँ, जाँच करवा रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय, अभी तक 11 महीने में हमने 83 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि किसानों के खाते में जमा करवा दी है. आपकी सरकार थी आपने वर्ष 2018-2019 में गेहूँ का जो समर्थन मूल्य होता है, उस समय कोविड नहीं था तो आपने 73 लाख मीट्रिक टन खरीदा. आपने 15 मार्च से शुरु किया था, लेकिन जब हमें माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराज जी के नेतृत्व में सरकार मिली, तो कोविड के कारण हमने 16 अप्रैल से शुरु किया. कोविड का संकट, हम्मालों का संकट, बारदाने का संकट उसके बावजूद भी हमने 1 करोड़ 29 लाख 46 हजार मीट्रिक टन से अधिक गेहूँ खरीदा. उसमें भी नीति परिवर्तन किया. पहले खरीदते थे बड़े-बड़े किसानों का, बड़े किसान 1000 क्विंटल, 2000 क्विंटल सोसायटी में लाकर रख देते थे. गरीब किसान जो 1-1 एकड़ वाले हैं, सीमांत लघु किसान हैं, उन्होंने कभी समर्थन मूल्य पर माल ही नहीं बेचा. पहली बार हमने निर्णय लिया कि हम पहले एक हेक्टयर के किसान को बुलाएंगे फिर दो हेक्टयर वाले को बुलाएंगे, फिर तीन-चार-पांच हेक्टयर वालों को बुलाएंगे. इस प्रकार नीचे से ऊपर वालों को बुलाएंगे. इस प्रकार छोटे किसानों का हमने पहले खरीदा इसलिए 1 करोड़ 29 लाख मीट्रिक टन से अधिक खरीदा और 25 हजार करोड़ रुपए के लगभग पैसा उनके खातों में भेजा गया. यह पहली बार किसानों को समर्थन मूल्य मिला है, नहीं तो छोटे किसान फड़िया वालों को 300-400 रुपए कम में अनाज बेचते थे उसके कारण किसान की खेती घाटे की होती थी. पहली बार गरीब किसानों की, छोटे किसानों की हमने चिन्ता की.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर -- माननीय अध्यक्ष महोदय, घाटे की स्थिति तो आज भी है. आपसे पूछ रहे हैं टोटल आंकड़ा दे दीजिए कि हमारे मध्यप्रदेश में कितने किसान हैं और आपने कितने किसानों की खरीदी की है. आंकड़े आपको समझ में आ जाएंगे. सही पिक्चर सामने आ जाएगी.
श्री कमल पटेल -- सुनो, जितने किसानों ने पंजीयन कराया है सभी का खरीदा है.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर -- आपका पोर्टल बंद पड़ा रहता है, आप पता कर लेना.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव -- माननीय मंत्री जी, विदिशा में पिछले साल तीन हजार किसानों का गल्ला नहीं खरीदा गया, मेरे पास रिकॉर्ड है. (व्यवधान)
श्री दिलीप सिंह परिहार -- कमल जी बोल रहे हैं, आप तो सत्य सत्य सुन लो.
श्री कमल पटेल -- सुनिए, आपकी सरकार एक साल पहले 73 लाख मीट्रिक टन खरीद रही है और हमारी सरकार 1 करोड़ 29 लाख मीट्रिक टन खरीद रही है.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर -- आप केवल नंबर बता दो कि टोटल कितने किसान हैं और कितने किसानों की आपने खरीदी की है. (व्यवधान)
श्री अजब सिंह कुशवाहा -- वह कमलनाथ जी की सरकार का दाना-पानी था इसलिए ज्यादा उत्पादन हुआ है. (व्यवधान)
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर -- फर्जी बात कर रहे हैं आप (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- बृजेन्द्र सिंह जी बैठ जाएं. (व्यवधान)
श्री कमल पटेल -- यह तो हुआ किसानों के गेहूं का, अब चना, सरसों, मसूर का 16 हजार करोड़ रुपए से 24 हजार करोड़ रुपए ज्यादा मिलेगा. तब किसान की आय डबल होगी. आपने तो 3000 रुपए में बिकवाया था. इसी के साथ मैं बताना चाहता हूँ कि यह जो हमारा बजट है, इस बजट में इस साल धान का उत्पादन 109 लाख मीट्रिक टन से अधिक हो रहा है, 43 लाख, 69 हजार मीट्रिक टन मक्का, उड़द 4 लाख 63 हजार मीट्रिक टन, तुअर 2 लाख 74 हजार मीट्रिक टन, सोयाबीन 38.56 लाख मीट्रिक टन और कपास 8 लाख 39 हजार मीट्रिक टन. पिछली बार सोयाबीन की फसल खराब हुई. जैसे ही मेरे पास विधायक आए. मेरे पास खबर आते ही मेरे पास खबर आते से ही मैं तत्काल बैरसिया के, सीहोर जिले के, देवास जिले के, खण्डवा जिले के, हरदा जिले के गांव में गया और कलेक्टर और अधिकारियों को निर्देशित किया कि वीडियोग्राफी करवाकर सोयाबीन की फसल का मुआवजा आरबीसी 6 (4) तय किया जाए और जिलों को आपदाग्रस्त घोषित करा दिया और उसके कारण 4500 करोड़ आरबीसी 6 (4) में मिला. हमने अभी 1600 करोड़ रुपए दिए हैं फिर 400 करोड़ रुपए डाले हैं, 2 हजार करोड़ रुपए डाल चुके हैं बाकी पैसा भी हर माह मुख्यमंत्री जी डाल रहे हैं. जैसे-जैसे आर्थिक स्थिति ठीक होती जाएगी करते जाएंगे. उसके अलावा बीमा जिसकी पूरे भारत में लास्ट डेट 31 जुलाई रहती है लेकिन फसल खराब हो गई थी तो हम बीमा की तारीख बढ़ाते गए. पहले 31 अगस्त की. आजाद भारत में हमने पहली बार मरी हुई फसल का बीमा कराया है. आप वनवासियों की बात करते हो. वनग्राम राजस्व ग्राम नहीं है इसलिए उनका बीमा ही नहीं होता था. जब मैं एक वनग्राम में दौरा करने गया और मैंने उनसे कहा कि आपको बीमा का लाभ भी दिलाएंगे तो वह बोले कि हमारा तो बीमा होता ही नहीं है. मैंने उनसे पूछा कि क्यों नहीं होता तो उन्होंने बताया कि यह वनग्राम है. मैंने कलेक्टर से पूछा तो कलेक्टर ने कहा कि वह राजस्व ग्राम के नियम हैं एक कानून में कि पटवारी हल्का इकाई होगी चूंकि वन ग्राम का राजस्व ग्राम नहीं है इसलिए बीमा नहीं हो सकता है. मैंने उनसे कहा कि वन ग्राम को राजस्व ग्राम से लिंक कर दो और मैंने हरदा में लिंक करवाया और अब पूरे प्रदेश का लिंक कर दिया है. 73 साल में पहली बार वनवासियों का फसल का बीमा हो रहा है जो कभी नहीं होता था. हमने राजस्व ग्राम से लिंक कर दिया और जहां 25 लाख किसानों का बीमा हुआ था.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- पटेल जी मेरी बात सुन लीजिए. 15 साल आपकी सरकार थी तो इसमें हमारा क्या दोष है. आप पता कीजिए मेरे विधान सभा क्षेत्र में आज तक भावांतर योजना का पैसा नहीं आया है और आप भाषण देते जा रहे हैं.
श्री कमल पटेल-- भाषण क्यों नहीं देंगे जो किया है वह तो बोलेंगे ही.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, 100 एकड़ तक का जो ग्राम है उसका बीमा अभी तक नहीं होता है जो 100 से ज्यादा है उसी का बीमा होता है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष महोदय, बृजेन्द्र सिंह जी राजा आदमी हैं. इनका किसानी से क्या संबंध है. यह किसान का बेटा है. पीसी भाई भोपाली हैं. कभी हल की मुठिया पकड़ी नहीं है लेकिन कृषि मंत्री जी को टोक रहे हैं.
श्री पी.सी. शर्मा-- आप कमल पटेल जी से पूछिए क्यों भैया मेरा किसानी से है ताल्लुक? बोलिए न कि किसानी से ताल्लुक है कि नहीं है?
श्री कमल पटेल-- हां अपका किसानी से ताल्लुक है.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर-- अध्यक्ष महोदय, यह देश के अडानी, अंबानी साहब के दोस्त हैं इनका किसानी से क्या वास्ता, हमारा तो किसानी से वास्ता है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष महोदय, हमारा वास्ता नहीं है तो हम बोल नहीं रहे हैं लेकिन आप तो राजा होकर भी बोल रहे हैं. खामखा में पिले फिर रहे हो.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर-- मैं आपसे पूछ रहा हूं कि आपने बिठ्ठल भाई पटेल जी का गाना तो सुना था क्या आपको याद है?
श्री कमल पटेल-- जी हां याद है.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर-- फिर आप क्यों ऐसे असत्य वचन बोल रहे हैं. बीमा के पांच-पांच रुपए मिले हैं. आप रिकार्ड निकालकर देख लीजिए. मैं टीकमगढ़ निवाड़ी की बात कर रहा हूं आप आंकड़े निकालकर देख लीजिए वहां बीमा का पैसा नहीं मिला है.
श्री कमल पटेल-- मैं सत्य बोल रहा हूं, असत्य नहीं बोल रहा हूं और जो आप कह रहे हैं हम वह चेंज कर रहे हैं. मैं आपकी बात से सहमत हूं. हम चेंज कर रहे हैं. मैं आगे बता रहा हूं.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर-- आप साथ में वह गाना भी याद रखिए.
सुश्री कलावती भूरिया-- अध्यक्ष महोदय, मेरा मंत्री जी से अनुरोध है कि अलीराजपुर जिले में उड़द पूरी तरह से खत्म हो गई लेकिन वहां फसल बीमा के केवल 3 रुपए आए हैं.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय सदस्या, कृपया आप शांत रहें मंत्री जी, उसी विषय पर बोल रहे हैं.
श्री कमल पटेल-- अध्यक्ष महोदय, हमने एक माह तारीख बढ़ाई रविवार के दिन आजाद भारत में राष्ट्रीयकृत बैंक एक बार नहीं दो बार खुलवाए. पांच जिले जहां बाढ़ आ गई थी वहां वह बीमा नहीं करा पाए थे तो उनके लिए एक सप्ताह और बढ़ाया गया और उसे सात सितम्बर किया गया उसका सुफल यह हुआ कि जहां 25 लाख किसानों का बीमा था हमने गांव-गांव टीम बनाकर लगा दी जिसके कारण 45 लाख किसानों का बीमा हो गया. बीस लाख किसानों का अधिक बीमा हुआ है.
श्री बापू सिंह तंवर-- माननीय अध्यक्ष महोदय, इमसें क्या गेम हुआ कि अभी मेरा प्रश्न भी था.
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी उसी पर जवाब दे रहे हैं.
श्री बापू सिंह तंवर--माननीय अध्यक्ष महोदय, उसमें इन्होंने कहा कि नुकसान नहीं हुआ तो किसानों को बीमा कैसे मिलेगा. शनिवार और रविवार को बैंक खुलवाकर किसानों की जेब खाली करवा दी, पैसा इक्कठा कर लिया, बीमा कंपनी को फायदा पहुंचा दिया.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय सदस्य, कृपया आप बैठ जाइए.
श्री कमल पटेल-- अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्य को बता रहा हूं आप सुनिए और सुनने की क्षमता रखिए. हम 45 लाख किसानों का बीमा कराने में सफल हुए और वनवासियों का बीमा कराने में भी सफल हुए और मुझे बताते हुए खुशी है कि 9 हजार करोड़ रुपए से अधिक बीमा देंगे जो कि हिन्दुस्तान में आज तक कभी नहीं मिला और यह 15 महीने सरकार में रहे वर्ष 2018 का बीमा नहीं दिया, प्रीमियम जमा नहीं किया किसानों की ओर से सुनिए आपने वर्ष 2019 का भी नहीं किया रबी का नहीं किया. माननीय शिवराज सिंह जी के आते से ही हमने एक सप्ताह के अंदर 2200 करोड़ किसानों की ओर से प्रीमियम बीमा कंपनी में जमा किया जिससे 2990 करोड़ रुपए सेंक्शन हुआ. फिर मैं कृषि मंत्री बना मैंने किसानों की समस्याओं के लिए दो काम किए एक तो किसान हिन्दी जानता है इसीलिए अंग्रेजी में कोई परिपत्र नहीं निकलेगा.
श्री कृणाल चौधरी-- कमल भैया उस दिन क्लियर हो गया था कि 525 हमने भरे थे और शिवराज जी ने पुराने भरे थे. आपके जैसा आदमी कितना असत्य बोल रहा है.
श्री कमल पटेल- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसके अलावा किसानों का एक सच्चा साथी ''कमल सुविधा केंद्र'' हमारे द्वारा शुरू किया गया है, जिसका नंबर 0755-2558823 किसानों को दिया गया है.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर- अरे वाह, अपने ही नाम से शुरू कर दिया और नरोत्तम जी मुस्कुरा रहे हैं, इन्हें आज पता लग रहा है कि मुख्यमंत्री जी को खतरा है, उनके मुकाबले में भाषण देने वाला आ गया है. इनका खतरा समाप्त हो गया, अब इनसे, उन्हें सचेत रहना पड़ेगा.
श्री कमल पटेल- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री शिकायत पोर्टल में विधायक, सांसद, मंत्री, जिन्होंने भी शिकायत की, मैंने सभी की जांच करवाई. प्रति सप्ताह बैंक वालों की, बीमा वालों की बैठक ली. मैंने पूछा कि बीमा क्यों नहीं दे रहे हो तो उन्होंने कहा कि पोर्टल बंद हो गया. भारत सरकार की बीमा कंपनी ने 99 हजार किसानों का पैसा बैंक को वापस लौटा दिया क्योंकि उन्होंने पैसा लेट जमा किया. मैंने कहा कि यदि बैंक वालों की गलती होगी तो मैं बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों पर एफ.आई.आर. दर्ज करवाऊंगा. आप 22 दिसंबर की तारीख लिख लीजिये और यदि बीमा कंपनी वालों की गलती होगी तो उन पर एफ.आई.आर. करवाऊंगा. इसके बाद मैंने चेयरमैन, केंद्रीय कृषि मंत्री, सचिव, संयुक्त सचिव से बात की और उसका सुफल यह आया कि 3 लाख 92 हजार किसान जो इससे वंचित थे, जिन्हें बीमा मिलना ही नहीं था क्योंकि पोर्टल बंद हो गया था, एक तरह से पोर्टल डेड हो गया था, उसका हमने पुनर्जन्म किया और उन 99 हजार किसानों के लिए भारत सरकार की फसल बीमा कंपनी ने कहा कि आप हमें वापस किश्त का पैसा भेज दीजिये, हम बीमा राशि देंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आधार कार्ड नहीं होने के कारण करीब 2 लाख 89 या 92 हजार किसान ऐसे थे, जिनका नाम पोर्टल में नहीं चढ़ा था. हमने 1 मार्च से 10 मार्च तक, भारत सरकार की बीमा कंपनी से उसे खुलवाया और सभी बैंकों को निर्देशित किया कि आप पोर्टल पर किसानों के नाम चढ़ा लीजिये और मुझे आज यहां बताते हुए खुशी हो रही है कि सारा पोर्टल पर चढ़ गया, जिससे किसानों को 4 सौ 78 करोड़ और मिलेंगे, जहां 29 सौ 90 करोड़ स्वीकृत हुए थे, उसका हमने 34 सौ 43 करोड़ रुपये दिलवाये और जहां 29 सौ 90 करोड़ हुए थे, उनका 5 हजार 531 करोड़ 51 लाख रुपये, 24 लाख 43 हजार किसानों को हमने दिलवाये हैं. इस प्रकार 13 सौ करोड़ से ज्यादा का बीमा कमल सुविधा केंद्र और मुख्यमंत्री शिकायत पोर्टल के कारण हमने किसानों को दिलवाया. हमने इसके लिए लगातार बैंकों और बीमा कंपनियों की बैठकें लीं, जिसके कारण यह मिला.
डॉ. नरोत्तम मिश्र- अब क्या बच्चे की जान लोगे ?
श्री कुणाल चौधरी- मंत्री जी, इस पर हमारी आपत्ति है. नरोत्तम जी बैठे हुए हैं और आप अपने नाम से ही कर रहे हैं, ऐसा नहीं चलेगा. आप बस एक बात बता दीजिये कि 27 लाख के बाद, आप कर्ज माफ करेंगे कि नहीं ?
(....व्यवधान....)
श्री पी.सी.शर्मा- मंत्री जी, आप तो कमल सुविधा केंद्र के बारे में बताइये.
श्री कुणाल चौधरी- मंत्री जी, आपने बहुत बढि़या भाषण दिया, आप बस ये बता दीजिये कि आप किसानों का कर्ज माफ करेंगे कि नहीं ?
श्री के.पी. त्रिपाठी- कुणाल भाई, आपकी समझ में ये सारी बातें नहीं आयेंगी क्योंकि आप लोगों ने जिस तरह से किसानों के साथ छल किया है, सावन के अंधे को सब कुछ हरा ही हरा नज़र आता है.
(....व्यवधान....)
श्री कुणाल चौधरी- इसलिए हिंदी में यही तो पूछ रहा हूं कि आप कर्ज माफ करेंगे कि नहीं, यही तो पूछ रहा हूं.
श्री मनोज चावला- हमें तो यही समझ आ रहा है कि आपने किसान की आंखें फोड़ के, उसको चश्मा दे दिया है.
(....व्यवधान....)
श्री कमल पटेल- मेरे विपक्ष के साथियों, सुनने की क्षमता रखो. आपने 15 माह में एक रुपया भी बीमा का नहीं दिया और ये लोग बीमा की बात कर रहे हैं.
श्री कुणाल चौधरी- ये तो उस दिन कमलनाथ जी ने बता दिया था कि हमने दिया है, आपके नेता जी नहीं बता पाये थे.
(....व्यवधान....)
श्री कमल पटेल- सौ चूहे खा के बिल्ली हज को चली. वर्ष 2018-19 का रबी-खरीफ का बीमा और वर्ष 2019 का खरीफ का बीमा 8 हजार 9 सौ........
(....व्यवधान....)
श्री कुणाल चौधरी- मंत्री जी, वह वर्ष 2016-17 का था. आप यह असत्य जानकारी दे रहे हैं. कितना गलत भाषण आपको, अधिकारियों ने दे दिया है. मंत्री जी, आपको गलत आंकड़े दिए गए हैं.
(....व्यवधान....)
श्री उमाकांत शर्मा- माननीय अध्यक्ष महोदय, सारी अच्छी योजनाओं पर प्रश्न चिन्ह लगाना कांग्रेस के लोगों का कार्य है. कुणाल जी बहुत कांव-कांव करते हैं इनको रोका जाए.
(....व्यवधान....)
श्री सज्जन सिंह वर्मा- मंत्री जी, आप सारी बात घुमा-फिराकर कर रहे हैं. आप किसान के कर्ज माफी की बात कर ही नहीं रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय- सज्जन जी, आप बैठ जाइये, मेरी तरफ देखिये तो मैं खड़ा हूं. (....व्यवधान....)
3.28 बजे
बहिर्गमन
इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा सदन से बहिर्गमन किया जाना
श्री सज्जन सिंह वर्मा (सोनकच्छ)- मंत्री जी, आप मुख्य बात नहीं कर रहे हैं, आपका पूरा भाषण असत्य है इसलिए हम बहिर्गमन कर रहे हैं.
(श्री सज्जन सिंह वर्मा के नेतृत्व में इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री की भाषण से असंतुष्ट होकर किसानों की कर्ज माफी से संबंधित नारे लगाते हुए सदन से बहिर्गमन किया गया)
(....व्यवधान....)
