मध्यप्रदेश विधान सभा

 

सोमवार, दिनांक 15 मार्च 2021

 

(24 फाल्गुन, शक संवत्‌ 1942 )

 

 

विधान सभा पूर्वाह्न 11.02 बजे समवेत हुई.

 

{अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}

 

11.02 बजे

प्रश्नकाल में मौखिक उल्लेख एवं अध्यक्षीय व्यवस्था

माननीय सदस्यगण को कोरोना संबंधी जाँच करवाने विषयक

 

        संसदीय कार्य मंत्री(डॉ.नरोत्तम मिश्र)--  माननीय अध्यक्ष जी, दो विषय थे, एक तो मेरी बहन साधौ को कोरोना हो गया है, हाउस के चार और विधायकों को कोरोना हो गया है. आप हमारे पालक हैं, मेरा निवेदन था कि जैसे आज सज्जन भैय्या नहीं हैं या और विधायकों के बगल में जो विधायक बैठे थे, (माननीय सदस्य श्री के.पी.सिंह जी द्वारा बैठे बैठे कुछ कहने पर) मैं आने का मना नहीं कर रहा, आप तो पहलवान हों, आपको तो यह बात समझ में आएगी नहीं, तो अध्यक्ष जी, इनके बगल में भी, जैसे बहन के बगल में सज्जन भाई बैठते थे, देवेन्द्र के बगल में और विधायक बैठते थे, एक बार इनके स्वास्थ्य के परीक्षण के संबंध में अध्यक्ष जी, थोड़ा आप विशेष देख लें चूँकि जिस तरह से कोरोना का बैक आ रहा है, उससे हम सबकी जिम्मेदारी बढ़ जाती है.

          अध्यक्ष महोदय--  (माननीय सदस्य श्री सज्जन सिंह वर्मा जी के आने पर) सज्जन सिंह जी आ गए.

          डॉ. गोविन्द सिंह--  माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी ने जो विषय उठाया है, उसके बारे में आज हमारे नेता माननीय कमल नाथ जी से चर्चा हुई थी. वे कल 11 बजे आ रहे हैं, अगर कोई विशेष स्थिति ऐसी बनती है तो कल आप सबसे बैठकर चर्चा हो जाएगी.

          अध्यक्ष महोदय--   बैठेंगे हम.  जैसे ही माननीय सदस्यगण की खबर आई थी कि हमारी बहन विजय लक्ष्मी जी कोरोना पॉजिटिव हुई हैं और मैंने उनसे बात की है तथा और लोगों से भी बात की है और मैंने इसीलिए एक तरह का निर्देश जारी किया था कि जो भी माननीय सदस्य आवें अपनी एक जाँच करा लें, रिपोर्ट करा लें, आज भी चिन्ता का विषय है, जैसा संसदीय कार्य मंत्री ने कहा है, आग्रह फिर है कि सब जाँच कराएँ, अभी रिपोर्ट आई है हमारे सिंगरौली के एक और विधायक वे भी पॉजिटिव पाए गए हैं, तो एक उनका यह है.

 

11.04 बजे

अध्यक्षीय व्यवस्था

वर्ष 2021-22 के आय-व्ययक में विभागवार चर्चा में भाग लेने विषयक

 

            अध्यक्ष महोदय--  वर्ष 2021-22 के आय-व्ययक (बजट) पर सामान्य चर्चा माननीय सदस्यों द्वारा विस्तार से की गई थी तदुपरान्त विभागवार मांगों पर 8 मार्च से चर्चा प्रारंभ हुई पिछले दिनों भोजन अवकाश स्थगित करने और सायं साढ़े पाँच बजे के उपरान्त भी समय वृद्धि की जाकर कार्यवाही चलाने के बाद अभी केवल माननीय मुख्यमंत्री और माननीय लोक निर्माण मंत्री से संबंधित विभागों की मांगों पर ही चर्चा हो सकी है. अन्य विभागों की मांगों पर चर्चा होना शेष है साथ ही कोरोना का प्रकोप पुनः बढ़ रहा है, हाल में कतिपय माननीय सदस्य भी इसके संक्रमण से प्रभावित हुए हैं. अतः इस स्थिति में माननीय सदस्यों की सुरक्षा के साथ विधायी कार्य शीघ्र संपादन के लिए विधायक दलों के मुख्य सचेतकों से अनुरोध है कि कृपया कार्य सूची में शामिल विभागीय मांगों पर चर्चा हेतु सीमित संख्या में ही दोनों पक्षों के सदस्यों के नाम बोलने के लिए दें तथा माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि इस प्रक्रिया में कृपया सहयोग प्रदान करें, जिससे कि तत्परता से विभागों की मांगों पर चर्चा पूर्ण हो सके तथा उसके उपरान्त विनियोग, अन्य विधेयक और विधि विषयक कार्य पूर्ण किया जा सके.

          यह भी अनुरोध है कि माननीय सदस्य कृपया सदन में कार्यवाही में भाग लेते समय मास्क, सेनेटाइजर का सतत् उपयोग करें.

            डॉ. नरोत्तम मिश्र -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह जो 68 वर्षीय नौजवान सज्जन वर्मा जी हैं 70 वर्षीय नौजवान गोविन्द सिंह जी के पास बैठे हैं. इन लोगों का परीक्षण पहले करा लें.

          डॉ. गोविन्द सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारा तीन बार परीक्षण हो चुका है और मेरे से तीनों बार कोरोना एक किलोमीटर दूर रहा है.

          डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, कोरोना की वेक्सीन पर इनका फोटो लगवा दिया जाए, जैसे च्यवनप्राश पर उसका लगा रहता है. (हंसी)

 

11.06 बजे                                         अध्यक्षीय घोषणा

प्रश्नकाल में केवल प्रथम बार के विधायकों के प्रश्नों को शामिल किया जाना

          अध्यक्ष महोदय -- आज प्रश्नकाल में केवल पहली बार के विधायकों के प्रश्नों को लिया गया है, लाटरी उनकी ही निकाली गई है. सदस्यों से यह आग्रह है कि बिना भूमिका के सीधा प्रश्न करेंगे, क्योंकि उनकी भूमिका प्रश्न में लिखी हुई है. मंत्रियों से भी आग्रह है कि पाइंटेड जवाब देंगे जिससे जो प्रथम बार के विधायक हैं उनको एक अवसर मिले. माननीय जो वरिष्ठ सदस्य हैं उनसे भी आग्रह है कि जब प्रथम बार का विधायक कोई प्रश्न कर रहा हो तो उसी को प्रश्न पूछने दीजिए अगल-बगल से उसको सपोर्ट मत करिए. मैं समझता हूँ कि माननीय सदस्य मेरी भावना से सहमत होंगे. प्रथम बार के विधायक को यह मौका देने का काम किया है उसमें साथ देंगे.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपको बहुत-बहुत धन्यवाद है. आपने शलाका में भी नए विधायकों को ही लिया जो आज की प्रश्नोत्तर सूची के 25 प्रश्नों में शामिल हैं. मैं आपको धन्यवाद देना चाहता हूँ यह पहले कभी नहीं हुआ है. आपने प्रथम बार के सदस्यों के लिए नया नवाचार किया है ताकि वे प्रश्न पूछ सकें. आज एक प्रसंग भी है, आज विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस है. आज की प्रश्नोत्तरी खाद्य विभाग से भी संबंधित है जिसमें उपभोक्ताओं से संबंधित प्रश्न भी हैं. इस विधान सभा में ऐसा संयोग बना है कि विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस के अवसर पर हमारी प्रश्नोत्तरी में उपभोक्ताओं से संबंधित प्रश्न भी पूछे जाएंगे, उसका संरक्षण देने के लिए धन्यवाद.

          श्रीमती कृष्णा गौर -- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक विनती है. धन्यवाद मैं भी देना चाहूंगी कि आपने नवाचार शुरु किया है प्रथम बार के विधायकों को बोलने का मौका मिल रहा है लेकिन आज की प्रश्नोत्तरी में एक भी महिला विधायक का नाम नहीं है. मेरा निवेदन यह है कि 20 महिलाएं चुनकर आई हैं उसमें से तीन मंत्री बनी हैं. मेरा निवेदन है कि आप एक दिन महिलाओं के लिए ही प्रश्नकाल करें.

          अध्यक्ष महोदय -- मैं माननीय सदस्या से सहमत हूँ. आपको जानकारी देना चाहता हूँ कि लॉटरी भी महिला सदस्या ने ही निकाली है.

          डॉ. नरोत्तम मिश्र -- माननीय अध्यक्ष महोदय, शलाका में तो 25 विधायकों के नाम होते हैं, महिला सदस्य कुल 20 हैं, 5 तो पुरुष आएंगे ही.

          श्रीमती कृष्णा गौर -- 20 महिलाओं के प्रश्न के अलावा शेष पुरुषों के प्रश्न आएं तो कोई आपत्ति नहीं है.

          अध्यक्ष महोदय -- आज की प्रश्नोत्तरी में प्रश्न संख्या 20 पर महिला विधायक श्रीमती रामबाई गोविंद सिंह जी का प्रश्न शामिल है.

          श्री सज्जन सिंह वर्मा -- वे श्रीमती रामबाई को महिला मानती ही नहीं हैं.

 

 

 

11.09 बजे                           तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर


उज्‍जैन जिले में कोरोनाकाल में श्रमिकों को रोजगार

[श्रम]

1. ( *क्र. 5281 ) श्री महेश परमार : क्या खनिज साधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या उज्‍जैन जिले में संचालित उद्योगों से अनगिनत श्रमिकों को कोरोनाकाल से ही घर बैठा दिया गया है? यदि हाँ, तो श्रमिकों को पुन: रोजगार उपलब्‍ध कराने के लिए सरकार ने क्‍या चिंता की? वर्तमान में कितने क्‍या प्रस्‍ताव श्रमिकों के हित में कब पारित कराये? (ख) क्‍या उज्‍जैन जिले में बेरोजगार हुए परिवारों से संपर्क करने के लिए कोई प्रयास किया? क्‍या आपदा प्रबंधन फंड के माध्‍यम से उदर पोषण के लिए शिविर लगाए? क्‍या बंद हुए उद्योगों के समाज कल्‍याण मद से श्रमिकों के घर तक आर्थिक सहायता पुहंचाने के लिए कोई कार्यवाहियां की? श्रमिक परिवारों के प्रति कब-कब और कहां-कहां किन-किन दायित्‍वों को पूरा किया? (ग) उज्‍जैन जिले में कोरोना काल के दौरान पंजीकृत श्रमिकों को कौन-कौन सी कल्‍याणकारी योजनाओं का लाभ घर तक पहुंचाया गया है? कितने श्रमिक परिवारों को क्‍या राहत मिली है? विभाग द्वारा श्रमिक परिवारों के कल्‍याण के लिए पहुंचाई गयी राहत की सूची लाभांवित श्रमिकों की जानकारी सहित उपलब्‍ध कराएं।

खनिज साधन मंत्री ( श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ) : (क) जी नहीं। उज्‍जैन जिले में नागदा स्थित ग्रेसिम इण्‍डस्‍ट्रीज (स्‍टेपल फायबर डिवीज़न) के 20 ठेका श्रमिकों को ठेकेदार द्वारा कार्य से बंद करने की शिकायत पर क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा संज्ञान लेते हुए इन प्रकरणों में औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 के अंतर्गत वैधानिक कार्यवाही निरंतरित है। शेष प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता है। (ख) प्रश्नांश (क) के उत्‍तर के परिप्रेक्ष्‍य में प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता है। श्रम विभाग में बंद हुए उद्योगों हेतु आपदा प्रबंधन फण्‍ड एवं समाज कल्‍याण मद का प्रावधान नहीं है। अत: शेष प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता है। (ग) उज्‍जैन जिले की प्रश्‍नांकित जानकारी निम्‍नानुसार है :-

क्र.

योजना का नाम

 

लाभांवित श्रमिक

प्रदत्‍त लाभ/हितलाभ

 

1.

मुख्‍यमंत्री प्रवासी मजदूर सहायता योजना, 2020

1856

रूपये 1000/- के मान से रूपये 18,56,000/- 1856 श्रमिकों के बैंक खातों में दिये गए।

2.

म.प्र. भवन एवं अन्‍य संनिर्माण कर्मकार कल्‍याण मण्‍डल

13488

रूपये 1000-1000 के मान से दो बार में राशि रूपये 2,69,76,000/- 13488 श्रमिकों के बैंक खातों में दिये गए।

 

 

          श्री महेश परमार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने पहली बार के चुने हुए विधायकों को आशीर्वाद और संरक्षण दिया है. मैं आपका धन्यवाद और आभार व्यक्त करता हूँ. मेरा आपके माध्यम से मंत्री जी से प्रश्न है कि उज्जैन जिले में संचालित उद्योगों में अनगिनत श्रमिकों को कोरोना काल में क्या घर बैठा दिया गया है.

          अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी सीधा जवाब दीजिए. माननीय सदस्य आप बैठ जाइए.

          श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसी विषय से संबंधित ध्यानाकर्षण भी दिनांक 9.3.2021 को आया था. जिसका जवाब भी दिया गया है कि कोरोना काल में जो बंद की अवधि है जो मार्च से लेकर 31 मई तक की है. उसमें कांट्रेक्चर लेबर जो वहां पर लगी थी इस बंद अवधि में वे बाहर हो गए थे. वहां पर जो पांच संचालित मुख्य उद्योग हैं जिसमें ग्रासिम भी शामिल है उसमें 2000 लोग थे जिसमें से 1200 लोगों को रख लिया गया था. 800 लोग जो नहीं थे वे बाहर से वेल्डिंग और रिपेयरिंग का काम करके, जैसा कि ध्यानाकर्षण में भी माननीय सदस्य ने बताया था कि कुछ पर्चियों के गेट पासेस के माध्यम से वे लोग अन्दर आ रहे थे लेकिन हमने भी उस ध्यानाकर्षण के बाद उनको यह भी बोला गया था कि उन्‍हें जो वेतन पहले मिल रहा था उनको उससे कम वेतन दिया जा रहा है और हमने सदन के अंदर यह सुनिश्चित किया था कि उनको एक बार जो वेतन मिल चुका है वह उन्‍हें उससे नीचे वेतन नहीं दे सकते हैं. इसके लिए जो वेतन अधिनियम है उसके तहत हमने संबंधित लोगों के खिलाफ केस भी दर्ज किया है और हमने सुनवाई के लिए इनकी एक पेशी भी लगाई है. वह 18 (3) नियम की है. हम इस पर कार्यवाही कर रहे हैं और जो गलत होगा तो हम दंडित करेंगे.

          श्री महेश परमार-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अभी मेरा प्रश्‍न पूरा नहीं हुआ है. मैंने उज्‍जैन जिले में, उस समय सरकार को जगाने के लिए मेरे साथी विधायक मनोज चावला जी और हम लोगों ने भगवान महाकाल की नगरी उज्‍जैन से भोपाल तक न्‍याय यात्रा निकाली थी और यहां माननीय मंत्री जी के विभाग के द्वारा असत्‍य जानकारी दी गई. आपने बोला कि हमने उस समय श्रमि‍क मजदूरों को सहायता दी तो बताएं कि आपने कितनी सहायता दी?  मेरे प्रश्‍न के उत्‍तर में कहा गया है कि जी नहीं किसी भी मजदूर को नहीं निकाला गया है. ध्‍यानाकर्षण में स्‍थानीय विधायक दिलीप गुर्जर जी और मेरे पड़ोस के विधायक बहादुर सिंह चौहान जी ने जो ध्‍यानाकर्षण लगाया था उसमे माननीय मंत्री जी के द्वारा और मंत्री जी के विभाग के द्वारा जो जवाब दिया गया कि सिर्फ 20 लोगों पर कार्यवाही निरंतरित है लेकिन मैं पूरे उज्‍जैन जिले की और ग्रेसिम की बात कर रहा हूं.

          अध्‍यक्ष महोदय-- महेश जी आप उत्‍तर पढि़ए उसमें राशि और संख्‍या दोनों लिखी हुई हैं.

          श्री महेश परमार-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इसमें माननीय मंत्री जी स्‍वयं कह रहे हैं कि 2 हजार श्रमिक हैं और प्रश्‍न के उत्‍तर में 20 श्रमिक बता रहे हैं तो कौन सी बात‍ को मैं सही समझूं.

          अध्‍यक्ष महोदय-- आप पूरे उत्‍तर को पढि़ए उसमें लिखा हुआ है कि कितने श्रमिक लाभान्वित हुए हैं और कितना पैसा दिया गया है.

          श्री महेश परमार-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, उज्‍जैन जिले में लगभग 6 लाख श्रमिकों का पंजीयन हुआ है लेकिन उत्‍तर में लिखा हुआ है कि हमने सिर्फ 1856 लोगों को एक हजार रुपए के मान से सहायता प्रदान की है. 6 लाख श्रमिकों का पंजीयन है और केवल 1856 लोगों को सहायता दे रहे हैं यह तो ऊंट के मुंह में जीरे के समान है.

          अध्‍यक्ष महोदय-- परमार जी आप प्‍वाइंटेड प्रश्‍न कीजिए. मैं आपको जवाब दिलवाता हूं. आप सीधा प्रश्‍न पूछिए कि आप क्‍या जानना चाहते हैं.

          श्री महेश परमार-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि पूरे जिले में लगभग 6 लाख श्रमिक पंजीयन है और केवल 1856 लोगों को सहायता दी गई है. कोरोना काल में मध्‍यप्रदेश की सरकार, कांग्रेस की सरकार गिराने में और अपनी सरकार बचाने में लगी थी.

          अध्‍यक्ष महोदय-- आप कम से कम आज तो प्रश्‍न बढ़ने दीजिए. आप मंत्री जी से उत्‍तर ले लीजिए.

          श्री महेश परमार-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, श्रमिकों के पुन: रोजगार के लिए सरकार ने क्‍या चिंता की है?

          श्री बृजेन्‍द्र प्रताप सिंह-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जहां तक माननीय सदस्‍य उन 20 लोगों की बात कर रहे हैं वह वे लोग हैं जिन्‍होंने शिकायत की है समझौते के तहत हम उन पर कार्यवाही कर रहे हैं. मैंने पहले भी कहा था और मैं आज भी कह रहा हूं कि यह ठेका श्रमिक हैं इसमें विभाग का कोई कंट्रोल नहीं है. वह ठेकेदार और उसके नियोक्‍ता के अंदर का एग्रीमेंट है और इसलिए जो भी बाहर गए हैं उनको वापस रखने के लिए हम क्‍या कर सकते हैं इसके लिए भी हमने पिछली बार बोला था कि जो 800 सदस्‍य हमारे बाहर हैं और बाहर से काम करके अंदर आ रहे हैं तो हम कोशिश करेंगे कि एक वातावरण निर्मित करके उनको अंदर लगाया जाए और उस पर हमने कार्यवाही भी की है. जो पिछला ध्‍यानाकर्षण हुआ था उस पर हम आगे भी काम कर रहे हैं और हम गरीबों के हित में हैं.

          श्री महेश परमार-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं पूरे उज्‍जैन जिले की बात कर रहा हूं.

          अध्‍यक्ष महोदय-- परमार जी आपके प्रश्‍न को दस मिनट दे दिए हैं.

दमोह जिले में मत्स्य बीज उत्पादन

[मछुआ कल्याण तथा मत्स्य विकास]

2. ( *क्र. 3846 ) श्री धर्मेन्द्र भावसिंह लोधी : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) दमोह जिले में मत्स्य बीज हेतु मत्स्य विभाग की कितनी हैचरी संचालित हैं तथा उनके रख-रखाव व मत्स्य बीज उत्पादन में वर्ष 2019-202020-21 में कितनी राशि व्यय हुई है तथा कितनी मछली पालक समितियों को मत्स्य बीज उपलब्ध कराया गया व मत्स्य बीज से कितनी आय हुई है? (ख) वर्ष 2019-202020-21 में प्रश्नांश (क) की मछुआ समितियों को मछली पालन की किन-किन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मत्स्य विभाग द्वारा दिया गया है?

जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) दमोह जिले में मत्‍स्‍य बीज उत्‍पादन हेतु एक सरकुलर हेचरी एवं एक बंगला बंध संचालित है। जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) वर्ष 2019-20 एवं 2020-21 में विभाग की मछुआ सहकारिता योजना का लाभ दिया गया है।

परिशिष्ट - "एक"

 

        श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सर्वप्रथम तो मैं आपको धन्‍यवाद ज्ञापित करना चाहता हूं कि आपने यह नवाचार किया और नए विधायकों को प्रश्‍न पूछने का अवसर दिया है. मैंने प्रश्‍न पूछा कि दमोह जिले के मत्‍स्‍य बीज हेतु मत्‍स्‍य विभाग में कितनी हैचरी संचालित हैं  तथा उनके रखरखाव व मत्‍स्‍य बीज उत्‍पादन में वर्ष 2019-2020 और वर्ष 2021 में कितनी राशि व्‍यय हुई है.

          अध्‍यक्ष महोदय-- माननीय सदस्‍य जी माननीय मंत्री जी का उत्‍तर आया है आप सीधे प्रश्‍न कीजिए.

        श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं यही कहना चाहता हूं कि मंत्री जी ने उत्‍तर दिया है कि जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट के अनुसार है लेकिन न तो मुझे पुस्‍तकालय में कोई परिशिष्‍ट मिला है और न ही मुझे कोई जानकारी प्रदान की गई है. मैं प्रश्‍न शाखा में भी गया मैंने वहां पूछा कि इस विषय पर कोई जानकारी प्राप्‍त न‍हीं हुई है तो उन्‍होंने कहा कि विभाग द्वारा कोई जानकारी उपलब्‍ध नहीं कराई गई है तो एक तो यह बात गलत कही गई कि परिशिष्‍ट में जब विभाग द्वारा कोई जानकारी उपलब्‍ध नहीं कराई गई तो इसमें इस प्रकार का प्रश्‍न क्‍यों लिखा है.

          अध्‍यक्ष महोदय-- माननीय सदस्‍य जी आपको बाद में जानकारी भी उपलब्‍ध करा दी गई और दे दी गई है.

          श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मुझे कुछ नहीं मिला है.

          अध्‍यक्ष महोदय-- आपको जानकारी दे दी गई है.

          श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं प्रश्‍न शाखा में भी देखकर आया हूं.

          अध्‍यक्ष महोदय-- आपको जानकारी दे दी गई है. 

          श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मुझे जानकारी नहीं दी गई है.

          अध्‍यक्ष महोदय-  आप बैठ जाईये. हम मंत्री जी से पूछते हैं.

          श्री तुलसीराम सिलावट-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमारे सदस्‍य ने जो भावना व्‍यक्‍त की है, हमने इनके प्रश्‍न के उत्‍तर में जो विस्‍तृत जानकारी दी है, माननीय सदस्‍य के कहे अनुसार, उन्‍हें पूरी पुस्तिका नहीं मिली है, मैं पूरे दस्‍तावेज उन्‍हें उपलब्‍ध करवा दूंगा.

          श्री धर्मेन्‍द्र भाव सिंह लोधी-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मुझे कोई जानकारी प्राप्‍त नहीं हुई है.

          अध्‍यक्ष महोदय-  माननीय मंत्री जी कह रहे हैं, आपको पूरी जानकारी उपलब्‍ध करवा देंगे.

          श्री धर्मेन्‍द्र भाव सिंह लोधी-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा प्रश्‍न अभी पूरा नहीं हुआ है.

          अध्‍यक्ष महोदय-  जब आपको पूरी जानकारी प्राप्‍त नहीं हुई है तो फिर कौन सा प्रश्‍न पूछेंगे, ठीक है, पूछ लीजिये.

          श्री धर्मेन्‍द्र भाव सिंह लोधी-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं यह कहना चाह रहा था कि दमोह जिले में मत्‍स्‍य बीज परिक्षेत्र गाड़ाघाट जो कि मेरी विधान सभा क्षेत्र में आता है, उसका मैंने दौरा किया और देखा कि वहां तमाम अव्‍यवस्‍थायें हैं. उस परिक्षेत्र के संरक्षण के लिए प्रतिवर्ष कुछ न कुछ राशि विभाग द्वारा खर्च की जाती होगी. मैंने पाया कि राशि वहां केवल कागजों में खर्च हुई है. उस मत्‍स्‍य बीज परिक्षेत्र में बहुत गड़बडि़यां हैं, वहां विकास जैसा कुछ दिखाई नहीं देता है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इसके अतिरिक्‍त दमोह जिले में मत्‍स्‍य बीज परिक्षेत्र गाड़ाघाट है, वहां मत्‍स्‍य बीज उत्‍पादन क्षमता 2 करोड़ है लेकिन वर्ष 2019-20 में केवल 80 लाख मत्‍स्‍य बीजों का उत्‍पादन हुआ और वर्ष 2020-21 में केवल 44 लाख मत्‍स्‍य बीज का उत्‍पादन हुआ. मेरा प्रश्‍न यह है कि जब उस मत्‍स्‍य बीज परिक्षेत्र की उत्‍पादन क्षमता 2 करोड़ है तो फिर इतने कम बीजों का उत्‍पादन क्‍यों किया जा रहा है ? कहीं न कहीं इसमें अधिकारियों की लापरवाही दिखाई देती है.

          श्री तुलसीराम सिलावट-  दमोह जिले की जिस हैचरी के रख-रखाव और मत्‍स्‍य बीज उत्‍पादन परिक्षेत्र की बात की जा रही है, मैं बताना चाहूंगा कि वर्ष 2019-20 में 6 लाख 92 हजार रुपये और वर्ष 2020-21 में 6 लाख 36 हजार रुपये का, वहां व्‍यय हुआ. हैचरी के वर्ष 2019-20 में 22 मछुआ समितियों एवं वर्ष 2020-21 में 17 मछुआ समितियों को बीज उपलब्‍ध करवाये गए हैं और जहां तक माननीय सदस्‍य ने जिस बीज की बात की है, प्रतिवर्ष 125 प्रति हजार बीज उत्‍पादन हो रहा है. जहां माननीय सदस्‍य के संज्ञान में कोई ऐसी बात आती है, वहां रख-रखाव में गलती हो, तो उसे सुधारा जायेगा और जांच कर ली जायेगी.

          श्री धर्मेन्‍द्र भाव सिंह लोधी-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय,

          अध्‍यक्ष महोदय-  माननीय मंत्री जी ने कहा है कि वे जांच करवा लेंगे.

          श्री धर्मेन्‍द्र भाव सिंह लोधी-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अभी मेरा प्रश्‍न पूरा नहीं हुआ है.

          अध्‍यक्ष महोदय-  आप मंत्री जी से मिल लीजियेगा.

 

 

 

 

          प्रश्‍न संख्‍या-3                 डॉ. अशोक मर्सकोले  (अनुपस्थित)

 

राजगढ़ विधान सभा क्षेत्रान्‍तर्गत कृषकों को मुआवज़ा वितरण

[राजस्व]

4. ( *क्र. 720 ) श्री बापूसिंह तंवर : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि(क) दिनांक 01 अप्रैल, 2020 से प्रश्‍न दिनांक तक राजगढ़ विधान सभा क्षेत्रान्‍तर्गत रबी एवं खरीफ की फसलें खराब होने के कारण हुए सर्वे में कितने किसानों का मुआवज़ा बंटना लंबित है? किसानों की संख्‍या सहित जानकारी दें। (ख) प्रश्‍नांश (क) का उत्‍तर यदि हाँ, है तो राजगढ़ विधान सभा के किसानों का लंबित मुआवजे का भुगतान कब तक कर दिया जायेगा?

राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) जी नहीं। दिनांक 01 अप्रैल, 2020 से राजगढ़ विधानसभा क्षेत्रान्‍तर्गत रबी एवं खरीफ फसलें खराब नहीं हुईं हैं। अत: शेष प्रश्‍न उद्भूत नहीं होता। (ख) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्‍य में प्रश्‍न उद्भूत नहीं होता।

          श्री बापू सिंह तंवर-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सर्वप्रथम मैं आपको धन्‍यवाद देना चाहूंगा कि आपने नए विधायकों को प्रश्‍न पूछने का यह विशेष अवसर दिया है, ऐसा इस सदन में पहली बार हो रहा है, इसके लिए आपके प्रति बहुत-बहुत आभार.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा प्रश्‍न राजस्‍व से संबंधित है. खरीफ की, सोयाबीन की फसल में पीला मोजे़क नामक एक बीमारी लगी थी, जिसके कारण सोयाबीन की फसल पूर्णत: नष्‍ट हो गई थी. इसमें मैंने पूछा है कि इस संबंध में सर्वे करके कि इसमें कितना प्रतिशत नुकसान हुआ और इसमें क्‍या मुआवज़ा दिया गया है क्‍योंकि मेरे जिले की केवल एक तहसील सारंगपुर में इसका मुआवज़ा बंटा जबकि फसल पूरे जिले में खराब हुई थी. राजगढ़ विधान सभा में अधिकांशत: पूरी फसल नष्‍ट हो चुकी थी, इस संबंध में मैंने कई बार पत्र लिखा है और अनावरी रिपोर्ट की भी मांग की थी, कलेक्‍टर को भी लिखा कि मुझे रिपोर्ट उपलब्‍ध करवाई जाये लेकिन मुझे आज तक रिपोर्ट उपलब्‍ध नहीं करवाई गई है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा प्रश्‍न यह है कि सोयाबीन की फसल खराब हुई लेकिन किसानों को मुआवज़ा नहीं मिला, उनको मुआवज़ा मिलना चाहिए.

          अध्‍यक्ष महोदय-  यह प्रश्‍न नहीं है, आपका, मंत्री जी से प्रश्‍न क्‍या है ?

            श्री बापू सिंह तंवर-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा प्रश्‍न यह है मेरे क्षेत्र के अंतर्गत रबी और खरीफ की फसल खराब होने के कारण सर्वे में कितने किसानों को मुआवज़ा बांटना लंबित है, किसानों की संख्‍या सहित जानकारी प्रदान करें.

          अध्‍यक्ष महोदय-  माननीय मंत्री जी, सदस्‍य दो बिंदुओं पर जानकारी चाहते हैं.

          श्री गोविन्‍द सिंह राजपूत:- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, 1 अप्रैल, 2020 से राजगढ़ विधान सभा क्षेत्र में रबी एवं खरीब की फसलें 25 प्रतिशत कम खराब होने का आंकलन आया है इसलिये उन्‍हें मुआवजा नहीं दिया गया है.

          श्री राजवर्धन सिंह:- माननीय अध्‍यक्ष महोदय,..

          अध्‍यक्ष महोदय:- माननीय सदस्‍य जी, मेरा आपसे अनुरोध है कि कृपया आप बैठ जाइये. आज मैं किसी को अनुमति नहीं दूंगा, जिसका प्रश्‍न है सीधा वही सवाल पूछेगा.

          श्री बापूसिंह तंवर:- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय सदस्‍य को भी इस बात की पीड़ा है कि उनकी विधान सभा में भी फसल खराब हुई और मेरी विधान सभा में फसल खराब हुई.

          अध्‍यक्ष महोदय:- आप तो अपनी बात करें. आप उनकी पीड़ा की चिंता न करें आप अपना सवाल करें.

          श्री बापूसिंह तंवर:- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह मेरे जिले का मामला है, इसमें मैं, आपका संरक्षण चाहता हूं. यह इस बात के गवाह हैं और हमने बार-बार ज्ञापन भी दिया, मुख्‍यमंत्री जी को भी ज्ञापन दिया कि हमारे यहां पर सोयाबीन खराब हुई और उस सोयाबीन को लेकर किसान कलेक्‍टोरेट में भी गये, लेकिन उन अधिकारियों के खिलाफ जो सर्वे करने वाली टीम थी, उन दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की जायेगी कि आखिर यह 25 प्रतिशत आंकलन कैसे आया और एक तहसील में 50 प्रतिशत से अधिक आंकलन कैसे आया ? मैं यह जानना चाहता हूं कि जिला वही है, जमीन वही है, सोयाबीन वही है और बीमारी वही है उसके बाद भी एक तहसील में 50 प्रतिशत से ज्‍यादा और बाकी तहसीलों में 25 प्रतिशत से कम ऐसा कैसे हो सकता है.

          अध्‍यक्ष महोदय:- माननीय मंत्री जी, शायद इसकी जांच चाहते होंगे कि इसकी जांच हो जाये.

          श्री गोविन्‍द सिंह राजपूत:- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, नुकसान जरूरी नहीं की सब जगह एक सा हो, कहीं कम होता है, कहीं ज्‍यादा होता है, कहीं खेतों में ज्‍यादा होता है, कहीं बाजू में ओले गिर जाते हैं बाजू में फसल सुरक्षित रह जाती है. सारंगपुर तहसील में 50 प्रतिशत से अधिक नुकसान हुआ था और वहां 20 करोड़ रूपये मुआवजा दिया भी गया है. आपके यहां आरबीसी- 6(4) में प्रावधान हैकि अगर 25 प्रतिशत से कम आंकलन होता है तो सरकार उसमें मुआवजा देने में सक्षम नहीं है, फिर भी यदि माननीय सदस्‍य कह रहे हैं तो हम इसकी जांच करा लेंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय:- ठीक है.

          श्री बापूसिंह तंवर:- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं एक निवेदन और करना चाहता हूं कि इसमें मक्‍का की फसल बीमा में शामिल नहीं है. मैं आपके माध्‍यम से अनुरोध करना चाहूंगा हमारे यहां मक्‍का का उत्‍पादन ज्‍यादा होता है तो जब सोयाबीन का बीमा मिलता है तो सोयाबीन के साथ-साथ मक्‍के को भी बीमें में शामिल किया जाये.

          अध्‍यक्ष महोदय:- अब आप बैठ जायें, आपकी बात आ गयी है.

किसानों को उपज का भुगतान

[खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्‍ता संरक्षण]

5. ( *क्र. 4293 ) श्री मेवाराम जाटव : क्या खाद्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या माह दिसम्‍बर 2020-21 में भिण्‍ड एवं मुरैना जिले के किसानों द्वारा बाजरा, मक्‍का की उपज सहकारी समितियों को समर्थन मूल्य पर बेची गई थी? (ख) यदि हाँ, तो क्‍या किसानों को उनकी बेची गई उपज की राशि का भुगतान कर दिया गया है? यदि नहीं, तो कितने किसानों को कितनी राशि का भुगतान किन कारणों से नहीं किया गया है? (ग) किसानों की बकाया राशि का भुगतान कब तक कर दिया जायेगा?

खाद्य मंत्री ( श्री बिसाहूलाल सिंह ) : (क) खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 में ई-उपार्जन पोर्टल पर पंजीकृत किसानों से समर्थन मूल्‍य पर बाजरा का उपार्जन सहकारी समितियों द्वारा किया गया है। (ख) समर्थन मूल्‍य पर उपार्जित बाजरा का स्‍वीकृत मात्रानुसार कृषकों को भुगतान किया जा चुका है। शेष प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता। (ग) प्रश्नांश (ख) के उत्‍तर के परिप्रेक्ष्‍य में प्रश्‍न उपस्थित                                         नहीं होता।

          श्री मेवाराम जाटव:- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मुझे विधान सभा में बोलने का दूसरी बार मौका प्रश्‍न के माध्‍यम से मिला है और यह मौका आपकी असीम अनुकम्‍पा से मिला है. क्‍योंकि आपने प्रथम बार के चुनकर आये विधायकों की तकलीफ को महसूस किया है, जिसके चलते आपने नये विधायकों के लिये नवाचार प्रारंभ कर नये विधायकों के तारांकित प्रश्‍न सोमवार को शामिल करने का निर्णय लिया है. इसके कारण ही आज मेरा प्रश्‍न चर्चा में आया है और मैं अपेक्षा करता हूं यह व्‍यवस्‍था आगे भी बनी रहे.

          अध्‍यक्ष महोदय, मेरा प्रश्‍न भिण्‍ड, मुरैना जिले की उपज बाजरा के उपार्जन का भुगतान किये जाने से संबंधित है, क्‍योंकि जिस समय मैंने यह प्रश्‍न लगाया था, उस समय किसानों के बेचे गये बाजरे की राशि का भुगतान नहीं हुआ था. अब मेरे प्रश्‍न लगाये जाने के बाद सरकार सक्रिय हुई किसानों को बाजरे की राशि का भुगतान किया गया, जैसा कि प्रश्‍न के उत्‍तर में बताया गया है. मैं मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि इस प्रकार से सरसों, गेहूं,चना आदि फसलों का समय-सीमा में भुगतान किये जाने की व्‍यवस्‍था सुनिश्चित की जायेगी, क्‍योंकि पिछले वर्ष मैंने देखा कि किसानों को 6- 6 माह तक वि‍क्रय की गयी उपज का भुगतान नहीं किया गया था. क्‍या आगामी उपज गेहूं, चना और सरसों आदि का किसानों द्वारा विक्रय की उपज का भुगतान निश्चित समय-सीमा में किया जायेगा ?

     श्री बिसाहूलाल सिंह:- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय सदस्‍य ने जो बाजरा के संबंध में प्रश्‍न किया था, हमने सभी किसानों का भुगतान कर दिया था और दूसरा जो माननीय सदस्‍य का सुझाव है कि चाहे गेहूं हो,चना हो या अन्‍य फसल हो सब किसानों का समय-सीमा में भुगतान किया जायेगा.

          श्री मेवाराम जाटव:- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपका संरक्षण चाहता हूं कि मैंने विधान सभा में तारांकित प्रश्‍न भी लगाया  और ध्‍यानाकर्षण भी लगाया है. मेरे गोहद विधान सभा के संबंध में, मैंने माननीय मंत्री जी जल संसाधन से भी बात की. लेकिन आज तक पूरी गेहूं फसल सूख गई है. अभी वहां धरना प्रदर्शन चल रहा है.

गर्भगृह में प्रवेश एवं वापसी

श्री मेवाराम जाटव सदस्य द्वारा गर्भगृह में प्रवेश एवं वापसी

            श्री मेवाराम जाटव--अध्यक्ष महोदय, इस समस्या को लेकर के मैं विधान सभा में धरने पर बैठ रहा हूं ताकि इस समस्या का समाधान किया जाये.

           (तारांकित प्रश्न संख्या 5 किसानों के उपज का भुगतान संबंधी प्रश्न पर श्री मेवाराम जाटव, सदस्य द्वारा शासन के उत्तर से असंतुष्ट होकर गर्भगृह में आकर धरना दिया) डॉ. गोविन्द सिंह, सदस्य की समझाइश पर थोड़ी देर में अपने आसन पर वापस गये.

 

 

 

तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर (क्रमशः)

          आपकी सरकार आपके द्वार कार्यक्रम अंतर्गत शिविरों का आयोजन

[राजस्व]

6. ( *क्र. 4645 ) श्री आलोक चतुर्वेदी : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि                                              (क) आपकी सरकार आपके द्वार कार्यक्रम के अंतर्गत छतरपुर विधानसभा के ग्रामीण क्षेत्रों में कहां एवं किन-किन दिनांक को शिविरों का आयोजन किया गया? (ख) प्रश्नांश (क) के अनुक्रम में इन शिविरों में प्राप्त आवेदन एवं उन पर की गई कार्यवाही तथा प्रत्येक आवेदक का नाम, पता सहित विस्तृत जानकारी प्रदाय करें। (ग) प्रश्नांश (ख) के अनुक्रम में प्रश्न दिनांक तक लंबित आवेदनों की संख्‍या कारणों सहित प्रदाय करें

राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) छतरपुर विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत शासन के निर्देश के अनुक्रम में आपकी सरकार आपके द्वार कार्यक्रम ग्राम पंचायत सुकवां एवं ग्राम पंचायत पडरिया में क्रमश: दिनांक 01.08.2019 एवं दिनांक 28.01.2020 को आयोजित किये गये। (ख) प्रश्‍नांश (क) के अनुक्रम में जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) प्रश्नांश (ख) के अनुक्रम में प्रश्‍न दिनांक तक ग्राम पंचायत सुकवां में कुल प्राप्‍त 214 आवेदन पत्रों में से 21 आवेदन पत्र का तत्‍काल निराकरण किया गया एवं 184 आवेदन पत्रों का शिविर उपरांत निराकरण किया गया। शेष 9 आवेदन पत्र लंबित स्थिति में हैं। ग्राम पंचायत पडरिया में कुल प्राप्‍त 246 आवेदन पत्रों में से 24 आवेदन पत्रों का तत्‍काल निराकरण किया गया एवं 51 आवेदन पत्रों का शिविर उपरांत निराकरण किया गया। 171 आवेदन पत्र लंबित स्थिति में हैं। प्राप्‍त आवेदन पत्रों का संबंधित विभागों द्वारा सत्‍यता परीक्षण कराये जाने के कारण आवेदन पत्र लंबित हैं।

          श्री आलोक चतुर्वेदी--अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न आपकी सरकार आपके द्वार कार्यक्रम के तहत है उसमें जो प्रकरण आये उसमें दो कैम्प हुए. दोनों कैम्प दिनांक 19-20 को हुए.   उसमें प्रकरण आज की तारीख तक लंबित हैं. जो जानकारी जिले में मांगी जाती है उसमें जवाब मिलता है कि प्रचलन में है और सदन में जानकारी मांगी जाती है तो वही जिले की जानकारी जो इसमें मिल रही है. मैं कई उदाहरण दे सकता हूं कि वह असत्य है. दूसरा इसमें पुनः जवाब में आ गया है कि सत्यता का परीक्षण कराये जाने के कारण आवेदन-पत्र लंबित हैं. पहले वहां प्रचलन में चलती रही और अब यहां सत्यता का प्रमाण तलाशा जा रहा है उसका परीक्षण कराया जा रहा है उसमें एक डेढ़ साल में आपकी सरकार आपके द्वार के कार्यक्रम में जो प्रकरण लंबित रहे उसमें आज तक निराकरण नहीं हो पाया. दूसरी तरफ शासन यह कहता है कि हम अंतिम छोर के अंतिम व्यक्ति तक राहत पहुंचाने का काम कर रहे हैं. मेरा प्रश्न यह है कि इसमें निराकरण क्यों नहीं हुए हैं ? और जो निराकरण नहीं हुए हैं उसमें बहुत छोटे छोटे प्रकरण हैं जैसे फोती नामांतरण आपके बी.पी.एल. से संबंधित जो कैम्प में आपके यहां पर आवेदन आये उसका निराकरण एक डेढ़ साल में नहीं हो सकता है तो क्या कर्मचारियों एवं अधिकारियों की जवाबदेही तय नहीं होनी चाहिये, जबकि हम सुशासन की बात करते हैं ? जैसे पटवारी हैं, सचिव है.

          श्री गोविन्द सिंह राजपूत--अध्यक्ष महोदय, आपकी सरकार आपके द्वार कार्यक्रम में ग्राम पंचायत सुकवां एवं पडरिया में कैम्प लगाये गये थे जिसमें 460 आवेदन प्राप्त हुए थे. प्राप्त आवेदनों में 45 आवेदन का शिविर में उसी दिन निराकरण हो गया था. 235 आवेदनों का निराकरण बाद में किया. 180 आवेदन निराकरण के लिये लंबित थे उसमें 124 आवेदनों का निराकरण हो चुका है. केवल 56 आवेदन लंबित हैं, जिन पर कार्यवाही की जा रही है. इसमें क्या होता है कि बहुत सारे आवेदन बी.पी.एल.के आते हैं. बी.पी.एल. के आवेदन के लिये अपील करने का एस.डी.ओ.के यहां पर अधिकार है, उसमें आप दे दें. उसमें भी बहुत कम आवेदन बचे हैं माननीय सदस्य जी कह रहे हैं तो उसमें कार्यवाही कर लेंगे.

          श्री आलोक चतुर्वेदी--अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने बताया. मैं उनके संज्ञान में लाना चाहता हूं.

          अध्यक्ष महोदय--आपके पास इस तरह के आवेदन हों तो बतायें.

          श्री आलोक चतुर्वेदी--अध्यक्ष महोदय, मैं इस तरह के आवेदन नहीं बता रहा हूं. इसका जवाब बता रहा हूं कि जवाब में क्या मिला है. जवाब में है कि पंच का मानदेय का भुगतान किया गया उसके खाते की मेरे पास में नकल है. आज की तारीख में उनके खाते में पैसा नहीं पहुंचा है. तो इस तरह का जवाब सदन में सदस्य को मिलना, यह एक सोचनीय विषय है कि गलत जानकारी दी जायेगी. मैं दूसरा उदाहरण देता हूं कि आशाराम पाठक के नाम पर...

          अध्यक्ष महोदय--इसमें दो बाते हैं. आप जिस तरह की समस्या बता रहे हैं उसको आप लिखकर के दे दें कि आप जिस तरह की समस्या बता रहे हैं उसका निराकरण कर लेंगे. दूसरे जो विधान सभा में असत्य जानकारी दी जा रही है, उसमें भी दूसरे नियम हैं.

          श्री आलोक चतुर्वेदी--अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन केवल इतना है कि डेढ़ साल में जो कार्यवाही नहीं हुई है जो कर्मचारी अधिकारियों की जवाबदेही है, उन पर मंत्री जी कार्यवाही करें तथा उनकी निश्चित रूप से जवाबदेही तय होनी चाहिये. मेरा केवल इतना अनुरोध है.

          श्री गोविन्द सिंह राजपूत--अध्यक्ष महोदय, मात्र 56 प्रकरण रह गये हैं जिनका जल्दी से जल्दी निपटारा किया जा रहा है. माननीय सदस्य जी को किसी विशेष प्रकरण पर सुझाव है तो मुझे लिखकर के दे दें. मैं आपसे लिखित में लेकर के उसकी जांच करवा लूंगा.

                                                                                                         

ब्यावरा विधानसभा क्षेत्रांतर्गत रेत खनन हेतु स्‍वीकृत पटटे

[खनिज साधन]

          7. ( *क्र. 1443 ) श्री रामचन्‍द्र दांगी : क्या खनिज साधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) राजगढ़ जिले की ब्यावरा विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत जो रेत खनन की जा रही है, उसमें ठेकेदार को खनन हेतु कुल कितने पट्टे हैं? रकबा नंबर व स्थान सहित जानकारी उपलब्ध कराएं।   (ख) ठेकेदार द्वारा अलग-अलग किन स्थानों पर से कितनी-कितनी रॉयल्टी जमा की गई है व ठेकेदार द्वारा ठेका प्रारंभ से आज तक कुल कितनी रसीद ठेकेदार द्वारा काटी गई है? रकबा नंबर सहित जानकारी उपलब्ध कराएं? (ग) क्या पर्यावरण की स्वीकृति ठेकेदार के पास है? (घ) क्या ठेकेदार द्वारा डुप्लीकेट रसीद जारी की जा सकती है? यदि नहीं, तो क्‍या उक्त रसीदों की जाँच करवाई जाएगी।

        खनिज साधन मंत्री ( श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ) : (क) प्रश्‍नाधीन विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत रेत खदानों की जानकारी संलग्न परिशिष्‍ट पर दर्शित है। इनमें से ग्राम बेराड की खदान संचालित है। (ख) ठेकेदार द्वारा राजगढ़ जिला रेत समूह के खदानों की ठेके की देय किश्‍त राशि (रॉयल्‍टी सहित) 1.74 करोड़ जमा की गई है। संचालित रेत खदान ग्राम बेराड खसरा क्रमांक 239 रकबा 4.000 हेक्‍टेयर क्षेत्र पर 351 ई-टीपी जारी की गई है। (ग) प्रश्नांश (ख) में उल्‍लेखित संचालित रेत खदान की पर्यावरण स्‍वीकृति प्राप्‍त है। (घ) जी नहीं। प्रश्नांश (ख) में उल्‍लेख अनुसार सेण्‍ड पोर्टल से ई-टीपी जारी की गई है। अत: जाँच किये जाने का प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता।

परिशिष्ट - "दो"

 

          श्री रामचन्‍द्र दांगी - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा प्रश्‍न राजगढ़ जिले में अवैध उत्‍खनन को लेकर है. राजगढ़ जिले में इस समय, पूरे जिले में सारी नदियों में अवैध उत्‍खनन हो रहा है. मुझे लगता है कि सरकार ने लूट की खुली छूट दे रखी है. मैने प्रश्‍न किया है कि कितनी कितनी जगह दी है तो उन्‍होंने कहा कि एक बेराड खदान पर काम चल रहा है, जबकि मैं कह सकता हूं कि सारी नदियों पर जितनी भी जगह है वहां सारी खदानों पर इस समय अवैध मशीनें चल रही हैं और पूरा जिला, जिला प्रशासन, कलेक्‍टर और खनिज अधिकारी मिले हुए हैं. दूसरी बड़ी समस्‍या यह है कि वहां छोटे छोटे किसान ट्रेक्‍टर लेकर के अपने कामों के लिए रेत लाते हैं और उनको पुलिस भी पकड़ती हैं और राजस्‍व विभाग के लोग भी पकड़ते हैं, दिन रात उनको पकड़ने के लिए घूमते रहते हैं, चूंकि वहां जिला प्रशासन उनको पकड़ने के बाद में 25 से 30 हजार रूपए का जुर्माना लगाते हैं, तो बीच में ही पुलिस और राजस्‍व वाले लोग उनसे 5-5, 10-10 हजार रूपए लेकर छोड़ते हैं. मेरा प्रश्‍न यह है कि उन्‍होंने कहा है कि एक ही खदान चल रही है, जबकि पूरे जिले में, ब्‍यावरा विधान सभा में हर नदी पर अवैध मशीनें चल रही है. हमने कई बार कलेक्‍टर को बोला, खनिज अधिकारी को बोला है, लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं है. मेरा अनुरोध है कि उसकी जांच की जाए और उनक खिलाफ कार्यवाही की जाए.

          श्री बृजेन्‍द्र प्रताप सिंह - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय सदस्‍य ने जो प्रश्‍न किया था वह जिले का न करके ब्‍यावरा का किया था, लेकिन जिले की उन्‍होंने बात कही है. ब्‍यावरा में इनकी एक खदान जो मैंने अपने जवाब में दिया हूं कि जो बेराड खदान है, वह इनके ब्‍यावरा विधान सभा के अंतर्गत चल रही है. दूसरी जो खदान है वह सारंगपुर में सईदाबाद जो अभी चालू हुई है, कल ही उसमें टी.पी. जारी हुई है. मैं यह मानता हूं कि वहां पर जो काम चल रहे हैं, वह वैधानिक रूप से चल रहे हैं, उसमें कोई भी अनियमितताएं नहीं हो रही हैं, सफल निविदाकार वहां पर कार्य कर रहे हैं.

          श्री रामचन्‍द्र दांगी - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मंत्री जी बेराड़ की बात कर रहे हैं, ब्‍यावरा विधान सभा में सेमलापार, रामगढ़ कई नदियों पर अवैध उत्‍खनन चल रहा है, मेरे पास फोटोग्राफ भी है. दूसरा जो ठेकेदार है वह नकली रसीदें दे रहा है, और नकली रसीदों से वसूल कर रहे हैं, ओरिजनल रसीद नहीं दे रहा है, उसके भी मेरे पास प्रमाण है.