3.29 बजे
वर्ष 2021-2022 की अनुदानों की मांगों पर मतदान.......(क्रमश:)
किसान कल्याण एवं कृषि विकास (श्री कमल पटेल) - आप सभी चुल्लू भर पानी में डूब मरो. माननीय अध्यक्ष महोदय, इन्हें शर्म आनी चाहिए. इनकी सरकार 15 माह रही लेकिन इन्होंने एक रुपया किसान के बीमा का जमा नहीं किया इसलिए किसान बीमा राशि से वंचित रहा. मैं, माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी को बधाई देता हूं कि उन्होंने सरकार में आते ही 22 सौ करोड़ रुपये जमा किए, फिर हमने 1 हजार 72 करोड़ रुपये जमा किये, जिससे 8 हजार 891 करोड़ रुपये से भी अधिक की बीमा राशि, 43 लाख से अधिक किसानों के खातों में हमने डाली. (मेजों की थपथपाहट) रहा सवाल इनका कर्ज माफी का, तो कर्ज माफी एक धोखा थी, सत्ता प्राप्त करने के लिये आप गांव के भोले-भाले किसान के पास यह वचन पत्र लेकर गये कि आपके ऊपर जो कर्जा है , हम दो लाख रूपये का हर किसान का कर्जा माफ करेंगे, अगर एक घर में 7 खाते हैं तो सातों के 2-2 लाख रूपये माफ करेंगे, यह आपने घर-घर जाकर प्रचारित किया, यह आपके वचन-पत्र में था, क्योंकि इनके घोषणा पत्र पर तो विश्वास नहीं हुआ क्योंकि घोषणा करी और पूरी नहीं की, इसलिये वचन पत्र करा और इनकी सरकार बन गयी, कमल नाथ जी मुख्यमंत्री बन गये, वह मंत्रालय गये और उन्होंने जो पहला दस्तखत किया वही असत्य पर आधारित था. क्या दस्तखत किया, वह यह आर्डर है '' किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्रालय, वल्लभ भवन'' आदेश दिनांक -17 दिसम्बर, 2018 जिस दिन शपथ ली और शपथ लेते ही सीधे मंत्रालय गये. '' मध्यप्रदेश शासन एतद द्वारा निर्णय लिया जाता है कि मध्यप्रदेश राज्य में स्थित राष्ट्रीयकृत एवं सहकारी बैंकों में अल्पकालीन फसल ऋण के रूप में शासन द्वारा पात्रतानुसार पात्र पाये गये किसानों के रूपये 2 लाख की सीमा तक के दिनांक 31 मार्च, 2018 की स्थिति में बकाया फसल ऋण माफ किया जाता है.'' यानि एक झटके में माफ करने के आदेश निकाल दिये. एक झटके में देश, विदेश, मीडिया और टीव्ही में सब जगह एक ही न्यूज की 10 दिन का कहा था 2 घण्टे में आदेश निकाल दिया, कमल नाथ का ऐतिहासिक निर्णय, आपने जो कहा वह किया नहीं, (xxx)
अध्यक्ष महोदय:- इसको रिकार्ड न करें.
डॉ. गोविन्द सिंह:- अध्यक्ष महोदय, आप इनको प्रताडि़त करिये, बेंच पर खड़े हो जायें, आपने निर्देश दिया कि कोई भी सदन में असंसदीय शब्द नहीं बोलेगा.(हंसी)
अध्यक्ष महोदय:- वह मैंने हटवा दिया है.
श्री कमल पटेल:- मैं तो पहले से ही खड़ा हूं. अच्छा आप यह बतायें कि मैं यह गलत बोल रहा हूं क्या ?
श्री प्रियव्रत सिंह:- हम मान लेते हैं कि आप सही बोल रहे हैं, अच्छा आप यह बता दो कि किसानों के कितने कालातीत ऋण माफ हुए हैं, 2 लाख रूपये तक के ?
श्री कमल पटेल:- मैं बता रहा हूं आप बैठिये तो.
श्री प्रियव्रत सिंह:- आप बता दो जब प्रश्न होता है तब तो आप बताते नहीं हो, आप तो यह बता दो कि कितने कालातीत ऋण माफ हुए.
श्री प्रदीप पटेल:- (XXX)
(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय:- यह जो बोल रहे हैं वह रिकार्ड में नहीं आयेगा. आप लोग बैठ जाइये.
श्री प्रियव्रत सिंह:- आपने यहां पर जिस आदेश का उल्लेख किया आप उस आदेश का लागू कर रहे हो या उस आदेश को वापस ले रहे हो..(व्यवधान)
श्री कमल पटेल:- अध्यक्ष महोदय, कमल नाथ जी ने प्रेस कांफ्रेस करके कहा कि हमने मध्यप्रदेश के करीब 56 लाख किसानों का 54 हजार करोड़ रूपये का कर्जा माफ कर दिया है, पहले ही आदेश में. आदेश कर दिया, कर्जा माफ हो गया तो बजट प्रावधान करना चाहिये था, बजट-बजट की बात करते हो, ''बजट में खोदा पहाड़, निकली चूहिया'' सिर्फ 6 हजार करोड़ रूपये का प्रावधान किया था.
श्री प्रियव्रत सिंह:- अच्छा इस आदेश के लिये अभी आपने कोई बजट प्रावधान किया है ?
श्री कमल पटेल:- हम क्यों करेंगे.
श्री प्रियव्रत सिंह:- आप कर्जा माफ करोगे या नहीं ? आदेश तो मध्यप्रदेश सरकार का है. आप इसको लागू कर रहे हो, आप इसके लिये बजट प्रावधान कर रहे हो, आप बता दो ना, आप हां या ना में तो जवाब देते नहीं हो, (व्यवधान)
श्री कमल पटेल:- अरे आप बैठो तो, सुनो ना.
श्री प्रदीप पटेल:- (XXX)
(व्यवधान)
श्री प्रियव्रत सिंह--आप बताईये ना.
श्री कमल पटेल--अध्यक्ष महोदय,आप सुनिये तो मैं बता रहा हूं. आपकी सरकार चली गई. उप चुनाव हुए. तुलसीराम सिलावट, गोविन्द सिंह राजपूत, डॉ.प्रभुराम चौधरी, हरदीप भाई बैठे हैं. चुनाव में आप लोगों ने क्या क्या नहीं कहा? मैंने उस समय कहा था कि बीजेपी का वायदा कर्ज माफ का वायदा.
श्री प्रियव्रत सिंह--जितने भी आप लोग बैठे हैं बतायें कि आप लोगों ने किसानों के लिये सर्टिफिकेट बांटा कि नहीं बांटा. हरदीप जी, सिलावट जी, गोविन्द सिंह जी आप लोगों ने फोटो खिंचाई की नहीं खिंचाई सर्टिफिकेट बांटते हुए. (व्यवधान)
संसदीय कार्य मंत्री(डॉ.नरोत्तम मिश्र)--अध्यक्ष महोदय, प्रियव्रत जी आप राजा हो. आपके राजा बैठे हैं इन्होंने राहुल गांधी को ट्वीट करके कहा था कि आपको मध्यप्रदेश में आकर माफी मांगनी चाहिये. पूछो कहा था क्या ? आप राहुल गांधी जी से माफी मंगवाते हैं तो हम अभी कृषि मंत्री जी से अभी बजट के बारे में बुलवाते हैं. आपने ट्वीट किया था हां या ना में बोलें.
श्री लक्ष्मण सिंह--अध्यक्ष महोदय, मेरा नाम लिया मैं एक मिनट लूंगा. यह हमारी कांग्रेस पार्टी में आंतरिक प्रजातंत्र है पहली बात. दूसरा मैंने ट्वीट किया था, हां किया था और उसके तत्काल बाद सर्टिफिकेट बंटना शुरू हो भी गये थे. कर्ज माफी शुरू हो भी गई थी.
संसदीय कार्य मंत्री(डॉ.नरोत्तम मिश्र)--अध्यक्ष महोदय, आप राहुल गांधी जी से माफी मंगवाओगे क्या ?
श्री प्रियव्रत सिंह--सिलावट जी, गोविन्द जी, हरदीप सिंह जी ने आपके हमारे तमाम साथी भदौरिया जी बैठे हैं, सुरेश भाई भी बैठे हैं इन्होंने मंच पर चढ़कर किसान ऋण माफी के सर्टिफिकेट नहीं बांटा हो. अगर बांटा है तो कमल पटेल किसान ऋण माफी का प्रावधान करेगा कि नहीं करेगा.
श्री कुणाल चौधरी--मंत्री जी किसानों ने आकर मेरे साथ प्रेस कांफ्रेंस की किसानों के 2-2 लाख के कर्जे माफ हुए थे. आपने कहा कि 27 लाख का हुआ. (व्यवधान)
श्री प्रियव्रत सिंह--वह तो वापस करवा दो. (व्यवधान)
श्री कमल पटेल--अध्यक्ष महोदय, जितु पटवारी जी बैठे हैं इन्होंने कहा था कि सिलावट जी जीत जायेंगे तो मैं अपना नाम बदल दूंगा, इस्तीफा दे दूंगा. (व्यवधान)
श्री प्रियव्रत सिंह--सर्टिफिकेट दिया कि नहीं दिया, यह बुलवा दो.(व्यवधान)
श्री जितु पटवारी--जहां तक इस्तीफे की बात है. (xxx) आपकी है आपको थोड़ी बहुत (xxx) आनी चाहिये. आपने अपनी पत्नी का ऋण माफ करवा लिया फिर भी बचे हुए किसानों का ऋण माफ नहीं कर रहा हूं. इसकी गिल्टी नहीं है आपको. आप मुझे बता रहे हैं कि आपने यह कहा था और वह कहा था. आपको थोड़ी बहुत (xxx) आती है कि नहीं आती है. 27 लाख किसानों का कर्ज माफ किया है आपने कहा था.(व्यवधान)
श्री सचिन यादव--आप लोग गुमराह कर रहे हैं.(व्यवधान)
श्री के.पी.त्रिपाठी--आप गलत बात कर रहे हैं. यह मंत्री जी के लिये (xxx) शब्द का इस्तेमाल कर रहे हैं. आप इनसे माफी मंगवाईये.(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--आप लोग बैठ जाईये मंत्री जी के लिये जिस शब्द का उपयोग किया है इसको विलोपित करें. माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि एक बार जिस विषय को लेकर के सदन से बहिर्गमन कर दिया उस विषय को आप लोग फिर से क्यों उठाते हैं. (व्यवधान)
श्री कमल पटेल--अध्यक्ष महोदय, मैं यह बता रहा हूं कि उसके बाद उप चुनाव हुए. मैं सारे के सारे जवाब दूंगा. (व्यवधान)
श्री नारायण त्रिपाठी - अध्यक्ष जी, ये लोग आसंदी का सम्मान करना नहीं जानते. (...व्यवधान)
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( X X X ) -- आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
श्री कमल पटेल - ऋण माफी पर उपचुनाव हुआ. आपने लोगों को धोखा दिया इसलिए जनता ने आपको धक्का दिया. धोखा देकर एक बार जीत सकते हो, दोबार कभी नहीं आओगे, इतने भी नहीं आएंगे अगली बार, 68 हजार से जीते हैं (...व्यवधान)
श्री कुणाल चौधरी - इन्होंने धोखा दिया है, हमारे नेता जी सड़क से आ रहे उन्हें क्या मालूम हेलीकाप्टर में घूम रहे आजकल, सड़क से आने वाले थे किसानों के लिए वे आपके पीछे नहीं आ रहे आजकल. (...व्यवधान)
श्री जितु पटवारी - ध्यान रखना हरदा के 2 लाख के किसानों का कर्जा माफ नहीं किया तो पीछे-पीछे भागते फिरोगे. (...व्यवधान)
श्री कमल पटेल - आप एक बार हरदा गए थे, धक्का खाकर आए अब मत जाना वहां (...व्यवधान)
श्री संजय यादव - मंत्री जी आपकी शिवचालीसा की आदत कब से पड़ गई. (...व्यवधान)
श्री कमल पटेल - ये वहां किसानों को बचाने गए थे, घरवालों ने धक्का देकर भगाए इनको, वो हरदा है. (...व्यवधान)
श्री कमल पटेल - माननीय अध्यक्ष जी, मैं आपके माध्यम से सदन को यह विश्वास दिला रहा हूं कि यह किसानों की सरकार है.
श्री जितु पटवारी - कर्जा माफ करोगे.
श्री कमल पटेल - कर्जा माफ का वादा तुमने किया था, हमने नहीं किया. (...व्यवधान)
श्री अनिरुद्ध मारू - इनके असत्य वादे हम नहीं पूरे करेंगे, झूठे वादे इन्होंने किए और हमसे कह रहे वादे पूरे करो. (...व्यवधान)
श्री कुणाल चौधरी - वह प्लेन में आ रहे. (...व्यवधान)
श्री सचिन सुभाष यादव - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह सरकार की योजना थी. (...व्यवधान) यह सरकार की योजना थी. कांग्रेस और बीजेपी की नहीं थी.
श्री कुणाल चौधरी - ताकत है तो किसान कर्ज माफी निर्णय को केबीनेट में लाकर के बंद करके दिखाओ.(...व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - जवाब तो देने दीजिए. बोलने तो दीजिए .(...व्यवधान)
श्री कमल पटेल - बोलने भी नहीं देते. (...व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - बैठ जाइए. (...व्यवधान)
श्री कमल पटेल - इनके वचन पत्र हम थोडे़ ही पूरे करेंगे. (...व्यवधान)
श्री कुणाल चौधरी - तीन हजार करोड़ का क्या (...व्यवधान)
श्री प्रदीप पटेल - किसानों के साथ जो गड़बड़ किए हैं सुन नहीं पा रहे हैं, बहिर्गमन करने के बाद भी अंदर आकर हल्ला कर रहे हैं. (...व्यवधान)
श्री कुणाल चौधरी - तीन हजार करोड़ का क्या होता है, जिसका 8 हजार करोड़ का प्रावधान है. तीन हजार रूपए क्यों रखें आपने यह सरकार की योजना थी(...व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - एक बार बहिर्गमन हो गया फिर उसी मुद्दे को लौटकर के आकर के क्यों उठा रहे हैं, कुणाल जी आप बैठ जाइए. (...व्यवधान)
श्री कुणाल चौधरी - केबीनेट का निर्णय है, मंत्री जी को .... (...व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न यह है कि मांग संख्या 13 एवं 54 पर प्रस्तुत कटौती प्रस्ताव स्वीकृत किये जायें. (...व्यवधान)
कटौती प्रस्ताव अस्वीकृत हुआ.
अब मैं मांगों पर मत लूंगा. (...व्यवधान)
प्रश्न यह है कि 31 मार्च, 2022 को समाप्त होने वाले वर्ष में राज्य की संचित निधि में से प्रस्तावित व्यय के निमित्त राज्यपाल महोदया को--
अनुदान संख्या - 13 किसान कल्याण तथा कृषि विकास के लिए चौदह हजार नौ सौ चालीस करोड़, अठहत्तर लाख, चौसठ हजार रूपए एवं
अनुदान संख्या - 54 कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा के लिए एक सौ चौसठ करोड, बयालीस लाख, इक्कीस हजार रूपए तक की राशि दी जाए.
मांगों का प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
3.45 बजे
वर्ष 2021-2022 की अनुदान की मांगों पर मतदान ...(क्रमश:)
(2) मांग संख्या - 16 मछुआ कल्याण तथा मत्स्य विकास
मांग संख्या - 23 जल संसाधन.
अध्यक्ष महोदय - उपस्थित सदस्यों के कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए. अब मांगों और कटौती प्रस्तावों पर एक साथ चर्चा होगी. मांग संख्या 16 एवं 23 पर चर्चा हेतु एक घण्टे का समय नियत है, तद्नुसार दल संख्यावार चर्चा हेतु भाजपा के लिये 32 मिनट, इण्डियन नेशनल कांग्रेस के लिये 24 मिनट, बसपा के लिये 1 मिनट, समाजवादी पार्टी के लिये 1 मिनट एवं निर्दलीय सदस्यों के लिये 2 मिनट का समय आवंटित है. इस समय में माननीय मंत्री जी का उत्तर भी सम्मिलित है. मेरा बोलने वाले सदस्यों से अनुरोध है कि समय-सीमा को ध्यान में रखकर, संक्षेप में अपने क्षेत्र की समस्याएं रखने का कष्ट करें.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर (पृथ्वीपुर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने समय-सीमा निर्धारित की है और मैं कोशिश करूँगा कि उसी के अनुरूप इर्द-गिर्द बोलूँ. मांग संख्या 16 एवं 23 की, जो मांगें प्रस्तुत की गई हैं, मैं उसका विरोध करता हूँ. कटौती प्रस्तावों के समर्थन के लिये खड़ा हुआ हूँ.
अध्यक्ष महोदय, सिंचाई विभाग, जिसे हम जल संसाधन विभाग कहते हैं, बहुत ही महत्वपूर्ण विभाग है. अभी हमारे मित्र कृषि मंत्री जी खेती के बारे में बहुत सारी बातें कही हैं. सिंचाई और कृषि दोनों एक दूसरे के पर्याय हैं, इनका एक-दूसरे के बिना काम नहीं चल सकता है. बजट की जो हालत है, बहुत कम बजट सिंचाई के लिये रखा गया है. जब कम बजट सिंचाई के लिये होगा, तो हम कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि हमारी कृषि का रकबा ज्यादा बढ़ेगा और हमारे किसान खुशहाल होंगे. आज लगभग 70 प्रतिशत आबादी खेती के ऊपर निर्भर है. आप केवल 33 लाख हेक्टेयर के आसपास सिंचाई दे पा रहे हैं.
3.48 बजे (सभापति महोदय (श्री केदारनाथ शुक्ल) पीठासीन हुए.)
माननीय सभापति महोदय, सिंचाई विभाग केवल पानी के लिये ही नहीं है. सिंचाई विभाग से, जैसे मैंने कहा कि कृषि विभाग उससे जुड़ा हुआ है. ऐसे ही लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग है, अगर हमारे डेम में पानी होगा, हमारे पास पानी होगा तो नीचे भू-जल स्तर भी ठीक होगा और हमारे शहरों में पानी पीने की व्यवस्था भी बनेगी. ऐसे ही ऊर्जा विभाग इसी से जुड़ा हुआ है. जब बांध में पानी होगा तो बिजली बनेगी, पर्यटन विभाग भी इसी से जुड़ा हुआ है. अगर हमारे पास पर्याप्त पानी होगा तो पर्यटन की गतिविधियां वाटर स्पोर्टस् वगैरह हैं, जो उससे संबंधित हैं, उसके ऊपर होंगी. ऐसे ही उद्योग विभाग की अगर हम बात करें तो बांध में पानी होगा, तभी हमारे उद्योगों को बिजली मिलेगी और उनको पानी मिलने की व्यवस्था होगी. जो हमारा मछुआरा समुदाय है, वह भी इसी के ऊपर आधारित है, अगर पानी तालाबों में नहीं होगा तो दिक्कत होगी. उनकी हालत आर्थिक रूप से कमजोर है, उनका जीवन-यापन इसी पर निर्भर करता है. लेकिन बड़े दु:ख के साथ कहना पड़ता है कि इसके बावजूद भी हमारे माननीय वित्त मंत्री जी ने, जिन्होंने बजट में सिंचाई विभाग के ऊपर जितना ध्यान दिया जाना चाहिए था, उतना ध्यान नहीं दिया है.
सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हूँ कि जो हमारे बांध हैं, जो भी हमारे पुराने बांध हैं. एक नहीं कई बांधों में, वहां पर सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है. उनकी हालत जर्जर हो रही है. जो बांध हैं, उनके अंदर इतनी गाद जम गई है कि जो हमारा भराव क्षेत्र था, वह निरंतर कमजोर पड़ता जा रहा है. ईश्वर न करे, उत्तराखंड में जैसी अभी आपदा आई, खुदा न खाश्ता अगर हमारा कोई बांध टूटता है, तो आप कल्पना करिये की क्या होगा? इसलिये आपको इसमें व्यवस्था करना चाहिये थी और उसके ऊपर जो कसर है, तो आपके पास वहां सुरक्षा के लिये कोई कर्मचारी नहीं है. आपने दैनिक वेतन भोगी वाले कर्मचारी वहां पर रख रखे हैं. आपके पास वहां पर स्थायी कोई कर्मचारियों की व्यवस्था नहीं है. माननीय सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी का ध्यानाकर्षित करना चाहता हूं कि कृपा करके इन सब बातों का ध्यान रखिये, चाहे इनके लिये आपको बजट अलग से लेना पड़े, तो भी आप इस बजट को लीजिये, लेकिन इसके बगैर आपका काम चलने वाला नहीं है.