          अध्‍यक्ष महोदय - आप यह सब मंत्री जी को दे दीजिए.

          श्री रामचन्‍द्र दांगी - मैं अनुरोध करुंगा कि उसकी जांच करायी जाए. मंत्री जी से चाहूंगा कि क्‍या वे आश्‍वासन देंगे जांच करवाने का, अवैध खनन रोकेंगे क्‍या.

          श्री बृजेन्‍द्र प्रताप सिंह - माननीय अध्‍यक्ष जी, सरकार अवैध उत्‍खनन पर पूरा काम कर रही है. मैंने ब्‍यावरा और राजगढ़ जिले के भी प्रकरण बनाए हैं. यदि माननीय सदस्‍य कहेंगे तो हम उसको दिखवा लेंगे. जहां तक वह पर्ची की बात है वह लोडिंग पर्ची है, जो वह खदान में जाने के लिए दी जाती है, लेकिन जैसे ही गाड़ी निकलती है, वह ई.टी.पी. के माध्‍यम से जनरेट होकर उसको पिटपास दिया जाता है. लेकिन इसके बाद भी यदि माननीय सदस्‍य को ऐसा लगता है और ऐसी कोई जानकारी उनके पास हो तो हमें उपलब्‍ध करवा दें, हम उसका परीक्षण करवा देंगे.

          श्योपुर विधानसभा क्षेत्रांतर्गत नवीन सायलो केन्द्र की स्‍थापना

[खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्‍ता संरक्षण]

          8. ( *क्र. 3535 ) श्री बाबू जण्‍डेल : क्या खाद्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला श्योपुर की विधानसभा क्षेत्र श्योपुर में गेहूं की फसल की बम्पर पैदावार को देखते हुये क्या नवीन गेहूं खरीदी केन्द्र/सायलोकेन्द्र प्रस्तावित किये गये हैं? यदि हाँ, तो कहां-कहां पर? सूची उपलब्ध करावें यदि नहीं, तो क्यों? (ख) क्या श्योपुर वि.स. क्षेत्र के कृषक साइलोकेन्द्र नागदा, सलमान्या से भौगोलिक दृष्टि से दूर करीब सैकड़ों ग्रामों के कृषकों को अपनी उपज विक्रय करने के लिये पन्द्रह से बीस किलोमीटर दूर से उक्त दोनों साइलो केन्द्रों के उबड़-खाबड़ सड़कों से होकर अपनी गेहूं की उपज विक्रय के लिये जान जोखिम में डालकर आना जाना पड़ता है तथा नागदा सायलो केन्द्र पर चम्बल नहर के खराब रास्ते के कारण विगत वर्षों में किसानों के ट्रेक्टर ट्रॉली नहर में गिरने से किसानों के मरने की घटना घटित हुई है? क्या उपज बेचने में करीब 2 से 4 दिन का समय लगता है, जिससे उन्हें अतिरिक्त भाड़ा भी चुकाना पड़ता है एवं कृषकों को लाभ की बजाय हानि हो रही है? (ग) यदि हाँ, तो उक्त वर्णित समस्याओं के समाधान के लिये शासन/प्रशासन द्वारा कोई योजना एवं तैयारी की गयी है? यदि हाँ, तो क्या? यदि नहीं, तो कारण बतावें (घ) कृषकों की समस्याओं के समाधान हेतु क्या शासन प्रशासन विगत वर्ष 2020-21 की भांति वि.स. श्योपुर में संचालित साइलो केन्द्र नागदा एवं सलमान्या से पृथक कर नवीन संचालित किये गये खरीदी केन्द्र जलालपुरा, आसीदा, गोहेड़ा, सोईकलां, नागरगांवड़ा तथा नयागांव तेहखण्ड, बोरदादेव, लुहाड़, यथावत रखेंगे? यदि हाँ, तो सूची उपलब्ध करावें? यदि नहीं, तो क्यों?

 

 

 

 

 

 

खाद्य मंत्री(श्री बिसाहूलाल सिंह) -

          श्री मनोज चावला - पूरे रतलाम जिले में अवैध खनन ठेकेदारों द्वारा कराया जा रहा है और सारे अधिकारियों से मिलीभगत है, हर महीने सबका बंधा हुआ है, क्षिप्रा और चम्‍बल में पूरा खनन किया जा रहा है.

          श्री बाबू जण्‍डेल - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपका संरक्षण चाहता हूं. मेरे द्वारा चाही गई जानकारी तारांकित प्रश्‍न 3535 के जवाब में मंत्री महोदय द्वारा जवाब में कहा गया कि उक्‍त प्रश्‍न की जानकारी संकलित की जा रही है. जानकारी कब तक दी जाएगी, जबकि हमारे श्‍योपुर क्ष्‍ोत्र में गेहूं की बम्‍पर खेती है, हमारे यहां गेहूं और धान के अलावा न उद्योग न ही नौकरी का कोई चारा नहीं है. बम्‍पर खेती होने के कारण हमारे क्षेत्र में दो सायलो केन्‍द्र हैं. ये 30 से 35 किलोमीटर की दूरी पर है और सड़क उबड़-खाबड़ है, इसके कारण एक किसान की 2018-19 में मौत हो चुकी है जिसमें माननीय मंत्री जी ने जवाब दिया कि इसमें कोई किसान की मौत नहीं हुई है. नईदुनिया में खबर दी है कि चन्‍दपुरा निवासी भूपेन्‍द्र सिंह 36 साल, पुत्र विजय सिंह नागर बुधवार गेहूं बेचने नागदा सायलो केन्‍द्र आया था नम्‍बर नहीं आने के कारण दो दिन से ट्रेक्‍टर ट्राली को कतार में खड़ा करके अपनी बारी का इंतजार कर रहा था. माननीय से निवेदन है कि हमारे श्‍योपुर में दो सायलो केन्‍द्र स्‍थापित किए गए हैं, मैं माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि स्‍थापित किए गए हैं या नहीं और 2018-19 में मेरे द्वारा जो 37 संस्‍था बढ़ाई गई थी तो वह संस्‍था स्‍थगित रहेगी या स्‍वीकृत रहेगी.

           

          अध्‍यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी, दोनों प्रश्‍नों के उत्‍तर दें.

          श्री बिसाहूलाल सिंह - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमारा एक केन्‍द्र खरीदी का है, शासन के नियम के अनुसार 25 किलोमीटर के अन्‍दर होना चाहिए जबकि 15 किलोमीटर पर एक खरीदी केन्‍द्र है और जहां तक यह जो मृत्‍यु की घटना है. मैं माननीय सदस्‍य को बताना चाहूँगा कि लोक निर्माण विभाग के प्रश्‍न पर, हमारे लोक निर्माण विभाग के माननीय मंत्री जी ने आश्‍वस्‍त किया है कि जो नहर के किनारे, जहां पर रोड बनी है, वहां पर रोड को स्‍वीकृत किया जायेगा तो यह काम प्राथमिकता पर लोक निर्माण विभाग करेगा. जहां तक मृत्‍यु का प्रश्‍न है तो कोई भी व्‍यक्ति हमारी जानकारी में ऐसा नहीं है कि गेहूँ बेचते समय उसकी मृत्‍यु हुई हो. दूसरी बात, मैं माननीय सदस्‍य को बताना चाहूँगा कि 15 किलोमीटर में ही गेहूँ बेचने का प्रावधान है और वहां ही हमने केन्‍द्र बनाया है. यह कहना गलत है कि 15 किलोमीटर अगर कोई किसान गेहूँ बेचने जाता है तो उसको 4 दिन लगते हैं. उसको 4 दिन नहीं लगते हैं बल्कि एक-डेढ़ दिन में वह वहां जाकर गेहूँ बेच सकता है.

          श्री बाबू जण्‍डेल - मान्‍यवर, मैं मंत्री महोदय जी से पूछना चाहता हूँ कि सायलो के लिये किसान किराये से ट्रेक्‍टर लाते हैं, उनको 4 दिन का किराया लगता है. उसका कारण यह है कि जो सायलो वाले रिजेक्‍ट कर देते हैं और वे किसानों से परसेंट मांगते हैं, प्रति ट्रॉली 1,000 - 2,000 रुपये मांगते हैं, जो किसान उन्‍हें नहीं देते हैं, उनका रिजेक्‍ट किया जाता है, फिर उनका तीन-चार दिन में नंबर लगता है.

          अध्‍यक्ष महोदय - माननीय सदस्‍य जी, आपका उत्‍तर आ गया है.

          श्री बाबू जण्‍डेल - अध्‍यक्ष महोदय, जो दुर्गति किसान की हुई है, यह उसका प्रमाणिकरण है एवं रोड के लिये जो माननीय मंत्री जी ने स्‍वीकृति दी है, उसके लिये मैं उनको धन्‍यवाद देता हूँ. अगर रोड नहीं सुधरी तो फिर किसानों की मृत्‍यु हो सकती है.

 

बौद्ध विहार हेतु भूमि का आवंटन

[राजस्व]

        9. ( *क्र. 4465 ) श्री अर्जुन सिंह काकोडि़या : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्‍नकर्ता के पूर्व तारांकित प्रश्‍न क्र. 460, दिनांक 29.2.2020 के प्रश्नांश (क) में जानकारी दी गयी थी कि ग्राम भरवेली जिला बालाघाट में माईन लीज़ की अवधि 2020 तक होने से बौद्ध विहार हेतु भूमि आवंटित नहीं की जा सकती? उक्‍त अवधि उपरान्‍त क्‍या वर्ष 2021 में भूमि आवंटन हेतु शासन द्वारा कोई कार्यवाही की गई है? (ख) यदि हाँ, तो कब तक भूमि आवंटित की जाएगी? यदि नहीं, तो क्‍या? इसके लिये पुन: मांग पत्र अनुशंसा पत्र प्रस्‍तुत करने होंगे?

        राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) जी नहीं। आवेदित भूमि पर माईन लीज़ दिनांक 30.06.2022 तक स्‍वीकृत है। शेष प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता। (ख) प्रश्‍नांश (क) के उत्‍तर के परिप्रेक्ष्‍य में प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता।

          श्री अर्जुन सिंह काकोडि़या - माननीय अध्‍यक्ष जी, बहुत-बहुत धन्‍यवाद. मेरा बौद्ध समाज की भावनाओं से जुड़ा हुआ एक बड़ा महत्‍वपूर्ण प्रश्‍न है, उसका जो जवाब मुझे मिला है, ऐसा लग रहा है कि उसको गंभीरता के साथ नहीं लिया गया है. मैं उस जवाब से असंतुष्‍ट हूँ.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय जी, भरवेली जहां माइन्‍स हैं, वहां नवयुवक बौद्ध समिति के लोगों ने एक बौद्ध विहार की मांग की थी, वे बाबा साहेब अम्‍बेडकर और गौतम बुद्ध के अनुयायी हैं, बहुत बड़े मंदिर के निर्माण की बात नहीं थी, उनको एक छोटी सी जगह चाहिए थी और इस संबंध में, वहां से हमारे सम्‍माननीय एवं माननीय लोगों के भी पत्र हैं,. बालाघाट के सम्‍माननीय सांसद जी ने भी अनुरोध किया था, हमारे पूर्व खनिज मंत्री सम्‍माननीय श्री प्रदीप जायसवाल जी ने भी लिखा था, हमारे वर्तमान माननीय मंत्री नानू कावरे जी हैं, इन्‍होंने भी अनुरोध किया था, खनिज विभाग से भी पत्र आया था. राजस्‍व विभाग से पत्र आया था कि इनको वहां पर बौद्ध विहार के लिये जमीन आवंटित की जाये.

          अध्‍यक्ष महोदय - माननीय सदस्‍य, आप प्रश्‍न कीजिये. 

          श्री अर्जुन सिंह काकोडि़या - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा प्रश्‍न यह है कि अभी  बालाघाट के सांसद जी ने जो पत्र लिखा, माननीय मंत्री महोदय और माननीय विधायकों ने जो पत्र लिखे, राजस्‍व विभाग से जो पत्र आया, खनिज विभाग से जो पत्र आया, उसके ऊपर कोई भी कार्यवाही क्‍यों नहीं की गई है ? और अभी वहां वर्तमान में काफी मंदिर भी हैं, कुछ जगह अवैध निर्माण भी हो रहा है लेकिन इन्‍हें सिर्फ यह कहकर कि माइन्‍स लीज में होने के कारण यह जमीन आपको आवंटित नहीं की जा सकती है, यह गलत है तो अभी तक जमीन आवंटित क्‍यों नहीं की गई ?

 श्री गोविन्‍द सिंह राजपूत -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय सदस्‍य द्वारा भखेली की जिस भूमि पर मंदिर बनाने के लिये जो प्रश्‍न किया गया है, उस जगह की माइनिंग लीज मैग्‍नीज ऑफ इंडिया लिमिटेड को वर्ष 1962 में दी गई थी, जिसकी लीज अभी वर्ष 2022 तक है. इस प्रकार से जो लीज किसी कंपनी के नाम पर है, उसमें मैं समझता हूं कि किसी अन्‍य चीज को बनाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है.

श्री अर्जुन सिंह काकोडि़या -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जिस जमीन की बात माननीय मंत्री महोदय कर रहे हैं, वह अभी रिक्‍त पड़ी हुई है और वहां पर लीज की जो जमीन है, वहां पर दूसरे धर्मों के मंदिर स्‍थापित है और दूसरे भवनों का भी निर्माण हो रहा है. उसमें संबंधित जिले के तहसीलदार का भी प्रतिवेदन है कि वहां पर दिया जा सकता है, क्‍योंकि वहां एक बहुत बड़ा मंदिर नहीं बनना है. एक बौद्ध बिहार जहां पर वह धर्म की बात करेंगे, प्रार्थना की बात करेंगे तो यह बड़ा गंभीर विषय है. इसलिये मैं चाहता हूं कि यह लीज के तहत भी दिया जा सकता है तो इसमें आप जरा स्‍पष्‍ट निर्देश दे दें.

श्री गोविन्‍द सिंह राजपूत -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जब कोई भी जगह किसी पर्टिकुलर कंपनी की है, उसमें अगर मंदिर का निर्माण कर भी लिया है तो वैसे भी वह अवैध है, अब चूंकि हो गया है तो वह वैध नहीं है, लेकिन अब माननीय सदस्‍य चाहते हैं कि उसके लिये जगह आव‍ंटित की जाये तो वह जगह माइनिंग लीज समाप्‍त होने के बाद बौद्ध बिहार हेतु जो मंदिर माननीय सदस्‍य चाहते हैं, उस पर हम विचार करेंगे.

श्री अर्जुन सिंह काकोडि़या -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय.

अध्‍यक्ष महोदय -- अब हो गया है, आप बैठ जायें, उन्‍होंने सीधा बता दिया है कि वह कब करेंगे.

 

 

 

सागर जिले की बीला बांध परियोजना निर्माण कार्य की जाँच

[जल संसाधन]

          10. ( *क्र. 5289 ) श्री तरबर सिंह : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या विषयांकित नहर का निर्माण कार्य स्‍वीकृत सर्वे व डिजाइन ड्राईंग के अनुसार पूर्ण हुआ है? क्‍या शासन इस तथ्‍य का सत्‍यापन करेगा कि नहर का निर्माण स्‍वीकृत डिजाइन ड्राईंग के अनुसार ही हुआ है? (ख) क्‍या बीला पोषक नहर का स्‍वीकृत डिजाइन के अनुसार जमीन पर वास्‍तविक निर्माण नहीं किया गया है, केवल कागजों में नियमों की पूर्ति की गई है, इस कारण से बांध में योजना के अनुसार जल संग्रहण नहीं हो रहा है? निर्माण में भारी पैमाने पर भ्रष्‍टाचार व सरकारी धन की बर्बादी हुई है? यदि हाँ, तो क्‍या सरकार इन आरोपों की जाँच कराएगी? यदि हाँ, तो कब तक?

          जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) जी हाँ। बीला बांध एवं नहर परियोजना का निर्माण कार्य वर्ष 1973 में पूर्ण किया गया था। सामान्य वर्षा की स्थिति में परियोजना से निर्मित क्षमता के अनुरूप सिंचाई की जा रही है। विगत पांच वर्षों में की गई सिंचाई की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र '''' अनुसार है। (ख) जी नहीं। बीला पोषक नहर का निर्माण बीला बांध के भराव हेतु किया जाना प्रतिवेदित है। बीला पोषक नहर से विगत वर्षों में बांध में जल संग्रहण की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र "ब" अनुसार है। बीला पोषक नहर निर्माण के संबंध में लोकायुक्‍त संगठन को प्राप्‍त शिकायत में उल्‍लेखित अभिकथन सही नहीं पाये जाने से प्रकरण संगठन स्‍तर पर दिनांक 20.03.2018 को समाप्‍त किया गया। अत: शेष प्रश्‍नांश उपस्थित नहीं होता है।

परिशिष्ट - "तीन"

श्री तरबर सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरे विधानसभा के अंतर्गत वर्ष 1980 के पहले एक बीला बांध बनाया गया था और लगातार कम वर्षा होने के कारण वह भर नहीं रहा था, जिससे किसानों को पानी नहीं मिल रहा था, उस चीज को लेकर वर्ष 2013-14 में एक बीला पोषक नहर का निर्माण कराया गया था, जो कि वास्‍तव में जिस उद्देश्‍य को लेकर नहर का निर्माण कराया गया था, उस उद्देश्‍य के हिसाब से उसका काम नहीं हुआ है. मैं आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री महोदय जी से पूछना चाहता हूं कि इसमें जो भ्रष्‍टाचार हुआ है, क्‍या इसकी वह जांच करायेंगे और क्‍या उसमें सम्मिलित अधिकारी और ठेकेदार उनके ऊपर क्‍या कार्यवाही करवायेंगे?

श्री तुलसीराम सिलावट -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं सम्‍माननीय सदस्‍य को मैं स्‍पष्‍ट कराना चाहता हूं कि तत् को दृष्टिगत रखते हुए वर्ष 2011 में बीला जलाशय से लगभग 30 किलोमीटर दूरी पर बाकरई नदी पर वेयर स्‍टाप डेम बनाकर नदी के पानी को रोका गया तथा लगभग 26 किलोमीटर की लंबी पोषक नहर बनाकर नदी के लगभग 16 एम.सी.एम. पानी को बीला जलाशय में डालने की योजना बनाई गई, ताकि जलाशय की क्षमता का पूर्ण उपयोग किया जाकर सिंचाई के लिये अधिक से अधिक पानी उपलब्‍ध कराया जा सके. यह योजना वर्ष 2016 में पूर्ण हो चुकी थी.         

माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जहां तक माननीय सदस्‍य ने भ्रष्‍टाचार की बात है,तो इस संबंध में मैं आपके माध्‍यम से बताना चाहता हूं कि बीला पोषक नहर की योजना में न तो किसी प्रकार का भ्रष्‍टाचार हुआ है और न ही किसी प्रकार से शासकीय धन की बर्बादी हुई है. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से सदन को बताना चाहता हूं कि इस योजना के भ्रष्‍टाचार के संबंध में प्राप्‍त एक शिकायत की जांच लोकायुक्‍त संगठन द्वारा की गई थी, जो असत्‍य पाये जाने पर         दिनांक-20-03-2018 को नस्‍तीबद्ध कर दी गई है, इससे इस तथ्‍य की पुष्टि होती है कि इस योजना में किसी प्रकार की अनियमितताएं नहीं की गई हैं.

श्री तरबर सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी को अधिकारियों ने जो जानकारी दी है वह गलत है, वास्‍तव में उस नहर के माध्‍यम से जो बाकरई नदी को काटकर, यह जो बीला पोषक नहर बनाई गई है, उसका जितना पानी जैसा कि माननीय मंत्री महोदय ने बोला है कि 18 एम.सी.एम. पानी उसके माध्‍यम से बीला बांध तक पहुंचाया जाना था लेकिन उतना पानी नहीं जा रहा है, क्‍योंकि उसमें जितनी खुदाई होनी थी उतनी उसकी खुदाई नहीं की गई और जहां पर जितना पुराव होना था उतना पुराव नहीं किया गया. इसमें वास्‍तव में माननीय अध्‍यक्ष महोदय, भ्रष्‍टाचार हुआ है, मैं इसकी जांच चाहता हूं.

          श्री तुलसीराम सिलावट--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से सम्‍मानीय सदस्‍य को अवगत कराना चाहता हूं कि पोषक नहर जल की प्राप्ति वर्षा की मात्रा पर निर्भर करती है, मुझसे बेहतर आपको पता है, सामान्‍य वर्षा होने पर अपेक्षित जल प्रवाहित होता है, किंतु वर्षा कम होने के कारण जल की प्राप्ति कम होती है. 26 किलोमीटर की जो पोषक नहर है, जो केचमेंट एरिया है वह किसानों के बीच में से होकर उस बांध तक पहुंचती है, इसलिये पानी की कमी का कारण है और जब लोकायुक्‍त जांच कर चुका है फिर कुछ बचता ही नहीं है.

         

 

मनावर को जिला बनाने की कार्यवाही

[राजस्व]

11. ( *क्र. 4176 ) डॉ. हिरालाल अलावा : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रश्नकर्ता द्वारा मनावर को जिला बनाने के लिए माननीय मुख्यमंत्री महोदय को पत्र सं. 610/एम.पी.-एम.एल.ए./2020, दिनांक 28.08.2020, पत्र सं. 89/एम.पी.-एम.एल.ए./2020, दिनांक  04.02.2020, पत्र सं. 63/एम.पी.-एम.एल.ए./2020, दिनांक 18.01.2020 पोस्ट एवं ईमेल द्वारा अवगत कराया गया? उक्त पत्रों पर कार्यवाही का ब्यौरा दें। (ख) जिला बनाने के लिए क्या मानक तय किए गए हैं? क्या मनावर जिला बनाने के मानकों को पूरा करता है? (ग) क्या धार जिला मुख्यालय की दूरी डही, कुक्षी, मनावर, गंधवानी तहसील क्षेत्र से 140 कि.मी. से 90 कि.मी. तक होने के कारण लोगों को काफी आर्थिक, मानसिक नुकसान उठाना पड़ता है? क्या मनावर को जिला बनाने से लोगों को इन समस्याओं से निजात मिल सकती है? (घ) क्या मनावर विधानसभा क्षेत्र के ग्राम गणपुर, मांडवी, देवलरा समेत अनेक गांव से जिला मुख्यालय धार की दूरी लगभग 90 कि.मी. से अधिक और कुक्षी विधानसभा क्षेत्र के ग्राम गांगपुर, कवड़ा, कातरखेड़ा आदि की दूरी 140 कि.मी. से अधिक है? (ड.) प्रश्नांश (क) से (घ) के परिप्रेक्ष्य में क्‍या शासन मनावर को जिला बनाने की कोई योजना बना रहा है? यदि हाँ, तो योजना का विस्तृत ब्यौरा दें यदि नहीं, तो विधिसम्मत कारण बताएं।

राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) माननीय मुख्यमंत्री कार्यालय, मध्यप्रदेश मंत्रालय, वल्लभ भवन भोपाल के पत्र क्रमांक 873/सी.एम.एस./एम.एल.ए./199/2020 भोपाल दिनांक 06.2.2020 के अनुक्रम में विभाग द्वारा मनावर को जिला बनाने के संबंध में कलेक्‍टर, जिला धार से अभिमत सहित प्रतिवेदन चाहा गया है। (ख) जिला बनाये जाने हेतु मानक निर्धारित नहीं है। प्रभावी व समुचित प्रशासन, जनसामान्‍य की सुविधा तथा संसाधनों की उपलब्‍धता के आधार पर नवीन जिलों का सृजन किया जाता है। शेष प्रश्‍नांश उदभूत नहीं होता। (ग) जी हाँ। जी हाँ। (घ) जी हाँ। (ड.) मनावर को जिला बनाने के संबंध में कलेक्‍टर जिला धार से प्रस्‍ताव/प्रविवेदन चाहा गया है। शेष प्रश्‍नांश उदभूत नहीं होता।

 

          डॉ. हिरालाल अलावा--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आज नये विधायकों को आपने यह अवसर प्रदान किया, इसके लिये धन्‍यवाद.

          अध्‍यक्ष महोदय--  सीधा प्रश्‍न करें जिससे और सदस्‍यों के भी प्रश्‍न आ जायें.

          डॉ. हिरालाल अलावा--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपके इस कदम से नये विधायकों को अवसर तो मिल ही रहा है साथ में उनका आत्‍मविश्‍वास बढ़ाने की दिशा में आपका यह प्रयास सराहनीय है. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री जी से प्रश्‍न पूछना चाहता हूं, मैंने प्रश्‍न में मनावर को जिला बनाने के संबंध में पत्राचार किया था और पूछा था कि जिला बनाने के लिये क्‍या-क्‍या क्राइटेरिया होना चाहिये और क्‍या-क्‍या मापदण्‍ड निर्धारित किये गये हैं. माननीय मंत्री जी के जवाब में 2 जनवरी को जिला कलेक्‍टर धार को पत्राचार के माध्‍यम से अभिमत चाहा गया है, उनका यह जवाब है, आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री जी को अवगत कराना चाहता हूं कि नया जिला बनाने के लिये उस क्षेत्र के ढांचागत विकास के साथ-साथ उस क्षेत्र की जनता को प्रशासनिक दृष्टि से सुविधा प्रदान करना एक प्रमुख उद्देश्‍य होता है.

          अध्‍यक्ष महोदय--  आप सीधा प्रश्‍न कीजिये.

          डॉ. हिरालाल अलावा--  मेरा प्रश्‍न यह है कि नये जिले के लिये 1 लाख हेक्‍टेयर से ज्‍यादा का रकवा होना चाहिये, हमारे विधान सभा में प्रस्‍तावित जिले का रकवा 4 लाख हेक्‍टेयर है और जो 30 किलोमीटर से ज्‍यादा की दूरी होना चाहिये, हमारे मनावर से धार की दूरी 75 किलोमीटर है.

          अध्‍यक्ष महोदय--  आप सीधा प्रश्‍न पूछें, क्‍या चाहते हैं.

          डॉ. हिरालाल अलावा--  मैं माननीय मंत्री जी से चाहता हूं कि क्‍या मनावर को जिला बनाने के लिये आने वाले समय में इसके लिये जल्‍द से जल्‍द कदम उठाये जायेंगे कि क्षेत्र की जनता को प्रशासनिक स्‍तर पर सुविधा मिल सके.

          श्री गोविन्‍द सिंह राजपूत--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मनावर को जिला बनाने के संबंध में माननीय सदस्‍य ने क्षेत्र की जनता को ध्‍यान में रखकर कलेक्‍टर, धार को पत्र लिखा है और पत्र का अभिमत सहित प्र‍तिवेदन आ जायेगा उस पर विचार कर लेंगे.

         

खरगोन विधानसभा क्षेत्रांतर्गत संचालित सहकारी संस्थाएं

[सहकारिता]

12. ( *क्र. 4692 ) श्री रवि रमेशचन्द्र जोशी : क्या सहकारिता मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) खरगोन विधानसभा क्षेत्र में सहकारिता विभाग के अधीनस्थ कितनी संस्था, सोसायटी, समितियां (आदिम जाति सेवा सहकारी संस्था) संचालित हैं? नाम, पता सहित सूचीवार जानकारी देवें (ख) उक्त संस्था, समितियां, सोसायटियों में विगत 5 वर्षों में खाद (फर्टिलाइजर) परिवहन में कितना खर्च किया गया? वर्षवार जानकारी देवें। क्या इतने खर्च में उक्त संस्था, समिति, सोसायटियों में लोन लेकर खुद का खाद गोडाउन निर्मित किया जा सकता है? यदि हाँ, तो उक्त संस्थाओं, सोसायटियों, समितियों द्वारा अभी तक क्या कोई कार्यवाही की गई है? यदि नहीं, तो क्यों? संस्था, समिति, सोसायटीवार कारण सहित जानकारी देवें। (ग) प्रश्नांश (क) अनुसार वर्तमान में सहकारिता विभाग के अधीनस्थ सस्थाओं, समितियों, सोसायटियों के जो कर्मचारी कार्यरत हैं, क्‍या उनकी नियुक्तियां नियमानुसार की गईं हैं? यदि नहीं, तो कर्मचारीवार कारण सहित विवरण देवें?  

सहकारिता मंत्री ( डॉ. अरविंद सिंह भदौरिया ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट प्रपत्र-2 अनुसार है। खरगौन विधानसभा क्षेत्र की सभी प्राथमिक संस्थाओं में पर्याप्त गोदाम एवं भण्डारण क्षमता है, इसलिये अतिरिक्त गोदाम निर्माण की आवश्‍यकता नहीं है। अतः शेष प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता है। (ग) जी हाँ। नियमानुसार नियुक्तियां की गई हैं।

परिशिष्ट - "चार"

 

          श्री रवि रमेशचन्‍द्र जोशी--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपके माध्‍यम से मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं. मेरा प्रश्‍न यह है कि क्‍या खरगोन विधान सभा क्षेत्र में सोसायटियों में खाद गोडाउनों की आवश्‍यकता नहीं है, अगर नहीं है तो हम लाखों रूपये सोसायटियों के माध्‍यम से भाड़ा क्‍यों दे रहे हैं और भाड़ा दे रहे हैं उसके साथ-साथ नये गोडाउनों का निर्माण हो रहा है, नये गोडाउनों के अलावा मेरी विधान सभा क्षेत्र का गोडाउन जहां स्‍वीकृत हुआ था उसको उठाकर और किसी विधान सभा क्षेत्र में ट्रांसफर कर दिया गया है एक, दूसरा उसी प्रश्‍न में मेरा निवेदन है कि क्‍या को-ऑपरेटिव की सोसायटियों में कई लोगों को नियम विरूद्ध वर्ष 2013 के बाद नौकरी पर रखा है, आपके द्वारा जो उत्‍तर दिया गया है कि नहीं रखा गया है, लेकिन आपके उत्‍तर में बैंक का उल्‍लेख कर दिया गया है कि बैंक में नहीं रखा. मेरा निवेदन सोसायटियों से है. अगर रखा गया है तो माननीय अध्‍यक्ष जी आपके माध्‍यम से मंत्री जी से निवेदन है कि तत्‍काल उसकी, जैसा आपने मंदसौर विधायक जी के मामले में बोला था कि एक माह में जांच करा लूंगा, फिर मैं निवेदन कर रहा हूं कि आप एक महीने में जांच करायें, दोषियों को सजा दें और उन पर कार्यवाही करें.

          डॉ. अरविंद सिंह भदौरिया--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, खरगोन विधान सभा क्षेत्र में सहकारिता विभाग के अधीनस्‍थ 15 संस्‍थायें हैं जिसमें 35 उर्वरक वितरण केन्‍द्र संचालित होते हैं. सभी अधीनस्‍थ 15 संस्‍थाओं में अधिकतम 1490 मीट्रिक टन उर्वरक का भण्डारण पाया गया लेकिन कुल मिलाकर 41 गोदाम हैं. उन गोदामों में जो क्षमता है 6540 मीट्रिक टन, तो इसीलिये वह पर्याप्त है. मुझे ऐसा लगता है. यह इनके पहले प्रश्न का उत्तर है. दूसरा माननीय विधायक महोदय ने कहा है तो कुल मिलाकर ऐसे 15 कर्मचारी रखे गये थे. तो आपको एक महीना कहने की जरूरत नहीं है माननीय जोशी जी. जैसा यशपाल सिसोदिया साहब ने कहा था. आप सभी के कहने की वजह से 10 लोगों को तत्काल हटाकर उनके लेटर बुला लिये, जो मैं आपको दे दूंगा और ऐसे 5 लोग हैं जो माननीय उच्च न्यायालय के स्टे के आधार पर हैं. मैंने उनको भी पत्र लिखा क्योंकि 2 साल हो गये. उच्च न्यायालय के स्टे में भी 6 महीने बाद पुन: उनको एक बार जाना चाहिये था, तो उनको भी पत्र लिख दिये. वह पत्र भी आपको उपलब्ध करा देंगे. जैसी माननीय विधायक जी की मंशा है. शिवराज जी की सरकार में दृढ़ संकल्पित होकर हम काम कर रहे हैं.

          श्री रवि रमेशचन्द्र जोशी - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा स्पष्ट कहना है कि उन सोसायटियों के जो दूर के गांव हैं, 8-8कि.मी. तक, उन गांवों में गोडाउन बनाने के आदेश भी आप दें.

          अध्यक्ष महोदय - आपका स्पष्ट उत्तर आ गया. कृपया बैठिये.

अवैध उत्‍खनन के प्रकरणों को कलेक्‍टर द्वारा शून्‍य/माफ किया जाना

[खनिज साधन]

        13. ( *क्र. 3291 ) श्री सुनील सराफ : क्या खनिज साधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) दिनांक‍ 01.01.2019 से 31.03.2020 तक कलेक्‍टर अनूपपुर द्वारा अवैध उत्‍खनन एवं परिवहन के कितने प्रकरणों में अवैध उत्‍खननकर्ता एवं परिवहनकर्ता को लाभ पहुंचाते हुए शून्‍य या माफ कर दिए गए हैं? (ख) ऐसे समस्‍त प्रकरणों का विवरण तथा कारण बतावें। (ग) क्‍या इनका पुनर्परीक्षण कराया जाएगा? यदि नहीं, तो कारण बतावें कि अवैध उत्‍खननकर्ताओं एवं अवैध परिवहनकर्ताओं को संरक्षण क्‍यों दिया जा रहा है?

        खनिज साधन मंत्री ( श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ) : (क) जी नहीं। (ख) एवं (ग) प्रश्नांश (क) में दिए गए उत्‍तर के परिप्रेक्ष्‍य में प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता है।

          श्री सुनील सराफ - माननीय अध्यक्ष महोदय, सर्वप्रथम आपको आभार के आपने हम प्रथम बार के विधायकों की चिंता की. आपने नवाचार किया. मेरा सवाल माननीय खनिज मंत्री जी से था. पहले भी इस सदन में यह इसके पहले भी हो चुका है. बड़े दुख का विषय है कि जवाब ऐसे आते हैं कि हमने सवाल ही गलत लगाया है. माननीय मंत्री जी का जवाब है कि जी नहीं. मेरे पास प्रमाण हैं कि हमारे अनूपुर जिले में अवैध परिवहन, अवैध उत्खनन, अवैध भण्डारण की राशि बाद में माफ की गई और शून्य की गई यह मेरे पास प्रमाण हैं क्या मंत्री जी बताने की कृपा करें कि सच्चाई क्या है और ऐसी असत्य जानकारी देने वालों पर क्या कार्यवाही करेंगे.

          श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह - अध्यक्ष महोदय, इसमें असत्य जानकारी देने का कोई औचित्य नहीं है और जहां तक इन्होंने एक टाईम पीरियेड जनवरी से मार्च तक की बात पूछी है कि कितने प्रकरण आपके निराकृत हुए हैं या रजिस्टर्ड हुए हैं तो 324 प्रकरण इसमें रजिस्टर्ड हुए हैं और 306 उसमें से निराकृत हुए हैं और उसमें अर्थदण्ड 82 लाख 26 हजार से ऊपर वसूला गया है. रही माननीय सदस्य की बात तो उसमें से 3 प्रकरण हैं जो उन्होंने शून्य की बात कही है तो शून्य नहीं उनको नस्तीबद्ध करके समाप्त किया गया है जो कलेक्टर महोदय के द्वारा किया गया है. 2 उसमें परिवहन के, एक अवैध उत्खनन का मामला है और जो कलेक्टर ने अपनी अपील में और जो उनके न्यायालय में चल रहा था तो उन्होंने डिसीजन लिया है.

          श्री सुनील सराफ - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा सवाल यही है कि कलेक्टर सक्षम है. मैंने यही पूछा था कि कितने प्रकरणों को कलेक्टर ने अपने अधिकार का उपयोग करते हुए शून्य किया है. मंत्री जी जो कह रहे हैं कि नस्तीबद्ध किया गया वह उसी की तो दूसरी भाषा हुई ना. जब जुर्माना माईनिंग विभाग ने लगाया. कलेक्टर ने आदेश पारित किया उसके बाद उसको शून्य या नस्तीबद्ध किया गया. एक प्रकरण ऐसा है जिसमें 40 लाख रुपये का आदेश कलेक्टर ने ही पारित किया बाद में उसी कलेक्टर ने उसको 1 लाख रुपये करके नस्तीबद्ध कर दिया तो क्या यह सरकारी पैसों का गबन नहीं है.

          अध्यक्ष महोदय -  कोई विशेष जानकारी होतो आप मंत्री जी को दे दीजियेगा. वे परीक्षण करा लेंगे.

          श्री सुनील सराफ - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहता हूं.

          श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह - अध्यक्ष महोदय, जहां तक  अवैध उत्खनन की बात माननीय सदस्य ने कही है कि जिसका कि 1 लाख जुर्माना हुआ था. जो माईनिंग विभाग की तरफ से प्रस्तावित किया गया उसको फिर नस्तीबद्ध किया गया है. नियम में यह प्रावधान भी है कि यदि कोई आजू-बाजू की खदान पर कोई भी अवैध उत्खनन होता है, यदि  संबंधित लीज होल्डर शिकायत करता है तो उसकी जिम्मेवारी नहीं होगी.

          श्री सुनील सराफ - माननीय अध्यक्ष महोदय, उसके ऊपर एक केस बना. 40 लाख रुपये के उस पर वसूली के आदेश जारी हुए.

          अध्यक्ष महोदय - आप जवाब ले लीजिये. वे जवाब दे रहे हैं ना.

          श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह - अध्यक्ष महोदय, वह जो केस बना उसी की सुनवाई जिला न्यायालय में कलेक्टर महोदय ने की उसमें विधिवत उनके भी बयान लिये गये. उसमें जो कार्यवाही की गई, क्योंकि यह बोला गया कि यह अवैध उत्खनन उसके द्वारा किया गया. तो उसने  एक सूचना दी,जो कि चौकी में  आपके  सूचना दी थी कि साहब  हमारे बगल में जो अवैध उत्खनन हो रहा है, उसको बंद कराया जाये.  यदि उसने सूचना दी है और अवैध उत्खनन की बात उसने कही है,तो हम यह नहीं  कह सकते हैं कि  यह उसका अवैध उत्खनन है.  जब वह खुद ही कह रहा है कि  हमारे बगल में जो अवैध उत्खनन चल रहा है, उसको बंद किया जाये और इसलिये उसकी जांच हुई, उसी पर माननीय कलेक्टर महोदय ने निराकरण किया है. यदि माननीय सदस्य जो बोल रहे हैं कि पहले 40 लाख का बना, फिर  1 लाख का हुआ.  यदि ऐसी कुछ उनके पास   चीजें, तथ्य हैं, आप मुझे  उपलब्ध करवा दें, मैं परीक्षण  करा लूंगा.

                   अध्यक्ष महोदय -- हो गया, आप दे दीजिये, वे उसका परीक्षण करा लेंगे.

                   श्री सुनील सराफ -- जी. अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.

                                 अतिवृष्टि से प्रभावित फसलों का मुआवज़ा भुगतान

[राजस्व]

14. ( *क्र. 3169 ) श्री विजय रेवनाथ चौरे : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्‍नकर्ता के विधानसभा क्षेत्र सौंसर के जिन किसानों की दिनांक 28.08.2020 एवं 29.09.2020 की अतिवृष्टि एवं भीषण बाढ़ से हानि हुई थी, उनमें से कितने किसानों को कितना प्रतिशत मुआवज़ा प्रदान किया गया? कितना अभी बाकी है? बचा हुआ मुआवज़ा कब तक दिया जायेगा? (ख) उक्‍त विधानसभा क्षेत्र सौंसर में कन्‍हान नदी तथा अन्‍य नदियों में आयी भीषण बाढ़ हजारों किसानों की फसलें तथा किसानों के खेतों से नदी द्वारा उपजाऊ भूमि खदेड़ कर ले गई, कई किसानों के खेतों में रेत के ढेर लग गये? जिम्‍मेदार प्रशासन के अधिकारी को पत्र लिखे जाने के बाद भी खेतों के गड्ढे समतलीकरण एवं रेत के ढेर हटाने की कार्यवाही क्‍यों नहीं की गयी?                                                  (ग) क्‍या अतिवृष्टि एवं भीषण बाढ़ की जानकारी प्रशासन द्वारा किसानों को पूर्व में नहीं देना चाहिए था? (घ) उक्‍त बिन्‍दुओं पर कार्यवाही कब तक की जावेगी?

राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) अतिवृष्टि एवं भीषण बाढ़ से प्रभावित कुल 3092 कृषकों को 33 प्रतिशत के मान से प्रथम किश्‍त की राहत राशि 2,02,89,476/- रूपये प्रदान की जा चुकी है। वितरण हेतु राहत राशि 4,11,93,784/- रूपये शेष है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। (ख) प्रशासन द्वारा खेतों का समतलीकरण एवं रेत के ढेर हटाने का कोई प्रावधान नहीं है।                         (ग) मौसम विभाग द्वारा समय-समय पर आम सूचनाएं जारी की जाती हैं। (घ) उत्‍तरांश (क) से (ग) के परिप्रेक्ष्‍य में शेष प्रश्‍न उ‍पस्थित नहीं होता।

 

                   श्री विजय रेवनाथ चौरे -- अध्यक्ष महोदय,   गत वर्ष मेरी विधान सभा में  अगस्त माह में भीषण बाढ़ और  आपदा के कारण   किसानों को भारी फसलों का नुकसान हुआ है.  मैंने मंत्री जी से प्रश्न पूछा था  कि कितना मुआवजा  दिया गया,  कितना बाकी है  और वह  मुआवजा कब तक  देंगे. इसके बारे में मुझे उत्तर मिला है,  मेरा सिर्फ सीधा सीधा मंत्री जी से  प्रश्न यह है कि  जो बचा हुआ किसानों का मुआवजा है, वह  कब  तक दिया जायेगा.  दूसरा प्रश्न यह है कि मेरी  विधान  सभा में पिछले साल  जो  बाढ़ आई,  90 और 95 साल के जो बुजुर्ग हैं,  वह भी यह कहते हैं कि हमने अपने जीवन काल में  इतनी भीषण बाढ़ और इतनी बड़ी त्रासदी  कभी अपने जीवन में  नहीं  देखी. इतनी बड़ी त्रासदी केवल फसल ही बहाकर नहीं  ले गई,  फसल के  साथ साथ जमीन  भी खदेड़ कर ले गई और  नदी ने दिशा बदल दी.  मैं सिर्फ इतना निवेदन करना चाहता हूं कि  जिन किसानों के खेतों में  रेत के ढेर लग गये, फसलें बर्बाद  हो गईं,  जिन किसानों के खेतों को नदी खदेड़कर ले गयी, जिन किसानों के खेतों में बड़े बड़े गड्ढे हो गये, क्या मनरेगा की योजना के माध्यम से  या किसी अन्य योजना के माध्यम से सरकार या प्रशासन के द्वारा  उनके खेत का समतलीकरण किया जायेगा. क्या किसी अन्य योजना के माध्यम से  उनकी भूमि उपजाऊ बनाई जायेगी, इस पर मुझे संतोषजनक  लिखित जवाब नहीं मिला है,  मंत्री जी यह  बताने का कष्ट करें.

                   श्री  गोविन्द सिंह राजपूत-- अध्यक्ष महोदय,  जो इन्होंने मुआवजे की बात कही है,  वह 2 करोड़ 3 लाख रुपया   मुआवजा पहले दिया जा चुका है  और  दूसरी किश्त  मुआवजे की हम जल्दी जारी कर रहे हैं, मार्च के आस पास इसी  महीने में.

                   श्री विजय रेवनाथ चौरे -- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी समय बता दें.

                   श्री  गोविन्द सिंह राजपूत-- अध्यक्ष महोदय,  मैंने कहा न कि मार्च के आस पास.  इसी महीने.

                   अध्यक्ष महोदय --प्रश्न संख्या -15       

                   श्री विजय रेवनाथ चौरे -- अध्यक्ष महोदय, मेरा एक  और प्रश्न है.  मेरे दो प्रश्न थे.

                   श्री  गोविन्द सिंह राजपूत-- अध्यक्ष महोदय,  इनके प्रश्न जायज हैं,  मैं  आपसे अनुमति चाहता हूं.  इनके यहां बहुत बड़ी बाढ़ आई थी और बाढ़ से खेतों में  बहुत ज्यादा रेत जम गई है,  जिससे कई किसान  बहुत  परेशान हैं, करीब  2 हजार किसान,  तो मैंने कलेक्टर से बात की है और कलेक्टर से कहा है कि  आप इनकी रेत भी  हटवाइये   और मनरेगा से जितना संभव हो सके, इनकी खेतों  को भर दीजिये और इसके अलावा   आरबीसी 6(4)  के  अनुसार जिनकी जमीन   5 एकड़ से कम है,  उनको 12,200  रुपये  हेक्टेयर के हिसाब  से हम मुआवजा भी देंगे.

                   अध्यक्ष महोदय -- सब आ गया, प्रश्न संख्या 15, श्री संजीव सिंह जी.

                    

भिण्ड जिले में दी गई अनुकम्पा नियुक्तियां

[राजस्व]

15. ( *क्र. 1392 ) श्री संजीव सिंह : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्ष 2020 में तत्कालीन कलेक्टर भिण्ड के द्वारा कितनी अनुकम्पा नियुक्ति की गई? (ख) क्या उक्त अनुकम्पा नियुक्तियों की अनुमति राज्य शासन द्वारा ली गई? यदि नहीं, तो क्या यह नियम है कि अनुकम्पा नियुक्ति शासन की अनुमति की प्रत्याशा में की गई? यदि नहीं, तो उक्त अधिकारी के विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई? (ग) उक्त अनुकम्पा नियुक्ति किन-किन विभागों में की गई? क्या उन विभागों में पद रिक्त थे? यदि नहीं, तो दोषी अधिकारियों के विरूद्ध क्या कार्यवाही                         की गई?

राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) वर्ष 2020 में कलेक्‍टर भिण्‍ड द्वारा 18 अनुकम्‍पा नियुक्ति की गई। (ख) जी नहीं। उक्‍त अनुकम्‍पा नियुक्तियां सामान्‍य प्रशासन विभाग के परिपत्र दिनांक 29.09.2014 निहित प्रावधान के प्रकाश में की गईं हैं। शेष प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता।                                                             (ग) उक्‍त अनुकम्‍पा नियुक्तियां राजस्‍व विभाग, नगर पालिक गोहद, नगर परिषद फूप, दबोह, मिहोना, उप कोषालय मेहगांव, शिक्षा विभाग एवं जनपद पंचायत भिण्‍ड में रिक्‍त पदों पर की गई। जी हाँ। शेष प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता।

                   श्री संजीव सिंह  -- अध्यक्ष महोदय,  मैं मंत्री जी से यह जानना चाहता हूं कि  वर्ष  2020 में  तत्कालीन  कलेक्टर के द्वारा भिण्ड में  कितनी अनुकम्पा नियुक्ति  की गई.

                   श्री  गोविन्द सिंह राजपूत-- अध्यक्ष महोदय,  कलेक्टर के द्वारा जो अनुकम्पा  नियुक्ति की गई, माननीय सदस्य  का सीधा प्रश्न का मैं उत्तर दे देता हूं. शिक्षा और  स्वास्थ्य विभाग में  रिक्त पद  नहीं थे, जिस कारण से तत्कालीन कलेक्टर  ने  मूल विभाग में पद न होने के कारण  राजस्व विभाग में अनुकम्पा नियुक्तियां  दी थीं.  सहायक ग्रेड 3 में  तत्कालीन कलेक्टर द्वारा  अनुकम्पा नियुक्तियां दी गई हैं.

                   श्री संजीव सिंह  -- अध्यक्ष महोदय,   मैंने  सीधा सीधा पूछा  है कि कितनी  की गई हैं,  टोटल कितनी अनुकम्पा नियुक्तियां की गईं.

                   श्री  गोविन्द सिंह राजपूत-- अध्यक्ष महोदय,  दो अनुकम्पा नियुक्ति  दी गई हैं, दोनों ही राजस्व विभाग में  दी गई हैं.

                   श्री संजीव सिंह  -- अध्यक्ष महोदय,  मंत्री जी ने  हमारे जवाब में दिया  है, पुस्तक में लिखा है कि 2020 में  इनके द्वारा 18 अनुकम्पा नियुक्तियां   की गईं.  आप कह रहे हैं कि 2 अनुकम्पा नियुक्ति की गईं हैं.  अब इसमें दिक्कत क्या है. आप कह रहे हैं कि 2  अनुकम्पा की गई हैं और इसमें आप 18 लिख रहे हैं.  यह तो बताइये, हम सही क्या मानें.

                   श्री  गोविन्द सिंह राजपूत-- अध्यक्ष महोदय, 2020 में 18 अनुकम्पा नियुक्तियां दी गईं, लेकिन आप सीधा प्रश्न कर लीजिये कि आप क्या चाहते हैं.

                   श्री संजीव सिंह  -- अध्यक्ष महोदय,   2020 में  यह तो आपदा में अवसर वाली बात हुई.  2020 में पूरा देश कोरोना से लड़ रहा था और हमारे भिण्ड के तत्कालीन   कलेक्टर अनुकम्पा नियुक्तियों में  व्यस्त थे. किन विभागों  में  अनुकम्पा नियुक्ति की गईं, हमने पूछा कि आपने शासन से  अनुमति ली, आपने कहा कि नहीं ली.  आपने एक दिनांक 29.9.2014  के निहित प्रावधान  का  इसमें  हवाला दिया है.

                   अध्यक्ष महोदय -- आप सीधा प्रश्न पूछ लीजिये.  मैं उत्तर दिलवा देता हूं.

                   श्री संजीव सिंह  -- अध्यक्ष महोदय,   प्रश्न का जब  जवाब ही नहीं आयेगा.  प्रश्न का जवाब तो आ जाने दीजिये.

                   अध्यक्ष महोदय -- आप प्रश्न पूछिये ना.

          श्री संजीव सिंह  -- अध्यक्ष महोदय,   मैंने पूछा, तो आपने बताया है कि दिनांक 29.9.2014  के  निहित  प्रावधान के प्रकाश में की गईं.  उस निहित प्रावधान  में साफ लिखा है कि  शासन की अनुमति के बगैर कोई भी अनुकम्पा नियुक्ति  नहीं की जा सकती.  अध्यक्ष महोदय, आपने अनुकंपा नियुक्ति शासन की अनुमति की प्रत्याशा में की, कैसे की? जिन विभागों में पद नहीं थे, उन विभागों में आपने अनुकंपा नियुक्ति की, भ्रष्टाचार करके अनुकंपा नियुक्ति की, आपका इसमें क्या जवाब है? मैं इसमें स्पष्ट अभिमत चाहता हूं.