माननीय सभापति महोदय, समय की सीमा बांधी गई है, इसलिये मैं अब बुंदेलखण्ड की तरफ आ रहा हूं. बुंदेलखण्ड पैकेज माननीय मनमोहन सिंह जी जो यू.पी.ए. गर्वनमेंट में तत्कालीन प्रधानमंत्री थे, उन्होंने उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश के लिये एक बहुत बड़ी राशि लगभग 8 हजार करोड़ रूपये की राशि दी थी, जिसके माध्यम से नहरों को, तालाबों को जोड़ना था और भी कृषि के क्षेत्र में वेयरहाउसिंग के क्षेत्र में अलग-अलग फील्ड में बहुत सारे काम होना थे, लेकिन बड़े दुख के साथ कहना पड़ता है कि वह जो पैसा बहुत अच्छे उद्देश्य से दिया गया था, उस पैसे को भ्रष्टाचार की बली चढ़ा दिया गया, उसके जो परिणाम आने चाहिये थे, वह 25 प्रतिशत परिणाम भी नहीं आये हैं. उदाहरण के रूप में मैं आपसे कहूं जैसे टीकमगढ़ जिले में हरपुरा नहर की बात है. अभी हमारे खटीक साहब बैठे हैं, इन्होंने एक प्रश्न लगाया था और मैंने भी पूछा था कि जब आपके सिंचाई विभाग के जो तकनीकी अधिकारी हैं, वह उसका स्टीमेट बनाते हैं, सब कुछ जांच पड़ताल करते हैं और उसके बाद प्रशासनिक स्वीकृति आप लेते हैं और प्रशानिक स्वीकृति लेने के बाद पर्याप्त पानी नदी में होने के बावजूद भी आपके दस में से मात्र चार तालाब भरे जा सके हैं, बकाया तालाब आपके खाली पड़े हैं, तो आपने इसके संदर्भ में उनके खिलाफ क्या कार्यवाही की है ? अगर कार्यवाही नहीं भी की है तो इसके लिये कौन जवाबदार है? माननीय मंत्री जी आपने यहां पर कमेटी बनाने की भी बात की थी, हो सकता है आपने बनाई हो, नहीं बनाई हो लेकिन आज कृपा करके इसके बारे में उत्तर दीजिये और नहीं बनाई तो कब तक बनाने का काम करेंगे ? उस कमेटी में खटीक साहब, हरीशंकर जी को और मुझे भी शामिल करेंगे ताकि हम तथ्यों की सही जानकारी उनको दे सके, इस पर गौर नहीं हुआ है.
माननीय सभापति महोदय, दूसरे फेस की जो सिंचाई हो सकती है, आपके जवाब में आ गया है कि नदी में पानी है, इसकी बजह से हरपुरा की जो दूसरी सिंचाई योजना को हम बंद कर रहे हैं. अरे आप चलकर देखिये नदी में पर्याप्त पानी है और हरपुरा नहर नहीं उसके बाद भी चार योजनाएं और उसके ऊपर हो जायेंगी उसी पर मैंने कहा था और कई बार प्रश्न भी लगाये हैं. अभी भी इस संबंध में मेरा प्रश्न लगा हुआ है कि जब तक नदी से तालाबों को जोड़ने की योजना आप वहां पर नहीं करेंगे, तब तक वहां की समस्या हल होने वाली नहीं है. वहां पर निरंतर सूखा पड़ रहा है, इस वर्ष फिर से सूखा पड़ा है.
माननीय सभापति महोदय, श्रमिक हजारों की संख्या में रोज काम की तलाश में बाहर जा रहे हैं, उसके बावजूद भी अभी सरकार उस पर ध्यान नहीं दे रही है, न प्रशासन का ध्यान उधर जा रहा है, तो मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि आप आज जब आपके भाषण में कहें तो आप जरूर इस बात का उल्लेख करें कि नदी से तालाब जोड़ने के लिये जामनी, बेतवा, धसान जो हमारी प्रमुख नदिया हैं, इनसे वहां से संबंधित तालाबों को जोड़ने के लिये या हरपुरा बांध से तालाबों को जोड़ने के लिये, इस योजना के ऊपर कब तक काम करेंगे ? क्योंकि केवल भाषण से तो काम नहीं चलने वाला है. जहां बांध है वहीं के वहीं आप बांध बनाते जाओगे, उससे क्या समस्या हल हो जायेगी ? क्या बुंदेलखण्ड मध्यप्रदेश का हिस्सा नहीं है ? आप देखिये बुंदेलखण्ड में आपने क्या योजना दी है, जरा रिकार्ड निकालकर देख लीजिये. निवाड़ी जिले से मैं आता हूं, निवाड़ी जिले में एक नये पैसे का प्रावधान नहीं किया है. अभी मैं लिस्ट देख रहा था, वहां पर आपने एक नये पैसे का प्रावधान नहीं किया है. आपने टीकमगढ़ में भी कोई नया प्रावधान नहीं किया है, जो है केवल उसी को बंद करने की आपने घोषणा की है तो क्या हम लोग मध्यप्रदेश का हिस्सा नहीं है ? या हम लोग अलग से बुंदेलखण्ड का प्रांत बनाकर अलग हो जायें ? जैसे छत्तीसगढ़ अलग हो गया है, इस बारे में गंभीरता से माननीय जी आप जरा कृपा करके विचार कीजिये.
माननीय सभापति महोदय, ऐसे ही जो मछुआरे समुदाय के लोग हैं, वह लोग बहुत बड़ी संख्या में वहां पर रहते हैं, एक-एक दाने के लिये परेशान होते हैं, कहने के लिये हम कहते हैं कि हमारे आदिवासी समाज के लोग बहुत गरीब हैं, लेकिन उनकी स्थिति को आप देखोगे तो एस.टी. समुदाय के हालात से भी बदतर हालात वहां के मछुआरे समुदाय के लोगों की है. लेकिन उनकी व्यवस्था नहीं होती है, उनको न तो बीज मिलता है और जो उनके तालाब हैं, उनके ऊपर बड़े-बड़े लोग जाकर कब्जा कर लेते हैं, नाम भले ही उनका लिखा रहता है, लेकिन हकीकत यह है कि उनको मछली लेने का फायदा नहीं मिलता है. एक बहुत बड़ा माफिया है जो उनके ऊपर कब्जा कर लेता है तो कोई ऐसी नीति आप बनाने का काम करिये ताकि उन मछुआरों को वहां पर फायदा मिल सके.
माननीय सभापति महोदय, अभी पिछली जब सरकार थी और माननीय कमलनाथ जी मुख्यमंत्री थे, तब हम लोगों ने एक योजना उनको समर्पित की थी और वह है सागर जिले में बंडा और मालथौन के बीच में एक बहुत बड़ा डेम बनता है, उससे सागर जिले की, छतरपुर जिले की, टीकमगढ़ जिले की और निवाड़ी जिले की चार जिलों की सिंचाई एक डेम बनने से हो सकती है. इसके ऊपर जब आप इतनी सारी आप योजनाएं बना रहे हो और ढाई लाख करोड़ का कर्जा ले लिया है तो थोड़ा सा बुंदेलखंड के नाम से भी ले लो और एक योजना तो कम से कम आप आज घोषणा करो कि हां हम वह एक योजना मंजूर करेंगे ताकि बुंदेलखंड के चार जिलों की सिंचाई हो जाये और वहां के पलायन का जो दंस हमको झेलना पड़ता है और मध्यप्रदेश की बदनामी दिल्ली, हरियाणा और पंजाब में होती है, कम से कम उन स्थितियों से हम बच सकें. ऐसे ही मैंने आपसे कहा कि आपके जो तालाब हैं, मेरा सुझाव है कि चाहे वह निस्तारी तालाब हों, चाहे सिंचाई के तालाब हों, अगर आप इसका ड्रोन से सर्वे करायेंगे तो पायेंगे कि बहुत बड़े हिस्से पर कब्जा हो गया है , आपके अधिकारी रिकार्ड में कुछ भी लिखते हों, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि उन तालाबों के ऊपर कब्जा हो चुका है और बड़ी संख्या में कब्जा होता जा रहा है, अगर इनके ऊपर आपने ध्यान नहीं दिया और इनके मिट्टी के नीचे की जो गाद है उसको निकालने का काम नहीं किया तो एक दिन स्थिति यह बनेगी कि वह जो तालाब के आंकड़े तो दिखाते रहेंगे, लेकिन उन तालाबों की व्यवस्था कमजोर पड़ जायेगी.
माननीय सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से केवल इतना ही कहना चाहता हूं कि यह बहुत ही संवेदनशील विभाग है, इस विभाग से जैसा मैंने पहले भी कहा कि बहुत सारे विभाग हैं जो जुड़ते हैं प्रत्यक्ष भी और अप्रत्यक्ष भी और आमजन का जीवन भी आपके साथ क्योंकि जल है तो जीवन है उसके साथ जुड़ा है, इसके बावजूद भी आपने इसके बजट में कमी रखी है, इसलिये मैं चाहता था कि मैं आपका समर्थन करता लेकिन मजबूर हूं इसका विरोध करने के लिये, बकाया आंकड़ों के साथ हमारे प्रियव्रत जी हैं इनको ही पहले नंबर पर बोलना था तो यह बोलेंगे. आखिर मैं केवल एक बात जरूर कहूंगा जैसे मैंने नदी, तालाब की बात की है, बुंदेलखंड में, अकेले हमारे जिले में 440 तालाब हैं और दुख इस बात का है कि इसके बावजूद भी हम हर दूसरे साल में सूखा झेल रहे हैं, पीने के पानी की इतनी जबरदस्त किल्लत है कि मैंने अभी पीएचई मंत्री जी को भी कहा, उनकी रिश्तेदारी, उनका समध्याना भी उस गांव में है, उन्हें भी पीने को पानी नहीं मिलता, मैंने उनसे भी कहा तो आप भी कृपा करके जरा मालवा से बाहर निकलिये और बुंदेलखंड को भी अपना हिस्सा मानिये, हम भी आपका स्वागत करना चाहते हैं, आप जरा बड़ा दिल दिखायें और आज जो मैंने कहा है बण्डा का और तालाबों को नहर से जोड़ने की, इसके बारे में आप कहेंगे तो निश्चित रूप से बहुत अच्छा होगा, माननीय सभापति महोदय, आपने बोलने का समय दिया, धन्यवाद.
श्री हरिशंकर खटीक (जतारा)-- माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 16 और मांग संख्या 23 के समर्थन में बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. माननीय सभापति महोदय, सबसे पहले तो हम मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह चौहान जी को और प्रदेश के जल संसाधन मंत्री महोदय को बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहते हैं और धन्यवाद इस बात का कि वर्ष 2003 के पहले हमारे मध्यप्रदेश की धरती पर मात्र 7 लाख हेक्टेयर भूमि सिंचित होती थी. पहले भी बजट में प्रावधान किया गया, पहले भी विधान सभायें रहीं, लेकिन उन्होंने रकवा बढ़ाने का काम नहीं किया. सिंचाई का रकवा मात्र 7 लाख हेक्टेयर भूमि सिंचित होने का रह गया था. जब हमारी भारतीय जनता पार्टी की सरकार आई और मध्यप्रदेश की धरती पर मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह चौहान जी बने तब से लगातार हर वर्ष मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री जी ने और भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने प्रयास किया और पहल की कि हमें हर वर्ष किसान जो अन्नदाता कहे जाते हैं उनके खेतों में पानी देने का काम...
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर-- हरिशंकर जी, माननीय सभापति महोदय एक सेकेण्ड, एक सुझाव छूट गया था. हमारी जो केन बेतवा लिंक की बात चल रही है, लंबा समय हो गया, लेकिन वह आज नहीं कल बनेगी, उसमें ओरछा बहुउद्देशीय परियोजना जब उमा भारती जी मुख्यमंत्री हुआ करती थीं तब उनको हमने पूरा एक नोट बनाकर दिया था कि अगर उसी केन बेतवा लिंक में ओरछा बहुउद्देशीय परियोजना को जोड़ देंगे तो निबाड़ी जिले की 80 प्रतिशत सिंचाई उसी योजना से हो जाती है और पर्यटन के क्षेत्र से भी ओरछा चूंकि बहुत महत्वपूर्ण जगह है, वह भी एक फायदा मिलेगा इसको भी कृपा करके इसमें जोड़ लेंगे.
श्री हरिशंकर खटीक-- माननीय सभापति महोदय, वर्ष 2021 में इस समय की स्थिति में मध्यप्रदेश में 41 लाख हेक्टेयर भूमि सिंचित हो रही है और हमारी सरकार वर्ष 2024-25 में हमारे तुलसी सिलावट जी के नेतृत्व में, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह चौहान जी के नेतृत्व में 65 लाख हेक्टेयर भूमि सिंचित करने का जो लक्ष्य निर्धारित किया गया है. मुझे पूरा विश्वास है कि 65 लाख हेक्टेयर मध्यप्रदेश के किसानों की भूमि सिंचित होगी. अभी हमारे बड़े भाई सम्मानित श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर साहब जो अंग्रेजी और देशी विभाग के मंत्री रहे.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर - सभापति महोदय, इसमें थोड़ा संशोधन कर दें. आपका देशी से वास्ता है तो आप देशी से ऊपर ही नहीं निकलते हो. वाणिज्यिक कर बोलो ना.
श्री हरिशंकर खटीक - आपका अंग्रेजी और देशी से वास्ता रहा है. मध्यप्रदेश में इस समय 21 वृहद सिंचाई परियोजनाओं का कार्य पूर्ण हो चुका है. वर्तमान में 27 वृहद सिंचाई परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं जिनका काम चल रहा है जिनमें 43631.78 करोड़ की लागत से काम चल रहा है. हमारे कांग्रेस के मित्रों को धन्यवाद देना चाहिये कि हमारी वृहद सिचाई परियोजनाओं से मध्यप्रदेश में 18.21 लाख हेक्टेयर भूमि सिंचित होगी. इन परियोजनाओं की पूर्णता पर लगभग 14.16 लाख हेक्टेयर भूमि क्षमता का विकास होगा. 43 मध्यम सिंचाई परियोजनाएं अभी वर्तमान में निर्माणाधीन हैं, मध्यप्रदेश की धरती पर.यह हमारे मध्यप्रदेश की वर्तमान भारतीय जनता पार्टी की सरकार की सोच और जो कहती है वह करती है और करके दिखाती है. इन्होंने अपने 14-15 महीने के कार्यकाल में एक इंच भूमि भी मध्यप्रदेश की धरती पर सिंचित नहीं कर पाई. न इन्होंने एक योजना पूर्ण कराई. हमारी 47 मध्यम जो सिंचाई परियोजनाएं हैं इनकी लागत 10159 करोड़ रुपये है. कुल सिंचाई क्षमता इनकी, 3.75 लाख हेक्टेयर भूमि की है लेकिन इसके साथ-साथ लघु सिंचाई परियोजनाएं हमारे मध्यप्रदेश की धरती पर हमारे जल संसाधन विभाग के माध्यम से काम कर रही हैं.इनमें 303 वर्तमान में परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं. जिनकी कुल लागत 4010.18 करोड़ है. इससे 1.49 लाख हेक्टेयर भूमि सिंचित होगी. मध्यप्रदेश को आत्म निर्भर बनाने के लिये, किस प्रकार से किसानों की आय दुगुनी हो. खेती को लाभ का धंधा कैसे बनाएं इसके लिये जल संसाधन विभाग के माध्यम से ऐतिहासिक काम मध्यप्रदेश में किया जा रहा है. कृषकों को आत्मनिर्भर बनाने के लिये निर्माणाधीन सिंचाई परियोजनाओं से 3 वर्षों में लगभग 6 लाख हेक्टेयर भूमि सिंचित होगी क्योंकि किसान खेत में सिर्फ इस बात का इंतजार करता है कि चाहे नदी से हो, नाले से हो, चाहे कुंए से हो, चाहे डक वेल से हो यै कैसे भी हो उनके खेतों में पानी पहुंचना चाहिये क्योंकि किसान अन्न का दाता होता है यदि उनके खेतों में पानी पहुंच जाता है तो वह हमेशा खुशहाल रहता है. जहां खेतों में पानी नहीं पहुंचता तो हमने वह दिन भी देखे हैं. बुदेलखण्ड अंचल में बहुत कुछ सुधार भी हुआ है. हमने झांसी स्टेशन भी देखा, मऊरानीपुर स्टेशन भी देखा, हरपालपुर स्टेशन भी देखा कि जहां पर अपने मासूम बच्चों को लेकर, हमारे पिता तुल्य दादा पलायन करके दिल्ली,पंजाब पेट पालने के लिये जाते थे लेकिन आज हमें इस बात की खुशी है कि बाणसुजारा बांध हमारे यशस्वी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी ने दिया है. बाणसुजारा बांध से 183 गांवों के किसानों को पानी देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था. 75 हजार हेक्टेयर भूमि सिंचित होना थी. इस बार 40 हजार हेक्टेयर भूमि को पानी देने का काम हमारे मुख्यमंत्री और जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट जी ने किया है. इसके लिये हम उनका अभिनंदन करते हैं.धन्यवाद देते हैं. आभार भी व्यक्त करते हैं कि उन्होंने किसानों की पीड़ा को समझने का काम किया. इसके साथ-साथ महत्वपूर्ण चीज एक और बता दें कि अटल भूजल योजना मध्यप्रदेश की धरती पर आई हुई है. इससे जल संवर्धन और भूजल स्तर से इसमें चयनित जो क्षेत्र हैं उसमें भूजल स्तर में सुधार का लाभ मिलेगा. जल जीवन मिशन के अंतर्गत जल प्रदाय हेतु भी टिकाऊ जल स्त्रोत देने का काम किया जायेगा. कृषकों की आय को दुगुना करने का लक्ष्य इसमें निर्धारित किया गया है. अटल भूजल योजना से 2021 से 2025 तक इसमें लक्ष्य है. 2025 तक इस योजना का काम पूरा होगा अटल भूजल योजना में. जल संवर्धन एवं भूजल स्तर में सुधार के लिये कुल लागत 314 करोड़ 54 लाख रुपये का भारत सरकार के द्वारा और विश्व बैंक के द्वारा शत प्रतिशत अनुदान इस योजना में दिया गया है. इसकी हमारी सरकार द्वारा प्रशासकीय स्वीकृति जारी कर दी गई है.निवेश राशि इसमें 103.62 करोड़ रुपये, प्रोत्साहन राशि 210.92 करोड़ रुपये का इसमें प्रावधान किया गया है. इसमें एक खुशी की बात यह है कि बुन्देलखण्ड की जो बात बार-बार आती है, हमारे बड़े भाई श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर जी बोलते हैं कि बुन्देलखंड में कुछ नहीं हुआ. 2003 के पहले वास्तव में कुछ नहीं था. बुन्देलखण्ड की धरती प्यासी थी, सुखी थीं. वहां नदियां हैं. धसान नदी, जामनी नदी, बेतवा नदी, सम्राट नदी और भी नदियां हैं. लेकिन एक भी नदियों का पानी, एक बूंद भी पानी..
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर -- सभापति महोदय, आपने नाम लिया है. नम्बर एक तो वहां पर राजघाट और भीतरी योजना, इन्होंने कहा था कि एक इंच सिंचाई नहीं हुई थी. 4 हजार हेक्टेयर की तो हमहीं ने अपने टाइम पर मंजूरी करा दी थी, लेकिन एक बहुत बड़ा रकबा है, तो आप क्या यह कहना चाहते हैं कि बुन्देलखण्ड के टीकमगढ़ एवं निवाड़ी में पानी की जरुरत नहीं है.
श्री हरिशंकर खटीक -- जरुरत है.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर -- सभापति महोदय, तो आप यह कहना चाहते हो कि वहां के मजदूर पलायन नहीं करते हैं. अभी आपने कहा कि अब पलायन बन्द हो गया है.
श्री हरिशंकर खटीक -- पहले स्थिति थी, अब व्यवस्था में सुधार हुआ है.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर -- सभापति महोदय, ऐसे बोलो न कि जरुरत है अभी भी.
श्री हरिशंकर खटीक -- सभापति महोदय, आप सच्चाई सुनना नहीं चाहते हैं. कांग्रेस के हमारे मित्र जो बड़े भाई हैं, वह सच्चाई नहीं सुनना चाहते हैं. बुन्देलखण्ड के लिये जो सौगात इस बार मिली है अटल भूजल योजना के माध्यम से उसमें मध्यप्रदेश के 6 जिले बुन्देलखण्ड के लिये गये हैं. इसमें सागर जिला, दमोह जिला, छतरपुर, पन्ना, टीकमगढ़ और निवाड़ी. आपका निवाड़ी जिला भी इसमें लिया गया है. निवाड़ी में निवाड़ी विकास खण्ड का भी इसमें चयन हमारे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री, शिवराज सिंह चौहान जी ने किया है. सागर में सागर विकास खण्ड, दमोह में पथरिया विकास खण्ड, छतरपुर में छतरपुर नौगांव और राजनगर विकास खण्ड, पन्ना में अजयगढ़ विकास खण्ड, टीकमगढ़ में पलेरा और बल्देवगढ़ विकास खण्ड और निवाड़ी में निवाड़ी विकास खण्ड, ऐसे 6 जिलों का चयन 9 विकास खण्डों के लिये 678 ग्राम पंचायतों में 8319 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को लाभ देने के लिये यह अटल भूजल योजना बनाई गई है. इससे बुन्देलखण्ड की तकदीर और तस्वीर दोनों संवरने का काम होगा. एक और योजना हमारे मध्यप्रदेश में लांच हुई है, जो मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री, शिवराज सिंह जी चौहान की पहल पर, जल संसाधन मंत्री जी की पहल पर और विभाग के एक सराहनीय प्रयास के माध्यम से हमें केंद्र सरकार के द्वारा मिली है. उस योजना का नाम है प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना. हर खेत को पानी देने का काम किया गया है. इसमें भूजल संसाधनों से सिंचाई करवाना है, इसका लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इस योजना में 1706.01 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. इसमें 60 प्रतिशत केंद्रांश और 40 प्रतिशत राज्यांश से पैसा लगेगा. इसमें खुशी की बात यह है कि जिस क्षेत्र से सभापति महोदय आप आते हैं, वह क्षेत्र लिया गया है. जो आदिवासी जिले इसमें हैं, जो 5 जिले हैं, इसमें मंडला, डिण्डौरी, शहडोल, उमरिया और सिंगरौली इस योजना में लिये गये हैं. इस योजना में 24364 भूजल संरचनाएं बनाई जायेंगी. इसमें बोरवेल से, डगवेल से, डग कम बोरवेल का निर्माण भी प्रस्तावित है. इससे कुल 62135 हेक्टेयर भूमि सिंचित होगी. यह ऐतिहासिक प्रयास हमारे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी ने किया है. हम देश के प्रधानमंत्री, माननीय नरेन्द्र मोदी जी को भी धन्यवाद देते हैं और उनकी पूरी टीम को, केंद्र सरकार को भी धन्यवाद देते हैं कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना हमारे मध्प्रदेश में और आदिवसी जिलों के किसानों को एक तरह से संभालने के लिये, एक सम्बल देने के लिये बहुत अच्छी योजना हमारे यहां पर आई है. अभी बात आई केन बेतवा सिंचाई परियोजना की. हम सब जानते हैं कि यह एक महत्वाकांक्षी परियोजना है. इसके संबंध में लगभग 40 साल से पहले से हम यह बात सुनते आ रहे थे कि केन बेतवा सिंचाई परियोजना की. अगर केन नदी में पानी नहीं है, तो बेतवा नदी का पानी केन नदी में जायेगा. अगर बेतवा नदी सूखती है, तो केन नदी का पानी बेतवा नदी में आयेगा. यह वृहद एवं ऐतिहासिक सिंचाई परियोजना है. हम सब जानते हैं कि केन नदी मध्यप्रदेश के कटनी जिले से निकलती है और उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में यमुना नदी में मिलकर समाप्त हो जाती है. केन नदी में कुल जल ग्रहण क्षेत्र 28058 वर्ग किलोमीटर का 87 प्रतिशत हिस्सा मध्यप्रदेश में और 13 प्रतिशत हिस्सा उत्तर प्रदेश में है. इस परियोजना के अंतर्गत जो हमारी बेतवा नदी निकली हुई है, बेतवा नदी यहीं भोपाल के पास कोलार डेम के नीचे झिरनी गांव जिला रायसेन से उसका उद्गम हुआ है. यह रायसेन से विदिशा, विदिशा से टीकमगढ़ निवाड़ी होते हुए, झांसी जिले से होते हुए आगे निकली है. इसमें अनुरोध है कि केन बेतवा, केन कछार दोधन बांध एवं नहरों आदि के लिए 18057 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. दोधन बांध भी इसमें बनेगा और नहरों का विकास भी होगा. दोधन बांध की प्रस्तावित जीवित जल क्षमता 2684 एमसीएम तक पानी भी इसमें रहेगा. इसमें डूब में 9000 हैक्टेयर भूमि आएगी. इस परियोजना के अंतर्गत बेतवा कछार से बीना काम्पलेक्स और कोटा बैराज तथा लोअर परियोजनाओं का निर्माण भी इसमें किया जाएगा. इस परियोजना में मध्यप्रदेश के बुन्देलखण्ड क्षेत्र के छतरपुर, पन्ना, टीकमगढ़, निवाड़ी, दमोह जिलों के किसानों को लाभ मिलेगा.
सभापति महोदय, माइक्रो इरिगेशन से केन कछार में 4.47 लाख हैक्टेयर भूमि और बेतवा कछार में 2.06 लाख हैक्टेयर भूमि, उत्तरप्रदेश के बुन्देलखण्ड क्षेत्र के बांदा, महोबा, झांसी में भी केन बेतवा सिंचाई परियोजना से लाभ मिलेगा. यह ऐतिहासिक देन हमारे भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की है उन्होंने एक समय सपना संजोया था कि अगर हम नदियों को जोड़ने का काम करेंगे क्योंकि जो बारिश का पानी समुद्र में सीधा चला जाता है, एक बूंद किसानों को पानी नहीं मिलता था तो ऐसा हमारे अटल बिहारी वाजपेयी जी के सपने को साकार करने का काम देश के प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी ने किया है. मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी की पहल पर और उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी की पहल पर बहन उमाश्री भारती जी की पहल पर, डॉ. बीरेन्द्र कुमार जी सांसद की पहल पर और हमारे जल संसाधन मंत्री जी यहां बैठे हैं श्री तुलसीराम सिलावट जी की पहल पर यह हुआ है. मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश के लिए यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है जो बुन्देलखण्ड की धरती पर मिली है. इससे 2.5 लाख हैक्टेयर भूमि सिंचित होगी.
सभापति महोदय, हम कुछ सुझाव आपके बीच में देना चाहते हैं. केन बेतवा सिंचाई परियोजना के लिए आपने बजट भारत सरकार का भी देखा होगा. हमारे सम्मानीत पक्ष और विपक्ष के साथियों ने देखा होगा, इस केन बेतवा सिंचाई परियोजना में 35111 करोड़ रुपये देने का प्रावधान किया गया है. हम सब लोग देश के प्रधानमंत्री जी का अभिनंदन करें. 35111 करोड़ रुपये की यह बहुप्रतीक्षित परियोजना हमें मिली है, इससे हमारे बुन्देलखण्ड की तकदीर और तस्वीर मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश की बदलेगी. बानसुजारा बांध के बारे में आपको बता ही चुके हैं. एक अनुरोध है कि बानसुजारा बांध में लगभग 25 गांव छोड़ दिये गये हैं, उसको चेक करा लें, उसकी एक समिति बनाकर जो 25 गांव छूट गये हैं, वे लोग हमसे लड़ते हैं कि सब जगह आप पानी दे रहे हो, उसमें 183 गांव है, वे गांव जुड़े हुए हैं तो जो छुटे हुए गांव हैं, उनको थोड़ा तकनीकी रूप से दिखवा लें. मंत्री जी यहां पर बैठे हैं. जतारा का तालाब हमेशा सूख जाता है. अगर बानसुजारा बांध का उसमें पानी पहुंच जाएगा तो पानी पीने के लिए मिलेगा. हरपुरा सिंचाई परियोजना के बारे में मंत्री जी ने बोल ही दिया है कि हम जांच कमेटी बनवाएंगे, उसमें जांच करा देंगे और हम लोगों के अनुकूल काम होगा. हमें पूरा विश्वास है.
पराई नदी पर परेवा बांध स्वीकृत हुआ था, लेकिन बीच में हम कुछ समय के लिए नहीं आ पाये. स्वीकृत काम जो हमारे कांग्रेस के मित्र थे, उनका नाम हम नहीं लेना चाहते, उन्होंने काम निरस्त करा दिया था. पराई नदी पर परेवा बांध बनने का काम जो प्रशासनिक स्वीकृति पहले जारी हुई थी, उसके आधार पर कार्य प्रारंभ किया जाय. सुखनई, सपरार और उर नदी का भी सर्वे करवाकर हमारे विधान सभा क्षेत्र में पानी देने का काम किया जाय.
सभापति महोदय, हमारा एक और अनुरोध है कि हमारे टीकमगढ़ जिले में पानी की समस्या रहती है. बानसुजारा बांध से हम लोग पानी मांग रहे थे, उसमें 280 एमसीएम पानी है, मात्र 250 एमसीएम पानी से पूरे टीकमगढ़ जिले में 75000 हैक्टेयर रकबा है, वह पूरा सिंचित हो जाएगा. अब बचा 30 एमसीएम पानी, 30 एमसीएम पानी में से 4 एमसीएम पानी, हमेशा बानसुजारा बांध में रहना है. 6 एमसीएम पानी छतरपुर जिले के बड़ामलेहरा विधान सभा में पीने के लिए चला गया तो 260 एमसीएम पानी खर्च हो गया. 20 एमसीएम पानी बचा. सभापति महोदय, माननीय मंत्री जी से हम विनम्र प्रार्थना करते हैं कि 19 एमसीएम पानी हमें टीकमगढ़ जिले के लिए वहां के मजरा टोला मोहल्ला के लिए और नगरों के लिए आप दे दें, जिससे पूरे टीकमगढ़ जिले की 560 गांव की इकट्ठी हमारी नलजल योजना एक बार में स्वीकृत हो जाय. यह हमारी विनती और प्रार्थना है. अगर इससे पानी आप नहीं दे पा रहे हैं तो उसी धसान नदी पर गणेशपुरा पिकअप गियर बांध की प्रशासनिक स्वीकृति है. उसमें 50 एमसीएम पानी रहेगा. हमें मात्र 19 एमसीएम पानी चाहिए. उसकी प्रशासनिक स्वीकृति मिल जाएगी तो बहुत अच्छा हमारे क्षेत्र की जनता को पानी मिलेगा.
माननीय सभापति महोदय यह मछुआ कल्याण तथा मत्स्य कल्याण विभाग का एक सुझाव है कि इसमें हमारे प्रदेश में 4 लाख 33 हजार हेक्टेयर जल क्षेत्र में से 99 प्रतिशत क्षेत्र में मछली पालन का काम चल रहा है. इसमें प्रदेश के लगभग 1 लाख 75 हजार मछुआरों को दुर्घटना बीमा का लाभ भी मिल रहा है. प्रधानमंत्री मत्स्य बीमा योजना में भी लाभ दिया जा रहा है. हमारा यह अनुरोध है कि मछली पकड़ने के लिए सभी नदियों जलाशयों तथा तालाबों का विकास इसके किया जाय,साथ साथ यह अनुरोध है कि सबसे पहले जो मछुआरे हैं, जो कि केवट समाज के हैं, जो रैकवार समाज के हैं, सबसे पहले प्राथमिकता उनको दी जाय, यह हमारी विनम्र प्रार्थना है, अगर वह उस गांव में नहीं हैं तो फिर अनुसूचित जाति के लोगों को दिया जाय, जनजाति के लोगों को दिया जाय फिर अन्य को दिया जाय लेकिन पहली प्राथमिकता उनको ही दी जाय. सभापति महोदय आपने बोलने के लिए समय दिया धन्यवाद्.
श्री प्रियव्रत सिंह ( खिलचीपुर ) -- माननीय सभापति महोदय मैं यहां पर मांग संख्या 16 और 23 के विरोध में और कटौती प्रस्तावों के समर्थन में अपनी बात रखने के लिए खड़ा हुआ हूं. मैं अभी बहुत ध्यान से हरिशंकर जी को भी सुन रहा था. उसके पहले राज्यपाल जी के अभिभाषण में भी बड़ा जोरदार उल्लेख हुआ कि 65 लाख हेक्टेयर भूमि मध्यप्रदेश में हम सिंचित कर रहे हैं. 41 लाख हेक्टेयर भूमि पर हमारी परियोजनाएं पूर्ण हो चुकी हैं. सभापति महोदय यह दावे असत्य हैं. यह असत्य इसलिए हैं कि हमें जितनी भी निर्माणाधीन वृहद सिंचाई परियोजनाओं की सूची उपलब्ध कराई गई है. पहले नंबर पर ही जाय तो हमारे जिले की मोहनपुरा और कुण्डालिया का उल्लेख इसमें किया गया है. मैं माननीय जल संसाधन मंत्री जी का ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा कि यह मोहनपुरा योजना का उद्घाटन चुनाव के पूर्व 2018 में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने किया है और उसके तत्काल बाद में मध्यप्रदेश के तत्कालीन और वर्तमान के मुख्यमंत्री आदरणीय शिवराज सिंह जी ने कुण्डालिया परियोजना का शुभारम्भ किया जब मोहनपुरा योजना और कुण्डालिया परियोजना का शुभारम्भ हुआ तो पूरे राजगढ़ जिले को सपना दिखाया गया कि खेत खेत सिंचित हो जायेगा, और आगे आने वाले साल में सबको पानी उपलब्ध हो जायेगा, परंतु आज उसके विपरीत ही तस्वीर समझ में आती है.
04.18 बजे { सभापति महोदय ( श्री लक्ष्मण सिंह ) पीठासीन हुए }
सभापति महोदय मेरे पूछे गये प्रश्न के उत्तर में आपकी ही तरफ सेउत्तर आया है मैसर्स जैन एरिगेशन को आपने 19-9-2018 में आपने कांट्रेक्ट दिया था प्रेशर पाइप लाइन बिछाने का इसका कार्य 18-7-2021 में पूर्ण होना था. मतलब 18-7-2021 के बाद में उ स इलाके के किसानों को पानी उपलब्ध होना था. आपने ही कबूल किया है कि पांच प्रतिशत कार्य पूर्ण हुआ है. जब हम दूसरी कैनाल की बात करें मैसर्स एलएनटी कंस्ट्रक्शन चेन्नई इनको 23-8-2018 में आपने टेण्डर दिया है और अवधि इनकी है 22-8-2021 की इसमें 36 प्रतिशत ही कार्य पूर्ण हुआ है और जो बाद में 9500 हेक्टेयर भूमि जो कि कुण्डालिया बांध में जिसका टेण्डर किया गया उसमें कार्य ही अभी तक प्रारम्भ नहीं हो पाया है यह गुना की कंपनी है वीवीएसएल कंस्ट्रक्शन वाली चुनाव के पूर्व पूरे राजगढ़ जिले में सड़क के किनारे आप निकल जायें पाइप पड़े हुए हैं. सड़क के किनारे खूब बड़े बड़ अच्छी क्वालिटी के टाटा के पाइप जो कि रोज चोरी हो रहे हैं. अभी चार दिन पहले भी चोरी हो रहे थे एक जेसीबी मशीन उऩको एक ट्रक में भरकर ले जा रही थी, उनकी रखवाली आप नहीं करवा पा रहे हैं, न ही आपके ठेकेदार उनकी रखवाली कर पा रहे हैं. किसान के खेत में पानी पहुंचने की मुझे नहीं लगता कि अगले तीन साल में भी कोई संभावनाएं हैं.
सभापति महोदय यह परिस्थिति कुण्डालिया परियोजना और मोहनपुरा परियोजना की हैं. यहां तक की 4 वर्ष बीतने के बाद में भी जो चैनल का काम आप जिससे पानी इन प्रेशराइज पाइप में दिया जायेगा इस चैनल का काम भी अभी अधूरा है, अधूरा तो क्या है 5-10 प्रतिशत से ज्यादा पूरा नहीं हो पाया है. इस वर्ष भी पानी भरा हुआ है. अब पानी भरे होने के बाद आप वहां पर चैनल का कार्य तो नहीं करवा पायेंगे, तो हम मानकर चलें कि यह तो आंकड़ों की बाजीगरी चलती रहेगी, विधान सभा में ताली बजती रहेगी, भाषण भी होते रहेंगे, परंतु मुझे नहीं लगता कि खिलचीपुर और जीरापुर तहसील या संपूर्ण राजगढ़ जिले को पानी दिलाने की आप किसी परिस्थिति में हैं.
सभापति महोदय, दूसरा, आपने एक इकाई बनाई, वहां पर कुण्डालिया के लिये सीई नियुक्त किया और कुण्डालिया-मोहनपुरा इकाई आपने उसका नाम दिया. परियोजना संचालक मोहनपुरा-कुण्डालिया परियोजना प्रबंधन इकाई राजगढ़, इसका नाम ही राजगढ़ है. वहां न तो आपका सीई बैठता है, न आपका परियोजना प्रभारी वहां बैठता है, न आपके सब इंजीनियर, यहां तक कि एसडीओ और सब इंजीनियर भी भोपाल में बैठे रहते हैं. एक भी व्यक्ति राजगढ़ में या कुण्डालिया बांध की साईट पर नहीं मिलता है. यह हमारे साथ किस तरह का अन्याय है ? इस योजना में आपकी जो उपयोगी जल क्षमता है डेड स्टोरेज हटाने के बाद की बात कर रहा हूं, मोहनपुरा में 595 एमसीएम और कुण्डालिया में 552 एमसीएम है. आपने औद्योगिक इकाई हेतु 20 एमसीएम पानी मोहनपुरा में और 15 एमसीएम पानी कुण्डालिया में रखा. उसके बाद कुण्डालिया बांध में पहले समूह नलजल योजना के माध्यम से राजगढ़ जिले के करीब 400 से ऊपर गांवों को पानी मिलना था आपने वह तो जोड़ दिया था, उसके बाद हमारी सरकार में आगर जिले को भी पानी देने का फैसला हो गया कि आगर जिले में भी करीब 250-300 गांवों में इससे पानी सप्लाई किया जाएगा. अब हमने कुण्डालिया परियोजना में 9,500 हैक्टैयर भूमि जोड़ी, जिसके प्रेशर पाइपलाइन का टेण्डर आपने किया, अब उसमें पानी आप देंगे कहां से और औद्योगिक इकाइयों को पानी कहां से देंगे ? जब आपने मोहनपुरा में भी समूह नलजल योजना को जोड़ दिया है, तो इसके लिये हमने सुझाव दिया था कि आप घाटाखेड़ी की एक मध्यम सिंचाई परियोजना खिलचीपुर में सेंग्शन करवा दें. उसका पूरा नक्शा भी बन गया, बोधि से पास होकर सर्वेक्षण कार्य भी पूर्ण हो गया, सरकार ने लाखों रुपया सर्वेक्षण कार्य में खर्च कर दिया और सर्वेक्षण कार्य पूर्ण होने के बाद उसकी डिजाइन भी फाइनल हो गई, परंतु अभी-अभी मुझे जानकारी मिली है कि आपने कह दिया कि इसमें हमें कमाण्ड क्षेत्र ही नहीं मिल रहा कहां हम सिंचाई करेंगे, इसलिये इस योजना को हम रोक रहे हैं. मेरा सिर्फ इतना कहना है कि अगर आपके पास औद्योगिक इकाइयों के लिये पानी नहीं रहेगा, राजगढ़ जिले को आपने उद्योगों का केन्द्र बनाने का सपना दिखाया, हजारों हैक्टेयर भूमि उद्योगों के लिये आरक्षित कर दी, परंतु अगर आप उन औद्योगिक इकाइयों को पानी देने की स्थिति में नहीं रहेंगे तो फिर आप वहां उद्योग लगाने का सपना क्यों दिखा रहे हैं ? और इतनी समूह नलजल योजना के माध्यम से इतना पानी आप दे रहे हैं जो पानी आप सप्लाई करेंगे उसमें जीरापुर और माचलपुर की हमारी जो दो नगर पंचायतें हैं वह छूट गई थीं, अब वह भी उसमें सम्मिलित हो गई हैं तो वह दोनों सम्मिलित होने के बाद हमारी सरकार में हमने उनको भी सम्मिलित करवाया है, तो अब इतना पानी न तो कुण्डालिया परियोजना में है और उसमें एक प्रस्ताव शाजापुर में भी और सारंगपुर को भी पानी देने का प्रस्ताव मंत्रालय में तैयार हुआ है ऐसी मुझे जानकारी मिली है, तो अगर यह सारी चीजें हैं तो कुण्डालिया में इतना पानी नहीं है कि जो बाद में जोड़ा हुआ 9,500 हैक्टेयर का क्षेत्र है, जिसको आसानी से घाटाखेड़ी बांध से मध्यम सिंचाई परियोजना से सिंचित किया जा सकता है, आप अगर सही में राजगढ़ जिले को पानी पहुंचाना चाहते हैं या राजगढ़ को पानी देना चाहते हैं, उस सूखा ग्रस्त इलाके को पानी देना चाहते हैं तो घाटाखेड़ी मध्यम परियोजना की आपको स्वीकृति देनी चाहिये यह मैं आपसे अनुरोध करना चाहूंगा.