श्री गोविन्द सिंह राजपूत - अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य से कह रहा हूं कि आप सीधा प्रश्न कर लें, जलेबी जैसा प्रश्न घुमाफिरा क्यों रहे हैं?  शिक्षा विभाग में और स्वास्थ्य विभाग में अनुकंपा नियुक्ति दी गई, आपका प्रश्न है कि प्रत्याशा में दी गई हैं. अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2008 में अनुकंपा नियुक्ति के जो प्रावधान थे, उसमें पीआरसी प्रमुख राजस्व आयुक्त को अधिकृत किया गया था, बाद में वर्ष 2018 में कलेक्टर को अनुकंपा नियुक्ति के लिए अधिकार हैं और उसने प्रत्याशा में जो लिखा है, नहीं लिखना चाहिए था. कलेक्टर को अधिकार थे और दो विभागों में जगह नहीं थी, इसलिए राजस्व विभाग में उसको सहायक ग्रेड तीन पर नियुक्ति की गई.

अध्यक्ष महोदय - प्रश्नकाल समाप्त.

 

 

 

 

(प्रश्नकाल समाप्त)

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

12.01 बजे             नियम 267-क के अधीन विषय

 

          अध्यक्ष महोदय - निम्नलिखित माननीय सदस्यों की शून्यकाल की सूचनाएं सदन में पढ़ी हुई मानी जाएगी.

1. श्री पंचूलाल प्रजापति

2. श्री प्रियव्रत सिंह

3. श्री के.पी. सिंह कक्काजू

4. श्री प्रणय प्रभात पांडे

5. श्री संजय यादव

6. श्री सूबेदार सिंह सिकरवार रजौधा

7. श्री प्रताप ग्रेवाल

8. श्री संजय उईके

9. श्री प्रहलाद लोधी

10. श्री मनोज चावला

 

 

 

12.02 बजे                                शून्यकाल में मौखिक उल्लेख

 

      (1) ग्वालियर में भू-माफियाओं द्वारा हजारों एकड़ भूमि पर कब्जा किया जाना

श्री सज्जन सिंह वर्मा (सोनकच्छ) - अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देने के लिए खड़ा हुआ हूं. आज इत्तेफाक से मुख्यमंत्री जी है नहीं, हाल ही मैं तीन बार इंदौर की यात्रा  मुख्यमंत्री जी ने की और बड़ी बात उन्होंने कही कि भूमि माफियाओं को 10 फीट गड्ढे खोदकर गाढ़ दूंगा. अध्यक्ष महोदय, ग्वालियर तरफ हजारों एकड़ भूमि पर भू-माफियाओं ने कब्जा कर लिया है. माननीय मुख्यमंत्री जी ग्वालियर जाकर यदि इस  तरह की घोषणा करें. सबसे बड़ा भूमि घोटाला जब पत्रिकाएं छाप रहे हैं मैं समझता हूं कि यह शर्म की बात है. 

अध्यक्ष महोदय - आपकी बात आ गई है, श्री दिनेश राय मुनमुन.

श्री कांतिलाल भूरिया - अध्यक्ष महोदय, यह सरकार की कथनी और करनी में कितना अंतर है? आप देख लीजिए, एक तरफ तो हजारों करोड रुपये का घोटाला, सरकार कह रही है कि भू-माफियाओं को जमीन में गाढ़ दूंगा. यह दोहरी करनी है, यह नहीं होना चाहिए.

(व्यवधान)..

श्री पी.सी.शर्मा - अध्यक्ष महोदय, बहुत गड़बड़ियां हैं.

 

 (2) सिवनी में नहर निर्माण कार्य के संबंध में कार्यवाही की जाना

श्री दिनेश राय मुनमुन (सिवनी) - अध्यक्ष महोदय, नहर का निर्माण कार्य चालू है. आपका संरक्षण चाहूंगा. मेरा कहना है कि वहां पर नहर का काम चालू है. ठेकेदार काम बंद करके भाग गया है. उसको अतिरिक्त भुगतान हो गया है, जिससे मेरे यहां की जनता में भारी आक्रोश है. माननीय मंत्री जी ने जांच भी कराई, दो अधिकारी सस्पेंड हो गये. लेकिन जो बड़े अधिकारी, बड़े मगरमच्छ हैं, उनको सस्पेंड नहीं किया गया है और मैं कहना चाहता हूं कि मेल्टाना कंपनी है (XXX), मैं चाहता हूं कि उसकी जांच करा लें और माननीय मंत्री महोदय स्वयं आकर निरीक्षण कर लें क्योंकि वहां पर जो ठेकेदार है वह कहता है कि 16 तारीख तक मशीन चलाना है और फिर विधान सभा खत्म. उसको यह मालूम हो गया है कि 20 तारीख तक विधान सभा खत्म हो जाएगी. मैं चाहता हूं कि उसमें कार्यवाही हो.

 

 

(3) पथरिया में सीतानगर बांध के किसानों को सिंचित भूमि का मुआवजा दिया जाना

श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह (पथरिया) - अध्यक्ष महोदय,  आपका बहुत धन्यवाद. मेरी विधान सभा में एक सीतानगर बांध बन रहा है, जिसमें गरीब किसानों की जगह उसमें ली गई है, लेकिन उनको सिंचाई का मुआवजा नहीं दिया गया, वह सिंचित है लेकिन असिंचित के पैसे उनको दिये गये हैं. मैं आपसे न्याय चाहती हूं, वह छोटे-छोटे किसान गरीब हैं, बेरोजगार हैं, उनके भूखों मरने के दिन आ जाएंगे, हमारा आपसे निवेदन है कि उनको सिंचित के पैसे दिये जायें, सिंचित का मुआवजा दिया जाय.

 

 

 

 

(4) नगर निगम चुनाव के लिए वोटर लिस्ट घर घर जाकर बनवाई जाना

श्री पी.सी. शर्मा (भोपाल दक्षिण-पश्चिम) - अध्यक्ष महोदय, शून्यकाल की मैंने सूचना दी है. नगर निगम के जो चुनाव होना है, उसकी जो वोटर लिस्ट बनी है, उसमें बहुत गड़बड़ियां हैं और वर्ष 2019 का जो लोकसभा का चुनाव हुआ था, उसको उसमें संलग्न करना चाहिए और घर-घर जाकर वोटर लिस्ट बने. यह मैंने सूचना दी है और मैं मांग कर रहा हूं.

 

नगर निगम चुनाव की वोटर लिस्ट घर घर जाकर बनाया जाना

 

          श्री रामेश्वर शर्मा ( हुजूर ) -- माननीय अध्यक्ष महोदय पी सी शर्मा जी ने जो बात की है. आखिर लोकतंत्र में मतदाता ही हमारी तकदीर बनाता है. 2019 की लोक सभा चुनाव की जो वोटर लिस्ट है उसको आधार बनाना चाहिए. 10 साल पहले जो आदमी मर गया है वह आज जिंदा दर्शाया जा रहा है. वोटर लिस्ट में उसका नाम चल रहा है, 18 -19 वर्ष के लड़के हैं उनके वोटर लिस्ट में नाम नहीं जोड़े गये हैं. घर घर जाकर वोटर लिस्ट को लिपिबद्ध किया जाना चाहिए. एक घर में बाप बेटे मां बहू एक साथ रह रहे हैं उनको चार बूथों में डाल दिया गया है. इसलिए अध्यक्ष महोदय पीसी शर्मा जी ने जो सवाल उठाया है यह सब जगह है ग्राम पंचायतों में यह हालत है, नगर पंचायतों में यह हालत है, नगर निगमों में भी यही हालत है. इसलिए माननीय निर्वाचन आयोग को माननीय सदस्यों की भावना से अवगत कराना चाहिए कि वोटर लिस्ट घर घर जाकर बनाई जाय. आप सभी लोग बतायें अगर मैं गलत बोल रहा हूं. वोटर लिस्ट घर घर जाकर बनाना चाहिए...(व्यवधान)..

          अध्यक्ष महोदय -- हां ठीक है. आपकी बात आ गई है. सभी इस बात से सहमत हैं.

          उच्च शिक्षा मंत्री( डॉ मोहन यादव )-- अध्यक्ष महोदय मैं भी यही बात दोहराना चाहता हूं कि वोटर लिस्ट का अगर दोबारा से पुनरीक्षण हो जाय और 2019 की हमारी लोक सभा चुनाव की सूची है. अगर उसको ही एक बार आधार बना लेंगे तो ज्यादा अच्छा होगा.

          अध्यक्ष महोदय -- शासन करेगा.

 

पीईबी द्वारा आयोजित परीक्षाओं में भ्रष्टाचार

          श्री जितु पटवारी ( राऊ) -- अध्यक्ष महोदय एक बहुत ज्वलंत मुद्दा है. मध्यप्रदेश में दूसरा व्यापम का काण्ड चर्चाओ में है. मैं सरकार के सारे परिवार के लोगों से अनुरोध करता हूं कि यह पक्ष विपक्ष की लड़ाई नहीं है. सबसे पहले तो 10 लोगों की नियुक्ति हुई. यह प्रश्न डॉक्टर गोविंद सिंह जी ने  इस पर ध्यानाकर्षण लगाया है. इसी में सारे साक्ष्य भी अलग अलग सम्मिलित हुए हैं. अखबारों में खबरें बनीं कि यह व्यापम की जो परीक्षा हुई है इसको निरस्त किया जायेगा फिर व्यापम के पोर्टल पर आया कि परीक्षा निरस्त नहीं होगी, त्रुटियों की जानकारी मांगी जायेगी. मेरा कहना है कि यह पूरा प्रकरण गोल मोल है. ऐसा लग रहा है कि फिर से सरकार के सानिध्य में जो नियुक्तियां हुई हैं उनको प्रमाणित करना है. मेरा आपसे अनुरोध है कि जो डॉ गोविंद सिंह जी ने ध्यानाकर्षण लगाया है उसको स्वीकार करें, सदन में इस पर चर्चा करायें. यह दूसरा काण्ड व्यापम का, मध्यप्रदेश का चेहरा कलंकित न हो इसके लिए हम सबकी जिम्मेदारी है इस पर आपसा सहयोग और मार्गदर्शन चाहिए.

          अध्यक्ष महोदय -- बहुत हो गया है.शून्यकाल में वैसे भी दो सूचनाएं आती हैं..(व्यवधान) ( अनेक माननीय सदस्यों के एक साथ बोलने के लिए खड़े होने पर ..)

          श्री फुन्देलाल सिंह मार्को ( पुष्पराजगढ़ ) -- अध्यक्ष महोदय शहडोल जिले में  पेपर मिल में श्रमिक अस्पताल चल रहा है वहां पर मूलभूत सुविधाएं न होने के कारण श्रमिक बहुत परेशान हैं कृपया व्यवस्था करवाएं...(व्यवधान)..

          डॉ गोविन्द सिंह ( लहार ) -- माननीय अध्यक्ष महोदय पीईबी द्वारा जो गलत परीक्षाएं हुई हैं, इसमें पूरी तरह से भ्रष्टाचार हुआ है इसमें हमने आपसे अनुरोध भी किया था आपने कहा था कि चर्चा में लेंगे, लेकिन अभी तक  लगातार आपसे और प्रमुख सचिव महोदय से अनुरोध कर रहा हूं. मेरा अनुरोध है कि कृपया इस पर व्यवस्था दे देंय

          अध्यक्ष महोदय -- आप कक्ष में आइयेगा, हम बात करेंगे आपसे.

          डॉ गोविन्द सिंह -- हम आपसे मिल चुके हैं चार बार बात हो चुकी है..(व्यवधान)..

          अध्यक्ष महोदय -- आप आइये न कक्ष में बात करते हैं.

          श्री जितु पटवारी -- अध्यक्ष महोदय इस पर ध्यानाकर्षण लगा है, स्थगन लगा है किसी भी रूप से चर्चा कराने के लिए आप आश्वासन आज ही दे दें....(व्यवधान).. इसमें कोई पक्ष विपक्ष की लड़ाई नहीं है.

          अध्यक्ष महोदय -- मैंने उसको देख लिया है आप चिंता न करें. अवसर दीजिये..(व्यवधान)..

         

 

 

 

 

12.09बजे.                             पत्रों का पटल पर रखा जाना

छिंदवाड़ विश्वविद्यालय, छिंदवाड़ा का वर्ष 2019-20 का वार्षिक प्रतिवेदन एवं विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन का 63वां वार्षिक प्रतिवेदन

वर्ष 2019-20

          (1)उच्च शिक्षा मंत्री ( डॉ. मोहन यादव ) -- अध्यक्ष महोदय मैं मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय अधिनियम, 1973 ( क्रमांक 22 सन् 1973 ) की धारा 47 की अपेक्षानुसार-

          (क) छिंदवाड़ा विश्व विद्यालय छिंदवाड़ा (म.प्र.) का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2019-20 तथा

          (ख) विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन (म.प्र.) का 63वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2019-20 पटल पर रखता हूं.

          एम पी इण्डस्ट्रियल डेवल्पमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड का 40 वां वार्षिक प्रतिवेदन तथा      लेखे वित्तीय वर्ष 2016-17, इण्डस्ट्रियल इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवल्पमेंट कार्पोरेसन       (ग्वालियर) म.प्र. मर्यादित का 33 वां वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखा वर्ष 2017-18,         मध्यप्रदेश  प्लास्टिक सिटी डेवल्पमेंट कार्पोरेशन ग्वालिय, लिमिटेड का वार्षिक           प्रतिवेदन एवं लेखा वर्ष 2017-18

          औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन मंत्री ( श्री राजवर्धन सिंह प्रेम सिंह दत्तीगांव)-अध्यक्ष महोदय मैं कंपनी अधिनियम 2013 (क्रमांक 18 सन् 2013 की धारा 395 की उपधारा (1) (ख) की अपेक्षानुसार -

          (क) एम पी इण्डस्ट्रियल डेवल्पमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड का 40 वां वार्षिक प्रतिवेदन तथा लेखे वित्तीय वर्ष 2016-17,

          (ख) इण्डस्ट्रियल इन्फ्रास्ट्रक्चल डेवल्पमेंट कार्पोरेशन (ग्वालियर) म.प्र. मर्यादित का 33वां वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखा वर्ष 2017-18 तथा

          (ग) मध्यप्रदेश प्लास्टिक सिटी डेवल्पमेंट कार्पोरेशन ग्वालियर, लिमिटेड का वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखा वर्ष 2017-18 पटल पर रखता हूं.

                                                                                               

          श्री जितु पटवारी -- अध्‍यक्ष महोदय, गृह मंत्री जी, क्‍या व्‍यापम वापस कराने की तैयारी चल रही है ? क्‍या आपका तो कोई इसमें हस्‍तक्षेप नहीं है ? यह भी बता दें आप. क्‍या है आपका इसमें, आखिर आप चुप क्‍यों हैं, मौन क्‍यों हैं, आपके अंदर की भावना क्‍या है ? बताइये आप.

          डॉ. गोविंद सिंह -- यह असहाय हैं. गृह मंत्री की नहीं चल रही है. भ्रष्‍टाचारी और लोग हैं. भ्रष्‍टाचार करने वाला बहुत बड़ा व्‍यक्ति है पार्टी, सत्‍ता में बैठा है.

          श्री गोपाल भार्गव -- अध्‍यक्ष महोदय ने कहा है कि कक्ष में मिल लें, आप नहीं जा पा रहे हैं.

          डॉ. गोविंद सिंह -- गोपाल जी, मैं आपसे 3-4 बार निवेदन कर चुका हूं. मैंने लगातार कई बार कहा है.

          श्री गोपाल भार्गव -- जब यह कहा जाय कि कक्ष में मिल लें इसका अर्थ यह है कि आप...

          श्री जितु पटवारी -- गोल-मोल करना है.

          डॉ. गोविंद सिंह -- हम आपका विश्‍वास करके बैठ रहे हैं चलो.

          श्री जितु पटवारी -- नहीं, इसके लिये हमको बाहर चलना पड़ेगा. ..(व्‍यवधान)..

          अध्‍यक्ष महोदय -- माननीय सदस्‍य बैठ जाएं. श्री इन्‍दर सिंह परमार जी.         

 

12.11  बजे                                         बहिर्गमन

इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्‍यगण द्वारा सदन से बहिर्गमन किया जाना

          डॉ. गोविंद सिंह (लहार) -- अध्‍यक्ष महोदय, आज सुनवाई नहीं हो रही है इसलिये कांग्रेस पार्टी इसका विरोध करती है, बहिर्गमन करती है और माननीय पूर्व नेता प्रतिपक्ष जी से निवेदन करती है कि इसमें कल चर्चा करा लें.

          डॉ. मोहन यादव -- अभी तो आप बैठकर समर्थन कर रहे थे कि चलो गोपाल भार्गव जी ने बोला तो मान लिया.

          (डॉ. गोविंद सिंह, सदस्‍य के नेतृत्‍व में इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्‍यगण द्वारा पी.ई.बी. द्वारा की गई नियुक्तियों के संबंध में दिये गये ध्‍यानाकर्षण पर चर्चा न कराये जाने के विरोध में सदन से बहिर्गमन किया गया)     

 

12.12 बजे                       पत्रों का पटल पर रखा जाना (क्रमश:)

(3) मध्‍यप्रदेश राज्‍य सूचना आयोग का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017, 2018 एवं 2019


          12.13 बजे                                 ध्‍यानाकर्षण

                  

         

                                                                                  सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.

            श्री गोविंद सिंह राजपूत -- अध्‍यक्ष महोदय, डॉ. गोविंद सिंह जी गेट तक जाते हैं और नेता प्रतिपक्ष होते तो वह बर्हिगमन पर कुर्सी से नहीं उठते थे.

          डॉ. गोविंद सिंह -- अध्‍यक्ष महोदय, आप चाहते हैं कि मैं परमानेंट चला जाऊं, आप सब पास कर लो. आप भ्रष्‍टाचार को दबाकर सबसे हॉं करा लो.

          श्री गोविंद सिंह राजपूत -- आपको धन्‍यवाद. आप गेट तक जाते हैं, नेता प्रतिपक्ष कुर्सी से नहीं उठेंगे.

         

 

 

 

 

         

          12.14 बजे

                        (1)    प्रदेश के जिला चिकित्‍सालयों में आयुष्‍मान योजना के तहत                       उपचार पूर्व टेस्‍ट की सुविधा न होना

 

          सुश्री हिना लिखीराम कावरे (लांजी) -- अध्‍यक्ष महोदय,

         

 

         

         

 


 

          लोक स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्री (डॉ. प्रभुराम चौधरी) -- अध्‍यक्ष महोदय,

         

 

          सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, प्रोविजन्‍स तो सारे हैं, मैंने जो क्‍वेश्‍चन किया था, वह गंभीर बीमारियों के लिए किया था क्‍योंकि इस योजना में जो दूसरी बीमारियां हैं, जैसे कैंसर गंभीर बीमारी तो है या अपेन्‍डिक्‍स के ऑपरेशन की बात हो या अल्‍सर के ऑपरेशन की बात हो या दूसरी किसी छोटी बीमारी के ऑपरेशन की बात हो, इसमें मरीजों को बहुत ज्‍यादा परेशान किया जाता है. एनेस्‍थिसिया के नाम पर या किसी दूसरे टेस्‍ट के नाम पर मरीजों से पैसे लिए जा रहे हैं. आपकी योजना में प्रोविजन सारे हैं, उसके बावजूद मरीजों से पैसे लिए जाते हैं और उनको ये तक हिदायत दी जाती है कि बाहर यदि किसी पत्रकार ने आपसे पूछा तो आपको नहीं बताना है. ये सब बातें हो रही हैं और वास्‍तव में ये घटना हो रही है. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री जी से यह जानना चाहती हूँ कि क्‍या जो 7 दिन में पैसे वापिस हुए हैं, आपने इसमें उत्‍तर दिया है, आपके उत्‍तर के अनुसार क्‍या ऐसे जो पैसे वापिस हुए हैं, क्‍या उनकी जानकारी आपके पास है ? यदि अभी नहीं है तो आप मुझे बाद में उपलब्‍ध करवा दीजिए, लेकिन मेरे ध्‍यानाकर्षण का, मेरे प्रश्‍न करने का मूल उद्देश्‍य यह है कि जो आप बता रहे हैं, वैसा वास्‍तविकता में नहीं हो रहा है ? अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी से जवाब दिलवा दीजिए.

          डॉ. प्रभुराम चौधरी -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय सदस्‍या ने जो यहां अवगत कराया है, मैंने 'आयुष्‍मान भारत' योजना की पूरी जानकारी आपके समक्ष यहां पर रखी है. आपने जो बताया कि कुछ अस्‍पताल ऐसे हैं, जो इसका पालन नहीं करते हैं. मैंने आपको अपने उत्‍तर में टोल फ्री नंबर दिए हैं. इन नंबरों पर कोई भी शिकायतें होती हैं तो उनकी प्रॉपर रूप से जांच होती है, जांच करने के बाद अगर कोई अस्‍पताल इसमें लिप्‍त पाया जाता है तो उसको पैनॉल्‍टी भी लगाई जाती है और उसको असंबद्ध भी किया जाता है. अगर पर्टिकुलर किसी अस्‍पताल की आपके पास कोई शिकायत है तो आप मुझे दे देंगी, मैं उस अस्‍पताल की भी जांच कराऊंगा, अगर दोषी पाए जाएंगे तो उनके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी.

          सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैंने माननीय मंत्री जी से सीधा सा जवाब मांगा है, अभी उनके पास जवाब नहीं भी है, लेकिन जिस हॉस्‍पिटल ने केवल आपके टेस्‍ट के लिए पैसे वापिस किए हैं, क्‍या उनकी पूरी जानकारी आप उपलब्‍ध करा पाएंगे. क्‍योंकि वह जानकारी हमारे लिए इसलिए जरुरी है क्‍योंकि ऐसा नहीं हो रहा है. फील्‍ड में ऐसा नहीं हो रहा है. यहां तक की पेशेंटों को धमकी दी जाती है कि यदि आपने पत्रकार या नेता के पास जाकर हमारी शिकायत की है तो आपको हम देख लेंगे, इस तरह की शिकायतें हो रही हैं.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह जानकारी आप देंगे ही, मुझे पूरा विश्‍वास है और उसके साथ में एक और बात कहना चाहती हॅूं कि अक्‍सर जो संबद्ध हॉस्पिटल हैं उनकी यह शिकायत होती है कि हमको पुराना पेमेंट नहीं हो रहा है. हमने भी कई बार विधायक होने के नाते, मैंने खुद दो-तीन हॉस्पिटल में कई बार ऐसी बात की है उन्‍होंने कहा कि आप पुराना पेमेन्‍ट दिलवा दीजिए. अभी तक हमें पुराना पेमेन्‍ट मिला नहीं है हम नये लोगों का उपचार कैसे करेंगे. यह बहुत गम्‍भीर शिकायत है. तो क्‍या आप उन संचालकों की एक पूरी बैठक करवाएंगे ?  क्‍या उनके पैकेज और पेमेन्‍ट उन दोनों दिक्‍कतों को आप सुनेंगे ? मरीजों की भी दिक्‍कत और आपके हॉस्पिटल की दिक्‍कत. इन दोनों की बैठक करवाकर क्‍या कोई समाधान निकालेंगे ? क्‍योंकि समाधान तो इसमें है लेकिन फील्‍ड में नहीं है.

          लोक स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्री (डॉ.प्रभुराम चौधरी) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, दिनांक 14.3.2021 तक 691 करोड़ रुपए का भुगतान सम्‍बन्धित अस्‍पतालों को किया जा चुका है और जैसे ही जो बिल अस्‍पताल लगाते हैं उसकी पूरी जांच पड़ताल करने के बाद उनको भुगतान कर दिया जाता है. यदि कोई ऐसा अस्‍पताल माननीय सदस्‍य के संज्ञान में आया है कि उस अस्‍पताल का भुगतान नहीं हो पाया है तो तत्‍काल वह मुझे जानकारी दे दें, मैं तत्‍काल उसकी जांच कराकर जिस किसी अस्‍पताल का रुक गया है मैंने आपको बताया कि 691 करोड़ रुपए अभी तक दिनांक 14.3.2021 तक हम लोग भुगतान कर चुके हैं और जैसे ही बिल आते हैं उनका परीक्षण करने के बाद अस्‍पतालों को भुगतान कर दिया जाता है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- उनका दूसरा प्रश्‍न था कि क्‍या संचालकों की कोई बैठक करके उनकी समस्‍या को भी आप सुनेंगे ?

          डॉ.प्रभुराम चौधरी -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, 23 विषय विशेषज्ञों के अंतर्गत लगभग 1700 बीमारियों का पैकेज इसमें है. चाहे हृदय रोग हो..

          अध्‍यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी, यह प्रश्‍न उनका नहीं है. उनका प्रश्‍न यह है कि अस्‍पताल के संचालक भी यह कहते हैं उनकी समस्‍या है.उनका प्रश्‍न यह है कि क्‍या उनकी भी कोई बैठक लेकर समस्‍या को भी सुनेंगे ?

          डॉ.प्रभुराम चौधरी -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अगर किसी संचालक की कोई समस्‍या है तो वह मुझसे मिल लें. मैं उनकी समस्‍या का निराकरण करा दूंगा.

          सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- माननीय, मैंने सीधा सा प्रश्‍न किया था कि जिन पेशेन्‍टों का...

          अध्‍यक्ष महोदय -- वह तो कह रहे हैं कि बैठक करेंगे.

          सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, वह उत्‍तर तो आया ही नहीं है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- वह कह तो रहे हैं ऐसी बात आयी है.

          सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- माननीय, आपने हॉस्पिटल को जो पेमेन्‍ट किया है उसकी जानकारी आप दे रहे हैं. हॉस्पिटल ने मरीजों को जो किया है उसकी जानकारी का तो आपने नाम ही नहीं लिया है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं, वह यह कह रहे हैं कि संचालकों से इस तरह की कोई बात आती है, तो हम उनकी बैठक करेंगे.

          सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, दोनों मैटर अलग हैं. संचालकों की बैठक अलग मैटर है और जिन पेशेन्‍ट को ट्रीटमेंट का हॉस्पिटल ने पेमेन्‍ट किया है वह एक अलग प्रश्‍न किया है. पहली बात तो यह है कि मरीजों को बताया ही नहीं जाता कि आयुष्‍मान कार्ड के तहत आपको जो बीमारी है उसमें कितना खर्चा आया है, इसको स्‍पेसिफाई किया ही नहीं जा रहा है तो मेरा पूछने का यही मतलब है कि जिन पेशेन्‍टों को संबद्ध हॉस्पिटल ने पैसा वापस किया है क्‍या वह जानकारी आप हमें देंगे ?

          डॉ.प्रभुराम चौधरी -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जो पेमेन्‍ट आयुष्‍मान भारत योजना के अंतर्गत हम लोग करते हैं वह अस्‍पताल को करते हैं और जो पेशेन्‍ट अस्‍पताल के अंदर एडमिट होते हैं उन्‍हें इस योजना का लाभ दिया जाता है और उन्‍होंने यदि 7 दिन पहले से उसी अस्‍पताल में इलाज कराया है, यदि उसका कोई भुगतान नहीं हुआ है तो पर्टीकुलर कोई आपके पास संज्ञान में आया है तो आप मुझे बता दें, मैं उनकी पूरी जॉंच करा लूंगा. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैंने माननीय सदस्‍य को बताया है.

 

 

 

 

 

12..23 बजे                          अध्‍यक्षीय घोषणा

कार्यसूची के पद क्रमांक 3 की उपधारा (2) में उल्‍लेखित ध्‍यानाकर्षण सूचना को आगामी कार्यदिवस में लिया जाना

 

          अध्‍यक्ष महोदय -- आज की कार्यसूची के पद क्रमांक 3 की उपधारा (2) में उल्‍लेखित ध्‍यानाकर्षण सूचना के संबंध में प्रस्‍तुतकर्ता माननीय सदस्‍य श्री देवेन्‍द्र वर्मा ने किसी अस्‍वस्‍थता के कारण आगामी कार्यदिवसों में लेने का अनुरोध किया है. प्रथम प्रस्‍तुतकर्ता श्री बहादुर सिंह चौहान ने भी इस पर अपनी सहमति दी है. अत: इस सूचना को आगामी कार्यदिवसों में लिया जाएगा.

          मैं समझता हॅूं कि सदन इससे सहमत है.

                                                                     (सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.)

          श्री बहादुर सिंह चौहान -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय रामेश्‍वर शर्मा जी के पास भी उनका फोन आया था और उन्‍होंने आग्रह किया है कि इसको अगले सत्र में ले लिया जाए.

          अध्‍यक्ष महोदय -- हां, ठीक है. मैंने कहा, बात आ गई है. श्री जयवर्द्धन सिंह अपनी सूचना पढे़ं.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

12.24 बजे                            ध्‍यानाकर्षण (क्रमश:)

(3)    गुना जिले के राघोगढ़ क्षेत्र के अनेक ग्रामों को मुख्‍य सड़क मार्ग से न जोड़े जाने से                                             उत्‍पन्‍न स्थिति

 

          श्री जयवर्द्धन सिंह (राघोगढ़)-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय,

 

 

 

पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री(श्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया)--  माननीय अध्यक्ष जी, माननीय सदस्य ने जो ध्यानाकर्षण रखा है, उसकी वैसे तो आवश्यकता नहीं थी क्योंकि मैं राघौगढ़ का विशेष ध्यान रखता हूँ.

श्री जयवर्द्धन सिंह--  अध्यक्ष जी, इनको पहले उत्तर पढ़ना चाहिए.

          अध्यक्ष महोदय--  पहले उत्तर पढ़िए.

          श्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया-- माननीय अध्यक्ष जी, गुना जिले के राघौगढ़ विधान सभा के राघौगढ़ विकासखण्ड अंतर्गत 8 ग्राम नटरीयाई, पिपरोदा, महमूदनगर, जैतपुर, नारायणपुरा, रघुनाथपुरा, कांकरवास एवं इकोदिया को मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना अंतर्गत एकल संपर्कता प्रदाय किए जाने के लिए प्रकरण स्वीकृति हेतु विचाराधीन है, आवंटन की उपलब्धता के आधार पर स्वीकृतियां जारी की जाएंगी.

          श्री जयवर्द्धन सिंह--  माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री ने उनके उत्तर में यह कहा है कि अभी प्रकरण विचाराधीन है, मैं उनका ध्यानाकर्षित करना चाहता हूँ इस साल के बजट भाषण में,  जहाँ माननीय वित्त मंत्री जी ने पेज 30 पर कहा है कि जो भी ऐसे गाँव हैं, जिनकी जनसंख्या 500 से कम है उनको 12 मासी एकल संपर्कता की उपलब्धता के उद्देश्य से मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के द्वारा विश्व बैंक और एसजीएन इन्फ्रास्ट्रक्चर बैंक के द्वारा  ग्रैवल से डामरीकरण किया जाएगा. इसमें लगभग 800 किलोमीटर का लक्ष्य रखा गया है और साथ में 250 किलोमीटर, दोहरी संपर्कता के लिए क्योंकि ये गाँव तो अभी कहीं से नहीं जुड़े हैं इसीलिए मैं मंत्री जी से आग्रह करना चाहता हूँ क्योंकि उन्होंने कहा भी है कि वे विशेष ध्यान देंगे, तो वे यहाँ पर आश्वासन दे दें कि इसी बजट में वह सम्मिलित हो जाएगा. धन्यवाद.

          श्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया--  माननीय अध्यक्ष जी, माननीय सदस्य जी ने जो बात रखी है, हमारी स्टेट कनेक्टिविटी की योजना अभी चालू है और अभी जो 8 सड़कें माननीय सदस्य जी ने प्रस्तावित की हैं उन सड़कों में डामरीकरण करना अभी संभव नहीं है क्योंकि अभी उनमें ग्रैवल का काम आरईएस द्वारा किया जाएगा और फिर आगे चलकर हमारा एमपीआरसीए जो है उसके तहत जो वर्ल्ड बैंक की स्कीम है जिसमें 10,000 किलोमीटर का लक्ष्य था वह लक्ष्य हमारा चूँकि एचिव हो चुका है और आगामी में जो हमारी फेज़ 2 में जो योजना बन रही है, उसमें निश्चित रूप से आपकी सड़कों को और अकेली यह 8 सड़कें ही नहीं बल्कि राघौगढ़ की समस्त सड़कों को जोड़ने का मैं प्रस्ताव रखूँगा.

          श्री जयवर्द्धन सिंह--  अध्यक्ष महोदय, कम से कम जो ये 8 सड़कें हैं उनका ग्रैवल तो इस साल हो जाएगा,  इतना माननीय मंत्री जी आश्वासन दे दें.

          श्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया--  माननीय अध्यक्ष जी, बजट के अभाव के कारण इनका प्रस्ताव जोड़ दिया गया है, जैसे जैसे बजट का आवंटन होता जाएगा ये 8 सड़कें भी ले ली जाएंगी. ....(व्यवधान)...

          श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर--  धन्यवाद तो दे दो. ..(व्यवधान)..

          श्री जयवर्द्धन सिंह--  माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने कहा है कि बजट का अभाव है जबकि इसका उल्लेख है....

          अध्यक्ष महोदय--  नहीं, अब आ गया. उन्होंने कहा है कि क्रमानुसार लेंगे.

          श्री जयवर्द्धन सिंह--  इसमें पर्याप्त प्रावधान होना भी चाहिए तो इतना तो आश्वासन दे दें कि जो कम से कम ग्रैवल की सड़क है, वह तो बनाई जाएगी.

          अध्यक्ष महोदय--  उन्होंने आपको आश्वस्त किया कि क्रमानुसार लेंगे, अभी तो उन्होंने बोला, लेंगे एक एक करके.

          श्री जयवर्द्धन सिंह--  माननीय अध्यक्ष महोदय, बाकी सब सड़कें हो चुकी हैं. ये तो वे सड़कें हैं जिन पर ग्रैवल भी नहीं हो पाया था इसलिए कम से कम इनका काम तो पूरा हो जाए.

          अध्यक्ष महोदय--  अब अगला ध्यानाकर्षण आने दीजिए.

 

12.29 बजे

        मुरैना जिले के पहाड़गंज में पदस्थ बी.आर.सी. सी. के विरूद्ध कार्यवाही न किया जाना

        श्री सूबेदार सिंह रजौधा(जौरा)--  माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यानाकर्षण सूचना का विषय इस प्रकार है-

 

 

 

 

 

                               

          राज्यमंत्री, स्कूल शिक्षा (श्री इन्दर सिंह परमार) -- माननीय अध्यक्ष महोदय,                       

          श्री सूबेदार सिंह सिकरवार रजौधा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, पहले तो मैं माननीय मंत्री जी से यह पूछना चाहता हूँ कि....

          अध्यक्ष महोदय -- कार्यवाही तो हो गई है.

          श्री सूबेदार सिंह सिकरवार रजौधा -- तीन महीने से यह कार्यवाही प्रस्तावित थी लेकिन वह इतना बड़ा कारीगर है कि तीन महीने तक उसको पेंडिंग रखा और जब मैंने ध्यानाकर्षण लगाया है तब कहीं जाकर कल या परसों उसको निलंबित किया गया है. मेरे विधान सभा क्षेत्र में जितनी भी महिला शिक्षिकाएं हैं उनमें से ज्यादातर महिलाओं ने मुझे फोन पर बताया कि इसकी नीयत ठीक नहीं है. यह बेतमीज़ आदमी है, लेकिन महिलाएं अपनी बदनामी के भय से शिकायत नहीं कर रहीं थीं. वह तो पुष्पा शर्मा ने...

          अध्यक्ष महोदय -- आप तो प्रश्न पूछें.

          श्री सूबेदार सिंह सिकरवार रजौधा -- सबसे पहले तो मैं यह कह रहा हूँ कि जो निलंबन हुआ है उसका माननीय मंत्री जी अनुमोदन करेंगे कि निलंबन सही हुआ है. दूसरी बात मैं कहूंगा कि उसके खिलाफ एफआईआर है, धारा 409 का मुकदमा कायम है. वहां का जनपद सीईओ, जिला सीईओ से यह कह रहा है कि इसकी अनियमितताओं से निज़ात दिला दें, लेकिन वह इतना पॉवरफुल आदमी है कि कहीं-न-कहीं से कोई कार्यवाही नहीं होने देता है. सबसे पहले मैं माननीय मंत्री जी से यह चाहूँगा कि वे यह कहें कि निलंबन ठीक हुआ है. तीसरी बात है मेरे पास रिकार्ड है. माननीय मंत्री जी भोपाल से टीम भेजकर जाँच करवाएंगे क्या.

          अध्यक्ष महोदय -- कार्यवाही कर दी गई है, सस्पेंशन हो गया है.

          श्री सूबेदार सिंह सिकरवार रजौधा -- सस्पेंशन से कुछ नहीं होगा, वह तो तुरंत बहाल हो जाता है. मेरे पास उसका पूरा चिट्ठा है.

          श्री इन्‍दर सिंह परमार-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, तथ्‍यों के आधार पर निलंबन किया गया है इसका अर्थ यह है कि कार्यवाही सही है और लेट होने का कारण भी क्‍योंकि आयुक्‍त चंबल संभाग के द्वारा दिनांक 8 मार्च को ही किया गया और दिनांक 9 मार्च को कलेक्‍टर के द्वारा आदेश मिला है इसलिए विभागा के द्वारा कोई विलंब नहीं किया गया है. निलंबन के उपरांत विभाग के द्वारा उसकी जांच कराई जा रही है और माननीय सदस्‍य उसमें जितने भी बिंदु बता रहे हैं उन सबका समावेश भी हम उसमें करेंगे. आप जो एफआईआर का उल्‍लेख कर रहे हैं हमारे पास उसका कोई रिकार्ड नहीं है और न ही हमें कोई शिकायत प्राप्‍त हुई है क्‍योंकि एफआईआर हुई होगी तो पुलिस विभाग के द्वारा उसकी सूचना सं‍बंधित को देना था वह हुई नहीं है लेकिन हम जांच करके उसके खिलाफ कार्यवाही करेंगे.

          श्री सूबेदार सिंह सिकरवार रजौधा-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, क्‍या मंत्री जी  भोपाल से जांच कमेटी भेजेंगे?

           अध्‍यक्ष महोदय-- माननीय सदस्‍य जी, मंत्री जी, ने जांच का आश्‍वासन दे दिया है.

          श्री इन्‍दर सिंह परमार-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हम भोपाल से कमेटी भेज देंगे.

 

 

 

 

           

12:37 बजे                             याचिकाओं की प्रस्‍तुति

 

        अध्‍यक्ष महोदय-- आज की कार्यसूची में सम्मिलित सभी माननीय सदस्‍यों की याचिकाएं प्रस्‍तुत की हुई मानी जाएंगी.

 

 

 

 

 

12:37 बजे                             

अध्‍यक्षीय घोषणा

भोजनावकाश न होने विषयक

 

          अध्‍यक्ष महोदय-- आज भोजनावकाश नहीं होगा. माननीय सदस्‍यों के लिए भोजन की व्‍यवस्‍था सदन की लॉबी में की गई है. माननीय सदस्‍यों से अनुरोध है कि सुविधानुसार भोजन ग्रहण करने का कष्‍ट करें.

 

 

 

 

 

 

 

 

12:37 बजे

शासकीय विधि विषयक कार्य

(1) मध्‍यप्रदेश वित्‍त विधेयक, 2021 (क्रमांक 19 सन् 2021) का पुर:स्‍थापन

 

         

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

(2) मध्‍यप्रदेश सहकारी सोसाइटी (संसोधन) विधेयक, 2021 (क्रमांक 21 सन् 2021) का पुर:स्‍थापन

 

सहकारिता मंत्री (डॉ. अरविन्‍द सिंह भदौरिया) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय,

 

 

 

 

 

 

 

12:39 बजे

वर्ष 2021-2020 की अनुदानों की मांगों पर मतदान ....... (क्रमश:)

(1)     मांग संख्‍या- 13          किसान कल्‍याण तथा कृषि विकास

          मांग संख्‍या- 54          कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा

          कृषि विकास मंत्री--

 

 

 

                   

 

 

 

 

 

                                                                                 


 

          अध्‍यक्ष महोदय-  उपस्थित सदस्‍यों के कटौती प्रस्‍ताव प्रस्‍तुत हुए. अब मांगों और कटौती प्रस्‍तावों पर एक साथ चर्चा होगी. मांग संख्‍या 13 एवं 54 पर चर्चा हेतु 1 घण्‍टा 30 मिनट का समय नियत है. तदानुसार दल संख्‍यावार चर्चा हेतु भाजपा के लिए 46 मिनट, इंडियन नेशनल कांग्रेस हेतु 35 मिनट, बसपा के लिए 3 मिनट, समाजवादी के लिए 2 मिनट, एवं निर्दलीय सदस्‍यों हेतु 4 मिनट का समय आवंटित है. इस समय में माननीय मंत्री जी का उत्‍तर भी सम्मिलित है. मेरा बोलने वाले सदस्‍यों से अनुरोध है कि वे समय-सीमा को ध्‍यान में रखकर, संक्षेप में अपने क्षेत्र की समस्‍यायें रखने का कष्‍ट करें. 

          श्री सचिन सुभाषचन्‍द्र यादव (कसरावद)-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं अपने वक्‍तव्‍य की शुरूआत इन पंक्तियों के साथ करना चाहता हूं-

ऋण मुक्‍त हो अन्‍नदाता हमारा, यही है प्रदेश के विकास का नारा I

ऋण माफी से होगा संपन्‍न किसान, तभी बनेगा प्रदेश महान II

 

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, वर्ष 2018 के विधान सभा चुनाव में, जो बहुमत हमें मिला और उस दौरान चुनाव प्रचार में जब हम किसानों के बीच गए तो उनका एक ही दर्द, एक ही पीड़ा थी कि पिछले 15 वर्षों की भारतीय जनता पार्टी की जो सरकार थी, उसकी जो किसान विरोधी नीतियां थीं, उसके कारण मध्‍यप्रदेश का किसान अपने आपको असहाय महसूस कर रहा था, उसको उम्‍मीद की कोई किरण नहीं दिखाई दे रही थी, उसका हाथ पकड़ने वाला कोई दिखाई नहीं दे रहा था, उसके आंसू पोंछने वाला कोई दिखाई नहीं दे रहा था और उसी का परिणाम था कि पिछले 15 वर्षों में लगभग 23 हजार किसानों को आत्‍महत्‍या करने पर मजबूर होना पड़ा.

 

12.42 बजे

{सभापति महोदय (श्री यशपाल सिंह सिसौदिया) पीठासीन हुए.}

          माननीय सभापति, महोदय वर्ष 2018 के चुनावों में, मध्‍यप्रदेश के अन्‍नदाताओं ने, जो हमें बहुमत दिया,

          श्री शैलेन्‍द्र जैन-  सचिन भाई, ज़रा ये तो बता दो कि बहुमत के लिए कितनी संख्‍या चाहिए होती है, आप बहुमत की बात कर रहे हैं, आप कौन-से बहुमत की बात कर रहे हैं ?  

          श्री सचिन सुभाषचन्‍द्र यादव-  भईया, आप बैठिये. हमारी सरकार थी, डेढ़ साल हमने सरकार चलाई, अभी मैं बताऊंगा कि हमारी सरकार ने क्‍या-क्‍या किया.

          श्री दिलीप सिंह परिहार-  वायदे पूरे नहीं किये.

          सभापति महोदय-  कृपया माननीय सदस्‍य आपस में चर्चा न करें. सचिन जी आप अपनी बात जारी रखें.

          श्री सचिन सुभाषचन्‍द्र यादव-  माननीय सभापति महोदय, लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत चुनी हुई, जनमत की सरकार थी, प्रजातांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार थी. (मेजों की थपथपाहट)

          माननीय सभापति महोदय, हमारी सरकार के आने के बाद किसानों की जो सबसे बड़ी पीड़ा थी, उस पीड़ा के निराकरण के लिए, हमने ''किसान ऋण माफी'' का ऐतिहासिक कार्यक्रम चलाने का कार्य, इस मध्‍यप्रदेश की धरा पर किया. एक ऐसी किसान ऋण माफी योजना, जहां पर किसान साथी, चाहे उसने जिला बैंक से ऋण लिया हो, चाहे राष्‍ट्रीयकृत बैंक से ऋण लिया हो, चाहे ग्रामीण बैंक से ऋण लिया हो, ऐसे तमाम किसान साथियों को किसान ऋण माफी योजना के दायरे में लाने का कार्य हमारी सरकार ने किया है. यह पहली ऐसी किसान ऋण माफी योजना थी, जहां पर किसान का अगर चालू खाता था, तो उस चालू खाते को भी ला‍भ देने का काम हमारी सरकार ने, हमारे नेता आदरणीय कमलनाथ जी के कुशल और सक्षम नेतृत्‍व में करने का काम किया है.

          माननीय सभापति महोदय, यह पहली ऐसी किसान ऋण माफी योजना थी, जहां पर हमने मध्‍यप्रदेश के 10 लाख किसान साथियों, जिनके लिए बैंकों के दरवाजे पूर्ण रूप से बंद हो चुके थे, उनको ऋण माफी के दायरे में लाकर, उनके जो कालातीत खाते थे, उनका 2 लाख रुपये तक का ऋण माफ करके, उनको दुबारा ऋण की प्रक्रिया में शामिल करने का काम, हमारी सरकार के दौरान हमने किया.

          माननीय सभापति महोदय, पूरे मध्‍यप्रदेश में चरणबद्ध तरीके से लगभग 27 लाख किसानों के, लगभग 11 हजार करोड़ रुपये से अधिक का ऋण माफ करने का काम हमारी सरकार ने किया. माननीय सभापति महोदय, अभी जो बजट प्रस्‍तुत हुआ है उस बजट में जो ऋण माफी के लिये राशि आवंटित की गयी है, उससे यह प्रतीत होता है और इससे पहले भी सरकार की तरफ से, जिम्‍मेदार लोगों की तरफ से यह वक्‍तव्‍य आये हैं कि किसानों की कर्जमाफी नहीं की जायेगी और किसानों की ऋणमाफी की जो योजना कमल नाथ सरकार ने, कांग्रेस सरकार ने चालू करी थी उसको आगे नहीं बढ़ाया जायेगा. सभापति महोदय, मेरा इस सदन से और सरकार से अनुरोध है इस ऋणमाफी योजना की दोबारा शुरूआत की जाये. हमारे समय में हमने जिनके दो लाख रूपये तक के एनपीए थे उनको ऋणमाफी का लाभ दिया. एक लाख तक के जिनके चालू खाते थे उनको हमने ऋणमाफी के दायरे में लाने का काम किया. अब वह किसान साथी ऋणमाफी की राह देख रहे हैं. जिनके एक लाख से दो लाख तक के चालू खाते थे और जिनके ऋण बकाया हैं वह अभी अपनी ऋणमाफी इंतजार कर रहे हैं. बड़ा ताज्‍जुब होता है कि जहां पर पूरे प्रदेश की लगभग 70 प्रतिशत आबादी खेती- किसानी से जुड़ी हुई है और जब किसान ऋणमाफी की बात आती है तो ना जाने क्‍यों भारतीय जनता पार्टी की सरकार को तकलीफ होती है, उनको परेशानी होती है.

          सभापति महोदय, अभी पिछले दिनों ही एक समाचार प्रकाशित हुआ और उस समाचार में लगभग 1 लाख 15 हजार करोड़ रूपये के जो बड़े-बड़े उद्योगपति थे   उनके ऋणों को राईट ऑफ करने का काम उसमें लिखा गया था, तो जब बड़े-बड़े लोगों के ऋण राईट आफ किये जा सकते हैं, बड़े-बड़े कारपोरेटरों के ऋण राईट ऑफ किये जा सकते हैं तो मेरे किसान, मेरे अन्‍नदाता के ऋण माफी का कार्यक्रम क्‍यों नहीं चलाया जा सकता है. मेरा पुन: कृषि मंत्री जी से अनुरोध है, वह यहां पर बैठे हुए हैं कि आप पुन: ऋणमाफी की प्रक्रिया को चालू करें,.

          सभापति महोदय, हमारे इस विभाग का नाम है किसान और किसान कल्‍याण, लेकिन मैंने जो बजट देखा उस बजट को देखकर ऐसा लगा कि न तो किसान और न ही किसान के कल्‍याण के लिये इसमें कोई रूपरेखा तैयार की गयी है और न ही उसके दु:खों को हरने के लिये कोई कार्यक्रम या कोई योजना बनायी गयी है. तमाम योजनाएं जो हमारे शासनकाल में चलायी गयी गयी थीं, चाहे वह मुख्‍यमंत्री तीर्थ योजना हो, बलराम तालाब योजना हो, नलकूप खनन योजना हो, सूरजधारा योजना हो, अन्‍नपूर्णा योजना हो, कृषि विभाग के शासकीय परिक्षेत्र को विकसित करने की बात हो और कृषि अभियांत्रिकी, आज पूरा हमारा सबका ध्‍यान, हमारे जो किसान साथी हैं उनको कैसे हम आधुनिकीकरण की ओर ले जायें उस दिशा में हम सबकी कोशिश और प्रयास हैं. लेकिन यह जो बजट है उस बजट में इसके लिये पर्याप्‍त प्रावधान नहीं किया गया है और इससे लगता है कि हम जिस सोच को ले‍कर के आगे बढ़ रहे थे ,कहीं न कहीं उसमें हमें कमी देखने को मिलेगी.

          सभापति महोदय, हमने हमारी सरकार के दौरान किसान साथियों को उनकी फसल, उनकी उपज के सही मूल्‍य मिले इसके लिये एक योजना बनाने का काम किया था और हमने उसके लिये जो हमारा बजट पारित हुआ था, उसमें लगभग  1600 करोड़ रूपये का प्रावधान हमने किया था, जो गेहूं के उपार्जन की प्रक्रिया हमने शुरू करी थी, जो गेहूं हमने उपार्जित किया था उसमें लगभग हम 12 लाख किसानों को लाभांवित करने जा रहे थे. उसके बजटीय प्रावधान भी करने का काम हमने किया था. लेकिन अभी जो बजट प्रस्‍तुत किया गया है उसमें कहीं भी उन किसान साथियों को उस फ्लैट भावांतर योजना का लाभ देने का जिक्र , उस बोनस को वितरित करने का जिक्र नहीं किया गया है. अभी किसान सम्मान की बात आती है तो निश्चित रूप से बहुत अच्छा लगता है. लेकिन जिस प्रकार से एक बहुत ही छोटी राशि देकर के मैं यहां तक कहूंगा कि किसानों का मजाक उड़ाने का काम किया गया है. प्रधानमंत्री सम्मान निधि योजना के अंतर्गत उनको 6 हजार रूपये देने की बात कही गई थी. अगर हम उसको देखें तो 3 रूपये प्रति व्यक्ति उनके हिस्से में आती है. 6 हजार रूपये प्रति साल देने की आप बात कर रहे हैं. पांच व्यक्ति का अगर उनका परिवार है तो मात्र उनको 3 रूपये है. आपने वाहवाही लूटने के लिये अपनी तरफ से एक और योजना चालू की उसमें 4 हजार रूपये देने की बात की. अगर इन दोनों योजनाओं की राशि को मिला दिया जाये तो मात्र 27 रूपये प्रति व्यक्ति को मिलते हैं. आज के इस महंगाई के दौर में जहां पेट्रोल एवं डीजल के दाम शतक तक पहुंच गये हैं. ऐसी परिस्थितियों में मैं समझता हूं कि यह कहीं न कहीं हमारे किसानों का इस योजना के माध्यम से उपवास उड़ाने का काम किया जा रहा है.