सभापति महोदय, दूसरी, जो एक बड़ी बात आती है कि मोहनपुरा जलाशय में जिस क्षेत्र को पानी दिया जाना था, कई सारे छोटे-छोटे बांधों को आपने उसमें जोड़ा था कि मोहनपुरा जलाशय की नहर के माध्यम से जो पुरानी सिंचाई परियोजनाएं जैसे बरगुलिया की लघु सिंचाई परियोजना है, पारलियाखेड़ी की लघु सिंचाई परियोजना है, पीपलियामोची की लघु सिंचाई परियोजना है इन सारी लघु सिंचाई परियोजनाओं के तालाबों को उसकी नहर से पानी देंगे. कुछ जगहों पर पाइपलाइन बिछ गई. पारलियाखेड़ी तक पाइपलाइन बिछ चुकी है पर वहां पर पानी सप्लाई नहीं किया जा रहा है. वहां पर आपका पम्प हाउस निर्मित है. पाइपलाइन भी बिछी हुई है. लेकिन विद्युत कनेक्शन के पीछे वह बंद है. केवल विद्युत कनेक्शन नहीं लेने के कारण वह बांध आप नहीं भर पा रहे हैं. माननीय सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से अनुरोध करूंगा कि आदरणीय मंत्री जी इसमें अगर संज्ञान लेंगे तो कई किसानों को सूखे के समय में पानी उपलब्ध हो पाएगा.
माननीय सभापति महोदय, साथ ही साथ एक बड़ा अजीब सा आदेश है कि राजगढ़ जिले में नई योजनाएं स्वीकृत नहीं की जाएं. आप भी जानते हैं कि राजगढ़ जिला पठारी क्षेत्र है. खिलचीपुर सब डिवीजन की, राजगढ़ सब डिवीजन की और जीरापुर सब डिवीजन की कई सारी योजनाएं, जो कि राजगढ़ डिवीजन में आती हैं, यह पठारी क्षेत्र है तो कई छोटे तालाबों का निर्माण अभी भी किया जा सकता है. सभापति महोदय, आप भी सांसद रहे और आपने उसमें बहुत पहल की. कई नदियों पर स्टॉपडैम आपने बनवाए. आपने उसमें सांसद निधि तक भी दी, पर उस समय में जो स्टॉपडैम बन गए हैं, उनको अगर वापिस से इन वृहद् सिंचाई परियोजनाओं के पानी से भर दिया जाए तो उससे लाभ होगा. जितने आप छोटे डैम बनाएंगे, उतना ही कम भार इन वृहद् सिंचाई परियोजनाओं पर पड़ेगा. अगर आप ऐसा निर्णय लें और यह रोक हटाकर जितनी भी हमारे राजगढ़ जिले की साध्यताप्राप्त योजनाएं हैं, जो ऑलरेडी आपके ईएनसी कार्यालय में सब्मिटेड हैं, जो आपके बेतवा-चंबल कछार के सीई के यहां सब्मिटेड हैं, उन सारी योजनाओं को अगर आप इकट्ठी करवाकर उनकी साध्यता देखें तो ये साध्यताप्राप्त योजनाएं हैं. कई योजनाओं के टेण्डर हो गए थे, टेण्डर निरस्त कर दिए गए. एक-दो योजनाओं को आपने अभी बजट में सम्मिलित किया है, मैं आपको धन्यवाद देता हूँ. घाघोर्णी आपने किया है, एक रामपुरिया का तालाब किया है, एक बोरदाश्रीजी का किया है, ये दो-चार आपने सम्मिलित किए हैं, पर दो-चार योजनाएं नहीं, 20-22 योजनाएं सम्मिलित हो सकती थीं. ये सब जल संरक्षण में सहायक होते क्योंकि इसमें न तो कोई डूब क्षेत्र है, न तो आपको कोई ज्यादा मुआवजा देना पड़ रहा है. ज्यादातर जो बैराज हैं, वे नदी का पानी रोकने का काम करेंगे.
माननीय सभापति महोदय, साथ ही साथ आज तक और पिछले 20 साल में खिलचीपुर नगर के लिए चार पेयजल योजनाएं स्वीकृत हुई हैं और चारों फेल हुई हैं. पहले फतेहपुर तालाब, जो आपकी लघु सिंचाई परियोजना है वहां से, उसके बाद गणेशपुरा तालाब, जो आपकी लघु सिंचाई परियोजना है वहां से, फिर बगा फत्तूखेड़ी का जो स्टॉपडैम बना हुआ है वहां से नेवज नदी से, कम से कम 15 किलोमीटर खिलचीपुर तक पाइप-लाइन बिछाई गई, आज तक उसका भी लाभ नहीं मिल पा रहा है और जो वह योजना बनाई गई थी, वह वर्ष 2010 में स्वीकृत की गई थी.
सभापति महोदय -- अभी और कितना समय लेंगे ?
श्री प्रियव्रत सिंह -- माननीय सभापति महोदय, 5 मिनट और लूंगा.
सभापति महोदय -- थोड़ा और शॉर्ट में करिए.
श्री प्रियव्रत सिंह -- सभापति महोदय, वह योजना वर्ष 2010 में स्वीकृत की गई थी, वर्ष 2010 से आज तक यह निर्माणाधीन है. यह आपका विभाग नहीं बना रहा है, इसलिए मैं आपको नहीं कहूंगा, परंतु जब ये सारी योजनाएं स्वीकृत हुईं, तब भी खिलचीपुर की पेयजल समस्या इन चार योजनाओं से समाप्त नहीं हो पाई. वापिस मैं घाटाखेड़ी परियोजना के अपने उसी टॉपिक पर आऊँगा कि गाड़गंगा नदी पर एक भी आपका बड़ा बांध नहीं बना हुआ है, गाड़गंगा नदी का पूरा पानी बहकर, मध्यप्रदेश से निकलकर राजस्थान में चला जाता है. अगर आप घाटाखेड़ी का जलाशय स्वीकृत करते हैं तो खिलचीपुर नगर की अगले सौ वर्ष के लिए पेयजल की समस्या समाप्त हो जाएगी. साथ ही साथ जो कुण्डालिया और मोहनपुरा बांध पर प्रेशर पड़ना है, जो सिंचाई का प्रेशर पड़ना है, क्योंकि इन दोनों बांधों से ही अब लगभग सब ओर सिंचाई करना प्रस्तावित है तो इन दोनों बांधों पर प्रेशर भी कम होगा. 9500 हेक्टेयर का जो कुण्डालिया बांध में बाद में एरिया जोड़ा गया है, वह भी पूर्ण रूप से सिंचित तभी हो पाएगा, जब आप घाटाखेड़ी जलाशय स्वीकृत करेंगे.
माननीय सभापति महोदय, एक निवेदन और है कि वर्ष 2020 से राजगढ़ डिवीजन में एक एग्जेक्यूटिव इंजीनियर, चार एसडीओ और 17 सब इंजीनियर पदस्थ हैं. धीरे-धीरे करके ट्रांसफर होना शुरू हुए. ऐसे ट्रांसफर हुए कि केवल 2 एसडीओ, एक जीरापुर में पदस्थ हैं और एक एग्जेक्यूटिव इंजीनियर, राजगढ़ के चार्ज में पदस्थ हैं. केवल दो सब इंजीनियर हैं. राजगढ़ तहसील के लिए, खिलचीपुर तहसील के लिए, जीरापुर तहसील के लिए और सारंगपुर तहसील के लिए, चार तहसीलों के लिए दो सब इंजीनियर हैं. मैं निवेदन करना चाहूँगा कि आप ट्रांसफर कर दें, जिसका आप ट्रांसफर करना चाहें, ट्रांसफर करें, आपका प्रशासन है, लेकिन कम से कम दूसरे किसी का ट्रांसफर करके यहां भी तो भिजवा दें ताकि वहां की व्यवस्थाएं संभल सकें, किसी को भेजो तो सही.
माननीय सभापति महोदय, जितना भी हमारा मुरम का पठारी क्षेत्र है, वहां पर आपकी जो पुरानी लघु सिंचाई परियोजनाएं बनी हुई हैं, वे सब कच्ची नहरें हैं, अब आप उन नहरों को अगर पक्की नहीं करेंगे तो पूरा पानी बह जाता है. राजगढ़ जिले में लगभग-लगभग जितने सिंचाई तालाब बने हुए हैं उनकी नहरों में पानी नहीं चलाया जा रहा है और न ही खेतों में सिंचाई की जा रही है. माननीय सभापति जी, मछुआ कल्याण पर भी एक सुझाव देना चाहूंगा कि मछुआ कल्याण की जो योजनाएं चल रही हैं दोनों वृहद सिंचाई परियोजनाएं माफिया के हाथ में चली गई हैं. वहां के हमारे लोकल मछुआरों को, मछुआ समूह को कोई लाभ नहीं मिल रहा है और न ही किसी और सिंचाई परियोजनाओं में हमारे मछुआ समूहों को को-ऑपरेटिव सोसायटियों का लाभ मिल रहा है. आप उसकी भी पूर्ण रुप से जांच करवाएंगे, तो बहुत आवश्यक रहेगा. बहुत-बहुत धन्यवाद.
सभापति महोदय -- आप लिखकर दे दीजिए. बहुत-बहुत धन्यवाद. श्री संजय शाह जी.
श्री संजय शाह "मकड़ाई" (टिमरनी) -- माननीय सभापति महोदय, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया. जल संसाधन विभाग मांग संख्या 23 के समर्थन में मैं खड़ा हुआ हॅूं. नि:संदेह हम सब जानते हैं कि जल ही जीवन है. जल के बिना तो हम कल्पना भी नहीं कर सकते. चाहे वह हमारे जीवन-यापन के लिए हो, चाहे हमारे खेतों के लिए हो और जल संसाधन विभाग इस पुनीत कार्य में दिन-रात लगा रहता है ताकि हमारे खेतों में भी और पेयजल के लिए भी जल उपलब्ध हो सके.
सभापति महोदय, मुझे गर्व होता है कि मध्यप्रदेश सरकार निरंतर सिंचाई का रकबा प्रतिवर्ष बढ़ा रही है. एक ओर हम देखते हैं कि पहले जितना रकबा हुआ करता था, उससे कई गुना ज्यादा रकबा आज हम सिंचित कर सकते हैं. अगर प्रतिशत की बात करें तो वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार मध्यप्रदेश की जनसंख्या 726.27 लाख है और देश की जनसंख्या का 6 प्रतिशत भाग लगभग 69.8 प्रतिशत भाग कृषि पर निर्भर है और उनके हितार्थ यह जल संसाधन विभाग नित नये आयाम को छू रहा है.
सभापति महोदय, इस विभाग की बहुत सारी बातें कई वक्ताओं के माध्यम से आ जाएंगी लेकिन समय को ध्यान में रखते हुए मैं केवल अपने क्षेत्र तक सीमित रहना चाहता हूँ. एक तरफ हमारे यहां तवा परियोजना संचालित होती है. हरदा जिले में वर्ष 2020 की रबी सिंचाई पूर्ण होने के पश्चात तथा तवा जलाशय से ग्रीष्मकालीन मूंग फसल हेतु होशंगाबाद जिले में 31268 हेक्टेयर तथा हरदा जिले के 28485 हेक्टेयर में कुल 59763 हेक्टेयर में सिंचाई की गई थी जो अपने आप में एक रिकार्ड कायम करता है. मूंग की फसल का सर्वाधिक रिकार्ड हमारे यहां हरदा में हुआ था और उसके माध्यम से लाकडाउन के समय में भी हमारे उन्नत किसानों ने मूंग की फसलें बोई थीं. वहां से हमें पानी मिल पाया था. 627 करोड़ रुपए की आय बाजार मूल्य से हमें हुई थी और किसानों को लाभ हुआ था. नि:संदेह विभाग बधाई का पात्र है और आने वाले समय में भी अभी मूंग का समय आ रहा है. मैं माननीय मंत्री जी का ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा कि इसमें भी पानी की जो उपलब्धता है डेम में जितना पानी है उससे ज्यादा से ज्यादा हमारे होशंगाबाद और हरदा जिले को मिल पाए और ज्यादा से ज्यादा हम सिंचाई कर पाएं. बैठक में तय हुआ कि लगभग 2000 एमसीएम पानी मिलेगा क्योंकि जहां तक मुझे जानकारी है वह 23500 एमसीएम के आसपास हमें मिलना चाहिए जो कि आज तक हमें नहीं मिल पाया है. उसका मूल कारण यह है कि हमारे यहां दो-दो एक्वाडैक हैं. उसके दोनों ओर बडे़-बडे़ पाईप लगाकर उसकी क्षमता बढ़ाने की आवश्यकता है. माननीय मंत्री जी उसमें प्रयासरत भी हैं. मैं समझता हॅूं कि वह बहुत जल्दी ही हो जाएगा ताकि हमको और ज्यादा पानी मिल जाए, जिससे हमारे किसान उसे सिंचित कर सकें. कुछ दो-तीन बातें और थीं. मोरनगंजाल प्रस्तावित है वह समय-सीमा में थोड़ा जल्दी चालू हो जाए, तो नि:संदेह दो जिलों को उसका लाभ मिलेगा और उसके माध्यम से जो 400 क्यूसिक पानी हमको मिल सकता है और माचक तथा तवा की जो नहरें हैं उसमें हम छोड़ेंगे तो निःसन्देह जो हमारा सपना है कि एक एक इंच भूमि हमारी, हंड्रेड परसेंट सिंचित, हरदा जिले की हम करना चाहते हैं उस सपने को साकार हम इस परियोजना के माध्यम से कर सकते हैं और निःसन्देह हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी और हमारे जल संसाधन मंत्री जी उसके लिए प्रयासरत हैं मैं समझता हूँ कि बहुत जल्दी ही वह परियोजना अपना असली रूप धारण कर लेगी और उसके माध्यम से हम 6000 हैक्टेयर और सिंचित मूंग का रकबा हम बढ़ोत्तरी हम कर सकते हैं. सभापति महोदय, एक दूसरी बात, जब यह परियोजना संचालित होगी या अस्तित्व में आएगी उसमें विस्थापन का भी काम माननीय मंत्री जी होगा, कुछ हमारे वनांचलों में अनुसूचित जनजाति, स्वजातीय भाई, निवासरत हैं, उनको जो मुआवजा शासन देगा, मैं चाहता हूँ कि जिस तरीके से वन विभाग जब नया पार्क बनाता है या वहाँ से विस्थापित करता है और जो मुझे लगता है कि 10 लाख के आसपास एक यूनिट को देता है, एक आदमी को देता है, वैसा ही कुछ प्रावधान इसमें भी हो, ताकि उनको जमीन छोड़ने में कोई असुविधा न हो और जमीन के बदले जमीन की जो मांग है तो विभाग भी प्रयास करे कि उनको जमीन के बदले जमीन उपलब्ध कराने के लिए, चाहे विभाग से हो चाहे राजस्व विभाग से हो, उसमें माननीय मंत्री जी भी सहयोग करेंगे तो निःसन्देह आपकी जो कैनाल वहाँ से निकलेगी उसमें कोई बाधा नहीं हो पाएगी. मैं एक बार पुनः आपको और माननीय मंत्री जी को जो बजट मांगा है आज सदन से हम सबको सहजता के साथ जितना भी बजट हम इस विभाग को दे सकें कम होगा क्योंकि इस विभाग के माध्यम से ही हम जीवन की परिकल्पना कर सकते हैं. माननीय सभापति महोदय, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
श्रीमती झूमा डॉ.ध्यान सिंह सोलंकी(भीकनगाँव)-- धन्यवाद सभापति महोदय. मांग संख्या 16 और 23 पर मैं अपनी बात रख रही हूँ. इधर उधर की बात न कहते हुए जो आवश्यक है वही मैं आपके सामने कहूँगी. सभापति महोदय, महत्वपूर्ण विभाग है, पानी के बगैर किसी भी क्षेत्र का विकास सोचना गलत हो जाएगा. जमीन की जो आज स्थिति है, जमीन का जो जल स्तर जितने नीचे जा रहा है, वास्तव में हम लोग अब हैण्ड पम्प खुदवाने में भी डर रहे हैं क्योंकि 700-800 फिट की गहराई तक हमको पानी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है और इसी कारण से तालाबों की आवश्यकता है, बैराज का निर्माण होना चाहिए, तालाब का निर्माण होना चाहिए और निश्चित ही उसके बनने से किसानों को सिंचाई के साथ साथ धरती को भी पानी का जो स्तर नीचे जा रहा है वह भी भरपूर उसमें होगा. सभापति महोदय, मेरा क्षेत्र पूरी तरह से सूखा है और इसकी स्थिति हम लोग अब ज्यादा जान पाए हैं क्योंकि पलायन की बड़ी समस्या हमारे सामने जो लॉक डाउन के समय आई थी, वास्तव में वन ग्राम के क्षेत्रों में एक भी तालाब नहीं है और वहाँ यदि तालाब बनते हैं तो जो पलायन की समस्या होती है और बार बार मजदूर रोजगार के अभाव में वे बाहर जाता है तो निश्चित ही यदि ये तालाब बनते हैं तो वे वहाँ पर जाएँगे नहीं और अपनी खेती अच्छे से करेंगे. इसी बात के लिए मैं कह रही हूँ कि मेरे जो पहाड़ी अँचल हैं, वन ग्राम हैं, वहाँ पर मौसम इतना अच्छा है कि अभी वहाँ पर जिन किसानों के खेतों में सिंचाई के थोड़े बहुत साधन हैं वहाँ पर स्ट्रा बैरी की खेती होने लगी है. किन्तु यदि पानी के साधन होते हैं तो निश्चित ही यह खेती का रकबा बढ़ेगा और किसान उन्नति की ओर बढ़ेगा. सभापति महोदय, मेरे तीन तालाब ऐसे हैं जो बन जाएँ तो निश्चित ही वहाँ के किसान बहुत उन्नति करेंगे. एक बोरवाल का तालाब, कुड़ी तालाब, कोठा बुजुर्ग तालाब, ये बड़े बड़े आकार के हैं, जिससे काफी रकबा वहाँ पर सिंचित हो पाएगा. उसी तरह से रोसिया नाला और दामखेड़ा तालाब, जो पहले से ही स्वीकृत हैं, स्वीकृत के साथ साथ में, सिर्फ उनको स्टार्ट करना है, स्वीकृति देने को दो दो साल हो गए हैं. उसके बावजूद आज भी पता नहीं कौनसी समस्या ऐसी है जो रुकावट बनी हुई है उसको दूर करेंगे तो निश्चित ही ये दोनों तालाब शुरू हो जाएंगे, तो माननीय मंत्री जी चूँकि बहुत अनुभवी और बहुत चिन्ता करने वाले हैं, तो निश्चित ही ये दोनों तालाबों को जल्दी शुरू करवा देंगे, रोसिया नाला और दामखेड़ा, सभापति महोदय, पुराने तालाब भी हैं, पुराने तालाबों में गाद इतनी भरी हुई है कि वे मैदान की तरह बने हैं, आप विभाग की ओर से अनुमति दें और उसका गहरीकरण, किसान खुद मिट्टी ले जाना चाहेंगे क्योंकि मिट्टी बहुत उपजाऊ होती है, मिट्टी यदि अपने खेतों में किसान ले जाएगा तो उसको भी फायदा होगा. आप अपने विभाग की तरफ से गहरीकरण की अनुमति दें. साथ ही जो पुरानी नहरें हैं जो आज तक पक्की नहीं हुई हैं उसके अभाव में पानी की अपव्ययता बढ़ती है जितना पानी किसानों के खेतों में जाता है उससे ज्यादा रास्ते में रिसकर बह जाता है. यदि पुराने तालाबों की नहरें पक्की होती हैं तो पानी का ज्यादा उपयोग कर पाएंगे.
माननीय मंत्री महोदय, मेरे क्षेत्र के चार तालाब जो बहुत ही जरुरी हैं एक नानकुड़ी तालाब जिसका साध्यता दी है और इसकी सिंचाई की क्षमता 202 हेक्टयर है और इसकी लागत 1.70 रुपए है. बहुत ज्यादा बजट नहीं मांग रहे हैं छोटे-छोटे बजट में भी यह चार तालाब हो जाएंगे. इससे हमारे क्षेत्र का किसान खुशहाल होगा. मिटावल तालाब, विकासखण्ड झिरनिया में है. 566.30 लाख, इसका भी सिंचाई रकबा 192 हेक्टयर है इसकी लागत प्रति हेक्टयर 2.95 लाख रुपए है. बहुत कम लागत है. कम लागत में अच्छा सिंचाई का क्षेत्र है. इनका आप अच्छे से निर्माण करेंगे तो प्राकृतिक रुप से ही कम लागत में ज्यादा पानी भरा रहेगा. इसी तरह से कालीकुंडी तालाब है. इसकी भी लागत 2325.37 लाख रुपए है, इसका भी जो क्षेत्र है इससे 463 हेक्टयर भूमि में इससे सिंचाई हो जाएगी. इसकी प्रति हेक्टयर लागत 5.0 लाख रुपए है. यह भी बहुत कम है. यह तालाब भी बनता है तो इससे हमारे क्षेत्र के किसानों को बहुत फायदा मिलेगा. इसी तरह से बेरछा तालाब यह भीकनगांव तहसील में है. इसकी लागत भी 576. 22 लाख रुपए है. यह पूरा आदिवासी क्षेत्र है. इसका सिंचाई का क्षेत्र 161 हेक्टयर है. इस तरह से यदि यह पांच तालाब बनते हैं तो निश्चित ही मेरे विधान सभा क्षेत्र की पानी की जिस समस्या से किसान ग्रसित हैं, आप चाहे किसानों के लिए कितनी भी मांग कर लें कि बहुत आगे बढ़ेंगे. पानी के अभाव में किसान आगे नहीं बढ़ पाएगा. मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि मेरे विधान सभा क्षेत्र के इन तालाबों को स्वीकृति देने की कृपा करेंगे. आपने मुझे बोलने का समय दिया उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री दिनेश राय "मुनमुन" (सिवनी) -- माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 16 और 23 के पक्ष में बोलने के लिए मैं यहां पर खड़ा हुआ हूँ.
सभापति महोदय, मछुआ कल्याण तथा मत्स्य विकास विभाग यह एक ऐसा विभाग है जिसमें सबसे गरीब तबके के व्यक्ति को रोजगार का साधन उपलब्ध होता है. अभी सरकार ने किसानों को हैचरी (Hatchery) खोलने के लिए अनुदान दिया है. मैंने भी मेरे विधान सभा क्षेत्र में इसे स्वीकृत करवाया है. इसमें 10 लाख रुपए का अनुदान दिया जाता है और 15 लाख रुपए किसान को लगाना होता है. यदि हैचरी अधिक मात्रा में खोली जाएंगी तो इससे अपने ही प्रदेश में अच्छी किस्म के मछली के बच्चे उपलब्ध होंगे. अभी हमारे यहां जो हैचरी हैं और बाहर से मछलियां आती हैं, मछली डालने के बाद 6 महीने बाद जब हमारा हितग्राही देखता है तो वह अपने आप को ठगा महसूस होता है, बीजों में डुप्लीकेट बीज भी होते हैं. मेरा आग्रह है कि मध्यप्रदेश में आप अधिक से अधिक हैचरी खुलवाएं जिससे लोगों के अधिक से अधिक लाभ मिले.
सभापति महोदय, मेरा इसमें कहना है कि जो डेम हैं वहां पर उसी क्षेत्र के लोगों को समिति में रखा जाए क्योंकि दूसरे क्षेत्र के लोग समिति में आ जाते हैं, ठेकेदारी करके वे खुद ठेका लेकर किसी और व्यक्ति को दे देते हैं. मध्य प्रदेश में हमारी सरकार वर्ष 2003 के बाद से बनी है, उसके पूर्व अंग्रेजों का और राजा-महाराजाओं का शासन रहा है. उस समय 7 लाख हेक्टयर भूमि सिंचित होती थी. इन 15 सालों में 34.55 लाख हेक्टयर भूमि सिंचिंत हो गई है. आज उत्पादन के मामले में मध्य प्रदेश पंजाब और हरियाणा से कहीं पीछे नहीं है जिसमें मेरा जिला भी शामिल है.
सभापति महोदय, मेरे जिले में एक बहुत अच्छी पेंच व्यपवर्तन योजना चल रही है, लेकिन मेरा दुर्भाग्य देखिए कि 15 महीने में मेरे बाजू के जिले में इस प्रदेश के मुखिया बन गए, मुख्यमंत्री बन गए और उस योजना में ग्रहण लग गया. वह ठेकेदार काम कर रहा था, काम पूर्ण नहीं हुआ था फिर भी उसको एडवांस पेमेंट कर दिया गया. साढ़े तीन से चार हजार करोड़ रुपए का काम छिंदवाड़ा जिले में दे दिया गया और 500 करोड़ रुपए का उसका एडवांस पेमेंट हो गया. इसकी जाँच के लिए मैंने माननीय मंत्री जी से निवेदन किया. जब इस नहर की जाँच हुई तो इसमें दो अधिकारियों को माननीय मंत्री जी ने सस्पेंड किया है. मैं माननीय मंत्री जी को बहुत-बहुत बधाई और धन्यवाद देता हूँ. मैं आपसे यह भी कहना चाहूँगा कि अभी और भी रंगा-बिल्ला हैं उनको भी आप कटघरे में लाइए, उनको भी जेल पहुंचाइए. आपने दो अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया है इसलिए मैं आपको धन्यवाद दे रहा हूं. अभी और रंगा, बिल्ला हैं जो हाई लेवल पर है. माननीय मंत्री जी, मैं आपको बताना चाहता हूं मैंने पता करवाया है वहां जो नहर का काम चल रहा है वह कैसे चालू हो गया है. ठेकेदार भाग गया है और बोल रहा है कि अधिकारी लोग करवा रहे हैं. 16 मार्च को विधान सभा खत्म होगी तब तक ही यह मशीन चलाना है और उसके बाद यह मशीनें वापस अलग कर दी जाएंगी. मेरा आग्रह है कि वह काम पूर्ण हो और जो दोषी है उसको सजा देना आपका काम है. मेरा वह उद्देश्य नहीं है. आप सक्षम हैं लेकिन जो मंटेना कंपनी है.
सभापति महोदय-- माननीय मंत्री जी इन्होंने अभी बड़ी ही गंभीर बात कही है कि अधिकारी यह कह रहे हैं कि दिनांक 16, 17 को विधान सभा समाप्त हो जाएगी. ऐसे कौन से अधिकारी हैं जिनको विधान सभा की समाप्ति की सूचना पहले से है और अध्यक्ष महोदय और सदन को नहीं है आप इसे नोट कीजिए यह गंभीर बात है और ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही कीजिए.
श्री तुलसी राम सिलावट-- सभापति महोदय, आसंदी से जो भी आदेश होगा उसका पालन किया जाएगा.
श्री दिनेश राय ''मुनमुन''-- सभापति महोदय, मेरा मंत्री जी से आग्रह है कि आपने मुझे व्यक्तिगत आश्वस्त किया है कि आप स्वयं वहां आएंगे. आप वहां निरीक्षण करने आएं. मंटेना कंपनी का जो डायरेक्टर है वह अभी जेल से छूट गया है. आप ही लोगों ने ईडी की जांच में पहुंचाया है (XXX). वहां पर इतने बड़े-बड़े ठेकेदार साथ में हैं और करोड़ों का घपला हुआ है. मैं चाहता हूं कि वरिष्ठ अधिकारियों के ऊपर भी कार्यवाही होना चाहिए. कहीं न कहीं वह अधिकारी और सफेदपोश नेता भी उसमें सम्मिलित हैं. चाहे वह 15 महीने वाले हों, चाहे पूर्व के हों. मैं बोलना चाहता हूं कि इसमें सभी के खिलाफ कार्यवाही हो आपसे ऐसी उम्मीद रखता हूं.
सभापति महोदय, मैं आज आपके सामने उसी तालाब की टोपो शीट तक लेकर आया हूं. माननीय मंत्री जी, मैं पूरे पेपर लेकर आया हूं. मैंने आज ध्यानाकर्षण भी लगाया था लेकिन मेरा ध्यानाकर्षण आया ही नहीं. मुझे उस समय शून्यकाल में बोलने का मौका मिला. टेल तक पानी पहुंचाने के लिए एक अनुज अग्रवाल एण्ड कंपनी 58 करोड़ रुपए का काम कर रही है. उसका काम लगभग पूर्ण हो रहा है. फॉरेस्ट का कुछ काम रह गया है ऊंचे लेवल से भी उसको पूरा नहीं किया है, लेकिन जहां से नहर आ रही है, जहां से डेम आना है उसके बीच की कैनाल छोड़कर भाग गया. उन किसानों की जमीने अधिग्रहण हो गईं. वहां नहर खुद गई लेकिन बीच के पोर्शन को यदि नहीं जोड़ेंगे तो उनको पानी नहीं जाएगा मेरा आपसे आग्रह है मेरा किसान बहुत आंदोलित है. उसने कई बार आंदोलन किया है. हम लोग न्यायालय की शरण में भी जाना चाहते हैं लेकिन जब से आप मंत्री बने हैं हम उम्मीद करते हैं कि आपके रहते यह होगा और आप कार्यवाही करेंगे. अभी हमारी बहन हमारे तालाब की मट्टी के बारे में बोल रहीं थीं आप किसानों के लिए छूट करा दीजिए. ट्रेक्टर, ट्रॉली, जेसीबी जिससे भी हो वह मिट्टी खोदकर लेकर जाएगें. आप उसमें निर्देश कर दें कि खनिज विभाग बाद में न बोले नहीं तो बाद में ऐसा होता है कि दूसरा विभाग रॉयल्टी मांगने लगता है. आप ऐसी व्यवस्था जरूर करें तो बिना खुदवाए हमारे किसान खुद तालाबों से मिट्टी ले जाएंगे और अपने-अपने खेतों में डालेंगे. मेरा आपसे निवेदन है कि 6 लघु बांध थे जिसमें दो का बजट आपने दे दिया है और चार बचे हैं उनमें भी आप राशि दें मैं ऐसी उम्मीद करता हूं. मोहगांव बांध है जो लालमाटी क्षेत्र रह गया है उसके लिए हमारी सरकार में माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी ने पांच हजार हेक्टेयर भूमि सिंचित करने के लिए लिफ्ट इरिगेशन सेंक्शन की थी. दुर्भाग्य यह हुआ कि उन 15 महीनों में वह लिफ्ट इरिगेशन छिंदवाड़ा चली गई मेरा कहना यह है कि आप मोहगांव बांध पूर्ण करा दें और लिफ्ट इरिगेशन के माध्यम से यह हो जाएगा सामूहिक नल-जल योजना से आपके इन डेमों से हम लोग पानी ले रहे हैं. मेरा निवेदन है कि लालमाटी क्षेत्र में पानी, बारी, बीजा, देवरी, गोरखपुर, घुनसा, मोहारी, झिरी, चमारी क्षेत्र में भी इस पेंच का पानी पहुंचाए. मैं आपसे ऐसा आग्रह करता हूं कि आप मेरे जिले में शीघ्र ही आएं और इसकी जांच करें उचित कार्यवाही करें और इन लोगों को हर हाल में सजा मिले. मेरा आपसे विनम्र आग्रह है कि आप मई माह तक पानी देने की व्यवस्था कराएं.
श्री संजय यादव-- हाई लेवल के रंगा-बिल्ला कौन हैं. आप बता दीजिए आप बता रहे थे कि हाई लेवल के रंगा-बिल्ला, हाई लेवल में तो दो रंगा-बिल्ला हैं. पूरा देश जानता है कि कौन हाई लेवल के रंगा-बिल्ला हैं.
सभापति महोदय-- इस विभाग की मांगों पर दोनों पक्षों के तीस सदस्यों के नाम हैं अत: माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया संक्षेप में तीन-तीन मिनट में अपने क्षेत्र की समस्याओं को रखने का कष्ट करें. जिससे कार्यवाही पूर्ण हो सके.
श्री नीलांशु चतुर्वेदी (चित्रकूट)--सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 23 और 16 पर बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं. यह बहुत अफसोस की बात है कि जैसा माननीय मंत्री जी का नाम है माननीय श्री तुलसी राम सिलावट जी, लेकिन इनके नाम के अनुसार इन्होंने कोई काम नहीं किया है. इनका जो नाम है उस नाम की उत्पत्ति पूरी तरह से चित्रकूट से हुई है. चाहे वह तुलसीदास जी की बात करें, चाहे श्री राम जी की बात करें लेकिन इन्होंने चित्रकूट के लिए कोई भी व्यवस्था नहीं की है. तुलसीदास जी ने वहीं भगवान के दर्शन करे थे. ''चित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीड़, तुलसीदास चंदन घिसें तिलक करें रघुवीर''
सभापति महोदय- कृपया विषय पर आइये.
श्री नीलांशु चतुर्वेदी- माननीय सभापति महोदय, हमारे मंत्री जी अपने नाम को ऐसा कलंकित किया है कि चित्रकूट की जो चीजें हैं, उनको अनदेखा किया है.
श्री तुलसीराम सिलावट- माननीय सभापति महोदय, मुझे इस पर आपत्ति है. मेरे नाम को लेकर बोला जा रहा है.
श्री उमाकांत शर्मा- कृपया नाम को बदनाम न करें.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया- माननीय सभापति महोदय, ये कलंकित शब्द को विलोपित करवाइये. इसको निकलवाइये.
सभापति महोदय- माननीय सदस्य, केवल विषय पर बोलें. मंत्री जी के नाम पर टिप्पणी न करें.
श्री नीलांशु चतुर्वेदी- माननीय सभापति महोदय, मेरा मंत्री जी से अनुरोध है कि चित्रकूट की दो-तीन परियोजनायें हैं, जिनमें से एक दौरीसागर परियोजना है, जिससे करीब 250 गांव सिंचित होने हैं और उस परियोजना के माध्यम से पूरे चित्रकूट परिक्षेत्र को पेयजल और सिंचाई की व्यवस्था के साथ-साथ, मंदाकिनी नदी का पुनर्जीवन भी इस योजना से संभव है. मेरी मांग है कि आप अपने बजट में कुछ भी करें और कुछ नहीं तो कम से कम एक रुपये का प्रावधान करें ताकि वे चीजें मूव हो जायें क्योंकि उसका सर्वे भी हो चुका है, आपके विभाग की जो भी प्रक्रिया होती है, वह सारी प्रक्रिया इसमें पूर्ण हो चुकी है.
माननीय सभापति महोदय, इसी प्रकार चित्रकूट में धारकुंडी आश्रम के पास अंधरखोव बांध है, जिसको पूर्व में आपके अधिकारियों द्वारा डेड घोषित कर दिया गया था और हमारी जब सरकार थी तो हमने प्रयास करके जियोलॉजिकल सर्वे करवाकर, उसे फिर से पुनर्जीवित किया गया है, उसमें भी टेण्डर की स्थिति है, उसमें भी 1.67 लाख का प्रावधान करने की कृपा करें ताकि उससे प्रतापपुर, जमवानी और पूरा धारकुंडी बैल्ट का जो सर्किल है, उसको पानी मिल सके.
माननीय सभापति महोदय, इसी प्रकार ज्यादा बड़ी-बड़ी चीजें नहीं हैं लेकिन यदि दो-तीन चीजें भी आप कर देंगे तो निश्चित रूप से भगवान राम आपको भी आर्शीवाद देंगे, वहां के लोग आपको आर्शीवाद देंगे. मेरा आपसे कोई व्यक्तिगत बैर नहीं है, मैंने तो केवल आपके नाम और चित्रकूट के लगाव और जुड़ाव की बात कही थी कि आप अपने नाम के अनुसार काम करते हुए, चित्रकूट के लिए कुछ करें.
माननीय सभापति महोदय, इसी प्रकार में पठार-कछार एक स्थान है, जहां देवी जी का मंदिर है, बहुत सारे गांव हैं, उत्तरप्रदेश का बॉर्डर लगा हुआ है, वहां पर भी पिछले 10 सालों से पठार-कछार बांध के नाम से चीजें स्वीकृत हैं लेकिन आज तक उनका टेण्डर नहीं हुआ है. उसके आगे ही एक झागरा बांध है, उसके लिए भी आपके बजट में कहीं, कोई चीज़ नहीं आई है. मेरा आपसे अनुरोध है कि ये दो-तीन जो विषय हैं, जिनमें दौरीसागर परियोजना, अंधरखोव, पठार-कछार, झागरा है, यदि आप इन्हें करेंगे तो मंदाकिनी नदी के साथ-साथ, पूरे चित्रकूट विधान सभा के जो गांव हैं, जिन गांवों के लोगों ने कभी भगवान राम का आतिथ्य किया, उन गांवों के लोगों को खेती के लिए, पेयजल के लिए पानी की सुविधा मिलेगी.
माननीय सभापति महोदय, ज्यादा कुछ नहीं बोलते हुए, मैं मंत्री जी से अनुरोध करना चाहूंगा कि मेरी इन मांगों पर, निश्चित तौर पर आप ध्यान देंगे और हमारा चित्रकूट क्षेत्र, जहां पूरे मध्यप्रदेश और पूरे देश के लोग आते हैं, जो उन लोगों की आस्था का केंद्र है, उन लोगों की आस्था के केंद्र को देखते हुए, श्री राम में लोगों की आस्था को देखते हुए ,हमारी इन मांगों पर आप जरूर ध्यान देंगे. इन्हीं शब्दों के साथ, धन्यवाद.
श्री विक्रम सिंह (रामपुर-बघेलान)- माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 23 के समर्थन में खड़ा हुआ हूं. मुझे पहली बार इस सदन में बोलने का मौका मिल रहा है इसलिए मैं आपका संरक्षण चाहूंगा. मैं पहली बार चुनकर आया हूं और सतना जिले के रामपुर-बघेलान क्षेत्र की जनता की ओर से आपको धन्यवाद देता हूं कि मुझे यहां जल संसाधन विभाग की मांग के समर्थन में बोलने का अवसर दिया है.
माननीय सभापति महोदय, रामपुर-बघेलान ऐसी भूमि है जहां से मेरे परदादा कप्तान अवधेश प्रताप सिंह स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे, साथ ही विंध्य प्रदेश के प्रधानमंत्री रहे. मेरे बाबा स्वर्गीय गोविंद नारायण सिंह, मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं बिहार के राजयपाल के रूप में जनता की सेवा कर चुके हैं. यही नहीं मेरे पिताजी श्री हर्ष नारायण सिंह, चार बार विधायक एवं हमारे स्वर्णिम मध्यप्रदेश के रचयिता शिवराज सिंह चौहान जी की सरकार में मंत्री रह चुके हैं.
सभापति महोदय- कृपया आप विषय पर आ जाइये, ये सारी जानकारी यहां सभी को है.