अभी पिछले कई दिनों से जो तीन काले कृषि कानून लागू किये गये उस पर बहुत चर्चा हुई. यह तीनों कृषि कानून जिसमें पहले कानून में देश में कहीं पर खाद्यान्न फसल एवं सब्जियों की असीमित खरीदी हो सकती है और कहीं पर अथवा मंडी के बाहर भी बेचा जा सकता है. कोई भी व्यक्ति जिसके पास आधार कार्ड, पेन कार्ड है वह किसानों के बीच में जाकर के उसकी उपज को खरीद सकता है. अभी यह कानून ठीक से लागू भी नहीं हुआ है अभी से ही उसके दुष्परिणाम सामने आने लग गये हैं. सरकार की तरफ से बड़े दावे किये जा रहे हैं कि मंडियां बंद नहीं होंगी. मंडियों को और विकसित करने का काम करेंगे. लेकिन यह तमाम दावे यह वायदों तक ही सीमित हैं. हालात यहां तक निर्मित हो गये हैं कि अभी 49 मंडियां बंद होने की कगार पर आ गई हैं. हमारे समय में जिस मंडी की आय 220 करोड़ रूपये से अधिक होती थी वह सिमट करके 150 करोड़ रूपये तक आ गई है, यह हालात हैं. अगर यही हालात रहे तो निश्चित रूप से चाहे उसमें मंडी के कर्मचारी हों, चाहे वह तुलावटी हो, हम्माल हो, छोटे-छोटे व्यापारी हों, जो मुश्किल से अपने परिवार का जीवन-यापन करते हैं उनके ऊपर बहुत बड़ा संकट इस काले कानून के तहत होने वाला है. इस कानून एक और दुष्परिणाम देखने को मिला है. हमारे कृषि मंत्री जी के खुद के क्षेत्र में खातेगांव का एक व्यापारी खोजा ट्रेडर्स जिनके कर्ता-धर्ता पवन एवं सुरेश हैं वह चार जिलों में जाकर के मूंग एवं चने की खरीदी करते हैं और लगभग 20 से 22 करोड़ रूपये की खरीदी होती है.

          लेकिन जो हमारी शंका थी, किसान साथियों की शंका थी, आखिरकार वही हुआ, वह व्‍यापारी फसल खरीदकर के भाग गया और उन प्रभावित किसानों में हमारे कृषि मंत्री जी के भतीजे भी हैं, उन भतीजे को भी लगभग 15 से 20 लाख रुपए के चना और मूंग का भुगतान अभी होना बाकी है. ताज्‍जुब की बात है कि जो नया कृषि कानून आया है, उस नये कृषि कानून में आप एफआईआर नहीं करवा सकते, लेकिन माननीय कृषि मंत्री जी ने चूंकि उनके घर का मामला था, उनके भतीजे का मामला था, खरीदी हुई नये कृषि कानून के तहत और एफआईआर जो हुई है, 420 का जो मुकदमा दायर हुआ है वह पुराने कानून के तहत दायर हुआ है, तो यह अपने आपमें दर्शाता है कि हमारा जो पुराना कृषि कानून था, जो हमारी मंडियां थीं, उसके नियम कानून कितने सख्‍त थे और किसान हितैषी थे. दूसरा, जो कानून आया, उसका कंटेन्‍ट है कि बड़े व्‍यापारी जितना चाहे अनाज खरीद सकते हैं, फल सब्जियां स्‍टोर कर सकते हैं, जितना चाहे जमाखोरी और कालाबाजारी कर सकते हैं, उसका परिणाम आज यह आ रहा है कि आज आमजन को, आम उपभोक्‍ताओं को तुअर की दाल 100 रूपए, चने की दाल 60 रूपए, सोया तेल 140 रूपए में मिल रहा है, सूरजमुखी का तेल 150 रूपए, शक्‍कर 40 रूपए पहुंच गई है, यह उस कानून के दुष्‍परिणाम है.

          सभापति महोदय, तीसरा कानून कॉन्‍ट्रेक्‍ट फार्मिंग एक्‍ट है, उसमें कई जगहों पर बहुत सारी शिकायतें आईं, कंपनियों ने किसानों से अनुबंध कर लिया और अनुबंध के बाद जब किसान अपनी उपज बेचने के लिए उन व्‍यापारियों के पास गए, कंपनियों के पास गए, तो तरह तरह के नियम कानून बताकर के उनसे उनकी उपज लेने से मना कर दिया गया, तो यह सारी बातें हैं, समय का अभाव है, आपने सीमित दायरे में बात करने को कहा है. इसलिए धन्‍यवाद दे रहा हूं.

 

          सभापति महोदय, हमारे हरियाणा कांग्रेस की विधायक शकुंतला खटीक जी ने पिछले विधान सभा का सत्र जो सम्‍पन्‍न हुआ उसमें एक कविता पढ़ी, उस कविता को आज इस सदन में दोहराना चाहूंगा.

          '' किसानों का दर्द एक बार खेत में जाकर तो देखो,

          किसी जमीन के टुकड़े पर अनाज उगाकर तो देखो,

          कभी जून की धूप में, कभी दिसम्‍बर की सर्दी में एक बार खेत में जाकर तो देखो, भूखे-प्‍यासे खेतों में हल चलाकर तो देखो, कभी गर्मी की दोपहर में, कभी सर्दी की रात में 3 बजे एक बार खेत पर सिंचाई के मोटर-पंप को चलाकर तो देखो.'' धन्‍यवाद सभापति महोदय.

 

          श्री बहादुर सिंह चौहान (महिदपुर)  - माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्‍या-13 एवं 54 का समर्थन करते हुए, अपनी बात कहना चाहता हूँ.

          सभापति महोदय, मध्‍यप्रदेश सरकार में कृषि विभाग अति महत्‍वपूर्ण विभाग है. यह विभाग मजबूत है तो अन्‍य विभाग अपने आप ताकतवर बन जाते हैं. सन् 2021-22 में जो बजट में प्रावधान किया गया है, तो जितने विभाग हैं, उन विभागों में से सबसे अधिक बजट का प्रावधान कृषि विभाग को किया गया है. इसमें 35,353 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जो विगत वर्ष की तुलना में 23,000 करोड़ रुपये अधिक है. हमारे पूर्व विद्वान वक्‍ता कह रहे थे कि प्रधानमंत्री सम्‍मान निधि में वर्ष में 6,000 रुपये दिये जाते हैं और ये 3 किश्‍तों में दिये जाते हैं, उसी की तर्ज पर माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने मुख्‍यमंत्री किसान कल्‍याण योजना बनाई और उसमें एक वर्ष में 4,000 रुपये दिये जाते हैं, यह राशि 2 किश्‍तों में दी जाती है- इस प्रकार कुल राशि 10,000 रुपये हो जाती है. हम जानते हैं कि इस सदन में बैठे हुए अधिकांश हमारे माननीय सदस्‍य किसान हैं और मेरा स्‍वयं का मानना है कि मध्‍यप्रदेश में 80 से 85 प्रतिशत लघु और सीमान्‍त किसान हैं.

          माननीय सभापति जी, जिस किसान के पास एक हेक्‍टेयर या एक एकड़ कृषि भूमि है. उसके लिए 10,000 रुपये कितने महत्‍वपूर्ण हैं, वह किसान ही जानता है. सक्षम किसान तो कहीं से भी अपना कार्य कर लेता है, लेकिन किसान इस 10,000 रुपये से एक एकड़ या एक हेक्‍टेयर के लिये उन्‍नत किस्‍म के बीज खरीद सकता है, उन्‍नत किस्‍त का उर्वरक खरीद सकता है और उन्‍नत किस्‍त की दवाई खरीद सकता है. इन      10,000 रुपयों से वह एक एकड़ और एक हेक्‍टेयर में अपनी कृषि आराम से कर सकता है. इस 10,000 रुपये की राशि का जो महत्‍व है, वह सिर्फ वह गरीब किसान के लिए है, जो हमारे प्रदेश में लगभग 80 से 85 प्रतिशत के लगभग हैं. आप और हम सब जानते हैं कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना केन्‍द्र के द्वारा प्रारंभ की गई है और इसमें किसानों की फसल अतिवृष्टि होने से, अल्‍पवर्षा होने से, इल्‍ली के प्रकोप से, टिड्डी दल से, शीतलहर से आदि किसी भी कारण से यदि किसानों की फसल खराब हो जाती है तो उनको प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमा लेने का अधिकार है.

माननीय सभापति जी, मैं आपके माध्‍यम से, इस सदन के माध्‍यम से कृषि मंत्री जी को एक कृषक होने के नाते धन्‍यवाद देना चाहता हूँ. माननीय कृषि मंत्री जी पूर्व में राजस्‍व मंत्री भी रहे हैं और पहले फसल बीमा योजना का जो हल्‍का था, वह तहसील किया गया था. वे एकमात्र देश के ऐसे राजस्‍व मंत्री उस समय हुए थे, जिन्‍होंने तहसील को, हल्‍के को बदलकर, ग्राम पंचायत हल्‍का किया (मेजों की थपथपाहट). हमारे कृषि मंत्री, उस समय के राजस्‍व मंत्री थे. मैं कमल पटेल जी को इस सदन की ओर से और  भारतीय जनता पार्टी की सरकार और माननीय मुख्‍यमंत्री जी को धन्‍यवाद देना चाहता हूँ.  यही मध्‍यप्रदेश और यही लघु किसान, यही सीमान्‍त किसान, बड़े किसान, क्षेत्रफल भी इतना ही, सन् 2019-20 में तत्‍कालीन सरकार द्वारा उपार्जन का कार्य किया गया था, तो पूरे मध्‍यप्रदेश से 23 लाख क्विंटल का उपार्जन किया गया था. अब इतने ही किसान है, मध्‍यप्रदेश भी इतना ही बड़ा है और हमारी सरकार आने के बाद माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने कोरोनाकाल में भी, जब कोरोनाकाल चल रहा था, उस समय प्रदेश की बड़ी विषम परिस्थितियां थी, उस समय माननीय मुख्‍यमंत्री जी के द्वारा वर्ष 2020-21 में 1 करोड़ 29 लाख मैट्रिक टन गेहूं का उपार्जन किया गया है, जो एक रिकार्ड है (मेजों की थपथपाहट) माननीय सभापति महोदय, इस प्रकार से इनसे जस्‍ट डबल किसानों के गेहूं का उपार्जन किया गया है और इसका श्रेय में माननीय मुख्‍यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान और माननीय कृषि मंत्री कमल पटेल को देना चाहता हूं. इस गेहूं उपार्जन से किसानों को 24 हजार 833 करोड़ रूपये का भुगतान सरकार के द्वारा समय पर किया गया है और उनके खाते में दिया गया है और इस पेमेंट में कभी भी विलंब नहीं हुआ है.

माननीय सभापति महोदय, मैं इसके साथ-साथ हमारी सरकार के द्वारा जो धान की खरीदी की गई है, इसके तहत बड़ी राशि का बीमा प्रीमियम किया गया है और इसमें 18 लाख 38 हजार किसानों से 3 हजार 262 करोड़ का उसमें पेमेंट किया गया है. कुल दोनों राशि मिलाकर 8 हजार करोड़ रूपये का भुगतान हमारी सरकार के द्वारा किया गया है.

श्री रामलाल मालवीय -- श्री बहादुर सिंह चौहान साहब मेरा निवेदन है कि पिछले बार जो दस-दस लाईन में लगे थे, वह नहीं लगे और बैंकों में भुगतान में जो परेशानी आई थी, उसके संबंध में मंत्री जी से आग्रह करें कि उसका समाधान करा दें, आपके भाषण में यह बात भी आ जाये.

श्री बहादुर सिंह चौहान -- माननीय सभापति महोदय, उज्‍जैन जिले के हमारे विद्वान सदस्‍य हैं. माननीय सभापति महोदय, मैं आपके माध्‍यम से उनको बताना चाहता हूं कि हमारे यहां खरीदी केंद्र पहले कम थे, उज्‍जैन जिले में 172 संस्‍थाएं हैं और उसमें से 144 केंद्रों को उपार्जन केंद्र बना दिया गया है. इस प्रकार से काफी उपार्जन केंद्र बना दिये गये हैं. अब कोई लाईन नहीं लगेगा, ऐसा मैं आपको माननीय कृषि मंत्री जी की ओर से आश्‍वास्‍त करना चाहता हूं, सरकार की ओर से आश्‍वास्‍त करना चाहता हूं.

श्री रामलाल मालवीय -- अब तो मंत्री जी की जरूरत ही नहीं पड़ेगी (हंसी)

सभापति महोदय -- आप इधर-उधर देखकर जवाब न दें, आप आसंदी की ओर देखकर जवाब दें.

श्री बहादुर सिंह चौहान -- माननीय सभापति महोदय, पूर्व सरकार के द्वारा सरसों की खरीदी 13 क्विंटल प्रति हैक्‍टेयर की गई थी. आज एकमात्र कृषि मंत्री हुए  हैं जिन्‍होंने13 क्विंटल से बढ़ाकर एक हैक्‍टेयर में 20 क्विंटल किया है (मेजों की थपथपाहट) यदि एक क्विंटल पर हजार रूपये का भी लाभ होता है तो एक हैक्‍टेयर पर सात हजार रूपये का लाभ सीधा-सीधा किसान कमाता है, इसका श्रेय माननीय कमल जी पटेल जी को जाता है.

माननीय सभापति महोदय, चना एक हैक्‍टेयर में 15 क्विंटल खरीदते थे और पूर्व की सरकार ने सिर्फ अगर बढ़ाये थे तो छिंदवाड़ा में 19 क्विंटल प्रति हैक्‍टेयर बढ़ाकर किये थे और प्रदेश में कहीं पर नहीं किये थे. परंतु एकमात्र कमल जी पटेल हैं जिन्‍होंने मध्‍यप्रदेश के जिलों में 15 क्विंटल प्रति हैक्‍टेयर से चना बढ़ाकर 20 क्विंटल प्रति हैक्‍टेयर किया है और अगर यह किसी ने किया है तो माननीय कृषि मंत्री जी ने किया है.

माननीय सभापति महोदय, आज चने का समर्थन मूल्‍य 5100 रूपये है और सरसों का समर्थन मूल्‍य 4650 रूपये है, गेहूं का समर्थन मूल्‍य 1975 रूपये है.

श्री सुनील उईके -- सम्‍मानीय सदस्‍य महोदय, मक्‍के का भी समर्थन मूल्‍य बता दें और समर्थन मूल्‍य के साथ खरीदी भी बता दें.

श्री बहादुर सिंह चौहान -- उसमें लिखा है.

सभापति महोदय -- श्री सुनील जी आप बैठ जायें, श्री बहादुर सिंह चौहान जी आप उधर देखकर संवाद न करें, इधर- उधर देखकर चर्चा का जवाब न दें. आप आसंदी की ओर देखकर संवाद करें. आप अपना वक्‍तव्‍य जारी रखें, पन्‍ने नहीं पलटायें नहीं तो आप भटक जायेंगे.

श्री सुनील उईके -- माननीय सभापति महोदय, यह  बहुत सीनियर और संवदेनशील सदस्‍य हैं, आप मक्‍के का समर्थन मूल्‍य बता दें.

सभापति महोदय -- (श्री सुनील उईके सदस्‍य द्वारा, श्री विनय सक्‍सेना, सदस्‍य के आसन से बोलने पर)  आप किस-किस आसन से बोलेंगे, आप पहले उस आसन से बोल रहे थे, फिर आप इस आसन से बोल रहे हैं. कृपया आप अपने आसन से बोलें.

श्री बहादुर सिंह चौहान -- माननीय सभापति महोदय, इसमें सब लिखा है.

श्री फुंदेलाल सिंह मार्को -- माननीय सभापति महोदय, क्‍या माननीय सदस्‍य थोड़ा कोदो का समर्थन मूल्‍य बता देंगे ?

श्री बहादुर सिंह चौहान -- आप इसे पढ़ लेना, इसमें पूरे न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य जितने भी हैं, जो कि केन्‍द्र सरकार के द्वारा दिये गये हैं और जो मुझे याद है मैंने बता दिये हैं. बाकी इसमें लिस्‍ट पूरी है, मैं पढ़कर सुना दूंगा.

सभापति महोदय -- आप इनको कॉपी उपलब्‍ध करवा देना.

श्री फुंदेलाल सिंह मार्को -- श्री बहादुर सिंह चौहान जो लिस्‍ट आपने रखी है, उसमें कोदो लिखा ही नहीं है, आप थोड़ा उसको पढि़ये. (व्‍यवधान..)

सभापति महोदय -- माननीय सदस्‍य आप व्‍यवधान खड़ा न करें, आपका बोलने का अवसर आयेगा, तब आप अपनी बात रखियेगा. श्री बहादुर सिंह चौहान जी आप जारी रखें.

          श्री बहादुर सिंह चौहान -- माननीय सभापति महोदय, गेहूं का उपार्जन जब किसान ट्रेक्‍टर लेकर जाता था, तो उसमें 35 क्विंटल, 40 क्विंटल, 50 क्विंटल तक लेकर जाता था और मात्र एक समय में एक किसान 25 क्विंटल से ज्‍यादा उपार्जन गेंहॅूं नहीं तोल सकता था. एकमात्र कृषि मंत्री ऐसे हुये हैं कि एक साथ जितनी भी फसल है 100 क्विंटल या 200 क्विंटल एक साथ जाकर किसान तौल सकता है, यह कानून कृषि मंत्री जी ने बनाया है, उनको बार-बार आने जाने की जरूरत नहीं है. माननीय सभापति महोदय, मैं अच्‍छी तरह से जानता हूं कि वर्ष 2003 में जब मैं पहली बार विधायक बनकर आया था उस समय यूरिया खाद का ट्रक आता था तो आप भी जानते हैं माननीय सभापति जी, पूरा सदन जानता है कि उस यूरिया खाद के लिये पूरे थानों की पुलिस, वहां के अनुविभागीय अधिकारी, वहां के एसडीओपी थाने में गाड़ी खड़ी करके फिर यूरिया खाद का वितरण होता था, इसको मैं अच्‍छी तरह से जानता हूं, नहीं तो आप रिकार्ड उठाकर देख लो. मेरे द्वारा उस समय नागार्जुन नकली खाद पकड़ा गया था और 27 ट्राले पकड़कर 3/7 आवश्‍यक वस्‍तु अधिनियम 1 जनवरी 2007 थाना महिदपुर में प्रकरण दर्ज करवाया गया था, यह बात मैं आज सदन में कर रहा हूं. उस समय खाद की कालाबाजारी होती थी, उन्‍नत बीज की कालाबाजारी होती थी, नकली दवाईयों की कालाबाजारी होती थी, हमारी सरकार आने के बाद माननीय कमल पटेल जी जैसे कृषि मंत्री आने के बाद कालाबाजारी करने वाले लोग आज डरे हुये हैं, वह प्रदेश में कालाबाजारी नहीं कर सकते हैं, यह किसानों की सरकार है, इसलिये मैं कहना चाहता हूं किसान होने के नाते कि आने वाला समय पहले किसान बहुत पीछे था, लेकिन धीरे-धीरे हमने पूरे प्रदेश में सिंचाई का रकवा बढ़ाया उससे उपार्जन बहुत अधिक हुआ और एक बार नहीं, दो बार नहीं, तीन बार नहीं 7 बार लगातार कृषि कर्मण अवार्ड मध्‍यप्रदेश सरकार, भारतीय जनता पार्टी की सरकार को मिला. यह कार्य भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किया है और माननीय सभापति महोदय, मैं जानता हूं कि वर्ष 2003 में मैं जब पहली बार विधायक बनकर आया था उस समय साढ़े 7 लाख हेक्‍टेयर में सिंचाई होती थी, उस समय 29 हजार मेगावाट बिजली थी और सिंचाई का रकवा कम था, बिजली कम थी. माननीय सभापति महोदय, कृषि विभाग के साथ-साथ ऊर्जा विभाग और जल संसाधन विभाग का भी संबंध कृषि से जुड़ा हुआ है, उसकी कोई मांग पर मैं चर्चा नहीं कर रहा हूं, लेकिन पूर्व की सरकार की स्थिति क्‍या थी कि जहां कृषि करने योग्‍य भूमि थी, वहां पर बिजली नहीं, जहां पर कृषि करने योग्‍य भूमि थी वहां पर पानी का डेम नहीं और यदि कृषि योग्‍य भूमि है और पानी है तो बिजली नहीं इसलिये कृषक अपने पानी को खेतों तक नहीं ले जा पाता था. यह पहली सरकार है वर्ष 2003 के बाद पूरे मध्‍यप्रदेश का अध्‍ययन करके जहां बिजली की आवश्‍यकता थी वहां 132 बनाया, जहां नदियां थीं वहां डेम बनाये. माननीय सभापति महोदय, कृषि के लिये जल संसाधन विभाग और ऊर्जा विभाग की बहुत ही महत्‍वपूर्ण भूमिका इसमें है, उन दोनों विभाग के कारण आज लगातार किसान अपनी फसलों को आगे बढ़ाता जा रहा है और लगातार हम गेहूं हो, चना हो, सरसों हो, मसूर हो जो-जो भी उपज है वह बढ़ती जा रही है और मध्‍यप्रदेश हर क्षेत्र में ताकत से काम कर रहा है.

          माननीय सभापति महोदय, मैं आपसे कहना चाहता हूं कि ऐसे कृषि मंत्री हैं जिन्‍होंने रविवार के दिन राष्‍ट्रीयकृत बैंके खुलवाई हैं, आज तक का इतिहास नहीं है. पहले बीमा की 31 जुलाई तक आखिरी तारीख थी और फसल बीमा योजना यह केन्‍द्र की योजना है और केन्‍द्र से चलती है, एकमात्र ऐसे कृषि मंत्री हुये कि 31 जुलाई को बढ़ाकर 30 अगस्‍त तक की सीमा इन्‍होंने बढ़ाई और यहां तक नहीं 7 सितम्‍बर तक फसल बीमा करया. पहले 25 लाख किसान थे और अब 44 लाख किसान इसमें जुड़ गये, डबल बीमा हुआ और मेरा मानना है कि वर्ष 2020-21 का जो बीमा आयेगा, अभी तक बीमा राशि नहीं आई है इतनी अधिक क्‍यों, क्‍योंकि किसानों ने प्रीमियम ही डबल जमा कर दिया, किसानों की प्रीमियम डबल जमा हुई है तो उनको बीमा भी डबल मिलेगा. मेरी माननीय कृषि मंत्री जी से चर्चा हुई थी कि यह लघु और सीमांत कृषक हैं, अब लघु यानी क्‍या, 1 हेक्‍टेयर, 2 हेक्‍टेयर के. माननीय सभापति महोदय, यह प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना केन्‍द्र की है और माननीय कृषि मंत्री जी से मेरी चर्चा हुई थी कि लघु और सीमांत कृषक जो मध्‍यप्रदेश के हैं उनके लिये फसल बीमा की एक नई नीति बनाई जा रही है और वह नई नीति बनाने के बाद जो 80-85 प्रतिशत लघु और सीमांक कृषक हैं उनके लिये पूरे प्रदेश में बीमा नीति बनाकर, ऐसा मेरा कृषि मंत्री जी से आग्रह है कि जब आप अपना उद्बोधन दें तो मैं चाहता हूं कि यह प्रधानमंत्री फसल बीमा सक्षम आदमी तो करवा लेता है लेकिन लघु और सीमांत कृषक नहीं करवा पाता है तो जो 80-85 प्रतिशत मध्यप्रदेश के  जो ऐसे किसान हैं उनका प्रीमियम सरकार द्वारा भरवा दिया जाये अगर उनका बीमा सरकार करवा देगी तो जो बीमा दो गुना हो रहे हैं तो यह तीन गुना हो जायेंग और उन सभी कृषकों को उसका लाभ मिल जायेगा. मध्यप्रदेश को सक्षम और कृषक  को सक्षम बनाने के लिये मेरा एक सुझाव है कि जब किसान को सर्टिफाईड और फाउंडेशन बीज मिल जायेगा. उनको मल्टी नेशनल कंपनियों की दवाई मिल जायेगी और मल्टी नेशनल उर्वरक मिल जायेगा. असली खाद, असली बीज, असली दवाई जब किसानों के खेत में डलेंगी. तो मेरा अपना मानना है कि उनकी आय दोगुनी हो जायेगी और यह कार्य, मध्यप्रदेश में असली दवाई,असली बीज, असली खाद, यदि यह सब व्यवस्था की है तो वह मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज जी और कृषि मंत्री जी ने की है. बहुत-बहुत धन्यवाद.