श्री विक्रम सिंह- माननीय सभापति महोदय, मैं इतिहास में जाकर ही अपने विषय पर आ पाऊंगा. शहडोल जिले के देवलौद में मेरे बाबा स्वर्गीय गोविंद नाराण सिंह ने वर्ष 1967 में मुख्यमंत्री रहते, डिम्बा प्रोजेक्ट की आधारशिला रखी थी, जो बाद में महाकवि कादम्बरी के रचनाकार बाणभट्ट के नाम पर बाणसागर के रूप में अवतरित हुआ. हमारी ही पार्टी और हमारे यशस्वी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की दूरदृष्टि और खेती को लाभ का धंधा बनाने का संकल्प ही था कि हमारी पार्टी की सरकार के अथक प्रयासों से तीन दशक से अधिक समय से लंबित बाणसागर परियोजना जमीन पर उतर सकी.
माननीय सभापति महोदय, बाणसागर परियोजना प्रदेश के रीवा संभाग के सतना, सीधी, शहडोल आदि जिलों के लिए जीवन दायिनी है. इससे मध्यप्रदेश ही नहीं उत्तरप्रदेश और बिहार के लोगों की जिंदगी में खुशहाली का संचार किया है, खासकर सतना जिले का बड़ा रकबा सिंचित होता है. इससे मेरे विधान क्षेत्र का रामपुर बाघेलान के उत्तरी हिस्से में भी न सिर्फ भूजल स्तर में बढ़ोत्तरी हुई है बल्कि पानी मिलने से किसानों के खेतों में फसलें भी लहलहा रही हैं. इससे इन गांवों क किसानों में खुशहाली है.
माननीय सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से से मंत्री जी से निवेदन करता हूं कि मेरे विधान सभा क्षेत्र के दक्षिणी भाग के गांव आज भी सूखे का सामना कर रहे हैं. मेरे विधान सभा क्षेत्र के दक्षिणी भाग में पेयजल की स्थिति बहुत ही गंभीर है, जहां का वाटर लेवल 300 से 400 फुट नीचे जा चुका है. मेरी विधान सभा क्षेत्र के दक्षिणी भाग में बहुती केनाल सेंक्शन हो चुकी है, जिसका कार्य प्रगति पर था, लेकिन कुछ कारणों से वह कार्य बंद है. मेरे ख्याल से जो ठेकेदार थे वह कार्य छोड़कर जा चुके हैं. उसका रि-टेण्डर होना है तो मैं माननीय मंत्री जी से आपके माध्यम से निवेदन करना चाहूंगा कि उसका टेण्डर पुन: जल्दी से जल्दी हो ताकि उसका काम पुन: शुरू हो सके. उसी नहर से मेरी विधान सभा के दक्षिणी भाग एवं अमर पाटन विधान सभा क्षेत्र के, दोनों विधान सभाओं के लगभग 60 गांवों की 20 हजार हेक्टेयर भूमि कृषि सिंचाई से वंचित है. मेरे पास उन गांवों की सूची है, जिसे मैं मंत्री जी को सौंप दूंगा.
सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी आग्रह करता हूं कि बहुती बेला वितरक नहर का निर्माण किया जा रहा है. किन्तु अभी जहां से नहर जा रही है, उसमें से बहुत से गांव सिंचित हो रहे हैं, लेकिन मेरे विधान सभा क्षेत्र के दक्षिण भाग की ऊंचाई अधिक होने के कारण लगभग 60 ग्रामों की कृषि भूमि सिंचित नहीं हो पायेगी. मैं मंत्री जी से चाहता हूं कि बहुती बेला वितरक नहर से ग्राम मझगवां के पास ऊपरी सतह पर एक नहर के निर्माण के लिये बजट का प्रावधान कर दिया जाये तो निश्चित ही यहां के किसानों को कृषि भूमि के साथ-साथ पेयजल की भी सुविधा मिल सकेगी.
सभापति महोदय, आपने मुझे बोलने का समय दिया इसके लिये मैं आपको बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं और आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन करना चाहूंगा कि अपने भाषण में, मेरे इस विषय का जरूर उल्लेख करें, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री बापूसिंह तंवर(राजगढ़):- माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 16 और 23 का विरोध करता हूं. मेरे राजगढ़ जिले के अंदर दो बड़ी परियोजनाएं संचालित हैं और हाल ही में पूर्ण हुई हैं, लेकिन अभी उनका सिंचाई से संबंधित कार्य संपादित नहीं हुआ है. परन्तु मांग संख्या 16 जो मत्स्य विभाग की है उसका उत्पादन पूरी तरह से वहां पर संचालित हो चुका है. जिसमें जो लोग प्रभावित हुए थे उस बांध बनने से डूब क्षेत्र में, जो मछुआ समाज से जो इसका कार्य करते थे या गरीब वर्ग के लोग थे उनको ना शामिल करते हुए बाहर से कंपनियां आयीं, बाहर से आकर लोगों ने टेण्डर डाला हैदराबाद और ना जाने कहां-कहां से लोग आये वह लोग इसका व्यवसाय कर रहे हैं, लेकिन जिनका मकान गया, जिनकी जमीन गयी उन लोगों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है. मैं सिर्फ इतना चाहता हूं कि जो लोग उसमें हैं, कम से कम उनको उसमें शामिल किया जाये, इस प्रकार के माननीय मंत्री जी इसमें निर्देश दे दें, ताकि गरीब लोगों को भी वहां व्यवसाय करने का भी अवसर मिल सके. साथ ही मोहनपुरा परियोजना का 2021 में कार्य पूर्ण होना और किसानों को पूर्णत: पानी उपलब्ध करा देने के लिये संकल्पित थे. लेकिन अभी तक केवल 25 हजार हेक्टेयर भूमि पर ही प्रेशराइज सिंचाई से किसानों को पानी मिल रहा है वह भी इस साल चालू किया है. पर मेरा यह अनुरोध है आखिरकार ऐसा क्या है, मैंने पहले भी पूर्व में विधान सभा में एक प्रश्न लगाया था कि इन कंपनी वालों से ऐसा क्या है, क्या सरकार की सांठ-गांठ है कि वह किसानों के लिये चिंता नहीं कर रही है कि अगर यह कंपनी काम नहीं कर रही है तो उसको टरमीनेट करें, दूसरी कंपनी आये. एक तो इन्होंने ई-टेण्डरिंग में घोटाला करके इसमें टेण्डर लिया और इसके बाद किसानों को पानी नहीं दे रहे हैं. आज 2017 से मोहनपुरा बांध में पानी भरा हुआ है. जब प्रधानमंत्री जी ने गर्मी के समय इसका उद्घाटन करने आये थे, तब वह सूखा था. उसमें पानी नहीं था. लेकिन बारिश के समय 2017 से पानी भरा है, जिसका उपयोग केवल 25 हजार हैक्टेयर में हो रहा है. मेरा अनुरोध है कि इसमें बजट में प्रावधान नहीं किया गया है और न ही बताया गया है कि इसमें पानी कब तक दे देंगे. आपने तो कह दिया कि 2021 में सबको पानी दे दिया जायेगा, लेकिन उनको पानी उपलब्ध नहीं हो रहा है. दूसरी विसंगति इसमें यह आ रही है कि जैसे छोटे छोटे बांध मूंडला एवं बागपुरा बांध बना हुआ है. उसके कमाण्ड क्षेत्र में उसकी नहर के कारण मोहनपुरा परियोजना से उन गांवों को छोड़ दिया गया कि यहां पर मूंडला बांध से पानी आयेगा. लेकिन दुर्भाग्य इस बात का है कि मूंडला बांध तक नहर तक पानी पहुंचता ही नहीं है, क्योंकि उनकी नहर कच्ची है वह हमेशा बीच में तोड़ दी जाती है उसमें आखिरी गांव तांडीकला, तांडीखुर्द है वहां तक उक्त नहर का निर्माण ही नहीं हुआ है उसके पहले ही बांध वाले काम बंद करके,एजेंसी काम छोड़कर के चली गई. इसलिये उन गांवों को छोड़ दिया गया है. इसमें मोहनपुरा के जो गांव हैं उसका जो क्षेत्रफल उसके अंतर्गत आता है इनको शामिल कर दिया जाये. साथ ही मेरे क्षेत्र में डूब के पुनर्वास का कार्य चल रहा है. पिछले 2013 से आज 7-8 साल हो गये हैं. अभी तक पुनर्वास का काम पूर्ण नहीं हुआ है. इसमें उन अधिकारियों का गोरखधन्धा चल रहा है उस पर जांच बिठाई जाये कि आखिर ऐसे क्या कारण हैं. आपकी जमीन गई, आपका मकान गया, यह पैसा लें. आप इससे बेदखल हो. आज उन बेचारों का मकान, जमीन डूब गयी. आज भी वह पैसे के लिये भटक रहे हैं उनको बार बार कागजी कार्यवाही में उलझाया जाता है. उसको सरल करके उनका तत्काल भुगतान किया जाये. कई बार इस बारे में जिला योजना समिति की बैठक भी हो चुकी है. लोग रोज हमारे यहां तथा कलेक्टर ऑफिस के चक्कर लगा रहे हैं इसलिये किसानों को परेशानी हो रही है. इसका तत्काल निराकरण समयावधि में कर दिया जाये ताकि किसान को पैसा मिल जाये वह दूसरी जगह पर जमीन ले सकें. आज बांध से जो लोग प्रभावित हैं उन्होंने दूसरी जगह पर जमीन खरीदी है आज उन जमीनों की उनकी रजिस्ट्रियां नहीं हो रही हैं इसका भी सरलीकरण किया जाये कि कहीं दूसरी जगह किसान ने पट्टे की जमीन बेची है. यहां के किसान की जमीन डूबी तो उसने वहां जमीन खरीद ली उन जमीन की रजिस्ट्रियां नहीं हो रही हैं आज लोग परेशान हैं. जमीन की कीमत रोज बढ़ रही है. रोज उसकी अदला-बदली हो रही है इसमें गोरखधन्धा एवं दलाली चल रही है. इसलिये उन किसानों को चिन्हित किया जाये कि इसकी जमीन डूबी अगर उसने अपना जीवन-यापन करने के लिये जमीन खरीदी है तो उनकी रजिस्ट्री होनी चाहिये. इस पर सरकार को ध्यान देना चाहिये नहीं तो आने वाले समय में कई किसान आत्म हत्या करेंगे उसकी जिम्मेदार यह सरकार होगी. मेरे क्षेत्र में दायीं ओर क्षेत्र है जिसमें बंजर भूमि है तथा पूरा पथरीला एरिया है उसमें मोहनपुरा की स्कीम है वह समयावधि में ही चलेगी. जैसे कि गेहूं की फसल उस फसल के लिये किसानों को पानी दिया जायेगा. पर बाकी का जो समय है उसमें पानी का प्रेशर बंद कर दिया गया है ,क्योंकि इसमें बिजली का बिल अधिक आता है इसलिये उसको 12 महीने संचालित करना संभव नहीं है. लेकिन बाकी समय के लिये जैसे अभी गर्मी आ गई है गर्मी में किसान के मवेशी, पेयजल, रिचार्ज की व्यवस्था, जल संवर्धन के ऊपर हम काफी ध्यान देते हैं. वहां पर हमारी 27 तालाब की साध्यता प्राप्त है छोटी छोटी लघु सिंचाई परियोजना जो माननीय सभापति जी के कार्यकाल में बहुत सारी बनायी इसके उदाहरण भी उन्होंने देखे होंगे उससे किसानों को बहुत लाभ हुआ है. मैं मंत्री जी से चाहता हूं कि जो राजगढ़ क्षेत्र की 27 लघु सिंचाई परियोजनाओं की साध्यता प्राप्त और उस साध्यता प्राप्त की प्रशासकीय स्वीकृति होना है, पर इसलिये नहीं की जा रही है कि यह बात कहकर टाल दी जाती है कि मोहनपुरा से इसकी एनओसी लेकर के आओ कि कमाण्ड क्षेत्र में आ रहे हैं. मैं समझता हूं कि जब छोटे तालाब हैं, निस्तारी तालाब हैं. लघु सिंचाई परियोजना इसका उद्देश्य है पानी को रोकना. जो पानी राजस्थान में बहकर चला जाता है, नाले में बहकर चले जाता है, उसको उस तालाब में रोकना है, इसकी उपयोगिता ज्यादा है, इसलिए इसमें इसका कोई औचित्य नहीं है कि मोहरपुरा परियोजना से उस कमांड क्षेत्र से, उनसे एनओसी लेकर आए, इसके बाद इसको प्रशासकीय स्वीकृति जारी करेंगे. यह कहीं न कहीं किसी विभागीय उलझन की वजह से या हो सकता है, भ्रम के कारण कि मोहनपुरा योजना बना दी तो इसकी क्या जरूरत है, पर ऐसा नहीं है, इसकी उपयोगिता अपनी जगह उससे कहीं बेहतर ज्यादा है, क्योंकि यह तालाब बारामासी रहेगा, 12 महीने पानी रहेगा जो आपकी प्रेसराइज स्कीम से सिंचाई करेंगे, उसका पानी भी रिचार्ज होगा और इन छोटी छोटी योजनाओं में स्टोर होगा. मैंने अभी देखा है कि जो तालाब हमारे लघु सिंचाई योजना के तहत बने थे 10-20 साल पहले, उनमें आज भी पानी भरा हुआ है. मेरा एक और निवेदन है कि ब्यावरा और पार्वती सिंचाई योजना जो स्वीकृत है पार्वती नदी पर, जो हमारे जिले की जीवनदायिनी नदी है, उसका महत्वपूर्ण मामला यह है कि अभी तक वहां पर कोई कार्य प्रारंभ नहीं हुआ. कार्य प्रारंभ होने में क्या देरी आ रही है. मैंने तो यहां तक सुना है, मैंने एक पत्र भी लिखा है कि वहां पर ठेकेदार ने राशि आहरित कर ली है और वह वहां से लापता है, काम बगैरह कुछ चल नहीं रहा है. मैं चाहता हूं कि ठेकेदार ने जितने पैसे निकाले वह अपनी जगह है, सरकार ने अपनी परिस्थिति को देखते हुए दिए होंगे, लेकिन वहां जल्दी कार्य प्रारंभ होना चाहिए. दूसरा एक और अनुरोध है कि हमारे क्षेत्र में जो विभाग में अधिकारियों की कमी है, उसके कारण अभी सरकार ने आदेश दिया है कि जो सेवानिवृत्त हो गए हैं, उनसे पदों की भर्ती की जाएगी. मेरा सरकार से अनुरोध है कि वे नौजवान जिन्होंने डिप्लोमा कर लिया, इंजीनियिरिंग, सिविल, बी.ई. कर लिया उनको कब नौकरी मिलेगी अगर आप पुराने सेवानिवृत्त अधिकारियों से भर्ती कर देंगे और आपके सब-इंजीनियर को ई.ई. का प्रभार दे देंगे, एसडीओ का प्रभार दे देंगे, तो यह बताइए नौजवानों को रोजगार कैसे देंगे. एक तरफ तो हम गरीबों और नौजवानों की चिंता कर रहे हैं कि भर्तियां करेंगे और नौजवानों को रोजगार देंगे तो नौजवानों को रोजगार कैसे मिलेगा, जब सेवानिवृत्त होने के बाद उनको फिर वापस प्रतिनियुक्ति पर रख लिए जाएंगे तो नौजवानों की भर्ती आप कैसे करेंगे. इसलिए नौजवानों की भर्ती करके उन रिक्त पदों को पूरा किया जाए. माननीय सभापति जी आपने बोलने का समय दिया, बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री राकेश मावई(मुरैना) - माननीय सभापति महोदय, मेरे क्षेत्र की जो समस्या है, मैं लिखकर देना चाहता हूं, अगर आपकी आज्ञा हो तो.
सभापति महोदय - जी, लिखकर दे दीजिए.
श्री शिवनारायण सिंह(बांधवगढ़) - माननीय सभापति महोदय, बहुत बहुत धन्यवाद. मैं मांग संख्या 16 और 23 के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ. यह बजट लोकहित-जनहित का बजट है. माननीय मुख्यमंत्री जी, वित्त मंत्री जी एवं जल संसाधन मंत्री जी को बहुत बहुत धन्यवाद ज्ञापित करता हूं. वर्ष 2003 के पहले बांधवगढ़ विधान सभा क्षेत्र उमरिया जिले के अंतर्गत आता है, जो लगभग 30 से 40 प्रतिशत पहाड़ी इलाका है, वनों से घिरा हुआ है और पूर्णत: आदिवासी समुदाय के लोग निवासरत है. 2003 के बाद जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी तब से लेकर अभी तक इन वनांचलों में जहां हमारे आदिवासी भाई निवासरत हैं, सिर्फ कोदो कुटकी, कम पानी वाली फसल उगाते थे और अपना जीवन यापन करते थे, जब भाजपा की सरकार बनी, तब से लगातार इन जगहों पर बड़े बड़े जलाशय बनाए गए, जैसे अतरिया, मग्अर, उमरार, कोकाबयासी, चंगेरा, कलदा, भनपुरा, बुदली, धनवाही, ऐसे बड़े बड़े जलाशय के माध्यम से किसानों को पानी देने का काम भारतीय जनता पार्टी की सरकार में हुआ है, जहां आज हमारे आदिवासी भाई खेती करते हैं. गेहूँ, धान एवं अन्य उपज करके खेती का रकबा बढ़ाने का काम भारतीय जनता पार्टी की सरकार में हुआ है. माननीय सभापति महोदय, इन बांधों के माध्यम से कई हजार हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होती है, जिससे हमारे किसान भाई लाभान्वित होते हैं. सरकार का कहना था कि खेती को लाभ का धंधा कैसे बनाया जाये? इसी के माध्यम से किसान भाइयों को लाभ का धंधा इन जल परियोजनाओं के माध्यम से हो रहा है. मैं कम समय लेते हुए अपनी बात कहूँगा. मेरे बांधवगढ़ में एक छोटी महानदी है, वहां 4-6 गांव प्रभावित हैं, उनको पानी नहीं मिल पा रहा है तो लिफ्ट एरिगेशन के माध्यम से बीजापुरी, मानिकपुरी, कारीगढ़ारी, तमरहा, भलवार, ताला बड़खेरा खढ़ार, ऐसी जगहों पर लिफ्ट एरिगेशन के माध्यम से, महानदी पानी के माध्यम से यहां पर किसानों को पानी देने की सुविधा माननीय मंत्री जी के माध्यम से अगर हो सके तो इन किसानों को वहां पानी मुहैया कराया जा सकता है. इसी तरह संजय गांधी थर्मल पावर हाउस, जो बिरसिंहपुर पाली में बना हुआ है. उसका पानी इतनी गहराई में बहता है कि वहां के आस-पास के किसान भी इस पानी का लाभ नहीं ले रहे हैं, उससे सिर्फ बिजली उत्पादन हो पाता है और हमारे नौजवान मछली उत्पादन करके अपना जीवन-यापन करते है. मेरा निवेदन यह है कि इसमें लिफ्ट एरिगेशन के माध्यम से छादाकला, पूड़ी पटपरा, निपनिया, छादाखुर्द एवं अवदेगमाखुर्द को पानी दिया जा सकता है.
माननीय सभापति महोदय, मैं माननीय मंत्री जी की ओर ध्यानाकर्षण कराना चाहता हूँ और हमारे यहां जो धनवाही बांध बना हुआ है और बुदली बांध बना हुआ है एवं ठेकेदारों की लापरवाही के कारण, जो नहर टूट गई है, कमजोर हो गई है, उन नहरों के माध्यम से किसानों को पानी नहीं मिल पा रहा है, जिससे हमारे बुदली नहर के माध्यम से कररई कुछारी को पानी मिलना था. लेकिन बुदली का पानी नहर टूटने के कारण नदी में जा रहा है, इसकी जांच होनी चाहिए और धनवाही का भी ऐसे ही है, जो नहर टूटी हुई है, मसूर पानी, हड़हा, देवरी, धनवार और बड़ा गांव करके नहरों के माध्यम से वहां पानी देना था लेकिन अभी वह धनवाही तक ही सीमित हो गई है एवं नहर पूर्णत: नहीं बन पाई है. इसमें कहीं न कहीं ठेकेदारों की लापरवाही के कारण हमारे किसानों को पानी नहीं मिल पा रहा है. मैं माननीय सभापति महोदय को बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहता हूँ. हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी और जल संसाधन मंत्री आदरणीय श्री सिलावट जी एवं आदरणीय वित्त मंत्री जी को धन्यवाद करना चाहता हूँ कि आपने प्रधानमंत्री सिंचाई योजना से हमारे उमरिया और शहडोल को जोड़ा है, उसके लिये मैं बहुत-बहुत धन्यवाद ज्ञापित करना चाहता हूँ. धन्यवाद.