          सुश्री हिना लिखीराम कावरे(लांजी) - माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 13 और 54 पर अपनी बात रखने के लिये खड़ी हुई हूं.  माननीय सभापति महोदय, किसान की जब बात आती है तो हम सब इस बात को स्वीकार करते हैं, जैसा बहादुर सिंह जी ने कहा कि कृषि यदि मजबूत हो जायेगी तो सभी चीजें मजबूत हो जायेंगी लेकिन किसान मजबूत कब होगा, जब किसान को सही समय पर सही बीज उपलब्ध होगा. मैंने पूरा बजट पढ़ा. प्रतिवेदन पढ़ा और जो अनुदान की मांगे हैं, मैंने देखा कि इसमें मध्यप्रदेश राज्य बीज,फार्म विकास निगम को मजबूत करने की जरूरत है लेकिन जिस बीज निगम की मैं बात कर रही हूं उसके लिये बजट का आवंटन नहीं के बराबर है. माननीय मंत्री जी नोट कर रहे हैं.  2 योजनाएं हमारे यहां चलती थीं.  सूरज धारा योजना, अन्नपूर्णा योजना. अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के कृषकों के लिये यह योजनाएं चलती थीं. इसमें 75 प्रतिशत अनुदान उनको मिलता था. उस योजना में जीरो बजट है. पिछली बार भी जब इन योजनाओं का लाभ उनको नहीं मिला था तो लगा था कि  चलिये आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है लेकिन इस बार के बजट में भी यह दोनों योजनाओं के लिये पैसे नहीं है. दूसरी बात बीज ग्राम योजना, जो सभी वर्गों के लिये है. इस योजना का जिक्र आपके प्रतिवेदन में तो है पर बजट की किताब में आप या तो इसको डालना भूल गये हैं या यह योजना भी आपने बंद कर दी. आपको इस योजना को बजट में शामिल करना चाहिये क्योंकि यह बहुत अच्छी योजना है क्योंकि हमारे यहां बालाघाट में जो बीज की आवश्यकता पड़ती है. खरीफ में करीब 30 हजार क्विंटल धान के बीज की जरूरत पड़ती है. रबी में 8 हजार क्विंटल गेहूं के बीज की जरूरत पड़ती है और 8 हजार क्विंटल चने के बीज की जरूरत पड़ती है. जिसकी पूर्ति शासन नहीं करवा पाता और मजबूरी में किसानों को प्रायवेट लोगों से, प्रायवेट कृषि केन्द्रों से यह बीज खरीदना पड़ता है और ऐसी स्थिति में जो हमारी समितियां हैं जिन समितियों के माध्यम से सरकारें बीज उपलब्ध किसानों को करवाती हैं उन समितियों का समय पर भुगतान नहीं हो पाता. यदि उन समितियों का ही समय पर भुगतान नहीं होगा तो वह कैसे समय पर बीज उपलब्ध करवा पाएंगी. यह बहुत महत्वपूर्ण चीज है. बीज का उत्पादन, बीज की उपलब्धता यह समय पर किसान को उपलब्ध करवाना बहुत आवश्यक है. इसके लिये आपको बजट में प्रावधान करना चाहिये. बालाघाट की बात करूंगी क्योंकि जब बीज की बात हो रही है. मुझे अच्छे से याद है कि जवाहर लाल नेहरू के वाइस चांसलर से मेरी चर्चा हुई थी. उस चर्चा के दौरान उन्होंने मुझे बताया कि  पूरे मध्यप्रदेश में बालाघाट और सिवनी की जलवायु ऐसी है कि रबी में यदि धान जो उगाया जाता है उसका इस्तेमाल हम बीज के रूप में हम कर सकते हैं. यदि वास्तव में बीज की इतनी दिक्कत पूरे प्रदेश में है और बालाघाट और सिवनी की जलवायु ऐसी है तो हम को उस पर अनुसंधान करना चाहिये. अनुसंधान हुए है तभी पता चला है लेकिन उस पर आगे कोई प्रोसेस नहीं हुई. यदि इस पर सही दिशा में कार्य हो गया तो पूरे मध्यप्रदेश को बीज की कमी बालाघाट और सिवनी दूर कर सकता है. इस पर पहल होनी चाहिये.  अभी  मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना  की बात हो रही थी.  मैंने अपने सामान्य बजट की  जब चर्चा  हो रही थी,  उस समय भी कहा था. बहादुर सिंह  जी  अभी कह रहे थे कि  हमारे प्रधानमंत्री जी  6 हजार रुपये किसानों को दे रहे हैं. अच्छी बात है, हम तो तारीफ करते हैं इस बात की  और उन्हीं किसानों  को हमारे मुख्यमंत्री  जी 4 हजार रुपये दे रहे हैं,  कुल  मिलाकर 10 हजार रुपये  किसान को मिल रहा है. बहादुर सिंह जी, गौर से सुनियेगा.  जिन किसानों को 6 हजार रुपया प्रधानमंत्री जी दे रहे हैं, उन किसानों  को यदि 4 हजार रुपया मध्यप्रदेश की सरकार दे रही है,  तो उसके लिये आपको बजट में प्रावधान करना चाहिये था  5333 करोड़.  आपने दिया कितना है पिछली बार.  आपने पिछली बार जो दे दिया है और जो देने वाले हैं,  उसको भी मैं मिला दूं तो  1550 करोड़  ही आपने अभी तक प्रोवीजन किया है और अभी   जो वर्ष 2021-22 में देने वाले हैं,  उसमें भी आपने जो प्रोवीजन किया है, वह 3200 करोड़ रुपये है. दोनों का आप अंतर मिलायेंगे,  तो 2 हजार करोड़ रुपये हमारे किसानों  का पैसा कहां गया.  वह-वाही तो आपने बहुत लूटी कि हम 4 हजार रुपये दे रहे हैं,  लेकिन  आप बिना बजट के देंगे कहां से. उसका प्रावधान आपको करना पड़ेगा.  मंत्री जी नोट कर रहे हैं, मैं खुश हूं और वे नोट कर रहे हैं तो प्रावधान हो ही जायेगा,  क्योंकि ये आंकड़े मैंने  आपने जो दिया है बजट में,  उसी  से निकाला है, तो  इसका प्रावधान होना चाहिये,  किसानों को उनका पैसा मिलना चाहिये.  पिछली बार का भी  और इस बार का भी.  यदि आंकड़े जो कम हुए हैं,  तो कोई दिक्कत नहीं है,   उस आंकड़े के अनुसार  भी प्रावधान आपके अभी भी कम हैं. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन,  इसमें जो भी घटक आते हैं,  वह फसलों की पैदावार  बढ़ाने के लिये होता है.  बालाघाट, पिछली बार जब हमारे  बालाघाट के कृषि मंत्री जी थे, तो  मैंने पिछली बार भी यह बात उठाई थी कि   बालाघाट को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा   मिशन से गेहूं को हटा दिया गया है. गेहूं के उससे बालाघाट को हटा दिया गया है.  एक तरफ तो सरकार  यह प्रेशर देती है  बालाघाट के किसानों के ऊपर कि  आप   धान मत लगाइये, गेहूं लगाइये.  गेहूं लगायेंगे  और  उसके लिये आप  हमको राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन में तो दीजिये.  पिछली बार तो हमारे मंत्री  जी कह दिया करते थे कि  यह केन्द्र का मामला है.  ठीक है,  जब तक शत प्रतिशत   अनुदान केन्द्र  सरकार देती थी तो   तब तक हम  मान भी लेते थे.  लेकिन आज तो 40 प्रतिशत  हमारी  भी हिस्सेदारी है. तो मैं मंत्री जी से निवेदन करना चाहूंगी कि  उसके लिये बालाघाट को आप गेहूं के घटक  में जुड़वाने का काम करें  और केवल गेहूं नहीं गन्ने को भी आप जुड़वाइये, क्योंकि  बालाघाट में इसकी बहुत  ज्यादा संभावनाएं हैं.  एक तो नक्सल प्रभावित क्षेत्र है,  कृषि के अलावा हम किसी  और चीज पर बहुत ज्यादा   सोच भी नहीं पा रहे हैं. तो कम से कम कृषि पर  तो हम कुछ कर लें.  मुख्यमंत्री  फसल ऋण माफी योजना.  मैं तो धन्यवाद करना चाहूंगी,  मैंने  अनुदान की मांग की किताब में देखा  कि  इसमें  आपने   3 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया है.  मैं आपको धन्यवाद करती हूं कि आपने कर्ज माफी की योजना को, मतलब यह योजना जीवित, जिन्दा है, मरी नहीं है, पर आपने  3 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान इसमें किया है, इसको आप पूरा करिये. क्योंकि  जब  कर्ज माफी के लिये कार्यक्रम आयोजित  किये गये,  तो जो  कार्यक्रम हुए, उसमें  किसानों को जो प्रमाण पत्र  मिला है,  उसके लिये तो राशि आपने भिजवाई,  मैं उसके लिये आपको धन्यवाद करती हूं. हमारे यहां  दो ट्रायबल ब्लाक हैं. एक तो बैहर  और दूसरा परसवाड़ा.  वहां के किसानों को अभी तक कर्ज माफी का पैसा नहीं मिला है,  मेरा निवेदन है कि  आप वह राशि  भी  डलवा दें.  एक तो सातवां वेतनमान,  सब जगह सातवां वेतनमान मिल गया, लेकिन कृषि विश्वविद्यालय  के कर्मचारियों, अधिकारियों  को  सातवां वेतनमान का  लाभ नहीं मिल रहा है.  यह जो मुख्यमंत्री भावान्तर योजना है,  जिस समय यह योजना लांच हुई थी, हमको ऐसा लग रहा था कि केन्द्र सरकार इतनी प्रभावित है हमारी भावान्तर योजना से कि  मध्यप्रदेश की तर्ज पर  पूरे देश  में इस योजना को लागू करवायेगी. लेकिन ऐसा क्या हो गया इस बार  कि  इस भावान्तर योजना के लिये   मध्यप्रदेश सरकार के बजट में  जीरो रुपये है. क्या हो गया इस योजना का. सभापति महोदय, आप जिस तरीके से मेरी तरफ देख रहे हैं,  मैं समझ  रही हूं, लेकिन मैं अंतिम बात कह रही हूं.  जब भी किसान की बात आती है,  तो हमेशा पुरुषों  का नाम क्यों आता है.  हमारा जो विभागीय प्रतिवेदन है, नारी सम्मान तो हम एक ही दिन करते हैं,  अन्तर्राष्ट्रीय  महिला दिवस के अवसर पर, लेकिन  हमारे विभागीय प्रतिवेदन की किताब में  जितने किसानों की जो फोटो बनी है,  वह सब पुरुष हैं.  बालाघाट में 50  प्रतिशत से ज्यादा  काम   महिलाएं करती हैं, उनका फोटो भी इसमें होना चाहिये. (सदन में मेजों की थपथपाहट) आपके किसान के जो भी लोगो बनें,  उसमें महिलाओं का स्थान  प्रमुखता से होना चाहिये. सभापति महोदय आपने जो प्रावधान किया है इसमें महिलाओं के लिए एक लाइन है कि  कृषि में महिलाओं की भागीदारी बजट का आवंटन जीरो, केवल आयोजन करके सम्मान मत दो, थोड़ा अपने कार्यक्रम के माध्यम से भी प्रदेश की जनता को बताइये कि महिलाओं का सम्मान हम किस तरह से कर रहे हैं.

          माननीय सभापति महोदय एक छोटी सी बात मैं जरूर कहना चाहूंगी. हमारे यहां पर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की बात होती है. यह अच्छी बात है कि इसमें पिछले साल से किसानों के लिए एच्छिक कर दिया गया है. लेकिन हम सब इस बात को जानते हैं कि हमारे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी ने  सार्वजनिक रूप से भी इस प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की दिक्कतों को स्वीकार किया है. उस समय के हमारे कृषि मंत्री जी ने भी स्वीकार किया था तो क्या इस योजना में केवल किसान के लिए एच्छिक बातें हैं. क्या मध्यप्रदेश सरकार के लिए एच्छिक नहीं होना चाहिए. अभी हमारे बहादुर सिंह चौहान जी कह रहे थे कि हमारे मंत्री जी ने पंचायत को इकाई बनाया है, नहीं, पंचायत को इकाई बनाने के बाद भी इस प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ नहीं मिल सकता जब तक आप किसान को इकाई नहीं बनायेंगे. यदि वास्तव में प्रधानमंत्री फसल बीमा का लाभ देना चाहते हैं तो आपको किसान को इकाई बनाना पड़ेगा. यह फील्ड की दिक्कत है जो मैं आपको बता रही हूं. माननीय सभापति महोदय आपने बोलने का समय बहुत बहुत धन्यवाद्य

          श्री जालम सिंह पटेल ( नरसिंहपुर ) -- सभापति महोदय मैं मांग संख्या 13 और 54 का समर्थन करता हूं और कटौती प्रस्तावों का विरोध करता हूं. जैसा कि हम सभी जानते हैं कि मध्यप्रदेश कृषि प्रधान प्रदेश है हमारी आबादी का लगभग 75 से 80 प्रतिशत हिस्सा कृषि पर आधारित है. अभी बजट और बजट प्रावधान की भी बात हो रही थी बिंदूवार बजट पर चर्चा हुई है. मैं हमारे कांग्रेस के सम्मानित विद्वान वक्ता हैं. उनको बताना चाहता हूं कि 2003 और उसके पहले के बजट की भी हमें जानकारी होना चाहिए कि 2003 में जो मध्यप्रदेश का बजट था वह 267 करोड़ 40 लाख 30 हजार रूपये और आज के बजट में जो प्रावधान किया है वह बहुत अच्छा है. हर वर्ष की अगर मैं जानकारी दूं तो प्रत्येक वर्ष जब से भाजपा की सरकार बनी है लगातार उसमें बजट में वृद्धि हुई है. 2004 में 312 करोड़17 लाख 62 हजार रूपये 2005 से आप देखें तो लगातार आमूल चूल परिवर्तन हुए हैं. उ सका कारण मैं मानता हूं कि प्रदेश में कृषि के क्षेत्र में सिंचाई के माध्यम से उ त्पादन भी बढ़ा है लोगों को रोजगार भी प्राप्त हुआ है और कांग्रेस के बंधुओं ने जो पिछली बार सरकार बनाई थी अभी जो बात हो रही थी कि हमारी सरकार बन गई. मैं ऐसा कह सकता हूं कि उसमें प्रलोभन देकर कैसे सरकार की चोरी की जाती है, इनका मेरे पास में एक वचन पत्र है, यह वैसे फटने लगा है लेकिन मैंइसे अच्छे तरीके रखे हुए हूं. मैं इसमें बताना चाहता हूं कि लिखा है कि हम किसानों का कर्जा माफ करेंगे, फिर कहा है कि स्वामीमाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करेंगे,  दूध में पांच रूपये प्रति लीटर बोनस देंगे यह कहा है. पैट्रोल और डीजल के करों में छूट देंगे, किसानों के लिए नई फसल बीमा योजना लेकर आयेंगे. इसके अलावा कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को जीएसटी से छूट दिलायेंगे. किसानों के पुत्र पुत्रियों को पांच वर्ष के लिए रियायती ब्याज पर ऋण देकर रोजगार उपलब्ध करायेंगे, किसानों की कन्याओं को 51 हजार रूपये विवाह में देंगे, किसानों को स्मार्ट कार्ड देंगे, इस तरह से एक बहुत लंबी चौड़ी लिस्ट है इसमें 24 वचन दिये थे, और किसान इसमें लगभग भ्रमित हो गया था कि उनके नेता ने कहा है कि 10 दिन में कर्जा माफ हो जायेगा. मैं ऐसा मानता हूं कि आज किसानों इतनी बूरी हालत है जो कि उऩके झांसे में आ गये हैं वह सारे के सारे किसान बंधू डिफाल्टर हो गये हैं डिफाल्टर होने के कारण मैं ऐसा मान सकता हूं कि वह कर्ज नहीं ले पा रहे हैं उनके बच्चों की नौकरी अगर लग जाती है तब वह समस्‍या रोज नित नई खड़ी है. उससे इनका दूर-दूर तक लेना-देना नहीं है और जहां तक प्रदेश के हमारे कृषि मंत्री महोदय हैं वह लगातार इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं. मूलत: वह भी किसान हैं. मैं ऐसा मानता हूं कि जब कोई व्‍यक्ति खेती-किसानी करता है तो उसको हर कष्‍ट और सबकी जानकारी होती है. बहुत सारे लोग तो ऐसे होते हैं जो कृषि में पढ़-लिखकर बोलते हैं. कृषि की चर्चा पर सिर्फ भाग लेते हैं लेकिन दूर-दूर तक उनका इन सबसे लेना-देना नहीं है. पहले हमारी सरकार ने, प्रदेश के आदरणीय मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी ने चाहे हमारे कृषि यंत्र हों, कृषि से जुड़ी हुई जितनी भी आपदाएं-विपदाएं आती थीं, बीमा की अभी बात हुई कि बीमा पहले कितना मिलता था अब कितना मिल रहा है, उसमें आरबीसी 6(4) में कई प्रकार के और बहुत सारे परिवर्तन किये हैं. हम सबको जानकारी भी है कि कोई किसान बंधु पहले खेत में किसी भी कारण से खतम हो जाता था तो उसको एक पैसा नहीं मिलता था, आज हम कह सकते हैं कि कोई किसान की अगर एक तो मौत न हो, लेकिन अगर मौत हो जाती है तो उसको  4 लाख, 5 लाख रुपये की राशि दी जाती है. घटना-दुर्घटना कहीं की भी होती है, अगर विकलांग हो जाता है तो 2 लाख रुपये की राशि उसको प्रदान की जाती है. इसी प्रकार से अगर हमारे मवेशी आपदा से खतम होते हैं, चाहे गाय हो, चाहे भैंस हो, अन्‍य पशु हों, उसमें 16 हजार रुपये की राशि दी जाती है. बकरी के मामले में 10 हजार रुपये की राशि दी जाती है. अन्‍य प्रकार के और भी छोटे-छोटे मुआवजा देने का काम करते हैं. इसी प्रकार से जैसे हमारा कुंआ है, पम्‍प है, किसी प्राकृतिक आपदा से समाप्‍त होता है तो उसको पहले 6 हजार की राशि मिलती थी और हमारी सरकार ने बढ़ाकर उसको 25 हजार रुपये करने का काम किया है. इसी प्रकार से और भी अनेक प्रकार के काम हैं. पहले बिजली से कोई व्‍यक्ति खतम हो जाता था तो वर्ष 2017 के पहले कोई पैसा नहीं मिलता था, लेकिन वर्ष 2017-18 में हमारी सरकार ने प्रावधान किया कि अब विद्युत मण्‍डल में उनको 4 लाख रुपये की राशि मुआवजा के रूप में देते हैं और विकलांग होने पर 2 लाख की राशि, कम विकलांग होने पर 59 हजार रुपये की राशि दी जाती है. ऐसे अनेक प्रकार के सुधार हमारी सरकार ने किये हैं.

          स्‍वामीनाथन रिपोर्ट की मैं बात करना चाहता हूं और इनके वचन पत्र में भी था. स्‍वामीनाथन आयोग जो बना था यह आयोग कांग्रेस के समय वर्ष 2004 में बना था. इसकी पहली रिपोर्ट दिसम्‍बर 2004 में आयी, दूसरी रिपोर्ट अगस्‍त 2005 में आयी, तीसरी रिपोर्ट दिसम्‍बर 2005 में आयी और चौथी रिपोर्ट 2006 में आयी. इसमें जितनी भी सिफारिशें लगभग 201 सिफारिशें की गई थीं, मैं सम्‍माननीय प्रदेश के मुख्‍यमंत्री, प्रदेश के सम्‍माननीय कृषि मंत्री और देश के सम्‍माननीय प्रधानमंत्री जी, देश के सम्‍माननीय कृषि मंत्री जी को धन्‍यवाद देना चाहता हूं कि 201 सिफारिशों में से 200 सुझाव लागू कर दिये गये हैं और उसके कारण जो उन्‍होंने सिफारिश की है कि 50 फीसदी से ज्‍यादा उसको लाभ मिलना चाहिये, तो उसके लिये हमारी सरकार ने वर्ष 2013 में मोदी जी की सरकार के बाद लगातार समर्थन मूल्‍य बढ़ाया है. उसके पहले समर्थन मूल्‍य की हालत क्‍या थी, गेहूं किस भाव बिकता था, बहुत सारे किसान नेता बनते हैं, उनसे पूछ लें कि 2013 में चने का समर्थन मूल्‍य क्‍या था, गेहूं का क्‍या था, धान का क्‍या था, सरसों का क्‍या था और आज क्‍या है, उसमें बहुत सारे सुझाव लागू किये गये हैं. इसके अलावा किसान की आमदनी वर्ष 2022 तक दुगुनी करनी है. इसके लिये अभी रोडमैप बनाया गया है. उसमें भी बागवानी और कृषि के क्षेत्र में भी हमारी सरकार काम कर रही है. अभी जो कृषि कानून में संशोधन हुये उसकी चर्चा हो रही थी, उसको काला कानून कहने की हमारे जो पूर्व कृषि मंत्री सचिन यादव जी ने अपनी बात कही थी, मैं सबसे पहले यह पूछना चाहता हूं कि उसमें कमी क्‍या है, एक तो समर्थन मूल्‍य पर अनाज खरीदा जा रहा है, पहले भी खरीदा जा रहा था, आगे भी खरीदा जाएगा, मंडियां यथावत रहेंगी. मंडी की आय घटी है, तो मैं बताना चाहता हूं कि पहले दो प्रतिशत उसमें मंडी शुल्‍क लगती थी वह कम हो गया है इसलिये उसमें आय घटी है, ऐसा मैं मानता हूं. उत्‍पादन बढ़ा है, इसलिये उसमें लगातार सुधार हो रहे हैं. तीसरा, उसमें कॉन्‍ट्रैक्‍ट फार्मिंग की बात हो रही है. जो किसान है वह जानता है कि पहले से कॉन्‍ट्रैक्‍ट फार्मिंग हो रही है.

            सम्‍मानीय लक्ष्‍मण सिंह जी, हमारे वरिष्‍ठ सदस्‍य बैठे हुए हैं, खुद तो खेती नहीं करते होंगे, मगर सिक्‍मी जरूर देते होंगे.

          श्री लक्ष्‍मण सिंह -- मैं खेती भी करता हूँ और खेत में मकान बनाकर रहता भी हूँ, आपका स्‍वागत है, पधारिये, विराजिए, देखिए.

          श्री जालम सिंह पटेल -- मैं उदाहरण भर दे रहा हूँ कि इतने बड़े किसान हैं, ऐसे किसान हैं बड़े राजा, महाराजा जो भी हैं.

          सभापति महोदय -- अब तो आपको आमंत्रण दे दिया, अकेले-अकेले.

          श्री लक्ष्‍मण सिंह -- मैं बहुत बड़ा किसान नहीं हूँ. सीलिंग के अंदर भूमि है. हमारे पूरे परिवार की जितनी भूमि है, सब सीलिंग के अंदर है.

          श्री जालम सिंह पटेल -- मैं सिर्फ एक उदाहरण देना चाहता हूँ कि पट्टे पर जो जमीन दी जाती है वह सिक्‍मी कहलाती है. कांट्रैक्‍ट फॉर्मिंग पहले से ही है. कांग्रेस सरकार के समय ऐसा था कि लगातार 10 साल तक अगर सिक्‍मी ले तो वह कब्‍जा कर लेता था. वह कानून हमारी सरकार ने खत्‍म कर दिया. अब कोई भी कांट्रैक्‍ट फॉर्मिंग करे, लेकिन किसी प्रकार का कोई कब्‍जा नहीं हो सकता.   

          सभापति महोदय -- कितना समय और लेंगे ?

          श्री जालम सिंह पटेल -- सभापति महोदय, बस एक मिनट. दूसरी बात मैं यह कहना चाहता हूँ और बताना चाहता हूँ कि मैंने अभी एक दिन और अपनी बात रखी थी कि कांग्रेस की सरकार पंजाब में है, आप सब लोगों को जानकारी होगी. कांट्रैक्‍ट फॉर्मिंग वहां पर लागू है. उसमें जो क्‍लॉज दिया गया है, मेरे पास अभी है, मैं अभी माननीय कृषि मंत्री जी को देने वाला हूँ, माननीय मुख्‍यमंत्री जी को मैंने दिया है. जाने-अनजाने में अगर कांट्रैक्‍ट किसान से टूट जाए तो एक लाख रुपये से पांच लाख रुपये तक उसका जुर्माना है. प्रतिदिन का अलग है. जो कानून कंपनी के लिए लागू है वही कानून किसानों के लिए पंजाब में भी लागू है. मगर हमारा जो कानून है, मोदी जी जो कानून लेकर आए हैं, उसमें जितनी भी प्रकार की छूटें हैं, सब किसानों को हैं, किसी कंपनी को नहीं हैं. दूसरी बात उसमें यह है कि किसान न्‍यायालय नहीं जा सकता है. न्‍यायालय में जाने का किसान को कोई अधिकार नहीं है. मगर अभी  केन्‍द्रीय कृषि मंत्री जी ने, मोदी जी ने जो कानून में संशोधन किया है, उसमें यह है कि एक महीने के अंदर किसान न्‍यायालय में जा सकता है. उसको उसमें न्‍याय मिलेगा. इस प्रकार से मैं कह सकता हूँ कि लगातार कृषि के क्षेत्र में हम बात कर सकते हैं. कृषि पर, गांव पर, किसानों पर लगातार लोग बोलते हैं. उसकी उसमें संभावनाएं भी बहुत हैं. आज सुबह मैं नरसिंहपुर से आया हूँ, सुबह-सुबह 7 बजे जब वहां से चला था तो मैं आप सबको भी बताना चाहता हूँ कि सुबह कितना अच्‍छा लग रहा था कि जो चना कट रहा है, वह लगभग लाल है तो अभी उत्‍पादन चल रहा है. अभी हमारे यहां जो गाहनी हो रही है, चना 5 क्‍विंटल से लेकर 10 क्‍विंटल तक निकल रहा है.

          सभापति