श्री तरबर सिंह (बण्डा) - माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 16 और 23 पर चर्चा करने के लिए खड़ा हुआ हूँ और कटौती प्रस्ताव का समर्थन करता हूँ. सभापति महोदय, जैसा कि किसानों को यह सबसे ज्यादा फायदा देने वाला विभाग है.
श्री शिवनारायण सिंह - सभापति महोदय, मैं एक छोटी सी बात कहना चाहता हूँ. मुझे थोड़ा समय दे दीजिये.
सभापति महोदय - मैं आपको अनुमति नहीं दे सकता हूँ. आप लिखकर दे दीजिये.
श्री शिवनारायण सिंह - जी.
श्री तरबर सिंह - सभापति महोदय, किसानों को सबसे ज्यादा फायदा देने वाला विभाग जल संसाधन विभाग है. लेकिन इसमें कुछ किसानों का नुकसान भी होता है, जो जल परियोजनाएं बनाई जाती हैं, उसमें डूब क्षेत्र में जो किसान आते हैं, कुछ गांव भी आते हैं, उनके लिये उचित मुआवजे की व्यवस्था कराई जाये. जैसे कि मेरे बण्डा विधान सभा में बण्डा वृहद् परियोजना नाम करके एक 2600 करोड़ रुपये की परियोजना बनाई जा रही है, इससे 28 गांव प्रभावित हो रहे हैं, किसानों की खेती भी प्रभावित हो रही है. इसमें ऐसे कुछ गांव हैं, जो मात्र 90 प्रतिशत डूब क्षेत्र में लिये गये हैं, बाकि 10 प्रतिशत उन गांवों के परिवारों को छोड़ दिया गया है. इसमें मेरा आपके माध्यम से, मंत्री महोदय जी से निवेदन है कि जो 10 प्रतिशत परिवार गांव के बचे हैं, क्या वे जलीय जीव-जन्तुओं के द्वारा सुरक्षित रह सकते हैं ? वे किनारे पर बचे हुये हैं. इसमें मेरा निवेदन है कि उन्हें भी डूब क्षेत्र में लिया जाये और इसमें जो किसानों की जमीन डूब क्षेत्र में आ रही है. जलसंसाधन विभाग के माध्यम से नदी किनारे की जो जमीन है, उसे असिंचित माना जा रहा है, इस संबंध में मेरा माननीय सभापति महोदय, आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन है कि उस जगह को, जो किसानों की जमीन डूब क्षेत्र में आ रही है और नदी के किनारे पर है, उसे भी सिंचित माना जावे और इसमें जो कलेक्टर गाइडलाईन के माध्यम से जो किसानों को मुआवजा देने की बात कही जा रही है, उसमें जो हल्का है, उसका जो सरकारी रेट है, उसको डबल करके मुआवजा देने की बात की कही जा रही है, इसके अनुसार किसानों को कम मुआवजा मिलेगा क्योंकि कुछ हल्का ऐसे हैं कि जिनका सरकारी रेट हैक्टेयर में 9 लाख है और कुछ वहीं जो पास के लगे हुए कुछ हल्का ऐसे हैं, जिसका सरकारी रेट 4 लाख रूपये हैक्टेयर है, जबकि दोनों हल्काओं की खेती उतनी ही उपजाऊ है. मेरा इसमें माननीय सभापति महोदय, आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन है कि डूब क्षेत्र में जो हल्का सबसे ज्यादा सरकारी रेट में है, जैसे बहरोल डूब क्षेत्र में आ रहा है और उसका रेट 9 लाख रूपये हैक्टेयर है तो उसी को पूरे डूब क्षेत्र का मापदंड मानते हुए उसका चौगुना मुआवजा सभी हल्काओं के किसानों को दिया जाये. इसमें जो पुनर्विस्थापन में जो गांव आ रहे हैं, उन गांवों के परिवारों को पचास हजार रूपये किराये के रूप में दिया जा रहा है जो कि बहुत कम है और यह पहले से दिया जा रहा है तो इसे बढ़ाकर कम से कम उन परिवारों के लिये दो लाख रूपये उस किराये भाड़े को कर दिया जाये.
माननीय सभापति महोदय, मेरे बण्डा विधानसभा के अंतर्गत एक बाबिर बांध है, जिसकी आर.बी. कैनल है जो हर वर्ष बरसात के पानी जाने से टूट जाती है. लगातार कम से कम पांच-छ: वर्ष से टूट रही है, जिसके टूटने से जो रबी की फसल के लिये जो पहला पानी दिया जाता है, उसमें विभाग वाले लेट हो जाते हैं और किसानों को समय पर पानी नहीं मिलता है. मेरा इसमें माननीय सभापति महोदय, आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन है कि जहां वह टूटती है और यह जो बरसात का पानी उसमें जाता है, उसकी व्यवस्था करवायें, और उसे भी पक्का करवायें.
माननीय सभापति महोदय, मेरी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत जलसंसाधान विभाग के माध्यम से कुछ नदियों में स्टाप डेम बनाये गये हैं जो कि टूट गये हैं और उनकी कोई मरम्मत किसी विभाग के माध्यम से नहीं की जाती है तो इस पर भी ध्यान दिया जाये और तीन साल पहले मेरी बण्डा विधानसभा के अंतर्गत पगरा डेम बनाया गया था. पगरा डेम बना चुका है, और उसमें कुछ ऐसे किसान रह गये हैं जिन्हें मुआवजा आज तक नहीं मिला है, तो उन्हें मुआवजा दिलाने की भी कृपा करें. माननीय सभापति महोदय,आपने मुझे बोलने का समय दिया उसके लिये बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री जालम सिंह पटेल(नरसिंहपुर) -- अनुपस्थित.
श्री रवि रमेशचंद्र जोशी( खरगौन) -- माननीय सभापति महोदय, मेरा आपके माध्यम से जलसंसाधन मंत्री आदरणीय श्री तुलसीराम सिलावट जी से निवेदन है कि उनके बजट के अंदर खरगौन जिले को किसी प्रकार का जो बजट में लाभ मिलना चाहिये था, वैसा बजट में लाभ नहीं मिला है. माननीय सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से जलसंसाधन मंत्री आदरणीय श्री तुलसीराम सिलावट जी से निवेदन करना चाहता हूं कि देजला, देवाड़ा खरगौन जिले के बड़े तालाबों में है, उससे दो से तीन विधानसभा क्षेत्रों में सिंचाई के लिये पानी जाता है, विशेषकर खरगौन विधानसभा क्षेत्र जो हमारा जिला है,उस आदिवासी जिले के आदिवासी किसान उस डेम के पानी से खेती करते है.उस डेम की क्षमता है, उस तालाब के अंदर इतनी मिट्टी जमा हो चुकी है कि उसके कारण पानी की क्षमता आधे से भी कम पानी की क्षमता हो गई है, इस प्रकार से आधे से भी कम पानी उस डेम में मिट्टी जमा होने की वजह से हमारे पास डिपाजिट होता है. ऐसी स्थिति में जब तक हम उस डेम की मिट्टी को नहीं निकालेंगे, तब तक पानी अपनी पूरी क्षमता के अनुसार उसमें एकत्रित नहीं होगा और जो किसानों को लाभ मिलना चाहिये वह नहीं मिलेगा, उसकी कई कैनाले, कुछ माइनर कैनालें बाकी हैं. मेन कई कैनालों की लाईनिंग बाकी है, जब हम बारिश के बाद किसानों को पानी वितरण करते हैं, पानी देते हैं तो बड़ी नहर कई बार लाईनिंग नहीं होने की वजह से फूट जाती है और पानी का दुरूपयोग होता है. किसानों को समय पर जो पानी मिलना चाहिये वह नहीं मिल पाता है. गाड़ाघाट तालाब पूरी क्षमता में पानी एकत्रित होना चाहिये, लेकिन वहां आज की तारीख में बारिस के दिनों में 1 एमसीएम पानी भी गाड़ाघाट तालाब में एकत्रित नहीं होता क्योंकि पूरा गाड़ाघाट तालाब मिट्टी से भर चुका है, उसको खाली करवाया जाना चाहिये. मछली पालन को बढ़ावा देना चाहिये ताकि आदिवासी जिले में हमारे यहां पर नौजवानों को रोजगार भी मिलेगा, इनकम ऑफ सोर्स उनका बढ़ेगा इसलिये मछली पालन को भी बढ़ावा देना चाहिये. किसी भी प्रदेश के अंदर, देश के अंदर सबसे महत्वपूर्ण काम सिंचाई विभाग का होता है, जब सिंचाई के साधन, सिंचाई की व्यवस्था, सिंचाई का रकवा बढ़ेगा तो प्रदेश उन्नति करेगा, प्रदेश उन्नति करेगा तो किसान उन्नति करेगा और किसान मजबूत होगा तो जनता मजबूत होगी. हमारे खरगौन विधान सभा क्षेत्र में डेरी-1 और डेरी-2 दो नाम के तालाब 20 साल पहले बनकर तैयार हुये, आधी से भी कम केनालें बनी हुई हैं आधी से अधिक केनालें अभी तक 20 साल की सरकारों ने वहां केनालें नहीं बनाईं. सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि इस बजट में डेरी-1, डेरी-2 की केनालों का किसी भी प्रकार का कहीं उल्लेख नहीं है, उसको जोड़ा जाये. लोनारा के किसान हैं, दो किसानों को अभी तक 25 साल में किसी प्रकार का मुआवजा मिलना चाहिये था उनको आज तक मुआवजा नहीं मिला है, मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि एनव्हीडीए की जितनी भी लिफ्ट एरिगेशन योजनायें बन रही हैं उसमें ऐसा करें कि जहां से मेन लाइन जा रही है उसके आस पास बीच में सिंचाई विभाग के जितने छोटे-छोटे तालाब, नदी, नाले हैं उनमें एनव्हीडीए के लिफ्ट एरिगेशन का पानी उनमें डाला जाये ताकि नदी नाले और तालाबों को 12 महीनों फुल किया जा सकता है. वेदा नदी पर सुल्तानपुरा में एक और खरगौन की कुंदा नदी पर खेड़ी गांव में एक बैराज इस तरह से 2 बैराज स्वीकृत हुये हैं उन बैराजों की स्वीकृति होने के पश्चात आपत्ति लगा दी गई थी कि यह एनव्हीडीए के एरिये में आते हैं, एनव्हीडीए की जो लिफ्ट एरिगेशन है वह 15 नवम्बर के बाद चालू होती है अगर एरिगेशन के दो तालाबों को एनव्हीडीए की अनुमति मिल जायेगी तो बारिस के दिनों में यह बनकर तैयार होंगे और बारिस के बहते हुये पानी को रोकेंगे और किसानों को 12 महीने यहां पर पानी उपलब्ध होगा इसलिये सभापति महोदय मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन करता हूं कि एनव्हीडीए को एक पत्र लिखें, एनव्हीडीए से एनओसी लें और वेदा नदी पर गोगांव ब्लॉक में सुल्तानपुरा और ऐसा ही कुंदा नदी पर खरगौन ब्लॉक में खेड़ी में दो बैराज की स्वीकृति दें ताकि उससे जल स्तर में बढ़ावा होगा. धन्यवाद.
सभापति महोदय-- श्री जजपाल सिंह ''जज्जी''.
श्री प्रहलाद लोधी (पवई)-- माननीय सभापति महोदय जी, मैं कुछ लिखित में देना चाहता हूं.
सभापति महोदय-- आप लिखित में दे दीजिये.
श्री प्रहलाद लोधी-- जी, धन्यवाद.
श्री जजपाल सिंह ''जज्जी'' (अशोकनगर)-- माननीय सभापति महोदय, बहुत-बहुत धन्यवाद. महोदय, हममे से हर एक का यह सपना है कि भारत को आत्मनिर्भर बनाया जाये और उसके लिये सबसे महत्वपूर्ण रोल यदि किसी व्यक्ति का रहेगा तो वह है हमारे देश का किसान और किसान को सशक्त बनाने के लिये यह हर सरकार की जवाबदारी है कि उसे अधिक से अधिक सिंचाई के साधन और पूर्ण विद्युत सप्लाई उपलब्ध कराई जाये. मैं यहां पर अनुदान संख्या 23 और 16 के समर्थन में खड़ा हुआ हूं. माननीय सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से जल संसाधन मंत्री महोदय को धन्यवाद देना चाहूंगा कि माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी ने मध्यप्रदेश में 65 लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचित करने का लक्ष्य निर्धारित किया है, उन्होंने उस लक्ष्य की प्राप्ति की ओर बढ़ते हुये 165 नवीन सिंचाई परियोजनाओं हेतु 6436 करोड़ रूपये का प्रावधान किया है जिससे 1 लाख 27 हजार हेक्टेयर भूमि सिंचित होगी जो स्वागत योग्य है. माननीय सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से अपने क्षेत्र की कुछ समस्याओं की ओर माननीय मंत्री महोदय का ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा कि अशोकनगर क्षेत्र में सिंचाई के बहुत कम साधन उपलब्ध हैं और वहां पर वाटर लेबल भी बहुत नीचे है इस कारण वहां ट्यूबवेल बोर भी बहुत कम सफल हो पाते हैं, ऐसे में जरूरी है कि वहां पर सिंचाई के साधन किसानों के लिये उपलब्ध कराये जायें. माननीय मुख्यमंत्री जी अशोकनगर दौरे पर गये थे तब क्षेत्र की जनता की मांग के आधार पर माननीय मुख्यमंत्री जी ने अशोक नगर विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत पौरूखेड़ी और खेजड़ा अटारी 2 लघु सिंचाई परियोजनायें हैं जो विभाग की ओर से प्रस्तावित हैं. उनकी स्वीकृति की घोषणा की थी तो मैं मंत्री जी से निवेदन करता हूं कि वह इन दोनों कोरूखेड़ी और खेजरा अटारी सिंचाई परियोजनाओं को अपने बजट में शामिल करें. महोदय, एक अशोक नगर के मध्य में जल संसाधन विभाग का तुलसी सरोवर एक छोटा तालाब है, जो कभी बरसों पहले शहर के आसपास सिंचाई के काम आता था लेकिन पिछले कई वर्षों से उस तालाब के चारों ओर आबादी बस गई है और शहर के बीचों बीच वह तालाब आ चुका है जिसे तुलसी सरोवर के नाम से हम जानते हैं. पिछले की वर्षों से एक इंच भी उस तालाब से सिंचाई नहीं होती. इसीलिये उसको नगर पालिका अशोक नगर द्वारा कई बार मांग की गई है.अशोक नगर सिंचाई विभाग ने भी अनेकों बार अपनी सहमति दी है और पत्राचार, भोपाल, विभाग को किया है कि वह तालाब नगर पालिका को हैंडओवर कर दिया जाए क्योंकि मैंने अशोक नगर,नगर पालिका के माध्यम से उस तालाब के सौंदर्यीकरण की योजना बनाई थी, सम्माननीय जयवर्द्धन सिंह जी मंत्री थे. मेरे अतिसम्माननीय हैं और इनका भी मेरे पर अपार स्नेह रहा है और आज भी है. इन्होंने भी बहुत प्रयास किया कि मेरी योजना को स्वीकृति दिला पाए लेकिन तब नहीं दिला पाए थे लेकिन जैसे ही शिवराज जी जैसे ही मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने मेरी मांग पर 6 करोड़ रुपये की तुलसी सरोवर सौंदर्यीकरण परियोजना नगर पालिका को स्वीकृत कर दी. तत्काल राशि जारी की.
श्री जयवर्द्धन सिंह- माननीय सभापति जी, चूंकि इन्होंने मेरा उल्लेख किया है. जो प्रथम किश्त 50 लाख रुपये थी वह इनको दिलवाई थी. यह ये बात जानते हैं.
श्री जजपाल सिंह "जज्जी" - इसके लिये आपको धन्यवाद मैं आपको दे रहा हूं. मुख्यमंत्रीजी ने तत्काल 6 करोड़ की राशि जारी की. टेंडर हो गये और वह निर्माण कार्य तेजी पर चल रहा है लेकिन उसमें व्यवधान बार-बार आता है कि जल संसाधन विभाग का वह तालाब है. हमको थोड़ा भी काम करने के लिये उनसे एनओसी मांगना पड़ती है. विभाग के अधिकारी कई बार निवेदन कर चुके कि यह नगर पालिका को हैंडओवर कर दिया जाये. इसकी हमारे लिये कोई उपयोगिता नहीं है. मैं मंत्री जी से निवेदन करता हूं कि तुलसी सरोवर को नगर पालिका को हैंडओवर करा दिया जाये ताकि नगर पालिका उसका रखरखाव कर सके. इसके अलावा महोदय, एक निवेदन और मैं करना चाहूंगा कि माननीय शिवराज जी ने मेरे विधान सभा क्षेत्र में 3 लघु सिंचाई परियोजनाओं को स्वीकृति दी. जिसमें मुल्लाखेड़ी,कैलारस और गरोई. इन तीनों के टेंडर भी हो गये और 2 परियोजनाओं के टेंडर ओपन हुए हैं हाल ही में जिसमें से मुल्लाखेड़ी का टेंडर जो आया है 55.69 परसेंट बिलो और कैलारस का 52.62 परसेंट बिलो मेरा इस संदर्भ में निवेदन है. मैं इंजीनियर तो नहीं हूं लेकिन मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया कि कैलारस और मुल्लाखेड़ी परियोजनाएं 3-3 करोड़ की परियोजनाएं,स्टापडैम हैं कि जो डीपीआर विभाग ने बनाई वह 3-3 करोड़ की बनाई और उसमें मैंने जब देखा कि सीएसआर रेट, सभापति महोदय, मैंने पूरे बाजार में पता किया कि सीएसआर के आईटम क्रमांक 5.08.3 के अनुसार सी.सी.एम. 15.1.2.4 की दर 4194 रुपये आई. जिसमें सभी तरह के आईटम हैं सीमेंट,रेत,गिट्टी,सरिया है. आश्चर्य है कि सरिया के सीएसआर रेट जो इन्होंने लिये हैं 37.50 रुपये. मार्केट में मैंने पता किया कि वह 55 रुपये से कम में मिल ही नहीं रहा. उसके बाद, जब ठेकेदार ने टेंडर डाला 55 परसेंट बिलो. तो 55 परसेंट बिलो पर 3 करोड़ की परियोजना वह1 करोड़ 40 लाख में पूरी करेगा. इसमें उसने10 परसेंट प्राफिट भी जोड़ा है. इसका मतलब है कि हमारे अधिकारी जो डीपीआर बनाते हैं या जिन्होंने सीएसआर दर तय की हैं. उन्होने गलत तय की है. ड बल रेट बढ़ाई है और यदि उन्होंने मार्केट रेट से परीक्षण करने के बाद सीएसआर रेट की दरें तय की हैं तो मैं पूछना चाहता हूं कि आधी रेट पर निर्माण कार्य कैसे हुआ. अच्छी बात है कि अगर हो रहा है लेकिन क्या वह गुणवत्ता बरकरार रह पाएगी. सभापति महोदय, जब मैंने गहराई से पता किया कि इसमें क्या करते हैं कि जो डीपीआर विभाग ने बनाई.
सभापति महोदय - माननीय सदस्य का भाषण जारी रहेगा.
विधान सभा की कार्यवाही मंगलवार दिनांक 16 मार्च,2021 को प्रात: 11.00 बजे तक के लिये स्थगित.
अपराह्न 5.30 बजे विधान सभा की कार्यवाही मंगलवार,दिनांक 16 मार्च,2021(फाल्गुन 25,शक् संवत् 1942) के प्रात: 11.00 बजे तक के लिये स्थगित की गई.
भोपाल
दिनांक : 15 मार्च,2021
ए.पी.सिंह
प्रमुख सचिव,
मध्य प्रदेश विधान सभा